JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम्

धातु – क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे – पठ् (पढ़ना), गम् (जाना), हस् (हँसना), क्रीड् (खेलना) आदि। धातु दो प्रकार की होती हैं –
1. सकर्मक – जिन धातुओं के साथ अपना कर्म रहता है वे सकर्मक धातुएँ होती हैं, जैसे- पठ्, गम आदि।
2. अकर्मक – जिन धातुओं के साथ अपना कर्म नहीं रहता, वे अकर्मक धातुएँ होती हैं, जैसे- वृद्धि, नर्तन, निद्रा आदि।

पद – संस्कृत भाषा में तीन पद होते हैं –

  1. परस्मैपद – जिन क्रियाओं का फल कर्ता को प्राप्त न होकर किसी अन्य व्यक्ति को मिलता है वह परस्मैपद धातु कहलाती है।
  2. आत्मनेपद – जिन क्रियाओं का फल कर्ता स्वयं प्राप्त करता है वे आत्मनेपदी धातु होती हैं।।।
  3. उभयपद – जो धातुएँ परस्मैपद तथा आत्मनेपद दोनों में प्रयोग की जाती हैं उन्हें उभयपदी धातु कहते हैं। पाठ्यक्रम में निर्धारित धातु रूप इस प्रकार हैं –

परस्मैपद धातव –
(i) भू, पठ्, हस्, वच्, लिख्, अस्, हन्, पा, नृत्, आप्, शक्, कृ, ज्ञा, चिन्त् तथा इनकी समानार्थक धातुएँ।
(ii) आत्मनेपद- सेव, लभ्, रुच्, मुद्, याच्।
(ii) उभयपद – नी, हृ, भज, पच्।

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गण-क्रिया को संस्कृत में ‘धातु’ कहते हैं। संस्कृत की समस्त धातुओं को 10 गणों में बाँटा गया है। इन गणों के नाम इनकी प्रथम धातु के आधार पर रखे गये हैं। गण तथा उनकी कुछ मुख्य धातुएँ इस प्रकार हैं –

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लकार: – 1. लट् लकार-वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। जिस काल में क्रिया का प्रारम्भ होना तथा चालू रहना सूचित होता हो और क्रिया की समाप्ति न पाई जाये, उसे वर्तमान काल कहते हैं ; जैसे – ‘रामः पुस्तकं पठति’-राम पुस्तक पढ़ता है, यहाँ पर पठन क्रिया प्रचलित है तथा समाप्ति का बोध नहीं होता। अतः वर्तमान काल है। इसी प्रकार ‘सः लिखति’ (वह लिखता है), ‘ते गच्छन्ति’ (वे जाते हैं) आदि वाक्यों में भी वर्तमान काल समझना चाहिए।

2. लृट् लकार – लृट् लकार का प्रयोग भविष्यत् काल में होता है अर्थात् क्रिया का वह काल जिसमें क्रिया का प्रारम्भ होना तो न पाया जाये किन्तु उसका आगे होना पाया जाये, उसे भविष्यत् काल कहते हैं; जैसे –

‘स: वाराणसीं गमिष्यति’ (वह वाराणसी जायेगा)। इस वाक्य में गमन क्रिया का आगे होना पाया जाता है। अतः यह भविष्यत् काल है। इसके लिए लट् लकार का प्रयोग किया जाता है।

3. लङ् लकार – अनद्यतन भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। अनद्यतन भूत वह काल है जो आज का न हो, अर्थात् आज बारह बजे रात से पूर्व का काल अथवा आज प्रातः से पूर्व का समय; जैसे . देवदत्तः विद्यालयम् अगच्छत्। (देवदत्त विद्यालय गया।)

4. लोट् लकार – लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने के अर्थ में होता है। अतः सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे ‘आज्ञा काल’ कहते हैं। यथा-‘देवदत्तः गृहं गच्छतु। (देवदत्त घर जाये)। यहाँ देवदत्त को घर जाने की आज्ञा दी गई है। अतः लोट् लकार का प्रयोग हुआ है।

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5. विधिलिङ् – इस लकार का प्रयोग विधि, निमन्त्रण, आमन्त्रण, अभीष्ट, सलाह और प्रार्थना आदि अर्थों में किया जाता है। सामान्यतः यह ‘चाहिए’ वाले वाक्य में प्रयुक्त होता है। जैसे – ‘देवदत्तः इदं कार्य कुर्यात्।’ (देवदत्त को यह कार्य करना चाहिए), ‘स: गृहं गच्छेत्’ (उसे घर जाना चाहिए)।

धातु-रूप 

1. भू(होना) धातु (वर्तमान काल) परस्मैपदी

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2. गम् (गच्छ्) (जाना) धातु परस्मैपदी

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3. इष (इच्छ) (इच्छा करना) धातु परस्मैपदी

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4. प्रच्छ (पृच्छ) (पूछना) धातु परस्मैपदी

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5. लिख (लिखना) परस्मैपदी

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6. हन् (मारना) धातु परस्मैपदी

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7. भी (डरना) धातु

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8. दा (देना) धातु परस्मैपदी

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम् 9

9. नृत् (नाचना) धातु परस्मैपदी

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम् 10

10. जन् (पैदा होना) धातुः

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11. कृ (कर) (करना) धातु परस्मैपदी

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12. की (द्रव्यविनिमये) धातु

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13. क्रीड् (खेलना) परस्मैपदी

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14. चिन्त् (चिन्तय) (सोचना) धातु परस्मैपदी

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15. त्यज् (हानौ) धातुः

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16. सेव् (सेवा करना) धातु आत्मनेपदी

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17. लभ् (पाना) धातु आत्मनेपदी

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखित वाक्येषु सम्यक् विकल्प चिनुत् –
1. ‘भाष्’ धातोः लङ्लकारः उत्तम पुरुष, द्विवचने रूपं भवति –
(क) अभाषत
(ख) अभाषध्वम्
(ग) अभाषावहि
(घ) अभाषथाः
उत्तरम् :
(ग) अभाषावहि

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2. ‘वद्’ धातोः लङ्लकार उत्तमपुरुष एकवचने रूपं भवति –
(क) अवदम्
(ख) वदति
(ग) वदथः
(घ) वदिष्यथः।
उत्तरम् :
(क) अवदम्

3. इष् धातोः लट्लकारस्य उत्तमपुरुषस्यैकवचने रूपं भविष्यति –
(क) इच्छसि
(ख) इच्छामः
(ग) एषिष्यामि
(घ) इच्छामि।
उत्तरम् :
(घ) इच्छामि।

4. प्रच्छ धातोः लुट्लकारस्य प्रथमपुरुषस्य बहुवचने रूपं भविष्यति –
(क) प्रक्ष्यन्ति
(ख) प्रक्ष्यसि
(ग) प्रक्ष्यतः
(घ) प्रक्ष्यामः
उत्तरम् :
(क) प्रक्ष्यन्ति

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5. हन् धातोः लोट्लकारस्य मध्यमपुरुषस्यैकवचने रूपं भविष्यति –
(क) हनतु
(ख) जहि
(ग) हत
(घ) हतम्
उत्तरम् :
(ख) जहि

6. भी धातोः लङलकारस्य प्रथमपुरुषस्य बहुवचने रूपं भविष्यति –
(क), अबिभेत्
(ख) अबिभेः
(ग) अबिभीत
(घ) अबिभयुः
उत्तरम् :
(घ) अबिभयुः

7. दा धातोः विधिलिङ्लकारे मध्यमपुरुषैकवचने रूपं भविष्यति –
(क) दद्युः
(ख) दद्यात्
(ग) दद्याः
(घ) दद्याव
उत्तरम् :
(ग) दद्याः

8. नृत् धातोः लुट्लकारस्य उत्तमपुरुषस्य बहुवचने रूपं भविष्यति –
(क) नृत्यन्ति
(ख) नृत्यथ
(ग) नर्तिष्यामः
(घ) नृत्येमः
उत्तरम् :
(ग) नर्तिष्यामः

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9. जन् धातोः लङलकारस्य मध्यमपुरुषैकवचने रूपं भविष्यति –
(क) जाये
(ख) जायै
(ग) अजाये
(घ) जायेम
उत्तरम् :
(ग) अजाये

10. क्री धातोः लट्लकारस्य उत्तमपुरुषस्य बहुवचने रूपं भविष्यति –
(क) क्रीणीमः
(ख) क्रेष्यामः।
(ग) क्रीणाम
(घ) अक्रीणीम
उत्तरम् :
(क) क्रीणीमः

11. चिन्त् धातोः विधिलिङलकारस्य उत्तमपुरुषस्यैकवचने रूपं भविष्यति –
(क) चिन्तयेत्
(ख) चिन्तयेयम्
(ग) चिन्तयानि
(घ) चिन्तयेः
उत्तरम् :
(ख) चिन्तयेयम्

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12. त्यज़ धातोः लट्लकारस्य मध्यमपुरुषस्य बहवचने रूपं भविष्यति –
(क) त्यजथ
(ख) त्यजत
(ग) त्यक्ष्यथ
(घ) त्यजेत
उत्तरम् :
(ग) त्यक्ष्यथ

प्रश्न 2.
निर्देशानुसारं धातुरूपं लिखित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(निर्देशानुसार धातुरूप लिखकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए)
1. महान्तं विकार …………………. (कृ, लट् लकार)
2. अयं योगी परिव्राजकः ……………. (क्रीड्, लुट लकार)
3. त्वं मां खादितुम् ………………. (इच्छ, लृट् लकार)
4. जनाः मयि स्नानं ……………….. (कृ, लट् लकार)
उत्तराणि-
1. करिष्यति
2. क्रीडिष्यति
3. एषिष्यसि
4. करिष्यन्ति।

प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु वाक्यानां रिक्तस्थानेषु निर्देशानुसारं धातु-रूपं लिखत –
(निम्नलिखित वाक्यों के रिक्तस्थानों में निर्देशानुसार धातुरूप लिखिए)
1. सिंहः एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा …………… । (चिन्त, लङ्लकार)
2. सिंहः सहसा शृगालस्य आह्वानम् ……………… (कृ, लङ् लकार)
4. अन्येऽपि पशवः भयभीताः ……………… (भू, लङ्लकार)
5. चञ्चलः नदी जलम्………….. (पृच्छ, लङ्लकार)
6. नापिताः अस्यां रूढौ सहभागिताम्…………….. (त्यज, लङ् लकार)
उत्तराणि :
1. अचिन्तयत्
2. अकरोत्
3. अभवन्
4. अपृच्छत्
5. अत्यजन्।

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प्रश्न 4.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत –
(उचित धातु रूपों से वाक्यों को पूर्ण कीजिए-)
(i) विद्यार्थी ज्ञानं …………………………… (लभ-लट्लकारे, आत्मनेपदी)
(ii) श्वः मम मित्रं …………………………….. (गम्-लुटलकारे)
(iii) शिक्षकः विद्यालये किं …………. (कृ-लुट्लकारे)
(iv) शिष्यः गुरून् …………………….. (सेव्-लोट्लकारे)
(v) श्व: भौमवासरः ………. (भू लुट्लकारे)
(vi) सः संगीतमाध्यमेन निर्माणम् ………… (कृ-लङ्लकारे)
(vii) मन्द-मन्दम् पवनः मधुरं संगीतं ………….. (जन् लट्लकारे)
(viii) आयुष्मान् …………………… (भू-लोट्लकारे)
(ix) रीना शीघ्रम् उन्नति ……………….. (कृ-लट्लकारे)
(x) तौ गुरुम् ………………… (सेव्-लट्लकारे)
(xi) वयं विद्यालयं ………………. (गम्- लट्लकारे)
उत्तरम् :
(i) लभते
(ii) गमिष्यति
(iii) करोति
(iv) सेवताम्
(v) भविष्यति
(vi) अकरोत्
(vii) जनयति
(viii) भव
(ix) करोति
(x) सेवेते
(xi) गमिष्यामः

प्रश्न 5.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत – (उचित धातुरूपों से वाक्यों को पूर्ण कीजिए)
(i) रमा सीता च श्वः तत्र …………… (गम्)
(ii) सः प्रातः व्यायामं ……… (कृ)
(iii) ह्यः अहं विद्यालयम् …………….. (गम्)
(iv) सीता ह्यः मातुः पत्रम् …………… (लभ)
उत्तरम् :
(i) गमिष्यतः
(ii) करोति
(iii) अगच्छम्
(iv) अलभत।

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प्रश्न 6.
निर्देशानुसारं धातु-रूपं लिखत –
(निर्देशानुसार धातुरूप लिखिए-)
1. भू (लोट् लकार मध्यम पुरुष बहुवचन)
2. दृश् (लट् लकार मध्यम पुरुष एकवचन)
3. गम् (विधिलिङ् लकार उत्तम पुरुष द्विवचन)
4. चिन्त् (लट् लकार मध्यम पुरुष द्विवचन)
5. गम् (लट् लकार मध्यम पुरुष द्विवचन)
6. सेव् (लट् लकार मध्यम पुरुष बहुवचन)
7. कृ (विधिलिङ् लकार उत्तम पुरुष एकवचन)
8. जन् (लङ् लकार प्रथम पुरुष बहुवचन)
9. क्रीड् (लोट् लकार मध्यम पुरुष द्विवचन)
10. लिख (लट् लकार उत्तम पुरुष एकवचन)
11. इष् (इच्छ्) (लुट् लकार मध्यम पुरुष बहुवचन)
उत्तराणि :
1. भवत
2. पश्यसि
3. गच्छेव
4. चिन्तयथः
5. गमिष्यथ:
6. सेवध्वे
7. कुर्याम्
8. अजायन्त
9. क्रीडतम्
10. लेखिष्यामि
11. एषिष्यथ।

प्रश्न 7.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) क्रीडति
(ii) करोमि
(iii) जनिष्ये
उत्तरम् :
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प्रश्न 8.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) भवथ
(ii) गच्छामः
(iii) इच्छसि
उत्तरम् :
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प्रश्न 9.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) पृच्छन्ति
(ii) अपृच्छत्
(iii) लिखन्ति
उत्तरम् :
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प्रश्न 10.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) लिखेम
(ii) हनिष्यामः
(iii) हन्याः
उत्तरम् :
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प्रश्न 11.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत
(i) बिभ्यन्ति
(ii) भेस्यथ
उत्तरम् :
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प्रश्न 12.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) ददति
(ii) अदत्ताम्
(iii) नर्तिस्यथः
उत्तरम् :
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प्रश्न 13.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) जायसे
(ii) कुरुथः
(iii) कुर्याम्
उत्तरम् :
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प्रश्न 14.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) क्रेष्यथ:
(ii) क्रीडानि
(iii) क्रीडेयम्
उत्तरम् :
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प्रश्न 15.
अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष वचनानां निर्देशं कुरुत –
(i) चिन्तयिष्यथ:
(ii) त्यजताम्
(iii) सेवते
उत्तरम् :
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