JAC Board Class 10th Social Science Notes Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार
→ बाजार व उपभोक्ता
- बाजार में हमारी भागीदारी उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों रूपों में होती है।
- उपभोक्ता के रूप में हम बाजार से वस्तुओं और सेवाओं का क्रय करते हैं।
- बाजार में उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु नियमों व विनियमों की आवश्यकता होती है।
→ उपभोक्ता आन्दोलन
- विश्व में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण हुई।
- भारत में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म अनैतिक व अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
- हमारे देश में 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म हुआ।
- 24 दिसम्बर, 1986 को भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 का निर्माण किया गया। यह अधिनियम ‘COPRA’ के नाम से प्रसिद्ध है।
- उपभोक्ताओं को वस्तुओं के बाजारीकरण तथा सेवाओं की प्राप्ति के विरुद्ध सुरक्षित रहने का अधिकार होता है क्योंकि ये जीवन एवं सम्पत्ति के लिए खतरनाक होते हैं।
→ सूचना का अधिकार अधिनियम
- उपभोक्ता जिन वस्तुओं व सेवाओं को बाजार से खरीदता है उनके बारे में उसे सूचना पाने का अधिकार है।
- अक्टूबर, 2005 में भारत सरकार ने देश में सूचना पाने के अधिकार को लागू किया जिसे RTI एक्ट कहा जाता है।
- उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी एवं शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है।
- भारत में उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु उपभोक्ता अदालतों का गठन किया गया है।
- उपभोक्ता अदालतें उपभोक्ताओं का मार्गदर्शन करती हैं।
- उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के तहत उपभोक्ता विवादों के निवारण हेतु जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र की स्थापना की गयी है।
- भारत में प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
- भारत में उपभोक्ता ज्ञान का धीरे-धीरे प्रसार हो रहा है। उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी से ही उपभोक्ता प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर सकता है।
→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. उपभोक्ता: किसी वस्तु या सेवा का बाजार से क्रय कर उपभोग करने वाले व्यक्ति को उपभोक्ता कहते हैं।
2. उपभोक्ता शोषण: उपभोक्ता शोषण का अर्थ उन क्रियाओं अथवा व्यवहारों से होता है जिनके माध्यम से उत्पादक या विक्रेता किसी उपभोक्ता से वस्तु या सेवा की अधिक कीमत लेता है अथवा घटिया स्तर की वस्तु देता है।
3. उपभोक्ता इंटरनेशनल: एक गैर सरकारी संस्था जो सम्पूर्ण विश्व में उपभोक्ता समूहों की एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करता है।
4. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986: भारत सरकार द्वारा सन् 1986 में उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा हेतु – निर्मित एक कानून।
5. भारतीय मानक ब्यूरो: मानक वस्तुओं के लिए आई.एस.आई. (ISI) चिह्न जारी करने वाली संस्था।
6. हॉलमार्क: जब उपभोक्ता स्वर्ण आभूषण खरीदता है तो उस पर लगा हॉलमार्क प्रमाणन चिह्न उन्हें अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमार्क प्रमाणन प्रदान करता है।
7. आर.टी.आई. राइट टू इनफॉर्मेशन (सूचना पाने का अधिकार)।
8. उपभोक्ता अदालतें: ये वे अदालतें हैं जिनकी स्थापना उपभोक्ता सुरक्षा कानून, 1986 के तहत राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर की गयी है ताकि उपभोक्ताओं को बेईमान उत्पादकों अथवा विक्रेताओं द्वारा की जाने वाली ठगी से बचाया जा सके और उनकी शिकायतों को सरल, तीव्र एवं कम खर्च में दूर किया जा सके।