JAC Class 9 Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना

Jharkhand Board Class 9 Science परमाणु की संरचना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूटॉन के गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 1

प्रश्न 2.
जे. जे. टॉमसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ थीं?
उत्तर:
जे. जे. टॉमसन ने परमाणु का एक मॉडल दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉन परमाणु के पूरे आयतन में एक समान रूप से वितरित रहते हैं। जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गय है। यह माना गया कि परमाणु का द्रव्यमान समान रूप से वितरित रहता है। यह स्थापित किया गया कि परमाणु का आकार 10-10 या 1Å होता है।
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जे. जे टामसन का परमाणु मॉडल दूसरे वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये परिणामों को नहीं समझा सका।

प्रश्न 3.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
मैक्सवेल के विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त के अनुसार रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल दोषपूर्ण पाया गया। इस सिद्धान्त के अनुसार गति करता हुआ विद्युत आवेशित कण निरन्तर विद्युत चुम्बकीय तरंगें विकरित करेगा, जिससे उसकी ऊर्जा में कमी होगी। अतः ऊर्जा में इस प्रकार की कमी होने
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के कारण इलेक्ट्रॉन की गति कम होती जायेगी, जिससे उसकी कक्षाएँ छोटी होती जायेंगी और अन्त में इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर जायेगा (चित्र)। इसका अभिप्राय यह होगा कि परमाणु एक अस्थायी यन्त्र है। इसका समाधान रदरफोर्ड के मॉडल द्वारा नहीं किया जा सका।

प्रश्न 4.
बोर के परमाणु मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियों को दूर करने के लिए बोर ने सन् 1931 में क्वाण्टम सिद्धान्त पर आधारित नया परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया। इसके अनुसार-

  • परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित एवं स्थायी वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।
  • प्रत्येक कक्षा में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा निश्चित होती है। इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर (Energy Levels) भी कहते हैं।
  • इन कक्षाओं में चक्रण करता हुआ इलेक्ट्रॉन न तो ऊर्जा का अवशोषण करता है और न उत्सर्जन।
  • ऊर्जा का अवशोषण करने पर इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में तथा ऊर्जा का उत्सर्जन करने पर इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा से निम्न ऊर्जा स्तर में संक्रमित हो जाता है। इन कक्षाओं को 1, 2, 3, 4 या K, L, M, N से प्रदर्शित करते हैं।
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प्रश्न 5.
इस अध्याय में दिए गए सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर:

टॉमसन का परमाणु मॉडल रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल बोर का परमाणु मॉडल
(a) धन आवेश (प्रोटॉन) परमाणु के अन्दर धनावेशित क्षेत्र होता है। धनावेश परमाणु के केन्द्र में इकट्ठा होता है। यह भारी, धनावेशित केन्द्र नाभिक कहलाता है। धनावेश परमाणु के केन्द्र में स्थित नाभिक में इकट्ठा होता है।
(b) ऋण आवेश (इलेक्ट्रॉन) परमाणु के धनावेशित क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन यहाँ-वहाँ बिखरे होते हैं। नाभिक को इलेक्ट्रॉन घेरे रहते हैं। नाभिक और इलेक्ट्रॉन, स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा अपनी-अपनी जगह टिके होते हैं। इलेक्ट्रॉन, नाभिक के आस-पास घूमते हैं। प्रत्येक की कक्षा एवं ऊर्जा स्तर भी होता है।

प्रश्न 6.
पहले अठारह तत्वों के विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉन वितरण के नियम को लिखिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन वितरण का बोर एवं बरी नियम निम्नलिखित हैं-
(1) किसी कक्ष में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n² हो सकती है। जबकि n इलेक्ट्रॉन की कक्ष संख्या है।
प्रथम कक्ष में इलेक्ट्रॉन = 2n² = 2 x (1)² = 2
द्वितीय कक्ष में इलेक्ट्रॉन = 2 x (2)² = 2 x 4 = 8
तृतीय कक्ष में इलेक्ट्रॉन = 2 × (3)² = 2 × 9 = 18

(2) बाह्यतम कक्षा में अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं। और उससे पहले वाले कक्ष में आधे।

(3) किसी परमाणु के दिए गए कोश में इलेक्ट्रॉन तब तक स्थान नहीं लेते हैं। जब तक कि उससे पहले वाले भीतरी कक्ष पूर्ण रूप से भर नहीं जाते। स्पष्ट होता है कि कक्षाएँ क्रमानुसार भरती हैं।

प्रश्न 7.
सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कोई परमाणु बाह्यतम कोश को पूर्ण करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन लेता है या देता है, वही उसकी संयोजकता कहलाती है।
क्योंकि यह दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकता है।
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क्योंकि यह दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकता है।

प्रश्न 8.
उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए-परमाणु संख्या, द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक समस्थानिकों के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
परमाणु संख्या-किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या को उसकी परमाणु संख्या कहते हैं। जैसे-हाइड्रोजन की परमाणु संख्या 1 क्योंकि इसके नाभिक में 1 प्रोटॉन होता है। कार्बन की परमाणु संख्या 6 है क्योंकि इसके नाभिक में 6 प्रोटॉन होते हैं।

द्रव्यमान संख्या-किसी तत्व के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की कुल संख्या द्रव्यमान संख्या कहलाती है। जैसे-कार्बन की द्रव्यमान संख्या 12 है क्योंकि कार्बन के नाभिक में 6 प्रोटॉन और 6 न्यूट्रॉन होते हैं। ऐलुमिनियम की द्रव्यमान संख्या 27 है क्योंकि इसके नाभिक में 13 प्रोटॉन और 14 न्यूट्रॉन होते हैं।

समस्थानिक- किसी तत्व के ऐसे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है किन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है वे उस तत्व के समस्थानिक कहलाते हैं। जैसे-
क्लोरीन के दो समस्थानिक हैं।
क्लोरीन \({ }_{17}^{35} \mathrm{Cl}\)
क्लोरीन \({ }_{17}^{37} \mathrm{Cl}\)
समभारिक – तत्वों के ऐसे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है किन्तु परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है, समभारिक कहलाते हैं जैसे कैल्शियम की परमाणु संख्या 20 तथा आर्गन की परमाणु
संख्या 18 है परन्तु दोनों के परमाणु द्रव्यमान समान (40) हैं।

समस्थानिकों के उपयोग:

  • कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक (Co-60) का प्रयोग किया जाता है।
  • घेंघा रोग के उपचार में 1-131 समस्थानिक का प्रयोग किया जाता है।

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प्रश्न 9.
Na के पूरी तरह से भरे हुए K व L कोश होते हैं- व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सोडियम (Na) का परमाणु क्रमांक 11 है; अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है। M-कोश के इलेक्ट्रॉन निकल जाने के उपरान्त सोडियम आयन (Na+) प्राप्त होता है जिसके K कोश में 2 तथा L कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा M- कोश विलुप्त हो जाता है। शेष दोनों कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, इन कोशों में होने वाले इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या के बराबर है अर्थात् K तथा L कोश पूर्णतः भरे हुए हैं।

प्रश्न 10.
अगर ब्रोमीन परमाणु दो समस्थानिकों [ \({ }_{35} \mathbf{B r}^{79}\) (49.7%) तथा \({ }_{35} \mathrm{B} r^{81}\) (50.3%)] के रूप में है तो ब्रोमीन परमाणु के औसत परमाणु द्रव्यमान की गणना कीजिए ।
हल:
ब्रोमीन परमाणु का औसत परमाणु द्रव्यमान
= \(\left(79 \times \frac{49.7}{100}+81 \times \frac{50.3}{100}\right)\)
= 39.263 + 40.743
= 80.006 u

प्रश्न 11.
एक तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान 16.2u है तो इसके किसी एक नमूने में समस्थानिक \({ }_8 X^{16}\) और \({ }_8 X^{18}\) का प्रतिशत क्या होगा?
है।
होगी।
उत्तर:
माना नमूने में \({ }_8 X^{16}\) समस्थानिक की प्रतिशतता a है।
अत: \({ }_8 X^{18}\) समस्थानिक की प्रतिशतता (100-a)
अब
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अतः नमूने में, \({ }_8 \mathrm{X}^{16}\) की प्रतिशतता 90% तथा \({ }_8 \mathrm{X}^{16}\) की
प्रतिशतता 10% होगीं।

प्रश्न 12.
यदि तत्व का Z = 3 हो तो तत्व की संयोजकता क्या होगी? तत्व का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
Z = 3 वाले तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 1 होगा अर्थात् स्थायी विन्यास प्राप्त करने के लिए यह अपने बाह्यतम कोश में स्थित एक इलेक्ट्रॉन को त्याग सकता है। अतः इसकी संयोजकता 1 होगी तत्व का नाम लीथियम (Li) है।

प्रश्न 13.
दो परमाणु स्पीशीज के केन्द्रकों का संघटन नीचे दिया गया है-

X Y
प्रोटॉन 6 6
न्यूट्रॉन 6 8

X और Y की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए। इन दोनों स्पीशीज में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
X की द्रव्यमान संख्या = 6 + 6 + 12
Y की द्रव्यमान संख्या = 6 + 8 = 14
X का परमाणु क्रमांक 6 = Y का परमाणु क्रमांक चूँकि दोनों परमाणु स्पीशीज की परमाणु संख्या समान तथा द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न है; अतः ये समस्थानिक होंगे। X तथा Y दोनों कार्बन के समस्थानिक \({ }_6 \mathrm{C}^{12}\) तथा \({ }_6 \mathrm{C}^{14}\) हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित वक्तव्यों में गलत के लिए- F और सही के लिए T लिखें।
(a) जे. जे. टामसन ने यह प्रस्तावित किया था कि परमाणु के केन्द्रक में केवल न्यूक्लीयॉन्स होते हैं।
(b) एक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं, इसलिए यह अनावेशित होता है।
(c) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग \(\frac { 1 }{ 2000 }\) गुणा होता है।
(d) आयोडीन के समस्थानिक का इस्तेमाल टिंक्चर आयोडीन बनाने में होता है। इसका उपयोग दवा के रूप में होता है।
उत्तर:
(a) F
(b) F
(c) T
(d) F
प्रश्न संख्या 15, 16 और 17 में सही के सामने (✓) का चिह्न और गलत के सामने (x) का चिह्न लगाइए।

प्रश्न 15.
रदरफोर्ड का अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग किसकी खोज के लिए उत्तरदायी था ?
(a) परमाणु केन्द्रक
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन।
उत्तर:
(a) (✓)
(b) (✗)
(c) (✗)
(d) (✗)।

प्रश्न 16.
एक तत्व के समस्थानिक में होते हैं-
(a) समान भौतिक गुण
(b) भिन्न रासायनिक गुण
(c) न्यूट्रॉनों की अलग-अलग संख्या
(d) भिन्न परमाणु संख्या ।
उत्तर:
(a) (✗)
(b) (✗)
(c) (✓)
(d) (✗)।

प्रश्न 17.
Cl आयन में संयोजकता- इलेक्ट्रॉनों की संख्या है-
(a) 16
(b) 8
(c) 17
(d) 18
उत्तर:
(a) (✗)
(b) (✓)
(c) (✗)
(d) (✗)।

प्रश्न 18.
सोडियम का सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न में कौन सा है?
(a) 2,8
(b) 8, 2, 1
(c) 2, 1, 8
(d) 2, 8, 1
उत्तर:
(d) 2, 8, 1.

प्रश्न 19.
निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए-
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उत्तर:
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क्रियाकलाप 1.
(A) सूखे बालों पर कंघी करने के बाद क्या कंघी कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है?
(B) काँच की एक छड़ को रेशम के कपड़े पर रगड़कर इस छड़ को हवा से भरे गुब्बारे के पास लाइए और होने वाले परिणामों को देखिए।
निष्कर्ष-
(A) सूखे बालों पर कंत्री करने से कंघी आवेशित हो जाती है जिससे कागज के छोटे-छोटे टुकड़े उससे चिपक जाते हैं।
(B) काँच की एक छड़ को रेशम के कपड़े पर रगड़ने से छड़ आवेशित हो जाती है जब हम इस छड़ को हवा से भरे गुब्बारे के पास लाते हैं तो हवा से भरा गुब्बारा छड़ के साथ चिपक जाता है।

इससे यह पता चला कि परमाणु विभाज्य है और आवेशित कणों से मिलकर बना है। परमाणु में उपस्थित आवेशित कर्णों का पता लगाने में कई वैज्ञानिकों ने योगदान दिया। जे. जे. टॉमसन ने बताया कि परमाणु में एक अवपरमाणुक कण इलेक्ट्रॉन विद्यमान होता है। गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण की खोज की जिसका नाम कैनाल किरणें रखा। ये किरणें धनावेशित विकिरण थीं, जिसके द्वारा अन्य अवपरमाणुक कणों की खोज हुई। नए कण का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का लगभग 2000 गुना अधिक होता है, इसे प्रोटॉन नाम दिया गया। इलेक्ट्रॉन को द्वारा तथा प्रोटॉन को द्वारा दर्शाया जाता है। प्रोटॉन का द्रव्यमान 1 इकाई तथा आवेश +1 लिया जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान नगण्य और आवेश 1 माना जाता है।

ऐसा माना गया कि परमाणु प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने होते हैं तो परस्पर आवेशों को संतुलित करते हैं। यह भी प्रतीत हुआ कि प्रोटॉन परमाणु के सबसे भीतरी भाग में होते हैं। इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है लेकिन प्रोटॉनों को नहीं।

खंड 4.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. – 53 )

प्रश्न 1.
कैनाल किरणें क्या हैं?
उत्तर:
र- इलेक्ट्रॉन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होने के पहले, ई. गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण की खोज की, जिसे उन्होंने ‘कैनाल किरणें नाम दिया। ये किरणें धनावेशित विकिरण थीं, जिसके द्वारा अन्तत: दूसरे अवपरमाणुक कण की खोज हुई।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना

प्रश्न 2.
यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन है, तो इसमें कोई आवेश होगा या नहीं?
उत्तर:
चूँकि एक इलेक्ट्रान और एक प्रोटॉन पर आवेश बराबर होता है, इसलिए एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन पर आवेश नहीं होगा। दूसरे शब्दों में यह एक उदासीन परमाणु वाली स्थिति है।

खंड 4.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पू. सं. – 56)

प्रश्न 1.
परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को टॉमसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • टॉमसन के मॉडल के अनुसार परमाणु एक धनात्मक क्षेत्र से बना है, जिसमें ऋणात्मक कण अर्थात् इलेक्ट्रॉन इधर-उधर बिखरे हैं।
  • परमाणु के धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे को सन्तुलित कर देते हैं। इसलिए परमाणु उदासीन होता है।

प्रश्न 2.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में कौन-सा अवपरमाणुक कण विद्यमान है?
उत्तर:
परमाणु के नाभिक में धनावेशित कण (प्रोटॉन) होता है।

प्रश्न 3.
तीन कक्षाओं वाले बोर परमाणु मॉडल का चित्र बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
क्या अल्फा कणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु की पन्नी से सम्भव होगा ?
उत्तर:
सोने की अत्यन्त महीन पन्नी ( लगभग 1000 परमाणुओं के बराबर मोटी) प्राप्त करना सम्भव होता है, जो प्रकीर्णन प्रयोग के लिए आवश्यक है। किसी अन्य धातु की इतनी महीन पन्नी प्राप्त करना सम्भव नहीं है। अतः प्रकीर्णन प्रयोग में सोने के अतिरिक्त किसी अन्य धातु की पन्नी का प्रयोग सम्भव नहीं है।

खंड 4.2.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं.-56)

प्रश्न 1.
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन हैं।

प्रश्न 2.
हीलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4u है और उसके नाभिक में दो प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्यूट्रॉन होंगे?
उत्तर:
न्यूट्रॉनों की संख्या = परमाणु द्रव्यमान – प्रोटॉनों की संख्या
= 4 – 2 = 2

खण्ड 4. 3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. -57)

प्रश्न 1.
कार्बन तथा सोडियम के परमाणुओं के लिए इलेक्ट्रॉन वितरण लिखिए।
उत्तर:
कार्बन का परमाणु क्रमांक = 6
इलेक्ट्रॉन वितरण = 2, 4
सोडियम का परमाणु क्रमांक = 11
इलेक्ट्रॉन वितरण = 2, 8, 1

प्रश्न 2.
अगर किसी परमाणु का K और L कोश भरा है तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होगी ?
उत्तर:
K कोश (n = 1) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 (1)2 = 2
L कोश (n = 2) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 (2)2 = 8
अत: परमाणु में 2 + 8 = 10 इलेक्ट्रॉन होंगे

खण्ड 4.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. प. प. सं. -58)

प्रश्न 1.
क्लोरीन, सल्फर और मैग्नीशियम की परमाणु संख्या से आप इनकी संयोजकता कैसे प्राप्त करेंगे ?
उत्तर:
क्लोरीन (Z = 17 ) – इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है। स्पष्ट है कि क्लोरीन परमाणु को अपना अष्टक अर्थात् बाह्यतम कोश को पूर्ण भरने के लिए केवल एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है; अतः इसकी संयोजकता है।

सल्फर (Z = 16 ) – इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8.6 है। स्पष्ट है कि सल्फर परमाणु को अपना बाह्यतम कोश पूर्ण करने के लिए 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है; अतः इसकी संयोजकता 2 है।

मैग्नीशियम (Z = 12 ) – इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है। स्पष्ट है कि मैग्नीशियम परमाणु के बाह्यतम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन हैं तथा स्थायी विन्यास प्राप्त करने के लिए यह इन इलेक्ट्रॉनों को त्याग सकता है। अतः इसकी संयोजकता 2 है।

खण्ड 4.5 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. प. प. सं. -59)

प्रश्न 1.
यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है और प्रोटॉनों की संख्या भी 8 है तब,
(a) परमाणु की परमाणुक संख्या क्या है?
(b) परमाणु का क्या आवेश है?
उत्तर:
(a) परमाणु की परमाणु संख्या परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या = 8
(b) चूँकि परमाणुक में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्या समान है; अत: इस पर कोई आवेश नहीं होगा अर्थात् परमाणु विद्युत उदासीन होगा।

प्रश्न 2.
सारणी 4.3 की सहायता से ऑक्सीजन और सल्फर परमाणु की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सारणी 4.3 के अनुसार
ऑक्सीजन परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या = 8
तथा ऑक्सीजन परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = 8
अब द्रव्यमान संख्या प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
द्रव्यमान संख्या = 8 + 8 =16
सल्फर परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या = 16
तथा सल्फर परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = 16
अतः द्रव्यमान संख्या 16 + 16 = 32

खण्ड 4.6 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. प. प. सं. -60)

प्रश्न 1.
समस्थानिक और समभारिक के किसी एक युग्म का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
समस्थानिक – 6C12 तथा 6C14
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 4
समभारिक – 20C40 तथा 18A40
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, 20Ca40 : 2, 8, 8, 2
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 18A40 : 2, 8, 8

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प्रश्न 2.
चिह्न H, D और T के लिए प्रत्येक में पाए जाने वाले तीन अवपरमाणुक कणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:

समस्थानिक तीन अवपरमाणुक कण
इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन
H 1 1 0
D 1 1 1
T 1 1 2

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

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Jharkhand Board Class 9 Science बल तथा गति के नियम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोई वस्तु शून्य बाह्य असन्तुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशून्य वेग से गति करना सम्भव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख कीजिए। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, सम्भव है। वास्तव में गति की अवस्था में परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है न कि एकसमान गति की अवस्था को बनाए रखने के लिए। अतः यदि कोई वस्तु पहले से गतिमान है तो वह बाह्य असन्तुलित बल की अनुपस्थिति में भी एकसमान गति की अवस्था को बनाए रखेगी। इस स्थिति में वस्तु के वेग का परिमाण तथा गति की दिशा दोनों नियत रहेंगे।

प्रश्न 2.
जब किसी छड़ी से एक दरी (कार्पेट) को पीटा जाता है तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दरी (कार्पेट) को छड़ी से पीटने पर धूल के कण निकल आते हैं- इसका कारण यह है कि छड़ी से पीटने पर दरी (कार्पेट) के कण तो गति की अवस्था में आ जाते हैं, परन्तु विराम जड़त्व के कारण धूल के कण विराम में ही बने रहते हैं और दरी (कार्पेट) के कणों से अलग होकर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 3.
बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?
उत्तर:
जब चलती हुई गाड़ी में अचानक ब्रेक लगाए जाते हैं अथवा एकाएक उसे मोड़ा जाता है तो गति जड़त्व के कारण गाड़ी की छत पर रखा सामान उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहने का प्रयास करता है। ऐसे में यदि सामान को बाँधा नहीं गया है तो वह छत से नीचे गिर सकता है, इससे सामान के टूटने की सम्भावना रहती है। अतः बस की छत पर रखे सामान को बाँधकर रखा जाता है।

प्रश्न 4.
किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात् गेंद रुक जाती है। गेंद रुकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि-
(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
(d) गेंद पर कोई असन्तुलित बल कार्यरत नहीं है; अतः गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है। (सही विकल्प का चयन कीजिए।)
उत्तर:
(c) गेंद पर गति की दिशा में विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

प्रश्न 5.
एक ट्रक विरामावस्था से किसी पहाड़ी से नीचे की ओर नियत त्वरण से लुढ़कना शुरू करता है। यह 20 सेकण्ड में 400 मीटर की दूरी तय करता है। इसका त्वरण ज्ञात कीजिए। अगर इसका द्रव्यमान 7 टन है तो इस पर लगने वाले बल की गणना कीजिए। (1 टन = 1000 किग्रा)
हल:
प्रश्नानुसार दूरी (s) = 400 मीटर,
प्रारम्भिक वेग (u) = 0 मीटर / सेकण्ड,
समय (t) = 20 सेकण्ड, त्वरण (a) = ?
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² से
400 = (0 × 20) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) a × (20)²
अथवा 400 = 200 a
अतः ट्रक का त्वरण (a) = \(\frac { 400 }{ 200 }\) = 2 मीटर/सेकण्ड²।
दिया है त्वरण (a) = 2 मीटर / सेकण्ड², द्रव्यमान (m) = 7 टन 7000 किग्रा, बल (F) = ?
सूत्र
F = m x a से,
बल (F) = 7000 किग्रा x 2 मीटर/सेकण्डर
= 14,000 किग्रा मीटर/सेकण्डर
= 14,000 न्यूटन
अतः ट्रक पर लगा बल = 14,000 न्यूटन।

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प्रश्न 6.
1 किग्रा द्रव्यमान के एक पत्थर को 20 मीटर / सेकण्ड के वेग से झील की जमी हुई सतह पर फेंका जाता है। पत्थर 50 मीटर की दूरी तय करने के बाद रुक जाता है। पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल की गणना कीजिए।
हल
दिया है द्रव्यमान m = 1 किग्रा, 4 = 20 मीटर / सेकण्ड s = 50 मीटर, v = 0 मीटर / सेकण्ड, बल F = ?
सूत्र,
v² – u² = 2as से,
0² – (20)² = 2a × 50
या a = – \(\frac{20 \times 20}{2 \times 50}\)
= – 4 मीटर / सेकण्डर
ऋणात्मक चिह्न मन्दन को प्रदर्शित करता है।
अत: पत्थर का मन्दन 4 मीटर / सेकण्ड है।
अब सूत्र F = m xa से,
बर्फ द्वारा पत्थर पर लगाया गया बल
F = 1 किग्रा x 4 मीटर / सेकण्ड² = 4 न्यूटन
अतः बर्फ तथा पत्थर के बीच 4 न्यूटन का बल लगता है।

प्रश्न 7.
एक 8,000 किग्रा द्रव्यमान का रेल इंजन प्रति 2,000 किग्रा द्रव्यमान वाले पाँच डिब्बों को सीधी पटरी पर खींचता है। यदि इंजन 40,000 न्यूटन का बल आरोपित करता है तथा पटरी 5,000 न्यूटन का घर्षण बल लगाती हो तो ज्ञात कीजिए-
(a) नेट त्वरण बल
(b) रेल का त्वरण
हल:
दिया है इंजन द्वारा लगाया गया बल = 40,000 न्यूटन,
इंजन का द्रव्यमान = 8,000 किग्रा,
पटरी द्वारा लगाया गया घर्षण बल = 5,000 न्यूटन,
प्रत्येक डिब्बे का द्रव्यमान = 2,000 किग्रा।
(a) ∵ घर्षण बल एक अवरोधी बल है,
∴ रेलगाड़ी पर नेट त्वरण बल = इंजन का बल – पटरी का घर्षण बल
= 40,000 – 5,000- 35,000 न्यूटन।

(b) पाँच डिब्बों का कुल द्रव्यमान
m = 5 × 2000 = 10,000 किग्रा
जबकि डिब्बों पर नेट त्वरण बल
F = 35,000 न्यूटन
∴ सूत्र F = ma से,
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 9

प्रश्न 8.
एक गाड़ी का द्रव्यमान 1,500 किग्रा है। यदि गाड़ी को 1.7 मीटर / सेकण्ड के ऋणात्मक त्वरण (अव- मन्दन) के साथ विरामावस्था में लाना है तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल कितना होगा?
हल:
दिया है गाड़ी का द्रव्यमान m= 1,500 किग्रा, मन्दन a = 1.7 मीटर/सेकण्डर²
माना कि गाड़ी व सड़क के बीच लगा बल = F
तब यही बल गाड़ी में मन्दन उत्पन्न करेगा; अतः
सूत्र F = m x a से,
बल F = 1,500 किग्रा 1.7 मीटर/सेकण्डर²
= 2,550 न्यूटन।

प्रश्न 9.
किसी द्रव्यमान की वस्तु, जिसका वेग है, का संवेग क्या होगा?
(a) (mv)²
(b) mv²
(c) \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv²
(d) mv
(उपर्युक्त में से सही विकल्प चुनिए)
उत्तर:
(d) mv.

प्रश्न 10.
हम एक लकड़ी के बक्से को 200 न्यूटन बल लगाकर उसे नियत वेग से फर्श पर धकेलते हैं। बक्से पर लगने वाला घर्षण बल क्या होगा?
हल:
बक्से पर लगाया गया बल F1 = 200 न्यूटन
माना बक्से पर लगा घर्षण बल तब बक्से पर लगा नेट बल = F2 न्यूटन
= F1 – F2 = (200 – F2) न्यूटन
∵ बक्सा नियत वेग से गतिमान है; अतः बक्से पर नेट असन्तुलित बल शून्य होगा।
अत: नेट बल = (200 – F2) = 0
F2 = 200 न्यूटन
अतः बक्से पर लगा घर्षण बल 200 न्यूटन है।

प्रश्न 11.
दो वस्तुएँ, प्रत्येक का द्रव्यमान 1-5 किग्रा है, एक ही सीधी रेखा में एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गति कर रही हैं। टकराने के पहले प्रत्येक का वेग 2.5 मीटर / सेकण्ड है। टकराने के बाद यदि दोनों एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं, तब उनका सम्मिलित वेग क्या होगा?
हल:
दिया है वस्तुओं के द्रव्यमान m1 = m2 = 1.5 किग्रा
टकराने से पहले इनके वेग u1 = 2.5 मीटर / सेकण्ड
u2 = 22.5 मीटर / सेकण्ड
(ऋण चिह्न विपरीत दिशा के कारण लिया है।)
माना कि टक्कर के बाद दोनों का सम्मिलित वेग v हो जाता है।
दोनों के जुड़ जाने से बनी नई वस्तु का द्रव्यमान (m1 + m2) होगा।
तब टक्कर के पहले दोनों का कुल संवेग
= m1u2 + m2u2
= 1.5 x 2.5 + 15 x (-2.5)
= 3.75 – 3.75 = 0
तथा टक्कर के बाद दोनों का कुल संवेग
= (m1 + m2)v = (1·5 + 1.5) v = 3v
संवेग संरक्षण के नियम से,
टक्कर के बाद कुल संवेग = टक्कर के पहले कुल संवेग
अर्थात्
3v = 0
∴ v = 0
अतः टक्कर के बाद दोनों वस्तुओं का सम्मिलित वेग शून्य होगा अर्थात् वे विरामावस्था में आ जाएँगी।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

प्रश्न 12.
गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें भी विपरीत दिशा में धक्का देती है। यदि वह वस्तु एक ट्रक है जो सड़क के किनारे खड़ा है; सम्भवतः हमारे द्वारा बल आरोपित करने पर गतिशील नहीं हो पाएगा एक विद्यार्थी इसे सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दीजिए और बताइए कि ट्रक गतिशील क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर:
विद्यार्थी का तर्क गलत है, यह सही है कि क्रिया तथा प्रतिक्रिया के बल विपरीत एवं बराबर होते हैं, परन्तु ये बल कभी भी एक ही वस्तु पर कार्य नहीं करते। जैसे कि उपर्युक्त उदाहरण में, हमारे द्वारा आरोपित बल ट्रक पर लगेगा, जबकि ट्रक का प्रतिक्रिया बल हम पर लगेगा। ट्रक के गतिमान होने का सम्बन्ध केवल ट्रक पर लगने वाले बल से है न कि हमारे द्वारा लगे प्रतिक्रिया बल से अतः क्रिया-प्रतिक्रिया के बलों के निरस्त होने का यहाँ कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

हमारे द्वारा ट्रक पर बल आरोपित किए जाने पर भी ट्रक गतिशील नहीं हो पाता, इसका कारण यह है कि ट्रक पर इस बल के अतिरिक्त पृथ्वी द्वारा आरोपित घर्षण बल भी लगा है। जो कि हमारे द्वारा आरोपित बल को सन्तुलित कर देता है।

प्रश्न 13.
200 ग्राम द्रव्यमान की हॉकी की एक गेंद 10 ms-1 से गति कर रही है। यह एक हॉकी स्टिक से इस प्रकार टकराती है कि यह 5ms-1 के वेग से अपने प्रारंभिक मार्ग पर वापस लौटती है। हॉकी स्टिक द्वारा आरोपित बल द्वारा हॉकी की गेंद में आये संवेग परिवर्तन के परिमाप का परिकलन कीजिए।
हल:
दिया है गेंद का द्रव्यमान m = 200 g = 0.2kg
गेंद का प्रारम्भिक वेग, u1 = 10 m/s
गेंद का प्रारंभिक संवेग = mu1 = 0.2 x 10 = 2 kg m/s
गेंद का अंतिम वेग, u2 = – 5 ms-1
गेंद का अंतिम संवेग = mu2 x 0.2 x – 5 = – 1 kg m/s
संवेग परिवर्तन = 1 Ns – 2Ns = – 3 kg m/s

प्रश्न 14.
10 ग्राम द्रव्यमान की एक गोली सीधी रेखा में 150 मीटर / सेकण्ड के वेग से चलकर एक लकड़ी के गुटके से टकराती है और 0-03 सेकण्ड के बाद रुक जाती है। गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी? लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाए गए बल के परिमाण की गणना कीजिए।
हल:
दिया है गोली का द्रव्यमान
m = 10 ग्राम
= \(\frac { 10 }{ 1000 }\)
= 0.01
किग्रा, वेग u = 150 मीटर / सेकण्ड
समय t = 0.03 सेकण्ड, वेग v = 0 मीटर/सेकण्ड s = ?
गोली का त्वरण a = \(\frac { v-u }{ t }\)
= \(\frac { 0-150 }{ 0.03 }\)
= – \(\frac { 150 }{ 0.03 }\)
= – 5000 मीटर / सेकण्ड²
ऋणात्मक चिह्न मन्दन को प्रदर्शित करता है।
अब दूरी s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at²
s = 150 × 0.03 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) (- 5000) x (0.03)²
= 4.5 – 2500 – 0.0009
= 4.5 – 2.25
= 2.25
अतः गोली लकड़ी को 2.25 मीटर दूरी तक भेदेगी।
पुन: सूत्र F = ma से,
लकड़ी द्वारा गोली पर लगाया गया बल
F = 0.01× 5000 = 50 न्यूटन।

प्रश्न 15.
एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 1 किग्रा है, 10 मीटर / सेकण्ड के वेग से एक सीधी रेखा में चलते हुए विरामावस्था में रखे 5 किग्रा द्रव्यमान के एक लकड़ी के गुटके से टकराती है। उसके बाद दोनों साथ-साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं संघट्ट के पहले तथा बाद के कुल संवेगों की गणना कीजिए आपस में जुड़े हुए संयोजन के वेग की भी गणना कीजिए।
हल:
वस्तु का द्रव्यमान m1 = 1 किग्रा, वेग u1 = 10 मीटर/सेकण्ड
गुटके का द्रव्यमान m2 = 5 किग्रा, वेग u2 = 0 (विरामावस्था)
माना संघट्ट के बाद संयुक्त पिण्ड (m1 + m2), वेग v से
गति करता है,
तब संघट्ट के पहले का कुल संवेग
= m1 u1 + m2u2
= 1 × 10 + 5 × 0
= 10 किग्रा मीटर / सेकण्ड
संघट्ट के बाद, संयुक्त पिण्ड का संवेग
= (m1 + m2) v
= (1 + 5) v
= 6 v किग्रा मीटर/सेकण्ड
संवेग संरक्षण के नियम से,
संघट्ट के बाद कुल संवेग = संघट्ट के पहले कुल संवेग
अर्थात् 6 v = 10
या v = \(\frac { 10 }{ 6 }\)
= 1.67 मीटर/सेकण्ड
अतः संघट्ट के पहले तथा बाद में कुल संवेग
= 10 किग्रा मीटर / सेकण्ड।
संघट्ट के बाद संयोजन का वेग
= 1.67 मीटर / सेकण्ड।

प्रश्न 16.
100 किग्रा द्रव्यमान की एक वस्तु का वेग समान त्वरण से चलते हुए 6 सेकण्ड में 5 मीटर/सेकण्ड से 8 मीटर / सेकण्ड हो जाता है। वस्तु के पहले तथा बाद के संवेगों की गणना कीजिए। उस बल के परिमाण की गणना कीजिए जो उस वस्तु पर आरोपित है।
हल:
दिया है वस्तु का द्रव्यमान m = 100 किग्रा, प्रारम्भिक वेग u = 5 मीटर/सेकण्ड, अन्तिम वेग v = 8 मीटर / सेकण्ड समय t = 6 सेकण्ड
वस्तु का प्रारम्भिक संवेग
= mu = 100 किग्रा x 5 मीटर / सेकण्ड
= 500 किग्रा मीटर/सेकण्ड
तथा वस्तु का अन्तिम संवेग
mv = 100 किग्रा x 8 मीटर/सेकण्ड
= 800 किग्रा मीटर / सेकण्ड
∴ वस्तु के संवेग में परिवर्तन = अन्तिम संवेग – प्रारम्भिक संवेग
= 800 – 500 = 300 किग्रा मीटर/सेकण्ड
गति के द्वितीय नियम से,
वस्तु पर आरोपित बल
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 10
अतः वस्तु का प्रारम्भिक संवेग = 500 किग्रा मीटर / सेकण्ड।
वस्तु का अन्तिम संवेग = 800 किग्रा मीटर / सेकण्ड।
वस्तु पर आरोपित बल का परिमाण = 50 न्यूटन।

प्रश्न 17.
अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत तीव्र गति से चलती हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा गाड़ी के सामने के शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अख्तर और किरण इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है)। अख्तर ने कहा कि चूंकि कार का वेग बहुत अधिक था अतः कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिवर्तन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
राहुल का तर्क सही है क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से दोनों पर समान बल लगेगा तथा दोनों के संवेग में भी समान परिवर्तन होगा। क्योंकि कीड़े का प्रारम्भिक संवेग, कार के संवेग की तुलना में नगण्य है अतः कीड़े का संवेग परिवर्तन स्पष्ट परिलक्षित होगा, जबकि समान संवेग परिवर्तन से कार के संवेग में कोई स्पष्ट अन्तर नहीं दिखाई देता।

प्रश्न 18.
एक 10 किग्रा द्रव्यमान की घण्टी 80 सेमी की ऊँचाई से फर्श पर गिरी। इस अवस्था में घण्टी द्वारा फर्श पर स्थानान्तरित संवेग के मान की गणना कीजिए। परिकलन में सरलता हेतु नीचे की ओर दिष्ट त्वरण का मान 10 मीटर / सेकण्ड² लीजिए।
हल:
दिया है घण्टी का द्रव्यमान m = 10 किग्रा, प्रारम्भिक ऊँचाई 880 सेमी 0.8 मीटर, घण्टी का त्वरण = 10 मीटर / सेकण्डर, गिरते समय प्रारम्भिक वेग u = 0
माना फर्श पर पहुँचकर घण्टी वेग से फर्श से टकराती है।
तब समीकरण v² = u² + 2as से,
v² = 0² + 2 x 10 × 0-8
= 16 मीटर/सेकण्ड²
∴ घण्टी का वेग v = \(\sqrt{16}\)
= 4 मीटर / सेकण्ड।
माना कि फर्श से टकराने के बाद घण्टी विरामावस्था में आ जाती है।
फर्श से टकराते समय घण्टी का वेग
v1 = 4 मीटर/सेकण्ड
तथा फर्श से टकराने के बाद घण्टी का वेग v2 = 0
घण्टी के संवेग में परिवर्तन = m (v2 – v1)
= 10 (0 – 4)
= 40 किग्रा – मीटर / सेकण्ड|
क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से फर्श को स्थानान्तरित – घण्टी का संवेग परिवर्तन
= – (- 40) = 40 किग्रा मीटर / सेकण्ड।

अतिरिक्त अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर (पा.पु. पृ.सं. 144)

प्रश्न 1.
एक वस्तु की गति की अवस्था में दूरी- समय सारणी निम्नवत् है-

समय (सेकण्ड) दूरी (मीटर)
0 0
1 1
2 8
3 27
4 64
5 125
6 216
7 343

(a) त्वरण के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? क्या यह नियत है? बढ़ रहा है? घट रहा है? या शून्य है?
(b) आप वस्तु पर लगने वाले बल के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
हल:
त्वरण तथा बल के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए हम प्रत्येक समयान्तराल के लिए वेग तथा त्वरण की गणना करेंगे, जैसा कि निम्नांकित सारणी में दर्शाया गया है।
(a) निम्नलिखित सारणी से स्पष्ट है कि त्वरण नियत नहीं है, अपितु बढ़ रहा है।

(b) सूत्र बल F = m a के अनुसार, चूँकि वस्तु का त्तरण समय के साथ बढ़ रहा है; अतः वस्तु पर लगा बल भी समय के साथ बढ़ेगा।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 11

प्रश्न 2.
1,200 किग्रा द्रव्यमान की एक कार को एक समतल सड़क पर दो व्यक्ति समान वेग से धक्का देते हैं। उसी कार को तीन व्यक्तियों द्वारा धक्का दिलाकर 0-2 मीटर/सेकेण्ड² का त्वरण उत्पन्न किया जाता है। कितने बल के साथ प्रत्येक व्यक्ति कार को धक्का देता है? (मान लीजिए कि सभी व्यक्ति समान पेशीय बल के साथ कार को धक्का देते हैं।)
हल:
दिया है कार का द्रव्यमान m2 = 1,200 किग्रा
प्रथम दो व्यक्तियों के धक्का देने पर त्वरण = शून्य
(∵ कार एकसमान वेग से बढ़ती है।)
तीन व्यक्तियों द्वारा धक्का देने पर त्वरण a = 0.2 मीटर/सेक्ण²
∵ प्रथम दो व्यक्तियों के धक्का देने पर कार समान वेग से ही आगे बढ़ पाती है। इससे स्पष्ट है कि दूसरी दिशा में कार में त्वरण तीसरे व्यक्ति द्वारा लगाए गए बल के कारण उत्पन्न होता है।
∴ तीसरे व्यक्ति द्वारा लगाया बल F = m a
= 1,200 किग्रा x 0.2 मीटर / सेकण्ड² = 240 न्यूटन
अतः प्रत्येक व्यक्ति द्वारा लगाया गया बल = 240 न्यूटन।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

प्रश्न 3.
500 ग्राम द्रव्यमान के एक हृौड़े द्वारा 50 मीटर/सेकण्ड के वेग से एक कील पर प्रहार किया जाता है। कील द्वारा हथौड़े को बहुत कम समय 0.01 सेकण्ड में ही रोका जाता है। कील के द्वारा हथौड़े पर लगाए गए बल की गणना कीजिए।
हल:
दिया है हथौड़े का द्रव्यमान m = 500 ग्राम = 0.5
किग्रा, टकराते समय वेग u = 50 मीटर / सेकण्ड,
समय t = 0.01 सेकण्ड अन्तिम वेग v = 0
कील से टकराने पर हथौड़े का त्वरण
a = \(\frac { v-u }{ t }\)
= \(\frac { 0-50 }{ 0.01 }\)
= – 5,000 मीटर / सेकण्डर²
ऋणात्मक चिह्न मन्दन की प्रदर्शित करता है। कील द्वारा हथौड़े पर लगाया गया बल F = ma
= 0.5 किग्रा x 5,000 मीटर / सेकण्ड²
= 2,500 न्यूटन।

प्रश्न 4.
एक 1,200 किग्रा द्रव्यमान की मोटरकार 90 किमी / घण्टा के वेग से एक सीधी रेखा पर चल रही है। उसका वेग बाहरी असन्तुलित बल लगने के कारण 4 सेकण्ड में घटकर 18 किमी / घण्टा रह जाता है। त्वरण और संवेग में परिवर्तन की गणना कीजिए लगने वाले बल के परिमाण की भी गणना कीजिए।
हल:
दिया है कार का द्रव्यमान m = 1,200 किग्रा,
प्रारम्भिक वेग u = 90 किमी / घण्टा
= 90 × \(\frac { 5 }{ 18 }\)
= 25 मीटर/सेकण्ड
समय t = 4 सेकण्ड, अन्तिम वेग v = 18 किमी / घण्टा
= 18 × \(\frac { 5 }{ 18 }\) = 5 मीटर / सेकण्ड
त्वरण a = ?, संवेग में परिवर्तन = ?, बल F = ?
कार का त्वरण a = \(\frac { v-u }{ t }\)
= \(\frac { 5-25 }{ 4 }\)
= – \(\frac { 20 }{ 4 }\)
= 5 मीटर/सेकण्ड
ऋणात्मक चिह्न मन्दन को प्रदर्शित करता है।
कार के संवेग में परिवर्तन अन्तिम संवेग – प्रारम्भिक संवेग
= 1200 × 5-1200 × 25
= 6000-30000
= – 24,000 किग्रा मीटर सेकण्ड
कार पर लगा बल F = ma
= 1200 × 5
= 6,000 न्यूटन
अतः कार का त्वरण = – 5 मीटर / सेकण्ड²
संवेग में परिवर्तन = 24,000 किग्रा-मीटर/सेकण्ड की कमी तथा कार पर लगा बल = 6,000 न्यूटन।

Jharkhand Board Class 9 Science बल तथा गति के नियम InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 9.1 (पा. पु. पृ. सं. 130)
चित्रानुसार कैरम की गोटियों को एक के ऊपर एक रखकर ढेरी ननाएँ। स्ट्राइकर को तेजी से झटका देकर ढेरी की सबसे नीचे वाली गोटी पर टकराएँ। आप पायेंगे कि केवल नीचे वाली गोटी ही शीघ्रता से ढेरी से बाहर जाती है, शेष गोटियाँ अपने जड़त्व के कारण लम्वबत् दिशा में नीचे की ओर गिर जाती हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 1

क्रियाकलाप 9.2 (पा. पु. पृ. सं. 130)
काँच के एक खाली गिलास के ऊपर एक कड़े ताश का पत्ता रखकर चित्र के अनुसार उस पर एक पाँच रुपए का सिक्का रखें तथा पत्ते को अंगुलियों से तीव्रता से क्षैतिज झटका दें। आप पायेंगे कि पत्ता आगे खिसक जाता है तथा सिक्का अपने जड़त्व के कारण नीचे की ओर गिलास में गिर जाता है। ऐसा होने का कारण यह है कि सिक्का अपनी विरामावस्था को बनाये रखना चाहता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 2

क्रियाकलाप 9.3 (पा. पु. पृ. सं. 130)
ट्रे पर एक पानी से भरा गिलास रखाकर ट्रे को हाथ से पकड़कर तेजी से घूमने पर गिलास लुढ़क जाता है और पानी छलक जाता है।

खण्ड 9.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 131)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किसका जड़त्व अधिक है?
(a) रबर की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर,
(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी,
(c) पाँच रुपये का सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर:
हम जानते हैं कि किसी वस्तु का द्रव्यमान ही उसके जड़त्व की माप है।

  • चूँकि पत्थर का द्रव्यमान, समान आकार की रबर की गेंद के द्रव्यमान से अधिक होगा; अतः पत्थर का जड़त्व ही अधिक होगा।
  • रेलगाड़ी का द्रव्यमान साइकिल के द्रव्यमान से अधिक है; अत: रेलगाड़ी का जड़त्व ही अधिक होगा।
  • पाँच रुपये के सिक्के का जड़त्व एक रुपये के सिक्के से अधिक होगा।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उदाहरण में गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का प्रयास की जिए-
“फुटबाल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।”
इसके साथ ही उस कारक की भी पहचान कीजिए, जो प्रत्येक अवस्था में बल प्रदान करता है।
उत्तर:
उपर्युक्त उदाहरण में गेंद का वेग कुल तीन बार बदलता है।

  • पहली बार वेग-परिवर्तन के लिए आवश्यक बल प्रदान करने वाला कारक पहले खिलाड़ी द्वारा लगाई गई किक है।
  • दूसरी बार वेग-परिवर्तन के लिए आवश्यक बल, दूसरे खिलाड़ी द्वारा लगाई गई किक से प्राप्त होता है।
  • तीसरी बार वेग- परिवर्तन के लिए आवश्यक बल विपक्षी टीम के गोलकीपर द्वारा लगाई गई किक से प्राप्त होता है।

प्रश्न 3.
किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं, क्यों?
उत्तर:
जब किसी पेड़ की शाखाओं को जोर-जोर से हिलाया जाता है तो शाखाएँ तुरन्त ही गति की अवस्था में आ जाती हैं, जबकि उनसे जुड़ी पत्तियाँ जड़त्व के कारण, विरामावस्था में ही बनी रहती हैं। अतः इनमें से कुछ पत्तियाँ शाखाओं से अलग होकर गिर जाती हैं।

प्रश्न 4.
जब कोई गतिशील बस अचानक रुकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं, और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
ऐसा जड़त्व के कारण होता है। जब तक गाड़ी चलती रहती है तो हमारा शरीर भी गाड़ी के साथ उसी वेग से गति करता रहता है। गाड़ी के अचानक रुकने पर हमारे पैर गाड़ी के सम्पर्क में होने कारण तुरन्त विराम में आ जाते हैं, परन्तु गति जड़त्व के कारण हमारा ऊपरी शरीर आगे की ओर गति करता रहता है और हम आगे की ओर झुक जाते हैं।

जब रुकी हुई गाड़ी अचानक चलती है तो हमारे पैर तो तुरन्त गति में आ जाते हैं, परन्तु हमारा ऊपरी शरीर विराम जड़त्व के कारण विरामावस्था में बना रहता है; अतः हम पीछे की ओर झुक जाते हैं।

क्रियाकलाप 9.4. (पा. पु. पू. सं. 136)
चित्र 9.15 के अनुसार दो बच्चों को पहिये वाली गाड़ी पर खड़ा होने के लिए कहें। उन्हें बालू से भरा थैला या कोई भारी वस्तु दे दें। उन्हें थैले को लपकने के लिए कहें। गाड़ी के पहिये पर कोई सफेद रेखा खीच दें, ताकि जब वे बच्चे थैले को फेंकें तो गाड़ी की गति का अवलोकन किया जा सके।

थैले को फेंकने (क्रिया) के कारण उसमें से प्रत्येक तात्क्षणिक प्रतिक्रिया का अनुभव करें। अब दो बच्चों को किसी एक गाड़ी पर खड़ा कर दें तथा एक अन्य बच्चे को दूसरी गाड़ी पर। आप यहाँ गति के द्वितीय नियम को देख सकते हैं, क्योंकि इस अवस्था में यह बल अलग-अलग त्वरण उत्पन्न करेगा।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 3

क्रियाकलाप 9.5. (पा. पु. पृ. सं. 137)
एक बड़े आकार का गुब्बारा लेकर इसमें पूरी तरह से हवा भरकर इसके मुँह से धागा बाँधकर किसी चिपकाने वाले टेप की सहायता से चित्र $9.17$ के अनुसार एक स्ट्रॉं लगाएँ। स्ट्रॉ के बीच से एक धागे को पार कराएँ। इसके उपरान्त गुब्बारे के मुँह पर बाँधे धागे को खोल दें।

गुब्बारे में भरी हवा उसके मुख से बाहर की ओर निकलने लगेगी तथा स्ट्रो की गति की दिशा का अवलोकन करें।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 4
निष्कर्ष-स्ट्रॉं की दिशा हवा के निकलने की विपरीत दिशा में होगी।

क्रियाकलाप 9.6. (पा. पु. प.. सं. 138)
एक अच्छे काँच की परखनली लेकर उसमें थोड़ा पानी डालकर परखनली के मुख पर एक स्टॉप कॉर्क लगाएँ। चित्रानुसार परखनली को दो धागों के द्वारा स्टैण्ड पर क्षैतिज दिशा में लटकाएँ। अब बर्नर की सहायता
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 5
से परखनली को तब तक गर्म करें जब तक कि परखनली का पानी वाष्पित न हो जाए तथा कार्क बाहर न आ जाए।
निष्कर्ष – हम यह पाते हैं कि परखनली कार्क की गति की विपरीत दिशा में प्रक्षेपित होती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

उदाहरण 9.6.2
kg के एक पिस्टल से 20 g द्रव्यमान की एक गोली 150ms के क्षैतिज वेग से छोड़ी जाती है। पिस्टल के पीछे हटने के वेग का परिकलन करें।
हल:
गोली का द्रव्यमान m1 20 ग्राम = 0.02 किग्रा
पिस्टल का द्रव्यमान m2 = 2 किग्रा
गोली का प्रारम्भिक वेग u1 तथा पिस्टल का प्रारम्भिक वेग u2 क्रमशः शून्य हैं।
अर्थात्
u1 – u2 = 0
गोली का अन्तिम वेग v1 = + 150 ms-1
गोली की दिशा बाएँ से दाएँ परिपाटी के अनुसार धनात्मक (चित्र 9.19 ) ली गई है।
माना कि पिस्टल का प्रतिक्षेपित वेग v है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 6
गोली छूटने के पहले गोली तथा पिस्टल का कुल संवेग,
= (2 + 0.02) kg x 0 ms-1
= 0kg ms-1
गोली छूटने के बाद कुल संवेग
= 0.02 kg × (+ 150 ms-1) + 2 kg x vm s-1
= (3 + 2v) kg ms-1
संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार,
गोली छूटने के बाद का कुल संवेग = गोली छूटने के पहले का कुल संवेग
3 + 2v = 0
⇒ v = – 1.5 ms-1
ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि पिस्टल गोली के विपरीत दिशा में अर्थात् दाई से बाई ओर प्रतिक्षेपित होगी।

उदाहरण 9.7.
40 kg द्रव्यमान वाली एक लड़की, 5 ms-1 के क्षैतिज वेग से एक 3 kg द्रव्यमान वाली स्थिर गाड़ी पर कूदती है। गाड़ी के पहिये घर्षणरहित हैं। गाड़ी की गति प्रारम्भ करने की अवस्था में लड़की का वेग क्या होगा? मान लें कि क्षैतिज दिशा में कोई असन्तुलित बल कार्य नहीं कर रहा है।
हल:
लड़की और गाड़ी का लड़की के कूदने से पहले
कुल संवेग
= 40kg x 5ms-1 + 3kg x 0 ms-1
= 200 kgms-1
मान लें कि लड़की के गाड़ी पर कूदने के बाद गाड़ी और लड़की का वेग लड़की का कुल संवेग है। इस अवस्था में गाड़ी तथा
= (40 + 3 ) kg x v ms-1
= 43 v kg ms-1
संवेग संरक्षण के नियमानुसार दोनों स्थितियों में कुल संवेग समान होंगे।
अर्थात्, 43 v = 200
⇒ v = 200/43 = + 4.65ms-1
गाड़ी पर संवार लड़की 4-65 ms के वेग से छलाँग लगाने की दिशा में चलेगी (चित्र 9.20 )।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 7

उदाहरण 9.8.
हॉकी की प्रतिद्वन्द्वी टीमों के दो खिलाड़ी गेंद को हिट करने के प्रयास में परस्पर टकरा जाते हैं तथा आपस में उलझ जाते हैं। पहले खिलाड़ी का द्रव्यमान 60 kg है तथा वह 5.0ms-1 के वेग से गति में था, जबकि दूसरा खिलाड़ी जिसका द्रव्यमान 55 kg है तथा वह 6.0ms-1 के वेग से पहले खिलाड़ी की ओर गति कर रहा था। टकराकर उलझने के बाद वे दोनों किस दिशा में किस वेग से गति करेंगे। मान लें कि दोनों खिलाड़ियों के पैर तथा पृथ्वी के बीच कार्यरत घर्षण बल नगण्य है।
हल:
मान लें कि पहला खिलाड़ी बाएँ से दाएँ दौड़ रहा है। परिपाटी के अनुसार, बाएँ से दाएँ गति की दिशा धनात्मक और दाएँ से बाएँ गति की दिशा को ऋणात्मक लेते हैं (चित्र 9. 21)। प्रतीक तथा दोनों खिलाड़ियों के क्रमश: द्रव्यमान और वेग को दर्शाते हैं। इन भौतिक राशियों पर अधोलिखित संख्याएँ तथा 2 क्रमश: प्रथम एवं द्वितीय हॉकी खिलाड़ियों को बताती हैं। अतः
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 8
m1 = 60kg; u1
= + 5ms-1 तथा
m2 = 55 kg: u2
= – 6ms-1
टक्कर से पहले दोनों खिलाड़ियों का कुल संवेग
= 60 kg × (+ 5ms-1) + 55 kg x (- 6ms-1)
= – 30kgms-1
मान लें कि दोनों खिलाड़ियों के टकराने के बाद उलझने पर वेग v है, टक्कर के बाद कुल संवेग
= (m1 + m2) x v
=(60 + 55) kg x v ms-1
= 115 x v kg ms-1
संवेग संरक्षण के नियमानुसार टक्कर से पहले तथा बाद के संवेगों की समानता से,
v = – 30/115 = – 0.26ms-1
अतः उलझने के बाद दोनों खिलाड़ी दाएँ से बाएँ 0.26 ms-1 के वेग से गतिशील होंगे।

खण्ड 9.6 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पृ. सं. 140)

प्रश्न 1.
यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर होती है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है?
उत्तर:
घोड़ा गाड़ी की गति- घोड़ा गाड़ी को खींचते समय अपने पैरों से सड़क पर पीछे की ओर बल लगाता है। क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम के अनुसार सड़क भी घोड़े पर समान परिमाण का बल आगे की ओर लगाती है। इसी प्रतिक्रिया बल के कारण घोड़ा तथा उसके पीछे जुड़ी गाड़ी आगे की ओर चल पड़ते हैं। इस प्रकार घोड़ा व गाड़ी घोड़े द्वारा लगाए बल के कारण नहीं बल्कि पृथ्वी के प्रतिक्रिया बल के कारण गतिमान होते हैं।

प्रश्न 2.
एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबर की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फायर ब्रिगेड की अत्यधिक मात्रा उच्च वेग से मोटर के पाइप से पानी की निकलती है अर्थात् पाइप से निकलने वाले पानी की संवेग परिवर्तन की दर बहुत अधिक होती है। क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से, पाइप का संवेग भी इसी दर से विपरीत दिशा में परिवर्तित होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि पाइप से निकलने वाला पानी पाइप पर बहुत अधिक बल आरोपित करता है जिसके कारण पाइप को सँभालना कठिन होता है।

प्रश्न 3.
एक 50 ग्राम द्रव्यमान की गोली 4 किग्रा द्रव्यमान की रायफल से 35 मीटर / सेकण्ड के प्रारम्भिक वेग से छोड़ी जाती है। रायफल के प्रारम्भिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।
हल:
दिया है गोली का द्रव्यमान m1 = 50 ग्राम = \(\frac { 50 }{ 1000 }\) किग्रा = 0.05 किग्रा।
गोली के छूटने का वेग v1 = 35 मीटर / सेकण्ड
रायफल का द्रव्यमान m2 = 4 किग्रा,
रायफल का प्रतिक्षेपित वेग v2 = ?
∵ गोली में विस्फोट होने से पूर्व गोली तथा रायफल दोनों विरामावस्था में थीं,
∴ विस्फोट से पूर्व दोनों का कुल संवेग
= m1u1 + m2 u2
= m1 x 0 + m2 x 0 = 0 [∴ u1 = 0, u2 = 0]
तथा विस्फोट के बाद दोनों का संवेग
= m v1 + m2 v2
= 0.05 x 35 + 4v2
संवेग संरक्षण के नियम से, दोनों संवेगों को बराबर
रखने पर,
0.05 x 35 + 4v2 = 0
या 4v2 = 0.05 x 35 = – 1.75
या v2 = – \(\frac { 1.75 }{ 4 }\)
= – 0.4375 मीटर/सेकण्ड।
ऋणात्मक चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि रायफल गोली के विपरीत दिशा में गति करेगी।
अतः रायफल का प्रतिक्षेपित वेग = 0-4375 मीटर / सेकण्ड पीछे की ओर।

प्रश्न 4.
100 ग्राम तथा 200 ग्राम द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में क्रमश: 2 मीटर / सेकण्ड तथा 1 मीटर/सेकण्ड के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात् प्रथम वस्तु का वेग 1-67 मीटर/सेकण्ड हो जाता है तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है द्रव्यमान m1 = 100 ग्राम 0.1 किग्रा, m2 = 200 ग्राम 0-2 किग्रा
टक्कर से पूर्व वेग u1 = 2 मीटर/सेकण्ड,
u2 = 1 मीटर/सेकण्ड
टक्कर के बाद वेग v1 = 1.67 मीटर / सेकण्ड, v2 = ?
टक्कर से पूर्व दोनों का संवेग = m1 u1 + m2 u2
= 0.1 × 2 + 0.2 × 1
= 0.4 किग्रा मीटर/सेकण्ड
तथा टक्कर के बाद दोनों का संवेग = m1 v1 + m2 v2
= (0.1 × 1.67 + 0.2 × 12 ) किग्रा – मीटर / सेकण्ड संवेग संरक्षण के नियम से,
टक्कर के बाद संवेग = टक्कर से पूर्व संवेग
अर्थात् 0.1 × 1.67 + 0.2 x v2 = 0.4
या 0.2 x v2 = 0-4 – 0.167
0.2 × v2 = 0.233
या v2 = \(\frac { 0.233 }{ 0.2 }\)
= 1.165 मीटर / सेकण्ड
अतः टक्कर के बाद दूसरी वस्तु का वेग 1.165 मीटर / सेकण्ड होगा।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. हरित क्रांति सम्बन्धित है-
(a) दुग्ध उत्पादन से
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से
(c) मछली उत्पादन से
(d) मधुमक्खी पालन से।
उत्तर:
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से।

2. श्वेत क्रांति सम्बन्धित है-
(a) उर्वरक उत्पादन से
(b) खाद उत्पादन से
(c) दुग्ध उत्पादन से
(d) कृषि उत्पादन से।
उत्तर:
(c) दुग्ध उत्पादन से।

3. निम्न से कौन-से प्राथमिक पोषक तत्व हैं?
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस
(b) सल्फर, लोहा, मैंगनीज
(c) कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन
(d) कॉपर, क्लोरीन, बोरॉन
उत्तर:
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस।

4. उर्वरक का प्रयोग कब किया जाता है-
(a) बीज बोने से पहले
(b) बीज बोने के बाद
(c) फसल कटने के बाद
(d) कभी भी।
उत्तर:
(c) फसल कटने के बाद

5. कीटनाशी का प्रयोग किसे मारने के लिए किया जाता है?
(a) कीट
(b) जीवाणु
(c) पौधा
(d) चूहा।
उत्तर:
(a) कीट।

6. दो सामान्य फसलों के बीच दलहनी फसल उगाने की विधि को कहते हैं-
(a) एकल खेती
(b) फसल चक्र
(c) मिश्रित खेती
(d) बहुफसली खेती।
उत्तर:
(d) बहुफसली खेती।

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7. मुर्गियों की संकर नस्ल कौन सी है-
(a) व्हाइट लेगहॉर्न
(b) बसरा
(c) असील
(d) ILS-82
उत्तर:
(d) ILS-82।

8. खरपतवार वाले पौधे हैं-
(a) गोखरू
(b) गाजर घास
(c) मोथा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

9. पौधों में रोग उत्पन्न करने वाले कारक हैं-
(a) बैक्टीरिया
(b) कवक
(c) वाइरस
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

10. पशुओं की सामान्य बीमारी कौन-सी है?
(a) बुखार
(b) हैजा
(c) पशु महामारी
(d) मुँहपका एवं खुरपका।
उत्तर:
(d) मुँहपका एवं खुरपका।

11. माँस के लिए पाला जाता है-
(a) ब्रौलर
(b) लेयर
(c) बौलर एवं लेयर
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(a) ब्रौलर।

12. ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है.
(a) गोश्त प्राप्ति के लिए
(b) अंडे प्राप्ति के लिए
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए
(d) औषधि निर्माण के लिए।
उत्तर:
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए।

13. मिश्रित मछली संवर्धन किया जाता है-
(a) समुद्र में
(b) नदियों में
(c) झीलों में
(d) तालाबों में
उत्तर:
(d) तालाबों में।

14. देशी किस्म की मधुमक्खी है-
(a) ऐपिस सेरना इंडिका
(b) ऐपिस डोरसेटा
(c) ऐपिस फ्लोरी
(d) उपर्युक्त तीनों ही।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त तीनों ही।

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15. फसल के लिए कुल कितने पोषक तत्व आवश्यक हैं-
(a) 16
(b) 13
(c) 7
(d) 6
उत्तर:
(a) 16।

16. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल मृदा को नाइट्रोजन से समृद्ध करेगी-
(a) सेम
(b) मटर
(c) धान
(d) आलू।
उत्तर:
(b) मटर।

रिक्त स्थान भरो-

  1. ………………….. क्रांति द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  2. ………………….. क्रांति द्वारा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  3. पशुधन के प्रबंधन को ………………….. कहते हैं।
  4. नस्लों की गायों में रोगप्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है।

उत्तर:

  1. हरित
  2. श्वेत
  3. पशुपालन
  4. देशी।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कौलम ‘ख’
1. विदेशी गाय (क) मत्स्य पालन
2. देशी गाय (ख) रेडसिंधी
3. मछली (ग) जर्सी
4. देशी मुर्गी (घ) एसिल

उत्तर:
1. (ग) जर्सी
2. (ख) रेडसिंधी
3. (क) मत्स्य पालन
4. (घ) एसिल

सत्य / असत्य-

  1. माँस के लिए लेयर मुर्गी को पाला जाता है।
  2. मधुमक्खी पालन में बहुत अधिक पूँजी निवेश होता है।
  3. सामान्य भारतीय मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम ऐपिस सेरना इंडिका है।
  4. ग्रास कॉर्प मछली खरपतवार खाती है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
भोजन से हमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
हमारे भोजन के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
जन्तु तथा पौधे हमारे भोजन के स्रोत हैं।

प्रश्न 3.
हमारे देश की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
हमारे देश की जनसंख्या 1 बिलियन (1 अरब) से अधिक है।

प्रश्न 4.
किस क्रान्ति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
हरित क्रांति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 5.
दुग्ध उत्पादन किस प्रकार बढ़ाया गया है?
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन श्वेत क्रांति से बढ़ाया गया है।

प्रश्न 6.
कृषि और पशुपालन के लिए किन प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है?
उत्तर:
कृषि और पशुपालन के लिए संपोषणीय प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमें क्या अपनाना होगा?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक प्रणालियाँ एवं प्रबन्धन अन्तराफसलीकरण तथा सम्बन्धित कृषि प्रणालियाँ अपनानी होंगी।

प्रश्न 8.
हमें कार्बोहाइड्रेट किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
हमें कार्बोहाइड्रेट गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा से प्राप्त होता है।

प्रश्न 9.
प्रोटीन किन-किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रोटीन चना, मटर, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर से प्राप्त होता है।

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प्रश्न 10.
तेल प्रदान करने वाले बीजों के नाम बताइये।
उत्तर:
सरसों, अलसी, सूरजमुखी, अरंड, तिल, सोयाबीन, मूंगफली तेल देने वाले बीज हैं।

प्रश्न 11.
चारा देने वाली फसलों के नाम बताइये।
उत्तर:
बरसीम, जई, सूडान घास, चरी (हरी ज्वार) के पौधे आदि चारा देने वाली फसलें हैं।

प्रश्न 12.
फसलों की उचित वृद्धि के लिए किन-किन परिस्थितियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
फसल की उचित वृद्धि के लिए जलवायुवीय परिस्थितियाँ, उचित तापमान और दीप्तिकाल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
दीप्ति काल किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
दीप्तिकाल सूर्य के प्रकाश काल से सम्बन्धित है।

प्रश्न 14.
पौधों में पुष्पन और वृद्धि किस पर निर्भर है?
उत्तर:
पौधों में पुष्पन और वृद्धि सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है।

प्रश्न 15.
पौधे किस प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं?
उत्तर:
पौधे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं।

प्रश्न 16.
वर्षा ऋतु में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूंग तथा उड़द की फसलें उगाई जाती हैं। इन्हें खरीफ फसल कहते हैं।

प्रश्न 17.
खरीफ फसलों का समय बताइये।
उत्तर:
खरीफ फसलों का समय जून से अक्टूबर माह तक है।

प्रश्न 18.
रबी में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
रबी में गेहूँ, चना, मटर, सरसों, अलसी की फसलें उगाई जाती हैं। ये शीत ऋतु की फसलें हैं।

प्रश्न 19.
रबी की फसलों का समय क्या है?
उत्तर:
रबी की फसलों का समय नवम्बर से अप्रैल तक का है।

प्रश्न 20.
कृषि प्रणालियों को किन तीन चरणों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
कृषि प्रणालियों को तीन चरणों में बाँटा जा सकता है-

  • बीज का चुनना
  • फसल की उचित देखभाल
  • खेत में उगी फसल की सुरक्षा तथा कटी हुई फसल को हानि से बचाना।

प्रश्न 21.
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण किस विधि से डाले जाते हैं?
उत्तर:
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण संकरण विधि से डाले जाते हैं।

प्रश्न 22.
सस्य विज्ञान वाली किस्में किसमें सहायक हैं?
उत्तर:
सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन में सहायक हैं।

प्रश्न 23.
पौधे अपने पोषण के लिए पोषक तत्व कहाँ से प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपने पोषण के लिए हवा से ऑक्सीजन, CO2, पानी से हाइड्रोजन और मिट्टी से 13 पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 24.
पौधों को कितने वृहत् और कितने सूक्ष्म पोषकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
पौधों को 6 बृहत् और 7 सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 25.
पौधों के लिए वृहत् पोषकों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पौधों के लिए बृहत् पोषक हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर।

प्रश्न 26.
सूक्ष्म पोषक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, बोरॉन, मॉलिब्डेनम और क्लोरीन सूक्ष्म पोषक हैं।

प्रश्न 27.
खाद में किन पदार्थों की अधिकता होती है?
उत्तर:
खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

प्रश्न 28.
खाद की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों को प्रचुर मात्रा में प्रदान कर उसकी उर्वरता को बढ़ाता है।

प्रश्न 29.
रेतीली मिट्टी पर खाद का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
खाद से रेतीली मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है।

प्रश्न 30.
कम्पोस्ट खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
कृषि और जन्तु अपशिष्ट (गोबर), घरेलू कचरे, खरपतवार आदि को गड्ढों में अपघटित करके बनाई जाने वाली खाद को कम्पोस्ट खाद कहते हैं।

प्रश्न 31.
वर्मीकम्पोस्ट क्या है?
उत्तर:
केंचुए के उपयोग से तैयार कम्पोस्ट को वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं।

प्रश्न 32.
हरी खाद क्या है?
उत्तर:
खेत में फसल उगाने से पहले पटसन, मूंग, ज्वार, ढेंचा आदि को उगाकर उन्हें खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला देनें से हरे पौधे खाद में बदल जाते हैं।

प्रश्न 33.
हरी खाद में कौन-कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
हरी खाद में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।

प्रश्न 34.
उर्वरक क्या हैं?
उत्तर:
उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक हैं, जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम की अधिकता होती है। जैसे यूरिया, डी.ए.पी. आदि।

प्रश्न 35.
उर्वरक के अधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम क्यों हो जाती है?
उत्तर:
उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की पुनः पूर्ति नहीं होती है तथा सूक्ष्म जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध हो जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।

प्रश्न 36.
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय क्या है?
उत्तर:
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय फसल चक्र अपनाया जाना है।

प्रश्न 37.
सिंचाई के चार जल स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सिंचाई के चार जल स्रोत हैं- कुएँ, नहरें, नदियाँ, तालाब।

प्रश्न 38.
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारकों का नाम लिखो।
उत्तर:
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारक हैं- मिट्टी की प्रकृति, फसल विशेष की प्रकृति और वर्षा।

प्रश्न 39.
नदी लिफ्ट पम्प क्या है?
उत्तर:
नदियों के किनारे स्थित खेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकालना (पम्पिंग सैट द्वारा) ‘नदी लिफ्ट पम्प’ कहलाता है।

प्रश्न 40.
चैक डैम का क्या उपयोग है?
उत्तर:
चैक डैम वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं और मृदा अपरदन को कम करते हैं।

प्रश्न 41.
मिश्रित फसल के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
मिश्रित फसल के उदाहरण मेहूँ सरसों, गेहूँ + चना, मूंगफली + सूरजमुखी।

प्रश्न 42.
अन्तराफसलीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खोत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाया जाता है तो इसे अन्तराफसलीकरण कहते हैं। इसमें कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उसके एकान्तर दूसरी पंक्तियों में दूसरी फसल उगाई जाती है।

प्रश्न 43.
अन्तराफसलीकरण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • सोयाबीन + मक्का
  • बाजरा लोबिया।

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प्रश्न 44.
खरपतवार क्या हैं? इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
फसल के पौधों के साथ उगने वाले अवांछित पौधों को खररपतवार कहते हैं, जैसे- गोखरू, गाजर घास, मोथा, जई, चौलाई, बथुआ तथा हिरनखुरी, जंगली मेथी आदि।

प्रश्न 45.
पौधों में रोग किन कारकों से होते हैं?
उत्तर:
पौधों में रोग बैक्टीरिया, वाइरस और कवक द्वारा होते हैं।

प्रश्न 46.
हानिकारक कारक अनाज को क्या हानि पहुँचाते हैं?
उत्तर:
हानिकारक कारक अनाज की गुणवत्ता खराब करते हैं, वजन कम कर देते हैं, अंकुरण करने की क्षमता कम करते हैं और उन्हें बदरंग करते हैं।

प्रश्न 47.
पशुपालन किसे कहते हैं? इसके अन्तर्गत क्या-क्या कार्य किये जाते हैं?
उत्तर:
पशुओं को पालने के प्रबन्धन को पशुपालन कहते हैं। इसके अन्तर्गत पशुओं को भोजन देना, प्रजनन कराना तथा रोगों पर नियन्त्रण करना शामिल हैं।

प्रश्न 48.
दुधारू तथा ड्राफ्ट पशु किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
दूध देने वाली मादाओं को दुधारू पशु तथा बोझा ढोने वाले पशुओं को ड्राफ्ट पशु कहते हैं।

प्रश्न 49.
लम्बे समय तक दुग्ध स्रावणकाल के लिए विदेशी नसलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
जर्सी, ब्राउन, स्विस गाय का दुग्ध स्रावण काल लम्बा होता है।

प्रश्न 50.
अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली गाय की दो देशी नस्लों के नाम बताओ।
उत्तर:
रेडसिंधी तथा साहीवाल अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली नस्ल की गाय हैं।

प्रश्न 51.
पर्णकृमि कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
पर्णकृमि (फ्लूकवर्म) पशुओं के यकृत में पाया जाता है।

प्रश्न 52.
कुक्कुट पालन में किन मुर्गियों का पालन किया जाता है?
उत्तर:
कुक्कुट पालन में अण्डों के लिए लेअर तथा माँस के लिए बौलर का पालन किया जाता है।

प्रश्न 53.
नई किस्मों के लिए किन कुक्कुटों का संकरण कराया जाता है ?
उत्तर:
नई किस्मों के लिए देशी एसिल तथा विदेशी लेगहार्न नस्लों का संकरण कराया जाता है।

प्रश्न 54.
बौलर के आहार में कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
ब्रॉलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होते हैं।

प्रश्न 55.
मुर्गियों में रोग होने के कारण बताइए।
उत्तर:
मुर्गियों में रोग होने के कारण हैं- जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी तथा पोषणहीनता।

प्रश्न 56.
प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
मछली प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत है।

प्रश्न 57.
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र कितना है?
उत्तर:
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र 7500 किलोमीटर समुद्री तट तथा इसके बाद समुद्र की गहराई तक है।

प्रश्न 58.
सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियों के नाम बताइए।
उत्तर:
पॉसफेट, मैकलं, दुना, सारडाइन व कंबेडक सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियाँ हैं।

प्रश्न 59.
मछलियों के बड़े समूह का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
मछलियों के बड़े समूह का पता सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि ध्वनित्र से लगाया जाता है।

प्रश्न 60.
समुद्री जल में संवर्द्धित मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर:
मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पंख युक्त मछलियाँ)।

प्रश्न 61.
मोतियों की प्राप्ति के लिए किसका संवर्धन किया जाता है?
उत्तर:
मोतियों की प्राप्ति के लिए ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है।

प्रश्न 62.
समुद्री संवर्धन (मेरी कल्चर) किसे कहते हैं?
उत्तर:
समुद्री मछलियों का भण्डार (स्टॉक) कम होने की दशा में इन मछलियों की पूर्ति संवर्धन के द्वारा हो सकती है। इस प्रणाली को समुद्री संवर्धन (मेरीकल्चर) कहते हैं।

प्रश्न 63.
एस्चुरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
ताजे पानी और समुद्री खारे पानी के मिश्रण को एस्चुरी कहते हैं।

प्रश्न 64.
उस फसल का नाम बताइए जिसके साथ मछली संवर्धन किया जाता है।
उत्तर:
धान की फसल के साथ मछली संवर्धन किया जाता है।

प्रश्न 65.
खारे तथा मीठे पानी की मछलियों की दो किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर:

  • खारे पानी की मछलियाँ हिल्सा, कैट फिश, डॉग फिश, रेड, मुलैट आदि।
  • मीठे पानी की मछलियाँ – कतला, रोहू (लेबियो) मिरिटस, मिल्क फिश।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

प्रश्न 66.
मधुमक्खी क्या बनाती है?
उत्तर:
मधुमक्खी शहद और मोम तैयार करती है।

प्रश्न 67.
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए किस देशी मधुमक्खी का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए ऐपिस सेरना इण्डिका (सामान्य भारतीय मधुमक्खी), ऐपिस डोरसेटा (एक शैल मधुमक्खी) तथा ऐपिस फ्लोरी (छोटी मधुमक्खी) का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 68.
किसी मधुमक्खी की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है?
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी ऐपिस मेलीफेरा की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।

प्रश्न 69.
इटेलियन मधुमक्खी की दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी में-

  • मधु एकत्र करने की क्षमता अधिक होती है
  • यह डंक कम मारती है।

प्रश्न 70.
मधु की गुणवत्ता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
मधु की गुणवत्ता मधुमक्खियों द्वारा मकरंद एकत्र करने के लिए उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है।

लघूत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों के लिए आवश्यक बृहत् और सूक्ष्म तत्व कौन-कौन से हैं? प्रत्येक को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हरे पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिन्हें वानस्पतिक पोषक तत्व कहते हैं। ये पौधों की आवश्यकता की मात्रा के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-

  • बृहत् पोषक तत्व ऐसे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को अधिक मात्रा में होती है, वृहत् पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम ऑक्सीजन और सल्फर।
  • सूक्ष्म पोषक तत्व- वे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को सूक्ष्म (अल्प) मात्रा में होती है, सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- आयरन, मैगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, मॉलिब्डेनम, क्लोरीन।

प्रश्न 2.
पौधों के लिए पोषक तत्वों के विभिन्न स्त्रोत बताइए।
उत्तर:
पौधों के लिए पोषक तत्व तीन स्रोतों से प्राप्त होते हैं- हवा, पानी तथा मृदा।

स्रोत पोषक
हवा कार्बन, ऑक्सीजन
पानी हाइड्रोजन, ऑक्सीजन
मृदा (i) वृहत् पोषक: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर
(ii) सूक्ष्म पोषक: आयरन, मैंगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, क्लोरीन, मॉलिब्डेनम

प्रश्न 3.
खाद किसे कहते हैं? खाद के प्रयोग करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
खाद एक कार्बनिक पदार्थ है जो पौधों और जन्तुओं के अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त होता है। खाद पौधों के लिए पोषक तत्वों का स्रोत है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद वर्मीखाद मुख्य प्रकार की खाद हैं।
खाद के प्रयोग से लाभ-

  • मिट्टी में अपघटन के द्वारा कार्बनिक खाद हयूमस में परिवर्तित हो जाती है।
  • खाद से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है।
  • पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
  • कार्बनिक खादें मृदा की नमी को संरक्षित करने में सहायक होती हैं।
  • खादों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण कम होता है।
  • अपशिष्ट पदार्थों का पुनः चक्रीकरण हो जाता है।
  • खाद में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों का भोजन हैं। ये जीव पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं।
  • खादों के प्रयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
उर्वरक क्या हैं? ये खाद से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
उर्वरक (फर्टीलाइजर्स) – ये व्यावसायिक रूप से तैयार रासायनिक खाद हैं, जो मृदा में पौधों को पोषक तत्व – नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है, स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

उर्वरक और खाद में अन्तर:

उर्वरक (फर्टीलाइजस) खाद (मैन्योस)
1. ये कृत्रिम रूप से बनाए गये मुख्यतः अकार्बनिक रासायनिक पदार्थ हैं। 1. ये प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने वाले कार्बनिक पदार्थ हैं।
2. ये कम स्थान घेरते हैं। 2. ये अधिक स्थान घेरते हैं।
3. इनमें भंडारण, स्थानातरण तथा उपयोग की विधि आसान है। 3. इनका भंडारण तथा स्थानान्तरण, असुविधाजनक है।
4. उर्वरक नमी का अवशोषण करके शीघ्र खराब हो जाते हैं। 4. ये नमी का अवशोषण करके खराब नहीं होते हैं।
5. ये मृदा के संघटन को स्थिर नहीं रखते हैं। 5. ये मृदा के संघटन को स्थिर रखते हैं।
6. इनके उपयोग से मृदा में पानी रोकने तथा वातन की क्षमता कम होती है। 6. इनमें मृदा में पानी रोकने एवं वातन की क्षमता अधिक होती है।
7. इनमें विशिष्ट पोषक तत्व पाया जाता है। 7. इनमें सभी पोषक तत्व उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 5.
भंडारण में अनाज की क्षति किन कारणों से होती है?
उत्तर:
भंडारण में अनाज की क्षति दो प्रमुख कारणों से होती है ये कारक निम्नलिखित हैं-

  • जैविक कारक-इनमें चूहे आदि कृंतक, कीट, दीमक, जन्तु, कवक, पक्षी तथा जीवाणु आदि सम्मिलित हैं।
  • अजैविक कारक-इनमें नमी तथा तापमान सम्मिलित हैं ताप, आर्द्रता, नमी आदि अजैविक घटक फलों एवं सब्जियों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 6.
कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट तथा हरी खाद पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता, को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अंपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील-हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रित खोती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
कार्बनिक खेती किसे कहते हैं?
उत्तर:
फसल उत्पादन प्रबन्धन – भारत में कृषि छोटेछोटे खेतों से लेकर बहुत बड़े फार्मों तक में होती है। इसलिए विभिन्न किसानों के पास भूमि, धन, सूचना तथा तकनीकी उपलब्धता कम या अधिक होती है। संक्षेप में धन अथवा आर्थिक परिस्थितियाँ किसान को विभिन्न कृषि प्रणालियों तथा कृषि तकनीकों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योगदान, उच्च निवेश तथा फसल उत्पादन में सह-सम्बन्ध है। इस प्रकार किसान की लागत क्षमता फसलतन्त्र तथा उत्पादन प्रणालियों का निर्धारण करती है। बिना लागत उत्पादन, अल्प लागत उत्पादन तथा अधिक लागत उत्पादन प्रणालियौँ इनमें सम्मिलित हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

प्रश्न 8.
सिंचाई के साधनों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सिंचाई (Itrigation) – भारत में अधिकांश कृषि वर्षा पर आधारित हैं अथथत् अधिकांश क्षेत्रों में फसल की उपज, समय पर मानसून आने तथा वृद्धि काल में वर्षा होने पर निर्भर करती है। इसलिए कम वर्षा होने पर फसल उत्पादन कम हो जाता है। फसल की वृद्धि काल में उचित समय पर सिंचाई करने से सम्भावित फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इसलिए अधिकाधिक कृषि भूमि को सिचित करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं।

भारत में पानी के अनेक सोता हैं और विभिन्न प्रकार की जलवायु है। इन परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार की सिंचाई की विधियाँ पानी के स्रोत की उपलब्यता के आधार पर अपनायी जाती है। इन स्रोतों के कुछ उदाहरण; कुएँ, नहरें, नदियाँ और तालाब हैं।
(1) कुएँ-कुएँ दो प्रकार के होते हैं- खुदे हुए कुएँ और नलकुप। स्रुदे हुए कुएँ द्वारा भूमिगत जल स्तरों में स्थित पानी को एकत्रित किया जाता है। नलकूप में पानी गहरे जलस्तरों से निकाला जाता है। इन कुओं से सिंचाई के लिए पानी को पम्प द्वारा निकाला जाता है।

(2) नहों-यह सिंचाई का बहुत विस्तृत तथा व्यापक तन्त्र है। इनमें पानी एक या अधिक जलाशयों अथवा नदियों से आता है। मुख्य नहर से शाखाएँ निकलती हैं जो विभाजित होकर खेतों में सिंचाई करती हैं।

(3) नदी जल उठाव प्रणाली-जिन क्षेत्रों में जलाशयों से कम पानी मिलने के कारण नहरों का बहाव अनियमित अथवा अपर्याप्त होता है वहाँ जल उठाव प्रणाली अधिक उपयोगी होती है। नदियों के किनारे स्थित ख्रेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकाला जाता है।

(4) तालाब-छोटे जलाशय जो छोटे क्षेत्रों में बहते हुए पानी का संग्रह करते हैं, तालाब का रूप ले लेते हैं।

कृषि में पानी की उपलब्धि बढ़ाने के लिए आधुनिक विधियाँ, जैसे-वर्षां के पानी का संग्रहण तथा जल विभाजन का उचित प्रबन्धन द्वारा उपयोग किया जाता है। इसके लिए छोटे बाँध बनाने होते हैं जिससे कि भूमि के नीचे जलस्तर बढ़ जाए। ये छोटे बाँध वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं तथा मृदा अपरदन को भी कम करते हैं।

प्रश्न 9.
फसल चक्र किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ हैं?
उत्तर:
फसल चक्र – एक ही खेत में प्रतिवर्ष अनाज तथा फलीदार पौधों की फसल को अदल-बदल कर एक के बाद एक को उगाने की क्रिया को फसल चक्र कहते हैं।
फसल चक्र के लाभ –

  • मृदा की उर्वरता बनी रहती है।
  • अधिक उपज प्राप्त होती है।
  • खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
  • कीट-पतंगों और रोगों पर नियंत्रण में सहायता मिलती है।

प्रश्न 10.
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव कैसे किया जाता है?
उत्तर:
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव-फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • मृदा में पोषक तत्व गहरी तथा उथली हुई जड़ वाली फसलों को एक के बाद एक करके बौना चाहिए जिससे फसलें मिट्टी की विभिन्न सतहों से पोषक तत्व ग्रहण कर सकें।
  • नमी या जल की उपलब्धता अधिक पानी वाली फसल के बाद कम पानी वाली फसल बोनी चाहिए जिससे मिट्टी में वायु का संचार हो सके।
  • पोषक तत्वों की उपलब्धता अनाज की फसल के बाद दलहनी फसल बोनी चाहिए ताकि दलहनी फसलों की जड़ों में उपस्थित जीवाणु नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके भूमि की उर्वरता को बनाए रखें।

प्रश्न 11.
फसल चक्र का महत्व बताइए।
उत्तर:
फसल चक्र का महत्व –

  • इससे मृदा की उर्वरता में कमी नहीं आती है और वह यथावत बनी रहती है।
  • इससे खेतों में खरपतवार कम पैदा होते हैं।
  • दलहनी फसल उगाने से भूमि में नाइट्रोजन की वृद्धि हो जाती है।
  • फसलें कीटों तथा अन्य व्याधियों से सुरक्षित रहती हैं।
  • इससे मृदा अपरदन कम होता है।

प्रश्न 12.
पादपों में संकरण के लाभ बताइये।
उत्तर:
पादपों में संकरण के लाभ निम्नलिखित हैं-

  • संकरण से प्राप्त पौधे पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होते हैं।
  • ये पौधे छोटे होते हैं इसलिए इन पर तेज हवाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इन पौधों में वांछित लक्षण पाये जाते हैं।
  • इन पौधों से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है अर्थात् ये अच्छी उपज देते हैं।

प्रश्न 13.
कुक्कुट पालन क्यों किया जाता है? किन गुणों की प्राप्ति के लिए इनकी नई किस्में विकसित की जाती हैं?
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गी पालन) (Poultry farming) अंडे व कुक्कुट माँस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन किया जाता है। इसलिए कुक्कुट पालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली ( लेयर) मुर्गी पालन किया जाता है तथा माँस के लिए ब्रौलर को पाला जाता है।

निम्नलिखित गुणों के लिए नई-नई किस्में विकसित की जाती हैं। नई किस्में बनाने के लिए देशी; जैसे-एसिल तथा विदेशी; जैसे-लेगहॉर्न नस्लों का संकरण कराया जाता है-

  • चूजों की संख्या तथा गुणवत्ता;
  • छोटे कद के ब्रोलर माता-पिता द्वारा चूजों के व्यावसायिक उत्पादन हेतु;
  • गर्मी अनुकूलन क्षमता। उच्च तापमान को सहने की क्षमता;
  • देखभाल में कम खर्च की आवश्यकता;
  • अंडे देने वाले तथा ऐसी क्षमता वाले पक्षी जो कृषि के उपोत्पाद (एग्रीकल्चर बाइप्रोडक्ट्स) से प्राप्त सस्ते रेशेदार आहार का उपभोग कर सकें।

प्रश्न 14.
खौलर क्या है? इसकी आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर:
ब्रौलर-मांस प्रदान करने वाले कुक्कुटों को बौलर कहते हैं। इनकी आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाली मुर्गियों से कुछ भिन्न होती हैं। इनको इनकी तीव्र वृद्धि एवं अल्पमृत्यु दर के अनुकूल परिस्थितियों में रखना आवश्यक है। इनके आहार में प्रोटीन वसा के साथ विटामिन A व K की मात्रा अधिक रखी जाती है।

प्रश्न 15.
हमारे देश में अलवण जलीय मछलियों के स्त्रोत एवं नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में तालाब, पोखर, झील, झरने, नदियाँ आदि अलवण मछलियों के स्रोत हैं कतला, रोहू, मृगल, सिल्वर कार्प तथा ग्रास कार्प आदि अलवण जल प्रदायों की खाद्य मछलियाँ हैं। कतला मछली सबसे तीव्र (शीघ्र) वृद्धि करने वाली मछली है।

प्रश्न 16.
मछली संवर्धन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
मछली संवर्धन की उपयोगिता-मछली संवर्धन धान की फसल के साथ किया जा सकता है। अधिक मछली संवर्धन मिश्रित मछली संवर्धन तन्त्र से तालाब में किया जाता है। इसमें देशी तथा विदेशी प्रकार की मछलियों का उपयोग किया जाता है ऐसे तन्त्र में अकेले तालाब में 5 या 6 प्रकार की मछलियों की स्पीशीज का उपयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियों का चुनाव किया जाता है। जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो तथा उनके आहार की आदत अलग-अलग हो।

इससे तालाब के हर भाग में स्थित उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है जैसे कटला मछली पानी की सतह से भोजन लेती है, रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्य तालाब की तली से भोजन लेती है। ग्रास कार्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये मछलियाँ साथ साथ रहते हुए भी स्पर्धा के बिना अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब में मछली उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रश्न 17.
शहद क्या है? इसकी शुद्धता की पहचान कैसे की जा सकती है? शहद के मुख्य गुण व उपयोग बताइये।
उत्तर:
शहद एक गाड़ा, मीठा तरल पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा अपने छत्तों में एकत्र किया जाता है। शहद मुख्य संघटक जल, शर्करा, खनिज तथा प्रकिण्व हैं।

शुद्ध शहद की पहचान –

  • काँच के एक गिलास में पानी भरकर उसमें शहद की बूँदें मिलाने पर शुद्ध शहद पानी में एक पतला तार बनाएगा जबकि मिलावटी शहद पानी में घुल जायेगा।
  • सूक्ष्मदर्शी से देखने पर शुद्ध शहद में अनेक परागकण दिखाई देते हैं, अशुद्ध शब्द में नहीं।

शहद के गुण-शहद स्वाद में मीठा और पानी में घुलनशील होता है। शहद को खुला रखने पर वायुमंडल से नमी सोख लेता है तथा इसका किण्वन हो जाता है।

उपयोग – शहद सहज ही पाचक तथा एंटीसेप्टिक होता है इसलिए इसका प्रयोग अनेक प्रकार की औषधियों में किया जाता है।

प्रश्न 18.
मधुमक्खी के छत्ते से शहद किस प्रकार निकाला जाता है?
उत्तर:
मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालना – छते से शहद दो विधियों द्वारा निकाला जाता है-

  • सीधे ही छत्ते से धूम्र विधि से रात के समय मक्खियों को उड़ा दिया जाता है और छत्ते को तोड़कर निचोड़ कर शहद प्राप्त कर लिया जाता है। किन्तु यह विधि अवैज्ञानिक है।
  • मशीन द्वारा – शहद निकालने की मशीन एक खोखले सिलिन्डर से बनी होती है। इसके केन्द्रीय अक्ष पर धातु की जाली का सिलिन्डर के आकार का कक्ष बना होता है और कक्ष की तली में जाली लगी होती है। एक हैन्डिल की सहायता से इस कक्ष को केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर घुमाया जाता है।

शहद निकालने के लिए मधुकोषों सहित लकड़ी के फ्रेमों को मशीन में बने जालीदार कक्ष को घुमाया जाता है। जिससे शहद मधुकोषों से निकलकर मशीन के तल में एकत्रित हो जाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

Jharkhand Board Class 9 Science जीवन की मौलिक इकाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जन्तु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर:
पादप कोशिका तथा जन्तु कोशिका में तुलना।

पादप कोशिका जन्तु कोशिका
1. इसमें सेल्यूलोज की बनी कोशिका भित्ति तथा प्लाज्मा झिल्ली दोनों पाई जाती हैं। 1. इसमें कोशिका भित्ति नहीं होती केवल प्लाज्मा झिल्ली होती है।
2. इनमें क्लोरोप्लास्ट होते हैं। 2. इनमें क्लोरोप्लास्ट नहीं होता है।
3. रसधानियौँ बड़ी होती हैं। 3. रसधानियाँ छोटी या अनुपस्थित होती हैं।
4. प्रायः कोशिका अंगक झिल्ली युक्त होते हैं। 4. कोई भी कोशिका अंगक झिल्ली युक्त नहीं होता है।
5. केन्द्रक कोशिका की परिधि की ओर खिसका रहता है। 5. केन्द्रक गोल एवं कोशिका के मध्य में होता है।
6. गॉल्जी उपकरण कम विकसित होते हैं। 6. गॉल्जी उपकरण पूर्ण विकसित एवं स्पष्ट होता है।

प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर:
प्रोकैरियोटी व यूकैरियोटी कोशिका में भिन्नता

प्रोकैरियोटी कोशिका यूकैरियोटीक कोशिका
1. केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है। 1. केन्द्रक झिल्ली होती है।
2. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक नहीं होते हैं। 2. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक होते हैं।
3. केवल एक क्रोमोसोम पाया जाता है। 3. एक से अधिक क्रोमोसोम पाए जाते हैं।
4. क्लोरोफिल झिल्लीदार पुटिका के साथ होता है। 4. क्लोरोफिल प्लास्टिड में होता है।

प्रश्न 3.
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
प्लाज्मा झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य होती है। यह आवश्यक पदार्थों को अन्दर आने देती है तथा अनावश्यक पदार्थों को बाहर जाने देती है और अन्दर आने से रोकती है। यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जायेगी।

प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर:
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका में बने पदार्थों का संचयन, रूपान्तरण और पैकिंग का कार्य सम्भव नहीं हो पायेगा।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर:
कोशिका का माइटोकॉन्ड्रिया महत्त्वपूर्ण अंगक तथा कोशिका का बिजलीघर है क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के संचालन हेतु माइटोकॉन्ड्रिया भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त करती है जो ATP के रूप में संचित रहती है। अतः ऊर्जा उत्पादन करने के कारण माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर कहते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड का संश्लेषण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका (SER) द्वारा तथा प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम्स द्वारा होता है।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर:
अमीबा एन्डोसाइटोसिस प्रक्रिया द्वारा बाह्य वातावरण से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसकी प्लाज्मा झिल्ली अन्दर की ओर मुड़कर कप के आकार का गड्ढा (Cavity) बना लेती है, जिसमें भोजन प्रवेश कर जाता है। इसके बाद यह खाद्यधानी का रूप ले लेती है।

प्रश्न 8.
परासरण क्या है?
उत्तर:
परासरण एक विशिष्ट विधि है जिसके द्वारा जल के अणु वरणात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सान्द्रता से निम्न जल की सान्द्रता की ओर जाते हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें-
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जायें। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो, तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप D में एक चम्मच चीनी डालो।

आलू के इन चारों कपों को दो घन्टे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दो-
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल क्यों एकत्र नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर:
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल इसलिए एकत्र हो गया क्योंकि परासरण द्वारा जल कप B तथा C के अन्दर चला गया।

(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भीतर से खाली होने के कारण जल में कोई शुद्ध गति नहीं हुई।

(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र नहीं हुआ क्योंकि A कप कच्चे आलू का बना था और भीतर से खाली था परन्तु कप D उबले आलू का था जिसमें एक चम्मच चीनी थी। उबला होने के कारण वह वरणात्मक झिल्ली का कार्य नहीं करता। इसलिए आलू के कप A तथा D से जल में कोई शुद्ध गति नहीं हुई।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

प्रश्न 10.
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएँ?
उत्तर:
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु सूत्री विभाजन की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में हर कोशिका (मातृ कोशिका) विभाजित होती है तथा दो समरूप संतति कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है।

प्रश्न 11.
युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्त्व बताएँ ।
उत्तर:
युग्मकों के बनने के लिए अर्धसूत्री विभाजन होता है। इस विभाजन में प्रत्येक कोशिका अर्धसूत्रण द्वारा विभाजित होती हैं जिससे दो की जगह चार नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।

Jharkhand Board Class 9 Science जीवन की मौलिक इकाई InText Questions and Answers

क्रियाकलाप – 1.
प्याज का एक छोटा टुकड़ा लेकर चिमटी की सहायता से प्याज की अवतल सतह की ओर (भीतरी सतह) से झिल्ली उतार लेते हैं। इस झिल्ली को तुरंत पानी से भरे वॉच ग्लास में रख लेते हैं। इससे झिल्ली मुड़ने या सूखने से बच जाती है। अब काँच की एक स्लाइड लेकर इस पर पानी की एक बूँद डालते हैं। इसके बाद वॉच ग्लास में रखी झिल्ली के छोटे टुकड़े को सीधी इस स्लाइड पर रखते हैं। अब इस पर एक बूँद आयोडीन की डालकर इसे कवर स्लिप से ढक देते हैं। कवर स्लिप को इस प्रकार से ढकते हैं कि इसमें वायु के बुलबुले न आने पायें। अब इस स्लाइड को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी यंत्र से पहले कम शक्ति वाले तथा इसके बाद उच्च शक्ति वाले अभिदृश्यक द्वारा देखते हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई 1
सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर झिल्ली की सभी संरचनाएँ एक जैसी दिखाई देती हैं। प्याज की झिल्ली की कोशिकाएँ एक समान होती हैं। प्याज के आकार से इनका कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ये छोटी-छोटी संरचनाएँ प्याज के शल्ककन्द की मूलभूत इकाई हैं। इन संरचनाओं को कोशिका (Cell ) कहते हैं। इसी प्रकार सभी जीव-जन्तुओं का शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। यद्यपि कुछ जीव एककोशिकीय भी होते हैं। सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद ही यह पता चला है कि एक कोशिका स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव जैसे – अमीबा, क्लैमिडोमोनास, पैरामीशियम तथा बैक्टीरिया हो सकती है।

इन सजीवों को एक कोशिकीय जीव कहते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने के लिए विभिन्न अंगों का निर्माण करती हैं। उदाहरणार्थ- फंजाई (कवक), पादप तथा जन्तु। सभी कोशिकाएँ अपनी पूर्ववर्ती कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं। (पा. पु. पृ. सं. – 65)

क्रियाकलाप – 2.
प्याज की पत्ती की झिल्ली, प्याज की मूलाग्र अथवा विभिन्न आकार के प्याज की झिल्ली की अस्थायी स्लाइड बना सकते हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई 2
कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं। कुछ कोशिकाएँ अपना आकार
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई 3
बदलती रहती हैं, जैसे- एककोशिकीय अमीबा कुछ जीवों में कोशिका का आकार लगभग स्थिर रहता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका के लिए विशिष्ट होता है। उदाहरण के लिए तंत्रिका कोशिका।

प्रत्येक जीवित कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है, जो सभी सजीवों का गुण है। शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न कार्य करते हैं जैसे मनुष्य के शरीर में हृदय रुधिर को पम्प करता है तथा आमाशय भोजन का पाचन करता है आदि। इसी प्रकार एककोशिकीय जीवों में भी श्रम विभाजन होता है।

वास्तव में ऐसी प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट घटक होते हैं जिन्हें कोशिकांग कहते हैं। प्रत्येक कोशिकांग एक विशिष्ट कार्य करता है, जैसे कोशिका में नए पदार्थ का निर्माण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन आदि। इन कोशिकांगों के कारण ही एक कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य करती हैं। ये कोशिकांग मिलकर एक मूलभूत इकाई बनाते हैं जिसे कोशिका कहते हैं।

प्रश्न 1.
क्या सभी कोशिकाओं का आकार तथा आकृति एक जैसी दिखाई देती हैं?
उत्तर:
नहीं, कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं।

प्रश्न 2.
क्या सभी कोशिकाओं की संरचना एक जैसी दिखाई देती है?
उत्तर:
हाँ, सभी कोशिकाओं की संरचना एक जैसी दिखाई देती है।

प्रश्न 3.
क्या पादप के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली कोशिकाओं में कोई अन्तर है?
उत्तर:
पादप के विभिन्न भागों की कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के विशिष्ट कार्य करती हैं। पादप बहुकोशिकीय होते हैं। इनका विकास ही एक ही कोशिका से हुआ है। कोशिकाएँ विभाजित होकर अपने जैसी ही कोशिकाएँ बनाती हैं। अतः सभी भागों की कोशिकाएँ एक जैसी होती हैं।

प्रश्न 4.
हमें कोशिकाओं में क्या समानता दिखाई देती है?
उत्तर:
सभी कोशिकाओं की संरचना एक समान दिखाई देती है। चूँकि सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के कोशिकांग होते हैं।

खण्ड 5.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पू. सं. 66)

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर:
कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1605 में की। उन्होंने कोशिका को कॉर्क की पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा। उन्हें कॉर्क की संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई दी। उन्होंने कॉर्क के प्रकोष्ठों को कोशिका (Cell) नाम दिया।

प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कोशिका जीवन की संरचनात्मक इकाई हैक्योंकि कोशिकाएँ विभाजित होकर अपने जैसी ही कोशिकाएँ बनाती हैं जिससे जीवों का शरीर बनता है। अतः कोशिका जीवन की संरचनात्मक इकाई है।

कोशिका जीवन की क्रियात्मक इकाई है क्योंकि कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं। प्रत्येक सजीव कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है। ये कार्य कोशिका में स्थित कोशिकांगों द्वारा किये जाते हैं। प्रत्येक कोशिकांग एक विशिष्ट कार्य करता है। अतः कोशिका को जीवन की क्रियात्मक इकाई कहते हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

क्रियाकलाप-3.
(a) एक अण्डे को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) में डालकर उसके कवच को हटा देते हैं। इसका कवच प्राय: कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का बना होता है। अब अण्डे को एक पतली बाह्य त्वचा (झिल्ली) घेरे रहती है। इस अण्डे को शुद्ध जल में रखते हैं और 5 मिनट के बाद देखते हैं तो अण्डा फूल जाता है, क्योंकि परासरण द्वारा जल अण्डे के अन्दर चला जाता है।

(b) इसी प्रकार एक कवच रहित अण्डे को नमक के सान्द्र विलयन (NaCl) में रखते हैं। 5 मिनट बाद देखने से ज्ञात होता है कि अण्डा सिकुड़ जाता है। जल अण्डे से निकलकर नमक के विलयन में आ जाता है, क्योंकि नमक का विलयन अधिक सान्द्रित होता है। (पा. पु. पृ. सं. -68)

क्रियाकलाप – 4.
सूखी किशमिश को केवल जल में कुछ देर तक रखते हैं। उसके बाद उसे शक्कर या नमक के सान्द्रित विलयन में रखते हैं जल में रखने पर किशमिश जल ग्रहण करके फूल जाती है सान्द्रित घोल में रखने पर वह सिकुड़ जाती है क्योंकि उसका जल बाहर निकल जाता है।

एक कोशिकीय अलवणीय जलीय जीव तथा अधिकांश पादप कोशिकाएँ परासरण द्वारा जल ग्रहण करते हैं। पौधों के मूल द्वारा जल का अवशोषण परासरण का एक उदाहरण है। इसके अतिरिक्त विसरण, कोशिका को अपने बाहरी पर्यावरण से पोषण ग्रहण करने में सहायता करता है। कोशिका के विभिन्न अणुओं का अन्दर आना तथा बाहर निकलना भी विसरण द्वारा ही होता है। इस प्रकार के परिवहन में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है। यह कार्बनिक अणुओं जैसे- लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है। कोशिका झिल्ली का लचीलापन एककोशिकीय जीवों में कोशिका के बाह्य पर्यावरण से अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है। इस प्रक्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा अपना भोजन इसी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करता है।
(पा. पु. पू. सं. – 68)

क्रियाकलाप – 5.
विद्यालय के पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के बारे में पता करें। इससे संबंधित विषय में अपने अध्यापक/अध्यापिका से चर्चा करें।

खण्ड 5.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. – 68)

प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका में कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं? इस पर चर्चा करें।
उत्तर:
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका झिल्ली के अन्दर तथा बाहर विसरण प्रक्रिया द्वारा आ-जा सकते हैं। जब कोशिका के भीतर CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है तो उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की ओर विसरण द्वारा CO2 बाहर निकल जाती है। इसी प्रकार परासरण द्वारा जल के अणु वरणात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सान्द्रता से निम्न जल की सान्द्रता की ओर जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है। प्लाज्मा झिल्ली केवल कुछ वांछित पदार्थों को ही कोशिका के अन्दर आने देती है और अवांछित पदार्थों को अन्दर आने से रोक देती है। इसी प्रकार यह झिल्ली कोशिका के लिए अनावश्यक पदार्थों को तो बाहर जाने देती है तथा वांछित पदार्थों को अन्दर ही रोक लेती है। इसीलिए प्लाज्मा झिल्ली को वरणात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।

क्रियाकलाप – 6.
रिओ की पत्ती की झिल्ली को पानी में रखकर एक स्लाइड बनाते हैं इसे उच्च शक्ति वाले सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इसमें छोटे-छोटे कण दिखाई देते हैं। इन्हें क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। इनमें एक हरा पदार्थ क्लोरोफिल होता है। अब स्लाइड पर शक्कर या नमक का सान्द्र विलयन डालते हैं। अब रिओ की पत्तियों को कुछ मिनट तक जल में उबालते हैं। इससे पत्तियों की सभी कोशिकाएँ मर जायेंगी। अब स्लाइड पर रखी झिल्ली पर नमक का सान्द्र विलयन डालते हैं। इसे एक मिनट बाद पुनः सूक्ष्मदर्शी से देखते हैं तो पता लगता है कि केवल जीवित कोशिकाओं में ही परासरण द्वारा जल अवशोषण की क्षमता होती है न कि मृत कोशिकाओं में।

कोशिका भित्ति पौधों, कवक तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अपेक्षाकृत कम तनु विलयन में बिना फटे बनाये रखती है। ऐसे माध्यम से कोशिका परासरण विधि द्वारा पानी लेकर फूल जाती है और कोशिका भित्ति के ऊपर दबाव डालती है। कोशिका भित्ति भी फूली हुई कोशिका के प्रति समान रूप से दबाव डालती है। कोशिका भित्ति के कारण पादप कोशिकाएँ परिवर्तनीय माध्यम को जन्तु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर सकती हैं।

क्रियाकलाप – 7.
काँच की एक स्लाइड लेकर उस पर एक बूँद पानी रखते हैं। अब अपने गाल के अन्दर की त्वचा को आइसक्रीम खाने वाले चम्मच से खुरचकर सुई की सहायता से स्लाइड पर समान रूप से फैलाते हैं। इसे रंगने के लिए एक बूँद मेथलीन ब्लू की डालते हैं। अब इसके ऊपर कवर स्लिप रखते हैं और सूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करते हैं।

हम देखते हैं कि कोशिका के मध्य में एक गहरे रंग की गोलाकार अथवा अण्डाकार, डॉट के समान संरचना दिखाई देती है। इस संरचना को केन्द्रक कहते हैं।

केन्द्रक के चारों और दोहरे परत का एक स्तर होता है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते है। केन्द्रक झिल्ली में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इन छिद्रों के द्वारा केन्द्रक के अन्दर का कोशिका द्रव्य केन्द्रक के बाहर जा सकता है केन्द्रक में क्रोमोसोम होते हैं जो कोशिका विभाजन के समय छड़ों की तरह दिखाई देते हैं। क्रोमोसोम में आनुवंशिक गुण होते हैं जो माता-पिता DNA (डिऑक्सीराइबो न्यूक्लीइक अम्ल) अणु के रूप में अगली संतति में जाते हैं।

क्रोमोसोम DNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं। DNA अणु में कोशिका के निर्माण व संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं DNA के क्रियात्मक खण्ड को जीन कहते हैं। अविभाजित कोशिका में DNA क्रोमेटिन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है। क्रोमेटिन पदार्थ धागे के समान रचनाओं के एक जाल का पिण्ड होता है। कोशिका विभाजन के समय यह क्रोमोसोम में संगठित हो जाता है।

कुछ जीवों में केन्द्रक कोशिका जनन के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोशिका के विकास एवं परिपक्वन को निर्धारित करता है तथा साथ ही सजीव कोशिका की रासायनिक क्रियाओं को भी निर्देशित करता है। बैक्टीरिया जैसे कुछ जीवों में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है ऐसे अस्पष्ट केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रोमेटिन पदार्थ होता है। ऐसे क्षेत्र को केन्द्रकाय कहते हैं। ऐसे जीव जिसकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है उन्हें प्रोकेरियोट तथा जिन जीवों की कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली होती है। उन्हें यूकेरियोट कहते हैं।

खण्ड 5.2.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. – 70)

प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं; जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अन्तर स्पष्ट हो सके।
उत्तर:

प्रोकैरियोटी कौशिका यूकैरियोटी कोशिका
1. आकार प्राय : छोटा (1-10 um) 1m = 10-6m 1. आकार प्राय: बड़ा (5-100 um)
2. केन्द्रकीय क्षेत्रः बहुत कम स्पष्ट होता है। अस्पष्ट केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रोमेटिन पदार्थ होता है। उसे केन्द्रकाय कहते हैं। 2. केन्द्रकीय क्षेत्र: सुस्पष्ट। जो चारों ओर से केन्द्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है।
3. क्रोमोसोम : एक। 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक।
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित होते हैं। 4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक उपस्थित होते हैं।

खण्ड 5.2.5 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. -73)

प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं, जिनमें अपना आयुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर:
ऐसे दो अंगक जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है- वे हैं-

  • माइटोकॉन्ड्रिया तथा
  • प्लास्टिड।

प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि किसी कोशिका का संगठन नष्ट हो जाता है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं फलस्वरूप कोशिका नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कोशिकीय उपापचय में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ कहते हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
कोशिका के अन्दर प्रोटीन संश्लेषण राइबोसोम में होता है।

कोशिका विभाजन-जीवधारियों में वृद्धि के लिए नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इससे पुराने, मृत और क्षतिग्रस्त कोशिकाएँ प्रतिस्थापित हो जाती हैं तथा प्रजनन के लिए युग्मक बनते हैं। नई कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं। कोशिका विभाजन के दो प्रकार होते हैं-सूत्री विभाजन और अर्ध सूत्री विभाजन।

सूत्री विभाजन – इस प्रक्रिया में अधिकतर कोशिकाएँ वृद्धि के लिए विभाजित होती हैं। प्रत्येक कोशिका (मातृ कोशिका), दो समरूप कोशिकाओं में विभाजित होती हैं। संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के बराबर होती है। यह जीवों में वृद्धि और ऊतकों के मरम्मत में सहायक होती है।
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अर्धसूत्री विभाजन-जंतुओं तथा पादपों के प्रजनन अंगों या ऊतकों की विशेष कोशिकाएँ विभाजित हो, युग्मक बनाती है जो निषेचन के बाद संतति उत्पन्न करती है। इस विभाजन को अर्धसूत्रण भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में चार नई कोशिकाएँ बनती हैं। नई कोशिकाओं में मातृ कोशिकाओं की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board Class 9 Science खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर:
फसल उत्पादन में सुधार की प्रक्रिया में प्रयुक्त विधियों को निम्नलिखित प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है-

  • फसल की किस्मों में सुधार
  • फसल उत्पादन प्रबन्धन
  • फसल सुरक्षा प्रबन्धन।

(1) फसल की किस्मों में सुधार-(इसके लिए कृपया खंड 15.1 .1 का अध्ययन कीजिए)।
15.1.1 फसल की किस्मों में सुधार-फसलों का उत्पादन अच्छा हो, यह प्रयास फसलों की किस्मों के चयन पर निर्भर करता है। फसल की किस्मों के लिए विभिन्न उपयोगी गुणों (जैसे – रोग प्रतिरोधक क्षमता, उर्वरक के प्रति अनुरूपता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन) का चयन प्रजनन द्वारा कर सकते हैं।

फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुणों को संकरण द्वारा डाला जा सकता है। संकरण विधि में विभिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पौधों में संकरण करवाते हैं। यह संकरण अन्तराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों में), अन्तरास्पीशीज (एक ही जीन्स की दो विभिन्न स्पीशीजों में) अथवा अन्तराकंशीय (विभिन्न जेनेरा में) हो सकता है। फसल सुधार की दूसरी विधि है, ऐच्छिक गुणों वाले जीन का ड्डालना। इसके परिणामस्वरूप आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती हैं।

नसल प्रभेदों के लिए यह आवश्यक है कि फसल की किस्म विभिन्न परिस्थितियों में जो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती हैं, अच्छा उत्पादन दे सकें। किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले विशेष बीज उपलब्ध होने चाहिए जो अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित हो सकें।

कृषि प्रणालियाँ तथा फसल उत्पादन मौसम, मिट्टी की गुणवत्ता तथा पानी की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं। चूंक मौसम परिस्थितियों, जैसे-सूखा तथा बाढ़ का पूर्वानुमान कठिन होता है, इसलिए ऐसी किस्में अधिक उपयोगी हैं जो विविध जलवायु परिस्थितियों में भी उग सकें। इसी प्रकार ऐसी किस्में बनाई गई हैं जो उच्च लवणीय मिट्टी में उग सकें। किस्मों में सुधार के लिए कुछ कारक निम्नलिखित हैं-
1. उच्च उत्पादन-प्रति एकड़ फसल की उत्पादंकता बढ़ाना।

2. उन्तत किसमें-फसल उत्पाद की गुणवत्ता, प्रत्येक फसल में भिन्न-भिन्न होती है। दाल में प्रोटीन की गुणवत्ता तिलहन में तेल की गुणवत्ता और फल तथा सब्जियों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।

3. जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता-जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (ससखा, भारता, जलाक्रांति, गमीं, ठंड तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है। इन परिस्थितियों को सहन कर सकने वाली किस्में फसल उत्पादन में सुधार कर सकती हैं।

4. परिपक्वन काल में परिवर्तन-फसल को उगाने से लेकर कटाई तक कम से कम समय लगना आर्थिक दृष्टि से अच्छ है। इससे किसान प्रतिवर्ष अपने खेतों में कई फसलें उगा सकते हैं। कम समय होने के कारण फसल उत्पादन में धन भी कम खर्च होता है। समान परिपक्वन कटाई की प्रक्रिया को सरल बनाता है और कटाई के समय होने वाली फसल की हानि कम हो जाती है।

5. व्यापक अनुकूलता-व्यापक अनुकूलता वाली किस्मों का विकास करना विभिन्न पर्यांवरणीय परिस्थितियों में फसल उत्पादन को स्थायी करने में सहायक होगा। एक ही किस्म को विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न जलवायु में आाया जा सकता है।

6. ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधें उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किसेें अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती है।

प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता, को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अंपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील-हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है।

नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रत खोती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 3.
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण विधि द्वारा पीड़क व रोगों को एक प्रकार की फसल के सभी पौधों में फैलने से रोका जा सकता है। इस प्रकार दोनों फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता हैं।
फसल चक्र को उचित ढंग से अपनाने पर एक वर्ष में दो या तीन फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या है? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी है?
उत्तर:
आनुवंशिक फेरबदल पौधों में ऐच्छिक गुणों को डालने की प्रक्रिया है। संकरण विधि द्वारा रोग की प्रतिरोधकता, उर्वरक के प्रति अनुकूलता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन क्षमता के गुणों की प्राप्ति की जा सकती है तथा फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। यह संकरण अन्तराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों में), अन्तरास्पीशीज (एक ही जीन्स की दो विभिन्न स्पीशीजों में) अथवा अन्तरावंशीय (विभिन्न जेनरा में) हो सकता है। इसके फलस्वरूप रूपान्तरित फसलें प्राप्त हो सकती हैं। कृषि प्रणालियों में इस विधि ने बीजों की नई-नई किस्में तथा जातियाँ प्रदान की हैं जिससे अनाज उत्पादन बढ़ा है तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

प्रश्न 5.
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर:
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि के जैविक कारक कीट, कृंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा इस हानि के अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी एवं ताप का अभाव है ये कारक उत्पाद की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता कम कर देते हैं, उत्पाद को बदरंग कर देते हैं जिससे बाजार में उत्पाद की कीमत कम हो जाती है।

प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर:
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ बहुत लाभदायक हैं। इनसे उन्हें खेती के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी होता है। खाद्य पदार्थों की प्राप्ति- गाय, भैंस आदि पशुओं से दूध मिलता है। दूध मनुष्य का पूर्ण भोजन है तथा इसमें शरीर की समुचित वृद्धि के लिए सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। दूध से दही, घी, मक्खन, पनीर आदि भोज्य पदार्थ बनाये जाते हैं, कृषि कार्य में सहायक बैल, भैंसे आदि पशु किसान की खेती का काम करते हैं तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ढोते हैं।

खाद की प्राप्ति – सभी पालतू पशु जैसे- गाय, भैंस, बकरी, ऊँट, घोड़ा आदि के अपशिष्ट, बचा हुआ चारा तथा मलमूत्र (गोबर) आदि से हमें कृषि कार्य के लिए उपयोगी जैविक खाद प्राप्त होती है।

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प्रश्न 7.
पशु पालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पशुओं से हमें दूध प्राप्त होता है जो हमारे भोजन का पौष्टिक आहार है। कृषि कार्य जैसे हल चलाना, सिंचाई करना तथा बोझ ढोने के लिए हम पशुओं का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 8.
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में उचित देख-रेख तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति अनुकूलता की आवश्यकता है। इन तीनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए संकरण विधि का प्रयोग किया जाता है जिससे हमें उत्तम स्पीशीज प्राप्त होती हैं। इनसे हमें अधिक मात्रा में अंडे, मास (गोश्त ) तथा शहद प्राप्त होता

प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
ताजा जल के स्रोत नाले, तालाब, पोखर, नदियों में मछली पालन को प्रग्रहण मत्स्यन कहते हैं समुद्री मछलियों की पूर्ति हेतु समुद्री संवर्धन को मेरीकल्चर कहते हैं। कुछ आर्थिक महत्व वाली मछलियों का समुद्र में संवर्धन किया जाता है, जिसे जल संवर्धन कहते हैं।

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खंड 15.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 229)

प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
अनाजों से हमें कार्बोहाइड्रेट, दालों से प्रोटीन तथा फलों एवं सब्जियों से विटामिन व खनिज लवण, कुछ मात्रा में प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं।

विभिन्न फसलों के लिए विभिन्न जलवायु सम्बन्धी परिस्थितियों, तापमान तथा दीप्तिकाल (photoperiods) की आवश्यकता होती है जिससे कि उनकी समुचित वृद्धि हो सके और वे जीवनचक्र पूरा कर सकें। दीप्तिकाल सूर्य प्रकाश के समय से सम्बन्धित होता है। पौधों में पुष्पन तथा वृद्धि सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करती है। हम यह जानते हैं। कि पौधे सूर्य के प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं कुछ ऐसी फसलें जिन्हें हम वर्षा ऋतु मैं उगाते हैं, खरीफ फसल कहलाती हैं जो जून से आरम्भ होकर अक्टूबर मास तक होती हैं। कुछ फसलें शीत ऋतु में उगायी जाती हैं जो नवम्बर से अप्रैल मास तक होती हैं। इन फसलों को रबी फसल कहते हैं धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूंग तथा उड़द खरीफ फसलें हैं। गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों तथा अलसी रबी फसलें हैं।

भारत में सन् 1952 से सन् 2010 तक कृषि भूमि में 25% की वृद्धि हुई है, जबकि अनाज की पैदावार में चार गुनी वृद्धि हुई है। पैदावार में इस वृद्धि होने को तीन चरणों में बाँट सकते हैं – सबसे पहले बीज का चुनना, दूसरा फसल की उचित देखभाल तथा तीसरा, खेतों में उगी फसल की सुरक्षा तथा कटी हुई फसल को हानि से बचाना। इस प्रकार फसल उत्पादन में सुधार की प्रक्रिया में प्रयुक्त गतिविधियों को निम्न तीन प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है-

  • फसल की किस्मों में सुधार।
  • फसल उत्पादन प्रबन्धन।
  • फसल सुरक्षा प्रबन्धन।

खंड 15.1.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पु. सं. 230)

प्रश्न 1.
जैविक और अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता-जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गर्मी, ठंड तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है। इन परिस्थितियों को सहन कर सकने वाली किस्में फसल उत्पादन में सुधार कर सकती हैं।

प्रश्न 2.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर:
ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधें उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

खंड 15.1.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 231)

प्रश्न 1.
वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
पौधों के लिए 16 पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है। हवा से कार्बन व ऑक्सीजन तथा पानी से हाइड्रोजन व ऑक्सीजन एवं शेष 13 पोषक पदार्थ मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन 13 में से 6 पोषकों की अधिक मात्रा चाहिए इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपना पोषक पदार्थ हवा, पानी तथा मिट्टी प्राप्त करते हैं।
खाद खाद में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है तथा यह मिट्टी को अल्पमात्रा में पोषक प्रदान करते हैं। खाद को जन्तुओं के अपशिष्ट तथा पौधों के कचरे के अपघटन से तैयार किया जाता है। खाद मिट्टी को पोषकों तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है।

खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है। चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा पानी को निकालने में सहायता करती है जिससे पानी एकत्रित नहीं होता है।

खाद के बनाने जैविक कचरे का उपयोग किया जाता है। इससे उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग की आवश्यकता नहीं होती तथा इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण में सहयोग मिलता है। खाद बनाने की प्रक्रिया में विभिन्न जैव पदार्थों के उपयोग के आधार पर खाद को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) कंपोस्ट तथा वर्मी कंपोस्ट-कंपोस्टीकरण प्रक्रिया में कृषि अपशिष्ट पदार्थ जैसे- पशुओं का गोबर (भलमूत्र आदि), सब्जी के छिलके एवं कचरा, सीवेज कचरे, घरेलू कचरे, जानवरों द्वारा छोड़े गये चारे फेंके हुए खर-पतवार आदि को गड्ढों में विगलित करते हैं। कंपोस्ट में कार्बनिक पदार्थ तथा पोषक बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। जब कंपोस्ट को केंचुओं द्वारा पौधों तथा जानवरों के अपशिष्ट पदार्थों के शीघ्र निरस्तीकरण की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। तब इसे वर्मी कंपोस्ट कहते हैं।

(ii) हरी खाद – फसल उगाने से पहले खेतों में कुछ पौधे जैसे- पटसन, मूंग, चा अथवा ग्वार आदि उगा देते है और उसके बाद उन पर हल चला कर खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है। ये पौधे हरी खाद में परिवर्तित हो जाते हैं जो मिट्टी को नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस से परिपूर्ण करने में सहायक होते हैं।

उर्वरक उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक हैं। ये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से अच्छी कायिक वृद्धि होती है और स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है। अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का भी उपयोग होता है, किन्तु ये आर्थिक दृष्टि से मँहगे पड़ते हैं।

उर्वरक का उपयोग बड़े ध्यान से करना चाहिए और उसके सदुपयोग के लिए इसकी खुराक की उचित मात्रा, उचित समय तथा उर्वरक देने से पहले तथा उसके बाद की सावधानियों को अपनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, कभी-कभी उर्वरक अधिक सिंचाई के कारण पानी में बह जाते हैं और पौधे उसका अवशोषण नहीं कर पाते हैं। उर्वरक की अधिक मात्रा जल प्रदूषण का कारण होती है।

उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है। क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती तथा इससे सूक्ष्मजीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध होता हैं। उर्वरकों के उपयोग द्वारा फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है परन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

खंड 15.1.2 (i) से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 232)

प्रश्न 1.
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुन: पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रित खेती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

खंड 15.1.2 तथा 15.1.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 235)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थितियों में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्च कोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई न करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का उपयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर:
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का उपयोग करें सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ तो अधिक लाभ होगा। क्योंकि इस परिस्थिति में मुदा में पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होगी। पौध को समय पर सिंचाई से पानी मिलेगा। अच्छी किस्म के बीजों का उपयोग करने पर उत्पादन में वद्धि होगी तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाने से फसल की सुरक्षा होगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी।

क्रियाकलाप 15.1 (पा.पु. पू. सं. 235)
जुलाई अथवा अगस्त के महीने में खरपतवार से ग्रसित किसी खेत का अवलोकन करो। खेत में स्थित खरपतवार तथा कीट पीड़कों की एक सूची बनाओ।

नोट – इस क्रियाकलाप को जुलाई-अगस्त में अपने अध्यापक या माता-पिता या किसी अन्य के सहयोग से एवं मार्गदर्शन में खेतों में उपस्थित खरपतवारों तथा कीट पीड़कों की एक सूची बनाते हैं। कुछ खरपतवारों के नाम इस प्रकार हैं – गोखरू (जैथियम), गाजर घास (पारथेनियम), मोथा (साइरेनस रोटेंडस), बथुआ ( चीनोपोडियम) आदि। कुछ कीट पीड़कों के नाम इस प्रकार हैं- एफिड, पायरिला, शलभ, टिड्डी, दीमक, डिसडर्कस, बारगेटा, माहूँ, धान का गंधी कीट आदि।

अनाज का भंडारा कृषि उत्पाद के भंडारण में बहुत हानि हो सकती है। इस हानि के जैविक कारक कीट, कृतंक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा इस हानि के अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव है। ये कारक उत्पाद की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता को कम कर देते हैं। उत्पाद को बदरंग कर देते हैं। ये सब
लक्षण बाजार में उत्पाद की कीमत को कम कर देते हैं। इन कारकों पर नियन्त्रण पाने के लिए उचित उपचार और भंडारण का प्रबन्ध होना चाहिए।

निरोधक तथा नियन्त्रण विधियों का उपयोग भंडारण करने से पहले किया जाता है। इन विधियों में भंडारण से पहले उत्पाद की नियन्त्रित सफाई और अच्छी तरह सुखाना ( पहले सूर्य के प्रकाश में फिर छाया में) तथा धूमक (fumi- gation) का उपयोग, जिससे कि पीड़क मर जाये, सम्मिलित हैं।

खंड 15.1.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पू. सं. 235)

प्रश्न 1.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियन्त्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर:
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ अपनाना इसलिए अच्छा समझा जाता है, क्योंकि ये विधियों अपनाना सरल है और इन विधियों से तथा जैव नियन्त्र पीड़क मर जाते हैं।

प्रश्न 2.
भंडारण की प्रक्रिया में कौन-कौन से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
भंडारण की प्रक्रिया में अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी कारक हैं- जैविक कारक कीट, कवक, चिंचड़ा तथा जीवाणु एवं अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव होना।

क्रियाकलाप 15.2. (पा.पु. पू. सं. 235)
अनाज, दाल तथा तिलहन के बीजों को एकत्रित करो तथा उनके उगाने तथा कटाई की ऋतुएँ बताओ।
नोट- धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, उड़द तथा मूँग आदि खरीफ की फसलें हैं। इनको वर्षा ऋतु में उगाया जाता है जो जून से प्रारम्भ होकर अक्टूबर तक होती हैं।
गेहूँ, चना, मटर, सरसों तथा अलसी आदि रबी की फसलें हैं। इनको शीत ऋतु में उगाया जाता है जो नवम्बर से अप्रैल तक होती हैं।

खंड 15.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 236)

प्रश्न 1.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्राय: कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः संकरण विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में देशी और विदेशी नस्लों के बीच संकरण कराया जाता है क्योंकि इन दोनों नस्लों के संकरण से एक ऐसी सन्तति प्राप्त होती है जिसमें दोनों के ऐच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं लम्बा दुग्ध स्रावण काल) होते हैं।

क्रियाकलाप 15.3. (पा.पु. पू. सं. 236)
पशुधन फार्म पर जाएँ और निम्नलिखित की ओर ध्यान दें-

  • पशुओं की संख्या तथा विभिन्न प्रकार की नस्लों की संख्या
  • विभिन्न नस्लों से प्रतिदिन प्राप्त दूध।

नोट- इस क्रियाकलाप को अपने अध्यापक या अभिभावकों की सहायता से छात्र स्वयं करें अपने समीप वर्ती किसी पशुधन फार्म हाउस पर जाएँ और वहाँ पर विभिन्न प्रकार की नस्लों के पशुओं की सूची बनाएँ तथा उनसे प्रतिदिन प्राप्त दूध की मात्रा भी लिखें।

उत्पादन की मात्रा-मानवीय व्यवहार आधारित पशुपालन में पशुओं के स्वास्थ्य तथा स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए गाय तथा भैंस के शरीर की उचित सफाई तथा आवास की आवश्यकता होती है। पशु के शरीर पर झड़े हुए बाल तथा धूल को हटाने के लिए नियमित रूप से पशु की सफाई करनी चाहिए। उनका आवास छायादार तथा रोशनदान युक्त होना चाहिए। ऐसे आवास उन्हें वर्षा, गर्मी तथा सर्दी से बचाते हैं। आवास का फर्श बलवां होना चाहिए जिससे वह साफ और सूखा रहे।

दूध देने वाले पशु (डेयरी पशु) के आहार की आवश्यकता दो प्रकार की होती है-

  • एक प्रकार का आहार जो उसके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखे।
  • दूसरा वह जो दुग्ध उत्पादन को बढ़ाये। इसकी आवश्यकता दुग्ध स्रावण काल में होती है।

पशु आहार के अन्तर्गत आते हैं-
(i) मोटा चारा ( रुक्षांश) – जो प्रायः मुख्यतः रेशे होते हैं।

(ii) सान्द्र चारा – जिसमें रेशे कम होते हैं और प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं। पशु को सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है जिसमें उचित मात्रा में सभी पोषक तत्व हों। ऐसे पोषक तत्वों के अतिरिक्त कुछ सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं जो दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखते हैं तथा दूध उत्पादन को बढ़ाते

पशु अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकते हैं जिसके कारण उनकी दूध उत्पादन की क्षमता में कमी अथवा उनकी मृत्यु हो सकती है। एक स्वस्थ पशु नियमित रूप से खाता है ढंग से बैठता व उठता है। पशु के बाह्य परजीवी तथा अन्तः परजीवी दोनों ही होते हैं। बाह्य परजीवी जैसे किलनी, जूँ त्वचा पर रहते हैं जिनसे पशु को त्वचा रोग हो सकते हैं। अन्तः परजीवी जैसे कीड़े आमाशय तथा आँत को तथा पर्णकृमि ठीक रोग (फ्लूक) यकृत को प्रभावित करते हैं संक्रामक बैक्टीरिया तथा वाइरस के कारण होते हैं। अनेक विषाणु (वाइरस) तथा जीवाणु (बैक्टीरिया) जनित रोगों से पशुओं को बचाने के लिए टीका (वैक्सीन) लगाया जाता है।

खंड 15.2.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 237)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए- “यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम है। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर:
पशु को सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है जिसमें उचित मात्रा में सभी पोषक तत्व उपस्थित हों। ऐसे पोषक तत्वों के अतिरिक्त कुछ सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं जो दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखते हैं तथा दूध उत्पादन को बढ़ाते हैं। पशु आहार के अन्तर्गत मोटा चारा ( रूक्षांश) जो प्राय: रेशे होते हैं तथा सांद्र चारा जिसमें रेशे कम और प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं।

कुक्कुट तथा बौलर आहार से हमें प्रोटीन, वसा तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। इसलिए भारत के कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने में सबसे अधिक सक्षम है अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए इसलिए उपयुक्त नहीं होते क्योंकि उनमें पौष्टिकता बहुत ही कम मात्रा में होती है।

अंडों तथा बौलर का उत्पादन बौलर चूजों को अच्छी वृद्धि दर और अच्छी आहार दक्षता के लिए विटामिन से भरपूर आहार मिलते हैं उनकी मृत्युदर कम रखने और उनके पंख और मांस की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सावधानी बरती जाती है। उन्हें ब्रॉलर के रूप में उत्पादित किया जाता है तथा मांस के प्रयोजन के लिए विपणन किया जाता है।

मुर्गीपालन में अच्छा उत्पाद प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबन्धन प्रणालियाँ बहुत आवश्यक हैं। इसके अन्तर्गत इनके आवास में उचित ताप तथा स्वच्छता का निर्धारण करके कुक्कुट आहार की गुणवत्ता को बनाए रखा जाता है। इनके साथ-साथ रोगों तथा पीड़कों पर नियंत्रण तथा उनके बचाव करना भी सम्मिलित है।

बौलर की आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाले कुक्कुटों (मुर्गियों) से कुछ भिन्न होती हैं ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होता है। कुक्कुट आहार में विटामिन A तथा विटामिन K की मात्रा भी अधिक रखी जाती है।

विषाणु, जीवाणु, कवक, परजीवी तथा पोषणहीनता के कारण मुर्गियों में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। अतः सफाई तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से रोगाणुनाशी पदार्थों का छिड़काव आवश्यक है। मुर्गियों को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीका लगवाना चाहिए जिससे ये महामारी से ग्रसित न हों। इन सावधानियों के बरतने से रोगों के फैलने की दशा में कुक्कुट को न्यूनतम हानि होती है।

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खंड 15.2.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 238)

प्रश्न 1.
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबन्धन प्रणाली में क्या समानता है?
उत्तर:
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबन्धन प्रणालियाँ बहुत आवश्यक हैं। इनके अन्तर्गत इनके आवास में उचित ताप तथा स्वच्छता का निर्धारण करके पशु एवं कुक्कुट आहार की गुणवत्ता को बनाए रखा जाता है। इसके साथ ही रोगों तथा पीड़कों पर नियन्त्रण तथा उनसे बचाव करना भी सम्मिलित है। दोनों की प्रबन्धन प्रणाली में यही समानता है।

प्रश्न 2.
बौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अन्तर है? इनके प्रबन्धन के अन्तर को भी स्पष्ट करें।
उत्तर:
बौलर की आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाली मुर्गियों से भिन्न होती हैं बौलर के आहार में प्रोटीन और वसा प्रचुर मात्रा में होता है। कुक्कुट आहार में विटामिन A तथा K की मात्रा भी अधिक रखी जाती है। बौलर को माँस के लिए पाला जाता है, जबकि अंडे देने वाली मुर्गियों को लेयर्स कहा जाता है। बौलर की तीव्र वृद्धि तथा अल्पमृत्यु दर की अनुकूल परिस्थितियों में रखना आवश्यक है।

क्रियाकलाप 15.4. (पा.पु. पू. सं. 238)
विद्यार्थी स्वयं कुक्कुट पालन केन्द्र में जाएँ। वहाँ विभिन्न प्रकार की नस्लों का अवलोकन करें। उनको दिये जाने वाले आहार, उनके आवास तथा प्रकाश सुविधाओं को नोट करें। अंडे देने वाली लेयर तथा बौलर को पहचानें।
नोट- किसी कुक्कुट पालन केन्द्र में जाकर वहाँ किसी सहायक की सहायता से उनकी नस्लों का अवलोकन करें और उनको दिये जाने वाले आहार, आवास तथा प्रकाश की सुविधाओं को ध्यान से देखकर नोट कर लेते हैं। अंडे देने वाली लेयर तथा बौलर की पहचान कर उन्हें भी नोट कर लेते हैं।

खंड 15.2.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 239)

प्रश्न 1.
मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
(i) समुद्री मत्स्यकी (Marine fisheries) भारत का समुद्री मछली संसाधन क्षेत्र 7500 किलोमीटर समुद्री तट तथा इसके अतिरिक्त समुद्र की गहराई तक है। सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियाँ पॉमफ्रेट, मैकर्ल, टुना, सारडाइन तथा बांबेडक हैं। समुद्री मछली पकड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के जालों का उपयोग मछली पकड़ने वाली नावों में किया जाता है। सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि ध्वनित्र से खुले समुद्र में मछलियों के बड़े समूह का पता लगाया जा सकता है। तथा इन सूचनाओं का उपयोग कर मछली का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

कुछ आर्थिक महत्व वाली समुद्री मछलियों का समुद्री जल में संवर्धन भी किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं-मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पंखयुक्त मछलियाँ), कवचीय मछलियाँ जैसे-झींगा (प्रॉन), मस्सल तथा ऑएस्टर एवं साथ ही खरपतवार। ऑएस्टर का संवर्धन मोतियों को प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।

भविष्य में समुद्री मछलियों का भंडार कम होने की अवस्था में इन मछलियों की पूर्ति संवर्धन के द्वारा हो सकती है। इस प्रणाली को समुद्री संवर्धन (मेरीकल्चर) कहते हैं।
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(ii) अन्त:स्थली मत्स्यकी (Inland fisheries) ताजा जल के स्रोत नाले, तालाब, पोखर तथा नदियाँ हैं। खारे जल के संसाधन, जहाँ समुद्री जल तथा ताजा जल मिश्रित होते हैं जैसे कि नदीमुख (एस्चुरी) तथा लैगून भी महत्वपूर्ण मछली भंडारण हैं। जब मछलियों का प्रग्रहण अन्तःस्थली स्रोतों पर किया जाता है तो उत्पादन अधिक नहीं होता। इन स्रोतों से अधिकांश मछली उत्पादन जल संवर्धन द्वारा ही होता है।

मछली संवर्धन कभी-कभी धान की फसल के साथ भी किया जाता है। अधिक मछली संवर्धन मिश्रित मछली संवर्धन तन्त्र से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में देशी तथा आयातित प्रकार की मछलियों का प्रयोग किया जाता है।

ऐसे तन्त्र में एक ही तालाब में 5 या 6 मछलियों की स्पीशीज का प्रयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियो को चुना जाता है जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो अथवा उनके आहार भिन्न-भिन्न हों। इसके परिणामस्वरूप तालाब के प्रत्येक भाग में उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है। जैसे- कटला मछली जल की सतह से अपना भोजन लेती है। रोहू मछली तालाब के मध्य से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्प तालाब की तली से भोजन लेती हैं। ग्रास कॉर्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये सभी मछलियाँ साथ-साथ रहते हुए भी बिना स्पर्धा के अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब से मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 2

मिश्रित मछली संवर्धन में एक समस्या यह है कि इनमें से कई मछलियाँ केवल वर्षा ऋतु में ही प्रजनन करती हैं। यहाँ तक कि यदि मत्स्य डिंभ देशी नस्ल से लिए जायें तो अन्य स्पीशीज के डिंभों के साथ मिल सकते हैं। अतः मछली संवर्धन के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले डिंभों का उपलब्ध न होना एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए ऐसी विधियाँ खोजी जा रही हैं कि तालाब में इन मछलियों का संवर्धन हार्मोन के उपयोग द्वारा किया जा सके। इससे ऐच्छिक मात्रा में शुद्ध मछली के डिंभ प्राप्त होते रहेंगे।

प्रश्न 2.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मिश्रित मछली संवर्धन में तालाब के प्रत्येक भाग में उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है, जैसे- कटला मछली जल की सतह से अपना भोजन लेती है। रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्प तालाब की तली से भोजन लेती है। ग्रास कार्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये सभी मछलियाँ साथ-साथ रहकर भी बिना स्पर्धा के अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब में मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।

क्रियाकलाप-15.5. (पा. पु. पू. सं. 239)
मछलियों के जनन काल में मछली फार्म में जाओ और निम्नलिखित का अवलोकन करो-

  • तालाब में मछलियों की विभिन्न किस्में
  • तालाबों के प्रकार
  • फार्म में प्रयुक्त आहार में शामिल तत्व
  • ज्ञात करो कि फार्म की मछली उत्पादन क्षमता क्या है?

नोट- किसी मछली पालन केन्द्र में जाइए और अपने अध्यापक या मछली पालन केन्द्र के सहायक कर्मचारी की सहायता से ऊपर दिये गये प्रश्नों के विषय में जानकारी एकत्रित करके अपनी नोट बुक में सूची बनाइये।

खंड 15.2.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 240)

प्रश्न 1.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में निम्नलिखित ऐच्छिक गुण होने चाहिए-

  • मधुमक्खी में मधु एकत्र करने की क्षमता बहुत अधिक होनी चाहिए
  • वे डंक भी कम मारने वाली हों।
  • वे निर्धारित छत्ते में काफी समय तक रहें।
  • प्रजनन तीव्रता से करें।

प्रश्न 2.
चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर:
मधुमक्खियों द्वारा मधु एकत्र करने के लिए उपलब्ध फूलों वाली जगह को चरागाह कहते हैं। मधुमक्खियाँ फूलों से मकरंद और पराग एकत्र करती हैं। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता मधु की गुणवत्ता और स्वाद को निर्धारित करती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कान में श्रवण संवेदना उत्पन्न करती है। जब हम किसी घण्टे पर चोट मारते हैं तो हमें ध्वनि सुनाई देती है तथा घण्टे को हल्का-सा छूने पर उसमें झनझनाहट-सी महसूस होती है। जैसे ही घण्टे में कंपन बंद हो जाता है ध्वनि भी बंद हो जाती है। इसी कारण जब सितार के तार को अँगुली से दबाकर छोड़ देते हैं, तो वह कम्पन करने लगता है और उससे ध्वनि निकलने लगती है। जीवधारी अपने गले की झिल्ली में कम्पन करके मुँह से ध्वनि निकालते हैं। इन कम्पनों की आवृत्ति 20 से 20,000 प्रति सेकण्ड के बीच होती है।

प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट बायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
ध्वनि हवा के माध्यम से गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वह अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीडन कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। कंपित वस्तु
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 1
पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन कहलाता है जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, वैसे-वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है।

प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
चित्र 12.16 के अनुसार उपकरणों को व्यवस्थित करके स्विच को दबाने पर हम घंटी की आवाज सुनते हैं। बेलजार से धीरे-धीरे हवा निकालने पर घंटी की आवाज धीमी होती जाती है, हालाँकि अभी भी उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है बेलजार में थोड़ी-सी हवा बचने पर घंटी की आवाज बहुत धीमी सुनाई पड़ती है। हवा पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती। इस प्रयोग से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ध्वनि को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 2

प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर:
जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।

प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अँधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर:
ध्वनि की गुणता वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है और हम मित्र की आवाज पहचान लेते हैं।

प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं, लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं लेकिन पहले चमक दिखाई देती है और गर्जन की आवाज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वायु में प्रकाश का वेग, ध्वनि के वेग से अधिक होता है। अतः चमक हमें पहले दिखाई देती है और ध्वनि कुछ देर बाद सुनाई देती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1
हल:
I. आवृत्ति = 20 हज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मीटर / सेकण्ड
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
v = λ × v
344 मीटर / सेकण्ड = λ x 20 हर्ट्ज
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 3

II. आवृत्ति v = 20 किलो हर्ट्ज = 20,000 हर्ट्ज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मी./से.
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
344 मीटर / सेकण्ड = λ × 20,000 हर्ट्ज
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 4
इस प्रकार, 20 हर्ट्ज और 20 किलो हर्ट्ज के अनुरूप तरंगदैर्ध्य हैं क्रमश: 17.2 मीटर और 0.0172 मीटर।

प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
हवा में ध्वनि का वेग v1 = 346 मी./से.
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग v2 = 6420 मी./से.
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 5

प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
हल:
आवृत्ति = 100 Hz
समय = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
कंपनों की संख्या = आवृत्ति x समय
= 100 Hz x 60 सेकण्ड
= 6000 कंपन।

प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश तरंगें करती हैं। ये नियम इस प्रकार हैं-

  • अभिलम्ब तथा ध्वनि के आपतित होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
  • ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी – (i) जिस दिन तापमान अधिक हो? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर:
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 6
समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है। किसी भी माध्यम का ताप बढ़ने से उनमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसलिए, गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जाएगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा जल्दी सुनाई देगी।

प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के उपयोग-

  • श्रवण सहायक यंत्र ध्वनि के परावर्तन की प्रक्रिया पर ही आधारित होते हैं।
  • सोनार

प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी। (g = 10ms-2 तथा ध्वनि की चाल 340 ms है)
हल:
मीनार की ऊँचाई = 500 मी.
ध्वनि की चाल = 340 ms-1
g = 10ms-1
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 7
ध्वनि द्वारा तालाब से मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा समय = \(\frac { 500 }{ 340 }\) = 1.5 सेकण्ड
पत्थर द्वारा चोटी से तालाब तक पहुँचने में लगा समय
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt²
500 = 0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 x t²
(पत्थर विरामावस्था में था अतः u = 0 व ut = 0)
5t² = 500
t² = \(\frac { 500 }{ 5 }\) = 100
t = \(\sqrt{100}\)
= 10 सेकण्ड
अतः ध्वनि को मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा कुल समय
= 1.5 सेकण्ड + 10 सेकण्ड = 11.5 सेकण्ड

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms की चाल से चलती है। यदि ध्वनि की तरंगदैर्ध्य 1.5 सेमी हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
हल:
ध्वनि की चाल = 339 ms-1
तरंगदैर्ध्य = 1.5 सेमी. = 0.015 मी.
हम जानते हैं-
चाल = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
339 = आवृत्ति x 0.015 मी.
आवृत्ति =\(\frac { 339 }{ 0.015 }\)
= \(\frac { 339×1000 }{ 15 }\)
= 22600 Hz
यह श्रव्य नहीं है।

प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
ध्वनि के बार बार दीवार से टकराकर बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि निर्बंध होता है। इसे अनुरणन कहते है।
अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे- संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरा या पर्दे लगा देते हैं।

प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। यह उसके आयाम पर निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है, उसकी प्रबलता कहते हैं।

कारक – यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-

  • आयाम पर
  • ऊर्जा पर
  • तीव्रता पर
  • तरंग के वेग पर

इकाई क्षेत्र से 1 सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं।

प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ों की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते। अपनी उड़ान के समय वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़ अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान लेते हैं।

प्रश्न 18
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता है, जो पहुँच से परे होती हैं, जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि। इन्हें साफ करने के लिए साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं। इस विलयन में पराध्वनि की तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई तथा गंदगी अलग हो जाती है। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है। प्रेषित पराध्वनि उत्पन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा जल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिसका उचित विश्लेषण करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है।

सोनार के उपयोग:

  • सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग हिम शैल या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है।

प्रश्न 20.
कडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
वस्तु की दूरी = 3625m; समय = 5s
ध्वनि की चाल = ?
2 x दूरी = चाल x समय
2 x 3625 = v x 5
5v = 2 x 3625
v = \(\frac {2×3625 }{ 5 }\) = 1450m/s
अतः ध्वनि की चाल = 1450m/s

प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा सा भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं। इस प्रकार धातु के ब्लॉकों से दोष दूर कर दिया जाता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 8

प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का बाहरी कान, जिसे कर्णपल्लव कहते हैं, वातावरण से ध्वनि को एकत्र करके उसे श्रवण नलिका से होकर, मध्य कर्ण की ओर प्रेषित कर देता है। ध्वनि तरंगों के संपीडन तथा विरलन श्रवण नलिका से होकर कर्णपटल तक पहुँच जाते हैं। संपीडन कर्णपटल पर भीतर की ओर दवाब डालता है और विरलन के कारण कर्णपटल बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों के कारण कर्णपटल कम्पन्न करने लगता है।

मुग्दरक, निहाई तथा वलयक नामक हडडियाँ इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण में स्थित कर्णावर्त इन दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदल देता है और श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क को भेज देता है। मस्तिष्क इन विद्युत संकेतों की ध्वनि के रूप में व्यख्या कर लेता है।

Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 12.1. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक स्वरित्र द्विभुज लेकर इसकी किसी भुजा को एक रबड़ के पैड पर मार कर इसे कंपित कराकर अपने कान के पास लाइए। क्या आपको इसकी ध्वनि सुनाई देती है और क्या अँगुली से स्पर्श करने पर यह कंपित हो रही है।

अब एक टेबिल टेनिस या एक छोटी प्लास्टिक की गेंद को एक धागे से लटकाकर चिंत्रानुसार पहले कम्पन न करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये। फिर कम्पन करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये और दोनों अवस्थाओं में अन्तर की व्याख्या करने का प्रयास करिये।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 9

क्रियाकलाप 12.2. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक बीकर या गिलास को ऊपर तक पानी से भरकर कंपमान स्वरित्र की एक भुजा को चित्र में दर्शाए अनुसार पानी की सतह से स्पर्श कराये तथा कंपमान स्वरित्र की दोनों भुजाओं को पानी में डुबोइए और दोनों अवस्थाओं के बारे में अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 10

क्रियाकलाप 12.3. (पा. पु. पृ. सं. 180 )
विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाकर अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए कि ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इस वाद्य यंत्रों का कौन सा भाग कंपन करता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 11

अब उत्तर दें –

प्रश्न 1.
क्रियाकलाप 12.1 में दोनों अवस्थाओं में क्या विचार-विमर्श किया?
उत्तर:
स्वरित्र की भुजा को पैड पर मारने पर इसमें कम्पन उत्पन्न होते हैं तथा लटकाई गेंद को कंपन करते हुए स्वरित्र की भुजा से छूने पर गेंद भी कंपित होने लगती है।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 12.2 में चित्र 12.2 व 12.3 से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा पानी की सतह को छूती है तो स्वरित्र के स्पर्श बिन्दु से तरंगें उत्पन्न होकर फैल जाती हैं (चित्र 12.2) तथा चित्र 12.3 में स्वरित्र द्विभुज के दोनों सिरे पानी की सतह को छू रहे हैं तो तरंगें एक-दूसरे के ऊपर आकर अवरोध उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 3.
क्रियाकलाप 12.3 में वाद्य यंत्रों की सूची व कंपित भाग की सूची बनाइए।
उत्तर:

वाद्य यंत्र कंपित भाग
गिटार, सितार तार में उत्पन्न कम्पन
बाँसुरी बाँसुरी के अन्दर की वायु
ढोलक पर्दा
हारमोनियम हारमोनियम की रीड

खंड 12.2 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)

प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर:
जब ध्वनि के कारण किसी माध्यम में कोई विक्षोभ उत्पन्न होता है तो यह विक्षोभ माध्यम के कणों में गति उत्पन्न कर देता है। ये कण अपने समीपवर्ती माध्यम के अन्य कणों में उसी प्रकार की गति उत्पन्न कर देते हैं। यह क्रिया इसी प्रकार माध्यम के अन्य कणों में फैलती जाती है और विक्षोभ हमारे कानों तक पहुँच जाता है।

खंड 12.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घण्टी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर:
जब घण्टी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घण्टी कम्पित हो उठती है। घण्टी के कम्पित होने से ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें इसलिए कहा जाता है; क्योंकि ये माध्यम के कणों की कम्पनिक गति के द्वारा संचारित होती हैं, अर्थात् इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर:
किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि तरंग वायु से होकर हमारे कानों तक पहुँचती है और तब हमें सुनाई पड़ती है। वायु की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगों का हमें सुनाई पड़ना सम्भव नहीं है। चूँक चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है; अत: हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पायेंगे।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

क्रियाकलाप 12.4. (पा. पु. पृ. सं. 182)
एक स्लिंकी लेकर चित्र के अनुसार खींचिए तथा अपने मित्र की ओर स्लिंकी को एक तेज झटका दीजिए। यदि आप अपने हाथ से स्लिंकी को लगातार आगे पीछे बारी-बारी से धक्का देते और खीचते रहें और स्लिंकी पर एक चिह्न लगा दें तो आप पायेंगे कि स्लिंकी पर लगा चिह्न विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर आगे-पीछे गति करता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 12
उन क्षेत्रों को जहाँ कुंडलियाँ पास-पास आ जाती हैं संपीडन (C) कहते हैं तथा उन क्षेत्रों को जहाँ कुण्डलियाँ दूर दूर हो जाती हैं, विरलन (R) कहते हैं। स्लिंकी में विक्षोभ के संचरण की तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। इन तरंगों में माध्यम से कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है।

खंड 12.2.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) प्रबलता-किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता मूलत: उसके आयाम द्वारा निर्धारित होती है। बड़े आयाम की ध्वनि प्रबल तथा छोटे आयाम की ध्वनि मृदु होती है।

(b) तारत्व-ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊँचा तथा निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्नलिखित में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है।
तरंग के किसी बिन्दु जैसे एक संपीडन या एक विरलन द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी तरंग वेग कहलाती है।
हम जानते हैं
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 13
v = λv (∵ \(\frac { 1 }{ T }\) = v)
अथवा V = λv
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति

क्रियाकलाप 12.5. (पा. पु. पृ. स. 188)
चित्र 12.10 की भाँति दो एक जैसे पाइप लेकर इन्हें दीवार के समीप किसी मेज पर व्यवस्थित करें। एक पाइप के खुले सिरे के पास एक घड़ी रखिए तथा दूसरे पाइप की ओर से ध्वनि सुनने की कोशिश कीजिए। जब ठीक प्रकार से समायोजित होने पर ध्वनि सुनाई देने लगे तब इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलंब के बीच के कोणों को मापिए तथा इनके बीच के संबंध को देखिए। दाईं ओर का पाइप थोड़ा सा उठाने पर क्या प्रेक्षित होता है?
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 14
निष्कर्ष-

  • जब पाइप दीवार के साथ बराबर कोण पर होते है अर्थात् ∠i = ∠r तब घड़ी की ध्वनि सबसे अच्छी सुनाई देती है।
  • जब दायीं ओर के पाइप को थोड़ा ऊपर उठाया जाता है तो घड़ी की ध्वनि अच्छी तरह सुनाई नहीं देगी।

खंड 12.3 .1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 189)

प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर:
धवनि की चाल (V) = 342-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = V x t = 342 ms-1 x 3 s
3 s में प्रतिध्वनि सुनाई दी। अतः 3 s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक के बीच की दुगनी दूरी तय की।
स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी होगी
= \(\frac { 1026 }{ 2 }\)m = 513 m

खंड 12.3.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 190)

प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

खंड 12.4 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 191)

प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परास लगभग 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज तक होता है।

प्रश्न 2.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अपश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ।
(b) 20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति की ध्वनियाँ।

खंड 12.5 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 193)

प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
सोनार स्पंद प्राप्त करने तथा प्रेषित्र के बीच समय, t = 1.02 s
लवणीय जल (खारे पानी) में ध्वनि की गति, V = 1531 ms-1
माना चट्टान की दूरी = d
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2d
परंतु 2d = ध्वनि की गति x समय = v t
= 1531 x 1.02 m
d = \(\frac { 1531×1.02 }{ 2 }\)
= 780.81 m
नोट-चमगादड़ अंधेरे में भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनिक तरंगें उत्सर्जित करके परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से टकराकर उनसे परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक पहुँचते हैं, इससे चमगादड़ को अवरोध या कीट आदि की स्थिति का पता लग जाता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. लोहे का प्रतीक है-
(a) N
(b) Na
(c) Fe
(d) Ne
उत्तर:
(c) Fe

2. बेरियम कार्बोनेट का सूत्र है-
(a) Ba(NO3)2
(b) BaCO3
(c) BaSO4
(d) K2CO3
उत्तर:
(b) BaCO3

3. एलुमिनियम सल्फेट में ऐलुमिनियम की संयोजकता 3 है तथा सल्फेट आयन की संयोजकता 2 है। ऐलुमिनियम सल्फेट का अणुसूत्र होगा-
(a) AlSO4
(b) Al2SO4
(c) Al3(SO4)2
(d) Al2(SO4)3
उत्तर:
(d) Al2(SO4)3

4. आवोगाद्रो संख्या का मान है-
(a) 6.022 × 1023
(b) 6.023 x 1022
(c) 6.023 x 1022
(d) 6.023 x 10-22
उत्तर:
(a) 6.022 x 1023

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

5. एक धातु के फास्फेट का सूत्र MPO4 है। इसके क्लोराइड का अणुसूत्र होगा-
(a) MCl
(b) MCl3
(c) M2Cl3
(d) MC2
उत्तर:
(b) MCl3

6. परमाणु भार का अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक है-
(a) C-12
(b) O-16
(c) H-1
(d) N-14
उत्तर:
(a) C-12

7. सल्फर के 32 ग्राम में कितने परमाणु हैं?
(a) 6.023 x 1022
(b) 6.023 x 10-23
(c) 6.023 x 1023
(d) 6.023 x 10-23 x 32
उत्तर:
(c) 6.023 x 1023

8. ऑक्सीजन परमाणुओं का 1 मोल होता है-
(a) 8 ग्राम
(b) 16 ग्राम
(c) ग्राम
(d) \(\frac { 1 }{ 8 }\) ग्राम
उत्तर:
(b) 16 ग्राम।

9. विद्युत आवेशित परमाणु/परमाणुओं का समूह है-
(a) परमाणु
(b) अणु
(c) मोल
(d) आयन
उत्तर:
(c) आयन।

10. 18 u जल में जल के कितने अणु होते हैं-
(a) 1
(b) 6.022 × 1023
(c) 18
(d) 36
उत्तर:
(a) 1

11. फास्फोरस है-
(a) एक परमाणुक
(b) द्विपरमाणुक
(c) त्रिपरमाणुक
(d) चतुर्परमाणुक
उत्तर:
(d) चतुर्परमाणुक

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

12. 0.4 मोल ऑक्सीजन परमाणु का द्रव्यमान होगा-
(a) 0.8 ग्राम
(b) 6.4 ग्राम।
(c) 3.2 ग्राम
(d) 16 ग्राम
उत्तर:
(b) 6.4 ग्राम।

13. 12 ग्राम ऑक्सीजन गैस में मोलों की संख्या है-
(a) 0.667 मोल
(b) 6.4 ग्राम
(c) 0.375 मोल
(d) 1 मोल
उत्तर:
(c) 0.375 मोल।

14. ऑक्सीजन के 4 ग्राम में अणुओं की संख्या होगी-
(a) 7.528 × 1022
(b) 7.3 x 1023
(c) 6.023 x 1023
(d) 6.023 x 10-23
उत्तर:
(a) 7.528 × 1022

15. ग्राम में व्यक्त पदार्थ का परमाण्विक द्रव्यमान कहलाता हैं-
(a) ग्राम अणु द्रव्यमान
(b) ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान
(c) अणुभार
(d) मोल
उत्तर:
(b) ग्राम परमाण्विक द्रव्यमान।

रिक्त स्थान भरो-

  1. रासायनिक संयोजन के दो नियम हैं- ……………… का नियम और ……………… का नियम।
  2. 1m = ……………… m.
  3. ……………… एक अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्था है जो तत्त्वों के नामों, प्रतीकों और मात्रकों को स्वीकृति प्रदान करता है।
  4. किसी तत्त्व की संयोजन शक्ति उस तत्त्व की ……………… कहलाती है।

उत्तर:

  1. द्रव्यमान संरक्षण, स्थिर अनुपात
  2. 10
  3. IUPAC
  4. संयोजकता।

सुमेलन कीजिए-

कौलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. हाइड्रोजन (क) He
2. सोडियम (ख) H
3. हीलियम (ग) S
4. सल्फर (घ) Na

उत्तर:
1. (ख) H
2. (घ) Na
3. (क) He
4. (ग) S

सत्य / असत्य-

  1. ऋण आवेशित आयन को ऋणायन कहते हैं।
  2. आयरन को Ir से चिह्नित करते हैं।
  3. सभी तत्त्वों के परमाणुओं का सापेक्ष द्रव्यमान हाइड्रोजन- 2 परमाणु के द्रव्यमान के साथ तुलना करके प्राप्त करते हैं।
  4. ऑक्सीजन गैस द्वि-परमाणुक अणु है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

अति लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोल क्या है?
उत्तर:
किसी पदार्थ का मोल उसकी वह मात्रा है, जिसमें उतने ही कण उपस्थित होते हैं जितने कार्बन – 12 समस्थानिक के ठीक 12 ग्राम ( या 0.012 किग्रा) में परमाणुओं की संख्या होती है।

प्रश्न 2.
मोलर द्रव्यमान को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी पदार्थ के एक मोल का ग्राम में व्यक्त द्रव्यमान उसका ‘मोलर द्रव्यमान’ कहलाता है।

प्रश्न 3.
मोल संकल्पना के पदों में तत्व के ग्राम परमाणु द्रव्यमान को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ग्राम परमाणु द्रव्यमान अथवा एक ग्राम परमाणु किसी तत्व के एक मोल (6.022 x 1023 परमाणुओं) का द्रव्यमान होता है जिसे ग्राम में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
किसी तत्व के एक ग्राम परमाणु में कितने परमाणु उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
6.022 x 1023 ( आवोगाद्रो संख्या) के तुल्य।

प्रश्न 5.
क्या सोडियम तथा कैल्सियम एक ग्राम मोल में परमाणुओं की संख्या भिन्न-भिन्न होगी?
उत्तर:
नहीं, इनमें परमाणुओं की संख्या समान होगी।

प्रश्न 6.
यौगिक के सूत्र को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी यौगिक के अणु का इसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के प्रतीकों के रूप में संक्षिप्त प्रदर्शन, यौगिक का सूत्र कहलाता है। इन्हें दो रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है- (i) मूलानुपाती सूत्र एवं (ii) आण्विक सूत्र।

प्रश्न 7.
एक बड़े पात्र में दो बीकर रखे हैं। एक में लैड नाइट्रेट का विलयन तथा दूसरे में सोडियम सल्फेट का विलयन है। पात्र को तौल लेते हैं, फिर बीकर के विलयन परस्पर भली-भाँति मिला देते हैं। पात्र को पुनः तौल लेते हैं। क्या द्रव्यमान परिवर्तित होगा?
उत्तर:
नहीं, द्रव्यमान संरक्षण नियम के अनुसार द्रव्यमान पहले के बराबर होगा।

प्रश्न 8.
12 ग्राम मैग्नीशियम 16 ग्राम ऑक्सीजन से संयोग करके 28 ग्राम मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है। इन आँकड़ों से रासायनिक संयोग से किस नियम की पुष्टि होती है?
उत्तर:
द्रव्यमान संरक्षण नियम की।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 9.
क्या कैल्सियम के एक मोल का भार उतना ही है जितना कार्बन के एक मोल का?
उत्तर:
नहीं, कैल्सियम के एक मोल का भार 40 ग्राम है जबकि कार्बन के एक मोल का भार 12 ग्राम होता है।

प्रश्न 10.
कार्बन तत्व के निश्चित 12 g में कितने परमाणु होते हैं? क्या इस संख्या का कोई नाम है?
उत्तर:
6.022 × 1023 परमाणु। इस संख्या को आवोगाद्रो संख्या (NA) कहा जाता है। यह एक मोल में परमाणुओं की संख्या दर्शाती है।

प्रश्न 11.
किसी पदार्थ के एक ग्राम परमाणु द्रव्यमान में कितने परमाणु उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
6.022 × 1023 परमाणु।

प्रश्न 12.
किसी पदार्थ के एक ग्राम आण्विक द्रव्यमान में कितने परमाणु उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
6.0221023 परमाणु।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखिए – (i) सल्फ्यूरिक अम्ल तथा (ii) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड
उत्तर:

  1. H2 SO4 तथा
  2. Ca(OH)2.

प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के नाम लिखिए- (i) (NH4)2SO4 तथा (ii) Na2S
उत्तर:

  1. अमोनियम सल्फेट तथा
  2. सोडियम सल्फाइड।

प्रश्न 15.
(i) Ag2 O तथा
(ii) Cus यौगिकों के नाम बताइए।
उत्तर:
(i) सिल्वर ऑक्साइड तथा
(ii) कॉपर सल्फाइड।

प्रश्न 16.
He के 12.044 x 1023 परमाणुओं को मोल में परिवर्तित कीजिए।
हल:
∵ 6.022 × 1023 परमाणु = 1 मोल
12.044 x 1023 परमाणु 2 मोल

प्रश्न 17.
किस भारतीय दार्शनिक ने परमाणु को परिभाषित किया था?
उत्तर:
महर्षि कणाद।

प्रश्न 18.
रासायनिक संयोजन के नियमों को सर्वप्रथम किसने प्रतिपादित किया था?
उत्तर:
एन्टोनी एल० लेवॉशिये (Antonie L Lavoisier)।

प्रश्न 19.
द्रव्यमान संरक्षण क्या है?
उत्तर:
किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो सृजन किया जा सकता है न ही विनाश।

प्रश्न 20.
क्या मोल द्वारा केवल परमाणुओं को गिना जाता है?
उत्तर:
नहीं, मोल अतिसूक्ष्म स्तर पर कणों (जैसे- परमाणुओं, अणुओं, आयनों, इलेक्ट्रॉनों आदि) को गिनने की इकाई होती है।

प्रश्न 21.
परमाणुकता क्या है?
उत्तर:
किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या उसकी परमाणुकता कहलाती है।

प्रश्न 22.
त्रिपरमाणुक अणु में कितने परमाणु होते हैं?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 23.
आण्विक सूत्र क्या है?
उत्तर:
वह सूत्र जिसमें किसी यौगिक में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की एक निश्चित (exact) संख्या होती है।

प्रश्न 24.
आयन क्या है?
उत्तर:
वह आवेशित कण जिस पर धन अथवा ऋण आवेश हो सकता है।

प्रश्न 25.
धनायनों के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
Na+, K+, Ca2+, Mg2+

प्रश्न 26.
ऋणायनों के पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
Cl, Br, F, F, O2- or O

प्रश्न 27.
आयनिक यौगिक क्या है?
उत्तर:
जिनमें आयन विद्यमान होते हैं उदाहरण : NaCl, KCI

प्रश्न 28.
तत्वों के प्रतीक क्या होते हैं?
उत्तर:
तत्वों के नामों के संक्षिप्त रूप ‘प्रतीक’ कहलाते है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 29.
नाइट्रोजन, सल्फर तथा यूरेनियम के प्रतीक बताइए।
उत्तर:
N, S तथा U.

प्रश्न 30.
परमाणु का आकार सामान्यतः किसमें मापा जाता है?
उत्तर:
नैनोमीटर (nm) में।

प्रश्न 31.
amu हेतु IUPAC का नवीनतम अनुमोदन कौन-सा है?
उत्तर:
u (यूनीफाइड)।

प्रश्न 32.
NaCl का इकाई सूत्र द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
1 × 23 + 35.5 = 58.5 u.

प्रश्न 33.
किसी आयनिक यौगिक का सूत्र ज्ञात करने में कौन सहायता करता है?
उत्तर:
आयनों पर उपस्थित आवेश।

प्रश्न 34.
आवोगाद्रो संख्या क्या है?
उत्तर:
6.022 x 1023

प्रश्न 35.
एक मोल ऑक्सीजन परमाणुओं का द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
16 ग्राम।

प्रश्न 36.
Al3+ तथा SO22- आयनों से बने यौगिक का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
Al2(SO4)3.

प्रश्न 37.
“भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक निर्मित करते।” यह अभिगृहीत किस नियम से सम्बन्धित है?
उत्तर:
द्रव्यमान संरक्षण के नियम से।

लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉल्टन का परमाणु सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं-

  • सभी द्रव्य अति सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते हैं, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
  •  परमाणु अविभाज्य होता है अर्थात् इसे आगे विभाजित नहीं किया जा सकता है।
  • परमाणु अविनाशी होता है। इसे रासायनिक क्रिया द्वारा न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है।
  • एक तत्व के सभी परमाणु हर दृष्टि से समान होते हैं परन्तु दूसरे तत्व से भिन्न होते हैं। उनका भार निश्चित होता है।
  • विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के भार व गुण बराबर होते हैं।
  • विभिन्न तत्वों के परमाणु सरल व निश्चित संयोग करके यौगिक बनाते हैं।

प्रश्न 2.
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार स्थिर ‘के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक तत्व छोटे कर्णो से बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं। प्रत्येक परमाणु का निश्चित भार होता है। विभिन्न तत्वों के परमाणु संयुक्त होकर यौगिक बनाते हैं और यौगिक में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या तथा प्रकार निश्चित होते हैं। अब क्योंकि किसी यौगिक के प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या, परमाणुओं के प्रकार तथा परमाणुओं के भार निश्चित होते हैं, इसलिए यौगिक में सदैव समान तत्व भारानुसार उसी अनुपात में परस्पर संयुक्त होंगे और यही स्थिर अनुपात का नियम है।

प्रश्न 3.
अणु व परमाणु में अन्तर बताइये।
उत्तर:
अन्तर

अणु (Molecule) परमाणु (Atom)
1. यह दो या दो से अधिक परमाणुओं से मिलकर बनता है : इसमें पदार्थ के गुण विद्यमान होते हैं। 1. यह किसी पदार्थ का वह छोटा कण है, जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है।
2. यह मुक्त अवस्था में रह सकता है। 2. यह मुक्त अवस्था में नहीं रह सकता है।

प्रश्न 4.
ग्राम परमाणु द्रव्यमान को परिभाषित कीजिए तथा इसका महत्त्व बताइये।
उत्तर:
किसी पदार्थ की वह मात्रा जिसका ग्रामों में द्रव्यमान उसके परमाणु द्रव्यमान के बराबर हो, उस पदार्थ का ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहलाता है। दूसरे शब्दों में, ग्रामों में व्यक्त परमाणु द्रव्यमान को ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहते हैं। ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान 16 है, अतः ऑक्सीजन का ग्राम परमाणु द्रव्यमान 16 ग्राम होगा। किसी पदार्थ का ग्राम परमाणु द्रव्यमान उसके एक मोल परमाणुओं का द्रव्यमान होता है।

प्रश्न 5.
ग्राम अणु द्रव्यमान को परिभाषित करिए तथा इसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
किसी पदार्थ की वह मात्रा जिसका ग्राम में द्रव्यमान उसके अणु द्रव्यमान के बराबर हो, उस पदार्थ का ग्राम अणु द्रव्यमान कहलाता है। दूसरे शब्दों में, ग्रामों में व्यक्त अणु द्रव्यमान को ग्राम अणु द्रव्यमान कहते हैं।

ऑक्सीजन (O2) का अणु द्रव्यमान 32 अतः इसका ग्राम अणु द्रव्यमान 32 ग्राम होगा। किसी पदार्थ का ग्राम अणु द्रव्यमान उसके एक मोल (6.022 x 1023) अणु का द्रव्यमान होता है।

प्रश्न 6.
परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) आजकल परमाणु द्रव्यमान को कार्बन-12 परमाणु (6C12) के द्रव्यमान के सापेक्ष व्यक्त किया जाता है। परमाणु द्रव्यमान मात्रक को संक्षेप में amu द्वारा प्रदर्शित करते हैं। कार्बन-12 के एक परमाणु का द्रव्यमान स्वेच्छा से ठीक 12 amu मान लिया गया है; अत: कार्बन-12 के एक परमाणु के द्रव्यमान के बारहवें (1/12) भाग को परमाणु द्रव्यमान इकाई कहते हैं।
परमाणु द्रव्यमान इकाई = \(\frac { 1 }{ 12 }\) x कार्बन-12 परमाणु का द्रव्यमान (1 amu- x mass of 6C12 atom )
कार्बन 12 समस्थानिक के एक परमाणु का वास्तविक द्रव्यमान 1.9926 × 10-23 ग्राम होता है जो 12 amu के बराबर होता है।
अत: 1 amu = \(\frac{1.9926 \times 10^{-23}}{12}\) = 1.66 × 10-24 ग्राम
1.66 × 10-24 ग्राम को amu का ग्राम तुल्यांक (gram equivalent) कहते हैं।
तत्वों के विभिन्न समस्थानिकों के परमाणुओं के द्रव्यमान तथा सब परमाण्विक कणों के द्रव्यमान प्राय: amu में व्यक्त किए जाते हैं। उदाहरणार्थ, 7N14 के एक परमाणु का द्रव्यमान 14.0032 amu है। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 0.0005486 amu है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए-
(i) परमाणु
(ii) अणु
(iii) अणुसूत्र।
उत्तर:
(i) परमाणु – परमाणु किसी तत्व का वह छोटे-से छोटा कण है जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है और स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता है। दूसरे शब्दों में, परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है जो सभी रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में अपनी रासायनिक पहचान बनाए रखता है।

(ii) अणु – अणु किसी तत्व या यौगिक वह सूक्ष्मतम कण है जिसका सामान्य अवस्था में अकेला या स्वतन्त्र अस्तित्व होता है और वह इस पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सभी गुणों को दर्शाता है। एक अणु एक, दो या अधिक परमाणुओं से मिलकर बना हो सकता है। उदाहरण के लिए Ar या He (एकपरमाण्विक) H2, N2, HCl (द्विपरमाण्विक) H2O, CO2 (त्रिपरमाण्विक) तथा NH3, P4 (चतुर्परमाण्विक) इत्यादि।

(iii) अणुसूत्र – आण्विक सूत्र (अणुसूत्र ) वह सूत्र है जो किसी यौगिक के अणु में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की वास्तविक संख्या को बताता है। उदाहरण के लिए हाइड्रोजन परॉक्साइड में हाइड्रोजन के 2 परमाणु तथा ऑक्सीजन के 2 परमाणु उपस्थित हैं और इसका अणुसूत्र H2 O2 है

प्रश्न 8.
निम्नलिखित को आप कैसे परिभाषित करेंगे?
(अ) परमाणु द्रव्यमान
(ब) आण्विक द्रव्यमान।
उत्तर:
(अ) परमाणु द्रव्यमान कार्बन के एक परमाणु के भार के 1/12 भाग से किसी तत्व का एक परमाणु जितने गुना भारी होता है, वह द्रव्यमान उस तत्व का परमाणु द्रव्यमान कहलाता है, जबकि एक कार्बन परमाणु का भार 12 लिया गया हो।

(ब) आण्विक द्रव्यमान किसी पदार्थ के अणु में उपस्थित सभी परमाणुओं के कुल द्रव्यमान के योग को आण्विक द्रव्यमान कहते हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 9.
तत्व के प्रतीक का क्या महत्त्व होता है?
उत्तर:
तत्व के प्रतीक के महत्त्व निम्नवत् हैं-

  • प्रत्येक तत्व का नाम प्रदर्शित करता है।
  • प्रत्येक तत्व के एक परमाणु को प्रदर्शित करता है।
  • प्रत्येक तत्व के परमाणुओं के एक मोल को व्यक्त करता है।
  • प्रत्येक तत्व के निश्चित द्रव्यमान का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रश्न 10.
परमाणु तथा आयन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परमाणु तथा आयन में अन्तर

परमाणु आयन
1. यह विद्युत उदासीन होता है। यह विद्युत आवेशित होता है।
2. परमाणुओं का इलेक्ट्रॉ-निक विन्यास अस्थायी होता है (अक्रिय गैसों को छोड़कर) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी होते हैं।
3. स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता है। स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-

  1. फेरिक सल्फेट
  2. मैग्नीशियम फॉस्फाइट
  3. ऐलुमिनियम कार्बोनेट
  4. सोडियम थायोसल्फेट
  5. कैडमियम नाइट्रेट
  6. क्रोमियम ऑक्साइड
  7. सोडियम सिलिकेट
  8. स्ट्रॉन्शियम बाइकार्बोनेट
  9. पोटैशियम जिंकेट
  10. कैल्सियम बोरेट

उत्तर:

  1. (i) Fe2 (SO4)3
  2. ) MgHPO3
  3. Al2(CO3)3
  4. Na2S2O3
  5. Cd(NO3)2
  6. Cr2O3
  7. Na2 SiO3
  8. Sr (HCO3)2
  9. K2ZnO2
  10. Ca3 (BO3)2

प्रश्न 12.
निम्नलिखित के द्वारा बने यौगिकों के सूत्र तथा नाम बताइए-
(i) Cu2+ तथा O2-
(ii) K+ तथा CO32-
(iii) Cu2+ तथा SO42-
(iv) Na+ तथा HCO3
उत्तर:
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 1

प्रश्न 13.
निम्नलिखित के द्वारा बने यौगिकों के सूत्र तथा नाम लिखिए-
(i) Fe3+ तथा SO42-
(ii) Cr3+ तथा PO43-
(iii) Zn2+ तथा SO42-
(iv) Na+ तथा SO42-
(v) Hg22+ तथा Cr
(vi) NH4+ CO32-
उत्तर:
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 2

प्रश्न 14.
निम्नलिखित के द्वारा बने यौगिकों के सूत्र तथा नाम लिखिए-
(i) प्लम्बस आयन तथा नाइट्रेट आयन
(ii) निकिल आयन तथा कार्बोनेट आयन
(iii) कैल्सियम आयन तथा ऑक्सेलेट आयन
(iv) अमोनियम आयन तथा ऐसीटेट आयन
(v) मैग्नीशियम आयन तथा कार्बोनेट आयन
(vi) लीथियम आयन तथा बाइकार्बोनेट आयन
उत्तर:
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 3

प्रश्न 15.
निम्नलिखित के द्वारा बने यौगिकों के सूत्र तथा नाम लिखिए-
(i) पोटैशियम आयन तथा ब्रोमाइड आयन
(ii) कोबाल्ट आयन तथा नाइट्रेट आयन
(iii) मैंगनीज आयन तथा सल्फाइड आयन
उत्तर:
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 4

प्रश्न 16.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(i) जिंक फॉस्फेट
(ii) अमोनियम ऑक्सेलेट
(iii) मरक्यूरिक क्लोराइड
(iv) मरक्यूरस नाइट्रेट
(v) ऐलुमिनियम फ्लुओराइड
(vi) क्रोमियम क्लोराइड
(vii) लेड ऐसीटेट
(viii) क्यूप्रस ऑक्साइड
(ix) कॉपर (II) फॉस्फेट
(x) निकिल नाइट्रेट
उत्तर:
(i) Zn3(PO4)2
(ii) (NH4)2C2O4
(iii) HgCl2
(iv) Hg2(NO3)2
(v) AlF3
(vi) Cr Cl3
(vii) Cu2O
(ix) Cu3 (PO4)2
(x) Ni(NO3)2

प्रश्न 17.
निम्नलिखित यौगिकों के नाम लिखिए-
(i) Na2 SO4
(ii) (NH4)2SO4
(iii) Mn(OH)2
(iv) NaOH
(v) ZnSO4
(vi) Cocl2
(vii) KClO3
(viii) KBr
(ix) FeCl3
(x) Al2O3
(xi) (NH4)2Cr2O7
उत्तर:
(i) सोडियम सल्फेट
(ii) अमोनियम सल्फेट
(iii) मँगनीज हाइड्रॉक्साइड
(iv) सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(v) जिंक सल्फेट
(vi) कोबाल्ट क्लोराइड
(vii) पोटैशियम क्लोरेट
(viii) पोटैशियम ब्रोमाइड
(ix) फेरिक क्लोराइड
(x) ऐलुमिनियम ऑक्साइड
(xi) अमोनियम डाइक्रोमेट
(xii) सिल्वर नाइट्रेट।

प्रश्न 18.
आण्विक द्रव्यमान क्या है? इसकी विभिन्न परिभाषाएँ देते हुए ग्राम अणुभार को भी स्पष्ट करें।
उत्तर:
आण्विक द्रव्यमान “किसी तत्व अथवा यौगिक का वह छोटे-से-छोटा कण जिसमें उस तत्व अथवा यौगिक के सभी गुण विद्यमान हों तथा जो स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता हो, अणु कहलाता है।” किसी पदार्थ के एक अणु का द्रव्यमान बहुत ही कम होता है और इसको ज्ञात करना कठिन एवं असुविधाजनक होता है।

अतः अणु का वास्तविक द्रव्यमान को ज्ञात न करके हम आण्विक द्रव्यमान को औसत सापेक्षिक द्रव्यमान के रूप में ज्ञात कर सकते हैं किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सापेक्ष आण्विक द्रव्यमान को व्यक्त करने के लिए C-12 समस्थानिक का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता हैं-

किसी पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान वह संख्या है जो यह प्रदर्शित करती है कि इस पदार्थ का एक अणु कार्बन- 12 (समस्थानिक) के एक परमाणु के बारहवें अंश से कितने गुना भारी है।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 5
ग्राम आण्विक द्रव्यमान – ” जब आण्विक द्रव्यमान को ग्राम में प्रकट किया जाता है, तो वह ग्राम आण्विक द्रव्यमान कहलाता है।” जैसे- क्लोरीन का आण्विक द्रव्यमान 71 है और ग्राम आण्विक द्रव्यमान 71 ग्राम हैं।

प्रश्न 19.
मोल संकल्पना क्या है? इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मोलर द्रव्यमान को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मोल संकल्पना रसायन शास्त्र में अतिसूक्ष्म स्तर पर कण (जैसे-परमाणुओं, अणुओं, कण, इलेक्ट्रॉनों आदि) की संख्या ज्ञात करने के लिए रसायनज्ञों को एक मानक मात्रक की आवश्यकता अनुभव हुई। इसलिए मोल संकल्पना का प्रादुर्भाव हुआ। इसके अनुसार,
“किसी पदार्थ का एक मोल उसकी वह मात्रा है जिसमें उतने ही कण उपस्थित होते हैं, जितने कार्बन – 12 समस्थानिक के ठीक 12 ग्राम (या 0.012 ग्राम) में परमाणुओं की संख्या होती है।”

यहाँ यह तथ्य महत्त्वपूर्ण है कि किसी पदार्थ के एक मोल में कर्णों की संख्या सदैव समान होगी, भले ही वह कोई भी पदार्थ हो। इस संख्या के सही निर्धारण के लिए कार्बन-12 परमाणु का द्रव्यमान द्रव्यमान स्पेक्ट्रममापी द्वारा ज्ञात किया गया जिसका मान 1.992648 x 10-23 ग्राम प्राप्त हुआ। कार्बन के 1 मोल का द्रव्यमान 12 ग्राम होता है; अतः कार्बन के 1 मोल में परमाणुओं की संख्या इस प्रकार होगी-
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 6
1 मोल में कणों की यह संख्या अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसे ‘ आवोगाद्रो संख्या’ कहते हैं तथा ‘N’ या ‘N’ से व्यक्त करते हैं।

मोल संकल्पना की आवश्यकता परमाणु और अणु आकार में अत्यन्त छोटे होते हैं तथा किसी पदार्थ की बहुत कम मात्रा में भी इनकी संख्या बहुत अधिक होती है, इतनी बड़ी संख्याओं के साथ कार्य करने के लिए इतने ही परिमाण के एक मात्रक की आवश्यकता होती है। मोल संकल्पना के अनुसार 12 ग्राम कार्बन में 6.022 1023 ( आवोगाद्रो संख्या) कार्बन परमाणु होते हैं। चूँकि इस कणों को गिनना सम्भव नहीं है। अतः इनकी संख्या को मोल में व्यक्त करके कार्य करना सरल हो जाता है।

उदाहरणस्वरूप-
1 मोल में ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या = 6.022 × 1023
∴ 3 मोल में ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या
= 3 × 6.022 × 1023
= 1.81 x 1024 परमाणु
उपर्युक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या 1.81 1034 में व्यक्त करना अपेक्षाकृत कठिन कार्य है, अपितु इन्हें 3 मोल ऑक्सीजन परमाणु के रूप में व्यक्त करना अत्यन्त सरल है।

मोल द्रव्यमान – मोल को परिभाषित करने के पश्चात् किसी पदार्थ या उसके घटकों के एक मोल के द्रव्यमान को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।

“किसी पदार्थ के एक मोल के ग्राम में व्यक्त द्रव्यमान को उसका ‘मोलर द्रव्यमान’ कहते हैं।”
ग्राम में व्यक्त मोलर द्रव्यमान संख्यात्मक रूप से परमाणु द्रव्यमान या आण्विक द्रव्यमान या सूत्र द्रव्यमान के बराबर होता है।

उदाहरणार्थ-
जल का मोलर द्रव्यमान = 18.02 ग्राम
सोडियम क्लोराइड का मोलर द्रव्यमान = 58.5 ग्राम

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
CaCO3 के आण्विक द्रव्यमान की गणना कीजिए।
(Ca = 40u, C 12u, O = 16u)
हल:
CaCO3 का आण्विक द्रव्यमान
= (1 × 40) + (1 x 12) + ( 3 x 16 )
= 40 + 12 + 48 = 100u

प्रश्न 2.
ग्लूकोस (C6H12O6) के आण्विक द्रव्यमान की गणना कीजिए। (C = 12u, H = 1u, O = 16u)
हल:
C6H12O6 का आण्विक द्रव्यमान
=(6 × 12) + (12 × 1) + (6 × 16)
= 72 + 12 + 96 – 180 u

प्रश्न 3.
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) के आण्विक द्रव्यमान की गणना कीजिए।
हल:
H2SO4 का आण्विक द्रव्यमान
= (2 × 1) + (1 × 32) + (4 × 16)
= 2 + 32 + 64
= 98u

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 4.
H3PO4 के सूत्र द्रव्यमान की गणना करो। (H = 1 u, P = 31u, O = 16u)
हल:
H3 PO4 का सूत्र द्रव्यमान
= (3 × 1) + 31 + ( 4 x 16)u
= (3 + 31 + 64) u
= 98u

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित आँकड़े स्थिर अनुपात के नियम की पुष्टि करते हैं। कॉपर मोनोऑक्साइड के दो विभिन्न नमूनों में कॉपर के द्रव्यमान निम्नलिखित थे –
(i) 1.26 ग्राम कॉपर, 1.42 ग्राम ऑक्साइड में
(ii) 1.008 ग्राम कॉपर, 1.136 ग्राम ऑक्साइड में। (कॉपर का परमाणु भार 63, ऑक्सीजन का परमाणु भार – 16)
हल:
पहले नमूने में,
कॉपर मोनोऑक्साइड का द्रव्यमान = 1.42 ग्राम
कॉपर का द्रव्यमान = 1.26 ग्राम
∴ ऑक्सीजन का द्रव्यमान = (1.42 – 1.26) ग्राम
= 0.16 ग्राम
अत: कॉपर तथा ऑक्सीजन का अनुपात = 1.26 : 0.16 = 7.875 : 1
दूसरे नमूने में,
कॉपर मोनोऑक्साइड का द्रव्यमान = 1.136 ग्राम
कॉपर का द्रव्यमान = 1.008 ग्राम
∴ ऑक्सीजन का द्रव्यमान = (1.136 – 1.008) ग्राम
= 0.128 ग्राम
अत: कॉपर तथा ऑक्सीजन का अनुपात
= 1.008 : 0.128 ग्राम
= 7.875 : 1
चूँकि इन दोनों नमूनों में कॉपर तथा ऑक्सीजन के द्रव्यमानों के अनुपात 7.8751 से प्रदर्शित होता है कि कॉपर मोनोऑक्साइड में उसके अवयवी तत्वों के द्रव्यमानों का अनुपात स्थिर होता है अतः इन आँकड़ों से स्थिर अनुपात के नियम की पुष्टि होती है।

प्रश्न 6.
एक प्रयोग में 2.4 ग्राम आयरन ऑक्साइड को हाइड्रोजन द्वारा पूर्णतया अपचयित करने पर 1.68 ग्राम आयरन प्राप्त होता है। दूसरे प्रयोग में 2.90 ग्राम आयरन ऑक्साइड अपचयित होने पर 2.03 ग्राम आयरन देता है। इन प्रयोगों के परिणामों से स्थिर अनुपात का नियम सिद्ध कीजिए।
हल:
पहले प्रयोग में,
आयरन ऑक्साइड का द्रव्यमान = 2.40 ग्राम
आयरन का द्रव्यमान = 1.68 ग्राम
अत: संयुक्त ऑक्सीजन का द्रव्यमान
= (2.40- 1.68) ग्राम
= 0.72 ग्राम
अब आयरन एवं ऑक्सीजन के द्रव्यमान का अनुपात
= 1.68 : 0.72 = 7 : 3
दूसरे प्रयोग में,
आयरन ऑक्साइड का द्रव्यमान = 2.90 ग्राम
आयरन का द्रव्यमान = 2.03 ग्राम
अत: संयुक्त ऑक्सीजन का द्रव्यमान
= (2.90-2.03) ग्राम = 0.87 ग्राम
आयरन एवं ऑक्सीजन के द्रव्यमानों का अनुपात
= 2.03 : 0.87 = 7 : 3
चूँकि दोनों प्रयोगों में आयरन ऑक्साइड में आयरन तथा ऑक्सीजन के द्रव्यमानों के अनुपात 7 3 से स्पष्ट है कि आयरन ऑक्साइड में उसके अवयवी तत्वों के द्रव्यमानों का अनुपात स्थिर होता है। अतः इससे स्थिर अनुपात के नियम की पुष्टि होती है।

प्रश्न 7.
एक प्रयोग में तत्व A के 12 ग्राम तत्व B के 16 ग्राम से संयोग करके एक यौगिक बनाते हैं। दूसरे प्रयोग में तत्व A के 3 ग्राम, तत्व B के 4 ग्राम से संयोग करके यौगिक बनाते हैं। कारण सहित बताइए कि इन आँकड़ों से रासायनिक संयोग के किस नियम का सत्यापन होता है?
हल:
प्रथम प्रयोग में, A: B = 12:16 = 3:4
दूसरे प्रयोग में, A:B = 3:4
A तथा B के द्रव्यमानों में समान अनुपात होने के कारण स्पष्ट है कि उपर्युक्त आँकड़े स्थिर अनुपात के नियम की पुष्टि करते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित के मोलर द्रव्यमान की गणना कीजिए तथा उनकी उपयुक्त मात्रक इकाइयाँ दीजिए-
C2 H5 OH, PCl5
हल:
(i) C2 H5 OH का मोलर द्रव्यमान
= [ 2 × 12 + 5 × 1 + 16 + 1] amu
= 24 + 5 + 16 + 1 46 amu
= 46 ग्राम / मोल

(ii) PCI का मोलर द्रव्यमान = [31 + 5 x 35.5] ग्राम / मोल
= 31 + 177.5 ग्राम/मोल
= 208.5 ग्राम / मोल

प्रश्न 9.
निम्नलिखित के आण्विक द्रव्यमान का परिकलन कीजिए- (i) CH2Cl2
(ii) H2O2
हल:
(i) CH2Cl2 का आण्विक द्रव्यमान
= [12 + 2 × 1 + 2 × 35.5]
= 12 + 2 + 71
= 85u

(ii) H2 O2 का आण्विक द्रव्यमान
= [2 × 1 + 2 × 16]
= 2 + 32
= 34.u

प्रश्न 10.
नीचे दिए गए यौगिकों के सूत्र द्रव्यमान का परिकलन कीजिए-
(i) MgO
(ii) AlCl3
हल:
(i) MgO का सूत्र द्रव्यमान = [24 + 16] = 40 ग्राम
(ii) AlCl3 का सूत्र द्रव्यमान = [27 + 3 × 35.5]
= 27 + 106.5 = 133.5 ग्राम

प्रश्न 11.
सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट (Na2 CO3.10H2O) एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक रसायन है। उसके सूत्र द्रव्यमान का परिकलन कीजिए।
हल:
Na2 CO3.10H2O का सूत्र द्रव्यमान
= [(2 × 23) + 12 + (316) +10 (21) + 163] ग्राम
= [46 + 12 + 48 + 10 (18)] ग्राम
= [46 + 12 + 48 + 180] ग्राम
= 286 ग्राम

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से प्रत्येक में परमाणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए-
(i) 52 मोल He
(ii) 52 u He
(iii) 52 ग्राम He
हल:
(i) 1 मोल He में परमाणुओं की संख्या
= 6.022 x 1023
∴ 52 मोल He में परमाणुओं की संख्या
= 6.022 × 1023 x 52
= 3.13 x 1025 परमाणु

(ii) He का परमाणु द्रव्यमान – 4 u
∵ 4 u द्रव्यमान He के एक परमाणु का द्रव्यमान है,
∴ 52u द्रव्यमान होगा \(\frac { 52 }{ 4 }\) He परमाणु का = 13 परमाणु

(iii) He का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 4g
4 ग्राम He में परमाणुओं की संख्या = 6.022 x 1023
∴ 52 ग्राम He में परमाणुओं की संख्या
= 6.022 × 1023 x \(\frac { 52 }{ 4 }\)
= 7.83 x 1024 परमाणु

प्रश्न 13.
प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का परिकलन कीजिए जब-
(i) 1 मोल कार्बन को हवा में जलाया जाता है, और
(ii) 1 मोल कार्बन को 16 ग्राम ऑक्सीजन में जलाया जाता है।
हल:
हवा में कार्बन को जलाने का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है-
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 7

(i) जब 1 मोल कार्बन को वायु में जलाया जाता है-
1 मोल कार्बन जलकर CO2 उत्पन्न करेगा = 1 मोल = 44 ग्राम

(ii) जब 1 मोल कार्बन को 16 ग्राम ऑक्सीजन में जलाया जाता है-
1 मोल कार्बन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन = 32 ग्राम = 1 मोल
परन्तु ऑक्सीजन का उपलब्ध द्रव्यमान = 16 ग्राम = \(\frac { 1 }{ 2 }\) मोल
अतः ऑक्सीजन सीमित मात्रा में है अर्थात् यह Limit-ing reagent है।
∴ उत्पन्न CO2 का द्रव्यमान = \(\frac { 1 }{ 2 }\) मोल = 22 ग्राम

प्रश्न 14.
एथेन (C2H6) के तीन मोलों में निम्नलिखित का परिकलन कीजिए-
(i) कार्बन परमाणुओं के मोलों की संख्या,
(ii) हाइड्रोजन परमाणुओं के मोलों की संख्या,
(iii) एथेन के अणुओं की संख्या।
हल:
(i) एथेन (C2H6) के 1 मोल में कार्बन परमाणुओं के 2 मोल उपस्थित हैं,
अत: एथेन (C2H6) के 3 मोलों में कार्बन परमाणुओं के 2 × 3 = 6 मोल उपस्थित होंगे।

(ii) एथेन (C2H6) के 1 मोल में हाइड्रोजन परमाणुओं के 6 मोल उपस्थित हैं।
अतः एथेन (C2H6) के 3 मोलों में हाइड्रोजन परमाणुओं के 3 × 6 = 18 मोल उपस्थित होंगे।

(iii) 1 मोल C, H में अणुओं की संख्या
= 6.022 × 1023
∵ 3 मोलो C2H6 में अणुओं की संख्या
= 3 × 6.022 × 1023
= 1.81 × 1024 अणु

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. रोग कहते हैं-
(a) स्वास्थ्य की कमी
(b) स्वास्थ्य का अभाव
(c) दु ₹खी रहना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

2. रोगों का लक्षण है-
(a) दस्त लगना
(b) उल्टी होना
(c) बुखार आना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

3. निम्न में दीर्घकालिक रोग है-
(a) फ्लू
(b) सिर दर्द
(c) क्षयरोग
(d) बुखार।
उत्तर:
(b) सिर दर्द।

4. रोग के कारक हैं-
(a) वाइरस
(b) बैक्टीरिया
(c) प्रोटोजोआ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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5. संक्रामक रोग फैलते हैं-
(a) प्रदूषित जल
(b) प्रदूषित वायु
(c) रोगवाहक द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

6. टीकाकरण द्वारा निवारण
(a) संक्रामक रोगों का
(b) असंक्रामक रोगों का
(c) यौन रोगों का
(d) इन्फ्लुएंजा का।
उत्तर:
(a) संक्रामक रोगों का।

7. अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है-
(a) पौष्टिक भोजन
(b) स्वच्छ वातावरण
(c) नियमित व्यायाम करना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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8. एड्स का संचरण होता है-
(a) रोगी व्यक्ति का रक्त दूसरे व्यक्ति को देने से
(b) संक्रमित सुई द्वारा इंजेक्शन लगाने से
(c) यौन सम्पर्क द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(c) यौन सम्पर्क द्वारा।

9. एड्स का कारक है-
(a) प्रोटोजोआ जन्तु
(b) बैक्टीरिया
(c) वाइरस
(d) H.I.V. वाइरस।
उत्तर:
(d) H.I.V. वाइरस।

10. बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर किसका उपयोग लाभदायक होगा?
(a) एण्टीबायोटिक
(c) एण्टीवाइरल
(b) एण्टीसैप्टिक
(d) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर:
(a) एण्टीबायोटिक।

11. मच्छर के काटने से होने वाला रोग है-
(a) मलेरिया
(b) डेंगूज्वर
(c) ‘अ’ तथा ‘ब’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) ‘अ’ तथा ‘ब’

12. पीलिया रोग किस अंग को प्रभावित करता है-
(a) आमाशय को
(b) बी.सी.जी. का
(c) फेंफड़ों को
(d) एण्टी वाइरल का
उत्तर:
(b) यकृत को।

13. कुत्ते के काटने पर कौन-सा
(a) टेटनस का
(b) बी. सी. जी. का
(c) एंटीरेबीज का
(d) एण्टी वाइरल का
उत्तर:
(b) बी. सी. जी. का

14. रक्ताल्पता का कारण है-
(a) शरीर में आयरन की कमी
(b) आयोडीन की कमी
(c) विटामिनों की कमी
(d) प्रोटीन की कमी।
उत्तर:
(a) शरीर में आयरन की कमी।

रिक्त स्थान भरो-

  1. WHO का विस्तार रूप ……………….. है।
  2. AIDS एक ……………….. (संक्रामक / असंक्रामक) रोग है।
  3. सर्दी-जुकाम एक ………………… (तीव्र / दीर्घकालिक) रोग है।
  4. वेक्सीन की खोज सबसे पहले ……………….. ने की थी।

उत्तर:

  1. World Health Organization
  2. संक्रामक
  3. तीव्र
  4. एडवर्ड जेनर।

सुमेलन कीजिए-

कौलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. वायु (क) मलेरिया
2. जल (ख) AIDS
3. रोग वाहक (ग) क्षय रोग
4. लैंगिक संपर्क (घ) हैजा

उत्तर:
1. (ग) क्षय रोग
2. (घ) हैजा
3. (क) मलेरिया
4. (ख) AIDS

सत्य / असत्य

  1. तीव्र रोग लम्बे समय तक चलते हैं।
  2. रोगाणु को मारने के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है।
  3. 17 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाते हैं।
  4. व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याएँ दोनों, स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर:
स्वास्थ्य शरीर की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य करने की समुचित क्षमता हो व कोई भी कार्य उचित प्रकार से किया जा सके।

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए किन-किन बातों की जरूरत है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक व सन्तुलित भोजन, नियमित व्यायाम, सामुदायिक स्वच्छता आदि की जरूरत है।

प्रश्न 3.
‘बाधित आराम’ और ‘असुविधा’ क्या है?
उत्तर:
बाधित आराम तथा असुविधा, रोग का दूसरा नाम है।

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प्रश्न 4.
शरीर की क्रियाओं में बदलाव क्या प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
शरीर की क्रियाओं में बदलाव रोग के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 5.
कोई चार लक्षण बताइए जिनसे रोग का पता लगता है।
उत्तर:
सिर दर्द, खाँसी, दस्त होना, किसी घाव में मवाद पड़ना।

प्रश्न 6.
तीव्र रोग या प्रचंड रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन रोगों की अवधि कम होती है उन्हें तीव्र रोग या प्रचंड रोग कहते हैं।

प्रश्न 7.
दीर्घकालिक रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
लम्बी अवधि तक या जीवन पर्यन्त रहने वाले रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

प्रश्न 8.
तीव्र रोग व दीर्घकालिक रोग का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम तीव्र रोग तथा क्षयरोग दीर्घकालिक रोग हैं।

प्रश्न 9.
पतले दस्त या अतिसार लगने का क्या कारण है?
उत्तर:
दूषित भोजन और गन्दे पानी का प्रयोग अतिसार लगने का कारण है।

प्रश्न 10.
संक्रामक रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव (रोगाणु) होते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं। ये सूक्ष्म जीव जन समुदाय में रोग फैला देते हैं।

प्रश्न 11.
कैंसर रोग का क्या कारण है?
उत्तर:
कैंसर रोग का कारण आनुवंशिक असामान्यता है।

प्रश्न 12.
उच्च रक्त चाप का क्या कारण है?
उत्तर:
वजन अधिक होना तथा व्यायाम न करना उच्च रक्त चाप का कारण है।

प्रश्न 13.
पेप्टिक व्रण का क्या कारण है?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का कारण हेलीकोबैक्टर पायलोरी नामक बैक्टीरिया है।

प्रश्न 14.
उन दो वैज्ञानिकों के नाम लिखो जिन्होंने पेष्टिक व्रण के कारक बैक्टीरिया का पता लगाया था।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया के रोग विज्ञानी रॉबिन वारेन तथा बैरी मार्शल।

प्रश्न 15.
पेप्टिक व्रण का उपचार किस दवा से होता है?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का उपचार एंटीबायोटिक से हो जाता है।

प्रश्न 16.
मार्शल तथा वारेन को शरीर क्रिया विज्ञान तथा औषधि के लिए कब नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था?
उत्तर:
मार्शल तथा वारेन को शरीर क्रिया विज्ञान तथा औषधि के लिए सन् 2005 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

प्रश्न 17.
रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के चार वर्गों का नाम लिखो।
उत्तर:
रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के चार वर्ग हैं- वाइरस, कुछ बैक्टीरिया, कुछ फंजाई तथा कुछ प्रोटोजोआ।

प्रश्न 18.
वाइरस से होने वाले चार रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
वाइरस से होने वाले चार रोग सर्दी-जुकाम, फ्लू, डेंगू ज्वर और एड्स।

प्रश्न 19.
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले चार रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले चार रोग- हैजा, टाइफॉइड, क्षय रोग (टी.बी) तथा ऐन्थ्रेक्स।

प्रश्न 20.
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोगों का नाम लिखो।
उत्तर:
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोग-मलेरिया, कालाजारं।

प्रश्न 21.
स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया किसका कारक है?
उत्तर:
स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया मुँहासे रोग का कारक है।

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प्रश्न 22.
दिनोसोमा किस रोग का कारक है?
उत्तर:
ट्रिप्नोसोमा निद्रा रोग का कारक है।

प्रश्न 23.
लेश्मानिया किस व्याधि का कारक है?
उत्तर:
लेश्मानिया कालाजार व्याधि का कारक है।

प्रश्न 24.
गोलकृमि (एस्केरिस लुंग्रीकाइडिस) कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
गोल कृमि मनुष्य (छोटे बच्चों) की छोटी आँत में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
एंटीबायोटिक रोग की अवस्था में क्या करते हैं?
उत्तर:
एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बन्द कर देते हैं।

प्रश्न 26.
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक का कार्य बताइए।
उत्तर:
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित कर देती है। अतः बैक्टीरिया कोशिका भित्ति नहीं बना सकते और वे सरलता से मर जाते हैं। पेनिसिलीन का मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

प्रश्न 27.
सामान्य खाँसी-जुकाम पर एंटीबायोटिक क्यों प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं?
उत्तर:
सामान्य खाँसी-जुकाम वाइरस के प्रभाव से होता है और एंटीबायोटिक वाइरस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 28.
संचारी रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जो रोग सूक्ष्मजीवीय कारक रोगी से अन्य स्वस्थ मनुष्यों में फैलते हैं, उन्हें संचारी रोग कहते हैं।

प्रश्न 29.
वायु द्वारा फैलने वाले रोगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम, निमोनिया तथा क्षय रोग वायु द्वारा फैलते हैं।

प्रश्न 30.
जल से संक्रमण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
जब संक्रमणीय रोग से ग्रस्त रोगी के अपशिष्ट पेय जल में मिल जाते हैं और यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति जाने-अनजाने में इस जल को पी लेता है तो रोगाणुओं का संक्रमण उस व्यक्ति में हो होता है।

प्रश्न 31.
लैंगिक सम्पर्क से फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
सिफलिस तथा एड्स लैंगिक सम्पर्क से होने वाले रोग हैं।

प्रश्न 32.
एड्स रोग किन-किन स्थितियों में फैलता है?
उत्तर:
एड्स रोग लैंगिक सम्पर्क द्वारा, रक्त स्थानान्तरण द्वारा संक्रमित सुई से इंजेक्शन लगवाने तथा गर्भावस्था में रोगी माता से अथवा शिशु को स्तनपान कराने से फैलता है।

प्रश्न 33.
मच्छर समतापी प्राणियों का रक्त क्यों पीता है?
उत्तर:
मच्छर अत्यधिक पोषण के लिए समतापी प्राणियों का रक्त पीता है ताकि परिपक्व अण्डे दे सके।

प्रश्न 34.
पीलिया रोग के कारक का नाम बताइए।
उत्तर:
पीलिया रोग का कारक हिपेटाइटिस बैक्टीरिया है।

प्रश्न 35.
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया कहाँ रहते हैं?
उत्तर:
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया मनुष्य की आहार नाल में रहते हैं।

प्रश्न 36.
HIV कहाँ फैलते हैं?
उत्तर:
HIV लसीका ग्रन्थियों में फैलते हैं।

प्रश्न 37.
मलेरिया उत्पन्न करने वाले रोगाणु शरीर में कहाँ से कहाँ जाते हैं?
उत्तर:
मलेरिया के रोगाणु यकृत से लाल रुधिर कोशिकाओं में जाते हैं।

प्रश्न 38.
जापानी बुखार (ऐंसेफेलाइटिस) किस अंग को प्रभावित करता है?
उत्तर:
जापानी बुखार मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

प्रश्न 39.
शोध किसे कहते हैं?
उत्तर:
शरीर का प्रतिरक्षा तन्त्र क्रियाशील होकर प्रभावित ऊतक के चारों ओर रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीवों को मारने के लिए अनेक कोशिकाएँ बना देता है। नई कोशिकाओं के बनने के प्रक्रम को शोथ कहते हैं।

प्रश्न 40.
HIV AIDS से व्यक्ति की मृत्यु प्रायः क्यों हो जाती है?
उत्तर:
HIV AIDS संक्रमण से प्रतिरक्षा तन्त्र के कार्य नष्ट हो जाते हैं। इससे प्रतिदिन होने वाले छोटे-छोटे संक्रमणों का मुकाबला भी व्यक्ति नहीं कर पाता है। अतः ये संक्रमण ही HIV AIDS के रोगी की मृत्यु के कारण बन जाते हैं।

प्रश्न 41.
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय बताइए।
उत्तर:
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय-

  • रोग के प्रभाव को कम करना तथा
  • रोग के कारण को मार देना।

प्रश्न 42.
बीमार होने पर हम आराम क्यों करते हैं?
उत्तर:
बीमार होने पर हम आराम इसलिए करते हैं, क्योंकि इससे ऊर्जा का संरक्षण होता है और बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है।

प्रश्न 43.
HIV संक्रमण किन औषधियों से नियन्त्रित हो जाता है?
उत्तर:
HIV संक्रमण एंटीवाइरल औषधियों से नियन्त्रित हो जाता है।

प्रश्न 44.
रोगाणुओं से हमारे शरीर में कौन लड़ता है?
उत्तर:
रोगाणुओं से हमार शरीर में स्थित प्रतिरक्षा तन्त्र लड़ता है।

प्रश्न 45.
गम्भीर संक्रामक रोग किसकी असफलता की ओर संकेत करता है?
उत्तर:
गम्भीर संक्रामक रोग हमारे प्रतिरक्षा तन्त्र की असफलता की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 46.
प्रतिरक्षाकरण किस नियम पर आधारित है?
उत्तर:
जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर दूसरी बार आक्रमण करता है तो स्मृति के आधार पर प्रतिरक्षा तन्त्र अपनी पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

प्रश्न 47.
टीकाकरण से हमारे शरीर में क्या प्रविष्ट कराया जाता है?
उत्तर:
टीकाकरण से हमारे शरीर में विशिष्ट संक्रमण रोधी तत्व प्रविष्ट कराया जाता है।

प्रश्न 48.
टीकाकरण का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
टीकाकरण से प्रविष्ट विशिष्ट संक्रमण रोधी तत्व रोग उत्पन्न नहीं होने देते, लेकिन ये वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को रोग उत्पन्न करने से रोक देते हैं।

प्रश्न 49.
चेचक के टीके की खोज किसने की थी?
उत्तर:
चेचक के टीके की खोज एडवर्ड जेनर ने की थी।

प्रश्न 50.
आजकल रोग निवारण के लिए कौन-कौन से टीके उपलब्ध हैं?
उत्तर:
आजकल रोग निवारण के लिए टेटनस, डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध है।

प्रश्न 51.
हिपेटाइटिस के किस प्रकार के लिए टीका उपलब्ध है?
उत्तर:
हिपेटाइटिस ‘A’ के लिए टीका उपलब्ध है।

प्रश्न 52.
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज किसने की थी?
उत्तर:
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 53.
संक्रमित कुत्ते के काटने से कौन सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
रेबीज वाइरस से संक्रमित कुत्ते के काटने से रेबीज रोग हो जाता है।

लघुत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल शारीरिक रोग या विकलांगता की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक जीवन क्षमता की सामान्य स्थिति है।” स्वस्थ जीवन हेतु अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है। यह केवल रोग से मुक्ति ही नहीं अपितु मानसिक तनाव व चिन्ता से मुक्ति की दशा है।

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य की चार दशाएँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए निम्न चार दशाएँ आवश्यक हैं-

  • सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन लेना।
  • स्वच्छ भोजन, जल एवं वायु का होना
  • व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वच्छता का होना
  • अच्छी आदतें, नियमित व्यायाम तथा उचित विश्राम करना।

प्रश्न 3.
सामुदायिक स्वास्थ्य किसे कहते हैं? सामाजिक स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत क्या कार्य आते हैं?
उत्तर:
सामुदायिक स्वास्थ्य – सम्पूर्ण व्यक्तिगत स्वास्थ्य और उसके साथ-साथ समुदाय के स्वास्थ्य हेतु महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवाएँ उपलब्ध करना सामुदायिक स्वास्थ्य कहलाता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत निम्न कार्य सम्मिलित हैं-
1. पर्यावरण की सफाई सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण की सफाई बहुत आवश्यक है। इसके लिए अपशिष्ट पदार्थों का निपटान जैसे मूत्राशय, शौचालय, सेप्टिक टैंक, सोकपिट, कम्पोस्ट पिट की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रदूषण रोकने की व्यवस्था होनी चाहिए। स्वच्छ जल उपलब्ध कराना, सार्वजनिक स्थानों की सफाई के लिए व्यवस्था बनाना, शुद्ध और कीटाणु रहित भोजन उपलब्ध कराना आदि।

2. उचित चिकित्सा सुविधाएँ- बीमारों की चिकित्सा व उचित देख-रेख के लिए अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा सकता है।

3. स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे स्वास्थ्य और रोगों को फैलने से रोकने के लिए लोगों को शिक्षित करना, सन्तुलित भोजन, नशाखोरी की बुरी आदत एवं उसके दुष्प्रभावों आदि की जानकारी रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, व्यक्तिगत सम्पर्क या छपी हुई सामग्री द्वारा देना अति आवश्यक है।

4. संक्रमण रोगों से बचाव एवं उनकी रोकथाम- सामान्य रोगों से बचाव के टीके लगवाना, जैसे- हैजा, चेचक, काली खाँसी, टिटेनस, पोलियो, टाइफॉइड आदि । मलेरिया उन्मूलन, फाइलेरिया की रोकथाम, कुष्ठ रोग की रोकथाम, क्षयरोग की रोकथाम आदि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने चाहिए।

5. मातृ एवं शिशु कल्याण-शिशु के जन्म होने के पश्चात् उसकी उचित देखभाल, बच्चों को मुख्य रोगों से बचाव के टीके लगवाना, अल्परक्तता या कुपोषण सम्बन्धी रोगों की जानकारी, परीक्षण व बचाव आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

6. परिवार नियोजन परिवार को स्वस्थ और सीमित रखने के लिए परिवार नियोजन की शिक्षा व परिवार नियोजन की चिकित्सकीय व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे जहाँ एक ओर जनसंख्या सीमित या नियन्त्रित होगी, वहीं दूसरी और सामुदायिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

7. पार्कों एवं व्यायामशालाओं का प्रबन्ध-सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए पार्कों की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे लोगों को श्वास के लिए स्वच्छ वायु मिल सके। इसके अलावा मनुष्य को निरोगी, स्वस्थ और बलिष्ठ बनाये रखने के लिए व्यायामशालाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।

8. विद्यालय स्वास्थ्य सेवाएँ – इसमें विद्यालय के बच्चों की जाँच, उनको टीके लगवाना, औषधियाँ देना, परामर्श देना, सफाई व स्वच्छता का ध्यान रखना, व्यक्तिगत सफाई की ओर ध्यान देना, स्वास्थ्य शिक्षा देना और मध्याह्नकालीन अल्पाहार की व्यवस्था शामिल है।

9. आँकड़े एकत्रित करना – सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी विभिन्न संक्रामक रोगों, जैसे- हैजा, चेचक, टाइफॉइड, कुष्ठ, मलेरिया, पोलियो आदि के निश्चित आँकड़े एकत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किये जाते हैं और उन्हें स्वास्थ्य योजना बनाने वालों को भेजते हैं। इन आँकड़ों के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य योजनाएँ बनाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण को प्रदूषण रहित बनाये रखना कठिन क्यों हो गया है?
उत्तर:
देश में बढ़ती हुई जनसंख्या के स्वस्थ जीवन के लिए प्रदूषण मुक्त शुद्ध पर्यावरण बनाये रखना बहुत कठिन हो गया है, क्योंकि तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण घनी आबादी वाले क्षेत्रों में निवास अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि, यातायात के साधनों में वृद्धि, जंगलों की अबाध कटाई आदि हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त बना देते हैं। इससे पृथ्वी, जल एवं वायु को प्रदूषण मुक्त करने की क्षमता पर दबाव पड़ता है और ये शुद्ध नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 5.
अशुद्ध वातावरण से व्यक्ति का स्वास्थ्य किस प्रकार प्रभावित हो सकता है?
उत्तर:
व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके वातावरण द्वारा अत्यधिक प्रभावित होता है। यह बात निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है-
(1) जल, वायु तथा भोजन व्यक्ति के वातावरण के भाग हैं। यदि किसी स्थान पर पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है तथा लोग प्रदूषित जल पीने के लिए विवश हैं तो वे हैजा, पीलिया, जोड़ों का दर्द, पोलिया टायफॉइड आदि रोगों से पीड़ित हो जाते हैं अर्थात् अस्वस्थ हो जाते हैं।

(2) प्रदूषित वायु में कार्य करने वाले व्यक्ति श्वसन सम्बन्धी रोगों, जैसे- ब्रॉकाइटिस, सांस फूलना, खाँसी आदि से पीड़ित हो जाते हैं। शोर युक्त वातावरण में काम करने वाले व्यक्ति मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, सिरदर्द आदि से पीड़ित हो जाते है उनकी सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है अर्थात् बहरापन के शिकार हो जाते हैं।

(3) यदि वे अशुद्ध, प्रदूषित, विषाक्त, बासी भोजन खाते हैं तो वे अपच, मन्दाग्नि, एसिडिटी, पीलिया, टाइफॉइड, उल्टी-दस्त (अतिसार) आदि से पीड़ित हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
यदि आपका घर स्वच्छ है, परन्तु पास-पड़ौस स्वच्छ नहीं है तो क्या आप स्वस्थ रह सकेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
यदि हमारा घर स्वच्छ है, परन्तु पास पड़ौस स्वच्छ नहीं है तो हम स्वस्थ नहीं रह सकते हैं। हम अपनी व्यक्तिगत तथा अपने घरों की सफाई इसलिए करते हैं, ताकि हम रोग के कारक सूक्ष्म जीवों तथा अन्य संक्रमण के कारणों से बचे रह सकें। परन्तु पास-पड़ोस स्वच्छ न होने से अशुद्ध वायु मक्खी, मच्छर आदि फोटों द्वारा जाने-आने के कारण ये संक्रमणकारी सूक्ष्मजीव हमें भी संक्रमित करके अस्वस्थ कर देंगे और हम बीमार हो जायेंगे।

प्रश्न 7.
संतुलित भोजन अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए सन्तुलित भोजन बहुत आवश्यक है। ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवणों की उपयुक्त मात्रा उपस्थित हो, सन्तुलित भोजन (आहार) कहलाता है। सन्तुलित भोजन प्राप्त न होने की स्थिति में मनुष्य अभावजनित रोग से पीड़ित हो जाते हैं। अज्ञानता के कारण लोग उपयुक्त भोजन नहीं ले पाते हैं और वे कुपोषण के कारण अस्वस्थ (बीमार) हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य में परस्पर क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य में सम्बन्ध – व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य दोनों ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं। दोनों ही एक-दूसरे  के पूरक हैं। हम व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ रहकर अपने घर को स्वच्छ रखकर और सन्तुलित भोजन करके व्यक्तिगत रूप से स्वस्थ रहते हैं। सदैव स्वस्थ बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि हमें स्वस्थ पर्यावरण मिले। यदि हम व्यक्तिगत स्वच्छता के कारण स्वस्थ हैं, किन्तु हमारे चारों ओर का वातावरण गन्दा और प्रदूषित है अर्थात् रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों से भरा तो ये सूक्ष्मजीव हमारे स्वास्थ्य को अवश्य ही प्रभावित करेंगे और हम व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने पर भी अस्वस्थ हो जायेंगे। अतः व्यक्तिगत शारीरिक, मानसिक, जैविक और सामाजिक स्थिरता बनाये रखने के लिए सामुदायिक स्वस्थ वातावरण आवश्यक है। इस प्रकार व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध हैं।

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प्रश्न 9.
व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्तर पर हमें अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए प्रतिदिन साफ पानी से स्नान करना चाहिए ताकि शरीर पर लगी धूल व शरीर की दुर्गन्ध दूर हो जाए। त्वचा साफ हो तो शरीर से दुर्गन्ध नहीं आती और चर्म रोग आदि होने की सम्भावना नहीं रहती है। हमारे वस्त्र स्वच्छ होने चाहिए। सूक्ष्मजीवों से भोजन भी संक्रमित हो जाता है।

अतः खाने के बर्तनों तथा खाद्य पदार्थों को मक्खियों तथा कीटों से बचाकर जालीदार अलमारी में अथवा स्वच्छ कपड़े से ढककर रखना चाहिए। मल-मूत्र त्यागने के बाद तथा भोजन करने से पहले अपने हाथों को साबुन और स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धो लेने से वे रोगाणु मुक्त हो जाते हैं। ऐसा न करने से सूक्ष्म जीवों की वृद्धि हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी।

प्रश्न 10.
रोग शब्द से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रोग (Disease)- रोग को अंग्रेजी में डिजीज (Disease) कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है – Disease अर्थात् आसानी या सुविधा का न होना। रोग की परिभाषा किसी कारणवश शरीर के अंगों की ठोक से कार्य न करने की स्थिति के रूप में दी जा सकती है। दूसरे शब्दों में, शरीर में किसी प्रकार के विकार (दोष) को रोग कहते हैं।

प्रश्न 11.
संचारी या संक्रामक रोग तथा असंचारी या असंक्रामक रोग क्या हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
संचारी (संचरणीय) या संक्रामक रोग-ये ऐसे रोग होते हैं जो रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में जल, वायु, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं। संक्रामक रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ या फंजाई वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण हो जाते हैं। इन सूक्ष्म जीवों को रोगाणु भी कहते हैं ये रोगाणु प्रदूषित जल, वायु, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति मैं पहुँचते हैं।

हैजा, क्लेरिया, डेंगू ज्वर, फ्लू, क्षय रोग, टाइफॉयड, रेबीज, एड्स, अतिसार, कर्णफेर, चेचक आदि संचरणीय या संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं।

असंचारी (असंचरणीय) या असंक्रामक रोग-ये ऐसे रोग हैं जो स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते हैं। कुछ रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो जाते हैं, इन्हें असंक्रामक या हीनताजन्य रोग कहते हैं घेघा एनीमिया, रतौंधी, क्वाशियोरकोर, मेरेस्मस आदि असंक्रामक रोगों के उदाहरण “हैं। कुछ असंचरणीय रोग शरीर के अंगों की असामान्य क्रिया के कारण हो जाते हैं, जैसे मधुमेह (डायबिटीज), गठिया, कैंसर, हृदय रोग आदि।

प्रश्न 12.
संचरणीय तथा असंचरणीय रोगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संचरणीय तथा असंचरणीय रोग में अन्तर

संचरणीय रोग असंचरणीय रोग
1. ये रोग शरीर में रोगाणुओं के प्रवेश कर जाने के कारण होते हैं। 1. ये रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी या उपापचयी क्रियाओं में त्रुटि या परजीवी जीवों के कारण होते हैं।
2. इन रोगों का संचरण वायु, जल, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में हो सकता है। उदाहरणार्थ – है जा, मलेरिया, फ्लू, क्षय रोग, रेबीज, चेचक, एड्स आदि। 2. ये रोग, रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते। उदाहरणार्थ – छों घा, एनीमिया (अरक्तता), रतौंधी, डायबिटीज आदि।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित रोगों के कारक जीवों के नाम लिखिए – हैजा, मलेरिया, क्षयरोग, टाइफॉयड, रेबीज, फ्लू (इन्फ्लूएंजा)।
उत्तर:

रोग का नाम कारक जीव का नाम
1. हैजा विब्रियो कॉलेरी
2. मलेरिया प्लाज्मोडियम वाइवैक्स
3. क्षयरोग माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस
4. टाइफॉयड साल्मोनेला टाइफी
5. रेबीज रेबीज वाइरस
6. फ्लू (इन्फ्लुएंजा) मिक्सोवाइरस इन्फ्लूएन्जाई।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पन्न रोगों के नाम लिखो-
(क) बैक्टीरिया
(ख) वाइरस
(ग) प्रोटोजोआ वर्ग।
उत्तर:

सूक्ष्मजीव उत्पन्न रोग का नाम
1. बैक्टीरिया (जीवाणु) हैजा, अतिसार, टाइफॉइड, क्षयरोग (टी.बी), टेटनस आदि।
2. वाइरस इन्फ्लूएन्जा, रेबीज, एड्स, पोलियो, चिकन पॉक्स, खसरा आदि।
3. प्रोटोजोआ वर्ग के जीव मलेरिया अमीबीय पेचिश, पायरिया आदि।

प्रश्न 15.
वाहक (Vector) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वाहक (Vector) – बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाले जीवों को वाहक कहते हैं। घरेलू मक्खी हैजा, पेचिश, टाइफॉयड आदि के रोगाणुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है। मादा एनोफिलीज मच्छर मलेरिया रोग की वाहक है। एडीज मच्छर डेंगू ज्वर का वाहक है।

प्रश्न 16.
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक) किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक)- ये वे पदार्थ हैं। जो सूक्ष्म जीवों से उत्पन्न किए जाते हैं। ये सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं। पेनिसिलीन ऐसा पहला प्रतिजैविक पदार्थ है जो मनुष्य द्वारा उपयोग के लिए तैयार किया गया है। पेनिसिलीन की खोज सर्वप्रथम अलैक्जेन्डर फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 17.
एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को प्रभावित करते हैं, परन्तु मनुष्य को नहीं, क्यों?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.1 के अन्तर्गत पैराग्राफ 5 देखिए।

प्रश्न 18.
वाइरस पर एंटीबायोटिक का प्रभाव क्यों नहीं दिखाई देता है?
उत्तर:
वाइरस की जैव प्रक्रियाएँ बैक्टीरिया से भिन्न होती हैं। ये मेजबानों की कोशिकाओं में रहते हैं। इनमें ऐसा मार्ग नहीं होता है जैसा कि बैक्टीरिया में होता है। यही कारण है कि कोई भी एंटीबायोटिक वाइरस संक्रमण पर प्रभावकारी नहीं होता है यदि हम खाँसी-जुकाम से ग्रस्त हैं तो एंटीबायोटिक लेने से रोग की तीव्रता अथवा उसकी समयावधि कम नहीं होती है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

प्रश्न 19.
एंटीवाइरल औषधि बनाना एंटीबैक्टीरियल औषधि बनाने से कठिन क्यों है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.4 के अन्तर्गत पैराग्राफ 4 में देखिये।

प्रश्न 20.
शोध के कारण शरीर पर कुछ स्थानीय सामान्य प्रभाव क्यों पड़ते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संक्रामक रोगों के ऊतक विशिष्ट प्रभाव के अतिरिक्त उनके अन्य सामान्य प्रभाव भी होते हैं। (शेष भाग के लिए खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत पैराग्राफ 5 देखिये।)

प्रश्न 21.
HIV AIDS रोगी की मृत्यु का कारण क्यों बन जाता है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत पैराग्राफ 6 देखिये।

प्रश्न 22.
किसी रोग की तीव्रता किस बात पर निर्भर करती है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत अन्तिम पैराग्राफ देखिये।

प्रश्न 23.
यदि एक बार किसी को चेचक हो जाये तो दुबारा उसे कभी चेचक नहीं हो सकती, क्यों? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति एक बार चेचक से ग्रसित हो जाता है तो उसे दुबारा यह रोग कभी नहीं हो सकता क्योंकि जब चेचक के रोगाणु प्रतिक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशेष रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वहीं जीवाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

प्रश्न 24.
टीकाकरण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
टीकाकरण क्या है?
उत्तर:
टीकाकरण – आजकल रोगों से बचने अथवा उनके उपचार के लिए टीकाकरण की बहुत अधिक सहायता ली जाती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पदार्थ का संरोपण एक स्वस्थ व्यक्ति में किया जाता है जिससे उस व्यक्ति में विशेष बीमारी के प्रति प्रतिरक्षी (एण्टीबॉडी) पैदा हो जायें।

प्रतिरक्षा पॉस्क बीमारी को पहचानने, समाप्त करने तथा उसे पूरी तरह उखाड़ फेंकने में सहायता करते हैं। टीकाकरण की प्रक्रिया में किसी सूक्ष्म जीव की जीवित या मृत कुछ मात्रा व्यक्ति के शरीर में पहुँचायी जाती है, जो बीमारी के विपरीत प्रतिरक्षा करते हुए हानिकारक बाह्य सूक्ष्म-जीवों को नष्ट कर देते हैं। टीके में रोग वाहक सूक्ष्म जीव कम सांद्रित अवस्था में रहते हैं।

प्रश्न 25.
विभिन्न प्रकार के टीकों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के टीकों से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षण में सहायता मिलती है। चेचक, रेबीज, पोलियो, डिव्थीरिया, हिपेटाइटिस, कुकर खाँसी, क्षयरोग, टाइफॉयड आदि बीमारियों से बचने के लिए टीके लगाये जाते हैं। हमारी सरकार ने टीकाकरण का बृहद् कार्यक्रम चला रखा है ताकि बीमारियाँ सदैव के लिए देश से दूर की जा सकें। प्रमुख टीके निम्न हैं-

  • चेचक का टीका, चेचक से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • खसरे का टीका, खसरे से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • टाइफॉयड का टीका, टाइफायड (मियादी ज्वर) से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • पोलियो का टीका, बूँदों के रूप में बच्चों को अपंगता से बचने के लिए पिलाया जाता है।
  • बी.सी.जी. का टीका, क्षयरोग से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • डी.पी.टी. का टीका डिप्थीरिया, काली खाँसी तथा टिटेनस को नियन्त्रित करने के लिए लगाया जाता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. प्रोटियम में नहीं पाया जाता है-
(a) प्रोटॉन
(b) न्यूट्रॉन।
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन।
उत्तर:
(b) न्यूट्रॉन

2. किसी परमाणु में प्रोटॉन की संख्या होती है-
(a) न्यूट्रॉन के बराबर
(b) इलेक्ट्रॉन के बराबर
(c) परमाणु द्रव्यमान के बराबर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) इलेक्ट्रॉन के बराबर।

3. परमाणु के नाभिक में पाया जाने वाला अनावेशित कण है-
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) न्यूट्रॉन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) न्यूट्रॉन।

4. रदरफोर्ड ने अपना प्रयोग किया-
(a) सोने की पन्नी पर
(b) ताँबे की पत्नी पर
(c) चाँदी की पत्नी पर
(d) लोहे की पन्नी पर।
उत्तर:
(a) सोने की पन्नी पर।

5. परमाणु के नाभिक में होते हैं-
(a) इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन
(b) इलेक्ट्रॉन व न्यूट्रॉन
(c) केवल इलेक्ट्रॉन
(d) प्रोटॉन व न्यूट्रॉन।
उत्तर:
(d) प्रोटॉन व न्यूट्रॉन।

6. प्रथम कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या होती है-
(a) 2
(b) 8
(c ) 18
(d) 32।
उत्तर:
(a) 2

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

7. बोरोन (B) के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या होगी-
(a) 5
(b) 4
(c) 3
(d) 61
उत्तर:
(d) 6

8. सोडियम की द्रव्यमान संख्या है-
(a) 11
(b) 10
(c) 24
(d) 231
उत्तर:
(d) 23

9. क्लोरीन की संयोजकता है-
(a) 2
(b) 1
(c) 0
(d) 41
उत्तर:
(b) 1

10. 1H² या D को कहते हैं-
(a) ट्राइटियम
(b) प्रोटियम
(c) ड्यूटीरियम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) ड्यूटीरियम।

11. बोर-बरी के नियमानुसार इलेक्ट्रॉनों की किसी कोश में अधिकतम संख्या होती है-
(a) 2n²
(b) 2n
(c) 4n²
(d) 2n³।
उत्तर:
(a) 2n²

12. यदि किसी परमाणु के बाह्यतम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हों तो उसकी संयोजकता होगी-
(a) 7
(b) 2
(c) 3
(d) 1।
उत्तर:
(d) 1

13. प्रकृति में क्लोरीन – 35 व क्लोरीन 37 का अनुपात होता है-
(a) 3 : 1
(b) 1 : 3
(c) 1 : 2
(d) 2 : 11
उत्तर:
(a) 3 : 1

14. क्लोरीन परमाणु का औसत द्रव्यमान है-
(a) 35
(b) 36
(c) 35.5
(d) 171
उत्तर:
(c) 35.5

15. इलेक्ट्रॉन की खोज की-
(a) गोल्डस्टीन ने
(b) टॉमसन ने
(c) रदरफोर्ड ने
(d) बोर ने।
उत्तर:
(b) टॉमसन ने।

16. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग होता है-
(a) 2000 Tell
(b) 1000 गुना
(c) \(\frac { 1 }{ 1837 }\) गुना
(d) \(\frac { 1 }{ 1000 }\) गुना
उत्तर:
(c) \(\frac { 1 }{ 1837 }\) गुना

रिक्त स्थान भरो-

  1. रदरफोर्ड के α-कण प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा ……………… खोज हुई।
  2. र्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास …………………. है।
  3. निऑन और क्लोरीन की परमाणु संख्या क्रमश: 10 और 17 है। इनकी संयोजकताएँ …………………. और …………………. होंगी।
  4. समभारिकों में समान …………………. लेकिन भिन्न …………………. होते हैं।

उत्तर:

  1. नाभिक
  2. 2, 4
  3. 4, 0, 1
  4. द्रव्यमान संख्या, परमाणु संख्या।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ (तत्त्व) कॉलम ‘ख’ (संयोजकता)
1. सोडियम Na (क) 2
2. कैल्सियम Ca (ख) 3
3. निऑन Ne (ग) 1
4. नाइट्रोजन N (घ) 0

उत्तर:
1. (ग) 1
2. (क) 2
3. (घ) 0
4. (ख) 3

सत्य / असत्य

  1. किसी परमाणु के आंतरिक कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या से संयोजकता ज्ञात होती है।
  2. जे. चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की थी।
  3. रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में सोने की पन्नी का प्रयोग किया था।
  4. \(\begin{array}{r}
    35 \\
    { }_{17} \mathrm{Cl}
    \end{array}\) और \(\begin{array}{r}
    37 \\
    { }_{17} \mathrm{Cl}
    \end{array}\) समभारिक हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बन – 13 के 100 परमाणुओं की परमाणु द्रव्यमान इकाई का भार क्या होगा?
उत्तर:
13amu x 100 = 1300amu.

प्रश्न 2.
क्लोरीन परमाणु (Z = 17) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
क्लोरीन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – 2, 8, 7.

प्रश्न 3.
सोडियम आयन पर ……………… आवेश होता है जबकि सोडियम परमाणु पर ……………… आवेश होता है।
उत्तर:
धन, शून्य।

प्रश्न 4.
क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 है। इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या है?
उत्तर:
17.

प्रश्न 5.
कार्बन (Z = 6), फॉस्फोरस (Z = 15) तथा (Z = 16) परमाणुओं में कितने संयोजी इलेक्ट्रॉन गन्धक (Z = 16) उपस्थित हैं?
उत्तर:
कार्बन में 4, फॉस्फोरस में 5 तथा गन्धक में 6 संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 6.
एक उपयुक्त उदाहरण देकर समस्थानिक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
एक ही तत्व के परमाणु जिनकी ‘परमाणु समान तथा द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं; जैसे- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक प्रोटियम, ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम होते हैं।

प्रश्न 7.
…………………… की संख्या भिन्न होने के कारण समस्थानिक पाए जाते हैं।
उत्तर:
न्यूट्रॉनों।

प्रश्न 8,.
\({ }_{17} \mathbf{A}^{35},{ }_{20} \mathbf{B}^{40},{ }_{17} \mathrm{Cl}^{37},{ }_{18} D^{40}\) में से समस्थानिकों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
\({ }_{17} \mathrm{~A}^{35}\) तथा \({ }_{17} \mathrm{~A}^{37}\).

प्रश्न 9.
समस्थानिकों में की संख्या समान होती है।
उत्तर:
प्रोटॉनों।

प्रश्न 10.
एक तत्व के समस्थानिकों की परमाणु संख्या होती है।
उत्तर:
समान।

प्रश्न 11.
दो रेडियोधर्मी समस्थानिकों के नाम बताइए।
उत्तर:
यूरेनियम – 235 तथा यूरेनियम-238.

प्रश्न 12.
किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के व्यवस्थापन को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।

प्रश्न 13.
तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी तत्व के परमाणु में उसके विभिन्न ऊर्जा स्तरों या कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों का वितरण ‘इलेक्ट्रॉनिक विन्यास’ कहलाता है।

प्रश्न 14.
कार्बन – 14 क्या है?
उत्तर:
कार्बन का समस्थानिक।

प्रश्न 15.
इलेक्ट्रॉन पर ………………. कूलॉम ………………….. आवेश होता है।
उत्तर:
उत्तर:
1.6 x 10-19, ऋणात्मक।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

प्रश्न 16.
प्रोटॉन पर आवेश ……………….. होता है।
उत्तर:
धनात्मक।

प्रश्न 17.
एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान ………….. होता है।
उत्तर:
9.1 × 10-28 ग्राम।

प्रश्न 18.
………………… तथा ………………… परमाणु के मूल कण हैं।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन।

प्रश्न 19.
कैनाल किरणें ………………… आवेशित कणों से मिलकर बनती हैं।
उत्तर:
धन।

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन के कितने समस्थानिक हैं?
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं-
\({ }_1^1 \mathrm{H},{ }_1^2 \mathrm{H}\) तथा \({ }_1^3 \mathrm{H}\).

प्रश्न 21.
समभारिक नाभिकों का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
\({ }_{20}^{40} \mathrm{Ca}\) तथा \({ }_{18}^{40} \mathrm{Ar}\) दोनों समभारिक हैं।

प्रश्न 22.
परमाणु के मौलिक कण बताइए।
उत्तर:
परमाणु के मौलिक कण प्रोटॉन, न्यूट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न 23.
विसर्जन नलिका में कैथोड से उत्सर्जित कण धन प्लेट की ओर झुकते हैं। कण की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
कण की प्रकृति विद्युत ऋणात्मक है।

प्रश्न 24.
यूरेनियम के दो समस्थानिक लिखिए।
उत्तर:
\({ }_{92}^{235} \mathrm{U}\) तथा \({ }_{92}^{238} \mathrm{U}\)

प्रश्न 25.
किसी तत्व के समस्थानिकों में किसमें समानता है?
उत्तर:
किसी तत्व के समस्थानिकों में प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित परमाणु नाभिकों में से कौन समभारी तथा कौन समस्थानिक हैं?
(i) (17p + 18n ) तथा ( 17p+20n)
(ii) (18p + 22n) तथा (20p+20n)
उत्तर:
(i) नाभिक समस्थानिक है तथा
(ii) नाभिक समभारिक हैं।

प्रश्न 27.
परमाणु के यदि K और L कोश पूर्णतः भरे हुए हैं, उनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या क्या है?
उत्तर:
10

प्रश्न 28.
उस तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का वितरण लिखिए जिसकी परमाणु संख्या 13 है।
उत्तर:

K L M
2 8 3

प्रश्न 29.
प्रतीक \({ }_{15}^{31} P\) से बताइये –
(i) फॉस्फोरस की द्रव्यमान संख्या
(ii) फॉस्फोरस की परमाणु संख्या।
उत्तर:
(i) 31
(ii) 15.

प्रश्न 30.
उस तत्व की संयोजकता क्या होगी जिसकी परमाणु संख्या 15 है?
उत्तर:
3 या 5

प्रश्न 31.
क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 है। Cl आयन में इलेक्ट्रॉन की संख्या क्या होगी?
उत्तर:
Cl में इलेक्ट्रॉन की संख्या 17 + 1 = 18.

प्रश्न 32.
ऐलुमिनियम की परमाणु संख्या 13 है। Al+3 में कितने इलेक्ट्रॉन होंगे?
उत्तर:
Al+3 में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 13 – 3 = 10

प्रश्न 33.
मैग्नीशियम की परमाणु संख्या 12 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 28 2

प्रश्न 34.
परमाणु क्रमांक 13 वाले तत्व की संयोजकता बताइए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 3
इसलिए संयोजकता = 3

प्रश्न 35.
एक तत्व का परमाणु द्रव्यमान A तथा परमाणु संख्या B है। इस तत्व के नाभिक में न्यूट्रानों की संख्या बताइए।
उत्तर:
न्यूट्रॉनों की संख्या = परमाणु द्रव्यमान परमाणु संख्या
= A – B

प्रश्न 36.
एक तत्व के M-कक्ष में दो इलेक्ट्रॉन हैं। इस तत्व का परमाणु क्रमांक बताइये।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक = 2 + 8 + 2 = 12
K     L    M

प्रश्न 37.
किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उसकी संयोजकता से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
किसी तत्व की संयोजकता उस तत्व के संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है, या (8 – संयोजकता इलेक्ट्रॉन) की संख्या के बराबर होती है।

प्रश्न 38.
एक रासायनिक अभिक्रिया के दौरान किसी तत्व का परमाणु क्रमांक क्यों नहीं बदलता?
उत्तर:
किसी तत्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या, उसका परमाणु क्रमांक कहलाती है। चूँकि केवल इलेक्ट्रॉन ही रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है तथा प्रोटॉन इसमें सम्मिलित नहीं होते; अतः इनकी संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् तत्व का परमाणु क्रमांक रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अपरिवर्तित रहता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

प्रश्न 39.
हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं- प्रोटियम (1H1), ड्यूटीरियम (1H2) तथा ट्राइटियम (1H3)

प्रश्न 40.
समस्थानिकों के दो अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:

  1. कैंसर की चिकित्सा में कोबाल्ट-60 का प्रयोग किया जाता है।
  2. घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन 131 का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 41.
संयोजकता कोश क्या है?
उत्तर:
किसी परमाणु का बाह्यतम इलेक्ट्रॉन कोश ‘संयोजकता – कोश’ कहलाता है।

प्रश्न 42.
संयोजी इलेक्ट्रॉन क्या हैं?
उत्तर:
किसी परमाणु के बाह्यतम इलेक्ट्रॉन कोश में उपस्थित इलेक्ट्रान ‘संयोजी इलेक्ट्रॉन’ कहलाते हैं।

प्रश्न 43.
एक परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
संयोजी इलेक्ट्रॉन ही परमाणु की रासायनिक प्रकृति का निर्धारण करते हैं। ये इलेक्ट्रॉन परमाण्वीय स्पेक्ट्रा प्राप्त होने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 44.
उन तत्वों का सामान्य नाम बताइए जिनके परमाणुओं के संयोजकता कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
उत्तर:
अक्रिय गैसें (हीलियम को छोड़कर जिसके संयोजी कोश में 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं)।

प्रश्न 45.
रदरफोर्ड के अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग से किसी परमाणु के नाभिक के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है?
उत्तर:
एक परमाणु में अल्फा धनावेशित, अल्प-आकार का एक नाभिक होता है जिसमें परमाणु का लगभग समस्त द्रव्यमान निहित रहता है तथा इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन कुछ स्थिर कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं।

प्रश्न 46.
परमाणु उदासीन क्यों होता है यद्यपि इसके भीतर आवेशित कण विद्यमान हैं?
उत्तर:
परमाणु में प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन, विपरीत आवेशित कण उपस्थित होते हैं परन्तु संख्या में समान होने के कारण ये परस्पर आवेश प्रभाव को समाप्त कर देते हैं, इसी कारण परमाणु उदासीन रहता है।

प्रश्न 47.
एक तत्व के परमाणु को 4X9 के रूप में लिखा जाता है-
(i) अंक 9 क्या प्रदर्शित करता है?
(ii) अंक 4 क्या प्रदर्शित करता है?
(iii) परमाणु में इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या क्या है?
उत्तर:
(i) अंक 9 द्रव्यमान संख्या को प्रदर्शित करता है।
(ii) अंक 4 परमाणु संख्या को प्रदर्शित करता है।
(iii) इलेक्ट्रॉन 4, प्रोटॉन 4, न्यूट्रॉन 5

प्रश्न 48.
किसी परमाणु के प्रथम ऊर्जा स्तर में अधिकतम कितने इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं?
उत्तर:
प्रथम ऊर्जा स्तर में केवल 2 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।

प्रश्न 49.
परमाणु संख्या तथा द्रव्यमान संख्या को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या, उसका परमाणु क्रमांक या परमाणु संख्या कहलाती है। परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या का योग, उसकी द्रव्यमान संख्या कहलाती है।

लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यूट्रॉन की खोज ने परमाणु संरचना की कौन-सी समस्या का समाधान किया?
उत्तर:
न्यूट्रॉन की खोज से निष्कर्ष निकला कि परमाणु का नाभिक न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों से मिलकर बनता है। इससे नाभिक के आवेश तथा द्रव्यमान को स्पष्ट समझने में सहायता मिली।
न्यूट्रॉन की खोज से आवर्त सारणी में समस्थानिकों की समस्या का भी समाधान हो गया।

प्रश्न 2.
न्यूट्रॉन के अस्तित्व को किसने प्रस्तावित किया? इस पूर्वधारणा का क्या आधार छ?
उत्तर:
रदरफोर्ड ने सबसे पहले न्यूट्रॉन के अस्तित्व का विचार प्रकट किया था। सन् 1920 ई. में रदरफोर्ड ने प्रस्तावित किया कि नाभिक के अन्दर इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन उच्च स्थिर विद्युत आकर्षण बल के कारण इतने निकट होते हैं कि दोनों को मिलाकर एक कण के रूप में ही माना जा सकता है। इस कण पर कुल आवेश शून्य होगा। उसने इस कण को यूट्रॉन नाम दिया। इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के समान अपेक्षित था। इसी संकल्पना ने आधुनिक विज्ञान की अनेक महत्त्वपूर्ण समस्याओं को हल कर दिया।

प्रश्न 3.
न्यूट्रॉन के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म क्या हैं?
उत्तर:
न्यूट्रॉन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-

  1. न्यूट्रॉन उदासीन अथवा विद्युत आवेश रहित कण है। इसे on संकेत से प्रदर्शित करते हैं।
  2. न्यूट्रॉन की त्रिज्या 10-13 सेमी होती है।
  3. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.6748 10-27 किग्रा या परमाणु द्रव्यमान इकाई में 1.00893 amu होता है जो प्रोटॉन से कुछ अधिक होता है।
  4. नाभिकीय अभिक्रियाओं से ज्ञात हुआ है कि सभी तत्वों के परमाणुओं में (हाइड्रोजन को छोड़कर) न्यूट्रॉन होते हैं।
  5. न्यूट्रॉन की बेधन क्षमता भी अत्यधिक है, परन्तु कॉस्मिक किरणों से कम है।
  6. स्वतन्त्र न्यूट्रॉन का क्षय प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में होता है तथा ऊर्जा उत्सर्जित होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित परमाणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में क्या-क्या समानताएँ हैं?
लीथियम, सोडियम, पोटैशियम;
हीलियम निऑन आर्गन;
बेरिलियम मैग्नीशियम और कैल्सियम।
उत्तर:
उपर्युक्त परमाणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ इनमें इलेक्ट्रॉनों के वितरण के आधार पर ज्ञात की जा सकती हैं।
लीथियम, सोडियम, पोटैशियम की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ

तत्व परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M N
लीथियम (Li) 3 2, 1
सोडियम (Na) 11 2, 8, 1
पोटैशियम (K) 19 2, 8, 8, 1

इन सभी तत्वों के परमाणु के बाह्यतम कक्ष में 1 इलेक्ट्रॉन है, इसीलिए इनकी संयोजकता भी 1 है।

हीलियम, निऑन, आर्गन की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ

तत्व परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M N
हीलियम (He) 2 2
निऑन (Ne) 10 2, 8
आर्गन (Ar) 18 2, 8, 8

इन सभी तत्वों के परमाणु के बाह्यतम कक्ष पूर्ण हैं, इसीलिए इनकी संयोजकता शून्य है अर्थात् ये तत्व निष्क्रिय हैं।
बेरीलियम, मैग्नीशियम, कैल्सियम की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ

तत्व परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M N
बेरीलियम (Be) 4 2, 2
मैग्नीशियम (Mg) 12 2, 8, 2
कैल्सियम (Ca) 20 2, 8, 8, 2

इन सभी तत्वों के बाह्यतम कक्ष में 2 इलेक्ट्रॉन हैं, इसीलिए
इनकी संयोजकता 2 है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित परमाणुओं के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों के वितरण का वर्णन कीजिए-
लीथियम, नाइट्रोजन, निऑन, मैग्नीशियम और सिलिकॉन।

तत्व परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M N
लीथियम (Li) 3 2, 1 – –
नाइट्रोजन (N) 7 2, 5, – –
निऑन (Ne) 10 2, 8, – –
मैग्नीशियम (Mg) 12 2, 8, 2 –
सिलिकॉन (Si) 14 2, 8, 4 –

प्रश्न 6.
समस्थानिकों की परिभाषा दीजिए। समस्थानिकों के मुख्य अभिलक्षण क्या-क्या हैं?
उत्तर:
तत्व के ऐसे परमाणुओं को, जिनके नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या तो समान हो, परन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न हो, समस्थानिक (Isotopes) कहते हैं। अतः किसी तत्व के वे परमाणु, जिनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं, समस्थानिक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं- प्रोटियम (1H1), ड्यूटी – रियम (1H2 या 1D2) तथा या ट्राइटियम (1H3) या 1T3)। क्लोरीन के दो समस्थानिक हैं- 17Cl35, 17Cl37.

समस्थानिकों के मुख्य अभिलक्षण – समस्थानिकों के मुख्य अभिलक्षण निम्नलिखित हैं-

  • समस्थानिकों के परमाणु क्रमांक समान तथा द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न होती हैं।
  • समस्थानिकों में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्याएँ समान तथा न्यूट्रॉनों की संख्याएँ भिन्न होती हैं।
  • समस्थानिकों के भौतिक गुण जैसे- घनत्व, क्वथनांक आदि भिन्न होते हैं।
  • चूँकि एक तत्व के सभी समस्थानिकों की द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, इसलिए इनके भौतिक गुण भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • चूँकि तत्व के सभी समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक समान होता है, इसलिए एक तत्व के सभी समस्थानिकों को आवर्त सारणी में एक ही स्थान पर रखा जाता है।
  • किसी एक तत्व के समस्थानिकों में से कुछ रेडियोऐक्टिव हो सकते हैं और कुछ नहीं। इसका मुख्य कारण नाभिकीय संरचना का भिन्न-भिन्न होना है। जैसे- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिकों 1H1, 1H2 तथा 1H3 में से केवल ट्राइटियम (1H3) ही रेडियोऐक्टिव है। प्रोटियम (1H1) तथा ड्यूटीरियम (1H2) रेडियोऐक्टिव नहीं हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना

प्रश्न 7.
समस्थानिकों के मुख्य अनुप्रयोग क्या हैं?
उत्तर:
समस्थानिकों के प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

  • किसी तत्व में समस्थानिकों की आपेक्षिक सान्द्रता (Relative concentration) स्थिर होती है। पुरातत्ववेत्ता किसी पदार्थ के समस्थानिकों के आपेक्षिक बाहुल्य (Relative abundance) के निर्धारण द्वारा प्राचीन समय के पौधों अथवा उत्खनन (Excavation) से प्राप्त जानवरों और मानवों के कंकालों के काल निर्धारण करते हैं।
  • यूरेनियम के समस्थानिकों का प्रयोग परमाणु विखण्डन में किया जाता है जिससे अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
  • समस्थानिकों का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।
  • समस्थानिकों से विभिन्न प्रकार के विस्फोटक तैयार किए जाते हैं।
  • समस्थानिकों से चट्टानों की आयु का पता लगाया जा सकता है।
  • कैंसर जैसी घातक बीमारी के चिकित्सीय इलाज में मुख्य रूप से रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का प्रयोग किया जाता है। इसमें मुख्यत: कोबाल्ट समस्थानिक (Co-60) का उपयोग किया जाता है। यह समस्थानिक गामा किरणें उत्सर्जित करता है, जो कैंसर से पीड़ित रोगी की दुर्दम कोशिकाओं को नष्ट कर रोगी को स्वस्थ बनाने में सहायता करती हैं।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक तत्व का परमाणु द्रव्यमान 24 है तथा इसके नाभिक में 12 न्यूट्रॉन हैं। तत्व के परमाणु क्रमांक की गणना कीजिए।
हल:
तत्व का परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या
= परमाणु द्रव्यमान न्यूट्रॉनों की संख्या
= 24 – 12
= 12

प्रश्न 2.
सोडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है। सोडियम-23 के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
सोडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 1
∴ सोडियम का परमाणु क्रमांक = 2 + 8 + 1 = 11
∴ सोडियम का परमाणु द्रव्यमान = 23
∴ नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु क्रमांक = 11
∴ नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या = परमाणु भार – प्रोटॉनों की संख्या
= 23 – 11 = 12

प्रश्न 3.
किसी तत्व का परमाणु क्रमांक 18 है। इस तत्व की बाह्य कक्षा में कितने प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन होंगे?
हल:
तत्व का परमाणु क्रमांक 18
∴ प्रोटॉनों की संख्या 18
∴ इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या = 18
बाह्यतम कक्ष में प्रोटॉन शून्य होंगे; क्योंकि समस्त प्रोटॉन नाभिक में रहते हैं।
∴ तत्व का इलेक्ट्रानिक विन्यास 2, 8, 8
अतः तत्व के परमाणु के बाह्य कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या-18

प्रश्न 4.
क्लोरीन का परमाणु क्रमांक 17 तथा द्रव्यमान संख्या 35 है। क्लोरीन के एक परमाणु में प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु क्रमांक 17
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या
= 35 – 17 = 18

प्रश्न 5.
सोडियम के परमाणु के अन्दर पाए जाने वाले न्यूट्रॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए।
हल:
सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 तथा द्रव्यमान संख्या 23 है।
अत: सोडियम में इलेक्ट्रॉनों की संख्या परमाणु क्रमांक = 11
सोयम में न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या
= 23 – 11 = 12

प्रश्न 6.
समान परमाणु द्रव्यमान के दो तत्वों A तथा B के परमाणु क्रमांक क्रमशः 19 तथा 20 हैं। यदि तत्व A के नाभिक में 21 न्यूट्रॉन हैं तो तत्व B के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या क्या होगी?
हल:
तत्व A का परमाणु भार = A के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या + A के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या
= 19 + 21 = 40
चूँकि तत्व A और B का परमाणु द्रव्यमान बराबर है; अतः B का परमाणु द्रव्यमान भी 40 होगा।
तत्व B का परमाणु द्रव्यमान = तत्व B के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या + तत्व B के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या 40 = 20 + न्यूट्रॉनों की संख्या
न्यूट्रॉनों की संख्या = 40 – 20 = 20
अतः तत्व B के नाभिक में 20 न्यूट्रॉन होंगे।

प्रश्न 7.
एक परमाणु द्रव्यमान के नाभिक में 10 प्रोटॉन तथा 10 न्यूटॉन हैं। इस परमाणु में कुल कितने इलेक्ट्रॉन हैं?
हल:
परमाणु में कुल इलेक्ट्रॉन = प्रोटॉनों की संख्या = 10

प्रश्न 8.
एक तत्व का परमाणु क्रमांक 19 तथा द्रव्यमान संख्या 39 है। इसके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
तत्व का परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या
= 19, तत्व की द्रव्यमान संख्या
= 39
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या
= 39 – 19
= 20

प्रश्न 9.
एक तत्व का परमाणु द्रव्यमान 27 है। इस तत्व के नाभिक में 14 न्यूट्रॉन हैं। तत्व की संयोजकता क्या है?
हल:
तत्व का परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या
= परमाणु भार – न्यूट्रॉनों की संख्या
= 27 – 14 = 13
तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 4 परमाणु की संरचना 1
चूँकि किसी परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा उस तत्व की संयोजकता निर्धारित होती है; अतः इस तत्व की संयोजकता 3 होगी।

प्रश्न 10.
एक तत्व X के परमाणु में जिसकी परमाणु -संख्या 17 है, कितने संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं? इस परमाणु के संयोजी कोश का नाम लिखिए
हल:
तत्व X की परमाणु संख्या – 17
X का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7
17X में संयोजी इलेक्ट्रॉन = 7
इस परमाणु के संयोजी कोश का नाम M है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board Class 9 Science हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थीं?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास- पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
पिछले वर्ष में मैं दो बार बीमार हुआ / हुई। पहली बार मुझे वाइरल बुखार हुआ और दूसरी बार मलेरिया हुआ था।
(a) बीमारी से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का सुदृढ़ होना जरूरी है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए मैंने अपनी दिनचर्चा में इस प्रकार परिवर्तन किये-
पौष्टिक और सन्तुलित आहार लेना प्रारम्भ कर दिया। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करने लगा। मच्छर घर में प्रवेश न कर सकें इसका प्रबन्ध किया।

(b) उपर्युक्त बीमारियों से बचने के लिए-

  • हम अपने पास-पड़ोस में समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना करना चाहेंगे। जहाँ पर सभी रोगों के लिए टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए (रोकथाम के लिए) टीकाकरण का कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
  • लोगों में स्वास्थ्य शिक्षा में प्रति जागरूकता पैदा करेंगे।
  • अपने चारों ओर के वातावरण की सफाई पर उचित ध्यान देंगे।
  • विद्यालय में भी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी तथा टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकार को प्रेरित करेंगे।

प्रश्न 2.
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी निरन्तर रोगियों के सम्पर्क में रहते हैं। रोगों से बचने के लिए वे सभी व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं। रोगी का परीक्षण व चिकित्सा करते समय वे अपने चेहरे पर मास्क का प्रयोग करते हैं जिससे कि रोगाणुओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क से बचे रहें। रोगी का परीक्षण करने के बाद वे अपने हाथों को एन्टीसेप्टिक रसायन या साबुन से धोते हैं। वे पौष्टिक व सन्तुलित आहार लेते हैं। जिससे इनका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय बना रहता है। इस प्रकार वे बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

प्रश्न 3.
अपने पास-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
हमारे पास-पड़ोस में सामान्यतः मलेरिया, हैजा, अतिसार, टाइफॉयड डायरिया (दस्त) आदि रोग होते हैं। ये रोग सामाजिक अस्वच्छता एवं प्रदूषित पर्यावरण के कारण फैलते हैं। इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को निम्नलिखित सुझाव देंगे-

  • सड़क के किनारों पर बनी नालियों की नियमित सफाई करायें। उनमें गंदा पानी रुकने न पाये।
  • रुके हुए तालाब व पोखरों के जल पर मिट्टी का तेल डी.डी.टी. आदि कीटनाशक छिड़कवायें।
  • कटे हुए फलों, खुले हुए खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगवाएँ
  • रोगों से बचाव हेतु सामाजिक स्वच्छता एवं टीकाकरण कार्यक्रम की व्यवस्था कराएँ।

प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है? हम कैसे पता करेंगे कि-
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन सी बीमारी है?
उत्तर:
(a) बीमार होने की स्थिति में बच्चे का सामान्य व्यवहार ठीक नहीं रहेगा। वह पीड़ा के कारण रोयेगा, कुछ भी खाना पसन्द नहीं करेगा, उल्टी-दस्त करेगा, बेचैन रहेगा, सुस्त हो जायेगा, शरीर का ताप बढ़ जायेगा। खांसना, छींकना आदि लक्षण प्रदर्शित करेगा।

(b) उल्टी-दस्त, भोजन ग्रहण न करना, बुखार आना, सुस्त व बेचैन रहना और परेशानी के कारण रोना आदि लक्षण हैं तो बच्चा अतिसार (डायरिया) रोग से पीड़ित हो गया है। यह रोग प्रदूषित खाद्य पदार्थ खाने या प्रदूषित जल पीने के कारण हो गया है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
(b) वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
उत्तर:
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद भी शारीरिक कमजोरी बनी रहेगी और वह व्यक्ति चार दिन उपवास करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जायेगी। अतः चेचक के रोगाणुओं का संक्रमण ऐसे व्यक्ति पर आसानी से हो जायेगा। जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं। और जिसका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय न हो। अतः रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का स्वस्थ और सक्रिय बने रहना अति आवश्यक है। इसके लिए उस व्यक्ति को पौष्टिक आहार की आवश्यकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों – (a) जब आपकी परीक्षा का समय है। (b) जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक · यात्रा कर चुके हैं। (c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
उत्तर:
(c) जब हमारा मित्र खसरा से पीड़ित है। क्योंकि खसरा एक संक्रामक रोग है अतः खसरा पीड़ित मित्र के सम्पर्क में रहने से खसरे का संक्रमण हो जाता है और सम्पर्क में रहने वाला व्यक्ति बीमार हो जाता है।

प्रश्न 7.
यदि आप किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हो तो आप किसको चुनते हैं? (a) स्वयं की? (b) अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की क्यों?
उत्तर:
यदि हम किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हैं, तो हम अपने क्षेत्र में फैले सामान्य रोग के टीके की खोज करेंगे जिससे ज़्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा हो सके।

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क्रियाकलाप 13.1 (पा. पु. पृ. सं. 198)
लातूर, भुज, कश्मीर आदि में आए भूकंप या तटवर्ती भाग को प्रभावित करने वाले चक्रवात जैसी आपदाओं से वहाँ के लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
इन आपदाओं के वास्तव में घटने के समय हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेंगे?
उत्तर:
इन आपदाओं की वजह से अनेक बुरे प्रभाव हम पर पड़ेंगे। इसके कारण स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। स्वच्छ तथा साफ जल तथा भोजन के अभाव से बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
आपदा घटित होने के पश्चात् कितने समय तक विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी?
उत्तर:
जब तक स्वच्छ वातावरण नहीं मिलेगा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी।

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प्रश्न 3.
पहली स्थिति में (आपदा के समय) स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? तथा दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) स्वास्थ्य संबंधी कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
पहली स्थिति में (आपदा के समय) जान माल की हानि होगी तथा भोजन न मिलने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण न मिलने के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

मानव समुदाय में स्वास्थ्य एवं रोग एक जटिल समस्या है, जिसके लिए एक दूसरे से सम्बन्धित अनेक कारक उत्तरदायी हैं। हम यह भी अनुभव करते हैं कि स्वास्थ्य और रोग का अर्थ स्वयं में बहुत जटिल है।

हम जानते हैं कि कोशिकाएँ सजीवों की मौलिक इकाई हैं। कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा या लिपिड आदि से बनी होती हैं। इनमें काफी सक्रियता पाई जाती है। इनके अन्दर कुछ न कुछ क्रियाएँ सदैव होती रहती हैं।

कोशिकाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान को गतिशील रहती हैं। जिन कोशिकाओं में गति नहीं होती उनमें भी कुछ न कुछ मरम्मत का कार्य चलता रहता है। नई-नई कोशिकाएँ बनती रहती हैं। हमारे अंगों अथवा ऊतकों में बहुत सी विशिष्ट क्रियाएँ चलती रहती हैं, जैसे- हृदय धड़कता है, फेफड़े सांस लेते हैं, वृक्क में निस्यन्दन द्वारा मूत्र बनता है, मस्तिष्क सोचता है।

सभी क्रियाएँ परस्पर सम्बन्धित हैं। उदाहरणार्थं यदि वृक्क (गुर्दे) में निस्यन्दन न हो तो विषैले पदार्थ हमारे शरीर में एकत्र हो जायेंगे। इस स्थिति में मस्तिष्क उचित प्रकार से सोच नहीं सकेगा। इन सभी पारस्परिक क्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा तथा कच्चे पदार्थों की आवश्यकता होती है।

ये कच्चे पदार्थ हमारे शरीर को बाहर से प्राप्त होते हैं अर्थात् कोशिकाओं तथा ऊतकों को कार्य करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई भी कारक जो कोशिकाओं एवं ऊतकों को उचित प्रकार से कार्य करने से रोकता है, वह हमारे शरीर की समुचित क्रिया में कमी का कारण होगा।

क्रियाकलाप 13.2 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपके स्थानीय प्राधिकरण (पंचायत / नगर निगम) ने स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए क्या उपाय किये हैं?
उत्तर:
हमारे कस्बे शहर को स्वच्छ जल की आपूति के लिए नगर के प्राधिकरण ने एक बहुत बड़ा जल आपूर्ति घर (Water Supply home) बनाया हुआ है। वहाँ पर कई विधियों द्वारा जल को साफ करके शुद्ध पेय जल बनाया जाता है। फिर उस शुद्ध जल को पानी की टंकी में एकत्र किया जाता है। इसके बाद शुद्ध जल पाइप लाइनों के द्वारा घर-घर में वितरित कर दिया जाता है।

क्या आपके मोहल्ले में सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है?
उत्तर:
नहीं, हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त नहीं हो पाता है, क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से स्वच्छ पेय जल की मात्रा बहुत कम होती है। इसलिए कम मात्रा में शुद्ध जल मिल पाने के कारण हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। जिसके अभाव में अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं।

क्रियाकलाप 13.3 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपका स्थानीय प्राधिकरण आपके मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा कैसे करता है?
उत्तर:
हमारे शहर का स्थानीय प्राधिकरण मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा घर-घर जाकर कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने वाली ढकेलों द्वारा कराता है, जिसका संचालन एक सफाई कर्मचारी करता है सड़कों और गलियों की सफाई, सफाई कर्मचारियों के द्वारा की जाती है। इस कचरे को प्राधिकरण द्वारा बनाए गये डलाब घर में डाल दिया जाता है। जहाँ से प्राधिकरण की गाड़ियाँ उस कचरे को शहर से बाहर ले जाती हैं।

क्या प्राधिकरण द्वारा किये गये उपाय पर्याप्त हैं?
उत्तर:
प्राधिकरण द्वारा कचरे का निपटारा करने के लिए किये गये उपाय पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि सफाई कर्मचारियों का संख्या अपेक्षाकृत कम है। सफाई कर्मचारी ठीक से कार्य नहीं करते हैं। कचरे का निपटारा करने वाली गाड़ियों की संख्या भी कम है जो कि कम चक्कर करती हैं परिणामस्वरूप कचरा सड़ने लगता है, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है और बीमारियाँ फैलने लगती हैं।

यदि नहीं, तो इसके सुधार के लिए आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
प्राधिकरण को चाहिए कि आवश्यकतानुसार पर्याप्त सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करे, कचरा ढोने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ाये कर्मचारियों को समय से वेतन का भुगतान करे और उनमें कर्त्तव्यनिष्ठा की भावना पैदा करे। कचरे का निपटारा प्रतिदिन पूरा कराया जाये। कचरे को एकत्र न होने दिया जाये।

आप अपने घर में दैनिक / साप्ताहिक उत्पन्न होने वाले कचरे को कम करने के लिए क्या रेंगे?
उत्तर:
हम अपने घर में उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, जलने वाले कचरे को जला देंगे। पुनः प्रयोग में न आने वाली वस्तुओं को अलग करके कबाड़े वाले को दे देंगे खाद के रूप में काम आने वाले कचरे को खेतों और बाग-बगीचों में प्रयोग कर लेंगे।

स्वास्थ्य के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन प्राप्त करके लिए हमें काम करना पड़ता है। इसके लिए हमें काम करने के अवसर खोजने पड़ते हैं। अच्छी आर्थिक परिस्थितियाँ तथा कार्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

स्वस्थ्य रहने के लिए हमें प्रसन्न रहना आवश्यक है। यदि किसी से हमारा व्यवहार ठीक नहीं है और हमें एक-दूसरे से डर हो तो हम प्रसन्न तथा स्वस्थ नहीं रह सकते। अतः व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामाजिक समानता बहुत आवश्यक है। अनेक सामुदायिक समस्याएँ भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

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खण्ड 13.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. सं. 200)

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ हैं-

  • पौष्टिक भोजन की आवश्यकता।
  • प्रसन्न रहना और सामुदायिक स्वच्छता।

प्रश्न 2.
रोग मुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
रोगमुक्ति की दो आवश्यक परिस्थितियाँ हैं-

  • सामुदायिक और व्यक्तिगत स्वच्छता।
  • चिकित्सा (पौष्टिक व सन्तुलित भोजन तथा औषधियाँ)।

प्रश्न 3.
क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न, क्यों?
उत्तर:
उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे नहीं हैं, कुछ भिन्न हैं। फिर भी उनका एक-दूसरे से गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन के साथ-साथ स्वच्छ रहना भी आवश्यक है, जबकि रोग से मुक्ति पाने के लिए स्वच्छता के साथ-साथ अच्छी चिकित्सा ( औषधियों एवं चिकित्सक) की भी आवश्यकता है। केवल एक ही परिस्थिति में रोग से मुक्ति पाना सम्भव नहीं है।

क्रियाकलाप (13.4) (पा. पु. पू. सं. 201)
पिछले तीन महीनों में कितने लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में हमारे गाँव / कस्बे / शहर में 1000 लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए।

पिछले तीन महीनों में कितने लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में 2000 लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए।

आपके पड़ोस में कुल कितने लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं?
उत्तर:
हमारे पड़ोस में कुल 100 लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं।

इस भिन्नता के क्या कारण हो सकते हैं? इस भिन्नता का लोगों के सामान्य स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
भिन्नता के कारण-

  • हमारे आस-पास स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं की कमी है।
  • अच्छी स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ प्रत्येक नागरिक को प्राप्त नहीं हैं।
  • जनसंख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही है।
  • अशिक्षा के कारण रोगियों की उचित देख-रेख नहीं हो पाती है। जिसके कारण तीव्र रोग ठीक नहीं हो पाते हैं और वे
  • दीर्घकालिक रोग में बदल जाते हैं इसलिए लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। (v) बीमार होने के कारण लोग काम करने के
  • लिए नहीं जा पाते हैं तथा घर के दूसरे लोग भी बीमार व्यक्ति की देखभाल में लगे रहते हैं, जिससे लोगों की निरन्तर आर्थिक हानि होती है।
  • पैसे की कमी से बीमार व्यक्ति की चिकित्सा नहीं हो पाती है।

उपरोक्त कारणों से लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा सामुदायिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

खण्ड 13.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 203)

प्रश्न 1.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
जब हमारे शरीर का कोई अंग या अंग तन्त्र ठीक से कार्य नहीं कर पाता है तो हमें शारीरिक कष्ट होता है तब हम सोचते हैं कि हम बीमार हैं तथा हमें चिकित्सक के पास जाना चाहिए। बीमार होने के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं- सिरदर्द, खाँसी, दस्त, किसी घाव में पस आना आदि। यदि हमारे शरीर में इनमें से कोई भी एक या अधिक लक्षण दिखाई दें तो हमें शीघ्र ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए और पूरी जाँच करानी चाहिए, जिससे हमें पता चल सके कि किस रोग के कारण हमारे शरीर के अंग ठीक तरह से कार्य नहीं कर रहे हैं। रोग और उसके होने के कारणों के पता चलने के बाद ही रोग की चिकित्सा सम्भव हो सकेगी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसके लम्बे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों – यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं। यदि आपके शरीर पर जूँ (Lice) हैं। यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।
उत्तर:
पीलिया रोग के लम्बे समय तक बने रहने के कारण यकृत (Liver) में सूजन आ जाती है। जिससे पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। इस स्थिति में हमें तेज बुखार, सिर दर्द तथा जोड़ों में दर्द का अनुभव होता है। हमें भूख नहीं लगती है, शरीर में खुजली, जलन व उत्तेजनशील चकते उत्पन्न हो जाते हैं। अधिक लम्बे समय तक इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग के कारण स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति कमजोर हो जाता है।

जूँ तथा मुँहासे तीव्र प्रभाव दिखाते हैं और वे आसानी से दूर हो सकते हैं तथा उनका शरीर पर प्रभाव देर तक नहीं रहता है।

क्रियाकलाप (13.5) (पा. पु. पृ. सं. 205)
आपकी कक्षा में कुछ दिनों पहले कितने विद्यार्थियों को जुकाम, खाँसी तथा बुखार हुआ था?
उत्तर:
हमारी कक्षा में कुछ दिन पहले 20 विद्यार्थियों को जुकाम/खाँसी तथा बुखार हुआ था।

उनको बीमारी कितने दिनों तक रही?
उत्तर:
उनको बीमारी एक सप्ताह से लेकर 15 दिनों तक रही।

इनमें से कितनों ने एंटीबायोटिक का उपयोग किया?
उत्तर:
इनमें से 15 विद्यार्थियों ने एंटीबोयोटिक का उपयोग किया था।

जिन्होंने एंटीबायोटिक लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे ?
उत्तर:
जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था वे 5-6 दिनों तक बीमार रहे और शीघ्र ही ठीक हो गये।

जिन्होंने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे?
उत्तर:
जिंन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कई दिनों तक बीमार रहे।

क्या इन दोनों वर्गों में अन्तर है?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है।

यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
दोनों वर्गों में यह अन्तर है कि जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था उनकी प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ गई, जिससे वे शीघ्र ठीक हो गये। जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था उनके शरीर में बैक्टीरिया फैलते रहे और शरीर प्रतिरक्षा तन्त्र कमजोर हो गया, जिसके कारण उनको देर से रोग से मुक्ति मिल सकी।

क्रियाकलाप 13.6. (पा. पु. पृ. सं. 209)
अपने मोहल्ले में एक सर्वेक्षण करो। दस परिवारों से बात करो जिनका रहन-सहन उच्च स्तर का है, जो अच्छी प्रकार रहते हैं और दस ऐसे परिवार जो आपके अनुमान के अनुसार गरीब हैं। इन दोनों परिवारों में बच्चे होने चाहिए जिनकी आयु पाँच वर्ष से कम हो। प्रत्येक बच्चे की ऊँचाई मापो और आयु लिखो तथा एक ग्राफ बनाओ।

क्या दोनों (अमीर और गरीब) वर्गों में कोई अन्तर है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है। क्योंकि अमीर के पास खर्च करने के लिए धन उपलब्ध है जबकि गरीब के पास धन का अभाव है।

यदि उनमें अन्तर नहीं है तो क्या आप यह निष्कर्ष निकालते हैं कि स्वास्थ्य के लिए अमीरी तथा गरीबी का कोई महत्व नहीं है।
उत्तर:
स्वास्थ्य पर अमीरी और गरीबी का स्पष्ट अन्तर दिखाई देता है। अमीर लोगों के बच्चों को पौष्टिक व सन्तुलित ‘भोजन, शुद्ध पेय जल, अच्छा वातावरण, अच्छा घर तथा अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं जबकि गरीब लोगों बच्चों को न तो पौष्टिक व सन्तुलित भोजन मिल पाता है, न ही पीने के लिए शुद्ध जल, न ही रहने के लिए अच्छा वातावरण, न अच्छा घर और न ही अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ मिल पाती हैं। इसलिए गरीब वर्ग के रोगी बच्चों की संख्या अमीर वर्ग के बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है।

संक्रमण से बचने की विशिष्ट विधियाँ प्रतिरक्षा तन्त्र के विशिष्ट गुणों से सम्बन्धित हैं, जो प्रायः रोगाणु से लड़ते रहते हैं। जैसे इन दिनों सारे विश्व में चेचक (स्मॉल पॉक्स) नहीं है, किन्तु 100 वर्ष पहले चेचक महामारी बहुत होती थी। लोग रोगी के पास आने से डरते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें भी चेचक न हो जाये।

लेकिन एक वर्ग ऐसा भी था जो चेचक से नहीं डरता था और वे चेचक के रोगी की सेवा करते थे। इस वर्ग के व्यक्तियों को बहुत भयानक चेचक हुआ था, लेकिन फिर भी वे जीवित रहे, किन्तु उनके शरीर पर (मुख्यत: चेहरे पर बहुत से दाग थे। अर्थात् यदि किसी को एक बार चेचक हो जाए तो उसे चेचक रोग पुनः होने की सम्भावना नहीं होती। इसलिए यह एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि है।

ऐसा इसलिए होता है कि जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं से प्रतिक्रिया करते हैं और फिर उसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। अतः जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

इस प्रकार, टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि शरीर में विशिष्ट संक्रमण तत्व प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तन्त्र को ‘मूर्ख’ बना सकते हैं वह उन रोगाणुओं की नकल करता है जो टीके के द्वारा शरीर में पहुँचे हैं। वह वास्तव में रोग उत्पन्न नहीं करते, किन्तु यह वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को उसके बाद रोग उत्पन्न करने से रोकता है।

आजकल ऐसे बहुत से टीके उपलब्ध हैं जो संक्रामक रोगों का निवारण करते हैं और रोग निवारण के विशिष्ट साधन प्रदान करते हैं। टेटनस, डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं। यह बच्चों की संक्रामक रोगों से रक्षा करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम है।

ऐसे कार्यक्रम तभी सफल होते हैं जब ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएँ सभी बच्चों को प्राप्त हों हिपेटाइटिस के कुछ वाइरस जिससे पोलियो होता है, पानी द्वारा संचारित होता है। हिपेटाइटिस ‘A’ के लिए टीका उपलब्ध है। देश के अधिकांश भागों में जब बच्चे की आयु पाँच वर्ष हो जाती है तब तक वह हिपेटाइटिस ‘A’ के प्रति प्रतिरक्षी हो चुका होता है। इसका कारण यह है कि यह पानी के द्वारा वाइरस के प्रभाव में आ चुका हो।

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क्रियाकलाप 13.7. (पा.पु. पृ. सं. 210)
संक्रमित कुत्ते तथा अन्य जन्तुओं के काटने से रेबीज वाइरस फैलता है। मनुष्य तथा जन्तु दोनों के लिए प्रति रेबीज टीके उपलब्ध हैं पता करो कि आपके पास पड़ौस में स्थानीय प्रशासन रेबीज को फैलने से रोकने के लिए क्या कर रहा है?
क्या (प्रशासन द्वारा रेबीज फैलने से रोकने के लिए) ये उपाय पर्याप्त हैं? यदि नहीं, तो आप इसके सुधार के लिए क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
स्थानीय प्रशासन द्वारा रेबीज को फैलने से रोकने के लिए स्थानीय चिकित्सा केन्द्र में टीकाकरण की सेवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। अतः जब इन सेवाओं की जरूरत पड़ती है तो स्थानीय चिकित्सा केन्द्र टीकों के अभाव में असमर्थ दिखाई देते हैं। चिकित्सक व परिचारिका (नर्स) या सहायक भी उपलब्ध नहीं होते हैं इसलिए चिकित्सा में देरी हो जाती है। चिकित्सा सही ढंग से नहीं हो पाती और रोगी की हालत बिगड़ जाती है और उसका जीवन खतरे में पड़ जाता है। यहाँ तक कि उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका बुरा असर पूरे समाज पर पड़ता है।

अतः प्रशासन को चाहिए कि स्थानीय चिकित्सा केन्द्र पर पर्याप्त मात्रा में रेबीज के टीके उपलब्ध कराये, चिकित्सक, नर्स व सहायक भी उपलब्ध रहें ताकि उनकी सेवाओं का लाभ उठाया जा सके।

खण्ड 13.7 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 210)

प्रश्न 1.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषण युक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
बीमार होने पर सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन का परामर्श इसलिए दिया जाता है, क्योंकि ऐसे भोजन से हमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवण उचित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। ये तत्व हमारे शरीर के लिए जरूरी हैं। स्वस्थ होने के लिए ऐसा आहार आवश्यक है, क्योंकि भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है तथा शरीर के टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत होती है।

प्रश्न 2.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ इस प्रकार हैं-

  • रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में
  • दूषित जल
  • प्रदूषित वायु
  • दूषित भोजन, तथा
  • कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं ये रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ, एवं कवक वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण होते हैं।

प्रश्न 3.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी आवश्यक हैं-

  • अपने को रोगी साथियों से अलग रखना।
  • उनके साथ उठना-बैठना, खाना-पीना, स्पर्श एवं अन्य सम्पर्क न रखना।
  • सूक्ष्म जीवों से बचने के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करना।
  • स्वच्छता अपनाना तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखना।
  • खुले स्थान पर रहना।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए आवश्यक टीके लगवाना।

प्रश्न 4.
प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण-एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि प्रतिरक्षीकरण है। जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति के साथ उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 5.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्या है?
उत्तर:
हमारे पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टेटनस डिप्थीरिया, चेचक, कुकर खाँसी, पोलियो, बी.सी.जी. आदि के टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं। हमारे क्षेत्र में हैजा, टाइफॉयड, अतिसार, मलेरिया, फ्लू, रेबीज, क्षयरोग, एनीमिया, गलगण्ड (घेंघा) डाइबिटीज, गठिया, मेरेस्मस और हृदय रोग आदि स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्याएँ हैं।

प्रश्न 6.
क्या रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर सभी रोग फैल जाते हैं? (पा. पु. पृ. सं. 202)
उत्तर:
नहीं; रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर केवल संक्रामक रोग ही फैलते हैं।

प्रश्न 7.
ऐसे कौन से रोग हैं जो नहीं फैलते हैं?
उत्तर:
कैंसर, उच्च रक्त चाप, मोटापा, शरीर के किसी भाग में दर्द होना, गठिया, किसी दुर्घटना से होने वाली शारीरिक क्षति से उत्पन्न रोग आदि।

प्रश्न 8.
मनुष्टों में वे रोग कैसे हो जाते हैं जो रोगी के सम्पर्क में आने से नहीं फैलते?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में बहुत से असंक्रामक रोग हो जाते हैं; जैसे-आनुवंशिक असामान्यता, दुर्घटना, पौष्टिक भोजन की कमी, प्रदूषित पर्यावरण, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अस्वस्थता, विषाक्त भोजन, व्यायाम न करना तथा अप्रसन्न (दु:खी) रहना आदि। ये रोग एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलते।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) दो आसन्न कोण एक रेखीय युग्म बनाते हैं, यदि वे ……………… हों ।
(ii) यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी है तो इस प्रकार बने दो आसन्न कोणों का योग ………………….. होता है।
(iii) यदि दो आसन्न कोणों का योग 180° हो तो वे एक ………………. बनाते हैं।
(iv) दो आसन्न कोणों का शीर्ष बिन्दु …………. ही होता है।
(v) यदि दो शीर्षाभिमुख कोणों में से एक x° हो तो दूसरा कोण …………….. होगा।
(vi) यदि दो रेखाऐं एक दूसरे पर लम्ब हों तो वे परस्पर ……………. होती हैं।
(vii) यदि दो रेखाओं को एक तियक रेखा काटे और इस प्रकार बने संगत कोण बराबर हों, तो वे रेखाएँ परस्पर ……………… होती हैं।
(viii) यदि दो समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटे तो इस प्रकार बने एकान्तर कोण ……………….. होते हैं।
(ix) दो आसन्न सम्पूरक कोणों के समद्विभाजक एक दूसरे पर ……………….. होते हैं।
(x) त्रिभुज की किसी भुजा को बढ़ाने पर ………………. बनता है, जो के मानों के योग के बराबर होता है।
हल :
(i) सम्पूरक कोण
(ii) 180°
(iii) रेखीय युग्म,
(iv) एक
(v) x°
(vi) समान्तर
(vii) समान्तर,
(viii) समान,
(ix) लम्ब
(x) शीर्षाभिमुख कोण, अंत: अभिमुख कोणों ।

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प्रश्न 2.
चित्र में प्रतिवर्ती कोण ∠POQ बराबर है :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 1
(A) 60°
(B) 120°
(C) 300°
(D) 360°.
हल :
∵ किसी बिन्दु पर समस्त कोणों का योग = 360°
∴ दीर्घ ∠POQ = 360° – लघु ∠POQ = 360° – 60° = 300°
अत: विकल्प (C) सही है।

प्रश्न 3.
चित्र में दो समान्तर रेखाओं l तथा m को एक तिर्यक् रेखा n, बिन्दुओं G तथा H पर काट रही है। इस प्रकार बनने वाले कोण चित्र में अंकित हैं। यदि ∠1 न्यूनकोण हो, तो बताइए निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 2
(A) ∠1 + ∠2 = 180°
(B) ∠2 + ∠5 = 180°
(C) ∠3 + ∠8 = 180°
(D) ∠2 + ∠6 = 180°
हल :
∠1 + ∠2 = 180° (रैखिक कोण युग्म)
∠2 + ∠5 = 180° (संगत अन्तः कोणों का योग)
∠3 + ∠8 = 180° (संगत अन्तः कोणों का योग)
∠1 + ∠2 = 180°
न्यूनकोण + ∠2 = 180°
⇒ ∠2 = 180° – न्यूनकोण
⇒ ∠2 = अधिक कोण
⇒ ∠2 = ∠6 (संगतकोण)
अतः अधिक कोण अधिक कोण > 180°

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प्रश्न 4.
चित्र में दो समान्तर रेखाओं a तथा b को एक तिर्यक रेखा c बिन्दुओं A तथा B पर काटती है। A तथा B पर बनने वाले कोण चित्र में अंकित हैं। चित्र में बताइए कि निम्न में से कौन-से कोण युग्म का समान होना आवश्यक नहीं है:
(A) ∠1, ∠2
(B) ∠1, ∠3
(C) ∠1, ∠5
(D) ∠2, ∠8
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हल :
∠1 और ∠2 तब तक बराबर नहीं हो सकते जब तक कि तिर्यक रेखा c, भुजाओं a तथा b पर लम्ब न हो।
∠1 = ∠3 (शीर्षाभिमुख कोण)
∠1 = ∠5 (संगत कोण)
∠2 = ∠8 (एकान्तर कोण)
∵ ∠1 व ∠2 का समान होना आवश्यक नहीं है।
अतः विकल्प (A) सही है।

प्रश्न 5.
निम्न में पूरक कोण युग्म नहीं है:
(A) 60°, 30°
(B) 56°, 34°
(C) 0°, 90°
(D) 150°, 30°.
हल :
पूरक कोण युग्म का योग 90° होता है।
अतः विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 6.
निम्न में सम्पूरक कोण युग्म नहीं है:
(A) 90°, 90°
(B) 32°, 58°
(C) 0°, 180°
(D) 76°, 104°
हल :
सम्पूरक कोण युग्म का योग 180° होता है।
अतः विकल्प (B) सही हैं।

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प्रश्न 7.
चित्र में दर्शाए कोण ∠AOB तथा ∠BOC हैं:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 4
(A) पूरक कोण
(B) सम्पूरक कोण
(C) आसन्न कोण
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
हल :
किरण AOB के बिन्दु पर दो आसन्न कोण ∠AOB तथा ∠BOC हैं।
अत: विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 8.
चित्र में दो सरल रेखाएँ AB तथा CD एक-दूसरे को O बिन्दु पर प्रतिच्छेद कर रही हैं और इस प्रकार बिन्दु O पर बने कोण अंकित हैं। यहाँ ∠x – ∠y का मान है :
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(A) 56°
(B) 118°
(C) 620
(D) 180°.
हल :
∠BOC + ∠BOD = 180° (रैखिक युग्म कोण)
x + 62° = 180°
x = 180° – 62° = 118°
अत: विकल्प (A) सही है।
[∵ ∠x – ∠y = 118° – 62° = 56°]

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प्रश्न 9.
चित्र से बताइए कि निम्न में कौन-सा युग्म, संगत कोण नहीं हैं:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 6
(A) ∠1, ∠5
(B) ∠2, ∠6
(C) ∠3, ∠7
(D) ∠3, ∠5
हल :
∠3 और ∠5 एकान्तर कोण हैं। अन्त तीन संगत कोण हैं। अतः विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 10.
चित्र में रेखाएँ l तथा m समान्तर हैं, तो ∠x का मानज्ञात कीजिए । कारण भी स्पष्ट कीजिए।
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हल :
∠y = 68° (एकान्तर कोण)
∠y + ∠x + ∠x = 180° (रेखिक कोण युग्म)
⇒ 68° + 2∠x = 180°
⇒ 2∠x = 180° – 68°
⇒ 2∠x = 112°
⇒ ∠x = \(\frac {112°}{2}\)
∴ ∠x = 56°

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प्रश्न 11.
चित्र में, ∠AOB, ∠COD एवं ∠EOF ज्ञात कीजिए ।
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हल :
दिया है, CF और BE, दो रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद कर रही हैं,
∴ ∠COB = ∠EOF (शीर्षाभिमुख कोण)
5x° = ∠EOF
∴ ∠EOF = 5x°
अत: ∠AOF + ∠EOF + ∠DOE = 180°
[∵ DOA एक सरल रेखा है]
4x° + 5x° + 3x° = 180°
⇒ 12x° = 180°
⇒ x° = \(\frac {180°}{12}\)
∴ x° = 15°
अतः
∠AOB = ∠DOE (शीर्षाभिमुख कोण)
= 3x° = 3 × 15° = 45°
∠COD = ∠AOF (शीर्षाभिमुख कोण)
= 4x° = 4 × 15° = 60°
∠EOF = ∠COB (शीर्षाभिमुख कोण)
= 5x° = 5 × 15° = 75°
अत: ∠AOB, ∠COD और ∠EOF क्रमश: 45°, 60° और 75° हैं।

प्रश्न 12.
चित्र में, ∠POR और ∠QOR एक रैखिक कोण युग्म बनाते हैं। यदि a – b = 80°, तो a और b का मान ज्ञात कीजिए।
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हल :
दिया है, ∠a तथा ∠b रैखिक युग्म हैं
अतः a + b = 180° …………..(i)
एवं a – b = 80° …………..(ii) (दिया है)
समीकरण (i) और (ii) को जोड़ने पर,
2a = 260°
∴ a = \(\frac {260°}{2}\) = 130°
a का मान समीकरण (i) में रखने पर,
⇒ 130° + b = 180°
⇒ b = 180° – 130°
∴ b = 50°
अतः a = 130°, b = 50°

प्रश्न 13.
आकृति में रेखाएँ PQ और RS परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं यदि ∠POR : ∠ROQ = 5 : 7 हो, तो सभी कोण ज्ञात करो ।
हल :
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∠POR + ∠ROQ = 180° (रैखिक कोण युग्म)
∵ ∠POR : ∠ROQ = 5 : 7 (दिया है)
माना ∠POR = 5x, तथा ∠ROQ = 7x
∴ 5x + 7x = 180°
12x = 180°
x = \(\frac {180°}{2}\) = 15°
∴ ∠POR = 5 × 15 = 75°
तथा ∠ROQ = 7 × 15 = 105°
अत: ∠POS = ∠ROQ = 105° (शीर्षाभिमुख कोण)
और ∠SOQ = ∠POR = 75° (शीर्षाभिमुख कोण)

प्रश्न 14.
आकृति में, OP, OQ, OR और OS चार किरणें हैं। सिद्ध कीजिए कि
∠POQ + ∠QOR + ∠SOR + ∠POS = 360° है।
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हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 12
किरण QO को T बिन्दु तक आगे बढ़ाया। TOQ सरल रेखा हैं।
∴ ∠TOP + ∠POQ = 180° ……….(1)
(रैखिक कोण युग्म)
इसी प्रकार, किरण OS, रेखा TOQ पर खड़ी है।
⇒ ∠TOS +∠SOQ= 180° (रैखिक कोण युग्म)
परन्तु ∠SOQ = ∠SOR + ∠QOR है।
⇒ ∠TOS + ∠SOR + ∠QOR = 180° … (2)
अब (1) और (2) को जोड़ने पर,
∠TOP + ∠POQ + ∠TOS + ∠SOR + ∠QOR
= 180° + 180°
[∵ ∠TOP + ∠TOS = ∠POS]
= ∠POQ + ∠QOR + ∠SOR + ∠POS
= 360°. इति सिद्धम् ।

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प्रश्न 15.
आकृति में AB || CD और CD || EF है। साथ ही EA ⊥ AB है। यदि ∠BEF = 55° है, तो x, y और z के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 13
हल :
y + 55° = 180°
(CD || EF, तिर्यक रेखा ED के एक ही ओर के अन्त:कोण)
⇒ y = 180° – 55° = 125°
x = y (संगत कोण)
∴ x = 125°
∵ AB || CD और CD || EF
∴ AB || EF होगी।
⇒ ∠EAB + ∠FEA = 180° (अन्तःकोण)
⇒ 90° + z + 55° = 180°
∴ z = 180° – 90° – 55°
= 35°
अतः x y और z के मान क्रमशः 125°, 125° और 350° हैं।

प्रश्न 16.
यदि दो समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा प्रतिच्छेदित करती है, तो सिद्ध कीजिए कि अन्तः कोणों के समद्विभाजकों से एक आयत बनता है।
हल :
दिया है AB || CD तथा तिर्यक रेखा EF || AB व CD को क्रमश: P तथा Q पर काटती है अन्तः कोणों के समद्विभाजक क्रमश: PR व QR बिन्दु R पर तथा ∠BPQ एवं ∠PQD के समद्विभाजक PS व QS बिन्दु S पर काटते हैं।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 14
उपपत्ति: AB || CD, व तिर्यक रेखा EF उन्हें P तथा Q पर काटती है।
∴ ∠APQ = ∠PQD (एकान्तर कोण )
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠APQ = \(\frac {1}{2}\)∠PQD
⇒ ∠2 = ∠4
परन्तु ∠2 व ∠4 एकान्तर कोण युग्म है।
∴ RP || QS ………..(i)
इसी प्रकार ∠1 = ∠3
∴ PS || QR …….(ii)
(i) व (ii) से
PSQR एक समान्तर चतुर्भुज है ….(iii)
परन्तु ∠APQ + ∠BPQ = 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠APQ + \(\frac {1}{2}\)∠BPQ = \(\frac {1}{2}\) × 180°
⇒ ∠2 = ∠1 = 90°
⇒ ∠RPS = 90°
∴ PS QR एक आयत हैं। इति सिद्धम्

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प्रश्न 17.
चित्र में AB || DC हो, तो दिए गए कोणों से ∠x, ∠y तथा ∠z ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 15
हल :
AB || DC
∴ x = 102° (एकान्तर कोण)
और 88° = 22° + z (CBE का बहिष्कोण)
z° = 88° – 22° = 66°
और ∵ AB || DC
∴ y + 88° = 180°
(एक ही ओर के अन्तः कोणों का योग)
∴ ∠y = 180° – 88°
∴ ∠y = 92°
अतः ∠x = 102°, y = 92°, z = 66°

प्रश्न 18.
दिए गए चित्र से ∠x तथा ∠y के माप ज्ञात कीजिए। यदि ∠x – ∠y = 10° हो ।
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हल :
∠x – ∠y = 10° (दिया है) … (i)
और ∠x + ∠y = 120°
(बहिष्कोण = दोनों अन्तराभिमुख अन्तः कोणों का योगफल) … (ii)
(i) व (ii) को जोड़ने पर
⇒ 2∠x = 130° ⇒ ∠x = 65°
समी. (ii) से,
65° + ∠y = 120°
∴ ∠y = 120° – 65° = 55°.
अतः ∠x = 65° तथा ∠y = 55°

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प्रश्न 19.
आकृति में, ΔABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः E और D तक बढ़ाया गया है। यदि ∠CBE और ∠BCD के समद्विभाजक क्रमश: BO और CO बिन्दु O पर मिलते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि
∠BOC = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠BAC
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 17
किरण BO, ∠CBE की समद्विभाजक है।
∴ ∠CBO = \(\frac {1}{2}\)∠CBE
= \(\frac {1}{2}\)(180° – y)
= 90° – \(\frac {z}{2}\) ………….(1)
इसी प्रकार, किरण CO, ∠BCD की समद्विभाजक
∠BCO = \(\frac {1}{2}\)∠BCD = \(\frac {1}{2}\)(180° – z)
= 90° – \(\frac {z}{2}\) ……….(2)
ΔBOC में,
∠BOC + ∠BCO + ∠CBO = 180° ……….(3)
समीकरण (1) व (2) के मान (3) में रखने पर,
∠BOC + 90° – \(\frac {z}{2}\) + 90° – \(\frac {y}{2}\) = 180°
∠BOC = \(\frac{z}{2}+\frac{y}{2}\)
∠BOC = \(\frac {1}{2}\)(y + z)
[∵ त्रिभुज के तीनों कोणों का योग (x + y + z) = 180°]
y + z = 180° – x
\(\frac {1}{2}\)(y + z) = \(\frac {1}{2}\)(180 – x)
∠BOC = \(\frac {1}{2}\)(180° – x)
= \(\frac {1}{2}\) × 180° – \(\frac {x}{2}\)
अतः ∠BOC = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠BAC. इति सिद्धम् ।

प्रश्न 20.
निम्न चित्र में m और n दो समतल दर्पण हैं जो परस्पर लम्बवत है। दिखाइए कि आपतित किरण CA, परावर्तित किरण BD के समान्तर है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 18
हल :
दिया है: m ⊥ n तथा
आ CA, n पर आपतित व BD, m पर परावर्तित किरणें हैं।
सिद्ध करना है : CA || BD
रचना : AE ⊥ n तथा BF ⊥ Lin खींचे
उपपत्ति : AE ⊥ n तथा BF ⊥ m एवं m ⊥ n
∴ BF ⊥ AE या BG ⊥ GA
ΔBGA = 90°
एवं ∠GAB + ∠GBA + ∠BGA = 180°
(त्रिभुज के अन्त कोणों का योग)
⇒ ∠GAB + ∠GBA + 90° = 180°
⇒ ∠GAB + ∠GBA = 90° ……………..(i)
∵ आपतन कोण परावर्तन कोण
∴ ∠CAG = ∠GAB ……(i)
⇒ ∠GBA = \(\frac {1}{2}\)∠CAB … (ii)
इसी प्रकार ∠CAG = \(\frac {1}{2}\)∠ABD … (iii)
(i), (ii) तथा (iii) से
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠CAB + \(\frac {1}{2}\)∠ABD = 90°
⇒ ∠CAB + ∠ABD = 180°
किन्तु में तिर्यक रेखा के एक ही ओर के कोण हैं
अत: CA || BD इति सिद्धम्

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प्रश्न 21.
यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों के एक युग्म के समद्विभाजक परस्पर समान्तर हों, तो सिद्ध करो कि दोनों रेखाएँ भी परस्पर समान्तर होती हैं।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 19
दिया है : एक तिर्यक रेखा AD दो रेखाओं PQ और RS को B व C बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है। किरण BE, ∠ABQ की समद्विभाजक और किरण CG, ∠BCS की समद्विभाजक है तथा BE || CG है।
सिद्ध करना है : PQ || RS
उपपत्ति: किरण BE, ∠ABQ की समद्विभाजक है।
∴ ∠ABE = \(\frac {1}{2}\)∠ABQ ……. (1)
इसी प्रकार, किरण CG, ∠BCS की समद्विभाजक है।
∴ ∠BCG = \(\frac {1}{2}\)∠BCS …….. (2)
∵ BE || CG है और AD तिर्यक काटती है।
∴ ∠ABE = ∠BCG (संगत कोण)
समी (1) और (2) से मान रखने पर,
\(\frac {1}{2}\)∠ABQ = \(\frac {1}{2}\)∠BCS (संगत कोण)
⇒ ∠ABQ = ∠BCS
∴ PQ || RS. इति सिद्धम् ।

प्रश्न 22.
निम्न आकृति में, ∠ABC और ∠BCA के कोण समद्विभाजक बिन्दु O पर परस्पर प्रतिच्छेद करते हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A.
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 20
दिया है ΔABC में ZABC तथा ∠BCA के समद्विभाजक BO तथा CO बिन्दु पर एक-दूसरे को काटते हैं।
सिद्ध करना है: ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A
उपपत्ति : ∵BO, ∠ABC की समद्विभाजक है।
∴ ∠OBC = \(\frac {1}{2}\)∠ABC
इसी प्रकार CO, ∠BCA की समद्विभाजक है।
∴ ∠OCB = \(\frac {1}{2}\)∠BCA
⇒ ∠OBC + ∠OCB = \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA … (1)
ΔABC से, ∵ ∠ABC + ∠BCA + ∠A = 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA + \(\frac {1}{2}\)∠A = \(\frac {1}{2}\) × 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠A …..(2)
समी (2) में समी. (1) का मान रखने पर,
∠BOC + ∠OCB = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠A …………..(3)
ΔOBC से, ∠OBC + ∠OCB + ∠BOC = 180°
समीकरण (3) से मान रखने पर
90° – \(\frac {1}{2}\)∠A + ∠BOC = 180°
∴ ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A इति सिद्धम् ।

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प्रश्न 23.
सिद्ध करो कि किसी चतुर्भुज के चारों कोणों का योगफल चार समकोण के बराबर होता है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 21
हल :
दिया है
चतुर्भुज PQRS
रचना : PR को मिलाया, अत: रेखा PR, चतुर्भुज PQRS को दो त्रिभुओं PQR तथा SPR में बाँटती है।
ΔPQR में, ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180° … (i)
एवं ΔPSR में ∠4 + ∠5 + ∠6 = 180° …(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से,
∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 = 360°
या (∠1 + ∠4) + ∠2 + (∠3 + ∠5) + ∠6 = 360°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 360°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 4 × 90°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 4 समकोण । इति सिद्धम् ।

प्रश्न 24.
दिये गये चित्र में AB और CD दो समान्तर रेखाओं के बीच विन्दु P इस प्रकार है किं ∠PAB 45° तथा ∠PCD = 30° तो बृहत कोण APC का मान ज्ञात कीजिए।
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हल :
बिन्दु P से AB रेखा के समान्तर RS रेखा खींची।
अतः
∠BAP = ∠APR = 45° (एकान्तर कोण)
इसी प्रकार, ∠SPC = ∠PCD = 30° (एकान्तर कोण)
अव ∠RPC = 180° – 30° = 150°
∴ ∠APC = ∠APR + ∠RPC
= 45° + 150°
∴ ∠APC = 195°.

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प्रश्न 25.
दिये गये चित्र में AB || CD तथा PQ || EF तो ∠x का मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 23
हल :
∠DEF = 60° + 52° = 112°
∠EMQ = ∠DEF (संगत कोण)
परन्तु
∠PMC = ∠EMQ
= 112° (शीर्षाभिमुख कोण)
∴ ∠x = ∠PMC (संगत कोण)
∴ ∠x = 112°

प्रश्न 26.
दी गई आकृति में AB || CD हैं तो ∠x तथा के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 24
हल :
(i) ∠ABC = ∠BCD (एकान्तर कोण)
∵ ∠x + 80° = 116
∴ ∠x = 116° – 80°
= 36°

(ii) परन्तु
∠y + ∠x + 80° = 180°,
(सरल रेखा पर बने कोण)
⇒ ∠y + 80° + 36° = 180°
⇒ ∠y = 180 – 80 – 36 = 180° – 116°
∴ ∠y = 64°

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प्रश्न 27.
दिये गये चित्र में यदि, QT ⊥ PR, ∠TQR = 40°, ∠SPR = 30° है तो x तथा y के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 25
हल :
(i) ΔTQR में, ∠T = 90° (∵ OT⊥PR)
∴ 90° + 40° + x = 180°
(त्रिभुज के अन्तःकोणों का योग )
⇒ ∠x = 180° – 40° – 90° = 180° – 130°
∴ ∠x = 50°.

(ii) ΔPSR में,
∠y, ΔPSR का बहिष्कोण है।
∴ ∠y = 30° + x = 30° + 50°
∴ ∠y = 80°.