JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से किस वर्ष मैक्सिको सिटी में ओलंपिक खेल हुए?
(क) 1968 में
(ख) 1975 ई.
(ग) 2009 ई.
(घ) 2005 ई.
उत्तर:
(क) 1968 में

2. सामाजिक विभाजन अधिकांशतः आधारित होता है
(क) मृत्यु पर
(ख) वंश पर
(ग) परिवार पर
(घ) जन्म पर
उत्तर:
(घ) जन्म पर

3. संयुक्त राज्य अमेरिका में 1954 से 1968 ई. के मध्य संचालित आन्दोलन का नाम था
(क) नागरिक अधिकार आन्दोलन
(ख) अश्वेत शक्ति आन्दोलन
(ग) सत्याग्रह आन्दोलन
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) नागरिक अधिकार आन्दोलन

4. ग्रेट ब्रिटेन की अधिकांश जनसंख्या किस धर्म को मानने वालों की है?
(क) ईसाई
(ख) हिन्दू
(ग) बौद्ध
(घ) मुस्लिम
उत्तर:
(क) ईसाई

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

5. श्रीलंका में श्रीलंका केवल सिंहलियों के लिए’ की मांग किस समुदाय की पहचान एवं हितों के खिलाफ थी?
(क) तमिल समुदाय के
(ख) सिंहली समुदाय के
(ग) हिन्दू समुदाय के
(घ) मुस्लिम समुदाय के
उत्तर:
(क) तमिल समुदाय के

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. ओलम्पिक खेलों में एफ्रो-अमेरिकी ऑमी स्मिथ न जॉन कार्लोप के……….व……पदक जीता था।
उत्तर:
स्वर्ण, रजत,

2. सामाजिक अन्तर दूसरी अन्य से विभिन्नताओं में ऊपर और बड़े हो जाने पर………होता है।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन,

3. ……..में सामाजिक विभाजन की अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है।
उत्तर:
लोकतंत्र,

4. अश्वेत शक्ति आन्दोलन सन्……………….के मध्य चला।
उत्तर:
1966, 1975।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मैक्सिको ओलंपिक में टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस ने बिना जूतों के मोजे पहनकर पदक क्यों प्राप्त किए?
उत्तर:
अमेरिकी अश्वेत लोगों की गरीबी को जताने के लिए।

प्रश्न 2.
टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस में समानता बताइये।
उत्तर:
टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस दोनों ही एफ्रो अमेरिकी खिलाड़ी थे।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 3.
एफ्रो-अमेरिकन से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
एफ्रो-अमेरिकन, अश्वेत अमेरिकी या अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17 वीं सदी से लेकर 19 वीं सदी की शुरुआत तक अमरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

प्रश्न 4.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में किस आन्दोलन का नेतृत्व किया था?
उत्तर:
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 5.
स्मिथ और कार्लोस का ओलंपिक पदक क्यों वापस ले लिया गया?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ को राजनीतिक बयान देकर ओलंपिक भावना का उल्लंघन करने का दोषी माना था।

प्रश्न 6.
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. जन्म,
  2. पसन्द या चुनाव,
  3. धर्म,
  4. आर्थिक स्थिति।

प्रश्न 7.
किस देश में वर्ग और धर्म के मध्य गहरी समानता है?
उत्तर:
उत्तरी आयरलैंण्ड में वर्ग और धर्म के मध्य गहरी ‘समानता है।

प्रश्न 8.
स्वीडन व जर्मनी में किस प्रकार का समाज है?
उत्तर:
स्वीडन व जर्मनी में समरूप समाज है।

प्रश्न 9.
उत्तरी आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेंटों की प्रमुख माँग क्या है?
उत्तर:
उत्तरी आयरलैण्ड को आयरलैण्ड गणराज्य के साथ मिलाना।

प्रश्न 10.
बेल्जियम में किस प्रकार की सामाजिक विभिन्नता देखने को मिलती है?
उत्तर:
बेल्जियम में भाषायी विभिन्नता देखने को मिलती है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 11.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:

  1. लोगों को अपनी महचान के प्रति आग्रह की भावना,
  2. राजनीतिक दलों की माँगें,
  3. सरकार का दृष्टिकोण।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
टॉमी स्मिथ व जॉन कार्लोस ने 1968 ई. में मैक्सिको सिटी में हुए ओलंपिक खेलों के समय संयुक्त राज्य अमेरिका में होने वाले रंगभेद मसले के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान किस प्रकार आकर्षित किया?
उत्तर:
टॉमी स्मिथ व जॉन कार्लोस ने निम्नलिखित प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया था:

  1. उन्होंने अमेरिकी अथवा अश्वेत लोगों की गरीबी जताने के लिए बिना जूतों के केवल मोजे पहनकर पुरस्कार लिया था।
  2. टॉमी स्मिथ ने अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक काले मफलर जैसा परिधान अपने गले में पहना था।
  3. जॉन कार्लोस ने मारे गये अश्वेत लोगों की याद में काले मनकों की माला पहनी थी।

प्रश्न 2.
“सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है- सामान्य तौर पर अपना समुदाय चुनना हमारे वश में नहीं होता। हम सिर्फ इस आधार पर किसी विशेष समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक परिवार में हुआ होता है। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में लगभग प्रतिदिन करते हैं। हम अपने आस-पास देखते हैं कि चाहे कोई स्त्री है या पुरुष, लम्बा है या छोटा, सबकी चमड़ी का रंग अलग-अलग है। उनकी शारीरिक क्षमताएँ व अक्षमताएँ अलग-अलग हैं।

प्रश्न 3.
पहली नज़र में “राजनीति और सामाजिक विभाजनों का मेल बहुत खतरनाक और विस्फोटक लगता है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि राजनीतिक दल समाज में मौजूद विभाजनों के हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगें तो इससे सामाजिक विभाजन, राजनीतिक विभाजन में बदल सकता है और ऐसी स्थिति में विखण्डन की ओर जा सकता है, ऐसा कई देशों में हो चुका है। उदाहरण के लिए, आयरलैंण्ड के विद्रोह में सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग मारे गये। इसी प्रकार की स्थिति यूगोस्लाविया में हुई थी, जो कई टुकड़ों में बँट गया था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 4.
“लोकतन्त्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीतिक लक्षण भी हो सकता है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
किस प्रकार सामाजिक अंतरों में लोकतंत्र सुदृढ़ होता है?
उत्तर:
लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक स्वस्थ राजनीतिक लक्ष्य भी हो सकता है। इससे विभिन्न छोटे सामाजिक समूह हाशिए पर पड़ी जरूरतों और परेशानियों को जाहिर करते हैं तथा सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। राजनीति में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विभाजनों के बीच की अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों के मध्य संतुलन उत्पन्न करने का कार्य भी करती है। इसके चलते कोई भी सामाजिक विभाजन एक सीमा से अधिक उग्र नहीं हो पाता। इस स्थिति में लोकतंत्र मजबूत ही होता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति कैसे होती है? संक्षेप में बताइए।
अथवा
किस प्रकार हमारे समाज में सामाजिक अंतर उत्पन्न होते हैं?
अथवा
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति के कारणों का विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक भेदभाव के आधारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति निम्न प्रकार से होती है

  1. सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। सामान्यतः हम अपने समुदाय को नहीं चुनते हैं। हम केवल इस आधार पर किसी विशेष समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक परिवार में हुआ होता है। उदाहरण के लिए जातीय एवं नस्लवादी अंतर ।
  2. कुछ सामाजिक अन्तर हमारी पसन्द या चुनावों पर आधारित होते हैं। कई लोग अपने माँ-बाप और परिवार से अलग अपनी पसन्द का धर्म चुन लेते हैं।
  3. सामाजिक अन्तर समाज में विद्यमान आर्थिक असमानताओं के कारण भी उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए एक ही परिवार में धनी एवं गरीब व्यक्ति प्रायः एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रखते हैं क्योंकि वे अपने को अलग अनुभव करते हैं।
  4. हम सभी लोग पढ़ाई के विषय, व्यवसाय, खेल या सांस्कृतिक गतिविधियों का चुनाव अपनी पसंद से करते हैं।

प्रश्न 2.
क्या सभी सामाजिक अन्तरों से सामाजिक विभाजन उत्पन्न होता है? चर्चा कीजिए।
अथवा
क्या सभी सामाजिक अन्तर समाज में सामाजिक विभाजन उत्पन्न करते हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सामाजिक विभिन्नताएँ समान लोगों को एक-दूसरे से अलग करती हैं, परन्तु वही विभिन्नताएँ अलग-अलग तरह के लोगों को मिलाती भी हैं। कार्लोस, स्मिथ और पीटर नार्मन का उदाहरण देते हुए, इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सभी सामाजिक अन्तरों के कारण सामाजिक विभाजन नहीं होता। सामाजिक विभिन्नताएँ एक ही प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से अलग करते हैं परन्तु वे बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से मिलाते भी हैं। विभिन्न सामाजिक समूहों से सम्बद्ध लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं और असमानताओं का अनुभव करते हैं। उदाहरण के रूप में, कार्लोस व स्मिथ दोनों एफ्रो-अमेरिकी थे जबकि नार्मन श्वेत थे।

इन तीनों में एक समानता थी कि वे सभी नस्ल आधारित भेदभाव के विरुद्ध थे। इसी प्रकार यह भी संभव है कि भिन्न-भिन्न धर्म के अनुयायी होकर भी एक जाति वाले लोग स्वयं एक-दूसरे के अधिक समीप महसूस करें। एक ही परिवार के धनी व गरीब सदस्य प्रायः एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रखते हैं क्योंकि वे अपने को बहुत अलग अनुभव करते हैं। इस प्रकार हम सभी की एक से अधिक पहचान होती है और हम एक से अधिक सामाजिक समूहों से सम्बन्धित हो सकते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 3.
किस प्रकार सामाजिक अन्तर समाज में विभाजन उत्पन्न करते हैं?
अथवा
“टकराव सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा करता है और सामंजस्य सँभालना अपेक्षाकृत आसान होता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक अन्तर से तात्पर्य समाज में जन्मजात एवं सामाजिक रूप से उत्पन्न असमानताओं से है। सामाजिक अन्तर निम्न प्रकार से समाज में विभाजन उत्पन्न करते हैं

  1. सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर अन्य कुछ विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में श्वेत व अश्वेत का अन्तर सामाजिक विभाजन का एक कारण हो गया क्योंकि अश्वेत लोग गरीब हैं, बेघर हैं तथा भेदभाव के शिकार हैं।
  2. वे समूह जो किसी मुद्दे पर सामूहिक हित की बात करते हैं अन्य मुद्दों पर उनके विचार अलग-अलगे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड में मुख्य रूप से ईसाई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं परन्तु यहाँ के लोग कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट समुदायों में विभाजित हैं।
  3. जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक-दूसरे से गुँथ जाती हैं तो एक गहरे सामाजिक विभाजन एवं तनावों की सम्भावनाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जहाँ ये सामाजिक विभिन्नताएँ एक साथ कई समूहों में विद्यमान होती हैं वहाँ उन्हें सँभालना अपेक्षाकृत सरल होता है।

प्रश्न 4.
“राजनीति और सामाजिक विभाजन को मिलने नहीं दिया जाना चाहिए।” इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
“सामाजिक विभाजन राजनीति को प्रभावित करते हैं।” इस कथन की परख कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजन राजनीति को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
राजनीति और सामाजिक विभाजन का संयोग बहुत खतरनाक एवं विस्फोटक होता है। प्रजातंत्र में कई राजनीतिक दल होते हैं जिनके बीच प्रतिद्वंद्विता का माहौल होता है। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण कोई भी समाज विभाजित हो सकता है। सामाजिक विभाजन से राजनीतिक विभाजन उत्पन्न होता है जिससे संघर्ष, हिंसा और अन्ततः देश का विभाजन भी हो जाता है।

उदाहरण के लिए, उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक समुदाय का नेतृत्व कर रही नेशनलिस्ट पार्टी ने मांग की कि उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य के साथ मिला दिया जाए जबकि प्रोटेस्टेंट समुदाय इंग्लैण्ड की यूनियनिस्ट पार्टी के साथ रहा क्योंकि ब्रिटेन मुख्य रूप से प्रोटेस्टेंट देश है।

यूनियनिस्टों व नेशनलिस्टों के बीच चलने वाले हिंसक टकराव में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग व सेना के जवान मारे जा चुके हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान 1998 ई. में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों के मध्य शांति समझौता द्वारा हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने हिंसक आन्दोलन बंद करने की बात स्वीकार की।

ऐसा ही यूगोस्लाविया में हुआ, वहाँ धार्मिक व जातीय विभाजन के आधार पर शुरू हुई राजनीतिक होड़ में यूगोस्लाविया कई टुकड़ों में बँट गया। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि राजनीति और सामाजिक विभाजन का मेल नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि सामाजिक विभाजन राजनीति को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 5.
“राजनीति में सामाजिक विभाजन की प्रत्येक अभिव्यक्ति फूट उत्पन्न नहीं करती।” इस कथन के समर्थन में तर्क दीजिएं।
उत्तर:
राजनीति में सामाजिक विभाजन की प्रत्येक अभिव्यक्ति फूट उत्पन्न नहीं करती, इस कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत हैं

  1. विश्व में अधिकांश देशों में किसी-न-किसी प्रकार का सामाजिक विभाजन है एवं ऐसे विभाजन राजनीतिक आकार भी ग्रहण करते ही हैं।
  2. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के लिए सामाजिक विभाजनों की बात करना एवं विभिन्न समूहों से अलग-अलग वायदे करना एक स्वाभाविक बात है। विभिन्न समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रयास करना एवं विभिन्न समुदायों की उचित माँगों एवं जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियाँ बनाना भी इसी कड़ी का एक भाग है।
  3. अधिकांश देशों में मतदान के स्वरूप व सामाजिक विभाजनों के मध्य एक प्रत्यक्ष संबंध दिखाई देता है। इसके तहत एक समुदाय के लोग आमतौर पर किसी एक दल को दूसरे के मुकाबले पसंद करते हैं एवं उसी को मत देते हैं।
  4. कई देशों में ऐसी पार्टियाँ हैं जो केवल एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं और उसी के हित में राजनीति करती हैं लेकिन इन सबकी परिणति देश के विभाजन के रूप में नहीं होती।

प्रश्न 6.
भारत में सामाजिक विभाजनों के राजनीतिक परिणाम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सामाजिक विभेद लोकतांत्रिक राजनीति को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि किसी-किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सामाजिक विभेद इतना अधिक प्रभावित कर देते हैं कि वहाँ सामाजिक विभेदों पर ही राजनीति हावी हो जाती है। भारतीय समाज जाति, धर्म, भाषा आदि के आधार पर विभाजित है। इसके परिणामस्वरूप राजनेता विभिन्न जाति, धर्म एवं भाषा के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर वोट बैंक की राजनीति करते हैं। इससे पूरे देश को हानि पहुँचती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अश्वेत शक्ति आन्दोलन क्या था? क्या मैक्सिको ओलंपिक में कार्लोस व स्मिथ द्वारा अमेरिकी समाज के आन्तरिक मामलों को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना उचित था? इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
अश्वेत शक्ति आन्दोलन-यह आन्दोलन संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1966 में प्रारम्भ हुआ था तथा 1975 ई. तक चलता रहा। नस्लवाद को लेकर इस आन्दोलन का रवैया ज्यादा उग्र था। इस आन्दोलन के समर्थकों का मत था कि संयुक्त राज्य अमेरिका से नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी कुछ गलत नहीं है। मैक्सिको ओलम्पिक की घटना-मैक्सिको ओलम्पिक का आयोजन, मैक्सिको में सन् 1968 ई. में हुआ था।

इस प्रतियोगिता में एफ्रो-अमेरिकी धावक टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने भाग लेकर क्रमशः स्वर्ण व रजत पदक जीता था। इन्होंने पुरस्कार ग्रहण करते समय जूते नहीं पहने थे सिर्फ मोजे पहनकर पुरस्कार ग्रहण कर यह जताने की कोशिश की कि अमेरिकी अश्वेत गरीब हैं। स्मिथ ने अपने गले में एक काला मफलर जैसा परिधान पहना था जो अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक था।

कार्लोस ने मारे गये अश्वेत लोगों की याद में काले मनकों की माला पहनी थी। अपने इन प्रतीकों और तौर-तरीकों से उन्होंने अमरीका में होने वाले रंगभेद के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने का प्रयास किया। क्या ऐसा करना उचित था। कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत हैं कथन के पक्ष में तर्क-हाँ,

1. कार्लोस व स्मिथ का अमेरिका में एफ्रो:
अमेरिकन या अश्वेतों के साथ किये जा रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के विरुद्ध आवाज उठाना न्यायोचित है। एफ्रो अमेरिकन (अश्वेत अमेरिकी), अफ्रीकी लोगों के वंशज हैं जिन्हें 17वीं सदी से लेकर 19वीं सदी की शुरुआत तक संयुक्त राज्य अमेरिका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

  1. किसी भी रूप में अपने ही देश में भेदभावपूर्ण व्यवहार को सहना अन्याय है।
  2. अमेरिका अपने आपको विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र बताता है, वहीं लोकतांत्रिक व मानवीय मूल्यों का हनन हो रहा है। अतः सम्पूर्ण विश्व को इसकी जानकारी देना अनुचित नहीं था।
  3. मानवाधिकार किसी भी देश के आन्तरिक मामले से अधिक महत्त्वपूर्ण है। अत: मानवाधिकारों के हनन को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं में सामंजस्य एवं टकराव का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विभिन्नताओं में सामंजस्य व टकराव का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. सामाजिक विभाजन तब होता है, जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अन्तर एक सामाजिक विभाजन बन जाता है क्योंकि अश्वेत सामान्यतया गरीब हैं, बेरोजगार तथा भेदभाव के शिकार हैं।
  3. हमारे देश में भी दलित आमतौर पर गरीब एवं भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेदभाव और अन्याय का सामना करना पड़ता है।
  4. जब एक तरह का सामाजिक अन्तर अन्य अन्तरों से अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाता है एवं लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थित पैदा हो जाती है।
  5. विभिन्नताओं में टकराव के अन्तर्गत किसी एक मुद्दे पर लोगों के हित समान हो जाते हैं, परन्तु किन्हीं अन्य मुद्दों पर उनके नजरिए में अन्तर होता है।
  6. सामाजिक विभिन्नताओं में टकराव को आसानी से समायोजित किया जा सकता है।
  7. नीदरलैण्ड व उत्तरी आयरलैंड दोनों ही ईसाई देश हैं जो कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट गुटों में बँटे हुए हैं।
  8. नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के मध्य ऐसा मेल दिखाई नहीं देता, वहाँ कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट दोनों वर्ग में अमीर व गरीब लोग हैं।
  9. उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म एक-दूसरे से गुँथ जाते हैं अर्थात् एक कैथोलिक है तो सम्भव है, वह गरीब होगा।
  10. यदि एक-सी सामाजिक विभिन्नताएँ कई समूहों में मौजूद हैं तो फिर समूह के लोगों के लिए दूसरे समूह से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो जाते हैं, जबकि एक-दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिए में अन्तर हो सकता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संघात्मक शासन प्रणाली में अधिकारों का विभाजन होता है
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच
(ख) एक राज्य एवं अन्य राज्यों के बीच
(ग) व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के बीच
(घ) व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के बीच
उत्तर:
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच

2. शासन की किस व्यवस्था में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है?
(क) एकात्मक व्यवस्था
(ख) संघीय व्यवस्था
(ग) सामुदायिक व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) संघीय व्यवस्था

3. संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार किसके पास होता है?
(क) न्यायालय
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति
(घ) मुख्यमन्त्री
उत्तर:
(क) न्यायालय

4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय समवर्ती सूची में शामिल है?
(क) पुलिस
(ख) रक्षा
(ग) कृषि
(घ) शिक्षा
उत्तर:
(घ) शिक्षा

5. निम्नलिखित में किस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं?
(क) असम
(ख) नागालैण्ड
(ग). मिजोरम
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

6. निम्नलिखित में से कौन-सा संघीय राज्य नहीं है?
(क) दिल्ली
(ख) मणिपुर
(ग) राजस्थान
(घ) तेलंगाना
उत्तर:
(घ) तेलंगाना

7. निम्नलिखित में से किस राज्य का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ है?
(क) नागालैण्ड
(ख) उत्तराखण्ड
(ग) झारखण्ड
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(क) नागालैण्ड

8. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाओं का समावेश है? .
(क) 20
(ख) 21
(ग) 22
(घ) 23
उत्तर:
(ग) 22

9. वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक नया कदम किस वर्ष उठाया गया?
(क) 1991 ई. में
(ख) 1992 ई. में
(ग) 1995 ई. में
(घ) 1998 ई. में
उत्तर:
(ख) 1992 ई. में

10. निम्न में से नगर निगम के अध्यक्ष को कहा जाता है?
(क) मेयर
(ख) सभापति
(ग) राज्यपाल
(घ) सरपंच
उत्तर:
(क) मेयर

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. बेल्जियम सरकार ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर ………………… को अपनाया।
उत्तर:
संघीय शासन प्रणाली,

2. पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि, सिंचाई…………….के प्रमुख विषय है।
उत्तर:
राज्य सूची

3. …………………. और ………………. केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
उत्तर:
चण्डीगढ़, लक्षद्वीप,

4. सन् 1947 से भारत में ……………. की स्थापना हुई।
उत्तर:
लोकतंत्र,

5. हमारे संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त …………. अन्य भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
उत्तर:
21.

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संघवाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा
संघवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 2.
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर कौन-सी शासन प्रणाली को अपनाया है?
उत्तर:
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया है।

प्रश्न 3.
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन के कितने स्तर होते हैं?
उत्तर:
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन का एक स्तर होता है।

प्रश्न 4.
संघीय सरकार की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. यह सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
  2. विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में समान रूप से वर्णित होते हैं।

प्रश्न 5.
संघीय शासन व्यवस्था के कोई दो उद्हेश्य बताइए।
उत्तर:

  1. देश की एकता की सुरक्षा करना व बढ़ावा देना।
  2. क्षेत्रीय विविधताओं को पूर्ण सम्मान देना।

प्रश्न 6.
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व कौन-सी सरकार करती है?
उत्तर:
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व केन्द्र सरकार करती है।

प्रश्न 7.
संघ सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. प्रतिरक्षा,
  2. विदेशी मामले,
  3. बैंकिंग,
  4. संचार,
  5. मुद्रा।

प्रश्न 8.
राज्य सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. पुलिस,
  2. व्यापार,
  3. वाणिज्य,
  4. कृषि,
  5. सिचाई।

प्रश्न 9.
समवर्ती सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. शिक्षा,
  2. वन,
  3. मजदूर संघ,
  4. विवाह,
  5. गोद लेना,
  6. उत्तराधिकार,।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 10.
केन्द्र-शासित प्रदेश के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
केन्द्र-शासित प्रदेश के उदाहरण-

  1. चण्डीगढ़,
  2. लक्षद्वीप।

प्रश्न 11.
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का कौन-सा अंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
उत्तर:
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का न्यायपालिका अंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 12.
हमारे देश की लोकंतान्त्रिक राजनीति के लिए प्रथम और एक कठिन परीक्षा क्रौन-सी थी?
उत्तर:
भाषा के आधार पर प्रान्तों का गठन।

प्रश्न 13.
भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा कब प्रारम्भ की?
उत्तर:
सन् 1947 ई. में, भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ की।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है?
अथवा
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में रखा गया है ?
उत्तर:
भारतीय संविधानं में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।

प्रश्न 15.
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवतः सबसे अधिक विविधता वाला देश कौन-सा है?
उत्तर:
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवत: सबसे अधिक विविधता वाला देश भारत है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 16.
सत्ता का विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं।

प्रश्न 17.
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को स्थानीय सरकार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 18.
ग्रामीण स्थानीय सरकार को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पंचायती राज।

प्रश्न 19.
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को प्रधान या सरपंच के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 20.
पंचायत समिति का गठन कैसे होता है?
उत्तर:
कई ग्राम पंचायतों से मिलकर पंचायत समिति का गठन होता है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
“केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का यह बँटवारा हमारे संविधान की बुनियादी बात है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान में केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे में किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है?
अथवा
केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच सत्ता के बँटवारे में कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत को राज्यों का संघ घोषित किया है। भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है। संघीय सरकार के अन्तर्गत मौलिक प्रावधानों को सरकार के एक स्तर द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अकेले संसद संविधान की मौलिक व्यवस्था में परिवर्तन नहीं कर सकती। ऐसे किसी परिवर्तन को पहले संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया जाना होता है। फिर कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से सहमति लेनी होती है।

प्रश्न 2.
संघ सूची एवं राज्य सूची में अन्तर बताइये।
उत्तर:
संघ सूची एवं राज्य सूची में निम्नलिखित अन्तर

संघ सूचीराज्य सूची
1. संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को होता है।राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकारों को होता है।
2. संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार एवं मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं।राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिचाई जैसे प्रान्तीय एवं स्थानीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 3.
भाषायी राज्यों का गठन क्यों हुआ? इनके लाभ बताइए।
उत्तर:
भारत में भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा बोलने वाले लोग एक राज्य में आ जाएँ। भाषायी राज्यों से लाभ:

  1. भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत एवं मजबूत हुआ है
  2. इससे प्रशासन भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधाजनक हो गया है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 4.
भारत सरकार की भाषा नीति को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत की भाषा नीति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिन्दी को राजभाषा माना गया है पर अन्य भाषाओं के संरक्षण के उपाय भी किये गये हैं।
  2. भाषा नीति के अन्तर्गत संविधान में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किया गया है।
  3. केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार संविधान की 8वीं अनुसूची में दर्ज किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प के रूप में चुने।
  4. राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अधिकांश कार्य राजभाषा में ही होता है।

प्रश्न 6.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के दो लाभ निम्नलिखित हैं

  1. स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिए जाने से लोकतन्त्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं।
  2. अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के लिए स्थानीय निकायों में सदस्य एवं पदाधिकारी पदों के आरक्षण से वंचित लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 7.
पंचायती राज क्या है? इसका महत्व बताइए।
उत्तर:
ग्राम स्तर पर मौजूद स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। महत्व:

  1. पंचायती राज लोगों को प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर निर्णय लेने में सहायता करता है।
  2. यह सत्ता के विकेन्द्रीकरण में सहायता करता है।
  3. यह केन्द्रीय सरकार के काम के दबाव को कम करने में सहायता करता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 8.
पंचायती राज का उच्चतम स्तर कौन-सा होता है? इसके गठन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
पंचायती राज्य का उच्चतम स्तर जिला परिषद् होता है। किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त जिले के लोकसभा सदस्य एवं जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। जिला परिषद् का प्रमुख, परिषद् का प्रधान होता है। जिला परिषद् जिले की सम्पूर्ण पंचायत समितियों की गतिविधियों में तालमेल बैठाकर सम्पूर्ण जिले के विकास को अग्रसर करती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
संघवाद ने जातीय समस्या को सुलझाने में बेल्जियम की सहायता किस प्रकार की?
अथवा
संघीय शासन प्रणाली बेल्जियम के लिए किस प्रकार लाभदायक रही है?
उत्तर:
बेल्जियम यूरोप महाद्वीप का एक देश है। सन् 1993 ई. से पहले बेल्जियम में अधिकांश शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथों में थीं। प्रान्तीय सरकारों को नाममात्र के अधिकार प्राप्त थे, पर ये अधिकार उमको केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए थे और इन्हें केन्द्र सरकार वापस भी ले सकती थी अर्थात् बेल्जियम में एकात्मक सरकार थी।

1993 ई. में संविधान संशोधन करने के पश्चात् बेल्जियम में प्रान्तीय सरकारों को कुछ संवैधानिक अधिकार प्रदान किये गये। इन अधिकारों के लिए प्रान्तीय सरकारें अब केन्द्र पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया जिससे जातीय समस्या के समाधान में सहायता प्राप्त हुई।

प्रश्न 2.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा प्रत्येक संघीय सरकार में भिन्न क्यों होता है? दो उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
संघीय शासन व्यवस्था के गठन के तरीकों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
अथवा
केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच सही सन्तुलन एक संघीय व्यवस्था का दूसरी संघीय व्यवस्था से भिन्न क्यों होता है? दो तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा मुख्य रूप से ऐतिहासिक सन्दर्भो पर निर्भर करता है जिन पर संघ की स्थापना हुई है। संघीय शासन व्यवस्था आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती है
1. साथ आकर संघ बनाना:
इसके अन्तर्गत दो या अधिक स्वतन्त्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई का गठन किया जाता है तथा सभी स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ रखते हैं, अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं। साथ आकर संघ बनाने के प्रमुख उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं।

2. साथ लेकर चलने वाला संघ:
इसके अन्तर्गत एक बड़े देश द्वारा अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन किया जाता है तथा फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है। भारत, बेल्जियम और जापान इस प्रकार की संघीय शासन व्यवस्था के उदाहरण हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 3.
संघवाद क्या है? भारत में संघवाद का स्वरूप कैसा है? बताइए।
उत्तर:
संघवाद का आशय-संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है। भारत में संघवाद का स्वरूप

  1. राज्यों का संघ-भारत में अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों के संघ का गठन किया गया है।
  2. त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था- भारतीय संविधान में मूल रूप से दो स्तर की शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है
    • (अ) संघ या केन्द्र सरकार और
    • (ब) राज्य सरकारें। बाद में स्थानीय शासन की संस्थाओं को तीसरे स्तर के रूप में संविधान में मान्यता दी गई। किसी भी देश की तरह यहाँ भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।
  3. शक्तियों का विभाजन-भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों के द्वारा विभाजित किया गया है
    • (अ) संघ सूची,
    • (ब) राज्य सूची,
    • (स) समवर्ती सूची।
  4. न्यायपालिका की सर्वोच्चता-भारतीय संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका स्वतन्त्र व सर्वोच्च है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर उसका फैसला सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
  5. समस्त राज्यों को बराबर के अधिकार प्राप्त नहीं-भारतीय संविधान में सभी राज्यों को समान अधिकार नहीं दिये गये हैं, जैसे-असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम को अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार दिये गये हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में केन्द्र और सज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को कितने भागों में बाँटा गया है? विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन भागों में बाँटा गया है

  1. संघ सूची,
  2. राज्य सूची,
  3. समवर्ती सूची।

1. संघ सूची:
संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इसमें वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है। इस सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार व मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं। सम्पूर्ण देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत होने के कारण इन विषयों को संघ सूची में रखा गया है।

2. राज्य सूची:
राज्य सूची में प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इस सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को है। राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिंचाई जैसे प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं।

3. समवर्ती सूची:
समवर्ती सूची में वे विषय सम्मिलित हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों को भी कानून बनाने का अधिकार प्रदान करते हैं। लेकिन जब दोनों (केन्द्र एवं राज्य) के कानूनों में टकराव हो तो केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित कानून ही मान्य होता है। समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना एवं उत्तराधिकार जैसे विषय सम्मिलित हैं। जो विषय इनमें से किसी भी सूची में नहीं आते हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।.

प्रश्न 6.
भारत में संविधान संशोधन करके भारतीय लोकतन्त्र के स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाने हेतु क्या कदम उठाए गये?
अथवा
लोकतांत्रिक व्यवस्था के तीसरे स्तर को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में उठाए गए किन्हीं तीन कदमों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
तीसरे प्रकार की शासन व्यवस्था को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाने लिए 1992 में भारतीय संविधान’ में किए गए संशोधनों के किन्हीं तीन प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विकेन्द्रीकरण की दिशा में 1992 में क्या कदम लिया गया था?
उत्तर:
भारत में 1992 ई. में संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भारतीय लोकतंत्र के स्थानीय स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाने हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गये

  1. अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव 5 वर्ष में लिखित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
  2. अब इन निकायों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों के निर्वाचन में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
  3. कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
  4. प्रत्येक राज्य में इन निकायों के चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग’ नामक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया है।
  5. राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन निकायों को देना पड़ता है। सत्ता में भागीदारी की प्रकृति प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 5.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण से क्या अभिप्राय है? विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच क्या है?
अथवा
भारत में विकेन्द्रीकरण लागू करने के औचित्य का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है:

  1. केन्द्रीय स्तर,
  2. राज्य स्तर,
  3. स्थानीय स्तर।

सत्ता के विकेन्द्रीकरण में प्रथम दो स्तरों केन्द्रीय स्तर व राज्य स्तर से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को प्रदान की जाती हैं। भारत में स्थानीय सरकारों को सन् 1992 में संविधान संशोधन के माध्यम से अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव हेतु चुनाव आयोग की व्यवस्था की गयी है। विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच

1. विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच यह है कि अनेक मुद्दों एवं समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही अच्छे तरीके से हो सकता है। लोगों को अपने क्षेत्रों की समस्याओं की अच्छी समझ होती है। लोगों को इस बात की भी जानकारी होती है कि पैसा कहाँ खर्च किया जाए और चीजों का अधिक कुशलता से उपयोग किस तरह किया जा सकता है।

2. स्थानीय स्तर पर लोगों का नीतिगत फैसलों में सीधे भागीदार बनना भी सम्भव हो जाता है, इससे लोकतान्त्रिक भागीदारी की आदत पड़ती है। स्थानीय सरकारों की स्थापना स्वशासन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संघवाद क्या है? संघवाद की मुख्य विशेषताओं को लिखिए।
अथवा
संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
अथवा
संविधान की संघीय व्यवस्था क्या है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
‘संघीय शासन’ की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत किस प्रकार की संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत आता है? इस प्रकार की संघीय व्यवस्था की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद-संघवाद सरकार की एक व्यवस्था है जिसमें सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण एवं उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है। आमतौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं फिर राज्य या प्रान्तों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन के दैनिक काम-काज को देखती हैं।

सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतन्त्र होकर अपना कार्य करती हैं। उदाहरणार्थ-भारत। संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद की विशेषताएँ-प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सरकार के दो या अधिक स्तर:
संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण और उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के मध्य बँट जाती है। सामान्यतः संघीय शासन व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है एवं दूसरी सरकार राज्य स्तर की होती है। भारत में सरकार का तीसरा स्तर स्थानीय स्वशासन भी है।

2. एक नागरिक समूह, अलग-अलग अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं, पर कानून बनाने, कर वसूलने एवं प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।

3. सुदृढ़ संविधान:
संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार स्वयं अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों-केन्द्र व राज्य की सहमति से ही हो सकते हैं।

4. संविधान की सर्वोच्चता:
संविधान में सरकार के विभिन्न स्तरों के अधिकार क्षेत्र स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं इसलिए संविधान सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व एवं प्राधिकार की गारण्टी एवं सुरक्षा देता है।

5. दोहरे उद्देश्य:
संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं-देश की एकता की सुरक्षा करना एवं उसे बढ़ावा देना। इसके साथ ही क्षेत्रीय विभिन्नताओं का पूर्ण सम्मान करना।

6. न्यायालयों के सर्वोच्च अधिकार:
न्यायालयों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के मध्य अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।

7. वित्तीय स्वायत्तता:
संघीय शासन व्यवस्था में वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के भिन्न-भिन्न स्रोत निर्धारित हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 2.
‘भारत एक संघीय देश है। उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
1. भारत एक संघीय देश है।’ इसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. सत्ता का विभाजन:
    भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों में बाँटता है। ये तीन सूचियाँ निम्नलिखित हैं
  2. संघ सूची:
    संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय हैं। पूरे देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत है। इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में डाला गया है। संघ सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है।
  3. राज्य सूची:
    राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रान्तीय और स्थानीय महत्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित विषयों के बारे में सिर्फ राज्य सरकार ही कानून बना सकती है।
  4. समवर्ती सूची:
    समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय हैं, जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी दिलचस्पी में आते हैं।

2. त्रिस्तरीय व्यवस्था:
भारतीय संविधान में तीन स्तर की शासन व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है:

  1. संघ सरकार, जिसे हम केन्द्र सरकार के नाम से जानते हैं।
  2. राज्य सरकारें।
  3. स्थानीय सरकारें।

किसी भी संघीय व्यवस्था की तरह हमारे देश में भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।

3. सभी प्रशासनिक इकाइयों को समान अधिकार नहीं:
सबको साथ लेकर चलने की नीति मानकर बनी अधिकांश बड़ी संघीय व्यवस्थाओं में साथी इकाइयों को बराबर के अधिकार नहीं मिलते। भारतीय संघ के सभी राज्यों को भी बराबर-बराबर के अधिकार नहीं मिले हैं। असम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम जैसे कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।

4. सरकार के दोनों स्तरों की सहमति:
संघीय सरकार के अन्तर्गत संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती और यह भारत के लिए भी सही है। अकेली संसद इस व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकती।

5. न्यायालय का क्षेत्र अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।

6. आय के विभिन्न साधन:
सरकार के संचालन एवं अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए आवश्यक राजस्व की उगाही के सम्बन्ध में केन्द्र व राज्य सरकारों को विभिन्न प्रकार के कर लगाने एवं संसाधन जमा करने के अधिकार प्राप्त हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 3.
स्थानीय शासन व्यवस्था के विभिन्न स्तर कौन-कौन से हैं? इसके गठन की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
पंचायती राज व्यवस्था की व्याख्या कीजिए। शहरों की स्थानीय शासन व्यवस्था का भी संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
स्थानीय शासन व्यवस्था गाँवों एवं शहरों दोनों पर स्थापित है। गाँवों में इसे पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। शहरों में नगरपालिका, नगर परिषद एवं नगर निगम जैसी संस्थाओं द्वारा इनका नेतृत्व किया जाता हैं।
1. ग्राम स्तर पर:
प्रत्येक गाँव या ग्राम समूह के लिए एक ग्राम पंचायत का प्रावधान किया गया है। यह एक तरह की परिषद् होती है जिसके कई सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं तथा उन्हें सामान्यतया पंच कहा जाता है। इसके अध्यक्ष को सरपंच या प्रधान कहा जाता है। इसका चुनाव गाँव या वार्ड में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के माध्यम से करते हैं।

2. खण्ड स्तर पर:
कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसे मण्डल या प्रखण्ड स्तरीय पंचायत भी कहा जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव सम्बन्धित क्षेत्र के सभी पंचायत सदस्य करते हैं।

3. जिला स्तर पर:
किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। यह पंचायती राज की सर्वोच्च संस्था है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् के उस जिले से लोकसभा व राज्यसभा के लिए चुने गये सांसद, विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी इसके सदस्य होते हैं।

4. शहरी स्तर पर:
स्थानीय स्वायत्त संस्थाएँ शहरों में भी कार्य करती हैं। शहरों में जनसंख्या के आधार पर नगरपालिका, नगरपरिषद् एवं नगरनिगम का गठन किया गया है। इन संस्थाओं का काम-काज निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। नगरपालिका के अध्यक्ष को नगरपालिका अध्यक्ष, नगर परिषद् में सभापति एवं नगर निगम में इन्हें मेयर (महापौर) कहा जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. बेल्जियम निम्न में से किस महाद्वीप का देश है?
(क) यूरोप
(ख) उत्तरी अमेरिका
(ग) एशिया
(घ) ऑस्ट्रेलिया
उत्तर:
(क) यूरोप

2. निम्न में से किस देश ने 1970 से 1993 ई. के मध्य अपने संविधान में चार संशोधन किये?
(क), भारत
(ख) श्रीलंका
(ग) बेल्जियम
(घ) चीन
उत्तर:
(ग) बेल्जियम

3. श्रीलंका का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है
(क) तमिलों का
(ख) सिंहलियों का
(ग) डचों का
(घ) हिन्दुस्तानी तमिलों का
उत्तर:
(ख) सिंहलियों का

4. श्रीलंका कब स्वतन्त्र राष्ट्र बना?
(क) 1948 ई. में
(ख) 1949 ई. में
(ग) 1956 ई. में
(घ) 1961 ई. में
उत्तर:
(क) 1948 ई. में

5. किस देश में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया?
(क) श्रीलंका में
(ख) बेल्जियम में
(ग) ब्रिटेन में
(घ) भारत में
उत्तर:
(क) श्रीलंका में

6. श्रीलंका के जातीय समूह में निम्न में से कौन-से प्रमुख हैं
(क) ईसाई व तमिल
(ख) बौद्ध व हिन्दू
(ग) सिंहली व तमिल
(घ) सिंहली व ईसाई
उत्तर:
(ग) सिंहली व तमिल

7. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ नियन्त्रण और सन्तुलन बनाए रखती हैं। क्षैतिज सत्ता की साझेदारी के आधार पर सही विकल्प की पहचान कीजिए।
(क) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय
(ख) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(ग) विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य
(घ) विभिन्न दबाव समूहों के मध्य
उत्तर:
(क) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. सन् ……………… में श्रीलंका एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
उत्तर:
1948 ई.

2. बेल्जियम की राजधानी …………….. है।
उत्तर:
ब्रूसेल्स

3. ……………….. श्रीलंका का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है।
उत्तर:
सिंहली,

4. ….. ………. भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश है।
उत्तर:
श्रीलंका,

5. … में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया।
उत्तर:
श्रीलंका।

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बेल्जियम की राजधानी का नाम बताओ।
उत्तर:
बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है।

प्रश्न 2.
बेल्जियम में कौन-सी भाषा बोलने वाले लोग समृद्ध व ताकतवर रहे हैं?
उत्तर:
बेल्जियम में फ्रेंचभाषी लोग अधिक समृद्ध व ताकतवर रहे हैं।

प्रश्न 3.
1950 और 1960 के दशकों के बीच बूसेल्स में दो समुदायों के बीच प्रखर समस्या क्या थी?
उत्तर:
भाषाई विविधता।

प्रश्न 4.
भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश कौन-सा है?
उत्तर:
श्रीलंका भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश है।

प्रश्न 5.
श्रीलंका में सबसे प्रमुख सामाजिक समूह किसका है?
उत्तर:
श्रीलंका में सिहलियों का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 6.
श्रीलंका की कुल जनसंख्या में सिहलियों का प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
श्रीलंका की कुल जनसंख्या में सिहलियों का 74 प्रतिशत है।

प्रश्न 7.
बहुसंख्यकवाद कायम करने के लिए श्रीलंका सरकार द्वारा उठाये गये एक कदम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका सरकार ने 1956 ई. में एक कानून बनाया जिसके तहत सिहली को एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया।

प्रश्न 8.
उस देश का नाम लिखिए, जहाँ 1956 के बाद जातीय संघर्ष ने हिंसा और विद्रोह का रूप ले लिया।
उत्तर:
श्रीलंका।

प्रश्न 9.
श्रीलंका के नये संविधान में क्या प्रावधान किया गया?
उत्तर:
श्रीलंका के नये संविधान में प्रावधान किया गया है कि देश की सरकार बौद्ध मत को संरक्षण व बढ़ावा देगी।

प्रश्न 10.
सिंहली और तमिल समुदायों के सम्बन्ध क्यों बिगड़ते चले गये?
उत्तर:
तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 11.
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार और श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार का चयन एक ही भाषा (डच, फ्रेंच व जर्मन) बोलने वाले लोग करते हैं जबकि श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार में एक (सिंहली) समुदाय का ही प्रभुत्व रहता है।

प्रश्न 12.
लोकतन्त्र का बुनियादी सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि जनता ही समस्त राजनीतिक शक्तियों का स्तोत्त है। इसमें लोग स्वशासन की संस्थाओं के माध्यम से शासन चलाते हैं।

प्रश्न 13.
लोकतन्त्र में सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी संघर्ष की सम्भावनाओं को कम करती है तथा प्रजातान्त्रिक भावनाओं के अनुकूल है।

प्रश्न 14.
सत्ता का क्षैतिज वितरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सरकार के विभिन्न अंगों; जैसे-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं।

प्रश्न 15.
सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता की साझेदारी को सत्ता का क्षैतिज वितरण क्यों कहते हैं?
उत्तर:
क्योंकि इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 16.
नियन्त्रण और सन्तुलन की व्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह व्यवस्था जिसमें सरकार का प्रत्येक अंग एक-दूसरे को नियन्त्रित करता है जिससे सत्ता का सन्तुलन स्थापित बना रहता है।

प्रश्न 17.
सत्ता का ऊध्ध्वाधर वितरण क्या है?
उत्तर:
उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के मध्य सत्ता का विभाजन सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण कहलाता है।

प्रश्न 18.
किस देश की सामुदायिक सरकार सत्ता के बँटवारे का एक अच्छा उदाहरण है?
उत्तर:
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार सत्ता के बैंटवारे का एक अच्छा उदाहरण है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
बेल्जियम की जातीय बुनावट कैसी है?
उत्तर:
बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। देश की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है तथा डच भाषी है। 40 प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं तथा फ्रेंच भाषी हैं। शेष 1 प्रतिशत लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स के 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच बोलते हैं तथा 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं।

प्रश्न 2.
श्रीलंका की जातीय बुनावट का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका में अनेक जातीय समूहों के लोग हैं। सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है। दूसरा स्थान तमिलों का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 18 प्रतिशत है। 7 प्रतिशत ईसाई लोग भी श्रीलंका में रहते हैं। शेष 1 प्रतिशत अन्य समुदायों के लोग श्रीलंका में निवास करते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 3.
श्रीलंका में तमिलों के दो समूह कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
श्रीलंका में तमिलों के दो समूह-श्रीलंका मूल के तमिल व हिन्दुस्तानी तमिल हैं।

  1. श्रीलंका मूल के तमिल: श्रीलंका के तमिल निवासियों को श्रीलंका मूल के तमिल कहते हैं। यहाँ की कुल जनसंख्या में इनका प्रतिशत 13 है।
  2. हिन्दुस्तानी तमिल: औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाये गये तमिल लोगों की सन्तानों को हिन्दुस्तानी तमिल कहा जाता है। यहाँ इनका प्रतिशत 5 है।

प्रश्न 4.
बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है? उस देश का नाम बताइये जहाँ बहुसंख्यकवाद है।
अथवा
बहुसंख्यकवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बहुसंख्यकवाद-यह एक प्रकार का मत है कि बहुसंख्यक समुदाय, जिस प्रकार चाहे देश में शासन कर सकता है। बहुसंख्यक सामान्यतः अल्पसंख्यकों की इच्छाओं और आवश्यकताओं की अवहेलना करते हैं। श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद की स्थिति देखने को मिलती है, जहाँ सिंहलियों का वर्चस्व है।

प्रश्न 5.
श्रीलंकाई तमिलों ने किन प्रमुख माँगों को लेकर आन्दोलन किया?
उत्तर:
श्रीलंकाई तमिलों की कई माँगें थीं, जिनमें राजनीतिक, धार्मिक, भाषायी, सामाजिक एवं आर्थिक आदि सभी माँगें सम्मिलित थीं। श्रीलंका में सिंहली भाषा को प्रोत्साहन दिया जा रहा था। तमिलों ने तमिल को भी राजभाषा बनाने की माँग की। उन्होंने क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा व रोजगार में समान अवसरों की मांग को लेकर भी संघर्ष किया।

प्रश्न 6.
“श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने एक बड़े टकराव का रूप ले लिया।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका में सिंहली एवं तमिल लोगों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने एक बड़े टकराव का रूप ले लिया। यह टकराव गृहयुद्ध में परिणित हो गया, परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गये। अनेक परिवार अपने देश से भाग कर शरणार्थी बन गए। अनेक लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया। इस गृहयुद्ध ने श्रीलंका के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन में अनेक परेशानियाँ उत्पन्न की हैं।

प्रश्न 7.
सत्ता की साझेदारी क्या है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी एक नीति है जिसके अन्तर्गत देश के शासन में समाज के सभी प्रमुख समूहों को सत्ता का एक स्थायी भाग प्रदान किया जाता है। जातीय एवं सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण विभाजित समाज में झगड़े सुलझाने का यह एक सामर्थ्यवान हथियार है। इसमें राजनीतिक आयोजन की व्यापक रूप से व्यवस्था होती है, जिसमें समाज के प्रमुख तत्वों को शासन में उचित स्थान व सम्मान प्रदान किया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 8.
सत्ता की साझेदारी के पक्ष में कोई तीन तर्क दीजिए।
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी के पक्ष में तीन तर्क निम्नलिखित हैं

  1. सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य टकराव की सम्भावना कम हो जाती है।
  2. सामाजिक टकराव आगे बढ़कर सामान्यतया हिंसा व राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है। इसलिए सत्ता में साझेदारी राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छी है।
  3. सत्ता की साझेदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
बेल्जियम व श्रीलंका की स्थितियाँ भिन्न कैसे हैं?
उत्तर:
बेल्जियम के समाज की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। यहाँ बहुसंख्यक अर्थात् 59 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं, 40 प्रतिशत लोग फ्रेंच बोलते हैं जो अल्पसंख्यक हैं। 1 प्रतिशत लोग जर्मन बोलते हैं। यहाँ फ्रेंच बोलने वाले अल्पसंख्यक लोग तुलनात्मक रूप से धनी व शक्तिशाली हैं, जबकि डच बोलने वाले लोग बहुसंख्यक होने के बावजूद गरीब हैं। बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास एवं शिक्षा का लाभ पाने वाले डच भाषी लोगों में इस स्थिति से नाराज़गी है।

जबकि श्रीलंका में सिंहली भाषी लोगों की आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है तथा तमिल भाषी लोग केवल 18 प्रतिशत हैं। यहाँ बहुसंख्यक सिंहली लोग धनी व शक्तिशाली हैं। इन्हें अपेक्षाकृत अधिक संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, जबकि अल्पसंख्यक तमिल आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में पिछड़े हुए हैं। यहाँ बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों पर हावी हैं। इस प्रकार बेल्जियम व श्रीलंका की स्थितियाँ भिन्न हैं।

प्रश्न 2.
बहुसंख्यकवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठाए गए?
उत्तर:
बहुसंख्यकवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए

  1. श्रीलंकाई सरकार ने सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में सिंहली वर्चस्व स्थापित करने के लिए कई प्रकार के उपाय अपनाए।
  2. 1956 ई. में श्रीलंका सरकार ने एक कानून बनाया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
  3. नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी। यह तमिल हिन्दुओं के लिए अपमानजनक कदम था।
  4. विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली।

प्रश्न 3.
श्रीलंका में तमिलों की क्या माँगें थीं? अपनी मांगों के लिए उन्होंने किस प्रकार संघर्ष किया? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
श्रीलंका में हुए जातीय संघर्ष की विवेचना कीजिए।
अथवा
श्रीलंकाई तमिलों की किन्हीं तीन माँगों का वर्णन कीजिए। उन्होंने अपनी मांगों के लिए किस प्रकार संघर्ष किया?
उत्तर:
श्रीलंका के तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियों का निर्माण किया तथा श्रीलंका सरकार के समक्ष तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने एवं शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग की। लेकिन तमिलों की आबादी वाले क्षेत्रों की स्वायत्तता की माँगों को लगातार नकारा गया! 1980 ई. के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतन्त्र तमिल ईलम (राज्य) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठनों का निर्माण हुआ।

श्रीलंका सरकार ने तमिलों की माँगों को ठुकरा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिलों और सरकारी सेनाओं में निरन्तर युद्ध चलता रहा। इस हिंसा में हजारों लोग मारे गये तथा बहुमूल्य सम्पत्ति नष्ट हो चुकी है। इस गृहयुद्ध से श्रीलंका के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बहुत अधिक परेशानियाँ उत्पन्न हुई हैं।

प्रश्न 4.
बेल्जियम अपनी जातीय समस्याओं को किस प्रकार हल कर सका? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
देश में जातीय संघर्ष को समाप्त करने के लिए बेल्जियम सरकार द्वारा किये गये प्रयासों के बारे में संक्षेप में बताइए।
अथवा
बेल्जियम में क्षेत्रीय अन्तर एवं सांस्कृतिक विविधता की समस्या के समाधान हेतु उठाए गए किसी एक कदम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बेल्जियम अपनी जातीय समस्याओं को निम्न प्रयासों से हल कर सका

  1. अवसर की समानता:
    संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार में डच व फ्रेंच भाषी मन्त्रियों की संख्या समान रहेगी अर्थात् दोनों समुदायों को समान प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। किसी एक समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
  2. शक्ति का विकेन्द्रीकरण:
    केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो क्षेत्रों की क्षेत्रीय सरकारों को प्रदान कर दी गयीं।
  3. स्वायत्त राज्य सरकार:
    राज्य सरकारें केन्द्र सरकार के अधीन नहीं हैं।
  4. समान राजनीतिक:
    प्रतिनिधित्व ब्रूसेल्स में अलग सरकार है तथा इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।
  5. सामुदायिक सरकार:
    केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अतिरिक्त किसी एक भाषा के लोगों द्वारा चुनी गई सामुदायिक सरकार की भी व्यवस्था की गयी है। इस सरकार को सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं भाषा सम्बन्धी अधिकार दिए गए हैं।

प्रश्न 5.
सत्ता के क्षैतिज वितरण एवं ऊर्ध्वाधर वितरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सत्ता के क्षैतिज वितरण एवं ऊर्ध्वाधर वितरण में निम्नलिखित अन्तर हैं

सत्ता का क्षैतिज वितरणसत्ता का ऊध्र्वाधर वितरण
1. क्षैतिज वितरण के अन्तर्गत शासन के विभिन्न अंग, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के मध्य सत्ता का बँटवारा रहता है।ऊर्ध्वाधर वितरण के अन्तर्गत सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता का बँटवारा होता है।
2. इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।इसमें उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारें होती हैं।
3. इसमें शासन का प्रत्येक अंग एक-दूसरे पर नियन्त्रण रखता है।इसमें निम्नतर स्तर के अंग उच्चतर स्तर के अंगों के अधीन कार्य करते हैं।
4. भारत में कार्यपालिका संसद के अधीन कार्य करती है। न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को नियन्त्रण व सन्तुलन की व्यवस्था भी कहते हैं।भारत में सम्पूर्ण देश की सरकार को संघ या केन्द्रीय सरकार कहते हैं। प्रान्तीय स्तर की सरकार को राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारों को नगरपालिका और पंचायतें कहा जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिति, आकार और सांस्कृतिक पहलुओं के आधार पर बेल्जियम और श्रीलंका की स्थिति की तुलना कीजिए।
उत्तर:
1. स्थिति:
बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी व लक्समबर्ग की सीमाओं से लगता हुआ एक छोटा-सा यूरोपीय देश है जबकि श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी तट से कुछ किमी दूर स्थित है।

2. आकार:
बेल्जियम क्षेत्रफल में भारत के हरियाणा राज्य से भी छोटा है तथा यहाँ की आबादी एक करोड़ से कुछ अधिक है यानि हरियाणा की आवादी से लगभग आधी जबकि श्रीलंका की आबादी लगभग दो करोड़ है यानी हरियाणा की आबादी के बराबर।

3. सांस्कृतिक पहलू:
बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। यहाँ की कुल आबादी का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में रहता है व डच बोलता है, 40 प्रतिशत बेलोनिया क्षेत्र में तथा फ्रेंच बोलता है जबकि शेष 1 प्रतिशत जर्मन बोलता है। इसकी राजधानी ब्रूसेल्स में 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच तथा 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं।

श्रीलंका में भी कई जातीय समूह के लोग रहते हैं जिनमें सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है। इनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है। तमिलों की आबादी कुल जनसंख्या की 18 फीसदी है जिसमें 13 फीसदी श्रीलंकाई मूल के हैं। यहाँ की आबादी में 7 प्रतिशत ईसाई हैं जो सिंहली व तमिल दोनों भाषाएँ बोलते हैं। अधिकांश सिंहली भाषी लोग बौद्ध हैं वहीं तमिल भाषी लोगों में कुछ हिन्दू तथा कुछ मुसलमान हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 2.
बेल्जियम के दो प्रमुख समुदायों में परस्पर संघर्ष के क्या कारण थे? इस समस्या का समाधान किस प्रकार किया गया? विस्तार से बताइये।
उत्तर:
बेल्जियम के दो प्रमुख समुदायों में परस्पर संघर्ष के कारण
1. बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। इस देश की कुल जनसंख्या का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में रहता है तथा डच भाषा बोलता है। शेष 40 प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं तथा फ्रेंच भाषा बोलते हैं। शेष 1 प्रतिशत लोग जर्मन भाषा बोलने वाले हैं। देश की राजधानी ब्रूसेल्स की 80 प्रतिशत जनता फ्रेंच भाषा बोलती है, जबकि 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं। .

2. बेल्जियम में फ्रेंच भाषी (अल्पसंख्यक) समूह अधिक धनी व शक्तिशाली है। आर्थिक एवं शिक्षा के विकास के प्रश्न को लेकर डच भाषीय समूह ने फ्रेंच भाषीय समूह का विरोध किया। इस कारण दोनों समुदायों के मध्य 1950 से 1960 ई. के दशक में परस्पर तनाव एवं संघर्ष बढ़ते चले गये। देश की राजधानी ब्रूसेल्स में यह स्थिति और अधिक गम्भीर हो गयी।

3. समस्या का समाधान
बेल्जियम के नेताओं ने दो भाषायी समुदायों के मध्य बढ़ते संघर्ष के समाधान हेतु एकता के प्रयास किये। उन्होंने क्षेत्रीय अन्तरों एवं सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार किया तथा इस सम्बन्ध में 1970 से 1993 ई. के मध्य संविधान में चार महत्वपूर्ण संशोधन कर निम्न व्यवस्था को लागू किया

  1. संविधान में यह व्यवस्था की गई कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मन्त्रियों की संख्या बराबर होगी जिससे कुछ विशेष प्रकार के कानूनों को पारित करने में दोनों भाषायी समुदायों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी।
  2. केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो स्तरों पर कार्य करने वाली राज्य सरकारों को प्रदान कर दी गयी हैं। ये राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार के नियन्त्रण में कार्य नहीं करती हैं।
  3. बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में अलग सरकार की व्यवस्था की गई। इस सरकार में दोनों भाषायी समुदायों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है।
  4. बेल्जियम में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अतिरिक्त एक तीसरे प्रकार की सरकार भी कार्य करती है। इस सरकार को सामुदायिक सरकार कहा जाता है। इस सरकार को तीन समूहों-डचों, फ्रांसीसियों एवं जर्मन बोलने वाले समुदायों द्वारा मिलकर चुन लिया जाता है। इस सरकार को शिक्षा, संस्कृति एवं भाषा जैसे मामलों पर फैसला लेने का अधिकार प्राप्त है।

प्रश्न 3.
सत्ता की साझेदारी क्यों वांछनीय है? उदाहरण द्वारा समझाइए। उत्तर-सत्ता की साझेदारी निम्नलिखित कारणों से वांछनीय है
1. टकराव को रोकने के लिए:
सत्ता की साझेदारी वांछनीय है क्योंकि यह सामूहिक समूहों के मध्य संघर्ष की सम्भावना को कम करती है। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।

2. लोकतन्त्र की आत्मा:
सत्ता की साझेदारी प्रजातन्त्र का आधार है, यह इसके विकास के लिए आवश्यक है। आधुनिक प्रजातन्त्र में शक्ति जनता के हाथों में निहित रहती है। इसका प्रयोग जनता निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा करती है। इस प्रकार समस्त समूह सत्ता में भागीदारी के माध्यम से शासन व्यवस्था से जुड़े रहते हैं।

उदाहरण: निम्नलिखित उदाहरण सत्ता की साझेदारी की वांछनीयता को दर्शाते हैं
1. बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग अधिक धनी व शक्तिशाली थे, सत्ता उन्हीं के पास थी। यहाँ सत्ता की साझेदारी बहुसंख्यक डच भाषी समुदाय द्वारा नहीं होती थी. यह एक अप्रजातान्त्रिक बात थी। फलस्वरूप समाज में संघर्ष उत्पन्न हो गया।

2. श्रीलंका में सत्ता बहुसंख्यक सिंहलियों के पास थी, जबकि अल्पसंख्यक तमिल इससे वंचित थे फलस्वरूप तमिलों ने सिंहलियों के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ कर दिया। यह संघर्ष ही श्रीलंका में गृहयुद्ध का कारण बना। इस प्रकार समाज के विकास एवं कल्याण के लिए सत्ता की साझेदारी वांछनीय है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 4.
आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार में साझेदारी के चार रूपों का वर्णन कीजिए।
अथवा
सरकार के विभिन्न अंगों में सत्ता की साझेदारी कैसे होती है ? वर्णन करें।
अथवा
आधुनिक लोकतन्त्र में सत्ता में भागीदारी के विभिन्न रूपों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
सामान्य रूप से प्रचलित सत्ता की साझेदारी के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए।
अथवा भारत में सत्ता की साझेदारी पद्धति का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार में साझेदारी के चार रूप निम्नलिखित हैं
1. सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता की साझेदारी:
लोकतन्त्र में सरकार के विभिन्न अंग, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के मध्य सत्ता का बँटवारा रहता हैं। इन सभी के पास शक्ति होती है तथा वे आपस में एक-दूसरे पर नियन्त्रण रखते हैं। इसे ही सत्ता का क्षैतिज वितरण कहा जाता है। इस प्रकार के बँटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। प्रत्येक अंग एक-दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के मध्य सत्ता का सन्तुलन बना रहता है।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी  1
2. सरकार के मध्य विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी:
इसके अन्तर्गत सत्ता का विभाजन केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के मध्य तथा इससे आगे स्थानीय निकायों के बीच होता है। उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के मध्य सत्ता की इस साझेदारी को सरकार का ऊर्ध्वाधर वितरण कहते हैं।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी  2
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य सत्ता की साझेदारी:
लोकतन्त्र में विशेष रूप से विभिन्न धार्मिक, भाषायी, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समूह विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी करते हैं। सत्ता की साझेदारी का यह रूप या तो प्रजातान्त्रिक हो सकता है जैसे कि बेल्जियम में अथवा फिर संवैधानिक हो सकता है जैसे कि भारत में।

इस प्रकार की व्यवस्था विधायिका एवं प्रशासन में अलग- अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है ताकि वे स्वयं को शासन से अलग न समझने लगें। कुछ देशों के संविधान एवं कानून में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय एवं महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए।

4. राजनीतिक दलों, दबाव समूहों एवं आन्दोलनों के मध्य सत्ता की साझेदारी-लोकतन्त्र में विभिन्न राजनीतिक दलों, दबाव समूहों एवं आन्दोलनों के मध्य भी सत्ता की साझेदारी होती है। लोकतन्त्र लोगों के समक्ष. सत्ता के दावेदारों के बीच चुनाव का विकल्प देता है। यह विकल्प विभिन्न राजनीतिक दलों के रूप में उपलब्ध होता है, जोकि चुनाव लड़ते हैं। राजनीतिक दलों की यह प्रतिद्वन्द्विता ही यह सुनिश्चित करती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
स्वर्णिम चतुर्भज महाराजमार्ग सम्बन्धित है
(क) सड़क परिवहन से
(ख) जल परिवहन से
(ग) रेल परिवहन से
(घ) वायु परिवहन से।
उत्तर:
(क) सड़क परिवहन से

2. सीमा सड़क संगठन का गठन किया गया था
(क) सन् 1960 में
(ख) सन् 1970 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 2008 में
उत्तर:
(क) सन् 1960 में

3. भारत में प्रथम रेलगाड़ी चलायी गयी थी
(क) सन् 1853 में
(ख) सन् 1857 में
(ग) सन् 1863 में
(घ) सन् 2010 में
उत्तर:
(क) सन् 1853 में

4. देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है
(क) विशाखापट्टनम
(ख) हल्दिया
(ग) चेन्नई
(घ) मुम्बई
उत्तर:
(ग) चेन्नई

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

5. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है
(क) राष्ट्रीय व्यापार
(ख) स्थानीय व्यापार
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) राज्यस्तरीय व्यापार
उत्तर:
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1……..विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है।
उत्तर:
भारत, 2.7516.6 किमी,

2. भारत का……….विश्व का सबसे वृहत्तम संचार तंत्र है।
उत्तर:
डाक संचार तंत्र,

3. विश्व में……….ही सबसे अधिक फिल्में बनाता है।
उत्तर:
भारत,

4. ……….राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन से जुड़ा है।
उत्तर:
गुजरात।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवहन किसे कहते हैं ?
उत्तर;
एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रियों एवं वस्तुओं के आवागमन के साधनों को परिवहन कहते हैं।

प्रश्न 2.
व्यापारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं, उन्हें व्यापारी कहते हैं।

प्रश्न 3.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना किन-किन स्थानों को मिलाती है ?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना दिल्लीकोलकाता-चेन्नई व मुम्बई को मिलाती है।

प्रश्न 4.
पूर्व-पश्चिम गलियारे के पश्चिमी सिरे के स्टेशन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पोरबन्दर (गुजरात)।

प्रश्न 5.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगासिटियों के मध्य दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है।

प्रश्न 6.
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना किस संस्था के अधिकार क्षेत्र में है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखाखाव का दायित्व किसका होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) का होता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानों के नाम बताइए।
उत्तर:
कोलकाता आसनसोल-धनबाद-वाराणसीइलाहाबाद-कानपुर-आगरा-दिल्ली-अम्बाला-अमृतसर।

प्रश्न 9.
जिला मार्ग क्या हैं ?
उत्तर-
जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कों को जिला मार्ग कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना का प्रमुख प्रावधान क्या है?
उत्तर:
इस परियोजना के अन्तर्गत कुछ विशेष प्रावधान हैं, जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है, जिन पर वर्षभर वाहन चल सकें।

प्रश्न 11.
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण भारतीय रेल है।

प्रश्न 12.
भारत में प्रथम रेलगाड़ी कब व कहाँ चलायी गयी?
उत्तर:
भारत मे प्रथम रेलगाड़ी सन् 1853 में मुम्बई और थाणे के मध्य 34 किमी. की दूरी में चलायी गयी।

प्रश्न 13.
भारत में तीन रेल गेज कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. बड़ी लाइन (ब्रॉडगेज)
  2. मीटर लाइन (स्मॉल गेज)
  3. सँकरी लाइन (नैरो गेज)।

प्रश्न 14.
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी $1.676$ मीटर होती है।

प्रश्न 15.
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी 1.000 मीटर होती है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 16.
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी बताइए।
उत्तर:
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी $0.762$ अथवा $0.610$ मीटर होती है।

प्रश्न 17.
हम अपनी रेलगाड़ियों को निर्धारित समय पर चलने में कैसे मद्व कर सकते हैं?
उत्तर:
यात्री जंजीर खींचकर अनावश्यक रूप से गाड़ी न रोकें तथा टिकट लेकर ही यात्रा करें।

प्रश्न 18.
जल परिवहन को किन दो वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:

  1. आंतरिक जल परिवहन,
  2. समुद्री परिवहन।

प्रश्न 19.
भारत के किन्हीं दो राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्न हैं:

  1. गंगा नदी जलमार्ग,
  2. ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।

प्रश्न 20.
उस नदी का नाम लिखिए जिसका संबंध ‘राष्ट्रीय नौगम्य जलमार्ग’ संख्या-1 से है।
उत्तर:
गंगा नदी।

प्रश्न 21.
भारत के एक प्रमुख प्राकृतिक एवं एक कृत्रिम पत्तन का नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक पत्तन – मुम्बई, कृत्रिम पत्तन-चेन्नई।

प्रश्न 22.
लोह अयस्क के निर्यांत की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन कौन-सा है?
उत्तन:
लोह अयस्क के निर्यात की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन गाओ है।

प्रश्न 23.
कौन-से पत्तन के माध्यम से कुद्मेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है?
उत्तर:
न्यू मंगलौर पत्तन के माध्यम से कुद्रेभुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है।

प्रश्न 24.
कर्नाटक एवं केरल राज्य में स्थित एकएक पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कर्नाटक-न्यू मंगलौर, केरल-कोच्चि।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 25.
लैंगून के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कौन-सा है?
उत्तर:
लैगृन के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कोच्चि पत्तन है।

प्रश्न 26.
भारत का सबसे प्रार्घीनतम कृत्रिम समुद्री पत्तन कॉन-सा है?
उत्तर:
बन्न्न

प्रश्न 27.
भाग्त का मखम गहरा, स्थिल से धिरा व सुरक्षित समुद्री पत्तन कौन-सा है?
उत्तर:
विशाखापद्टनम।

प्रश्न 28.
भारत के एक अंतःस्थलीय नदीय पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कोलकाता पत्तन एक अंत:स्थलीय नदीय पत्तन है।

प्रश्न 29.
कौन-सा पत्तन गंगा-ब्रहपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है?
उत्तर:
कोलकाता पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 30.
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र किस देश का है?
उत्तर:
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र भारत का है।

प्रश्न 31.
जनसंचार क्या है?
उत्तर:
लोगों तक महत्वपूर्ण घटना या किसी समाचार को नियोजित ढंग से पहुँचाना जनसंचार कहलाता है। जनसंचार में माध्यम का होना आवश्यक होता है। यह कोई सन्देशवाहक,
रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र आदि कुछ भी हो सकता है।

प्रश्न 32.
भारत के छः डाक मार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. राजधानी मार्ग,
  2. मेट्रो चैनल,
  3. ग्रीन चैनल,
  4. व्यापार चैनल,
  5. भारी चैनल,
  6.  दस्तावेज़ चैनल।

प्रश्न 33.
भारत में भारतीय व विदेशी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकतर किस संस्था को है?
उत्तर:
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड।

प्रश्न 34.
व्यापार क्या है?
उत्तर:
राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है।

प्रश्न 35.
बाजार क्या है?
उत्तर:
बाजार एक ऐसा स्थान है, जहाँ वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय होता है।

प्रश्न 36.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 37.
व्यापार संतुलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक देश के आयात व नियांत के अन्तर को व्यापार संतुलन कहते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 38.
अनुकूल व्यापार संतुलन से क्या अभिप्राय? आशय है?
उत्तर:
यद्ध किसों देश का आयात मूल्य नियांत मूल्य से अधिक हो तो व्यापार संतुलन प्रतिकृल होता है।

प्रश्न 39.
पर्यटन का क्या महत्व है?
उत्तर:
पर्यटन राप्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को संरक्षण प्रदान करना है।

प्रश्न 40.
भारत में विदेशी पर्यटक क्यों आते हैं?
उत्तर:
भारत में विदेशी पर्यटक विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन एवं व्यापारिक पर्यटन आदि के लिए आते हैं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्तुओं एवं सेवाओं को आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। परिवहन के विभिन्न साधनों के माध्यम से व्यापारी विभिन्न उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो, गया है। परिवहन का यह विकास संचार-साधनों के विकास की सहायता से ही सम्भव हो सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय राजमार्ग से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
राष्ट्रीय राजमार्ग की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश की प्रमुख पक्की सड़कें हैं जो देश के दूरस्थ मार्गों को जोड़ती हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। ये सड़कें देश के एक-सिरे से दूसरे-सिरे तक कई राज्यों से होकर जाती हैं तथा देश के प्रमुख नगरों, राजधानियों एवं महत्वपूर्ण पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं। उदाहरण-ग्रांड ट्रंक रोड।

प्रश्न 3.
राज्य राजमार्ग क्या हैं? इनके निर्माण व रखरखाव के लिए कौन उत्तरदायी होता है?
उत्तर:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। सड़कें राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं . रखरखाव का दायित्व वहाँ के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में निम्नलिखित अन्तर

राष्ट्रीय राजमार्गराज्य राजमार्ग
1. ये राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं।1. ये राजमार्ग राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ते हैं।
2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग का होता है।2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व सम्बन्धित राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।
3. ये राष्ट्रीय महत्व की सड़कें हैं।3. ये राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन के प्रमुख कार्य क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सीमा सड़क संगठन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सीमा सड़क संगठन भारत सरकार के अन्तर्गत एक ऐसा संगठन है, जो देश के सीमान्त क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देखरेख करता है। सीमा सड़क संगठन की स्थापना सन् 1960 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना है। ये सड़कें दुर्गम क्षेत्रों एवं प्रतिकूल जलवायविक परिस्थितियों में भी आपूर्ति बनाये रखने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 6.
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?
अथवा
‘भारतीय सड़क परिवहन समस्याओं से ग्रसित है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन से सम्बन्धित किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ निम्न प्रकार हैं

  1. देश के आकार तथा यात्रियों की संख्या को देखते हुए भारत में सड़कों का जाल अपर्याप्त है।
  2. देश की लगभग 50 प्रतिशत सड़कें कच्ची हैं। वर्षा ऋतु के दौरान कीचड़ हो जाने के कारण इनका प्रयोग सीमित हो जाता है।
  3. शहरों में सड़कें अत्यन्त तंग व भीड़भरी हैं तथा इन पर निर्मित पुल व पुलिया पुरानी एवं तंग हैं।
  4. राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त हैं।

प्रश्न 7.
भारत में रेलमार्ग के विकास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण परिवहन साधन के रूप में जानी जाती है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके बाद भारतीय रेलवे का कार्यक्षेत्र बढ़ता गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की लम्बाई 68,442 किमी. है। भारत में रेलमार्गों के प्रकारों में बड़ी लाइनें, मीटर लाइनें एवं सँकरी लाइन हैं। भारत में 16 नवीन रेल मण्डल बनाये गये हैं। इसके अतिरिक्त छोटी व मीटर लाइनों को बड़ी रेल लाइनों में तीव्र गति से बदला जा रहा है।

प्रश्न 8.
हमारे देश में कौन-कौन से क्षेत्र रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं? संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:

  1. हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या एवं आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं।
  2. राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखण्ड में रेलवे लाइन स्थापित करना कठिन है। अतः यहाँ रेलवे का विकास कम हुआ है।
  3. पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पहाड़ी क्षेत्रों में भी रेलवे का बहुत कम विकास हुआ है।

प्रश्न 9.
रेल परिवहन की समस्याएँ लिखिए।
अथवा
भारत में रेलवे परिवहन की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं

  1. बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
  2. कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना जिससे ट्रेनों के चलने में देर होती है तथा यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
  3. रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
  4. रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
  5. पुरानी पटरियों का होना।
  6. मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
  7. किसी-किसी भाग में भूस्खलन के कारण रेलवे ट्रैक का धंसना।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 10.
जल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में जल परिवहन के किन्हीं चार महत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल परिवहन का निम्नलिखित महत्त्व है

  1. जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
  2. यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
  3. यह लौह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
  4. देश का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।

प्रश्न 11.
भारत के प्रमुख जलमार्गों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्नलिखित हैं

  1. नौगम्य जलमार्ग संख्या-1: हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1,620 किमी. लम्बा है।
  2. नौगम्य जलमार्ग संख्या-2: सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।
  3. नौगम्य जलमार्ग संख्या-3: केरल में पश्चिमी तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोम्मान तक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें 205 किमी)।

प्रश्न 12.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में किस पत्तन को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया और क्यों?
अथवा
कांडला बंदरगाह के विकास की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांडला पत्तन (अब दीनदयाल पत्तन) को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया क्योंकि देश विभाजन के पश्चात् कराची पत्तन पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। अतः कराची पत्तन की कमी को पूरा करने एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए कांडला पत्तन का विकास किया गया। कांडला एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात व राजस्थान के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 13.
भारत का सबसे वृहत्तम पत्तन कौन-सा है? जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
मुम्बई भारत का प्रमुख पत्तन है। यह देश का वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत एवं सुचारु पोताश्रय हैं। देश के समुद्री व्यापार का अधिकांश भाग मुम्बई पत्तन के माध्यम से ही होता है। जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का उद्देश्य था मुम्बई पत्तन पर पड़ने वाले परिवहन के दबाव को कम करना एवं इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करना।

प्रश्न 14.
आज वायु परिवहन अधिक उपयोगी क्यों हो रहा है? कारण दीजिए।
अथवा
वायु परिवहन का महत्व बताइए।
उत्तर:
आज वायु परिवहन के अधिक उपयोगी होने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. वायु परिवहन यातायात का सबसे तीव्रतम साधन है, जिससे समय की बहुत बचत होती है।
  2. यह आरामदायक एवं प्रतिष्ठित परिवहन साधन है।
  3. इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों; जैसे-ऊँचे पहाड़ों, मरुस्थलों, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों, घने जंगलों व लम्बे समुद्री रास्तों को आसानी से पार किया जा सकता है।
  4. वायु परिवहन के कारण शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं का आवागमन सुगम हुआ है, जिससे व्यापार में वृद्धि हुई हैं।

प्रश्न 15.
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में निम्नलिखित अन्तर हैं

निजी दूरसंचारजनसंच्वर
1. निजी दूरसंचार द्वारा केवल निजी संदेशों का आदान- प्रदान होता है।1. जनसंचार के साधनों से एक साथ अनेक्क व्यक्तियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान होता है।
2. इनका प्रयोग एक व्यक्ति केवल अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए करता है।2. इनका प्रयोग सरकार जनसाधारण में विभित्र राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के बारे में जागरूकता लाने के लिए कर सकती है।
3. टेलीफॉन, मोबाइल, डाक-सेवाएँ, पोस्टकार्ड आदि निजी दूरसंचार के साधनों में सम्मिलित हैं।3. रेडियो, टेलीविजन, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ आदि जनसंचार के प्रमुख साधन हैं।

प्रश्न 16.
भारत के दूरसंचार तंत्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारत के दूरसंचार तंत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  1. दूरसंचार तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है।
  2. शहरी क्षेत्रों के अतिरिक्त देश के दो-तिहाई से अधिक गाँव एस. टी. डी. दूरभाष सेवा से जुड़े हुए हैं।
  3. सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक विकिसित करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घंटे एस. टी. डी. सुविधा के विशेष प्रबन्ध किये हैं।
  4. सम्पूर्ण देश में एस. टी. डी. की दरों को भी नियन्त्रित किया है।

प्रश्न 17.
किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उसका आर्थिक बैरोमीटर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो या दो से अधिक देशों के मध्य किया जाता है। व्यापार के दो घटक होते हैं-आयात एवं निर्यात। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्राप्ति उसके निर्यातों से आँकी जाती है। जिस देश के निर्यात आयात की अपेक्षा जितने अधिक होंगे, उसे विदेशी मुद्रा भी उतनी ही अधिक प्राप्त होगी तथा देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता चला जायेगा। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की यही प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक मानी जाती है। इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को एक राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 18.
व्यापार सन्तुलन क्या है? यह अनुकूल अथवा प्रतिकूल कब माना जाता है?
उत्तर:
आयात और निर्यात मिलकर किसी देश के विदेशी व्यापार की रचना करते हैं। आयात एवं निर्यात के अन्तर को व्यापार सन्तुलन कहते हैं। व्यापार सन्तुलन पक्ष एवं विपक्ष दोनों में हो सकता है। यदि आयात की अपेक्षा निर्यात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन पक्ष में अर्थात् अनुकूल रहता है। इसके विपरीत यदि निर्यात की अपेक्षा आयात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन विपक्ष में अर्थात् प्रतिकूल रहता है।

प्रश्न 19.
पर्यटन का क्या महत्व है?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में पर्यटन का महत्व बताइए।
उत्तर:
भारत में पर्यटन उद्योग के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पर्यटन राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
  2. पर्यटन स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रोत्साहित करता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति एवं विरासत की समझ विकसित करने में सहायक होता है।
  4. यह लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
  5. यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक है।

प्रश्न 20.
पर्यटन किस प्रकार से एक व्यापार है? बताइए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ के अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य, ऐतिहासिक धरोहरों एवं धार्मिक स्थलों ने विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अतः यहाँ प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक विभिन्न प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, व्यापारिक, चिकित्सा, रोमांचकारी एवं पारि-पर्यटन के लिए आते हैं। इससे देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होती है तथा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। इस प्रकार पर्यटन एक व्यापार के रूप में उभरा है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
अथवा
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन के बढ़ते महत्व के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सड़क परिवहन की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की महत्ता अधिक है।” इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन अभी भी रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” तर्कों सहित इस कथन का समर्थन कीजिए।
उत्तर:
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्नलिखित कारणों से है:

  1. रेलवे लाइन बिछाने की तुलना में बहुत कम व्यय में सड़कों का निर्माण किया जा सकता है।
  2. रेगिस्तानी, पहाड़ी, ऊबड़-खाबड़ एवं विच्छिन्न भू-भागों पर भी रेलमार्गों की अपेक्षा सड़कें आसानी से बनायी जा सकती हैं।
  3. तेज ढाल वाले स्थानों पर भी सड़कें बनायी जा सकती हैं।
  4. रेलमार्गों की तुलना में सड़कों की देखभाल की लागत कम आती है।
  5. अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
  6. शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिए सड़क मार्ग अधिक उपयोगी सेवाएं प्रदान करते हैं।
  7. सड़क मार्ग खेतों, मंडियों व कारखानों को आपस में जोड़ते हैं एवं सरलतापूर्वक घर-घर तक सामान पहुँचाते हैं।
  8. सड़क परिवहन, अन्य परिवहन के साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। उदाहरणार्थ-सड़कें, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डों व समुद्री पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं।

प्रश्न 2.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग से क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाराजमार्ग क्या हैं? किन्हीं दो सड़कों के नाम बताइए जिनका निर्माण इस परियोजना के तहत किया गया है।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के वृहद् नगरों के मध्य की दूरी एवं परिवहन समय को न्यूनतम करने के लिए भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को जोड़ने के लिए 6 लेन वाले महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारम्भ की है जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग के नाम से जाना जाता है। यह राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है। इस परियोजना के तहत दो सड़कें बनायी गयी हैं जिन्हें गलियारे कहा जाता है।

  1. उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) को कन्याकुमारी (तमिलनाडु) से जोड़ती है।
  2. पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) को पोरबंदर (गुजरात) से जोड़ता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 3.
भारत में रेल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में वस्तुओं और यात्रियों के लिए परिवहन के मुख्य साधन के रूप में रेल परिवहन का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का महत्व निम्न कारणों से है

  1. भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं एवं यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है।
  2. रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है; जैसे-व्यापार, भ्रमण, तीर्थयात्राएँ तथा लम्बी दूरी तक सामान का परिवहन आदि
  3. भारतीय रेलवे ने विभिन्न लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  4. भारतीय रेलवे ने देश की अर्थव्यवस्था, कृषि व उद्योगों के तीव्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  5. रेलवे ने बहत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
  6. रेलवे खनिज अवक. कोयना यामेंट व खाद्यान्न आदि जैसे भारी व स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।

प्रश्न 4.
पाइप लाइन परिवहन के प्रमुख लाभ क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
पाइप लाइन परिवहन के महत्व को बताइए।
अथवा
परिवहन साधनों के रूप में पाइपलाइनों के महत्व को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से उजागर कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. सस्ता साधन-यह अपेक्षाकृत सस्ता साधन है। पाइपलाइनों के निर्माण के पश्चात् इनके संचालन में व्यय बहुत कम होता है।
  2. सुगम परिवहन-इसमें ट्रकों या रेलों की भाँति सामान को उतारने-चढ़ाने का झंझट नहीं है।
  3. ऊबड़-खाबड़ मार्ग से परिवहन-पाइप लाइनें ऊबड़-खाबड़ व दुर्गम मार्गों में भी बनायी जा सकती हैं।
  4. ऊर्जा की बचत-इस परिवहन में पम्पिंग में ऊर्जा की थोड़ी खपत के कारण अतिरिक्त ऊर्जा की बचत होती है।
  5. समुद्री जल में भी पाइपलाइनें-समुद्री जल में भी पाइपलाइनें बिछायी जा सकती हैं। अपतटीय क्षेत्रों में कच्चा तेल पाइपलाइनों द्वारा ही स्थल तक आता है।
  6. सुनिश्चित आपूर्ति-पाइपलाइन परिवहन द्वारा तेल की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहती है।
  7. समय की बचत-पाइपलाइन परिवहन में ट्रक एवं रेलों की तुलना में परिवहन बहुत कम समय में होता है।
  8. प्रदूषण का कम खतरा-खनिज तेल जैसे पदार्थों का अन्य साधनों द्वारा परिवहन होने से तेल रिसाव के दौरान प्रदूषण का खतरा बना रहता है। पाइपलाइनों द्वारा तेल का परिवहन प्रदूषणरहित ढंग से होता है।
  9. ठोस पदार्थों का परिवहन-पाइपलाइनों द्वारा ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में बदलकर भी परिवहन किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में जलमार्गों की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जलमार्गों की विशेषताएँ-भारत में जलमार्गों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह सभी परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
  2. यह लोह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
  3. भारत का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।

प्रश्न 6.
भारत में पश्चिमी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम लिखिए। प्रत्येक की प्रमुख विशेषता लिखें।
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट के प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कांडला पत्तन:
यह एक ज्वारीय पत्तन है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांङला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इसके निर्माण का कारण विभाजन के फलस्वरूप कराची पत्तन के पाकिस्तान में चले जाने की कमी को पूरा करना एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करना था। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक व खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। मुम्बई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है ताकि इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा भी प्रदान कर सके।

3. मार्मागाओ पत्तन:
गोवा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह देश के कुल निर्यात का 50 प्रतिशत लोह अयस्क निर्यात करता है।

4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात करता है।

5. कोच्चि पत्तन-केरल राज्य में स्थित यह पत्तन लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।

प्रश्न 7.
पूर्वी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम बताएँ। प्रत्येक की प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
अथवा
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन कौन-कौन से हैं? प्रत्येक के विकास का एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्तःस्थलीय नदीय पत्तन है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएं प्रदान करता है। ज्वारीय पत्तन होने के कारण एवं हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।

2. पारादीप पत्तन:
यह पत्तन ओडिशा राज्य में स्थित है। इसे मुख्य रूप से लोह अयस्क के निर्यात के लिए। विकसित किया गया है।

3. विशाखापट्टनम पत्तन-यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में इसे लोह अयस्क निर्यातक पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इस पत्तन को ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है।

4. चेन्नई पत्तन:
यह हमारे देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इस पत्तन का मुम्बई के पश्चात् दूसरा स्थान है।

5. हल्दिया:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए इसका सहायक पत्तन के रूप में। विकास किया गया है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 8.
जनसंचार क्या है? जनसंचार के विभिन्न साधन (माध्यम) कौन से हैं? भारत जैसे देश में जनसंचार का क्या महत्व है?
उत्तर:
जनसंचार-जनसंचार से तात्पर्य एक ही समय में बहुत अधिक संख्या में व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने से है। दूसरे शब्दों में, जब जनसाधारण तक संदेश या सूचनाएँ भेजनी हों तो उसे जनसंचार कहते हैं। जनसंचार के प्रमुख साधनों में रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह संचार, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें एवं चलचित्र आदि सम्मिलित हैं।

  1. जनसंचार माध्यम लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं नीतियों के विषय में जागरूक करते हैं।
  2. जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए दूरस्थ शिक्षा प्रदान की जाती है।
  3. जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए अनेक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं।
  4. जनसंचार माध्यम से व्यक्तियों के स्वास्थ्य व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं।
  5. कृषि एवं औद्योगिक उत्पादकता से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं। ..
  6. जनसंचार तंत्र विभिन्न साधनों के माध्यम से सूचना और शिक्षा प्रदान करके लोगों में राष्ट्रीय नीति एवं कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता उत्पन्न करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  7. आकाशवाणी (All India Radio), राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित करता है।
  8. दूरदर्शन देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश देने का माध्यम है तथा विश्व के वृहतम् समाचार-तन्त्रों में से एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों हेतु मनोरंजक, खेल-जगत सम्बन्धी व ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रसारित करता है।

प्रश्न 9.
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार से हैं

  1. भारत का डाक:
    संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम संचार तंत्र है। यह निजी पत्र-व्यवहार, पार्सल तथा मनीआर्डर आदि को संचालित करता है। लिफाफा, बंद चिट्ठी, कार्ड, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर रेल तथा वायुयान द्वारा पहुँचाये जाते हैं।
  2. द्वितीय श्रेणी:
    की डाक में किताबें, रजिस्टर्ड पैकेट, अखबार तथा मैगज़ीन शामिल हैं। इनके लिए स्थल व जल परिवहन का उपयोग किया जाता है।
  3. हाल ही में बड़े शहरों व नगरों में डाक:
    संचार में शीघ्रता हेतु छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मैट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, व्यापार चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 10.
परिवहन और संचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन और संचार में निम्नलिखित अन्तर हैं

परिवहनसंचार
1. परिवहन द्वारा व्यक्तियों एवं माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है।1. संचार के साधन व्यक्तिगत संचार एवं जनसंचार के माध्यम से व्यक्तियों को सूचनाएँ उपलब्ध कराते हैं।
2. परिवहन जल, थल एवं वायु के माध्यम से किया जा सकता है।2. संचार के साधनों में डाकतार, टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाओं एवं चलचित्रों को सम्मिलित किया जाता है।
3. परिवहन के साधनों का आर्थिक विकास में योगदान है।3. संचार के साधन भी आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।
4. औद्योगिक विकास, व्यापार व आवागमन पूर्णतः परिवहन साधनों पर निर्भर है।4. संचार के साधन औद्योगिक विकास एवं परिवहन को सुव्यवस्थित बनाने में मदद करते हैं।
5. परिवहन के साधन समय एवं स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं।5. संचार के साधनों पर समय व स्थान का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में सड़कों को सक्षमता के आधार पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है? विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़कों को सक्षमता के 84. 88 आधार पर छ: भागों में बाँटा जा सकता है
1. स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग भारत दिल्ली:
कोलकाता, चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को राष्ट्रीय महा राजपार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग जोड़ने वाली 6 लेन वाली सड़क को महा किश्तवाड़ राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। इस महा पाकिस्तान राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के वृहद नगरों फिरोजपुर जालंधर चीन के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम (तिब्बत) करना है। इस महाराजमार्ग के अन्तर्गत दो गलियारे निर्मित किये गये हैं:

  1. उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
  2. पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिल्चर को बड़ौदादी भोपाल पोरबंदर से जोड़ता है। यह महा राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है।

2. राष्ट्रीय राजमार्ग:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक संकेत सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव स्वर्णिम चतुर्भुज केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। इन भागों की पहचान राष्ट्रीय राजमार्ग विनापल्ली संख्या के आधार पर की जाती है। उदाहरण- दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।

3. राज्य राजमार्ग:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। ये राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।

4. जिला मार्ग:
ये सड़कें जिला मुख्यालयों को जिले की तहसीलों, प्रमुख नगरीय केन्द्रों एवं कस्बों से जोड़ती हैं। इन सड़कों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व जिला परिषद् का होता है।

5. ग्रामीण सड़कें:
इस वर्ग के अन्तर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों एवं गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिनके तहत देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।

6. सीमांत सड़कें:
भारत सरकार प्राधिकरण के अन्तर्गत सीमा सड़क संगठन देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व रखरखाव करता है। इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में अभिगम्यता बढ़ी है एवं ये सड़कें इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक हुई हैं।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  1

प्रश्न 2.
भारत में रेल परिवहन को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का विकास:
भारत में रेल परिवहन का इतिहास सन् 1853 से प्रारम्भ होता है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल, 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके पश्चात् भारतीय रेल का कार्यक्षेत्र बढ़ता चला गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की कुल लम्बाई 68,442 किमी है।

1. रेलमार्ग के प्रकार:
पटरियों के मध्य दूरी अथवा गेज की दृष्टि से भारत में तीन प्रकार के रेलमार्ग पाये जाते हैं

2. सँकरी लाइन:
ये मार्ग अधिकांशतः पर्वतीय भागों में मिलते हैं। छोटी लाइन की चौड़ाई 0.762 व 0.610 मीटर होती है।

3. मीटर गेज लाइन:
इसकी चौड़ाई 1 मीटर होती है। भारत में तीव्रगति से औद्योगिक विकास के कारण इन लाइनों को बड़ी लाइनों में परिवर्तित किया जा रहा है।

4. बड़ी लाइन:
बड़ी लाइन की चौड़ाई 1.676 मीटर होती है। ये रेलमार्ग देश के सभी महत्वपूर्ण नगरों, व्यापारिक औद्योगिक केन्द्रों व बन्दरगाहों को जोड़ते हैं। रेल परिवहन का महत्व- भारत में रेल परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भारतीय रेलवे वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन का एक प्रमुख साधन है। यह वस्तुओं के परिवहन का लगभग तीन चौथाई हिस्सा अकेले ढोता है, जबकि कुल यात्री परिवहन में इसका लगभग 60 प्रतिशत योगदान है।
  2. भारतीय रेलवे लोह अयस्क, कोयला, खाद्यान्न, खनिज अयस्क एवं सीमेंट आदि जैसे भारी एवं स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।
  3. रेलवे ने भारत में कृषि एवं उद्योगों के विकास में भी विशेष योगदान दिया है।
  4. रेलवे ने श्रमिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में भी योगदान दिया है।
  5. भारतीय रेलवे ने देश के लोगों को बहुत बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान किये हैं।
  6. रेलवे लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर देश में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

1. भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक:
भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं। भारत के विशाल उत्तरी मैदान में विस्तृत भूमि एवं सघन जनसंख्या के कारण रेलवे का सघन जाल है। प्रायद्वीपीय भारत में रेलमार्ग ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों में छोटी पहाड़ियों एवं सुरंगों आदि से होकर गुजरते हैं।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  2
हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्लभ उच्चावच एवं विरल जनसंख्या के कारण रेलमार्गों का बहुत कम विकास हुआ है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र एवं गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी रेलवे का विकास बहुत कम हुआ है। रेल परिवहन के प्रखण्ड: भारतीय रेल परिवहन को निम्नलिखित रेल प्रखण्डों में बाँटा गया है

नाम रेल प्रखण्डमुख्यालय
1. उत्तरी-पूर्वी सीमान्त रेलमण्डलमालेगाँव (गुवाहाटी)
2. उत्तरी-पूर्वी रेल मण्डलगोरखपुर
3. पूर्वी रेल मण्डलकोलकाता
4. दक्षिणी-पूर्वी रेल मण्डलकोलकाता
5. पूर्वी तटीय रेल मण्डलभुवनेश्वर
6. पूर्वी-मध्य रेल मण्डलहाजीपुर
7. दक्षिणी-पूर्वी-मध्य रेल मण्डलबिलासपुर
8. उत्तर-मध्य रेल मण्डलइलाहाबाद
9. पश्चिम-मध्य रेल मण्डलजबलपुर
10. उत्तरी रेल मण्डलनई दिल्ली
11. उत्तरी-पश्चिमी रेल मण्डलजयपुर
12. पश्चिमी रेल मण्डलमुम्बई (चर्चगेट)
13. दक्षिणी-मध्य रेल मण्डलसिकन्दराबाद
14. मध्य रेल मण्डलमुम्बई (टर्मिनस)
15. दक्षिणी-पशिचमी रेल मण्डलहुबली
16. दक्षिणी रेल मण्डल मेट्रो रेलमण्डलचेन्नई
17. दक्षिणी तटीय रेलमण्डलमार्कस्ट्रीट कोलकाता

2. भारत में रेल परिवहन की समस्याएँ भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

  1. बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
  2. कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना।
  3. रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
  4. रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
  5. मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
  6. भूस्खलन के कारण प्रायः देश के किसी-न-किसी भाग में रेलवे ट्रैक का धंसना आदि।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 3.
भारत में पाइपलाइन परिवहन के विकास को समझाइए।
अथवा
भारत में पाइपलाइन परिवहन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन का एक नवीन साधन है। खनिज तेल, पेट्रोलियम, पैट्रो उत्पाद, प्राकृतिक गैस आदि के परिवहन के लिए पाइपलाइनें सस्ता एवं द्रुतगामी साधन हैं।

(i) पाइपलाइन परिवहन का उपयोग:
वर्तमान में पाइपलाइनों का प्रयोग परिवहन हेतु विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिसका विवरण निम्नलिखित है

  1. शहरों एवं उद्योगों को जल परिवहन के लिए पाइपलाइन का प्रयोग किया जाता है।
  2. कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पादों तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक गैस को तेल शोधनशालाओं, कारखानों तथा बड़े तापीय विद्युतगृहों तक पहुँचाने के लिए पाइपलाइन का उपयोग किया जाता है।
  3. ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है।

(ii) पाइपलाइन परिवहन का महत्व:
पाइपलाइन परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पाइपलाइनों का विस्तार स्थल व जल क्षेत्रों में समान रूप से किया जा सकता है।
  2. पाइपलाइनों को बिछाने में बहुत धन व्यय करना पड़ता है लेकिन इनके संचालन की लागत न्यूनतम है।
  3. पाइपलाइन सबसे सुरक्षित एवं सुनिश्चित आपूर्ति का महत्वपूर्ण साधन है।
  4. पाइपलाइन द्वारा पदार्थों के परिवहनं से समय एवं ऊर्जा की बचत होती है।
  5. पाइपलाइन के माध्यम से परिवहन प्रदूषण रहित होता है।

(iii) भारत में पाइपलाइन परिवहन:
भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से इलाहाबाद तक:
यह पाइपलाइन असम के डिग्बोई नामक स्थान से प्रारम्भ होती है तथा गुवाहाटी व बरौनी होती हुई इलाहाबाद के रास्ते कानपुर तक जाती है। इस पाइपलाइन की तीन अन्य शाखाएँ हैं

  1. बरौनी से राजबंध होती हुई हल्दिया तक।
  2. राजबंध से मोरीग्राम तक।
  3. गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक।

2. सलाया (गुजरात) से जालंधर (पंजाब) तक:
यह पाइपलाइन गुजरात में सलाया नामक स्थान से प्रारम्भ होकर वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत होती हुई पंजाब में जालंधर तक जाती है। इस पाइप लाइन की शाखाएँ
कोयली, चक्शु व अन्य स्थानों को भी जोड़ती हैं।

3. एच. बी. जे. गैस पाइपलाइन:
यह मैस पाइपलाइन हजीरा (गुजरात) से प्रारम्भ होकर विजयपुर (मध्य प्रदेश) होती हुई उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर नामक स्थान तक जाती है। इस गैस पाइपलाइन की कई शाखाएँ हैं। ये शाखाएँ राजस्थान में कोटा, उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों तक जाती हैं।

प्रश्न 4.
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत के प्रमुख बन्दरगाहों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (बंदरगाह) निम्नलिखित हैं:
1. कांडला पत्तन:
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित यह एक ज्वारीय पत्तन है। मुम्बई पत्तन से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए इस पत्तन का निर्माण किया गया था। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। इस पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखते हुए इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है, जो इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करता है।

3. मार्मागाओ पत्तन:
यह पत्तन गोवा राज्य में स्थित है। लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में यह देश का एक महत्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत लौह अयस्क निर्यात किया जाता है।,

4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह अयस्क का निर्यात करता है।

5. कोच्चि पत्तन:
यह पत्तन केरल राज्य में स्थित है। यह सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पत्तन एक लेगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।

6. तूतीकोरिन पत्तन:
यह पत्तन तमिलनाडु के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है। इस पत्तन की पृष्ठभूमि अत्यन्त समृद्ध है। यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों; जैसे-श्रीलंका, मालदीव एवं भारत के तटीय क्षेत्रों की विभिन्न वस्तुओं के व्यापार को  चालित करता है।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  3
7. चेन्नई:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित यह पत्तन तमिलनाडु में स्थित है। यह देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इसका मुम्बई पत्तन के बाद द्वितीय स्थान है।

8. विशाखापट्टनम पत्तन:
यह आन्ध्र प्रदेश में स्थित है। यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लोह अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था।

9. पारादीप पत्तन:
ओडिशा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क का निर्यात करता है।

10. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्त:स्थलीय नदीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। हुगली नदी के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।

11. हल्दिया पत्तन:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए हल्दिया को सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

प्रश्न 5.
व्यापार का अर्थ, प्रकार, घटक एवं महत्व बताइए।
अथवा
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।
उत्तर:
व्यापार का अर्थ:
व्यापार से अभिप्राय राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं, सेवाओं व विचारों के आदान-प्रदान से है। व्यापार के अन्तर्गत वस्तुओं व सेवाओं का परिवहन व संचलन लोगों व स्थानों के मध्य होता है। जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है तो उस वस्तु का परिवहन कम उत्पत्ति व अधिक आवश्यकता वाले स्थानों की ओर कुछ नियम व शर्तों के अधीन होता है। वस्तुओं के स्थानान्तरण की यही प्रवृत्ति व्यापार कहलाती है। दूसरे शब्दों में, वस्तुओं व सेवाओं के लेन-देन, आदान-प्रदान, विनिमय अथवा आयात-निर्यात को व्यापार कहते हैं।
1. व्यापार के प्रकार-क्षेत्र के आधार पर व्यापार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है:

  1. स्थानीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय रूप से किया जाता है, तो उसे स्थानीय व्यापार कहते हैं।
  2. राज्यस्तरीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं और सेवाओं का आधार दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य होता है तो उसे राज्यस्तरीय, क्षेत्रीय अथवा प्रादेशिक व्यापार कहा जाता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-जब कच्चा माल, तैयार माल और सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के मध्य होता है तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

2. व्यापार के घटक:
व्यापार के दो घटक होते हैं: आयात, निर्यात। आयात व निर्यात का अन्तर ही देश के व्यापार संतुलन का निर्धारण करता है। यदि निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं। इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असन्तुलित व्यापार कहलाता है।

3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व:
विभिन्न देशों की भौगोलिक परिस्थितियाँ समान नहीं हैं, जिस कारण वस्तुओं के उत्पादन एवं औद्योगिक विकास में भिन्नता पायी जाती है। आवश्यकता की विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति दूसरे देशों व स्थानों से आयात-निर्यात द्वारा की जाती है। यही प्रक्रिया व्यापार कहलाती है। व्यापार का महत्व प्रत्येक देश के लिए होता है। व्यापार का महत्व निम्न प्रकार है

  1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश के आर्थिक विकास स्तर को मापने में बैरोमीटर का काम करता है।
  2. इससे देश-विदेश के निवासियों के जीवन-स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा देश की माँग की पूर्ति के साथ-साथ सूचनाओं का विस्तार भी होता है।
  4. इससे सम्बन्धित देशों के मध्य सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक सम्बन्ध मजबूत होते हैं।
  5. देश के आर्थिक विकास और नागरिकों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  6. इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है तथा उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  7. इससे उत्पादक व उपभोक्ता देशों के मध्य सम्बन्ध प्रगाढ़ होते हैं।
  8. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा भूमण्डलीकरण में सहायता प्राप्त होती है।
  9. इससे देशों की अर्थव्यवस्था के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उच्चस्तरीय सन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य विकसित व सम्पन्न अर्थव्यवस्था के प्रतीक हैं, जबकि निम्नस्तरीय असन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य पिछड़ेपन और विपन्न अर्थव्यवस्था को सूचित करते हैं।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
दिए गए भारत के रेखा-मानचित्र में निम्न को दर्शाइए
1. प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की स्थिति।
2. पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर स्थित पत्तनों की स्थिति
3. जवाहरलाल नेहरू समुद्री पत्तन।
4. पूर्व-पश्चिम गलियारे का’ सिरे का स्टेशन।
5. थिरूवनंथपुरम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
6. हल्दिया – प्रमुख समुद्री पत्तन।
7. कोच्चि – प्रमुख समुद्री पत्तन।
8. पारादीप – समुद्री पत्तन।
9. राजा साँसी – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
10. कांडला – प्रमुख समुद्री पत्तन।
11. मीनाम्बक्कम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  4

आरेख सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवहन के साधनों को आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तालिका को A और B स्थानों पर उपयुक्त शब्द लिखते हुए पूरा कीजिए परिवहन के साधन
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ  7

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

JAC Class 10th History भारत में राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

व्याख्या करें

प्रश्न 1.
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?
(ख) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस तरह योगदान दिया ?
(ग) भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
(घ) गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया ?
उत्तर:
(क)

  1. भारत में वियतनाम एवं अन्य कई देशों की तरह आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया का उपनिवेश विरोधी आन्दोलन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्ध रहा है।
  2. उपनिवेश विरोधी आन्दोलन में सभी जाति, वर्ग एवं सम्प्रदायों के लोगों को विदेशी शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए एकजुट किया गया। इस संगठित संघर्ष ने भी राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
  3. यूरोपीय शक्तियों अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ समझती थीं। उन्होंने अपने उपनिवेशों में अपनी संस्कृति को जबरदस्ती लादना प्रारम्भ कर दिया जैसा कि फ्रांस ने वियतनाम में किया था। इससे भी राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरणा मिली।
  4. उपनिवेश विरोधी आन्दोलन ने राष्ट्रवादी एवं उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मजबूत मंच प्रदान किया।

(ख)

  1. प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत में नई आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी।
  2. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारत में तेजी से कीमतों में वृद्धि हुई जिससे जनता के समक्ष कठिन स्थितियाँ उत्पन्न हो गईं।
  3. ग्रामीणों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य किया गया जिससे जनता में व्यापक रोष उत्पन्न हो गया।
  4. देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गई, जिसके कारण खाद्यानों की अत्यधिक कमी हो गई।
  5. सन् 1918 से 1921 ई. के मध्य देश को अकाल, सूखा एवं बाढ़ के कारण भयंकर संकट का सामना करना पड़ रहा था। चारों तरफ महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। ब्रिटिश शासन ने इस संकट की स्थिति में भारतीयों की कोई मदद नहीं की। अत: भारतीयों ने एकजुट होकर राष्ट्रीय आन्दोलन में सहयोग दिया।

(ग) भारत में क्रान्तिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए ब्रिटिश शासन ने 1919 ई. में रॉलेट एक्ट के नाम से कानून बनाया। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेलों में बन्द रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोधी थे।

(घ) गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 की घटना के कारण गाँधीजी को असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला लेना पड़ा। चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। जनता ने आवेश में आकर कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर थाने को आग लगा दी। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

प्रश्न 2.
सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर:

  1. सत्याग्रह जन आन्दोलन का एक नया तरीका था।
  2. सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह एवं सत्य की खोज पर बल दिया जाता था। इसका अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।
  3. प्रतिशोध की भावना अथवा आक्रामकता का सहारा लिये बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।
  4. उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं वरन् समस्त लोगों को हिंसा के माध्यम से सत्य को स्वीकार करने की बजाय सच्चाई को देखने एवं सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
  5. इस संघर्ष में अंतत: सत्य की ही विजय होनी है। गाँधीजी का दृढ़ विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड,
(ख) साइमन कमीशन। जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई. को जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। इस दिन अमृतसर के आस-पास के कई गाँवों से लोग सालाना वैशाखी मेले में भाग लेने जलियाँवाला बाग मैदान में एकत्रित हुए। इनमें से कई लोग तो सरकार द्वारा लागू किये गये दमनकारी कानून रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। यह मैदान चारों ओर से बन्द था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ एकत्रित लोगों को शहर में मार्शल लॉ लागू होने की जानकारी नहीं थी।

अंग्रेज अफसर जनरल डायर अपने हथियारबन्द सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और उसने मैदान से बाहर निकलने के समस्त रास्तों को बन्द करवा दिया। इसके पश्चात् जनरल डायर के आदेश पर सिपाहियों ने भीड़ पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चला दीं। इस हत्याकांड में सैकड़ों लोग मारे गये तथा अनेक घायल हुए, जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सर्वाधिक दर्दनाक घटना है। इस घटना ने समस्त भारत को अंग्रेज विरोधी बना दिया।

(ख) ब्रिटेन की गोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया। राष्ट्रवादी आन्दोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था तथा उसके बारे में सुझाव प्रस्तुत करने थे। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, इसके समस्त सदस्य अंग्रेज थे। अतः सन् 1928 ई. में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों के साथ किया गया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस व मुस्लिम लीग सहित अन्य कई पार्टियों ने भी भाग लिया।

प्रश्न 4.
इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
इस अध्याय में दी भारत में राष्ट्रवाद 33 इन माँगों में सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को समाप्त करने से सम्बन्धित थी। नमक का उपयोग धनिक-निर्धन सभी वर्ग के लोग करते हैं। यह हमारे भोजन का एक अभिन्न हिस्सा है। अत: नमक पर कर एवं उसके उत्पादन पर राजकीय अंकुश को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया था। गाँधीजी ने अपने इस पत्र के माध्यम से अंग्रेज सरकार को यह चेतावनी दी थी कि यदि 11 मार्च तक उनकी माँग पूरी नहीं हुई तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन को शुरू कर देगी।

इरविन द्वारा उनके प्रस्तावों को ठुकरा दिया गया तब गाँधीजी ने अपने 78 सहयोगियों के साथ नमक-यात्रा प्रारम्भ कर दी। यह यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से प्रारंभ होकर 240 किमी. दूर दांडी नामक स्थान पर 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुई। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था। इस तरह गाँधी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के कानून की शान्तिपूर्ण तरीके से अवज्ञा की। इस तरह कहा जा सकता है कि गाँधीजी की नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक थी।

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आन्दोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?
उत्तर:
सिविल नाफरमानी आन्दोलन में अनेक महिलाओं के साथ मैंने भी भाग लिया। मैंने देखा कि गाँधीजी के सत्याग्रह के समय उनकी बातों को सुनने के लिए सभी महिलाएँ अपने-अपने घरों से बाहर आ जाती थीं। मैंने अन्य महिलाओं के साथ उस समय अनेक जुलूसों में भाग लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों एवं शराब की दुकानों की पिकेटिंग की। अनेक महिलाओं के साथ मैंने भी जेल-यात्राएँ की।

मैंने इस आन्दोलन के दौरान पाया कि शहरी क्षेत्रों में अधिकांश उच्च वर्गीय महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्न कृषक परिवारों की महिलाएँ ही आन्दोलन में भाग ले रही थीं। गाँधीजी के आह्वान पर मैंने भी राष्ट्र सेवा को अपना प्रथम कर्त्तव्य स्वीकार किया। मुझे अन्य महिलाओं की तरह लगने लगा कि हमारे जीवन में बदलाव आने वाला है। घर चलाना, चूल्हा-चौका सँभालना, अच्छी माँ एवं पत्नी के अतिरिक्त हम महिलाएँ देश की सेवा में अपना दायित्व भली-भाँति निभा सकती हैं। अब मुझे लगने लगा था कि हमें भी पुरुषों के समान महत्त्व मिलने लगेगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

प्रश्न 4.
राजनैतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर:
विभिन्न राजनैतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों एवं समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। ये नेता विशेष राजनीतिक अधिकारों तथा पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की माँग कर अपने समर्थकों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे। ऐसे नेताओं में प्रमुख रूप से डॉ. बी. आर. अम्बेडकर एवं मोहम्मद अली जिन्ना आदि थे। डॉ. अम्बेडकर भारत के दलित वर्गों का तथा मोहम्मद अली जिन्ना अनेक मुसलमान सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके विपरीत गाँधीजी इन नेताओं की माँग से सहमत नहीं थे। उनका मत था कि पृथक् निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। उन्होंने आमरण अनशन किया। यही कारण था कि राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर बँटे हुए थे।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
इंड वाइना के उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन का अध्ययन करें। भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की तुलना इंडो-चाइन. स्वतन्त्रता संघर्ष से करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गतिविधि आधारित प्रश्न (पृष्ठ संख्या  31)

प्रश्न 1.
स्रोत-(क) को ध्यान से पढ़ें। जब महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह को सक्रिय प्रतिरोध कहा तो इससे उनका क्या आशय था ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह को सक्रिय प्रतिरोध कहा है। इससे उनका आशय था कि सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है, यह अपने शत्रु को कष्ट नहीं पहुँचाता है। सत्य ही आत्मा का आधार होता है। अत: यह सत्याग्रह का भी आधार होता है। सत्याग्रह द्वारा शत्रु के मस्तिष्क को प्रेम, करुणा एवं सत्य के द्वारा विध्वंसक विचारों से हटाकर उसमें रचनात्मक विचारों को आरोपित करना है।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 34)

प्रश्न 2.
मान लीजिए कि साल 1920 चल रहा है। आप सरकारी स्कूल के विद्यार्थी हैं। विद्यार्थियों को असहयोग आंदोलन से जुड़ने का आह्वान करते हुए एक पोस्टर बनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक के निर्देशन पोस्टर बनायें।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या  35)

प्रश्न 3.
अगर आप 1920 में उत्तर प्रदेश में किसान होते तो स्वराज के लिए गाँधीजी के आह्वान पर क्या प्रतिक्रिया देते ? अपने उत्तर के साथ कारण भी बताइए।
उत्तर:
अगर मैं 1920 में उत्तर प्रदेश में एक किसान होता तो गाँधीजी के स्वराज के आह्वान पर सकारात्मक अहिंसात्मक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेता क्योंकि स्थानीय नेताओं ने बताया है कि गाँधीजी किसानों का कर माफ करा देंगे तथा जमीन गरीबों में बाँट दी जायेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 36)

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल ऐसे अन्य लोगों के बारे में पता लगाइए, जिन्हें अंग्रेजों ने पकड़कर मौत के घाट उतार दिया था।
उत्तर:
भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव, चापेकर बंधु (दामोदर हरि व बालकृष्ण हरि) मंगल पांडे, खुदीराम बोस, ऊधम सिंह, अवध बिहारी, मास्टर अमीचंद, मदन लाल धींगरा, ब्रजकिशोर, असित भट्टाचार्य, सूर्यसेन आदि।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 43)

प्रश्न 5.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर:
अपने सीमित हितों की पूर्ति करने के लिए अनेक वर्गों और समूहों के भारतीय लोगों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। उनके लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे, जैसे-

  1. धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के विरुद्ध लड़ाई।
  2. गरीब किसानों के लिए स्वाज का अर्थ था-उनके पास जमीनें होंगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना पड़ेगा व बेगार भी नहीं करनी पड़ेगी।
  3. अधिकांश व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ व्यापार पर औपनिवेशिक पाबन्दियाँ नहीं होंगी तथा व्यापार व उद्योग बिना किसी रुकावट के प्रगति कर सकेंगे। (iv) औद्योगिक श्रमिक इसे उच्च वेतन एवं अच्छी कार्य स्थितियों के रूप में देखते थे।
  4. महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी एवं स्तरीय जीवन की प्राप्ति होना था।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 6.
स्रोत (घ) को ध्यान से पढ़ें। क्या आप साम्प्रदायिकता के बारे में इकबाल के विचारों से सहमत हैं ? क्या आप साम्प्रदायिकता को अलग प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं ?
उत्तर:
नहीं, मैं साम्प्रदायिकता के बारे में इकबाल के विचारों से सहमत नहीं हैं, क्योंकि इकबाल की विचारधारा थी कि भारत एक विविधतापूर्ण नस्ली एवं धार्मिक विशिष्टताओं वाला देश है। अतः मुसलमानों हेतु पृथक् निर्वाचिका की जरूरत है। मेरे विचार में सम्प्रदायवाद को स्थानीय समुदाय द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। इसमें राष्ट्र जैसा कोई तत्व सम्मिलित नहीं होता है जो कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में राष्ट्रवादियों के संघर्ष का प्रेरणा स्रोत बना हो।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 8 Challenges to Democracy

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 8 Challenges to Democracy

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 Challenges to Democracy Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 Challenges to Democracy

Cartoon based Question (Page 103)

Question 1.
Each of these cartoons represents a challenge to democracy. Please describe what that challenge is. Also place it in one of the three categories mentioned in the first section.
Answer:
1. Mubarak Re-elected: This represents the influence of the rich and powerful people in the election, the basic procedure of democracy.
Challenge – Foundational challenge.

2. Waiting for Democracy: This represents the existence of non-democratic regimes in the world. It tries to show that democracy does not come by the use of bullet.
Challenge- Foundational challenge.

3. Liberal Gender Equality: This represents that in principle we talk about gender equality, but in practice male dominance is observed in democracy.
Challenge – Challenge of expansion.

4. Campaign Money : This represents how money is used to influence decision¬making in a democracy by the rich and powerful people.
Challenge- Strengthening of democracy.

Table-based Questions (Pages 104, 105)

Question 2.
Complete the table given below:
Answer:

Case and contextYour description of the challenged for democracy in that situation
Mexico : Second free election after the defeat of PRI in 2000; defeated candidate alleges rigging.Holding free and fair elections.
China: Communist party adopts economic reforms but maintains monopoly over political power.            Introduction of democratic values,Introduction of democratic values, decentralisation of power, democratisation of government bodies.
Pakistan : General Musharraf holds referendum, allegations of fraud in voter’s list.Holding free and fair elections.
Iraq :Widespread sectarian violence, as the new government fails to establish its authority.Negotiation between ethnic groups, holding multi-party free and fair elections.
South Africa: Mandela retires from active politics, pressure on his successor Mbeki to withdraw some concessions given to White minority.Negotiation between ethnic parties, negotiations between majority and minority groups.
US, Guantanamo Bay : UN Secretary General calls this a violation of international law, US refused to respond.Negotiations with the US, compensation for the victims.
Saudi Arabia: Women not allowed to take part in public activities, no freedom of religion for minorities.Creating awareness among the people about democratic values, creating awareness for equality of citizens.
Yugoslavia : Ethnic tension between Serbs and Albanians on the rise in the province of Kosovo. Yugoslavia disintergrated.Negotiations with ethnic groups, peace-keeping measures, holding gen I elections.
Belgium :             One round of constitutional change taken place, but the Dutch speakers not satisfied; they want more autonomy.Negotiations between linguistic groups, accommodation of genuine demands.
Sri Lanka : The civil war come to an end in 2009, the process of reconciliation between different communities begins.Developing trust building measures.
US, Civil Rights: Blacks have won equal rights but are still poor, less educated and marginalised.Making new policies and programmes for their welfare and their participation in the government.
Northern Ireland : The civil war has ended but Catholics and Protestants yet to develop trust.Developing trust building measures, holding free and fair elections.
Nepal : The monarchy was abolished : The constituent assembly adopted a new constitution.Holding free and fair elections.
Bolivia: Morales, a supporter of water struggle becomes Prime Minister, MNCs threaten to leave the country.Solving the problem of water supply, negotiations with the MNCs.

 

Question 3.
Now, that you have noted down all these challenges, let us group these together into some broad categories. Given below are some spheres or sites of democratic politics. You may place against each of these the specific challenges that you noted for one or more countries or cartoons in the previous section. In addition to that, write one item for India for each of these spheres. In case you find that some challenges do not fit into any of the categories given below, you can create new categories and put some items under them.
Answer:
Constitutional Design:

  • Creating awareness among the citizens for secularism.
  • Creating awareness among the citizens for gender equality.
  • Making new policies and programmes for their upliftment.
  • India-provision for uniform personal laws relating to family.

Democratic Rights:

  • Recalling all political leaders from exile.
  • Release of Ang san Suu Kyi.
  • Changing the form of government to a democracy.

Working of Institutions:

  • Establishing civilian control over all governmental institutions.
  • Formulating policies for running the government.
  • Handing over power from the army to the elected representativos.
  • India : control over police brutality.

Elections:

  • Holding the first multi-party elections.
  • Holding a general election involving all political parties.
  • Ensuring a free and fair multi-party election. .
  • Holding free and fair elections for setting up a Constituent Assembly to draft the Constitution.
  • India : increase scope of local institutions and state governments.

Federalism:
Setting up an effective administration in the country.

Decentralisation:

  • Decentralization of power to the provinces/regions.
  • India increases the scope of local institutions and state governments.

Accommodation of:
Holding negotiations between various ethnic groups.

Diversity:

  • Holding negotiations between majority and minority groups.
  • Negotiation8 between linguistic groups.
  • Allowing the genuine demands.
  • Negotiations between different groups and the government.
  • India : resolving disputes in reservation quotas for minorities.

Political Organisations:

  • Removing the ban on solidarity.
  • Putting pressure on the US in the UN by adopting a
  • resolution in the General Assembly.
  • Other nations individually pressuring the US outside the UN.
  • India:setting up the Lokpal.

Peace-keeping Measures:

  • Taking back martial law.
  • Implementing trust building measures.
  • Stopping the violence.
  • Maoists to surrender arms.
  • India: stopping violence in Maoist affected areas.

Negotiating Disputes:

  • Negoiations with the MNCs, who are threatening to leave.
  • India : negotiating various boundary disputes.

Question 4.
Let us group these again, this time by the nature of these challenges as per the classification suggested in the first section. For each of these categories, find at least one example from India as well. (Page 107)
Answer:
1. Foundational challenge – Case and context of the following:
Chile. Poland. Myanmar. China, Saudi Arabia, Nepal.
Example from India : The problem of North-Eastern states and Jammu & Kashmir,

2. Challenge of expansion – Case and context of the following:
Ghana, Mexico, Iraq, Yugoslavia, Ireland.
Example from India: Giving more power and resources to the local government.

3. Challenge of deepening – Case and context of the following:
US, Guantanamo Bay, Belgium, Pakistan
Example from India: Giving more power to the Election Commission.

Question 5.
Now let us think only about India. Think of all the challenges that democracy faces in contemporary India. List those five that should be addressed first of all. The listing should be in order of priority, i.e. the challenge you find most important or pressing should be mentioned at number 1. and so on. Give one example of that challenge and your reasons for assigning it the priority. (Page 107)
Answer:

challenges to democracy:Example:Reasons for preference:
1. CorruptionRedtapism and bureaucracyResults in violation of established rules and regulations.
2. CasLeiiuìCaste-based reservati ons and social divisions.Social divisions only weaken democracy and strike a blow at unity.
3.  CommunalismOccasional rifts and riots.A big threat to national integration and unity.
4. Inequalities and PovertyReligious divide between communities.Poverty is a threat to prosperity itself; inequalities perpetuate poverty.
5. RegionalismIncome inequalities.Regional interests may come in conflict with national interest, creating social tension and differences.

Question 6.
Any other problem of your choice. (Page 109)
Answer:
Challenge: Generally, it has been observed that the teachers in colleges run their private tuitions. As and when their class is over, they leave the college and spend their time in earning money. Instead of teaching the students well in the class, they suggest them to join their coaching centres. This has led to a tendency among the students to bunk their classes. This has greatly affected the quality of education.

Reform Proposals :
Government should make it compulsory for the teachers to stay in the colleges, till these are closed for that day. The university officials should make surprise visits to check the teachers’ attendence, and if found absent during their classes, they should be heavily penalised. There should be provision of ‘Best Teacher Award’. The students will select one teacher from each subject, every year, from their colleges.

Question 7.
Here is your space for writing your own definition of good democracy.
(Write your name here) …………… ‘s definition of good democracy (not more than 50 words) (Page 112)
Answer:
A good democracy is one, in which, the rulers elected by the people take major decisions under the framework of the Constitution to fulfil the wishes of the people, but if they do not fulfil their expectations, people can call them back. Features (use only as many points as you want. Try to compress it in as few points as possible)

1. Democracy should reduce differences, giving full respect to each other.
2. People should have a right to call their representatives back before time, if they do not perform well.
3. Once found guilty, the candidate should be banned from contesting elections.
4. Democracy should take care of socio-economic matters equally.
5. Democracy should provide sufficient representation to the minority and disadvantaged classes.

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
समकालीन विश्व में शासन का एक प्रमुख रूप है
(क) लोकतंत्र
(ख) तानाशाह
(ग) राजतंत्र
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) लोकतंत्र

2. अधिकांश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के समक्ष प्रमुख चुनौती है
(क) लोकतंत्र को मजबूत करना
(ख) विस्तार की चुनौती
(ग) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

3. वर्तमान में लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय है
(क) सूचना का अधिकार
(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ग) सम्पत्ति का अधिकार
(घ) शिक्षा का अधिकार
उत्तर:
(क) सूचना का अधिकार

4. निम्न में कौन-सी चुनौती प्रत्येक लोकतंत्र के समक्ष किसी न किसी रूप में है
(क) लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती
(ख) विस्तार की चुनौती
(ग) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(घ) इनमें से काई नहीं
उत्तर:
(क) लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

5. नेल्सन मंडेला का संबंध किस देश से है
(क) दक्षिण अफ्रीका
(ख) इराक
(ग) मैक्सिको
(घ) चीन
उत्तर:
(क) दक्षिण अफ्रीका

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पर्ति कीजिए:
1. वह मुश्किल जिससे छुटकारा मिल सके,…………..कहलाती है।
उत्तर:
चुनौती,

2. सूचना का अधिकार…………वह अंकुश लगाता है।
उत्तर:
भ्रष्टाचार,

3. लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव………सुधार कहलाते है।
उत्तर:
राजनीतिक या लोकतांत्रिक,

4. सरकारों और सामाजिक समूहों के मध्य सत्ता की साझेदारी………..के लिए अति आवश्यक है।
उत्तर:
लोकतंत्र

अति लयूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के सन्दर्भ में कोई दो चुनौतियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. विस्तार संबंधी चुनौती
  2. लोकतंत्र को मजबूत करने से संबंधित चुनौती।

प्रश्न 2.
उन दो लोकतांत्रिक देशों के नाम बताइए जिन्हें विस्तार की चुनौती का सामना करना पड़ा।
उत्तर:

  1. भारत,
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 3.
किस देश में महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है?
उत्तर:
सऊदी अरब में महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 4.
लोकतांत्रिक सुधार क्या हैं?
उत्तर:
लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में समस्त सुझाव या प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
सबसे अच्छे कानून कौन से होते हैं?
उत्तर:
सबसे अच्छे कानून वे होते हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधारों की शक्ति देते हैं।

प्रश्न 6.
शासन का वह स्वरूप कौन-सा होता है जिसमें लोग स्वयं अपने शासक का चुनाव करते हैं?
उत्तर:
लोकतंत्र शासन में लोग स्वयं अपने शासक का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 7.
कौन-सा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का कार्य कर रहा है?
उत्तर:
सूचना का अधिकार कानून।

प्रश्न 8.
सूचना के अधिकार कानून की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. यह लोगों को जागरूक बनाने व लोकतंत्र के रक्षक के रूप में सक्रिय करने का कार्य करता है।
  2. यह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है।

प्रश्न 9.
लोकतांत्रिक सुधारों का कार्य कौन करता है?
उत्तर:

  1. राजनीतिक कार्यकर्ता,
  2. राजनीतिक दल,
  3. आन्दोलन,
  4. राजनीतिक रूप से सक्रिय नागरिक।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
“लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चुनाव करते हैं।” इस परिभाषा में आप क्या जोड़ना चाहेंगे?
अथवा
एक लोकतंत्र के लिए आवश्यक कुछ महत्त्वपूर्ण योग्यताओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:

  1. जनता द्वारा चुने गए शासकों को ही समस्त प्रमुख फैसले लेने चाहिए।
  2. चुनाव द्वारा जनता को अपने द्वारा चुने हुए शासकों को बदलने का विकल्प एवं अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  3. ये विकल्प एवं अवसर समस्त लोगों को समान रूप से उपलब्ध होने चाहिए।
  4. विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों एवं नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कार्य करे।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 2.
‘अच्छे लोकतंत्र’ को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा-एक अच्छा लोकतंत्र वह है जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित शासक जनता की इच्छाओं तथा आशाओं को पूरी करने के लिए, संवैधानिक ढाँचे के अन्तर्गत, मुख्य फैसले लेते हैं। यदि ये शासक जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते तो इस स्थिति में, जनता को उन्हें वापिस बुला सकने का प्रावधान होना चाहिए।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
‘लोकतंत्र की चुनौतियाँ’ शब्द से क्या अभिप्राय है ? लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के कोई दो उदाहरण दीजिए। “चुनौती प्रगति के लिए एक सुअवसर है।” इस कथन के पक्ष में अपने तर्क दीजिए।
अथवा
“चुनौती उन्नति के लिए अवसर है।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
अथवा
“चुनौती कोई समस्या नहीं है, बल्कि उन्नति का अवसर है।” कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र चुनौतियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“चुनौती प्रगति के लिए एक सुअवसर है।” अपने तर्कों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
चुनौती का शाब्दिक अर्थ है-एक चुनौतीपूर्ण परिस्थिति जिसमें किसी प्रकार की प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। लोकतंत्र में चुनौती शब्द का आशय है-एक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए आने वाली विभिन्न कठिनाइयाँ। चुनौतियाँ किसी आम समस्या जैसी नहीं हैं। हम आमतौर पर उन्हीं मुश्किलों को चुनौती कहते हैं जो महत्त्वपूर्ण तो हैं लेकिन जिन पर विजय प्राप्त की जा सकती है। यदि किसी मुश्किल के भीतर ऐसी सम्भावना है कि उस मुश्किल से छुटकारा मिल सके तो उसे हम चुनौती कहते हैं। एक बार जब हम चुनौती से पार पा लेते हैं तो हम पहले की अपेक्षा कुछ कदम आगे बढ़ जाते हैं।
उदाहरण

  1. निर्धनता,
  2. बेरोजगारी,
  3. भ्रष्टाचार। ये चुनौतियाँ हमें बंताती हैं कि इनका समाधान करके हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र को किस प्रकार राजनीतिक तौर पर सुधारा जा सकता है? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
लोकतंत्र शासन की वह व्यवस्था है जिसमें शासन की अन्तिम शक्ति जनता के हाथों में रहती है। लोकतंत्र को राजनैतिक सुधार करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए

1. कानूनों का निर्माण:
राजनीतिक सुधारों के मामले में कानून भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। सावधानीपूर्वक बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित करते हैं तथा अच्छे काम-काज को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।

2. राजनीतिक दलों में सुधार:
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दलों में सुधार आवश्यक है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में राजनीतिक सुधार तो मुख्य रूप से राजनीतिक दल ही करता है। इसलिए राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्य रूप से लोकतांत्रिक व्यवहार को अधिक मजबूत बनाने पर होना चाहिए।

3. राजनीतिक सुधारों को लागू करने की उचित व्यवस्था:
राजनीतिक सुधारों के प्रस्ताव में उनके समाधान होने के साथ-साथ उन्हें लागू करने वाले प्रशासनिक तंत्र की उचित व्यवस्था करना अति आवश्यक है। यह मान लेना समझदारी है कि संसद प्रत्येक राजनीतिक दल एवं सांसदों के हितों के विरुद्ध कोई कानून बनाएगी, लेकिन लोकतांत्रिक आन्दोलन, नागरिक संगठन एवं मीडिया पर विश्वास करने वाले उपायों के सफल होने की संभावना अधिक होती है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 3.
“कानून बनाकर राजनीति को सुधारना अति कठिन है।” कथन का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
कानून बनाकर राजनीति को सुधारने की बात सोचना बड़ा लुभावना लग सकता है। नए कानून सभी अवांछित चीजों को समाप्त कर देंगे यह सोचना सुखद हो सकता है परन्तु ऐसा पूर्णतः सही नहीं है। यह सही है कि कानून की सुधारों के मामलों में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

सावधानीपूर्वक बनाए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित तथा अच्छे कामों को प्रोत्साहित करेंगे। लेकिन लोकतंत्र की चुनौतियों को हल करने के लिए विधिक-संवैधानिक बदलाव करना पर्याप्त नहीं है। यह बिल्कुल क्रिकेट के नियमों के जैसा है। बल्लेबाजों द्वारा अपनाए जाने वाले बल्लेबाजी के नकारात्मक दाँव-पेच को एल.बी.डब्ल्यू के नियम में बदलाव कर कम किया जा सकता है।

लेकिन सिर्फ नियमों में बदलाव करने भर से क्रिकेट का खेल सुधरने की बात कोई नहीं सोच सकता। यह काम तो मुख्य रूप से खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों तथा क्रिकेट-प्रशासकों के करने से ही हो पाएगा। इसी तरह राजनीतिक सुधारों का काम भी मुख्य रूप से राजनीतिक कार्यकर्ता, दल, आन्दोलन तथा राजनीतिक रूप से जागरूक नागरिक ही कर सकते हैं। अत: यह कहना या सोचना सही है कि कानून बनाकर राजनीति को सुधारना अति कठिन है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र की तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में लोकतंत्र के समक्ष मुख्य चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय लोकतंत्र के समक्ष वर्तमान में प्रस्तुत चुनौतियों को रेखांकित कीजिए।
अथवा
भारतीय लोकतन्त्र के सम्मुख तीन प्रमुख चुनौतियों की विवेचना कीजिए।
अथवा
विश्व के अधिकतर देशों में लोकतन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र के सम्मुख प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
1. बुनियादी चुनौतियाँ:
विश्व के एक-चौथाई भाग में भी शासन व्यवस्था नहीं है। इन राज्यों में लोकतंत्र के लिए बहुत ही मुश्किल चुनौतियाँ हैं। इन देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ जाने एवं लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए आवश्यक बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इनमें वर्तमान गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को सत्ता से हटाने, सत्ता पर से सेना के नियंत्रण को समाप्त करने एवं एक प्रभुत्व पूर्ण शासन व्यवस्था स्थापित करने की चुनौती है।

2. विस्तार की चुनौती:
भारत जैसी अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के समक्ष अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों के सभी क्षेत्रों, सामाजिक समूहों एवं विभिन्न संस्थाओं में लागू करना सम्मिलित है। स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना, महिलाओं तथा अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना, कम-से-कम निर्णयों को लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रखना आदि सम्मिलित हैं।

3. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती:
भारतीय लोकतंत्र के समक्ष यह चुनौती किसी-न-किसी रूप में है। इसके अन्तर्गत लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं व्यवहारों को मजबूत करना जो लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं। सरकार में धनवान लोगों एवं शक्तिशाली लोगों के प्रभाव एवं नियंत्रण को कम करना तथा स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियाँ प्रदान करना आदि सम्मिलित हैं। तभी इस चुनौती का सामना किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
विश्व में लोकतंत्र की दो चुनौतियाँ एवं उनके समाधान बताइए।
अथवा
भारतीय लोकतन्त्र के समक्ष वर्तमान में प्रस्तुत चुनौतियों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र की चुनौतियाँ- लोकतन्त्र के सम्मुख विश्व में लोकतंत्रों के सम्मुख प्रमुख दो चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं
1. विस्तार की चुनौती:
भारत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के समक्ष अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों, सामाजिक समूहों एवं विभिन्न संस्थाओं में लागू करना सम्मिलित है। स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना, महिलाओं तथा अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना, कम-से-कम निर्णयों को लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रखना . आदि सम्मिलित हैं।

2. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती:
भारतीय लोकतंत्र के समक्ष यह चुनौती किसी-न-किसी रूप में है। इसके अन्तर्गत लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं व्यवहारों को मज़बूत करना जो लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं। सरकार में धनवान लोगों एवं शक्तिशाली लोगों के प्रभाव एवं नियंत्रण को कम करना तथा स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियाँ प्रदान करना आदि सम्मिलित हैं। तभी इस चुनौती का सामना किया जा सकता है।

विश्व में लोकतंत्र की चुनौतियों के समाधान
1. कानूनों का निर्माण:
विश्व में लोकतंत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए राजनीतिक सुधारों के मामले में कानून की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सावधानीपूर्वक बनाये गये कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित एवं अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे। कानून बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए

(अ) कानूनों में बदलाव या परिवर्तन हेतु राजनीतिक कार्यकर्ता, राजनीतिक दल, राजनीतिक आन्दोलन एवं राजनीतिक रूप से जागरूक नागरिकों का योगदान होना चाहिए।

(ब) राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अच्छे कार्य करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुंचने वाले कानूनों के सफल होने की अधिक सम्भावना होती है।

(स) सबसे अच्छे कानून वे होते हैं जो लोगों को लोकतान्त्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। उदाहरण, सूचना का अधिकार कानून।

2. राजनीतिक दलों में सुधार:
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में राजनीतिक सुधार तो मुख्य रूप से राजनीतिक दलों द्वारा ही किये जाते हैं। इसलिए राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्यतः लोकतांत्रिक व्यवहार को अधिक मज़बूत बनाने पर होना चाहिए जिससे सामान्य जनता की राजनीतिक भागीदारी के स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार हो। उदाहरणार्थ, राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना की जानी चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 3.
“लोकतंत्र के सामने कोई गंभीर चुनौती नहीं है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि इसे किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता है।” इस कथन की व्याख्या करते हुए लोकतंत्र की विस्तार सम्बन्धी चुनौती का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र के सामने कोई गंभीर चुनौती नहीं है। समकालीन विश्व में लोकतंत्र शासन का एक प्रमुख रूप है, परन्तु लोकतंत्र का संकल्प वास्तविकता से परे है। इसे निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है
1. बुनियादी आधार बनाने की चुनौती लोकतंत्र में परिवर्तन ला रही है तथा उसके पश्चात् लोकतांत्रिक सरकार का गठन होता है।

2. विस्तार सम्बन्धी चुनौती का अर्थ होता है-लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों में लागू करना जिसके अन्तर्गत स्थानीय सरकारों को अधिक-से-अधिक शक्ति प्रदान करना, संघ के सिद्धान्तों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना तथा महिलाओं व अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि सम्मिलित हैं।

3. लोकतंत्र की मज़बूती से तात्पर्य है, लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं व्यवहारों को मजबूत बनाना। लोकतंत्र के विस्तार संबंधी चुनौती-लोकतंत्र के विस्तार संबंधी चुनौती से तात्पर्य है लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों, सामाजिक समूहों एवं विभिन्न संस्थाओं में लागू करना। राज्य तथा स्थानीय सरकार को अधिकार सम्पन्न बनाना।

महिलाओं तथा अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागदारी सुनिश्चित करना तथा कम-से-कम निर्णयों को लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रखना आदि हैं। अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक संस्थाओं के समक्ष अपने विस्तार की चुनौती है। यह समस्या भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के सामने भी प्रमुख चुनौती के रूप में है।

प्रश्न 4.
भारत में राजनीतिक सुधारों के लिए तरीका एवं जरिया ढूँढ़ते समय किन दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखना चाहिए? विस्तारपूर्वक बताइये।
अथवा
‘राजनीतिक सुधार’ या ‘लोकतान्त्रिक सुधार’ से आप क्या समझते हैं? क्या सभी देशों को एक ही जैसे राजनीतिक सुधार अपनाने चाहिए।
उत्तर:
भारत में राजनीतिक सुधारों के लिए तरीका एवं जरिया ढूँढ़ते समय निम्नलिखित निर्देशों को ध्यान में रखना चाहिए:
1. कानून का निर्माण कर राजनीति को सुधारने की बात सोचना बहुत लुभावना लग सकता है। नए कानून समस्त अवांछित चीजें खत्म कर देंगे। यह सोच भले ही सुखद हो लेकिन इस लालच पर नियंत्रण स्थापित करना ही बेहतर है।

निश्चित रूप से सुधारों के मामले में कानून की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सावधानी से निर्मित किए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे पर विधिक-संवैधानिक परिवर्तनों को लाने से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता।

2. कानूनी बदलाव करते समय इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कई बार परिणाम बिल्कुल विपरीत निकलते हैं, जैसे-हमारे देश के कई राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। इसके चलते अनेक गरीब लोग और महिलाएँ लोकतांत्रिक अवसर से वंचित हुईं जबकि ऐसा करने के पीछे ये इरादा नहीं था। आमतौर पर किसी चीज की मनाही करने वाले कानून राजनीति में अधिक सफल नहीं होते।

राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुंचाने वाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। सबसे अच्छे कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा कठोर दण्ड प्रदान करने वाले वर्तमान कानूनों की मदद करता है।

3. लोकतांत्रिक सुधार तो मुख्यतः राजनीतिक दल ही करते हैं। इसलिए आम नागरिक की राजनीतिक भागीदारी के स्तर और गुणवत्ता में सुधार लाकर लोकतांत्रिक कामकाज को अधिक मजबूत बनाना ही राजनीतिक सुधारों का लक्ष्य होना चाहिए।

4. राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में अच्छे समाधान की चिंता होने के साथ-साथ यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन और क्यों लागू करेगा। यह मान लेना समझदारी नहीं है कि संसद ऐसा कोई कानून बना देगी जो प्रत्येक राजनीतिक दल एवं संसद सदस्यों के हितों के खिलाफ है। पर लोकतांत्रिक आन्दोलन, नागरिक संगठन एवं जनसंचार माध्यमों पर भरोसा करने वाले उपायों के सफल होने की संभावना होती है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 5.
लोकतंत्र की परिभाषा दीजिए। वर्तमान में इसको पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता बताइए।
अथवा
आपके मतानुसार लोकतन्त्र को पुनर्परिभाषित करने में किन बातों को जोड़ा जा सकता है?
उत्तर:
लोकतन्त्र की परिभाषा-लोकतंत्र शब्द अंग्रेजी भाषा के Democracy का हिन्दी रूपान्तरण है जो ग्रीक – भाषा के डिमोस (Demos) और क्रेशिया (Kratia) से मिलकर बना है। डिमोस अर्थात् जनता या लोक तथा क्रेशिया अर्थात् जनता की शक्ति।

इस प्रकार से शब्द व्युत्पत्ति के आधार पर लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है, जिसमें शासन की सत्ता स्वयं जनता के पास रहती है तथा जिसका प्रयोग जनता स्वयं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करती है। वर्तमान लोकतंत्र को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता-निम्नलिखित कारणों से वर्तमान में लोकतंत्र को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है

  1. लोकतंत्र में राजनीतिक दल एवं चुनाव में सुधार की आवश्यकता है। राजनीतिक दल के कार्य करने के तरीके एवं चुनावों में होने वाली अनियमितताओं में सुधार अपेक्षित है।
  2. कई बार सरकार का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार जनता के लिए भारी पड़ जाता है। अतः सरकार के उत्तरदायित्वों को और अधिक पारदर्शी तरीके से सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  3. लोकतंत्र में आर्थिक संवृद्धि के साथ-साथ धनिक एवं निर्धन वर्ग के बीच की खाई भी चौड़ी हुई है। यह लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण कमी है।
  4. लोकतंत्र में जनता के वे प्रतिनिधि जो निर्वाचित होने के पश्चात् निकम्मै साबित होते हैं उन्हें वापस बुलाने का अधिकार जनता के पास नहीं है। अतः लोकतंत्र की परिभाषा में निम्नलिखित बातें जोड़कर उसे पुनर्परिभाषित किया जा सकता है
    • जनता द्वारा चुने हुए शासकों को ही समस्त प्रमुख निर्णय अवश्य लेने चाहिए।
    • चुनाव द्वारा जनता को अपने द्वारा चुने हुए शासकों को बदलने का विकल्प एवं अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
    • ये विकल्प एवं अवसर सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध होने चाहिए।
    • इस विकल्प को व्यवहार में लाने से निश्चित ही एक ऐसी सरकार का निर्माण होगा जो संविधान के मौलिक सिद्धान्तों एवं नागरिकों के अधिकारों से बँधी हुई होगी।

प्रश्न 6.
लोकतंत्र से क्या आशय है? लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
लोकतंत्र की कुछ विशेषताएँ बताइए।
अथवा
लोकतन्त्र की किन्हीं पाँच विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र का आशय-लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों को स्वयं चुनते हैं। लोगों को चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनने के पर्याप्त विकल्प मिलते हैं। ये निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन के समस्त निर्णय लेते हैं एवं वे संविधान के मूलभूत नियमों एवं नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए शासन संचालित करते हैं। लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ-लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. जनता का शासन:
लोकतंत्र जनता का शासन है जिसमें जनता अपने देश का शासन संचालित करने के लिए सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है।

2. नियतकालीन निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव:
लोकतंत्र में एक निश्चित समय पर चुनाव कराये जाते हैं। ये चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र होते हैं। भारत में लोकसभा, विधानसभा तथा स्थानीय निकायों के चुनाव प्रति 5 वर्ष पश्चात् कराये जाते हैं।

3. संविधान-प्रत्येक लोकतंत्र में एक
औपचारिक संविधान होता है जिसे देश की जनता के समस्त वर्गों के प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाता है। इस संविधान के नियमों के आधार पर ही सरकार का गठन होता है। संविधान के माध्यम से ही सरकार अपनी शक्तियाँ ग्रहण करती है।

4. मूल अधिकार:
प्रत्येक लोकतंत्र में नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किये जाते हैं। भारतीय संविधान में नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। जिनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

5. समानता:
लोकतंत्र में जाति, धर्म, लिंग, वंश आदि के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। सभी को समानता का अधिकार प्राप्त है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 

प्रश्न 7.
21वीं सदी में भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिए।
अथवा
आज के सन्दर्भ में भारतीय लोकतन्त्र में कौन-से वांछित सुधार किये जा सकते हैं? किन्हीं तीन सम्भावित सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें शासन की सत्ता स्वयं जनता के पास रहती है तथा जिसका प्रयोग जनता स्वयं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करती है। 21वीं सदी में भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं

1. शिक्षा एवं साक्षरता में वृद्धि करना:
लोकतंत्र के लिए जागरूक नागरिकों की आवश्यकता होती है। जागरूक तथा अपने अधिकारों व कर्त्तव्यों के प्रति सजग नागरिक ही उत्तम शिक्षा की व्यवस्था कर सकता है। अतः सरकार तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए। शिक्षा की मात्रा के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

2. सामाजिक तथा आर्थिक समानता की स्थापना करना:
सरकार को यह प्रयास करना चाहिए कि समाज में सामाजिक एवं आर्थिक समानता की स्थापना हो। किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, सम्प्रदाय, नस्ल एवं लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को आर्थिक विषमता को दूर करने के प्रयासों में तीव्रता लानी चाहिए तथा प्रत्येक नागरिक की मूलभूत न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।

3. जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद को समाप्त करना:
सम्प्रदायवाद को समाप्त कर दिया जाए तो लोकतंत्र को कभी खतरा उत्पन्न नहीं होगा तथा इसकी जड़ें और भी गहरी होती चली जाएँगी। सरकार को धार्मिक समभाव एवं धार्मिक सहिष्णुता का व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

4. जागरूक, प्रबुद्ध एवं स्वस्थ जनमत का निर्माण करना:
यदि स्वस्थ व जागरूक जनमत होगा तो लोकतंत्र के विकृत होने की संभावनाएँ क्षीण हो जाएँगी तथा लोकतंत्र में जनता की आस्था एवं विश्वास में वृद्धि होगी। लोकतंत्र जनता की इच्छाओं, भावनाओं एवं आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा।

5. उच्च नैतिक चरित्र की व्यवस्था करना:
जिस समाज में नागरिक का उच्च नैतिक चरित्र होगा, उसमें लोकतंत्र फलता-फूलता रहेगा तथा इसकी जड़ें और भी गहरी होती चली जाएँगी। उच्च नैतिक चरित्र वाले नागरिकों में ही ईमानदारी, साहस, त्याग, बलिदान, प्रेम, सहानुभूति, करुणा एवं सहयोग की भावनाएँ पाई जाती हैं। अतः सरकार को जनसंचार के साधनों एवं शिक्षा के माध्यम से नागरिकों के चरित्र को उत्तम बनाने का प्रयास करना चाहिए।

6. स्थानीय स्वायत्त शासन को प्रोत्साहन:
21वीं सदी में भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए स्थानीय स्वायत्त शासन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। लोकतंत्र को सतही स्तर पर लागू करके ही उसको मज़बूत बनाया जा सकता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर है क्योंकि यह
(क) नागरिकों में समानता को बढ़ावा देता है
(ख) व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाता है
(ग) इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

2. नीचे दिए गए प्रश्न दो कथनों-दृढ़ कथन (A) और कारण (R) के रूप में दिए गए हैं। कथनों को पढ़िए और सही विकल्प का चयन कीजिए
दृढ़ कथन (A) : लोकतन्त्र एक वैध शासन है।
कारण (R) : नियमित, स्वतन्त्र और स्वच्छ चुनावों का होना लोकतन्त्र की भावना है।
विकल्प:
(क) (A) और (R) दोनों सही हैं। (R) सही स्पष्टीकरण है.(A) का।
(ख) (A) और (R) दोनों गलत हैं।
(ग) (A) सही है, परन्तु (R) सही नहीं है।
(घ) (A) सही नहीं है, परन्तु (R) सही है।
उत्तर:
(क) (A) और (R) दोनों सही हैं। (R) सही स्पष्टीकरण है (A) का।

3. वैध शासन व्यवस्था के मामले में ……. शासन व्यवस्था निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है।
(क) तानाशाही
(ख) भ्रष्टाचारी
(ग) लोकतान्त्रिक
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) लोकतान्त्रिक

4. निम्न में से किस सन्दर्भ में तानाशाही ने लोकतान्त्रिक सरकारों से बेहतर परिणाम प्राप्त किए हैं?
(क) स्वास्थ्य सेवाएँ
(ख) उच्च आर्थिक विकास दर
(ग) जनसंख्या में कमी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) उच्च आर्थिक विकास दर

5. निम्नलिखित में से कौन, तानाशाही की विशेषता नहीं है?
(क) यह तत्काल निर्णय को सुनिश्चित करता है
(ख) इसे सभी के लिए न्याय तथा समानता की परवाह नहीं है
(ग) यह व्यवस्थापिकाओं में सहभागिता सुनिश्चित करता है।
(घ) यह कार्यकुशलता सुनिश्चित करता है
उत्तर:
(ग) यह व्यवस्थापिकाओं में सहभागिता सुनिश्चित करता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

6. लोकतान्त्रिक व्यवस्था आधारित होती है
(क) राजनीतिक समानता पर
(ख) राजनीतिक विषमता पर
(ग) न्यायपूर्ण वितरण पर
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) राजनीतिक समानता पर

7. निम्नलिखित में से कौन, लोकतन्त्र का राजनीतिक पक्ष है?
(क) अमीर और गरीब में कोई समानता नहीं होनी चाहिए
(ख) जाति, वंश. अथवा धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए
(ग) नियमित चुनाव होने चाहिए और सत्ता जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होनी चाहिए
(घ) सरकार संवैधानिक तरीकों से विवादों को सुलझाने का प्रयास करती है।
उत्तर:
(ग) नियमित चुनाव होने चाहिए और सत्ता जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होनी चाहिए

8. दुनिया के अधिकांश समाज रहे हैं
(क) महिला प्रधान
(ख) पुरुष प्रधान
(ग) लोकतान्त्रिक
(घ) बहुसंख्यक
उत्तर:
(ख) पुरुष प्रधान

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. लोकतंत्र में शासन को अन्तिम शक्ति …………. के हाथों में रहती है।
उत्तर:
जनता,

2. शासन की वह व्यवस्था जिसमें शासन में शक्ति सही व्यक्ति के हाथों में हो……..शासन व्यवस्था कहलाती है।
उत्तर:
तानाशाही,

3. आर्थिक समृद्धि के मामले में तानाशाही शासन व्यवस्था वाले देशों का रिकॉर्ड………….है।
उत्तर:
अच्छा,

4. …………के अधिकार के तहत् सरकारी कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
उत्तर:
सूचना।

अति लयूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस शासन प्रणाली में ‘व्यक्ति की गरिमा’ सर्वाधिक सुरक्षित रहती है? शासन की किस व्यवस्था में गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है ?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है।

प्रश्न 2.
कौन-सी शासन व्यवस्था अपनी कुछ कमियों के बावजूद पूरे विश्व में स्वीकार्य है?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 3.
वैध शासन किस शासन व्यवस्था में देखने को मिलता है?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में वैध शासन देखने को मिलता है।

प्रश्न 4.
लोकतन्न्र में निर्णय निर्माण में समय अधिक क्यों लगता है?
उत्तर:
क्योंकि लोकतन्त्र विचार-विमर्श एवं समझौते के विचारों पर आधारित होता है।

प्रश्न 5.
लोकतन्त्र का क्या परिणाम होना चाहिए?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक व्यवस्था में ऐसी सरकार का गठन हो जो नियम कानून को माने एवं लोगों के प्रति जवाबदेह हो।

प्रश्न 6.
आर्थिक संवृद्धि के मामले में किस प्रकार की शासन व्यवस्था का रिकॉर्ड लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के मुकाबले ठीक-ठाक है?
उत्तर:
तानाशाही शासन व्यवस्था का।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्म 7.
लोकतान्त्रिक शासन की कौन-सी अक्षमता हमारे लिए चिन्ता का विषय है?
उत्तर:
उच्चतर आर्थिक संवृद्धि प्राप्त करने की।

प्रश्न 8.
कौन-सी शासन व्यवस्था राजनीतिक समानता पर आधारित होती है?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था राजनीतिक समानता पर आधारित होती है।

प्रश्न 9.
आप यह कैसे कह सकते हैं कि लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक समानता पर आधारित होती हैं?
उत्तर:
क्योंकि जन प्रतिनिधियों के चुनाव में प्रत्येक व्यक्ति को बराबर महत्व प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 10.
लोकतन्त्र की एक प्रमुख खासियत बताइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र की जाँच-परख तथा परीक्षा कभी खत्म नहीं होती।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
पारदर्शिता क्या है? लोकतन्त्र में पारदर्शिता के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पारदर्शिता:
लोकतंत्र में इस बात की पक्की व्यवस्था होती है कि फैसले कुछ नियम-कानूनों के अनुसार होंगे। यदि कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता लगा सकता है। उसे न सिर्फ यह जानने का अधिकार है बल्कि उसके पास इसके साधन भी उपलब्ध हैं। इसे ही पारदर्शिता कहते हैं। लोकतन्त्र में पारदर्शिता के लाभ-लोकतन्त्र में पारदर्शिता के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. पारदर्शिता से लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही बढ़ती है तथा इस व्यवस्था में लोगों का विश्वास दृढ़ होता है।
  2. इससे सरकार द्वारा गलत फैसले लिए जाने की सम्भावना अथवा उसके लिए गलत प्रक्रिया को अपनाए जाने की सम्भावना कम होती है जिससे निष्पक्षता बढ़ती है।
  3. पारदर्शिता से लोगों को विश्वास होता है कि उनके साथ न्याय हुआ है। यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्हें इसके विरुद्ध कदम उठाने का अवसर उपलब्ध होता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 2.
लोकतंत्र का वास्तविक प्रदर्शन कैसा रहा है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र का वास्तविक प्रदर्शन एक मिला-जुला रिकॉर्ड प्रस्तुत करता है। लोकतंत्र ने उपलब्धियाँ भी प्राप्त की हैं, वहीं दूसरी ओर इसे असफलताएँ भी प्राप्त हुई हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

  1. लोकतंत्र को नियमित एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है।
  2. यह प्रमुख नीतियों व नए कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा कराने में सफल रहा है।
  3. यह सामान्यतः नागरिकों के साथ सूचनाओं की साझेदारी करता है।
  4. लोकतांत्रिक सरकार जनता के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। लोकतंत्र की असफलताएँ:
    • लोकतांत्रिक सरकार प्रायः जनता की आवश्यकताओं की उपेक्षा कर देती है।
    • लोकतंत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है।
    • लोकतंत्र ऐसे चुनाव कराने में जिसमें सबको समान अवसर मिले अथवा प्रत्येक फैसले पर सार्वजनिक बहस कराने के मामले में इनका रिकॉर्ड अधिक अच्छा नहीं रहा है।
    • नागरिकों के साथ सूचनाओं की साझेदारी के मामले में भी लोकतांत्रिक सरकारों का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है।

प्रश्न 3.
“वास्तविक जीवन में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में अधिक सफल नहीं हो पाई हैं।” उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विश्व में अधिकांश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं वाले देशों में कुछ धनवान लोग आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत अधिक हिस्सा प्राप्त करते हैं। देश की कुल आय में इनका हिस्सा बढ़ता ही जा रहा है जबकि समाज में सबसे निचले स्तर के लोगों का जीवन-यापन करने के लिए बहुत कम साधन मिलते हैं। भारत में भी निर्धन मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है इसलिए कोई भी राजनीतिक दल उनके मतों से हाथ धोना नहीं चाहता।

इसके बावजूद लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार निर्धनता के प्रश्न पर अपना ध्यान देने को तत्पर नहीं जान पड़ती है जितनी कि हम उससे उम्मीद करते हैं। विश्व के कुछ अन्य देशों में भी हालत इससे भी अधिक खराब हैं। बांग्लादेश में आधी से अधिक जनसंख्या निर्धनता में जीवन-यापन करती है। अनेक निर्धन देशों के लोग अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए भी अब धनिक देशों पर निर्भर हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र सरकार के अन्य रूपों से बेहतर क्यों है? लोकतंत्र का आर्थिक विकास एवं आर्थिक असमानताओं से क्या सम्बन्ध है?
अथवा
लोकतंत्र को हम सबसे अच्छी शासन व्यवस्था क्यों कह सकते हैं?
अथवा
‘लोकतंत्र’ शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर क्यों है? समझाइए।
अथवा
“लोकतान्त्रिक शासन किसी अन्य शासन प्रणाली से बेहतर है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रलोकतंत्र शासन की वह व्यवस्था है जिसमें शासन की अन्तिम शक्ति जनता के हाथों में रहती है। लोकतंत्र ऐसी शासन पद्धति है जो नागरिकों का सर्वांगीण विकास करना चाहती है। यह व्यक्तियों में अन्तर्निहित शक्तियों का विकास करने के साथ-साथ उनकी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमताओं को भी विकसित करती है। समकालीन विश्व में लोकतंत्र शासन का एक प्रमुख रूप है।

  • लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था निम्नलिखित कारणों से अन्य शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है
    1. यह नागरिकों के मध्य समानता को बढ़ावा देती है।
    2. यह व्यक्ति के आत्म-सम्मान को बढ़ाती है।
    3. यह नागरिकों को राज्यों के मध्य संघर्ष को सुलझाने का तरीका उपलब्ध कराती है।
    4. इससे निर्णय निर्माण प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार आता है।
    5. इसमें गलतियों को सुधारने की पर्याप्त सम्भावनाएँ होती हैं।
  • लोकतंत्र का आर्थिक विकास एवं आर्थिक असमानताओं से सम्बन्ध को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
    1. आर्थिक विकास के मामले में लोकतांत्रिक देशों की तुलना में तानाशाही शासन व्यवस्था वाले देशों का रिकॉर्ड थोड़ा ठीक है। किन्तु जब हम केवल गरीबन्देशों की तुलना करते हैं तो इनकी आर्थिक संवृद्धि की दरों में कोई विशेष अन्तर नहीं दिखता है।
    2. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देशों के मध्य भारी आर्थिक असमानताएँ हो सकती हैं। उदाहरण के लिए; दक्षिण अफ्रीका एवं ब्राजील जैसे लोकतांत्रिक देशों में ऊपरी 20 प्रतिशत जनसंख्या का ही राष्ट्रीय आय में हिस्सा 60 प्रतिशत से अधिक है जबकि सबसे नीचे की 20 प्रतिशत जनसंख्या राष्ट्रीय आय के मात्र 3 प्रतिशत भाग पर जीवन-यापन करती है।
    3. लोकतांत्रिक देशों में निर्धन वर्गों में सदैव अवसरों की असमानता पायी जाती है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र के अपेक्षित परिणाम क्या होने चाहिए? क्या लोकतांत्रिक सरकार कुशल या प्रभावी होती है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:

  • लोकतंत्र के अपेक्षित परिणाम-लोकतंत्र को निम्नलिखित अपेक्षाएँ पूरी करनी चाहिए:
    1. जनता को न केवल अपना शासक चुमने का अधिकार होना चाहिए बल्कि इन शासकों पर नियंत्रण भी इन्हीं का होना चाहिए।
    2. लोकतंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्णय, निर्माण निर्धारित मानकों एवं प्रक्रियाओं पर आधारित हो।
    3. निर्णय निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए। जनता के पास निर्णय निर्माण की प्रक्रिया की छानबीन करने के अधिकार एवं साधन होने चाहिए।
    4. जनता को उन निर्णय निर्माण की प्रक्रिया में भागीदारी हेतु सक्षम होना चाहिए जो निर्णय उन्हें प्रभावित करते हैं। अर्थात् लोकतांत्रिक सरकार को जनता की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। क्या लोकतांत्रिक सरकार कुशल या प्रभावी होती है
  • नि:सन्देह लोकतांत्रिक सरकार कुशल या प्रभावी होती है, इसके निम्नलिखित कारण हैं:
    1. लोकतंत्र विवेचन एवं समझौते के विचार पर आधारित होता है इसलिए इसमें कुछ विलम्ब हो सकता है। गैर-लोकतांत्रिक शासक जनमत की परवाह नहीं करते, इसलिए वे शीघ्रता से निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने में कुशल होते हैं।
    2. लोकतंत्र में निर्णय निर्माण की प्रक्रिया पारदर्शी होती है, जबकि गैर-लोकतांत्रिक सरकार में यह पारदर्शी नहीं होती है।
    3. चूँकि लोकतंत्र में प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। इससे प्राप्त निर्णय अधिक स्वीकार्य एवं प्रभावी होता है, जबकि गैर-लोकतांत्रिक सरकार में निर्णय एकतरफा हो सकते हैं और उनसे समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 3.
किन्हीं चार परिणामों का उल्लेख कीजिए, जहाँ लोकतंत्र असफल रहा है?
उत्तर:
निम्नलिखित चार परिणामों में लोकतंत्र असफल रहा है
1. भ्रष्टाचार:
लोकतंत्र के अभिलेख यह दर्शाते हैं कि अधिकांश देशों के लोकतंत्र भ्रष्टाचार को दूर करने में अथवा कम करने में असफल रहे हैं। देश में लोकतांत्रिक सरकार होने के बावजूद भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर रहा है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है परन्तु भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यहाँ लोकतंत्र असफल रहा है।

2. लोगों की आवश्यकताओं को और कम ध्यान देना:
लोकतांत्रिक सरकारें अक्सर लोगों को उनकी जरूरतों के लिए तरसाती हैं तथा जनसंख्या के एक बड़े हिस्से की माँर्गों की उपेक्षा की जाती है।

3. असमानता एवं गरीबी में बौद्धि:
लोकतांत्रिक देशों में सरकार से आर्थिक असमानता को कम करने की अपेक्षा की जाती है लेकिन विश्व के सभी लोकतंत्र इस मामले में असफल रहे हैं। अधिकांश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में मुट्ठीभर- “को हो नवान लोग आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं, जबकि गरीबो को कुछ भी नहीं मिल पाता है। देश की कुल आय में धनवान लोगों का हिस्सा बढ़ता जाता है, लेकिन समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवनयापन के लिए बहुत कम साधन मिलते हैं।

4. आर्थिक संवृद्धि एवं विकास की कभी:
लोकतांत्रिक सरकार को शासन के सभी अन्य रूपों से बेहतर माना जाता है। इसलिए इससे बेहतर आर्थिक संवृद्धि एवं विकास की उम्मीद की जाती है। परन्तु दुर्भाग्यवश लोकतंत्र इस मामले में असफल रहा है। यदि हम 1950 से 2000 के बीच के सभी लोकतांत्रिक एवं तानाशाही शासन व्यवस्था के काम-काज की तुलना करें तो इस मामले में तानाशाही व्यवस्था का रिकॉर्ड थोड़ा अच्छा दिखाई देता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 4.
लोकतंत्र तथा आर्थिक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्ध स्पष्ट करो।
अथवा
लोकतन्त्र तथा आर्थिक संवृद्धि और विकास के मध्य सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र-लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के हाथों में होती है। देश का शासन वयस्क मताधिकार द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है जो जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। आर्थिक विकास-आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसमें प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने के साथ-साथ असमानता, निर्धनता व निरक्षता में कमी भी हो अर्थात् लोगों के आर्थिक जीवन में सुधार हो तथा उनका जीवन स्तर ऊँचा हो।

लोकतंत्र व आर्थिक विकास में अन्तर्सम्बन्ध-किसी भी देश का आर्थिक विकास कई कारकों; जैसे-देश की जनसंख्या का आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों के साथ सहयोग एवं देश द्वारा तय की गयी आर्थिक प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। लोकतंत्र में लोगों को राजनीतिक क्षेत्र में परस्पर समानता का दर्जा तो मिल जाता है किन्तु आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती जाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देशों में तानाशाही देशों की तुलना में आर्थिक विकास में कमी पायी जाती है, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. लोकतंत्र में सरकार लोक:
कल्याणकारी कार्यों पर अधिक धन खर्च करती है। अतः उसकी आय का एक बड़ा भाग निर्धनों की देख-रेख पर खर्च हो जाता है और विकास के लिए धन कम रह जाता है।

2. लोकतांत्रिक:
व्यवस्था में निर्णय की प्रक्रिया काफी लम्बी होती है। इसमें कई स्तर पर लोग भाग लेते हैं, फलतः इसमें देरी होने के कारण यह लगभग निरर्थक हो जाती है। कभी-कभी तो फैसले लिए ही नहीं जा पाते हैं।

3. लोकतांत्रिक व्यवस्था:
सामंजस्य पर आधारित होती है। इसमें सभी के हितों का ध्यान रखा जाता है। फलस्वरूप प्रभावी फैसले नहीं लिए जाते। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि लोकतंत्र से देश का आर्थिक विकास तो होता है, लेकिन यह आर्थिक असमानता को दूर करने में अधिक सफल नहीं हो पाता है।

प्रश्न 5.
क्या लोकतांत्रिक शासन किसी देश की जनता को शांतिपूर्ण एवं सद्भाव का जीवन व्यतीत करने में सहायता प्रदान करता है? यदि हाँ, तो इस कथन की पुष्टि हेतु प्रमाण दीजिए।
अथवा
लोकतांत्रिक सरकारें कितनी प्रभावशाली तथा कार्यकुशल होती हैं?
अथवा
“लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्थाएं शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
अथवा
“लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्थाएं शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन की उपयुक्त उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि लोकतांत्रिक शासन किसी देश की जनता को शांतिपूर्ण व सद्भाव का जीवन व्यतीत करने में सहायता प्रदान करता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था सरकार में भागीदारी का अवसर प्रदान करती है जिससे कि नागरिकों के प्रतिनिधि उनकी आवश्यकताओं व माँगों की पूर्ति कर सकें। इसके अतिरिक्त यह शासन व्यवस्था समाज के विभिन्न जातीय समूहों के मध्य टकरावों की सम्भावना को कम करती है।

कथन की पुष्टि हेतु प्रमाण:
1. लोकतंत्र किसी भी प्रकार की सरकार से बेहतर होता है क्योंकि यह लोगों की आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र लोगों के लिए होता है। यह लोगों के प्रति जवाबदेह सरकार होती है।

2. लोकतंत्र परामर्शों एवं विचारों पर आधारित होता है। इसमें समय के साथ-साथ अनेक गलतियों को सुधारा जा सकता है। इस प्रकार लोकतंत्र निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार करता है।

3. लोकतंत्र राजनीतिक समानता पर आधारित होता है जो श्रमिकों, निर्धनों, अशिक्षित एवं शिक्षितों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करता है। इस प्रकार लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक की गरिमा में वृद्धि करता है।

4. लोकतंत्र प्रत्येक समस्या का शांतिपूर्ण समाधान प्रदान करता है। यह विभाजनों एवं टकरावों से निपटने के बेहतर तरीके प्रदान करता है। यह भारत जैसे अनेक देशों में जहाँ रंग, जाति, भाषा, धर्म आदि की विविधता होते हुए भी उनमें सामंजस्य पैदा करता है। विचार-विमर्श से प्रत्येक समस्या का समाधान ढूँढ़ा जा सकता है। इस प्रकार यह हमारे देश को संगठित रखता है।

5. केवल लोकतंत्र ही ऐसी शासन व्यवस्था है जो अपनी गलतियों को स्वीकार करता है एवं इसमें समस्त गलतियों को सुधारने का प्रयास किया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 6.
क्या लोकतंत्र आने से अवसरों एवं वस्तुओं का न्यायपूर्ण वितरण होता है? सामाजिक विभिन्नताओं में सामंजस्य लाने के लिए लोतंकत्र की किन-किन मूलभूत शर्तों को पूरा करना पड़ता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
नहीं, लोकतंत्र आने से अवसरों तथा वस्तुओं का न्यायपूर्ण वितरण नहीं हो पाता है। जनसंख्या के अधिकांश भाग को भोजन, वस्त्र, शिक्षा, आवास एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कठिनाई आती है। लोकतंत्र में आर्थिक असमानता भी तेजी से बढ़ती है। धनिक लोग अधिक धनी होते जाते हैं, गरीबी की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। अवसरों व वस्तुओं के न्यायपूर्ण वितरण की असमानता बढ़ती ही जा रही है।

मूलभूत शर्ते:
इस पर ध्यान देना जरूरी है कि लोकतंत्र का सीधा सादा अर्थ बहुमत के समर्थन से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदैव ही अल्पमत का ध्यान रखना पड़ता है। उसको साथ काम करने की जरूरत होती है। तभी सरकार जन सामान्य की इच्छा का निदान कर पाती है। बहुमत और अल्पमत की राय कोई स्थायी वस्तु नहीं होती है। यह भी जानना जरूरी है कि बहुमत के शासन का अर्थ नस्ल, धर्म, जाति अथवा भाषायी आधार पर बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता है।

बहुमत के शासन का आशय होता है कि प्रत्येक फैसले या चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं या बहुमत में हो सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक तंत्र रहता है तब तक प्रत्येक नागरिक को किसी-न-किसी अवसर या बहुमत का हिस्सा बनने का मौका मिलता है। यदि किसी को जन्म के आधार पर बहुसंख्यक समुदाय का हिस्सा बनने से रोका जाता है, तब लोकतांत्रिक शासन उस व्यक्ति अथवा समूह के लिए समावेशी नहीं रह पाता है।

प्रश्न 7.
“व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन व्यवस्थाओं से काफी आगे है।” इस कथन को न्याससंगत ठहराइए।
अथवा
लोकतंत्र में नागरिक गरिमा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“नागरिक की गरिमा और आजादी को सुरक्षित रखने के लिए लोकतन्त्र अति महत्त्वपूर्ण है।” तर्क देकर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
“व्यक्ति की गरिमा और आजादी के विषय में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन व्यवस्थाओं से बहुत आगे है।” इस कथन की व्याख्या निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की जा सकती है
1. महिलाओं की गरिमा व स्वतन्त्रता:
विश्व के अधिकांश समाज पुरुष समाज रहे हैं इसलिए उन ढाँचों को आसानी से परिवर्तित करना लोकतंत्र के लिए सम्भव नहीं था। इसके बावजूद लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ने महिलाओं के लिए समानता के अवसर प्रदान किये हैं। आज विश्व के अधिकांश लोकतंत्र महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करते हैं तथा उन्हें सभी अधिकार प्रदान करते हैं।

एक बार जब सिद्धान्त के रूप में महिलाओं के साथ समानता के व्यवहार को स्वीकार कर लिया गया हो तो अब महिलाओं के लिए वैधानिक और नैतिक रूप से अपने प्रति गलत मान्यताओं और व्यवहारों के विरुद्ध संघर्ष करना आसान हो गया है। अलोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में यह सब सम्भव न था क्योंकि वहाँ व्यक्तिगत स्वतन्त्रता एवं गरिमा को न तो वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है और न ही नैतिक रूप से।

2. जातिगत असमानता:
भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव की शिकार हुई जातियों के लोगों को समान दर्जे व समान अवसर के दावे को बल दिया है। आज भी जातिगत भेदभाव और दमन के उदाहरण देखने को मिलते हैं, पर उनके पक्ष में कानूनी या नैतिक बल नहीं होता है। सम्भवतः इसी एहसास के चलते लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति अधिक सतर्क हुए हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 8.
शिकायतों का बना रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही किस प्रकार देते हैं। विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा
“शिकायतों का बने रहना लोकतन्त्र की सफलता की गवाही देता है।” उदाहरणों सहित कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
“शिकायतों का बने रहना लोकतन्त्र की सफलता की गवाही है।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर:
लोकतंत्र शासन की वह व्यवस्था है जिसमें शासन की अन्तिम शक्ति जनता के हाथों में रहती है। लोकतंत्र शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर है। सैद्धान्तिक रूप में लोकतंत्र, को अच्छा माना जाता है। शिकायतों का बने रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है, जो निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट है।
1. लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसकी जाँच-परख और परीक्षा कभी भी समाप्त नहीं होती है।

2. ज्यों ही लोकतंत्र एक जाँच पर खरा उतरता है तो अगली जाँच आ जाती है। लोकतंत्र की सकारात्मक विशेषता यह है कि लोग प्रत्येक स्तर पर लोकतंत्र को अच्छा बनाना चाहते हैं। जैसे ही लोगों को लोकतंत्र के लाभ मिलते हैं वे और लाभों की माँग करने लगते हैं।

यही कारण है कि जब हम लोगों से लोकतंत्र के कामकाज के बारे में पूछते हैं तो हमेशा लोकतंत्र से जुड़ी अपनी अन्य अपेक्षाओं का पिटारा खोल देते हैं और शिकायतों का अंबार लगा देते हैं। शिकायतों का बने रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है।

3. लोकतंत्र ने लोगों को एक मौका दिया है कि वे सत्ता में बैठे हुए लोगों के कामकाज का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, लोकतंत्र के कामकाज में लोगों का असन्तोष जताना लोकतंत्र की सफलता तो बताता ही है साथ ही वह लोगों के प्रजा से नागरिक बनने की गवाही भी देता है।

4. वर्तमान में अधिकांश लोग यह मानकर चलते हैं कि सरकार की चाल-ढाल पर उनके वोट से असर पड़ता है और यह उनके अपने हित पर प्रभाव डालता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सबसे अलग दिखाई देने वाली संस्था है
(क) राजनीतिक दल
(ख) हित समूह
(ग) दबाव समूह
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) राजनीतिक दल

2. निम्न में से राजनीतिक दल का कार्य है?
(क) दल चुनाव लड़ते हैं,
(ख) दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखते हैं,
(ग) दल ही सरकार बनाते और चलाते हैं,
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

3. निम्न में से जनमत निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है
(क) राष्ट्रपति
(ख) मुख्यमन्त्री
(ग) सरपंच
(घ) राजनीतिक दल
उत्तर:
(घ) राजनीतिक दल

4. चीन में शासन करने वाली अकेली पार्टी कौन-सी है?
(क) कम्युनिस्ट पार्टी
(ख) सोशलिस्ट पार्टी
(ग) चीन की पीपुल्स पार्टी
(घ) कांग्रेस पार्टी
उत्तर:
(क) कम्युनिस्ट पार्टी

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

5. भारत में व्यवस्था है
(क) बहुदलीय
(ख) एक दलीय
(ग) गठबन्धन
(घ) दो दलीय
उत्तर:
(क) बहुदलीय

6. भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या है-
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर:
(ग) 7

7. विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक है:
(क) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
(ख) भारतीय जनता पार्टी
(ग) बहुजन समाजवादी पार्टी
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी
उत्तर:
(क) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

8. निम्नलिखित में से कौन-सी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है?
(क) राष्ट्रीय जनता दल
(ख) भारतीय जनता पार्टी
(ग) समाजवादी पार्टी
(घ) समता पार्टी
उत्तर:
(ख) भारतीय जनता पार्टी

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. राजनीतिक दल के तीन प्रमुख अंग हैं नेता, सक्रिय सदस्य और …………
उत्तर:
समर्थक,

2. भारत में 2017 तक …………… दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे।
उत्तर:
सात,

3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् …………. में हुई थी SNA
उत्तर:
1885,

4. भारतीय …………… को पुनजीवित करने भरतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ।
उत्तर:
जनसंघ।

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकांश आम नागरिकों के लिए लोकतन्न्र का क्या मतलब है?
उत्तर:
अधिकांश आम नागरिकों के लिए लोकतन्त्र का मतलब राजनीतिक दल ही है।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों में पक्षपात क्यों विकसित होते हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दल समाज के किसी एक हिस्से
रूम्बान्धित होते हैं। इसलिए उसका नजरिया समाज के राजनीतिक दलों में लंक्षण विकसित करता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 3.
राजनीतिक दल के प्रमुख अंग कौन-कौम से हैं?
उत्तर:

  1. नेता,
  2. सक्रिय सदस्य,
  3. अनुयायी या समर्थक।

प्रश्न 4.
राजनीतिक दल के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:

  1. राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।
  2. राजनीतिक दल ही सरकार बनाते व चलाते हैं।

प्रश्न 5.
हमें राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों पड़ती है? कोई एक कारण बताइये।
उत्तर:
राजनीतिक दलों के अभाव में सरकार निरकुंश हो सकती है।

प्रश्न 6.
दो दलीय व्यवस्था वाले किन्हीं दो देशों के नाम बताइये।
उत्तर:

  1. ग्रेट ब्रिटेन,
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 7.
भारत में बहुदलीय व्यवस्था का उदय क्यों हुआ ?
उत्तर:
क्योंकि दो-तीन राजनीतिक दल इतने बड़े देश की समस्त सामाजिक एवं भौगोलिक विविधताओं को समेट पाने में अक्षेम हैं।

प्रश्न 8.
कौन-सी संस्था राजनीतिक दलों का पंजीकरण करती है?
उत्तर:
भारतीय चुनाव आयोग राजनीतिक द्वों का पंजीकरण करती है।

प्रश्न 9.
मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल क्या हैं?
उत्तर:
चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत दलों को मान्यता प्राप्त देल कहते है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 10.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
उत्तर भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से
उत्तर:
भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरण लेकर मजंबूत और आधुनिक भारंत बनाने का लक्ष्य।

प्रश्न 11.
प्रान्तीय दल के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. समाजवादी पार्टी,
  2. बीजू जनता दल।

प्रश्न 12.
किसी एक राजनीतिक दल का नाम लिखिए जिसका राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक संगठन है, परन्तु उसे राष्टीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता नहीं
उत्तर:
समांजवादी पार्टी (सपा)

प्रश्न 13.
रूर्जनीतिक दलों में सुधार हेतु.कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

    1. रूर्जनीतिक दलों में में आन्तरिक लोकतन्त्र की स्थापनो हैतु कीमिन बनाया जाये।
    2. चुनाव का खर्च सरकार वहन करे।

लयत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
राजनीतिक दल क्या है? राजनीतिक दलों राजनीतिक दलों के विषय में लोग क्या सोचते के विषय में लोगों की क्या राय है? संक्षेप में बताइए। हुआ?
उत्तर:
राजनीतिक दल-राजनीतिक दल लोगों का एक समूह होता है जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से कार्य करता है। यह सम्पूर्ण राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करता है। अधिकांश लोग राजनीतिक दलों की आलोचना करते नजर आते हैं। अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था एवं राजनीतिक जीवन की प्रत्येक बुराई के लिए वे दलों को ही ज़िम्मेदार मानते हैं। इसके अतिरिक्त सामाजिक व राजनीतिक विभाजनों के लिए भी दलों को ही दोषी माना जाता है।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दल के कोई चार कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।
  2. राजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को जनता के समक्ष रखते हैं।
  3. राजनीतिक दल सरकार बनाते और चलाते हैं।
  4. राजनीतिक दल देश के कानूमें निर्माण में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 3.
चुनाव आयोग द्वारा प्रान्तीय दल की स्थिति कैसे तय की जाती है?
अथवा
क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी से क्या अभिप्राय है? ‘क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी’ की मान्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक शतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी से अभिप्राय उन दलों से जिनका जन्म किसी विशेष क्षेत्र अथवा राज्य में होता है तथा जो उस क्षेत्र के निवासियों के लिए कार्य करती हैं। इन्हें राज्यीय या प्रान्तीय दल भी कहते हैं; जैसे-समाजवादी पार्टी, जनता दल, बीजू जनता दल, सिक्किम लोकतान्त्रिक मोर्चा व तेलंगाना राष्ट्र समिति आदि।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है। ‘जब कोई राजनीतिक दल राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 प्रतिशत या उससे अधिक प्राप्त करता है और कम से कम दो सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल अर्थात् प्रान्तीय दल के रूप में चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 4.
किसी राजनीतिक दल के लिए राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता देने के क्या मापदण्ड हैं?
अथवा
‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ से क्या अभिप्राय है? राष्ट्रीय राजनीतिक दल बनने के लिए आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजनीतिक दल से अभिप्राय उन पार्टियों (दलों) से है जो पूरे देश में फैली हुई हैं। इनकी विभिन्न राज्यों में इकाइयाँ हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर तय होने वाली नीतियों, कार्यक्रमों तथा रणनीतियों का पालन करती हैं। यदि कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का अथवा चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत प्राप्त करता है और लोकसभा चुनाव में कम-से-कम 4 सीटों पर जीत दर्ज करता है, तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 5.
भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कितने दल हैं 2 नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में सन् 2017 में देश में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दल थे

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई.एन.सी)
  2. भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा)
  3. बहुजन समाज पार्टी (ब.स.पा.)
  4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सी.पी. आई-एम)
  5. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी. आई.)
  6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.)
  7. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस

प्रश्न 6.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई ? इसके प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 ई. में हुई थी। इस दल के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. यह पार्टी भारत की प्राचीन पद्धति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाना चाहती है।
  2. भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक प्रमुख तत्व है।
  3. यह दल जम्मू और कश्मीर को प्रादेशिक एवं राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के विरुद्ध है।
  4. यह दल देश में निवास करने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए स्वतन्त्र नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने का पक्षधर है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 7.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख सिद्धान्तों को बताइए। उत्तर-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन 1885 ई. में हुआ था। इस पार्टी के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. इस दल ने धर्मनिरपेक्ष के सिद्धान्त को अपनाया।
  2. इस दल ने कमजोर वर्गों एवं अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेण्डा बनाया।
  3. यह दल नयी आर्थिक नीतियों का समर्थक है।
  4. अपने वैचारिक रुझान से यह दल एक मध्य मार्गीय दल है।

प्रश्न 8.
हमारे देश के प्रान्तीय दलों ने किस प्रकार संघवाद तथा लोकतन्त्र को मजबूत बनाने में योगदान दिया है?
उत्तर:
हमारे देश में पिछले तीन दशकों से प्रान्तीय दलों की संख्या व ताकत में वृद्धि हुई है। इन दलों ने भारतीय संसद को राजनीतिक रूप से अधिक से अधिक विविधता प्रदान की है। सम्बन्धित राज्यों में प्रान्तीय दलों की स्थिति मजबूत होने के कारण राष्ट्रीय राजनीतिक दल इनके साथ गठबन्धन बनाने के लिए बाध्य हुए हैं। सन् 1996 ई. के पश्चात् से लगभग प्रत्येक प्रान्तीय दल को राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाली गठबन्धन सरकार में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। इससे हमारे देश में संघवाद और लोकतन्त्र मजबूत हुआ हैं।

प्रश्न 9.
राजनीतिक दलों में जन-भागीदारी को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सम्पूर्ण विश्व में राजनीतिक दल ही एक ऐसी संस्था है जिस पर लोग सबसे कम भरोसा करते हैं। वर्तमान में राजनीतिक दलों में लोगों की भागीदारी का स्तर बहुत ऊँचा है। कनाडा, जापान, स्पेन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में भारत में अधिकांश संख्या में लोग किसी न किसी राजनीतिक दल के सदस्य हैं। पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता गया है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1 )

प्रश्न 1.
राजनीतिक दल कैसे सरकार बनाते और चलाते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जब चुनाव समाप्त हो जाते हैं, तो वह दल जिसे सर्वाधिक सीटें प्राप्त होती हैं उसे सरकार बनाने के लिए आमन्त्रित किया जाता है। सरकार नीतियाँ व कार्यक्रमों का निर्माण करती है। ये निर्णय मन्त्रियों द्वारा ही लागू किये जाते हैं, राजनीतिक दल नेताओं की नियुक्ति करते हैं। उन्हें राजनीति में प्रशिक्षित करते हैं और फिर दल के सिद्धान्तों व कार्यक्रम के अनुसार फैसले करने के लिए उन्हें मन्त्री बनाते हैं ताकि वे पार्टी की इच्छा के अनुसार सरकार चला सकें।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दल जनमत एवं कानून निर्माण में किस प्रकार निर्णायक भूमिका निभाते हैं?
अथवा
“राजनीतिक दल देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. जनमत निर्माण में भूमिका:
जनमत निर्माण में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मुद्दों को उठाते हैं एवं उन पर बहस करते हैं। विभिन्न दलों के लाखों कार्यकर्ता देश-भर में बिखरे होते हैं। कई बार राजनीतिक दल लोगों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन भी करते हैं। सामान्यतया विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा रखी जाने वाली राय के आस-पास ही समाज के लोगों की राय बनती चली जाती है।

2. कानुन निर्माण में भूमिका:
राजनीतिक दल देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह करते हैं। कानूनों पर औपचारिक ढंग से बहस होती है और उन्हें विधायिका में पारित करवाना पड़ता है। विधायिका दलों द्वारा ही बनायी जाती है। लेकिन विधायिका के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी दल के सदस्य होते हैं। इस कारण वे अपने दल के नेता के निर्देश पर कानून निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं।

प्रश्न 3.
राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक दलों की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दलों की जरूरत निम्नलिखित कारणों से है

  1. यदि राजनीतिक दल न हों तो समस्त उम्मीदवार स्वतन्त्र या निर्दलीय होंगे। तब इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत परिवर्तन के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा।
  2. सरकार बन जाने के पश्चात् इनकी उपयोगिता संदिग्ध होगी।
  3. राजनैतिक दलों के अभाव में निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए किए गये कार्यों के प्रति जवाबदेह होंगे। लेकिन देश कैसे चलाया जा रहा है, इसके लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होगा।
  4. राजनीतिक दल के अभाव में सरकार निरकुंश हो सकती है क्योंकि सरकार की गलत नीतियों एवं कार्यक्रमों का विरोध करने के लिए कोई समूह नहीं होगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि राजनीतिक दल लोकतन्त्र की एक अनिवार्य शर्त है।
  5. हमें विभिन्न कार्यों के सम्पादन के लिए राजनीतिक दलों की आवश्यकता होती है। वे नीतियाँ व कार्यक्रम बनाते हैं, कानून बनाते हैं, सरकार बनाते व चलाते हैं। विपक्ष की भूमिका के साथ-साथ अन्य कार्य भी करते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 4.
लोकतन्त्र में दलीय व्यवस्था की विवेचना उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में दलीय व्यवस्था की विवेचना निम्न प्रकार स्पष्ट की जा सकती है

  1. एकदलीय शासन:
    व्यवस्था-कई देशों में सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती है। इसे एकदलीय शासन-व्यवस्था कहा जाता है। उदाहरण के लिए, चीन में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी को शासन करने की अनुमति है।
  2. दो दलीय व्यवस्था:
    कुछ देशों में सत्ता आमतौर पर दो मुख्य दलों के मध्य ही बदलती रहती है। इसे दो दलीय व्यवस्था कहते हैं। अमेरिका तथा ब्रिटेन में इस तरह की दो दलीय व्यवस्था है।
  3. बहुदलीय व्यवस्था:
    जब अनेक दल सत्ता के लिए होड़ में होते हैं और दो दलों से अधिक के लिए अपने बल पर या दूसरों से गठबन्धन करके सत्ता में आने का ठीक-ठाक अवसर हो तो उसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं। भारत में ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था है।

प्रश्न 5.
भारत के सन्दर्भ में बहुदलीय व्यवस्था की व्याख्या करते हुए इसके लाभ व हानि बताइए।
अथवा:
भारत में बहुदलीय व्यवस्था ने प्रजातंत्र को किस प्रकार मजबूत किया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था-जब अनेक राजनीतिक दल सत्ता के लिए होड़ में हों तथा दो दलों से अधिक के लिए अपनी ताकत से अथवा दूसरों से गठबन्धन करके सत्ता में आने का ठीक-ठाक अवसर हो तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है, जहाँ विभिन्न राजनीतिक दल गठबन्धन या मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ते हैं तथा जीतते हैं एवं सरकार के निर्माण में भाग लेते हैं। कभी-कभी एक राजनीतिक दल भी अधिकांश सीटें जीतकर सरकार बना लेते हैं। उदाहरण के रूप में, सन् 2004 के संसदीय चुनाव में तीन गठबन्धन बने थे।

राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन, संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन एवं वाममोर्चा। इनमें से कोई भी गठबन्धन सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटें नहीं जीत पाया। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन ने वाम मोर्चा के समर्थन से सरकार का गठन किया। इस बहुदलीय व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कई हितों एवं विचारों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करती है। वहीं इस व्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह बहुत अधिक जटिल व्यवस्था है तथा यह कभी-कभी राजनीतिक अस्थिरता का कारण भी बन जाती है।

प्रश्न 6.
राजनीतिक दलों के अन्दर आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव किस प्रकार राजनीतिक दल एवं लोकतन्त्र पर प्रभाव डालता है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों में किसी एक या कुछ बड़े नेताओं के हाथों में शक्ति के केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति पायी जाती है। कई दलों के पास तो सदस्यों की सूची तक नहीं होती है। राजनीतिक दल नियमित रूप से न तो संगठनात्मक बैठकें करते हैं और न ही नियमित रूप से आन्तरिक चुनाव कराते हैं। साथ ही वे अपने सदस्यों के साथ सूचनाओं की साझेदारी भी नहीं करना चाहते। इसके अतिरिक्त मुख्य फैसले बड़े नेताओं तक ही सीमित होने के कारण नए नेताओं को दल का उत्तरदायित्व लेने से रोका जाता है।

जिससे दल के भविष्य को क्षति पहँचती है। ये सभी कारण राजनीतिक दल की लोकप्रियता एवं उसके प्रति जन समर्थन को हानि पहुँचाते हैं। यह सब स्थिति लोगों एवं प्रतिनिधियों को सत्ता की भागीदारी से दूर कर देती है जिससे लोकतान्त्रिक मूल्यों के विस्तार में बाधा उत्पन्न होती है। जो अन्त में नुकसानदेह सिद्ध होता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 7.
धन बल और बाहुबल किस प्रकार चुनावों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धन बल और बाहुबल चुनावों में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह राजनीतिक दलों के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती है। चुनावों में तीव्र गति से पैसा और अपराधी तत्वों की घुसपैठ बढ़ रही है। चूँकि समस्त दलों की चिन्ता चुनाव कहत ह। जीतने की होती है। अतः इसके लिए वे कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से भी परहेज नहीं करते हैं। वे ऐसे ही लोगों को चुनाव में उम्मीदवार बनाते हैं जिनके पास बहुत पैसा हो अथवा जो पैसे जुटा सकें।

किसी दल को अधिक धन देने वाली कम्पनियाँ और धनवान लोग उस दल की नीतियों और फैसलों को प्रभावित करते हैं। कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का भी समर्थन करते हैं अथवा चुनावी सहायता भी लेते हैं। सम्पूर्ण विश्व में लोकतन्त्र के समर्थक चुनावों में बढ़ते धन-बल और बाहुबल से चिन्तित हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय जनता पार्टी एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चार प्रमुख नीतियों-कार्यक्रमों को लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम- भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 ई. में यह पार्टी बनी। इसकी प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं

  1. भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाना।
  2. भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इनकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक प्रमुख तत्व है।
  3. भारतीय जनता पार्टी जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के विरुद्ध है।।
  4. यह पार्टी देश में रहने वाले समस्त धर्मों के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने एवं धर्मान्तरण पर रोक लगाने के पक्ष में है।
  5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम-इस दल का गठन 1885 में हुआ था। इसकी प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
    • इस पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता एवं कमजोर वर्गों व अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया है।
    • यह पार्टी नई आर्थिक नीतियों की समर्थक है तथा इस बात को लेकर जागरूक है कि इन नीतियों का गरीब व कमजोर वर्ग पर विपरीत प्रभाव न पड़े।
    • भारत को एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने का प्रयास करना।
    • मध्यम मार्गी विचारधारा को अपनाना।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों और उसके नेताओं को सुधारने के हाल में जो प्रयास किये गये हैं उन पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों को सुधारने के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को सुधारने के लिए हाल में ही निम्नलिखित प्रयास किये गये हैं
1. दल-बदल पर रोक:
विधायकों और सांसदों को दल बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया है। निर्वाचित प्रतिनिधियों के मन्त्री पद अथवा धन के लोभ में दल बदल करने में आइतनी को टाष्टगत देखते हए ऐसा किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांपट अथवा विधायक को अपना मांट भी गॅवानी पड़ेगी। देश में इस नए कानून के लागू होने से दल बदल की घटनाओं में कमी दंन्द्रनं को मिला है

2. चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत करना:
भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीति में धन और अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी सम्पत्ति के साथ-साथ अपने खिलाफ चल रहे या नहीं चल रहे आपराधिक मामलों का विवरण एक शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नवीन व्यवस्था से सामान्य जनता को अपने उम्मीदवारों के बारे में बहुत-सी वास्तविक सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी हैं। पर उम्मीदवार द्वारा दी गयी सूचनाएँ सही हैं या नहीं यह जाँच करने की कोई व्यवस्था नहीं है।

3. चुनाव आयोग द्वारा उठाये गये कदम:
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के लिए आदेश जारी किया कि वे संगठनात्मक चुनाव करायें ताकि आवश्यक रूप से आयकर रिटर्न भरें।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
सन् 2006 में अप्रैल माह में नेपाल में एक विलक्षण जन आन्दोलन उठ खड़ा हुआ, जिसका उद्देश्य था
(क) राजतन्त्र स्थापित करना
(ख) लोकतन्त्र स्थापित करना
(ग) माओवादी शासन लाना
(घ) राजा को पद से हटाना
उत्तर:
(ख) लोकतन्त्र स्थापित करना

2. नेपाल में सर्वप्रथम लोकतन्त्र किस वर्ष स्थापित हुआ
(क) 1955 ई.
(ख) 1959 ई.
(ग) 1989 ई.
(घ) 1990 ई.
उत्तर:
(घ) 1990 ई.

3. नेपाल में लोकतन्त्र की स्थापना कब हुई?
(क) 2006 में
(ख) 2007 में
(ग) 2008 में
(घ) 2015 में
उत्तर:
(ग) 2008 में

4. नेपाल के लोकतान्त्रिक आन्दोलन तथा बोलिविया के जल युद्ध के बीच समानता थी
(क) राष्ट्रीय भागीदारी की
(ख) जनता की लामबंदी की
(ग) अहिंसक आन्दोलन की
(घ) हिंसा की अधिकता की
उत्तर:
(ख) जनता की लामबंदी की

5. निम्न में से किस देश में उठे लोकतन्त्र के आन्दोलन का विशेष उद्देश्य था राजा को अपने आदेशों को वापस लेने के लिए बाध्य करना
(क) नेपाल
(ख) चीन
(ग) भारत
(घ) श्रीलंका
उत्तर:
(क) नेपाल

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

6. दबाव समूह सरकारी नीतियों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(क) संगठन द्वारा
(ख) एकजुटता द्वारा
(ग) नियन्त्रण द्वारो
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) एकजुटता द्वारा

7. किस नदी पर बनाये जा रहे सरदार सरोवर बाँध के कारण लोग विस्थापित हुए हैं
(क) चम्बल नदी
(ख) नर्मदा नदी
(ग) ताप्ती नदी
(घ) गंगा नदी
उत्तर:
(ख) नर्मदा नदी

8. ट्रेड यूनियन्स किस प्रकार का समूह है
(क) सामाजिक समूह
(ख) वर्ग विशेष समूह
(ग) संस्थागत समूह
(घ) अस्थायी समूह
उत्तर:
(ख) वर्ग विशेष समूह

9. निम्नलिखित में से सामाजिक समूह कौन-सा है?
(क) फिक्की
(ख) रामकृष्ण मिशन
(ग) सी. आई. आई.
(घ) इन्टक
उत्तर:
(ख) रामकृष्ण मिशन

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. नेपाल में लोकतंत्र……….ई. के दशक में स्थापित हुआ था।
उत्तर:
1990,

2. बोलिबिया का जलयुद्ध……….शहर में पानी की बढ़ी दरों के विरोध में हुआ।
उत्तर:
कोचबंबा,

3. बोलिबिया के जन-संघर्षों का नेतृत्व……….नामक.संगठन ने किया।
उत्तर:
फेडेकोर,

4. दबाव समूह एवं आन्दोलनों में लोकतंत्र की जड़ें………..हुई है।
उत्तर:
मजबूत।

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नेपाल में विलक्षण जन आन्दोलन कब हुआ?
उत्तर:
नेपाल में विलक्षण जन आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में हुआ।

प्रश्न 2.
नेपाल में किस संघर्ष को लोकतन्त्र के लिए ‘दूसरा आन्दोलन’ कहा गया था?
उत्तर:
अप्रैल 2006 के लोकतन्त्र के संघर्ष को।

प्रश्न 3.
सेवेन पार्टी अलायंस (सप्तदलीय गठबंधन एस. पी. ए.) क्या था?
उत्तर:
नेपाल की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया था जिसे सेवेन पार्टी अलायंस कहा गया।

प्रश्न 4.
नेपाल में सप्तदलीय गठबन्धन क्यों बनाया गया?
उत्तर:
नेपाल में लोकतन्त्र को पुनः स्थापित करने के लिए सप्तदलीय गठबन्धन बनाया गया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 5.
नेपाल की जनता की क्या माँगें थीं?
उत्तर:

  1. संसद की पुनस्थ्थापना,
  2. सर्वदलीय सरकार का गठन,
  3. नयी संविधान सभा का गठन।

प्रश्न 6.
चीनी क्रान्ति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी माओवादी कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
किस देश के लोगों का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोकतन्त्र प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है?
उत्तर:
नेपाल के लोगों का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है ।

प्रश्न 8.
बोलिविया सरकार ने किस शहर की जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिए।
उत्तर:
बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर की जलापूर्तिं के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिए।

प्रश्न 9.
जनवरी 2000 ई. में बोलिविया के लोगों ने संघर्ष क्यों किया?
उत्तर:
जनवरी 2000 ई. में बोलिविया के लोगों ने संघर्ष इसलिए किया क्योंकि सरकार ने कोचबंबा शहर में जल आपर्ति के अधिकार एक बहराष्टीय कम्पनी को बेच दिए।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 10.
बोलिविया जलयुद्ध का परिणाम क्या निकला?
उत्तर:
बोलिविया सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ करार रद्द कर दिया गया तथा जलापूर्ति पुनः नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें कायम कर दी गईं.।

प्रश्न 11.
फेडेकोर क्या है?
उत्तर:
फेडेकोर बोलिविया का एक संगठन है जिसे वहाँ के पेशेवर इंजीनियर एवं पर्यावरणवादियों ने गठित किया है। इसने बोलिविया में पानी के निजीकरण के विरोध में व्यापक संघर्ष किया था।

प्रश्न 12.
वर्ग विशेष हित समूह क्या हैं?
उत्तर:
वे हित समूह जो समाज के किसी एक वर्ग विशेष के हितों को बढ़ावा देते हैं, वर्ग विशेष हित समूह कहलाते हैं।

प्रश्न 13.
किस आन्दोलन के अन्तर्गत केन्या में तीन करोड़ वृद्ध लगाये गये?
उत्तर:
ग्रीनबेल्ट (हरितपट्टी आन्दोलन ) के अन्तर्गत।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
बोलिविया के जल युद्ध के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बोलिविया लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। विश्व बैंक के दबाव के कारण बोलिविया की सरकार ने नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। इस कम्पनी ने शीघ्र ही जल की कीमत चार गुना बढ़ा दी जिससे जन संघर्ष भड़क उठा। इस लोकप्रिय स्वतः स्फूर्त जन संघर्ष को बोलिविया के जल युद्ध के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
बोलिविया के जल युद्ध का समापन किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
बोलिविया की सरकार ने विश्व बैंक के दबाव में जल आपूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया, जिसने जल की कीमत में चार गुना वृद्धि कर दी। इस वृद्धि के विरोध में लोग भड़क उठे। जनवरी 2000 ई. में बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियन्त्रण करने के लिए मार्शल लॉ लगा दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ीं। बोलिविया सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया गया तथा जलापूर्ति पुनः नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें लागू कर दी गईं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 3.
नेपाल तथा बोलिविया आन्दोलन में क्या अन्तर था?
अथवा
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की असमानताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेपाल तथा बोलिविया आन्दोलन में निम्नलिखित अन्तर थे

  1. नेपाल में चले आन्दोलन का लक्ष्य लोकतन्त्र को स्थापित करना था, जबकि बोलिविया के जन संघर्ष में सरकार को जनता की माँग मानने के लिए बाध्य करना था।
  2.  नेपाल में संघर्ष देश की राजनीति के आधार से सम्बन्धित था, जबकि बोलिविया का जन संघर्ष सरकार की एक विशेष नीति के खिलाफ था।

प्रश्न 4.
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की समानताएँ लिखिए।
उत्तर:
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की निम्नलिखित समानताएँ थीं

  1. नेपाल का आन्दोलन व बोलिविया का जलयुद्ध दोनों लोकतान्त्रिक आन्दोलन थे।
  2. दोनों देशों में हुए संघर्षों को सफलता प्राप्त हुई।
  3. दोनों देशों में हुए आन्दोलन विश्व के लोकतन्त्र प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं।
  4. दोनों देशों में हुए इन लोकतान्त्रिक संघर्षों में विभिन्न संगठनों की निर्णायक भूमिका रही।

प्रश्न 5.
बामसेफ क्या है? इसके प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
बामसेफ का पूरा नाम “बैकवर्ड एण्ड माइनॉरिटी कम्युनिटीज़ एम्पलाइज फेडरेशन” (BAMCEF) है। यह मुख्यतया सरकारी कर्मचारियों का एक संगठन है। बामसेफ के मुख्य उद्देश्य:

  1. यह संगठन जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है।
  2. यह संगठन जातिगत भेदभाव के विरुद्ध अपने सदस्यों की समस्याओं को देखता है।
  3. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय एवं सम्पूर्ण समाज के लिए सामाजिक समानता को हासिल करना है।

प्रश्न 6.
“कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं?” इस कथन की व्याख्या उदाहरण देकर कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश आन्दोलन राजनीतिक दल से सम्बद्ध नहीं होते लेकिन उनका एक राजनीतिक पक्ष होता है आन्दोलनों की राजनीतिक विचारधारा होती है तथा बड़े मुद्दों पर उनका राजनीतिक पक्ष होता है। राजनीतिक दल एवं दबाव समूह के मध्य का सम्बन्ध कई रूप धारण कर सकता है। जिसमें कुछ प्रत्यक्ष होते हैं तो कुछ अप्रत्यक्षा कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के लिए, विदेशी लोगों के विरुद्ध विद्यार्थियों ने असम आन्दोलन चलाया। आन्दोलन की समाप्ति पर इस आन्दोलन ने ‘असम गण परिषद्’ नामक राजनीतिक दल का रूप ले लिया।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
नेपाल में लोकतान्त्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना किस प्रकार हुई? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
नेपाल में लोकतन्त्र के लिए दूसरा आन्दोलन’ की विवेचना कीजिए।
अथवा
नेपाल में ‘लोकतन्त्र के लिए दूसरा आन्दोलन’ के विभिन्न चरणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेपाल में 1990 ई. के दशक में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। नेपाल में औपचारिक रूप से राजा देश का प्रधान बना रहा लेकिन वास्तविक शक्ति का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता था। लोकतन्त्र के लिए नेपाल में दूसरा आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में प्रारम्भ हुआ।

इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना करना था। सप्तदलीय गठबन्धन (एस. पी. ए.) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद का किया, जिसमें माओवादी बागी व अन्य संगठन भी साथ हो लिए। 21 अप्रैल के दिन लगभग 3 से 5 लाख आन्दोलनकारियों ने राजा को अल्टीमेटम दे दिया। 24 अप्रैल 2006 को राजा ने आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें मान ली।

गिरिजा प्रसाद कोईराला को अन्तरिम सरकार का प्रधानमन्त्री बनाया गया। संसद की बहाली की गई, नई संविधान सभा के गठन की बात भी मान ली गयी। संसद ने विभिन्न कानून पारित कर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया गया। 2008 में राजतन्त्र की समाप्ति के साथ नेपाल संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य बना। इस प्रकार नेपाल में लोकतन्त्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 2.
बोलिविया में अचानक जन-आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे क्या कारण थे? इसके क्या परिणाम निकले?
अथवा
लोकतंत्र की जीवंतता में जन संघर्ष का अंदरूनी रिश्ता कैसे है? जल के लिए बोलिविया संघर्ष का उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
बोलिविया, लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। जल के लिए बोलिविया का संघर्ष लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित सरकार के निर्णय के विरुद्ध हुआ। विश्व बैंक के दबाव में वहाँ की सरकार ने नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। बहुराष्ट्रीय कम्पनी को कोचबंबा शहर में जलापूर्ति करनी थी। इस कम्पनी ने शीघ्र ही पानी की कीमतों में चार गुना तक वृद्धि कर दी। अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1,000 रुपये तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5,000 रुपये महीना है।

इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा पानी के बिलों में की गयी वृद्धि के विरोध में बोलिविया में एक स्वंतः स्फूर्त जन संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इस संघर्ष को बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना जाता है। जनवरी 2000 में सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियंत्रण करने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा तथा बोलिविया की सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ी।

प्रश्न 3.
नेपाल में लोक न्त्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना एवं बोलिविया में जलयुद्ध की समस्या के समाधान में लामबंदी व संगठन ने क्या भूमिका निभायी?
उत्तर:
नेपाल में अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान सात दलों के गठबन्धन (एस.पी.ए.) ने किया था। इस विरोध प्रदर्शन में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) भी सम्मिलित थी जिसे संसदीय लोकतंत्र पर विश्वास नहीं था। यह पार्टी नेपाल की सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष चला रही थी और इसने नेपाल के एक बड़े हिस्से पर अपना नियंत्रण कर लिया था।

इसके अतिरिक्त इस स्वतंत्रता संघर्ष में नेपाल के मूलवासी लोगों के संगठन, शिक्षक, वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सम्मिलित हो गये। वहीं दूसरी ओर बोलिविया के जल युद्ध का नेतृत्व फेडेकोर नामक संगठन ने किया। इस संगठन में इंजीनियर,  र्यावरणवादी तथा स्थानीय कामकाजी लोग सम्मिलित थे। इस अभियान का समर्थन किसान संघ, कारखाना मजदूर संघ, विश्वविद्यालय के छात्र, बेघर लोगों का संगठन तथा सोशलिस्ट पार्टी ने भी किया था।

प्रश्न 4.
दबाव समूह क्या हैं? कुछ मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए होते हैं? उदाहरण सहित कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दबाव-समूह से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
दबाव समूह: दबाव समूह ‘ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के समान दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियन्त्रण करने अथवा उसमें हिस्सेदारी करने का नहीं होता है। दबाव समूह का निर्माण तब होता है, जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं। कुछ मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा इन दबाव समूहों का नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं।

उदाहरण: भारत के अधिकांश मजदूर संगठनों तथा छात्र संगठनों का निर्माण तो बड़े-बड़े राजनीतिक दलों द्वारा किया गया है अथवा ये संगठन राजनीतिक दलों से सम्बद्धता रखते हैं। ऐसे दबाव समूहों के अधिकांश नेता किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता व नेता होते हैं।

प्रश्न 5.
वर्ग विशेष के हित समूह एवं जन सामान्य के हित समूह में क्या अन्तर है?
अथवा
वर्ग हितकारी समूह तथा लोक कल्याणकारी समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ग विशेष के हित समूह (वर्ग हितकारी समूह) एवं जन सामान्य हित समूह (लोक कल्याणकारी समूह) में निम्नलिखित अन्तर हैं

  1. वह हितकारी समूह जो समाज के किसी विशेष वर्ग या समूह के हितों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं, वर्ग विशेष के हित समूह कहलाते हैं, जबकि वे समूह जो समाज अथवा सामान्य हितों की बात करते हैं, जन सामान्य के हित समूह कहलाते हैं। .
  2. वर्ग विशेष के हित समूह समाज के एक वर्ग, जैसे- कर्मचारी, पेशेवर, उद्योगपति, जाति समूह अथवा किसी धर्म के अनुयायी आदि का प्रतिनिधित्व करता है जबकि जन सामान्य के हित समूह सम्पूर्ण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  3. वर्ग विशेष के हित समूह का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों की भलाई के लिए कार्य करना है; जबकि जन सामान्य के हित समूह अपने सदस्यों के साथ-साथ सम्पूर्ण समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 6.
आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? आन्दोलन दबाव समूहों से किस प्रकार भिन्नता रखते हैं?
उत्तर:
आन्दोलन से आशय-किसी संस्था की सहायता अथवा उसके बिना सामाजिक, आर्थिक अथवा राजनीतिक समस्या के समाधान हेतु आरम्भ किया गया संघर्ष ही आन्दोलन कहलाता है।
दूसरे शब्दों में, कभी-कभी लोग बगैर संगठन बनाए अपनी मांगों के लिए एकजुट होने का फैसला करते हैं। ऐसे समूहों को आन्दोलन कहा जाता है। आन्दोलन एवं दबाव समूहों में अन्तर-आन्दोलन एवं दबाव समूहों में निम्नलिखित अन्तर हैंआन्दोलन समूह

आन्दोलन समूहदबाव समूह
1. आन्दोलन चुनावी मुकाबले में सीधी भागीदारी करने की बजाय राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।1. दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
2. आन्दोलन का संगठन ढीला-ढाला होता है।2. दबाव समूहों का संगठन मज़ूल होता है।
3. आन्दोलन में निर्णय की प्रक्रिया अधिक औपचारिक व लचीली होती है।3. दबाव समूहों में एक प्रबल एवं औपचारिक निर्णय निर्माण प्रक्रिया होती है।
4. आन्दोलन जनता की स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं।4. दबाव समूह स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर नहीं होते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के लिए नेपालियों के जनसंघर्ष एवं बोलिविया के जलयुद्ध से आप क्या सामान्य निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
लोकतंत्र के लिए नेपाल के लोगों द्वारा किए गए जनसंघर्ष एवं बोलिविया के लोगों द्वारा जल के लिए किए गए जनसंघर्ष से हम निम्नलिखित सामान्य निष्कर्ष निकाल सकते हैं:
1. लोकतन्त्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास:
लोकतंत्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास होता है। यह भी संभव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ तथा ऐसे फैसलों के पीछे किसी प्रकार का संघर्ष न हो। फिर भी इसे अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र की निर्णायक घड़ी प्रायः वही होती है जब सत्ताधारी लोगों एवं सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वाले लोगों के मध्य संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।

2. जनता की व्यापक लामबंदी से लोकतान्त्रिक संघर्ष का समाधान:
लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के माध्यम से होता है। कभी-कभी इस संघर्ष का समाधान वर्तमान संस्थाओं जैसे संसद अथवा न्यायपालिका के माध्यम से हो जाए लेकिन जब विवाद अधिक गहन हो जाए तो सरकार के संगठन भी उसका हिस्सा बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में समाधान इन संस्थाओं के माध्यम से नहीं बल्कि उनके बाहर अर्थात् जनता के माध्यम से होता है।

3. संगठित राजनीति:
इस प्रकार के संघर्ष एवं लामबंदियों का आधार राजनीतिक संगठन होते हैं। यद्यपि इस प्रकार की घटनाओं में स्वतः स्फूर्त होने का भाव भी कहीं तक मौजूद जरूर होता है लेकिन जनता की स्वतः स्फूर्त सार्वजनिक भागीदारी संगठित राजनीति के माध्यम से सफल हो जाती है। संगठित राजनीति के कई माध्यम हो सकते हैं ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल, दबाव समूह एवं आन्दोलनकारी समूह सम्मिलित हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 

प्रश्न 2.
“दुनियाभर में लोकतन्त्र का विकास जन संघर्षों और आन्दोलनों से हुआ है।” इस कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
दुनियाभर में लोकतन्त्र का विकास जनसंघर्षों और आन्दोलनों से हुआ है। यह सत्य है। यह भी सम्भव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले जन सहमति से हो जाएँ और ऐसे फैसलों के पीछे किसी प्रकार का संघर्ष न हो फिर भी इसे अपवाद ही कहा जायेगा। लोकतन्त्र की निर्णायक घड़ी प्राय: वही होती है जब सत्ताधारियों एवं सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वाले लोगों के म य संघर्ष होता है। ऐसी समस्या तब आती है जब कोई देश लोकतन्त्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतन्त्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
उदाहरण:
1. नेपाल में लोकतन्त्र का आन्दोलन:
नेपाल में 1990 ई. के दशक में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। नेपाल में औपचारिक रूप से राजा देश का प्रधान बना रहा लेकिन वास्तविक शक्ति का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता था। लोकतन्त्र के लिए नेपाल में दूसरा आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में प्रारम्भ हुआ।

इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना करना था। सप्तदलीय गठबन्धन (एस. पी. ए.) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद का आह्वान किया, जिसमें माओवादी बागी व अन्य संगठन भी साथ हो लिए। 21 अप्रैल के दिन लगभग 3 से 5 लाख आन्दोलनकारियों ने राजा को अल्टीमेटम दे दिया।

24 अप्रैल 2006 को राजा ने आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें मान ली। गिरिजा प्रसाद कोईराला को अन्तरिम सरकार का प्रधानमन्त्री बनाया गया। संसद की बहाली की गई, नई संविधान सभा के गठन की बात भी मान ली गयी। संसद ने विभिन्न कानून पारित कर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया। इस प्रकार नेपाल में लोकतन्त्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना हुई।

2. बोलिविया में जनसंघर्ष:
बोलिविया, लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। जल के लिए बोलिविया का संघर्ष लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित सरकार के निर्णय के विरुद्ध हुआ। विश्व बैंक के दबाव में वहाँ की सरकार ने नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। बहुराष्ट्रीय कम्पनी को कोचबंबा शहर में जलापूर्ति करनी थी। इस कम्पनी ने शीघ्र ही पानी की कीमतों में चार गुना तक वृद्धि कर दी। अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1,000 रुपये तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5,000 रुपये महीना है।

इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा पानी के बिलों में की गयी वृद्धि के विरोध में बोलिविया में एक स्वतः स्फूर्त जन संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इस संघर्ष को बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना जाता है। जनवरी 2000 में सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियंत्रण करने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा तथा बोलिविया की सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ी।

प्रश्न 3.
“हित समूह एवं आन्दोलन के प्रभाव सदैव सकारात्मक नहीं होते हैं बल्कि इनके प्रभाव नकारात्मक भी होते हैं।” कथन की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए। अथवा दबाव समूह, हित समूह तथा आन्दोलन के नकारात्मक तथा सकारात्मक प्रभाव होते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हित समूह एवं आन्दोलन के प्रभाव सदैव सकारात्मक नहीं होते हैं उनके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। जिनका विवरण निम्न प्रकार से है
नकारात्मक प्रभाव:

  1. ये किसी एक वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा करते हैं।
  2. कभी-कभी दबाव समूह का आन्दोलन राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर देता है।
  3. ये लोकतन्त्र के मूल ढाँचे को कमजोर करने का प्रयास करते हैं क्योंकि ये अक्सर किसी एक वर्ग अथवा किसी एक मुद्दे पर कार्य करते हैं जबकि लोकतंत्र केवल एक वर्ग के हितों की रक्षा नहीं करता बल्कि सभी वर्गों के कल्याण पर नजर रखता है।
  4. ये समूह सत्ता का उपयोग तो करना चाहते हैं किन्तु अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं। राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता के समक्ष जाना पड़ता है। लेकिन ये समूह जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते।
  5. यह भी संभव है कि हित समूहों एवं आन्दोलनों में जनता से समर्थन प्राप्त न हो अथवा आर्थिक सहायता भी प्राप्त न हो। कभी-कभी ऐसा भी सम्भव हो सकता है कि हित समूहों में बहुत ही कम लोगों का समर्थन प्राप्त हो लेकिन उनके पास बहुत अधिक धन हो तथा इसके बल पर अपने संकुचित एजेंडे पर वे सार्वजनिक बहस का रुख मोड़ने में सफल हो जाएँ। सकारात्मक प्रभाव
    • हित समूहों एवं आन्दोलनों के कारण लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। शासकों के ऊपर दबाव डालना लोकतन्त्र में कोई अहितकारी गतिविधि नहीं है। बशर्ते इसका अवसर सभी को प्राप्त हो।
    • सरकारें अक्सर कुछ धनी एवं ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जन सामान्य के हित समूह तथा आन्दोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका का निर्वाह करते हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य जनता की आवश्यकताओं एवं सरोकारों से सरकार को अवगत कराते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिय

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण की तकनीक किस देश में विकसित हुई थी?
(क) भारत
(ख) चीन
(ग) जर्मनी
(घ) फ्रांस
उत्तर:
(ख) चीन

2. जापान की सबसे प्राचीन मद्रित पुस्तक थी
(क) डायमण्ड सूत्र
(ख) डायमण्ड पाकेट
(ग) यूनीवर्सल ट्रथ
(घ) ए होली प्लेस
उत्तर:
(क) डायमण्ड सूत्र

3. 18वीं सदी में यूरोप में जनसामान्य के बीच वैज्ञानिक विचारों के प्रसिद्ध होने का निम्नलिखित में से कौन-सा कारण नहीं है?
(क) आइजैक न्यूटन के मुद्रित विचार
(ख) छापेखाने का विकास
(ग) जनता की कार्य (विज्ञान) और कारण में रुचि
(घ) परंपरागत कुलीन वर्गों ने इसका पक्ष लिया
उत्तर:
(ग) जनता की कार्य (विज्ञान) और कारण में रुचि

4. इंग्लैण्ड में पेनी ‘चैपबुक्स’ या एकपैसिया किताबें बेचने वालों को क्या कहा जाता था?
(क) चैपमैन
(ख) सेल्समैन
(ग) बुक्समैन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) चैपमैन

5. “हे निरकुंशवादी शासको, अब तुम्हारे काँपने का वक्त आ गया है। आभासी लेखक की कलम के जोर के आगे तुम हिल उठोगे!” यह किसका कथन था?
(क) लुई सेबेस्तिए मर्सिए का ।
(ख) जेम्स लॉकिंग्टन का
(ग) योहान गुटेनबर्ग का
(घ) मार्कोपोलो का
उत्तर:
(क) लुई सेबेस्तिए मर्सिए का ।

6. बंगाल गजट नामक साप्ताहिक पत्रिका का सम्पादन किसने किया?
(क) जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने
(ख) वारेन हेस्टिंग्स ने
(ग) विलियम बोल्ट्स ने
(घ) तुलसीदास ने
उत्तर:
(क) जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने

7. तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का प्रथम मुद्रित संस्करण कहाँ से प्रकाशित हुआ?
(क) जयपुर
(ख) मुम्बई ।
(ग) मद्रास
(घ) कलकत्ता
उत्तर:
(घ) कलकत्ता

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

8. निम्नलिखित में से ‘पंजाब केसरी’ का प्रकाशन किसने किया?
(क) बाल गंगाधर तिलक
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) भगतसिंह
(घ) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(क) बाल गंगाधर तिलक

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. मुद्रण की सबसे पहली तकनीक …………, जापान और …………… में विकसित हुई।
उत्तर:
चीन, कोरिया,

2. जापान की सबसे पुरानी, 868 ई. में छपी पुस्तक ……….. है।
उत्तर:
डायमंड सूत्र,

3. ………. ने उकियो नामक नई चित्रशैली को जन्म दिया।
उत्तर:
कितागावा उतामारो,

4. गुटेनबर्ग ने ………. का आविष्कार किया।
उत्तर:
जैतून प्रेस,

5. जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने ………. में बंगाल गजट पत्रिका का संपादन प्रारंभ किया।
उत्तर:
सन् 1780 ई.।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मुद्रण की सबसे पहली तकनीक किस देश में विकसित हुई?
उत्तर:
मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई।

प्रश्न 2.
कैलिग्राफी क्या है ?
उत्तर:
हाथ से बड़े-बड़े सुन्दर व सुडौल अक्षरों में लिखने की कला को कैलिग्राफी (खुशनवीसी) कहते हैं।

प्रश्न 3.
एक लम्बे समय तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन-सा था ?
उत्तर:
एक लम्बे समय तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीनी राजतन्त्र था।

प्रश्न 4.
चीन में प्रिन्ट संस्कृति का नया केन्द्र कौन-सा था ?
उत्तर:
चीन में प्रिन्ट संस्कृति का नया केन्द्र शंधाई था।

प्रश्न 5.
चीनी बौद्ध प्रचारक 768-770 ई. के आस-पास हाथ की छपाई की तकनीक लेकर ………… आए।
उत्तर:
चीनी बौद्ध प्रचारक आस-पास हाथ की छपाई की तकनीक लेकर जापान आए।

प्रश्न 6.
जापान की सबसे पुरानी पुस्तक ‘ डायमण्ड सूत्र ‘ किस वर्ष प्रकाशित हुई ?
उत्तर:
जापान की सबसे पुरानी पुस्तक ‘डायमण्ड सूत्र’ 868 ई. में प्रकाशित हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 7.
एदो शहर को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
एदो शहर को वर्तमान में टोक्यो के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 8.
उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नामक चित्र शैली के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किसने दिया ?
उत्तर:
कितागावा उतामारो ने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नामक चित्र शैली के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 9.
मार्कोपोलो कौन था ?
उत्तर:
मार्कोपोलो इटली का एक महान खोजी यात्री था। वह 1295 ई. में चीन से इटली में वुडब्लॉक वाली छपाई की तकनीक लेकर आया था।

प्रश्न 10.
वेलम या चर्मपत्र क्या है ?
उत्तर:
चर्म-पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह वेलम कहलाती है।

प्रश्न 11.
गुटेनबर्ग ने 1448 ई. तक अपना छापने का यंत्र मुकम्मल कर लिया। उसने जो पहली किताब छापी वह थी……….।
अथवा
1448 ई. में योहान गुटेनबर्ग ने कौन-सी पहली पुस्तक छापी थी?
उत्तर:
बाईबिल।

प्रश्न 12.
मार्टिन लूथर कौन था?
अथवा
मार्टिन लूधर कौन था? उसने किन कुरीतियों की आलोचना की?
उत्तर:
मार्टिन लूथर जर्मनी का एक धर्म सुधारक था। उसने कैथोलिक चर्च की बुराइयों की आलोचना की तथा पिच्चानवे स्थापनाओं का लेखन किया। उसके छपे हुए लेखों के कारण धर्म सुधार आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।

प्रश्न 13.
पिच्चानवे स्थापनाओं का लेखन किसने किया ?
उत्तर:
मार्टिन लूथर ने पिच्चानवे स्थापनाओं का लेखन किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 14.
यह किसने कहा था, “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, और सबसे बड़ा तोहफा है।”
उत्तर:
यह कथन मार्टिन लूथर का है।

प्रश्न 15.
इन्क्वीजीशन क्या है?
उत्तर:
विधर्मियों की पहचान करने और सजा देने वाली रोमन कैथोलिक संस्था को इन्क्वीजीशन कहा जाता था।

प्रश्न 16.
इंरस्मस कौन था?
उत्तर:
इंरस्मस लैटिन का एक विद्वान एवं कैथोलिक धर्म-सुधारक था।

प्रश्न 17.
सस्ते कागज पर छापी और नीली जिल्द में बँधी छोटी किताबों ‘बिब्लियोथीक ब्यू’ का चलन किस देश में था?
उत्तर:
फ्रांस में बिब्लियोधीक ब्ल्यू का चलन था।

प्रश्न 18.
“छापाखाना प्रगति का सबसे ताकतवर औजार है? इससे बन रही जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा।” यह कथन किसने कहा था?
उत्तर:
फ्रांस के उपन्यासकार लुई सेबेस्तिए मर्सिए ने।

प्रश्न 19.
पेनी मैग्ज़ीन का प्रकाशन कहाँ व किसने किया?
उत्तर:
पेनी मैग्जीन का प्रकाशन इंग्लैण्ड में 1832 1850 ई. के मध्य सोसायटी फॉर द डिफ्यूजन ऑंफ यूजफुल नॉलेज ने किया।

प्रश्न 20.
पेनी मैग्ज़ीन का प्रकाशन मूलतः किस वर्ग के लिए किया गया?
उत्तर:
पेनी मैग्ज़ीन का प्रकाशन मूलतः मजदूर वर्ग के लिए किया गया।

प्रश्न 21.
राममोहन राय ने ‘संवाद कौमुदी’ का प्रकाशन कब किया? अखबारों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. जाम-ए-जहाँ नामा तथा
  2. शम्सुल अखबार।

प्रश्न 23.
बंगाली भाषा में प्रकाशित पहली सम्पूर्ण आत्मकहानी का नाम लिखिए।
उत्तर:
अमार जीबन’ बंगाली भाषा में 1876 ई. में प्रकाशित पहली सम्पूर्ण आत्मकहानी थी।

प्रश्न 24.
सन् 1926 ई़. में बंग महिला शिक्षा सम्मेलन को किस महिला शिक्षाविद् ने सम्बोधित किया?
उत्तर:
सन् 1926 ई. में बंग महिला शिक्षा सम्मेलन को बेगम रोकैया शेखावत ने सम्बोधित किया।

प्रश्न 25.
गुलामगिरी नामक पुस्तक की रचना कब व किसने की?
उत्तर:
गुलामगिरी नामक पुस्तक की रचना 1871 ई. में ज्योतिबा फुले ने की।

प्रश्न 26.
गुलामगिरी’ पुस्तक 1871 ज्योतिबा फुले ने क्यों लिखी थी?
उत्तर:
जाति प्रथा के अत्याचारों को सार्वजनिक करने के लिए ज्योतिबा फुले ने 1871 ई. में ‘गुलामगिर पुस्तक लिखी थी।

प्रश्न 27.
पेरियार के नाम से किसे जाना जाता है?
उत्तर:
मद्रास के प्रसिद्ध लेखक ई. वी. रामास्वामी नायकर को पेरियार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 28.
बीसवीं सदी के उन दो लेखकों के नाम बताइए जिन्होंने जाति प्रथा के विरोध में अपना लेखन किया?
उत्तर:

  1. डॉ. भीमराव अम्बेडकर (महाराष्ट्र),
  2. रामास्वामी नायकर (मद्रास)।

प्रश्न 29.
वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट क्या था? इसे कब लागू किया गया?
अथवा
1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट क्यों लागू किया गया था?
उत्तर:
वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट को 1878 ई. में लागू किया गया। इसके तहत् ब्रिटिश सरकार को भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्रों में छपे समाचारों और सम्पादकीय को सेंसर करने का अधिकार मिल गया।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
चीन मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक देश क्यों था?
अथवा
चीनी राजतन्त्र किस प्रकार लम्बे समय तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक बना रहा? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सिविल सेवा परीक्षा से नियुक्त चीन के प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या बहुत अधिक थी। इसलिए चीनी राजतन्त्र इन परीक्षाओं के लिए विशाल मात्रा में पुस्तकें छपवाता था। सोलहवीं शताब्दी में सिविल सेवा परीक्षा देने वालों की संख्या में वृद्धि हुई फलस्वरूप छपी हुई पुस्तकों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ गई। इसलिए चीन एक लम्बे समय तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक देश था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 2.
कितागावा उतामारो कौन था? उसका क्या योगदान है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
कितागावा उतामारो एक चित्रकार था। उसका जन्म 1753 ई. में एदो (वर्तमान में टोक्यो) में हुआ था। उतामारो ने ‘उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नाम की एक नयी चित्रकला शैली में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसमें आम शहरी का चित्रण किया गया। इनकी छपी प्रतियाँ यूरोप और अमेरिका पहुँचीं। इस चित्र शैली ने माने, मोने व वान गाँग जैसे चित्रकारों को प्रभावित किया।

प्रश्न 3.
हस्तलिखित पांडुलिपियों की क्या कमियाँ थीं?
अथवा
यूरोप में वुडब्लॉक प्रिन्टिंग क्यों लोकप्रिय हुई?
अथवा
यूरोप में 14वीं सदी के दौरान पांडुलिपियाँ, किताबों की बढ़ती माँग को पूरा क्यों नहीं कर सकीं?
उत्तर:

  1. हस्तलिखित पांडुलिपियों से बढ़ती हुई पुस्तकों की मांग पूरी नहीं हो सकती थी।
  2. हस्तलिखित पाण्डुलिपियों की नकल उतारना बहुत खर्चीला, श्रमसाध्य एवं समय साध्य व्यवसाय था।
  3. पांडुलिपियाँ प्रायः नाजुक होती थीं तथा उनके लाने ले जाने, रखरखाव में बहुत अधिक कठिनाइयाँ थीं इसलिए उनका चलन सीमित रहा। उपयुक्त समीकरणों के अलावा पुस्तकों की बढ़ती हुई माँग के कारण वुडब्लॉक प्रिन्टिग (तख्ती की छपाई) लोकप्रिय होती गयी।

प्रश्न 4.
छापेखाने के आविष्कार ने पढ़ने की संस्कृति को किस प्रकार प्रभावित किया?
अथवा
“छापेखाने के आविष्कार से एक नया पाठक वर्ग पैदा हुआ।” कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
छापेखाने के आविष्कार ने पढ़ने की संस्कृति को निम्न प्रकार से प्रभावित किया:

  1. इसने किताब निर्माण की लागत को कम कर दिया तथा पर्याप्त मात्रा में किताबें छपने लगी।
  2. इसने पढ़ने की एक नयी संस्कृति को जन्म दिया। पूर्व में लोग सुनने वाले थे अब पढ़ने वाले हो गये।
  3. जो लोग पढ़ नहीं सकते थे उनके लिए प्रकाशकों ने लोकप्रिय गीत, लोकगीत, लोककथाएँ एवं चित्रात्मक किताबें छापना प्रारम्भ कर दिया। इन सब चीजों ने एक नये पाठक वर्ग को जन्म दिया।

प्रश्न 5.
“मुद्रण के कारण वैज्ञानिक व दार्शनिक भी आम जनता की पहुँच से बाहर नहीं रहे।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मुद्रण ने वैज्ञानिकों एवं दार्शनिकों के विचारों से जनता को किस प्रकार अवगत कराया ?
उत्तर:

  1. वैज्ञानिक तथा दार्शनिक भी अब आम जनता की पहुँच से बाहर नहीं रहे,
  2. प्राचीन तथा मध्यकालीन ग्रन्थ एकत्रित किये गये तथा नक्शों के साथ-साथ वैज्ञानिक खाके भी बड़ी मात्रा में छापे गये,
  3. जब आइजैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिक अपने आविष्कारों को प्रकाशित करने लगे तो उनके लिए विज्ञान बोध में पगा एक बड़ा पाठक वर्ग तैयार हो चुका था।

प्रश्न 6.
मुद्रण संस्कृति ने किस प्रकार फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए परिस्थितियाँ उत्पन्न की?
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति ने निम्न प्रकार से फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए परिस्थितियाँ उत्पन्न की

  1. मुद्रण संस्कृति के कारण ज्ञानोदय के चिन्तकों के विचारों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार हुआ।
  2. मुद्रण संस्कृति ने वाद-विवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया।
  3. इसने राजशाही तथा उसकी नैतिकता की भरपूर आलोचना की।

प्रश्न 7.
सत्रहवीं व अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में लोगों में पढ़ने का जुनून कैसे पैदा हो गया?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से सत्रहवीं व अठारहवीं शताब्दी में यूरोप के लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा हो गया

  1. सत्रहवीं व अठारहवीं शताब्दी में चर्च ने बहुत बड़ी संख्या में गाँवों में विद्यालयों की स्थापना की ताकि किसानों व कारीगरों को शिक्षित किया जा सके।
  2. यूरोप के कई भागों में साक्षरता दर 60 से 80 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी।
  3. मुद्रकों ने अधिक संख्या में सस्ती पुस्तकें छापना प्रारम्भ कर दिया।
  4. पुस्तक विक्रेताओं ने गाँव-गाँव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकें बेचने वाले फेरी वालों को भी नियुक्त किया।

प्रश्न 8.
यूरोप ज्ञानोदय के चिन्तकों द्वारा मुद्रण के माध्यम से कौन-से विचारों को लोकप्रिय बनाया गया? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
ज्ञानोदय के चिन्तकों द्वारा मुद्रण के माध्यम से निम्नलिखित विचारों को लोकप्रिय बनाया गया

  1. ज्ञानोदय चिन्तकों ने अपने लेखन के माध्यम से परम्परा, अन्धविश्वास एवं निरंकुशवाद पर आलोचनात्मक टिप्पणियाँ प्रकाशित की।
  2. इन विचारकों ने स्थापित रीति-रिवाजों के स्थान पर विवेक के शासन पर जोर दिया।
  3. उन्होंने लोगों से माँग की कि प्रत्येक वस्तु को तर्क व विवेक की कसौटी पर ही परखा जाए।
  4. इन चिन्तकों ने चर्च की तथाकथित पवित्र धार्मिक सत्ता एवं राज्य की निरंकुश सत्ता पर प्रहार करके परम्परा पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को कमजोर कर दिया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 9.
यूरोप में मुद्रण संस्कृति ने किस प्रकार वाद-विवाद एवं संवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया?
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति ने निम्नलिखित प्रकार से वाद-विवाद एवं संवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया

  1. छपाई ने वाद-विवाद संवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया, इससे समस्त पुराने मूल्य, संस्थाओं एवं नियमों पर आम जनता के बीच चर्चा शुरू हो गयी तथा उनके पुनर्मूल्यांकन का सिलसिला प्रारम्भ हो गया।
  2. मुद्रण संस्कृति के माध्यम से सामाजिक क्रान्ति के नये विचारों ने जन्म लिया।

प्रश्न 10.
उलेमा कौन थे? वे चिन्तित क्यों थे?
उत्तर:
इस्लामी कानून एवं शरीयत के विद्वान उलेमा कहलाते थे। उत्तर भारत में उलेमा मुस्लिम राजवंशों के पतन को लेकर चिन्तित थे। उन्हें डर था कि कहीं ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन धर्मान्तरण को बढ़ावा न दे अथवा मुस्लिम कानून न बदल डाले। इससे निबटने के लिए उन्होंने सस्ते लिथोग्राफी प्रेस का उपयोग करते हुए धर्म ग्रन्थों के फारसी या उर्दू अनुवाद छापे तथा धार्मिक समाचार-पत्र व गुटके प्रकाशित किए।

प्रश्न 11.
रशसुन्दरी देवी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
रशसुन्दरी देवी पूर्वी बंगाल की निवासी थीं जिनका विवाह उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में कट्टर रूढ़िवादी परिवार में हुआ था। इन्होंने रसोई में छिप-छिपकर पढ़ना सीखा। इन्होंने ‘आमार जीबन’ नामक आत्मकथा लिखी जो 1876 ई. में प्रकाशित हुई। यह बंगाली भाषा में प्रकाशित प्रथम सम्पूर्ण आत्मकहानी थी। रशसुन्दरी देवी द्वारा लिखित अपनी आत्मकथा ‘आमार जीबन’ के प्रति लोगों में बहुत कौतूहल था। 1876 ई. में प्रकाशित हुई इस आत्मकथा को पाठकों द्वारा बहुत अधिक पसन्द किया गया।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA)

प्रश्न 1.
“17वीं सदी तक आते-आते चीन में शहरी संस्कृति के फलने-फूलने से छपाई के प्रयोग में भी विविधता आई।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
17वीं सदी तक आते-आते चीन में शहरी संस्कृति के फलने-फूलने से मुद्रित सामग्री का प्रयोग करने वाले केवल विद्वान एवं अधिकारी ही नहीं रहे बल्कि व्यापारी भी अपने दैनिक कारोबार की जानकारी देने के लिए मुद्रित सामग्री का प्रयोग करने लगे। अब पढ़ना भी एक शौक बन गया। नये पाठक वर्ग को काल्पनिक किस्से, कविताएँ, आत्मकथाएँ, शास्त्रीय साहित्यिक रचनाओं के संकलन एवं रूमानी नाटक पसन्द थे। धनिक वर्ग की महिलाओं ने पढ़ना प्रारम्भ कर दिया।

कुछ महिलाओं ने अपने द्वारा रचित काव्य एवं नाटक भी प्रकाशित करवाये। पढ़ने की यह नई संस्कृति एक नवीन तकनीक के साथ आई। 19वीं सदी के अन्त में पश्चिमी शक्तियों द्वारा अपनी चौकियाँ स्थापित करने के साथ ही पश्चिमी मुद्रण तकनीक एवं मशीनी प्रेस का आयात भी हुआ। पश्चिमी शैली के विद्यालयों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला शंघाई प्रिन्ट संस्कृति का एक नया केन्द्र बन गया। हाथ की छपाई का स्थान अब धीरे-धीरे मशीनी या यान्त्रिक छपाई ने ले लिया।

प्रश्न 2.
जापान में मुद्रण के विकास को संक्षेप में बताइए।
अथवा
जापान में हाथ से छपाई की तकनीक कैसे प्रारंभ हुई?
उत्तर:
जापान में मुद्रण के विकास को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. चीनी बौद्ध प्रचारक 768-770 ई. के आस-पास छपाई की तकनीक लेकर जापान आए।
  2. 868 ई. में जापान की सबसे प्राचीन पुस्तक ‘डायमण्ड सूत्र’ का प्रकाशन हुआ जिसमें पाठ के साथ-साथ काठ पर खुदे चित्र थे।
  3. जापान में तस्वीरें सामान्यतया वस्त्रों, ताश के पत्तों एवं कागज के नोटों पर बनाई जाती थीं।
  4. मध्यकालीन जापान में कवि एवं गद्यकारों की तस्वीरें भी छपती थीं। इस समय पुस्तकें सस्ती व सर्वसुलभ थीं।
  5. अठारहवीं शताब्दी के अन्त में एदो (वर्तमान टोक्यो) के शहरी क्षेत्रों की चित्रकारी में शालीन शहरी संस्कृति का पता चलता है जिसमें चायघर के मजमों, कलाकारों एवं तवायफों को देख सकते हैं।
  6. हाथ से मुद्रित तरह-तरह की सामग्री-महिलाओं, संगीत के साजों, हिसाब-किताब, चाय अनुष्ठान, शिष्टाचार, फूलसाजी व रसोई पर लिखी किताबों से पुस्तकालय एवं दुकानें भरी हुई थीं।

प्रश्न 3.
उन्नीसवीं सदी में यूरोप में बच्चों और महिलाओं के रूप में किस तरह नये पाठक वर्ग में तेजी से वृद्धि हुई ? संक्षेप में बताइए।
अथवा
19वीं सदी में यूरोप में किस तरह नये पाठक वर्ग का निर्माण हुआ?
उत्तर:

  1. उन्नीसवीं सदी के अन्त में यूरोप में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया। बहुत बड़ी संख्या में बच्चों की पुस्तकों का प्रकाशन आरम्भ हुआ। अत: बच्चे भी एक नये एवं बड़े पाठक वर्ग के रूप में उभरकर सामने आये।
  2. उन्नीसवीं सदी में ही पेनी मैगजीन्स या एक पैसिया पत्रिकाओं का प्रकाशन आरम्भ हुआ। ये पत्रिकाएँ महिलाओं में बहुत अधिक लोकप्रिय हुईं। उपन्यासों व घर-गृहस्थी सिखाने वाली निर्देशिकाओं ने भी महिलाओं में लोकप्रियता पायी। महिलाएँ इन साहित्यों के एक बड़े पाठक वर्ग के रूप में उभरकर सामने आयीं।
  3.  17वीं सदी में जो किराये पर पुस्तकें देने वाले पुस्तकालय स्थापित हुए थे उनका 19वीं सदी में उपयोग बढ़ा। इनका उपयोग सफेद कॉलर मजदूरों, दस्तकारों एवं निम्नवर्गीय लोगों को शिक्षित करने में किया गया। ये पुस्तकालय इन वर्गों में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गये।

प्रश्न 4.
यूरोप में मुद्रण ने राजशाही और उसकी नैतिकता का मज़ाक किस प्रकार उड़ाया?
अथवा
यूरोप में मुद्रण ने राजशाही के विरुद्ध विद्रोह की भावना विकसित करने में किस प्रकार अपनी भूमिका का निर्वाह किया ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
यूरोप में मुद्रण ने राजशाही के विरुद्ध विद्रोह की भावना विकसित करने में निम्न प्रकार से अपनी भूमिका का निर्वाह किया

  1. मुद्रण ने ऐसे साहित्यों की बाजार में भरमार कर दी थी जिसमें राजशाही और उसकी नैतिकता की कठोर आलोचना की गई थी। इसमें पारम्परिक सामाजिक व्यवस्था पर भी प्रश्न उठाए गए थे।
  2. यूरोप में मुद्रण ने राजशाही और उसकी नैतिकता का भरपूर मज़ाक उड़ाया तथा अनेक कार्टूनों व व्यंग्य चित्रों को छापा।
  3. तत्कालीन समय के कार्टून तथा व्यंग्य चित्रों में यह जनसन्देश छिपा हुआ था कि राजशाही विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रही है। वहीं दूसरी ओर आम जनता घोर कठिनाइयों में फंसी हुई है।
  4. राजशाही के विरुद्ध सन्देशों से भरे हुए इन साहित्यों को गोपनीय तरीकों से लोगों तक पहुँचाया गया। इससे आम जनता अवगत हुई और उनमें राजशाही के विरुद्ध विद्रोह की भावना विकसित हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 5.
उन्नीसवीं सदी में यूरोप में मुद्रण संस्कृति में कौन-कौन से नये तकनीकी परिष्कार हुए?
अथवा
अठारहवीं शताब्दी के पश्चात् यूरोप में मुद्रण में नये विकासों को संक्षेप में बताइए।।
उत्तर:

  1. अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक प्रेस में धातुओं का प्रयोग होने लगा था।
  2. सम्पूर्ण उन्नीसवीं शताब्दी में छापेखाने की तकनीक में निरन्तर सुधार होते रहे।
  3. न्यूयॉर्क के रिचर्ड एम. हो द्वारा शक्तिचालित बेलनाकार प्रेस का आविष्कार किया गया जिससे प्रति घण्टे 8000 प्रतियाँ छप सकती थी। इसका प्रयोग यूरोप में होने लगा। (iv) 19वीं सदी के अन्त में ऑफसेट प्रेस का विकास हुआ जिससे एक साथ 6 रंग की छपाई का काम बड़ी तेजी से होने लगा।
  4.  कुछ नयी चीजों का विकास हुआ जिनमें कागज डालने की विधि में सुधार, प्लेट की गुणवत्ता में सुधार, स्वचालित पेपर रील एवं रंगों के लिए फोटो विद्युतीय नियन्त्रण का प्रयोग आदि सम्मिलित थे।

प्रश्न 6.
भारत में मुद्रण युग से पहले पांडुलिपियों को तैयार करने की क्या परम्परा थी? उनको किस प्रकार रखा जाता था? संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत में मुद्रण युग से पहले की पांडुलिपियाँ।
अथवा
मुद्रण युग से पहले भारत में सूचना और विचार कैसे लिखे जाते थे? भारत में मुद्रण तकनीक का चलन किस प्रकार प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
भारत में मुद्रण युग से पहले पांडुलिपियों को तैयार करने की परम्परा एवं उनको रखने की प्रक्रिया को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भारत में मुद्रण के आगमन से पहले संस्कृत, अरबी, फारसी एवं विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियाँ तैयार करने की पुरानी और समृद्ध परम्परा थी।
  2. पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों अथवा हाथ से बने कागज पर नकल करके बनाई जाती थीं। कभी-कभी पांडुलिपियों के पन्नों में सुन्दर चित्र भी बनाये जाते थे।
  3. पांडुलिपियों के पन्नों को संरक्षित करने एवं उन्हें किताब जैसा आकार देने के लिए या तो लकड़ी की तख्तियों के मध्य रख दिया जाता था या फिर उन्हें सिलकर बाँध दिया जाता था।
  4. पांडुलिपियाँ बहुत ही नाजुक व महँगी होती थीं। अतः उन्हें सावधानी से पकड़ना होता था।
  5.  पांडुलिपियों के अलग-अलग तरीके से लिखे जाने के कारण पांडुलिपियों को पढ़ना भी आसान नहीं होता था। इसीलिए इनका व्यापक दैनिक उपयोग नहीं होता था।

प्रश्न 7.
19वीं शताब्दी के भारत में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
19वीं शताब्दी के भारत में मुद्रण संस्कृति का महिलाओं के जीवन पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
19वीं शताब्दी के भारत में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया

  1. महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आया। महिलाओं की जिन्दगी और उनकी भावनाओं पर गम्भीरता से पुस्तकें लिखी गयीं।
  2. मध्यम वर्ग की महिलाएं पहले की तुलना में पढ़ने में अधिक रुचि लेने लगी।
  3. 19वीं सदी के मध्य में जब बड़े-बड़े शहरों में विद्यालय खुलने लगे तो उदारवादी पिता और पति महिलाओं को पढ़ने के लिए विद्यालयों में भेजने लगे।
  4. कई पत्रिकाओं ने लेखिकाओं को स्थान देना प्रारम्भ कर दिया। महिला लेखिकाओं ने महिला शिक्षा की जरूरत पर अनेक लेख लिखे।
  5. कुछ महिला लेखिकाओं जैसे कैलाशवासिनी देवी, रशसुन्दरी देवी, ताराबाई शिंदे एवं पण्डिता रमाबाई ने महिलाओं के दयनीय जीवन के बारे में विस्तार से लिखा। उन्होंने आत्मकथा तथा उपन्यास लिखे, जिनमें महिलाओं की समस्याओं पर चर्चा की।
  6. आरम्भिक बीसवीं शताब्दी में महिलाओं द्वारा सम्पादित कुछ ऐसी पत्रिकाएँ भी र्थी जिनमें विभिन्न मुद्दों; जैसे-महिला शिक्षा, विधवा जीवन, विधवा पुनर्विवाह एवं राष्ट्रीय आन्दोलन आदि पर लिखा गया।

प्रश्न 8.
जानी-पानी लेखिका बेगम रोकैया शेखावत हुसैन ने धर्म के नाम पर महिलाओं को पढ़ने से रोकने पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
उत्तर:
बेगम रोकैया शेखावत हुसैन एक विख्यात शिक्षाविद् एवं लेखिका थीं। उन्होंने मुस्लिम समाज में व्याप्त रूढ़ियों का खुलकर विरोध किया। उन्होंने ऐसे दकियानूसी मुसलमानों की आलोचना की जिनको लगता था कि उर्दू के रूमानी अफसाने पढ़कर मुस्लिम महिलाएँ बिगड़ जायेंगी। उन्होंने 1926 ई. में बंग महिला शिक्षा सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस सम्मेलन में उन्होंने धर्म के नाम पर महिलाओं को पढ़ने से रोकने के लिए पुरुषों की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि पुरुषों का यह कहना पूर्णरूपेण गलत है कि शिक्षित महिलाएँ उदंड हो जायेंगी। उन्होंने ऐसे लोगों की आलोचना की जो अपने को मुसलमान बताते हैं तथा इस्लाम द्वारा महिलाओं को बराबरी का हक देने के बुनियादी नियम के विरुद्ध भी जाते हैं। यदि मुसलमान पुरुष पढ़-लिखकर नहीं भटकते तो महिलाएँ कैसे भटक जाएँगी। इस तरह उन्होंने महिलाओं को शिक्षित किये जाने की वकालत की।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 9.
“उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में विभिन्न छपी हुई पुस्तिकाओं एवं निबन्धों में जातिगत भेदभाव का मुद्दा उछलने लगा था।” उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“भारत में 19वीं सदी के अन्त में जाति भेद के बारे में तरह-तरह की मुद्रित पुस्तिकाओं और निबन्धों में लिखा जाने लगा था।” इस कथन की पुष्टि दो उपयुक्त उदाहरणों द्वारा दीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में विभिन्न छपी हुई पुस्तिकाओं एवं निबन्धों में जातिगत भेदभाव का मुद्दा उछलने लगा था। यह निम्न उदाहरणों द्वारा स्पष्ट है
1. निम्न जातीय आन्दोलनों के मराठी प्रणेता समाज सुधारक ज्योतिबा फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी (1871 ई.) में अन्यायपूर्ण जाति-व्यवस्था के बारे में लिखा।

2. बीसवीं शताब्दी में महाराष्ट्र के डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं मद्रास के ई. वी. रामास्वामी नायकर जो पेरियार के नाम से प्रसिद्ध थे, जैसे लोगों ने जाति-व्यवस्था के विषय में विस्तार से लिखा। इन लेखकों द्वारा लिखे गये विचार समस्त भारत में पढ़े जाते थे। स्थानीय विरोध आन्दोलनों एवं सम्प्रदायों ने भी कई प्रकार की लोकप्रिय पत्रिकाएँ एवं पुस्तिकाएँ प्रकाशित की जिनमें प्राचीन धर्मग्रन्थों की आलोचना करते हुए नये और न्यायपूर्ण समाज का भविष्य रचने की वकालत की गई थी।

प्रश्न 10.
प्रेस पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध का राष्ट्रवादी गतिविधियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1878 ई. में लागू वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट के माध्यम से प्रेस पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध का राष्ट्रवादी गतिविधियों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. ब्रिटिश शासन द्वारा लगातार नियन्त्रण रखने एवं दमनकारी कार्यवाही करने के बावजूद देश के सभी भागों में देसी सनापार-पत्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती चली गयी।
  2. राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों ने औपनिवेशिक कुशासन की रिपोर्टिंग एवं राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रसार करना जारी रखा। इन समाचार-पत्रों ने स्वदेशी आन्दोलन का समर्थन किया।
  3. ब्रिटिश सरकार द्वारा राष्ट्रवादी गतिविधियों पर नियन्त्रण की सभी कोशिशों का उग्र विरोध हुआ।
  4. जब बाल गंगाधर तिलक ने अपने अखबार ‘केसरी’ में ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति का विरोध करने के साथ-साथ इस सरकार द्वारा पंजाब के क्रान्तिकारियों को कालापानी की सजा दिये जाने का विरोध किया तो 1908 ई. में उन्हें जेल में बन्द कर दिया गया। इसका सम्पूर्ण देश में व्यापक विरोध हुआ।
  5. प्रेस पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध एवं राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी की आम भारतीय जनता में खुलकर प्रतिक्रिया हुई। देशभर में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन हुआ।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चीन में मुद्रण के इतिहास को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
चीन में मुद्रण के इतिहास को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान व कोरिया देश में विकसित हुई। यह छपाई हाथ से होती थी।
  2. लगभग 594 ई. से चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़कर पुस्तकें छापा जाना प्रारम्भ किया गया।
  3. चूँकि पतले, छिद्रित कागज के दोनों ओर छपाई संभव नहीं थी इसलिए पारम्परिक चीनी पुस्तकें एकॉर्डियन शैली में किनारों को मोड़ने के पश्चात् सिलकर बनायी जाती थीं। (iv) चीन में पुस्तकों को सुलेखन करने वाले लोग दक्ष सुलेखक या खुशनवीसी होते थे जो हाथ से बड़े बड़े सुन्दर सुडौल अक्षरों में सही-सही कलात्मक लिखाई करते थे।
  4. एक लम्बे समय तक मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक चीनी राजतंत्र रहा था। सिविल सेवा परीक्षा में नियुक्त चीन की नौकरशाही भी विशाल थी। चीनी राजतंत्र इन परीक्षाओं के लिए बड़ी संख्या में पुस्तकें छपवाता था।
  5. 16वीं शताब्दी में सिविल सेवा परीक्षा देने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। अतः पुस्तकें भी उसी अनुपात में अधिक संख्या में छापी गयीं।
  6. 17वीं शताब्दी तक आते-आते चीन में नगरीय संस्कृति के विस्तार से छपाई के उपयोग में भी विविधता आयी! अब मुद्रित सामग्री के उपभोक्ता केवल विद्वान एवं अधिकारी ही नहीं थे बल्कि व्यापारी भी अपने कारोबार की दैनिक जानकारी लेने के लिए मुद्रित सामग्री का प्रयोग करने लगे।
  7.  चीन में पढ़ना एक शौक बन गया था। नए पाठक वर्ग को काल्पनिक किस्से, कविताएँ, शास्त्रीय, साहित्यिक कृतियों के संकल्प एवं रूमानी नाटक पसंद थे।
  8. धनिक वर्ग की महिलाओं ने पढ़ना प्रारम्भ कर दिया। कुछ महिलाओं ने स्वरचित काव्य और नाटक भी छापे।
  9. चीन में पढ़ने की एक नई संस्कृति, एक नई तकनीक के साथ आई। 19वीं सदी के अन्त में पश्चिम शक्तियों द्वारा अपनी चौकियाँ स्थापित करने के साथ ही पश्चिमी मुद्रण तकनीक और मशीन प्रेस का भी आयात हुआ।
  10. पश्चिमी शैली के विद्यालयों की जरूरतों को पूरा करने वाला शंघाई प्रिंट संस्कृति का नया केन्द्र बन गया। हाथ की छपाई के स्थान पर अब धीरे-धीरे मशीनी या यांत्रिक छपाई का विकास होना प्रारम्भ हो गया।
  11. चीनी बौद्ध प्रचारकों ने इस छपाई की तकनीक को जापान सहित अन्य देशों में फैलाया।

प्रश्न 2.
यूरोप में मुद्रण संस्कृति का कैसे विकास हुआ? विस्तारपूर्वक समझाइए। उत्तर-यूरोप में मुद्रण संस्कृति के विस्तार को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
1. चीन से कागज़ का आगमन:
वर्षों से चीन से रेशम और मसाले, रेशम मार्ग से यूरोप को भेजे जाते थे। 11वीं सदी में चीनी कागज रेशम मार्ग से यूरोप पहुँचा।

2. यात्रियों तथा खोजकर्ताओं की भूमिका:
1295 ई. में मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में कई वर्षों तक खोज करने के पश्चात् चीन से वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक को साथ लेकर इटली लौटा। अब इटली के लोग भी तख्ती की छपाई से पुस्तकें छापने लगे। छपाई की यह तकनीक यूरोप के अन्य भागों में भी प्रचलित हो गयी।

3. वुडब्लॉक प्रिंटिंग (तख्ती की छपाही):
पुस्तकों की माँग बढ़ने के साथ-साथ समस्त यूरोप के पुस्तक विक्रेता विभिन्न देशों में इनका निर्यात करने लगे। जगह-जगह पुस्तक मेलों का आयोजन होने लगा, लेकिन पुस्तकों की बढ़ती हुईं माँग की पूर्ति होना हस्तलिखित पांडुलिपियों से सम्भव नहीं था। इनके लाने-ले-जाने व रखरखाव में अनेक मुश्किलें थीं। अत: वुडब्लॉक प्रिंटिंग लोकप्रिय होने लगी। पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप में कपड़ा छापने, ताश के पत्ते छापने एवं संक्षिप्त टिप्पणियों के साथ धार्मिक चित्र छापने के लिए वुडब्लॉक मुद्रण का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा।

4. योहान गुटेनबर्ग एवं प्रिंटिंग प्रेस:
यूरोप में अधिक मात्रा में पुस्तकें छापने के लिए इससे भी तेज और सस्ती मुद्रण तकनीक की आवश्यकता थी। ऐसी छपाई करना एक नई तकनीक के आविष्कार से ही सम्भव था। स्ट्रॉसबर्ग के योहान गुटेनबर्ग ने 1448 ई. में अपने ज्ञान और अनुभव का प्रयोग करके जैतून प्रेस का निर्माण किया जो प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल बना। गुटेनबर्ग ने अपनी प्रेस में सर्वप्रथम बाईबिल छापी। बाईबिल की 180 प्रतियों के निर्माण में उसे तीन वर्ष लगे। यह उस समय के हिसाब से एक तीव्र उपलब्धि थी।

5. छापेखानों की संख्या में वृद्धि:
1450 से 1550 ई. के मध्य यूरोप के अधिकांश देशों में छापेखानों की स्थापना की जा चुकी थी। जर्मनी के प्रिंटर या मुद्रक दूसरे देशों में जाकर नए छापेखाने खुलवाया करते थे। छापेखानों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ पुस्तक उत्पादन में भी तीव्र गति से वृद्धि हुई और यह वृद्धि आगामी वर्षों में होती ही चली गयी। हाथ की छपाई के स्थान पर यांत्रिक मुद्रण के आने पर ही मुद्रण क्रान्ति सम्भव हुई।

प्रश्न 3.
योहान गुटेनबर्ग कौन था? गुटेनबर्ग ने मुद्रण क्रान्ति को कैसे सम्भव बनाया?
अथवा
प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया? उसने प्रिंट तकनीक का विकास कैसे किया? पथवा मुद्रण क्रांति में योहान गुटेनबर्ग के योगदान को विस्तार से बताइए। इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
योहान गुटेनबर्ग स्ट्रॉसबर्ग का निवासी था। इनके पिता एक व्यापारी थे। गुटेनबर्ग खेती की एक बड़ी रियासत में पलकर बड़ा हुआ। वह बचपन से ही जैतून से तेल निकालने की मशीन को देखा करता था। आगे चलकर गुटेनबर्ग ने पत्थर पर पॉलिश करने की कला सीखी तथा अंत में उसने शीशे को मनवांछित आकृतियों में गढ़ने की कला को सीखा। मुद्रण क्रान्ति में गुटेनबर्ग का योगदान:
1. योहान गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग करके नवीन आविष्कार किया, जैतून प्रेस ही प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल या आदर्श बना और साँचे का उपयोग अक्षरों की धातुई आकृतियों को गढ़ने के लिए किया।

2. गुटेनबर्ग ने 1448 ई. में अपने इस यंत्र को पूर्ण कर लिया था। इस यंत्र से उसने सर्वप्रथम बाईबिल का प्रकाशन किया। बाईबिल की लगभग 180 प्रतियाँ बनाने में उसे तीन वर्ष लगे जो उस समय के हिसाब से बहुत अधिक तीव्र कार्य था। गुटेनबर्ग प्रेस एक घंटे में एक तरफा 250 पन्ने छाप सकती थी। प्रभाव:

  1. गुटेनबर्ग प्रेस द्वारा पुस्तकें छापने की यह नई तकनीक हाथ से पुस्तकें छापने की तकनीक की जगह नहीं ले पाई।
  2. 1450 से 1550 ई. के मध्य यूरोप के अधिकांश देशों में छापेखाने लग गये थे।
  3. जर्मनी के प्रिंटर या मुद्रक दूसरे देशों में जाकर नए छापेखाने खुलवाने लगे। छपाईखानों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ पुस्तकों के उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। ।
  4. 15वीं शताब्दी के द्वितीय चरण में यूरोप के बाजारों में 2 करोड़ मुद्रित पुस्तकें आयीं। यह संख्या सोलहवीं शताब्दी में बढ़कर 20 करोड़ तक पहुँच गयी।
  5. हाथ की छपाई के स्थान पर यांत्रिक मुद्रण के आने पर ही मुद्रण क्रान्ति सम्भव हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 4.
मुद्रण क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? इसके प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मुद्रण क्रांति के धार्मिक प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण क्रान्ति से अभिप्राय:
छापेखाने के आविष्कार से बड़े पैमाने पर पुस्तकों का छपना प्रारम्भ हो गया। छपाई से पुस्तकों की कीमतें गिरी । पुस्तकों के उत्पादन में लगने वाले समय व श्रम में कमी आयी। बाजार में पुस्तकों की उपलब्धता में तीव्र गति से वृद्धि हुई तथा पाठक वर्ग भी बढ़ गया। इसे ही मुद्रण क्रांति कहा जाता है। छापेखाने का आविष्कार केवल तकनीकी दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का सूचक नहीं था।

पुस्तक उत्पादन के नये तरीकों ने लोगों की जिन्दगी बदल दी। इसके परिणामस्वरूप सूचना और ज्ञान से संस्था और सत्ता से उनका सम्बन्ध ही परिवर्तित हो गया। इससे लोक-चेतना बदली और वस्तुओं को देखने का दृष्टिकोण भी परिवर्तित हो गया। मुद्रण क्रान्ति का प्रभाव-मुद्रण क्रान्ति के प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट कर सकते हैं
1. नये पाठक वर्ग का उदय:
छापेखाने के आगमन से एक नये पाठक वर्ग का उदय हुआ। छापेखाने के आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर पुस्तकों का छापना सम्भव हो गया। बाजार में पुस्तकों की भरमार हो गयी तथा पाठक वर्ग की संख्या बढ़ती गई। पुस्तकों तक पहुँचना आम जनता के लिए आसान हो गया था। पढ़ने की एक नई संस्कृति विकसित हुई।

अब तक सामान्य लोग मौखिक संसार में जीते थे। वे धार्मिक पुस्तकों का वाचन सुनते थे। गाथा-गीत उनको पढ़कर सुनाये जाते थे। ज्ञान का मौखिक लेन-देन भी होता था। अब पुस्तकें समाज के अधिकाधिक लोगों तक पहुँच सकती थीं। यदि पहले की जनता श्रोता थी तो कह सकते हैं कि अब पाठक जनता अस्तित्व में आ गई थी।

2. विचारों का व्यापक प्रचार:
प्रसार-छापेखाने के आविष्कार से लोगों के विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ तथा विभिन्न विषयों पर तर्क-वितर्क के द्वार खुले, अब लोग विभिन्न विषयों पर आसानी से वाद-विवाद कर सकते थे। स्थानीय सत्ता के विचारों से असहमति व्यक्त करने वाले लोग भी अपने विचारों को छापकर उन्हें फैला सकते थे। छपे हुए सन्देशों के माध्यम से वे लोगों को अलग ढंग से सोचने के लिए तैयार कर सकते थे अथवा कोई कार्यवाही करने के लिए भी प्रेरित कर सकते थे।

मार्टिन लूथर ने मुद्रण क्रान्ति की प्रशंसा की तथा कहा कि “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन और सबसे बड़ा तोहफ़ा है।” कई इतिहासकारों के अनुसार मुद्रण ने एक नया बौद्धिक माहौल बनाया है तथा इससे धर्म-सुधार आन्दोलन के नये विचारों के प्रसार में सहायता प्राप्त हुई।

3. धर्म की अलग:
अलग व्याख्याओं से परिचित होना-छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर ही कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। कई लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उपलब्ध किताबों को पढ़कर बाईबिल के नये अर्थ लगाने शुरू कर दिये तथा उन्होंने ईश्वर व सृष्टि के बारे में नये-नये विचार बनाये।

प्रश्न 5.
“मुद्रण क्रान्ति के पश्चात् यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जैसे जुनून पैदा हो गया।” कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण क्रान्ति के पश्चात् यूरोपीय लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा हो गया, जिसके निम्न कारण थे
1. स्कूलों का प्रसार तथा साक्षरता वृद्धि:
सत्रहवीं तथा अठारहवीं सदी में विभिन्न सम्प्रदायों के चर्चों ने गाँवों में स्कूल खोले तथा किसानों व कारीगरों को शिक्षित करने लगे जिससे यूरोप के अधिकांश देशों में साक्षरता में वृद्धि हो गयी। कुछ देशों में तो साक्षरता 60 से 80 प्रतिशत तक हो गयी थी। यूरोप के देशों में साक्षरता वृद्धि व स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जुनून उत्पन्न हो गया। अतः जनता को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए मुद्रकों ने पर्याप्त संख्या में पुस्तकें छापना प्रारम्भ कर दिया।

2. विविध प्रकार के साहित्य की छपाई:
यूरोप में नये पाठक वर्ग की रुचि को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न प्रकार का साहित्य छपने लगा। नये पाठक वर्ग की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए पुस्तक विक्रेताओं ने गाँव-गाँव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकें बेचने वाले फेरीवालों को नियुक्त किया। ये पुस्तकें मुख्यतः पंचांग के अतिरिक्त लोक गाथाओं एवं लोग गीतों की हुआ करती थीं।

3. मनोरंजन प्रधान पुस्तकों की छपाई:
पाठकों की रुचि को देखते हुए प्रकाशकों ने मनोरंजन प्रधान पुस्तकों की छपाई करना भी प्रारम्भ कर दिया। ऐसी पुस्तकें बहुत सस्ती थीं जिन्हें गरीब लोग भी पढ़ सकते थे। ऐसी पुस्तकों में इंग्लैण्ड की पेनी मैग्जीन्स या एक पैसिया पुस्तकें तथा फ्रांस की बिब्लियोथीक ब्ल्यू आदि प्रमुख थीं।

4. प्रेम कहानियाँ तथा ऐतिहासिक पुस्तकों की छपाई:
मनोरंजन प्रधान पुस्तकों के अतिरिक्त यूरोपीय प्रकाशकों द्वारा चार-पाँच पृष्ठों की प्रेम कहानियाँ भी छापी जाती थीं। कुछ अतीत की गाथाएँ भी छापी जाती थीं जिन्हें इतिहास कहते थे।

5. पत्रिकाओं की छपाई:
अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से यूरोप में पत्रिकाओं का प्रकाशन भी शुरू हो गया। इन पत्रिकाओं की विषय सामग्री में समकालीन घटनाओं के वर्णन के साथ-साथ मनोरंजनात्मक सामग्री भी होती थी।

6. विज्ञान व दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों की छपाई:
यूरोप में मुद्रण-क्रान्ति के विस्तार के साथ-साथ विज्ञान व दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों का प्रकाशन भी होने लगा। प्राचीन तथा मध्यकालीन ग्रन्थों का संकलन किया गया तथा मानचित्रों के साथ-साथ वैज्ञानिक खोजें भी बड़ी मात्रा में छापी गईं। न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों के आविष्कारों के छपने के पश्चात् विज्ञान की पुस्तकें पढ़ने वाला एक नया पाठक वर्ग तैयार हो गया। इसके अतिरिक्त वॉल्टेयर, टामस पेन व रूसो जैसे दार्शनिकों की पुस्तकों के छपने से भी पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 6.
“कई इतिहासकारों का यह मानना है कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ निर्मित की।” इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
कई इतिहासकारों का यह मानना है कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ निर्मित की। इस कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये जा सकते हैं
1. ज्ञानोदय के चिन्तकों के विचारों का प्रसार:
मुद्रण संस्कृति के कारण फ्रांसीसी जनता में ज्ञानोदय के चिन्तकों के विचारों का प्रसार हुआ। उन्होंने अपने लेखन में परम्पराओं, अन्धविश्वासों एवं निरंकुशवाद की भरपूर आलोचना की। उन्होंने रूढ़िवादी रीतिरिवाजों के स्थान पर विवेक के शासन पर बल दिया। उन्होंने माँग की कि प्रत्येक बात को तर्क एवं विवेक की कसौटी पर परखा जाये।

उन्होंने चर्च की धार्मिक सत्ता एवं राज्य की निरंकुश सत्ता पर प्रहार किया तथा परम्परा पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को कमजोर कर दिया। रूसो व वाल्टेयर जैसे चिन्तकों के विचारों से प्रभावित होकर पाठक एक नवीन आलोचनात्मक व तार्किक दृष्टिकोण से सम्पूर्ण विश्व को देखने लगे थे।

2. वाद-विवाद संवाद की एक नयी संस्कृति का जन्म:
मुद्रण ने वाद-विवाद संवाद की एक नई संस्कृति को जन्म दिया। समस्त पुराने मूल्य, संस्थाओं एवं नियमों पर आम जनता के मध्य चर्चा शुरू हो गयी तथा उनके पुनर्मूल्यांकन का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। मुद्रण संस्कृति के माध्यम से सामाजिक क्रान्ति के नये विचारों का जन्म भी हुआ।

3. राजशाही और उसकी नैतिकता का मजाक उड़ाने वाले साहित्य का प्रकाशन:
1780 के दशक तक राजशाही और उसकी नैतिकता का मजाक उड़ाने वाले साहित्य का पर्याप्त प्रकाशन हो चुका था। इस साहित्य में पारम्परिक, सामाजिक व्यवस्था पर भी प्रश्न उठाये गये। तत्कालीन समय के व्यंग्य चित्रों व कार्टूनों में यह संदेश छिपा हुआ था कि राजशाही विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रही है वहीं दूसरी ओर आम जनता घोर कठिनाइयों में फंसी हुई है। राजशाही के विरुद्ध सन्देशों से भरे हुए इन साहित्यों को गोपनीय तरीकों से लोगों तक पहुँचाया गया। इससे जनता अवगत हुई तथा उनमें राजशाही के विरुद्ध विद्रोह की भावना विकसित हुई।

प्रश्न 7.
विश्व में प्रारम्भिक मुद्रण तकनीक का विकास कैसे हुआ? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
विश्व में प्रारम्भिक मुद्रण तकनीक के विकास को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
1. प्रारम्भिक मुद्रण तकनीक:
विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण तकनीक का विकास चीन, जापान एवं कोरिया में हुऔ था। यहाँ हाथ की छपाई होती थी। 594 ई. में चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़कर पुस्तकों को छापा जाना प्रारम्भ हुआ। चूँकि पतले छिद्रित कागज के दोनों ओर छपाई सम्भव नहीं थी, इसलिए पारम्परिक चीनी पुस्तकें एकॉर्डियन शैली में किनारों को मोड़ने के पश्चात् सिलकर बनायी जाती थीं। किताबों का लेखन दक्ष सुलेखकों द्वारा किया जाता था।

2. जापान में मुद्रण:
चीन से आये बौद्ध धर्म सुधारकों ने लगभग 768-770 ई. में जापान में छपाई की तकनीक को विकसित किया। 868 ई. में जापान की प्रथम पुस्तक ‘डायमंड सूत्र’ की छपाई की गई। इस पुस्तक में पाठ के साथ काठ पर चित्र खुदे थे। चित्र प्रायः कपड़ों, ताश के पत्तों एवं कागज के नोटों पर बनाये जाते थे। मध्यकालीन जापान में कवियों के साथ गद्यकारों के चित्र भी छापे जाते थे। जापान में कुछ समय हाथ से मुद्रित तरह-तरह की सामग्री महिलाओं, संगीत यंत्रों, चाय, अनुष्ठान, फूलसाजी, शिष्टाचार एवं रसोई पर लिखी गई पुस्तकों से पुस्तकालय एवं दुकानें भरी पड़ी थीं।

3. यूरोप में मुद्रण:
यूरोप में 11वीं शताब्दी में चीनी कागज रेशम मार्ग से पहुँचा। कागज ने मुँशियों द्वारा सावधानीपूर्वक लिखी गई पांडुलिपियों के उत्पादन को सम्भव बनाया। 1295 ई. में मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्री कई वर्षों तक चीन में खोज करने के पश्चात् इटली लौटा तो वह अपने साथ चीन की वुडब्लॉक वाली छपाई की तकनीक भी यूरोप ले गया।

यह तकनीक यूरोप के कई भागों में भी लोकप्रिय हो गयी। उच्च वर्ग के लोग एवं भिक्षु संघ अभी भी महँगे चर्च पत्रों पर छपी पुस्तकों के हस्तलिखित संस्करण पसंद करते थे। व्यापारी तथा विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा सस्ती मुद्रित पुस्तकें ही खरीदी जाती थीं। यूरोप में धीरे-धीरे वुडब्लॉक प्रिंटिंग लोकप्रिय होती गयी।

4. योहान गुटेनबर्ग प्रिंटिंग प्रेस:
स्ट्रॉसबर्ग के योहान गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस का 1448 ई. में आविष्कार किया जिससे मुद्रण में क्रान्ति आ गयी। इन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग अपने नये आविष्कार में किया, इनकी जैतून प्रेस ही प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल या आदर्श बना। इसके द्वारा प्रथम पुस्तक बाईबिल छापी गयी, जिसकी 180 प्रतियों को तैयार करने में इन्हें तीन वर्ष लगे।

5. भारत में मुद्रण:
भारत में पहले संस्कृत, अरबी, फारसी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियों की पुरानी और समृद्ध परम्परा थी। पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों पर, हाथ से बने कागज पर नकल करके बनायी जाती थीं। भारत में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस 16वीं शताब्दी में गोवा में पुर्तगाली धर्म प्रचारक लेकर आये।

1579 ई. में कैथोलिक पुजारियों ने कोचीन में पहली तमिल पुस्तक छापी। सत्रहवीं शताब्दी के अन्त तक अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने छापेखाने का आयात करना प्रारम्भ कर दिया। 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने ‘बंगाल गजट’ नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ कर दिया। इस तरह विश्व में प्रारम्भिक प्रिंटिंग तकनीक का विकास हआ।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया 

प्रश्न 8.
भारत में विभिन्न समुदायों ने अपने धार्मिक संदेशों को जनता तक पहुँचाने के लिए मुद्रण का किस प्रकार उपयोग किया? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में विभिन्न समुदायों ने अपने धार्मिक संदेशों को जनता तक पहुँचाने के लिए मुद्रण का निम्नलिखित प्रकार से उपयोग किया
1. मुद्रण और मुस्लिम:
उत्तर भारत में उलेमा मुस्लिम राजवंशों के पतन को लेकर चिंतित थे। उन्हें यह डर था कि कहीं औपनिवेशिक शासन धर्मान्तरण को बढ़ावा न दे अथवा मुस्लिम कानून को ही न बदल डाले। इससे निपटने के लिए उन्होंने सस्ती लिथोग्राफी प्रेस का उपयोग करते हुए धर्मग्रन्थों के फारसी व उर्दू अनुवाद छापे तथा धार्मिक अखबार व गुटकों का भी प्रकाशन किया।

1867 ई. में स्थापित देवबंद सेमिनरी ने मुस्लिम पाठकों को दैनिक जीवन जीने के तरीके एवं इस्लामी सिद्धान्तों का अर्थ समझाते हुए हजारों की संख्या में फतवे जारी किये। 19वीं सदी के दौरान कई इस्लामी सम्प्रदायों व सेमिनरी का जन्म हुआ, जिन्होंने धर्म को लेकर अपनी-अपनी व्याख्याएँ प्रस्तुत की। हर कोई अपने सम्प्रदाय का विस्तार करना चाहता था तथा दूसरे सम्प्रदायों के प्रभाव को कम कराना चाहता था।

2. मुद्रण तथा हिन्दू:
हिन्दू समुदाय को भी छपाई से विशेष लाभ मिला, विशेषकर स्थानीय भाषाओं में धार्मिक शिक्षण को पर्याप्त बल मिला। तुलसीदास की 16वीं शताब्दी की पुस्तक ‘रामचरितमानस’ का प्रथम मुद्रित संस्करण 1810 ई. में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ। 19वीं सदी के मध्य तक सस्ते लिथोग्राफी संस्करणों की उत्तर भारत के बाजारों में भरमार हो गयी। नवलकिशोर प्रेस (लखनऊ) एवं श्री वेंकटेश्वर प्रेस (बंबई) ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनेक धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन किया।

छपी पुस्तकों को लाने-ले जाने में सुगमता होने के कारण आस्थावान व्यक्ति पुस्तकों को कहीं भी व किसी भी समय पढ़ सकते थे। इन्हें पढ़कर निरक्षर जनसमुदाय को भी सुनाया जा सकता था। धार्मिक पुस्तकें बड़ी संख्या में व्यापक जनसमुदाय तक पहुँच रही थीं जिसके चलते विभिन्न धर्मों के मध्य व उनके अन्दर वाद-विवाद और तर्क-वितर्क की नई स्थिति उत्पन्न हो रही थी।

प्रश्न 9.
महिलाओं पर मुद्रण संस्कृति के प्रभाव को विस्तार से बताइए।
अथवा
19वीं सदी के अन्त में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
महिलाओं पर मुद्रण संस्कृति के प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है

1. महिला शिक्षा:
मुद्रण संस्कृति के प्रसार से लेखकों ने महिलाओं के जीवन एवं भावनाओं पर लिखना प्रारम्भ कर दिया। फलस्वरूप महिला पाठकों की संख्या में वृद्धि होने लगी। वे शिक्षा में रुचि लेने लगीं। महिलाओं के लिए नये स्कूल खोले गये। बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन मिला। कई पत्र-पत्रिकाओं ने नारी शिक्षा के महत्व की चर्चा करना प्रारम्भ कर दिया।

2. महिलालेखिकाएँ:
19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में पूर्वी बंगाल में रशसुन्दरी देवी एक परम्परागत परिवार की घरेलू विवाहित महिला थीं जिन्होंने रसोईघर में छिपकर पढ़ना सीखा। इन्होंने ‘आमार जीबन’ नामक आत्मकथा लिखी जो 1876 ई. में प्रकाशित हुई। यह बंगाली भाषा में प्रकाशित प्रथम महत्वपूर्ण आत्मकथा थी। 1860 ई. के दशक में कैलाशबासिनी देवी जैसी कई महिला लेखिकाओं ने महिलाओं के अनुभवों पर लिखना प्रारम्भ कर दिया कि कैसे वे घरों में निरक्षर बनाकर रखी जाती हैं, घर के हर काम का बोझ उठाती हैं और जिनकी सेवा करती हैं, वहीं उन्हें दुत्कारते हैं।

1860 ई. के दशक में महाराष्ट्र में ताराबाई शिंदे और पंडिता रमाबाई ने उच्च जाति की नारियों विशेषतः विधवाओं की शोचनीय दशा के विषय में जोश और रोषपूर्वक लिखा। तमिल लेखिकाओं ने भी नारी के निम्नस्तरीय जीवन के विषय में विचार व्यक्त किया।

3. हिन्दी लेखन एवं महिलाएँ:
उर्दू, तमिल, बंगला एवं मराठी मुद्रण संस्कृति तो पहले ही आ चुकी थी परन्तु हिन्दी मुद्रण 1870 ई. के दशक में गम्भीरतापूर्वक प्रारम्भ हुआ। शीघ्र ही इसका एक बड़ा भाग नारी शिक्षा के प्रति समर्पित होने लगा।

4. नयी पत्रिकाएँ:
20वीं शताब्दी के आरम्भ में महिलाओं के द्वारा लिखित पत्रिकाएँ लोकप्रिय हुईं, जिनमें नारी शिक्षा, विधवा जीवन, विधवा पुनर्विवाह एवं राष्ट्रीय आन्दोलन जैसे विषयों पर चर्चा होती थी। कुछ पत्र-पत्रिकाओं ने महिलाओं को गृहस्थी ‘चलाने एवं फैशन के नुस्खे बताने के लिए सत्य कहानियों एवं धारावाहिक उपन्यासों के माध्यम से मनोरंजन प्रदान किया।

5. महिलाओं के लिए उपदेश:
समाज में 20वीं सदी के प्रारम्भ में लोकप्रिय लोकमत हित बड़े पैमाने पर छापा गया। रामचड्ढा ने महिलाओं को आज्ञाकारी पत्नी बनने का उपदेश देने के उद्देश्य से स्त्रीधर्म विचार’ पुस्तक लिखी। ऐसे ही संदेशों को लेकर खालसा-पुस्तिका संघ ने सस्ती पुस्तिकाएँ छापी। इनमें से अधिकांश अच्छी महिला बनने के उपदेशों पर वार्तालाप के रूप में थीं। स्रोत पर आधारित प्रश्न नीचे दिए गए स्रोत को पढ़िए और उसके नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

स्रोत-1:
धार्मिक सुधार और सार्वजनिक बहसें यह वह समय था जब समाज और धर्म-सुधारकों तथा हिंदू रूढ़िवादियों के बीच विधवा-दाह, एकेश्वरवाद, ब्राह्मण पुजारीवर्ग और मूर्ति-पूजा जैसे मुद्दों को लेकर तेज़ बहस ठनी हुई थी। बंगाल में जैसे-जैसे बहस चली, लगातार बढ़ती तादाद में पुस्तिकाओं और अखबारों के ज़रिए तरह-तरह के तर्क समाज के बीच आने लगे।

स्रोत-2:
प्रकाशन के नए रूप नई साहित्यिक विधाएँ, जैसे-गीत, कहानियाँ, सामाजिक-राजनीतिक मसलों पर लेख, ये सब पाठकों की दुनिया का हिस्सा बन गए। अपने अलग-अलग तेवरों में इन्होंने इन्सानी जिंदगी और अंतरंग भावनाओं, और उन सामाजिक-राजनीतिक नियमों पर बल दिया जिनसे इनका स्वरूप तय होता था।

स्रोत-3:
महिलाएँ और मुद्रण चूँकि सामाजिक सुधारों और उपन्यासों ने पहले ही नारी जीवन और भावनाओं में दिलचस्पी पैदा कर दी थी, इसलिए महिलाओं द्वारा लिखी जा रही आपबीती के प्रति कुतूहल तो था ही।

स्रोत-1: धार्मिक सुधार और सार्वजनिक बहसें।

प्रश्न 1.
मुद्रण ने भारत में उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में बहसों की प्रकृति को किस प्रकार बदल दिया? मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण ने भारत में उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में बहसों की प्रकृति को नया आयाम प्रदान किया। जैसे ही बहसें चलना शुरू होती थी वैसे ही निरन्तर रूप से बड़ी संख्या में पुस्तिकाओं और अखबारों के जरिए भिन्न-भिन्न तर्क समाज के बीच से आने लगते। अधिकाधिक लोगों तक इनकी पहुँच बनाने के लिए इन्हें आम बोलचाल की भाषा में छापा जाता था।

स्रोत-2: प्रकाशन के नए रूप

प्रश्न 2.
आप कहाँ तक सहमत हैं कि मुद्रण ने नई दुनिया के अनुभव के द्वार खोले और मानव जीवन का विविध विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया?
उत्तर:
हम इस बात से पूर्णतः सहमत हैं कि मुद्रण ने नई दुनिया के अनुभव के द्वार खोले और मानव जीवन का विविध विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। यह निम्न तथ्यों से सरलता से समझा जा सकता है।

  1. छापेखानों की संख्या बढ़ने से छवियों की कई नकलें या प्रतियाँ अब आसानी से बनने लगी थीं।
  2. गरीब दस्तकारों को लैटरप्रेस छापेखानों के नजदीक दुकानें लगाने से मुद्रकों से काम मिलने लगा।
  3. गरीब लोग की बाजारों से आसानी से मिलने वाली सस्ती तस्वीरों तथा कैलेंडरों को अपने घर व दफ्तरों में सजाने लगे थे।

स्रोत-3 : महिलाएँ और मुद्रण

प्रश्न 3.
मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं के जीवन और मनोभाव के प्रति किस सीमा तक बहुत रुचि प्रदर्शित की? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महिलाओं के लिए मुद्रित तथा महिलाओं द्वारा महिलाओं ने जीवन तथा भावनाओं के सम्बन्ध में लिखना शुरू करने पर महिला पाठकों की संख्या बहुत बढ़ी। बहुत-सी पत्रिकाओं ने महिलाओं की शिक्षा, विधवा-जीवन, विधवा-विवाह जैसे मुद्दों के साथ ही महिलाओं को गृहस्थी चलाने तथा फैशन के नुस्खों पर जोर देना शुरू किया।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
दिये गये विश्व के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
इटली, लाल सागर, मद्रास, स्पेन।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया  1

प्रश्न 2.
दिये गये विश्व के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित देशों को दर्शाइए
कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन,  जर्मनी, फ्रांस,  स्विट्जरलैंड,  पुर्तगाल, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन, भारत, म्यांमार, वियतनाम,  ताइवान, जापान, आस्ट्रेलिया।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया  2

प्रश्न 3.
दिये गये विश्व के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित शहरों को अंकित कीजिए
लंदन, पेरिस, मैनचेस्टर , शिकागो, ब्रुसेल्स, अहमदाबाद, मद्रास, बम्बई, जमशेदपुर, अमृतसर,  लाहौर, टोक्यो, कलकत्ता।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया  3

JAC Class 10 Social Science Important Questions