JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. भूपृष्ठ में कितनी भूगर्भिक प्लेटें हैं?
(A) 5
(B) 6
(C) 7
(D) 8
उत्तर:
(C) 7

2. भारत का प्राचीन स्थल खण्ड कौन-सा है?
(A) उत्तरी मैदान
(B) प्रायद्वीपीय पठार
(C) हिमालय
(D) अरावली।
उत्तर:
(B) प्रायद्वीपीय पठार।

3. भारत में स्थित हिमालय पर्वत का सर्वोच्च शिखर है
(A) माऊंट एवरेस्ट
(B) कंचनजंगा
(C) K2
(D) धौलागिरि।
उत्तर:
(B) कंचनजंगा।

4. प्राचीन जलोढ़ निक्षेप को कहते हैं
(A) खादर
(B) बांगर
(C) भाबर
(D) तराई।
उत्तर:
(B) बांगर।

5. दक्षिणी भारत का सर्वोच्च शिखर है-
(A) दोदा वेटा
(B) अनाई मुदी
(C) महेन्द्रगिरि
(D) कालसूबाई।
उत्तर:
(B) अनाई मुदी।

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6. पश्चिमी तटीय मैदान के दक्षिण भाग को कहते हैं
(A) कोंकण तट
(B) कोरोमण्डल तट
(C) कनारा तट
(D) मालाबार तट।
उत्तर:
(D) मालाबार तट।

7. पितली पक्षी – आश्रय स्थल कहां है?
(A) अण्डमान द्वीप
(B) निकोबार द्वीप
(C) लक्षद्वीप
(D) मालदीव
उत्तर:
(C) लक्षद्वीप।

8. किस सीमा के साथ प्लेटें मिलती हैं?
(A) अपकारी
(B) अभिसारी
(C) परिवर्तित
(D) भूगर्भिक।
उत्तर:
(B) अभिसारी।

(D) मालाबार तट।
(B) अभिसारी
9. हिमालय पर्वत के स्थान पर कौन सा प्राचीन सागर था?
(A) टैथीज़
(B) दक्षिणी
(C) अरब
(D) हिन्द महासागर।
उत्तरl
(A) टैथीज़।

10. दरार घाटी कौन-सी है?
(A) गंगा
(B) नर्मदा
(C) चम्बल
(D) दामोदर
उत्तर:
(B) नर्मदा

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11. करेवां भू-आकृति कहाँ पाई जाती है?
(A) उत्तर-पूर्व हिमालय में
(B) हिमाचल उत्तराखण्ड, हिमालय में
(C) पूर्वी हिमालय में
(D) कश्मीर हिमालय में।
उत्तर:
(D) कश्मीर हिमालय में।

12. निम्न पर्वतमालाओं में से सबसे पहले किसका निर्माण हुआ है?

(A) विंध्याचल
(B) नर्मदा
(C) सतपुड़ा
(D) नीलगिरि
उत्तर:
(D) नीलगिरि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वृहद् स्तर पर भारत के धरातल को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 2.
भारत का सबसे प्राचीन पठार कौन-सा है?
उत्तर:
दक्कन पठार।

प्रश्न 3.
दक्कन पठार की पूर्वी सीमाओं के नाम बताएं।
उत्तर:
राजमहल पहाड़ियां।

प्रश्न 4.
भारत का प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
पूर्व कैम्ब्रेरियन युग में।

प्रश्न 5.
अरावली पर्वत किस युग में ऊपर उठे?
उत्तर:
विन्धयन युग।

प्रश्न 6.
दक्कन पठार में निर्मित लावा की सतहें कैसे बनीं?
उत्तर:
लावा बहने के कारण।

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प्रश्न 7.
भारत में पाये जाने वाली दो रिफ्ट घाटियों के नाम लिखो।
उत्तर:
नर्मदा तथा ताप्ती घाटियां।

प्रश्न 8.
अरब सागर कब अस्तित्व में आया?
उत्तर:
प्लायोसीन युग में।

प्रश्न 9.
उस सागर का नाम बतायें जो हिमालय के किनारे पर स्थित था।
उत्तर:
टैथीज़ सागर।

प्रश्न 10.
हिमालय किस युग में ऊपर उठे?
उत्तर:
टरशरी युग में।

प्रश्न 11.
हिमालय के उत्तर में कौन-सा भू-खण्ड स्थित है?
उत्तर:
अंगारालैण्ड।

प्रश्न 12.
टरशरी युग में हिमालय के दक्षिण में स्थित भू-खण्ड का नाम बताएं।
उत्तर:
गोंडवानालैण्ड।

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प्रश्न 13.
कश्मीर घाटी में पाई जाने वाली झील निक्षेप का नाम लिखो।
उत्तर:
करेवा।

प्रश्न 14.
दक्कन पठार की पश्चिमी सीमा का नाम बताएं।
उत्तर:
अरावली।

प्रश्न 15.
सिन्धु गार्ज तथा ब्रह्मपुत्र गार्ज के मध्य हिमालय का क्या विस्तार है?
उत्तर:
2400 किलोमीटर।

प्रश्न 16.
हिमालय में सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की कुल उंचाई बताएं।
उत्तर:
8848 मीटर।

प्रश्न 17.
भारत के उत्तरी मैदान का पूर्व-पश्चिम विस्तार बताएं।
उत्तर:
3200 किलोमीटर।

प्रश्न 18.
गंगा मैदान में तलछट की अधिकतम ऊंचाई कितनी है?
उत्तर:
2000 मीटर।

प्रश्न 19.
हिमालय के निचले भागों में पाई जाने वाली निक्षेप बताओ।
उत्तर:
जलोढ़ पंक

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प्रश्न 20.
चो के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र का नाम बताएं।
उत्तर:
होशियारपुर (पंजाब)।

प्रश्न 21.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार की औसत ऊंचाई बताएं।
उत्तर:
600-900 मीटर।

प्रश्न 22.
उस क्षेत्र का नाम बताएं जहां बरखान पाये जाते हैं।
उत्तर:
जैसलमेर

प्रश्न 23.
प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर-पूर्व में पाये जाने वाले पठार का नाम बताएं।
उत्तर:
शिलांग पठार तथा कार्वी एंगलोंग पठार।

प्रश्न 24.
दक्कन पठार के ढलान की दिशा बताओ।
उत्तर:
दक्षिण पूर्व।

प्रश्न 25.
भारत के उस क्षेत्र का नाम बताएं जहां ग्रेनाइट तथा नीस चट्टानें पाई जाती हैं।
उत्तर:
कर्नाटक

प्रश्न 26.
पश्चिमी घाट पर सबसे अधिक ऊंचाई कितनी है?
उत्तर:
1600 मीटर।

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प्रश्न 27.
पूर्वी घाट पर सबसे अधिक ऊंचाई कितनी है?
उत्तर:
900 मीटर।

प्रश्न 28.
अरब सागर में पाये जाने वाले मूंगे के द्वीपों के समूह का नाम बताएं।
उत्तर:
लक्षद्वीप समूह।

प्रश्न 29.
प्रायद्वीपीय भारत में सबसे ऊँची चोटी का नाम बताएं।
उत्तर:
अनाईमुदी (2695 मीटर)।

प्रश्न 30.
पश्चिमी तटीय मैदान के दो विभागों के नाम लिखो।
उत्तर:
कोंकण तट, मालाबार तट।

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प्रश्न 31.
यदि आपने लक्षद्वीप तक यात्रा करनी है तो किस तटीय मैदान से गुजरेंगे?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान।

प्रश्न 32.
भारत में शीत मरुस्थल कहां है?
उत्तर:
लद्दाख में।

प्रश्न 33.
पश्चिमी तट पर डैल्टे क्यों नहीं हैं?
उत्तर:
तीव्र गति वाली छोटी नदियां तलछट का जमाव नहीं करतीं।

प्रश्न 34.
इण्डियन प्लेट की स्थिति बताओ।
उत्तर:
भूमध्य रेखा के दक्षिण में।

प्रश्न 35.
कौन-सी भ्रंश रेखा मेघालय पठार को छोटा नागपुर पठार से अलग करती है?
उत्तर:
मालदा भ्रंश रेखा।

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प्रश्न 36.
प्रायद्वीप की अवशिष्ट पहाड़ियां बताओ।
उत्तर:
अरावली, नल्लामाला, जांबादी, वेलीकोण्डा, पालकोण्डा, महेन्द्रगिरी ।

प्रश्न 37.
हिमालय की केन्द्रीय अक्षीय श्रेणी बताओ।
उत्तर:
बृहत् हिमालय।

प्रश्न 38.
उत्तर:
पश्चिमी हिमालय के दर्रे बताओ।
उत्तर:
बृहत् हिमालय में जोजीला, जास्कर में कोटला, पीर पंजाल में बनिहावा, लद्दाख श्रेणी में खुर्द भंगा।

प्रश्न 39.
उत्तर-पश्चिमी हिमालय में 3 तीर्थ स्थान बताओ।
उत्तर:
वैष्णो देवी, अमरनाथ गुफ़ा, चरार-ए-शरीफ़।

प्रश्न 40.
लघु हिमालय को हिमाचल में क्या कहते हैं?
उत्तर:
नागतीमा।

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प्रश्न 41.
फूलों की घाटी कहां स्थित है?
उत्तर:
बृहत् हिमालय में।

प्रश्न 42.
मालाबार तट पर कयाल का क्या प्रयोग है?
उत्तर:
मछली पकड़ना तथा नौकायन।

प्रश्न 43.
दिसम्बर, 2004 में पूर्वी तट पर कौन-सी आपदा का प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
सुनामी

प्रश्न 44.
उत्तरी मैदान की रचना कैसे हुई है?
उत्तर:
गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा जलोढ़ निक्षेप से।

प्रश्न 45.
प्रायद्वीपीय पठार पर धरातलीय विविधता क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
भू-उत्थान, निभज्जन व भ्रंश क्रिया के कारण।

प्रश्न 46.
गारो व खासी पहाड़ियाँ किस पर्वत श्रेणी का भाग हैं?
उत्तर:
हिमालय का। स्मरणीय तथ्य (Points to Remember):

भारत के धरातलीय भाग:

  1. उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
  2. सतलुज-गंगा का मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. द्वीप समूह
  6. मरुस्थल

हिमालय पर्वत की श्रेणियां तथा प्रादेशिक विभाग:

  1. ट्रांस हिमालय
  2. महान् हिमालय
  3. लघु हिमालय
  4. शिवालिक

(क) असम हिमालय
(ग) कुमायुँ हिमालय
(ख) नेपाल हिमालय
(घ) पंजाब हिमालय

हिमालय पर्वत के प्रमुख शिखर:

  1. माऊंट एवरेस्ट – 8848 मीटर
  2. गाडविन ऑस्टिन – 8611 मीटर
  3. कंचनजंगा – 8588 मीटर
  4. मकालू – 8481 मीटर
  5. धौलागिरी – 8172 मीटर
  6. नांगा पर्वत – 8126 मीटर
  7. अन्नपूर्णा – 8078 मीटर

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भांगर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्राचीन जलोढ़ मिट्टी के बने ऊंचे मैदानी प्रदेशों को भांगर कहते हैं। इन उच्च प्रदेशों में नदियों की बाढ़ का जल पहुंच नहीं पाता। इस प्रदेश की मिट्टी में चीका मिट्टी, रेत तथा कंकड़ पाए जाते हैं। भारत के उत्तरी मैदान में नदियों द्वारा जलोढ़ मिट्टी के निक्षेप से भांगर प्रदेश की रचना हुई है।

प्रश्न 2.
भारत में भ्रंशन क्रिया (Faulting) के प्रमाण किन क्षेत्रों में मिलते हैं?
उत्तर:
भू-पृष्ठीय भ्रंशन के प्रमाण सामान्य रूप से दक्षिणी पठार पर पाए जाते हैं। गोदावरी, महानदी तथा दामोदर घाटियों में भ्रंशन के प्रमाण पाए जाते हैं। नर्मदा तथा ताप्ती नदी घाटी दरार घाटियां हैं। भारत के पश्चिमी तट पर मालाबार तट तथा मेकरान तट पर धरातल पर भ्रंशन क्रिया के प्रभाव देखे जा सकते हैं।

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प्रश्न 3.
दून किसे कहते हैं? हिमालय पर्वत से तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत की समानान्तर श्रेणियों के मध्य सपाट तलछटी वाली संरचनात्मक घाटियां मिलती हैं। इन घाटियों द्वारा पर्वत श्रेणियां एक-दूसरे से अलग होती हैं। इन घाटियों को ‘दून’ (Doon) कहा जाता है। हिमालय पर्वत में इन उदाहरण अग्रलिखित हैं

  1. देहरादून (Dehra Dun)
  2. कोथरीदून (Kothri Dun)
  3. पटलीदून (Patli Dun)

कश्मीर घाटी को भी हिमालय पर्वत में एक दून की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 4.
डेल्टा किसे कहते हैं? भारत से चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। डेल्टा नदी के अन्तिम भाग में अपने भार के निक्षेप से बनने वाला भू-आकार है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश होता है। भारत में चार प्रसिद्ध डेल्टा इस प्रकार हैं;

  1. गंगा नदी का डेल्टा
  2. महानदी का डेल्टा
  3. कृष्णा नदी का डेल्टा
  4. कावेरी नदी का डेल्टा।

प्रश्न 5.
तराई से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हिमालय पर्वत के दामन में भाबर के मैदान के साथ-साथ तराई का संकरा मैदान स्थित है। यह मैदान लगभग 30 कि०मी० चौड़ा है। इस मैदान का अधिकतर भाग दलदली है क्योंकि भाबर प्रदेशों में लुप्त हुई नदियों का जल रिस-रिस कर इस प्रदेश को अत्यधिक आर्द्र कर देता है। इस प्रदेश में ऊंची घास तथा वन पाए जाते हैं। भाबर के दक्षिण में स्थित ये मैदान बारीक कंकड़, रेत, चिकनी मिट्टी से बना है। उत्तर प्रदेश में इस क्षेत्र में बड़े-बड़े फार्म बना कर कृषि की जा रही है।

प्रश्न 6.
भाबर क्या है? भाबर पट्टी के दो प्रमुख लक्षण बताओ।
उत्तर:
बाह्य हिमालय की शिवालिक श्रेणियों के दक्षिण में इनके गिरिपद प्रदेश को भाबर का मैदान कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्र से बहने वाली नदियों के मन्द बहाव के कारण यहां बजरी, कंकड़ का जमाव हो जाता है। इस क्षेत्र में पहुंच कर अनेक नदियां लुप्त हो जाती हैं। क्योंकि यह प्रदेश पारगम्य चट्टानों (Pervious Rocks) का बना हुआ है। भाबर का मैदान एक संकरी पट्टी के रूप में 8 से 16 कि०मी० की चौड़ाई तक पाया जाता है। भाबर पट्टी के प्रमुख लक्षण:

  1. यह प्रदेश पारगम्य चट्टानों का बना हुआ है जिस में छोटी-छोटी नदियों का जल भूमिगत हो जाता है।
  2. इसमें बजरी और पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों के निक्षेप जमा होते हैं।
  3. यह प्रदेश हिमालय पर्वत तथा उत्तरी मैदान के संगम पर स्थित है।

प्रश्न 7.
दोआब से आप क्या समझते हैं? भारतीय उपमहाद्वीप से पांच उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
दो नदियों के मध्य के मैदानी भाग को दोआब कहते हैं। नदियों द्वारा निक्षेप से पुरानी कांप मिट्टी के प्रदेश इन नदियों को एक-दूसरे से अलग करते हैं। भारतीय उप महाद्वीप में निम्नलिखित दोआब मिलते हैं

  1. गंगा-यमुना नदियों के मध्य दोआब।
  2. ब्यास – सतलुज नदियों के मध्य बिस्त जालन्धर दोआब।
  3. ब्यास- रावी के मध्य बारी दोआब।
  4. रावी – चनाब के मध्य रचना दोआब।
  5.  चनाब – झेलम के मध्य छाज दोआब।

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प्रश्न 8.
बृहत् स्तर पर भारत को कितनी भू-आकृतिक इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के तीन भू-आकृतिक विभागों के उच्चावच के लक्षणों का विकास एक लम्बे काल में हुआ है।

  1. उत्तर में हिमालय पर्वतीय श्रृंखला
  2. उत्तरी भारत का मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 9.
भारतीय पठार के प्रमुख भौतिक विभागों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार की भौतिक स्थलाकृतियों में बहुत विविधता है। फिर भी इसे मोटे तौर पर अग्रलिखित भौतिक इकाइयों में बांटा जा सकता है।

  1. दक्षिणी पठारी खंड
  2. दक्कन का लावा पठार
  3. मालवा का पठार
  4. अरावली पहाड़ियां
  5. नर्मदा तथा तापी की द्रोणियां
  6. महानदी, गोदावरी तथा कावेरी की नदी घाटियां
  7. संकरे तटीय मैदान।

प्रश्न 10.
हिमालय पर्वत को किन-किन श्रेणियों में बांटा जाता है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत में कई श्रेणियां एक-दूसरे के समानान्तर पाई जाती हैं। ये श्रेणियां एक-दूसरे से ‘दून’ नामक घाटियों द्वारा अलग-अलग हैं। भौगोलिक दृष्टि से हिमालय पर्वत के केन्द्रीय अक्ष के समानान्तर तीन पर्वत श्रेणियां हैं

  1. बृहत् हिमालय (Greater Himalayas)
  2. लघु हिमालय (Lesser Himalayas)
  3. उप-हिमालय (Sub – Himalayas) या शिवालिक श्रेणी ( Shiwaliks)

उक्त पर्वत श्रेणियों को तीन अन्य नामों से भी पुकारा जाता है

  1. आन्तरिक हिमालय ( Inner Himalayas)
  2. मध्य हिमालय (Middle Himalayas)
  3. बाह्य हिमालय ( Outer Himalayas)।

प्रश्न 11.
हिमालय पर्वत में मिलने वाले ऊंचे पर्वत शिखर तथा उनकी ऊंचाई बताओ।
उत्तर:
बृहत् हिमालय में संसार के 40 ऐसे पर्वत शिखर मिलते हैं जिनकी ऊंचाई 7000 मीटर से भी अधिक है। जैसे-

  1. एवरेस्ट (Everest ) – 8848 मीटर
  2. कंचनजंगा (Kanchenjunga ) –  8598 मीटर
  3. नांगा पर्वत (Nanga Parbat ) – 8126 मीटर
  4. नंदा देवी (Nanda Devi ) – 7817 मीटर
  5. नामचा बरवा (Namcha Barwa ) – 7756 मीटर
  6. धौलागिरी ( Dhaulagiri ) – 8172 मीटर।

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प्रश्न 12.
” पश्चिमी हिमालय में पर्वत श्रेणियों की एक क्रमिक श्रृंखला पाई जाती है।” व्याख्या करो।
उत्तर: हिमालय पर्वत में कई पर्वत श्रेणियां एक-दूसरे के समानान्तर पाई जाती हैं। ये श्रेणियां एक-दूसरे से “दून” या घाटियों द्वारा अलग-अलग हैं। पश्चिमी हिमालय में ये श्रेणियां स्पष्ट क्रम से दिखाई देती हैं। पंजाब के मैदानों के पश्चात् पहली श्रेणी शिवालिक की पहाड़ियों के रूप में या बाह्य हिमालय के रूप में मिलती है। इसके पश्चात् सिन्धु नदी की सहायक नदियों की घाटियां हैं। दूसरी वेदी (Stage) के रूप में पीर पंजाल तथा धौलाधार की लघु हिमालयी श्रेणियां मिलती हैं। पीर पंजाल तथा महान् हिमालय के मध्य कश्मीर घाटी है। तीसरी वेदी के रूप में महान् हिमालय की जास्कर श्रेणी पाई जाती है। इस से आगे लद्दाख तथा कराकोरम की पर्वत श्रेणियां हैं जिसके मध्य सिन्धु घाटी मिलती है ।

प्रश्न 13.
हिमालय पर्वत श्रेणियों में पाये जाने वाले प्रमुख दर्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. खैबर दर्रा – यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच में है।
  2. वोलन दर्रा – यह पाकिस्तान में है। प्राचीन समय में यह व्यापारिक मार्ग रहा है
  3. जोजिला – यह कशमीर से लेह को जोड़ता है।
  4.  शिपक़िला – हिमाचल प्रदेश के किन्नौर से तिब्बत को जोड़ता है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय पठार तथा हिमालय पर्वत के उच्चावच के लक्षणों में वैषम्य बताइए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत तथा भारती पठार की भू-आकृतियों की इकाइयों के भौतिक लक्षणों में काफ़ी अन्तर पाए जाते

हिमालय पर्वत भारतीय पठार
(1) हिमालय पर्वत एक युवा, नवीन मोड़दार पर्वत है। (1) भारतीय पठार कठोर चट्टानों का बना प्राचीन भूखण्ड है।
(2) इन पर्वतों का निर्माण विभिन्न हलचलों द्वारा वलन क्रिया से हुआ है। (2) इस पठार का निर्माण एक उत्खण्ड (Horst) के रूप में हुआ है।
(3) हिमालय पर्वत का धरातल युवा लक्षण प्रकट करता है। (3) इस पठार का धरातल जीर्ण तथा घर्षित है।
(4) हिमालय पर्वत पर ऊंची तथा समानान्तर पर्वत श्रेणियां पाई जाती हैं। (4) इस पठार पर दरारों के कारण दरार घाटियां मिलती हैं।
(5) इन पर्वतों पर गहरे गार्ज पाए जाते हैं तथा यू-आकार श्रेणियां पाई जाती हैं। (5) इस पठार पर गहरी नदी घाटियां पाई जाती हैं।
(6) ये पर्वत एक चाप के रूप में फैले हुए हैं। (6) इस पठार का आकार तिकोना है।
(7) इन पर्वतों में संसार के ऊंचे शिखर पाए जाते हैं। (7) इस पठार पर अपरदित पहाड़ियां पाई जाती हैं।
(8) ये तलछटी चट्टानों से बने हुए हैं। (8) ये आग्नेय चट्टानों से बने हैं।
(9) इनकी रचना आज से 2760 लाख वर्ष पूर्व Mesozoic Period में हुई है। (9) इसकी रचना आज से 16000 लाख वर्ष पूर्व PreCambrian Period में हुई है।

प्रश्न 2.
तराई तथा भाबर प्रदेश में अन्तर स्पष्ट करो। Cambrian Period में हुई है।
उत्तर:

तराई (Terai) भाबर (Bhabar)
(1) भाबर प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण में तराई क्षेत्र स्थित है। (1) शिवालिक पहाड़ियों के तटीय क्षेत्र में भाबर प्रदेश स्थित है।
(2) यह एक नम, दल-दली तथा जंगलों से ढका प्रदेश है जहां कंकड़ जमा होते हैं। (2) यह प्रवेशीय चट्टानों से बना क्षेत्र है जहां भारी पत्थर तथा कंकड़ जमा होते हैं।
(3) इसकी चौड़ाई 20 से 30 कि० मी० है। (3) इसकी चौड़ाई 8 से 16 कि० मी० है।
(4) भाबर प्रदेश से रिस-रिस कर आने वाला जल यहां नदियों का रूप धारण कर लेता है। (4) प्रवेशीय चट्टानों के कारण यहां नदियां विलीन हो जाती हैं।
(5) यह प्रदेश कृषि के उपयुक्त है। (5) यह प्रदेश कृषि के उपयुक्त नहीं है।

प्रश्न 3.
बांगर तथा खादर प्रदेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:

बांगर (Bangar) खादर (Khaddar)
(1) पुराने जलोढ़ निक्षेप से बने ऊंचे प्रदेश को बांगर कहते हैं। (1) बाढ़ की नवीन मिट्टी से बने निचले प्रदेश को खादर कहते हैं।
(2) ये प्रदेश बाढ़ के मैदान के तल से ऊंचे होते हैं। (2) यहां नदियां बाढ़ के कारण प्रति वर्ष जलोढ़ की नई परत बिछा देती हैं।
(3) ये प्रदेश चूनायुक्त कंकड़ों से बने होते हैं। (3) ये उपजाऊ चीका मिट्टी से बने प्रदेश होते हैं।
(4) ये बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। (4) ये वास्तव में नदियों के बाढ़ के मैदान हैं।
(5) कई प्रदेशों में इन्हें ‘धाया’ कहा जाता है। (5) कई प्रदेशों में इन्हें ‘बेट’ कहा जाता है।

प्रश्न 4.
पूर्वी और पश्चिमी तटीय मैदानों के बीच पाए जाने वाले तीन प्रमुख स्थलाकृतिक अन्तर बताइए।
उत्तर:

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
(1) यह मैदान 50 से 80 किलोमीटर चौड़ा है। यह एक संकरा मैदान है। (1) यह मैदान 80 से 100 किलोमीटर तक चौड़ा है। यह एक अधिक चौड़ा मैदान है।
(2) पश्चिमी तट पर कई लैगून झीलें पाई जाती हैं विशेषकर केरल तट पर। (2) पूर्वी तट पर लैगून कम संख्या में पाए जाते हैं।
(3) इस मैदान पर छोटी और तीव्र नदियों के कारण डेल्टे नहीं बनते। (3) इस मैदान में लम्बी और धीमी नदियों के कारण विशाल डेल्टे बनते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
” उप-महाद्वीप के वर्तमान भू-आकृतिक विभाग एक लम्बे भूगर्भिक इतिहास के दौरे में विकसित हुए हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए। भारत के भू-आकृतिक खण्ड की व्याख्या कीजिए।
अथवा
उत्तर: भारतीय उपमहाद्वीप की तीनों भू-आकृतिक इकाइयां इतिहास के लम्बे उतार-चढ़ाव के दौरे में विकसित हुई हैं। इनके निर्माण के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के भू-वैज्ञानिक प्रमाण दिए जाते हैं। फिर भी अतीत अपना रहस्य छिपाए हुए है। इनकी रचना प्राचीन काल से लेकर कई युगों में क्रमिक रूप में हुई है।

1. प्रायद्वीपीय पठार:
इस पठार की रचना कैम्ब्रियन पूर्व युग में हुई है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि यह एक उत्खण्ड (HORST) है जिसका उत्थान समुद्र से हुआ है। इस पठार के पश्चिमी भाग में अरावली पर्वत का उत्थान दक्षिण में नाला मलाई पर्वतमाला का उत्थान विंध्य – महायुग में हुआ । इस स्थिर भाग में एक लम्बे समय तक भू-गर्भिक हलचलों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा । कुछ भागों में धरातल पर भ्रंश पड़ने के कारण धंसाव के प्रमाण मिलते हैं । हिमालय के निर्माण के पश्चात् पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग के धंसने के कारण अरब सागर का निर्माण प्लिओसीन युग में हुआ। इस पठार को विशाल गोंडवाना महाद्वीप का भाग माना जाता है। इसका कुछ भाग अब भी उत्तरी मैदान के नीचे छिपा हुआ है। हिमालय के उत्थान के समय पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग में विस्तृत रूप से ज्वालामुखी उदगार हुए जिस से दक्कन लावा क्षेत्र (Deccan Trap) का निर्माण हुआ। पठार के पश्चिम भाग में निमज्जन से पश्चिमी घाट ऊपर उभरे। दूसरी ओर पूर्वी तट शान्त क्षेत्र रहे।

2. हिमालय पर्वत:
यह एक युवा तथा नवीन मोड़दार पर्वत है। मध्यजीवी काल तक यह पर्वत एक भू-अभिनति द्वारा घिरा हुआ था इसे ‘टैथीस सागर’ कहते हैं। टरशरी युग में टैथीस सागर में जमा तलछटों में वलन पड़ने से हिमालय पर्वत तथा इसकी श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ। उत्तरी भू-खण्ड अंगारालैण्ड की ओर से दक्षिणी भू-खण्ड गोंडवाना लैण्ड की ओर दबाव पड़ा। दक्षिणी भू-खण्ड के उत्तर अभिमुखी दबाव ने टैथीस सागर में जमा तलछट को ऊँचा उठा दिया जिससे हिमालय पर्वत में वलनों का निर्माण हुआ।

हिमालय पर्वत में पर्वत निर्माण कार्य हलचल की पहली अंवस्था अल्प नूतन युग में, दूसरी अवस्था मध्य नूतन युग में तथा तीसरी अवस्था उत्तर अभिनूतन युग में हुई। आधुनिक प्रमाणों के आधार पर ये पर्वत निर्माणकारी हलचलें (Mountain Building), प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) से सम्बन्धित है। भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसकी तथा यूरेशिया प्लेट को नीचे से धक्का देने से हिमालय पर्वतमाला की उत्पत्ति हुई।

3. उत्तरी मैदान:
भारत का उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत तथा दक्षिण पठार के मध्यवर्ती क्षेत्र में फैला है। यह मैदान एक समुद्री गर्त के भर जाने से बना है। इस गर्त में हिमालय पर्वत तथा दक्षिणी पठार से बहने वाली नदियां भारी मात्रा में मलबे के निक्षेप करती रही हैं। इस गर्त का निर्माण हिमालय पर्वत के उत्थान के समय एक अग्रगामी गर्त (Fore-deep) के रूप में हुआ। इसका निर्माण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर अभिमुखी दबाव के कारण हिमालय पर्वत के समान हुआ। यह सम्पूर्ण क्षेत्र निक्षेप की क्रिया द्वारा लगातार पूरित होता रहा है। यह क्रिया चतुर्थ महाकल्प तक जारी है। इस प्रकार लम्बी अवधि में भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का विकास हुआ हैं।
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प्रश्न 2.
भारत को धरातल के आधार पर विभिन्न भागों में बांटो। हिमालय पर्वत का विस्तारपूर्वक विवरण दो।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है जिसमें धरातल पर अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। भारत की धरातलीय रचना एक विशेष प्रकार की है जिसमें ऊँचे-ऊँचे पर्वत, पठार तथा विशाल मैदान सभी प्रकार के भू-आकार विद्यमान हैं। भारत के कुल क्षेत्र का धरातल के अनुसार विभाजन इस प्रकार है।
पर्वत – 10.7%
पहाड़ियां – 18.6%
पठार – 27.7%
मैदान – 43.0%

प्रायद्वीप को भारत की प्राकृतिक संरचना का केन्द्र (Core of Geology of India) माना जाता है। यह भाग सबसे पुराना है। देश के अन्य भाग बाद में इसके चारों ओर बने हैं। उत्तर में हिमालय पर्वत है जो भारत का सिरताज है। (The Himalayas adorn like a crown of India.) इनके मध्य गंगा का विशाल मैदान है जिसे भारतीय सभ्यता का पलना (Cradle of Indian Civilization) कहा जाता है। भारत को धरातल के आधार पर चार स्पष्ट तथा स्वतन्त्र भागों में बांटा जा सकता है।

  1. उत्तरी पर्वतीय प्रदेश (Northern Mountain Region)
  2. सतलुज- गंगा का मैदान (Sutlej – Ganges Plain)
  3. प्रायद्वीपीय पठार (Peninsular Plateau)
  4. तटीय मैदान (Coastal Plains)

1. उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र (Northern Mountain Region):
विस्तार (Extent ):
भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत पश्चिम-पूर्व दिशा में एक चाप के आकार में फैला हुआ है। यह पर्वत श्रेणी 2400 किलोमीटर लम्बी है तथा 240 से 320 किलोमीटर तक चौड़ी है। ये संसार के सबसे ऊँचे पर्वत हैं जो बर्फ से ढके रहते हैं।

मुख्य विशेषताएं (Main Characteristics):
(i) ये पर्वत युवा नवीन मोड़दार (Young Fold Mountains) पर्वत हैं। अपनी अल्पायु के कारण इन्हें युवा पर्वत कहते हैं।

(ii) आज से लगभग 5 करोड़ साल पहले वहां पर टैथीज़ (Tethys) सागर था इस सागर की पेटी में जमा तलछट में मोड़ पड़ने से हिमालय पर्वत तथा इसकी श्रृंखलाएं बनीं। अब भी कुछ भागों में उठाव (Uplift) की क्रिया के कारण हिमालय पर्वत की ऊंचाई बढ़ रही है। ( “The Himalayas are still rising.”)
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(iii) हिमालय प्रदेश में एक-दूसरे के समानान्तर श्रेणियां मिलती हैं जिनके बीच घाटियां तथा पठार पाए जाते हैं। (“The Himalayas are series of parallel ranges, intersected by deep valleys and broad plateaus.”) हिमालय पर्वतमालाएं क्रमिक श्रृंखलाओं में पाई जाती हैं। उत्तरी मैदान से आगे पहली वेदी शिवालिक के रूप में, दूसरी वेदी पीर पंजाल तथा धौलाधार श्रेणी के रूप में (लघु हिमालय), तीसरी वेदी महान् हिमालय की जास्कर श्रेणी के रूप में तथा इससे आगे लद्दाख, कैलाश तथा कराकोरम (ट्रांस हिमालय श्रेणी) पर्वतमालाएं पाई जाती हैं।

(iv) इन श्रेणियों की तुलना धनुष की डोरी या तलवार से भी की जाती है।

(v) हिमालय पर्वत की औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।

(vi) इसमें बहने वाली नदियां युवावस्था में हैं। तीव्र गति के कारण ‘V’ आकार की तंग तथा गहरी (‘V’ shaped narrow valley) घाटी बनाती है।

(vii) हिमालय पर्वत के पूर्व तथा पश्चिम में दो मोड़ हैं जिन्हें “दीर्घ पर्वतीय मोड़” या Hair pin bend कहा जाता है।

(viii) इन पर्वतों पर हिमानी के कार्य के प्रमाण पाए जाते हैं। जैसे – करेवा, यू-आकार घाटी तथा हिमनदियां मिलती हैं।

क्षेत्रीय विभाजन (Regional Division ): इन दीर्घ मोड़ों के बीच कश्मीर से लेकर असम तक, सिन्धु घाटी था ब्रह्मपुत्र नदियों के बीच फैले हुए हिमालय पर्वत को चार भागों में बांटा जाता है
(क) असम हिमालय: तिस्ता – ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य का भाग (720 कि० मी० लम्बा क्षेत्र)
(ख) नेपाल हिमालय: काली – तिस्ता नदी के मध्य का भाग ( 800 कि० मी० लम्बा क्षेत्र)
(ग) कुमायूं हिमालय: सतलुज- काली नदी के मध्य का भाग (320 कि० मी० लम्बा क्षेत्र)
(घ) पंजाब हिमालय: सिन्धु – सतलुज नदी के मध्य का भाग ( 560 कि० मी० लम्बा क्षेत्र)

भौगोलिक दृष्टि से हिमालय पर्वत की ऊंचाई को देख कर इसे चार भागों में बांटा जा सकता है। ये भाग एक-दूसरे के समानान्तर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैले हुए हैं:

  1. ट्रांस हिमालय (Trans Himalayas)
  2. महान् हिमालय (Great Himalayas) or (Inner Himalayas)
  3. लघु हिमालय (Lesser Himalayas) or (Middle Himalayas)
  4. उप हिमालय (Sub – Himalayas) or (Outer Himalayas)

1. ट्रांस हिमालय (Trans Himalayas):
ये भारत के उत्तर-पश्चिम में ऊंची तथा विशाल पर्वतमालाएं हैं जोकि महान् हिमालय के पीछे स्थित हैं। इनकी ऊंचाई 6000 मीटर से भी अधिक है। कराकोरम (Kara Koram), लद्दाख तथा कैलाश पर्वत मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं। K, Mt. Godwin Austin 8611 मीटर संसार में दूसरी बड़ी ऊंची चोटी है।

2. महान् हिमालय (Great Himalayas ):
पश्चिम में सिन्धु घाटी तथा पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच यह सबसे लम्बी पर्वत श्रेणी है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। यह अत्यन्त दुर्गम क्षेत्र है। सदा बर्फ से ढके रहने के कारण इसे हिमाद्री (Snowy Ranges ) भी कहते हैं। इस पर्वतमाला को भीतरी हिमालय ( Inner Himalayas ) भी कहते हैं। इस भाग में झीलों के भर जाने के कारण 1500 मीटर की ऊंचाई पर दो प्रसिद्ध घाटियां हैं
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(क) काठमांडू घाटी तथा
(ख) कश्मीर घाटी।
इस श्रेणी में हिमालय के ऊंचे शिखर मिलते हैं। माऊंट एवरेस्ट (Mount Everest) (8,848 मीटर) संसार में सबसे ऊंचा शिखर है।

मुख्य शिखर (High Summits): मुख्य पर्वत शिखर इस प्रकार हैं

  1. माउंट एवरेस्ट 8,848 मीटर
  2. कंचनजंगा – 8,598 मीटर
  3. मकालू – 8,481 मीटर
  4. धौलागिरि – 8, 172 मीटर
  5. नांगा पर्वत – 8, 126 मीटर
  6. अन्नपूर्णा – 8,078 मीटर
  7. नन्दा देवी – 7,817 मीटर
  8. नामचा बरवा 7,756 मीटर

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(iii) लघु हिमालय (Lesser – Himalayas):
यह हिमालय की तीसरी श्रेणी है जिसकी औसत ऊंचाई 3700 मीटर से 4580 मीटर तक है। यह पर्वत श्रेणी 75 किलोमीटर की चौड़ाई से महान् हिमालय के दक्षिण में इसके समानान्तर फैली हुई है। इसे ” मध्य हिमालय” (Middle Himalayas) भी कहते हैं। इसमें कई पर्वत श्रेणियां शामिल हैं। जैसे—कश्मीर में पीर पंजाल, हिमाचल में धौलाधार, उत्तर प्रदेश में कुमायूं श्रेणी तथा भूटान में थिम्पू श्रेणी है। देश के कई स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान जैसे – शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि इस पर्वत श्रेणी में स्थित हैं। इन पर्वतीय ढलानों पर छोटे-छोटे घास के मैदान भी मिलते हैं। जैसे – कश्मीर में गुलमर्ग तथा सोनमर्ग।

(iv) उप हिमालय (Sub Himalayas):
यह हिमालय पर्वत की दक्षिण श्रेणी है तथा इसे शिवालिक (Shiwalik) भी कहते हैं। इन्हें हिमालय पर्वत की तलहटी (Foot hills) भी कहते हैं। यह हिमालय पर्वत से नदियों द्वारा लाई हुई मिट्टी, रेत, बजरी के निक्षेप से बनी है। इनकी औसत ऊंचाई 1000 मीटर है तथा चौड़ाई 15 से 50 किलोमीटर तक है।
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शिवालिक तथा लघु हिमालय के बीच समतल लम्बाकार घाटियां मिलती हैं जिन्हें ‘दून’ (Doons) कहते हैं। जैसे- देहरादून, कोथरीदून तथा पटलीदून।

पूर्वी शाखाएं (Eastern Off-shoots ):
दूर पूर्व की ओर हिमालय पर्वतमालाएं दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं। इस भाग में पटकोई (Patkoi ), लोशाई (Lushai) तथा नागा (Naga) पर्वत श्रेणियां हैं जो दक्षिण में अराकान योमा के रूप में बर्मा (म्यनमार) तथा भारत की सीमा बनाती हैं । इसकी एक शाखा में गारो (Garo ), खासी (Khasi), जैन्तिया (Jaintia) की पहाड़ियां हैं।

पश्चिमी शाखाएं (Western Off-shoots ):
दूर पश्चिम में हिमालय पर्वत मालाएं दक्षिण पर्वत की ओर मुड़ जाती हैं। इस भाग में साल्ट रेंज (Salt Range), सुलेमान, किरथार श्रेणियां हैं । इस भाग से हिन्दुकुश पर्वत मालाएं निकल कर अफगानिस्तान तक चली गई हैं।

प्रश्न 3.
सतलुज, गंगा मैदान के विस्तार, रचना तथा विभिन्न भागों का वर्णन करो।
उत्तर:
सतलुज- गंगा का मैदान (Sutlej-Ganges Plain)
विस्तार (Extent ):
हिमालय पर्वत तथा प्रायद्वीप के बीच पूर्व-पश्चिम में फैला हुआ विशाल मैदान है। यह लगभग 3,200 किलोमीटर लम्बा तथा 150 से 300 किलोमीटर तक चौड़ा है। असम में इस मैदान की चौड़ाई सब से कम 90-100 कि० मी० है। राज महल पहाड़ियों के पास 160 कि० मी० तथा इलाहाबाद के पास 280 कि० मी० है। इसकी औसत ऊंचाई, 150 मीटर है तथा इसका क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह मैदान सतलुज, गंगा तथा इनकी सहायक नदियों द्वारा निक्षेप के कार्य से बना है।

रचना (Formation):
गोंडवाना लैण्ड तथा हिमालय के मध्य एक लम्बी पेटी के रूप में भूमि का भाग धंस गया था। यह मैदान हिमालय पर्वत बनने के बाद बना। यह भाग धीरे-धीरे नदियों द्वारा तलछट के निक्षेप से भरता चला गया। (The great plain is an alluvium filled trough.) एक अनुमान के अनुसार गंगा नदी प्रति वर्ष 3000 लाख टन मिट्टी इस मैदान में बिछाया करती है।

विशेषताएं (Characteristics): इस मैदान की कई विशेषताएं हैं:

  1. समतल मैदान (Dead Flat Lowland):
    यह एक समतल सपाट मैदान है। ऊंचे भाग बहुत कम हैं। इसमें सबसे ऊंचा प्रदेश अम्बाला क्षेत्र है जिसकी ऊंचाई 283 मीटर है। इस मैदान के धरातल की एक रूपता प्रभाव पूर्ण है। कहीं- कहीं नदी निक्षेप से बनी वेदिकाएं (Terraces) बल्फ तथा भांगर मिलते हैं।
  2. धीमी ढाल (Gentle Slope ): गंगा के मैदान का ढाल औसत रूप से 1/4 मीटर प्रति किलोमीटर है।
  3. तलछट की गहराई (Thickness of Alluvium): हज़ारों साल से लगातार निक्षेप के कारण लगभग 2000 मीटर गहरी मिट्टी (Silt) मिलती है। यह ध्वनि से मापे जाने वाली गहराई है।
  4. अनेक नदियां (Many Rivers ): इस मैदान में नदियों का जाल बिछा हुआ है जिसके कारण सारा मैदान छोटे- छोटे टुकड़ों, दोआबों (Doabs) में बंट गया है। नदियां चौड़ी घाटियां बनाती हैं तथा धीमी बहती हैं।
  5. उपजाऊ मिट्टी ( Fertile Soils): छारी मिट्टी बहुत उपजाऊ है। धरातल में विभिन्नता केवल ‘खादर’ या ‘बांगर’ मिट्टी के कारण ही मिलती है। पुरानी कछारी मिट्टी से बने ऊंचे प्रदेशों को बांगर प्रदेश तथा नवीन कछारी मिट्टी से बने निचले प्रदेशों को खादर प्रदेश कहते हैं। यहां बाढ़ का पानी प्रति वर्ष नई मिट्टी की परत बिछा देता हैं। कहीं-कहीं कंकड़ तथा भूर की भू-रचना भी है।

उत्तरी मैदान का विभाजन (Division of Northern Plain): उत्तरी मैदान को नदी घाटियों के अनुसार निम्न- लिखित भागों में बांटा जा सकता है
(i) भाभर तथा तराई प्रदेश:
शिवालिक पहाड़ियों के दामन में तंग पेटियों के रूप में यह मैदान है। भाभर शिवालिक के साथ-साथ एक लगातार मैदान है जो सिन्धु से तिस्ता नदी तक फैला हुआ है। सरंधर चट्टानों के कारण नदियां इस क्षेत्र में विलीन हो जाती हैं। नदियों की धीमी गति के कारण बजरी तथा कंकर के निक्षेप से ‘भाभर’ का मैदान बना है, परन्तु तराई के मैदान में दलदली प्रदेश अधिक हैं। तराई क्षेत्र में नदियां पुनः धरातल पर प्रकट हो जाती हैं।

(ii) सतलुज घाटी:
सतलुज, ब्यास, रावी आदि नदियों के निक्षेप से पंजाब और हरियाणा का मैदान बना है। इस मैदान की ढाल दक्षिण-पश्चिम की ओर है। इसे पश्चिमी मैदान भी कहते हैं। दो नदियों के मध्य क्षेत्र को दोआब कहा जाता है । शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली बरसाती नदियों (चो) के कारण मिट्टी कटाव की गम्भीर समस्या है। इस मैदान में ऊंचे भाग धाया तथा निचले भाग बेट कहलाते हैं।

(iii) गंगा का मैदान:
यह विशाल मैदान गंगा, यमुना, घाघरा, गोमती, गंडक आदि नदियों द्वारा निक्षेप से बना है। इसे गंगा की ऊपरी घाटी, मध्य घाटी तथा निचली घाटी नामक तीन भागों में बांटा जाता है। इस मैदान में पाए जाने वाले दोआब क्षेत्रों को गंगा-यमुना दोआब, रोहिलखण्ड तथा अवध प्रदेश के नाम से जाना जाता है। चम्बल घाटी में उत्खात भूमि (Bad land) की रचना हुई है।

(iv) ब्रह्मपुत्र घाटी:
इस मैदान के पूर्वी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी असम घाटी बनाती है। समुद्र में गिरने से पहले गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियां एक विशाल डेल्टे का निर्माण करती हैं जो 80,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और संसार में सबसे बड़ा डेल्टाई प्रदेश है। इस डेल्टा के पुराने क्षेत्रों को चर (Char) तथा निचले क्षेत्रों को बिल (Bill) कहते हैं। उत्तरी भाग को पैरा- डेल्टा ( अपघर्षण क्षेत्र ) तथा दक्षिणी भाग को डेल्टा (निक्षेपण क्षेत्र) कहते हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय प्रायद्वीपीय पठार की विशेषताएं तथा विभिन्न भागों का वर्णन करो।
अथवा
प्रायद्वीपीय पठार का भौगोलिक वर्णन करें।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार (Peninsular Plateau)
विस्तार (Extent ):
दक्षिण पठार भारत का सबसे प्राचीन भू-खण्ड है। यह पठार तीन ओर सागरों से घिरा हुआ है। इसलिए इसे प्रायद्वीपीय पठार कहते हैं। इसका क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग किलोमीटर है। इस प्रायद्वीपीय पठार की औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर है। उत्तर पश्चिम में दिल्ली रिज से अरावली तथा कच्छ तक, गंगा यमुना के समानान्तर राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग पठार इसकी मूल उत्तरी सीमा है। इसका शीर्ष कन्याकुमारी है । अरावली, शिलांग पठार, राजमहल पहाड़ियां इस त्रिभुज की भुजाएं हैं।

विशेषताएं (Characteristics):
1. यह भाग प्राचीन, कठोर रवेदार चट्टानों से बना हुआ है। यह एक स्थिर भू-भाग (Stable Block) है। यह पठार क्रमिक अपरदन के कारण घिस गया है तथा यहां वृद्धावस्था के चिन्ह मिलते हैं।

2. यह भाग प्राचीन समय में गोंडवाना लैण्ड (Gondwana Land) का ही भाग था जिसमें अफ्रीका, अरब, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिणी अमेरिका के पठार शामिल थे।

3. इस प्रदेश का मुख्य भाग ज्वालामुखी उद्गार के कारण लावा के जमने से बना है।

4. यह प्रदेश भारत की खनिज सम्पत्ति का भण्डार है।

5. इस पठार का भीतरी भाग नदी घाटियों में कटा-छटा है। सपाट शिखर तथा गहरी द्रोणी घाटियां हैं। सीढ़ीदार ढाल,
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दरारें (Faults) प्राचीन पर्वतों के अवशेष, नीची पहाड़ियों की एक मुद्रिका, घिसे हुए पठार तथा भ्रांशित द्रोणियां मिलती हैं। यह अनाच्छादित पठार कगारों की एक श्रृंखला के रूप में उठा हुआ है।

6. यह पठार कई छोटे-छोटे भागों में बंट गया है।

7. प्रायद्वीपीय उच्च भूमि में विविधता के मुख्य कारण हैं- पृथ्वी की हलचलें, अपरदन क्रिया, उत्थान, निमज्जन, भ्रंशन तथा विभंगन क्रियाएं।

दक्षिणी पठार का विभाजन (Division of Deccan Plateau ) :
21° उत्तर तथा 24° उत्तरी अक्षांश के बीच पूर्व- पश्चिम दिशा में फैली हुई सतपुड़ा पहाड़ियों का क्रम (Line of Satpura Ranges) दक्षिणी पठार को दो भागों में बांटता

  1. मालवा का पठार (Malwa Plateau )
  2. दक्षिण का मुख्य पठार (Deccan Trap)

(i) मालवा का पठार:
पश्चिम में अरावली पर्वत, पूर्व में गंगा घाटी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वत इस त्रिभुजाकार की सीमाएं बनाते हैं। अरावली पर्वत बचे-खुचे पर्वत (Relict Mountains) है। जो दिल्ली – रिज तक विस्तृत हैं। सबसे ऊंचा शिखर गुरु शिखर (Guru Shikhar ) 1,772 मीटर ऊंचा है। अरावली के पश्चिम में थार की बलुई मरुभूमि है जहां बरखान टीले मिलते हैं। इस पठार में बुन्देलखण्ड, चम्बल घाटी तथा मालवा की अस्त-व्यस्त धरातल तथा जल प्रवाह है। यह प्रदेश नीस व क्वार्टज़ाइट की प्राचीन कठोर चट्टानों का बना हुआ है। मालवा के पठार का पूर्वी भाग महादेव, मैकाल, राजमहल की पहाड़ियों के रूप में फैला हुआ है। सोन नदी के पूर्व में छोटा नागपुर का कटा छटा पठार है जो भारत का खनिज भण्डार है। यह पठार 1070 मीटर तक ऊंचा है।

(ii) दक्कन का मुख्य लावा पठार:
यह पठार नर्मदा नदी के दक्षिण में है। इसके तीन ओर पर्वत श्रेणियां हैं। पश्चिम में पश्चिमी घाट, पूर्व में पूर्वी घाट तथा उत्तर में सतपुड़ा की ओर पहाड़ियां इस पठार की सीमाएं बनाती हैं। विन्ध्य तथा सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच नर्मदा एवं ताप्ती की द्रोणियां मिलती हैं। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट के मध्य कर्नाटक पठार है। कर्नाटक पठार के दो भाग हैं मालन्द तथा मैदान मालन्द उच्च भूमि पर बाबा बूदन पहाड़ियां हैं। पूर्व में महानदी बेसिन में छत्तीसगढ़ के मैदान प्रसिद्ध हैं। इस पठार की ढाल उत्तर-पश्चिम (North West) से दक्षिण पूर्व (South East ) की ओर है जो इस प्रदेश की नदियों की दिशा से स्पष्ट है। (It is a titled plateau with a general eastward slope.) इन नदियों ने इस पठार को कई भागों में बांट दिया है

(क) पश्चिमी घाट (Western Ghats):
यह ताप्ती घाटी से लेकर कुमारी अन्तरीप तक 1500 किलोमीटर लम्बी तथा निरन्तर पर्वत श्रेणी है। इसमें केवल तीन दर्रे हैं- थाल घाट, भोरघाट तथा पालघाट । इस पर्वत की पश्चिमी ढाल पर छोटी तथा तीव्र बहने वाली नदियां हैं, परन्तु पूर्वी ढाल से उतरने वाली नदियां धीमी गति तथा अधिक लम्बाई के कारण डेल्टे (Deltas) बनाती हैं। अधिक वर्षा के कारण गोदावरी, कृष्णा, कावेरी नदियां पूर्व की ओर बहती हैं। इस पर्वतीय भाग की औसत ऊंचाई 1000 मीटर है। इस भाग में कई भौतिक इकाइयां मेज़नुमा उच्च भूमियां लगती हैं; जैसे- अजन्ता तथा बालाघाट।

(ख) पूर्वी घाट (Eastern Ghats ):
महानदी घाटी से लेकर नीलगिरि की पहाड़ियों तक 800 किलोमीटर में फैले हुए पूर्वी घाट पठार की पूर्वी सीमा बनाते हैं। इनकी औसत ऊंचाई 500 मीटर है। ये पर्वत मालाएं पश्चिमी घाट की अपेक्षा कम ऊंची तथा अधिक कटी-छटी हैं। इस पर्वत में कई भागों के बीच Wide Gaps मिलते हैं जिनमें से कई नदियां बहती हैं। उत्तर में ये छोटा नागपुर के पठार में मिल जाते हैं तथा दक्षिण में नीलगिरि की पहाड़ियों में । दक्षिण भाग में जावादी (Javadi), पालकोंडा ( Palkonda ), शिवराय (Shevaroy), नालामलाई (Naillamalai) की पहाड़ियां हैं।

(ग) नीलगिरि की पहाड़ियां (Nilgiri Hills):
पश्चिमी तथा पूर्वी घाट नीलगिरि की पहाड़ियों में मिल जाते हैं। ये भूखण्ड ग्रेनाइट तथा नीस चट्टानों से बना है। अनाई मुदी 2698 सबसे ऊंचा शिखर है। यह एक पर्वतीय गाठ (knot) है। इसके दक्षिण में अनामलाई ( Anaimalai ), पलनी (Palni) तथा कार्डामम (Cardamom) की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 5.
भारत के तटीय मैदानों तथा द्वीपों का वर्णन करें।
उत्तर:
तटीय मैदान (Coastal Plains): दक्षिणी पठार के पूर्वी तथा पश्चिमी किनारे पर तंग तटीय मैदान हैं जिन्हें पूर्वी तटीय मैदान तथा पश्चिमी तटीय मैदान कहते हैं।

  1. इन मैदानों में चावल की खेती की जाती है।
  2. तटों पर नारियल के कुंज पाए जाते हैं।
  3. मछलियां पकड़ने के उत्तम केन्द्र हैं।
  4. इन तटों पर भारत की प्रमुख बन्दरगाहें पाई जाती हैं।
  5. इन तटों पर नमक, मोनोज़ाइट खनिज, पेट्रोलियम के भण्डार प्राप्त हैं।

1. पूर्वी तटीय मैदान (Eastern Coastal Plain:
यह मैदान महानदी डेल्टा से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह 50 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक चौड़ा है। इस भाग में महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के चौड़े तथा उपजाऊ डेल्टाई प्रदेश हैं। इस तट पर रेत के टीले (Sand Dunes) मिलते हैं जिनके कारण चिलका झील तथा पुलीकट झील का निर्माण हुआ है। इस तट को कोरोमण्डल तट भी कहते हैं।

2. पश्चिमी तटीय मैदान (Western Coastal Plain ):
अब अरब सागर तथा पश्चिमी घाट के बीच एक तंग मैदान है जो उत्तर दक्षिण में फैला हुआ है। इस मैदान की चौड़ाई 50 किलोमीटर तक है। इस तट पर गिरने वाली नदियां तीव्र ढाल के कारण डेल्टा नहीं बनाती हैं। इस तटीय मैदान के उत्तरी भाग (गोआ से मुम्बई तक ) को कोंकण (Konkan) तट कहते हैं । गोआ से आगे दक्षिणी भाग को मालाबार (Malabar ) तट कहते हैं। इस तट के साथ-साथ लम्बी झीलें है (Lagoons) मिलती हैं जिन्हें एक-दूसरे से मिलाकर जल मार्ग के रूप में प्रयोग किया जाता

द्वीप (Islands):
हिन्द महासागर में लगभग 550 द्वीप पाए जाते हैं। इन द्वीपों के तीन समूह निम्नलिखित हैं।
(i) अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (Andaman Nicobar Islands ):
ये द्वीप 60°N से 14°N अक्षांश के मध्य स्थित है। अंडमान द्वीप समूह में 214 द्वीप हैं जबकि निकोबार द्वीप समूह में 19 द्वीप हैं। 10° चैनल इन द्वीप समूहों को पृथक् करती हैं। ये द्वीप 500 कि० मी० उत्तर दक्षिण में फैले हुए हैं। महासागरीय तट में डूबी पहाड़ियों के शिखर द्वीप के रूप में स्थित हैं।
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(ii) बैरन द्वीप तथा नारकण्डम द्वीप (Barren Island and Norcondam Island): ये ज्वालामुखी द्वीप हैं। भारत में केवल एक सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप हैं।

(iii) लक्षद्वीप (Laskhadweep): अरब सागर में प्रवाल निक्षेपों से बने लक्षद्वीप समूह हैं। ये केरल तट से 320 कि० मी० दूर 8°N से 12°N तक फैले हुए हैं। इन्हें अटाल (Atoll) भी कहते हैं। इनकी संख्या 27 है।

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