Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana संवाद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 9 Hindi Rachana संवाद-लेखन
दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत को संवाद कहते हैं। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदानप्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह – तरह के हाव – भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह – अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं।
संवादों के बिना दो लोगों के बीच बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थिति तो जड़ अवस्था को जन्म देती है। सामान्य बातचीत, लड़ाई – झगड़ा, हँसी – मज़ाक, प्रेम – घृणा, वाद – विवाद आदि सभी संवादों के सहारे ही पूरे होते हैं। संवादों में अनेक गुण होने चाहिए ताकि उनसे दूसरों को मनचाहे ढंग से प्रभावित किया जा सके या उन पर वही प्रभाव डाला जा सके जो हम डालना चाहते हैं। संवादों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
संवाद स्वाभाविक होने चाहिए।
उनकी भाषा अति सरल, सरस, भावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
उनमें जहाँ कहीं संभव हो वहाँ विराम – चिहनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
उनकी लंबाई अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे संवाद स्वाभाविक और सहज होते हैं। लंबे संवाद भाषण का बोध कराते हैं।
भाषा में भावों के अनुरूप चुटीलापन, पैनापन, स्पष्टता और सहजता होनी चाहिए।
उनमें कही जाने वालो बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो जानी चाहिए।
सवाद के दुछ उदाहरण :
प्रश्न 1.
राधिका द्वारा गृहकार्य न कर पाने का कारण स्पष्ट करते हुए अपने अध्यापक से की गई बातचीत लिखिए।
उत्तर :
- अध्यापक (राधिका के निकट आकर) – तुम अपनी कॉपी दिखाओ।
- राधिका – सर, मैंने आज होमवर्क नहीं किया। मुझे क्षमा कर दीजिए। मैं आज उसे पूरा कर लूँगी।
- अध्यापक – पर क्यों नहीं किया ?
- राधिका – कल दोपहर मेरे पापा बहुत बीमार हो गए थे और मैं अपनी मम्मी के साथ उन्हें नर्सिंग होम ले गई थी। समय ही नहीं मिला।
- अध्यापक – क्या हुआ था उन्हें ?
- राधिका – उन्हें तेज़ पेटदर्द और उल्टियाँ हो रही थीं।
- अध्यापक – नर्सिंग होम से वापस कब लौटे थे ?
- राधिका – रात के दस बजे।
- अध्यापक – ठीक है, बैठ जाओ। आज काम पूरा कर लेना।
प्रश्न 2.
वार्षिक परीक्षा परिणाम के बाद नई कक्षा में प्रवेश पाने वाले दो छात्रों के बीच आपसी बातचीत लिखिए।
उत्तर :
- राजन (आश्चर्य से) – अरे, राघव तुम यहाँ ?
- राघव – हाँ, लेकिन इसमें आश्चर्य की क्या बात है ?
- राजन – पर तुम्हारा सेक्शन तो दूसरा था। तुम हमारे सेक्शन में कैसे ?
- राघव – ओह ! तुम्हें इस स्कूल का नियम पता नहीं है। हाँ, पता भी कैसे होगा ? तुम इस विद्यालय में अभी नए हो।
- राजन – कौन – सा नियम ? कैसा नियम ?
- राघव – हमारे स्कूल में प्रत्येक उस विद्यार्थी को ‘ए’ सेक्शन में भेज दिया जाता है, जिसके अंक पिछली कक्षा में $90 \%$ या उससे अधिक
- आते हैं। पिछली कक्षा में मेरे इतने अंक आए हैं।
- राजन – वाह! बधाई हो। तुम तो हर क्षेत्र में आगे हो – खेल में भी और पढ़ाई में भी।
प्रश्न 3.
रेखा और कनुप्रिया के बीच आधी छुट्टी के समय किए जाने वाले आपसी संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- रेखा – आज तो मुझसे गलती हो गई। मैं अपनी गणित की कॉपी घर ही भूल गई।
- कनुप्रिया – गणित की अध्यापिका तो हैं भी बहुत गुस्से वाली।
- रेखा – इसी बात से तो डर लग रहा है।
- कनुप्रिया – कल तो होमवर्क में बस पाँच ही प्रश्न मिले थे। कुल दस मिनट का काम है।
- रेखा – हाँ, वह तो है। उन्हें सब बात बता दूँगी।
- कनुप्रिया – हाँ, शायद सच बोलने पर वे गुस्सा न करें।
- रेखा – चल जल्दी से खाना खा ले फिर मैं अपना होमवर्क एक कॉपी पर तो कर ही लेती हूँ ताकि अध्यापिका जी कुछ कम नाराज हों।
- कनुप्रिया – ठीक कह रही हो। चलो खाना खाएँ।
प्रश्न 4.
स्कूल जाने से पहले अनुष्का और उसकी मम्मी के बीच कुछ संवादों को अपने शब्दों में लिखिए। मम्मी (ज़ोर से) – अनुष्का, तुम्हें आज फिर स्कूल जाने में देर हो जाएगी।
उत्तर :
- अनुष्का – मम्मी, अभी तो स्कूल बस आने में पाँच मिनट बाकी हैं।
- मम्मी – वह तो मुझे पता है। तुम तो अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं हुई।
- अनुष्का – बस, जूते पहनने ही रह गए हैं।
- मम्मी – और नाश्ते का क्या ? मेज़ पर रखा हुआ नाश्ता ठंडा हो गया है।
- अनुष्का – उसे खाने में दो मिनट भी नहीं लगेंगे, मम्मी। क्यों गुस्सा कर रही हो ?
- मम्मी – रोज़ कहती हूँ समय से उठा करो पर सुनती ही नहीं हो मेरी बात।
- अनुष्का – जल्दी तो उठी थी पर….।
- मम्मी – किसने कहा था कि बैठ जाओ सवेरे – सवेरे टॉम एंड जैरी के सामने।
- अनुष्का – अच्छा मम्मी। कल से सवेरे – सवेरे टॉम एंड जैरी नहीं देखूँगी।
प्रश्न 5.
लतिका और मनू के बीच सवेरे स्कूल जाने से पहले हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- लतिका (हाथ में तौलिया लिए हुए) – जल्दी कर मनू, बाहर निकल बाथरूम से।
- मनू (भीतर से) – क्यों चीख रही हो दीदी ? क्यों नहीं उठ जाती ज़रा जल्दी ?
- लतिका – तू बाहर निकल। नहीं तो पापा से कहती हूँ।
- मनू – अरे, नहाकर ही तो निकलूँगा। अभी आया – बस दो मिनट में।
- लतिका – तेरे दो मिनट भी तो बीस मिनट के होते हैं। बस आ जाएगी। देर हो रही है।
- मनू – तू अपना स्कूल बैग तैयार कर। मेरा लंच बॉक्स भी तैयार कर दो। मैं अभी आया।
प्रश्न 6.
स्कूल के माली और कबीर के बीच हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए। माली (हाथ में खुरपा लिए हुए) – तुमने फूल क्यों तोड़ा ?
उत्तर :
- कबीर – मैंने यहाँ से फूल नहीं तोड़ा।
- माली – झूठ बोलते हो। यह फूल तो स्कूल के बगीचे का ही है।
- कबीर – तो क्या ऐसे सारे फूल यहीं लगते हैं ? मैं इसे अपने घर से लाया हूँ। हमारे घर में ऐसे बहुत – से फूल लगे हुए हैं। माली – तुम नहीं मानोगे।
- कबीर – अरे, मैं सच कह रहा हूँ। मैं यह फूल मैडम के लिए लाया हूँ अपने घर से। आज बाल – दिवस है न।
- माली – अच्छा। तुम्हारे घर में कौन – सा माली काम करता है ? फूल देखकर तो अच्छा समझदार लगता है।
- कबीर – हाँ, वह बहुत समझदार और मेहनती है।
प्रश्न 7.
रिक्शा चालक और गोमती के बीच हुए संवादों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- गोमती (ज़ोर से आवाज़ लगाते हुए) – रिक्शावाले भइया।
- रिक्शावाला – जी, कहिए। कहाँ चलना है ?
- गोमती – सदर बांज़ार जाना है। चलोगे ?
- रिक्शावाला – हमारा तो काम ही यही है। बैठिए।
- गोमती – कितने पैसे लोगे ?
- रिक्शावाला – जो आपको ठीक लगे, दे देना बहन जी।
- गोमती – नहीं, ठीक – ठीक बताओ। बाद में झगड़ा होता है।
- रिक्शावाला – बहन जी, मैं इस शहर में नया आया हूँ।
- मुझे ठीक – ठीक पता नहीं कि वहाँ का यहाँ से कितना किराया होता है ?
- गोमती – तो तुम्हें रास्ता भी पता नहीं होगा ?
- रिक्शावाला – जी हाँ। मुझे रास्ता भी आप ही बताना।
- गोमती – (रिक्शा में बैठती हुई) – अच्छा चलो। दस रुपये दूँगी। वहाँ का इतना ही किराया लगता है। रिक्शा तो ठीक चलाते हो न ?
- रिक्शावाला – जी हाँ। पिछले दस साल से रिक्शा चला रहा हूँ।
प्रश्न 8.
सब्त्रीवाले से मनीषा की बातचीत अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- मनीषा (पुकारती हुई) – रुकना ज़रा। ओ सब्ज़ीवाले भइया।
- सब्ज़ीवाला – जी, कहिए, क्या लेना है ?
- मनीषा – सब्ज़ी लेनी है। क्या – क्या है तुम्हारे पास ?
- सब्ज़ीवाला – सब कुछ है – आलू, गोभी, मटर, साग, भिंडी, तोरी….।
- मनीषा – मटर किस भाव दे रहे हो ? ताज़े तो हैं ये ?
- सब्ज़ीवाला – ताज़े हैं बहन जी। अभी मंडी से ला रहा हूँ। चालीस रुपये किलो हैं।
- मनीषा – बहुत महँगे लगा रहे हो। कल तो तीस रुपये किलो थे।
- सब्ज़ीवाला – जी हाँ। आज इसी भाव हैं। कल ट्रकवालों की हड़ताल थी न। मंडी में माल कम आया है आज।
- मनीषा – कुछ कम करो। दो किलो ले लूँगी।
- सब्ज़ीवाला – अच्छा बहन जी। पैंतीस रुपये किलो दे दूँगा। इससे कम नहीं।
- मनीषा – ठीक है। दो किलो तोल दो।
- ठीक – ठीक तोलना।
- सब्ज़ीवाला – ठीक ही तोलता हूँ। पिछले कितने वर्षों से यही काम तो कर रहा हूँ।
प्रश्न 9.
पुस्तक – विक्रेता से रजनीश की बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- रजनीश – आपके पास शब्दकोश हैं क्या ?
- पुस्तक – विक्रेता – जी हाँ। आप को कौन – सा शब्दकोश चाहिए ? हिंदी – अंग्रेज़ी या अंग्रेज़ी – हिंदी ?
- रजनीश – हिंदी – अंग्रेज़ी दिखाना।
- पुस्तक – विक्रेता – पॉकेट साइज़ चाहिए या बड़े आकार का ?
- रजनीश – बड़े आकार का। जिसमें अधिक – से – अधिक शब्द हों।
- पुस्तक – विक्रेता – हाँ एक नया शब्दाकोश कल ही आया है। डेढ़ लाख शब्द हैं इसमें।
- रजनीश – दिखाओ तो ज़रा।
- पुस्तक – विक्रेता – (शब्दकोश दिखाते हुए) – इसका कवर भी बहुत सुंदर है और छपाई भी आकर्षक है।
- रजनीश – महँगा भी उतना ही होगा।
- पुस्तक – विक्रेता – नहीं, बहुत महाँगा नहीं है। मॉडर्न पब्लिशर्ज़ का है। उन्होंने बड़ी मेहनत से इसे तैयार कराया है।
प्रश्न 10.
मुकेश और राजेश के बीच आधी छुट्टी के समय आपस में किए गए झगड़े में प्रयुक्त संवादों को अपने शब्दों में लिखिए। मुकेश (कक्षा से बाहर निकलते हुए) – ओ राजेश, तू समझता क्या है अपने आप को ?
उत्तर :
- राजेश (गुस्से में) – ज़रा ढंग से बोल।
- मुकेश – तो ढंग मैं तुझ से सीखूँगा। एक तो तेरे कारण मेरी गुप्ता सर से आज पिटाई हो जाती और ऊपर से तू मुझे ढंग सिखाएगा।
- राजेश – तूने गुप्ता सर की पीठ के पीछे मुझे मुँह क्यों चिढ़ाया था ?
- मुकेश – अर, मैंने तुझे मुँह नहीं चिढ़ाया था बल्कि अनुराग को चिढ़ाया था। वह तो बोला नहीं और तूने मुझे कागज़ की गोली मार दी।
- राजेश – आह! तो मुझ से गलती हो गई। मैं समझा था कि तुम बिना किसी कारण मुझे मुँह चिढ़ा रहे हो।
- मुकेश – तो कान पकड़कर बोल “सॉरी”।
- राजेश – (धीरे से हँसते हुए) – सॉरी।
प्रश्न 11.
सुबह सैर करने गई दो वृद्ध महिलाओं में हुए संवादों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
- पहली महिला – बहन जी, तुम यहाँ रोज दिखाई देती हो।
- दूसरी महिला – हाँ, मैं यहाँ रोज़ सुबह सैर करने आती हूँ। यह पार्क बहुत अच्छा है।
- पहली महिला – क्या तुम्हारा घर पास ही है ?
- दूसरी महिला – हाँ, पिछली गली में है। और तुम्हारा।
- पहली महिला – मेरा घर भी पास ही है। डॉक्टर ने कहा है कि रोज़ चार किलोमीटर सैर किया करो। इसलिए पिछले कुछ दिन से सैर करनी शुरू की है।
- दूसरी महिला – सैर तो बहुत ज़रूरी है। शरीर ठीक रहता है इससे। शरीर के अंग खुल जाते हैं इससे।
- पहली महिला – मेरा ब्लड प्रेशर ऊँचा रहने लगा था।
- दूसरी महिला – और अब कैसा है ?
- पहली महिला – अब तो ठीक है। डॉक्टर कहता है कि ब्लड प्रेशर तो चोर होता है। शरीर का कोई – न – कोई अंग खराब कर देता है।
- दूसरी महिला – हाँ बहन। रोज़ सैर करती रहो और दवाई लेती रहो। सब ठीक हो जाएगा। ईश्वर दया करेगा।
प्रश्न 12.
दफ़्तर की सहयोगी नीमा से अपनी बातचीत लिखिए।
उत्तर :
- नीमा – घर नहीं चलना है क्या ? मुँह लटकाए क्यों बैठे हो ? घर चलो भई।
- पवन – मुझे कुछ काम है, तुम निकल जाओ।
- नीमा – मैं रोज़ जो तुम से लिफ़्ट लेती हूँ, अगर नहीं जाना था तो पहले कह देते, मैं किसी और के साथ निकल जाती।
- पवन – आज बस से चली जाओ, आज मुझे पहले कहीं और जाना है, तुम कहाँ मेरे साथ घूमती.रहोगी।
- नीमा – यह क्या अजय, आज मुझे समय से घर पहुँचना था।
- पवन – यह तुम्हारी समस्या है कि आज तुम्हें समय से पहुँचना था। बस आज मुझे सीधे घर नहीं जाना।
प्रश्न 13.
घर आए मेहमान और राकेश की बातचीत संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :
- राकेश – कौन है बाहर ?
- मेहमान – मैं हूँ नीरज गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
- राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। आप भीतर आइए। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
- मेहमान – आप कौन हैं ? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेरे सहयोगी हैं।
- राकेश – मैं उनका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरु रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आप को नहीं पहचानता।
- मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
- राकेश – वहाँ एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ।
- मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीरज गुप्ता आए थे।
- राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
- मेहमान – उनका नंबर नहीं लग रहा, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ़्तर की किसी समस्या के बारे में।
- राकेश – ठीक है। जैसा आप उचित समझें।
प्रश्न 14.
हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए दो मित्रों की बातचीत लिखिए।
उत्तर :
- कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
- रजत – आती क्यों नहीं ! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
- कमल – भाषा का संबंध अच्छे – बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
- रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
- कमल – अपनी – अपनी समझ है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज़ी तो सबको समझ भी नहीं आती।
- रजत – वैसे भी हम जितनी अच्छी तरह अपने भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
- कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कहीं – कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
- रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
- कमल – हाँ, हम इसमें जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।
प्रश्न 15.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :
- मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
- काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई – लिखाई में तेज़ है।
- मनस्वी – वह अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है – इससे तो बड़े – बड़े भी डरते हैं।
- काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए ?
- मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में एक भी छुट्टी नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
- काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
- मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
- काम्या – यह बात तो ठीक है। पर अब हम कर क्या सकते हैं ?
प्रश्न 16.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद रूप में कीजिए।
उत्तर :
- मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
- गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
- मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
- गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
- मनुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
- गीतिका – हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर – लुटेरा ही न हो।
- मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
- गीतिका – यह अच्छा है।
- मनुज – रिश्ते – नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।
प्रश्न 17.
मालविका और सागरिका में पेड़ – पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :
- मालविका – कल वन महोत्सव है।
- सागरिका – तो, कल क्या होगा ?
- मालविका – हम तो मिलजुल कर अपने स्कूल में नए पौधे लगाएँगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
- सागरिका – उससे क्या लाभ ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
- मालविका – अरे नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
- सागरिका – इससे क्या होता है ?
- मालविका – इसी से तो होता है। पेड़ – पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
- सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि – कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
- मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़ – पौधे लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
- सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा – भरा रह सकेगा।
प्रश्न 18.
वृंदा और मानसी के बीच चिड़ियाघर को देखते समय की गई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :
- वृंदा (ऊपर की तरफ़ देखते हुए) – देख ऊपर, पेड़ पर चार लंगूर कैसे बैठे हैं।
- मानसी – उनका मुँह कितना काला है और पूँछें कितनी लंबी – लंबी।
- वृंदा – हाँ, उधर देख मोर अपने पंख फैलाकर कैसे नाच रहा है।
- मानसी – बादल छाए हुए हैं न। पापा ने बताया था कि बादलों को देखकर मोर नाचते हैं। इनके पंख कितने सुंदर हैं। ये तो गोल – गोल घूम भी रहे हैं।
- वृंदा – उधर देख, कितने बड़े – बड़े दो शेर हैं।
- मानसी – चलो भागें यहाँ से। कहीं इन्होंने हमें देख लिया तो खा जाएँगे।
- वृंदा – डर मत। हमारे और इनके बीच गहरी खाई है और चारों तरफ़ जाल भी तो लगा है। ये हम तक नहीं पहुँच सकते।
- मानसी – वह देख, हिरणों के कितने सुंदर झुंड हैं। उनकी आँखें देख, कितनी सुंदर हैं। हम भी एक हिरण घर में पालेंगे – पापा से कहेंगे कि हमें भी एक हिरण ला दें।
- वृंदा – नहीं, जंगली जीवों को यहीं रहना चाहिए या जंगल में। इन्हें घर में रखना तो अपराध है।
प्रश्न 19.
छुट्टियों में किसी दर्शनीय स्थल को देखने की योजना पर अपने और अपने भाई के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखो।
उत्तर :
- सानिया – अगले हफ़्ते से स्कूल में छुट्टियाँ हो जाएँगी। चल अब्बा – अम्मी से कहें कि कहीं बाहर चलें।
- अज्जू – हाँ। हमें बाहर कहीं भी गए हुए दो साल हो गए हैं।
- सानिया – उन्हें कहते हैं कि मसूरी ले चलें।
- अज्जू – हाँ, वह बहुत सुंदर जगह है।
- सानिया – तुझे कैसे पता ?
- अज्जू – गुरुप्रीत कह रहा था। वह पिछले वर्ष छुट्टियों में गया था अपनी मम्मी – पापा के साथ।
- सानिया – वहाँ तो गर्मियों में भी गर्मी नहीं होती। वह तो पर्वतों की रानी है।
- अज्जू – वहाँ तो सब तरफ पहाड़-ही-पहाड़ हैं। वहाँ तो एक बड़ा और सुंदर प्राकृतिक झरना भी है।
- सानिया – वह कैंप्टी फॉल है। बहुत ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है।
- अज्जू – तुझे कैसे पता ?
- सानिया – मैंने एक मैग्जीन में पढ़ा था और उसकी फ़ोटो देखी थी।
प्रश्न 20.
अपने दक्त्तर के बॉस से श्रीमती देशपांडे की बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
‘उत्तर :
और मैडम देशपांडे, क्या चल रहा है ? सब ठीक तो है घर पर।’
‘यस सर, बेटी का फ़ोन था, दरिंदा शब्द का अर्थ पूछ रही थी।’
‘दरिंदा, क्या माने ?’
‘खतरनाक जंगली जानवर होता है इसका मतलब,’।
‘है न मिसेज देशपांडे, यही तो बताया न आपने अभी ? इंटरेस्टिंग। और क्या पूछ रही थी आपकी बेटी ?’
‘बहुत सवाल करती है सर, पूछ रही थी दरिंदा और दरिद्र दोनों का एक ही मतलब होता है क्या मम्मी ?’
‘तो क्या बताया आपने मैडम ?’
‘उसे क्या बताती, लेकिन जाने तो अभी से जान ले, यही ठीक है।’
‘क्या ?’
‘यही कि एक ही होता है इन दोनों शब्दों का मतलब। दरिद्रता चाहे आर्थिक हो या मानसिक, उसी की एक हद होती है दरिंदगी। क्या मैंने गलत कहा सर ?’
प्रश्न 21.
पिता और बेटी में नाश्ते के समय हुई बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
उत्तर :
“खाओ – खाओ, दूसरा आ रहा है, पिज्जा स्वादिष्ट बना है क्या ? बेटी ने पूछा।”
“बेटे, तुम ने पिण्जा बहुत स्वादिष्ट बनाया है।” पिता बोले।
“सच पापा ?” और लीजिए न पापा ।”
“हाँ, हाँ अवश्य लूँगा ? किससे सीखा है पिज्जा बनाना ?”
“मम्मी से सीखा है।”
“तुम्हारी मम्मी तो पिज्जा बनाने में परफेक्ट है। और तुम भी उससे कुछ कम नहीं।” पापा बोले।
“नहीं, अभी पूरी तरह से नहीं। मम्मी को लंबा समय हो गया यह सब करते हुए पर मैंने तो अभी शुरू किया है,” बेटी ने कहा।
“अरे तुम भी परफेक्ट हो जाओगी, बहुत जल्दी।”
प्रश्न 22.
बाहर से घर आए किसी मेहमान से राकेश की बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
उत्तर :
- राकेश – कौन है बाहर ?
- मेहमान – मैं हूँ गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
- राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
- मेहमान – आप कौन हैं ? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेंरे सहदोगी हैं।
- राकेश – मैं उसका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरु रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आपको नहीं पहचानता। मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
- राकेश – डॉक्टर हूँ वहाँ एक अस्पताल में। आप भीतर आइए।
- मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीलाम गुप्ता आए थे।
- राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
- मेहमान – नहीं, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ्तर की किसी समस्या के बारे में।
- राकेश – ठीक है। आपकी इच्छा।
प्रश्न 23.
दो मित्रों के बीच हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए बातचीत लिखिए।
उत्तर :
- कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
- रजत – आती क्यों नहीं! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
- कमल – भाषा का संबंध अच्छे – बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
- रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
- कमल – समझ अपनी – अपनी है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज्जी तो सब को समझ भी नहीं आती।
- रजत – वैसे भी हम अपने जो भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
- कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कही – कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
- रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
- कमल – हाँ, हम इस में जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।
प्रश्न 24.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :
- मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
- काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई – लिखाई में तेज़ है।
- मनस्वी – बहुत अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है-इससे तो बड़े-बड़े भी डरते हैं।
- काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए ?
- मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में छुट्टी भी एक नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
- काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
- मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
- काम्या – यह बात तो ठीक है। पर हम अब क्या कर सकते हैं ?
प्रश्न 25.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद योजना में कीजिए।
उत्तर :
- मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
- गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
- मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
- गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
- ममुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
- गीतिका – हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर-लुटेरा ही न हो।
- मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
- गीतिका – यह अच्छा है।
- मनुज – रिश्ते-नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।
प्रश्न 26.
मालविका और सागरिका में पेड़-पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद योजना के द्वारा प्रकट कीजिए।
उत्तर :
- मालविका – कल वन महोत्सव है।
- सागरिका – तो, क्या ?
- मालविका – हम तो अपने स्कूल में मिल-जुलकर नए पौधे लगाएंगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
- सागरिका – उससे क्या लाभ ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
- मालविका – अरी नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
- सागरिका – इससे क्या होता है ?
- मालविका – इसी से तो होता है। पेड़-पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
- सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि-कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
- मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए।
- सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा-भरा रह सकेगा।
प्रश्न 27.
नगर की टूटी-फूटी सड़कों से परेशान विनीता और पल्लवी के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :
- विनीता – मैं तो कल बड़े ज़ोर से सड़क पर गिर गई थी। सारी टाँग छिल गई है।
- पल्लवी – वह कैसे ? फिसल गई थी क्या ?
- विनीता – नहीं। सारे नगर की सड़कों का हाल तो तुझे पता ही है। चंद्रमा की सतह की तरह गड्ढे हैं हमारी सड़कों पर। मेरी साइकिल उछल गई और में गिर गई।
- पल्लवी – सारी सड़ें ही खराब हैं। सरकार कुछ करती भी तो नहीं।
- विनीता – अब बरसातें आने वाली हैं। इनमें पानी भर जाएगा और फिर वहाँ मच्छरों के अंडों की भरमार हो जाएगी।
- पल्लवी – तभी तो पिछले साल कितना मलेरिया फैला था।
- विनीता – पता नहीं रोज़ कितने लोग गिरते हैं इनके कारण।
- पल्लवी – लोगों को कुछ करना चाहिए। यदि हम अपने आस-पास की सड़कों के गड्ढों में खुद मिट्टी भर दें तो…..।
- विनीता – मिट्टी तो एक दिन में निकल जाएगी। इस काम में पैसा लगता है और वह तो हमारे पास है नहीं।