Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना पत्र-लेखनम् Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 9th Sanskrit रचना पत्र-लेखनम्
आवश्यक निर्देश – कक्षा IX की परीक्षा में संस्कृत के प्रश्न-पत्र में संस्कृत भाषा में सरल प्रार्थना-पत्र लिखने को कहा जाता है। यहाँ संस्कृत में कुछ प्रार्थना-पत्र दिये जा रहे हैं।
लेखन-विधि – जिन्हें हिन्दी में पत्र-लिखने का अभ्यास है, उन्हें संस्कृत में पत्र लिखने में विशेष असुविधा नहीं होगी। पत्र लिखते समय निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दें –
1. पत्र में सरल भाषा और छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
2. जिस उद्देश्य से आप पत्र लिख रहे हैं, उसका स्पष्ट उल्लेख करें।
3. आवेदन-पत्र में बायीं ओर सम्मानसूचक शब्दों के साथ अधिकारी (प्रधानाचार्य आदि) का पद-नाम लिखें। इसमें सम्बोधन कारक का प्रयोग करना चाहिए। सम्मान व्यक्त करने के लिए आप बहुवचन का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके नीचे अधिकारी के कार्यालय (विद्यालय आदि) का पता लिखें।
4. अगली पंक्ति में पुनः महोदयाः/श्रीमन्तः/श्रीमत्यः आदि लिखकर अधिकारी को सम्बोधित करें। उसकी अगली पंक्ति में अपना निवेदन लिखना प्रारम्भ करें।
5. अन्त में बायीं ओर आवेदन का दिनांक लिखें। दाहिनी ओर अपना नाम व पता निम्नवत् लिखें –
6. निमन्त्रण आदि से सम्बन्धित व्यावहारिक पत्रों में पहले ऊपर दाहिनी ओर प्रेषण-स्थान का नाम ‘त:’ लगाकर … (जयपुरतः, भरतपुरतः आदि) लिखें।
7. आजकल निमन्त्रण-पत्र प्रायः छपवाये जाते हैं, जिनमें प्राप्तकर्ता का नाम-पता बाद में आप लिखें।
8. पत्र की समाप्ति के बाद बायीं ओर दिनांक तथा दाहिनी ओर ‘भवताम् अनुचरः’, ‘निवेदकः’, ‘विनीतः’ आदि लिखकर नाम लिखें। उसके नीचे बायीं ओर प्राप्तकर्ता का नाम तथा पता लिखें।
9. जहाँ संख्या की आवश्यकता हो वहाँ शब्दों (एकः, द्वौ आदि) की अपेक्षा अंकों (1, 2 आदि) का प्रयोग करें। हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले अंक मूलत: संस्कृत के ही हैं, अतः इनका प्रयोग निःसंकोच कर सकते हैं। उदाहरणार्थ-आपको . लिखना है-‘दो दिन का अवकाश।’ इसे संस्कृत में अनेक प्रकार से लिख सकते हैं; जैसे –
(क) दिनद्वयावधिकः अवकाशः
(ग) दिनद्वयात्मकः अवकाशः
(ख) 2 दिनावधिः अवकाशः
(घ) 2 दिनात्मकः अवकाशः
10. साधारण-पत्रों में हिन्दी में प्रचलित विधि का ही अनुकरण करें। प्रारम्भ में दाहिने कोने पर अपने स्थान (ग्राम, नगर आदि) का नाम तथा उसके नीचे दिनांक लिखें। उचित सम्बोधन तथा अभिवादन के साथ पत्र प्रारम्भ करें। अन्त में पत्र को समाप्त करते हुए, पुनः दाहिने कोने पर अपना नाम तथा पूरा पता लिख दें।
विशेष – प्रार्थना-पत्र संकेताधारित होंगे। संकेताधारित प्रार्थना-पत्रों को निम्न चार प्रकार से लिखा जा सकता है। सांकेतिक शब्द तथा सांकेतिक पंक्तियाँ सहायतार्थ होती हैं न कि पूर्ण विषयवस्तु। अतः विद्यार्थी इस बात का विशेष ध्यान रखें।
1. प्रार्थना-पत्र को इस प्रकार से पूछा जा सकता है –
प्रश्न : स्वकीयं मनोजं मत्वा रा.उ. मा. वि. अलवरस्य प्रधानाचार्यमहोदयं शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रं अधोलिखित शब्दानाम् अवलम्बनं कृत्वा लिखत-(स्वयं को मनोज मानकर रा.उ.मा. वि. अलवर के प्रधानाचार्य महोदय को शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र निम्नलिखित शब्दों की सहायता लेकर लिखिए-)
[संकेतसूची/मञ्जूषा – प्रधानाचार्यमहोदयाः, भवतां, नम्रनिवेदनमस्ति, कृषकपुत्रः, आर्थिकदशा, शिक्षणशुल्कम् एवम् अन्यानि, प्रदातुं शक्नोमि, प्रदातव्या, चरणचञ्चरीकः, मनोजकुमारः।]
शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्।
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदया:
रा. उ. मा. वि.
अलवरम्।
विषय: – शिक्षण-शुल्क-मुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
भवतां चरणकमलेषु सविनयं नम्रनिवेदनमस्ति यदहमेक: ग्रामीण: कृषकपुत्रः अस्मि। मम आर्थिकदशा न अस्ति ईदृशी यदहं विद्यालयस्य शिक्षणशुल्कम् एवम् अन्यानि प्रदेयानि शुल्कानि प्रदातुं शक्नोमि। अतः कृपया शुल्कमुक्तिम् प्रदाय अनुगृह्णन्तु माम् भवन्तः।
भवताम् चरणचञ्चरीकः
मनोजकुमारः
कक्षा IX
दिनांक : 11-7-20_ _
हिन्दी-अनुवाद
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
रा. उ. मा. वि.
अलवर।
विषय – शिक्षण-शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
आपके चरण-कमलों में सविनय नम्र निवेदन है कि मैं ग्रामीण किसान का पुत्र हूँ। मेरी आर्थिक दशा ऐसी नहीं है कि मैं विद्यालय का शिक्षण शुल्क एवं अन्य दिये जाने योग्य शुल्क देने में समर्थ हो सकूँ। अतः कृपा करके शुल्क से मुक्ति प्रदान कर अनुगृहीत करें।
आपके चरणों का सेवक
मनोज कुमार
कक्षा IX
दिनांक : 11-7-20_ _
2. ऊपर लिखे प्रार्थना-पत्र को इस प्रकार से भी पूछा जा सकता है –
प्रश्नः स्वकीयं मनोजं मत्वा रा.उ.मा.वि. अलवरस्य प्रधानाचार्यमहोदयम् अधोलिखितानां सङ्केतानाम् आधारेण प्रार्थना-पत्रं लिखत-(स्वयं को मनोज मानकर रा. उ. मा. वि. अलवर के प्रधानाचार्य महोदय को निम्नलिखित सङ्केतों के आधार पर प्रार्थना-पत्र लिखिए-)
ध्यातव्य-(प्रार्थना-पत्र संख्या 2 में प्रार्थना-पत्र लिखने का कारण अर्थात् प्रार्थना-पत्र किसलिए लिखना है, वह हेतु नहीं बताया गया है। अत: छात्रों को सांकेतिक पंक्तियों से प्रार्थना-पत्र के हेतु का चुनाव स्वयं करना है तथा उसी विषय पर प्रार्थना-पत्र लिखना है।)
सेवायाम्
श्रीमन्तः ………..
रा. उ. मा. वि.
अलवरम्
महोदयाः,
भवतां …………. नम्रनिवेदनमस्ति ……………. कृषकपुत्रः ……………. आर्थिकदशा …………… शिक्षणशुल्कम् एवम् अन्यानि प्रदेयानि.. प्रदातुं शक्नोमि. शुल्कमुक्तिम् स्वीकृत्य अगृह्णन्तु माम् भवन्तः।
चरणचञ्चरीकः
………….
कक्षा IX
दिनांक: ………….
नोट – उपर्युक्त सङ्केत पंक्तियों को पढ़कर पता चलता है कि प्रार्थना-पत्र शुल्क-मुक्ति के लिए लिखना है।
उत्तरम् :
प्रार्थना-पत्र संख्या 1 के उत्तर की तरह लिखें।
3. ऊपर लिखे प्रार्थना-पत्र को इस प्रकार से भी पूछा जा सकता है –
प्रश्नः स्वकीयं मनोज मत्वा रा. उ. मा. वि. अलवरस्य प्रधानाचार्यमहोदयम् अधोलिखितानां शब्दसंकेतानाम् अवलम्बनं कृत्वा प्रार्थना-पत्रं लिखत-(स्वयं को मनोज मानकर रा. उ. मा. वि. अलवर के प्रधानाचार्य महोदय को निम्नलिखित शब्द संकेतों की सहायता लेकर प्रार्थना-पत्र लिखिए-)
[सङ्केतसूची-भवतां, निवेदनमस्ति, कृषकपुत्रः आर्थिकदशा, प्रदातुं, प्रदातव्या।]
श्रीमन्तः ………….
महोदयाः,
…………….. चरणकमलेषु …………….. अहम् एकः ग्रामीण: ……………… न अस्ति ईदशी यदहं.. .”प्रदेयानि शुल्कानि ……………….. शुल्कमुक्तिः ………………
भवताम् …………….
मनोज कुमारः
कक्षा IX
दिनांकः ……….
नोट – इस प्रार्थना-पत्र में भी प्रार्थना-पत्र का हेतु (विषय) नहीं दिया गया है। अतः छात्रों को स्वयं संकेत पंक्तियों को पढ़कर पता लगाना है कि प्रार्थना-पत्र किस विषय पर लिखना है।
अत: सांकेतिक पंक्तियाँ पढ़कर पता चलता है कि प्रार्थना-पत्र शुल्क-मुक्ति के लिए लिखना है।
उत्तरम् :
प्रार्थना-पत्र संख्या 1 के उत्तर की तरह लिखें ।
4. ऊपर लिखे प्रार्थना-पत्र को इस प्रकार भी पूछा जा सकता है –
प्रश्न: – शुल्कमुक्तिप्रदानार्थं प्रधानाचार्य प्रति प्रार्थना-पत्रं सङ्केतसूच्याः उचितपदैः पूरयत-(शुल्कमुक्ति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र सङ्केत सूची के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए-)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-कृषकपुत्रः, प्रदातुं शक्नोमि, भवतां, मनोजकुमारः, नम्रनिवेदनमस्ति, प्रदाय, आर्थिकदशाः चरणचञ्चरीकः, शिक्षणशुल्कम् एवम् अन्यानि, प्रधानाचार्यमहोदया:।]
सेवायाम्,
श्रीमन्त: …………
रा. उ. मा. वि.
अलवरम्।
महोदया:,
………………. चरण कमलेषु सविनयं ………….. यदहमेकः ग्रामीण: …………. अस्मि। मम ………. नास्तीदृशी यदहं विद्यालयस्य …………… प्रदेयानि शुल्कानि ……………. । अत: कृपया शुल्कमुक्तिम् …………….. अनुगृह्णन्तु मां भवन्तः।
भवताम् ………….
…………….
कक्षा IX
दिनांक: ……….
उत्तरम् :
प्रार्थना-पत्र संख्या 1 के उत्तर की तरह लिखें।
नोट – चौथे प्रकार के प्रार्थना-पत्र-लेखन को इस पासबुक में लिखा गया है। लेकिन विद्यार्थी उपर्युक्त प्रार्थना-पत्र-लेखन के तरीकों को भी ध्यान में रखें एवं प्रार्थना-पत्रों को भली-भाँति स्मरण करें ताकि प्रश्नानुसार उत्तर दिया जा सके।
प्रार्थना – पत्र में रिक्त स्थान होंगे जिन्हें मञ्जूषा (तालिका) में दिए गए शब्दों से भरकर पूर्ण करना होगा। परीक्षा का यही पूर्ण प्रार्थना-पत्र का उत्तर होगा। अतः यहाँ कुछ प्रार्थना-पत्रों को प्रस्तुत किया जा रहा है।
प्रश्नः 1.
अस्वस्थतायाः कारणात् दिवसत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(बीमारी के कारण तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से.पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
…………………… प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. उ. मा. वि. ……………………
भरतपुरम्।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं ………………. यत् अद्य अहंशीतज्वरेण ……………… अस्मात् कारणात ……………. यावत् विद्यालये ………….. न शक्नोमि। अतः …………… यत् दि. 11-5-20_ _ तः 13-5-20_ _ पर्यन्त दिनत्रयस्य अवकाशं …………… मामनुगृहीष्यन्ति …………….।
भवदाज्ञाकारी …………
सुदर्शनः
कक्षा 9 (जी)
दिनांक 11-5-20_ _
[संकेत सूची/मजपा-निवेदयामि, भवन्तः, श्रीमन्तः, स्वीकृत्य, विद्यालयः, प्रार्थये, दिनत्रयस्य, शिष्यः, पीडितोऽस्मि, । उपस्थातुम्।]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. उ. मा. वि.,
भरतपुरम्।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामि यत् अद्य अहं शीतज्वरेण पीडितोऽस्मि। अस्मात् कारणात् अहं दिनत्रयं यावत् विद्यालये उपस्थातुं न शक्नोमि। अतः प्रार्थये यत् दि. 11-5-20_ _तः 13-5-20_ _ पर्यन्त दिनत्रयस्य अवकाशं स्वीकृत्य मामनुगृहीष्यन्ति भवन्तः।
दिनांक : 11-5-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
सुदर्शनः
कक्षा 9 (जी)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राज. उ. माध्य. विद्यालय,
भरतपुर।
विषय – तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि आज मैं शीतज्वर से पीड़ित हैं। इस कारण से मैं तीन दिन तक विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ। इसलिए प्रार्थना करता हूँ कि दिनांक 11-5-20_ _ से 13-5-20_ _ तक तीन दिन का अवकाश स्वीकृत कर आप मुझ पर अनुग्रह करेंगे।
दिनांक : 11-5-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुदर्शन
कक्षा 9 (जी)
प्रश्न 2.
शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तैः शब्दैः पूरयत।
(शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालयः,
भरतपुरम्।
विषयः – शिक्षणशुल्कमुक्तये प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं प्रार्थये यदहं श्रीमतां विद्यालये ……………….. छत्रोत्रोऽस्मि। मम …………… आर्थिकस्थितिः शोचनीयाऽस्ति। मम पिता …………. प्रतिदिवसं कार्ये केवलं पञ्चाशद् रूप्यकाणाम् …………….. भवति। तेन …………… पालन-पोषणञ्च कथमपि भवितुं न शक्नोति। अतः अहं …………… शिक्षणशुल्क… असमर्थोऽस्मि। गतवर्षे मम शिक्षणशुल्क-मुक्तिः ………….. । अष्टमकक्षायाः ……………. अहं प्रथमश्रेण्याम् उत्तीर्णोऽभवम्।
अतः पुनः निवेदनमस्ति यत् भवन्तः अध्ययने मम रुचिम् अवलोक्य मह्यं शिक्षणशुल्कात् मुक्ति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति।
दिनांक : 11-8-20_ _
………. शिष्यः।
सुरेशचन्द्रः
कक्षा 9 (स)
[संकेत सूची/मञ्जूषा – आसीत्, भक्दाज्ञाकारी, विद्यालयस्य, पितुः, अर्जनमेव, नवमकक्षायाः, वृद्धोऽस्ति, परिवारस्य, परीक्षायाम, प्रदातुम्।]
उत्तरम् :
शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्;
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालयः,
भरतपुरम्।
विषयः – शिक्षणशुल्कमुक्तये प्रार्थनापत्रम्।
महोदयाः,
संविनयं प्रार्थये यदहं श्रीमतां विद्यालये नवमकक्षायाः छात्रोऽस्मि। मम पितुः आर्थिकस्थितिः शोचनीयाऽस्ति। मम पिता वद्धोऽस्ति, प्रतिदिवसं केवलं पञ्चाशद रूप्यकाणाम अर्जनमेव भवति। तेन परिवारस्य पालन-पोषणञ्च शक्नोति। अतः अहं विद्यालयस्य शिक्षणशुल्कं प्रदातुम् असमर्थोऽस्मि। गतवर्षे मम शिक्षणशुल्क-मुक्तिः स्वीकृता आसीत्। अष्टम-कक्षायाः परीक्षायाम् अहं प्रथमश्रेण्याम् उत्तीर्णोऽभवम्।
अतः पुनः निवेदनमस्ति यत् भवन्तः अध्ययने मम रुचिम् अवलोक्य मह्यं शिक्षणशुल्कात् मुक्ति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति।
दिनांक : 11-8-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
सुरेशचन्द्रः
कक्षा 9 (स)
हिन्दी-अनुवाद
शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालय,
भरतपुर।
विषय – शिक्षण-शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं श्रीमानजी के विद्यालय में नौवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता की आर्थिक स्थिति शोचनीय है। कार्य में केवल पचास रुपये कमा पाते हैं। उससे परिवार का पालन-पोषण किसी प्रकार भी नहीं हो सकता है। इसलिए मैं विद्यालय का शिक्षण शुल्क देने में असमर्थ हूँ। गतवर्ष मेरी शिक्षण-शुल्क-मुक्ति स्वीकार हुई थी। आठवीं कक्षा की परीक्षा में मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था।
इसलिए पुनः निवेदन है कि आप अध्ययन में मेरी रुचि को देखकर मुझे शिक्षण-शुल्क से मुक्ति प्रदान कर अनुगृहीत करेंगे।
दिनांकः 11-8–20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुरेशचन्द्र
कक्षा 9 (स)
प्रश्न: 3.
ज्येष्ठभ्रातुः विवाहकारणात् दिनद्वयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(बड़े भाई के विवाह के कारण से दो दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्त: प्रधानाचार्यमहोदया:
राजकीयः उच्चः ……………… विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषयः – दिनद्वयस्य …………. प्रार्थना-पत्रम्।
……………..
सविनयं निवेदनम् …………. यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः ……….. 16-5-20_ _ दिनाङ्के. …………..। एतत् कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न………………।
अत: …………. यत् 16-5-20_ _ दिनाङ्कतः 17-5-20_ _ दिनाङ्कपर्यन्तं …………… अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति ……….।
सधन्यवादम्।
दिनाङ्कः 16-5-20_ _
भवदीयः शिष्यः
भारतः शर्मा
(कक्षा-9)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-दिनद्वयस्य, श्रीमन्तः, निवेदनमस्ति, निश्चितः, शक्नोमि, माध्यमिकः, महोदयाः, पाणिग्रहणसंस्कारः, अस्ति, अवकाशार्थम्।]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदया:,
राजकीयः उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषयः – दिनद्वयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदया:,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः पाणिग्रहणसंस्कारः 16-5-20_ _ दिनाङ्के निश्चितः। एतत् कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न शक्नोमि।
अतः निवेदनमस्ति यत् 16-5-20_ _ दिनाङ्कतः 17-5-20_ _ दिनाङ्कपर्यन्तं दिनद्वयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनाङ्कः 16-5-20_ _
भवदीयः शिष्यः
भारत: शर्मा
(कक्षा-9)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
विषय – दो दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे बड़े भाई की शादी दिनांक 16-5-20_ _ को निश्चित हुई है। इस कारण से दो दिन तक मैं अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ।
अतः निवेदन है कि दिनांक 16-5-20_ _ से 17-5-20_ _ तक दो दिन का अवकाश स्वीकृत कर श्रीमान् मुझ पर अनुग्रह करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 16-5-20_
आपका शिष्य
भारत शर्मा
(कक्षा-9)
प्रश्नः 4.
चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(चरित्र-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
………………
श्रीमन्तः …………
राजकीयः उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
जयपुरम्।
विषयः – चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं ………… अस्ति यत् अहं आंग्ल ………… वाद-विवाद …………. भागं ग्रहीतुम् इच्छामि। एतत् …………. चरित्र-प्रमाण ………….. आवश्यकता………………
अतः प्रार्थना अस्ति यत् मह्यं चरित्र-प्रमाण-पत्रं ……. अनुग्रहीष्यन्ति …………….. ।
सधन्यवादम्।
दिनांक: 7-9-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
अनूपः
(नवम् कक्षा)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-प्रदाय, भाषया, पत्रस्य, भवन्तः, प्रधानाचार्य महोदयाः, निवेदनम्, सेवायाम्, कारणात्, वर्तते, । प्रतियोगितायाम्।]
चरित्र-प्रमाण-पत्राय प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीयः उच्च-माध्यमिक-विद्यालयः,
जयपुरम्।
विषयः – चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना–पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् अहम् आंग्लभाषया वाद-विवादप्रतियोगितायां भागं ग्रहीतुम् इच्छामि। एतत् कारणात् चरित्र-प्रमाण-पत्रस्य आवश्यकता वर्तते।
अतः प्रार्थना अस्ति यत् मह्यं चरित्र-प्रमाण-पत्रं प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः। सधन्यवादम्।
दिनांक : 7-9-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
अनूपः
(नवम् कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
चरित्र-प्रमाण-पत्र के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जयपुर।
विषय – चरित्र-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अंग्रेजी भाषा की वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूँ। इस कारण से चरित्र-प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है।
अतः प्रार्थना है कि आप चरित्र-प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुग्रहीत करेंगे।
दिनांक : 7-9-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अनूप
(कक्षा नवमी)
प्रश्नः 5.
मातुः सेवार्थं दिनत्रयस्य अवकाशाय प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(माता की सेवा के लिए तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
………….
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
………………. उच्च माध्यमिक-विद्यालयः,
अजयमेरुः।
विषयः – दिनत्रयस्य ……. प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
………….. निवेदनम् अस्ति यत् …………… गतदिवसात् शीतज्वरेण ………… अस्ति। एतस्मात् कारणात् अहं विद्यालयं …………….. न शक्नोमि। अतः कृपया 7-7-20_ _ दिनांकतः 9-7-20_ _दिनांक ………… दिनत्रयस्य अवकाशं……………. अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांकः 7-7-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्य
रमनः
(नवम् कक्षा)
[संकेतसूची/मजूषा-मम, माम् पर्यन्तम्, माता, अवकाशार्थम्, राजकीय, आगन्तुम, पीडिता, स्वीकृत्य, सविनयम्, सेवायाम्।]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः
प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
अजयमेरुः।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम माता गतदिवसात् शीतज्वरेण पीडिता अस्ति। एतस्मात् कारणात् अहं विद्यालयम् आगन्तुं न शक्नोमि। अतः कृपया 7-7-20_ _ दिनांकत: 9-7-20_ _ दिनांकपर्यन्तं दिनत्रयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांक: 7-7-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
रमनः
(नवम् कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
अजमेर।
विषय – तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरी माताजी कल से बुखार से पीड़ित हैं। इस कारण मैं विद्यालय नहीं आ सकता हूँ। कृपया
दिनांक 7-7-20_ _ से दिनांक 9-7-20_ _ तक तीन दिन का अवकाश स्वीकृत कर आप मुझे अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 7-7-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रमन
(कक्षा नवमी)
प्रश्न: 6.
स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः चितपदैः पूरयत।
(स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
…………….।
विषयः – ………… प्रमाण-पत्रं प्राप्तं प्रार्थना-पत्रम।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम पिता अत्र ……………. अस्ति। …………… तस्य स्थानान्तरणं ……………. अभवत्। मम ………………… मम पित्रा सह भरतपुरम् गमिष्यति। अहम् अस्मात् ………………. अष्टमकक्षाम् उत्तीर्णवान्, नवमकक्षायाम् अहं भरतपुरे ………………..। अतः मह्यं स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं…………….. अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः इति।
सधन्यवादम्।
दिनांक 6 – 4 – 20_ _
…………….. शिष्यः
रामकुमारः
(नवम् कक्षा)
[सकत सची/मञ्जूषा-स्थानान्तरणम्, लिपिकः, पठिष्यामि, अधुना, दौसानगरम, भरतपुरम, परिवारः,प्रदाय, विद्यालयात, भवदाज्ञाकारी]
उत्तरम् :
स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्राय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
दौसानगरम्।
विषय – स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम पिता अत्र लिपिकः अस्ति। अधुना तस्य स्थानान्तरणं भरतपुरम् अभवत्। मम परिवारः मम पित्रा सह भरतपुरं गमिष्यति। अहम् अस्मात् विद्यालयात् अष्टमकक्षाम् उत्तीर्णवान्, नवमकक्षायाम् अहं भरतपुरे पठिष्यामि। अतः मह्यं स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः इति ।
सधन्यवादम्।
दिनांक 6-4-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
रामकुमारः
(नवम् कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
दौसानगर।
विषय – स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिताजी यहाँ लिपिक हैं। अब उनका स्थानान्तरण भरतपुर हो गया है। मेरा परिवार मेरे पिताजी के साथ भरतपुर जाएगा। मैंने इस विद्यालय से कक्षा आठ उत्तीर्ण की है, कक्षा नवमीं में मैं भरतपुर में पढूंगा। अतः आप स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 6-4-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रामकुमार
(कक्षा नवमी)
प्रश्न: 7.
क्रीडायाः सम्यंग व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(खेलकूद की उचित व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः …………….. महोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः
जोधपुरम्।
विषयः – ………… सम्यग् व्यवस्था प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यदस्माकं………….”क्रीडायाः व्यवस्था भद्रतरा न……………….। अध्ययनेन समम् एव क्रीडनमपि…………… रोचते। अतः क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थां…………..”अस्मान् अनुग्रहणन्तु ……………..।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 15-8-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
हरीशः
(नवम् कक्षा)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-श्रीमन्तः, अस्मभ्यम्, प्रधानाचार्यमहोदयाः, विद्यालये, विधाय, वर्तते, क्रीडायाः।]
उत्तरम् :
क्रीडाव्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक-विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषयः – क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यदस्माकं विद्यालये क्रीडायाः व्यवस्था भद्रतरा न वर्तते। अध्ययनेन समम् एव क्रीडनमपि अस्मभ्यं रोचते। अतः क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थां विधाय अस्मान् अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः। .
सधन्यवादम्।
दिनांक 15-8-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
हरीशः
(नवम् कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
खेलकूद-व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
विषय – खेलकूद की उचित व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में खेल की व्यवस्था ठीक नहीं है। अध्ययन के साथ ही खेलना भी हमको अच्छा लगता है। अतः खेल की समुचित व्यवस्था कराकर आदरणीय आप हमारे ऊपर अनुग्रह करें।
सधन्यवाद।
दिनांक 15-8-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
हरीश
(कक्षा नवमी)
प्रश्नः 8.
विद्यालये स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(विद्यालय में स्वच्छता की व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
…………
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. सी. सै. विद्यालयः, श्रीकरनपुरम्।
विषयः – विद्यालये………. व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामो यद् …………. विद्यालये सम्प्रति अस्वच्छताया: ………… वर्तते। अस्मिन् ………….. छात्राः शिक्षकाश्च रोगग्रस्ता: जायन्ते। ………………… अस्माकं मनांसि न ……………….. । अतः कृपया स्वच्छतायाः समुचित व्यवस्थायै प्रेरयन्तु अत्रभवन्तः।
दिनांक: 10-8-20_ _
भवताम् आज्ञानुवर्तिनः
समस्तः ………..
……………..
[संकेत सूची/मञ्जूषा-छात्रवृन्दः, कर्मकरान्, अध्ययने, वातावरणे, रमन्ते, साम्राज्यम, सेवायाम्, अस्माकम्, स्वच्छतायाः]
उत्तरम् :
स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. सी. सै. विद्यालयः, श्रीकरनपुरम्।
विषयः – विद्यालये स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामो यद् अस्माकं विद्यालये सम्प्रति अस्वच्छतायाः साम्राज्यं वर्तते। अस्मिन् वातावरणे छत्राः शिक्षकाश्च रोगग्रस्ता जायन्ते। अध्ययने अस्माकं मनांसि न रमन्ते। अतः कृपया स्वच्छतायाः समुचित व्यवस्थायै कर्मकरान् प्रेरयन्तु अत्रभवन्तः।
दिनांकः 10-8-20_ _
भवताम् आज्ञानुवर्तिनः
समस्तः छात्रवृन्दः
कक्षा नवम्
हिन्दी-अनुवाद
स्वच्छता-व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राज. सीनि. सै. विद्यालय, श्रीकरनपुर।
विषय – विद्यालय में स्वच्छता-व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हमारे विद्यालय में इस समय अस्वच्छता का साम्राज्य है। इस वातावरण में छात्र और शिक्षक रोगग्रस्त हो जाते हैं। अध्ययन में हमारा मन नहीं लगता है। अतः कृपया स्वच्छता की समुचित व्यवस्था हेतु श्रीमान् जी कर्मचारियों को प्रेरित करें।
दिनांक 10-8-20_ _
आपके आज्ञाकारी
समस्त छात्रगण
कक्षा नवमी
प्रश्नः 9.
शैक्षिक-शिविरस्य आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(शैक्षिक शिविर के आयोजन के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीयः उच्चमाध्यमिक ……………..,
बीकानेरम्।
विषयः – शैक्षिक ………’आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनय …………….. यद् अस्मविद्यालये ……….. पूर्णसन्तोषकरी वर्तते। तथापि ……….. तृप्ति न एति। अतःप्रार्थयामो ………….. यद् अस्मत्-कृते 15 दिनात्मकम् एकं शैक्षिक-शिविरम् अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः।
दिनांक 16-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणः…………
नवमीकक्षास्थाः छात्राः
[संकेत सूची/मज्जूषा-निवेद्यते, वयम्, शिक्षण व्यवस्था, विद्यालयः, शिविरस्य, शिष्याः, अस्माकं, आयोज्य, ज्ञान-पिपासा।]
उत्तरम् :
शैक्षिक शिविर आयोजनार्थ प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः
राजकीय-उच्च-माध्यमिक-विद्यालयः,
बीकानेरम्
विषयः – शैक्षिक-शिविरस्य आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यद् अस्मविद्यालये शिक्षण-व्यवस्था पूर्णसन्तोषकरी वर्तते। तथापि अस्माकं ज्ञान-पिपासा तृप्ति न एति। अतः प्रार्थयामो वयं यद् अस्मत्-कृते 15 दिनात्मकम् एकं शैक्षिक-शिविरम् आयोज्य अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः।
दिनांकः 11-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणः शिष्याः
नवमी कक्षास्थाः छात्राः
हिन्दी-अनुवाद
शैक्षिक शिविर-आयोजन के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
बीकानेर।
विषय – शैक्षिक शिविर के आयोजन हेतु प्रार्थना-पत्र ।
महोदय,
विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि हमारे विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था पूर्ण सन्तोषजनक है। फिर भी हमारी ज्ञान-पिपासा तृप्त नहीं हो पाती है। अतः हम सभी प्रार्थना करते हैं कि हमारे लिए 15 दिन का एक शैक्षिक शिविर श्रीमान् आप आयोजित कर अनुगृहीत करें।
दिनांक: 16-7-20_ _
आपके आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा 9 के छात्र
प्रश्नः 10.
नगरपालिकाप्रशासकाय प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पुरयत।
(नगरपालिका प्रशासक के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
दिनाङ्कः 11-9-20_ _
प्रेषक:,
प्रह्लाद चावला, …………….
सुभाषवसतिः, झालावाड़म्।
प्राप्तकर्ता –
श्रीमन्तः ………………. प्रशासकमहोदयाः,
नगरपालिका, झालावाड़म्।
विषयः – सुभाषवसत्याः स्वच्छता ………….।
महोदयाः,
निवेदनमस्ति यद् अस्माकं ‘सुभाषवसतिः’ नाम्नि…………….. स्वच्छताकार्यं नैव क्रियते। अनेन”……………”यत्र-तत्र अस्वच्छवस्तूनाम् अनियतप्रसरणं…………..। अनेन विविध…………”प्रसारस्य आशंका अस्ति।
अतएव प्रार्थ्यते स्वच्छताकार्ये ………………… कर्मकरान् स्वच्छतासम्पादनार्थम् आदिशतु। ……………. भवान् समुचितां व्यवस्था करिष्यति।
…………….
(प्रह्लाद चावला)
…………….
[संकेत सूची/मञ्जूषा – पार्षदः, पार्षदः नगरपालिका, कारणेन, उपनगरे, सम्पादनार्थम्, भवति, रोगाणाम्, निवेदक:, नियुक्तान, आशासे]
उत्तरम् :
स्वच्छतासम्पादनाय प्रार्थना-पत्रम्
दिनांक : 11-9-20_ _.
प्रेषकः,
प्रहलाद चावला, पार्षदः,
सुभाषवसतिः, झालावाड़म्।,
प्राप्तकर्ता
श्रीमन्तः नगरपालिकाप्रशासकमहोदयाः,
नगरपालिका, झालावाड़म्।
विषयः – सुभाषवसत्याः स्वच्छता-सम्पादनार्थम्।
महोदयाः,
निवेदनमस्ति यद् अस्माकं ‘सुभाषवसति:’ नाम्नि उपनगरे स्वच्छताकार्यं नैव क्रियते। अनेन कारणेन यत्र-तत्र अस्वच्छवस्तुनाम अनियतप्रसरणं भवति। अनेन विविध रोगाणां प्रसारस्य आशंका अस्ति।
अतएव प्रार्थ्यते स्वच्छताकार्ये नियुक्तान् कर्मकरान् स्वच्छतासम्पादनार्थम् आदिशतु। आशासे, भवान् समुचितां व्यवस्थां करिष्यति।
निवेदकः
(प्रह्लाद चावला)
पार्षदः
हिन्दी-अनुवाद
स्वच्छता-सम्पादन के लिए प्रार्थना-पत्र
दिनाङ्कः 11-9-20
प्रेषक –
प्रहलाद चावला, पार्षद,
सुभाष कॉलोनी, झालावाड़।
प्राप्तकर्ता –
श्रीमान् नगरपालिका प्रशासक महोदय,
नगरपालिका, झालावाड़।
विषय – सुभाष बस्ती में सफाई कराने के क्रम में।
महोदय,
निवेदन है कि हमारी सुभाष बस्ती नाम की कॉलोनी में सफाई का कार्य नहीं किया जाता है। इस कारण से इधर-उधर गन्दी वस्तुओं का फैलाव होता है जिससे विभिन्न रोगों के फैलने की आशंका है।
इसलिए प्रार्थना है कि सफाई कार्य में नियुक्त कर्मचारियों को सफाई करने के लिए आदेश दें। आशा है आप उचित व्यवस्था करेंगे।
निवेदक
(प्रहलाद चावला)
पार्षद
प्रश्नः 11.
अध्ययने परिश्रमं हेतु अनुजाय पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(अध्ययन में परिश्रम हेतु छोटे भाई के लिए पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
दौसातः
दिनांक : 9-10-20_ _
प्रिय अशोकः।
……………
अत्र कुशलं तत्रास्तु।
आवयोः माता ……………. सूचयति यत् तव मनः………… पूर्ववत् न रमते। प्रायेण ………… एव संलग्नः तिष्ठसि त्वम्। इदं तु महत् ………………… अस्ति। अयं ते ……………… निर्माणकालः, अतः कथञ्चिदपि …………… लक्ष्यात् न विरन्तव्यम्। अध्ययनमेव तव ………………. उन्नतं करिष्यति।
चि. अशोकः उपाध्यायः
……………. (अजयमेरु:)
………………………….
पद्माकरः उपाध्यायः
[संकेत सूची/मजूषा – शुभेच्छुः, जीवनम्, अशोभनम्, अध्ययने, जीवनस्य, क्रीडने, चिरंजीव, स्वपत्रेण, आत्मनः, किशनगढ़ः]
उत्तरम् :
अध्ययने परिश्रमार्थं अनुजाय पत्रम्
दौसातः
दिनांकः 9-10-20_ _
प्रिय अशोक!
चिरंजीव।
अत्र कुशलं तत्रास्तु।
आवयोः माता स्वपत्रेण सूचयति यत् तव मनः अध्ययने पूर्ववत् न रमते । प्रायेण क्रीडने एव संलग्नः तिष्ठसि त्वम्। इदं तु महत् अशोभनम् अस्ति। अयं ते जीवनस्य निर्माणकालः, अतः कथञ्चिदपि आत्मनः लक्ष्यात् न विरन्तव्यम्। अध ययनमेव तव जीवनम् उन्नतं करिष्यति।
चि. अशोकः उपाध्यायः
किशनगढ़ः (अजयमेरुः)
शुभेच्छुः
पद्माकरः उपाध्यायः
हिन्दी-अनुवाद
अध्ययन में परिश्रम के लिए छोटे भाई के लिए पत्र
दौसा
दिनांक : 9-10-20_ _
प्रिय अशोक,
चिरंजीवी
बनो।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
हमारी (दोनों की) माताजी अपने पत्र में सूचित करती हैं कि तुम्हारा मन अध्ययन में पूर्व की भाँति नहीं लग रहा है। तुम प्रायः खेलने में ही संलग्न रहते हो। यह तो बहुत बुरी बात है। यह तुम्हारे जीवन के बनाने का समय है, अतः किसी भी प्रकार अपने लक्ष्य से नहीं भटकना है। अध्ययन ही तुम्हारे जीवन को उन्नत करेगा।
चि. अशोक उपाध्याय
किशनगढ़ (अजमेर)
शुभेच्छु
पद्माकर उपाध्याय
प्रश्नः 12.
सदाचारपालनाय अनुजं प्रति पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(सदाचार का पालन करने के लिए छोटे भाई के प्रति पत्र को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
ब्यावरतः (अजयमेरुतः)
दिनांकः 3-9-20_ _
प्रिय अनुज !
चिरंजीव।
अत्र ……………. तत्रास्तु।
तव एकेन मित्रेण……………… यत् स्वशिक्षकैः सह तव ………….. शिष्टः न अस्ति। ……………… अपि त्वम् असाधुः संवृत्तः………………। इदं ………………. सदाचारस्तु …………… मूलमन्त्रोऽस्ति। कथितं च ……………. परमो धर्मः इति। आशासे यत् त्वं मम …………….. अनुसरिष्यसि।
………….
राजेन्द्रनाथः
चि. सुरेन्द्रनाथः, कक्षा 9 (स)
राजकीय, सी., सै., स्कूल, बाड़मेरः।
[संकेत सूची/मजूषा-सूचितम्, असि, कुशलम्, परामर्शम, नौचितम्, जीवनस्य, सहपाठिषु, व्यवहारः, आचारः, तवाग्रजः]
उत्तरम् :
सदाचारपालनार्थ अनुजाय पत्रम्
ब्यावरतः (अजयमेरुतः)
दिनांक: 3-9-20_ _
प्रिय अनुज !
चिरंजीव।
अत्र कुशलं तत्रास्तु।
तव एकेन मित्रेण सूचितं यत् स्वशिक्षकैः सह तव व्यवहारः शिष्टः न अस्ति। सहपाठिषु अपि त्वम् असाधुः संवृत्तः असि। इदं नोचितम्। सदाचारस्तु जीवनस्य मूलमन्त्रोऽस्ति। कथितं च ‘आचारः परमो धर्मः’ इति। आशासे यत् त्वं मम परामर्शम् अनुसरिष्यसि।
तवाग्रजः
राजेन्द्रनाथ:
चि. सुरेन्द्रनाथः, कक्षा 9 (स)
राजकीय, सी., सै., स्कूल, बाड़मेरः।
हिन्दी-अनुवाद
सदाचार का पालन करने हेतु छोटे भाई को पत्र
ब्यावर (अजमेर)
दिनांक: 3-9-20_ _
प्रिय अनुज,
चिरंजीवी बनो।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
तुम्हारे एक मित्र ने सूचित किया है कि अपने शिक्षकों के साथ तुम्हारा व्यवहार शोभनीय नहीं है। सहपाठियों के प्रति भी तुम बुरे बने हुए हो। यह ठीक नहीं है। सदाचार तो जीवन का मूल मन्त्र है और ‘ ही परम धर्म’ कहा गया है। आशा करता हूँ कि तुम मेरे परामर्श का अनुसरण करोगे।
चि. सुरेन्द्रनाथ कक्षा 9 (स)
रा., सी., सै., स्कूल, बाड़मेर।
तुम्हारा बड़ा भाई
राजेन्द्रनाथ
प्रश्न: 13.
मित्रं प्रति वर्धापनपत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(मित्र के प्रति बधाई पत्र को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
……………
दिनांक: 17-10-20_ _
प्रिय सुहन्महेन्द्रनाथ !
सप्रेम हरिस्मरणम्।
अत्र…………….तत्रास्तु।
तव स्नेह-पत्रं मया ………… अधिगतम्। तव उत्साहवर्धकैः …………….. अहम् अनुगृहीतोऽस्मि। त्वादृशानां …………. प्रेरणैव मम ……………. कारणम्। स्वाध्याये ……………. एकचित्ततया संलग्नोऽहं ……………… श्रेष्ठ ……….. प्रति आश्वस्तोऽस्मि। तव प्रगतिम् …………….. च कामयन्।
प्रतिष्ठायाम्,
श्रीमहेन्द्रनाथः,
माउण्ट आबू।
तव मित्रम्
जगन्नाथः
[संकेतसूची/मञ्जूषा-पुनरपि, अनामयम्, सिरोहीतः, स्वाध्याये, वचनैः, अद्यैव, कुशलम्, मित्राणाम्, सफलतायाः]
मित्रं प्रति वर्धापनपत्रम्
सिरोहीतः
दिनांक: 17-10-20_
उत्तरम् :
प्रिय सुहृन्महेन्द्रनाथ!
सप्रेम हरिस्मरणम्।
अत्र कुशलं तत्रास्तु।
तव स्नेह-पत्रं मया अद्यैव अधिगतम्। तव उत्साहवर्धकैः वचनैः अहम् अनुगृहीतोऽस्मि। त्वादृशानां मित्राणां प्रेरणैव मम सफलतायाः कारणम्। स्वाध्याये एकचित्ततया संलग्नोऽहं पुनरपि श्रेष्ठां सफलता प्रति आश्वस्तोऽस्मि। तव प्रगतिम् अनामयं च कामयन्।
प्रतिष्ठायाम्
श्री महेन्द्रनाथः,
माउण्ट आबू।
तव मित्रम्
जगन्नाथः
हिन्दी-अनुवाद
मित्र को बधाई का पत्र
सिरोही
दिनांक: 17-10-20_ _
प्रिय मित्र महेन्द्रनाथ !
सप्रेम हरिस्मरण।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
तुम्हारा स्नेहपूर्ण पत्र मुझे आज ही प्राप्त हुआ। तुम्हारे उत्साह बढ़ाने वाले वचनों से मैं अनुगृहीत हूँ। तुम जैसे मित्रों की प्रेरणा ही मेरी सफलता का कारण है “माध्याय में एकचित्त होकर मैं पुनः भी श्रेष्ठ सफलता के प्रति आश्वस्त हूँ। तुम्हारी प्रगति और स्वास्थ्य की कामना करता हुआ।
प्रतिष्ठा में,
श्री महेन्द्रनाथ,
माउण्ट आबू।
तुम्हारा मित्र
जगन्नाथ
प्रश्नः 14.
मित्रं प्रति वर्धापनपत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः पूरयत।
(मित्र के बधाई पत्र को मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए)।
नीमस्य थाना …………
दिनांक: 4-7-20_ _
अभिन्नहृदय सुहृद्वर्य।
…………. नमस्कारः!
अत्र सर्वं कुशलम्।
……………. तव कुशल-पत्रं प्राप्तम्। त्वं प्रथम-श्रेण्या ……….. उत्तीर्णां कृत्वा स्वजनपदे प्रथम ………. अधिगतवान् इति ……………. विषयः। तव ……….. सर्वथा साधुवादार्हः। स्वपितृभ्यां मम ……………. निवेदय।
तव स्निग्धं …….
हेनरी
श्री डेविड विल्सन,
आर. के. कॉलोनी, भीलवाड़ा।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-मित्रम्, स्थानम्, सीकरतः, प्रणामम्, प्रयासः, परीक्षाम, हर्षस्य, सप्रेम, अद्यैव, प्रतिष्ठायाम्।]
उत्तरम् :
मित्रं प्रति वर्धापनपत्रम्
नीमस्य थाना (सीकरतः)
दिनांक: 4-7-20_ _
अभिन्नहृदय सुहद्वर्य।
सप्रेम नमस्कारः !
अत्र सर्वं कुशलम्।
अद्यैव तव कुशल-पत्रं प्राप्तम्। त्वं प्रथम-श्रेण्यां परीक्षाम् उत्तीर्णां कृत्वा स्वजनपदे प्रथमं स्थानम् अधिगतवान् इति हर्षस्य विषयः। तव प्रयासः सर्वथा साधुवादाहः। स्वपितृभ्यां मम प्रणामं निवेदय।
प्रतिष्ठायाम्,
श्री डेविड विल्सन,
आर. के. कालोनी, भीलवाड़ा।
तव स्निग्धं मित्रम्
हेनरी
हिन्दी-अनुवाद
मित्र को बधाई का पत्र
नीम का थाना (सीकर)
दिनांक:4-7-20_ _
अभिन्न-हृदय मित्रवर !
सप्रेम नमस्ते।
यहाँ सब कुशल है।
आज ही तुम्हारा कुशलपत्र प्राप्त हुआ। तुमने प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण करके अपने जनपद (जिला) में प्रथम स्थान प्राप्त किया, यह हर्ष की बात है। तुम्हारा प्रयास पूर्णरूप से साधुवाद (शाबाशी) दिये जाने योग्य है। अपने माता-पिता के लिए मेरा प्रणाम निवेदन करना।
प्रतिष्ठा में,
श्री डेविड विल्सन,
आर. के. कॉलोनी, भीलवाड़ा।
तुम्हारा प्रिय मित्र
हेनरी
प्रश्नः 15.
मित्रं प्रति अभिनन्दनपत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः पूरयत।
(मित्र के प्रति अभिनन्दन पत्र को मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
अभिन्नहदय सुहृद्वर्य!
……………… नमस्कारः।
जयपुरतः
दिनांक: 1-1-20_ _
अत्र कुशलं तत्राऽस्तु।
…………. तव अभिनन्दनपत्रं प्राप्तम्। अहमपि ………. मंगलमयी कामना ……………. इदं नववर्ष ……….. भूयातं। स्वपितृभ्या ………… निवेदय।
……………
श्री रमेशचन्द्रः पाराशरः,
रणजीत नगर कॉलोनी, भरतपुरम्।
प्रेषकः
तव स्निग्धं मित्रम्
मनोज:
[संकेतसूची/मञ्जूषा-सप्रेम, तुभ्यं, मम, अभिनन्दनपत्रं, अद्यैव, नववर्षस्य, मंगलमयं, सुखदं, सौभाग्यकरं, प्रत्यर्पिता, । करोमि, तुभ्यं, च, मम, प्रणाम्, प्रतिष्ठायाम्, भूयात्, मनोजः]
मित्राय नववर्षस्य अभिनन्दनपत्रम्
उत्तरम् :
जयपुरतः
दिनांकः 1-1-20_ _
अभिन्नहृदय सुहृद्वर्य!
सप्रेम नमस्कारः।
अत्र कुशलं तत्राऽस्तु।
अद्यैव तव अभिनन्दनपत्रं प्राप्तम्। अहमपि तुभ्यं नववर्षस्य मम मंगलमयी कामनां प्रत्यर्पितां करोमि। इदं नववर्ष . तुभ्यं मंगलमयं, सुखदं सौभाग्यकरं च भूयात्। स्वपितृभ्यां मम प्रणामं निवेदय।
प्रेषकः
तव स्निग्धं मित्रम्
मनोजः
प्रतिष्ठायाम्,
श्री रमेशचन्द्रः पाराशरः,
रणजीत नगर कॉलोनी, भरतपुरम्।
हिन्दी-अनुवाद
मित्र के लिए नववर्ष का अभिनन्दन-पत्र
जयपुर
दिनांक : 1-1-20_ _
अभिन्न-हृदय मित्रवर!
सप्रेम नमस्ते।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
आज ही तुम्हारा अभिनन्दन पत्र प्राप्त हुआ। मैं भी तुम्हारे लिए नववर्ष की मेरी मंगलमयी कामना प्रेषित कर रहा हूँ। यह नववर्ष तुम्हारे लिए मंगलमय, सुख देने वाला और सौभाग्यदायक होवे। अपने माता-पिता के लिए मेरा प्रणाम निवेदन करना।
प्रतिष्ठा में,
श्री रमेशचन्द्र पाराशर,
रणजीत नगर कॉलोनी, भरतपुर।
प्रेषक
तुम्हारा प्रिय मित्र
मनोज
प्रश्नः 16.
अग्रज प्रति वर्धापनपत्रम् मञ्जूषायां प्रदत्तपददैः पूरयत।
(बड़े भाई को बधाई का पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
रतनगढ़तः
दिनांक : 27-3-20_ _
……………..
सम्मान्य बन्धुवर्य!
सादरं वन्दे।
अत्र कुशलं तत्रास्तु।
प्राप्तं भवतः ………………. अद्यैव। ह्य::……………. अस्माकं परीक्षा-फलं……………….. । भवतः आशीर्वादात इयं ………………… मया प्रथमश्रेण्याम् उत्तीर्णा। अंक-पत्रे प्राप्ते सति सविस्तारं ………….।
…………..
रामेश्वरदासः
[संकेतसूची/मजूषा-कृपापत्रम्, परिषदा, घोषितम्, लेखिष्यामि, भवतः अनुजः, सेवायाम्, परीक्षा]
उत्तरम् :
अग्रज प्रति वर्धापनपत्रम्
रतनगढ़तः
दिनांक 27-3-20_ _
सेवायाम्,
सम्मान्य बन्धुवर्य!
सादरं वन्दे।
अत्र कुशलं तत्रास्तु!
प्राप्तं भवतः कृपापत्रम् अद्यैव। ह्यः परिषदा अस्माकं परीक्षाफलं घोषितम्। भवतः आशीर्वादात् इयं परीक्षा मया प्रथमश्रेण्या उत्तीर्णा। अंक-पत्रे प्राप्ते सति सविस्तारं लेखिष्यामि।
भवतः अनुजः
रामेश्वरदासः
हिन्दी-अनुवाद
बड़े भाई को बधाई का पत्र
रतनगढ़
दिनांक : 27-3-20_ _
सेवा में,
मान्य बन्धुवर!
सादर नमस्ते।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
आज ही आपका कृपापत्र प्राप्त हुआ। कल परिषद् ने हमारा परीक्षाफल घोषित किया है। आपके आशीर्वाद से यह परीक्षा मैंने प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर ली है। अंक-सूची प्राप्त होने पर विस्तारपूर्वक लिखेंगा।
आपका छोटा भाई
रामेश्वर दास
प्रश्न: 17.
मित्रं प्रति अभिनन्दनपत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः पूरयत।
(मित्र को अभिनन्दन पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
अभिन्नहृदय सुहृद्वर्य!
………………. नमस्कारः।
अत्र कुशलं तत्राऽस्तु।
रामगढ़ः (अलवरतः)
दिनांक: 7-7-20_ _
अहम् अद्य अति ….. अनुभवामि। इदं मम ………. अभिनन्दनपत्रम् अस्ति। अयं पर्वः ………. सौभाग्यदायकः, समृद्धिकरः मंगलकारकःच ……………। स्वपितृभ्यां…………निवेदय।
प्रतिष्ठायाम्
श्री राधाकृष्णः श्रोत्रियः,
आदर्शनगर कॉलोनी, जयपुरम्।
प्रेषक:
तव स्निग्धं …………
…………….. वशिष्ठः
[संकेतसूची/मञ्जूषा-मधुरमोहनः, सप्रेम, प्रसन्नतां, दीपमालिका, भूयात्, पर्वः तुभ्यं, मम प्रणामं, मित्रम्]
उत्तरम् :
मित्राय दीपमालिका अभिनन्दनपत्रम्
रामगढ़ः (अलवरतः)
दिनांक: 7-7-20_ _
अभिन्नहृदय सुहृद्वर्य!
सप्रेम नमस्कारः।
अत्र कुशलं तत्राऽस्तु।
अहम् अद्य अति प्रसन्नताम् अनुभवामि। इदं मम दीपमालिका अभिनन्दनपत्रम् अस्ति। अयं पर्वः तुभ्यं सौभाग्यदायकः, समृद्धिकरः मंगलकारकः च भूयात्। स्वपितृभ्यां मम प्रणामं निवेदय।
प्रतिष्ठायाम्,
श्री राधाकृष्णः श्रोत्रियः,
आदर्शनगर कालोनी, जयपुरम्।
प्रेषकः
तव स्निग्ध मित्रम्
मधुरमोहनः वशिष्ठः
हिन्दी-अनुवाद
मित्र के लिए दीपमालिका अभिनन्दन पत्र
अभिन्न-हृदय मित्रवर!
सप्रेम नमस्ते।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी कुशलता हो।
मैं आज अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। यह मेरा दीपमालिका अभिनन्दनपत्र है। यह उत्सव तुम्हारे लिए सौभाग्य देने वाला, समृद्धि कराने वाला और मंगलकारी होवे। अपने माता-पिता के लिए मेरा प्रणाम निवेदन करना।
प्रतिष्ठा में,
श्री राधाकृष्ण श्रोत्रिय,
आदर्श नगर कॉलोनी, जयपुर।
प्रेषक
तुम्हारा प्रिय मित्र
मधुरमोहन वशिष्ठ
प्रश्नः 18.
प्रधानाध्यापिकां प्रति अवकाशहेतोः प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः पूरयत।
(प्रधानाध्यापिका को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमत्यः प्रधानाध्यापिकामहोदयाः,
…………….”माध्यमिकविद्यालयः,
जोधपुरम्।
महोदयाः,
सविनय ………….. मम ज्येष्ठभगिन्या: …………. दिनद्वयं पश्चात् …………….. । एतत्कारणात् दिनद्वयं ……………… अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न ……………..
अतः निवेदनमस्ति यत् दिनांक 16-7-20_ _ तः 17-7-20_ _ पर्यन्तं …………… अवकाशं ……………… माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमत्यः।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 14-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-नवमी (अ)
[संकेतसूची/मञ्जूषा-दिनद्वयस्य, भविष्यति, पाणिग्रहणसंस्कारः, शक्नोमि, निवेदनमस्ति, यावद, राजकीयः बालिका, स्वीकृत्य]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमत्यः प्रधानाध्यापिकामहोदयाः,
राजकीयः बालिका माध्यमिकविद्यालयः,
जोधपुरम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनमस्ति यत् मम ज्येष्ठभगिन्याः पाणिग्रहणसंस्कारः दिनद्वयं पश्चात् भविष्यति। एतत्कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न शक्नोमि।
अतः निवेदनमस्ति यत् दिनांक 16-7-20_ _ तः 17-7-20_ _ पर्यन्तं दिनद्वयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमत्यः।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 14-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-नवमी (अ)
हिन्दी अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमती प्रधानाध्यापिका महोदया,
राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
महोदया,
सविनय निवेदन है कि मेरी बड़ी बहिन का विवाह-संस्कार दो दिन बाद होगा। इस कारण दो दिन तक मैं अपनी कक्षा में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
इसलिए निवेदन है कि दिनांक 16-7-20_ _ से 17-7-20_ _ तक दो दिनों का अवकाश स्वीकृत करके श्रीमती मुझे अनुगृहीत करेंगी।
सधन्यवाद
दिनांक : 14-7-20_ _ ।
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-9 (अ)
प्रश्न 19.
भवान् दिवाकरः नवम कक्षायाः छात्रः। आदर्श माध्यमिक विद्यालये पठन्ति। आधारकार्ड प्राप्तुं अध्ययन प्रमाण-पत्रस्य आवश्यकता वर्तते। अतः प्रधानाध्यापकाय अध्ययन-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना पत्रम् लिखत।
(आप दिवाकर नौवीं कक्षा के छात्र हैं। आदर्श माध्यमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए अध्ययन-प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। अतः प्रधानाध्यापक से अध्ययन प्रमाणपत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।)
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदया:
आदर्श माध्यमिक विद्यालयः
…………….।
विषयः – अध्ययन-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यद् अहं ई-मित्रात्……………प्राप्तुम् इच्छामि। तस्य हेतोः विद्यालयस्य……………प्रमाण-पत्रम् अपेक्षते। अहं……………कक्षायाः छात्रः अस्मि। अत:………….निरन्तराध्ययनस्य………….प्रदाय………..माम्………. ।
…………..
दिनांक : 6.3.20_ _
भवताम्………….शिष्यः
दिवाकरः
(नवमी कक्षा)
[सङ्केत-सूची/मञ्जूषा-आधारकार्डम्, आज्ञाकारी, धौलपुरम्, अध्ययन, नवम अनुगृह्णन्तु, मह्यम्, सधन्यवादम्, श्रीमन्तः प्रमाण-पत्रम्]
उत्तरम् :
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदयाः,
धौलपुरम्।
विषय – अध्ययन-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम् ।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यद् अहम् ई-मित्रात् आधारकार्ड प्राप्तुम् इच्छामि। तस्य हेतोः विद्यालयस्य अध्ययन-प्रमाण पत्रम् अपेक्षते। अहं नवम कक्षायाः छात्रः अस्मि। अत: मह्यम् निरन्तराध्ययनस्य प्रमाण-पत्रम् प्रदाय अनुगृह्णन्तु माम् श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्
दिनाङ्कः 6.3.20 –
भवताम् आज्ञाकारी शिष्यः
दिवाकर
(नवमी कक्षा)
हिन्दी अनुवाद
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
धौलपुर
विषय-अध्ययन प्रमाण-पत्र प्राप्ति हेतु प्रार्थना-पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं ई-मित्र से आधार कार्ड प्राप्त करना चाहता हूँ। इसके लिए विद्यालय से अध्ययन प्रमाण-पत्र की अपेक्षा है। मैं नौवीं कक्षा का छात्र हूँ। अतः अध्ययनरत होने का प्रमाण-पत्र देकर श्रीमान मुझे अनुग्रहीत करें।
धन्यवाद सहित
दिनांक : 06-03-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
दिवाकर
(कक्षा नौ)
प्रश्न: 20.
यूयं राजकीय-माध्यमिक विद्यालय लखनपुरस्य नवम्-कक्षायाः छात्राः। स्वकीयं प्रधानाध्यापकं प्रति एकं प्रार्थना पत्रं शैक्षणिक भ्रमणार्थम् अनुमति हेतुः लिखत। (तुम राजकीय माध्यमिक विद्यालय लखनपुर के नौवीं कक्षा के छात्र है। अपने प्रधानाध्यापक के लिए एक प्रार्थना-पत्र शैक्षणिक भ्रमण की अनुमति के लिए लिखिए।)
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापकाः महोदया:
राजकीयः माध्यमिकः विद्यालयः
लखनपुरम्
विषय – शैक्षिक भ्रमणस्य अनुमत्यर्थं प्रार्थना पत्रम्।
महोदयाः,
सविनय………..यद् अस्माकं………शिक्षणस्तु………..प्रवर्तते। वयं सर्वे…………स्मः। तथापि अस्माकं……….तृप्तिः न भवति। अतः निवेदयामः………यद् एतत् तृप्तये सप्ताहात्मकम् एकं……………आयोजानीयम् कक्षायाः सर्वे………. एवमेव इच्छन्ति। वयमास्वस्थाः स्मः यत्………..प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्त।
दिनाङ्क : 18.11.20_ _
भवदाज्ञाकारिणः………
नवम-कक्षास्थाः
[मञ्जूषा – छात्राः, वयम्, शिष्या, अनुमति, शैक्षिक-भ्रमणम्, सन्तुष्टाः, निवेदनम्, विद्यालये, सम्यक्, ज्ञान-पिपासायाः।]
उत्तरम् :
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदयाः,
राजकीयः माध्यमिक: विद्यालयः
लखनपुरम्।
विषय – शैक्षणिक भ्रमणस्य अनुमत्यर्थं प्रार्थना पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयम् निवेदनम् यद् अस्माकं विद्यालये शिक्षणस्तु सम्यक् प्रवर्तते। वयं सर्वे सन्तुष्टाः स्मः। तथापि अस्माकं ज्ञान पिपासायाः तृप्तिः न भवति। अतः निवेदयामः वयं यद् एतत् तृप्तये सप्ताहात्मकम् एकं शैक्षिक-भ्रमणम् आयोजनीयम्।
कक्षायाः सर्वे छात्रा: एवमेव इच्छन्ति। वयम् आस्वस्थाः स्मः यतु अनुमति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः।
दिनांक : 18.12.20
भवदाज्ञाकारिण: शिष्याः
नवम-कक्षास्थाः
हिन्दी अनुवाद
सेवा में
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
लखनपुर।
विषय – शैक्षणिक भ्रमण की अनुमति हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में शिक्षण तो अच्छी तरह चल रहा है। फिर भी हमारे ज्ञान की प्यास तृप्ति को प्राप्त नहीं हो रही है। अत: हम निवेदन करते हैं कि इस तृप्ति के लिए एक. सप्ताह का एक शैक्षणिक-भ्रमण आयोजित किया जाय। कक्षा के सभी छात्र ऐसा ही चाहते हैं। हमें विश्वास है कि आप अनुमति देकर हमें अनुग्रहीत करेंगे।
दिनांक : 18.11.20_ _
आपके आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा नौ