Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?
(क) परती भूमि
(ग) निवल बोया क्षेत्र
(ख) सीमांत भूमि
(घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि।
उत्तर:
(ख) सीमांत भूमि।
2. पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है?
(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(ग) वन बढ़ोत्तरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(घ) वन क्षेत्र प्रबन्धन में लोगों की बेहतर भागीदारी।
उत्तर;
(ग)वन बढ़ोत्तरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि।
3. निम्न में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है?
(क) अवनालिका अपरदन
(ग) मृदा लवणता
(ख) वायु अपरदन
(घ) भूमि पर सिल्ट का जमाव।
उत्तर:
(ग) मृदा लवणता।
4. शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती?
(क) रागी
(ग) मूंगफली
(ख) ज्वार
(घ) गन्ना।
उत्तर;
(घ) गन्ना।
5. निम्न में से कौन-से देश में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं?
(क) जापान तथा ऑस्ट्रेलिया
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपींस
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
(घ) मैक्सिको तथा सिंगापुर। उत्तर-मैक्सिको तथा फिलीपींस।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में दो
प्रश्न 1.
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
मरुस्थली, रेतीली, पथरीली भूमि जिसे कृषि योग्य नहीं बनाया जा सकता, बंजर भूमि कहते हैं। जो भूमि जल तथा वायु अपरदन से व्यर्थ हो जाती है उसे भी बंजर भूमि कहते हैं। कृषि योग्य व्यर्थ भूमि वह भूमि है जो पिछले पांच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषि रहित है।
प्रश्न 2.
निबल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अन्तर बताओ।
उत्तर:
वह भूमि जिस पर फ़सलें उगाई व काटी जाती हैं वह निबल बोया गया क्षेत्र कहलाता है। सकल बोया गया क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें एक बार से अधिक बोया गया क्षेत्र भी शामिल किया जाता है।
प्रश्न 3.
भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी कृषि वर्ष में गहन भू-उपयोग से प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाती है। इससे सीमित भूमि में कुल उत्पादन बढ़ने के साथ श्रमिकों की मांग भी पर्याप्त रूप से बढ़ती है। भारत में भूमि की कमी तथा श्रम की अधिकता है। इसलिए फ़सलों की सघनता की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी की समस्या को भी कम किया जा सके।
प्रश्न 4. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अन्तर है?
उत्तर:
कृषि ऋतु में उपलब्ध आर्द्रता मात्रा के आधार पर दो वर्गों:\
- शुष्क भूमि कृषि तथा
- आर्द्र भूमि कृषि में बांटी जाती है।
भारत में शुष्क भूमि खेती मुख्यतः उन प्रदेशों तक सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से कम है। इन क्षेत्रों में शुष्कता को सहने में सक्षम फ़सलें जैसे-रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ग्वार (चारा फसलें) आदि उगाई जाती हैं तथा इन क्षेत्रों में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग के अनेक विधियां अपनाई जाती हैं। आर्द्र कृषि क्षेत्रों में वर्षा ऋतु के अन्तर्गत वर्षा जल पौधों की ज़रूरत से अधिक होता है। ये प्रदेश बाढ़ तथा मृदा अपरदन का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में वे फसलें उगाई जाती हैं जिन्हें पानी की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है, जैसेचावल, जूट, गन्ना आदि तथा ताजे पानी की जलकृषि भी की जाती है।
लघु उतरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो
प्रश्न 1.
भारत में भू-संसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएं कौन-सी हैं? इनका निर्णय कैसे किया जाए?
उत्तर:
भूमि संसाधनों का निम्नीकरण सिंचाई और कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों से उत्पन्न हुई समस्याओं में से एक गम्भीर समस्या है।
- यह गम्भीर समस्या इसलिए है क्योंकि इससे मृदा उर्वरता क्षीण हो सकती है। यह समस्या विशेषकर सिंचित क्षेत्रों में भयावह है। कृषि भूमि का एक बड़ा भाग जलाक्रांतता, लवणता तथा मृदा क्षारता के कारण बंजर हो चुका है। अभी तक लवणता व क्षारता से लगभग 80 लाख हेक्टेयर भूमि कुप्रभावित हो चुकी है।
- देश की अन्य 70 लाख हेक्टेयर भूमि जलाक्रांतता के कारण अपनी उर्वरता खो चुकी है।
- कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा में ज़हरीले तत्त्वों का सांद्रण हो गया है।
- बहु-फ़सलीकरण के बढ़ोत्तरी से परती भूमि में कमी आई है। इससे भूमि में पुनः उर्वरता पाने की प्राकृतिक प्रक्रिया अवरुद्ध हुई है जैसे नाइट्रोजन यंत्रीकरण।
- जल तथा वायु द्वारा अपरदन भी गम्भीर रूप धारण कर गए हैं।
प्रश्न 2.
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सरकार का तात्कालिक उद्देश्य खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाना था, जिसमें निम्न उपाय अपनाए गए:
1. व्यापारिक फ़सलों की जगह खाद्यान्नों का उगाया जाना।
2. कृषि गहनता को बढ़ाना, तथा
3. कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना। प्रारम्भ में इस नीति से खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ा, लेकिन 1950 के दशक के अन्त तक कृषि उत्पादन स्थिर हो गया। इस समस्या से उभरने के लिए गहन कृषि जिला कार्यक्रम तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए। परन्तु 1960 के दशक के मध्य में लगातार दो अकालों से देश में अन्न संकट उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप दूसरे देशों से खाद्यान्नों का आयात करना पड़ा।
भूसंसाधन तथा कृषि JAC Class 12 Geography Notes
→ कृषि प्रधान देश (Agircultural Country): जिस देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्ति भूमिका होती है उसे कृषि प्रधान देश कहते हैं।
→ फसलों के प्रकार (Types of Crops):
- खाद्यान्न (Food Grains): गेहूँ, चावल, मोटा अनाज।
- पेय पदार्थ (Beverages): चाय तथा कहवा।
- रेशेदार पदार्थ (Fibrecrops): कपास तथा पटसन।
- तिलहन (Oil Seeds): मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी।
- कच्चे माल (Raw Materials): गन्ना, तम्बाकू, रबड़।
→ हरित क्रान्ति (Green Revolution): भारतीय कृषि को आधुनिकीकरण एवं आत्मनिर्भर बनाने की योजना को हरित क्रान्ति कहते हैं।
→ कृषि-असन्तुलन (Agricultural Inbalances): भारतीय कृषि के विकास में प्रादेशिक असन्तुलन है।
→ फसल ऋतुएं शस्य मौसम (Crop-Season): भारत में दो कृषि काल हैं-खरीफ़ तथा रबी।