Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 10 Hindi Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र
1. अपने मित्र अथवा अपनी सखी को अपने जन्म-दिवस पर बधाई – पत्र लिखिए –
उत्तर :
56-एल, मॉडल टाउन
कोच्ची
31 मार्च, 20….
प्रिय सखी नलिनी
सस्नेह नमस्कार !
आज ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ है। यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि तुम 4 अप्रैल को अपना 17वाँ जन्म – दिवस मना रही हो। इस अवसर पर तुमने मुझे भी आमंत्रित किया है इसके लिए अतीव धन्यवाद।
प्रिय सखी, मैं इस शुभावसर पर अवश्य पहुँचती, लेकिन कुछ कारणों से उपस्थित होना संभव नहीं। मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रही हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे तुम्हें चिरायु प्रदान करें। तुम्हारा भावी जीवन स्वर्णिम आभा से मंडित हो। अगले वर्ष अवश्य आऊँगी। मैं अपनी ओर से एक छोटी-सी भेंट भेज रही हूँ, आशा है कि तुम्हें पसंद आएगी। इस शुभावसर पर अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई अवश्य देना।
तुम्हारी प्रिय सखी
मधु
2. आपके मित्र को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। उसे बधाई पत्र लिखिए।
उत्तर :
512, चौक घंटाघर
भुवनेश्वर
19 जून, 20….
प्रिय मित्र सुमन
सस्नेह नमस्कार !
दिल्ली बोर्ड की दशम कक्षा की परिणाम सूची में तुम्हारा नाम छात्रवृत्ति प्राप्त छात्रों की सूची में देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। प्रिय मित्र, मुझे तुमसे यही आशा थी। तुमने परिश्रम भी तो बहुत किया था। तुमने सिद्ध कर दिया कि परिश्रम की बड़ी महिमा है। 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करना कोई खाला जी का घर नहीं। अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से बधाई देना। ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे पास आऊँगा। मिठाई तैयार रखना।
आपका अपना
विवेक शर्मा
3. आपकी बड़ी बहन को चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त हो गया है। इस सफलता के लिए बधाई – पत्र लगभग 80-100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
देहरादून
06-07-20XX
आदरणीय दीदी
सादर प्रणाम
आशा है आप सकुशल होंगी। में भी यहाँ कुशलता से हूँ अभी-अभी माँ का पत्र मिला। पत्र से पता चला कि आपका ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में दाखिला हो गया है। मेरी ओर से आपको बहुत – बहुत बधाई।
ऑल इंडिया में प्रवेश पाकर आपने सचमुच बड़ा मोर्चा मार लिया है। आपकी मेहनत रंग ले आई है। आप हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भगवान आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं चाहती थी कि स्वयं दिल्ली आकर आपको बधाई दूँ, परंतु मेरी परीक्षाएँ सिर पर हैं। परीक्षा समाप्त होते ही आपसे आकर मिलूँगी। आपसे परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र भी लूँगी।
घर में चाचा जी एवं चाची जी को मेरा प्रणाम दीजिएगा। नन्हे को मेरा स्नेह। शेष मिलने पर। मिलने की शुभेच्छा के साथ- आपकी प्रिय बहन
क. ख. ग.
4. अपने मित्र को एक पत्र लिखकर उसे ग्रीष्मावकाश का कार्यक्रम बताइए।
अथवा
ग्रीष्मावकाश के अवसर पर भ्रमणार्थ अपने मित्र को निमंत्रण पत्र लिखिए।
उत्तर :
37/9, रेलवे रोड
हैदराबाद
15 मई, 20….
प्रिय मित्र दिनेश
सस्नेह नमस्कार !
आशा है आप सब कुशल होंगे। आपके पत्र से ज्ञात हुआ है कि आपका विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो चुका है। हमारी परीक्षाएँ 28 मई को समाप्त हो रही हैं। इसके पश्चात विद्यालय 15 जुलाई तक बंद रहेगा। इस बार हम पिता जी के साथ शिमला जा रहे हैं। लगभग 20 दिन तक हम शिमला में रहेंगे। वहाँ मेरे मामा जी भी रहते हैं। अतः वहाँ रहने में हमें पूरी सुविधा रहेगी। शिमला के आस-पास सभी दर्शनीय स्थान देखने का निर्णय किया है। मेरे मामाजी के बड़े सुपुत्र वहाँ हिंदी के अध्यापक हैं। उनकी सहायता एवं मार्ग-दर्शन से मैं अपने हिंदी के स्तर को बढ़ा सकूँगा।
प्रिय मित्र, यदि आप भी हमारे साथ चलें तो यात्रा का आनंद आ जाएगा। आप किसी प्रकार का संकोच न करें। मेरे माता-पिताजी भी आपको मेरे साथ देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। आप शीघ्र ही अपना कार्यक्रम सूचित करना। हमारा विचार जून के प्रथम सप्ताह में जाने का है। शिमला से लौटने के बाद दिल्ली तथा आगरा जाने का भी विचार है। दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थान हैं। आगरा का ताजमहल तो मेरे आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि मुझे अभी तक इस सुंदर भवन को देखने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। आशा है कि इस बार यह जिज्ञासा भी शांत हो जाएगी। आप अपना कार्यक्रम शीघ्र ही सूचित करना।
अपने माता-पिता को मेरी ओर से सादर नमस्कार कहना।
आपका मित्र
विजय नायडू
5. अपने मित्र को उसके पिता के स्वर्गवास होने पर संवेदना – पत्र लिखिए।
उत्तर :
4587/15, दरियागंज
दिल्ली
21 जनवरी, 20….
प्रिय मित्र
कल्पना भी न की गई थी कि 19 जनवरी का दिन हम सबके लिए इतना दुखद होगा। आपके पिता के निधन का समाचार पाकर बड़ा शोक हुआ। हाय ! यह विधाता का कितना निर्दय प्रहार हुआ है। आपके पिता की असामयिक मृत्यु से हमारे घर में शोक का वातावरण छा गया। सबकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। मेरे पिताजी ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अपना निकटतम मित्र तथा सहयोगी खो दिया है।
प्रिय मित्र ! गत मास जब मैं आपसे मिलने आया था तो उस समय आपके पिताजी कितने स्वस्थ थे। विधि का विधान भी बड़ा विचित्र है। उनका साधु व्यक्तित्व अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। उनकी सज्जनता और परोपकार – भावना से सभी प्रभावित थे। उनके निधन से आपके परिवार को ही हानि नहीं पहुँची अपितु सारे नगर को हानि हुई है। उनकी शिक्षा में भी अत्यंत रुचि थी। उन्हीं की प्रेरणा से आप प्रत्येक परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करते रहे हैं –
प्रिय मित्र ! काल के आगे सब असहाय और विवश हैं। उसकी शक्ति से कोई नहीं बच सकता। उसके आगे सबने मस्तक झुकाया है। धैर्य धारण करने के अतिरिक्त दूसरा उपचार नहीं है। हम सब आपके इस अपार दुख में सम्मिलित होकर संवेदना प्रकट करते हैं। आप धैर्य से काम लीजिए। अपने छोटे भाइयों को सांत्वना दो। माताजी को भी इस समय आपके सहारे की आवश्यकता है। मित्र ! निश्चय ही आप पर भारी ज़िम्मेदारी आ पड़ी है। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे आपको इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति दें और स्वर्गीय आत्मा को शांति प्रदान करें।
आपके दुख में दुखी
रवि वर्मा
6. आपके मित्र के पिता के सीमा पर शहीद हो जाने का समाचार प्राप्त होने पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए मित्र को संवेदना पत्र लिखिए।
उत्तर :
4587/15, दरियागंज
दिल्ली
21 जनवरी, 20….
प्रिय मित्र
कल्पना भी न की गई थी कि 19 जनवरी का दिन हम सबके लिए इतना दुखद होगा। आपके पिता के निधन का समाचार पाकर बड़ा शोक हुआ हाय ! यह विधाता का कितना निर्दय प्रहार हुआ है। आपके पिता की असामयिक मृत्यु से हमारे घर में शोक का वातावरण छा गया। सबकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। मेरे पिताजी ने आपके शहीद पिता की मृत्यु पर उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अपना निकटतम मित्र तथा सहयोगी खो दिया है।” प्रिय मित्र ! गत मास जब मैं आपसे मिलने आया था तो उस समय आपके पिताजी कितने स्वस्थ थे।
उनसे देशभक्ति का सबक सीखा था। विधि का विधान भी बड़ा विचित्र है उनका पौरुष व्यक्तित्व अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। उनकी वीरता, सज्जनता और परोपकार – भावना से सभी प्रभावित थे। उनके निधन से आपके परिवार को ही हानि नहीं पहुँची अपितु सारे नगर, देश को हानि हुई है। उनकी शिक्षा में भी अत्यंत रुचि थी। उन्हीं की प्रेरणा से आप प्रत्येक परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करते रहे हैं।
प्रिय मित्र ! काल के आगे सब असहाय और विवश हैं। उसकी शक्ति से कोई नहीं बच सकता। उसके आगे सबसे मस्तक झुकाया है। धैर्य धारण करने के अतिरिक्त दूसरा उपचार नहीं है। हम सब आपके इस अपार दुख में सम्मिलित होकर संवेदना प्रकट करते हैं। आप धैर्य से काम लीजिए। अपने छोटे भाइयों को सांत्वना दो। माताजी को भी इस समय आपके सहारे की आवश्यकता है। मित्र ! निश्चय ही आप पर भारी जिम्मेदारी आ पड़ी है। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे आपको इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति दें और स्वर्गीय आत्मा को शांति प्रदान करें।
आपके दुख रवि वर्मा
रवि वर्मा
7. छात्रावास में रहने वाले अपने छोटे भाई को एक पत्र 80-100 शब्दों में लिखकर प्रातः काल नियमित रूप से योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए प्रेरित कीजिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 16 अक्टूबर, 20XX
प्रिय अनुज
सस्नेह।
कैसे हो? तुम्हारे स्कूल से तुम्हारा अर्धवार्षिक परीक्षा परिणाम अभी प्राप्त हुआ। तुमने हमेशा की तरह इस बार भी प्रत्येक विषय में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। शाबाश! आगे भी ऐसे ही बने रहना। उज्ज्वल भविष्य के लिए ऐसे परीक्षा परिणामों की बहुत आवश्यकता होती है किंतु अच्छे अंक पाने की होड़ में अपने स्वास्थ्य को दाँव पर नहीं लगाना चाहिए। मुझे पता है कि तुम दिन-रात आजकल अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहते हो, पर तुम्हें यह भी स्मरण रहना चाहिए कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। तुम प्रातःकाल तो जल्दी उठ ही जाते हो। तुम उस समय योग और प्राणायाम के लिए कुछ समय अवश्य निकाला करो। योग और प्राणायाम के द्वारा तन और मन दोनों ही चुस्त और स्वस्थ रहते हैं। ये कम समय में अधिक लाभ देंगे तथा तुम्हें परीक्षा की तैयारी करते समय भी अधिक सक्रिय रखेंगे। आशा तुम मेरी इस सलाह को ज़रूर मानकर योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या बनाओगे।
माता जी व पिता जी की ओर से तुम्हें ढेर सारा प्यार।
तुम्हारा भाई
हितेज़
8. अपने पिता जी को पत्र लिखिए जिसमें अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की सूचना देते हुए खर्च के लिए रुपये मँगवाओ।
उत्तर :
परीक्षा भवन
क० ख० ग०
5 मई, 20….
पूज्य पिताजी
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारा परीक्षा परिणाम निकल आया है। मैं 580 अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया हूँ। अपनी कक्षा में मेरा दूसरा स्थान है। मुझे स्वयं इस बात का दुःख है कि मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कि मैं दिसंबर मांस में बीमार हो गया था और लगभग 20-25 दिन विद्यालय न जा सका। यदि मैं बीमार न हुआ होता तो संभव था कि छात्रवृत्ति प्राप्त करता। अब मैं सातवीं कक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने का प्रयत्न करूँगा।
अब मुझे सातवीं कक्षा की नई पुस्तकें आदि खरीदनी हैं। कुछ मित्र मेरी इस सफलता पर पार्टी भी माँग रहे हैं। अतः आप मुझे 2500 रुपये यथाशीघ्र भेजने की कृपा करें।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
राघव।
9. अपने छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताकर अच्छे लड़कों की संगति में रहने की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
720, सेक्टर 27 – सी.
कुरुक्षेत्र।
20 फ़रवरी, 20….
प्रिय जगदीश,
प्रसन्न रहो।
हमें पूर्ण विश्वास है कि तुम सदा मेहनत करते हो और मिडिल परीक्षा में कोई अच्छा स्थान लेकर उत्तीर्ण होगे। तुम्हारी नियमितता और अनुशासन- पालन को देखकर हमें यह विश्वास हो गया है कि तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना कि कहीं कुसंगति में फँसकर अपने को दूषित न कर लेना। यदि तुम बुरे लड़कों के जाल से न बचोगे तो तुम्हारा भविष्य अंधकारमय बन जाएगा और तुम अपने रास्ते से भटक जाओगे। तुम्हें जीवन-भर कष्ट उठाने पड़ेंगे और तुम अपने उद्देश्य में सफल न हो सकोगे।
कुसंगति छात्र का सबसे बड़ा शत्रु है। दुराचारी बच्चे होनहार बच्चों को भी भ्रष्ट कर देते हैं। प्रारंभ में बुरे बच्चों की संगति बड़ी मनोरम लगा करती है, लेकिन यह भविष्य को धूमिल कर देती है। दूसरी ओर अच्छे बच्चों की संगति करने से चरित्र ऊँचा होता है, कई अच्छे गुण आते हैं। अच्छे बालक की सभी प्रशंसा करते हैं।
आशा है कि तुम कुसंगति के पास तक नहीं फटकोगे, फिर भी तुम्हें सचेत कर देना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ। माताजी और पिताजी का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, किसी वस्तु की ज़रूरत हो तो लिखना।
तुम्हारा बड़ा भाई,
भुवन मोहन
10. अपनी माता जी को बीमारी की अवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
7/454, माधोपुरी
राँची
10 नवंबर, 20….
श्रद्धेय पिताजी
सादर चरण-स्पर्श !
मैंने पहले पत्र में भी आपको माँ के बढ़ते हुए रोग की सूचना दी थी और आपके परामर्श के अनुसार डॉ० भंडारी को भी दिखाया लेकिन अभी तक कुछ स्वास्थ्य लाभ नहीं हुआ। माँ के निरंतर बढ़ते हुए रोग ने हमें बहुत चिंतित कर दिया है। वे बहुत दुर्बल हो गई हैं। आप कृपया शीघ्र पहुँचने का प्रयत्न करें। संभव हो तो दूरभाष पर बात करें।
आपका प्रिय पुत्र
चैतन्य पुरी
11. अपने छोटे भाई के जन्म-दिवस पर आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
25 मार्च, 20….
प्रिय मित्र विकास
सप्रेम नमस्कार !
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरे अनुज दीपक का जन्मदिवस 12 अप्रैल, 20… को सायं पाँच बजे घर के आँगन में मनाया जाएगा। इस शुभावसर की शोभा बढ़ाने के लिए कुछ प्रसिद्ध गायक भी सम्मिलित होंगे। आपसे निवेदन है कि आप भी इस अवसर पर पधारें और अनुज दीपक को आशीर्वाद देने की कृपा करें।
अपने माता-पिता को मेरी ओर से प्रणाम कहें।
आपका मित्र
मानस
12. अपने मित्र / सहेली को एक पत्र लिखकर बताइए कि आपके स्कूल में 15 अगस्त का दिन कैसे मनाया गया।
उत्तर :
48 – A, आदर्श नगर,
गुरदासपुर।
18 अगस्त, 20….
प्रिय सखी दीपा,
सप्रेम नमस्ते।
बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र नहीं मिला। क्या कारण है ? मैं तुम्हें दो पत्र डाल चुकी हूँ पर उत्तर एक का भी नहीं मिला। कोई नाराज़गी तो नहीं। अगर ऐसी-वैसी कोई बात हो तो क्षमा कर देना।
हाँ, इस बार हमारे स्कूल में 15 अगस्त का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इसकी थोड़ी-सी झलक मैं पत्र द्वारा तुम्हें दिखा रही हूँ। 15 अगस्त मनाने की तैयारियाँ एक महीना पहले ही शुरू कर दी गई थीं। स्कूल में सफ़ेदी कर दी गई थी। लड़कियों को सामूहिक नृत्य की ट्रेनिंग देना कई दिन पहले ही शुरू कर दी गई थी। हमें ‘हमारे अमर शहीद’ एकांकी नाटक की रिहर्सल भी कई बार करवाई गई।
निश्चित दिन को ठीक सुबह सात बजे 15 अगस्त का समारोह शुरू हो गया। सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेवक चौधरी रामलाल जी ने अदा की। इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करने शुरू कर दिए। गिद्धा नाच ने सबका मन मोह लिया। इसके बाद देश-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत गाया था। मैंने सामूहिक गायन में भी भाग लिया।
इसके बाद एकांकी ‘हमारे अमर शहीद’ का मंचन हुआ। इसके हर सीन पर तालियाँ बजती थीं। समारोह के अंत में मुख्य अतिथि और हमारी बड़ी बहन जी ने भाषण दिए, जिसमें देश-भक्ति की प्रेरणा थी।
15 अगस्त का यह समारोह मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि मुझे इसमें दो खूबसूरत इनाम मिले हैं। पूज्य माताजी और भाभी जी को प्रणाम। रिंकू और गुड्डी को प्यार देना। इस बार पत्र का उत्तर ज़रूर देना।
तुम्हारी अनन्य सखी,
वर्तिका
13. परीक्षा में असफल होने पर बहन को सांत्वना पत्र लिखिए।
उत्तर :
519, राम कुटीर,
रामनगर, दिल्ली।
5 जुलाई, 20….
प्रिय बहन सिया,
प्रसन्न रहो।
पिता जी का अभी-अभी पत्र आया है। तुम्हारे असफल होने का समाचार मिला। मुझे तो पहले ही तुम्हारे पास होने की आशा नहीं थी। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी, इसमें असफल रहना स्वाभाविक ही था। पहले माताजी बीमार हुईं, फिर तुम स्वयं बुखार में फँस गई। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझ से छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें रंचमात्र भी खेद नहीं करना चाहिए। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि हम तुम्हारे असफल होने पर नाराज़ हैं। हाँ, अब अगले वर्ष की परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ। किसी पुस्तक की आवश्यकता हो तो लिखो। डटकर पढ़ाई करो। माताजी एवं पिताजी को प्रणाम।
तुम्हारा प्यारा भाई,
वरुण
14. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें दहेज की कुप्रथा के बारे में विवेचना हो।
उत्तर :
डी० ए० वी० उच्च विद्यालय,
कोलकाता।
1 मार्च, 20….
प्रिय मित्र सुशील,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र मिला, तदर्थ धन्यवाद। बहन रमा की मँगनी के विषय में आपने मुझसे परामर्श माँगा है। दहेज के संबंध में मेरी सम्मति माँगी है। इसके लिए कुछ शब्द प्रस्तुत हैं।
मैं मनु के इस उपदेश का प्रचारक हूँ कि जिस घर में नारियों की पूजा होती है, उस घर में देवता निवास करते हैं। आज इस आदर्श पर पोछा फिर गया है। जिस गृहस्थ के घर में कन्या पैदा होती है, वह समझता है कि मुझ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। मेरी सम्मति में इन सब बुरी भावनाओं का मूल कारण केवल मात्र दहेज-प्रथा है।
आज की प्रचलित दहेज-प्रथा ने कई सुंदर देवियों को पतित होने पर विवश किया है। कइयों ने अपने माता-पिता को कष्ट में देखकर आत्महत्याएँ की हैं।
क्या आपको अंबाला की प्रेमलता की आत्महत्या की घटना स्मरण नहीं ? माता-पिता की इज़्ज़त की रक्षा के लिए उसने अपने प्राणों की बलि दे दी। इसी कारण समाज सुधारकों की आँखें खुलीं। समाज सुधारकों ने इस कुप्रथा का अंत करने का बीड़ा उठाया।
मेरी अपनी सम्मति में कन्यादान ही महान् दान है। जिस व्यक्ति ने अपने हृदय का टुकड़ा दे दिया उसका यह दान तथा त्याग क्या कम है ? आज के नवयुवकों की बढ़ती हुई दहेज की लालसा मुझे सर्वथा पसंद नहीं है। वरों की इस प्रकार से बढ़ती हुई कीमतें समाज के भविष्य के लिए महान संकट बन रही हैं।
मेरी सम्मति में आप रमा बहन के लिए एक ऐसा वर ढूँढ़ें जो हर प्रकार से योग्य हो, स्वस्थ, समुचित रोज़गार वाला और शिक्षित हो। धनी-मानी और लालची लोगों की ओर एक बार भी नज़र न डालें। समय आ रहा है जबकि स्वतंत्र भारत के कर्णधार कानूनन दहेज प्रथा को बंद कर देंगे।
इस संबंध में बहुत सोचने और घबराने की आवश्यकता नहीं है।
आपका अभिन्न हृदय
मनोहर लाल
15. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें प्रातः भ्रमण के लाभ बताए गए हों।
उत्तर :
208, कृष्ण नगर,
इंदौर
15 अप्रैल, 20….
प्रिय सुरेश,
प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे स्वास्थ्य की बहुत चिंता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूँजी होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। गत वर्ष के टाइफाइड का प्रभाव अब तक भी तुम्हारे ऊपर बना हुआ है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रातः भ्रमण अवश्य किया करो। यह स्वास्थ्य सुधार के लिए अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। प्रातः बस्ती से बाहर की वायु बहुत ही शुद्ध होती है। इसके सेवन से स्वच्छ रक्त का संचार होता है। मन खिल उठता है, मांसपेशियाँ बलवान् बनती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। प्रातःकाल खेतों की हरियाली से आँखें ताज़ा हो जाती हैं।
मुझे आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। नित्य प्रातः उठकर सैर के लिए जाया करोगे। अधिक क्या कहूँ। तुम्हारे स्वास्थ्य का रहस्य प्रातः भ्रमण में छिपा है। पूज्य माताजी को प्रणाम। अणु-शुक को प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
प्रमोद कुमार
16. अपनी छोटी बहन को सादा जीवन बिताने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तर :
केंद्रीय उच्च विद्यालय,
झाँसी।
2 नवंबर, 20….
प्रिय बहन मधु,
प्यार भरी नमस्ते।
कल पूज्य माताजी का पत्र मिला। घर का हाल-चाल ज्ञात हुआ। यह पढ़कर मुझे दुःख भी हुआ और हैरानी भी कि तुम फ़ैशनपरस्ती की ओर बढ़ रही हो। फ़ैशन विद्यार्थी का सबसे बड़ा शत्रु है।
बहन, तुम समझदार हो। सादगी, सरलता और सद्विचार उन्नति की सीढ़ियाँ हैं। फ़ैशन हमारी संस्कृति और सभ्यता के प्रतिकूल है। प्रगति की दौड़ में फ़ैशनपरस्त व्यक्ति हमेशा ही पिछड़ जाता है।
सादी वेश-भूषा व्यक्ति को ऊँचा उठाती है। सादापन मनुष्य का आंतरिक शृंगार है। अच्छे कुल की लड़कियाँ सादा खान-पान और सादा रहन- सहन कभी नहीं त्यागतीं। फ़ैशन की तितलियाँ बनना उन्हें शोभा नहीं देता। तड़क-भड़क व्यक्ति के आचरण को ले डूबती है। अत: इसे दूर से ही नमस्कार दो। गांधीजी कहा करते थे कि लड़के-लड़कियों में सादगी होना बहुत ज़रूरी है।
फिर तुम एक भारतीय लड़की हो। तुम्हें सीता, सावित्री, द्रौपदी, अनुसूइया आदि के समान आदर्श बनना है। कीलर या मारग्रेट नहीं बनना है। मुझे विश्वास है कि तुम मेरी इस छोटी-सी परंतु महत्त्वपूर्ण शिक्षा के अनुसार आचरण करोगी। इसी में हमारे परिवार का मंगल है।
तुम्हारा भाई,
रवि शंकर
कक्षा : सातवीं ‘ए’
17. छात्रावासीय जीवन पर टिप्पणी करते हुए अपने बड़े भाई के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
512, टैगोर भवन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद
दिनांक : 20 जुलाई, 20 ….
पूज्य भाई साहब
नमस्कार !
आशा है कि आप सब सकुशल हैं। मुझे यहाँ प्रवेश मिल गया है तथा टैगोर भवन छात्रावास में कमरा भी मिल गया है। यहाँ के सभी साथी बहुत ही मिलनसार तथा हँसमुख हैं। हमारे छात्रावास में खेलों तथा मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन, कंप्यूटर आदि उपलब्ध हैं। यहाँ के भोजनालय में भोजन अत्यंत पौष्टिक तथा स्वास्थ्यवर्धक प्राप्त होता है। स्नानागार आदि भी स्वच्छ तथा हवादार हैं। कमरे में पंखा लगा हुआ है तथा कमरे के बाहर छज्जे में से प्राकृतिक दृश्य बहुत सुंदर दिखाई देते हैं।
आप माताजी एवं पिताजी को समझा दें कि मैं यहाँ पर सुखपूर्वक हूँ तथा मन लगाकर पढ़ रहा हूँ। समय पर खा-पी लेता हूँ तथा व्यायाम भी करता हूँ। उन्हें नमस्कार कहें तथा रुचि को स्नेह दें।
आपका अनुज
तरुण कुमार
18. आपका छोटा भाई अनुराग परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया। उसे भविष्य में ऐसा न करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 20-05-20XX
प्रिय अनुराग
शुभाशीष
आशा है कि तुम सकुशल होंगे। मैं भी यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ और अपने कामकाज में व्यस्त हूँ।
कल ही मुझे यह पता चला कि तुम विज्ञान की परीक्षा में नकल करते पकड़े गए और इसके लिए प्रधानाचार्य ने तुम्हें दंडित किया है। तुम्हारा विज्ञान का पेपर भी रद्द कर दिया गया है और तुम्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए कहा गया है। भाई, तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम्हारी इस हरकत से माता-पिता को कितना दुख हुआ है। मेरे द्वारा बार-बार समझाने पर भी तुमने अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दिया। सारा समय मित्रों के साथ बाहर घूमने और दूरदर्शन देखने में बिताने का यही नतीजा होता है। यदि हमारा कहा मानकर प्रतिदिन केवल एक-दो घंटे पढ़ाई की होती, तो आज यह दुख न झेलना पड़ता। अब भी समय है, सँभल जाओ और पढ़ाई में अपना मन लगाओ।
आशा है कि तुम मेरी सलाह पर ध्यान दोगे और भविष्य में कभी यह गलती नहीं दोहराओगे।
तुम्हारा भाई
क. ख. ग
19. जन्म – दिवस पर प्राप्त भेंट के लिए धन्यवाद – पत्र लिखिए।
उत्तर :
712, जनता नगर
कोयंबटूर
24 दिसंबर, 20….
पूज्य चाचा जी
सादर प्रणाम !
आपने मेरे जन्म-दिवस पर मुझे अपनी शुभ कामनाओं के साथ-साथ जो घड़ी भेजी है, उसके लिए मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करती हूँ। मेरी पहली घड़ी पुरानी हो जाने के कारण न तो ठीक तरह से चलती थी और न ही ठीक समय की सूचना देती थी। अतः मैं नई घड़ी की आवश्यकता अनुभव कर रही थी। घड़ी देखने में भी अत्यन्त आकर्षक है। ठीक समय देने में तो इसका जवाब नहीं।
चाचाजी, मुझे तोहफ़े तो और भी मिले हैं पर आपकी घड़ी की बराबरी कोई नहीं कर सकता। आपकी यह प्रिय भेंट चिरस्मरणीय है।
इस भेंट के लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करती हूँ।
चाचीजी को सादर प्रणाम। विमल और कमल को मेरी ओर से सस्नेह नमस्कार।
आपकी आज्ञाकारी
लक्ष्मी मेनन
20. छोटे भाई को पत्र लिखो और उसे समय का महत्व बताइए।
उत्तर :
16, रूप नगर
अवंतिपुर
25 मई, 20….
प्रिय अनुज
चिरंजीव रहो !
कल ही पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ है। उसमें उन्होंने तुम्हारे विषय में यह शिकायत की है कि तुम समय के महत्त्व को नहीं समझते। अपना अधिकांश समय खेल-कूद में तथा मित्रों से व्यर्थ के वार्तालाप में नष्ट कर देते हो। नरेश ! तुम्हारे लिए यह उचित नहीं। समय ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य धन है। इसका ठीक ढंग से व्यय करना हमारा कर्तव्य है। समय की अपेक्षा करने वाला कभी महान नहीं बन सकता।
शीघ्र ही तुम्हारा स्कूल ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो रहा है। तुमने अपने भ्रमण के लिए जो योजना बनाई है, वह ठीक है। कुछ दिन शिमला में रहने से तुम्हारा मन तथा शरीर दोनों स्वस्थ बन जाएँगे। वहाँ भी तुम अध्ययन का क्रम जारी रखना। ज्ञान की वृद्धि के लिए पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी कुछ उपयोगी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए लेकिन दृष्टि परीक्षा पर ही केंद्रित रहे।
प्रत्येक क्षण का सदुपयोग एक पीढ़ी के समान है जो हमें निरंतर उत्थान तथा प्रगति की ओर ले जाता है। संसार इस बात का साक्षी है कि जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन के किसी भी क्षण को व्यर्थ नहीं जाने दिया। इसीलिए वे आज इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गए हैं। पंत जी ने भी अपने जीवन को सुंदर रूप में देखने के लिए भगवान से कामना करते हुए कहा है- यह पल-पल का लघु जीवन, सुंदर, सुखकर, शुचितर हो।
प्रिय अनुज ! याद रखो। समय संसार का सबसे बड़ा शासक है। बड़े-बड़े नक्षत्र भी उसके संकेत पर चलते हैं। हमारी सफलता-असफलता समय के सदुपयोग अथवा दुरुपयोग पर ही निर्भर करती है। समय का मूल्य समझना, जीवन का मूल्य समझना है। हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो समय के दुरुपयोग में ही जीवन का आनंद ढूँढ़ते हैं। ऐसे लोग प्रायः व्यर्थ की बातचीत में, ताश खेलने में, चल-चित्र देखने में तथा आलस्यमय जीवन व्यतीत करने में ही अपना समय नष्ट करते रहते हैं। हमारे जीवन में मनोरंजन का भी महत्त्व है. पर मेहनत का पसीना बहाने के बाद। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना भूल ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी मूर्खता है।
इस प्रकार समय के सदुपयोग में ही जीवन की सार्थकता है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम समय का मूल्य समझोगे और उसके सदुपयोग द्वारा अपने जीवन को सफल बनाओगे।
मेरी ओर से माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारा हितैषी
रवींद्र वर्मा
21. किसी मुद्दे पर आपका अपने मित्र से मतभेद हो गया है। उसे 80-100 शब्दों में पत्र लिखकर अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए बताइए कि यह मित्रता आपके लिए क्या महत्व रखती है।
उत्तर :
55, जनकपुरी
नई दिल्ली
दिनांक : 25 फरवरी 2020
प्रिय मित्र सुरेश
सप्रेम नमस्कार।
मैं यहाँ अपने परिवार के साथ सकुशल हूँ कि तुम भी अपने परिवारजन के साथ कुशलतापूर्वक होंगे। सर्वप्रथम मैं दिल से तुम्हें चुनाव में विजयी होने के लिए बधाई देता हूं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में तुम आम आदमी पार्टी के टिकट पर लड़ रहे थे और तुम चाहते हो कि चुनाव प्रचार में मैं तुम्हारा साथ दूँ। परंतु मैं उस पार्टी की विचारधारा से सहमत नहीं था और मैंने तुम्हारे साथ प्रचार न करने का निर्णय लिया था और इस कारण तुम मुझसे नाराज़ हो गए। तुम इस बात से भलीभाँति परिचित हो कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वेच्छा से पार्टी या नेता का चुनाव या समर्थन करने का अधिकार है और मैंने भी उसी अधिकार का प्रयोग किया। मुझे आशा है कि तुम मेरी बात समझोगे और अपनी नाराजगी दूर करोगे। हमारी मित्रता बहुत घनिष्ठ है जिसमें मतभेद हो सकते हैं नाराजगी नहीं। मुझे आशा है कि तुम पत्र पढ़कर शीघ्र ही उत्तर होगे। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मित्र
क. ख. ग.
22. सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते हुए धूम्रपान तथा उसके कारण संभावित रोगों की ओर संकेत करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 29 मार्च 2020
सेवा में
संपादक में
नव भारत टाइम्स
बहादुर शाह ज़फर रोड
नई दिल्ली
विषय – सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान का प्रभाव
महोदय
मैं दिल्ली के चाँदनी चौक का निवासी, आपका ध्यान सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते धूम्रपान व उसके कारण संभावित रोगों की ओर दिलाना चाहता हूँ। प्रतिदिन मैं इस समस्या को देखता, महसूस करता और सहता हूँ।
धूम्रपान से होने वाली घातक बीमारी से हम सभी अवगत हैं। धूम्रपान करने से कैंसर सहित और भी कई घातक बीमारियाँ होती है। यह न सिर्फ धूम्रपान करने वालो को रोगग्रस्त करता है अपितु जो धूम्रपान के इर्द-गिर्द रहते हैं उन्हें भी अपनी चपेट में ले लेता है। इस समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र को धूम्रपान मुक्त बनाने के लिए कानून की व्यवस्था की थी। परंतु कुछ लोग इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं जिससे सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान न करने वाले लोग भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
आशा है आप इस पत्र को प्रकाशित कर सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करवाने में मदद करेंगे ताकि इस पर कठोर कानून बने व लागू हो।
शुभ कामनाओं सहित
धन्यवाद
भवदीय
क ख ग