JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

JAC Class 10th Geography  विनिर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?
(क) एल्यूमिनियम
(ख) प्लास्टिक
(ग) सीमेंट
(घ) मोटरगांड़ी
उत्तर:
(ग) सीमेंट

(ii) निम्नलिखित से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है?
(क) हेल (HAIL)
(ख) सेल (SAIL)
(ग) टाटा स्टील
(घ) एम एन सी सी (MNCC)
उत्तर:
(ख) सेल (SAIL)

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा उद्योग बॉक्साइट का कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है?
(क) एल्यूमिनियम प्रगलन
(ख) सीमेंट
(ग) कागज
(घ) स्टील
उत्तर:
(क) एल्यूमिनियम प्रगलन

(iv) निम्नलिखित में कौन-सा उद्योग दूरभाष, कम्प्यूटर आदि संयन्त्र निर्मित करता है?
(क) स्टील
(ख) एल्यूमिनियम
(ग) इलेक्ट्रॉनिक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर:
(ग) इलेक्ट्रॉनिक

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) विनिर्माण क्या है?
उत्तर:
कच्चे माल को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहा जाता है। उदाहरण के लिए; गन्ने से चीनी, कपास से सूती वस्त्र, लौह अयस्क से लौह इस्पात तथा बॉक्साइट से एल्यूमिनियम निर्माण इसी प्रक्रिया के उदाहरण हैं।

(ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना स्वभावतः जटिल है। उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख भौतिक कारक निम्नलिखित हैं
1. कच्चे माल की उपलब्धता
2. अनुकूल जलवायु
3. शक्ति के साधन।

(iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
उत्तर:
औद्योगिक अवस्थिति को भौतिक कारकों के साथ-साथ मानवीय कारक भी प्रभावित करते हैं। औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख मानवीय कारक निम्नलिखित हैं

  1. मानवीय श्रम की उपलब्धता
  2. पूँजी की उपलब्धता
  3. बाजार।

(iv) आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण देकर बताएँ।
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनके उत्पादन पर अन्य उद्योग निर्भर करते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। आधारभूत उद्योगों द्वारा उत्पादित माल अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। उदाहरण-लोहा-इस्पात उद्योग्र. ताँबा प्रगलन, ऐल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए:
(i) समन्वित इस्पात उद्योग, मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अन्तर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?
उत्तर:
समन्वित इस्पात उद्योग में एक बड़ा संयंत्र होता है, जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर, इस्पात बनाने, उसे ढालने एवं विभिन्न आकार देने तक की प्रत्येक क्रिया की जाती है। इनमें भारी इस्पात बनाया जाता है जबकि मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र होते हैं जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात एवं स्पंज आयरन का प्रयोग किया जाता है।

ये संयंत्र हल्के स्टील अथवा निर्धारित अनुपात में मृदु एवं मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं। लौह इस्पात उद्योग की समस्याएँ-1950 के दशक में भारत और चीन ने एक समान मात्रा में इस्पात उत्पादित किया था। आज चीन विश्व में इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यद्यपि भारत आज भी विश्व का एक महत्वपूर्ण इस्पात उत्पादक देश है तथापि हम अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

  • इसके लिए निम्नलिखित समस्याएँ उत्तरदायी हैं:
    1. लौह इस्पात उद्योग में निर्मित लौह इस्पात की लागत अन्य देशों की तुलना में अधिक आना,
    2. देश में कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता,
    3. लौह इस्पात उद्योग में कार्यरत श्रमिकों की न्यून श्रमिक उत्पादकता,
    4. ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति,
    5. देश में लौह इस्पात उद्योग की अविकसित अवसंरचना आदि।
  • लौह इस्पात उद्योग की उत्पादन क्षमता में वृद्धि लाने वाले सुधार:
    1. निजी क्षेत्र के उद्यमियों के प्रयत्न।
    2. उदारीकरण की प्रक्रिया अपनाना।
    3. इस्पात उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि करना।

(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं ?
अथवा
उद्योग-कितने प्रकार के प्रदूषणं के लिए उत्तरदायी हैं? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
उद्योग चार प्रकार से पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं
1. वायु प्रदूषण:
वायु प्रदूषण मुख्यतः गैसीय, ठोस एवं तरल पदार्थों द्वारा उत्पन्न होता है। रसायन व कागज उद्योग, ईंटों के भट्टे, तेलशोधन शालाएँ, प्रगलन उद्योग, जीवाश्म ईंधन दहन एवं छोटे-बड़े कारखाने से निकलने वाले धुएँ से पर्यावरण प्रदूषित होता है। जहरीली गैसों का रिसाव बहुत भयानक एवं दूरगामी प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य के अतिरिक्त पशुओं, पेड़-पौधों, इमारतों एवं सम्पूर्ण पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालता है।

2. जल प्रदूषण:
विभिन्न उद्योगों द्वारा कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों की नदी व तालाबों में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण के प्रमुख कारक कागज, लुगदी, रसायन, वस्त्र रँगाई उद्योग, तेलशोधन शालाएँ, चमड़ा उद्योग, इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग हैं जो रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण एवं भारी धातुएँ; जैसे-सीसा, पारा, कीटनाशक, उर्वरक, प्लास्टिक, कार्बन, रबर एवं कृत्रिम रसायन आदि जल में बहा देते हैं। ये अशुद्धियाँ जल को प्रदूषित करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर देती हैं।

3. तापीय प्रदूषण:
कारखानों तथा तापघरों से निकला गर्म पानी नदियों एवं तालाबों के जल को गर्म कर देता है। इसे तापीय प्रदूषण कहते हैं। तापीय प्रदूषण का जलीय जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। जल में रहने वाली मछलियाँ व अन्य जीव मर जाते हैं!

4. ध्वनि प्रदूषण:
ध्वनि प्रदपण औद्योगिक एवं निर्माण-कार्य, कारखानों के उपकरणं, जेनरेटर. लकड़ी चीग्ने के कारखाने, गैस यांत्रिकः विकि आणि प्रारा होता है। ध्वनि प्रदूपण से मानसिक चिन्ता उन श्रम अक्षमता, रक्तचाप म न मा. वि लाती है।

(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें।
उत्तर:
उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए अंग्रलिखित उपाय किये जा सकते हैं

  1. जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षाजल का संग्रहण करना।
  2. विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग करना।
  3. जल का दो या अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुनः उपयोग करना।
  4. नदियों एवं तालाबों में गर्म जल व अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना।औद्योगिक अपशिष्ट का शोधन तीन चरणों में किया जा सकता है
    • यांत्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन के अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थों की छंटाई, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना, ढकना एवं तलछट जमाव आदि को सम्मिलित किया जाता है,
    • जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन,
    • जैविक, रासायनिक एवं भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक शोधन अर्थात् प्रदूषित जल को पुनः चक्रीय प्रक्रिया द्वारा प्रदूषण मुक्त किया जाता है।
  5. भूमिगत जल स्तर कम होने वाले क्षेत्रों में उद्योगों द्वारा अधिक जल निष्कासन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाया जाए।
  6. वायु में निलंबित प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, चिमनियों में इलेक्ट्रॉस्टेटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण एवं गैसीय प्रदूषक पदार्थों को जड़त्वीय रूप से पृथक् करने के लिए उपकरण लगाया जाना चाहिए।
  7. कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धुएँ के निष्कासन में कमी लाई जा सकती है।
  8. मशीनों एवं उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए एवं जेनरेटरों में साइलेंसर लगाया जा सकता है।
  9. ऐसी मशीनरी का प्रयोग किया जाए जो ऊर्जा सक्षम हों एवं कम ध्वनि प्रदूषण करती हों।
  10. ध्वनि अवशोषण करने वाले उपकरणों के उपयोग के साथ-साथ कानों पर शोर नियंत्रक उपकरण भी पहनने चाहिए।

क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
उद्योगों के संदर्भ में प्रत्येक के लिए एक शब्द दें (संकेतिक अक्षर संख्या कोष्ठक में दी गई है तथा उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में है।

1. मशीनरी चलाने में प्रयुक्त(5) P …………
2. कारखानों में काम करने वाले व्यक्ति(6) W ………..
3. उत्पाद को जहाँ बेचा जाता है(6) M ………..
4. वह व्यक्ति जो सामान बेचता है(8) R ………….
5. वस्तु उत्पादन(7) P ………….
6. निर्माण या उत्पादन(11) M ………..
7. भूमि जल तथा वायु अवनयन(9) P ……….

उत्तर:

1. मशीनरी चलाने में प्रयुक्त(i) POWER,
2. कारखानों में काम करने वाले व्यक्ति(ii) WORKER,
3. उत्पाद को जहाँ बेचा जाता है(iii) MARKET,
4. वह व्यक्ति जो सामान बेचता है(iv) RETAILOR,
5. वस्तु उत्पादन(v) PRODUCT,
6. निर्माण या उत्पादन(vi) MANUFACTURE,
7. भूमि जल तथा वायु अवनयन(vii) POLLUTION.

प्रोजेक्ट कार्य

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र के एक कृषि आधारित तथा एक खनिज आधारित उद्योग को चुनें।
(i) ये कच्चे माल के रूप में क्या प्रयोग करते हैं?
(ii) विनिर्माण प्रक्रिया में अन्य निवेश क्या हैं जिनसे परिवहन लागत बढ़ती है?
(iii) क्या ये कारखाने पर्यावरण नियमों का पालन करते हैं ?
उत्तर:

  • कृषि आधारित उद्योग: चीनी उद्योग
    1. गन्ना।
    2. पूंजौ, श्रम, विद्युत, जल एवं परिवहन आदि।
    3. ही, कारखाना पर्यावरण नियमों का पालन करता है।
  • खनिज आधारित उद्योग: सीमेंट उद्योग
    1. चूना पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज व कोयला।
    2. पूँजी, श्रम, विद्युत, जल एवं परिवहन आदि।
    3. हाँ, यह कारखाना पर्यावरण नियमों का पालन करता है।

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प्रश्न 2.
निम्न वर्ग पहेली में क्षैतिज अथवा ऊर्ध्वाधर अक्षरों को जोड़ते हुए निम्न प्रश्नों के उत्तर दें
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 1

(i) वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल तथा रोपण उद्योग में कृषि से कच्चा माल प्राप्त करते हैं, उन्हें कहते हैं
उत्तर:
AGRO BASED,

(ii) चीनी उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा पदार्थः
उत्तर:
SUGARCANE,

(iii) इस रेशे को गोल्डन फाइबर भो कहते हैं।
उत्तर:
JUTE,

(iv) लौह अयस्क, कोकिंग कोयला तथा चूना पत्थर इस उद्योग के प्रमुख कच्चे माल हैं।
उत्तर:
IRONSTEEL,

(v) छत्तीसगढ़ में स्थित सार्वजनिक क्षेत्र का लोहा-इस्पात उद्योग।
उत्तर:
BHILAI,

(vi) उत्तर प्रदेश में इस स्थान पर डीजल रेलवे इंजन बनाए जाते हैं।
उत्तर:
VARANASI.

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 67

दीवाली के अवसर पर हरीश अपने माता-पिता के साथ बाजार गया। उन्होंने उसके लिये कपड़े तथा जूते खरीदे। उसकी माता ने बर्तन, चीनी, चाय व मृदा के दीप खरीदे । हरीश ने देखा कि दुकानें अत्यधिक सामान से भरी थीं। चीनी को इतनी अधिक मात्रा में देखकर हैरान था। उसके पिता ने समझाया कि जूते, कपड़े, चीनी आदि बड़े उद्योगों में मशीनों द्वारा बनाये जाते हैं, छोटे उद्योगों में बर्तन बनाये जाते हैं तथा दीप जैसी चीजें व्यक्तिगत तौर पर कारीगरों द्वारा घरेलू उद्योगों में बनायी जाती हैं।

प्रश्न 1.
क्या आप इन उद्योगों के विषय में जानते हैं?
उत्तर:
हाँ, उद्योग उत्पादन की मात्रा के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं

  1. वृहत उद्योग – कपड़ा, चीनी आदि।
  2. लघु उद्योग – जूते, बर्तन आदि।
  3. घरेलू व कुटीर उद्योग – मृदा के दीप आदि।

पृष्ठ संख्या 69

प्रश्न 1.
कच्चा माल और तैयार माल की मात्रा और भार के आधार पर निम्न को दो वर्गों में विभाजित करें तेल, सिलाई मशीन, बुनने की सलाई, पोत निर्माण, पीतल के बर्तन, विद्युत बल्व, फ्यूज तार, पेंट के बुश, घड़ियाँ, मोटरगाड़ी।
उत्तर:
कच्चा माल और तैयार माल की मात्रा और भार के आधार पर उद्योगों को दो भागों में विभाजित किया जाता है

  1. भारी उद्योग :- पोत निर्माण, मोटरगाड़ी
  2. हल्के उद्योग :- तेल, बुनने की सलाई, पीतल के बर्तन, फ्यूज तार, घड़ियाँ, सिलाई मशीन, विद्युत बल्ब, पेंट करने के ब्रुश।

पृष्ठ संख्या 70

प्रश्न 1.
महात्मा गाँधी ने सूत कातने तथा खादी बुनने पर क्यों बल दिया ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी के निम्न कारणों से सूत कातने तथा खादी बुनने पर बल दिया:

  1. अधिकांश लोगों को रोजगार प्रदान करने हेतु,
  2. कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने हेतु,
  3. राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने हेतु,
  4. विदेशी वस्त्रों पर निर्भरता कम करने के लिए,
  5. विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने के लिए।

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प्रश्न 2.
हमारे देश में विद्युतचालित करघों तथा हथकरघों द्वारा निर्मित लूमेज की अपेक्षा कारखानों द्वारा निर्मित लूमेज (Loomage) को कम रखना क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर:
विद्युतचालित करघों तथा हथकरघों द्वारा निर्मित लूमेज की अपेक्षा कारखानों द्वारा निर्मित लूमेज को कम रखना इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनमें लोगों को अधिक संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
हमारे लिए अधिक मात्रा में धागे के निर्यात की अपेक्षा अपने बुनाई क्षेत्र को सुधारना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
हमारे लिए अधिक मात्रा में धागे के निर्यात की अपेक्षा अपने बुनाई क्षेत्र को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि.

  1. बुनाई क्षेत्र में सुधार होने से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
  2. बुनाई क्षेत्र में सुधार होने से वस्त्र उत्पादन बढ़ेगा।
  3. उत्तम किस्म के सूती उत्पाद व वस्त्र तैयार किये जा सकते हैं।
  4. अतिरिक्त कपड़े अथवा वस्त्रों का निर्यात किया जायेगा जिससे अधिकाधिक विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है।
  5. रेशे से धागा, धागे से कपड़ा और कपड़े से परिधान बनाने के प्रत्येक चरण पर मूल्य में वृद्धि होगी।

पृष्ठ संख्या 72

प्रश्न 1.
इस्पात से बनी उन सभी पदार्थों की सूची बनाएँ जिन्हें आप सोच सकते हैं।
उत्तर:
चारपाई, मेज़, कुर्सी, दरवाजे, बर्तन, बक्सा, विद्युत उपकरण, चिकित्सा उपकरण, मोटर गाड़ियाँ, साइकिल, रेल का पुत, खिड़कियाँ, सरिया आदि ।

पृष्ठ संख्या 73

प्रश्न 1.
भारत में प्रतिव्यक्ति इस्पात की खपत इतनी कम क्यों है?
उत्तर:
भारत में प्रतिव्यक्ति इस्पात की खपत कम होने के निम्न कारण हैं

  1. भारत में प्रतिव्यक्ति आय कम है।
  2. निम्न जीवन स्तर।
  3. इस्पात के विकल्पों का कम कीमत पर उपलब्ध होना, अधिक समय तक चलना तथा वजन में हल्का होना।

पृष्ठ संख्या 76

प्रश्न 2.
क्या आपने कलिंग नगर विवाद के विषय में पढ़ा है ?
उत्तर:
हाँ, कलिंग नगर ओडिशा में स्थित है, जहाँ कोरिया की सहायता से पेस्को द्वारा लौह-इस्पात कारखाना स्थापित किया जाना था। ओडिशा सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी थी परन्तु जनजातियों के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया और अंत में यह परियोजना क्रियान्वित नहीं हो पायी।

पृष्ठ संख्या 77

प्रश्न 1.
एक कारखाना प्लास्टिक हैंडल वाले एल्यूमिनियम के बर्तन (Sauce Pan) निर्मित करता है। यह प्रगलकों से एल्यूमिनियम प्राप्त करता है तथा किसी अन्य फैक्ट्री से प्लास्टिक का सामान लेता है। सभी निर्मित बर्तन एक मालगोदाम में भेज दिये जाते हैं
(क) कौन: सा कच्चा माल परिवहन लागत में सबसे अधिक लागत वाला है तथा क्यों ?
उत्तर:
एल्यूमिनियम परिवहन लागत में सबसे अधिक लागत वाला कच्चा माल है, क्योंकि यह वजन में प्लास्टिक की तुलना में अधिक भारी होता है।

(ख) परिवहन के लिए सबसे सस्ता कच्चा माल कौन सा है और क्यों?
उत्तर:
परिवहन के लिए सबसे सस्ता कच्चा माल प्लास्टिक है, क्योंकि यह वजन में हल्का होता है।

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प्रश्न 2.
क्या आप समझते हैं कि पैकिंग के बाद तैयार माल की परिवहन लागत कम होगी अथवा एल्यूमिनियम और प्लास्टिक की परिवहन लागत अपेक्षाकृत अधिक होगी? क्यों?
उत्तर:
पैकिंग के पश्चात् तैयार माल की परिवहन लागत एल्यूमिनियम और प्लास्टिक की परिवहन लागत से अपेक्षाकृत कम होगी क्योंकि:

  1. तैयार माल का वजन कम होगा।
  2. तैयार माल व्यवस्थित होने के कारण कम जगह घेरता है। इसलिए परिवहन लागत कम आती है।
  3. तैयार माल का वितरण किसी विशेष उद्योग अथवा औद्योगिक क्षेत्र में न होकर सम्पूर्ण देश अथवा विदेश में होना होता है, अतः परिवहन लागत कम आती है।
  4. तैयार माल को रास्ते में पड़ने वाले विभिन्न स्थानों पर पहुँचाया या उतारा जा सकता है, जो परिवहन लागत को कम करता है।

प्रश्न 3.
सीमेंट विनिर्माण इकाइयों की स्थापना कहाँ पर आर्थिक रूप से व्यावहारिक होगी ?
उत्तर:
सीमेंट विनिर्माण इकाइयों की स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता के स्रोतों के निकट होने पर आर्थिक रूप से व्यावहारिक होगी, क्योंकि इस उद्योग को भारी कच्चा माल (चूना पत्थर) की आवश्यकता होती है। अन्य स्थान पर सीमेंट विनिर्माण इकाई स्थापित करने पर परिवहन लागत बढ़ जायेगी।

प्रश्न 4.
भारत में यह (सीमेंट) उद्योग अन्य किन राज्यों में स्थित है? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
भारत में सीमेंट उद्योग अन्य निम्न राज्यों में स्थित है

  1. मध्य प्रदेश: कटनी, सतना, दमोह, ग्वालियर, नीमच आदि।
  2. आन्ध्र प्रदेश: पनायम, माछरेला, मछलीपट्टनम, विजयवाड़ा।
  3. राजस्थान: चित्तौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, सवाईमाधोपुर, लाखेरी, आबूरोड, गोटन आदि।
  4. तमिलनाडु: तिरुनेलवेली, राजमलयालम, दुर्ग, डालमिया नगर।
  5. कर्नाटक-बागल कोट, बीजापुर, गुलबर्गा, तुमकुर, उत्तरी कनारा।
  6. झारखण्ड: सिन्दरी, जापला, झीकायानी, कल्याणपुर, डालमिया नगर।
  7. तेलंगाना: नलगोण्डा।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

JAC Class 10th Geography खनिज और ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है ?
(क)कोयला
(ख) बॉक्साइट
(ग) सोना
(घ) जस्ता
उत्तर:
(ख) बॉक्साइट

(ii) झारखण्ड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(क) बॉक्साइट
(ख) अभ्रक
(ग) लौह अयस्क
(घ) ताँबा
उत्तर:
(ख) अभ्रक

(iii) निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचर्यन होता है ?
(क) तलछटी चट्टानें
(ख) आग्नेय चट्टानें
(ग) कायान्तरित चट्टानें
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) तलछटी चट्टानें

(iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?
(क) खनिज तेल
(ख) यूरेनियम
(ग) थोरियम
(घ) कोयला
उत्तर:
(ग) थोरियम

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) निम्नलिखित में अन्तर 30 शब्दों से अधिक न दें:
(क) लौह और अलौह खनिज,
(ख) परम्परागत तथा गैर परम्परागत ऊर्जा साधन।
उत्तर:

लौह खनिज,अलौह खनिज,
1. ऐसे खनिज अयस्क जिनमें लोहे का अंश होता1. ऐसे खनिज अयस्क जिनमें लोहे का अंश नहीं होता है, है, लौह खनिज कहलाते हैं। अलौह खनिज कहलाते हैं।
2. लौह खनिजों में लौह अयस्क, निकिल, टंगस्टन,2. अलौह खनिजों में ताँबा अयस्क, जस्ता, सोना, चाँदी, क्रोमियम, कोबाल्ट व मैंगनीज़ अयस्क सम्मिलित सीसा, जस्ता आदि सम्मिलित हैं।

(ख) परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन

परम्परागत ऊर्जा साधनगैर-परम्परागत ऊर्जा साधन
1. ऊर्जा प्राप्ति के वे साधन जिनका उपयोग मनुष्य साधन कहलाते हैं।1. ऊर्जा प्राप्ति के वे साधन जिनका उपयोग मनुष्य ने कुछ प्राचीनकाल से करता आ रहा है, परम्परागत ऊर्जा वर्षों पूर्व ही प्रारम्भ किया है, गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन कहलाते हैं।
2. कोयला, पेट्रोलियम, जलशक्ति आदि परम्परागत2. सौर ऊर्जा, आणविक ऊर्जा व पवन ऊर्जा आदि गैर ऊर्जा के साधनों की श्रेणी में आते हैं। परम्परागत ऊर्जा साधनों की श्रेणी में आते हैं।
3. इनके अधिकाधिक उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण में3. ये साधन पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते हैं। वृद्धि होती है।

(ii) खनिज क्या है?
उत्तर:
खनिज प्राकृतिक रूप से उत्पन्न ऐसा तत्व है जिसकी अपनी भौतिक विशेषताएँ होती हैं तथा जिसकी बनावट को रासायनिक गुणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाये जाते हैं। ये कठोर हीरे से नरम चूने तक के अनेक रूपों में मिलते हैं।

(iii) आग्नेय तथा कायान्तरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर:
आग्नेय तथा कायान्तरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण दबाव एवं ताप वृद्धि का परिणाम है। ताप, द्रव एवं गैसीय प्रभाव से चट्टानों में विद्यमान खनिज तत्व जब तरल या गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं तो यह दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर आ जाते हैं तथा ऊपर आकर ठण्डे होकर जम जाते हैं।

(iv) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
अथवा
खनिज संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? समझाइए।
उत्तर:
हमें निम्न कारणों से खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता है:

  1. खनिजों का निर्माण लाखों वर्षों में होता है।
  2. खनिज निर्माण की भू-गर्भिक प्रक्रिया इतनी धीमी है कि उनके वर्तमान उपयोग दर की तुलना में इनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से थोड़ी है।
  3. खनिज संसाधन सीमित एवं अनवीकरण योग्य हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए.
(i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कोयला बहुतायत में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। लेकिन देश में कोयले का वितरण बहुत ही असमान है। भारत में कोयला दो प्रमुख भू-गर्भिक चट्टानी क्रम में पाया जाता है:

  1. गोंडवाना क्रम की चट्टानें
  2. टरशियरी क्रम की चट्टानें।

1. गोंडवाना क्रम की चट्टानों से सम्पूर्ण भारत का अधिकांश कोयला प्राप्त होता है। गोंडवाना क्षेत्र मुख्यरूप से प्रायद्वीपीय पठारी भागों में स्थित है। इस क्षेत्र में पश्चिमी बंगाल, झारखण्ड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र राज्य आते हैं। भारत में गोंडवाना काल का कोयला चार नदी घाटियों-दामोदर घाटी, सोन घाटी, महानदी घाटी एवं गोदावरी-वर्धा घाटी में मिलता है। गोंडवाना क्रम का कोयला धातुशोधन कोयला है। गोंडवाना क्रम की आयु 200 लाख वर्ष से अधिक है।

2. टरशियरी क्रम की चट्टानों से भी कोयला प्राप्त होता है। टरशियरी कोयला क्षेत्र में मेघालय, असम, अरुणाचल, नागालैण्ड, तमिलनाडु एवं राजस्थान राज्य सम्मिलित हैं। लिग्नाइट के भण्डार तमिलनाडु के नैवेली में मिलते हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात में भी टरशियरी क्रम का कोयला मिलता है। इस क्रम की चट्टानों में लिग्नाइट कोयला अधिकांशतः मिलता है जो एक घटिया किस्म का कोयला होता है। इन चट्टानों में मिलने वाला कोयला नवीन युग का है। टरशियरी कोयले के निक्षेप लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं।

(ii) भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों?
अथवा
निकट भविष्य में सौर ऊर्जा किस प्रकार हमारा ऊर्जा संकट हल करेगी ?
अथवा
भारत में ऊर्जा की समस्या को सौर ऊर्जा कैसे कुछ हद तक हल कर सकती है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
सूर्य, ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। इससे ऊर्जा की मात्रा विपुल रूप में अनवरत प्राप्त की जा सकती है। उष्ण कटिबन्धीय देश होने के कारण भारत में सौर-ऊर्जा की उत्पादन क्षमता तथा उपयोग की अधिक सम्भावना है। भारत में सौर-ऊर्जा के विकास के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ बहुत अनुकूल हैं। वर्तमान समय में भारत में सौर-ऊर्जा की दो विधियाँ प्रचलित हैं

1. सौर तापीय विधि,
सौर ऊर्जा को फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है। भारत में परम्परागत ऊर्जा संसाधनों की बढ़ती कीमतों तथा इनकी संभाव्य कमी ने भविष्य की ऊर्जा आपूर्ति के लिए अनिश्चितताएँ पैदा कर दी हैं। भारत में वर्षपर्यन्त सौर-ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे देश में सौर-ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हुई है।

2. फोटोवोल्टिक विधि।
सौर-ऊर्जा का नव्यकरणीय एवं प्रदूषणरहित स्रोत होने के कारण भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। भारत में कई स्थानों पर सौर-ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गये हैं। आज देश में सौर-ऊर्जा धीरे-धीरे काफी लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। सौर ऊर्जा का प्रयोग खाना पकाने, पम्प द्वारा पानी निकालने, पानी गर्म करने, प्रशीतन तथा सड़कों की रोशनी करने में किया जाता है। सर्दी में घरों को गर्म करने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। इस तरह कहा जा सकता है कि भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल हैं।

क्रियाकलाप

नीचे दी गई वर्ग पहेली में उपयुक्त खनिजों का नाम भरें
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 1

क्षैतिजऊर्ध्वाधर
1. एक लौह खनिज (9)1. प्लेसर निक्षेपों से प्राप्त होता है।
2. सीमेंट उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल (9)2. बेलाडिला में खनन किया जाने वाला लौह-अयस्क (8)
3. चुंबकीय. गुणों वाला सर्वश्रेष्ठ लोहा (10)3. विद्युत उद्योग में अपरिहार्य (4)
4. उत्कृष्ट कोटि का कठोर कोयला (10)4. उत्तरी-पूर्वी भारत में मिलने वाले कोयले की भूगर्भिक आयु (8)
5. इस अयस्क से एल्युमिनियम प्राप्त किया जाता है। (7)5. शिराओं तथा शिरानिक्षेपों में निर्मित (3)
6. इस खनिज के लिए खेतड़ी की खदानें प्रसिद्ध हैं। (6)
7. वाष्पीकरण से निर्मित (6)

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 2

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 51

प्रश्न 1.
रोशनी देने वाले बल्ब में कितने खनिज प्रयुक्त होते हैं?
उत्तर:

  1. काँच
  2. टंगस्टन
  3. ताँबा
  4. एल्युमिनियम
  5. डोलोमाइट।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 2.
भोज्य पदार्थों पर अंकित ‘पोषक तथ्यों को इकट्ठा करें।
उत्तर:
भोज्य पदार्थ – बिस्कुट (SunFeast 100 gram)

  1. कार्बोहाइड्रेट्स = 76.2 ग्राम
  2. प्रोटीन = 8.7 ग्राम
  3. वसा = 12.1 ग्राम

पृष्ठ संख्या 53

प्रश्न 1.
एक खुली खदान (Open pit mine), उत्खनन व एक शैफ्टयुक्त भूमिगत खदान में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
खुली खदान: यह पृथ्वी पर खनिजों अथवा चट्टानों का खनन करने की एक प्रमुख विधि है। इस विधि में पृथ्वी की ऊपरी परत को हटाकर मशीनों अथवा संयंत्रों की सहायता से खनन कार्य किया जाता है।

उत्खनन: जब खनिजों को धरातल के समीप से ही खोदकर निकाला जाता है तो उस विधि को उत्खनन कहते हैं। उत्खनन खुली खदान की अपेक्षा उथला होता है। शैफ्टयुक्त भूमिगत खदान: कई सौ मीटर गहराई पर गलीयुक्त खदान को शैफ्टयुक्त खदान कहते हैं।

पृष्ठ संख्या 57

प्रश्न 1.
भारत के भौतिक मानचित्र पर बॉक्साइट की खानें चिह्नित करें
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 3

प्रश्न 2.
मानचित्र का अध्ययन करें तथा बताएँ कि छोटा नागपुर क्षेत्र खनिजों का भण्डार क्यों है?
उत्तर:
छोटा नागपुर का पठार झारखण्ड एवं प. बंगाल राज्यों में फैला हुआ है। यह पठार आर्कियन ग्रेनाइट, कोलाराइट, बेसाल्ट एवं नीस चट्टानों से निर्मित है। उत्तरी व दक्षिणी सीमावर्ती भागों पर कहीं-कहीं धारवाड़ चट्टानें भी मिलती हैं। यह पठार भूगर्भिक दृष्टि से बहुत अधिक विभिन्नता रखता है। जिस कारण यहाँ चट्टानों की नसों में खनिजों की पर्याप्तता व विभिन्नता देखने को मिलती है। यहाँ मिलने वाले खनिजों में कोयला, ताँबा, अभ्रक, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, लौह अयस्क, चूना पत्थर, एस्बेस्टस, यूरेनियम, डोलोमाइट, मैंगनीज़ एवं सोना आदि प्रमुख हैं। इस प्रदेश की खनिज पदार्थों की सम्पन्नता ने उद्योगों एवं विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान किया है।

पृष्ठ संख्या 59

प्रश्न 1.
उन पदार्थों की सूची बनाएँ जहाँ खनिजों की अपेक्षा उनके प्रतिस्थापनों का प्रयोग हो रहा है। ये प्रतिस्थापन क्या हैं और कहाँ से प्राप्त होते हैं?
उत्तर:

पदार्थप्रतिस्थापनप्रतिस्थापन जहाँ से प्राप्त होते हैं
1. पेट्रोलियमसी.एन.जी. (कॉम्प्रेस्ड नेचुरल गैस)भूगर्भ
2. तापीय ऊर्जा (कोयला से प्राप्त होती है)जल विद्युतवर्षा का जल, नदियाँ
3. धातुओं से बने बिजली के उपकरणप्लास्टिकरसायन
4. धातु से बनी कुर्सियाँप्लास्टिकरसायन
5. काँच की बोतलप्लास्टिकरसायन
6. पदार्थप्रतिस्थापनप्रतिस्थापन जहाँ से प्राप्त होते हैं

पृष्ठ संख्या 63

प्रश्न 1.
कुछ नदी घाटी परियोजनाओं के नाम बताएँ तथा इन नदियों पर बने बाँधों का नाम लिखिए।
उत्तर:

नदी घाटी परियोजनानदी का नामबाँधों के नाम
1. चम्बल घाटी परियोजनाचम्बल नदीगाँधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध,
2. भाखड़ा नाँगल परियोजनासतलुज नदीजवाहर सागर बाँध, कोटा बैराज
3. दामोदर घाटी परियोजनादामोदर, बराकर वभाखड़ा-नाँगल बाँध
4. हीराकुड बाँध परियोजनाकोनार नदीपंचेत पहाड़ी बाँध, बर्मी बाँध,
5. टिहरी बाँध परियोजनामहानदीतिलेया बाँध, मेथान बाँध, कोनार बाँध
6. कोसी परियोजनाभीलंगाना वहीराकुड बाँध
7. कोयना परियोजनाभागीरथी नदीटिहरी बाँध
8. सरदार सरोवर परियोजनाकोसी नदीकोसी बाँध
9. शिव समुद्रम् परियोजनाकोयना नदीकोयना बाँध
10. नागार्जुन सागर परियोजनानर्मदा नदीसरदार सरोवर बाँध

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 2.
अपने राज्य के ताप विद्युत गृह की जानकारी एकत्र कीजिए तथा उसमें प्रयुक्त ईंधन का नाम भी लिखिए?
उत्तर:
राजस्थान का ताप विद्युत गृह-सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन-यह राजस्थान का सुपर थर्मल पावर प्लांट है। यह श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में स्थित है। इस ताप विद्युत गृह में लिग्नाइट कोयले का प्रयोग होता है। लिग्नाइट कोयला आधारित यह राजस्थान का सबसे बड़ा विद्युत संयंत्र है । इसकी कुल उत्पादन क्षमता 1,250 मैगावॉट है

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र पर 6 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की अवस्थिति दिखाएँ तथा उनके राज्यों के नाम ज्ञात करें जिनमें ये अवस्थित हैं।
उत्तर:

भारत परमाणु ऊर्जा संयंत्रराज्य का नाम
1. रावतभाटाराजस्थान
2. नरोराउत्तर प्रदेश
3. काकरापारागुजरात
4. तारापुरमहाराष्ट्र
5. कैगाकर्नाटक
6. कलपक्कमतमिलनाडु

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 5+

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

JAC Class 10th Civics लोकतंत्र के परिणाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र किस तरह उत्तरदायी, ज़िम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है ?
अथवा
क्या लोकतन्त्र उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैध शासन है? अपने दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क दीजिए।
अथवा
लोकतान्त्रिक व्यवस्था किस प्रकार नागरिकों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के प्रति उत्तरदायी और जिम्मेदार है? विश्लेषण कीजिए।
अथवा
“आपके मतानुसार लोकतन्त्र उत्तरदायी, जिम्मेदार व वैध शासन है।” अपने मत के पक्ष में तीन तर्क दीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र एक उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैध सरकार शासन का गठन निम्नलिखित प्रकार से करता है
1. उत्तरदायी सरकार:
लोकतन्त्र एक उत्तरदायी सरकार का गठन करता है। लोकतन्त्र में सबसे बड़ी चिन्ता यह होती है कि लोगों को अपना शासक चुनने का अधिकार और शासकों पर नियन्त्रण बरकरार रहे। लोकतन्त्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। ये प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस प्रकार एक निश्चित समय अन्तराल पर निर्वाचन की व्यवस्था के द्वारा लोकतन्त्र एक उत्तरदायी सरकार का गठन करता है।

2. जिम्मेवार सरकार:
लोकतन्त्र एक जिम्मेवार सरकार का गठन करता है क्योंकि इसका निर्णय जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। ये प्रतिनिधि समाज की समस्याओं पर बहस करते हैं एवं तदनुसार नीतियाँ एवं कार्यक्रम बनाते हैं। समस्याओं को सुलझाने के लिए इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू किया जाता है।

3. वैध सरकार:
लोकतन्त्र एक वैध सरकार का निर्माण करता है क्योंकि यह जनता की सरकार होती है। लोकतान्त्रिक सरकारें जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की सरकारें होने के कारण वैध सरकारें होती हैं। इन्हें देश की जनता की स्वाभाविक स्वीकृति मिली हुई होती है। यह जनता ही होती है जो अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार बनाकर स्वयं के ऊपर शासन करवाती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 2.
लोकतन्त्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है ?
अथवा
“लोकतन्त्र सामाजिक विविधताओं के सामंजस्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।” उदाहरणों सहित कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजनों के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए लोकतन्त्र सबसे अच्छा तरीका है।” कथन को न्यायोचित ठहराइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र निम्नलिखित स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है एवं उनके बीच सामंजस्य बैठाता है
1. विश्व के अधिकांश देशों में, जिनमें लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अपनाया गया है, उनमें अनेक प्रकार की सामाजिक विविधताएँ देखने को मिलती हैं। लोकतन्त्र शान्तिपूर्ण एवं सद्भाव के वातावरण में सामाजिक विभिन्नताओं को उचित स्थान प्रदान करता है व उन्हें अपनाता है। उदाहरण के रूप में, बेल्जियम की लोकतान्त्रिक व्यवस्था ने अपने यहाँ के विभिन्न जातीय समूहों की आकांक्षाओं के बीच सफलतापूर्वक सामंजस्य स्थापित किया।

2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में वार्तालाप, विचार-विमर्श एवं वाद-विवाद के आधार पर निर्णय लिया जाता है। इससे लोगों के मध्य तनाव कम होते हैं जिससे हिंसा भड़कने अथवा रक्तपात होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

3. लोकतन्त्र में सामाजिक विविधताओं से उत्पन्न समस्याओं के समाधान की क्षमता निहित होती है। देश की अधिक जनसंख्या होने के कारण व्यक्तियों के आचार-विचार, हित, दृष्टिकोण एवं दर्शन भिन्न-भिन्न होते हैं। इनके मध्य सामंजस्य स्थापित करने के लिए लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही सबसे अच्छी है।

4. कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के मध्य के टकरावों को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकता पर हम इन अन्तरों और विभेदों का आदर करना सीख सकते हैं तथा उनके बीच बातचीत से सामंजस्य बैठाने का तरीका विकसित कर सकते हैं। इस हेतु लोकतन्त्र सबसे अच्छा है।

5. लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था विभिन्न विचारों के मध्य तभी सामंजस्य स्थापित करने में सफल हो सकती है जब बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यके की एकता एवं विचारों को सुने व समझे। लोकतन्त्र को भाषायी, जातिगत एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को देश में उचित स्थान तथा सम्मानपूर्वक स्थिति प्रदान करनी चाहिए। अल्पसंख्यकों को भी देश के सर्वोच्च पद का सम्मान प्राप्त होना चाहिए। यदि जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति को बहुसंख्यक समुदाय का हिस्सा बनने से रोका जाता है तो हम यह मानते हैं कि ऐसे लोग या ऐसे समूहों को सदैव के लिए बहुमत की स्थिति में आने से रोक दिया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें
1. औद्योगिक देश ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं, पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
2. लोकतन्त्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
3. गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
4. नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतान्त्रिक देशों में है।
5. लोकतन्त्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतन्त्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर:

  1. यद्यपि तानाशाही शासन से गरीब देशों में आर्थिक वृद्धि होती है, किन्तु स्वतन्त्रता, सम्मान जो केवल लोकतन्त्र में पाये जाते हैं, की कीमत पर तानाशाही का समर्थन नहीं किया जा सकता।
  2. नागरिकों के बीच में असमानता आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के कारण हो सकती है। अतः सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ लोकतन्त्र के द्वारा नहीं मिटायी जा सकती हैं।
  3. औद्योगिक और बुनियादी ढाँचे पर पैसा खर्च करने और शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर कम पैसा खर्च करने पर कमजोर व्यक्तियों की संख्या बढ़ जायेगी तथा अशिक्षित लोगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी, जो किसी उद्योग को संचालित नहीं कर सकते हैं। इसके विपरीत स्वस्थ और शिक्षित नागरिक स्वयं ही एक संस्थान हैं।
  4. अमीर और गरीब सभी देशों में पाए जाते हैं और यह असमानता दूर नहीं की जा सकती।
  5. सभी को एक मत का अधिकार है किन्तु टकराव अन्य मुद्दों पर होता है। एक पार्टी अपने हित के लिए चाहती है कि उसके पक्ष में अधिक से अधिक वोट पड़ें।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतन्त्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शान्तिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ
1. उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओडिशा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजा रखने वाले एक मन्दिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी। :
2. भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
3. जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर:

  1. लोकतन्त्र में जाति-धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए इसी कारण सबके लिए एक ही दरवाजा कर दिया गया।
  2. सरकार की नीतियों के विरोध में ऐसा हुआ। सरकार को चाहिए प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखकर अपनी नीतियों का निर्धारण करे।
  3. इस घटना से यह पता चलता है कि लोकतन्त्र लोगों की स्वतन्त्रता की रक्षा करने में नाकाम रहा।
  4. लोकतन्त्र को मजबूत करने के लिए अग्र उपाय हैं:
    • आपसी विवादों को बातचीत के जरिए हल करना चाहिए।
    • भ्रष्टाचार को समाप्त करके।
    • राजनैतिक पार्टियों को जाति-धर्म निरपेक्षपूर्ण कार्यक्रम बनाने चाहिए।
    • सामान्य समस्याओं पर विचार कर उन्हें दूर करना चाहिए।
    • सरकार को सभी लोगों के हित का ध्यान रखकर अपनी नीतियाँ बनानी चाहिए।

प्रश्न 5.
लोकतान्त्रिक व्वस्थानों के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है-लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक:
1. लोगों के बीच टाव को समाप्त कर दिया है।
2. लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
3. हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
4. राजनीतिक गैर-बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर:
3. हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें
(क) स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव
(ख) व्यक्ति की गरिमा
(ग) बहुसंख्यकों का शासन
(घ) कानून के समक्ष समानता।
उत्तर:
(ग) बहुसंख्यकों का शासन।

प्रश्न 7.
लोकतान्त्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि
1. लोकतन्त्र और विकास साथ ही चलते हैं।
2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
3. तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।।
4. तानाशाहियाँ लोकतन्त्र से बेहतर साबित हुई हैं।
उत्तर:
2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मज़दूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अर्जी की स्थिति बताने की कौन कहे, उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा।

सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अन्दर खाद्य विभाग का एक इन्स्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है, इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।

नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है?
उत्तर:
नन्नू के आवेदन देने पर आवेदन से जुड़े अधिकारियों और उनके द्वारा किए गए कार्यों से सम्बन्धित रिपोर्ट उसे प्राप्त हुई तथा उसे इस बात की जानकारी मिली कि जिन अधिकारियों ने कार्य नहीं किया है उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जा सकती है। अतः अधिकारी इस बात से डर गये और उन्होंने उसका राशन कार्ड तैयार कर दिया और नन्नू की आवभगत कर रहे हैं जिससे वह सूचना के अधिकार के तहत डाला गया अपना आवेदन वापस ले लें। (उत्तर का शेष भाग छात्र स्वयं अपने माता-पिता की सहायता से लिखें।)

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 91)

प्रश्न 1.
क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि सरकार आपके तथा आपके परिवार के बारे में क्या-क्या जानती है और कैसे जानती है (जैसे-राशन-कार्ड या मतदाता पहचान-पत्र) ?
उत्तर:
सरकार मेरे परिवार के बारे में राशन-कार्ड व मतदाता पहचान पत्र के माध्यम से आयु, लिंग और वयस्क सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करती है।

प्रश्न 2.
सरकार के बारे में जानकारी के लिए आपके पास कौन-कौन से स्रोत हैं?
उत्तर:
सरकार के बारे में जानकारी रेडियो, टेलीविजन, समाचार माध्यमों से प्राप्त होती है। सरकार के बारे में सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 93)

प्रश्न 1.
इस तथा इससे आगे के तीन पन्नों पर दिए गए कार्टून धनी और गरीब लोगों के बीच के अन्तर को दिखाते हैं। क्या आर्थिक संवृद्धि का लाभ सबको बराबर-बराबर हुआ है? राष्ट्र के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब किस तरह आवाज़ उठा सकते हैं? विश्व के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब देश क्या करें?
उत्तर:
लोकतन्त्र का अर्थ सभी को समान अधिकार प्रदान करना तथा आर्थिक संवृद्धि प्रदान करना है, यह तभी होगा जब सभी समूह सत्ता में भागीदारी करें, इसके लिए उन्हें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे देश की जनता का विश्वास प्राप्त करें, उनके द्वारा दिए गए वोट ही उन्हें सत्ता में भागीदारी दिला सकते हैं।

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 94)

प्रश्न 1.
अगर आमदनी के समान वितरण और आर्थिक प्रगति को आधार मानकर ही लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के आर्थिक कामकाज का मूल्यांकन करना हो तो आपका फैसला क्या होगा?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक देशों की अपेक्षा तानाशाही शासनों ने आर्थिक रूप से अधिक उन्नति की है। लोकतन्त्र में आय का वितरण ठीक प्रकार से नहीं है। आर्थिक विकास लगभग दोनों ही व्यवस्थाओं में पूर्ण सन्तोषजनक नहीं है, पर लोकतन्त्र में लोगों को अपना आर्थिक स्तर बढ़ाने के लिए अवसर होते हैं। उन्हें अपनी योग्यता के अनुसार आगे बढ़ने में मदद मिलती है। मैं लोकतन्त्र को चुनूँगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 95)

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र का मतलब है बहुमत का शासन। गरीबों का बहुमत है, इसलिए लोकतन्त्र का मतलब हुआ गरीबों का राज। पर ऐसा होता क्यों नहीं है ?
उत्तर:
लोकतन्त्र में बहुमत का अर्थ प्राप्त सीटों से होता है। लोगों की जनसंख्या से नहीं, अलग-अलग समय पर अलग-अलग समूह बहुमत में हो सकते हैं। अगर हप यह है कि लोकतन्त्र में गरीबों का शासन होना चाहिए तो यह एक नई सोच को जन्म देता है। गरीब लोग हर जाति और हर में होते हैं। लोकतन्त्र में अमीर हो या गरीब सभी को चुनाव लड़केर सत्ता में भागीदारी करने का अवसर प्राप्त होता है। अग्ः गरीब अपनी अलग से पार्टी बनाए तो वे शासन चला सकते हैं।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 96)

प्रश्न 1.
आपके कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि लोकतन्त्र में इस बात का पक्का इन्तजाम होता है कि लोग एक-दूसरे का सिर न फोड़ें। यह तो सद्भाव की स्थिति नहीं हुई। क्या हम इतने भर से सन्तोष कर लें ?
उत्तर:
नहीं, लोकतन्त्र का मतलब सिर्फ एक-दूसरे का सिर न फोड़ें, इससे नहीं होता है बल्कि लोकतन्त्र में सार्वजनिक वस्तु, स्थान का उपयोग हर कोई कर सकता है। लोकतन्त्र यह निश्चित नहीं करता कि लोग आपस में न लड़ें। अगर कोई किसी से लड़ता है तो उस स्थिति में कानून व्यवस्था दोषी को सज़ा देती है, जिससे शान्ति बनी रहे। विभिन्नताओं के कारण समाज में संघर्ष होते रहते हैं। वे समाप्त नहीं हो सकते, लोकतन्त्र हमें इन विभिन्नताओं के साथ शान्तिपूर्वक रहने की शिक्षा प्रदान करता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजन पर लोकतान्त्रिक राजनीति के दो तरह के प्रभावों को इन दो तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया है। प्रत्येक तस्वीर का उदाहरण देते हुए लोकतान्त्रिक राजनीति में दोनों स्थितियों के नतीजों के बारे में एक-एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर:
जब कोई राजनीतिक पार्टी जाति, धर्म को अपने वोट बैंक का आधार बनाती है तो इससे समाज में संघर्ष बढ़ता है और विभाजन होता है। जब राजनीतिक दल राष्ट्रीय मुद्दों; जैसे-सीमाओं की सुरक्षा, सम्पूर्ण विकास, सभी के लिए शिक्षा, बेरोजगारी आदि पर जनमत तैयार करते हैं तो इससे समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी मेल-जोल बढ़ता है तथा सामाजिक विभाजन समाप्त होता है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 98)

प्रश्न 1.
मुझे सिर्फ अपनी बोर्ड-परीक्षा की चिन्ता है पर लोकतन्त्र को इतनी सारी परीक्षाओं से गुज़रना होता है और परीक्षा लेने वाले भी करोड़ों होते हैं।
उत्तर:
लोकतन्त्र को देश में मौजूद अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लोकतान्त्रिक सरकार की जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। वह एक जाँच पर खरा उतरे तो अगली जाँच सामने आ जाती है। लोगों को जब लोकतन्त्र से थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की मांग करने लगते हैं। वे लोकतन्त्र से और अच्छा काम चाहने लगते हैं।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

JAC Class 10th Civics राजनीतिक दल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
अथवा
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का क्या महत्त्व है?
अथवा
आधुनिक लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
एक राजनीतिक दल के किन्हीं पाँच कार्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों के किन्हीं पाँच प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकतान्त्रिक सरकार में राजनीतिक दलों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय राजनीतिक दलों के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं/कार्यों को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है
1. चुनाव लड़ना:
विश्व के अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा चयनित उम्मीदवारों के मध्य लड़ा जाता है। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चुनाव कई तरीकों से करते हैं; जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका में उम्मीदवारों का चुनाव दल के सदस्य व समर्थक करते हैं, वहीं भारत में दलों के नेता ही उम्मीदवार चुनते हैं।

2. नीतियों एवं कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखना:
संजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों एवं कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखते हैं तथा मतदाता अपनी पसंद की नीतियाँ एवं कार्यक्रम चुनते हैं। लोकतंत्र में समान या एक जैसे विचारों को एक साथ लाना होता है, ताकि सरकार की नीतियों को एक दिशा प्रदान की जा सके। राजनैतिक दल यही कार्य करते हैं। वे विभिन्न प्रकार के विचारों को कुछ बुनियादी राय तक समेट लाते हैं जिनका वे समर्थन करते हैं। सरकार प्रायः शासक दल की राय के अनुरूप अपनी नीतियाँ तय करती है।

3. कानून निर्माण में भूमिका:
राजनीतिक दल देश के कानून-निर्माण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह करते हैं, कानूनों पर औपचारिक बहस होती है तथा उन्हें विधायिका में पास करवाना होता है। लेकिन विधायिका के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं, इस कारण वे अपने दल के नेता के निर्देश पर फैसला करते हैं।

4. सरकार का निर्माण एवं संचालन:
राजनैतिक दल ही सरकार का निर्माण करते हैं एवं उसका संचालन करते हैं जो भी राजनीतिक दल अथवा उनका गठबन्धन विधायिका में बहुमत प्राप्त करता है, वह सरकार बनाता है और अपनी विचार पारा के अनुसार सरकार को चलाता है व नीतियाँ बनाता है।

5. शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वाह करना:
चुनाव में पराजय का सामना करने वाले दल शासन में विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं। ऐसे दल सरकार की गलत नीतियों व असफलताओं की आलोचना करते हैं तथा अपनी राय भी रखते हैं। इसके अतिरिक्त विपक्षी दल सरकार के विरुद्ध आम जनता को भी गोलबन्द करते हैं।

6. जनमत का निर्माण करना:
जनमत निर्माण में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। वे उन मुद्दों को जनता के समक्ष लाते हैं जिनका सरकार ठीक ढंग से प्रबंध नहीं कर पाती है। इससे ये अपने पक्ष में एवं सत्ताधारी दल के विरुद्ध जनमत का निर्माण करते हैं।

7. सरकारी तंत्र व कल्याणकारी कार्यक्रमों तक जनता की पहुँच को आसान बनाना:
राजनीतिक दल ही सरकारी तंत्र एवं सरकार द्वारा संचालित कल्याण कार्यक्रमों तक लोगों की पहुँच बनाते हैं। जनता एक राजकीय अधिकारी के स्थान पर एक नेता तक आसानी से पहुँच सकती है।

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प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं ?
अथवा
लोकतांत्रिक भारत में राजनैतिक दलों के समक्ष कौन-कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों के समक्ष आने वाली किन्हीं चार चुनौतियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं
1. आंतरिक लोकतंत्र का अभाव होना:
अधिकांश राजनीतिक दलों, के समक्ष आन्तरिक लोकतंत्र की कमी एक प्रमुख चुनौती है। समस्त विश्व में यह प्रवृत्ति बन गयी है कि समस्त शक्ति एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। दलों के पास न तो सदस्यों की खुली सूची होती है, न ही नियमित रूप से संगठनात्मक बैठकें होती हैं, इसके अतिरिक्त आन्तरिक चुनाव भी नहीं होते हैं। कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का साझा भी नहीं करते। सामान्य कार्यकर्ता दल में चल रही हलचलों से अनजान बना रहता है।

2. वंशवाद की प्रवृत्ति:
भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों के समक्ष यह एक प्रमुख चुनौती है। जो लोग बड़े नेता होते हैं, वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों विशेषकर अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में उच्च पदों पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं।

3. धन एवं अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ:
चूँकि समस्त राजनीतिक दलों की चिन्ता चुनाव जीतने की होती है अतः इसके लिए वे कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से भी परहेज नहीं करते हैं। वे ऐसे ही लोगों को चुनाव में उतारते हैं जिनके पास अधिक पैसा है या अधिक पैसा जुटा सकते हैं। कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का भी समर्थन करते हैं तथा उनकी मदद लेते हैं।

4. राजनैतिक दलों के मध्य विकल्पहीनता की स्थिति:
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के पास मतदाताओं को देने के लिए सार्थकः विकल्प की कमी है। सार्थक विकल्प देने के लिए विभिन्न दलों की नीतियों में अन्तर होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न देशों में दलों के बीच वैचारिक अन्तर कम होता जा रहा है।

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प्रश्न 3.
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों के सुधार हेतु किए गए चार प्रमुख प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनैतिक दल अपना काम-काज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
1. कानून का निर्माण:
राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून का निर्माण किया जाना चाहिए। सभी दल अपने-अपने सदस्यों की सूची रखें, अपने संविधान का पालन करें, दल में विवाद की स्थिति में एक स्वतन्त्र प्राधिकारी को पंच बनाएँ, दल के सबसे बड़े पदों के लिए खुला चुनाव कराएँ। इन समस्त व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

2. महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था:
राजनीतिक दलों को महिलाओं को एक न्यूनतम अनुपात (लगभग एक-तिहाई) में चुनाव में टिकट दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त दल के प्रमुख पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।

3. चुनाव खर्च का सरकार द्वारा वहन:
विभिन्न प्रकार के चुनावों का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। सरकार को चुनावों हेतु विभिन्न राजनीतिक दलों को धन प्रदान करना चाहिए। यह धन नकद रूप में अथवा मदद जैसे-पेट्रेल, कागज, फोन आदि के रूप में हो सकता है।

4. राजनीतिक दलों पर जनता द्वारा दबाव बनाना:
राजनीतिक दलों पर जनता द्वारा दबाव बनाया जाय इस हेतु पत्र लिखने, प्रचार करने एवं आन्दोलन के माध्यम.से जनता यह कार्य कर सकती है। आम नागरिक दबाव समूह, आन्दोलन एवं मीडिया के माध्यम से यह कार्य कर सकता है। अपनी छवि खराब होने के भय से राजनीतिक दल अपने में सुधार करेंगे।

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प्रश्न 4.
राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है ?
अथवा
राजनीतिक दल से क्या तात्पर्य है ?
अथवा
राजनीतिक दल का क्या अभिप्राय है? राजनीतिक दल के तीन अवयवों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दल का अर्थ:
राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता है जो चुनाव लड़ने व सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करता है। इसके तीन प्रमुख अंग (अवयव) हैं-नेता, सक्रिय सदस्य एवं अनुयायी या समर्थक।

प्रश्न 5.
किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
किसी भी राजनीतिक दल के निम्नलिखित गुण होते हैं

  1. यह लोगों का एक ऐसा संगठित समूह होता है जो सरकार बनाने एवं चलाने के लिए समान मुद्दों पर सहमति दिखाते हुए साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं।
  2. समाज के सामूहिक हितों को सुनिश्चित करने के लिए इनके पास नीति व कार्यक्रम होते हैं।
  3. इनका एक चुनाव चिह्न होता है।
  4. समाज के विकास के लिए धरना, प्रदर्शन आदि करते हैं।
  5. वे अपनी नीतियों व कार्यक्रमों को चुनाव द्वारा जनता से प्राप्त लोकप्रिय समर्थन के माध्यम से लागू करते हैं।
  6. राजनीतिक दल समाज के मौलिक राजनीतिक विभाजन को परिलक्षित करते हैं।

प्रश्न 6.
चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को “….”कहते हैं।
उत्तर:
राजनीतिक दल।

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प्रश्न 7.
पहली सूची (संगठन/दल) और दूसरी सूची (गठबंधन/मोर्चा) के नामों का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढ़ें

सूची-Iसूची-II
1. इंडियन नेशनल कांग्रेस(क) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन
2. भारतीय जनता पार्टी(ख) क्षेत्रीय दल
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)(ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
4. तेलुगु देशम पार्टी(घ) वाम मोर्चा उत्तर- कूट।
1234
(क)
(ख)
(ग)
(ग)

उत्तर:
(ग) 1. ग,.2. क, 3. घ, 4. ख।

प्रश्न 8.
इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है?
(क) कांशीराम
(ख) साहू महाराज
(ग) बी. आर. आंबेडकर
(घ) ज्योतिबा फुले
उत्तर:
(क) कांशीराम।

प्रश्न 9.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
(क) बहुजन समाज
(ख) क्रांतिकारी लोकतन्त्र
(ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(घ) आधुनिकता
उत्तर:
(ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

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प्रश्न 10.
पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें
(अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
(ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूंज सुनाई देती है।
(स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं। इन कथनों में से कौन सही है ?
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) अ और स
उत्तर:
(ख) अ और ब।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उद्धरण को पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें मोहम्मद युनूस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने तथा संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांग्लादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारम्परिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृति पैदा हो सकती है।

उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा। नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पसंद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना सम्भव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर होगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनायेगी।”

मर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है-“नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।”

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प्रश्न 1.
क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया? क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और संदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए? अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर:
1. हाँ, मेरे विचार से युनूस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया है।

2. हाँ, मैं समस्त प्रगतिशील लोकतांत्रिक जनता की भलाई के लिए किए गए उन लोगों के बयानों व अंदेशों से सहमत हूँ जो किसी-न-किसी रूप में युनूस के कार्यक्रम से सहमत हैं। लेकिन मैं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता के कथन से सहमत नहीं हूँ।

3. इस पार्टी को सभी लोगों के हित में काम करना चाहिए। अमीर-गरीब, साक्षर-निरक्षर, सभी तरह के लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो सभी लोगों के हित में हों।

4. यदि मैं इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में से एक होता तो मैं बांग्लादेश के लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयत्न करता कि इस नवगठित दल का एकमात्र उद्देश्य जनता की भलाई करना है। यह पार्टी जमीनी स्तर से ही ऊपरी स्तर तक लोकतांत्रिक होगी जिससे इस पर जन-साधारण का नियंत्रण रहेगा तथा वंशवाद का उभार नहीं होगा। यह पार्टी एक अधिक लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी नवीन राजनीतिक संस्कृति को जन्म देने जा रही है, जिसकी बांग्लादेश को अति आवश्यकता है।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप सम्बन्धी प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ सं. 74)

प्रश्न 1.
ठीक है, मान लिया कि हम दलों के बगैर नहीं रह सकते। पर ज़रा यह बताइए कि किस आधार पर जनता किसी राजनीतिक दल का समर्थन करती है?
उत्तर:
राजनीतिक दल हमारे ही लोगों का संगठन होता है। यदि हम सही विचार और उचित माँग के साथ हों और व्यवहार सही हो तो हम किसी भी राजनीतिक दल को सही कार्य करने पर मजबूर कर सकते हैं। ये दल हमारे प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होते हैं जिन्हें हम चुनकर भेजते हैं। यदि फिर भी वह राजनीतिक पार्टी अपनी मनमानी करती है तो अगले चुनाव में हम अपने मताधिकार का प्रयोग करके उसे सबक सिखा सकते हैं।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 75)

प्रश्न 1.
राजनीतिक दलों की गतिविधियाँ दर्शाने वाली इन तस्वीरों का वर्गीकरण करें। ऊपर बताई गई गतिविधियों से सम्बन्धित अपने इलाके की कोई तस्वीर या खबर की कतरन ढूँढ़िए।
उत्तर:

  1. प्रथम तस्वीर: विपक्ष की भूमिका निभाता हुआ दल।
  2. द्वितीय तस्वीर: नीतियाँ व कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।
  3. तृतीय तस्वीर: जनमत का निर्माण। (करतनें छात्र स्वयं ढूँढ़ें)

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 76)

प्रश्न 1.
किशन जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। इन चारों कार्यकर्ताओं के बारे में आपकी क्या राय है? क्या उन्हें नया राजनीतिक दल बनाना चाहिए? क्या कोई राजनीतिक दल राजनीति में नैतिक बल बन सकता है? यह दल कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
किशन जी के न होने पर इन कार्यकर्ताओं को नया राजनीतिक दल बनाना चाहिए। प्रारम्भ में कुछ समय लग जायेगा, इन्हें अपनी पहचान बनाने में, लेकिन इस मुद्दे और नैतिक बल के होने पर लोग धीरे-धीरे उन पर विश्वास करने लगेंगे, लोगों का साथ उन्हें प्राप्त होने लगेगा, तब वे जनता की भलाई के लिए कुछ कर सकते हैं। कोई भी राजनीतिक दल अपने किए गए वादों को पूरा करके नैतिक बल प्राप्त कर सकता है।

वादों को पूरा करने पर लोगों का विश्वास उस राजनीतिक दल पर बढ़ेगा और उस दल को लोगों का समर्थन प्राप्त होगा। इस दल को लोगों की वर्तमान समस्याओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए। कार्यकर्ताओं का चयन ऐसे व्यक्तियों के रूप में हो जो समाज की सेवा के उद्देश्य से पार्टी से जुड़े हैं। लोगों की छोटी से छोटी समस्या पर ध्यान देकर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें। चुनाव में पर्याप्त सीट न होने पर विपक्ष में शामिल होकर लोगों की सेवा करके अपनी पार्टी की छवि को और स्वच्छ तथा मजबूत करना चाहिए।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 77)

प्रश्न 1.
आइए, दलीय व्यवस्था के बारे में हमने जो जाना उसे भारत के विभिन्न राज्यों पर लागू करें। यहाँ राज्य स्तर पर मौजूद तीन तरह की दलीय व्यवस्थाएँ दी गई हैं। क्या आप इन श्रेणियों के लिए कम से कम दो-दो राज्यों के नाम बता सकते हैं?
1. दो दलीय व्यवस्था
2. दो गठबंधनों वाली बहुदलीय व्यवस्था
3. बहुदलीय व्यवस्था।
उत्तर:
1. राजस्थान, गुजरात।
2. बिहार, असम।
3. उत्तर प्रदेश, बंगाल।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 83)

प्रश्न 1.
दल महिलाओं को पर्याप्त टिकट क्यों नहीं देते? क्या इसका कारण आंतरिक लोकतंत्र की कमी है? ।
उत्तर:
भारत में ज्यादातर आबादी गाँवों में निवास करती है। जहाँ महिलाएँ आज भी अशिक्षित हैं। जो महिलाएँ चुनाव जीत जाती हैं, उनके पति ही उनके कार्य-भार को सँभालते हैं, बिहार में लालू यादव के स्थान पर उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, किन्तु समस्त काम-काज लालू यादव के हाथों में ही था। दूसरा, अभी आन्तरिक लोकतंत्र का अभाव है। महिलाएँ स्वयं भी राजनीति में कम भाग लेती हैं, धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ रही है, आगे आने वाले समय में महिलाओं की सत्ता में भागीदारी बढ़ेगी।

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क्या सीखा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 1.
क्या आप इस हिस्से में (पृष्ठ 83 से 85 तक) तक दिए गए कार्टूनों में दर्शायी गई चुनौतियों की पहचान कर सकते हैं? राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के क्या तरीके हैं?
उत्तर:
इन कार्टूनों में राजनीति में धन तथा बल के प्रयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को दर्शाया गया है। राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के लिए सर्वप्रथम भ्रष्टाचार की समाप्ति करनी होगी। सूचना के अधिकार’ के द्वारा लोगों को अधिक जागरूक होना होगा, तभी धन तथा बल के दुरुपयोग से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त चुनाव आयोग को और अधिक कड़े कदम उठाने चाहिए तथा भ्रष्टाचारियों एवं अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगानी चाहिए।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 1.
क्या इसका मतलब यह है कि लोकतंत्र में लोग सिर्फ पैसे बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं? पर क्या यह सही नहीं कि बहुत से राजनेता जनता की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं?
उत्तर:
ऐसा नहीं है कि सभी लोग लोकतंत्र में सिर्फ पैसा बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं। हमारे देश में भी पहले कई ऐसे राजनेता हुए हैं जो जनता की भलाई के प्रतिबद्ध थे क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है इसलिए हमें ऐसा लगता है कि सभी लोग पैसे बनाने के लिए ही चुनाव लड़ते हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 86)

प्रश्न 1.
क्या आप इस तरह से राजनीतिक दलों को सुधारने का समर्थन करते हैं?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। राजनीतिक दलों का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत बनाना होना चाहिए।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

JAC Class 10th Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
दबाव: समूह और आन्दोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
दबाव समूह और आन्दोलन राजनीति को निम्न प्रकार से प्रभावित करते हैं
1. प्रचार के माध्यम से:
दबाव समूह एवं आन्दोलन अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जनता का व्यापक समर्थन व सहानुभूति प्राप्त करने के लिए प्रचार का सहारा लेते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठकें आयोजित करना अथवा याचिका दायर करना जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है। ऐसे अधिकांश समूह मीडिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं ताकि उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों पर मीडिया का ध्यान आकर्षित हो।

2. हड़ताल अथवा राजकीय कामकाज में बाधा पहुँचाना:
दबाव समूह एवं आन्दोलन सामान्यतया हड़ताल अथवा राजकीय कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं ताकि सरकार उनकी माँगों की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर हो। सामान्यतया मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ एवं अधिकांश आन्दोलनकारी समूह ऐसी ही युक्तियों का प्रयोग करते हैं।

3. पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करना:
व्यवसाय समूह प्रायः पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते हैं। दबाव समूह एवं आन्दोलनकारी समूहों के कुछ सदस्य सरकार को सलाहकार समितियों एवं आधिकारिक निकायों को साथ लेकर अपने पक्ष में सरकार पर दबाव बनाते हैं।

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प्रश्न 2.
दबाव: समूहों तथा राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णन करें।
उत्तर:
दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है
1. राजनीतिक दलों की शाखा के रूप में:
कई मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों के ही निर्मित होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता ही करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अधिकांश मजदूर संगठन एवं छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा निर्मित होते हैं अथवा उनकी संवद्धता राजनीतिक दलों से होती है।

2. राजनीतिक दलों का रूप ले लेनी:
कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के रूप में, विदेशी लोगों के विरुद्ध छात्रों ने असम आन्दोलन का संचालन किया तथा जब इस आन्दोलन का समापन हुआ तो इसने असम गण परिषद नाम से राजनीतिक दल का रूप ले लिया।

3. राजनीतिक दलों के साथ संवाद:
अधिकांश दबाव समूह एवं आन्दोलनों का राजनीतिक दलों के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं। इसके बावजूद उनके बीच संवाद कायम रहता है तथा समझौते की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाये हैं तथा राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकांशत: नए नेता दबाव समूहों अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

प्रश्न 3.
दबाव: समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकारको कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं ?
उत्तर:
प्रायः सरकार धनी एवं शक्तिशाली लोगों के अनुचित दबाव में आ सकती है। दबाव समूह एवं आन्दोलन समूह इस अनुचित दबाव को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। दबाव समूह सामान्य लोगों के हितों और आवश्यकताओं के बारे में याद दिलाते हैं। जहाँ एक समूह आन्दोलन करके सरकार को अपने पक्ष में निर्णय लेने के लिए दबाव डालता है वहीं दूसरा समूह उसके पक्ष में निर्णय न लेने के लिए दबाव डालता है और सरकार को सोच-समझकर निर्णय लेने पर बाध्य करता है। दबाव समूह की गतिविधियाँ इस प्रकार सरकार के लिए उपयोगी होती हैं।

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प्रश्न 4.
दबाव समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
अथवा
दबाव समूह का अर्थ बताइए।
उत्तर:
वे संगठन दबाव समूह कहलाते हैं जो सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होते हैं और उन्हें प्रभावित करते हैं। इसमें एक समान इच्छा, व्यवसाय या विचार के लोग एक जैसी माँगों के लिए एकत्रित होकर आन्दोलन करते हैं। उदाहरण वर्ग विशेष के हित समूह जैसे मजदूर संगठनं, व्यावसायिक संघ एवं पेशेवरों (वर्कील, डॉक्टर व शिक्षक आदि के निकाय)। जन सामान्य के हित समूह जैसे मानवाधिकारों के संगठन, बँधुआ मजदूरी के विरुद्ध लड़ने वाले समूह आदि।

प्रश्न 5.
दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर है ?
अथवा
राजनीतिक दल तथा दबाव समूह में तीन प्रमुख अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दबाव समूह तथा राजनीतिक दल में निम्नलिखित अन्तर हैं

  1. राजनीतिक दलों में लोगों की संख्या कम होती है, जबकि दबाव समूहों में लोगों की संख्या अधिक होती है।
  2. दबाव समूहों में एक नेता होता है जिसके निर्देश पर समूह कार्य करता है, जबकि राजनीतिक दलों में कई नेता हो सकते हैं।
  3. राजनीतिक दल सरकार से सीधे सम्बन्धित होते हैं जबकि दबाव समूह सत्ता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े नहीं होते हैं।
  4. दबाव समूहों का संगठन, सुगठित नहीं होता है जबकि राजनीतिक दलों का संगठन सुगठित होता है।

प्रश्न 6.
जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं, उन्हें ……….. कहा जाता है।
उत्तर:
वर्ग विशेष के हित समूह।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव समूह और राजनीतिक दल में अन्तर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं, जबकि दबाव: समूह राजनीतिक मसलों की चिन्ता नहीं करते।
(ख) दबाव: समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं, जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव: समूह सत्ता में नहीं आना चाहते, जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
(घ) दबाव: समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते, जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
उत्तर:
(ग) दबाव: समूह सत्ता में नहीं आना चाहते, जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।

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प्रश्न 8.
सूची-I(संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए

सूची-Iसूची-II
1. किसी विशेष तबके या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन(क) आन्दोलन
2. जन-सामान्य के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन।(ख) राजनीतिक दल
3. किसी सामाजिक समस्या के समाधान के लिए चलाया गया एक ऐसा संघर्ष जिसमें सांगठनिक संरचना हो भी सकती है और नहीं भी।(ग) वर्म-विशेष के हित समूह
4. ऐसा संगठन जो राजनीतिक सत्ता पाने की गरज से लोगों को(घ) लोक कल्याणकारी हित समूह लामबंद करता है।
1234
(क)
(ख)
(ग)
(घ)

प्रश्न 9.
सूची-I का सूची-II मिलान करें और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर को चनें

सूची-Iसूची-II
1. दबाव समूह(क) नर्मदा बचाओ आन्दोलन
2. लम्बी अवधि का आन्दोलन(ख) असम गण परिषद्
3. एक मुद्दे पर आधारित आन्दोलन(ग) महिला आन्दोलन
4. राजनीतिक दल(घ) खाद विक्रेताओं का संघ
1234
(अ)
(ब)
(स)
(द)

उत्तर:
(अ)1. (घ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख)।

प्रश्न 10.
दबाव: समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(क) दबाव: समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव: समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव: समूह राजनीतिक दल होते हैं। अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें
(अ) क, ख, और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर:
(ब) क और खं।

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प्रश्न 11.
मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल ऑर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाये।

इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी। कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2005 में होने वाले विधानसभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना। इस उदाहरण में आपको आन्दोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नजर आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो ?
उत्तर:
इस उदाहरण से यह पता चलता है कि जब कोई आन्दोलन होता है तो राजनीतिक दल अपने हित में उसे समर्थन देते हैं। सरकार यदि सत्ता में बनी रहना चाहती है तो इस जनाधार की मांगों को मान लेने में ही उसका हित है। ऐसा ही एक उदाहरण नर्मदा बचाओ आन्दोलन है। इस आन्दोलन को बड़ा जनाधार प्राप्त है। फिर भी सरकार इन माँगों को नहीं मान रही है। राजनीतिक दलों के विचार भी अलग-अलग हैं।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 60)

प्रश्न 1.
क्या आप यह बताना चाहते हैं कि हड़ताल, धरना, प्रदर्शन और बंद जैसी चीजें लोकतंत्र के लिए अच्छी
उत्तर:
लोकतंत्र में कोई भी व्यक्ति अपनी मांगों को प्रदर्शित करने के लिए स्वतंत्र है। उसके लिए हड़ताल, धरना, प्रदर्शन आदि लोकतंत्र के तरीके हैं जिन्हें कोई भी अपना सकता है। यह सभी उचित माँगों के लिए किया जाता है तो ठीक होता है। वहीं यदि अनुचित माँगों के लिए किया जाता है, तो यह अच्छा नहीं होता है। किसी देश में इन सबका होने का अर्थ है कि वहाँ लोकतंत्र सही अर्थों में चल रहा है। यह केवल हमारा देश नहीं है जहाँ .ये सब चीजें होती हैं। प्रत्येक लोकतांत्रिक देश में जब जनता की सामान्य इच्छाओं का दमन होता है तो लोग धरना प्रदर्शन आदि करते हैं।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
क्या इसका मतलब यह हुआ कि जिस पक्ष ने ज्यादा संख्या में लोग जुटा लिए वह अपना चाहा हुआ सब कुछ हासिल कर लेगा? क्या हम यह माने कि लोकतंत्र का मतलब जिसकी लाठी उसकी भैंस?
उत्तर:
भीड़ एकत्रित होकर कोई प्रदर्शन करती है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह जिस माँग की बात कर रहे हैं वह पूरी हो जाए। यदि उनकी माँग उचित है तो सरकार उनकी माँग पर विचार करती है। यदि माँग जायज है तो उनकी माँग मान ली जाती है। यदि माँग उचित नहीं है तो सरकार इस प्रकार के प्रदर्शन या. हड़ताल को अवैध मानती है और उसे समाप्त करने का आदेश देती है।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
सन् 1984 में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक पल्पवुड लिमिटेड नाम से एक कम्पनी बनाई। इस कम्पनी को लगभग 30,000 हेक्टेयर जमीन 40 सालों के लिए एक तरह से मुफ्त में दे दी गई। इसमें से अधिकांश जमीन का इस्तेमाल किसान अपने पशुओं के लिए चरागाह के रूप में करते थे। कम्पनी ने इस जमीन पर यूक्लिप्टस के पेड़ लगाने शुरू किए। इन पेड़ों का इस्तेमाल कागज बनाने की लुग्दी तैयार करने के लिए किया जाना था। सन् 1987 में कित्तिको-हक्चिको (अर्थात् तोड़ो और रोपो) नाम का एक आन्दोलन शुरू हुआ। इसमें अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता अख्तियार किया गया। लोगों ने यूक्लिप्टस के पेड़ तोड़े और इनकी जगह वैसे पेड़ों के बिचड़े लगाए जो जनता के लिए फायदेमंद थे। नीचे कुछ समूहों के नाम दिए गए हैं। अगर आप इनमें से किसी भी समूह में होते तो अपने पक्ष के समर्थन में क्या दलील देते? स्थानीय किसान, पर्यावरणवादी कार्यकर्ता, उपर्युक्त कम्पनी में काम करने वाला अधिकारी अथवा कागज का उपभोक्ता।
उत्तर:
स्थानीय किसान-यूक्लिप्टस के पेड़ आस-पास होने से वह अन्य पेड़ों को नष्ट कर देते हैं जिससे जानवरों के लिए चारा नष्ट हो जाता है। कुछ समय बाद जमीन बंजर हो जाती है, इसलिए इस पेड़ को न उगाया जाए। पर्यावरणवादी कार्यकर्ता-जिस स्थान पर यूक्लिप्टस का पेड़ लगाया जाता है वह जमीन कुछ दिनों बाद बंजर हो जाती है। इसके अलावा वे अपने नीचे किसी भी पेड़-पौधे को पनपने नहीं देते।

उपर्युक्त कम्पनी में काम करने वाला अधिकारी-कम्पनी का अधिकारी होने के कारण मेरा कार्य अपने कर्त्तव्य की पूर्ति करना है। कागज की लुग्दी तैयार करने के लिए मैं इन पेड़ों को अधिक संख्या में लगाकर अपना कार्य कर रहा हूँ। यदि ये पेड़ नहीं होंगे तो कागज कहाँ से बनेगा। काका कागज का उपभोक्ता-मुझे खुशी है कि यहाँ लुगदी बनाने वाली कम्पनी खुल रही है। कम्पनी के पास में होने के कारण हमें जल्दी ही सस्ते दामों में कागज प्राप्त होगा।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्योन 63)

प्रश्न 1.
अखबार की इन कतरनों में जिन दबाव-समूहों का जिक्र किया गया है? क्या आप उन्हें पहचान सकते हैं? वे क्या माँग कर रहे हैं ?
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या 63 पर दी गयी अखबार की कतरनों में जिन दबाव-समूहों का जिक्र किया गया है, वे हैं-ऐटक, पत्रकार, दिल्ली के व्यापारी, गैर-सरकारी संगठन आदि।
उपर्युक्त दबाव-समूहों द्वारा निम्नलिखित माँगें की जा रही हैं

  1. ऐटक: इसके द्वारा विदेश नीति में अमेरिका की तरफ झुकाव का विरोध किया जा रहा है।
  2. पत्रकार: ये साथी पत्रकारों पर हुए हमले का विरोध कर रहे हैं तथा हमलावरों के विरुद्ध कार्यवाही की माँग कर रहे हैं।
  3. दिल्ली के व्यापारी: ये मूल्यवर्धित कर (VAT) की समय पर व्यापारियों को पुनर्वापसी किए जाने की माँग कर रहे हैं।
  4. गैर: सरकारी संगठन-ये संगठन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मानक दवाइयों की आपूर्ति किए जाने की माँग कर रहे हैं क्योंकि इन पीड़ितों को नकली या कम गुणवत्ता वाली दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न 1.
समाचार की इन कतरनों में किन सामाजिक आन्दोलनों का जिक्र है? ये आन्दोलन क्या प्रयास कर रहे हैं और समाज के किस तबके को लामबंद करने की कोशिश में जुटे हैं?
उत्तर:

  1. दी गयी कतरनों में सामाजिक आन्दोलनों की जानकारी दी गयी है। सरकारी खातों का सामयिक ऑडिट, मध्य प्रदेश के आदिवासी लोगों द्वारा जंगल की भूमि पर अपने अधिकार की माँग आदि प्रमुख हैं।
  2. सामाजिक संगठन राजस्थान में अनियमितताओं को दूर करने के लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए लामबंद कर रहे हैं।
  3. सूचना का अधिकार के कार्यकर्ता सार्वजनिक वितरण प्रणाली के विरोध में मुद्दे उठाने का प्रयत्न कर रहे हैं। इस प्रकार समाज के गरीब लोगों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं।
  4. मध्य प्रदेश के आदिवासी जंगल से अपने विस्थापन का विरोध कर रहे हैं। वन भूमि पर अपने पूर्ण अधिकार को प्राप्त करने के लिए आदिवासी लोगों को लामबंद करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
  5. के. एस. एस. पी., ए. डी. बी. ऋणों को सही ढंग से बाँटने के लिए बैंक कर्मचारियों पर दबाव डाल रहे हैं और वे ऋण के प्रति जागरूक होने के लिए गरीब किसानों को लामबंद कर रहे हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न:
क्या आप ऐसा सोचते हैं कि यह कार्टून इस कानून के पालन में नौकरशाही की अवरोधी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है ?
उत्तर:
नहीं, यह कार्टून इस स्थिति का बिल्कुल ठीक ढंग से व्याख्यान नहीं कर रहा है। यह कार्टून दिखाता है कि प्रधानमन्त्री जनता के मध्य ‘सूचना का अधिकार कानून’ का उद्घाटन कर रहे हैं। एक व्यक्ति इस कानून को जनता को उपलब्ध करा रहा है किन्तु जनता को यह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है क्योंकि इस कानून के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा : .सरकारी कर्मचारी अथवा नौकरशाह ही हैं।

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क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
ऊपर के अनुच्छेद में आपको लोकतंत्र और सामाजिक आन्दोलन में क्या सम्बन्ध नजर आ रहा है? इस आन्दोलन को सरकार के प्रति क्या रवैया अपनाना चाहिए ?
उत्तर:
उपरोक्त अनुच्छेद में बांगरी मथाई किसानों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन उन्हें जब यह पता चला कि इस भूमि को सरकार ने बेच दिया है तो वे बहुत नाखुश हुई। यह सरकार द्वारा फैलाया जा रहा भ्रष्टाचार था। ऐसा करना लोकतंत्र के नियमों के खिलाफ था। अतः इस सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए, आन्दोलन में सरकारी काम-काज के तरीकों का विरोध करना चाहिए। जब तक न्याय न मिले तब तक आन्दोलन चालू रखना चाहिए।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
इस कार्टून का शीर्षक है ‘खबर-बेखबर’। मीडिया में अक्सर किसकी चर्चाएं चलती हैं? अखबारों में ज्यादातर किनके बारे में लिखा गया होता है ?
उत्तर:

  1. व्यवसायी, मंत्री, नेता, खिलाड़ी, फिल्म आदि के बारे में मीडिया में अक्सर चर्चाएँ होती हैं।
  2. दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाएँ, खेल, पर्यावरण, सामाजिक कार्यकर्ता आदि के बारे में लिखा होता है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

JAC Class 10th Civics जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Questions and Answers

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

प्रश्न 1.
जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।
“भारत में आनदी के बाद से महिलाओं की स्थिति में सुधार तो हुआ है, परन्तु अभी भी स्त्रियाँ पुरुषों से काफी पीछे हैं।” इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए, जिनके माध्यम से भारत में महिलाओं के साथ भेदभाव और उनका दमन होता है।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के साथ अभी भी जीवन के निम्नलिखित पहलुओं में भेदभाव होते हैं.
1. शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव-आज भी भारत के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लड़कियों को शिक्षा के लिए नहीं भेजा जाता है। यदि भेजा भी जाता है तो मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए। देश में स्त्री साक्षरता (54 प्रतिशत) आज भी कम है। यद्यपि विद्यालयी परीक्षाओं के परिणामों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से अच्छा रहता है लेकिन आगे की पढ़ाई के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाते हैं क्योंकि उनके माता-पिता अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर खर्च करने के स्थान पर लड़कों पर अधिक खर्च करना पसंद करते हैं।

2.  उच्च पदों पर स्त्रियों की कम संख्या-आज भी भारत में उच्च वेतन एवं उच्च पदों पर कार्य करने वाली स्त्रियों की संख्या सीमित है। हमारे देश में औसतन एक स्त्री एक पुरुष की तुलना में प्रतिदिन एक घण्टा अधिक कार्य करती है पर उसको ज्यादातर कार्य के लिए पैसे नहीं मिलते इसलिए सामान्यतया उसके कार्य को मूल्यवान नहीं माना जाता।

3. समान कार्य के लिए समान मजदूरी नहीं-हमारे देश के समान मजदूरी से सम्बन्धित अधिनियम में कहा गया है कि समान काम के लिए समान मजदूरी प्रदान की जाएगी लेकिन कार्य के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान कार्य किया हो।

4. केवल लड़के की चाह-हमारे देश में संतान के रूप में अधिकांशः दम्पत्ति लड़का ही चाहते हैं, कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है।

5. स्त्रियों का उत्पीड़न व शोषण-हमें समाचार-पत्रों में प्रतिदिन ही स्त्रियों के उत्पीड़न, शोषण एवं उन पर होने वाली हिंसा की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। शहरी क्षेत्रों में स्त्रियाँ विशेष रूप से असुरक्षित हैं। वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट एवं अनेक प्रकार की घरेलू हिंसा को सहन करना पड़ता है।

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प्रश्न 2.
विभिन्न तरह की,साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें। उत्तर-विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा निम्नलिखित है
1. धार्मिक पूर्वाग्रह:
साम्प्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही देखने को मिलती है। इसमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी-बनाई धारणाएँ एवं एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ सम्मिलित हैं। ये चीजें इतनी सामान्य हैं कि सामान्यतया हमारा ध्यान इस ओर नहीं जाता है, जबकि ये हमारे अन्दर ही बैठी हर्ट होती हैं।

2. बहुसंख्यकवाद:
साम्प्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने की फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं उनकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है। जो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।

3. साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी:
इसके अन्तर्गत धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म-गुरुओं, भावनात्मक अपील एवं अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीके का उपयोग किया जाना एक सामान्य बात है। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं अथवा हितों की बात उठाने जैसे तरीके सामान्यतया अपनाए जाते हैं।

4. साम्प्रदायिक दंगे-कभी:
कभी साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक हिंसा, दंगा, नरसंहार के रूप में सबसे बुरा रूप अपना लेती है। उदाहरण के लिए, देश विभाजन के समय भारत व पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। स्वतन्त्रता के पश्चात् भी बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी।

प्रश्न 3.
बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं ?
उत्तर:
भारत में आज भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं क्योंकि लोग अपनी ही जाति या समुदाय के लोगों के साथ ही विवाह संबंध स्थापित करते हैं। अन्य कार्यक्रमों में भी कुछ जातियाँ ऐसी हैं जो अपनी ही जाति के लोगों को ही बुलाती हैं। चुनाव में अपनी ही जाति के उम्मीदवार को वोट डालते हैं तथा अपनी जाति के अन्य लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं। जिन जातियों में पहले से ही शिक्षा का प्रचलन था और जिनकी शिक्षा पर पकड़ थी, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भी उन्हीं का वर्चस्व है।

जिन जातियों को पहले शिक्षा से वंचित रखा जाता था, उनके सदस्याअभी भी स्वाभाविक रूप से शिक्षा में पिछड़े कि जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सदियों से कुछ समूहों को लाभ की स्थिति में दो कुछ समूहों को दबाकर रखा गया है। इसका प्रभाव सदियों पश्चात् आज तक नज़र आता है। अतः यह कहा जा सकता है कि भारत में आज भी जातिगत असमानताएँ विद्यमान हैं।

प्रश्न 4.
दो कारण बताएं कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीज तय नहीं हो सकते?
उत्तर:
भारत में सिर्फ जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते क्योंकि
1. देश के किसी भी एक संसदीय चुनावी क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है इसलिए प्रत्येक राजनैतिक दल और उम्मीदवार को चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए एक जाति व एक समुदाय से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त करना पड़ता है।

2. कोई भी राजनैतिक दल किसी एक जाति या समुदाय के समस्त लोगों का वोट प्राप्त नहीं कर सकता। किसी जाति विशेष को किसी एक दल का वोट बैंक कहते हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि उस जाति के अधिकांश लोग उसी दल को वोट देते हैं।

प्रश्न 5.
भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर:
भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में ही 14.36 फीसदी तक पहुँची है। राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। इस मामले में भारत का स्थान विश्व के देशों में बहुत पीछे है। भारत इस मामले में अफ्रीका व लैटिन अमेरिका में कई विकासशील देशों से भी पीछे है। लेकिन वर्तमान में स्थानीय शासन की विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण की व्यवस्था किए जाने के कारण इन संस्थाओं में महिलाओं की संख्या 10 लाख से अधिक हो गयी है।

प्रश्न 6.
किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
उत्तर:
(अ) संविधान देश में धर्म के आधार पर किसी भी भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
(ब) भारत में रहने वाला व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है, उसे व्यवहार में ला सकता है या किसी भी धर्म को न मानने के लिए स्वतन्त्र है।

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प्रश्न 7.
जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अन्तर
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना
उत्तर:
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।

प्रश्न 8.
भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमण्डल
(घ) पंचायतीराज की संस्थाएँ
उत्तर:
(घ) पंचायतीराज की संस्थाएँ।

प्रश्न 9.
साम्प्रदायिक राजनीति के अर्थ सम्बन्धी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। साम्प्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि
(अ) एक धर्म दूसरे से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इनमें से कौन या कौन सा कथन सही है?
(क) अ, ब, स और द
(ख) अ, ब और द
(ग) अ और स
(घ) ब और द
उत्तर:
(ग) अ और स।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन गलत है?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आज़ादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर:
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।

प्रश्न 11.
पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।
उत्तर:
लिंग, धर्म तथा जाति।

प्रश्न 12.
सूची I और सूची II का मेल करायें और नीचे दिए गये कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

सूची-Iसूची-II
1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति(क) साम्प्रदायिक
2. धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति(ख) नारीवाद
3. जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति(ग) धर्मनिरपेक्ष
4. व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव(घ) जातिवादी न करने वाला व्यक्ति
1234
(सा)
(रे)
(गा)
(मा)

उत्तर:
(रे)-1 (ख), 2 (क) 3. (घ) 4. (ग)।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 41)

प्रश्न 1.
अपने समाज में आदर्श स्त्री के बारे में प्रचलित इन सारी धारणाओं पर चर्चा करें। क्या आप इन सबसे सहमत हैं ? अगर नहीं तो बताइए कि आदर्श स्त्री के बारे में आपकी धारणा क्या है ?
उत्तर:
चित्रों में आदर्श नारी के रूप को दर्शाया गया है कि इनमें से कोई भी नारी आदर्श नारी नहीं है। आज के हिसाब से आदर्श नारी वह है जो घर और बाहर के काम में सामंजस्य बैठा सके और जहाँ आवश्यक हो, पुरुषों का सहयोग ले।

मानचित्र से (पृष्ठ संख्या 43)

प्रश्न 1.
क्या आप इस मानचित्र में अपने राज्य को पहचान सकते हैं? इस राज्य में स्त्री-पुरुष का अनुपात कितना है? आप इस अनुपात को अलग रंगों में अंकित राज्यों से कितना कम या ज्यादा पाते हैं?
उत्तर:
हाँ, हम इस मानचित्र में हमारे राज्य को पहचान सकते हैं। इसका नाम राजस्थान है। इस राज्य में स्त्री-पुरुष (बाल) अनुपात 888 है। यह अपने समीपवर्ती की तुलना में काफी कम है।

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प्रश्न 2.
उन प्रांतों की पहचान करें जहाँ बाल लिंग अनुपात 900 से कम है।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में बाल लिंग अनुपात 900 से कम है।

प्रश्न 3.
अगले पृष्ठ पर दिए गए पोस्टर से इस नक्शे की तुलना करें। ये दोनों किस तरह हमें एक ही मुद्दे के बारे में अलग-अलग ढंग से बताते हैं ?
उत्तर:
पोस्टर और मानचित्र अलग-अलग ढंग से बाल लिंग अनुपात व स्त्री लिंगानुपात की घटती हुई दर के बारे में बताते हैं। मानचित्र में घटते हुए बाल लिंग अनुपात को दिखाया गया है जिसमें राष्ट्रीय अनुपात 914 है तथा पोस्टर में दक्षिण एशिया में महिलाओं की संख्या में विभिन्न प्रकार की हिंसा के कारण लगातार होती कमी को दिखाया गया है।

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प्रश्न 4.
मम्मी हरदम बाहर वालों से कहती हैं, “मैं काम नहीं करती। मैं तो हाउसवाइफ हूँ।” पर मैं देखती हूँ कि वह लगातार काम करती रहती हैं। अगर वह जो करती हैं उसे काम नहीं कहते तो फिर काम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समाज उसी कार्य को महत्त्व देता है जिसका पारिश्रमिक मौद्रिक रूप में व्यक्ति को प्राप्त होता है। महिलाओं के घरेलू कामकाज को समाज अधिक मूल्यवान नहीं मानता और उन्हें दिन-रात काम करके भी श्रम का मूल्य नहीं मिलता।

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। क्या आप इसके कुछ कारण बता सकते हैं ? क्या आप मानते हैं कि अमेरिका और यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इस स्तर तक पहुँच गया है कि उसे संतोषजनक कहा जा सके ?
उत्तर:
भारत में अशिक्षित महिलाओं की संख्या ज्यादा है। जो महिलाएँ शिक्षित हैं वे या तो राजनीति में आना नहीं चाही या फिर राजनीति के बारे में नहीं जानती हैं। भारत की लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में ही 14.36 फीसदी तक पहुँची है वहीं राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 फीसदी से भी कम है। अमेरिका और यूरोप में महिलाओं की स्थिति भारत की महिलाओं से बेहतर है किन्तु संतोषजनक नहीं है। अमेरिका और यूरोप की राष्ट्रीय संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहले से अधिक हुआ है परन्तु वह जनसंख्या के अनुपात में कम है।

उन्नी मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 2.
अगर जातिवाद और संप्रदायवाद खराब चीज है तो नारीवाद क्यों अच्छा है? हम समाज में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर बाँटने वाली हर बात का विरोध क्यों नहीं करते? – उत्तर-जातिवाद समाज को जाति के आधार पर बाँटने का कार्य करता है। इसी प्रकार संप्रदायवाद भी धर्म के नाम पर लोगों में विभाजन पैदा करता है। जातिवाद और संप्रदायवाद दोनों ही समाज के लिए ठीक नहीं हैं। जबकि नारीवाद, स्त्रियों को समाज में पुरुषों के समान अधिकार दिलाने के लिए जागरूक करता है। इससे स्त्रियाँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं। अतः नारीवाद खराब नहीं है।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 1.
यह कार्टून बताता है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पास क्यों नहीं हो पाया? क्या आप इस नजरिए से सहमत हैं ?
उत्तर:
यह कार्टून बताता है कि यह समाज पुरुष प्रधान है। संसद के अंदर जाने वाले हर द्वार पर पुरुषों का कब्जा है। वे नहीं चाहते कि कोई महिला इसमें प्रवेश करे। उनके द्वारा सिर्फ ऐसा प्रदर्शित किया जाता है कि महिला आरक्षण विधेयक को वे पारित कराना चाहते हैं। कार्टून द्वारा प्रदर्शित इस नजरिए से मैं सहमत हूँ।

उन्नी मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 46)

प्रश्न 2.
मैं धार्मिक नहीं हूँ, मुझे सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की परवाह क्यों करनी चाहिए ?
उत्तर:
साम्प्रदायिकता कुछ धार्मिक समुदायों की घृणित प्रवृत्ति के कारण समाज में फैलने वाली गंदगी है, जिससे सामाजिक शांति भंग होती है। इसलिए हमें साम्प्रदायिकता का विरोध करना चाहिए, चाहे हम धार्मिक हों या न हों। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह है कि हमारे देश में किसी भी धर्म पर पाबंदी नहीं है। यहाँ सभी धर्म के लोगों का सम्मान किया जाता है। हम धार्मिक नहीं हैं, तब भी हमें धर्मनिरपेक्षता का ध्यान रखना चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना को कोई ठेस न पहुँचे।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
मैं अक्सर दूसरे धर्म के लोगों के बारे में चुटकुले सुनाता हूँ। क्या इससे मैं भी साम्प्रदायिक बन जाता हूँ?
उत्तर:
हमारे देश में विभिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं, किसी भी धर्म के बारे में हास्यास्पद चुटकुले सुनाना उचित नहीं है। इससे उस धर्म के मानने वाले लोगों की भावना को ठेस पहुँचेगी, इससे साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 51)

प्रश्न 1.
मुझे अपनी जाति की परवाह नहीं रहती। हम पाठ्य-पुस्तक में इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं ? क्या हम जाति पर चर्चा करके जातिवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं ?
उत्तर:
भारत में समाज, धर्म एवं जाति पर आधारित है। जाति-पाति संबंधी भेदभाव को दूर करने के लिए तथा जातिवाद को समाप्त करने के लिए जाति पर चर्चा की गई है न कि जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

प्रश्न 2.
अब तुम्हें यह पसंद नहीं आ रहा है ! क्या तुम्हीं ने नहीं कहा था कि यहाँ भी प्रभुत्व या वर्चस्व की बात आए तो हमें राजनीति विज्ञान में उसकी चर्चा करनी चाहिए ? क्या हमारे चुप रहने से जाति व्यवस्था समाप्त हो जायेगी ?
उत्तर:
राजनीति विज्ञान में हम उन-सभी विषयों की चर्चा करते हैं, जब एक जाति समुदाय दूसरे जाति समुदाय पर अपना वर्चस्व कायम करता है। यदि समाज जातिवाद के विषय पर चुप रहेगा तो जाति व्यवस्था कभी भी समाप्त नहीं होगी, यह जातिवाद बढ़ता रहेगा, इसलिए जातिवाद पर चर्चा करते हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 53)

प्रश्न 1.
क्या आपको यह बात ठीक लगती है कि राजनेता किसी जाति के लोगों को अपने वोट बैंक के रूप में देखें?
उत्तर:
यह बात बिल्कुल ठीक नहीं है कि राजनेता किसी जाति को अपना वोट-बैंक समझ लेते हैं। राजनीतिक नेता विशेष जाति के पक्ष में सहूलियत की बातें करके अपना वोट-बैंक बनाते हैं तो बहुत गलत है। इससे समाज से जातिवाद समाप्त होने के बजाय इसको बढ़ावा ही मिलेगा और अन्य जातियों के बीच में तनाव बढ़ेगा, आगे चलकर यह एक आन्दोलन का रूप ले सकता है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

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JAC Class 10th Civics लोकतंत्र और विविधता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
अथवा
भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन कारकों पर निर्भर करता है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम निर्धारित करने वाले तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजनों की राजनीति तय करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं
1. विभिन्न समुदायों की माँग के प्रति सरकारी रुख-विभिन्न समुदायों के लोगों की माँग पर सरकार कैसा रुख अपनाती है। यदि सरकार उनकी मांगों को दबाने का प्रयास करती है तो इस स्थिति में सामाजिक विभाजन का खतरा रहता है। यदि माँग संविधान की सीमा के अन्तर्गत है तो सरकार को चाहिए कि माँगों पर पुनर्विचार करके उसे मान ले, इस स्थिति में सामाजिक विभाजन का खतरा टल जाता है।

2. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना-यदि लोग स्वयं को सबसे विशिष्ट एवं अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है और यदि लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और इसे राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती।

3. राजनीतिक दलों का रवैया-विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता सामाजिक मूल्यों के प्रति अपने विचार किस प्रकार व्यक्त करते हैं। यदि वे किसी एक धर्म या समुदाय की माँग का समर्थन करते हैं तो इस प्रकार सामाजिक विभाजन की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं ?
उत्तर:
सामाजिक अन्तर उस समय सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेता है, जब एक सामाजिक अन्तर, दूसरे सामाजिक अन्तर पर हावी हो जाता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक अन्तरों के मध्य सामंजस्य की गुंजाइश नहीं रह जाती है। परिणामस्वरूप इस अन्तर को मानने वाले जनसमूहों द्वारा नए सामाजिक वर्ग का निर्माण होता है। तब सामाजिक अन्तर और बढ़ जाता है और अन्त में सामाजिक विभाजन का रूप ग्रहण कर लेता है।

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प्रश्न 3.
सामाजिक विभा न किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं ? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन से राजनीति प्रभावित होती है। यदि सामाजिक विभाजन किसी समूह विशेष द्वारा अपनी पहचान बनाने के लिए होता है तो इस प्रकार के विभाजन में समझौते की गुंजाइश नहीं होती; जैसे-आयरलैंड में लोग अपनी पहचान कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट के रूप में बनाना चाहते हैं। दूसरा उदाहरण बेल्जियम का है, जहाँ के लोग अलग-अलग भाषा बोलने वाले हैं किन्तु एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इन अलग-अलग भाषाओं से दूस समुदाय के लोगों का कोई अहित नहीं होता है।

प्रश्न 4.
सामाजिक अन्तर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। ..सामाजिक अन्तर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर:
कुछ, सभी।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभाजनों को सँभालने के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतन्त्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतन्त्र में विभिन्न समुदायों के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना सम्भव है।
(ग) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजन के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।
उत्तर:
(घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें
(अ) जहाँ सामाजिक अन्तर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह सम्भव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हों।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं।
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) सिर्फ स।
उत्तर:
(ख) अ और ब।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढ़ें।
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों, यह जरूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी न किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क) द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, द।
उत्तर:
(क) द, ब, स, अ।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखण्डन का सामना करना पड़ा?
(क) बेल्ज़ियम
(ख) भारत
(ग) यूगोस्लाविया
(घ) नीदरलैंड।
उत्तर:
(ग) यूगोस्वालिया।

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प्रश्न 9.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं ? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई सम्बन्ध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?

“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जायेगा। स्वतन्त्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतन्त्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी- ‘मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।”
उत्तर:
1. सन् 1963 में दिए गए अपने इस भाषण में मार्टिन लूथर किंग जूनियर चमड़ी के आधार पर काले एवं गोरों के बीच सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं।

2. उनकी उम्मीदें एवं आशंकाएँ यह हैं कि उन्होंने अपने चार छोटे बच्चों के लिए एक सपना देखा है जो उनके अनुसार एक ऐसे देश में रहेंगे जिसमें लोग उन्हें उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं बल्कि उनके चरित्र के गुणों के आधार पर परखेंगे। वे उस दिन की कामना कर रहे हैं जब सभी व्यक्ति स्त्री-पुरुष, काले-गोरे, यहूदी-गैर यहूदी, कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट एक ही प्रकार के अधिकारों तथा स्वतन्त्रता का प्रयोग कर सकेंगे।

3. हाँ, हम मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बयान और मैक्सिको ओलंपिक की इस घटना में निश्चित रूप से सम्बन्ध देखते हैं। मार्टिन लूथर किंग का भाषण चमड़ी के रंग को लेकर बनाए गए सामाजिक विभाजन में दर्द को प्रदर्शित करता है। चूँकि ऐसी ही काली चमड़ी वाले एफ्रो-अमरीकन खिलाड़ियों द्वारा मैक्सिको ओलम्पिक के दौरान प्रदर्शन किया गया था। अतः दोनों में स्पष्ट सम्बन्ध दिखता है।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

बीच बहस में (पृष्ठ संख्या 31)

कुछ दलित समूहों ने 2001 में डरबन में हुए संयुक्त राष्ट्र के नस्लभेद विरोधी सम्मेलन में हिस्सा लेने का फैसला किया और माँग की कि सम्मेलन की कार्यसूची में जातिभेद को भी रखा जाए। इस फैसले पर ये तीन प्रतिक्रियायें सामने आईं:
अमनदीप कौर (सरकारी अधिकारी): हमारे संविधान में जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी करार दिया गया है। अगर कहीं-कहीं जातिगत भेदभाव होता है तो यह हमारा आन्तरिक मामला है और इसे प्रशासनिक अक्षमता के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं इसे अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाए जाने के खिलाफ़ हूँ।

ओइनम (समाजशास्त्री):
जाति और नस्ल एक जैसे सामाजिक विभाजन नहीं हैं। इसलिए मैं इसके खिलाफ़ हूँ। जाति का आधार सामाजिक है जबकि नस्ल का आधार जीवशास्त्रीय होता है। नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में जाति के मुद्दे को उठाना दोनों को समान मानने जैसा होगा।

अशोक (दलित कार्यकता):
किसी मुद्दे को आन्तरिक मामला कहना दमन और भेदभाव पर खुली चर्चा को रोकना है। नस्ल विशुद्ध रूप से जीवशास्त्रीय नहीं है, यह जाति की तरह ही काफ़ी इद तक समाजशास्त्री और वैधानिक वर्गीकरण है। इस सम्मेलन में जातिगत भेदभाव का मसला ज़रूर उठाना चाहिए। इनमें से किस राय को आप सबसे सही मानते हैं ? कारण बताइए।
उत्तर:
मैं अमनदीप कौर के विचार से सहमत हूँ, क्योंकि हमारे संविधान में जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी करार दिया गया है और यदि फिर भी भेदभाव होता है तो यह हमारे देश का आन्तरिक मामला है, यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे – अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया जाए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न 1.
मैं पाकिस्तानी लड़कियों की एक टोली से मिली और मुझे लगा कि अपने ही देश के दूसरे हिस्सों की लड़कियों की तुलना में वे मुझसे ज्यादा समानता रखती हैं, क्या इसे राष्ट्र-विरोधी मेल कहा जायेगा ?
उत्तर:
नहीं, ऐसा महसूस करना राष्ट्र-विरोधी मेल नहीं कहा जायेगा क्योंकि कोई भी व्यक्ति किसी के समान हो सकता है, किसी भी भाषा को बोल सकता है। भारत में रहने वाली मुस्लिम लड़की और पाकिस्तान में रहने वाली लड़की दोनों ही उर्दू बोलती हैं, तो वे समान हैं।

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कार्टून (पृष्ठ संख्या 32)

प्रश्न 1.
इस कार्टून से हर व्यक्ति अलग अर्थ निकाल सकता है। आपको इस कार्टून का क्या मतलब समझ में आता है ? आपकी कक्षा के अन्य छात्र इससे क्या अर्थ निकालते हैं ?
उत्तर:
इस कार्टून में व्यक्ति अपने ही अंगों को काटकर स्वयं को क्षति पहुँचा रहा है। वह यह बताने की कोशिश कर रहा है कि हम सामाजिक मतभेद और जातिगत भेदभाव की वजह से अपने ही अंगों को काट रहे हैं। कक्षा में अन्य छात्रों के बीच इस कार्टून को लेकर मतभेद हैं, जैसे कुछ मानते हैं कि इसमें धनी और शक्तिशाली लोगों के बारे में बताया गया है जो निर्धन वर्ग के अधिकारों को क्षति पहुँचा रहे हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ 33)

प्रश्न:
दलित कवियों की इन दो कविताओं को पढ़ें-पोस्टर के ऊपर, अप्रकट रंगभेद’ क्यों लिखा गया है ?
उत्तर:
दलित कवियों की कविताओं से यह पता चलता है कि सामाजिक भेदभाव समाप्त हो गया है। सभी एक नल से पानी पी रहे हैं कोई ऊँचा, नीचा नहीं है। दूसरी कविता में गरीबी का भयावह दृश्य दर्शाया गया है। माँ लकड़ी बेचकर आयेगी तब घर में खाना बनेगा, यदि लकड़ी नहीं बिकेगी तो हम भूखे सो जायेंगे, इसमें आमदनी का जरिया सिर्फ लकड़ी बेचना है। यहाँ समानता रूपी दशाएँ दर्शाने का प्रयास तो किया गया है किन्तु वास्तविक रूप से समानता न हो पाने के कारण ही अप्रकट रंगभेद लिखा गया है।

क्या समझा ? क्या जाना ? (पृष्ठ संख्या 34)

प्रश्न 1.
इमराना दसवीं कक्षा के सेक्शन ‘ब’ की छात्रा है। वह बारहवीं कक्षा के छात्रों को विदाई पार्टी देने की तैयारी में अपनी कक्षा के अन्य छात्रों की मदद कर रही है। पिछले महीने उसने अपने सेक्शन की खो-खो टीम की तरफ़ से दसवीं कक्षा के सेक्शन ‘अ’ की टीम के खिलाफ़ मैच खेला था। वह बस से घर जाती है और उसी बस में यमुना पार से आने वाले और भी बच्चे होते हैं जो अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं। इमराना उनसे भी हिली-मिली है।

इमराना और उसकी बड़ी बहन नईमा की शिकायत है कि उन्हें तो माँ के साथ घर के काम में हाथ बँटाना पड़ता है जबकि उनका भाई कोई काम नहीं करता। इमराना के पिता उसकी बड़ी बहन के लिए लड़का ढूँढ़ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि लड़का उन्हीं की हैसियत का हो। क्या आप बता सकते हैं कि इमराना की पहचान किस आधार पर की जा सकती है
घर में वह एक लड़की है।
धर्म के हिसाब से वह
स्कू ल में वह………….
………वह ………..
…………..वह……….
उत्तर:
धर्म के हिसाब से वह एक मुस्लिम है। स्कूल में वह कक्षा-दस की एक छात्रा है। खेल में वह खो-खो टीम की एक सदस्या है। परिवार में वह नईमा की छोटी बहन है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)

प्रश्न 1.
क्या आपको महाश्वेता की बातें सही लगती हैं ? क्या आप अपने इलाके के कुछ ऐसे समुदायों को जानते हैं जिनके साथ रोमानी लोगों जैसा बर्ताव होता है ?
उत्तर:
हाँ, मुझे महाश्वेता की बातें सही लगती हैं। हमारे देश में भी कुछ ऐसी जातियाँ (नट, बंजारा आदि) हैं, जिनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है जैसा कि रोमानी लोगों के साथ हो रहा है।

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प्रश्न 2.
क्या आपने कुछ लोगों को वैसी बातें कहते हुए सुना है, जैसी योन्किा और मोद्रजेनी कह रही थीं ? अगर हाँ, तो जरा यह कल्पना करें कि अगर आपको ऐसी बातें उनसे सुनने को मिलतीं तो यह कहानी कैसी होगी ?
उत्तर:
कुछ जाति के लोगों को ऐसी बातें करते सुना है, इन लोगों की इस स्थिति की जिम्मेदार सरकार है, जो इन पर ध्यान नहीं देती है। इस कहानी से हमें नस्लीय भेदभाव की स्थिति का पता चलता है।

प्रश्न 3.
क्या बुल्गारिया की सरकार को यह प्रयास करना चाहिए कि रोमानी लोग भी बुल्गारिया के बाकी लोगों जैसी पोशाक पहनें और वैसा ही आचरण करें ?
उत्तर:
नहीं यह आवश्यक नहीं है कि सभी एक जैसी पोशाक पहनें व समान आचरण करें। हाँ बुल्गारिया की सरकार को चाहिए कि वह रोमानी लोगों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करे जिससे वे भी बुल्गारिया के लोगों की तरह रह सकें। लोकतन्त्र में सभी लोगों को समान मानना चाहिए, सभी लोगों को समान सुविधाएँ देनी चाहिए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)

प्रश्न 1.
उत्तरी आयरलैंड के कुछ स्थानों में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक लोगों के समुदाय दीवार के माध्यम से बँटे हैं। इन दीवारों पर अक्सर कुछ न कुछ लिखा हुआ देखने को मिल जाता है। इस तस्वीर में भी आप यह देख सकते हैं। आयरिश रिपब्लिकन आर्मी और ब्रिटेन की सरकार के बीच 2005 में एक समझौता हुआ था। यहाँ अंकित दीवार-लेखन सामाजिक तनाव के बारे में क्या कहता है ?
उत्तर:
इस दीवार-लेखन से यह स्पष्ट होता है कि सन् 1966 में लन्दन में जातिगत भेदभाव व्याप्त था। लोग काले और आयरिश मूल के लोगों के साथ भेदभाव करते थे। दूसरा चित्र यह बताता है कि 2005 में बेलफास्ट में जातिगत भेदभाव का अन्त हो चुका है और लोग एक-दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करते हैं, ताकि वे शान्ति से रह सकें।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 37)

प्रश्न 1.
क्या आप खेल के मामले में सामाजिक विभाजन या भेदभाव के कुछ उदाहरण सोच सकते हैं ?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में कुछ समय पहले क्रिकेट टीम में काले कप्तान नहीं बनाये जाते थे। आज कई खेल ऐसे हैं, जिन्हें सामान्य लोग नहीं खेल सकते हैं, क्योंकि ये काफी खर्चीले हैं। उदाहरण-पोलो, गोल्फ आदि।

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प्रश्न 2.
तो आपके कहने का मतलब है कि एक बड़े विभाजन की जगह अनेक छोटे विभाजन लाभकर होते हैं ? और आपके कहने का यह भी मतलब है कि राजनीति एकता पैदा करने वाली शक्ति है ?
उत्तर:
सामाजिक विभिन्नता ही समाज में विभाजन का कारण होती है। सामाजिक विभिन्नता से मतभेद उत्पन्न होते हैं। उन मतभेदों के कारण विभाजन की स्थिति पैदा होती है। विभाजन का मुद्दा और सरकार का रुख विभाजन की प्रकृति – तय करता है कि विभाजन अच्छा है या बुरा। राजनेताओं की सोच के आधार पर विभाजन का स्वरूप निर्भर करता है। राजनीति कुछ हद तक विभाजन को कम कर सकती है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

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JAC Class 10th Civics संघवाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ :
मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 1

प्रश्न 2.
विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ और उनके नक्शे को रंग से भरें।
JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 2

प्रश्न 3.
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर:
मिलती: जुलती विशेषता-बेल्जियम तथा भारत दोनों ही संघीय व्यवस्था वाले देश हैं तथा इनमें त्रि-स्तरीय सरकारें हैं।
अलग विशेषता-तीसरे स्तर पर बेल्जियम में सामुदायिक सरकार है। भारत में तीसरे स्तर पर स्थानीय स्वशासन है।

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प्रश्न 4.
शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अन्तर है ? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
अथवा
‘एकात्मक शासन’ की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शासन के संघीय एवं एकात्मक स्वरूपों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं

संघीय शासन व्यवस्थाएकात्मक शासन व्यवस्था
1. इस शासन के स्वरूप में दो स्तरों पर सरकारें होती हैं तथा सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने राज्य सरकारें उसके अधीन होकर कार्य करती हैं।1. इस शासन के स्वरूप में शासन का एक ही स्तर होता है तथा स्तर पर स्वतन्त्र होकर कार्य करती हैं।
2. इस व्यवस्था में राज्य सरकारों को शक्तियाँ संविधान प्राप्त होती हैं।2. इसमें राज्य सरकारों को अपनी शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार से से प्राप्त होती हैं।
3. इस व्यवस्था में संघ और राज्य सरकारों के बीच विषयों का विभाजन होता है।3. इस व्यवस्था में विषयों का विभाजन नहीं होता है।
4. इस व्यवस्था में राज्य सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार नहीं होती हैं।4. इस व्यवस्था में राज्य सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार होती हैं।
5. इस व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को कुछ विशेष कार्य करने का आदेश नहीं दे सकती हैं। उदाहरण: भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा व ऑस्ट्रेलिया ने संघीय शासन व्यवस्था को अपनाया है।5. इस व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को आदेश दे सकती है। उदाहरण: फ्रांस, हॉलैण्ड, जापान, इटली आदि देशों ने एकात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया है।

प्रश्न 5.
1992 के संविधान के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ।
उत्तर:

स्थानीय शासन (1992 से पूर्व)स्थानीय शासन (1992 के बाद)
1. स्थानीय सरकारों का चुनाव नहीं होता था।1. स्थानीय सरकारों का नियमित चुनाव होता है।
2. स्थानीय सरकार के पास स्वयं का आय का स्रोत नहीं था।2. केन्द्र सरकार द्वारा स्थानीय सरकार को सीधे पैसा भेजा जाता है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरें चँकि अमरीका……… तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त……….. हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली……… की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर:
‘साथ आकर संघ बनाने की’, शक्तिशाली एवं ‘सबको साथ लेकर चलने’ की नीति।

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प्रश्न 7.
भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता: प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान: भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
रीश: इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने का काम किया है।
उत्तर:
मुझे संगीता की प्रतिक्रिया ठीक लगती है, क्योंकि यह सच है कि सामंजस्य की नीति ने हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है। प्रारम्भ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाया गया और अंग्रेजी का प्रयोग आधिकारिक रूप से बन्द कर दिया गया। इस पर तमिलनाडु में लोगों ने आन्दोलन करना प्रारम्भ कर दिया।

हमारे देश में 121 प्रमुख भाषाएँ हैं, हमको इन सभी भाषाओं का आदर करना चाहिए, जिससे ये देश की उन्नति में मदद कर सकें और विकसित हो सकें। हमारे समक्ष श्रीलंका का उदाहरण है, जहाँ भाषायी विवाद ने देश को गृहयुद्ध के कगार पर ला खड़ा किया था।

प्रश्न 8.
संघीय सरकार की एक विशिष्टता है:
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रान्तीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर:
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा, (ख) पुलिस, (ग) कृषि, (घ) शिक्षा, (ङ) बैंकिंग, (च) वन, (छ) संचार, (ज) व्यापार, (झ) विवाह।

संघीय सूची(क) रक्षा(ङ) बैंकिंग(छ) संचार
राज्य सूची(ख) पुलिस(ग) कृषि(ज) व्यापार
समवर्ती सूची(घ) शिक्षा(च) वन(झ) विवाह

प्रश्न 10.
नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है ?

(क) राज्य सरकारराज्य सूची
(ख) केन्द्र सरकारसंघीय सूची
(ग) केन्द्र और राज्य सरकारसमवर्ती सूची
(घ) स्थानीय सरकारअवशिष्ट अधिकार

उत्तर: (घ) स्थानीय सरकार-अवशिष्ट अधिकार।

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प्रश्न 11.
सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें। सूची। ।

सूची Iसूची II
1. भारतीय संघ(अ) प्रधानमन्त्री
2. राज्य(ब) सरपंच
3. नगर निगम(स) राज्यपाल
4. ग्राम पंचायत(द) मेयर
1234
(सा)
(रे)
(गा)
(मा)

उत्तर:
(गा) 1. (अ), 2. (स), 3. (द), 4. (ब)

प्रश्न 12.
इन बयानों पर गौर करें:
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रान्तीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केन्द्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रान्तों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही, क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन की इकाइयों में बाँट दिए गए हैं।

ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं।
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(गा) अ और ब
(मा) ब और स।
उत्तर:
(गा) अ और ब।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 14)

प्रश्न 1.
मैं थोड़ी उलझन में हूँ। आखिर, भारत की शासन-व्यवस्था को क्या नाम दिया जाए? यह एकात्मक है, संघात्मक अथवा केन्द्रीकृत?
उत्तर:
भारत राज्यों से मिलकर बना है, अतः भारत की शासन व्यवस्था को संघात्मक शासन व्यवस्था का नाम दिया जा सकता है। लेकिन इसमें राज्य सरकारों की तुलना में केन्द्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 15)

प्रश्न 1.
संघीय व्यवस्था जब सिर्फ बड़े देशों के अनुकूल है तो बेल्जियम ने इसे क्यों अपनाया ?
उत्तर:
बेल्जियम एक छोटा देश है, लेकिन इसकी जनसंख्या में विविधता है। बेल्जियम में कई भाषा वाले लोग रहते हैं और उनमें अपने लाभ को लेकर आपसी संघर्ष हो सकता है। अतः सम्भावित संघर्ष तथा राजनैतिक अस्थिरता को रोकने के लिए बेल्जियम ने संघीय व्यवस्था को अपनाया।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 1.
कुछ नेपाली नागरिक अपने संविधान में संघीय व्यवस्था अपनाने की बात कर रहे थे। उनकी चर्चा कुछ इस प्रकार की थी
खगराज मुझे संघीय व्यवस्था पसन्द नहीं है। इससे भारत की तरह हमारे यहाँ भी सीटों को आरक्षित करना पड़ेगा।
मीता हमारा देश तो कोई बड़ा नहीं है। हमें संघ की क्या ज़रूरत है?
बाबूलाल: मुझे लगता है कि अगर तराई क्षेत्र की अपनी अलग राज्य सरकार बने तो क्षेत्र को ज़्यादा स्वायत्तता मिल सकेगी। रामगणेश: मुझे संघीय व्यवस्था पसन्द है क्योंकि इसका मतलब होगा कि पहले राजा जिन शक्तियों का प्रयोग करता था, उनका इस्तेमाल इस व्यवस्था में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि करेंगे। अगर आप इस चर्चा में शामिल होते तो प्रत्येक टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होती ? इनमें से किसने संघीय व्यवस्था को लेकर गलत टिप्पणी की है ?
उत्तर:
1. खगराज को उत्तर:
यह ज़रूरी नहीं है कि भारत की ही तरह नेपाल में भी सीटों को आरक्षित करना पड़े क्योंकि भारत में तो विभिन्न जातीय समूहों को जो भी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, वे उनके अधिकार हैं, जिनसे उन्हें वर्षों तक वंचित रखा गया था। संघीय व्यवस्था अपने उद्देश्य में तभी सफल हो सकती है जब लोगों में आपसी विश्वास की भावना बनी रहे।

2. मीता को उत्तर:
संघीय व्यवस्था के लिए देश का बड़ा होना आवश्यक नहीं है। बेल्जियम जो एक छोटा देश है, उसने भी संघीय व्यवस्था को अपनाया है। संघीय व्यवस्था सत्ता में सभी लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाती है और उन्हें चुनाव लड़ने, मतदान करने का अधिकार प्रदान करती है।

3. बाबूलाल को उत्तर:
आपका विचार बहुत अच्छा है परन्तु आप यह क्यों चाहते हैं कि यह व्यवस्था केवल तराई क्षेत्र में हो, बल्कि इस व्यवस्था को तो पूरे देश में होना चाहिए जिससे सभी लोगों को उसमें भागीदारी करने का मौका मिल सके।

4. रामगणेश को उत्तर:
मैं आपके विचार से सहमत हूँ। संघीय व्यवस्था में शक्ति जनता के हाथ में निहित होती है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। चुना गया प्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
खगराज और मीता ने संघीय व्यवस्था को लेकर गलत टिप्पणी की है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 1.
क्या यह कुछ अजीब बात नहीं है? क्या हमारे संविधान निर्माताओं को मालूम नहीं था कि संघीय व्यवस्था क्या होती है या वे इसके बारे में कहने से बचना चाहते थे ?
उत्तर:
यह कुछ अजीब बात नहीं है। संविधान निर्माताओं को संघीय व्यवस्था के बारे में मालूम था लेकिन हमारा लोकतन्त्र उस समय अपनी शैशवावस्था में था। उस समय इन राज्यों को संघीय व्यवस्था का अधिकार दिया जाता तो देश के कई टुकड़े हो सकते थे। उन्होंने सोचा कि जैसे-जैसे लोकतन्त्र मजबूत होता जायेगा, वैसे-वैसे संविधान में संशोधन करके · आवश्यक परिवर्तन किए जायेंगे।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या17)

प्रश्न 1.
अगर कृषि और वाणिज्य राज्य के विषय हैं तो केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मन्त्री क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर:
केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मन्त्री इसलिए बनाये जाते हैं ताकि सभी राज्य नियन्त्रण में रहें। राज्यों को वाणिज्य और कृषि सम्बन्धी व्यवहार आपस में करने होते हैं। कई बार एक राज्य मूल्य आदि पर मनमाना रवैया अपनाता है तो केन्द्र द्वारा उस पर नियन्त्रण किया जाता है। कई बार एक देश को दूसरे देशों के साथ वाणिज्य अथवा कृषि सम्बन्धी व्यवहार करना पड़ता है। उस स्थिति में केन्द्र की भूमिका प्रमुख होती है। इसके लिए कृषि एवं वाणिज्य मन्त्रालय में मन्त्रियों की आवश्यकता होती है।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 1.
पोखरण, जहाँ भारत ने अपने परमाणु परीक्षण किए, राजस्थान में पड़ता है। मान लें कि अगर राजस्थान की सरकार केन्द्र सरकार की परमाणु-नीति की विरोधी होती तो क्या वह केन्द्र सरकार को परमाणु परीक्षण करने से रोक सकती थी?
उत्तर:
नहीं, राजस्थान सरकार, भारत सरकार को परमाणु परीक्षण करने से नहीं रोक सकती थी क्योंकि देश की सुरक्षा केन्द्रीय सूची का विषय है, जिससे सम्बन्धित प्रत्येक फैसला लेने का अधिकार केन्द्र सरकार को प्राप्त है।

प्रश्न 2.
मान लें कि सिक्किम की सरकार अपने स्कूलों में नई पाठ्य-पुस्तकें लागू करना चाहती है। मान लें कि केन्द्र सरकार को पाठ्य-पुस्तकों की विषय-वस्तु और शैली पसन्द नहीं है। ऐसी स्थिति में क्या राज्य सरकार को नई पाठ्य-पुस्तकें लागू करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी है ?
उत्तर:
ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को केन्द्र सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा सम्बन्धी विषयों पर राज्य तथा केन्द्र दोनों ही सरकार कानून बना सकती हैं, किन्तु विवाद की अवस्था में केवल केन्द्र सरकार का कानून ही मान्य होगा।

प्रश्न 3.
मान लें कि नक्सलियों से निपटने की नीतियों के बारे में आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमन्त्रियों की राय अलग-अलग है। क्या ऐसे मामले में भारत के प्रधानमन्त्री दखल दे सकते हैं और क्या ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं जिसे सभी मुख्यमन्त्री मानें ?
उत्तर:
नहीं, पुलिस विभाग राज्य सरकार के अधीन आता है। पुलिस विभाग सम्बन्धी विषय पर केवल राज्य सरकार ही कानून बना सकती है। इसमें केन्द्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

मानचित्र आधारित (पृष्ठ संख्या 19)

प्रश्न 1.
क्या आपका गाँव या शहर आजादी के बाद से एक ही प्रान्त के अन्तर्गत रहा है? अगर नहीं तो इससे पहले के राज्य का क्या नाम था ?
उत्तर:
हाँ, हमारा गाँव या शहर आजादी के बाद से राजस्थान प्रान्त के अन्तर्गत रहा है।

प्रश्न 2.
क्या आप सन् 1947 के तीन राज्यों के ऐसे नामों को याद कर सकते हैं, जो आज बदल गए हैं ?
उत्तर:

  1. राजस्थान ‘राजपूताना’ का अंग था।
  2. पंजाब ‘उत्तरी-पूर्वी प्रान्त’ का भाग था।
  3. मध्य प्रदेश को ‘केन्द्रीय प्रान्त’ कहा जाता था।

प्रश्न 3.
तीन ऐसे राज्यों की पहचान करें जिन्हें बड़े राज्यों को काटकर बनाया गया है।
उत्तर:

  1. बिहार से अलग होकर ‘झारखण्ड’ बना है।
  2. मध्य प्रदेश से अलग होकर ‘छत्तीसगढ़’ बना है।
  3. उत्तर प्रदेश से अलग होकर ‘उत्तराखण्ड’ बना है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1.
हिन्दी ही क्यों ? बांग्ला या तेलुगु क्यों नहीं ?
उत्तर:
हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा को भारत सरकार ने अपने संविधान में आधिकारिक भाषाएँ घोषित किया है किन्तु सरकार उन राज्यों को जो हिन्दी भाषी नहीं हैं हिन्दी बोलने पर मजबूर नहीं करती है। उन लोगों को अपनी आधिकारिक भाषा चयन करने का अधिकार प्राप्त है। सभी लोग एक-दूसरे की भाषा तथा संस्कृति का सम्मान करते हैं। केन्द्र सरकार की यह नीति संघ के उन राज्यों की इच्छा के अनुसार है, जिन्होंने हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा बनाए रखने की माँग की थी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1.
आप यह कह रहे हैं कि क्षेत्रवाद लोकतन्त्र के लिए अच्छा है, क्या आप गम्भीरता से ऐसा कह रहे हैं ?
उत्तर:
नहीं, मैं ऐसा गम्भीरता से नहीं कह रहा हूँ क्योंकि क्षेत्रवाद लोकतन्त्र के लिए अच्छा नहीं है। हमारे देश में लोग विभिन्न भाषा, रंग-रूप, संस्कृति, परम्परा को मानते हैं। इन सभी से मिलकर यह देश बना हैं। किसी एक क्षेत्र को किसी भी मायने में समर्थन देना उचित नहीं है। देश की उन्नति तभी सम्भव है जब सभी क्षेत्र साथ-साथ वृद्धि एवं विकास करें।

एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें। (पृष्ठ संख्या 22)

प्रश्न 1.
ऐसी तीन भाषाएँ ढूँढें जिनको भारत में बोला तो जाता है, पर जो इस सूची में नहीं हैं।
उत्तर:
बुन्देलखण्डी, राजस्थानी, भोजपुरी।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 23)

प्रश्न 1.
प्रसिद्ध इतिहासकार रामचन्द्र गुहा के आलेख से उद्धृत निम्नलिखित उद्धरणों को पढ़ें। यह आलेख ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ में 1 नवम्बर, 2006 को छपा था।
अपने राज्य या अन्य किसी ऐसे राज्य का उदाहरण लें, जो भाषावार पुनर्गठन से प्रभावित हुआ। यहाँ जो तर्क दिया गया है उसके पक्ष या विपक्ष में उदाहरणों के साथ टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
श्रीलंका में लोगों के बीच में भाषा के विवाद के कारण सामाजिक संघर्ष उत्पन्न हुआ और इस संघर्ष ने। गृह-युद्ध का रूप ले लिया। भारत में 121 भाषाएँ हैं। इतनी भाषाएँ होते हुए भी सभी भाषायी समुदाय साथ-साथ और प्रेम और सद्भावना से रहते हैं। तमिलनाडु में अंग्रेजी पर रोक लगाने से आन्दोलन होने लगा, भाषा के आधार पर राज्यों के निर्माण से हमारे देश की एकता और अखण्डता और मजबूत हुई है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 25)

प्रश्न 1.
प्रधानमन्त्री देश चलाता है। मुख्यमन्त्री राज्यों को चलाते हैं। इसी तर्क से जिला परिषद् के प्रधान को जिले का शासन चलाना चाहिए। फिर जिलों का शासन कलक्टर या जिलाधीश क्यों चलाते हैं ?
उत्तर:
जिले का शासन चलाने का अधिकार जिला परिषद् के प्रधान अर्थात् जिला प्रमुख को नहीं दिया जा सकता क्योंकि यदि उन्हें यह अधिकार दिया जाता है तो प्रत्येक जिले में अलग-अलग कानून व अलग-अलग नीतियाँ होंगी जिससे राज्य में अव्यवस्था फैल सकती है। अत: इस प्रशासनिक अव्यवस्था को रोकने के लिए वर्तमान व्यवस्था में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार समस्त जिलों का प्रशासन कलक्टर या जिलाधीश चलाते हैं जिससे शासन में एकरूपता एवं व्यवस्था बनी रहती है।

प्रश्न 2.
भारत में हुए विकेन्द्रीकरण के प्रयासों के बारे में अखबार की इन कतरनों में क्या कहा गया है ?
उत्तर:

  1. अखबार की इन कतरनों में पंचायतों से सम्बन्धित समाचार हैं।
  2. यह कतरनें पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों की वृद्धि के बारे में बताती हैं अर्थात् राजनीति में महिलाओं की साझेदारी में वृद्धि हुई है।
  3. न्याय सभी को सुलभ हो गया है तथा सस्ता है।
  4. विकास हेतु पंचायतों को पैसा सीधे केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है।”

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

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JAC Class 10th Geography जल संसाधन Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को ‘जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए:
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(ग) अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
(घ) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तर:
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र – जल की कमी से अप्रभावित
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र – जल की कमी से अप्रभावित
(ग) अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र – जल की कमी से प्रभावित
(घ) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र – जल की कमी से प्रभावित

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्के नहीं है
(क) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती हैं जहाँ जल की कमी होती है।
(ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएं जल बहाव को नियन्त्रित करके बाढ़ पर काबू पाती हैं।
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
(घ) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
उत्तर:
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।

(iii) यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इनमें गलती पहचानें और दोबारा लिखें
(क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियन्त्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
(घ) आज राजस्थान में इन्दिरा गाँधी नहर से उपलब्ध पेयजल के कारण छत वर्षाजल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर:
(क) शहरों की बढ़ती जनसंख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में अवरोध उत्पन्न किया है।
(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियन्त्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव बुरे तरीके से प्रभावित होता है।
(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर किसान भड़क गये।
(घ) आज राजस्थान में इन्दिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के कारण छत वर्षाजल संग्रहण की लोकप्रियता घट रही है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है ?
उत्तर:
नवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन होते हैं जिनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। इस परिभाषा के अनुसार जल एक नवीकरण योग्य संसाधन है। जल समुद्रों, नदियों, झीलों, तालाबों आदि से वाष्प बनकर उड़ता रहता है। जलवाष्प हवा में संघनित होकर बादलों में बदल जाती है। यह संघनित जलवाष्प पुनः वर्षा के रूप में धरती पर आ जाती है। धरती से जल पुनः सागरों आदि में पहुँचकर फिर वाष्पीकृत होता है। इस प्रकार यह सदैव गतिशील जलीय-चक्र, जल को एक नवीकरण योग्य संसाधन बना देता है, जिसका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है।

(ii) जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर:
किसी स्थान पर माँग की तुलना में जल की कमी होना जल दुर्लभता कहलाता है। जल दुर्लभता के कारण

  1. निरन्तर बढ़ रही जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में निरन्तर कमी होना।
  2. जल का अतिदोहन।
  3. जल का अत्यधिक प्रयोग।
  4. समाज में जल संसाधनों का असमान वितरण
  5. जल का प्रदूषित होना।

(iii) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर:

तुलना बहुउद्देशीय परियोजनाओं से लाभबहुउद्देशीय परियोजनाओं से हानियाँ
(i) बाँधों में एकत्रित जल का प्रयोग सिंचाई के लिए(i) नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट किया जाता है। बहाव कम हो जाता है।
(ii) ये जल-विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है।(ii) अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा हो जाता है।
(iii) जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों(iii) इनसे भूमि का निम्नीकरण होता है। में फसलें उगायी जा सकती हैं।
(iv) घरेलू और औद्योगिक उपयोग हेतु जल की प्राप्ति।(iv) भूकम्प की सम्भावना का बढ़ना।
(v) बाढ़ नियन्त्रण, मनोरंजन, आन्तरिक नौकायन, मत्स्य(v) किसी कारणवश बाँध के टूटने पर बाढ़ आ जाना। पालन व मृदा संरक्षण। जलजनित बीमारियाँ, प्रदूषण, वनों की कटाई, मृदा व वनस्पति का अपघटन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए
(i) राजस्थान के अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
राजस्थान के अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में जल संग्रहण की विधियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
राजस्थान जैसे अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण निम्नलिखित विधियों से किया जाता है:

  1. राजस्थान जैसे अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोग पीने का पानी एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा-जल संग्रहण’, तकनीक का प्रयोग करते हैं।
  2. शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाये जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके; जैसे-जैसलमेर में ‘खादीन’ (खडीन) एवं अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’।
  3. राजस्थान में शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी एकत्रित करने के लिए भूमिगत टैंक अथवा टाँका होते हैं।
  4. इन क्षेत्रों में छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का प्रयोग पानी को एकत्रित करने के लिए होता है एवं ये टैंक सुविकसित छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं। जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता है। ये टैंक घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े होते हैं।
  5. छत से वर्षा का पानी इन पाइपों से होकर भूमिगत टाँका तक पहुँचता है जहाँ इसे एकत्रित किया जाता है। वर्षा का पहला जल छतों, पाइपों व नलों को साफ करने में प्रयोग होता है और इसे संग्रहीत नहीं किया जाता है। इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रहीत किया जाता है।
  6. टाँका में वर्षा जल जल संसाधन 151 अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहीत किया जाता है तथा जल की कमी वाले दिनों में इस जल का उपयोग किया जाता है। यह वर्षा जल (पालर पानी) प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप माना जाता है। कुछ घरों में तो टाँकों के साथ भूमिगत कमरे भी बनाये जाते हैं, क्योंकि जल का यह स्रोत इन कमरों को भी ठण्डा रखता है, जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है।

(ii) परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर जल संग्रहण एवं भण्डारण किस प्रकार किया जा रहा है?
अथवा
“पारम्परिक वर्षा जल संग्रहण प्रणाली जल संरक्षण और जल भण्डारण के लिए उपयोगी है।” इस प्रणाली की महत्ता को दो उदाहरणों सहित उजागर कीजिए।
अथवा
वर्षा जल संग्रहण की पारम्परिक विधियाँ विभिन्न प्रदेशों में जल संसाधनों के संरक्षण के लिए किस प्रकार चलाई जाती रही हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर निम्न प्रकार से जल संग्रहण एवं भण्डारण किया जा रहा है

  1. प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जल संरचनाओं के साथ-साथ जल संग्रहण टैंक भी बनाये जाते थे। लोगों को वर्षा पद्धति एवं मृदा के गुणों के बारे में पूर्ण जानकारी थी। उन्होंने स्थानीय पारिस्थितिकीय स्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल भौम-जल, नदी-जल एवं बाढ़-जल संग्रहण की अनेक विधियाँ विकसित कर ली थीं।
  2. पहाड़ी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय क्षेत्र) जैसी वाहिकाएँ, नदी की – धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं।
  3.  पश्चिमी राजस्थान में पीने का पानी एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षाजल संग्रहण’ की विधि एक सामान्य प्रचलित विधि है।
  4. पश्चिमी बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
  5. शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाये जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके तथा संरक्षित जल को खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सके। उदाहरण-जैसलमेर (राजस्थान) में ‘खादीन (खडीन) एवं अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ बनाये जाते हैं।
  6. राजस्थान के अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों विशेषकर फलौदी, बीकानेर व बाड़मेर आदि में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी संग्रहण के लिए भूमिगत टैंक अथवा टाँका बने हुए हैं।
  7.  कर्नाटक के मैसूर जिले के गंडाथूर गाँव में ग्रामीणों ने अपने घर में जल की आवश्यकता-पूर्ति हेतु छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की हुई है। शिलांग (मेघालय) में भी यह विधि प्रचलित है।
  8. मेघालय में नदियों एवं झरनों के जल को बाँस से बने पाइपों द्वारा एकत्रित करने वाली लगभग 200 वर्ष पुरानी सिंचाई विधि प्रचलन में है। इसे बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली कहा जाता है।

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 27

प्रश्न 1.
अपने दिन-प्रतिदिन के अनुभव के आधार पर जल संरक्षण के लिए एक संक्षिप्त प्रस्ताव लिखें।
उत्तर:
मेरे अनुभव के आधार पर जल संरक्षण के लिए एक संक्षिप्त प्रस्ताव निम्न प्रकार से है:

  1. जल संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों के एक समूह का निर्माण करें।
  2. इस समूह में अपने पड़ौसियों, मित्रों, परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
  3. जल संरक्षण का समाज में पर्चे बाँटकर अथवा बुलेटिन बोर्ड में नोटिस लगाकर प्रचार-प्रसार करें।
  4. दाँत साफ करते समय नल खुला रखने की अपेक्षा मग का उपयोग किया जाना चाहिए।
  5. स्नान करने में शॉवर अथवा ब्राथटब का उपयोग करने की अपेक्षा बाल्टी व मग का प्रयोग करना चाहिए।
  6. हाथ साफ करते समय नल को लगातार खुला न रखें।
  7. मग में पानी लेकर शेव बनानी चाहिए।
  8. शौचालय में प्रतिदिन फ्लश का प्रयोग करने की अपेक्षा बाल्टी को काम लिया में जाना चाहिए।
  9. वाहन को पाइप की अपेक्षा बाल्टी में पानी लेकर धोना चाहिए तथा वाहन को प्रतिदिन नहीं धोना चाहिए।
  10. पानी पीते समय गिलास को झूठा न करें बल्कि ऊपर से पानी पियें जिससे बार-बार धोने में लगने वाला पानी बचेगा।
  11. बर्तनों को साफ करते समय लगातार नल न चलायें। बल्कि पानी से भरे बड़े बर्तन (बेसिन) में बर्तनों को साफ किया जाना चाहिए।
  12. घर के बगीचे में कम पानी की जरूरत वाले पौधे लगाये जाने चाहिए।
  13. रसोईघर व स्नानागार से निकलने वाले पानी को पुनः बगीचे में काम में लिया जाना चाहिए।
  14. घास को पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अत: लॉन संस्कृति को नहीं अपनाना चाहिए।
  15. सब्जियों को सीधे नल के नीचे साफ करने की अपेक्षा किसी बर्तन में साफ किया जाना चाहिए।
  16. वर्षा के समय छत पर एकत्रित पानी को टैंक में एकत्रित किया जाना चाहिए अथवा इसे भूमि पर उतारना चाहिए।
  17. उपयोग में लेने के पश्चात् नल को अच्छी तरह बन्द किया जाना चाहिए। नल से पानी का रिसाव होने पर नल को तुरन्त ठीक कराना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

पृष्ठ संख्या 29

प्रश्न 2.
अन्तर्राज्यीय जल विवादों की सूची तैयार करें।
उत्तर:
प्रमुख अन्तर्राज्यीय जल विवादों की सूची इस प्रकार से है
1. कृष्णा-गोदावरी जल विवाद,
2. रावी-व्यास जल विवाद।

पृष्ठ संख्या 33

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में पाये जाने वाले अन्य वर्षा जल संग्रहण तंत्रों के बारे में पता लगाएँ।.
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में पाये जाने वाले अन्य वर्षा जल संग्रहण तन्त्र निम्नलिखित हैं

  1. तालाब
  2. पोखर
  3. बावड़ी
  4. छत पर पानी संग्रहण
  5. चेक बाँध
  6. कुई
  7. कुंडी
  8. एनिकट।

पृष्ठ संख्या 35

प्रश्न 4.
सूचना एकत्रित करें कि उद्योग किस प्रकार हमारे जल-संसाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं ?
उत्तर:
अधिकांश उत्पादन जल के उपयोग पर निर्भर हैं तथा उत्पादन प्रक्रिया के अन्त में उद्योगों से निकलने वाला बहिस्राव हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रहता है जिनका निस्तारण अति आवश्यक होता है। सदा से ही उद्योगों को जल की माँग की पूर्ति के लिए तथा अपशिष्ट पदार्थों के सुगम निस्तारण के उद्देश्य से अधिकांशत: बड़ी नदियों तथा तालाबों के किनारे स्थापित किया जाता रहा है।

उद्योगों को यह आर्थिक सुरक्षा एवं सुविधा की दृष्टि से लाभप्रद भी होता है कि जो भी अनुपचारित बहिःस्राव हो तो उसे निकटतम जलाशय में सन्निक्षेपित कर दिया जाये। प्रारम्भ में तो इसके दुष्परिणाम परिलिक्षित नहीं होते, पर जैसे-जैसे औद्योगीकरण बढ़ता है, नदी तथा तालाब औद्योगिक अपशिष्टों की मात्रा में वद्धि के कारण अधिकाधिक प्रदूषित होते जाते हैं। यही कारण है कि औद्योगिक रूप से विकसित देशों के तो अधिकांश बड़े जलस्रोत गंभीर रूप से सन्दूषित होकर नष्ट होने की स्थिति में पहुँच गये हैं।

प्रत्येक उद्योग में उत्पादन प्रक्रिया के उपरान्त अनेक अनुपयोगी पदार्थ शेष बचे रहते हैं। अधिकांश उद्योगों के बहिःस्राव में अनेक धात्विक तत्व तथा अम्ल, क्षार, लवण, तेल, वसा आदि रासायनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं, जिनसे गम्भीर जल प्रदूषण की सम्भावना रहती है। लुगदी कागज उद्योग, शक्कर उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, शराब उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं रासायनिक उद्योगों द्वारा विशाल मात्रा में विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट बहिःस्राव रूप में जलमार्गों में बहाये जाते हैं।

विभिन्न धातुओं के खनन के पश्चात् खुली खदानों में वर्षा-काल में जल के साथ बहकर बहुत-सी खनिज मृदा भी जलाशयों में जा मिलती है। इस मृदा में अनेक धातु अयस्क पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो जलस्रोतों में प्रदूषणकारी परिवर्तन ला देते हैं। इनके अतिरिक्त पारा, ताँबा, केडमियम भी प्रमुख विपैली धातुएँ हैं जो औद्योगिक स्रोतों से जल में जा मिलती हैं। जिससे जल-संसाधन अत्यधिक प्रदूषित हो जाते हैं।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

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JAC Class 10th Geography वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) इनमें से कौन-सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है?
(क) कृषि प्रसार
(ख) वृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(ग) पशुचारण और ईंधन-लकड़ी एकत्रित करना
(घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
उत्तर:
(ग) पशुचारण और ईंधन-लकड़ी एकत्रित करना

(ii) इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
(क) संयुक्त वन प्रबन्धन ।
(ख) चिपको आन्दोलन
(ग) बीज बचाओ आन्दोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (Santuary) का परिसीमन
उत्तर:
(घ) वन्य जीव पशुविहार (Santuary) का परिसीमन

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्राणियों/पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें

जानवर/पौधेअस्तित्व वर्ग
1. काला हिरण(A) लुप्त
2. एशियाई हाथी(B) दुर्लभ
3. अंडमानी जंगली सुअर(C) संकटग्रस्त
4. हिमालयन भूरा भालू(D) सुभेद्य
5. गुलाबी सिर वाली बत्तख(E) स्थानिक

उत्तर:

जानवर/पौधेअस्तित्व वर्ग
1. काला हिरण(C) संकटग्रस्त
2. एशियाई हाथी(D) सुभेद्य
3. अंडमानी जंगली सुअर(E) स्थानिक
4. हिमालयन भूरा भालू(B) दुर्लभ
5. गुलाबी सिर वाली बत्तख(A) लुप्त

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का मेल करें:
1. आरक्षित वन सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन वन और बंजर भूमि
2. रक्षित वन वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन।
3. अवर्गीकृत वन वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
उत्तर:

  1. आरक्षित वन-वन और वन्य-जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन
  2. रक्षित वन-वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
  3. अवर्गीकृत वन-सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन वन और बंजर भूमि।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) जैव-विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के प्राणिजात एवं वनस्पतिजात का पाया जाना जैव-विविधता कहलाता है। जैव-विविधता वनस्पति व प्राणियों में पाए जाने वाले जातीय विभेद को प्रकट करती है।
जैव-विविधता मानव जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि जैव विविधता के कारण मानव को अनेक प्रकार की आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं, जिससे पृथ्वी पर उसका जीवन सम्भव है।

(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव-क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास की कारक हैं?
उत्तर:
मानव ने अपनी विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन एवं वन्य जीवन को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया है। भारत में वनों और वन्य-जीवों को सर्वाधिक हानि उपनिवेश काल में रेलवे लाइन, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य-वानिकी एवं खनन क्रियाओं में वृद्धि से हुई है।

स्थानान्तरी (झूमिंग) कृषि से भी वन तथा वन्य-जीव नष्ट हुए हैं। बड़ी-बड़ी विकास योजनाओं, खनन, वन्य-जीवों के आवासों का विनाश, आखेट, पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तीकरण तथा दावानल आदि ने भी जैव विविधता को कम किया है। अतः मानव अन्य सभी कारकों की अपेक्षा प्राकृतिक वनस्पतिजात एवं प्राणिजात के ह्रास व विनाश के लिए अपेक्षाकृत अधिक उत्तरदायी है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए:
(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों तथा वन्य-जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
1. भारत में विभिन्न समुदायों द्वारा वन, वन्य-जीव संरक्षण तथा वन रक्षण के लिए किए गए योगदान को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(ii) राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का बाघ रिजर्व में स्थानीय गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने के लिए संघर्षरत हैं।

(iii) अलवर (राजस्थान) के 5 गाँवों के लोगों ने 1200 हेक्टेयर वन भूमि को भैरोंदेव डाकव ‘सोंचुरी’ घोषित कर दिया है जिसके अपने ही नियम हैं जो शिकार वर्जित करते हैं एवं बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन्य-जीवों को बचाते हैं।

(iv) उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही सफल नहीं रहा बल्कि इसने स्थानीय पौधों की प्रजातियों की वृद्धि में भी योगदान दिया है। उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले के किसानों का ‘बीज बचाओ आन्दोलन’ एवं ‘नवदानय’ ने रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक-खाद का प्रयोग करके यह दिखा दिया है कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन किया जाना सम्भव है।

(v) भारत में संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम ने भी वनों के प्रबन्धन एवं पुनर्जीवन में स्थानीय समुदाय की भूमिका को उजागर किया है। औपचारिक रूप से इन कार्यक्रमों का शुभारम्भ सन् 1988 में ओडिशा राज्य से हुआ। यहाँ ग्राम स्तर पर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से संस्थाएँ बनाई गईं जिनमें ग्रामीण तथा वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं।

(vi) छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा व संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों की पूजा करती हैं तथा उनका संरक्षण, भी करती हैं।

(vii) राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के लोग अपने आस-पास के क्षेत्रों में निवास करने वाले हिरन, चिंकारा, नीलगाय एवं मोर आदि वन्य पशुओं की सुरक्षा करते हैं।

2. वन और वन्य-जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
भारत एक विभिन्न सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। यहाँ प्रकृति को पहले से ही पवित्र मानकर उसकी पूजा होती रही है। यहाँ के लोग पारम्परिक रूप से पेड़-पौधों, पशु-पक्षी, पर्वत, जल-स्रोतों आदि के उपासक रहे हैं। अपने रीति-रिवाजों द्वारा भारतवासी इनके प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते आ रहे हैं। रीति-रिवाजों के कारण ही बहुत-से वन क्षेत्र अपने कौमार्य रूप में आज भी विद्यमान हैं।

इन रिवाजों में वन व वन्य-जीवों से सम्बन्धित कुछ रीति-रिवाज महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये वन एवं वन्य-जीवों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करते हैं। राजस्थान में बिश्नोई समाज के लोग खेजड़ी के वृक्ष, काले हिरन, नीलगाय व मोर आदि जीवों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करते हैं। ओडिशा व बिहार राज्य की कुछ जनजातियाँ विवाह समारोह के दौरान इमली व आम के वृक्षों की पूजा करती हैं। छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्रों में मुंडा और संथाल जनजातियों महुआ और कदम्ब के वृक्षों की पूजा करती हैं।

भारत के कई स्थानों पर पीपल व वटवृक्ष की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे की सम्पूर्ण भारत में हिन्दुओं द्वारा पूजा की जाती है। भारत के विभिन्न भागों में मन्दिरों के आसपास दिखने वाले बंदरों व लंगूरों को लोगों को केले व चने आदि खिलाते हुए देखा जा सकता है। हिन्दू समाज में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि रीति-रिवाजों द्वारा वन और वन्य-जीवों को पर्याप्त संरक्षण व सुरक्षा मिलती है।

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या  17

प्रश्न 1.
वे प्रतिकल कारक कौन से हैं जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का ऐसा भयानक ह्रास हुआ है?
उत्तर:
वे प्रतिकूल कारक निम्नलिखित हैं जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का तीव्रगति से ह्रास हुआ है

  1. उपनिवेशकाल में रेलवे लाइनों का विस्तार
  2. वन क्षेत्र का कृषि भूमि में परिवर्तन
  3. वाणिज्य, वानिकी का विस्तार
  4. खनन-क्रियाएँ
  5. बड़ी विकास परियोजनाओं का निर्माण
  6. पशुचारण व ईंधन के लिए कटाई
  7. जंगली जानवरों का शिकार करना
  8. पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तिकरण।

पृष्ठ संख्या 18

प्रश्न 2.
क्या उपनिवेशी वन नीति को दोषी माना जाए ?
उत्तर:
भारत में उपनिवेशकाल में वनों को सबसे अधिक नुकसान हुआ। उपनिवेशकाल में रेल लाइनों के विस्तार, कृषि के विस्तार, वाणिज्य, वानिकी तथा खनन क्रियाओं में अप्रत्याशित वृद्धि की गई जिसके फलस्वरूप वनों का तीव्र गति से इस हुआ । वनों के दोहन की तुलना में उनके संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए। अतः उपनिवेशी वन नीति भारत में वन हास के लिए दोषी रही है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

पृष्ठ संख्या 20

प्रश्न 1.
क्या आपने अपने आसपास ऐसी गतिविधियाँ देखी हैं जिससे जैव-विविधता कम होती है। इस पर एक टिप्पणी लिखें और इन गतिविधियों को कम करने के उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
मैंने अपने आसपास निम्नलिखित गतिविधियाँ देखी हैं जिससे जैव-विविधता कम होती है

  1. हमारे पड़ोस में कुछ परिवार झोंपड़ियों में रहते हैं, जो प्रतिदिन लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं जिससे वनों का विनाश होता है।
  2. हमारे शहर में लकड़ी के फर्नीचर की बहुत अधिक माँग है जिसके कारण लकड़ी के फर्नीचर बनाने की कई दुकान खुल गई हैं। जहाँ लकड़ियों से फर्नीचर बनाया जाता है। अतः लकड़ी के फर्नीचर की माँग बढ़ने से वनों का बहुत तीव्र गति से विनाश हो रहा है।
  3. हमारे शहर में एक बूचड़खाना है, जहाँ पशुओं को मारा जाता है। हमारे पड़ोस में रहने वाले कई लोग पशु-पक्षियों का शिकार कर उनके माँस का भोजन के रूप में प्रयोग करते हैं जिससे जैव-विविधता का ह्रास होता है।
  4. कुछ लोग जीवों के विभिन्न अंगों; जैसे- खाल, दाँत, हड्डी आदि का व्यवसाय करते हैं जिससे वन्य जीवों के जीवन को हानि पहुँचती है तथा वे धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।

जैव-विविधता में कमी लाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के उपाय:

  1. केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा शिकार पर कठोर प्रतिबन्ध लगाना तथा कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए ।
  2. लोगों को लकड़ी के स्थान पर प्लास्टिक का फर्नीचर प्रयोग करने हेतु प्रेरित करना जिससे लकड़ी की बचत हो सके व वन सुरक्षित रह सकें ।
  3. लोगों को जागरूक करना कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाये रखने के लिए जैव-विविधता की आवश्यकता है।
  4. बूचड़खानों पर प्रतिबन्ध लगाना।

पृष्ठ संख्या 21

प्रश्न 1.
भारत में वन्य जीव पशु विहार और राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में और जानकारी प्राप्त करें और उनकी स्थिति मानचित्र पर अंकित करें।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन 1

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

JAC Class 10th Geography संसाधन एवं विकास Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तर:
(ग) जैव

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन नहीं है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तर:
(क) पुनः पूर्ति योग्य

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तर:
(ग) वनोन्मूलन

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तराखण्ड
उत्तर:
(घ) उत्तराखण्ड

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) महाराष्ट्र
(घ) झारखण्ड
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) तीन राज्यों के नाम बताएं जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन-सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर:
वे तीन राज्य निम्नलिखित हैं जहाँ काली मृदा पाई जाती है

1. महाराष्ट्र,
2. मध्य प्रदेश
3. छत्तीसगढ़। इस मृदा पर मुख्य रूप से कपास की फसल उगाई जाती है।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इस प्रकार की मृदा (जलोढ़ मृदा) की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह मृदा बहुत अधिक उपजाऊ होती है।
  2. इस मृदा में रेत, सिल्ट एवं मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं।
  3. ये मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस एवं चूनायुक्त होती हैं।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए

  1. अतिरिक्त ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समान्तर जुताई की जानी चाहिए।
  2. पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।
  3. पहाड़ी ढालों पर वृक्षों को कतारों में लगाकर रक्षक मेखला का विकास किया जाना चाहिए।

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तर:
जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जैव मण्डल से होती है तथा जिनका एक निश्चित जीवन-चक्र होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य, वनस्पति-जगत, प्राणि-जगत व पशुधन आदि। अजैव संसाधन-वे संसाधन जिनमें निश्चित जीवनक्रिया का अभाव होता है, अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें व धातुएँ आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए:
(i) भारत में भूमि उपयोंग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960 – 61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भूमि उपयोग प्रारूप:
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है लेकिन वर्तमान में इसके 93 प्रतिशत भूभाग के ही भूमि उपयोग आँकड़े उपलब्ध हैं। असम को छोड़कर बाकी पूर्वोत्तर राज्यों के भूमि उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान व चीन अधिकृत क्षेत्रों के भूमि उपयोग का सर्वेक्षण न होने के कारण इनके भी आँकड़ें प्राप्त नहीं हैं। उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में भूमि उपयोग सन्तुलित नहीं है।

वर्ष 2014 – 15 के आँकड़ों से स्पष्ट है कि भूमि का सर्वाधिक 45.5 प्रतिशत उपयोग शुद्ध बोए गए क्षेत्र के अन्तर्गत एवं सबसे कम उपयोग 1.0 प्रतिशत विविध वृक्षों, वृक्ष, फैसलों एवं उपवनों के अन्तर्गत है। इसके अतिरिक्त वनों के अन्तर्गत 23.3 प्रतिशत क्षेत्र है। स्थायी चारागाहों के अन्तर्गत भी भूमि कम (3.3 प्रतिशत) है। हमारे देश में भूमि उपयोग का यह प्रारूप राष्ट्रीय, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर भी सन्तुलित रूप में नहीं है। अतः भारत जैसे अधिक जनसंख्या एवं सीमित भू-संसाधन वाले देश में नियोजित व सन्तुलित भूमि उपयोग प्रारूप स्थापित करने की अति आवश्यकता है।

वर्ष 1960 – 61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं होने के कारण:
भारत में वन क्षेत्र पर्याप्त एवं संतुलित नहीं है। यद्यपि वर्ष 1960-61 की तुलना में वर्ष 2014-15 के वन क्षेत्र में 5.19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है परन्तु इस वृद्धि को सन्तोषजनक नहीं कहा जा सकता। इस लम्बी अवधि में वनों के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि न होने का मुख्य कारण वनों की आर्थिक लाभ के लिए कटाई करना है।

विभिन्न उद्योगों के विकास, कृषि कार्य एवं आवास के लिए भूमि निर्माण के उद्देश्य से ऐसा किया गया। इससे कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हुईं। फलस्वरूप सरकार द्वारा वनों की सुरक्षा व संरक्षण सम्बन्धी अनेक नीतियाँ बनाई गईं। इससे वनों का घटता हुआ ग्राफ थम गया। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर वनों की कटाई होती रही है। यही कारण है कि वर्ष 1960-61 से वन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई।

(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर:
किसी भी देश की प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी एवं अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विकास अति आवश्यक है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण ही हम अपनी प्राकृतिक सम्पदा से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कर न केवल अपनी आर्थिक व्यवस्था में सुधार कर सकते हैं, वरन् देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्वि भी कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी विकास हमें आधुनिक औजार एवं मशीनें प्रदान करता है जिससे हमारे उत्पादन में वृद्धि होती है, फलस्वरूप संसाधनों का अधिक उपभोग होता है।

प्रौद्योगिकी विकास में आर्थिक विकास भी होता है, जब किसी देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है तो लोगों की आवश्यकतायें भी बढ़ती हैं जिसके फलस्वरूप संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग होता है। वहीं आर्थिक विकास आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के विकास हेतु अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। यह हमारे आसपास की विभिन्न वस्तुओं को संसाधन में परिवर्तित करने में मदद करता है। अतः नये संसाधनों का दोहन प्रारम्भ हो जाता है। आज प्रौद्योगिक एवं आर्थिक विकास के कारण ही संसाधनों का अधिक उपभोग हुआ है।

उदाहरण के लिए; राजस्थान खनिज एवं शक्ति संसाधनों की दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य है परन्तु पहले उचित प्रौद्योगिकी के विकास के अभाव में इन संसाधनों का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पाया था। आज उचित प्रौद्योगिकी के विकास से विभिन्न खनिज व शक्ति संसाधनों का पर्याप्त दोहन किया जा रहा है, जिससे विकास तीव्र गति से हो रहा है। अतः यह कहना उचित है कि प्रौद्योगिकी आर्थिक विकास को गति प्रदान करती है तथा इन दोनों द्वारा संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग होने लगता है।

परियोजना/क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
अपने आसपास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस परियोजना कार्य को स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं चर्चा का आयोजन करें।

प्रश्न 3.
वर्ग पहेली को सुलझाएँ; ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूँढ़ें। नोट-पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 1
प्रश्न 1.
भूमि, जल, वनस्पति और खनिज के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
उत्तर:
Resource

प्रश्न 2.
अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
उत्तर:
Minerals

प्रश्न 3.
उच्च नमी. रखाव क्षमता वाली मृदा
उत्तर:
Black

प्रश्न 4.
मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
उत्तर:
Laterite

प्रश्न 5.
मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए वृहत स्तर पर पेड़ लगाना
उत्तर:
Afforestation

प्रश्न  6.
भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
उत्तर:
Alluvial.

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 1

प्रश्न 1.
क्या आप उन वस्तुओं का नाम बता सकते हैं जो गाँवों और शहरों में हमारे जीवन को आराम पहुँचाती हैं ? ऐसी वस्तुओं की एक सूची तैयार करें और इनको बनाने में प्रयोग होने वाले पदार्थों का नाम बताएँ ।
उत्तर:
जो वस्तुएँ गाँवों और शहरों में हमारे जीवन को आराम पहुँचाती हैं, उनके नाम निम्नवत हैं:

स्थानवस्तु का नामवस्तु बनाने में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ
गाँवकपड़ेकपास, ऊन, रेशम आदि।
फर्नीचरलकड़ी, स्टील, रबड़ आदि।
घरईंट, सीमेंट, लकड़ी, काँच आदि।
साइकिल और मोटरसाइकिलस्टील, रबड़, लोहा आदि।
मिट्टी के तेल का स्टोवस्टील, पीतल आदि।
बल्ब और ट्यूबलाइटताँबा, काँच, आदि
शहरकपड़ेकपास, ऊन, रेशम आदि।
फर्नीचरलकड़ी, स्टील, रबड़ आदि।
गैस स्टोव व सिलेण्डरस्टील, रबड़ लोहा, पीतल आदि।
कार और मोटरसाइकिलस्टील, पीतल, लोहा, प्लास्टिक, फाइबर आदि।
पंखे, कूलरस्टील, लोहा, ताँबा, प्लास्टिक आदि।

 

पृष्ठ संख्या 2

प्रश्न 1.
प्रत्येक संवर्ग से कम से कम दो संसाधनों की पहचान करें।
उत्तर:

  • उत्पत्ति के आधार पर:
    1. जैवं संसाधन — मनुष्य, वनस्पति, जीव-जन्तु, वन, वन्य-जीवन
    2. अजैव संसाधन — चट्टान, खनिज एवं मृदा
  • समाप्यता के आधार पर:
    1. नवीकरण योग्य संसाधन — सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, जल, वन व वन्य-जीवन
    2. अनवीकरण योग्य संसाधन — खनिज व जीवाश्म ईंधन
  • स्वामित्व के आधार पर:
    1. व्यक्तिगत संसाधन — भूखंड, घर, बाग. चारागाह, तालाब, कुएँ
    2. सामुदायिक संसाधन — चारणभूमि, श्मशान भूमि, तालाब, कुएँ, सार्वजनिक पार्क
    3. राष्ट्रीय संसाधन — सड़कें, नहरें, रेल लाइनें, खनिज पदार्थ, जल, वन, वन्य जीवन
    4. अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन — तट रेखा से 200 किमी की दूरी (अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र), महासागरीय मार्ग
  • विकास के आधार पर:
    1. संभावी संसाधन — ज्वारीय-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, भूतापीय-ऊर्जा
    2. विकसित संसाधन — कोयला, खनिज तेल, जल
    3. भंडार — जल, दो ज्वलनशील गैसों-हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का यौगिक है एवं यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बन सकता है परन्तु इस उद्देश्य से इसका प्रयोग करने के लिए हमारे पास तकनीकी ज्ञान उपलब्ध नहीं है। अतः यह भंडार है। भूगर्भीय ऊर्जा असीमित है परन्तु इसका उपयोग करने के लिए हमारे पास आवश्यक तकनीकी ज्ञान उपलब्ध नहीं है। अतः यह भंडार है।
    4. संचित कोष — बाँधों में संचित जल, वन।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

पृष्ठ संख्या  3

प्रश्न 1.
अपने आसपास के क्षेत्र में पाए जाने वाले भण्डार और संचित कोष संसाधनों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
भंडार-जल, सौर-ऊर्जा, भूतापीय-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा आदि। संचित कोष-वन, नदियों का जल, बाँधों का जल आदि।

प्रश्न 2.
कल्पना करें कि तेल संसाधन खत्म होने पर इनका हमारी जीवन-शैली पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
यदि तेल संसाधन खत्म हो जाए तो इनका हमारी जीवन-शैली पर निम्नलिखित रूप से प्रभाव पड़ेगा

  1. परिवहन तंत्र सर्वाधिक प्रभावित होगा।
  2. हमें पैदल अथवा साइकिल से विद्यालय जाना पड़ेगा।
  3. लोग अपने ऑफिस व अन्य स्थानों पर समय पर नहीं पहुँच पायेंगे।
  4. वस्तुएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचाई जा सकेंगी। सब्जियाँ व दैनिक उपयोग की वस्तुएँ महँगी हो जाएँगी।

प्रश्न 3.
घरेलू और कृषि संबंधित अपशिष्ट को पुनः चक्रण करने के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए अपने मोहल्ले अथवा गाँव में एक सर्वेक्षण करें । लोगों से प्रश्न पूछे कि:
(अ) उनके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले संसाधनों के बारे में वे क्या सोचते हैं ?
उत्तर:
उनके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले संसाधनों के बारे में वे यह सोचते हैं कि वह किसी भी प्रकार से अपने संसाधनों का उचित रूप से प्रयोग करें जिससे कि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें । उन्हें कम से कम तथा सीमित मात्रा में प्रयोग करें, जिससे कि भविष्य में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े ।

(ब) अपशिष्ट और उसके उपयोग के बारे में उनका क्या विचार है ?
उत्तर:
उनका मानना है कि कूड़ा अव्यवस्थित तरीके से नष्ट करने की अपेक्षा उचित यह है कि उसका विभिन्न प्रकार से उपयोग कर लिया जाए। जैसे- कूड़े को नष्ट करने की सर्वोत्तम विधि है उससे खाद बनाना। बड़े-बड़े गड्ढों में कूड़ा। भरकर उसे मिट्टी से दबा दिया जाता है। कुछ ही दिनों में कूड़ा सड़कर खाद के रूप में तैयार हो जाता है।

(स) अपने परिणामों का समुच्चित चित्र (collage) तैयार करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें ।

पृष्ठ संख्या  4

प्रश्न 1.
अपने राज्य में पाए जाने वाले संसाधनों की सूची तैयार करें और जिन महत्वपूर्ण संसाधनों की आपके राज्य में कमी है, उनकी पहचान करें।
उत्तर:
राजस्थान राज्य में पाये जाने वाले संसाधन:
1. खनिज
2. मृदा
3. पशु।
राजस्थान राज्य में कम पाये जाने वाले संसाधन-ऊर्जा संसाधन, जैसे-कोयला. खनिज तेल व प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 2.
समुदाय भागीदारी की सहायता से समुदाय/ग्राम पंचायत/वार्ड स्तरीय समुदायों द्वारा आपके आसपास के क्षेत्र में कौन से संसाधन विकसित किए जा रहे हैं?
उत्तर:
समुदाय भागीदारी की सहायता से समुदाय, ग्राम पंचायत, वॉर्ड स्तरीय समुदायों द्वारा हमारे आसपास के क्षेत्र में निम्नलिखित संसाधन विकसित किये जा रहे हैं

  • समुदाय स्तर पर:
    1. चारण भूमि का विकास ।
    2. सार्वजनिक पार्कों का निर्माण
    3. पिकनिक स्थल और खेल के मैदानों का विकास ।
    4. मंदिर, मस्जिद व चर्च आदि का निर्माण ।
  • ग्राम पंचायत स्तर पर:
    1. कृषि बागवानी का विकास
    2. बंजर भूमि का विकास
    3. चारागाहों का विकास।
    4. कुआँ, तालाबों व पोखरों का निर्माण
    5. श्मशान भूमि का विकास
    6. सामुदायिक भवन का निर्माण।
  • वार्ड स्तर पर:
    1. फल तथा फूलों के पौधे लगाने हेतु. बगीचे का विकास।
    2. बालकों के खेलने के लिए पार्क
    3. पेयजल हेतु पानी की टंकी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 3.
क्या आप संसाधन सम्पन्न परन्तु आर्थिक रूप से पिछड़े और संसाधन विहीन परन्तु आर्थिक रूप से विकसित प्रदेशों के नाम बता सकते हैं? ऐसी परिस्थिति होने के कारण बताएँ ।
उत्तर:
भारत में छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश तथा राजस्थान संसाधन सम्पन्न राज्य हैं परन्तु यह आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र संसाधन विहीन परन्तु आर्थिक रूप से विकसित राज्य हैं। इसका प्रमुख कारण यही है कि पिछड़े राज्यों में पर्याप्त प्रौद्योगिकी विकास तथा संस्थागत परिवर्तनों की कमी है जबकि विकसित राज्यों में प्रौद्योगिकी विकास तथा संस्थागत परिवर्तन बहुत अधिक होता है। पिछड़े राज्यों की अधिकतम जनता अशिक्षित है। विकसित राज्यों की परिवहन व्यवस्था अधिक विकसित रूप में पायी जाती है। वहाँ के अधिकतर लोग शिक्षित हैं। इन्हीं कारणों से उपर्युक्त परिस्थितियों का सामना हमारे देश के राज्यों को करना पड़ रहा है।

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