Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा
JAC Class 10 Hindi कर चले हम फ़िदा Textbook Questions and Answers
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1.
क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है ?
उत्तर :
हाँ, इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। यह कविता सन् 1962 ई॰ के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है, जिसमें देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देने वाले सैनिक देशवासियों को कह रहे हैं कि वे तो अपना बलिदान देकर जा रहे हैं, परंतु अब देश की रक्षा का भार देशवासियों पर है। उन्होंने तो मरते-मरते भी दुश्मनों को खदेड़ना जारी रखा था। वे देश के नौजवानों को कहते हैं कि देश पर बलिदान होने का अवसर कभी-कभी ही आता है, इसलिए वे देश की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहें। उनके शहीद हो जाने के बाद भी देश की रक्षार्थ बलिदानों का यह क्रम सदा जारी रहे।
प्रश्न 2.
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है ?
उत्तर :
इस पंक्ति में हिमालय हमारे देश की शान, गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक है। हिमालय की ऊँची चोटियों के समान ही हमारे देश की ऊँची शान है। सैनिक इसी शान को बचाए रखने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों को न्योछावर कर देते हैं।
प्रश्न 3.
‘कर चले हम फिदा’ कविता में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कवि कहता है कि धरती एक दुलहन के समान सजी हुई है। जिस प्रकार किसी स्वयंवर में दुलहन को प्राप्त करने के लिए राजाओं में युद्ध होता है, उसी प्रकार धरतीरूपी दुलहन की रक्षा करने के लिए भी दुश्मनों से युद्ध करना होगा।
प्रश्न 4.
गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर :
गीत में शब्दों और संगीत का सुंदर मिश्रण होता है। उसमें सुर, लय और ताल से एक ऐसा आकर्षण आ जाता है, जो हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। गीतों में कोमल और मधुर शब्दों का प्रयोग होता है, जो सीधे हमारे हृदय पर प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक गीत में हम अपनी ही कोमल भावनाओं को रूप लेते अनुभव करते हैं। यही कारण है कि गीत हमें न केवल प्रभावित करते हैं अपितु जीवन भर याद भी रहते हैं।
प्रश्न 5.
कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
अथवा
‘कर चले हम फिदा’ कविता में कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है और क्यों?
उत्तर :
कवि ने ‘साथियो’ संबोधन देशवासियों के लिए किया है। कवि देशवासियों और विशेषकर नवयुवकों को अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहने का संदेश देता है। वह देश पर अपने प्राणों को न्योछावर कर देने की बात कहता है।
प्रश्न 6.
कवि ने इस कविता में किस काफिले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर :
कवि ने सैनिकों के माध्यम से देश पर मर-मिटने के काफिले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है। सैनिक देशवासियों से कहते हैं कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया है। उनके मरने के बाद भी देश पर मर-मिटने का सिलसिला निरंतर चलता रहना चाहिए। जब भी देश पर कोई संकट आए, देशवासियों को अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश को बचाना चाहिए। सैनिक कहते हैं कि देश पर प्राणों को न्योछावर करने का काफ़िला निरंतर बढ़ता रहना चाहिए।
प्रश्न 7.
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर :
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ मृत्यु की भी परवाह न करने की ओर सकेत करता है। गीत में देश की रक्षा के लिए देशवासियों को अपने प्राणों को न्योछावर करने के लिए तैयार होने को कहा गया है।
प्रश्न 8. इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
‘कर चले हम फिदा’ अथवा ‘मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
इस कविता के माध्यम से कवि ने देश के लिए अपना बलिदान देने वाले सैनिकों के हृदय की आवाज़ को सुंदर अभिव्यक्ति दी है। सैनिक अपने देश की आन, बान और शान के लिए मर-मिटते हैं। वे मरते दम तक अपने देश की रक्षा करते हैं। सैनिक देश पर मर-मिटने के लिए देशवासियों का भी आह्वान करते हैं। वे देशवासियों से कहते हैं कि उनके बाद भी देश पर बलिदान देने का काफ़िला रुकना नहीं चाहिए। देश पर आक्रमण करने वाले दुश्मनों का नाश करने के लिए देशवासियों को सदा तैयार रहना चाहिए। ऐसा करने के लिए यदि उन्हें अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो उन्हें हँसते-हँसते प्राणों को न्योछावर कर देना चाहिए।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
प्रश्न
1. साँस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
2. खींच दो अपने से जमीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए ने रावन कोई
3. छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
उत्तर :
1. गीत की इन पंक्तियों में देश की रक्षा के लिए तैनात सैनिक कहते हैं कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की भी बलि चढ़ा दी। वे अपने अंतिम समय तक देश की रक्षा करते रहे। सीमा पर खड़े हुए जब उनकी साँसें धीरे-धीरे रुकती जा रही थीं और नाड़ी का चलना बंद होता जा रहा था, तब भी उन्होंने दुश्मन को पीछे खदेड़ने के लिए उठे कदमों को नहीं रोका। वे मृत्यु के समीप होते हुए भी देश की रक्षा करते रहे।
2. गीत की इन पंक्तियों में सैनिक देशवासियों को देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि हमें अपने देश में बुरी नीयत से घुसने वाले दुश्मनरूपी रावण को आने से रोकना होगा। इसके लिए चाहे हमें अपने प्राणों को ही न्योछावर क्यों न करना पड़े। जिस प्रकार से दुराचारी रावण को रोकने के लिए लक्ष्मण ने रेखा खींची थी, हमें अपने खून से वैसी ही रेखा खींचकर दुश्मनों को रोकना होगा।
3. इन पंक्तियों में सैनिक देशवासियों को उद्बोधित करते हुए कहते हैं कि भारतभूमि सीता के समान पवित्र है। यदि कोई दुश्मन इसे अपवित्र करने का प्रयास करे, तो तुम्हें राम और लक्ष्मण बनकर इसे बचाना होगा। जिस प्रकार सीता के मान-सम्मान को ठेस पहुँचाने वाले दुराचारी रावण को राम-लक्ष्मण न मार डाला था, उसी प्रकार तुम्हें भी इस देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतारना होगा।
भाषा अध्ययन –
प्रश्न 1.
इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत के संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए। कट गए सर, नब्ज जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
उत्तर :
कट गए सर – मृत्यु को प्राप्त होना। सैनिक युद्ध-क्षेत्र में अपने सर कटा देते हैं, किंतु देश की आन पर कलंक नहीं लगने देते।
नब्ज जमती गई – मृत्यु समीप होना। जब डॉक्टर मरीज़ को देखने पहुंचा, तो उसकी नब्ज जमती जा रही थी।
जान देने की रुत – बलिदान देने का उचित अवसर। जब दुश्मन हमारे देश पर आक्रमण करता है, तब सैनिकों के लिए जान देने की रुत आती है।
हाथ उठने लगे – आक्रमण होना। जब भी दुश्मन ने हमारे देश की ओर हाथ उठाया है, तो हमारे वीरों ने उसका डटकर मुकाबला किया है।
प्रश्न 2.
ध्यान दीजिए संबोधन में बहुवचन ‘शब्द रूप’ पर अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता; जैसे – भाइयो, बहिनो, देवियो, सज्जनो आदि।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं पढ़ें और समझें।
योग्यता विस्तार –
प्रश्न 1.
कैफ़ी आज़मी उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। ये पहले ग़ज़ल लिखते थे। बाद में फ़िल्मों में गीतकार और
कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। यदि संभव हो सके तो यह फ़िल्म देखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
‘फ़िल्म का समाज’ पर प्रभाव विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर :
फ़िल्म और समाज का परस्पर गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे पर अपना प्रभाव डालते हैं। काफ़ी समय से फ़िल्मों के द्वारा समाज और जागृति पैदा करने का प्रयास होता आया है। फ़िल्मों के द्वारा युवकों में वीरता, देश-प्रेम तथा परोपकार की भावना को सरलता से भरा जा सकता है। फ़िल्में वह माध्यम हैं, जो आँखों से सीधे हमारे मन और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती हैं। फ़िल्मों में जो कुछ दिखाया जाता है, वह अधिकतर समाज में ही घटित घटनाएँ होती हैं। देश में भावात्मक एकता उत्पन्न करने और राष्ट्रीयता का विकास करने में फ़िल्मों का महत्वपूर्ण योगदान है।
समाज की अनेक कुरीतियों जैसे दहेज-प्रथा, मदिरापान, भ्रष्टाचार, बाल-विवाह, छुआछूत आदि को दूर करने के लिए फ़िल्में एक सशक्त माध्यम हैं। ‘दहेज’, ‘सुजाता’, ‘अछूत कन्या’ जैसी फ़िल्में इस दृष्टि से बहुत सफल रही हैं। जहाँ एक ओर फ़िल्मों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव है, वहीं नकारात्मक प्रभाव भी है। फ़िल्मों में दिखाई जाने वाली नग्नता, कामुकता आदि का समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कम आयु के बच्चे जब फ़िल्मों में डकैती, हिंसा, बलात्कार तथा मारपीट जैसे दृश्य देखते हैं, तो वे भी कई बार वैसा ही आचरण करने लगते हैं। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि ऐसी फ़िल्मों का निर्माण हो, जो समाज को कल्याण और उन्नति की ओर अग्रसर कर सकें। यदि निर्देशक ऐसी स्वस्थ फ़िल्में बनाएँगे, तो फ़िल्में देश की उन्नति के साथ समाज-सुधार में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगी।
प्रश्न 3.
कैफ़ी आज़मी की अन्य रचनाओं को पुस्तकालय से प्राप्त कर पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। इसके साथ ही उर्दू भाषा के अन्य कवियों की रचनाओं को भी पढ़िए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 4.
एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा कैफ़ी आज़मी पर बनाई गई फ़िल्म देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
परियोजना कार्य प्रश्न –
1. सैनिक जीवन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक निबंध लिखिए।
उत्तर :
सैनिक जीवन चुनौतियों से भरा होता है। इसमें हर पल एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है। सैनिक का जीवन आरंभ से ही चुनौतीपूर्ण होता है। एक सैनिक को अपने माता-पिता और परिवार को छोड़कर आना पड़ता है। माँ के स्नेह और सुखदायी आँचल से दूर उसे हर क्षण उनकी याद सताती है। सैनिक का जीवन अस्थिर जीवन होता है। उसे सदा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर शिविरों में रहना पड़ता है। पर्वतीय क्षेत्रों में उसका जीवन और अधिक कठिन एवं चुनौतीपूर्ण हो जाता है। वहाँ न तो सही ढंग से भोजन की व्यवस्था हो पाती है और न ही रहने की कोई व्यवस्था हो पाती है।
सैनिक के जीवन में चुनौतियाँ तब और भी बढ़ जाती हैं, जब उसका विवाह हो जाता है। पत्नी और बच्चों से कोसों दूर वह उनके प्रेम के लिए तरसता रहता है। वह अपनी जान को तो मुट्ठी में रखता ही है, उसकी पत्नी और बच्चे भी उसकी चिंता में डूबे रहते हैं। एक सैनिक अपने बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था भी ठीक ढंग से करने में कठिनाई अनुभव करता है। बच्चों के सुनहरे भविष्य की क वह देश की सरहद पर रहकर करता है। कई बार सैनिक को जंगलों आदि में भी रहना पड़ता है। ऐसे समय में जंगली जानवरों का डर बना रहता है।
कर देता है, तो सैनिक को अपनी जान पर खेलकर उसका मुकाबला करना होता है। बंदूकों, तोपों और बमों के बीच में कब वह मौत का शिकार हो जाए, वह नहीं जानता। उसका तो एकमात्र उद्देश्य केवल अपने देश की रक्षा करना होता है। वह देशवासियों की रक्षा के लिए अपना सीना तान कर दुश्मनों के आगे खड़ा हो जाता है। यद्यपि वह जानता है कि हर पल वह मौत के साए में जी रहा है, किंतु वह अपनी मृत्यु की परवाह न करते हुए देश की आन, बान और शान पर मर मिटता है। निश्चित रूप से एक सैनिक का जीवन अनेक चुनौतियों से भरा होता है। वह परोपकारी होता है। अपने जीवन की बाज़ी लगाकर वह सबके जीवन की रक्षा करता है। ऐसे वीर सैनिकों के कारण ही देश की आजादी बची हुई है। देश को अपने सैनिकों पर नाज है।
प्रश्न 2.
आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आजादी बनाए रखना’। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक / अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 3.
अपने स्कूल के किसी समारोह पर यह गीत या अन्य देशभक्तिपूर्ण गीत गाकर सुनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
JAC Class 10 Hindi कर चले हम फ़िदा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
सैनिकों ने देशवासियों से क्या कहा है?
उत्तर :
सैनिकों ने देशवासियों से कहा है कि उन्हें दुश्मनरूपी रावण को रोकने के लिए अपने खून से लक्ष्मण-रेखा खींचनी चाहिए। जो हाथ सीता के समान पवित्र हमारे भारतवर्ष की तरफ बढ़ेंगे, उन्हें तोड़ देना चाहिए। हमने स्वयं को देश पर बलिदान कर दिया है। अब हम देश की रक्षा का भार देशवासियों पर छोड़कर जा रहे हैं। इसलिए हमारे बाद देशवासियों को वतन की रक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 2.
सैनिकों ने अपने देश की शान कैसे बचाई?
उत्तर :
सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की शान बचाई। उन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, परंतु देश पर आँच नहीं आने दी। उन्होंने हँसते-हँसते मृत्यु को गले लगा लिया; अपने सीनों पर गोलियाँ खाईं; मरते दम तक दुश्मनों से युद्ध करते रहे और अंततः आत्म-बलिदान देकर शहीद हो गए। उन्होंने अपने बलिदान से देश की शान को बचाए रखा।
प्रश्न 3.
‘राम भी तम, तम्हीं लक्ष्मण साथियो’ पंक्ति के माध्यम से कवि क्या प्रेरणा देना चाहता है?
उत्तर :
इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह प्रेरणा देना चाहता है कि जिस प्रकार त्रेता युग में रामचंद्र और लक्ष्मण ने सीता की लाज-मर्यादा के लिए लंकापति रावण को पराजित कर दिया था, ठीक उसी तरह भारतवासियों को भी अपने देश की रक्षा करनी चाहिए। इन्हें भी अपना सर्वस्व देश के लिए अर्पित कर देना चाहिए और किसी भी कीमत पर अपने वतन की लाज को बचाना चाहिए।
प्रश्न 4.
सैनिकों ने मरते-मरते भी देश की रक्षा किस प्रकार की?
उत्तर :
सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। जब उनका अंतिम समय समीप था, तो भी उन्होंने दुश्मनों से मुकाबला करते हुए देश की रक्षा की। उस समय उनकी साँसें रुकती जा रही थीं और नाड़ी का चलना भी बंद हो रहा था, किंतु उन्होंने दुश्मनों की तरफ़ बढ़ते अपने कदमों को नहीं रोका। इस प्रकार वे दुश्मनों से लड़ते-लड़ते देश पर शहीद हो गए।
प्रश्न 5.
‘जीत का जश्न इस जश्न के बाद है’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
सैनिक देशवासियों से कहते हैं कि अपने देश पर मर-मिटने की खुशी से बढ़कर कोई खुशी नहीं है। युद्ध में जीत की खुशी तो बाद में मिलती है, उससे पहले सैनिक अपने आपको देश पर न्योछावर कर देता है। उसके लिए जीत की खुशी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती, जितनी देश पर अपना बलिदान देने की होती है।
प्रश्न 6.
सैनिकों ने किन हाथों को तोड़ने की बात कही है?
उत्तर :
सैनिकों ने अपने देश पर आक्रमण करने वाले दुश्मन के हाथों को तोड़ने की बात कही है। वे देश पर बुरी नज़र रखने वाले दुश्मन के उन हाथों को तोड़ देना चाहते हैं, जो हमारे देश को हानि पहुँचाने के लिए उठते हैं। वे चाहते हैं कि देशवासी देश पर हमला करने वाले दुश्मनों का डटकर मुकाबला करें और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दें।
प्रश्न 7.
इस गीत से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
यह एक देशभक्तिपूर्ण गीत है। इस गीत से हमें अपने देश पर मर-मिटने की प्रेरणा मिलती है। गीतकार देशवासियों में देश पर सर्वस्व न्योछावर करने का भाव पैदा करना चाहता है। यह गीत हमें संकट के समय देश पर अपने आपको कुर्बान कर देने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 8.
इस गीत के माध्यम से कवि ने किसका आह्वान किया है ? और क्यों?
उत्तर :
इस गीत के माध्यम से कवि ने नवयुवकों का आह्वान किया है। कवि नवयुवकों का आह्वान करते हुए कहता है कि उन्हें देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर देना चाहिए, क्योंकि ऐसा समय कभी-कभी मिलता है। उन्हें अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर देनी चाहिए; देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग देना चाहिए।
प्रश्न 9.
कवि ने देशवासियों को राम-लक्ष्मण कहकर क्या संदेश देना चाहा है ?
उत्तर :
कवि ने देशवासियों को राम-लक्ष्मण कहकर उनके आत्मविश्वास व वीरता को जगाने का प्रयास किया है। वह उनसे कहता है कि जिस प्रकार सीता के मान-सम्मान को कलंकित करने वाले रावण को श्रीराम ने मार डाला था, उसी प्रकार देशवासियो! तुम भी अपनी मातृभूमि पर बुरी नज़र रखने वाले शत्रुओं पर टूट पड़ो और तुम उनका पूर्णतः विनाश कर दो।
प्रश्न 10.
कवि देशवासियों के सम्मुख यह गीत ‘कर चले हम फ़िदा’ क्यों गाता है?
उत्तर :
कवि अपने देशवासियों को सैनिकों के बलिदानों से अवगत करवाना चाहता है। वह लोगों की वीरता और पौरुष को ललकारते हुए उन्हें देश पर मर-मिटने के लिए प्रोत्साहित करता है। वह अपने इस गीत के द्वारा देशवासियों के हृदय में देशभक्ति की लौ जलाना चाहता है। वह उन्हें उनकी आन का हवाला देते हुए सैनिकों की भाँति कुछ करने तथा देश के लिए मर-मिटने को तैयार रहने की बात करता है।
प्रश्न 11.
‘कर चले हम फ़िदा’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में कवि ने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले वीर सैनिकों के हृदय की आवाज़ को अभिव्यक्ति प्रदान की है। सैनिक अपने देश की आन, बान, शान के लिए मर मिटते हैं। वे मरते दम तक अपने देश की रक्षा करते हैं। मरते-मरते भी वे देशवासियों का आह्वान करते हुए उन्हें कहते हैं कि उनके बलिदान के बाद भी देश पर मर-मिटने वालों का काफ़िला रुकना नहीं चाहिए। देश पर आक्रमण करने वाले दुश्मनों का नाश करने के लिए देशवासियों को सदा तैयार रहना चाहिए और हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे देना चाहिए।
कर चले हम फ़िदा Summary in Hindi
कवि-परिचय :
जीवन – कैफ़ी आज़मी का जन्म 19 जनवरी सन 1919 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के मजमां नामक गाँव में हुआ था। इनका वास्तविक नाम अतहर हुसैन रिज़वी था। बाद में ये कैफ़ी आज़मी के नाम से प्रसिद्ध हुए। कैफ़ी आज़मी का परिवार कलाकारों का परिवार था। इनके तीनों बड़े भाई भी शायर थे। इनकी पत्नी शौकत आज़मी और बेटी शबाना आजमी प्रसिद्ध अभिनेत्रियाँ हैं। कैफ़ी आज़मी को फ़िल्मी दुनिया में काफ़ी नाम और प्रसिद्धि मिली। इनकी साहित्य सेवा के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार के साथ-साथ अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। कैफ़ी आज़मी की गणना प्रगतिशील उर्दू कवियों की पहली पंक्ति में की जाती है। 10 मई सन 2002 को इनका निधन हो गया।
रचनाएँ – कैफ़ी आज़मी युवावस्था से ही प्रसिद्ध शायर थे। उन्हें मुशायरों में अपनी रचनाओं पर खूब वाहवाही मिलती थी। इन्होंने कविता संग्रह के साथ-साथ अनेक फ़िल्मी गीत लिखे हैं। इनकी रचनाओं में जहाँ एक ओर सामाजिक और राजनैतिक जागरूकता हैं, वहीं हृदय की कोमलता भी है। कैफ़ी आज़मी के पाँच कविता संग्रह ‘झंकार’, ‘आखिर-ए-शब’, ‘आवारा सजदे’, ‘सरमाया’ और फ़िल्मी गीतों का संग्रह ‘मेरी आवाज़ सुनो’ प्रकाशित हुए। इनके द्वारा लिखे गीत आज पर भी मधुर और कर्णप्रिय लगते हैं।
भाषा-शैली – कैफ़ी आज़मी मूलत: उर्दू के शायर हैं। अत: इनकी भाषा में उर्दू और फ़ारसी के शब्दों का होना स्वाभाविक है। इसके साथ।
इसमें खड़ी बोली के शब्दों का भी सुंदर प्रयोग मिलता है। इनकी भाषा में संगीतात्मकता, लयात्मकता तथा रोचकता विद्यमान है। भाषा। की मार्मिकता के कारण इनकी रचनाएँ सीधे हृदय को स्पर्श करने वाली हैं। इनकी भाषा की चित्रात्मकता, प्रभावोत्पादकता तथा भावानुकूलता द्रष्टव्य है। इनका एक-एक शब्द भावों को पूर्ण रूप से व्यक्त करने में सक्षम है। कैफ़ी आज़मी की शैली रोमांटिक, उद्बोधनात्मक तथा व्यंग्यपूर्ण है।
गीत का सार :
कर चले हम फ़िदा’ कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखित एक देशभक्तिपूर्ण गीत है। इस गीत में उन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देने वाले सैनिकों के हृदय की आवाज़ को सुंदर अभिव्यक्ति दी है। इस गीत में सैनिकों ने देशवासियों को भी देश पर मर-मिटने की प्रेरणा दी है। सन 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखे इस गीत में सैनिक कहते हैं कि वे तो देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देकर इस संसार से जा रहे हैं। अब देश की रक्षा का दायित्व देशवासियों का है। सैनिक बताते हैं कि दुश्मन से लड़ते-लड़ते जब उनकी मृत्यु समीप थी, तो भी उन्होंने दुश्मनों को खदेड़ना जारी रखा।
उन्होंने देश की शान को बचाए रखने के लिए अपना बलिदान दे दिया। नवयुवकों का आह्वान करते हुए सैनिक कहते हैं कि देश पर अपने प्राणों को न्योछावर करने का अवसर कभी-कभी ही आता है। अत: नवयुवकों को अपनी जवानी को देश की रक्षा में लगा देना चाहिए। सैनिकों की इच्छा है कि उनके शहीद होने के बाद भी देश पर बलिदान होने का सिलसिला निरंतर चलते रहना चाहिए। देश पर कुर्बान होने की खुशी जीत से भी बढ़कर है। अतः देशवासियों को मौत की परवाह न करते हुए देश की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
सैनिक देशवासियों को उद्बोधित करते हुए कहते हैं कि दुश्मनरूपी रावण को रोकने के लिए उन्हें अपने खून से लक्ष्मण-रेखा खींचनी होगी। सीता के समान पवित्र भारत-भूमि की तरफ बढ़ने वाले प्रत्येक हाथ को तोड़ डालना होगा। उन्होंने अपने आपको देश पर बलिदान कर दिया है, अब ऐसी ही अपेक्षा उन्हें अपने देशवासियों से भी है। अतः वे देश की रक्षा का भार देशवासियों पर छोड़कर इस संसार से जा रहे हैं।
सप्रसंग व्याख्या –
1. कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साधियो
साँस थमती गई, नब्त्र जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
शब्दार्थ : फ़िदा – न्योछावर। जानो-तन – प्राण और शरीर। हवाले – सुपुर्द। वतन – देश। थमना – रुकना। नब्ज – नाड़ी। गम – दुख।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध गीतकार कैफ़ी आज़मी के गीत ‘कर चले हम फ़िदा’ से ली गई हैं। यह एक देशभक्तिपूर्ण गीत है। इसमें उन्होंने देश पर प्राणों को न्योछावर करने वाले सैनिकों के माध्यम से देशवासियों को देश पर मिटने के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या : सैनिक कहते हैं कि वे अपने शरीर और प्राणों को देश पर न्योछावर करके मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। अब देश की रक्षा का भार देशवासियों के कंधों पर है। दुश्मन ने आक्रमण किया, तो उन्होंने मरते दम तक उनका मुकाबला किया है। जब उनकी साँसें रुकती जा रही थी और नाड़ी का चलना बंद होता जा रहा था, तब भी उन्होंने दुश्मनों को पीछे धकेलने का कार्य जारी रखा।
सैनिक गर्व से कहते हैं कि देश की रक्षा करते हए प्राणों को न्योछावर करने का उन्हें कोई दुख नहीं है। उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्होंने देश के मान-सम्मान के प्रतीक हिमालय को झुकने नहीं दिया। सैनिक पुनः कहते हैं कि उन्होंने अपने अंतिम समय में भी दुश्मनों का वीरता से मुकाबला किया। अब वे देश की रक्षा का भार अपने देशवासियों पर छोड़कर इस संसार से जा रहे हैं।
2. जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इशक दोनों को रुख्वा करे
वो जबानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।
शब्दार्थ : जिंदा – जीवित। मगर – लेकिन। जान – प्राण। रुत – मौसम। रोज़ – प्रतिदिन । हुस्न – सुंदरता। इश्क – प्रेम। रुस्वा – बदनाम। खू – खून।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखित गीत ‘कर चले हम फ़िदा’ से ली गई हैं। इस गीत में उन्होंने सैनिकों के बलिदान के माध्यम से देशवासियों को अपने देश पर मर-मिटने के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या : सैनिक कहते हैं कि जीवन में आनंद लेने का समय तो बार-बार आता है, किंतु अपने देश पर प्राणों को न्योछावर करने का समय कभी-कभी ही आता है। जब भी देश पर आक्रमण हो, तो नवयुवकों को प्रेम और सुंदरता त्यागकर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर देना चाहिए। इसी में भी उसके यौवन की सार्थकता है। सैनिक पुनः नवयुवकों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि आज धरती दुलहन के समान सजी हुई है। जिस प्रकार स्वयंवर में दुलहन को प्राप्त करने के लिए राजा अपनी जान की बाजी लगा देते हैं, उसी प्रकार आज नवयुवकों को अपनी धरतीरूपी दुलहन के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने की ज़रूरत है। अब वे देश की रक्षा का दायित्व देशवासियों पर छोड़कर इस संसार से जा रहे हैं।
3. राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्तरे हवाले वतन साथियो।
शब्दार्थ कुर्बानियाँ – बलिदान। वीरान – सुनसान। काफ़िला – यात्रियों का समूह। जश्न – खुशी मनाना। सर से कफ़न बाँधना – मृत्यु की परवाह न करना।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित गीत ‘कर चले हम फ़िदा’ से ली गई हैं। इस गीत में उन्होंने सैनिकों के बलिदान
के माध्यम से देशवासियों को देश पर मर-मिटने के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या : सैनिक देशवासियों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि वे देश पर अपने प्राणों का बलिदान करके जा रहे हैं, लेकिन उनके बाद भी यह सिलसिला चलता रहना चाहिए। जब-जब इस देश पर दुश्मनों का आक्रमण हो, तब-तब देशवासियों को बलिदान देने का क्रम बढ़ाना चाहिए। युद्ध में जीत की खुशी मिलना बाद की बात है, उससे पहले अपने आपको हँसते-हँसते देश पर बलिदान करने की खुशी होती है। उस समय जिंदगी मौत से गले मिलती प्रतीत होती है। सैनिक पुनः देशवासियों से कहते हैं कि उन्हें अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। वे अब इस देश को उनके सुपुर्द करके इस संसार से जा रहे हैं।
4. खींच दो अपने खं से जमीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।
शब्दार्थ : खू – खून। जमीं – ज़मीन, धरती। लकीर – रेखा। तरफ़ – ओर। अगर – यदि। दामन – आँचल।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित गीत ‘कर चले हम फ़िदा’ से ली गई हैं । इस गीत में उन्होंने सैनिकों के बलिदान के माध्यम से देशवासियों को देश पर मर-मिटने के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या : सैनिक देशवासियों से कहते हैं कि अब उन्हें ही देश की रक्षा करनी है। यदि कोई दुश्मनरूपी रावण हमारे देश की ओर आगे बढ़े, तो तुम्हें उसे रोकने के लिए अपने खून से लक्ष्मण-रेखा खींचनी होगी। अपने देश की ओर बढ़ने वाले प्रत्येक हाथ को तोड़ देना होगा। हमारी भारत भूमि सीता के दामन के समान पवित्र है। यदि कोई दुश्मन उसे अपवित्र करने का प्रयास करे, तो तुम्हें उस दुश्मन को नष्ट करना होगा। सैनिक देशवासियों से कहते हैं कि इस देश के राम और लक्ष्मण तुम ही हो। तुम्हें ही अब इस देश की रक्षा करनी है, क्योंकि अब वे इस देश की रक्षा का सारा दायित्व उन्हें सौंपकर इस संसार से जा रहे हैं।