JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

→ सन् 1774 में बू| राजवंश का लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी पर बैठा।

→अठारहवीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स–पादरी वर्ग, कुलीन वर्ग और जनसाधारण वर्ग में बँटा हुआ था।

→ केवल तीसरे एस्टेट्स-जनसाधारण वर्ग के लोग ही शासक को ‘कर’ चुकाया करते थे।

→ लुई XVI ने 5 मई 1789 को नये करों के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जेनराल की बैठक बुलाई। 14 जुलाई 1789 की सुबह पेरिस नगर में आतंक का माहौल था।

→ सम्राट की निरंकुश शक्तियों के प्रतीक बास्तील के किले को लोगों ने ढहा दिया।

→ प्रजा के विद्रोह के बाद लुई XVI ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी तथा अपनी सत्ता पर संविधान के अंकुश को स्वीकार कर लिया। सन् 1791 में संविधान ने कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को दे दिया।

→ फ्रांस का संविधान “पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र’ के साथ शुरू हुआ था। अठारहवीं शताब्दी में अधिकांश पुरुष एवं महिलाएँ पढ़े-लिखे नहीं थे। इसलिए उस समय महत्वपूर्ण विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए छपे हुए शब्दों के बजाय अक्सर आकृतियों एवं प्रतीकों का प्रयोग किया जाता था।

→ अप्रैल 1792 में नेशनल असेंबली ने प्रशा एवं ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

→ 21 सितंबर 1792 को कन्वेंशन ने फ्रांस को एक गणतंत्र घोषित किया इसी के साथ राजतंत्र का अन्त हो गया।

→ लुई XVI को 21 जनवरी 1793 में देशद्रोह के आरोप में फाँसी दे दी गई।

→ फ्रांस में पाँच सदस्यों वाली कार्यपालिका–डिरेक्ट्री की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

→ फ्रांसीसी क्रान्ति में महिलाओं की भी सक्रिय भूमिका रही। दास व्यापार सत्रहवीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ था।

→ सन् 1794 ई. के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया।

→ फ्रांसीसी उपनिवेशों में अन्तिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन सन् 1848 ई. में किया गया।

→ 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।

→ नेपोलियन ने निजी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाये तथा दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलायी।

→ स्वतन्त्रता एवं जनवादी अधिकारों के विचार फ्रांसीसी क्रान्ति की सबसे महत्वपूर्ण विरासत थे।

→ भारत के टीपू सुल्तान एवं राजा राममोहन राय ने फ्रांस में उपजे विचारों से प्रेरणा ली।

→ सन् 1774 ई. — बूढे राजवंश का लुई सोलहवाँ फ्रांस का राजा बना, जब वह राजा बना तब राज्य का खजाना खालीथा।

→ सन् 1789 ई. — एस्टेट्स जेनराल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक , तृतीय एस्टेट द्वारा वर्साय के टेनिस-कोर्ट में नेशनल असेम्बली का गठन, जनता द्वारा लुई सोलहवें के विरुद्ध फ्रांस की राज्य-क्रान्ति, बास्तील के किले का पतन, नेशनल असेम्बली द्वारा पुरुषों एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का विद्रोह, फ्रांस में सामन्तवाद का अन्त चर्च की सम्पत्ति का अधिग्रहण।

→ सन् 1791 ई. — संविधान का निर्माण किया गया, ताकि राजा की शक्तियों को सीमित किया जा सके एवं सभी नागरिकों को मूलभूत अधिकार प्रदान किए जा सकें।

→ सन् 1792 ई. — पेरिस के निवासियों के द्वारा ‘ट्यूलेरिए के महल’ पर धावा। नवनिर्वाचित असेम्बली ‘कन्वेंशन’ द्वारा राजतन्त्र का अन्त।

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→ सन् 1792-93 ई. — फ्रांस एक गणतन्त्र बना, लुई सोलहवें का सिर काट दिया गया, जैकोबिन-गणराज्य का तख्ता पलट दिया गया तथा फ्रांस पर एक डिरेक्ट्री का शासन स्थापित हो गया।

→ सन् 1804 ई. — नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का शासक बना, यूरोप के अनेक भागों पर उसने अधिकार कर फ्रांस में मिला लिया।

→ सन् 1815 ई. — वॉटर लू के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट पराजित हुआ।

→ सन् 1848 ई. — फ्रांसीसी उपनिवेशों में अन्तिम रूप से दासता की समाप्ति।

→ सन् 1946 ई. — फ्रांस में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

→ लुई सोलहवाँ – सन् 1774 ई. में लुई सोलहवाँ फ्रांस का सम्राट बना। वह अदूरदर्शी था, परिणामस्वरूप फ्रांस की जनता में उसके प्रति असन्तोष बढ़ता गया और जनता ने राजसत्ता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

→ मेरी एन्तोएनेत – ऑस्ट्रिया की राजकुमारी, लुई सोलहवें की पत्नी।

→ रूसो – रूसो एक फ्रांसीसी दार्शनिक था। उसने जनता और उसके प्रतिनिधियों के मध्य एक सामाजिक अनुबन्ध पर आधारित सरकार का प्रस्ताव रखा। वह “सामाजिक समझौता” (The Social Contract) नामक ग्रन्थ का लेखक था।

→ आबेसिए – ‘नेशनल असेम्बली’ का नेता जिसका गठन सन् 1789 ई. में हुआ था। उसने एक प्रभावशाली पैम्फ्लेट लिखा, “वाट इज द थर्ड एस्टेट”।

→ मिराब्यो – नेशनल असेम्बली का नेतृत्व करने वाला एक नेता, वह सामंती विशेषाधिकारों वाले समाज को खत्म करने की आवश्यकता से सहमत था। उसने एक पत्रिका निकाली और वर्साय में जुटी भीड़ के समक्ष जोरदार भाषण भी दिया।

→ नेशनल असेम्बली – 20 जून, सन् 1789 ई. को वर्साय के इन्डोर टेनिस कोर्ट में तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधियों द्वारा गठित असेम्बली।

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→ जॉन लॉक – जॉन लॉक एक दार्शनिक था, उसने अपने ग्रन्थ ‘टू ट्रीटाइजेज ऑफ गवर्नमेंट’ में राजा के ‘दैवी और निरंकुश अधिकारों’ के सिद्धान्त का विरोध किया।

→ मॉण्टेस्क्यू – मॉण्टेस्क्यू फ्रांस का एक स्वतन्त्र विचारक एवं ‘द स्पिरिट ऑफ द लॉज’ नामक ग्रन्थ का लेखक था। उसने ‘शक्ति पृथक्करण’ के सिद्धान्त का प्रतिपादन भी किया था।

→ कैमिल डेस्मॉलिन्स – फ्रांस का क्रान्तिकारी पत्रकार। रोबेस्प्येर के शासनकाल के दौरान सन् 1793 ई. में इसे फाँसी दे दी गई।

→ रोबेस्प्येर – रोबेस्प्येर जैकोबिन दल का शक्तिशाली सदस्य एवं नेता था। उसने नियन्त्रण एवं दण्ड की सख्त नीति अपनाई। रोबेस्प्येर ने हजारों निर्दोष व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया। इसने सन् 1793 ई. से सन् 1794 ई. तक फ्रांस पर शासन किया। इस काल को आतंक का युग कहा जाता है। जुलाई सन् 1794 ई. को रोबेस्प्येर को बन्दी बनाकर उसका वध कर दिया गया।

→ ओलम्प दे गूज – ‘ओलम्प दे गूज’ एक महान फ्रांसीसी महिला थो, जिसने फ्रांस की महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। उसे फाँसी पर लटका दिया गया।

→ आर्थर यंग – सन् 1787-1789 ई. के मध्य फ्रांस की यात्रा करने वाला एक अंग्रेज, इसने अपनी यात्रा का वृत्तान्त लिखा था।

→ नेपोलियन बोनापार्ट – सन् 1804 ई. में फ्रांस का सम्राट बना। यूरोप के कई देशों पर अधिकार कर फ्रांस में मिलाया। सन् 1815 ई. में वॉटर लू की लड़ाई में पराजित।

→ राजा राममोहन रॉय – फ्रांसीसी क्रांति के समय यूरोप में फैलने वाले विचारों से प्रभावित भारतीय नेता। लिवे-फ्रांसीसी मुद्रा जिसका सन् 1794 ई. में प्रचलन रोक दिया गया।

→ एस्टेट – फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व समाज में सत्ता एवं सामाजिक हैसियत को अभिव्यक्त करने वाली श्रेणी। पादरी वर्ग-चर्च के विशेष कार्यों के करने वाले व्यक्तियों का समूह।

→ टाइल – राज्य को सीधे अदा किया जाने वाला एक प्रत्यक्ष ‘कर’। टाइद-चर्च द्वारा लिया जाने वाला धार्मिक ‘कर’ जो कृषि-उपज के दसवें हिस्से के बराबर होता था। जीविका

→ संकट – ऐसी स्थिति जन जीवित रहने के लिए आवश्यक साधन भी खतरे में पड़ने लगते हैं। अनाम-जिसका नाम मालूम न हो।

→ मार्सिले – मार्सिले फ्रांस का ‘राष्ट्रगान’ है, जिसे कवि रॉजेट दि लाइल द्वारा लिखा गया था। इसे प्रथम बार मार्सिलेस के स्वयंसेवकों ने पेरिस की ओर प्रस्थान करते समय गाया था।

→ कॉन्वेंट – धार्मिक जीवन को समर्पित समूह का भवन।

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→ गिलोटिन – गिलोटिन एक मशीन थी जिसका आविष्कारक डॉ. गिलोटिन था। यह दो खम्भों के बीच लटकी हुई आरे वाली मशीन थी जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था।

→ डिरेक्ट्री – विधान परिषदों द्वारा नियुक्त पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका।

→ बास्तील – पेरिस के पूर्वी भाग में स्थित दुर्ग। यह दुर्ग बन्दीगृह के रूप में प्रयोग होता था। क्रोधित भीड़ द्वारा इसे 14 जुलाई, सन् 1789 ई. को तोड़ दिया गया।

→ जैकोबिन – फ्रांसीसी लोगों का राजनीतिक क्लब जिसका गठन सरकारी नीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए किया गया। इसका नाम पेरिस के भूतपूर्व कॉन्वेंट ऑफ सेंट जेकब के नाम पर पड़ा।

→ सौ कुलात – जैकोबिनों को सौ कुलॉत के नाम से जाना गया। जिसका शाब्दिक अर्थ है-बिना घुटन्ने वाले। जैकोबिन पुरुष लाल रंग की टोपी पहनते थे, जो स्वतंत्रता का प्रतीक थी।

→ नीग्रो – अफ्रीका में सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में रहने वाले स्थानीय लोग।

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