JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 11 Constructions

Question 1.
Construct an equilateral triangle if its altitude is 3.2 cm.
Solution :
Given: In an equilateral ΔABC, an altitude
AD = 3.2 cm
Required: To Construct an equilateral triangle ABC from the given data.
STEPS:
(i) Draw a line PQ
(ii) Construct a perpendicular bisector DE to PO.
(iii) Cut off DA = 3.2 cm from DE.
(iv) Construct ∠DAR = 30°.
The ray AR intersects PQ at B.
(v) Similarly, draw ∠DAC = 30.
The ray AC intersects PQ at C.
(vi) Join A with B and C.
We get the required ΔABC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions - 1

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions

Question 2.
Construct a right-angled triangle whose hypotenuse measures 8 cm and one side is 6 cm.
Solution :
Given: Hypotenuse AC of a ΔABC = 8 cm and one side AB = 6 cm.
Required: To construct a right-angled ΔABC from the given data.
STEPS:
(i) Draw a line segment AC = 8 cm.
(ii) Mark the mid-point 0 of AC by doing perpendicular bisector of AC.
(iii) With O as centre and radius OA, draw a semicircle on AC.
(iv) With A as centre and radius equal to 6 cm, draw an arc, cutting the semicircle a B.
(v) Join A and B, B and C.
We get the required right-angled triangle ABC
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions - 2

Question 3.
Construct a ΔABC in which BC = 6.4 cm, altitude from A is 3.2 cm and the median bisecting BC is 4 cm.
Solution :
Given: One side BC = 6.4 cm, altitude AD = 3.2 cm and the median AL = 4 cm.
Required: To construct a ΔABC form the given data
STEPS:
(i) Draw BC = 6.4 cm
(ii) Bisect BC at L.
(iii) Draw EF || BC at a distance 3.2 cm for BC
(iv) With L as centre and radius equal to 4 cm, draw an arc, cutting EF at A
(v) Join A and B ; A and C, A and L.
We get the required triangle ABC
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions - 3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions

Question 4.
Construct a ΔABC in which ∠B = 30° and ∠C = 60° and the perpendicular from the vertex A to the base BC is 4.8 cm.
Solution :
Given: ∠B = 30°, ∠C = 60°, length of perpendicular from vertex A to be base BC = 4.8 cm.
Required: To construct a ΔABC from the given data.
STEPS :
(i) Draw any line PQ.
(ii) Take a point B on line PQ and construct ∠QBR = 30°
(iii) Draw a line EF || PQ at a distance of 4.8 cm from PQ, cutting BR at A.
(iv) Construct an angle ∠FAC = 60°, cutting PQ at C.
(v) Join A and C.
We get the required triangle ABC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions - 4

Question 5.
Construct a triangle ABC, the lengths of whose medians are 6 cm, 7 cm and 6 cm.
Solution :
Given: Median AD = 6 cm, median BE = 7 cm, median CF = 6 cm.
Required: To construct a AABC from the given data.
STEPS:
(i) Construct a ΔAPQ with AP = 6 cm, PQ = 7 cm and AQ = 6 cm.
(ii) Draw the medians AE and PF of ΔAPQ intersecting each other at G.
(iii) Produce AE to B such that GE = EB
(iv) Join B and Q and produce it to C, such that BQ = QC
(v) Join A and C. We get the required triangle ABC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 Constructions - 5

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

JAC Class 10 Hindi साना-साना हाथ जोड़ि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर :
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को सम्मोहित कर रहा था। रहस्यमयी सितारों की रोशनी में उसका सबकुछ समाप्त हो गया था। उसे ऐसे अनुभव हो रहा था, जैसे उसकी चेतना लुप्त हो गई थी। बाहर और अंदर सबकुछ शून्य हो गया था। वह इंद्रियों से दूर एक रोशनी भरे संसार में चली गई थी। उसके लिए आस-पास का वातावरण शून्य हो गया था।

प्रश्न 2.
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया?
उत्तर :
गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर इसलिए कहा गया है क्योंकि यहाँ स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी पूरी मेहनत से काम करते हैं। स्त्रियाँ बच्चों को पीठ पर लादकर काम करती हैं। स्कूल जाने वाले विद्यार्थी स्कूल से आने के बाद अपने माता-पिता के कामों में हाथ बँटाते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहाँ सभी कार्य कड़ी मेहनत से पूरे होते हैं। इसलिए यह मेहनतकश बादशाहों का शहर कहलाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

प्रश्न 3.
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर :
यूमथांग जाते हुए लेखिका को रास्ते में बहुत सारी बौद्ध पताकाएँ दिखाई दीं। लेखिका के गाइड जितेन नार्गे ने बताया कि जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तो उस समय उसकी आत्मा की शांति के लिए श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। रंगीन पताकाएँ किसी नए कार्य के आरंभ पर लगाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर :
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम के बारे में बताया कि यहाँ का इलाका मैदानी नहीं, पहाड़ी है। मैदानों की तरह यहाँ का जीवन सरल नहीं है। यहाँ कोई भी व्यक्ति कोमल या नाजुक नहीं मिलेगा, क्योंकि यहाँ का जीवन बहुत कठोर है। मैदानी क्षेत्रों की तरह यहाँ कोने-कोने पर स्कूल नहीं हैं। नीचे की तराई में एक-दो स्कूल होंगे। बच्चे तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर स्कूल पढ़ने जाते हैं। ये बच्चे स्कूल से आकर अपनी माँ के काम में सहायता करते हैं। पशुओं को चराना, पानी भरना और जंगल से लकड़ियों : के भारी-भारी गट्ठर सिर पर ढोकर लाते हैं। सिक्किम की प्रकृति जितनी कोमल और सुंदर है, वहाँ की भौगोलिक स्थिति और जनजीवन कठोर है।

प्रश्न 5.
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर :
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र के विषय में जितेन ने बताया कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को उस घूमते चक्र को देखकर लगा कि पूरे भारत के लोगों की आत्मा एक जैसी है। विज्ञान ने चाहे कितनी अधिक प्रगति कर ली है, फिर भी लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की मान्यताएँ सब एक जैसी हैं। वे चाहे पहाड़ पर हों या फिर मैदानी क्षेत्रों में-उनकी धार्मिक मान्यताओं को कोई तोड़ नहीं सकता।

प्रश्न 6.
जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर :
जितेन नार्गे ड्राइवर-कम-गाइड था। उसे सिक्किम और उसके आस-पास के क्षेत्रों की भरपूर जानकारी थी। जितेन एक ऐसा गाइड था, जो जानता था कि पर्यटकों को असीम संतुष्टि कैसे दी जा सकती है। इसलिए वह लेखिका और उसके सहयात्रियों को सिक्किम घुमाते हुए बर्फ़ दिखाने के लिए कटाओ तक ले जाता है। उससे आगे चीन की सीमा आरंभ हो जाती है। वह छोटी-छोटी जानकारी भी अपने यात्रियों को देना नहीं भूलता।

यात्रियों की थकान उतारने व उनके मन बहलाव के लिए वह उनकी पसंद के संगीत का सामान भी साथ रखता है। एक गाइड के लिए अपने क्षेत्र के इतिहास की पूरी जानकारी होनी आवश्यक है, जो जितेन को भरपूर थी। जितेन रास्ते में आने वाले छोटे-छोटे पवित्र स्थानों, जिनके प्रति वहाँ के स्थानीय लोगों में श्रद्धा थी, के बारे में विस्तार से बता रहा था। एक कुशल गाइड से यात्रा का आनंद दोगुना हो जाता है। वह आस-पास के सुनसान वातावरण को भी खुशनुमा बना देता है। इस तरह जितेन नार्गे में एक कुशल गाइड के गुण थे।

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प्रश्न 7.
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
लेखिका का यात्री दल यूमथांग जाने के लिए जीप द्वारा आगे बढ़ रहा था। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ रही थी, वैसे-वैसे हिमालय का पलपल बदलता वैभव और विराट रूप सामने आता जा रहा था। हिमालय विशालकाय होता गया। आसमान में फैली घटाएँ गहराती हुई पाताल नापने लगी थीं। कहीं-कहीं किसी चमत्कार की तरह फूल मुस्कुराने लगे थे। सारा वातावरण अद्भुत शांति प्रदान कर रहा था।

लेखिका हिमालय के पल-पल बदलते स्वरूप को अपने भीतर समेट लेना चाहती थी। उसने हिमालय को ‘मेरे नागपति मेरे विशाल’ कहकर सलामी दी। हिमालय कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े प्रतीत हो रहा था और कहीं हल्के पीलेपन का कालीन दिखाई दे रहा था। हिमालय का स्वरूप कहीं-कहीं पलस्तर उखड़ी दीवारों की तरह पथरीला लग रहा था। सबकुछ लेखिका को जादू की ‘छाया’ व ‘माया’ का खेल लग रहा था। हिमालय का बदलता रूप लेखिका को रोमांचित कर रहा था।

प्रश्न 8.
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर :
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को लग रहा था कि वह आदिमयुग की कोई अभिशप्त राजकुमारी है। बहती जलधारा में पैर डुबोने से उसकी आत्मा को अंदर तक भीगकर सत्य और सौंदर्य का अनुभव होने लगा था। हिमालय से बहता झरना उसे जीवन की शक्ति का अहसास करवा रहा था। उसे लग रहा था कि उसकी सारी बुरी बातें और तासिकताएँ निर्मल जलधारा के साथ बह गई थीं। वह भी जलधारा में मिलकर बहने लगी थी; अर्थात् वह एक ऐसे शून्य में पहुँच गई थी, जहाँ अपना कुछ नहीं रहता; सारी इंद्रियाँ आत्मा के वश में हो जाती हैं। लेखिका उस झरने की निर्मल धारा के साथ बहते रहना चाहती थी। वहाँ उसे सुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा था।

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प्रश्न 9.
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर :
प्राकृतिक सौंदर्य के आलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को वहाँ के आम जीवन की निर्ममता झकझोर गई। लेखिका को प्रकृति के असीम सौंदर्य ने ऐसी अनुभूति दी थी कि वह एक चेतन-शून्य संसार में पहुँच गई थी। उसे लग रहा था कि वह ईश्वर के निकट पहुँच गई है, परंतु उस सौंदर्य में कुछ पहाड़ी औरतें पत्थर तोड़ रही थीं। वे शरीर से कोमल दिखाई दे रही थीं। उनकी पीठ पर टोकरियों में बच्चे बँधे हुए थे। वे बड़े-बड़े हथौड़ों और कुदालों से पत्थरों को तोड़ने का प्रयास कर रही थीं।

यह देखकर लेखिका बेचैन हो गई। वहीं खड़े एक कर्मचारी ने बताया कि पहाड़ों में रास्ता बनाना बहुत कठिन कार्य है। कई बार रास्ता बनाते समय लोगों की जान भी चली जाती है। लेखिका को लगा कि भूख और जिंदा रहने के संघर्ष ने इस स्वर्गीय सौंदर्य में अपना मार्ग इस प्रकार ढूँढ़ा है। कटाओं में फ़ौजियों को देखकर वह सोचने लगी कि सीमा पर तैनात फ़ौजी हमारी सुरक्षा के लिए ऐसी-ऐसी जगहों की रक्षा करते हैं, जहाँ सबकुछ बर्फ़ हो जाता है।

जहाँ पौष और माघ की ठंड की बात तो छोड़ो, वैशाख में भी हाथ-पैर नहीं खुलते। वे इतनी ठंड में प्राकृतिक बाधाओं को सहन करते हुए हमारा कल सुरक्षित करते हैं। पहाड़ी औरतों को भूख से लड़ते पत्थरों को तोड़ना और कड़ाके की ठंड में फ़ौजियों का सीमा पर तैनात रहना लेखिका को अंदर तक झकझोर गया।

प्रश्न 10.
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
उत्तर :
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में प्रमुख योगदान पर्यटन स्थलों पर उपलब्ध सुविधाओं, स्थानीय गाइड तथा आवागमन के मार्ग का होता है। इसके अतिरिक्त वहाँ के लोगों तथा सरकारी रख-रखाव का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।

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प्रश्न 11.
“कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर :
देश की आर्थिक प्रगति में आम जनता की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश के महत्वपूर्ण संस्थानों के निर्माण में आम जनता ही सहयोग करती है। वहाँ पत्थर तोड़ने से लेकर पत्थर जोड़ने तक का कार्य वे लोग ही करते हैं। इस कार्य में व्यक्ति की पूरी शक्ति लगती है, परंतु उसके काम के बदले में उसे बहुत कम पैसे मिलते हैं। बड़े-बड़े लोगों को धनवान बनाने वाले ये लोग उन पैसों से अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी बड़ी कठिनाई से करते हैं। सड़कों को चौड़ा बनाने का कार्य, बाँध बनाने का कार्य और बड़ी-बड़ी फैक्टरियाँ बनाने के कार्य की नींव आम जनता के खून-पसीने पर रखी जाती है।

सड़कों के निर्माण से यातायात का आवागमन सुगम हो जाता है। तैयार माल और कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलता से पहुँचाया जाता है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति होती है। बाँधों के निर्माण से बिजली का उत्पादन किया जाता है तथा फ़सलों को उचित सिंचाई के साधन उपलब्ध करवाए जाते हैं। इन सब कार्यों में आम जनता का भरपूर योगदान होता है। इन लोगों की भूमिका के बिना देश की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है।

प्रश्न 12.
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है ? इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।
उत्तर :
आज की पीढ़ी भौतिकवादी हो चुकी है। वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति का निर्मम ढंग से प्रयोग कर रही है। उन्हें यह नहीं पता कि प्रकृति मनुष्य को कितना कुछ देती है, बदले में वह मनुष्य से कुछ नहीं माँगती। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, नदियों के जल का दुरुपयोग तथा कृषि योग्य भूमि पर बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों के निर्माण ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है। मनुष्य को चाहिए यदि वह प्रकृति से लाभ उठाना चाहता है, तो उसकी उचित देख-रेख करें। जितने वृक्ष काटें, उससे दोगुने वृक्षों को लगाएँ।

वृक्ष लगाने से मिट्टी का बहाव रुक जाएगा तथा चारों ओर हरियाली होने से प्रकृति में वायु और वर्षा का संतुलन बन जाएगा। वर्षा उचित समय से होने पर नदियों में जल की कमी नहीं होगी। जल प्रकृति की अनमोल देन है। मनुष्य को चाहिए नदियों के जल का उचित प्रयोग करें। नदियों के जल में गंदगी नहीं डालनी चाहिए। औद्योगिक संस्थानों से निकले गंदे पानी की निकासी के लिए अलग प्रबंध करना चाहिए। कृषि योग्य भूमि को भी दुरुपयोग से बचाना चाहिए। सरकार को प्रकृति का संतुलन बनाने के लिए उचित तथा कठोर नियम बनाने चाहिए। उन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

प्रश्न 13.
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
अथवा
‘साना-साना हाथ जोडि’ पाठ में प्रदूषण के कारण हिमपात में कमी पर चिंता व्यक्त की गई है। प्रदूषण के कारण कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं? हमें इसकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर :
प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। साथ में मनुष्य का स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है। प्रदूषण के कारण पूरे देश का सामाजिक और आर्थिक वातावरण बिगड़ गया है। खेती के आधुनिक उपायों, खादों तथा कृत्रिम साधनों के प्रयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म होती जा रही है। बीज और खाद के दूषित होने के कारण फ़सलें खराब हो जाती हैं, जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ने मिलकर मनुष्य और प्रकृति को विकलांग बना दिया।

वायु प्रदूषण से साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु की कमी होती जा रही है, जिससे मनुष्य को फेफड़ों से संबंधित कई बीमारियाँ लग रही हैं। ध्वनि प्रदूषण से बहरेपन की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इससे मानव के स्वभाव पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। प्रदूषण की इस समस्या से निपटने के लिए युवा पीढ़ी का जागरूक होना आवश्यक है। उसके लिए सरकार को प्रदूषण संबंधी कार्यक्रम चलाने चाहिए। प्रदूषण संबंधी नियमों का दृढ़ता से पालन और लागू किया जाना आवश्यक है।

प्रश्न 14.
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। ‘कटाओ’ को भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता असीम है, जिसे देखकर सैलानी स्वयं को ईश्वर के निकट समझते हैं। वहाँ उन्हें अद्भुत शांति मिलती है। यदि वहाँ पर दुकानें खुल जाती हैं तो लोगों की भीड़ बढ़ जाएगी, जिससे वहाँ गंदगी और प्रदूषण फैलेगा। लोग सफ़ाई संबंधी नियमों का पालन नहीं करते। वस्तुएँ खा-पीकर व्यर्थ का सामान इधर-उधर फेंक देते हैं। लोगों का आना-जाना बढ़ने से जैसे यूमथांग में स्नोफॉल कम हो गया है, वैसा ही यहाँ पर भी होने की संभावना है। ‘कटाओ’ के वास्तविक स्वरूप में रहने के लिए वहाँ किसी भी दुकान का न होना अच्छा है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

प्रश्न 15.
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर :
प्रकृति का जल संचय करने का अपना ही ढंग है। सर्दियों में वह बर्फ के रूप में जल इकट्ठा करती है। गर्मियों में जब लोग पानी के लिए तरसते हैं, तो ये बर्फ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बन जाती हैं। इनसे हम जल प्राप्त कर अपनी प्यास बुझाते हैं और दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

प्रश्न 16.
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं ? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
अथवा
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी कई तरह से कठिनाइयों का मुकाबला करते हैं। सैनिकों के जीवन से किन-किन जीवन-मूल्यों को अपनाया जा सकता है? चर्चा कीजिए।
उत्तर :
देश की सीमा पर तैनात फ़ौजियों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बर्फीले क्षेत्रों में तैनात फ़ौजी बर्फीली हवाओं और तूफानों का सामना करते हैं। पौष और माघ की ठंड में वहाँ पेट्रोल के अतिरिक्त सबकुछ जम जाता है। फ़ौजी बड़ी मुश्किल से अपने शरीर के तापमान को सामान्य रखते हुए देश की सीमा की रक्षा करते हैं। वहाँ आने-जाने का मार्ग खतरनाक और सँकरा है, जिन पर से गुजरते हुए किसी के भी प्राण जाने की संभावना बनी रहती है।

ऐसे रास्तों पर चलते हुए फ़ौजी अपने जीवन की परवाह न करते हुए हमारे लिए आने वाले कल को सुरक्षित करते हैं। देश की सीमा की रक्षा करने वाले फ़ौजियों के प्रति आम नागरिक का भी कर्तव्य बन जाता है कि वे उनके परिवार की खुशहाली के लिए प्रयत्नशील हो, जिससे वे लोग बेफ़िक्र होकर सीमा पर मजबूती से अपना फ़र्ज पूरा कर सकें। समय-समय पर उनका साहस बढ़ाने के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों का प्रबंध करना चाहिए।

लोगों को भी देश की संपत्ति की रक्षा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें देश के अंदर शांति-व्यवस्था तथा धार्मिक सौहार्दयता बनाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए। फौजियों से हम अनुशासन और विपरीत परिस्थितियों से न घबराने की सीख भी ले सकते हैं।

JAC Class 10 Hindi साना-साना हाथ जोड़ि Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका को गंतोक से कंचनजंघा क्यों नहीं दिखाई दे रहा था?
उत्तर :
लेखिका की वह सुबह गंतोक में आखिरी सुबह थी। वहाँ से वे लोग यूमथांग जा रहे थे। वहाँ के लोगों के अनुसार यदि मौसम साफ़ हो तो वहाँ से कंचनजंघा दिखाई देता है। कंचनजंघा हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी थी। उस दिन मौसम साफ़ होने पर भी लेखिका को हल्के-हल्के बादलों के कारण वह चोटी दिखाई नहीं दी थी।

प्रश्न 2.
क्या लेखिका को लायुग में बर्फ़ देखने को मिली? यदि नहीं, तो उसका क्या कारण था?
उत्तर :
लेखिका जैसे पर्वतों के निकट आती जा रही थी, उसकी बर्फ़ देखने की इच्छा प्रबल होती जा रही थी। लायुग में उसे बर्फ के होने का विश्वास था। परंतु सुबह उठकर जैसे वह बाहर निकली, उसे निराशा हाथ लगी। वहाँ बर्फ का एक भी टुकड़ा नहीं था। लेखिका को लगा कि समुद्र से 14000 फीट की ऊँचाई पर भी बर्फ का न मिलना आश्चर्य है। वहाँ के स्थानीय व्यक्ति ने इस समय स्नोफॉल न होने का कारण बढ़ते प्रदूषण को बताया। जिस प्रकार से प्रदूषण बढ़ रहा है, उसी तरह प्रकृति के साधनों में कमी आती जा रही है।

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प्रश्न 3.
लेखिका को बर्फ कहाँ देखने को मिल सकती थी और वह कहाँ स्थित है?
उत्तर :
लेखिका को इस समय बर्फ ‘कटाओ’ में देखने को मिल सकती थी। कटाओ को भारत का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है। अभी तक वह टूरिस्ट स्पॉट नहीं बना, इसलिए वह अपने प्राकृतिक स्वरूप में था। कटाओ लाचुंग से 500 फीट की ऊँचाई पर था। वहाँ पहुँचने के लिए लगभग दो घंटे का समय लगना था।

प्रश्न 4.
‘कटाओ’ का सफ़र कैसा रहा?
उत्तर :
कटाओ का रास्ता खतरनाक था। उस समय धुंध और बारिश हो रही थी, जिसने सफ़र को और खतरनाक बना दिया था। जितेन लगभग र, अनुमान से गाड़ी चला रहा था। खतरनाक रास्तों के अहसास ने सबको मौन कर दिया था। ज़रा-सी असावधानी सबके प्राणों के लिए घातक सिद्ध हो सकती थी। जीप के अंदर केवल एक-दूसरे की साँसों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वे लोग आस-पास के वातावरण से अनजान थे। जगह-जगह पर सावधानी से यात्रा करने की चेतावनी लिखी हुई थी।

प्रश्न 5.
लेखिका बर्फ पर चलने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर सकी?
उत्तर :
लेखिका और उसका यात्री दल जब कटाओ पहुँचा, उस समय ताजी बर्फ गिरी हुई थी। बर्फ देखकर लेखिका का मन प्रसन्नता से भर उठा। उसकी इच्छा थी कि वह बर्फ पर चलकर इस जन्नत को अनुभव करे। परंतु वह ऐसा कुछ नहीं कर सकी, क्योंकि उसके पास बर्फ में पहनने वाले जूते नहीं थे। वहाँ पर ऐसी कोई दुकान नहीं थी, जहाँ से वह जूते किराए पर ले सके।

प्रश्न 6.
लेखिका पर वहाँ के वातावरण ने क्या प्रभाव डाला?
उत्तर :
लेखिका वहाँ पहुँचकर स्वयं को प्रकृति में खोया हुआ अनुभव कर रही थी। वह दूसरे लोगों की तरह फ़ोटो खींचने में नहीं लगी हुई थी। वह उन क्षणों को पूरी तरह अपनी आत्मा में समा लेना चाहती थी। हिमालय के शिखर उसे आध्यात्मिकता से जोड़ रहे थे। उसे लग रहा था कि ऋषि-मुनियों ने इसी दिव्य प्रकृति में जीवन के सत्य को जाना होगा; वेदों की रचना की होगी। जीवन में सब सुख देने वाला महामंत्र भी यहीं से पाया होगा। लेखिका उस सौंदर्य में इतनी खो गई थी कि उसे अपने आस-पास सब चेतन शून्य अनुभव हो रहा था।

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प्रश्न 7.
जितेन ने सैलानियों से गुरु नानक देव जी से संबंधित किस घटना का वर्णन किया है?
उत्तर :
जितेन को वहाँ के इतिहास और भौगोलिक स्थिति का पूरा ज्ञान था। वह उन्हें रास्ते भर तरह-तरह की जानकारियाँ देता रहा था। एक स्थान पर उसने बताया कि यहाँ पर एक पत्थर पर गुरु नानक देव जी के पैरों के निशान हैं। जब गुरु नानक जी यहाँ आए थे, उस समय उनकी थाली से कुछ चावल छिटककर बाहर गिर गए थे। जहाँ-जहाँ चावल छिटके थे, वहाँ-वहाँ चावलों की खेती होने लगी थी।

प्रश्न 8.
हिमालय की तीसरी चोटी कौन-सी है? लेखिका उसे क्यों नहीं देख पाई ?
उत्तर :
हिमालय की तीसरी चोटी कंचनजंघा है। लेखिका को गंतोक शहर के लोगों ने बताया था कि यदि मौसम साफ हो तो यहाँ से हिमालय की तीसरी चोटी कंचनजंघा साफ-साफ दिखाई देती है, लेकिन उस दिन आसमान हलके बादलों से ढका था, जिस कारण लेखिका कंचनजंघा को नहीं देख पाई।

प्रश्न 9.
लेखिका ने गंतोक के रास्ते में एक युवती से प्रार्थना के कौन-से बोल सीखे थे?
उत्तर :
अपनी गंतोक यात्रा के दौरान लेखिका ने एक नेपाली युवती से प्रार्थना के कुछ बोल सीखे थे-‘साना-साना हाथ जोड़ि, गर्दहु प्रार्थना। हाम्रो जीवन तिम्रो कोसेली। इसका अर्थ है-छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूँ कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो।

प्रश्न 10.
लेखिका ने जब ‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ देखा, तो उसे क्या अहसास हुआ?
उत्तर :
लेखिका ने जब ‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ देखा, तो उसे एक अजीब जीवन शक्ति का अहसास हुआ। उसे अपने अंदर की सभी बुराइयाँ एवं दुष्ट वासनाएँ दूर होती हुई प्रतीत होने लगीं। उसे लगा कि जैसे वह सरहदों से दूर आकर धारा का रूप धारण करके बहने लगी है। अपने अंदर इस बदलाव को देखकर लेखिका चाह रही थी कि वह ऐसी ही बनी रही और झरनों से बहने वाले निर्मल-स्वच्छ जल की कल-कल ध्वनि सुनती रहे।

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प्रश्न 11.
लेखिका जब चाय बागानों के बीच से गुजर रही थी, तब किस दृश्य ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा?
उत्तर :
लेखिका जब चाय बागानों के बीच से गुजर रही थी, तो सिक्किमी परिधान पहने युवतियाँ हरे-भरे बागानों में चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। उनके चेहरे ढलते सूरज की रोशनी में दमक रहे थे। चारों ओर इंद्रधनुषी रंग छटा बिखरी हुई थी। प्रकृति का ऐसा अद्भुत दृश्य देखकर लेखिका का ध्यान उसी ओर खींचता जा रहा था।

प्रश्न 12.
पहाड़ी बच्चों का जनजीवन किस प्रकार का होता है?
उत्तर :
पहाड़ी बच्चों का जनजीवन बड़ा ही कठोर होता है। वहाँ बच्चे तीन-चार किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं। वहाँ आस-पास कम ही स्कूल होते हैं। वहाँ बच्चे स्कूल से लौटकर अपनी माँ के साथ काम करते हैं।

प्रश्न 13.
लायुग में जनजीवन किस प्रकार का है?
उत्तर :
लायुंग में अधिकतर लोगों की जीविका का साधन पहाड़ी आलू, धान की खेती और शराब है। इनका जीवन भी गंतोक शहर के लोगों के समान बड़ा कठोर है। परिश्रम की मिसाल देनी हो, तो इन्हीं क्षेत्रों की दी जा सकती है।

प्रश्न 14.
गंतोक का क्या अर्थ है? लोग इसे क्या कहकर पुकारते हैं?
उत्तर :
गंतोक का अर्थ है-‘पहाड़’। लोग गंगटोक को ही ‘गंतोक’ बुलाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

प्रश्न 15.
जितेन के अनुसार पहाड़ी लोग गंदगी क्यों नहीं फैलाते ?
उत्तर :
पहाड़ी लोगों की मान्यता है कि वहाँ विशेष स्थान पर देवी-देवताओं का निवास है। जो यहाँ गंदगी फैलाएगा, वह मर जाएगा। इसी मान्यता के कारण वे लोग यहाँ गंदगी नहीं फैलाते।

साना-साना हाथ जोड़ि Summary in Hindi

लेखिका-परिचय :

मधु कांकरिया का जन्म कोलकाता में सन 1957 में हुआ था। इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम० ए० और कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा प्राप्त किया था। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-पत्ताखोर (उपन्यास), सलाम आखिरी, खुले गगन के लाल सितारे, बीतते हुए, अंत में ईशु (कहानी-संग्रह)। इन्होंने अनेक यात्रा-वृत्तांत भी लिखे हैं। इनकी रचनाओं में विचार और संवेदना की नवीनता मिलती है। इन्होंने समाज में व्याप्त समसामयिक समस्याओं पर अपनी लेखनी चलाई है। इनकी भाषा सहज, भावानुरूप, प्रवाहमयी तथा शैली वर्णनात्मक, भावपूर्ण तथा चित्रात्मक है।

पाठ का सार :

‘साना-साना हाथ जोड़ि….’ पाठ की लेखिका ‘मधु कांकरिया’ हैं। लेखिका इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहती है कि यात्राओं से मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ-साथ भाषा और संस्कृति का आदान-प्रदान भी होता है। लेखिका जब महानगरों की भावशून्यता, भागमभाग और यंत्रवत जीवन से ऊब जाती है, तो दूर-दूर यात्राओं पर निकल पड़ती है। उन्हीं यात्राओं के अनुभवों को उन्होंने अपने यात्रा-वृत्तांतों में शब्दबद्ध किया है।

इस लेख में भारत के सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन किया गया है। लेखिका गंगटोक शहर में तारों से भरे आसमान को देख रही थी। उस रात में ऐसा सम्मोहन था कि वह उसमें खो जाती है। उसकी आत्मा भावशून्य हो जाती है। वह नेपाली भाषा में मंद स्वर में सुबह की प्रार्थना करने लगती है। उन लोगों ने सुबह यूमथांग के लिए जाना था।

यदि वहाँ का मौसम साफ़ हो, तो गंगटोक से हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी कंचनजंघा दिखाई देती है। मौसम साफ़ होने के बावजूद आसमान में हल्के बादल थे, इसलिए लेखिका को कंचनजंघा पिछले साल की तरह दिखाई नहीं दी। यूमथांग गंगटोक से 149 कि० मी० की दूरी पर था। उन लोगों के गाइड कम ड्राइवर का नाम जितेन नार्गे था। यूमथांग का रास्ता घाटियों और फूलों से भरा था। रास्ते में उन्हें एक जगह पर सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ लगी दिखाई दीं। ये पताकाएँ अहिंसा और शांति की प्रतीक हैं।

जितेन नार्गे ने बताया कि जब कोई बुद्धिस्ट मर जाता है, तो किसी पवित्र स्थल पर एक सौ आठ सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ फहरा दी जाती हैं जिन्हें उतारा नहीं जाता। कई बार किसी नए कार्य के आरंभ पर रंगीन पताकाएँ लगाई जाती हैं। जितेन नार्गे की जीप में भी दलाई लामा की फ़ोटो लगी थी। जितेन ने बताया कि कवी-लोंग स्टॉक नामक स्थान पर ‘गाइड’ फ़िल्म की शूटिंग हुई थी। उन लोगों ने रास्ते में एक घूमता हुआ चक्र देखा, जिसे धर्म-चक्र के नाम से जाना जाता था। वहाँ रहने वाले लोगों का विश्वास था कि उसे घूमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

लेखिका को लगता है कि सभी जगह आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुण्य एक जैसे हैं। जैसे-जैसे वे लोग ऊँचाई की ओर बढ़ने लगे, वैसे-वैसे बाजार, लोग और बस्तियाँ आँखों से ओझल होने लगीं। घाटियों में देखने पर सबकुछ धुंधला दिखाई दे रहा था। पहाड़ियों ने विराट रूप धारण कर लिया था। पास से उनका वैभव कुछ अलग था। धीरे-धीरे रास्ता अधिक घुमावदार होने लगा था। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे वे किसी हरियाली वाली गुफ़ा के मध्य से गुज़र रहे हों।

सब यात्रियों पर वहाँ के हसीन मौसम का असर हो रहा था। लेखिका अपने आस-पास के दृश्यों को चुप रहकर अपने में समा लेना चाहती थी। सिलीगुड़ी से साथ चल रही तिस्ता नदी का सौंदर्य आगे बढ़ने पर और अधिक निखर गया था। वह उस नदी को देखकर रोमांचित हो रही थी। वह मन-ही-मन हिमालय को सलामी देती है। ‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ पर जीप रुकती है। सभी लोग वहाँ की सुंदरता को कैमरे में कैद करने लग जाते हैं।

लेखिका आदिम युग की अभिशप्त राजकुमारी की तरह झरने से बह रहा संगीत आत्मलीन होकर सुनने लगती है। उसे लगा, जैसे उसने सत्य और सौंदर्य को छू लिया हो। झरने का पानी उसमें एक नई शक्ति का अहसास भर रहा था। लेखिका को लग रहा था कि उसके अंदर की सारी कुटिलता और बुरी इच्छाएँ पानी की धारा के साथ बह गई हैं। वह वहाँ से जाने के लिए तैयार नहीं थी। जितेन ने कहा कि आगे इससे भी सुंदर दृश्य हैं। पूरे रास्ते आँखों और आत्मा को सुख देने वाले दृश्य थे। रास्ते में प्राकृतिक दृश्य पलपल अपना रंग बदल रहे थे।

ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई जादू की छड़ी घुमाकर सबकुछ बदल रहा था। माया और छाया का यह अनूठा खेल लेखिका को जीवन के रहस्य समझा रहा था। पूरा वातावरण प्राकृतिक रहस्यों से भरा था, जो सबको रोमांचित कर रहा था। थोड़ी देर के लिए जीप रुकी। जहाँ जीप रुकी थी, वहाँ लिखा था-‘थिंक ग्रीन’। वहाँ ब्रह्मांड का अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा था। सभी कुछ एक साथ सामने था।

लगातार बहते झरने थे, नीचे पूरे वेग से बह रही तिस्ता नदी थी, सामने धुंध थी, ऊपर आसमान में बादल थे और धीरेधीरे हवा चल रही थी, जो आस-पास के वातावरण में खिले फूलों की हँसी चारों ओर बिखेर रही थी। उस प्राकृतिक वातावरण को देखकर ऐसा लग रहा था कि लेखिका का अस्तित्व भी इस वातावरण के साथ बह रहा था।

ऐसा सौंदर्य जीवन में पहली बार देखा था। लेखिका को लग रहा था कि उसका अंदर-बाहर सब एक हो गया था। उसकी आत्मा ईश्वर के निकट पहुँच गई लगती थी। मुँह से सुबह की प्रार्थना के बोल निकल रहे थे। अचानक लेखिका का इंद्रजाल टूट गया। उन्होंने देखा कि इस अद्वितीय सौंदर्य के मध्य कुछ औरतें बैठी पत्थर तोड़ रही थीं। कुछ औरतों की पीठ पर बंधी टोकरियों में बच्चे थे। इतने सुंदर वातावरण में भूख, गरीबी और मौत के निर्मम दृश्य ने लेखिका को सहमा दिया। ऐसा लग रहा था कि मातृत्व और श्रम साधना साथ-साथ चल रही है। एक कर्मचारी ने बताया कि ये पहाडिनें।

मौत की भी परवाह न करते हुए लोगों के लिए पहाड़ी रास्ते को चौड़ा बना रही हैं। कई बार काम करते समय किसी-न-किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, क्योंकि जब पहाड़ों को डायनामाइट से उड़ाया जाता है तो उनके टुकड़े इधर-उधर गिरते हैं। यदि उस समय सावधानी न ! बरती जाए, तो जानलेवा हादसा घट जाता है। उन लोगों की स्थिति देखकर लेखिका को लगता है कि सभी जगह आम जीवन की कहानी। एक-सी है। मजदूरों के जीवन में आँसू, अभाव और यातना अपना अस्तित्व बनाए रखते हैं। लेखिका की सहयात्री मणि और जितेन उसे गमगीन देखकर कहते हैं कि यह देश की आम जनता है, इसे वे लोग कहीं भी देख सकते हैं।

लेखिका उनकी बात सुनकर चुप रहती है, परंतु मन ही मन सोचती है कि ये लोग समाज को कितना कुछ देते हैं; इस कठिन स्थिति में भी ये खिलखिलाते रहते हैं। वे लोग वहाँ से आगे चलते हैं। रास्ते में बहुत सारे पहाड़ी स्कूली बच्चे मिलते हैं। जितेन बताता है कि ये बच्चे तीन-साढ़े तीन किलोमीटर – की पहाड़ी चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं। यहाँ आस-पास एक या दो स्कूल हैं। ये बच्चे स्कूल से लौटकर अपनी माँ के साथ काम करते हैं। यहाँ का जीवन बहुत कठोर है। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे खतरे भी बढ़ते जा रहे थे। रास्ता तंग होता जा रहा था। जगह-जगह सरकार की चेतावनियों के बोर्ड लगे थे कि गाड़ी धीरे चलाएँ।

सूरज ढलने पर पहाड़ी औरतें और बच्चे गाय चराकर घर लौट रहे थे। कुछ के सिर पर लकड़ियों के गट्ठर थे। शाम के समय जीप चाय बागानों में से गुजर रही थी। बागानों में कुछ युवतियाँ सिक्किमी परिधान पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। उनके चेहरे ढलती शाम के सूरज की रोशनी में दमक रहे थे। चारों ओर इंद्रधनुषी रंग छटा बिखेर रहे थे। लेखिका इतना प्राकृतिक सौंदर्य देखकर खुशी से चीख रही थी। यूमथांग पहुँचने से पहले वे लोग लायुंग रुके। लायुग में लकड़ी से बने छोटे-छोटे घर थे। लेखिका सफ़र की थकान उतारने के लिए तिस्ता नदी के किनारे फैले पत्थरों पर बैठ गई। उस वातावरण में अद्भुत शांति थी। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति अपनी लय, ताल और गति में कुछ कह रही है। इस सफ़र ने लेखिका को दार्शनिक बना दिया था।

रात होने पर जितेन के साथ अन्य साथियों ने नाच-गाना शुरू कर दिया था। लेखिका की सहयात्री मणि ने बहुत सुंदर नृत्य किया। लायुंग में अधिकतर लोगों की जीविका का साधन पहाड़ी आलू, धान की खेती और शराब था। लेखिका को वहाँ बर्फ़ देखने की इच्छा थी, परंतु वहाँ बर्फ का नाम न था। वे लोग उस समय समुद्र तट से 14000 फीट की ऊँचाई पर थे। एक स्थानीय युवक के अनुसार प्रदूषण के कारण यहाँ स्नोफॉल कम हो। गया था। ‘कटाओ’ में बर्फ देखने को मिल सकती है। कटाओ’ को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। कटाओ को अभी तक टूरिस्ट स्पॉट नहीं बनाया गया था, इसलिए यह अब तक अपने प्राकृतिक स्वरूप में था।

लायुंग से कटाओ का सफ़र दो घंटे का था। कटाओ का रास्ता खतरनाक था। जितेन अंदाज़ से गाड़ी चला रहा था। वहाँ का सारा वातावरण बादलों से घिरा हुआ था। जरा-सी भी असावधानी होने पर बड़ी घटना घट सकती थी। थोड़ी दूर जाने पर मौसम साफ़ हो गया था। मणि कहने लगी कि यह स्विट्ज़रलैंड से भी सुंदर है। कटाओ दिखने लगा था। चारों ओर बर्फ से भरे पहाड़ थे। जितेन कहने लगा कि यह बर्फ रात को ही पड़ी है। पहाड़ ऐसे लग रहे थे जैसे चारों ओर चाँदी फैली हो।

कटाओ पहुँचने पर हल्की-हल्की बर्फ पड़ने लगी थी। बर्फ को देखकर सभी झूमने लगे थे, लेखिका का मन बर्फ पर चलने का हो रहा था, परंतु उसके पास बर्फ में पहनने वाले जूते नहीं थे। सभी सहयात्री वहाँ के वातावरण में फोटो खिंचवा रहे थे। लेखिका फोटो खिंचवाने की अपेक्षा वहाँ के वातावरण को अपनी साँसों में समा लेना चाहती थी। उसे लग रहा था कि यहाँ के वातावरण ने ही ऋषियोंमुनियों को वेदों की रचना करने की प्रेरणा दी होगी। ऐसे असीम सौंदर्य को यदि कोई अपराधी भी देख ले, तो वह भी आध्यात्मिक हो जाएगा। मणि के मन में भी दार्शनिकता उभरने लगी थी।

ये हिमशिखर पूरे एशिया को पानी देते हैं। प्रकृति अपने ढंग से सर्दियों में हमारे लिए पानी ! इकट्ठा करती है और गर्मियों में ये बर्फ़ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बनकर हम लोगों की प्यास को शांत करती हैं। प्रकृति का यह जल संचय अद्भुत है। इस प्रकार नदियों और हिमशिखरों का हम पर ऋण है। थोड़ा आगे जाने पर फ़ौजी छावनियाँ दिखाई दीं। थोड़ी दूरी पर चीन की सीमा थी। फ़ौजी कड़कड़ाती ठंड में स्वयं को कष्ट देकर हमारी । रक्षा करते हैं।

लेखिका फ़ौजियों को देखकर उदास हो गई। वैशाख के महीने में भी वहाँ बहुत ठंड थी। वे लोग पौष और माघ की ठंड में किस तरह रहते होंगे? वहाँ जाने का रास्ता भी बहुत खतरनाक था। वास्तव में ये फ़ौजी अपने आज के सुख का त्याग करके हमारे लिए। शांतिपूर्वक कल का निर्माण करते हैं। वे लोग वहाँ से वापस लौट आए थे। यूमथांग की पूरी घाटियाँ प्रियुता और रूडोडेंड्री के फूलों से खिली थीं।

जितेन ने रास्ते में बताया कि यहाँ पर बंदर का माँस भी खाया जाता है। बंदर का मांस खाने से कैंसर नहीं होता। उसने आगे बताया. कि उसने तो कुत्ते का माँस भी खाया हुआ है। सभी को जितेन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन लेखिका को लग रहा था कि वह सच बोल रहा है। उसने पठारी इलाकों की भयानक गरीबी देखी है। लोगों को सुअर का दूध पीते हुए देखा था। यूमथांग वापस आकर उन लोगों को वहाँ सब फीका-फीका लग रहा था।

वहाँ के लोग स्वयं को प्रदेश के नाम से नहीं बल्कि भारतीय के नाम से पुकारे जाने को पसंद करते हैं। पहले सिक्किम स्वतंत्र राज्य था। अब वह भारत का एक हिस्सा बन गया है। ऐसा करके वहाँ के लोग बहुत खुश हैं। मणि ने बताया। कि पहाड़ी कुत्ते केवल चाँदनी रातों में भौंकते हैं। यह सुनकर लेखिका हैरान रह गई। उसे लगा कि पहाड़ी कुत्तों पर भी ज्वारभाटे की तरह पूर्णिमा की चाँदनी का प्रभाव पड़ता है। लौटते हुए जितेन ने उन लोगों को कई और महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी। रास्ते में उसने एक जगह दिखाई।

उसके बारे में बताया कि यहाँ पूरे एक किलोमीटर के क्षेत्र में देवी-देवताओं का निवास है। जो यहाँ गंदगी फैलाएगा, वह मर जाएगा। उसने बताया कि वे लोग पहाड़ों पर गंदगी नहीं फैलाते हैं। वे लोग गंगटोक को गंतोक बुलाते हैं। गंतोक का अर्थ है-‘पहाड़। सिक्किम में अधिकतर क्षेत्रों को टूरिस्ट स्पॉट बनाने का श्रेय भारतीय आर्मी के कप्तान शेखर दत्ता को जाता है। लेखिका को लगता है कि मनुष्य की कभी न समाप्त होने वाली खोज का नाम ही सौंदर्य है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

कठिन शब्दों के अर्थ :

अतींद्रियता – इंद्रियों से परे। संधि – सुलह। उजास – प्रकाश, उजाला। सम्मोहन – मुग्ध करना। रकम-रकम – तरह-तरह के। कपाट – दरवाज़ा। लम्हें – क्षण। रफ़्ता-रफ़्ता – धीरे-धीरे। गहनतम – बहुत गहरी। सघन – घनी। शिद्दत – तीव्रता, प्रबलता, अधिकता। पताका – झंडा। श्वेत – सफ़ेद। मुंडकी – सिर। सुदीर्घ – बहुत बड़े। मशगूल – व्यस्त। प्रेयर व्हील – प्रार्थना का चक्र। अभिशप्त – शापित, शाप युक्त सरहद – सीमा। पराकाष्ठा – चरम-सीमा। तामसिकताएँ – तमोगुण से युक्त, कुटिल। मशगूल – व्यस्त। आदिमयुग – आदि युग।

निर्मल – स्वच्छ, साफ़। श्रम – मेहनत। अनंतता – असीमता। वंचना – धोखा। दुष्ट वासनाएँ – बुरी इच्छाएँ। आवेश – जोश। सयानी – समझदार, चतुर। मौन – चुप। जन्नत – स्वर्ग। सृष्टि – संसार, जगत। सन्नाटा – खामोशी। चैरवेति चैरवेति – चलते रहो, चलते रहो। वजूद – अस्तित्व। सैलानी – यात्री, पर्यटक। वृत्ति – जीविका। ठाठे – हाथ में पड़ने वाली गाँठे या निशान। दिव्यता – सुंदरता। वेस्ट एट रिपेईंग – कम लेना और ज़्यादा देना। मद्धिम – धीमी, हलकी। दुर्लभ – कठिन। हलाहल – विष, ज़हर। सतत – लगातार।

प्रवाहमान – गतिमान। संक्रमण – मिलन, संयोग। चलायमान – चंचल। लेवल – तल, स्तर। सुर्खियाँ – चर्चा में आना। निरपेक्ष – बेपरवाह। गुडुप – निगल लिया। राम रोछो – अच्छा है। टूरिस्ट स्पॉट – भ्रमण-स्थल। असमाप्त – कभी समाप्त न होने वाला। अद्वितीय – अनुपम। कुदाल – भूमि खोदने का अस्त्र। विलय – मिलना। सँकरे – तंग। सात्विक आभा – निर्मल कांति। सुरम्य – अत्यंत मनोहर। मीआद – सीमा। आबोहवा – जलवायु।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 1.
In figure, AB = CB and is the centre of the circle. Prove that BO bisects ∠ABC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 1
Solution :
Given: In figure, AB = CB and O is the centre of the circle.
To Prove : BO bisects ∠ABC.
Construction: Join OA and OC.
Proof: In ΔOAB and ΔOCB,
OA = OC [Radii of the same circle]
AB = CB [Given]
OB = ОВ (Common)
∴ ΔOAB ≅ ΔOCB [By SSS]
∴ ∠ABO = ∠CBO [By CPCT]
⇒ BO bisects ∠ABC. Hence, Proved.

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 2.
In figure, AB = AC and O is the centre of the circle. Prove that OA is the perpendicular bisector of BC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 2
Solution :
Given: In figure, AB = AC and O is the centre of the circle.
To Prove: OA is the perpendicular bisector of BC.
Construction: Join OB and OC.
Proof: AB = AC [Given]
∴ chord AB = chord AC.
[∵ If two arcs of a circle are congruent, then their corresponding chords are equal.]
∴ ∠AOB = ∠AOC ……(i) [∵ Equal chords of a circle subtend equal angles at the centre]
In ΔOBD and ΔOCD,
∠DOB = ∠DOC [From (i)]
OB = OC [Radii of the same circle]
OD = OD (Common)
∴ ΔOBD ≅ ΔOCD [By SAS]
∠ODB = ∠ODC …(ii) (By CPCT)
And BD = CD ……..(iii) [By CPCT]
∴ ∠ODB + ∠ODC = 180° [Linear pair]
⇒ ∠ODB + ∠ODB = 180°
[From equation (ii)]
⇒ 2∠ODB = 180°
⇒ ∠ODB = 90°
∴ ∠ODB = ∠ODC=90°….(iv) [From(ii)]
So, by (iii) and (iv), OA is the perpendicular bisector of BC. Hence, proved.

Question 3.
Prove that the line joining the midpoints of the two parallel chords of a circle passes through the centre of the circle.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 3
Solution :
Let AB and CD be two parallel chords of a circle whose centre is O.
Let L and M be the mid-points of the chords AB and CD respectively. Join OL and OM. Draw OX || AB or CD.
As L is the mid-point of the chord AB and O is the centre of the circle
∴ ∠OLB = 90°
But, OX || AB
∴ ∠LOX = 90° ………….(i)
[∵ Sum of the consecutive interior angles on the same side of a transversal is 180°]
As, M is the mid-point of the chord CD and O is the centre of the circle.
∴ ∠OMD = 90° [∵ The perpendicular drawn from the centre of a circle to a chord bisects the chord]
But OX || CD ………….(ii)
[∵ Sum of the consecutive interior angles on the same side of a transversal is 180°]
∴ ∠MOX = 90°
From above equations, we get
∠LOX + ∠MOX = 90° + 90° = 180°
⇒ ∠LOM = 180°
⇒ LM is a straight line passing through the centre of the circle.
Hence, proved.

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 4.
PQ and RS are two parallel chords of a circle whose centre is O and radius is 10 cm. If PQ = 16 cm and RS = 12 cm, find the distance between PQ and RS, if they lie
(i) on the same side of the centre O.
(ii) on opposite sides of the centre O.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 4
Solution :
(i) Draw the perpendicular bisectors OL and OM of PQ and RS respectively.
∵ PQ || RS
∴ OL and OM are in the same line.
⇒ O, L and M are collinear.
Join OP and OR
In right triangle OLP,
OP2 = OL2 + PL2
[By Pythagoras Theorem]
⇒ (10)2 = OL2 + (\(\frac {1}{2}\) × PQ)2
[∵ The perpendicular drawn from the centre of a circle to a chord bisects the chord]
⇒ 100 = OL2 + (\(\frac {1}{2}\) × 16)2
⇒ 100 = OL2 + (8)2
⇒ 100 = OL2 + 64
⇒ OL2 = 100 – 64 = 36 = (6)2
⇒ OL = 6 cm
In right triangle OMR,
OR2 = OM2 + RM2
[By Pythagoras Theorem]
⇒ OR2 = OM2 + (\(\frac {1}{2}\)× RS)2
[∵ The perpendicular drawn from the centre of a circle to a chord bisects the chord]
⇒ (10)2 = OM2 + (\(\frac {1}{2}\) × 12)2
⇒ (10)2 = OM2 + (6)2
⇒ OM2 = (10)2 – (6)2 = 100 – 36 = 64
⇒ OM = 8 cm
∴ LM = OM – OL = 8 – 6 = 2 cm
Hence, the distance between PO and RS, if they lie on the same side of the centre O, is 2 cm.

(ii) Draw the perpendicular bisectors OL and OM to PQ and RS respectively,
∵ PQ || RS
∴ OL and OM are in the same line
⇒ L, O and M are collinear. Join OP and OR.
In right triangle OLP,
OP2 = OL2 + PL2
[By Pythagoras Theorem]
⇒ OP2 = OL2 + (\(\frac {1}{2}\) × PQ)2
[∵ The perpendicular drawn from the centre of a circle to a chord bisects the chord]
⇒ (10)2 = OL2 + (\(\frac {1}{2}\) × 16)2
⇒ 100 = OL2 + (8)2
⇒ 100 = OL2 + 64
⇒ OL2 = 100 – 64
⇒ OL2 = 36 = (6)2
⇒ OL = 6 cm
In right triangle OMR,
OR2 = OM2 + RM2
[By Pythagoras Theorem]
⇒ OR2 = OM2 + (\(\frac {1}{2}\) × 12)2
[∵ The perpendicular drawn from the centre of a circle to a chord bisects the chord]
⇒ (10)2 = OM2 + (6)2
⇒ OM2 = (10)2 – (6)2 = (10 – 6)(10 + 6)
⇒ (4)(16) = 64 = (8)2
⇒ OM = 8 cm
∴ LM = OL + OM = 6 + 8 = 14 cm
Hence, the distance between PQ and RS, if they lie on the opposite sides of the centre O, is 14 cm.

Question 5.
Bisector AD of ∠BAC of ΔABC passed through the centre of the circumcircle of ΔABC. Prove that AB = AC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 5
Solution :
Given: Bisector AD of ∠BAC of ΔABC passed through the centre of the circumcircle of ΔABC,
To Prove: AB = AC.
Construction: Draw OP ⊥ AB and OQ ⊥ AC.
Proof: In ΔAPO and ΔAQO,
∠OPA = ∠OQA
[Each = 90° (by construction)]
∠OAP = ∠OAQ
[Given]
OA = OA (Common)
∴ ΔAPO ≅ ΔAQO
(By AAS congruence crieterion)
∴ OP = OQ [By CPCT]
∴ AB = AC. [∵ Chords equidistant from the centre are equal] Hence, proved.

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 6.
In figure, ∠ABC = 79°, ∠ACB = 41°, find ∠BDC.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 6
Solution :
In ΔABC.
∠BAC + ∠ABC + ∠ACB = 180°
[Sum of all the angles of a triangle is 180°]
⇒ ∠BAC + 79° + 41° = 180°
⇒ ∠BAC + 120° = 180°
⇒ ∠BAC = 180° – 120° = 60°
Now, ∠BDC = ∠BAC = 60°
[Angles in the same segment of a circle are equal]

Question 7.
ABCD is a cyclic quadrilateral whose diagonals intersect at a point E. If ∠DBC = 80°, ∠BAC = 40°, find ∠BCD. Further, if AB = BC, find ∠ECD.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 7
Solution :
∠CDB = ∠BAC = 40° ………….(i)
[Angles in the same segment of a circle are equal]
∠DBC = 80° ………….(ii)
In ΔBCD
∠BCD + ∠DBC + ∠CDB = 180°
[Sum of all the angles of a triangle is 180°]
⇒ ∠BCD + 80° + 40° = 180°
[Using (i) and (ii)]
⇒ ∠BCD + 120° = 180°
⇒ ∠BCD = 180° – 120°
⇒ ∠BCD = 60° ………………(ii)
In ΔABC,
AB = BC
∴ ∠BCA = ∠BAC = 40° …(iv)
[Angles opposite to equal sides of a triangle are equal]
Now, ∠BCD = 60° [From (iii)]
⇒ ∠BCA + ∠ECD = 60°
⇒ 40° + ∠ECD = 60°
⇒ ∠ECD = 60° – 40°
⇒ ∠ECD = 20°

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 8.
Find the area of a triangle, the radius of whose circumcircle is 3 cm and the length of the altitude drawn from the opposite vertex to the hypotenuse is 2 cm.
Solution :
We know that the hypotenuse of a right-angled triangle is the diameter of its circumcircle.
∴ BC = 2(OB) = 2 × 3 = 6 cm
Let, AD ⊥ BC
AD = 2 cm [Given]
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 8
∴ Area of ΔABC = \(\frac {1}{2}\)(BC)(AD)
= \(\frac {1}{2}\)(6)(2) = 6 cm2.

Question 9.
In figure, PQ is a diameter of a circle with centre O. If ∠PQR = 65°, ∠SPR = 40°, ∠PQM = 50°, find ∠QPR, ∠PRS and ∠QPM.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 9
Solution :
(i) ∵ PQ is a diameter
∴ ∠PRQ = 90°
[Angle in a semi-circle is 90°]
In ΔPQR,
∠QPR + ∠PRQ + ∠PQR = 180°
[Angle sum property of a triangle]
⇒ ∠QPR + 90° + 65° = 180°
⇒ ∠QPR = 180° – 155° = 25°

(ii) PQRS is a cyclic quadrilateral
∴ ∠PSR + ∠PQR = 180°
[∵ Opposite angles of a cyclic quadrilateral are supplementary]
⇒ ∠PSR + 65° = 180°
⇒ ∠PSR = 180° – 65°
⇒ ∠PSR = 115°
In ΔPSR
∠PSR + ∠SPR + ∠PRS = 180°
[Angle sum property of a triangle]
⇒ 115° + 40° + ∠PRS = 180°
⇒ 155° + ∠PRS = 180°
⇒ ∠PRS = 180° – 155°
⇒ ∠PRS = 25°

(iii) PQ is a diameter
∴ ∠PMQ = 90°
[∵ Angle in a semi-circle is 90°]
In ΔPMQ,
∠PMQ + ∠PQM + ∠QPM = 180°
[Angle sum property of a triangle]
⇒ 90° + 50° + ∠QPM = 180°
⇒ 140° + ∠QPM = 180°
⇒ ∠QPM = 180° – 140°
⇒ ∠QPM = 40°

Multiple Choice Questions

Question 1.
If two circular wheels rotate on a horizontal road then locus of their centres will be
(a) Circles
(b) Rectangle
(c) Two straight lines
(d) Parallelogram
Solution :
(c) Two straight lines

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 2.
In a circle of radius 10 cm, the length of chord whose distance is 6 cm from the centre is
(a) 4 cm
(b) 5 cm
(c) 8 cm
(d) 16 cm
Solution :
(d) 16 cm

Question 3.
If a chord a length 8 cm is situated at a distance of 3 cm form centre, then the diameter of circle is:
(a) 11 cm
(b) 10 cm
(c) 12 cm
(d) 15 cm
Solution :
(b) 10 cm

Question 4.
In a circle the lengths of chords which are situated at a equal distance from centre are :
(a) double
(b) four times
(c) equal
(d) three times
Solution :
(c) equal

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 5.
In the given figure, O is the centre of the circle and ∠BDC = 42°. The ∠ACB is equal to:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 10
(a) 48°
(b) 45°
(c) 42°
(d) 60°
Solution :
(a) 48°

Question 6.
In the given figure, ∠CAB = 80°, ∠ABC = 40°. The sum of ∠DAB and ∠ABD is equal to:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 11
(a) 80°
(b) 100°
(c) 120°
(d) 140°
Solution :
(c) 120°

Question 7.
In the given figure, if C is the centre of the circle and ∠PQC = 25° and ∠PRC = 15°, then ∠QCR is equal to:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 12
(a) 40°
(b) 60°
(c) 80°
(d) 120°
Solution :
(c) 80°

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 8.
In a cyclic quadrilateral if ∠B – ∠D = 60°, then the smaller of the angles B and D is:
(a) 30°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 75°
Solution :
(c) 60°

Question 9.
Three wires of length l1, l2, l3, form a triangle surmounted by another circular wire. If l3 is the diameter and l3 = 2l1, then the angle between l1 and l3 will be
(a) 30°
(b) 60°
(c) 45°
(d) 90°
Solution :
(b) 60°

Question 10.
In a circle with centre O, OD ⊥ chord AB. If BC is the diameter, then:
(a) AC = BC
(b) OD = BC
(c) AC = 2OD
(d) None of these
Solution :
(c) AC = 2OD

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 11.
The sides AB and DC of cyclic quadrilateral ABCD are produced to meet at P, the sides AD and BC are produced to meet at Q. If ∠ADC = 85° and ∠BPC = 40°, then ∠CQD equals:
(a) 30°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 75°
Solution :
(a) 30°

Question 12.
In the given figure, if ∠ACB = 40°, ∠DPB = 120°, then ∠CBD is equal to
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles - 13
(a) 40°
(b) 20°
(c) 0°
(d) 60°
Solution :
(a) 40°

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 13.
Any cyclic parallelogram is a:
(a) rectangle
(b) rhombus
(c) trapezium
(d) square
Solution :
(a) rectangle

Question 14.
The locus of the centre of all circles of given radius r, in the same plane, passing through a fixed point is:
(a) A point
(b) A circle
(c) A straight line
(d) Two straight lines
Solution :
(b) A circle

Question 15.
In a cyclic quadrilateral if ∠A – ∠C = 70°, then the greater of the angles A and C is equal to:
(a) 95°
(b) 105°
(c) 125°
(d) 115°
Solution :
(c) 125°

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 10 Circles

Question 16.
The length of a chord of a circle is equal to the radius of the circle. The angle which this chord subtends on the longer segment of the circle is equal to :
(a) 30°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°
Solution :
(a) 30°

Question 17.
If a trapezium is cyclic then,
(a) Its parallel sides are equal.
(b) Its non-parallel sides are equal.
(c) Its diagonals are not equal.
(d) None of these
Solution :
(b) Its non-parallel sides are equal.

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

JAC Class 10 Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर :
हमारा देश चाहे पिछले अनेक वर्षों से स्वतंत्र हो चुका है, पर यहाँ अभी भी मानसिक गुलामी का भाव विद्यमान है। सरकारी तंत्र अपने देश की मान-मर्यादा की रक्षा करने की अपेक्षा उन विदेशियों के तलवे चाटने की इच्छा रखता है, जिन्होंने लंबे समय तक देशवासियों को अपने पैरों तले कुचला था; उन्हें परेशान किया था; देशभक्तों को अपने जुल्मों का शिकार बनाया था। सरकारी तंत्र की चिंता और बदहवासी का कोई कारण नहीं था; पर फिर भी वह परेशान था। उसे देश की जनता और देश की मान-मर्यादा से अधिक चिंता उस पत्थर की नाक की थी, जिसे आंदोलनकारियों ने अपने गुस्से का शिकार बना दिया था। इससे सरकारी तंत्र की अदूरदर्शिता, संकुचित सोच और जनता के पैसे के अपव्यय के साथ-साथ अखबारों में छपने की तीव्र इच्छा प्रकट होती है। उनकी गुलाम मानसिकता किसी भी दृष्टि से सराहनीय नहीं कही जा सकती।

प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
उत्तर :
रानी एलिजाबेथ के दरज़ी की परेशानी का कारण रानी के द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र थे, जो उसने हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर पहनने थे। दरजी की परेशानी उसकी अपनी दृष्टि से तर्कसंगत थी। हर व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कार्य को सर्वश्रेष्ठ रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, ताकि वह दूसरों के द्वारा की जाने वाली प्रशंसा को बटोर सके।

एलिजाबेथ उस देश की रानी थी, जिसने उन देशों पर राज्य किया था जहाँ अब वह दौरे के लिए पधार रही थी। हर व्यक्ति की दृष्टि में पहली झलक शारीरिक सुंदरता और वेशभूषा की ही होती है और उसी से वह बाहर से आने वाले के बारे में अपने विचार बनाने लगता है। इसलिए दरजी रानी के लिए अति सुंदर और उच्च स्तरीय वस्त्र तैयार करना चाहता था। उसकी परेशानी तर्कसंगत और सार्थक है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 3.
‘और देखते-ही-देखते नई दिल्ली का काया पलट होने लगा’-नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?
उत्तर :
जब रानी एलिज़ाबेथ ने तीन देशों की यात्रा में सबसे पहले हिंदुस्तान आने का निश्चय किया, तो तत्कालीन सरकार प्रसन्नता और उत्साह से भर उठी होगी। उसके मन में नई दिल्ली की शोभा के माध्यम से सारे देश की झलक दिखा देने का भाव उत्पन्न हुआ होगा। नई दिल्ली की वे सड़कें जो धूल-मिट्टी से भरी रहती हैं, उन्हें अच्छी तरह से साफ़ करके सँवारा गया होगा; उनकी टूट-फूट ठीक की गई होगी। जगह-जगह बंदनवार और फूलों से सजे स्वागत द्वार लगाए गए होंगे। रानी के स्वागत में बड़े-बड़े बैनर और रंग-बिरंगे बोर्ड तैयार किए गए होंगे। सड़क किनारे उगे झाड़-झंखाड़ काटे गए होंगे और घास को सँवारा गया होगा। न जाने कहाँ-कहाँ से फूल-पौधों के गमले लाकर सजा दिए गए होंगे।

प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?
उत्तर :
(क) चर्चित हस्तियों के पहनावे, खान-पान संबंधी आदतों आदि के बारे पत्र-पत्रिकाओं में छपे वर्णन से सामान्य लोग उन तथाकथित बड़े लोगों के निजी जीवन की शाब्दिक झलक पा सकते हैं, जिनके बारे में वे न जाने क्या-क्या सोचते हैं। जिस जीवन को वे जी नहीं सकते; निकट से देख नहीं सकते, शब्दों और तसवीरों के माध्यम से उस जीवन-शैली का अहसास तो कर ही सकते हैं। इस प्रकार की पत्रकारिता में कुछ भी अनुचित नहीं है। पत्रकारिता का जो उद्देश्य है, पत्रों के माध्यम से वे वही पूरा करते हैं।

(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को केवल चर्चित हस्तियों के बारे में सतही जानकारी ही प्रदान नहीं करती, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करती है। युवा वर्ग तो उनके जीवन-स्तर से प्रभावित होकर वैसा ही करना चाहता है, जैसा वे करते हैं। कभी-कभी ऐसा करते हुए कई युवक गलत मार्ग की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। अधिक धन न होने के कारण वे अनुचित तरीके से धन प्राप्त करने की चेष्टा करने लगते हैं और अपराध मार्ग की ओर बढ़ जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने सारे देश के पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया; पत्थरों की खानों को देखा। इससे पहले पुरातत्व विभाग से यह जानने की कोशिश भी की गई थी कि मूर्ति कहाँ बनी, कब बनी और किस पत्थर से बनी? मूर्ति जैसा पत्थर प्राप्त न हो पाने के कारण देशभर के महापुरुषों की मूर्तियों की नाक उस मूर्ति पर लगाने का प्रयत्न किया, लेकिन सभी मूर्तियों की नाक लंबी होने के कारण ऐसा नहीं हो सका।

उसने अपनी हिम्मत बनाए रखते हुए अंत में जॉर्ज पंचम की नाक की जगह देशवासियों में से किसी की जिंदा नाक लगाने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसने इंडिया गेट के पास तालाब को सुखाकर साफ़ किया। उसकी रवाब निकलवाई और उसमें ताजा पानी भरवाया, ताकि जिंदा नाक लगने के बाद सूख न पाए।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ या ‘सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ़ ताका’ आदि। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
(क) शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूंज हिंदुस्तान में आ रही थी।
(ख) और देखते-देखते नयी दिल्ली का कायापलट होने लगा।
(ग) अगर यह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
(घ) दिमाग खरोंचे गए और यह तय किया गया कि हर हालत में इस नाक का होना बहुत ज़रूरी है।
(ङ) जैसे भी हो, यह काम होना है।
(च) इस मेहनत का फल हमें मिलेगा…आने वाला ज़माना खुशहाल होगा।
(छ) लानत है आपकी अक्ल पर! विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं।
(ज) लेकिन बड़ी होशियारी से।

प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए। उत्तर :
वास्तव में नाक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की प्रतीक है। रानी एलिजाबेथ का चार सौ पौंड का हल्का नीला सूट उसकी नाक अर्थात् सम्मान और प्रतिष्ठा की प्रतीक है, तो दरजी की चिंता उसके नाक की प्रतिष्ठा को प्रकट करती है कि कहीं उसकी सिलाई-कढ़ाई रानी के स्तर से कुछ कम न रह जाए। अखबारों की नाक की प्रतिष्ठा इस बात में छिपी है कि कोई भी, कैसी भी खबर छपने से रह न जाए। रानी के इंग्लैंड में रहने वाले कुत्ते की भी फोटो समेत खबर हिंदुस्तान की जनता को अखबारों में दिख जानी चाहिए।

सरकार की नाक तभी ऊँची रह सकती है, जब सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली टूटी-फूटी सड़कें विदेशियों के सामने जगमगाती। दिखाई दें। आंदोलन करने वालों की नाक की ऊँचाई इसी बात पर टिकती है कि वे कुछ और कर सकें या न कर सकें, पर पत्थर की बनी जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक को जरूर तोड़ दें। इससे कोई लाभ होगा या हानि, उन्हें इस बात से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने एक बार निर्णय कर लिया कि मूर्ति की नाक नहीं रहनी चाहिए, तो वह नहीं रहेगी।

देश के शुभचिंतकों ने एक बार ठान लिया। कि मूर्ति की नई नाक लगानी है, तो वह लगेगी; क्योंकि यह उनके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रश्न था। भले ही इसके लिए वे देश के महान नेताओं की मूर्तियों की नाक हटवाएँ या किसी जिंदा व्यक्ति की नाक ही क्यों न लगवाएँ। मूर्तिकार की नाक इसी में ऊँची रहनी थी कि वह किसी भी तरह मूर्ति को नाक लगा दे। ऐसा न कर पाने पर उसकी नाक दाँव पर लग जाती। लेखक ने अपनी व्यंग्य रचना में नाक को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक मानकर अपनी बात को स्पष्ट किया है कि सभी अपने अहं को ऊँचे स्थान पर प्रतिष्ठित करना चाहते हैं। इसी से उनके नाक की ऊँचाई बनी रह सकती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 8.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता या बच्चे की नाक फिट न हो सकने की बात से लेखक ने यह बताने का प्रयास किया कि सभी भारतीय अपनी मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को सदा ध्यान में रखने वाले थे। उन्होंने किसी दूसरे देश की भूमि पर अपनी नाक स्थापित करने की कभी कोशिश नहीं की थी। इंग्लैंड की सत्ता ही ऐसी थी, जो देश-देश में अपनी नाक को घुसेड़कर अपना प्रभुत्व दिखाना चाहती थी पर इससे उनकी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ी थी; चाहे उन्हें राजनैतिक लाभ उन्हें प्राप्त हुए थे। भारतीय बच्चे भी देश के लिए मर मिटने को तैयार थे। वे देश की स्वतंत्रता चाहते थे, ताकि उनकी नाक ऊँची हो और विदेशी सत्ता की नाक नीची हो।

प्रश्न 9.
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर :
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को केवल इतना ही प्रस्तुत किया कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग रही है।

प्रश्न 10.
‘नयी दिल्ली में सब था… सिर्फ नाक नहीं थी।’ इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
लेखक इस कथन के माध्यम से कहना चाहता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद नई दिल्ली में अब सबकुछ था, केवल जॉर्ज पंचम का अभिमान और मान-मर्यादा की प्रतीक उनकी ऊँची नाक यहाँ नहीं थी। अंग्रेजी राज में उनकी यहाँ तूती बोलती थी; उन्हीं का आदेश चलता था, पर अब इंडिया गेट के निकट लगी उसकी मूर्ति की नाक नहीं बची थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर :
मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति को चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी एक की जिंदा नाक लगाने का जिम्मा लिया था। अखबारों में छप गया था कि उसे जिंदा नाक लगा दी गई। इस कृत्य से भारतवासियों को ऐसा लगा, जैसे उन सबकी नाक कट गई; सबका घोर अपमान हुआ। आज़ाद देश में उस व्यक्ति की मूर्ति को जिंदा नाक लगाई गई, जिसने सारे देश को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ रखा था। इस अपमानजनक घटना के बाद अखबार चुप थे। इस अपमान से पीड़ित होने के कारण उनके पास कहने के लिए कुछ म भी शेष नहीं बचा था।

JAC Class 10 Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इंग्लैंड की रानी के हिंदुस्तान आगमन पर अखबारों में क्या-क्या छप रहा था?
उत्तर :
अखबारों में इंग्लैंड की रानी के हिंदुस्तान आने के उपलक्ष्य में की जाने वाली तैयारियों की ख़बरें छप रही थीं। उनमें रानी के द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों का वर्णन था। रानी की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, नौकरों, बावरचियों, खानसामों और अंगरक्षकों की लंबी-चौड़ी बातों के साथ-साथ शाही महल में पलने वाले कुत्तों की तसवीरें तक अखबारों में छप रही थीं।

प्रश्न 2.
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक कैसे और कहाँ चली गई थी?
उत्तर :
किसी समय दिल्ली में इस विषय पर तहलका मचा था कि हिंदुस्तान को गुलाम बनाने वाले जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक रहे या। न न रहे। इस विषय पर राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किए; नेताओं ने भाषण दिए; गर्मागर्म बहसें हुई और अखबारों के पन्ने रंग दिए गए। कुछ लोग इस पक्ष में थे कि नाक नहीं रहनी चाहिए और कुछ लोग इसके विरोध में थे। आंदोलन को देखते हुए जॉर्ज पंचम की नाक की रक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे। किसी की क्या मजाल कि कोई उनकी नाक तक पहुंच – सकता, पर उन्हीं हथियारबंद पहरेदारों की उपस्थिति में लाट की नाक चली गई। पता नहीं गश्त लगाते पहरेदार की ठीक नाक के नीचे से लाट की नाक को कौन ले गया और कहाँ ले गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 3.
मूर्तिकार लाट की नाक लगाने को तैयार क्यों हुआ?
उत्तर :
मूर्तिकार भारतीय था और हर हिंदुस्तानी की तरह उसमें भी हिंदुस्तानी दिल धड़कता था, पर वह पैसों से लाचार था। खाली पेट व्यक्ति से कौन-सा काम नहीं कराता? इसी विवशता के कारण मूर्तिकार लाट की नाक लगाने को तैयार हो गया था।

प्रश्न 4.
मूर्तिकार ने मूर्ति की नाक के लिए उपयुक्त पत्थर प्राप्त न कर पाने का क्या कारण बताया था?
उत्तर :
मूर्तिकार ने लाट की नाक के लिए उचित पत्थर प्राप्त करने हेतु देश के सारे पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया था; उसने पत्थरों की खादानों में भी खोजबीन की थी। पर जब उसे मूर्ति के लिए उपयुक्त पत्थर नहीं मिला, तो उसने इसका कारण बताया था कि मूर्ति का पत्थर विदेशी है।

प्रश्न 5.
सभापति ने किस आधार पर कहा था कि हम भारतवासियों ने अंग्रेजी सभ्यता को स्वीकार कर लिया है?
उत्तर :
देश की आजादी के बाद भले ही अंग्रेजी शासन हिंदुस्तान से चला गया, पर अंग्रेजी प्रभाव पूरी तरह से यहाँ रह गया। सभापति ने तभी तैश में आकर कहा था कि ‘लानत है आपकी अक्ल पर! विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं-दिल-दिमाग, तौर-तरीके और रहन-सहन, जब हिंदुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?’ अंग्रेजी सभ्यता के प्रभाव के कारण ही शुभचिंतक लाट की टूटी हुई नाक की जगह नई नाक लगवाना चाहते थे।

प्रश्न 6.
जॉर्ज पंचम की नाक की लंबी दास्तान क्या थी?
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की नाक की एक लंबी दस्तान थी। किसी समय इस नाक के लिए बड़े तहलके मचे थे; आंदोलन हुए थे; राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किए थे; चंदा जमा किया था। कुछ नेताओं ने भाषण भी दिया था और गरमागरम बहसें भी हुए थीं। अखबारों में भी खूब छपा था कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 7.
नई दिल्ली की कायापलट क्यों और कैसे हुई ?
उत्तर :
नई दिल्ली की कायापलट इसलिए हो रही थी, क्योंकि इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत की यात्रा पर आ रही थी। भारतीय राजनेता उनके शाही सम्मान की तैयारी में जुटे थे, इसलिए नई दिल्ली की सड़कें जवान हो रही थीं; उनके बुढ़ापे की धूल साफ़ हो रही थी। इमारतों को सजाया जा रहा था।

प्रश्न 8.
मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को किन-किन भारतीय नेताओं की नाक से मिलाया?
उत्तर :
मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को भारत के विभिन्न नेताओं की नाक से मिलाया था। इनमें शिवाजी, तिलक, गोखले, जहाँगीर, दादा भाई नौरोजी, गुरुदेव रवींद्रनाथ, सुभाषचंद बोस, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, विट्ठल भाई पटेल, राजा राममोहन राय, मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, भगतसिंह आदि थे।

प्रश्न 9.
मूर्तिकार ने अंत में परेशान होकर क्या योजना बताई ?
उत्तर :
मूर्तिकार ने अंत में परेशान होकर कहा कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति को नाक लगाना आवश्यक है, इसलिए चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी एक की जिंदा नाक काटकर मूर्ति पर लगा दी जाए।

प्रश्न 10.
मूर्तिकार की योजना सुनकर राजनेता क्यों परेशान हो उठे और उन्हें शांत करने के लिए मूर्तिकार ने क्या किया?
उत्तर :
मूर्तिकार की यह योजना सुनकर कि मूर्ति पर जिंदा नाक लगानी होगी, सभी राजनेता और अधिकारी परेशान हो गए। तब मूर्तिकार ने उन सभी को शांत करते हुए कहा कि उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है, वह स्वयं ही किसी की नाक चुन लेगा जो मूर्ति पर सटीक बैठ सके।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा नाक लगाने से पहले क्या इंतजाम किए गए और क्यों?
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा नाक लगाने से पहले मूर्ति के चारों ओर हथियारबंद सैनिक खड़े कर दिए गए। मूर्ति के आसपास जो तालाब था, उसका पानी निकाल दिया गया और उसमें पुनः ताज़ा पानी भरा गया। यह सब इसलिए किया गया ताकि जो जिंदा नाक मूर्ति पर लगने वाली थी, वह किसी भी प्रकार से सूखने न पाए।

प्रश्न 12.
सभापति ने तैश में आकर क्या कहा था?
उत्तर :
सभापति ने तैश में आकर कहा-“लानत है आपकी अक्ल पर! विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं- दिल-दिमाग, तौर-तरीके और रहन-सहन, जब हिंदुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?”

प्रश्न 13.
मूर्तिकार को शहीद बच्चों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी क्यों लगी?
उत्तर :
मूर्तिकार ने महसूस किया कि जॉर्ज पंचम ने भारत को गुलाम बनाया था; इस पर शासन किया था, जबकि बच्चों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इसलिए उसे बच्चों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी लगी।

प्रश्न 14.
पत्रकारिता क्या है?
उत्तर :
पत्रकारिता समाज का दर्पण होती है। वह समाज को नई दिशा प्रदान करती है। समाज की अच्छी-बुरी सोच का निर्धारण पत्रकारिता के द्वारा ही होता है। पत्रकारिता आम जनता तथा युवा पीढ़ी पर अपनी सोच का अनुकूल प्रभाव डालती है।

जॉर्ज पंचम की नाक Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

नई कहानी के सुविख्यात रचनाकार कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी, 1932 ई० को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी कस्बे में हुआ। बचपन में ही इनके पिता का स्वर्गवास हो गया था। मैनपुरी से इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय इलाहाबाद से हिंदी में एम०ए० पास किया। पत्रकारिता से भी इनका विशेष लगाव रहा है। नई कहानी’, ‘सारिका’, ‘दैनिक जागरण’ और ‘दैनिक भास्कर’ का संपादन कमलेश्वर ने बहुत ही कुशलता के साथ किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर इन्होंने अनेक परिचर्चाओं में भी भाग लिया। जीवन के कुछ वर्ष इन्होंने मुंबई की फ़िल्मी दुनिया में व्यतीत किए। वहाँ इन्होंने अनेक फ़िल्मों और दूरदर्शन धारावाहिकों की पटकथाएँ एवं संवाद लिखे। इनकी कहानियों में कस्बे मैनपुरी, इलाहाबाद, दिल्ली और बंबई (मुंबई) जैसे महानगरों का रंग स्पष्ट उभरा है। इनका देहांत 27 जनवरी, 2007 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

रचनाएँ – कमलेश्वर की रचनाएँ निम्नलिखित हैं –

कहानी संग्रह – राजा निरबंसिया, कस्बे का आदमी, मांस का दरिया, बयान, खोई हुई दिशाएँ, तलाश, जिंदा मुर्दे, आधी दुनिया, मेरी प्रिय कहानियाँ आदि।
उपन्यास – काली आँधी, समुद्र में खोया हुआ आदमी, वही बात, एक सड़क सत्तावन गलियाँ, सुबह… दोपहर… शाम, डाक बंगला, कितने पाकिस्तान आदि।
नाटक – चारुलता, अधूरी आवाज़, कमलेश्वर के बाल नाटक आदि।
यात्रावृत्त – खंडित यात्राएँ। संस्मरण-अपनी निगाह में।
समीक्षा – नई कहानी की भूमिका, समांतर सोच, मेरा पन्ना आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ – कमलेश्वर नई कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। इनकी कहानियों में आधुनिक जन-जीवन की विभिन्न विसंगतियों, कुंठाओं, पीड़ाओं और वर्जनाओं का चित्रण यथार्थ के धरातल पर किया गया है। समाज का प्रत्येक पक्ष इनकी कहानियों में मुखरित हुआ है। इनमें आधुनिक समाज में व्याप्त स्वार्थ, घृणा, नफ़रत, घुटन, संत्रास और आत्महत्या जैसी भावनाओं का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

कमलेश्वर ने अपनी कहानियों के माध्यम से आधुनिक मूल्यों की अन्वेषणा की है। इनमें जीवन की त्रासदी उभरकर सामने खड़ी हो। गई है। कहीं-कहीं वे व्यंग्य-शैली के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, पापाचार, संवेदनहीनता तथा आर्थिक विषमताओं का चित्रण बड़ी ही बेबाकी के साथ करते हैं। इनकी कहानियों में आधुनिक जीवन में व्याप्त बनावटीपन और खोखलेपन का पर्दाफ़ाश यथार्थ दृष्टि से हुआ है।

कमलेश्वर मानव मन के कथाकार हैं। कमलेश्वर की कहानियों में सर्वत्र अंतरवंद परिभाषित होता है। इनकी कहानियों में पीड़ाग्रस्त और अभावग्रस्त आम आदमी का चित्रण मनोवैज्ञानिक दृष्टि से हुआ है। आज की भाग-दौड़ और आर्थिक तंगहाली किस प्रकार आम आदमी को परेशान एवं हताश कर रही है, यह चिंतनपरक शैली में प्रस्तुत है। इन्होंने अपनी कहानियों में चित्रित पात्रों के माध्यम से गिरते-पड़ते एवं बेचैन मानव के अंदर एक नई शक्ति का संचार किया है।

आधुनिक जन-जीवन में मानवीय संबंधों में आए बिखराव को कमलेश्वर ने अपनी कहानियों में उकेरा है। पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच बढ़ती दूरी संबंधों में विकेंद्रीकरण की स्थिति उत्पन्न करती है। पति-पत्नी के दांपत्य संबंधों में आपसी टकराव दांपत्य जीवन को नाटकीय बना रहा है। किशोरावस्था में आया चिढ़चिढ़ापन युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर रहा है। मानवीय जीवन में आई इन्हीं सभी विसंगतियों के कारण समाज में बिखराव और टकराव को कमलेश्वर ने अपनी कहानियों में चित्रित किया है।

कमलेश्वर की कहानियों की भाषा परिमार्जित है, जिसमें उर्दू, अंग्रेजी तथा आंचलिक शब्दों का प्रयोग हुआ है। मुहावरों के सटीक प्रयोग से इनकी भाषा प्रवाहमयी हो गई है। इनकी अधिकांश कहानियाँ वर्णनात्मक और आत्मकथात्मक-शैली में लिखी गई हैं। अपनी लेखन शैली में वे लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता से अधिक काम लेते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

पाठ का सार :

इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिंदुस्तान पधारने वाली थी। सारे देश की अखबारे इस शाही दौरे की खबरों से भरी : थीं। लंदन से उड़ने वाली हर खबर यहाँ सुर्खियों में दिखाई देती थी। इस दौरे के लिए छोटी-से-छोटी बात पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई। थीं। वहाँ का दरजी इस बात से परेशान था कि हंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर महारानी कब-क्या पहनेंगी।

उनके सेक्रेटरी, जासूस और फ़ोटोग्राफर सब भाग-दौड़ में लगे थे। रानी ने चार सौ पौंड खर्च कर हलके नीले रंग का रेशमी सूट बनवाया था, जिसकी खबर भी। अखबारों में छपी थी। रानी की जन्मपत्री और प्रिंस फिलिप के कारनामों के अतिरिक्त अखबारों में उनके नौकरों, बावरचियों, खानसामों, अंगरक्षकों और कुत्तों की तसवीरें छापी गई थीं। दिल्ली में शाही सवारी के आगमन से धूम मची हुई थी।

वहाँ की सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली सड़कें साफ़ हो गईं। इमारतों को सजाया गया, सँवारा गया। पर एक बहुत बड़ी मुश्किल सामने आ गई थी। नई दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक नहीं थी। कई राजनीतिक पार्टियों ने इस मूर्ति को लेकर आंदोलन किए थे; कई प्रस्ताव पास हुए थे, अनेक भाषण : दिए गए थे और गरमागरम बहसें भी हुई थीं कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए।

कुछ लोग इसके पक्ष में थे, तो कुछ विपक्ष में। सरकार ने जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात कर दिए थे। पर हादसा हो ही गया। इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट की नाक अचानक गायब हो गई थी। हथियारबंद पहरेदार अपनी जगह तैनात रहे, गश्त लगती रही पर लाट की नाक चली गई। अब महारानी देश में आ रही थी और लाट की नाक न हो, तो परेशानी होनी ही थी।

देश की भलाई चाहने वालों की एक मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में उपस्थित सभी इस बात से सहमत थे कि लाट की नाक तो होनी ही चाहिए। यदि वह नाक न लगाई गई, तो देश की नाक भी नहीं बचेगी। उच्च स्तर पर सलाह-मशविरे हुए और तय किया गया कि किसी मूर्तिकार से मूर्ति की नाक लगवा दी जाए। मूर्तिकार ने कहा कि नाक तो लग जाएगी, पर उसे पता होना चाहिए कि वह मूर्ति कहाँ बनी थी, कब बनी थी और इसके लिए पत्थर कहाँ से लाया गया । था। पुरातत्व विभाग से जानकारी मांगी गई, पर वहाँ से इस बारे में कुछ पता नहीं चला।

मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि वह देश के हर पहाड़ पर जाएगा और वैसा ही पत्थर ढूँढ़कर लाएगा, जैसा मूर्ति में लगा था। हुक्कामों से आज्ञा मिल गई। मूर्तिकार हिंदुस्तान के सभी पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे पर निकल गया, पर कुछ दिनों बाद खाली हाथ लौट आया। उसे वैसा पत्थर नहीं मिला। उसने कह दिया कि वह पत्थर विदेशी है। मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि देश में नेताओं की अनेक मूर्तियाँ लगी है। यदि उनमें से किसी एक की नाक लाट की मूर्ति पर लगा दी जाए। तो ठीक रहेगा।

सभापति ने सभा में उपस्थित सभी लोगों की सहमति से ऐसा करने की आज्ञा दे दी, पर साथ ही उन्हें सावधान रहने की बात भी समझा दी ताकि यह खबर अख़बार वालों तक न पहुँचे। मूर्तिकार ने फिर देशभर का दौरा किया। जॉर्ज पंचम की खोई हुई नाक का नाप उसके पास था। उसने दादा भाई नौरोजी, गोखले, तिलक, शिवाजी, कॉवस जी जहाँगीर, गांधीजी, सरदार पटेल, महादेव देसाई, गुरुदेव रवींद्रनाथ, सुभाषचंद्र बोस, राजा राममोहन राय, चंद्रशेखर आजाद, बिस्मिल, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, सत्यमूर्ति, लाला लाजपत राय, भगतसिंह आदि सबकी मूर्तियों को भली-भाँति देखा-परखा। सभी के नाक की नाप लो, पर सबकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी।

थी। वे इस पर फिट नहीं बैठती थी। इस बात से बड़े हुक्कामों में खलबली मच गई। अगर जॉर्ज की नाक न लग पाई, तो रानी के स्वागत का कोई मतलब नहीं था। मूर्तिकार ने फिर एक सुझाव दिया। एक ऐसा सुझाव, जिसका पता किसी को नहीं लगना चाहिए था। देश की चालीस करोड़ जनता में से किसी की जिंदा नाक काटकर मूर्ति पर लगा देनी चाहिए। यह सुनकर सभापति परेशान हुआ, पर मूर्तिकार को इसकी इजाजत दे दी गई।

अखबारों में केवल इतना छपा कि ‘नाक का मसला हल हो गया है और इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग रही है।’ नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती हुई। मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ़ किया गया। उसकी रवाब निकाली गई और ताजा पानी डाला गया, ताकि लगाई जाने वाली जिंदा नाक सूख न जाए। वह दिन आ गया जब अख़बारों में छप गया कि जॉर्ज पंचम के जिंदा नाक लगाई गई है, जो बिलकुल पत्थर की नहीं लगती।

उस दिन अखबारों में किसी प्रकार के उल्लास और उत्साह की खबर नहीं छपी; किसी का ताजा चित्र नहीं छपा। ऐसा लगता था कि जैसे जॉर्ज पंचम को जिंदा नाक लगाने से सारे देशवासियों की नाक कट गई थी। जिन विदेशियों ने हमारे देश को इतने लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखा था, उनकी नाक के लिए हम अपनी नाक कटवाने को क्यों तैयार रहते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

कठिन शब्दों के अर्थ :

मय – के साथ। पधारने – सम्मान सहित आने। तूफानी दौरा – जल्दबाज़ी में किया गया भ्रमण। बावरची – रसोइए। बेसाख्ता – स्वाभाविक रूप से। खुदा की रहमत – ईश्वर की दया। काया पलट – पूरी तरह से परिवर्तन। करिश्मा – जादू। नाज़नीनों – कोमलांगी। दास्तान – कहानी, गाथा। तहलका – शोर शराबा, फ़साद। खामोश – चुप्प, शांत। एकाएक – अचानक। लाट – खंभा, मूर्ति। खेरख्वाहों – भलाई चाहने वाले। उच्च स्तर – ऊँचा दरजा। फौरन – शीघ्र। हाज़िर – उपस्थित। लाचार – परेशान। हुक्कामों – स्वामियों। ताका – देखा। मसला – विषय, समस्या। खता – अपराध, गलती। दारोमदार – किसी कार्य के होने या न होने की पूरी ज़िम्मेदारी, कार्यभार। किस्म – प्रकार। बदहवासी – परेशानी। परिक्रमा – चारों ओर का चक्कर। हैरतअंगेज ख्याल – आश्चर्यचकित करने वाला विचार। सन्नाटा – पूर्ण शांति। खामोशी – चुप्पी। कानाफूसी – फुसफुसाहट, धीमे स्वर में बातचीत। इजाज़त – आज्ञा। हिदायत – सलाह, सावधानी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

JAC Class 10 Hindi बिहारी के दोहे Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है?
अथवा
बिहारी के दोहों के आधार पर ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गर्मी और दोपहरी का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
अथवा
बिहारी ने ग्रीष्म ऋतु की तुलना किससे की है?
उत्तर :
कवि ग्रीष्म ऋतु की तपोवन से तुलना करते हुए कहता है कि जून के महीने में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। उस समय ऐसा लगता है, जैसे चारों ओर अंगारे बरस रहे हों। गर्मी की ऐसी भयंकरता को देखकर लगता है कि शायद छाया भी छाया की तलाश में है। उस समय छाया घने जंगलों में अथवा घरों के अंदर होती है। छाया भी गर्मी से परेशान होकर छाया की तलाश में भटकती दिखाई देती है।

प्रश्न 2.
बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’- स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नायिका परदेस गए नायक को प्रेम-पत्र लिखती है। वह विरह की अत्यधिक पीड़ा के कारण कागज़ पर लिखने में स्वयं को असमर्थ पाती है। किसी अन्य के माध्यम से नायक को संदेश भेजने में उसे लज्जा आती है। ऐसे में वह कहती है कि अब उसे किसी साधन की आवश्यकता नहीं है। नायक का हृदय ही उसे नायिका के हृदय की विरह व्यथा का आभास करवा देगा। वह ऐसा इसलिए कहती है, क्योंकि वह नायक से सच्चा प्रेम करती है और यदि नायक भी उसे समान सच्चा प्रेम करता होगा तो उसका हृदय भी विरह की अग्नि में जल रहा होगा। ऐसे में वह अपने हृदय की पीड़ा से नायिका के हृदय की पीड़ा का सहज ही अनुमान लगा लेगा।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

प्रश्न 3.
सच्चे मन में राम बसते हैं-दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बिहारी ने ईश्वर प्राप्ति में किन साधनों को साधक और किनको बाधक माना है?
अथवा
‘सच्चे मन में ईश्वर बसते हैं। इस भाव में बिहारी के दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि का मत है कि बाह्य आडंबरों से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। मनकों की माला का जाप करने, रंगे वस्त्र पहनने और तिलक लगाने से ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता। जो व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर को याद करता है, ईश्वर उसी पर प्रसन्न होते हैं। छल-कपटपूर्ण आचरण करने वाला व्यक्ति कितनी भी भक्ति कर ले, ईश्वर को नहीं पा सकता। ईश्वर तो सच्चे हृदय वाले व्यक्ति के मन में निवास करते हैं।

प्रश्न 4.
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं ?
उत्तर :
गोपियों को श्रीकृष्ण की बाँसुरी से विशेष ईर्ष्या है। एक बार बाँसुरी हाथ में आने पर श्रीकृष्ण गोपियों को भूल जाते हैं। वे बाँसुरी बजाने में इतने खो हो जाते हैं कि गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते। गोपियाँ चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उनसे प्रेमपूर्ण बातचीत करें और इसलिए वे बाँसुरी को छिपा देती हैं। वे जानती हैं कि श्रीकृष्ण बाँसुरी के विषय में अवश्य पूछेगे और इस प्रकार वे श्रीकृष्ण से बातचीत करने का आनंद प्राप्त कर सकती हैं।

प्रश्न 5.
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
नायक और नायिका एक ऐसे स्थान पर बैठे हैं, जहाँ बहुत-से लोग हैं। नायक नायिका से बातचीत करना चाहता है, किंतु लोगों की उपस्थिति में यह संभव नहीं था। ऐसे में नायक और नायिका आँखों के संकेतों से सारी बात कर लेते हैं। नायक आँखों के संकेत से नायिका को कुछ कहता है। नायिका आँखों के संकेत से मना कर देती है। नायिका के मना करने के सरस ढंग पर नायक प्रसन्नता व्यक्त करता है, तो नायिका झूठी खीझ व्यक्त करती है। थोड़ी देर में उनके नेत्र पुनः मिलते हैं, तो दोनों खिल उठते हैं और शरमा जाते हैं। इस प्रकार नायक और नायिका सभी की उपस्थिति में बातचीत भी कर लेते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

प्रश्न 6.
बिहारी ने ‘जगतु तपोबन सौ कियौ’ क्यों कहा है?
उत्तर :
ग्रीष्म ऋतु में जंगल तपोवन जैसा पवित्र बन जाता है क्योंकि शेर, हिरण, मोर साँप जैसे हिंसक जीव भी परस्पर शत्रुता भूलकर एक साथ रहने लगते हैं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न :
1. मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यो प्रभात।
2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निराघ।
3. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥
उत्तर :
1. कवि के अनुसार श्रीकृष्ण के नीले शरीर पर पीले वस्त्र ऐसे सुशोभित हैं, जैसे नीलमणि पर्वत पर सूर्य की पीली किरणें फैली हों अर्थात् प्रात:कालीन धूप फैली है।
2. इन पंक्ति के अनुसार ग्रीष्म ऋतु की गर्मी ने जंगल को तपोवन जैसा पवित्र बना दिया है। हिंसा की जगह सभी में आपसी प्रेम, सौहार्द्र और मित्रता का भाव उत्पन्न हो गया है। शेर, हिरण, मोर, साँप आदि जीव शत्रुता भूलकर एक साथ गर्मी को सहन कर रहे हैं।
3. कवि कहता है कि हाथ में माला लेकर जपने से, छपे वस्त्र पहनने से या तिलक लगाने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। चंचल मन से ईश्वर भक्ति करना केवल आडंबर है। कवि ने इन्हें व्यर्थ के नृत्य कहा है। उसके अनुसार ईश्वर की प्राप्ति केवल सच्चे हृदय वाले लोगों को ही होती है। नि:स्वार्थ भक्ति ही ईश्वर को प्रिय है।

योग्यता विस्तार –

प्रश्न :
सतसैया के दोहरे ज्यौं नावक के तीर।
देखन में छोटे लगें घाव करैं गंभीर।
अध्यापक की मदद से बिहारी विषयक इस दोहे को समझने का प्रयास करें। इस दोहे से बिहारी की भाषा संबंधी किस विशेषता का पता चलता है।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

परियोजना कार्य –

प्रश्न :
बिहारी कवि के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi बिहारी के दोहे Important Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
बिहारी ने अपने दोहों में बाह्याडंबरों का खुलकर विरोध किया है, क्यों?
उत्तर :
बिहारी के ऐसे अनेक दोहे हैं, जिनमें भक्ति-भावना का चित्रांकन किया गया है। उन्होंने भक्ति के सरल, दास्य और माधुर्य भावों का उल्लेख किया है किंतु उनकी भक्ति आडंबर रहित है। बिहारी ने बाह्याडंबरों का खुलकर खंडन किया है, क्योंकि उनका मानना है कि बाह्याडंबरों से भक्ति कलुषित हो जाती है; भक्त का ध्यान भटक जाता है। उन्होंने भक्ति के लिए मन की पवित्रता पर बल दिया है। वे बायाडंबरों को भक्ति-मार्ग में बाधक और व्यर्थ मानते हैं। उनका कहना है कि जपमाला रटने, तिलक लगाने आदि आडंबरों से कोई भी कर्म पूर्ण नहीं होता।

जपमाला, छाएँ, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

प्रश्न 2.
बिहारी की नायिका कागज़ पर संदेश लिखने में भी क्यों असहाय है?
उत्तर :
बिहारी की नायिका कागज़ पर संदेश लिखने में असहाय है, क्योंकि वह अपने प्रियतम की विरह-व्यथा से अत्यंत पीड़ित है। वह उसकी राह देखते-देखते अत्यंत कमज़ोर और शक्तिहीन हो गई है। उसे अपने प्रियतम से मिलने की निरंतर व्याकुलता व्यथित कर रही है। अब उसमें थोड़ी-सी भी शक्ति नहीं बची कि वह कागज़ पर संदेश लिख सके।

प्रश्न 3.
बिहारी ने लोगों से भरे भवन में भी नायक-नायिका के मिलन का कैसा शब्द-चित्र प्रस्तुत किया है?
उत्तर :
बिहारी श्रृंगार रस के अनूठे कवि हैं। उन्होंने नायक-नायिका के संयोग पक्ष के विविध भावों का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। नायक नायिका लोगों से भरे भवन में आँखों के संकेत के माध्यम से ही सब बातें करते हैं। नायक नायिका को आँखों से संकेत करता है, तो लज्जावश नायिका इनकार कर देती है। नायक उसके इनकार पर भी मुग्ध हो जाता है। इस पर नायिका अपनी खीझ प्रकट करती है। तत्पश्चात दोनों के नेत्र पुनः एक-दूसरे से मिलते हैं। वे दोनों आनंदित हो उठते हैं और लज्जाने लगते हैं।

प्रश्न 4.
बिहारी ने माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ कहकर क्या संदेश देना चाहा है?
उत्तर :
बिहारी ने अपने दोहे में माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ बताया है। उनके अनुसार ये सब बाहरी आडंबर के प्रतीक हैं। मनुष्य को इन आडंबरों को छोड़कर सच्चे हृदय से ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। कवि के अनुसार ईश्वर केवल उसी को प्राप्त होता है, जो सच्चे हृदय से उसका ध्यान करते हैं।

प्रश्न 5.
बिहारी के दोहों’ की रचना मुख्यतः किन भावों पर आधारित हैं? उनके मुख्य ग्रंथ और भाषा के नाम का उल्लेख , कीजिए।
उत्तर :
बिहारी के दोहे मुख्य रूप से श्रृंगारी, नीतिपरक और भक्ति से संबंधित और जीवन के व्यावहारिक पक्षों से जुड़े हुए हैं। इनका मुख्य ग्रंथ ‘बिहारी सतसई’ है। इनकी भाषा ब्रज है, जिसमें अन्य स्थानीय, उर्दू, फारसी के शब्दों का भी कहीं-कहीं प्रयोग मिलता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

प्रश्न 6.
(क) “बिहारी के दोहे’ के आधार पर लिखिए कि किन प्राणियों में स्वाभाविक बैर है? वे आपसी बैर कब और क्यों भूल जाते हैं?
(ख) “बिहारी के दोहे’ के आधार पर लिखिए कि माला जपने और तिलक लगाने से क्या होता है? ईश्वर किससे प्रसन्न रहते हैं?
उत्तर :
(क) साँप, मोर, हिरण और बाघ में स्वाभाविक रूप से बैर है परंतु लंबी ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी ने सारे जंगल को तपोवन जैसा बना दिया है जिस कारण वे अपनी स्वाभाविक दुश्मनी भूलकर मिल-जुलकर रहने लगे हैं।

(ख) हाथ में माला ले कर जपने और तिलक लगाने मात्र से ईश्वर-भक्ति का कार्य पूरा नहीं होता, इससे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती, क्योंकि मन तो अस्थिर था। सच्चे मन से ईश्वर पर विश्वास रखते हुए उनका नाम स्मरण करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं।

बिहारी के दोहे Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन – बिहारी हिंदी साहित्य के रीतिकाल के कवियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। वे मुख्य रूप से श्रृंगारी कवि हैं। उनका जन्म ग्वालियर के वसुआ गोविंदपुर गाँव में सन 1595 ई० में हुआ था। वे राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे और उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने ‘सतसई’ की रचना की। बिहारी राज्याश्रित होते हुए भी स्वतंत्र प्रकृति के कवि थे। अतः उन्होंने कोई भी प्रशंसात्मक काव्य नहीं लिखा। 1663 ई० में उनका देहांत हो गया।

रचनाएँ – बिहारी ने अपनी सारी प्रतिभा एक ही पस्तक के निर्माण में लगा दी, जो साहित्य जगत में ‘बिहारी सतसई’ या ‘सतसैया’ नाम से विख्यात है। इसमें लगभग 719 दोहे संग्रहीत हैं। प्रत्येक दोहे के भाव गांभीर्य को देखकर पता चलता है कि बिहारी में गागर में सागर भरने की क्षमता थी। उन्होंने अपने एक ही दोहे के प्रभाव से राजा जयसिंह को सचेत कर दिया था। राजा जयसिंह आरंभ में विलासी राजा था। वह अपनी नव-विवाहिता पत्नी पर इतना आसक्त हुआ कि उसने राज-दरबार के कामों से मुँह मोड़ लिया। लेकिन बिहारी के निम्नलिखित दोहे ने राजा जयसिंह की आँखें खोल दीं नहिं पराग

नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अलि कलि ही सौं बिंध्यो, आगे कौन हवाल॥

साहित्यिक विशेषताएँ-बिहारी ने अपनी सतसई की रचना मुक्तक शैली में की है। इसमें श्रृंगार, भक्ति एवं नीति की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। सभी आलोचकों ने सतसई के महत्व को स्वीकार किया है। बिहारी को श्रृंगार रस के चित्रण में अधिक सफलता प्राप्त हुई है। श्रृंगार रस के दोनों पक्षों संयोग एवं वियोग पर बिहारी ने दोहों की रचना की है। राधा एवं कृष्ण की प्रेम-क्रीड़ा का वर्णन कितना स्वाभाविक है –

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करें भौंहनु हँसे, दैन कहैं नटि जाय॥

संयोग के समान बिहारी का वियोग वर्णन भी अनूठा है, पर कहीं-कहीं अतिशयोक्ति के प्रभाव ने अस्वाभाविकता ला दी है –

इति आवति चली जाति उत, चली छः सातक हाथ।
चढ़ी हिंडौर सी हैं, लगी उसासनु साथ ॥

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

बिहारी ने सतसई में प्रकृति के सौंदर्य का भी चित्रण किया है। इस सौंदर्य में ऋतु वर्णन का विशेष महत्व है। वसंत ऋतु की मादकता का चित्रण देखिए –

छकि रसाल सौरभ सने, मधुर माधुरी गंध।
ठौर ठौर झारत झंपत, भौंर-झऔर मधु अंध॥

बिहारी भक्ति-भावना से भी प्रेरित रहे हैं। उनके बहुत-से दोहों में दीनता एवं विनय का भाव व्यक्त हुआ है –

कब को टेरत दीन ह्वै, होर न स्याम सहाइ।
तुमहूं लागी जगत गुरु, जग नाइक जग बाइ॥

बिहारी ने ब्रजभाषा को अपनाया है। भाषा पर उनका पूरा अधिकार है। इसका चित्रण बड़ा सुंदर एवं स्वाभाविक है। बिहारी के प्रत्येक दोहे में किसी-न-किसी अलंकार का प्रयोग हआ है। शुक्ल जी के अनुसार, “बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है। वाक्य-रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूपों का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है। ब्रजभाषा के अनेक कवियों ने शब्दों को तोड़-मरोड़ कर उन्हें विकृ कर दिया है। परंतु बिहारी की भाषा इस दोष से मुक्त है।” बिहारी की भाषा पर बुंदेलखंडी तथा अरबी-फारसी के शब्दों का भी प्रभाव है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

दोहों का सार –

अपनी शत्रुता को त्यागकर एक साथ छाया में एकत्रित हो गए हैं। उन्हें देखकर जंगल भी तपोवन के समान प्रतीत होता है। तीसरे दोहे में गो उनसे बाँसुरी माँगते हैं, तो वे मना कर देती हैं। मना करते समय उनका भौंहों से हास्य प्रकट करना श्रीकृष्ण को संदेह में डाल देता है और वे पुनः अपनी बाँसुरी मांगने लगते हैं। चौथे दोहे में नायक और नायिका की संकेतों में बातचीत का वर्णन है। नायक आँखों के संकेतों से नायिका से कुछ कहता है। नायिका उसे मना कर देती है। नायक उसके मना करने के ढंग पर रीझ जाता है, तो नायिका झूठी खीझ प्रकट करती है।

जब दोनों के नेत्र पुनः मिलते हैं, तो दोनों प्रसन्न हो जाते हैं और एक-दूसरे को देखकर लजा जाते हैं। इस प्रकार वे भीड़ भरे भवन में भी बातचीत कर लेते हैं। पाँचवें दोहे में कवि कहता है कि प्रेमियों के नेत्र मिलने पर उनमें प्रेम होता है। वे आपस में तो प्रेम के बंधन में बँध जाते हैं, किंतु परिवार से छूट जाते हैं। उनके इस प्रेम को देखकर दुष्ट लोग कष्ट का अनुभव करते हैं। छठे दोहे में एक सखी द्वारा राधा को समझाने का वर्णन है। राधा श्रीकृष्ण से रूठी हुई है। उसकी सखी उसे समझाती है कि उसके सौंदर्य पर तो उर्वशी नामक अप्सरा को भी न्योछावर किया जा सकता है।

वह तो श्रीकृष्ण के हृदय में उसी प्रकार समाई है, जिस प्रकार उर्वशी नामक आभूषण हृदय पर लगा रहता है। सातवें दोहे में कवि ने गर्मी की भयंकरता का वर्णन किया है। ज्येष्ठ मास में गर्मी की प्रचंडता इतनी अधिक है कि छाया भी छाया की तलाश में है और वह घने जंगल में और घरों में जाकर छिप गई है। आठवें दोहे में विरहणी नायिका की विरह व्यथा को उसी के माध्यम से व्यक्त किया गया है। वह परदेस गए अपने प्रियतम को पत्र लिखने में असमर्थ है और उस तक संदेश भिजवाने में उसे लज्जा आती है।

अंततः वह अपने प्रियतम से कहती है कि तुम अपने ही हृदय से पूछ लेना, वह तुम्हें मेरे दिल की बात कह देगा। नौवें दोहे में कवि ने श्रीकृष्ण से अपने संकट दूर करने की प्रार्थना की है। दसवें दोहे में कवि कहता है कि बड़े लोगों के कार्यों की पूर्ति छोटे लोगों से नहीं हो सकती। विशाल नगाड़ों का निर्माण कभी भी चूहे जैसे छोटे जीव की खाल से नहीं हुआ करता। अंतिम दोहे में बिहारी ने स्पष्ट है उसे सहज ही ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है।

सप्रसंग व्याख्या –

दोहे –

1. सोहत ओ पीतु पटु स्याम, सली. गाता
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु परयौ प्रभात।।

शब्दार्थ : सोहत – शोभा देना। ओढ़े – ओढ़ कर। पीतु पटु – पीले वस्त्र। सली. – साँवले। गात – शरीर। नीलमनि – नीलमणि। सैल – पर्वत, चट्टान। आतपु – धूप।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रीतिकालीन कवि बिहारी द्वारा रचित है। यह दोहा उनके प्रसिद्ध ग्रंथ ‘सतसई’ से लिया गया है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन किया है।

व्याख्या : बिहारी श्रीकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीले वस्त्र अत्यंत सुशोभित हो रहे हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो किसी नीलमणि पर्वत पर प्रात:काल की धूप पड़ रही हो। यहाँ श्रीकृष्ण के साँवले शरीर को नीलमणि पर्वत तथा पीले वस्त्रों को सूर्य की धूप के समान माना गया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

2. कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ ।
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ ॥

शब्दार्थ कहलाने – क्यों। एकत – इकट्ठे। बसत – रहते हैं। अहि – साँप। मयूर – मोर। मृग – हिरण। बाघ – शेर। दीरघ – लंबा। दाघ – गर्मी। निदाघ – ग्रीष्म ऋतु।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि बिहारी द्वारा रचित है। यह दोहा बिहारी की प्रसिद्ध रचना ‘सतसई’ से लिया गया है। इसमें उन्होंने ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी का वर्णन किया है। इस दोहे की प्रथम पंक्ति प्रश्न के रूप में है तथा दूसरी पंक्ति में उसका उत्तर है।

व्याख्या : कवि बिहारी स्वयं प्रश्न करते हैं कि किस कारण से साँप, मोर, हिरण और बाघ एक स्थान पर इकट्ठे हो रहे हैं। इस प्रश्न का स्वयं ही उत्तर देते हुए वे कहते हैं कि शायद इसका कारण भयंकर गर्मी का होना है। लंबी ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी ने सारे जंगल को एक तपोवन के समान बना दिया है, जहाँ सारे जीव अपना वैर-भाव भूलकर एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहने लगे हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

3. बतरस-लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ।
सौह करैं भौहनु हैसै, दैन कहैं नटि जाइ॥

शब्दार्थ : बतरस – बातें करने का आनंद। लालच – लोभ। लाल – नायक अर्थात श्रीकृष्ण। मुरली – बाँसुरी। धरी – रख दी। लुकाइ – छिपाकर। सौंह – कसम। भौंहनु हँसै – भौंहों से हास्य व्यक्त करना। नटि जाइ – मना कर देना।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित है। यह उनके प्रसिद्ध ग्रंथ ‘सतसई’ से लिया गया है। इसमें उन्होंने बताया है कि नायिका ने अपने प्रिय से बात करने के लालच में उसकी बाँसुरी छिपा दी। इसके बाद उन दोनों में जो बात हुई, उसे इस दोहे में बताया गया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि नायिका ने श्रीकृष्ण से प्रेम भरी बातचीत का सुख प्राप्त करने के लिए उनकी बाँसुरी कहीं छिपाकर रख दी। श्रीकृष्ण उसे तरह-तरह की कसम देकर अपनी बाँसुरी के विषय में पूछते हैं। नायिका कसम खाकर कहती है कि उसने बाँसुरी नहीं छिपाई। श्रीकृष्ण उसकी बात पर विश्वास कर लेते हैं, किंतु तभी नायिका भौंहें घुमाकर हँसने लगी। श्रीकृष्ण को उस पर संदेह हो गया और वे फिर से उसे अपनी बाँसुरी देने के लिए कहते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

4. कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात।

शब्दार्थ : नटत – इनकार करना। रीझत – मुग्ध होना। खिझत – चिढ़ना। खिलत – प्रसन्न होना। लजियात – लजा जाना, शर्माना। भौन – भवन, घर। नैननु – नेत्रों से।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि बिहारी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने नायक और नायिका की आँखों द्वारा की जाने वाली बातचीत का सुंदर चित्रण किया है। व्याख्या कवि के अनुसार नायक आँखों से कुछ संकेत करके नायिका से कुछ कहता है, परंतु नायिका आँखों के संकेत से ही इनकार कर देती है।

नायिका के इनकार करने का ढंग कुछ ऐसा है कि नायक मुग्ध हो जाता है। यह देखकर नायिका आँख के इशारे से अपनी खीझ प्रकट करती है। उसकी यह खीझ बनावटी है। थोड़ी देर बाद जब पुनः उनकी आँखें मिलती हैं, तो दोनों एक-दूसरे को देखकर खिल उठते हैं और लजा जाते हैं। इस प्रकार भीड़ भरे घर में भी नायक-नायिका आँखों-ही-आँखों में बातचीत कर लेते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

5. बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन-तन माँह।
देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह॥

शब्दार्थ : सघन बन – घने जंगल। पैठि – घुसकर। सदन-तन – घरों में। जेठ – ज्येष्ठ मास, जून का महीना। छाँहौं – छाया भी। छाँह – छाया।

प्रसंग प्रस्तुत दोहा कवि बिहारी द्वारा रचित है, जो उनके प्रसिद्ध ग्रंथ सतसई से लिया गया है। इस दोहे में उन्होंने गर्मी की भयंकरता का सुंदर
चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि जेठ मास की इस दोपहर में भयंकर गर्मी है; छाया भी गर्मी से बचने के लिए छाया चाहती है। इसी कारण छाया या तो घने जंगल में है या घरों के भीतर छिपना चाहती है। भाव यह है कि गर्मी बहुत अधिक है, जिस कारण गर्मी से घबराकर छाया भी छाया ढूँढ़ रही है। वह भी छिपना चाहती है।

6. कागद पर लिखत न बनत, कहत संदेसु लजात।
कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात॥

शब्दार्थ : कागद – कागज़। लिखत न बनत – लिखा नहीं जाता। संदेसु – संदेश। लजात – लज्जा आना। कहिहै – कह देगा। हिय – हृदय।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि बिहारी दवारा रचित है। इस दोहे में उन्होंने एक नायिका की विरह-व्यथा का वर्णन किया है। वह परदेस गए हुए अपने प्रियतम को प्रेम-पत्र लिखना चाहती है, किंतु लिख नहीं पाती।

व्याख्या : नायिका कहती है कि हे प्रियतम! मैं अपनी विरह की पीड़ा को कागज पर लिखने में असमर्थ हूँ। मैं तुम्हें मौखिक रूप से किसी के द्वारा अपना प्रेम-संदेश भी नहीं भिजवा सकती, क्योंकि ऐसा करने में मुझे लज्जा का अनुभव होता है। अतः मैं केवल इतना ही कहना चाहती

हूँ कि तुम अपने ही हृदय से पूछ लेना; वह तुम्हें मेरे हृदय की सब बातें बता देगा। भाव यह है कि तुम्हारी विरह में जैसे मेरा हृदय दुखी है, वैसे ही मेरी विरह में तुम्हारा हृदय भी दुखी होगा। इस प्रकार तुम अपने हृदय से मेरी स्थिति का सहज ही अनुमान लगा सकते हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

7. प्रगट भए द्विजराज-कुल, सुबस बसे ब्रज आइ।
मेरे हरौ कलेस सब, केसव केसवराइ॥

शब्दार्थ : प्रगट भए – उत्पन्न हुए। द्विजराज-कुल – ब्राह्मण वंश, चंद्र वंश। सुबस – अपनी इच्छा से। हरौ – दूर करो। कलेस – कष्ट, दुख। केसव – श्रीकृष्ण। केसवराइ – केशवराय, बिहारी के पिता।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि बिहारी द्वारा रचित है। इस दोहे में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का रूपक अपने पिता केशवराय से करके उनसे अपने कष्टों का निवारण करने की प्रार्थना की है।

व्याख्या : उनसे कवि कहता है कि हे श्रीकृष्ण! आपने चंद्रवंश में जन्म लिया है और आप अपनी इच्छा से ही ब्रज में आकर बस गए हैं। ब्रज में बसे हुए केशवराय रूपी केशव! मेरी प्रार्थना है कि आप मेरे सभी संकटों और दुखों को दूर करो। भाव यह है कि आप सर्वशक्तिमान हैं, अतः मेरे कष्टों का भी निवारण करो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 बिहारी के दोहे

8. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥

शब्दार्थ : जपमाला – माला द्वारा ईश्वर के नाम का जाप करना। छापा – ईश्वर नाम के छपे हुए वस्त्र पहनना। सरै – पूरा होना। मन-काँचै – कच्चे मन वाला, अस्थिर मन वाला। नाचै – नाचना। बृथा – बेकार में। साँचै – सच्चे मन वाला। राँचै – प्रसन्न होना।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित ‘सतसई’ में से लिया गया है। इसमें उन्होंने बाह्य आडंबरों के स्थान पर सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करने पर बल दिया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि हाथ में माला लेकर निरंतर जाप करने से, ईश्वर नाम के छपे वस्त्र पहनने से तथा तिलक लगाने से ईश्वर-भक्ति का कार्य पूरा नहीं होता। यदि मनुष्य का मन अस्थिर है और उसके मन में ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास नहीं है, तो उसका भक्ति में नाचना भी व्यर्थ है। इसके विपरीत जो व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर पर विश्वास करके भक्ति करते हैं, भगवान उन्हीं पर प्रसन्न होते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

JAC Class 10 Hindi माता का आँचल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?
उत्तर :
माँ बच्चे की जन्मदाता तथा पालन-पोषण करने वाली होती है। स्वाभाविक रूप से बच्चा माँ से अधिक लगाव रखता है। माँ भी एक बाप की अपेक्षा हृदय से अधिक प्यार-दुलार करती है। वह बाप की अपेक्षा बच्चों की भावनाओं को अधिक अच्छे ढंग से समझ लेती है। माँ का अपने बच्चे से आत्मिक प्रेम होता है। बच्चा चाहकर भी माँ की ममता को नहीं भुला सकता। यह भी सत्य है कि एक बाप अपने बच्चों को बहुत अधिक प्यार तो दे सकता है, लेकिन एक माँ का हृदय वह कभी प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए प्रस्तुत पाठ में पिता से अधिक लगाव होने पर भी बच्चा विपदा के समय पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।

प्रश्न 2.
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर :
मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी आयु तथा प्रकृति के लोगों के साथ अधिक जुड़ा रहता है। वह मन से उनकी संगति लेना चाहता है। उनकी संगति में आकर उसके दुख, रोग आदि सब मिट जाते हैं। विशेषकर बच्चा अपने जैसे साथियों की संगति अवश्य चाहता है, क्योंकि उनके बिना उसकी अठखेलियाँ और मौज-मस्ती अधूरी रह जाती हैं। वह अपनी संगति में आकर अपने सारे सुख-दुख भूल जाता है। इसलिए भोलानाथ भी अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 3.
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर :
(i) अक्कड़-बक्कड़ बंबे बो,
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
सौ पे लगा धागा,
चोर निकलकर भागा।

(ii) पौशम पा भई पौशम पा
डाकिए ने क्या किया
सौ रुपये की घड़ी चुराई
अब तो जेल में जाना पड़ेगा
जेल की रोटी खानी पड़ेगी।
जेल का पानी पीना पड़ेगा।

प्रश्न 4.
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
अथवा
माता के अँचल पाठ में वर्णित खेलों से आज के खेल कितने अलग हैं, उसका तुलनातमक वर्णन कीजिए।
उत्तर :
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है –
(i) भोलानाथ और उसके साथी तमाशे, नाटक, चिड़ियाँ पकड़ना, घर बनाना, दुकान लगाना आदि खेल खेला करते थे।
हम क्रिकेट खेलना, कार्टून देखना, साइकिल दौड़ाना, सवारी करना, तैरना आदि खेल खेलते हैं।
(ii) भोलानाथ और उसके साथी चबूतरा, चौकी, सरकंडे, पत्ते, गीली मिट्टी, फूटे घडे के टुकडे, ठीकरे आदि सामग्री का प्रयोग करते थे। हम साइकिल, रस्सी, टी०वी०, कंप्यूटर, इंटरनेट, पेन, पेंसिल आदि सामग्री का प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 5.
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?
उत्तर :
1. देखिए, मैं खिलाती हूँ। मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए और महतारी के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है। यह कहकर वह थाली में दही-भात सानती और अलग-अलग तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जाएँगे; पर हम उन्हें इतनी जल्दी उड़ा जाते थे कि उड़ने का मौका ही नहीं मिलता।

2. एक टीले पर जाकर हम लोग चूहों के बिल में पानी डालने लगे। नीचे से ऊपर पानी फेंकना था हम सब थक गए। तब तक गणेशजी के चूहे की रक्षा के लिए शिवजी का साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते हम लोग बेतहाशा भाग चले।

3. इसी समय बाबूजी दौड़े आए। आकर झट हमें मइयाँ की गोद से अपनी गोद में लेने लगे पर हमने मइयाँ के आँचल की प्रेम और शांति के चँदोवे की छाया न छोड़ी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 6.
इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर :
आज की ग्रामीण संस्कृति में हमें अनेक तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं –

  • आज के ग्रामीण परिवेश में बच्चों के परस्पर स्नेह में बँधे हुए झुंड दिखाई नहीं देते।
  • बच्चे बाहर खेलने की अपेक्षा अपने घरों में अधिकांश बँधे रहते हैं।
  • खेलने के लिए पहले जैसे खुले मैदान नहीं रहे।
  • आज उनके खेल तथा खेलने की सामग्री भी बदल चुकी है।
  • आज के बच्चे क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं, मिट्टी आदि के ढेलों से नहीं।

प्रश्न 7.
पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर :
बचपन में हमें भी सुबह-सवेरे माँ बड़े प्यार से जगाया करती थी। जल्दी-जल्दी नहला-धुलाकर तथा साफ़ कपड़े पहनाकर फिर हमें खेलने के लिए छोड़ देती थीं। पिताजी हमें अपने कंधे पर बिठाकर दूर तक झुलाया करते थे। कभी-कभी आँगन में अपनी पीठ पर बैठाकर घोड़े की तरह झुला दिया करते थे। कभी-कभी वे हमें अपने साथ लेकर नदी में नहलाने के लिए ले जाते थे और अपनी गोदी में लेकर पानी में खूब डुबकियाँ लगाते थे। कई बार पिताजी हमें अपने साथ खेतों में घुमाया करते थे। माँ अपने आँचल में बिठाकर हमें दूध पिलाया करती; भोजन खिलाती थीं। पेट भर जाने पर भी हमसे और खाने के लिए कहती थीं। बच्चों के साथ बाहर खेलने जाते तो बड़े प्यार से समझा-बुझाकर भेजती थीं। अनेक नसीहतें देती थीं।

प्रश्न 8.
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
प्रस्तुत पाठ में बच्चे के प्रति माता-पिता के वात्सल्य का सजीव वर्णन किया गया है। बच्चे का माँ के आँचल में खेलना, माँ द्वारा सुबह बच्चे को नहला-धुलाकर तथा कपड़े आदि पहनाकर खेलने भेजना, पूजा-पाठ आदि करके उसके माथे पर तिलक लगाना आदि का सजीव चित्रण हुआ है। बच्चे का अपने पिता की मूंछों के साथ खेलने का अनूठा वर्णन हुआ है। पिता बच्चों को अपने कंधों पर झुला-झुलाकर उनका मन बहलाता है; उनके साथ कुश्ती करता है। बच्चों का मन खुश करने हेतु हार जाता हैं, जिससे बच्चे खिलखिलाकर हँस पड़ते हैं। माँ बच्चों को तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम देकर उन्हें भोजन खिलाती है। बच्चों को थोड़ी-सी चोट लगने पर माता-पिता दुखी हो जाते हैं। माँ अपने बच्चे को अपने आँचल में छिपाकर उनसे प्यार करती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 9.
‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर :
‘माता का अँचल’ पाठ के माध्यम से लेखक ने माँ के आँचल के प्रेम एवं शांति का वर्णन किया है। लेखक और उसका भाई वैसे तो अधिकतर अपने पिता के साथ रहते हैं। उनके पास सोते हैं, लेकिन जो प्यार और शांति उन्हें माँ के आँचल में मिलती है वैसी पिता के साथ नहीं मिलती। माँ अपने बच्चों को नहला-धुलाकर, कुरता-टोपी, तिलक आदि लगाकर बाहर खेलने के लिए भेजती है। पिता के द्वारा रोटी खिलाने पर भी माँ बच्चों को कबूतर, तोता, मैना आदि के बनावटी नाम देकर रोटी खिलाती है।

पाठ के अंत में भी जब बच्चे साँप से भयभीत होकर घर पहुँचते हैं, तो वे अपनी माँ के आँचल में छिप जाते हैं। उन्हें हुक्का गुड़गुड़ाते हुए पिता अनदेखा कर देते हैं। माँ ही अपने आँचल में लेकर बच्चों की चोट पर हल्दी का लेप लगाती है। काँपते होंठों को बार-बार देखकर उन्हें गले लगा लेती है। उसी समय बाबूजी माँ की गोद से बच्चों को लेना चाहते हैं, लेकिन बच्चे अपनी माता के अँचल की प्रेम और शांति की छाया को नहीं छोड़ते। संभवतः माता का अँचल एक उपयुक्त शीर्षक है। इसका अन्य शीर्षक ‘बचपन’ हो सकता है।

प्रश्न 10.
बच्ने माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ?
उत्तर :
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को अपनी क्रीड़ाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं। वे अपने मन की भावनाओं को अपनी क्रीड़ा के माध्यम से प्रकट करते हैं। उनकी भावनाएँ ही उनके प्रेम का प्रतीक होती हैं। वे कभी नाराज़, तो कभी प्रसन्न होकर अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 11.
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है, वह हमारे बचपन की दुनिया से पूर्णतः भिन्न है। हमारी दुनिया में परस्पर स्नेह भाव, दोस्ती, विचारों के आदान-प्रदान आदि की कमी है। आज मित्र-मंडली जैसा शब्द भी खो गया सा लगता है, जिसमें परस्पर प्रेमभाव से भरकर, मस्ती में चूर होकर कहीं बाहर खेलने जाए। फिर पहले की अपेक्षा आज की दुनिया में प्राकृतिक खेलों का चलन कम हो गया है और कृत्रिम खेल व सामग्री का चलन बढ़ा है।

आज की दुनिया कृत्रिम उपादानों से घिरी हुई है। उसमें स्वाभाविकता छिप गई है। तमाशे करना, नाटक खेलना, मिट्टी का घर बनाना, चिड़ियों संग खेलना आदि प्राकृतिक खेल तथा सामग्री अब कहीं नहीं मिलती। अब तो हमारी दुनिया कंप्यूटर, टी० वी०, क्रिकेट आदि में उलझकर रह गई है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 12.
फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आंचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर :
फणीश्वर नाथ रेणु हिंदी साहित्य के महान आंचलिक कथाकार हैं। नागार्जुन भी प्रमुख आंचलिक लेखक माने जाते हैं। विद्यार्थी इनकी रचनाएँ पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।

JAC Class 10 Hindi माता का आँचल Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘जहाँ बुड्ढों का संग, तहाँ खर्चे का तंग’ प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से समाज में बुजुर्गों की निरंतर उपेक्षा की ओर संकेत किया गया है, कैसे?
उत्तर :
यह सत्य है कि आज के आधुनिक युग में मनुष्य पहले की अपेक्षा अधिक लालची, सीमित तथा स्वार्थी हो गया। उसमें नैतिकता, परस्पर स्नेह, बुजुर्गों का सम्मान, पारिवारिक देखभाल आदि जीवन मूल्य समाप्त हो गए हैं। इसलिए आज वह अपने बुजुर्गों की अपनी मौज-मस्ती में चूर है। बुजुर्ग इसी उपेक्षा के शिकार होकर खर्चे की तंगी के कारण अपना विडंबनापूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं। लेखक ने इस पंक्ति के माध्यम से जहाँ बुजुर्गों के उपेक्षित जीवन के प्रति चिंता व्यक्त की है, वहीं आज के युवा समाज पर कटु व्यंग्य भी किए हैं।

प्रश्न 2.
तारकेश्वर नाथ का नाम ‘भोलानाथ’ कैसे पड़ा?
उत्तर :
बाबूजी सुबह-सवेरे अपने साथ-साथ लेखक तथा उसके भाई को भी उठा दिया करते थे और अपने साथ उन्हें भी नहला-धुलाकर पूजा पर बिठा लिया करते थे पूजा के पश्चात बाबूजी अपने दोनों बेटों के चौड़े मस्तक पर अर्ध चंद्राकार की रेखाएँ बना देते थे। उनके सिर पर लंबी-लंबी जटाएँ थीं। अतः उनके मस्तक पर भभूत बहुत अच्छी लगती थी। इस प्रकार भोले के समान वेश होने के कारण तारकेश्वरनाथ का नाम भोलानाथ पड़ गया।

प्रश्न 3.
‘मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए।’ इस पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक ने पुरुष समाज पर व्यंग्य किया है। यह सत्य है कि नारी की अपेक्षा पुरुष के अंदर वात्सल्य भावना बहुत कम होती है। माँ के रूप में नारी एक बच्चे को जो लाड़-प्यार दे सकती है, वैसा पिता के रूप में पुरुष नहीं दे सकता। पिता की अपेक्षा माँ बच्चों के मन को झाँककर देख लेती है। वह भावनात्मक रूप से बच्चों के साथ जुड़ी रहती है। इसलिए वह बच्चों की भावनाओं को शीघ्रता से समझ लेती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 4.
पाठ में बच्चों द्वारा जो घरौंदा बनाया था, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
लेखक की मित्र-मंडली ने जो घरौंदा बनाया था, उसमें धूल की मेंड़ से दीवार बनाई गई और तिनकों का छप्पर। उसमें दातुन के खंभे तथा दियासलाई की पेटियों के किवाड़ लगाए गए। उसके अंदर घड़े के मुँहड़े की चूल्हा-चक्की, दीये की कड़ाही और बाबूजी की पूजा वाली कलछी बनाई गई। घर में पानी का घी, धूल के पिसान और बालू की चीनी से मित्र-मंडली भोजन करती थी। सब लोग घर के अंदर पंगत में बैठकर यह भोजन जीमते थे। इस प्रकार लेखक ने बच्चों का यह अद्भुत घरौंदा बनाया।

प्रश्न 5.
लेखक को उसके पिताजी क्या कहकर पुकारते थे? लेखक अपने माता-पिता को क्या कहकर पुकारता था?
उत्तर :
लेखक के पिता उसे बड़े प्यार से भोलानाथ कहकर पुकारा करते थे। असल में लेखक का नाम ‘तारकेश्वरनाथ’ था। लेखक अपने पिता को ‘बाबूजी’ तथा माता को ‘मइयाँ’ कहकर पुकारता था।

प्रश्न 6.
लेखक के पिता जब रामायण का पाठ करते थे, तब लेखक क्या करता था?
उत्तर :
लेखक के पिता जब सुबह स्नान के बाद रामायण का पाठ करते थे, तब लेखक उनके बगल में बैठकर दर्पण में अपने मुख को निहारता था। ओर देखते थे, तब वह कुछ शरमाकर दर्पण को नीचे रख देता था। यह देखकर लेखक के पिता भी मुस्कुरा पड़ते थे।

प्रश्न 7.
प्रतिदिन सुबह लेखक के पिता उसे किस प्रकार तैयार करते थे?
उत्तर :
लेखक रात को अपने पिता के साथ बैठक में सोया करता था। उसके पिता जब सुबह उठते थे, तब वे अपने साथ लेखक को भी उठा . देते थे। फिर उसे नहलाकर पूजा पर बिठा लेते थे। वे लेखक के माथे पर भभूत का तिलक लगा देते थे।

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प्रश्न 8.
लेखक ‘बम-भोला’ कब बन जाता था?
उत्तर :
जब लेखक के पिता उसके माथे पर भभूति तथा त्रिपुंड लगा देते थे, तो उसका माथा खिल उठता था। लेखक की लंबी-लंबी जटाएँ थीं तथा भभूत लगाने से वह अच्छा खासा ‘बम भोला’ लगता था।

प्रश्न 9.
पूजा-पाठ करने के बाद लेखक के पिता क्या करते थे?
उत्तर :
पूजा-पाठ करने के बाद लेखक के पिता राम-नाम लिखने लगते थे। वे अपनी ‘रामनामा’ बही में हज़ार राम-नाम लिखकर उसे पाठ कर रख देते थे। पाँच सौ बार कागज़ के छोटे-छोटे टुकडों पर राम-नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटते थे और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते थे। वहाँ वे ये गेलियाँ मछलियों को खिला देते थे।

प्रश्न 10.
जब लेखक के पिता गंगा में आटे की गोलियाँ फेंकते थे, तब लेखक क्या करता था?
उत्तर :
जब लेखक के पिता गंगा में आटे की गोलियाँ फेंककर मछलियों को खिलाते थे, तब लेखक उनके कंधे पर विराजमान होता था और बैठे-बैठे हँसा करता था। जब उसके पिताजी मछलियों को चारा खिलाकर घर वापस लौटते थे, तब बीच रास्ते में उसको पेड़ों की डालों पर बिठाकर झूला झुलाते थे।

प्रश्न 11.
बैजू कौन था ? वह किसे चिढ़ाता था?
उत्तर :
बैजू लेखक की मंडली का एक लड़का था। वह सभी लड़कों में बड़ा ढीठ था। बैजू मूसन तिवारी को चिढ़ाता था। वह उन्हें चिढ़ाने के लिए कहता था कि ‘बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा।’

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

प्रश्न 12.
लेखक के पिता ने यह क्यों कहा कि ‘लड़के और बंदर पराई पीर नहीं समझते।’
उत्तर :
लेखक के पिता ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि बच्चे अपने खेल, आनंद तथा मौज-मस्ती के लिए किसी का भी मजाक उड़ाने से पीछे नहीं हटते; फिर चाहे जिसका मज़ाक वे उड़ा रहे हैं; उसे कितना ही कष्ट क्यों न हो। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं होता। यही काम बंदरों का भी है। इसलिए लेखक के पिता ने कहा कि लड़के और बंदर पराई पीर नहीं समझते।’

प्रश्न 13.
लेखक और उसके मित्रों ने जब चूहे के बिल में पानी डाला, तब क्या हुआ?
उत्तर :
लेखक और उसके मित्रों ने जब चूहे के बिल में पानी डाला, तो उसके अंदर से साँप निकल आया। उसे देखकर सभी लड़के वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गए।

प्रश्न 14.
बिल में से साँप निकलने पर बच्चों का क्या हाल हुआ?
उत्तर :
जब बिल में से साँप निकला, तो बच्चे रोते-चिल्लाते बेतहाशा भागे। कोई औंधा गिरा, कोई अंटाचिट। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत टूटे। लेखक का सारा शरीर लहूलुहान हो गया। उसके पैर के तलवे काँटों से छलनी हो गए थे।

माता का आँचल Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय – शिवपूजन सहाय का जन्म सन 1893 में गाँव उनवास जिला शाहाबाद (बिहार) में हुआ। इनके बचपन का नाम भोलानाथ था। दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद इन्होंने बनारस की अदालत में नकलनवीस की नौकरी की। बाद में ये हिंदी के अध्यापक बन गए। असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर इन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। शिवपूजन सहाय तत्कालीन लेखकों में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे। इन्होंने जागरण, हिमालय, माधुरी, बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही ये हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका मतवाला के संपादक-मंडल में थे। सन 1963 में इनका देहांत हो गया।

रचनाएँ – शिवपूजन सहाय मुख्यतः गद्य लेखक थे। देहाती दुनिया, ग्राम सुधार, वे दिन वे लोग, स्मृतिशेष आदि इनकी दर्जन भर गद्य-कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। शिवपूजन रचनावली के चार खंडों में इनकी संपूर्ण रचनाएँ प्रकाशित हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ – शिवपूजन सहाय आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। इन्होंने युगीन समाज की विडंबनाओं, समस्याओं, सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों आदि का यथार्थ चित्रण किया है। समाज में बढ़ रहे शोषण के विरुद्ध इन्होंने आवाज़ उठाई है। इन्होंने सामाजिक कुरीतियों का डटकर विरोध करते हुए नारी में चेतना जागृत करने का प्रयास भी किया। सहाय जी ने ग्राम्य संस्कृति का अनूठा चित्रण किया है। देहाती दुनिया, ग्राम-सुधार, माता का आँचल आदि ऐसी प्रमुख रचनाएँ हैं जिनमें ग्राम्य संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज आदि का सजीव अंकन हुआ है। माता का आँचल में लेखक ने माँ के आँचल की गरिमा तथा ग्राम्य संस्कृति का अनूठा वर्णन किया है। इन्होंने स्पष्ट शब्दों में बताया है कि युवा वर्ग मस्ती में चूर रहता है, तो बुजुर्ग लोग बेबस होने के कारण अपनी आजीविका चलाने हेतु खर्चे से भी तंग हो जाते हैं। उन्होंने कहा है –

जहाँ लड़कों का संग, तहाँ बाजे मृदंग।
जहाँ बुड्ढों का संग, तहाँ खर्चे का तंग॥

सहाय जी की भाषा-शैली सरल-सरस खड़ी बोली है। इनकी भाषा में लोक जीवन और लोक संस्कृति के प्रसंग सहज ही मिल जाते हैं। इनकी भाषा में आंचलिक शब्दों का प्रचुर प्रयोग हुआ है। इसके साथ-साथ तत्सम, तद्भव, उर्दू, फारसी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। इन्होंने वर्णनात्मक, चित्रात्मक, विवरणात्मक शैलियों का भावपूर्ण प्रयोग किया है। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग से इनकी भाषा में रोचकता एवं प्रवाहमयता उत्पन्न हो गई है। संभवतः शिवपूजन सहाय हिंदी साहित्य के महान लेखक थे। इनका हिंदी साहित्य में अपूर्व योगदान है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

पाठ का सार :

शिवपूजन सहाय द्वारा लिखित ‘माता का अँचल’ उनके उपन्यास का अंश है। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने माँ के अंचल की ‘ममता’ के साथ-साथ ग्राम्य संस्कृति का अनूठा चित्रांकन किया है। समाज में युवा जहाँ मौज-मस्ती में रहते हैं, वहाँ बजर्ग कठिनता से जीवनयापन कर पाते हैं। लेखक ने बताया है कि उसके पिता सुबह उठकर स्नान कर पूजा-पाठ करते थे। वे लेखक तथा उसके भाई को भी पूजा-स्थान पर बैठा लेते थे।

लेखक अधिकांश अपने पिता के साथ रहता था। पूजा के बाद पिता उसके माथे पर भभूत और तिलक लगाकर उसे भोलानाथ कहकर पुकारते थे। बाबूजी द्वारा रामायण पाठ करते समय वे दोनों भाई आईने में अपना मुँह निहारा करते थे। इसके बाद बाबूजी अपनी ‘रामनामा बही’ में हज़ार बार राम नाम लिखकर उसे पाठ करने की पोथी के साथ बंद करके रख देते थे। बाबूजी द्वारा गंगा में मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाते समय दोनों भाई उनके कंधों पर बैठे हँसते थे।

कभी-कभी बाबूजी उनसे कुश्ती करते थे। वे दोनों अपने बाबूजी की लंबी-लंबी मूंछों के साथ खेलते थे। बाबूजी प्यार से उन्हें चूमते थे। घर आकर बाबूजी उन्हें चौके पर बिठाकर अपने हाथों से खाना खिलाया करते थे। लेखक तथा उसके भाई के मना करने पर उनकी माँ बड़े प्यार से तोता, मैना, कबूतर, हँस, मोर आदि के बनावटी नाम से टुकड़े बनाकर उन्हें दही-भात खिलाती थी। छककर खाने के बाद वे नग-धडंग अवस्था में बाहर दौड़ पड़ते थे। कभी अचानक माँ पकड़ ले, तो वे उनकी चोटी गूंथकर तथा उन्हें कुरता-टोपी पहनाकर ही छोड़ती थीं। वे सिसकते-सिसकते बाबूजी की गोद में बाहर आते।

बाहर आते ही वे बालकों के झुंड के साथ मौज-मस्ती में डूब जाते थे। वे चबूतरे पर बैठकर तमाशे और नाटक किया करते थे। मिठाइयों की दुकान; जिसमें पत्ते की पूरियाँ, मिट्टी की जलेबियाँ आदि मिलती है; लगाया करते थे। सभी बच्चों के साथ मिलकर वे घर बनाते थे, जिसमें तिनकों का छप्पर, दातून के खंभे, दीए की कड़ाही आदि रखे जाते थे। उसी घरौंदे में सभी पंक्ति में बैठ जीमने लगते। बाबूजी भी उनके पास चले आते थे। कभी-कभी वे बारात का जुलूस निकालते थे, जिसमें कनस्तर का तंबूरा और आम के पौधे की शहनाई बजती।

टूटी चूहेदानी की पालकी बनती और समधी बनकर बकरे पर चढ़ जाते। यह बारात एक कोने से दूसरे कोने तक जाती थी। कभी मित्रमंडली इकट्ठी होकर खेती करने लगती। इस प्रकार के नाटक वे प्रतिदिन खेला करते थे। किसी दूल्हे के आगे चलती पालकी देखते ही ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगते। एक बार बूढ़े वर ने खदेलकर लेखक मंडली को ढेलों से मारा। एक बार रास्ते में आते हुए मूसन तिवारी को बुढ़वा बेईमान कहकर चिढ़ा दिया। मूसन तिवारी ने उनको खूब खदेड़ा। उसके बाद मूसन तिवारी पाठशाला पहुँच गए।

वहाँ चार लड़कों में से बैजू तो भाग निकला, लेकिन लेखक और उसका भाई पकड़ा गया। यह सुनकर बाबूजी पाठशाला दौड़ें आए। गुरुजी से विनती कर बाबूजी उन्हें घर ले आए। फिर वे रोना-धोना भूलकर अपनी मित्र मंडली के साथ हो गए। उनके मित्र मकई के खेत में चिड़ियों को पकड़ने लगे, वे खेत से अलग होकर ‘रामजी की चिरई, रामजी का खेत खा लो चिरई भर-भर पेट’ गीत गाते रहे। कुछ दूरी पर बाबूजी तथा अन्य गाँव के लोग यह तमाशा देख रहे थे। एक टीले पर जाकर लेखक और उसका भाई अपने मित्रों के साथ मिलकर चूहों के बिल में पानी डालने लगे।

कुछ देर बाद उसमें से गणेशजी के चूहे की रक्षा के लिए शिव का सांप निकल आया। उससे डरकर वे रोते-चिल्लाते वहाँ से भाग चले। गिरते-फिसलते, काँटों में चलते वे सब खून से लथपथ हो गए। सभी अपने-अपने घर में घुस गए। उस समय बाबूजी बरामदे में बैठे हुक्का पी रहे थे। वे दोनों अपनी माँ की गोद में जाकर बैठ गए। उन्हें डर से कांपते हुए देखकर लेखक की माँ रोने लगी। वह व्याकुल होकर कारण पूछने लगी। कभी उन्हें अपने आँचल में छिपाती, तो कभी प्यार करने लगती। माँ ने तुरंत हल्दी पीसकर लेखक और उसके भाई के घावों पर लगाई। उनका शरीर काँप रहा था। आँखें चाहकर भी खुलती न थीं। बाबूजी दौड़कर उन्हें गोद में लेने लगे, लेकिन वे अपनी माँ के आँचल में ही छुपे रहे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

कठिन शब्दों के अर्थ :

मृदंग – एक प्रकार का वाद्य-यंत्र। संग – के साथ। तड़के – प्रातः, सुबह। लिलार – ललाट, माथा। त्रिपुंड – एक प्रकार का तिलक जिसमें माथे पर तीन आड़ी या अर्धचंद्र के आकार की रेखाएँ बनाई जाती हैं। जटाएँ – बाल। भभूत – राख। विराजमान – स्थापित, बैठना। उतान – पीठ के बल लेटना। सामकर – मिलाकर। अफ़र जाते – भरपेट खा लेते। ठौर – स्थान। कड़वा तेल – सरसों का तेल। बोथकर – सराबोर कर देना। चॅदोआ – छोटा शमियाना। ज्योनार – भोज, दावत। जीमने – भोजन करना। कनस्तर – टीन का एक ओहार – परदे के लिए डाला हुआ कपड़ा। अमोले – आम का उगता हुआ पौधा। कसोरे – मिट्टी का बना छिछला कटोरा। रहरी – अरहर। अँठई – कुत्ते के शरीर में चिपके रहने वाले छोटे कीड़े। चिरौरी – विनती, प्रार्थना। मइयाँ – माँ। महतारी – माँ। अमनिया – साफ़, शुद्ध। ओसारे में – बरामदे में।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

JAC Class 10 Hindi संस्कृति Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार हम लोग अपनी रूढ़ियों से इस प्रकार बँधे हुए हैं कि प्रतिपल परिवर्तित होने वाले संसार के साथ चल नहीं पाते। इस कारण अपनी सीमाओं में बँधे रहते हैं। इस संकुचित दृष्टिकोण के कारण हम सभ्यता और संस्कृति के लोक कल्याणकारी रूप को भुला देते हैं और अपने व्यक्तिगत, जातिगत, वर्गगत हितों की रक्षा करने में लग जाते हैं और इसे ही अपनी सभ्यता व संस्कृति मान बैठते हैं। इसके विपरीत सभ्यता और संस्कृति में मानवीय कल्याण का स्वर प्रमुख होता है। इसके अभाव में सभ्यता ‘असभ्यता’ और संस्कृति ‘असंस्कृति’ हो जाती है। अपने स्वार्थों के कारण ही हमें सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक नहीं आई है।

प्रश्न 2.
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है?
उत्तर :
इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है, क्योंकि इसके बाद मनुष्य के अनेक कार्य सुगम हो गए हैं। आग से खाना बनाया जाता है; ऊर्जा पैदा करके अनेक मशीनों को चलाया जा सकता है। आग की खोज के पीछे पेट भरने के लिए खाद्य सामग्री पकाने की प्रेरणा ही मुख्य है। अँधेरे में प्रकाश करना, ठंड में गरमी प्राप्त करना आदि आग की खोज करने के अन्य प्रेरणास्त्रोत हैं।

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प्रश्न 3.
वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर :
लेखक ने उस व्यक्ति को ‘संस्कृत व्यक्ति’ बताया है जिसकी योग्यता, बुद्धि, विवेक, प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति उसे किसी नए तथ्य का दर्शन करवाती है और वह जनकल्याण के लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य करता है। संस्कृत व्यक्ति सदा अच्छे कार्य करता है। वह प्राणीमात्र के कल्याण की चिंता करता है। अपने कार्यों से वह किसी का अहित नहीं करता। वह स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों को सुख देता है।

प्रश्न 4.
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन-से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर :
न्यूटन को संस्कृत मानव इसलिए कहते हैं क्योंकि उसने अपनी योग्यता, प्रवृत्ति एवं प्रेरणा के बल पर जनकल्याण के लिए गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था। उसकी यह खोज मौलिक खोज थी। इस खोज के पीछे उसका अपना कोई स्वार्थ नहीं था। उसने यह कार्य कल्याण की भावना से किया था। आज कई लोग न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अतिरिक्त भौतिक विज्ञान से संबंधित उन अनेक बातों को भी जानते हैं, जो न्यूटन को पता नहीं थीं। इस पर भी इन लोगों को न्यूटन के समान संस्कृत व्यक्ति इसलिए नहीं कह सकते, क्योंकि इन लोगों ने स्वयं कोई आविष्कार नहीं किया है। ये लोग अन्य व्यक्तियों द्वारा की गई खोजों से ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। अतः ये लोग न्यूटन की तरह संस्कृत व्यक्ति नहीं कहे जा सकते।

प्रश्न 5.
किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर :
मानव ने सूई-धागे का आविष्कार कपड़े सीने, शीतोष्ण से बचने के लिए, वस्त्र बनाने आदि के लिए किया होगा। शरीर को सजाने के लिए बनाए जाने वाले वस्त्रों के लिए भी सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। रज़ाई, गद्दे, टैंट, पर्दे आदि बनाने के लिए भी सुई-धागे
का ही उपयोग होता है।

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प्रश्न 6.
‘मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर :
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने के लिए धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाया जाता है, जैसा कि ब्रिटिश सरकार ने हिंदू-मुसलमानों को आपस में लड़ाकर हिंदुस्तान के दो टुकड़े भारत और पाकिस्तान कर दिए थे।
(ख) गुजरात में आए भूकंप के समय हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव भुलाकर सभी लोगों ने एकजुट होकर पीड़ितों की सहायता की। इस घटना से मानव संस्कृति के एक होने का प्रमाण मिलता है।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए –
उत्तर :
मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति? लेखक का मानना है कि मनुष्य अपनी योग्यता और कुशलता के बल पर जिन विनाशकारी साधनों का आविष्कार करता है, वह हमारी संस्कृति के अनुरूप नहीं है। विनाशकारी साधनों का आविष्कार करना असंस्कृति का प्रतीक है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं? लिखिए।
उत्तर :
मेरे विचार में संस्कृति वह है, जो श्रेष्ठ कृति अथवा कर्म के रूप में व्यक्त होती है। कर्म विचार पर आधारित होता है। इसलिए जो ज्ञान एवं भाव हमारे कर्मों को श्रेष्ठ बनाते हैं, वहीं संस्कृति है। संस्कृति का कार्य ही हमें अच्छे कार्यों की ओर ले जाना है। संस्कृति हमारे भौतिक जीवन को सुधारती है और हमारी सभ्यता को विकसित तथा उन्नत बनाती है। जो समाज जितना अधिक सुसंस्कृत होगा, उसकी सभ्यता भी उतनी ही अधिक विकसित तथा उन्नत होगी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए –
[गलत-सलत, आत्म-विनाश, महामानव, पददलित, हिंदू-मुस्लिम, यथोचित, सप्तर्षि, सुलोचना]
उत्तर :

  • गलत-सलत – गलत ही गलत-अव्ययीभाव समास।
  • आत्म-विनाश – आत्मा का विनाश-तत्पुरुष समास।
  • महामानव – महान है जो मानव-कर्मधारय समास।
  • पददलित – पद से दलित-तत्पुरुष समास।
  • हिंदू-मुस्लिम – हिंदू और मुस्लिम-वंद्व समास।
  • यथोचित – जैसा उचित हो-अव्ययीभाव समास।
  • सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह-द्विगु समास।
  • सुलोचना – सुंदर हैं लोचन जिसके (स्त्री विशेष)-बहुव्रीहि समास।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
‘स्थूल भौतिक कारण ही आविष्कारों का आधार नहीं है।’ इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
उन खोजों और आविष्कारों की सूची तैयार कीजिए जो आपकी नज़र में बहुत महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर :
रेडियो, टेलीविज़न, रेलगाड़ी, हवाई जहाज़, टेलीफोन, मोबाइल, साइकिल, कार, बस, घड़ी, गैस, स्टोव, बल्ब, बिजली, हीटर, कूलर, ए०सी०, पेन, बॉलपेन, पेंसिल, कागज़, कार्बन पेपर, इंटरनेट, फ्रिज, वाशिंग मशीन, सिलाई मशीन, ट्रैक्टर, स्कूटर, बैटरी, ड्राई सैल, पेट्रोल, डीज़ल, केरोसीन, दवाइयाँ आदि।

JAC Class 10 Hindi संस्कृति Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
संस्कृत व्यक्ति की संतान के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?
उत्तर :
लेखक के विचार में एक संस्कृत व्यक्ति किसी नई चीज़ की खोज करता है। वह वस्तु जब उसकी संतान को अनायास ही प्राप्त हो जाती है, तो वह एक संस्कृत व्यक्ति नहीं बल्कि सभ्य व्यक्ति कहलाएगा क्योंकि उस वस्तु की खोज उसने नहीं की थी। खोज करने वाला उसका पूर्वज ही संस्कृत व्यक्ति है। उसी ने अपनी बुद्धि और विवेक से उस वस्तु की खोज की थी। उसकी संतान को तो वह वस्तु उत्तराधिकारी के रूप में मिली है। इसलिए उसकी संतान सभ्य हो सकती है, संस्कृत नहीं।

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प्रश्न 2.
पेट और तन ढंकने के बाद संस्कृत मनुष्य की क्या दशा होती है ?
उत्तर :
जब संस्कृत मनुष्य का पेट भरा होता है और उसका तन ढंका होता है, तो वह खुले आकाश के नीचे लेटा हुआ भी रात के जगमगाते तारों को देखकर यह जानने के लिए व्याकुल हो उठता है कि मोतियों से भरा थाल ऐसे क्यों लटका हुआ है ? वह कभी भी निठल्ला नहीं बैठ सकता। उसकी बुद्धि उसे कुछ नया खोजने के लिए निरंतर प्रेरित करती रहती है। वे अपनी आंतरिक प्रेरणा से ही जनकल्याण के कार्य करता है।

प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार जनकल्याण के क्या-क्या कार्य हो सकते हैं?
उत्तर :
लेखक ने कुछ उदाहरण देते हुए बताया है कि किसी भूखे को अपना खाना देना, रोगी बच्चे को सारी रात गोद में लेकर माता का बैठे रहना, लेनिन का ब्रेड स्वयं न खाकर दूसरों को देना, कार्ल मार्क्स का आजीवन मज़दूरों को सुखी देखने के लिए प्रयास करना, सिद्धार्थ का मानवता के कल्याण के लिए सभी सुखों का त्याग करना आदि जनकल्याण के कार्य हैं।

प्रश्न 4.
लेखक के अनुसार सभ्यता क्या है ? इसका संबंध किससे है?
उत्तर :
लेखक ने सभ्यता को संस्कृति का परिणाम माना है। हमारा खान-पान, रहन-सहन, ओढ़ना-पहनना, जीवन-शैली आदि सभ्यता के अंतर्गत आते हैं। सभ्यता का संबंध हमारे आचरण से होता है। यदि हम विकास के कार्य करते हैं, तो हम सभ्य कहलाएँगे और विनाशकारी कार्य करने से असभ्य माने जाएँगे।

प्रश्न 5.
सभ्यता और संस्कृति खतरे में कब होती है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति तब खतरे में पड़ जाती है, जब किसी जाति अथवा देश पर अन्य लोगों की ओर से विनाशकारी आक्रमण होता है। हिटलर के आक्रमण के कारण मानव संस्कृति खतरे में पड़ गई थी। धर्म, संप्रदाय, वर्ण-व्यवस्था आदि के नाम पर होने वाले दंगों से भी सभ्यता और संस्कृति खतरे में पड़ जाती है।

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प्रश्न 6.
ऐसे कौन से दो शब्द हैं, जो जल्दी समझ में नहीं आते? इनके साथ कौन से विशेषण जुड़कर इनके अर्थ का प्रतिपादन करते हैं?
उत्तर :
सभ्यता और संस्कृति दो ऐसे शब्द हैं, जिनका उपयोग अत्यधिक होता है लेकिन ये समझ में कम आते हैं। किंतु जब इन दोनों शब्दों के साथ विशेषण जुड़ जाते हैं, तब इनका अर्थ समझ में आने लगता है; जैसे- भौतिक सभ्यता, आध्यात्मिक सभ्यता आदि।

प्रश्न 7.
संस्कृति और सभ्यता किसे कहते हैं ? उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग और सुई-धागे का आविष्कार हुआ, वह व्यक्ति विशेष की संस्कृति है और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ; जो वस्तु उसने अपने लिए तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की, उसका नाम सभ्यता है।

प्रश्न 8.
वास्तविक संस्कृत व्यक्ति कौन होता है?
उत्तर :
वास्तविक संस्कृत व्यक्ति वह होता है, जो किसी नई चीज की खोज करता है। जिस व्यक्ति की बुद्धि अथवा विवेक ने किसी नए तथ्य का दर्शन किया हो, तो वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति कहलाता है।

प्रश्न 9.
लेखक के अनुसार असंस्कृति क्या है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार वह सब असंस्कृति है, जो मानव-कल्याण से युक्त नहीं है तथा जिसमें मानव-कल्याण की भावना निहित नहीं है तथा जो विनाश की भावना से ओत-प्रोत है।

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प्रश्न 10.
‘संस्कृति’ पाठ के लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भदंत जी की रचनाओं में सरल, व्यावहारिक तथा बोलचाल की भाषा की प्रधानता है। ‘संस्कृति’ निबंध में लेखक ने ‘सभ्यता और संस्कृति’ की व्याख्या की है। इस निबंध में लेखक की भाषा तत्सम प्रधान हो गई है। लेखक की शैली व्याख्यात्मक, वर्णन प्रधान तथा सूत्रात्मक है।

प्रश्न 11.
लेखक को भारत में संस्कृति के बँटवारे पर आश्चर्य क्यों नहीं है?”
उत्तर :
लेखक भारत में संस्कृति के बँटवारे पर आश्चर्यचकित इसलिए नहीं है, क्योंकि जिस देश में पानी और रोटी का भी हिंदू-मुस्लिम में बँटवारा हो वहाँ संस्कृति के बँटवारे पर आश्चर्य कैसा! लेखक को ‘हिंदू संस्कृति’ में प्राचीन व नवीन संस्कृति, वर्ण-व्यवस्था आदि के नाम पर बँटवारा भी उचित नहीं नहीं लगता।

प्रश्न 12.
सई और धागे का आविष्कार क्यों हआ होगा?
उत्तर :
प्रत्येक आविष्कार के पीछे कोई-न-कोई प्रेरणा अवश्य रहती है। आग के आविष्कार के पीछे पेट भरने की तथा सुई-धागे के आविष्कार के पीछे तन ढंकने की प्रेरणा हो सकती है।

प्रश्न 13.
मानव संस्कृति के माता-पिता कौन हैं ?
उत्तर :
मानव संस्कृति के माता-पिता भौतिक प्रेरणा और जानने की इच्छा है, जो सदैव मानव के मन में जिज्ञासा को बनाए रखती है तथा उसे कुछ नवीन करने की प्रेरणा देती हैं।

प्रश्न 14.
मानव संस्कृति किस प्रकार की वस्तु है?
उत्तर :
वास्तव में मानव संस्कृति वस्तु न होकर एक भावना एवं संस्कार है, जो मानव को उत्तम कोटि का बनाती है तथा उसे क्रियाशील बनाने में अपना अहम योगदान देती है। यह एक ऐसी भावना एवं संस्कार है, जिसे बाँटा नहीं जा सकता। इसमें जितना भी भाग कल्याण करने का है, वह अकल्याण करने वाले की तुलना में श्रेष्ठ और स्थायी है।

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प्रश्न 15.
लेखक ने किन संस्कृतियों को ‘बला’ कहा है और क्यों?
उत्तर :
लेखक ने हिंदू संस्कृति और मुस्लिम-संस्कृति को बला कहा है। उसके अनुसार एक ही संस्कृति अखण्ड है और वह है-‘मानव संस्कृति’। देखा जाए तो हिंदू संस्कृति और मुस्लिम संस्कृति की अलग से न तो अपनी कोई पहचान है और न ही कोई विशेष नाम है। अलग कहने में केवल अलगाव की स्थिति पैदा होगी, जो दोनों धर्मों में टकराव पैदा करेगी।

प्रश्न 16.
किसी भी संस्कृति में झगड़े कब होते हैं?
उत्तर :
किसी भी संस्कृति में झगड़े तब होते हैं, जब दो धर्मों की संस्कृतियाँ आमने-सामने टकराव की स्थिति में आ खड़ी हों तथा एक-दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करती हों। अपनी संस्कृति को महान तथा दूसरे की संस्कृति को किसी भी योग्य की न कहना टकराव पैदा करता है। एक-दूसरे के उत्सवों पर दोनों धर्म किसी-न-किसी रूप में भयभीत ही रहते हैं कि कहीं अन्य धर्म उन पर भारी न पड़ जाए।

प्रश्न 17.
‘संस्कृति’ पाठ में लेखक ने आग और सुई-धागे के आविष्कारों से क्या स्पष्ट किया है?
उत्तर :
मानव ने सूई-धागे का आविष्कार कपड़े सीने, शीतोष्ण से बचने के लिए, वस्त्र बनाने आदि के लिए किया होगा। शरीर को सजाने के लिए बनाए जाने वाले वस्त्रों के लिए भी सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। रज़ाई, गद्दे, टेंट, पर्दे आदि बनाने के लिए भी सूई-धागे का ही उपयोग होता है। सुई-धागे के आविष्कार के पीछे मनुष्य की आवश्यकता ही रही होगी। अतः स्पष्ट है कि मनुष्य चिंतनशील प्राणी है। उसके मन में सदा कुछ न कुछ जानने तथा करने की इच्छा बनी रहती है।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. एक संस्कृत व्यक्ति किसी नई चीज़ की खोज करता है; किंतु उसकी संतान को वह अपने पूर्वज से अनायास ही प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया, वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है और उसकी संतान जिसे अपने पूर्वज से वह वस्तु अनायास ही प्राप्त हो गई है, वह अपने पूर्वज की भाँति सभ्य भले ही बन जाए, संस्कृत नहीं कहला सकता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
2. ‘संस्कृत व्यक्ति’ से क्या तात्पर्य है?
3. संस्कृत व्यक्ति की संतान संस्कृत क्यों नहीं हो सकती?
4. संस्कृत व्यक्ति की संतान को लेखक क्या मानता है और क्यों?
5. संस्कृत व्यक्ति में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर :
1. पाठ-संस्कृति,’ लेखक-भदंत आनंद कौसल्यायन।

2. संस्कृत व्यक्ति से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जो किसी नई चीज़ की खोज करता है। वह अपनी बुद्धि और विवेक की सहायता से किसी नए तथ्य के दर्शन करके उसी के अनुरूप कार्य करता है। उसके सभी कार्य सोच-विचार कर होते हैं और उनमें जनकल्याण की भावना का समावेश होता है।

3. संस्कृत व्यक्ति की संतान संस्कृत इसलिए नहीं हो सकती, क्योंकि संस्कृत व्यक्ति जिस नई वस्तु की खोज करता है उसकी संतान को वह वस्तु अपने पूर्वजों से उत्तराधिकारी के रूप में बिना कुछ किए ही प्राप्त हो जाती है। उसे इसके लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। इसलिए वह संस्कृत व्यक्ति नहीं हो सकता, क्योंकि इस वस्तु की प्राप्ति के लिए उसने कोई प्रयास नहीं किया।

4. संस्कृत व्यक्ति की संतान को लेखक सभ्य मानता है, क्योंकि उसने न तो किसी नए तथ्य के दर्शन किए हैं और न ही अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर किसी नई वस्तु की खोज की है। उसने तो अपने पूर्वजों द्वारा की गई खोज को उत्तराधिकारी के रूप में अनायास ही पा लिया है।

5. संस्कृत व्यक्ति बुद्धिमान, विचारवान, जिज्ञासु, मानवतावादी, परिश्रमी तथा कुछ नया करने की इच्छा से युक्त होता है। उसके सभी कार्यों में जनकल्याण की भावना प्रमुख होती है। वह अपना स्वार्थ सिद्ध करने की अपेक्षा दूसरों की सहायता करने के लिए सदा तत्पर रहता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

2. आग के आविष्कार में कदाचित पेट की ज्वाला की प्रेरणा एक कारण रही। सुई-धागे के आविष्कार में शायद शीतोष्ण से बचने तथा शरीर को सजाने की प्रवृत्ति का विशेष हाथ रहा। अब कल्पना कीजिए उस आदमी की जिसका पेट भरा है, जिसका तन ढंका है, लेकिन जब वह खुले आकाश के नीचे सोया हुआ रात के जगमगाते तारों को देखता है, तो उसको केवल इसलिए नींद नहीं आती क्योंकि वह यह जानने के लिए परेशान है कि आखिर वह मोती भरा थाल क्या है?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. मनुष्य ने आग का आविष्कार क्यों और कैसे किया था?
2. धागे का आविष्कार किसलिए हुआ और सुई कैसे बनाई गई होगी?
3. मनुष्य के पेट भरे और तन ढके होने पर भी नींद क्यों नहीं आती?
4. मनुष्य किस प्रकार का प्राणी है?
उत्तर :
1. आदिमानव कंद-मूल-फल आदि से अपना पेट भरता था, परंतु इससे उसकी भूख शांत नहीं होती थी। पेट की भूख को शांत करने के लिए उसने आग का आविष्कार किया, जिससे आग पर पकाकर वह अपना भोजन तैयार कर सके। आग पैदा करने के लिए उसने दो पत्थरों को आपस में रगड़ा था। इससे आग पैदा हो गई थी।

2. सुई-धागे के आविष्कार के पीछे मनुष्य की यह आवश्यकता रही होगी कि वह स्वयं को सर्दी-गर्मी से बचाने के लिए वस्त्र, बिस्तर आदि बनाना चाहता होगा। स्वयं को सजाने के लिए अच्छे-अच्छे परिधान बनाने की इच्छा भी इस आविष्कार की प्रेरणा रही होगी। सुई बनाने के लिए उसने लोहे के एक टुकड़े को घिसकर उसके एक सिरे को छेदकर उसमें धागा पिरोने के लिए स्थान बनाया होगा।

3. जब मनुष्य का पेट भरा होता है और तन सुंदर वस्त्रों से ढका रहता है, तब भी वह जब रात के समय खुले आसमान के नीचे लेटा होता है तो उसे नींद नहीं आती। वह आसमान पर छिटके हुए तारों को देखकर सोचने लगता है कि क्या कारण है, जो इस मोतियों से भरे उल्टे पड़े हुए थाल के मोती नीचे नहीं गिरते? वह इस रहस्य को जानने की व्याकुलता के कारण सो नहीं पाता?

4. मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है। उसके मन में सदा कुछ-न-कुछ जानने की इच्छा बनी रहती है। वह अपनी बुद्धि के बल पर कुछ नया करने के लिए प्रयास करता है। वह कभी खाली नहीं बैठ सकता। वह सदा कुछ-न-कुछ करते हुए क्रियाशील बना रहना चाहता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

3. पेट भरने और तन ढकने की इच्छा मनुष्य की संस्कृति की जननी नहीं है। पेट भरा और तन ढंका होने पर भी ऐसा मानव जो वास्तव में संस्कृत है, निठल्ला नहीं बैठ सकता। हमारी सभ्यता का एक बड़ा अंश हमें ऐसे संस्कृत आदमियों से ही मिला है, जिनकी चेतना पर स्थूल भौतिक कारणों का प्रभाव प्रधान रहा है, किंतु उसका कुछ हिस्सा हमें मनीषियों से भी मिला है, जिन्होंने तथ्य-विशेष को किसी भौतिक प्रेरणा के वशीभूत होकर नहीं, बल्कि उनके अंदर की सहज संस्कृति के ही कारण प्राप्त किया है। रात के तारों को देखकर न सो सकने वाला मनीषी हमारे आज के ज्ञान का ऐसा ही प्रथम पुरस्कर्ता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. संस्कृत व्यक्ति की कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं।
2. पेट भरना व तन ढंकना मनुष्य की संस्कृति की जननी क्यों नहीं है?
3. हमें हमारी सभ्यता किनसे प्राप्त हुई और कैसे?
4. रात के तारों को देखकर न सो सकने वाले मनीषी को प्रथम पुरस्कर्ता क्यों कहा गया है?
उत्तर :
1. संस्कृत व्यक्ति पेट भरा और तन ढंका होने पर भी कभी खाली नहीं बैठ सकता। वह अपनी बुद्धि निरंतर कुछ ऐसा करना चाहता है जिससे प्राणीमात्र का कल्याण हो सके। उसकी यह सोच निःस्वार्थ भाव से होती है।

2. केवल पेट भरने और तन ढंकने के बारे में सोचने वाले व्यक्ति संसार में सुखी व आनंदमय जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। लेकिन उनकी यह सोच केवल उन तक ही सीमित होती है। दूसरों के कल्याण से उन्हें कुछ लेना-देना नहीं होता। वे स्वार्थ में लिप्त होते हैं, इसलिए लेखन उन्हें संस्कृति की जननी नहीं कहा है।

3. हमें हमारी सभ्यता उन लोगों से प्राप्त हुई है, जो संस्कृत है। ये संस्कृत लोग अपने विवेक के बल पर हमें कोई ऐसी नई वस्तु दे जाते हैं, जो हमें सभ्य बना देती है। इनकी यह देन निःस्वार्थ भाव से प्राणीमात्र के कल्याण के लिए होती है। इनकी इस प्रकार की देनों से सभ्यता का विकास होता है।

4. लेखक ने ऐसे व्यक्ति को प्रथम पुरस्कर्ता इसलिए माना है, क्योंकि वह अपनी आंतरिक भावनाओं की प्रेरणा से मानव-कल्याण के कार्य करता है। उसके इन कार्यों के पीछे किसी प्रकार का कोई भौतिक प्रलोभन अथवा स्वार्थ नहीं होता। वह अपने सहज स्वभाव से ही समस्त कल्याणकारी कार्य करता है।

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4. और सभ्यता? सभ्यता है संस्कृति का परिणाम। हमारे खाने-पीने के तरीके, हमारे ओढ़ने-पहनने के तरीके, हमारे गमना-गमन के साधन, हमारे परस्पर कट मरने के तरीके; सब हमारी सभ्यता है। मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति? और जिन साधनों के बल पर वह दिन-रात आत्म-विनाश में जुटा हुआ है, उन्हें हम उसकी सभ्यता समझें या असभ्यता? संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा क्या होगा?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. सभ्यता क्या है?
2. असंस्कृति का जनक कौन है?
3. असभ्यता के अंतर्गत कौन-से कार्य आते हैं ?
4. संस्कृति में कौन-सी भावना की प्रधानता होती है ?
उत्तर :
1. लेखक के अनुसार सभ्यता हमारी संस्कृति का परिणाम होती है। हमारे खाने-पीने के ढंग, ओढ़ने-पहनने के तरीके, आवागमन के साधन, परस्पर मेल-मिलाप, लड़ाई-झगड़े आदि के तरीके हमारी सभ्यता को व्यक्त करते हैं। हमारा ये सब कार्य जितने अधिक सुसंस्कृत होंगे, हम उतना ही अधिक सभ्यता का पालन करने वाले लोग होंगे।

2. लेखक ने मानव के उन कार्यों को असंस्कृति का जनक माना है, जिनके कारण वह मानवीय विनाश के कार्य करनेवाले उपकरण बनाता है। मानव-कल्याण से रहित कार्यों को करने वाला व्यक्ति असंस्कृति का जनक माना जाता है। युद्ध, मारधाड़, चोरी-डकैती, लूट-पाट आदि हिंसक कार्य इसी श्रेणी में आते हैं और असंस्कृति के जनक माने जाते हैं।

3. मनुष्य अपने जिन साधनों के द्वारा दिन-रात आत्म-विनाश के कार्यों में जुटा रहता है, वे असभ्यता को जन्म देते हैं। मानवता और मानव कल्याण के विरुद्ध किए जाने वाले सभी कार्य असभ्यता के अंतर्गत आते हैं। चोरी, डकैती, लूट-पाट, युद्ध, अपहरण, भ्रष्टाचार, झूठ आदि कार्य असभ्यता के सूचक हैं।

4. संस्कृति में कल्याण की भावना प्रधान होती है। इस भावना के वशीभूत होकर ही मनुष्य मानवता के उत्थान के लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य करता है। वह प्राणीमात्र के कल्याण के बारे में सोचता है तथा ‘सर्वजन हिताए’ के कार्य करता है। उसे इस प्रकार की प्रेरणा अपने अंतर से प्राप्त होती है। जन-कल्याण के लिए उसे किसी भौतिक अथवा बाहरी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं होती।

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5. संस्कृति के नाम से जिस कूड़े-कर्कट के ढेर का बोध होता है, वह न संस्कृति है न रक्षणीय वस्तु। क्षण-क्षण परिवर्तन होने वाले संसार में किसी भी चीज़ को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता। मानव ने जब-जब प्रज्ञा और मैत्री भाव से किसी नए तथ्य का दर्शन किया है तो उसने कोई वस्तु नहीं देखी है, जिसकी रक्षा के लिए दलबंदियों की ज़रूरत है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. लेखक ने किस संस्कृति को संस्कृति नहीं माना है और क्यों?
2. प्रज्ञा और मैत्री भाव किस नए तथ्य के दर्शन करवा सकता है और उसकी क्या विशेषता है?
3. मानव संस्कृति की विशेषता लिखिए।
उत्तर
1. लेखक के अनुसार संस्कृति का संबंध मानव-सभ्यता के कल्याण से है। लेकिन यदि मानव का कल्याण की भावना से संबंध टूट जाएगा और वह दूसरों के विनाश के बारे में सोचने लगेगा, तो उसे कदापि संस्कृति नहीं माना जा सकता। ऐसी स्थिति में संस्कृति का रूप असंस्कृति में परिवर्तित हो जाएगा।

2. प्रज्ञा और मैत्री भाव विश्व-बंधुत्व व मानव कल्याण के मिश्रित तथ्य का दर्शन करवा सकते हैं। इसका आधार और लक्ष्य मानव-समाज का कल्याण है, जिसमें असंस्कृति के लिए कोई स्थान नहीं है। यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता भी है।

3. मानव संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसका अविभाज्य होना तथा इसमें मानव कल्याण के अंश का होना है। यह विशेषता ही र यता को संस्कृति के रूप में परिवर्तित करती है।

संस्कृति Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-सुप्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु भदंत आनंद कौसल्यायन का जन्म अंबाला जिले के सोहाना गाँव में सन 1905 ई० में हुआ था। इनका बचपन का नाम ‘हरनाम दास’ था। इनका हिंदी से विशेष स्नेह था। इन्होंने देश-विदेश की अनेक यात्राएँ की हैं। गांधीजी से इनका विशेष संबंध रहा है। ये बहुत लंबे समय तक गांधीजी के साथ वर्धा में रहे थे। इनका निधन सन 1988 ई० में हुआ। इन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान दिया था।

रचनाएँ – इन्होंने हिंदी साहित्य को अनेक निबंधों, संस्मरणों एवं यात्रा-वृत्तांतों से समृद्ध किया है। इनकी प्रमुख रचनाएँ ‘भिक्षु के पत्र, बहानेबाजी, रेल का टिकट, जो भूल न सका, यदि बाबा न होते, कहाँ क्या देखा, आह! ऐसी दरिद्रता’ हैं। इन्होंने बौद्ध धर्म और दर्शन से संबंधित अनेक पुस्तकें लिखी हैं तथा अनुवाद कार्य भी किया है। इनके द्वारा जातक कथाओं के किए गए अनुवाद विशेष उल्लेखनीय हैं।

भाषा-शैली – भदंत आनंद कौसल्यायन ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए देश-विदेश में भ्रमण किया था। इस कारण इनकी रचनाओं में सरल, व्यावहारिक तथा बोलचाल की भाषा की प्रधानता है। ‘संस्कृति’ निबंध में लेखक ने ‘सभ्यता और संस्कृति’ की व्याख्या की है। इस निबंध में लेखक की भाषा तत्सम प्रधान हो गई है, जिसमें ‘प्रवृत्ति, प्रेरणा, आविष्कार, आविष्कृत, परिष्कृत, शीतोष्ण, मनीषियों, सर्वस्व’ जैसे तत्सम प्रधान शब्दों के साथ-साथ ‘दलबंदियों, हद, छीछालेदार, कूड़ा-कर्कट, बला, पेट, तन, निठल्ला, डैस्क, कौर, तरीका, कोशिश’ जैसे विदेशी और देशज शब्दों का भी भरपूर प्रयोग हुआ है।

लेखक की शैली व्याख्यात्मक, वर्णन प्रधान तथा सूत्रात्मक है। अपनी बात को समझाने के लिए लेखक ने उदाहरणों का प्रयोग किया है। आदमी द्वारा आग और सूई धागे का आविष्कार ऐसे ही उदाहरण हैं। इन्हीं उदाहरणों के माध्यम से लेखक संस्कृति और सभ्यता का अंतर स्पष्ट करते हुए लिखता है ‘जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग का व सूई-धागे का आविष्कार हुआ, वह है व्यक्ति विशेष की संस्कृति; और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ, जो चीज़ उसने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की, उसका नाम है सभ्यता।’

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

पाठ का सार :

‘संस्कृति’ निबंध भदंत आनंद कौसल्यायन द्वारा रचित है। इस निबंध में लेखक ने सभ्यता और संस्कृति में संबंध तथा अंतर स्पष्ट करने का प्रयास किया है। लेखक का मानना है कि आजकल उन दो शब्दों का सबसे अधिक प्रयोग होता है, जिन्हें हम सबसे कम समझ पाते हैं और वे दो शब्द ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ हैं। इन दोनों शब्दों को समझाने के लिए लेखक दो हैं, उदाहरण देता है।

पहला उदाहरण उस आदमी का है, जिसने पहले-पहल आग का आविष्कार किया और दूसरा उदाहरण उस व्यक्ति का है, जिसने सूई-धागे का आविष्कार किया। इस आधार पर लेखक का मानना है कि जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग और सूई-धागे का आविष्कार हुआ, वह व्यक्ति विशेष की संस्कृति है और उसने जो चीज़ आविष्कृत की है, उसका नाम सभ्यता है। जो व्यक्ति जितना अधिक सुसंस्कृत होगा, उसका आविष्कार भी उतना ही श्रेष्ठ होगा।

जो व्यक्ति किसी चीज़ की खोज करता है, वह संस्कृत व्यक्ति है; किंतु उसकी संतान को यह खोज अपने पूर्वजों से अनायास ही मिल जाती है, इसलिए वह संस्कृत नहीं बल्कि सभ्य कहला सकता है। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था, इसलिए वह संस्कृत मानव था। आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी न्यूटन के इस सिद्धांत के अतिरिक्त अन्य सिद्धांतों से भी परिचित हैं, परंतु वे न्यूटन की अपेक्षा अधिक संस्कृत नहीं बल्कि सभ्य हो सकते हैं। प्रत्येक आविष्कार के पीछे कोई-न-कोई प्रेरणा अवश्य रहती है।

आग के आविष्कार के पीछे पेट भरने की तथा सूई-धागे के आविष्कार के पीछे तन ढकने की प्रेरणा हो सकती है। पेट भरा और तन ढका होने पर भी मनुष्य खाली नहीं बैठता; वह कुछ अन्य आविष्कार करने में लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति ही संस्कृत व्यक्ति होते हैं। भौतिक प्रेरणा और जानने की इच्छा ही मानव संस्कृति के माता-पिता हैं।

भूखे को अपना भोजन दे देना, बीमार बच्चे को गोद में लेकर रात भर माँ का जागना, लेनिन का डबलरोटी के टुकड़ों को स्वयं न खाकर दूसरों को खिलाना, कार्ल मार्क्स द्वारा मजदूरों को सुखी करने के लिए जीवन भर प्रयास करना, सिद्धार्थ द्वारा मानवता के उत्थान के लिए गृह-त्याग करना। इस प्रकार सर्वस्व त्याग करने वाले महामानवों में जो भावना है, वही संस्कृति है।

लेखक ने इसी सभ्यता के परिणाम को संस्कृति माना है। हमारा खान-पान, रहन-सहन आदि सभ्यता के अंतर्गत आता है। मानव के विकास का कार्य करने वाली सभ्यता है और मानव के विनाश का कार्य करने वाली शक्तियाँ असभ्यता है। संस्कृति यदि कल्याण की भावना से रहित होगी, तो असंस्कृति हो जाएगी और ऐसी असंस्कृति का परिणाम असभ्यता होगा। हिटलर के आक्रमणों ने मानव-संस्कृति को खतरे में डाल दिया था।

आज हमारे देश में हिंदू और मुस्लिम संस्कृति के खतरे की बात कही जा रही है। लेखक के अनुसार हम न तो हिंदू संस्कृति को समझ पा रहे हैं और न ही मुस्लिम संस्कृति को। लेखक को इस बात का खेद – है कि जिस देश में पानी और रोटी का भी हिंदू-मुस्लिम में बँटवारा हो, वहाँ संस्कृति के बँटवारे पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ‘हिंदू संस्कृति’ में प्राचीन व नवीन संस्कृति, वर्ण-व्यवस्था आदि के नाम पर बंटवारे भी लेखक को उचित प्रतीत नहीं होते हैं।

इस प्रकार संस्कृति की होने वाली दुर्दशा की कोई सीमा नहीं है। आज संस्कृति के नाम पर जैसी विकृति हो रही है, उसे लेखक न तो संस्कृति मानता है और न ही उसकी रक्षा करने की आवश्यकता अनुभव करता है। प्रतिक्षण परिवर्तनशील इस संसार में किसी भी वस्तु को पकड़कर बैठे रहना भी उसे उचित प्रतीत नहीं होता।

मनुष्य जब भी अपनी बुद्धि और मित्रता के भाव से किसी नए विचार का दर्शन करता है, तो उसे उसकी रक्षा के लिए किसी की भी आवश्यकता नहीं होती है। लेखक मानता है कि मानव संस्कृति एक ऐसी वस्तु है, जिसे बाँटा नहीं जा सकता और उसमें जितना भी भाग कल्याण करने का है, वह अकल्याण करने वाले की तुलना में श्रेष्ठ और स्थायी है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति

कठिन शब्दों के अर्थ :

आध्यात्मिक – परमात्मा या आत्मा से संबंध रखने वाला: मन से संबंध रखने वाला। साक्षात संस्कत – जिसका संस्कार हआ हो, सँवारा हआ। आविष्कर्ता – आविष्कार करने वाला। संस्कति – शदधिः किसी जाति की वे सब बातें जो उसके मन, रुचि, आचार-विचार, कला-कौशल और सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक विकास की सूचक होती है। परिष्कत – सजाया हआ, शुद्ध किया हुआ, साफ़ किया हुआ। अनायास – बिना प्रयास के, आसानी से। कदाचित – कभी, शायद। ज्ञानेप्सा – जानने की इच्छा।

शीतोष्ण – ठंडा और गर्म। सर्वस्व – सबकुछ। निठल्ला – बेकार, अकर्मण्य, बिना काम-धंधे का, खाली बैठा हुआ। मनीषियों – विद्वानों, विचारशीलों। रक्षणीय – रक्षा करने योग्य। वशीभूत – अधीन, पराधीन। तृष्णा – प्यास, लोभ। अवश्यंभावी – जिसका होना निश्चित हो। ताज़िया – बाँस की तिल्लियों व रंगीन कागज़ों का बना वह ढाँचा जो इमाम हसन और इमाम हुसैन के मकबरों की आकृति का बनाया जाता है। वर्ण-व्यवस्था – वर्ण-विभाग। छीछालेदर – दुर्दशा, फ़जीहत। अविभाज्य – जो बाँटा न जा सके।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6

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Question 1.
The circumference of the base of a cylindrical vessel is 132 cm and its height is 25 cm. How many litres of water can it hold? (1000 cm3 = 1 L)
[Assume, π = \(\frac{22}{7}\)]
Answer:
Let the radius of the cylindrical vessel be r.
Height (h) of vessel = 25 cm
Circumference of vessel =132 cm
2πr = 132 cm
r = \(\frac{132 × 7}{2 × 22}\) cm = 21 cm

Volume of cylindrical vessel = πr2h = × (21)2 × 25 cm3 = 34650 cm3
= \(\frac{34650}{1000}\) liters = 34.65 litres
[∵ 1 litre = 1000 cm3]
Therefore, such vessel can hold 34.65 litres of water.

Question 2.
The inner diameter of a cylindrical wooden pipe is 24 cm and its outer diameter is 28 cm. The length of the pipe is 35 cm. Find the mass of the pipe, if 1 cm3 of wood has a mass of 0.6 g.
Assume, n= \(\frac{22}{7}\)
Answer:
Inner radius (r ) of cylindrical pipe
= \(\frac{24}{2}\) cm = 12 cm

Outer radius (r2) of cylindrical pipe = \(\frac{28}{2}\) cm = 14 cm
Height (h) of pipe = Length of pipe = 35 cm

Volume of pipe = π\(\left(r_1^2-r_2^2\right)\)h
= [\(\frac{22}{7}\) × (142 – 122) × 35] cm3
= 110 × 52 cm3 = 5720 cm3
Mass of 1 cm3 wood = 0.6 g
Mass of 5720 cm3 wood = (5720 × 0.6) g
= 3432 g = 3.432 kg

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6

Question 3.
A soft drink is available in two packs:
(i) a tin can with a rectangular base of length 5 cm and width 4 cm, having a height of 15 cm and
(ii) a plastic cylinder with circular base of diameter 7 cm and height 10 cm. Which container has greater capacity and by how much?
Assume, π = \(\frac{22}{7}\)
Answer:
(i) The tin can will be cuboidal in shape while the plastic cylinder will be cylindrical in shape.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6 - 1
Length (l) of tin can = 5 cm
Breadth (b) of tin can = 4 cm
Height (h) of tin can = 15 cm
Capacity of tin can = l × b × h = (5 × 4 × 15) cm3 = 300 cm3

(ii)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6 - 2
Radius (r) of circular end of plastic cylinder = \(\frac{7}{2}\) cm = 3.5 cm
Height (H) of plastic cylinder = 10 cm
Capacity of plastic cylinder = πr2H
= \(\frac{22}{7}\) × (3.5)2 × 10 cm3
= 11 × 35 cm3 = 385 cm3

Therefore, plastic cylinder has the greater capacity.
Difference in capacities = (385 – 300) cm3 = 85 cm3

Question 4.
If the lateral surface of a cylinder is 94.2 cm2 and its height is 5 cm, then find
(i) radius of its base
(ii) its volume.
[Use π= 3.14]
Answer:
(i) Height (h) of cylinder = 5 cm
Let radius of cylinder be r.

CSA of cylinder = 94.2 cm2
2πrh = 94.2 cm2
(2 × 3.14 × r × 5) cm = 94.2 cm2
r = 3 cm

(ii) Volume of cylinder = πr2h
= (3.14 x (3)2 x 5) cm3 = 141.3 cm3

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Question 5.
It costs ₹ 2200 to paint the inner curved surface of a cylindrical vessel 10 m deep. If the cost of painting is at the rate of ₹ 20 per m2, find:
(i) Inner curved surface area of the vessel
(ii) Radius of the base
(iii) Capacity of the vessel
Assume π = \(\frac{22}{7}\)
Answer:
(i) ₹ 20 is the cost of painting 1 m2 area.
₹ 2200 is the cost of painting (\(\frac{1}{20}\) × 20) m2 area = 110 m2 area
Therefore, the inner surface area of the vessel is 110 m2.

(ii) Let the radius of the base of the vessel be r.
Height (h)of the vessel = 10 m
Surface area = 2πrh = 110 m2.
⇒ (2 × \(\frac{22}{7}\) × r × 10) = 110 m2
⇒ r = \(\frac{7}{4}\) m = 1.75 m

(iii) Volume of vessel = πr2h
= [\(\frac{22}{7}\) × (1.75)2 × 10] m3
= 96.25 m3

Therefore, the capacity of the vessel is 96.25 m3 or 96250 litres.

Question 6.
The capacity of a closed cylindrical vessel of height 1 m is 15.4 litres. How many square metres of metal sheet would be needed to make it?
Assume, π = \(\frac{22}{7}\)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6 - 3
Answer:
Let the radius of the cylindrical vessel be r.
Height (h) of cylindrical vessel = 1 m
Volume of cylindrical vessel = 15.4 litres = 0.0154 m3
πr2h = 0.0154
\(\frac{22}{7}\) × r2 × 1 m = 0.01543
⇒ r = 0.07 m

Total surface area of vessel = 2πr(r + h)
= [2 × \(\frac{22}{7}\) × 0.07(0.07 + 1)] m2
= 0.44 ×1.07 m2
= 0.4708 m2
Therefore 0.4708 m2 of the metal sheet would be required to make the cylindrical vessel.

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Question 7.
A lead pencil consists of a cylinder of wood with solid cylinder of graphite filled in the interior. The diameter of the pencil is 7 mm and the diameter of the graphite is 1 mm. If the length of the pencil is 14 cm, find the volume of the wood and that of the graphite.
Assume, π = \(\frac{22}{7}\)
Answer:
Radius (r) of pencil = \(\frac{7}{2}\) mm = \(\frac{0.7}{2}\) cm = 0.35 cm
Radius (r ) of graphite = \(\frac{1}{2}\) mm = \(\frac{0.1}{2}\) cm = 0.05 cm

Height (h) of pencil =14 cm
Volume of wood in pencil = π\(\left(r_1^2-r_2^2\right)\)h
= [\(\frac{22}{7}\) {(0.35)2 – (0.05)2} × 14] cm3
= [\(\frac{22}{7}\) (0.1225 – 0.0025) × 14] m3
= 44 × 0.12 cm3 = 5.28 cm3

Volume of graphite
= π\({r_{1}^{2}}\)h
= \(\frac{22}{7}\) × (0.05)2 × 14] cm3
= 44 × 0.0025 cm3 = 0.11 cm3

Question 8.
A patient in a hospital is given soup daily in a cylindrical bowl of diameter 7 cm. If the bowl is filled with soup to a height of 4 cm, how much soup the hospital has to prepare daily to serve 250 patients?
Assume, π = \(\frac{22}{7}\)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.6 - 4
Answer:
Radius (r) of cylindrical bowl = \(\frac{7}{2}\) cm = 3.5 cm
Height (h) of bowl, up to which bowl is filled with soup = 4 cm
Volume of soup in 1 bowl = πr2h
= [\(\frac{22}{7}\) × (3.5)2 × 4] cm3
= (11 × 3.5 × 4) cm3= 154 cm3
Volume of soup given to 250 patients = (250 × 154) cm3 = 38500 cm3 = 38.5 litres.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4

Page-225

Question 1.
Find the surface area of a sphere of radius:
(i) 10.5 cm
(ii) 5.6 cm
(iii) 14 cm
Answer:
(i) Radius of the sphere (r) = 10.5 cm
Surface area
= 4πr2 = (4 × \(\frac{22}{7}\) × 10.5 × 10.5) cm2
= 1386 cm2

(ii) Radius of the sphere (r) = 5.6 cm
Surface area
= 4πr2 = (4 × \(\frac{22}{7}\) × 5.6 × 5.6) cm2
= 394.24 cm2

(iii) Radius of the sphere (r) = 14 cm
Surface area
= 4πr2 = (4 × \(\frac{22}{7}\) × 14 × 14) cm2
= 2464 cm2

Question 2.
Find the surface area of a sphere of diameter:
(i) 14 cm
(ii) 21cm
(iii) 3.5 m
Answer:
(i) Radius of a sphere (r) = \(\frac{14}{2}\) = 7 cm
Surface area = 4πr2
= (4 × \(\frac{22}{7}\) × 7 × 7) cm2
= 616 cm2

(ii) Radius of a sphere (r) = \(\frac{21}{2}\) = 10.5 cm
Surface area = 4πr2
= (4 × \(\frac{22}{7}\) × 10.5 × 10.5) cm2
= 1386 m2

(iii) Radius of a sphere (r) = \(\frac{3.5}{2}\) = 1.75 m
Surface area = 4πr2
= (4 × \(\frac{22}{7}\) × 1.75 × 1.75) cm2
= 38.5 m2

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4

Question 3.
Find the total surface area of a hemisphere of radius 10 cm. (Use π = 3.14)
Answer:
r = 10 cm
∴ Total surface area of a hemisphere= 3πr2
= 3 × 3.14 × 10 × 10
= 942 cm2

Question 4.
The radius of a spherical balloon increases from 7 cm to 14 cm as air is being pumped into it. Find the ratio of surface areas of the balloon in the two cases.
Answer:
Let r be the initial radius and R be the increased radius of balloon.
r = 7 cm and R = 14 cm
Ratio of the surface area
= \(\frac{4 \pi r^2}{4 \pi \mathrm{R}^2}\) = \(\frac{r^{2}}{R^{2}}\) =
Thus, the ratio of surface areas = 1 : 4.

Question 5.
A hemispherical bowl made of brass has inner diameter 10.5 cm. Find the cost of tin-plating it on the inside at the rate of ₹ 16 per 100 cm2.

Ans. Radius of the bowl (r) =\(\frac{10.5}{2}\) = 5.25 cm

Curved surface area of the hemispherical bowl = 2πr2
= (2 × \(\frac{22}{7}\) × 5.25 × 5.25) cm2
= 173.25 cm2

Rate of tin-plating is ₹ 16 per 100 cm2
Therefor, cost of 1 cm2 = ₹ \(\frac{16}{100}\)
Total cost of tin-plating the hemisphere bowl
= 173.25 × \(\frac{16}{100}\) = ₹ 121.72

Question 6.
Find the radius of a sphere whose surface area is 154 cm2.
Answer:
Let r be the radius of the sphere.
Surface area =154 cm2
⇒ 4πr2 = 154
⇒ 4 × \(\frac{22}{7}\) × r2 = 154
⇒ r2 = \(\frac{154}{\left(4 \times \frac{22}{7}\right)}\)
⇒ r2 = \(\frac{49}{4}\)
⇒ r = \(\frac{7}{2}\) = 3.5 cm

Question 7.
The diameter of the moon is approximately one fourth of the diameter of the earth. Find the ratio of their surface areas.
Answer:
Let the diameter of earth be r then the diameter of the moon = r/4
Radius of the earth = \(\frac{r}{2}\)
Radius of the moon = \(\frac{r}{8}\)
Ratio of their surface areas = \(\frac{4 \pi\left(\frac{r}{8}\right)^2}{4 \pi\left(\frac{r}{2}\right)^2}\)
= \(\frac{\left(\frac{1}{64}\right)}{\left(\frac{1}{4}\right)}\)
= \(\frac{4}{64}\) = \(\frac{1}{16}\)

Thus, the ratio of their surface areas is 1:16.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4

Question 8.
A hemispherical bowl is made of steel, 0. 25 cm thick. The inner radius of the . bowl is 5 cm. Find the outer curved surface area of the bowl.
Answer:
Inner radius of the bowl (r) = 5 cm
Thickness of the steel = 0.25 cm
∴ Outer radius (R)
= (r + 0.25) cm
= (5 + 0.25) cm
= 5.25 cm

Outer curved surface area = 2πR2
= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 5.25 × 5.25
= 173.25 cm2

Question 9.
A right circular cylinder just encloses a sphere of radius r (see Fig.). Find
(i) surface area of the sphere,
(ii) curved surface area of the cylinder,
(iii) ratio of the areas obtained in (i) and (ii)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 13 Surface Areas and Volumes Ex 13.4 - 1
Answer:
(i) The surface area of the sphere with radius r = 4πr2
(ii) The right circular cylinder just encloses a sphere of radius r.
∴ The radius of the cylinder = r and its height = 2r
∴ Curved surface of cylinder = 2πrh = 2π × r × 2r = 4πr2

(iii) Ratio of the areas = 4πr2 : 4πr2 = 1 : 1.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1

Page-283

Question 1.
In a cricket match, a batswoman hits a boundary 6 times out of 30 balls she plays. Find the probability that she did not hit a boundary.
Solution:
Total number of balls = 30.
Number of boundaries = 6.
Number of times she didn’t hit boundary = 30 – 6 = 24
Probability she did not hit a boundary
= \(\frac{24}{30}\) = \(\frac{4}{5}\)

Question 2.
1500 families with 2 children were selected randomly, and the following data were recorded :

Number of girls in a family 2 1 0
Number of families 475 814 211

Compute the probability of a family, chosen at random, having :
(i) 2 girls
(ii) 1 girl
(iii) No girl.
Also check whether the sum of these probabilities is 1.
Solution:
Total number of families = 1500
(i) Number of families having 2 girls = 475

Probability = \(\frac{\text { Number of favourable outcomes }}{\text { Total number of possible outcomes }}\)
= \(\frac{475}{1500}\) = \(\frac{19}{60}\)

(ii) Number of families having 1 girl = 814
Probability = \(\frac{\text { Number of favourable outcomes }}{\text { Total number of possible outcomes }}\)
= \(\frac{814}{1500}\) = \(\frac{407}{750}\)

(iii) Number of families having no girl = 211
Probability = \(\frac{\text { Number of favourable outcomes }}{\text { Total number of possible outcomes }}\)
= \(\frac{211}{1500}\)

Sum of the probability
= \(\frac{19}{60}+\frac{407}{750}+\frac{211}{1500}\)
= \(\frac{475+814+211}{1500}\)
= \(\frac{1500}{1500}\) = 1

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1

Question 3.
In a particular section of class IX, 40 students were asked about the month of their birth and the following graph was prepared for the data so obtained :
Img 1
Solution :
Total number of students = 40
Number of students born in August = 6
Required probability = \(\frac{6}{40}\) = \(\frac{3}{20}\)

Question 4.
Three coins are tossed simultaneously 200 times with the following frequencies of different outcomes :

Outcome 3 heads 2 heads 1 head No head
Frequency 23 72 77 28

If the three coins are simultaneously tossed again, compute the probability of 2 heads coming up.
Solution :
Number of times 2 heads coming up = 72
Total number of times the coins were tossed = 200
Required probability = \(\frac{72}{200}\) = \(\frac{9}{25}\)

Question 5.
An organisation selected 2400 families at random and surveyed them to determine their income level and the number of vehicles in a family. The information gathered is listed in the table below :
Img 2
Suppose a family is chosen. Find the probability that the family chosen is :
(i) earning ₹ 10000 – 13000 per month and owning exactly 2 vehicles.
(ii) earning ₹ 16000 or more per month and owning exactly 1 vehicle.
(iii) earning less than ₹ 7000 per month and does not own any vehicle.
(iv) earning ₹ 13000 – 16000 per month and owning more than 2 vehicles.
(v) owning not more than 1 vehicle.
Solution:
The total number of families = 2400
(i) Number of families earning ₹ 10000 – 13000 per month and owning exactly 2 vehicles = 29
Required probability = \(\frac{29}{2400}\)

(ii) Number of families earning ₹ 16000 or more per month and owning exactly 1 vehicle = 579
Required probability = \(\frac{579}{2400}\)

(iii) Number of families earning less than ₹ 7000 per month and does not own any vehicle = 10
Required probability = \(\frac{10}{2400}\) = \(\frac{1}{240}\)

(iv) Number of families earning ₹ 13000 – 16000 per month and owning more than 2 vehicles = 25
Required probability = \(\frac{25}{2400}\) = \(\frac{1}{96}\)

(v) Number of families owning not more than 1 vehicle
10 + 0 + 1 + 2 + 1 + 160 + 305 + 535 + 469 + 579 = 2062
Required probability = \(\frac{2062}{2400}\) = \(\frac{1031}{1200}\)

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1

Question 6.
Following table shows the performance of two sections of students in Mathematics test of 100 marks.
(i) Find the probability that a student obtained less than 20% marks in the mathematics test.
(ii) Find the probability that a student obtained marks 60 or above.

Marks Number of students
0 – 20 7
20 – 30 10
30 – 40 10
40 – 50 20
50 – 60 20
60 – 70 15
70 – above 8
Total 90

Solution:
Total number of students = 90
(i) Number of students obtained less than 20% in mathematics test = 7
Required probability = \(\frac{7}{90}\)

(ii) Number of students obtained marks 60 or above = 15 + 8 = 23
Required probability = \(\frac{23}{90}\)

Question 7.
To know the opinion of the students about the subject statistics, a survey of 200 students was conducted. The data is recorded in the following table :

Opinion Number of students
like 135
dislike 65

Find the probability that a student chosen at random :
(i) likes statistics,
(ii) does not like it.
Solution:
Total number of students = 135 + 65 = 200

(i) Number of students who likes statistics = 135
Required probability = \(\frac{135}{200}\) = \(\frac{27}{40}\)

(ii) Number of students who dislikes statistics = 65
Required probability = \(\frac{65}{200}\) = \(\frac{13}{40}\)

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 15 Probability Ex 15.1

Question 8.
The distance (in km) of 40 engineers from their residence to their place of work were found as follows: What is the empirical probability that an engineer lives :
(i) less than 7 km from her place of work?
(ii) more than or equal to 7 km from her place of work ?
(iii) within \(\frac{1}{2}\) km from her place of work?
Solution:
The distance (in km) of 40 engineers from their residence to their place of work were found as follows:
5, 3, 10, 2, 25, 11, 13, 7, 12, 31, 19, 10, 12, 17, 18, 11, 32, 17, 16, 2, 7, 9, 7, 8, 3, 5, 12, 15, 18, 3, 12, 14, 2, 9, 6, 15, 15, 7, 6, 12.
Total number of engineers = 40.
(i) Number of engineers living less than 7 km from her place of work = 9.
Required probability = \(\frac{9}{40}\).

(ii) Number of engineers living more than or equal to 7 km from her place of work = 40 – 9 = 31.
Required probability = \(\frac{31}{40}\)
(iii) Number of engineers living within \(\frac{1}{2}\) km from her place of work = 0.
Required probability = \(\frac{0}{40}\) = 0.

Page-285

Question 9.
Eleven bags of wheat flour, each marked 5 kg, actually contained the following weights of flour (in kg):
4.97, 5.05, 5.08, 5.03 5.00 5.06 5.08, 4.98, 5.04, 5.07, 5.00
Find the probability that any of these bags chosen at random contains more than 5 kg of flour.
Solution:
Total number of bags = 11
Numbers of bags containing more than 5 kg of flour = 7.
Required probability = \(\frac{7}{11}\)

Question 10.
A study was conducted to find out the concentration of sulphur dioxide in the air in parts per million of a certain city for 30 days. Using this table, find the probability of the concentration of sulphur dioxide in the interval 0.12-0.16 on any of these days.
The data obtained for 30 days is as follows:
Img 3
Solution :
Total number of days data recorded = 30.
Numbers of days in which sulphur dioxide is in the interval 0.12 – 0.16 = 2.
Required probability = \(\frac{2}{30}\) = \(\frac{1}{15}\) .

Question 11.
The blood groups of 30 students of class VIII are recorded as follows:
A, B, O, O, AB, O, A, O, B, A, O, B, A, O, O,
A, AB, O, A, A, O, O, AB, B, A, O, B, A, B, O.
Represent this data in the form of a frequency distribution table. Use this table to determine the probability that a student of this class, selected at random, has blood group AB.
Solution :
Total numbers of students = 30.
Numbers of students having blood group AB = 3.
Required probability = \(\frac{3}{30}\) = \(\frac{1}{10}\).

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

उपसर्ग की परिभाषा – शब्द या धातु (क्रिया) के पूर्व जो पद जोड़े या लगाये जाते हैं वे उपसर्ग कहे जाते हैं। उपसर्ग का प्रयोग करने से धातु के अर्थ में विशेषता आ जाती है। कहीं धातु का अर्थ परिवर्तित होकर एक नया अर्थ प्रकट करता है तो कहीं अर्थ का विपर्यय या विलोम हो जाता है और इस प्रकार अर्थ में सौन्दर्य आ जाता है। जैसे –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 1

उपर्युक्त सभी उपसर्गयुक्त शब्द एक ही धातु (क्रिया) शब्द के साथ भिन्न-भिन्न उपसर्ग जोड़ने से बने हैं, किन्तु उनके अर्थ बिल्कुल बदल गये हैं।

कुल उपसर्ग 22 होते हैं जो इस प्रकार हैं-प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर, दुस्, दुर्, वि, आड्. (आ), नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि, उप।

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

अब यहाँ पर कतिपय उपसर्गों द्वारा धातु के अर्थ परिवर्तन को प्रदर्शित करते हैं –

1. ‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग

‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग धातु (क्रिया) शब्द से पूर्व उत्कर्ष-अर्थ में होता है। ‘प्र’ उपसर्ग जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार है –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 2

2. ‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग

‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग अच्छा, पूरा, साथ आदि अनेक अर्थ में किया जाता है। क्रिया में ‘सम्’ उपसर्ग जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार हैं –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 3

3. ‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग

‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग बुरा, दुष्कर्म आदि अर्थ में आता है। क्रिया-शब्द में ‘दुस्’ जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार हैं –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 4

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

4. अनु’ उपसर्ग का प्रयोग

‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बाद में’ अथवा ‘अनुकरण’ आदि के अर्थ में होता है। जैसे –
उपसर्ग + धातु (क्रिया) धातु का अर्थ = उपसर्गयुक्त क्रिया उपसर्गयुक्त धातु का अर्थ

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 5

5. ‘वि’ उपसर्ग का प्रयोग

‘वि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘विशेष’, ‘रहित’, ‘विपरीत’ अथवा ‘पृथक् आदि अर्थ में होता है। जैसे –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 6

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

6. ‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग

‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग ‘समीप’, अथवा ‘ओर’ आदि के अर्थ में होता है। जैसे –

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 7

अभ्यास

प्रश्न: 1.
‘गम्’ धातु के साथ ‘सम्’ उपसर्ग लगाने पर अर्थ में क्या अन्तर पड़ता है ?
उत्तर :
‘गच्छति’ में ‘सम्’ उपसर्ग जोड़ने पर ‘संगच्छति’ का अर्थ ‘साथ जाता है’ हो जाता है।

प्रश्न: 2.
‘भू’ (भव्) अथवा ‘गम्’ (गच्छ) के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर शब्द लिखिए।
उत्तर :
(i) सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
(ii) अनु + भू (भव्) = अनुभवति (अनुभव करता है)
(iii) सम् + गम् (गच्छ्) = संगच्छति (साथ जाता है)
(iv) अनु + गम् (गच्छ्) = अनुगच्छति (पीछे जाता है)

प्रश्न: 3.
‘नी’ (नय) अथवा ‘कृ’ के साथ ‘अनु’ एवं ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
(i) अनु + नि (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता है)
(ii) उप + नी (नय्) = उपनयति (पास ले जाता है)
(iii) अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)
(iv) उप + कृ = उपकरोति (उपकार करता है)

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न: 4.
‘भू’ (भव्) अथवा ‘वद्’ के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
(ii) अनु + भू (भव्) = अनुभवति (अनुभव करता है)
(iii) सम् + वद् = संवदति (वार्तालाप करता है)
(iv) अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)

प्रश्न: 5.
‘नी’ (नय) अथवा ‘चर्’ धातु के साथ ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) अनु + नी (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता है)
(ii) अनु + चर् = अनुचरति (अनुकरण करता है)

प्रश्न: 6.
‘वद्’ अथवा ‘चर’ के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) सम् + वद् = संवदति (वार्तालाप करता है)
(ii) अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)
(iii) सम् + चर् = संचरति (घूमता-फिरता है)
(iv) अनु + चर् = अनुचरति (अनुकरण करता है)

प्रश्न: 7.
‘ह’ अथवा ‘चल’ के साथ ‘प्र’ और ‘वि’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) प्र + ह = प्रहरति (प्रहार करता है)
(ii) वि + ह = विहरति (घूमता है)
(iii) प्र + चल् = प्रचलति (घूमता-फिरता है)

प्रश्न: 8.
‘वस्’ अथवा ‘गम्’ धातु के साथ ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) उप + वस् = उपवसति (पास रहता है)
(ii) उप + गम् = उपगच्छति (पास जाता है)

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न: 9.
‘स्मृ’ अथवा ‘तृ’ धातु के साथ ‘वि’ और ‘सम्’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) वि + स्मृ = विस्मरति (भूलता है)
(ii) सम् + स्मृ = संस्मरति (याद करता है)
(iii) वि + तृ = वितरति (बाँटता है)
(iv) सम् + तृ = संतरति (पार जाता है)

प्रश्न: 10.
‘कृ’ अथवा नी धातु के साथ ‘अनु’ और ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)
(ii) उप + कृ = उपकरोति (उपकार करता है)
(iii) अनु + नी = अनुनयति (अनुनय करता है)
(iv) उप + नी = उपनयति (पास ले जाता है)

प्रश्न: 11.
‘चर्’ अथवा ‘धाव’ धातु के साथ ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) अनुचरति
(ii) अनुधावति।

प्रश्न: 12.
‘पठ्’ अथवा भू (भव्) धातु के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर :
(i) सम् + पठ् = संपठति (भलीभाँति पढ़ता है)
(ii) अनु + पठ् = अनुपठति (पीछे प्रढ़ता है)
(iii) सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
(iv) अनु + भू (भव्) = अनुभवति (अनुभव करता है)

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न: 13.
‘ह’ अथवा ‘चर्’ धातु के साथ ‘वि’ और ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर क्रियापद लिखिये।
उत्तर :
(i) वि + ह = विहरति (घूमता है)
(ii) प्र + ह = प्रहरति (प्रहार करता है)
(iii) वि + चर् = संभवति (संभव होता है)
(iv) प्र + चर् = प्रचरति (घूमता है)

प्रश्न: 14.
‘वद्’ अथवा ‘कृ’ धातु के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर क्रियापद लिखिये।
उत्तर :
(i) सम् + वद् = संवदति (वार्तालाप करता है)
(ii) अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)
(iii) सम् + कृ = संस्करोति (संस्कार करता है)
(iv) अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)

प्रश्न: 15.
‘दृश्’ (पश्य) अथवा नी (नय्) धातु के साथ ‘अनु’ और ‘वि’ उपसर्ग लगाकर क्रियापद लिखिये।
उत्तर :
(i) अनु + दृश् (पश्य्) = अनुपश्यति (पीछे देखता है)
(ii) वि + दृश् (पश्य्) = विपश्यति (देखता है)
(iii) अनु + नी (नय) = अनुनयति (अनुनय करता है)
(iv) वि + नी (नय) = विनयति (नम्र बनाता है)

प्रश्न: 16.
‘हृ’ अथवा गम् (गच्छ) धातु के साथ ‘उप’ उपसर्ग लगाकर क्रियापद लिखिये।
उत्तर :
(i) उप + ह = उपहरति (उपहार देता है)
(ii) उप + गम् (गच्छ्) = उपगच्छति (पास जाता है)

JAC Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न: 17.
अधोलिखितेभ्यः पदेभ्यः उपसर्गान् पृथक् कृत्वा लिखत।
(निम्नलिखित पदों से उपसर्गों को अलग करके लिखिए।)
उत्तर :
पदम् – उपसर्ग
1. उपजायते – उप + जायते
2. प्रपद्यते – प्र + पद्यते
3. विभक्तता वि + भक्तता
4. प्रविश्य – प्र + विश्य
5. विशुष्य – वि + शुख्स्य
6. उपयम्य – उप + यम्य
7. प्रक्षाल्य – प्र + क्षाल्य
8. अनुरथम् – अनु + रथम्
9. अनुग्रहः – अनु + ग्रहः
10. विरुद्धः – वि + रुद्धः
11. उपकारः – उप + कारः
12. संश्रुत्य – सम् + श्रुत्य