JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?
उत्तर :
माँ के इन शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है। नारी में कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुण होते हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इसलिए माँ ने कहा है कि उसका लड़की होना आवश्यक है। उसमें आज की सामाजिक स्थितियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसमें सहजता, सजगता और सचेतता के गुण होने चाहिए। उसे दब्बू और डरपोक नहीं होना चाहिए। इसलिए उसे लड़की जैसी दिखाई नहीं देना चाहिए ताकि कोई सरलता से उसे डरा-धमका न सके।

प्रश्न 2.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं’
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
उत्तर :
(क) कवि ने इन पंक्तियों में समाज में विवाहिता स्त्री की स्थिति की ओर संकेत किया है। वर्तमान समय में हमारे भारतीय समाज में दहेज-प्रथा की आग बहुओं को बहुत तेजी से जला रही है। लोग दहेज के नाम पर पुत्रवधू के पिता के घर को खाली करके भी चैन नहीं पाते। वे खुले मुँह से धन माँगते हैं और धन न मिलने पर बहू से बुरा व्यवहार करते हैं; उसे मारते-पीटते हैं और अनेक बार लोभ में आकर उसे आग में धकेल देते हैं। कवि ने समाज में नारी की इसी स्थिति की ओर संकेत किया है, जो निश्चित रूप से अति दुखदायी और शोचनीय है।

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है, पर आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 3.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर :
अपने माता-पिता के संस्कारों में बँधी भोली-भाली लड़की उसी रास्ते पर चलना चाहती है, जो उसे बचपन से लेकर युवावस्था तक दिखाया गया है। उसने माता-पिता की छत्रछाया में रहते हुए जीवन के दुखों का सामना नहीं किया। वह नहीं जानती कि आज का समाज कितना बदल गया है। उसे दूसरों के द्वारा दी गई पीड़ाओं का कोई अहसास नहीं है। वह तो अज्ञान और अपनी छोटी से धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है।

प्रश्न 4.
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूजी’ क्यों लग रही थी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी लग रही थी, क्योंकि वह अपने जीवन के सारे सुख-दुख उसी के साथ बाँटती थी। वही उसके सबसे निकट थी; वही उसकी साथी थी।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
माँ ने बेटी को सीख दी कि वह केवल सुंदरता पर न रीझे, बलिक अपने आस-पास के वातावरण के प्रति भी सचेत रहे। जिस पानी में झाँकने पर उसे अपनी परछाई दिखाई देवी है, उसकी गहराई को भी वह भली-भाति जाने लै। कही वही उसके लिए जानलेवा सिद्ध न हो जाए। वह उस आग की तपन का भी ध्यान रखे, जो रोटी पकाने के काम आती है। कहीं रोसा ने ही कि बही उसको जला डाले। उसे लड़की लगना चाहिए, पर लड़की जैसा कमलोर नहीं दिखना वाहिए। उसे दुनिका की पूरी समझ होनी चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
अथवा
‘कन्या’ के साथ दान के औचित्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
युगों से नारी को हमारे समाज में हेय समझा जाता रहा है। पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को ही श्रेष्ठ माना जाता है। विवाह के पश्चात लड़की ही लड़के के साथ रहने के लिए जाती है। विवाह के समय लड़की के माता-पिता के द्वारा कन्या का दान किया परंपरा पूरी तरह से गलत है। आज के युग में लड़के या लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों की शिक्षा बराबर होती है; दोनों एक-समान काम करते हैं; बराबर कमाते हैं, तो फिर कन्या के दान की बात ही क्यों? ऐसा कहना पूरी तरह से ग़लत है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है ?

मैं लौटूंगी नहीं

मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूंगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूंगी नहीं
उत्तर :
इस कविता का ‘कन्यादान’ कविता से सीधा संबंध तो नहीं है, पर स्त्री की जागरूकता और सजगता की दृष्टि से साम्य अवश्य है। इस कविता में कवियित्री कहती है कि एक युगों से चली आने वाली सामाजिक रूढियों को तोड़कर उसने घर से बाहर कदम निकालने सीख लिए हैं। वह उन कष्टों और पीड़ाओं से अब परिचित है, जिसे उसने स्वयं झेला है। उसने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।

शृंगार के लिए पहने गहने उतार दिए हैं। वह जाग चुकी है। उसने अपने देश को आजाद कराने की राह देख ली है। वह अपना सबकुछ छोड़कर आज़ादी की राह पर आगे बढ़ गई है। वह वापस अपने घर नहीं लौटना चाहती। वह आज़ादी प्राप्त करने के लिए अड़ी हुई हैं। इस पंक्ति से स्त्री का क्रोध और मानसिक दृढ़ता का मनोभाव प्रकट हुआ है। उसने ज्ञान की प्राप्ति से ही ऐसा करना सीखा है।

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किन परंपराओं से हटकर जीवन जीने की शिक्षा दी है?
अथवा
विवाह के समय माँ ने अपनी बेटी को क्या शिक्षा दी? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
माँ ने बेटी को शिक्षा दी कि वह केवल शारीरिक सुंदरता, सुंदर कपड़ों और गहनों की ओर ही ध्यान न दे। उसे चाहिए कि वह समाज में आए परिवर्तन को खुली आँखों से देखे और अपने भीतर हिम्मत और साहस को बटोरे। उसके हृदय का साहस और अधिकारों के प्रति जागरूकता ही उसके जीवन को नई दिशा देंगे। इसी से उसके जीवन की रक्षा होगी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 2.
कवि ने कविता के माध्यम से माँ की किस विशेषता को वाणी प्रदान की है?
उत्तर :
कवि ने कविता के माध्यम से माँ के संचित अनुभवों की पीड़ा को प्रस्तुत किया है। माँ ने अपने जीवन में जिन कष्टों को पाया था, उनके कारणों को समझा था। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी को कभी कोई कष्ट हो।

प्रश्न 3.
माँ के मन में यह विचार क्यों आया कि पुत्री ही उसकी अंतिम पूँजी है ?
उत्तर :
विवाह के समय जब कन्यादान की प्रथा का निर्वाह हुआ, तो माँ को लगा कि उसकी अंतिम पूँजी उससे दूर जा रही है। माँ-बेटी में बहुत मधुर संबंध होता है। यह रिश्ता माँ को एक पूँजी के समान लगता है। यही रिश्ता बेटी की विदाई के साथ उससे दूर हो जाएगा। माँ के दुख-सुख को बाँटने वाली बेटी पर माँ का पहले-सा अधिकार न रहेगा। इसी कारण माँ ने कन्यादान को अंतिम पूँजी के समान कहा है।

प्रश्न 4.
किसके दुख को प्रामाणिक कहा गया है और क्यों?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में किसके दुख की बात की गई है और क्यों ?
उत्तर :
माँ के दुख को प्रमाणिक कहा गया है। माँ जानती है कि बेटी के विवाह के पश्चात वह अकेली रह जाएगी। उसके दुख-सुख बाँटने वाली दूर चली जाएगी। माँ का यह दुख प्रमाणिक है। इसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। यह स्वाभाविक दुख है। माँ सदा बेटी के विवाह के पश्चात स्वयं को अकेला महसूस करती है।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को स्वयं पर मोहित न होने की सीख क्यों दी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए कि माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
विवाह के पश्चात सामान्यतः लड़कियाँ साज-शृंगार की ओर अधिक ध्यान देती हैं। वे अपना अधिकांश समय ऐसे ही सजने-संवरने में लगा देती हैं। अतः माँ ने बेटी को ऐसा न करने की सीख दी, ताकि वह ससुराल में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे। अपने लिए आदर: सम्मान बटोरे। सौंदर्य सदा नहीं रहता, उस पर क्या मोहित होना! अपने गुणों को विकसित करें। ससुराल पक्ष में अपना एक सम्मान योग्य स्थान बनाने का प्रयास करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 6.
उत्तर
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन क्यों कहा?
उत्तर :
लड़की की माँ एक परिपक्व महिला है। अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर ही उसने आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन कहा है। पुरुष जानता है कि स्त्री को आभूषणों-गहनों से बहुत प्यार होता है। ऐसे में इनका प्रयोग वह मनमानी करने के लिए करता है। स्त्री को गहनों की चकाचौंध में उलझाकर उसका मानसिक शोषण करता है। स्त्री को यह समझ नहीं आता कि ये गहने उसकी आजादी का हनन करते हैं; उसे जबरन बंधन में बाँध देते हैं।

प्रश्न 7.
माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों आवश्यक समझा?
उत्तर :
माँ ने सीख देकर अपनी बेटी को सचेत किया है, क्योंकि लड़की भोली, सरल तथा नासमझ है। उसे संसार की कुटिलता का आभास नहीं है; दुनियादारी की समझ नहीं है। फिर आज की सामाजिक परिस्थितियाँ भी कुछ ऐसी हैं कि दहेज या अन्य किसी भी छोटी-सी बात पर लड़की का ससुराल में मानसिक-शारीरिक शोषण होता है। बेटी के साथ किसी भी तरह की अनहोनी न हो, इसी आशंका से माँ ने कन्यादान के बाद विदा करते हुए बेटी को सचेत करना आवश्यक समझा।

प्रश्न 8.
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है ?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से अलग है, क्योंकि उसने बेटी को जो सीख दी है, वह परंपराओं से अलग है। वैसे तो माँ ने बेटी को अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करने की सलाह दी है, परंतु साथ ही उसे अपने आत्म-सम्मान के प्रति भी सचेत किया है। लीक से हटकर माँ ने आज के संदर्भ में जो समाज की वास्तविकता है, उसी के अनुरूप अपनी बेटी को सीख दी है। माँ अपनी बेटी के सुखद वैवाहिक जीवन के साथ-साथ उसकी सुरक्षा के प्रति भी आशंकित है। अतः माँ ने उसे कुछ अलग तरीके से समझाया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 9.
‘कन्यादान’ कविता का मूल उद्देश्य या भाव क्या है?
उत्तर :
यह कविता आधुनिक समाज का दर्पण है। एक ओर माँ-बेटी के घनिष्ठ संबंध की चर्चा हुई है, तो दूसरी ओर हमें यहाँ समाज की वर्तमान स्थिति का दर्शन हुआ है। इस कविता का संबंध नारी-जागृति से भी है। कवि ने स्त्री की कमजोरियों पर प्रकाश डाला है। आज भी भारत में पुरुष-प्रधान समाज विद्यमान है। कवि ने यह बताते हुए नारी को अपने शोषण के प्रति सचेत रहने को कहा है। दहेज – प्रथा जैसी समस्या पर भी कवि ने नारी को जागृत करने का प्रयास किया है। नारी अपने सभी गुणों तथा शक्तियों के साथ शोषण का डटकर सामना करने का साहस भी रखे। यही इस कविता का मूल भाव है।

प्रश्न 10.
‘कन्यादान’ कविता में किसे दुख बाँटना नहीं आता था और क्यों?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता में लड़की को दुख बाँटना नहीं आता था, क्योंकि उसने जीवन में अभी तक दुख नहीं देखे थे। दुखों व कष्टों की पीड़ा से वह अनजान थी, इसलिए उसे दुख बाँटना नहीं आता था।

प्रश्न 11.
माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर :
माँ की सीख में समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा व परिवार में होने वाले नारी शोषण की ओर संकेत किया गया है। यह कविता इन कुरीतियां से युक्त वर्तमान सामाजिक ढाँचे को प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 12.
‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा है क्योंकि ये नारी जवीन को भ्रम में डालने का काम करते हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं जो स्त्री जीवन को बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 13.
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’- में माँ की चिंता क्यों है ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’ में माँ अपनी बेटी को लेकर चिंतित थी। माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है लेकिन आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

पिठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

(क) कवि ऋतुराज ने किसके दुखों को प्रामाणिक माना है?
(i) सहेलो के
(ii) माँ के
(iii) पत्नी के
(iv) पुत्री के
उत्तर :
(ii) माँ के

(ख) माँ को अपनी पुत्री कैसी पूँजी लगती है?
(i) अंतिम
(ii) अति सुखद
(iii) बातूनी
(iv) दुखदायी
उत्तर :
(i) अंतिम

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

(ग) पुत्री स्वभाव से कैसी थी?
(i) चालाक
(ii) बुद्धिमान
(iii) कठोर
(iv) भोली-भाली
उत्तर :
(iv) भोली-भाली

(घ) पुत्री को क्या पढ़ना नहीं आता था?
(i) सुखों को
(ii) दुखों को
(iii) पत्रों को
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) दुखों को

(ङ) पाठिका किसे कहा गया है?
(i) माँ को
(ii) पत्नी को
(iii) पुत्री को
(iv) पाठक को
उत्तर :
(iii) पुत्री को

काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न –

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –
(क) ‘बेटी अभी सयानी नहीं थी’-से कवि का क्या तार्य है?
(i) उसकी उम्र अभी कम थी।
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।
(iii) उसकी आयु विवाह के योग्य नहीं थी।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

(ख) किसके प्रति नारी का आकर्षण स्वाभाविक होता है?
(i) पुष्पों
(ii) चाँद
(iii) वस्त्र और आभूषणों
(iv) नौकर-चाकरों
उत्तर :
(iii) वस्त्र और आभूषणों

(ग) ‘लड़की होने से क्या तार्य है?
(i) भोलापन, गकोमलता, समर्पण और सादगी
(ii) चालाकी, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iii) भोलापन, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iv) भोलापन, चतुरता, समर्पण और सादगी
उत्तर :
(i) भोलापन, कोमलता, समर्पण और सादगी

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त ।
जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

शब्दार्थ : वक्त – समय। अंतिम पूँजी – आखिरी संपत्ति। सयानी – समझदार। बांचना – पढ़ना।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से लिया गया है, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। वर्तमान समय में जीवन-मूल्य बदल गए हैं। माँ अपनी बेटी के लिए केवल भावुकता को महत्वपूर्ण नहीं मानती बल्कि अपने संचित अनुभवों की पीड़ा का ज्ञान भी उसे देना चाहती है। वह उसे भावी जीवन का यथार्थ पाठ पढ़ाना चाहती है।

व्याख्या : कवि कहता है कि माँ ने अपना जीवन जीते हुए जिन दुखों को भोगा था; सहा था, कन्यादान के समय अपनी बेटी को वह सब समझाना और उसे इसकी जानकारी देना उसके लिए बहुत अधिक आवश्यक था। उसकी बेटी ही उसकी अंतिम संपत्ति थी। जीवन के सारे सुख-दुख वह अपनी बेटी के साथ ही बाँटती थी। चाहे वह बेटी का विवाह कर रही थी, पर अभी उसकी बेटी अधिक समझदार नहीं थी; उसने दुनियादारी को नहीं समझा था।

वह अभी बहुत भोली और सीधी-सादी थी। वह दुखों की उपस्थिति को महसूस तो करती थी, लेकिन अभी उसे दुखों को भली-भाँति समझना और पढ़ना नहीं आता था। ऐसा लगता था कि अभी वह धुंधले प्रकाश में जीवन रूपी कविता की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ना ही जानती थी, पर उनके अर्थ समझना उसे नहीं आता था अर्थात वह दुनियादारी की ऊँच-नीच को अभी भली-भाँति नहीं समझती थी। उसमें इतनी समझदारी नहीं आई थी कि वह दुनिया के भेदभावों को समझ कर स्वयं निर्णय कर सके।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोतर –

1. अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. माँ के दुख को कवि ने क्या माना है?
3. अंतिम पूँजी कौन और क्यों थी?
4. ‘लड़की का दान’ से क्या तात्यर्य है?
5. विवाह के समय लड़की कैसी थी?
6. लड़की को किसका आभास था?
7. लड़की को क्या करना नहीं आता था?
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से क्या तात्पर्य है?
9. पाठिका किसे कहा गया है?
उत्तर :
1. कवि ने कविता के द्वारा बदल चुकी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था की ओर संकेत किया है। माँ के पास अब बेटी के विवाह के समय उसके प्रति कोरी भावुकता और प्रेम का भाव नहीं होता, बल्कि वह अपनी बेटी को शिक्षा देते समय जीवनभर के इकट्ठे अपने अनुभवों की पीड़ा को प्रामाणिक रूप से प्रकट करती है ताकि वह उन अनुभवों से शिक्षा ले और अपने जीवन को सही ढंग से जिए। वह जीवन में कभी कष्ट न उठाए।2. कवि ने माँ के दुखों को प्रामाणिक माना है, क्योंकि उसने अपने जीवन में उन्हें सहा है।
3. माँ की अंतिम पूँजी बेटी थी, क्योंकि वह अपने जीवन के हर सुख-दुख उसके साथ बाँटती है। बेटी ही माँ के सबसे निकट और उसके दुखसुख की साथी होती है।
4. ‘लड़की का दान’ से तात्पर्य लड़की के विवाह से है। युगों से चली आने वाली परंपरा में विवाह के समय कन्यादान का प्रचलन है।
5. विवाह के समय लड़की भोली-भाली और सीधी-सादी थी।
6. लड़की को सुख का आभास था, क्योंकि माता-पिता ने उसे केवल सुख ही प्रदान किए थे। उन्होंने अपनी बेटी को दुखों का अनुभव होने ही नहीं दिया था।
7. लड़की को दुखों की भयानकता को समझना नहीं आता था।
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से कवि का तात्पर्य उस सामान्य ज्ञान से है, जो विवाह से पहले लड़की को परिवार में रहते हुए प्राप्त होता है, जिसमें दुखों की मात्रा या तो होती ही नहीं या वे बहुत कम होते हैं।
9. पाठिका उस लड़की को कहा गया है, जो जीवन के सामान्य ज्ञान को अभी प्राप्त कर रही थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

सदिय-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण के भाव को स्पष्ट कीजिए।
2. किस बोली का प्रयोग किया गया है?
3. कवि ने किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है?
4. कवि के कथन को किस शब्द-शक्ति के प्रयोग ने गहनता-गंभीरता प्रदान की है?
5. कौन-सा काव्य-गुण विद्यमान है?
6. किस काव्य-रस का प्रयोग किया गया है?
7. भावों को स्पष्ट करने के लिए किनका प्रयोग किया गया है?
8. किस छंद का प्रयोग है?
9. दो तद्भव शब्द लिखिए।
10. दो तत्सम शब्द लिखिए।
11. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
12. ‘धुंधला प्रकाश’ प्रतीक को स्पष्ट करें।
उत्तर :
1. कवि ने माँ के द्वारा बेटी को परंपराओं से हटकर शिक्षा देने की ओर संकेत किया है, जिससे आधुनिक समाज व्यवस्था में आए परिवर्तनों का बोध होता है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
4. लाक्षणिकता के प्रयोग ने कवि के कथन को गहनता-गंभीरता प्रदान की है।
5. प्रसाद गुण विद्यमान है।
6. शांत रस है।
7. प्रतीकात्मकता का प्रयोग किया गया है।
8. अतुकांत छंद है।
9. दान, सयानी।
10. प्रामाणिक, प्रकाश
11. अनुप्रास-दान में देते वक्त उत्प्रेक्षा-जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो।
12. अस्पष्ट सुख।

2. माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियां सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

शब्दार्थ : रीझना – आकृष्ट होना। आभूषण – गहने। भ्रमों – धोखों।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। कवि ने आधुनिक युग में समाज में आए परिवर्तनों के आधार पर विवाह के समय माँ की ओर से बेटी को शिक्षा दी है; उसे सचेत किया है। आज के बदलते समाज में कोरे आदर्शों की कमजोरी का कोई महत्व शेष नहीं बचा है।

व्याख्या : कवि के अनुसार माँ कन्यादान के समय अपनी लड़की को समझाते हुए कहती है कि पानी में झाँककर अपने चेहरे की सुंदरता की ओर केवल निहारते न रहना। केवल अपनी सुंदरता और बनाव-श्रृंगार की ओर ध्यान देना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि परछाई दिखाने वाले उस पानी की गहराई के बारे में जान लेना आवश्यक है। जो पानी परछाई दिखाता है और सुंदरता के प्रति तुम्हें आकर्षित करता है, वह डूबने पर मृत्यु का कारण भी बन सकता है; उससे सावधान रहना।

आग केवल रोटियाँ सेंकने के लिए होती है। वह जलने और जलकर मर जाने के लिए नहीं होती, इसलिए उसका शिकार न बनना। नारी जीवन को भ्रम में डालने वाले तरह-तरह के वस्त्र और गहने हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं, जो स्त्री को जीवन में बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। माँ ने अपनी लड़की को समझाते हुए कहा कि तुम लड़की बने रहना, पर कभी भी लड़की की तरह दिखाई न देना; सजग और सचेत रहना। समाज में व्याप्त परिवर्तनों को भली-भाँति समझना। यह संसार निर्मम है, इसलिए उसे भली-भाँति समझना।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. कवि ने ‘आग’ और ‘पानी’ का क्या प्रतीक स्पष्ट किया है ?
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण क्या हैं ?
4. माँ ने अपनी लड़की को क्या समझाया?
5. लड़की की माँ लड़की से क्या उम्मीद रखती है?
6. ‘लड़की होने से क्या तात्पर्य है?
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में क्या हो रहा था ?
8. माँ ने चेहरे पर रीझने के लिए क्यों मना किया?
उत्तर :
1. माँ ने लड़की को अपने व्यवहार के प्रति सजग रहने की शिक्षा दी है और उससे कहा है कि वह लड़की की तरह रहे, पर लड़की की तरह कमज़ोर और असहाय न बने।
2. ‘आग’ और ‘पानी’ जीवन के प्रतीक हैं, पर यह केवल जीवन देने वाले नहीं हैं बल्कि जीवन लेने वाले भी हैं।
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं।
4. माँ ने अपनी लड़की को समझाया कि उसे लड़की की तरह होना तो चाहिए, पर उसका व्यवहार कमज़ोर नहीं होना चाहिए। उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए।
5. लड़की की माँ लड़की से उम्मीद रखती है कि वह विवाह के बाद घर-गृहस्थी के सारे काम तो करे पर शोषण का शिकार न बने। वह किसी भी अवस्था में अपनी स्वतंत्रता न खोए।
6. लडकी होने से तात्पर्य भोलेपन, सरलता, कोमलता, समर्पण आदि के भावों को बनाए रखना है।
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में बेचैनी और पीड़ा के भाव थे कि वह भी कहीं ससुराल की ओर से दी जाने वाली पीड़ा का शिकार न बन जाए। कहीं उसे भी दहेज के लालची आग में न झोंक दें।
8. ससुराल वालों से झूठी प्रशंसा को पाकर कहीं बेटी शोषण का शिकार न बन जाए। अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुनकर भ्रमित न हो जाए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. कवि ने नारी को किनके प्रति सचेत किया है ?
2. किस शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है?
3. किस बोली का प्रयोग है?
4. शब्दावली किस प्रकार की है?
5. किस छंद का प्रयोग है?
6. काव्य-रस कौन-सा है?
7. सांकेतिकता का एक उदाहरण दीजिए।
8. दो तद्भव शब्द लिखिए।
9. दो तत्सम शब्द लिखिए।
10. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने समाज के आधुनिक रूप के प्रति नारी को सचेत किया है कि उसे समाज के व्यवहार के प्रति सदा सजग रहना चाहिए।
2. लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है।
3. खड़ी बोली।
4. सामान्य शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
5. छंद रहित अभिव्यक्ति है।
6. शांत रस है।
7. माँ ने कहा पानी में झाँक कर अपने चेहरे पर मत रीझना।
8. चेहरे, लड़की
9. आभूषण, भ्रम
10. विरोधाभास – माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
उपमा – वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं स्त्री-जीवन के।

कन्यादान Summary in Hindi

कवि-परिचय :

आधुनिक युगबोध और यथार्थ के कवि ऋतुराज की नई कविता के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान है। इनका जन्म सन 1940 में राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने अध्ययन-अध्यापन को ही आजीविका का साधन बनाया था। चालीस वर्ष तक अंग्रेजी साहित्य पढ़ने-पढ़ाने के बाद अब ये सेवा-निवृत्त होकर जयपुर में रहते हैं।

इन्होंने हिंदी कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है और अब तक इनकी आठ रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें से प्रमुख हैं – एक मरणधर्मा और अन्य, पुल पर पानी, सुरत निरत, लीला मुखारविंद। साहित्य सेवा के लिए इन्हें सोमदत्त परिमल सम्मान, मीरा पुरस्कार, पहल सम्मान और बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्यिक विशेषताएँ – ऋतुराज ने अपनी कविता में आज के मानव की दशा को प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। इनकी कविता आधुनिकता, सामाजिक दायित्व, स्वाभिमान और विश्व-बंधुत्व की प्राप्ति से आलोकित है। इन्होंने न तो किसी को धूल बनाने की कोशिश की है और न ही हवा में ऊपर उठाने की। कवि अत्यंत सहज भाव से अन्याय, दमन, शोषण और रूढ़िग्रस्त जर्जर संस्कारों से जूझना चाहता है।

कहीं-कहीं कवि की विद्रोह- भावना व्यक्त हुई है। कवि ने आज के मानव के संघर्ष को कविता में स्थान दिया है। वह नई मर्यादाओं की स्थापना के लिए आगे बढ़ने में विश्वास रखता है। उसने उन लोगों को अपनी कविता का आधार बनाया है, जिन्हें समाज में अधिक महत्व प्राप्त नहीं हुआ।

ऋतुराज ने बड़ी-बड़ी दार्शनिक बातों को कहने की जगह दैनिक जीवन के अनुभव का यथार्थ प्रकट किया है। वे अपने आस-पास रोजमर्रा में घटित होने वाले सामाजिक शोषण और विडंबनाओं पर दृष्टि डालते हैं। इन्होंने परंपराओं से हटकर नए मूल्यों की स्थापना करने का प्रयत्न किया है। इनकी कविताओं में कोरी भावुकता नहीं है, बल्कि ये यथार्थ का दर्शन करने में सक्षम हैं –

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के

कवि ने कृत्रिम भाषा का प्रयोग नहीं किया है। इनकी भाषा अपने वातावरण और लोक जीवन से जुड़ी हुई है। इन्होंने बिंबों का सजीव चित्रण किया है। इनकी भाषा में तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज समन्वित प्रयोग दिखाई देता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

कविता का सार :

कवि ने ‘कन्यादान कविता में माँ-बेटी के आपसी संबंधों की घनिष्ठता को प्रतिपादित करते हुए नए सामाजिक मूल्यों को परिभाषित करने का प्रयत्न किया है। माँ अपनी युवा होती बेटी के लिए पहले कुछ और सोचती थी, पर सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन के कारण अब कुछ और सोचती है। पहले उसके मन में कुछ अलग तरह के डर के भाव छिपे हुए थे, पर अब उनकी दिशा और मात्रा बदल गई है।

इसलिए वह अपनी बेटी को परंपरागत उपदेश नहीं देना चाहती। उसके आदर्शों में भी परिवर्तन आ गया है। बेटी ही माँ की अंतिम पूँजी होती है, क्योंकि वह उसके दुख-सुख की साथी होती है। बेटी अभी पूरी तरह से बड़ी नहीं हुई। वह भोली-भाली और सरल है। उसे सुखों का आभास तो होता है, पर उसे जीवन के दुखों की ठीक से पहचान नहीं है। वह धुंधले प्रकाश में कुछ तुक और लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने का प्रयास मात्र करती है। माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि उसे जीवन में संभलकर रहना पड़ेगा।

वह अपनी बेटी को पानी में झाँककर अपने ही चेहरे पर न रीझने और आग से बचकर रहने की सलाह देती है। आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, न कि जलने के लिए। वस्त्रों और आभूषणों का लालच उसे जीवन के बंधन में डालने का कार्य करता है। माँ ने कहा कि उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए। उसे सजग, सचेत और दृढ होना चाहिए। जीवन की हर स्थिति का निर्भयतापूर्वक डटकर सामना करना आना चाहिए।

Leave a Comment