JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board Class 9 Science हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थीं?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास- पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
पिछले वर्ष में मैं दो बार बीमार हुआ / हुई। पहली बार मुझे वाइरल बुखार हुआ और दूसरी बार मलेरिया हुआ था।
(a) बीमारी से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का सुदृढ़ होना जरूरी है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए मैंने अपनी दिनचर्चा में इस प्रकार परिवर्तन किये-
पौष्टिक और सन्तुलित आहार लेना प्रारम्भ कर दिया। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करने लगा। मच्छर घर में प्रवेश न कर सकें इसका प्रबन्ध किया।

(b) उपर्युक्त बीमारियों से बचने के लिए-

  • हम अपने पास-पड़ोस में समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना करना चाहेंगे। जहाँ पर सभी रोगों के लिए टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए (रोकथाम के लिए) टीकाकरण का कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
  • लोगों में स्वास्थ्य शिक्षा में प्रति जागरूकता पैदा करेंगे।
  • अपने चारों ओर के वातावरण की सफाई पर उचित ध्यान देंगे।
  • विद्यालय में भी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी तथा टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकार को प्रेरित करेंगे।

प्रश्न 2.
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी निरन्तर रोगियों के सम्पर्क में रहते हैं। रोगों से बचने के लिए वे सभी व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं। रोगी का परीक्षण व चिकित्सा करते समय वे अपने चेहरे पर मास्क का प्रयोग करते हैं जिससे कि रोगाणुओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क से बचे रहें। रोगी का परीक्षण करने के बाद वे अपने हाथों को एन्टीसेप्टिक रसायन या साबुन से धोते हैं। वे पौष्टिक व सन्तुलित आहार लेते हैं। जिससे इनका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय बना रहता है। इस प्रकार वे बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।

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प्रश्न 3.
अपने पास-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
हमारे पास-पड़ोस में सामान्यतः मलेरिया, हैजा, अतिसार, टाइफॉयड डायरिया (दस्त) आदि रोग होते हैं। ये रोग सामाजिक अस्वच्छता एवं प्रदूषित पर्यावरण के कारण फैलते हैं। इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को निम्नलिखित सुझाव देंगे-

  • सड़क के किनारों पर बनी नालियों की नियमित सफाई करायें। उनमें गंदा पानी रुकने न पाये।
  • रुके हुए तालाब व पोखरों के जल पर मिट्टी का तेल डी.डी.टी. आदि कीटनाशक छिड़कवायें।
  • कटे हुए फलों, खुले हुए खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगवाएँ
  • रोगों से बचाव हेतु सामाजिक स्वच्छता एवं टीकाकरण कार्यक्रम की व्यवस्था कराएँ।

प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है? हम कैसे पता करेंगे कि-
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन सी बीमारी है?
उत्तर:
(a) बीमार होने की स्थिति में बच्चे का सामान्य व्यवहार ठीक नहीं रहेगा। वह पीड़ा के कारण रोयेगा, कुछ भी खाना पसन्द नहीं करेगा, उल्टी-दस्त करेगा, बेचैन रहेगा, सुस्त हो जायेगा, शरीर का ताप बढ़ जायेगा। खांसना, छींकना आदि लक्षण प्रदर्शित करेगा।

(b) उल्टी-दस्त, भोजन ग्रहण न करना, बुखार आना, सुस्त व बेचैन रहना और परेशानी के कारण रोना आदि लक्षण हैं तो बच्चा अतिसार (डायरिया) रोग से पीड़ित हो गया है। यह रोग प्रदूषित खाद्य पदार्थ खाने या प्रदूषित जल पीने के कारण हो गया है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
(b) वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
उत्तर:
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद भी शारीरिक कमजोरी बनी रहेगी और वह व्यक्ति चार दिन उपवास करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जायेगी। अतः चेचक के रोगाणुओं का संक्रमण ऐसे व्यक्ति पर आसानी से हो जायेगा। जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं। और जिसका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय न हो। अतः रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का स्वस्थ और सक्रिय बने रहना अति आवश्यक है। इसके लिए उस व्यक्ति को पौष्टिक आहार की आवश्यकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों – (a) जब आपकी परीक्षा का समय है। (b) जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक · यात्रा कर चुके हैं। (c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
उत्तर:
(c) जब हमारा मित्र खसरा से पीड़ित है। क्योंकि खसरा एक संक्रामक रोग है अतः खसरा पीड़ित मित्र के सम्पर्क में रहने से खसरे का संक्रमण हो जाता है और सम्पर्क में रहने वाला व्यक्ति बीमार हो जाता है।

प्रश्न 7.
यदि आप किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हो तो आप किसको चुनते हैं? (a) स्वयं की? (b) अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की क्यों?
उत्तर:
यदि हम किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हैं, तो हम अपने क्षेत्र में फैले सामान्य रोग के टीके की खोज करेंगे जिससे ज़्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा हो सके।

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क्रियाकलाप 13.1 (पा. पु. पृ. सं. 198)
लातूर, भुज, कश्मीर आदि में आए भूकंप या तटवर्ती भाग को प्रभावित करने वाले चक्रवात जैसी आपदाओं से वहाँ के लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
इन आपदाओं के वास्तव में घटने के समय हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेंगे?
उत्तर:
इन आपदाओं की वजह से अनेक बुरे प्रभाव हम पर पड़ेंगे। इसके कारण स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। स्वच्छ तथा साफ जल तथा भोजन के अभाव से बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
आपदा घटित होने के पश्चात् कितने समय तक विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी?
उत्तर:
जब तक स्वच्छ वातावरण नहीं मिलेगा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी।

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प्रश्न 3.
पहली स्थिति में (आपदा के समय) स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? तथा दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) स्वास्थ्य संबंधी कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
पहली स्थिति में (आपदा के समय) जान माल की हानि होगी तथा भोजन न मिलने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण न मिलने के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

मानव समुदाय में स्वास्थ्य एवं रोग एक जटिल समस्या है, जिसके लिए एक दूसरे से सम्बन्धित अनेक कारक उत्तरदायी हैं। हम यह भी अनुभव करते हैं कि स्वास्थ्य और रोग का अर्थ स्वयं में बहुत जटिल है।

हम जानते हैं कि कोशिकाएँ सजीवों की मौलिक इकाई हैं। कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा या लिपिड आदि से बनी होती हैं। इनमें काफी सक्रियता पाई जाती है। इनके अन्दर कुछ न कुछ क्रियाएँ सदैव होती रहती हैं।

कोशिकाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान को गतिशील रहती हैं। जिन कोशिकाओं में गति नहीं होती उनमें भी कुछ न कुछ मरम्मत का कार्य चलता रहता है। नई-नई कोशिकाएँ बनती रहती हैं। हमारे अंगों अथवा ऊतकों में बहुत सी विशिष्ट क्रियाएँ चलती रहती हैं, जैसे- हृदय धड़कता है, फेफड़े सांस लेते हैं, वृक्क में निस्यन्दन द्वारा मूत्र बनता है, मस्तिष्क सोचता है।

सभी क्रियाएँ परस्पर सम्बन्धित हैं। उदाहरणार्थं यदि वृक्क (गुर्दे) में निस्यन्दन न हो तो विषैले पदार्थ हमारे शरीर में एकत्र हो जायेंगे। इस स्थिति में मस्तिष्क उचित प्रकार से सोच नहीं सकेगा। इन सभी पारस्परिक क्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा तथा कच्चे पदार्थों की आवश्यकता होती है।

ये कच्चे पदार्थ हमारे शरीर को बाहर से प्राप्त होते हैं अर्थात् कोशिकाओं तथा ऊतकों को कार्य करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई भी कारक जो कोशिकाओं एवं ऊतकों को उचित प्रकार से कार्य करने से रोकता है, वह हमारे शरीर की समुचित क्रिया में कमी का कारण होगा।

क्रियाकलाप 13.2 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपके स्थानीय प्राधिकरण (पंचायत / नगर निगम) ने स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए क्या उपाय किये हैं?
उत्तर:
हमारे कस्बे शहर को स्वच्छ जल की आपूति के लिए नगर के प्राधिकरण ने एक बहुत बड़ा जल आपूर्ति घर (Water Supply home) बनाया हुआ है। वहाँ पर कई विधियों द्वारा जल को साफ करके शुद्ध पेय जल बनाया जाता है। फिर उस शुद्ध जल को पानी की टंकी में एकत्र किया जाता है। इसके बाद शुद्ध जल पाइप लाइनों के द्वारा घर-घर में वितरित कर दिया जाता है।

क्या आपके मोहल्ले में सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है?
उत्तर:
नहीं, हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त नहीं हो पाता है, क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से स्वच्छ पेय जल की मात्रा बहुत कम होती है। इसलिए कम मात्रा में शुद्ध जल मिल पाने के कारण हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। जिसके अभाव में अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं।

क्रियाकलाप 13.3 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपका स्थानीय प्राधिकरण आपके मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा कैसे करता है?
उत्तर:
हमारे शहर का स्थानीय प्राधिकरण मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा घर-घर जाकर कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने वाली ढकेलों द्वारा कराता है, जिसका संचालन एक सफाई कर्मचारी करता है सड़कों और गलियों की सफाई, सफाई कर्मचारियों के द्वारा की जाती है। इस कचरे को प्राधिकरण द्वारा बनाए गये डलाब घर में डाल दिया जाता है। जहाँ से प्राधिकरण की गाड़ियाँ उस कचरे को शहर से बाहर ले जाती हैं।

क्या प्राधिकरण द्वारा किये गये उपाय पर्याप्त हैं?
उत्तर:
प्राधिकरण द्वारा कचरे का निपटारा करने के लिए किये गये उपाय पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि सफाई कर्मचारियों का संख्या अपेक्षाकृत कम है। सफाई कर्मचारी ठीक से कार्य नहीं करते हैं। कचरे का निपटारा करने वाली गाड़ियों की संख्या भी कम है जो कि कम चक्कर करती हैं परिणामस्वरूप कचरा सड़ने लगता है, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है और बीमारियाँ फैलने लगती हैं।

यदि नहीं, तो इसके सुधार के लिए आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
प्राधिकरण को चाहिए कि आवश्यकतानुसार पर्याप्त सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करे, कचरा ढोने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ाये कर्मचारियों को समय से वेतन का भुगतान करे और उनमें कर्त्तव्यनिष्ठा की भावना पैदा करे। कचरे का निपटारा प्रतिदिन पूरा कराया जाये। कचरे को एकत्र न होने दिया जाये।

आप अपने घर में दैनिक / साप्ताहिक उत्पन्न होने वाले कचरे को कम करने के लिए क्या रेंगे?
उत्तर:
हम अपने घर में उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, जलने वाले कचरे को जला देंगे। पुनः प्रयोग में न आने वाली वस्तुओं को अलग करके कबाड़े वाले को दे देंगे खाद के रूप में काम आने वाले कचरे को खेतों और बाग-बगीचों में प्रयोग कर लेंगे।

स्वास्थ्य के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन प्राप्त करके लिए हमें काम करना पड़ता है। इसके लिए हमें काम करने के अवसर खोजने पड़ते हैं। अच्छी आर्थिक परिस्थितियाँ तथा कार्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

स्वस्थ्य रहने के लिए हमें प्रसन्न रहना आवश्यक है। यदि किसी से हमारा व्यवहार ठीक नहीं है और हमें एक-दूसरे से डर हो तो हम प्रसन्न तथा स्वस्थ नहीं रह सकते। अतः व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामाजिक समानता बहुत आवश्यक है। अनेक सामुदायिक समस्याएँ भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

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खण्ड 13.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. सं. 200)

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ हैं-

  • पौष्टिक भोजन की आवश्यकता।
  • प्रसन्न रहना और सामुदायिक स्वच्छता।

प्रश्न 2.
रोग मुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
रोगमुक्ति की दो आवश्यक परिस्थितियाँ हैं-

  • सामुदायिक और व्यक्तिगत स्वच्छता।
  • चिकित्सा (पौष्टिक व सन्तुलित भोजन तथा औषधियाँ)।

प्रश्न 3.
क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न, क्यों?
उत्तर:
उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे नहीं हैं, कुछ भिन्न हैं। फिर भी उनका एक-दूसरे से गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन के साथ-साथ स्वच्छ रहना भी आवश्यक है, जबकि रोग से मुक्ति पाने के लिए स्वच्छता के साथ-साथ अच्छी चिकित्सा ( औषधियों एवं चिकित्सक) की भी आवश्यकता है। केवल एक ही परिस्थिति में रोग से मुक्ति पाना सम्भव नहीं है।

क्रियाकलाप (13.4) (पा. पु. पू. सं. 201)
पिछले तीन महीनों में कितने लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में हमारे गाँव / कस्बे / शहर में 1000 लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए।

पिछले तीन महीनों में कितने लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में 2000 लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए।

आपके पड़ोस में कुल कितने लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं?
उत्तर:
हमारे पड़ोस में कुल 100 लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं।

इस भिन्नता के क्या कारण हो सकते हैं? इस भिन्नता का लोगों के सामान्य स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
भिन्नता के कारण-

  • हमारे आस-पास स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं की कमी है।
  • अच्छी स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ प्रत्येक नागरिक को प्राप्त नहीं हैं।
  • जनसंख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही है।
  • अशिक्षा के कारण रोगियों की उचित देख-रेख नहीं हो पाती है। जिसके कारण तीव्र रोग ठीक नहीं हो पाते हैं और वे
  • दीर्घकालिक रोग में बदल जाते हैं इसलिए लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। (v) बीमार होने के कारण लोग काम करने के
  • लिए नहीं जा पाते हैं तथा घर के दूसरे लोग भी बीमार व्यक्ति की देखभाल में लगे रहते हैं, जिससे लोगों की निरन्तर आर्थिक हानि होती है।
  • पैसे की कमी से बीमार व्यक्ति की चिकित्सा नहीं हो पाती है।

उपरोक्त कारणों से लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा सामुदायिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

खण्ड 13.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 203)

प्रश्न 1.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
जब हमारे शरीर का कोई अंग या अंग तन्त्र ठीक से कार्य नहीं कर पाता है तो हमें शारीरिक कष्ट होता है तब हम सोचते हैं कि हम बीमार हैं तथा हमें चिकित्सक के पास जाना चाहिए। बीमार होने के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं- सिरदर्द, खाँसी, दस्त, किसी घाव में पस आना आदि। यदि हमारे शरीर में इनमें से कोई भी एक या अधिक लक्षण दिखाई दें तो हमें शीघ्र ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए और पूरी जाँच करानी चाहिए, जिससे हमें पता चल सके कि किस रोग के कारण हमारे शरीर के अंग ठीक तरह से कार्य नहीं कर रहे हैं। रोग और उसके होने के कारणों के पता चलने के बाद ही रोग की चिकित्सा सम्भव हो सकेगी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसके लम्बे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों – यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं। यदि आपके शरीर पर जूँ (Lice) हैं। यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।
उत्तर:
पीलिया रोग के लम्बे समय तक बने रहने के कारण यकृत (Liver) में सूजन आ जाती है। जिससे पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। इस स्थिति में हमें तेज बुखार, सिर दर्द तथा जोड़ों में दर्द का अनुभव होता है। हमें भूख नहीं लगती है, शरीर में खुजली, जलन व उत्तेजनशील चकते उत्पन्न हो जाते हैं। अधिक लम्बे समय तक इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग के कारण स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति कमजोर हो जाता है।

जूँ तथा मुँहासे तीव्र प्रभाव दिखाते हैं और वे आसानी से दूर हो सकते हैं तथा उनका शरीर पर प्रभाव देर तक नहीं रहता है।

क्रियाकलाप (13.5) (पा. पु. पृ. सं. 205)
आपकी कक्षा में कुछ दिनों पहले कितने विद्यार्थियों को जुकाम, खाँसी तथा बुखार हुआ था?
उत्तर:
हमारी कक्षा में कुछ दिन पहले 20 विद्यार्थियों को जुकाम/खाँसी तथा बुखार हुआ था।

उनको बीमारी कितने दिनों तक रही?
उत्तर:
उनको बीमारी एक सप्ताह से लेकर 15 दिनों तक रही।

इनमें से कितनों ने एंटीबायोटिक का उपयोग किया?
उत्तर:
इनमें से 15 विद्यार्थियों ने एंटीबोयोटिक का उपयोग किया था।

जिन्होंने एंटीबायोटिक लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे ?
उत्तर:
जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था वे 5-6 दिनों तक बीमार रहे और शीघ्र ही ठीक हो गये।

जिन्होंने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे?
उत्तर:
जिंन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कई दिनों तक बीमार रहे।

क्या इन दोनों वर्गों में अन्तर है?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है।

यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
दोनों वर्गों में यह अन्तर है कि जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था उनकी प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ गई, जिससे वे शीघ्र ठीक हो गये। जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था उनके शरीर में बैक्टीरिया फैलते रहे और शरीर प्रतिरक्षा तन्त्र कमजोर हो गया, जिसके कारण उनको देर से रोग से मुक्ति मिल सकी।

क्रियाकलाप 13.6. (पा. पु. पृ. सं. 209)
अपने मोहल्ले में एक सर्वेक्षण करो। दस परिवारों से बात करो जिनका रहन-सहन उच्च स्तर का है, जो अच्छी प्रकार रहते हैं और दस ऐसे परिवार जो आपके अनुमान के अनुसार गरीब हैं। इन दोनों परिवारों में बच्चे होने चाहिए जिनकी आयु पाँच वर्ष से कम हो। प्रत्येक बच्चे की ऊँचाई मापो और आयु लिखो तथा एक ग्राफ बनाओ।

क्या दोनों (अमीर और गरीब) वर्गों में कोई अन्तर है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है। क्योंकि अमीर के पास खर्च करने के लिए धन उपलब्ध है जबकि गरीब के पास धन का अभाव है।

यदि उनमें अन्तर नहीं है तो क्या आप यह निष्कर्ष निकालते हैं कि स्वास्थ्य के लिए अमीरी तथा गरीबी का कोई महत्व नहीं है।
उत्तर:
स्वास्थ्य पर अमीरी और गरीबी का स्पष्ट अन्तर दिखाई देता है। अमीर लोगों के बच्चों को पौष्टिक व सन्तुलित ‘भोजन, शुद्ध पेय जल, अच्छा वातावरण, अच्छा घर तथा अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं जबकि गरीब लोगों बच्चों को न तो पौष्टिक व सन्तुलित भोजन मिल पाता है, न ही पीने के लिए शुद्ध जल, न ही रहने के लिए अच्छा वातावरण, न अच्छा घर और न ही अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ मिल पाती हैं। इसलिए गरीब वर्ग के रोगी बच्चों की संख्या अमीर वर्ग के बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है।

संक्रमण से बचने की विशिष्ट विधियाँ प्रतिरक्षा तन्त्र के विशिष्ट गुणों से सम्बन्धित हैं, जो प्रायः रोगाणु से लड़ते रहते हैं। जैसे इन दिनों सारे विश्व में चेचक (स्मॉल पॉक्स) नहीं है, किन्तु 100 वर्ष पहले चेचक महामारी बहुत होती थी। लोग रोगी के पास आने से डरते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें भी चेचक न हो जाये।

लेकिन एक वर्ग ऐसा भी था जो चेचक से नहीं डरता था और वे चेचक के रोगी की सेवा करते थे। इस वर्ग के व्यक्तियों को बहुत भयानक चेचक हुआ था, लेकिन फिर भी वे जीवित रहे, किन्तु उनके शरीर पर (मुख्यत: चेहरे पर बहुत से दाग थे। अर्थात् यदि किसी को एक बार चेचक हो जाए तो उसे चेचक रोग पुनः होने की सम्भावना नहीं होती। इसलिए यह एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि है।

ऐसा इसलिए होता है कि जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं से प्रतिक्रिया करते हैं और फिर उसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। अतः जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

इस प्रकार, टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि शरीर में विशिष्ट संक्रमण तत्व प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तन्त्र को ‘मूर्ख’ बना सकते हैं वह उन रोगाणुओं की नकल करता है जो टीके के द्वारा शरीर में पहुँचे हैं। वह वास्तव में रोग उत्पन्न नहीं करते, किन्तु यह वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को उसके बाद रोग उत्पन्न करने से रोकता है।

आजकल ऐसे बहुत से टीके उपलब्ध हैं जो संक्रामक रोगों का निवारण करते हैं और रोग निवारण के विशिष्ट साधन प्रदान करते हैं। टेटनस, डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं। यह बच्चों की संक्रामक रोगों से रक्षा करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम है।

ऐसे कार्यक्रम तभी सफल होते हैं जब ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएँ सभी बच्चों को प्राप्त हों हिपेटाइटिस के कुछ वाइरस जिससे पोलियो होता है, पानी द्वारा संचारित होता है। हिपेटाइटिस ‘A’ के लिए टीका उपलब्ध है। देश के अधिकांश भागों में जब बच्चे की आयु पाँच वर्ष हो जाती है तब तक वह हिपेटाइटिस ‘A’ के प्रति प्रतिरक्षी हो चुका होता है। इसका कारण यह है कि यह पानी के द्वारा वाइरस के प्रभाव में आ चुका हो।

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क्रियाकलाप 13.7. (पा.पु. पृ. सं. 210)
संक्रमित कुत्ते तथा अन्य जन्तुओं के काटने से रेबीज वाइरस फैलता है। मनुष्य तथा जन्तु दोनों के लिए प्रति रेबीज टीके उपलब्ध हैं पता करो कि आपके पास पड़ौस में स्थानीय प्रशासन रेबीज को फैलने से रोकने के लिए क्या कर रहा है?
क्या (प्रशासन द्वारा रेबीज फैलने से रोकने के लिए) ये उपाय पर्याप्त हैं? यदि नहीं, तो आप इसके सुधार के लिए क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
स्थानीय प्रशासन द्वारा रेबीज को फैलने से रोकने के लिए स्थानीय चिकित्सा केन्द्र में टीकाकरण की सेवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। अतः जब इन सेवाओं की जरूरत पड़ती है तो स्थानीय चिकित्सा केन्द्र टीकों के अभाव में असमर्थ दिखाई देते हैं। चिकित्सक व परिचारिका (नर्स) या सहायक भी उपलब्ध नहीं होते हैं इसलिए चिकित्सा में देरी हो जाती है। चिकित्सा सही ढंग से नहीं हो पाती और रोगी की हालत बिगड़ जाती है और उसका जीवन खतरे में पड़ जाता है। यहाँ तक कि उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका बुरा असर पूरे समाज पर पड़ता है।

अतः प्रशासन को चाहिए कि स्थानीय चिकित्सा केन्द्र पर पर्याप्त मात्रा में रेबीज के टीके उपलब्ध कराये, चिकित्सक, नर्स व सहायक भी उपलब्ध रहें ताकि उनकी सेवाओं का लाभ उठाया जा सके।

खण्ड 13.7 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 210)

प्रश्न 1.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषण युक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
बीमार होने पर सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन का परामर्श इसलिए दिया जाता है, क्योंकि ऐसे भोजन से हमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवण उचित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। ये तत्व हमारे शरीर के लिए जरूरी हैं। स्वस्थ होने के लिए ऐसा आहार आवश्यक है, क्योंकि भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है तथा शरीर के टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत होती है।

प्रश्न 2.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ इस प्रकार हैं-

  • रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में
  • दूषित जल
  • प्रदूषित वायु
  • दूषित भोजन, तथा
  • कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं ये रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ, एवं कवक वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण होते हैं।

प्रश्न 3.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी आवश्यक हैं-

  • अपने को रोगी साथियों से अलग रखना।
  • उनके साथ उठना-बैठना, खाना-पीना, स्पर्श एवं अन्य सम्पर्क न रखना।
  • सूक्ष्म जीवों से बचने के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करना।
  • स्वच्छता अपनाना तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखना।
  • खुले स्थान पर रहना।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए आवश्यक टीके लगवाना।

प्रश्न 4.
प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण-एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि प्रतिरक्षीकरण है। जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति के साथ उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 5.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्या है?
उत्तर:
हमारे पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टेटनस डिप्थीरिया, चेचक, कुकर खाँसी, पोलियो, बी.सी.जी. आदि के टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं। हमारे क्षेत्र में हैजा, टाइफॉयड, अतिसार, मलेरिया, फ्लू, रेबीज, क्षयरोग, एनीमिया, गलगण्ड (घेंघा) डाइबिटीज, गठिया, मेरेस्मस और हृदय रोग आदि स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्याएँ हैं।

प्रश्न 6.
क्या रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर सभी रोग फैल जाते हैं? (पा. पु. पृ. सं. 202)
उत्तर:
नहीं; रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर केवल संक्रामक रोग ही फैलते हैं।

प्रश्न 7.
ऐसे कौन से रोग हैं जो नहीं फैलते हैं?
उत्तर:
कैंसर, उच्च रक्त चाप, मोटापा, शरीर के किसी भाग में दर्द होना, गठिया, किसी दुर्घटना से होने वाली शारीरिक क्षति से उत्पन्न रोग आदि।

प्रश्न 8.
मनुष्टों में वे रोग कैसे हो जाते हैं जो रोगी के सम्पर्क में आने से नहीं फैलते?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में बहुत से असंक्रामक रोग हो जाते हैं; जैसे-आनुवंशिक असामान्यता, दुर्घटना, पौष्टिक भोजन की कमी, प्रदूषित पर्यावरण, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अस्वस्थता, विषाक्त भोजन, व्यायाम न करना तथा अप्रसन्न (दु:खी) रहना आदि। ये रोग एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलते।

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