JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran पद-परिचय Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran पद-परिचय

प्रश्न 1.
पद-परिचय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
किसी वाक्य में आए संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय आदि का अलग-अलग पूर्ण परिचय देना ‘पद-परिचय’ कहलाता है।

प्रश्न 2.
पद-परिचय में क्या-क्या बताना आवश्यक है?
उत्तर :
प्रत्येक पद-परिचय में निम्नलिखित तथ्यों का होना आवश्यक है –

  • संज्ञा – प्रकार, लिंग, वचन, कारक, संबंध।
  • सर्वनाम – प्रकार, लिंग, वाचक, कारक, संबंध।
  • विशेषण – प्रकार, विशेष्य, लिंग, वचन, संबंध।
  • क्रिया – प्रकार, वाच्य, अर्थ, काल, पुरुष, लिंग, वचन, प्रयोग।
  • क्रिया-विशेषण – प्रकार, विशेष्य, विकार, संबंध।
  • समुच्चयबोधक – प्रकार, अन्विति, शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य।
  • संबंधसूचक – प्रकार, विकार (हो तो) संबंध।
  • विस्मयादिबोधक – प्रकार, संबंध (हो तो)।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य में आए शब्दों का पद-परिचय दीजिए –
ममता की मारी माता ने अपने घायल बच्चे को तुरंत उठा लिया।
उत्तर :

  • ममता की – भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, संबंधकारक-इसका संबंध ‘मारी’ भूतकालिक कृदंत विशेषण से है।
  • मारी – भूतकालिक कृदंत विशेषण।
  • माता – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘उठा लिया’ क्रिया की कर्ता।
  • तुरंत – कालवाचक क्रिया-विशेषण, ‘उठा लिया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
  • उठा लिया – सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, इसका स्त्रीलिंग कर्ता ‘माता’ है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्य के मोटे काले शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) मैं गाय के दूध को पसंद करता हूँ।
(ख) पके आम बड़े मधुर होते हैं।
उत्तर :
(क) मैं पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘पसंद करता हूँ’ क्रिया का कर्ता।
दूध को – जातिवाचक संज्ञा. एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘करता हूँ’ क्रिया का कर्म।
करता हूँ – क्रिया, सकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, उत्तम पुरुष, एकवचन, इसका कर्म ‘मैं’ है।
(ख) पके – गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन इसका विशेष्य ‘आम’ है।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक होते हैं’ क्रिया का कर्ता।
मधुर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण ‘होते हैं’ क्रिया की विशेषता प्रकट करता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों का पद-परिचय दीजिए –
(क) आह! उपवन में सुंदर फूल खिले हैं।
(ख) परिश्रम के बिना धन प्राप्त नहीं होता।
उत्तर :
(क) आह! विस्मयादिबोधक, हर्षबोधक अव्यय।
उपवन में – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक ‘खिले हैं’ का स्थान।
सुंदर – विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य ‘फूल’ है।
खिले हैं – क्रिया, अकर्मक, वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्ता ‘फूल’ है।

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(ख) परिश्रम – संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन ‘के बिना’ संबंधबोधक का संबंधी शब्द।
धन – संज्ञा, पुल्लिंग, कर्ता कारक, एकवचन, कर्मवाच्य वाक्य का कर्ता।
प्राप्त – ‘होता’ क्रिया का पूरक। नहीं-क्रिया-विशेषण रीतिवाचक, निषेधार्थक।
होता – हो धातु, क्रिया, अपूर्ण अकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, कर्मवाच्य, कर्माणि प्रयोग। ‘प्राप्त’ इसका पूरक।

प्रश्न 6.
पद-परिचय दीजिए –
(क) अनुराग यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
(ख) हम बाग में गए पर वहाँ कोई आम न मिला।
(ग) शीत ऋतु में हिमालय का क्षेत्र पूर्णतया बर्फ से ढक जाता है और वहाँ जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
उत्तर :
(क) अनुराग-संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता था’ क्रिया का कर्ता।
यहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थान निर्देश।
दसवीं – विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण।
कक्षा में – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – अकर्मक क्रिया, पढ़ धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता, ‘अनुराग’ है।

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(ख) हम – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
बाग में जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
गए – अकर्मक क्रिया, जा धातु, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, भूतकाल निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, ‘हम’ सर्वनाम इसका कर्ता है।
परंतु – व्याधिकरण, समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ता है।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
कोई – संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, आम विशेष्य का विशेषण।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
न – रीतिवाचक, क्रिया-विशेषण।
मिला – सकर्मक क्रिया, मिल धातु, अन्य पुरुष पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्मणि प्रयोग (‘हमें’ कर्ता का लोप है) इस क्रिया का कर्म ‘आम’ है।

(ग) शीत – विशेषण, गुणवाचक, ऋतु संज्ञा का विशेषण।
ऋतु में – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
हिमालय का – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, संबंध कारक।
क्षेत्र – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता, ‘ढक जाना’ क्रिया का कर्ता।
पूर्णतया – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-‘ढक जाता है’ क्रिया पद की विशेषता प्रकट कर रहा है।
बर्फ से – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, करण कारक।
ढक जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता क्षेत्र है।
और – समानाधिकरण समुच्चयबोधक।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
जन-जीवन – भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
हो जाता है – क्रिया का कर्ता।
अस्त-व्यस्त – रीतिवाचक क्रिया विशेषण हो जाता है क्रिया का क्रिया-विशेषण।
हो जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे (काले) पदों का परिचय दीजिए –
1. वह विश्वास के योग्य नहीं है।
2. मैं उस छात्र को नहीं जानता।
3. वाह! बहत मनोरंजक कहानी है यह।
4. मैं अभी आया।
5. हिमालय संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है।
6. किसी विद्वान से बातचीत करने से ज्ञान बढ़ता है।
7. मेरा भाई तीसरी कक्षा में पढ़ता है।
8. यह घडी मेरे छोटे भाई की है. इसलिए मैं इसे किसी को नहीं दे सकता।
9. दौड़कर जाओ और बाज़ार से कुछ ले आओ।
10. इंदिरा जी जहाँ-जहाँ भी गईं, सर्वत्र उनका स्वागत हुआ।
11. हम आज भी देश पर प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
12. राम ने श्याम को बुरी तरह मारा।
13. विद्वान लोग सदैव समय का सदुपयोग करते हैं।
14. रमेश यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
15. हम मुंबई गए पर कोई लाभ नहीं हुआ।
16. कल हमने ताजमहल देखा।
17. स्वतंत्रता दिवस पर हमने स्कूल में राष्ट्रीय-ध्वज फहराया।
18. जब मैं पहुँचा तो रमेश सो रहा था।
19. जल्दी चलो वरना गाड़ी छूट जाएगी।
20. लोग धीरे-धीरे उस सँकरे रास्ते से ताजमहल की ओर बढ़े।
उत्तर :
1. वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष. एकवचन, पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, कर्ता कारक है-क्रिया का कर्ता।

2. मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्ता।
उस – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य, छात्र।
छात्र – संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्म।

3. वाह! विस्मयादिबोधक अव्यय हर्षसूचक।
बहुत – प्रविशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, मनोरंजक-विशेषण की विशेषता बताता है।
मनोरंजक – गुणवाचक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘कहानी’ संज्ञा की विशेषता बताता है।
कहानी – जातिवाचक, संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘है’ क्रिया का ‘पूरक’।
है – अपूर्ण सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, सामान्य वर्तमान काल, अन्य पुरुष कर्ता –
‘कहानी’-कर्मपूरक-‘कहानी’।
यह – निश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, ‘है’ क्रिया का ‘कर्ता’ पुल्लिंग या स्त्रीलिंग।

4. अभी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘आया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
आया – अकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, निश्चयार्थ, भूतकाल (सामान्य) उत्तम पुरुष, कर्ता-‘मैं’।

5. हिमालय – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
पर्वत – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म की भाँति प्रयुक्त, ‘है’ क्रिया का पूरक।

6. किसी सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-‘विद्वान’।
बढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष, ‘ज्ञान’
कर्ता।

7. भाई – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पढ़ता है’-क्रिया का कर्ता।
तीसरी – विशेषण संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘कक्षा।
पढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष ‘भाई’-कर्ता।

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8. यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘घड़ी।
छोटे – विशेषण, गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, भाई-विशेष्य।
इसलिए – समानाधिकरण समुच्चयबोधक ‘यह घड़ी मेरे भाई की है’ तथा ‘मैं इसे किसी को नहीं दे सकता’-इन दो
वाक्यों को जोड़ता है।

9. दौड़कर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, ‘आओ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
बाज़ार से – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

10. इंदिरा जी सर्वत्र – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘गईं’-क्रिया का कर्ता।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘स्वागत हुआ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
उनका – सर्वनाम पुरुषवाचक, आदरार्थ बहुवचन, संबंध कारक, अन्य पुरुष कर्ता कारक।

11. हम – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, उत्तम पुरुष, कर्ता कारक हो जाते हैं’-क्रिया का कर्ता।
देश पर – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।

12. राम – संज्ञा जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘मारा’ क्रिया का कर्ता।
मारा – सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ भावे प्रयोग, ‘राम’
कर्ता तथा ‘श्याम’-कर्म।

13. विद्वान – गुणवाचक विशेषण, बहुवचन, पुल्लिंग. विशेष्य-‘लोग।
करते हैं – सकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, कर्ता ‘विद्वान’।

14. दसवीं – विशेषण संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य-‘कक्षा’।
कक्षा में – संज्ञा जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – क्रिया, अकर्मक, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग कर्तृवाच्य, कर्ता ‘रमेश’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

15. मुंबई – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
लाभ – संज्ञा, भाववाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, हुआ-क्रिया से संबंध।

16. कल – कालवाचक क्रिया-विशेषण ‘देखा’ क्रिया की विशेषता बताता है।
ताजमहल – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक। ‘देखा’ या स्त्रीलिंग, क्रिया का कर्म।

17. हमने – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘फहराया’-क्रिया का कर्ता।
फहराया – क्रिया सकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, सामान्य भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्मणि, प्रयोग, पूर्णपक्ष, कर्तृवाच्य, ‘हमने’
कर्ता, राष्ट्रीय ध्वज-कर्म।

18. मैं – सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पहुँचा’ क्रिया का कर्ता।
सो रहा था – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, अपूर्ण पक्ष, कर्तरि प्रयोग, कर्तृवाच्य, ‘रमेश’-कर्ता।

19. जल्दी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘चलो-क्रिया को विशेषता बताता है।
गाड़ी – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्म कारक, ‘छूट जाएगी’ क्रिया का कर्म (कर्ता तुम छिपा हुआ है)।

20. धीरे-धीरे – क्रिया-विशेषण, रीतिबोधक ‘बढ़े-क्रिया की विशेषता बताता है।
सँकरे – विशेषण गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-.’रास्ते’।

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर – 

प्रश्न :
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे छपे शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) भूषण वीर रस के कवि थे।
(ख) वह कल आएगा।
(ग) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।
(घ) वह अचानक दिखाई पड़ा।
(ङ) यह पुस्तक किसकी है?
उत्तर :
(क) भूषण – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, क्रिया का कर्ता।

(ख) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
आएगा – भूतकालिक क्रिया, सकर्मक, भविष्यतकालिक, कर्मवाचक।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
दसवीं – विशेषण, संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-कक्षा।
पढ़ता हूँ – क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, एकवचन, वर्तमान काल।

(घ) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
अचानक – क्रिया-विशेषण, रीतिवाचक।

(ङ) यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-पुस्तक।
किसकी है – क्रिया, सकर्मक, वर्तमानकालिक, एकवचन, स्त्रीलिंग, प्रश्नवाचक।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर – 

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) नवाब लखनवी अंदाज़ लेखक को प्रभावित न कर सका।
(i) विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, कालवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

(ख) उसने सुंदर झीलों को देखा।
(i) अकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सकर्मक क्रिया, पूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) प्रेरणार्थक क्रिया, अपूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

(ग) ‘उन्होंने खीरे को बड़ी नज़ाकत से बाहर फेंक दिया।’
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण
(iii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
उत्तर :
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(घ) तू यहाँ क्यों बैठा है?
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, ममयम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, निश्चयवाचक, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सर्वनाम, संबंधवाचक, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।

(ङ) उसने उनके वैराग्यपूर्ण जीवन को नमन किया।
(i) विशेषण, परिमाणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) उन्होंने आस्था प्रकट की।
(i) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) संज्ञा, भाववाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(iv) संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन!

(ख) वे पिता जी की स्मृति में सर्वदा डूब जाते।
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iii) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक. ‘डूब जाते’ का विशेषण।
उत्तर :
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
(i) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक, पुल्लिंग. एकवचन।
(iii) सर्वनाम, अनिश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, निजवाचक, पुल्लिग. एकवचन।
उत्तर :
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक. पुल्लिंग, एकवचन।

(घ) मैं रामायण पढ़ता हूँ।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
(ii) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(iv) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
उत्तर :
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।

(ङ) उसने विशाल किला देखा।
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन!
(ii) विशेषण, परिमाणवाचक, स्त्रीलिंग एकवचन
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण. परिमाणवाचक स्त्रीलिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर – 

प्रश्न 1.
रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव सभ्य तभी है जब वह युद्ध से शांति की ओर आगे बढ़े।
उत्तर :

  • मानव – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग. एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
  • सभ्य – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य ‘मानव’
  • वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, ‘बढ़े’ क्रिया का कर्ता
  • बढ़े – क्रिया, अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव को इनसान बनाना अत्यन्त ही कठिन कार्य है लेकिन असंभव नहीं।
उत्तर :

  • मानव को – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कठिन – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, विशेष्य ‘कार्य’, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कार्य – संज्ञा, भाववाचक संज्ञा. कर्मकारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • लेकिन – अव्यय, समुच्यबोधक अव्यय, समानाधिकरण।

प्रश्न 3.
रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए –
अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया।
उत्तर :

  • गाँव की – संज्ञा (जातिवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक।
  • मिट्टी – संज्ञा (जातिवाचक), स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
  • मैं – सर्वनाम (उत्तम पुरुषवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
  • तरस गया – क्रिया (अकर्मक), पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, ‘तरस’ मुख्य क्रिया, ‘गया’ रंजक क्रिया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों का पदपरिचय लिखिए –
(क) आज भी भारत में अनेक अभिमन्यु हैं।
(ख) प्रात:काल घूमने जाया करो ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे।
(ग) पिता जी कल ही तीर्थ यात्रा पर गए।
(घ) अनुराग ने काला कोट पहना है।
उत्तर :
(क) अभिमन्यु – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ख) ताकि – अव्यव, समुच्चयबोधक अव्यय।
(ग) गए – क्रिया, अकर्मक क्रिया, भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, पुल्लिंग।
(घ) काला – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, ‘कोट’-विशेष्य।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए…
(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं।
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था।
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय से पूरा कर लेती है।
(ङ) रवि रोज़ सवेरे दौड़ता है।
उत्तर :
(क) पढ़ती हैं – क्रिया, सकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ख) यहाँ – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(ग) वे – सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, बहुवचन पुल्लिंग।
(घ) परिश्रमी – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ङ) रवि – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 6.
रेखांकित पदों में से किन्हीं चार पदों का पद-परिचय लिखिए –
नेताजी की उस मूर्ति पर टूटा चश्मा लगा था।
उत्तर :
(क) नेताजी की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, पुल्लिंग एकवचन।
(ख) उस – विशेषण, सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ग) मूर्ति पर – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, अधिकरण कारक, स्त्रीलिंग एकवचन।
(घ) चश्मा – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, एकवचन, पुल्लिंग।
(ङ) लगा था – क्रिया, अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 7.
मुझे देखते ही प्रतिष्ठित व्यक्ति अंबालाल जी ने गर्मजोशी से मेरा सम्मान किया।
उत्तर :
(क) मुझे – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्मवाचक, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग।
(ख) देखते ही – क्रियाविशेषण, कालवाचक क्रियाविशेषण, सम्मान क्रिया, क्रिया का विशेषण।
(ग) प्रतिष्ठित – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन।
(घ) व्यक्ति – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ङ) अंबालाल जी ने – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 8.
सुलोचना की नई फ़िल्म आई और वे चले फ़िल्म देखने।
उत्तर :
(क) सुलोचना की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक।
(ख) नई – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ग) और – अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय।
(घ) वे – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक, कर्ता कारक, पुल्लिंग, बहुवचन।
(ङ) चले – क्रिया, अकर्मक क्रिया, वर्तमान काल, पुल्लिंग, बहुवचन। \

1. इस वाक्य का वाच्य लिखिए-‘अशोक ने विश्व को शांति का संदेश दिया।’
(क) कर्मवाक्य
(ख) भाववाच्य
(ग) कर्तृवाच्य
(घ) करणवाच्य
उत्तर :
(ग) कर्तृवाच्य।

2. “हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते हैं।’-उपर्युक्त वाक्य को भाववाच्य में बदलिए–
(क) हम दौड़ सकते हैं इस खुले मैदान में
(ख) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकेंगे।
(ग) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जाएगा।
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
उत्तर :
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

3. “सुमन जल्दी नहीं उठती।”-प्रस्तुत वाक्य को भाववाच्य में बदलिए
(क) सुमन जल्दी नहीं उठ पाती।
(ख) सुमन जल्दी से नहीं उठ सकेगी।
(ग) सुमन जल्दी नहीं उठ पाएगी।
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।
उत्तर :
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छाँटिए –
(क) अरविंद द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा।
(ख) बच्चों द्वारा नमस्कार किया गया।
(ग) सरकार द्वारा लोक कलाकारों का सम्मान किया गया।
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
उत्तर :
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा भाववाच्य का सही विकल्प नहीं है?
(क) मुझसे अब देखा नहीं जाता।
(ख) आइए चला जाए।
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।
(घ) राधा से बोला नहीं जाता।
उत्तर :
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।

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6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा ही नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लजीज होता है।

7. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) किसान के द्वारा खेत की जुताई की गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) कितने कंबल बँटे? (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) आओ, यहाँ बैठ सकते हैं? (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) सैनिकों द्वारा देश की रखवाली की जाती है। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) किसान ने खेत जोता।
(ख) कितने कंबल बाँटे गए?
(ग) आओ, यहाँ बैठा जाए।
(घ) सैनिक देश की रखवाली करते हैं।

8. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा दी गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) मैं दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाऊँगी। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता पैदल चल नहीं सकती। (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) तुमसे चुप नहीं रहा जाता। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) विद्यार्थियों ने परीक्षा दी।
(ख) मेरे द्वारा दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाए जाएंगे।
(ग) हर्षिता से पैदल चला नहीं जाता।
(घ) तुम चुप नहीं रह सकते।

9. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

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10. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) पतोहू ने आग दी। (कर्मवाच्य में)
(ख) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह खेलेगा। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) पतोहू द्वारा आग दी गई।
(ख) अब नहीं सोया।
(ग) उससे खेला जाएगा।

11. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) अब गायक संगतकारों का आदर नहीं करते। (कर्मवाच्य में)
(ख) चिड़िया चोट के कारण उड़ नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) अब गायकों द्वारा संगतकारों का आदर नहीं किया जाता।
(ख) चिड़िया द्वारा चोट के कारण उड़ा नहीं जा पा रहा था।

JAC Class 10 Hindi रचना संवाद-लेखन

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JAC Board Class 10 Hindi Rachana संवाद-लेखन

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत को संवाद कहते हैं। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह-तरह के हाव-भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह-अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं।

संवादों के बिना दो लोगों के बीच बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थिति तो जड़ अवस्था को जन्म देती है। सामान्य बातचीत, लड़ाई-झगड़ा, हँसी-मज़ाक, प्रेम-घृणा, वाद-विवाद आदि सभी संवादों के सहारे ही पूरे होते हैं। संवादों में अनेक गुण होने चाहिए ताकि उनसे दूसरों को मनचाहे ढंग से प्रभावित किया जा सके या उन पर वही प्रभाव डाला जा सके जो हम डालना चाहते हैं। संवादों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

  • संवाद स्वाभाविक होने चाहिए।
  • उनकी भाषा अति सरल, सरस, भावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
  • उनमें जहाँ कहीं संभव हो वहाँ विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • उनकी लंबाई अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे संवाद स्वाभाविक और सहज होते हैं। लंबे संवाद भाषण का बोध कराते हैं।
  • भाषा में भावों के अनुरूप चुटीलापन, पैनापन, स्पष्टता और सहजता होनी चाहिए।
  • उनमें कही जाने वाली बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो जानी चाहिए।

संवाद के कुछ उदाहरण – 

प्रश्न 1.
घर आए मेहमान और राकेश की बातचीत संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • राकेश – कौन है बाहर ?
  • मेहमान – मैं हूँ नीरज गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
  • राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। आप भीतर आइए। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
  • मेहमान – आप कौन हैं? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेरे सहयोगी हैं।
  • राकेश – मैं उनका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरू रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आप को नहीं पहचानता।
  • मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
  • राकेश – वहाँ एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ।
  • मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीरज गुप्ता आए थे।
  • राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
  • मेहमान – उनका नंबर नहीं लग रहा, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ़्तर की किसी समस्या के बारे में।
  • राकेश – ठीक है। जैसा आप उचित समझें।

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प्रश्न 2.
हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए दो मित्रों की बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
  • रजत – आती क्यों नहीं ! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
  • कमल – भाषा का संबंध अच्छे-बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
  • रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
  • कमल – अपनी-अपनी समझ है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज़ी तो सबको समझ भी नहीं आती।
  • रजत – वैसे भी हम जितनी अच्छी तरह अपने भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
  • कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कहीं-कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
  • रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
  • कमल – हाँ, हम इसमें जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।

प्रश्न 3.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
  • काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई-लिखाई में तेज़ है।
  • मनस्वी – वह अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है – इससे तो बड़े-बड़े भी डरते हैं।
  • काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए?
  • मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में एक भी छुट्टी नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
  • काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
  • मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
  • काम्या – यह बात तो ठीक है। पर अब हम कर क्या सकते हैं ?

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प्रश्न 4.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद रूप में कीजिए।
उत्तर :

  • मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
  • गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
  • मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
  • गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
  • मनुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
  • गीतिका n- हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर लुटेरा ही न हो।
  • मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
  • गीतिका – यह अच्छा है।
  • मनुज – रिश्ते-नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।

प्रश्न 5.
मालविका और सागरिका में पेड़-पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • मालविका – कल वन महोत्सव है।
  • सागरिका – तो, कल क्या होगा ?
  • मालविका – हम तो मिलजुल कर अपने स्कूल में नए पौधे लगाएँगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
  • सागरिका – उससे क्या लाभ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
  • मालविका – अरे नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
  • सागरिका – इससे क्या होता है ?
  • मालविका – इसी से तो होता है। पेड़-पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
  • सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
  • मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा-भरा रह सकेगा।

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प्रश्न 6.
वृंदा और मानसी के बीच चिड़ियाघर को देखते समय की गई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • वृंदा (ऊपर की तरफ़ देखते हुए) – देख ऊपर, पेड़ पर चार लंगूर कैसे बैठे हैं।
  • मानसी – उनका मुँह कितना काला है और पूँछें कितनी लंबी-लंबी।
  • वृंदा – हाँ, उधर देख मोर अपने पंख फैलाकर कैसे नाच रहा है।
  • मानसी – बादल छाए हुए हैं न। पापा ने बताया था कि बादलों को देखकर मोर नाचते हैं। इनके पंख कितने सुंदर हैं। ये तो गोल-गोल घूम भी रहे हैं।
  • वृंदा – उधर देख, कितने बड़े-बड़े दो शेर हैं।
  • मानसी – चलो भागें यहाँ से। कहीं इन्होंने हमें देख लिया तो खा जाएँगे।
  • वृंदा – डर मत हमारे और इनके बीच गहरी खाई है और चारों तरफ़ जाल भी तो लगा है। ये हम तक नहीं पहुँच सकते।
  • मानसी – वह देख, हिरणों के कितने सुंदर झुंड हैं। उनकी आँखें देख, कितनी सुंदर हैं। हम भी एक हिरण घर में पालेंगे – पापा से कहेंगे कि हमें भी एक हिरण ला दें।
  • वृंदा- नहीं, जंगली जीवों को यहीं रहना चाहिए या जंगल में। इन्हें घर में रखना तो अपराध है।

प्रश्न 7.
छुट्टियों में किसी दर्शनीय स्थल को देखने की योजना पर अपने और अपने भाई के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखो।
उत्तर :

  • सानिया – अगले हफ़्ते से स्कूल में छुट्टियाँ हो जाएँगी। चल अब्बा-अम्मी से कहें कि कहीं बाहर चलें।
  • अज्जू – हाँ। हमें बाहर कहीं भी गए हुए दो साल हो गए हैं।
  • सानिया – उन्हें कहते हैं कि मसूरी ले चलें।
  • अज्जू – हाँ, वह बहुत सुंदर जगह है।
  • सानिया – तुझे कैसे पता ?
  • अज्जू – गुरुप्रीत कह रहा था। वह पिछले वर्ष छुट्टियों में गया था अपनी मम्मी-पापा के साथ।
  • सानिया – वहाँ तो गर्मियों में भी गर्मी नहीं होती। वह तो पर्वतों की रानी है।
  • अज्जू – वहाँ तो सब तरफ पहाड़ – ही पहाड़ हैं। वहाँ तो एक बड़ा और सुंदर प्राकृतिक झरना भी है।
  • सानिया – वह कैंप्टी फॉल है। बहुत ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है।
  • अज्जू – तुझे कैसे पता ?
  • सानिया – मैंने एक मैग्जीन में पढ़ा था और उसकी फ़ोटो देखी थी।

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प्रश्न 8.
मनजीत और सिमरन में बार-बार बिजली जाने से उत्पन्न परेशानी को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • सिमरन – लो, बिजली तो फिर गई।
  • मनजीत – अब गई और पता नहीं कब आएगी ? इसने हर समय का मज़ाक बना दिया है।
  • सिमरन – पता नहीं, ये बिजली बोर्ड वाले करते क्या हैं ? बार-बार बिजली खराब क्यों हो जाती है ?
  • मनजीत – यह खराब नहीं हो जाती। इसे पीछे से बंद कर देते हैं। अलग-अलग समय में अलग-अलग क्षेत्रों को बिजली देते हैं।
  • सिमरन – क्यों ?
  • मनजीत – बिजली पैदा कम हो रही है और इसकी खपत बढ़ गई है। हर घर में तो कूलर और एयर कंडीशनर लगे हैं। वे दिन-रात चलते हैं।
  • सिमरन – तो सरकार को अधिक बिजली बनानी चाहिए। वह ऐसा क्यों नहीं करती ?
  • मनजीत – नए बिजली – घर बनाए जा रहे हैं पर उनकी भी कई तरह की समस्याएँ हैं।
  • सिमरन – समस्याएँ तो हैं पर सरकार को उनसे निपटना भी चाहिए।

प्रश्न 9.
नगर की टूटी-फूटी सड़कों से परेशान विनीता और पल्लवी के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • विनीता – मैं तो कल बड़े ज़ोर से सड़क पर गिर गई थी। सारी टाँग छिल गई है।
  • पल्लवी – वह कैसे ? फिसल गई थी क्या ?
  • विनीता – नहीं। सारे नगर की सड़कों का हाल तो तुझे पता ही है। हमारी सड़कों पर चंद्रमा की सतह की तरह गड्ढे हैं। मेरी साइकिल
  • उछल गई और मैं गिर गई।
  • पल्लवी – सारी सड़कें ही खराब हैं। सरकार कुछ करती भी तो नहीं।
  • विनीता – अब बरसातें आने वाली हैं। इनमें पानी भर जाएगा और फिर वहाँ मच्छरों के अंडों की भरमार हो जाएगी।
  • पल्लवी – तभी तो पिछले साल कितना मलेरिया फैला था।
  • विनीता – पता नहीं रोज़ कितने लोग गिरते हैं इनके कारण।
  • पल्लवी – लोगों को कुछ करना चाहिए। यदि हम अपने आस-पास की सड़कों के गड्ढों में खुद मिट्टी भर दें तो …..।
  • विनीता – मिट्टी तो एक दिन में निकल जाएगी। इस काम में पैसा लगता है और वह सरकार के पास है।

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प्रश्न 10.
खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मोहन – (सोहन को मुँह लटकाए देखकर) क्या हुआ? ये थैला लिए कहाँ चल दिए ?
  • सोहन – क्या बताऊँ ? चावल लाया था, वापस करने जा रहा
  • मोहन – क्यों ?
  • सोहन – माँ ने बताया, इनमें संगमरमर का चूरा मिला है।
  • मोहन – अरे ! आजकल खूब देखभाल कर खरीदा करो, हर चीज़ में मिलावट आ रही है।
  • सोहन – हाँ, ठीक तो है, पर सरकार कुछ क्यों नहीं करती ?
  • मोहन – उपभोक्ता फोरम में शिकायत करो तो सरकार भी कुछ करेगी।
  • सोहन – ठीक है, फिर ऐसा ही करता हूँ।

प्रश्न 11.
आजकल दूरदर्शन पर होने वाले किशोरों के लिए कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता पर मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • विजय – अरे, देव! इस समय इधर कैसे, दूरदर्शन पर तो विशेष किशोर सभा आ रही होगी, चलो देंखें।
  • देव – अरे, छोड़ो, उसमें क्या है, वही घिसे-पिटे उपदेशात्मक कार्यक्रम !
  • विजय – हाँ, अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता पर क्या दूरदर्शन वाले किशोरों के लिए उनके ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम नहीं दे सकता ?
  • देव – क्यों नहीं, अनेक कार्यक्रम हैं, जैसे देशभक्ति से संबंधित, महापुरूषों के जीवन की घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम
  • विजय – किशोरों के सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य, खेल-कूद से संबंधित कार्यक्रम भी तो हो सकते हैं।
  • देव – हाँ, चलो आराम से बैठकर इस संबंध में दूरदर्शन के निदेशक को पत्र लिखते हैं।

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प्रश्न 12.
शहर में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से बचकर रहने के बारे में मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मानव – (कमल को लंगड़ा कर चलते देख) क्या हुआ कमल ?
  • कमल – कल सड़क पर गिर गया था, टांग दब गई है।
  • मानव – कैसे, क्या हुआ था ?
  • कमल – सड़क पर इतने गड्ढे हैं कि पता ही नहीं चलता कि सड़क कहाँ है, बस मेरी बाईक गड्ढे में फंस गई और मैं उछल कर जा गिरा।
  • मानव – ध्यान से चलाया कर, पर तेरा भी क्या दोष, सारी सड़कें ही खराब हैं और निर्माण विभाग सोया हुआ है।
  • कमल – मैं नगर निगम में पत्र लिखकर दे आया हूँ तो शायद सड़कों की मरम्मत हो जाए।
  • मानव – फिर भी हमें यातायात नियमों का पालन करते हुए तथा ध्यानपूर्वक वाहन चलाना चाहिए।
  • कमल – वाहन चलाते हुए पैदल चलने वालों को अपनी दिशा, ओवरटेक करना आदि भी सावधानी से करना चाहिए।
  • मानव – ठीक तो है, सावधानी हटी, तो दुर्घटना घटी।

प्रश्न 13.
आजकल स्कूली वाहनों द्वारा हो रही असावधानियों पर माँ-बेटे के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • माँ – रमन, आज देर कैसे हो गई?
  • रमन – माँ, बस खराब हो गई थी।
  • माँ – कैसे ? सुबह तो ठीक थी।
  • रमन – सामने से दूसरे स्कूल की बस ने हमारी बस को टक्कर मार दी थी, जिससे ब्रेक जाम हो गई थी।
  • माँ – अरे, क्या चोट तो नहीं लगी?
  • रमन – नहीं, हमारी बस के ड्राइवर ने सावधानी से हैंडब्रेक का प्रयोग किया और सभी बच्चे सुरक्षित रहे।
  • माँ – कई बस चालक तेज़ गति से बस चलाते हैं, जिससे दुर्घटना हो जाती है, ऐसे चालकों को नौकरी से निकाल देना चाहिए।
  • रमन – ठीक है, पर करेगा कौन?
  • माँ – तुम तेज़ चलते वाहनों का नंबर नोट कर लिया करो, मैं परिवहन विभाग को सूचित कर दूँगी कि इनका चालान किया जाए।

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प्रश्न 14.
गृहकार्य में शिथिलता देखकर पिता-पुत्र के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • पिता – मोहित, अपने विद्यालय की डायरी दिखाना।
  • मोहित – पता नहीं कहाँ रख दी !
  • पिता – मुझे तुम्हारे अध्यापक का फोन आया था कि तुम गृहकार्य ठीक से नहीं कर रहे।
  • मोहित – नहीं, ऐसा तो नहीं है।
  • पिता – इसलिए डायरी नहीं मिल रही।
  • मोहित – (डायरी लाकर दिखाता है) मिल गई है।
  • पिता – (डायरी देखकर) देखो, जगह-जगह अध्यापक की टिप्पणियाँ हैं।
  • मोहित – गलती हो गई, आगे से ऐसा नहीं होगा।

प्रश्न 15.
परीक्षा में आपकी शानदार उपलब्धियों पर आपके और पिताजी के बीच हुए संवाद को 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – पिताजी! मेरा परीक्षा परिणाम आ गया है।
  • पिता – अच्छा, कैसा रहा?
  • कमल – बहुत अच्छा, मुझे तीन विषयों में विशेष योग्यता प्राप्त हुई है।
  • पिता – शाबाश! ये तो बहुत बड़ी उपलब्धि है। आगे क्या करना है?
  • कमल – मैं कॉमर्स विषयों के साथ स्नातक बनकर सी०ए० करना चाहता हूँ।
  • पिता – ठीक है, मैं तुम्हारी पूरी सहायता करूँगा, पर खूब मेहनत करनी होगी।
  • कमल – आप के आशीर्वाद से मैं और भी अच्छे परिणाम लाऊँगा।
  • पिता – ऐसा ही आत्मविश्वास बनाकर आगे बढ़ो।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

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JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सामान्य रूप से वाच्य का शाब्दिक अर्थ होता है-‘बोलने योग्य’ या ‘जो बोलने का विषय हो’। इसे किसी बात को कहने का ढंग भी माना जा सकता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी किसी बात के बिंदु को प्रमुखता से स्पष्ट करता है। वाच्य इस बात को प्रकट करता है कि कोई किस कथ्य बिंदु को अधिक महत्व दे रहा है- वह कर्ता है, कर्म है या क्रिया- भाव है। जैसे –

आद्या नाच रही है।
इस वाक्य में ‘नाचना’ क्रिया का प्रधान कथ्य बिंदु है तथा आद्या कर्ता है इसलिए यह कर्तृवाच्य वाक्य है।

सचिन द्वारा बॉल को हिट मारी जा रही है।
इस वाक्य में कथ्य बिंदु ‘बॉल’ कर्म है इसलिए यह कर्मवाच्य है।

आप से खाया नहीं जा रहा।
इस वाक्य में ‘खाया जाना’ (क्रिया भाव) कथ्य बिंदु है इसलिए यह भाववाच्य वाक्य है।
अंतः क्रिया के जिस रूप यह पता लगे कि क्रिया का मुख्य विषय क्या है-कर्ता, कर्म या भाव; उसे वाच्य कहते हैं।

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प्रश्न 2.
वाच्य के भेदों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वाच्य के तीन भेद होते हैं – 1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता प्रधान होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्ता के अनुसार आती है। जैसे –
राम पढ़ रहा है।
सिपाही घूम रहा है।
इन वाक्यों में राम, सिपाही प्रधान कर्ता हैं इसलिए ये कर्तृवाच्य वाक्य हैं।

2. कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्म के अनुसार आती है। इसमें वाक्य का उद्देश्य कर्म होता है और मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। इसकी क्रिया में एक से अधिक क्रियापद होते हैं। जैसे गणेश से पेन से लिखा जा रहा है।
रीना से चाय पी जाती है।

3. भाववाच्य – जिस वाक्य में भाव की प्रधानता होती है, उसे भाववाच्य कहते हैं। भाववाच्य की क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहती है। इसमें कर्ता और कर्म की प्रधानता नहीं होती। वास्तव में भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का कर्मवाच्य ही भाववाच्य होता है। जैसे –
हमसे अब भागा नहीं जाता।
लक्ष्मी से अब गाया नहीं जाता।

विशेष – प्रायः विवशता / असमर्थता प्रकट करने के लिए नहीं के साथ भाववाच्य का प्रयोग किया जाता है। जैसे –

  • दिनभर कैसे भूखा रहा जाएगा ?
  • अब तो उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा।

जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता वहाँ कर्ता जन सामान्य होता है। जैसे –

  • चलो, ज़रा टहला जाए।
  • अब तो खिसका जाए।
  • धुंध में भीतर ही बैठा जाता है।

वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन –

1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना –

कर्तृवाच्य में कर्ता और कर्म अपने शुद्ध रूप में प्रयुक्त होते हैं, पर कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ करण कारक का चिह्न से के द्वारा लगाया जाता है, और कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है व उसके साथ परसर्ग नहीं लगाया जाता है। क्रिया की धातु में या / ता जोड़ा जाता है तथा ‘जा’ धातु का कर्म के लिंग, वचन, काल तथा पुरुष के अनुसार प्रयोग किया जाता है। जैसे –

कर्मवाच्य – कर्तृवाच्य

  1. मैंने गाना गाया। – मुझ से गाना गाया गया।
  2. रेखा ने कहानी पढ़ी। – रेखा से कहानी पढ़ी गई।
  3. पिता ने पुत्र को पढ़ाया – पिता के द्वारा पुत्र को पढ़ाया गया।
  4. आप लिख नहीं सकते। – आप से लिखा नहीं जा सकता।
  5. राघव पतंग उड़ा रहा है। – राघव से पतंग उड़ाई जा रही है।
  6. मज़दूर वृक्ष काटेंगे। – मज़दूर द्वारा वृक्ष काटे जाएँगे।
  7. मैंने पत्र लिखा। – मुझसे पत्र लिखा गया।
  8. पूनम दूध पिएगी। – पूनम द्वारा दूध पिया जाएगा।
  9. अमित चाय पी रहा था। – अमित द्वारा चाय पी जा रही थी।
  10. सूरदास ने सूरसागर की रचना की। – सूरदास के द्वारा सूरसागर की रचना की गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना –

भाववाच्य में कर्म नहीं होता। इसमें कर्ता के आगे ‘से’, ‘द्वारा’, या ‘के द्वारा’ लगाया जाता है।
भाववाच्य बनाने के लिए कर्ता को करण कारक में बदला जाता है। अकर्मक धातु के सामान्य भूतकाल के रूप बनाकर अंत में ‘जा’ धातु के प्रथम पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन का रूप लगाया जाता है। क्रिया पुल्लिंग अन्य पुरुष एकवचन में रहती है –

कर्तृवाच्य – भाववाच्य

  1. श्याम जागता है। – श्याम से जागा जाता है।
  2. राम नहीं रोता है। – राम से रोया नहीं जाता।
  3. राम तेज़ दौड़ा है। – राम से तेज़ दौड़ा जाता है।
  4. मैं सर्दियों में नहीं नहाता। – मुझसे सर्दियों में नहीं नहाया जाता।
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। – पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है।
  6. लड़की आँगन में सो रही थी। – लड़की के द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
  7. बच्चे खेलेंगे। – बच्चों से खेला जाएगा।
  8. हम वहाँ नहीं रहेंगे। – हमसे वहाँ नहीं रहा जाएगा।
  9. राजन दौड़ेगा। – राजन से दौड़ा जाएगा।
  10. बच्चा हँसता है। – बच्चे से हँसा जाता है।

3. कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना –

कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना ऊपर दी गई विधियों से ठीक विपरीत हैं। इसमें सामान्य भूतकाल क्रिया को मुख्य क्रिया में बनाया जाता है। कर्ता के साथ प्रयुक्त परसर्ग से / के द्वारा हटा दिए जाते हैं। इसमें रंजक क्रिया जा / जाना हटा दिया जाता है। जैसे –
कर्मवाच्य या भाववाच्य – कर्तृवाच्य

  1. गौरांग से भागा नहीं जाता। – गौरांग भाग नहीं सकता।
  2. रुचि से नाचा नहीं जाता। – रुचि नाच नहीं सकती।
  3. बूढ़ों से खेला नहीं जाता। – बूढ़े खेल नहीं सकते।
  4. नरेश द्वारा पुस्तक लिखी जाएगी। – नरेश पुस्तक लिखेगा।
  5. आओ, अब चला जाए। – आओ, अब चलें।
  6. उठो, अब खाया जाए। – उठो, अब खाएँ।
  7. सुरेखा से उठा नहीं जाता। – सुरेखा उठ नहीं सकती।
  8. अनुष्का से खाना नहीं पकाया जाता। – अनुष्का खाना नहीं पकाती।
  9. सुरेश से बैठा नहीं जाता। – सुरेश बैठ नहीं सकता।
  10. नूतन से चला नहीं जाता। – नूतन चल नहीं सकती।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

1. निम्नलिखित वाक्यों में वाच्य परिवर्तन कीजिए –

  1. बच्चे फूल तोड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  2. अनेक कवियों ने सुंदर कविताएँ लिखी हैं। (कर्मवाच्य)
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए। (कर्तृवाच्य)
  4. सिपाही ने चोर को पकड़ा। (कर्मवाच्य)
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  6. पुलिस द्वारा कल रात कई चोर पकड़े गए। (कर्तृवाच्य)
  7. भिखारिन सड़क पर जा रही थी। (भाववाच्य)
  8. अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  9. पक्षी आकाश में उड़ेंगे। (भाववाच्य)
  10. राम पुस्तक पढ़ रहा है। (कर्मवाच्य)
  11. अध्यापक विद्यालय में शिक्षा देते हैं। (कर्मवाच्य)
  12. अध्यापक ने हमें आज नया पाठ पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  13. रोगी बिस्तर से उठ नहीं सकता। (भाववाच्य)
  14. मैं नहीं बैठ सकता। (कर्मवाच्य)
  15. मैं यह भाषा नहीं पढ़ सकूँगा। (भाववाच्य)

उत्तर :

  1. बच्चों से फूल तोड़ जाते हैं।
  2. अनेक कवियों द्वारा सुंदर कविताएँ लिखी गई हैं।
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए।
  4. सिपाही द्वारा चोर पकड़ा गया।
  5. पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है
  6. पुलिस ने कल रात कई चोर पकड़े।
  7. भिखारिन से सड़क पर जाया जा रहा था।
  8. अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पढ़ाया गया।
  9. पक्षियों से आकाश में उड़ा जाएगा।
  10. राम से पुस्तक पढ़ी जा रही है।
  11. अध्यापकों द्वारा विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
  12. अध्यापक द्वारा हमें आज नया पाठ पढ़ाया गया।
  13. रोगी द्वारा बिस्तर से उठा नहीं जाता।
  14. मुझसे यह भाषा पढ़ी नहीं जाएगी।
  15. मुझसे बैठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर –

(अ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(क) मुझसे पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(ख) मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा रही।
(ग) मैं पतंग नहीं उड़ाता।
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।
उत्तर :
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।

2. मुझ से निबंध नहीं लिखा गया।
(क) मैं निबंध नहीं लिख सकता।
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।
(ग) मैं निबंध नहीं लिखता।
(घ) मैंने निबंध नहीं लिखा था।
उत्तर :
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।

3. किसानों से खेतों की जुताई नहीं की जा रही।
(क) किसान खेतों की जुताई नहीं कर रहे।
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।
(ग) किसानों ने खेत नहीं जोते।
(घ) किसान खेत नहीं जोत रहे हैं।
उत्तर :
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्मवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. उन ठगों ने हमें ठग लिया।
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।
(ख) उन ठगों द्वारा हम ठगे गए।
(ग) उन ठगों ने हमारे साथ ठगी कर ली।
(घ) उन ठगों से हम ठगे गए हैं।
उत्तर :
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।

2. शेफ़ाली खाना पका रही है।
(क) शेफ़ाली से खाना पकाया जाएगा।
(ख) शेफ़ाली खाना पकाएगी।
(ग) शेफ़ाली द्वारा खाना पकाया गया।
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।
उत्तर :
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।

3. दीपा ग़ज़ल गा रही थी।
(क) दीपा से ग़ज़ल गाई जा रही है।
(ख) दीपा ग़ज़ल गाएगी।
(ग) दीपा द्ववारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।
(घ) दीपा से ग़ज़ल गाई गई थी।
उत्तर :
(ग) दीपा द्वारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(इ) निम्नलिखित वाक्यों में से भाववाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. कौआ पेड़ पर काँव-काँव करता है।
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।
(ख) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती रहेगी।
(ग) कौए के द्वारा पेड़ पर काँव-काँव किया जाता है।
(घ) कौए से पेड़ पर काँव-काँव होती है।
उत्तर :
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।

2. मैं कल रात वहीं ठहरूँगा।
(क) मुझे कल रात वहीं ठहरना होगा।
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।
(ग) मेंरे द्वारा कल रात वहीं पर ठहरना होगा।
(घ) मेरा कल रात वहीं ठहरना होगा।
उत्तर :
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।

3. बच्चे चुप नहीं बैठ सकते।
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।
(ख) बच्चों से चुप नहीं बैठा जाता।
(ग) बच्चों से चुप बैठा नहीं जा सकता।
(घ) बच्चों से चुप नहीं हुआ जा सकता।
उत्तर :
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर –

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) कर्मवाच्य में किसकी प्रधानता होती है-
(i) कर्ता की
(ii) कर्म की
(iii) क्रिया की
(iv) भाव की
उत्तर :
(ii) कर्म की

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ख) नीचे दिए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है –
(i) कालिदास के नाटक खूब प्रस्तुत किए गए हैं।
(ii) उससे मंच तक नहीं पहुँचा जाएगा।
(iii) उससे तो उठा ही नहीं जाता।
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
उत्तर :
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

(ग) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है –
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।
(ii) हम आपका समर्थन करते हैं।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) रेल मंत्री ने बुलेट ट्रेन चलाई।
उत्तर :
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।

(घ) नीचे लिखे वाक्यों में से भाववाच्य वाला वाक्य छाँटिए-
(i) वह थकान के कारण सो गया।
(ii) आओ, सैर करने चले।
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।
(iv) यह किला राणा कुंभा के द्वारा बनाया गया है।
उत्तर :
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ङ) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सैनिक बढ़ते जा रहे थे।
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।
(iii) वह नदी में डूब गया।
(iv) ऑँधी से टॉवर गिर गया।
उत्तर :
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनिए –

(क) कर्तृवाच्य ऐसा वाक्य होता है-
(i) जहाँ कर्म प्रधान होता है।
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।
(iii) जहाँ भाव प्रधान होता है।
(iv) जहाँ अन्य पद प्रधान होता है।
उत्तर :
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।

(ख) दिए गए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है-
(i) तुमसे कार नहीं चलाई जाएगी।
(ii) सारे दिन कैसे सोया जाएगा?
(iii) तुम शोर क्यों मचाते हो?
(iv) चटनी खाई ही नहीं जा रही है।
उत्तर :
(iii) तुम शोक क्यों मचाते हो?

(ग) दिए गए वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सेना ने आतंकियों को पकड़ लिया है।
(ii) बाढ़-पीड़ितों में राहत-सामग्री बाँटी जा रही है।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) वह रात-भर कैसे काम करता रहा?
उत्तर :
(ii) बाढ़ पीड़ितों में राहत सामग्री बाँटी जा रही है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(घ) दिए गए वाक्यों में से भाववाच्य का वाक्य है-
(i) अब हम गा नहीं पा रहे हैं।
(ii) अमेरिका ने मित्रता का हाथ बढ़ाया है।
(iii) यह पाठ एक दिन में पढ़ा जा सकता है।
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा?
उत्तर :
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा ?

(ङ) “तुमने अच्छी नीति अपनाई। ” वाक्य का कर्मवाच्य है-
(i) तुम अच्छी नीति अपना लेते हो।
(ii) तुमसे अच्छी नीति अपनाने की आशा थी।
(iii) तुम्हारे द्वारा क्या नीति अपनाई जाएगी?
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।
उत्तर :
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर

निर्देशानुसार वाच्य बदलिए –

1. (क) मैं सो नहीं सकता हूँ। (भाववाच्य में)
(ख) तुम्हें यहाँ किसने भेजा है ? (कर्मवाच्य में)
(ग) विद्व्वानों द्वारा जो कहा जाता है उसको सुना जाए। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मेरे द्वारा सोया नहीं जा सकता है।
(ख) तुम यहाँ किसके द्वारा भेजे गए हो ?
(ग) विद्वान जो कहते हैं, उसे सुनो।

2. (क) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तकें दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे चला नहीं जाता। (कर्तृवाज्य्य में)
(ग) वह तो उठ भी नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दी।
(ख) वह चल नहीं सकता।
(ग) उससे तो उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

3. (क) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठा जाएगा। (कर्तृवाच्य में)
(ग) हम इतना भार नहीं सह सकते। (कर्मवाच्य में)
(घ) अब राष्ट्रपति नहीं आएँगे। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की।
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठेंगे।
(ग) हमारे द्वारा इतना भार नहीं सहा जा सकता।
(घ) अब राष्ट्रपति से नहीं आया जा सकेगा।

4. (क) भाईसाहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) आओ कहीं चला जाए। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मेरी मित्र चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) भाई साहब ने मुझे पतंग दी
(ख) आओ, कहीं चलें।
(ग) मेरी मित्र से चला नहीं जाता।
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

5. (क) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) मेरे मित्र से चला नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) उनके सामने कौन बोल सकेगा ? (भाववाच्य में)
(घ) भाई साहब ने मुझे पतंग दी। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।
(ख) मेरा मित्र नहीं चलता।
(ग) उनके सामने किससे बोला जा सकेगा ?
(घ) भाई साहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई।

6. (क) राष्ट्रपति द्वारा इस भवन का उद्धाटन किया गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) हमसे इतना भार नहीं सहा जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठ सकते हैं ? (भाववाच्य में)
(घ) तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) राष्ट्रपति ने इस भवन का उद्घाटन किया।
(ख) हम इतना भार नहीं सह सकते।
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठा जा सकता है ?
(घ) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई।

7. (क) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे तो उठा भी नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मैं चल नहीं सकती। (भाववांच्य में)
(घ) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दीं। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली।
(ख) वह उठ नहीं सकते।
(ग) मुझसे उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तक दी गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

8. (क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में)
(ख) श्यामा द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। (कर्तृवाच्य में)
(ग) दर्द के कारण वह चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से की जाती है। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षियों द्वारा संगीत का अभ्यास किया जाता है।
(ख) श्यामा सुबह-दोपहर के राग बख़बी गाती है।
(ग) दर्द के कारण उससे चला नहीं जा सकता।
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से होती है।

9. (क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) फ़ाख़्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था। (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) फ़ुरसत में मैना द्वारा खूब रियाज किया जाता है।
(ख) फ़ाख़्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
(ग) बच्चे से साँस नहीं लिया जा रहा था।
(घ) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।

10. (क) बुलबुल रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सँहाल लिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह रात भर कैसे जागेगी? (भाववाच्य में)
(घ) सात सुरों को इसने गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) बुलबुल के द्वारा रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर किया जाता है।
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षी मंच संभाल लेते हैं।
(ग) उससे रात भर कैसे जागा जाएगा?
(घ) सात सुरों को इसके द्वारा गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

11. (क) मैनाओं ने गीत सुनाया। (कर्मवाच्य में)
(ख) माँ अभी भी खड़ी नहीं हो पाती। (भाववाच्य में)
(ग) बीमारी के कारण उससे उठा नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(घ) क्या अब चला जाए? (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैनाओं के द्वारा गीत सुनाया गया।
(ख) माँ से अभी भी खड़ा नहीं हुआ जाता।
(ग) बीमारी के कारण वह नहीं उठता।
(घ) क्या अब चलें?

12. (क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में)
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।
(कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों के द्वारा नोटिस थमा दिया गया।
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद करते हैं।
(ग) खबर सुनकर उससे चला भी नहीं जा पा रहा था।
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।

13. (क) अनेक पाठकों ने पुस्तक की सराहना की। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता रोज़ अख़बार पढ़ती है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) अनेक पाठकों द्वारा पुस्तक की सराहना की गई।
(ख) पक्षियों से बाग छोड़कर उड़ा नहीं गया।
(ग) हर्षिता द्वारा रोज़ अख़बार पढ़ा जाता है।
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

14. (क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) बालगोबिन भगत के द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थीं।
(ख) बीमारी के कारण उससे यहाँ न आया गया।
(ग) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था।
(घ) अवनि द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हंस से उड़ा न जा सका।

15. (क) गाँव की स्त्रियाँ बहू को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ग) नवाब साहब ने खीरे को धोकर पोंछ लिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) हम लोग क्लास छोड़कर बाहर नहीं आ सके। (भाववाच्य में बदलिए)
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया गया है, लुंगी पर नहीं। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) गाँव की स्त्रियों के द्वारा बहू को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
(ख) भारत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा।
(ग) नवाब साहब के द्वारा खीरे को धोकर पोछ लिया गया।
(घ) हम लोगों से क्लास छोड़कर बाहर नहीं आया गया।
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया है, लुंगी पर नहीं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

16. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा हीं नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लज़ीज होता है।

17. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

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बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन टोपी शुक्ला का सबसे पहला मित्र था। इफ़्फ़न और उसकी दादी से टोपी शुक्ला को वह प्यार मिला था, जो उसे कभी अपने घर से नहीं मिला। इपफन एक मुसलमान था, परंतु प्यार जाति-पाति नहीं देखता। इफ्फ़न के पास रहते हुए टोपी ने स्वयं को कभी अकेला नहीं समझा। वह उससे अपने मन की सारी बातें करता था। इफ्फन उसका दुख-दर्द समझता था। पिता का तबादला होने पर इफ्फन चला गया और टोपी बिलकुल अकेला पड़ गया। उसे कोई समझने वाला और दिलासा देने वाला नहीं रहा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फन की दादी एक ज़मींदार परिवार से थी। उसका ससुराल लखनऊ में था। उसके पति और ससुर वहाँ के प्रसिद्ध मौलवी थे। ससुराल में इफ्फन की दादी को बंदिशों में रहना पड़ता था, क्योंकि वह एक मौलविन थी। वह लखनऊ में रहकर उस दही को तरस गई थी, जो उनके यहाँ घी पिलाई हंडियों में असामियों के यहाँ से आता था। जब भी वे अपने पीहर जाती तो खूब दूध, घी और दही खाती थी। ससुराल में उसकी आत्मा सदा बेचैन रहती थी। दादी ने अपनी सारी उम्र ससुराल की पाबंदियों में व्यतीत की थी, इसलिए वह खुली हवा में साँस लेने और दूध, घी व दही खाने के लिए पीहर जाना चाहती थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 3.
दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं ?
उत्तर :
इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थी। उसे गाने-बजाने का बहुत शौक था। इफ्फन के दादा एक मौलवी थे, इसलिए उनके घर में गाना-बजाना नहीं होता था। इफ़्फ़न की दादी की इच्छा थी कि वह अपने बेटे की शादी में गाना-बजाना करे, परंतु मौलवी की पत्नी होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी को इफ्फ़न की दादी के मुंह से अम्मी शब्द सुनना अच्छा लगता था, इसलिए उसने अपने घर में अपनी माँ को अम्मी कहकर बुलाया। उसके मुंह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर के सदस्यों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। उस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे समय थम गया हो; परंपराओं की दीवारें हिलने लगी हों। अम्मी शब्द कहने और सुनने से ही धर्म संकट में पड़ गया था। दादी सुभद्रा देवी ने टोपी के साथ-साथ उसकी माँ रामदुलारी को भी बुरा-भला कहा। रामदुलारी ने गुस्से में टोपी की बहुत पिटाई की। उसे मार पड़ने पर मुन्नी बाबू और भैरव खुश हो रहे थे। यदि टोपी को पता होता कि उसके अम्मी कहने से घरवाले उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे, तो शायद वह कभी इस शब्द का प्रयोग न करता।

प्रश्न 5.
दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता था?
उत्तर :
टोपी के जीवन में दस अक्तूबर सन पैंतालीस के दिन का बहुत अधिक महत्व था। इसी दिन इफ्फन टोपी को छोड़कर दूसरे शहर चला गया था। इफ़्फ़न के पिता जी कलेक्टर थे। उनका तबादला दूसरे शहर में हो गया था, इसलिए इफ्फन भी उनके साथ चला गया। उसके जाने से टोपी अकेला पड़ गया। उस दिन उसने कसम खाई थी कि आगे से तबादले की नौकरी करने वाले के लड़के से दोस्ती नहीं करूँगा।

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प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती थी। वह उसे हर समय डाँटती थी। टोपी को इफ्फ़न की दादी अच्छी लगती थी। वह उसे पास बैठाकर प्यार करती थी और उसका हाल-चाल पूछती थी। टोपी को उनका अम्मी कहना अच्छा लगता था। इफ्फ़न की दादी की बोली भी उनकी तरह थी। उसे इफ्फन की दादी से बहुत अपनापन मिला था। वह उसे अच्छी तरह समझती थी, इसलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही थी।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
इफ्फन को अपने पूरे परिवार से प्यार था, परंतु उसे अपनी दादी से विशेष स्नेह था। उसकी अम्मी और बहन उसे डाँटती थी। छोटी बहन भी उसे तंग करती थी। अब्बू भी कभी-कभी घर को कचहरी समझकर अपना फैसला सुना दिया करते थे। घर में केवल एक दादी ही थी, जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया था। वह रात को सोते समय उसे कई कहानियाँ सुनाती थी। दादी की पूरबी बोली में उसे कहानी सुनना अच्छा लगता था। दादी के पास उसकी हर शिकायत का समाधान होता था, इसलिए इफ्फ़न अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी उनके घर गया, तो उसे घर खाली-सा लगा। उसे इफ्फन के घर में दादी ही अपनी लगती थी। इफ्फन की दादी और उसके बीच के संबंध को कोई नहीं समझ सकता था। टोपी और इफ्फन की दादी ने एक-दूसरे के प्रेम की चाहत को पूरा किया था। दोनों अपने घर में अकेले और अजनबी थे। दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर अपने अकेलेपन को भर लिया था। लेकिन इफ्फन की दादी के मरने से टोपी फिर अकेला हो गया था। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी के मरने के बाद उसका घर खाली खाली लगा।

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प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे, परंतु वे दोनों एक अटूट रिश्ते से बँधे हुए थे। टोपी हिंदू था और इफ्फन की दादी मुसलमान थी। टोपी की आयु आठ वर्ष थी और दादी की आयु बहत्तर वर्ष की थी। टोपी दादी के हाथ से कुछ नहीं खाता था, परंतु उसकी प्यार की चाहत उनके पास जाकर पूरी होती थी। टोपी को अपने घर में बिलकुल भी प्यार नहीं मिला था। घर में हर कोई उसे डाँटता और मारता था। वह प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता रहता था। जहाँ उसे प्यार मिलता, वह वहीं का हो जाता था।

इफ़्फ़न की दादी भी अपने घर में अकेली और अजनबी थी। वह पूरबी भाषा बोलती थी। घर के अन्य सदस्य उर्दू बोलते थे। उसकी भाषा को लेकर घर में हँसी उड़ती थी। इसलिए वह भी प्यार पाने के लिए तरसती थी। जब दादी और टोपी आपस में मिले, तो दोनों ने एक-दूसरे के स्नेह पाने की चाहत को पूरा किया। दोनों में एक विशेष लगाव था। यह बात दोनों के घरों में कोई नहीं समझ सका था कि उनमें इतना प्यार क्यों था। इससे हम कह सकते हैं कि प्यार उम्र और मजहब नहीं देखता। जिसे प्यार की चाहत होती है उसे जहाँ प्यार मिलता है वह वहीं चला जाता है।

प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मददेनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर :
(क) टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। वह पढ़ाई में बहुत ज़हीन था, परंतु उसे कोई पढ़ने नहीं देता था। जब भी वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर में कोई-न-कोई काम निकल आता था। उस काम को केवल टोपी कर सकता था। घर के नौकरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी मुन्नी बाबू, तो कभी रामदुलारी उसे किसी-न-किसी काम के लिए पढ़ने से उठा देते थे। रवालों को कुछ काम नहीं होता था, तो भैरव ही उसकी कॉपियों के कागज़ों के हवाई जहाज़ उड़ा चुका होता था। दूसरे साल उसने अच्छी तैयारी की थी, परंतु उसे टायफाइड हो गया था। इस कारण वह फेल हो गया।

(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में अब उसका कोई भी मित्र नहीं था, इसलिए वह कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टर जी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे, जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी।

जब वह दूसरी बार फेल हुआ, तो वह कक्षा में ऐसे गया जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था। सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवीं में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता, तो अध्यापक यह कहकर उसे मनाकर देते थे कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाली कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था, परंतु टोपी दो साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।

(ग) टोपी लगातार दो साल नवीं कक्षा में फेल हुआ। इसके लिए उसके घर के सदस्य तथा स्कूल के अध्यापक भी जिम्मेदार थे। यदि कोई बच्चा होशियार होते हुए भी कक्षा में पिछड़ जाए, तो अध्यापक को उसका कारण जानना चाहिए और जहाँ तक संभव हो, उसकी पढ़ाई में सहायता करनी चाहिए। उसे कक्षा में शर्मसार नहीं करना चाहिए। कक्षा का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि फेल हुए बच्चे अपने को अकेला न समझे।

प्रत्येक बच्चे में कोई-न-कोई गुण होता है। अध्यापकों को चाहिए कि फेल हुए बच्चों को अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे बच्चे में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़े और उसका अच्छा परिणाम आए।

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प्रश्न 11.
इफ्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
इफ्फन की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। इफ्फन की दादी के मायके वाले कराची चले गए थे। वे लोग वहीं रहने लगे थे। इसलिए उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया था, क्योंकि उस संपत्ति पर किसी का भी अधिकार नहीं था।

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘टोपी शुक्ला’ पाठ का मूल भाव लिखिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी अपने घर और स्कूल दोनों स्थानों पर उपेक्षित बच्चा है, जिसे कोई प्यार नहीं करता। उसके माध्यम से बताया गया है कि बच्चों की दृष्टि में अपना वही होता है, जो प्यार से सिर पर हाथ रखे और दुलार से बात करे। टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती। वे उसे हर समय डाँटती रहती है। मुन्नी बाबू और भैरव भी उसे पिटवाने के अवसर ढूँढ़ते रहते हैं। दोनों झूठ-सच बोलकर सबको टोपी के विरुद्ध करते हैं।

इसलिए टोपी भरे-पूरे घर में स्वयं को अकेला समझता है। उसका अकेलापन इफ्फ़न की दादी से मिलकर दूर होता है। अपनापन और प्यार जात-पात नहीं देखते। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी अपनी लगती है। उनके मरने पर वह बहुत रोता है। बच्चे भी प्यार को समझते । हैं। टोपी की प्यार पाने की चाहत उसे घर की बूढ़ी नौकरानी सीता के आँचल में खींच ले जाती है।

घर के पढ़े-लिखे लोग यह नहीं समझते कि टोपी जैसा आज्ञाकारी बालक उनकी केवल एक हिदायत नहीं मानता कि उसे इफ्फन की दादी और नौकरानी सीता से रिश्ता नहीं रखना है। वे लोग उसकी प्यार की चाहत को नहीं समझते। बच्चों का मन साफ़ होता है। उसमें छल-कपट या हिसाब-किताब नहीं होता। उन्हें जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। बचपन प्रेम के रिश्तों को मानता है। वह किसी और रिश्तों को नहीं पहचानता। यही दशा टोपी की भी है।

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प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार इफ्फन की बड़ाई किसमें थी?
उत्तर :
इफ्फन टोपी का सबसे पहला दोस्त था। टोपी ने उसे सदा इफ्फन कहकर बुलाया था। इफ़्फ़न उसके इस तरह बुलाने का बुरा मानता था, परंतु फिर भी वह टोपी द्वारा इफ्फन बुलाने पर उससे बोलता था। इस प्रकार बोलने में इफ्फन की बड़ाई थी।

प्रश्न 3.
नामों के चक्कर अजीब क्यों थे?
उत्तर :
लेखक नामों के चक्कर को अजीब मानता है। जिस व्यक्ति, वस्तु या भाषा को जिस नाम से पुकारो वह अपना स्वरूप नहीं बदलते। उर्दू और हिंदी एक ही भाषा हिंदवी के दो नाम हैं। श्रीकृष्ण को अवतार और मुहम्मद को पैगंबर कहकर बुलाया जाता है। लोगों के लिए यह दो नाम दो अलग-अलग धर्म के हैं, परंतु दोनों का कार्य एक था; दोनों ही दूध देने वाले जानवर चराया करते थे। इसलिए लेखक को नामों के चक्कर में उलझना अजीब लगता है।

प्रश्न 4.
इफ्फ़न और टोपी के वास्तविक नाम क्या थे?
उत्तर :
इफ्फन का नाम सय्यद जरगाम मुरतुजा और टोपी का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला था। दोनों चौथी कक्षा में पढ़ते थे। इफ्फन के पिता कलेक्टर थे और टोपी के पिता शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर थे।

प्रश्न 5.
इफ्फन की दादी मरते दम तक पूरबी बोली क्यों बोलती रही थीं?
उत्तर :
इफ्फन की दादी पूरब की रहने वाली थीं। वे नौ या दस वर्ष की थीं, जब शादी करके लखनऊ आ गई थीं। ससुराल में सब उर्दू बोलते में रहने वाली थे; परंतु वे जब तक जीवित रहीं, पूरबी बोली ही बोलती रहीं। उन्हें लगता था कि ससुराल में यह बोली उनकी अपनी है, जो उनके सुख-दुख को समझती है। इसलिए उन्होंने कभी भी उर्दू बोलने का प्रयास नहीं किया। यही कारण था कि वे मरते दम तक पूरबी बोली को गले लगाए रहीं।

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प्रश्न 6.
मरते समय इफ्फ़न की दादी को अपने मायके का घर क्यों याद आ रहा था?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मरते समय आदमी अपने जीवन के सबसे खूबसूरत सपने को देखता है। इफ़्फ़ की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। वे ससुराल में रहते हुए हमेशा अपने मायके को याद करती थीं। वे एक ज़र्मींदार की बेटी थीं। उनके घर पर दूध, दही और घी की कमी नहीं थी। जब भी वे अपने घर जाती थीं, खूब दूध-दही खाती थीं। उन्होंने अपने घर में अपने हाथों से दसहरी आम का पेड़ लगाया था। अब वह पेड़ भी उनकी तरह बूढ़ा हो गया था। ऐसी ही कई मीठी यादें थीं, जो उन्हें मरते समय याद आ रही रीं।

प्रश्न 7.
टोपी के पिता को जब इफ्फन के साथ उसकी मित्रता का पता चला, तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर :
इफ्फन मुसलमान था और टोपी हिंदू। जब घर के सदस्यों को पता चला कि टोपी की मित्रता मुसलमान लड़के से है, तो सब सकते में आ गए। टोपी के पिता को बहुत क्रोध आया; परंतु जब उन्हें यह पता चला कि टोपी का मित्र इफ्फन कलेक्टर का बेटा है, तो वे अपने क्रोध को पी गए। उन्होंने टोपी की मित्रता का लाभ उठाते हुए इफ्फन के पिता से कपड़े और शक्कर के परमिट अपने नाम करवा लिए थे।

प्रश्न 8.
मुन्नी बाबू ने क्या झूठ बोला था और सच क्या था?
उत्तर :
घर में जब यह पता चला कि टोपी की मित्रता एक मुसलमान लड़के से है, तो उसकी माँ रामदुलारी ने उसे बहुत मारा। उसे मार पड़ते देखकर मुन्नी बाबू अपनी माँ से झूठ बोलता है कि एक दिन उसने टोपी को कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह सुनते ही उसकी माँ ने टोपी को दुगुने क्रोध से मारना शुरू कर दिया। वास्तव में कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। मुन्नी बाबू को कबाब खाते टोपी ने देख लिया था। मुन्नी बाबू इस बात से डर गए थे कि कहीं टोपी मार खाते हुए उसके भेद को खोल न दे, इसलिए उसने अपनी बात टोपी पर डाल दी।

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प्रश्न 9.
पाठ के आधार पर टोपी के चरित्र का चित्रांकन कीजिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी के चरित्र का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है –
परिचय – टोपी के पिता का नाम भृगु नारायण और माँ का नाम रामदुलारी था। टोपी के दो भाई मुन्नी बाबू और भैरव थे। टोपी का एक मित्र इफ्फन था। टोपी स्कूल में पढ़ता है।

सरल स्वभाव – टोपी सरल स्वभाव का बच्चा है। उसमें छल-कपट नहीं है। जब मुन्नी बाबू उस पर कबाब खाने का झूठा आरोप: लगाते हैं, तो वह मुन्नी बाबू की बात को चुपचाप स्वीकार कर लेता है। उसकी बात का कोई प्रतिवाद नहीं करता।

एकाकीपन – टोपी का परिवार भरा-पूरा है, फिर भी वह अकेला है। घर में सभी लोग अपने आप में व्यस्त हैं। किसी के पास भी। टोपी के लिए समय नहीं है। टोपी अपना अकेलापन दूर करने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है।

प्यार की चाहत – टोपी को अपने परिवार से प्यार नहीं मिला। वह प्यार पाने के लिए इधर-उधर जाता है। उसे इफ्फन, इफ्फ़न की दादी और घर की बूढी नौकरानी सीता से प्यार मिलता है। प्यार पाने की चाहत ने टोपी को सभी प्रकार के बंधनों को तोड़ने के लिए मज़बूर किया था।

सहनशील – टोपी एक सहनशील बालक था। वह शांत रहकर अपने घरवालों का अपने प्रति व्यवहार सहन करता था। टोपी घर में ही नहीं स्कूल में भी छात्रों और अध्यापकों का कड़वा व्यवहार चुपचाप सहन करता है। टोपी जब नवीं में दो बार फेल हो जाता है, तो उसे घर और स्कूल दोनों जगह से प्रताड़ना मिलती है जिसे वह बड़े साहस से सहन करता है।

आज्ञाकारी बालक – टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। वह किसी का कहना नहीं टालता। वह सबके काम चुपचाप कर देता है। वह जब भी पढ़ने बैठता था उसकी माँ, मुन्नी बाबू या अन्य उसे कोई-न-कोई काम सौंप देते थे। वह पढ़ाई छोड़कर उस काम को। पूरा करने में लग जाता था।

भावुक बालक – टोपी एक भावुक लड़का था। वह इफ्फन से अपनी दादी के बदले में उसकी दादी माँगता है। लेकिन जब इफ्फन। इनकार कर देता है, तो वह इफ्फन से भावुक होकर कहता है कि क्या वह उसके लिए इतना भी नहीं कर सकता। टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। उसके परिवार में सब हैं, परंतु फिर भी वह घर में स्वयं को अकेला अनुभव करता है। इसलिए वह अपनापन और प्यार प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकता है।

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प्रश्न 10.
कहानी कहते समय इफ्फन की दादी ऐसा क्यों कहती होंगी-“आँखों की देखी नहीं कहती। कानों की सुनी कहती हूँ….।”
उत्तर :
इफ्फन की दादी जब भी कहानी सुनाना शुरू करती थीं, उससे पहले वे एक पंक्ति कहती थीं कि ‘आँखों की देखी नहीं कहती, कानों की सुनी कहती हूँ’। वे ऐसा इसलिए कहती थीं क्योंकि जो कहानियाँ वे इफ्फन को सुनाती थीं, वे भी उनकी सुनी हुई थीं। वे कहानियाँ उनकी आँखों के आगे नहीं घटी थी, इसलिए वे सुना हुआ ही उसे सुनाती थीं। कहानियों में कई काल्पनिक घटनाएँ होती हैं। बच्चे उन्हें सच न मान लें, इसलिए भी कहानी शुरू करने से पहले इस पंक्ति को कहा जाता होगा।

प्रश्न 11.
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद के आधार पर मानवीय संबंधों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर :
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद रिश्तों में अविश्वास को उजागर करते हैं। सुभद्रा देवी टोपी की दादी सा, है। वह घर में अपने बड़े होने का वर्चस्व कायम रखने के लिए रामदुलारी को डाँटती है कि वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती। रामदुलारी अपनी सास का गुस्सा टोपी पर उतारती है। टोपी अपनी सफ़ाई में कुछ नहीं कह पाता। इसके बाद मुन्नी बाबू एक झूठ टोपी के नाम लिख देते हैं कि वह कबाब खाता है।

यह सुनते ही रामदुलारी दुगुने वेग से टोपी को मारने लगती है। वह टोपी से कोई सच्चाई नहीं जानना चाहती। उन लोगों के संवाद से यह सिद्ध होता है कि घर में जिसे बेकार समझा जाता है, उस पर हर कोई अपना दबाव डालना चाहता है। परिवार का आधार विश्वास और प्यार होता है, परंतु टोपी के परिवार में विश्वास और प्यार देखने को नहीं मिलता था। इसलिए टोपी प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता था।

प्रश्न 12.
इफ़्फ़न के दादा-परदादा क्या वसीयत करके मरे?
उत्तर :
इफ्फन के दादा और परदादा प्रसिद्ध मौलवी थे। उनका जन्म इसी देश में हुआ था। उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी। परंतु मरने से पहले उन्होंने वसीयत की थी कि उनके मरने के बाद उनकी लाश करबला ले जाई जाए। वे चाहते थे कि उन्हें करबला में दफनाया जाए।

प्रश्न 13.
इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले क्यों खरीदे?
उत्तर :
इफ्फ़न के घर जाने पर जब टोपी को बहुत मार पड़ी, तो वह बहुत उदास हुआ और अगले दिन उसने सब बातें इफ्फन को बता दी। इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले खरीदे, क्योंकि उसे पता था कि टोपी फल के अलावा कोई और चीज़ नहीं खाएगा। इस प्रकार वह टोपी को फल खिलाकर सांत्वना देने लगा।

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प्रश्न 14.
रामदुलारी की मार से इफ्फन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
जब टोपी ने इफ़्फ़न को बताया कि उसकी दादी उसे उसके घर जाने से रोकती है और उसके न मानने पर उसे खूब पीटती है, तो इफ्फ़न और वह भूगोल की कक्षा छोड़कर बाहर आ जाते हैं। इफ़्फ़न उसके लिए पंचम की दुकान से केले खरीदता है और उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि दादी बूढ़ी है, इसलिए वह मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

प्रश्न 15.
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों श्ते से बंधे थे। इस कथन पर कहानी के आधार पर विचार कीजिए।
अथवा
टोपी और इफ़्फ़न के संबंध धर्म से नहीं, मानवीय संबंधों से निर्धारित थे।
उत्तर :
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग धर्मों को मानने वाले हैं। इफ्फन मुसलमान है जबकि टोपी शुक्ला हिंदू है। इन दोनों की मित्रता में धर्म कहीं भी आड़े नहीं आता है। टोपी शुक्ला को इफ्फन और उसकी दादी से इतना प्यार मिला था, जो उसे अपने घर से भी नहीं मिलता था। इनकी इस मित्रता में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। दोनों एक-दूसरे से अपने मन की बातें खुलकर कर लेते थे। इफ्फन टोपी का सारा दुख-दर्द समझ कर उसे दिलासा देता था। बच्चों का मन साफ होता है।

उन्हें तो जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। इफ्फन को यह भी ध्यान रहता है कि टोपी को फल के अतिरिक्त अपने घर का कुछ नहीं खिलाना हैं। वह टोपी के परिवार के संस्कारों पर कोई प्रहार नहीं करता है। इफ्फन के पिता का जब स्थानांतरण हो जाता है तो टोपी स्वयं को बिल्कुल अकेला अनुभव करने लगता है। इफ्फन और टोपी अलग-अलग परिवेश में पले परन्तु उनकी मित्रता में किसी प्रकार का भी भेदभाव नहीं आया।

उनकी यह मित्रता हमें प्रेरणा देती है कि धर्म-संप्रदाय-जातिगत विविधता से समाज में तोड़ने की नहीं अपितु परस्पर जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। अलग-अलग विचारधारा, धार्मिक मान्यताएँ, संस्कार आदि होते हुए भी विभिन्न धर्म-जाति के लोग अपने-अपने रास्ते पर चलते हुए भी परस्पर टोपी और इफ्फन की तरह मिलजुल कर मित्रता के भाव से रह सकते हैं। परस्पर प्यार-मैत्री में कोई जातिगत-धर्मगत भेदभाव नहीं होता, इसलिए कहा गया है –

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना।
हिंदी हैं हम वतन हैं, हिंदुस्तान हमारा।।

टोपी शुक्ला Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘टोपी शुक्ला’ कहानी के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है, वह वहीं रहना चाहता है। टोपी को बचपन में अपनापन अपने परिवार की नौकरानी और अपने मित्र की दादी माँ से मिलता है। वह उन्हीं लोगों के साथ रहना चाहता है। इफ्फन टोपी का पहला मित्र था। टोपी उसे इफ्फन कहकर बुलाता था। इफ्फन को बुरा अवश्य लगता था, परंतु फिर भी वह उससे बात करता था। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

दोनों के घरों की परंपराएँ अलग-अलग थीं, लेकिन फिर भी इफ्फन टोपी के जीवन का अटूट हिस्सा है। इफ्फन के दादा-परदादा मौलवी थे। वे जीवित रहते हुए हिन्दुस्तान में रहे थे, परंतु उनकी लाश को करबला ले जाकर दफनाया गया। इफ्फन के पिताजी उनके खानदान में पहले बच्चे थे, जो हिंदुस्तानी थे। इफ्फन की दादी मौलवी परिवार से नहीं थी। वह एक जमींदार परिवार की तथा पूरब की रहने वाली थी।

उनकी ससुराल लखनऊ में थी, जहाँ गाना-बजाना बुरा समझा जाता था। इफ्फन के पिता की शादी पर उनके मन में विवाह के गीत गाने की इच्छा थी, परंतु इफ्फन के दादा के डर से नहीं गा पाई। उन्हें इफ्फन के दादा से केवल एक शिकायत थी कि वे सदा मौलवी बने रहते थे। इफ्फन की दादी जब मरने लगी, तो उसे अपनी माँ का घर याद आने लगा। इफ्फन उस समय स्कूल गया हुआ था। उसे अपनी दादी से बहुत प्यार था। वह उसे रात के समय कहानियाँ सुनाया करती थी।

दादी पूरबिया भाषा बोलती थी, जो उसे अच्छी लगती थी। टोपी को भी उसकी दादी की भाषा अच्छी लगती थी। टोपी को इफ्फन की दादी अपनी माँ जैसी लगती थी। उसे अपनी दादी से नफ़रत थी। वह इफ्फन के घर जाकर उसकी दादी से बात करता था। एक दिन टोपी ने अपने घर में जैसे ही अपनी माँ के लिए अम्मी शब्द का प्रयोग किया, उसी क्षण उनके यहाँ तूफान आ गया। माँ से ज्यादा उसकी दादी भड़क गई।

बाद में उसकी माँ से बहुत पिटाई हुई। उसके भाई मुन्नी बाबू ने माँ से झूठ कह दिया था कि उसने कबाब खाए हैं, जबकि कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। सबने मुन्नी बाबू के झूठ को सच समझ लिया। अगले दिन टोपी ने सारी बात इफ्फन से कह दी। चौथे पीरियड में दोनों स्कूल से भाग गए। टोपी इफ़्फ़न से कहता है कि क्यों न वह अपनी दादी बदल लें। इफ्फन ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी दादी उसके पिताजी की माँ भी थी। इफ्फन ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि फ़िक्र मत करो, तुम्हारी दादी जल्दी मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

उसी दिन इफ्फन की दादी मर जाती है। इफ्फन के साथ टोपी को भी लगता है कि उसका सबकुछ चला गया है। अब उसे इफ्फ़न के घर में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। दादी के बिना सारा घर खाली-खाली लगता है। टोपी सोचता है कि इफ्फन की दादी के स्थान पर उसकी दादी मर जाती, तो अच्छा रहता। जल्दी ही इफ्फन के पिता का तबादला हो गया। उस दिन टोपी ने कसम खाई कि आगे से किसी ऐसे लड़के से मित्रता नहीं करेगा, जिसके पिता की नौकरी बदलने वाली हो।

इफ्फन के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया। उस शहर के अगले कलेक्टर हरिनाम सिंह थे। उनके तीन लड़के थे। उन्हें इस बात का एहसास था कि वे एक कलेक्टर के बेटे हैं, इसलिए उन्होंने टोपी को मुँह नहीं लगाया। इसके बाद टोपी ने अपना अकेलापन घर की बूढी नौकरानी सीता से दूर किया। सीता उसे बहुत प्यार करती थी। वह उसका दुख-दर्द समझती थी। घर के सभी सदस्य उसे बेकार समझते थे। घर में सभी के लिए सर्दी में गर्म कपड़े बने, परंतु टोपी को मुन्नी बाबू का उतरा कोट मिला। उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। उसने वह कोट घर की नौकरानी केतकी को दे दिया। उसकी इस हरकत पर दादी क्रोधित हो गई। उन्होंने उसे बिना गर्म कपड़े के सर्दी बिताने का आदेश दे दिया।

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था, जिस कारण उसे घर में और अधिक डाँट पड़ने लगी थी। जिस समय वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर के सदस्यों को बाहर से कुछ-न-कुछ मँगवाना होता था। स्कूल में भी उसे अध्यापकों ने सहयोग नहीं दिया। अध्यापकों ने उसके नवीं में लगातार तीन साल फेल होने पर उसे नजरअंदाज कर दिया था। कोई भी ऐसा नहीं था, जो उसके साथ सहानुभूति रखता; उसे परीक्षा में पास होने के लिए प्रेरित करता। घर और स्कूल में किसी ने भी उससे अपनापन नहीं दिखाया। उसने स्वयं ही मेहनत की और तीसरी श्रेणी में नवीं पास कर ली। उसके नवीं पास करने पर दादी ने कहा कि उसकी रफ़्तार अच्छी है। तीसरे वर्ष में तीसरी श्रेणी में पास तो हो गए हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

कठिन शब्दों के अर्थ :

परंपरा – प्रथा, डेवलपमेंट – विकास, बेमानी – व्यर्थ, अटूट – न टूटने वाला, मज़बूत, करबला – इस्लाम का एक पवित्र स्थान, नमाज़ी – नियमित रूप से नमाज़ पढ़ने वाला, मास का सदका – एक टोटका, चेचक – एक संक्रामक रोग, छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान, जश्न – उत्सव, फर्क – अंतर, नाक-नक्शा – रूप-रंग, बीजू पेड़ – आम की गुठली से उगाया गया आम का पेड़, बेशुमार – बहुत सारी, बाजी – बड़ी बहन, कचहरी – न्यायालय, पाक – पवित्र, मुलुक – देश, अलबत्ता – बल्कि,

अमावट – पके आम के रस को सुखाकर बनाई गई वस्तु, तिलवा – तिल का लड्डू, लफ़्ज – शब्द, दुर्गति – बुरी हालत, कुटाई – पिटाई, कबाबची – कबाब बनाने वाला, जुगराफ़िया – भूगोल शास्त्र, पुरसा – सांत्वना देना, तबादला – बदली, एहसास – अनुभूति, टर्राव – बड़बड़ करना, गाउदी – भोंदू, सितम – अत्याचार, लौंदा – गीली मिट्टी का पिंड, लोगन – लोग, नज़रे बद – बुरी नज़र

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

JAC Class 10 Hindi गिरगिट Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर :
काठगोदाम के पास ख्यूक्रिन नामक व्यक्ति की उँगली पर एक कुत्ते ने काट लिया था। ख्यूक्रिन उस कुत्ते को पकड़ रहा था। उसके चिल्लाने और कुत्ते के किकियाने की आवाज़ को सुनकर वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर :
ख्यूक्रिन सुनार का कार्य करता था, जो पूरी तरह से हाथ उँगलियों पर आधारित होता है। इसी कारण उँगली ठीक न होने पर उसे काफी नुकसान हो सकता था।

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प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर :
कुत्ते को ख्यूक्रिन ने दबोच लिया था। इसी कारण वह कुत्ता किकिया रहा था।

प्रश्न 4.
बाजार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर :
बाजार में पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गश्त लगा रहा था। वह रिश्वतखोर था। जो भी उसके सामने आता था, उससे वह कुछ-न-कुछ लूट-खसोट ज़रूर करता था। उसके बाज़ार में निकलने के कारण ही चौराहे पर खामोशी थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
जनरल साहब के बावर्ची ने बताया कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, जो थोड़ी देर पहले ही वहाँ आए हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से क्यों चिल्ला रहा था?
उत्तर :
चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से इसलिए चिल्ला रहा था क्योंकि उस की उँगली कुत्ते ने काट ली थी।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने बताया कि वह कामकाजी व्यक्ति है और उसका काम भी पेचीदा किस्म का है। उँगली पर कुत्ते के काटने से वह कई दिनों तक काम नहीं कर पाएगा। इससे उसे काफ़ी नुकसान होगा। इसी आधार पर उसने कुत्ते के मालिक से मुआवजा दिलाने की प्रार्थना की।

प्रश्न 2.
ख्यक्रिन ने ओचमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को बताया कि वह बाज़ार में लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाने के उद्देश्य से आया था। तभी अचानक एक कुत्ता कहीं से आया और उसने उसकी उँगली पर काट लिया। कुत्ते द्वारा काटे जाने के कारण ही उसने उँगली ऊपर उठाई हुई थी।

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प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
अथवा
‘गिरगिट’ पाठ में येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को उसके दोषी होने के क्या कारण बताए ?
उत्तर :
येल्दीरीन एक चापलूस सिपाही था। वह अपने इंस्पेक्टर की हाँ में हाँ मिलाते हुए उल्टे ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराता है। वह कहा है कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता है। इसने ज़रूर अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी, जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। यदि कुत्ते ने इसे काटा है, तो इसमें सारा दोष ख्यक्रिन का ही है। कुत्ते का कोई दोष नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि ‘उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है’ ?
उत्तर :
ओचुमेलॉव एक अवसरवादी इंस्पेक्टर है। उसने यह संदेश इसलिए भिजवाया होगा, ताकि वह जनरल साहब की नज़रों में अच्छा बन सके। वह एक चापलूस व्यक्ति है। इसी चापलूसी के बलबूते वह पदोन्नति भी चाहता है। उसे आशा थी कि यह संदेश सुनकर जनरल साहब उससे खुश हो जाएँगे और उसकी प्रशंसा करने के साथ-साथ उसे पदोन्नति भी देंगे।

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प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर
ख्यूक्रिन कुत्ते द्वारा काटे जाने पर न्याय-मुआवजे की आशा करता है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो वह ख्यूक्रिन को ही दोष देता है और कुत्ते को पुचकारता है। उस समय ख्यूक्रिन के स्थान पर उसे एक जानवर अधिक प्यारा और अच्छा लगता है। ख्यूक्रिन की स्थिति उस कुत्ते से भी बदतर हो जाती है। यह सब देखकर भीड़ ख्यूक्रिन पर हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर :
ओचुमेलॉव एक अवसरवादी व्यक्ति है। वह अवसर देखकर, बात करने वाला है; उसे प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना भी आता है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल झिगालॉव का है, तो वह अपने आपको पूरी तरह बदल देता है। ख्यूक्रिन द्वारा शिकायत करने पर पहले तो वह कुत्ते के मालिक को दंड देने तक की बात कह देता है, लेकिन यह पता चलते ही कि कुत्ता जनरल साहब का है, वह अपनी ही बात को बदल देता है। वह उल्टा ख्यूक्रिन पर दोष लगाता है कि उसने जान-बूझकर कील से उँगली छीली है और अब वह कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है। ओचुमेलॉव चापलूस किस्म का व्यक्ति है। इसी कारण वह ख्यूक्रिन का कोई दोष न होते हुए भी उसी पर दोष लगाता है। वह जनरल झिगालॉव के कुत्ते को अच्छा बताकर उनकी चापलूसी करता है।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
ओचुमेलॉव भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है। वह एक रिश्वतखोर व्यक्ति है। यही कारण है कि जब वह – अपने सिपाही के साथ बाज़ार से निकलता है, तो चारों ओर खामोशी छा जाती है। वह लोगों से जबरदस्ती लूट-खसोट करने वाला व्यक्ति है। ओचुमेलॉव एक अवसरवादी और चापलूस व्यक्ति भी है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो वह कुत्ते को सुंदर, अच्छा और प्यारा-सा डॉगी कहता है। वह अवसर के अनुसार बदल जाने वाला व्यक्ति है। इससे पूर्व कुत्ते को किसी भिजवाते हुए यह कहकर कि यह उसने भिजवाया है, जनरल साहब की चापलूसी भी करता है।

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प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आता और क्यों?
उत्तर :
ओचुमेलॉव परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदलने वाला व्यक्ति है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो वह एकदम बदल जाता है। जिस कुत्ते को थोड़ी देर पहले वह आवारा किस्म का कहकर मार डालने की बात कहता है, उसी कुत्ते को वह पुचकारने लगता है। वह उसे अत्यंत सुंदर ‘डॉगी’ और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहता है। यहाँ तक कि वह उस कुत्ते को ‘भाई’ भी कह देता है। ओचमेलॉव उसे नन्हा-सा शैतान कहकर जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। उसके बाद वह उस व्यक्ति को धमकाता है, जो कुत्ते के मालिक से हर्जाना चाहता था। वह उसे मारने-पीटने की धमकी देकर वहाँ से भगा देता।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…. ‘ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?
उत्तर :
ख्यक्रिन के इस कथन से समाज में फैली भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति का पता चलता है। ख्यूक्रिन यह कहना चाहता है कि उसका भाई भी पुलिस की नौकरी करता है और वह जानता है कि पुलिस क्या-क्या करती है। साथ ही वह अपने भाई के विषय में बताकर ओचुमेलॉव और वहाँ उपस्थित लोगों पर रौब भी डालना चाहता है। पुलिस वाले का भाई बताकर वह अपने आपको सुरक्षित करना चाहता है। ख्यक्रिन के इस कथन से यह भी स्पष्ट होता है कि पुलिस गलत को सही और सही को गलत बताकर कुछ भी कर सकती है। भ्रष्ट पुलिस न्याय को नहीं देखती और अपनी मनमानी करती है। ख्यूक्रिन के इस कथन से स्पष्ट होता है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“गिरगिट’ एक ऐसा जीव होता है, जो आस-पास के वातावरण के अनुसार अपना रंग बदल लेता है। प्रस्तुत कहानी का मुख्य पात्र ओचुमेलॉव भी ऐसा ही व्यक्ति है। वह अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदलता है। वास्तव में वह अवसरवादी है और गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला है। इसी आधार पर इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ रखा गया होगा। इस कहानी का एक अन्य शीर्षक ‘आदमी और कुत्ता’ भी हो सकता है। यह कहानी ख्यूक्रिन नामक एक आदमी और उसे काटने वाले कुत्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। अंत में उस कुत्ते को आदमी से अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि वह एक बड़े आदमी का कुत्ता है।

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प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज की कानून-व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। लेखक ने बताया है कि शासन-व्यवस्था पूर्ण रूप से चापलूसों और भाई-भतीजावाद के समर्थक अधिकारियों के भरोसे चल रही है। इन विसंगतियों के कारण सामान्य मनुष्य को न्याय नहीं मिलता। वर्तमान समाज में भी ऐसी विसंगतियों को देखा जा सकता है। हम देखते हैं कि चापलूस और रिश्वतखोर लोग सों व भ्रष्ट ला इसी रास्ते को अपनाते जा रहे हैं। कुल मिलाकर वर्तमान समाज में भी कई विसंगतियों को देखा जा सकता है। यद्यपि इन विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु अभी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न :
1. उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
2. कानून सम्मत तो यही है… कि सब लोग अब बराबर हैं।
3. हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर :
इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि बुरी तरह मारे-पीटे जाने के कारण वह कुत्ता घबरा गया था। उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थी। उसे आभास हो चुका था कि उस पर गहरा संकट आने वाला है। अत्यधिक पीटे जाने के कारण उसकी आँखों में आँसू थे। उसे लोगों के शोर और पीटने से अनुमान लग गया था कि उसका जीवन संकट में पड़ने वाला है। वह बहुत अधिक डरा हुआ था और ये भाव उसकी आँखों में साफ़ दिखाई दे रहे थे।

2. प्रस्तुत कथन ख्यूक्रिन का है। इस कथन से ख्यूक्रिन कहना चाहता है कि वर्तमान कानून-व्यवस्था में सभी बराबर हैं। कोई छोटा बड़ा नहीं है; कानून सभी के लिए बराबर है। यदि कोई बड़ा व्यक्ति अपराध करता है, तो उसे भी अवश्य दंड मिलना चाहिए। कानून की दृष्टि में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, बल्कि सभी बराबर होते हैं।

3. यह कथन सिपाही येल्दीरीन का है। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को भड़काना चाहता है। जब एक कुत्ते द्वारा काटे जाने पर ख्यूक्रिन चिल्लाता है, तो वहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है। येल्दीरीन दूर से ही भीड़ देखकर इंस्पेक्टर को बड़ा-चढ़ाकर कहता है कि यह देखकर ऐसा लगता है, मानो जन-विद्रोह होने वाला हो। शायद लोगों ने शांति छोड़कर विद्रोह का मार्ग अपना लिया है।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए –
(क) माँ ने पूछा बच्चो कहाँ जा रहे हो
(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था
(ग) हाय राम यह क्या हो गया
(घ) रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
(ङ) सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ
उत्तर :
(क) माँ ने पूछा, “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”
(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
(ग) हाय राम! यह क्या हो गया?
(घ) रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
(ङ) सिपाही ने कहा, “ठहर, तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए
मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
यह तो अति सुंदर ‘डॉगी’ है।
कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।
वाक्य के रेखांकित अंश निपात’ कहलाते हैं, जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल जाप बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि।
ही, भी, तो, तक निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर :
1. कल मैंने भी सुरेश को देखा था।
2. यह तो बहुत सुंदर गुलदस्ता है।
3. मुझे कल तक इस प्रश्न का उत्तर मिल जाना चाहिए।
4. मैंने आज ही नई साइकिल खरीदी है।
5. मुझे कल ही आगरा जाना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छूटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
1. त्योरियाँ चढ़ाना – जैसे ही अफसर ने त्योरियाँ चढ़ाकर सिपाही की ओर देखा, वह चुपके से बाहर चला गया।
2. मजा चखाना – मैं सुरेश को दूसरों को धोखा देने का मज़ा चखाकर ही रहूँगा।
3. मत्थे मढ़ना – तुम अपना दोष किसी दूसरे के मत्थे नहीं मढ़ सकते।
4. तबाह होना – युद्ध में कई जिंदगियाँ तबाह हो जाती हैं।
5. गाँठ बाँधना – तुम्हें यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि मेहनत के बिना सफलता नहीं मिल सकती।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए –
(क) ………. + भाव + ……….
(ख) ………. + पसंद + ……….
(ग) ………. + धारण + ……….
(घ) ………. + उपस्थित + ……….
(ङ) ………. + लायक + ……….
(च) ………. + विश्वास + ……….
(छ) ………. + परवाह + ……….
(ज) ………. + कारण + ……….
उत्तर :
(क) सम् + भाव = संभाव
(ख) ना + पसंद = नापसंद
(ग) निर् + धारण = निर्धारण
(घ) अनु + उपस्थित = अनुपस्थित
(ङ) ना + लायक = नालायक
(च) अ + विश्वास = अविश्वास
(छ) ला + परवाह = लापरवाह
(ज) अ + कारण = अकारण

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प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए –
मदद + …………. = …………
बुद्धि + …………. = …………
गंभीर + …………. = …………
सभ्य + …………. = …………
ठंड + …………. = …………
प्रदर्शन + …………. = …………
उत्तर :
मदद + गार = मददगार
बुद्धि + मान = बुद्धिमान
गंभीर + ता = गंभीरता
सभ्य + ता = सभ्यता
ठंड + ई = ठंडी
प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए –
(क) दुकानों में ऊँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
(ख) लाल बालोंबाला एक सिपाही चला आ रहा था।
(ग) यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है।
(घ) एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।
उत्तर :
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) क्रिया-विशेषण

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प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिससे आने-जाने वाले लोगों को असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
2106, मंदिर मार्ग
नई दिल्ली
15 जून, ……
सेवा में,
सुरक्षा अधिकारी
नगर निगम, विभाग,
नई दिल्ली।
विषयः लावारिस कुत्तों से सुरक्षा हेतु पत्र
महोदय,
पिछले कई दिनों से हमारे मोहल्ले में लावारिस और आवारा कुत्तों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। ये कुत्ते मोहल्ले के लोगों पर बिना कारण भौंकते हैं और उन्हें काटने को दौड़ते हैं। इन कुत्तों के कारण छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो ये कुत्ते आने-जाने वाले लोगों की खाने-पीने की चीज़ों पर भी झपट पड़ते हैं। इससे सारे मोहल्ले के लोगों में आतंक-सा छा गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इन लावारिस और आवारा कुत्तों को पकड़वाने का कष्ट करें, ताकि लोग चैन की साँस ले सकें। सारे मोहल्लेवासी आपके अति आभारी रहेंगे।
भवदीय
रोशन लाल

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
जिस प्रकार गिरगिट शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार रंग बदल लेता है, उसी प्रकार कई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार, दृष्टिकोण, विचार को बदल लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों को ‘गिरगिट’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना आप कहाँ तक उचित समझते हैं ? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

प्रश्न 3.
यहाँ आपने रूसी लेखक चेखव की कहानी पढ़ी है। अवसर मिले तो लियो ताल्स्ताय की कहानियाँ भी पढ़िए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

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परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े किस नियम की चर्चा हुई है? क्या आप इस नियम को उचित मानते हैं ? तर्क सहित दीजिए।

प्रशन 2.
गिरगिट कहानी का कक्षा में अथवा विद्यालय में मंचन कीजिए। मंचन के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी और सामग्री की ज़रूरत होगी? उनकी एक सूची भी बनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi गिरगिट Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ने चौराहे पर क्या देखा?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही येल्दीरीन के साथ चौराहे से निकला, तो अचानक उसे एक व्यक्ति के चिल्लाने और एक कुत्ते के किकियाने की आवाज़ सुनाई दी। वहाँ उसने देखा कि काठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता हुआ चला आ रहा था। एक व्यक्ति उस कुत्ते के पीछे-पीछे दौड़ रहा था। जैसे-तैसे वह कुत्ते की पिछली टाँग को पकड़ने में सफल हो गया। कुत्ता ज़ोर-ज़ोर से किकिया रहा था और वह व्यक्ति चीखकर ‘मत जाने दो’ कह रहा था। वहाँ आस-पास भीड़ भी इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
जब इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब यह पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो वह पूरी तरह से बदल जाता है। इससे पहले वह कुत्ते को आवारा, भद्दा तथा मरियल कहता है। बाद में वह उसे महँगा और नाजुक प्राणी कहता है। वह उल्टे ख्यक्रिन पर दोष लगाता है कि वह झूठा हर्जाना पाना चाहता है। वह ख्यूक्रिन से कहता है कि उसने अपनी उँगली को कील आदि से छील लिया होगा और अब वह उस कुत्ते पर आरोप लगा रहा है।

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प्रश्न 3.
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव जनरल साहब के बावर्ची की आधी बात सुनकर क्या कहता है और पूरी बात सुनने के बाद उसमें क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव जनरल साहब के बावर्ची प्रोखोर से कुत्ते के विषय में पूछता है। प्रोखोर कहता है कि यह कुत्ता उनके जनरल साहब का नहीं है। इस अधूरी बात को सुनकर ओचुमेलॉव कुत्ते को आवारा कहकर उसे मार डालने की बात कहता है। बाद में जब प्रोखोर यह बताता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो उसके हावभाव बदल जाते हैं। वह उसी कुत्ते को तथा ‘सुंदर डॉगी’ तथा ‘खूबसूरत पिल्ला’ कहता है। वह कुत्ते को नन्हा-सा शैतान कहकर उसे प्रोखोर को सौंप देता है।

प्रश्न 4.
‘गिरगिट’ पाठ के आधार पर लिखिए कि इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्व्यूक्रिन पर क्यों झुंझला रहा था?
उत्तर :
ख्यूक्रिन को एक कुत्ते ने काट लिया था। लेकिन इंस्पेक्टर ओचुमेलौव यह समझ नहीं पा रहा था कि कुत्ते का वास्तविक मालिक कौन है? इस बीच ख्यूक्रिन के बार-बार कराहने, अपने पक्ष को मज़बूत बताते हुए कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाने की माँग करने तथा अपनी पहचान ऊपर तक बताने के कारण ओचुमेलॉव उस पर झुंझला उठा।

प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी समाज में व्याप्त चाटुकारिता पर करारा व्यंग्य है – इसे पाठ के आधार पर सोदाहरण सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
‘गिरगिट’ प्रसिद्ध व्यंग्यकार अंतोन चेखव द्वारा लिखित कहानी है। इसमें उन्होंने सामाजिक स्तर पर व्याप्त चापलूसी का उल्लेख करते हुए उस पर करारा व्यंग्य किया है। कहानी का मुख्य पात्र इंस्पेक्टर आचुमेलॉव एक भ्रष्ट और चाटुकारिता से युक्त व्यक्तित्व का मालिक है। वह परिस्थितियों के अनुसार बदलने वाला तथा उनका लाठा उठाने वाला व्यक्ति है। जब तक उसे यह ज्ञात नहीं होता कि कुत्ता जनरल के भाई का है, तब तक वह उसे मारने तक का निश्चय करता है।

लेकिन जैसे ही उसे वास्तविकता पता चलती है, उसका व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है। उसके व्यवहार और शब्दों से चाटुकारिता टपकने लगती है। इसके बाद वह कुत्ते की तारीफ करते हुए उसे ‘एक अति सुंदर डॉगी’ कहता है। साथ ही वह कहता है कि ‘जनरल साहब से कहना कि यह मुझे मिला है और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है।’ इस प्रकार स्पष्ट होता है कि लेखक ने ओचुमेलॉव के माध्यम से चाटुकारिता पर करारा व्यंग्य किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
पुलिस इंस्पेक्टर कौन था? उसने सिपाही को क्या आदेश दिया?
उत्तर :
पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव था। उसने सिपाही को कुत्ते के मालिक का पता लगाने तथा उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा। उसने कहा कि कुत्ते को बिना देरी किए खत्म कर दिया जाए। शायद यह कुत्ता पागल हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

प्रश्न 2.
पुलिस इंस्पेक्टर के अचानक होश क्यों उड़ गए?
उत्तर :
जब पुलिस इंस्पेक्टर ने सिपाही को लापता कुत्ते के मालिक का पता लगाने तथा उसकी पूरी रिपोर्ट करने का आदेश दिया, तो किसी ने भीड़ में से किसी ने बताया कि शायद यह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। यह सुनकर पुलिस इंस्पेक्टर के होश उड़ गए।

प्रश्न 3.
ख्यूक्रिन कानून के बारे में क्या दलील दी?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने दलील दी कि कानून की दृष्टि में सब लोग बराबर हैं। कानून के अनुसार कोई छोटा-बड़ा नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए कुत्ते के मालिक के विषय में क्या कहा?
उत्तर :
ओचुमेलॉव ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए कुत्ते के मालिक के विषय में कहा कि वह इस तरह आवाज़ छोड़ने वाले कुत्ते के मालिक को मजा चखाएगा। वह उसे इतना जुर्माना लगाएगा कि उसे इल्म हो जाए कि कुत्ते को आवारा छोड़ने का क्या नतीजा होता है।

प्रश्न 5.
इंस्पेक्टर साहब की दृष्टि में जनरल साहब कैसे कुत्ते पालते थे?
उत्तर :
इंस्पेक्टर साहब की दृष्टि में जनरल साहब महँगे और अच्छी नस्ल के कुत्ते पालते थे। उनके कुत्ते हट्टे-कट्टे और सेहतमंद थे। जनरल साहब जैसा सभ्य आदमी ऐसे मरियल कुत्ते नहीं पाल सकता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी में लेखक ने मुख्य रूप से क्या स्पष्ट करना चाहा है?
उत्तर :
‘गिरगिट’ कहानी में लेखक ने रूस की तत्कालीन कानून एवं न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है। उन्होंने कहानी के द्वारा यह बताया है कि किस प्रकार नाम और हैसियत कानून व न्याय पर भारी पड़ जाती है। कानून अमीरों की इच्छा पर चलता है।

प्रश्न 7.
ख्यूक्रिन कौन था? वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर :
ख्यूक्रिन एक सुनार था। उसकी उँगली पर एक कुत्ते ने काट लिया था। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से कहता है कि उसका काम काफ़ी पेचीदा ढंग का है। कुत्ते द्वारा काटे जाने के बाद वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाएगा। अत: वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से उस कुत्ते के मालिक से हर्जाना दिलाने की प्रार्थना करता है।

गिरगिट Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – प्रसिद्ध रूसी लेखक अंतोन चेखव का जन्म सन 1860 में दक्षिणी रूस के तगनोर नगर में हुआ था। उन्होंने बाल्यकाल से ही कहानियाँ लिखना शुरू कर दिया था। जब वे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब भी उनकी लिखी कहानियाँ प्रभावशाली थीं। सन 1890 से 1900 तक का समय रूस के लिए एक कठिन समय था। उस समय स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्तियों को दबाया जा रहा था। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी अंतोन चेखव ने साहस का परिचय देते हुए तत्कालीन अवसरवादी लोगों पर करारे व्यंग्य किए थे। सन 1904 में इस महान लेखक का देहांत हो गया।

रचनाएँ – अंतोन चेखव केवल रूस के ही नहीं अपितु पूरे विश्व के प्रिय लेखक माने जाते हैं। इनकी रचनाओं में सत्य के प्रति आस्था और निष्ठा दिखाई देती है, जो इनके साहित्य की विशेषता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में सत्य को सर्वोपरि माना है। गिरगिट, क्लर्क की मौत, वाल्का, तितली, एक कलाकार की कहानी, घोंघा, इओनिज, रोमांस, दुलहन आदि इनकी प्रमुख कहानियाँ हैं। इसके अतिरिक्त वाल्या मामा, तीन बहनें, सीगल और चेरी का बगीचा इनके प्रसिद्ध नाटक हैं।

भाषा-शैली – अंतोन चेखव मूल रूप से रूसी लेखक थे। प्रस्तुत कहानी भी उनके द्वारा रूसी में ही लिखी गई, थी जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया है। उनकी भाषा में रोचकता, मौलिकता और सरसता का गुण दिखाई देता है। समाज की बुराइयों का विरोध करने के कारण उनकी भाषा में व्यंग्यात्मकता साफ़ झलकती है। उनकी भाषा में प्रखरता और सभी भावों को व्यक्त करने की न्होंने इतने सहज रूप से प्रस्तुत किया है कि वह सीधे पाठक के हृदय तक पहँचती है। उनकी शैली वर्णन प्रधान और संवादात्मक है। वे छोटे-छोटे संवादों के माध्यम से अपनी कहानी को गति देने के पक्षधर थे। उनकी शैली में नाटकीयता का गुण भी दिखाई देता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

पाठ का सार :

‘गिरगिट’ अंतोन चेखव द्वारा लिखित एक श्रेष्ठ कहानी है। यह सन 1884 में लिखी गई थी। इसमें रूस के तत्कालीन कानून एवं न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया गया है। पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही येल्दीरीन के साथ बाज़ार के चौराहे से गुज़रता है। वह एक रिश्वतखोर, भ्रष्ट और चापलूस व्यक्ति है। अचानक उसे एक कुत्ते के किकियाने और एक व्यक्ति के ‘पकड़ो, पकड़ो’ चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है।

ओचुमेलॉव और येल्दीरीन उसी ओर बढ़ते हैं। वहाँ उन्हें पता चलता है कि किसी कुत्ते ने ख्यूक्रिन नामक एक सुनार की उँगुली पर काट लिया है। उसने भी कर वहीं गिरा दिया था। ओचमेलॉव के पूछे जाने पर ख्यक्रिन बताता है कि उसे इस कुत्ते ने काट लिया है। वह ओचमेलॉव । से कहता है कि वह उसे कुत्ते के मालिक से हरजाना दिलवाए। ओचुमेलॉव उसे दिलासा देता है कि वह कुत्ते और उसके मालिक को इसकी सजा अवश्य देगा।

ओचुमेलॉव येल्दीरीन को कुत्ते के मालिक का पता लगाने को कहता है। तभी वहाँ खड़ी भीड़ में से कोई बताता है कि यह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। यह सुनते ही इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव एकदम बदल जाता है। वह उलटा ख्यूक्रिन को ही दोष देने लगता है। वह कहता है कि उसकी उँगली कील आदि से छिल गई होगी और वह कुत्ते के मालिक से झूठा हरजाना वसूलना चाहता है। सिपाही येल्दीरीन भी कहता है कि ख्यूक्रिन ने अवश्य अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी। इसी कारण इसने इसे काटा है। ख्यक्रिन बार-बार कहता है कि वह सच बोल रहा है, किंतु इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव और सिपाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

अभी यह बहस चल ही रही होती है कि सिपाही येल्दीरीन कुत्ते को भली प्रकार देखकर कहता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का नहीं है। यह सुनकर ओचुमेलॉव फिर बदल जाता है। तब वह उस कुत्ते को भद्दा और मरियल बताता है। वह ऐसे बेकार और आवारा कुत्तों को मरवाने की बात भी कह देता है। थोड़ी ही देर में सिपाही पुन: कहता है कि शायद यह कुत्ता जनरल साहब का ही है। भीड़ से भी यह आवाज़ आती है कि कुत्ता जनरल साहब का है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव फिर बदल जाता है। वह फिर से ख्यूक्रिन को ही दोष देना शुरू कर देता है। वह कहता है कि यदि कुत्ते ने उसे काटा भी है, तो इसमें सारी गलती उसकी अपनी है।

इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को बुरी तरह फटकारता है। उसी समय वहाँ से जनरल साहब का बावर्ची गुज़रता है। वह बताता है कि यह कुत्ता तो जनरल साहब के भाई का है। उनके भाई को ही ‘बारजोयस’ नस्ल के कुत्ते बहुत पसंद हैं। ओचुमेलॉव वह सुनकर प्रसन्नता का ढोंग करता है। वह उस कुत्ते को जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। वह उस कुत्ते को अति सुंदर डॉगी और खूबसूरत पिल्ला कहता है। बावर्ची कुत्ते को लेकर चला जाता है। वहाँ खड़ी भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँसने लगती है। तब इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को धमकाकर वहाँ से अपने रास्ते पर चला जाता है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

जब्त – कब्जा करना, हथिया लेना, खामोशी – शांति, झरबेरियों – बेर की एक किस्म, किकियाना – कष्ट में होने पर कुत्ते द्वारा की जाने वाली आवाज़, काठगोदाम – लकड़ी का गोदाम, कलफ – माँड़ लगाया गया कपड़ा, विहीन – रहित, सुनार – सोने का काम करने वाला, बारजोयस – कुत्ते की एक प्रजाति, आतंक – भय, अकारण – बिना किसी कारण के, कामकाजी – काम करने वाला, पेचीदा – जटिल, कठिन, लायक – योग्य, गुजारिश – प्रार्थना, हरजाना – क्षतिपूर्ति, नुकसान के बदले में दी जाने वाली रकम,

बर्दाश्त – सहना, खखारते – खाँसते हुए, त्योरियाँ – भौंहें चढ़ाना, इल्य – ज्ञान, विवरण – ब्योरा देना, तत्काल – उसी समय, फायदा – लाभ, कानून सम्मत – कानून के अनुसार, भद्दा – अनाकर्षक, कुरूप, नस्ल – जाति, वंश, विनती – प्रार्थना, आह्लाद – खुशी, प्रसन्नता, अद्भुत – विचित्र, खूबसूरत – सुंदर, हालत – स्थिति।

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana सूचना-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana सूचना-लेखन

किसी संस्थान में सब के सूचनार्थ जारी किए गए वे आदेश जो संस्थान की दैनिक कार्यवाही के लिए आवश्यक होते हैं, नोटिस अथवा सूचना
कहलाते हैं। सूचना कम शब्दों में औपचारिक रूप से लिखी गई संक्षिप्त जानकारी होती है। सूचना लेखन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं –

  • सबसे पहले संस्था का नाम या शीर्षक लिखिना चाहिए।
  • फिर सूचना जारी करने की दिनांक लिखिनी चाहिए।
  • फिर सूचना लेखन का उद्देश्य लिखिना चाहिए।
  • सूचना की भाषा संक्षिप्त, स्पष्ट तथा सरल होनी चाहिए।

प्रश्न 1.
महर्षि दयानंद विद्यालय दिनांक 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक ग्रीष्मावकाश के लिए बंद रहेगा। इस आशय की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
महर्षि दयानंद विद्यालय, जयपुर

दिनांक 10 मई, 20…..
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि ग्रीष्मावकाश के कारण विद्यालय 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक बंद रहेगा। विद्यालय 2 जुलाई को प्रातः 8 बजे खुलेगा।
सर्वजीत कौर
प्राचार्य

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प्रश्न 2.
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को अपनी छात्रवृत्ति महाविद्यालय के लेखापाल से प्राप्त करने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट

दिनांक 10 अगस्त, 20….
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियाँ पंजाब सरकार से प्राप्त हो गई हैं। वे विद्यालय के लेखापाल से खिड़की संख्या दो पर अपनी छात्रवृत्ति किसी भी कार्य दिवस में प्रातः 9 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक प्राप्त कर सकते हैं।
गोविंद सिंह बेदी
प्राचार्य

प्रश्न 3.
श्री हरबंस लाल भंडारी का पंद्रह वर्षीय लड़का घर से भाग गया है। उसकी तलाश के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुमशुदगी की सूचना

दिनांक 25 सितंबर, 20 ….

सबको सूचित जाता है कि मेरा पुत्र जिसका नाम संदीप कुमार है दिनांक 22 सितंबर से घर से लड़कर भाग गया है। उसकी उम्र पंद्रह वर्ष, कद 5′-2″, शरीर गठीला, चेहरा गोल तथा बाएँ गाल पर चोट का निशान है। उसने काली – सफ़ेद धारियों वाली कमीज़ तथा पैंट पहनी हुई है। उसका पता देने वाले अथवा घर तक पहुँचाने वाले को समुचित पुरस्कार दिया जाएगा। यदि संदीप स्वयं इस सूचना को पढ़ता है तो वह स्वयं घर चला आए। उसकी माँ बहुत बीमार है। उसे अब कोई कुछ नहीं कहेगा।
हरबंस लाल भंडारी
512, सदर बाज़ार,
फिरोज़पुर छावनी

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प्रश्न 4.
भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भूकंप पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता

दिनांक 28 जनवरी, 20….
आम जनता को सूचित किया जाता है कि जो दानी महानुभाव / स्वयंसेवी संगठन और निजी तौर पर गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कार्यों हेतु वित्तीय सहायता देने के इच्छुक हैं, वे ‘पंजाब चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड गुजरात’ के नाम चैक / ड्रॉफ्ट तैयार करवा के पंजाब सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के कार्यालय में डाक द्वारा या स्वयं दे सकते हैं।
जारीकर्ता
सूचना एवं लोक संपर्क, पंजाब

प्रश्न 5.
अपने विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुरु नानक देव कन्या विद्यालय, खन्ना

दिनांक 13 मार्च, 20….

विद्यालय का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह विद्यालय परिसर में शनिवार दिनांक 17 मार्च, 20…. को प्रातः 11.00 बजे मनाया जाएगा। मुख्य अतिथि शिक्षा आयुक्त श्रीमती सिमरण कौर होंगी। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के बाद जलपान की व्यवस्था है।
तृप्ता सचदेव
प्रधानाचार्या

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प्रश्न 6.
अपने विद्यालय में कवि सम्मेलन के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
माता प्रकाश कौर कन्या उच्च विद्यालय, फिरोज़पुर

दिनांक 15 नवंबर, 20….

सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि मंगलवार दिनांक 19 नवंबर, 20…. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय परिसर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इच्छुक विद्यार्थी प्रधानाचार्या कार्यालय में संपर्क करें।
सिमरन कौर
प्रधानाचार्या

प्रश्न 7.
अपने विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 14 जुलाई, 20 ….
समस्त विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 20 जुलाई, 20…. को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ० गोविंद खुराना करेंगे तथा विद्यालय प्रांगण में वृक्ष लगाए जाएँगे। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
के०सी० भाटी
प्रधानाचार्य

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प्रश्न 8.
अपने विद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
दयाल सिंह पब्लिक स्कूल, गांधीनगर

दिनांक 12 फरवरी, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि सोमवार, दिनांक 21 फरवरी, 20….. प्रात: 10.00 बजे विद्यालय परिसर में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
एस०के० मकवाना
प्रधानाचार्य
सूचना-लेखन

प्रश्न 9.
अपने विद्यालय में बाल दिवस मनाए जाने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय उच्च विद्यालय, कानपुर

दिनांक 10 नवंबर, 20 ….

सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 14 नवंबर, 20…. को प्रात: 10.00 बजे बाल दिसव मनाया जाएगा, जिसमें अनेक विद्वान अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस समारोह में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के पश्चात जलपान का प्रबंध है।
आशीष वाजपेयी
प्राचार्य

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प्रश्न 10.
अपने विद्यालय में अध्यापक दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
आर्य कन्या विद्यालय, वाराणसी

दिनांक 01 सितंबर, 20 ….
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 05 सितंबर, 20…. को प्रातः 9.00 बजे विद्यालय प्रांगण में अध्यापक दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अध्यापक श्री विकास शुक्ला करेंगे।
इस कार्यक्रम में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
देवेन्द्र मिश्रा
प्राचार्य

प्रश्न 11.
अपने विद्यालय में हिंदी दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
छबीलदास विद्यालय, गाजियाबाद

दिनांक 8 सितंबर, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 14 सितंबर 20…. को प्रातः 10.00 बजे विद्यालय परिसर में हिंदी दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर हिंदी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होगा। विद्यार्थी अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
अशोक कुमार
हिंदी विभाग अध्यक्ष

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प्रश्न 12.
नवनिर्मित क्लीनिक के उद्घाटन के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
ननकाना क्लीनिक का उद्घाटन

दिनांक 10 दिसंबर, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता है कि भगवान की असीम कृपा से अपने सुपुत्र डॉ० ओंकार ननकाना के नव-निर्मित औषधालय ‘ननकाना क्लीनिक’ के डॉ० जी०एस० सोढी द्वारा मुहूर्त के शुभ अवसर पर आशीर्वाद देने हेतु श्री किशन चंद्र ननकाना आपको दिनांक 21 दिसंबर 20…. को कार्यक्रमानुसार सादर आमंत्रित करते हैं।

र्कायिक्रम
हवन – 10.00 बजे प्रातः
जलपान 11.30 बजे प्रातः
स्थान: निकट पुलिस चौकी, राम नगर, फाजिल्का

दर्शनाभिलाषी
कैलाश चंद्र ननकाना

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प्रश्न 13.
खेल – कूद की पुरानी सामग्री की बेचने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
डी०ए०वी० विद्यालय, दिल्ली

दिनांक 21 अगस्त, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता कि खेल – कूद की बहुत सारी सामग्रियों को बेहद किफायती दामों पर बेचा जाने वाला है। सभी खेल उपकरण एवं सामग्री एकदम सही हालत में है। जो कोई भी इन्हें खरीदना चाहता है, वह इस महीने की दस तारीख को विद्यालय के हॉल में दोपहर एक बजे तक आ जाए। सामग्री की कीमत उसी समय देनी होगी।
अशोक मेहता
खेल, कप्तान

प्रश्न 14.
विद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित किया जाने वाला है, इस हेतु एक सूचना जारी कीजिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, पटना

दिनांक 12 नवंबर, 20….
हमारे विद्यालय में दिनांक 20 नवंबर, 20…. को एक रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है। शहर के उपायुक्त शिविर का उद्घाटन तथा अध्यक्षता करेंगे। रक्तदान करना मानवता के लिए सबसे बड़ा दान है। जो भी रक्तदान के लिए इच्छुक हों वे निश्चित तिथि पर विद्यालय के हॉल में आ जाएँ।
विवेक झा
प्रधानाचार्य

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प्रश्न 15.
विद्यालय में साहित्यिक क्लब के सचिव के रूप में ‘प्राचीर’ पत्रिका के लिए लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करने हेतु सूचना-पट के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, चेन्नई

दिनांक : 25 जुलाई, 20….
विद्यालय की पत्रिका ‘प्राचीर’ में प्रकाशनार्थ हेतु लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों से आमंत्रित किए जाते हैं। इच्छुक विद्यार्थी अपनी रचनाएँ दिनांक 12 अगस्त तक साहित्यिक क्लब के सचिव को दे दें।
वी० – रमा
सचिव, साहित्यिक क्लब
आर०के० मेनन प्राचार्य

प्रश्न 16.
विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रातः काल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना पट्ट के लिए यह सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
विवेकानंद विद्या मंदिर, नागपुर

दिनांक 15 जून, 20…..
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रात: काल 6 बजे से 7 बजे तक योग की अभ्यास कक्षाएँ लगेंगी। इसमें भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी अपने नाम दिनांक 20 जून, 20… तक अपनी-अपनी कक्षा के अध्यापकों को दे दें।
देवेंद्र नाथ पुरोहित
प्राचार्य

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प्रश्न 17.
विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 15 सितंबर 20…….
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 19 सितंबर, 20….. को प्रात: 10.00 बजे विद्यालय के सभागार में साहित्यिक क्लब की ओर से ‘बाल मज़दूरी’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विद्यार्थी दिनांक 18-9-20 तक अपने नाम साहित्यिक कल्ब के सचिव को दे दें।
सुधा राजे
सचिव, साहित्यिक क्लब

प्रश्न 18.
विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह के आयोजन के लिए आपको संयोजक बनाया गया है। पूरे विद्यालय की सहभागिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, नई दिल्ली

दिनांक : 15 जुलाई, 20…….

विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं अध्यापक गण को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में दिनांक 21 जुलाई, 20को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सबकी सहभागिता अपेक्षित है। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ० एस० के० भट्ट करेंगे।
संजीव चौधरी
संयोजक, पर्यावरण क्लब

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 19.
विद्यालय परिसर के बाहर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक खाद्य वस्तुएँ बेची जाती हैं और विद्यार्थी उस ओर आकृष्ट होकर उन वस्तुओं को खरीदते हैं। विद्यालय के छात्र प्रमुख के रूप में इन चीजों से दूर रहने की सलाह देते हुए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, राजेंद्र नगर

दिनांक 12 जुलाई, 20……
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर के बाहर ठेले वाले जो खाद्य-पदार्थ बेचते हैं, वे स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते हैं। इसलिए कोई भी विद्यार्थी उन वस्तुओं को नहीं खरीदें तथा कुछ खाना ही हो तो विद्यालय की कैन्टीन से खरीदें।
प्रियांश शुक्ला
छात्र प्रमुख

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

JAC Class 10 Hindi तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

लघु उत्तरीय प्रश्न – 

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिला था। इसे बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी यह फ़िल्म पुरस्कृत हुई थी।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर :
शैलेंद्र ने केवल एक ही फ़िल्म बनाई थी। इस फ़िल्म का नाम ‘तीसरी कसम’ है।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर :
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख फ़िल्में बॉबी, मेरा नाम जोकर, जागते रहो, सत्यम् शिवम् सुंदरम् हैं।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक राजकपूर तथा नायिका वहीदा रहमान हैं। राजकपूर ने एक भोले-भाले गाड़ीवान ‘हीरामन’ का तथा वहीदा रहमान ने नौटंकी की बाई ‘हीराबाई’ की भूमिका निभाई है।

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प्रश्न 5.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण कवि और गीतकार शैलेंद्र ने किया था।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर :
राजकपूर को ‘मेरा नाम जोकर’ फ़िल्म के एक भाग को बनाने में छह वर्ष लग गए थे। उन्होंने यह कल्पना नहीं की थी कि इस फ़िल्म के बनने में इतना अधिक समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया ?
उत्तर :
राजकपूर ने शैलेंद्र की फ़िल्म में काम करने के लिए मज़ाक में एडवांस माँग लिया। शैलेंद्र ने सोचा कि वे मित्र होकर भी उनसे पारिश्रमिक माँग रहे हैं। यह सोचकर उनका चेहरा मुरझा गया।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर :
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे।

लिखित (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए –

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
सैल्यूलाइड से तात्पर्य किसी चीज्त को कैमरे की रील में भरकर चित्र पर प्रस्तुत करना होता है। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में कवि हृदयी शैलेंद्र की संवेदनशीलता और उनकी भावनाएँ पूरी सफलता से प्रस्तुत की गई थीं। हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक रचना को आधार बनाकर बनाई गई इस फ़िल्म में कविता के समान ही भावनाओं की प्रधानता है। इसी कारण ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया है।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर :
फ़िल्मी बाज़ार में बिकाऊ कोई भी चीज़ ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नहीं थी। इस फ़िल्म से लाभ नहीं कमाया जा सकता था। हर क्षेत्र में बेहतरीन फ़िल्म होने के बावजूद भी खरीददारों को इससे अधिक कमाई की आशा नहीं थी। यह एक भावात्मक आदर्शवादी फ़िल्म थी, जबकि फ़िल्मों से पैसा कमाने वालों के लिए भावनाओं और संवेदनाओं का कोई महत्व नहीं होता। इसी कारण इस फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल रहे थे।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है ?
उत्तर :
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर थोपना नहीं चाहिए।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफ़ाई क्यों कर दिया जाता है ?
अथवा
हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ‘ग्लोरीफाई’ क्यों कर दिया जाता है? ‘तीसरी कसम’ के शिल्पकार शैलेन्द्र के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
दर्शकों को अधिक भावुक बनाने के लिए ही फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों के चित्रांकन को ग्लोरीफ़ाई किया जाता है। त्रासद स्थितियों में दुख के वीभत्स रूप को प्रस्तुत किया जाता है, ताकि दर्शक उसमें डूब जाए। ऐसा करके दर्शकों का सरलता से भावनात्मक शोषण किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’-इस कथन से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में शैलेंद्र ने राजकपूर दवारा निभाए गए किरदार हीरामन की भावनाओं के अनुसार ही गीतों में शब्द दिए हैं। राजकपूर द्वारा गीत गाते-गाते हीराबाई से ‘मन’ के विषय में पूछना उनकी कोमल भावनाओं को ही दर्शाता है। एक नौटंकी की बाई में अपनापन खोजने वाले सरल हृदय हीरामन की जैसी भावनाएँ हो सकती थीं, उसी के अनुरूप गीतों में शब्द दिए गए हैं। इसी प्रकारं ‘सजनवा बैरी हो गए हमार’ गीत में भावप्रवणता अपनी चरम-सीमा पर है।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
शोमैन से अभिप्राय ऐसे फ़िल्म निर्माता से है, जो बहुत अधिक लोकप्रिय हो; जिसके नाम से ही फ़िल्में बिकती हों। इसके साथ-साथ फ़िल्मों के खरीददार जिसकी फ़िल्में हाथों-हाथ खरीद लेते हों। फ़िल्म इंडस्ट्री में जिसकी कई फ़िल्में लगातार हिट हो जाती हैं, उसे शोमैन की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपति क्यों की?
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ में दिशाएँ दस कही गई हैं। संगीतकार जयकिशन का कहना था कि दर्शक दस दिशाओं की बात नहीं समझ सकता। गीत में दस की बजाय ‘चार दिशाएँ’ होनी चाहिए थी, इसलिए उन्हें गीत में आई ‘दस दिशाएँ’ शब्द पर आपत्ति थी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर :
राजकपूर और शैलेंद्र दोनों अच्छे मित्र थे। जब शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाने के बारे में सोचा, तो राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के खतरों के बारे में पहले ही बता दिया था फिर भी शैलेंद्र ने फ़िल्म बनाने का निर्णय नहीं बदला। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उनका उद्देश्य फ़िल्म का निर्माण करके उससे धन कमाना नहीं था। उन्हें अपार संपत्ति और धन की कोई कामना नहीं थी। वे आत्म-संतुष्टि के सुख के लिए फ़िल्म बना रहे थे। उनके लिए आत्म-संतुष्टि सबसे बड़ी चीज़ थी। अतः राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह किए जाने पर भी शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाई।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
राजकपूर एक महान कलाकार थे। फ़िल्म के पात्र के अनुरूप अपने आपको ढाल लेना वे भली-भाँति जानते थे। जब ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनी थी, उस समय राजकपूर एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में उन्हें एक सरल हृदय ग्रामीण गाड़ीवान के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने अपने आपको उस ग्रामीण गाड़ीवान हीरामन के साथ एकाकार कर लिया। एक शुद्ध देहाती का जैसा अभिनय राजकपूर ने किया, वह अद्वितीय है।

एक गाड़ीवान की सरलता, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजना, हीराबाई की बोली पर रीझना, उसकी भोली सूरत पर न्योछावर होना और हीराबाई की तनिक-सी उपेक्षा पर अपने अस्तित्व से जूझना जैसी हीरामन की भावनाओं को राजकपूर ने बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। फ़िल्म में राजकपूर कहीं भी अभिनय करते नहीं दिखते, अपितु ऐसा लगता है जैसे वह ही हीरामन हो। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का पूरा व्यक्तित्व ही जैसे हीरामन की आत्मा में उतर गया है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म से पहले भी साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फ़िल्में बनती रही थीं। उन फ़िल्मों में साहित्यिक रचना की मूल कथा में कुछ काल्पनिक तत्वों का समावेश करके उसे मनोरंजक बनाया जाता था। उन फ़िल्मों का उद्देश्य दर्शकों की रुचि के अनुरूप सामग्री डालकर धन कमाना होता था, किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में ऐसा नहीं था। इस फ़िल्म में मूल साहित्यिक रचना को उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया गया। उसमें किसी प्रकार के काल्पनिक अथवा मनोरंजक तत्वों को न डालकर उसकी गरिमा को भी बनाए रखा गया। इसी कारण लेखक ने लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
शैलेंद्र एक कवि और सफल गीतकार थे। उनके लिखे गीतों में अनेक विशेषताएँ दिखाई देती हैं। उन्होंने कभी भी निम्न-स्तर के गीत नहीं लिखे। उनमें सस्ती लोकप्रियता पाने की ललक नहीं थी। उनके गीतों में भावनाओं का प्रवाह है। उनके गीतों की एक अन्य विशेषता सरलता है। उन्होंने अपने गीतों में कठिन शब्दों के स्थान पर सरल शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे सामान्य दर्शक भी उसे समझ लेता है।

उनके गीतों में करुणा के साथ-साथ संघर्ष की भावना भी दिखाई देती है। शैलेंद्र के गीत मनुष्य को जीवन में दुखों से घबराकर रुकने के स्थान पर निरंतर आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। शैलेंद्र के गीतों की एक अन्य विशेषता उसकी भावप्रवणता है। उनके गीत का एक एक शब्द भावनाओं की अभिव्यक्ति करने में पूर्णतः सक्षम है।

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प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
फ़िल्म निर्माता के रूप में ‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म थी। उन्होंने इस फ़िल्म का निर्माण पैसा कमाने के उद्देश्य से नहीं किया था। उन्होंने फ़िल्म निर्माता के रूप में यश और संपत्ति की कभी कामना नहीं की। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उन्होंने तो आत्म-संतुष्टि के लिए फ़िल्म बनाई थी। शैलेंद्र फ़िल्म की असफलता से होने वाले खतरों से परिचित थे, फिर भी उन्होंने शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म बनाकर साहसी फ़िल्म निर्माता का परिचय दिया। शैलेंद्र एक मानवतावादी फ़िल्म निर्माता थे।

उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी अपनी आदमियत नहीं खोई थी। शैलेंद्र की एक अन्य विशेषता फ़िल्म में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन सापेक्ष प्रस्तुत करना था। शैलेंद्र ने तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण पूरी तरह साहित्यिक रचना के अनुसार करके उसके साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। वे चाहते तो इसमें फेरबदल करके इसे अधिक मनोरंजक बना सकते थे। उन्होंने फ़िल्म के असफल होने के डर से घबराकर अपने सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया। इस प्रकार वे एक आदर्श फ़िल्म निर्माता के रूप में सामने आए हैं।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शैलेंद्र ने अपने जीवन में एक ही फ़िल्म का निर्माण किया, जिसका नाम ‘तीसरी कसम’ था। यह एक संवेदनात्मक और भावनापूर्ण फ़िल्म थी। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई उनके निजी जीवन की विशेषता थी और यही विशेषता उनकी फ़िल्म में भी दिखाई देती है। ‘तीसरी कसम’ का नायक हीरामन अत्यंत सरल हृदयी और भोला-भाला नवयुवक है; जो केवल दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। उसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी चीज का कोई अर्थ नहीं। ऐसा ही व्यक्तित्व शैलेंद्र का था।

वे एक भावुक एवं संवेदनशील कवि थे। हीरामन को धन की चकाचौंध से दूर रहने वाले एक देहाती के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शैलेंद्र स्वयं भी यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। इसके साथ-साथ फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन सापेक्ष प्रस्तुत किया गया है। शैलेंद्र अपने निजी जीवन में भी दुख को सहज रूप से जी लेते थे। वे दुख से घबराकर उससे दूर नहीं भागते थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है।

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प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में भावनाओं और संवेदनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति है। फणीश्वरनाथ रेणु की साहित्यिक कृति पर आधारित – इस फ़िल्म में शैलेंद्र ने संवेदनशीलता को पूरी तीव्रता के साथ व्यक्त किया है। इस पूरी फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता है। ऐसी कोमल भावनाओं को एक कवि-हृदय व्यक्ति ही भली प्रकार समझ सकता है और उन्हें अच्छे ढंग से प्रस्तुत कर सकता है। कवि स्वभाव से अत्यंत संवेदनशील होते हैं; वे दिल से काम लेते हैं, दिमाग से नहीं।

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नायक और नायिका के मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए एक कवि-हदय की ही आवश्यकता थी। शैलेंद्र एक भावुक कवि और गीतकार थे। वे उन कोमल अनुभूतियों को बारीकी से समझते थे और उन्हें प्रस्तुत करने में भी सक्षम थे। उनके कवि-हृदय के कारण ही फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण संभव हो पाया। इस फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता होने के कारण ही लेखक ने कहा है कि इसे कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था। हम लेखक के कथन से पूर्णतः सहमत हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर :
यहाँ लेखक का आशय यह है कि शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण धन-संपत्ति कमाने और यश पाने के उद्देश्य से नहीं किया था। उनका इस फ़िल्म को बनाने का कारण आत्म-संतुष्टि के सुख को पाने की इच्छा थी। शैलेंद्र एक भावुक और आदर्शवादी कवि थे। उन्हें धन और यश की कोई इच्छा नहीं थी, अपितु वे तो समाज को एक साफ़-सुथरी और अच्छी फ़िल्म देना चाहते थे। वे तो इस बात की संतुष्टि पाना चाहते थे कि उन्होंने एक अच्छी फ़िल्म बनाई।

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प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
उत्तर :
लेखक ने यहाँ फ़िल्म-निर्माता और कलाकार के विषय में कवि शैलेंद्र के विचारों को प्रस्तुत किया है। लेखक के अनुसार कवि एवं संगीतकार शैलेंद्र की दृढ़ मान्यता थी कि फ़िल्मों में दर्शकों की रुचि का सहारा लेकर निम्न-स्तर की सामग्री का प्रयोग नहीं होना चाहिए। फ़िल्म निर्माता को उच्च-स्तर के दर्शकों का भी ध्यान रखना चाहिए। दर्शक सभी प्रकार के होते हैं।

केवल कुछ दर्शकों को प्रसन्न करने के लिए अन्य दर्शकों पर घटिया सामग्री को नहीं थोपना चाहिए। साथ ही उनका यह भी मानना था कि कलाकार को चाहिए कि वह दर्शकों की रुचियों को साफ़-सुथरा बनाने की कोशिश करे। कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों को निम्न रुचियों को ध्यान में रखकर अभिनय न करे, अपितु उसे दर्शकों की रुचियों को अपने अभिनय से श्रेष्ठ रूप में बदलने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि जीवन में आने वाले दुख मनुष्य को कभी पराजित नहीं करते, बल्कि वे तो जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। जो लोग दुखों से घबराकर बैठ जाते हैं, वे जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकते। जीवन में आने वाले दुख और पीड़ाएँ हमें अधिक मज़बूत बनाती हैं और जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की ओर प्रेरित करती हैं। दुखों से घबराने के स्थान पर इनसे प्रेरणा लेकर निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जो लोग ऐसा कर पाते हैं, वही सफ़ल होते हैं।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ एक संवेदनशील फ़िल्म थी। यह संवेदना फ़िल्मों से पैसा कमाने वाले लोगों की समझ में आने वाली नहीं थी। जिस फ़िल्म में दर्शकों के मनोरंजन के लिए पर्याप्त सामग्री होती है, उसे फ़िल्मों के खरीददार हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में भावनाओं और संवेदनाओं की प्रधानता थी। फ़िल्मों से पैसा कमाने वालों के लिए संवेदनाओं का कोई महत्व नहीं था। इसी कारण इस फ़िल्म को कोई खरीददार नहीं मिला।

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प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि कवि एवं गीतकार शैलेंद्र के गीतों में भावप्रवणता बहुत थी, लेकिन वे कठिन नहीं थे। उनके गीतों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति होती थी। गहरी से गहरी भावनाओं को भी बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया जाता था। उनके गीत भावनात्मक होते हुए भी सरल थे। सामान्य से सामान्य श्रोता और दर्शक भी उनके गीतों के भाव को बड़ी आसानी से समझ लेता था। उनके गीत भावनाओं से परिपूर्ण होते हुए भी आम आदमी से जुड़े हुए थे।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए –
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना
उत्तर :
चेहरा मुरझाना – परीक्षा में पास न होने पर रमेश का चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना – आई०ए०एस० की परीक्षा पास करने में बड़े-बड़े चक्कर खा जाते हैं।
दो से चार बनाना – दो से चार बनाना भी किसी-किसी का काम है, सबका नहीं।
आँखों से बोलना – राम की आँखें बहुत कुछ कहती हैं; वह तो आँखों से बोलता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए –
(क) शिद्दत
(ख) याराना
(ग) बमुश्किल
(घ) खालिस
(ङ) नावाकिफ़
(च) यकीन
(छ) हावी
(ज) रेशा
उत्तर :
(क) शिद्दत – तीव्रता
(ख) याराना – मित्रता
(ग) बमुश्किल – कठिनतापूर्वक
(घ) खालिस – शुद्ध
(ङ) नावाकिफ़ – अपरिचित
(च) यकीन – विश्वास
(छ) हावी – भारी
(ज) रेशा – कण

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए –
(क) चित्रांकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट
(ग) चर्मॉत्कर्ष
(घ) रूपांतरण
(ङ) घनानंद
उत्तर :
(क) चित्रांकन – चित्र + अंकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट – सर्व + उत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष – चरम + उत्कर्ष
(घ) रूपांतरण – रूप + अंतरण
(ङ) घनानंद – घन + आनंद

प्रश्न 6.
निम्नलिखित का समास विश्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए –
(क) कला-मर्मज्ञ
(ख) लोकण्रिय
(ग) राष्ट्रपति
उत्तर :
(क) कला-मर्मज्ञ – कला का मर्मझ – संबंध तत्पुरुष
(ख) लोकप्रिय – लोगों में प्रिय – अधिकरण तत्पुरुष
(ग) राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति – संबंध तत्पुरुष

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर तीसरी कसम फ़िल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की रचना ‘तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम’ पर आधारित है।

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प्रश्न 2.
समाचार-पत्रों में फिल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फ़िल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को देखकर इस फ़िल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
फ़िल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा-‘जो बात पहले की फ़िल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फ़िल्मों और पहले की फ़िल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी समूहों में विभाजित होकर चर्चा करें।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ जैसी और भी फ़िल्में हैं जो किसी-न-किसी भाषा की साहित्यिक रचना पर बनी हैं। ऐसी फ़िल्मों की सूची निम्नांकित प्रपत्र के आधार पर तैयार करें।
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उत्तर :
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प्रश्न 3.
लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने-अपने क्षेत्र के अनुसार स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
लेखक ने शैलेंद्र को फ़िल्म-निर्माता बनने के सर्वथा अयोग्य क्यों कहा है?
उत्तर :
फ़िल्म निर्माता बनने के लिए खूब चालाकी और चतुरता की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत शैलेंद्र बिलकुल सरल-हृदयी थे। फ़िल्म निर्माता दर्शकों की रुचि के अनुसार निम्न स्तरीय सामग्री का भी उपयोग कर लेते हैं, किंतु शैलेंद्र आदर्शवादी व्यक्ति थे। वे अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करते थे। इसी कारण लेखक ने उन्हें फ़िल्म-निर्माता बनने के सर्वथा अयोग्य बताया है।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर के अभिनय की तुलना किस फ़िल्म से की गई है? उनका श्रेष्ठ अभिनय किस फ़िल्म में है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर के अभिनय की तुलना उनकी एक अन्य फ़िल्म ‘जागते रहो.’ से की गई है। यद्यपि ‘जागते रहो’ फ़िल्म में भी उनके अभिनय को बहुत अधिक सराहा गया है, किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में उनका अभिनय सर्वश्रेष्ठ है। इस फ़िल्म में उन्होंने पात्र के साथ स्वयं को एकाकार कर लिया है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो उनका व्यक्तित्व पूरी तरह से उनके द्वारा निभाए गए पात्र हीरामन की आत्मा में उतर गया है।

प्रश्न 3.
‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ के आधार पर राजकपूर के व्यक्तित्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
राजकपूर भारतीय सिनेमा जगत के एक सुप्रसिद्ध अभिनेता तथा फ़िल्म निर्माता थे। वे एक महान कलाकार थे। उनकी कीर्ति और यश अपने देश में तो फैला ही था, विदेशों में भी उन्होंने खूब नाम कमाया था। एशिया महाद्वीप में उन्हें शोमैन के रूप में जाना जाता था।

वे जिस भी फ़िल्म में काम करते थे, उसमें अपनी भूमिका को बड़े सटीक ढंग से निभाते थे। कला के जानकार राजकपूर को एक ऐसा कलाकार मानते थे, जो आँखों से बात करता था। राजकपूर ने अनेक फ़िल्मों का निर्माण किया था, जिनमें से कुछ फ़िल्में मेरा नाम जोकर, सत्यम् शिवम् सुंदरम, मैं और मेरा दोस्त आदि थीं। फ़िल्म में वे अपनी भूमिका में खोकर शीघ्र ही एकाकार हो जाते थे।

प्रश्न 4.
आजकल हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमज़ोरी क्या है?
उत्तर :
आजकल हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमी है-‘लोक तत्वों का न होना’। आज हमारी फ़िल्में आम जीवन तथा उनकी जिंदगी से बहुत दूर होती जा रही हैं। आज फ़िल्मों में जो फ़िल्माया जा रहा है, वह जनता को उससे न जोड़कर मात्र मनोरंजन का साधन बन गया है। इसमें दुख को इतनी गहराई और गंभीरता से पेश कर देते हैं कि दर्शक न चाहकर भी स्वयं को उसमें डुबा दे तथा उसी में खो जाए। लेकिन यह दुख के स्वरूप को अधिक वीभत्स करता है।

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प्रश्न 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय किस प्रकार का है ?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय बेजोड़ है। उन्होंने इस फ़िल्म में एक शुद्ध देहाती हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई है। उनके द्वारा निभाई गई भूमिका इतनी उत्कृष्ट है कि वे कहीं भी अभिनय करते प्रतीत नहीं होते। वे अपनी भूमिका में इतने खो गए हैं कि वे हीरामन ही लगते हैं। उनका महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह से हीरामन में ढल गया है। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को बड़े ही सुंदर एवं सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘संगम’ फ़िल्म की अद्भुत सफलता से प्रभावित होकर राजकपूर ने क्या किया?
उत्तर :
‘संगम’ फ़िल्म की अद्भुत सफलता से प्रभावित होकर राजकपूर ने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा कर दी। इन फ़िल्मों के नाम ‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’, ‘मैं और मेरा दोस्त’ तथा ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ थे। इनमें से केवल एक ही फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के एक भाग को बनाने में ही उन्हें छह वर्ष का समय लग गया था।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान ने किसकी भूमिका निभाई है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर ने एक शुद्ध देहाती गाड़ीवान की भूमिका निभाई है, जिसका नाम ‘हीरामन’ है। वह सरल-हृदयी है। वह भोला-भाला ग्रामीण केवल दिल की बात समझता है। उसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं है। इस फ़िल्म में वहीदा रहमान ने नौटंकी में काम करने वाली एक बाई की भूमिका निभाई है, जिसका नाम ‘हीराबाई’ है।

प्रश्न 3.
आज भी ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म शैलेंद्र की पहली तथा अंतिम फ़िल्म थी। इस फ़िल्म ने अनेक पुरस्कार प्राप्त किए थे। इस फ़िल्म की पटकथा प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु ने तैयार की थी। फ़िल्म में छोटी-से-छोटी बारीक चीजें भी पूरी स्पष्टता के साथ दृष्टिगोचर होती हैं। यह फ़िल्म समाज के लिए मात्र मनोरंजन का साधन नहीं थी; यह फ़िल्म लोगों को एक संदेश देने में भी सफल रही।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की प्रसिद्धि के क्या कारण थे?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की प्रसिद्धि के अनेक कारण थे। यह फ़िल्म कलात्मक दृष्टि से उच्च कोटि की फ़िल्म थी। इसके गीत, संगीत अपने आप में बेजोड़ थे। फ़िल्म के कलाकार राजकपूर और अभिनेत्री वहीदा रहमान का अपने पात्रों में कुशल प्रस्तुति देने के कारण भी यह फ़िल्म प्रसिद्धि पाने में सफल रही।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

प्रश्न 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में कवि हृदय शैलेंद्र के किस रूप के दर्शन होते हैं ?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में शैलेंद्र की संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं। लेखक ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता की संज्ञा दी है। यह इनके भावुक होने और समाज के प्रति इनके चिंतन के भाव को मुखरित करता है। वे एक अत्यंत भावुक कवि थे। इनकी भावात्मकता इस फ़िल्म में स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 6.
“तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
इस पाठ के माध्यम से लेखक वास्तविकता का ज्ञान करवाना चाहता है कि कला फिल्में मर जाती हैं और लोगों को पता तक नहीं चलता। इसका कारण इनमें संवेदनाएँ तो होती हैं, लेकिन मनोरंजक तथ्य एवं भंगिमाएँ नहीं होती। इसी कारण दर्शक उनसे जुड़ नहीं पाते। हमें जीवन संदेश को आत्मसात् करना चाहिए, न कि मनोरंजन में ही डूबे रहना चाहिए।

प्रश्न 7.
‘तीसरी कसम’ फिल्म के मुख्य नायक कौन थे? उन्होंने इसमें क्या भूमिका निभाई है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फिल्म के मुख्य नायक राजकपूर थे। उनका अभिनय बेजोड़ था। उनके द्वारा किया गया अभिनय इतना बेजोड़ था कि वह कहीं भी अभिनय करते दिखाई नहीं देते थे। उनके अभिनय में वास्तविकता झलक रही थी। उनका व्यक्तित्व हीरामन में समाहित हो गया था। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया।

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – फ़िल्म-क्षेत्र पर लेखनी चलाने वाले प्रहलाद अग्रवाल का जन्म सन 1947 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। बचपन से ही इनकी रुचि फ़िल्मों की ओर रही। इन्हें किशोरावस्था में हिंदी फ़िल्मों के इतिहास और फ़िल्मकारों के जीवन व उनके अभिनय के बारे में जानने तथा उस पर चर्चा करने का शौक रहा। इन्होंने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में ये सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापन कार्य कर रहे हैं।

रचनाएँ – प्रहलाद अग्रवाल ने अपनी रुचि के अनुरूप फ़िल्म क्षेत्र से जुड़े लोगों और फ़िल्मों के लिए ही अधिक लिखा है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – सातवाँ दशक, तानाशाह, मैं खुशबू, सुपर स्टार, राजकपूरः आधी हकीकत आधा फ़साना, कवि शैलेंद्र जिंदगी की जीत में यकीन, प्यासा चिर अतृप्त गुरुदत्त, उत्ताल उमंग सुभाष घई की फ़िल्मकला, ओ रे माँझी बिमल राय का सिनेमा और महाबाज़ार के महानायक इक्कीसवीं सदी का सिनेमा।

भाषा-शैली – प्रहलाद अग्रवाल की भाषा-शैली अत्यंत सरल, सहज, सरस और प्रभावशाली है। इनकी भाषा में रोचकता और प्रवाहमयता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। इन्होंने तत्सम व तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का सुंदर चित्रण किया है। प्रस्तुत पाठ में उर्दू फ़ारसी के अनेक शब्दों के अतिरिक्त अंग्रेजी के अनेक शब्दों जैसे फेस्टिवल, जर्नलिस्ट एसोसिएशन, एडवांस, ग्लोरीफ़ाई आदि का प्रयोग भी किया गया है।

फ़िल्म क्षेत्र पर अधिक लिखने के कारण इनकी भाषा में फ़िल्मी दुनिया में प्रयोग होने वाले शब्दों की भरमार है; जैसे रिलीज़, फ़िल्म इंडस्ट्री, स्टार, पटकथा, सैल्यूलाइड, शोमैन, फ़िल्म वितरक आदि। इसके साथ-साथ इनकी भाषा में आंचलिक शब्दों का भी र खूब प्रयोग हुआ है। जैसे-भुच्च, बांचे, भाग, टप्पर गाड़ी, उकड़, फेनू-गिलासी, मनुआ-नटुआ आदि। प्रहलाद अग्रवाल की शैली वर्णनात्मक है। कहीं-कहीं उन्होंने संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है, जिसमें नाटकीयता का पुट है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ में लेखक ने कवि एवं गीतकार शैलेंद्र द्वारा बनाई एकमात्र फिल्म ‘तीसरी कसम’ के विषय में बताया है। तीसरी कसम’ फ़िल्म सन 1966 ई० में प्रदर्शित हुई। इसमें मुख्य भूमिका शैलेंद्र के मित्र और अभिनेता राजकपूर ने निभाई। इस फ़िल्म को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यह फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की एक साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म में कवि हृदय शैलेंद्र की संवेदनशीलता का स्वरूप दिखाई देता है। लेखक ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता की संज्ञा दी है।

शैलेंद्र एक भावुक कवि थे। यद्यपि राजकूपर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के खतरों से पहले ही आगाह कर दिया था, फिर भी उन्होंने फ़िल्म बनाने का निर्णय नहीं छोड़ा। उनका फ़िल्म बनाने का उद्देश्य धन और यश न होकर आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ में फ़िल्म में लोकप्रिय सितारे, संगीत और गीत होने के बावजूद इसे कोई खरीददार नहीं मिल पाया। इसका कारण यह था कि इस फ़िल्म में पेश की गई संवेदना और करुणा फ़िल्मों से पैसा कमाने वाले खरीददारों की समझ से परे थी।

परिणामस्वरूप यह फ़िल्म कब आई और कब चली गई, किसी को पता ही नहीं चला। लेखक कहता है कि शैलेंद्र फ़िल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों को भली-भाँति जानते थे, फिर भी उन्होंने अपनी मनुष्यता को नहीं खोया था। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि दर्शकों की रुचि का सहारा लेकर निर्माताओं को फ़िल्मों में निम्न-स्तरीय सामग्री पेश नहीं करनी चाहिए। वे चाहते किया गया है। तत किया।

थे कि कलाकार भी दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करें। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में संवेदनशीलता अपनी चरम-सीमा पर है। कहीं-कहीं तो नायिका आँखों से बोलती प्रतीत होती है। इसके अतिरिक्त फ़िल्म में मस्ती में डूबते और झूमते गाड़ीवान, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजते गाड़ीवान और अभावों की जिंदगी जीने वाले लोगों के सुनहरी सपनों का सुंदर चित्रण किया गया है। लेखक के अनुसार हमारी फ़िल्मों में सबसे बड़ी कमजोरी लोक-तत्व का अभाव है। तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोक तत्वों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

इस फ़िल्म में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत किया गया है। लेखक कहता है कि शैलेंद्र के गीत भी अपनी अलग विशेषताओं के कारण प्रसिदध रहे हैं। उनके गीतों में भावप्रवणता, सरलता और करुणा के साथ-साथ संघर्ष का स्वर भी : दिखाई देता है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के तो सभी गीत भावप्रवणता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

लेखक कहता है कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय बेजोड़ है। उन्होंने इस फ़िल्म में एक शुद्ध देहाती हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई है। उनके द्वारा निभाई गई भूमिका इतनी उत्कृष्ट है कि वे कहीं भी अभिनय करते प्रतीत नहीं होते। अपितु वे हीरामन ही बन गए हैं। उनका महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह से हीरामन में ढल गया है। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की पटकथा फणीश्वरनाथ रेणु ने तैयार की थी। उनकी मूल रचना का छोटे से छोटा भाग और उसकी बारीकियाँ इस फ़िल्म में बड़ी सफलता से प्रस्तुत की गई हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

कठिन शब्दों के अर्थ :

गहन – गहरा, अंतराल – के बाद, अभिनीत – अभिनय किया गया, सर्वोत्कृष्ट – सबसे अच्छा, अत्यंत – बहुत अधिक, सैल्यूलाइड – कैमरे की रील में उतार चित्र पर प्रस्तुत करना, सार्थकता – सफलता के साथ, कलात्मकता – कला से परिपूर्ण, संवेदनशीलता – भावुकता, तारीफ़ प्रशंसा, फेस्टिवल – उत्सव, शिद्दत – तीव्रता, अनन्य – परम, अत्यधिक, तन्मयता – तल्लीनता, पारिश्रमिक – मेहनताना, उम्मीद – आशा, याराना मस्ती – दोस्ताना अंदाज़, सर्वथा – बिलकुल, पूरी तरह, आगाह – सचेत, भावुक – संवेदनशील, भावनाओं में बहने वाला, आत्म-संतुष्टि – अपनी तुष्टि, अभिलाषा – चाह, इच्छा,

बमुश्किल – बहुत कठिनाई से, वितरक – प्रसारित करने वाले लोग, नामजद – विख्यात, प्रसिद्ध, बेहद – बहुत अधिक, दरअसल – वास्तव में, नावाकिफ़ – अनजान, आदमियत – मानवता, मनुष्यता, इकरार – सहमति, मंतव्य – मान्यता, उथलापन – सतही, नीचा, भावप्रवण – भावनाओं से भरा हुआ, दुरूह – कठिन, एकमात्र – अकेली मोड़कर पैर के तलवों के सहारे बैठना, सूक्ष्मता – बारीकी, स्पंदित – संचालित करना, गतिमान, लालायित – इच्छुक, टप्पर-गाड़ी – अर्धगोलाकार छप्पर युक्त बैलगाड़ी,

हुजूम – भीड़, प्रतिरूप – छाया, रूपांतरण – किसी एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करना, लोक तत्व – लोक संबंधी, त्रासद – दुखद, ग्लोरीफ़ाई – गुणगान, महिमामंडित करना, वीभत्स – भयावह, व्यथा – पीड़ा-दुख, जीवन, सापेक्ष – जीवन के प्रति, धन-लिप्सा – धन की अत्यधिक चाह, तहत – द्वारा, प्रक्रिया – प्रणाली, अद्वितीय – जिसके समान दूसरा न हो, बाँचै – पढ़ना, भाग – भाग्य, समीक्षक – समीक्षा करने वाला, कला-मर्मज्ञ – कला की परख करने वाला, चर्मोत्कर्ष – ऊँचाई के शिखर पर, खालिस – शुद्ध, देहाती – ग्रामीण, सिर्फ़ – केवल, भुच्च – निरा, बिलकुल, मुकाम – पड़ाव, किंवदंती – कहावत, तनिक सी – थोड़ी-सी

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?
उत्तर :
माँ के इन शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है। नारी में कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुण होते हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इसलिए माँ ने कहा है कि उसका लड़की होना आवश्यक है। उसमें आज की सामाजिक स्थितियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसमें सहजता, सजगता और सचेतता के गुण होने चाहिए। उसे दब्बू और डरपोक नहीं होना चाहिए। इसलिए उसे लड़की जैसी दिखाई नहीं देना चाहिए ताकि कोई सरलता से उसे डरा-धमका न सके।

प्रश्न 2.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं’
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
उत्तर :
(क) कवि ने इन पंक्तियों में समाज में विवाहिता स्त्री की स्थिति की ओर संकेत किया है। वर्तमान समय में हमारे भारतीय समाज में दहेज-प्रथा की आग बहुओं को बहुत तेजी से जला रही है। लोग दहेज के नाम पर पुत्रवधू के पिता के घर को खाली करके भी चैन नहीं पाते। वे खुले मुँह से धन माँगते हैं और धन न मिलने पर बहू से बुरा व्यवहार करते हैं; उसे मारते-पीटते हैं और अनेक बार लोभ में आकर उसे आग में धकेल देते हैं। कवि ने समाज में नारी की इसी स्थिति की ओर संकेत किया है, जो निश्चित रूप से अति दुखदायी और शोचनीय है।

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है, पर आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 3.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर :
अपने माता-पिता के संस्कारों में बँधी भोली-भाली लड़की उसी रास्ते पर चलना चाहती है, जो उसे बचपन से लेकर युवावस्था तक दिखाया गया है। उसने माता-पिता की छत्रछाया में रहते हुए जीवन के दुखों का सामना नहीं किया। वह नहीं जानती कि आज का समाज कितना बदल गया है। उसे दूसरों के द्वारा दी गई पीड़ाओं का कोई अहसास नहीं है। वह तो अज्ञान और अपनी छोटी से धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है।

प्रश्न 4.
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूजी’ क्यों लग रही थी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी लग रही थी, क्योंकि वह अपने जीवन के सारे सुख-दुख उसी के साथ बाँटती थी। वही उसके सबसे निकट थी; वही उसकी साथी थी।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
माँ ने बेटी को सीख दी कि वह केवल सुंदरता पर न रीझे, बलिक अपने आस-पास के वातावरण के प्रति भी सचेत रहे। जिस पानी में झाँकने पर उसे अपनी परछाई दिखाई देवी है, उसकी गहराई को भी वह भली-भाति जाने लै। कही वही उसके लिए जानलेवा सिद्ध न हो जाए। वह उस आग की तपन का भी ध्यान रखे, जो रोटी पकाने के काम आती है। कहीं रोसा ने ही कि बही उसको जला डाले। उसे लड़की लगना चाहिए, पर लड़की जैसा कमलोर नहीं दिखना वाहिए। उसे दुनिका की पूरी समझ होनी चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
अथवा
‘कन्या’ के साथ दान के औचित्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
युगों से नारी को हमारे समाज में हेय समझा जाता रहा है। पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को ही श्रेष्ठ माना जाता है। विवाह के पश्चात लड़की ही लड़के के साथ रहने के लिए जाती है। विवाह के समय लड़की के माता-पिता के द्वारा कन्या का दान किया परंपरा पूरी तरह से गलत है। आज के युग में लड़के या लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों की शिक्षा बराबर होती है; दोनों एक-समान काम करते हैं; बराबर कमाते हैं, तो फिर कन्या के दान की बात ही क्यों? ऐसा कहना पूरी तरह से ग़लत है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है ?

मैं लौटूंगी नहीं

मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूंगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूंगी नहीं
उत्तर :
इस कविता का ‘कन्यादान’ कविता से सीधा संबंध तो नहीं है, पर स्त्री की जागरूकता और सजगता की दृष्टि से साम्य अवश्य है। इस कविता में कवियित्री कहती है कि एक युगों से चली आने वाली सामाजिक रूढियों को तोड़कर उसने घर से बाहर कदम निकालने सीख लिए हैं। वह उन कष्टों और पीड़ाओं से अब परिचित है, जिसे उसने स्वयं झेला है। उसने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।

शृंगार के लिए पहने गहने उतार दिए हैं। वह जाग चुकी है। उसने अपने देश को आजाद कराने की राह देख ली है। वह अपना सबकुछ छोड़कर आज़ादी की राह पर आगे बढ़ गई है। वह वापस अपने घर नहीं लौटना चाहती। वह आज़ादी प्राप्त करने के लिए अड़ी हुई हैं। इस पंक्ति से स्त्री का क्रोध और मानसिक दृढ़ता का मनोभाव प्रकट हुआ है। उसने ज्ञान की प्राप्ति से ही ऐसा करना सीखा है।

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किन परंपराओं से हटकर जीवन जीने की शिक्षा दी है?
अथवा
विवाह के समय माँ ने अपनी बेटी को क्या शिक्षा दी? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
माँ ने बेटी को शिक्षा दी कि वह केवल शारीरिक सुंदरता, सुंदर कपड़ों और गहनों की ओर ही ध्यान न दे। उसे चाहिए कि वह समाज में आए परिवर्तन को खुली आँखों से देखे और अपने भीतर हिम्मत और साहस को बटोरे। उसके हृदय का साहस और अधिकारों के प्रति जागरूकता ही उसके जीवन को नई दिशा देंगे। इसी से उसके जीवन की रक्षा होगी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 2.
कवि ने कविता के माध्यम से माँ की किस विशेषता को वाणी प्रदान की है?
उत्तर :
कवि ने कविता के माध्यम से माँ के संचित अनुभवों की पीड़ा को प्रस्तुत किया है। माँ ने अपने जीवन में जिन कष्टों को पाया था, उनके कारणों को समझा था। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी को कभी कोई कष्ट हो।

प्रश्न 3.
माँ के मन में यह विचार क्यों आया कि पुत्री ही उसकी अंतिम पूँजी है ?
उत्तर :
विवाह के समय जब कन्यादान की प्रथा का निर्वाह हुआ, तो माँ को लगा कि उसकी अंतिम पूँजी उससे दूर जा रही है। माँ-बेटी में बहुत मधुर संबंध होता है। यह रिश्ता माँ को एक पूँजी के समान लगता है। यही रिश्ता बेटी की विदाई के साथ उससे दूर हो जाएगा। माँ के दुख-सुख को बाँटने वाली बेटी पर माँ का पहले-सा अधिकार न रहेगा। इसी कारण माँ ने कन्यादान को अंतिम पूँजी के समान कहा है।

प्रश्न 4.
किसके दुख को प्रामाणिक कहा गया है और क्यों?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में किसके दुख की बात की गई है और क्यों ?
उत्तर :
माँ के दुख को प्रमाणिक कहा गया है। माँ जानती है कि बेटी के विवाह के पश्चात वह अकेली रह जाएगी। उसके दुख-सुख बाँटने वाली दूर चली जाएगी। माँ का यह दुख प्रमाणिक है। इसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। यह स्वाभाविक दुख है। माँ सदा बेटी के विवाह के पश्चात स्वयं को अकेला महसूस करती है।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को स्वयं पर मोहित न होने की सीख क्यों दी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए कि माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
विवाह के पश्चात सामान्यतः लड़कियाँ साज-शृंगार की ओर अधिक ध्यान देती हैं। वे अपना अधिकांश समय ऐसे ही सजने-संवरने में लगा देती हैं। अतः माँ ने बेटी को ऐसा न करने की सीख दी, ताकि वह ससुराल में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे। अपने लिए आदर: सम्मान बटोरे। सौंदर्य सदा नहीं रहता, उस पर क्या मोहित होना! अपने गुणों को विकसित करें। ससुराल पक्ष में अपना एक सम्मान योग्य स्थान बनाने का प्रयास करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 6.
उत्तर
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन क्यों कहा?
उत्तर :
लड़की की माँ एक परिपक्व महिला है। अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर ही उसने आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन कहा है। पुरुष जानता है कि स्त्री को आभूषणों-गहनों से बहुत प्यार होता है। ऐसे में इनका प्रयोग वह मनमानी करने के लिए करता है। स्त्री को गहनों की चकाचौंध में उलझाकर उसका मानसिक शोषण करता है। स्त्री को यह समझ नहीं आता कि ये गहने उसकी आजादी का हनन करते हैं; उसे जबरन बंधन में बाँध देते हैं।

प्रश्न 7.
माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों आवश्यक समझा?
उत्तर :
माँ ने सीख देकर अपनी बेटी को सचेत किया है, क्योंकि लड़की भोली, सरल तथा नासमझ है। उसे संसार की कुटिलता का आभास नहीं है; दुनियादारी की समझ नहीं है। फिर आज की सामाजिक परिस्थितियाँ भी कुछ ऐसी हैं कि दहेज या अन्य किसी भी छोटी-सी बात पर लड़की का ससुराल में मानसिक-शारीरिक शोषण होता है। बेटी के साथ किसी भी तरह की अनहोनी न हो, इसी आशंका से माँ ने कन्यादान के बाद विदा करते हुए बेटी को सचेत करना आवश्यक समझा।

प्रश्न 8.
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है ?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से अलग है, क्योंकि उसने बेटी को जो सीख दी है, वह परंपराओं से अलग है। वैसे तो माँ ने बेटी को अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करने की सलाह दी है, परंतु साथ ही उसे अपने आत्म-सम्मान के प्रति भी सचेत किया है। लीक से हटकर माँ ने आज के संदर्भ में जो समाज की वास्तविकता है, उसी के अनुरूप अपनी बेटी को सीख दी है। माँ अपनी बेटी के सुखद वैवाहिक जीवन के साथ-साथ उसकी सुरक्षा के प्रति भी आशंकित है। अतः माँ ने उसे कुछ अलग तरीके से समझाया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 9.
‘कन्यादान’ कविता का मूल उद्देश्य या भाव क्या है?
उत्तर :
यह कविता आधुनिक समाज का दर्पण है। एक ओर माँ-बेटी के घनिष्ठ संबंध की चर्चा हुई है, तो दूसरी ओर हमें यहाँ समाज की वर्तमान स्थिति का दर्शन हुआ है। इस कविता का संबंध नारी-जागृति से भी है। कवि ने स्त्री की कमजोरियों पर प्रकाश डाला है। आज भी भारत में पुरुष-प्रधान समाज विद्यमान है। कवि ने यह बताते हुए नारी को अपने शोषण के प्रति सचेत रहने को कहा है। दहेज – प्रथा जैसी समस्या पर भी कवि ने नारी को जागृत करने का प्रयास किया है। नारी अपने सभी गुणों तथा शक्तियों के साथ शोषण का डटकर सामना करने का साहस भी रखे। यही इस कविता का मूल भाव है।

प्रश्न 10.
‘कन्यादान’ कविता में किसे दुख बाँटना नहीं आता था और क्यों?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता में लड़की को दुख बाँटना नहीं आता था, क्योंकि उसने जीवन में अभी तक दुख नहीं देखे थे। दुखों व कष्टों की पीड़ा से वह अनजान थी, इसलिए उसे दुख बाँटना नहीं आता था।

प्रश्न 11.
माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर :
माँ की सीख में समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा व परिवार में होने वाले नारी शोषण की ओर संकेत किया गया है। यह कविता इन कुरीतियां से युक्त वर्तमान सामाजिक ढाँचे को प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 12.
‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा है क्योंकि ये नारी जवीन को भ्रम में डालने का काम करते हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं जो स्त्री जीवन को बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 13.
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’- में माँ की चिंता क्यों है ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’ में माँ अपनी बेटी को लेकर चिंतित थी। माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है लेकिन आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

पिठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

(क) कवि ऋतुराज ने किसके दुखों को प्रामाणिक माना है?
(i) सहेलो के
(ii) माँ के
(iii) पत्नी के
(iv) पुत्री के
उत्तर :
(ii) माँ के

(ख) माँ को अपनी पुत्री कैसी पूँजी लगती है?
(i) अंतिम
(ii) अति सुखद
(iii) बातूनी
(iv) दुखदायी
उत्तर :
(i) अंतिम

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

(ग) पुत्री स्वभाव से कैसी थी?
(i) चालाक
(ii) बुद्धिमान
(iii) कठोर
(iv) भोली-भाली
उत्तर :
(iv) भोली-भाली

(घ) पुत्री को क्या पढ़ना नहीं आता था?
(i) सुखों को
(ii) दुखों को
(iii) पत्रों को
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) दुखों को

(ङ) पाठिका किसे कहा गया है?
(i) माँ को
(ii) पत्नी को
(iii) पुत्री को
(iv) पाठक को
उत्तर :
(iii) पुत्री को

काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न –

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –
(क) ‘बेटी अभी सयानी नहीं थी’-से कवि का क्या तार्य है?
(i) उसकी उम्र अभी कम थी।
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।
(iii) उसकी आयु विवाह के योग्य नहीं थी।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।

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(ख) किसके प्रति नारी का आकर्षण स्वाभाविक होता है?
(i) पुष्पों
(ii) चाँद
(iii) वस्त्र और आभूषणों
(iv) नौकर-चाकरों
उत्तर :
(iii) वस्त्र और आभूषणों

(ग) ‘लड़की होने से क्या तार्य है?
(i) भोलापन, गकोमलता, समर्पण और सादगी
(ii) चालाकी, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iii) भोलापन, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iv) भोलापन, चतुरता, समर्पण और सादगी
उत्तर :
(i) भोलापन, कोमलता, समर्पण और सादगी

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त ।
जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

शब्दार्थ : वक्त – समय। अंतिम पूँजी – आखिरी संपत्ति। सयानी – समझदार। बांचना – पढ़ना।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से लिया गया है, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। वर्तमान समय में जीवन-मूल्य बदल गए हैं। माँ अपनी बेटी के लिए केवल भावुकता को महत्वपूर्ण नहीं मानती बल्कि अपने संचित अनुभवों की पीड़ा का ज्ञान भी उसे देना चाहती है। वह उसे भावी जीवन का यथार्थ पाठ पढ़ाना चाहती है।

व्याख्या : कवि कहता है कि माँ ने अपना जीवन जीते हुए जिन दुखों को भोगा था; सहा था, कन्यादान के समय अपनी बेटी को वह सब समझाना और उसे इसकी जानकारी देना उसके लिए बहुत अधिक आवश्यक था। उसकी बेटी ही उसकी अंतिम संपत्ति थी। जीवन के सारे सुख-दुख वह अपनी बेटी के साथ ही बाँटती थी। चाहे वह बेटी का विवाह कर रही थी, पर अभी उसकी बेटी अधिक समझदार नहीं थी; उसने दुनियादारी को नहीं समझा था।

वह अभी बहुत भोली और सीधी-सादी थी। वह दुखों की उपस्थिति को महसूस तो करती थी, लेकिन अभी उसे दुखों को भली-भाँति समझना और पढ़ना नहीं आता था। ऐसा लगता था कि अभी वह धुंधले प्रकाश में जीवन रूपी कविता की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ना ही जानती थी, पर उनके अर्थ समझना उसे नहीं आता था अर्थात वह दुनियादारी की ऊँच-नीच को अभी भली-भाँति नहीं समझती थी। उसमें इतनी समझदारी नहीं आई थी कि वह दुनिया के भेदभावों को समझ कर स्वयं निर्णय कर सके।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोतर –

1. अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. माँ के दुख को कवि ने क्या माना है?
3. अंतिम पूँजी कौन और क्यों थी?
4. ‘लड़की का दान’ से क्या तात्यर्य है?
5. विवाह के समय लड़की कैसी थी?
6. लड़की को किसका आभास था?
7. लड़की को क्या करना नहीं आता था?
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से क्या तात्पर्य है?
9. पाठिका किसे कहा गया है?
उत्तर :
1. कवि ने कविता के द्वारा बदल चुकी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था की ओर संकेत किया है। माँ के पास अब बेटी के विवाह के समय उसके प्रति कोरी भावुकता और प्रेम का भाव नहीं होता, बल्कि वह अपनी बेटी को शिक्षा देते समय जीवनभर के इकट्ठे अपने अनुभवों की पीड़ा को प्रामाणिक रूप से प्रकट करती है ताकि वह उन अनुभवों से शिक्षा ले और अपने जीवन को सही ढंग से जिए। वह जीवन में कभी कष्ट न उठाए।2. कवि ने माँ के दुखों को प्रामाणिक माना है, क्योंकि उसने अपने जीवन में उन्हें सहा है।
3. माँ की अंतिम पूँजी बेटी थी, क्योंकि वह अपने जीवन के हर सुख-दुख उसके साथ बाँटती है। बेटी ही माँ के सबसे निकट और उसके दुखसुख की साथी होती है।
4. ‘लड़की का दान’ से तात्पर्य लड़की के विवाह से है। युगों से चली आने वाली परंपरा में विवाह के समय कन्यादान का प्रचलन है।
5. विवाह के समय लड़की भोली-भाली और सीधी-सादी थी।
6. लड़की को सुख का आभास था, क्योंकि माता-पिता ने उसे केवल सुख ही प्रदान किए थे। उन्होंने अपनी बेटी को दुखों का अनुभव होने ही नहीं दिया था।
7. लड़की को दुखों की भयानकता को समझना नहीं आता था।
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से कवि का तात्पर्य उस सामान्य ज्ञान से है, जो विवाह से पहले लड़की को परिवार में रहते हुए प्राप्त होता है, जिसमें दुखों की मात्रा या तो होती ही नहीं या वे बहुत कम होते हैं।
9. पाठिका उस लड़की को कहा गया है, जो जीवन के सामान्य ज्ञान को अभी प्राप्त कर रही थी।

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सदिय-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण के भाव को स्पष्ट कीजिए।
2. किस बोली का प्रयोग किया गया है?
3. कवि ने किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है?
4. कवि के कथन को किस शब्द-शक्ति के प्रयोग ने गहनता-गंभीरता प्रदान की है?
5. कौन-सा काव्य-गुण विद्यमान है?
6. किस काव्य-रस का प्रयोग किया गया है?
7. भावों को स्पष्ट करने के लिए किनका प्रयोग किया गया है?
8. किस छंद का प्रयोग है?
9. दो तद्भव शब्द लिखिए।
10. दो तत्सम शब्द लिखिए।
11. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
12. ‘धुंधला प्रकाश’ प्रतीक को स्पष्ट करें।
उत्तर :
1. कवि ने माँ के द्वारा बेटी को परंपराओं से हटकर शिक्षा देने की ओर संकेत किया है, जिससे आधुनिक समाज व्यवस्था में आए परिवर्तनों का बोध होता है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
4. लाक्षणिकता के प्रयोग ने कवि के कथन को गहनता-गंभीरता प्रदान की है।
5. प्रसाद गुण विद्यमान है।
6. शांत रस है।
7. प्रतीकात्मकता का प्रयोग किया गया है।
8. अतुकांत छंद है।
9. दान, सयानी।
10. प्रामाणिक, प्रकाश
11. अनुप्रास-दान में देते वक्त उत्प्रेक्षा-जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो।
12. अस्पष्ट सुख।

2. माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियां सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।

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शब्दार्थ : रीझना – आकृष्ट होना। आभूषण – गहने। भ्रमों – धोखों।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। कवि ने आधुनिक युग में समाज में आए परिवर्तनों के आधार पर विवाह के समय माँ की ओर से बेटी को शिक्षा दी है; उसे सचेत किया है। आज के बदलते समाज में कोरे आदर्शों की कमजोरी का कोई महत्व शेष नहीं बचा है।

व्याख्या : कवि के अनुसार माँ कन्यादान के समय अपनी लड़की को समझाते हुए कहती है कि पानी में झाँककर अपने चेहरे की सुंदरता की ओर केवल निहारते न रहना। केवल अपनी सुंदरता और बनाव-श्रृंगार की ओर ध्यान देना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि परछाई दिखाने वाले उस पानी की गहराई के बारे में जान लेना आवश्यक है। जो पानी परछाई दिखाता है और सुंदरता के प्रति तुम्हें आकर्षित करता है, वह डूबने पर मृत्यु का कारण भी बन सकता है; उससे सावधान रहना।

आग केवल रोटियाँ सेंकने के लिए होती है। वह जलने और जलकर मर जाने के लिए नहीं होती, इसलिए उसका शिकार न बनना। नारी जीवन को भ्रम में डालने वाले तरह-तरह के वस्त्र और गहने हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं, जो स्त्री को जीवन में बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। माँ ने अपनी लड़की को समझाते हुए कहा कि तुम लड़की बने रहना, पर कभी भी लड़की की तरह दिखाई न देना; सजग और सचेत रहना। समाज में व्याप्त परिवर्तनों को भली-भाँति समझना। यह संसार निर्मम है, इसलिए उसे भली-भाँति समझना।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. कवि ने ‘आग’ और ‘पानी’ का क्या प्रतीक स्पष्ट किया है ?
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण क्या हैं ?
4. माँ ने अपनी लड़की को क्या समझाया?
5. लड़की की माँ लड़की से क्या उम्मीद रखती है?
6. ‘लड़की होने से क्या तात्पर्य है?
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में क्या हो रहा था ?
8. माँ ने चेहरे पर रीझने के लिए क्यों मना किया?
उत्तर :
1. माँ ने लड़की को अपने व्यवहार के प्रति सजग रहने की शिक्षा दी है और उससे कहा है कि वह लड़की की तरह रहे, पर लड़की की तरह कमज़ोर और असहाय न बने।
2. ‘आग’ और ‘पानी’ जीवन के प्रतीक हैं, पर यह केवल जीवन देने वाले नहीं हैं बल्कि जीवन लेने वाले भी हैं।
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं।
4. माँ ने अपनी लड़की को समझाया कि उसे लड़की की तरह होना तो चाहिए, पर उसका व्यवहार कमज़ोर नहीं होना चाहिए। उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए।
5. लड़की की माँ लड़की से उम्मीद रखती है कि वह विवाह के बाद घर-गृहस्थी के सारे काम तो करे पर शोषण का शिकार न बने। वह किसी भी अवस्था में अपनी स्वतंत्रता न खोए।
6. लडकी होने से तात्पर्य भोलेपन, सरलता, कोमलता, समर्पण आदि के भावों को बनाए रखना है।
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में बेचैनी और पीड़ा के भाव थे कि वह भी कहीं ससुराल की ओर से दी जाने वाली पीड़ा का शिकार न बन जाए। कहीं उसे भी दहेज के लालची आग में न झोंक दें।
8. ससुराल वालों से झूठी प्रशंसा को पाकर कहीं बेटी शोषण का शिकार न बन जाए। अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुनकर भ्रमित न हो जाए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. कवि ने नारी को किनके प्रति सचेत किया है ?
2. किस शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है?
3. किस बोली का प्रयोग है?
4. शब्दावली किस प्रकार की है?
5. किस छंद का प्रयोग है?
6. काव्य-रस कौन-सा है?
7. सांकेतिकता का एक उदाहरण दीजिए।
8. दो तद्भव शब्द लिखिए।
9. दो तत्सम शब्द लिखिए।
10. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने समाज के आधुनिक रूप के प्रति नारी को सचेत किया है कि उसे समाज के व्यवहार के प्रति सदा सजग रहना चाहिए।
2. लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है।
3. खड़ी बोली।
4. सामान्य शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
5. छंद रहित अभिव्यक्ति है।
6. शांत रस है।
7. माँ ने कहा पानी में झाँक कर अपने चेहरे पर मत रीझना।
8. चेहरे, लड़की
9. आभूषण, भ्रम
10. विरोधाभास – माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
उपमा – वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं स्त्री-जीवन के।

कन्यादान Summary in Hindi

कवि-परिचय :

आधुनिक युगबोध और यथार्थ के कवि ऋतुराज की नई कविता के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान है। इनका जन्म सन 1940 में राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने अध्ययन-अध्यापन को ही आजीविका का साधन बनाया था। चालीस वर्ष तक अंग्रेजी साहित्य पढ़ने-पढ़ाने के बाद अब ये सेवा-निवृत्त होकर जयपुर में रहते हैं।

इन्होंने हिंदी कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है और अब तक इनकी आठ रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें से प्रमुख हैं – एक मरणधर्मा और अन्य, पुल पर पानी, सुरत निरत, लीला मुखारविंद। साहित्य सेवा के लिए इन्हें सोमदत्त परिमल सम्मान, मीरा पुरस्कार, पहल सम्मान और बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्यिक विशेषताएँ – ऋतुराज ने अपनी कविता में आज के मानव की दशा को प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। इनकी कविता आधुनिकता, सामाजिक दायित्व, स्वाभिमान और विश्व-बंधुत्व की प्राप्ति से आलोकित है। इन्होंने न तो किसी को धूल बनाने की कोशिश की है और न ही हवा में ऊपर उठाने की। कवि अत्यंत सहज भाव से अन्याय, दमन, शोषण और रूढ़िग्रस्त जर्जर संस्कारों से जूझना चाहता है।

कहीं-कहीं कवि की विद्रोह- भावना व्यक्त हुई है। कवि ने आज के मानव के संघर्ष को कविता में स्थान दिया है। वह नई मर्यादाओं की स्थापना के लिए आगे बढ़ने में विश्वास रखता है। उसने उन लोगों को अपनी कविता का आधार बनाया है, जिन्हें समाज में अधिक महत्व प्राप्त नहीं हुआ।

ऋतुराज ने बड़ी-बड़ी दार्शनिक बातों को कहने की जगह दैनिक जीवन के अनुभव का यथार्थ प्रकट किया है। वे अपने आस-पास रोजमर्रा में घटित होने वाले सामाजिक शोषण और विडंबनाओं पर दृष्टि डालते हैं। इन्होंने परंपराओं से हटकर नए मूल्यों की स्थापना करने का प्रयत्न किया है। इनकी कविताओं में कोरी भावुकता नहीं है, बल्कि ये यथार्थ का दर्शन करने में सक्षम हैं –

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के

कवि ने कृत्रिम भाषा का प्रयोग नहीं किया है। इनकी भाषा अपने वातावरण और लोक जीवन से जुड़ी हुई है। इन्होंने बिंबों का सजीव चित्रण किया है। इनकी भाषा में तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज समन्वित प्रयोग दिखाई देता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

कविता का सार :

कवि ने ‘कन्यादान कविता में माँ-बेटी के आपसी संबंधों की घनिष्ठता को प्रतिपादित करते हुए नए सामाजिक मूल्यों को परिभाषित करने का प्रयत्न किया है। माँ अपनी युवा होती बेटी के लिए पहले कुछ और सोचती थी, पर सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन के कारण अब कुछ और सोचती है। पहले उसके मन में कुछ अलग तरह के डर के भाव छिपे हुए थे, पर अब उनकी दिशा और मात्रा बदल गई है।

इसलिए वह अपनी बेटी को परंपरागत उपदेश नहीं देना चाहती। उसके आदर्शों में भी परिवर्तन आ गया है। बेटी ही माँ की अंतिम पूँजी होती है, क्योंकि वह उसके दुख-सुख की साथी होती है। बेटी अभी पूरी तरह से बड़ी नहीं हुई। वह भोली-भाली और सरल है। उसे सुखों का आभास तो होता है, पर उसे जीवन के दुखों की ठीक से पहचान नहीं है। वह धुंधले प्रकाश में कुछ तुक और लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने का प्रयास मात्र करती है। माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि उसे जीवन में संभलकर रहना पड़ेगा।

वह अपनी बेटी को पानी में झाँककर अपने ही चेहरे पर न रीझने और आग से बचकर रहने की सलाह देती है। आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, न कि जलने के लिए। वस्त्रों और आभूषणों का लालच उसे जीवन के बंधन में डालने का कार्य करता है। माँ ने कहा कि उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए। उसे सजग, सचेत और दृढ होना चाहिए। जीवन की हर स्थिति का निर्भयतापूर्वक डटकर सामना करना आना चाहिए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती-पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डाल सकती। लेखक बचपन में जहाँ रहता था, वहाँ पर अधिकतर घर राजस्थान या हरियाणा से आकर बसे हुए लोगों के थे। वहाँ पर उन लोगों के व्यापार तथा दुकानदारी थी। उन लोगों की भाषा और रहन-सहन स्थानीय लोगों से भिन्न था। उनकी बोली बहुत कम समझ में आती थी। कुछ शब्द तो ऐसे थे, जिन्हें सुनकर हँसी आती थी। परंतु खेल के समय उन लोगों की भाषा में कोई अंतर नहीं आता था। वे सब एक-दूसरे की भाषा को अच्छी तरह समझ लेते थे। इसलिए लेखक ने कहा है कि भाषा आपसी व्यवहार में कोई बाधा नहीं बनती।

प्रश्न 2.
पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पीटी मास्टर प्रीतम चंद बहुत सख्त स्वभाव और अनुशासन में रहने वाले व्यक्ति थे। वे छोटी-से-छोटी गलती पर भी बच्चों को बुरी
तरह मारते थे। बच्चों ने उन्हें कभी भी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। वे उनसे बहुत डरते थे कि पता नहीं कब ‘खाल खींचने’ वाला मुहावरा प्रत्यक्ष हो जाए। बच्चों को स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती थी, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों को वह शाबाश फ़ौज के तमगों जैसी लगती थी। बच्चों को लगता कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण कार्य अच्छे : ढंग से संपन्न किया है, जिस कारण पीटी साहब से शाबाश रूपी तमगा मिला है।

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प्रश्न 3.
नयी श्रेणी में जाने और नयी कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?
उत्तर :
लेखक को नई श्रेणी में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे नई कॉपियों और पुरानी किताबों में से एक अजीब-सी गंध आती थी। वह उस गंध को कभी नहीं समझ सका लेकिन वह गंध उसे उदास कर देती थी। इसके पीछे कारण हो सकता है कि नई श्रेणी की पढ़ाई मास्टरों से पड़ने वाली मार का भय उसके मन में गहरी जड़ें जमा चुका था, इसलिए नई कक्षा में जाने पर लेखक को खुशी नहीं होती थी। पाठ को अच्छी तरह समझ न आने पर मास्टरों से चमड़ी उधेड़ने वाले मुहावरों को प्रत्यक्ष होते हुए देखना ही उसे अंदर तक उदास कर देता था।

प्रश्न 4.
स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?
उत्तर :
लेखक को अपने स्कूल में यदि कुछ अच्छा लगता था तो वह था-स्काउट परेड। स्काउट परेड के लिए धोबी से धुली खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते पहनने को मिलते थे। परेड करते समय मास्टर प्रीतम चंद विह्सल बजाते हुए लेफ्ट-राइट, राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाउट टर्न कहते थे। उस समय छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एकदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक से आगे बढ़ते जाना उन्हें अच्छा लगता था। उस समय वे स्वयं को विद्यार्थी नहीं फ़ौजी जवान समझते थे।

प्रश्न 5.
हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?
उत्तर :
पीटी उन्हें मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा को फ़ारसी भाषा पढ़ाते थे। बच्चों के लिए फ़ारसी भाषा अंग्रेज़ी से भी कठिन थी। फ़ारसी पढ़ाते हुए उन्हें अभी एक सप्ताह हुआ था कि उन्होंने चौथी कक्षा के छात्रों को एक शब्द-रूप याद करके लाने और अगले दिन सुनाने का आदेश दिया। शब्द-रूप बहुत कठिन था। मार के डर से बच्चे सारा दिन शब्द-रूप याद करते रहे, परंतु वह उन्हें याद नहीं हुआ। अगले दिन कोई भी बच्चा शब्द-रूप नहीं सुना पाया। पीटी साहब ने अपने सख्त स्वभाव के अनुरूप बच्चों को झुककर टाँगों में से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा सुनाई। कमजोर बच्चे तीन-चार मिनट में ही थकने लगे। हेडमास्टर शर्मा जी ने जब यह दृश्य देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने पीटी साहब को बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करने पर मुअत्तल कर दिया।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
अथवा
स्कूल किस प्रकार की स्थिति में अच्छा लगने लगता है और क्यों?
उत्तर :
लेखक को स्कूल कभी भी ऐसी जगह नहीं लगता था, जहाँ खुशी से जाया जाए। स्कूल जाना उसके लिए एक सज़ा के समान था। परंतु एक-दो अवसर ऐसे होते थे, जब उसे स्कूल जाना अच्छा लगता था। पीटी मास्टर जब स्कूल में स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते थे, उस समय वे बच्चों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे। मास्टर जी के वन, टू, थ्री कहने पर बच्चे झंडियों को ऊपर नीचे, दाएँ-बाएँ करते थे। उस समय हवा में लहराती हुई झंडियाँ बच्चों को अच्छी लगती थीं। उन्हें पहनने के लिए खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते मिलते थे। गले में दोरंगा रूमाल पहनने को मिलता था। उस समय स्कूल के सभी बच्चे खुशी-खुशी स्कूल जाते थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 7.
लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति बहादुर बनने की कल्पना किया करता था?
उत्तर :
लेखक के छात्र जीवन में अप्रैल से स्कूल आरंभ होते थे। डेढ़ महीना स्कूल जाने के बाद उन्हें डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। पहला एक महीना वे खेल-कूद में व्यतीत करते थे या फिर अपनी माँ के साथ ननिहाल जाते थे। यदि ननिहाल नहीं जाते, तो घर के पास तालाब में नहाते और पास के टीले की रेत से खेलते थे। रेत से खेलना और तालाब में नहाने का क्रम अनगिनत बार चलता था।

जब छुट्टियों का एक महीना शेष बचता था, तो स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब वाले मास्टर दो सौ से कम सवाल नहीं देते थे। वे दस सवाल हर रोज़ करने की योजना बनाते। इस प्रकार दो सौ सवाल बीस दिन में पूरे हो जाएंगे, ऐसा सोचकर फिर खेल में लग जाते थे। इस प्रकार पंद्रह दिन निकल जाते थे। फिर वे पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचते थे। लेखक के कई साथियों को छुट्टियों में स्कूल का काम करने की अपेक्षा मास्टर के हाथों से मार खाना सस्ता सौदा लगता था। लेखक के साथियों में ‘ओमा’ नाम का एक साथी था, जो बहुत बहादुर था। लेखक भी काम करने की अपेक्षा ‘ओमा’ की तरह बहादुर बनकर मार खाने के लिए तैयार हो जाता था।

प्रश्न 8.
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
1. व्यक्तित्व – मास्टर प्रीतम चंद देखने में दुबले-पतले लगते थे, परंतु उनका शरीर गठीला था। उनका कद छोटा था। चेहरे पर माता के दाग थे। उनकी आँखें बाज़ जैसी तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और फ़ौजियों वाले भारी-भरकम बूट पहनते थे। बूटों की ऊँची एड़ियों – के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। पंजों के नीचे मोटे सिरों वाले कील लगे हुए थे। उनका पूरा व्यक्तित्व बच्चों को भयभीत करने वाला था।

2. अनुशासन पसंद – मास्टर प्रीतम चंद अनुशासन में रहना पसंद करते थे। उन्हें अनुशासनहीनता पसंद नहीं थी। स्कूल में प्रार्थना के समय सभी लड़के कद के अनुसार कतारों में सीधे खड़े होते थे। यदि कोई लड़का हिलता हुआ दिखाई दे जाता था, तो मास्टर प्रीतम चंद उस लड़के को वहीं बुरी तरह मारने लगते थे।

3. कठोर स्वभाव – मास्टर प्रीतम चंद का स्वभाव बहुत कठोर था। बच्चे उनसे बहत डरते थे। बच्चों ने उन्हें कभी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों के लिए वह ‘शाबास’ किसी फ़ौजी तमगे से कम नहीं होती थी। पीटी साहब के मुंह से निकली ‘शाबाश’ सारा साल कॉपियों पर मास्टरों से मिलने वाली ‘गुडों’ से ऊपर होती थी।

4. भावना रहित – मास्टर प्रीतम चंद में मानवीय भावनाएँ बिलकुल नहीं थीं। वे छोटे-छोटे बच्चों को छोटी-से-छोटी गलती पर बड़ी-से-बड़ी सजा देने में झिझकते नहीं थे। एक बार मास्टर प्रीतम चंद ने चौथी कक्षा के बच्चों को शब्द-रूप याद करके न आने पर उन्हें झुककर टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा दी। कमजोर और छोटे बच्चे तीन-चार मिनट में ही जलन और थकान के कारण गिर पड़े, परंतु मास्टर जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। अपने इसी अमानवीय व्यवहार के कारण उन्हें हेडमास्टर शर्मा जी ने नौकरी से निकाल दिया था।

5. पक्षी प्रेम – मास्टर प्रीतम चंद को छोटे-छोटे बच्चों के साथ कोई दया या प्रेम नहीं था, परंतु उन्हें पक्षियों से प्रेम था। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। वे उन तोतों को बादाम की गिरियाँ खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करते थे। पीटी साहब का पक्षियों से मीठी-मीठी बातें करना बच्चों को एक चमत्कार लगता था। जो अध्यापक स्कूल में बच्चों को निर्दयता से मारे और घर में पक्षियों के साथ अच्छा व्यवहार करे, यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। पीटी साहब को अपने कठोर और अमानवीय स्वभाव के कारण ही स्कूल से मुअत्तल किया गया था। उन्हें अपनी गलती पर कोई पछतावा नहीं था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 9.
विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
लेखक के अनुसार उनके साथ विद्यार्थी जीवन में बहुत कठोर और अमानवीय व्यवहार किया जाता था। उनके मन में अध्यापकों की मार का इतना डर बैठ गया था कि उन्हें नई कक्षा में जाने की कोई खुशी नहीं होती थी। स्कूल उन्हें एक जेल के समान लगता था, जहाँ वे कैद की सजा काटने के लिए जाते थे। अधिकतर बच्चे स्कूल जाने की अपेक्षा माँ-बाप के साथ उनके काम में हाथ बँटाना अधिक उचित मानते थे।

वर्तमान समय में स्कूल के अध्यापक बच्चों को कठोर शारीरिक दंड नहीं देते। यदि कोई अध्यापक ऐसा करता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। वर्तमान में अध्यापकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है। पढ़ाई में कमजोर बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, उन्हें प्रशिक्षण के समय सिखाया जाता है।

यदि कोई शरारती बच्चा हो, जो प्यार से समझाने से भी नहीं समझता, उस पर माँ-बाप के कहने पर ही सख्ती की जाती है या उसे बाल मनोचिकित्सक से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है। वर्तमान समय में बच्चों को आने वाले कल का निर्माता समझा जाता है। इसलिए उनके मन में स्कूल के प्रति भय को निकालने के लिए स्कूल का वातावरण खुशहाल बनाया जाता है जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास हो सके।

प्रश्न 10.
बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों कीं। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।
उत्तर :
बचपन की यादें कभी किसी को नहीं भूलतीं। उन दिनों मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था। घर से स्कूल के रास्ते में एक बड़ी-सी कोठी थी। उसमें बाहरी दीवार के पास फलों के अनेक पेड़ उगे थे। मैं अपने मित्रों के साथ बाहर से पत्थर फेंककर फलों को प्रायः तोड़ने की कोशिश करता था। कभी-कभी कोई फल टूटकर बाहर भी आ गिरता था और हम उस कच्चे-पक्के फल को पाकर इतने प्रसन्न हुआ करते थे, जैसे हमें कोई खजाना मिल गया हो।

हमारे घर के पास एक जोहड़ था। हम हर रोज़ उसके किनारे बैठकर उसमें तैरते-उछलते मेंढकों को घंटों देखा करते थे। वे कभी पानी में डुबकी लगाते थे, तो कभी किनारे पर आ जाते थे। जब वे गले की झिल्ली फुलाकर टर्र-टरी किया करते थे, तो हमें बड़ा मज़ा आता था।

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प्रश्न 11.
प्रायः अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए –
(क) खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं?
(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर :
(क) जीवन में खेल का बहुत महत्व है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेल परम आवश्यक है। स्वस्थ शरीर वाला व्यक्ति संसार के सभी सुखों को प्राप्त करता है। खेल-कूद से शरीर ही स्वस्थ नहीं रहता अपितु उसका बौद्धिक विकास भी होता है। इससे मनुष्य को मानसिक थकावट नहीं होती; शरीर में स्फूर्ति आती है; शिथिलता और आलस्य दूर भागता है। खेलने से बच्चों में एकता की भावना का विकास होता है। उनमें मिल-जुलकर रहने की आदत का विकास होता है। दूसरे बच्चों के साथ खेलने से बच्चे अकेलेपन का शिकार नहीं होते। खेल से बच्चों में नेतृत्व, अनुशासन, धैर्य, सहनशीलता, मेल-जोल, सहयोग आदि के गुण स्वतः ही विकसित हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए खेल ज़रूरी है।

(ख) खेल से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। परंतु अधिक खेलना बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है। इसलिए बच्चों के लिए कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे उनके खेलने और पढ़ाई में संतुलन बना रहे। बच्चों को खेलने का समय निर्धारित करना चाहिए। खेलने से पहले उन्हें अपना स्कूल का कार्य समाप्त कर लेना चाहिए। इससे अभिभावकों को भी उनके खेलने से परेशानी नहीं होगी। खेलने के बाद कुछ शारीरिक थकावट अवश्य होती है, परंतु कुछ देर आराम करने के बाद शरीर और दिमाग ताजगी से भर जाते हैं।

उस समय स्कूल से मिले अन्य कार्य पूरे किए जा सकते हैं तथा माता-पिता के कार्य में उनकी सहायता की जा सकती है। बच्चों को ऐसे खेल खेलने चाहिए जिनमें चोट लगने का डर न हो। उन्हें सड़क के बीच में नहीं खेलना चाहिए। खेल ऐसे न हों, जिनसे उन्हें या दूसरों को कोई नुकसान पहुँचे। खेलने के लिए खुले स्थान का चुनाव करना चाहिए, जो घर से अधिक दूर न हो। यदि बच्चे अपने बनाए नियमों का उचित ढंग से पालन करें, तो अभिभावक भी उनको खेलने से मना नहीं करेंगे। अभिभावकों को भी पता होता है कि खेलने से बच्चों में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक गुणों का विकास होता है।

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक के साथ खेलने वाले बच्चों की हालत कैसी होती थी?
उत्तर :
लेखक के साथ खेलने वाले सभी बच्चों का हाल एक जैसा होता था। बच्चों के पैर नंगे होते थे। उन्होंने फटी-मैली कच्छी पहनी होती थी। उनके कुर्ते बिना बटनों के होते थे। कई बच्चों के कुर्ते फटे हुए भी होते थे। अधिकतर बच्चों को खेलते समय चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर पहुँचकर माँ, बहन या पिताजी से बहुत मार पड़ती थी। किसी को भी चोट में से बहते खून को देखकर तरस नहीं आता था।

प्रश्न 2.
लेखक के समय में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में दिलचस्पी क्यों नहीं लेते थे?
उत्तर :
लेखक के समय में बच्चों या अभिभावकों को स्कूल में कोई खास दिलचस्पी नहीं होती थी। जिन बच्चों की पढ़ाई में रचचि नहीं होती थी, वह अपना बस्ता किसी तालाब में फेंक आते और फिर कभी स्कूल नहीं जाते थे। अभिभावक भी बच्चों को अपने साथ अपने काम में लगा लेते थे। उनके अनुसार पढ़-लिखकर उन्होंने कौन-सा तहसीलदार बनना था। उनकी यही सोच बच्चों को स्कूल से दूर रखती थी।

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प्रश्न 3.
“बचपन में घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है”-लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
बचपन में बच्चे हर प्रकार के भेदभाव, समस्याओं तथा छल-कपट से दूर होते हैं। उनकी अपनी अलग दुनिया होती है, जिसमें वे मस्त रहते हैं। वे इस बात से बेखबर होते हैं कि उनके आस-पास के संसार में क्या हो रहा है। वे अपने दुख में दुखी और अपनी खुशी में खुश होते हैं, इसलिए उनके लिए अपने आस-पास का वातावरण अधिक खुशगवार और सुहावना होता है। उन्हें पतझड़ में भी बहार दिखाई देती है। बचपन में बच्चे अल्हड़ और अलमस्त होते हैं, इसलिए उन्हें घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है।

प्रश्न 4.
लेखक को बचपन में स्कूल जाते समय किन-किन चीज़ों की महक आज भी याद है?
उत्तर :
लेखक को अपने बचपन के दिन और स्कूल आज भी अच्छी तरह याद हैं। कुछ चीज़ों की महक उसे आज भी अच्छी तरह से याद है। उनके स्कूल के अंदर जाने के रास्ते के दोनों ओर अलियार के बड़े ढंग से कटे-छाँटे झाड़ उगे हुए थे। उनमें से आने वाली नीम के पत्तों जैसी महक लेखक आज भी आँख बंद करके अनुभव कर सकता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे होते थे। उन फूलों को वे चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे। उन फूलों की तेज़ गंध को भी लेखक आँख बंद करके अनुभव कर सकता है।

प्रश्न 5.
लेखक बचपन में अपनी छुट्टियों को किस प्रकार व्यतीत करता था?
अथवा
तालाब में तैरने का आनंद लेखक कैसे लेता था?
उत्तर :
लेखक अपनी छुट्टियाँ खेलने-कूदने में व्यतीत करता था। छुट्टियाँ होते ही वह अपनी माँ के साथ नाना के घर चला जाता था। वहाँ का तालाब भी उनके घर के पास वाले तालाब जितना ही बड़ा था। दोपहर तक तालाब पर नहाते थे, फिर घर आकर नानी से कुछ भी माँगकर खा लेते थे। जिस साल लेखक नाना के घर नहीं जाता था, उस साल अपने घर के पास बने तालाब में मित्रों के साथ नहाता था। तालाब में नहाकर वे पास के टीले की रेत में खेलते थे। उस टीले की गरम रेत को अपने शरीर पर लगाते थे। फिर रेत को धोने के लिए तालाब में छलाँग लगाते थे। ऐसा दिन में कितनी बार करते थे, यह उन्हें याद नहीं था। ऐसे ही उनकी छुट्टियाँ खेल-कूद में बीत जाती थीं।

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प्रश्न 6.
पाठ में वर्णित ‘ओमा’ का व्यक्तित्व कैसा था?
अथवा
ओमा का लड़ाई करने का क्या ढंग था?
उत्तर :
लेखक के साथियों में ‘ओमा’ उनका नेता था। ओमा बहुत बहादुर था। वह किसी से नहीं डरता था। उस जैसा लड़का उनके समूह में नहीं था। ओमा’ की सूरत सबसे भिन्न थी। उसका सिर बहुत बड़ा था, ऐसा लगता था जैसे बड़ा मटका हो। उसका कद छोटा था, इसलिए छोटे कद पर बड़ा सिर अजीब लगता था। उसका सिर जितना बड़ा था, चेहरा उतना ही छोटा था। उसकी बातें, गालियाँ और मारपीट का ढंग अलग ही था। वह अपने हाथ-पैरों से नहीं लड़ता था। वह अपने सिर से लड़ने वाले की छाती पर वार करता था। उससे दुगुने शरीर वाले लड़के भी उसके वार को सहन नहीं कर सकते थे। उसके सिर की चोट पड़ते ही लड़के दर्द से चिल्लाने लगते थे। उसके सिर की टक्कर को लड़के ‘रेल-बम्बा’ कहकर बुलाते थे।

प्रश्न 7.
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव कैसा था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव सरल था। वह कभी किसी की पिटाई नहीं करते थे। वह पाँचवीं कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ाते थे। वह उस समय के मास्टरों से भिन्न थे। वे बच्चों की चमड़ी उधेड़ने में विश्वास नहीं करते थे। यदि उन्हें किसी बच्चे पर क्रोध आ भी जाता तो वे जल्दी आँखें सकपकाने लगते थे। अपने हाथ से इस प्रकार थप्पड़ लगाते थे, जैसे हाथ में नमकीन पापड़ी पकड़ ली हो। बच्चों को उनके पीरियड में पढ़ना सबसे अधिक अच्छा लगता था।

प्रश्न 8.
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर किस प्रकार उसकी पढ़ाई पूरी हुई थी?
उत्तर :
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी। उस समय एक-दो रुपये में सारी किताबें आ जाया करती थीं, परंतु यह उस समय में बड़ी रकम समझी जाती थी, जिससे घर का गुजारा अच्छी तरह हो सकता था। इसलिए उन दिनों अमीर परिवारों के बच्चे स्कूल जाया करते थे। लेखक अपने दो परिवारों में पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। उसके परिवार की स्थिति देखते हुए हेडमास्टर शर्मा जी एक अमीर बच्चे की किताबें लाकर उसको दे देते थे। कॉपियों, पेंसिलों, होल्डर या स्याही-दवात पर साल भर में मुश्किल से एक या दो रुपये खर्च होता था। यदि हेडमास्टर शर्मा जी उसकी मदद नहीं करते, तो उसकी तीसरी-चौथी कक्षा में ही पढ़ाई छूट जाती।

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प्रश्न 9.
आज का बचपन लेखक के बचपन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :
आज का बचपन लेखक के बचपन से बहुत भिन्न है। आजकल के बच्चों के पास पहले के बच्चों की तरह न खेलने का समय है आज और न ही खुला स्थान है। बच्चों को बचपन से ही बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनने के लिए उकसाया जाता है, जिससे बच्चे महत्वाकांक्षी बन जाते हैं। वे भी अपना भविष्य बनाने के लिए खेल-कूद को बेकार समझने लगते हैं। आज के बच्चे लेखक के मस्त, अल्हड़ या ब समाप्त होती जा रही है। बच्चों के सार्वभौमिक विकास के लिए उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए, जिससे वे बड़े होकर एक अच्छा नागरिक बन देश और समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

प्रश्न 10.
ननिहाल जाने पर लेखक को क्या सुख मिलता था?
उत्तर :
छुट्टियों में लेखक अपनी माँ के साथ ननिहाल चला जाता था। वहाँ नानी उसे खूब दूध, दही, मक्खन खिलाती थी। वह उसे बहुत प्यार करती थी। वहाँ वह तालाब में खब नहाता और बाद में नानी से जो मन में आता, माँगकर खाता था।

प्रश्न 11.
फ़ौज में भर्ती करने के लिए अफ़सरों के साथ नौटंकी वाले क्यों आते थे?
उत्तर :
लेखक जहाँ रहता था, वहाँ के लोगों को अंग्रेज़ ‘जबरन’ फ़ौज में भर्ती नहीं कर पा रहे थे। इसलिए लोगों को फ़ौज में भर्ती होने का लालच देने के लिए वे नौटंकी वालों के साथ आते और रात को गाँव में खुले मैदान में शामियाने लगाकर नौटंकी वालों से फ़ौज के सुख-आराम, बहादुरी आदि के दृश्यों का मंचन करवाते थे। इसके साथ ही कुछ मसखरे गाने भी गाते थे, जिनसे आकर्षित होकर कई नौजवान फ़ौज में भर्ती होने के लिए तैयार हो जाते थे।

प्रश्न 12.
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक क्या सोचा करता था ?
उत्तर :
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक उन बहादुर लड़कों के समान यह सोचा करता था कि छुट्टियों का काम करने की बजाय मास्टरों की पिटाई अधिक सस्ता सौदा है। ऐसे में उसे ओमा याद आ जाता था, जो उन जैसे सब लड़कों का नेता था।

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प्रश्न 13.
हेडमास्टर साहब का विद्यार्थियों के साथ कैसा व्यवहार था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का अपने विद्यार्थियों के साथ व्यवहार अत्यंत मृदुल था। वे पाँचवीं और आठवीं कक्षा को अंग्रेजी पढ़ाते थे। वे कभी भी किसी विद्यार्थी को डाँटते नहीं थे। जब कभी उन्हें गुस्सा आता, तो वे बहुत जल्दी-जल्दी अपनी आँखें झपकाते हुए उल्टी उँगलियों से एक हल्की-सी चपत लगा देते थे। यह चपत विद्यार्थियों को भाई भीखे की नमकीन पापड़ी जैसी मज़ेदार लगती थी।

सपनों के-से दिन Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘सपनों के-से दिन’ पाठ के लेखक ‘गुरदयाल सिंह’ हैं। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन किया है। बच्चों को स्कूल की पढ़ाई से अधिक साथियों के साथ खेलना अच्छा लगता है। स्कूल उन्हें जेल के समान प्रतीत होता है। लेखक बचपन में जिन बच्चों के साथ खेलता था, उन सभी की पारिवारिक स्थिति लगभग एक जैसी थी। प्राय: सभी बच्चे मैली कच्छी और टूटे बटनों वाला कुर्ता पहने हुए होते थे। खेलते हुए प्रायः घुटने, पैर और पिंडलियों पर चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर में किसी को तरस नहीं आता था।

चोट देखकर माँ, बहन या पिता के हाथ से जोरदार पिटाई होती थी। पिटाई होने के बावजूद बच्चे फिर अगले दिन खेलने के लिए तैयार हो जाते थे। लेखक और उसके साथियों में से अधिकतर बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। उन दिनों यदि बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था, तो माँ-बाप भी उनके साथ जबरदस्ती । नहीं करते थे। वे भी बच्चों को अपने साथ काम में लगा लेते थे।

थोड़ा-सा बड़े होने पर वे बच्चों को बहीखाते का हिसाब-किताब सिखा देना आवश्यक समझते थे। बचपन में बच्चों को सबकुछ अच्छा लगता था, केवल उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। लेखक को अपने स्कूल जाने का रास्ता याद था, जिसके दोनों ओर काँटेदार झाड़ियाँ थीं। उनके पत्तों की महक नीम जैसी थी, जिसे लेखक आज भी अपनी साँसों में अनुभव करता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे हुए थे, जिन्हें वे लोग चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे।

उन फूलों की खुशबू आज भी याद है। नई कक्षा में जाना अच्छा लगता था, परंतु साथ में डर भी लगता था कि मास्टरों से पहले से अधिक मार पड़ेगी। उन दिनों स्कूल में डेढ़ महीना पढ़ाई होने के बाद डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। छुट्टियों के शुरू के दो-तीन सप्ताह खेलने में बीत जाते थे। वे अपनी माँ के साथ नाना के घर जाकर छुट्टियों का भरपूर आनंद लेते थे। यदि किसी कारण नाना के घर नहीं जाते थे, तो घर के पास बने तालाब में सारा दिन खेलते थे।

तालाब में नहाकर गीले बदन ही पास में पड़ी रेत में खेलते और फिर से तालाब में कूद जाते। ऐसा वे एक बार नहीं, न जाने कितनी बार करते थे। उनमें कोई भी अच्छा तैराक नहीं था। यदि कोई बच्चा गहरे पानी में चला जाता था, तो दूसरे बच्चे उसे भैंस के सींग या पूँछ पकड़कर बाहर आने की सलाह देते थे। इसी तरह छुट्टियों का एक महीना बीत जाता था। एक महीना शेष रहने पर स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब के अध्यापक दो सौ सवाल करके लाने के लिए कहते थे। बच्चे अपने मन में हिसाब लगाते थे कि यदि दस सवाल भी प्रतिदिन किए जाएँ, तो बीस दिन में काम समाप्त हो जाएगा। इसलिए दस दिन और खेला जा सकता है।

दस की बजाय पंद्रह दिन खेल में निकल जाते थे। पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचकर एक-दो दिन और खेल में निकल जाते थे। ऐसे ही हिसाब लगाते लगाते छुट्टियाँ कम होती जाती थीं और स्कूल जाने का भय सताने लगता था। कुछ सहपाठियों को छुट्टियों में काम करने की अपेक्षा स्कूल में मास्टर के हाथ से मार खाना अधिक सस्ता सौदा लगता था। लेखक जो पिटाई से डरता था, वह भी उनकी संगत में रहकर उनकी तरह सोचने लगता था। उनका नेता ‘ओमा’ था। ‘ओमा’ की सभी बातें अलग ढंग की थीं।

लड़ाई में उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था। लेखक का स्कूल बहुत छोटा था। उसमें केवल नौ कमरे थे। दाईं ओर से पहला कमरा मुख्याध्यापक श्री मदनमोहन शर्मा का था। पीटी मास्टर प्रीतम चंद की पिटाई के डर से सभी बच्चे प्रार्थना में सीधे कतारों में खड़े रहते थे। यदि कोई बच्चा उसे पीटी मास्टर बुरी तरह पीटते थे। मास्टर प्रीतम चंद से विपरीत स्वभाव वाले हेडमास्टर शर्मा थे। वे कभी किसी बच्चे को नहीं मारते थे। वे पाँचवीं कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते थे। लेखक को अपना स्कूल कभी पसंद नहीं आया।

पहली कक्षा से लेकर चौथी कक्षा तक अधिकतर बच्चे स्कूल रोते हुए जाते थे। उन्हें स्कूल स्काउटिंग का अभ्यास करते समय अच्छा लगता था। पीटी मास्टर अभ्यास करवाते समय नीली-पीली झंडियाँ बच्चों के हाथों में दे देते थे। अभ्यास के समय वे खाकी वर्दी के साथ गले में दो रंगा रूमाल पहनते थे। जब कभी अभ्यास करते हुए पीटी मास्टर के मुँह से ‘शाबाश’ का शब्द सुनने को मिल जाता, तो उस समय ऐसा लगता जैसे फौज में मिलने वाले सभी तमगे उन्हें मिल गए हों।

लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए हेडमास्टर शर्मा एक अमीर परिवार के लड़के की किताबें लाकर उसे दे देते थे। अपने स्कूल के हेडमास्टर के कारण ही लेखक अपनी शुरू की पढ़ाई पूरी कर सका। लेखक अपने परिवार का पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। लेखक को नई कक्षा में जाने पर कभी कोई खुशी अनुभव नहीं होती थी। उसे किताबों और कॉपियों में से अजीब-सी गंध आती थी, जिससे उसका मन उदास हो जाता था। इसका कारण उसे आज भी समझ में नहीं आता।

इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते थे; जैसे-आगे की पढ़ाई का कठिन होना या नए मास्टरों से मार का भय। यह भय मन के अंदर गहरी जड़ें जमा चुका था। इसलिए लेखक को नई कक्षा में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे स्कूल उस समय अच्छा लगता था, जब मास्टर प्रीतम चंद उनसे परेड करवाते थे। फ़ौजी वर्दी पहनकर वे स्वयं को महत्वपूर्ण व्यक्ति समझने लगते थे। दूसरे विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने 1923 में नाभा रियासत के राजा को तमिलनाडु के कोडाएकेनाल में गिरफ्तार कर लिया था। उनका बेटा बाहर पढ़ता था, इसलिए रियासत में अंग्रेज़ी शासन की चलती थी।

उस समय अंग्रेजी फौज़ में भर्ती करने के लिए कुछ अफसर नौटंकी वालों को अपने साथ लेकर गाँव-गाँव जाते थे वे ग्रामीण लोगों को नौटंकी वालों के माध्यम से फौज़ में भर्ती होने के लाभ दिखाते थे, जिससे लालच में आकर अनेक लोग फौज़ में भर्ती हो जाते थे। लेखक को भी स्काउटिंग की परेड में जब धुली वर्दी और पॉलिश किए बूट मिलते थे, तो वह स्वयं को फौजी से कम नहीं समझता था। बच्चों ने कभी मास्टर प्रीतम चंद को हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। उनका व्यक्तित्व और फौज़ी पहनावा बच्चों को भयभीत करने वाला था। बच्चे उनसे डरते ही नहीं थे अपितु नफ़रत भी करते थे। मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने सभी बच्चों को शब्द-रूप याद करने के लिए कहा।

अगले दिन उन्होंने सब बच्चों से शब्द-रूप सुने, परंतु किसी भी बच्चे को पूरी तरह शब्द-रूप याद नहीं थे। मास्टर जी ने सभी बच्चों को टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने और पीठ ऊँची करने के लिए कहा। कमजोर बच्चे सहन नहीं कर सके; तीन चार मिनट बाद वे गिरने लगे थे। जब लेखक की बारी आई, उसी समय हेडमास्टर शर्मा जी उधर से निकले। उन्होंने पीटी सर को बच्चों से इतना बुरा व्यवहार करते देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने उन्हें बहुत डाँटा और उनकी शिकायत डायरेक्टर को लिखकर भेज दी।

जब तक ऊपर से आदेश नहीं आ जाते थे, तब तक पीटी सर स्कूल में नहीं आ सकते थे। लेकिन बच्चों के मन में फ़ारसी की घंटी बजते ही दहशत बैठ जाती थी। वह उस समय दूर होती थी, जब कक्षा में शर्मा जी या नौहरिया सर फ़ारसी पढ़ाने नहीं आ जाते थे। पीटी मास्टर कई दिनों तक स्कूल नहीं आए। वे बाजार में एक दुकान के ऊपर बने किराए के चौबारे में रहते थे। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। उन्हें नौकरी से निकाले जाने की कोई चिंता नहीं थी। वे अपने तोतों को बादाम खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करने में अपना दिन व्यतीत करते थे। बच्चों को यह एक चमत्कार लगता था कि जो मास्टर स्कूल में बच्चों को बुरी तरह मारता था, वह अपने तोतों के साथ कैसे मीठी बातें कर लेता था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

कठिन शब्दों के अर्थ :

लहू – खून, गुस्सैल – गुस्से वाले, ट्रेनिंग – प्रशिक्षण, लंडे – हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी लिपि, बहियाँ – खाता, जिसमें हिसाब-किताब लिखा जाता है, – अनुभव, खेडण – खेलने के, सुगंध – खुशबू, बास – महक, फ़र्क – अंतर, चपड़ासी – चपरासी, ननिहाल – नाना का घर, दुम – पूँछ, दाढ़स – धीरज, गंदला – गंदा, कतार – पंक्ति, खाल खींचना – बुरी तरह मारना,

चपत – थप्पड़, तमगा – मेडल, डिसिप्लिन – अनुशासन, सतिगुर – सतगुरु, परमात्मा, धनाढ्य – अमीर, हरफनमौला – पारंगत, विद्वान, हर शिक्षा में निपुण, लेफ्ट-राइट – बायाँ-दायाँ, विह्सल – सीटी, टर्न – मुड़ना, रियासत – राज्य, जंग – लड़ाई, देहांत – स्वर्गवास, जबरन – ज़बरदस्ती, बलपूर्वक, अठे – यहाँ, उठै – वहाँ, लीतर – टूटे हुए पुराने जूते, बर्बरता – हैवानियत, बहुत बुरा व्यवहार, मुअत्तल – निलंबित, महकमाए तालीम – शिक्षा विभाग, मंजूरी – अनुमति बहाल करना – फिर से नौकरी पर रखना

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

JAC Class 10 Hindi छाया मत छूना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर :
मनुष्य का जीवन कल्पनाओं के आधार पर नहीं टिकता। वह जीवन के कठोर धरातल पर स्थित होकर आगे गति करता है। पुरानी सुख भरी यादों से वर्तमान दुखी हो जाता है; मन में पलायनवाद के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। उसे कठिन यथार्थ से आमना-सामना करके ही आगे बढ़ने की चेष्टा करनी चाहिए। इसलिए कवि ने जीवन की कठोर वास्तविकता को स्वीकार करने की बात कही है।

प्रश्न 2.
भाव स्पष्ट कीजिए –
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर :
कवि ने माना है कि हर मनुष्य अपने जीवन में धन-दौलत और सुखों की प्राप्ति करना चाहता है, पर सबके लिए ऐसा हो पाना संभव नहीं होता। वह उसके लिए मृगतृष्णा के समान ही सिद्ध होकर रह जाता है। उसे केवल सुखों के प्राप्त हो जाने का झूठा आभास होता है। वह उसे प्राप्त नहीं कर पाता। इस कारण उसका हृदय पीड़ा से भर जाता है। हर चाँदनी रात के पीछे जिस तरह अमावस्या की अंधेरी रात छिपी रहती है, उसी प्रकार हर सुख के बाद दुख का भाव भी निश्चित रूप से छिपा रहता है।

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प्रश्न 3.
‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है ? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है ?
उत्तर :
‘छाया’ शब्द में लाक्षणिकता विद्यमान है, जो भ्रम और दुविधा की स्थिति को प्रकट करता है। यह सुखों के भावों को प्रकट करता है, जो मनुष्य के जीवन में सदा नहीं रहते। सुख-दुख मानव-जीवन के अंग हैं। जब दुख का भाव जीवन में आता है, तब मनुष्य बार-बार उन सुखों को याद करता है जिन्हें उसने कभी प्राप्त किया था। दुख की घड़ियों में सुखद समय की स्मृतियों में डूबने से उसके दुख दोगुने हो जाते हैं। इसलिए कवि ने उसे छूने के लिए मना किया है।

प्रश्न 4.
कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर :
कवि ने छायावादी काव्यधारा से प्रभावित होकर अपनी कविता में विशेषणों का विशेष प्रयोग किया है, जैसे
(i) सुरंग सुधियाँ – यादों की विविधता और मोहक सुंदरता की विशिष्टता।
(ii) छवियों की चित्र-गंध – सुंदर रूपों में मादक गंध की विशिष्टता।
(iii) तन-सुगंध – सुगंध के साकार रूप की विशिष्टता।
(iv) जीवित-क्षण – समय की सकारात्मकता की विशिष्टता।
(v) शरण-बिंब – जीवन में आधार बनने की विशिष्टता।
(vi) यथार्थ कठिन – जीवन की कठोर वास्तविकता की विशिष्टता।
(vii) दुविधा-हत साहस – साहस होते हुए भी दुविधाग्रस्त रहने की विशिष्टता।
(viii) शरद्-रात – रात में शरद् ऋतु की ठंडक की विशिष्टता।
(ix) रस-बसंत – बसंत ऋतु में मधुर रस के अहसास की विशिष्टता।

प्रश्न 5.
‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं ? कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
अथवा
प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा क्यों कहा गया है? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
‘मृगतृष्णा’ का शाब्दिक अर्थ है-‘धोखा’ या ‘भ्रम’। जो न होकर भी होने को प्रकट करता है, वही मृगतृष्णा है। कवि ने कविता में सुख-संपदाओं की प्राप्ति से होने वाले मानसिक सुख के लिए ‘मृगतृष्णा’ शब्द का प्रयोग किया है। किसी व्यक्ति के पास चाहे अपार भौतिक सुख हो, पर उनसे मानसिक सुख और शांति की प्राप्ति होना संभव नहीं होता; भले ही उसकी संपन्नता को देखकर लोग उसे सुखी मानते रहे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

प्रश्न 6.
‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ – यह भाव कविता की किस पंक्ति से झलकता है?
उत्तर :
कवि ने ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ के लिए अपनी कविता में जिस पंक्ति का प्रयोग किया है, वह है
‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’

प्रश्न 7.
कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हर व्यक्ति का जीवन सुख और दुखों के मेल से बना है। सुख के बाद दुख आते हैं, तो दुखों के बाद सुख। हमें सुख आनंद का अहसास करवाते हैं, तो दुख पीड़ा देते हैं। हम पीड़ा से मुक्ति पाने की चेष्टा करते हैं और सुख की घड़ियों को बार-बार याद करने लगते हैं, जिससे पीड़ा कम होने की अपेक्षा बढ़ जाती है; वह दोगुनी हो जाती है। हम धन-दौलत प्राप्त कर अपना जीवन सुखमय बनाने की कोशिश करते हैं, पर धन की प्राप्ति से सभी सुख प्राप्त नहीं होते। सुख का आधार मन की शांति है। हमें मन की शांति के लिए : प्रयत्नशील होना चाहिए। जो बातें बीत चुकी हों, उन्हें भुला देना चाहिए और सुखद भविष्य के लिए प्रयासरत हो जाना चाहिए। दुख के कारण पुरानी सुखद बातों को मन-ही-मन दोहराते नहीं रहना चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
‘जीवन में है सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ सँजो रखी हैं?
उत्तर :
प्रत्येक व्यक्ति के मन में अनेक मधुर स्मृतियाँ छिपी रहती हैं, जो समय-समय पर प्रकट होती हैं। जब वे याद आती हैं, तब अनायास ही होंठों पर मुस्कान बिखर जाती है। जब मैं छोटा था, तब मेरी बुआ जी मेरे जन्मदिन पर एक साथ दस उपहार लेकर आई थीं। मैंने हैरान होकर उनसे पूछा था कि वे एक साथ इतने उपहार क्यों ले आई हैं? उन्होंने मुस्कराकर कहा था कि वे पिछले दस वर्ष से विदेश में थीं और मेरे जन्मदिन पर वे मुझे उपहार नहीं दे पाई थीं। इसलिए पिछले दस वर्षों के दस उपहार मुझे एक साथ दे रही हैं।

उपहार भी एक से बढ़कर एक थे। मैं खुशी से झूम उठा। आज भी मुझे वह घटना ऐसी लगती है, जैसे उसे घटित हुए कुछ ही देर हुई हो। मैं इस घटना को कभी नहीं भूल सकता। एक बार मैं पैदल स्कूल जा रहा था। एक नन्हा-सा पिल्ला मेरे पीछे-पीछे चलने लगा। मुझे उसका अपने पीछे आना अच्छा लगा। जब मैं स्कूल पहुँच गया, तो स्कूल के चौकीदार ने उसे भगा दिया।

छुट्टी के बाद जैसे ही मैं बाहर निकला, वैसे ही न जाने कहाँ से वह भागता हुआ आया और फिर मेरे पीछे-पीछे मेरे घर तक आया। यह क्रम अगले दिन भी चला। इसके बाद महीना भर मेरा और उसका स्कूल जाना-आना एक साथ हुआ। इसके बाद मुझे नहीं पता कि अचानक वह पिल्ला कहाँ चला गया। मैंने उसे ढूँढ़ने की कोशिश की, पर फिर वह मुझे कहीं दिखाई नहीं दिया। इस घटना को अनेक वर्ष बीत चुके हैं, पर मुझे उसकी मधुर स्मृति कभी नहीं भूलती।

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प्रश्न 9.
“क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं ? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर
समय का विशेष महत्व है। इसके बीत जाने पर हमें प्रायः दुख ही उठाना पड़ता है। समय कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। यह लगातार आगे भागता जाता है। यदि हम इसके एक-एक क्षण को व्यर्थ गँवा देते हैं, तो हमारा कल्याण संभव नहीं हो सकता। कहा भी तो जाता है –

‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’

प्राय: माना जाता है कि धन सबसे कीमती वस्तु है, पर यदि ध्यान से सोचा जाए तो समय धन से भी अधिक उपयोगी और मूल्यवान है। धन से हर वस्तु खरीदी जा सकती है, पर समय नहीं खरीदा जा सकता। यह घड़ी की टिक-टिक के साथ भागता जाता है। यदि किसी बीमार व्यक्ति को समय पर उपचार न मिले, तो उसका जीवन नहीं बचाया जा सकता। यदि समय पर विद्यार्थी पढ़ाई न करें, तो वे परीक्षा में पास नहीं हो सकते। यदि किसान समय पर अपने खेत की सिंचाई न करे, तो उसे उपज प्राप्त नहीं हो सकती।

रेलगाड़ी, बस, वायुयान आदि किसी के लिए प्रतीक्षा नहीं करते। समय चूक जाने पर वे अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। यदि किसी उपलब्धि की हमें समय के बाद प्राप्ति हो भी जाती है, तो उसका कोई उपयोग नहीं रहता। फ़सल के सूख जाने के बाद वर्षा हो भी जाए तो उसका क्या लाभ? हमें चाहिए कि हम हर कार्य उचित समय पर ही करें, ताकि इससे समय की उपलब्धि की उपादेयता बनी रहे।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफ़र करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने पर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर :
48, दुग्गल कॉलोनी,
कानपुर
15 सितंबर, 20……
प्रिय अंकुश,
मुझे तुम्हारा पत्र बहुत पहले प्राप्त हो गया था, पर मैं समय पर उसका उत्तर नहीं दे पाया। मुझे इस बात का खेद है। वास्तव में पिछले दिनों मेरे साथ कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी।

तुम्हें याद होगा कि मैंने अपने एक मित्र से तुम्हारा परिचय करवाया था, जब तुम पिछली छुट्टियों में घर आए थे। उसका नाम कपिल था। वह मेरी ही कक्षा में पढ़ता था और प्रायः मेरे घर आया करता था। वह होस्टल में रहता था। उसके माता-पिता किसी दूर के गाँव मम्मी-पापा उसे अपने बेटे के समान ही प्यार करते थे। यदि मेरे लिए वे बाजार से कुछ लाते थे, तो उसके लिए लाना नहीं भूलते थे।

कहते थे कि कितना होनहार बच्चा है! होशियार है, मीठा बोलता है, भोला-भाला है। पिछले सप्ताह उसने अपने गाँव के कुछ लोगों के साथ मिलकर हमारे घर में चोरी कर ली। हमारा लगभग पाँच लाख रुपये का नुकसान हो गया है। उसे हमारे घर की एक-एक चीज़ पता थी। लगभग हर रोज़ वह हमारे घर आता था। अगले महीने रीमा दीदी की शादी है, इसलिए घर में उसके दहेज का नया सामान था; नकदी थी।

वह सब चोरी चला गया। हमें तो विश्वास ही नहीं हुआ, जब पुलिस ने उसे उसके गाँव से पकड़कर हमारे सामने खड़ा कर दिया। उसने अपना अपराध कबूल कर लिया है, पर न तो उसके साथी पुलिस की पकड़ में आए हैं और न ही हमारा सामान बरामद हुआ। शायद हमारा सामान हमें वापस मिल जाए। उसकी शक्ल कितनी भोली थी, पर वह मन का कितना काला निकला! सच है कि हम लोगों के बारे में सोचते कुछ हैं, वे निकलते कुछ हैं। अच्छा, बाकी बातें अगली बार।
अंकल-आंटी को मेरी ओर से नमस्ते कहना।
तुम्हारा मित्र
अनुज

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प्रश्न 2.
कवि गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

यह भी जानें –

प्रसिद्ध गीत ‘We shall overcome’ का हिंदी अनुवाद ‘हम होंगे कामयाब’ शीर्षक से कवि गिरिजाकुमार माथुर ने किया है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली सनभावनी;
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण

शब्दार्थ : छाया – भ्रम, दुविधा, पुरानी सुखद बातें। दूना – दोगुना। सुरंग – रंग-बिरंगी। सुधियाँ – यादें। सुहावनी – सुंदर। छवियों की चित्रगंध – चित्र की स्मृति के साथ उसके आस-पास की गंध का अनुभव। मनभावनी – मन को अच्छी लगने वाली। तन-सुगंध – शरीर की सुगंध। शेष – बाकी, पीछे। यामिनी – तारों भरी चाँदनी रात। कुंतल – लंबे बाल। छुअन – स्पर्श।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य–पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता छाया मत छूना से लिया गया है, जिसके रचयिता गिरिजाकुमार माथुर हैं। कवि ने पुरानी सुखद बातों को बार-बार याद करने को उचित नहीं माना, क्योंकि ऐसा करने से जीवन में आए दुख दोगुने हो जाते हैं।

व्याख्या : कवि कहता है कि हे मेरे मन! तू पुरानी सुख भरी यादों को बार-बार अपने मन में मत ला; उन्हें याद मत कर। ऐसा करने से मन में छिपा दुख बढ़कर दोगुना हो जाएगा। हम मनुष्यों के जीवन में न जाने कितनी सुख भरी यादें होती हैं। वे सुखद रंग-बिरंगी छवियों की झलक और उनके आस-पास मधुर यादों की गंध सदा मन को मोहती हैं। वे सदा अच्छी लगती हैं।

जब सुखद समय बीत जाता है, तब केवल शरीर की मादक-मोहक सुगंध ही यादों में शेष रह जाती है। जब तारों से भरी सुखद चाँदनी रात बीत जाती है, तब यादें शेष रह जाती हैं। लंबे सुंदर बालों में लगे फूलों की याद ही चाँदनी के समान मन में छाई रहती हैं। सुख भरे समय में भूल से किया गया एक स्पर्श भी जीवित क्षण के समान सुंदर और मादक प्रतीत होता है। उसे भुलाने की बात मन में कभी नहीं आती। वही सुखद पल जीवन के लिए सुखदायी बनकर मन में छिपा रहता है।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भावार्थ को स्पष्ट कीजिए।
2. ‘छाया मत छूना’ का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।
3. जीवन में किसकी पोहक यादें फैली थी?
4. ‘चित्र-गंध’ क्या है?
5. यामिनी बीतने का क्या अर्थ है ?
6. ‘कुंतल के फूल’ क्या हैं ?
7. ‘चाँदनी’ किसकी प्रतीक है?
8. ‘हर जीवित क्षण’ क्या है?
9. ‘शेष रही’ में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. कवि ने सुख और दुख को जीवन का आवश्यक हिस्सा माना है। मनुष्य को जीवन में दुख आने की स्थिति में सुखों को याद नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दुख कम नहीं होते बल्कि दोगुने हो जाते हैं।
2. ‘छाया मत छूना’ से तात्पर्य पुरानी सुखद बातों को याद न करने से है।
3. जीवन में सुखों की मोहक यादें फैली थीं।
4. मधुर यादों के साथ उसके आस-पास फैली गंध का अनुभव।
5. सुख के क्षणों का व्यतीत हो जाना।
6. ‘कुंतल के फूल’ प्रतीकात्मक शब्द हैं; जो सुखद घड़ियों को प्रकट करते हैं।
7. ‘चाँदनी’ प्रेम भरे क्षणों को व्यक्त करने वाला प्रतीकात्मक शब्द है। यह सुख की घड़ियों को प्रकट करता है।
8. ‘हर जीवित क्षण’ सख का अहसास करवाने वाला मधुर पल है।
9. प्रेमरूपी सुगंध का बना रहना ही ‘शेष रही’ को प्रकट करता है।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्नोत्तर –

(क) ‘छाया मत छूना’-कवि ने ऐसा क्यों कहा?
(ख) ‘छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी’ का क्या तात्पर्य है?
(ग) ‘कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी’ में कवि को कौन सी यादें कचोटती हैं?
उत्तर :
(क) ‘छाया मत छूना’ से कवि का तात्पर्य पुरानी सुखद यादों और बातों को याद न करने से है।
(ख) जीवन में सुखों की मोहक यादें फैली थी, जिसकी मधुर यादों के साथ उसके आस-पास फैली गंध अत्यंत मनभावनी लगती है।
(ग) ‘कुंतल के फूल’ प्रतीकात्मक शब्द है; जो सुखद घड़ियों को प्रकट करता है। यहाँ कवि को सुख का अहसास करवाने वाले मधुर पलों की यादें कचौटती हैं।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. भाव स्पष्ट कीजिए।
2. कवि के भावों को गहनता-गंभीरता किसने प्रदान की है?
3. किस बोली का प्रयोग किया गया है?
4. किस प्रकार की शब्दावली की अधिकता है?
5. किस बिंब का प्रयोग है?
6. कौन-सा काव्य-रस विदयमान है?
7. किस छंद ने लयात्मकता की सृष्टि की है?
8. किस काव्य-गुण का प्रयोग हुआ है ?
9. किस शब्द-शक्ति का प्रयोग है?
10. दो तत्सम शब्द लिखिए।
11. दो तद्भव शब्द लिखिए।
12. यह कविता किस काव्य-धारा से संबंधित है?
13. प्रयुक्त अलंकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
1. कवि ने सुख की घड़ियों में मन पर पड़ने वाले आनंद के भावों का प्रभाव प्रस्तुत किया है। उसका मानना है कि सुख के भावों को दुख की घड़ियों में याद करने से दुख बढ़ता है; घटता नहीं है।
2. प्रतीकात्मकता के प्रयोग ने कवि के भावों को गहनता-गंभीरता प्रदान की है।
3. खड़ी बोली का प्रयोग है।
4. तत्सम शब्दावली का अधिक प्रयोग किया गया है।
5. मानस बिंब का प्रयोग है।
6. वियोग श्रृंगार रस है।
7. तुकांत छंद ने लयात्मकता की सृष्टि की है।
8. प्रसाद गुण विद्यमान है।
9. लक्षणा शब्द-शक्ति है।
10. कुंतल, चित्रगंध।
11. फूल, मन।
12. छायावाद
13. अनुप्रास –
दुख दूना, सुरंग सुधियां सुहावनी

उपमा –
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण।

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2. छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।

शब्दार्थ : वैभव – संपदा, धन-दौलत, संपत्ति। सरमाया – पूँजी। प्रभुता का शरणे बिंब – बड़प्पन का अहसास। भरमाया – भ्रम में पड़ना। मृगतृष्णा – भ्रम, धोखा। चंद्रिका – चाँदनी। कृष्णा – काली, अमावस्या। यथार्थ – वास्तविक। कठिन – मुश्किल। पूजन – पूजा।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘छाया मत छूना’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता श्री गिरिजाकुमार माथुर हैं। कवि का मानना है कि जीवन में दुख और सुख तो आते रहते हैं, पर दुख की घड़ियों में सुखों को याद नहीं करना चाहिए।

व्याख्या : कवि कहता है कि हे मेरे मन! जीवन में आने वाले दुखों के समय छायारूपी सुख को मत छूना, क्योंकि इससे दुख कम नहीं होता बल्कि वह दोगुना बढ़ जाता है। मेरे जीवन में न तो शान-शौकत है और न ही धन-दौलत; न तो मान-सम्मान है और न ही किसी प्रकार की पूँजी। श्रेष्ठता और प्रभुता की प्राप्ति की इच्छा केवल धोखे के पीछे भागना है। जो नहीं है, उसे प्राप्त करने की इच्छा है। हर सुख के पीछे दुख छिपा होता है। ठीक उसी प्रकार जैसे चाँदनी रात के पीछे अमावस्या की अंधेरी रात छिपी रहती है। हे मेरे मन! जो अति कठिन सच्चाई है; वास्तविकता है, तू उसकी पूजा कर। उसे प्राप्त करने का प्रयत्न कर।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. दुख क्यों दोगुना लगने लगता है?
3. कवि ने किन अभावों को प्रकट किया है?
4. ‘भरमाया’ में निहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
5. ‘मृगतृष्णा’ क्या है?
6. ‘चंद्रिका’ में छिपा प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
7. ‘कृष्णा’ शब्द से कवि किसकी ओर संकेत करता है?
8. ‘यथार्थ कठिन’ क्या है?
9. ‘पूजन’ में निहित अर्थ को प्रकट कीजिए।
10. छाया से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
1. कवि ने कहा है कि दुख की घड़ियों में बीते समय के सुखों को याद करने से दुख कम नहीं होते बल्कि बढ़ जाते हैं। हर व्यक्ति सुख पाना चाहता है; धन-दौलत प्राप्त करना चाहता है। पर जितना हम सुखों के पीछे भागते हैं, वे उतने ही मृगतृष्णा सिद्ध होते हैं। हमें उनकी प्राप्ति सरलता से नहीं होती। हर सुख के पीछे दुख दो अवश्य छिपा रहता है। हमें जीवन की कठोर सच्चाइयों को ही मन में रखना चाहिए।
2. जब जीवन में दुख की घड़ियाँ आने पर हम पिछले सुखों के बारे में सोचने लगते हैं, तब दुख दोगुना लगने लगता है।
3. कवि ने मान-सम्मान, धन-दौलत और सुखों की पूँजी के अभाव को प्रकट किया है।
4. ‘भरमाया’ का अर्थ है-‘भ्रम में पड़ना’। सुखों को प्राप्त करने के लिए हम जितनी अधिक भाग-दौड़ करते हैं, ये उतना ही अधिक हमें भ्रम में डालते जाते हैं। इससे हमारी परेशानियाँ बढ़ती हैं।
5. ‘मृगतृष्णा’ का अर्थ है-‘भ्रम’ या ‘धोखा’। जो न होकर भी होने का आभास करवाता है, वही मृगतृष्णा है। जीवन में प्रभुता को पाने की इच्छा के लिए कवि ने इस शब्द का प्रयोग किया है।
6. ‘चंद्रिका’ का शाब्दिक अर्थ चाँदनी है, पर कवि ने इसे सुखों के रूप में प्रयुक्त किया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में सुखरूपी चाँदनी को प्राप्त करना चाहता है।
7. ‘कृष्णा’ शब्द से कवि ने दुखरूपी अमावस्या का बोध करवाया है। कवि कहता है कि हर व्यक्ति के जीवन में दुखों का आना-जाना लगा रहता है।
8. ‘यथार्थ कठिन’ जीवन की वह सच्चाई है, जिसे हर व्यक्ति को झेलनी पडती है। कठोर परिश्रम करना और जीवन को सखी बनाने की चेष्टा इससे ही संबंधित है।
9. ‘पूजन’ प्रतीक शब्द है, जो कठोर परिश्रम में स्वयं को लगा देने के लिए प्रयुक्त किया है। यह निष्ठा और लगन का भी प्रतीक है। इसके पीछे आस्था का भाव छिपा हुआ है।
10. छाया से तात्पर्य पुरानी सुखद यादों को स्मरण करना है।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. भाव व्यक्त कीजिए।
2. किस बोली से भावों को अभिव्यक्त किया गया है?
3. किस प्रकार की शब्द-योजना की प्रधानता है?
4. भावों की गहनता का आधार क्या है?
5. किसने कथन को गंभीरता प्रदान की है?
6. किस छंद ने लयात्मकता की सृष्टि की है?
7. कौन-सा काव्य-गुण विद्यमान है?
8. दो तत्सम और दो तद्भव शब्द चुनकर लिखिए।
9. इसमें कौन-सी शैली प्रयुक्त की गई है?
10. अलंकारों का उल्लेख कीजिए।
11. प्रतीक छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने स्वीकार किया है कि जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। किसी के भी जीवन में केवल सुख नहीं रहते, बल्कि हर सुख के पीछे दुख निश्चित रूप से लगा रहता है।
2. खड़ी बोली।
3. तत्सम शब्दावली का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
4. प्रतीकात्मकता।
5. लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है, जिससे कथन में गंभीरता उत्पन्न हुई है।
6. तुकांत छंद ने लयात्मकता की सृष्टि की है।
7. प्रसाद गुण विद्यमान है।
8. तत्सम –
प्रभुता, मृगतृष्णा

तद्भव –
छाया, दुख

9. छायावादी।

10. अनुप्रास –
होगा दुख दूना
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन

11. (i) रात कृष्णा –
दुख-दीनता

(ii) छाया –
पुरानी यादें और भविष्य की कामनाएँ

(ii) चंद्रिका –
सुख-वैभव

(iv) मृगतृष्णा –
धोखा/मन का भटकाव

(v) दौड़ना –
सांसारिक तृष्णाएँ

(vi) कृष्णा –
निराशा/पीड़ा

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

3. छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत महीं।
दुख है न चांद खिला शरद-गा आने पर,
क्या हुआ जो खिल पूल रस-बसंत्त जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भखिष्य वरण,
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।

शब्दार्थ : दुविधा-हत साहस – साहस होते हुए भी दुविधा-ग्रस्त रहना। पंथ – रास्ता। शरद-रात – सर्दियों की रात। भविष्य वरण – आने वाले समय के सुखों का चुनाव।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘छाया मत छूना’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता श्री गिरिजाकुमार, माथुर हैं। कवि ने प्रेरणा दी है कि पुराने सुखों की याद में हर पल डूबे रहना उचित नहीं है। इससे जीवन में दुखों की छाया बढ़ती है। परिश्रम करते हुए भविष्य को सँवारने की चेष्टा करना ही सदा अच्छा होता है।

व्याख्या : कवि कहता है कि हे मेरे मन ! दुख और निराशा की घड़ियों में बीते हुए सुखों को याद मत कर। ऐसा करने से वर्तमान के दुख बढ़ जाते हैं। हम अपने जीवन में अकारण ही निराशा के भावों से भरे रहते हैं। साहस होते हुए भी दुविधा से ग्रस्त रहते हैं। हमें अपने जीवन की राह दिखाई नहीं देती। भौतिक धन-दौलत से हम शारीरिक सुख-उपभोग तो प्राप्त कर लेते हैं, पर हमारे मन में व्याप्त दुखों का अंत नहीं होता। हमारे मन में दुख के भाव इतने अधिक हैं कि सुखों के आने का पता ही नहीं चलता।

शरद् ऋतु के साफ़-स्वच्छ आकाश में रात के समय चाँदरूपी सुख की चाँदनी दिखाई ही नहीं देती। मन की निराशा उसे प्रकट नहीं होने देती। बसंत ऋतु बीत जाने पर यदि फूल खिला भी, तो उसका क्या लाभ। भाव है कि किसी सुख के बीत जाने पर यदि उसका आभास हुआ भी, तो उसका कोई लाभ नहीं है। हे मन! तुम्हें जो जीवन में अभी तक नहीं मिला उसे भविष्य में प्राप्त कर; परिश्रम कर और सुख-दुख से दूर होकर मनचाहा प्राप्त कर। तू दुख की घड़ियों में सुख के क्षणों को याद मत कर।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. ‘दुविधा हत साहस’ क्या है?
3. ‘पंथ’ में निहित अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
4. सुख-सुविधाएँ प्राप्त होने पर भी हमें किसके अंत का पता नहीं होता?
5. ‘न चाँद खिला’ से क्या तात्पर्य है?
6. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
7. ‘भविष्य वरण’ का क्या अर्थ है ?
8. देह का सुख किससे प्राप्त करने की ओर संकेत किया गया है?
9. ‘फूल का खिलना’ किस बात का बोध कराता है ?
उत्तर :
1. कवि ने स्पष्ट किया है कि जब मन में उत्साह की कमी हो; वह दुख और पीड़ा के भावों से भरा हुआ हो, तब उसे अपने जीवन की राह साफ़-साफ़ दिखाई नहीं देती। मन के कष्टों को भुलाकर मनुष्य को भविष्य के सुखों की ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
2. ‘दुविधा हत साहस’ से तात्पर्य है-‘साहस होते हुए भी दुविधाग्रस्त रहना’।
3. ‘पंथ’ से तात्पर्य हमारे जीवन के उन उद्देश्यों से है, जिन्हें दुविधाग्रस्त होने के कारण हम प्राप्त कर सकने में सक्षम नहीं हो पाते।
4. सुख-सुविधाएँ प्राप्त होने पर भी हमें मन में व्याप्त दुखों के अंत का पता नहीं होता।
5. ‘न चाँद खिला’ प्रतीकात्मक प्रयोग है, जिसका तात्पर्य सुखों के प्राप्त न होने से है; जिस कारण मन में सुख का भाव उत्पन्न नहीं होता।
6. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर’ से कवि का तात्पर्य है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि फूल कब खिला। फिर भले ही रंग-बसंत’ अर्थात समय बीत गया हो।
7. ‘भविष्य वरण’ का अर्थ आने वाले समय की ओर बढ़कर नए उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति करना है; उनका चुनाव करना है।
8. देह का सुख मन के सुख से प्राप्त करने की ओर संकेत किया गया है। धन-वैभव से देह के लिए बाहरी सुख बटोरे जा सकते हैं, पर वास्तविक सुख तभी प्राप्त होते हैं जब मन पूर्ण रूप से संतुष्ट हो; उसमें सुख का भाव छिपा हो।
9. ‘फूल का खिलना’ सुखों की प्राप्ति को प्रकट करता है। इससे जीवन में प्राप्त होने वाले आनंद का बोध होता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. भाव स्पष्ट कीजिए।
2. भावों की गंभीरता का आधार क्या है?
3. कवि ने अपने कथन को गहनता किस प्रकार दी है?
4. किस बोली का प्रयोग है?
5. किस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग अधिकता से किया गया है?
6. किस काव्य गुण का प्रयोग है?
7. कौन-सा छंद लयात्मकता का आधार बना है?
8. प्रश्न-शैली ने कथन को क्या प्रदान किया है?
9. दो तत्सम और दो तद्भव शब्द लिखिए।
10. प्रतीक छाँटकर लिखिए।
11. हिंदी की किस काव्यधारा से संबंधित है?
12. प्रयुक्त अलंकार चुनकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने सुख भरे भविष्य के लिए परिश्रम करने की प्रेरणा दी है तथा दुख की घड़ियों में सुखद पलों को याद न करने का परामर्श दिया है।
2. प्रतीकात्मकता।
3. लाक्षणिकता का प्रयोग भावों में गहनता का आधार बना है।
4. खड़ी बोली का प्रयोग है।
5. तत्सम शब्दावली का अधिकता से प्रयोग किया गया है।
6. प्रसाद गुण विद्यमान है।
7. तुकांत छंद ने लयात्मकता की सृष्टि की है।
8. प्रश्न-शैली ने भावों को सामर्थ्य प्रदान किया है।
9. तत्सम –
दुविधा, वरण

तद्भव –
मन, फूल

10. चाँद, शरद-रात, फूल, बसंत, छाया।
11. छायावाद
12. अनुप्रास –
दुख दूना, खिला फूल, मिला धूल।

प्रश्न –
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?

JAC Class 10 Hindi छाया मत छूना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर गिरिजाकुमार माथुर की मानसिक सबलता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
गिरिजाकुमार माथुर छायावादी काव्यधारा से प्रभावित थे और उनकी कविता में प्रेम-सौंदर्य और कल्पना की अधिकता है, पर कवि ने ‘छाया मत छूना’ कविता में कल्पना की उड़ान से बहुत दूर होकर अपनी मानसिक सबलता का परिचय दिया है। उनके अनुसार कोरी कल्पनाएँ जीवन में किसी काम की नहीं होती। इनसे सुखों की अनुभूति होती है, लेकिन जीवन का वास्तविक सुख प्राप्त नहीं होता।

जीवन में सुख दुख आते हैं, लेकिन दुख की घड़ियों में हम सुखों को याद करके अपनी पीड़ा को बढ़ा लेते हैं। जीवन में केवल मधुर सपने नहीं हैं, इसमें कठोरता भी बसती है। हमें पुरानी बातों को भुलाकर मज़बूत कदमों से भविष्य की ओर बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर? जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण। जीवन की सार्थकता इसी में है कि हम अपने लक्ष्य की ओर दृष्टि जमाए रखें और आगे बढ़ते जाएँ, न कि पिछले सुखों को याद कर आँसू बहाते रहे।

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प्रश्न 2.
‘छाया मत छूना’ में कवि ‘छाया’ किसे कहता है और क्यों?
उत्तर :
कवि ने अतीत के सुखों को छाया कहा है। अतीत में प्राप्त सुख हमारे वर्तमान को सुखमय नहीं बना सकते। वर्तमान जीवन में उनका कोई अस्तित्व नहीं। अतीत की छाया वर्तमान से मेल नहीं खाती, न ही यथार्थ में बदल सकती है। अतीत का सुख हमें असमंजस में लाकर खड़ा कर देता है। अत: अतीत की सुखरूपी छाया से दूर रहना ही उचित है।

प्रश्न 3.
‘तन सुगंध शेष रही बीत गई यामिनी’ पंक्ति को स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘तन सुगंध शेष रही बीत गई यामिनी’ पंक्ति का संबंध कवि के जीवन की उन सुखद रातों से है, जो अब अतीत बन गई हैं। अब बस उनकी याद (सुगंध) ही शेष रह गई है। यह कैसी त्रासदी है कि पहले की सुखद रातें अब उसके लिए दुखद प्रतीत होती हैं, क्योंकि वर्तमान में प्रिया उसके साथ नहीं है।

प्रश्न 4.
कवि ने यश, वैभव, मान आदि को किसके समान बताया है ?
उत्तर :
मानव उसी तरह जीवनभर यश, वैभव, मान के पीछे भागता है, जैसे रेगिस्तान में हिरण जल के आभास में चमकती रेत के पीछे दौड़ता है। जीवन में यश, वैभव को कवि ने मृगतृष्णा के समान कहा है। जैसे हिरण की प्यास नहीं बुझती, उसी तरह मनुष्य भी अर्जित यश, वैभव, मान से संतुष्ट नहीं होता। उसकी लालसा कभी नहीं मिटती।

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प्रश्न 5.
कवि ने ‘छाया मत छूना’ कविता में कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों की है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार अतीत की सुखद स्मृति हमारे वर्तमान को दुखद बनाती है। यह सच्चाई है कि जीवन में सुख-दुख आते-जाते हैं। कठिन परिस्थितियों का सामना करना व उनको स्वीकार करना यथार्थ को अपनाना है। सच्चाई से बचा नहीं जा सकता, इसलिए उसका पूजन करना ही मनुष्य के लिए लाभप्रद है। विचलित हुए बिना कष्टों का सामना करना या कठिनाइयों से सामंजस्य स्थापित करना ही यथार्थ पूजन है। कठिनाइयों का सामना करें, पलायन नहीं।

प्रश्न 6.
कैसे व्यक्ति को पंथ दिखाई नहीं देता?
उत्तर :
ऐसा व्यक्ति जो उचित-अनुचित या सही-गलत में अंतर नहीं कर सकता; जिसका मन दुविधाग्रस्त रहता है, उसे लक्ष्य की ओर जाने वाला मार्ग नहीं दिखता। उसे सफलता-असफलता की आशंका घेरे रहती है। ऐसा व्यक्ति न तो शारीरिक रूप से सुखी होता है, न ही मानसिक रूप से। ऐसा व्यक्ति उन क्षणों को भी सुखपूर्वक नहीं भोग सकता, जो उसे वर्तमान में प्राप्त हैं।

प्रश्न 7.
कवि हमें क्या भूल जाने की सलाह दे रहा है?
उत्तर :
कवि हमें समझाना चाहता है कि जो जीवन में हमें प्राप्त न हो सका, उसका शोक करने के स्थान पर उसे भूल जाना ही हितकर है। उसके चिंतन में घुलना अनुचित है। ऐसा करने वाला स्वयं को दुख ही देता है। अपने वर्तमान तथा भविष्य को व्यर्थ चिंता कर खराब न करें। जो नहीं मिला न सही, जो है उसे महत्व प्रदान करें; कम-से-कम उसे तो हाथों से न जाने दें।

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प्रश्न 8.
‘छाया मत छूना’ कविता का संदेश क्या है?
अथवा
‘छाया मत छूना’ कविता में कवि क्या कहना चाहता है?
अथवा
कवि अपने मन को ‘छाया मत छूना’ कहकर क्या समझाना चाहता है?
उत्तर :
कवि ने अपनी इस कविता द्वारा संदेश दिया है कि अतीत के सुखों की याद को अपने वर्तमान पर हावी न होने दें। जीवन में यथार्थ का सामना करें। अतीत के आधार पर जीवन संचालित नहीं हो सकता। वर्तमान को ही सुखद भविष्य का आधार माने। दुख के समय निराश हुए बिना उत्साह बनाए रखना चाहिए। संघर्ष ही जीवन का यथार्थ पक्ष है। सुखद स्मृतियों को याद कर वर्तमान को और अधिक दुखद न बनाएँ।

प्रश्न 9.
‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा’ के माध्यम से कवि हमें क्या समझाना चाहता है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार जीवन में उसी प्रकार सुख और दुख आते-जाते हैं, जिस तरह से चाँदनी रात के बाद अमावस्या और फिर अमावस्या के बाद चाँदनी रात आती है। इसी तरह दुख-सुख का पहिया हम सबके जीवन में निरंतर चलता रहता है। जीवन की इस सच्चाई को जानकर हमें उसी परिस्थिति के अनुरूप जीवन व्यतीत करना चाहिए और हताश हुए बिना आगे बढ़ते रहना चाहिए।

प्रश्न 10.
कवि ने “छाया मत छूना’ कविता में किस ऋतु का उदाहरण देकर क्या स्पष्ट करना चाहा है –
उत्तर :
कवि गिरिजाकुमार माथुर ने ‘छाया मत छूना’ कविता में बसंत ऋतु तथा शरद ऋतु का वर्णन किया है। कवि ने बसंत ऋतु के समय में फूल का तथा शरद ऋतु के समय में चंद्रमा का अभाव दिखाया है। कवि द्वारा दोनों उदाहरण देने का एक ही अभिप्राय है कि यदि सुख की प्राप्ति ठीक समय पर नहीं होती, तो व्यक्ति को बहुत दुख होता है।

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प्रश्न 11.
कविता में ‘सुरंग सुधियाँ’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
कवि ने सुरंग सुधियों को अति सुंदर तथा मन को आकर्षक लगने वाली बताया है। ये मनभावन होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के मन में न जाने कितनी यादें एवं सुख के क्षण छिपे रहते हैं। उनकी याद एक सुखद गंध की तरह महकती रहती है। मानव को ये यादें किसी जीवित क्षण के समान ही प्रतीत होती हैं।

पिठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
दुविधा-हत साहस हे, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
दुख है न चांद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर,
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।

(क) दुख के समय में किन यादों से मन और दुखी हो जाता है?
(i) बुरी यादों से
(ii) सुखभरी यादों से
(iii) कड़वी यादों से
(iv) बचपन की यादों से
उत्तर :
(ii) सुखभरी यादों से

(ख) कवि का जीवन कैसा है?
(i) शान-शौकत से भरा
(ii) सुखमय
(iii) धन से परिपूर्ण
(iv) मान-सम्मान से हीन
उत्तर :
(iv) मान-सम्मान से हीन

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(ग) प्रभुता की इच्छा क्या है?
(i) लक्ष्य को प्राप्त करना
(ii) मृगतृष्णा
(iii) वास्तविकता को जानना
(iv) धोखे में रहना
उत्तर :
(ii) मृगतृष्णा

(घ) ‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(i) हर सुख के पीछे दुख छिपा होता है।
(ii) दुख के बाद सुख आता है।
(iii) निराशा में आशा का होना।
(iv) बचपन के बाद यौवन का आना
उत्तर :
(i) हर सुख के पीछे दुख छिपा होता है।

(ङ) कवि किसकी पूजा के लिए प्रेरित करता है?
(i) मन की
(ii) तन की
(iii) वास्तविकता की
(iv) सुख की
उत्तर :
(iii) वास्तविकता की

काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न – 

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

(क) ‘छाया’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(i) परछाईं
(ii) भविष्य
(iii) आशा
(iv) सुखद यादें
उत्तर :
(iv) सुखद यादें

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(ख) ‘चाँदनी’ किसका प्रतीक है?
(i) प्रेम भरे क्षणों का
(ii) घृणा का
(iii) प्रकाश का
(iv) अंधकार का
उत्तर :
(i) प्रेम भरे क्षणों का

(ग) ‘यामिनी बीतने’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(i) दुख का समय व्यतीत हो जाना
(ii) सुख के क्षणों का व्यतीत हो जाना
(iii) अंधकार का मिट जाना
(iv) सुबह होना
उत्तर :
(ii) सुख के क्षणों का व्यतीत हो जाना

(घ) कवि को क्या नहीं दिखाई देता?
(i) साहस
(ii) दुविधा
(iii) पंथ
(iv) चाँदनी
उत्तर :
(iii) पंथ

छाया मत छूना Summary in Hindi

कवि-परिचय :

गिरिजाकुमार माथुर आधुनिक युग के प्रतिभा-संपन्न रचनाकार थे। ये प्रमुख रूप से प्रयोगवादी कवि माने जाते हैं, लेकिन इनकी कविताएँ मात्र प्रयोग के लिए न होकर जीवन की यथार्थ अनुभूति के चित्रण के लिए हैं। कोमलता एवं मधुरता के प्रति आकर्षक होने के कारण माथुर जी की कविता में छायावादी शैली का सौंदर्य भी प्राप्त होता है। माथुर जी का जन्म मध्यप्रदेश राज्य के गुना नामक स्थान पर सन 1918 ई० में हुआ था। इनके पिता ब्रज भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। परिवार का स्तर साधारण था।

यही कारण है कि इनकी कविताओं एवं नाटकों में प्रायः सामान्य स्तर के जीवन का ही चित्रण रहता है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। इन्होंने एम०ए०, एल०एल०बी० तक शिक्षा प्राप्त की। माथुर जी ने झाँसी में रहकर आकाशवाणी में भी कार्य किया। वे दूरदर्शन से भी संबंधित रहे। सन 1994 ई० में इनका निधन हो गया। माथुर जी में कविता लिखने की प्रतिभा जन्मजात थी।

पहले यह प्रतिभा कविता पढ़ने की अत्यधिक रुचि के रूप में प्रकट हुई। बाद में इन्होंने केवल 13 वर्ष की आयु में ही कविता लिखनी आरंभ कर दी। इनकी प्रमुख रचनाएँ मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के दान, भीतरी नदी की यात्रा, शिलापंख चमकीले हैं। ‘पृथ्वी-कल्प’ इनका प्रतीकात्मक नाट्य-काव्य, जन्म कैद नाटक तथा नई कविता सीमाएँ और संभावनाएँ इनके द्वारा लिखित आलोचनात्मक रचनाएँ हैं।

माथुर जी ने रेडियो फ़ीचर, गीति नाट्य और प्रतीकात्मक नाटकों की भी रचना की है। माथुर जी एक भावुक कलाकार हैं। इनकी रचनाओं में व्यक्तिगत अनुभूतियों की बहुलता है। सरसता, मधुरता, सौंदर्य और प्रेम के प्रति आकर्षण इनकी कविताओं की अन्य प्रमुख विशेषताएँ हैं। इनकी कुछ कविताओं में यथार्थपरक दृष्टि का भी उन्मेष है। जीवन के कटु और मधुर रूप का भी चित्रण है।

इनकी कविता पर छायावाद का स्पष्ट प्रभाव है। इन्होंने रोमांस और संताप के भावों को अपनी कविता में स्थान दिया है। इन्होंने संवेदना और पीड़ा के भावों को महत्वपूर्ण माना है। इनमें प्रकृति के प्रति विशेष लगाव-सा है। मानवीकरण करते हुए इन्होंने प्रकृति से संबंधित अनेक चित्र बनाए हैं कंटकित बेरी करौंदे, महकते हैं झाब झोरे। सुन्न हैं, सागौन वन के, कान जैसे पात चौड़े॥

दूह, टीले टौरियों पर, धूप-सूखी घास भूरी। हाड़ टूटे देह कुबड़ी, चुप पड़ी है गैल बूढ़ी॥ कवि ने अपनी कविता में स्थान-स्थान पर आँचलिक शब्दावली का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया है। इन्होंने विषय की मौलिकता को बनाए रखने के लिए विशेष वातावरण की सृष्टि की है। इन्होंने मुक्त छंद में ध्वनि साम्य के प्रयोग के कारण तुक के बिना भी कविता में संगीतात्मकता को उत्पन्न किया है।

उनकी कविताओं में भाषा के दो रंग विद्यमान हैं। जहाँ रोमानी कविताओं में ये छोटी-छोटी ध्वनि वाले शब्दों का प्रयोग करते हैं, वहाँ क्लासिक स्वभाव वाली कविताओं में लंबी और गंभीर ध्वनि वाले शब्दों को महत्व देते हैं। इनकी भाषा प्रयोगवादी कविता के लिए अनुकूल है। इन्होंने नए प्रतीकों, बिंबों और उपमानों का प्रयोग किया है। इन्होंने देशी-विदेशी शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है हाँडियाँ, मचिया, कठौते, लट्ठ, गूदड़, बैल, बक्खर।

राख, गोबर, चरी, औंगन, लेज, रस्सी, हल, कुल्हाड़ी। सूत की मोटी फताई, चका, हंसिया और गाड़ी। कवि की भाषा सहज और सरल है। उसमें सरसता विद्यमान है। कवि ने जहाँ भी अलंकारों का प्रयोग किया है, वे अति स्वाभाविक है। वर्णनात्मक शैली से इन्हें विशेष लगाव है।

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कविता का सार :

छाया मत छूना कविता मानव-जीवन के संदर्भो से जुड़ी हुई है। हमारे जीवन में सुख आते हैं, तो दुख भी अपने रंग दिखाते हैं। मनुष्य को सुख अच्छे लगते हैं, तो दुख परेशान करने वाले। व्यक्ति पुराने सुखों को याद करके वर्तमान के दुखों को और अधिक बढ़ा लेते हैं। कवि की दृष्टि में ऐसा करना उचित नहीं है। इससे दुखों की मात्रा बढ़ जाती है। सुख हमें सदा अच्छे लगते हैं। उनके द्वारा मिली प्रसन्नताएँ मन पर देर तक छायी रहती हैं।

प्रेम भरे क्षण भुलाने की कोशिश करने पर भी भूलते नहीं हैं। लेकिन मनुष्य सुखों के पीछे जितना अधिक भागता है, उतना ही अधिक भ्रम के जाल में उलझता जाता है। हर सुख के बाद दुख अवश्य आता है। हर चाँदनी के बाद अमावस्या भी छिपी होती है। मनुष्य को जीवन की वास्तविकता को समझना चाहिए; उसे स्वीकार करना चाहिए। मनुष्य के मन में छिपा साहस का भाव जब छिप जाता है, तो उसे जीवन की राह दिखाई नहीं देती। मानव मन में छिपे दुखों की सीमा का तो पता ही नहीं है। हर व्यक्ति को जीवन में सबकुछ नहीं मिलता।

जो हमें वर्तमान में प्राप्त हो गया है, हमें इसी में संतुष्ट होना चाहिए। जो अभी प्राप्त नहीं हुआ, उसे भविष्य में प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन पुरानी यादों से स्वयं को चिपकाए रखने का कोई लाभ नहीं है। उनसे दुख बढ़ते हैं, घटते नहीं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

JAC Class 10 Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Textbook Questions and Answers

1. यह दंतुरित मुसकान

प्रश्न 1.
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान देखकर प्रसन्नता से भर उठा। उसे ऐसा लगा कि धूल-धूसरित वह चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान है, जो उसकी झोंपड़ी में आ गया है। कवि उसे एकटक देखता रह गया। उसकी मुसकान ने उसे अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञात प्रकट कर देने के लिए विवश कर दिया।

प्रश्न 2.
बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर :
बच्चे की मुसकान में बनावटीपन नहीं होता; वह सहज और स्वाभाविक होती है। लेकिन किसी बड़े व्यक्ति की मुसकान बनावटी हो सकती है। वह समय और स्थिति के अनुसार बदलती रहती है। बच्चे की मुसकान में निश्छलता रहती है, पर बड़े व्यक्ति की मुसकान में हर समय स्वाभाविकता नहीं होती।

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प्रश्न 3.
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?
उत्तर :
कवि ने बच्चे की मुसकान से चाक्षुक और मानस बिंबों की सुंदर सृष्टि की है। छोटे-छोटे दाँतों से युक्त उसकी मुसकान किसी मृतक को पुन: जीवन देने की क्षमता रखती है। उसके धूल-धूसरित शरीर के अंग कमल के सुंदर फूल के समान प्रतीत होते हैं। पत्थर भी मानो उसके स्पर्श को पाकर जल का रूप पा गए होंगे। चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो; बाँस या बबूल के समान ही उसका रूप क्यों न हो, पर वे सब उसे छूकर शेफालिका के फूलों के समान कोमल हो गए होंगे।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
उत्तर :
(क) कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की अपार सुंदरता ईश्वरीय वरदान के समान है। धूल-धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला वह बालक जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था, जो उसकी झोंपड़ी में आकर बस गया था।
(ख) उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप है कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो, पर उसे देख मन-ही-मन प्रसन्नता से भर उठता है। चाहे वह बाँस के समान हो या काँटों भरे कीकर के समान; उसकी सुदंरता से प्रभावित होकर वह मुसकराने के लिए विवश हो जाता है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 5.
मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर :
मुसकान और क्रोध दोनों मानव-मन में उत्पन्न होने वाले भाव हैं। मुसकान एक सुखद मनोभाव है, तो क्रोध एक मनोविकार है। मुसकान में व्यक्ति अपने हृदय के सुखद भावों को प्रकट करता है; क्रोध में वह अतृप्ति, क्लेश और पीड़ा के भावों को प्रकट करता है। मुसकान सदा सुखदायी होती है, जबकि क्रोध दुखदायी। क्रोध उन सभी को दुख देता है, जो-जो उसकी समीपता को प्राप्त करते हैं। मुसकान से किसी के भी हृदय को जीता जा सकता है, पर क्रोध से अपनों को भी पलभर में दुश्मन बनाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
‘दंतुरित मुसकान’ से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
बच्चे की उम्र लगभग आठ-नौ महीने से लेकर एक वर्ष के बीच होनी चाहिए। उसके मुँह में छोटे-छोटे दाँत हैं, जो सामान्यतः इसी आयु में निकलते हैं। वह कवि को पहचानता नहीं, पर उसके हृदय में उत्सुकता का भाव है। वह उसे बुलाना चाहता है, पर अनजान होने के कारण बुलाता नहीं बल्कि कनखियों से उसकी ओर देखता है। प्रायः ऐसी क्रियाएँ इस उम्र के बच्चे ही करते हैं।

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प्रश्न 7.
बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
वह बच्चा अत्यंत सुंदर है। वह छोटा-सा है; एक साल से भी छोटा होगा। उसका चेहरा कमल के फूल के समान मोहक है। वह मिट्टी में खेलता है; कच्चे आँगन में इधर-उधर रेंगता है। उसके सारे शरीर पर धूल लगी हुई है। कवि लंबे समय के बाद घर लौटा है। बच्चे के बारे में उसे अपनी पत्नी से पता लगा है। वह भाव-विभोर है और एकटक उस बच्चे की ओर निहार रहा है।

वह उसकी मोहक ‘दंतुरित मुसकान’ पर मंत्र-मुग्ध है। बच्चा उसे पहचानना चाहता है, पर पहचान नहीं पाता। उसने कवि को पहली बार देखा है, इसलिए वह कनखियों से अतिथि को देखकर मुस्कराता है। कवि को लगता है कि इस बच्चे की मुसकान पत्थर को भी पिघला देने की क्षमता रखती है। कठोर-से-कठोर व्यक्ति भी इसकी मोहक मुसकान पर स्वयं को न्योछावर कर सकता है।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर :
कल मैं अपनी सहेली के घर गई थी। वह मेरी कक्षा में ही पढ़ती है। जब मैं उसके साथ उसके घर के आँगन में बैठी थी, तो मैंने देखा कि लगभग डेढ़-दो वर्ष की एक छोटी-सी लड़की दरवाज़े की ओट में खड़ी होकर एकटक मुझे देख रही थी। उसने अपने एक हाथ की उँगली मुँह में डाल रखी थी और दूसरे हाथ से दरवाज़ा थाम रखा था। मैंने इशारे से उसे बुलाया, पर वह वहीं खड़ी रही। मेरी सहेली ने बताया कि वह उसकी भतीजी है, जो दो दिन पहले ही दिल्ली से आई है। उसका नाम सलोनी था। मैंने उसे नाम से पुकारा।

वह मुस्कराई अवश्य, पर वहाँ से आगे नहीं बढ़ी। मैं अपनी जगह से उठकर जैसे ही उसकी तरफ़ बढ़ी, वह झट से भीतर भाग गई। मैं वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गई। कुछ देर बाद मैंने फिर उधर देखा, तो वह वहीं खड़ी थी। मेरी सहेली ने उसे बुलाया, तो वह हमारे पास आ गई। मैंने उसे पुचकारा; उसका नाम पूछा। वह चुप रही; बस धीरे-धीरे मुस्काती रही।

मैंने उससे पूछा कि क्या उसे गाना आता है, तो उसने हाँ में सिर हिलाया और फिर धीरे से पूछा कि क्या वह गाना सुनाए? मेरे हाँ कहने के बाद उसने गाना शुरू किया और एक के बाद एक न जाने कितनी देर तक वह आधे-अधूरे गाने गाती रही; ठुमकती रही। उसकी झिझक दूर हो गई थी। जब मैं चलने लगी, तो वह मेरी उँगली थाम कर मेरे साथ चलने को तैयार थी। कुछ देर पहले मुझसे शर्माने और झिझकने वाली सलोनी अब मेरे साथ थी। उसके चेहरे पर झिझक के भाव नहीं थे; उसके व्यवहार में भय नहीं था। वह बहुत मीठा और अच्छा बोलती थी।

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प्रश्न 2.
एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फ़िल्में देखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता लें।

2. फसल

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर :
कवि के अनुसार फसल मनुष्य की लगन और शारीरिक परिश्रम के साथ-साथ प्रकृति के जादुई सहयोग का परिणाम है। जब मनुष्य और प्रकृति मिलकर कार्य करते हैं, तभी फसल होती है। यह लाखों करोड़ों हाथों के स्पर्श की महिमा और गरिमा है।

प्रश्न 2.
कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
कविता में फसल उपजाने के लिए जिन आवश्यक तत्वों की बात कही है, वे हैं-‘नदियों के पानी का जादू, करोड़ों हाथों का परिश्रम, मिट्टी के अद्भुत गुण, सूर्य की किरणें और हवा।

प्रश्न 3.
फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर :
कवि ने लाखों-करोड़ों लोगों के द्वारा किए जाने वाले परिश्रम और उनकी एकनिष्ठ लगन को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा और ‘महिमा’ कहा है। कवि कहता है कि फसल उत्पन्न करना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है; न जाने कितने दिन-रात मेहनत करके वे इसे उगाने का गौरव प्राप्त करते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर :
कवि कहता है कि फसल केवल मनुष्य के परिश्रम का परिणाम नहीं है। प्रकृति भी इसमें सम्मिलित है। सूर्य की किरणें इसे प्रकाश देती हैं; अपनी ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे फसलें उत्पन्न होती हैं। फसल प्रकृति से अपना भोजन प्राप्त करती हैं और बढ़ती हैं। हवा उन्हें थिरकन प्रदान करती है, तभी उसमें बीज बनता है और दानों के रूप में हमें प्राप्त होता है।

रचमा और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 5.
कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है –
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है? (घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर :
(क) मिट्टी का गुण-धर्म इसकी उपजाऊ-शक्ति है, जो इसमें मिले अनेक तत्वों के कारण होती है। उन तत्वों की उपस्थिति के कारण ही मिट्टी भिन्न-भिन्न रंगों को प्राप्त करती है; हल्की-हल्की गंध प्राप्त करती है। वे तत्व ही फसल को बढ़ने में सहायता देते हैं।

(ख) वर्तमान जीवन-शैली मिट्टी को प्रदूषित कर रही है। जाने-अनजाने तरह-तरह के रासायनिक पदार्थ इसमें मिलाए जाते हैं, जिस कारण इसके गुण बदल जाते हैं। उद्योग-धंधे और प्रदूषित जल इसे बिगाड़ रहे हैं । तरह-तरह के कीटनाशक इसे खराब कर रहे हैं। इनके प्रयोग से भले ही हमें फसल कुछ अधिक प्राप्त हो जाती है, पर इससे मिट्टी की प्रकृति बदल रही है।

(ग) मिट्टी के अपने स्वाभाविक गुण-धर्म को छोड़ देने से जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मिट्टी फसल उगाने का गुण-धर्म त्याग दे, तो हमारा जीवन असंभव-सा हो जाएगा क्योंकि सभी प्राणियों का जीवन फसल पर ही निर्भर करता है।

(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी भूमिका अति महत्वपूर्ण हो सकती है। हम इसे प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। इसमें मिलाए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियों के स्थान पर हम प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें मिलने वाले औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों की रोकथाम कर सकते हैं।

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पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यमों द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
प्रमुख संपादक,
दैनिक भास्कर,
लखनऊ।

विषय : सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था हेतु सुझाव

मान्यवर,
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था हेतु कुछ सुझाव देना चाहता हूँ, जो किसानों के लिए निश्चित रूप से महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। हमारा देश कृषि-प्रधान देश है। इसकी लगभग 80% जनता गाँवों में रहती है और पूरी तरह से कृषि पर आश्रित है।

सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए खेती योग्य अधिकतर भूमि पर हमें फसल उगाने की योजनाएँ बनानी चाहिए। परंपरागत पद्धति को त्यागकर वैज्ञानिक आधार पर खेती करनी चाहिए। हमें समझना होगा कि हर खेत की मिट्टी एक-सी फसल उगाने योग्य नहीं होती। इसलिए कृषि-संस्थानों से मिट्टी की परख करवाकर हमें जान लेना चाहिए कि वह किस प्रकार की फसल के लिए अधिक उपयोगी है।

यदि उसमें किसी विशेष तत्व की कमी है, तो उसे रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से पूरा करना चाहिए। हमें फसल के लिए उन्नत और संकरण से प्राप्त बीज ही बोने चाहिए, जो कृषि-संस्थानों से प्राप्त हो जाते हैं। समय-समय पर मान्यता प्राप्त खरपतवार नाशियों और कीटनाशियों का प्रयोग करना चाहिए। सिंचाई के लिए परंपरागत तरीके छोड़कर स्पिंरकरज़ का प्रयोग करना चाहिए। इससे सारे खेत की सिंचाई एक समान होती है। उर्वरकों के साथ-साथ कंपोस्ट और वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग करना चाहिए। इससे फसल की प्राप्ति अच्छी होती है।

सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के अंतर्गत फूलों की खेती की ओर भी ध्यान देना चाहिए। वर्षभर में केवल दो फसलों पर निर्भर न रहकर तीन-चार अंतराफसलें प्राप्त करनी चाहिए। कीटनाशियों के उचित प्रयोग से भी हम अपनी फसलों को नष्ट होने से बचा सकते हैं। आशा है कि आप अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में इन सुझावों को अवश्य स्थान देंगे।
भवदीय,
राकेश भारद्वाज

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प्रश्न 2.
फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्व क्यों नहीं दिया जाता है ? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक-अध्यापिका की सहायता से करें।

JAC Class 10 Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि ने स्वयं को प्रवासी क्यों कहा है ?
उत्तर :
नागार्जुन प्रायः घूमते रहते थे। वे फक्कड़ और घुमक्कड़ थे। राजनीति और घुमक्कड़ी के शौक के कारण प्रायः अपने घर से दूर रहते थे इसलिए उन्होंने स्वयं को प्रवासी कहा है। साहित्य जगत में भी उन्हें ‘यात्री’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
‘दंतुरित मुसकान’ क्या-क्या कर सकती थी ?
उत्तर :
‘दंतुरित मुसकान’ किसी कठोर-से-कठोर व्यक्ति के हृदय को भी कोमलता से भर सकती थी। वह किसी मृतक को जीवित कर सकती थी। उसकी सुंदरता से प्रभावित होकर पत्थर भी पिघलकर पानी बन सकता था।

प्रश्न 3.
कवि ने फसल के द्वारा किन-किन में आपसी सहयोग का भाव व्यक्त किया है?
उत्तर :
कवि ने फसल के द्वारा मनुष्य के शारीरिक बल, परिश्रम तथा प्रकृति में छिपी अथाह ऊर्जा के आपसी सहयोंग का भाव व्यक्त किया है। जब ममुष्य की मेहन्त और प्रकृति का सहयोग आपस में मिल जाते हैं, तो फसल उत्पन्न होती है।

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प्रश्न 4.
कवि ने मुसकान के लिए दंतुरित विशेषण का प्रयोग क्यों किया है ?
उत्तर :
मुसकान अपने-आप में ही सभी को आकर्षित कर लेती है, परंतु एक नन्हे से बालक के छोटे-छोटे दाँतों से युक्त मुसकान उसे और भी विशिष्ट बना देती है।

प्रश्न 5.
‘छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात’ का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर :
धूल-मिट्टी से सने बालक के शरीर को देखकर कवि को लगता है कि जैसे कोई कमल सरोवर को छोड़कर उसके घर में आकर खिल गया है। अपने नन्हें से बच्चे को देख कवि अति प्रसन्न है।

प्रश्न 6.
पाषाण का पिघलना और जल बनना से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
पत्थर या पाषाण पिघलने का अर्थ है-‘ऐसा व्यक्ति जो कोमल भावनाओं से दूर है, इस सुंदर बालक का कोमल स्पर्श पाकर भावुक बन जाता है।’ कवि के अनुसार बालक की मुसकान से कठोर हृदय भी पिघलकर जल बन जाता है।

प्रश्न 7.
‘दंतुरित मुसकान’ कविता में किस भाव की अभिव्यक्ति है?
उत्तर :
इस कविता में एक ऐसे पिता के मन के भावों की अभिव्यक्ति है, जिसने काफ़ी समय के बाद अपने पुत्र को देखा है। ये भाव अपने शिशु को देखकर पिता के हृदय में स्नेह से परिपूर्ण होकर जागते हैं। शिशु की छोटी-से-छोटी भाव-भंगिमा भी पिता को अभिभूत कर देती है। वात्सल्स तथा स्नेहमयी अभिव्यक्ति इस कविता का मुख्य भाव है।

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प्रश्न 8.
कवि और शिशु के बीच माध्यम कौन है?
उत्तर :
कवि तथा शिशु के बीच माध्यम है-‘शिशु की माँ’। जो दोनों के बीच एक कड़ी का काम करती है। दोनों को एक-दूसरे के साथ
पिता-पुत्र के संबंध में बाँधती है।

प्रश्न 9.
कवि शिशु की माँ तथा शिशु को धन्य क्यों कहता है ?
उत्तर :
कवि जब अपने शिशु को काफी समय के बाद देखता है, तो उसे बड़ी प्रसन्नता होती है। कवि की अनुपस्थिति में शिशु की माँ ने ही उसका पालन-पोषण किया। उसके कारण ही शिशु की दंतुरित मुसकान को देखने का कवि को सौभाग्य मिला। यदि माँ न होती, तो शिशु का अस्तित्व ही न होता और यदि ये दोनों न होते, तो कवि को यह खुशी देखने को न मिलती। इसी कारण कवि ने माँ तथा शिशु दोनों को धन्य कहा है।

प्रश्न 10.
‘उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क’ में मधुपर्क से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
नन्हें शिशु के समुचित विकास के लिए माँ पाँच पौष्टिक पदार्थों को मिलाकर अपनी उँगलियों से उसे चटाती है। मधुपर्क जिन पाँच वस्तुओं के मिश्रण से बनता है, वे हैं-दूध, दही, शहद, घी और जल। मधुपर्क की पौष्टिकता के साथ-साथ माँ की उँगलियों में जो स्नेहरूपी अमृत है, वह भी महत्वपूर्ण है।

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प्रश्न 11.
कवि ने ‘फसल’ के निर्माण में किसान के परिश्रम को अधिक महत्वपूर्ण क्यों कहा है?
उत्तर :
फसल के निर्माण में प्रकृति और किसान दोनों का ही योगदान होता है। मनुष्य को प्रकृति के अनुसार चलकर अधिक उत्पादन मिल सकता है। फिर भी कृषक का अथक परिश्रम अधिक महत्वपूर्ण है। किसान बीज बोता है; जुताई-सिंचाई करता है; धैर्य के साथ फसल की सेवा करता है। समय के अनुसार उसमें खाद डालता है। जानवरों से उसकी रक्षा करता है। इसी कारण किसान फसल निर्माण की प्रक्रिया में अधिक महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 12
हजार-हजार खेतों की मिट्टी के गुण-धर्म से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
फसल मिट्टी में ही उगती है। तरह-तरह की फसल के लिए मिट्टी के मुण भी अलग-अलग होते हैं। हर तरह की फसल एक 4 ही खेत में नहीं उगाई जा सकती। मिट्टी के खनिज तत्व अलग-अलग होते हैं। मिट्टी या खेत की उपजाऊ-शक्ति भी एक-सी नहीं होती। खेतों की उर्वरा शक्ति के अनुसार ही उनमें बीज बोए जाते हैं और तरह-तरह की फसल उगाई जाती है।

प्रश्न 13.
फसल कविता दवारा कवि हमें क्या संदेश देना च –
उत्तर :
कवि का मानना है कि फसल मानव और प्रकृति के सहयोग से लहलहाती है। प्रकृति के अनेक तत्वों का सहयोग ही किसान के परिश्रम को फसल के रूप में उत्पन्न करता है। एक-दूसरे के अभाव में फसल कदापि तैयार नहीं हो सकती। मानव तथा प्रकृति एक-दूसरे के पूरक हैं।

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प्रश्न 14.
प्रकृति के कौन-कौन से तत्व फसल के लिए अपना योगदान देते हैं?
उत्तर :
खेतों की मिट्टी, उसमें समाहित खनिज तत्व, पानी, सूरज की किरणें, हवाएँ तथा प्रकृति के सहयोग से प्राप्त विभिन्न प्रकार के बीज ये सभी तत्व प्रकृति हमें प्रदान करती हैं, ताकि हमें तरह-तरह की फसल मिल सके।

प्रश्न 15.
कवि ने फसल को जादू क्यों कहा है?
उत्तर :
कवि के अनुसार फसल एक जादू है। एक बीज में से जो अंकुर फूटकर बाहर निकलता है; जिसे मिट्टी, नदियों का पानी, सूर्य की ऊर्जा, हवा तथा किसान का सहयोग प्राप्त है, वह ईश्वर का जादू है। हर बीज अलग-अलग तरह का तथा अलग तरह की फसल पैदा करने में सक्षम है। यह एक चमत्कार से कम नहीं है।

पठित धनाश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न – 

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात….
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
तुम मुझे पाए नहीं पहचान?

(क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि किसे संबोधित कर रहा है?
(i) बालक को
(ii) वृद्ध को
(iii) स्त्री को
(iv) युवक को
उत्तर :
(i) बालक को

(ख) बच्चे का अंग-प्रत्यंग कैसा है?
(i) स्वच्छ
(ii) कठोर
(iii) धूल-मिट्टी से सना
(iv) काला
उत्तर :
(iii) धूल-मिट्टी से सना

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(ग) बच्चे की मुसकान किसका संदेश देती है?
(i) मृत्यु का
(ii) जीवन का
(iii) दुख का
(iv) चिंताओं का
उत्तर :
(ii) जीवन का

(घ) कवि के अनुसार कठिन पाषाण किस प्रकार पिघला होगा?
(i) तप कर
(ii) बच्चे के स्पर्श से
(ii) बच्चे के प्राणों का स्पर्श पाकर
(iv) जल कर
उत्तर :
(iii) बच्चे के प्राणों का स्पर्श पाकर

(ङ) बच्चे के स्पर्श से कौन-से फूल झड़ने लगेंगे?
(i) बबूल के
(ii) गुलाब के
(iii) गुलमोहर के
(iv) शेफालिका के
उत्तर :
(iv) शेफालिका के

2. हजार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह नदियों के पानी का जादू है वह हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!
(क) फसल में कितने खेतों की मिट्टियों के गुण-धर्म मौजूद हैं?
(i) दो खेतों की
(ii) सैकड़ों खेतों की
(iii) हज़ारों खेतों की
(iv) लाखों खेतों की
उत्तर :
(iii) हज़ारों खेतों की

(ख) फसल किसका जादू है?
(i) अनाज का
(ii) झरनों के पानी का
(iii) झीलों के पानी का
(iv) नदियों के पानी का
उत्तर :
(iv) नदियों के पानी का

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(ग) फसल किसके स्पर्श की महिमा है?
(i) परिश्रमी हाथों के स्पर्श की
(ii) पानी के स्पर्श की
(iii) बच्चे के स्पर्श की
(iv) मिट्टी के स्पर्श की
उत्तर :
(i) परिश्रमी हाथों के स्पर्श की

(घ) कवि ने मिट्टी की किन विशेषताओं को प्रकट किया है?
(i) खुशबू की
(ii) काले, भूरे और संदले रंगों की
(iii) उपजाऊपन की
(iv) नमी की
उत्तर :
(ii) काले, भूरे और संदले रंगों की

(ङ) फसल किसका रूपांतर है?
(i) परिश्रम का
(ii) पानी का
(iii) सूर्य की किरणों का
(iv) अनाज का
उत्तर :
(iii) सूर्य की किरणों का

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काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न –

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

(क) कवि और बच्चे के बीच का माध्यम कौन है?
(i) कवि की माँ
(ii) बच्चे की माँ
(iii) मुसकान
(iv) बच्चे का भोलापन
उत्तर :
(ii) बच्चे की माँ

(ख) ‘मधुपर्क’ किसका प्रतीक है?
(i) बच्चे की मुसकान का
(ii) माँ के प्यार का
(iii) कमल की सुंदरता का
(iv) पालन-पोषण का
उत्तर :
(ii) माँ के प्यार का

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(ग) कवि के अनुसार फसल क्या है?
(i) परिश्रम का फल
(ii) अनाज का ढेर
(iii) जादू
(iv) खेत-खलिहान
उत्तर :
(iii) जादू

(घ) फसल को थिरकना कौन सिखाता है?
(i) हवा
(ii) किसान
(iii) मिट्टी
(iv) पानी
उत्तर :
(i) हवा

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Summary in Hindi

कवि-परिचय : वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ जो ‘नागार्जुन’ के नाम से विख्यात हुए, हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कवि एवं कथाकार हैं। आधनिक कबीर के रूप में विख्यात नागार्जन घुमंत व्यक्ति थे। इनका जन्म 1911 में बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गाँव में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत पाठशाला में हुई थी। बाद में ये संस्कृत अध्ययन के लिए बनारस और कोलकाता भी गए। सन 1936 में नागार्जुन अध्ययन के लिए श्रीलंका गए और वहीं बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गए। वर्ष 1938 में वे स्वदेश वापस आ गए।

नागार्जुन अपने घुमक्कड़पन और फक्कड़पन के लिए प्रसिद्ध रहे। शिक्षा-प्राप्ति के दौरान उनकी भेंट मैथिली के प्रकांड पंडित सीताराम झा से हुई और उन्होंने उनसे भाषा, छंद, अलंकार आदि का विशेष ज्ञान प्राप्त किया। बनारस में रहते हुए नागार्जुन संस्कृत के साथ-साथ मैथिली में भी साहित्य-रचना करने लगे। बीस वर्ष की अवस्था में नागार्जुन का विवाह हुआ। लेकिन अध्ययन, घुमक्कड़ी और राजनीति में रुचि होने के कारण ये परिवार की देख-रेख नहीं कर सके। नागार्जुन के चार पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं।

मैथिल समाज में उन्हें समुचित आदर नहीं मिला; क्योंकि एक तो वे समुद्र पार की यात्रा कर आए थे, दूसरे संन्यास भ्रष्ट थे और तीसरे बौद्ध होने के कारण उनकी खान-पान की पवित्रता नष्ट हो गई थी। वर्ष 1941 में नागार्जुन पुनः घर लौटे। लगभग पाँच दशक तक इन्होंने अनेक हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के बाद 5 नवंबर, 1998 को नागार्जुन का देहांत हुआ। साहित्य-रचना-नागार्जुन ने वर्ष 1935 में हिंदी मासिक ‘दीपक’ में काम किया तथा वर्ष 1942-43 में ‘विश्व बंधु’ साप्ताहिक का संपादन किया।

ये अपनी मातृभाषा मैथिली में ‘यात्री’ उपनाम से रचना करते थे। इनके कविता-संग्रह ‘चित्रा’ से मैथिली में नवीन भाव बौद्ध का प्रारंभ माना जाता है। संस्कृत में चाणक्य उपनाम से इन्होंने अनेक कविताएँ लिखीं। वर्ष 1930 से विधिवत लेखन करते हुए नागार्जुन ने हिंदी को महत्वपूर्ण रचनाएँ दीं…’ सतरंगे पंखों वाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘युगधारा’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘हज़ार-हजार बाहों वाली’, ‘तुमने कहा था’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’, ‘रत्नगर्भा’, ‘ऐसे भी हम क्या, ऐसे भी तुम क्या’, ‘पका है कटहल’, ‘मैं मिलटरी का बूढ़ा घोड़ा’ तथा ‘भस्मांकुर’।

नागार्जुन के उपन्यासों में ‘बलचनमा’, ‘रतिनाथ की चाची’, ‘कुंभीपाक’, ‘उग्रतारा’, ‘जमनिया का बाबा’ तथा ‘उग्रतारा’ प्रमुख है। नागार्जुन का संपूर्ण साहित्य सात खंडों में प्रकाशित हो चुका है। सन 1956 में प्रकाशित ‘युगधारा’ में कवि ने अपना परिचय निम्न शब्दों में दिया है –

‘पैदा हुआ था मैं दीन-हीन अपठित किसी कृषक-कुल में
आ रहा हूँ पीता अभाव का आसव ठेठ बचपन से।’

काव्य-सौंदर्य – नागार्जुन की कविता राष्ट्रीय-चेतना की कविता है, जिसमें राष्ट्रीय आंदोलनों की धड़कन सुनाई पड़ती है। व्यंग्यात्मकता उनकी कविता का अभिन्न अंग है। ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘हिम कसमों का चंचरीक’ तथा ‘फाहियान के वंशधर’ आदि कविताएँ राष्ट्रीय भावों से ओत-प्रोत हैं। मातृभूमि के प्रति उनका प्रेम निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त हुआ – है

‘भारत माता के गालों पर कसकर पड़ा तमाचा है।
राम राज्य में अब की रावन नंगा होकर नाचा है।’
तथा
‘खेत हमारे, भूमि हमारी, सारा देश हमारा है।
इसीलिए तो हमको इसका, चप्पा-चप्पा प्यारा है।’

नागार्जुन अपनी कविता में वामपंथी विचारधारा को लेकर आए। वे प्रगतिशील जनवादी कवि थे। उन्होंने जनता के सुख-दुख; उसके संघर्ष और कष्ट; उसकी आस्था और जिजीविषा को अपने काव्य में व्यक्त किया है। सामाजिक अन्याय, शोषण, जड़ता, अंधविश्वास, ढोंग, पाखंड आदि के विरोध में नागार्जुन ने बहुत लिखा। नागार्जुन ने ‘पोस्टर कविता’ के रूप में व्यंग्यात्मक राजनीतिक कविताएँ वर्ष 1965 के आपातकाल में लिखीं। राजनीतिक आंदोलनों के कारण ये अनेक बार जेल भी गए। नागार्जुन की कविताओं में गहन राजनीतिक समझ दिखाई देती है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर इन्होंने अनेक रचनाएँ लिखी हैं। मार्क्सवादी विचारधारा से जुड़े होने पर भी इनके काव्य में वैचारिक कट्टरता नहीं है। कवि का ग्रामीण संस्कार भी इनकी कविताओं में व्यक्त हुआ है। नागार्जुन घुमक्कड़ थे, इसलिए देश-विदेश के अनेक सुंदर स्थानों के शब्द-चित्र इनकी कविताओं में हैं। प्रकृति से जुड़ी इनकी कविताएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। ‘बादल को घिरते देखा है’ तथा ‘घन कुरंग’ जैसी कविताएँ बहुत सुंदर हैं। नागार्जुन के काव्य-विषय जीवन से लिए गए हैं, इसलिए रिक्शा खींचते गरीब के पाँवों में फटी बिवाइयाँ भी वहाँ हैं; फटी बनियान और टपकता कटहल भी उनका काव्य विषय बना है।

काव्य-भाषा – नागार्जुन की काव्य-भाषा भावों का अनुसरण करती है। तत्सम शब्दावली के साथ तद्भव और देशी-विदेशी शब्द आवश्यकतानुसार प्रयुक्त हुए हैं। मुहावरों का सटीक प्रयोग इनके काव्य की विशेषता है; यथा –

वतन बेचकर पंडित नेहरू फूले नहीं समाते हैं।
बापू के भी ताऊ निकले, तीनों बंदर ताऊ के।
गिरगट के अंडे सेता हूँ, मैं देख रहा।
सत्तर चूहे खाकर रीझा वृद्ध बिलौटा अब जन मन पर।

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नागार्जुन की कविता बिंबात्मक है। हिरण की तरह उछलते-कूदते बादल का बिंब देखिए –

‘नभ में चौकड़ियाँ भरे भले
शिशु घन-कुरंग
खिलवाड़ देर तक करें भले
शिशु घन कुरंग।’

नागार्जुन ने मधुर गीत भी लिखे हैं और मुक्त छंद में काव्य-रचना भी की है। इन्होंने प्रणय, प्रकृति, राजनीति और देश-प्रेम पर कविताएँ लिखी। हैं। इनकी कविताओं का स्वर मानवतावादी है। प्रसिद्ध आलोचक रामविलास शर्मा के शब्दों में-“इनकी कविताएँ दिल पर चोट करने वाली हैं; कर्तव्य की याद दिलाने वाली हैं और राह दिखाने वाली भी हैं।” नागार्जुन मित्रों के लिए नागा बाबा थे। समाज, राजनीति, धर्म तथा साहित्य में एक साथ संघर्ष करने वाला हिंदी का यह कवि अद्भुत था, क्योंकि कवि के विवेक पर यह किसी तरह का बंधन स्वीकार नहीं करता था।

नागार्जुन मानते थे कि पार्टी देश और समाज से बड़ी नहीं होती, इसलिए वामपंथियों ने इन्हें अंततः ठुकरा दिया। वर्ष 1962 में इन्होंने ० चीन विरोधी कविताएँ लिखीं और वर्ष 1965 में आपातकाल विरोधी कविताएँ लिखीं। इन्होंने जय प्रकाश आंदोलन का भी खुलकर साथ दिया था। नागार्जुन कोमल भावनाओं के कवि भी थे। जब संन्यासी जीवन काटकर बरसों बाद गृहस्थ बने, पत्नी की उम्र ढल चुकी थी। उसकी पीड़ा पर कविता लिखी ‘प्रत्यावर्तन’ अर्थात लौटना। इसमें पत्नी की दशा पर लिखा –

‘हृदय में पीड़ा दृगों में लिए पानी।
देखते पथ काट दी सारी जवानी।’

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1. यह दंतुरित मुसकान

कविता का सार :

कवि किसी ऐसे छोटे बच्चे की मुसकान को देखकर अपार प्रसन्न है, जिसके मुंह में अभी छोटे-छोटे दाँत निकले हैं। कवि को उसकी मुसकान जीवन का संदेश प्रतीत होती है। उस मुसकान के सामने कठोर-से-कठोर मन भी पिघल सकता है। उसकी मुसकान तो किसी मृतक में भी नई जान फूंक सकती है। धूल-मिट्टी से सना हुआ नन्हा-सा बच्चा ऐसा प्रतीत होता है, जैसे कमल का सुंदर-कोमल फूल तालाब छोड़कर झोंपड़ी में खिल उठा हो। उसे छूकर पत्थर भी जल बन जाता है; उसे छूकर शेफालिका के फूल झड़ने लगते हैं। नन्हा-सा बच्चा कवि को नहीं पहचान पाया, इसलिए एकटक उसकी तरफ देखता रहा। कवि मानता है कि उस बच्चे की मोहिनी छवि और उसके संदर दांतों को वह उसकी मां के कारण देख पाया था। वह मां धन्य है और बच्चे की मुसकान भी धन्य है। वह स्वयं इधर-उधर जाने वाला प्रवासी । था, इसलिए उसकी पहचान नन्हे बच्चे के साथ नहीं हो सकी। जब उसकी माँ कहती, तब वह कनखियों से कवि की ओर देखता और उसकी छोटे-छोटे दाँतों से सजी मसकान कवि के मन को मोह लेती।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

जात
1. तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात….
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
देखते ही रहोगे अनिमेष! थक गए हो?
आँख लूँ मैं फेर?
क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

शब्दार्थ : दंतुरित – बच्चों के नए-नए दाँत। मृतक – मरा हुआ। धूलि-धूसर – धूल-मिट्टी। गात – शरीर के अंग-प्रत्यंग। जलजात – कमल का फूल। परस – स्पर्श। पाषाण – चट्टान, पत्थर। अनिमेष – बिना पलक झपकाए लगातार देखना।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ से ली गई हैं। इसके रचयिता कवि नागार्जुन हैं ! घुमक्कड़ स्वभाव का होने के कारण कवि जगह-जगह घूमता रहता था। उसने जब अपने छोटे-से बच्चे के मुँह में छोटे-छोटे दाँत देखे तो उसे अपार प्रसन्नता हुई। उसने अपने भावों को अनेक बिंबों के माध्यम से प्रकट किया।

व्याख्या : कवि छोटे-से बच्चे को संबोधित करता हुआ कहता है कि तुम्हारे छोटे-छोटे दाँतों से सजे मुँह की मुसकान इतनी आकर्षक है कि वह मृतकों में भी जान डालने की क्षमता रखती है। वह जीवन का संदेश देती है। तुम्हारे शरीर का अंग-प्रत्यंग धूल-मिट्टी से सना हुआ है। मुझे ऐसा लगता है कि तुम तालाब को छोड़कर मेरी निर्धन की झोपड़ी में खिलने वाले कमल हो।

वह तालाब भी पहले पत्थर होगा, पर तुम्हारे प्राणों का स्पर्श पाकर वह पिघल गया होगा और जल बन गया होगा। चाहे वह बाँस हो या बबूल, पर तुम से छूकर उससे भी शेफालिका के कोमल फूल झड़ने लगते हैं। कवि उस बच्चे से पूछता है कि क्या उसने उसे पहचाना है या नहीं। क्या तुम बिना पलकें झपकाए हैरानी से लगातार मेरी ओर देखते ही रहोगे? क्या तुम थक गए हो? कवि कहता है कि यदि वह उसे पहले पहचान नहीं पाया तो भी कोई बात नहीं। भाव है कि वह अभी बहुत छोटा है, पर वह बहुत भोला-भाला और सुंदर है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. पंक्तियों में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. ‘दंतुरित मुसकान’ किसकी है?
3. बच्चे का शरीर किससे सना हुआ है ?
4. कवि की झोंपड़ी में बच्चा किसे प्रतिबिंबित कर रहा है?
5. बच्चे के शरीर के स्पर्श मात्र से कौन-से फूल झड़ने लगे थे?
6. कवि की दृष्टि में जीवन का संदेश कौन देता है?
7. बच्चा कवि की ओर किस प्रकार देख रहा था?
8. ‘बाँस था कि बबूल’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट कीजिए।
9. कवि को कौन नहीं पहचान पाया था?
उत्तर :
1. कवि अपने बच्चे को काफ़ी लंबे समय के बाद मिला और उसके छोटे-छोटे दाँतों को देखकर अति प्रसन्न हो उठा है। उसे यह प्रतीत हुआ कि उसकी मुसकान में अपार सुंदरता छिपी हुई है।
2. ‘दंतुरित मुसकान’ कवि के नन्हे-से बच्चे की है।
3. बच्चे का सारा शरीर धूल-मिट्टी से सना हुआ है।
4. कवि की झोपड़ी में नन्हा-सा बच्चा कमल के फूल को प्रतिबिंबित कर रहा है।
5. बच्चे के शरीर के स्पर्श मात्र से शेफालिका के फूल झड़ने लगे थे।
6. कवि की दृष्टि में जीवन का संदेश बच्चे का सौंदर्य देता है।
7. बच्चा कवि की ओर बिना पलकें झपकाए लगातार देखता रहा था।
8. ‘बाँस था कि बबूल’ में कठोर और विपरीत स्थितियों का भाव छिपा है। कठिनाइयों की स्थिति में भी वह अपनी सुंदरता और भोलेपन से सबके मन को हर रहा था।
9. कवि को नन्हा-सा बच्चा नहीं पहचान पाया था।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. कवि ने किसके दाँतों की सराहना की और उसे भोला-भाला माना है?
2. किस बोली का प्रयोग किया गया है?
3. किस प्रकार के शब्दों का समन्वित प्रयोग किया है ?
4. छंद कौन-सा है?
5. किस शैली ने नाटकीयता उत्पन्न की है?
6. कौन-सा काव्य-गुण विद्यमान है?
7. काव्य-रस का नाम लिखिए।
8. किस शब्द-शक्ति के प्रयोग से कथन को सरलता-सरसता प्राप्त हुई है ?
9. ‘जलजात’ शब्द की विशिष्टता क्या है?
10. पंक्तियों में आए ‘दो तत्सम और दो तद्भव’ शब्द छाँटकर लिखिए।
11. ‘दंतुरित मुसकान’ में कौन-सा बिंब है?
12. पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने छोटे-से बच्चे के दाँतों की सुंदरता की सराहना करते हुए उसे भोला और सीधा माना है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग किया गया है।
4. अतुकांत छंद है।
5. प्रश्न-शैली ने नाटकीयता की सृष्टि की है।
6. प्रसाद गुण विद्यमान है।
7. वात्सल्य रस।
8. अभिधात्मकता ने कवि के कथन को सरलता, सरसता और सहजता प्रदान की है।
9. प्रतीकात्मकता विद्यमान है।
10. तत्सम –

  • मृतक, पाषाण तद्भव
  • तालाब, फूल

11. चाक्षुक बिंब।
12. अतिशयोक्ति –

  • तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
  • मृतक में भी डाल देगी जान उत्प्रेक्षा
  • छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल उठे जलजात।
  • पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।
  • छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल। अनुप्रास
  • ‘परस पाकर’, ‘धूलि-धूसर’

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2. यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उँगलियों माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होती जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
मुझे लगली बड़ी ही छविमान!

शब्दार्थ : चिर प्रवासी – लंबे समय तक बाहर रहने वाला। इतर – दूसरा ! मधुपर्क – दही, घी, शहद, जल और दूध का मिश्रण, जो देवता और अतिथि के सामने रखा जाता है। इसे पंचामृत भी कहते हैं। बच्चे को जीवन देने वाला आत्मीयता की मिठास से युक्त माँ का प्यार। कनखी – तिरछी निगाह से देखना। अतिथि – मेहमान। संपर्क – संबंध: छविमान – सुंदर।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) से ली गई हैं। ये पंक्तियाँ नागार्जुन के द्वारा रचित कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ में निहित हैं। कवि लंबे समय तक कहीं बाहर रहने के पश्चात वापस अपने घर लौटा था और उसने अपने बच्चे के छोटे-छोटे दाँतों की सुंदर चमक से शोभायमान मुसकान को देखा था। इससे उसे अपार प्रसन्नता हुई थी।

व्याख्या : कवि कहता है कि हे सुंदर दाँतों वाले बच्चे ! यदि तुम्हारी माँ तुम्हारे और मेरे बीच माध्यम न बनी होती, तो मैं कभी भी तुम्हें और तुम्हारी सुंदर मुसकान को देख न पाता और न ही तुम्हें जान पाता। तुम धन्य हो और तुम्हारो माँ भी धन्य है। मैं तुम दोनों का आभारी हूँ। मैं लंबे समय से बाहर था, इसलिए मैं तुम्हारे लिए कोई दूसरा हूँ। मेरे प्यारे बच्चे ! मैं तुम्हारे लिए मेहमान की तरह हूँ, इसलिए तुम्हारा मेरे साथ कोई संबंध नहीं रहा; तुम्हारे लिए मैं अनजाना-सा हूँ।

मेरी अनुपस्थिति में तुम्हारी माँ ही आत्मीयतापूर्वक तुम्हारा पालन-पोषण करती रही। तुम्हें अपना प्यार प्रदान करती रही। वही तुम्हारा पंचामृत से पालन-पोषण करती रही। तुम मुझे देखकर हैरान से थे और मेरी ओर कनखियों से देख रहे थे। जब कभी अचानक तुम्हारी और मेरी दृष्टि मिल जाती थी, तो मुझे तुम्हारे मुँह में तुम्हारे चमकते हुए सुंदर दाँतों से युक्त मुसकान दिखाई दे जाती है। सच ही मुझे तुम्हारी दूधिया दाँतों से सजी मुसकान बहुत सुंदर लगती है। मैं तुम्हारी मुसकान पर मुग्ध हूँ।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. पंक्तियों में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. बच्चे की दंतुरित मुसकान और कवि के बीच कौन माध्यम बना था?
3. किस अवस्था में कवि अपने बच्चे को नहीं देख पाता?
4. कवि ने किसे-किसे धन्य माना है और क्यों?
5. कवि ने स्वयं को क्या माना है?
6. माँ अपने बच्चे का पालन-पोषण क्या खिलाकर करती रही थी?
7. ‘मधुपर्क’ में निहित प्रतीकात्मकता स्पष्ट कीजिए।
8. कवि को छविमान क्या लगती है?
9. नन्हा बच्चा बाहर से आए कवि की ओर किस प्रकार देख रहा था ?
उत्तर :
1. कवि ने अपने बच्चे की सुंदर दाँतों को देखा था और उसकी मुसकान पर मुग्ध हो उठा था। वह अपनी पत्नी के प्रति आभारी था कि उसकी अनुपस्थिति में उसने बहुत अच्छे तरीके से बच्चे का प्रेमपूर्वक पालन-पोषण किया था।
2. बच्चे की ‘दंतुरित मुसकान’ और कवि के बीच कवि की पत्नी माध्यम थी, जिसने कवि को बच्चे की मधुर मुसकान से परिचित करवाया था।
3. यदि कवि की पत्नी बच्चे की मधुर मुसकान से उसका परिचय न करवाती तो वह उसके विषय में न जान पाता और उसे न देख सकता, क्योंकि वह बहुत लंबे समय के बाद वापस अपने घर लौटा था।
4. कवि ने अपने बच्चे और अपनी पत्नी को धन्य माना है, क्योंकि उनके कारण ही उसे अपार प्रसन्नता की प्राप्ति हुई थी। वह स्वयं को उनसे मिलकर धन्य मानता है।
5. कवि ने स्वयं को ‘चिर प्रवासी’ माना है। वह लंबे समय के बाद वापस घर लौटा था।
6. माँ अपने बच्चे का पालन-पोषण दही, घी, शहद और दूध के मिश्रण से बने पंचामृत से करती रही थी।
7. मधुपर्क में प्रतीकात्मकता छिपी हुई है। इसमें बच्चे को जीवन देने वाला आत्मीयता की मिठास से युक्त माँ का प्यार छिपा हुआ है।
8. कवि को बच्चे की ‘दंतुरित मुसकान’ बहुत छविमान लगती है।
9. नन्हा बच्चा बाहर से आए कवि की ओर आश्चर्य और उत्सुकता के कारण कनखियों से देखता है। वह उसकी ओर सीधा नहीं देखता।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. भाव स्पष्ट कीजिए।
2. किस शब्द-शक्ति के प्रयोग से सरलता-सरसता प्रकट हुई है?
3. किस काव्य-गुण का प्रयोग हुआ है?
4. काव्य-रस का नाम लिखिए।
5. किस बोली का प्रयोग किया है?
6. किस प्रकार के शब्दों का समन्वित प्रयोग किया है?
7. छंद का नाम लिखिए।
8. किन मुहावरों का सहज प्रयोग है?
9. दो तद्भव और दो तत्सम शब्द लिखिए।
10. प्रयुक्त अलंकार लिखिए।
11. कौन-सा बिंब प्रधान है?
उत्तर :
1. कवि ने अपने नन्हें से बच्चे की मधुर मुसकान के आकर्षण का सहज सुंदर वर्णन किया है और अपनी पत्नी की कर्तव्यनिष्ठा का उल्लेख किया है, जिसने उसकी अनुपस्थिति में अपने पुत्र का प्रेमपूर्वक पालन-पोषण किया था।
2. अमिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है, जिससे कवि का कथन सरलता-सरसता से प्रकट हुआ है।
3. प्रसाद गुण विद्यमान है।
4. वात्सल्य रस।
5. खड़ी बोली का प्रयोग है।
6. तत्सम तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग किया गया है।
7. अतुकांत छंद है।
8. आँखें चार होना, कनखी मारना जैसे मुहावरों का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
9. तद्भव
– माँ, मुसकान तत्सम
– प्रवासी, संपर्क
10. अनुप्रास-माँ न माध्यम; माँ को कराती रही मधुपर्क
11. चाक्षुक बिंब।

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2. फसल

किविता का सार :

फसलें हमारे जीवन की आधार हैं। ‘फसल’ शब्द सुनते ही हमारी आँखों के सामने खेतीं में लहलहाती फसलें आ जाती हैं। फसल को पैदा करने के लिए न जाने कितने तत्व और कितने हाथों का परिश्रम लगता है। फसल प्रकृति और मनुष्य के आपसी सहयोग से ही संभव होती है। न जाने कितनी नदियों का पानी और लाखों-करोड़ों हाथों का परिश्रम इसे उत्पन्न करता है। खेतों की उपजाऊ मिट्टी इसे शक्ति देती है; सूर्य की किरणें इसे जीवन देती हैं और हवा इसे धिरकना सिखाती है। फसल अनेक दुश्य-अदृश्य शक्तियों के मिले-जुले बल के कारण उत्पन्न होती है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य सराहना से बंधी प्रश्नोत्तर –

1. एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा :
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हजार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म :
फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा का थिरकन का!

शब्दार्थ : ढेर – बहुत-सी। कोटि – करोड़ों। स्पर्श – छूना। गरिमा – गौरव। गुण धर्म – विशेषताएँ। संदली – चंदन की। रूपांतर – परिवर्तन।
सिमटा – इकट्ठा। प्रसंग प्रस्तुत कविता ‘फसल’ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ (भाग-2) में संकलित है, जिसके रचयिता नागार्जुन हैं। कवि ने स्पष्ट किया है कि फसल उत्पन्न करने के लिए मनुष्य और प्रकृति मिलकर एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।

व्याख्या : कवि कहता है कि फसल को उत्पन्न करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि अनेक नदियों से प्राप्त होने वाला पानी अपना जादुई प्रभाव दिखाता है। उसी पानी के कारण यह पनपती है; बढ़ती है। इसे उगाने के लिए किसी एक या दो व्यक्ति के नहीं, बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के द्वारा छूने की गरिमा छिपी हुई है। यह लाखों-करोड़ों इनसानों के परिश्रम का परिणाम है। इसमें एक-दो खेतों की मिट्टी नहीं प्रयुक्त हुई। इसमें हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्टी की विशेषताएँ छिपी हुई हैं। मिट्टी का गुण-धर्म इसमें छिपा हुआ है।

फसल क्या है ? यह तो नदियों के द्वारा लाए गए पानी का जादू है, जिसने इसे उपजाने में सहायता दी। इसमें न जाने कितने लोगों के हाथों का परिश्रम छिपा है। यह उन हाथों की महिमा का परिणाम है। भूरी-काली-संदली मिट्टी की विशेषताएँ इसमें विद्यमान हैं। यह सूर्य की किरणों का फसल के रूप में पनी किरणों से उसे बढ़ाया है। जीवन दिया है। हवा ने इसे थिरकने और इधर-उधर डोलने का गुण प्रदान किया है। भाव यह है कि फसल प्रकृति और मनुष्य के सामूहिक प्रयत्नों का परिणाम है।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. कविता में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
2. नदियों का पानी फसल के लिए क्या करता है?
3. फसल किनके स्पर्श की गरिमा है?
4. किसकी मिट्टी का गुण-धर्म फसल में विद्यमान है?
5. मिट्टी की किन विशेषताओं को कवि फसल के माध्यम से प्रकट किया है ?
6. मिट्टी के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है?
7. हवा फसल को क्या सिखाती है?
8. फसल किसका रूपांतर है?
9. कवि ने कौन-सा काव्य लिखकर नाटकीयता की सृष्टि की है?
उत्तर :
1. कविता का भावार्थ है कि फसल केवल मनुष्य उत्पन्न नहीं करता। यह प्रकृति और मनुष्य के द्वारा मिल-जुलकर किए जाने वाले सहयोग का परिणाम है।
2. नदियों का पानी फसल के लिए जादू का काम करता है, वही इसे बढ़ाता है, जीवन देता है।
3. फसल लाखों-करोड़ों मनुष्यों के स्पर्श की गरिमा है।
4. हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म फसल में विद्यमान है।
5. मिट्टी के काले-भूरे और चंदन जैसे रंग की विशेषताओं को कवि ने फ़सल के माध्यम से प्रकट किया है।
6. ‘संदल’ का अर्थ है-‘चंदन’। मिट्टी में सदा सोंधी-सोंधी सी गंध होती है। मिट्टी की इसी विशेषता को प्रकट करने के लिए कवि ने ‘संदली’ शब्द का प्रयोग किया है।
7. हवा फसल को थिरकना सिखाती है।
8. फसल अनाज के रूप में सूर्य के प्रकाश का रूपांतरण है।
9. कवि ने ‘फसल क्या है?’ लिखकर नाटकीयता की सृष्टि की है।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. भाव स्पष्ट कीजिए।
2. किस बोली का प्रयोग किया गया है ?
3. किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है ?
4. किस शब्द-शक्ति का प्रयोग है ?
5. छंद का नाम लिखिए।
6. किस शैली ने नाटकीयता की सृष्टि की है?
7. काव्य-गुण का नाम लिखिए।
8. कौन-सा रस विद्यमान है?
9. पंक्तियों में प्रयुक्त दो तत्सम और दो तद्भव शब्द लिखिए।
10. लाक्षणिक भाषा का एक प्रयोग लिखिए।
11. कविता में प्रयुक्त अलंकार छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने फसलों के उत्पन्न होने का आधार केवल मनुष्य को न मानकर मनुष्य और प्रकृति के मिले-जुले सहयोग को माना है।
2. खड़ी बोली का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
3. तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज-सुंदर प्रयोग किया गया है।
4. अभिधा शब्द-शक्ति ने कवि के कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है।
5. अतुकांत छंद का प्रयोग है।
6. प्रश्न शैली ने नाटकीयता की सृष्टि की है।
7. प्रसाद गुण।
8. शांत रस विद्यमान है।
9. तत्सम –
स्पर्श, गरिमा

तद्भव –
हाथ, मिट्टी

10. नदियों के पानी का जादू है वह।
11. पुनरुक्ति प्रकाश –

  • लाख-लाख,
  • कोटि-कोटि,
  • हज़ार-हज़ार

प्रश्न –
फसल क्या है?

अनुप्रास –

  • सूरज की किरणों का
  • सिमटा हुआ संकोच है