JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran शब्द और पद में अंतर Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran शब्द और पद में अंतर

  • शब्द भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है।
  • शब्द को व्याकरण के नियमों के अनुसार किसी वाक्य में प्रयोग करने पर वह पद बन जाता है।
  • एक से अधिक पद जुड़कर एक ही व्याकरणिक इकाई का काम करने पर पदबंध कहलाते हैं।
  • शब्द का वर्गीकरण

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर 1

प्रश्न 1.
शब्द किसे कहते हैं ?
उत्तर :
शब्द वर्गों के मेल से बनाइ गई भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है। जैसे-राम, रावण, मारना।

प्रश्न 2.
शब्द का प्रत्यक्ष रूप किसे कहते हैं?
उत्तर :
भाषा में जब शब्द कर्ता में बिना परसर्ग के आता है तो वह अपने मूल रूप में आता है। इसे शब्द का प्रत्यक्ष रूप कहते हैं। जैसे-वह, लड़का, मैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

प्रश्न 3.
कोशीय शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शब्द का अर्थ शब्दकोश से प्राप्त हो जाए उसे कोशीय शब्द कहते हैं। जैसे-मनुष्य, घोड़ा।

प्रश्न 4.
व्याकरणिक शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
व्याकरणिक शब्द उस शब्द को कहते हैं जो व्याकरणिक कार्य करता है। जैसे-‘मुझसे आजकल विद्यालय नहीं जाया जाता।’ इस वाक्य में जाता शब्द व्याकरणिक शब्द है।

प्रश्न 5.
पद किसे कहते हैं ?
अथवा
शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्या कहलाता है ?
उत्तर :
जब किसी शब्द को व्याकरण के नियमों के अनुसार किसी वाक्य में प्रयोग किया जाता है तब वह पद बन जाता है। जैसे-राम, रावण, मारा शब्द है। इनमें विभक्तियों, परसर्ग, प्रत्यय आदि को जोड़ कर पद बन जाता है। जैसे-राम ने रावण को मारः।

प्रश्न 6.
पद के कितने और कौन-कौन से भेद हैं?
उत्तर :
पद के पाँच भेद संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय हैं।

प्रश्न 7.
शब्द और पद में क्या अंतर है?
उत्तर :
शब्द भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है और वाक्य के बाहर रहता है, परंतु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयोग किया जाता है तो इसे पद कहते हैं। जैसे-‘लड़का, मैदान, खेलना’ शब्द हैं। इन शब्दों से यह वाक्य बनाने पर-‘लड़के मैदान में खेलते हैं’-ये पद बन जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

प्रश्न 8.
पदबंध किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदबंध का शाब्दिक अर्थ है-पदों में बँधा हुआ। जब एक से अधिक पद मिलकर एक इकाई के रूप में व्याकरणिक कार्य करते हैं तो वे पदबंध कहलाते हैं। जैसे चिडिया सोने के पिंजरे में बंद है। इस वाक्य में सोने का पिंजरा पदबंध है। पदबंध वाक्यांश मात्र होते हैं, काव्य नहीं। पदबंध में एक से अधिक पदों का योग होता है और ये पद आपस में जुड़े होते हैं।

प्रश्न 9.
शब्द के सभी भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शब्द और शब्दावली वर्गीकरण निम्नलिखित दृष्टियों से किया जा सकता है –
(क) अर्थ की दृष्टि से वर्गीकरण –
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित चार भेद किए जाते हैं –
(i) एकार्थी – जिन शब्दों का प्रयोग केवल एक अर्थ में ही होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं। जैसे
पुस्तक, पेड़, घर, घोड़ा, पत्थर आदि।
(ii) अनेकार्थी – जो शब्द एक से अधिक अर्थ बताने में समर्थ हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इन शब्दों का प्रयोग जिस संदर्भ में किया जाएगा,
ये उसी के अनुसार अर्थ देंगे। जैसे –
काल – समय, मृत्यु।
अर्क – सूर्य, आक का पौधा।
(iii) पर्यायवाची या समानार्थी – जिन शब्दों के अर्थों में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहते हैं।
जैसे – कमल-जलज, नीरज, अंबुज, सरोज।
आदमी – नर, मनुष्य, मानव।
(iv) विपरीतार्थी – विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले शब्दों को विपरीतार्थी अथवा विलोम शब्द कहते हैं। जैसे
आशा-निराशा
अँधेरा – उजाला हँसना-रोना
गुण – दोष

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(ख) इतिहास की दृष्टि से वर्गीकरण –

इतिहास की दृष्टि से शब्दों के पाँच भेद हैं –
(i) तत्सम – तत्सम शब्द का अर्थ है – तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात् उसके समान जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों के समान ही हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम कहते हैं। इनका प्रयोग हिंदी में भी उसी रूप में किया जाता है, जिस रूप में संस्कृत में किया जाता है। जैसे –
नेत्र, जल, पवन, सूर्य, आत्मा, माता, भवन, नयन, आशा, सर्प, पुत्र, हास, कार्य, यदि आदि।

(ii) तद्भव – तद्भव शब्द का अर्थ है तत् (उससे) + भव (पैदा हुआ) जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों से बिगड़ कर हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तद्भव कहते हैं, जैसे-दुध से दुग्ध, घोटक से घोड़ा, आम्र से आम, अंधे से अंधा, कर्म से काम, माता से माँ, सर्प से साँप, सप्त से सात, रत्न से रतन, भक्त से भगत।

(iii) देशज – देशज का अर्थ होता है देश + ज अर्थात् देश में जन्मा। लोकभाषाओं से आए हुए शब्द देशज कहलाते हैं। कदाचित् ये शब्द बोलचाल से बने हैं।
जैसे – पेड़, खिड़की, अटकल, तेंदुआ, लोटा, डिबिया, जूता, खोट, फुनगी आदि।

(iv) विदेशज – जो शब्द विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, उन्हें विदेशज कहते हैं।
अंग्रेज़ी – डॉक्टर, नर्स, स्टेशन, प्लेटफ़ॉर्म, पेंसिल, बटन, फ़ीस, मोटर, कॉलेज, ट्रेन, ट्रक, कार, बस, स्कूटर, फ्रीज आदि।
फ़ारसी – दुकान, ईमान, ज़हर, किशमिश, उम्मीद, फ़र्श, जहाज, कागज, ज़मींदार, बीमार, सब्जी, दीवार आदि।
अरबी – कीमत, फ़ैसला, कायदा, तरफ़, नहर, कसरत, नशा, वकील, वज़न, कानून, तकदीर, खराब, कत्ल, फौज़, नज़र, खत आदि।
तुर्की – तगमा, तोप, लाश, चाकू, उर्दू, कैंची, बेग़म, गलीचा, बावर्ची, बहादुर, चम्मच, कैंची, कुली, कुरता आदि।
पुर्तगाली – तंबाकू, पेड़ा, गिरिजा, कमीज, तौलिया, बालटी, मेज़, कमरा, अलमारी, संतरा, साबुन, चाबी, आलपीन, कप्तान आदि।
फ्रांसीसी – कारतूस, कूपन, अंग्रेज़।

(v) संकर-दो भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से बने शब्द संकर शब्द कहलाते हैं।
यथा – जाँचकर्ता-जाँच (हिंदी) कर्ता (संस्कृत)
सज़ाप्राप्त – सज़ा (फ़ारसी) प्राप्त (संस्कृत)
रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेज़ी) गाड़ी (हिंदी) उद्गम के आधार पर शब्दों की एक और कोटि हिंदी शब्दावली में पाई जाती है जिसे अनुकरणात्मक या ध्वन्यात्मक कहते हैं।
यथा – हिनहिनाना, चहचहाना, खड़खड़ाना, भिनभिनाना आदि।

(ग) रचना की दृष्टि से वर्गीकरण

प्रयोग के आधार पर शब्दों के भेद तीन प्रकार के होते हैं –
(i) मूल अथवा रूढ़ शब्द – जो शब्द किसी अन्य शब्द के संयोग से नहीं बनते हैं और अपने आप में पूर्ण होते हैं उन्हें रूढ़ अथवा मूल शब्द कहते हैं। ये शब्द किसी विशेष अर्थ के लिए रूढ़ या प्रसिद्ध हो जाते हैं। इनके खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते।
जैसे – घड़ा, घोड़ा, काला, जल, कमल, कपड़ा, घास, दिन, घर, किताब, मुंह।

(ii) यौगिक – दो शब्दों के संयोग से जो सार्थक शब्द बनते हैं, उन्हें यौगिक कहते हैं। दूसरे शब्दों में यौगिक शब्द वे शब्द होते हैं जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त प्रत्यय, उपसर्ग या एक अन्य रूढ़ शब्द अवश्य होता है अर्थात ये दो अंशों को जोड़ने से बनते हैं, जिनमें एक शब्द आवश्यक रूप से रूढ़ होता है। जैसे-नमकीन-इसमें नमक रूढ़ तथा ईन प्रत्यय है।
जैसे – गतिमान, विचारवान, पाठशाला, विद्यालय, प्रधानमंत्री, गाड़ीवान, पानवाला, घुड़सवार, बैलगाड़ी, स्नानघर, अनपढ़, बदचलन ।

(iii) योगरूढ़ – दो शब्दों के योग से बनने पर भी किसी एक निश्चित अर्थ में रूढ़ हो जाने वाले शब्द योगरूढ़ कहलाते हैं।
जैसे – चारपाई, तिपाई, जलज (जल + ज = कमल), दशानन (दस + आनन = रावण), जलद (जल + द= बादल), जलधि (जल + धि = समुद्र)।

(घ) रूपांतरण की दृष्टि से शब्दों के भेद –

(i) विकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में विकार (परिवर्तन) उत्पन्न हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया-ये चार प्रकार के शब्द विकारी कहलाते हैं। इनमें लिंग, वचन एवं कारक आदि के कारण विकारी उत्पन्न हो जाता है।

(ii) अविकारी शब्द-जिन शब्दों के रूप में विकार (परिवर्तन) उत्पन्न नहीं होता और जो अपने मूल में बने रहते हैं, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्द को अव्यय भी कहा जाता है। क्रिया-विशेषण, समुच्चयबोधक, संबंधसूचक तथा विस्मयादिबोधक-ये चार प्रकार के शब्द अविकारी कहलाते हैं। क्रिया-विशेषण इधर समुच्चयबोधक और संबंधसूचक के ऊपर विस्मयादिबोधक ओह।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

(ङ) प्रयोग की दृष्टि से –

प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित दो वर्गों में किया जाता है –
(i) सामान्य शब्द – आम जन-जीवन में प्रयोग होने वाले शब्द सामान्य शब्द कहलाते हैं; जैसे-दाल, भात, खाट, लोटा, सुबह, हाथ, पाँव, घर, मैदान।
(ii) पारिभाषिक शब्द – जो शब्द ज्ञान-विज्ञान अथवा विभिन्न व्यवसायों में विशेष अर्थों में प्रयोग किए जाते हैं, पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं। इन्हें
तकनीकी शब्द भी कहते हैं. जैसे-संज्ञा. सर्वनाम, रसायन, समाजशास्त्र, अधीक्षक।

प्रश्न 10.
शब्द पद कब बन जाता है? उदाहरण देकर तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर :
शब्द को जब व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयोग करते हैं तब वह पद बन जाता है, जैसे-राम, रावण, मारा शब्द हैं। इनसे बना वाक्य-राम ने रावण को मारा। पद है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

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JAC Board Class 9th Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

प्रदत्त संकेतानुसारं अनुच्छेदलेखनम् कुरुत – (दिये गए संकेतों के अनुसार अनुच्छेद लेखन करिए-)

1. महाकविः कालिदासः
[संकेतसूची-महाकविः कालिदासः श्रेष्ठतमः कविः, सप्त-कृतयः, प्रसिद्धतमं नाटक, उपमा-प्रयोगः, वैदर्भी रीतिः, महाकाव्यद्वयं, खण्डकाव्यद्वयं, कलापक्ष:, भावपक्षः, विश्वसाहित्ये स्थानम्।]
उत्तरम् :
महाकविः कालिदासः संस्कृत-साहित्यस्य श्रेष्ठतम कविः अस्ति। तस्य स्थानं विश्वस्य उत्कृष्टेषु कविषु गण्यते। महाकवि कालिदासस्य प्रतिभा सर्वतोमुखी आसीत्। एषः महाकविः कदा कुत्र च अभवत् इत्यपि न निश्चितम्। श्रत्यानुसारेण कालिदासः महाराज्ञः विक्रमादित्यस्य नवरत्नेषु अन्यतमः आसीत्। तेन महाकाव्यद्वयं लिखितम् कुमारसम्भवम्, रघुवंशम् च। खण्डकाव्यद्वयं लिखितम्-ऋतु संहारम्, मेघदूतम् च। नाटक त्रयमपि लिखितम् मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् अभिज्ञान शाकुन्तलम् च।

उपमाप्रयोगे प्रकृतिचित्रणे च कालिदासः निपुणः अस्ति। अभिज्ञान शाकुन्तलं नाटकं कालिदासस्य सर्वश्रेष्ठः कृति अस्ति। अस्मिन् नाटके कलापक्षः भावपक्षश्च नैपुण्येन प्रस्तुतं कुर्वते। अतः अभिज्ञान शाकुन्तलं नाटकास्य विश्वसाहित्ये महत्वपूर्ण स्थानं स्वीकृतः। कालिदास्य काव्येषु वैदर्भीरीतिः प्रसादगुणश्च स्तः। कथितमपि वैदर्भीरीतिसंदर्भ कालिदासो विशिष्यते। तस्य शैली लालित्ययुक्ता परिष्कृता च अस्ति। कालिदासस्य कवितायां क्लिष्टता कृत्रिमता च न स्तः। तस्य भाषा समास रहिता अथवा अल्प समास युक्ता भवति।

(महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठतम कवि हैं। उनका स्थान विश्व के उत्कृष्ट कवियों में गिना जाता है। महाकवि कालीदास की प्रतिभा सर्वतोमुखी थी। ये महाकवि कब कहाँ हुए-यह भी निश्चित नहीं है लेकिन भारतीय जनश्रुति के अनुसार कलिदास महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में अन्यतम थे। अब कालिदास की सात कृतियाँ उपलब्ध हैं। उन्होंने दो महाकाव्य-कुमारसम्भवम् और रघुवंशम् लिखे। दो खण्डकाव्य-ऋतुसंहार और मेघदूत लिखे। तीन नाटक भी लिखे-मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् और अभिज्ञान शाकुलन्तलम्। अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक कालिदास की सर्वश्रेष्ठ कृति है।

इस नाटक में कलापक्ष तथा भावपक्ष निपुणता से प्रस्तुत हैं। अत: अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक का विश्व साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान स्वीकार किया गया है। उपमा के प्रयोग और प्रकृति के चित्रण में कालिदास निपुण हैं। कालिदास के काव्यों में वैदर्भी रीति और प्रसाद गुण हैं। कहा भी है-वैदर्भी रीति के संदर्भ में कालिदास विशिष्ट हैं। उनकी शैली लालित्ययुक्त और परिष्कृत है। कालिदास की कविता में क्लिष्टता और कृत्रिमता नहीं हैं। उनकी भाषा समासरहित अथवा अल्प समासयुक्त होती है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

2. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
[संकेतसूची – जगति, जन्मभूमिश्च, महत्वपूर्णे, सर्वे मानवाः, स्नेहं भवति, स्वजन्मभूमि, स्मरत्येव, स्वाभाविकोऽनुरागः, मातृभूमिः भारत, ‘दुर्लभं भारते जन्म’, रामकृष्णादयः, प्रकृते: मधुरतराणि।]
उत्तरम् :
एतस्मिन् जगति जननी जन्मभूमिश्च एव सर्वोत्तमे भवतः। बालकस्य कृते एते एव अतीव महत्वपूर्णे भवतः। सर्वे मानवाः जानन्त्येव यत् मातरि मातृभूमौ च यादृशं स्नेहं भवति न तादृशमन्यस्मिन् कस्मिन्नपि वस्तुनि। यत्र कुत्रापि गत्वा नानाविधानि सुखानि च लब्ध्वा अपि मानवः स्वजन्मभूमि स्मरत्येव। कथं न स्मरिष्यति, भवति हि स्वाभाविको स्नेहः तस्य। सर्वस्यापि स्वदेशे स्वाभाविकोऽनुराग: जायते। अस्माकं मातृभूमिः भारत देशोऽस्ति। देवाः अपि अत्र जन्म कांक्षन्ते। ‘दुर्लभं भारते जन्म’ इत्यपि कथयन्ति। रामकृष्णादयः परमेश्वराः अत्रैव जन्म लेभिरे। अत्र सर्वत्र प्रकृतेः मधुरतराणि दृश्यानि सन्ति।

(इस संसार में माता और मातृभूमि ही सबसे बढ़कर होती हैं। बालक के लिए ये दोनों ही अत्यधिक महत्वपूर्ण होती हैं। सभी लोग जानते हैं कि माता और मातृभूमि पर जैसा स्नेह होता है, वैसा किसी भी अन्य वस्तु पर नहीं। किसी भी स्थान पर जाकर भी अनेक प्रकार के सुख प्राप्त करके भी मनुष्य अपनी जन्मभूमि का स्मरण करता ही है। क्यों नहीं स्मरण करेगा उसका मातृभूमि पर स्वाभाविक स्नेह जो होता है। सभी का अपने देश पर स्वाभाविक अनुराग होता है। भारतवर्ष हमारी मातृभूमि है। देवता भी यहां पर जन्म की अभिलाषा रखते हैं। ‘भारतवर्ष में जन्म दुर्लभ है’ ऐसा भी कहते हैं। राम-कृष्ण आदि परमेश्वर के अवतार यहीं पर हुए थे। यहां सर्वत्र प्रकृति के मनोहर दृश्य हैं।)

3. यथादृष्टिः तथा सृष्टिः
[संकेतसूची-गुणवन्तं, अहङ्कारी, गुरुः द्रोणाचार्यः, अन्विष्य, आहूय, भ्रान्त्वा, आदिष्टवान्, आनय, मत्तः युधिष्ठिरांय, गुणहीनं।]
उत्तरम् :
एकदा गुरुः द्रोणाचार्य: दुर्योधनम् आय आदिशत्- “वत्स! नगरे सर्वाधिकं गुणवन्तं जनम् अन्विष्य आन्य।’ दुर्योधनः अहङ्कारी आसीत्। सः सर्वत्र भ्रान्त्वा आगच्छत् अवदत् च-“भगवन् ! मत्तः गुणवत्तरः कोऽपि नास्ति इति।” आचार्यः पुनः युधिष्ठिरम् आहूय आदिष्टवान्-“वत्स! नगरे सर्वाधिक गुणहीनं जनम् अन्विष्य आनय इति।” युधिष्ठिरः आगत्य अवदत्-“प्रभो! मत्तः गुणहीनः नगरे कोऽपि नास्ति।” आचार्यः युधिष्ठिराय आशिषम् अयच्छत् “प्रियपुत्र! तव कीर्तिः कदापि न नंक्ष्यति। नूनं सत्यमेव उच्यते – यथा दृष्टिः तथा सृष्टिः। (एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को बुलाकर आदेश दिया-“पुत्र! नगर में सबसे अधिक गुणवान मनुष्य को ढूँढ़कर लाओ।”दुर्योधन अहंकारी था। वह सब जगह घूमकर आया और बोला-“भगवन् ! मुझसे अधिक गुणवान् कोई नहीं है।” आचार्य ने फिर युधिष्ठिर को बुलाकर आदेश दिया-“पुत्र! नगर में सबसे अधिक गुणहीन व्यक्ति ढूँढ़कर लाओ।” युधिष्ठिर आकर बोला-“प्रभो! मुझसे अधिक गुणहीन नगर में कोई नहीं है।” आचार्य ने युधिष्ठिर को आशीर्वाद दिया – “प्रियपुत्र! तुम्हारी कीर्ति कभी भी नष्ट नहीं होगी।” निश्चित रूप से सत्य ही कहा जाता है-जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

4. अम्लानि द्राक्षाफलानि।
[सकतसची जम्बक अतिशय कः, अतिश्रान्त, अन्वेषणे, द्राक्षाफलानि, लतायाम्, विशालवृक्षे, लम्बितानि, प्रायतत् उत्प्लुत्य: द्राक्षास्तवकम्, अम्लानि, मह्यं।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् उद्याने विशालवृक्षे द्राक्षालता आरूढा आसीत्। एकः जम्बुक: भोजनस्य अन्वेषणे इतस्ततः अभ्रमत्। लतायां द्राक्षाफलानि उच्चतरे स्थाने लम्बितानि आसन्। शृगालः अनेकशः प्रायतत परञ्च सर्वं व्यर्थमेव अभवत्। पुनः पुनः उत्प्लुत्य अपि सः द्राक्षाफलानि न प्राप्नोत्। सः अतिश्रान्तः अभवत्। निराशः शृगालः द्राक्षास्तवकम् अप्राप्यं मत्वा लानि अनिन्दत्। सः अवदत्- “अम्लानि सन्ति द्राक्षाफलानि, नैतानि मह्य रोचन्ते।” इत्युक्त्वा शृगाल: वनम् अगच्छत्।

(एक बाग में एक विशाल वृक्ष पर अंगूर की बेल चढ़ी हुई थी। एक गीदड़ भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। बेल में अंगूर ऊँचे स्थान पर लटक रहे थे। गीदड़ ने अनेक बार प्रयत्न किया, परन्तु सब व्यर्थ रहा। बार-बार उछलकर भी वह अंगूर न पा सका। वह बहुत थक गया। निराश गीदड़ अंगूर के गुच्छे को अप्राप्य मानकर अंगूरों की निन्दा करने लगा। वह बोला-“अंगूर खट्टे हैं, मुझे ये अच्छे नहीं लगते।” यह कहकर गीदड़ वन में चला गया।)

5. चतुरः काकः
[सङ्केत सूची-घटम्, अन्वेषणे, पिपासितः, तत्र, अल्पम्, अपश्यत्, उपरि, उपायम्, इतस्ततः, अक्षिपत् पाषाणखण्डानि, पीत्वा।]
उत्तरम् :
एकः काकः पिपासितः आसीत्। जलस्य अन्वेषणे सः इतस्ततः अभ्रमत्। सः दूरे एकं घटम् अपश्यत्। काकः तत्र अगच्छत्। सः घटस्य उपरि अतिष्ठत् घटे च अपश्यत्। घटे अल्पम् जलम् आसीत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत् पाषाणखण्डानि च आनयत्। तानि पाषाणखण्डानि स: घटे अक्षिपत्। जलम् उपरि आगच्छत्। जलं पीत्वा सन्तुष्टः स उड्डयन् अचिन्तयत् च-“उद्यमेन हि कार्याणि सिद्धयन्ति।”

(एक कौआ प्यासा था। जल की खोज में वह इधर-उधर घूम रहा था। उसने दूर एक घड़ा देखा। कौआ वहाँ गया। वह घड़े के ऊपर बैठ गया और घड़े में देखा। घड़े में थोड़ा पानी था। उसने एक उपाय सोचा और पत्थर के टुकड़े लाया। उसने उन पत्थर के टुकड़ों को घड़े में डाला। पानी ऊपर आ गया। पानी पीकर वह सन्तुष्ट हुआ और उड़ता हुआ सोचने लगा-“परिश्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं।”)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

6. देवः सर्वत्र वर्तते
[सङ्केत सूची – एक गुरुकुलम्। तत्र एकः गुरुः। गुरुः महापण्डितः। एकः बालकः आगच्छति, वदति-‘अहं भवतः। शिष्यः भवितम इच्छामि।’ गुरुः वदति-तदर्थम एका परीक्षा अस्ति। शिष्यः वदति -भवत्। गरुः प्रच्छति-देवः कुत्र पपास। अस्ति? शिष्य वदति-देवः सर्वत्र अस्ति। सः कुत्र नास्ति इति भवान् एव वदतु’ इति। गुरुः सन्तुष्टः भवति। बालकः।। तस्य शिष्यः भवति।]
उत्तरम् :
वृक्षैः आच्छादितस्य नागपर्वतस्य सुरम्यायाम् उपत्यकायाम् एक पवित्रं सुविशाल च। गुरुकुलमस्ति श्रीउपेन्द्रसरस्वतीमहोदयः तत्र गुरुः। तस्य पाण्डित्यस्य प्रसिद्धिः सुदूरप्रदेशेषु अपि विश्रुता। आश्रमस्थितानां बालकानां योगक्षेमं चिन्तयति स्म स गुरुः। एकदा एकः बालकः श्री उपेन्द्रसरस्वतीम् आगत्य वदति-‘अहं भवतः शिष्यः भवितुम् इच्छामि।’ गुरुः सूक्ष्मदृष्ट्या आपादमस्तकं तं बालकं पश्यति वदति च-‘तदर्थम् एका परीक्षा अस्ति’। बालकः वदति-‘अहं परीक्षायै सन्नद्धो अस्मि, भवत् सा परीक्षा।’ गुरुः पृच्छति-‘देवः कुत्र अस्ति ?’ बालकः वदति-‘देवः सर्वत्र अस्ति’। “सः कुत्र नास्ति इति भवान् एव वदतु।” गुरुः उत्तरेण सन्तुष्टः भवति। सः बालकं शिष्यं स्वीकरोति। बालकः तस्य शिष्यः भवति। शिक्षाप्राप्त्यनन्तरं सः विश्रुतः न्यायाप्रियः न्यायाधीशः भवति।

(वृक्षों से ढके हुए नागपर्वत की सुरम्य उपत्यका में एक पवित्र और विशाल गुरुकुल है। श्री उपेन्द्र सरस्वती महोदय वहाँ गुरु हैं। उनके पाण्डित्य की प्रसिद्धि सुदूर प्रदेश में सुनी जाती थी। आश्रम में स्थित बालकों के योग-क्षेम को ही वे गुरुजी सोचते रहते थे। एक दिन एक बालक श्री उपेन्द्र सरस्वती के पास आकर कहता है-“मैं आपका शिष्य होना चाहता हूँ।” गुरु सूक्ष्म दृष्टि से पैरों से सिर तक बालक को देखता है और कहता है-“उसके वास्ते एक परीक्षा है।” बालक कहता है-“मैं परीक्षा के लिए तैयार हूँ। होने दो वह परीक्षा।” गुरु पूछता है-‘ईश्वर कहाँ है ?’ बालक कहता है-“ईश्वर सब जगह है। वह कहाँ नहीं है। यह बात आप ही बताएँ।” गुरुजी उत्तर से सन्तुष्ट हो जाते हैं। वे बालक को शिष्य स्वीकार कर लेते हैं। बालक उनका शिष्य हो जाता है। शिक्षा प्राप्ति के बाद वह प्रसिद्ध न्यायप्रिय न्यायाधीश होता है।)

7. सन्तोषः परमं धनम्
[सहतसूची-एक: धनिकः। अपारम् ऐश्वर्यम्। किन्तु सुख नास्ति। निर्धनस्य गृहे धनं नास्ति। प्रतिदिनं भोजनं नास्ति। नास्ता। एकदा निर्धनः सन्तोषेण गायति। धनिकः पृच्छति-धनं नास्ति भोजनं नास्ति तथापि सन्तोषः अस्ति। एतत किमर्थम्। निर्धनः वदति-“एषः वसन्तकालः सर्वत्र सौन्दर्यम्। अतः सन्तोषेण गायामि। भवान् यत् नास्ति तत् पश्यति। अतः। सर्वदा चिन्तां करोति इति।”]
उत्तरम् :
राजनगरे एक धनिकः प्रतिवसित स्म। तस्य धनिकस्य सुविशालं शोभनं गृहम् आसीत्। तस्य अपारम् ऐश्वर्यम् आसीत्। गृहे व्यापारे च कापि न्यूनता नासीत्। तथापि सः धनिकः सुखी नासीत्। सः सर्वदा चिन्तितः अभवत् तस्य व्यापारस्य उत्तरोत्तर विवर्धनाय। तस्य गृहस्य पार्वे एव एकस्य निर्धनस्य कुटीरम् आसीत्, तदपि जीर्णम् आसीत्, गृहोपकरणानि अपि न सन्ति एव। निर्धनस्य धनमपि नासीत्। प्रतिदिनं तेन भोजनमपि न लभ्यते स्म। एकदा निर्धनेन कुत्रापि भोजनं न लब्धं। गृहं प्रतिनिवृत्य सः कुटीरस्य अग्रे उपविष्टः।

प्रकृतिसौन्दर्य, पक्षिशावकान्, हरित्पर्णानि पुष्पाणि च वीक्ष्य तेन गानम् आरब्धम्। तद्गानं श्रुत्वा धनिकः अपि तत्र आयातः। किञ्चिद् विचिन्त्य सः धनिकः तं पृष्टवान्-‘किं भोजनं लब्धमद्य।’ निर्धनेन कथितम्-‘भोजनं तु न लब्धमेव। किन्तु तेन किम्, कदाचित् भोजनं न लभ्यते अपि।’ धनिकः आश्चर्यान्वितः जातः। तेन कथितम्-‘भवतः धनं नास्ति भोजनं नास्ति तथापि सन्तोषः अस्ति। मम पार्वे धनम् अस्ति। ऐश्वर्यम् अस्ति तथापि अहं सुखं न लभे। एतत् किमर्थम्? इति।’

तदा निर्धनेन उक्तम्-“महोदय! एषः वसन्तकालः, सर्वत्र सौन्दर्यम् अस्ति। अहं तत् पश्यामि गायामि च। यत् अस्ति तत् अहं पश्यामि। यद् लभ्यते तेनैव सन्तोष अनुभवामि। भवान् तु यत् नास्ति तस्य चिन्तां करोति। सर्वदा यत् न लब्धं तस्य विषये चिन्तयति, अप्राप्य च तं सदा दुःखितो भवति। यद् भवत्सन्निधे अस्ति तत् न पश्यति भवान्, इति दुःखस्य कारणम्।”

(राजनगर में एक धनवान रहता था। उस धनवान का विशाल सुन्दर घर था। उसके पास अपार ऐश्वर्य था। घर में और व्यापार में कोई भी कमी नहीं थी। फिर भी वह धनवान सुखी नहीं था। वह हमेशा चिन्तित रहता अपने उसके व्यापार को निरन्तर बढ़ाने के लिए। उसके घर के पास ही एक गरीब की कटिया थी। वह भी जीर्ण-शीर्ण उपकरण भी नहीं थे। निर्धन के घर में धन भी नहीं था।

प्रत्येक दिन उसे भोजन भी नहीं मिलता था। एक दिन निर्धन को कहीं भोजन प्राप्त नहीं हुआ। घर लौटकर वह कुटिया के आगे बैठ गया। प्रकृति की सुन्दरता पक्षियों के बच्चों, हरे पत्तों और फूलों को देखकर उसने गाना आरम्भ कर दिया। उस गाने को सुनकर धनिक भी वहाँ आ गया। कुछ सोचकर उस धनवान ने उससे पूछा-‘क्या आज भोजन मिल गया ? निर्धन ने कहा- भोजन तो प्राप्त नहीं हुआ।

लेकिन उससे क्या?। कभी भोजन नहीं भी मिलता है। धनवान आश्चर्यचकित हो गया, उसने कहा-“आपके पास धन नहीं है, भोजन नहीं है फिर भी सन्तोष है। मेरे पास में धन है, ऐश्वर्य है, फिर भी मैं सुख प्राप्त नहीं करता। ऐसा क्यों है ?”

तब निर्धन ने कहा-“महोदय! यह बसन्त काल है, सर्वत्र सौन्दर्य है। मैं उसे देखता हूँ और गाता हूँ। जो है उसे मैं देखता हूँ। जो प्राप्त हो जाता है, उसी पर सन्तोष करता हूँ। आप जो नहीं है, उसकी चिन्ता करते हैं। हमेशा जो प्राप्त नहीं हुआ है, उसके विषय में सोचते हैं। उसे न पाकर दुःखी रहते हैं। जो तुम्हारे पास है उसे नहीं देखते हैं आप। यही दुःख का कारण है।”)

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8. विचित्रा गतिः कर्मणाम्
[सङ्केतसूची-भिक्षाटनं, सम्पादयति, विश्वनाथदर्शनाय, गङ्गानदी, अपहरणभया स्थापयति, शिवलिङ्ग, स्नानात् पूर्व। तटम् आगच्छति, शिवलिङ्गान्, खेदम् अनुभवति, दैवहतकस्तत्रैष।]
उत्तरम् :
एकः भिक्षुकः आसीत्। सः गृहं गृहं गत्वा प्रतिदिनं भिक्षां याचते स्म। शनैः शनैः सः अधिकं धनं सम्पादितवान्। अधुना काशी गत्वा विश्वनाथदर्शनं कर्तव्यम् इति सः चिन्तितवान्। विश्वनाथदर्शनार्थ सः काशी गच्छति। देवदर्शनात्पूर्वं सः स्नानं कर्तुं गङ्गा नदीं गच्छति। किन्तु स्नानसमये चौरः मम धनम् अपहिरष्यति इति चिन्ता आसीत् तस्य। अनन्तरः तेन एक: उपायः चिन्तितः। गङ्गातटे सिकतायां गर्तं कृत्वा तत्र तेन धनपात्रं स्थापितम्। उपरि एक सिकतानिर्मितं शिवलिंगम् अभिज्ञानाय स्थापितं च। तस्य विचार आसीत् अनेन मम धनपात्रं कोऽपि न स्पृक्ष्यति इति। सः स्नानार्थं गतवान्। तदा एव एकः अन्यः यात्रिकः तत्र आगतः।

तेन दृष्टं यत् एकः नद्यां स्नानं करोति तीरे च शिवलिङ्ग स्थापितमस्ति। सः मनसि चिन्तित्वान यत् काश्यां जनाः तटे शिवलिगं स्थाप्य स्नानार्थं गच्छन्ति इति परम्परा स्यात्। सः अपि शिवलिङ्ग स्थाप्य स्नातुं अगच्छत्। अनेनैव प्रकारेण अन्येऽपि यात्रिका: शिवलिङ्गस्थापनां अकुर्वन्। यदा भिक्षुकः स्नानं कृत्वा तटे आगतः तेन अनेकानि शिवलिङ्गानि दृष्टानि। तेन स्थापितं शिवलिङ्गं कुत्रास्ति इति अभिज्ञानम् असम्भवं जातम्। तेन अवगतं-मम धनं नष्टमिति। खेदं अनुभवन सः चिन्तितवान-“प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तत्रैव यान्त्यापदः”। अहो विचित्रा कर्मणां गतिः।

(एक भिक्षुक था। वह प्रतिदिन घर-घर जाकर भीख मांगा करता था। धीरे-धीरे उसने अधिक धन इकट्ठा कर लिया। अब काशी जाकर विश्वनाथजी के दर्शन करने चाहिए. ऐसा उसने सोचा। विश्वनाथ दर्शन के लिए वह काशी जाता है। देवदर्शन से पूर्व वह स्नान करने के लिए गंगा नदी पर जाता है। किन्तु स्नान के समय चोर मेरा धन चुरा ले जायेंगे, ऐसी उसे चिन्ता थी। बाद में उसने एक उपाय सोचा। गंगा के किनारे बालू में एक गड्ढा खोद कर वहाँ उसने धन के पात्र को रख दिया, ऊपर एक बालू से बना शिवलिंग पहचान के लिए स्थापित कर दिया।

उसका विचार था-इससे मेरे धन पात्र को कोई स्पर्श नहीं करेगा। वह स्नान के लिए चला गया। तभी एक दुसरा यात्री वहाँ आ गया। उसने देखा स्नान करता है और किनारे पर शिवलिंग स्थापित है। वह मन में सोचता है कि काशी में मनुष्य किनारे पर शिवलिंग की स्थापना करके स्नान के लिए जाते हैं। यह एक परम्परा होगी। वह भी शिवलिंग की स्थापना करके स्नान के लिए चला गया। इसी प्रकार से अन्य यात्रियों ने शिवलिंग की स्थापना की।

जब भिक्षुक स्नान कर तट पर आया तो उसने अनेकों शिवलिंग देखे। उसके द्वारा स्थापित शिवलिंग कहाँ है।’ यह पहचानना मुश्किल हो गया। उसने जान लिया-मेरा धन नष्ट हो गया। खेद का अनुभव करते हुए वह सोचने लगा-प्रायः जहाँ दुर्भाग्य जाता है, वहीं आपत्ति आ जाती है। अरे कर्मों की गति बड़ी विचित्र है।)

9. संघे शक्तिः कलौयुगे

[सङ्केतसूची-कृषकः, चत्वारः पुत्राः, कलहप्रियाः, पिता शिक्षते, न शृण्वन्तिः, यष्टिकापुञ्चं त्रोटयितुं समर्थाः, एकका नोटयन्ते, जनकः शिक्षते, स्वीकुर्वन्ति।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् ग्रामे एकः कृषक: निवसति स्म। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्। तेषु परस्परं कलहं प्रवर्तते स्म। कृषकः तान् कलहं न कर्तुम् अशिक्षयत। परन्तु ते उपेक्षमाणाः न शण्वन शिक्षाम। कृषकेण एकम उपायं चिन्तितम। सः यष्टिकानाम् एकं भारमानयत्। सः तं यष्टिकापुञ्चं त्रोटयितुम् पुत्रान् आदिशत्। क्रमशः सर्वेऽयतन्तः। परञ्च न त्रोटयितुम् अशक्नुवन्। कृषकः एकैकां यष्टिकां त्रोटयितु मादिशत्। सर्वेः अनेकाः यष्टिकाः त्रोटिताः। तदा कृषको ब्रूते-“यूयं चेत् कलहं कृत्वा असंगठिताः भविष्यन्ति तर्हि अन्याः दुर्जनाः युष्मान् हनिष्यन्ति।”

(एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। उनमें आपस में झगड़ा रहता था। किसान ने उन्हें झगड़ा न करने की शिक्षा दी। परन्तु उन्होंने उपेक्षा करते हुए एक नहीं सुनी। किसान ने एक उपाय सोचा। वह लकड़ियों का एक भार (गट्ठर) लाया। उसने लकड़ियों के समूह (गट्ठर) को तोड़ने का आदेश दिया। क्रमशः सभी ने यत्न किया परन्तु नहीं तोड़ सके। किसान ने एक-एक लकड़ी को तोड़ने का आदेश दिया। सभी ने अनेकों लकड़ियाँ तोड़ र्दी। तब किसान ने कहा-“तुम यदि झगड़ा करके असंगठित रहोगे तो दूसरे दुर्जन तुम्हें मार देंगे।”

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10. पञ्चमः पुत्रः नास्ति
[सङ्केतसूची-काचित् वृद्धा, चत्वार गावाः, सैन्ये योजयति, सैन्याय प्रेषितवती, मृतौ, ग्रामजनाः, कथयन्ति, किमिति ( रोदनम्, देशसेवार्थं]
उत्तरम् :
बाघशूरग्रामे एका एकाकिनी वृद्धा निवसति। सा सर्वेषां प्रीतिपात्रं, श्रद्धास्पदं च। सा सर्वदैव ईदृशी एकाकिनी नासीत्। तस्याः गृहमपि पुत्रैः सन्ततिभिः पूर्णम् तेषां क्रीडाभिः परिपूर्ण च आसीत्। तस्याः चत्वारः पुत्राः आसन्। सा देशसेवायै ज्येष्ठपुत्रं सैन्ये योजितवती। भारतपाकयुद्धे शत्रू मारयन् सः वीरगति प्राप्तवान्। तदैव सा स्वद्वितीयं तृतीयं चापि पुत्रौ देशसेवार्थं सैन्ये प्रेषितवती। भारतपाकयोः द्वितीयं युद्ध आसीत् तदा तस्याः एकः पुत्रः देशस्य उत्तरक्षेत्रे अपरः पुत्रः च छम्बक्षेत्रे सीमायाम् शत्रूणां हननं कुर्वन्तौ वीरगति प्राप्तवन्तौ।

तथापि एकः पुत्रः तस्याः समीपे आसीत्। सा वीरवृद्धा तमपि चतुर्थं पुत्रं सैन्ये योजनार्थं ग्रामप्रमुखं निवेदितवती। ग्रामप्रमुखः तां एतस्मात् कार्यात् निवारयन् अकथयत्-यत् भवत्याः एषः एकः एव पुत्रः अवशिष्टः। एनम् अन्यकार्ये योजयतु इति। किन्तु तया सः पुत्रः अपि सैन्ये प्रेषितः। कारगिलयुद्धे तस्य मरणवार्ता श्रुत्वा वृद्धायाः नेत्रे अश्रुपूर्णे जाते। ग्रामग्रमुखेन कथितं यत् अधुना किमर्थं रोदनम्। पूर्वं त्वया सैन्ये पुत्रप्रेषणं न करणीयम् आसीत्। तदा अनया वृद्धया कथितं यत् पुत्रस्य मरणवार्तां श्रुत्वा न रोदिमि। पञ्चमः पुत्रः देशसेवार्थं नास्ति खलु इति रोदामि। अद्यापि एषा वृद्धा वीरभावेन सर्वासां ग्रामस्त्रीणां बालिकानां च योगक्षेमाय प्रयतते।

(बाघशूर गाँव में एक अकेली वृद्धा निवास करती है। वह सबकी प्रेमपात्र और श्रद्धास्पद है। वह हमेशा ही इस प्रकार अकेली नहीं थी। उसका घर भी उसके पुत्रों, सन्तानों से परिपूर्ण और उनकी क्रीड़ाओं से भरपूर था। उसके चार पुत्र थे। उसने देशसेवा के लिए बड़े बेटे को सेना में भेज दिया। भारत-पाक युद्ध में शत्रुओं को मारता हुआ वह वीरगति को प्राप्त हो गया। तभी उसने अपने दूसरे और तीसरे पुत्रों को देशसेवा के लिए सेना में भेज दिया। भारत-पाक में दूसरा युद्ध था तब उसका एक पुत्र देश के उत्तर क्षेत्र में और दूसरा पुत्र छम्ब क्षेत्र में सीमा पर शत्रुओं को मारते हुए वीर गति को प्राप्त हो गये। फिर भी एक पुत्र उसके पास था।

उस वीर वृद्धा ने उस चौथे पुत्र को भी सेना में भेजने के लिए गाँव के मुखिया से निवेदन किया। ग्राम-प्रमुख ने उसको इस कार्य से रोकते हुए कहा कि आपका यह एक ही पुत्र शेष रह गया है। इसको अन्य कार्य में लगाओ। परन्तु उसने उस पुत्र को भी सेना में भेज दिया। कारगिल युद्ध में उसकी मृत्यु का समाचार सुनकर वृद्धा की आँखें अश्रुपूरित हो गईं। ग्राम-प्रमुख ने कहा कि अब रुदन क्यों। पहले तुम्हें पुत्र को सेना में नहीं भेजना चाहिए था। तब इस वृद्धा ने कहा-पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर नहीं रो रही हूँ। वास्तव में पाँचवा पुत्र देशसेवा के लिए नहीं है। इसलिए रो रही हूँ। आज भी यह वृद्धा वीरता के भाव से सारी ग्रामीण स्त्रियों और बालिकाओं के योग क्षेम का प्रयत्न करती है।)

11. कर्त्तव्यनिष्ठः गोपबन्धुदासः।
[सङ्केतसूची-महती वृष्टिः, विश्रान्ति, जलावेगः, हाहाकारः, प्राणान् रक्षित गृहगमनसमये, मुसलाधाररूपेण, दृढस्वरेण,। औषधं, आपद्ग्रस्ताः, गतवान्, बहुदिनेभ्यः, अङ्के।]
उत्तरम् :
एकदा महती वृष्टिः आरब्धा। आदिनं मेघाः विश्रान्तिः नैव प्राप्तवन्तः। निरन्तर वृष्टिकारणात् जलावेगः तीव्रः आसीत्। प्रवाहकारणात्: सर्वत्र जनानां हाहाकारः आसीत्। सर्वे स्वपरिवारजनानां स्वस्य च प्राणान् रक्षितुं प्रयत्नशीला: आसन्। एकः जनः सेवायां निरतः आसीत्। रात्रौ गृहगमनसमये वरुण: रुद्रावतारं प्राप्तवान्। वृष्टि मुसलाधार रूपेण वर्षति स्म। तस्य जनस्य गृहस्य परिस्थितिः अपि गंभीरा आसीत्।

तस्य एकः पुत्रः आसीत्। बहुदिनेभ्यः रुग्णः वेदनां सोढुम् अशक्तः सः मातुः अङ्के शयितवान् आसीत्। माता पुत्रस्य दशां दृष्ट्वा रोदति। पिता अपि द्वन्द्वे आसीत्। स्वीयः रुग्णः पुत्रः अपरत्र सहस्राधिकाः जनाः कष्टे सन्ति। कर्तव्यपरायणः सः छत्रं गृहीत्वा बहिः गतवान्। गमनसमये पत्नी रुदती पृष्टवती-पुत्रं पश्यतु. अहं किं करिष्यामि ? सः दृढ़स्वरेण उक्तवान्-अहमपि किं करिष्यामि? औषधं दत्तम्। इतः परं भगवदिच्छा। अयन्त्र अपि बाला: आपदग्रस्ताः। भगवतः इच्छानुसारं भवतु-इत्युक्त्वा गतवान्। रात्रौ पुत्रः मृतः। रुदन्त्याः मातुः समीपम् आगत्य अन्ये सान्त्वनं कृतवन्तः। एतादृशः कर्तव्यनिष्ठः आसीत् श्री गोपबन्धुदासः, उत्कलमणि : ओरिस्साजनपदीयः।

(एक दिन महान् वृष्टि आरम्भ हुई। पूरे दिन मेघ रुके नहीं। निरन्तर वर्षा के कारण जल का आवेग तीव्र हो गया। प्रवाह के कारण सब जगह लोगों में हाहाकार मचा था। सभी अपने परिवार-जनों और अपने प्राणों की रक्षा करने में प्रयत्नशील थे। एक व्यक्ति सेवा में निरत था। रात में घर जाने के समय वरुण ने रुद्रावतार प्राप्त किया। वर्षा मूसलाधार होने लगी। उस व्यक्ति के घर की परिस्थिति भी गम्भीर थी। उसका एक बेटा था। बहुत दिनों से बीमार था। वह वेदना को सहन करने में असमर्थ था। माँ की गोद में सो रहा था।

माता पुत्र की दशा को देखकर रोती है। पिता भी द्वन्द्ध में था। एक ओर अपना बीमार पुत्र और दूसरी ओर हजारों से अधिक लोग कष्ट में हैं। वह कर्तव्य-परायण छाता लेकर बाहर गया। जाते समय रोती हुई पत्नी पूछ बैठी। पुत्र को देखो, मैं क्या करूंगी ? उसने दृढ़ स्वर में कहा-मैं भी क्या करूंगा ? दवाई दे दी है। इसके बाद ईश्वर इच्छा। और जगह भी बालक आपद्ग्रस्त हैं। ईश्वर की इच्छानुसार हो, ऐसा कहकर चला गया। रात में पुत्र मर गया। रोती हुई माता के समीप आकर अन्य लोग सान्वना देने लगे। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ थे श्री गोपबन्धुदास, उड़ीसा के रत्न (उत्कलमणि), उड़ीसा जनपदवासी।)

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12. कालातिक्रमं त्याज्यम्
लीक सङ्केतसूची-श्रेष्ठी, कर्मचारिणः, विलम्बेन, आयाति, पृच्छति, घटिकायन्त्रस्य, कथयति, नवीनं क्रीणीष्व, नियोजमिष्यामि।
उत्तरम् :
कर्णपुर नाम्नि नगरे एकः श्रेष्ठी आसीत्। तस्य प्रभूतं धनम् आसीत्। तस्य बहवः उद्योगशालाः आसन्। तासु उद्योग शालासु अनेके कर्मचारिणः आसन्। श्रेष्ठी नियमपालने दृढ़ः आसीत्। स कणं क्षणं वा व्यर्थं न करोति। सः सर्वान् काल-पालनम् अपेक्षते स्म। तस्य कर्मचारिषु आसीत् एकः काल-पालनं प्रति उदासीनः। सः सदैव विलम्बेन कार्यालयम् आयाति। किमपि मिथ्या निमित्तं कथयति।

एकदा असौ कर्मचारी विलम्बेन कार्यालयम् आगच्छत्। श्रेष्ठी तम् आयान्तम् अपश्यत्। श्रेष्ठी तम् अपृच्छत्-कथं विलम्बेन आयाति ? किमत्र विलम्बस्य कारणम् ? कर्मचारी प्रकोष्टे बद्धं घटिकायन्त्रं पश्यति कथयति च-“अहो! मे घटिकायन्त्रं विलम्बेन चलति। अनेन कारणेन एव मम कालानिपातः। श्रेष्ठी कथयति-त्वं नवीनं घटिकायन्त्रं क्रीणीष्व अथवा अहं नवीनं कर्मचारिणं नियोजयिष्यामि। कर्मचारी क्षमाम् अयाचयत् प्रत्यश्रणोत् च यत् भविष्ये अहं कदापि विलम्बेन न आयास्यामि।

(कर्णपुर नामक नगर में एक सेठ था। उसके पास बहुत-सा धन था। उसकी बहुत-सी उद्योगशालाएँ थीं। उन उद्योगशालाओं में अनेक कर्मचारी थे। सेठ नियमपालन में दृढ़ था। वह कण और क्षण को व्यर्थ नहीं गँवाता था। वह सबसे समय पर आने की अपेक्षा करता था। उन कर्मचारियों में एक समय-पालन के प्रति उदासीन था। वह सदैव देर से आता है और कोई भी मिथ्या बहाना बना देता है।

एक दिन वह कर्मचारी विलम्ब से कार्यालय आया। सेठ ने उसे आते हुए देख लिया। सेठ ने उससे पूछा-‘देर से कैसे आ रहे हो ? देर का क्या कारण है? कर्मचारी कलाई में बँधी घड़ी को देखता है और कहता है-अरे, मेरी घड़ी तो विलम्ब से (लेट) चल रही है। इसी कारण से विलम्ब हो गया है। सेठ कहता है-तुम नयी घड़ी खरीद लो अथवा मैं नया कर्मचारी नियुक्त कर लूँगा। कर्मचारी ने क्षमा-याचना कर ली और वायदा किया कि भविष्य में मैं देर से नहीं आऊँगा।

13. गुप्तधनस्य रहस्यम्
[सङ्केतसूची-मृत्युशय्यायां, तस्य पुत्राः, कलहशीलाः, वृद्धः, गुप्तं धनमिति, प्राप्नोति, क्षेत्रेषु, खननं कुर्वन्ति, धनं न प्राप्तम्, बीजानि वन्ति, वृष्टिः समीचीना। प्रभूतं धान्यं, गुप्तधनस्य।]
उत्तरम् :
रामपुर ग्रामे एकः कृषक: निवसति स्म। सः अतिजीर्णः आसीत् रुग्णश्च। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्। ते कलहशीलाः निरुद्योगिनः च आसन्। क्षेत्रापि अकृष्टानि अनुप्तबीजानि च तिष्ठन्ति। कृषक: तान् मुहुर्मुहुः कथयति कृषि . कर्मणि निरताय। परञ्च ते: तु कलहम् एव कुर्वन्ति। एकदा वृद्धः कृषक: मरणासन्नः भवति। सः स्वात्मजान् आहूय कथयति-पुत्राः इदानीम् अहं प्राणान् त्युक्तमपि इच्छामि। न मे सन्निधम् किञ्चिद् धनम्। यत् किञ्चिद् धनम् अस्ति तत्तु मे क्षेत्रेषु निखातम् अस्ति। एवं त्रुरुन्नेव असौ वृद्धः दिवंगतः।

पुत्राः अन्तिमसंस्कारं श्राद्धम् च विधाय अचिन्तयन्-क्षेत्रेषु धनमस्ति अतः तानि खनितव्यानि। चत्वारः एव भ्रातरः क्षेत्राणि खनितुम् आरब्धाः। सर्वत्र एव खनितं गम्भीरतम परञ्च न किञ्चिद् धनम् प्राप्तम्। धन-प्राप्तेः आशा त्यक्त्वा ते मौनम् अतिष्ठन्। तदा एव तत्र आगच्छत् एकः अन्यः वृद्धः। सोऽवदत्-‘क्षेत्राणि तु युष्माभिः कृष्टानि खनितानि एव। यदि धनं नोपलब्धवन्तः तर्हि एतेषु बीजानि एव वपन्तु। किञ्चित् शस्यं लप्स्यन्ति एव।

ते तथा एव अकुर्वन्। सर्वेषु क्षेत्रेषु बीजानि वपन्ति। वृष्टिः समीचीना आसीत्। तेन क्षेत्रेषु समृद्धं शस्यम् अजायत्। काले प्राप्ते प्रभूतं धान्यम् अभवत्। अन्नराशिम् अवलोक्य ते प्रसन्नाः अभवन्, पितुः वचनस्य अभिप्राय ज्ञातम्। तदा केनापि वृद्धन कथितम्-भूमौ तु प्रभूत धन निखात परञ्च उद्यमेन (परिश्रमेण) एव लब्धु शक्यते।

(रामपुर गाँव में एक किसान रहता था। वह बहत वृद्ध था और बीमार था। उसके चार बेटे थे। वे झगडालू और थे। खेत बिना जुते और बिना बुवे पड़े थे। किसान उनसे बार-बार कहता है-खेती का काम करो, परन्तु वे तो कलह ही करते रहते हैं। एक दिन वृद्ध किसान मरणासन्न होता है। वह मृत्युशय्या पर ही सोता हुआ अपने बेटों को बुलाकर कहता है- पुत्रो! अब मैं प्राण त्यागना चाहता हूँ। मेरे पास धन नहीं है, जो-कुछ धन है वह खेतों में गड़ा हुआ है। इस प्रकार कहता हुआ वह वृद्ध दिवंगत हो गया।

बेटे अन्तिम संस्कार और श्राद्ध करके सोचने लगे-खेतों में धन है, अतः उन्हें खोदना चाहिए। चारों भाई खेतों को खोदने लगे। सब जगह गहरा से गहरा खोदा परन्तु कोई धन प्राप्त नहीं हुआ। धन प्राप्ति की आशा त्याग कर वे मौन बैठ गये। तभी वहाँ एक अन्य वृद्ध आ गया। वह बोला-खेत तो तुमने जोत और खोद ही दिये हैं, यदि हआ तो इनमें बीज ही बो दो। कछ तो फसल प्राप्त कर ही लोगे।

उन्होंने वैसा ही किया। सभी खेतों में बीज बोते हैं। वर्षा अच्छी हो गई थी। उससे खेतों में अच्छी फसल हुई। बहुत सा धान्य प्राप्त हुआ। अन्न राशि को देखकर वे प्रसन्न हो गये तथा पिता के वचनों का अभिप्राय समझे। तब किसी वृद्ध ने कहा-धरती में बहुत सारा धन गड़ा है, परन्तु परिश्रम से ही प्राप्त किया जा सकता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

14. अहिंसा परमोधर्मः
[सङ्केतसूची-अहिंसाधर्मस्यैव, निन्दनीयम्, कर्त्तव्यम्, बुद्धस्य, धर्मेऽहिंसायाः, आततायिरूपेणायान्तम्, कटुवाकप्रयोगश्च,। अहिंसापालनस्य, भगवता, हन्यात्, पूज्यस्थानमासीत्, दुर्भावः, निरपराधानां।]
उत्तरम् :
निरपराधानां प्राणिनां हिंसनं न कर्त्तव्यम्, इत्यहिंसायाः भावः। अस्माकं धर्मेऽहिंसाया: स्थानं महत्त्वपूर्णमस्ति। अहिंसाधर्मस्यैव पालनेन भगवतः बुद्धस्य गणना दशावतारेषु क्रियते। भगवान् महावीरोऽपि अहिंसाधर्मस्यैव पालनेन सर्वेषां पूज्यस्थानमासीत्। निरपराधस्य कस्यापि जन्तोः हिंसनं नूनं निन्दनीयम्। अहिंसायाः पालनं मनसा, वाचा कर्मणा च कर्त्तव्यम्। कस्यापि विषये दुर्भावः कटुवाक्प्रयोगश्च हिंसैव गण्यते। भारतीयसंस्कृतौ केवलं धार्मिक-क्षेत्रे अहिंसापालनस्य महिमा गीत: नहि राजनीतिके व्यवहारे। स्मृतिकृता भगवता मनुना स्पष्टमेवोल्लिखितं यत् गुरूं, बालं वृद्धं वापि आततायिः रूपेणायान्तम् अविचारयन्नेव हन्यात्।

(निरपराध प्राणियों की हिंसा नहीं करनी चाहिए, यह अहिंसा का भाव है। हमारे धर्म में अहिंसा का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। अहिंसा-धर्म के पालन से ही भगवान बुद्ध की गणना दस अवतारों में की जाती है। भगवान् महावीर भी अहिंसा का ही पालन करने से सभी लोगों के सम्मान के पात्र थे। किसी भी निरपराध प्राणी की हिंसा करना निश्चय ही निन्दा करने योग्य है। अहिंसा का पालन मन से, वाणी से और कर्म से करना चाहिए।

किसी के भी बारे में बुरा विचार रखना और कठोर वचनों का प्रयोग करना हिंसा ही गिनी जाती है। भारतीय संस्कृति में केवल धर्म के क्षेत्र में अहिंसा-पालन की महिमा गाई गई है, न कि राजनीति के व्यवहार में। स्मृति-ग्रन्थ के रचनाकार भगवान् मनु ने स्पष्ट ही उल्लेख किया है कि आतातायी के रूप में आये हुए गुरु, बालक अथवा वृद्ध को भी बिना हुए सोचे ही मार देना चाहिए।)

15. वृक्षाणां महत्वम्
[कुर्वन्ति, बुभुक्षिातनां, खगमृगजलचरनराः, वर्षाशीतातपैः, सुखानि प्राणिनः,। पुष्पन्ति, नियन्ते, विचरन्ति, समाश्रयो।]
उत्तरम् :
वृक्षाः भूमौ उद्भवन्ति। वृक्षाः अपि मनुष्य इव भुक्त्वा पीत्वा च जीवन्ति। मूलानि वृक्षाणां मुखानि भवन्ति। ते पादैः जल पिबन्ति अतएव ‘पादपाः’ कथ्यन्ते। तेषां मूलानि भूमितः रसं गृहीत्वा सर्वान् अवयवान् नयन्ति, तेन ते प्रवर्धन्ते, पुष्पन्ति, फलन्ति च। वृक्षाः अपि वर्षाशीतातपैः प्रभाविताः भवन्ति। तेऽपि सुखानि दुःखानि च अनुभवन्ति। तेषु अपि प्राणा: भवन्ति, अतएव ते प्राणिनः इव जायन्ते, वर्धन्ते, पुष्पन्ति, फलन्ति म्रियन्ते च।

ते कदापि खगमगजलचरनराः इव न विचरन्ति अतः अचराः कथ्यन्ते। बहूपकारं कुर्वन्ति वृक्षाः प्राणिनाम्। ते अशरणानां शरणम्, बुभुक्षितानां भोजनम्, संतप्तानां समाश्रयाः, वश्रामगृहाणि सुखिना सोख्योपकरणानि अच्छत्रिणा छत्रम्, निरालम्बिना आलम्बनम्, प्राणवायुभिः प्राणदातारः, वृष्टिकारकाः, मृद्रक्षकाः, सुहृदश्च जगतः। वृक्षारोपणं वृक्षरक्षणं च अस्माकं रक्षायै परमावश्यकम्।

(वृक्ष भूमि पर उगते हैं। वृक्ष भी मनुष्य की तरह खाकर और पीकर जीवित रहते हैं। जड़ें वृक्षों की मुख होती हैं। वे पैरों से जल पीते हैं, इसलिए ‘पादप’ कहलाते हैं। उनकी जड़ें धरती से रस ग्रहण करके सभी अंगों में ले जाती हैं, उससे वे बढ़ते हैं, खिलते हैं और फलते हैं। वृक्ष भी वर्षा, सर्दी, धूप से प्रभावित होते हैं। वे भी सुख और दुःख का अनुभव करते हैं। उनमें भी प्राण होते हैं। अतएव वे प्राणियों की भाँति जन्म लेते हैं, बढ़ते हैं, फूलते, फलते और मरते हैं।

वे कभी भी पक्षी, पशु, जलचर और मनुष्यों की तरह विचरण नहीं करते हैं, अत: अचर कहलाते हैं। वृक्ष प्राणियों का बहुत उपकार करते हैं। वे अशरणों के शरण दाता हैं, भूखों के भोजन, संतप्तों के आश्रय, थके हुओं के विश्रामगृह, सुखियों के सुख-उपकरण, छत्ररहितों के छत्र, बेसहारों के सहारे, प्राणवायु द्वारा प्राण देने वाले, वर्षा करने वाले, मिट्टी की रक्षा करने वाले और जगत् के मित्र हैं। वृक्षारोपण और वृक्षों की रक्षा करना हमारी रक्षा के लिए परम आवश्यक है।)

16. प्रभातदृश्यम्।
[सङ्केतसूची-सर्वजीवान्, वृक्षशाखासु, स्फूर्तिमान्, प्रकृतिप्राङ्गणे, सत्त्वगुणस्य, साम्राज्य, भ्रमणार्थ, भवति, सूर्योदयात्, ओषधिः परमानंद, सर्वप्राणिषु, साफल्याय।]
उत्तरम् :
प्रभातकालः अतिमनोरमः भवति। सूर्योदयात् प्राक् उत्थाय प्रकोष्ठात् बहिः आगत्य प्रकृतिप्राङ्गणे विचरणम् उत्तमः ओषधिः। ये जनाः सूर्योदयात् प्राक् उत्थाय भ्रमणार्थं गच्छन्ति ते अरुणोदयं प्रेक्ष्य परमानन्दं अनुभवन्ति। रात्रौ वृक्षशाखासु निलीनाः खगाः अरुणोदयकाले कलरवं कुवन्ति। आकाशपटले लालिमायाः साम्राज्यं भवति। शनैः शनैः भगवान् भास्करः रक्तस्थालीवत् दृष्टिगोचरः भवति। प्रभातकालः सर्वजीवान् स्व-स्व कार्येषु योजयति। प्रभाते शरीरं स्फूर्तिमान् भवति। धार्मिकाः कथयन्ति यत् प्रात:काले सर्वप्राणिषु सत्वगुणस्य विवृद्धिर्भवति। एतस्मिन् काले कृतं कार्यं साफल्याय भवति।

समय अत्यन्त मनोरम होता है। सूर्योदय से पूर्व उठकर कमरे से बाहर आकर प्रकृति के आँगन में विचरण करना उत्तम औषधि है। जो लोग सूर्योदय से पहले उठकर घूमने के लिए जाते हैं, वे सूर्योदय देखकर परम आनन्द का अनुभव करते हैं। रात में वृक्षों की शाखाओं में छुपे हुए पक्षी सूर्योदय के समय कलरव करते हैं। आकाशपटल में लालिमा का साम्राज्य होता है। धीरे-धीरे भगवान भास्कर लाल थाली की तरह दृष्टिगोचर होते हैं। प्रभातकाल सभी जीवों को अपने-अपने कार्यों में लगा देता है। प्रभात में शरीर फुर्तीला होता है। धार्मिक (लोग) कहते हैं कि प्रभात काल में सभी प्राणियों में सत्वगुण की. वृद्धि होती है। इस समय में किया हुआ कार्य सफलता के लिए होता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

17. होलिकोत्सवः
[सङ्केतसूची-होलिकोत्सवस्य, अग्निना, तेषु प्रमुखः, स्वयमेव, निर्देशन, भूत्वा, आयोजिताः, दहनेन, हिरण्यकशिपोः,। सम्बद्धः, वरप्रभावेण, प्रह्लाद, प्रज्ज्वलितेन, स्मृतिरूपेण।]
उत्तरम् :
अस्माकं देशे अनेके उत्सवाः आयोजिताः भवन्ति, होलिकोत्सवः तेषु प्रमुखः अस्ति। भारतीयसंस्कृती होलिकोत्सवस्य विशिष्टं महत्वं वर्तते। हिरण्यकशिपोः भगिन्या: होलिकायाः दहनेन अयम् उत्सवः सम्बद्धः अस्ति। सा देवस्य वरप्रभावेण अग्निना दग्धा न भवति स्म। अतएव हिरण्यकशिपोः निर्देशेन सा प्रहलादम् अङ्के उपावेश्य अग्नौ उपविष्टवती।

परन्तु प्रह्लादस्य भक्त्या प्रसन्नो भूत्वा नारायणः प्रहलादं रक्षितवान्। प्रज्ज्वलितेन अग्निना सा स्वयमेव दग्धा। तस्याः घटनायाः स्मृतिरूपेण प्रतिवर्ष फाल्गुन-पूर्णिमावसरे होलिकोत्सवः भवति। – (हमारे देश में अनेक उत्सव आयोजित होते हैं। होलिकोत्सव उनमें से प्रमुख है। भारतीय संस्कृति में होली के उत्सव का विशेष महत्व होता है। हिरण्यकशिपु की बहिन होलिका के दहन से यह उत्सव सम्बन्ध रखता है।

वह देवता के वर के से अग्नि से जलती नहीं थी। अतः हिरण्यकशिपु के निर्देशानुसार वह प्रहलाद को गोद में बैठाकर आग में बैठ गई। परन्तु प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर नारायण ने प्रहलाद की रक्षा की। जलती हुई आग के द्वारा वह स्वयं ही जला दी गई। उस घटना की स्मृति के रूप में फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर होली का उत्सव होता है।)

18. विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः
[सङ्केतसूची-प्रतियोगितासु, वार्षिकोत्सवः, राजकीयः, अस्माकं, व्यवस्था, विद्यालयस्य, शतप्रतिशतः, मुख्यातिथिः।]
उत्तरम् :
अस्माकं विद्यालयः राजकीयः विद्यालयः अस्ति। अत्र पठनस्य तु श्रेष्ठा व्यवस्था अस्ति. एव, युगपदेव क्रीडानामपि सुलभा व्यवस्था अस्ति। अतएव अस्माकं विद्यालयस्य सर्वासां कक्षाणां परिणामः शतप्रतिशतं भवति। क्रीडानां प्रतियोगितासु अपि अस्माकं विद्यालयस्य छात्राः बहून् पुरस्कारान् अलभन्त। अस्माकं विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः परह्यः सम्पन्नो जातः। अस्माक प्रदेशस्य राज्यपाल: मुख्यातिथिः आसीत्।

(हमारा विद्यालय राजकीय विद्यालय है। यहाँ पढ़ाई की तो श्रेष्ठ व्यवस्था है ही साथ-साथ खेलों की भी व्यवस्था सुलभ है। इसलिए हमारे विद्यालय की सभी कक्षाओं का परिणाम शत-प्रतिशत रहता है। खेल प्रतियोगिताओं में भी हमारे विद्यालय के छात्रों ने बहुत पुरस्कार प्राप्त किये। हमारे विद्यालय का वार्षिक उत्सव परसों सम्पन्न हुआ। हमारे प्रदेश के राज्यपाल मुख्य अतिथि थे।)

19. चलभाषितयंत्रम्।
[सङ्केतसूची-आरूढाः, युवकाः, कक्षासु, यन्त्रम्, चलन्तः, आविष्कारः, नवीनतमान्, कार्येषु, अधिकतमा, लोकप्रियं,। कर्मकराः, कर्णभूषणं, प्रवचनं, अविवेकपूर्णः, दुर्घटना, दुष्प्रयोगेण।]
उत्तरम् :
वैज्ञानिकाः सञ्चारसाधनेषु प्रतिदिनं नवीनतमान् आविष्कारान् कुर्वन्ति येन सन्देशप्रेषणे अधिकतमा सुविधा स्यात्। चलभाषितयन्त्रम् (मोबाइल-सैलफोन) तादृशमेव लोकप्रियं यन्त्रम्। बालोः, वृद्धाः, युवकाः, पुरुषाः, महिलाः नागरिकाः, ग्रामीणाः कर्मकराः च सर्वेषाम् एव एतत् कर्णभूषणं जातम्। यानानि आरूढाः, कार्यालयेषु कार्य कुर्वन्तः, मार्गेषु चलन्तः, सभागारेषु प्रवचनं शृण्वन्तः जनाः अस्य ध्वनिं श्रुत्वा वार्तामग्नाः भवन्ति। अविवेकपूर्णः अस्य प्रयोगः कार्येषु व्यवधानं करोति। मार्गेषु दुर्घटनाः भवन्ति। सभागारेषु, कक्षासु अन्य स्थानेषु च अव्यवस्था भवति। सत्यमस्ति यत् आविष्कार: कदापि हानिकरः न, परन्तु तस्य दुष्प्रयोगेण जीवनस्य शान्ति: नश्यति।

(वैज्ञानिक संचार के साधनों में प्रतिदिन नवीनतम आविष्कार कर रहे हैं जिससे सन्देश भेजने में अधिकतम सुविधा हो। मोबाइल-सैलफोन इसी प्रकार का लोकप्रिय यन्त्र है। बच्चे, वृद्ध, युवा, पुरुष, स्त्रियाँ, नगरवासी, ग्रामीण और कर्मचारी (नौकर) सभी का यह कान का आभूषण बन गया है। वाहनों पर आरूढ़, कार्यालय में काम करते हुए, मार्गों पर चलते हुए सभागारों में प्रवचन सुनते हुए लोग इसकी आवाज सुनकर बात करने में मग्न हो जाते हैं। इसका अविवेकपूर्ण प्रयोग कार्यों में अड़चन पैदा करता है। मार्गों में दुर्घटनाएँ होती हैं। सभागारों में, कक्षाओं में और अन्य स्थानों पर अव्यवस्था होती है। यह सच है कि आविष्कार कभी हानिकारक नहीं’ परन्तु उसका दुष्प्रयोग करने से जीवन की शान्ति नष्ट हो जाती है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

20. धनस्य महत्त्वम्
[सङ्केतसूची-हरिष्यति, महत्वम्, भोजनम्, धनस्य, धनार्जन, अधिकाधिक, प्रच्छादनाय, प्रयोग, जीवननिवहिः, लोभेन,। दु:खमेव, रक्षणे, उचितसाधनैः, कुर्याम, असहायाः।]
उत्तरम् :
जीवने धनस्य अत्यधिक महत्वम् अस्ति। धनेन जीवननिर्वाहः भवति। धनं विना वयं कथं भोजनम् अपि प्राप्तुं शक्नुमः? परन्तु यदि लोभेन वयम् अन्धः भूत्वा अधिकाधिकं धनं प्राप्तुम् इच्छामः, अनुचितसाधनानां प्रयोगं कुर्मः, तर्हि तेन धनेन दुःखमेव भविष्यति। तस्य रक्षणे एव समय: व्यतीतः भवति। कोऽपि तद् हरिष्यति इति चिन्ताप्रतिक्षणं वर्धते। धनाभिमानं विवेकं नाशयति। कृष्णधनस्य प्रच्छादनाय महान् क्लेशः भवति। अतः वयम् उचितसाधनैः एवं धनार्जनं कुर्याम, कस्मै अपि ईां न कुर्याम अपितु यथाशक्ति ये असहाया: सन्ति-तेषां-साहाय्यं कुर्याम। त्यागेन एव धनस्य संरक्षणं भवति।

(जीवन में धन का अत्यधिक महत्व होता है। धन से जीवन-निर्वाह होता है। धन के बिना हम भोजन भी कैसे प्राप्त कर सकते हैं? परन्तु यदि हम लोभ से अन्धे होकर अधिकाधिक धन प्राप्त करना चाहते हैं, अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं, होगा। उसके संरक्षण में ही समय व्यतीत होता है। कोई उसका हरण कर लेगा, इस प्रकार की चिन्ता प्रतिक्षण बढ़ती है। धन का अभिमान विवेक का नाश करता है। काले धन को छिपाने में महान् कष्ट होता है। अतः हमें उचित साधनों से ही धनार्जन करना चाहिए, किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए, अपितु जो असहाय हैं-उनकी यथाशक्तिक सहायता करनी चाहिए। त्याग से ही धन की रक्षा होती है।)

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions अपठित बोध अपठित काव्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

अपठित-बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को किसी को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर का चयन करना होता है। इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व अपठित को अच्छी प्रकार से पढ़कर समझ लेना चाहिए। जिन प्रश्नों के उत्तर पूछे गए हैं वे उसी में ही। छिपे रहते हैं। सटीक विकल्प का चयन करना चाहिए। अपठित का शीर्षक भी पूछा जाता है। शीर्षक अपठित में व्यक्त भावों के अनुरूप होना चाहिए। शीर्षक-चयन से अपठित का मूल-भाव भी स्पष्ट होना चाहिए। मुख्य भावार्थ का विकल्प भावों को स्पष्ट करने वाला होना चाहिए। 10 अभ्यास के लिए कुछ यहाँ दिए जा रहे हैं –

अपठित काव्यास के महत्तपूर्ण उदाहरण :

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प वाले उत्तर चुनिए –

1. चाह नहीं, मैं सरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि! डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना, वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जाएँ वीर अनेक।

1. प्रस्तुत पंक्तियों का शीर्षक है –
(क) सुरबाला का गहना
(ख) पुष्प की अभिलाषा
(ग) सम्राट
(घ) मातृभूमि
उत्तर :
(ख) पुण्य की अभिलाषा

2. कवि ने किसके माध्यम से देश-भक्ति का संदेश दिया है?
(क) भाग्य
(ख) वनमाली
(ग) फूल
(घ) ये सभी
उत्तर :
(ग) फूल

3. कवि द्वारा देश भक्ति का कौन-सा संदेश दिया गया है?
(क) श्रम करने का
(ख) ज्ञान प्राप्त करने का
(ग) सर्वस्व न्योछावर करने का
(घ) स्व-कल्याण करने का
उत्तर :
(ग) सर्वस्व न्योछावर करने का

4. पुष्प को किस बात की चाह नहीं है?
(क) देवबालाओं के शृंगार करने
(ख) प्रेमी की माला में गँथने
(ग) सम्राटों के शवों को सजाने तथा देवों पर अर्पित होने
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प

5. पुष्प किनके चरणों पर समर्पित होकर जीवन की सार्थकता प्रमाणित करना चाहता है?
(क) देशभक्तों के चरणों पर
(ख) भगवान के चरणों पर
(ग) देशवासियों के चरणों पर
(घ) महिलाओं के चरणों पर
उत्तर :
(क) देशभक्तों के चरणों पर

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

2. आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो;
कंटकों ने सिर हमें सादर झुकाया है न भूलो;
सिंधु का मथ कर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए;
औ’ हमारे तेज से सूरज लजाया है न भूलो!
वे हमीं तो हैं कि इक हुँकार से यह भूमि काँपी,
वे हमीं तो हैं, जिन्होंने तीन डग में सृष्टि नापी,
और वे भी हम, कि जिनकी सभ्यता के विजयरथ की
धूल उड़कर छोड़ आई छाप अपनी विश्वव्यापी!

1. पंक्तियों का उचित शीर्षक है
(क) आँधिया
(ख) सिंधु
(ग) वीर पुरुष
(घ) विजय रथ
उत्तर :
(ग) वीर पुरुष

2. ‘कंटकों ने सिर हमें सादर झुकाया है’ पंक्ति का भाव है
(क) वीर भारतीयों के समक्ष मुसीबतें भी नमन करती हैं।
(ख) काँटों की चुभन दुखदाई प्रतीत होती है।
(ग) काँटों के चुभने से ही मुसीबतें आती हैं।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) वीर भारतीयों के समक्ष मुसीबतें भी नमन करती हैं।

3. भारतीयों के तेज़ के सम्मुख कौन लज्जित हो जाता है?
(क) शत्रु
(ख) सूर्य
(ग) चाँद
(घ) नभ
उत्तर :
(ख) सूर्य

4. कविता की किस पंक्ति में समुद्र मंथन का जिक्र हुआ है?
(क) वे हमीं तो हैं कि इक हुँकार से यह भूमि काँपी।
(ख) सिंधु का मथकर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए।
(ग) और वे भी हम, कि जिनकी सभ्यता के विजय रथ की।
(घ) आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो।
उत्तर :
(ख) सिंधु का मथकर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए।

5. मुसीबतों के प्रतीक कौन-से शब्द हैं?
(क) आँधी, संघर्ष और कंटक
(ख) हुँकार, सृष्टि, डग
(ग) सिंधु, सूरज, सभ्यता
(घ) धूल, रथ, डग
उत्तर :
(क) आँधी, संघर्ष और कंटक

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

3. हिमालय के आँगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार।
उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार।
जगे हम, लगे जगाने विश्व लोक में फैला फिर आलोक।
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।
विमल प्राणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत।
बचाकर बीज रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत।
अरुण-केतन लेकर निज हाथ वरुण पथ में हम बढ़े अभीत।

1. प्रस्तुत पंक्तियों का उचित शीर्षक कौन-सा है
(क) हमारा प्यारा भारतवर्ष
(ख) व्योम-तम-पुंज
(ग) सप्तस्वर
(घ) वरुण पथ
उत्तर :
(क) हमारा प्यारा भारतवर्ष

2. काव्यांश का उचित उद्देश्य क्या है?
(क) भारत के विश्व-संस्कृति के प्रथम उद्घोषक के रूप में चित्रित करना
(ख) भारत की गौरव-गाथा का प्रचार करना
(ग) अज्ञानता का शोक बताना
(घ) सूर्य की किरणों को ज्ञान का प्रतीक बताना
उत्तर :
(क) भारत को विश्व-संस्कृति के प्रथम उद्घोषक के रूप में चित्रित करना

3. भारत ने किसके प्रसार के द्वारा विश्व को शोक रहित बना दिया है?
(क) तकनीकी
(ख) मुद्रा
(ग) संदेश
(घ) ज्ञान
उत्तर :
(घ) ज्ञान

4. सूर्योदय की किरणें सबसे पहले कहाँ पड़ती हैं?
(क) सागर पर
(ख) हिमालय पर
(ग) नभ पर
(घ) मरुस्थल पर
उत्तर :
(ख) हिमालय पर

5. सिंधु यानी सागरों की संख्या कितनी बताई गई है?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ
उत्तर :
(ग) सात

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

4. तितली, तितली! कहाँ चली हो नंदन-वन की रानी-सी?
वन-उपवन में, गिरि-कानन में फिरती हो दीवानी-सी।
फूल-फूल पर, अटक-अटक कर करती कुछ मनमानी-सी।
पत्ती-पत्ती से कहती कुछ अपनी प्रणय कहानी-सी।
यह मस्ती, इतनी चंचलता किसे अलि! तुमने पाई?
कहाँ जा रही हो इस निर्जर मदिर उषा में अलसाई?
सोते ही सोते मीठी-सी सुधि तुमको किसकी आई?
जो चल पड़ी जाग तुम झटपट लेते-लेते अंगड़ाई।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) उपवन
(ख) तितली रानी
(ग) प्रणय कहानी
(घ) चंचलता
उत्तर :
(ख) तितली रानी

2. कवि तितली को कहाँ की रानी कहकर संबोधित कर रहा है?
(क) स्वर्ग की रानी
(ख) रात की रानी
(ग) नंदनवन की रानी
(घ) जल की रानी
उत्तर :
(ग) नंदनवन की रानी

3. तितली रानी किसके समान वन-उपवन में भटकती रहती है?
(क) बालिका के समान
(ख) चंचल हवा के समान
(ग) दीवानी के समान
(घ) भ्रामरी के समान
उत्तर :
(ग) दीवानी के समान

4. तितली किस समय आलस्य से भरकर अंगड़ाई लेते हुए किसी से मिलने जा रही है?
(क) प्रभात की बेला में
(ख) अपराहन में
(ग) सायंकालीन बेला में
(घ) रात्रि में
उत्तर :
(क) प्रभात की बेला में

5. तितली अपनी प्रणय कहानी किससे कहती फिरती है?
(क) पत्ती-पत्ती से
(ख) फूल-फूल से
(ग) वन-उपवन से
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

5. रोमांचित-सी लगती वसुधा आई जी गेहूँ में बाली,
अरहर-सनई की सोने की किंकिणियाँ हैं शोभाशाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध फूली सरसों पीली-पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही नीलम की कलि, तीसी नीली।
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से लद गई आम तरु की डाली,
झर रहे ढाँक, पीपल के दल हो उठी कोकिला मतवाली।

1. प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) फूली सरसों
(ख) ग्रामश्री
(ग) हरित धरा
(घ) स्वर्ण मंजरियाँ
उत्तर :
(ख) ग्रामश्री

2. धरती रोमांचित लग रही है क्योंकि
(क) बरसात हो गई है।
(ख) जौ-गेहूँ में बालियाँ आ गई हैं।
(ग) बीजों में अंकुरण हो गया है।
(घ) उसकी मिट्टी में उर्वरता आ गई है।
उत्तर :
(ख) जौ-गेहूँ में बालियाँ आ गई हैं।

3. वातावरण में किसके तेल की सगंध आ रही है?
(क) सरसों के तेल की
(ख) मूंगफली के तेल की
(ग) तिल के तेल की
(घ) अलसी के तेल की
उत्तर :
(क) सरसों के तेल की

4. किस वृक्ष की डालियाँ सुनहरे बौरों से लद गई हैं?
(क) महुआ
(ख) नीम
(ग) आम
(घ) जामुन
उत्तर :
(ग) आम

5. ‘नीलम की कलि’ किन्हें कहा गया है?
(क) अलसी पर खिली नीली कलियों को कहा गया है।
(ख) पीली सरसों पर खिली लाल कलियों को कहा गया है।
(ग) आम की हरी बौरों में नीली कलियों को कहा गया है।
(घ) नीलम पत्थर को कहा गया है।
उत्तर :
(क) अलसी पर खिली नीली कलियों को कहा गया है।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

6. यह लघु सरिता का बहता जल, कितना शीतल, कितना निर्मल।
हिमगिरि के हिम से निकल-निकल, यह विमल दूध-सा हिम का जल
कर-कर निनाद कल-कल, छल-छल, बहता आता नीचे पल-पल।
तन का चंचल, मन का विह्वल, यह लघु सरिता का बहता जल।
निर्मल जल की यह तेज धार, करके कितनी श्रृंखला पार,
बहती रहती है लगातार, गिरती-उठती है बार-बार।
रखता है तन में इतना बल, यह लघु सरिता का बहता जल।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) सरिता का बहता जल
(ख) निर्मलता
(ग) चंचलता
(घ) विह्वलता
उत्तर :
(क) सरिता का बहता जल

2. सरिता का जल कहाँ से निकलकर मैदानों तक आ जाता है?
(क) सागर से
(ख) हिमालय से
(ग) खाड़ी से
(घ) पाताल से
उत्तर :
(ख) हिमालय से

3. हिमालय से निकलते हुए जल का रंग कैसा बताया गया है?
(क) मटमैला
(ख) पीला
(ग) दूधिया
(घ) भूरा
उत्तर :
(ग) दूधिया

4. ‘कर-कर निनाद कल-कल, छल-छल’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर :
(घ) अनुप्रास अलंकार

5. काव्यांश का उद्देश्य क्या है?
(क) वीरतापूर्वक सामना करते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना
(ख) बाधाओं से दूर भागने की कोशिश करना
(ग) सरिता के जल से आचमन करना
(घ) सरिता के जल से स्वयं को पवित्र करना
उत्तर :
(क) बाधाओं का वीरतापूर्वक सामना करते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

7. भारत के शीश हिमालय को, है मेरा बारंबार नमन!
सबसे पहले जिसके माथे पर-सूरज तिलक लगाता है,
जिसके यश को सागर अपनी अनगिन लहरों से गाता है,
जिसकी ऊँचाई पर, मैं ही क्या गर्वित भारत माता है,
जननी के इस गौरव गिरि की आरती सजाता नील गगन!

1. कवि ने हिमालय को क्या कहा है?
(क) अधिपति
(ख) नागमणि
(ग) भारत का शीश
(घ) भारत का भाल
उत्तर :
(ग) भारत का शीश

2. उपयुक्त शीर्षक चुनिए
(क) हिमालय
(ख) भारत देश
(ग) जननी
(घ) नील गगन
उत्तर :
(क) हिमालय

3. कवि किसे बार-बार नमन करता है?
(क) भारत-माता को
(ख) हिमालय को
(ग) अपनी जननी को
(घ) सागर को
उत्तर :
(ख) हिमालय को

4. हिमालय के यश का गान कौन कर रही हैं?
(क) भारत की महिलाएँ
(ख) औषधियाँ
(ग) सागर की लहरें
(घ) ऊँची लताएँ
उत्तर :
(ग) सागर की लहरें

5. भारत-माता को हिमालय की किस बात पर गर्व है?
(क) सबसे साफ़-सुथरा होने के कारण
(ख) सबसे ऊँचा होने के कारण
(ग) सबसे हरा-भरा होने के कारण।
(घ) गुणकारी औषधियों की मौजूदगी के कारण
उत्तर :
(ख) सबसे ऊँचा होने के कारण

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

8. वे मुसकाते फूल नहीं-जिनको आता है मुरझाना,
वे तारों के दीप नहीं-जिनको भाता है बुझ जाना,
वे नीलम से मेघ, नहीं-जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनंत ऋतुराज, नहीं-जिससे देखी जाने की राह!
वे सूने से नयन नहीं-जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज, नहीं-जिनमें बेसुध पीड़ा सोती।
ऐसा तेरा लोक, वेदना नहीं, नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं-जिसने जाना मिटने का स्वाद!
क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार!

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) मुसकाते फूल
(ख) मिटने का अधिकार
(ग) ऋतुराज वसंत
(घ) मोती के समान आँसू
उत्तर :
(ख) मिटने का अधिकार

2. वसंत ऋतु कब अर्थहीन हो जाती है?
(क) जब अर्ध यौवन पर आ जाती है।
(ख) जब समय-सीमा को त्याग कर परे साल बनी रहती है।
(ग) जब वह यौवन की अवहेलना करती है।
(घ) जब वह समय से पहले चली जाती है।
उत्तर :
(ख) जब समय सीमा को त्यागकर पूरे साल बनी रहती है।

3. कवि ने संसार को क्या कहा है?
(क) प्राणों की सेज
(ख) तारों का दीप
(ग) वेदना का लोक
(घ) आस्था का संगम
उत्तर :
(ग) वेदना का लोक

4. काव्यांश का उद्देश्य है
(क) विपत्तियों का हँसकर सामना कर आत्म-बलिदान देना
(ख) विपत्तियों को आने न देना
(ग) विपत्तियों पर नियंत्रण लगाना
(घ) मिटने के स्वाद का आनंद लेना
उत्तर :
(क) विपत्तियों का हँसकर सामना कर आत्म-बलिदान देना

5. प्रभु की करुणा का उपहार किसे मिल सकता है?
(क) जो अमर हो गए हैं।
(ख) जो गुमनाम हो गए हैं।
(ग) जो अचानक मिट गए हैं।
(घ) जो जीवन के आनंद में लिप्त हो गए हैं।
उत्तर :
(क) जो अमर हो गए हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

9. आवश्यकता की पुकार को श्रुति ने श्रवण किया है?
कहो, करो ने आगे बढ़ किसको साहाय्य दिया है?
आर्तनाद तक कभी पदों ने क्या तुमको पहुँचाया?
क्या नैराश्य-निमग्न जनों को तुमने कंठ लगाया?
पैदा कर जिस देश जाति ने तुमको पाला-पोसा।
किए हुए है वह निज हित का तुमसे बड़ा भरोसा।
उससे होना उऋण प्रथम है सत्कर्तव्य तुम्हारा।
फिर दे सकते हो वसुधा को शेष स्वजीवन सारा।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) आवश्यकता की पुकार
(ख) आर्तनाद
(ग) स्वजीवन
(घ) सत्कर्तव्य
उत्तर :
(घ) सत्कर्तव्य

2. आवश्यकता की पुकार क्या है?
(क) ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना
(ख) किसी की भी आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना
(ग) गैर-ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पूर्ति करना
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं
उत्तर :
(क) ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना

3. मनुष्य का प्रथम कर्तव्य क्या है?
(क) देश-जाति के ऋण से दबकर शांत रहना
(ख) देश-जाति के ऋण से मुक्त होकर उसकी सेवा करना
(ग) देश की स्वार्थ की भावना से सेवा करना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) देश-जाति के ऋण से मुक्त होकर उसकी सेवा करना

4. किन लोगों को गले लगाकर सांत्वना देनी चाहिए?
(क) निराश लोगों को
(ख) बेसुध लोगों को
(ग) पिछड़े लोगों को
(घ) असहाय लोगों को
उत्तर :
(क) निराश लोगों को

5. हमें क्या सुनकर सहायता करनी चाहिए?
(क) करुण पुकार
(ख) कराह
(ग) वेदना की पुकार
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

10. मैं तो वही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल।
खेल रहा था जिसको लेकर, राजकुमार उछाल-उछाल।
व्यथित हो उठी मां बेचारी, था सुस्वर्ण निर्मित वह तो।
खेल इसी से लाल, नहीं है, राजा के घर भी यह तो।
राजा के घर नहीं, नहीं माँ, तू मुझको बहकाती है।
इस मिट्टी से खेलेगा क्या, राजपुत्र तू ही कह तो।
फेंक दिया मिट्टी में उसने, मिट्टी का गुड्डा तत्काल।
मैं तो वही खिलौना लूँगा, मचल गया दीना का लाल।

1. कविता का उपयुक्त शीर्षक है –
(क) दीना का लाल
(ख) खिलौना
(ग) राजकुमार
(घ) खेल
उत्तर :
(ख) खिलौना

2. माँ ने बेटे को क्या समझाने का प्रयास किया है?
(क) ऐसा खिलौना तो ढूँढने से नहीं मिलेगा।
(ख) ऐसा खिलौना तो राजकुमार के पास भी नहीं होगा।
(ग) ऐसा खिलौना तो बाजार में भी नहीं मिलेगा।
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं।
उत्तर :
(ख) ऐसा खिलौना तो राजकुमार के पास भी नहीं होगा।

3. दीना का लाल क्या लेना चाहता है?
(क) सस्ता खिलौना
(ख) मखमल का खिलौना
(ग) राजकुमार के खिलौने जैसा
(घ) स्वचालित खिलौना
उत्तर :
(ग) राजकुमार के खिलौने जैसा

4. दीना के लाल ने मिट्टी का गुड्डा कहाँ फेंक दिया?
(क) छत पर
(ख) मिट्टी में
(ग) द्वार पर
(घ) घास में
उत्तर :
(ख) मिट्टी में

5. ‘तू’ मुझको बहकाती है। पंक्ति में ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) पिता
(ख) माता
(ग) बेटा
(घ) राजकुमार
उत्तर :
(ख) माता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

11. “माँ, कह एक कहानी!’
‘बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?’
‘कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी।
कह माँ, कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी?
माँ, कह एक कहानी?’
‘सुन, उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे।
जहाँ सुरभि मनमानी।”जहाँ सुरभि मनमानी! हाँ माँ, यही कहानी।’
‘वर्ण-वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-बिंदु झिले थे,
हलके झोंके हिले-मले थे, लहराता था पानी।’
‘लहराता था पानी! हाँ, हाँ, यही कहानी।’

1. बेटा किससे कहानी कहने के लिए कह रहा है?
(क) माँ से
(ख) पिता से
(ग) नानी से
(घ) दादी से
उत्तर :
(क) माँ से

2. दासी ने बेटे को क्या बताया?
(क) उसकी माँ नानी की बहन है।
(ख) उसकी माँ नानी की बेटी है।
(ग) उसकी माँ नानी की बहू है।
(घ) उसकी माँ दादी की बेटी है।
उत्तर :
(ख) उसकी माँ की बेटी है।

3. माँ कहानी की शुरुआत कहाँ से करती है?
(क) पिता के उपवन घूमने से
(ख) नानी के बाग से
(ग) नदी-किनारे से
(घ) स्वयं की सुबह की सैर से
उत्तर :
(क) पिता के उपवन घूमने से

4. ओस की बूंदें कहाँ झलक रही थीं?
(क) रंगीन फ़र्श पर
(ख) रंगीन फूलों पर
(ग) पेड़ की सूखी डालों पर
(घ) फलों पर
उत्तर :
(ख) रंगीन फूलों पर

5. उपवन में किसे मनमानी करते बताया गया है?
(क) राजकुमारी को
(ख) माँ को
(ग) तितली
(घ) सुरभि
उत्तर :
(घ) सुरभि

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

12. रात यों कहने लगा मुझ से गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता है,
और फिर बेचैन हो जगता न सोता है।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) अनोखा जीव
(ख) चाँद और कवि
(ग) चाँदनी
(घ) उलझन
उत्तर :
(ख) चाँद और कवि

2. चाँद ने मनष्य को क्या कहा?
(क) विचित्र प्राणी
(ख) ज्ञानशील प्राणी
(ग) भोला-भाला प्राणी
(घ) विवेकशून्य प्राणी
उत्तर :
(क) विचित्र प्राणी

3. कवि हमेशा कहाँ खोया रहता है?
(क) यथार्थ लोक में
(ख) परलोक में
(ग) कल्पना लोक में
(घ) स्वर्गलोक में
उत्तर :
(ग) कल्पना लोक में

4. चाँद स्वयं के बारे में क्या बताता है?
(क) एकदम नया
(ख) बहुत पुराना
(ग) शीतल करने वाला
(घ) चाँदनी देने वाला
उत्तर :
(ख) बहुत पुराना

5. चाँद ने किसे मरते और जन्म लेते देखा है?
(क) सूर्य भगवान को
(ख) सप्तर्षि को
(ग) प्रथम पुरुष मनु को
(घ) राजा इक्ष्वाकु को
उत्तर :
(ग) प्रथम पुरुष मनु को

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

13. हम अनिकेतन, हम अनिकेतन।
हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?
अब तक इतनी यों ही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी।
कौन बनाए आज घरौंदा, हाथों चुन-चुन कंकड़-माटी।
ठाठ फ़कीराना है अपना बाघंबर सोहे अपने तन।
देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मजे के।
संग्रह के सब विग्रह देखे, अँचे नहीं कुछ अपने लेखे।
लालच लगा कभी, पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) फ़कीराना ठाठ
(ख) हम अनिकेतन
(ग) नव परिपाटी
(घ) हास-विलास
उत्तर :
(ख) हम अनिकेतन

2. कवि किसके प्रति रुचि नहीं रखता?
(क) वैभव और विलास के प्रति
(ख) भ्रमण
(ग) विरक्तता
(घ) फकीराना ठाठ
उत्तर :
(ख) वैभव और विलास के प्रति

3. व्यक्ति में भटकाव और बेचैनी किस कारण होती है?
(क) मोह के कारण
(ख) अशांति के कारण
(ग) वैभव के कारण
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(ग) वैभव के कारण

4. वैभव के प्रति रुचि रखने वाला व्यक्ति प्रायः कैसा होता है?
(क) परोपकारी
(ख) धनवान
(ग) परस्वार्थी
(घ) स्वार्थी-आत्मकेंद्रित
उत्तर :
(घ) स्वार्थी-आत्मकेंद्रित

5. विरक्त लोगों के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(क) ये साधु स्वभाव के होते हैं।
(ख) ये लालची नहीं होते हैं।
(ग) इनमें संग्रह करने की भावना होती है।
(घ) ये एक स्थान में टिककर नहीं रहते।
उत्तर :
(ग) इनमें संग्रह करने की भावना होती है।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

14. हे ग्राम-देवता नमस्कार!
सोने-चाँदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार
हे ग्राम-देवता नमस्कार!
जन-कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा-सा निवास
रवि-शशि का उतना नहीं कि जितना प्राणों को होता प्रकाश।
श्रम-वैभव के बल पर करते हो जड़ में चेतन का विकास।
दानों-दानों से फूट रहे सौ-सौ दानों के हरे हास।
यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार।
हे ग्राम-देवता नमस्कार!

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) मिट्टी से प्यार
(ख) कोलाहल
(ग) ग्राम-देवता
(घ) श्रम-वैभव
उत्तर :
(क) ग्राम-देवता

2. ग्राम-देवता कहाँ रहता है?
(क) मंदिर में
(ख) पहाड़ में
(ग) महल में
(घ) छोटी-सी कुटिया में
उत्तर :
(घ) छोटी-सी कुटिया में

3. ग्राम-देवता किससे प्यार करता है?
(क) भक्तों से
(ख) मिट्टी से
(ग) प्रसाद से
(घ) फल-मेवों से
उत्तर :
(ख) मिट्टी से

4. ग्राम-देवता क्या करके धरती को चेतन बना देता है?
(क) धरती में अन्न पैदा कर
(ख) बारिश करवाकर
(ग) फसल काटकर
(घ) अन्न बाँटकर
उत्तर :
(क) धरती में अन्न पैदा कर

5. ग्राम-देवता के परिश्रम से निकलने वाले पसीने को क्या बताया गया है?
(क) आकाशगंगा
(ख) गंगा की उज्जवल धारा
(ग) चूने की लकीर
(घ) दूध की सफ़ेद धारा
उत्तर :
(ख) गंगा की उज्जवल धारा

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

15. जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।
धुन है एक न एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
जीवन-भर आतप वह वसुधा पर छाया करता है।
तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है।
रवि जग में शोभा सरसाता, सोम सुधा बरसाता।
सब हैं लगे कर्म में, कोई निष्क्रिय दृष्टि न आता।
है उद्देश्य नितांत तुच्छ तृण के भी लघु जीवन का।
उसी पूर्ति में वह करता है अंत कर्ममय तन का।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक है
(क) सचर-अचर
(ख) वसुधा
(ग) कर्म करो
(घ) कर्ममय तन
उत्तर :
(ग) कर्म करो

2. सांसारिक लोग किस धुन में लगे हुए हैं?
(क) लक्ष्य-प्राप्ति की
(ख) भोग-विलास की
(ग) व्रत करने की
(घ) कर्म करने की
उत्तर :
(क) लक्ष्य-प्राप्ति की

3. संसार को तेज़ की प्राप्ति किससे होती है?
(क) ज्ञान से
(ख) वैभव से
(ग) अग्नि से
(घ) सूर्य से
उत्तर :
(घ) सूर्य से

4. अमृत के समान शीतलता कौन प्रदान करता है?
(क) जाड़ा
(ख) वसंत
(ग) चंद्रमा
(घ) समीर
उत्तर :
(ग) चंदमा

5. काव्यांश में कवि का उद्देश्य क्या है?
(क) सदा कर्म करते रहना
(ख) सदा अच्छे समय की प्रतीक्षा करना
(ग) ज़रूरत पड़ने पर कर्म करना
(घ) मनमर्जी कर्म करते रहना
उत्तर :
(क) सदा कर्म करते रहना

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

16. इतने ऊँचे उठो कि जितना उछा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति-भेद की, धर्म-वेस की
काले गोरे रंग-द्वेष की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है।

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) दुनिया
(ख) जाति-भेद
(ग) इतने ऊँचे उठो
(घ) रंग-द्वेष
उत्तर :
(ग) इतने ऊँचे उठो

2. कवि मनुष्य को किसके समान ऊँचे उठने को कह रहा है?
(क) हिमालय
(ख) आसमान
(ग) सूर्य
(घ) चाँद
उत्तर :
(ख) आसमान

3. ऊँचे विचारों वाला मनुष्य क्या करता है?
(क) स्वयं को अलग रखता है।
(ख) सर्व-कल्याण की भावना रखता है।
(ग) सिर्फ़ परिचितों के कल्याण की भावना रखता है।
(घ) मनमौजी होकर अपने लोगों का कल्याण करता है।
उत्तर :
(ख) सर्व-कल्याण की भावना रखता है।

4. संसार किस भेद-भाव से ग्रस्त है?
(क) जाति-धर्म
(ख) वेश-भूषा
(ग) काले-मोटे रंग
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प

5. भेदभाव को दूर करने के लिए कवि ने क्या कहा है?
(क) ममता की भावना का प्रचार करना
(ख) द्वेष-भावना का प्रचार करना
(ग) हीन भावना का प्रचार करना
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(क) ममता की भावना का प्रचार करना

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

17. ऊषा की सुकुमार रश्मि से रंचित थी जिसकी चितवन,
प्रात-स्वप्न-सा कहाँ खो गया वह मेरा भोला बचपन!
मृदुल सुनहरी चंचलता वह आज कहाँ है! लीन हुई,
यौवन की मोहलक सरिता में, क्या पीड़ा की मीन हुई!
सरल हंसी जिसमें सोती थी पड़ी हुई पीड़ा चुपचाप,
आज अश्रु से लिखती उर में अतीत का भूला इतिह्मस!

1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) सरिता
(ख) उषा की रश्मि
(ग) मेरा बचपन
(घ) इतिहास
उत्तर :
(ग) मेरा बचपन

2. कवि अपने बचपन के दिनों को क्या कहता है?
(क) अतीत का भूला इतिहास
(ख) नव लिखित इतिहास
(ग) अविस्मृत यादें
(घ) स्वर्णिम स्मृतियाँ
उत्तर :
(क) अतीत का भूला इतिहास

3. कवि की बचपन की चंचलता किसमें बदल गई है?
(क) मुसीबतों में
(ख) कठिन दिनचर्या में
(ग) यौवन की गंभीरता में ।
(घ) यौवन की सुकुमारता में
उत्तर :
(ग) अतीत की गंभीरता में

4. कवि अपने बचपन की यादों को हृदय पर किससे लिख रहा है?
(क) स्याही से
(ख) अश्रु से
(ग) पंख से
(घ) पेन से
उत्तर :
(ख) अश्रु से

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश

5. कवि ने बचपन को किसके समान खो दिया है?
(क) हवा के समान
(ख) दिवा-स्वप्न के समान
(ग) बहुमूल्य हीरे के समान
(घ) रात्रि के स्वप्न के समान
उत्तर :
(ख) दिवा-स्वप्न के समान

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

JAC Class 10 Hindi बड़े भाई साहब Textbook Questions and Answers

मौखिक – 

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
कथा-नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर :
कथा-नायक की रुचि खेलने-कूदने और मौज-मस्ती के कार्यों में थी। उसे कंकरियाँ उछालना व कागज़ की तितलियाँ उड़ाना अच्छा लगता है। कभी-कभी वह इधर-उधर घूमता था और कभी तरह-तरह के खेल खेलता था। उसकी पढ़ने में बिलकुल भी रुचि न थी।

प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
उत्तर :
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे कि अब तक तुम कहाँ थे? उसके बाद वे लंबा-चौड़ा भाषण दिया करते थे।

प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई बड़े भाई की सहनशीलता का अनुचित लाभ उठाने लगा। वह पहले से अधिक स्वच्छंद हो गया। वह अपना अधिक समय खेल-कूद में ही लगाने लगा।

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प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
उत्तर :
बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में पाँच साल बड़े थे। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
उत्तर :
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कॉपी और किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों और बिल्लियों की तसवीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम, शब्द या वाक्य को कई बार लिखते थे और कभी ऐसी शब्द-रचना कर देते थे, जिसका कोई अर्थ और सामंजस्य नहीं होता था।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
उत्तर :
बड़े भाई द्वारा बुरी तरह लताड़े जाने पर छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बना लिया। टाइम-टेबिल बनाते समय उसने सोचा कि अब वह खूब मन लगाकर पढ़ेगा और खेलकूद की ओर ध्यान नहीं देगा। उसने टाइम-टेबिल में खेलकूद का समय भी निर्धारित नहीं किया। लेकिन जैसे ही उसने टाइम-टेबिल का पालन करना चाहा, उसे खेलकूद की याद सताने लगी। उसे मैदान की सुखद हरियाली, हवा के हल्के-हल्के झोंके तथा कबड्डी व वॉलीबॉल आदि खेलों का आनंद अपनी ओर खींचने लगा। इस कारण छोटा भाई टाइम-टेबिल बनाकर भी उसका पालन नहीं कर पाया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

प्रश्न 2.
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई के सामने पहुंचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
एक दिन जब छोटा भाई गुल्ली-डंडा खेलने के बाद भोजन के समय लौटा, तो बड़े भाई साहब उस पर बहुत क्रोधित हुए। उन्हो डाँटते-फटकारते हुए कई तरह से समझाने का प्रयास किया। बड़े भाई साहब ने छोटे भाई से कहा कि उसे अपने पास होने का घमंड नहीं करना चाहिए। उन्होंने अनेक घमंडी लोगों और राजाओं के उदाहरण देकर उसे बताया कि घमंड करने से बड़े-से-बड़े व्यक्ति का भी नाश हो जाता है। उन्होंने उसके परीक्षा में पास होने को भी केवल एक संयोग बताया। बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को खेलों से दूर रहने की नसीहत दी।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं ?
उत्तर :
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे। बड़ा होने के नाते वे हर समय यही कोशिश करते कि वे जो कुछ भी करें, वह उनके छोटे भाई के लिए एक उदाहरण बन जाए। वे सदा अपने आपको एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे। उन्हें लगता था कि वे जैसा आचरण करेंगे, उनका छोटा भाई भी वैसा ही आचरण करेगा। अतः अपने छोटे भाई को अच्छी शिक्षा देने की चाह के कारण बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
उत्तर :
बड़े भाई साहब छोटे भाई को पढ़ने-लिखने की सलाह देते थे। उनकी इच्छा थी कि जिस प्रकार वे हर उनका छोटा भाई भी अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाए। उन्हें अपने छोटे भाई का खेलना और इधर-उधर घूमना अच्छा नहीं लगता था। बड़े भाई साहब चाहते थे कि उनका छोटा भाई पढ़-लिखकर विद्वान बने। इसी कारण वे उसे खेलकूद छोड़कर पढ़ने की सलाह दिया करते थे।

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प्रश्न 5.
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
उत्तर :
लेखक के दूसरी बार पास होने और बड़े भाई साहब के फेल होने पर बड़े भाई साहब का व्यवहार नरम पड़ गया। वे अब लेखक को कम डाँटते थे। लेखक उनके नरम व्यवहार के कारण पहले से अधिक स्वच्छंद हो गया। उसने पढ़ने-लिखने के स्थान पर मौज-मस्ती करना शुरू कर दिया। वह अपना सारा समय पतंगबाजी और अन्य खेलों में लगाने लगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए। उत्तर :
बड़े भाई साहब के साथ उनका छोटा भाई भी होस्टल में रहता था। बड़े भाई साहब हर समय पढ़ते रहते थे। वे चाहते थे कि उनका छोटा भाई भी खूब पढ़े, किंतु छोटे भाई का ध्यान पढ़ाई की बजाय खेलों में अधिक था। वे उसे निरंतर डाँटते-फटकारते रहते। उनकी डाँट-फटकार का प्रभाव यह हुआ कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल आया। यदि बड़े भाई साहब उसे न डाँटते, तो उसका अव्वल आना संभव नहीं था।

बड़े भाई साहब ने स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करते हुए स्वयं को सभी प्रकार के खेलों से दूर रखा। उन्होंने एक पिता के समान छोटे भाई पर पूरा नियंत्रण रखा और उसे पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया। यदि बड़े भाई साहब छोटे भाई को न डाँटते, तो वह पढ़ने-लिखने में अपना ध्यान बिलकुल न लगाता और अव्वल आना तो दूर, वह पास भी न हो पाता। निश्चित रूप से छोटे भाई के अव्वल आने में बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार का पूरा योगदान था।

प्रश्न 2.
‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है ? क्या आप उनके विच्चार से सहमत हैं ?
अथवा
‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए कि लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन पहलुओं: पर व्यंग्य किया है? आपके विचारों से इसका क्या समाधान हो सकता है? तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए।
उत्तर :
बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने शिक्षा के विभिन्न तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है। लेखक के अनुसार आजकल विद्यार्थियों को जो कुछ भी पढाया जा रहा है, उससे उनके वास्तविक जीवन का कोई लेना-देना नहीं है। इसे पढकर उन्हें जीवन में कोई विशेष लाभ: भी नहीं होता, किंतु परीक्षा पास करने के लिए विद्यार्थियों को यह सब रटना पड़ता है। लेखक कहता है कि इतिहास में अंग्रेजों का इतिहास पढ़ाया जाता है।

इस इतिहास का वर्तमान से कोई संबंध नहीं है और इसे पढ़कर विद्यार्थी कोई बहुत बड़ा नाम भी नहीं कमा लेखक की यह बात बिलकुल सही है कि विद्यार्थियों को आजकल जो कुछ पढ़ाया जा रहा है, वह उचित नहीं है। यह पढ़ाई-लिखाई उनके जीवन में कोई बदलाव लाने वाली नहीं है। यह पढ़ाई उन्हें किसी प्रकार से आत्मनिर्भर बनाने में भी सक्षम नहीं है। अतः हम लेखक के विचारों से पूर्णत: सहमत हैं।

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प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
उत्तर :
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ अनुभव से आती है। उनका मत है कि किताबें पढ़ने से मनुष्य विद्या तो ग्रहण कर सकता है, किंतु जीवन जीने की समझ जिंदगी के अनुभव से आती है। अधिक पढ़ा-लिखा होने से व्यक्ति विद्वान तो बन सकता है, लेकिन जीवन जीने के लिए जीवन की समझ की भी ज़रूरत होती है, जो केवल अनुभव से ही प्राप्त की जा सकती है। कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी अनुभवी हो सकता है चाहे उसने किताबें न पढ़ी हों, किंतु उसे भी अपने अनुभव से जिंदगी की बहुत समझ होती है। उसे उसके जीवन में घटने वाली घटनाएँ ही अनुभवी बनाती हैं। बड़े भाई साहब जीवन के इसी अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्व देते हैं।

प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई ?
उत्तर :
परीक्षा में दूसरी बार भी पास होने पर छोटा भाई पढ़ाई-लिखाई से दूर हो गया। एक दिन जब वह एक पतंग के पीछे दौड़ रहा था, तो बड़े भाई साहब ने उसे पकड़ लिया। उन्होंने उसे बुरी तरह फटकारा। उनके द्वारा दिए गए तर्क और उदाहरण इतने सटीक थे कि छोटा भाई हैरान रह गया। बड़े भाई साहब ने उसे बताया कि केवल किताबी ज्ञान पा लेने से कोई महान नहीं बन जाता, बल्कि जीवन की समझ अनुभव से आती है।

बड़े भाई साहब छोटे भाई को बड़े ही सुंदर ढंग से समझाते हैं कि पढ़-लिखकर पास होना और जीवन की समझ होना-दोनों अलग-अलग बातें हैं। वे चाहे परीक्षा में पास न हुए हों, किंतु उनके पास जीवन का अनुभव अधिक है। परीक्षा में केवल पास होना ही बड़ी बात नहीं है अपितु अच्छे-बुरे समय में अपने आपको उसके अनुसार ढाल लेना बड़ी बात है।

बड़े भाई साहब उसे अपनी माता, दादा और हेडमास्टर साहब का उदाहरण देकर समझाते हैं कि जीवन में अनुभव की अधिक आवश्यकता है और उनके पास उससे कहीं ज्यादा अनुभव है। बड़े भाई साहब की ऐसी विद्वत्तापूर्ण बातों को सुनकर छोटे भाई के मन में उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) छोटे भाई का हितैषी – बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई का भला चाहने वाले हैं। वे निरंतर उसे अच्छाई की ओर प्रेरित करते हैं। वे स्वयं को उसके सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे चाहते हैं कि उनका छोटा भाई किसी तरह से पढ़-लिख जाए। इसी कारण वे क्रोधित भी होते हैं और उस पर पूरा नियंत्रण भी रखते हैं।

(ii) गंभीर – बड़े भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के हैं। वे हर समय किताबों में खोए रहते हैं। वे अपने छोटे भाई के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं, इसलिए वे सदा अध्ययनशील रहते हैं। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है।

(iii) वाक् कला में निपुण – बड़े भाई साहब वाक् कला में निपुण हैं। वे अपने छोटे भाई को ऐसे-ऐसे उदाहरण देकर बताते हैं कि वह उनके आगे नतमस्तक हो जाता है। उन्हें शब्दों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना आता है। यही कारण है कि वे अपने छोटे भाई पर अपना पूरा दबदबा बनाए रखते हैं।

(iv) वर्तमान शिक्षा-प्रणाली का विरोधी – बड़े भाई साहब वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के विरोधी हैं। उनके अनुसार यह शिक्षा प्रणाली किसी प्रकार से भी लाभदायक नहीं है। यह विद्यार्थियों को कोरा किताबी ज्ञान देती है, जिसका वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं होता। विद्यार्थी को ऐसी-ऐसी बातें पढ़ाई जाती हैं, जिनका उसके भावी जीवन से कोई संबंध नहीं होता। वे ऐसी शिक्षा-प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए इसे दूर करने की बात कहते हैं।

प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है ?
उत्तर :
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्वपूर्ण कहा है। उनके अनुसार किताबी ज्ञान से जीवन जीने की समझ नहीं आती। इससे जीवन की वास्तविकताओं का सामना भी नहीं किया जा सकता। किताबी ज्ञान प्राप्त करके व्यक्ति परिपक्व नहीं हो पाता। उनका मत है कि व्यक्ति अपनी जिंदगी के अनुभव से ही सबकुछ सीखता है। बहुत-से कम पढ़े-लिखे लोग भी; जिन्हें जिंदगी का अनुभव होता है; पढ़े-लिखे लोगों से अधिक समझदार होते हैं। जिंदगी का अनुभव हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम बनाता है। व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर बड़े-से-बड़े कार्य को भी सरलता स से कर लेता है। जिंदगी का अनुभव हमें इतना परिपक्व बना देता है कि हम अपनी मुसीबतों को भी सरलता से झेल लेते हैं, जबकि से कर ले किताबी ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति मुसीबतों में अपना धैर्य खो देता है। इसी कारण बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान स महत्वपण कहा है।

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प्रश्न 7.
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि –
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर :
(क) छोटा भाई अपने बड़े भाई की डाँट-डपट को चुपचाप सहन करता है। दूसरी बार भी बड़े भाई साहब के फेल होने पर जब छोटा भाई परीक्षा में पास हो जाता है, तो वह खेलकूद में अधिक ध्यान लगाने लगता है। तब भी वह बड़े भाई साहब से छिपकर पतंगबाज़ी आदि करता है। इससे पता चलता है कि छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।

(ख) भाई साहब अपने छोटे भाई को अनेक उदाहरण देकर घमंड न करने और जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं। जब वे छोटे भाई को अपनी माता, दादा और हेडमास्टर साहब के विषय में बताते हैं, तो उनके द्वारा कही गई तर्कपूर्ण एवं सटीक बातों से पता चलता है कि उन्हें जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

(ग) पाठ के अंत में जब भाई साहब एक पतंग की डोर को उछलकर पकड़ लेते हैं और होस्टल की ओर दौड़ते हैं, तो उनके इस व्यवहार से पता चलता है कि बड़े भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।

(घ) छोटे भाई साहब को समय-समय पर पढ़ने-लिखने की ओर ध्यान लगाने के लिए कहते हैं। वे उसे समझाते हुए कहते हैं कि वे उसे किसी भी सूरत में गलत राह पर चलने नहीं देंगे। भाई साहब स्वयं एक आदर्श बनकर लेखक को जीवन में परिश्रम करने की शिक्षा देते हैं। उनकी डाँट-फटकार के पीछे भी उनका उद्देश्य लेखक का भला चाहना है। इससे स्पष्ट है कि बड़े भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।
उत्तर :
राक्षा में पास हाना काई है। बड़ी बात तो बुद्धि का विकास करना है। यदि कोई व्यक्ति अनेक परीक्षाएँ पास कर ले, किंतु उसे अच्छे-बुरे में अंतर करना न आए तो उसकी पढ़ाई व्यर्थ है। पुस्तकों को पढ़कर उसके ज्ञान से अपनी बुद्धि का विकास करना ही असली विद्या है।

प्रश्न 2.
फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।
उत्तर :
प्रस्तुत कथन छोटे भाई का है। वह अपने बड़े भाई से छिपकर खेलने जाया करता था। उसे पता था कि यदि उसके भाई साहब को पता चल जाएगा तो वे उसे बुरी तरह फटकारेंगे, किंतु छोटे भाई को खेल-कूद से इतना अधिक मोह था कि वह चाहकर भी खेल-कूद को नहीं छोड़ सकता था।

लेखक कहता है कि जिस प्रकार मौत और विपत्ति से घिरा हुआ मनुष्य भी मोह-माया के बंधनों से नहीं निकल पाता, उसी प्रकार बड़े भाई साहब की फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी छोटा भाई अपने खेल-कूद को नहीं छोड़ सकता था। वह अपने खेलकूद के कारण अनेक प्रकार की डाँट-फटकार सहन करता था, लेकिन खेलकूद का मोह छोड़ पाना उसके लिए संभव नहीं था।

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प्रश्न 3.
बुनियाद ही पुख्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बने ?
उत्तर :
इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि किसी भी मज़बूत मकान के लिए मज़बूत नींव का होना आवश्यक है। यदि नींव कमजोर होगी, तो उस पर बना मकान भी कमजोर ही होगा। नींव जितनी मज़बूत होगी, उस पर बना मकान भी उतना ही मज़बूत होगा। उसी तरह किसी भी मज़बूत व्यक्तित्व के निर्माण के लिए उसकी नींव का बहुत बड़ा योगदान होता है। अत: नींव को मजबूत बनाना चाहिए।

प्रश्न 4.
आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर :
लेखक कहता है कि एक दिन वह एक कटी हुई पतंग को लूटने के लिए उसके पीछे दौड़ रहा था। उस समय उसकी आँखें आसमान की ओर थीं और उसका मन उस कटी हुई पतंग की ओर लगा हुआ था। पतंग धीरे-धीरे हवा में लहराती हुई नीचे की ओर गिरने को थी। उस समय वह पतंग ऐसी प्रतीत हो रही थी, जैसे कोई पवित्र व शांत आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से धरती पर नया जन्म लेने के लिए उतर रही हो।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
उत्तर

  • नसीहत – उपदेश, सीख
  • रोष – क्रोध, गुस्सा
  • आज़ादी – स्वतंत्रता, स्वाधीनता
  • राजा – नरेश, नृप
  • ताज्जुब – हैरानी, आश्चर्य

प्रश्न 2.
प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए –
मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा-गैरा नत्थू खैरा।
उत्तर :

  • सिर पर नंगी तलवार लटकना – युद्ध-क्षेत्र में सैनिकों के सिर पर सदा नंगी तलवार लटकती रहती है।
  • आड़े हाथों लेना – जब रमेश द्वारा मोहन पर लगाए आरोप झूठे निकले, तो मोहन ने उसे आड़े हाथों लिया।
  • अंधे के हाथ बटेर लगना – सोहन कम पढ़ा-लिखा है, किंतु उसे सरकारी नौकरी मिल गई है। सच है कि अंधे के हाथों बटेर लग गई।
  • लोहे के चने चबाना – जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
  • दाँतों पसीना आना – आई०ए०एस० की परीक्षा पास करने में दाँतों पसीना आ जाता है।
  • ऐरा-गैरा नत्थू खैरा – एवरेस्ट पर चढ़ना ऐरे-गैरे नत्थू खैरे का काम नहीं है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए –
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब 1
तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ़, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रातःकाल, विद्ववान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल
उत्तर :
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प्रश्न 4.
क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक।
सकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे –
शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
अकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे- शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है-सकर्मक या अकर्मक? लिखिए –
(ख) सकर्मक क्रिया
(ख) फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा।
(ग) शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा।
(घ) मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।
(ङ) समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो।
(च) मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।
उत्तर :
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) सकर्मक क्रिया
(ग) सकर्मक क्रिया
(घ) सकर्मक क्रिया
(ङ) सकर्मक क्रिया
(च) अकर्मक क्रिया

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प्रश्न 5.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए –
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
उत्तर :
विचार + इक = वैचारिक
इतिहास + इक = ऐतिहासिक
संसार + इक = सांसारिक
दिन + इक = दैनिक
नीति + इक = नैतिक
प्रयोग + इक = प्रयोगिक
अधिकार + इक = अधिकारिक

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य – 

प्रश्न 1.
कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई ?
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपकी छोटी बहिन/छोटा भाई छात्रावास में रहती/रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए। उत्तर :
15-सी, कर्ण विहार
पुणे 4 जनवरी, 20……
प्रिय दुष्यंत
शुभाशीष!
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि तुम खूब मन लगाकर पढ़ रहे हो। तुम दसवीं कक्षा में आ गए हो। अब तुम्हें पढ़ाई-लिखाई की ओर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है। छात्रावास में रहने वाले अपने साथियों के साथ बैठकर खूब पढ़ा करो। यदि अब तुम मेहनत कर लोगे, तो तुम्हें जीवन भर इसका लाभ मिलेगा। दसवीं की पढ़ाई थोड़ी कठिन है। ऐसे में तुम्हें अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करके खूब पढ़ाई करनी होगी। मैं आशा करता हूँ कि तुम अच्छे लड़कों की संगति में बैठकर पढ़ाई में ध्यान लगाते होगे। छात्रावास में तुम पर घरवालों का कोई अधिक नियंत्रण नहीं है। ऐसे में तुम्हें स्वयं ही अपनी जिम्मेवारी समझकर खूब पढ़ना-लिखना होगा। मुझे विश्वास है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तुम अच्छे अंकों से पास हो जाओगे। पढ़ाई में पूरा मन लगाना।
तुम्हारा बड़ा भाई
गौतम

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निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को अपना उदाहरण किस रूप में देते हैं ?
उत्तर :
छोटे भाई की खेलकूद में अधिक रुचि होने के कारण बड़े भाई साहब उसे डाँटते-फटकारते हैं। वे उसे उनसे सबक लेने की बात कहते हैं। वे अपने आपको उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि वे परीक्षा में पास होने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं। वे किसी मेले-तमाशे में नहीं जाते। प्रतिदिन होने वाले हॉंकी और क्रिकेट के मैचों से दूर रहते हैं। उनके इस प्रकार के तौर-तरीकों से उसे सीख लेनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर सकता, तो उसे पढ़ाई-लिखाई छोड़कर वापस घर चले जाना चाहिए।

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प्रश्न 2.
छोटे भाई की खेलकूद के प्रति रुचि की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर :
छोटा भाई खेलकूद में अत्ययिक रुचि होने के कारण सदा बड़े भाई साहब से तिरस्कार पाता था। यद्यपि वह उनसे छिपकर खेलता था, फिर भी पकड़ा जाता था और बड़े भाई साहब उसे बुरी तरह फटकारते थे। छोटे भाई की खेलकूद में रुचि की तुलना मौत और विपत्ति के बीच फँसे उस व्यक्ति से की गई है, जो मोह-माया के बंधनों में जकड़ा हुआ है। जिस प्रकार व्यक्ति विपत्ति और मृत्यु के बीच फँसे होने पर भी मोह-माया को नहीं छोड़ पाता, उसी प्रकार छोटा भाई भी ब्रे़े भाई साहब द्वारा अनेक प्रकार से अपमानित होने पर भी खेलकुद को छोड़ पाने में असमर्थ था।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को घमंड न करने की नसीहत किस प्रकार दी?
उत्तर :
बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को रावण के उदाहरण के माध्यम से घमंड न करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि रावण भूमंडल का स्वामी था। वह ऐसा चक्रवर्ती राजा था कि बड़े-बड़े देवता भी उसकी गुलामी करते थे। अग्नि और वरुण देवता भी उसके सेवक थे। ऐसे चक्रवर्ती राजा का भी घमंड के कारण अंत हो गया और उसका नामो-निशान तक मिट गया। वे कहते हैं कि घमंड सभी कुकर्मों में सबसे बड़ा है। मनुष्य को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जो अभिमान करता है, उसका शीघ्र ही अंत हो जाता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने शैतान और शाहेरूम का उदाहरण देकर भी अपने छोटे भाई को घमंड न करने की नसीहत दी।

प्रश्न 4.
छोटे भाई को बाजार में पतंग लूटते देखकर बड़े भाई साहब ने उसे कैसे डाँटा?
उत्तर :
एक दिन जब छोटा भाई पतंग लूटने के लिए दौड़ रहा था, तो बाजार से लौटते अपने बड़े भाई साहब से टकरा गया। बड़े भाई साहब उसे देखते ही क्रोधित हो गए। उन्होंने उसे डाँटते हुए कहा कि वह जिस आठवीं कक्षा में है, वह कोई छोटी कक्षा नहीं है। उसे अपनी पोजीशन का ख्याल रखना चाहिए। इस कक्षा को पास करके पहले जमाने में लोग नायब तहसीलदार बन जाया करते थे और आज भी अनेक आठवीं पास करने वाले लीडर और समाचार-पत्रों के संपादक हैं। अत: उसे अब आठवीं कक्षा में आने पर बाज़ारी लड़कों के साथ पतंग लूटते घूमना शोभा नहीं देता।

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प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब ने हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण किस संदर्भ में दिया है ?
उत्तर :
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को समझाते हुए कहते हैं कि किताबी ज्ञान की अपेक्षा जीवन का अनुभव अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसी संदर्भ में उन्होंने हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण दिया है। वे कहते हैं कि हेडमास्टर साहब एम० ए० पास हैं, किंतु उनके घर का सारा प्रबंध उनकी माँ के हाथों में है। जब वे घर का प्रबंध करते थे, तो सदा कर्जदार रहते थे; किंतु उनकी माँ उतने ही धन से उनके घर का सारा प्रबंध बड़ी सहजता से कर लेती हैं। इसका कारण यह है कि उनकी माँ को जिंदगी की समझ है। अतः किताबी ज्ञान और जीवन के अनुभव में से जीवन का अनुभव श्रेष्ठ है।

प्रश्न 6.
कहानी के आधार पर बताइए कि लेखक ने अंग्रेज़ी की शिक्षा पर अपने क्या विचार प्रकट किए हैं?
उत्तर :
कहानी में अंग्रेजी भाषा के बारे में बताते हुए बड़े भाई साहब कहते हैं कि अंग्रेजी पढ़ना कोई आसान काम नहीं है और न ही इसे समझने के लिए दिन-रात एक करने पड़ते हैं। देर-देर तक पढ़ना पड़ता है। किताबों में आँखें गड़ाकर बैठना पडता है। न चाहते हुए भी अपना खन जलाना पडता है। इसकी कठिनाई इसी से समझो कि इसे बोल पाना और लिखना सभी के बस की बात नहीं है। यदि आसान होता तो सभी अंग्रेजी के विद्वान बन गए होते। दूसरों को क्या देखोगे, मुझे ही देखो। दिन-रात अंग्रेज़ी को पढ़ता हूँ; सारा दिमाग इसी में लगाकर रखता हूँ, फिर भी फेल हो जाता हूँ। इसी से अंदाज़ा लगा लो कि यह कितनी कठिन है।

प्रश्न 7.
कहानी में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कहानी में निहित संदेश यह है कि जिंदगी का अनुभव किसी भी पुस्तकीय ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है। जीवन जीने की समझ जितनी अनुभव से आ सकती है, उतनी किताबी ज्ञान से कभी नहीं आ सकती। अनुभव जीवन की वास्तविकताओं से हमारा आमना-सामना करवाता है, लेकिन पुस्तकीय ज्ञान वास्तविकताओं से कोसों दूर होता है। पुस्तकीय ज्ञान व्यक्ति में धैर्य की परिभाषा तो अवश्य भर देता है, लेकिन धैर्य धारण करने की शक्ति उसे अनुभव से ही आती है। अनुभव व्यक्ति को परिपक्व बनाता है, जिससे वह हर कठिनाई का सामना बड़ी दृढ़ता और सूझ-बूझ के साथ करता है।

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प्रश्न 8.
‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर छोटे भाई की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में छोटे भाई को एक आम विद्यार्थी के समान चित्रित किया गया है। वह सारा दिन खेलता-कूदता है। उसकी खेलने में अत्यधिक रुचि है। उसे सारा दिन मौज-मस्ती के अतिरिक्त कुछ और नहीं सूझता था। सारे दिन में वह एक घंटे से भी कम समय पढ़ता था, लेकिन फिर भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो जाता था। वह कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था। उसके मन में अपने बड़े भाई के प्रति बहुत आदर-सम्मान की भावना थी। खेल-कूद न छोड़ पाने के कारण उसे अपने बड़े भाई की डाँट-फटकार भी सुननी पड़ती थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘बड़े भाई साहब’ किस प्रकार की कहानी है? लेखक इसके द्वारा क्या स्पष्ट करना चाहता है?
उत्तर :
‘बड़े भाई साहब’ कहानी मुंशी प्रेमचंद के द्वारा आत्मकथात्मक शैली में लिखी एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में लेखक ने बड़े भाई साहब के माध्यम से घर में बड़े भाई की आदर्शवादिता के कारण उसके बचपन के तिरोहित होने की बात कही गई है। लेखक इस कहानी के द्वारा यह स्पष्ट करना चाहता है कि घर के बड़े लोग अपने से छोटों को सही मार्ग दिखाने के लिए अनेक प्रकार के सामाजिक समझोते करते हैं।

प्रश्न 2.
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘बड़े भाई साहब’ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘बड़े भाई साहब’ से हमें प्रेम और सौहार्द की शिक्षा मिलती है। हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने से छोटों को दुत्कारकर नहीं अपितु प्यार से समझाना चाहिए। हमें उन्हें अपमानित नहीं करना चाहिए। उनकी बातों को भी हमें प्रमुखता के साथ सुनना चाहिए। उनकी त्रुटियों को उन्हें प्यार से बताकर दूर करना चाहिए। उन्हें कभी इस बात का भान नहीं होना चाहिए कि बड़ों के सामने उनका अपना कोई अस्तित्व नहीं।

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प्रश्न 3.
कहानी में यह कैसे पता चलता है कि छोटा भाई बड़े भाई का बहुत आदर-सम्मान करता था?
उत्तर :
कहानी में ऐसे बहुत-से स्थान हैं, जहाँ यह पता चलता है कि छोटा भाई बड़े भाई के प्रति अपने हृदय में कितना आदर-भाव रखता है। बड़े भाई द्वारा अपमानित करने पर भी वह और चुपचाप खड़ा रहता है। वह उनसे सवाल-जवाब नहीं करता। वह बड़े भाई की बातों को आदेश मानकर उन पर अमल करने का प्रयास करता है। वह श्रद्धावश उनके प्रति नतमस्तक हो जाता है।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब का छोटे भाई के प्रति कैसा व्यवहार था?
उत्तर :
बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच वर्ष का अंतर था। बड़े भाई साहब स्वभाव से क्रोधी थे। वे छोटे भाई को अत्यधिक खेलने-कूदने में रुचि लेने के कारण उसे बहुत डाँट-फटकार लगाते थे। वे उस समय का सदुपयोग करने तथा मन लगाकर पढ़ने की सलाह देते थे।

प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को उनसे क्या सीख लेने को कहते थे?
उत्तर :
बड़े भाई का मानना था कि वे स्वयं बहुत मेहनती हैं; लगनशील हैं। वे सारा दिन पढ़ाई में लगे रहते हैं। वे खेल-कूद से भी दूर रहते हैं। अतः उनके छोटे भाई को उनसे सीख लेते हुए अपनी दिनचर्या उनके अनुसार बनाकर कड़ी मेहनत करनी चाहिए। व्यर्थ में इधर-उधर की बातों तथा खेल-कूद में समय नहीं गँवाना चाहिए।

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प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब की बातों का छोटे भाई पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
बड़े भाई की बातें सुनकर छोटे भाई का मन निराशा से भर जाता है; उसे आत्मग्लानि होने लगती है; वह स्वयं को सुधारना चाहता है; बड़े भाई द्वारा दिखाए मार्ग पर चलना चाहता है। अतः वह खूब मन लगाकर पढ़ने का निश्चय करता है। वह एक टाइम-टेबिल का भी निर्माण करता है, किंतु जल्दी ही उसका टाइम-टेबिल खेल-कूद की भेट चढ़ जाता है। वह फिर से खेलने-कूदने में मस्त हो जाता है।

प्रश्न 7.
किताबी ज्ञान के विषय में बड़े भाई साहब के क्या विचार थे?
उत्तर :
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को समझाते हुए कहते हैं कि जीवन में व्यक्ति का अनुभव किताबी ज्ञान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होता है। उन्हें उससे कहीं ज्यादा अनुभव था। वे जीवन में किताबी ज्ञान की बजाय समझ को अधिक महत्वपूर्ण मानते हुए कहते हैं कि यह समझ केवल अनुभव से ही प्राप्त की जा सकती है, न कि किताबी ज्ञान से।

बड़े भाई साहब Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-प्रेमचंद हिंदी साहित्य के ऐसे प्रथम लेखक हैं, जिन्होंने साहित्य का नाता जनजीवन से जोड़ा। उन्होंने अपने कथा साहित्य को सामान्य जन के चित्रण द्वारा सजीव बना दिया है। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त आर्थिक और सामाजिक विषमता को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि उनके उपन्यासों एवं कहानियों में जीवन की यथार्थ अभिव्यक्ति का सजीव चित्रण उपलब्ध होता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही नामक गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय था।

आरंभ में वे नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे। बदलते युग के प्रभाव ने उनको हिंदी की ओर आकृष्ट किया। उन्होंने सदा वही लिखा, जो उनकी आत्मा ने कहा। वे मुंबई में पटकथा लेखक के रूप में अधिक समय तक इसलिए कार्य नहीं कर पाए क्योंकि वहाँ उन्हें फिल्म निर्माताओं के निर्देशों के अनुसार लिखना पड़ता था। उन्हें तो स्वतंत्र लिखना ही अच्छा लगता था। जीवन में निरंतर विकट परिस्थितियों का सामना करने के कारण प्रेमचंद का शरीर जर्जर होता चला गया। निरंतर साहित्य साधना करते हुए 8 अक्टूबर सन 1936 को उनका स्वर्गवास हो गया।

रचनाएँ – प्रेमचंद प्रमुख रूप से कथाकार थे। उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह समाज की मुँह बोलती तसवीर है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया; परंतु निर्धन, पीड़ित एवं पिछड़े हुए वर्ग के प्रति उनकी विशेष सहानुभूति थी। उन्होंने शोषक एवं शोषित दोनों वर्गों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं उपन्यास-वरदान, सेवा-सदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान एवं मंगल सूत्र (अपूर्ण)।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

कहानी संग्रह – प्रेमचंद ने लगभग 400 कहानियों की रचना की। उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ ‘मानसरोवर’ कहानी संग्रह के आठ भागों में संकलित हैं।
नाटक – कर्बला, संग्राम और प्रेम की वेदी।
निबंध संग्रह – कुछ विचार।
भाषा-शैली – भाषा-शैली की दृष्टि से ‘बड़े भाई साहब’ कहानी प्रेमचंद की अन्य रचनाओं की भाँति उच्च कोटि की रचना है। उनकी भाषा बहुत सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है, जो भावाभिव्यक्ति में पूर्णतः सक्षम है।

भाषा पूर्ण रूप से पात्रानुकूल है। इस कहानी में तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का सुंदर मिश्रण है। कथा-संगठन, चरित्र-चित्रण एवं कथोपकथन की दृष्टि से भाषा बेजोड़ है। भाषा में मुहावरों, लोकोक्तियों तथा सूक्तियों के प्रयोग से सजीवता आ गई है। इस कहानी में उन्होंने आड़े हाथों लेना, घाव पर नमक छिड़कना, नामों-निशान मिटा देना, ऐरा-गैरा नत्थू खैरा, सिर फिरना, अंधे के हाथ बटेर लगना, दाँतों पसीना आना, लोहे के चने चबाना, पापड़ बेलना, आटे-दाल का भाव मालूम होना, गाँठ बाँधना जैसे अनेक मुहावरों का सटीक प्रयोग किया है।

देशज शब्दों के प्रयोग से उन्होंने भाषा को प्रसंगानुकूल बनाकर प्रवाहमयी बना दिया है। ‘बड़े भाई साहब’ कहानी आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है, जिसमें कथानायक स्वयं कहानी सुना रहा है। कहीं-कहीं संवादात्मक शैली का प्रयोग है, जिससे कहानी में नाटकीयता आ गई है। शैली में सरसता और रोचकता सर्वत्र विद्यमान है।

पाठका सार –

‘बड़े भाई साहब’ कहानी प्रेमचंद द्वारा आत्मकथात्मक शैली में लिखी एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में उन्होंने बड़े भाई साहब के माध्यम से घर में बड़े भाई की आदर्शवादिता के कारण उनके बचपन के तिरोहित होने की बात कही है। बड़ा भाई सदा छोटे भाई के सामने अपना आदर्श रूप दिखाने के कारण कई बार अपने ही बचपन को खो देता है। बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच वर्ष का अंतर है, किंतु वे अपने छोटे भाई से केवल तीन कक्षाएँ ही आगे हैं।

बड़े भाई साहब सदा पढ़ाई में डूबे रहते हैं, लेकिन उनके छोटे भाई का खेलकूद में अधिक मन लगाता है। दोनों भाई होस्टल में रहते हैं। बड़े भाई साहब प्राय: छोटे भाई को उसकी खेलकूद में अधिक रुचि के कारण डाँटते रहते हैं। वे उसे उनसे सीख लेने की बात कहते हैं। उनका कहना है कि वे बहुत मेहनत करते हैं; खेलकूद और खेल-तमाशों से दूर रहते हैं, इसलिए उसे उनसे सबक लेना चाहिए। वे छोटे भाई से कहते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं कर सकता, तो उसे घर वापस लौट जाना चाहिए।

उनकी ऐसी बातें सुनकर छोटा भाई निराश हो जाता है। कुछ देर बाद वह जी लगाकर पढ़ने का निश्चय करता है और एक टाइम-टेबिल बना लेता है। वह अपने इस टाइम-टेबिल में खेलकूद को कोई स्थान नहीं देता, लेकिन शीघ्र ही उसका टाइम-टेबिल खेलकूद की भेंट चढ़ जाता है और वह फिर से खेलकूद में मस्त हो जाता है। बड़े भाई साहब की डाँट और तिरस्कार से भी वह अपने खेलकूद को नहीं छोड़ पाता।

कुछ समय बाद वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। बड़े भाई साहब कठिन परिश्रम करके भी फेल हो गए, किंतु छोटा भाई प्रथम श्रेणी से पास हो गया। धीरे-धीरे छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाने लगा। बड़े भाई साहब से यह देखा नहीं गया। वे उसे रावण का उदाहरण देकर समझाते हैं कि घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से रावण जैसे चक्रवर्ती राजा का भी अस्तित्व मिट गया था; शैतान और शाहेरूम भी अभिमान के कारण नष्ट हो गए थे।

छोटा भाई उनके इन उपदेशों को चुपचाप सुनता रहा। वे कहते हैं कि उनकी नौवीं कक्षा की पढ़ाई बहुत कठिन है। अंग्रेजी, इतिहास, गणित तथा हिंदी आदि विषयों में पास होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने अपनी कक्षा की पढ़ाई का ऐसा भयंकर चित्र खींचा कि छोटा भाई बुरी तरह से डर गया। दोबारा वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। इस बार भी बड़े भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई पास हो गया। बड़े भाई साहब बहुत दुखी हुए।

छोटे भाई की अपने बारे में यह धारणा बन गई कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े, लेकिन पास हो ही जाएगा। अतः उसने पढ़ाई करना बंद करके खेलकूद में ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। बड़े भाई साहब भी अब उसे कम डाँटते थे। धीरे-धीरे छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ती गई। उसे पतंगबाजी का नया शौक लग गया। अब वह सारा समय पतंगबाजी में नष्ट करने लगा, किंतु वह अपने इस शौक को बड़े भाई साहब से छिपकर पूरा करता था।

एक दिन वह एक पतंग लूटने के लिए पतंग के पीछे-पीछे दौड़ रहा था कि अचानक बाजार से लौट रहे बड़े भाई साहब से टकरा गया। उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे डाँटते हुए कहा कि अब वह आठवीं कक्षा में है। अतः उसे अपनी पोजीशन का ख्याल करना चाहिए। पहले ज़माने में तो आठवीं पास नायब तहसीलदार तक बन जाया करते थे। बड़े भाई साहब उसे समझाते हुए कहते हैं कि जीवन में किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति का अनुभव होता है और उन्हें उससे कहीं ज्यादा अनुभव है।

वे अपनी माँ, दादा अपने स्कूल के हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण देकर बताते हैं कि जिंदगी में केवल किताबी ज्ञान से ही काम नहीं चलता अपितु जिंदगी की समझ भी जरूरी होती है, जो केवल अनुभव से आती है। … बड़े भाई साहब के ऐसा समझाने पर छोटा भाई उनके आगे नतमस्तक होकर कहता है कि वे जो कुछ कह रहे हैं, वह बिलकुल सच है। बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को गले लगा लेते हैं।

वे कहते हैं कि उनका भी मन खेलने-कूदने का करता है, लेकिन यदि वे ही खेलने-कूदने लगेंगे तो उसे क्या शिक्षा दे पाएँगे? तभी उनके ऊपर से एक कटी हुई पतंग गुजरती है, जिसकी डोर नीचे लटक रही थी। बड़े भाई साहब ने लंबे होने के कारण उसकी डोर पकड़ ली और तेजी से होस्टल की ओर दौड़ पड़े। उनका छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

कठिन शब्दों के अर्थ :

दरजा – श्रेणी, तालीम – शिक्षा, बुनियाद – नींव, पुख्ता — मज़बूत, तंबीह – डाँट-डपट, हुक्म – आदेश, सामंजस्य – तालमेल, मसलन – उदाहरणतः, इबारत – लेख, चेष्टा – कोशिश, जमात – कक्षा, होस्टल – छात्रावास, हर्फ – अक्षर, मिहनत (मेहनत) – परिश्रम, सबक – सीख, बर्बाद – नष्ट, लताड़ – डाँट-डपट, निपुण – कुशल, सूक्ति-बाण – व्यंग्यात्मक कथन, तीखी बातें, चटपट – उसी क्षण, टाइम-टेबिल – समय-सारणी, स्कीम – योजना, अमल करना – पालन करना, अवहेलना – तिरस्कार, नसीहत – सलाह, फजीहत – अपमान, तिरस्कार – उपेक्षा, विपत्ति – मुसीबत, सालाना इम्तिहान – वार्षिक परीक्षा, हमदर्दी – सहानुभूति,

लज्जास्पद – शर्मनाक, शरीक – शामिल, ज़ाहिर – स्पष्ट, आतंक- भय, अव्वल – प्रथम, असल – वास्तविक, आधिपत्य – साम्राज्य, स्वाधीन – स्वतंत्र, महीप – राजा, कुकर्म – बुरा काम, अभिमान – घमंड, निर्दयी – क्रूर, मुमतहीन – परीक्षक, परवाह – चिंता, फायदा – लाभ, प्रयोजन – उद्देश्य, खुराफ़त – व्यर्थ की बातें, हिमाकत – बेवकूफ़ी, किफ़ायत – बचत (से), दुरुपयोग – अनुचित उपयोग, निःस्वाद – बिना स्वाद का, ताज्जुब – आश्चर्य, हैरानी, टास्क – कार्य, जलील – अपमानित, प्राणांतक – प्राण लेने वाला,

प्राणों का अंत करने वाला, कांतिहीन – चेहरे पर चमक न होना, स्वच्छंदता – आज़ादी, सहिष्णुता – सहनशीलता, कनकौआ – पतंग, अदब – इज्जत, पथिक – यात्री, मिडलची – आठवीं पास, जहीन – प्रतिभावान, महज़ – केवल, समकक्ष – बराबर, तुजुर्बा – अनुभव, मरज़ – बीमारी, बदहवास – बेहाल, मुहताज (मोहताज) – दूसरे पर आश्रित होना, कुटुंब – परिवार, इंतज़ाम – प्रबंध, बेराह – बुरा रास्ता, लघुता – छोटापन, जी – मन।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 1.
Plot the point (3, 4) on a graph paper.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 1
Let XX’ and YY’ be the coordinate axes. Here given point is P(3, 4). First we move 3 units along OX as 3 is positive and we arrive at a point M. Now from M we move 4 units vertically upward as 4 is positive. Then we arrive at P(3, 4).

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 2.
Write the quadrants for the following points.
(i) A(3, 4)
(ii) B(-2, 3)
(iii) C(-5, -2)
(iv) D(4, -3)
(v) E(-5, -5)
Solution :
(i) Here both coordinates are positive therefore point A lies in Ist quadrant.
(ii) Here x-coordinate is negative and y-coordinate is positive therefore point B lies in 2nd quadrant.
(iii) Here both coordinates are negative therefore point lies in 3rd quadrant.
(iv) Here x-coordinate is positive and y-coordinate is negative therefore point D lies in 4th quadrant.
(v) Here both corrdinates are negative therfore point E lies in 3rd quadrant.

Question 3.
Plot the following points on the graph paper.
(i) A(2, 5)
(ii) B(-5, -7)
(iii) C(3, -2)
(iv) D(0, 5)
(v) E(5, 0)
Solution :
Let XOX’ and YOY’ be the coordinate axes.
Then the given points may be plotted as given below:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 2

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 4.
Find the distance between
(i) (5, 3) and (3, 2)
(ii) (-1, 4) and (2, -3)
(iii) (a, b) and (-b, a)
Solution :
Let d1, d2, d3 be the required distances. By using the distance formula, we have
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 3

Multiple Choice Questions

Question 1.
The abscissa of a point is the distance of the point from :
(a) x-axis
(b) y-axis
(c) Origin
(d) None of these
Solution :
(b) y-axis

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 2.
The y-coordinate of a point is the distance of that point from:
(a) x-axis
(b) y-axis
(c) Origin
(d) None of these
Solution :
(a) x-axis

Question 3.
If both coordinates of any point are negative then that point will lie in:
(a) First quadrant
(b) Second quadrant
(c) Third quadrant
(d) Fourth quadrant
Solution :
(c) Third quadrant

Question 4.
If the abscissa of any point is zero then that point will lie:
(a) on x-axis
(b) on y-axis
(c) at origin
(d) None of these
Solution :
(b) on y-axis

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 5.
The distance of the point (3, 5) from x-axis is:
(a) \(\sqrt{34}\)
(b) 3
(c) 5
(d) None of these
Solution :
(c) 5

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 1.
Find the value of:
(i) 36x2 + 49y2 + 84xy, when x = 3, y = 6
(ii) 25x2 + 16y2 – 40xy, when x = 6, y = 7
Solution :
(i) 36x2 + 49y2 + 84xy
= (6x)2 + (7y)2 + 2 × (6x) × (7y)
= (6x + 7y)2
= (6 × 3 + 7 × 6)2 [When x = 3, y = 6]
= (18 + 42)2 = (60)2 = 3600

(ii) 25x2 + 16y2 – 40xy
= (5x)2 + (4y)2 – 2 × (5x) × (4y)
= (5x – 4y)2
= (5 × 6 – 4 × 7)2 [When x = 6, y = 7]
= (30 – 28)2 = 22 = 4

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 2.
If x2 + \(\frac{1}{x^2}\) = 23, find the value of (x + \(\frac {1}{x}\)), where x > 0
Solution :
x2 + \(\frac{1}{x^2}\) = 23 …. (i)
⇒ x2 + \(\frac{1}{x^2}\) + 2 = 25
[Adding 2 on both sides of (i)]
⇒ (x2) + (\(\frac {1}{x}\))2 + 2 × x × \(\frac {1}{x}\) = 25
⇒ (x + \(\frac {1}{x}\))2 = (5)2
⇒ x + \(\frac {1}{x}\) = 5 (∵ x > 0)

Question 3.
Prove that a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca = \(\frac {1}{2}\) [(a – b)2 + (b – c)2 + (c – a)2].
Solution :
Here, L.H.S. = a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca
= \(\frac {1}{2}\) [2a2 + 2b2 + 2c2 – 2ab – 2bc – 2ca]
= \(\frac {1}{2}\) [(a2 – 2ab + b2) + (b2 – 2bc + c2) + (c2 – 2ca + a2)]
= \(\frac {1}{2}\) [(a2 – 2ab + b2) + (b2 – 2bc + c2) + (c2 – 2ca + a2)]
= \(\frac {1}{2}\) [(a – b)2 + (b – c)2 + (c – a)2]
= R.H.S
Hence, proved.

Question 4.
Evaluate :
(i) (107)2
(ii) (94)2
(iii) (0.99)2
Solution :
(i) (107)2 = (100 + 7)2
= (100)2 + (7)2 + 2 × 100 × 7
= 10000 + 49 + 1400 = 11449

(ii) (94)2
= (100 – 6)2 = (100)2 + (6)2 – 2 × 100 × 6
= 10000 + 36 – 1200 = 8836

(iii) (0.99)2
= (1 – 0.01)2 = (1)2 + (0.01)2 – 2 × 1 × 0.01
= 1 + 0.0001 -0.02 = 0.9801

NOTE: We may extend the formula for squaring a binomial to the squaring of a trinomial as given below. (a + b + c) = (a + (b + c)]2 = a2 + (b + c)2 + 2 × a × (b + c)
[Using the identity for the square of binomial]
= a2 + b2 + c2 + 2bc + 2a (b + c)
[Using (b + c)2 = b2 + c2 + 2bc]
= a2 + b2 + d2 + 2bc + 2ab + 2ac
[Using the distributive law]
= a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ac
∴ (a + b + c)2 = a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ac

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 5.
Simplify : (3x + 4)3 – (3x – 4)3.
Solution :
We have
(3x + 4)3 – (3x – 4)3 = [(3x)3 + (4)3 + 3 × 3x × 4 × (3x + 4)] – [(3x)3 – (4)3 – 3 × 3x × 4 × (3x – 4)]
= [27x3 + 64 + 36x (3x + 4)] – [27x3 – 64 – 36x (3x – 4)]
= [27x3 + 64 + 108x2 + 144x] – [27x3 – 64 – 108x2 + 144x]
= 27x3 + 64 + 108x2 + 144x – 27x3 + 64 + 108x2 – 144x
= 128 + 216x2
∴ (3x + 4)3 – (3x – 4)3 = 128 + 216x2

Question 6.
Evaluate:
(i) (1005)3
(ii) (997)3
Solution :
(i) (1005)3 = (1000 + 5)3
= (1000)3 + (5)3 + 3 × 1000 × 5 × (1000 + 5)
= 1000000000 + 125 + 15000 × (1000 + 5)
= 1000000000 + 125 + 15000000 + 75000
= 1015075125

(ii) (997)3 = (1000 – 3)3
= (1000)3 – (3)3 – 3 × 1000 × 3 × (1000 – 3)
= 1000000000 – 27 – 9000 × (1000 – 3)
= 1000000000 – 27 – 9000000 + 27000
= 991026973

Question 7.
If x – \(\frac {1}{x}\) = 5, find the value of x3 – \(\frac{1}{\mathrm{x}^3}\).
Solution :
We have, x – \(\frac {1}{x}\) = 5 ……….(i)
(x – \(\frac {1}{x}\))3 = (5)3
[Cubing both sides of (i)]
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 1

Question 8.
Find the products of the following expressions :
(i) (4x + 3y) (16x2 – 12xy + 9y2)
(ii) (5x – 2y) (25x2 + 10xy + 4y2)
Solution :
(i) (4x + 3y) (16x2 – 12xy + 9y2)
= (4x + 3y) [(4x)2 – (4x) × (3y) + (3y)2]
We know that (a + b) (a2 – ab + b2)
= a3 + b3 [Where a = 4x, b = 3y]
= (4x)3 + (3y)3 = 64x3 + 27y3

(ii) (5x – 2y) (25x2 + 10xy + 4y2)
= (5x – 2y) [(5x)2 + (5x) × (2y) + (2y)2]
We know that (a – b)(a2 + ab + b2)
= a3 – b3 [Where a = 5x, b = 2y]
= (5x)3 – (2y)3 = 125x3 – 8y3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 9.
Simplify:
\(\frac{\left(a^2-b^2\right)^3+\left(b^2-c^2\right)^3+\left(c^2-a^2\right)^3}{(a-b)^3+(b-c)^3+(c-a)^3}\)
Solution :
Here (a2 – b2) + (b2 – c2) + (c2 – a2) = 0
∴ (a2 – b2)3 + (b2 – c2)3 + (c2 – a2)3
= 3(a2 – b2)(b2 – c2) (c2 – a2)
= 3(a – b)(a + b)(b – c)(b + c) (c – a) (c + a)
Also, (a – b) + (b – c) + (c – a) = 0
∴ (a – b)3 + (b – c)3 + (c – a)3
= 3(a – b)(b – c)(c – a)
∴ Given expression
= \(\frac{3(a-b)(a+b)(b-c)(b+c)(c-a)(c-b)}{3(a-b)(b-c)(c-b)}\)
= (a + b)(b + c)(c + a)

Question 10.
Prove that : (x – y)3 + (y – z)3 + (z – x)3 = 3(x – y) (y – z) (z – x).
Solution :
Let (x – y) = a, (y – z) = b and (z – x) = c.
Then, a + b + c
= (x – y) + (y – z) + (z – x) = 0
∴ a3 + b3 + c3 = 3abc
Or (x – y)3 + (y – z)3 + (z – x)3
= 3(x – y) (y – z) (z – x)

Question 11.
Find the value of (28)3 + (-78)3 + (50)3
Solution :
Let a = 28, b = – 78, c = 50
Then, a + b + c = 28 – 78 + 50 = 0
∴ a3 + b3 + c3 = 3abc
So, (28)3 + (-78)3 + (50)3 = 3 × 28 × (-78) × 50
= – 327600

Question 12.
If a + b + c = 9 and ab + bc + ac = 26, find the value of a3 + b3 + c3 – 3abc.
Solution :
We have a + b + c = 9 ……(i)
⇒ (a + b + c)2 = 81
[On squaring both sides of (i)]
⇒ a2 + b2 + c2 + 2(ab + bc + ac) = 81
⇒ a2 + b2 + c2 + 2 × 26 = 81
[∵ ab + bc + ac = 26]
⇒ a2 + b2 + c2 = (81 – 52)
⇒ a2 + b2 + c2 = 29
Now, we have
a3 + b3 + c3 – 3abc
= (a + b + c)(a2 + b2 + c2 – ab – bc – ac)
= (a + b + c)[(a2 + b2 + c2) – (ab + bc + ac)]
= 9 × [(29 – 26)] = (9 × 3) = 27

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 13.
Find the following products:
(i) (x + 2) (x + 3)
(ii) (x + 7) (x – 2)
(iii) (y – 4) (y – 3)
(iv) (y – 7) (y + 3)
(v) (2x – 3) (2x + 5)
(vi) (3x + 4) (3x – 5)
Solution :
Using the identity: (x + a) (x + b)
= x2 + (a + b) x + ab, we have
(i) (x + 2)(x + 3) = x2 + (2 + 3) x + 2 × 3
= x2 + 5x + 6,

(ii) (x + 7)(x – 2) = (x + 7)(x + (-2))
= x2 + {7 + (-2)} x + 7 × (-2)
= x2 + 5x – 14.

(iii) (y – 4) (y – 3) = {y + (-4)} {y + (-3)
= y2 + {(-4) + (-3)} y + (-4) × (-3)
= y2 – 7y + 12

(iv) (y – 7)(y + 3) = {y + (-7)} (y + 3)
= y2 +{(-7) + 3} y + (-7) × 3
= y2 – 4y – 21

(v) (2x – 3) (2x + 5)
= (y – 3) (y + 5), where y = 2x
= {y + (-3)} (y + 5)
= y2 + {(-3) + 5} y + (-3) × 5
= y2 + 2y – 15
= (2x)2 + 2 × 2x – 15
= 4x2 + 4x – 15.

(vi) (3x + 4) (3x – 5)
= (y + 4) (y – 5), where y = 3x
= (y + 4) {y + (-5)}
= y2 + {4 + (-5)} y + 4 × (-5)
= y2 – y – 20 = (3x)2 – 3x – 20
= 9x2 – 3x – 20

Question 14.
Evaluate:
(i) 35 × 37
(ii) 103 × 96
Solution :
(i) 35 × 37 = (40 – 5) (40 – 3)
= (40 + (-5)) (40+ (-3))
= 402 + (- 5 – 3) × 40 + (- 5 × – 3)
= 1600 – 320 + 15
= 1615 – 320
= 1295

(ii) 103 × 96 = (100 + 3) [100 + (-4)]
= 1002 + (3 + (-4)) × 100 + (3 × – 4)
= 10000 – 100 – 12
= 9888

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 15.
Factorise : 81a2b2c2 + 64a2b2 – 144a2b2c
Solution :
81a2b2c2 + 64a6b2 – 144a2b2c
= [9abc]2 – 2 [9abc][8a3b] + [8a3b]2
= [9abc – 8a3b]2 = a2b2 [9c – 8a2]2
= a2b2(9c – 8a2) (9c – 8a2)

Question 16.
Factorise :
(3a – \(\frac {1}{b}\))2 – 6(3a – \(\frac {1}{b}\)) + 9 + (c + \(\frac {1}{b}\) – 2a) (3a – \(\frac {1}{b}\) – 3)
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 2

Question 17.
Factorise: 4(2a + 3b – 4c)2 – (a – 4b + 5c)2
Solution :
4(2a + 3b – 4c)2 – (a – 4b + 5c)2
= [2(2a + 3b – 4c)]2 – (a – 4b + 5c)2
= (4a + 6b – 8c)2 – (a – 4b + 5c)2
= [4a + 6b – 8c + a – 4b + 5c] [4a + 6b – 8c – a + 4b – 5c]
= (5a + 2b – 3c) (3a + 10b – 13c)

Question 18.
Factorise: 4x2 + \(\frac{1}{4 x^2}\) + 2 – 9y2
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 3

Question 19.
Factorise :
a4 + \(\frac{1}{a^4}\) – 3.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 4

Question 20.
Factorise : x4 + x2y2 + y4
Solution :
x4 + x2y2 + y4 = (x2)2 + 2.x2.y2 + (y2)2 – x2y2
= (x2 + y2)2 – (xy)2
= (x2 + y2 + xy) (x2 + y2 – xy)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 21.
Factorise: 64a13b + 343ab13.
Solution :
64a13b + 343ab13 = ab[64a12 + 343b12)
= ab[(4a4)3 + (7b4)3]
= ab[4a4 + 7b4) [(4a4)2 – (4a4) (7b4) + (7b4)2]
= ab[4a4 + 7b4][16a8 – 28a4b4 + 49b8]

Question 22.
Factorise : p3q2x4 + 3p2qx3 + 3px2 + \(\frac {x}{q}\) – q2r3x
Solution :
In above question, if we take common then it may become in the form of a3 + b3.
∴ p3q2x4 + 3p2qx3 + 3px2 + \(\frac {x}{q}\) – q2r3x
= \(\frac {x}{q}\) [p3q3x3 + 3p2q2x2 + 3pqx + 1 – q3r3]
= \(\frac {x}{q}\)(pqx)3 + 3(pqx)2 × 1 + 3pqx × (1)2 + (1)3 – q3r3]
Let pqx = A and 1 = B
= \(\frac {x}{q}\) [A3 + 3A2B + 3AB2 + B3 – q3r3]
= \(\frac {x}{q}\) [(pqx + 1) – (qr)3]
= [pqx + 1 – qr] (pqx + 1)2 + (pqx + 1)qr + (ar)]
= [pqx + 1 – qr] [p2q2x + 1 + 2pqx + pqxr + 4r + q2r2]

Question 23.
Factorise : x3 – 6x2 + 32
Solution :
x3 + 32 – 6x2 = x3 + 8 + 24 – 6x2
= [(x)3 + (2)3] + 6[4 – x2]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4] + 6[2 + x] [2 – x]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4 + 6(2 – x)]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4 + 12 – 6x]
= (x + 2) (x2 – 8x + 16)
= (x + 2) (x – 4)2
= (x + 2) (x – 4) (x – 4)

Question 24.
Show that x = 2 is a zero of 2x3 + x2 – 7x – 6.
Solution :
p(x) = 2x3 + x2 – 7x – 6
p(2) = 2(2)3 + (2)2 – 7(2) – 6
= 16 + 4 – 14 – 6 = 0
Hence x = 2 is a zero of p(x).

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 25.
If x = \(\frac {4}{3}\) is a zero of the polynomial f(x) = 6x3 – 11x2 + kx – 20 then find the value of k.
Solution :
f(x) = 6x3 – 11x + kx – 20
x = \(\frac {4}{3}\) is a zero of f(x)
⇒ f(\(\frac {4}{3}\)) = 0
⇒ 6(\(\frac {4}{3}\))3 – 11(\(\frac {4}{3}\))2 + k(\(\frac {4}{3}\)) – 20 = 0
⇒ 6 × \(\frac{64}{9 \times 3}\) – 11 × \(\frac {16}{9}\) + \(\frac {4k}{3}\) – 20 = 0
⇒ 128 – 176 + 12k – 180 = 0
⇒ 12k + 128 – 356 = 0
⇒ 12k = 228
⇒ k = 19

Question 26.
If x = 2 and x = 0 are two zeroes of the polynomial f(x) = 2x3 – 5x2 + ax + b, find the values of a and b.
Solution :
f(2) = 2(2)3 – 5(2)2 + a(2) + b = 0
⇒ 16 – 20 + 2a + b = 0
⇒ 2a + b = 4 ………..(i)
⇒ f(0) = 2(0)3 – 5(0)2 + a(0) + b = 0
⇒ b = 0
So, 2a = 4 ⇒ a = 2 [using (i)]
Hence, a = 2, b = 0

Question 27.
Find the remainder when f(x) = x3 – 6x2 + 2x – 4 is divided by g(x) = 1 – 2x.
Solution :
1 – 2x = 0
2x = 1
x = \(\frac {1}{2}\)
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 5

Question 28.
The polynomials ax3 + 3x2 – 13 and 2x3 – 5x + a are divided by x + 2 if the remainder in each case is the same, find the value of a.
Solution :
p(x) = ax3 + 3x2 – 13 and q(x) = 2x3 – 5x + a
x + 2 = 0
⇒ x = – 2
p(-2) = q(-2)
⇒ a(-2)3 + 3(-2)2 – 13 = 2(-2)3 – 5(-2) + a
⇒ – 8a + 12 – 13 = – 16 + 10 + a
⇒ – 9a = -5
⇒ a = \(\frac {5}{9}\)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 29.
Show that x + 1 and 2x – 3 are factors of 2x3 – 9x2 + x + 12.
Solution :
To prove that (x + 1) and (2x – 3) are factors of p(x) = 2x3 – 9x2 + x + 12, it is sufficient to show that p(-1) and P(\(\frac {3}{2}\)) both are equal to zero.
p(-1) = 2(-1)3 – 9(-1)2 + (-1) + 12
= – 2 – 9 – 1 + 12 = – 12 + 12 = 0
p(\(\frac {3}{2}\)) = 2(\(\frac {3}{2}\))3 – 9(\(\frac {3}{2}\))2 + \(\frac {3}{2}\) + 12
= \(\frac{27}{4}-\frac{81}{4}+\frac{3}{2}\) + 12
= \(\frac{27-81+6+48}{4}=\frac{81-81}{4}\) = 0
Hence, (x + 1) and (2x – 3) are the factors
2x3 – 9x2 + x + 12.

Question 30.
Find α and β if x + 1 and x + 2 are factors of p(x) = x3 + 3x2 – 2αx + β.
Solution :
When we put x + 1 = 0 or x = – 1 and x + 2 = 0 or x = – 2 in p(x)
Then, p(-1) = 0 and p(-2) = 0 as x + 1 and x + 2 are factors of p(x)
Therefore, p(-1) = (-1)3 + 3(-1)2 – 2α(-1) + β = 0
⇒ – 1 + 3 + 2α + B = 0
⇒ β = – 2α – 2 ….(i)
And, p(-2) = (-2)3 + 3(-2)2 – 2α(-2) + β = 0
⇒ – 8 + 12 + 4α + β = 0
⇒ β = – 4α – 4 ….(ii)
From equations (i) and (ii),
– 2α – 2 = – 4α – 4
⇒ 2α = -2
⇒ α = – 1
Put α = -1 in equation (i)
⇒ β = – 2(-1) – 2 = 2 – 2 =0.
Hence, α = – 1, β = 0.

Question 31.
Using factor theorem, factorize:
p(x) = 2x4 – 7x3 – 13x2 + 63x – 45
Solution :
45 has ± 1, ± 3, ± 5, ± 9, ± 15, ± 45 as its factors
If we put x = 1 in p(x)
p(1) = 2(1)4 – 7(1)3 – 13(1)2 + 63(1) – 45
= 2 – 7 – 13 + 63 – 45
= 65 – 65 = 0
∴ x – 1 is a factor of p(x) by factor theorem
Similarly, if we put x = 3 in p(x)
p(3) = 2(3)4 – 7(3)3 – 13(3)2 + 63(3) – 45
= 162 – 189 – 117 + 189 – 45
= 162 – 162 = 0
Hence, x – 3 is the factor of p(x) by factor theorem.
p(x) = 2x4 – 7x3 – 13x2 + 63x – 45
= 2x4 – 2x3 – 5x3 + 5x2 – 18x2 + 18x + 45x – 45
∴ p(x) = 2x3(x – 1) – 5x2(x – 1) – 18x(x – 1) + 45(x – 1)
⇒ p(x) = (x – 1)(2x3 – 5x2 – 18x + 45)
⇒ p(x)= (x – 1)(2x3 – 6x2 + x2 – 3x – 15x + 45]
⇒ p(x) =(x – 1)[2x3(x – 3) + x(x – 3) – 15(x – 3)]
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(2x2 + x – 15)
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(2x2 + 6x – 5x – 15)
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)[2x(x + 3) – 5(x + 3)]
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(x + 3)(2x – 5)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 32.
Factorise : x2 – 31x + 220.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 6

Question 33.
Factorise :
2x2 + 12\(\sqrt{2}\)x + 35.
Solution :
2x2 + 12\(\sqrt{2}\)x + 35
Product ac = 70 and b = 12\(\sqrt{2}\)
∴ Split the middle term as 7\(\sqrt{2}\) and 5\(\sqrt{2}\).
⇒ 2x2 + 12\(\sqrt{2}\) x + 35
= 2x2 + 7\(\sqrt{2}\)x + 5\(\sqrt{2}\)x + 35
= \(\sqrt{2}\)x[\(\sqrt{2}\)x + 7] + 5[\(\sqrt{2}\)x + 7]
= [\(\sqrt{2}\)x + 5]\(\sqrt{2}\)x + 7]

Question 34.
Factorise: x2 – 14x + 24.
Solution :
Product ac = 24 and b = – 14
∴ Split the middle term as – 12 and – 2
⇒ x2 – 14x + 24 = x2 – 12x – 2x + 24
⇒ x(x – 12) – 2(x – 12) = (x – 12)(x – 2)

Question 35.
Factorise :
x2 – \(\frac {13}{24}\)x – \(\frac {1}{12}\)
Solution :
x2 – \(\frac {13}{24}\)x – \(\frac {1}{12}\) = \(\frac {1}{24}\) (24x2 – 13x – 2)
ac = – 48 and b = – 13
∴ Wesplit the middle term as – 16x + 3x.
= \(\frac {1}{24}\)(24x2 – 16x + 3x – 2)
= \(\frac {1}{24}\)[8x(3x – 2) + 1(3x – 2)]
= \(\frac {1}{24}\)(3x – 2)(8x + 1)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 36.
Factorise : \(\frac {3}{2}\)x2 – 8x – \(\frac {35}{2}\)
Solution :
= \(\frac {1}{2}\)(3x2 – 16x – 35)
= \(\frac {1}{2}\)(3x2 – 21x + 5x – 35)
= \(\frac {1}{2}\)[3x(x – 7) + 5(x – 7)]
= \(\frac {1}{2}\)(x – 7)(3x + 5)

Question 37.
If f(x) = 2x3 – 13x2 + 17x + 12 then find out the value of f(-2) and f(3).
Solution :
f(x) = 2x2 – 13x2 + 17x + 12
f(-2) = 2(-2)3 – 13(-2)2 + 17 (-2) + 12
= – 16 – 52 – 34 + 12
= – 90
f(3) = 2(3)3 – 13(3)2 + 17(3) + 12
= 54 – 117 + 51 + 12
= 0

Question 8.
Factorise: – 8 + 9(a – b)6 – (a – b)12
Solution :
– 8 + 9(a – b)6 – (a – b)12
Let (a – b)6 = x
Then – 8 + 9x – x2 = – (x2 – 9x + 8)
= – (x2 – 8x – x + 8)
= – (x – 8)(x – 1)
= – [(a – b)6 – 8][(a – b)6 – 1]
= [1 – (a – b)6][(a – b)6 – 8]
= [(1)3 – {(a – b)2}3][{(a – b)2}3 – (2)3]
= [1 – (a – b)2][1 + (a – b)4 + (a – b)2][(a – b)2 – 2][(a – b)4 + 4 + 2(a – b)2]

Multiple Choice Questions

Question 1.
The product of (x + a) (x + b) is:
(a) x2 + (a + b) x + ab
(b) x2 – (a – b) x + ab
(c) a2 + (a – b)x + ab
(d) x2 + (a – b)x – ab
Solution :
(a) x2 + (a + b) x + ab

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 2.
The value of 150 × 98 is :
(a) 10047
(b) 14800
(c) 14700
(d) 10470
Solution :
(c) 14700

Question 3.
The expansion of (x + y – z)2 is :
(a) x2 + y2 + z2 + 2xy + 2yz + 2zx
(b) x2 + y2 – z2 – 2xy + yz + 2zx
(c) x2 + y2 + z2 + 2xy – 2yz – 2zx
(d) x2 + y2 – z2 + 2zy – 2yz – 2zx
Solution :
(c) x2 + y2 + z2 + 2xy – 2yz – 2zx

Question 4.
The value of (x + 2y + 2z)2 + (x – 2y – 2z)2 is :
(a) 2x2 + 8y2 + 8z2
(b) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 8xyz
(c) 2x2 + 8y2 + 8z2 – 8yz
(d) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 16yz
Solution :
(d) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 16yz

Question 5.
The value of 25x2 + 16y2 + 40xy at x = 1 and y = – 1 is :
(a) 81
(b) – 49
(c) 1
(d) None of these
Solution :
(c) 1

Question 6.
On simplifying (a + b)3 + (a – b)3 + 6a(a2 – b2) we get:
(a) 8a2
(b) 8a2b
(c) 8a3b
(d) 8a3
Solution :
(d) 8a3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 7.
Find the value of \(\frac{a^3+b^3+c^3-3 a b c}{a b+b c+c a-a^2-b^2-c^2}\) when a = – 5, b = – 6, c = 10.
(a) 1
(b) -1
(c) 2
(d) -2
Solution :
(a) 1

Question 8.
In method of factorisation of an algebraic expression, which of the following statements is false?
(a) Taking out a common factor from two or more terms.
(b) Taking out a common factor from a group of terms.
(c) By using remainder theorem.
(d) By using standard identities.
Solution :
(c) By using remainder theorem.

Question 9.
Factors of (a + b)3 – (a – b)3 is:
(a) 2ab(3a2 + b2)
(b) ab(3a2 + b2)
(c) 2b(3a2 + b2)
(d) 3a2 + b2
Solution :
(c) 2b(3a2 + b2)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 10.
Degree of zero polynomial is :
(a) 0
(b) 1
(c) Both 0 and 1
(d) Not defined
Solution :
(d) Not defined

Question 11.
Factors of (42 – x – x2) are:
(a) (x – 7)(x – 6)
(b) (x + 7)(x – 6)
(c) (x + 7)(6 – x)
(d) (x + 7) (x + 6)
Solution :
(c) (x + 7)(6 – x)

Question 12.
Factors of (x2 + \(\frac{x}{6}-\frac{1}{6}\)) are :
(a) \(\frac {1}{6}\)(2x + 1)(3x + 1)
(b) \(\frac {1}{6}\)(2x + 1)(3x – 1)
(c) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1) (3x – 1)
(d) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1)(3x + 1)
Solution :
(d) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1)(3x + 1)

Question 13.
Factors of polynomial x3 – 3x2 – 10x + 24 are:
(a) (x – 2)(x + 3)(x – 4)
(b) (x + 2)(x + 3)(x + 4)
(c) (x + 2)(x – 3)(x – 4)
(d) (x – 2)(x – 3)(x – 4)
Solution :
(a) (x – 2)(x + 3)(x – 4)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 14.
If (x + a) is a factor of x2 + px + q and x2 + mx + n then the value of a is :
(a) \(\frac{m-p}{n-q}\)
(b) \(\frac{n-q}{m-p}\)
(c) \(\frac{n+q}{m+p}\)
(d) \(\frac{m+p}{n+q}\)
Solution :
(b) \(\frac{n-q}{m-p}\)

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.3

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Exercise 1.3

Question 1.
Write the following in decimal form and say what kind of decimal expansion each has:
(i) \(\frac{36}{100}\)
(ii) \(\frac{1}{11}\)
(iii) \(4 \frac{1}{8}\)
(iv) \(\frac{3}{13}\)
(v) \(\frac{2}{11}\)
(vi) \(\frac{329}{400}\)
Answer:
(i) \(\frac{36}{100}\) = 0.36 (Terminating)

(ii) \(\frac{1}{11}\) = 0.09090909… = \(0 . \overline{09}\) (Non-terminating and repeating)

(iii) \(4 \frac{1}{8}\) = \(\frac{33}{8}\) =4.125 (Terminating)

(iv) \(\frac{3}{13}\) = 0.230769230769… = \(0 . \overline{230769}\) (Non-terminating and repeating)

(v) \(\frac{2}{11}\) = 0.181818181818… = \(0 . \overline{18}\) (Non-terminating and repeating)

(vi) \(\frac{329}{400}\) = 0.8225 (Terminating)

Question 2.
You know that \(\frac{1}{7}\) = 0.142857. Can you predict what the decimal expansion of \(\frac{2}{7}, \frac{3}{7}, \frac{4}{7}, \frac{5}{7}, \frac{6}{7}, \frac{3}{7}, \frac{4}{7}, \frac{5}{7}, \frac{6}{7}\) are without actually doing the long division? If so, how?
[Hint: Study the remainders while finding the value of \(\frac{1}{7}\) carefully.]
Answer:
Yes, We can do this by:

\(\frac{2}{7}=2 \times \frac{1}{7}=2 \times 0 . \overline{142857}=0 . \overline{285714}\)
\(\frac{3}{7}=3 \times \frac{1}{7}=3 \times 0 . \overline{142857}=0 . \overline{428571}\)
\(\frac{4}{7}=4 \times \frac{1}{7}=4 \times 0 . \overline{142857}=0 . \overline{571428}\)
\(\frac{5}{7}=5 \times \frac{1}{7}=5 \times 0 . \overline{142857}=0 . \overline{714285}\)
\(\frac{6}{7}=6 \times \frac{1}{7}=6 \times 0 . \overline{142857}=0 . \overline{857142}\)

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2

Question 3.
Express the following in the form p/q, where p and q are integers and q ≠ 0.
(i) \(0 . \overline{6}\)
(ii) \(0 . 4 \overline{7}\)
(iii) \(0 . \overline{001}\)
Answer:
(i) \(0 . \overline{6}\) = 0.666…
Let x = 0.666…
∴ 10x = 6.66…
∴ 10x = 6 + 0.66…
∴ 10x = 6 + 0.666…
∴ 10x = 6 + x
∴ 9x = 6
x = \(\frac{2}{3}\)

(ii) \(0 . 4 \overline{7}\) = 0.4777… = \(\frac{4}{10}\) + \(\frac{0.777}{10}\)
Let x = 0.777…
∴ 10x = 7.77…
∴ 10x = 7.777…
∴ 10x = 7 + 0.777…
∴ 10x = 7 + x
∴ x = \(\frac{7}{9}\)
\(0 . 4 \overline{7}\) = \(\frac{4}{10}\) + \(\frac{0.777}{10}\) = \(\frac{4}{10}\) + \(\frac{7}{90}\)
= \(\frac{36}{90}\) + \(\frac{7}{90}\) = \(\frac{43}{90}\)

(iii) \(0 . \overline{001}\) =0.001001…
Let x = 0.001001…
∴ 1000x = 1.001….
∴ 1000x = 1.001001…
∴ 1000x = 1 + 0.001001 …
∴ l000x= 1 + X
∴ 999x = 1
x = \(\frac{1}{999}\)

Question 4.
Express 0.99999…in the form \(\frac{p}{q}\). Are you surprised by your answer? With your teacher and classmates discuss why the answer makes sense.
Answer:
Let x = 0.9999…
10x = 9.999…
∴ 10x = 9.9999…
∴ 10x = 9 + 0.9999…
∴ 10x = 9 + x
∴ 9x = 9
x = 1
The difference between 1 and 0.999999 is 0.000001 which is negligible. Thus, 0.999… is too much near 1. Therefore, the answer 1 can be justified.

Question 5.
What can the maximum number of digits be in the repeating block of digits in the decimal expansion of 1/17? Perform the division to check your answer.
Answer:
\(\frac{1}{17}\) = 0.05882352941176470588…
= \(0 . \overline{0588235294117647}\)
There are 16 digits in the repeating block of the decimal expansion of \(\frac{1}{17}\)

Question 6.
Look at several examples of rational numbers in the form \(\frac{p}{q}\) (q ≠ 0), where p and q are integers with no common factors other than 1 and having terminating decimal representations (expansions). Can you guess what property q must satisfy?
Answer:
We observe that when q is 2, 4, 5, 8, 10,… then the decimal expansion is terminating. For example:
\(\frac{1}{2}\) = 0.5, denominator q = 21
\(\frac{4}{5}\) = 0.8, denominator q = 51
We can observe that terminating decimal may be obtained in the situation where prime factorisation of the denominator of the given fractions has the power of 2 only or 5 only or both.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2

Question 7.
Write three numbers whose decimal expansions are non-terminating non-recurring.
Answer:
Three numbers whose decimal expansions are non-terminating non-recurring are:
(i) 0.303003000300003…
(ii) 0.505005000500005…
(iii) 0.7207200720007200007200000…

Question 8.
Find three different irrational numbers between the rational numbers \(\frac{5}{7}\) and \(\frac{9}{11}\).
Answer:
\(\frac{5}{7}\) = \(0 . \overline{714285}\)

\(\frac{9}{11}\) = \(0 . \overline{81}\)
Three different irrational numbers are:
0.73073007300073000073…
0.75075007500075000075…
0.76076007600076000076…

Question 9.
Classify the following numbers as rational or irrational:
(i) \(\sqrt{23}\)
(ii) \(\sqrt{225}\)
(iii) 0.3796
(iv) 7.478478…
(v) 1.101001000100001…
Answer:
(i) \(\sqrt{23}\) = 4.79583152331…
Since the decimal expansion is non-terminating and non-recurring therefore, it is an irrational number.

(ii) \(\sqrt{225}\) = 15 = \(\frac{15}{1}\)
The number is rational number as it can represented in \(\frac{p}{q}\) form where p, q ∈ Z and q ≠ 0.

(iii) 0.3796
Since the decimal expansion is terminating therefore, it is a rational number.

(iv) 7.478478… = \(7 . \overline{478}\)
Since, this decimal expansion is non-terminating recurring, therefore, it is a rational number.

(v) 1.101001000100001…
Since the decimal expansion is non-terminating and non-repeating, therefore, it is an irrational number.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Students should go through these JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals will seemingly help to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Quadrilateral
A quadrilateral is a closed figure obtained by joining four points (with no three points collinear) in an order.
→ Since, ‘quad’ means ‘four’ and ‘lateral’ is for ‘sides therefore quadrilateral means a figure bounded by four sides’
→ Every quadrilateral has:
(A) Four vertices
(B) Four sides
(C) Four angles and
(D) Two diagonals.
→ A diagonal is a line segment obtained on joining the opposite vertices.

Sum of the Angles of a Quadrilateral:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 1a
Consider a quadrilateral ABCD as shown in figure. Join A and C to get the diagonal AC which divides the quadrilateral ABCD into two triangles ABC and ADC.
We know the sum of the angles of each triangle is 180°
∴ In ΔABC; ∠CAB + ∠B + ∠BCA = 180°
and In ΔADC; ∠DAC + ∠D + ∠DCA = 180°
On adding, we get:
(∠CAB + ∠DAC) + ∠B + ∠D + (∠BCA + ∠DCA) = 180° + 180°
⇒ ∠A + ∠B + ∠D + ∠C = 360°
Thus, the sum of the angles of a quadrilateral is 360°.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Types of Quadrilaterals:
→ Trapezium: It is a quadrilateral in which one pair of opposite sides are parallel and one pair is unparallel. In the quadrilateral ABCD, drawn alongside, sides AB and DC are parallel and AD and BC are unparallel therefore it is a trapezium
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 2a
→ Parallelogram: It is a quadrilateral in which both the pairs of opposite sides are equal and parallel. The figure shows a quadrilateral ABCD in which AB is parallel and equal to DC and AD is parallel and equal to BC, therefore ABCD is a parallelogram.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 3a
Here, (A) ∠A = ∠C and ∠B = ∠D
(B) AB = CD and AD = BC
(C) AB || CD and AD || BC
→ Rectangle: It is a parallelogram whose each angle is 90°.
(a) ∠A + ∠B = 90° + 90° = 180°
⇒ AD || BC, also AD = BC.
(b) ∠B + ∠C = 90° + 90° = 180°
⇒ AB || DC, also AB = DC.
(c) Diagonals AC and BD are equal.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 4a
Rectangle ABCD is also a parallelogram.
→ Rhombus: It is a also parallelogram whose all the sides are equal and diagonals are perpendicular to each other. The figure shows a parallelogram ABCD in which AB = BC = CD = DA; AC ⊥ BD.; therefore it is a rhombus.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 5a
→ Square: It is a parallelogram whose all the sides are equal and each angle is 90°. Also, diagonals are equal and perpendicular to each other. The figure shows a parallelogram ABCD in which AB = BC = CD = DA, ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°, AC ⊥ BD and AC = BD, therefore ABCD is a square.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 6a
→ Kite: It is not parallelogram in which two pairs of adjacent sides are equal The figure shows a quadrilateral ABCD in which adjacent sides AB and AD are equal i.e. AB = AD and also the other pair of adjacent sides are equal i.e., BC = CD; therefore it is a kite or kite shaped figure.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 7a

Remarks:

  • Square, rectangle and rhombus are all parallelograms.
  • Kite and trapezium are not parallelograms.
  • A square is a rectangle.
  • A square is a rhombus.
  • A parallelogram is a trapezium.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Parallelogram Theorems
A parallelogram is a quadrilateral in which both the pairs of opposite sides are equal and parallel.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 8a

Theorem 1.
A diagonal of a parallelogram divides the parallelogram into two congruent triangles.
Proof:
Given: A parallelogram ABCD.
To Prove: A diagonal divides the parallelogram
into two congruent triangles i.e., if diagonal AC is drawn then ΔABC ≅ ΔCDA and if diagonal BD is drawn
then ΔABD ≅ ΔCDB.
Construction: Join A and C
Proof: Since, ABCD is a parallelogram
AB || DC and AD || BC
In ΔABC and ΔCDA
∠BAC = ∠DCA [Alternate angles]
∠BCA = ∠DAC [Alternate angles]
And, AC = AC [Common side]
∴ ΔABC ≅ ΔCDA [By ASA]
Similarly, we can prove that
ΔABD ≅ ΔCDB

Theorem 2.
In a parallelogram, opposite sides are equal.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 9a
Proof:
Given: A parallelogram ABCD in which
AB || DC and AD || BC.
To Prove: Opposite sides are equal i.e.. AB = DC and AD = BC
Construction: Join A and C
Proof: In ΔABC and ΔCDA
∠BAC = ∠DCA [Alternate angles]
∠BCA = ∠DAC [Alternate angles]
AC = AC [Common]
∴ ΔABC ≅ ΔCDA [By ASA]
⇒ AB = DC and AD = BC [By CPCT]
Hence, proved.

Theorem 3.
If each pair of opposite sides of a quadrilateral is equal, then it is a parallelogram.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 10a
Proof:
Given: A quadrilateral ABCD in which AB = DC and AD = BC.
To Prove: ABCD is a parallelogram ie, AB || DC and AD || BC
Construction: Join A and C
Proof: In ΔABC and ΔCDA
AB = DC [Given]
AD = BC [Given]
And AC = AC [Common]
∴ ΔABC ≅ ΔCDA [By SSS]
⇒ ∠1 = ∠3 [By CPCT]
And ∠2 = ∠4 [By CPCT]
But these are alternate angles and whenever alternate angles are equal, the lines are parallel.
∴ AB || DC and AD || BC
⇒ ABCD is a parallelogram.
Hence, proved.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Theorem 4.
In a parallelogram, opposite angles are equal.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 11a
Proof:
Given: A parallelogram ABCD in which AB || DC and AD || BC.
To Prove: Opposite angles are equal i.e. ∠A = ∠C and ∠B = ∠D
Construction: Draw diagonal AC.
Proof: In ΔABC and ΔCDA
∠BAC = ∠DCA [Alternate angles]
∠BCA = ∠DAC [Alternate angles]
AC = AC [Common]
∴ ΔABC ≅ ΔCDA [By ASA]
⇒ ∠B = ∠D [By CPCT]
Similarly, we can prove that
∠A = ∠C Hence, proved.

Theorem 5.
If in a quadrilateral, each pair of opposite angles is equal, then it is a parallelogram.
Proof:
Given: A quadrilateral ABCD in which opposite angles are equal. i.e., ∠A = ∠C and ∠B = ∠D
To prove: ABCD is a parallelogram i.e.,
AB || DC and AD || BC
Proof: Since the sum of the angles of quadrilateral is 360°
⇒ ∠A + ∠B + ∠C+ ∠D = 360°
⇒ ∠A + ∠D + ∠A + ∠D = 360°
[∵ ∠A = ∠C and ∠B = ∠D]
⇒ 2∠A + 2∠D = 360°
⇒ ∠A + ∠D = 180°
[∵ The sum of interior angles on the same side of transversal AB is 180°]
⇒ AB || DC
Similarly, ∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°
⇒ ∠A + ∠B + ∠A + ∠B = 360°
[∵ ∠A = ∠C and ∠B = ∠D]
⇒ 2∠A + 2∠B = 360°
⇒ ∠A + ∠B = 180°
[∵ The sum of interior angles on the same side of transversal AB is 180°]
∴ AD || BC
So, AB || DC and AD || BC
⇒ ABCD is a parallelogram.
Hence, proved.

Theorem 6.
The diagonal of a parallelogram bisect each other.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 12a
Proof:
Given: A parallelogram ABCD. Its diagonals AC and BD intersect each other at point O..
To Prove: Diagonals AC and BD bisect each other i.e., OA = OC and OB = OD.
Proof: In ΔAOB and ΔCOD
∵ AB || DC and BD is a transversal.
∴ ∠ABO = ∠CDO [Alternate angles]
∵ AB || DC and AC is a transversal line.
∴ ∠BAO = ∠DCO [Alternate angles]
And, AB = DC
⇒ ΔAOB ≅ ΔCOD [By ASA]
⇒ OA = OC and OB = OD [By CPCT]
Hence, proved.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Theorem 7.
If the diagonals of a quadrilateral bisect each other, then it is a parallelogram.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 13a
Proof:
Given: A quadrilateral ABCD whose diagonals AC and BD bisect each other at point O.
i.e., OA = OC and OB = OD
To prove: ABCD is a parallelogram i.e..
AB || DC and AD || BC.
Proof: In ΔAOB and ΔCOD
OA = OC [Given]
OB = OD [Given]
And, ∠AOB = ∠COD [Vertically opposite angles]
⇒ ΔAOB ≅ ΔCOD [By SAS]
⇒ ∠1 = ∠2 [By CPCT]
But these are alternate angles and whenever alternate angles are equal, the lines are parallel.
∴ AB is parallel to DC ie., AB || DC Similarly,
ΔAOD ≅ ΔCOB [By SAS]
⇒ ∠3 = ∠4
But these are also alternate angles
⇒ AD || BC
AB || DC and AD || BC
⇒ ABCD is parallelogram.
Hence, proved.

Theorem 8.
A quadrilateral is a parallelogram, if a pair of opposite sides is equal and parallel.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 14a
Proof:
Given: A quadrilateral ABCD in which AB = DC and AB || DC.
To Prove: ABCD is a parallelogram, i.e. AB || DC and AD || BC.
Construction: Join A and C.
Proof: Since AB is parallel to DC and AC is transversal
∠BAC = ∠DCA [Alternate angles]
AB = DC [Given]
And AC = AC [Common]
⇒ ΔBAC ≅ ΔDCA [By SAS]
⇒ ∠BCA = ∠DAC [By CPCT]
But these are alternate angles and whenever alternate angles are equal, the lines are parallel.
⇒ AD || BC
Now, AB || DC (given) and AD || BC
[Proved above]
⇒ ABCD is a parallelogram
Hence, proved.

Remarks:
In order to prove that given quadrilateral is parallelogram, we can prove any one of the following.

  • Opposite angles of the quadrilateral are equal, or
  • Diagonals of the quadrilateral bisect each other, or
  • A pair of opposite sides is parallel and is of equal length, or
  • Opposite sides are equal.
  • Every diagonal divides the parallelogram into two congruent triangles.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals

Mid-Point Theorem
Statement: In a triangle, the line segment joining the mid-points of any two sides is parallel to the third side and is half of it.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 15a
Given: A triangle ABC in which P is the mid-point of side AB and Q is the mid-point of side AC.
To Prove: PQ is parallel to BC and is half of it
i.e., PQ || BC and PQ = \(\frac{1}{2}\)BC
Construction: Produce PQ upto point such that PQ = QR. Join R and C.
Proof: In ΔAPQ and ΔCRQ
PQ = QR [By construction]
AQ = QC [Given]
And, ∠AQP = ∠CQR [Vertically opposite angles]
⇒ ΔAPQ ≅ ΔCRQ [By SAS]
⇒ AP = CR [By CPCT]
And, ∠APQ = ∠CRQ [By CPCT]
But, ∠APQ and ∠CRQ are alternate angles and we know, whenever the alternate angles are equal, the lines are parallel.
⇒ AP || CR
⇒ AB || CR
⇒ BP || CR
Given, P is mid-point of AB
⇒ AP = BP
⇒ CR = BP [As, AP = CR]
Now, BP = CR and BP || CR
⇒ BCRP is a parallelogram.
[When any pair of opposite sides are equal and parallel, the quadrilateral is a parallelogram]
BCRP is a parallelogram and opposite sides of a parallelogram are equal and parallel.
∴ PR = BC and PR || BC
Since, PQ = QR
⇒ PQ = \(\frac{1}{2}\)PR = \(\frac{1}{2}\)BC [AS, PR = BC]
Also, PQ || BC [As, PR || BC]
∴ PQ || BC and PQ = \(\frac{1}{2}\)BC
Hence, proved.

Converse of the Mid-Point Theorem
Statement: The line drawn through the midpoint of one side of a triangle parallel to the another side bisects the third side.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 8 Quadrilaterals 16a
Given: A triangle ABC in which is the midpoint of side AB and PQ is parallel to BC.
To prove: PQ bisects the third side AC i.e., AQ = QC.
Construction: Through C, draw CR parallel to BA, which meets PQ produced at point R.
Proof: Since, PQ || BC i.e., PR || BC [Given]
CR || BA i.e., CR || BP [By construction]
∴ Opposite sides of quadrilateral PBCR are parallel.
⇒ PBCR is a parallelogram
⇒ BP = CR
Also, BP = AP [As Pis mid-point of AB]
∴ CR = AP (As CR = BP)
Now, AB || CR and AC is transversal, ∠PAQ = ∠ROQ [Alternate angles]
Also, AB || CR and PR is transversal, ∠APQ = ∠CRQ [Alternate angles]
In ΔAPQ and ΔCRQ
CR = AP, ∠PAQ = ∠RCQ and ∠APQ = ∠CRQ
⇒ ΔAPQ ≅ ΔCRO [By ASA]
⇒ AQ = QC Hence, proved.

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions व्याकरणम् अव्ययपदानि Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

संस्कृतभाषायां शब्दप्रकारद्वयमस्ति – विकारी अविकारी च। ये शब्दः विभक्तिप्रत्यय-उपसर्गः मिलित्वा रूपपरिवर्तनं कुर्वन्ति ते ‘विकारी’ इति शब्देन निर्दिश्यन्ते। अविकारिणः तु कदापि रूपपरिवर्तनं न कुर्वन्ति। एते ‘अव्यय’-शब्देन कथ्यन्ते। अर्थात् येषु शब्देषु लिङ्गवचनकारकादि-सम्बन्धेन रूपपरिवर्तनां न भवति ते अव्ययानि सन्ति। उक्तं च-(संस्कृत भाषा में शब्द के दो प्रकार हैं- विकारी और अविकारी। जो शब्द विभक्ति-प्रत्यय-उपसर्ग से मिलकर रूप परिवर्तन करते हैं वे ‘विकारी’ इस शब्द से निर्देशित किये जाते हैं। अविकारी तो कभी भी रूप परिवर्तन नहीं करते हैं। ये अव्यय शब्द कहे जाते हैं। अर्थात् इन शब्दों में लिङ्ग, वचन, कारक आदि के सम्बन्ध से रूप परिवर्तन नहीं होता है, वे अव्यय पद हैं। जैसा कि कहा है-)

सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु स विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्त्र व्येति तदव्ययम्।।

अव्ययानां अन्ते आगतानां र-स्-वर्णानां स्थाने विसर्गः प्रयुज्यते यथा-उच्चैस-उच्चैः, नीचैस नीचैः, अन्तर=अन्त: पुनर-पुनः इति। (अव्ययों के अन्त में आये हुए ‘र’ और ‘स्’ वर्गों के स्थान पर विसर्ग प्रयुक्त किया जाता है जैसे-उच्चैस्-उच्चैः, नीचैस्-नीचैः, अन्तर्-अन्तः, पुनर्=पुनः आदि।)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

अव्ययानामपि प्रकार द्वयमस्ति – प्रथमं तावत् रूढ़म्, अव्युत्पन्न वा। यथा-च, वा, विना, पृथगादीनि धातोः अव्युत्पन्नानि। द्वितीयं यौगिकं व्युत्पन्नं वा। यथा पठित्वा, पठितुमादीनि धातोः व्युत्पन्नानि कृदन्दताव्ययानि। सर्वदा, चतुर्धादीनि नाम्न: व्युत्पन्नानि तद्विताव्ययानि च। तद्धिताव्ययानां भेदा अपि सन्ति। यथा- (अव्ययों के दो प्रकार हैं- पहला अधिकार रूढम् अथवा अव्युत्पन्नम् है। जैसे- च, वा, विना, पृथगादीनि धातु से अव्युत्पन्न हैं। दूसरा अधिकार यौगिक अथवा व्युत्पन्न है। पठितुम् आदि धातु से व्युत्पन्न कृदन्त अव्यय हैं। और सर्वदा, चतुर्धा आदि नाम से व्युत्पन्न तद्धित अव्यय हैं। तद्धित अव्ययों के भेद भी हैं। जैसे-)

विभक्ति बोधकानि – कुतः, ग्रामतः, कुत्र अत्रादीनि।
कालबोधकानि – यदा, कदा, सर्वदादीनि।
प्रकारबोधकानि – यथा, तथा, कथम्, इत्थम्, द्वेधादीनि।
विविधानि – अनेकशः पञ्चत्व आदीनि।

अत्र केषाञ्चिदव्ययानां अर्थोः उदाहरणानि च प्रस्तूयन्ते- (यहाँ कुछ अव्ययों के अर्थ और उदाहरण प्रस्तुत किये जा ‘ रहे हैं-)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि 1

ध्यातव्यम् –
अव्ययानां पञ्च भेदा सन्ति (अव्ययों के पाँच भेद हैं-)
(i) क्रिया-विशेषण
(ii) सम्बन्धबोधक
(iii) समुच्चयबोधकः
(iv) विस्मयादिबोधकः
(v) उपसर्गाः।

1. क्रिया-विशेषण अव्यय – जो अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बतलाते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण अव्यय कहा जाता है। इन्हें मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – (i) कालवाचक (ii) स्थानवाचक (ii) रीतिवाचक (iii) रीतिवाचक क्रियाविशेषण।

2. सम्बन्धबोधक अव्यय – जो अव्यय शब्द संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों के सम्बन्ध का बोध कराते हैं, उन्हें सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं। यथा
(i) नगरस्य मध्ये एव चिकित्सालयः अस्ति। (नगर के मध्य ही चिकित्सालय है।)
(ii) ग्रामस्य समीपे एव नदी प्रवहति। (गाँव के समीप ही नदी बहती है।) यहाँ ‘मध्ये’ और ‘समीपे’ सम्बन्धबोधक अव्यय हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

3. समुच्चयबोधक अव्यय-जो अव्यय शब्द दो पदों या वाक्यों को परस्पर जोड़ने का काम करते हैं, उन्हें समुच्चय– बोधक अव्यय कहते हैं। जैसे-च (और) वा (अथवा) आदि।
(i) सुरभितः शीतलः च पवन: वहति। (सुगन्धित और शीतल हवा चल रही है।)
(i) महेशः दिनेशः वा गायति। (महेश अथवा दिनेश गा रहा है।)

4. विस्मयादिबोधक अव्यय-जो अव्यय शब्द हर्ष, विषाद, सम्बोधन, दुःख, खेद, घृणा, आश्चर्य, आशीर्वाद, भय, लज्जा आदि भावों या मनोविकारों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक या मनोविकारसूचक अव्यय कहते हैं, जैसे –
आः, अहो, आम्, अहह, धिक्, हा, हन्त आदि।

(i) आ:! स्वयं मृतोऽसि। (अरे! स्वयं मर गये हो।)
(ii) अहो ! देशस्य दुर्भाग्यम्। (अरे! देश का दुर्भाग्य।)
(iii) अहो ! बलीयः खलु भीतोऽस्मि। (अरे ! बहुत अधिक डर गया हूँ।)।

5. उपसर्ग अव्यय-उपसर्ग वे अव्यय शब्दांश हैं जो क्रियादि पदों से पूर्व जुड़कर उनके अर्थ को बदल देते हैं या उसमें कुछ विशेषता ला देते हैं। ये प्र आदि 22 होते हैं अत: इन्हें ‘प्रादयः’ कहते हैं। इनका अपना कोई अर्थ या स्वतन्त्र प्रयोग नहीं होता। ये हैं – प्र (अधिक), परा (पीछे), अप (दूर), सम् (अच्छी तरह), अनु (पीछे), अव (दूर, नीचे), निस् (बिना), निर् (बाहर), दुस् (कठिन), दुर् (बुरा), वि (बिना), आङ् (तक), नि (नीचे), अधि (ऊपर), अपि (भी), अति (बहुत), सु (अच्छा), उद् (ऊपर), अभि (ओर), प्रति (ओर, उल्टा), परि (चारों ओर), उप (निकट)। यथा – प्रणामः, पराजयः, अपमानः, संयोगः, अनुरागः, अवमानना, निस्सन्देहः, निराकारः, दुस्साहसः, दुर्जयः, वियोगः, आवासः, निरोधः, अधिकारः, अपिधानम् (पिधानम्), अतिक्रमणम्, सुभगः, उत्थानम्, अभिमानम्, प्रत्युत्तरम्, परितः, उपयोगः।
नोट – उपर्युक्त स्थूलांकित शब्दांश उपसर्ग हैं।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उचित विकल्पं चित्वा लिखत –
1. ……………. स्वर्णमयी लङ्का लक्ष्मण मे न रोचते।
(अ) अपि
(ब) इति
(स) इव
(द) एव
उत्तरम् :
(अ) अपि

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

2. तस्य स्वत्वं. ……….. राष्ट्रे भवितुं न किलार्हति।
(अ) तु
(ब) तत्र
(स) कुत्र
(द) यत्र।
उत्तरम् :
(ब) तत्र

3. स्थाने खलु ऋषिजनेन सर्वदमन ……………. कृतनामधेयोऽसि।
(अ) अपि
(ब) इति
(स) यत्
(द) तत्र
उत्तरम् :
(ब) इति

4. ……………. वा मम माता?
(अ) तत्र
(ब) कुत्र
(स) तत्र
(द) यत्
उत्तरम् :
(ब) कुत्र

5. प्रतापस्य राज्ये ………….. जनक्षतिः धनक्षति च सजाता।
(अ) एवं
(ब) यत्
(स) अपि
(द) इति
उत्तरम् :
(स) अपि

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

6. ……………. तु मातुः सहयोगाय वीरमा गोचारण कार्यमारभत।
(अ) इदानीम्
(ब) अत्र
(स) इति
(द) एन
उत्तरम् :
(अ) इदानीम्

7. अयं पुनः गण्डस्योपरि पिटकः संवृत्तः…………….भयङ्करो दुर्भिक्षकालः समापन्नः।
(अ) इति
(ब) अपि
(स) यत्
(द) एव
उत्तरम् :
(स) यत्

8. ……………. केनापि कृपालना अनाथालये प्रवेशितः।
(अ) यत्र
(ब) तत्र
(स) अत्र
(द) कुत्र
उत्तरम् :
(ब) तत्र

9. ……………. तस्य हृदि संस्कृताध्ययनेच्छा।
(अ) तत्र
(ब) यत्र
(स) अत्र
(द) अपि
उत्तरम् :
(स) अत्र

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

10. जिज्ञासे सति कथितं ……………. जाटस्य तव संस्कृतं क्व सुलभम्?
(अ) यतः
(ब) यत्
(ब) चेत्।
(स) इति
उत्तरम् :
(अ) यतः

प्रश्न 2.
अधोलिखिताव्ययपदेषु उचितमव्ययपदं चित्वा रिक्त-स्थानं पूरयत।
(निम्न अव्यय पदों में से उचित अव्यय चुनकर रिक्त-स्थान की पूर्ति कीजिए।)
(क) शिखराणि ……………… लताभिः पुष्पिताग्रामिरूपगूढानि। (पुरुतः/सर्वतः)
(ख) वीरो …………….गर्वित कुञ्जस्थः। (तथा/यथा)
(ग) बोधिसत्वः …………. कस्मिंश्चित् सरसि मत्स्याधिपतिः बभूव। (किल/खलु)
(घ) वर्षनिवृत्ति साशङ्कः …………….. पर्जन्यमाबभाषे। (मुहुर्मुहुः पुनः पुनः)
(ङ) तवैव …………….. एषः सत्यातिशयप्रभावः। (किल/खलु)
(च) सः नैव स्त्री न …………. पुमान्। (ततः/पुनः)
(छ) हा ……………… ! अयमपि नाम परसम्पत्त्या सन्तप्यते ? (धिक्/हन्त)
(ज) हम्मीरदेवेन ……………… युद्धं कृतवान्। (साकं/प्रति)
(झ) महिमासाहिना ………….. त्वामनतकपरं नेष्यामि। (पुर:/सद्)
(ब) ………… परश्वोः वा दुर्गं ग्राहमिषवः। (ह्य/श्व:)
(ट) यवनराजेन ……………… योत्स्यामि। (सम/प्रति)
(ठ) यूयं सर्वे दुर्गाद् …………….. स्थानान्तरं गच्छत। (अन्तः/बहिः)
(ड) ………………… अलावरीनो नाम यवनराजो बभूव। (कुत्र/तत्र)
(ढ) पलायनमयि नोचितं (ततः/यतः)
(ण) नो चेदितो ………………. गच्छामि। (यत्र/अन्यत्र)
(त) यवनराजेन हम्मीरदेवं ………… दूतः प्रहितः। (प्रति/यदि)
(थ) …………… एनं न दास्यति तदा श्वस्तने तव दुर्गं विनशिष्यामि। (यदि/तदा)
(द) ………… निर्भसिते दूते गते। (यत:/ततः)
उत्तराणि :
(क) सर्वतः
(ख) यथा
(ग) किल
(घ) पुनः पुनः
(ङ) खलु
(च) पुनः
(छ) धिक्
(ज) साकम्
(झ) सह
(ज) श्वः
(ट) समम्
(ठ) बहिः
(ड) तत्र
(ढ) यतः
(ण) अन्यत्र
(त) प्रति
(थ) यदि
(द) ततः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

प्रश्न 3.
उचितेन अव्ययपदेन रिक्त-स्थानं पूरयत। (उचित अव्यय पद से रिक्त-स्थान की पूर्ति कीजिये।)
(क) मयि जीवति यमः ……………….. त्वां पराभवितुं न शक्नोति।
(ख) हम्मीरदेवेन साकं युद्धं कृतवान् ………………….. जयं न लब्धवान्।
(ग) यद्येनं न दास्यति …………………… श्वस्तने प्रभाते तव दुर्गं नाशयिष्यामि।
(घ) श्वः ………. वा दुर्गं ग्राहयिष्यावः।
(ङ) किञ्च यदि मन्यसे ……. निर्भय स्थानं त्वां प्रापयामि।
(च) ………………. एव क्रीडित्वा सोऽपि समागतः।
(छ) स्वामिन्याः …………………. भविष्यति।
(ज) कियद्वारं निर्दिष्टोऽसि ……………. प्रवचनं न कार्यम्।
(झ) अद्यागत ……………… एव वात्याचक्रमुत्थापयसि।
(ब) तव पिता …………… किं करोति ?
उत्तराणि :
(क) अपि
(ख) परं
(ग) तदा
(घ) परश्वः
(ङ) तदा
(च) इदानीम्
(छ) पार्वे
(ज) यत्
(झ) प्राय
(ब) च।

प्रश्न 4.
मञ्जूषायां प्रदत्तैः अव्ययपदैः रिक्तस्थानानि पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(मञ्जूषा में दिये हुए अव्यय पदों से रिक्त-स्थानों की पूर्ति करके उत्तर-पुस्तिका में लिखिए -)

1. तावत्, यत्र, तत्र, यदा, श्वः ह्यः, पुरा
(क) ह्यः सोमवासरः आसीत …………… बधवासरः भविष्यति।
(ख) …………. त्वम् आगमिष्यसि तदा अहम् आगमिष्यामि।।
(ग) यावत् त्वम् अत्र स्थास्यसि : ……………………… अहम् न आगमिष्यामि।
उत्तराणि :
(क) ह्यः सोमवासरः आसीत्, श्वः बुधवासरः भविष्यति।
(ख) यदा त्वम् आगमिष्यसि तदा अहम् आगमिष्यामि।
(ग) यावत् त्वम् अत्र स्थास्यसि तावत् अहं न आगमिष्यामि।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

2. विना, सह, नूनम्, यदा, अधुना, अत्र, तत्र ।

रामः – अहं त्वां (i) …………. न गमिष्यामि।
मोहनः – किमर्थं मया एव (ii) …………. गमिष्यसि ?
रामः – (iii) ………….. रात्रिः अस्ति। अहम् अंधकारात् त्रस्यामि।
उत्तराणि :
रामः – अहं त्वां विना न गमिष्यामि।
मोहनः – किमर्थं मया एव सह गमिष्यसि ?
रामः – अधुना रात्रिः अस्ति। अहम् अंधकारात् त्रस्यामि।

3. किमर्थम्, तत्र, बहिर्, अधुना; इतस्ततः, कुतः, यत्।

नैतिक – गर्वित ! गृहाद् (i) ………… गत्वा उद्यानात् पुष्पाणि आनय।
गर्वित – भ्रातः ! अहं (i) ………… एकाकी न गमिष्यामि।
नैतिक – (iii) …………. एकाकी न गमिष्यसि।
उत्तराणि :
नैतिक – गर्वित ! गृहाद बहिर् गत्वा उद्यानात् पुष्पाणि आनय।
गर्वित – भ्रातः! अहं तत्र एकाकी न गमिष्यामि।
नैतिक – किमर्थम् एकाकी न गमिष्यसि ?

4. अन्यत्र, अपि, कुत्र, किमर्थम्, तदा, यदा, मा।

सीमा – सुरेखे! त्वं प्रभाते (i) ………… गच्छसि?
सुरेखा – अहं (ii) ………… भ्रमितुं गच्छामि।
सीमा – तिष्ठ, अहम् (iii) …………… त्वया सह चलिष्यामि।
उत्तराणि :
सीमा – सुरेखे! त्वं प्रभाते कुत्र गच्छसि ?
सुरेखा – अहं अन्यत्र भ्रमितुं गच्छामि।
सीमा – तिष्ठ, अहम् अपि त्वया सह चलिष्यामि।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

5. तत्र, श्वः, ह्यः, कुत्र, यत्र, शनैः शनैः, इतस्ततः

राम – श्याम! सुनील: (i) …………… गतः ?
श्याम – (ii) …………. अहं तम् आपणे अपश्यम्।
राम – सः (iii) ………….. किं करोति स्म ?
उत्तराणि :
राम – श्याम! सुनील: कुत्र गतः ?
श्याम – ह्यः अहं तम् आपणे अपश्यम्।
राम – सः तत्र किं करोति स्म ?

6. इतस्ततः, मा, तावत्, बहिः, सहसा, यदा, तदा।।

(i) यावत् अहम् अत्र तिष्ठामि …………. मा गच्छ।
(ii) सिंहस्य अभावे वने जीवाः …………… भ्रमन्ति।
(iii) ………….. कदापि कार्याणि न कुर्यात्।
उत्तराणि :
(i) यावत् अहम् अत्र तिष्ठामि तावत् मा गच्छ।
(ii) सिंहस्य अभावे वने जीवाः इतस्ततः भ्रमन्ति।
(iii) सहसा कदापि कार्याणि न कुर्यात्।

7. एव, अलम्, उच्चैः, अधुना, शनैः, च, अपि।

अनिलः – आगतः अस्मि, श्रीमन्त: (i) ………… किं करवाणि ?
अध्यापकः – (ii) ………..” भ्रमणेन। अत्र उपविश।
अनिल: – आम्, उपविशामि। यद् भवन्तः कथयिष्यन्ति तद् (iii) ……….. …. करिष्यामि।
उत्तराणि :
अनिलः – आगतः अस्मि, श्रीमन्तः अधुना किं करवाणि ?
अध्यापकः – अलं भ्रमणेन। अत्र उपविश।
अनिलः – आम्, उपविशामि। यद् भवन्तः कथयिष्यन्ति तद् एव करिष्यामि।

8. अपि, पुरा, विना, बहिः, कुत्र, वृथा, शनैः।

भानुप्रिया – त्वम् अधुना (i) …………… गच्छसि ?
भानुप्रताप – अहं ग्रामाद (ii) …………… भ्रमणाय गच्छमि।
भानुप्रिया – अहम् (iii) …………. त्वया सह गन्तुम् इच्छामि।
उत्तराणि :
(i) कुत्र
(ii) बहिः
(iii) अपि

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

9. बहिः, एव, अपि, कुत्र, यत्र, तत्र, किमर्थम्।

माता – वत्स! एषः कोलाहलः (i) …………. भवति।
पुत्रः – मातः! (ii) …………… एकः अहितुण्डकः आयातः।
माता – एते अहितुण्डकाः सर्पान् (iii) ………….. प्रदर्शयन्ति।
उत्तराणि :
माता – वत्स ! एषः कोलाहलः कुत्र भवति।
पुत्रः – माता:! बहिर् एकः अहितुण्डकः आयातः।
माता – एते अहितुण्डकाः सर्पान् किमर्थं प्रदर्शयन्ति ?

10. ननु, नूनम्, एव, श्वः, अपि, खलु, तत्र

शिक्षकः – छात्राः! (i) …………. विद्यालये वृक्षारोपणं भविष्यति।
मोहनः – अहं गृहाद् (ii) …………… एकं पादपम् आनेष्यामि।
शिक्षकः – निर्मले! त्वम् (iii) …………… पादपम् आनेष्यति।
उत्तराणि :
शिक्षकः – छात्राः! श्वः विद्यालये वृक्षारोपणं भविष्यति।
मोहनः – अहं गृहाद् एव एक पादपम् आनेष्यामि।
शिक्षकः – निर्मले ! त्वम् अपि पादपम् आनेष्यति।

11. शनैः शनैः, इतस्ततः, तथा, यदा, यदि, अत्र, अपि।

अपूर्वः – (i) …………. एकं विशालम् उपवनम् अस्ति।
प्रत्यूषः – पश्य, वृक्षेषु वानराः (ii) ………… कूर्दन्ति।
अपूर्वः – तत्र तु मयूरा: (iii) …………… नृत्यन्ति।
उत्तराणि :
अपूर्वः – अत्र एक विशालम् उपवनम् अस्ति।
प्रत्यूषः – पश्य, वृक्षेषु वानराः इतस्ततः कूर्दन्ति।
प्रत्यूषः – तत्र तु मयूराः अपि नृत्यन्ति।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

12. यथा, अलम्, इदानीम्, इतः

शिक्षकः – सचिन ! (i) …………..” आगच्छ।
सचिन – आगतः श्रीमन् (i) ………….. किं करणीयम्। भ्रमणाय गच्छामि।
शिक्षकः – (iii) ………… भ्रमणेन, पाठं स्मर।
उत्तराणि :
शिक्षकः – सचिन! इतः आगच्छ।
सचिन – आगतः श्रीमन् ! इदानीं किं करणीयम्। भ्रमणाय गच्छामि।
शिक्षक – अलं भ्रमणेन पाठं स्मर।

13. उच्चैः, अधुना, अद्य, ह्यः, बहिः, श्वः, तदा।

(क) विद्यालये ……….. वार्षिकोत्सवः अस्ति।
(ख) छात्राः विद्यालयात् ………… प्रवेशद्वारे अतिथीनां स्वागतं करिष्यन्ति।
(ग) केचन …………… जयघोषं करिष्यन्ति।
उत्तराणि :
(क) विद्यालये अध वार्षिकोत्सवः अस्ति।
(ख) छात्राः विद्यालयात् बहिः प्रवेशद्वारे अतिथीनां स्वागतं करिष्यन्ति।
(ग) केचन उच्चैः जयघोषं करिष्यन्ति।

14. ह्यः, मा, यत्र, विना, श्वः, अपि, एव।

(क) बालाः ……………… क्रीडन्ति, तत्र जनाः अपि भ्रमन्ति।
(ख) परिश्रमं ……………….. कुत्र साफल्यम् ?
(ग) भवन्तः ……………….. किमर्थं गमिष्यन्ति ?
उत्तराणि :
(क) बालाः यत्र क्रीडन्ति, तत्र जनाः अपि भ्रमन्ति।
(ख) परिश्रमं विना कुत्र साफल्यम् ?
(ग) भवन्तः श्वः किमर्थं गमिष्यन्ति ?

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

15. पुनः, इति, अपि, विना, ह्यः, इतस्ततः, उच्चैः।

(i) ………..” वयं जन्तुशालां द्रष्टुं काननवनम् अगच्छाम। सर्वे पशवः (i) ……………. भ्रमन्ति स्म। सिंहाः (ii) …………. गर्जन्ति स्म।
उत्तराणि :
ह्यः वयं जन्तुशालां द्रष्टुं काननवनम् अगच्छाम। सर्वे पशवः इतस्ततः भ्रमन्ति स्म। सिंहाः उच्चैः गर्जन्ति स्म।

16. विना, पुनः, एव, तत्र-तत्र, इति, शनैः, अतः

वस्तुत: मयूरं (i) …………. कुत्र जन्तुशालायाः शोभा। तत्र आम्रवृक्षाः आसन् (i) …………. कोकिलाः अपि आसन्। यत्र-यत्र आम्रवृक्षाः (iii) ………….. कोकिला: तु भविष्यन्ति एव।
उत्तराणि :
वस्तुत: मयूरं विना कुत्र जन्तुशालायाः शोभा। तत्र आम्रवृक्षाः आसन् अतः कोकिलाः अपि आसन्। यत्र-यत्र आम्रवृक्षाः तत्र-तत्र कोकिला: तु भविष्यन्ति एव।

17. अधुना, सदैव, वृथा, एव, यत्र-यत्र, इव, नूनम्।।

ते जनाः (i) ……….. धन्याः, ये कदापि निरुत्साहिताः न भवन्ति। ते सदैव धन्याः, ये (ii) …………. न …………. वदन्ति। ते (iii) …………… गच्छन्ति, तत्र-तत्र सफलाः भवन्ति।
उत्तराणि :
ते जनाः नूनं धन्याः, ये कदापि निरुत्साहिताः न भवन्ति। ते सदैव धन्याः, ये वृथा न वदन्ति। ते यत्र-यत्र गच्छन्ति, तत्र-तत्र सफलाः भवन्ति।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

18. सह, उच्चैः, बहिः, इतस्ततः, अपि, एव, शीघ्रम्।

नगरात् (i) ………….. एकं वनम् अस्ति। तत्र दिने (ii) …………… अन्धकारः भवति। जनाः प्रायः कुक्कुरैः (iii) ……….. एव तत्र प्रविशन्ति।
उत्तराणि :
नगरात् बहिर् एकं वनम् अस्ति। तत्र दिने अपि अन्धकारः भवति। जनाः प्रायः कुक्कुरैः सह एव तत्र प्रविशन्ति।

19. इतस्ततः, तत्र, परम्, विना, तु, ह्यः सदैव।

(i) ………….. वयं बुद्धोद्याने भ्रमितुम् अगच्छाम। जनाः तत्र (ii) …………… भ्रमन्ति स्म। (iii) …………… छात्राः पुस्तकानि अपठन्।
उत्तराणि :
ह्यः वयं बुद्धोद्याने भ्रमितुम् अगच्छाम। जनाः तत्र इतस्ततः भ्रमन्ति स्म। तत्र छात्राः पुस्तकानि अपठन्।

20. मा, इतस्ततः, उपरि, अधः, अद्य, विना, सर्वत्र।

(i) ………….. वने पशु महोत्सवः अस्ति। मञ्चस्य (ii) …………… वनराजः सिंहः तिष्ठति। आकाशे (iii) …………. मेघाः सन्ति।
उत्तराणि :
अद्य वने पशु महोत्सवः अस्ति। मञ्चस्य उपरि वनराजः सिंह: तिष्ठति। आकाशे सर्वत्र मेघाः सन्ति।

21. सहसा, उच्चै, एव, पुरा।

(i) …………. गायति सः गायकः। (ii) सदा सत्यम् विजयति। (iii) ………….. संस्कृतं जनभाषा आसीत्।
उत्तराणि :
(i) उच्चै। (ii) एव। (iii) पुरा।

22. बहिः, अपि, यथा, कुत्र।

(i) सः क्रीडति अहम् …………… क्रीडामि। (i) भवती …………… पठति। (iii) ………. गुरुः तथा शिष्यः।
उत्तराणि :
(i) अपि। (ii) कुत्र। (iii) यथा।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

23. एव, सहसा, वृथा, बिना।

(i) ……….. विदधीत न क्रियाम्। (ii) क्रियां ………… नरः अकर्मण्यः भवति। (iii) कर्मणा …………. नरः पूज्यते।
उत्तराणि :
(i) सहसा। (ii) बिना। (iii) एव।

प्रश्न 5.
अधोलिखितानाम् अव्यय शब्दानां स्वरचित संस्कृत वाक्येषु प्रयोगं कुरुत।
(निम्नलिखित अव्यय शब्दों का स्वरचित संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए।)
उच्चैः, शनैः, अधः, अद्य, ह्यः, सायं, चिरम्, ईषत्, तूष्णीम् सहसा, पुरा, नूनम्, भूयः, खलु, धिक्।
उत्तर :

  1. बालकः दृश्यम् अवलोक्य उच्चैः हसति। (बालक दृश्य को देखकर जोर से हँसता है।)
  2. कच्छपः शनैः शनैः चलति। (कछुआ धीरे-धीरे चलता है।)
  3. वृक्षस्य अधः एव साधोः उटजम्। (वृक्ष के नीचे ही साधु की कुटिया है।)
  4. अद्य अहं विद्यालयं न गमिष्यामि। (आज मैं विद्यालय नहीं जाऊँगा।)
  5. ह्यः सत्यदेवः जयपुरम् अगच्छत्। (कल सत्यदेव जयपुर गया।)
  6. सायंकाले खगाः स्व स्व नीडं प्रत्यागच्छन्ति। (सायंकाल पक्षी अपने-अपने घोंसले में आ जाते हैं।)
  7. चिरं जीवतु रामः। (रमा चिरायु हों)
  8. मह्यम् ईषद् जलं देहि। (मुझे थोड़ा जल दो।)
  9. तूष्णीं भव नोचेदाचार्य निवेदयिष्यामि। (चुप हो जा नहीं तो आचार्य से कह दूँगा।)
  10. सहसैव सः तत्र प्राप्तः। (अकस्मात् ही वह वहाँ पहुँच गया।)
  11. पुरा आदिकविः वाल्मीकिः रामचरितमलिखत्। (पहले आदिकवि वाल्मीकि ने रामचरित लिखा।)
  12. अद्य सः नूनम् आगमिष्यति। (आज वह अवश्य आयेगा।)
  13. भूयो भूयः नमाम्यहम्। (मैं बार-बार नमस्कार करता हूँ।)
  14. नीचैः विघ्न भयेन खलु न प्रारभ्यते। (नीच (अधम) लोगों द्वारा विघ्नों के भय के कारण निश्चय ही कार्य प्रारम्भ नहीं किया जाता है।)
  15. धिक् मूर्खम्। (मूर्ख को धिक्कार है)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययपदानि

प्रश्न 6.
अधोलिखिताव्ययानामर्थं हिन्दीभाषायां लिखित्वा संस्कृत वाक्येषु प्रयोगं कुरुत।
(निम्न अव्ययों का हिन्दी में अर्थ लिखकर संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
तथा, नीचैः, युगपत, मिथ्या, श्वः, अचिरम, पार्वे, किल, यत्र, यत्।
उत्तराणि :

  • तथा – (वैसा) यथा मेघाः गर्जन्ति तथा एव जलं वर्षति। (जैसे मेघ गर्जते हैं वैसे ही जल बरसता है।)
  • नीचैः – (धीमे) त्वं सर्वदा नीचैः एव वदसि। (तम हमेशा धीमे बोलते हो।)
  • युगपत् – (एक साथ) चक्रेण युगपत्। (चक्र के साथ)
  • मिथ्या – (झूठ) मिथ्या वचनं पापमूलम्। (मिथ्या वचन पाप का मूल है।)
  • श्वः – (आने वाला कल) अहं श्वः एव विदेशं गमिष्यामि। (मैं कल ही विदेश जाऊँगा।)
  • अचिरम् – (शीघ्र) अचिरमेव सः अरोदत्। (वह शीघ्र रो पड़ा)
  • पार्श्वे – (पास, बगल में) मातुः पार्वे भविष्यति। (माँ के पास होगा।)
  • किल – (निश्चय, अवश्य ही) गायन्ति देवाः किल गीतकानि। (निश्चित ही देवता गीत गाते हैं।)
  • यत्र – (जहाँ) सः तत्र गच्छति यत्र त्वं गच्छसि। (वह वहाँ जाता है जहाँ तू जाता है।)
  • यत् – (कि) अहं जानामि यत् त्वं मूर्योऽसि। (मैं जानता हूँ कि तुम मूर्ख हो)।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Exercise 1.2

Question 1.
State whether the following statements are true or false. Justify your Answers.
(i) Every irrational number is a real number.
(ii) Every point on the number line is of the form \(\sqrt{m}\) , where m is a natural number.
(iii) Every real number is an irrational number.
Answer:
(i) True, since the collection of real numbers is made up of rational and irrational numbers.
(ii) False, since negative numbers cannot be expressed as square roots.
(iii) False, as real numbers include both rational and irrational numbers. Therefore, every real number cannot be an irrational number, e.g. 2 is a real number but not an irrational number.

Question 2.
Are the square roots of all positive inte-gers irrational? If not, give an example of the square root of a number that is a rational number.
Answer:
No, the square roots of all positive integers are not irrational. For example \(\sqrt{4}\) = 2, which is rational number.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2

Question 3.
Show how \(\sqrt{5}\) can be represented on the number line.
Answer:
Step 1: Let AB be a line segment of length 2 units on number line.
Step 2: At B, draw a perpendicular line BC of length 1 unit. Join CA.
Step 3: Now, ABC is a right angled triangle. Applying Pythagoras theorem,
AB2 + BC2 = CA2
⇒ 22 + 12 = CA2
⇒ CA2 = 5
⇒ CA = \(\sqrt{5}\)
Thus, CA is a line of length \(\sqrt{5}\) units.

Step 4: Taking CA as a radius and A as a centre draw an arc touching the number line. The point D at which number line gets intersected by arc of length AC is at \(\sqrt{5}\) distance from 0.
Thus, \(\sqrt{5}\) is represented on the number line as shown in the figure.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 Number Systems Ex 1.2 - 1

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?
(क) परती भूमि
(ग) निवल बोया क्षेत्र
(ख) सीमांत भूमि
(घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि।
उत्तर:
(ख) सीमांत भूमि।

2. पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है?
(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(ग) वन बढ़ोत्तरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(घ) वन क्षेत्र प्रबन्धन में लोगों की बेहतर भागीदारी।
उत्तर;
(ग)वन बढ़ोत्तरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि।

3. निम्न में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है?
(क) अवनालिका अपरदन
(ग) मृदा लवणता
(ख) वायु अपरदन
(घ) भूमि पर सिल्ट का जमाव।
उत्तर:
(ग) मृदा लवणता।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

4. शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती?
(क) रागी
(ग) मूंगफली
(ख) ज्वार
(घ) गन्ना।
उत्तर;
(घ) गन्ना।

5. निम्न में से कौन-से देश में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं?
(क) जापान तथा ऑस्ट्रेलिया
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपींस
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
(घ) मैक्सिको तथा सिंगापुर। उत्तर-मैक्सिको तथा फिलीपींस।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
मरुस्थली, रेतीली, पथरीली भूमि जिसे कृषि योग्य नहीं बनाया जा सकता, बंजर भूमि कहते हैं। जो भूमि जल तथा वायु अपरदन से व्यर्थ हो जाती है उसे भी बंजर भूमि कहते हैं। कृषि योग्य व्यर्थ भूमि वह भूमि है जो पिछले पांच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषि रहित है।

प्रश्न 2.
निबल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अन्तर बताओ।
उत्तर:
वह भूमि जिस पर फ़सलें उगाई व काटी जाती हैं वह निबल बोया गया क्षेत्र कहलाता है। सकल बोया गया क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें एक बार से अधिक बोया गया क्षेत्र भी शामिल किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 3.
भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी कृषि वर्ष में गहन भू-उपयोग से प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाती है। इससे सीमित भूमि में कुल उत्पादन बढ़ने के साथ श्रमिकों की मांग भी पर्याप्त रूप से बढ़ती है। भारत में भूमि की कमी तथा श्रम की अधिकता है। इसलिए फ़सलों की सघनता की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी की समस्या को भी कम किया जा सके।

प्रश्न 4. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अन्तर है?
उत्तर:
कृषि ऋतु में उपलब्ध आर्द्रता मात्रा के आधार पर दो वर्गों:\

  1. शुष्क भूमि कृषि तथा
  2. आर्द्र भूमि कृषि में बांटी जाती है।

भारत में शुष्क भूमि खेती मुख्यतः उन प्रदेशों तक सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से कम है। इन क्षेत्रों में शुष्कता को सहने में सक्षम फ़सलें जैसे-रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ग्वार (चारा फसलें) आदि उगाई जाती हैं तथा इन क्षेत्रों में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग के अनेक विधियां अपनाई जाती हैं। आर्द्र कृषि क्षेत्रों में वर्षा ऋतु के अन्तर्गत वर्षा जल पौधों की ज़रूरत से अधिक होता है। ये प्रदेश बाढ़ तथा मृदा अपरदन का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में वे फसलें उगाई जाती हैं जिन्हें पानी की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है, जैसेचावल, जूट, गन्ना आदि तथा ताजे पानी की जलकृषि भी की जाती है।

लघु उतरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
भारत में भू-संसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएं कौन-सी हैं? इनका निर्णय कैसे किया जाए?
उत्तर:
भूमि संसाधनों का निम्नीकरण सिंचाई और कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों से उत्पन्न हुई समस्याओं में से एक गम्भीर समस्या है।

  1. यह गम्भीर समस्या इसलिए है क्योंकि इससे मृदा उर्वरता क्षीण हो सकती है। यह समस्या विशेषकर सिंचित क्षेत्रों में भयावह है। कृषि भूमि का एक बड़ा भाग जलाक्रांतता, लवणता तथा मृदा क्षारता के कारण बंजर हो चुका है। अभी तक लवणता व क्षारता से लगभग 80 लाख हेक्टेयर भूमि कुप्रभावित हो चुकी है।
  2. देश की अन्य 70 लाख हेक्टेयर भूमि जलाक्रांतता के कारण अपनी उर्वरता खो चुकी है।
  3. कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा में ज़हरीले तत्त्वों का सांद्रण हो गया है।
  4. बहु-फ़सलीकरण के बढ़ोत्तरी से परती भूमि में कमी आई है। इससे भूमि में पुनः उर्वरता पाने की प्राकृतिक प्रक्रिया अवरुद्ध हुई है जैसे नाइट्रोजन यंत्रीकरण।
  5. जल तथा वायु द्वारा अपरदन भी गम्भीर रूप धारण कर गए हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 2.
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सरकार का तात्कालिक उद्देश्य खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाना था, जिसमें निम्न उपाय अपनाए गए:
1. व्यापारिक फ़सलों की जगह खाद्यान्नों का उगाया जाना।

2. कृषि गहनता को बढ़ाना, तथा

3. कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना। प्रारम्भ में इस नीति से खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ा, लेकिन 1950 के दशक के अन्त तक कृषि उत्पादन स्थिर हो गया। इस समस्या से उभरने के लिए गहन कृषि जिला कार्यक्रम तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए। परन्तु 1960 के दशक के मध्य में लगातार दो अकालों से देश में अन्न संकट उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप दूसरे देशों से खाद्यान्नों का आयात करना पड़ा।

 भूसंसाधन तथा कृषि JAC Class 12 Geography Notes

→ कृषि प्रधान देश (Agircultural Country): जिस देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्ति भूमिका होती है उसे कृषि प्रधान देश कहते हैं।

→ फसलों के प्रकार (Types of Crops):

  • खाद्यान्न (Food Grains): गेहूँ, चावल, मोटा अनाज।
  • पेय पदार्थ (Beverages): चाय तथा कहवा।
  • रेशेदार पदार्थ (Fibrecrops): कपास तथा पटसन।
  • तिलहन (Oil Seeds): मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी।
  • कच्चे माल (Raw Materials): गन्ना, तम्बाकू, रबड़।

→ हरित क्रान्ति (Green Revolution): भारतीय कृषि को आधुनिकीकरण एवं आत्मनिर्भर बनाने की योजना को हरित क्रान्ति कहते हैं।

→ कृषि-असन्तुलन (Agricultural Inbalances): भारतीय कृषि के विकास में प्रादेशिक असन्तुलन है।

→ फसल ऋतुएं शस्य मौसम (Crop-Season): भारत में दो कृषि काल हैं-खरीफ़ तथा रबी।