Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन परिवर्तन
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. महासागरीय जल की ऊपर एवं नीचे गति किससे सम्बन्धित है?
(A) ज्वार
(C) धाराएं
(B) तरंग
(D) ऊपर में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) ज्वार।
2. निम्नलिखित में से कौन-सी गर्म धारा नहीं है?
(A) खाड़ी की धारा
(B) केलीफ़ोर्निया की धारा
(C) मोज़म्बीक धारा
(D) उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा।
उत्तर:
(B) केलीफ़ोर्निया की धारा।
3. कालाहारी मरुस्थल के पश्चिम में बहने वाली धारा कौन-सी है?
(A) कनारी
(B) बेंगुएला
(C) इरमिंजर
(D) गल्फ स्ट्रीम।
उत्तर:
(B) बेंगुएला।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
प्रश्न 1.
महासागरीय धाराएं क्या हैं?
उत्तर:
महासागरीय धारा जल की एक राशि का एक नि चत दिशा में लम्बी दूरी तक सामान्य संचलन है। सागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर जल के निरन्तर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं।
प्रश्न 1.
तरंग का वेग कैसे मापा जाता है?
उत्तर:
संचलन करती हुई तरंग का वेग निम्न विधि से निश्चित किया जा सकता है
दो क्रमिक शृंगों अथवा गर्तों के मध्य की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं। किसी निश्चित बिन्दू से ये निकलने वाले दो क्रमिक तरंगों के बीच के समय को तरंग आवर्त काल कहते हैं।
प्रश्न 2.
ठण्डी एवं गर्म महासागरीय धाराओं में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
महासागरीय धाराएं सामान्यतः दो प्रकार की होती हैं-गर्म धाराएं तथा ठण्डी धाराएं। गर्म धाराएं ऊष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों के निम्न अक्षांशों से शीतोष्ण कटिबन्धीय तथा उप ध्रुवीय क्षेत्रों के उच्च अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं। ठण्डी धाराएं उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहती हैं।
प्रश्न 3.
महासागरीय धारा का वेग कैसे मापा जाता है?
उत्तर:
जल के धरातल के ऊपर से बहती हुई हवा, उसके तल पर कर्षण बल का प्रयोग करती है, जिससे धरातलीय जल स्तर गतिमान हो उठता है। कर्षण बल से धाराओं की उत्पत्ति होती है। कर्षण बल तथा पवनों के वेग से धाराओं की वेग का पता चलता है।
प्रश्न 4.
यदि महासागरीय धाराएं न होती तो विश्व का क्या हुआ होता?
उत्तर:
महासागरीय धाराओं के अभाव से विश्व की जलवायु, व्यापार तथा समुद्री जीवों पर बहुत प्रभाव पड़ता। यूरोप की जलवायु सुहावनी न होती। शीतोष्ण कटिबन्ध में वर्षा कम होती। महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर मरुस्थल न होते। यूरोप का तट व्यापार के लिए वर्ष भर खुला न रहता। कई प्रदेशों में मत्स्य क्षेत्रों का विकास न होता।
प्रश्न 2.
जल धाराएं तापमान को कैसे प्रभावित करती है? उत्तर पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्रों में तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
समुद्री धाराओं के प्रभाव (Effects of Ocean Currents): समुद्री धाराएं आसपास के क्षेत्रों में मानव जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं का यह प्रभाव कई प्रकार से होता है।
जलवायु पर प्रभाव (Effects on Climate)
जलवायु (Climate): जिन तटों पर गर्म या ठण्डी धाराएं चलती हैं वहां की जलवायु क्रमश: गर्म या ठण्डी हो जाती है।
तापक्रम (Temperature): धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनें अपने साथ गर्मी या शीत ले जाती हैं। गर्म धारा के प्रभाव से तटीय प्रदेशों का तापक्रम ऊंचा हो जाता है तथा जलवायु कम हो जाती है। ठण्डी धारा के कारण शीतकाल में तापक्रम बहुत नीचा हो जाता है तथा जलवायु विषम व कठोर हो जाती है।
उदाहरण (Examples):
- लैब्रेडोर (Labrador) की ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा का पूर्वी तट तथा क्यूराइल (Kurile) की ठण्डी धारा के प्रभाव से साइबेरिया का पूर्वी तट शीतकाल में बर्फ से जमा रहता है।
- खाड़ी की गर्म धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीप समूह तथा नार्वे के तटीय भागों का तापक्रम ऊंचा रहता है और जल शीतकाल में भी नहीं जमता। जलवायु सुहावनी तथा सम रहती है।
प्रश्न 3.
तरंगों तथा धाराओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:
तरंगें | धाराएं |
(1) तरंगों का आकार जल की गहराई पर निर्भर करता है। | (1) धाराएं जल की विशाल राशियां होती हैं। |
(2) ये बनती तथा बिगड़ती रहती हैं एवं अस्थायी होती हैं। | (2) धाराएं स्थाई होती हैं तथा एक ही दिशा में गतिमान होती हैं। |
(3) तरंगें जल की ऊपरी सतह पर चलती हैं। | (3) धाराओं का प्रभाव अधिक गहराई तक होता है। |
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
महासागरीय जल-धाराएँ कैसे उत्पन्न होती हैं? इनके स्वभाव और उत्पत्ति को निर्धारित करने वाले कारक बताओ।
उत्तर:
समुद्री धाराएं (Ocean Currents)-सागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर एक विशेष दिशा में जल के लगातार प्रवाह को समुद्री धारा कहते हैं। (“Regular movement of water from one part of the ocean to another is called an ocean current.”) समुद्री धाराओं में जल नदियों की भांति आगे बढ़ता है। इनके किनारे स्थिर जल वाले होते हैं। इन्हें समुद्री नदियां भी कहते हैं। (“An ocean current is like a river in the ocean.”) धाराओं के उत्पन्न होने के कारण (Causes)-समुद्री धाराओं के उत्पन्न होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
1. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
वायु अपनी अपार शक्ति के कारण जल को गति प्रदान करती है। धरातल पर चलने वाली पवनें (Planetary Winds) लगातार एक ही दिशा में चलने के कारण धाराओं को जन्म देती हैं। संसार की मुख्य धाराएं स्थायी पवनों की दिशा के अनुसार चलती हैं। (Ocean currents are wind determined.) मौसमी पवनें (Seasonal Winds) भी धाराओं की दिशा व उत्पत्ति में लायक होती हैं।
उदाहरण (Examples):
- व्यापारिक पवनें (Trade winds): द्वारा उत्तरी तथा दक्षिणी भूमध्य रेखीय धाराएं (Equatorial Currents) पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
- पश्चिमी पवनों (Westerlies): के प्रभाव से खाड़ी की धारा (Gulf Stream) तथा कयूरोसिवो (Kuroshio) धारा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
2. तापक्रम में भिन्नता (Difference in Temperature):
गर्म जल हल्का होकर फैलता है तथा उसकी ऊँचाई बढ़ जाती है। ठण्डा जल भारी होने के कारण नीचे बैठ जाता है। कम ताप के कारण ठंडा जल सिकुड़ कर भारी हो जाता है। इस प्रकार समुद्र जल की सतह समान नहीं रहती तथा धाराएं चलती हैं।
3. खारेपन में भिन्नता (Difference in Salinity):
अधिक खारा जल भारी होने के कारण, तल के नीचे की ओर बहता है। कम खारा जल हल्का होने के कारण तल पर ही बहता है।
उदाहरण (Examples):
- रूम सागर से अधिक खारे जल की धारा तल के नीचे अन्ध महासागर की ओर बहती है।
- बाल्टिक सागर (Baltic Sea) से कम खारे जल की धारा तल पर उत्तरी सागर (North Sea) की ओर बहती है।
4. वाष्पीकरण तथा वर्षा की मात्रा (Evaporation and Rainfall):
अधिक वाष्पीकरण से जल भारी तथा अधिक खारा हो जाता है और तल नीचा हो जाता है परन्तु वर्षा अधिक होने से जल हल्का हो जाता है और उसका तल ऊंचा हो जाता है। इस प्रकार ऊंचे तल से नीचे तल की ओर धाराएं चलती हैं।
5. पृथ्वी की दैनिक गति (Rotation):
फैरल के सिद्धान्त (Ferral’s Law) के अनुसार धाराएं उत्तरी गोलार्द्ध में अपने बाईं ओर मुड़ जाती हैं। पृथ्वी की गति के कारण धाराओं का प्रवाह गोलाकार बन जाता है। उदाहरण (Examples): धाराओं का चक्कर उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के अनुकूल (Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के विपरीत (Anticlockwise) चलता है।
6. तटों के आकार (Shape of Coasts):
तटों के आकार धाराओं के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर देते हैं। समुद्र जल तटों से टकराकर धाराओं के रूप में बहने लगता है। धाराएं तट के सहारे मुड़ जाती हैं। यदि स्थल प्रदेश न होते तो पृथ्वी के गिर्द एक.महान् भूमध्य रेखीय धारा (Great Equatorial Current) चलती है। उदाहरण (Examples): ब्राज़ील (Brazil) के नुकीले तट पर केप सेन-रॉक अन्तरीप (Cape San Roque) से टकराकर भूमध्य रेखीय धारा ब्राजील की धारा के रूप में बहती है।
7. ऋतु परिवर्तन (Seasons):
मौसम के अनुसार हवाओं की दिशा में परिवर्तन होने के कारण धाराओं की दिशा भी बदल जाती है। हिन्द महासागर में ग्रीष्म ऋतु में (S.W. Monsoon Drift) तथा शीत ऋतु में (N.E. Monsoon Drift) बहती है।
महासागरीय जल संचलन JAC Class 11 Geography Notes
→ महासागरीय जल की गतियां (Movements of Ocean Water): महासागरीय जल सदा गतिशील रहता है। इसकी तीन गतियां हैं
- तरंगें
- धाराएं
- ज्वार-भाटा।
→ महासागरीय जल का तापमान (Temperature in Oceans): महासागरीय जल का तापमान गहराई के साथ घटता रहता है। औसत रूप से भू-मध्य रेखा पर वार्षिक तापमान 26°C तथा ध्रुवीय प्रदेशों में 0°C रहता
है। तैरते हुए हिमखण्डों को हिम शैल कहते हैं, जो अधिकतर ग्रीन लैंड के निकट पाये जाते हैं।
→ महासागरों में लवणता (Salinity in Oceans): समुद्र जल में पाये जाने वाले समस्त लवणों के योग को समुद्र की लवणता कहते हैं। औसत लवणता 35 प्रति हजार ग्राम है। सबसे अधिक लवणता कर्क रेखा तथा मकर । रेखा के निकट 37 प्रति हजार ग्राम है। वैन झील में 330 तथा मृत सागर में 238 लवणता है।
→ महासागरीय धाराएं (Ocean Currents): महासागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर एक विशेष दिशा में जल के लगातार प्रवाह को सागरीय धारा कहते हैं। यह प्रचलित पवनों द्वारा निर्धारित होती हैं। गर्म धाराएं भू-मध्य रेखा से ध्रुवों की ओर तथा ठण्डी धाराएं ध्रुवों से भू-मध्य रेखा की ओर चलती हैं।
→ अन्ध महासागर की धाराएं (Currents of Atlantic Ocean): उत्तरी अन्धमहासागर में धाराएं घड़ी की सूइयों की दिशा में चक्र पूरा करती हैं परन्तु दक्षिणी अन्ध महासागर में घड़ी की सूइयों की विपरीत दिशा में | चक्र पूरा करती हैं। खाड़ी की गर्म धारा पश्चिमी यूरोप की जलवायु को सुहावना बनाती है। इसे यूरोप की जीवन रेखा भी कहते हैं। अधिकतर मरुस्थल ठण्डी धाराओं वाले तटों पर स्थित हैं।
→ प्रशान्त महासागर की धाराएं (Currents of Pacific Ocean): एशिया के तट पर क्यूराइल तथा क्यूरोशिया धारा बहती है। दक्षिणी अमेरिका के तट पर पेरू की ठण्डी धारा के कारण अटाकामा मरुस्थल | स्थित है।