Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ? Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?
JAC Class 10 Hindi मैं क्यों लिखता हूँ? Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
लेखक के अनसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनभति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?
उत्तर :
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति गहरी चीज़ है। प्रत्यक्ष अनुभव सामने घटित हुई घटना का होता है, किंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना पर आधारित होती है। यह संवेदना और कल्पना के सहारे उस सत्य को ग्रहण कर लेती है, जो रचनाकार के सामने घटित नहीं हुआ। लेखक को भी यह अनुभूति सदा प्रभावित करती रही है। इस अनुभूति से ही उसके भीतर एक ज्वलंत प्रकाश आता है और उसे सबकुछ साफ़-साफ़ दिखाई देने लगता है। अनुभूति से ही वह अपने सामने घटित न होने वाली घटनाओं को भी स्पष्ट देखता है। यह अनुभूति ही उसे भीतर से व्याकुल कर देती है और वह लिखने के लिए बाध्य हो जाता है। इसी कारण लेखक को लिखने में प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति अधिक मदद करती है।
प्रश्न 2.
लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?
उत्तर :
जापान में घूमते हुए लेखक ने एक दिन एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया देखी। यह छाया विस्फोट के समय वहाँ खड़े किसी व्यक्ति की थी, जो विस्फोटक पदार्थ के कारण भाप बन गया होगा। वह विस्फोट इतना भयंकर था कि पत्थर भी उससे झुलस गया था। लेखक ने जब उस पत्थर को देखा, तो वह हैरान रह गया। उसके मन-मस्तिष्क में अणु-विस्फोट के समय हुई सारी घटना कल्पना के माध्यम से घूम गई। उसने मन-ही-मन उस सारी घटना को महसूस कर लिया। उसे ऐसा लगा, जैसे उस अणु-विस्फोट के समय वह वहाँ मौजूद है और वह विस्फोट उसके सामने हुआ है। इस प्रकार लेखक अपनी अनुभूति से हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।
प्रश्न 3.
मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि –
(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?
(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा-स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं ?
उत्तर :
(क) लेखक के अनुसार वह स्वयं जानना चाहता है कि वह क्यों लिखता है और यही जानने की इच्छा ही उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। वह अपने भीतर उमड़ने वाली एक विवशता से मुक्ति पाने के लिए भी लिखता है। यह विवशता ही उसे लिखने के लिए बाध्य करती है। लेखक को उसकी आंतरिक विवशता से मुक्ति पाने की इच्छा तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने की भावना ही लिखने के लिए प्रेरित करती है।
(ख) निश्चित रूप से किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए उत्साहित करते हैं। जापान के हिरोशिमा नामक स्थान पर अणु-बम गिराने वाले ने भी लेखक को उत्साहित किया। इसके अतिरिक्त हिरोशिमा में जब लेखक ने झुलसे पत्थर को देखा, तो उससे भी कुछ लिखने के लिए उत्साहित हुआ था। उसकी कोमल भावनाओं को उस निर्जीव पत्थर ने भी प्रेरित किया था।
प्रश्न 4.
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाहृय दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। ये बाहूय दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं ?
उत्तर :
सामान्य तौर पर लेखक आत्मानुभूति के कारण ही लिखते हैं। वे स्वयं को अपनी आंतरिक विवशता से मुक्ति दिलाने के लिए ही रचनाओं का निर्माण करते हैं। इसके साथ-साथ कुछ लेखकों के लिए स्वयं के अनुभव के अतिरिक्त कुछ बाहय दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। ये बाहय दबाव संपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा तथा उनकी आर्थिक आवश्यकता आदि हो सकते हैं।
प्रश्न 5.
क्या बाहूय दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर :
बाहय दबाव सभी क्षेत्रों से जुड़े लोगों को प्रभावित करते हैं। जो व्यक्ति प्रसिद्धि पा लेता है, अन्य लोगों की उससे अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं। फिर वह लोगों के बाहय दबाव से प्रभावित होकर कार्य करता है। इसके साथ-साथ प्रत्येक कार्य में धन की आवश्यकता होती है। वर्तमान में धन के बिना किसी कार्य की सफलता संभव नहीं है। इसी कारण धन की आवश्यकता जैसा बाहय दबाव भी प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को प्रभावित करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि केवल रचनाकारों को ही नहीं, अपितु अन्य सभी क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी बाह्य दबाव प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 6.
हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं?
उत्तर :
लेखक जब जापान गया तो उसने हिरोशिमा के अस्पताल में जाकर अनेक ऐसे घायल लोगों को देखा, जो हिरोशिमा पर गिराए गए अणु बम का शिकार हुए थे। वहीं एक दिन उसने झुलसे हुए पत्थर पर एक मानव की छाया भी देखी, जो अणु-बम से भाप बन गया था। यह देखकर उसका हृदय व्यथित हो उठा। उसने अनुमान लगा लिया कि वह घटना कितनी दुःखद और व्यथापूर्ण रही होगी।
इसी व्यथा ने उसे झकझोर कर रख दिया और अपने इसी अंत: दबाव से मुक्ति पाने के लिए उसने हिरोशिमा पर कविता लिखी। इसके अतिरिक्त लेखक जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति पर यह बाहरी दबाव भी था कि वह अपनी जापान-यात्रा से लौटकर कुछ लिखे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत और बाह्य दोनों दबाव का ही परिणाम है।
प्रश्न 7.
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है?
उत्तर :
आज विज्ञान का दुरुपयोग करके मानव विश्व का संहार करने में व्यस्त है। विज्ञान का दुरुपयोग करके परमाणु बम, एटम बम, हाइड्रोजन बम, मिसाइल्स तथा अनेक ऐसे विनाशकारी अस्त्र-शस्त्र बनाए जा रहे हैं, जिनसे संसार क्षण भर में नष्ट हो सकता है। विज्ञान द्वारा अनेक विषैली गैसें तैयार की जा रही हैं। इन गैसों से किसी भी देश की जलवायु को विषाक्त करके लोगों को समाप्त किया जा सकता है। इसके साथ-साथ विज्ञान का दुरुपयोग लोगों को आलसी, निकम्मा, चरित्रहीन आदि बनाने में भी हो रहा है। विज्ञान के नए-नए प्रयोग मनुष्य को हिंसा और अनेक कुवृत्तियों की ओर धकेल रहे हैं।
प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर :
वर्तमान युग में विज्ञान का दुरुपयोग करके पॉलिथीन का निर्माण हो रहा है। यह पॉलिथीन पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। इससे वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ जीवों का जीवन भी संकट में आ चुका है। इससे प्रभावित होकर कई पशु-पक्षी मर रहे हैं। अत: सबसे पहले हमें पॉलिथीन के निर्माण पर रोक लगानी होगी। इसके साथ-साथ पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग हो रहा है। इनसे बहुत अधिक ज़हर हमारे शरीर में जा रहा है। अतः इसके स्थान पर वही पुरानी गोबर खाद अथवा खाद का प्रयोग करके विज्ञान का दुरुपयोग रोका जा सकता है।
JAC Class 10 Hindi मैं क्यों लिखता हूँ? Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
लेखक ने अपने लिखने का कारण क्या बताया है ?
उत्तर :
लेखक कहता है कि कोई भी लेखक अपने भीतर की विवशता से मुक्त होने के लिए लिखता है। वह भी अपनी आंतरिक विवशता से मुक्ति पाने के लिए तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है। लेखक का मानना है कि वह बाहरी दबावों से प्रभावित होकर बहुत कम लिखता है। उसके लिखने का मुख्य कारण उसकी आंतरिक विवशता है और लिखकर ही वह स्वयं को उससे मुक्त कर पाता है।
प्रश्न 2.
लेखक ने बाहरी दबाव की तुलना किससे की है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कुछ रचनाकार बाहरी दबाव के बिना नहीं लिख पाते। उनकी स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसे कोई व्यक्ति सुबह नींद खुल जाने पर भी अलार्म बजने तक बिस्तर पर पड़ा रहे। जब अलार्म बजता है, तभी वह उठता है। कुछ रचनाकार भी ऐसे ही होते हैं। जब तक बाहरी दबाव उन पर हावी नहीं हो जाता, वे नहीं लिखते हैं। ऐसे रचनाकार बाहरी दबाव के बिना लिख ही नहीं पाते।
प्रश्न 3.
लेखक ने अणु-बम द्वारा होने वाले व्यर्थ जीव-नाश का अनुभव कैसे किया?
उत्तर :
लेखक ने युद्ध के समय देखा कि भारत की पूर्वी सीमा पर सैनिक ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर हजारों मछलियाँ मार रहे थे। यद्यपि उन्हें कुछ ही मछलियों की आवश्यकता थी, किंतु वे इस प्रकार बम फेंककर हजारों जीवों को नष्ट कर रहे थे। यह देखकर ही लेखक ने अनुभव किया कि अणु-बम के द्वारा भी ऐसे ही असंख्य लोगों को व्यर्थ में ही मारा जा रहा है। हिरोशिमा पर गिराया गया अणु-बम इसका स्पष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 4.
लेखक ने ‘हिरोशिमा’ कविता कहाँ लिखी? यह कब प्रकाशित हुई तथा यह उनके किस काव्य-संग्रह में संकलित है?
उत्तर :
लेखक ने ‘हिरोशिमा’ कविता भारत लौटकर रेलगाड़ी में बैठे-बैठे लिखी। यह कविता सन 1959 में प्रकाशित हुई तथा यह उनके ‘अरी ओ करुणा प्रभामय’ नामक काव्य-संग्रह में संकलित है।
प्रश्न 5.
हिरोशिमा में हुए विस्फोट की भयावहता को देखकर भी लेखक ने इस विषय पर क्यों नहीं लिखा?
उत्तर :
लेखक ने जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की घटना के बारे में पढ़ा और सुना, तो भी उसने तत्काल इस विषय पर कुछ न लिखा। इस घटना से लेखक विचलित हुआ था, परंतु इस घटना से उसे आंतरिक अनुभूति पैदा नहीं हुई। वह व्याकुल व दुखी तो हुआ, परंतु केवल बौद्धिक रूप से। किसी भी विषय को कोई तभी लिख सकता है, जब उसे वह विषय आंतरिक रूप से प्रभावित करे; संवेदनाओं को उभारे। हिरोशिमा की यह भयानक घटना लेखक को आकुल न कर सकी।
प्रश्न 6.
लेखक ने किन बाह्य दबावों का वर्णन किया है, जो रचनाकार को लिखने के लिए बाध्य करते हैं ?
उत्तर :
आत्मानुभूति के साथ-साथ कुछ बाह्य दबाव भी लेखकों को लिखने के लिए बाध्य करते हैं; जैसे-संपादक का आग्रह, पाठकों की इच्छा, प्रकाशक का दबाव, आर्थिक विवशताएँ आदि।
प्रश्न 7.
प्रत्यक्ष अनुभव तथा अनुभूति में क्या अंतर है?
उत्तर :
कभी-कभी लेखक के मन में किसी विषय को लेकर कल्पनाएँ उठती हैं, जो उसे अभिभूत कर देती हैं। प्रत्यक्ष रूप से यह लेखक की कल्पना ही होती है, परंतु वह कल्पना भी किसी प्रत्यक्ष घटना के कारण ही उसके मन में संवेदना जगाती है। प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित लेखन तभी जन्म लेता है, जब लेखक की आँखों के सामने कोई वास्तविक घटना घटी हो। यही लेखक का प्रत्यक्ष अनुभव है। अनुभूति मन की गहराइयों में जन्म लेती है और प्रत्यक्ष अनुभव आँखों के सामने घटित होता है।
प्रश्न 8.
किसी भी लेखक के लिए यह प्रश्न कठिन क्यों माना जाता है कि वह क्यों लिखता है?
उत्तर :
किसी भी विषय पर कुछ लिखना लेखक के अंतर्मन से जुड़ा होता है, जहाँ समय-समय पर अलग-अलग भाव उत्पन्न होते हैं। हर लेखक के मन का स्तर अलग होता है और वह भी परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। उनकी प्रेरणाएँ भिन्न होती हैं; उनकी रुचियाँ और मानसिकता अलग होती हैं, इसलिए यह जानना कि ‘वह लिखता क्यों है’ अति कठिन प्रश्न है।
प्रश्न 9.
लेखक और कृतिकार में क्या अंतर होता है?
उत्तर :
लेखक के अनसार जो साहित्य भीतरी दबाव के कारण लिखा जाए: जिसमें मन की सच्ची छटपटाहट छिपी हुई हो, उसे ‘कति’ कहते हैं। उसका रचयिता कृतिकार कहलाता है। इसके विपरीत धन, यश, विवशता आदि की प्रेरणा से लिखा जाने वाला साहित्य लेखन कहलाता है और इस स्थिति में लिखने वाला लेखक कहलाता है।
प्रश्न 10.
ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंकने और हिरोशिमा के विस्फोट में लेखक ने किस समानता को देखा है ?
उत्तर :
लेखक ने कुछ मछलियों को प्राप्त करने के लिए सैनिकों के द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंकने की बात कही है, जिससे हज़ारों मछलियाँ मर जाती थीं। वे दो-चार मछलियों के लिए हज़ारों मछलियों को मार देते थे। हिरोशिमा में भी इसलिए लाखों इनसान मार डाले गए थे। दोनों ही प्रसंग प्राणियों के अकारण नाश से जुड़े हुए हैं। अतः दोनों में समानता है।
मैं क्यों लिखता हूँ? Summary in Hindi
लेखक-परिचय :
हिंदी के सुप्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि, मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार, प्रखर चिंतक एवं प्रतिष्ठित निबंध लेखक अज्ञेय जी का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कसिया (कुशीनगर) नामक स्थान पर हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने लाहौर से बी०एससी० की डिग्री प्राप्त की। क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लेने के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। इन्होंने सेना, आकाशवाणी तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान की।
अज्ञेय जीवन-भर साहित्य और पत्रकारिता के प्रति पूर्णतः समर्पित रहे। सन् 1987 में दिल्ली में इनका देहांत हो गया। रचनाएँ-अज्ञेय की रचनाओं में बौद्धिकता की स्पष्ट छाप है। इनकी प्रमुख रचनाओं में भग्नदूत, चिंता, अरी ओ करुणा प्रभामय, इंद्रधनुष रौदे हुए थे, आँगन के पार द्वार (काव्य-संग्रह), शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप (उपन्यास), विपथगा, शरणार्थी, जयदोल (कहानी-संग्रह), त्रिशंकु, आत्मनेपद (निबंध) तथा अरे यायावर रहेगा याद (यात्रा-वृत्तांत) आदि हैं। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ सहित चार सप्तकों का हिंदी साहित्य की समकालीन हिंदी कविता में महत्वपूर्ण योगदान है।
इनकी विभिन्न रचनाओं के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत-भारती सम्मान तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भाषा-शैली-अज्ञेय की भाषा-शैली में सर्वत्र नवीनता के दर्शन होते हैं। इन्होंने शब्दों को नया अर्थ देने का प्रयास करते हुए हिंदी भाषा का विकास किया है। प्रस्तुत पाठ ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ में इनकी भाषा सरल एवं बोधगम्य है। कहीं-कहीं इनकी भाषा में बौद्धिकता के कारण दुरुहता भी दिखाई देती है। इनकी भाषा में चित्रात्मकता और प्रभावोत्पादकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। यहाँ इनकी शैली कहीं-कहीं आत्मकथात्मक तथा कहीं वर्णनात्मक है।
पाठ का सार :
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक ने अपने लिखने के कारणों के साथ-साथ एक लेखक के प्रेरणा-स्रोतों पर भी प्रकाश डाला है। लेखक के अनुसार वह अपनी आंतरिक व्याकुलता से मुक्ति पाने तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है। प्रायः प्रत्येक रचनाकार की आत्मानुभूति ही उसे लेखन-कार्य के लिए प्रेरित करती है, किंतु कुछ बाहरी दबाव भी होते हैं। ये बाहरी दबाव भी कई बार रचनाकार को लिखने के लिए बाध्य करते हैं। इन बाहरी दबावों में संपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा तथा आर्थिक आवश्यकता आदि प्रमुख हैं। लेखक का मत है कि वह बाहरी दबावों से कम प्रभावित होता है।
उसे तो उसकी भीतरी विवशता ही लिखने की ओर प्रेरित करती है। उसका मानना है कि प्रत्यक्ष अनुभव से अनुभूति गहरी चीज़ है। एक रचनाकार को अनुभव सामने घटित घटना को देखकर होता है, किंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना के द्वारा उस सत्य को भी ग्रहण कर लेती है जो रचनाकार के सामने घटित नहीं हुआ। फिर वह सत्य आत्मा के सामने ज्वलंत प्रकाश में आ जाता है और रचनाकार उसका वर्णन करता है। लेखक बताता है कि उसके द्वारा लिखी ‘हिरोशिमा’ नामक कविता भी ऐसी ही है।
एक बार जब वह जापान गया, तो वहाँ हिरोशिमा में उसने देखा कि एक पत्थर बुरी तरह झुलसा हुआ है और उस पर एक व्यक्ति की लंबी उजली छाया है। उसे देखकर उसने अनुमान लगाया कि जब हिरोशिमा पर अणु-बम गिराया गया होगा, तो उस समय वह व्यक्ति इस पत्थर के पास खड़ा होगा। अणु-बम के प्रभाव से वह भाप बनकर उड़ गया, किंतु उसकी छाया उस पत्थर पर ही रह गई।
लेखक को उस झुलसे हुए पत्थर ने झकझोर कर रख दिया। वह हिरोशिमा पर गिराए गए अणु-बम की भयानकता की कल्पना करके बहुत दुखी हुआ। उस समय उसे ऐसे लगा, मानो वह उस दुःखद घटना के समय वहाँ मौजूद रहा हो। इस त्रासदी से उसके भीतर जो व्याकुलता पैदा हुई, उसी का परिणाम उसके द्वारा हिरोशिमा पर लिखी कविता थी। लेखक कहता है कि यह कविता ‘हिरोशिमा’ जैसी भी हो, वह उसकी अनुभूति से पैदा हुई थी। यही उसके लिए महत्वपूर्ण था।
कठिन शब्दों के अर्थ :
आंतरिक – भीतरी। आभ्यंतर – अंदरूनी, भीतर का। विवशता – मज़बूरी। मुक्त – आजाद। कृतिकार – रचनाकार। ख्याति – प्रसिद्धि, यश। उन्मेष – प्रकाश। निमित्त – कारण। बिछौना – बिस्तर। बाधा – रुकावट। बखानना – वर्णन करना। पुस्तकीय – पुस्तकों में लिखा। परवर्ती प्रभाव – बाद में पड़ने वाले प्रभाव। युद्धकाल – युद्ध के समय। ब्रह्मपुत्र – एक नदी का नाम। व्यथा – पीड़ा, दुख। व्यर्थ – बेकार में। अवसर – मौका। आहत – घायल। प्रत्यक्ष – स्पष्ट देखना। तत्काल – उसी क्षण। झुलसाना – जला देना। समूची – सारी। ट्रेजडी – त्रासदी, दुखद घटना। अवाक् – मौन। सहसा – अचानक। भोक्ता – भोगने वाला। आकुलता – बेचैनी।