JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) नाइट्रोजन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
नाइट्रोजन।

2. वह वायुमण्डलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है
(A) समतापमण्डल
(B) क्षोभमण्डल
(C) मध्यमण्डल
(D) आयनमण्डल।
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

3. समुद्री नमक, पराग, राख, धुएं की कालिमा, महीन मिट्टी-ये किससे सम्बन्धित हैं?
(A) गैस
(B) जलवाष्प
(C) धूलकण
(D) उल्कापात।
उत्तर:
धूलकण।

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4. निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगनय हो जाती है?
(A) 90 कि० मी०
(B) 100 कि० मी०
(C) 120 कि० मी०
(D) 150 कि० मी०।
उत्तर:
(C) 120 कि० मी०।

5. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हीलियम
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है तथा पृथ्वी का एक अभिन्न अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है।

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प्रश्न 2.
मौसम एवं जलवायु के प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
वायुमण्डल दशाएं जो मौसम की रचना करती हैं मौसम के तत्व कहलाती हैं। जैसे:

  1. तापमान
  2. समुद्र तल से ऊंचाई
  3. पवनें
  4. धूप
  5. आर्द्रता
  6. मेघावरण
  7. वर्षा
  8. धुन्ध तथा कोहरा।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना के बारे में लिखें।
उत्तर:
वायुमण्डल में ऑक्सीजन (21%) तथा नाईट्रोजन प्रमुख गैसें हैं। शेष गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथैन, ओज़ोन, हाईड्रोजन हैं।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल के सभी संस्तरों में क्षोभ मण्डल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है जो कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है

  1. पृथ्वी के धरातल पर जलवायु स्थितियों का निर्माण करने वाली महत्त्वपूर्ण क्रियाएं इसी परत में होती हैं।
  2. इस परत में गैसों, धूल-कण तथा जलवाष्प की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसलिए मेघ, वर्षा, कोहरा आदि क्रियाएं इसी परत में होती हैं।
  3. इस अस्थिर भाग में संवाहिक धाराएं चलती हैं जो ताप और आर्द्रता को ऊंचाई तक ले जाती हैं।
  4. इस भाग में संचालन क्रिया द्वारा वायुमण्डल की विभिन्न परतें गर्म होती हैं। ऊंचाई के साथ-साथ तापमान कम होता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है।
  5. इस भाग में अस्थिर वायु के कारण वायु विक्षोभ तथा आंधी तूफान चलते हैं। वायु परिवर्तन के कारण मौसम परिवर्तन होता रहता है।
  6. क्षोभमण्डल के मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में ही चक्रवात उत्पन्न होते हैं। उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत है जो मानवीय  या-कलापों पर प्रभाव डालती है।

वायुमण्डल में मौजूद विभिन्न गैसों का महत्त्व निम्नलिखित है:

  1. नाइट्रोजन-नाइट्रोजन एक अक्रियाशील गैस है। यह मानव तथा जीव-जन्तुओं की सुरक्षा करती है। जानवरों तथा पौधों के लिए यह एक आवश्यक गैस है।
  2. ऑक्सीजन-शुष्क वायु में ऑक्सीजन की मात्रा 20.95% होती है। ऑक्सीजन का महत्त्व मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड-यह गैस सौर विकिरण को सोख लेती हैं। यह एक ग्रीन हाऊस गैस है। इसकी वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।
  4. ओज़ोन-यह गैस वायुमण्डल के ऊपरी भाग में महत्त्वपूर्ण है। यह गैस सूर्य की परा बैंगनी किरणों को सोख कर पृथ्वी को इसके प्रभाव से बचाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल के संगठन (रचना) की व्याख्या करो।
उत्तर:
वायुमण्डल अनेक गैसों, जलवाष्प तथा धूल-कणों के मिश्रण से बना हुआ है।

1. गैसें (Gases) वायुमण्डल में ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन प्रमुख गैसें हैं । नाइट्रोजन की मात्रा 78% तथा ऑक्सीजन की मात्रा 21% है। शेष 1% में अन्य गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, ओज़ोन, आर्गन, हाइड्रोजन, हीलियम आदि शामिल हैं। इन गैसों की मात्रा कम व अधिक होती रहती है। भारी गैसें वायुमण्डल की निचली परतों में तथा हल्की गैसें ऊपरी परतों में पाई जाती हैं।

ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड जीव-जन्तुओं तथा पौधों का आधार हैं। 120 कि० मी० की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 कि० मी० की ऊंचाई तक ही पाए जाते हैं। विभिन्न गैसों की मात्रा इस प्रकार है

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प्रश्न 2.
वायुमण्डल का चित्र खींचो और इसकी संरचना की व्याख्या करो।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना अथवा परतें (Structure or Layers of the Atmosphere):
ऊंचाई के साथ वायु दाब तथा ऊष्णता कम होती जाती है । अत: इसी को आधार मान कर वायुमण्डल को निम्नलिखित परतों में विभक्त करते हैं

(i) क्षोभ मण्डल तथा अधोमण्डल (Troposphere): वायुमण्डल की क्षैतिज परतों में से क्षोभमण्डल सबसे निचली परत है। भूतल से इसकी रेडियो तरंगें मध्यमान ऊंचाई 13 किलोमीटर है। इसमें जलवाष्प,धूल-कण तथा भारी गैसें मिलती हैं। इस मण्डल का मानव के लिए महत्त्व अत्यधिक है। क्योंकि ऋतु परिवर्तन तथा ऋतु से सम्बन्धित अन्य कार्य इसी परतमें होते हैं।

इसमें निरन्तर पवनें तथा संवहनीय धाराएं (Con-vectional Currents) चलती हैं। क्षोभ मण्डल समताप मण्डल में ऊंचाई के अनुसार तापमान निम्न हो जाता है। प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1° सेण्टीग्रेड तापमान कम क्षोभ सीमा होता जाता है। इस मण्डल में परिवर्तन होते रहते हैं।

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(ii) मध्यस्तरअथवा क्षोभसीमा (Tropopause):
तापमान (फ) यह वायुमण्डल की वह परत है जहां क्षोभमण्डल समाप्त हो जाता है। एक अन्य नवीन परत समताप प्रारम्भ हो जाती है। मध्यस्तर की चौड़ाई लगभग [latex}1 \frac{1}{2} [/latex] किलोमीटर है। इस परत में प्रविष्ट होते ही क्षोभमण्डल की पवन तथा संवहनीय धाराएं समाप्त हो जाती हैं। यहां तापमान स्थिर रहता है। वायु तापमान भूमध्य रेखा पर -80° C तथा ध्रुवों पर -45° C रहता है।

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(iii) समतापमण्डल (Stratosphere):
मध्यस्तर के ऊपर समताप मण्डल है। इसकी ऊंचाई भूमध्य रेखा पर अधिक तथा ध्रुवों पर कम है। इसी प्रकार ग्रीष्मकाल में इसकी ऊंचाई शीतकाल की अपेक्षा अधिक होती है। स्पूतनिकों (Sputniks) द्वारा किए अन्वेषणों से इसकी ऊंचाई 16 से 80 किलोमीटर तक आंकी गई है। इस मण्डल में ऊंचाई के अनुसार तापमान में वृद्धि नहीं होती अपितु यह समान रहता है। इसमें विकिरण (Radiation) द्वारा ताप क्षोभसीमा. का ग्रहण ताप की मुक्ति के समान होता है। फलत: इसे क्षोभमण्डल समताप मण्डल कहते हैं। ध्रुवों के ऊपर -45° C तथा भूमध्यरेखा पर -80° तापमान रहता है।

(iv) ओज़ोन मण्डल (Ozonesphere):
इस मण्डल में ओजोन गैस की प्रधानता के कारण इसे ओज़ोन मण्डल कहते हैं। ओजोन गैस सूर्य से निकलने वाली अत्यन्त ऊष्ण पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। वायुमण्डल में यदि यह परत न होती तो पृथ्वी पर विद्यमान प्राणी जीवन को अपार हानि होती । पराबैंगनी किरणों से मनुष्य अन्धे हो जाते हैं तथा उनका शरीर झुलस जाता है। इस मण्डल की ऊंचाई 20 से 80 किलोमीटर तथा प्रति किलोमीटर ऊंचाई पर 16° सैण्टीग्रेड तापमान बढ़ जाता है अतः यह मण्डल अत्यन्त गर्म है।

(v) मध्य मण्डल (Merosphere):
यह समताप मण्डल से ऊपर 80 कि० मी० की ऊंचाई तक इसका विस्तार है। ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ने लगता है। 80 कि० मी० की ऊंचाई तक तापमान-100°C होता है। ऊपरी सीमा को मध्य सीमा कहते हैं।

(vi) आयन मण्डल (Ionosphere):
यह मण्डल 80 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर विद्यमान है। इसमें तापमान का वितरण असमान एवं अनिश्चित है। इस मण्डल में बड़ी ही विस्मयकारी विद्युतकीय घटनाएं दृष्टिगोचर होती हैं। इस परिमण्डल में विद्युत् से चार्ज कण ईओन मिलते हैं। पृथ्वी से ऊपर जाने वाली रेडियो तरंगें पृथ्वी पर पुनः लौट आती हैं।

(vi) बाह्य मण्डल (Exosphere):
वायुमण्डल की यह सर्वोच्च परत है जिसकी ऊंचाई 400 किलोमीटर से अधिक है। अधिकांशतः इसमें हाइड्रोजन तथा हीलियम गैसें विद्यमान हैं। यहां वायु विरल है। यहां का तापमान 6,000° सैण्टीग्रेड होने का अनुमान है।

 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना JAC Class 11 Geography Notes

→ मौसम (Weather)-मौसम शब्द का अर्थ है “किसी स्थान पर किसी विशेष या निश्चित समय में वायुमण्डल की दशाओं, तापक्रम, दबाव, हवाओं, नमी, मेघ और वर्षा के कुल जोड़ का अध्ययन करना।” जलवायु (Climate)-किसी स्थान की जलवायु उस स्थान पर एक लम्बे समय की वायुमण्डल की दशाओं के कुल जोड़ का अध्ययन होती है। यह एक लम्बे समय का औसत मौसम होती है।

→ मौसम तथा जलवायु के तत्त्व (Elements of Weather and Climate): मौसम के तत्त्व हैं

  • तापमान
  • दबाव
  • हवाएं
  • धूप
  • मेघावरण
  • आर्द्रता
  • वर्षा
  • धुन्ध तथा कोहरा।

जलवायु के तत्त्व हैं

  • अक्षांश
  • समुद्र तल से ऊंचाई
  • स्थल तथा जल का वितरण
  • वायुदाब का वितरण
  • प्रचलित पवनें
  • महासागरीय धाराएं
  • पर्वतीय अवरोध।

→ वायुमण्डल (Atmosphere): पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है तथा पृथ्वी का एक अभिन्न । अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है। यहां जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन आदि मिलती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ वायुमण्डल का संघटन (Composition of Atmosphere): वायुमण्डल की संरचना मुख्य तीन तत्त्वों द्वारा होती है(1) गैसें (Gases) नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%) तथा अन्य (1%)।

→ जल वाष्प (Water Vapour): वायुमण्डल में 2% जल वाष्प पाया जाता है।

→ धूल कण (Dust Particles): ये सूर्यताप को जज़ब करके बादल तथा धुन्ध की रचना करते हैं।

→ वायुमण्डल की परतें (Layers of Atmosphere): तापमान तथा घनत्व के आधार पर वायुमण्डल को निम्नलिखित पांच परतों में बाँटा जा सकता ह

  • क्षोभमण्डल या अधोमण्डल (Troposphere): सबसे निचली परत।
  • समताप मण्डल (Stratosphere): क्षोभ मण्डल से ऊपरी परत।
  • ओज़ोन मण्डल (Ozonesphere): ओज़ोन गैस क्षेत्र।
  • आयन मण्डल (lonosphere): आयन गैस क्षेत्र।
  • बाह्य मण्डल (Exosphere): सबसे बाहरी परत।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. स्थलरूप विकास की किस अवस्था में अधोमुख कटाव प्रमुख होता है?
(A) तरुणावस्था
(B) प्रथम प्रौढावस्था
(C) अन्तिम प्रौढ़ावस्था
(D) जीर्णावस्था।
उत्तर:
तरुणावस्था।

2. एक गहरी घाटी जिसकी विशेषता सीढ़ीनुमा खड़े ढाल होते हैं, वह किस नाम से जानी जाती है?
(A) U. आकार घाटी
(B) अन्धी घाटी
(C) गार्ज
(D) कैनियन।
उत्तर:
कैनियन।

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3. निम्न में से किन प्रदेशों में रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया यान्त्रिक अपक्षय प्रक्रिया से अधिक शक्तिशाली है?
(A) आर्द्र प्रदेश
(B) शुष्क प्रदेश
(C) चूना पत्थर प्रदेश
(D) हिमनद प्रदेश।
उत्तर:
आर्द्र प्रदेश।

4. निम्न में से कौन-सा वक्तव्य लेपीज़ (Lapies) शब्द को परिभाषित करता है?
(A) छोटे से मध्यम आकार के उथले गर्त
(B) ऐसे स्थलरूप जिनके ऊपरी खुलाव वृत्ताकार व नीचे से कोण के आकार के होते हैं
(C) ऐसे स्थलरूप जो धरातल से जल के टपकने से बनते हैं
(D) अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।
उत्तर:
अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।

5. शहरे, लम्बे विस्तृत गर्त या बेसिन जिनके शीर्ष दिवाल खड़े ढाल वाले व किनारे खड़े व अवतल होते हैं, उन्हें रहते हैं?
(A) सर्क
(B) पाश्विक हिमोढ़ा
(C) घाटी हिमनद
(C) एस्कर।
उत्तर:
(A) सर्क।

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6. तटीय भागों में जान-माल के लिये सबसे खतरनाक तरंग कौन-सी है?
(A) स्थानांतरणी तरंग
(B) अधःप्रवाह
(C) सुनामी
(D) भम्नोमि।
उत्तर:
सुनामी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चट्टानों में अधःकर्तित विसर्प और मैदानी भागों में जलोढ़ के सामान्य विसर्प क्या बताते हैं?
उत्तर:
नदी के बाढ़ मैदान तथा डैल्टा में मन्द ढाल के कारण जलोढ़ के विसर्प बनते हैं। ये विसर्प लूप आकार के होते हैं। ये क्षैतिज कटाव को प्रकट करते हैं। कठोर चट्टानों में गहरे कटाव के कारण अधः कर्तित विसर्प बनते हैं। ये लगातार उत्थान के कारण गहरे होते जाते हैं तथा गहरे गार्ज व कैनियन का रूप बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
घाटी रंध्र अथवा युवाला का विकास कैसे होता है?
उत्तर;
चूना पत्थर चट्टानों के तल पर घुलन क्रिया द्वारा घोल गर्मों का विकास होता है। ये कार्ट क्षेत्र में मिलते हैं। यह एक प्रकार के छिद्र होते हैं जो ऊपर से वृत्ताकार व नीचे कीप की आकृति के होते हैं। कन्दराओं की छत गिरने से कई घोल रंध्र आपस में मिल जाते हैं जो लम्बी, तंग तथा विस्तृत खाइयाँ बनती हैं जिन्हें घाटी रंध्रया युवाला कहते हैं।

प्रश्न 3.
हिमनद घाटियों में कई रैखिक निक्षेपण स्थल रूप मिलते हैं। इनकी अवस्थिति व नाम बताएं।
उत्तर:
हिमनदी घाटी में मृतिका के निक्षेप से कई स्थल कम मिलते हैं जिन्हें हिमोढ़ कहते हैं। हिमनदी के समानांतर पार्शिवक हिमोढ़ बनते हैं। दो पार्शिवक हिमोढ़ मिल कर मध्य भाग में मध्यस्थ हिमोढ़ बनाते हैं। हिमनदी के तल पर तलस्थ हिमोढ़ मिलते हैं। हिमनद के अन्तिम भाग में अन्तस्थ हिमोढ़ मिलते हैं।

(ग) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर;
भू-तल को समतल करने वाले बाह्य कार्यकर्ताओं में नदी का कार्य सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्षा का जो जल धरातल पर बहते पानी (Run off) के रूप में बह जाता है, नदियों का रूप धारण कर लेता है। नदी का कार्य तीन प्रकार का होता है

  1. अपरदन (Erosion)
  2. परिवहन (Transportation)
  3. निक्षेप (Deposition)

1. अपरदन (Erosion) नदी का मुख्य कार्य अपनी तली तथा किनारों पर अपरदन करना है।
अपरदन की विधियां (Types of Erosion): नदी का अपरदन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है

  • रासायनिक अपरदन (Chemical Erosion): यह अपरदन घुलन क्रिया (Solution) द्वारा होता है। नदी जल के सम्पर्क में आने वाली चट्टानों के नमक (Salts) घुलकर पानी के साथ मिल जाते हैं।
  • भौतिक अपरदन (Mechanical Erosion): नदी के साथ बहने वाले कंकड़, पत्थर आदि नदी की तली तथा किनारों को काटते रहते हैं। किनारों के कटने से नदी चौड़ी और तल के कटने से गहरी होती है।

भौतिक कटाव तीन प्रकार के होते हैं
(a) शीर्षवत् अपरदन (Down Cutting)
(b) तटीय अपरदन (Side Cutting)
(c) संनिघर्षण (Attrition)

नदी के अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं:
I. ‘V’ आकार घाटी (‘V’ Shaped Valley):
नदी पर्वतीय भाग में अपने तल को गहरा करती है जिसके कारण ‘V’ आकार की गहरी घाटी बनती है। ऐसी घाटियों को कैनियन (Canyons) या प्रपाती खड्ड कहते हैं और जो कठोर तथा शुष्क प्रदेशों में बनती हैं।
उदाहरण: (i) अमेरिका (U.S.A.) में कोलोरेडो घाटी में ग्रैंड कैनियन (Grand Canyon) 200 किलोमीटर लम्बी तथा 2,000 मीटर गहरी है। यह (I) आकार की है।

II. गार्ज (Gorges):
पर्वतीय भाग में बहुत गहरे और तंग नदी मार्ग को गार्ज (Gorge) या कन्दरा कहते हैं। पर्वतीय प्रदेश ऊंचे उठते रहते हैं, परन्तु नदियां लगातार गहरा कटाव करती रहती हैं। इस प्रकार ऐसे नदी का निर्माण होता है जिसकी दीवारें लम्बवत् होती हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी तथा हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी गहरे गार्ज बनाती हैं।

III. जल प्रपात तथा क्षिप्रिका (Waterfall and Rapids):
जब अधिक ऊँचाई से जल अधिक वेग से कठोर चट्टान खड़े ढाल पर बहता है तो उसे जल प्रपात कहते हैं। जलप्रपात चट्टानों की भिन्न-भिन्न रचना के कारण बनते हैं।
(क) जब कठोर चट्टानों की परत नर्म चट्टानों की परत पर क्षैतिज (Horizontal) अवस्था में हो तो नीचे की नर्म चट्टानें जल्दी कट जाती हैं। चट्टान के सिरे पर जल-प्रपात बनता है। जल-प्रपात पीछे की ओर खिसकता मुलायम चट्टानें रहता है जिससे एक संकरी मगर गहरी घाटी का निर्माण होता है।
उदाहरण: (i) यू० एस० ए० में नियाग्रा जलप्रपात जो कि 120 मीटर ऊंचा है।
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(ii) विक्टोरिया जलप्रपात में पानी 50 मीटर की ऊंचाई से गिरता है।
(ख) जब कठोर तथा नर्म चट्टानें एक दूसरे के समानान्तर लम्बवत् (Vertical) हों तो कठोर चट्टान की ढाल पर जल-प्रपात बनता है।
उदाहरण: अमेरिका में यैलो स्टोन नदी (Yellow Stone River) का जल-प्रपात। जब कठोर तथा मुलायम चट्टानों की पर्ते एक-दूसरे के ऊपर बिछी हों तथा कुछ झुकी हों तो क्षिप्रिका (Rapids) की एक श्रृंखला बन जाती है। क्षिप्रिका कांगो नदी (Congo River) में लिविंगस्टोन फाल्ज (Livingstone Falls) नाम के 32 झरनों की एक श्रृंखला है।

IV. जलज गर्त (Pot Holes):
नदी के जल में चट्टानें भंवर उत्पन्न हो जाते हैं। नरम चट्टानों में गड्ढे बन जाते हैं। इनमें जल के साथ छोटे-बड़े पत्थर घूमते हैं। इन पत्थरों के घुमाव (Drilling) से भयानक गड्ढे बनते हैं जिन्हें जलज गर्त कहते हैं।
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2. परिवहन (Transportation):
अपरदन के पश्चात् नदी का दूसरा प्रधान कार्य परिवहन (Transportation) होता है। नदी खुर्चे हुए पदार्थ को अपने साथ बहाकर ले जाती है। इस पदार्थ को नदी का भार (Load of the River) कहते हैं।
नदी का परिवहन कार्य दो तत्त्वों पर निर्भर करता है

  1. नदी का वेग (Velocity of River): नदी के वेग तथा परिवहन शक्ति में निम्नलिखित अनुपात होता हैपरिवहन शक्ति = (नदी का वेग)
  2. जल की मात्रा (Volume of Water): नदी में जल की मात्रा तथा आकार के बढ़ जाने से नदी अधिक भार बहाकर ले जा सकती है।

3. निक्षेप (Deposition):
नदी का निक्षेप का कार्य रचनात्मक होता है। आर्थिक महत्त्व के स्थल रूप बनते हैं। अपरदन व निक्षेप एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों की दशाएं उलट होती हैं। नदी की निचली घाटी में निक्षेप की क्रिया होती है। यह निक्षेप नदी के तल में या नदी के किनारों पर या सागर में होता है। नदी की गहराई कम हो जाती है, परन्तु चौड़ाई बढ़ने लगती है। निक्षेप क्रिया द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

(i) जलोढ़ पंख (Alluvial Fans):
जब नदी पर्वत के सहारे नीचे उतर कर समतल भाग में प्रवेश करती है तो नदी का वेग एकदम कम हो जाता है; इसलिए पर्वतों की ढाल के आधार के पास अर्द्ध-वृत्ताकार रूप में पदार्थों का जमाव होता है जिसे जलोढ़ पंख कहते हैं। कई जलोढ़ पंखों के मिलने से भाबर क्षेत्र बना है।
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(ii) विसर्प अथवा घुमाव (Meanders):
नदी जब अपरदन अपरदन बल खाते हुए बहती है तो उसके टेढ़े-मेढ़े रास्ते में छोटेमोटे घुमाव पड़ जाते हैं जिन्हें नदी विसर्प (Meanders) निक्षेप कहते हैं। नदी के अवतल किनारों (Concave sides) पर तेज़ धारा के कारण-कटाव होता है परन्तु नदी के उत्तल किनारों (Convex sides) पर धीमी धारा के कारण निक्षेप निक्षेप होता है।
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(iii) गो-खुर झील (Ox-bow Lake):
जब दो घुमाव अति निकट आते हैं तो एक-दूसरे को काटते (Intersect) हैं तथा मिल जाते हैं। नदी में जब बाढ़ आती है तो नदी घुमाव के लम्बे मार्ग को छोड़ कर फिर छोटे (Short cut) व पुराने मार्ग से बहने लगती है। एक घुमाव का किनारा दूसरे घुमाव के किनारे से मिल जाता है। इस प्रकार एक धनुषाकार का घुमाव नदी से कट जाता है। इसे गो-खुर झील (Ox-bow Lake) कहते हैं। गंगा नदी के मार्ग में ऐसी कई गोखुर झीलें हैं।
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(iv) बाढ़ का मैदान (Flood Plain):
जब नदी में बाढ़ आती है तो नदी का भार किनारों को पार कर के दूरदूर तक जमा हो जाता है। इसमें कीचड़ और जलोढ़ मिट्टी (Silt) फैल जाती है। इसे बाढ़ का मैदान कहते हैं। ये मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं तथा प्रति वर्ष इनमें उपजाऊ मिट्टी की नई परत बिछ जाती है, जैसे-भारत में गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो (Hwang-Ho) का मैदान।
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(v) तटबन्ध (Leeves):
नदी के दोनों किनारों पर मिट्टी के जमाव द्वारा कम ऊंचाई वाले टीलों को तटबन्ध (Leeves) कहते हैं। बार-बार जमाव के कारण नदी का तल तथा किनारे बड़े ऊंचे होते हैं। कई बार बाढ़ के समय में किनारे टूट जाते हैं तो बहुत हानि होती है। भयंकर बाढ़ें आती हैं। चीन की ह्वांग-हो नदी की भीषण बाढ़ों का यही कारण है। इसलिए इसे ‘चीन का शोक’ कहते हैं।

(vi) डेल्टा (Delta):
समुद्र में गिरने से पहले नदी का भार अधिक हो जाता है तथा नदी की धारा बहुत धीमी हो जाती है। फलस्वरूप नदी अपने मुख पर अपने भार का निक्षेप कर देती है। समुद्र में नदी का निक्षेप एक मैदान के रूप में आगे बढ़ता है जिससे त्रिकोणाकार का स्थल रूप भूमध्य सागर बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द सिकन्द्रिया डेल्टा से मिलता-जुलता है तथा इसका प्रयोग सब से नील नदी पोर्ट सइद पहले नील नदी के डेल्टा के लिए किया गया था। डेल्टे दो प्रकार के होते हैं
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(क) नियमित (Regular): यह त्रिकोण आकार का होता है, जैसे-गंगा या नील नदी का डेल्टा।
(ख) अनियमित या पंजा डेल्टा (Irregular or Bird’s Foot Delta): यह डेल्टा पक्षी के पंजे के समान होता है जिससे बहुत-सी वितरिकाएं (Distributaries) होती हैं, जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी (Mississippi) नदी का डैल्टा। विभक्त धाराओं के जाल से बनी नदी को गुम्फित नदी कहते हैं। नील, पो, वालग आदि डेल्टाओं से गंगा, ब्रह्मपुत्र डेल्टा सब से बड़ा है जिसका क्षेत्रफल 1,25,000 वर्ग० कि० मी० है।

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प्रश्न 2.
हिमनदी ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाड़ियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है? बताइए।
उत्तर:
हिमनदी (Glacier): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। (A Glacier is a large mass of moving ice.)
हिमनदी के कारण: हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेती है। लगातार हिमपात के कारण हिम खण्डों का भार बढ़ जाता है। यह हिम समूह निचले ढलान की ओर खिसकने लगता है इसे हिमनदी कहते हैं। हिमनदी के खिसकने के कई कारण हैं

  1. अधिक हिम का भार (Pressure)
  2. ढाल (Slope)
  3. गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravity)

हिमनदी के प्रकार (Types of Glaciers): आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की होती हैं

  1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers)
  2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers)

1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers):
इन्हें पर्वतीय हिमनदी (Mountain Glaciers) भी कहते हैं। ये हिम नदी ऊँचे पर्वतों की चोटियों से उतर कर घाटियों में बहती है। सबसे पहले आल्पस पर्वत (Alps) में मिलने के कारण इन्हें अल्पाइन (Alpine) हिमनदी भी कहते हैं। हिमालय पर्वत पर इस प्रकार के कई हिमनद हैं, जैसे-गंगोत्री हिमनद।

2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers):
विशाल ध्रुवीय क्षेत्रों में फैले हुए हिमनद को महाद्वीपीय हिमनदी या हिम चादर (ice sheets) कहते हैं । लगातार हिमपात, नीचे तापक्रम तथा कम वाष्पीकरण के कारण हिम पिघलती नहीं। संसार की सबसे बड़ी हिम चादर अण्टार्कटिका (Antartica) 130 लाख वर्ग कि०मी० क्षेत्र में 4000 फुट मोटी है।

ग्रीनलैंड में ऐसी चादर का क्षेत्रफल 17 लाख वर्ग कि०मी० है। हिम क्षेत्रों में खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। जल की भांति हिमनदी अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप तीनों कार्य करती है। हिमनदी पर्वतीय प्रदेशों में अपरदन का कार्य, मैदानों में निक्षेप का कार्य तथा पठारों पर रक्षात्मक कार्य करती है। अपरदन (Erosion): हिमनदी अनेक क्रियाओं द्वारा अपरदन का कार्य करती है

  1. उखाड़ना (Plucking)
  2. गड्ढे बनाना (Grooving)
  3. 41411 (Grinding)

हिमनदी अपने मार्ग से बड़े-बड़े पत्थरों को उखाड़ कर गड्ढे उत्पन्न कर देती है। यह पत्थर चट्टानों के साथ रगड़ते, घिसते चलते हैं तथा हिमनदी की तली तथा किनारों को चिकना बनाते हैं। पर्वतीय प्रदेशों की रूपरेखा बदल जाती है।

अपरदन द्वारा बने भू-आकार:
I. हिमागार (Cirque):
पर्वतीय ढलानों पर गोल आकार के गड्ढों को हिमागार या सर्क कहते हैं। (“Cirques are semi-circular hollows at the side of
mountain.”) इनका आकार आराम कुर्सी के समान होता है। पाले द्वारा तुषार चीरण (Frost Wedging) की क्रिया से इनका आकार बड़ा हो जाता है। कभी-कभी इन गड्ढों में झील बन जाती है जिसे टार्न झील (Tarn Lake) कहते हैं। इन्हें फ्रांस में सर्क, स्कॉटलैण्ड में कौरी (Corrie) तथा जर्मनी में कैरन (Karren) कहते हैं।

II. श्रृंग (Horn):
जब किसी पहाड़ी के चारों ओर के सर्क आपस में मिल जाते हैं तो उनके पीछे के कटाव से नुकीली चोटियां बनती हैं। स्विटज़रलैण्ड में आल्पस पर्वत की एक प्रसिद्ध शृंग मैटर हार्न (Matter Horn) है तथा हिमालय पर्वत से त्रिशूल पर्वत।

III. कॉल (Col):
किसी पहाड़ी के दोनों ओर के हिमागारों के आपस में मिलने के कारण घोड़े की काठी जैसी आकृति वाला दर्रा बन जाता है जिसे कॉल कहते हैं।

IV. यू-आकार की घाटी (U-Shaped Valley):
जब हिमनदी किसी ‘V’ आकार की नदी घाटी में प्रवेश करती है तो उस घाटी का रूप ‘U’ अक्षर जैसा बन जाता है। यह घाटी गहरी हो जाती है। इसकी तली सपाट तथा चौरस होती है। इसके किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं। इसे हिमानी द्रोणी (Glacial trough) भी कहते हैं। जैसे उत्तरी अमेरिका में सेंट लारेंस घाटी (St. Lawrence Valley) समुद्र में डूबी हुई ‘U’ आकार की घाटियों को फियोर्ड (Fiord) कहते हैं, जैसे-नार्वे के तट पर।

V. लटकती घाटी (Hanging Valley):
हिमनदी की मुख्य घाटी अधिक गहरी होती है परन्तु उसमें मिलने वाली सहायक घाटी कम गहरी होती है। जब हिम पिघलती है तो सहायक घाटी मुख्य घाटी से ऊँची रह जाती है तथा मुख्य घाटी की दीवार के साथ संगम स्थल पर लटकती हुई प्रतीत होती है। इस लटकती घाटी का जल मुख्य घाटी में गिरता है तो प्रपात (Water Fall) का निर्माण होता है।

निक्षेप (Deposition):
जब हिमनदी पिघलती है तो उसका अधिकांश भाग अग्र भाग (snout) के निकट ही जमा हो जाता है। हिमनदी अपने भार को विभिन्न आकार तथा विस्तार के टीलों के रूप में जमा करती है। इन टीलों को हिमोढ़ (Moraines) कहते हैं। हिमोढ़ लम्बे कटक (Ridge) के रूप में लगभग 100 फीट ऊँचे होते हैं।

निक्षेप के स्थान के आधार पर हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं
1. पाश्विक हिमोढ़ (Lateral Moraines):
हिमनदी के किनारों के साथ-साथ बने लम्बे तथा संकरे हिमोढ़ को पाश्विक हिमोढ़ कहते हैं।

2. मध्यवर्ती हिमोढ़ (Medial Moraines):
दो मध्यवर्ती हिमोढ़ हिमनदियों के संगम के कारण उनके भीतरी किनारे वाले हिमोढ़ मिल कर एक हो जाते हैं। उसे मध्यवर्ती हिमोढ़ कहते हैं। कश्मीर में पर्वतीय चरागाह इन्हीं पर विकसित पाश्विक हिमोढ़ हुए हैं।

3. अन्तिम हिमोढ़ (Terminal Moraines):
अन्तिम हिमोढ़ हिमनदी के पिघल जाने पर हिमनदी के अन्तिम किनारे पर बने हिमोढ़ को अन्तिम हिमोढ़ कहते हैं।

4. तलस्थ हिमोढ़ (Ground Moraines):
हिमनदी की तली या आधार पर जमे हुए पदार्थ के ढेर को तलस्थ हिमोढ़ कहते हैं।

5. अन्य भू-आकार:
हिमनदी से पिघला हुआ जल कई स्थलाकारों को जन्म देता है। जलधाराओं से बारीक मिट्टी के निक्षेप से बाह्य मैदान (Out-wash plain) बनता है। उल्टी नाव या अंडे की शक्ल जैसी पहाड़ियां बनती हैं जिन्हें ड्रमलिन (Drumlin) कहते हैं। रेत, बजरी के निक्षेप से बनी कम ऊंचाई की श्रेणयों को एस्कर (Esker) कहते हैं। हिमनदी की अन्तिम सीमा पर टीलों की दीवार बन जाती है जिसे केमवेदिका कहते हैं।

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प्रश्न 3.
मरुस्थली क्षेत्रों में पवनें कैसे अपना कार्य करती हैं? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक स्थलरूपों का निर्माण करता है?
उत्तर:
मरुस्थलों व शुष्क प्रदेशों में वनस्पति व नमी की कमी के कारण वायु अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप कार्य करती है। इसलिए इसे शुष्क स्थल रूपरेखा (Arid Tropography) या वातज स्थल रूपरेखा भी कहते हैं। अपरदन के रूप-वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  1. नीचे का कटाव (Under Cutting)
  2. नालीदार कटाव (Gully Erosion)
  3. खुरचना (Scratching)
  4. चिकनाना (Polishing)

अपरदन (Erosion): वायु द्वारा अपरदन तीन प्रकार से होता है
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(ग) अपघर्षण (Abrasion):
वायु के धूलि-कण इसके अपरदन के यन्त्र (Tools) हैं। तीव्र गति वाली वायु धूलि-कणों को एक शक्ति के साथ चट्टानों से टकराती है। ये कण एक रेगमार (Sand paper) की भान्ति कटाव करते हैं। इस अपघर्षण की क्रिया से कई भू-आकार बनते हैं।

(i) छत्रक (Mushroom):
चट्टानों के निचले भाग व चारों तरफ से नीचे का कटाव (Under cutting) होता है। इस कटाव से एक पतले से आधार स्तम्भ (Pillar) के ऊपरी छतरी के आकार की चट्टानें खड़ी रहती हैं। नीचे की चट्टानें एक गुफा के समान कट जाती हैं। इसे छत्रक (Mushroom) या गारा (Gara) कहते हैं। चित्र-छत्रक जोधपुर के निकट छत्रक शैल मिलते हैं।
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(ii) ज्यूज़न (Zeugen):
ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज्यूज़न कहते हैं। ऊपरी भाग कठोर तथा कम चौड़ा होता है परन्तु निचला नरम भाग अधिक कटाव के कारण अधिक चौड़ा होता है।

(iii) यारडांग (Yardang):
वायु के लगातार एक ही दिशा में कटाव के कारण नुकीली चट्टानों का निर्माण होता है। इन्हें यारडांग कहते हैं। ये पसलियों (Ribs) की भान्ति तीव्र ढाल वाले होते हैं। ये भू-आकार चट्टानों के लम्ब (Vertical) रूप के कारण बनते हैं।

(iv) पुल तथा खिड़की (Bridge and Win-dow):
लम्बे समय तक कटाव के कारण चट्टानों की बीच बड़े-बड़े छिद्र बन जाते हैं। चट्टानों के आर-पार एक मेहराब (Arch) की आकृति का निर्माण हो जाता है, जैसे-U.S.A में Hope Window.

(v) इन्सेलबर्ग (Inselberg):
कठोर चट्टानों के ऊंचे टीलों को इन्सेलबर्ग कहते हैं। चारों ओर से कटाव के कारण ये तिरछी ढाल वाले तथा गुम्बदाकार होते हैं। ये ग्रेनाइट (Granite) तथा नीस (Gneiss) जैसी कठोर चट्टानों से बने होते हैं।

निक्षेप (Deposition): जब वायु का वेग कम हो जाता है तो उसे अपना भार कहीं-न-कहीं छोड़ना पड़ता है। इस निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस प्रदेश बनते हैं।

I. रेत के टीले (Sand Dunes):
जब रेत के मोटे कण टीलों के रूप में जमा हो जाते हैं तो उन्हें बालू का स्तूप कहते हैं (Sand dunes are hills of wind blown sand.)

  1. लम्बे बालूका स्तूप (Longitudinal dunes): ये प्रचलित वायु की दिशा के समानान्तर बनते हैं। इनकी आकृति लम्बी पहाड़ी की भान्ति होती है।
  2. आड़े बालूका स्तूप (Transverse dunes): ये प्रचलित पवन की दिशा के समकोण पर बनते हैं। इनकी शक्ल अर्द्ध-चन्द्राकार होती है।
  3. बरखान (Barkhans): यह अर्द्ध-चन्द्राकार टीले हैं जिनमें पवन मुखी ढाल उत्तल (Convex) तथा पवन विमुखी ढाल अवतल (Concave) होता है। इनकी आकृति दरांती (Sickle) या दूज के चांद (Crescent Moon) के समान होती है। बरखाना तुर्की शब्द है जिसका अर्थ है बालू की पहाड़ी। ये टीले खिसकते रहते हैं।

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II. लोएस (Loess):
दूर स्थानों से उठाकर लाई हुई बारीक मिट्टी के जमाव को लोएस कहते हैं। मरुस्थलों की सीमा पर रेत के बारीक कणों के निक्षेप में से लोएस प्रदेश बनते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में पीली मिट्टी का लोएस प्रदेश है जो 3 लाख वर्ग मील के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मिट्टी मध्य एशिया के गोबी मरुस्थल से लाई गई है। यह उपजाऊ मिट्टी है।

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प्रश्न 4.
चूना चट्टानें आर्द्र व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती है। क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख भू आकृतिक प्रक्रिया कौन सी है और इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
भूमिगत जल का कार्य (Work Underground Water):
भूमिगत जल का महत्त्वपूर्ण कार्य चूने के प्रदेशों में होता है। भूमिगत जल ऐसे प्रदेशों में विशेष प्रकार की भू-रचना का निर्माण करता है। ऐसे प्रदेश के पत्थरों के रेगिस्तान, वनस्पतिहीन तथा असमतल होते हैं। जल को वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड मिल जाती है। इसमें चूने का पत्थर घुल जाता है। ‘कार्ट’ शब्द यूगोस्लाविया के चूने की चट्टानों के प्रदेश से लिया गया है। इस प्रकार चूने की चट्टानों के प्रदेश की भू-रचना को कार्ट भू-रचना कहते हैं। ऐसे प्रदेश फ्रांस में, संयुक्त राज्य अमेरिका में, फ्लेरेडा तथा केन्टुकी प्रदेश, मैक्सिको में यूकाटन प्रदेश तथा भारत में खासी, रोहतास, पहाड़ियां, कांगड़ा घाटी व जबलपुर क्षेत्र हैं।

भूमिगत जल के कार्य (Works of Under-ground Water):
नदी, पवन, हिमनदी की तुलना में भूमिगत जल का कार्य कम महत्त्वपूर्ण है। इसका कारण भूमिगत जल की मन्द गति है। कम गति के कारण वास्तव में परिवहन का कार्य नहीं होता। अतः भूमिगत जल का कार्य मुख्यतः दो प्रकार से होता है

  • अपरदन (Erosion)
  • निक्षेप (Deposition)

I. अपरदन के रूप (Kinds of Erosion): भूमिगत जल द्वारा अपरदन के कई रूप हैं

  1. घुलने की क्रिया (Solution)
  2. जलगति क्रिया (Hydraulic Action)
  3. अपघर्षण (Abrasion)

अपरदन से बने भू-आकार (Land formed by Erosion):
(i) लैपीज़ (Lappies):
चूने के घुल जाने से गहरे गड्ढे बन जाते हैं। इनके बीच एक-दूसरे के समानान्तर पतली नुकीली पहाड़ियां दिखाई देती हैं। इन तेज़-धारी वाली पहाड़ियां (Knife-edged Ridges) को लैपीज़ या कैरन (Karren), क्लिन्ट (Clint) या बोगाज़ (Bogaz) कहते हैं। ऐसे प्रदेश में धरातल कटा-फटा दिखाई देता है। इन गड्ढों की दीवारें सीधी होती हैं।

(ii) घोल छिद्र (Sink Holes):
भूमिगत जल घुलन क्रिया से दरारों को बड़ा करता है तथा बड़े-बड़े तथा चौड़े गड्ढे बना देता है। इन खुले गड्ढों द्वारा नदियां नीचे चली जाती हैं। इन्हें डोलाइन (Doline) या विलय छिद्र (Swallow Holes) या घोल छिद्र (Sink Holes) कहते हैं। कई घोल छिद्रों के आपस में मिल जाने से एक गड्ढा बन जाता है जिसे युवाला (Uvala) कहते हैं। इन छिद्रों के कारण धरातल का जल-प्रवाह लुप्त हो जाता है तथा शुष्क घाटियां (Dry Valleys) बनती हैं। नदी जल भमि के नीचे अपनी घाटी बनाता है जिन्हें आधी घाटियां (Blind Valleys) कहते हैं। कई गड्ढों में वर्षा का पानी भर जाने से कार्ट झील (Karst Lake) बन जाती है।

(iii) गुफाएं (Caves):
घुलन क्रिया से भूमि के निचले भाग खोखले हो जाते हैं। धरातल पर कठोर भाग छत के रूप में खड़े रहते हैं। इस प्रकार भूमि के भीतर की मीलों लम्बी-चौड़ी गुफाएं बन जाती हैं। गहरी कन्दराओं को पोनोर (Ponor) कहते हैं, परन्तु लम्बी बरामदों जैसी गुफाओं में गैलरी (Galleries) का निर्माण होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के केन्टुकी के प्रदेश की मैमथ गुफाएं (Mammoth caves) संसार भर में प्रसिद्ध हैं जोकि 48 कि० मी० लम्बी हैं। भारत में मध्य प्रदेश के बस्तर जिले में कोतामसर (Kotamsar) की गुफाएं प्रसिद्ध हैं जिनका बड़ा अक्ष (Chamber) 100 मीटर लम्बा तथा 12 मीटर ऊंचा है।

(iv) प्राकृतिक पुल (Natural Bridges): जहां गुफाओं के कुछ अश नीचे धंस जाते हैं और कठोर भाग खड़े रहते हैं तो प्राकृतिक पुल बनते हैं जैसे आयरलैण्ड में मार्बल आर्क (Marble Arch)।

(v) राजकुण्ड (Poljes): गुफाओं की छतों के गिर जाने से भूतल पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इन विशाल गड्ढों को राजकुण्ड (Poljes) कहा जाता है।

II. निक्षेप (Deposition):
भूमिगत जल द्वारा निक्षेप निम्नलिखित दशाओं में होता है

  1. जब जल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो जाए।
  2. जल की घुलन शक्ति कम हो जाए।
  3. अधिक वाष्पीकरण से जल भाप बन जाए।
  4. जल की मात्रा कम हो जाए।
  5. खनिज के घुल जाने के पश्चात् जल स्वयं ही निक्षेप करता है।
  6. दबाव तथा तापक्रम कम होने से।

निक्षेप से बने भू-आकार (Land forms formed by Deposition): भूमिगत जल बड़ी मात्रा में खनिज पदार्थ घोल लेता है। इस पदार्थ के निक्षेप से कई भू-आकार बनते हैं
1. स्टैलैक्टाइट (Stalactite):
गुफा की छत से टपकते जल में चूना घुला रहता है। जब जल वाष्प बन जाता है तो चूने का कुछ अंश छत पर जमा हो जाता है। धीरे-धीरे उसकी लम्बाई नीचे की ओर बढ़ जाती है। इन पतले, नुकीले, लटकते हुए स्तम्भों को स्टैलैक्टाइट (Stalactite) कहते हैं। यह स्तम्भ मुड़ कर बाजे की पाइप (Organ Pipe) का रूप धारण कर लेते हैं। विचित्र आकार के कारण इन्हें लटकते हुए परदे (Hanging Curtains) भी कहा जाता है।

2. स्टैलैगमाइट (Staiagmite):
गुफा को छत से रिसने वाला जल नीचे फर्श पर चूने का निक्षेप करता है। यह जमाव ऊपर की ओर स्तम्भ का रूप धारण कर लेता है। इस मोटे व बेलनाकार स्तम्भ को स्टैलैगमाइट (Stalagmite) कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक गुफा में एक ऐसे स्तम्भ का आकार 60 मीटर तथा ऊंचाई 30 मीटर तक है।

3. कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar):
ये दोनों स्तम्भ बढ़ते-बढ़ते आपस में मिल जाते हैं तो गुफा की दीवार की भान्ति कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar) बन जाते हैं। ये स्तम्भ खोखले होते हैं। ये खटकाने से बहुत सुन्दर आवाज़ करते हैं। स्टैलैक्टाइट

4. हम्स (Hums):
ये विस्तृत चूने के ढेर होते स्टैलैगमाइट हैं। ये गुम्बदादार (Dome-shaped) होते हैं। ये विशाल गड्ढों में पॉलजी (Poljes) में जमा होते रहते हैं।

5. ड्रिप स्टोन (Drip Stone):
जब गुफा की छत से जल छिद्र से न गिर कर छत की दरारों से टपकता है, तो गुफा की तली में परदे के समान चूने का लम्बवत् चित्र-स्टैलैक्टाइट और स्टैलैगमाइट जमाव हो जाता है। इस जमाव को ड्रिप स्टोन कहते हैं।
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भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण के बाह्य कार्यकर्ता (External agents of change): निम्नलिखित प्रमुख बाह्य कार्यकर्ता जो भूतल पर परिवर्तन लाते हैं

  • अपक्षय
  • नदी
  • हिम नदी
  • पवन
  • सागरीय तरंगें।

→ नदी मार्ग के भाग (Sections of River Course): नदी मार्ग को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है

  • ऊपरी भाग या पर्वतीय भाग।
  • मध्यवर्ती भाग या मैदानी भाग
  • निचला भाग या डैल्टा भाग।

→ नदी का अपरदन कार्य (Work of Erosion by River) नदी द्वारा अपरदन के दो प्रकार हैं: घोलीकरण, यांत्रिक अपरदन-तटीय अपरदन, शीर्षवत् अपरदन तथा संनिघर्षण। अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

  • V-आकार घाटी
  • गार्ज तथा कैनियन
  • जलप्रपात
  • झरने।

नदी द्वारा निक्षेप से बनने वाले भू-आकार (Landforms formed by River Deposition)

  • जलोढ़ पंख
  • विसर्प
  • गोखुर झील
  • बाढ़ के मैदान
  • डैल्टा।

→ हिमनदी (Glaciers): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिम नदी कहते हैं। हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेतीहै। आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की हैं
घाटी हिम नदी।, महाद्वीपीय हिम नदी।

→ हिमनदी द्वारा अपरदन (Erosion by a glaciers): हिमनदी अपरदन का कार्य निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा करती है

  • उखाड़ना
  • गड्ढे बनाना
  • पीसना
  • चिकनाना।

→ इसके अपरदन से निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं।

  • हिमागार
  • श्रृंग
  • कॉल
  • U-आकार घाटी
  • लटकती घाटी।

→ हिमनदी द्वारा निक्षेप (Deposition by glaciers): हिमनदी के पिघलने पर इसके मलबे का निक्षेप होता है। यह निक्षेप टीलों के रूप में होता है जिसे हिमोढ़ कहते हैं। हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं|

  • पाश्विक हिमोढ़
  • मध्यवर्ती हिमोढ़
  • अन्तिम हिमोढ़
  • तलस्थ हिमोढ़।

→ वायु द्वारा अपरदन (Wind Erosion): वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  • नीचे का कटाव
  • नालीदार कटाव,
  • खुरचना
  • चिकनाना। वायु अपरदन में अपवाहन, अपघर्षण तथा संनिघर्षण महत्त्वपूर्ण हैं।

वायु अपरदन से:

  • छत्रक
  • यारडांग
  • ज्यूज़ेन
  • पुल
  • इन्सेलबर्ग बनते हैं।

→ वायु निक्षेप (Wind deposition): जब वायु का वेग कम होता है तो निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस निक्षेप बनते हैं। रेत के टीले तीन प्रकार के होते हैं

  • लम्बे बालूका स्तूप
  • आड़े बालूव’ स्तूप
  • बरखान टीले।

→ सागरीय तरंगें (Sea Waves): सागरीय तरंगों का कार्य तटों तक सीमित होता है। यह अपरदन ल दाब क्रिया, अपघर्षण, घुलन क्रिया द्वारा होता है। लहरों के अपरदन से खाड़िया, मृगु, गुफाएं, वात छिद्र तथा स्टक बनते हैं। लहरों द्वारा निक्षेप से पुलिन, रोधिकाएं, लैगून तथा स्पिट बनते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?
(A) निक्षेप
(B) ज्वालामुखीयता
(C) पटल-विरूपण
(D) अपरदन।
उत्तर:
अपरदन।

2. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(A) ग्रेनाइट
(B) क्वार्ट्ज
(C) चीका (क्ले) मिट्टी
(D) लवण।
उत्तर:
लवण।

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3. मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
(A) भूस्खलन
(B) तीव्र प्रवाही वृहत् संचलन
(C) मंद प्रवाही वृहत् संचलन
(D) अवतलन/धसकन।
उत्तर:
मंद प्रवाही वृहत् संचलन।

4. निम्न में कौन-सा कारक बृहत क्षरण को प्रभावित नहीं करता?
(A) विवर्तन
(B) चट्टानों का प्रकार
(C) गुरुत्वाकर्षण
(D) जलवायु।
उत्तर:
चट्टानों का प्रकार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?
उत्तर:
जैविक अपक्षय, जीवों की वृद्धि या संचलन से उत्पन्न अपक्षय-वातावरण एवं भौतिक परिवर्तन से खनिजों एवं आयन्स के स्थानान्तर की दिशा में एक योगदान है। केंचुओं, दीमकों, चूहों, कुंतकों इत्यादि जैसे जीवों द्वारा बिल खोदने एवं वेजिंग (फान) के द्वारा नयी सतहों (Surfaces) का निर्माण होता है जिससे रासायनिक प्रक्रिया के लिए अनावृत्त (Expose) सतह में नमी एवं हवा के वेधन में सहायता मिलती है। मानव भी वनस्पतियों को अस्त-व्यस्त कर, खेत जोतकर एवं मिट्टी में कृषि करके धरातलीय पदार्थों में वायु, जल एवं खनिजों के मिश्रण तथा उनमें नये सम्पर्क स्थापित करने में सहायक होता है।

सड़ने वाले पौधों एवं पशुओं के पदार्थ; ह्यमिक, कार्बनिक एवं अन्य अम्ल जैसे तत्त्वों के उत्पादन में योगदान देते हैं जिससे कुछ तत्त्वों का सड़ना, क्षरण तथा घुलन बढ़ जाता है। शैवाल, खनिज पोषकों (Nutrients) लौह एवं मैंगनीज़ ऑक्साइड के संकेद्रण में सहायक होता है। पौधों की जड़ें धरातल के पदार्थों पर ज़बरदस्त दबाव डालती हैं तथा उन्हें यान्त्रिक ढंग (Mechanically) से तोड़कर अलग-अलग कर देती हैं।

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प्रश्न 2.
वृहत संचलन जो वास्तविक तीव्र एवं गोचर/अवगमन हैं वे क्या हैं? सूची बद्ध कीजिए।
उत्तर:
वृहत संचलन की सक्रियता के कई कारक होते हैं। वे इस प्रकार हैं

  1. प्राकृतिक एवं कृत्रिम साधनों द्वारा ऊपर के पदार्थों के टिकने के आधार का हटाना।
  2. ढालों की प्रवणता एवं ऊंचाई में वृद्धि,
  3. पदार्थों के प्राकृतिक अथवा कृत्रिम भराव से जुड़ने के कारण उत्पन्न अतिभार,
  4. अत्यधिक वर्षा, संतृप्ति एवं ढाल के पदार्थों के स्नेहन (Lubrication) द्वारा उत्पन्न अतिभार,
  5. मूल ढाल की सताह पर से पदार्थ या भार का हटना,
  6. भूकम्प आना,
  7. विस्फोट या मशीनों का कम्पन (Vibration),
  8. अत्यधिक प्राकृतिक रिसाव,
  9. झीलों, जलाशयों एवं नदियों से भारी मात्रा में जल निष्कासन एवं परिणामस्वरूप ढालों एवं नदी तटों के नीचे से जल का मंद गति से बहना,
  10. प्राकृतिक वनस्पति का अन्धाधुन्ध विनाश।

प्रश्न 3.
विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वह क्या प्रधान कार्य सम्पन्न करते हैं?
उत्तर:
गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक, भू-आकृतिक कारक, प्रवाहित जल, हिमानी, हवा, लहरें धाराएँ हैं। ये धरातल के पदार्थों को हटाने, ले जाने तथा निक्षेप के कार्य सम्पन्न करते हैं। इनका उद्देश्य भू-आकृतियों का विघर्षण करना है। प्रश्न

प्रश्न 4.
क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?
उत्तर:
मृदा निर्माण अपक्षय पर निर्भर करता है। अपक्षय शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा मृदा निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। यह अपरदन में सहायक हैं। मलबे के परिवहन तथा निक्षेप से ही मृदा निर्माण होता है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 5.
क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दोनों क्रियाएं सामूहिक रूप से कार्य करती हैं। कभी एक क्रिया प्रधान होती है तो कभी दूसरी क्रिया प्रधान होती है। दोनों क्रियाओं में विखण्डन तथा अपघटन होता है। दोनों में जल, दाब तथा गैसें सहायक होती हैं।

रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ: रासायनिक अपक्षय में क्रियाओं का एक समूह कार्य करता है जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण, जल योजन, ऑक्सीकरण। ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड इन क्रियाओं को तीव्र गति प्रदान करती है। भौतिक अपक्षय क्रियाएँ: ये क्रियाएं यांत्रिक क्रियाएं हैं जिनमें निम्नलिखित बल कार्य करते हैं:

  1. गुरुत्वाकर्षण बल
  2. तापमान वृद्धि के कारण विस्तारण बल
  3. जल का दवाब इन बलों के कारण शैलों का विघटन होता है। ये प्रक्रियाएं लघु व मन्द होती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक वर्गों के खेल का मैदान है। विवेचना करो।
उत्तर:
धरातल पृथ्वी मण्डल के अन्तर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अन्दर अद्भुत आन्तरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है तथा यह सर्वदा परिवर्तनशील है। बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आन्तरिक बलों को अन्तर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं। बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है-उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण (Wearing down) तथा बेसिन/निम्न क्षेत्रों/गों का भराव (अधिवृद्धि/तल्लोचन) धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अन्तर के कम होने के तथ्य को तल सन्तुलन (Gradation) कहते हैं।

अन्तर्जनित शक्तियां निरन्तर धरातल के भागों को ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं उच्चावच में भिन्नता को सम (बराबर) करने में असफल रहती हैं। अतएव भिन्नता तब तक बनी रहती है जब तक बहिर्जनिक एवं अन्तर्जनित बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं। सामान्यतः अन्तर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती हैं।

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प्रश्न 2.
“बाह्यजनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएं अपनी अन्तिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धरातल पर बाह्य भू-आकृतिक क्रियाएं भिन्न-भिन्न अक्षांशों में भिन्न-भिन्न होती हैं। यह सूर्य से प्राप्त गर्मी में भिन्नता के कारण हैं। विभिन्न जलवायु प्रदेशों में तथा ऊंचाई में अन्तर के कारण सूर्यताप प्राप्ति में स्थानीय विभिन्नता पाई जाती है। इस प्रकार वायु का वेग, वर्षा की मात्रा, हिमानी, तुषार आदि क्रियाओं में विभिन्नता सूर्यातप के कारण हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Question)

प्रश्न 1.
आप किस प्रकार मदा निर्माण प्रक्रियाओं और मृदा निर्माण कारकों के बीच अन्तर करेंगे? जलवायु और भौतिक क्रियाओं की मृदा निर्माण में क्या भूमिका है? दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप लिखो।
उत्तर:
मृदा निर्माण के कारक सभी मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं अपक्षय से जुड़ी हैं। लेकिन कई अन्य कारक अपक्षय के अंतिम उत्पाद को प्रभावित करते हैं। इनमें से पांच प्राथमिक कारक हैं। ये अकेले अथवा सम्मिलित रूप से विभिन्न प्रकार की मृदाओं के विकास के लिए उत्तरदायी हैं। ये कारक हैं

समय (Time):
आदर्श दशाओं में एक पहचान योग्य मृदा परिच्छेदिका का विकास 200 वर्षों में हो सकता है। परन्तु कम अनुकूल परिस्थितियों में यह समय हज़ारों वर्षों का हो सकता है। समय तथा अन्य विशिष्ट कारकों-जलवायु, जनक सामग्री, स्थलाकृति तथा जैविक पदार्थ के प्रभावों द्वारा मृदा विकास की दर निर्धारित होती है।

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएँ (Processes of Soil Formation):
मृदा निर्माण में अनेक प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं और किसी सीमा तक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित कर सकती हैं। ये प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं
(i) अवक्षालन:
यह मृत्तिका अथवा अन्य महीन कणों का यांत्रिक विधि से स्थान परिवर्तन है, जिसमें वे मृदा परिच्छेदिका में नीचे ले जाए जाते हैं।

(ii) संपोहन:
यह मृदा परिच्छेदिका के निचले संस्तरों में ऊपर से बहाकर लाए गए पदार्थों का संचयन है।

(iii) केलूवियेशन:
यह निक्षालन के समान पदार्थ का नीचे की ओर संचलन है, परन्तु जैविक संकुल यौगिकी के प्रभाव में।

(iv) निक्षालन:
इसमें घोल रूप में पदार्थों को किसी संस्तर से हटाकर नीचे की ओर ले जाना है।

1. जनक पदार्थ (Parent Material):
कमजोर तरीके से संयोजित बलुआ पत्थर से बनी मृदा बलुई होगी और शैल चट्टान से बनी मृदा उथली तथा महीन गठन वाली होगी। इसी प्रकार मृत्तिका निर्माण में अपघट्य गहरे रंग वाले खनिजों का उच्च प्रतिशत क्वार्ट्ज की अपेक्षा अधिक सहायक है। इस प्रकार जनक पदार्थ अपक्षय की विभिन्न दरों द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करता है। मूल शैल तट स्थान (In Situ) या अवशिष्ट मृदा या लाए गए निक्षेप (परिवहन कृत) (Transported) भी हो सकती है।

2. जलवायु (Climate):
आर्द्र क्षेत्रों में अत्यधिक अपक्षय तथा निक्षालन के कारण अम्लीय मृदा का निर्माण होता है। निम्न वर्षा वाले क्षेत्रों में चूने के संचयन या धारण के कारण क्षारीय मृदा का निर्माण होता है। विभिन्न प्रकार के मृदा निर्माण में जलवायु एक
अत्यधिक प्रभावी कारक है, विशेषकर तापमान और वर्षा के प्रभावों के कारण वनस्पति पर अपने प्रभाव के कारण, जलवायु मृदा निर्माण में परोक्ष भूमिका भी निभाती है।

3. जीवजात (Vegetation):
जैविक उत्सर्ग एवं अपशिष्ट पदार्थों के अपघटन तथा जीवित पौधों तथा पशुओं की क्रियाओं का मदा विकास में विशेष हाथ होता है। बिलकारी प्राणी जैसे-छछंदर, प्रेअरी डॉग, केंचुआ, चींटी और दीमक आदि धीरे-धीरे जैविक पदार्थों का अपघटन करके तथा दुर्बल अम्ल तैयार करके, जो शीघ्र ही खनिजों को घोल देता है, मृदा विकास में सहायक होते हैं।

4. स्थलाकृति (Topographes):
पहाड़ियों के तीव्र ढालों पर मृदा आवरण पतला होता है और इसका कारण पृष्ठीय प्रवाह के कारण भूपृष्ठ का अपरदन है। इसके विपरीत पहाड़ियों के मंद ढालों पर मृदा की परत मोटी होती है। इसका कारण वनस्पति की प्रचुरता
और पर्याप्त जल का मृदा के नीचे गहराई तक चला जाना है। स्थल-रुद्ध गर्तों में प्रवाहित जल का अधिकांश भाग आता है, जो घनी वनस्पति आवरण के लिए सहायक है, लेकिन ऑक्सीकरण की कमी के कारण अपघटन धीमा हो जाता है। इससे ऐसी मृदा की उत्पत्ति होती है, जो जैविक पदार्थों में समृद्ध होती है। स्थलाकृति, जल एवं तापमान के साथ अपने सम्बन्ध के द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ  JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण (Denudation): पृथ्वी के धरातल को समतल करने की क्रिया को अनावरण कहते हैं। बाह्य कार्यकर्ता धरातल को समतल करने का यत्न करते हैं।

→ अपरदन (Erosion): भूतल पर कांट-छांट तथा खुरचने की क्रिया को अपरदन कहते हैं। यह कार्य गतिशील कारकों द्वारा जैसे जल, हिम नदी, वायु द्वारा होता है।

→ अपक्षरण (Weathering): पृथ्वी की बाहरी स्थिर शक्तियों द्वारा चट्टानों को विखण्डन तथा अपघटन की क्रिया से तोड़ने-फोड़ने के कार्य को अपक्षरण कहते हैं। अपक्षरण चट्टानों को कमजोर करके अपरदन में सहायता करता है।

→ अपक्षरण के कारक (Factors):

  • चट्टानों की संरचना
  • भूमि का ढाल
  • जलवायु
  • वनस्पति
  • शैल सन्धियां।

→ अपक्षरण के प्रकार (Types of Weathering):

  • भौतिक अथवा यान्त्रिक अपक्षरण
  • रासायनिक

→ भौतिक अपक्षरण (Physical Weathering): यान्त्रिक साधनों द्वारा चट्टानों के विघटन (संरचना के परिवर्तन के बिना) को भौतिक अपक्षरण कहते हैं। यह क्रिया तापमान, पाला, पवन तथा वर्षा द्वारा होती है।

→ रासायनिक अपक्षरण (Chemical Weathering): रासायनिक विधियों से चट्टानों के अपने ही स्थान पर अपघटन को रासायनिक अपक्षरण कहते हैं। ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन आदि गैसों के प्रभाव से निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा अपक्षरण होता है

  • ऑक्सीकरण
  • कार्बोनेटीकरण
  • जलयोजन
  • घोलीकरण।

→ मृदा (Soil):
मृदा भूतल की ऊपरी सतह का आवरण है। यह चट्टानों के चूर्ण तथा वनस्पति के गले-सड़े अंश की एक पतली पर्त है।

→ मृदा संस्तर (Soil Horizons): मृदा के पार्श्व चित्र में तीन पर्ते या संस्तर पाए जाते हैं

  • अ-संस्तर
  • ब-संस्तर
  • स-संस्तर।

→ मृदा का महत्त्व (Importance of Soils): मृदा एक मूल्यवान् प्राकृतिक सम्पदा है। मानवता मृदा पर निर्भर है, अनेक मानवीय तथा आर्थिक क्रियाएं मृदा पर निर्भर हैं।

→ मृदा अपरदन (Soil Erosion): भू-तल की ऊपरी सतह से उपजाऊ मृदा का उड़ जाना या बह जाना मृदा अपरदन कहलाता है। जल, वायु तथा वर्षा मृदा अपरदन के प्रमुख कारक हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

→ मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion):

  • धरातलीय अपरदन
  • नालीदार कटाव
  • वायु

→ अपरदन। मृदा अपरदन के कारण (Causes of Soil Erosion):

  • मूसलाधार वर्षा
  • तीव्र ढलान
  • तीव्र गति पवनें
  • अनियन्त्रित पशुचारण
  • स्थानान्तरी कृषि
  • वनों की कटाई।

→ मृदा संरक्षण के उपाय (Methods of Soil Conservation): मृदा संरक्षण, बचाव, पुनर्निर्माण तथा । उपजाऊपन कायम रखना आवश्यक है। विभिन्न उपायों का प्रयोग किया जाता है

  • वनारोपण
  • नियन्त्रित पशुचारण
  • सीढ़ीनुमा कृषि
  • नदी बांध निर्माण
  • फसलों का हेर-फेर।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न–दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. 2011 जनगणना के अनुसार भारत में औसत जनसंख्या घनत्व है –
(A) 216
(B) 382
(C) 221
(D) 350
उत्तर:
(B) 382

2. किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) पश्चिम बंगाल
(C) केरल
(D) पंजाब।
उत्तर:
(A) उत्तर प्रदेश

3. किस राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात है?
(A) केरल
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) उड़ीसा
(D) तमिलनाडु।
उत्तर:
(A) केरल

4. भारत का विश्व जनंसख्या में कौन-सा स्थान है?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) पांचवां
(D) सातवां।
उत्तर:
(B) दूसरा

5. भारत में प्रति दशक जनसंख्या वृद्धि दर है?
(A) 15.3%
(B) 17.3%
(C) 19.3%
(D) 21.3%.
उत्तर:
(D) 21.3%.

6. भारत में पहली सम्पूर्ण जनगणना कब हुई?
(A) 1871
(B) 1881
(C) 1891
(D) 1861.
उत्तर:
(B) 1881

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7. भारत में विश्व की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है?
(A) 10.7%
(B) 12.7%
(C) 16.7%
(D) 18.7%.
उत्तर:
(C) 16.7%

8. किस राज्य में सबसे कम जनसंख्या है?
(A) हरियाणा
(B) राजस्थान
(C) सिक्किम
(D) मिज़ोरम।
उत्तर:
(C) सिक्किम

9. भारत में कितने मिलियन नगर हैं?
(A) 25
(B) 27
(C) 30
(D) 53.
उत्तर:
(D) 53.

10. भारत में 2011 में औसत लिंगानुपात था
(A) 910
(B) 923
(C) 940
(D) 953.
उत्तर:
(C) 940

11. भारत में औसत जीवन प्रत्याश कितनी है?
(A) 55 वर्ष
(B) 60 वर्ष
(C) 65 वर्ष
(D) 70 वर्ष।
उत्तर:
(C) 65 वर्ष

12. भारत में साक्षरता दर है
(A) 55%
(B) 60%
(C) 74%
(D) 67%.
उत्तर:
(C) 74%

13. भारत में कृषकों का प्रतिशत है
(A) 48%
(B) 50%
(C) 54%
(D) 58%.
उत्तर:
(D) 58%.

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14. भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व है
(A) जम्मू-कश्मीर
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) राजस्थान
(D) नागालैंड।
उत्तर:
(B) अरुणाचल प्रदेश

15. भारत की जनसंख्या कितने वर्षों में दुगुनी होती है ?
(A) 32 वर्ष
(B) 34 वर्ष
(C) 36 वर्ष
(D) 38 वर्ष।
उत्तर:
(C) 36 वर्ष

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
121.02 करोड़। (विश्व की 17.5% जनसंख्या)।

प्रश्न 2.
जनसंख्या तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार में स्थान बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या : दूसरा स्थान क्षेत्रफल : सातवां स्थान (विश्व का 2.4% क्षेत्रफल)।

प्रश्न 3.
भारत में पहली पूर्ण जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1881 में।

प्रश्न 4.
भारत में औसत जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर:
382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 5.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व किस राज्य में है?
उत्तर:
बिहार-1102 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।।

प्रश्न 6.
भारत में औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धि कितनी है?
उत्तर:
1.76 प्रतिशत।

प्रश्न 7.
भारत में जन्म-दर तथा मृत्यु-दर कितनी है ?
उत्तर:
जन्म-दर 26 प्रति हजार तथा मृत्यु-दर 9 प्रति हजार व्यक्ति है।

प्रश्न 8.
भारत में राज्यस्तर पर जनसंख्या वृद्धि किस राज्य में कम है ?
उत्तर:
केरल-4.9% प्रति दशक।

प्रश्न 9.
विगत शताब्दी में भारत की जनसंख्या में कितनी वृद्धि हुई है?
उत्तर:
78 करोड़।

प्रश्न 10.
संसार में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बताओ।
उत्तर:
चीन-134 करोड़।

प्रश्न 11.
भारत में पहली अपूर्ण जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1872 ई० में।

प्रश्न 12.
भारत की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग ग्रामीण है?
उत्तर:
68.8%

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प्रश्न 13.
भारत में गाँवों की कुल संख्या कितनी है ?
उत्तर:
580781

प्रश्न 14.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या है ?
उत्तर:
भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में 19.95 करोड़ जनसंख्या है जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।

प्रश्न 15.
भारत के किस राज्य में सबसे कम जनसंख्या है?
उत्तर:
सिक्किम राज्य में 6.07 लाख।

प्रश्न 16.
भारत के कितने राज्यों में 5 करोड़ से अधिक जनसंख्या प्रत्येक राज्य में है?
उत्तर:
10 राज्य।

प्रश्न 17.
भारत के पाँच राज्य बताओ जिनमें देश की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश।

प्रश्न 18.
जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से विश्व के तीन बड़े देश बताओ।
उत्तर:

  1. बांग्लादेश-849 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  2. जापान-334 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  3. भारत-382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 19.
100 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम घनत्व वाले तीन राज्य बताओ।
उत्तर:
सिक्किम (86), मिजोरम (52) तथा अरुणाचल प्रदेश (17)।

प्रश्न 20.
उच्च घनत्व के तीन समूह बताओ।
उत्तर:
उत्तरी मैदान, पूर्वी तट, डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 21.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों के तीन समूह बताओ।
उत्तर:

  1. भौतिक कारक
  2. सामाजिक-आर्थिक कारक
  3. जनांकिकीय कारक।

प्रश्न 22.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले चार भौतिक कारक बताओ।
उत्तर:

  1. धरातल
  2. मृदा
  3. जलवायु
  4. खनिजों की सुलभता।

प्रश्न 23.
जनांकिकीय कारकों के तीन तत्त्व बताओ।
उत्तर:

  1. प्रजनन दर
  2. मृत्यु-दर
  3. प्रवास।

प्रश्न 24.
जनसंख्या वृद्धि दर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दो समय बिन्दुओं के मध्य जनसंख्या में होने वाले शुद्ध परिवर्तन को वृद्धि दर कहते हैं।

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प्रश्न 25.
वृद्धि दर के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. ऋणात्मक वृद्धि दर-जब समय अवधि में जनसंख्या घटती है तो उसे ऋणात्मक वृद्धि दर कहते हैं।
  2. धनात्मक वृद्धि दर-जब जनसंख्या बढ़ती है तो इसे धनात्मक वृद्धि दर कहते हैं।

प्रश्न 26.
विगत शताब्दी में भारत की जनसंख्या में कितने गुणा वृद्धि हुई है?
उत्तर:
चार गुणा (कुल वृद्धि 78 करोड़)।

प्रश्न 27.
1991 तथा 2001 की अवधि में देश की जनसंख्या वृद्धि दर कितनी थी?
उत्तर:
21.34 प्रतिशत प्रति दशक तथा 1.93 प्रतिशत प्रतिवर्ष।

प्रश्न 28.
भारत के किस राज्य में जनसंख्या वृद्धि दर, उच्चतम तथा निम्नतम है?
उत्तर:
मेघालय में 27.8 प्रतिशत तथा केरल में 40.9 प्रतिशत।

प्रश्न 29.
भारत में ग्रामीण जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत किस राज्य में है?
उत्तर:
अरुणाचल प्रदेश (94.50 प्रतिशत)।

प्रश्न 30.
अधिक नगरीय जनसंख्या वृद्धि वाले 4 राज्य बताओ।
उत्तर:
हरियाणा, नागालैंड, तमिलनाडु, सिक्किम।

प्रश्न 31.
नगरीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या से नगरीय जनसंख्या में समाज के बदलने की प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 32.
भारत में सर्वाधिक नगरीकृत राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
गोवा (49.77 प्रतिशत)।

प्रश्न 33.
किस आयु वर्ग की जनसंख्या को श्रमजीवी (कार्यरत ) कहा जाता है?
उत्तर:
प्रौढ़ वर्ग 15-59 वर्ष तक (56.7 प्रतिशत)।

प्रश्न 34.
आश्रित अनुपात किसे कहते हैं ? भारत में यह कितना है?
उत्तर:
किशोर, वृद्ध जनसंख्या तथा प्रौढ़ जनसंख्या के बीच अनुपात को आश्रित अनुपात कहते हैं। भारत में यह अनुपात 79.4 प्रतिशत है।

प्रश्न 35.
लिंग-अनुपात किस प्रकार एक सामाजिक संकेतक है ?
उत्तर:
लिंग-अनुपात समाज में पुरुषों और स्त्रियों के मध्य विद्यमान असमानता का माप है।

प्रश्न 36.
भारत की कुल जनसंख्या में पुरुष तथा स्त्रियां कितनी संख्या में हैं?
उत्तर:
पुरुष 62 करोड़, स्त्रियां 59 करोड़।

प्रश्न 37.
भारत में औसत लिंगानुपात कितना है?
उत्तर:
940

प्रश्न 38.
भारत में सबसे अधिक लिंगानुपात किस राज्य में है?
उत्तर:
केरल राज्य में 1084।

प्रश्न 39.
भारत में सबसे कम लिंगानुपात किस राज्य में है?
उत्तर:
हरियाणा में 877।

प्रश्न 40.
किसी व्यक्ति के व्यवसाय का क्या अर्थ है?
उत्तर:
व्यवसाय वह कार्य या व्यापार है जिससे कोई व्यक्ति अपनी रोजी रोटी कमाता है।

प्रश्न 41.
भारत में लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है?
उत्तर:
भारत में 67.4 प्रतिशत कामगार कृषि कार्य करते हैं।

प्रश्न 42.
क्या कारण है कि कृषि कामगारों का अनुपात निरन्तर घट रहा है?
उत्तर:
भारत में कृषि कामगारों का अनुपात 1971 में 69.49 प्रतिशत से घटकर 2001 में 58.4 प्रतिशत रह गया – है। इसका मुख्य कारण है कि घरेलू उद्योगों में कामगारों की संख्या बढ़ रही है।

प्रश्न 43.
गैर-कृषि कार्य क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, भंडारण तथा संचार।

प्रश्न 44.
संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाएं सूचीबद्ध हैं?
उत्तर;
22 भाषाएं।

प्रश्न 45.
भारत किन चार धर्मों का जन्म स्थान रहा है?
उत्तर:
हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिक्ख धर्म।

प्रश्न 46.
भारत में कौन-सी भाषा सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है?
उत्तर:
हिंदी (33.73 करोड़)।

प्रश्न 47.
भारत में द्राविड़ भाषा बोलने वाले लोगों का कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
20% I

प्रश्न 48.
भारत में हिंदू धर्म के अनुयायी कितने % लोग हैं ?
उत्तर:
68.76 करोड़ (82.0%)।

प्रश्न 49.
भारत के किस राज्य में सिक्ख धर्म जनसंख्या का संकेंद्रण है?
उत्तर:
पंजाब।

प्रश्न 50.
भारत के किस राज्य में बौद्ध जनसंख्या अधिक है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में।

प्रश्न 51.
भारत के किस राज्य में जैन धर्म जनसंख्या अधिक है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में।

प्रश्न 52.
भारत के दो उच्च घनत्व वाले राज्यों के नाम लिखो (400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से अधिक)
उत्तर:
बिहार तथा केरल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत की जनसंख्या का विशाल आकार है’ इसके पक्ष में दो तथ्य बताओ।
उत्तर:

  1. भारत का विश्व जनसंख्या में दूसरा स्थान है।
  2. भारत की जनसंख्या उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है।

प्रश्न 2.
भारत में कई सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक उलझनें हैं। तीन कारण बताओ।
उत्तर:

  1. विशाल जनसंख्या
  2. सीमित संसाधन
  3. जनसंख्या वृद्धि दर का अधिक होना।

प्रश्न 3.
भारत में सामाजिक आर्थिक विकास प्रक्रिया और गति को प्रभावित करने वाले चार कारक बताओ।
उत्तर:

  1. विशाल जनसंख्या
  2. जातीय विविधता
  3. अत्यधिक ग्रामीण स्वरूप
  4. जनसंख्या का असमान वितरण।

प्रश्न 4.
‘भारत गाँवों का देश है। स्पष्ट करो तथा दो तथ्य बताओ।
उत्तर:
(i) भारत में 68.8% लोग गाँवों में रहते हैं।
(ii) भारत में गाँवों की संख्या 580781 है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 5.
दिल्ली राज्य में 2011 में कुल जनसंख्या 1,67,53,235 तथा क्षेत्रफल 1483 वर्ग कि०मी० था। जनसंख्या घनत्व ज्ञात करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व =
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 4
= 11297 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०

प्रश्न 6.
भारत तथा चीन में जनसंख्या तथा जनसंख्या घनत्व की तुलना करो।
उत्तर:
चीन में कल जनसंख्या 134 करोड है जबकि भारत में कुल जनसंख्या 121.02 करोड है। भारत में जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है जबकि चीन में जनसंख्या घनत्व 140 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। इस प्रकार चीन में कुल जनसंख्या अधिक है जबकि भारत में जनसंख्या घनत्व अधिक है।

प्रश्न 7.
‘अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य गंगा और सतलज के मैदान में स्थित हैं।’ उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल (1029 व्यक्ति) तथा बिहार (1102 व्यक्ति) भारत के दो बड़े घने बसे प्रदेश उत्तरी मैदान में हैं। उत्तर प्रदेश (20 करोड़ जनसंख्या) भारत की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है जहां जनसंख्या घनत्व 828 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हैं। पंजाब में 550 तथा हरियाणा में 573 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० घनत्व है।

प्रश्न 8.
‘भारत की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है’ तीन उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का वितरण असमान है।

  1. पर्वतों, मरुस्थलों तथा वन-प्रदेशों में जनसंख्या कम है।
  2. समतल एवं उपजाऊ क्षेत्र के राज्यों में जनसंख्या अधिक है।
  3. जलोढ़ मैदानों तथा तटीय मैदानों में जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 9.
‘जनसंख्या का घनत्व भूमि पर जनसंख्या के दबाव का वास्तविक परिचायक नहीं है’। एक राज्य का उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर;
घनत्व से केवल सामान्य दशा का पता चलता है। इससे सामाजिक व आर्थिक कारकों के प्रभाव का ज्ञान नहीं होता। मध्य प्रदेश एक विशाल जनसंख्या वाला राज्य है। (236 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०)। इस राज्य का अधिकतर भाग ऊबड़-खाबड़, पहाड़ी तथा वनों से ढका प्रदेश है। यदि कृषि भूमि पर विचार किया जाए तो मध्य प्रदेश सघन जनसंख्या वाला राज्य बन जाता है।

प्रश्न 10.
औसत घनत्व की दृष्टि से कितने प्रकार के जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों की पहचान की जा सकती है?
उत्तर:

  1. उच्च घनत्व वाले जिले-400 से अधिक व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  2. मध्यम घनत्व वाले जिले-200 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  3. निम्न घनत्व वाले जिले-200 व्यक्ति से कम प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 11.
विरल (निम्न) जनसंख्या वाले क्षेत्र बताओ। यहां निम्न घनत्व के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम घनत्व वाले क्षेत्र विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

  1. राजस्थान के कुछ क्षेत्र
  2. मध्य प्रदेश
  3. छत्तीसगढ़
  4. पश्चिमी उड़ीसा
  5. पूर्वी कर्नाटक
  6. आंध्र प्रदेश का मध्यवर्ती भाग।

इस प्रकार निम्न घनत्व का यह क्षेत्र अरावली पर्वत श्रेणी से लेकर पूर्व में उड़ीसा तक फैला हुआ है।

निम्न घनत्व के कारण –

  1. पहाड़ी ऊबड़-खाबड़ धरातल
  2. कम उपजाऊ मृदा
  3. कम वर्षा
  4. वनाच्छादित प्रदेश
  5. मरुस्थलीय क्षेत्र।

प्रश्न 12.
सामाजिक-आर्थिक कारकों के प्रभाव से उच्च घनत्व वाले दो प्रकार के क्षेत्र बताओ तथा कारण स्पष्ट करो।
उत्तर:
सामाजिक-आर्थिक कारकों का प्रभाव क्रिया-कलापों पर पड़ता है। इसलिए अधिक नगरीयकरण तथा औद्योगिक विकास के कारण मुम्बई, कोलकाता और दिल्ली में उच्च घनत्व है। अधिक उपज देने वाली फ़सलों की खेती (हरित क्रान्ति) के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब में उच्च घनत्व है।

प्रश्न 13.
‘भारत के दक्षिणी राज्यों में जन्म-दर अपेक्षाकृति कम है’। कारण बताओ।
उत्तर:
भारत के उत्तरी राज्यों में वृद्धि दर अधिक है, परन्तु दक्षिणी राज्यों में जन्म दर कम होने के कारण वृद्धि दर कम है।
कारण –

  1. दक्षिणी राज्यों में उच्च साक्षरता दर
  2. अधिक नगरीय जनसंख्या
  3. अधिक आर्थिक विकास।

प्रश्न 14.
जनसंख्या संघटन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या संघटन – जनसंख्या की भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं को जनसंख्या का संघटन कहते हैं। इसे आयु, लिंग, निवास स्थान, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, मानव प्रजातीयता, साक्षरता, शिक्षा और व्यावसायिक संरचना प्रमुख घटक हैं।

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प्रश्न 15.
भारत की नगरीय जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न चरण बताओ।
उत्तर:
भारतीय नगरीय जनसंख्या का अनुपात सन् 1901 से निरन्तर बढ़ रहा है।

  1. 1901 से 1941 तक यह वृद्धि दर 13.38% थी।
  2. 1941 से 1971 तक यह वृद्धि दर 19.90% थी।
  3. 1971 से 2001 तक यह वृद्धि दर 27.78% हो गई।

प्रश्न 16.
भारत में उच्च नगरीकरण तथा निम्न नगरीकरण के क्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भारत में दक्षिणी, पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी राज्यों में।
  2. उत्तरी, मध्य भारत, उत्तर पूर्वी राज्यों में नगरीकरण निम्न हैं।

प्रश्न 17.
किन पांच राज्यों में भारत की नगरीय जनसंख्या का आधे से अधिक भाग रहता है? उत्तर प्रदेश राज्य की स्थिति क्या है?
उत्तर:
पांच राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में भारत की नगरीय जनसंख्या का 51 प्रतिशत भाग रहता है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है परन्तु यहां केवल 20.78 प्रतिशत जनसंख्या ही नगरों में रहती है। यह ग्रामीण पृष्ठभूमि के कारण है।

प्रश्न 18.
भारत में किशोर जनसंख्या वर्ग का अनुपात कितना है ? इसके अधिक होने के तीन कारण बताओ।
उत्तर:
भारत में किशोर वर्ग (15 वर्ष से कम आयु) का प्रतिशत 36.5 है। किशोर जनसंख्या के अधिक अनुपात के मुख्य कारण हैं:

  1. उच्च जन्म दर
  2. तीव्रता से घटती शिशु मृत्यु दर
  3. निरन्तर घटती बाल मृत्यु दर।

प्रश्न 19.
‘भारत में लिंगानुपात दक्षिण से उत्तर की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटता है। उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
अथवा
भारत में लिंगानुपात संघटन के प्रादेशिक प्रतिरूपों का वर्णन करें। उत्तर-भारत के राज्यों में लिंगानुपात में बहुत भिन्नता पाई जाती है।

  1. केरल राज्य में सबसे अधिक लिंगानुपात 1084 है।
  2. पाण्डिचेरी केन्द्र शासित प्रदेश में लिंगानुपात 1001 है।
  3. दक्षिणी राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। तमिलनाडु राज्य में 987, आन्ध्र प्रदेश 978, उड़ीसा 972, कर्नाटक 965, गोवा 961, झारखण्ड 941 है।।
  4. उत्तरी भारत तथा मध्य भारत के राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। महाराष्ट्र 922, राजस्थान 921, गुजरात 920, बिहार 919, मध्य प्रदेश 919, उत्तर प्रदेश 898, पंजाब 893, हरियाणा 877 है। इससे स्पष्ट है कि भारत में लिंगानुपात दक्षिण से उत्तर की ओर कम तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटता है।

प्रश्न 20.
लिंगानुपात घटने के चार कारण बताओ।
उत्तर:

  1. लड़कियों की तुलना में अधिक लड़कों का जन्म लेना।
  2. शैश्यावस्था में कन्या शिशओं की मृत्यु और बच्चों के जन्म के समय अधिक स्त्रियों की मृत्य।
  3. स्त्रियों की सामान्य उपेक्षा के कारण बचपन में उनकी अधिक मृत्यु दर।
  4. गर्भावस्था में स्त्री-शिशु होने पर भ्रूण हत्या।

प्रश्न 21.
काम की अवधि के आधार पर भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बांटो।
उत्तर:
काम की अवधि के आधार पर भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है –

  1. मुख्य कामगार (Main worker) मुख्य कामगार वह है जो वर्ष में छ: महीने या 183 दिन तक आर्थिक रूप से उत्पादक कार्य में शारीरिक या मानसिक रूप से भाग लेता है। देश में कामगारों का अनुपात 30.5% है।
  2. सीमांत कामगार (Marginal worker) वह है जो वर्ष में 183 दिनों से कम दिनों में उत्पादक कार्य में भाग लेता है। देश में सीमान्त कामगारों की अनुपात 8.7% है।
  3. गैर-कामगार (Non worker)-जो वर्ष भर अपनी आजीविका के लिए कोई काम नहीं करता। देश में गैर कामगार 60.8% है।

प्रश्न 22.
स्त्रियों की सहभागिता दर कम होने के कारण बताओ।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों की सहभागिता दर केवल 14.68 प्रतिशत है। इस निम्न सहभागिता दर के निम्नलिखित कारण हैं:

  1. सम्मिलित परिवार व्यवस्था
  2. स्त्रियों में शिक्षा का निम्न स्तर
  3. बारंबार शिशु जन्म
  4. रोज़गार के सीमित अवसर
  5. स्त्रियों पर परिवार की अधिक ज़िम्मेदारी।

प्रश्न 23.
भारत के कामगारों को चार मुख्य श्रेणियों में बांटो।
उत्तर:

  1. कृषक
  2. खेतिहर मज़दूर
  3. घरेलू औद्योगिक कामगार
  4. अन्य कामगार।

प्रश्न 24.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो घटक कौन-से हैं ? प्रत्येक घटक के प्रमुख लक्षण बताओ।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो घटक हैं –
(i) प्राकृतिक
(ii) अभिप्रेरित। प्राकृतिक घटक-प्राकृतिक वृद्धि का विश्लेषण अशोधित जन्म और मृत्यु दर को निर्धारित किया जाता है।
अभिप्रेरित घटक-अभिप्रेरित घटक किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अन्तवर्ती व बहिवर्ती संचलन द्वारा स्पष्ट किया जाता है।

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प्रश्न 25.
भारत के सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य का नाम बताइए और उसका घनत्व भी लिखिए।
उत्तर:
बिहार राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है जो कि 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत का विश्व में जनसंख्या के आकार तथा घनत्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या सन् 2011 में 121.02 करोड़ थी। भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत में औसत जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है तथा भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।

प्रश्न 2.
चार राज्य बताओ जिनकी देश में जनसंख्या सर्वाधिक है। इनकी जनसंख्या तथा क्षेत्रफल की तुलना करो।
उत्तर:

क्रम राज्य जनसंख्या क्षेत्रफल (लाख वर्ग कि०मी०)
(1) उत्तर प्रदेश 19.95 करोड़ 2.40 ,,
(2) महाराष्ट्र 11.2 ,, 3.07 ,,
(3) बिहार 10.3 ,, 0.94 ,,
(4) पश्चिमी बंगाल 9.1 ,, 0.88 ,,

प्रति जनगणना में भारत में जनसंख्या घनत्व लगातार क्यों बढ़ रहा है ? .
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर पहले की अपेक्षा कम है। परन्तु कुल जनसंख्या में अधिक वृद्धि जनसंख्या को एक विशाल आधार प्रदान कर रही है। इसी बड़े आधार के कारण जनसंख्या घनत्व लगातार बढ़ रहा है जबकि भूमि संसाधन सीमित हैं।

प्रश्न 4.
भारत में कौन-से क्षेत्र जनसंख्या निवास के लिए आकर्षक नहीं हैं ?
उत्तर:
पर्वतीय प्रदेश, शुष्क प्रदेश तथा वन प्रदेश जनसंख्या के लिए आकर्षण नहीं रखते। इस वर्ग में लगभग 167 जिले हैं जहां जनसंख्या कम है।

प्रश्न 5.
उत्तरी राज्यों तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में कृषि पर ग्रामीण जनसंख्या का दबाव अधिक क्यों है ?
उत्तर:
केवल कृषिकृत भूमि ही जनसंख्या दबाव सहार सकती है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में कृषिकृत भूमि कम है। इसलिए इन राज्यों में जनसंख्या कम है। ये राज्य पहाड़ी तथा वनाच्छादित हैं। धरातल कटा-फटा है। उत्तरी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या बहुत अधिक है जो कृषि में लगी हुई है। इसलिए यहाँ कृषि पर जनसंख्या दबाव अधिक है।

प्रश्न 6.
भारत में जनसंख्या इतिहास को चार अवस्थाओं में बांटो।
उत्तर:
भारत का जनसंख्या इतिहास निम्नलिखित चार अवस्थाओं में बांटा जा सकता है –

जन्म दर-मृत्यु दर मुख्य लक्षण: उच्च जन्म दर
(1) 1921 से पूर्व जनसंख्या में नगण्य वृद्धि तथा उच्च मृत्यु दर
(2) 1921-1951 धीमी गति से वृद्धि उच्च जन्म दर तथा घटती मृत्यु दर
(3) 1951-1981 तीव्र गति से वृद्धि तीव्र गति से मृत्यु दर का कम होना
(4) 1981 से आगे वृद्धि दर का कम होना कम जन्म दर तथा कम मृत्यु दर

प्रश्न 7.
सतलुज गंगा मैदान जनसंख्या के संकेन्द्रण के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
सतलुज गंगा मैदान में उत्तर प्रदेश, बिहार पश्चिमी बंगाल, हरियाणा, पंजाब तथा दिल्ली क्षेत्र में जनसंख्या संकेन्द्रण हैं। यहां जनसंख्या घनत्व 400-700 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० के बीच है। यह एक उन्नत कृषि का प्रदेश है। जहां वर्ष में 2-3 फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। यहाँ मिट्टी उपजाऊ है तथा जलवायु अनुकूल है। जल सिंचाई सुविधाओं के कारण कृषि उन्नत है। दिल्ली तथा कोलकाता के इर्द-गिर्द औद्योगिक तथा नगरीय विकास के कारण जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 8.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले सामाजिक आर्थिक कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व भौतिक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें भूमि, जलवायु तथा मृदा शामिल हैं। परन्तु आधुनिक समय में सामाजिक-आर्थिक कारक प्रौद्योगिकी के प्रयोग के द्वारा जनसंख्या को प्रभावित करते हैं। उच्च नगरीयकरण तथा औद्योगिक विकास के प्रभाव से मुम्बई, कोलकाता तथा दिल्ली क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व आधार हैं। कृषि प्रदेशों में हरित क्रान्ति के प्रयोग से पंजाब तथा हरियाणा प्रदेश में जनसंख्या घनत्व अधिक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर जनसंख्या प्रवास बढ़ रहा है। लोग रोज़गार की तलाश में प्रवास करते हैं। शिक्षा केन्द्र भी जनसंख्या को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।।

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प्रश्न 9.
भारत के किन राज्यों में जनसंख्या कम है ?
उत्तर:
भौतिक कारक जनसंख्या वृद्धि दर की सीमा निर्धारित करते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी उड़ीसा, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश में जनसंख्या कम है। पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में जनसंख्या कम है।

प्रश्न 10.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में जनसंख्या में एक निश्चित समय में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। यह जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर होता है। प्रवास के कारण भी जनसंख्या में वृद्धि होती है।

प्रश्न 11.
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु दर की प्रवृत्तियां किस प्रकार जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करती रही हैं ?
उत्तर:
1921-51 की अवधि में जनसंख्या वृद्धि धीमी गति से रही है। जन्म दर उच्च तथा परन्तु मृत्यु दर भी कई महामारियों के कारण उच्च थी। 1951-81 की अवधि में जनसंख्या तीव्र गति से विस्फोटात्मक दर से बढ़ी। चिकित्सा सुविधाओं के कारण मृत्यु दर बहुत कम हो गई। 1981 के पश्चात् वृद्धि दर फिर घटने लगी क्योंकि जन्म दर कम हो गया है। अब जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर केवल 17 प्रति हज़ार है।

प्रश्न 12.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या तथा अधिकतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या-सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश राज्य में है। यहां कुल जनसंख्या 19.95 करोड़ है। यह भारत की कुल जनसंख्या का 16% भाग है। ख्या घनत्व-भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व (सन् 2011) बिहार राज्य में 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 13.
भारत की जनसंख्या में मोटे तौर पर पुरुषों का प्रभुत्व क्यों है ?
उत्तर:
20वीं शताब्दी में महिलाओं की जनसंख्या का अनुपात निरन्तर घटता रहा है। सामाजिक कारणों से परिवार में लड़कियों की उपेक्षा की जाती रही है। ठीक प्रकार से लालन-पालन न होने के कारण लड़कियों में बीमारियों का प्रकोप अधिक है तथा बहुत-सी महिलाएं प्रसव के समय ही मर जाती हैं। पुरुष संख्या 62 करोड़ तथा स्त्री संख्या 59 करोड़ है।

प्रश्न 14.
भारत के किन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अत्यधिक निम्न है और क्यों ?
उत्तर:
“पर्यावरण की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के पहाड़ी राज्यों में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। सिक्किम में 86, नागालैंड में 119, जम्मू-कश्मीर में 124, मेघालय में 132, मणिपुर में 122, अरुणाचल प्रदेश में 17, मिज़ोरम में 52, हिमाचल प्रदेश में 123 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। इन राज्यों में पर्वतीय धरातल, वनों के अधिक विस्तार, यातायात के साधनों की कमी तथा प्रतिकूल जलवायु के कारण जनसंख्या घनत्व कम है।

प्रश्न 15.
जनसंख्या परिवर्तन के आधारभूत घटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
समय के साथ-साथ किसी भी देश की जनसंख्या घटती-बढ़ती है। जनसंख्या भी अन्य प्राणियों की भांति स्थिर नहीं रहती है। यह परिवर्तन तीन कारकों पर निर्भर करता है

  1. जन्म दर (Birth rate)
  2. मृत्यु दर (Death rate)
  3. जनसंख्या प्रवास (Migration)

जन्म दर अधिक होने से जनसंख्या बढ़ती है, जबकि मृत्यु दर बढ़ने से जनसंख्या कम होती है। जन्म दर तथा मृत्यु .. दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहा जाता है। जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है तो उसे धनात्मक प्राकृतिक वृद्धि (Positive Natural Growth) कहा जाता है। दूसरे देशों में प्रवास के कारण जनसंख्या कम होती है। दूसरे देशों से आने वाले लोगों या अप्रवास के कारण जनसंख्या में वृद्धि होती है। समय के साथ होने वाले जनसंख्या परिवर्तन … को जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) कहा जाता है।

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प्रश्न 16.
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर कितनी है ? नगरों तथा महानगरों में वृद्धि दर औसत से अधिक क्यों है ?
उत्तर:
भारत में 2001-2010 के दशक में जनसंख्या की औसत वृद्धि दर 1.67% रही है। देश में कुल जनसंख्या में 1830 लाख की वृद्धि हुई है। नगरों तथा महानगरों में यह वृद्धि दर औसत से बहुत अधिक है। नगरों का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है। नगरों के बाहर स्थित उप-नगर तथा ग्राम भी नगरों में मिल गए हैं। रोजगार तथा अच्छे रहन-सहन की तलाश में गांवों में से लोग शहरों की ओर प्रवास कर रहे हैं। इसलिए नगरों में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है जबकि ग्रामीण जनसंख्या में वृद्धि दर कम है।

प्रश्न 17.
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की असमानता के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का क्षेत्रीय वितरण बहुत असमान है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल तथा आन्ध्र प्रदेश में कुल मिलाकर देश की लगभग आधी जनसंख्या निवास करती है। उत्तर प्रदेश अकेले राज्य में इतनी जनसंख्या है जितनी दक्षिण के तीन राज्यों केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु में मिलती है। दिल्ली की जनसंख्या सभी केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल जनसंख्या से अधिक है। मध्य प्रदेश भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। यहां देश के 14% क्षेत्रफल में केवल 7.6% लोग रहते हैं तथा जनसंख्या की दृष्टि से इसका छठा स्थान है।

प्रश्न 18.
अंक गणितीय घनत्व जनसंख्या के घनत्व का एक संवेदनशील माप क्यों नहीं है ?
उत्तर:
किसी देश की कुल जनसंख्या तथा उसके कुल क्षेत्रफल के अनुपात को उस देश की जनसंख्या का अंक गणितीय घनत्व (Arithmatic Density) कहा जाता है। यह पद्धति सरल है तथा अधिक प्रयोग की जाती है परन्तु यह एक अपरिष्कृत (Crude) विधि है तथा प्रत्येक क्षेत्र के लिए प्रयोग नहीं की जा सकती। यह एक संवेदनशील माप (Sensitive Index) नहीं है। इस विधि में देश के कुल क्षेत्रफल को उपयोग में लाया जाता है। परन्तु बहुत-से क्षेत्र ऐसे भी होते हैं जहां एक भी व्यक्ति नहीं रहता। इन्हें नकारात्मक प्रदेश (Negative Areas) कहते हैं। मनुष्य केवल चुने हुए प्रदेशों में रहता है जहां प्राकृतिक संसाधन सुगमता से प्राप्त हों। पहाड़ी, वन, दलदल, रेगिस्तान आदि प्रदेशों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता जबकि वहां मानव निवास सम्भव नहीं होता।

प्रश्न 19.
भारत की जनसंख्या का घनत्व लगातार क्यों बढ़ रहा है ?
उत्तर:
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह संसार के घने बसे हुए क्षेत्रों में से एक है। भारत की जनसंख्या का घनत्व 1921 से लगातार बढ़ता जा रहा है।

वर्ष जनसंख्या घनत्व प्रति व्यक्ति

वर्ग कि०मी०

1921 81
1931 90
1941 103
1951 117
1961 142
1971 177
1981 221
1991 267
2001 313
2011 382

प्रत्येक जनगणना में जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है, परन्तु क्षेत्रफल में वृद्धि नहीं होती। देश का क्षेत्रफल वहीं का वहीं रहता है। जनसंख्या घनत्व कुल जनसंख्या तथा क्षेत्रफल में अनुपात होता है। इसलिए जनसंख्या की सघनता बढ़ रही है। देश में कृषि पर अत्यधिक निर्भरता है। इसलिए कृषि में वृद्धि न होने के कारण भी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए अर्थ-व्यवस्था में विविधता आवश्यक है।

प्रश्न 20.
भारत में जनसंख्या के घनत्व में पाई जाने वाली विभिन्नता के प्रमुख कारण क्या हैं ?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या घनत्व में क्षेत्रीय प्रतिरूप में पर्याप्त विभिन्नताएं पाई जाती हैं। पर्यावरण की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर-पूर्वी भारत में औसत घनत्व 60 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम है। मध्यवर्ती भारत में यह घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। उत्तरी मैदान में पंजाब से पश्चिमी बंगाल की मेखला में अधिक घनत्व है। इस जनसंख्या घनत्व की विभिन्नता के मुख्य कारक उच्चावच, जलवायु, जल-आपूर्ति, मिट्टी की उर्वरता तथा कृषि उत्पादकता है। इन कारकों का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त जनांकिकी, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक कारकों के योगदान आदि का जनसंख्या के घनत्व पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 21.
‘जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक’ से क्या अभिप्राय है ? यह किस प्रकार जनसंख्या के असमान वितरण को प्रदर्शित करता है ?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। यदि हम प्रत्येक राज्य की जनसंख्या का देश की कुल जनसंख्या के अनुपात को देखें तो यह तथ्य और भी स्पष्ट हो जाता है। इसे जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक (Index of Concentration) कहते हैं। संकेन्द्रण सूचकांक से अभिप्राय है-देश की कुल जनसंख्या में किसी राज्य की जनसंख्या का अनुपात। जैसे उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक है –
उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या = 1995 लाख भारत की कुल जनसंख्या = 12102 लाख
सकन्द्रण सूचकाक = \(\frac {1995}{12102}\) = \(\frac {1995}{12102}\) x 100 = 19.8%
यह संकेन्द्रण सूचकांक नागालैण्ड में 0.1 प्रतिशत, मेघालय में 0.19 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 0.87 प्रतिशत है। पश्चिमी बंगाल के घने बसे राज्य में 8 प्रतिशत है। पंजाब तथा हरियाणा के कृषि विकसित प्रदेश में क्रमश: 1.9 प्रतिशत तथा 2.4 प्रतिशत है। इस प्रकार संकेन्द्रण सूचकांक देश में जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रीय वितरण के असमान रूप को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 22.
गंगा के मैदान में जनसंख्या के वितरण की दो विशेषताएं बताओ। इस क्षेत्र में वर्षा वितरण किस प्रकार जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है ?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या का अधिकतर भाग गंगा के मैदान में निवास करता है। पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में भारत की कुल जनसंख्या का 50% भाग निवास करता है। इस मैदान में पश्चिम से पूर्व की ओर जनसंख्या घनत्व बढ़ता जाता है। जैसे पंजाब (550), उत्तर प्रदेश (828), बिहार (1102), पश्चिमी बंगाल (1029) । यह इस तथ्य से मेल खाता है कि इस मैदान में वर्षा की मात्रा भी पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती है।

प्रश्न 23.
भारतीय जनसंख्या की आयु संरचना के तीन प्रमुख लक्षणों का विवरण दीजिए।
उत्तर:

  1. भारत में कुल जनसंख्या में 0-14 वर्ष की आयु वर्ग की अधिकता है। कुल जनसंख्या का लगभग 40% निम्न आयु वर्ग का है।
  2. भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 67% भाग आश्रित वर्ग में है जबकि 33% लोग श्रमिक हैं।
  3. 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की संख्या 12% है।

प्रश्न 24.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के इतिहास में सन् 1921 और सन् 1951 सबसे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं ?
अथवा
विगत 100 वर्षों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में इस शताब्दी में जनसंख्या बड़ी तीव्र गति से बढ़ रही है। सन् 1901 से 1981 तक के समय में जनसंख्या तिगुनी हुई है। जनसंख्या वृद्धि में कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। सन् 1901 से 1921 तक जनसंख्या में बहुत कम वृद्धि हुई थी। इन 20 वर्षों में जनसंख्या में केवल 129 लाख की वृद्धि हुई। सन् 1921 में जनसंख्या 0.3 प्रतिशत की दर से कम हुई। इसका मुख्य कारण यह था कि देश के विभिन्न भागों में अकाल (1920), प्लेग आदि महामारियों (1918) तथा विश्व युद्ध (1914) के कारण बहुत-से लोगों की मृत्यु हुई। परन्तु सन् 1921 के पश्चात् जनसंख्या धीमी और निश्चित गति से बढ़ती रही।

इसलिए 1921 को जनसंख्या वृद्धि के इतिहास में जनांकिकीय विभाजक कहा गया है।1921 से 1951 तक जनसंख्या धीमी परन्तु निश्चित गति से बढ़ती रही। 1951 के अन्त तक यह वृद्धि 1.3% की दर से हुई। इन तीस वर्षों में जनसंख्या में लगभग 11 करोड़ की वृद्धि हुई। 1951 का वर्ष इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है चूंकि इसके पश्चात् जनसंख्या में बड़ी तेज़ी से वृद्धि हुई। 1951 तक जनसंख्या वृद्धि के पहले चरण का अन्त हो गया। 1961 से 1991 तक तीस वर्ष के समय में जनसंख्या लगभग दुगुनी हो गई और कुल जनसंख्या 43 करोड़ से . बढ़ कर 84 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि दर 2.4% प्रति वर्ष रही है। 2001-10 के दशक में वृद्धि दर 1.67% रही। वृद्धि दर की वितरण -भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में बड़े पैमाने पर प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं।
(i) उच्च वृद्धि दर वाले राज्य एक सतत पेटी में स्थित हैं जो देश के उत्तरी आधे भाग में स्थित है।
(ii) भारत में निम्नतम जनसंख्या वृद्धि दर केरल राज्य में 9.43 प्रतिशत थी जबकि उच्चतम वृद्धि दर नागालैंड राज्य में 64.53 प्रतिशत थी।

कम जनसंख्या वृद्धि दर के प्रदेश

राज्य वृद्धि दर
केरल 4.9
तमिलनाडु 15.6
आन्ध्र प्रदेश 11.1
गोवा 8.2
उड़ीसा 14.0
कर्नाटक 15.7
हिमाचल प्रदेश 12.8
पश्चिम बंगाल 13.9
असम 16.9
पंजाब 13.7
नागालैंड 0.5

उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के प्रदेश

राज्य वृद्धि दर
सिक्किम 12.4
मेघालय 27.8
मिज़ोरम 22.8
बिहार 25.1
राजस्थान 21.4
हरियाणा 19.9
अरुणाचल प्रदेश 25.9
उत्तर प्रदेश 20.1
मध्य प्रदेश 20.3
महाराष्ट्र 16.0

कुल मिलाकर देश के 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि हुई है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि (2001-2011)

वर्ष जनसंख्या (लाखों में) प्रति दशक (प्रतिशत वृद्धि)
1901 2383 – 01.01
1911 2520 + 05.75
1921 2512 – 00.30
1931 2789 + 11.00
1941 3185 + 14.23
1951 3610 + 13.31.
1961 4391 + 21.52
1971 5479 + 24.80
1981 6338 + 24.75
1991 8439 + 23.50
2001 10270 + 19.30
2011 121.02 + 17.7

India Population (in millions): 1901-2011
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 1
Percentage decádal growth rates of population, India: 1951-1961 to 2W01-2011
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 2

प्रश्न 25.
भारत में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
सन् 1901 से 1921 तक भारत में जनसंख्या लगभग स्थिर रही है। इसके पश्चात् विशेषकर सन् 1951 से जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं –
1. मृत्यु दर में कमी-भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के कारण कई महामारियों पर नियन्त्र है। सूखे, बाढ़ों तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मृत्यु में भी कमी हुई है। मृत्यु दर 47 से कम हो कर सन् 2001 में 8.4 व्यक्ति प्रति हज़ार हो गई है।

2. जन्म दर में कमी-जन्म दर में भी थोड़ी-सी कमी हुई है। जन्म दर 46 से कम होकर 27 व्यक्ति प्रति हज़ार हो गई है। इसका जनसंख्या की कमी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। निश्चित गति से कम होती हुई मृत्यु संख्या तीव्र जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि-जीवन प्रत्याशा का औसत 23 वर्ष से बढ़ कर 65 वर्ष हो गया है। फलस्वरूप देश की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।

4. शिशु मृत्यु दर में कमी-एक साल से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु संख्या जो पहले 250 थी, घट कर 70 प्रति हज़ार हो गई है। यह भी जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।

5. अन्य कारण-विदेशों से आ कर भारत में बसने वाले लोगों के कारण जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इसी कारण बाल-विवाह, अशिक्षा, भाग्यवादी विचार, निर्धनता, परिवार नियोजन की कमी आदि कारणों के प्रभाव से जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 26.
जनसंख्या की गणना से क्या अभिप्राय है ? यह कितने वर्ष बाद की जाती है ?
उत्तर:
जनसंख्या की गणना-संसार के सभी देशों में जनसंख्या सम्बन्धी आंकड़े जनगणना द्वारा एकत्रित किये जाते हैं। भारत में सबसे पहली जनगणना 1872 में की गई थी। यद्यपि प्रथम पूर्ण जनगणना 1881 में हुई थी। उस समय से जनगणना नियमित रूप से 10 वर्ष के अन्तराल पर की जाती है। जनसंख्या की गणना एक जटिल प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत जनगणना के समय देश में रहने वाले सभी लोगों के पूर्ण जनसांख्यिकीय आंकड़ों का एकत्रीकरण, संकलन तथा प्रकाशन किया जाता है। जनगणना में कई सुधारों के पश्चात् भारतीय जनगणना विश्व में उत्तम मानी जाती है।

प्रश्न 27.
भारत में 2001-2010 के दशक में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य तथ्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) –

  1. भारत में 2001-2010 के दशक में औसत जनसंख्या वृद्धि दर 16.76 प्रतिशत थी।
  2. भारत में औसत वार्षिक वृद्धि दर 1.67 प्रतिशत थी।
  3. 2001-2010 दशक में भारत की जनसंख्या में कुल वृद्धि 18.4 करोड़ थी।
  4. इस वृद्धि दर से भारत की जनसंख्या 36 वर्ष में दुगुनी हो जाएगी।

वृद्धि दर की वितरण – भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में बड़े पैमाने पर प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं।

  1. उच्च वृद्धि दर वाले राज्य एक सतत पेटी में स्थित हैं जो देश के उत्तरी आधे भाग में स्थित है।
  2. भारत में निम्नतम जनसंख्या वृद्धि दर केरल राज्य में 4.9 प्रतिशत थी जबकि उच्चतम वृद्धि दर मेघालय राज्य में 27.8 प्रतिशत थी।
  3. कुल मिलाकर देश के 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि हुई है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 3

प्रश्न 28.
जनांकिकीय संक्रमण से क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न अवस्थाएं बताओ।
उत्तर:
जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition) – किसी समाज की जनसंख्या के परिवर्तन की प्रक्रिया को जनांकिकीय संक्रान्ति कहते हैं। इस संक्रान्ति का आरम्भ, मध्य और अन्त होता है। इसकी चार अवस्थाएं होती हैं –

अवस्था मृत्यु-दर जन्म-दर वृद्धि दर
1. प्रथम उच्च मृत्यु-दर उच्च जन्म-दर निम्न वृद्धि दर
2. द्वितीय मृत्यु-दर का घटना उच्च जन्म-दर अति उच्च वृद्धि दर
3. तृतीय मृत्यु-दर कम होना तेज़ी से घटना वृद्धि दर का घटना
4. चतुर्थ मृत्यु-दर कम जन्म-दर कम वृद्धि दर कम

प्रश्न 29.
भारत के जनांकिकीय इतिहास का चार अवस्थाओं में विभाजन कीजिए।
उत्तर:
भारत के जनांकिकीय इतिहास को निम्नलिखित चार अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है –
(i) 1921 से पूर्व – इस अवधि में जनसंख्या वृद्धि बहुत धीमी थी। जन्म दर तथा मृत्यु-दर दोनों ही उच्च थे। इस अध्ययन के आधार पर सन् 1921 को जनांकिकीय विभाजक (Demographic Divide) कहा जाता है।

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(ii) 1921 और 1951 के मध्य – इस अवधि में उच्च जन्म-दर तथा घटती मृत्यु-दर के कारण जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हुई। स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के कारण प्लेग, हैजा, मलेरिया आदि महामारियों के कारण होने वाली मौतें घट गईं। परिवहन के विकसित साधनों द्वारा खाद्यान्न भेजने से अकाल के कारण भी मौतें घट गईं। इसे मृत्यु प्रेरित वृद्धि (Mortality induced growth) कहते हैं।

(iii) 1951 और 1981 के मध्य – इस अवधि में तीव्र गति से वृद्धि के कारण भारत की जनसंख्या लगभग दुगुनी हो गई। स्वास्थ्य सेवाओं के अधिक सुधार के कारण जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर तेजी से घटी। इस प्रकार यह प्रजनन प्रेरित वृद्धि (Faculity induced growth) थी।

(iv) 1981 के पश्चात् – इस अवधि में जन्म-दर कम होने तथा कम मृत्यु-दर के कारण वृद्धि दर में क्रमिक ह्रास हुआ, इस अवधि में जन्म-दर तेजी से घटी। यह 1981 में 34 प्रति हजार से घटकर 1999 में 26 प्रति हज़ार हो गई। यह प्रवृत्ति छोटे परिवार (Small Family) के प्रति अपने रुझान व सकारात्मक संकेत है।

प्रश्न 30.
भारत के लोगों की भाषाओं एवं बोलियों में अत्यधिक विविधता क्यों पाई जाती है ?
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। इस देश के लोगों की भाषा तथा बोली में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। भारत की इतनी विस्तृत भूमि पर विशाल जन-समूह को देखते हुए यह विविधता आश्चर्यजनक नहीं है। यह विविधता भारत में विभिन्न जाति समूहों की विविधता के कारण उत्पन्न हुई है। भारतीय उप-महाद्वीप को आबाद करने की क्रिया एक लम्बे समय में सम्पन्न हुई है। इस समय में एशिया के निकटवर्ती प्रदेशों से विभिन्न जाति समूह भारत में आए। प्रत्येक मानव समूह द्वारा अपनी-अपनी भाषा के विकास के कारण सारे देश में अनेक भाषाएँ पाई जाती हैं। अलग-अलग प्रदेश में विभिन्न भाषाओं का विकास हुआ है। इन भाषाओं के आधार पर विभिन्न प्रदेशों की पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 31.
देश के किन भागों में लिंग अनुपात अधिक तथा किन भागों में कम है ?
उत्तर:
देश में सबसे अधिक लिंग अनुपात केरल राज्य में 1084 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष है जबकि राष्ट्रीय औसत लिंग अनुपात 940 है। राष्ट्रीय औसत से कम लिंग अनुपात, निम्नलिखित राज्यों में है कम लिंग अनुपात वाले राज्य-सिक्किम (889), नागालैंड (931), हरियाणा (877), पंजाब (893), उत्तर प्रदेश (898), जम्मू-कश्मीर (883), पश्चिमी बंगाल (947), राजस्थान (926), अरुणाचल प्रदेश (920), बिहार (926), असम (991) है।

मध्य प्रदेश (930), महाराष्ट्र (925), गुजरात (918), जम्मू कश्मीर (908)। लिंग अनपात वाले राज्य-राष्टीय औसत से अधिक लिंग अनपात निम्नलिखित राज्यों में है उड़ीसा (978), आन्ध्र प्रदेश (972), तमिलनाडु (995), कर्नाटक (968), हिमाचल प्रदेश (974), मेघालय (966), गोआ (968), केरल (1084) है। पांडिचेरी (1038), छत्तीसगढ़ (991), मणिपुर (997), उत्तराखण्ड (963), त्रिपुरा (900), झारखण्ड (947), मिजोरम (973)।

प्रश्न 32.
लिंग अनुपात से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान आवश्यक है। प्रति हज़ार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात (Sex Ratio) कहा जाता है। भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हज़ार पुरुष था जबकि 2011 में यह संख्या घट कर 940 हो गई है। भारत में केवल केरल राज्य में ही स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। यहां एक हजार पुरुषों के पीछे 1084 स्त्रियां हैं।

प्रश्न 33.
‘सन् 1901 के बाद लिंगानुपात सामान्यतः घटता जा रहा है।’ इस कथन का विश्लेषण आलोचनात्मक रूप में कीजिए और इस घटती हुई प्रवृत्ति के कारण भी बताइए।
अथवा
विगत शताब्दी में लिंगानुपात की प्रवृति बताओ।
उत्तर:
सन् 1901 के बाद से जनगणनाओं में भारत में लिंग अनुपात लगातार घटता जा रहा है। 1901 में यह लिंगानुपात 972 प्रति हज़ार पुरुष था, 2011 में यह घट कर 940 हो गया है। यह प्रवृत्ति हमारी सामाजिक बुराइयों के कारण है। भारत में जनसंख्या की लिंग संरचना पर कई तत्त्वों का विशेष प्रभाव पड़ा है। हमारे समाज में पुरुषों को अधिक महत्त्व देने की प्रथा है। स्त्रियों को समान अधिकार दिलाने के लिए शिक्षा का प्रचार तथा विवाह योग्य आयु को बढ़ाना आवश्यक है।

स्त्रियों की स्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा की उपेक्षा होती है। प्रत्येक आयु वर्ग में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की अधिक मृत्यु होती है। प्रसव के दौरान स्त्रियों की मृत्यु के कारण लिंग अनुपात और भी कम हो जाता है। कई प्रदेशों में श्रमिक पुरुषों के बाहर प्रवास से भी स्त्रियों का अनुपात बढ़ जाता है। मध्य प्रदेश, उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश राज्यों में बड़ी संख्या में बाहर से आकर काम करने वाली स्त्रियों के कारण लिंग अनुपात बढ़ जाता है। कई औद्योगिक प्रदेशों में अप्रवासी पुरुषों की अधिकता के कारण जनसंख्या में लिंग अनुपात कम रह जाता है।

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प्रश्न 34.
भारत की जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना के मुख्य लक्षणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय (Occupation) – व्यवसाय से अभिप्राय है वह कार्य जिससे व्यक्ति अपनी रोजी रोटी कमाता E. . है। भारत में सामान्य रूप से व्यवसायों को तीन वर्गों में बांटा जाता है –

  • प्राथमिक
  • द्वितीयक
  • तृतीयक।

भारत की व्यावसायिक संरचना (Occupational Structure) –
(i) भारत में 2001 में दो तिहाई मुख्य कामगार (67.4 प्रतिशत) कृषि कार्यों में लगे हुए हैं।
(ii) भारत में कामगारों को निम्न चार श्रेणियों में बांटा जाता है।
(क) कृषक
(ख) खेतीहर मजदूर
(ग) घरेलू, औद्योगिक कामगार
(घ) अन्य कामगार।
(iii) गैर-कृषि कार्यों में विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, संचार, भंडारण मुख्य व्यवसाय हैं जिनमें केवल 12.1 प्रतिशत लोग काम करते हैं।
(iv) श्रम शक्ति में 38.72 प्रतिशत किसान तथा 26.09 प्रतिशत खेतीहर मजदूर थे।
(v) देश में कृषि कामगारों का अनुपात घट रहा है। यह अनुपात 1971 में 69.49 से घटकर 2001 में 58.4 प्रतिशत रह गया है।

भारत-कामगारों की व्यावसायिक संरचना (प्रतिशत)-2001

व्यवसाय व्यक्ति पुरुष स्त्री
1. कृषक 31.71 31.34 32.50
2. कृषीय श्रमिक 22.69 20.82 39.43
3. घरेलू उद्योग 4.07 3.02 6.37
4. अन्य कामगार 37.58 44.72 21.70
5. योग 100.00 100.00 100.00

प्रश्न 35.
भारत में आयु संरचना की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में जनगणना के अनुसार 5 आयु वर्ग हैं –

आयु वर्ग कुल जनसंख्या का प्रतिशत
1. 0-14 वर्ष 40%
2. 15-29″ 26%
3. 30-39″ 12%
4. 40-49″ 10%
5. 50-59″ 6%
6. 60 वर्ष से अधिक 6%

श्रमजीवी वर्ग 15-59 वर्ष तक है जबकि महिला वर्ग में प्रजनन आयु वर्ग 15-49 वर्ष है।

मुख्य विशेषताएं –
(i) जहां तक जनसंख्या की आयु संरचना का संबंध है, भारत की कुल जनसंख्या के लगभग एक-चौथाई की आयु 10 वर्ष से कम है।
(2) लगभग 21 प्रतिशत जनसंख्या 10-19 आयु वर्ग में है। यहां यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि देश की 47 प्रतिशत जनसंख्या 20 वर्ष से कम आयु के लोगों की है।
(3) मापनी के दूसरे सिरे पर केवल 7 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले लोगों की है। इससे यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि देश की 93 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष से कम आयु की है।
(4) यह स्पष्ट है कि 37.25 प्रतिशत जनसंख्या 15 वर्ष से कम है।
(5) 15-29 वर्ष की आयु वाले युवा वर्ग की है।
(6) सिर्फ 16 प्रतिशत जनसंख्या 40-49 वर्ष के मध्यम आयु वर्ग में है।
(7) आयु संरचना में अन्तःप्रादेशिक और अन्तर्राज्यीय अंतर है जिन्हें 1991 के जनगणना के प्रासंगिक सारणियों के अध्ययन द्वारा समझा जा सकता है।

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प्रश्न 36.
आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारतीय जनंसख्या के तीन वर्ग कौन-से हैं ? प्रत्येक वर्ग की मुख्य विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारतीय जनसंख्या को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा जाता है
1. मुख्य श्रमिक (Main worker)
2. सीमांत श्रमिक (Marginal worker)
3. अश्रमिक (Non workers)

विशेषताएं –

1. मुख्य श्रमिक-वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में कम-से-कम 183 दिन काम करता है। इसे कार्यशील जनसंख्या कहते हैं।
2. सीमान्त श्रमिक-वह व्यक्ति जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम दिन काम करता है। मुख्य तथा सीमान्त श्रमिक 39% है।
3. अश्रमिक-वह व्यक्ति है जो अपने भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है। भारत में 61% जनसंख्या अश्रमिक वर्ग से जुड़ी है। इसे आश्रित (Dependent) जनसंख्या कहते हैं।

प्रश्न 37.
‘विशाल जनसंख्या प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों पर एक बोझ है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में विशाल जनसंख्या है, 121.02 करोड़ जनसंख्या विश्व का 16.7% भाग है। अधिक जनसंख्या के कारण कई सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। मानव तथा प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप निर्धनता तथा बेरोजगारी बढ़ रही है। वातावरण का प्रदूषण एक गम्भीर रूप धारण कर रहा है। जातीय विविधता, अत्यधिक ग्रामीण स्वरूप तथा असमान वितरण सामाजिक आर्थिक विकास की गति को धीमा कर रहा है। भारतीय कृषि इस तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या का भरण-पोषण नहीं कर सकती।

प्रश्न 38.
कोई ऐसे तीन मूल्य आधारित तथ्य लिखें जो ‘भारत की जनसंख्या के असमान रूप से वितरण’ के लिए उत्तरदाई हैं।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या के वितरण के उत्तरदाई कारण –
(i) पर्वतों, मरुस्थलों तथा वन-प्रदेशों में कठोर जलवायु होने से जनसंख्या कम है।
(ii) बड़े क्षेत्र के राज्यों में तथा अधिक विकसित राज्यों में मूल सुविधाओं की उपलब्धता के कारण जनसंख्या अधिक है।
(iii) जलोढ मैदानों तथा तटीय मैदानों में उपज या रोजगार के साधन अधिक उपलब्ध हैं जिनके चलते इनकी जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 39.
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या में कौन से मूल्य आधारित तथ्य अन्तर स्पष्ट करने में सहायक हैं ?
उत्तर:

नगरीय जनसंख्या (Urban Population) ग्रामीण जनसंख्या (Rural Population)
(i) मुख्य

व्यवसाय

(1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय निर्माण उद्योग तथा व्यापार होता है। (1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशु-पालन होता है।
(ii) उपलब्ध

सुविधाएँ

(2) नगरीय जनसंख्या को परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाएं प्राप्त होती हैं। (2) ग्रामीण जनसंख्या को आधुनिक सुविधाएं प्राप्त नहीं होती हैं।
(iii) जनसंख्या

घनत्व

(3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता हैं। (3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक नहीं होता है।

 

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
उत्पादक और आश्रित जनसंख्या में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

उत्पादक जनसंख्या (Productive Population) आश्रित जनसंख्या (Dependent Population)
(1) लाभदायक आर्थिक क्रियाओं में कार्य करने वाले लोगों को उत्पादक जनसंख्या कहा जाता है। (1) जो लोग किसी आर्थिक क्रिया में सहयोग नहीं देते, उन्हें आश्रित जनसंख्या कहा जाता है।
(2) ऐसे जन-समुदाय को श्रमिक बल कहा जाता है। (2) ऐसे जन-समुदाय को अश्रमिक बल कहा जाता हैं।
(3) ये लोग 15-60 वर्ष की आयु वर्ग से होते हैं। (3) इस वर्ग में 60 वर्ष की आयु से अधिक के व्यक्ति तथा 15 वर्ष से कम के बच्चे शामिल होते हैं।
(4) ये लोग स्वयं कुछ कार्य करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। (4) ये लोग बेरोज़गार होते हैं तथा श्रमिक लोगों पर आश्रित होते हैं।
(5) भारत में लगभग 33% लोग श्रमिक हैं। (5) भारत में लगभग 67% लोग आश्रित हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

नगरीय जनसंख्या (Urban Population) ग्रामीण जनसंख्या (Rural Population)
(1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय निर्माण उद्योग तथा व्यापार होता है। (1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशु पालन होता है।
(2) नगरीय जनसंख्या को परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाएं प्राप्त होती हैं। (2) ग्रामीण जनसंख्या को आधुनिक सुविधाएं प्राप्त नहीं होती हैं।
(3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है। (3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक नहीं होता है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या का अंकगणितीय तथा फिजियोलॉजिकल (कायिक) घनत्व में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

अंकगणितीय घनत्व (Arithmatical Density) फिजियोलॉजिकल (कायिक) घनत्व (Physiological Density)
(1) इस पद्धति द्वारा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर व्यक्तियों की संख्या प्रकट की जाती है। (1) इस पद्धति द्वारा कुल जनसंख्या तथा कुल कृषि भूमि के अनुपात को प्रकट किया जाता है।
(2) भारत में फिजियोलॉजिकल घनत्व (2011) JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 10 (2) भारत का अंकगणितीय घनत्व (2011) = JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 11
(3) इससे जनसंख्या वितरण की भिन्नताओं का पता चलता है। (3) इस पद्धति से कृषि भूमि पर निर्भर लोगों की संख्या का पता चलता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
“जनसंख्या के घनत्व” से क्या अभिप्राय है ? जनसंख्या का घनत्व किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population) – किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या प्रति वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है। एक वर्ग किलोमीटर या एक वर्ग मील में औसत रूप से जितने लोग रहते हैं, जनसंख्या का घनत्व कहलाता है। भारत में जनसंख्या का स्थानिक वितरण बहुत असमान है।

जनसंख्या का घनत्व प्रायः खाद्य पदार्थों की सुविधा तथा रोजगार की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिमी बंगाल घने बसे राज्य हैं परन्तु हिमाचल, सिक्किम, नागालैण्ड, अरुणाचल विरल जनसंख्या प्रदेश हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(क) भौतिक कारक
(ख) सामाजिक आर्थिक कारक
(ग) जनांकिकीय कारक

(क) भौतिक कारण (Natural Factors)
1. धरातल (Land) – किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार जनसंख्या के घनत्व पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी, कठोर जलवायु, यातायात के कम साधनों तथा कृषि के अभाव के कारण जनसंख्या कम होती है। इसीलिए हिमाचल प्रदेश, मेघालय कम जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80%
जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान घनी जनसंख्या वाला क्षेत्र है।

2. जलवायु (Climate) – तापमान तथा वर्षा जनसंख्या के घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। अधिक ठण्डे या अधिक गर्म क्षेत्रों में कम जनसंख्या होती है। इसीलिए संसार के उष्ण तथा शीत मरुस्थल व ध्रुवीय प्रदेश लगभग खाली हैं। राजस्थान मरुस्थल में कम जनसंख्या मिलती है। यहां मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहां पर्याप्त वर्षा कृषि के उपयुक्त होती है। उत्तरी मैदान के पांच राज्यों में देश की कुल जनसंख्या का 1/2 भाग निवास करत

3. मिट्टी (Soil) – गहरी उपजाऊ मिट्टी में कृषि उत्पादन अधिक होता है। इन प्रदेशों में अधिक लोगों को भोजन प्राप्त करने की क्षमता होती है। नदी घाटियों की कछारी मिट्टी में चावल का अधिक उत्पादन होने के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है। गंगा नदी के उपजाऊ मैदानों में जनसंख्या का अधिक जमाव है। लावा मिट्टी के उपजाऊपन के कारण ही महाराष्ट्र में घनी जनसंख्या है।

4. खनिज पदार्थ (Minerals) – खनिज पदार्थ लोगों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं। कोयला, तेल, लोहा, सोना आदि खनिज पदार्थों वाले क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। भारत में दामोदर घाटी में खनिजों के विशाल भण्डार के कारण घनी जनसंख्या है। जिन क्षेत्रों में कोयला, तेल तथा पन-बिजली के शक्ति साधनों का अधिक विकास होता है, वहां औद्योगिक विकास . के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है; जैसे
जमशेदपुर।।

5. नदियां और जल प्राप्ति (River and Water Supply) – नदियां जल का मुख्य साधन होती हैं। इनका जल पीने, जल-सिंचाई, उद्योग-धन्धों तथा यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सुविधाओं के कारण नदियों के किनारों पर अधिक जनसंख्या मिलती है। इसीलिए कई प्राचीन शहर, जैसे-कोलकाता, दिल्ली, आगरा तथा इलाहाबाद नदियों के किनारे ही स्थित हैं।

(ख) आर्थिक कारण (Economic Factors):
6. खेतीबाड़ी (Agriculture) – अधिक कृषि उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक भोजन प्राप्ति के कारण घनी जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन-तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह हो सकता है। इसीलिए उत्तरी मैदान में अधिक जनसंख्या है। जहां आधुनिक अधिक उपज वाली फसलों के कारण पंजाब आदि राज्यों में अधिक जनसंख्या घनत्व है।

7. उद्योग (Industries) – औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत-सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। दामोदर घाटी में औद्योगिक विकास के कारण ही अधिक जनसंख्या है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी घनी जनसंख्या होती है।

8. यातायात के साधनों की सुविधा (Easy Means of Transportation) – यातायात के साधनों की सुविधाओं के कारण उद्योगों, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। तटीय क्षेत्रों में जल मार्ग की सुविधा के कारण संसार की अधिकतर जनसंख्या निवास करती है। पर्वतीय भागों तथा कई भीतरी प्रदेशों में यातायात के साधनों की कमी के कारण कम जनसंख्या होती है।

9. नगरीय विकास (Urban Development) – किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन विकास हो जाता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण नगरों में तेजी से जनसंख्या बढ़ जाती है।

(ग) जनांकिकीय कारक (Demographic factors) – प्रजनन दर, मृत्यु दर तथा प्रवाह, नगरीकरण जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या वितरण की विभिन्नता तथा इसके कारणों का वर्णन करो।
अथवा
भारत की जनसंख्या घनत्व का राज्य स्तरीय विश्लेषण करें।
उत्तर:
जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population) – भारत क्षेत्रफल के आधार पर संसार में सातवां बड़ा देश है परन्तु जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 102.8 करोड़ थी तथा जनसंख्या घनत्व 323 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० था। भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। देश में प्राकृतिक तथा आर्थिक दशाओं की विभिन्नता के कारण जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व में बहुत विभिन्नता है। गंगा-सतलुज के उपजाऊ मैदान में देश के 23% क्षेत्र में 52% जनसंख्या का संकेन्द्रण है जबकि हिमालय के पर्वतीय भाग में 13% क्षेत्र में केवल 2% जनसंख्या निवास करती है।

केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली में जनसंख्या का घनत्व 9340 (भारत में सबसे अधिक) है। जबकि अरुणाचल प्रदेश में केवल 13 (भारत में सबसे कम) है। सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहां 16 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। भारत में जनसंख्या का घनत्व, धरातल; मिट्टी के उपजाऊपन, वर्षा की मात्रा तथा जल सिंचाई पर निर्भर करता है। भारत मूलतः कृषि प्रधान देश है। इसलिए अधिक घनत्व उन प्रदेशों में पाया जाता है जहां भूमि की कृषि उत्पादन क्षमता अधिक है। जनसंख्या का घनत्व वर्षा की मात्रा पर निर्भर करता है। पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक क्षेत्रों में भी जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है।

Country Population (In millions)
1. China 1341.0
2. India 1,210.2
3. U.S.A. 308.7
4. Indonesia 237.6
5. Brazil 190.7
6. Pakistan 184.8
7. Bangladesh I 64.4
8. Nigeria 158.3
9. Russian Fed. I 404
10. Japan 128.1
11. Other Countries 2844.7
12. World 6908.7

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जनसंख्या का घनत्व (Density of Population) – किसी प्रदेश की जनसंख्या तथा भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे निम्न प्रकार से प्रकट किया जाता है कि एक वर्ग कि०मी० में औसत रूप से कितने व्यक्ति रहते हैं।
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उदाहरण के लिए भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि०मी० है तथा जनसंख्या 121.7 करोड़ है। इस प्रकार भारत की औसत जनसंख्या
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= 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
भारत को जनसंख्या के घनत्व के आधार पर क्रमशः तीन भागों में बांटा जा सकता है –

1. अधिक घनत्व वाले क्षेत्र (Densely Populated Areas):
इस भाग में वे राज्य शामिल हैं जहां जनसंख्या घनत्व 500 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से अधिक है। अधिक घनत्व वाले क्षेत्र प्रायद्वीपीय भारत के चारों ओर एक मेखला बनाते हैं। पंजाब से लेकर गंगा के डेल्टा तक जनसंख्या का घनत्व अधिक है। एक अनुमान है कि इस भाग के 17% क्षेत्रफल में 43% जनसंख्या निवास करती है। इस क्षेत्र के तीन समूह हैं –
राज्यवार जनसंख्या वितरण-2011

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश कुल क्षेत्र (वर्ग कि०मी०) भारत के कुल क्षेत्रफल का % भाग कुल जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का % भाग घनत्व प्रति वर्ग कि०मी०
1. उत्तर प्रदेश 240928 7.33 19,95,81,477 16.49 828
2. महाराष्ट्र 307713 9.36 11,23,72,972 9.29 365
3. बिहार 94163 9.86 10,38,04,637 8.58 1102
4. पश्चिमी बंगाल 88752 5.7 9,12,47,736 7.55 1029
5. आन्ध्र प्रदेश 275045. 8.37 8,46,65,533 7.00 308
तथा तेलंगाना 130055 3.96 7,25,97,565 6.00 236
6. तमिलनाडु 308245 9.38 7,21,38,958 5.96 555
7. मध्य प्रदेश 342239 10.41 6,86,21,012 5.67 201
8. राजस्थान 191791 5.83 6,11,30,704 5.05 319
9. कर्नाटक 196024 5.96 6,03,83,628 4.99 308
10. गुजरात 155707 4.74 4,19,47,358 3.47 269
11. ओडिशा 38863 1.18 3,33,87,677 2.76 859
12. केरल 79714 2.42 3,29,66,238 2.72 414
13. झारखण्ड 78438 2.39 3,11,69,272 2.58 397
14. असम 50362 1.53 2,77,04, 236 2.29 550
15. पंजाब 44212 1.34 2,55,40,196 2.11 573
16. हरियाणा 135191 4.11 2,53,53,081 2.09 189
17. छत्तीसगढ़ 143 0.05 1,67,53,235 1.38 11297
18. दिल्ली* 222236 6.76 1,25,48,926 1.04. 124
19. जम्मू तथा कश्मीर 53483 1.63 101,16,752 0.84 159
20. उत्तराखंड 1483 0.05 167,53,235 .38.. 11297
21. हिमाचल प्रदेश 222236 6.76 1,25,48,926 1.04 124
22. त्रिपुरा 53483 1.63 101,16,752 0.84 159
23. मणिपुर 55673 1.69 68,56,509 0.57 124
24. मेघालय 10486 0.32 36,71,032 0.30 350
25. नागालैण्ड 22327 0.68 29,64007 0.24 132
26. गोवा 22429 0.68 27,21,756 0.22 122
27. अरुणाचल प्रदेश 16579 0.5 19,80,602 0.16 119
28. पॉडिचेरी* 3702 0.11 14,57,723 0.12 394
29. मिजोरम 83743 2.55 13,82,611 0.11 17
30. चण्डीगढ़* 0.14 12,44,464 0.10 2598

(1) पश्चिमी तटीय मैदान – इस भाग में केरल प्रदेश में घनत्व 859 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है।
कारण –
(i) अधिक वर्षा
(2) मैदानी भाग तथा उपजाऊ मिट्टी
(3) चावल की अधिक उपज
(4) उद्योगों के लिए जल विद्युत्
(5) उत्तम बन्दरगाहों का होना
(6) जलवायु पर समुद्र का समकारी प्रभाव।

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(ii) पश्चिमी बंगाल-इस भाग में घनत्व 1029 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
कारण –
(1) गंगा नदी का उपजाऊ डेल्टा
(2) अधिक वर्षा
(3) चावल की वर्ष में तीन फसलें
जनसंख्या घनत्व व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०-2011

राज्य घनत्व राज्य घनत्व
पश्चिमी बंगाल 1029 उत्तर प्रदेश 828
केरल 859 तमिलनाडु 555
बिहार 1102 पंजाब 550
हरियाणा 573

कारण –
(4) कोयले के भण्डार
(5) प्रमुख उद्योगों का स्थित होना।

(iii) उत्तरी मैदान-इस भाग में विभिन्न प्रदेशों के घनत्व बिहार (1102), उत्तर प्रदेश (828), पंजाब (550), हरियाणा (573) व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी०।. .
कारण –
(1) सतलुज, गंगा आदि नदियों के उपजाऊ मैदान
(2) पर्याप्त वर्षा तथा स्वास्थ्यप्रद जलवायु
(3) जल सिंचाई की सुविधाएं
(4) कृषि के लिए आदर्श दशाएं
(5) व्यापार, यातायात तथा उद्योगों का विकास
(6) नगरों का अधिक होना।

(iv) पूर्वी तट – इस भाग में तमिलनाडु प्रदेश में घनत्व 555 व्यक्ति वर्ग कि० मी० है। महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, डेल्टा में अधिक घनत्व के समूह हैं ।
कारण –
(1) नदियों के उपजाऊ डेल्टा
(2) उद्योगों की अधिकता.
(3) गर्म आर्द्र जलवायु
(4) चावल का अधिक उत्पादन
(5) दोनों ऋतुओं में वर्षा
(6) जल सिंचाई की सुविधा।

2. साधारण घनत्व वाले क्षेत्र (Moderately Populated Areas) –
इस भाग में वे राज्य शामिल हैं जिनका घनत्व 250 से 500 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। मुख्य रूप से ये प्रदेश पूर्वी तथा पश्चिमी घाट, अरावली पर्वत तथा गंगा के मैदान की सीमाओं के अन्तर्गत स्थित है।

जनसंख्या घनत्व – व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० – 2011

राज्य जनसंख्या घनत्व
गोआ 399
जनसंख्या घनत्व 397
त्रिपुरा 365
आन्ध्र प्रदेश 350
असम 308
कर्नाटक 319
महाराष्ट्र 308
गुजरात 269
उड़ीसा 399

कारण –
(1) इन भागों में पथरीला या रेतीला धरातल होने के कारण कृषि उन्नत नहीं है।
(2) कृषि के लिए वर्षा पर्याप्त नहीं है। कुछ क्षेत्रों में हरित क्रान्ति के कारण जनसंख्या अधिक है।
(3) उद्योग उन्नत नहीं हैं।
(4) यातायात के साधन उन्नत नहीं हैं।
(5) परन्तु जंल सिंचाई, लावा मिट्टी औद्योगिक विकास तथा खनिज पदार्थों के कारण साधारण जनसंख्या मिलती है।

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3. कम घनत्व वाले क्षेत्र (Sparsely Populated Areas):
इस भाग में वे पान्त शामिल हैं जिनका घनत्व 250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम है।

(i) उत्तर-पूर्वी भारत – इस भाग में मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा मिज़ोरम शामिल हैं।
व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०-2011

राज्य घनत्व
मणिपुर 122
मेघालय 132
नागालैंड 119
सिक्किम 86
मिजोरम 52
अरुणाचल प्रदेश 17

कारण –
(1) असमतल तथा पर्वतीय धरातल
(2) वन प्रदेश की अधिकता
(3) मलेरिया का प्रकोप
(4) उद्योगों का पिछड़ापन
(5) सीमा प्रान्त होने के कारण असुरक्षित
(6) यातायात के साधनों की कमी
(7) ब्रह्मपुत्र नदी की भयानक बाढ़ों से हानि ।

(ii) कच्छ तथा राजस्थान प्रदेश-इस भाग में राजस्थान का थार का मरुस्थल तथा खाड़ी कच्छ के प्रदेश शामिल हैं।
कारण –
(1) कम वर्षा
(2) कठोर जलवायु
(3) मरुस्थलीय भूमि के कारण कृषि का अभाव
(4) खनिज तथा उद्योगों की कमी
(5) जल सिंचाई के साधनों की कमी
(6) गुजरात की खाड़ी तथा कच्छ क्षेत्र का दलदली होना।

(iii) जम्मू – कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश-हिमालय पर्वत के पहाड़ी क्षेत्र में जनसंख्या बहुत कम है। हिमाचल प्रदेश में 123 घनत्व है तथा जम्मू-कश्मीर में 124 है।
कारण –
(1) शीतकाल में अत्यन्त सर्दी
(2) बर्फ से ढके प्रदेश का होना
(3) पथरीली धरातल के कारण कृषि क्षेत्र
(4) यातायात के साधनों की कमी
(5) वनों का अधिक.विस्तार
(6) सीमान्त प्रदेश का होना
(7) उद्योगों की कमी।

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(iv) मध्य प्रदेश – इस प्रान्त में कुछ भागों में बहुत कम जनसंख्या है। मध्य प्रदेश में जनसंख्या घनत्व 196 है।

प्रश्न 3.
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति की विवेचना विशेष रूप से स्वतन्त्रता के बाद के वर्षों के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
नगरीकरण (Urbanisation) –
प्राय: नगर की परिभाषा जनगणना के अनुसार की जाती है। नगर में वे सभी क्षेत्र होते हैं जहां नगरपालिकाएं आदि स्थापित हों, जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो तथा 75% श्रमिक वर्ग ऐसी क्रियाओं में लगा हो जो कृषि से सम्बन्धित न हो। भारत वास्तव में ग्रामों का देश है। गांव ही भारतीय संस्कृति के आधार रहे हैं। भारत के नगरीय जनसंख्या का विशाल आकार है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 37 करोड़ 70 लाख लोग नगरों में रहते हैं। यह जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की नगरीय जनसंख्या के लगभग बराबर है। भारत का संसार में नगरीय जनसंख्या की दृष्टि से पहला स्थान है। परन्तु भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत अन्य देशों की तुलना में कम है। जैसे –

देशों नगरीय जनसंख्या %
संयुक्त राज्य अमेरिका 75.00
ब्राजील 75.00
जापान 77.00
ऑस्ट्रेलिया 85.00
भारत 27.75
पाकिस्तान 32.00
चीन 39.00
विश्व 45.00

नगरीय जनसंख्या में वृद्धि – भारत की जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की साथ-साथ नगरीय जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले 80 वर्षों में (1901-1981) देश की कुल जनसंख्या में 3 गुना वृद्धि हुई है जबकि इसी समय में नगरीय जनसंख्या 6 गुना अधिक हो गई है।

वर्ष नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत
1901 10.84
1911 10.29
1921 11.17
1931 11.99
1941 13.85
1951 17.29
1961 17.97
1971 19.90
1981 23.31
1991 25.72
2001 27.75
2011 31.2

1901 से 1961 तक नगरीय जनसंख्या में मन्द गति से वृद्धि हुई है। परन्तु 1961 से 1981 तक 20 वर्षों में नगरीय जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। यह जनसंख्या 7.8 करोड़ से बढ़ कर 15.6 करोड़ हो गई है। नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 17.9 से बढ़ कर 23.3 हो गया है। सन् 2001 में नगरीय जनसंख्या 27.7% थी। 2011 में नगरीय जनसंख्य 31.2% थी। भारत में नगरीकरण में नगरों के विकास का विशेष योगदान रहा है। औद्योगिक क्रान्ति के कारण कई नगरों का विकास हुआ है। भारतीय जनगणना के अनुसार नगरों को छ: वर्गों में बांटा गया है।

वर्ग जनसंख्या
प्रथम 1 लाख से अधिक
द्वितीय 50,000 से 99,999 तक
तृतीय 20,000 से 49,999 तक
चतुर्थ 10,000 से 19,999 तक
पंचम 5000 से 9,999
षष्टम 5000 से कम

स्वतन्त्रता के पश्चात् बड़े नगरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जबकि छोटे नगरों की संख्या कम हो रही है। 2001 में देश में 4689 नगरों में से 500 प्रथम वर्ग के नगर थे। 1901 में एक लाख से अधिक जनसंख्या के प्रथम वर्ग केवल 24 थे। देश में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 53 है जिसमें कुल जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है जो भारत की कुल नगरीय जनसंख्या का एक तिहाई भाग है। कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, कानपुर, नागपुर, जयपुर, लखनऊ दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर (Million Towns) हैं।

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प्रश्न 4.
भारत के भाषा परिवारों के भौगोलिक वितरण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत के लोगों की भाषाओं में अत्यधिक विविधता है। भारत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को निम्नलिखित चार भाषा परिवारों (Language Families) में बांटा जाता है –
1. आग्नेय (आस्ट्रिक) परिवार (Austric Family) – ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के उप-परिवार में आग्नेय भाषाएं शामिल की जाती हैं। भारत में लगभग 62 लाख लोगों द्वारा ये भाषाएं बोली जाती हैं। इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः जन-जातीय वर्गों द्वारा बोली जाती हैं।
(क) मुण्डा भाषा जो मुख्यतः संथाल परगना, मयूरभंज, रांची, बेतुल तथा बौद्ध खोडमहाल जन-जातीय जिलों में बोली जाती है।
(ख) मान खमेर वर्ग की खासी बोली मेघालय की खासी एवं जैन्तिया पहाड़ियों के क्षेत्र में बोली जाती है।
(ग) मान रुमेर वर्ग की खासी बोली निकोबार द्वीप में बोली जाती है।

2. चीनी-तिब्बती परिवार (Sino-Tibetan Family) – भारत में हिमालय तथा उप-हिमालयी क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाएं चीनी-तिब्बती परिवार में शामिल की जाती हैं। ये भाषाएं तीन उप-वर्गों में बांटी जाती हैं –
(क) तिब्बती-हिमालयी वर्ग की भाषाएं लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और भटान में बोली जाती हैं। इस वर्ग में तिब्बती, बाल्ती, लद्दाखी, किन्नौरी, लेपचा आदि भाषाएं गिनी जाती हैं। इन समस्त भाषाओं में लद्दाखी बोलने वाले लोगों की संख्या सब से अधिक है।
(ख) उत्तर असमी वर्ग में 6 प्रमुख बोलियां जैसे अका, उफला, अबोर, मिरी, मिश्मी तथा मिशिंग सम्मिलित हैं।
ये भाषाएं अरुणाचल प्रदेश में बोली जाती हैं।
(ग) असमी-बर्मी वर्ग की भाषाओं में बोरों, नागा, कोचिन, कुकिचिन, बर्मी भाषाएं सम्मिलित हैं। ये भाषाएं हिन्द- . बर्मा सीमा तथा उत्तर-पूर्वी भारत में नागालैंड, लुशाई, मिजोरम, गारो तथा मणिपुर क्षेत्र में बोली जाती हैं।

3. द्राविड़ परिवार (Dravidian Family) – इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः प्रायद्वीपीय पठार तथा छोटा नागपुर पठार के क्षेत्रों में बोली जाती हैं। इस परिवार में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ तथा मलयालम मुख्य भाषाएं हैं। आंध्र प्रदेश में तेलुगु, तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़ तथा केरल में मलयालम मुख्य भाषाएं हैं। इसके अतिरिक्त तलु, तुलकुरगी, पारजी, खोड़, कुरुख तथा मालती जैसी गौण भाषाएं भी इस परिवार में शामिल की जाती हैं। इस परिवार की भाषाओं में कम विविधता पाई जाती है।

4. आर्य परिवार (Aryan Family) – इसे भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार भी कहा जाता है। भारत की अधिकांश जनसंख्या आर्य परिवार की भाषाएं बोलती है। इस परिवार की मुख्य भाषा हिन्दी है जो भारत की बहुसंख्यक जनता द्वारा बोली जाती है। भाषाओं के संदर्भ में हिन्दी का विश्व में चौथा स्थान है। भारत के उत्तरी मैदान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान तथा हरियाणा मुख्य हिन्दी भाषी प्रदेश हैं। इन प्रदेशों में उर्दू तथा हिन्दोर है। इस परिवार की अन्य भाषाएं विभिन्न प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण हैं। पश्चिमी भारत में कच्छी एवं सिंधी, दक्षिणी भारत में मराठी गवं कोंकण, पूर्वी भारत में उड़िया, बिहारी, बंगाली तथा उत्तर-पश्चिमी भाग में पंजाबी, राजस्थानी तथा मारवाड़ी मुख्य भाषाएं हैं।

भारत-1991 में अनुसूचित भागाओं का बोलने वालों की तलनात्मक संख्या

भाषा बोलने वालों की संख्या (करोड़) कुल जनसंख्या का (प्रतिशत)
1. हिन्दी 33.73 40.42
2. बांग्ला 6.96 830
3. तेलुगु 6.60 7.37
4. मराठी 6.25 7.45
5. तमिल 5.30 632
6. उर्दू 4.34 5.18
7. गुजराती 4.07 4.85
8. कन्नड़ 3.28 3.91
9. मलयालम 3.04 3.62
10. उड़िया 2.81 3.35
11. पंजाबी 2.34 2.79
12. असमिया 1.31 1.56
13. सिंधी 0.21 0.25
14. नेपाली 0.21 0.25
15. कोंकणी 0.18 0.21
16. मणिपुरी 0.12 0.15
17. कश्मीरी 60 हज़ार 0.01
18. संस्कृति 50 हजार 0.01

प्रश्न 5.
भारतीय जनसंख्या के धार्मिक संगठन और स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत की जनसंख्या के धार्मिक संघटन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
धार्मिक संगठन-भारत की जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी धार्मिक आस्थाओं की विविधता है। यह सामान्यतः जानी हुई बात है कि भारत का प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है। भारत में समय-समय पर दूसरे धर्म भी (ईसाई, यहूदी, पारसी, इस्लाम) क्रम में आते रहे हैं और भारतीय जनसंख्या के कुछ वर्ग उन्हें अपनाते भी रहे हैं।
(1) भारत में सबसे पहले प्रवेश करने वाला ईसाई धर्म था। ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है कि सीरियन ईसाई भारत के पश्चिमी तट पर पहली सदी ईस्वी में ही आ गये थे।
(2) अरब व्यापारियों द्वारा इस्लाम का संदेश भारत के पश्चिमी तट पर रहने वाले लोगों तक मुस्लिम आक्रमण से पहले ही आ गया था।
(3) बौद्ध धर्म जो कभी भारत का एक महत्त्वपूर्ण धर्म था अब केवल कुछ छोटे क्षेत्रों में ही सीमित है।

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इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भारतीय जनसंख्या का धार्मिक संगठन धर्म परिवर्तन, प्रवास तथा देश विभाजन के कारण परिवर्तित होता रहा है। भारत के मुख्य धार्मिक समूहों में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध एवं जैन सम्मिलित किये जाते हैं। यद्यपि यहूदी, पारसी आदि जैसे दूसरे धर्मावलम्बी भी यहाँ पाये जाते हैं। कई जन-जातीय समुदाय जीववाद एवं टोटेमवाद पर विश्वास रखते हैं। भारत में कुल जनसंख्या में 82 प्रतिशत हिन्दू धर्मालम्बी हैं।

ये देश के सभी भागों में पाये जाते हैं, परन्तु कुछ जिलों में इनकी संख्या मुस्लिम, ईसाइयों, बौद्धों या सिक्खों की अपेक्षा कम है। अल्प संख्यकों में सबसे अधिक संख्या मुस्लिमों की है जो भारत की जनसंख्या का 12.12 प्रतिशत हैं। ईसाइयों की जनसंख्या 2.34 प्रतिशत है जबकि सिक्ख कुल जनसंख्या का केवल 1.93 प्रतिशत हैं। बौद्ध एवं जैन कुल जनसंख्या का क्रमश: 0.76 तथा 0.39 प्रतिशत हैं।

1. हिन्दू – हिन्दू धर्म भारत में सभी स्थानों पर पाया जाता है।
(क) उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में इनका प्रतिशत 95% से भी अधिक है।
(ख) उत्तर प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश में यह प्रतिशत लगभग 95% है। मिज़ोरम में केवल 5% है।
(ग) मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा आन्ध्र प्रदेश में यह प्रतिशत 90% है। परन्तु पंजाब, जम्मू कश्मीर, मेघालय, नागालैंड में यह अल्प संख्या में है।

2. मुस्लिम – 1991 की जनगणना के अनुसार देश में मुसलमानों की संख्या 101.59 मिलियन थी जो देश की कुल जनसंख्या का 12.12 प्रतिशत थी। मुस्लिम संकेन्द्रण के प्रमुख क्षेत्रों में कश्मीर घाटी, ऊपरी गंगा मैदान के कुछ भाग (उत्तर प्रदेश) तथा पश्चिमी बंगाल के कई जिले हैं। यहां मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 20 से 46 प्रतिशत तक पाया जाता है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में कुल जनसंख्या का 61.40 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है। ऊपरी गंगा मैदान के कई जिलों में मुस्लिम आबादी काफ़ी है।

3. ईसाई – भारत के 1 करोड़ 96 लाख ईसाइयों में से लगभग 29% लाख केरल में ही रहते हैं। ईसाइयों के संकेन्द्रण के अन्य क्षेत्र गोवा तथा तमिलनाडु हैं। गोवा की जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत ईसाई धर्मावलम्बी है। सा एवं बिहार के कई जन-जातीय जिलों में ईसाई जनसंख्या का अनुपात महत्त्वपूर्ण है। इसी प्रकार मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड तथा मणिपुर में ईसाई जनसंख्या का अनुपात काफ़ी अधिक है। उदाहरण के लिए नागालैण्ड की कुल संख्या में, ईसाई जनसंख्या का अनुपात 87.47 प्रतिशत है। इसके बाद मिज़ोरम में यह अनुपात 85.73 प्रतिशत है। मेघालय के जिलों एवं मणिपुर के कुछ जिलों में यह अनुपात काफ़ी अधिक (50-98 प्रतिशत) पाया जाता है। उत्तर प्रदेश एवं पंजाब के कई जिलों में ईसाई थोडी संख्या में पाये जाते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

4. सिक्ख-1991 की जनगणना में सिक्खों की संख्या 1 करोड़ 62 लाख दिखाई गई। वैसे तो भारत का कोई ऐसा भाग नहीं है जहां सिक्ख न रहते हों। परन्तु इनका अधिकतम संकेन्द्रण पंजाब तथा उससे संलग्न हरियाणा के जिलों में है। यह बात स्पष्ट है क्योंकि सिक्ख धर्म का उद्भव पंजाब में हुआ। उत्तर प्रदेश के तराई में, राजस्थान के गंगानगर, अलवर तथा भरतपुर में सिक्खों के संकेन्द्रण के छोटे-छोटे पॉकेट हैं। दिल्ली की कुल जनसंख्या का 4.84 प्रतिशत सिक्ख हैं। दूसरे राज्यों के नगरों में भी सिक्ख कम संख्या में रहते हैं।

5. बौद्ध, जैन तथा पारसी – भारत में लगभग 64 लाख बौद्ध, 35 लाख जैन तथा लगभग 72 हज़ार पारसी रहते हैं। भारत में कुल बौद्ध जनसंख्या का 79 प्रतिशत केवल महाराष्ट्र में रहता है। ये लोग बहुधा नव-बौद्ध हैं जो बाबा साहिब अंबेडकर के आन्दोलन से प्रभावित होकर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बने थे।

बौद्ध संकेन्द्रण के परम्परागत क्षेत्र लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा हैं। भारत की कुल जैन जनसंख्या में से 28.80 प्रतिशत महाराष्ट्र 16.78 प्रतिशत राजस्थान में तथा 14.65 प्रतिशत गुजरात में रहते हैं। इन तीनों राज्यों को मिलाकर देश की कुल जैन जनसंख्या के 60.23 प्रतिशत पाये जाते हैं। जैनों के बारे में यह एक रोचक तथ्य है कि उनकी अधिकांश संख्या नगरों में रहती है। पारसी देश का सबसे छोटा धार्मिक समूह है। इनका अधिकतम संकेन्द्रण भारत के पश्चिमी भागों-महाराष्ट्र और गुजरात में है।

प्रश्न 6.
लिंगानुपात से आप क्या समझते हैं ? भारत में लिंगानुपात के प्रादेशिक वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
लिंगानुपात (Sex Ratio) – किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान आवश्यक है। प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियां के अनुपात को लिंग अनुपात (Sex Ratio) कहा जाता है। भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हजार पुरुष था और जबकि 2001 में यह संख्या घट कर 933 हो गई है तथा 2011 में 940 हो गई। भारत में केवल केरल राज्य में ही स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। यहां एक हजार पुरुषों के पीछे 1084 स्त्रियां हैं। देश में सबसे अधिक लिंग अनुपात केरल राज्य में 1084 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष है जबकि राष्ट्रीय औसत लिंग अनुपात 940 है। राष्ट्रीय औसत से कम लिंग अनुपात निम्नलिखित राज्यों में है कम लिंग अनुपात वाले राज्य-सिक्किम (889), नागालैंड (931), हरियाणा (877), पंजाब (893), उत्तर प्रदेश (898), जम्मू-कश्मीर (883), पश्चिमी बंगाल (947), राजस्थान (926), अरुणाचल प्रदेश (920), असम (954) है। मध्य प्रदेश (930), महाराष्ट्र (925), गुजरात (918), बिहार (916), उत्तर प्रदेश (908)।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 9

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Polynomials:
An algebraic expression f(x) of the form f(x) = a0 + a1x + a2x2 + …… + anxn, where a0, a1, a2 ……, an are real numbers and all the index of x’ are nonnegative integers is called a polynomial in x.
→ Degree of a Polynomial: Highest Index of x in algebraic expression is called the degree of the polynomial, here a0, a1x, a2x2 ….. anxn, are called the terms of the polynomial and a0, a1, a2, …… an are called various coefficients of the polynomial f(x).
Note: A polynomial in x is said to be in standard form when the terms are written either in increasing order or decreasing order of the indices of x in various terms.

→ Different Types of Polynomials: Generally, we divide the polynomials in the following categories.
→ Based on degrees:
There are four types of polynomials based on degrees. These are listed below:

  • Linear Polynomials: A polynomial of degree one is called a linear polynomial. The general form of linear polynomial is ax + b, where a and b are any real constant and a ≠ 0.
  • Quadratic Polynomials: A polynomial of degree two is called a quadratic polynomial. The general form of a quadratic polynomial is ax2 + bx + c, where a ≠ 0, a, b, c ∈ R.
  • Cubic Polynomials: A polynomial of degree three is called a cubic polynomial. The general form of a cubic polynomial is ax3 + bx2 + cx + d, where a ≠ 0 and a, b, c, d ∈ R.
  • Biquadratic (or quadric) Polynomials: A polynomial of degree four is called a biquadratic (quadric) polynomial. The general form of a biquadratic polynomial is ax4 + bx3 + cx2 + dx + e, where a ≠ 0 and a, b, c, d, e are real numbers.

Note: A polynomial of degree five or more than five does not have any particular name. Such a polynomial usually called a polynomial of degree five or six or ….etc.

→ Based on number of terms:
There are three types of polynomials based on number of terms. These are as follow:

  • Monomial: A polynomial is said to be monomial if it has only one term. e.g. x, 9x2, 5x3 all are monomials.
  • Binomial: A polynomial is said to be binomial if it contains only two terms e.g. 2x2 + 3x, \(\sqrt{3}\)x + 5x3, -8x3 + 3, all are binomials.
  • Trinomial: A polynomial is said to be a trinomial if it contains only three terms.e.g. 3x3 – 8x + \(\frac{1}{2}\), \(\sqrt{7}\) x10 + 8x4 – 3x2, 5 – 7x + 8x9, are all trinomials.

Note: A polynomial having four or more than four terms does not have particular name. These are simply called polynomials.

→ Zero degree polynomial: Any non-zero number (constant) is regarded as polynomial of degree zero or zero degree polynomial. i.e. f(x) = a. where a ≠ 0 is a zero degree polynomial, since we can write f(x) = a, as f(x) = ax0.

→ Zero polynomial: A polynomial whose all coefficients are zero is called as zero polynomial i.e. f(x) = 0, we cannot determine the degree of zero polynomial.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Algebraic Identities:
An identity is an equality which is true for all values of the variables.
Some important identities are:
(i) (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
(ii) (a – b)2 = a2 – 2ab + b2
(iii) a2 – b2 = (a + b)(a – b)
(iv) a3 + b3 = (a + b)(a2 – ab + b2)
(v) a3 – b3 = (a – b)(a2 + ab + b2)
(vi) (a + b)3 = a3 + b3 + 3ab (a + b)
(vii) (a – b)3 = a3 – b3 – 3ab (a – b)
(viii) a4 + a2b2 + b4 = (a2 + ab + b2)(a2 – ab + b2)
(ix) a3 + b3 + c3 – 3abc = (a + b + c)(a2 + b2 + c2 – ab – bc – ac)

Special case: if a + b + c = 0 then a3 + b3 + c3 = 3abc.
Other Important Identities
(i) a2 + b2 = (a + b)2 – 2ab,
if a + b and ab are given
(ii) a2 + b2 = (a – b)2 + 2ab
if a – b and ab are given
(iii) a + b = \(\sqrt{(a-b)^2+4 a b}\)
if a – b and ab are given
(iv) a – b = \(\sqrt{(a+b)^2-4 a b}\)
if a + b and ab are given
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JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials 2

Factors Of A Polynomial:
→ If a polynomial f(x) can be written as a product of two or more other polynomials f1(x), f2(x), f3(x)…. then each of the polynomials f1(x), f2(x), f3(x)….. is called a factor of polynomial f(x). The method of finding the factors of a polynomial is called factorisation.

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Zeroes Of A Polynomial:
→ A real number α is a zero of polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 + an-2xn-2 + ….. +a1x + a0, if f(α) = 0. i.e. anαn + an-1αn-1 + an-2αn-2+ ….. + a1α + a0 = 0.
For example x = 3 is a zero of the polynomial f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6, because f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6 = 27 – 54 + 33 – 6 = 0.
but x = -2 is not a zero of the above mentioned polynomial,
∵ f(-2) = (-2)3 – 6(-2)2 + 11(-2) – 6
f(-2) = -8 – 24 – 22 – 6
f(-2) = -60 ≠ 0.

→ Value of a Polynomial: The value of a polynomial f(x) at x = a is obtained by substituting x a in the given polynomial and is denoted by f(a). Eg if f(x) = 2x3 – 13x2 + 17x + 12 then its value at x = 1 is
f(1) = 2(1)3 – 13(1)2 + 17(1) + 12
= 2 – 13 + 17 + 12 = 18.

Remainder Theorem:
Let ‘p(x)’ be any polynomial of degree greater than or equal to one and ‘a’ be any real number and if p(x) is divided by (x – a). then the remainder is equal to p(a). Let q(x) be the quotient and r(x) be the remainder when p(x) is divided by (x – a), then
Dividend = Divisor × Quotient + Remainder
∴ p(x) = (x – a) × q(x) + [r(x) or r], where r(x) = 0 or degree of r(x) < degree of (x – a). But (x – 2) is a polynomial of degree 1 and a polynomial of degree less than 1 is a constant. Therefore, either r(x) = 0 or r(x) = Constant. Let r(x) = r, then p(x) = (x – a)q(x) + r.
Putting x = a in above equation, p(a)
p(a) = (a – a)q(a) + r = 0 × q(a) + r
p(a) = 0 + r
⇒ p(a) = r
This shows that the remainder is p(a) when p(x) is divided by (x – a).
Remark: If a polynomial p(x) is divided by (x + a),(ax – b), (ax + b), (b – ax) then the remainder is the value of p(x) at x.
= \(-a, \frac{b}{a},-\frac{b}{a}, \frac{b}{a} \text { i.e. } p(-a)\)
\(p\left(\frac{b}{a}\right), p\left(-\frac{b}{a}\right), p\left(\frac{b}{a}\right)\) respectively.

Factor Theorem:
Let ‘p(x)’ be a polynomial of degree greater than or equal to 1 and ‘a’ be a real number such that p(a) = 0, then (x – a) is a factor of p(x). Conversely, if(x – a) is a factor of p(x). then p(a) = 0.

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Factorisation Of A Quadratic Polynomial:
→ For factorisation of a quadratic expression ax2 + bx + c where a ≠ 0, there are two methods.
→ By Method of Completion of Square:
In the form ax2 + bx + c where a ≠ 0, firstly we take ‘a’ common in the whole expression then factorise by converting the expression \(a\left\{x^2+\frac{b}{a} x+\frac{c}{a}\right\}\) as the difference of two squares, which is
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→ By Splitting the Middle Term:
→ x2 + lx + m = x2 + (a + b)x + ab
Where l = a + b and m = ab, such that a and b are real numbers
= x2 + ax + bx + ab
= x (x + a) + b (x + a)
= (x + a) (x + b)
Method: We express l as the sum of two such numbers whose product is m.

→ ax2 + bx + c = prx2 + (ps + qr)x + qs
where b = ps + qr, a = pr, c = qs
so that (ps) (gr) (pr) (qs) = ac
∴ prx2 + (ps + qr)x + qs
= prx2 + psx + qrx + qs
= px (rx + s) + q(rx + s)
= (px + q) (rx + x)
Method: We express b as the sum of two such numbers whose product is ac.

→ Integral Root Theorem:
If f(x) is a polynomial with integral coefficient and the leading coefficient is 1, then any integral root of f(x) is a factor of the constant term. Thus if f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6 has an Integral root, then it is one of the factors of 6 which are ±1, ±2, ±3, ±6.
Now in fact,
f(1) = (1)3 – 6(1)2 + 11(1) – 6 = 1 – 6 + 11 – 6 = 0
f(2) = (2)3 – 6(2)2 + 11(2) – 6
= 8 – 24 + 22 – 6 = 0
f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6
27 – 54 + 33 – 6 = 0
Therefore Integral roots of f(x) are 1, 2, 3.

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→ Rational Root Theorem:
Let \(\frac{b}{c}\) be a rational fraction in lowest terms. If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 +…+ a1x + a0, an ≠ 0 with integral coefficients, then b is a factor of constant term a0, and C is a factor of the leading coefficient an.
For example: If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2, then the values of b are limited to the factors of -2, which are ±1, ±2 and the values of care limited to the factors of 6, which are ±1, ±2, ±3, ±6. Hence, the possible rational roots of f(x) are ±1, ±2, \(\pm \frac{1}{2}, \pm \frac{1}{3}, \pm \frac{1}{6}, \pm \frac{2}{3}\). In fact -1 is an integral root and \(\frac{2}{3}\), –\(\frac{1}{2}\) are the rational roots of f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2.
Note: (i) nth degree polynomial can have at most n real roots.
→ Finding a zero of polynomial f(x) means solving the polynomial equation f(x) = 0. It follows from the above discussion that if f(x) = ax + b, a ≠ 0 is a linear polynomial, then it has only one zero given by
f(x) = 0 i.e. f(x) = ax + b = 0
⇒ ax = -b
⇒ x = –\(\frac{b}{a}\)
Thus, x = –\(\frac{b}{a}\) is the only zero of f(x) = ax + b.
→ If a polynomial of degree n has more than n zeros then all the coefficients of powers of x including constant term of polynomial are zero.

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

JAC Class 10 Hindi पतझर में टूटी पत्तियाँ Textbook Questions and Answers

मौखिक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है ?
अथवा
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे हैं ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोने में क्या अंतर है ?
उत्तर :
शुद्ध सोना बिलकुल शुद्ध होता हैं; इसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती। इसके विपरीत गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। इसी कारण वह अधिक चमकदार और मज़बूत होता है।

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प्रश्न 2.
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो शुद्ध आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का भी प्रयोग करते हैं, उन्हें प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।

प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है ?
उत्तर :
पाठ के अनुसार शुद्ध आदर्श है-‘अपने सिद्धांतों, सत्य आदि का पालन करना’। इसमें व्यंवहारवाद के लिए कोई स्थान नहीं होता।

प्रश्न 4.
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड़’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
उत्तर :
जापानियों का दिमाग बहुत तेज्ञ गति से चलता है। वे हर काम को जल्दी निपय देना चाहते हैं। इसी कारण लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।

प्रश्न 5.
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

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प्रश्न 6.
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है ?
उत्तर :
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान पर पूरी तरह से शांति होती है। यही उस स्थान की मुख्य विशेषता है।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्याकहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार शुद्ध आदर्श सोने के समान खो होते है। सोने की तरह ही उनमें पूर्ण शुद्धता होती है। अतः वे सोने के समान मूल्यवान हैं। दूसरी ओर व्यावहारिकता ताँबे के समान है, जो शुद्ध आदर्शरूपी सोने में मिलकर उसे चमक प्रदान करती है। व्यावहारिकता ताँबे के समान ऊपरी तौर पर चमकदार होती है।

प्रश्न 2.
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण बंग से पूरी की ?
उत्तर :
जापानी विधि से चाय पिलाने वाले को चाजीन कहा गया है। जब लेखक और उसके मित्र वहाँ चाय पीने गए, तो उसने कमर झुकाकर प्रणाम किया और उन्हें बैठने की जगह दिखाई। उसके बाद अँगीठी सुलगाकर उसने चायदानी रखी। वह दूसरे कमरे में जाकर बर्तन लेकर आया और उन बर्तनों को उसने तौलिए से साफ़ किया। इन्हीं क्रियाओं को उसने अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से पूरा किया था।

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प्रश्न 3.
‘टी-सेंरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों ?
उत्तर :
‘टी-सेंरेमनी’ में तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। ‘ टी-सेंरमनी’ की मुख्य विशेषता वहाँ की शांति होती है। यदि अधिक व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाए, तो वहाँ शांति भंग होने की आशंका रहती है। एक समय में तीन व्यक्ति ही शांतिपूर्ण चाय पीने के उस ढंग का सही आनंद उठा सकते हैं।

प्रश्न 4.
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयय में क्या परिवर्तन महसूल किया?
उत्तर :
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि उसके दिमाग के दौड़ने की गति धीर-धीर कम हो रही थी। कुछ देर बाद दिमाग की गति बिलकुल बंद हो गई और उसका दिमाग पूरी तरह शांत हो गया। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ मानो वह अनंतकाल में जी रहा है। उसे अपने चारों ओर इसनी शांति महसूस हो रही थी कि उसे सन्नाटा भी साफ़ सुनाई दे रहा था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
गाधीजी में नेतृत्व की अद्भुत कमता थी; उदाहरण साित्त इस बात की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
गंधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। यह बात उनके अहिंसात्मक आंदोलनों से स्पष्ट हो जाती है। वे अकेले चलते थे और लाखोंलोग उनके पीछे हो जाते थे। नमक का कानून तोड़ने के लिए जब उन्होंने जनता का आहवान किया तो उनके नेतृत्व में हज़ारों लोग उनके साथ पैदल ही दाँडी यात्रा पर निकल पड़े थे। इसी प्रकार से असहयोग आंदोलन के समय भी उनकी एक आवाज़ पर देश के हज़ारों नौज़वान अपनी पढ़ाई छोड़कर उनके नेतृत्व में आंदोलन के पथ पर चल पड़े थे।

प्रश्न 2.
आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मेरे विचार में ईमानदारी, सत्य बोलना, अहिंसा, पारस्परिक प्रेमभाव, सदाचार, परिश्रम करना, निरंतर कर्म करते रहना, मानव धर्म का पालन करना, देश और समाज के प्रति निष्ठावान रहना, दूसरों की सहायता करना आदि शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में जबकि सर्वत्र भ्रष्टाचार, अनाचार, हिंसा, द्वेष, आलसीपन, कदाचार आदि दुर्भावों का बोलबाला है, हम इन शाश्वत मूल्यों को अपनाकरं अपना, अपने परिवार, समाज तथा देश का नाम ऊँचा कर सकते हैं। ये शाश्वत मूल्य ही हमें सद्मार्ग दिखा सकते हैं।

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प्रश्न 3.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब –
1. शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
2. शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर :
1. एक बार एक सज्जन हमारे घर का दरवाज़ा खटखटा रहे थे। मैंने बाहर जाकर देखा। वे पिताजी के बारे में पूछ रहे थे। मैंने उन्हें बैठक में बैठाया और पिताजी को बुला लाया। उन सज्जन के जाने के बाद पिताजी ने मुझे डाँटा और कहा कि बिना मुझसे पूछे किसी को भी अंदर मत लाया करो। मैंने काम अच्छा किया था, परंतु मुझे फल उसके अनुसार नहीं मिला। इसके विपरीत एक बार मैं कक्षा का काम करके नहीं गया। जब अध्यापक जी ने पूछा कि काम क्यों नहीं किया, तो मैंने स्पष्ट उत्तर दे दिया कि कल मेरी तबियत खराब थी। मेरे सत्य बोलने पर अध्यापक जी ने मुझे कोई दंड नहीं दिया। यह मेरे सत्य बोलने का अच्छा फल था।

2. एक बार मैं अपनी दुकान पर बैठा हुआ था; पिंताजी कहीं गए हुए थे। एक ग्राहक कुछ सामान लेने आया। उसका कुल मूल्य दो हज़ार रुपये बना। ग्राहक इस पर कुछ रियायत चाहता था। मुझे ज्ञात था कि इस सामान की बिक्री पर हमें लगभग तीस प्रतिशत लाभ हो रहा है। मैंने उसे दस प्रतिशत की छूट दे दी। इस प्रकार मैंने अपने आदर्शों की रक्षा करते हुए अपनी व्यवहारिकता से लाभ लिया और ग्राहक को भी प्रसन्न कर दिया। अब वह व्यक्ति सदा हमारी दुकान से ही सामान खरीदता है।

प्रश्न 4.
‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’, गांधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुछ लोगों का मत है कि गांधीजी ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ थे। वे व्यावहारिकता को पहचानते थे। उन्होंने केवल आदर्शों का सहारा नहीं लिया, बल्कि वे आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता को मिलाकर चले। लेखक के अनुसार इसके लिए गांधीजी ने कभी भी अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर नहीं उतरने दिया। वे अपने आदर्शों को उसी ऊँचाई पर रखते थे; उन्हें नीचे नहीं गिराते थे। उन्होंने व्यावहारिकता को ऊँचा उठाकर उसे आदर्शों की ऊँचाई तक पहुँचाया। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी भी सोने में ताँबा मिलाने का प्रयत्न नहीं किया बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाई। उन्होंने अपनी व्यावहारिकता को ऊँचा उठाकर आदर्शों के रूप में प्रतिष्ठित किया।

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प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्व है ?
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ पाठ के माध्यम में लेखक बताना चाहता है कि जीवन में व्यवहारवादी लोग लाभ-हानि का हिसाब-किताब लगाने में अधिक निपुण होते हैं। इसलिए वे आदर्शवादी लोगों से कहीं आगे निकल जाते हैं, परंतु समाज की दृष्टि में उनका महत्व अधिक नहीं होता है। इसके विपरीत जो आदर्शवादी व्यक्ति हैं, वे व्यवहारिकता को अपने आदर्शों के अनुरूप ढाल लेते हैं और अपने साथ-साथ समाज की भी उन्नति करते हैं। इसलिए जीवन में आदर्शोन्मुखी व्यावहारिकता का ही अधिक महत्व है।

प्रश्न 6.
लेखक के मित्र ने जापानी लोगों के मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए ? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर :
लेखक के मित्र ने बताया कि जापान में मानसिक रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसका कारण जापानी लोगों के जीवन का तेज़ गति से चलना है। वे लोग दौड़ रहे हैं। उनका दिमाग निरंतर कार्यशील रहता है। उसने यह भी बताया कि जापानी अब अमेरिका से आगे बढ़ने की होड़ में लगे हैं। वे एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयत् करते हैं। उनका दिमाग लगातार कुछ नया करने के लिए सोचता रहता है।

इससे धीरे-धीरे उनके दिमाग पर तनाव बढ़ रहा है और वे मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं। मेरे विचार से जीवन में संघर्ष करना और आगे बढ़ना अच्छी बात है, किंतु अपने आपको केवल दूसरे से आगे बढ़ने के लिए निरंतर काम में उलझाए रखना उचित नहीं है। काम के साथ-साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक का मत है कि हम अकसर बीते हुए दिनों के बारे में सोचते हैं या भविष्य के रंगीन सपनों में डूबे रहते हैं। वास्तव में सत्य केवल वर्तमान है और हमें उसी में जीना चाहिए। अतीत को हम चाहकर भी लौटा नहीं सकते और भविष्य को हमने देखा नहीं है। आने वाला कल कैसा होगा, कोई नहीं जानता।

अतः अतीत और भविष्य के बारे में सोचकर अपने आपको दुखी करने का कोई लाभ नहीं है। वर्तमान, जो सामने दिखाई दे रहा है, उसी को सत्य मानकर उसका भरपूर आनंद उठाने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान के एक-एक पल को जीना ही वास्तव में जीवन जीना है। इसी आधार पर लेखक ने वर्तमान जीवन में जीने के लिए कहा है।

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(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

I

प्रश्न 1.
1. समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
2. जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धंरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
II
3. हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं, तब अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
4. सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
I
उत्तर :
1. लेखक यहाँ स्पष्ट करना चाहता है कि समाज को शाश्वत मूल्य देने का श्रेय आदर्शवादी लोगों को है। वे अपने आदर्शों से समाज को एक आदर्श मार्ग दिखाते हैं और उन्हें उस पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आदर्शवादी लोग समाज को जीने और रहने योग्य बनाते हैं। वे समाज को निरंतर एक दिशा देकर ऊँचा उठाने का प्रयास करते है। उन्हीं के कारण ही समाज में सद्गुणों का विकास होता है।

2. लेखक कहता है कि जो लोग आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता को भी लेकर चलते हैं, उन्हें ‘ प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहा जाता है। ऐसे लोग आदर्शों को केवल थोड़ा-सा अपनाते हैं। जब व्यावहारिकता का वर्णन होने लगता है, तो ये लोग धीरे-धीरे अपने आदर्शों को छोड़ते चले जाते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही सामने आने लगती। जिन आदर्शों की वे बात करते हैं, वे कहीं भी दिखाई नहीं देते।

II

3. यहाँ लेखक ने अपने जापानी मित्र के माध्यम से जापान के लोगों के बारे में बताया है कि उनके जीवन की रफ़्तार अत्यंत तेज़ है। वे लोग निरंतर दौड़ते प्रतीत होते हैं। लेखक कहता है कि यह रफ्तार उनके जीवन में ही नहीं अपितु चलने और बोलने में भी है। उनका दिमाग निरंतर कुछ-न-कुछ सोचता रहता है। वे प्रत्येक क्षण कुछ-न-कुछ करते रहते हैं। यहाँ तक कि जब वे अकेले होते हैं, तो भी वे अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

4. लेखक के कहने का आशय है कि जापानी विधि से चाय बनाने वाला व्यक्ति प्रत्येक कार्य अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से कर रहा था। उसकी क्रियाओं को देखकर ऐसा अनुभव हो रहा था मानो जयजयवंती नामक मधुर राग बज रहा हो। उसकी इन क्रियाओं को देखकर एक मधुरता और अपनेपन का अहसास होता था। चाय बनाने वाले व्यक्ति की समस्त क्रियाएँ एकदम गरिमापूर्ण एवं अनूठी थीं, जो मन को शांति प्रदान करती थीं।

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भाषा-अध्ययन –

I

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत
उत्तर :
व्यावहारिकता – प्रत्येक व्यक्ति के लिए व्यावहारिकता का ज्ञान जरूरी है।
आदर्श – हमें अपने जीवन में कुछ आदर्श अपनाने चाहिएँ।
सूझबूझ – सूझबूझ से लिए गए निर्णय सदैव लाभकारी होते हैं।
विलक्षण – सचिन में विलक्षण प्रतिभा है।
शाश्वत ईश्वर का नाम शाश्वत है।

प्रश्न 2.
‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा-लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिहून लगाया जाता है। आगे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए –
(क) माता-पिता = ………..
(ङ) अन्न-जल = ………..
(ख) पाप-पुण्य = ………..
(च) घर-बाहर = ………..
(ग) सुख-दुख = ………..
(ए) देश-विदेश = ………..
(घ) रात-दिन = ………..
उत्तर :
(क) माता-पिता = माता और पिता
(ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
(ग) सुख-दुख = सुख और दुख
(घ) रात-दिन = रात और दिन
(ङ) अन्न-जल = अन्न और जल
(च) घर-बाहर = घर और बाहर
(छ) देश-विदेश = देश और विदेश

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प्रश्न 3.
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए –
(क) सफल = ………….
(ख) विलक्षण = ………
(ग) व्यावहारिक = …………
(घ) सजग = …………..
(ङ) आदर्शवादी = ……….
(च) शुद्ध = ………..
उत्तर :
(क) सफल = सफलता
(ख) विलक्षण = विलक्षणता
(ग) व्यावहारिक = व्यावहारिकता
(घ) सजग = सजगता
(ङ) आदर्शवादी = आदर्शवादिता
(च) शुद्ध = शुद्धता

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए –
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भो में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
उत्तर, कर, अंक, नग
उत्तर :

  • उत्तर – इन सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  • उत्तर – ध्रुव तारा उत्तर दिशा में दिखाई देता है। कर
  • इस पुल का उद्घाटन नेताजी के कर-कमलों से हुआ।
  • कर – हमें समय पर आय कर जमा करवाना चाहिए।
  • अंक – तुमने परीक्षा में कितने अंक प्राप्त किए हैं?
  • अंक – बालक दौड़कर माँ के अंक में छिप गया।
  • नग – रेखा की अंगूठी में कई नग जड़े हैं।
  • नग – नगराज हिमालय हमारे देश की उत्तर दिशा में है।

II

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए –
(क) 1. अँगीठी सुलगायी।
2. उस पर चायदानी रखी।
1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
(ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।
उत्तर :
(क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने प्यालों में भरी।
(ग) बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और उन्हें तौलिये से साफ़ किया।

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प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए –
(क) 1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।
उत्तर :
(क) चाय पीने की यह एक विधि है, जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था, जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जैसे ही चाय तैयार हुई, उसने उसे प्यालों में भरकर प्याले हमारे सामने रख दिए।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
I. गांधीजी के आदर्शों पर आधारित पुस्तकें पढ़िए ; जैसे-महात्मा गांधी द्वारा रचित ‘सत्य के प्रयोग’ और गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘गिरमिटिया’।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
II. पाठ में वर्णित ‘टी-सेरेमनी’ का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना-कार्य – 

प्रश्न 1.
भारत के नक्शे पर वे स्थान अंकित कीजिए जहाँ चाय की पैदावार होती है। इन स्थानों से संबंधित भौगोलिक स्थितियाँ क्या हैं और अलग-अलग जगह की चाय की क्या विशेषताएँ हैं, इनका पता लगाइए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi पतझर में टूटी पत्तियाँ Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
कुछ लोगों का गांधी जी के बारे में क्या कहना है ? ‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक कहता है कि कुछ लोग गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ अर्थात व्यावहारिक आदर्शवादी मानते हैं। ऐसे लोगों का गांधी जी के बारे में यह कहना यह है कि वे व्यावहारिकता से भली-भाँति परिचित थे। उन्हें समय और अवसर को देखकर कार्य करने की पूरी समझ थी। वे व्यावहारिकता की असली कीमत जानते थे। इसी कारण वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। यदि उन्हें व्यावहारिकता की समझ न होती, तो वे केवल कल्पना में ही रहते और लोग भी उनके पीछे-पीछे न चलते।

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प्रश्न 2.
लेखक ने व्यवहारवादियों और आदर्शवादियों में क्या अंतर बताया है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार व्यवहारवादी हमेशा समय और अवसर का लाभ उठाते हैं। वे सदा सजग रहते हैं और इसी कारण उन्हें सफलता भी अधिक मिलती है। वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति करने में अन्य लोगों से बहुत आगे रहते हैं। दूसरी ओर आदर्शवादी केवल अपना भला नहीं करते अपितु दूसरों को भी अपने साथ उन्नति के मार्ग पर लेकर चलते हैं। आदर्शवादी सदैव समाज को सही दिशा देने का प्रयास करते हैं। जहाँ आदर्शवादियों ने समाज को ऊपर उठाया है, वहीं व्यवहारवादियों ने समाज को सदा गिराया ही है।

प्रश्न 3.
‘व्यक्ति विशेष की उन्नति समाज की उन्नति है’-विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
किसी भी समाज की उन्नति उसके व्यक्तियों पर निर्भर करती है। यदि व्यक्ति उन्नति करता है, तो समाज की उन्नति अपने आप हो जाती है। एक व्यक्ति से परिवार बनता है, परिवारों से गाँव बनता है और गाँवों से देश व समाज का निर्माण होता है। एक व्यक्ति की उन्नति का प्रभाव सीधे समाज पर पड़ता है। व्यक्ति समाज की सबसे छोटी इकाई है, किंतु इसका सीधा संबंध समाज से है। अत: कहा: जा सकता है कि व्यक्ति विशेष की उन्नति समाज की उन्नति है।

प्रश्न 4.
‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग में लेखक ने व्यवहारवादी लोगों को गिन्नी के सोने के समान बताया है। जिस प्रकार गिन्नी के सोने में शदध सोने और ताँबे का मिश्रण होता है, उसी प्रकार व्यवहारवादी लोगों में भी आदर्शों और व्यावहारिकता का मिश्रण होता है। लेखक का मानना जाता है, तो वह गलत है। लेखक का मत है कि पूर्ण व्यवहारवादी लोगों से समाज का कल्याण नहीं हो सकता। व्यावहारिकता से समाज का कभी लाभ नहीं होता। व्यावहारिकता व्यक्ति को सफलता तो दिला सकती है, किंतु समाज का कल्याण केवल आदर्शवादिता से ही संभव है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट से तात्पर्य है-‘शुद्ध आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का प्रयोग करने वाले।’ शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के समान होते हैं, किंतु कुछ लोग उनमें व्यावहारिकता का थोड़ा-सा ताँबा लगाकर काम चलाते हैं। इस स्थिति में इन्हें प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
मानवीय जीवन की रफ़्तार क्यों बढ़ गई है?
उत्तर :
मानवीय जीवन की रफ्तार इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि इस संसार में कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ रहा है। कोई किसी से बोलता नहीं बल्कि बक रहा है। अकेलेपन में भी हम अपने आप से ही बड़बड़ाते रहते हैं।

प्रश्न 3.
मानव होने के नाते हम प्रायः कहाँ उलझे रहते हैं ?
उत्तर :
मानव एक चिंतनशील एवं कल्पनाशील प्राणी है, इसलिए कभी हम गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मिट्ठी यादों में उलझे रहते हैं, तो कभी भविष्य के रंगीन सपने देखते हैं। हम या तो भूतकाल में खोए रहते हैं या फिर भविष्य के बारे में सोचते हैं।

प्रश्न 4.
लेखक की दृष्टि में सत्य क्या है?
उत्तर :
लेखक की दृष्टि में मनुष्य के सामने जो वर्तमान हैं, वही सत्य है। इसलिए हमें केवल उसी में जीना चाहिए। वास्तव में भूतकाल और भविष्यकाल दोनों ही मिथ्या हैं। उनके बारे में सोचने से कोई लाभ नहीं है।

प्रश्न 5.
‘गिन्नी का सोना’ पाठ में लेखक ने किसे और क्यों श्रेष्ठ बताया है?
उत्तर :
का सोना’ पाठ में लेखक ने आदर्शवादियों और व्यवहारवादियों में से आदर्शवादियों को श्रेष्ठ बताया है। आदर्शवादी इसलिए श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे स्वयं भी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और अन्य लोगों को भी उन्नति के मार्ग पर अपने साथ ले जाते हैं।

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प्रश्न 6.
समाज को आदर्शवादियों ने क्या दिया है? उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
समाज को आदर्शवादियों ने शाश्वत मूल्यों की भेंट दी है। ये शाश्वत मूल्य मानव को भटकने से बचाएँगे; उन्हें सद्मार्ग दिखाएंगे। उन्हें जीवन में आने वाले कष्टों से लड़ने की शक्ति तथा साहस प्रदान करेंगे।

प्रश्न 7.
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने चाय पीने के विषय में क्या जानकारी दी है?
उत्तर :
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक बताता है कि जापान में चाय पीने का ढंग बड़ा ही निराला था। वहाँ चाय पीने की जगह एकदम शांतिपूर्ण थी। लेखक और उसके मित्रों को प्याले में दो बूट चाय लाकर दी गई। इस चाय को उन्होंने धीरे-धीरे बूंद-बूंद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया।

प्रश्न 8.
लेखक को चाय पीते समय किस बात का ज्ञान हुआ?
उत्तर :
लेखक को चाय पीते समय ज्ञान हुआ कि मनुष्य व्यर्थ में ही भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता में उलझा रहता है, जबकि वास्तविकता तो वर्तमान है जो हमारे सामने घट रहा है। वह यह भी बताता है कि जो वर्तमान को जीता है, वही सही अर्थों में आनंद को प्राप्त करता है।

प्रश्न 9.
जापान में किस प्रकार की बीमारियाँ हैं और वहाँ के कितने प्रतिशत लोग इससे बीमार हैं?
उत्तर :
लेखक के अनुसार जापान में मानसिक बीमारियाँ अधिक हैं। वहाँ के लोग निरंतर दिमागी-कार्य में डूबे रहते हैं। मस्तिष्क का ज़रूरत से अधिक प्रयोग करने के कारण वे मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए हैं। पाठ के अनुसार वहाँ के लगभग अस्सी प्रतिशत लोग मनोरोगी हैं।

प्रश्न 10.
लेखक ने ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पीते समय क्या निर्णय लिया?
उत्तर :
लेखक ने टी-सेरेमनी में चाय पीते-पीते यह निर्णय लिया कि अब वह कभी भी अतीत और भविष्य के बारे में नहीं सोचेगा। उसे लगा कि जो वर्तमान हमारे सामने है, वही सत्य है। भूतकाल और भविष्य दोनों ही मिथ्या हैं। क्योंकि भूतकाल चला गया है, जो कभी लौटकर नहीं आएगा और भविष्य अभी आया ही नहीं है। अतः इन दोनों के बारे में सोचना छोड़कर वर्तमान में जीने में ही वास्तविक आनंद है।

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प्रश्न 11.
‘टी सेरेमनी’ की तैयारी और उसके प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
अथवा
चा-नो-मू की पूरी प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
टी-सेरेमेनी क्या है?
उत्तर :
जापान में चाय पीने की एक विशेष विधि है, जिससे मस्तिष्क का तनाव कम हो जाता है। इस विधि को ‘चा-नो-मू’ कहते हैं। ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पिलानेवाला अँगीठी सलगाने से लेकर प्याले में चाय डालने तक की सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से करता है। इस सेरेमनी में तीन से अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण होता है।

प्याले में दो-दो घूट चाय दी जाती है, जिसे बूंद-बूंद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया जाता है। यह चाय पीने के बाद ऐसा अनुभव होता है जैसे दिमाग के दौड़ने की गति धीरे-धीरे कम हो गई है। कुछ देर बाद दिमाग बिलकुल शांत हो जाता है और ऐसा लगता है जैसे अनंतकाल में जी रहे हों। अपने चारों ओर इतनी शांति महसूस होती है कि सन्नाटा भी साफ सुनाई देता है।

प्रश्न 12.
जापान में मानसिक रोग के क्या कारण बताए हैं? उससे होने वाले प्रभाव का उल्लेख करते हुए लिखिए कि इसमें ‘टी सेरेमनी’ की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
जापान में मानसिक रोग का प्रमुख कारण वहाँ के लोगों का निरंतर दिमागी कार्यों में डूबे रहना है। वे आगे बढ़ने की होड़ में एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करते हैं, जिससे उनके दिमाग पर तनाव बढ़ जाता है और वे मानसिक न जाते हैं। ‘टी सेरेमनी’ में चाय-पान करते समय अतीत और भविष्य की न सोचकर वर्तमान में जीने का संकल्प किया जाता है, जिससे सभी प्रकार के मानसिक तनावों से मुक्ति मिल जाती है। ‘टी सेरेमनी’ का शांतिपूर्ण वातावरण और एक-एक घुट लेकर चाय पीने से वे वर्तमान में जी कर तनाव रहित हो जाते हैं।

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन मेरे दिमाग से भूत और भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने था और वह अनंत काल जितना विस्तृत था।
(क) गद्यांश में किन दो कालों के बारे में बात की गई है और उनकी क्या विशेषता है?
(ख) लेखक ने किस काल को सत्य माना है और क्यों?
(ग) गद्यांश से लेखक क्या समझाना चाहता है?
उत्तर :
(क) गद्यांश में भूत और भविष्य कालों के बारे में बात की गई है। भूतकाल बीत गया है और भविष्य काल अभी आया नहीं है, इसलिए इनके विषय में विचार करना व्यर्थ है।
(ख) लेखक ने वर्तमान काल को सत्य माना है क्योंकि वही हमारे सामने सत्य स्वरूप में उपस्थित है। इसलिए हमें वर्तमान में ही जीना चाहिए।
(ग) इस गद्यांश से लेखक यह समझाना चाहता है कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए, भूत और भविष्य के विषय में सोच कर परेशान नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 14.
भूत, भविष्य और वर्तमान में किसे सत्य माना गया है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, क्योंकि वहीं हमारे सामने सत्य स्वरूप में उपस्थित है।

पतझर में टूटी पत्तियाँ Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – रवींद्र केलेकर का जन्म 7 मार्च सन 1925 को कोंकण क्षेत्र में हुआ था। छात्र जीवन से ही इनका झुकाव गोवा को मुक्त करवाने की ओर था। इसी कारण वे गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए। केलेकर की रुचि पत्रकारिता में भी रही। ये गांधीवादी दर्शन से बहुत प्रभावित थे। इनके लेखन पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। रवींद्र केलेकर को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें गोवा कला अकादमी द्वारा दिया गया साहित्य पुरस्कार भी शामिल है।

रचनाएँ – रवींद्र केलेकर ने हिंदी के साथ-साथ कोंकणी और मराठी भाषा में भी लिखा है। इन्होंने अपनी रचनाओं में जनजीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। इनके द्वारा की गई टिप्पणियों में चिंतन की मौलिकता के साथ-साथ मानवीय सत्य तक पहुँचने की सहज चेष्टा है। इनके गद्य की एक विशेषता थोड़े में ही बहुत कुछ कह देना है। सरल और थोड़े शब्दों में लिखना कठिन काम माना जाता है, किंतु रवींद्र केलेकर ने यह कार्य अपनी रचनाओं में बड़ी सरलता से कर दिखाया है।

इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं उजवादाचे सूर, समिधा, सांगली ओथांबे (कोंकणी); कोंकणीचे राजकरण, जापान जसा दिसला (मराठी); पतझर में टूटी पत्तियाँ(हिंदी)। – रवींद्र केलेकर ने काका कालेलकर की अनेक पुस्तकों का संपादन और अनुवाद भी किया है।

भाषा-शैली – रवींद्र केलेकर की भाषा-शैली अत्यंत सरल, स्पष्ट और सरस है। सामान्य पाठक भी इनकी भाषा को सरलता से समझ लेता है। वे बहुत ही नपे-तुले शब्दों में अपनी बात को समझाते हैं। उनकी भाषा में कहीं भी नीरसता का अनुभव नहीं होता। भाषा क में प्रवाहमयता और प्रभावोत्पादकता सर्वत्र दिखाई देती है।

इनकी भाषा में तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी सभी शब्दों का मिश्रण है। इनकी भाषा की सरलता और सहजता देखते ही बनती है; उदाहरणस्वरूप-“अक्सर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है।” रवींद्र केलेकर की शैली की विशेषता उसकी संक्षिप्तता है। कहीं-कहीं उन्होंने आत्मकथात्मक शैली और कहीं सूक्ति शैली का भी प्रयोग किया है।

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पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ में लेखक रवींद्र केलेकर ने दो अलग-अलग प्रसंगों के माध्यम से एक जागरूक और सक्रिय नागरिक बनने की प्रेरणा दी है। पहले प्रसंग ‘गिन्नी का सोना’ में लेखक ने जीवन में अपने लिए सुख-साधन जुटाने वालों के स्थान पर उन लोगों का अधिक महत्व बताया है, जो संसार को जीने और रहने योग्य बनाते हैं। दूसरे प्रसंग ‘झेन की देन’ में बौद्ध दर्शन में वर्णित शांतिपूर्ण जीवन के विषय में बताया गया है।

I. गिन्नी का सोना –

इस प्रसंग में लेखक कहता है कि गिन्नी का सोना शुद्ध सोने से भिन्न होता है। इसमें ताँबा मिला होता है। यह चमकदार और अधिक मज़बूत होता है। शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के समान होते हैं। कुछ लोग शुद्ध आदर्शों में व्यावहारिकता का मिश्रण करते हैं। ऐसे लोगों को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहा जाता है। लेखक कहता है कि कुछ लोग गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहते हैं, किंतु गांधीजी व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर ले जाते थे। इस प्रकार वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसका मूल्य बढ़ा दिया करते थे।

लेखक ने आदर्शवादियों और व्यवहारवादियों में से आदर्शवादियों को श्रेष्ठ बताया है। आदर्शवादी स्वयं भी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और अन्य लोगों को भी उन्नति के मार्ग पर अपने साथ ले जाते हैं। समाज को शाश्वत मूल्यों की देन आदर्शवादियों की ही है।

II. झेन की देन –

प्रस्तुत प्रसंग में लेखक कहता है कि जापानी लोगों को मानसिक बीमारियाँ अधिक होती हैं। इसका कारण यह है कि जापान में जीवन की गति बहुत तेज़ है। उनका मस्तिष्क निरंतर क्रियाशील रहता है, जिससे वे तनाव और मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं। लेखक बताता है कि जापान में चाय पीने की एक विशेष विधि है, जिससे मस्तिष्क का तनाव कम होता है। जापान में इस विधि को चा-नो-यू कहते हैं। लेखक अपने मित्रों के साथ एक ‘टी सेरेमनी’ में जाता है। वहाँ चाय पिलाने वाला उनका स्वागत करता है और अँगीठी सुलगाने से लेकर प्याले में चाय डालने तक की सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से करता है।

लेखक कहता है कि इस विधि से चाय पीने की मुख्य विशेषता वहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण है। वहाँ तीन से अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। लेखक और उसके मित्रों को वहाँ प्याले में दो-दो घूँट चाय दी गई, जिसे उन्होंने बूँद-बूँद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया। तब लेखक ने अनुभव किया कि वहाँ का वातावरण अत्यंत शांत होने के कारण उनके मस्तिष्क की गति भी धीरे-धीरे धीमी हो गई थी।

लेखक को लगा जैसे वह अनंतकाल में जी रहा है। लेखक को चाय पीते हुए भी ज्ञान हुआ कि मनुष्य व्यर्थ में ही भूतकाल और भविष्यकाल में उलझा रहता है। वास्तविक सत्य तो वर्तमान है, जो हमारे सामने घटित हो रहा है। वर्तमान में जीना ही जीवन का वास्तविक आनंद उठाना है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

व्यावहारिकता – समय और अवसर देखकर कार्य करने की सुझ, चंद लोग – कुछ लोग, प्रैक्टिकल आइडियॉलिस्ट – व्यावहारिक आदर्शवादी, बखान – वर्णन करना, बयान करना, सूझ-बुझ – काम करने की समझ, स्तर – श्रेणी, के स्तर – के बेराबर, सजग – सचेत, कीमत – मूल्य, शाश्वत – जो सदैव एक सा रहे, जो बदला न जा सके, शुद्ध सोना – 24 कैरेट का (बिना मिलावट का) सोना, गिन्नी का सोना 22 कैरेट (सोने में ताँबा मिला हुआ) का सोना, जिससे गहने बनवाए जाते हैं, अस्सी फ़ीसदी – अस्सी प्रतिशत,

मानसिक – मस्तिष्क संबंधी, दिमागी, मनोरुग्ण – तनाव के कारण मन से अस्वस्थ, रु़्तार – गति, प्रतिस्पदर्धा – होड़, स्पीड – गति, टी-सेंरेमनी – जापान में चाय पीने का विशेष आयोजन, तातामी – चटाई, चा-नो-यू – जापानी भाषा में टी-सेरमनी का नाम, पर्णकुटी – पत्तों से बनी कुटिया, बेढब-सा – बेडौल, चाजीन – जापानी विधि से चाय पिलाने वाला, गरिमापूर्ण – सलीके से, भंगिमा – मुद्रा, जयजयवंती – एक राग का नाम, खदबदाना – उबलना, सिलसिला – क्रम, उलझन – असमंजस की स्थिति, अनंतकाल – वह काल जिसका अंत न हो, सन्नाटा – खामोशी, मिध्या – भ्रम, विस्तृत – विशाल।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

(अ) लघुकथा

सामान्य-परिचय-लघुकथा दो प्रकार से लिखी जाती है- मञ्जूषा

में दिये गये शब्दों में से उचित शब्दों का चयन करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करके कथा-लेखन पूरा करना होता है अथवा दिये गये कथा-चित्रों के अनुसार कथा-लेखन करना होता है। चित्र-वर्णन में कोई भी सामान्य चित्र देकर उसका वर्णन करने को कहा जाता है। यह वर्णन मञ्जूषा में दिये गये शब्दों की सहायता से करना होता है। अत: इस प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए छात्रों को निरन्तर अभ्यास करना चाहिए।
यहाँ पर लघुकथा तथा चित्र-वर्णन को कुछ उदाहरणों द्वारा समझाया गया है। इनका अभ्यास करने से इस विषय में निपुणता प्राप्त की जा सकती है।

अभ्यास:

प्रश्न: 1.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा राजा विक्रमादित्य: योगिवेश…….. राज्यपर्यटन कर्तुम् अगच्छत्। परिभ्रमन् स: एक नगरं …………..। तत्र नदीतटे एक:…………… आसीत्। तत्र…………….. पुराणकथां शृण्वन्ति स्म। तदानीम् एव एक: वृद्धः स्वपुत्रेण सह नद्याः ………………. प्रवाहितः। स: ……………… त्राहि माम् इति आकारितवान् किन्तु तत्र उपस्थित-……………. सविस्मयं तं वृद्धं पश्यन्ति। तस्य ……………. श्रत्वाऽपि तयोः प्राणरक्षा ………………… न करोति। तदा नप: विक्रमादित्य : नदी…………….”पुत्रेण सह तं वृद्धम् अतिप्रवाहात् …………… तटम् आनीतवान्। स्वस्थो ……………….. वृद्धः विक्रमाय आशिषं दत्वा पुत्रेण सह ……………. गतः। सत्यम् एव उक्तम्- “यस्तु ………………”पुरुषः, सः विद्वान्।”

[संकेतसूची/मञ्जूषा- देवालयः, प्रवाहेणं, धृत्वा, त्राहि माम्, प्राप्तवान्, नगरवासिनः, प्रविश्य, स्वगृहं, आकृष्य, चीत्कार, नगरजनाः, कोऽपि, क्रियावान्, भूत्वा।]

एकदा राजा विक्रमादित्यः योगिवेशं धृत्वा राज्यपर्यटनं कर्तुम् अगच्छत्। परिभ्रमन् स: एक नगरं प्राप्तवान्। तत्र नदीतटे एक: देवालयः आसीत्। तत्र नगरबासिनः पुराणकथां शृण्वन्ति स्म। तदानीम् एव एक वृद्धः स्वपुत्रेण सह नद्या: प्रवाहेण प्रवाहितः सः त्राहि माम् इति आकारितवान् किन्तु, तत्र उपस्थित-नगरजना: सविस्मयं तं वृद्धं पश्यन्ति। तस्य चीत्कार श्रुत्वाऽपि तयोः प्राणरक्षा कोऽपि न करोति। तदा नृपः विक्रमादित्यः नीं प्रविश्य पुत्रेण सह तं वृद्धम् अतिप्रवाहात् आकृष्य तटम् आनीतवान्। स्वस्थो भूत्वा वृद्ध: विक्रमाय आशिष दत्वा पुत्रेण सह स्वगृहं गतः। सत्यम् एव उक्तम्-“यस्तु क्रियावान् पुरुषः, सः विद्वान्।”

हिन्दी-अनुवाद – एक समय राजा विक्रमादित्य योगी का वेश धारण करके राज्य का पर्यटन करने के लिए गए। घूमते हुए वे एक नगर में पहुँचे। वहाँ नदी के किनारे पर एक मन्दिर था। वहाँ नगरवासी पुराण-कथा सुन रहे थे। उसी समय एक वृद्ध अपने पुत्र के साथ नदी के प्रवाह में बह गया। वह “मुझे बचाओ” “मुझे बचाओं” इस प्रकार जोर-जोर से चिल्लाने लगा, परन्तु वहाँ उपस्थित नगर के लोग उसे आश्चर्य से देखते रहे। उसकी चीत्कार सुनकर किसी ने भी उन दोनों के प्राणों की रक्षा नहीं की। तब राजा विक्रमादित्य नदी में प्रवेश करके पुत्र सहित उस वृद्ध को महाप्रवाह से खींचकर किनारे पर लाये। स्वस्थ होकर वृद्ध, राजा विक्रमादित्य को आशीर्वाद देकर, अपने पुत्र के साथ अपने घर चला गया। सत्य ही कहा गया है कि “जो क्रियावान् पुरुष है, वही विद्वान् है।”

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 2.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिये गये शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
……… एक : वृक्षः आसीत्। तत्र स्वपरिश्रमेण निर्मितेषु…………….. खगा: वसन्ति स्म। तस्मिन्। ……….. कश्चित् वानरः अपि निवसति स्म। एकदा महती………………. अभवत्। सः वानर : जलेन अतीब……………… च अभवत्। खगा: ………….’कम्पमानं वानरम् अवदन् – “भो बानर ! त्वं कष्टम् अनुभवसि। तत् कथं ………….. निर्माण न करोषि?” वानरः तेषां खगानाम् एतत् वचनं श्रुत्वा अचिन्तयत्-अहो! एते…………. खगा: मां निन्दन्ति। अत: स: वानर : खगानां ………….. वृक्षात् अध: ………..। खगानां नीडै: सह तेषाम् अण्डानि अपि नष्यनि।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – गृहस्य, गंगातीरे, वृक्षतले, वृष्टिः, शीतेन, गृहस्य, नीडेषु, आई: कम्पितः, अपातयत्, नीडानि, क्षुद्राः]
उत्तरम् :
गंगातीरे एक: वृक्ष: आसीत्। तत्र स्वपरिश्रमेण निर्मितेषु नीडेषु खगा: बसन्ति स्म। तस्मिन् वृक्षतले कश्चित् वानरः अपि निवसति स्म। एकदा महती वृष्टिः अभवत्। स: वानर : जलेन अतीव आर्द्रः कम्पित: च अभवत्। खगा: शीतेन कम्पमान वानरम् अवदन्-“भो वानर! त्वं कष्ट अनुभवसि। तत् कथं गृहस्य निर्माण न करोषि?” वानरः एतत् वचनं श्रुत्वा अचिन्तयत्-“अहो! एते क्षद्राः खगा: मां निन्दन्ति।” अत: स: वानर : खगानां नीडानि वृक्षात् अध: अपातयत्। खगानां नीडैः सह तेषाम् अण्डानि अपि नष्टानि।

हिन्दी-अनुवाद – गंगा नदी के तट पर एक वृक्ष था। वहाँ पर अपने परिश्रम से बनाये हुए घोंसलों में पक्षी रहते थे। उस वृक्ष के नीचे एक बन्दर भी रहता था। एक बार बहुत जोर की वर्षा हुई। वर्षा के जल से वह बन्दर बहुत भीग गया और काँपने लगा। पक्षियों ने ठण्ड से काँपते हुए उस अन्दर से कहा-“हे वानर ! तुम कष्ट का अनुभव करते हो। अपना घर क्यों नहीं बना लेते?” बन्दर ने उन पक्षियों के इस प्रकार के वचन सुनकर सोचा-“अरे! ये क्षुद्र पक्षी मेरी निन्दा करते हैं।” अत: उस बन्दर ने पक्षियों के घोंसले वृक्ष से नीचे गिरा दिये। पक्षियों के घोंसले गिर जाने से उनके अण्डे भी नष्ट हो गये।

प्रश्न: 3.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा में (दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
महात्मागान्धिन: जन्म गुर्जर …………… पोरबन्दरे अभवत्। तस्य …………. कर्मचन्दगांधी माता च पुतलीबाई आसीत्। तौ ……………… आस्ताम्। गांधिन: स्वभाव: अपि ………………. एव अतिसरल: आसीत्। सः भारतवर्षे अन्यदेशे च शिक्षा प्राप्य देशसेवाया: कार्ये ………………. अभवत्। तस्य भगीरथ ………. …….अद्य भारतवर्ष: स्वतन्त्रः अस्ति। अतएव सः …………….. उच्यते। स: सत्यस्य अहिंसाया: च साक्षात् मूर्तिः आसीत्। सः जनान् प्रति सत्यम् अहिंसां च ……………….। स: हरिजनोद्धार-स्त्रीशिक्षा भारतीयकलाकौशलस्योन्नत्यादिभ्यः बहूनि कार्याणि अकरोत्। भारतदेश: ………………. तं ऋणी भविष्यति।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-सरलस्वभावौ, राष्ट्रपिता, प्रदेशे, संलग्नः, जनकः, प्रयत्नेन, सदैव, बहूनि, उपदिष्टवान्, बाल्यकालेन]
उत्तरम् :
महात्मागान्धिनः जन्म गुर्जरप्रदेशे पोरबन्दरे अभवत्। तस्य जनकः कर्मचन्दगांधी माता च पुतलीबाई आसीत्। तौ सरलस्वभावी आस्ताम्। गान्धिनः स्वभावः अपि बाल्यकालेन एव अतिसरल: आसीत्। सः भारतवर्षे अन्यदेशे च शिक्षा प्राप्य देशसेवाया: कायें संलग्नः अभवत्। तस्य भगीरथप्रयत्नेन अद्य भारतवर्षः स्वतन्त्रः अस्ति। अतएव सः ‘राष्ट्रपिता’ उच्यते। सः सत्यस्य अहिंसायाः च साक्षात् मूर्ति : आसीत्। सः जनान् प्रति सत्यम् अहिंसा च उपदिष्टवान्। स: हरिजनोद्धार-स्त्रीशिक्षा-भारतीय कलाकौशलस्योन्नत्यादिभ्यः बहूनि कार्याणि अकरोत्। भारतदेश: सदैव तं ऋणी भविष्यति।

हिन्दी-अनुवाद – महात्मागाँधी का जन्म गुजरात प्रदेश में पोरबन्दर में हुआ था। उनके पिता कर्मचन्दगाँधी और माता पुतलीबाई थी। वे दोनों सरल स्वभाव के थे। गाँधी जी का स्वभाव भी बचपन से ही अत्यन्त सरल था। भारतवर्ष एवं विदेश में शिक्षा प्राप्त करके वे देश-सेवा के कार्य में संलग्न हो गये। उनके भगीरथ प्रयास से आज भारतवर्ष स्वतन्त्र है। अतएव उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है। वे सत्य और अहिंसा की साक्षात् मूर्ति थे। उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा का उपदेश दिया। उन्होंने हरिजनों का उद्धार, स्त्रीशिक्षा, भारतीय कला-कौशल की उन्नति आदि के लिए बहुत से कार्य किये। भारत देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 4.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा गरु: द्रोणाचार्य: स्वस्य सर्वांन शिष्यान धनर्विद्या………….। स: वक्ष स्थितं कञ्चित ……………… दर्शयित्वा शिष्यान अवदत्-अस्य नेत्रे लक्ष्य……….। गुरोः आज्ञा ………….. सर्वे शिष्याः लक्ष्यं”…”प्रयत्नम् अकुर्वन्। तदानीम् द्रोणाचार्य: तान्….”यूयं किं पश्यथ? शिष्याः उत्तरं दत्तवन्त:-गुरुदेव! वयं खगं……..। इति उत्तरं श्रुत्वा गुरोः सन्तोष: न अभवत्। तदा सः अर्जुनम् ………. अपृच्छत्- ‘भो अर्जुन! त्व किं पश्यसि? अर्जुनः अवदत्-हे गुरो! अहं खगस्य नेत्रं

पश्यामि। अर्जुनस्य लक्ष्य प्रति …………… दृष्ट्वा गुरु: द्रोणाचार्य : अतिप्रसन्नः भूत्वा तस्मै”……….. दत्तवान् यत् त्वं श्रेष्ठ: ……………. भविष्यसि। अर्जुन: गुरवे अनमत्। अतएव अर्जुनः द्रोणाचार्यस्य प्रियः शिष्यः अभवत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – साधयत, प्राप्य, अशिक्षयत्, पश्यामः, धनुर्धरः, खगं, साधितुम, आशिषं, एकाग्रता, आहूय, अपृच्छत्।
उत्तरम् :
एकदा गुरुः द्रोणाचार्यः स्वस्य सर्वान् शिष्यान् धनुर्विद्याम् अशिक्षत। सः वृक्षे स्थितं कञ्चित् खगं दर्शयित्वा शिष्यान् अवदत्-“अस्य नेत्रे लक्ष्य सिध्यत।” गुरोः आज्ञां प्राप्य सर्वे शिष्या: लक्ष्य साधितुं प्रबत्नम् अकुर्वन्। तदानी द्रोणाचार्य: तान अपृच्छत-“यूयं किं पश्यथ?” शिष्या: उत्तरं दत्तवन्त:-“गुरुदेव! वयं खगं पश्यामः।” इति उत्तरं श्रुत्वा गुरुः सन्तुष्ट; न अभवत्। तदा सः अर्जुनम् आहूय अपृच्छत् – “भो अर्जुन ! त्वं किं पश्यसि?” अर्जुनः अवदत्- “हे गुरो! अहं खगस्य नेत्रं पश्यामि।”
अर्जुनस्य लक्ष्य प्रति एकाग्रतां दृष्ट्वा गुरु: द्रोणाचार्य: अतिप्रसन्नः भूत्वा तस्मै आशिषं दत्तवान् यत् त्वं श्रेष्ठः धनुर्धरः भविष्यसि। अर्जुन: गुरवे अनमत्। अतएव अर्जुन: द्रोणाचार्यस्य प्रिय: शिष्यः अभवत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक समय गुरु द्रोणाचार्य अपने सभी शिष्यों को धनुर्विद्या सिखा रहे थे। वृक्ष पर स्थित किसी पक्षी को दिखाकर वह बोले-इसकी आँख पर निशाना लगाओ। गुरु की आज्ञा पाकर सभी शिष्यों ने निशाना लगाने का प्रयास किया। उस समय द्रोणाचार्य ने उनसे पूछा-“तुम सब क्या देख रहे हो?” शिष्यों ने उत्तर दिया-“गुरुदेव! हम पक्षी को देख रहे हैं।” इस उत्तर को सुनकर गुरु को सन्तोष नहीं हुआ। तब उन्होंने अर्जुन को बुलाकर पुछा-“हे अर्जुन ! तुम क्या देख रहे हो?” अर्जुन ने कहा-“हे गुरुदेव! मैं पक्षी की आँख देख रहा हूँ।” अर्जुन की लक्ष्य के प्रति एकाग्रता देखकर गुरु द्रोणाचार्य ने अतिप्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया कि तुम श्रेष्ठ धनुर्धर होओगे। अर्जन ने गरु को प्रणाम किया। अतएव अर्जन द्रोणाचार्य का प्रिय शिष्य हो गया।

प्रश्न: 5.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (के शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
कस्मिश्चित् ग्रामे एक:……………….. निवसति स्म। सः नित्यमेव रात्रौ क्षेत्रं गत्वा पशभ्यः शस्य रक्षति स्म। एकदा सः …………….. प्रत्यागच्छति स्म। दिवस: अति ……………. आसीत्। …………….. तु शीत: अतितरः आसीत्। स: मार्गे एक………सर्पम् अपश्यत्। करुणोपेतः कृषक: तं ……………. गृहीत्वा गृहम् आनयत्। सः तम् अग्ने: समीपं …………। शीघ्रमेव असौ ………….. प्राप्य गतिमान् अभवत्। कृषकस्य…….तत्रैव क्रीडति स्म।. सर्प: तं द्रष्टुम् ऐच्छत्। भीतो कृषक: पुत्ररक्षार्थं दण्डेन अहन्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-पुत्रोऽपि, स्थापितवान्, शीत:, उष्णता, कृषकः, शीतपीडितं, सर्प, हस्ते, कृतघ्नः, क्षेत्रात्, प्रात:काले]
उत्तरम् :
कस्मिश्चित् ग्रामे एक: कृषकः निवसति स्म। स: नित्यमेव रात्रौ क्षेत्रं गत्वा पशुभ्यः शस्यं रक्षति स्म। एकदा स: क्षेत्रात् प्रत्यागच्छति स्म। दिवस: अति शीत: आसीत्। प्रात:काले तु शीत: अतितरः आसीत्। सः मार्गे एक शीतपीडितं सर्पम् अपश्यत्। करुणोपेतः कृषक: तं हस्ते गृहीत्वा गृहम् आनयत्। सः तम् अग्ने: समीपं स्थापितवान्। शीघ्रमेव असौ उष्णतां प्राप्य गतिमान् अभवत्। कृषकस्य पुत्रोऽपि तत्रैव क्रीडति स्म। कृतघ्नः सर्प: तं दष्टुम् ऐच्छत्। भीतो कृषक: पुत्ररक्षार्थं दण्डेन सर्पम् अहन्।

हिन्दी-अनुवाद – किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह रोज ही रात में खेत में जाकर पशुओं से फसल की रक्षा करता था। एक समय वह खेत से लौट रहा था। उस दिन अधिक ठण्ड थी। सुबह तो ठण्ड बहुत अधिक थी। उसने मार्ग में ठण्ड से पीड़ित एक सर्प को देखा। करुणायुक्त किसान उसे हाथ में लेकर घर आया। उसने उसको (सर्प को) अग्नि के समीप रख दिया। गर्मी पाकर वह सर्प शीघ्र ही गतिमान हो गया। किसान का पत्र भी वहीं खेल रहा था। कृतघ्न सर्प ने उसे डसना चाहा। डरे हुए किसान ने पुत्र की रक्षा के लिए डण्डे से सर्प को मार दिया।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 6.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः चितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
कस्मिंश्चित् ग्रामे एका विडाली……….. सा प्रतिदिनं बहू ………….. अभक्षत्। एवं स्वविनाशं दृष्ट्वा ………… स्वप्राणरक्षार्थम् एकां सभाम् आयोजितवन्तः। सभायां मूषका: इम …………… अकुर्वन् यत् यदि विडाल्या: …………… घण्टिकाबन्धनं भविष्यति तदा तस्याः श्रुत्वां वयं स्वबिलं गामिष्यामः। एवं श्रुत्वा तेषु मूषकेषु एक; वृद्धः मूषक: किञ्चित् विचारयन् तान् ………….. क: तस्याः ग्रीवायां ……………. करिष्यति?” तदानीम् एव विडाली आगता। मूषकाः स्वबिलं ……………..।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – निर्णयम्, मूषकाः, अभवत्, अपृच्छत्, नादं, मूषकान्, घण्टिकाबन्धनं, ग्रीवायां, पलायिताः]
उत्तरम् :
कस्मिंश्चित् ग्रामे एका विडाली अवसत्। सा प्रतिदिनं बहून मूषकान् अभक्षत्। एवं स्वविनाशं दृष्ट्वा मूषका: स्वप्राणरक्षार्थम् एका सभाम् आयोजितवन्तः। सभायां मूषका: इमं निर्णयम् अकुर्वन् यत् यदि विडाल्या: ग्रीवायां घण्टिकाबन्धन भविष्यति तदा तस्याः नादं श्रुत्वा वयं स्वबिलं गमिष्यामः। एवं श्रुत्वा तेषु मूषकेषु एक: वृद्धः मूषक: किञ्चित् विचारयन् तान् अपृच्छत्-“क: तस्या: ग्रीवायां घण्टिकाबन्धनं करिष्यति?” तदानीम् एव विडाली आगता। ता दृष्ट्वैव सर्वे मूषकाः स्वबिलं पलायिताः।

हिन्दी-अनुवाद – किसी गाँव में एक बिल्ली रहती थी। वह हर रोज बहुत से चूहों को खाती थी। इस प्रकार अपना विनाश देखकर चूहों ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए एक सभा का आयोजन किया। सभा में चूहों ने यह निर्णय किया कि यदि बिल्ली के गले में घण्टी बँध जायेगी तो हम सब उसकी आवाज सुनकर अपने बिल में चले जायेंगे। यह सुनकर उन चूहों में से एक बूढ़े चूहे ने कुछ सोचते हुए उन सबसे पूछा-“उस बिल्ली के गले में घण्टी कौन बाँधेगा?” तभी बिल्ली आ गयी। उसे देखते ही सब चूहे अपने-अपने बिल में भाग गये।

प्रश्न: 7.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो
कस्मिंश्चित् बने………….. वसति स्म। एकदा स: ………….. अभवत्। सः ………….. अन्वेष्टुम् वने इतस्तत: अनमत् किन्तु सुदूरं यावत् ……………. कमपि जलाशयं न अपश्यत्। तदानीमेव सः………….. अलभत। तस्मिन् घटे…………… आसीत्। अत: स: जलं……….. असमर्थ: अभवत्। सः एकम् …………. अचिन्तयत्। सः दूरात् पाषाणखण्डानि …………… घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण जलम् उपरि …………. जलं च पीत्वा सः…………”अभवत्। उद्यमेन काक: स्वप्रयोजने सफलः अभवत्। उक्तं च “उद्यमेन हि …………”कार्याणि न मनोरथैः।’
[संकेतसूची/मञ्जूषा- जलाशयम्, एकः काकः, कुत्रापि, स्वल्पं जलं, पिपासया आकुलः, आनीय, एकं घटं, समागच्छत्, – | पातुम्, सिध्यन्ति, सुखी, उपायम्।]
उत्तरम् :
कस्मिंश्चित् वने एकः काकः वसति स्म। एकदा सः पिपासया आकुलः अभवत्। सः जलाशयम् अन्वेष्टुं वने इतस्ततः अभ्रमत् किन्तु सुदूरं यावत् कुत्रापि कमपि जलाशयं न अपश्यत्। तदानीमेव सः एक घटम् अलभत। तस्मिन् घटे स्वल्पं जलम् आसीत्। अतः सः जलं पातुम् असमर्थः अभवत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत्। सः दूरात् पाषाणखण्डानि आनीय घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण जलम् उपरि समागच्छत् जलं च पीत्वा सः सुखी अभवत्। उद्यमेन काकः स्वप्नयोजने सफल: अभवत्। उक्तं च-‘उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।’

हिन्दी-अनुवाद – किसी वन में एक कौआ रहता था। एक बार वह प्यास से व्याकुल हुआ। वह जलाशय की खोज में वन में इधर-उधर घूमा किन्तु दूर तक कहीं भी कोई भी जलाशय न मिला। उसी समय उसे एक घड़ा मिला। उस घड़े में बहुत कम जल था। अत: वह जल पीने में असमर्थ था। उसने एक उपाय सोचा। उसने दूर से कंकड़ लाकर घड़े में डाल दिये। इस प्रकार जल क्रमशः ऊपर आ गया और जल पीकर वह सुखी हुआ। उद्यम से कौआ अपने प्रयोजन में सफल हुआ। कहा गया है-‘उद्यम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, मनोरथों से नहीं।’

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 8.
मञ्जूषायाः सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयित्वा कथां उत्तरपुस्तिकायां लिखत (मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से रिक्त स्थानों को पूर्ण कर कथा को उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् वने एका …………..:वसति स्म। एकदा सा भोजनस्य अभावे ……………….. अभवत्। भोजनार्थं सा बने ……………… भ्रमन्ती उद्यानम् आगच्छत्। तत्र एकां ………… अपश्यत्। तस्यां लतायां …………….. द्राक्षाफलानि आसन्। तानि दृष्ट्वा सा ………… अभवत्। सा उत्लुत्य नैकवारं द्राक्षाफलानि…………”प्रयत्नम् अकरोत् किन्तु………….”सा सफला न अभवत्। निराशां प्राप्य लोमशा प्रत्यागच्छत् अवदत् च-“द्राक्षाफलानि अहं न खादामि, तानि तु अम्लानि सन्ति।”
संकेतसूची/मञ्जूषा-इतस्ततः, अतिप्रसन्ना, लोमशा, अनेकानि, क्षुधापीडिता, द्राक्षालताम्, दूरस्थात्, खादितुम्, द्राक्षाफलानि
उत्तरम् :
एकस्मिन् वने एका लोमशा वसति स्म। एकदा सा भोजनस्य अभावे क्षुधापीडिता अभवत्। भोजनार्थ सा बने ती उद्यानम् आगच्छत्। तत्र एका द्राक्षालताम् अपश्यत्। तस्या लतायाम् अनेकानि द्राक्षाफलानि आसन्। तानि दृष्ट्वा सा अतिप्रसन्ना अभवत्। सा उत्प्लुत्य नैकवारं द्राक्षाफलानि खादितुम् प्रयत्नम् अकरोत् किन्तु दूरस्थात् सा सफला न अभवत्। निराशां प्राप्य लोमशा प्रत्यागच्छत् अवदत् च-द्राक्षाफलानि अहं न खादामि तानि तु अम्लानि सन्ति।

हिन्दी-अनुवाद – एक वन में एक लोमड़ी रहती थी। एक समय भोजन के अभाव में वह भूख से पीड़ित हुई। भोजन के लिए वन में इधर-उधर घूमती हुई वह बगीचे में आई। वहाँ उसने एक अंगूर की बेल को देखा। उस बेल पर अनेक अंगूर थे। उन्हें देखकर वह अति प्रसन्न हुई। उसने अनेक बार उछलकर अंगूरों को खाने का प्रयत्न किया किन्तु दूर होने से वह सफल न हुई। निराश होकर लोमड़ी लौट आयो और बोली, “मैं अगर नही खाता हूँ, व तो खट्ट है।”

प्रश्न: 9.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
प्राचीनकाले शिवि: नाम राजा अभवत्। स: ………… आसीत्। सः अनेकान् यज्ञान् कृत्वा ………. प्राप्तवान्। इन्द्रः तस्य कीर्ति श्रुत्वा ……………. आप्तवान्। एकदा स: नृपस्य धर्म…………. अचिन्तयत्। सः अग्निना सह नृपस्य ………… आगच्छत्। इन्द्रः श्येन: अग्निः च ………….. भूत्वा भक्ष्य-भक्षकरूपेण उभौ तत्र आगच्छताम्। कपोत: नृपं …………… येन प्रभो! श्येन: मां खादितुम् इच्छति। त्वं धर्मतत्वज्ञः असि, मां शरणागतं रक्ष। श्येनः अवदत्- अयं कपोत: मम ……………. अस्ति। यदि अहम् इमं न खादिष्यामि तर्हि ……………. मरिष्यामि। ततः नृपः स्वशरीरात् मांसम्……….. श्येनाय अयच्छत्। तुलायां धृतं मांस तु कपोतात् न्यूनम् आसीत्। तदा शिविः स्वस्य सर्वम् एव…………. अर्पयत्। नृपस्य धर्मव्रतं दृष्ट्वा इन्द्रः अग्नि: च प्रसन्नौ भूत्वा……… अगच्छताम्। तस्मात् कालात् अस्मिन् संसारे नृपस्य शिवः धर्मपरायणस्य ……………. श्रेष्ठा ख्यातिः जाता।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-परीक्षितुम, धर्मपरायणः, ग्लानिं, समक्षम्, ख्यातिम्, निश्चयमेव, कपोतः, देह, प्रार्थयते, उत्कृत्य, शरणागत-रक्षकस्य, स्वर्गलोक, भोजनम्]
उत्तरम् :
प्राचीनकाले शिविः नाम राजा अभवत्। सः धर्मपरायणः आसीत्। सः अनेकान् यज्ञान् कृत्वा ख्याति प्राप्तवान्। इन्द्रः तस्य कीर्ति श्रुत्वा ग्लानिम् आप्तवान्। एकदा सः नृपस्य धर्म परीक्षितुम् अचिन्तयत्। सः अग्निना सह नृपस्य समक्षम् आगच्छत्। इन्द्रः श्येन: अग्नि: च कपोत: भूत्वा भक्ष्यभक्षकरूपेण उभौ तत्र आगच्छताम्। कपोत: नृपं प्रार्थयते “प्रभो! श्येनः मां खादितुम् इच्छति। त्वं धर्मतत्वज्ञः असि, मां शरणागतं रक्षा” श्येनः अवदत्-“अयं कपोत: मम भोजनम् अस्ति। यदि अहम् इमं न खादिष्यामि तर्हि निश्चयमेव मरिष्यामि।” तत: नृपः स्वशरीरात् मांसम् उत्कृत्य श्येनाय अयच्छत्। तुलाया धृतं मासं तु कपोतात् न्यूनम् आसीत्। तदा शिविः स्वस्य सर्वम् एव देहम् अर्पयत्। नृपस्य धर्मव्रतं दृष्ट्वा इन्द्रः अग्नि: च प्रसन्नौ भूत्वा स्वर्गलोकम् अगच्छताम्। तस्मात् कालात् अस्मिन् संसारे नपस्य शिवे: धर्मपरायणस्य शरणागतरक्षकस्य च रूपेण श्रेष्ठा ख्याति: जाता।

हिन्दी-अनुवाद – प्राचीनकाल में शिवि नाम के राजा हुए। वह धर्मपरायण थे। उन्होंने अनेक यज्ञ करके ख्याति प्राप्त की। इन्द्र उनकी कीर्ति को सुनकर ग्लानि से भर गया। एक बार उसने राजा की परीक्षा करने के लिए सोचा। वह अग्नि के थ राजा के पास आया। इन्द्र बाज और अग्नि कबूतर बनकर भक्ष्य और भक्षक रूप में वे दोनों वहाँ आये। कबूतर ने राजा से विनती की – “प्रभु! बाज मुझे खाना चाहता है। तुम धर्म को जानने वाले हो, मुझ शरण आये हुए की रक्षा करो।” बाज बोला-“यह कबूतर मेरा भोजन है। यदि मैं इसे नहीं खाऊँगा तो मैं निश्चय ही मर जाऊँगा।” तब राजा ने अपने शरीर से मांस काटकर बाज को दिया। मांस तराजू पर रखा तो कबूतर से कम था। तब शिवि ने अपना पूरा शरीर ही अर्पण कर दिया। राजा का धर्मव्रत देखकर अग्नि और इन्द्र प्रसन्न होकर स्वर्गलोक चले गये। उसी समय से इस संसार में राजा शिवि की धर्मपरायण, शरणागतरक्षक के रूप में श्रेष्ठ ख्याति हो गयी।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 10.
अधोलिखितायां लघकथायां विलप्तानि पदानि मञ्जषायाः चित्वा रिक्तस्थानानि पुरयत (निम्नलिखित लघुकथा में विलुप्त शब्दों को मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से चुनकर रिक्त स्थानों को भरो-)
कस्यचित् मनुष्यस्य ………………. एक: गजः आसीत्। सः जलं पातुं स्नातुं च …………….. सरित: तटम् अगच्छत्। तत्र – आपणिकाः मार्गे तस्मै किमपि. “यच्छन्ति स्म। मार्गे एकस्य ……………… आपणम् आसीत्। सः वस्त्राणि सीव्यति स्म। ……………… एकदा सौचिकस्य पुत्र: गजस्य करे ………………… अभिनत्। क्रुद्धः सन् गज: सरितः तटम् अगच्छत्। तत्र स्नात्वा जलं च पीत्वा ……………. पङ्किलं जलम् आनयत्। सौचिकस्य आपणे ……………. वस्त्रेषु असिंचत्। तदा सौचिकस्य पुत्रः …………. अनुभूय अतिखिन्नः अभवत्। सः गजं क्षमाम् अयाचत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – सौचिकस्य, प्रतिदिनं, खादितुं, गृहे, स्वकरे, आत्मग्लानि, सूचिकाम्, स्यूतेषु]
उत्तरम् :
कस्यचित् मनुष्यस्य गृहे एक: गजः आसीत्। सः जलं पातुं स्नातुं च प्रतिदिनं सरितः तटम् अगच्छत्। तत्र आपणिका: मार्गे तस्मै किमपि खादितुं यच्छन्ति स्म। मार्गे एकस्य सौचिकस्य आपणम् आसीत्। सः वस्त्राणि सीव्यति स्म। एकदा सौचिकस्य पुत्र: गजस्य करे सूचिकाम् अभिनत्। क्रुद्धः सन् गजः सरित: तटम् अगच्छत्। तत्र स्नात्वा जलं च पीत्वा स्वकरे पङ्किलं जलम् आनयत्। सौचिकस्य आपणे स्यूतेषु वस्त्रेषु असिंचत्। तदा सौचिकस्य पुत्रः आत्मग्लानिम् अनुभूय अतिखिन्नः अभवत्। सः गजं क्षमाम् अयाचत्।

हिन्दी-अनुवाद: – किसी मनुष्य के घर में एक हाथी था। वह जल पीने के लिए और नहाने के लिए प्रतिदिन नदी के तट पर जाता था। वहाँ मार्ग में दुकानदार उसे कुछ भी खाने के लिए देत थे। मार्ग में एक दर्जी की दुकान थी। वह कपड़े सिलता था। एक बार दर्जी के पुत्र ने हाथी की सैंड में सुई चुभो दी। क्रोधित होकर हाथी नदी के तट पर गया। वह नहाकर और जल पीकर अपनी सँड़ में कीचड़युक्त जल ले आया और दर्जी की दुकान पर सिले हुए वस्त्रों पर छिड़क दिया। तब दर्जी का पुत्र आत्मग्लानि का अनुभव कर बहुत दु:खी हुआ। उसने हाथी से क्षमायाचना की।

प्रश्न: 11.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा सप्तर्षय: …………….. अगच्छन्। एक ……………. स्वरं तेषां कर्णेषु अपतत् “तिष्ठन्तु। युष्माकं सर्वाणि …………….. मह्यं यच्छ।” ऋषयः तम् अपृच्छन्-“क: त्वम्?” सः अवदत्-“अहं रत्नाकर: नाम…………..”अस्मि।” ऋषयः पुन: अपृच्छन्-“केषां कृते त्व………………”करोषि? इदं निन्दितं कर्म येषां कृते करोषि तान् पृच्छ कि तेऽपि दस्युकर्मणः …………….. “लप्स्यन्ते? गच्छ वत्स! अस्मासु विश्वासं कुरु। वयं अत्रैव त्वां…………”करिष्याम:” स: दस्यु: सर्वान् परिवारजनान् अपृच्छत्। ते सर्वे उत्तरम् अददुः- “य: घोरतमं पापं……………. स एव अधं फलं प्राप्यति।” रत्नाकर: विस्मितः अभवत्। सः कम्पितपादाभ्यां सप्तर्षीणां ……………. अपतत्। ऋषयः रत्नाकराय ……………… अयच्छन्। त्रयोदशवर्षाणि अनन्तरम् ऋषयः पुनः तत्र आगताः। सर्वत्र रामनाम ……………… भवति स्म। सः मन्त्रध्वनिः वल्मीकात् आगच्छति स्म। ऋषयः वल्मीकात् रत्नाकर’……………… अवदन-पुत्र! त्वं धन्य: असि। त्वम् एतावत् वर्षाणि…………….. निवसन राममन्त्रम् अजपः। अत: त्वं वाल्मीकिः इति नाम्ना अस्मिन् संसारे ……………….. भविष्यति। कालान्तरेण सः एव आदिकविवाल्मीकिनाम्ना प्रसिद्धोऽभवत्। आदिकाव्यस्य ………………… रचयिता अयम् एव आसीत्।।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – दस्युः, सघनवनम्, पापफलं, वस्तूनि, घोरतम, प्रतीक्षा, दस्युकर्म, चरणेषु, राममन्त्रं, करिष्यति,। वल्मीके, प्रसिद्धः, गुञ्जायमानं, रामायणस्य, समुद्धृत्य।]
उत्तरम् :
एकदा सप्तर्षयः सघनवनम् अगच्छन्। एक घोरतमं स्वरं तेषां कर्णेषु अपतत्-“तिष्ठन्तु ! युष्माकं सर्वाणि वस्तूनि मह्यं यच्छ।” ऋषयः तम् अपृच्छन्-“क: त्वम् ?” सः अवदत्-“अहं रत्नाकरः नाम दस्युः अस्मि।” ऋषयः पुनः अपृच्छन्-“केषां कृते त्वं दस्युकर्म करोषि! इदं निन्दितं कर्म येषां कृते करोषि तान् प्रच्छ कि तेऽपि दस्युकर्मण: पापफल लप्सयन्ते ? गच्छ वत्स! अस्मासु विश्वासं कुरु। वर्य अत्रैव त्वां प्रतीक्षा करिष्यामः।” सः दस्युः सर्वान् परिवारजनान् अपृच्छत्। ते सर्वे उत्तरम् अददात् “य: घोरतमं पापं करिष्यति।

सः एव अधं फलं प्राप्स्यति।” रत्नाकरः विस्मितः अभवत्। स: कम्पितपादाभ्यां सप्तर्षीणां चरणेषु अपतत्। ऋषयः रत्नाकराय राममन्त्रम् अयच्छन्। त्रयोदशवर्षाणि अनन्तरम् ऋषयः पुनः तत्र आगताः। सर्वत्र रामनाम गुञ्जायमानं भवति स्म। स मन्त्रध्वनि: वल्मीकात् आगच्छति स्म। ऋषयः वल्मीकात् रत्नाकरं समुद्धृत्य अवदन्- “पुत्र त्वं धन्यः असि। त्वम् एतावत् वर्षाणि वल्मीके निवसन् राममन्त्रम् अजपः। अत: त्वं वाल्मीकिः इति नाम्ना अस्मिन् संसारे प्रसिद्धः भविष्यति।” कालान्तरेण स: एव आदिकविवाल्मीकिनाम्ना प्रसिद्धोऽभवत् आदिकाव्यस्य रामायणस्य रचयिता अयम् एव आसीत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक बार सप्त ऋषि घने जंगल में जा रहे थे। एक भयंकर शब्द उनके कानों में पड़ा-“रुको! अपनी सभी वस्तुएँ मुझे दे दो।” ऋषियों ने उससे पूछा-“तुम कौन हो?” वह बोला-“मैं रत्नाकर नाम का डाकू हूँ।” ऋषियों ने पुनः पूछा-“तुम किनके लिए डाकूका काम करते हो? यह निन्दित काम जिनके लिए करते हो उन्हें पूछो कि क्या वे भी डाकू के कार्य करने से प्राप्त होने वाले पापरूपी फल को भोगेंगे। जाओ पुत्र! हम पर विश्वास करो। हम सब यहीं तुम्हारी प्रतीक्षा करेंगे।” उस डाकू ने सभी परिवारीजनों से पूछा।

उन सभी ने उत्तर दिया-“जो घोर पाप करेगा, वही नीच फल भोगेगा।” रत्नाकर विस्मित हो गया। वह कौपते पैरों से ऋषियों के चरणों में गिर पड़ा। ऋषियों ने रत्नाकर को राममन्त्र दिया। तेरह वर्ष बाद ऋषि पुन: वहाँ आये। सर्वत्र रामनाम गुञ्जायमान हो रहा था। वह मन्त्रध्वनि मिट्टी के ढेर से आ रही थी। ऋषियों ने मिट्टी के ढेर से रत्नाकर को निकालकर कहा-“पुत्र! तुम धन्य हो! तुमने इतने वर्ष मिट्टी के ढेर में रहकर राममन्त्र का जाप किया। अत: तुम इस संसार में वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध होओगे।” कुछ समय बाद वही आदिकवि वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए। आदिकाव्य रामायण के रचयिता ये ही थे।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 12.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) के उचित शब्दों से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् वनप्रदेशे एक: सिंहः …………… स्म। एकदा स: वृक्षस्य …………….. स्वपिति स्म। तस्य वृक्षस्य अधः एक: ……………….. अपि बिलं कृत्वा वसति स्म। तौ अतिस्नेहेन तत्र निवसतः स्म। एकदा मूषक : ………………… निष्कृत्य सुप्तस्य सिंहस्य पृष्ठमारुह्य तस्य केशान् अकृन्तत्। जाग्रतः सिहं मूषकं हस्ते …………. अवदत्। “को असि? मम् केशान् कृन्तसि अहं त्वां हनिष्यामि।” मूषकोऽपि भीत: सन् अकथयत् – “विपत्काले अहं तव साहाय्यं करिष्यामि।” एकदा सिंहः …………… जातः। सः तदा आत्मानम् असहायं मत्वा अति दुःखी …………….। अस्मिन् विपत्काले स: ……………… अस्मरत्। तस्य गर्जनं ………………. मूषक: स्वबिलात् बहिः ………………… सिंहस्य समीपम् आगच्छत्। सः पाशं स्वतीक्ष्णदन्तः छित्वा तं मित्रं …………….. अकरोत। तदा सिंह: मषक: च प्रसन्नौ अभवताम।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – पाशमुक्तम्, वसति, निर्गत्य, छयायां, बिलात्, श्रुत्वा, पाशबद्धः, अभवत्, गृहीत्वा, स्वमित्रं, मूषक:]
उत्तरम् :
एकस्मिन् वनप्रदेशे एक: सिंहः वसति स्म। एकदा स: वृक्षस्य छायायां स्वपिति स्म। तस्य वृक्षस्य अध: एक: मूषकः अपि बिलं कृत्वा वसति स्म। तौ अतिस्नेहेन तत्र निवसतः स्म। एकदा मूषक: बिलात् निष्कृत्य सुप्तस्य सिंहस्य पृष्ठमारुह्य तस्य केशान् अकृन्तत्। जाग्रतः सिंहः मूषकं हस्ते गृहीत्वा अवदत्-“को असि? मम् केशान् कृन्तसि। अहं त्वां हनिष्यामि।” मुषको अपि भीत: सन् अकथयत-“विपत्काले अहं तव साहाय्यं करिष्यामि।” एकदा सिंहः पाशब सः तदा आत्मानम् असहायं मत्वा अति दु:खी अभवत्। अस्मिन् विपत्काले स: स्वमित्रम् अस्मरत्। तस्य गर्जनं श्र त्वा मूषक: स्वबिलात् बहिः निर्गत्य सिंहस्य समीपम् आगच्छत्। स: पाशं स्वतीक्ष्णदन्तैः छित्त्वा तं मित्रं पाशमुक्तम् अकरोत्। तदा सिंह: मृषक: च प्रसन्नौ अभवताम्।

हिन्दी-अनुवाद – एक वन प्रदेश में एक शेर रहता था। एक समय वह वक्ष की छाया में सो रहा था। उस वृक्ष के नीचे एक चूहा भी बिल बनाकर रहता था। वे दोनों वहाँ बहुत प्रेम से रहते थे। एक समय चूहा अपने बिल से निकलकर सोते हुए शेर की पीठ पर चढ़कर उसके बाल काटने लगा। जागकर शेर ने चूहे को हाथ में पकड़कर कहा-“कौन हो? मेरे बालों को काटते हो? मैं तुम्हें मार दूंगा।” चूहा भी डरता हुआ बोला-“विपत्ति में मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।” एक बार शेर जाल में फंस गया। उस समय वह स्वयं को असहाय मानकर बहुत दु:खी हुआ। इस विपत्ति काल में उसने अपने मित्र को याद किया। उसकी गर्जना सुनकर चूहा अपने बिल से बाहर निकलकर शेर के पास आया। उसने जाल को अपने तेज दाँतों से काटकर मित्र को जाल से मुक्त कर दिया। तब शेर और चूहा दोनों प्रसन्न हुए।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न 13.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् …………. एकः काकः निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य समीपे एका लोमशा अपि निवसति स्म। एकदा सः काक: एका ………….. आनयत्। लोमशा तं दृष्ट्वा केनापि ……………. रोटिकां गृहीतुम् ऐच्छत्। सा वृक्षस्य अधः ………….. काकं च अवदत्-‘तात! मया श्रुतं त्वम् अति मधुरं गायसि।” काक : आत्मनः ……………….. श्रुत्वा प्रसन्न: अभवत्। सगर्वोऽयं काकः यावत् गायति तावत् विवृतात् ………………. रोटिका भूमौ अपतत्। लोमशा तां नीत्वा ततः अगच्छत्। मूर्खः काकः ……………… पश्चात्तापम् अकरोत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा- प्रशंसां, रोटिका, मुखात्, वृक्षे, स्वमूर्खतायाः, अतिष्ठत्, उपायेन]
उत्तरम् :
एकस्मिन् वक्षे एकः काकः निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य समीपे एका लोमशा अपि निवसति स्म। एकदा सः काक: एका रोटिकाम् आनयत्। लोमशा तं दृष्ट्वा केनापि उपायेन रोटिकां गृहीतुम् ऐच्छत्। सा वृक्षस्य अधः अतिष्ठत् कार्क च अवदत्-‘तात! मया श्रुतं त्वम् अति मधुरं गायसि।’ काकः आत्मनः प्रशंसां श्रुत्वा प्रसन्नः अभवत्। सगर्वोऽयं काकः विवृतात् मुखात् रोटिका भूमौ अपतत्। लोमशा तां नीत्वा ततः अगच्छत्। मूर्खकाकः स्वमूर्खताया: पश्चात्तापम् अकरोत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक वृक्ष पर एक कौआ रहता था। उस वृक्ष के समीप एक लोमड़ी भी रहती थी। एक दिन वह कौआ एक रोटी लाया। लोमड़ी ने उसे देखकर किसी भी उपाय से रोटी को लेना चाहा। वह वृक्ष के नीचे बैठ गई और कौए से बोली-‘तात! मैंने सुना है तुम बहुत मीठा गाते हो।’ कौआ अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हो गया। गर्व के साथ कौए ने गाने के लिए जैसे ही मुख खोला, वैसे ही रोटी जमीन पर गिर गई। लोमड़ी उसे लेकर वहाँ से चली गई। मुर्ख कौआ ने अपनी मूर्खता पर पश्चात्ताप किया।

प्रश्न 14.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
उत्तरप्रदेशे अयोध्या नगरी अस्ति। तत्र प्राचीनकाले …………… नृपः राज्यम् अकरोत्। तस्य चत्वारः ……………. आसन् रामः, लक्ष्मणः, भरत: शत्रुघ्नः च। ऋषिः …………… रामलक्ष्मणौ स्वस्य आश्रमम् अनयत्। तौ ………….. विश्वामित्रात् अशिक्षेतां, ततः मिथिलायां चतुर्णाम् अपि राजपुत्राणां विवाहः अभवत्। मिथिलानृपः ………….. रामाय अयच्छत्। तस्याः नाम सीता आसीत्। पितुः आज्ञया राज्यं ……………. राम: वनम् अगच्छत्। तेन सह सीता लक्ष्मणश्च अगच्छन्ताम्। ऋषिभिः सह ते वने …………..। तत्र रावण: सीतां ………… अहरत्। सीताम् अन्वेष्टुम् रामलक्ष्मणौ वने अभ्रमताम्। तौ बालिनः नगरी ……………… अगच्छताम्। वानरराजः सुग्रीव : तयोः मित्रम् अभवत्। ………… हनुमान् सागरपारं गत्वा लंकायां ……………. अपश्यत्। वानरा: सागरे …………….. अकुर्वन्। राम-रावण-युद्धः अभवत्। युद्धे रावण: हतः।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – शास्त्रविद्या, स्वज्येष्ठां सुतां, दशरथः, त्यक्त्वा, पुत्राः, अवसन्, विश्वामित्रः, पवनपुत्रः, सेतुनिर्माण, | सीतां, किष्किन्धाम्, कपटेन]
उत्तरम् :
उत्तरप्रदेशे अयोध्या नगरी अस्ति। तत्र प्राचीनकाले दशरथः नृपः राज्यम् अकरोत्। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्-राम:, लक्ष्मणः, भरतः शत्रुघ्नः च। ऋषिः विश्वामित्र: रामलक्ष्मणौ स्वस्य आश्रमम् अनयत्। तौ शास्त्रविद्यां विश्वामित्रात् अशिक्षेताम् ततः मिथिलायां चतुर्णाम् अपि राजपुत्राणां विवाहः अभवत्। मिथिलानृपः स्वज्येष्ठां सुतां रामाय अयच्छत्। तस्याः नाम सीता आसीत्।

पितुः आज्ञया राज्यं त्यक्त्वा राम: वनम् अगच्छत्। तेन सह सीता लक्ष्मणश्च अगच्छताम्। ऋषिभिः सह ते वने अवसन्। तत्र रावणः सीतां कपटेन अहरत्। सीताम् अन्वेष्टुम् रामलक्ष्मणौ वने अभ्रमताम्। तौ बालिन: नगरौं किष्किन्धाम् अगच्छताम्। वानरराजः सुग्रीवः तयोः मित्रम् अभवत्। पवनपुत्रः हनुमान् सागरपारं गत्वा लंकायां सीताम् अपश्यत्। वानराः सागरे सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्। राम-रावण-युद्धः अभवत्। युद्धे रावणः हतः।

हिन्दी-अनुवाद – उत्तरप्रदेश में अयोध्या नगरी है। प्राचीनकाल में वहाँ राजा दशरथ राज्य करते थे। उनके चार पुत्र थे-राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम ले गये। उन दोनों ने शास्त्रविद्या विश्वामित्र से सीखी। तब जनकपुरी में चारों राजकुमारों का विवाह हुआ। राजा जनक ने अपनी बड़ी पुत्री को श्री राम को दिया। उसका नाम सीता था।

पिता की आज्ञा से राज्य को त्यागकर राम वन में गये। उनके साथ सीता और लक्ष्मण गये। ऋषियों के साथ वे वन में रहते थे। वहाँ रावण ने कपट से सीता का हरण कर लिया। सीता को खोजने के लिए राम-लक्ष्मण वन-वन घूमे। वे दोनों बालि की नगरी किष्किन्धा गये। वानरराज सुग्रीव उनके मित्र हुए। पवनपुत्र हनुमान् ने सागर पार जाकर लंका में सीता को देखा। वानरों ने समुद्र पर सेतु-निर्माण किया। राम-रावण का युद्ध हुआ। युद्ध में रावण मारा गया।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 15.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् ………… वने एक: वटवृक्षः आसीत्। तस्मिन् वृक्षे एकः ………….. आसीत्। तस्मिन् वायस-दम्पतिः ………. निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य अधस्तात् एव एकस्मिन् बिले कृष्णसर्पः आसीत्। सः तयोः ………… अपत्यानि अखादत्। एकदा काकः शृगालेन महाराज्ञा: रत्नजटितं स्वर्णहारम् अपहत्य आनयत्। मित्रेण शृगालेन परामृष्टः काकः तं ……….. सर्पस्य बिले अक्षिपत्। राजपुरुषाः हारम् ………… इतस्तत: भ्रमन्तः वृक्षस्य समीपम् आगच्छन्। सर्पस्य बिले हारं दृष्ट्वा तं चौर ……….. बिलं च खनित्वा ते सर्पम् …………..। एवं मित्रस्य सत्यपरामर्शेन सदुपायेन च वायसदम्पती स्वशावकान् अरक्षताम्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-नवजातानि, कोटरः, स्वर्णहारं, निर्जने, अन्वेष्टुम्, सुखेन, परामृष्टः, अनन्, मत्वा।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् निर्जने वने एक: वटवृक्षः आसीत्। तस्मिन् वृक्षे एकः कोटरः आसीत्। तस्मिन् वायस-दम्पती: सुखेन न्यबसताम्। तस्य वृक्षस्य अधस्तात् एव एकस्मिन् बिले कृष्णसर्पः आसीत्। सः तयोः नवजातानि अपत्यानि अखादत्। एकदा काकः शृगालेन परामृष्टः महाराज्ञा: रत्नजटितं स्वर्णहारम् अपहत्य आनयत्। मित्रेण शृगालेन परामृष्टः काकः तं स्वर्णहरं सर्पस्य बिले अक्षिपत्। राजपुरुषाः हारम् अन्वेष्टुम् इतस्ततः भ्रमन्तः वृक्षस्य समीपम् आगच्छन्। सर्पस्य बिले हारं दृष्ट्वा तं चौरं मत्वा बिलं च खनित्वा ते सर्पम् अनन्। एवं मित्रस्य सत्यपरामर्शेन सदुपायेन च वायसदम्पती स्वशावकान् अरक्षताम्।

हिन्दी-अनुवाद – एक निर्जन वन में एक बरगद का पेड़ था। उस वृक्ष पर एक कोटर था। उसमें काक-दम्पति सुख से रहते थे। उस वृक्ष के नीचे ही एक बिल में काला सर्प था। वह काक दम्पति के नवजात बच्चों को खा जाता था। एक दिन कौआ गीदड़ के परामर्श से महारानी का रत्नजटित सोने का हार चुराकर लाया। मित्र गीदड़ के परामर्श से कौए ने उस हार को सर्प के बिल पर फेंक दिया। राजा के आदमी उस हार को खोजने के लिए इधर-उधर घूमते हुए वृक्ष के समीप आये। सर्प के बिल पर हार देखकर उसको चोर समझकर और बिल को खोदकर उन्होंने सर्प को मार दिया। इस प्रकार मित्र की सच्ची सलाह से और सही उपाय से काक-दम्पति ने अपने शावकों की रक्षा की।

(ब) चित्रवर्णनम्

चित्र वर्णन में कोई भी सामान्य चित्र देकर उसका वर्णन करने के लिए कहा जाता है। यह वर्णन मञ्जूषा शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से करना होता है। इस तरह के प्रश्नों का उत्तर लिखते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  1. वर्णन में भूमिका अथवा उपसंहार नहीं देना चाहिए।
  2. चित्र में दिये गये विषय पर ही वर्णन करना चाहिए।
  3. विषय का आरम्भ शीघ्र करना चाहिए।
  4. वाक्यों में परस्पर सम्बन्ध होना चाहिए।
  5. भाषा-शैली सरल, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए।

आपके अभ्यासार्थ हमने ‘चित्रवर्णनम्’ से सम्बन्धित कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर (हिन्दी अनुवाद सहित) यहाँ दिये हैं –

प्रश्न: 1.
इदं चित्रं पश्य। चित्रम् आधृत्य शब्द-सूच्या:/मञ्जूषायाः सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(इस चित्र को देखो। चित्र को आधार बनाकर शब्द-सूची/मञ्जूषा की सहायता से पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 1
[शब्दसूची/मञ्जूषा-अयम्, विद्यालयः, सुन्दरः, समीपे, वृक्षाः, कक्षाः, गच्छामि, मित्रेण सह, प्रतिदिनं]
उत्तरम् :
1. अयं मम विद्यालयः अस्ति। (यह मेरा विद्यालय है।)
2. मम विद्यालयः सुन्दरः अस्ति। (मेरा विद्यालय सुन्दर है।)
3. विद्यालयः मम गृहस्य समीपे अस्ति। (विद्यालय मेरे घर के पास है।)
4. विद्यालयं परितः बहवः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय के चारों और बहुत से पेड़ हैं।)
5. विद्यालये पञ्चविंशतिः (25) कक्षा: सन्ति, अहं प्रतिदिनं मित्रेण सह विद्यालयं गच्छामि।
(विद्यालय में 25 कक्षायें हैं, मैं प्रतिदिन मित्र के साथ विद्यालय जाता हूँ।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 2.
चित्रम् आधृत्य अधः प्रदत्तशब्दसूच्या:/मञ्जूषायाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई मञ्जुषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 2
[शब्दसूची/मञ्जूषा – इद, गृहम्, सर्वतः, पुष्पाणि, वृक्षेषु, मन्दिरं, प्रात:काले, पूजा, वयं कुर्मः]
उत्तरम् :
1. इदं मम गृहम् अस्ति। (यह मेरा घर है।)
2. गृहं सर्वतः सुन्दरवृक्षाः सन्ति। (घर के चारों ओर सुन्दर पेड़ है।)
3. वृक्षेषु बहूनि पुष्पाणि भवन्ति। (पेड़ों पर बहुत से फूल हैं।)
4. मम गृहे मन्दिरम् अस्ति। ( मेरे घर में मन्दिर है।)
5. वयं प्रात:काले तत्र पूजां कुर्मः। (हम सुबह वहाँ पूजा करते हैं।)

प्रश्न: 3.
अधः प्रदत्तं चित्रम् आधृत्व मञ्जूषायां शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मंजूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से संस्कृत के पाँच वाक्य उत्तर पुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 3
[शब्दसूची/मञ्जूषा- कृषकः, क्षेत्रेषु, वृषभाभ्यां, हलं, कर्षति, बीजेभ्यः, कर्तति, अन्नदाता, उद्भवन्ति, शस्यानि]
उत्तरम् :
1. कृषकः क्षेत्रेषु वृषभाभ्यां हलं कर्षति। (किसान खेतों में दो बैलों से हल चलाता है।)
2. स: क्षेत्रेषु बीजानि वपति। (वह खेतों में बीजों को बोता है।)
3. बीजेभ्यः शस्यानि उद्भवन्ति। (बीजों से फसल उत्पन्न होती है।)
4. यदा शस्यानि पक्वन्ति तदा कृषक: तानि कर्तति। (जब फसल पकती है तब किसान उन्हें काटता
5. कृषक: ‘अन्नदाता’ कथ्यते। (किसान ‘अन्नदाता’ कहा जाता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 4.
चित्रम् आधृत्य अध: प्रदत्त शब्द-सूच्या/मञ्जूषायाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई शब्द-सूची/मञ्जूषा की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 4
[शब्दसूची/मञ्जूषा-वर्षाकाले, वृक्षः, भवति, शुद्ध, अस्माकं , वृक्षारोपणं, पर्यावरणं, मित्राणि, कर्तव्यम्, रक्षणम्।]
उत्तरम् :
1. वृक्षाः अस्माकं मित्राणि सन्ति। (पेड़ हमारे मित्र है।)
2. वृक्षः पर्यावरणं शुद्धं भवति। (पेड़ों से पर्यावरण शुद्ध होता है।)
3. वृक्षैः भूमेः रक्षणं भवति। (पेड़ों से भूमि की रक्षा होती है।)
4. वृक्षारोपणम् अस्माक कर्तव्यम्। (पेड़ उगाना हमारा कर्तव्य है।)
5. प्रतिवर्ष वर्षाकाले जनाः वृक्षारोपणं कुर्वन्ति। (प्रत्येक वर्ष वर्षा के समय में लोग पेड़ उगाते हैं।)

प्रश्नः 5.
अधः प्रदत्तं चित्रं दृष्ट्वा उत्तरपुस्तिकायां मञ्जूषायाः/शब्द-सूच्या: सहायतया पञ्चवाक्यानि लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर उत्तरपुस्तिका में मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 5
[शब्दसूची/मञ्जूषा-क्रीडाक्षेत्रम्, बालकाः, कन्दुकेन, अत्र, प्रतिदिनम्, कोड़ार्थम्, आगच्छन्ति, त्रयः, पश्यामः, अतिप्रसन्नाः] उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयम् एकं क्रीडाक्षेत्रं पश्यामः। (इस चित्र में हम एक खेल का मैदान देखते हैं।)
2. अन त्रयः बालका: कन्दुकेन क्रीडन्ति। (यहाँ तीन लड़के गेंद से खेल रहे हैं।)
3. क्रीडाक्षेत्रे प्रतिदिनं बालकाः क्रीडार्थम् आगच्छन्ति। (खेल के मैदान में प्रतिदिन लड़के खेलने के लिए आते हैं।)
4. बालकाः अत्र क्रीडित्वा अतिप्रसन्नाः भवन्ति। (लड़के यहाँ खेलकर अत्यधिक खुश होते हैं।)
5. क्रीडाक्षेत्रं परितः अनेकाः वृक्षाः सन्ति। (खेल के मैदान के चारों ओर बहुत से पेड़ हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 6.
इदं चित्रं पश्यतु। चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायाः/शब्द-सूच्या: सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(इस चित्र को देखो। चित्र के आधार पर दी गई मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में – लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 6
[मञ्जूषा/शब्दसूची-जनाः, परस्परं, फाल्गुनमासस्य, गायन्ति, नृत्यन्ति च, गलेन मिलन्ति, रक्तपीतादिवर्णैः, मिष्ठान्नं, द्वेष, विस्मृत्य]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे होलिकोत्सवः आयोज्यते। (इस चित्र में होली का त्योहार मनाया जा रहा है।)
2. इदं महापर्व फाल्गुनमासस्य पौर्णमास्यां भवति। (यह महान् त्योहार फाल्गन के महीने की पूर्णिमा में होता
3. अस्मिन् दिने जनाः रक्तपीतादिवर्णैः क्रीडन्ति, गायन्ति, नृत्यन्ति च। (इस दिन लोग लाल-पीले आदि रंगों से खेलते हैं, गाते हैं और नाचते हैं।)
4. अस्मिन् दिने गृहे-गृहे मिष्ठान्नं पच्यते। (इस दिन घर-घर में मिठाई बनती है।)
5. जनाः परस्परं द्वेषं विस्मृत्य गलेन मिलन्ति। (लोग आपस में ईर्ष्या को भुलाकर गले से मिलते हैं।)

प्रश्न: 7.
अधः दत्तं चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषा/शब्दसूच्याः सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर, दी गयी मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य उत्तर पुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 7
[मञ्जूषा/शब्दसूची-कार्यालयं, मोहनः, ग्रामात्, आगच्छति, यतः, पादपाः, ग्रामे, बसयानं, परिवारजनैः, रेणुपूर्णः, वातावरणम्]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे मोहनः कार्यालयं गच्छति। (इस चित्र में मोहन कार्यालय जा रहा है।)
2. स: ग्रामात् आगच्छति, तत्र सः परिवारजनैः सह निवसति। (वह गाँव से आता है, वहाँ बह
परिवार के लोगों के साथ रहता है।)
3. अस्मिन् ग्रामे बसयानं न चलति यतः अयं मार्ग: रेणुपूर्णः अस्ति। (इस गाँव में बस-गाड़ी नहीं चलती है क्योंकि यह रास्ता धूल से भरा हुआ है।)
4. मार्गे बहवः पादपाः सन्ति। (रास्ता में बहुत से पेड़ हैं।)
5. ग्रामस्य वातावरणं शुद्धं भवति। (गाँव का वातावरण शुद्ध होता है।)

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प्रश्न: 8.
अधः प्रदत्त चित्रस्य वर्णनं मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां लिखितपदानां प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्येषु संस्कृतेन कुरु –
(नीचे दिये गये चित्र का वर्णन मञ्जूषा/शब्दसूची में लिखित पदों का प्रयोग करके पाँच वाक्यों में संस्कृत में करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 8
[मञ्जूषा/शब्दसूची-द्वे बालिके, नृत्यशाला, नृत्यतः, पश्यामः, ते, प्रतिदिनम्, आगच्छतः, गृहात्, कुरुतः, शिक्षिका]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयं नृत्यशाला पश्यामः। (इस चित्र में हम नाच-घर को देख रहे हैं।)
2. अत्र द्वे बालिके नृत्यतः। (यहाँ दो लड़कियाँ नाच रही हैं।)
3. शिक्षिका ते नृत्यं शिक्षयति। (अध्यापिका उन दोनों को नाच सिखा रही है।)
4. ते प्रतिदिनं गृहात् आगच्छतः नृत्यस्य अभ्यासं च कुरुतः। (वे दोनों प्रतिदिन घर से आती हैं और नृत्य का अभ्यास करती हैं।)
5. ते नृत्यं कुरुतः। (वे दोनों नाच रही हैं।)

प्रश्न: 9.
चित्रम् आधृत्य अधः प्रदत्त शब्दसूच्याः/मञ्जूषाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 9
[मञ्जूषा/शब्दसूची-सरस्वती, हस्ते, धारयति, कमलासने, सूर्योदयसमये, अस्माकं, सरोवरे, राष्ट्रियपुष्पं, विष्णुः, विकसति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन चित्रे कमलपष्यम् अस्ति। (इस चित्र में कमल का फूल है।)
2. कमलम् अस्माकं राष्ट्रियपुष्पम् अस्ति। (कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है।)
3. सूर्योदयसमये सरोवरे कमलं विकसति। (सूर्योदय के समय में तालाब में कमल खिलता है।)
4. माता सरस्वती कमलासने तिष्ठति। (माँ सरस्वती कमल के आसन पर विराजती है।)
5. भगवान् विष्णुः कमल हस्ते धारयति। (भगवान् विष्णु कमल को हाथ में धारण करते हैं।)

प्रश्न: 10.
अध: प्रदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्त शब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 10
[मञ्जूषा/शब्दसूची-कुम्भकारः, घट, शीतलं, मृत्तिका, नामात्, विक्रेतुम्, नगरम्, गच्छति, आनयति, वनात् सुन्न।]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे एक: कुम्भकारः अस्ति। (इस चित्र में एक कुम्हार है।)
2. सः घटम् अन्यानि पात्राणि च रचयति। (वह घड़ा और बर्तनों को बना रहा है।)
3. घटे जलं शीतलं भवति। (घड़े में पानी ठंडा रहता है।)
4. कुम्भकार : वनात् मृत्तिकाम् आनयति। (कुम्हार जंगल से मिट्टी लाता है।)
5. सः घटं विक्रेतुं ग्रामात् नगरं गच्छति। (वह घड़ा बेचने को गाँव से शहर जाता है।)

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प्रश्न: 11.
अधोदतं चित्रं पश्यत। मञ्जूषा/शब्द-सूच्या सहायतया चित्रम् आधृत्य संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखो। मञ्जूषा/शब्दसूची की सहायता से चित्र के आधार पर संस्कृत के पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 11
[मञ्जूषा/शब्दसूची-जलाशयः, तरन्ति, मनोरमम्, दृश्य, वर्तिकाः रमणीयः, बहवः वृक्षा पर्वतः, शीतलवायुः]
उत्तरम् :
1. एतस्मिन् चित्रे एक: जलाशयः रमणीय: पर्वतः च स्तः। (इस चित्र में एक तालाब और सुन्दर पर्वत है।)
2. जलाशये वर्तिकाः तरन्ति। (तालाब में बतखें तैर रही हैं।)
3. जलाशयस्य तटे बहवः वृक्षाः सन्ति। (तालाब के किनारे पर बहुत से पेड़ हैं।)
4. अत्र शीतलवायुः प्रवहति। (यहाँ ठंडी हवा चल रही है।)
5. जलाशयस्य दृश्यं मनोरमम् अस्ति। (तालाब का दृश्य मन को हरने वाला है।)

प्रश्न: 12.
अधः दत्तं चित्रम् दृष्ट्वा उत्तरपुस्तिकायां मञ्जूषा/शब्द-सूच्यां सहायतया पञ्चवाक्यानि लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर उत्तरपुस्तिका में मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 12
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शिक्षिका, श्यामपट्ट, शाटिका, व्यक्तित्वम्, वयं, सर्वे, कुर्मः, पाठयति, सम्मान, अस्मान्।]
उत्तरम् :
1. इयम् अस्माकं शिक्षिका अस्ति। (यह हमारी अध्यापिका है।)
2. सा शाटिकां धारयति। (वह साड़ी पहने हुयी है।)
3. सा अस्मान् श्यामपट्ट-सहायतया पाठयति। (वह हमको श्यामपट्ट की सहायता से पढ़ा रही है।)
4. तस्याः व्यक्तित्वम् आकर्षकम् अस्ति। (उसका व्यक्तित्व आकर्षक है।)
5. वयं सर्वे छात्रा: तस्याः सम्मानं कुर्मः। (हम सभी विद्यार्थी उसका आदर करते हैं।)

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प्रश्न: 13.
अधः प्रदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 13
[मञ्जूषा/शब्दसूची – चित्रकारी, नारी, प्रकृतिचित्रणं, कुरुतः, वार्तालापं, चित्रयति, अपरं, परस्परं, तूलिकया]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे द्वौ चित्रकारौ स्तः। (इस चित्र में दो चित्रकार हैं।)
2. अत्र एक: चित्रकार: नारी चित्रयति अपरः च प्रकृतिचित्रणं करोति। (यहाँ एक चित्रकार स्त्री का
चित्र बना रहा है और दूसरा प्रकृति का चित्र बना रहा है।)
3. तौ परस्परं वार्तालापं कुरुतः। (वे दोनों आपस में बात-चीत कर रहे हैं।)
4. तौ तलिकया चित्रं पुरयतः। (वे दोनों तूलिका (ब्रश) से चित्र पूरा बना रहे हैं।)
5. तयो: चित्रणं सुन्दरम् अस्ति। (उन दोनों का चित्रण सुन्दर है।)

प्रश्न: 14.
अधः प्रदत्त चित्रस्य वर्णनं मञ्जूषायां लिखितपदानां प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्यैः क्रियताम् –
(नीचे दिये गये चित्र का वर्णन मञ्जूषा (शब्दसूची) में लिखित शब्दों का प्रयोग करके पाँच वाक्यों द्वारा करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 14
[मञ्जूषा/शब्दसूची-माता, पुत्रः, पृच्छति, भोजनकक्षे, अद्य, मोदकम्, यच्छति, मह्यम्, उपस्थिता, रोचते]
उत्तरम् :
1. माता पुत्रेण सह भोजनकक्षे उपस्थिता। (माँ पुत्र के साथ भोजन-कक्ष में उपस्थित है।)
2. सा पुत्राय भोजनं यच्छति। (बह पुत्र के लिये खाना दे रही है।)
3. पुत्र: जननी पृच्छति-अद्य किं पचसि? (पुत्र माँ से पूछता है-आज क्या बना रही हो?)
4. जननी कथयति-अद्य मिष्ठान्नम् पचामि। (माँ कहती है-आज मिठाई बना रही हूँ।)
5. पुत्र: जननी कथयति-महयं मोदकं रोचते। (पुत्र माँ से कहता है-मुझे लड्डू अच्छा लगता है।)

प्रश्न: 15.
पञ्चसु संस्कृतवाक्येषु मञ्जूषायां/शब्दसूच्या प्रदत्तानां पदसहायतया अधः दत्तस्य चित्रस्य वर्णनं कुरुत-
(पाँच संस्कृत वाक्यों में मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये हुए शब्दों की सहायता से नीचे दिये गये चित्र का वर्णन करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 15
[मञ्जूषा/शब्दसूची-महापर्व, मिष्ठान्नम्, लक्ष्मीपूजनम्, अमावस्यायां, स्फोटक पदार्थान्, प्रज्ज्वालयति, गृहं, अलङ्कुर्वन्ति]
उत्तरम् :
1. इदं चित्रं हिन्दूनां महापर्व दीपावल्याः अस्ति। (यह चित्र हिन्दुओं के महान् त्योहार दीपावली का है।)
2. इदं पर्व कार्तिकमासस्य अमावस्यायां भवति। (यह त्योहार कार्तिक महीने की अमावस्या को होता है।)
3. अस्मिन् दिवसे जनाः स्वगृहाणि अलङ्कुर्वन्ति, दीपकान् प्रज्ज्वालयन्ति लक्ष्मीपूजनं च कुन्ति।
(इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, दीपकों को जलाते हैं और लक्ष्मी का पूजन करते हैं।)
4. सर्वे जनाः परस्परं मिष्ठान्न वितरन्ति। (सभी लोग आपस में मिठाई बाँटते हैं।)
5. अस्मिन चित्रे एका महिला स्वगृहे दीपान प्रज्ज्वालयति एक: बालक:च स्फोटकपदार्थान विस्फोटयति।
(इस चित्र में एक औरत अपने घर में दीपकों को जला रही है और एक बालक पराखे चला रहा है)

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प्रश्न: 16.
पञ्चसंस्कृतवाक्येषु मञ्जूषायां प्रदत्तानां पदानां सहायतया चित्रस्य वर्णनं कुरुत –
(पाँच संस्कृत के वाक्यों में मञ्जूषा (शब्दसूची) में दिये शब्दों की सहायता से चित्र का वर्णन करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 16
[मञ्जूषा/शब्दसूची-अतिविस्तृतः, धर्माणां, भारतवर्षे , षड्ऋतवः, उत्सवाः, पृथक्-पृथक्, आयोज्यन्ते, अस्माकम्]
उत्तरम् :
1. भारतबर्षम् अस्माकं देशः अस्ति। (भारत हमारा देश है।)
2. अयं देश: अतिविस्तृतः अस्ति। (यह देश अत्यधिक फैला हुआ है।)
3. अत्र षड्ऋतवः भवन्ति। (यहाँ छ: ऋतुएँ होती है।)
4. भारतवर्षे पृथक-पृथक धर्माणां जनाः निवसन्ति। (भारत में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं।)
5. अत्र बहवः उत्सवाः आयोज्यन्ते। (यहाँ बहुत से त्योहार मनाये जाते हैं।)

प्रश्न: 17.
चित्रं दृष्ट्वा दत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रस्य वर्णनं पञ्चसंस्कृतवाक्येषु कुरुत –
(चित्र को देखकर दिये गये शब्दों की सहायता से चित्र का वर्णन पाँच संस्कृत वाक्यों में करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 17
[मञ्जूषा/शब्दसूची-गृहस्य, दूरदर्शनम्, साधारण:. आसन्दिकायां, कुरुतः, वार्तालापं, स्वमित्रेण, आयाति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे मोहन: स्वमित्रेण सह दूरदर्शनं पश्यति। (इस चित्र में मोहन अपने मित्र के साथ दूरदर्शन (टी. वी.) देख रहा है।)
2. दूरदर्शने कश्चित् समाचार: आयाति। (दूरदर्शन में कोई समाचार आ रहा है।)
3. तौ आसन्दिकायां तिष्ठतः। (वे दोनों कुर्सी पर बैठे हुए हैं।)
4. गृहस्य अयं कक्ष: साधारणः अस्ति। (घर का यह साधारण कमरा है)
5. तो दूरदर्शने आगतस्य समाचारस्य विषये वार्तालापं कुरुतः। (वे दोनों दूरदर्शन में आये समाचार के बारे में बात-चीत कर रहे हैं।)

प्रश्न: 18.
इदं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायाः/शब्दसूच्याः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्च-संस्कृतवाक्यानि लिखत (इस चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच संस्कृत-वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 18
[मञ्जूषा/शब्दसूची-रमा, पोलिकाः, पाकशालायां, पचति, सूप-ओदनं, स्वपरिवारेण, कृत्वा, तृप्तं, स्थिता, जनाः]
उत्तरम् :
1. इयं रमा अस्ति। (यह रमा है।)
2. सा पाकशालायां स्थिता। (वह रसोईघर में स्थित है।)
3. सा पोलिकाः सूप-ओदनं च पचति। (वह झोल और भात बना रही है।)
4. सा प्रतिदिनं स्वपरिवारेण सह भोजनं करोति। (वह प्रतिदिन अपने परिवार के साथ खाना खाती है।)
5. सर्वेः जनाः भोजनं कृत्वा तृप्तं भवन्ति। (सब लोग भोजन करके सन्तुष्ट हो जाते हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 19.
अधोदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषाया:/शब्दसूच्या: सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि सस्कृतभाषाया लिखत-नाचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पांच वाक्य संस्कृत भाषा में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 19
[मञ्जूषा/शब्दसूची – कञ्चुकं, सीव्यति, पादयाम, निपुणा, वस्त्राणि, सूचिकया, क्रीणन्ति, निर्मितानि]
उत्तरम् :
1. इयम् उमा अस्ति। (यह उमा है।)
2. सा सूचिकया वस्त्राणि सीव्यति। (वह सूई से (मशीन से) कपड़ों को सी रही है।)
3. सा कञ्चुकं पादयामं च सीव्यति। (वह कुर्ता और पाजामा सी रही है।)
4. सा स्वकार्ये निपुणा अस्ति। (वह अपने काम में होशियार है।)
5. जनाः तया निर्मितानि वस्त्राणि कीणन्ति। (लोग उसके द्वारा बने वस्त्रों को खरीदते हैं।)

प्रश्न: 20.
अध: दत्तं चित्रम् आधृत्य शब्दसूच्याः सहायतया पञ्च संस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत (नीचे दिये गये चित्र के आधार पर शब्द-सूची की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 20
[मञ्जूषा/शब्दसूची-आकाशे, खगान्, वृक्षे, निवसन्ति, नीडेषु, विचरन्ति, स्वनिर्मितेषु, सायंकाले, शोभते, स्वनीडान्।]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयं खगान् पश्यामः। (इस चित्र में हम चिड़ियों को देख रहे हैं।)
2. ते वृक्षे स्वनिर्मितेषु नीडेषु निवसन्ति। (वे पेड़ पर घोंसलों में रहती हैं।)
3. अस्मिन् चित्रे खगा: आकाशे विचरन्ति। (इस चित्र में चिड़ियाँ आकाश में उड़ रही हैं।)
4. सायंकाले ते सर्वे स्वनीडान् गच्छन्ति। (सन्ध्या के समय वे सब अपने घोंसलों को चली जाती हैं।)
5. खग: आकाशः शोभते। (पक्षियों से आकाश शोभित हो रहा है।)

प्रश्न: 21.
अधोदत्तं चित्रं पश्यत। मजषायाः/शब्दसच्याः सहायतया चित्रम् आधुत्य संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(नीचे दिये गये चित्र को देखो। मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से चित्र के आधार पर संस्कृत में पाँच बाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 21
[मञ्जूषा/शब्दसूची-वृष्टिजलेन, विद्यालयात्, आर्द्रः, मयूराः, मधुरगीतं, मेघाः, कोकिलः, वर्षाकाले, गायति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वृष्टिः भवति। (इस चित्र में वर्षा हो रही है।)
2. स: बालक: विद्यालयात् गृहं गच्छति। (वह बालक विद्यालय से घर जा रहा है।) 3. स: वृष्टिजलेन आईः भवति। (वह वर्षा के पानी से भीग रहा है।)
4. आकाशे मेघाः गर्जन्ति तान् च दृष्ट्वा मयूराः नृत्यन्ति। (आकाश में बादल गरजते हैं। उनको देखकर मोर नाच रहे हैं।)
5. वर्षाकाले कोकिल: मधुरंगीतं गायति। (वर्षा के समय में कोयल मीठा गाना गाती है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 22.
अधः प्रदत्त चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो।)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 22
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शिक्षकः, बालकाः, श्यामपट्टे, आदरं, छात्रान्, त्रयः, पाठयति, कुर्वन्ति, शिक्षकस्य, कक्षायाम्।]
उत्तरम् :
1. इयं एक कक्षा कक्षः अस्ति। (यह एक कक्षा कक्ष है।)
2. कक्षायां त्रयः बालकाः पठन्ति। (कक्षा में तीन लड़के पढ़ रहे हैं।)
3. शिक्षकः तान् छात्रान् पाठयति। (अध्यापक उन विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं।)
4. स: श्यामपट्टे लिखति। (बह श्यामपट्ट पर लिख रहे हैं।)
5. सर्वे छात्रा: शिक्षकस्य आदरं कुर्वन्ति। (सब विद्यार्थी अध्यापक जी का सम्मान करते हैं।)

प्रश्न: 23.
अधः मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया ‘ग्राम्य जीवनम्’ इति विषयम् अधिकृत्य पञ्चवाक्येषु संस्कृतेन एकम् अनुच्छेदं लिखत-(नीचे मञ्जूषा/शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से ‘ग्राम्य जीवनम्’ विषय पर संस्कृत में पाँच वाक्यों का एक अनुच्छेद लिखो।)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 23
[मञ्जूषा/शब्दसूची- ग्रामीणाः, शुद्धं, स्वास्थ्यप्रदं, निश्छलं, ग्रामप्रधानः, जलवायुः, वस्तूनि, अतिसरलम्, लभन्ते]
उत्तरम् :
1. भारतवर्षम् ग्रामप्रधान: देशः अस्ति। (भारतवर्ष ग्राम प्रधान देश है।)
2. ये जनाः नामेषु निवसन्ति, ते ग्रामीणाः कथ्यन्ते। (जो लोग गाँव में रहते हैं, उन्हें ग्रामीण कहते हैं।)
3. ग्रामीणानां जीवनं निश्छलम् अतिसरलञ्च भवति। (ग्रामीणों का जीवन निश्छल और अति सरल होता है।)
4. अत्र जलवायुः शुद्धं स्वास्थ्यप्रदं च भवति। (यहाँ जलवायु शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद होती है।)
5. अत: ते सदैव स्वास्थ्यप्रदानि वस्तूनि लभन्ते। (अत: वे सदैव स्वास्थ्यप्रद वस्तुएँ प्राप्त करते हैं।)

प्रश्न: 24.
‘वृक्षाणां महत्त्वम्’ इति विषयम् अधिकृत्य मञ्जूषाया/शब्दसूच्याः पदानि चित्त्वा पञ्चवाक्यानि संस्कृतभाषायां लिखत –
(‘वृक्षों का महत्त्व’ इस विषय पर मञ्जूषा /शब्द-सूची से शब्दों को चुनकर पाँच बाक्य संस्कृत भाषा में लिखो-)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 24
[मञ्जूषा/शब्दसूची-पर्यावरणं, प्रयच्छन्ति, काष्ठानि, आघातं, गृहीत्वा, विमुञ्चन्ति, प्रसन्नाः, अस्मभ्यम्, औषधिम्।]
उत्तरम् :
1. वृक्षा: पर्यावरणं शुद्धं कुर्वन्ति। (वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।)
2. वृक्षः वयं फलानि औषधिं च प्राप्नुमः। (वृक्षों से हम फल और औषधि प्राप्त करते हैं।)
3. देवदारुनिम्बादिवृक्षाः अस्मभ्यं काष्ठानि प्रयच्छन्ति ! (देवदारु, नीम आदि के वृक्ष हमें लकड़ी देते हैं।)
4. वृक्षाः परोपकाराय फलन्ति, आघातं सहन्ते तथापि प्रसन्नाः भवन्ति। (वृक्ष परोपकार के लिए फलते हैं, आघात सहते हैं फिर भी प्रसन्न होते हैं।)
5. वृक्षाः दूषितवायु गृहीत्वा शुद्धप्राणवायुं विमुञ्चन्ति। (वृक्ष दूषित वायु ग्रहण करके शुद्ध ऑक्सीजन छोड़ते हैं।)

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प्रश्न: 25.
‘धेनुः’ इति विषयम् अधिकृत्य मञ्जूषायां प्रदत्तपदानां सहायतया पञ्चवाक्यानि संस्कृतेन लिखत –
(‘धेनु:’ विषय पर मञ्जूषा में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच वाक्य संस्कृत में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 25
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शास्त्रेषु, नवनीतम्, गोमयेन, दधि, क्षेत्रस्य, भूमि:, घृतं, पोषयति, निदानं]
उत्तरम् :
1. धेनुः अस्मभ्यम् अति उपयोगी पशुः अस्ति। (गाय हमारे लिए अति उपयोगी पशु है।)
2. अस्याः महत्त्व शास्त्रेषु अपि वर्णितम्। (इसका महत्त्व शास्त्रों में भी वर्णित है।)
3. यथा माता बालकान् पालयति तथैव धेनुरपि स्वदुग्धेन अस्मान् पोषयति। (जैसे माता अपने बालक का पालन करती है वैसे ही गाय अपने दूध से हमारा पोषण करती है।)
4. अस्याः दुग्धेन दधि, घृतं नवनीतं च प्राप्यन्ते। (इसके दूध से दही, घी और मक्खन प्राप्त होता है।)
5. अस्याः गोमयेन क्षेत्रस्य भूमिः उर्वरा भवति, गोमूत्रेण च नानाविध-रोगाणां निदानं क्रियते। (इसके गोबर से खेत की भूमि उपजाऊ होती है और गोमूत्र से अनेक रोगों का निदान किया जाता है।)

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JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना अनुवाद-प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय कर्ता, कर्म, क्रिया तथा अन्य शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष या वचन में हो, उसी के अनुरूप पुरुष, वचन तथा काल के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना चाहिए। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए –

1. कारक:

संज्ञा और सर्वनाम के वे रूप जो वाक्य में आये अन्य शब्दों के साथ उनके सम्बन्ध को बताते हैं, ‘कारक’ कहलाते हैं। मुख्य रूप से कारक छः प्रकार के होते हैं, किन्तु ‘सम्बन्ध’ और ‘सम्बोधन’ सहित ये आठ प्रकार के होते हैं। संस्कृत में इन्हें ‘विभक्ति’ भी कहते हैं। इन विभक्तियों के चिह्न प्रकार हैं –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 1

नोट – जिस शब्द के आगे जो चिह्न लगा हो, उसके अनुसार विभक्ति का प्रयोग करते हैं। जैसे राम ने यहाँ पर राम के आगे ‘ने’ चिह्न है। अतः राम शब्द में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग करते हुए ‘रामः’ लिखा जायेगा। ‘रावण को’ यहाँ पर रावण के आगे ‘को’ यह द्वितीया विभक्ति का चिह्न है। अतः ‘रावण’ शब्द में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग करके ‘रावणम्’ लिखा जायेगा।

‘बाण के द्वारा’ यहाँ पर बाण शब्द के बाद ‘के द्वारा यह तृतीया का चिह्न लगा है। अतः ‘बाणेन’ का प्रयोग किया जायेगा। इसी प्रकार अन्य विभक्तियों के प्रयोग के विषय में समझना चाहिए।

यह बात विशेष ध्यान रखने की है कि जिस पुरुष तथा वचन का कर्ता होगा, उसी पुरुष तथा वचन की क्रिया भी प्रयोग की जायेगी। जैसे –
‘पठमि’ इस वाक्य में कर्ता, ‘अहम्’ उत्तम पुरुष तथा एकवचन है तो क्रिया भी उत्तम पुरुष, एकवचन की है। अतः ‘पठामि’ का प्रयोग किया गया है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

2. पुरुष

पुरुष तीन होते हैं, जो निम्न हैं –
(अ) प्रथम पुरुष – जिस व्यक्ति के विषय में बात की जाय, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। इसे अन्य पुरुष भी कहते हैं। जैसे – सः = वह। तौ = वे दोनों। ते = वे सब। रामः = राम। बालकः = बालक। कः = कौन। भवान् = आप (पुं.)। भवती = आप (स्त्री.)।
(ब) मध्यम पुरुष – जिस व्यक्ति से बात की जाती है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे
अहम् = मैं। आवाम् = हम दोनों। वयम् = हम सब।

3. वचन।

संस्कत में तीन वचन माने गये हैं –
(अ) एकवचन जो केवल एक व्यक्ति अथवा एक वस्तु का बोध कराये, उसे एकवचन कहते हैं। एकवचन के कर्ता के साथ एकवचन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है। जैसे – ‘ अहं गच्छामि’ इस वाक्य में एकवचन कर्ता, ‘अहम्’ तथा एकवचन की क्रिया ‘गच्छामि’ का प्रयोग किया गया है।

(ब) द्विवचन – दो व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है। जैसे ‘आवाम’ तथा क्रिया ‘पठावः’ दोनों ही द्विवचन में प्रयुक्त हैं।।

(स) बहुवचन – तीन या तीन से अधिक व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिये बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। जैसे-‘वयम् पठामः’ इस वाक्य में अनेक का बोध होता है। अतः कर्ता ‘वयम्’ तथा क्रिया ‘पठामः’ दोनों ही बहुवचन में प्रयुक्त हैं।

4. लिंग

संस्कृत में लिंग तीन होते हैं –
(अ) पुल्लिंग – जो शब्द पुरुष-जाति का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे ‘रामः काशी गच्छति’ (राम काशी जाता है) में ‘राम’ पुल्लिंग है।
(ब) स्त्रीलिंग – जो शब्द स्त्री-जाति का बोध कराये, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे गीता गृहं गच्छति’ (गीता घर जाती है।) इस वाक्य में ‘गीता’ स्त्रीलिंग है।
(स) नपुंसकलिंग – जो शब्द नपुंसकत्व (न स्त्री, न पुरुष) का बोध कराये, उसे नपुंसक-लिंग कहते हैं। जैसे धनम्, वनम्, फलम्, पुस्तकम, ज्ञानम्, दधि, मधु आदि।

5. धातु

क्रिया अपने मूल रूप में धातु कही जाती है। जैसे-गम् = जाना, हस् = हँसना। कृ – करना, पृच्छ = पूछना। ‘भ्वादयो धातवः’ सूत्र के अनुसार क्रियावाची-‘भू’, ‘गम्’, ‘पठ्’ आदि की धातु संज्ञा होती है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

6. लकार

लकार – ये क्रिया की विभिन्न अवस्थाओं तथा कालों (भूत, भविष्य, वर्तमान) का बोध कराते हैं। लकार दस हैं, इनमें पाँच प्रमुख लकारों का विवरण निम्नवत् है :
(क) लट् लकार (वर्तमान काल) – इस काल में कोई भी कार्य प्रचलित अवस्था में ही रहता है। कार्य की समाप्ति नहीं होती। वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। इस काल में वाक्य के अन्त में ‘ता है’, ‘ती है’, ‘ते हैं’ का प्रयोग होता है जैसे –

राम पुस्तक पढ़ता है। – (रामः पुस्तकं पठति।)
बालक हँसता है। – (बालकः हसति।)
हम गेंद से खेलते हैं। – (वयं कन्दुकेन क्रीडामः।)
छात्र दौड़ते हैं। – (छात्राः धावन्ति।)
गीता घर जाती है। – (गीता गृहं गच्छति।)

(ख) लङ् लकार (भूतकाल)-जिसमें कार्य की समाप्ति हो जाती है, उसे भूतकाल कहते हैं। भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
राम गाँव गया। – (रामः ग्रामम् अगच्छत् ।)
मैंने रामायण पढ़ी। – (अहम् रामायणम् अपठम्।)
मोहन वाराणसी गया। – (मोहनः वाराणीसम् अगच्छत्।)
राम राजा हुए। – (रामः राजा अभवत्।)
उसने यह कार्य किया। – (सः इदं कार्यम् अकरोत्।)।

(ग) लृट् लकार (भविष्यत् काल) – इसमें कार्य आगे आने वाले समय में होता है। इस काल के सूचक वर्ण गा, गी, गे आते हैं। जैसे –

राम आयेगा। (रामः आगमिष्यति।)
मोहन वाराणसी जायेगा। (मोहनः वाराणसीं गमिष्यति।)
वह पुस्तक पढ़ेगा। (सः पुस्तकं पठिष्यति।)
रमा जल पियेगी। (रमा जलं पास्यति।)

(घ) लोट् लकार (आज्ञार्थक) – इसमें आज्ञा या अनुमति का बोध होता है। आशीर्वाद आदि के अर्थ में भी इस लकार का प्रयोग होता है। जैसे –

वह विद्यालय जाये। (सः विद्यालयं गच्छतु।)
तुम घर जाओ। (त्वं गृहं गच्छ।)
तुम चिरंजीवी होओ। (त्वं चिरंजीवी भव।)
राम पुस्तक पढ़े। (रामः पुस्तकं पठतु।)
जल्दी आओ। (शीघ्रम् आगच्छ।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

(ङ) विधिलिङ् लकार – ‘चाहिए’ के अर्थ में इस लकार का प्रयोग किया जाता है। इससे निमन्त्रण, आमन्त्रण तथा सम्भावना आदि का भी बोध होता है। जैसे –

उसे वहाँ जाना चाहिए। (सः तत्र गच्छेत्।)
तुम्हें अपना पाठ पढ़ना चाहिए। (त्वं स्वपाठं पंठेः।)
मुझे वहाँ जाना चाहिए। (अहं तत्र गच्छेयम्।)

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय सर्वप्रथम कर्ता को खोजना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष एवं वचन का हो, उसी पुरुष एवं वचन की क्रिया भी प्रयोग करनी चाहिए।

कर्ता – कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं। जैसे-‘देवदत्तः पुस्तकं पठति’ यहाँ पर पढ़ने का काम करने वाला देवदत्त है। अतः देवदत्त कर्ता है।

कर्म – कर्ता जिस काम को करे वह कर्म है। जैसे ‘भक्तः हरिं भजति’ में भजन रूपी कार्य करने वाला भक्त है। वह हरि को भजता है। अतः हरि कर्म है।

क्रिया – जिससे किसी कार्य का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-जाना, पढ़ना, हँसना, खेलना आदि क्रियाएँ हैं।

निम्न तालिका से पुरुष एवं वचनों के 3-3 प्रकारों का ज्ञान भलीभाँति सम्भव है –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 2

इस प्रकार स्पष्ट है कि कर्ता के इन प्रारूपों के अनुसार प्रत्येक लकार में तीनों पुरुषों एवं तीनों वचनों के लिए क्रिया के भी ‘नौ’ ही रूप होते हैं। अब निम्नतालिका से कर्ता एवं क्रिया के समन्वय को समझिये –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 3

नोट – संज्ञा शब्दों को प्रथम पुरुष मानकर उनके साथ क्रियाओं का प्रयोग करना चाहिए। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा कर्ता के अनुरूप क्रिया-पदों का प्रयोग करना सीखें –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 4

नोट भवान् एवं भवती को प्रथम पुरुष मानकर इनके साथ प्रथम पुरुष की ही क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।

सर्वनामों का तीनों लिंगों में प्रयोग

संज्ञा के बदले में या संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे अहम् = मैं। त्वम् = तुम। अयम् = यह। कः = कौन। यः = जो। सा = वह। तत् = वह। सः = वह आदि। केवल ‘अपने और तुम्हारे’ बोधक ‘अस्मद् और ‘युष्मद्’ सर्वनामों का प्रयोग तीनों लिंगों में एक रूप ही रहता है, शेष का पृथक् रूप रहता है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

प्रथम पुरुष तद् सर्वनाम (वह-वे) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 5

जब कर्ता प्रथम पुरुष का हो तो क्रिया भी प्रथम पुरुष की ही प्रयोग की जाती है। जैसे –

वे सब फल हैं।
तानि फलानि सन्ति।
वह जल पीता है। – सः जलं पिबति।
वे दोनों लिखते हैं। – तौ हसतः।
वे दोनों हँसते हैं। – ते लिखन्ति।

स्त्रीलिंग प्रथम पुरुष में –

वह पढ़ती है। – सा पठति।
वे दोनों जाती हैं। – ते गच्छतः।
वे सब हँसती हैं। – ताः हसन्ति।

नपुंसकलिंग प्रथम पुरुष में –

वह घर है। – तद् गृहम् अस्ति।
वे दोनों पुस्तकें हैं। – ते पुस्तके स्तः।
वे सब फल हैं। – तानि फलानि सन्ति।

विद्यार्थी इस श्लोक को कण्ठस्थ करें :

उत्तमाः पुरुषाः ज्ञेयाः – अहम् आवाम् वयम् सदा।
मध्यमाः त्वम् युवाम् यूयम्, अन्ये तु प्रथमाः स्मृताः।।

अर्थात् अहम्, आवाम्, वयम् – उत्तम पुरुषः; त्वम्, युवाम्, यूयम् – मध्यम पुरुष; (शेष) अन्य सभी सदा प्रथम पुरुष जानने चाहिए।

उदाहरण – लट् लकार (वर्तमान काल) (गम् धातु = जाना) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

प्रथम पुरुष

1 सः गच्छति। वह जाता है।
1 तौ गच्छतः। वे दोनों जाते हैं।
1 ते गच्छन्ति। वे सब जाते हैं।

मध्यम पुरुष

1. त्वं गच्छसि। तुम जाते हो।
2. युवां गच्छथः। तुम दोनों जाते हो।
3. यूयं गच्छथ। तुम सब जाते हो।

उत्तम पुरुष

1. अहं गच्छामि मैं जाता है।
2. आवां गच्छावः। हम दोनों जाते हैं।
3. वयं गच्छामः। हम सब जाते हैं।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘प्रथम पुरुष’ के कर्ता-पद क्रमशः ‘सः, तौ, ते’ दिये गये हैं। इनके स्थान पर किसी भी संज्ञा-सर्वनाम के रूप रखे जा सकते हैं। जैसे – गोविन्दः गच्छति, बालकौ गच्छतः, मयूराः नृत्यन्ति।

अभ्यास 1

  1. आलोक दौड़ता है।
  2. गोविन्द पढ़ता है।
  3. अर्चना खेलती है।
  4. बालक दौड़ता है।
  5. सिंह आता है।
  6. वह प्रात:काल उठता है।
  7. राधा दूध पीती है।
  8. श्याम हँसता है।
  9. बन्दर फल खाता है।
  10. हाथी जाते हैं।
  11. दो बालक पढते हैं।
  12. विनोद और प्रमोद पढ़ते हैं।
  13. दो किसान जोतते हैं।
  14. दो हिरन दौड़ते हैं।
  15. दो बालक क्या करते हैं?
  16. वे विद्यालय जाते हैं।
  17. ग्रामीण हृष्ट-पुष्ट होते हैं।
  18. सब मोर क्या करते हैं?
  19. सब बकरियाँ चरती हैं।
  20. ये सब फूल खिलते हैं।

उत्तर :

  1. आलोक: धावति।
  2. गोविन्दः पठति।
  3. अर्चना क्रीडति।
  4. बालकः धावति।
  5. सिंहः आगच्छति।
  6. स: प्रात:काले उत्तिष्ठति।
  7. राधा दुग्धं पिबति।
  8. श्यामः हसति।
  9. कपिः फलं खादति।
  10. करिण: गच्छन्ति।
  11. बालकौ पठतः।
  12. विनोदः प्रमोद पठतः
  13. कृषको कर्षतः।
  14. मृगौ धावतः।
  15. बालकौ किं कुरुतः?
  16. ते विद्यालयं गच्छन्ति।
  17. ग्रामीणाः हृष्ट-पुष्टाः भवन्ति।
  18. सर्वे मयूराः किं कुर्वन्ति ?
  19. सर्वाः अजाः चरन्तिः।
  20. एतानि सर्वाणि पुष्पाणि विकसन्ति।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 2

  1. तुम क्या देखते हो?
  2. तुम दोनों कब खेलते हो?
  3. तुम सब क्या पढ़ते हो?
  4. क्या तुम चित्र देखते हो?
  5. तुम दोनों क्या लिखते हो?
  6. तुम सब फल खाते हो।
  7. तुम बाजार जाते हो।
  8. तुम दोनों क्यों दौड़ते हो?
  9. तुम सब पानी क्यों पीते हो?
  10. तुम क्यों हँसते हो?
  11. क्या तुम दोनों गीत गाते हो?

उत्तर :

  1. त्वं कि पश्यसि?
  2. युवां कदा क्रीडथः?
  3. ययं किं पठथ?
  4. किं त्वं चित्रं पश्यसि?
  5. यवां किं लिखथः?
  6. यूयं फलं भक्षयथ।
  7. त्वम् आपणं गच्छसि।
  8. युवां किमर्थं धावथः?
  9. यूयं जलं किमर्थं पिबथ?
  10. त्वं किमर्थं हससि?
  11. किं युवां गीतं गायथः?
  12. यूयं कुत्र वसथ?

अभ्यास 3

  1. मैं फल खाता हूँ।
  2. हम दोनों बाजार जाते हैं।
  3. हम सब गीत गाते हैं।
  4. मैं कार्य करता हूँ।
  5. हम दोनों खेलते हैं।
  6. हम सब खेल के मैदान में खेलते हैं।
  7. मैं एक चित्र देखता हूँ।
  8. हम दोनों विद्यालय जाते हैं।
  9. हम सब दूध पीते हैं।
  10. मैं घर में पढ़ता हूँ।

उत्तर :

  1. अहं फलं भक्षयामि।
  2. आवाम आपणं गच्छावः।
  3. वयं गीतं गायामः।
  4. अहं कार्यं करोमि।
  5. आवां क्रीडावः।
  6. वयं क्रीडाक्षेत्रे क्रीडामः।
  7. अहम् एकं चित्रं पश्यामि।
  8. आवां विद्यालयं गच्छावः।
  9. वयं दुग्धं पिबामः।
  10. अहं गृहे पठामि।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 4

  1. आलोक कक्षा में पढ़ता है।
  2. वह बैठता है।
  3. तुम मैदान में खेलते हो।
  4. विनोद मेरा मित्र है।
  5. यही धर्म है।
  6. मैं पुल बनाता हूँ।
  7. देवता यहाँ जन्म लेना चाहते हैं।
  8. भाई उपहार देता है।
  9. कृष्ण सहायात करते हैं।
  10. हाथी मतवाला है।

उत्तर :

  1. आलोक: कक्षायां पठति।
  2. सः उपविशति।
  3. त्वं क्षेत्रे क्रीडसि।
  4. विनोदः मम मित्रम् अस्ति।
  5. एषः एव धर्मः अस्ति।
  6. अहं सेतुनिर्माणं करोमि।
  7. देवाः अत्र जन्म इच्छन्ति।
  8. भ्राता उपहारं यच्छति।
  9. कृष्ण: सहायता करोति।
  10. करी मत्तः अस्ति।

उदाहरण – लङ् लकार (भूतकाल) में (पठ् धातु = पढ़ना) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 6

अभ्यास 5

  1. ब्राह्मण गाँव को आया।
  2. तपोदत्त ब्राह्मण था।
  3. लड़की ने पुस्तक पढ़ी।
  4. वे दोनों कहाँ गये?
  5. वे सब कब दौड़े?
  6. हरि ने पानी पिया।
  7. वे दोनों विद्यालय गये।
  8. मैं वहाँ दौड़ा।
  9. छात्रों ने चित्र देखा।
  10. उसने पत्र लिखा।
  11. वह अपने घर गया।
  12. हम सबने पाठ पढ़ा।

उत्तर :

  1. विप्रः ग्रामम् आगछत्।
  2. तपोदत्तः विप्रः आसीत्।
  3. बालिका पुस्तकम् अपठत्।
  4. तौ कुत्र अगच्छताम्?
  5. ते कदा अधावन्?
  6. हरिः जलम् अपिबत्।
  7. तौ विद्यालयम् अगच्छताम्
  8. अहं तत्र अधावम्।
  9. छात्राः चित्रम् अपश्यन्।
  10. सः पत्रम् अलिखत्।
  11. सः स्वगृहम् अगच्छत्।
  12. वयं पाठम् अपठाम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 6

  1. ब्राह्मण कौन था?
  2. इन्द्र ने क्या किया?
  3. तपोदत्त ने तप किया।
  4. उसने नदी में स्नान किया।
  5. बालक भयभीत हो गये।
  6. अर्जुन ने कृष्ण से कहा।
  7. नल द्यूत में हार गया।
  8. दमयन्ती वन गयी।
  9. हाथी अन्धा हो गया।
  10. मेरा मित्र उपस्थित था।

उत्तर :

  1. ब्राह्मणः कः आसीत् ?
  2. इन्द्रः किम् अकरोत् ?
  3. तपोदत्तः तपः अकरोत्।
  4. सः नद्यां स्नानम् अकरोत्।
  5. बालकाः भयभीताः अभवन्।
  6. अर्जुनः कृष्णम् अकथय।
  7. नलः द्यूते पराजितः अभवत्।
  8. दमयन्ती वनम् अगच्छत्।
  9. करी अन्धः अभवत्।
  10. मम मित्रम् उपस्थितम् आसीत्।

नोट – लट् लकार की क्रिया में ‘स्म’ लगाकर लङ्लकार (भूतकाल) में अनुवाद किया जा सकता है। जैसे –
1. वन में सिंह रहता था।
2. बालक खेल रहा था। वने सिंहः निवसति स्म।
बालकः क्रीडति स्म।

उदाहरण – लट् लकार (भविष्यत् काल) (लिख धात् = लिखना) का प्रयोग

प्रथम पुरुष

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 7

अभ्यास 7

  1. लेखराज पढ़ेगा।
  2. हरीमोहन शाम को लिखेगा।
  3. लड़कियाँ खेलेंगी।
  4. मैं बाजार जाऊँगा।
  5. हम दोनों दूध पियेंगे।
  6. तुम यहाँ क्या करोगे?
  7. तुम दोनों चित्र देखोगे।
  8. तुम सब क्या खाओगे?
  9. मोर नृत्य करेगा।
  10. हम दोनों खेत को जायेंगे।
  11. किसान खेत जोतेगा।
  12. बालक खेल के मैदान खेलेंगे।

उत्तर :

  1. लेखरामः पठिष्यति।
  2. हरीमोहनः सायंकाले लेखिष्यति।
  3. बलिकाः क्रीडिष्यति।
  4. अहम् आपणं गमिष्यामि।
  5. आवां दुग्धं पास्यावः।
  6. त्वम् यत्र किं करियसि?
  7. युवा चित्रं द्रक्ष्यथः
  8. यूयं किं भक्षयिष्यथ?
  9. मयूरः नृत्यं करिष्यति।
  10. आवां क्षेत्रं गमिष्यावः।
  11. कृषकः क्षेत्र कमंति।
  12. बालकाः क्रीडाक्षेत्रे क्रीडिष्यन्ति।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 8

  1. तुम सुख अनुभव करोगे।
  2. वे दोनों गाँव में रहेंगे।
  3. वह कक्षा में प्रथम आयेगा।
  4. वह कहाँ जायेगी।
  5. मैं ब्रज की रक्षा करूँगा।
  6. मैं मित्र से मिलूँगा।
  7. मैं फिर नहीं आऊँगा।
  8. मैं प्रयत्न करूँगा।
  9. मैं गुणों को कहूँगा।
  10. वे सभी सुखी होंगे।

उत्तर :

  1. त्वं सुखम् अनुभविष्यसि।
  2. तौ ग्रामे वसिष्यतः।
  3. सः कक्षायां प्रथमः आगमिष्यति।
  4. सा कुत्र गमिष्यति?
  5. अहं व्रजं रक्षिष्यामि।
  6. अहं मित्रेण मेलिष्यामि।
  7. अहं पुनः न आगमिष्यामि।
  8. अहं प्रयत्न करिष्यामि।
  9. अहं गुणान् कथपिष्यामि।
  10. ते सर्वे सुखिनः भविष्यन्ति।

उदाहरण – लोट् लकार (आज्ञार्थक) (कथ् धातु = कहना)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 8

अभ्यास 9

  1. सुशीला जाये।
  2. विद्यार्थी खेलें।
  3. ईश्वर रक्षा करे।
  4. तुम युद्ध करो।
  5. लड़कियाँ नाचें।
  6. क्या हम जायें?
  7. इस समय छात्र पढ़ें।
  8. नौकर जायें।
  9. लड़के दौड़ें।
  10. क्या मैं जाऊँ ?
  11. क्या हम सब खेलें?
  12. वे सब न हँसे।
  13. अब तुम खेलो।
  14. तुम दोनों पढ़ो।

उत्तर :

  1. सुशीला गच्छतु।
  2. छात्राः क्रीडन्तु।
  3. ईश्वरः रक्षतु।
  4. त्वं युद्धं कुरु।
  5. बालिकाः नृत्यं कुर्वन्तु।
  6. किं वयं गच्छाम?
  7. इदानी छात्राः पठन्तु।
  8. सेवकाः गच्छन्तु।
  9. बालकाः धावन्तु।
  10. किम् अहं गच्छानि?
  11. किं वयं क्रीडाम?
  12. ते न हसन्तु।
  13. इदानीं त्वं क्रीड।
  14. युवां पठतम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 10

  1. तुम दोनों मत हँसो।
  2. तुम सब दौड़ो।
  3. नर्तकियों नाचें।
  4. तुम मत हँसो।
  5. तुम यहाँ आओ।
  6. वहाँ मत जाओ।
  7. दौड़ो मत।
  8. मत हँसो।
  9. आओ, नाचो।
  10. पाठ पढ़ो।
  11. अब खेलो मत, पढ़ो।
  12. सबात्र पढ़ें।
  13. तुम वहाँ जाओ।
  14. दो छात्र दौड़ें।

उत्तर :

  1. युवां मा हसतम्।
  2. यूयं धावत।
  3. नर्तक्यः नृत्यन्तु।
  4. त्वं मा हस।
  5. त्वम् अत्र आगच्छ।
  6. तत्र मा गच्छ।
  7. मा धाव।
  8. मा हस।
  9. आगच्छ, नृत्यं कुरु।
  10. पाठं पठ।
  11. अधुना मा क्रीड, पठ।
  12. सर्वे छात्राः पठन्तु।
  13. त्वं तत्र गच्छ।
  14. छात्रौ धावताम्।

अभ्यास 11

  1. जलपान कीजिये।
  2. अब देश की रक्षा करो।
  3. आप स्वयम्वर में जायें।
  4. जुआ नहीं खेलो।
  5. रक्षाबन्धन उत्सव कब हो?
  6. बिना ज्ञा प्रवेश न करो।
  7. स्वामिभक्त बनो।
  8. कक्षा में झगड़ा मत करो।
  9. ब्रज की रक्षा करो।
  10. स्वच्छ जल पियो।

उत्तर :

  1. जलपानं कुरु।
  2. अधुना देशस्य रक्षां कुरु।
  3. भवान् स्वयंवरे गच्छतु।
  4. द्यूतं मा क्रीड।
  5. रक्षाबन्धनोत्सवः कदा भवतु?
  6. आज्ञां बिना मा प्रविश।
  7. स्वामिभक्तः भव।
  8. कक्षायां कलहं मा कुरु।
  9. व्रजस्य रक्षां कुरु।
  10. स्वच्छं जलं पिब।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

उदाहरण – विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक-चाहिए के अर्थ में)
स्था (तिष्ठ) = ठहरना का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 9

नोट – विधिलिङ् लकार में कर्ता में कर्म कारक जैसा चिह्न लगा रहता है। जैसे – उसे, उन दोनों को, तुमको आदि। किन्तु ये कार्य के करने वाले (कर्ता) हैं। अत: इनमें प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक) का ही प्रयोग किया जाता है।

अभ्यास 12

  1. उसे पढ़ना चाहिए।
  2. तुम्हें सत्य बोलना चाहिए।
  3. राजेश को खेलना चाहिए।
  4. उसे लज्जा नहीं करनी चाहिए।
  5. तुमको खाना चाहिए।
  6. उसे देश की रक्षा करनी चाहिए।
  7. तुमको चित्र देखना चाहिए।
  8. छात्रों को पढ़ना चाहिए।
  9. मुझे पत्र लिखना चाहिए।
  10. विमला को हँसना चाहिए।
  11. हम दोनों को गाना चाहिए।
  12. तुम्हें जाना चाहिए।

उत्तर :

  1. सः पठेत्।
  2. त्वं सत्यं वदेः।
  3. राजेश क्रीडेत्
  4. सः लज्जा न कुर्यात्।
  5. त्वं भक्षयः।
  6. सः देशस्य रक्षां कुर्यात्।
  7. त्वं चित्रं पश्येः
  8. छात्राः पठेयुः।
  9. अहं पत्रं लिखेयम्।
  10. विमला हसेत्।
  11. आवां गायेव।
  12. त्वं गच्छेः।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 13

  1. हमें देश की रक्षा करनी चाहिए।
  2. उसे घर जाना चाहिए।
  3. उसे सदैव सत्य बोलना चाहिए।
  4. उसे हरिजनों का उद्धार करना चाहिए।
  5. छात्रों को हमेशा खेलना चाहिए।
  6. विद्वान् की पूजा करनी चाहिए।
  7. तुम्हें कक्षा में पढ़ना चाहिए।
  8. तुम्हें डरना नहीं चाहिए।
  9. मुझे कलह नहीं करनी चाहिए।
  10. हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।

उत्तर :

  1. वयं देशस्य रक्षां कुर्याम्।
  2. सः गृहं गच्छेत्।
  3. सः सदैव सत्यं वदेत्।
  4. सः हरिजनानाम् उद्धार कुर्यात्।
  5. छात्राः सदैव क्रीडेयुः।
  6. प्राज्ञस्य पूजां कुर्यात्।
  7. त्वं कक्षायां पठेः।
  8. त्वं भयं न कुर्याः।
  9. अहं कलहं न कुर्याम्।
  10. वयं असत्यं न वदेम।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Classification Of Numbers:
→ Natural numbers: The numbers used for counting are called natural numbers. So, the number 1 and any other number obtained by adding 1 to it repeatedly. Hence 1, 2, 3 … represent natural numbers. Set of natural numbers is denoted by N.

→ Whole numbers: Natural numbers along with 0 are termed as whole numbers. So, the smallest whole number is 0. The set of whole numbers is represented by W.

→ Integers: All positive and negative whole numbers that do not include any fractional or decimal parts are called integers. The set of integers is expressed as Z = {……-3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, ……}, where Z is the symbol used to denote the set of integers.

→ Rational numbers: These are numbers which can be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q ≠ 0. e.g. 2/3, 37/15, -17/19. The set of rational numbers is represented by the symbol Q.

  • All natural numbers, whole numbers and integers are rational numbers.
  • Rational numbers include all Integers (without any decimal part to it), terminating decimals (e.g. 0.75, -0.02 etc.) and also non-terminating but recurring decimals (e.g. 0.666…, -2.333…… etc.)
  • All fractions are rational numbers but every rational number is not a fraction, Since both numerator and denominator are always positive in a fraction but a rational number can have both numerator and denominator as negative.

Fractions:
→ Common fraction: A common fraction is a fraction in which numerator and denominator are both integers, eg, \(\frac{2}{5}\), \(\frac{1}{2}\) etc.
→ Decimal fraction: Fractions whose denominator is 10 or any power of 10.
→ Proper fraction: It is a fraction whose numerator is smaller than its denominator eg. \(\frac{3}{5}\).
→ Improper fraction: It is a fraction whose numerator is greater than its denominator eg. \(\frac{5}{3}\).
→ Mixed fraction: A combination of a proper fraction and a whole number is called mixed fraction eg. 3\(\frac{2}{7}\) etc. Improper fraction can be written in the form of mixed fractions.
→ Compound fraction: A fraction in which the numerator or the denominator or both contain one or more fractions eg \(\frac{2 / 3}{5 / 7}\).

→ Irrational numbers. These are numbers which cannot be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q≠0. These are non-recurring as well as non-terminating type of decimal numbers eg \(\sqrt{2}\), π, 0.202002000…… etc.

→ Real numbers: Numbers which can represent actual physical quantities in a meaningful way are known as real numbers. These can be represented on the number line Number line is geometrical straight line with arbitrarily defined zero (origin). The set of real number is denoted by the symbol R.

→ Prime numbers: All natural numbers that have one and themselves only as their factors are called prime numbers le prime numbers are divisible by 1 and themselves only e.g. 2 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23….etc.

→ Composite numbers: All natural numbers, which has three or more different factors are called composite numbers. E.g. 4, 6, 8, 9, 10, 12,… etc.

  • 1 is neither prime nor composite.

→ Co-prime numbers: If the H.C.F. of the given numbers (not necessarily prime) is 1 then they are known as co-prime numbers. e.g. 4, 9 are Co-prime as H.C.F of (4, 9) = 1.

  • Any two consecutive integer numbers will always be co-prime.

→ Even numbers: All integers which are divisible by 2 are called even numbers. Even numbers are denoted by the expression 2n, where n is any integer. e.g ….., 4, -2, 0, 2, 4…..

→ Odd numbers: All integers which are not divisible by 2 are called odd numbers. Odd numbers are denoted by the general expression 2n – 1 or 2n + 1, where is any integer. e.g. ……,-5, -3, -1, 1, 3, 5,….

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Identification Of Prime Number:
Step 1: Find approximate square root of given number.
Step 2: Divide the given number by prime numbers less than approximate square root of number. If given number is not divisible by any of these prime numbers then the number is prime otherwise not.

Example:
571, is it prime?
Solution:
Approximate square foot of 571 = 24.
Prime number < 24 are 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19 and 23. But 571 is not divisible by any of these prime numbers, so 571 is a prime number.

Example:
Is 1 prime or composite number?
Solution:
1 is neither a prime nor a composite number.

Representation For Rational Number On A Real Number Line:
Divide 0 to 1 into 7 equal parts on real number line.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 1
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 2
Note:

  • In a positive rational number, if numerator is smaller than its denominator then it lies between 0 and 1 on the number line.
  • In a negative rational number if absolute value of numerator less than its denominator then it lies between -1 and 0.

Decimal Number (Terminating):
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 3
Here, A represents 2.65 on the number line.

Example:
Visualize the representation of \(5.3 \overline{7}\) on the number line upto 5 decimal places. i.e. 5.37777.
Solution:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 4
Here, B represents 5.7777 on the number line upto 5 places of decimal.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Rational Number In Decimal Representation:
→ Terminating Decimal:
In this, a finite number of digits occurs after decimal point i.e. 0.5, 0.6875, 0.15 etc.
→ Non-Terminating and Repeating (Recurring) Decimal:
In this a set of digits or a digit is repeated continuously
Ex. \(\frac{2}{3}\) = 0.6666… = \(0 . \overline{6}\)
Ex. \(\frac{1}{2}\) = 0.454545… = \(0 . \overline{45}\).

Properties Of Rational Numbers:
Let a, b, c be three rational numbers.

  • Commutative property of addition: a + b = b + a
  • Associative property of addition: (a + b) + c = a + (b + c)
  • Additive identity: a + 0 = a is called an identity element of a.
  • Additive inverse a + (-a) = 0, 0 is identity element, -a is called additive inverse of a.
  • Commutative property of multiplications: a.b = b.a
  • Associative property of multiplication: (a × b) × c = a × (b × c)
  • Multiplicative Identity: 2 × 1 = 2, 1 is called multiplicative identity of a.
  • Multiplicative inverse: (a) × (\(\frac{1}{a}\)) = 1. 1 is called multiplicative identity and \(\frac{1}{a}\) is called multiplicative inverse of a or reciprocal of a.
  • Distributive property: a × (b + c) = a × b + a × c

Example:
Prove that \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is an irrational number.
Solution:
Let, \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) = r where r, be a rational number.
Squaring both sides,
(\(\sqrt{3}-\sqrt{2}\))2 = r2
⇒ 3 + 2 – 2\(\sqrt{6}\) = r2
⇒ 5 – 2\(\sqrt{6}\) = r2
⇒ \(\frac{5-r^2}{2}\) = \(\sqrt{6}\)
Here, \(\sqrt{6}\) is an irrational number but \(\frac{5-r^2}{2}\) is a rational number
∴ LH.S. ≠ R.H.S.
Hence, it contradicts our assumption that \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is a rational number.
Therefore, \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is an irrational number.

Irrational Numbers:
These are real numbers which cannot be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q ≠ 0.
→ Irrational Number in Decimal Form:
\(\sqrt{2}\) = 1.414213..ie. it is non-recurring as well as non-terminating
\(\sqrt{3}\) = 1.732050807….. i.e. It is non-recurring as well as non-terminating.

Example:
Insert an irrational number between 2 and 3.
Solution:
\(\sqrt{2 \times 3}=\sqrt{6}\) is an irrational number between 2 and 3.

→ Irrational Numbers on a Number Line:
Example:
Plot \(\sqrt{2}\), \(\sqrt{3}\), \(\sqrt{5}\), \(\sqrt{6}\) on the same number line.
Solution:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 5

→ Properties of Irrational Numbers:

  • Negative of an irrational number is an irrational number eg. \(\sqrt{3}\) and –\(\sqrt{3}\) are irrational numbers.
  • Sum and difference of a rational and an irrational number is always an irrational number.
  • Sum and difference of two irrational numbers is either rational or irrational number.
  • Product of a rational number with an irrational number is either rational or irrational number.
  • Product of an irrational with an irrational is not always irrational.

Ex. Two numbers are 2 and \(\sqrt{3}\). then Sum = 2 + \(\sqrt{3}\), is an irrational number Difference = 2 – \(\sqrt{3}\) is an irrational number
Also \(\sqrt{3}\) – 2 is an irrational number.

Ex. Two numbers are 4 and \(\sqrt[3]{3}\), then Sum = 4 + \(\sqrt[3]{3}\), is an irrational number. Difference = 4 – \(\sqrt[3]{3}\), is an irrational number.

Ex. Two irrational numbers are 13, –\(\sqrt{3}\), then
Sum = \(\sqrt{3}\) + (-\(\sqrt{3}\)) = 0, which is rational.
Difference = \(\sqrt{3}\) – (-\(\sqrt{3}\)) = 2\(\sqrt{3}\), which is irrational.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Geometrical Representation Of Irrational Numbers On The Number Line
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 6
To represent \(\sqrt{2}\) on number line we follow the following steps:
Step I: Draw a number line and mark the centre point as zero.
Step II: Mark right side of the zero as (1) and the left side as (-1).
Step III: We won’t be considering (-1) for our purpose.
Step IV: With same length as between 0 and 1, draw a line perpendicular to point (1), such that new line has a length of 1 unit.
Step V: Now join the point (0) and the end of new line of unit length.
Step VI: A right angled triangle is constructed.
Step VII: Now let us name the triangle as ABC such that AB is the beight (perpendicular), BC is the base of triangle and AC is the hypotenuse of the right angled triangle ABC.
Step VIII: Now length of hypotenuse, i.e., AC can be found by applying pythagoras theorem to the right triangle ABC.
AC2 = AB2 + BC2
⇒ AC2 = 12 + 12
⇒ AC2 = 2
⇒ AC = \(\sqrt{2}\)
Step IX: Now with AC as radius and C as the centre cut an arc on the same number line and name the point as D.
Step X: Since AC is the radius of the arc and hence, CD will also be the radius of the arc whose length is \(\sqrt{2}\).
Step XI: Hence, D is the representation of \(\sqrt{2}\) on the number line.

Surds:
Any irrational number of the form \(\sqrt[n]{a}\) is given a special name surd, where is called radicand it should always be a positive rational number. Also the symbol \(\sqrt[n]{ }\) is called the radical sign and the index n is called order of the surd.
\(\sqrt[n]{a}\) is read as ‘nth root d’ and can also be written as an \(\mathrm{a}^{\frac{1}{n}}\)

→ Some Identical Surds:

  • \(\sqrt[3]{4}\) is a surd as radicand is a rational number.
    Similar examples \(\sqrt[3]{5}, \sqrt[4]{12}, \sqrt[5]{7}, \sqrt{12} . .\)
  • 2 + 2\(\sqrt{3}\) is a surd (as rational + surd number will give a surd)
    Similar examples: \(\sqrt{3}+1, \sqrt[3]{3}+1, \ldots\)
  • \(\sqrt{7-4 \sqrt{3}}\) is a surd as 7-4\(\sqrt{3}\) is a perfect square of (2 – \(\sqrt{3}\)).
    Similar examples: \(\sqrt{7+4 \sqrt{3}}, \sqrt{9-4 \sqrt{5}}, \sqrt{9+4 \sqrt{5}}, \ldots\)
  • \(\sqrt[3]{\sqrt{3}}\) is a surd as \(\sqrt[3]{\sqrt{3}}=\left(3^{\frac{1}{2}}\right)^{\frac{1}{3}}\)
    = \(3^{\frac{1}{6}}=\sqrt[6]{3}\)
    Similar examples : \(15 \sqrt{6}-\sqrt{216}+\sqrt{96}\)

→ Some Expressions are not Surds:

  • \(\sqrt[3]{8}\) is not a surd because \(\sqrt[3]{8}=\sqrt[3]{2^3}\) = 2. which is a rational number.
  • \(\sqrt{2+\sqrt{3}}\) is not a surd because 2 + \(\sqrt{3}\) is not a perfect square.
  • \(\sqrt[3]{1+\sqrt{3}}\) is not a surd because radicand is an irrational number.

Laws Of Surds:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 7
[Important for changing order of surds]
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 8

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Operation Of Surds:
→ Addition and Subtraction of Surds: Addition and subtraction of surds are possible only when order and radicand are same i.e. only for surds.
Example: Simplify
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 9
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 10

→ Multiplication and Division of Surds:
Example:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 11
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 12

→ Comparison of Surds: It is clear that if x > y > 0 and n > 1 is a positive integer then \(\sqrt[n]{x}>\sqrt[n]{y}\).
Example:
Which is greater in each of the following:
(i) \(\sqrt[3]{6} \text { and } \sqrt[5]{8}\)
(ii) \(\sqrt{\frac{1}{2}} \text { and } \sqrt[3]{\frac{1}{3}}\)
Solution:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 13

Exponents Of Real Number:
→ Positive Integral Power: For any real number a and a positive integer ‘n’ we define: an = a × a × a × … × a (n times).
an is called nth power of a. The real number ‘a’ is called the base and ‘n’ is called power of a.
e.g. 23 = 2 × 2 × 2 = 8
Note: For any non-zero real number ‘a’ we define a0 = 1.
e.g, thus 30 = 1, 50 = 1, \(\left(\frac{3}{4}\right)^0\) = 1 and so on.

→ Negative Integral Power: For any non-zero real number ‘a’ and a positive integer ‘n’ we define \(a^{-\mathrm{n}}=\frac{1}{a^n}\).

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Rational Exponents Of A Real Number:
→ Principal nth Root of a Positive Real Number: If ‘a’ is a positive real number and ‘n’ is a positive integer, then the principal nth root of a is the unique positive real number x such that xn = a.
The principal root of a positive real number a1/n denoted by \(\sqrt[n]{a}\).

→ Principal nth Root of a Negative Real Number: If ‘a’ is a negative real number and ‘n’ is an odd positive integer, then the principal nth root of a is define as \(-|\mathrm{a}|^{1 / \mathrm{n}}\) i.e. the principal nth root of -a is negative of the principal nth root of |a|.

Remark: If ‘a’ is negative real number and ‘n’ is an even positive integer, then the principal nth root of a is not defined, because an even power of real number is always positive. Therefore, (-9)1/2 is a meaningless quantity, if we confine ourselves to the set of real numbers only.

→ Rational Power (Exponents): For any positive real number ‘a’ and a rational number \(\frac{p}{q}\) where q ≠ 0, p, q ∈ Z. We define ap/q = (ap)1/q i.e. ap/qis the principal qth root of ap.

Laws Of Rational Exponents:
The following laws hold for the rational exponents
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 14
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 15
where a, b are positive real numbers and m, n are rational numbers.