JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
1. विश्व में सबसे अधिक निर्धन निवास करते हैं
(अ) चीन में
(ब) अमेरिका में
(स) भारत में
(द) प्रत्येक देश में।
उत्तर:
(स) भारत में
2. भारत में सन् 2011-12 में निर्धनता का अनुपात था
(अ) 27.1%
(ब) 23.6%
(स) 36.0%
(द) 22%.
उत्तर:
(स) 36.0%
3. देश में प्रधानमन्त्री रोजगार योजना प्रारम्भ की गई
(अ) सन् 1995 में
(ब) सन् 1999 में
(स) सन् 2000 में
(द) सन् 1993 में।
उत्तर:
(द) सन् 1993 में।
4. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का प्रारम्भ हुआ
(अ) 1999 में
(ब) 1995 में
(ग) 2000 में
(द) 1993 में।
उत्तर:
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोई भी व्यक्ति निर्धनता में जीना क्यों नहीं चाहता है?
उत्तर:
कोई भी व्यक्ति निर्धनता में जीना नहीं चाहता क्योंकि निर्धन लोगों के साथ खेतों, कारखानों, सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और लगभग सभी स्थानों पर दुर्व्यवहार होता है।
प्रश्न 2.
एन. एस. एस. ओ. का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन अर्थात् राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन।
प्रश्न 3.
निर्धनता के सामान्य सूचक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
निर्धनता के सामान्य सूचक हैं-आय और उपभोग का स्तर, निरक्षरता का स्तर, कुपोषण के कारण रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुँच की कमी आदि।
प्रश्न 4.
भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता कितनी है?
उत्तर:
भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से ग्रामीणों के लिए 2400 कैलोरी तक तथा नगरीय क्षेत्रों के लिए 2100 कैलोरी है।
प्रश्न 5.
ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक क्यों मानी गई है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले व्यक्ति शहरों की अपेक्षा अधिक शारीरिक कार्य करते हैं इसीलिए ग्रामीण क्षेत्रों के व्यक्तियों को अधिक कैलोरी की आवश्यकता मानी गई है।
प्रश्न 6.
शहरी क्षेत्र में कम कैलोरी की आवश्यकता के बाद भी निर्धनता निवारण हेतु अधिक राशि क्यों निर्धारित की गई?
उत्तर:
शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कम कैलोरी की आवश्यकता के बावजूद निर्धनता निवारण हेतु अधिक राशि निर्धारित की गई क्योकि शहरी क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अधिक होती हैं।
प्रश्न 7.
2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण कितने रुपये प्रतिमाह पर किया गया है?
उत्तर:
वर्ष 2011-12 एक व्यक्ति के लिए निधनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्र में 816 रुपये तथा शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये प्रतिमाह रखा गया है।
प्रश्न 8.
भारत में कितने प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे हैं?
उत्तर:
भारत में 22 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे हैं।
प्रश्न 9.
भारत के किस सामाजिक समूह के लोग सर्वाधिक गरीब है?
उत्तर:
भारत के अनुसूचित जनजाति के लोगों का प्रतिशत गरीबी में सर्वाधिक है। अनुसूचित जनजाति के 43 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन निर्वाह कर रहे है।
प्रश्न 10.
निर्धनता रेखा का आकलन किसके द्वारा कितनी समयावधि में किया जाता है?
उत्तर:
निर्धनता रेखा का आकलन राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन द्वारा प्रति पाँच वर्ष में किया जाता है।
प्रश्न 11.
निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित सामाजिक समूह कौन से हैं?
उत्तर:
निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित सामाजिक समूह अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति परिवारों के हैं।
प्रश्न 12.
निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित आर्थिक समूह कौन से हैं?
उत्तर:
निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित आर्थिक समूह कृषि श्रमिक परिवार व नगरीय अनियमित मजदूर परिवार हैं।
प्रश्न 13.
आगामी 10 से 15 वर्षों में निर्धनता उन्मूलन में अधिक उन्नति की आशा किन कारणों से की जा रही है?
उत्तर:
आगामी 10 से 15 वर्षों में निर्धनता उन्मूलन में अधिक उन्नति की आशा-उच्च आर्थिक संवृद्धि, सभी के लिए निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या वृद्धि दर में कमी, महिलाओं और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बढ़ते सशक्तीकरण के कारण यह उम्मीद की जा रही है।
प्रश्न 14.
पंजाब व हरियाणा जैसे राज्य किन कारणों से निर्धनता कम करने में सफल रहे हैं?
उत्तर:
पंजाब व हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारम्परिक रूप से सफल
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता और असुरक्षित समूह’ विषय पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात भी भारत में सभी सामाजिक समूहों और आर्थिक वर्गों में एक समान नहीं है। जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित है, वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार हैं। इसी प्रकार, आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियत मजदर परिवार हैं।
यद्यपि निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का औसत भारत में सभी समूहों के लिए 22 है, अनुसूचित जनजातियों के 100 में से 43 लोग अपनी मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में 34 प्रतिशत अनियत मजदर निर्धनता रेखा के नीचे हैं। लगभग 34 प्रतिशत अनियत कृषि श्रमिक ग्रामीण क्षेत्र में और 29 प्रतिशत अनुसूचित जातियाँ भी निर्धन हैं।
प्रश्न 2.
असुरक्षा का निर्धारण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कुछ विशेष समुदायों या व्यक्तियों के भावी वर्षों में निर्धन होने या निर्धन बने रहने की अधिक सम्भावना जताता है। कोई समुदाय या व्यक्ति निर्धनता से कितना असुरक्षित है इसका निर्धारण निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है
- उसके पास परिसम्पत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के अवसरों की कितनी उपलब्धता है।
- भूकम्प, सुनामी एवं आतंकवाद आदि से सम्बन्धित मामलों में इन समुदायों के समक्ष कितने बड़े जोखिम हैं।
- इन जोखिमों से निपटने के लिए उनके पास कितनी आर्थिक एवं सामाजिक क्षमता है।
प्रश्न 3.
निर्धनता क्या है? सरकार की वर्तमान निर्धनता विरोधी रणनीति किन दो कारकों पर निर्भर करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता से आशय उस स्थिति से है जिसमें व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे-भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा व स्वास्थ्य को पूरा करने में असमर्थ रहता है। सरकार की वर्तमान निर्धनता विरोधी रणनीति मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है
- आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन प्रदान करना
- लक्षित निर्माण विरोधी कार्यक्रमों को प्रारम्भ करना।
प्रश्न 4.
सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता के कौन-कौन से सूचक हैं?
उत्तर:
सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता के अग्रलिखित सूचक हैं
- आय व उपभोग का स्तर
- कुपोषण के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी
- निरक्षरता स्तर
- स्वास्थ्य सेवाओं की कमी,
- रोजगार के अवसरों की कमी
- सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुँच की कमी।
प्रश्न 5.
किस प्रकार अत्यधिक ऋणग्रस्तता निर्धनता का कारण और प्रभाव दोनों हैं?
उत्तर:
कारण:
ऋणग्रस्त लोगों को अपनी सीमित आमदनी से ही ऋणों का भुगतान करना पड़ता है। इसलिए वे आवश्यक कृषि सम्बन्धी आगतें, जैसे-बीज, उर्वरक व कीटनाशक आदि नहीं खरीद पाते हैं। फलस्वरूप उन्हें और भी कम आय प्राप्त होती है तथा वे और अधिक निर्धन हो जाते हैं।
प्रभाव:
चूँकि निर्धन लोग कठिनाई से ही कोई बचत पर पाते हैं। आगे उन्हें कृषि आगतें, जैसे बीज, उर्वरक व कीटनाशक खरीदने के लिए ऋण लेना पड़ता है। निर्धनता के चलते पुन: भुगतान में असमर्थता के कारण वे ऋणग्रस्त हो जाते हैं। अत: अत्यधिक निर्धनता, निर्धनता का कारण और परिणाम दोनों हैं।
प्रश्न 6.
निर्धनता की अन्तर्राज्यीय असमानताओं पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भारत के सभी राज्यों में निर्धनता अनुपात एक समान नहीं है कुछ राज्य जैसे मध्य प्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं ओडिशा में निर्धनता राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
जबकि केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता राष्ट्रीय औसत से कम है। अत: हम कह सकते हैं कि कुछ राज्यों ने अपने यहाँ निर्धनता को कम करने में उल्लेखनीय सफलता पायी है।
प्रश्न 7.
वैश्विक निर्धनता परिदृश्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
विश्व बैंक के अनुसार प्रतिदिन $1.9 से कम पर जीवन निर्वाह करना निर्धनता के अन्तर्गत आता है। वैश्विक निर्धनता 1990 के 36% की तुलना में 2015 में 10% रह गयी है, जो निर्धनता में कमी का संकेत है। लेकिन इसमें क्षेत्रीय विभिन्नतायें हैं। चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका नेपाल, बांग्लादेश, भूटान में निर्धनता में तीव्र गिरावट देखी गयी लेकिन सब सहारा अफ्रीका, लैटिन अमरीका तथा रूस जैसे समाजवादी देशों में निर्धनता की उच्च दर अभी भी बनी हुई है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निर्धनता का विश्लेषण सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में निर्धनता का विश्लेषण सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर बहुत सामान्य होता जा रहा है इसे पृथक पृथक निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है सामाजिक अपवर्जन की अवधारणा के अनुसार निर्धनों को अच्छा माहौल और अधिक अच्छे वातावरण में निवास करने वाले सम्पन्न लोगों की सामाजिक समता से अपवर्जित होकर केवल निम्न वातावरण में निवास करने को विवश होना पड़ता है।
सामान्य अर्थ में सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण और परिणाम दोनों हो सकते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अथवा समूह सुविधाओं, लाभों तथा अवसरों से अपवर्जित रहता है जिनका उपभोग उनसे अच्छे लोग करते हैं। भारत में इसका एक विशेष उदाहरण जाति व्यवस्था की कार्य-शैली का पाया जाना है जिसमें कुछ विशेष जातियों के लोगों को समान अवसरों से अपवर्जित रखा जाता है।
इससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक अपवर्जन से न केवल लोगों की आय बहुत कम होती है बल्कि इससे भी कहीं अधिक हानि पहुँच सकती है। असुरक्षा निर्धनता की एक माप है जो कुछ विशेष समुदायों या व्यक्तियों के आगामी वर्षों में निर्धन होने या बने रहने की सम्भावना को व्यक्त करता है। असुरक्षा का निर्धारण विभिन्न व्यक्तियों या समुदायों के पास उपलब्ध परिसम्पत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों के रूप में जीविका खोजने के विभिन्न विकल्पों से होता है।
इनके अतिरिक्त इसका विश्लेषण प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद आदि के द्वारा व्यक्तियों अथवा समूहों के सामने उपस्थित बड़े जोखिमों और इनका मुकाबला करने की उनकी आर्थिक व सामाजिक क्षमता के आधार पर किया जाता है। वास्तविकता यह है कि जब समय खराब आता है तब बाढ़ हो या भूकम्प, नौकरियों की उपलब्धता में कमी या दूसरे लोगों की तुलना में प्रभावित होने की बड़ी सम्भावनाओं का निरूपण ही असुरक्षा है।
प्रश्न 2.
भारत में निर्धनता के कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए। उत्तर-भारत में निर्धनता के निम्नलिखित कारण हैं
1. ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा शोषण:
भारत एक लम्बे समय तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा है। औपनिवेशिक सरकार ने अपनी नीतियों से भारत का शोषण किया तथा यहाँ के पारम्परिक हस्तशिल्प को नष्ट कर दिया व वस्त्र उद्योग के विकास को हतोत्साहित किया जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ी व निर्धनता में भी वृद्धि हुई।
2. जनसंख्या में उच्च दर से वृद्धि:
हमारे देश में जनसंख्या में उच्च दर से वृद्धि हो रही है, जबकि रोजगार उस गति से नहीं बढ़ पा रहे हैं। फलस्वरूप बेरोजगारी व निर्धनता की समस्या बढ़ रही है।
3. बेरोजगारी:
भारत में बेरोजगारी के कारण निर्धनता बहुत बढ़ी है। यद्यपि सिंचाई एवं हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्रक में रोजगार के अनेक अवसर सृजित हुए हैं, लेकिन इनका प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है।
4. आय असमानता:
देश में भूमि और अन्य संसाधनों के असमान वितरण के कारण आय की असमानता में वृद्धि हुई है। आय की असमानता निर्धनता को और बढ़ाती है।
5. भूमि संसाधनों की कमी:
भारत में भूमि संसाधनों की कमी ने निर्धनता में वृद्धि की है। सरकार ने भूमि सुधार को ढंग से लागू नहीं किया है।
6. सामाजिक रीति-रिवाज:
भारत में सामाजिक दायित्वों एवं धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजनों में निर्धन लोगों द्वारा बहुत अधिक खर्च किया जाता है जिससे वे ऋणग्रस्त होकर निर्धनता के कुचक्र में फंसे रह जाते हैं।
7. कृषि का पिछड़ापन:
देश की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। कृषि के क्षेत्र में हमारा देश अत्यन्त पिछड़ा हुआ है। जिस कारण निर्धनता को बढ़ावा मिलता है।
प्रश्न 3.
भारत सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में संचालित निर्धनता निरोधी कार्यक्रमों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा संचालित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम:
भारत सरकार ने सितम्बर 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम पारित किया। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक परिवार को वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारण्टी दी गयी है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रस्तावित रोजगारों में से एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गये हैं।
इस योजना में यदि आवेदक को 15 दिन के अन्दर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो वह दैनिक बेरोजगार भत्ते का हकदार होगा। वर्तमान में इस योजना को ‘मनरेगा’ (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना) के नाम से जाना जाता है। इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं का हिस्सा क्रमश: 23 प्रतिशत, 17 प्रतिशत एवं 53 प्रतिशत है।
2. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम:
यह कार्यक्रम सन् 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धन लोगों के लिए है जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है तथा जो अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं।
3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना:
सन् 1993 से प्रारम्भ इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों एवं छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगारों युवकों के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। इस योजना के अन्तर्गत युवकों को लघु व्यवसाय एवं उद्योग स्थापित करने में सहायता दी जाती है।
4. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम:
इस कार्यक्रम का प्रारम्भ सन् 1995 में किया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों एवं छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
5. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना:
सन् 1999 में प्रारम्भ इस योजना का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण व सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
6. प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना:
यह योजना सन् 2000 से प्रारम्भ की गयी। इस योजना का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल व ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार करना है। इस हेतु सरकार राज्यों को सहायता उपलब्ध कराती है।
प्रश्न 4.
भारत में निर्धनता के परिप्रेक्ष्य में भावी चुनौतियों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता को कम करने की अनेक योजनाओं के बावजूद इस पर पूरी तरह सफलता न मिलने का मुख्य कारण कार्यान्वयन और सही लक्ष्य निर्धारण की कमी है। अच्छी नीयत के बाद भी योजनाओं का लाभ पात्र निर्धनों को पूरा नहीं मिल पाया। अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन से निर्धनता में कमी तो आई है, लेकिन निर्धनता उन्मूलन भारत की सबसे बड़ी समस्या आज भी मुँह खोले हमारे सामने खड़ी है।
ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों की निर्धनता में व्यापक असमानताएँ मौजूद हैं। कुछ सामाजिक और आर्थिक समूह निर्धनता के प्रति अधिक असुरक्षित हैं। सरकार द्वारा क्रियान्वित निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के आधार पर आशा की जा रही है कि निर्धनता उन्मूलन में भावी 10-15 वर्षों में अधिक सुधार होगा। इसका मुख्य आधार उच्च आर्थिक-संवृद्धि, सभी को नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या वृद्धि दर में कमी, तथा महिलाओं व समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में बढ़ते सशक्तीकरण के परिणामस्वरूप यह सम्भव हो पायेगा।
लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा उनके केवल कुछ सीमित भाग पर लागू होती है। यह न्यूनतम जीवन निर्वाह के उचित स्तर की अपेक्षा जीवन निर्वाह के न्यूनतम स्तर पर आधारित है। अनेक बुद्धिजीवियों ने अपना मत दिया है कि निर्धनता की अवधारणा का विस्तार ‘मानव निर्धनता’ तक बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि अनेक लोग अपना भोजन जुटा पाने में समर्थ हों लेकिन आज क्या उनके पास शिक्षा, घर, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार की सुरक्षा, आत्मविश्वास आदि उपलब्ध हैं।
क्या वे जाति, लिंग आधारित भेदभाव से मुक्त हैं, क्या वे बालश्रम से दूर हैं ? विश्वव्यापी अनुभव यह प्रमाणित करते हैं कि विकास के साथ निर्धनता की परिभाषाएँ बदल जाती हैं। निर्धनता उन्मूलन सदैव एक गतिशील लक्ष्य है इसीलिए यह उम्मीद की जा रही है कि हम अगले दशक के अन्त तक देश के सभी लोगों को केवल आय के सन्दर्भ में, न्यूनतम आवश्यक आय उपलब्ध करा सकेंगे।
सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार सुरक्षा के साथ लैंगिक समता तथा निर्धनों को सम्मान दिलाना जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करना हमारा लक्ष्य होगा। अपने करोड़ों लोगों को दयनीय निर्धनता से बाहर निकालना स्वतन्त्र भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही है। महात्मा गाँधी हमेशा इस पर बल देते थे कि भारत सही अर्थों में तभी स्वतन्त्र होगा जब यहाँ का सबसे निर्धन व्यक्ति भी मानवीय व्यथा से मुक्त होगा।