JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव प्रक्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
एककोशिकीय जीवों में उत्सर्जन की क्रिया किस प्रकार से होती है?
उत्तर:
एककोशिकीय जीवों में उत्सर्जन की क्रिया विसरण द्वारा होती है।

प्रश्न 3.
वृक्क के अतिरिक्त दो सहायक उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वृक्क के अतिरिक्त दो सहायक उत्सर्जी अंग हैं- त्वचा, यकृत।

प्रश्न 4.
मूत्र निर्माण की प्रक्रियाओं के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
मूत्र निर्माण की प्रक्रियाएँ हैं-

  • छनन (Piltration)
  • वरणात्मक पुनः अवशोषण (Selective reab-sorption)
  • नलिकीय स्त्रावण (Tubular secretion)।

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प्रश्न 5.
पादपों की उस प्रक्रिया का नाम लिखिए, जिसमें जलवाष्प के रूप में जल लुप्त होता है।
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन।

प्रश्न 6.
पादप में प्रकाश संश्लेषण के विलेय उत्पादों का स्थानान्तरण करने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
फ्लोएम।

प्रश्न 7.
पोषण के आधार पर जीवों को कितने समूहों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पोषण के आधार पर जीवों को दो समूहों में बाँटा गया

  • स्वपोषी पोषण
  • विषमपोषी पोषण।

प्रश्न 8.
पादपों में जल और खनिज का स्थानांतरण करने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
जाइलम ऊतक।

प्रश्न 9.
हमारी पेशी कोशिका में अवायवीय श्वसन के उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
लैक्टिक अम्ल तथा ऊर्जा।

प्रश्न 10.
एक परजीवी पुष्पी पादप का नाम बताइए।
उत्तर:
अमरबेल।

प्रश्न 11.
कौन-सी शिरा में शुद्ध रक्त पाया जाता है?
उत्तर:
पल्मोनरी शिरा में।

प्रश्न 12.
हृदय के किस भाग में (i) शुद्ध रक्त, (ii) अशुद्ध रक्त प्रवेश करता है?
उत्तर:

  • बायें अलिन्द में
  • दाहिने अलिन्द में।

प्रश्न 13.
हृदय के किस भाग से (i) शुद्ध रक्त, (ii) अशुद्ध रक्त बाहर जाता है?
उत्तर:

  • बायें निलय से
  • दाहिने निलय से।

प्रश्न 14.
ताप नियमन, ग्लूकोज मात्रा का नियमन, सोडियम, पोटैशियम का नियमन एवं जल की मात्रा का नियमन किस क्रिया द्वारा सम्पन्न होता है?
उत्तर:
यह परासरण नियन्त्रण क्रिया द्वारा सम्पन्न होता है।

प्रश्न 15.
एंजाइम पेप्सिन तथा लाइपेज किस माध्यम में सक्रिय रूप से क्रिया करते हैं?
उत्तर:
अम्लीय माध्यम में।

प्रश्न 16.
यीस्ट में अवायवीय श्वसन के बाद बनने वाले उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर:
इथेनॉल, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा ऊर्जा।

प्रश्न 17.
मानव हृदय का कौन-सा भाग ऑक्सीजनित रुधिर प्राप्त करता है?
उत्तर:
बायाँ भाग।

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प्रश्न 18.
कौन-सी रुधिरवाहिका रक्त हृदय से दूर शुद्धीकरण के लिए ले जाती है?
उत्तर:
फुफ्फुसीय धमनी (Pulmonary artery)।

प्रश्न 19.
वृक्क की सूक्ष्मतम उत्सर्जन इकाई क्या है?
उत्तर:
नेफ्रॉन (वृक्काणु)।

प्रश्न 20.
हमारी आँत में वसा का पाचन कहाँ होता है?
उत्तर:
छोटी आँत में।

प्रश्न 21.
ऊतकों में गैसों का विनिमय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
गैसों का विनिमय ऊतक और रुधिर कोशिकाओं के बीच O2 और CO2 के विसरण द्वारा होता है।

प्रश्न 22.
ऊर्जा कहाँ मुक्त और एकत्र होती है?
उत्तर:
ऊर्जा माइटोकॉण्ड्रिया में मुक्त और एकत्र होती है।

प्रश्न 23.
श्वसन वर्णक किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
श्वसन वर्णक बड़े जंतुओं में पाए जाते हैं। वे हवा से ऑक्सीजन ग्रहण कर फेफड़ों से ले जाते हैं और जिन ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी होती है वहाँ पर ले जाकर मुक्त करते हैं।

प्रश्न 24.
मनुष्य में पाए जाने वाले श्वसन वर्णक का नाम लिखिए। यह कहाँ पर पाया जाता है?
उत्तर:
मनुष्य में पाया जाने वाला श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन हैं है। यह लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
हमारे शरीर में CO2 का परिवहन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
CO2 जल में अधिक घुलनशील है और हमारे रक्त में घुली हुई अवस्था में स्थानान्तरित होती है।

प्रश्न 26.
हमारे शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन का परिवहन हीमोग्लोबिन द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 27.
वहन क्या है?
उत्तर:
वह जैव प्रक्रिया जिसमें पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाया जाता है, वहन कहलाता है।

प्रश्न 28.
जंतुओं में पदार्थों के परिवहन के लिए उत्तरदायी तंत्र का नाम लिखो।
उत्तर:
परिसंचरण तंत्र।

प्रश्न 29.
मनुष्य में पदार्थों का वहन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
रुधिर और लसीका।

प्रश्न 30.
प्रत्येक वृक्क में कितने नेफ्रॉन होते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक वृक्क में नेफ्रॉन की संख्या लगभग 10 लाख तक होती है।

प्रश्न 31.
हमारे शरीर में शर्कराओं तथा वसाओं के ऑक्सीकरण से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे शरीर में शर्कराओं एवं वसाओं के ऑक्सीकरण से बनने वाले पदार्थ हैं – H2O, CO2

प्रश्न 32.
रुधिर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड के वाहक का नाम लिखिए।
उत्तर:
लाल रुधिर कोशिकाओं में उपस्थित प्रोटीन हीमोग्लोबिन है।

प्रश्न 33.
शरीर में लसीका कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
शरीर के सभी ऊतकों में कोशिकाओं के बीच के रिक्त स्थान में लसीका पाया जाता है।

प्रश्न 34.
प्लाज्मा जल की कितनी मात्रा पायी जाती है?
उत्तर:
प्लाज्मा में लगभग 90-92 प्रतिशत जल होता है।

प्रश्न 35.
उत्सर्जन क्या है?
उत्तर:
जीवधारियों के शरीर में उपापचय क्रियाओं के फलस्वरूप कई विषाक्त और हानिकारक पदार्थ बनते हैं, इन पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया उत्सर्जन कहलाती है।

प्रश्न 36.
मूत्र क्या है?
उत्तर:
वृक्क में छनन, वरणात्मक पुनः अवशोषण तथा नलिकीय स्रावण प्रक्रियाओं के पश्चात् मूत्राशय में एकत्रित अपशिष्ट द्रव मूत्र कहलाता है।

प्रश्न 37.
मूत्र का संघटन बताइए।
उत्तर:
मूत्र में निम्नलिखित पदार्थ होते हैं-

  • जल
  • यूरिया
  • यूरिक अम्ल
  • विभिन्न

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प्रश्न 38.
मनुष्य के शरीर में कौन-कौन से पदार्थ होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में निम्नलिखित अपशिष्ट पदार्थ होते हैं-

  • गैसीय अपशिष्ट कार्बन डाइ ऑक्साइड, अमोनिया।
  • द्रव अपशिष्ट – अमोनिया लवण, यूरिया तथा यूरिक अम्ल, अतिरिक्त जल आदि।
  • ठोस अपशिष्ट – भोजन के पाचन के बाद बचे पदार्थ, जैसे- रफेज।

प्रश्न 39.
पौधों में कौन-कौन-से अपशिष्ट पदार्थ पाये जाते हैं?
उत्तर:
पौधों में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, क्रिस्टल, गोंद, टेनिन आदि अपशिष्ट पदार्थ के रूप में पाये जाते हैं।

प्रश्न 40.
नेफ्रॉन क्या है?
उत्तर:
मनुष्य का प्रत्येक वृक्क बहुत-सी कुण्डलित नलिकाओं का बना होता है जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं। नेफ्रॉन वृक्क की एक क्रियात्मक इकाई है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुपोषण से क्या तात्पर्य है? इसके कारण भी लिखिए।
उत्तर:
कुपोषण – कुपोषण का तात्पर्य है शरीर का पोषण ठीक से न होना अर्थात् भोजन करने और कोई रोग न होने पर भी शरीर की वृद्धि का न होना इसके कई कारण हैं- अधिक मात्रा में भोजन करना, कम मात्रा में भोजन करना, भोजन का असन्तुलित होना, भोजन का अनियमित होना या शरीर में कोई रोग अथवा दोष होना, जिसके कारण पोषण ठीक से न होता हो।

प्रश्न 2.
पोषण के निम्नलिखित चरणों की क्रिया को लिखिए – (i) अन्तर्ग्रहण, (ii) पाचन, (iii) अवशोषण, (iv) स्वांगीकरण, (v) बहिः क्षेपण या मल परित्याग।
उत्तर:
(i) भोजन का अन्तर्ग्रहण (Ingestion)- शाकाहारी एवं मांसाहारी जन्त में अन्तर्ग्रहण क्रिया द्वारा ठोस या अविसरणशील भोजन को सीधे ही वातावरण से प्राप्त करके शरीर के अन्दर स्थित पाचक अंगों (Digestive organs) तक पहुँचाया जाता है। उच्चस्तरीय बहुकोशिक रीढ़धारी जन्तु सीधे ही मुख द्वारा भोजन को बगैर किसी बाह्य अंग की सहायता से ग्रहण करते हैं।

(ii) पाचन (Digestion) – खाये हुए ठोस या तरल भोजन में जटिल कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा) अविसरणशील होता है जिसे सीधे अवशोषित नहीं एवं तथा किया जा सकता। अतः उसे पाचक रसों (एन्जाइमों) जल की जलीय अपघटन (Hydrolysis) क्रिया द्वारा, क्रमश: मोनोसेकेराइड्स (शर्कराओं) ऐमीनो अम्लों वसा अम्लों के छोटे-छोटे सरल, विसरणशील अणुओं (Mol- ecules) और आयनों (Ions) में बदल दिया जाता है, ताकि उनका सरलता से अवशोषण हो सके।

(iii) अवशोषण (Absorption ) – सरल घुलनशील पचा हुआ भोजन जिसमें ग्लूकोज, शर्करा, ऐमीनो अम्ल, वसा अम्ल आदि होते हैं, आँत से विसरित होकर रुधिर में पहुँचता है, इस क्रिया को अवशोषण (Absorption) कहते हैं। यह कार्य प्रमुख रूप से क्षुद्रान्त्र में होता है।

(iv) स्वांगीकरण (Assimilation ) – अवशोषण के बाद रुधिर में होकर ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज तथा वसा के अणु शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुँचते हैं. जहाँ पर वे प्रोटीन संश्लेषण टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत तथा जीवद्रव्य का निर्माण करते ही

(v) बहिःक्षेपण या मल परित्याग (Egestion) नाल के अन्दर यद्यपि अनेक एन्जाइम्स खाद्य – आहार रह आँत में पदार्थों के ऊपर क्रिया करते हैं फिर भी इनका कुछ अंश अपचित रह है। यह अवशिष्ट पदार्थ चला जाता है जहाँ इसका अधिकांश भाग पानी पुनः अवशोषित हो जाता है तथा शेष टोस अथवा अर्ध ठोस पदार्थ मल के रूप में समय-समय पर गुदा द्वार (anus) द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 3.
आमाशय किसे कहते हैं? उसके तीन प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
आमाशय (Stomach)- आमाशय एक पेशीय थैली होती है जिसकी पेशियाँ संकुचन एवं शिथिलन की सहायता से खाद्य पदार्थ को मथती हैं तथा आमाशयी पाचन की क्रिया पूर्ण होने पर उसे आगे ग्रहणी की ओर धकेलती हैं।

आमाशय के कार्य (Functions of Stomach) –

  • आमाशय भोजन के भण्डारण का कार्य करता है।
  • भोजन को मथने का कार्य करता है।
  • आमाशय की दीवारों से जठर रस स्रावित होता है जो भोजन को पचाने में सहायक होता है।

प्रश्न 4.
आहारनाल से सम्बन्धित पाचक ग्रन्थियों का संक्षेप में वर्णन करते हुए उनके मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर:
1. आमाशय – आमाशय की दीवारों में जठर ग्रन्थियाँ होती हैं जिनसे निम्न जठर रस स्त्रावित होते हैं-

  • ट्रिप्सिन (Trypsin)-यह काइम की शेष प्रोटीन को पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड में बदल देता है।
    ट्रिप्सिन + प्रोटीन → पेप्टोन्स + पॉलीपेप्टाइड्स
    काइमोट्रिप्सिन + प्रोटीन → पेप्टोन्स + पॉलीपेप्टाइड्स
  • एमाइलेज (Amylase ) – यह मण्ड को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। (स्टार्च + ग्लाइकोजन) + एमाइलेज
  • स्टीएप्सिन (Steapsin) – यह पायसीकृत वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देता है। इमल्सीकृत वसा + स्टीएप्सिन वसीय अम्ल ग्लिसरॉल
  • न्यूक्लिएजेज- ये न्यूक्लिक अम्लों को न्यूक्लियोटाइड्स में विखण्डित करते हैं।
    न्यूक्लिक अम्ल + न्यूक्लिएजेज न्यूक्लियोटाइड्स

2. क्षुद्रात्र में पाचन – भोजन के अधिकांश भाग का पाचन ग्रहणी में हो जाता है फिर भी अवशेष भोजन का पाचन क्षुद्रान्त्र में होता है। करते क्षुद्रान्त्र हैं। की दीवारों में पाचन ग्रन्थियाँ होती हैं, जिनसे आन्त्रीय रस (Intestinal juice) निकलता है। एक दिन में मनुष्य की आँत से 6-7 लीटर आन्त्रीय रस का स्त्रावण होता है। इसमें निम्नलिखित पाचक एन्जाइम होते हैं-

  • इरेप्सिन (Erapsin) – यह पॉलीपेप्टाइडों को ऐमीनो अम्ल में बदलता है।
  • माल्टेज (Maltase ) – यह माल्टोज को ग्लूकोज में बदलता है
  • सुक्रेज (Sucrase) – यह सुक्रोज को फ्रक्टोज तथा ग्लूकोज में बदलता है।
  • लैक्टेज (Lactase) – यह दुग्ध शर्करा (Lac-tose) को ग्लूकोज तथा गैलेक्टोज में बदलता है।
  • लाइपेज (Lipase) – यह शेष वसाओं को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदलता है।

प्रश्न 5.
मुख से लेकर आमाशय तक होने वाली पाचन क्रिया को प्रभावित करने वाले विकारों के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • टायलिन – यह एक विकार है जो भोजन के मण्ड को शर्करा में बदल देता है।
  • पेप्सिन – यह भोजन के प्रोटीन को पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड में बदल देता है।
  • रेनिन- यह दूध की विलेय प्रोटीन (केसीन- Casein) को ठोस एवं अविलेय दही बदल देता है।
  • जठर लाइपेज – वसा को ड्राइ ग्लिसरॉयड्स में बदल देता है।

प्रश्न 6.
जाइलम द्वारा जल एवं खनिज लवणों का वहन पादपों किस बल के अंतर्गत होता है?
उत्तर:
जाइलम में जल के वहन के लिए दो बल उत्तरदायी हैं-
(i) पौधे की जड़ों में उपस्थित जाइलम ऊतक मिट्टी के सम्पर्क में आने पर बड़ी शीघ्रता से आयनों को ऊपर की ओर ग्रहण करते हैं जिससे जड़ों और मिट्टी में आयन सान्द्रता में अन्तर उत्पन्न हो जाता है। अतः मिट्टी से पानी इस आयन सान्द्रता को दूर करने के लिए प्रवेश जड़ों करता है।

(ii) वाष्पोत्सर्जन – यह पौधों में जल के परिवहन का दूसरा तरीका है। पौधों की पत्तियों की कोशिकाओं जल के अणुओं का वाष्पन एक चूषण दाब उत्पन्न करता है जिसके कारण जड़ों की जाइलम कोशिकाओं से पानी ऊपर की ओर खिंचता है।

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प्रश्न 7.
पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:

  • वाष्पोत्सर्जन जड़ों से अवशोषित जल व खनिज लवणों के उपरिमुखी गति के लिए सहायक है।
  • वाष्पोत्सर्जन पौधों में तापमान नियन्त्रण के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 8.
फ्लोएम में भोजन का संवहन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
फ्लोएम में भोजन का स्थानान्तरण सक्रिय रूप से ऊर्जा के उपयोग द्वारा होता है। यह ऊतक का परासरण दाब बढ़ा देता है जिससे जल इसमें प्रवेश कर जाता है। यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता जहाँ दाब कम होता है। यह फ्लोएम को पादप की आवश्यकतानुसार पदार्थों का स्थानांतरण कराता है।
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प्रश्न 9.
एक नेफ्रॉन (nephron) अथवा मूत्रजन (वृक्क) नलिका का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए। (वर्णन की आवश्यकता नहीं) अथवा मानव की वृक्क नलिका की संरचना का स्वच्छ
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

प्रश्न 10.
मनुष्य के उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

प्रश्न 11.
उत्सर्जन किसे कहते हैं? मनुष्य के शरीर में बनने वाले वर्ज्य पदार्थ कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
उत्सर्जन – वह प्रक्रम जिसमें जीवधारियों के शरीर में हानिकारक उपापचयी वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन होता है, उत्सर्जन कहलाता है।

मनुष्य के शरीर में बनने वाले वर्ज्य पदार्थों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ मानव शरीर में मेटाबोलिक क्रियाओं के समय इन पदार्थों का उत्पादन प्रोटीन के ऑक्सीकरण के परिणामस्वरूप होता है। मानव में इन पदार्थों का उत्सर्जन वृक्कों द्वारा होता है ये पदार्थ हैं – यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया आदि।

(2) कार्बनेशियस वर्ज्य पदार्थ शरीर की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के अन्तर्गत कुछ कार्बनयुक्त उत्सर्जी पदार्थों का उत्पादन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा तीनों भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से होता है। मनुष्य में इन पदार्थों का उत्सर्जन फेफड़ों द्वारा किया जाता है।
उदाहरण- कार्बन डाइ ऑक्साइड।

प्रश्न 12.
वृक्क के कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृक्क के निम्नलिखित कार्य हैं-

  • नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों का शरीर से बाहर निकालना।
  • शरीर में जल की मात्रा का नियमन करना।
  • शरीर में लवर्णों की पर्याप्त मात्रा का नियमन करना।
  • विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।

प्रश्न 13.
उत्सर्जन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
उत्सर्जन का महत्त्व-

  • हानिकारक पदार्थों का नियन्त्रण करना।
  • परासरण नियमन बनाए रखना।
  • शरीर में समस्थापन स्थापित करना।
  • जल सन्तुलन, लवण सन्तुलन तथा अम्ल-क्षार सन्तुलन को बनाए रखना।

प्रश्न 14.
निम्न प्राणियों को उनके अन्तिम उत्सर्जी पदार्थ के आधार पर वर्गीकृत कीजिए- पक्षी, मेढक, मछली, अमीबा, छिपकली, मनुष्य।
उत्तर:

  • मछली, अमीबा, अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं अतः ये अमोनोटेलिक होंगे।
  • मेढक, मनुष्य, यूरिया का उत्सर्जन करते हैं अतः ये यूरियोटेलिक होंगे।
  • पक्षी, छिपकली यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करते हैं अतः ये यूरिकोटेलिक होंगे।

प्रश्न 15.
अधोत्वचा किसे कहते हैं?
उत्तर:
अधोत्वचा (Hypodermis ) – त्वचा के नीचे शिथिल संयोजी ऊतकों की एक परत होती है, जिसे अधोत्वचा कहते हैं। यह त्वचा का भाग तो नहीं होती, परन्तु इसका कार्य त्वचा को शरीर के भीतरी के ऊतकों से जोड़ने का होता है। इस परत में वसा (Fat) भी होती है, जो शरीर की बाह्य आघातों से रक्षा करने तथा शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकने में, ऊष्मा अवरोधक (Heat insulator) का कार्य करती है।

प्रश्न 16.
पोषण क्या है? पोषण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? पोषण के मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए। पाचन एवं पोषण में अन्तर बताइए।
उत्तर:
भोजन ग्रहण से लेकर स्वांगीकृत तथा भविष्य के लिए उसे शरीर में संगृहीत करने तक की सभी क्रियाओं का सम्मिलित नाम पोषण है। शरीर के उचित विकास हेतु पोषण की आवश्यकता पड़ती है।

पोषण दो प्रकार से होता है-

  • स्वपोषण
  • परपोषण।

स्वपोषण – जब जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं तो इसे स्वपोषण कहते हैं।

परपोषण – जब जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बनाता वह दूसरे पर निर्भर रहता है तो इस क्रिया को परपोषण कहते हैं।
पोषण में भोजन को शरीर में ग्रहण करने से उत्सर्जन तक की सभी क्रिया सम्मिलित होती है, जबकि पाचन पोषण की प्राथमिक क्रिया है।

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प्रश्न 17.
प्रकाश संश्लेषण हेतु आवश्यक पदार्थ तथा इसके उत्पाद क्या हैं? सम्बन्धित समीकरण देकर बताइए।
अथवा
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक पदार्थ पौधे अपना भोजन चार पदार्थों कार्बन डाइऑक्साइड, जल, क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की सहायता बनाते हैं।
(1) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbondixoide) – समस्त जीवधारियों की श्वसन क्रिया वायुमण्डल की ऑक्सीजन का अवशोषण होता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में मुक्त की जाती है। पौधे इस कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने की क्षमता रखते हैं। वे अपना भोजन बनाने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

(2) जल ( Water ) – आप देखते हैं कि किसान अपनी फसलों को पानी देते हैं। वे ऐसा क्यों करते हैं। पौधों की जड़ें इस पानी को अवशोषित करती हैं और जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचा देती हैं। पौधे पानी के साथ-साथ अधिकांश खनिज लवण भी अवशोषित करते हैं। खनिज लवण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में अपना योगदान देते हैं।

(3) क्लोरोफिल (Chlorophyll ) – क्लोरोफिल पत्तों में हरे रंग का वर्णक है। इसके चार घटक हैं। क्लोरोफिल ए, क्लोरोफिल बी, कैरोटिन तथा जैथोफिल। इनमें से क्लोरोफिल ए और बी हरे रंग के होते हैं और सूर्य की प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करके प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु उपलब्ध कराते हैं। क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं। इसलिए जिन कोशिकाओं में क्लोरोफिल होता है उन्हीं कोशिकाओं को प्रकाश संश्लेषी कहते हैं।

(4) प्रकाश (Light) – प्रकाश संश्लेषण में सूर्य प्रकाश का प्राकृतिक स्रोत है, परन्तु कुछ कृत्रिम स्रोत भी इस क्रिया को करने में समर्थ होते हैं। क्लोरोफिल प्रकाश में से बैंगनी, नीला तथा लाल रंग को ग्रहण करता है, परन्तु संश्लेषण की दर लाल प्रकाश में सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 18.
प्रकाश संश्लेषण के प्रकाश-रासायनिक चरण की प्रक्रियाएँ आवश्यक समीकरण देकर समझाइए।
अथवा
प्रकाश-संश्लेषण में प्रकाशित अभिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश- रासायनिक अभिक्रिया (Photo- chemical Reactions) – प्रकाश संश्लेषण के प्रथम चरण में पौधे के हरे भागों की कोशिकाओं में उपस्थित हरित लवक का प्रकाश संश्लेषी रंग का पदार्थ, क्लोरोफिल / (Chlorophyll), प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करता है – जिससे क्लोरोफिल के अणु ऊर्जित (energised) अथवा उत्तेजित (excited) होकर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करते हैं।

इस प्रकार निकले ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन हरित लवक (chloroplast) 1 में उपस्थित इलेक्ट्रॉनग्राहियों (electron acceptors) की सहायता से एक यौगिक एडीनोसीन डाइफॉस्फेट अथवा ए.डी.पी. ADP को ऑक्सीकृत करके एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट : ATP में बदल देते हैं। इस परिवर्तन में प्रकाश ऊर्जा का स्थानान्तरण क्लोरोफिल के अणु से इलेक्ट्रॉनों को तथा इलेक्ट्रॉनों से ADP के अणुओं को होता है – अर्थात् यह ऊर्जा ATP अणु में संचित हो जाती है। इस क्रिया को निम्नवत् लिखा जा सकता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4
इसके अतिरिक्त प्रकाश अभिक्रिया में जल के अणु का प्रकाश ऊर्जा द्वारा विघटन होकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्राप्त होते हैं-
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प्रकाश अभिक्रिया में उत्पन्न ATP के अणुओं की संचित ऊर्जा का उपयोग क्रिया अगले चरण, अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल से ग्लूकोस के संश्लेषण में होता है।

प्रश्न 19.
प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक क्रिया से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न चरणों को आवश्यक आरेख बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
अप्रकाशिक अभिक्रिया अथवा जैव रासायनिक संश्लेषण (Dark Reaction or Bio-chemical Reaction ) – अप्रकाशिक अभिक्रिया चक्रीय प्रक्रिया है, जिसमें उत्पाद प्राप्त होने के साथ-साथ प्रारम्भिक अभिकर्मक का पुनरुत्पादन होता रहता है। इसे चित्र में प्रदर्शित चक्र द्वारा समझा जा सकता है। इसे केल्विन बेन्सन चक्र (Kelvin- Benson cycle) कहते हैं।

(1) प्रकाशहीन क्रियाओं के प्रथम चरण में वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) रन्ध्रों के माध्यम से पत्ती में प्रवेश करती है। CO2 एक 5- कार्बनधारी अणु राइबोलोस – 1, 5- बाइफॉस्फेट ( RuBP) के द्वारा ग्रहण की जाती पत्ती में पहले से उपस्थित रहता है। CO2 एवं जल (H2O) के संयोग से 3 कार्बनधारी यौगिक, 3- फॉस्फोग्लिसरिक एसिड (PGA) के दो अणुओं का निर्माण होता है। इस क्रिया को कार्बोक्सिलीकरण (Carboxy- lation) कहते हैं। यह क्रिया राइबोलोस बाईफॉस्फेट कार्बोक्सिलेज Rubisco नामक एन्जाइम के द्वारा उत्प्रेरित की जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

(2) कार्बोक्सिलीकरण की अभिक्रिया के पश्चात् PGA का अपचयन होता है। इस क्रिया में उन ATP एवं NADPH अणुओं का उपयोग होता है जो प्रकाश- रासायनिक अभिक्रिया में निर्मित हुए थे। अपचयन हेतु आवश्यक ऊर्जा ATP के ADP में परिवर्तन से तथा हाइड्रोजन, NADPH के NADP में परिवर्तन से प्राप्त होती है। PGA के अपचयन से 3- कार्बनधारी अणु ग्लिसरेल्डिहाइड-3 फॉस्फेट नामक यौगिक का निर्माण होता है। इस 3- कार्बनधारी अणु को ट्रायोस फॉस्फेट कहते हैं। इससे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है।

(3) अपचयन की क्रिया में ट्रायोस फॉस्फेट के निर्माण से बचे पदार्थों राइबोलोस-1, 5- बाइफॉस्फेट का पुनरुद्भवन (regeneration) होता है। इसके लिए ATP की आवश्यकता होती है, जिससे एक फॉस्फेट मूलक तथा ATP की ऊर्जा का उपयोग पुनरुद्भवन में होता है तथा ADP शेष है। यह ADP प्रकाशिक क्रिया में पुन: ATP के लिए प्रयुक्त होता है, तथा पुनरुद्भवन से बने RuBP का प्रयोग, पुनः चक्र को आगे बढ़ाने में होता है।

(4) दिए गए चक्र में बने ट्रायोस-फॉस्फेट (3-कार्बनधारी) के दो अणुओं के संयोग से 6- कार्बनधारी कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोस, C6H12O6) बनता है। ग्लूकोस अणुओं के परस्पर संयोग से शर्करा (Sucrase, C12H22O11), स्टार्च [Starch, (C6H10O5)n], सेलुलोस आदि का निर्माण होता है जो पादप कोशिकाओं के भी भोज्य पदार्थ, पादपों में संचित खाद्य पदार्थ एवं कोशिकाभित्ति बनाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित का अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) श्वसन तथा साँस लेना,
(ii) श्वसन तथा दहन,
(iii) ऑक्सी- श्वसन तथा अनॉक्सी – श्वसन।
उत्तर:
(i) श्वसन तथा साँस लेना (Respira- tion and Breathing) – साँस लेना एक भौतिक क्रिया है। साँस लेने में निःश्वसन के समय जन्तु वातावरण से ऑक्सीजन अपने शरीर (फेफड़ों) में लेता है जहाँ उसका विसरण द्वारा रक्त में अवशोषण हो जाता है।

इसके विपरीत श्वसन एक रासायनिक क्रिया है जो प्रत्येक जीवधारी की प्रत्येक कोशिका में होती है। इस क्रिया के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का कोशिका से फेफड़ों तक परिवहन का कार्य रुधिर के प्रवाह द्वारा किया जाता है।

(ii) श्वसन तथा दहन में अन्तर (Differences between Respiration and Combustion)

श्वसन (Respiration) दहन (Combustion)
1. यह एक जैविक क्रिया है जो केवल सजीव कोशिकाओं में ही होती है। 1. यह एक अजैविक क्रिया है। सजीव कोशिकाओं से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
2. यह क्रमबद्ध अनेक चरणों में होती है। 2. इसका कोई क्रमबद्ध चरण नहीं होता है। यह एक ही चरण में होती है।
3. यह एन्जाइमों (Enzymes) द्वारा नियन्त्रित होती है। 3. एन्जाइमों का इस क्रिया से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
4. इसमें ऊर्जा का अधिकांश भाग ATP (adenosine tri-phosphate) के रूप में संचित होता है। 4. इसमें ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मा (heat) तथा प्रकाश (light) के रूप में मुक्त होता है।
5. श्वसन क्रिया शरीर के सामान्य ताप पर होती है। 5. दहन अति उच्च ताप पर होता है।

(iii) ऑक्सी-श्वसन तथा अनॉक्सी-श्वसन में अन्तर
(Differences between Respiration and Combustion)

ऑक्सी-श्वसन (Aerobic Respiration) अनॉक्सी-श्वसन (Anaerobic Respiration)
1. ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। 1. ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है।
2. इसमें भोज्य पदार्थ (Glucose) का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। 2. इसमें भोज्य पदार्थ का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
3. इसमें क्रिया के अन्त में कार्बन डाइऑक्साइड व एथिल ऐल्कोहॉल बनता है। 3. इसमें क्रिया के अन्त में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनता है।
4. इसमें ग्लूकोस के पूर्ण ऑक्सीकरण से 673 k.cal. ऊर्जा उत्पन्न होती है। 4. इसमें बहुत कम ऊर्जा लगभग 27 k cal.  उत्पन्न होती है।
5. इस प्रकार का श्वसन अधिकांश जीवों में होता है। 5. इस प्रकार का श्वसन कवक, जीवाणु आदि में होता है।

प्रश्न 21.
हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सी- हीमोग्लोबिन में क्या अन्तर है? रक्त का रंग किस तत्त्व के कारण लाल होता है?
उत्तर:
हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सी- हीमोग्लोबिन में मुख्य अन्तर यह होता है कि ऑक्सी- हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन युक्त होता है जबकि हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन विहीन होता हैं। ऑक्सी- हीमोग्लोबिन कोशिकाओं तक पहुँचकर O2 को मुक्त कर देता है और वहाँ से CO2 को ले आकर फेफड़े में मुक्त करता है। रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन के हीम (haem) नामक रंगा (pigment) पदार्थ के कारण होता है।

प्रश्न 22.
‘हीमोग्लोबिन’ क्या होता है? इसका कार्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) – लाल रुधिर कणिकाओं में लौह युक्त प्रोटीन पाया जाता है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। इसका रंग लाल होता है इसी कारण रुधिर कणिकाएँ लाल होती हैं। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के परिवहन में भाग लेता है।

हीमोग्लोबिन के कार्य (Functions of Haemoglobin) –
(i) श्वसनांगों में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को अवशोषित करके एक अस्थायी यौगिक बनाता है जिसे ऑक्सीहीमोग्लोबिन (Oxyhaemo-globin) कहते हैं।
हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन → ऑक्सीहीमोग्लोबिन (श्वसनांगों में)
ऑक्सीहीमोग्लोबिन रुधिर परिसंचरण द्वारा उन कोशिकाओं तक पहुँचता है, जहाँ ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। वहाँ पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन विखण्डित होकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देती है। मुक्त ऑक्सीजन कोशिकाओं में विसरित होकर श्वसन में भाग लेता है।
ऑक्सीहीमोग्लोबिन → हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन (कोशिकाओं में)

(ii) हीमोग्लोबिन श्वसन क्रिया के उपरान्त कोशिकाओं में मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलकर अस्थायी यौगिक बनाता है जिसे कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (Carbo- xyhaemoglobin) कहते हैं।
हीमोग्लोबिन + CO2 → कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (कोशिकाओं में)
यह यौगिक परिसंचरण द्वारा श्वसनांगों में पहुँचकर हीमोग्लोबिन तथा कार्बन डाइऑक्साइड में विभक्त हो जाता है जहाँ से कार्बन डाइ ऑक्साइड वातावरण हो जाती है।
कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन → हीमोग्लोबिन + CO2 (फेफड़ों में)
हीमोग्लोबिन फेफड़ों में पुनः ऑक्सीजन से संयोग करती है तथा यह क्रिया बारम्बार होती रहती है।

प्रश्न 23.
धमनी एवं शिरा में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
धमनी तथा शिरा में अन्तर (Differences between Arteries and Veins)

घमनी (Arteries) शिरा (Veins)
1. रुधिर को हददय से दूर विभिन्न अंगों तथा ऊतकों को ले जाती है। 1. विभिन्न ऊतकों व अंगों से रक्त हृदय में लाती है।
2. इनकी दीवार, मोटी, पेशीय, अधिक लचीली और न पिचकने वाली होती है। 2. इनकी दीवार, पतली, कम पेशीच, न के बराबर लचीली और पिचकने वाली होती है :
3. इसमें कपाट नहीं होते हैं। 3. इसमें कपाट होते हैं :
4. इनमें रक्त अधिक दबाव व झटके के साथ तेज गति से बहता है। 4. इनमें रक्त कम दबाव के साथ धीमी गति से बहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘पोषण’ से क्या तात्पर्य है? मानव में पोषण के विभिन्न चरणों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
पोषण (Nutrition) सभी जीवों की दो प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं- एक ऊर्जा की उपलब्धि और दूसरा नये जीवद्रव्य का निर्माण। इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति पोषण द्वारा ही होती है। सजीवों द्वारा ग्रहण किया जाने वाला भोजन विभिन्न प्रकार का होता है, जो सीधे शरीर के द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता। अतः पहले उसे शरीर के साथ विलीन करने हेतु यह आवश्यक होता है कि उसे इस योग्य बनाया जाय जिससे कि उसका शोषण शरीर द्वारा सरलता से हो सके।

इस हेतु पहले भोजन का पाचन होता है, जिसमें भोजन शोषण होने योग्य बन जाता है और शोषण कर लिया जाता है, जिसे अवशोषण कहते हैं। अवशोषण के बाद भोजन का रुधिर वाहिनियों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचकर वहाँ के ऊतकों में विलीन हो जाता है अथवा उनमें संश्लेषित होकर संगृहीत रहता है।

कोशिकाओं में इस संगृहीत भोजन कोशिकीय श्वसन द्वारा ऑक्सीकरण होता है तो उसमें से रासायनिक बंध टूटने पर ऊर्जा मुक्त होती है जो कोशिकीय कार्यों के उपयोग में आती है। स्थूल रूप से वे सभी क्रियाएँ जिनके अन्तर्गत भोजन शरीर के अन्दर ग्रहण किया जाता है (पौधों द्वारा निर्माण किया जाता है) पाचन, प्रचूषण तथा संश्लेषण के उपरान्त जीवद्रव्य में विलीन होकर शरीर की वृद्धि करता है तथा अपचयित भोजन शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है, उसे पोषण कहते हैं।

मानव में पोषण के चरण (Steps of Nutrition in Man)
अन्य जन्तुओं की भाँति मानव में भी पोषण के 5 चरण होते हैं-

  • भोजन का अन्तर्ग्रहण (Ingestion)
  • पाचन (Digestion)
  • अवशोषण (Absorption)
  • स्वांगीकरण (Assimilation)
  • बहि: क्षेपण (Eges- tion) या मलत्याग।

1. भोजन का अन्तर्ग्रहण ( Ingestion) – मनुष्य विभिन्न प्रकार के ठोस खाद्य पदार्थों को अपने हाथों की सहायता से मुख में पहुँचाता है तथा दाँतों से चबाकर उसे छोटे-छोटे खण्डों / कणों में विभाजित करके निगल जाता है। जल तथा अन्य द्रव खाद्यों को वह मुख के द्वारा चूसकर अन्दर लेता है तथा निगल जाता है।

2. पाचन (Digestion) – खाये हुए ठोस या तरल भोजन में जटिल कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा ) अविसरणशील होता है जिसे सीधे ही शोषित नहीं किया जा सकता। अतः उसे पाचक रसों ( एन्जाइमों) एवं जल की जलीय अपघटन (Hydrolysis) क्रिया द्वारा क्रमश: मोनोसैकेराइड्स (शर्कराओं) ऐमीनो अम्लों तथा वसा अम्लों के छोटे-छोटे सरल, विसरणशील अणुओं (Mol- ecules) और आयनों (Ions) में बदल दिया जाता है ताकि उनका शोषण सरलता से हो सके।

अतः पाचन क्रिया ठोस, अविसरणशील खाद्य पदार्थों के जटिल अणुओं को सरल विसरणशील और शोषण योग्य आयनों तथा अणुओं में विभाजित करने की प्रक्रिया होती है। इस तरह ये पदार्थ विसरण और परासरण द्वारा आमाशय तथा दाँतों की श्लेष्मा कला में फैली रुधिर कोशिकाओं के रुधिर में मिलकर विभिन्न ऊतकों में पहुँच सकते हैं।

3. अवशोषण (Absorption) – सरल घुलनशील पाचित भोजन जिसमें ग्लूकोज, शर्करा, ऐमीनो अम्ल, वसा अम्ल आदि होते हैं, आँत से विसरित होकर रुधिर में पहुँचने की क्रिया को अवशोषण (Absorption) कहते हैं। यह कार्य प्रमुख रूप से आन्त्र द्वारा होता है।

4. स्वांगीकरण (Assimilation) – अवशोषण के बाद रुधिर में होकर ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज तथा के अणु शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुँचते हैं, जहाँ पर वे प्रोटीन संश्लेषण, टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत तथा जीवद्रव्य का निर्माण करते हैं। अतः पचे हुए भोज्य पदार्थों को जटिल या घुलनशील पदार्थों के रूप में विभिन्न ऊतकों के कोशिका द्रव्य में विलीन होने की क्रिया को स्वांगीकरण (Assimilation) कहते हैं।

ऐमीनो अम्ल से एन्जाइम्स के प्रोटीनों का भी निर्माण होता है जो शरीर की रासायनिक क्रिया में भाग लेते हैं। ऐमीनो अम्ल यदि आवश्यकता से अधिक होते हैं तो यकृत द्वारा उसे अमोनिया और अमोनिया से यूरिया में परिवर्तित कर दिया जाता है। यूरिया को वर्ज्य पदार्थों के रूप में मूत्र के साथ बाहर निकाल दिया जाता ऐमीनो अम्ल की भाँति ग्लूकोज के ही रूप में अथवा है। ग्लाइकोजेनेसिस द्वारा ग्लाइकोजन के रूप में संगृहीत रहता है।

5. बहिःक्षेपण या मल परित्याग (Egestion)- आहार नाल के अन्दर यद्यपि अनेक एन्जाइम्स खाद्य पदार्थों के ऊपर क्रिया करते हैं फिर भी इनका कुछ अंश अपचा रह जाता है। यह अपचा अवशिष्ट पदार्थ एककोशिकीय जीवों में खाद्य धानी के अन्दर ही रहता है और इस कार्य के लिए कोई छिद्र अथवा निश्चित स्थान नहीं होता है। यह धीरे-धीरे शरीर की सतह तक पहुँचता है और अन्त में अपचा पदार्थ खाद्यधानी के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion) – भोजन के पाचन के फलस्वरूप आवश्यक अवयव जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, स्वांगीकरण के फलस्वरूप रक्त में पहुँचते हैं। रक्त के साथ ये शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचते हैं जहाँ जैव रासायनिक प्रक्रिया के उपरान्त ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिसका उपयोग मनुष्य विभिन्न कार्यों के सम्पादन में करता है अतः भोजन ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है।

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प्रश्न 2.
पाचन से आप क्या समझते हैं? यकृत उदरगुहा में कहाँ स्थित होता है? पित्त रस कहाँ बनता है? इसके कार्य का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पाचन (Digestion) – जटिल अघुलनशील भोज्य पदार्थों को सरल घुलनशील इकाइयों में बदलने की क्रिया पाचन कहलाती है। पाचन के फलस्वरूप शरीर की कोशिकाएँ भोज्य पदार्थों का प्रयोग कर सकती हैं।

भोज्य पदार्थों का पाचन दो प्रकार से होता है- यान्त्रिक या भौतिक पाचन (mechanical or physical diges-tion) तथा (2) रासायनिक पाचन (chemical digestion)।
1. यान्त्रिक या भौतिक पाचन (Mechanical or Physical Digestion)- मुखगुहा में भोजन को चबाना, आमाशय में भोजन की लुगदी बनना, आहारनाल की पेशियों में क्रमाकुंचन गतियाँ आदि यान्त्रिक पाचन या भौतिक पाचन कहलाता है।

2. रासायनिक पाचन (Chemical Digestion) – पाचक एन्जाइम जटिल, अघुलनशील भोज्य पदार्थों पर रासायनिक क्रिया करके उन्हें सरल घुलनशील इकाइयों में बदल देते हैं।
यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है। यह उदरगुहा में डायाफ्राम के नीचे तथा आमाशय के ऊपर स्थित होता है। पित्त रस का निर्माण यकृत में होता है।

पित्त रस के कार्य (Functions of Bile Juice) –

  • यह भोजन के अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है।
  • इसमें कोई पाचक एन्जाइम नहीं होता फिर भी पाचन में इसका बहुत महत्त्व है।
  • यह आँत में क्रमाकुंचन गति को बढ़ाता है ताकि पाचक रस काइम में मिल सके।
  • यह वसा का पायसीकरण करता है ताकि स्टीएप्सिन नामक एन्जाइम्स वसा का अधिकतम पाचन कर सके।

प्रश्न 3.
मुँह से लेकर कोशिका में अवशोषित होने तक भोजन में होने वाले परिवर्तनों को सम्बन्धित अंगों का सन्दर्भ देते हुए बताइए।
उत्तर:
कोशिकाओं में अवशोषित होने के पहले भोजन का पाचन होना आवश्यक है। मनुष्य द्वारा खाये गये ठोस तथा तरल खाद्य पदार्थ मुख्यतः जटिल कार्बोहाइड्रेट (स्टॉर्च, शर्करा), प्रोटीन तथा वसा के रूप में होते हैं, जिनका कोशिकाओं द्वारा सीधा उपयोग नहीं किया जा सकता। पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों में इन पदार्थों को विभिन्न रासायनिक एवं एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं द्वारा सरल शर्कराओं (ग्लूकोज, फ्रक्टोज आदि) सरल ऐमीनो अम्लों तथा सरल वसा अम्लों में बदल दिया जाता है जिससे ये अवशोषित होकर रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाये जाते हैं।

पाचन तन्त्र के निम्नलिखित अंग इस कार्य को करते हैं-

  • मुखगुहा
  • आमाशय
  • ग्रहणी
  • क्षुद्रान्त्र।

(i) मुखगुहा (Buccal Cavity) – इसमें मनुष्य दाँतों से ठोस भोजन को पीसकर लुग्दी में बदल देता है। इसके साथ मुँह में लार ग्रन्थियों द्वारा स्रावित एन्जाइम टायलिन (Ptylin) भोजन में उपस्थित स्टॉर्च को शर्करा में बदल देता है।

(ii) आमाशय (Stomach) – मुखगुहा से भोजन लुग्दी के रूप में, ग्रास नली द्वारा आमाशय में पहुँचता है। आमाशय की दीवार में स्थित जठर ग्रन्थियों से जठर रस Juice) स्रावित होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरिक (Gastric एसिड तथा पेप्सिन (Pepsin) एवं रेनिन (Renin) नामक एन्जाइम होते हैं।

हाइड्रोक्लोरिक एसिड भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है जिससे भोजन के सड़ने (Fermen- tation) की क्रिया रुकती है तथा हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं। पेप्सिन की क्रिया से जटिल प्रोटीनों के आंशिक पाचन से पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड बनते हैं। रेनिन एन्जाइम दूध की प्रोटीन, केसीन को दही में बदल देता है।

(iii) ग्रहणी (Duodenum) – आमाशय में अंशत: पचा हुआ भोजन, जिसे काइम (Chyme) कहते हैं, ग्रहणी मिलता है। में पहुँचता है। यहाँ पर यकृत (liver) से स्रावित पित्त रस (bile) तथा अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा सावित अग्न्याशयी रस (Pancreatic Juice) भोजन में पित्त रस भोजन के माध्यम को क्षारीय बना देता है तथा भोजन में उपस्थित वसा (Fat) का पायसीकरण (Emulsification) – अर्थात् अत्यन्त सूक्ष्म कणों में परिवर्तन करता है। इससे वसा का पाचन सुगम हो जाता है।

(iv) क्षुद्रान्त्र ( Small Intestines ) – क्षुद्रान्त्र में ग्रहणी से आने वाले भोजन का पाचन पूर्ण होता है। क्षुद्रान्त्र में भोजन के सभी तत्त्वों के पूर्ण पाचन से प्राप्त पदार्थ (ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज, फ्रक्टोज, वसा अम्ल आदि) का अवशोषण होता है। इसके लिए क्षुद्रान्त्र की दीवार में असंख्य रसांकुर होते हैं, जिनसे होकर भोजन के पचे हुए पोषक तत्त्व विसरण द्वारा रुधिर प्लाज्मा में पहुँच जाते हैं तथा यकृत (Liver) में चले जाते हैं।

यकृत में इनका संचय होता है तथा शरीर की आवश्यकतानुसार ये पोषक तत्त्व रुधिर द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँचते हैं। रुधिर कोशिकाओं से रुधिर प्लाज्मा छन-छनकर लसीका के रूप में निकलता तथा शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं के सम्पर्क में आता है। ये कोशिकाएँ रुधिर प्लाज्मा से ही आवश्यक पोषक तत्त्वों का अवशोषण करके उनका उपयोग करती हैं।

प्रश्न 4.
मनुष्य की आहारनाल का नामांकित चित्र बनाइए।
अथवा
आहार नली के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
अथवा
मनुष्य के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मुख, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रांत्र, वृहदांत्र, मलाशय, गुदा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7

प्रश्न 5.
रुधिर वाहिनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? इनके कार्य समझाइए।
अथवा
धमनी और शिराओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विभिन्न रुधिर वाहिनियों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
अथवा
रुधिर वाहिनियाँ किसे कहते हैं? इनके प्रकार लिखिए।
उत्तर:
रुधिर वाहिनियाँ (Blood Vessels): शरीर में रुधिर का प्रवाह करने वाली वाहिनियों को रुधिर वाहिनियों रुधिर वाहिनियाँ हैं। हृदय से शुद्ध रुधिर का प्रवाह शरीर के समस्त भागों में होता है तथा शरीर में से अशुद्ध रक्त को एकत्र करके रुधिर वाहिनियाँ पुनः हृदय में पहुँचाती हैं। किसी भी रुधिर वाहिनी में रक्त का प्रवाह केवल एक ही दिशा में होता है। रुधिर वाहिनियाँ विभिन्न आकार की होती हैं सबसे मोटी वाहिनी का व्यास लगभग 1 सेमी तथा सबसे पतली वाहिनी का व्यास लगभग 0.001 मिमी होता है। रुधिर वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती हैं-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8
1. धमनियाँ (Arteries) – जो वाहिनियाँ हृदय से रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में वितरित करती हैं, उन्हें धमनियाँ कहते हैं। इनमें सामान्यतः शुद्ध रुधिर (oxy- genated blood) बहता है परन्तु पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रुधिर (Deoxygenated धमनियों की दीवारें अपेक्षाकृत मोटी, पेशीय तथा लचीली blood) प्रवाहित होता है। होती हैं। अतः इसकी गुहा पतली होती है। यही कारण है
कि धमनियाँ हृदय के पम्प करते समय अन्दर से रुधिर के दाब को सहन कर लेती हैं।

2. शिराएँ (Veins) – जो वाहिनियाँ शरीर के विभिन्न अंगों से रुधिर को एकत्रित करके हृदय में पहुँचाती हैं उन्हें शिराएँ कहते हैं। इनमें सामान्यतः अशुद्ध रुधिर बहता है, परन्तु पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रुधिर बहता है। शिराओं की दीवारें पतली होती हैं। इनकी गुहा अधिक चौड़ी होती है। अधिकांश शिराओं में कपाट (valve) लगे होते हैं, जो रुधिर को हृदय की और जाने देते हैं परन्तु वापस नहीं आने देते।

3. रुथिर केशिकाएँ (Blood Capillaries) – धमनियाँ सिरों पर पतली-पतली शाखाओं में बँट जाती हैं जिन्हें धमनिकाएँ (arterioles) कहते हैं। धर्मानिकाएँ विभिन्न ऊतकों में प्रवेश कर पुनः विभाजित होकर पतली-पतली केशिकाएँ (capillaries) बनाती हैं। ये केशिकाएँ पुनः मिलकर शिरकाओं (venules) का निर्माण करती हैं और शिरकाएँ पुनः आपस में मिलकर शिराओं (veins) का निर्माण करती हैं। रुधिर केशिकाएँ बहुत महीन होती हैं। इनके भित्ति की मोटाई केवल एक कोशिका जितनी होती है। केशिकाओं की भित्ति पानी, छोटे-छोटे अणुओं, घुलित खाद्य पदार्थों, अवशिष्ट पदार्थों, कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन के लिए पारगम्य (permeable) होती हैं।

अतः रुधिर केशिका तथा ऊतक कोशिकाओं के बीच उपयुक्त सभी पदार्थों का आदान-प्रदान होता है तथा रुधिर के माध्यम से आवश्यक पदार्थों का परिसंचरण भी होता है। केशिकाएँ फेफड़ों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड का आदान-प्रदान करती हैं। केशिकाओं का व्यास बहुत पतला होता है। यही कारण है कि लाल रुधिर कोशिकाएँ पंक्तिबद्ध होकर एक-एक करके आगे बढ़ती हैं।

प्रश्न 6.
लसीका’ क्या होता है? इसकी संरचना तथा कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
लसीका (Lymph):
लसीका एक रंगहीन तरल पदार्थ है जो ऊतकों एवं रुधिर वाहिनियों के बीच के रिक्त स्थान में पाया जाता है। यह रुधिर प्लाज्मा का ही अंश है जो रक्त केशिकाओं (blood capillaries) की पतली दीवारों से विसरण (dif-fusion) द्वारा बाहर निकलने से बनता है। इसके साथ श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) बाहर आ जाती हैं परन्तु इसमें लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) नहीं होतीं लेकिन इसमें रुधिर सूक्ष्म मात्रा में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस के आयन पाये जाते हैं। विभिन्न अंगों के ऊतकों के सम्पर्क में होने के ही समान लसीका कणिकाएँ (lymphocytes) तथा कारण लसीका में ग्लूकोज, ऐमीनो एसिड, वसीय एसिड, विटामिन्स, लवण तथा उत्सर्जी पदार्थ (CO2 यूरिया) भी इसमें पहुँच जाते हैं।

लसीका के कार्य (Functions of Lymph) –

  • लसीका ऊतकीय द्रव तथा उन पदार्थों को रुधिर तंत्र में वापस लाती हैं जो धमनी कोशिकाओं से विसरित हो जाते हैं।
  • लसीका कोशिकाओं में भोज्य पदार्थ, गैस, हॉर्मोन, एन्जाइम आदि के प्रसारण का कार्य करती हैं।
  • लसीका गाठ (lymph nodes) में लिम्फोसाइट्स का निर्माण होता है।
  • केशिका के चारों ओर जलीय वातावरण बनाकर केशिका के बाहर एवं भीतर रसाकर्षण सन्तुलन बनाये रखता है।
  • केशिका ऊतक से CO2 व अन्य उत्सर्जी पदार्थ को रक्त केशिकाओं तक पहुँचाता है।
  • लसीका कणिकाएँ (lymphocytes) जीवाणुओं व अन्य बाहरी पदार्थ का भक्षण करके शरीर की रक्षा करती हैं।
  • लसीका में श्वेत कणिकाओं की मात्रा अधिक होने के कारण घाव भरने में सहायक होती हैं।
  • छोटी आँत के रसांकुरों (villi) में उपस्थित लसीका वाहिनियाँ (lacteals) वसा का अवशोषण करके इसे काइलोमाइकॉन बूँदों के रूप में रक्त में पहुँचाती हैं।
  • मनुष्य में लसीका गाँठें जैविक छलनी की तरह कार्य करती हैं। हानिकारक जीवाणु, धूल-मिट्टी के कण, कैन्सर कोशिकाएँ आदि इन गाँठों में रुक जाते हैं और अन्य आवश्यक पदार्थ रक्त परिसंचरण में पहुँच जाते हैं।
  • लसीका तन्त्र रुधिर परिसंचरण तन्त्र का ही एक भाग है।
  • लसीका सदैव एक दिशा में बहता है (ऊतकों से हृदय की ओर) अतः रक्त की मात्रा तथा गुणवत्ता को बनाये रखने का कार्य करता है।

प्रश्न 7.
‘लसीका’ तथा ‘रुधिर’ की भिन्नताओं तथा समानताओं का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रुधिर एवं लसीका में अन्तर (Differences between Blood and Lymph)

रुधिर (Blood) लसीका (Lymph)
1. रुधिर सामान्य तरल संयोजी ऊतक है। 1. लसीका छना हुआ रुधिर है।
2. यह गहरे लाल रंग का तरल ऊतक है। 2. यह रंगहीन तरल ऊतक है।
3. RBC उपस्थित होती हैं। 3. RBC अनुपस्थित होती हैं।
4. WBC उपस्थित होती हैं परन्तु कम मात्रा में। 4. WBC अधिक मात्रा में पायी जाती हैं।
5. प्रोटीन्स की मात्रा अधिक होती हैं। 5. प्रोटीन्स कम मात्रा में पायी जाती हैं।
6. न्यूट्रोफिल की संख्या बहुत अधिक होती है। 6. लिम्फोसाइट्स की संख्या बहुत अधिक होती है।
7. रुधिर में O2  व अन्य पोषक पदार्थ अधिक होते हैं। 7. लसीका में O2 व अन्य पोषक पदार्थ कम मात्रा में पाये जाते हैं।
8. रुधिर में CO2 तथा उत्सर्जी पदार्थों की मात्रा सामान्य होती है। 8. लसीका में CO2 व उत्सर्जी पदार्थ अधिक मात्रा में होते हैं।

लसीका एवं रुधिर में समानताएँ (Similarities in Lymph and Blood):

  • लसीका में रुधिर की भाँति ग्लूकोज, यूरिया, ऐमीनो अम्ल लवण एवं प्रतिरक्षी (Antibodies) पाये जाते हैं।
  • रुधिर की भाँति श्वेत रक्त कणिकाएँ पायी जाती हैं।
  • फाइब्रिनोजन प्रोटीन उपस्थित होने के कारण लसीका का भी थक्का बन सकता है।
  • लसीका रुधिर की भाँति पोषक पदार्थों एवं O2, को ऊतकों तक पहुँचाकर उनसे CO2 एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ एकत्रित करता है।
  • रुधिर की भाँति लसीका में भी प्रतिरक्षी प्रोटीनें (Antibodies) तथा प्रतिविषाणु (Antitoxin) होते हैं।

प्रश्न 8.
मानव के उत्सर्जी तन्त्र तथा उसकी क्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
मानव के वृक्क की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मानव का उत्सर्जी तन्त्र (Excretory System of Man)
भोजन के अन्तर्ग्रहण तथा पाचन के बाद शरीर उपयोगी पदार्थों को विभिन्न ऊतकों तथा कोशिकाओं में पहुँचाता है। अपाचित तथा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की आवश्यकता होती है। शरीर में उपापचय की क्रियाओं द्वारा इन अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

गैस, तरल तथा ठोस पदार्थों का उत्सर्जित होना आवश्यक है और इनमें से प्रत्येक के उत्सर्जन की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न होती है। कार्बन डाइ ऑक्साइड सबसे प्रमुख अपशिष्ट पदार्थ हैं जिसे साँस द्वारा बाहर निकाला जाता है। श्वसन के समय कोशिकाओं में कार्बन डाइ-ऑक्साइड रुधिर में स्थित हीमोग्लोबिन से मिलकर या पानी में घुलकर स्थानान्तरित होती है। कार्बन डाइ ऑक्साइड का निष्कासन फेफड़ों की सतह से होता है।

ठोस अपशिष्ट मुख्यत: भोजन का अपाचित भाग जैसे सब्जियों के रेशे होते हैं। मुँह में भोजन का पाचन आरम्भ होता है तथा आमाशय में समाप्त होता है। पाचित भोजन पेट की भित्तियों द्वारा अवशोषित हो जाता है। अपाचित पदार्थ बड़ी आँत में आ जाता है और गुदा के रास्ते शरीर से निष्कासित हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
शरीर से नाइट्रोजन युक्त वर्ज्य पदार्थ को बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। अपशिष्ट तरल पदार्थों के उत्सर्जन के लिए एक जटिल क्रियाविधि की आवश्यकता होती है, क्योंकि रुधिर में पोषक तत्त्व तथा अपशिष्ट पदार्थ दोनों ही होते हैं, इसीलिए इनको छानने तथा अलग करने की विशेष विधि होती है। इस क्रिया से उपयोगी पदार्थ शरीर में ही रह जाते हैं और अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित हो जाते हैं। यह क्रिया शरीर में स्थित वृक्कों (kidneys ) द्वारा सम्पन्न होती है। शरीर में इनकी संख्या दो होती है। यदि इनमें से एक वृक्क काम करना बन्द कर दे तो दूसरा वृक्क अकेले ही पूरा कार्य करता है।

चित्र में शरीर में वृक्क की स्थिति तथा वृक्क के कटे हुए भाग को दिखाया गया है। वृक्क धमनी, महाधमनी से रुधिर लेकर वृक्क में पहुँचाती है। अपशिष्ट पदार्थ अलग करने बाद साफ वृक्क शिरा द्वारा वापस भेज दिया जाता है। वृक्क द्वारा अलग किये गये अपशिष्ट पदार्थ को मूत्र कहते हैं। मूत्र मूत्रवाहिनी से मूत्राशय में जाता है और मूत्र मार्ग से उत्सर्जित हो जाता है।

मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग (Other Excretory Organs of Man)
1. त्वचा (Skin) – त्वचा में स्वेद ग्रन्थियाँ होती हैं जो छिद्रों द्वारा त्वचा की बाहरी सतह पर खुलती हैं। स्वेद ग्रन्थियाँ रुधिर कोशिकाओं से जल, यूरिया तथा कुछ लवण अवशोषित करके पसीने के रूप में त्वचा की ऊपरी सतह पर मुक्त कर देती हैं।

2. आँत (Intestines) – आँत की भीतरी स्तर एपिथीलियम कोशिकाओं से बनी होती है। ये कोशिकायें रुधिर कोशिकाओं से जल तथा अनावश्यक खनिज लवण जैसे – लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि को लेकर आँत की गुहा में छोड़ देती हैं जहाँ से इन्हें मल के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।

3. यकृत (Liver) – यकृत कोशिकायें आवश्यकता से अधिक ऐमीनो अम्ल को पायरुविक अम्ल में बदल देती हैं। इस क्रिया में विषाक्त अमोनिया निकलती है। यकृत अमोनिया को कम हानिकारक पदार्थ यूरिया में बदल देता है।

4. फेफड़े (Lungs) – फेफड़े वसा और कार्बोहाइड्रेट के विघटन के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड और जल बनाता है। कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन फेफड़े से श्वासोच्छ्वास (Breathing) द्वारा बाहर निकल जाता है।

प्रश्न 9.
सजीव जगत में ग्लूकोज के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के मुख्य तरीके कौन-से हैं? सम्बन्धित समीकरण भी दीजिए। इनमें से किसमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है?
उत्तर:
सजीवों में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण दो तरह से होता है-

  • वायवीय या ऑक्सी-श्वसन
  • अवायवीय या अनॉक्सी-श्वसन

(i) वायवीय या ऑक्सी-श्वसन
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 10

(ii) अवायवीय या अनॉक्सी-श्वसन
यीस्ट में
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 11

प्रश्न 10.
वृक्क द्वारा नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों के उत्सर्जन की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
वृक्क नलिकाएँ एक प्रकार से छानने का कार्य करती हैं। क्योंकि रक्त चौड़ी अधिवाही धमनिका द्वारा वोमेन्स कैप्सूल में जाता है और फिर सँकरी अपवाही धमनिका द्वारा उसके बाहर निकलता है अतः रक्त का दबाव ग्लोमेरूलस में बढ़ जाता है इसके फलस्वरूप रक्त में घले सभी पदार्थ छन जाते हैं।

छने हुए पदार्थ में लाभकारी एवं हानिकारक दोनों ही प्रकार के पदार्थ होते हैं जब यह द्रव वृक्क नलिका से होकर गुजरता है तो वृक्कनलिका पर लिपटी रक्त कोशिकाएँ इनसे लाभदायक पदार्थ जैसे ग्लूकोज आदि को चूस लेती हैं। इस प्रकार केवल नाइट्रोजन युक्त हानिकारक पदार्थ, जैसे यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया आदि संग्रह नलिका तथा मूत्रवाहिनी में होते हुए मूत्राशय में पहुँचते हैं और यहाँ से आवश्यकतानुसार समय-समय पर यह बाहर निकलते रहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिए गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. मनुष्य में मुख्य उत्सर्जी अंग है-
(a) त्वचा
(b) फेफडे
(c) आहारनाल
(d) वृक्क
उत्तर:
(a) त्वचा

2. मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है-
(a) त्वचा
(b) यकृत
(c) सिर
(d) पैर
उत्तर:
(a) त्वचा

3. प्लूरा एक द्विस्तरीय झिल्ली है जो आवरण होती है-
(a) वृक्कों का
(b) मस्तिष्क का
(c) हृदय का
(d) फुफ्फुसों का
उत्तर:
(d) फुफ्फुसों का

4. फुफ्फुसों में कूपिकाओं की संख्या होती है लगभग-
(a) 30 हजार
(b) 30 लाख
(c) 3 करोड़
(d) 30 करोड़
उत्तर:
(d) 30 करोड़

5. मनुष्य में श्वास लेने की दर होती है लगभग-
(a) 18 बार प्रति मिनट
(b) 18 बार प्रति सेकण्ड
(c) 25 बार प्रति मिनट
(d) 72 बार प्रति मिनट
उत्तर:
(a) 18 बार प्रति मिनट

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

6. फुफ्फुसों में कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रुधिर आता है-
(a) शरीर के विभिन्न अंगों से
(b) हृदय के बायें निलय से
(c) हृदय के दाहिने निलय से
(d) यकृत से
उत्तर:
(c) हृदय के दाहिने निलय से

7. फुफ्फुस से ऑक्सीजन युक्त रुधिर ले जाती है-
(a) फुफ्फुसी धमनी बायें अलिन्द को
(b) फुफ्फुसी शिरा दाहिने अलिन्द को
(c) फुफ्फुसी शिरा बायें अलिन्द को
(d) फुफ्फुसी धमनी दाहिने अलिन्द को
उत्तर:
(c) फुफ्फुसी शिरा बायें अलिन्द को

8. प्रकाश संश्लेषण की दर अधिकतम होती है-
(a) हरे रंग के प्रकाश में
(b) लाल रंग के प्रकाश में
(c) पीले रंग के प्रकाश में
(d) नीले रंग के प्रकाश में
उत्तर:
(b) लाल रंग के प्रकाश में

9. स्टार्च नीला रंग उत्पन्न करता है-
(a) ब्रोमीन जल में
(b) परमैंगनेट जल में
(c) आयोडीन विलयन में
(d) अम्लीय विलयन में
उत्तर:
(c) आयोडीन विलयन में

10. श्वसन में उत्पन्न ऊर्जा संचित होती है-
(a) ADP के रूप में
(b) ATP के रूप में
(c) NADP के रूप में
(d) PI के रूप में
उत्तर:
(b) ATP के रूप में

11. ऑक्सी- श्वसन में ग्लूकोज का एक अणु उत्पन्न करता है, ATP के-
(a) 32 अणु
(b) 19 अण
(c) 38 अणु
(d) 83 अणु
उत्तर:
(c) 38 अणु

12. श्वसन में बाहर निकली वायु में ऑक्सीजन की मात्रा होती है-
(a) 17%
(b) 21%
(c) 11%
(d) 25%
उत्तर:
(a) 17%

13. श्वसन में बाहर निकली वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा होती है-
(a) 0.03%
(b) 0.04%
(c) 4%
(d) 2.4%
उत्तर:
(c) 4%

14. श्वसन क्रिया से मानव शरीर में होता है-
(a) कोशिकाओं का निर्माण
(b) ग्लूकोस का ऑक्सीकरण
(c) प्रोटीन का निर्माण
(d) ग्लूकोस का निर्माण
उत्तर:
(b) ग्लूकोस का ऑक्सीकरण

15. प्रकाश संश्लेषण से उत्पन्न होने वाली ऑक्सीजन निकलती है-
(a) जल स
(b) कार्बन डाइऑक्साइड से
(c) शर्करा से
(d) पर्णहरित से
उत्तर:
(a) जल स

16. ग्लाइकोलिसिस कहाँ होता है?
(a) कोशिका द्रव्य में
(b) हरित लवक में
(c) राइबोसोम में
(d) माइटोकॉण्ड्रिया में
उत्तर:
(a) कोशिका द्रव्य में

17. अनॉक्सी श्वसन में बनता है-
(a) एथिल ऐल्कोहॉल
(b) एथिलीन
(c) ग्लूकोज
(d) ग्लिसरॉल
उत्तर:
(a) एथिल ऐल्कोहॉल

18. पौधों श्वसन क्रिया में निम्नलिखित में से कौन-सी गैस निकलती है?
(a) ऑक्सीजन
(b) नाइट्रोजन
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) किण्वन
उत्तर:
(c) कार्बन डाइऑक्साइड

19. निम्नलिखित क्रियाओं में से किसमें ऑक्सीजन निकलती है?
(a) प्रकाश संश्लेषण
(b) ऑक्सी-श्वसन
(c) अनॉक्सी-श्वसन
(d) किण्वन
उत्तर:
(a) प्रकाश संश्लेषण

20. शरीर में आये हुए हानिकारक बैक्टीरिया को कौन-कौन सी रुधिर कणिकाएँ नष्ट करती हैं?
(a) श्वेत रुधिर कणिकाएँ
(b) लाल रक्त कणिकाएँ
(c) प्लेटलेट्स
(d) हीमोग्लोबिन
उत्तर:
(a) श्वेत रुधिर कणिकाएँ

21. रक्त में प्लाज्मा की मात्रा होती है-
(a) 20%
(b) 40%
(c) 60%
(d) 80%
उत्तर:
(c) 60%

22. प्रत्येक मनुष्य का रक्त प्रत्येक मनुष्य को नहीं दिया जा सकता, यह कथन है-
(a) लैन्डस्टीनर का
(b) स्टेफेनहेल का
(c) वाटसन का
(d) मेण्डल
उत्तर:
(a) लैन्डस्टीनर का

23. हीमोग्लोबिन का प्रमुख कार्य है-
(a) प्रजनन में सहायता
(b) रुधिर को रंगहीन करना
(c) जीवाणुओं को नष्ट करना
(d) ऑक्सीजन का परिवहन
उत्तर:
(d) ऑक्सीजन का परिवहन

24. यकृत संश्लेषण करता है-
(a) शर्करा
(b) रक्त
(c) यूरिया
(d) पाचन
उत्तर:
(c) यूरिया

25. वृक्कों का कार्य है-
(a) श्वसन
(b) परिवहन
(c) उत्सर्जन
(d) प्रोटीन
उत्तर:
(c) उत्सर्जन

26. शुद्ध रक्त बहता है-
(a) फुफ्फुस धमनी में
(b) पश्च महाशिरा में
(c) अग्र महाशिरा में
(d) फुफ्फुस शिरा में
उत्तर:
(d) फुफ्फुस शिरा में

27. रक्त थक्का जमने के लिए आवश्यक है-
(a) सोडियम क्लोराइड
(b) थ्रोम्बिन
(c) पोटैशियम
(d) कैल्सियम
उत्तर:
(b) थ्रोम्बिन

28. रुधिर- दाब मापक है-
(a) थर्मामीटर
(b) बैरोमीटर
(c) गैलवेनोमीटर
(d) स्फिग्मोमैनोमीटर
उत्तर:
(d) स्फिग्मोमैनोमीटर

29. हीमोग्लोबिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-
(a) उत्सर्जन में
(b) श्वसन में
(c) पाचन में
(d) वृद्धि में
उत्तर:
(b) श्वसन में

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

30. फेफड़ों से शुद्ध रक्त आता है-
(a) बायें अलिन्द में
(b) दायें अलिन्द में
(c) बायें निलय में
(d) दायें निलय में
उत्तर:
(a) बायें अलिन्द में

31. शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती
(a) शिराएँ
(b) महाशिरा
(c) दायाँ निलय
(d) महाधमनी
उत्तर:
(d) महाधमनी

32. फुफ्फुस (पल्मोनरी) शिरा खुलती है-
(a) दाएँ अलिन्द में
(b) बाएँ अलिन्द में
(c) दाएँ निलय में
(d) बाएँ निलय में
उत्तर:
(b) बाएँ अलिन्द में

33. रक्त में ऑक्सीजन की कला से लाल रक्त कणिकाओं में में उत्पन्न रोग है-
(a) रक्त कोशिका अल्परक्तता
(b) हीमोफीलिया
(c) वर्णान्धता
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) हीमोफीलिया

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. ……………………… पोषण में दूसरे जीवों द्वारा तैयार किए जटिल पदार्थों का अंतर्ग्रहण होता है।
  2. मनुष्य में, खाए गए भोजन का विखंडन भोजन नली के अन्दर कई चरणों में होता है तथा पाचित भोजन को ……………………… में अवशोषित करके शरीर की सभी कोशिकाओं में भेज दिया जाता है।
  3. ……………………… प्रक्रम में ग्लूकोज जैसे जटिल कार्बनिक यौगिकों का विखंडन होता है जिससे ए.टी.पी. का उपयोग कोशिका में होने वाली अन्य क्रियाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  4. श्वसन …………………….. या …………………….. हो सकता है। …………………….. श्वसन से जीव को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  5. मनुष्य में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, भोजन तथा उत्सर्जी उत्पाद सरीखे पदार्थों का वहन …………………….. का कार्य होता है। परिसंचरण तंत्र में हृदय, रुधिर तथा रुधिर वाहिकाएँ होती हैं।
  6. उच्च विभेदित पादपों में जल, खनिज लवण, भोजन तथा अन्य पदार्थों का परिवहन संवहन ऊतक का कार्य है जिसमें …………………….. तथा …………………….. होता हैं।
  7. मनुष्य में, उत्सर्जी उत्पाद विलेय …………………….. के रूप में में वृक्काणु (नेफ्रॉन) द्वारा निकाले जाते हैं।

उत्तर:

  1. विषमपोषी
  2. क्षुद्रांत्र
  3. श्वसन
  4. वायवीय, अवायवीय, वायवीय
  5. परिसंचरण तंत्र
  6. जाइलम, फ्लोएम
  7. नाइट्रोजनी यौगिक, वृक्क।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Exercise 15.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों को पूरा कीजिए :

  1. घटना E की प्रायिकता + घटना ‘E नहीं’ की प्रायिकता = ……………. है।
  2. उस घटना की प्रायिकता जो घटित नहीं हो सकती है। ऐसी घटना ………. कहलाती है।
  3. उस घटना की प्रायिकता जिसका घटित होना निश्चित है ………. है। ऐसी घटना ………….. कहलाती है।
  4. किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकताओं का योग ………….. है ।
  5. किसी घटना की प्रायिकता ………. से बड़ी या उसके बराबर होती है तथा ……….. से छोटी या उसके बराबर होती है।

हल :

  1. घटना E की प्रायिकता + घटना ‘E नहीं’ की प्रायिकता = 1 है।
  2. उस घटना की प्रायिकता जो घटित नहीं हो सकती, शून्य है। ऐसी घटना असम्भव घटना कहलाती है।
  3. उस घटना की प्रायिकता जिसका घटित होना निश्चित है, 1 है ऐसी घटना निश्चित घटना कहलाती है।
  4. किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकताओं का योग एक होता है।
  5. किसी घटना की प्रायिकता शून्य से बड़ी या उसके बराबर होती है तथा एक से छोटी या उसके बराबर होती है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रयोगों में से किन-किन प्रयोगों के परिणाम समप्रायिक हैं ? स्पष्ट कीजिए।

  1. एक ड्राइवर कार चलाने का प्रयत्न करता है। कार चलना प्रारम्भ हो जाती है या कार चलना प्रारम्भ नहीं होती है।
  2. एक खिलाड़ी बास्केटबॉल को बास्केट में डालने का प्रयत्न करती है। वह बास्केट में बॉल डाल पाती है या नहीं डाल पाती है।
  3. एक सत्य-असत्य प्रश्न का अनुमान लगाया जाता है। उत्तर सही है या गलत होगा।
  4. एक बच्चे का जन्म होता है। वह एक लड़का है या एक लड़की है।

हल :

  1. एक ड्राइवर कार चलाने का प्रयत्न करता है। अधिकांश सम्भावना कार चलना प्रारम्भ होने की है, कार चलना प्रारम्भ न होने की सम्भावना कम ही है। अतः यह प्रयोग समप्रायिक नहीं है।
  2. एक खिलाड़ी बास्केटबॉल को बास्केट में डालने का प्रत्यत्न करती है। एक ही परिस्थिति में उसकी सफलता या असफलता की सम्भावना समान नहीं होती। अतः यह प्रयोग समप्रायिक नहीं है।
  3. एक सत्य-असत्य प्रश्न का अनुमान लगाया जाता है। अनुमान के सही होने की प्रायिकता भी उतनी ही है जितनी कि उसके गलत होने की। अतः यह प्रयोग समप्रायिक है।
  4. एक बच्चे का जन्म होने पर उसके लड़के या लड़की होने की सम्भावनाएँ समान हैं, अतः प्रयोग समप्रायिक है।

प्रश्न 3.
फुटबॉल के खेल को प्रारम्भ करते समय यह निर्णय लेने के लिए कि कौन-सी टीम पहले बॉल लेगी, इसके लिए सिक्का उछालना एक न्यायसंगत विधि क्यों माना जाता है ?
हल :
क्योंकि जब सिक्के को उछाला जाता है तो केवल दो ही सम्भावनाएँ होती हैं अर्थात् सिक्का सममित होने के कारण यह समप्रायिक है एवं उसकी उछाल (Tossing) निष्पक्ष (Unbiased) होती है ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या किसी घटना की प्रायिकता नहीं हो सकती ?
(A) \(\frac {2}{3}\)
(B) – 1.5
(C) 15%
(D) 0.7
हल :
प्रयोग में किसी घटना के घटित होने या घटित न होने की सम्भावना शून्य भले ही हो परन्तु ऋणात्मक कभी नहीं होती हैं।
अतः स्पष्ट है कि विकल्प (B) में दी गई ऋणात्मक (Negative) संख्या किसी घटना की प्रायिकता नहीं हो सकती है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 5.
यदि P(E) = 0.05 है, तो ‘E नहीं’ की प्रायिकता क्या है ?
हल :
∵ ‘E’ नहीं’ की प्रायिकता = 1 – P(E)
= 1 – 0.05 = 0.95
अतः घटना ‘E’ नहीं’ की प्रायिकता = 0.95

प्रश्न 6.
एक थैले में केवल नींबू की महक वाली मीठी गोलियाँ हैं। मालिनी बिना थैले में झाँके उसमें से एक गोली निकालती है। इसकी क्या प्रायिकता है कि वह निकाली गई गोली
(i) सन्तरे की महक वाली है ?
(ii) नींबू की महक वाली है ?
हल :
∵ थैले में केवल नींबू की महक वाली गोलियाँ ही हैं। यदि थैले में से यादृच्छया (Randomly) एक गोली निकाल ली जाती है तो
(i) निकाली गई गोली ‘सन्तरे की महक वाली’ होने की घटना की सम्भावना शून्य है क्योंकि सभी गोलियाँ नींबू की महक वाली हैं।
अतः निकाली गई गोली सन्तरे की महक वाली है, इसकी प्रायिकता शून्य होगी।

(ii) सभी गोलियों में नींबू की महक है।
∵ नींबू की महक वाली गोली निकलने की घटना निश्चित है।
अतः इसकी प्रायिकता होगी।
अत: (i) सन्तरे की महक वाली गोलियों की प्रायिकता = 0
(ii) नींबू की महक वाली गोलियों की प्रायिकता = 1

प्रश्न 7.
यह दिया हुआ है कि 3 विद्यार्थियों के एक समूह में से 2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन न होने की प्रायिकता 0.992 है। इसकी क्या प्रायिकता है कि इन 2 विद्यार्थियों का जन्मदिन एक ही दिन हो ?
हल :
यदि 3 विद्यार्थियों में से 2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन होने और एक ही दिन न होने की घटनाएँ परस्पर पूरक घटनाएँ हैं।
2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन न होने की P(E) = 0.992
अतः दोनों विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन होने की प्रायिकता P(E) = 1 – 0.992 = 0.008

प्रश्न 8.
एक थैले में 3 लाल और 5 काली गेंदें हैं। इस थैले में से एक गेंद यादृच्छया निकाली जाती है। इसकी प्रायिकता क्या है कि गेंद (i) लाल हो ? (ii) लाल नहीं हो ?
हल :
थैले में गेंदों की कुल संख्या
= 3 लाल + 5 काली = 8
थैले में से एक गेद यादृच्छया निकालने पर, कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 8
(i) गेंद लाल (R) होने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
गेंद लाल होने की प्रायिकता
P(R) = घटना (R) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {3}{8}\)
अतः गेंद लाल होने की प्रायिकता = \(\frac {3}{8}\)

(ii) तब गेंद लाल न होने की प्रायिकता
= 1 – गेंद लाल होने की प्रायिकता
= 1 – \(\frac{3}{8}=\frac{5}{8}\)
अत: (i) गेंद लाल होने की प्रायिकता = \(\frac {3}{8}\)
(ii) गेंद लाल न हो इसकी प्रायिकता = \(\frac {5}{8}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 9.
एक डिब्बे में 5 लाल कंचे, 8 सफेद कंचे और 4 हरे कंचे हैं। इस डिब्बे में से एक कंचा यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि निकाला गया कंचा
(i) लाल है ?
(ii) सफेद है?
(iii) हरा नहीं है?
हल :
लाल कंचों की संख्या = 5
सफेद कंचों की संख्या = 8
हरे कंचों की संख्या = 4
डिब्बे में कंचों की कुल संख्या = 5 + 8 + 4 = 17
जब डिब्बे में से एक कंचा निकाला जाता है, तो सम्भावित कुल परिणामों की संख्या = 17

(i) निकाला गया कंचा लाल (R) होने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 5
अतः निकाला गया कंचा लाल हो, इसकी प्रायिकता
P(R) = घटना (R) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {5}{17}\)

(ii) निकाला गया कंचा सफेद (W) हो, इसके अनुकूल परिणामों की संख्या = 8
अतः निकाला गया कंचा सफेद होने की प्रायिकता = घटना (W) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {8}{17}\)

(iii) निकाला गया कंचा हरा न G’ होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 5 + 8 = 13
अतः निकाला गया कंचा हरा न होने की प्रायिकता
P(G’) = घटना G’ के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {13}{17}\)

प्रश्न 10.
एक पिग्गी बैंक (Piggy Bank) में, 50 पैसे के सौ सिक्के, ₹1 के पचास सिक्के, ₹2 के बीस सिक्के और ₹5 के दस सिक्के हैं। यदि पिग्गी बैंक को हिलाकर उल्टा करने पर कोई एक सिक्का गिरने का परिणाम समप्रायिक है, तो इसकी क्या प्रायिकता है कि वह गिरा हुआ सिक्का (i) 50 पैसे का होगा ? (ii) ₹5 का नहीं होगा
हल :
50 पैसे के सिक्कों की संख्या = 100
₹1 के सिक्कों की संख्या = 50
₹2 के सिक्कों की संख्या = 20
₹5 के सिक्कों की संख्या = 10
सिक्कों की कुल संख्या
= 100 + 50 + 20 + 10 = 180
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 180

(i) ∵ 50 पैसे के 100 सिक्के हैं।
∴ 50 पैसे के सिक्के प्राप्त करने की प्रायिकता
= अनुकूल परिणामों की संख्या. / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {100}{180}\)
P(50 पैसे के सिक्के) = \(\frac {5}{9}\)

(ii) ∵ ₹5 के सिक्कों की संख्या = 10
∴ 5 रु. के सिक्के प्राप्त करने की प्रायिकता
= अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
⇒ P (5 रु. के सिक्के) = \(\frac{10}{180}=\frac{1}{18}\)
₹5 के सिक्के प्राप्त न करने की प्रायिकता = 1 – P (₹5 के सिक्क)
P (₹5 के सिक्के न हो) = 1 – \(\frac{1}{18}=\frac{18-1}{18}=\frac{17}{18}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 11.
गोपी अपने जल-जीव कुण्ड (aquarium) के लिए एक दुकान से मछली खरीदती है। दुकानदार एक टंकी जिसमें 5 नर मछली और 8 मादा मछली हैं, में से एक मछली यादृच्छया उसे देने के लिए निकालती है (देखिए आकृति)। इसकी क्या प्रायिकता है कि निकाली गई मछली नर मछली है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 1
हल :
नर मछलियों की संख्या = 5
मादा मछलियों की संख्या = 8
जल -जीव कुण्ड में मछलियों की कुल संख्या = 5 + 8 = 13
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 13
नर मछली प्राप्त करने की प्रायिकता = अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
P (नर मछली) = \(\frac {5}{13}\)

प्रश्न 12.
संयोग (chance) के एक खेल में, एक तीर को घुमाया जाता है, जो विश्राम में आने के बाद संख्याओं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और 8 में से किसी एक संख्या को इंगित करता है। ( आकृति देखिए) यदि ये सभी परिणाम समप्रायिक हों तो इसकी क्या प्रायिकता है कि यह तीर इंगित –
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 2
(i) 8 को करेगा ?
(ii) एक विषम संख्या को करेगा ?
(iii) 2 से बड़ी संख्या को करेगा ?
(iv) 9 से छोटी संख्या को करेगा ?
हल :
संयोग के खेल में जब तीर को घुमाया जाता है। तो तीर के विश्राम में आने पर इंगित कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 = 8
(i) तीर द्वारा संख्या 8 को इंगित करने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ तीर द्वारा संख्या 8 को इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{8}\)

(ii) तीर द्वारा अंकित विषम संख्याएँ 1, 3, 5, 7
तीर द्वारा एक विषम संख्या अंकित करने के परिणामों की संख्या = 4
∴ विषम संख्या इंगित होने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{4}{8}=\frac{1}{2}\)

(iii) 2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की घटना के कुल अनुकूल परिणाम = 3, 4, 5, 6, 7, 8
2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 6
∴ 2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{6}{8}=\frac{3}{4}\)
अतः 2 से बड़ी संख्या इंगित करने की प्रायिकता = \(\frac {3}{4}\)

(iv) 9 से छोटी संख्या इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणाम 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8
9 से छोटी संख्या इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 8
∴ 9 से छोटी संख्या इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्याएँ
= \(\frac {8}{8}\)
= 1

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 13.
एक पासे को एक बार फेंका जाता है। निम्नलिखित को प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) एक अभाज्य संख्या
(ii) 2 और 6 के बीच स्थित कोई संख्या
(iii) एक विषम संख्या
हल :
एक पासे को यादृच्छया फेंके जाने पर प्राप्त होने वाले सभी सम्भव परिणाम = 1, 2, 3, 4, 5, 6
अत: एक पासे को यादृच्छया फेंके जाने पर कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 6
(i) यहाँ अभाज्य संख्याएँ – 2, 3, 5
अभाज्य संख्या प्राप्त होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ अभाज्य संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(ii) 2 और 6 के बीच स्थित संख्याएँ = 3, 4, 5
2 और 6 के बीच स्थित संख्याएँ होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ 2 और 6 के बीच स्थित संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(iii) विषम संख्याएँ = 1, 3, 5
विषम संख्या प्राप्त करने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ एक विषम संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

प्रश्न 14.
52 पत्तों की अच्छी प्रकार से फैटी गई एक गड्डी में से एक पत्ता निकाला जाता है। निम्नलिखित को प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) लाल रंग का बादशाह
(ii) एक फेस कार्ड अर्थात् तस्वीर वाला पत्ता
(iii) लाल रंग का तस्वीर वाला पत्ता
(iv) पान का गुलाम
(v) हुकुम का पत्ता
(vi) एक ईंट की बेगम ।
हल :
ताश की गड्डी में 52 पत्ते होते हैं। गड्डी को अच्छी तरह फेंटकर गड्डी में से एक पत्ता निकालने पर पत्ता क्या है, इसके कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 52
(i) माना लाल रंग का बादशाह होने की घटना (R) हैं:
∵ गड्डी में कुल 4 बादशाह होते हैं जिनमें पान तथा ईंट के बादशाह 2 होते हैं।
∴ लाल रंग का बादशाह प्राप्त होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
घटना R की प्रायिकता
⇒ P(R) = घटना R के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{2}{52}=\frac{1}{26}\)

(ii) माना एक फेस कार्ड अर्थात् तस्वीर वाला पत्ता होने की घटना (E) है।
∵ प्रत्येक समूह में 3 फेस कार्ड्स (बादशाह, बेगम व गुलाम) होते हैं।
∴ गड्डी में कुल फेस कार्डों की संख्या = 3 × 4 = 12
∴ घटना (E) के अनुकूल परिणामों की संख्या = 12
∴ घटना (E) की प्रायिकता
⇒ P(E) = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{12}{52}=\frac{3}{13}\)

(iii) माना लाल रंग का तस्वीर वाला पत्ता होने की घटना (A) है।
∵ कुल फेस कार्ड्स = 12
∴ लाल रंग के तस्वीर वाले पत्तों की संख्या = 6
तब घटना (A) के अनुकूल परिणामों की संख्या = 6
∴ घटना (A) की प्रायिकता
⇒ P(A) = घटना 4 के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{6}{52}=\frac{3}{26}\)

(iv) माना पान का गुलाम होने की घटना (B) है।
∵ गड्डी में पान का एक ही गुलाम होता है।
∴ घटना B के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ घटना (B) की प्रायिकता
⇒ P(B) = घटना B के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{52}\)

(v) माना हुकुम का पत्ता होने की घटना (C) है :
∵ गड्डी में हुकुम के पत्तों की संख्या = 13
∴ घटना C के अनुकूल परिणामों की संख्या = 13
∴ घटना (C) की प्रायिकता = \(\frac {13}{52}\)
⇒ P(C) = \(\frac {1}{4}\)

(vi) माना ईंट की बेगम होने की घटना (D) है।
∵ गड्डी में ईंट की केवल एक ही बेगम होती है।
∴ घटना D के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
घटना (D) की प्रायिकता
घटना (D) के घटित होने के अनुकूल
⇒ P(D) = परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{52}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 15.
ताश के पाँच पत्तों – ईंट का दहला, गुलाम, बेगम, बादशाह और इक्का, को पलटकर के अच्छी प्रकार फेंटा जाता है। फिर इनमें से यादृच्छया एक पत्ता निकाला जाता है।
(i) इसकी क्या प्रायिकता है कि यह पत्ता एक बेगम है ?
(ii) यदि बेगम निकल आती है तो उसे अलग रख दिया जाता है और एक अन्य पत्ता निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि दूसरा निकाला गया पत्ता (a) एक इक्का है? (b) एक बेगम है?
हल :
ताश के पाँच पत्तों में ईंट का दहला, गुलाम, बेगम, बादशाह, इक्का को पलटकर के फेंटा गया है, फिर इसमें से एक पत्ता निकाला जाता है।
इसके कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 5
(i) यदि निकाला गया पत्ता बेगम हो तो इस घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
अतः निकाला गया पत्ता बेगम होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{5}\)

(ii) यदि बेगम निकल आती है तो उसे अलग रख दिया जाता है और शेष पत्तों में से फिर एक पत्ता निकाला जाता है।
तब कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 4 (दहला, गुलाम, बादशाह, इक्का)
(a) दूसरा पत्ता इक्का होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
अतः दूसरा पत्ता इक्का होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)

(b) दूसरा पुत्ता बेगम होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = शून्य, क्योंकि इन पत्तों में बेगम हैं ही नहीं ।
अतः दूसरा पत्ता बेगम होने की प्रायिकता = \(\frac {0}{4}\) = 0

प्रश्न 16.
किसी कारण 12 खराब पेन 132 अच्छे पेनों में मिल गए हैं। केवल देखकर यह नहीं बताया जा सकता है कि कोई पेन खराब है या अच्छा है। इस मिश्रण में से, एक पेन यादृच्छया निकाला जाता है। निकाले गए पेन की अच्छा होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए ।
हल :
खराब पेनों की संख्या 12
अच्छे पेनों की संख्या = 132
पेनों की कुल संख्या = 12 + 132 = 144
अच्छा पेन निकलने की प्राथकिता
= अच्छा पेन निकलने के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
अतः अच्छा पेन प्राप्त होने की प्रायिकता = अच्छा पेन प्राप्त होने की प्रायिकता = \(\frac {11}{12}\)

प्रश्न 17.
(i) 20 बल्बों के एक समूह में 4 बल्ब खराब हैं। इस समूह में से एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि यह बल्ब खराब होगा ?
(ii) मान लीजिए (i) में निकाला गया बल्ब खराब नहीं है और न ही इसे दुबारा बल्बों के साथ मिलाया जाता है। अब शेष बल्बों में से एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि यह बल्ब खराब नहीं होगा ?
हल :
समूह में बल्बों की कुल संख्या = 20
खराब बल्बों की संख्या = 4
यदि एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है तो
(i) बल्ब खराब होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 4
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 20
अतः बल्ब खराब होने की प्रायिकता = \(\frac{4}{20}=\frac{1}{5}\)

(ii) यदि निकाला गया बल्ब खराब नहीं है तो इसे पुनः बल्बों के साथ नहीं मिलाया जाता है।
शेष बल्बों में से एक बल्ब निकाला जाता है।
∴ कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 19
खराब बल्ब होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 4
बल्ब खराब निकलने की प्रायिकता = \(\frac {4}{19}\)
∴ बल्ब खराब न होने की प्राय कता = 1 – \(\frac{4}{19}=\frac{15}{19}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 18.
एक पेटी में 90 डिस्क (discs) हैं, जिन पर 1 से 90 तक संख्याएँ अंकित हैं। यदि इस पेटी में से एक डिस्क यादृच्छया निकाली जाती है तो इसकी प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि इस डिस्क पर अंकित होगी:
(i) दो अंकों की एक संख्या
(ii) एक पूर्ण वर्ग संख्या
(iii) 5 से विभाज्य एक संख्या ।
हल :
डिस्कों की कुल संख्या = 90
∴ कुल सम्भव परिणाम ( 1, 2, 3, 4, 5, ……….90)
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 90
यदि एक डिस्क यादृच्छया निकाली जाती है तो :

(i) दो अंकों की एक संख्या अंकित होने की प्रायिकता :
∵ दो अर्को की संख्याएँ = (10, 11, 12, 13, …,90) = 81
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 81
अत: डिस्क पर दो अंकों की संख्या अंकित होने की प्रायिकता = अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भावित परिणामों की संख्या
= \(\frac{81}{90}=\frac{9}{10}\)

(ii) पूर्ण वर्ग संख्याएँ (1, 4, 9, 16, 25, 36, 49, 64, 81)
कुल अनुकूल परिणामों की संख्या = 9
अत: डिस्क पर पूर्ण वर्ग संख्या अंकित होने की प्रायिकता = \(\frac{9}{90}=\frac{1}{10}\)

(iii) 5 से विभाज्य संख्याएँ (5, 10, 15, 20, 25, 30, ……..90)
कुल अनुकूल परिणामों की संख्या = 18
अतः डिस्क पर 5 से विभाज्य संख्या अंकित होने की प्रायिकता = \(\frac{18}{90}=\frac{1}{5}\)

प्रश्न 19.
एक बच्चे के पास ऐसा पासा है जिसके फलकों पर निम्नलिखित अक्षर अंकित हैं :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 3
इस पासे को एक बार फेंका जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) A प्राप्त हो ? (ii) D प्राप्त हो ?
हल :
पासे के फलकों की संख्या = 6
∴ कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 6
(i) ∵ दो फलकों पर A अक्षर अंकित है।
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
अतः पासे पर A आने की प्रायिकता = \(\frac{2}{6}=\frac{1}{3}\)

(ii) ∵ केवल एक फलक पर D अक्षर अंकित है।
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
पासे पर D आने की प्रायिकता = \(\frac {1}{6}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 20.
मान लीजिए आप एक पासे को आकृति में दर्शाए आयताकार क्षेत्र में यादृच्छया रूप से गिराते हैं। इसकी क्या प्रायिकता है कि वह पासा 1 मीटर व्यास वाले वृत्त के अन्दर गिरेगा ?
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 4
हल :
आयत की लम्बाई (l) = 3 मीटर
आयत की चौड़ाई (b) = 2 मीटर
∴ आयत का क्षेत्रफल = 3 × 2 = 6 वर्ग मीटर
वृत्त का व्यास = 1 मीटर
वृत्त की त्रिज्या (r) = \(\frac {1}{2}\)मीटर
∴ वृत्त का क्षेत्रफल = πr² = π × (\(\frac {1}{2}\))²
= \(\frac {π}{4}\) वर्ग मीटर
जब एक पासा यादृच्छया फेंका जाता है तो उसके गिरने का व्यापक क्षेत्र आयताकार क्षेत्र होगा ।
तब, पासे की वृत्त के अन्दर गिरने की प्रायिकता
= वृत्त का क्षेत्रफल / आयत का क्षेत्रफल
= \(\frac{\pi}{\frac{\pi}{6}}\)
= \(\frac {π}{24}\)
अतः पासे के वृत्त के अन्दर गिरने की प्रायिकता
= \(\frac {π}{24}\)

प्रश्न 21.
144 बॉल पेनों के एक समूह में 20 बॉल पेन खराब हैं और शेष अच्छे हैं। आप वही पेन खरीदना चाहेंगे जो अच्छा हो, परन्तु खराब पेन आप खरीदना नहीं चाहेंगे। दुकानदार इन पेनों में से, यादृच्छया एक पेन निकालकर आपको देता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) आप वह पेन खरीदेंगे ? (ii) आप वह पेन नहीं खरीदेंगे ?
हल :
समूह में बॉल पेनों की संख्या = 144
खराब पेनों की संख्या = 20
ठीक पेनों की संख्या 144 – 20
= 124
(i) माना पेन खरीदने की प्रायिकता A है।
∵ हम ठीक बॉल पेन खरीदना चाहेंगे।
∴ बॉल पेन ठीक होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 124
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 144
∴ P(A) = \(\frac{124}{144}=\frac{31}{36}\)

(ii) माना पेन नहीं खरीदने की प्रायिकता A’ हो, तो
P (A’) = 1 – P(A)
= 1 – \(\frac{31}{36}=\frac{36-31}{36}\)
P(A’) = \(\frac {5}{36}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 22.
एक सलेटी और एक नीले पासे को एक साथ फेंका जाता है।
(i) निम्न सारणी को पूरा कीजिए:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 5

(ii) एक विद्यार्थी यह तर्क देता है कि ‘यहाँ कुल 11 परिणाम 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 हैं। अतः ‘प्रत्येक की प्रायिकता \(\frac {1}{11}\) है।’ क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
हल :
(i) जब एक सलेटी और एक नीले रंग के दो पासों को एक साथ फेंका जाता है तो दोनों पासों पर प्राप्त होने वाले परिणाम अग्र हो सकते हैं-
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 6
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 7

(ii) विद्यार्थी का तर्क गलत है, क्योंकि सभी 11 घटनाएँ प्रारम्भिक घटनाएँ नहीं हैं। प्रत्येक घटना से सम्बधित परिणामों की प्रायिकता भिन्न-भिन्न है। अतः विद्यार्थी का तर्क असंगत है।

प्रश्न 23.
एक खेल में एक रुपए के सिक्के को तीन बार उछाला जाता है और प्रत्येक बार का परिणाम लिख लिया जाता है। तीनों परिणाम समान होने पर, अर्थात् तीन चित या तीन पट प्राप्त होने पर, हनीफ खेल में जीत जाएगा, अन्यथा वह हार जाएगा। हनीफ के खेल में हार जाने की प्रायिकता परिकलित कीजिए ।
हल :
जब एक रुपये के सिक्के को तीन बार उछाला जाता है। यदि चित H तथा पट को T से व्यक्त करे तो
सम्भावित परिणाम निम्न हैं-
HHH    HHT   HTH    HTT
THH     THT    TTH    TTT
कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 8 हैं।.
तीनों परिणाम समान होने अर्थात् जीतने की प्रायिकता माना A है।
तीनों परिणाम समान होने के अनुकूल परिणाम [HHH, TTT]
तीनों परिणाम समान होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
अतः हनीफ के खेल में जीत जाने की प्रायिकता
∴ P(A) = \(\frac{2}{8}=\frac{1}{4}\)
माना, हार जाने की प्रायिकता A’ हो तो
P(A’) = 1 – P(A)
∴ P(A’) = 1 – \(\frac{1}{4}=\frac{3}{4}\)
अतः हनीफ के हारने की प्रायिकता = \(\frac {3}{4}\)

प्रश्न 24.
एक पासे को दो बार फेंका जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) 5 किसी भी बार में नहीं आएगा? (ii) 5 कम-से-कम एक बार आएगा?
हल :
जब एक पासे को दो बार फेंका जाता है तो फलकों पर प्राप्त अंक निम्न होंगे–
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 8
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
परिणामों की संख्या जिनमें 5 आता है = 11
वे परिणाम जिनमें 5 कभी न आता है = 36 – 11 = 25

(i) 5 न आने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 25
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
घटना की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {25}{36}\)

(ii) 5 कम-से-कम एक बार आने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 11
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
अतः 5 कम-से-कम एक बार आने की प्रायिकता = \(\frac {25}{36}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौन-से तर्क सत्य हैं और कौन-से तर्क असत्य हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
(i) यदि दो सिक्कों को एक साथ उछाला जाता है, तो इसके तीन सम्भावित परिणाम दो चित, दो पट या प्रत्येक एक बार है। अतः इनमें से प्रत्येक परिणाम की प्रायिकता \(\frac {1}{3}\) है।
(ii) यदि एक पासे को फेंका जाता है, तो इसके दो सम्भावित परिणाम एक विषम संख्या या एक सम संख्या हूँ। अतः एक विषम संख्या ज्ञात करने की प्रायिकता \(\frac {1}{2}\) है।
हल :
(i) जब दो सिक्कों को एक साथ उछाला जाता है। तथा पट को T से व्यक्त करने पर चार सम्भव परिणाम होंगे।
HH, HT, TH, TT
दो चित होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)
P(HH) = \(\frac {1}{4}\)
दो पट होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)
P(TT) = \(\frac {1}{4}\)
एक चित और एक पट होने की प्रायिकता = \(\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\)
अतः दिया गया तर्क असत्य है।

(ii) जब पासे को फेंका जाता है तो सम्भव परिणाम = (1, 2, 3, 4, 5, 6)
∴ कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 6
सम संख्या आने के अनुकूल परिणाम = (2, 4, 6)
सम संख्या आने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
विषम संख्या आने के अनुकूल परिणाम = (1, 3, 5)
विषम संख्या आने के अनुकूल परिणामों की संख्य = 3
विषम संख्या आने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
अतः छात्र का तर्क सत्य है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board Class 10 Science अनुवांशिकता एवं जैव विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मेण्डल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जक्क पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी-
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TtWW
(d) TtWw
उत्तर:
(c) TtWw

प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है-
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपर्युक्त भ
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है?
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु
उत्तर:
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन ‘पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नहीं, यह बताना संभव नहीं है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अप्रभावी जब तक कि दोनों प्रकार के विकल्पों का पता नहीं हो। ऐसा भी संभव है कि जनक में दोनों ही विकल्प हल्के रंग की आँखों के हों, क्योंकि लक्षण की प्रतिकृति दोनों जनकों से वंशानुगत होती हैं, अप्रभावी तभी होंगे, जब दोनों से प्राप्त जीन अप्रभावी हों। अतः हम केवल अनुमान लगा सकते हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 5.
जैव- विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित है?
उत्तर:
जैव विकास के अध्ययन से पता चलता है कि पहले उत्पन्न जीवों का शरीर बाद में उत्पन्न जीवों के शरीर से सरलतम है, अर्थात् जीवों के शरीर सरलता से जटिलता की तरफ विकास हुआ है। यही आधार वर्गीकरण का भी है। जीवों को शरीर के डिजाइन के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है। अतः जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 6.
समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
समजात अंग-उन अंगों को जो अलग-अलग स्पीशीज के जीवों में अलग-अलग कार्य करते हैं परन्तु आधारभूत संरचना में एकसमान हैं, समजात अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, पक्षी पंख तथा मनुष्य का हाथ दोनों ही रूपांतरित अग्रपाद हैं।

समरूफ अंग- ऐसे अंग जो अलग-अलग जीवों में एक समाने कार्य करते हैं परन्तु उनकी आधारभूत संरचना समान नहीं होती है, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, तितली के पंख और कबूतर के पंख दोनों ही उड़ने का कार्य करते हैं। परन्तु कबूतर के पंख में हड्डियाँ होती हैं. तितली के पंख नहीं होतीं।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उददेश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर:
इसके लिए एक शुद्ध काली खाल वाले कुत्ते (BB) तथा एक शुद्ध सफेद खाल वाली कुतिया (bb) का चयन किया जाता है। उनका समय पर संकरण कराएँ। यदि उनसे उत्पन्न सभी पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) काली खाल वाले हैं, तो काली खाल का लक्षण प्रभावी है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1

प्रश्न 8.
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा चिह्न या साँचे होते हैं। जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता कि अमुक जीव कब पाया जाता था, कब लुप्त हो गया, जीवों के विकास क्रम में पहले जीवों की संरचना कैसी थी और बाद में उसमें क्या-क्या परिवर्तन होते गए।

प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर:
वैज्ञानिक जे. बी. एस. हाल्डेन ने 1929 में सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे।

स्टेनल एल. मिलर हेराल्ड सी. उरे ने 1953 में प्रयोग किए और प्रमाण दिए कि सरल अकार्बनिक अणुओं से कार्बनिक अणु उत्पन्न हो सकते हैं। उन्होंने ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो संभवत: प्राथमिक वातावरण समान था जिसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) गैसें तो थीं परन्तु स्वतंत्र ऑक्सीजन नहीं थी। पात्र जल भी था। इस संमिश्रण को 100°C से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के इस मिश्रण में कृत्रिम रूप से समय-समय पर चिंगारियाँ उत्पन्न की गई जैसे कि आकाश में तड़ित बिजली उत्पन्न होती है।

इस प्रयोग में देखा गया कि 15% मीथेन का कार्बन उपयोग हुआ और सरल कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गए। इन कार्बनिक यौगिकों में विभिन्न अमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो कि प्रोटीन के अणुओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।

उपर्युक्त प्रमाण के आधार पर हम परिकल्पना कर सकते हैं कि शायद जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।

प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों को विकास किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन जनन एक ही होता है और उसी का डी.एन.ए. संतति में जाता है। अतः संतति में विभिन्नता तभी आती जब डी. एन. ए. प्रतिकृति में त्रुटियाँ हों जो कि कि न्यून होती हैं।

लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो कि डी.एन.ए. का एक-एक सेट संतति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन्न लक्षणों का समावेश होता है और अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है। लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताएँ जीन (डी.एन.ए.) में परिवर्तन के कारण होती है। अतः ये स्थिर होती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं। प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं जोकि पर्यावरण के अनुकूल हों।

अतः समय काल में मौजूदा पीटी अपने पूर्वजों से इतनी भिन्न हो सकती हैं कि वे 5 वे उनसे लैंगिक जनन न कर पायें और एक अन्य स्पीशीज के रूप में उभर कर आ जाएँ तथा जीवों के विकास में सहायक हों।

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प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
जैसा कि चित्र में दिखाया गया है कि मटर के गोल बीज वाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो Fg पीढ़ी में लम्बे या बौने लक्षण तथा गोल या झुर्रीदार लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

यदि संतति पौधे को जनक पौधे से संपूर्ण जीनों का एक पूर्ण सेट प्राप्त होता है तो चित्र में दिया प्रयोग सफल नहीं हो सकता। क्योंकि दो लक्षण R तथा Y सेट में एक-दूसरे से संलग्न रहेंगे तथा स्वतंत्र रूप में आहरित नहीं हो सकते। वास्तव में जीन केवल एक डी.एन.ए. श्रृंखला के रूप में न होकर डी.एन.ए. के अलग-अलग स्वतंत्र के रूप में होते हैं। इनमें से प्रत्येक एक गुणसूत्र का निर्माण करता है। इसलिए प्रत्येक कोशिका में प्रत्येक गुणसूत्र की दो प्रतिकृति होती है जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होते हैं। प्रत्येक जनक कोशिका से गुणसूत्र
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के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुणसूत्र ही एक जनने, कोशिका (युग्मक) में जाता है। जब दो युग्मकों का संलयन होता है, तो इनसे बने युग्मज में गुणसूत्रों की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है। इस प्रकार लैंगिक जनन द्वारा संतति में जनक कोशिकाओं जैसी ही गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।

प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाये रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
उत्तर:
इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि जो विभिन्नताएँ एकल जीव ( (व्यष्टि) के लिए उपयोगी हैं, वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक चयन प्रक्रम में वे अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं इसका अर्थ है कि समय न हैं साथ-साथ इन भिन्नताओं वाले जीव समष्टि में प्रमुख हो जाएँगे क्योंकि इनकी विभिन्नताएँ (लक्षण) परिवर्तित पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं, प्राकृतिक रूप में सफल रहेंगे तथा अपनी संतति को सतत बनाए रख सकते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science अनुवांशिकता एवं जैव विकास InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 157)

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण – A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण – B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर:
संभवत: लक्षण B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ परिलक्षित होती हैं। ये नई विभिन्नताएँ यदि वातावरण के अनुकूल होती हैं, तो उनकी प्रतिशत संख्या समष्टि में अधिक हो जाती है।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज के अस्तित्व की संभावना इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि स्पीशीज स्वयं को वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सक्षम हो जाता है। उदाहरण के लिए, उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। यदि वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो जीवाणु मर जाते हैं। केवल उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले ही जीवित रह पाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 161)

प्रश्न 1.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने दो विकल्पी मटर के पौधे चुने, जैसे-लम्बे पौधे जो कि लम्बे मटर के पौधे ही पैदा करते थे तथा बौने मटर के पौधे जोकि बौने पौधे ही उत्पन्न करते थे। मेण्डल ने इन दोनों पौधों का संकरण कराया, प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगेंगे। इसका अर्थ है कि लम्बाई का लक्षण ही F1 पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का लक्षण प्रदर्शित नहीं हुआ।

जब मेण्डल ने F1 पीढ़ी के पौधे में स्वपरागण कराया तो F2 पीढ़ी में दोनों लक्षण दिखाई दिये अर्थात् लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी (3 : 1) के अनुपात में इसका अर्थ यह है कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी और बौनेपन का लक्षण अप्रभावी है।
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यह प्रदर्शित होता है कि F1 पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौनेपन दोनों में विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई। F1 पीढ़ी में लम्बाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया क्योंकि वह प्रभावी विकल्प है और बौनापन अप्रभावी विकल्प है।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के प्रयोग में F1 पीढ़ी के लम्बे थे तथा पुनः तब F1 पीढ़ी के दो पौधों का संकरण किया गया जब F2 पीढ़ी के पौधे या तो लम्बे या बोने थे। लम्बे तथा बौने का अनुपात 3 : 1 था कोई भी पौधा बीच नहीं था। अर्थात् लम्बे या बौनेपन का लक्ष की ऊँचाई स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

प्रश्न 3.
एक A- रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन सा विकल्प लक्षण-रुधिर
वर्ग ‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है। यह बताने के लिए कौन सा विकल्प लक्षण रुधिर A या रुधिर वर्ग O प्रभावी है।

प्रश्न 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मानव के अधिकतर गुणसूत्र माता और पिता के गुणसूत्रों के प्रतिरूप होते हैं। इनकी संख्या 22 जोड़े है। लेकिन एक युग्म जिसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं जो सदा पूर्ण जोड़ी नहीं होते हैं। स्त्री में गुणसूत्र का पूर्ण युग्म होता है तथा दोनों X कहलाते हैं। लेकिन पुरुष में यह जोड़ा परिपूर्ण जोड़ा | नहीं होता जिससे एक गुणसूत्र सामान्य आकार का X होता है [ है तथा दूसरा गुणसूत्र छोटा होता है जिसे Y गुणसूत्र कहते हैं अतः स्त्रियों लिंग गुणसूत्र XX तथा पुरुष में XY गुणसूत्र होते हैं।

इस प्रकार सभी स्त्री युग्मक एकसमान होते हैं, परन्तु नर युग्मक दो प्रकार के होते है अब यदि X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो बच्चा लड़की होगी परन्तु यदि Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु निषेचन करता है तो बच्चा लड़का होगा।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 165)

प्रश्न 1.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर:
निम्नलिखित तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है-
(i) प्राकृतिक चयन – प्रकृति द्वारा लाभप्रद विविधताओं वाली समष्टि को सतत बनाये रखना प्राकृतिक चयन कहलाता है। वे लक्षण जो किसी व्यष्टि जीव के उत्तरजीविता तथा प्रजनन में लाभप्रद होती हैं, अगली पीढ़ी में हस्तान्तरित हो जाती हैं। परन्तु जिनसे कोई लाभ नहीं होता वे लक्षण संतति में नहीं जाते हैं।

(ii) आनुवंशिक विचलन – कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण किसी समष्टि के ज्यादातर जीव मर जाते हैं ऐसी स्थिति में जीन सीमित रह जाते हैं इसके कारण उस समष्टि का रूप बदल जाता है तथा उनकी संतति में केवल जीवित सदस्यों के लक्षण विचलन कहाँ जाता है। एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण दिखाई देते हैं। इसे आनुवंशिक विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
उत्तर:
उपार्जित लक्षण का प्रभाव कायिक ऊतकों पर पड़ता है परन्तु अर्जित लक्षण अनुभव का जनन कोशिकाओं के डी एन ए पर नहीं पड़ता। अतः ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 3.
बायों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है?
उत्तर:
(i) बाघों की संख्या में कमी दर्शाती है कि बाघ प्राकृतिक चयन में पिछड़ गए हैं। इनमें उत्तम परिवर्तन उत्पन्न नहीं हो रहे जोकि पर्यावरण के अनुकूल और अपनी समष्टि का आकार बढ़ा सकें।

(ii) छोटी समष्टि पर दुर्घटनाओं का प्रभाव अधिक पड़ता है। छोटी समष्टि में दुर्घटनाएँ किसी जीन की आवृत्ति को भी प्रभावित कर सकती हैं चाहे उनका उत्तरजीविता हेतु कोई लाभ हो या न हो। प्राकृतिक चयन और दुर्घटनाओं के कारण बाघों की प्रजाति लुप्त भी हो सकती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 166)

प्रश्न 1.
वे कौन से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं?
उत्तर:

  • प्राकृतिक चयन।
  • जीन प्रवाह का न होना अथवा बहुत कम होना।
  • आनुवंशिक विचलन।
  • डी.एन.ए. में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन होना जिससे कि दो समष्टियों के सदस्यों की जनन कोशिकाएँ (युग्मक) संलयन न कर पाए।
  • दो उपसमष्टियों का रूपेण अलग होना जिससे कि उनके सदस्य परस्पर लैंगिक प्रजनन न कर पायें।

प्रश्न 2.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों की जाति-उद्भव का प्रमुख कारण है क्योंकि अलग-अलग पौधों की स्पीशीज में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों के कारण भिन्न-भिन्न विभिन्नताएँ होती हैं। जीन प्रवाह का स्तर दो समष्टियों के मध्य और भी कम हो जाएगा इसलिए वे दूसरे के साथ जनन करने के अयोग्य हो जायेंगी।

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प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं, भौगोलिक पृथक्करण अलेंगिक जनन करने वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है क्योंकि अलैंगिक जनन करने वाले जीवों में बहुत कम विभिन्नताएँ होती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-171)

प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका हम दो स्पीशीज के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं?
उत्तर:
समजात अंगों की उपस्थिति से हमें दो स्पीशीज के सदस्यों में विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता मिलती है।

उदाहरण-पक्षियों, सरीसृप एवं जल-स्थलचर की तरह स्तनधारियों के चार पैर (पाद) होते हैं। सभी में पैरों की आधारभूत संरचना एकसमान होती है, परंतु कार्यों में भिन्न होते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। ये अभिलक्षण इंगित करते हैं कि वे समान जनक से वंशानुगत हुए हैं।

प्रश्न 2.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते। वे समरूप अंग हैं जो उड़ने का कार्य करते हैं।

कारण-तितली के पंखों की संरचना चमगादड़ के पंख से बिल्कुल भिन्न होती है। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डियाँ होती हैं जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं होती हैं।

प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या हैं? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं?
उत्तर:
लाखों अथवा हजारों साल पहले पाए जाने वाले जीवों के परिरक्षित कठोर अवशेष, चट्टानों पर पैरों के निशान, मिट्टी में बने मृत जीवों के सांचे आदि को जीवाश्म कहते हैं।

जीवाशम हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाते हैं-

  • ऐसी कौन-सी स्पीशीज हैं जो कभी जीवित थीं परन्तु अब लुप्त हो गई हैं।
  • ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जोकि एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बीच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते हैं। उदाहरण के लिए, आर्कीऑप्टैरिक्स जीवाश्म में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के। यह इंगित करता है कि पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं।
  • फॉसिल पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकाले जाते हैं। इससे पता चलता है कि पृथ्वी की सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 173)

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर:
आधुनिक मानव स्पीशीज ‘होमो सैपियंस’ का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। कुछ हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अफ्रीका छोड़ दिया, जबकि कुछ वहीं रह गए। वे अलग-अलग देश के वातावरण में फैल गए जिसके कारण उनका आकार, आकृति, रंग-रूप भिन्न हो गए। इन विविधताओं के बावजूद वे परस्पर सफल लैंगिक जनन करने में समर्थ हैं तथा बच्चे पैदा कर सकते हैं, जिसके आधार पर उन्हें एक स्पीशीज के सदस्य कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीवाणु, मछली, मकड़ी तथा चिम्पैंजी में से चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता सबसे अधिक है। चिम्मैंजी का शारीरिक डिजाइन, विकसित शारीरिक अंग संस्थान, मस्तिष्क (Brain) का जीवाणु, मकड़ी और मछली से अधिक विकसित होना तथा हाथों में अंगूठे की अंगुलियों के विपरीत होना जिससे वे चीजें पकड़ सकें आदि लक्षण उनको बाकी सभी से उत्तम बना देते हैं।

हालांकि विकास की दृष्टि से अति उत्तम नहीं माना जा सकता। क्योंकि सरलतम अधिकल्प वाले जीवाणु का समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण जैसे कि उष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्म स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं। दूसरे शब्दों में यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है, वरन् वह जैव विकास श्रृंखला में उत्पन्न एक और स्पीशीज है।

क्रिया-कलाप – 9.1

प्रश्न 1.
अपनी कक्षा के सभी छात्रों के कान का जुड़े कर्णपालि अवलोकन कीजिए। ऐसे छात्रों की सूची बनाइए जिनकी कर्णपालि (ear lobe) स्वतंत्र हो तथा जुड़ी हो। (चित्र) वाले छात्रों एवं स्वतंत्र कर्णपालि वाले छात्रों के प्रतिशत की गणना कीजिए। प्रत्येक छात्र के कर्णपालि के प्रकार को उनके जनक से मिलाकर देखिए। इस प्रेक्षण के आधार पर कर्णपालि के वंशागति के संभावित नियम का सुझाव दीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
(a) स्वतन्त्र तथा (b) जुड़े कर्णपालि कान के निचले भाग को कर्णपालि कहते हैं। यह कुछ लोगों में सिर के पार्श्व में पूर्ण रूप से जुड़ा होता है परन्तु कुछ में नहीं। स्वतन्त्र एवं जुड़े कर्णपालि मानव समष्टि में पाए जाने वाले दो परिवर्त हैं।
उत्तर:
छात्र अपनी कक्षा के सभी छात्रों के कानों का अवलोकन करें तथा एक सूची बनाएँ यह दिखाने के लिए-
(i) स्वतंत्र कान की पालि वाले छात्र

(ii) जुड़े हुए कान की पालि वाले छात्र जब ऐसे छात्रों के जनकों के कानों को मिलाते हैं तो देखा गया कि उनके कान भी उन्हीं के समान हैं। यह गुण वंशानुगति के सिद्धान्त की पुष्टि करता है।
छात्र अपने अवलोकन निम्नलिखित प्रकार लिखें-

कान की पालि का प्रकार
छात्र का नाम पिता का नाम माता का नाम
1.
2.
3.
4.

क्रिया-कलाप – 9.2

प्रश्न 1.
चित्र में हम कौन-सा प्रयोग करते हैं जिससे यह सुनिश्चित होता है कि F2 पीढ़ी में वास्तव में TT, TY, तथा htt का संयोजन 121 अनुपात में प्राप्त होता है?
उत्तर:
जब शुद्ध लम्बे मटर के पौधों के शुद्ध बौने पौधों से परपरागण कराया गया तो F1 में सभी पौधे लम्बे थे और F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया गया तो 3 लम्बे व 1 बौने के अनुपात में संतति प्राप्त हुई। इनकी वास्तविक आनुवंशिकी निश्चित करने के लिए अलग-अलग पौधों में स्वपरागण कराया गया तो F3 पीढ़ी में बौने पौधों ने केवल बौने पौधे दिए, एक लम्बे पौधे ने केवल लम्बे पौधे दिए और दो लम्बे पौधों ने लम्बे तथा बौने दोनों पौधे दिए। इसका अर्थ हुआ कि F1 जीनी संरचना में 1 : 2 : 1 का अनुपात था जैसा कि आगे स्पष्ट किया गया है।
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JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों के प्रेषण या संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों का अर्थ बताइए-
(i) संकर
(ii) एलील
(iii) प्रतीप संकरण
(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(v) एक संकर संकरण
(vi) द्विसंकर संकरण
(vii) समयुग्मनज
(viii) विषमयुग्मनज
(ix) फीनोटाइप
(x) जीनोटाइप।
उत्तर:
(i) संकर – किसी प्रजाति के दो परस्पर विरोधी लक्षणों के जीवों के निषेचन से उत्पन्न जीव को संकर (hy-brid) कहते हैं।

(ii) एलील – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे को एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं।

(iii) प्रतीप संकरण – संकर संतानों को किसी जनक (माता / पिता) से संकरित कराने की क्रिया को प्रतीप संकरण (Back crossing) कहते हैं।

(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण-जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई – लक्षण कारकों के एक युग्म (pair ) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा पैतृक होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं।

(v) एक संकर संकरण – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस कहते हैं।

(vi) द्विसंकर संकरण – परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस कहते हैं।

(vii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) में किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था को समयुग्मी कहते हैं।

(viii) विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है।

(ix) फीनोटाइप – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।

(x) जीनोटाइप- इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं को आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Geno-type) कहलाता है।

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प्रश्न 3.
बैंक क्रॉस क्या होता है तथा किसी द्विसंकर क्रॉस में इसका क्या अनुपात होता है?
उत्तर:
बैक क्रॉस-यदि संकर संतानों को किसी भी जनक (माता-पिता) से संकरित कराया जाय तो ऐसे संकरण को प्रतीप संकरण कहते हैं।
अनुपात – 9 : 3 : 3 : 1

उदाहरण – मिराबिलिस जलापा के ऐसे दो पौधों के, जिनमें से एक में लाल पुष्प तथा दूसरे में सफेद पुष्प हों, क्रॉस कराने पर पहली पीढ़ी (F1) लाल पुष्पों के स्थान पर गुलाबी रंग के पुष्प उत्पन्न होते हैं। जब इन्हीं पौधों में स्वपरागण कराया जाता है तो दूसरी पीढ़ी (F2) में 1 लाल, गुलाबी तथा 1 सफेद रंग के पौधे बनते हैं।

प्रश्न 14.
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज किस प्रकार के प्राप्त होंगे?
उत्तर:
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज (Tt) लम्बे प्राप्त होंगे।

प्रश्न 5.
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को क्यों चुना?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोग में मटर का पौधा इसलिए चुना क्योंकि यह आसानी से विभिन्न गुण वाले होते हैं और पूरे वर्ष मिल जाते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका में ‘जीन’ कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
जीन – विनिमय किस प्रकार के कोशिका-विभाजन में होता है?
उत्तर:
जीन-विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है।

प्रश्न 8.
डी. एन. ए. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
डी ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड।

प्रश्न 9.
मनुष्य के X तथा Y गुणसूत्रों के संयोग से उत्पन्न संतान का लिंग क्या होगा, यदि युग्मनज में उपस्थित संयोग – (a ) XX हो, (b) YY हो, (c) XY हो?
उत्तर:

  • मादा
  • यह संयोग संभव नहीं
  • नर।

प्रश्न 10.
क्या अन्तर है : (a) गुणसूत्र तथा जीन में; (b) जीन तथा DNA में?
उत्तर:
(a) गुणसूत्र तथा जीन में क्रोमेटिन दो पदार्थों प्रोटीन तथा डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड के अणुओं के संयुक्त होने से बनता है। जिस समय कोशिका विभाजित होने लगती है, तब क्रोमेटिन सिकुड़कर अनेक मोटे एवं छोटे धागों के रूप में संगठित हो जाते हैं। इन धागों को गुणसूत्र कहा जाता है।

गुणसूत्रों में सूक्ष्म जैनेक रचनायें होती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन जीवधारी के पैतृक गुणों के वाहक होते हैं।

(b) जीन तथा DNA में जीन डी-ऑक्सी राइबो- न्यूक्लिक एसिड (DNA) अणु के खंड होते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में DNA का अणु होता है तथा विभिन्न जीन इस अणु के खंड होते हैं। जीन में उपस्थित नाइट्रोजनी बेसों (एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थायमीन) युक्त न्यूक्लियोटाइडों का विशेष क्रम जीन द्वारा व्यक्त किसी विशेष आनुवंशिक लक्षण को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 11.
मानव कोशिकाओं में ‘अलिंगी’ तथा ‘लिंगी’ गुणसूत्रों की संख्या कितनी कितनी होती है?
उत्तर:
अलिंगी में 22 जोड़ा (44) गुणसूत्र होते हैं तथा मानव में लिंगी गुणसूत्रों की संख्या 23 जोड़ा (46) होते हैं।

प्रश्न 12.
कौन-सा एंजाइम सभी प्राणियों पर क्रिया करता है?
उत्तर:
ट्रिप्सिन।

प्रश्न 13.
जीन कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन क्रोमोसोम पर स्थित होते हैं।

प्रश्न 14.
रेट्रोवायरस क्या है?
उत्तर:
जिस वायरस में आर. एन. ए. आनुवंशिक पदार्थ होता है उस वायरस को रेट्रोवायरस कहते हैं। जैसे एड्स का विषाणु।

प्रश्न 15.
DNA में कितने प्रकार के नाइट्रोजनधारी क्षार विद्यमान होते हैं? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
DNA में दो प्रकार के नाइट्रोजन क्षार होते हैं- प्यूरीन व पाइरीमिडीन।

प्रश्न 16.
RNA में पाए जाने वाले चार नाइट्रोजनी बेसों का नाम बताइए।
उत्तर:
एडीनीन, गुआनीन, सायटोसीन एवं यूरेसिल।

प्रश्न 17.
समजात अंग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वे अंग जो संरचना में समान परंतु देखने में अलग दिखाई देते हैं और भिन्न कार्य करते हैं। ऐसे अंगों को समजात अंग कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 18.
समयुग्मजी और विषमयुग्मजी किसे कहते हैं?
उत्तर:

  • समयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील समान होते हैं। जैसे- (TT या tt)।
  • विषमयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील असमान होते हैं। जैसे- (Tt)।

प्रश्न 19.
वियोजन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
गैमीटों के बनने के दौरान कारकों की जोड़ी के दो सदस्य सम्मिश्रित नहीं होते, वरन् विभिन्न गैमीटों में विसंयोजित हो जाते हैं। जाइगोट निर्माण के समय गैमीट पुनः परस्पर संयोजित हो जाते हैं। इसे गैमीटों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 20.
DNA के संरचनात्मक मॉडल को किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
वाट्सन और क्रिक ने।

प्रश्न 21.
एक जीन एक एंजाइम मत में क्या कहा गया है?
उत्तर:
एक जीन एक एंजाइम का अर्थ यह है कि प्रत्येक एंजाइम का अथवा विशिष्ट कोशिकीय प्रोटीन का नियंत्रण एक विशिष्ट जीन द्वारा होता है। प्रश्न 22 म्यूटेशन से आप क्या समझते हैं? उत्तर: क्रोमोसोम और जीनों की संख्या और उनकी संरचना में अचानक हुए वंशागतिशील परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं।

प्रश्न 23.
जीवन के उद्भव तथा जीवन के विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जीवन के उदभव से अभिप्राय है- निर्जीव पदार्थ से सरलतम जीव का विकास। सरल जीवों से जटिल जीवों का बनना, जैव विकास है।

प्रश्न 24.
उस पादप का नाम लिखें जिस पर मेण्डल ने प्रयोग किया था?
उत्तर:
मटर।

प्रश्न 25.
ए.आई. ओपेरिन ने कौन-सा मत प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
ए.आई. ओपेरिन के अनुसार जीवन का उद्भव द के भीतर रासायनिक पदार्थों के संयोजन से हुआ।

प्रश्न 26.
जीवाश्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
पौधों अथवा प्राणियों के अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं।

प्रश्न 27.
अर्जित लक्षणों की वंशागति का मत किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
जीवविज्ञानी ज्यां बैप्टिटस्ट लैमार्क ने।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में मटर के पौधे के किन लक्षणों का अध्ययन किया? इनमें से प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल द्वारा अध्ययन किये गये सात लक्षणों के प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूपों की सूची निम्नवत् है-

गुण प्रभावी लक्षण अप्रभाबी लक्षण
1. तने की ऊँचाई लम्बा (tall) बौना (dwarf)
2. बीज की आकृति गोल (round) झुरीदार (wrinkled)
3. पुष्प की स्थिति कक्षीय (auxillary) अंतस्थ (terminal)
4. फली का रंग हरा (green) पीला (yellow)
5. बीज का रंग पीला (yellow) हरा (green)
6. फली की आकृति फूली हुई (inflated) संकुचित (constricted)
7. पुष्प का रंग लाल (red) श्वेत (white)

प्रश्न 2.
मेण्डल के आनुवंशिकता सम्बन्धी नियमों का उल्लेख कीजिए तथा रेखाचित्र बनाकर एकसंकर संकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मेण्डल के आनुवंशिकता के नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
1. प्रभाविता का नियम (Law of Domi- nance)- जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic ) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive character- istic) कहते हैं।
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2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes ) किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (1 : 3) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde pendent Assortment ) – जब जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
‘एलील’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एलील या एलीलोमॉर्फ (Allele or Allelomorph) – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे का एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं। जैसे कि फूल के रंग के सम्बन्ध में लाल रंग व सफेद रंग एक-दूसरे के एलील हैं। लम्बापन व बौनापन एक-दूसरे के एलील हैं। बीजों की गोलाई गोल व झुर्रीदार बीज एक-दूसरे के एलील हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) युग्मक तथा युग्मनज
(ii) समयुग्मनज तथा विषमयुग्मनज
(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप
(iv) एकसंकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस
(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु।
उत्तर:
(i) युग्मक तथा युग्मनज – जीवों के जननांगों में कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) से उत्पन्न संतति कोशिकाओं को युग्मक (Gamete) कहते हैं। युग्मक कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosomes ) की संख्या मातृ- कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या की आधी होती है। उदाहरणतः मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 तथा इसके अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त युग्मकों में गुणसत्रों की संख्या 23 होती है।

लिंगीय प्रजनन में नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोग से बनी कोशिका को युग्मनज (zygote) कहते हैं। इसमें गुणसूत्रों की संख्या, जीव की सामान्य कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या के बराबर होती है।

(ii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था समयुग्मी कहते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि मटर के किसी जाइगोट में मातृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो और पितृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो तो दोनों कारक एक जैसे होने के कारण यह युग्मनज समयुग्मी है। इसी प्रकार कोई युग्मनज बौनेपन के लिए, पुष्प के लाल या सफेद रंग के लिए अर्थात् किसी भी लक्षण के लिए समयुग्मी हो सकता है।

विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है। यह अवस्था विषमयुग्मी कहलाती है। जैसे कि यदि मटर का लम्बेन के कारक काला युग्मक, मटर के बौनेपन के कारक वाले युग्मक से संलयन करे तो जो जाइगोट बनेगा उसमें एक कारक लम्बेपन का व दूसरा कारक बौनेपन का होगा।

(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप (Phenotype and Genotype) – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।
इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Genotype ) कहलात है।

(iv) एक संकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस (Mono- hybrid and Dihybrid Cross) – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस (monohybrid cross) तथा परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस (Dihybrid cross) कहते हैं। उदाहरणत: सफेद नर एवं भूरे मादा चूहे के बीच निषेचन एक संकर क्रॉस होगा तथा गोल बीज वाले लम्बे पौधे एवं झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे का निषेचन द्विसंकर क्रॉस होगा।

(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण (Character- istics of Dominant and Recessive) – जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई लक्षण कारकों के एक युग्म (pair) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं। इस प्रकार अप्रभावी लक्षण तब प्रदर्शित होगा जब प्रभावी उपस्थित न हो।

(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु ( Sperm and Ovum) – लैंगिक प्रजनन में नर जीव की कोशिका के अर्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न नर युग्मक (male gamete) को शुक्राणु (Sperm) तथा मादा जीव की कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न मादा युग्मक (female ga- mete) को अण्डाणु (Ovum) कहते हैं। शुक्राणु तथा अण्डाणु के संयोजन (निषेचन) से युग्मनज (zygote) उत्पन्न होता है।

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प्रश्न 5.
यदि मटर के एक शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों में संकरण कराया जाय तो द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) में किस प्रकार के कितने पौधे प्राप्त होंगे? रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
स्पष्टीकरण – एक शुद्ध लम्बे (TT) तथा दूसरा शुद्ध बौने (tt) पौधे के क्रॉस कराने से प्रथम पीढ़ी F मैं लम्बे संकर (Tt) पौधे प्राप्त हुए जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी थी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2
इन पौधों में स्वपरागण द्वारा निषेचन कराने पर तीन प्रकार के जीन वाले पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
मानव नर तथा मादा के गुणसूत्रों में क्या अन्तर होता है? स्पष्ट कीजिए कि सन्तान का नर या मादा होना पिता पर निर्भर करता है, माता पर नहीं।
उत्तर:
संतान का नर या मादा होना पिता के दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग गुणसूत्र (समान X, X) होते ति हैं।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन पाये जाते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण वाहक होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • युग्मनज द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।

प्रश्न 8.
‘गुणसूत्र’ क्या होते हैं तथा जीवधारी में कहाँ पर पाये जाते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक जीव कोशिका (पौधे तथा जन्तु) में कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक में कुछ मोटे धागे के आकार की रचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्र सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

प्रश्न 9.
‘जीन’ (Genes) क्या होते हैं तथा जीवधारी कहाँ पर पाये जाते हैं? जीवों में जीन की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
कोशिका के केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्रों की लम्बाई में अनेक सूक्ष्म रचनायें क्रमबद्ध रूप से स्थित पायी जाती हैं। इन रचनाओं को जीन कहते हैं। किसी जीवधारी के अनेक लक्षण जीनों द्वारा व्यक्त किये जा सकते हैं। जीवधारी के शरीर प्रत्येक भाग की रचना, आकार, आकृति तथा भौतिक एवं मानसिक व्यवहार उसकी कोशिकाओं में उपस्थित जीनों की विशिष्टता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10.
‘क्रोमेटिन’, ‘क्रोमोसोम’ तथा ‘क्रोमेटिङ’ में अंतर बताइए।
उत्तर:
क्रोमेटिन – कोशिका के केन्द्र में पाया जाने वाला जैव पदार्थ क्रोमेटिन कहलाता है, जो लक्षणों (Characters) के स्थानान्तरण का मुख्य भाग है।

क्रोमोसोम-क्रोमेटिन पदार्थ कोशिका विभाजन के समय लम्बी धागे जैसी संरचनाओं में परिवर्तित हो जाता है, प्रत्येक संरचना क्रोमोसोम कहलाती है। क्रोमोसोम पर जीन उपस्थित होते हैं। प्रत्येक जीन जीव के आनुवंशिक गुण के लिए उत्तरदायी होती है।

क्रोमेटिड – कोशिका विभाजन के समय, प्रत्येक क्रोमोसोम दो समान एवं प्रतिरूप संरचनाओं में विभाजित होता है। प्रत्येक संरचना क्रोमेटिड कहलाती है। प्रत्येक क्रोमेटिड मूल क्रोमोसोम की प्रतिलिपि (कापी) होता है।

प्रश्न 11.
जीनों की ‘असहलग्नता’, ‘पूर्ण सहलग्नता’ तथा ‘अपूर्ण सहलग्नता’ का क्या अर्थ है? ये सम्बन्ध किन दशाओं में होते हैं?
उत्तर:
जब किसी कोशिका में दो भिन्न प्रकार के जीन, दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त संतति कोशिकाओं में भी ये जीन भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर ही स्थित रहते हैं – अर्थात् दो भिन्न गुणसूत्रों के बीच जीनों का कोई आदान-प्रदान नहीं होता। यह जीनों के असहलग्नता (Non-linkage) की दशा है।

ऐसे गुणसूत्र जिनमें जीन विनिमय नहीं होता वे मातृ कोशिका की भाँति ही गुणसूत्रों की रचना करते हैं। इनसे बने युग्मकों में आनुवंशिक लक्षण बिना किसी परिवर्तन के स्थानान्तरित होते हैं। इसे पूर्ण जीन सहलग्नता कहते हैं।

इसके विपरीत जिन गुणसूत्रों में जीन विनिमय होता है, उनसे बने युग्मकों में स्थानान्तरित आनुवंशिक लक्षण, मातृ- कोशिका के लक्षणों से भिन्न हो सकते हैं। यही विशेषता अपूर्ण जीन सहलग्नता कहलाती है।

प्रश्न 12.
‘जीन विनिमय’ क्या होता है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जीन सहलग्नता एवं विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है। अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में एक कोशिका का विभाजन दो संतति कोशिकाओं में होता है तथा इस चरण में मातृ कोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों के किसी समजात युग्माक एक संतति कोशिका में तथा दूसरा गुणसूत्र दूसरी कोशिका में चला जाता है। इस क्रिया में मातृ कोशिका की अपेक्षा संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसके दूसरे चरण में दोनों संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है जिससे चार संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है।

जीन-विनिमय का महत्त्व – (Importance of Gene Cross):
जीन-विनिमय के फलस्वरूप एक ही प्रकार के गुणसूत्रों से विभिन्न प्रकार के पुनर्योजित गुणसूत्र उत्पन्न होते हैं। माना कि किसी मातृ- कोशिका में समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक पर जीन A, B, C तथा दूसरे पर जीन a, b, c हैं। कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र खण्डों के विनिमय के कारण दो नये प्रकार के गुणसूत्र Abe तथा aBC बनेंगे। जब इन गुणसूत्रों से युक्त संतति कोशिकाएं बनेंगी उनमें दो नये प्रकार की जीन श्रृंखला Abe तथा aBC होंगी।

चूंकि जीन ही जीवधारी के लक्षण निर्धारित करते हैं, इन दोनों कोशिकाओं से विकसित होने वाले जीवों के लक्षण मातृ- कोशिका धारण करने वाले जीव से कुछ भिन्न होंगे। उनमें आपस में कुछ विभिन्नता भी होगी। इसी कारण एक इन दोनों संतानों के बहुत से लक्षणों समानता होगी परन्तु ही माता-पिता की सन्तानों में काफी समानता होते हुए भी कुछ अन्तर भी मिलता है। इस अन्तर को विविधता (varia-tions) कहते हैं।

किसी जीव जाति के उभरने एवं अस्तित्व में बने रहने के लिए विविधता का बहुत महत्त्व है। प्राकृतिक वरण (natural selection) की प्रक्रिया द्वारा प्रकृति उन जीवधारियों का चयन करती है जो अपने वातावरण के अनुकूलतम (Most adapted) होते हैं वातावरण निरन्तर बदलता रहता है अतः जितनी अधिक विविधता किसी जाति के जीवधारियों में होगी, उस जाति के बने रहने की सम्भावनाएं उतनी ही अधिक होंगी।

प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि जीन उत्परिवर्तन से जीवों के लक्षणों की वंशानुगति कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तन में अकेले जीन की संरचना या गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों के निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं अतः आने वाली पीढ़ियों की संतानों में विविधता का कारण बनते हैं।

प्रश्न 14.
जीन की संरचना में परिवर्तन के विभिन्न प्रकार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तनों के प्रकार (Types of Gene Mutations):
(क) जीव के जीवनकाल में परिवर्तन होने के समय के अनुसार जीन – उत्परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं-

  • युग्मकी उत्परिवर्तन (Gametic Muta-tions) – ये उत्परिवर्तन युग्मक (Gamete) बनने के समय होते हैं।
  • युगमनजी उत्परिवर्तन (Zygotic Muta-tions) ये परिवर्तन भ्रूण बनने की क्रिया में युग्मनज के प्रथम विभाजन के समय होते हैं।
  • कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Muta-tions) – ये परिवर्तन वयस्क शरीर में मृत्यु से पहले कभी भी हो सकते हैं। ये प्रायः दैहिक कोशिकाओं में होते हैं- अतः ये वंशागत नहीं होते।

(ख) जैविक पदार्थ के प्रभावित अंश के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
(a) जीन – उत्परिवर्तन (Gene Mutations) – ऐसे परिवर्तन में किसी विशेष लक्षण के वाहक जीन की रासायनिक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन निम्नवत् हो सकता है-

  • न्यूक्लियोटाइडों के विलोपन द्वारा इस क्रिया में जीन की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड टूटकर अलग हो जाते हैं।
  • न्यूक्लियोटाइडों का संवर्धन- इस क्रिया में जीन (DNA) की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला में एक अथवा अधिक अतिरिक्त न्यूक्लियोटाइड जुड़ जाते हैं।
  • नाइट्रोजनी बेस का परिवर्तन- इस प्रकार के उत्परिवर्तन में न्यूक्लियोटाइडों के नाइट्रोजन बेस का परिवर्तन जैसे किसी प्यूरीन बेस का पिरीमिडीन बेस से या पिरीमिडीन बेस का प्यूरीन बेस से अथवा एक प्रकार के प्यूरीन/ पिरीमिडीन बेस का दूसरे प्रकार के प्यूरीन / पिरीमिडीन बेस से परिवर्तन हो जाता है।

(b) गुणसूत्र उत्परिवर्तन (Chromosomal Mutations) – इनमें एक या अधिक गुणसूत्रों की रचना में परिवर्तन हो जाते हैं ये परिवर्तन प्रायः युग्मक जनन के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय होते हैं। इन परिवर्तनों में-

  • गुणसूत्र पहले दो या दो से अधिक खण्डों में टूटते हैं तथा पुनः जुड़ते समय इनमें अदला-बदली हो सकती है अथवा कुछ खण्ड वापस नहीं जुड़ पाते तथा कोशिका द्रव्य में घुलकर समाप्त हो जाते हैं।
  • गुणसूत्रों के एक या एक से अधिक खण्ड गलत स्थानों पर जुड़ जाते हैं।
  • एक या एक से अधिक टुकड़ों के जुड़ने में इनके सिरे बदल जाते हैं।
  • किसी गुणसूत्र पर एक या एक से अधिक जीन दोहरे हो जाते हैं।

(c) गुणसूत्र समूह में उत्परिवर्तन- इसमें कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या बदल (बढ़ या घट सकती है।

प्रश्न 15.
गामा – विकिरणों के प्रभाव से विकलांग संतानों की उत्पत्ति क्यों होती है?
उत्तर:
प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (cosmic radiations ), गामा-विकिरण (gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते हैं जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

इस प्रकार के विकिरणों उत्परिवर्तन के फलस्वरूप, शरीर में विभिन्न प्रकार के कैन्सर तथा सन्तानों में विकलांगता उत्पन्न हो सकती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी नामक नगरों पर गिराये गये परमाणु बम के विस्फोट से जो विकिरण उत्पन्न हुए उनके प्रभाव से वहाँ के निवासियों की जीव संरचनाओं में ऐसे उत्परिवर्तन हो गये, जिनके कारण वहाँ अब भी विकलांग सन्तानें उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 16.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
(i) लिंग गुणसूत्र
(ii) सेण्ट्रोमियर
(iii) उत्परिवर्तन
उत्तर:
(i) लिंग गुणसूत्र तथा मानव में लिंग निर्धारण – बहुत से एकलिंगी जीवों में प्रत्येक कोशिका में एक जोड़ी विशेष गुणसूत्र होते हैं, जिन्हें लिंग गुणसूत्र (Sex-chromosomes) कहते हैं अनेक प्रकार के जन्तुओं तथा एक जोड़ा तथा उसके विपरीत लिंग का जीव समान लिंग पादपों में कोई भी एकलिंगी जीव असमान लिंग गुणसूत्रों का गुणसूत्रों का एक जोड़ा धारण करता है जैसे मानव के नर में एवं Y लिंग गुणसूत्र तथा मादा में दो X लिंग-गुणसूत्र पाये जाते हैं। इन लिंग गुणसूत्रों के जोड़े को अन्य गुणसूत्रों से विभेदित करने के लिए शेष बचे गुणसूत्रों को अलिंग गुणसूत्र (Autosomal chromosomes ) कहा जाता है।

मानव में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Human): मानव गुणसूत्र (Human Chromosomes)-मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े (46) गुणसूत्र होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
1. अलिंग गुणसूत्र अथवा ऑटोसोम्स (Autosomes) – ये गुणसूत्र संख्या में 22 जोड़े (44) होते हैं और प्रत्येक जोड़े के गुणसूत्र समजात (Homologous) होते हैं। आटोसोम्स की लिंग निर्धारण में कोई भूमिका नहीं है।

2. लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) अथवा एलोसोम्स (Allosomes) अथवा असमजात (Heterosomes)-ये गुणसूत्र भ्रूण के लिंग निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दो प्रकार के हैं-

  • एक्स गुणसूत्र (X-chromosome)
  • वाई गुणसूत्र (Y-chromosome)।

मानव में लैंगिक जनन होता है। इसके लिए पुरुष के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन शुक्राणु (Sperms) बनते हैं। प्रत्येक शुक्राणु को आटोसोम्स का एक-एक गुणसूत्र (अर्थात् ऑटोसोम्स) तथा एलोसोम के XY जोड़े का कोई एक गुणसूत्र प्राप्त होता है। इस प्रकार पुरुष में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं-

  • जिनमें X + 22 ऑटोसोम्स तथा
  • Y + 22 ऑटोसोम्स होते हैं।

इसके विपरीत, स्त्री में 23वें जोड़े के गुणसूत्र भी एकसमान होते हैं। अत: स्त्री के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न सभी अंड कोशिका (Ovum) एक ही प्रकार की होती हैं जिनमें X + 22 गुणसूत्र होते हैं। अब यदि पुरुष का (X + 22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्ड को निषेचित करता है तो मादा शिशु (लड़की) का जन्म होगा-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 3
इसके विपरीत यदि (Y+22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु (X+22) गुणसूत्र वाले अण्ड कोशिका को निषेचित करता है तो नर शिशु (लड़के) का जन्म होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
जिनमें 50% में (X + 22) गुणसूत्र तथा 50% में (Y + 22 ) गुणसूत्र होते हैं, यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि कौन-सा शुक्राणु अंड को निषेचित करता है। स्पष्ट है कि पुत्र या पुत्री होने की सम्भावना 50% होती है।

उपर्युक्त से यह भी स्पष्ट होता है कि सन्तान का नर या मादा होना, पिता के द्वारा दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग-गुणसूत्र समान (XX) होते हैं।

(ii) सेण्ट्रोमियर (Centromere) – गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स या स या अर्द्धगुणसूत्र सेण्ट्रोमियर (Cen-tromere) द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। यह मेटाफेज अवस्था में विभाजन के समय ट्रैक्टाइल तन्तुओं से जुड़ता है मेटाफेज अवस्था में सेण्ट्रोमियर विभाजित ‘जाता है। सेन्टोमियर के विभाजन के आधार पर यह निम्न प्रकार के होते हैं-

  • टीलोसेन्ट्रिक – इसमें सेन्ट्रोमियर गुणसूत्र के एक और स्थित होता. है।
  • एक्रोसेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र का एक भाग बहुत छोटा तथा दूसरा बहुत बड़ा होता है।
  • सबमेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र के दोनों भाग असमान होते हैं।
  • मेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ लगभग समान होती हैं।

(iii) उत्परिवर्तन – ह्यूगो डी व्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों के उत्पत्ति के बारे में जीन- उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। डी व्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत ) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन जीव कोशिकाओं में उपस्थित जीनों (Gene) की रासायनिक संरचना में उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन उत्परिवर्तन कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया में DNA खण्ड न्यूक्लियोटाइडों की संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में उनके विभिन्न लक्षणों के प्रेषण अथवा संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

इसका अर्थ है कि प्रत्येक जीवधारी अपने ही समान संरचना एवं गुण वाली सन्तानों को जन्म देता है। शेर का बच्चा शेर ही होता है। खरगोश से केवल खरगोश का ही जन्म होता है। गुलाब से केवल गुलाब ही पैदा होता है, आम से केवल आम इस प्रकार देखा जाता है कि पौधों व जन्तुओं की विभिन्न जातियाँ अपने ही जैसी सन्तानों को जन्म देती हैं। यह बात केवल जाति के स्तर पर ही नहीं, बल्कि और नीचे के भी लागू होती है, जैसे कि परिवार के स्तर पर एक ही परिवार के सदस्यों के बीच काफी ज्यादा समानताएं देखने को मिलती हैं।

बच्चों के अनेक लक्षण (जैसे-रंग-रूप, आंख, कान, नाक, हाथ-पैर की बनावट), आवाज आदि उनके माता-पिता, दादा-दादी, चाचा, बुआ, मामा, मौसी आदि से काफी मिलते हैं। जीवधारियों के के अनेक लक्षण माता-पिता के माध्यम से संतानों में पीढ़ी-दर- चलते रहते हैं। सन्तानों में, माता-पिता से प्राप्त इस प्रकार के गुणों को को पैतृक या आनुवंशिक लक्षण कहते हैं।

इन लक्षणों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरन्तरता को ही आनुवंशिकता कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। इनके आधार पर प्रतिपादित मेण्डल के नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रयोग (Mendel’s Experi-ments):
मेण्डल द्वारा मटर के पौधे पर किये गये संकरण प्रयोग अत्यन्त मूल्यवान तथा मौलिक माने जाते हैं। इन प्रयोगों द्वारा उन्होंने यह जानने का प्रयत्न किया कि आनुवंशिक लक्षण माता-पिता से अगली पीढ़ी में कैसे पहुँचते हैं। नीचे मेण्डल के प्रयोगों की मुख्य विधियों तथा सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन किया गया है।

मेण्डल ने उद्यान मटर का उपयोग अपने प्रयोगों में इसलिए किया, क्योंकि यह पौधा कुछ महीनों में अपना जीवन-चक्र पूरा कर लेता है, अतः प्रयोग के परिणाम कम समय में ही मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त मटर का पौधा स्वपरागित है तथा इसमें दिखाई देने वाले अनेक वैकल्पिक लक्षण एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जैसे लम्बा पौधा व बौना पौधा, लाल फूल व सफेद फूल, गोल बीज व झुर्रीदार बीज आदि।

मेण्डल ने आनुवंशिक लक्षणों के निम्नलिखित सात जोड़ों को चुना-

  • बीज का रूप – गोल अथवा झुर्रीदार
  • बीजपत्र का रंग पीला अथवा हरा
  • बीजचोल अथवा फूल का रंग लाल अथवा सफेद
  • फली (पॉड) का रूप फूला अथवा संकीर्णित
  • फली (पॉड) का रंग हरा अथवा पीला
  • फूल का स्थान- कक्षीय अथवा शीर्षस्थ
  • तने की लम्बाई – लम्बा अथवा बौना।

मेण्डल ने प्रत्येक लक्षण के लिए शुद्ध वंशाक्रमी (true breeding) पौधों को चुना।

उन्होंने मटर के एक जोड़ी विरोधी लक्षण वाले दो शुद्ध वंशाक्रमी पौधों के बीजों का परागण कराया। उदाहरणार्थ, फूल के रंग के दो विरोधी लक्षण अथवा वैकल्पिक रूप हैं- लाल रंग के फूल और सफेद रंग के फूल। ऐसे दो पौधों के बीच परागण किया गया। इससे बने बीजों को उगाकर अगली पीढ़ी प्राप्त की गयी। इस पीढ़ी के पौधों को संकर (hybrid) कहते हैं।

मेण्डल अपने द्वारा छाँटे गये लक्षणों की सातों जोड़ी में से प्रत्येक के लिए ऊपर दी गयी विधि से संकर बनाये। शुद्ध वंशाक्रमी जनकों के संकरण से प्राप्त पीढ़ी को प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation) कहते हैं। इस पीढ़ी को F1 से से प्रदर्शित करते हैं। इसी पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया गया और प्राप्त बीजों को उगाकर द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation) प्राप्त की गयी। इसे F2 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

मेण्डल ने अपनी गणित शिक्षा के आधार पर F2 पीढ़ी में प्राप्त लक्षणों के अनुपात की की गणना की। चूँकि इस प्रयोग में केवल एक लक्षण (फूल का रंग) के दो वैकल्पिक रूपों (लाल व सफेद) का अध्ययन किया गया। अत: गया। अतः इनसे प्राप्त प्राप्त अनुपातों को एकसंकर अनुपात (Monohybrid ratio) कहते हैं।

इसके पश्चात् मेण्डल ने दो जोड़ी विरोधी लक्षणों का एक साथ अध्ययन किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने गोल बीज वाले लम्बे पौधों का परागण झुर्रीदार बीज वाले बौने है। इस पौधों के साथ किया। इस प्रकार के संकरण को द्विसंकरण-क्रॉस (Dihybrid cross) कहा अध्ययन के आधार पर मेण्डल ने द्विसंकर- अनुपात (Dihy- brid ratio) प्रस्तुत किया।

मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
मेण्डल के प्रयोगों तथा निष्कर्षों के आधार पर जो तथ्य प्राप्त हुए, उन्हें तीन नियमों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जाता है-
1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance) – जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes) – किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (13) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde-pendent Assortment) – जब दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
मेण्डल के निम्नलिखित नियमों को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) प्रभाविता का नियम
(ii) पृथक्करण का नियम
(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम।
अथवा
मेण्डल के वंशागति नियमों को समझाइए।
अथवा
स्वतंत्र अपव्यूहन से आप क्या समझते हैं? केवल रेखाचित्र द्वारा द्विसंकर क्रॉस समझाइए।
अथवा
मेण्डल का प्रथम नियम लिखिए। इसको विस्तृत रूप से समझाइए।
अथवा
मेण्डल द्वारा प्रतिपादित पृथक्करण नियम को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
(i) प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से बनता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए, मटर के के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे- लाल फूल और सफेद ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर (Factor) कहा, परन्तु अब इन्हें जीन (Gene) के नाम से जाना जाता है।

युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों (Gametes) के संलयन (Fusion ) से होता है। प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ, यदि मटर के हैं और मादा

युग्मक में फूल युग्मक क मैं लाल रंग व्यक्त करने वाली जीन सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है, तब दोनों युग्मकों के न से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद, दोनों संलयन रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी। युग्मनज से बीज बनता है और बीज के अंकुरण से पौधा बनता है। पौधे की सभी कोशिकाओं में प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों के लिए जीन उपस्थित होती हैं। यदि दोनों जीन एक रूप को व्यक्त करती हैं तो वह लक्षण स्पष्ट रूप दिखाई देता है।

जैसे मटर के पौधे में यदि दोनों जीन लाल रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो फूल का रंग परंतु फूल लाल होगा और यदि दोनों जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो का रंग सफेद होता है। जब पौधे एक जीन लाल रंग की तथा दूसरी जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली होगी तब फूल का रंग लाल होगा अथवा सफेद मेण्डल ने यह पाया कि दो विपरीत जीनों में से केवल एक जीन के लक्षण ही संकर में परिलक्षित होते हैं। दूसरी जीन उपस्थित होते भी उसके बाह्य लक्षण व्यक्त नहीं होते। मेण्डल ने प्रथम जीन के लक्षण को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरी के लक्षण को अप्रभावी लक्षण (Recessive char-acteristic) कहा।

उदाहरणार्थ लाल तथा सफेद रंग के फूलों वाले पौधों के संकरण से उत्पन्न फूल लाल रंग के होते हैं। अतः लाल रंग प्रभावी लक्षण तथा सफेद रंग अप्रभावी लक्षण है।

(ii) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation):
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 5
यह नियम विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के संकरण से उत्पन्न संकरों के परस्पर संकरण से प्राप्त परिणामों को व्यक्त करता है।

इस प्रयोग के लिए मेण्डल ने एक लम्बे (200 सेमी) तथा दूसरे बौने (50 सेमी) पौधे को चुना। ये दोनों पौधे शुद्ध वंशानुक्रमी थे – अर्थात् लम्बे पौधे में दोनों जीन लम्बे गुण के (T,T) तथा बौने पौधे में दोनों जीन बौने गुण (t, t) थे। इन पौधों के बीच संकरण कराने से जो पौधे प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation, F1) में प्राप्त हुए वे सभी लम्बे थे। इसका अर्थ यह है कि लम्बाई (dominant) तथा तथा बौनेपन का गुण का गुण प्रभावी अप्रभावी (recessive) था, यद्यपि इन सभी पौधों में दोनों प्रकार के जीन (T, t) उपस्थित थे।

प्रथम संतानीय पीढ़ी के (लम्बे) पौधों के बीच परागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation, F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे नहीं थे। F2 पीढ़ी में केवल 75% (3/4) पौधे लम्बे (प्रभावी लक्षण के) तथा 25% (1/4) पौधे बौने (अप्रभावी लक्षण के) पाये गये। इस प्रकार द्वितीय संतानीय पीढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूप के पौधों का अनुपात 3 : 1 पाया जाता है।

द्वितीय पीढ़ी के सभी बौने पौधे, स्वपरागण करने पर वंशाक्रमी पाये गये अर्थात् इनकी दोनों जीनें बौनेपन द्वितीय पीढ़ी के लम्बे पौधों में से 1/3 अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी थे अर्थात् इनकी सभी जीने लम्बेपन (T, T) की थीं तथा शेष 2/3 अर्थात् 66.67% पौधे संकर थे-अर्थात् इनमें एक जीन लम्बेपन की तथा दूसरी बौनेपन की (T, t) थी।

द्वितीय पीढ़ी में जीनों के इस विवरण को चित्र द्वारा समझा जा सकता है। प्रत्येक जनक में दो जीन होते हैं तथा प्रत्येक जनक संतान को केवल एक जीन प्रदान करता है। चित्र में में प्रदर्शित उदाहरण में लम्बे जनक ने लम्बेपन की जीन (T) तथा बौने जनक ने बौनेपन की जीन (t) प्रदान की। इस प्रकार प्रथम पीढ़ी (F1) की प्रत्येक संतान में दोनों वैकल्पिक जीन (T, ,t) उपस्थित रहीं तथा T जीन के प्रभावी होने के कारण सभी पौधे लम्बे रहे। द्वितीय पीढ़ी की संतानों में प्रत्येक जनक से दो वैकल्पिक जीनों (T तथा t) में से कोई एक प्राप्त होती है।

यदि प्रथम जनक की जीनों को T1, t1 तथा द्वितीय जनक की जीनों को T2, t2 लिखा जाय तो दोनों से
जीन लेकर इनका समूहन निम्नवत् चार प्रकार से एक-एक किया जा सकता है-
(T1, T2), (T1, t2), (T1,T2), (T1,T2)
इससे स्पष्ट है कि इस समूहन से उत्पन्न तीन समूहों में प्रभावी जीन (T) उपस्थित होगी तथा केवल एक समूह में दोनों जीन अप्रभावी होंगे। इस प्रकार प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण वाले पौधों का अनुपात 3 : 1 होगा।

तीनों प्रभावी लक्षण के पौधों में भी केवल एक समूह, शुद्ध लक्षण (T, T) का है तथा शेष दो समूह संकर है। इस प्रकार मेण्डल का द्वितीय नियम (प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों का 3:1 के अनुपात में पृथक्करण) स्पष्ट हो जाता है।

(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of In-dependent Assortment)
यह नियम द्विसंकर क्रॉस (Dihybrid cross) के परिणामों पर आधारित है। इस प्रकार के क्रॉस में पौधे के दो जोड़ी लक्षणों का अध्ययन किया जाता है (एक संकर क्रॉस में केवल एक जोड़ी लक्षण का अध्ययन किया जाता है)।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 6
द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (Tr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे। इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं। इनका (बाह्य रूप) व जीनोटाइप (जीनी संरचना) तालिका में दर्शाये गये हैं।

तालिका में दिये गये फीनोटाइप व जीनोटाइप का अवलोकन करने पर आप देखेंगे कि जो लक्षण जनकों में साथ-साथ थे, उनका F2 पीढ़ी में साथ रहना आवश्यक नहीं है।

फीनोटाइप जीनोटाइप (संक्षेपित) अनुपात
1. पीले व गोल बीज वाले पौधे YR 9
2. पीले व झुर्रीदार बीज वाले पौधे Yr 3
3. हरे व गोल बीज वाले पौधे yR 3
4. हरे व झुर्रीदार बीज वाले पौधे yr 1

उपर्युक्त से स्पष्ट है कि पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र होता है।

प्रश्न 4.
‘जीन’ से क्या तात्पर्य है? इसके आधार पर एक संकरण क्रॉस की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक संकरण क्रॉस की व्याख्या (Expla- nation of Monohybrid Cross):
हम जानते हैं कि प्रत्येक जीव जाति (species) की कोशिका में गुणसूत्र (chromosomes) होते हैं जिनकी संख्या निश्चित होती है। ये गुणसूत्र जोड़े (pairs) में होते हैं तथा एक जोड़े के दोनों गुणसूत्र जीव के समान लक्षणों को व्यक्त करता है। उदाहरणार्थ: यदि किसी जोड़े का एक गुणसूत्र आँख के रंग, लम्बाई, बालों के प्रकार आदि का नियंत्रण करता है तो जोड़े का दूसरा गुणसूत्र भी इन्हीं गुणों को निर्धारित करता है। ऐसे जोड़े को समजात गुणसूत्र कहते हैं।

समजात गुणसूत्रों के प्रत्येक जोड़े पर कारक (factors) जिन्हें अब जीन (gene) कहते हैं, पाये जाते हैं। प्रायः जीव के किसी एक लक्षण का वाहक एक जीन होता है तथा एक जीन के दो रूप एलील (alleles) होते हैं – एक प्रभावी (dominant) तथा दूसरा अप्रभावी (recessive)।

जीवधारी कैसा लक्षण प्रदर्शित करता है-यह इस बात पर निर्भर करता है कि समजात गुणसूत्रों पर उस लक्षण के कौन-से एलील उपस्थित हैं। माना कि मटर में लम्बे होने का एलील T तथा बौनेपन का एलील t है। T प्रभावी तथा t अप्रभावी होता है। यदि समजात जोड़े के एक गुणसूत्र पर T तथा दूसरे पर भी T जीन है तो पौधा लम्बा होगा। इसी प्रकार यदि दोनों गुणसूत्रों पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा शुद्ध बौना होगा। यदि एक गुणसूत्र पर ‘T ‘ व दूसरे पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा संकर लम्बा होगा।
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अब जब अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तो युग्मकों (जनन कोशिकाओं) में प्रत्येक जोड़े में से केवल एक गुणसूत्र युग्मक में पहुँचता है। स्पष्ट है कि किसी युग्मक में ” T ” पहुँचेगा व किसी में ‘ t ‘ । अब यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि नर युग्मक मादा युग्मक के संलयन से उत्पन्न जाइगोट तथा उसमें विकसित जीवधारी कैसा होगा? यदि ‘T ” जीन वाला नर/मादा युग्मकरण जीन वाले मादा /नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिका में “TT” जीन (दोनों लम्बाई के) होंगे और पौधा लम्बा होगा।

यदि ‘t ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t ‘ जीन वाले मादा/नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिकाओं में ‘tt’ जीन होंगे (दोनों बौनेपन के), पौधा बौना होगा। यदि ‘T ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t’ जीन वाले मादा/नर युग्मक से संलयन करेगा तो ‘Tt’ यानी संकर संतान होगी परन्तु लम्बी होगी क्योंकि T प्रभावी है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है।

अपने प्रयोग में मेण्डल ने मटर के शुद्ध लम्बे पौधों व शुद्ध बौने पौधों के बीच संकरण कराया । लम्बेपन के जीन को ‘ T ‘ से तथा बौनेपन के जीन को ‘ t ‘ से प्रदर्शित कर सकते हैं। इस प्रकार शुद्ध लम्बे पौधे का जीनोटाइप ‘TT’ तथा शुद्ध बौने पौधे का जीनोटाइप ‘tt’ हुआ। आप जानते हैं कि शुद्ध लम्बे पौधे में “TT’ जीन जोड़े में से एक “T” जीन समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक गुणसूत्र पर व दूसरा ‘T ‘ जीन, दूसरे गुणसूत्र पर होगा।

इसी तरह शुद्ध बौने पौधे में tt (दो जीन t व t समजात गुणसूत्रों पर अलग-अलग होंगे।) जब इनसे नर युग्मक व मादा युग्मक (gamete) बनते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप युग्मकों में प्रत्येक जोड़े से केवल एक जीन पहुँचता है अतः युग्मक में केवल एक जीन पहुँचेगा T या t। परन्तु शुद्ध लम्बे पौधे (TT) के सभी युग्मकों में T जीन होगा। इस प्रकार शुद्ध बौने पौधे (tt) के सभी युग्मक में t जीन होगा।

जब लम्बे पौधे के युग्मकों का संलयन बौने पौधे के युग्मक से होगा तो युग्मनज (zygote) में T व t जीन वाले गुणसूत्र होंगे। इसका जीनोटाइप Tt होगा। चूँकि T प्रभावी है तथा t क्षीण है, इसमें विकसित F1 से पीढ़ी के पौधे होंगे तो लम्बे व शुद्ध नहीं बल्कि संकर लम्बे। अब जब इस F1 पीढ़ी के युग्मक बनेंगे तो अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणसूत्र फिर पृथक होंगे और अलग-अलग युग्मों में पहुँचेंगे, परन्तु अबकी बार 50 \% युग्मकों में T जीन व 50 \% युग्मकों में t जीन होगा। इस प्रकार से बने युग्मकों में जब स्वपरागण के बाद संलयन होता है तो 4 प्रकार के संचय बनते हैं-

  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से भी T → TT समयुग्मी (शुद्ध) लम्बे
  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से t → Tt विषमयुग्मी (संकर) लम्बे
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मकों से T → tT
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मक से भी t → tt → समयुग्मी (शुद्ध) बौने

इस प्रकार F2 पीढ़ी में जीनोटाइप के अनुसार 1 : 2 : 3 के अनुपात में TT ( शुद्ध लम्बे), Tt/ tT (संकर लम्बे) व tt ( शुद्ध बौने) पौध्रे प्राप्त होते हैं। फीनोटाइप (बाह्य आकार) के आधार पर लम्बे व बौने पौधे 3: 1 के अनुपात में होते हैं।

अब चूँक TT जीन वाले पौधे शुद्ध लम्बे हैं, ये आगे सभी पीढ़ियों में लम्बे पौधों को ही जन्म देते हैं। इसी प्रकार tt जीन वाले शुद्ध बौने पौधे अगली पीढ़ियों में केवल बौने पौधों को ही जन्म देते हैं, परन्तु Tt जीन वाले अगली पीढ़ी में फिर 3: 1 के अनुपात में लम्बे व बौने पौधों को जन्म देते हैं। यही क्रम पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है।

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प्रश्न 5.
‘द्वि-संकरण’ से क्या तात्पर्य है? उपयुक्त नियम के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब दो विपरीत लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो उसे द्वि-संकर संकरण कहते हैं, जैसे पीले गोल बीजों वाले पौधों तथा हरे झुर्रीदार बीजों वाले पौधों के बीच संकरण | इसकी क्रिया स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम पर आधारित है जिसका अर्थ है कि दो पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है।

द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (rr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे।

इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं। प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
‘प्रभावी’ तथा ‘अप्रभावी’ लक्षणों से’ क्या तात्पर्य है? इनके आधार पर ‘प्रभाविता’ का नियम समझाइए।
अथवा
प्रभाविता नियम को समझाइए।
अथवा
प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों से क्या तात्पर्य है?
F2 पीढ़ी में उपस्थित प्रभावी लक्षणों को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराने से उनकी संतानों में जो लक्षण परिलक्षित होता है, उसे प्रभावी लक्षण (Dominant characteris- tic) तथा जो लक्षण परिलक्षित नहीं होता उसे अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से निर्मित होता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए मटर के युग्मनज में फूल के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे-लाल और सफेद। ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर कहा, परन्तु अब इन्हें जीन के नाम से जाना जाता है। युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों के संलयन से होता है।

प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ-यदि मटर के नर युग्मक में फूल का रंग व्यक्त करने वाली जीन है और मादा युग्मक में सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है तब F2 पीढ़ी में दोनों युग्मकों के संलयन से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद दोनों रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त का आधार क्या है? इसे स्पष्ट करते हुए सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त (Chro-mosome Theory of Heredity)
जिस समय मेण्डल, मटर पर किये गये कार्यों को अन्तिम रूप दे रहे थे, लगभग उसी समय विलियम फ्लेमिंग (1879), ने सैलामेण्डर की कोशिकाओं के केन्द्रक में गुणसूत्रों को देखा था। वर्ष 1902 में वाल्टर सटन तथा थियोडोर बावेरी ने मेण्डल के सिद्धान्तों एवं गुणसूत्रों में पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण के समय एवं कोशिका विभाजन -विभाजन समय मेण्डल के कारकों (factors) एवं गुणसूत्रों की कार्यविधि में समानता होती है।

मेण्डल ने कहा था था कि कारक (factors) जोड़ों (allelomorphs) में में होते हैं और गुणसूत्र भी जोड़ों में होते हैं और प्रत्येक जोड़े का एक-एक गुणसूत्र विभिन्न मातृ पौधे से आते हैं। मेण्डल ने यह भी देखा कि जिस समय युग्मक (gamete) का निर्माण होता है जोड़े में आये कारक अलग-अलग हो जाते हैं और अलग युग्मकों में वितरित हो जाते हैं, [मेण्डल का पृथक्करण का नियम (Mendel’s Law of Segregation)]।

अर्द्धसूत्री विभाजन के समय समयुग्मी (homozygous) गुणसूत्रों के के जोड़े फिर अलग-अलग जाते हैं, और एक युग्मक में जोड़े का केवल एक ही सदस्य जाता है। मेण्डल ने यह भी पाया कि यदि एक जोड़े के एक कारक (factor) का अध्ययन किया जाय उनका वितरण दूसरे जोड़े के कारकों से स्वतन्त्र रूप होता [स्वतन्त्र पृथक्करण का सिद्धन्त (Law of Independent Assortment)]। अगर हम यह मान कि एक लक्षण, आनुवंशिक कारक (gene) जैसे फूलों का रंग एक जोड़े गुणसूत्र के ऊपर होता है और दूसरे लक्षण का कारक (gene) जोड़े के दूसरे गुणसूत्र पर है तब अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र का स्वतन्त्र पृथक्करण के कारण लक्षणों (कारकों) का भी पृथक्करण होगा।

आनुवंशिक कारकों तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्रों के व्यवहार की इस समानता के आधार पर आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त निम्नवत् समझा जा सकता है-

  • युग्मनज (zygote) द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन (genes) होते हैं
  • जीन डिऑक्सीराइबो – न्यूक्लियक – एसिड (DNA) द्वारा निर्मित होते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण का वाहक होता है।
  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।

प्रश्न 8.
‘जीन – उत्परिवर्तन’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देते हुए जीन विनिमय की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
जीन का उत्परिवर्तन (Mutations of Gene):
हयूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों की उत्पत्ति के बारे में जीन – उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। जब वे ईवनिंग प्रिमरोज नामक पौधे की अनेक पीढ़ियों में वंशानुगति का अध्ययन कर रहे थे थे तो उन्होंने पाया कि कभी-कभी अकस्मात् कुछ ऐसे पौधे उत्पन्न हो जाते हैं जो जनक पौधों से इतने भिन्न होते हैं कि उन्हें नयी जाति का माना जा सकता है।

वंशानुगत में इन अकस्मात् तस्मात् परिवर्तनों की, विकास के सामान्य सिद्धान्तों जीवन-संघर्ष (struggle for existence), योग्यतम की उत्तरजीविता (survival of the fittest), प्राकृतिक वरण (natural selection) आदि के द्वारा व्याख्या नहीं की जा सकती। डी ब्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन परिस्थत जीनों (genes) की रासायनिक जीव-कोशिकाओं में उपस्थित संरचना में में परिवर्तन से उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन-उत्परिवर्तन [न (Gene mutation) कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया मैं DNA खण्ड के न्यूक्लियोटाइडों को संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

जीन-उत्परिवर्तन में DNA की संरचना में अकस्मात् एवं स्थायी परिवर्तन हो जाता है। यद्यपि इसके द्वारा DNA के वृहत् अणु के केवल के केवल एक छोटे खण्ड में ही परिवर्तन होता है, फिर भी इसके द्वारा DNA में संचित आनुवंशिक कोड में परिवर्तन हो जाने से कोशिका एवं जीवधारी के विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

उदाहरणत: होमोग्लोबिन प्रोटीन के संश्लेषण से सम्बद्ध जीन की न्यूक्लियोटाइड शृंखला में केवल एक नाइट्रोजनी बेस के बदल जाने से लाल रक्त कणिकाओं की गोल आकृति बदल कर हँसिया की आकृति (sickle shape) हो जाती है जिससे मानव में रक्ताल्पता (anaemia) हो जाता है।

जीन – उत्परिवर्तन में एकाकी जीन की संरचना अथवा गुणसूत्रों की संरचना तथा संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज (zygote) से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों (gametes) ‘निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं – अतः अगली पीढ़ियों की सन्तानों में विभिन्नताओं का कारण बनते हैं।

जीन – विनिमय (Gene Cross-over ) – कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय यह क्रिया तब होती है जब दो भिन्न-भिन्न जीन एक ही गुणसूत्र पर स्थित हो।

जीन – विनिमय की प्रक्रिया को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। चित्र में मातृ-कोशिका के समजात गुणसूत्री का एक युग्म तथा प्रत्येक गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड (Chroma- tid), जो सेन्ट्रीमियर पर परस्पर सम्बद्ध होते हैं, प्रदर्शित हैं। इन गुणसूत्रों पर दो भिन्न जीन a एवं b एक गुणसूत्र पर तथा A एवं B दूसरे गुणसूत्र स्थित हैं।

चित्र में एक गुणसूत्र के क्रोमेटिड (a,b) का दूसरे गुणसूत्र के क्रोमेटिड (A,B) से क्रॉस करना प्रदर्शित है। क्रोमेटिडों के क्रॉस करने वाले बिन्दु को कायस्मा (chiasma) कहते हैं। इस बिन्दु पर दोनों क्रोमेटिड, एक एन्जाइम इण्डोन्यूक्लिएज (endo- nuclease) की क्रिया से भंग हो जाते हैं तथा इनके खण्डों के बीच विनिमय (exchange) होकर, दूसरे एन्जाइम लाइगेज (ligase) की क्रिया से पुनः जुड़ जाते हैं। यह अवस्था चित्र में प्रदर्शित है। अन्त में अर्द्धसूत्री विभाजन से दोनों गुणसूत्रों के चार क्रोमेटिड अलग-अलग होकर चार अगुणित गुणसूत्र बनाते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8
चित्र से स्पष्ट है कि इन चार संतति गुणसूत्रों में से दो (ab तथा AB) तो मातृ- कोशिका के गुणसूत्रों के समान ही रहेंगे परन्तु दो गुणसूत्र (ab तथा AB) में जीनों का वितरण मातृ – कोशिका से भिन्न होगा।

प्रश्न 9.
‘जीन-विनिमय’ से क्या तात्पर्य है? उत्परिवर्तन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीन विनिमय जब दो गुणसूत्रों (समान या असमान) के बीच अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणों (लक्षण) का आदान-प्रदान होकर नयी पीढ़ी का निर्माण होता है तो उसे जीन विनिमय कहते हैं।
उत्परिवर्तन के कारण (Causes of Mutations):

  • युग्मकजनन में त्रुटि – युग्मक निर्माण के समय गुणसूत्रों के अर्धसूत्री विभाजन एवं पारगमन के समय कोई त्रुटि हो जाने से उत्परिवर्तन हो जा सकता है।
  • शारीरिक दशाएँ – कभी-कभी असामान्य शारीरिक दशाओं जैसे हॉरमोनों का असामान्य प्रवाह, शारीरिक ताप का असामान्य परिवर्तन, पोषक पदार्थों की कमी, उपापचय क्रियाओं में गड़बड़ी आदि से भी उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • वातावरणीय दशाएँ – युग्मक निर्माण के समय वातावरण के ताप में अकस्मात् कमी हो जाने से उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • विकिरणों का प्रभाव – प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों, जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (Cosmic ra- diations), गामा – विकिरण (Gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते है- जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 10.
DNA के वाटसन एवं क्रिक मॉडल को चित्र की सहायता से समझाइए।
अथवा
वाटसन एवं क्रिक द्वारा बनाये गये DNA मॉडल का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:
DNA की आण्विक संरचना (Molecular Structure of DNA) – जे. डी. वाटसन (J. D Watson) और एच.एफ.सी. क्रिक (H.F.C. Crick) ने सन् 1953 ई. में DNA की रचना के बारे में एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे उनके नाम पर वाटसन और क्रिक का मॉडल कहते हैं। इसके लिए वाटसन (Watson) एवं क्रिक (Crick) तथा विलकिन्स (Wilkins) को सम्मिलित रूप से सन् 1962 ई. में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उनके अनुसार-
(1) DNA द्विचक्राकार रचना (Double helical structure) है, जिसमें पॉलीन्यूक्लियोटाइड की दोनों श्रृंखलाएँ एक अक्ष रेखा पर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कुण्डलित अथवा रस्सी की तरह ऐंठी हुई रहती हैं।

(2) दोनों श्रृंखलाओं का निर्माण फॉस्फेट (P) एवं शर्करा (S) के अनेक अणुओं के मिलने से होता है। नाइट्रोजनी बेस शर्करा के अणुओं से पार्श्व में लगे होते हैं।

(3) पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बेस लम्बी अक्ष रेखा के सीधे कोणीय तल में लगे रहते हैं तथा सीढ़ी के डण्डे के आकार की रचना बनाते हैं

(4) नाइट्रोजनी क्षारक एक विशिष्ट क्रम में जुड़े रहते हैं। एडीनीन (A) तथा थायमीन (T) के मध्य हाइड्रोजन बन्ध (A = T) होते हैं जबकि साइटोसीन (C) तथा ग्वानीन (G) के मध्य तीन हाइड्रोजन बन्ध (C ≡ G) होते हैं।

(5) DNA के दोहरे हेलिक्स का व्यास 20 Å होता है। हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल (turn) में 10 नाइट्रोजन क्षारक जोड़े होते हैं। प्रत्येक नाइट्रोजन क्षारक के मध्य की दूरी 3.4Å होती है और हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल की लम्बाई 34Å होती है।

(6) DNA अणु में एडीनीन की कुल मात्रा थायमीन के बराबर और ग्वानीन की मात्रा साइटोसीन के बराबर होती है। इसे चारगाफ का तुल्यता का नियम कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 9

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश – प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. मटर में शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने पौधे में संकरण कराया जाता है, तो लम्बे मटर के पौधे प्राप्त होते हैं, द्वितीय पीढ़ी में प्राप्त पौधे होंगे-
(a) शुद्ध लम्बे
(b) शुद्ध बौने
(c) संकर लम्बे
(d) शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने
उत्तर:
(c) संकर लम्बे

2. मटर में बीजों का गोल आकार तथा पीला रंग होता है-
(a) अपूर्ण प्रभावी
(b) अप्रभावी
(c) संकर
(d) प्रभावी
उत्तर:
(d) प्रभावी

3. एक संकर संकरण की F2 पीढ़ी में शुद्ध तथा संकर गुणों वाले पौधों का प्रतिशत अनुपात होता है-
(a) 1/3
(b) 3/1
(c) 1/1
(d) 2/3
उत्तर:
(c) 1/1

4. मेण्डल ने आनुवंशिकता के प्रयोग जिस पौधे पर किये उसका नाम है-
(a) गुड़हल
(b) गेंदा
(c) गुलाब
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

5. TT और tt प्रकार के क्रॉस से संतानों में होगा-
(a) TT
(b) Tt
(c) tt
(d) मटर
उत्तर:
(d) मटर

6. आनुवंशिक लक्षणों के रासायनिक कारक हैं-
(a) DDT
(b) DNA
(c) प्रोटीन
(d) कार्बोहाइड्रेट
उत्तर:
(b) DNA

7. किसी प्राणी की जीनी संरचना को कहते हैं-
(a) जीनोटाइप
(b) फीनोटाइप
(c) एलीलोमॉर्फ
(d) संकर
उत्तर:
(b) फीनोटाइप

8. जीन पाये जाते हैं-
(a) कोशिका में
(b) केन्द्रक में
(c) माइटोकॉण्ड्रिया में
(d) गुणसूत्रों पर
उत्तर:
(d) गुणसूत्रों पर

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

9. एक संकर संकरण की F2 पी ढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी गुणों वाले पौधों का अनुपात होगा-
(a) 25 : 75
(b) 75 : 25
(c) 50 : 50
(d) 40 : 60
उत्तर:
(b) 75 : 25

10. उद्यान मटर में अप्रभावी लक्षण है-
(a) लम्बे तने
(b) झुर्रीदार बीज
(c) रंगीन बीजकवक
(d) गोल बीज
उत्तर:
(b) झुर्रीदार बीज

11. आनुवंशिकता के जनक हैं-
(a) चार्ल्स डार्विन
(b) ग्रेगर जान मेण्डल
(c) हयूगो डी ब्रीज
(d) हरगोविन्द
उत्तर:
(b) ग्रेगर जान मेण्डल

12. विपरीत लक्षणों के जोड़ों को कहते हैं-
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ
(b) निर्धारक
(c) समयुग्मजी
(d) समरूप
उत्तर:
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ

13. पृथक्करण का नियम प्रस्तुत किया-
(a) लैमार्क ने
(b) डार्विन ने
(c) ह्युगो डी व्रीज ने
(d) मेण्डल ने
उत्तर:
(d) मेण्डल ने

14. पुष्प में लाल रंग लक्षण प्रभावी है। इसका विपरीत या तुलनात्मक लक्षण क्या होगा?
(a) बौना पौधा
(b) गोल बीज
(c) सफेद पुष्प
(d) हरे बीज
उत्तर:
(c) सफेद पुष्प

15. मनुष्य में गुणसूत्रों की संख्या क्या होती है?
(a) 44
(b) 45
(c) 46
(d) 47
उत्तर:
(c) 46

16. मानव में ऑटोसोम (Autosome) के जोड़े होते हैं-
अथवा
मनुष्य के शुक्राणु में ऑटोसोम की संख्या कितनी होती है?
(a) 22
(b) 23
(c) 1
(d) 46
उत्तर:
(a) 22

17. निम्नलिखित में मादा का जीनोटाइप होगा-
(a) XY
(b) YY
(c) XX
(d) सभी तीनों
उत्तर:
(c) XX

18. निम्नलिखित में प्यूरीन क्षारक है-
(a) ग्वानीन
(b) थाइमीन
(c) साइटोसीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ग्वानीन

19. जीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया-
(a) मेण्डल ने
(b) जोहन्सन ने
(c) बीजमान ने
(d) ऐवरी ने
उत्तर:
(b) जोहन्सन ने

20. प्यूरीन क्षारक होता है-
(a) एडीनीन
(b) साइटोनिन
(c) यूरेसिल
(d) थायमीन
उत्तर:
(a) एडीनीन

21. सेण्ट्रोमियर एक भाग है-
(a) गुणसूत्र का
(b) जीन का
(c) कोशिकाद्रव्य का
(d) राइबोसोम का
उत्तर:
(a) गुणसूत्र का

22. जीन – विनिमय होता है-
(a) समसूत्री विभाजन में
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में
(c) अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वितीय चरण में
(d) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में

23. दो भिन्न जीनों में सहलग्नता नहीं होती, यदि-
(a) वे एक ही गुणसूत्र पर एक-दूसरे से दूर स्थित हों
(b) वे एक ही गुणसूत्र पर परस्पर निकट स्थित हों
(c) वे दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित हों
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों
उत्तर:
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों

24. उत्परिवर्तन का कारण है-
(a) जीन परिवर्तन
(b) जीवन संघ
(c) उद्विकास
(d) प्राकृतिक चयन
उत्तर:
(a) जीन परिवर्तन

25. गुणसूत्र किस पदार्थ के बन होते हैं?
(a) प्रोटीन
(b) आर.एन.ए.
(c) डी.एन.ए.
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन
उत्तर:
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन

26. डॉ. हरगोविन्द खुराना को नोबेल पुरस्कार मिला है-
(a) 1970 में
(b) 1972 में
(c) 1980 में
(d) 1968 में
उत्तर:
(d) 1968 में

27. टी. च मार्गन ने अपना आनुवंशिक प्रयोग किस पर किया?
(a) घरेलू मक्खी
(b) बालू मक्खी
(c) फल मक्खी
(d) सी.सी. मक्खी
उत्तर:
(c) फल मक्खी

28. निम्नलिखित में आनुवंशिक पदार्थ है-
(a) गॉल्जी बॉडी
(b) DNA
(c) राइबोसोम्स
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया
उत्तर:
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया

29. केन्द्रक का निर्माण होता है-
(a) DNA से
(b) प्रोटीन से
(c) RNA से
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से
उत्तर:
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एक लाल पुष्पी मटर के पौधे का संकरण सफेद पुष्पी मटर के पौधे से किया गया। F1 पीढ़ी में लाल पुष्प थे। अतः सफेद पुष्प ………………… गुण है।
  2. Test Cross ……………….. है।
  3. सफेद फूले हुए तथा चिपके हुए लाल पुष्पों वाले पौधों के बीच संकरण ………………… कहलाता है।
  4. जैव विकास के सिद्धान्त का मुख्य सम्बन्ध ………………… है।
  5. जैव विकास में उत्परिवर्तन का महत्त्व ………………… होता है।

उत्तर:

  1. अप्रभावी
  2. Ttxxtt
  3. द्विसंकरण
  4. धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तनों से
  5. जननिक भिन्नताएँ।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

→ तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)-सन्देश संवहन की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।

→ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र-तंत्रिका तन्त्र जो जन्तुओं में मस्तिष्क और मेरूरज्जु का बना होता है।

→ हॉर्मोन-शरीर की क्रियात्मक प्रक्रियाओं को नियन्त्रित करने के लिए विशेष रसायन होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं।

→ पादप हॉर्मोन-पौधों द्वारा स्नावित हॉर्मोन जो विभिन्न कार्य करते हैं। ये हैं-

  • ऑक्सिन
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन
  • वृद्धिरोधक।

→ संवेदी तंत्रिका कोशिकाएँ-ये संवेदी अंगों से उद्दीपनों को लेकर मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

→ चालक तंत्रिका कोशिकाएँ-ये उद्दीपनों के प्रत्युत्तर को कार्यकारी अंगों तक पहुँचाती हैं।

→ अन्तः स्रावी ग्रन्थियाँ-नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ जो हॉर्मोन स्रावित करती हैं।

→ डेन्ड्राइट्स-तंत्रिका कोशिकाओं के कोशिकाय बहुशाखी प्रवर्ध।

→ ऐक्सोन-तंत्रिका कोशिका का बहुत अधिक लम्बा व अशाखी प्रबन्ध है।

→ मस्तिष्क-केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का वह भाग जो अत्यन्त कोमल तथा संवेदनशील होता है।

→ मस्तिष्क के भाग-मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं-

  • अग्रमस्तिष्क
  • अनुमस्तिष्क
  • प्रमस्तिष्क।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

→ अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ-थॉयराइड, पेंक्रियास, एड्रिनल, पीयूष, अण्डाशय आदि अन्तःस्तावी ग्रन्थियाँ हैं।

→ मेरुरज्जु-पश्च मस्तिष्क की मेड्यूला ऑब्लांगेटा खोपड़ी के महारन्ध्र छिद्र से निकलकर कशेरुकाओं की तन्त्रिका नाल से होती हुई अन्त तक फैली रहती है और इसे मेरुरज्जु कहते हैं।

→ प्रतिवर्ती क्रियाएँ-किसी उद्दीपन से होने वाली स्वचालित जल्दी से और अनैच्छिक क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं।

→ तंत्रिका आवेग-तंत्रिका कोशिकाओं का (रासायनिक या विद्युत) संकेत भेजना।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ जैव प्रक्रम वह सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं जैव प्रक्रम कहलाता है।

→ पोषण – किसी जीव द्वारा पोषक पदार्थों को ग्रहण करना तथा उनका उपयोग करना पोषण कहलाता है।

→ स्वपोषी पोषण – स्वपोषी पोषण में पर्यावरण से सरल अकार्बनिक पदार्थ लेकर तथा बाह्य ऊर्जा स्रोत जैसे सूर्य का उपयोग करके उच्च ऊर्जा वाले जटिल कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण करना है।

→ विषमपोषी पोषण – विषमपोषी पोषण में दूसरे जीवों द्वारा तैयार किए जटिल पदार्थों का अंतर्ग्रहण होता है।

→ मनुष्य में पोषण- मनुष्य में खाए गए भोजन का विखंडन भोजन नली के अंदर कई चरणों में होता है तथा पाचित भोजन क्षुद्रांत्र में अवशोषित करके शरीर की सभी कोशिकाओं में भेज दिया जाता है।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ श्वसन प्रक्रम में ग्लूकोज़ जैसे जटिल कार्बनिक यौगिकों का विखंडन होता है जिससे ए.टी.पी. का उपयोग कोशिका में होने वाली अन्य क्रियाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।

→ श्वसन वायवीय या अवायवीय हो सकता है। वायवीय श्वसन से जीव को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

→ उत्सर्जन – उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप शरीर में उत्पन्न होने वाले वर्ज्य पदार्थों का शरीर से निष्कासन उत्सर्जन कहलाता है।

→ उत्सर्जी अंग जो अंग उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं उत्सर्जी अंग कहलाते हैं।

→ मनुष्य में उत्सर्जी अंग-वृक्क, त्वचा, फुफ्फुस, आँत तथा यकृत उत्सर्जी अंग हैं।

→ फेफड़ा – यह कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा जल का उत्सर्जन करता है।

→ यकृत- कोलेस्टरॉल, पित्तवर्णक, निष्क्रिय स्टेयरॉयड, हार्मोन तथा वसा का उत्सर्जन करता है।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ आँत – यकृत द्वारा उत्पन्न पदार्थों का उत्सर्जन करती है।

→ नेफ्रॉन-वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।

→ त्वचा- इनमें अनेक स्वेद ग्रन्थियाँ होती हैं जो जल व लवण का निष्कासन करती हैं।

→ पौधों में उत्सर्जी अंग-पौधों में उत्सर्जी अंग नहीं पाए जाते हैं।

→ निम्न श्रेणी के जन्तुओं में उत्सर्जन विसरण द्वारा होता है।

→ मनुष्य में मुख्य उत्सर्जी अंग- वृक्क।

→ मनुष्य में सहायक उत्सर्जी अंग- त्वचा, यकृत, फेफड़े।

→ मनुष्य में ऑक्सीजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, भोजन तथा उत्सर्जी उत्पाद सरीखे पदार्थों का वहन परिसंचरण तंत्र का कार्य होता है। परिसंचरण तंत्र में हृदय, रुधिर तथा रुधिर वाहिकाएँ होती हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ उच्च विभेदित पादपों में जल, खनिज लवण, भोजन तथा अन्य पदार्थों का परिवहन संवहन ऊतक का कार्य है जिसमें जाइलम तथा फ्लोएम होते हैं।

→ मनुष्य में उत्सर्जी उत्पाद विलेय नाइट्रोजनी यौगिक के रूप वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) द्वारा निकाले जाते हैं।

→ पादपों में उत्सर्जन पादप अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा प्राप्त करने के लिए विविध तकनीकों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए अपशिष्ट पदार्थ कोशिका रिक्तिका में संचित किए जा सकते हैं या गोंद व रेजिन के रूप में तथा गिरती पत्तियों द्वारा दूर किया जा सकता है ये अपने आसपास की मृदा में उत्सर्जित कर देते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Students must go through these JAC Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ डॉबेराइनर के त्रिक-सन् 1817 में जर्मन रसायनज्ञ वुल्फगांग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया-

  • तीन-तीन तत्त्वों वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा गया।
  • त्रिक के तीनों तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान का औसत होता है।

→ न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त-

  • अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व से आरम्भ कर 56वें तत्त्व थोरियम तक आरोही क्रम में तत्त्वों को व्यवस्थित किया।
  • न्यूलैंड्स ने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व के समान है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और इसलिए उन्होंने इसे अष्टक का सिद्धान्त कहा।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त केवल हल्के तत्त्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया था।

→ न्यूलैंड्स के अष्टक नियम की सीमाएँ-

  • न्यूलैंड्स ने कल्पना की कि प्रकृति में केवल 56 तत्त्व विद्यमान हैं और भविष्य में किसी अन्य तत्त्व की खोज नहीं होगी। बाद में कई नये तत्त्वों की खोज हुई जिसके गुणधर्म, अष्टक सिद्धान्त से मेल नहीं खाते थे।
  • न्यूलैंड्स का अष्टक का सिद्धान्त केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था क्योंकि कैल्सियम के प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व से नहीं मिलता था।

→ मेण्डलीफ की आवर्त सारणी-

  • मेण्डलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकृत किया।
  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में ऊर्ध्व स्तंभ को समूह तथा क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहते हैं।

→ मेण्डलीफ के आवर्त सारणी का सिद्धान्त-

  • तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान का आवर्तफलन होते हैं।
  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में आठ Group तथा 6 Period होते हैं।
  • उस समय तक 63 तत्त्व ज्ञात थे, जिनके ऊपर मेण्डलीफ ने प्रयोग किया।

→ मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियाँ-

  • मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिये और इनसे सम्बन्धित तत्त्वों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी तथा उनके गुणों का भी अनुमान किया। इसलिए यह नये तत्त्वों की खोज के लिए प्रेरित करती है।
  • अक्रिय गैसों की खोज होने पर सारणी में छेड़छाड़ किये बिना ही इन्हें नये समूह में रखा गया।

→ मेण्डलीफ के वर्गीकरण की सीमाएँ-

  • वह अपनी सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं दे पाये। इसे क्षारीय धातु के साथ Group I में रखा गया परन्तु ये हैलोजन की तरह भी द्विपरमाणुक अणु के रूप में पायी जाती है और धातुओं तथा अधातुओं के साथ सहसंयोजक यौगिक बनाती है।
  • समस्थानिकों की खोज होने पर सारणी में इन्हें उचित स्थान देने में कठिनाई आती है।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ आधुनिक आवर्त सारणी-

  • हेनरी मोज्ले ने कहा कि तत्त्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसका परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
  • आधुनिक आवर्त नियम-तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।
  • आवर्त सारणी में तत्त्वों की स्थिति से उनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता का पता चलता है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं, जिन्हें समूह (Group) कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं, जिन्हें आवर्त (Period) कहा जाता है।

→ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृत्ति-

  • संयोजकता – किसी भी तत्त्व की संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है।
  • परमाणु साइज – (a) समूह में – जब किसी ग्रुप में नीचे बढ़ते हैं तब परमाणु साइज में वृद्धि होती है, क्योंकि ऊपर से नीचे जाने पर एक एक कोश की वृद्धि होती जाती है।, (b) आवर्त में आवर्त में बायें से दायें ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का साईज घट जाता है।
  • धात्विक अभिलक्षण – धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है।
  • धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः अम्लीय होते हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

Jharkhand Board Class 9 Science गुरुत्वाकर्षण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:
सूत्र F = \(\frac{\mathrm{G} m_1 m_2}{r^2}\) से
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 9
अतः दूरी को आधा करने पर गुरुत्वाकर्षण बल चार गुना हो जाएगा।

प्रश्न 2.
सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु, हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?
उत्तर:
∵ F ∝ m
अर्थात् F = km
जहाँ K = नियतांक
अत: सूत्र F = ma से,
वस्तु का त्वरण a = \(\frac { F }{ m }\)
अर्थात् a = \(\frac { γm }{ m }\) = K ( नियतांक)
इससे स्पष्ट होता है कि भले ही गुरुत्वीय बल वस्तु के द्रव्यमान के समानुपाती होता है, परन्तु वस्तुओं के मुक्त पतन का त्वरण सभी वस्तुओं के लिए नियत है। अब चूँकि कोई वस्तु कितनी तेजी से गिरेगी यह वस्तु के त्वरण पर निर्भर करता है (न कि गुरुत्वीय बल पर); अतः त्वरण के नियत होने के कारण हल्की तथा भारी सभी वस्तुएँ समान तेजी से गिरती हैं।

प्रश्न 3.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किग्रा की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 x 100 मीटर है)।
हल:
पृथ्वी का द्रव्यमान M = 6.4 x 1024 किग्रा, पृथ्वी की त्रिज्या R = 6.4 x 106 मीटर, m = 1 किग्रा, d = R.
G = 6.67 × 10-11 न्यूटन मीटर² / किग्रा²
∴ पृथ्वी तथा वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल
F = G\(\frac{\mathrm{M} m}{d^2}\) = 6.67 x 10-11 x \(\frac{6 \times 10^{24} \times 1}{\left(6.4 \times 10^6\right)^2}\) न्यूटन
= \(\frac{6.67 \times 6 \times 10}{6.4 \times 6.4}\)
= 9.77 न्यूटन

प्रश्न 4.
पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए, क्यों?
उत्तर:
क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से पृथ्वी का चन्द्रमा पर आकर्षण बल चन्द्रमा के पृथ्वी पर आकर्षण बल के बराबर है।

प्रश्न 5.
यदि चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती है?
उत्तर:
चन्द्रमा और पृथ्वी दोनों एक-दूसरे पर समान परिमाण का आकर्षण बल लगाते हैं, परन्तु चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत कम होने के कारण, समान बल होने पर भी चन्द्रमा का पृथ्वी की ओर त्वरण, पृथ्वी के चन्द्रमा की ओर त्वरण से बहुत अधिक है। इसीलिए चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर गति करता है, पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति करती प्रतीत नहीं होती।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 6.
दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि –
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दो गुना कर दिया जाए?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
उत्तर:
(i) ∵ F ∝ m1 m2
∵ एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर बल भी दोगुना हो जाएगा।

(ii) ∵ F ∝ \(\frac{1}{d^2}\)
∴ दूरी दोगुनी करने पर बल एक-चौथाई रह जाएगा। जबकि दूरी तीन गुनी कर देने पर बल 9वाँ भाग रह जाएगा।

(iii) ∵ F ∝ m1 m2 अतः दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने करने पर बल चार गुना हो जाएगा।

प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व हैं?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व – यह नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की व्याख्या करता है, जो प्राचीनकाल में असम्बद्ध मानी जाती थीं; जैसे-

  • इस नियम द्वारा सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति की व्याख्या की जाती है।
  • इस नियम द्वारा पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति की व्याख्या की जाती है।
  • इस नियम द्वारा वस्तुओं के पृथ्वी की ओर गिरने की व्याख्या की जाती है।
  • इस नियम द्वारा समुद्र में आने वाले ज्वार भाटा की व्याख्या की जाती है।

पृथ्वी की कक्षा में कृत्रिम उपग्रह स्थापित करना, चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों तक खोजी यान भेजना तथा अन्तरिक्ष स्टेशन स्थापित करना आदि इसी नियम का ज्ञान प्राप्त होने के बाद ही सम्भव हो पाया है।

प्रश्न 8.
मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर:
मुक्त पतन का त्वरण- किसी ऊँची मीनार की छत से छोड़ी गई किसी वस्तु का पृथ्वी की ओर त्वरण, मुक्त पतन का त्वरण कहलाता है, जिसे g से प्रदर्शित करते हैं। पृथ्वी तल पर मुक्त पतन के त्वरण का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड² है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर:
उस वस्तु का भार कहेंगे।

प्रश्न 10.
एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को देता है क्या उसका मित्र इस खरीदे हुए सोने के भार से सन्तुष्ट होगा? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
मित्र सोने के भार से सन्तुष्ट नहीं होगा इसका कारण यह है कि विषुवत् वृत्त पर तौलने पर सोने का भार, ध्रुवों पर उसके भार की तुलना में कम होगा (g के मान में कमी के कारण)।

प्रश्न 11.
एक कागज की शीट उसी प्रकार की शीट को मोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?
उत्तर:
ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। वायु कागज की शीट पर गेंद की अपेक्षा अधिक प्रतिरोध लगाती है; अतः कागज की शीट गेंद की तुलना में धीमी गिरती है।

प्रश्न 12.
चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुना है। एक 10 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार कितना होगा?
हल:
दिया है वस्तु का द्रव्यमान m = 10 किग्रा,
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर / सेकण्डर²
∴ पृथ्वी पर वस्तु का भार W1 = mg
= 10 × 9.8 = 98 न्यूटन
अब चूँकि चन्द्रमा पर गुरुत्वीय बल
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) x पृथ्वी पर गुरुत्वीय बल
∴ चन्द्रमा पर वस्तु का भार W2
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) x पृथ्वी पर वस्तु का भार (W1)
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 98 न्यूटन
= 16.33 न्यूटन
अतः पृथ्वी पर वस्तु का भार = 98 न्यूटन
तथा चन्द्रमा पर वस्तु का भार = 16.33 न्यूटन।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 13.
एक गेंद ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 मीटर / सेकण्ड के वेग से फेंकी जाती है। परिकलन कीजिए- (i) अधिकतम ऊंचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है। (ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया समय।
हल:
दिया है, गेंद का वेग 49 मीटर / सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड² नीचे की ओर
माना कि गेंद। ऊँचाई तक ऊपर जाती है तथा ऊपर तक जाने में समय लेती है।
ऊपर की दिशा को धनात्मक तथा नीचे की दिशा को ऋणात्मक मानने पर,
सूत्र v² = u² + 2as से, (उच्चतम बिन्दु पर वेग v = 0)
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 1
कोई वस्तु जितना समय उच्चतम बिन्दु तक जाने में लेती है, उतना ही समय पृथ्वी तल तक आने में लेती है।
∴ पृथ्वी की सतह तक लौटने में लगा समय = 2 + उच्चतम बिन्दु तक जाने में लगा समय
= 25 10 सेकण्ड
∴ अधिकतम ऊँचाई / 122.5 मीटर
कुल समय = 10 सेकण्ड।

प्रश्न 14.
19.6 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले उसका अन्तिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है मीनार की ऊँचाई h = 19.6 मीटर,
पत्थर छोड़ते समय वेग v = 0,
त्वरण g = 9.8 मीटर / सेकण्ड² नीचे की ओर
सूत्र v² = u² + 2as से,
= 0² + 2 × 9.8 × 19.6
= 19.6 × 19.6 या v² = (19.6)²
∴ v = 19.6 मीटर/सेकण्ड
अतः पृथ्वी से टकराने से पहले अन्तिम वेग = 19.6 मीटर / सेकण्ड।

प्रश्न 15.
कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 मीटर / सेकण्ड के प्रारम्भिक वेग से फेंका गया है। g 10 मीटर / सेकण्ड लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
हल:
दिया है प्रारम्भिक वेग u = 40 मीटर / सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मीटर / सेकण्ड² नीचे की ओर
माना कि पत्थर को उच्चतम बिन्दु तक जाने में t सेकण्ड लगते हैं जहाँ उसका वेग v = 0 हो जाता है तब y = u- gt से,
0 = 40 – 10 x t
10t = 40
∴ t = \(\frac { 40 }{ 10 }\) = 4 सेकण्ड
अर्थात् अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में पत्थर को 4 सेकण्ड लगते हैं।
पुन: सूत्र v = u – gt में g = 10 मीटर / सेकण्ड² तथा क्रमशः t = 0, 1, 2, 3, 4 प्राप्त होती है-

t (सेकण्ड में) 0 1 2 3 4
v (मीटर/सेकण्ड मे) 40 30 20 10 0

उपर्युक्त सारणी की सहायता से खींचा गया वेग- समय ग्राफ चित्र 10.7 में प्रदर्शित है।
वेग-समय ग्राफ से,
पत्थर द्वारा प्राप्त अधिकतम ऊँचाई
h = वेग समय ग्राफ के नीचे घिरा क्षेत्र
= ∆OAB का क्षेत्रफल
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) OA × OB
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 2
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) (40 मीटर/सेकण्ड ) x (4 सेकण्ड)
= 80 मीटर।
पत्थर उच्चतम बिन्दु पर क्षणिक विराम की अवस्था में आता है और फिर नीचे की ओर गिरता हुआ अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर वापस पहुँच जाता है।
∴ पत्थर का कुल विस्थापन = प्रारम्भिक व अन्तिम बिन्दु के बीच सरल रेखीय दूरी = 0
जबकि कुल तय दूरी = तय किए गए पथ की लम्बाई
= 2 x अधिकतम ऊँचाई = 2 x 80 = 160 मीटर।

प्रश्न 16.
पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए।
दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 किग्रा
दोनों के बीच औसत दूरी 1.5 x 1011 मीटर है।
हल:
m1 = 6 × 1024 किग्रा, m2 = 2 x 1030 किग्रा,
d = 1.5 x 1011 मीटर
G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मीटर²/किग्रार²
∴ पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल
F = G\(\frac{m_1 m_2}{d^2}\)
= 6.67 × 10-11 x \(\frac{6 \times 10^{24} \times 2 \times 10^{30}}{\left(1.5 \times 10^{11}\right)^2}\)
= \(\frac{6.67 \times 6 \times 2}{1.5 \times 1.5}\)
= 3.56 x 1022 न्यूटन।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 17.
कोई पत्थर 100 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 मीटर / सेकण्ड के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?
हल:
माना कि दोनों पत्थर, छोड़े जाने के क्षण से सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से t ऊँचाई पर मिलते हैं, तब मिलते क्षण तक नीचे से फेंका गया पत्थर ऊपर की ओर ऊँचाई तय कर चुका होगा; अतः
अतः
h = u2 x t – \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt² … (1)
जबकि मीनार की चोटी से छोड़ा गया पिण्ड नीचे की ओर (100-h) दूरी गिर चुका होगा; अतः
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 3
100 – h = u1 x t + \(\frac { 1 }{ 2 }\)gt²
या 100 – h = \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt² [∵ u1 = 0] … (2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 4
t = 4 सेकण्ड तथा g 10 मीटर / सेकण्ड² समीकरण (2) में रखने में,
100 – h = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 10 × (4)²
या 100 – h = 80 या h = 100 – 80 = 20 मीटर
अतः पत्थर, प्रारम्भिक क्षण से 4 सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से 20 मीटर की ऊँचाई पर मिलेंगे।.

प्रश्न 18.
ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए-
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई?
(b) गेंद द्वारा प्राप्त की गई अधिकतम ऊँचाई, तथा
(c) 4 सेकण्ड बाद गेंद की स्थिति।
हल:
(a) माना कि गेंद u वेग से ऊपर की ओर फेंकी गई थी।
चूँकि गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् प्रारम्भिक बिन्दु पर लौट आती है
अत: t = 6 सेकण्ड में गेंद का विस्थापन s = 0
जबकि त्वरण a = – g = – 9.8 मीटर/सेकण्डर²
∴ s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² से,
0 = u × 6 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) (- 9.8) × 6²
या 6u = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 9.8 × 6 × 6 या u = 3 x 9.8 = 29.4
अत: गेंद 29.4 मीटर/सेकण्ड के वेग से फेंकी गई थी।

(b) माना कि गेंद अधिकतम ऊँचाई तक जाती है, तब s = h ऊँचाई पर वेग = 0
∴ v² = u² + 2as से,
0² = (29.4)² + 2 × (- 9.8) × h
या 2 × 9.8 × h = 29.4 × 29.4
∴ h = \(\frac{29.4 \times 29.4}{2 \times 9.8}\) = 44.1 मीटर

(c) माना कि t = 4 सेकण्ड बाद गेंद पृथ्वी तल से h1 ऊँचाई पर है,
तब S = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² से,
h1 = 29.4 × 4 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x (- 9.8) × 4²
= 117.6 – 78.4
= 39.2 मीटर
अतः 4 सेकण्ड बाद गेंद पृथ्वी तल से 39.2 मीटर ऊपर होगी।

प्रश्न 19.
किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर:
उत्प्लावन बल सदैव भार के विपरीत दिशा में अर्थात् ऊपर की और कार्य करता है।

प्रश्न 20.
पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है?
उत्तर:
चूँकि प्लास्टिक का घनत्व, पानी के घनत्व से कम होता है, इस कारण प्लास्टिक के गुटके को जल में डुबोने पर उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल गुटके के भार से अधिक होगा। अतः गुटका पानी की सतह पर आ जाता है।

प्रश्न 21.
50 ग्राम के किसी पदार्थ का आयतन 20 सेमी है। यदि पानी का घनत्व 1 ग्राम / सेमी हो तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?
हल:
पदार्थ का द्रव्यमान 50 ग्राम
तथा आयतन 20 सेमी³
जल का घनत्व = 1 ग्राम/सेमी³
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 5
∵ पदार्थ का घनत्व > जल का घनत्व
∴ यह पदार्थ जल में डूब जाएगा।

प्रश्न 22.
500 ग्राम के एक मुहरबन्द पैकेट का आयतन 350 सेमी है। पैकेट 1 ग्राम / सेमी³ घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?
हल:
पैकेट का द्रव्यमान = 500 ग्राम तथा आयतन = 350 सेमी³
जल का घनत्व = 1 ग्राम / सेमी³
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 6
∵ पैकेट का घनत्व > जल का घनत्व
∴ पैकेट जल में डूब जायेगा।
∵ पैकेट पूरा डूब जाएगा, अतः यह अपने आयतन (350 सेमी³) के बराबर पानी को विस्थापित करेगा।
∴ विस्थापित पानी का द्रव्यमान विस्थापित पानी का आयतन x पानी का घनत्व
= 350 सेमी³ x 1 ग्राम / सेमी³
= 350 ग्राम।

Jharkhand Board Class 9 Science गुरुत्वाकर्षण InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 10.1. (पा. पु. पू. सं. 145)
धागे का एक टुकड़ा लेकर इसके सिरे पर एक छोटा पत्थर बाँधकर दूसरे सिरे से पकड़कर पत्थर को वृत्ताकार पथ में घुमाइए तथा पत्थर की गति की दिशा देखिए। अब धागे को छोड़िए तथा फिर से पत्थर की गति की दिशा को देखिए।

निष्कर्ष-धागे को छोड़ने से पहले पत्थर एक निश्चित चाल से वृत्ताकार पथ में गति करता है तथा प्रत्येक बिन्दु पर उसकी गति की दिशा बदलती है। वस्तु को वृत्ताकार पथ पर गतिशील रखने वाला बल, जिसके कारण त्वरण होता है, अभिकेन्द्रीय बल कहलाता है।

पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति अभिकेन्द्रीय बल के कारण है। अभिकेन्द्रीय बल पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण होता है। हमारे सौर परिवार में सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य तथा ग्रह के बीच एक बल विद्यमान है जो गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।

न्यूटन के निष्कर्ष के आधार पर विश्व के सभी पिण्ड एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

खण्ड 10.1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 149)

प्रश्न 1.
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइए।
उत्तर:
दो वस्तुओं के बीच लगने वाला बल, दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम कहलाता है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने को सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सूत्र F = G\(\frac{\mathrm{M} m}{d^2}\) से पृथ्वी की सतह के लिए d = R अत: F = \(\frac{\mathrm{GM} m}{R^2}\)

क्रियाकलाप 10.2. (पा.पु. पृ. सं. 149)
एक पत्थर लेकर ऊपर की ओर फेंकिए। यह एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँचता है और फिर नीचे की ओर गिरने लगता है।

पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं। वस्तुओं के पृथ्वी की ओर गिरने पर वस्तुओं को मुक्त पतन में होना कहा जाता है। गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है परन्तु पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है जिससे त्वरण उत्पन्न होता है तथा इस त्वरण को पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण g कहते हैं।

गति के दूसरे नियम से हमें ज्ञात है कि द्रव्यमान तथा त्वरण का गुणनफल, बल कहलाता है। माना पत्थर का है तथा गिरती हुई वस्तुओं में गुरुत्वीय बल के द्रव्यमान कारण त्वरण लगता है और इसे g से प्रदर्शित करते हैं।
अतः
F = mg … (i)
तथा न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम से
F = \(\frac{\mathrm{GMm}}{d^2}\) … (ii)
समी. (i) व (ii) से,
mg = \(\frac{\mathrm{GMm}}{d^2}\)
या g = \(\frac{\mathrm{GM}}{d^2}\)
जहाँ M पृथ्वी का द्रव्यमान तथा वस्तु और पृथ्वी के बीच की दूरी है।
यदि वस्तु पृथ्वी पर या इसके पृष्ठ के पास है तो d के स्थान पर पृथ्वी की त्रिज्या R रखनी होगी। इस प्रकार पृथ्वी के पृष्ठ पर या इसके समीप रखी वस्तुओं के लिए
g = \(\frac{\mathrm{GM}}{R^2}\)
पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर जाने पर बढ़ती है अतः g का मान ध्रुवों पर विषुवत रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।

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क्रियाकलाप 10.3. (पा. पु. पू. सं. 150)
कागज की एक शीट तथा एक पत्थर लीजिए तथा दोनों को किसी इमारत की पहली मंजिल से एक साथ गिरा कर देखिए कि क्या दोनों एक साथ धरती पर पहुँचते हैं?

निष्कर्ष – हम यह पाते हैं कि कागज धरती पर पत्थर की अपेक्षा कुछ देर से पहुँचता है। ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। गिरती हुई गतिशील वस्तुओं पर घर्षण के कारण वायु प्रतिरोध लगाती है। कागज पर लगने वाला वायु का प्रतिरोध पत्थर पर लगने वाले प्रतिरोध से अधिक होता है।

यदि इस प्रयोग को ऐसे जार में करें जिसमें से वायु निकाल दी गई है तो कागज तथा पत्थर एक ही दर से नीचे गिरेंगे।

पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर है अतः एक समान त्वरित गति के सभी समीकरण त्वरण a के स्थान पर g रखने पर भी मान्य रहेंगे, ये समीकरण निम्न हैं-

सरल रेखीय गुरुत्व के अधीन
v = u + at v = u + gt
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\)at² h = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\)gt²
v² = u² + 2as v² = u² + 2gs

जहाँ
u – वस्तु का प्रारस्भिक वेग
v – वस्तु का अन्तिम वेग
s – वस्तु द्वारा t समय में चली गई दूरी
नोट- यदि त्वरण गति की दिशा में लग रहा हो तो इसे धनात्मक लेते हैं तथा यदि त्वरण गति की दिशा के विपरीत लग रहा हो तो इसे ऋणात्मक लेते हैं।

उदाहरण 10.2.
एक कार किसी कगार से गिरकर 0.55 में धरती पर आ गिरती है। परिकलन में सरलता के लिए g का मान 10 मी / से.2 लीजिए।
(i) धरती पर टकराते समय कार की चाल क्या होगी?
(ii) 0.5 से. के दौरान इसकी औसत चाल क्या होगी?
(iii) धरती से कगार कितनी ऊँचाई पर है?
हल:
प्रश्नानुसार समय t = 0.58
प्रारम्भिक वेग u = 0 ms-1
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m s-2
कार का त्वरण a = + 10m/sec² (अधोमुखी)
(i) चाल v = at से
v = 10 मी/से.² x 0.5 से.
= 5 मी./से.-1

(ii) औसत चाल = \(\frac { u+v }{ 2 }\)
= (0 मी/से +5 मी/से.-1) / 2 = 2.5 मी/से.

(iii) तय की गई दूरी s = \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 मी/से.² x (0.5 से.)²
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 मी/से.-2 x 0.25 से.²
अतः = 1.25 मीटर
(i) धरती पर टकराते समय इसकी चाल 5मी/से.-1
(ii) 0.5 सेकण्ड के दौरान इसकी औसत चाल = 2.5 मी/से.-1
(iii) धरती से कगार की ऊँचाई = 1.25 मी.

उदाहरण 10.3.
एक वस्तु को ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका जाता है और यह 10 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती है। परिकलन कीजिए-
(i) वस्तु कितने वेग से ऊपर फेंकी गई तथा
(ii) वस्तु द्वारा उच्चतम बिन्दु तक पहुँचने में लिया गया समय।
हल:
तय की गई दूरी s = 10 मी
अन्तिम वेग v = 0 मी/से.
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मी/से.²
वस्तु का त्वरण a = – 9.8 मी / से.² (ऊर्ध्वमुखी)
(i) v² = u² + 2as
0 = u² + 2 × (- 9.8 मी / से.²) x 10m
– u² = – 2 × 9.8 × 10 मी² / से.²
u = \(\sqrt{196}\) मी/से.
u = 14 मी/से.

(ii) v = u + at
0 = 14 मी / से. – 9.8 मी / से.² x 1
t = 1.43 से
(i) प्रारम्भिक वेग u = 14 मी / से. तथा
(ii) लिया गया समय t = 1.43 सेकण्ड।

खण्ड 10.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 152)

प्रश्न 1.
मुक्त पतन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वस्तुएँ पृथ्वी की ओर गुरुत्वीय आकर्षण बल के कारण गिरती हैं। इसे हम कहते हैं कि वस्तुएँ मुक्त पतन में हैं।

प्रश्न 2.
गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है तो पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है। वेग में यह परिवर्तन त्वरण उत्पन्न करता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण है। इसलिए इसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।

खण्ड 10.3 एवं 10.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 153)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है?
उत्तर:
द्रव्यमान तथा भार में अन्तर

द्रव्यमान भार
1. किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा ही उसका द्रव्यमान होती है। किसी वस्तु का भार उस बल के बराबर होता है जिससे पृथ्वी उस वस्तु को आकर्षित करती है।
2. द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है। भार का मात्रक न्यूटन या किलोग्राम-भार है।
3. किसी वस्तु के द्रव्यमान का मान प्रत्येक स्थान पर समान रहता है। वस्तु का भार (m g) गुरुत्वीय त्वरण g के परिवर्तन के कारण भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है।
4. द्रव्यमान अदिश राशि है। भार सदिश राशि है।
5. द्रव्यमान को भौतिक तुला से तोला जाता है। भार को कमानीदार तुला से तोला जाता है।

प्रश्न 2.
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुना क्यों होता है?
उत्तर:
चन्द्रमा का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में काफी कम है, इस कारण चन्द्रमा की सतह पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्वीय त्वरण का मान, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का 1/6 होता है। अब चूँकि किसी स्थान पर किसी वस्तु का भार उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण के समानुपाती होता है; अंतः चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 गुना होता है।

क्रियाकलाप 10.4. (पा. पु. पृ. सं. 155)
प्लास्टिक की एक खाली बोतल लेकर उसके मुँह को एक वायुरुद्ध डाट से बन्द करके इसे एक पानी की बाल्टी में रखिए। बोतल को पानी में धकेलने पर ऊपर की ओर एक धक्का महसूस होता है तथा इसे और नीचे धकेलने में आपको कठिनाई महसूस होगी। पानी द्वारा बोतल पर ऊपर की ओर एक बल लगाया जाता है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।

क्रियाकलाप 10.5. (पा.पु. पृ. सं. 156)
एक बीकर लेकर उसमें भरे पानी की सतह पर एक लोहे की कील रखिए। कील पानी में डूब जाती है। इस प्रकार का उत्तर जानने के लिए एक क्रियाकलाप करते हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

क्रियाकलाप 10.6 (पा.पु. पू. सं. 156)
पानी से भरा बीकर लेकर एक कील तथा समान द्रव्यमान का एक कॉर्क का टुकड़ा लेकर उन्हें पानी की सतह पर रखा। आप पायेंगे कि कील पानी में डूब जाती है जबकि कॉर्क का टुकड़ा पानी के ऊपर तैरता
रहता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 7
कारण- कॉर्क तैरता है जबकि कील डूब जाती है। ऐसा उनके घनत्वों में अन्तर के कारण होता है। किसी पदार्थ का घनत्व, उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं। कॉर्क का घनत्व पानी के घनत्व से कम है अर्थात् कॉर्क पर पानी का उत्प्लावन बल, कॉर्क के भार से अधिक है इसलिए यह तैरता है।

इस प्रकार द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव मैं डूब जाती हैं।

खण्ड 10.5 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. 157)

प्रश्न 1.
एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर:
यदि स्कूल बैग को पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से हाथ में उठाया जाए अथवा कन्धे से लटकाया जाए तो यह पट्टा हाथ अथवा कन्धे के छोटे से क्षेत्रफल के सम्पर्क में होगा। तब बैग का सम्पूर्ण भार इस छोटे से क्षेत्रफल पर लगेगा जिसके फलस्वरूप इस क्षेत्रफल पर दाब बहुत अधिक होगा और पट्टा हाथ या कन्धे में गढ़ जाएगा।

प्रश्न 2.
उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उत्प्लावकता- किसी द्रव का वह गुण जिसके कारण वह द्रव में छोड़ी गई किसी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, उत्प्लावकता’ कहलाता है।

प्रश्न 3.
पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु को पानी की सतह पर रखा जाता है तो उस वस्तु पर दो बल कार्य करते हैं- प्रथम वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल (वस्तु का भार) नीचे की ओर तथा द्वितीय वस्तु पर पानी का उत्प्लावन बल ऊपर की और।
किसी वस्तु का पानी में डूबना या तैरना उपर्युक्त दोनों बलों के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करता है।

  • यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल से अधिक है तो वस्तु पानी में डूब जाएगी।
  • यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल से कम है तो वस्तु पानी में तैरेगी।
  • यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल के बराबर है तो वस्तु पानी में पूरी डूबकर तैरती रहेगी।

किसी वस्तु के जल में तैरने या डूबने का ज्ञान उस वस्तु के घनत्व से प्राप्त किया जा सकता है। यदि वस्तु का घनत्व जल के घनत्व से कम है तो वह वस्तु जल में तैरेगी। इसके विपरीत यदि वस्तु का घनत्व, जल के घनत्व से अधिक है तो वह वस्तु जल में डूब जाएगी।

क्रियाकलाप 10.7. (पा.पु. पू. सं. 157)
एक पत्थर के टुकड़े को किसी कमानीदार तुला या रबड़ की डोरी के एक सिरे से बाँधकर लटकाएँ (चित्र 10.5 a) पत्थर के भार के कारण रबड़ की डोरी की लम्बाई में वृद्धि या कमानीदार तुला का पाठ्यांक नोट कीजिए। अब पत्थर को पानी से भरे एक बर्तन में डुबोइए (चित्र 10.5 b) डोरी की लम्बाई या तुला की माप में हुए परिवर्तन को नोट कीजिए।

आप देखेंगे कि पानी में डुबाने पर डोरी की लम्बाई या तुला के पाठ्यांक में कमी आती है। यह कमी पत्थर द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होगी।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 8
“जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप में डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती हैं जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है। इसे आर्किमिडीज का सिद्धान्त कहते हैं।”

आर्किमिडीज के सिद्धान्त के बहुत से अनुप्रयोग हैं। यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिजाइन बनाने में काम आता हैं। हाइड्रोमीटर तथा दुग्धमापी भी इसी सिद्धान्त पर आधारित हैं।

प्रश्न 1.
पनडुब्बियां किस सिद्धान्त पर कार्य करती हैं?
उत्तर:
आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर

प्रश्न 2.
आर्किमिडीज का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु को पूर्ण या आंशिक रूप से द्रव में डुबोया जाता है तो वह ऊपर की ओर एक बल का अनुभव करती है, जो उस वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।

खण्ड 10.6 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 158)

प्रश्न 1.
एक तुला पर आप अपना द्रव्यमान 42 किग्रा नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक है या कम?
उत्तर:
चूँकि हम किसी वस्तु का द्रव्यमान वायु में मापते हैं; अतः वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला का पाठ्यांक सदैव ही वस्तु के वास्तविक द्रव्यमान से कम होता है। अतः हमारा वास्तविक द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक होगा, यद्यपि यह अन्तर अत्यन्त कम होगा।

प्रश्न 2.
आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 किग्रा द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?
उत्तर:
वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला दोनों का ही द्रव्यमान कम मापती है। चूँकि समान द्रव्यमान की रुई का आयतन लोहे की तुलना में अधिक है। अतः रुई पर उत्प्लावकता का प्रभाव अधिक होगा अर्थात् रुई के वास्तविक द्रव्यमान तथा प्रेक्षित द्रव्यमान में अन्तर लोहे के वास्तविक तथा प्रेक्षित द्रव्यमानों में अन्तर की तुलना में अधिक होगा। अतः रुई का वास्तविक द्रव्यमान लोहे के वास्तविक द्रव्यमान से अधिक होगा। अर्थात् रुई लोहे की तुलना में भारी होगी।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

Students must go through these JAC Class 10 Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

→ कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्त्व है जो सभी जीवों एवं हमारे उपयोग में आने वाली वस्तुओं का आधार है, जैसे- भोजन, दवा, कपड़े आदि।

→ कार्बनिक यौगिक कार्बन में बहुत बड़ी संख्या में यौगिक बनाने का गुण है। इन यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। इनमें कार्बन तथा हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन ऑक्सीजन, हैलोजन और गंधक आदि भी हो सकते हैं।

→ अपररूपता-तत्त्वों का एक गुण जिसके द्वारा कोई तत्व ऐसे कई रूपों में पाया जाता है जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों और रासायनिक गुण समान हों, अपरूपता कहलाते हैं।

→ हाइड्रोकार्बन – कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने यौगिकों को हाइड्रोकार्बन कहते हैं।

→ संतृप्त हाइड्रोकार्बन (ऐल्केन) – वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन की चारों संयोजकताएँ एकल सहबंध द्वारा संतुष्ट होती हैं, संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। इनका सामान्य रासायनिक सूत्र CnH2n+2 है।

→ असंतृप्त हाइड्रोकार्बन-जिन हाइड्रोकार्बन में दो कार्बन परमाणुओं के मध्य द्विबंध अथवा त्रिबंध होता है, उन्हें असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

→ एल्कीन – इन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य सूत्र CnH2n होता है। इनमें कार्बन के दो परमाणु के मध्य एक द्विबंध होता है।

→ एल्काइन – इन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य रासायनिक सूत्र C2H2n-2 होता है। इनमें दो कार्बन परमाणुओं में एक त्रिबंध होता है।

→ सहसंयोजी आबंध – दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक युग्म की साझेदारी के द्वारा बनने वाले आबंध, सहसंयोजी आबंध कहलाते हैं।

→ कार्बन की चतुः संयोजकता एवं श्रृंखलन प्रकृति के कारण यह कई यौगिक बनाता है।

→ अपने-अपने बाहरी कोशों को पूर्ण रूप से भरने के लिए दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से सहसंयोजक आबंध बनता है।

→ ऐल्कोहॉल-वे कार्बन यौगिक होते हैं जिनमें एक या एक से अधिक हाइड्रॉक्सिल ग्रुप (OH) हो तथा जिनका सामान्य सूत्र Cn H2n+1OH हों। इसमें Al- kane के ‘6’ के स्थान पर (ol) जोड़ देते हैं।

→ विषम परमाणु- यौगिकों में हाइड्रोजन प्रतिस्थापित करने वाले तत्त्वों को विषम परमाणु कहते हैं।

→ संकलन अभिक्रियाएँ वे क्रियाएँ जो कार्बन- कार्बन के बीच द्वि-आबंध या त्रि-आबंध होने पर वे अन्य अणुओं से क्रिया करके योगात्मक उत्पादक बनाता है तथा द्वि-आबंध या त्रि-आबंध एकल आबंध में परिवर्तित हो जाता है।

→ प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ – वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें किसी यौगिक के सभी परमाणु एक-एक करके अन्य परमाणुओं से विस्थापित हो जाते हैं।

→ समावयवता – वह घटना जिसमें दो या अधिक यौगिकों के अणुसूत्र तो एक ही हों लेकिन संरचना भिन्न होने के कारण गुण भिन्न हो जाते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

→ प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group):

  • परमाणु या परमाणुओं का समूह जो कार्बनिक यौगिक की अभिक्रियाशीलता बताती है और उसके विशिष्ट गुणधर्मों (अथवा क्रियाओं) को सुनिश्चित करता है, प्रकार्यात्मक समूह कहलाते हैं।
  • यौगिकों का विशिष्ट गुण कार्बन श्रृंखला की लम्बाई और प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है।

→ ऐल्कोहॉल, ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल जैसे समूह कार्बन यौगिकों अभिलाक्षणिक गुण प्रदान करते हैं।

→ कार्बन तथा उसके यौगिक हमारे ईंधन के प्रमुख स्रोत हैं।

→ कार्बनिक यौगिक एथेनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल का हमारे दैनिक जीवन में काफी महत्त्व है।

→ साबुन एवं अपमार्जक की प्रक्रिया अणुओं में जलरागी तथा जलविरागी दोनों समूहों की उपस्थिति पर आधारित है। इसकी मदद से तैलीय मैल का पायस बनता है और बाहर निकलता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस नियम पर, रासायनिक समीकरण का संतुलित करना आधारित है?
उत्तर:
रासायनिक समीकरण का संतुलित करना द्रव्यमान संरक्षण के नियम पर आधारित है।

प्रश्न 2.
रासायनिक समीकरण में प्रतीक (↓) एवं (↑) क्या प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
प्रतीक (↑) गैसीय उत्पाद व प्रतीक (↓) अवक्षेप (ठोस) उत्पाद दर्शाता है।

प्रश्न 3.
जलीय अवस्था क्या है?
उत्तर:
किसी अभिकारक या उत्पाद का जल में विलयन उसकी जलीय अवस्था कहलाती है।

प्रश्न 4.
भोजन के पाचन में किस प्रकार की अभिक्रिया होती है?
उत्तर:
भोजन के पाचन में वियोजन अभिक्रिया होती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 5.
श्वसन में किस प्रकार की अभिक्रिया होती है?
उत्तर:
श्वसन में उपचयन एवं ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है।

प्रश्न 6.
वियोजन अभिक्रियाओं में ऊर्जा किस रूप में ली जाती है?
उत्तर:
वियोजन अभिक्रियाओं में ऊर्जा ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत के रूप में ली जाती है।

प्रश्न 7.
अभिकारक व उत्पाद क्या है?
उत्तर:
अभिकारक – ऐसे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं अभिकारक कहलाते हैं।

उत्पाद – ऐसे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं उत्पाद कहलाते हैं।

प्रश्न 8.
बिना बुझे हुए चूने का रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर:
CaO.

प्रश्न 9.
रासायनिक अभिक्रियाओं से क्या समझते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रासायनिक अभिक्रियाएँ- जब एक या एक से अधिक पदार्थ आपस में क्रिया करके नये पदार्थ का निर्माण करते हैं तो ऐसी अभिक्रियाओं को रासायनिक अभिक्रियाएँ कहते हैं।

उदाहरण – आयरन को सल्फर के साथ गर्म करने पर फेरस सल्फाइड बनता है।

प्रश्न 10.
एथिलीन पर हाइड्रोजन की क्रिया से एथेन बनता है, क्यों?
उत्तर:
एथिलीन एक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है जिसमें कार्बन परमाणु द्विआबन्ध द्वारा जुड़े होते हैं। जब ये हाइड्रोजन से क्रिया करते हैं तो इसका द्विआबन्ध टूट जाता है और नया एकल आबन्ध, आबन्ध द्वारा संतृप्त हाइड्रोजन एथेन बनाते हैं। यह योगशील अभिक्रिया के कारण होता है।

प्रश्न 11.
एकल विस्थापन अभिक्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक विस्थापन अभिक्रिया – जब किसी यौगिक में उपस्थित एक तत्त्व या (एक परमाणु) को किसी दूसरे यौगिक के एक तत्त्व या (एक परमाणु), द्वारा हटाकर स्वयं उसका स्थान ले लेता है तो उसे एकल विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण: CuSO4 + Zn → ZnSO4 + Cu

प्रश्न 12.
उपचयन व अपचयन अभिक्रियाओं को हम किस दूसरे नाम से जानते हैं?
उत्तर:
रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox Reaction )।

प्रश्न 13.
उस अभिक्रिया का नाम बताइए जिसमें अविलेय लवण प्राप्त होता है?
उत्तर:
अवक्षेपण अभिक्रिया।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 14.
बेरियम सल्फेट तथा सोडियम क्लोराइड किन अभिकारकों से प्राप्त किये जा सकते हैं?
उत्तर:

  1. Na2SO4 ( सोडियम सल्फेट)
  2. BaCl2 (बेरियम क्लोराइड)

प्रश्न 15.
अभिक्रिया की गति प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन से हैं?
उत्तर:

  1. अभिकारकों की प्रकृति
  2. ताप
  3. सांद्रण
  4. उत्प्रेरक।

प्रश्न 16.
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ – वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिसमें ऊष्मा उत्पन्न या उत्सर्जित होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण – 1 मोल कार्बन और 1 मोल ऑक्सीजन संयोग करती है तो 1 मोल कार्बन डाइऑक्साइड बनती है तथा 44.3 k cal. ऊष्मा उत्पन्न होती है।
C + O2 → CO2 + 44.3 kcal

प्रश्न 17.
उत्क्रमणीय अभिक्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जो समान परिस्थितियों में अग्र एवं पश्च दोनों दिशाओं में होती हैं और किसी भी दिशा में पूर्णता को नहीं पहुँचतीं उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

उदाहरण – जब फॉस्फोरस पेण्टाक्लोराइड को गर्म किया जाता है तब यह अपघटित होकर फ़ॉस्फोरस ट्राइ- इसे ठण्डा करने पर पुनः क्लोराइड तथा क्लोरीन देता है। फॉस्फोरस पेण्टाक्लोराइड प्राप्त हो जाता है।
PCl5 ⇌ PCl3 + Cl2

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रासायनिक साम्य किसे कहते हैं? सिद्ध कीजिए कि इसकी प्रकृति गतिज होती है।
उत्तर:
रासायनिक साम्य- किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें अग्र व विपरीत दोनों अभिक्रियाओं के वेग बराबर हो जाते हैं, रासायनिक साम्यावस्था कहलाती है।
एक परखनली में कैडमियम क्लोराइड (CaCl2) के अम्लीय विलयन में H2S प्रवाहित करने पर कैडमियम सल्फाइड (Cds) का पीला अवक्षेप प्राप्त होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 1
इस स्थिति में सान्द्र HCl की कुछ बूँदें मिलाने पर अवक्षेप घुल जाता है और साफ विलयन प्राप्त हो जाता है। प्राप्त विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर पुनः पीला अवक्षेप प्राप्त होता है। इस प्रयोग से सिद्ध होता है। कि रासायनिक साम्य की प्रकृति गतिज होती है।

प्रश्न 2.
ऊष्मीय वियोजन और आयनिक वियोजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
ऊष्मीय वियोजन और आयनिक वियोजन में अन्तर

ऊष्मीय वियोजन आयनिक वियोजन
1. ऊष्मीय वियोजन ऊष्मा के द्वारा होता है। 1. आयनिक वियोजन विलयन बनाने पर होता है।
2. ऊष्मीय वियोजन में उत्पाद उदासीन अणु होते हैं। 2. आयनिक वियोजन में उत्पाद आयन होते हैं।
3. ऊष्मीय वियोजन के लिये माध्यम आवश्यक नहीं है। 3. आयनिक वियोजन के लिए माध्यम आवश्यक नहीं है।
4. ऊष्मीय वियोजन में उत्पाद पृथक किये जा सकते हैं। 4. आयनिक वियोजन के उत्पाद पृथक नहीं किये जा सकते।
5. उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 2
5. उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 3

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-से परिवर्तन ऊष्माशोषी और कौन-से ऊष्माक्षेपी प्रकृति के हैं-
(a) फेरस सल्फेट का अपघटन
(b) सल्फ्यूरिक अम्ल का तनुकरण
(c) सोडियम हाइड्रॉक्साइड का जल में विलीन होना
(d) अमोनियम क्लोराइड का जल में विलीन होना।
उत्तर:
(b) तथा (c) ऊष्माक्षेपी हैं क्योंकि इन परिवर्तनों में ऊष्मा मुक्त होती है।
(a) तथा (d) ऊष्माशोषी हैं, क्योंकि इन परिवर्तनों में ऊष्मा अवशोषित होती है।

प्रश्न 4.
‘X’ समूह 2 के एक तत्त्व का ऑक्साइड है जो सीमेंट उद्योग में बहुत अधिक उपयोग में आता है। यह तत्त्व हड्डियों में भी उपस्थित रहता है। जल में अभिकृत कराने पर यह ऑक्साइड एक विलयन बनाता है, जो लाल लिटमस को नीला कर देता है। ‘X’ को पहचानिए तथा सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाओं को भी लिखिए।
उत्तर:
X = कैल्सियम ऑक्साइड (बिना बुझा हुआ चूना)
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 3a

प्रश्न 5.
प्राकृतिक गैस का दहन किस प्रकार की अभिक्रिया है? रासायनिक समीकरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह एक ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया है, क्योंकि उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4a

प्रश्न 6.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में अपचायक को पहचानिए-
(a) Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2
(b) 4NH3 + 5O2 → 4NO + 6H2O
उत्तर:
(a) कार्बन मोनॉक्साइड (CO)।
(b) अमोनिया (NH3)।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में किसका ऑक्सीकरण तथा किसका अपचयन हुआ है?
(a) MnO2(aq) + 4HCl(aq) → MnCl2 (aq) + 2H2O(l) + Cl2(g)
(b) CuO(s) + H2(g) → Cu(s) + H2O(l)
उपर्युक्त अभिक्रियाओं का क्या नाम है?
उत्तर:
(a) HCl का उपचयन (ऑक्सीकरण) तथा MnO2 का अपचयन हुआ है।

(b) H2 का उपचयन तथा CuO का अपचयन हुआ है।
इन अभिक्रियाओं को उपचयन- अपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 8.
क्या होता है जब आयरन धातु के टुकड़े को कॉपर सल्फेट विलयन में डुबोया जाता है?
उत्तर:
लोहे के टुकड़े का रंग भूरा हो जाता है तथा विलयन का रंग हरा हो जाता है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4b

प्रश्न 9.
क्या होता है जब एक टुकड़ा-
(a) जिंक धातु का कॉपर सल्फेट विलयन में डाला जाता है।
(b) ऐलुमिनियम धातु का तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में डाला जाता है।
(c) सिल्वर धातु को कॉपर सल्फेट विलयन में डाला जाता है।
यदि अभिक्रिया सम्पन्न होती हो तो संतुलित रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर:
(a) चूँकि जिंक (Zn), कॉपर (Cu) से अधिक क्रियाशील धातु है इसलिए CuSO4 से Cu को विस्थापित कर देता है तथा जिंक सल्फेट का विलयन प्राप्त होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4c
यह विस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण है।

(b) इसी प्रकार Al, हाइड्रोजन (H2) से अधिक क्रियाशील है, इसलिए तनु HCl से H2 गैस मुक्त कर देता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4d

(c) Ag(s) + CuSO4 (aq) → कोई अभिक्रिया नहीं क्योंकि Ag, Cu से कम क्रियाशील धातु है अतः CuSO4 से Cu को विस्थापित नहीं कर पाती है।

प्रश्न 10.
विलोपन अभिक्रिया से क्या तात्पर्य है? एक उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
विलोपन अभिक्रिया वह सहसंयोजक रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक के अणु से एक सरल अणु निष्कासित (विलोपित) होता है विलोपन अभिक्रिया कहलाती है।

उदाहरण – जब एथिल ब्रोमाइड पर ऐल्कोहॉलीय पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड की क्रिया करते हैं तो एक सरल अणु जल निष्कासित होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4e

प्रश्न 11.
उत्क्रमणीय एवं अनुत्कमणीय अभिक्रियाओं में अन्तर बताइये।
उत्तर:
उत्क्रमणीय एवं अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में अन्तर

उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
1. ये अभिक्रियाएँ अग्र एवं पश्च दोनों दिशाओं में होती हैं। 1. ये अभिक्रियाएँ एक ही दिशा में चलती हैं।
2. इन अभिक्रियाओं में उत्पाद पुन: संयोजित होकर क्रियाकारकों को बनाते हैं। 2. इन अभिक्रियाओं में उत्पाद पुनः संयोजित नहीं होते हैं।
3. ये अभिक्रियाएँ कभी पूर्ण नहीं होतीं। 3. ये अभिक्रियाएँ पूर्णता को प्राप्त होती हैं।
4. उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4
4. उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 5

प्रश्न 12.
कारण स्पष्ट करते हुए बताइए कि निम्नांकित परिवर्तन भौतिक हैं अथवा रासायनिक-
(i) गर्म करने पर मोम का पिघलना
(ii) मोमबत्ती का जलना
(iii) भोजन का पाचन
(iv) विद्युत् धारा प्रवाहित होने से तार का गर्म होना
(v) विद्युत धारा प्रवाहित होने से जल का हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटन
(vi) शुष्क चूने को जल में मिलाने पर जल का गर्म हो जाना
(vii) शर्करा घोलने पर का कुछ ठण्डा हो जाना
(viii) कॉपर सल्फेट विलयन में लोहे के टुकड़े डालने पर उनके रंग का काले से लाल हो जाना।
उत्तर:
(i) गर्म करने पर मोम का पिघलना भौतिक परिवर्तन है, क्योंकि इसमें मोम की केवल भौतिक अवस्था
(ठोस → द्रव) बदलती है-मोम की आणविक संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता।

(ii) मोमबत्ती का जलना-रासायनिक परिवर्तन है. क्योंकि मोम की ऑक्सीजन के साथ रासायनिक अभिक्रिया से नये पदार्थ (CO2 तथा H2O) बनते हैं।

(iii) भोजन का पाचन – भोजन का पाचन रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि पाचन क्रिया में अनेक रासायनिक अभिक्रियाओं यौगिक नये यौगिकों में परिवर्तित हो जाते हैं।

(iv) विद्युत् धारा प्रवाहित होने से तार का गर्म होना – भौतिक परिवर्तन है, क्योंकि इससे तार की भौतिक में ही परिवर्तन होता है-तार की संरचना नहीं बदलती।

(v) विद्युत् धारा प्रवाहित होने से जल का हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटन- यह रासायनिक परिवर्तन है क्योंकि जल से नये पदार्थ हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन बनते हैं।

(vi) शुष्क चूने को जल में मिलाने पर जल का गर्म हो जाना – यह रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि चूना (CaO) तथा जल (H2O) के रासायनिक संयोग से नया पदार्थ Ca(OH)2 बनता है।

(vii) शर्करा घोलने पर जल का कुछ ठण्डा हो ना- भौतिक परिवर्तन है, क्योंकि विलयन बनने पर शर्करा एवं जल का मिश्रण बनता है, कोई नया पदार्थ नहीं।

(viii) कॉपर सल्फेट विलयन लोहे के टुकड़े डालने पर उसके रंग का काले से लाल हो जाना – रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि कॉपर सल्फेट के विघटन से नया पदार्थ कॉपर बनता है जो लोहे के टुकड़ों पर एकत्र हो जाता है।

प्रश्न 13.
कारण देते हुए निम्नांकित अभिक्रियाओं को ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी में वर्गीकृत कीजिए-
(i) 2NH3 → N2 + 3H2 – 24 किलो कैलोरी
(ii) 2SO2 + O2 → 2SO3 + 25 किलो कैलोरी
(iii) N2 + O2 + 45 किलो कैलोरी → 2NO
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 6
उपर्युक्त अभिक्रिया को निम्नवत् लिखा जा सकता है-
2 NH3 + 24 किलो कैलोरी N2 + 3H2
चूँकि अभिक्रिया सम्पन्न कराने हेतु NH3 को 24 किलो कैलोरी ऊष्मा देना आवश्यक है अतः यह ऊष्माशोषी अभिक्रिया है।

(ii) 2SO2 + O2 → 2SO3 + 25 किसी कॅलोरी अभिक्रिया में SO3 के साथ 25 किलो कैलोरी ऊष्मा भी प्राप्त होती है अतः यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

(iii) N2 + O2 + 45 किलो कैलोरी → NO
अभिक्रिया सम्पन्न होने के लिए N2 तथा O2 के साथ 45 किलो कैलोरी ऊष्मा भी देना आवश्यक है अतः यह ऊष्माशोषी अभिक्रिया है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 14.
निम्नलिखित समीकरणों को संतुलित कीजिए-
(i) H2 + Br2 → HBr
(ii) Na + O2 → Na2O
(iii) P + O2 → P2O5
(iv) CO + O2 → CO2
(v) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
उत्तर:
(i) H2 + Br2 → HBr
H तथा Br के परमाणुओं की संख्या दोनों ओर समान करने के लिए HBr में 2 से गुणा करने पर
H2 + Br2 → 2HBr

(i) Na + O2 → Na2O
O की संख्या समान करने के लिए दाहिनी ओर 2 का गुणा करने पर
Na + O2 → 2 Na2O
अब Na की संख्या समान करने के लिए Na में 4 का गुणा करने पर
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 7
O के 1 परमाणु से Na के दो परमाणु संयोग करके 1 अणु Na2O बनाते हैं। अतः बायीं ओर O के 2 परमाणुओं से संयोग हेतु Na के 4 परमाणु चाहिए तथा इससे 2 अणु
Na2O के बनेंगे।
अतः 4 Na + O2 → 2Na2O

(iii) P + O2 → P2O5
P2O5 सूत्र के अनुसार P के 2 परमाणुओं परमाणु संयोग करते हैं। अतः P के 2 परमाणु लेने पर या O के 5 परमाणु 2 1/2 अणु लेने होंगे।
2P + 2 1/2 O2 → P2O5
परन्तु 1/2 अणु का कोई अर्थ नहीं है-अतः पूरे समीकरण में 2 का गुणा करने पर
4P + 5O2 → 2P2O5

(iv) CO + O2 → CO2
चूँकि O का एक परमाणु CO के एक अणु से संयोग करके CO2 बनाता है, O के दो परमाणु (O2), से CO के दो अणु संयोग करके 2 अणु CO2 बनायेंगे। अतः
2CO + O2 → 2CO2

(v) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
Na परमाणुओं की संख्या के संतुलन हेतु बायीं ओर NaOH के 2 अणु होने चाहिए। तदनुसार
2 NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
अब H परमाणुओं की संख्या के संतुलन हेतु दाहिनी ओर H2O के दो अणु होने चाहिए – अतः
2NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + 2H2O

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘रासायनिक अभिक्रिया’ से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न प्रकारों को, प्रत्येक का एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक अभिक्रियाएँ (Chemical Reactions) जब कभी भी तत्त्व आपसी संयोग द्वारा यौगिकों का निर्माण करते हैं तब हम कह सकते हैं कि रासायनिक अभिक्रिया हुई। अथवा जब कभी भी भी यौगिक अपघ होकर दूसरे यौगिकों को बनाते हैं, तो रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। अतः “ऐसी क्रियाएँ जिसमें एक या एक या एक से अधिक पदार्थों में उपस्थित परमाणुओं के पुनर्गठन के फलस्वरूप भिन्न पदार्थ या पदार्थों का निर्माण है, रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है।”

उपर्युक्त परिभाषा से यह निष्कर्ष ष्कर्ष निकलता है कि रासायनिक अभिक्रिया ऐसी अभिक्रियाएँ हैं जिनके फलस्वरूप नये गुण वाले नये पदार्थ निर्मित होते हैं।

दूसरे शब्दों में “जब एक पदार्थ को किसी दूसरे पदार्थ के साथ क्रिया कराके अथवा कोई पदार्थ अकेले अपघटित होकर एक या एक से अधिक पदार्थ की रचना करता है तो यह क्रिया ही रासायनिक अभिक्रिया ही रासायनिक अभिक्रिया है।

उदाहरणस्वरूप, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के मिश्रण में जब चिनगारी की जाती है तब जल निर्मित होता है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के अणुओं में उपस्थित परमाणु पुनर्संगठित होकर जल के अणुओं की रचना करते हैं। इस अभिक्रिया को हम साधारणत: रासायनिक समीकरण के रूप में व्यक्त करते हैं।
हाइड्रोजन + ऑक्सीजन → जल
2H2 + O2 → 2H2O
ऊपर व्यक्त अभिक्रिया में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन अभिकारक हैं। तीर (→) का निशान यह सूचित कर रहा है कि अभिक्रिया हो रही है एवं निर्मित यौगिक जल को उत्पाद कहते हैं।

रासायनिक अभिक्रियाएँ मुख्यतः निम्नलिखित प्रकारों की होती हैं-

  • योगात्मक रासायनिक अभिक्रिया (Addition Chemical Reaction)
  • प्रतिस्थापन रासायनिक अभिक्रिया (Substitu-tion Chemical Reaction)
  • वियोजन अभिक्रिया (Dissociation)
  • अपघटन अभिक्रिया (Decomposition)
  • उभय-अपघटन (Double Decomposition)

(1) योगात्मक रासायनिक अभिक्रिया (Addition Chemical Reaction) – जिस अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं तथा कोई भी अन्य पदार्थ नहीं बनता उसे योगात्मक रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 8

(2) प्रतिस्थापन रासायनिक अभिक्रिया ( Substi tution Chemical Reaction) – जिस अभिक्रिया में किसी यौगिक के अणु के किसी एक परमाणु या समूह के स्थान पर कोई दूसरा परमाणु या समूह जाता है, उसे प्रतिस्थापन रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 9

(3) वियोजन अभिक्रिया (Dissociation Reaction ) – ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ, जिनमें कोई पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया को प्रेरित करने वाले कारणों (जैसे – ताप, दाब आदि) में परिवर्तन करने से दो अथवा से अधिक पदार्थों में विभक्त हो जाता तथा उपर्युक्त कारण हटा देने से पुनः मूल पदार्थ बन जाता है, वियोजन कहलाती है। वियोजन एक उत्क्रमणीय (Reversible) अभिक्रिया है। वियोजन अभिक्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-
(i) ऊष्मीय वियोजन (Thermal Disso- ciation)- जब किसी यौगिक को गर्म करने से उसके अणु दो अथवा दो से अधिक छोटे अणुओं में परिवर्तित हो जाते हैं और ठण्डा करने पर वे फिर से मिलकर मूल
यौगिक बनाते हैं तब इस अभिक्रिया को ऊष्मीय अथवा तापीय वियोजन कहते हैं।
उदाहरणार्थ-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 10

(ii) आयनिक वियोजन (Ionic Dissocia- tion) – किसी विद्युत् अपघद्य (Electrolyte) अथवा विद्युत्-संयोजी यौगिक (Electrovalent COmpound) को जल में घोला जाता है अथवा उच्च ताप तक गर्म करके गलित किया जाता है तो अणुओं का धनात्मक तथा ऋणात्मक आयनों में वियोजन हो जाता है। ये आयन विलयन में या गलित अवस्था में भी पुन: संयोजित होकर अणु बनाते रहते हैं। इस क्रिया को आयनिक वियोजन कहते हैं।
उदाहरण-
NaCl ⇌ Na+ + cr
H2SO4 ⇌ 2.H+ + SO

(4) अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction) – इस प्रकार की अभिक्रिया में किसी पदार्थ का अणु दो या दो से अधिक छोटे अणुओं या परमाणुओं में स्थायी रूप से विभक्त हो जाता है। यह क्रिया मुख्यत: दो प्रकार से से होती है-
(i) ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया (Thermal Decomposition Reaction) – वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी पदार्थ को गर्म करने पर दो या दो से अधिक अवयवों में टूट जाय, परन्तु ठण्डा करने पर पुनः मूल पदार्थ न उसे ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया कहा जाता है। जैसे-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 11
पोटैशियम क्लोरेट पोटैशियम क्लोराइड ऑक्सीजन गैस
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 12
(∆ चिन्ह ‘गरम करने’ अथवा ‘ऊष्मा’ को व्यक्त करता है)

(ii) विद्युत्-अपघटन अभिक्रिया (Electrolytic Decomposition Reaction) – इस प्रकार की क्रिया किसी विद्युत अपघट्य के विलयन या गलित अवस्था में विद्युत्-धारा प्रवाहित करने से होती है।
उदाहरणतः
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 13

(5) उभय अपघटन (Double Decomposi tion Reaction) – जिस रासायनिक अभिक्रिया में यौगिकों के आयनों या अवयवों की आपस में अदला-बदली होकर नये यौगिक बनते हैं, उसे उभय-अपघटन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 14
ये अभिक्रियाएँ मुख्यतः ऐसे दो यौगिकों के जलीय विलयनों के मिलाने से होती हैं, जिनमें से एक धनात्मक तथा एक ऋणात्मक आयन मिलकर कोई अविलेय यौगिक बनाते हैं. हैं, जो अवक्षेप अवक्षेप (Precipitate) 1 के रूप में विलयन से अलग हो जाता है। समीकरण में ↓ का चिन्ह, अवक्षेप को व्यक्त करता है।

प्रश्न 2.
रासायनिक समीकरण’ क्या होता है? इससे क्या “क्या जानकारियाँ मिलती हैं? कोई एक उदाहरण देकर बताइए एवं इसकी कमियाँ बताइए।
उत्तर:
रासायनिक समीकरण (Chemical Equation):
किसी भी रासायनिक परिवर्तन में एक या एक से अधिक पदार्थ परस्पर क्रिया करके नये पदार्थ (एक या अधिक) बनाते हैं। ऐसे परिवर्तन को गणितीय समीकरणों की भाँति एक समीकरण से व्यक्त किया जा सकता है। किसी रासायनिक परिवर्तन को व्यक्त करने वाले ऐसे समीकरण को रासायनिक समीकरण कहते हैं।

अभिक्रिया लिखने की विधि (Method of Written Reaction) – अभिक्रिया करने वाले अभिकारक (Reactants) समीकरण के या चिन्ह के बायीं ओर तथा अभिक्रिया के फलस्वरूप बने परिणामी पदार्थ (उत्पाद – Products) चिन्ह के दायीं ओर लिखे जाते हैं।

धन (+) चिन्ह दो या दो से अधिक अभिकारकों के बीच लगाया जाता है तथा परिणामी पदार्थों के बीच भी इसका प्रयोग कहते हैं। समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्त्व के परमाणुओं की संख्या समान कर ली जाती है अर्थात् समीकरण को सन्तुलित कर लिया जाता है। गैसों को सदैव अणु के रूप में लिखा जाता है
जैसे – Cl2, O2, N2, H2 आदि।

इस विधि से सिल्वर नाइट्रेट और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (तनु) की क्रिया के समीकरण को निम्नलिखित ढंग से लिख सकते हैं-
AgNO3 + HCl = AgCl + HNO3
किसी रासायनिक समीकरण से निम्नलिखित जानकारी मिलती है-

  • अभिकर्मक तत्त्वों तथा यौगिकों के नाम एवं संघटन
  • उत्पादों के नाम एवं संघटन
  • रासायनिक अभिक्रिया में अभिकर्मकों तथा उत्पादों का द्रव्यमानात्मक अनुपात
  • अभिकर्मक गैसों तथा उत्पादित गैसों का (समान दाब तथा ताप पर) आयतनात्मक अनुपात।

उदाहरणतः समीकरण
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 15
से ज्ञात होता है कि-
(i) नाइट्रोजन गैस तथा हाइड्रोजन गैस संयोग करके अमोनिया (NH3) गैस गैस बनाती हैं।

(ii) अमोनिया में नाइट्रोजन का 1 परमाणु तथा हाइड्रोजन के तीन परमाणु होते हैं।

(iii) रासायनिक क्रिया में द्रव्यमान के अनुसार नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन [2 × 14/6 × 1 = ] 14 : 3 के अनुपात में क्रिया करती है तथा इससे 17 भाग अमोनिया उत्पन्न होती है। [∵ नाइट्रोजन का परमाणु भार = 14 तथा हाइड्रोजन का परमाणु-भार = 1]

(iv) दोनों अभिकर्मक तथा उत्पाद गैसे हैं। आयतन , इनका अनुपात, इनके अणुओं की संख्या के अनुपात में होता है। अत: समान दाब तथा ताप पर अभिक्रिया में नाइट्रोजन, हाइड्रोजन तथा अमोनिया का अनुपात 1:3:2 होगा – अर्थात् 1 1 लीटर नाइट्रोजन तथा 3 लीटर हाइड्रोजन के संयोग से 2 लीटर अमोनिया बनेगी।

रासायनिक समीकरण की कमियाँ (Demerits of Chemical Equation) – रासायनिक समीकरण से यह ज्ञात नहीं होता कि-

  • अभिकर्मकों की ली गयी तथा उत्पादों की उत्पन्न मात्राएँ क्या हैं।
  • अभिक्रिया दाब एवं ताप की किन दशाओं में होती है।
  • अभिक्रिया एकदिशीय (अनुत्क्रमणीय) है अथवा उत्क्रमणीय।
  • अभिक्रिया में ऊर्जा अवशोषित होती है अथवा मुक्त।

प्रश्न 3.
संतुलित रासायनिक समीकरण की क्या पहचान है? किसी असंतुलित समीकरण को अनुमान विधि से संतुलित करने की क्रिया, एक सरल उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
संतुलित रासायनिक समीकरण (Balanced Chemical Equation) रासायनिक अभिक्रियाओं में न तो परमाणु नष्ट होते हैं, न नये परमाणु बनते हैं और न ही एक तत्त्व के परमाणु से किसी दूसरे तत्त्व का परमाणु बनता है। अतः रासायनिक समीकरण में उसके दोनों पक्षों में प्रत्येक तत्त्व के परमाणुओं की मात्रा समान होनी चाहिए। तभी वह समीकरण रासायनिक क्रिया को सही रूप में व्यक्त करता है। इस प्रकार के समीकरण को संतुलित समीकरण (Balanced Equation) कहते हैं।

उदाहरणतः हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन गैसों के संयोग से जल बनने की क्रिया को निम्नवत् लिखा जा सकता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 16
उपर्युक्त समीकरण अभिक्रिया के अभिकर्मकों तथा उत्पाद को तो व्यक्त करता है परन्तु इसमें समीकरण के दोनों पक्षों में ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या समान नहीं है– अर्थात् यह समीकरण संतुलित नहीं है। संतुलित करने पर इसका स्वरूप निम्नवत् जाता है-
2H2 + O2 → 2H2O
समीकरण सन्तुलन का उदाहरण (अनुमान विधि) (Examples of Equation Balance) – सरल रासायनिक समीकरणों को (जिनमें दो से अधिक अभिकर्मक न हों), तत्त्वों के परमाणुओं को गिनकर, संतुलित किया जा सकता है। इसे अनुमान विधि भी कहते हैं। यद्यपि इस विधि में भी परमाणुओं की संख्या का संतुलन अनुमान मैं नहीं, वरन् गणितीय विधि से ही किया जाता है।]
उदाहरण 1.
H2 + O2 → H2O
(i) समीकरण के बाएँ पक्ष में दो 0 परमाणु हैं परन्तु दाहिने पक्ष में केवल एक, अतः दाहिने पक्ष में 2 अणु लेने से 0 परमाणुओं का संतुलन हो जाता है अर्थात्
H2 + O2 → 2H2O

(ii) अब दाहिने पक्ष में H के कुल 4 परमाणु बाएँ पक्ष में केवल 2 अतः बायीं ओर H2 में 2 का गुणा करने से H का संतुलन हो जाता है-
2H2 + O2 → 2H2O
अत: यह संतुलित समीकरण है।

प्रश्न 4.
(क) ‘मन्द’ तथा ‘तीव्र’ अभिक्रिया से क्या तात्पर्य है? एक-एक उदाहरण देकर बताइए।
(ख) रासायनिक अभिक्रिया की गति को मुख्यतः कौन-से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
(क) मन्द अभिक्रियाएँ (Slow Reae- tions) – कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के पूरा होने में अधिक समय लगता है जैसे लोहे की वस्तु पर ऑक्सीजन की क्रिया से जंग (Rust) लगना किसी लोहे की वस्तु के पूरी तरह जंग में परिवर्तित होने में अनेक वर्ष लग सकते हैं। ऐसी क्रियाओं को मन्द अभिक्रियाएँ (Slow Reactions) कहते हैं।

मन्द अभिक्रियाओं में अभिकर्मकों का उत्पादों में परिवर्तन धीरे-धीरे अर्थात् अधिक समय में होता है।

उदाहरण- सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल (C2H5OH) ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) से क्रिया करके एथिल ऐसीटेट (CH3COOC2H5) और जल (H2O) बनाता है। इस अभिक्रिया को पूर्ण होने में अनेक मिनट लगते हैं। अतः यह एक मंद अभिक्रिया है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 17

तीव्र – अभिक्रियाएँ (Rapid Reactions ) – तीव्र अभिक्रियाएँ अत्यन्त कम समय में ही पूरी हो जाती हैं। अभिकर्मकों को मिलाने पर इनके पूरे होने का समय 106 सेकण्ड (माइक्रो सेकण्ड ) के कोटिमान का होता है। तीव्र अभिक्रियाएँ मुख्यतः आयनों अथवा आयनिक यौगिकों के बीच होती हैं।

उदाहरण – सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) के विलयन को जब सोडियम क्लोराइड (NaCl) के विलयन में डालते तो सिल्वर क्लोराइड (AgCl) का तत्काल सफेद अवक्षेप (Precipitate) बनता है। यह एक तात्क्षणिक (Instan- taneous) अभिक्रिया है। अभिक्रिया है, क्योंकि आयनों के बीच होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 18

(ख) रासायनिक अभिक्रियाओं की गति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं- ताप, दाब, अभिकर्मकों की मात्राएँ तथा उत्प्रेरकों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति। कुछ अभिक्रियाएँ नमी, प्रकाश आदि से भी प्रभावित होती हैं।

प्रश्न 5.
विस्थापन अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।
अथवा
एकल विस्थापन अभिक्रिया एवं द्वि-विस्थापन अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
विस्थापन अभिक्रिया – जब रासायनिक अभिक्रिया में एक तत्त्व (या पदार्थ) किसी दूसरे तत्त्व (या पदार्थ) को उसके यौगिक में से हटाकर स्वयं उसका स्थान ले लेता है तो उसे विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-
(i) एकल विस्थापन अभिक्रिया- किसी यौगिक में उपस्थित एक तत्त्व या (एक परमाणु) को इसके यौगिक के एक तत्त्व या (एक परमाणु) द्वारा हटाकर स्वयं उसका स्थान ले लेना एकल विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।

उदाहरण- कॉपर सल्फेट विलयन में जिंक धातु का टुकड़ा डालने पर जिंक द्वारा कॉपर का विस्थापन करके जिंक सल्फेट बनाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 19
द्वि-विस्थापन अभिक्रिया- ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिसमें दो यौगिकों द्वारा परस्पर आयनों का विनिमय कर नये यौगिकों का निर्माण करते हैं तो इस क्रिया को द्वि-विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण – जब सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में सिल्वर नाइट्रेट विलयन मिलाते हैं तो आयनों का विनिमय कर सिल्वर क्लोराइड और सोडियम नाइट्रेट प्राप्त होता है।
Na+ Cl + Ag+ NO3 → AgCl + NaNO3

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 6.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं को परिभाषित कीजिए तथा एक-एक उदाहरण भी दीजिए-
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) वियोजन अभिक्रिया
(c) विस्थापन अभिक्रिया
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(e) उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया
उत्तर:
(a) संयोजन अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रिया जिसमें या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद का निर्माण करते हैं, उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।
2Mg + O2 → 2MgO

(b) वियोजन या अपघटन अभिक्रिया – इसमें एकल पदार्थ वियोजित होकर दो या दो से अधिक पदार्थ बनाते हैं। वियोजन के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 20

(c) विस्थापन अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रिया जिसमें अधिक क्रियाशील तत्त्व, कम क्रियाशील तत्त्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर दे, विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 21
यहाँ लेड (Pb), कॉपर (Cu) की अपेक्षा अधिक क्रियाशील तत्त्व है, जो Cu को CuCl2 से हटा देता है।

(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया – वे अभिक्रियाएँ जिसमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है, उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहते हैं।
Na2SO4(aq) + BaCl2(aq) → BaSO4(s) + 2NaCl(aq)
यहाँ Ba2++ तथा SO42- आयनों की अभिक्रिया से BaSO4 अवक्षेप का निर्माण होता है।

(e) उपचयन – अपचयन अभिक्रिया – ऑक्सीजन का योग या हाइड्रोजन का ह्रास ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है जबकि ऑक्सीजन का ह्रास या हाइड्रोजन का योग अपचयन कहलाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 22

प्रश्न 7.
कारण देते हुए निम्नलिखित अभिक्रियाओं का प्रकार बताइए-
(i) Zn + 2 HCl → ZnCl2 + H2
(ii) N2 + 3H2 → 2NH3
(iii) CaO + CO2 → CaCO3
(iv) HCl ⇌ H+ + Cl
(v) AgNO3 + KCl → KNO3 + AgCl
(vi) HNO3 + NaOH → NaNO3 + H2O
(vii) 2CO + O2 → 2CO2
(viii) C2H5Br + NaOH → C2H5OH + NaBr
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 23
उत्तर:
(i) Zn + 2 HCl → ZnCl2 + H2
यह प्रतिस्थापन अभिक्रिया है- क्योंकि HCl अणु से Zn परमाणु H परमाणु को हटाकर उसका स्थान लेता है।

(ii) N2 + 3H2 → 2NH3
योगात्मक अभिक्रिया है- क्योंकि N2 तथा H2 के संयोग से NH3 अणु बनता है।

(iii) CaO + CO2 → CaCO3
योगात्मक अभिक्रिया है, जिसमें CaO अणु तथा CO2 अणु का संयोजन होकर CaCO3 अणु बनता है।

(iv) HCl ⇌ H+ + Cl
आयनिक- वियोजन की अभिक्रिया है, जिसमें HCl अणु का H+ तथा CH आयनों में विघटन तथा इनका पुनः संयोजन होता रहता है।

(v) AgNO3 + KCl → KNO3 + AgCl
उभय- अपघटन अभिक्रिया है, क्योंकि AgNO3 तथा KCI के धनात्मक तथा ऋणात्मक आयनों के विनिमय से नये अण बनते हैं।

(vi) HNO3 + NaOH → NaNO3 + H2O
उदासीनीकरण अभिक्रिया है क्योंकि अम्ल (HNO3) तथा क्षार (NaOH) की पारस्परिक अभिक्रिया से जल तथा लवण (NaNO3) बनते हैं।

(vii) 2CO + O2 → 2CO2
योगात्मक अभिक्रिया है जिसमें CO तथा O2 के संयोग से CO2 बनता है।

(viii) C2H5Br + NaOH → C2H5OH + NaBr
प्रतिस्थापन अभिक्रिया है जिसमें C2H5 Br अणु से Br का प्रतिस्थापन OH द्वारा होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 24
ऊष्मीय अपघटन है, क्योंकि ऊष्मा के प्रभाव से KNO3 का अपघटन होता है तथा KNO2 एवं O2 बनते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 25
ऊष्मीय वियोजन की अभिक्रिया है- क्योंकि ऊष्मा के प्रभाव से NH4Cl का अणु NH3 तथा HCl में विघटित होता है तथा ये परस्पर पुनः संयोजित होकर NH4Cl बनाते रहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश- प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. नौसादर को गर्म करने पर यह अमोनिया और हाइड्रोजन क्लोराइड में टूट जाता है, ठण्डे में दोनों के संयोग से नौसादर बन जाता है। यह अभिक्रिया है-
(a) ऊष्मीय वियोजन
(c) ऊष्मीय अपघटन
(b) विस्थापन
(d) अपघटन
उत्तर:
(a) ऊष्मीय वियोजन

2. तप्त निकिल चूर्ण की उपस्थिति में ऐसिटिलीन तथा हाइड्रोजन की अभिक्रिया कहलाती है-
(a) विस्थापन अभिक्रिया
(b) योगात्मक अभिक्रिया
(c) वियोजन अभिक्रिया
(d) अपघटन अभिक्रिया
उत्तर:
(b) योगात्मक अभिक्रिया

3. क्यूप्रिक सल्फेट के विलयन में जब लोहे का टुकड़ा डाला जाता है तो आयरन, कॉपर हटाकर फेरस सल्फेट बनाता है। यह अभिक्रिया है-
(a) प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(b) अपघटन अभिक्रिया
(c) योगात्मक अभिक्रिया
(d) वियोजन अभिक्रिया
उत्तर:
(a) प्रतिस्थापन अभिक्रिया

4. निम्नलिखित में ऊष्माशोषी अभिक्रिया है-
(a) H2 + Cl2 → 2HCl + 44.12 किलो कैलोरी
(b) S + O2 → SO2 + 71.0 किलो कैलोरी
(c) C + O2 → CO2 + 94.45 किलो कैलोरी
(d) H2 + I2 → 2Hl – 11.82 किलो कैलोरी
उत्तर:
(d) H2 + I2 → 2Hl – 11.82 किलो कैलोरी

5. निम्नलिखित में ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है-
(a) C + O2 → CO2 + 94.45 किलो कैलोरी
(b) H2 + I2 → 2HI – 11.82 किलो कैलोरी
(c) N2+ + O2 → 2NO – 43.2 किलो कैलोरी
(d) C + 2S → CS2 – 15.4 किलो कैलोरी
उत्तर:
(a) C + O2 → CO2 + 94.45 किलो कैलोरी

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

6. NH4Cl ⇌ NH4+ + Cl अभिक्रिया है-
(a) ऊष्मीय अपघटन
(b) आयनिक वियोजन
(c) ऊष्मीय वियोजन
(d) विद्युत् अपघटन
उत्तर:
(c) ऊष्मीय वियोजन

7. निम्नलिखित में योगात्मक अभिक्रिया है-
(a) Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2
(b) 2KBr + Cl2 → 2KCl + Br2
(c) 2H2 + O2 → 2H2O
(d) 2Hgo → 2Hg + O2
उत्तर:
(c) 2H2 + O2 → 2H2O

8. जिन अभिक्रियाओं में आयनों के विनिमय से नये यौगिक बनते हैं, उन्हें कहते हैं-
(a) प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(b) उभय अपघटन
(c) योगात्मक अभिक्रिया
(d) वियोजन
उत्तर:
(b) उभय अपघटन

9. निम्न अभिक्रिया में किस पदार्थ का अपचयन हुआ है?
3MnO2 + 4Al → 3Mn + 2AlO3
(a) MnO2
(b) Al
(c) AlO3
(d) Mn
उत्तर:
(a) MnO2

10. निम्न अभिक्रिया एक उदाहरण है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 26
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) वियोजन अभिक्रिया
(c) विस्थापन अभिक्रिया
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया
उत्तर:
(c) विस्थापन अभिक्रिया

11. अपघटन अभिक्रिया का उदाहरण है-
(a) 2KClO3 → 2KCl (s) + 3O2 (g)
(b) Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
(c) Mg + 2HCH → MgCl2+ H2
(d) CaO + H2O → Ca(OH)2
उत्तर:
(a) 2KClO3 → 2KCl (s) + 3O2 (g)

12. लेड (II) नाइट्रेट के घोल (विलयन) में पोटैशियम आयोडाइड का घोल मिलाने पर किस रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है?
(a) पीला
(c) लाल
(b) नीला
(d) भूरा
उत्तर:
(a) पीला

13. जब कॉपर सल्फेट के घोल में लोहे की कील या पत्ती डुबोई जाए तो विलयन (घोल) किस रंग का हो जाता है?
(a) नीला
(b) रंगहीन
(c) नाल
(d) हरा
उत्तर:
(d) हरा

14. लेड मल्फेट का रासायनिक सूत्र है-
(a) Pb2SO4
(b) Pb(SO4)2
(c) PbSO4
(d) Pb(SO4)3
उत्तर:
(c) PbSO4

15. निम्नलिखित में से कौन-से ऊष्माशोषी प्रक्रिया हैं?
(i) सल्फ्यूरिक अम्ल का तनुकरण
(ii) शुष्क बर्फ का ऊर्ध्वपातन (सबलिमेशन)
(iii) जनवाप्प का संघनन
(iv) जल का जलवाष्प में बदलना।
(a) (i) और (iii)
(c) केवल (iii)
(b) केवल (ii)
(d) (ii) और (iv)
उत्तर:
(d) (ii) और (iv)

16. दी गई अभिक्रिया, SO2 (g) + 2H2S (g) → 2H2O(g) + 3S(s), में अपचायक (Reducing agent) है-
(a) SO2
(b) H2O
(c) H2S
(d) S
उत्तर:
(c) H2S

17. मीथेन के दहन (Combustion) से प्राप्त होता है-
(a) CO2
(b) H2O
(c) CO2 और H2 O दोनों
(d) CO और H2O दोनों
उत्तर:
(c) CO2 और H2 O दोनों

18. सिल्वर ब्रोमाइड (AgBr) का वियोजन किस ऊर्जा के कारण होता है?
(a) ऊष्मा
(b) प्रकाश
(c) विद्युत
(d) पवन
उत्तर:
(b) प्रकाश

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

19. दीवारों पर सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद चमक आती है-
(a) क्योंकि CaO, H2O से अभिक्रिया कर CO2 बनाता है।
(b) क्योंकि Ca(OH)2, CO2 से अभिक्रिया कर CaCO3 बनाता है।
(c) क्योंकि Ca(OH)2, H2O से अभिक्रिया कर CaCO3 बनाता है।
(d) क्योंकि C, O2 से अभिक्रिया कर CO2 बनाता है।
उत्तर:
(b) क्योंकि Ca(OH)2, CO2 से अभिक्रिया कर CaCO3 बनाता है।

20. निम्नलिखित अभिक्रियाओं में से द्विविस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण हैं-
(i) Pb + CuCl2 → PbCl2 + Cu
(ii) Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2NaCl
(iii) C + O2 → CO2
(iv) CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O
(a) (i) और (iv)
(b) केवल (ii)
(c) (i) और (ii)
(d) (iii) और (iv)
उत्तर:
(b) केवल (ii)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ अभिक्रिया करके एक नया पदार्थ बनाते हैं, उसे …………… कहते हैं।
  2. ऐसी अभिक्रिया जिसमें एक पदार्थ विघटित होकर दो या दो से अधिक सरल पदार्थ बनाता है, …………… कहलाता है।
  3. जो पदार्थ गलित अवस्था में या विलयन में विद्युत-धारा का वहन करता है, …………… कहलाता है।
  4. जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा मुक्त होती है, वे अभिक्रियाएँ …………… कहलाती हैं।
  5. ऐसी अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक में उपस्थित एक तत्त्व दूसरे तत्त्व द्वारा विस्थापित होता है, …………… कहलाता है।

उत्तर:

  1. संयोजन अभिक्रिया
  2. विघटन अभिक्रिया
  3. विद्युत अपघट्य
  4. उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
  5. विस्थापन अभिक्रिया।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
8, 3, 7, 10, 5, 6, 14, 19, 21, 25 का परिसर है :
(A) 22
(B) 17
(C) 25
(D) 14
हल :
परिसर = आँकड़ो की उच्चतम सीमा – उनकी निम्नतम सीमा = 25 – 3 = 22
सही विकल्प (A) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 2.
आँकड़ों के आलेखीय निरूपण में चर प्रदर्शित किए जाते हैं।
(A) X- अक्ष पर
(B) Y-अक्ष पर
(C) क्रमश: दोनों अक्षों पर
(D) मूल बिन्दु पर
हल :
सही विकल्प (B) है।

प्रश्न 3.
किसी वर्ग के अन्तर को कहते हैं :
(A) वर्ग की चौड़ाई
(B) वर्ग की माप
(C) वर्ग-अन्तराल
(D) ये सभी
उत्तर :
सही विकल्प (D) है।

प्रश्न 4.
किसी समस्या के 10 पदों में सबसे अन्तिम पद की संचयी आवृत्ति 60 है। तो N का मान होगा :
(A) 10
(B) 6
(C) 600
(D) 60
हल :
अन्तिम पद की संचयी बारम्बारता = समस्त बारंबारताओं का योग (N) = 60
सही विकल्प (D) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 5.
आँकड़ों में दिए गए 1 – 10, 11 – 20 …….. वर्गों की सतत बनाने के लिए :
(A) निम्न सीमा में से 0.5 घटाएगें
(B) निम्न सीमा में 0.5 जोड़ेंगे
(C) निम्न सीमा में से 0.5 घटाएगें और उच्च सीमा में 0.5 जोड़ेगे,
(D) सतत बन ही नहीं सकता।
हल :
सही विकल्प (C) है।

प्रश्न 6.
आयत चित्र में आयतों की ऊँचाइयाँ उन वर्गों की :
(A) बारम्बारताओं के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं.
(B) बारम्बारताओं के समानुपाती होती हैं
(C) वर्ग-अन्तराल के समानुपाती होती हैं।
(D) वर्ग-अन्तराल के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं।
हल :
सही विकल्प (B) है।

प्रश्न 7.
असमान वर्ग-अन्तराल की स्थिति में आयत चित्र बनाने के लिए वर्ग की बारम्बारता को पुनः निर्धारित करने का सूत्र है :
पुनः निर्धारित बारम्बारता = ?
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 1
हल :
सही विकल्प (A) है।

प्रश्न 8.
वर्ग – चिह्न ज्ञात करने का सूत्र है :
(A) ऊपरी सीमा – निम्न सीमा / 2
(B) (ऊपरी सीमा ÷ निम्न सीमा) × बारम्बारता
(C) ऊपरी सीमा + निम्न सीमा / 2
(D) (ऊपरी सीमा + निम्न सीमा) ÷ बारम्बारता
हल :
सही विकल्प (C) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 9.
चार छात्रों के सांख्यिकी में प्राप्तांक 53, 75, 42, 70 हैं। उनके प्राप्तांकों का समान्तर माध्य है :
(A) 42
(B) 64
(C) 60
(D) 56.
हल :
समान्तर माध्य = प्राप्तांकों का योग / छात्रों की संख्या = \(\frac{53+75+42+70}{4}=\frac{240}{4}\) = 60
सही विकल्प (C) है।

प्रश्न 10.
यदि 5, 7, 9, x का समान्तर माध्य 9 हो, तो x का मान है :
(A) 11
(B) 15
(C) 18
(D) 16
हल :
समान्तर माध्य = आँकड़ों का योग / पदों की संख्या
9 = \(\frac{5+7+9+x}{4}=\frac{21+x}{4}\)
⇒ 9 × 4 = 21 + x
⇒ 36 = 21 + x
∴ x = 36 – 21 = 15
सही विकल्प (B) है।

प्रश्न 11.
बंटन 1, 3, 2, 5, 9 की माध्यिका है :
(A) 3
(B) 4
(C) 2
(D) 20.
हल :
सही विकल्प (A) है।
पदों को आरोही क्रम में रखने पर 1, 2, 3, 5, 9
यहाँ पदों की संख्या (N) = 5 है, जो कि विषम है।
अतः माध्यिका = (\(\frac{N+1}{2}\)) वें पद का मान = (\(\frac{5+1}{2}\)) वें पद का मान = (\(\frac {6}{2}\)) वें पद का मान
= 3 वें पद का मान = 3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 12.
बंटन 3, 5, 7, 4, 2, 1, 4, 3, 4 का बहुलक है :
(A) 7
(B) 4
(C) 3
(D) 1.
हल :
सही विकल्प (B) है।
ऊपर दी गई सारणी को देखने से स्पष्ट होता है कि 4 की बारम्बारता सबसे अधिक (3 बार) है। अतः इसका बहुलक 4 होगा । अतः सही विकल्प (B) है।

प्रश्न 13.
माध्य के अन्य नाम हैं :
(A) समान्तर माध्य
(B) औसत
(C) मध्यमान
(D) ये सभी
हल :
सही विकल्प (D) है।

प्रश्न 14.
प्रथम 7 विषम संख्याओं का माध्यक होगा :
(A) 7
(B) 8
(C) 9
(D) 5.
हल :
प्रथम 7 विषय संख्याएँ है: 1, 3, 5, 7, 8, 11, 13.
अत : माध्यक = \(\frac{N+1}{2}\) वाँ पद = 7.
सही विकल्प (A) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 15.
प्रथम 11 पूर्ण संख्याओं का माध्य होगा :
(A) 11
(B) 10
(C) 5
(D) 55.
हल :
प्रथम 11 सपूर्ण संख्याएँ हैं 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10
अतः \(\bar{x}\) = \(\frac{0+1+2+3+4+5+6+7+8+9+10}{11}\) = \(\frac {55}{11}\) = 5
सही विकल्प (C) है।

लघु एवं दीर्घ प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बारम्बारता बंटन का परिसर ज्ञात कीजिए : 2.7, 27, 2.8, 21, 2.4, 3.2, 3.1, 2.8, 3.2.
हल :
बारम्बारता का अधिकतम मान = 3.2
बारम्बारता का न्यूनतम मान = 2.1
∴ परिसर (परास) = अधिकतम मान – न्यूनतम मान = 3.2 – 2.1 = 1.1

प्रश्न 2.
प्राथमिक आँकड़े क्या हैं?
हल :
सांख्यिकीय अन्वेषक जिन आँकड़ों का स्वयं या अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा पहली बार संग्रहीत करता है, उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहते हैं।

प्रश्न 3.
गौण आँकड़े अर्थात् द्वितीयक आँकड़े क्या हैं?
हल :
वे आँकड़े जिनका पूर्व में अन्य किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा संकलन किया जा चुका हो, जो प्रकाशित या अप्रकाशित हो सकते हैं, ऐसे आँकड़ों को द्वितीयक आँकड़े कहते हैं ।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 4.
एक गाँव में जन्मे 30 बच्चों का भार (किग्रा में) निम्न प्रकार था :
3.4, 3.6, 3.0, 3.8, 3.6, 3.8, 2.9, 3.4, 2.9, 3.4, 3.0, 3.4, 3.2, 3.1, 3.2, 3.2, 3.1, 3.2, 3.4, 3.0, 3.1, 3.2,3.5, 3.7, 3.1, 3.0, 2.9, 3.0, 3.1, 3.2
उपर्युक्त को बारम्बारता बंटन सारणी में निरूपित कीजिए ।
हल :
बारम्बारता सारणी :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 2

प्रश्न 5.
निम्नलिखित असतत बारम्बारता बंटन सारणी को सतत बारम्बारता बंटन सारणी में बदलिए, जिसमें एक कक्षा के 38 विद्यार्थियों के भार दिये गये हैं और यह भी बताइए कि 35.5 किग्रा तथा 40.5 किग्रा के भार वाले विद्यार्थी किस वर्ग-अन्तराल में रखे जायेंग ?

भार (किग्रा में) विद्यार्थियों की संख्या
31-35
36-40
41-45
46-50
51-55
56 60
61-65
66-70
71-75
9
5
14
3
1
2
2
1
1
योग 38

हल :
वर्ग 31-35 और 36-40 से
वर्ग 36-40 की निम्न सीमा = 36
वर्ग 31-35 की ऊपरी सीमा = 35
न्यूनतम अन्तर (h) = 36 – 35 = 1
अन्तर का आधा (\(\frac {h}{2}\)) = \(\frac {1}{2}\) = 0.5
इस प्रकार प्रत्येक वर्ग की निम्न सीमा से 0.5 घटा कर और ऊपरी सीमा में 0.5 जोड़कर सतत वर्ग-अन्तराल बनाते हैं।

भार (किग्रा में) विद्यार्थियों की संख्या
30.5-35.5
35.5-40.5
40.5-45.5
45.5-50.5
50.5-55.5
55.5-60.5
60.5-65.5
65.5-70.5
70.5-75.5
9
5
14
3
1
2
21
1
योग 38

अतः 35.5 किग्रा भार को 35.5 – 40.5 वर्ग – अन्तराल में और 40.5 किग्रा भार को 40.5 – 45.5 वर्ग – अन्तराल में रखते हैं।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 6.
एक परिवार ने जिसकी मासिक आय ₹ 20,000 है। विभिन्न मदों के अन्तर्गत हर महीने होने वाले खर्च की योजना बनाई थी :

मद खर्च
ग्रासरी (परचून का समा)
किराया
बच्चों की शिक्षा
दवाइयाँ
ईंधन
मनोरंजन
विविध
4000
5000
5000
2000
2000
1000
1000

ऊपर दिये गये आँकड़ों का दण्ड आलेख बनाइए ।
हल :
दण्ड आलेख बनाने की विधि :
(i) पहले X- अक्ष और Y – अक्ष खींचते हैं।
(ii) X-अक्ष पर अचर (मद) को निरूपित करते हैं। दो मदों के मध्य समान दूरी रखी जाती है ।
माना पैमानाः 1 सेमी = 1 मद
(iii) Y-अक्ष चर (विभिन्न ) पर खर्च को निरूपित करते हैं। पैमाना : 1 सेमी = ₹ 1,000 ।
(iv) अब दिये गये आँकड़ों के अनुसार तथा दो क्रमागत आयताकार दण्डों के बीच 1 सेमी का खाली स्थान छोड़कर (समान चौड़ाई) आयताकार दण्ड प्रदर्शित करते हैं।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 3

प्रश्न 7.
निम्न बारम्बारता सारणी से आयत चित्र बनाइए :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 4
हल :
यहाँ बारम्बारता बंटन वर्गीकृत एवं सतत है। वर्ग अन्तराल भी समान हैं।
(i) X- अक्ष पर पैमाना : 1 सेमी = 5 इकाई मानकर वर्ग-अन्तराल को निरूपित करते हैं जो आयत की चौड़ाई को व्यक्त करता है।
(ii) Y – अक्ष पर पैमानाः 1 सेमी = 2 इकाई मानकर बारम्बारता को अंकित करते हैं जो आयत की ऊँचाई को निरूपित करता है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 5

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 8.
निम्न बारम्बारता बंटन के लिए बारम्बारता बहुभुज का निर्माण कीजिए :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 6
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 7
X – अक्ष पर पैमाना (1 सेमी = 5 इकाई) लेकर विचर अंकित किये और Y – अक्ष पर पैमाना (1 सेमी = 2 इकाई) लेकर बारम्बारता अंकित कीं ।
अब बिन्दु (5, 2), (10, 6), (15, 4), (20, 1), (25, 5) और (30, 2) अंकित किये। प्रथम विचर से पहले विचर का मान शून्य आता है। अब बिन्दु (5, 2) को बिन्दु (0, 0) से मिलाया । इसी प्रकार अन्तिम विचर से आगे वाला विचर 35 है। अतः अंतिम बिन्दु (30, 2) को बिन्दु (35, 0) से मिलाया ।
इस प्रकार प्राप्त लेखाचित्र दिए गए बारम्बारता बंटन के लिए बारम्बारता बहुभुज होगा ।

प्रश्न 9.
प्रथम दस विषम संख्याओं का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए ।
हल :
प्रथम दस विषम संख्याएँ क्रमशः 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19 हैं।
अतः समान्तर माध्य (\(\bar{x}\)) = \(\frac{1+3+5+7+9+11+13+15+17+19}{10}\) = \(\frac {100}{10}\) = 10

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 10.
एक विद्यालय के सहायक कर्मचारियों का मासिक वेतन (रुपयों में) 1,720, 1,750, 1,760 तथा 1,710 है, तो समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए ।
हल :
समान्तर माध्य = कर्मचारियों के मासिक वेतन का योग / कर्मचारियों की संख्या
= \(\frac{1,720+1,750+1,760+1,710}{4}\) = \(\frac {6940}{4}\) = ₹ 1735
अतः समान्तर माध्य = ₹ 1735

प्रश्न 11.
निम्नलिखित बंटन का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 8
हल : 

x f fx
0.1
0.2
0.3
0.4
0.5
0.6
30
60
20
40
10
50
3
12
6
16
5
30
Σf = 210 Σfx = 72

अतः समान्तर माध्य (\(\bar{x}\)) = \(\frac {Σfx}{Σf}\) = \(\frac {72}{210}\)
= 0.342.

प्रश्न 12.
निम्न आँकड़ों की माध्यिका ज्ञात कीजिए : 19, 25, 59, 48, 35, 31, 30, 32, 51.
हल :
दिये गये आँकड़ों को आरोही क्रम में रखने पर,
19, 25, 30, 31, 32, 35, 48, 51, 59
यहाँ कुल पद (n) = 9, जो कि विषम पद है।
अतः माध्यिका = (\(\frac{n+1}{2}\)) वाँ पद = (\(\frac{9+1}{2}\))वाँ पद
= (\(\frac {10}{2}\))वाँ पद = 5वाँ पद = 32
अतः माध्यिका 32।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 13.
आरोही क्रम में व्यवस्थित चर मान (x) निम्नानुसार हैं : 8 11 12 16 16 + x 20 25 30 यदि माध्यिका 18 हो, तो x का मान ज्ञात कीजिए ।
हल :
यहाँ कुल चरों की संख्या 8 है जो कि समसंख्या है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 9
⇒ 32 + x = 36 ⇒ x = 36 – 32 = 4
अतः x का मान = 4.

प्रश्न 14.
एक कक्षा के 20 छात्रों की आयु (वर्षों में) निम्न प्रकार है :
15 16 13 14 14 13 15 14 13 13 14 12 15 14 16 13 14 14 13 15
इन्हें बारम्बारता बंटन सारणी में व्यक्त कर बहुलक ज्ञात कीजिए ।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 10
सारणी से स्पष्ट है कि सबसे अधिक बारम्बारता 7, आयु 14 वर्ष की है।
अतः बहुलक 14 है।

प्रश्न 15.
कुछ विद्यार्थियों के प्राप्तांक नीचे दिये हुए हैं, प्राप्तांकों का बहुलक ज्ञात कीजिए :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 11
हल :
सारणी से स्पष्ट है कि 40 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या सर्वाधिक 26 है
अत: बहुलक 40 है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 16.
क्रिकेट के एक खिलाड़ी ने 10 पारियों में क्रमश: 60, 62, 56, 64, 0, 57, 33, 27, 9 और 71 रन बनाये । उनके इन पारियों के रनों का औसत ज्ञात कीजिए।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी - 12

प्रश्न 17.
यदि 3, 4, 8, 5, x, 3, 2, 1 अंकों का समान्तर माध्य 4 हो, तो x का मान ज्ञात कीजिए ।
हल :
समान्तर माध्य (\(\bar{x}\)) = पदों का योग / पदों की संख्या
4 = \(\frac{3+4+8+5+x+3+2+1}{8}\)
⇒ 4 × 8 = 26 + x
⇒ 32 = 26 + x
∴ x = 32 – 26 = 6
अत: x = 6.

प्रश्न 18.
यदि 6, 9, 5, 8, x, 4 अंकों का समान्तर माध्य 7 हो, तो x का मान ज्ञात कीजिए ।
हल :
चूँकि समान्तर माध्य (\(\bar{x}\)) = \(\frac{\Sigma x_i}{N}\)
\(\bar{x}\) = \(\frac{6+9+5+8+x+4}{6}\)
⇒ \(\bar{x}\) = \(\frac{32+x}{6}\) = 7 (∵ \(\bar{x}\) = 7)
⇒ 32 + x = 42
⇒ x = 42 – 32
∴ x = 10

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 14 सांख्यिकी

प्रश्न 19.
किसी बारम्बारता बंटन का समान्तर माध्य 18.50 है तथा Σf = 20, तो Σfx का मान ज्ञात कीजिए ।
हल :
हम जानते है कि,
\(\bar{x}\) = \(\frac {Σfx}{Σf}\)
⇒ समान्तर माध्य, 18.50 = \(\frac {Σfx}{20}\)
⇒ Σfx = 18.50 × 20
∴ Σfx = 370

प्रश्न 20.
किसी फुटबाल खिलाड़ी ने कुछ मैचों में 3 गोल प्रति मैच की औसत से 39 गोल किए। खिलाड़ी द्वारा खेले गए मैचों की संख्या बताइए।
हल :
औसत \(\bar{x}\) = 8 तथा कुल गोल Σx = 39.
∴ \(\bar{x}\) = \(\frac {Σfx}{N}\)
⇒ 3 = \(\frac {39}{N}\)
⇒ 3 × N = 39
⇒ N = \(\frac {39}{N}\) = 13