JAC Class 9 Hindi रचना नारा लेखन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana नारा लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Rachana नारा लेखन

किसी सुंदर विचार अथवा उद्देश्य को बार-बार अभिव्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला आदर्श वाक्य नारा कहलाता है। नारों में प्रभावशाली वाक्य पिरोए जाते हैं। जिनसे ये सहज लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। इनमें विस्तृत विवरण तो प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती। नारे सामाजिक दायरे में रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नारा लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान रखना चाहिए –

  • नारों में आदर्शवादिता का भाव होना आवश्यक है।
  • नारे अनेक क्षेत्रों जैसे – राजनीतिक, धार्मिक, समाज से संबंधित हो सकते हैं।
  • नारों में विवादास्पद शब्दावली का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए।
  • नारों के प्रकटन का उद्देश्य सार्वभौमिक होना चाहिए।
  • नारों की शब्दावली सर्वस्वीकार्य होनी चाहिए।
  • नारों की गूँज से ऊर्जा का संचार होता है। रोमांचक होने का अहसास होता है। उदाहरण के तौर पर देश प्रेम के नारे जनमानस में देश –
  • भक्ति का संचार करते हैं।
  • नारों में तुकबंदी अथवा लयात्मक योजना का विशेष महत्व होता है।
  • नारों की विषय सामग्री में आपसी सम्बद्धता व मौलिकता का होना ज़रूरी है।

नारों के महत्वपूर्ण उदाहरण :

प्रश्न 1.
लॉकडाउन के दौरान आप अपने घर पर हैं। जागरूक नागरिक होने के नाते जनमानस के बीच सामाजिक सचेतता फैलाने वाले सुझावों पर 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
सामाजिक दूरी है वायरस से लड़ने का औजार।
पैदल हो या फिर कार पर हो सवार।।
बिना मास्क के घर से मत निकलो यार।
आफत को मत गले लगाओ, बन जाओ समझदार।।

JAC Class 9 Hindi रचना नारा लेखन

प्रश्न 2.
शिक्षा प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है। शिक्षा के बिना हमारे जीवन का कोई महत्व नहीं है। अशिक्षितों को शिक्षित करने के लिए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
लड़का हो या लड़की, सब बने साक्षर।
शिक्षा से ही फलता-फूलता यह देश निरंतर।।
बच्चे-बच्चे का सपना हो साकार।
शिक्षा पर हम सबका अधिकार ।।

प्रश्न 3.
स्वच्छता अपनाना सभी की जवाबदारी है। हर हाल में सफाई का ध्यान रखते हुए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
स्वच्छता से है बढ़ते देशों की पहचान।
आओ मिलकर रखें इनका ध्यान ।।
स्वच्छता से बढ़ेगी धरती की शान।
तभी गांधीजी के सपनों का होगा मान।।

प्रश्न 4.
सड़क सुरक्षा अनुशासित जीवन का अंग है। सुरक्षा नियमों का पालन करना मजबूरी नहीं हो सकती। ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
चलो सड़क पर रखो आँखें चार।
पैदल हो, बाईक हो या फिर कार।।
ट्रैफिक सिगनल देख करो सड़क को पार।
रहो सुरक्षित पड़ेगी न दंड की मार ||

JAC Class 9 Hindi रचना नारा लेखन

प्रश्न 5.
वृक्षारोपण बहुत ज़रूरी है। इसे पुण्य का काम समझा जाता है। वृक्ष की उपयोगिता का ध्यान रखते हुए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
वृक्ष ही हैं सबके जीवन का अधिकार।
उदर पूर्ति का होते हैं ये अद्भुत भंडार।।
हरे-भरे वृक्ष जीवन में हरियाली लाते।
अपने कर्तव्यों से हम क्यों मुकर जाते।।

प्रश्न 6.
15 अगस्त को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इतिहास के इस स्वर्णिम दिन का महत्व बताते हुए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
आज किरन किरन थिरक रही, ले प्रभा नवीन।
आज श्वास है नवीन आज की पवन नवीन।।
मिलती नहीं आजादी खुद, यह ली जाती है मीत।
तलवारों के साये के नीचे गाने पड़ते हैं गीत।।

प्रश्न 7.
विज्ञान को मानव की तीसरी आँख माना गया है। विज्ञान के कारण मानव जीवन में अनेक परिवर्तन आए हैं। विज्ञान के वरदान या अभिशाप को ध्यान में रखते हुए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
फैल रहा विज्ञान का घर – घर प्रकाश।
करता दोनों काम- नव निर्माण विकास।।
यह विष्णु जैसा पालक है, शंकर जैसा संहारक।
पूजा उसकी शुद्ध भाव से करो तुम यहाँ आराधक।।

JAC Class 9 Hindi रचना नारा लेखन

प्रश्न 8.
हम कभी न बुझने वाला आशा का दीपक अपने हाथ में लेकर मंजिल की ओर बढ़ते हैं। लक्ष्य प्राप्ति के लिए 20-30 शब्दों में नारा लेखन कीजिए।
उत्तर :
जिस युग में जन्मे उसे बड़ा बनाएँगे।
चाहे कितना हो विस्तीर्ण – कर्म क्षेत्र बनाएँगे।
जीवन में कुछ करना है तो – मन मारकर न बैठेंगे।
यदि आगे-आगे बढ़ना है – हिम्मत हारकर न बैठेंगे।।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

JAC Class 9 Hindi आदमी नामा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है ? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है ?
(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको अच्छा लगा और क्यों ?
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
(लघु उत्तरीय प्रश्न) (लघु उत्तरीय प्रश्न)
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर :
(क) पहले छंद में कवि ने आदमी को बादशाह, गरीब, भिखारी, दौलतमंद, कमजोर, स्वादिष्ट भोजन खाने वाले तथा सूखे टुकड़े चबाने वाले के रूप में चित्रित किया है।

(ख) इस कविता में कवि ने आदमी के सकारात्मक रूप को एक बादशाह, दौलतमंद, स्वादिष्ट भोजन खाने वाले, मसजिद बनाने वाले, धर्मगुरु बनने वाले, कुरान शरीफ़ और नमाज़ पढ़ने वाले, दूसरों के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले, शासन करने वाले, सज्जन, राजा, मंत्री, सबके दिलों को लुभाने वाले कार्य करने वाले, शिष्य, गुरु और अच्छे कार्य करने वाले के रूप में चित्रित किया है। कवि ने आदमी के नकारात्मक रूप को गरीब, भिखारी, कमजोर, सूखे टुकड़े चबाने वाले, मसजिद से जूते चुराने वाले, लोगों को तलवार से मारने वाले, दूसरों का अपमान करने वाले, सेवक के कार्य करने वाले, नीच और बुरे व्यक्ति के रूप में चित्रित किया है।

(ग) ‘आदमी नामा’ कविता पढ़कर हमें यह ज्ञात होता है कि इस संसार में मनुष्य से अच्छा और मनुष्य से बुरा दूसरा कोई नहीं है। मनुष्य ही राजा के समान महान और मनुष्य ही दीन-हीन भिखारी है। शक्तिशाली भी मनुष्य है और कमजोर भी वही है। मनुष्य धार्मिक और चोर है, तो मनुष्य ही किसी को बचाता और मारता भी है। शासक भी वही है और शासित भी वही है। सज्जन से लेकर नीच और राजा से लेकर मंत्री तक मनुष्य ही होता है। इसलिए मनुष्य को अच्छे कार्य करते हुए इस संसार को सुंदर बनाना चाहिए।

(घ) इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं –

‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी।’

ये पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी, क्योंकि इन पंक्तियों से हमें सद्गुणों को अपनाकर अच्छा आदमी बनने की प्रेरणा मिलती है। हमें दुर्गुणों का त्याग कर देना चाहिए। दुर्गुणी व्यक्ति बुरा आदमी बन जाता है। समाज में अच्छे आदमी का आदर होता है, बुरे का नहीं।

(ङ) आदमी स्वभाव से अच्छा भी और बुरा भी है। वह दूसरों के दुखों का कारण है, तो वही उन दुखों का निवारण करने वाला भी है। आदमी ही आदमी पर शासन करता है: आदेश देता है और मनचाहे ढंग से परेशान करता है। आदमी दीन-हीन है और आदमी ही संपन्न है। आदमी धर्म-कर्म में विश्वास करता है और आदमी ही उस धर्म-कर्म के ढंग को बनाता है। आदमी के जूते आदमी चुराता है, तो आदमी ही उनकी देख-रेख करता है। आदमी ही आदमी की रक्षा करता है और आदमी ही आदमी का वध करता है। आदमी अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को अपमानित करता है। अपनी रक्षा के लिए आदमी पुकारता है और सहायता के लिए आदमी ही दौड़कर आता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए – (निबंधात्मक प्रश्न)
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी

(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर :
(क) और (ख) की व्याख्या के लिए इस कविता के व्याख्या भाग क्रमांक 1 और 4 को देखिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए –
(क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर :
(क) कवि ने व्यंग्य किया है मसजिद में आदमी कुरान शरीफ़ पढ़ने और नमाज़ अदा करने जाते हैं परंतु उनमें कुछ ऐसे आदमी भी होते हैं, जो वहाँ आने वालों की जूतियाँ चुराते हैं। उन जूता चोरों पर नज़र रखने वाले भी आदमी ही होते हैं। जूता चोरों और उन पर नज़र रखने वालों का ध्यान परमात्मा की ओर नहीं बल्कि अपने – अपने लक्ष्य पर होता है।

(ख) कवि ने व्यंग्यात्मक स्वर में कहा है कि आदमी ही आदमी का अपमान करता है। सहायता प्राप्ति के लिए आदमी ही आदमी को पुकारता है और सहायता देने के लिए भी आदमी ही दौड़कर आता है। अपमान करने वाला आदमी और सहायता करने वाला भी आदमी ही है। कवि के अनुसार अलग-अलग प्रवृत्तियाँ आदमी से अलग-अलग काम करवाती हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
(क)                  (ख)
राज (रहस्य) – फ्रन (कौशल)
राज (राज्य) – फन (साँप का मुँह)
ज्रा (थोड़ा) – फलक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा) – फलक (लकड़ी का तखा)
जफ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर :
ज़ – जमीन, ज़मीर। फ़ – फ़ना, फ़रक।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए –
(क) टुकड़े चबाना (ख) पगड़ी उतारना (ग) मुरीद होना (घ) जान वारना (ङ) तेग मारना
उत्तर :
(क) टुकड़े चबाना – गरीब को सूखे टुकड़े चबाकर अपना पेट भरना पड़ता है।
(ख) पगड़ी उतारना – भरी सभा में मंत्री ने सेठ करोड़ीमल की कंजूसी का वर्णन करके उनकी पगड़ी उतार दी।
(ग) मुरीद होना – इन दिनों क्रिकेट के दीवाने धोनी के मुरीद हो गए हैं।
(घ) जान वारना – माँ अपने लाडले पर अपनी जान वारती है।
(ङ) तेग मारना – कृष्णन ने तेग मारकर भागते हुए डकैत को घायल कर दिया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

योग्यता – विस्तार –

प्रश्न 1.
अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे ?
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi आदमी नामा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
नज़ीर अकबराबादी की कविता ‘आदमी नामा’ के आधार पर आदमी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नज़ीर अकबराबादी की कविता ‘आदमी नामा’ के आधार पर आदमी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) धार्मिक – आदमी ईश्वर में विश्वास करता है। वह मसजिदें बनाता है; नमाज अदा करता है; कुरान शरीफ़ पढ़ता-सुनता
है और स्वयं को सौभाग्यशाली मानता है।
(ii) चोर – आदमी मौका मिलने पर दूसरों का सामान चुराने में तनिक नहीं झिझकता। वह तो यह भी नहीं सोचता कि उसे कहाँ चोरी करनी चाहिए और कहाँ नहीं।
(iii) अत्याचारी और अनाचारी – आदमी दूसरे आदमियों का शोषण करता है; उन्हें गरीब बनाता है। उनके मुँह का कोर छीनने को सदा तैयार रहता है। वह दूसरों की हत्या करने में भी नहीं झिझकता। वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी का भी अपमान करने को तैयार रहता है।
(iv) दयाभाव से संपन्न – आदमी के हृदय में दया के भाव पैदा होते हैं। वह दूसरों को रोटी देता है। कष्ट की घड़ी में उनकी सहायता करता है। आदमी ही गुरु बनता है और आदमी को शिक्षा देता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

प्रश्न 2.
संसार में आकर व्यक्ति क्या-क्या बनता है ?
उत्तर :
संसार में आकर आदमी ही राजा बनता है और आदमी ही दीन-हीन गरीब है। अमीर भी आदमी है और गरीब भी आदमी है। रूखा- सूखा चबाने वाला आदमी है, तो स्वादिष्ट भोजन खाने वाला भी आदमी है।

प्रश्न 3.
संसार में आकर मनुष्य क्या-क्या काम करता है ?
उत्तर :
संसार में आकर मनुष्य कई तरह के काम करता है। वह मस्जिद बनाता है; मस्जिद में नमाज पढ़ने वाला भी आदमी होता है। कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाला धर्मगुरु भी आदमी ही है। आदमी ही मस्जिद में आकर जूते चुराने का काम करते हैं तथा जूतों को चुराने वाले आदमियों पर नज़र रखने वाला भी आदमी होता है

प्रश्न 4.
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो हैं वो भी आदमी’
उपरोक्त पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर :
उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने आदमी के अच्छे-बुरे रूपों को प्रकट किया है और कहा है कि आदमी ही प्रत्येक अच्छाई और बुराई के पीछे होता है। कवि की भाषा में उर्दू शब्दावली की अधिकता है। स्वरमैत्री ने लयात्मकता की सृष्टि की है। अभिधा शब्द – शक्ति ने कथन को सरलता और सहजता प्रदान की है। तुकांत छंद लयात्मकता का आधार बना है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

प्रश्न 5.
‘आदमी नामा’ किस प्रकार की रचना है ?
उत्तर :
‘आदमी नामा’ कवि नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित एक उद्बोधनात्मक कविता है। कवि ने अपनी इस रचना में आदमी को संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना माना है। कविता में कवि ने आदमी की कमियों का व्याख्यान करते हुए उसे जीवन में सद्गुणों को अपनाने की बात कही है।

प्रश्न 6.
‘आदमी नामा’ कविता आम आदमी से जुड़ी हुई कविता कैसे है ?
उत्तर :
‘आदमी नामा’ नज़ीर अकबराबादी की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह आम आदमी से जुड़ी हुई कविता है। इसे गाकर फेरीवाले, नाचने-गाने वाले नर-नारियाँ अपना जीवन निर्वाह करते थे। कवि ने अपनी इस रचना में तत्कालीन जनजीवन का यथार्थ चित्रण किया है। कवि ने अपनी इस काव्य-कृति में आम आदमी की कमियों से मानव को अवगत करवाना चाहा है। कवि के अनुसार संसार में अच्छा-बुरा, छोटा-बड़ा- हर तरह का काम करने वाला आदमी ही होता है। आदमी के अंतरिक गुण-अवगुण ही समाज में उसकी पहचान निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 7.
कवि के अनुसार संसार में आकर आदमी क्या बनता है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार संसार में आकर जो व्यक्ति राजा बनता है, वह आदमी होता है। संसार में व्याप्त गरीब भी आदमी हैं। ऊँचे-ऊँचे महलों में निवास करने वाले सेठ और बादशाह भी आदमी हैं। बलशाली भी आदमी है और एक दीनहीन भी आदमी है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

प्रश्न 8.
कवि नज़ीर अकबराबादी के काव्य की भाषा-शैली स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि नज़ीर अकबराबादी का काव्य आम आदमी से जुड़ा हुआ काव्य है। इस कविता में उन्होंने आदमी के अलग-अलग रूपों का उल्लेख किया है। उनके अनुसार हर अच्छे बुरे कार्य के पीछे आदमी ही निहित होता है। इन्होंने अपने काव्य में उर्दू-फारसी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। इनके काव्य की भाषा को उर्दू मिश्रित खड़ी बोली कहा जा सकता है, जिसमें कहीं-कहीं देशज शब्दों का प्रयोग देखा जा सकता है। इनके काव्य में सरल, सहज एवं संक्षिप्त वाक्यों का प्रयोग हुआ है।

आदमी नामा Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय – नज़ीर अकबराबादी का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में सन 1735 ई० में हुआ था। इन्होंने आगरा के सुप्रसिद्ध शिक्षाविदों से अरबी – फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त की थी। इन्हें हर प्रकार के तीज-त्योहारों में बहुत दिलचस्पी थी। इन्हें किसी भी विषय पर कविता करने में कोई कठिनाई नहीं होती थी। इनके प्रशंसक इन्हें रास्ते में रोककर इनसे अपनी मनपसंद कविता सुनते थे। इनका निधन सन 1830 ई० में हुआ।

रचनाएँ -नज़ीर अकबराबादी ने विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखी हैं। इनकी कविता उर्दू की ‘नज़्म’ शैली में आती है। इन्होंने ‘सब ठाठ पड़ा जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा’ जैसी नीति से संबंधित नज़्मों के अतिरिक्त भिश्ती, ककड़ी बेचने वालों, बिसाती, गाना गाकर जीवनयापन करने वालों आदि के काम में सहायता देने वाली नज़्में भी लिखी हैं। ‘आदमी नामा’ इनकी एक उद्बोधनात्मक कविता है।

काव्य की विशेषताएँ – नज़ीर अकबराबादी की कविता आम आदमी से जुड़ी हुई कविता है। इसे गा-गाकर फेरीवाले, गानेवालियाँ आदि अपना जीवन-यापन करते थे। इन्होंने अपनी कविताओं में तत्कालीन जनजीवन का यथार्थ अंकन किया है। इन नज़्मों में मानव-जीवन के सुख-दुख, हँसी-मज़ाक, मेले- त्योहारों आदि का सहज भाव से चित्रण किया गया है। इनके काव्य की भाषा उर्दू मिश्रित खड़ी बोली है, जिसमें कहीं-कहीं देशज शब्दों का प्रयोग भी देखा जा सकता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

कविता का सार :

आदमी नामा’ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित एक उद्बोधनात्मक कविता है। इसमें कवि ने आदमी को संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना मानते हुए उसे उसकी कमियों से परिचित करवाया है और उसे अपने जीवन में सद्गुणों को अपनाकर संसार को और भी अधिक सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है। कवि के अनुसार इस दुनिया में आदमी ही सबकुछ करता प्रतीत होता है। वही दुनिया का बादशाह है और वही प्रजा है।

मालदार भी वही है और गरीब भी वही है। रोटी देने वाला भी वही है और रोटी खाने वाला भी वही है। मसजिद बनाने वाला, नमाज़ पढ़ने वाला, वहाँ से जूते चुराने वाला यदि आदमी है तो इमाम और खुतबाख्वां भी आदमी ही है। आदमी का अपमान करने वाला आदमी है; हत्यारा भी आदमी है; अपमान करने वाला आदमी है, तो रक्षक भी आदमी है। शरीफ़ भी आदमी है और कमीना भी आदमी है। आदमी ही गुरु है और चेला भी आदमी है। अच्छा भी आदमी है और बुरा भी वही है।

व्याख्या :

1. दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ : बादशाह – राजा। मुफ़लिस – गरीब। ओ – और। गदा – भिखारी, फ़कीर। ज़रदार – अमीर, दौलतवाला। बेनवा – कमज़ोर। निअमत – स्वादिष्ट भोजन, बहुत अच्छा पदार्थ।

प्रस्तुत : पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का चित्रण करते हुए उसे सद्गुण अपनाकर, संसार को और भी अच्छा बनाने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में आकर जो राजा बनता है, वह आदमी ही है तथा इस संसार में दीन-हीन, गरीब और भिखारी भी आदमी ही होता है। दौलतवाला आदमी है और कमज़ोर भी आदमी ही है। जो प्रतिदिन स्वादिष्ट भोजन खाता है, वह आदमी है; रूखे टुकड़े चबाने वाला भी आदमी ही है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

2. मसजिद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी।

शब्दार्थ : यां – यहाँ। मियाँ श्रीमान। इमाम- नमाज़ पढ़ाने वाले धर्मगुरु। खुतबाख्वाँ – कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाला। ताड़ता – भाँप लेना, डाँटना।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे एक अच्छा आदमी बनकर संसार का कल्याण करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में मसजिद भी आदमी ने बनाई है और आदमी ही मसजिद में नमाज़ पढ़ाने वाले व कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाले धर्मगुरु बनते हैं। आदमी ही कुरान शरीफ़ पढ़ते हैं और नमाज़ अदा करते हैं। आदमी ही मसजिद में आने वालों के जूते चुराते हैं और उन जूतों को चुराने वालों पर नज़र रखने वाला भी आदमी ही होता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

3. यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे हैं आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ : जान को वारे – प्राण न्योछावर करना। तेग – तलवार। पगड़ी उतारना – अपमान करना।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे अच्छा आदमी बनकर संसार को सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में मनुष्य ही मनुष्य के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देता है और आदमी ही आदमी को तलवार से मार देता है। आदमी ही दूसरे आदमी का अपमान करता है। आदमी ही आदमी के ऊपर अधिकार जमाते हुए उसे चिल्लाकर पुकारता है, तो उसकी सेवा करने वाला आदमी उसकी पुकार सुनकर दौड़ता चला जाता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

4. अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
यां आदमी मुरीद है और आदमी ही पीर
अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ : अशराफ़ – सज्जन, शरीफ़। कमीना ओछा, नीच। शाह – राजा, सम्राट। वज़ीर मंत्री। ता तक। कारे काम। दिलपज़ीर दिल को अच्छा लगने वाला। मुरीद – शिष्य। पीर – गुरु।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे सद्गुणों से युक्त होकर संसार को सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या : इन पंक्तियों में कवि कहता है कि आदमी ही सज्जन और आदमी ही नीच होता है। राजा से मंत्री तक भी कोई आदमी ही होता है। आदमी ही ऐसे कार्य करता है, जो सबके दिल को लुभाने वाले होते हैं। इस संसार में आदमी ही शिष्य होता है, तो दूसरा आदमी उसका गुरु होता है। कवि कहता है कि संसार में अच्छा आदमी भी होता है और संसार में जो सबसे बुरा है, वह भी आदमी ही होता है।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 4 भारत के विदेश संबंध

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 4 भारत के विदेश संबंध Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 4 भारत के विदेश संबंध

Jharkhand Board Class 12 Political Science भारत के विदेश संबंध InText Questions and Answers

पृष्ठ 66

प्रश्न 1.
चौथे अध्याय में एक बार फिर से जवाहरलाल नेहरू ! क्या वे कोई सुपरमैन थे, या उनकी भूमिका महिमा मंडित कर दी गई है?
उत्तर:
जवाहर लाल नेहरू वास्तव में एक सुपरमैन की भूमिका में ही थे। उन्होंने न केवल भारत के स्वाधीनता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी बल्कि स्वतंत्रता के पश्चात् भी उन्होंने राष्ट्रीय एजेण्डा तय करने में निर्णायक भूमिका निभायी। नेहरूजी प्रधानमन्त्री के साथ – साथ विदेश मन्त्री भी थे। उन्होंने भारत की विदेश नीति की रचना और क्रियान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। नेहरू की विदेश नीति के तीन बड़े उद्देश्य थे-

  1. कठिन संघर्ष से प्राप्त सम्प्रभुता को बचाए रखना,
  2. क्षेत्रीय अखण्डता को बनाए रखना और
  3. तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना। नेहरू इन उद्देश्यों को गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर हासिल करना चाहते थे।

इसके अतिरिक्त पण्डित नेहरू द्वारा अपनायी गई राष्ट्रवाद, अन्तर्राष्ट्रीयवाद व पंचशील की अवधारणा आज भी भारतीय विदेश नीति के आधार स्तम्भ माने जाते हैं।

पृष्ठ 68

प्रश्न 2.
हम लोग आज की बनिस्बत जब ज्यादा गरीब, कमजोर और नए थे तो शायद दुनिया में हमारी पहचान कहीं ज्यादा थी। हैं ना विचित्र बात?
उत्तर:
शीत युद्ध के दौरान दुनिया दो खेमों – पूँजीवादी और साम्यवादी – में विभाजित हो गई थी। लेकिन भारत ने अपने स्वतन्त्र अस्तित्व को बनाये रखने के लिए किसी भी खेमे में सम्मिलित न होने का निर्णय किया और स्वतन्त्र विदेश नीति का संचालन करते हुए गुटनिरपेक्षता की नीति अपनायी। इसी कारण से भारत की दुनिया में एक विशेष पहचान थी और दुनिया के अल्पविकसित और विकासशील देशों ने भारत की इस नीति का अनुसरण भी किया। लेकिन शीतयुद्ध के अन्त, बदलती विश्व व्यवस्था तथा वैश्वीकरण और उदारीकरण के दौर में भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति की प्रासंगिकता पर एक प्रश्न चिह्न लग गया है तथा उसका झुकाव भी अमेरिका की ओर किसी- न-किसी रूप में दिखाई दे रहा है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि आज की बनिस्बत हम लोग जब ज्यादा गरीब, कमजोर और नए थे तो शायद दुनिया में हमारी पहचान ज्यादा थी।

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प्रश्न 3.
“मैंने सुना है कि 1962 के युद्ध के बाद जब लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगो..’ गाया तो नेहरू भरी सभा में रो पड़े थे। बड़ा अजीब लगता है यह सोचकर कि इतने बड़े लोग भी किसी भावुक लम्हे में रो पड़ते हैं!”
उत्तर:
यह बिल्कुल सत्य है कि जिन लोगों में राष्ट्रवाद व देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई हो और उनके सामने राष्ट्र का गुणगान किया जाए तो ऐसे लोगों का भावुक होना स्वाभाविक है। जहाँ तक पण्डित नेहरू का सवाल है, वे महान राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त राष्ट्र की सेवा की। इस गीत को सुनकर उनके आँसू इसलिए छलक पड़े क्योंकि इस गीत में देश के उन शहीदों की कुर्बानी की बात कही गयी थी जिन्होंने हँसते-हँसते अपनी जान न्यौछावर कर दी थी। उन्हीं की कुर्बानी ने देश को स्वतंत्रता दिलवायी थी।

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प्रश्न 4.
“हम ऐसा क्यों कहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ? नेता झगड़े और सेनाओं के बीच युद्ध हुआ। ज्यादातर आम नागरिकों को इनसे कुछ लेना-देना न था।”
उत्तर:
भारत – पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में सेनाओं ने एक-दूसरी सेनाओं से संघर्ष किया तथा राजनेताओं ने इस संघर्ष की अनुमति दी। परन्तु युद्ध का प्रभाव आम जन-जीवन पर भी पड़ता है क्योंकि युद्ध के पीछे की परिस्थितियाँ आम नागरिकों पर भी प्रभाव डालती हैं। दूसरे, सैनिक भी आम नागरिकों में से ही होते हैं। शहीद सैनिकों के परिवारों को आंसुओं के घूँट पीने पड़ते हैं। जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि युद्ध चाहे नेताओं के वैचारिक स्तर पर हो अथवा सेनाओं के बीच हो, आम जन-जीवन इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।

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प्रश्न 5.
इस बात से तो ऐसा जान पड़ता है कि भारत सोवियत खेमे में शामिल हो गया था। क्या सोवियत संघ के साथ इस 20 वर्षीय सन्धि पर हस्ताक्षर करने के बावजूद हम कह सकते हैं कि भारत गुटनिरपेक्षता की नीति पर अमल कर रहा था?
उत्तर:
1971 में हुई भारत – सोवियत मैत्री सन्धि से गुटनिरपेक्षता के सिद्धान्तों का उल्लंघन नहीं हुआ, क्योंकि इस सन्धि के पश्चात् भी भारत गुटनिरपेक्षता के मौलिक सिद्धान्तों पर कायम रहा। वह वारसा गुट में शामिल नहीं हुआ था। उसने अपनी प्रतिरक्षा के लिए बढ़ रहे खतरे, अमेरिका तथा पाकिस्तान में बढ़ रही घनिष्ठता व सहायता के कारण रूस से 20 वर्षीय संधि की थी। उसने संधि के बावजूद गुटनिरपेक्षता की नीति पर अमल किया। यही कारण है कि जब सोवियत संघ की सेनाएँ अफगानिस्तान में पहुँचीं तो भारत ने इसकी आलोचना की। इसलिए यह कहना कि सोवियत मैत्री संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति पर अमल नहीं किया, गलत है।

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प्रश्न 6.
बड़ा घनचक्कर है! क्या यहाँ सारा मामला परमाणु बम बनाने का नहीं है? हम ऐसा सीधे-सीधे क्यों नहीं कहते?
उत्तर:
भारत ने सन् 1974 में परमाणु परीक्षण किया तो इसे उसने शांतिपूर्ण परीक्षण करार दिया। भारत ने मई, 1998 में परमाणु परीक्षण किए तथा यह जताया कि उसके पास सैन्य उद्देश्यों के लिए अणु शक्ति को प्रयोग में लाने की क्षमता है। इस दृष्टि से यह मामला यद्यपि परमाणु बम बनाने का ही था तथापि भारत की परमाणु नीति में सैद्धान्तिक तौर पर यह बात स्वीकार की गई है किं भारत अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियार रखेगा लेकिन इन हथियारों का प्रयोग ‘पहले नहीं’ करेगा।

Jharkhand Board Class 12 Political Science भारत के विदेश संबंध TextBook Questions and Answers

प्रश्न 1.
इन बयानों के आगे सही या गलत का निशान लगाएँ-
(क) गुनिरपेक्षता की नीति अपनाने के कारण भारत, सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका, दोनों की सहायता हासिल कर सका।
(ख) अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत के सम्बन्ध शुरूआत से ही तनावपूर्ण रहे।
(ग) शीतयुद्ध का असर भारत-पाक सम्बन्धों पर भी पड़ा।
(घ) 1971 की शान्ति और मैत्री की सन्धि संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत की निकटता का परिणाम थी।
उत्तर:
(क) सही
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) गलत।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित का सही जोड़ा मिलाएँ:

(क) 1950-64 के दौरान भारत की विदेश नीति का लक्ष्य (i) तिब्बत के धार्मिक नेता जो सीमा पार करके भारत चले आए।
(ख) पंचशील (ii) क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता की रक्षा तथा अर्थिक विकास।
(ग) बांडुंग सम्मेलन (iii) शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धान्त।
(घ) दलाई
लामा
(iv) इसकी परिणति गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में हुई।

उत्तर:

(क) 1950-64 के दौरान भारत की विदेश नीति का लक्ष्य (ii) क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता की रक्षा तथा अर्थिक विकास।
(ख) पंचशील (iii) शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धान्त।
(ग) बांडुंग सम्मेलन (iv) इसकी परिणति गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में हुई।
(घ) दलाई लामा (i) तिब्बत के धार्मिक नेता जो सीमा पार करके भारत चले आए।

प्रश्न 3.
नेहरू विदेश नीति के संचालन को स्वतन्त्रता का एक अनिवार्य संकेतक क्यों मानते थे? अपने उत्तर में दो कारण बताएँ और उनके पक्ष में उदाहरण भी दें।
उत्तर:
नेहरू विदेश नीति के संचालन को स्वतन्त्रता का एक अनिवार्य संकेत इसलिए मानते थे क्योंकि स्वतन्त्रता किसी भी देश की विदेश नीति के संचालन की प्रथम एवं अनिवार्य शर्त है। स्वतंत्रता से तात्पर्य है। राष्ट्र के पास प्रभुसत्ता का होना तथा प्रभुसत्ता के दो पक्ष हैं।

  1. आंतरिक संप्रभुता और
  2. बाह्य संप्रभुता। इसमें बाह्य संप्रभुता का सम्बन्ध विदेश नीति का स्वतन्त्रतापूर्वक बिना किसी दूसरे राष्ट्र के दबाव के संचालित करना है।

दो कारण और उदाहरण:

  1. जो देश किसी दबाव में आकर अपनी विदेश नीति का निर्धारण करता है तो उसकी स्वतंत्रता निरर्थक होती है तथा एक प्रकार से दूसरे देश के अधीन हो जाता है व उसे अनेक बार अपने राष्ट्रीय हितों की भी अनदेखी करनी पड़ती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए नेहरू ने शीत युद्ध काल में किसी भी गुट में शामिल न होने और असंलग्नता की नीति को अपनाकर दोनों गुटों के दबाव को नहीं माना।
  2. भारत स्वतन्त्र नीति को इसलिए अनिवार्य मानता था ताकि यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपनिवेशवाद, जातीय भेदभाव, रंग-भेदभाव का मुकाबला डटकर कर सके। भारत ने 1949 में साम्यवादी चीन को मान्यता प्रदान की तथा सुरक्षा परिषद् में उसकी सदस्यता का समर्थन किया और सोवियत संघ ने हंगरी पर जब आक्रमण किया तो उसकी निंदा की।

प्रश्न 4.
“ विदेश नीति का निर्धारण घरेलू जरूरत और अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के दोहरे दबाव में होता है।” 1960 के दशक में भारत द्वारा अपनाई गई विदेश नीति से एक उदाहरण देते हुए अपने उत्तर की पुष्टि करें।
उत्तर:
किसी देश की विदेश नीति पर घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण का असर पड़ता है। विकासशील देशों के पास अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था के भीतर अपने सरोकारों को पूरा करने के लिए जरूरी संसाधनों का अभाव होता है। ऐसे देशों का जोर इस बात पर होता है कि उनके पड़ोस में अमन-चैन कायम रहे और विकास होता रहे। 1960 के दशक में भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाना भी इसका उदाहरण माना जा सकता है। उदाहरणार्थ – तत्कालीन समय में भारत की आर्थिक स्थिति अत्यधिक दयनीय थी, इसलिए उसने शीत युद्ध के काल में किसी भी गुट का समर्थन नहीं किया और दोनों ही गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त करता रहा।

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प्रश्न 5.
अगर आपको भारत की विदेश नीति के बारे में फैसला लेने को कहा जाए तो आप इसकी किन बातों को बदलना चाहेंगे? ठीक तरह यह भी बताएँ कि भारत की विदेश नीति के किन दो पहलुओं को आप बरकरार रखना चाहेंगे? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए
उत्तर:

  • भारतीय विदेश नीति में निम्न दो बदलाव लाना चाहूँगा-
    1. मैं वर्तमान एकध्रुवीय विश्व में भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति में बदलाव लाना चाहूँगा क्योंकि वर्तमान वैश्वीकरण और उदारीकरण के युग में गुट निरपेक्षता की नीति अप्रासंगिक हो गयी है।
    2. मैं भारत की विदेश नीति में चीन एवं पाकिस्तान के साथ जिस प्रकार की नीति अपनाई जा रही है उसमें बदलाव लाना चाहूँगा, क्योंकि इसके वांछित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।
  • इसके अतिरिक्त मैं भारतीय विदेश नीति के निम्नलिखित दो पहलुओं को बरकरार रखना चाहूँगा
    1. सी. टी.बी. टी. के बारे में वर्तमान दृष्टिकोण को और परमाणु नीति की वर्तमान नीति को जारी रखूँगा।
    2. मैं संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता जारी रखते हुए विश्व बैंक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से सहयोग जारी रखूँगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(क) भारत की परमाणु नीति।
(ख) विदेश नीति के मामलों पर सर्व सहमति
उत्तर:
(क) भारत की परमाणु नीति- भारत ने मई, 1974 और 1998 में परमाणु परीक्षण करते हुए अपनी परमाणु नीति को नई दिशा प्रदान की। इसके प्रमुख पक्ष निम्नलिखित हैं-

  1. आत्मरक्षार्थ – भारत ने आत्मरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का निर्माण किया, ताकि कोई अन्य देश भारत पर परमाणु हमला न कर सक।
  2. प्रथम प्रयोग नहीं – भारत ने परमाणु हथियारों का युद्ध में पहले प्रयोग न करने की घोषणा कर रखी है।
  3. भारत परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार बनाकर विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनना चाहता है तथा विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता है।
  4. परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों की भेदभावपूर्ण नीति का विरोध करना।

(ख) विदेश नीति के मामलों पर सर्व सहमति – विदेश नीति के मामलों पर सर्वसहमति आवश्यक है, क्योंकि यदि एक देश की विदेश नीति के मामलों में सर्वसहमति नहीं होगी, तो वह देश अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर अपना पक्ष प्रभावशाली ढंग से नहीं रख पायेगा। भारत की विदेश नीति के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं जैसे गुटनिरपेक्षता, साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद का विरोध, दूसरे देशों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बनाना तथा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देना इत्यादि पर सदैव सर्वसहमति रही है।

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प्रश्न 7.
भारत की विदेश नीति का निर्माण शान्ति और सहयोग के सिद्धान्तों को आधार मानकर हुआ। लेकिन, 1962-1971 की अवधि यानी महज दस सालों में भारत को तीन युद्धों का सामना करना पड़ा। क्या आपको लगता है कि यह भारत की विदेश नीति की असफलता है अथवा आप इसे अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों का परिणाम मानेंगे? अपने मंतव्य के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
आजादी के समय भारत ने अपनी विदेश नीति का निर्माण शान्ति और सहयोग के सिद्धान्तों के आधार पर किया। परन्तु 1962 से लेकर 1971 तक भारत को तीन युद्ध लड़ने पड़े तो इसके पीछे कुछ हद तक भारत की विदेश नीति की असफलता भी मानी जाती है तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों का परिणाम भी। यथा-
1. चीन का आक्रमण ( 1962 ):
चीन और भारत के दोस्ताना रिश्ते में गंभीर विवाद तब पैदा हुआ जब 1950 में चीन ने तिब्बत पर अपना अधिकार जमा लिया। क्योंकि इस वजह से भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक रूप से जो मध्यवर्ती राज्य बना चला आ रहा था, वह खत्म हो गया। शुरू में भारत (सरकार) ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया था । भारत की बेचैनी तब बढ़ी जब चीन ने तिब्बत की संस्कृति को दबाना शुरू किया। भारत और चीन के बीच एक सीमा विवाद भी उठ खड़ा हुआ था। यह विवाद चीन से लगी लंबी सीमा रेखा के पश्चिमी और पूर्वी छोर के बारे में था। चीन ने भारतीय भू-क्षेत्र में पड़ने वाले अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर अपना दावा किया। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच लंबी चर्चा और वार्तालाप के बावजूद इस मतभेद को सुलझाया नहीं जा सका। इसलिए भारत को संघर्ष में शामिल होना पड़ा।

2. पाकिस्तान के साथ युद्ध-कश्मीर मसले को लेकर पाकिस्तान के साथ बँटवारे के तुरंत बाद ही संघर्ष छिड़ गया था। 1947 में ही कश्मीर में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच छाया-युद्ध छिड़ गया था। 1965 में इस छाया-युद्ध ने गंभीर किस्म के सैन्य संघर्ष का रूप ले लिया। बाद में, भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और संजीव पास बुक्स पाकिस्तान के जनरल अयूब खान के बीच 1966 में ताशकंद – समझौता हुआ। 1965 की लड़ाई ने भारत की कठिन आर्थिक स्थिति को और गंभीर बना दिया था।

3. बांग्लादेश युद्ध, 1971-1970 में पाकिस्तान के सामने एक गहरा अंदरूनी संकट आ खड़ा हुआ। जुल्फिकार अली भुट्टो की पार्टी पश्चिमी पाकिस्तान में विजयी रही जबकि मुजीबुर्रहमान की पार्टी ने पूर्वी पाकिस्तान में कामयाबी हासिल की। पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली आबादी ने पश्चिमी पाकिस्तान के भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में मतदान किया था, परंतु यह जनादेश पाकिस्तान के शासक स्वीकार नहीं कर पा रहे थे।

1971 में पाकिस्तानी सेना ने शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर जुल्म करना शुरू कर दिया। फलस्वरूप पर्वी पाकिस्तान की जनता ने अपने इलाके को पाकिस्तान से मुक्त कराने के लिए संघर्ष छेड़ दिया। 1971 में भारत को 80 लाख शरणार्थियों का भार पठाना पड़ा। ये शरणार्थी पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए थे। उपर्युक्त कारणों की वजह से भारत ने बांग्लादेश के ‘मुक्ति संग्राम’ को नैतिक समर्थन और भौतिक सहायता दी।

महीनों राजनयिक तनाव और सैन्य तैनाती के बाद 1971 के दिसंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने पंजाब और राजस्थान पर हमला किया और उसकी सेना ने जम्मू- कश्मीर पर हमला किया। भारत ने अपनी जल, थल और वायु सेना द्वारा इस हमले का जवाब दिया। दस दिनों के भीतर भारतीय सेना ने ढाका को तीन तरफ से घेर लिया और पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा। तत्पश्चात् बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय के साथ भारतीय सेना ने अपनी तरफ से एकतरफा युद्ध-विराम घोषित कर दिया। बाद में 3 जुलाई, 1972 को इंदिरा गाँधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ। अधिकांश भारतीयों ने इसे गौरव की घड़ी के रूप में देखा और माना कि भारत का सैन्य-पराक्रम प्रबल हुआ है।

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प्रश्न 8.
क्या भारत की विदेश नीति से यह झलकता है कि भारत क्षेत्रीय स्तर की महाशक्ति बनना चाहता है? 1971 के बांग्लादेश युद्ध के सन्दर्भ में इस प्रश्न पर विचार करें।
उत्तर:
भारत की विदेश नीति से यह बिल्कुल नहीं झलकता कि भारत क्षेत्रीय स्तर की महाशक्ति बनना चाहता है। 1971 के बांग्लादेश युद्ध के सन्दर्भ में देखें तो भी ऐसा प्रतीत नहीं होता। बांग्लादेश के निर्माण के लिए स्वयं पाकिस्तान की पूर्वी पाकिस्तान के प्रति उपेक्षापूर्ण नीतियाँ, बंगालियों की अपनी भाषा, संस्कृति के प्रति अटूट प्यार व गहरी आस्था को माना जा सकता है। दूसरे, भारत ने कभी भी अपने छोटे-छोटे पड़ौसी देशों को अमेरिका की तरह अपने गुट में सम्मिलित करने का प्रयास नहीं किया बल्कि 1965 तथा 1971 में जीते गये क्षेत्रों को भी वापस कर दिया। इस प्रकार भारत बलपूर्वक किसी देश पर बात मनवाना नहीं चाहता।

प्रश्न 9.
किसी राष्ट्र का राजनीतिक नेतृत्व किस तरह उस राष्ट्र की विदेश नीति पर असर डालता है? भारत की विदेश नीति के उदाहरण देते हुए इस प्रश्न पर विचार कीजिए।
उत्तर:
किसी भी देश की विदेश नीति के निर्धारण में उस देश के राजनीतिक नेतृत्व की विशेष भूमिका होती है उदाहरण के लिए, पण्डित नेहरू के विचारों से भारत की विदेश नीति पर्याप्त प्रभावित हुई। पण्डित नेहरू साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद व फासिस्टवाद के घोर विरोधी थे और वे समस्याओं का समाधान करने के लिए शान्तिपूर्ण मार्ग के समर्थक थे । वह मैत्री, सहयोग व सहअस्तित्व के प्रबल समर्थक थे। पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने अपने विचारों द्वारा भारत की विदेश नीति के ढाँचे को ढाला।

इसी प्रकार श्रीमती इन्दिरा गाँधी, राजीव गाँधी और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व व व्यक्तित्व की भी भारत की विदेश नीति पर स्पष्ट छाप दिखाई देती है। श्रीमती इन्दिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, गरीबी हटाओ का नारा दिया और रूस के साथ दीर्घ अनाक्रमण सन्धि की। इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीति में देश में परमाणु शक्ति का विकास हुआ। उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ का नारा दिया। इस प्रकार देश का राजनीतिक नेतृत्व उस राष्ट्र की विदेश नीति पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए : गुटनिरपेक्षता का व्यापक अर्थ है अपने को किसी भी सैन्य गुट में शामिल नहीं करना… इसका अर्थ होता है चीजों को यथासम्भव सैन्य दृष्टिकोण से न देखना और इसकी कभी जरूरत आन पड़े तब भी किसी सैन्य गुट के नजरिए को अपनाने की जगह स्वतन्त्र रूप से स्थिति पर विचार करना तथा सभी देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते कायम करना…..
(क) नेहरू सैन्य गुटों से दूरी क्यों बनाना चाहते थे? – जवाहरलाल नेहरू
(ख) क्या आप मानते हैं कि भारत – सोवियत मैत्री की सन्धि से गुटनिरपेक्षता के सिद्धान्तों का उल्लंघन हुआ? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।
(ग) अगर सैन्य – गुट न होते तो क्या गुटनिरपेक्षता की नीति बेमानी होती?
उत्तर:
(क) नेहरू सैन्य गुटों से दूरी बनाना चाहते थे क्योंकि वे किसी भी सैनिक गुट में शामिल न होकर एक स्वतन्त्र विदेश नीति का संचालन करना चाहते थे।

(ख) भारत – सोवियत मैत्री सन्धि से गुटनिरपेक्षता के सिद्धान्तों का उल्लंघन नहीं हुआ, क्योंकि इस सन्धि के पश्चात् भी भारत गुटनिरपेक्षता के मौलिक सिद्धान्तों पर कायम रहा तथा जब सोवियत संघ की सेनाएँ अफगानिस्तान में पहुँचीं तो भारत ने इसकी आलोचना की ।

(ग) यदि विश्व में सैनिक गुट नहीं होते तो भी गुटनिरपेक्षता की प्रासंगिकता बनी रहती, क्योंकि गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना शान्ति एवं विकास के लिए की गई थी तथा शान्ति एवं विकास के लिए चलाया गया कोई भी आन्दोलन कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकता।

भारत के विदेश संबंध JAC Class 12 Political Science Notes

→ अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ:
भारत बड़ी विकट और चुनौतीपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में आजाद हुआ था, जैसे महायुद्ध की तबाही, पुनर्निर्माण की समस्या, उपनिवेशवाद की समाप्ति, लोकतन्त्र को कायम करना तथा एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का निर्माण करना आदि की चुनौतियाँ विश्व के समक्ष थीं। इसके अतिरिक्त भारत के समक्ष अनेक विषम घरेलू परिस्थितियाँ भी थीं, जैसे बंटवारे का दबाव, गरीबी तथा अशिक्षा आदि। ऐसे में भारत ने अपनी विदेश नीति में अन्य सभी देशों की सम्प्रभुता का सम्मान करने और शान्ति कायम करके अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य सामने रखा।

→ संवैधानिक सिद्धान्त:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्तों के हवाले से कहा गया है कि राज्य को विदेशों से सम्बन्ध बनाये रखने हेतु निम्न निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है-

  • अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा में अभिवृद्धि करना।
  • राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण सम्बन्धों को बनाये रखना।
  • संगठित लोगों के एक-दूसरे से व्यवहारों में अन्तर्राष्ट्रीय विधि और संधि – बाध्यताओं के प्रति आदर की भावना रखना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता द्वारा निपटाने का प्रयास करना।

→ गुटनिरपेक्षता की नीति:
द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद दुनिया दो खेमों (सैनिक गुटों) में विभाजित हो गई । एक खेमे का अगुआ संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे का सोवियत संघ। दोनों खेमों के बीच विश्व स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य टकराव जारी रहा। इसी दौर में संयुक्त राष्ट्रसंघ भी अस्तित्व में आया; परमाणु हथियारों का निर्माण शुरू हुआ; चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना हुई । अनौपनिवेशीकरण की प्रक्रिया भी इसी दौर में आरंभ हुई थी। नेहरू की भूमिका – पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के प्रधानमन्त्री व विदेश मन्त्री के रूप में भारत की विदेश नीति की रचना की और इसके क्रियान्वयन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। नेहरू की विदेश नीति के तीन बड़े उद्देश्य थे

  • कठिन संघर्ष से प्राप्त सम्प्रभुता को बचाये रखना,
  • क्षेत्रीय अखण्डता को बनाये रखना, और
  • तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना नेहरू इन उद्देश्यों को गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर हासिल करना चाहते थे।

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→ दोनों खेमों से दूरी:
आजाद भारत की विदेश नीति में शान्तिपूर्ण विश्व का सपना था और इसके लिए भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया। इसके लिए भारत ने शीतयुद्ध से उपजे तनाव को कम करने की कोशिश की और संयुक्त राष्ट्र संघ के शान्ति अभियानों में अपनी सेना भेजी। भारत शीतयुद्ध के दौरान किसी भी खेमे में शामिल नहीं हुआ।

→ एफ्रो-एशियाई एकता:
भारत के आकार, अवस्थिति और शक्ति सम्भावनाओं को देखते हुए नेहरू ने विश्व के मामलों, विशेषकर एशियाई मामलों में भारत के लिए बड़ी भूमिका निभाने का स्वप्न देखा। नेहरू के दौर में भारत ने एशिया और अफ्रीका के नव- स्वतन्त्र देशों के साथ सम्पर्क बनाए। 1940 और 1950 के दशकों में नेहरू ने बड़े मुखर स्वर में एशियाई एकता की पेशकश की। नेहरू की अगुआई में भारत में मार्च, 1947 में एशियाई सम्बन्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत ने इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन किया।

भारत अनौपनिवेशीकरण की प्रक्रिया का प्रबल समर्थक था और उसने पूरी दृढ़ता से नस्लवाद का, खासकर दक्षिण अफ्रीका में हो रहे रंगभेद का विरोध किया । इण्डोनेशिया के शहर बांडुंग में एफ्रो-एशियाई सम्मेलन 1955 में हुआ। इसी सम्मेलन में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन 1961 के सितंबर में बेलग्रेड में हुआ।

→ चीन के साथ शान्ति और संघर्ष:
आजाद भारत ने चीन के साथ अपने रिश्तों की शुरूआत बड़े मैत्रीपूर्ण ढंग से की। चीनी क्रान्ति 1949 में हुई थी। इस क्रान्ति के बाद भारत, चीन की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता देने वाला पहला देश था। इसके अतिरिक्त शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के पाँच सिद्धान्तों यानी पंचशील की घोषणा भारत के प्रधानमन्त्री नेहरू और चीन के प्रमुख नेता चाऊ एन लाई ने संयुक्त रूप से 29 अप्रैल, 1954 को की। दोनों देशों के बीच मजबूत सम्बन्ध की दिशा में यह एक अगला कदम था। भारत और चीन के नेता एक-दूसरे के देश का दौरा करते थे और उनके स्वागत के लिए भारी भीड़ जुटती थी।

→ चीन का आक्रमण, 1962:
चीन के साथ भारत के दोस्ताना रिश्ते में दो कारणों से खटास आई। चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया। तिब्बत की संस्कृति को कुचलने की खबर आने पर भारत की बेचैनी भी बढ़ी। तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत से राजनीतिक शरण माँगी और 1959 में भारत ने उन्हें शरण दे दी। इससे कुछ दिनों पहले भारत और चीन के बीच सीमा विवाद भी उठा था। मुख्य विवाद चीन से लगी लंबी सीमा-रेखा के पश्चिमी और पूर्वी छोर के बारे में था। चीन ने भारतीय भू-क्षेत्र में पड़ने वाले दो इलाकों जम्मू-कश्मीर के लद्दाख वाले हिस्से के अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर अपना अधिकार जताया। 1957. से 1959 के बीच चीन ने अक्साई चीन इलाके पर कब्जा कर लिया और इस इलाके में उसने रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए एक सड़क बनाई।

जिस समय पूरे विश्व का ध्यान दो महाशक्तियों की तनातनी से पैदा इस संकट की तरफ लगा हुआ था, उसी समय चीन ने 1962 के अक्टूबर में दोनों विवादित क्षेत्रों पर बड़ी तेजी तथा व्यापक स्तर पर हमला किया। पहले हमले में चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया। दूसरे हमले में लद्दाख से लगे पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना ने चीनी सेना को रोक लिया था परंतु पूर्व में चीनी सेना आगे बढ़ते हुए असम के मैदानी हिस्से तक पहुँच गई। आखिरकार, चीन ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित किया और चीन की सेना अपने पुराने जगह पर वापस चली गई। चीन-युद्ध से भारत की छवि को देश और विदेश दोनों ही जगह धक्का लगा। इस युद्ध से भारतीय राष्ट्रीय स्वाभिमान को चोट पहुँची परंतु इसके साथ-साथ राष्ट्र – भावना भी बलवती हुई।

इस संघर्ष का असर विपक्षी दलों पर भी हुआ। चीन के साथ हुए युद्ध ने भारत के नेताओं को पूर्वोत्तर की डाँवाडोल स्थिति के प्रति संचेत किया। यह इलाका अत्यंत पिछड़ी दशा में था और अलग-थलग पड़ गया था। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिहाज से भी यह इलाका चुनौतीपूर्ण था। चीन – युद्ध के तुरंत बाद इस इलाके को नयी तरतीब में ढालने की कोशिशें शुरू की गईं। नागालैंड को प्रांत का दर्जा दिया गया। मणिपुर और त्रिपुरा केन्द्र शासित प्रदेश थे लेकिन उन्हें अपनी विधानसभा के निर्वाचन का अधिकार मिला।

→ पाकिस्तान के साथ युद्ध और शान्ति:
पाकिस्तान की स्थापना सन् 1947 में भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुई। आरम्भ से ही भारत तथा पाकिस्तान के आपसी सम्बन्ध तनावपूर्ण रहे। सन् 1947 में कश्मीर मुद्दे को लेकर दोनों देशों की सेनाओं के मध्य छाया- युद्ध हुआ । बहरहाल यह संघर्ष पूर्णव्यापी युद्ध का रूप न ले सका। यह मसला संयुक्त राष्ट्र संघ के हवाले कर दिया गया। सन् 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर फिर आक्रमण किया परन्तु भारत ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित किया। अन्त में संयुक्त राष्ट्रसंघ के माध्यम से दोनों देशों के बीच ताशकन्द समझौता हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने पाकिस्तान के जीते हुए क्षेत्र वापस लौटा दिए।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 4 भारत के विदेश संबंध

→ बांग्लादेश युद्ध, 1971:
सन् 1971 में बांग्लादेश की समस्या को लेकर भारत तथा पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में पाकिस्तान पुनः पराजित हुआ और पाकिस्तान का एक बहुत बड़ा भाग उसके हाथ से छिन गया अर्थात् बांग्लादेश नामक एक स्वतन्त्र राज्य की स्थापना हुई।

→ करगिल संघर्ष:
1999 – सन् 1999 में पाकिस्तान ने भारत के नियन्त्रण रेखा के कई ठिकानों जैसे द्रास, मश्कोह, काकसर और बतालिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही की इससे दोनों देशों के मध्य संघर्ष छिड़ गया। इसे करगिल की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। 26 जुलाई, 1999 तक भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ते हुए पुनः अपने क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया । पाकिस्तान के इस आक्रमण की अन्तर्राष्ट्रीय जगत में तीव्र आलोचना की गई। भारत एवं पाकिस्तान के मध्य तनावपूर्ण सम्बन्धों को सुधारने हेतु अनेक प्रयास किये गये जिसमें रेल व बस यात्राएँ शुरू करना, द्विपक्षीय वार्ताएँ की गईं लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

→ भारत की परमाणु नीति:
भारत मई, 1974 में पहला परमाणु परीक्षण कर परमाणु आयुध सम्पन्न राष्ट्रों की श्रेणी में आया लेकिन इसकी शुरूआत 1940 के दशक के अन्तिम सालों में होमी जहाँगीर भाभा के निर्देशन में हो चुकी थी। भारत शान्तिपूर्ण उद्देश्यों में इस्तेमाल के लिए अणु ऊर्जा का उपयोग करने के पक्ष में है। भारत ने परमाणु अप्रसार के लक्ष्य को ध्यान में रखकर की गई सन्धियों का विरोध किया क्योंकि ये सन्धियाँ उन्हीं देशों पर लागू होती थीं जो परमाणु शक्तिहीन राष्ट्र थे। मई, 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किए और दुनिया को यह जताया कि उसके पास भी सैन्य उद्देश्यों के लिए अणु-शक्ति के इस्तेमाल की क्षमता है। भारत की परमाणु नीति में सैद्धान्तिक तौर पर यह बात स्वीकार की गई है कि भारत अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियार रखेगा लेकिन वह हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा। इसके साथ ही भारत वैश्विक स्तर पर लागू और भेदभावहीन परमाणु निःशस्त्रीकरण के प्रति वचनबद्ध है ताकि परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व की रचना हो।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers

JAC Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

Jharkhand Board Class 12 Political Science नियोजित विकास की राजनीति InText Questions and Answers

पृष्ठ 49

प्रश्न 1.
क्या आप यह कह रहे हैं कि ‘आधुनिक’ बनने के लिए ‘पश्चिमी’ होना जरूरी नहीं है? क्या यह सम्भव है?
उत्तर:
आधुनिक बनने के लिए पश्चिमी होना जरूरी नहीं है। प्रायः आधुनिकीकरण का सम्बन्ध पाश्चात्यीकरण से माना जाता है लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि आधुनिक होने का अर्थ मूल्यों एवं विचारों में समस्त परिवर्तन से लगाया जाता है और यह परिवर्तन समाज को आगे की ओर ले जाने वाले होने चाहिए। आधुनिकीकरण में परिवर्तन केवल विवेक पर ही नहीं बल्कि सामाजिक मूल्यों पर भी आधारित होते हैं। इसमें वस्तुतः समाज के मूल्य साध्य और लक्ष्य भी निर्धारित करते हैं कि कौनसा परिवर्तन अच्छा है और कौनसा बुरा है; कौनसा परिवर्तन आगे की ओर ले जाने वाला है और कौनसा अधोगति में पहुँचाने वाला है। जबकि पाश्चात्यीकरण मूल्यमुक्तता पर बल देता है, इसका न कोई क्रम होता है और न कोई दिशा इस प्रकार आधुनिक बनने के लिए पश्चिमी होना जरूरी नहीं है।

पृष्ठ 58

प्रश्न 2.
अरे! मैं तो भूमि सुधारों को मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने की तकनीक समझता था।
उत्तर:
भूमि सुधार का तात्पर्य मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने की तकनीक तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके अन्तर्गत अनेक तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है-

  1. जमींदारी एवं जागीरदारी व्यवस्था को समाप्त करना।
  2. जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक साथ करके कृषिगत कार्य को अधिक सुविधाजनक बनाना।
  3. बेकार एवं बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु व्यवस्था करना।
  4. कृषिगत भू- जोतों की उचित व्यवस्था करना।
  5. सिंचाई के साधनों का विकास करना।
  6. अच्छे खाद व उन्नत बीजों की व्यवस्था करना।
  7. किसानों द्वारा उत्पन्न खाद्यान्नों की उचित कीमत दिलाने का प्रयास करना।
  8. किसानों को समय-समय पर विभिन्न प्रकार के ऋण व विशेष अनुदानों की व्यवस्था करना आदि।

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प्रश्न 1
‘बॉम्बे प्लान’ के बारे में निम्नलिखित में कौनसा बयान सही नहीं है?
(क) यह भारत के आर्थिक भविष्य का एक ब्लू-प्रिंट था।
(ख) इसमें उद्योगों के ऊपर राज्य के स्वामित्व का समर्थन किया गया था।
(ग) इसकी रचना कुछ अग्रणी उद्योगपतियों ने की थी।
(घ) इसमें नियोजन के विचार का पुरजोर समर्थन किया गया था।
उत्तर:
(ख) इसमें उद्योगों के ऊपर राज्य के स्वामित्व का समर्थन किया गया था।

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प्रश्न 2.
भारत ने शुरूआती दौर में विकास की जो नीति अपनाई उसमें निम्नलिखित में से कौनसा विचार शामिल नहीं था?
(क) नियोजन
(ख) उदारीकरण
(ग) सहकारी खेती
(घ) आत्मनिर्भरता ।
उत्तर:
(ख) उदारीकरण।

प्रश्न 3.
भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का विचार ग्रहण किया गया था:
(क) बॉम्बे प्लान से
(ख) सोवियत खेमे के देशों के अनुभवों से
(ग) समाज के बारे में गाँधीवादी विचार से
(घ) किसान संगठनों की मांगों से

(क) सिर्फ ख और घ
(ग) सिर्फ घ और ग
(ख) सिर्फ क और ख
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का मेल करें:

(क) चरणसिंह (i) औद्योगीकरण
(ख) पी.सी. महालनोबिस (ii) जोनिंग
(ख) सिर्फ क और ख (iii) किसान
(घ) उपर्युक्त सभी (iv) सहकारी डेयरी

उत्तर:

(क) चरणसिंह (iii) किसान
(ख) पी.सी. महालनोबिस (i) औद्योगीकरण
(ग) बिहार का अकाल (ii) जोनिंग
(घ) वर्गीज कुरियन (iv) सहकारी डेयरी

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प्रश्न 5.
आजादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया?
उत्तर:
आजादी के समय विकास के सवाल पर मतभेद -आजादी के समय विकास के सवाल पर विभिन्न मतभेद थे। यथा

  1. आर्थिक संवृद्धि के साथ सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन- सी भूमिका निभाये ? इस सवाल पर मतभेद था।
  2. विकास के दो मॉडलों – उदारवादी – पूँजीवादी मॉडल और समाजवादी मॉडल में से किस मॉडल को अपनाया जाये ? इस बात पर मतभेद था।
  3. कुछ लोग औद्योगीकरण को उचित रास्ता मानते थे तो कुछ की नजर में कृषि का विकास करना और ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी को दूर करना सर्वाधिक जरूरी था।
  4. कुछ अर्थशास्त्री केन्द्रीय नियोजन के पक्ष में थे जबकि अन्य कुछ विकेन्द्रित नियोजन को विकास के लिए आवश्यक मानते थे।

मतभेदों को सुलझाना – उपर्युक्त में से कुछ मतभेदों को सुलझा लिया गया है परन्तु कुछ को सुलझाना अभी भी शेष है, जैसे

  1. सभी में इस बात पर सहमति बनी कि देश के व्यापार उद्योगों और कृषि को क्रमशः व्यापारियों, उद्योगपतियों और किसानों के भरोसे पूर्णत: नहीं छोड़ा जा सकता है।
  2. लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि विकास का अर्थ आर्थिक संवृद्धि और सामाजिक-आर्थिक न्याय दोनों ही है।
  3. इस बात पर भी सहमति हो गई कि गरीबी मिटाने और सामाजिक-आर्थिक पुनर्वितरण के काम की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
  4. विकास के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाने पर सहमति बनी।

प्रश्न 6.
पहली पंचवर्षीय योजना का किस चीज पर सबसे ज्यादा जोर था ? दूसरी पंचवर्षीय योजना पहली से किन अर्थों में अलग थी?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना में देश में लोगों को गरीबी के जाल से निकालने का प्रयास किया गया और इस योजना में ज्यादा जोर कृषि क्षेत्र पर दिया गया। इसी योजना के अन्तर्गत बाँध और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया। भाखड़ा नांगल जैसी विशाल परियोजनाओं के लिए बड़ी धनराशि आवंटित की गई। इस योजना में भूमि सुधार पर जोर दिया गया और इसे देश के विकास की बुनियादी चीज माना गया।

दोनों में अन्तर:

  1. प्रथम पंचवर्षीय एवं द्वितीय पंचवर्षीय योजना में प्रमुख अन्तर यह था कि जहाँ प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र पर अधिक बल दिया गया, वहीं दूसरी योजना में भारी उद्योगों के विकास पर अधिक जोर दिया गया।
  2. पहली पंचवर्षीय योजना का मूलमंत्र था – -धीरज, जबकि दूसरी पंचवर्षीय योजना तेज संरचनात्मक परिवर्तन पर बल देती थी।

प्रश्न 7.
हरित क्रान्ति क्या थी? हरित क्रान्ति के दो सकारात्मक और दो नकारात्मक परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर:

  • हरित क्रान्ति का अर्थ – “हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषिगत उत्पादन की तकनीक को सुधारने तथा कृषि उत्पादन में तीव्र वृद्धि करने से है।” इसके तीन तत्व थे
    1. कृषि का निरन्तर विस्तार
    2. दोहरी फसल लेना
    3. अच्छे बीजों का प्रयोग इस प्रकार हरित क्रांति का अर्थ है – सिंचित और असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्मों को आधुनिक कृषि पद्धति से उगाकर उत्पादन बढ़ाना।
  • हरित क्रान्ति के दो सकारात्मक परिणाम- हरित क्रांति के निम्न सकारात्मक परिणाम निकले-
    1. हरित क्रान्ति से खेतिहर पैदावार में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ ( ज्यादातर गेहूँ की पैदावार बढ़ी) और देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हुई।
    2. हरित क्रांति के कारण कृषि में मँझोले दर्जे के किसानों यानी मध्यम श्रेणी के भू-स्वामित्व वाले किसानों का उभार हुआ।
  • हरित क्रान्ति के नकारात्मक परिणाम – हरित क्रान्ति के दो नकारात्मक परिणाम निम्न हैं-
    1. इस क्रान्ति से गरीब किसानों और भू-स्वामियों के बीच का अंतर बढ़ गया।
    2. इससे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश जैसे इलाके कृषि की दृष्टि से समृद्ध हो गए जबकि बाकी इलाके खेती के मामले में पिछड़े रहे।

प्रश्न 8.
“नियोजन के शुरुआती दौर में ‘कृषि बनाम उद्योग’ का विवाद रहा।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान औद्योगिक विकास बनाम कृषि विकास का विवाद चला था। इस विवाद में क्या-क्या तर्क दिए गए थे?
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान औद्योगिक विकास और कृषि विकास में किस क्षेत्र के विकास पर जोर दिया जाय, का विवाद चला। इस विवाद के सम्बन्ध में विभिन्न तर्क दिये गये। यथा

  1. कृषि क्षेत्र का विकास करने वाले विद्वानों का यह तर्क था कि इससे देश आत्मनिर्भर बनेगा तथा किसानों की दशा में सुधार होगा, जबकि औद्योगिक विकास का समर्थन करने वालों का यह तर्क था कि औद्योगिक विकास से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा देश में बुनियादी सुविधाएँ बढ़ेंगी।
  2. अनेक लोगों का मानना था कि दूसरी पंचवर्षीय योजना में कृषि के विकास की रणनीति का अभाव था और इस योजना के दौरान उद्योगों पर जोर देने के कारण खेती और ग्रामीण इलाकों को चोट पहुँचेगी।
  3. कई अन्य लोगों का सोचना था कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को तेज किए बगैर गरीबी के मकड़जाल से मुक्ति नहीं मिल सकती । कृषि विकास हेतु तो अनेक कानून बनाये जा चुके हैं, लेकिन औद्योगिक विकास की दिशा में कोई विशेष प्रयास नहीं हुए हैं।

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प्रश्न 9.
” अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका पर जोर देकर भारतीय नीति-निर्माताओं ने गलती की। अगर शुरूआत से ही निजी क्षेत्र को खुली छूट दी जाती तो भारत का विकास कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से होता ।” इस विचार के पक्ष या विपक्ष में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त विचार के पक्ष व विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं- पक्ष में तर्क-

  1. भारत ने 1990 के दशक से ही नई आर्थिक नीति अपनायी है। तब से यह तेजी से उदारीकरण और वैश्वीकरण की ओर बढ़ रहा है। यदि यह नीति प्रारम्भ से ही अपना ली गई होती तो भारत का विकास अधिक बेहतर होता।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक जैसी बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ भी उन्हीं देशों को अधिक ऋण व निवेश के संसाधन प्रदान करती हैं जहाँ निजी क्षेत्र को खुली छूट दी जाती है। जिन बड़े कार्यों के लिए सरकार पूँजी जुटाने में असमर्थ होती है उन कार्यों में अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और देशी बड़े-बड़े पूँजीपति लोग पूँजी लगा सकते हैं।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में भारत तभी ठहर सकता था जब निजी क्षेत्र को छूट दे दी गई होती।

विपक्ष में तर्क- निजी क्षेत्र के विपक्ष में निम्न तर्क दिये जा सकते हैं

  1. भारत में कृषिगत और औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार सरकारी वर्ग की प्रभावशाली नीतियों व कार्यक्रमों से हुआ। यदि ऐसा नहीं होता तो भारत पिछड़ जाता।
  2. भारत में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या ज्यादा है। यहाँ बेरोजगारी है, गरीबी है। यदि पश्चिमी देशों की होड़ में भारत सरकारी हिस्से को अर्थव्यवस्था में कम कर दिया जाएगा तो बेरोजगारी बढ़ेगी, गरीबी फैलेगी, धन और पूँजी कुछ ही बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हाथों में केन्द्रित हो जाएगी जिससे आर्थिक विषमता और बढ़ जाएगी।
  3. भारत कृषि-प्रधान देश है। वह विकसित देशों के कृषि उत्पादन से मुकाबला नहीं कर सकता। कृषि क्षेत्र में सरकारी सहयोग राशि के बिना कृषि का विकास रुक जायेगा।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें- आजादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपीं। एक तरफ राष्ट्रीय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया, उत्पादकता को बढ़ाने के साथ- साथ आर्थिक संसाधनों के संकेंद्रण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाईं और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज ठहराया गया। – फ्रैंकिन फ्रैंकल
(क) यहाँ लेखक किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?
(ख) अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ कि कांग्रेस इस नीति पर क्यों चल रही थी? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?
(ग) क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था?
उत्तर:
(क) उपर्युक्त अवतरण में लेखक कांग्रेस पार्टी के अन्तर्विरोध की चर्चा कर रहा है जो क्रमशः वामपंथी विचारधारा से और दूसरा खेमा दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित था अर्थात् जहाँ कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समाजवादी सिद्धान्तों में विश्वास रखती थी, वहीं राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार निजी निवेश को बढ़ावा दे रही थी। इस प्रकार के अन्तर्विरोध से देश में राजनीतिक अस्थिरता फैलने की सम्भावना रहती है।

(ख) कांग्रेस इस नीति पर इसलिए चल रही थी, कि कांग्रेस में सभी विचारधाराओं के लोग शामिल थे तथा सभी लोगों के विचारों को ध्यान में रखकर ही कांग्रेस पार्टी इस प्रकार का कार्य कर रही थी। इसके साथ-साथ कांग्रेस पार्टी ने इस प्रकार की नीति इसलिए भी अपनाई ताकि विपक्षी दलों के पास आलोचना का कोई मुद्दा न रहे।

(ग) कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व एवं प्रान्तीय नेताओं में कुछ हद तक अन्तर्विरोध पाया जाता था। जहाँ केन्द्रीय नेतृत्व राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों को महत्त्व देता था, वहीं प्रान्तीय नेता प्रान्तीय एवं स्थानीय मुद्दों को महत्त्व देते थे। परिणामस्वरूप कांग्रेस के प्रभावशाली क्षेत्रीय नेताओं ने आगे चलकर अपने अलग-अलग राजनीतिक दल बनाए, जैसे- चौधरी चरण सिंह ने क्रांति दल या भारतीय लोकदल बनाया तो उड़ीसा में बीजू पटनायक ने उत्कल कांग्रेस का गठन किया।

नियोजित विकास की राजनीति JAC Class 12 Political Science Notes

→ नियोजित विकास का सम्बन्ध उचित रीति से सोच-विचार कर कदम उठाने से है। प्रत्येक क्रिया नियोजित विकास की क्रिया कहलाती है जो विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने हेतु दूरदर्शिता, विचार-विमर्श तथा उद्देश्यों एवं उनकी प्राप्ति हेतु प्रयुक्त होने वाले साधनों की स्पष्टता पर आधारित हो।

→ राजनीतिक फैसले और विकास-

  • भारत में नियोजित विकास की राजनीति आरम्भ करने से पहले विभिन्न तरह से विचार-विमर्श किये गये तथा तत्कालीन बाजार शक्तियों, लोगों की आकांक्षाओं एवं पर्यावरण पर विकास के पड़ने वाले तथ्यों को ध्यान में रखा गया।
  • अच्छे नियोजन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु नियोजन के लक्ष्य एवं उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए इसके साथ ही साधनों की व्यवस्था, लचीलापन, समन्वय, व्यावहारिकता, पद- सोपान तथा निरन्तरता जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
  • भारत में उड़ीसा राज्य की सरकार ने राज्य में इस्पात की बहुतायत को देखते हुए इन क्षेत्रों में उद्योग विकसित करने का मानस बनाया। लेकिन इस क्षेत्र में आदिवासियों के विस्थापन व पर्यावरण जैसी समस्या उभरकर सामने आई जिसको हल करना सरकार की पहली प्राथमिकता थी। इस प्रकार विकास योजनाओं को लागू करने से पहले पर्याप्त सोच-विचार की आवश्यकता है।

→ राजनीतिक टकराव:
विकास से जुड़े निर्णयों से प्रायः सामाजिक – समूह के हितों को दूसरे सामाजिक – समूह के हितों की तुलना में तौला जाता है। साथ ही मौजूदा पीढ़ी के हितों और आने वाली पीढ़ी के हितों को भी लाभ-हानि की तुला पर मापना पड़ता है। किसी भी लोकतन्त्र में ऐसे फैसले जनता द्वारा लिए जाने चाहिए या कम से कम इन फैसलों पर विशेषज्ञों की स्वीकृति की मुहर होनी चाहिए। आजादी के बाद आर्थिक संवृद्धि और सामाजिक न्याय की स्थापना हो इसके लिए सरकार कौन – सी भूमिका निभाए? इस सवाल को लेकर पर्याप्त मतभेद था।

क्या कोई ऐसा केन्द्रीय संगठन जरूरी है जो पूरे देश के लिए योजनाएँ बनाये ? क्या सरकार को कुछ महत्त्वपूर्ण उद्योग और व्यवसाय खुद चलाने चाहिए? अगर सामाजिक न्याय आर्थिक संवृद्धि की जरूरतों के आड़े आता हो तो ऐसी सूरत में सामाजिक न्याय पर कितना जोर देना उचित होगा ? इनमें से प्रत्येक सवाल पर टकराव हुए जो आज तक जारी हैं

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→ विकास की धारणाएँ:
भारत ने तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मिश्रित मॉडल को अपनाया स्वतन्त्रता के समय भारत के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी – पूँजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था। दूसरा समाजवादी मॉडल था, इसे सोवियत संघ ने अपनाया था। भारत ने इन दोनों मॉडलों के तत्त्वों को सम्मिलित करते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया। आजादी के आंदोलन के दौरान ही एक सहमति बन गई थी और नेताओं की इस पसंद में यही सहमति प्रतिबिंबित हो रही थी।

राष्ट्रवादी नेताओं के मन में यह बात बिल्कुल साफ थी कि आजाद भारत की सरकार के आर्थिक सरोकार अंग्रेजी हुकूमत के आर्थिक सरोकारों से एकदम अलग होंगे। आजाद भारत की सरकार अंग्रेजी हुकूमत की तरह संकुचित व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए काम नहीं करेगी। आजादी के आन्दोलन के दौरान ही यह बात भी साफ हो गई थी कि गरीबी मिटाने और सामाजिक-आर्थिक पुनर्वितरण के काम का मुख्य जिम्मा सरकार का होगा।

→ नियोजन:
नियोजन के विचार को 1940 और 1950 के दशक में पूरे विश्व में जनसमर्थन मिला था। यूरोप महामंदी का शिकार होकर सबक सीख चुका था; जापान और चीन ने युद्ध की विभीषिका झेलने के बाद अपनी अर्थव्यवस्था फिर खड़ी कर ली थी और सोवियत संघ ने 1930 तथा 1940 के दशक में भारी कठिनाइयों के बीच शानदार आर्थिक प्रगति की थी। इन सभी बातों के कारण नियोजन के पक्ष में दुनियाभर में हवा बह रही थी।

→ योजना आयोग:
योजना आयोग की स्थापना मार्च, 1950 में भारत – सरकार ने एक सीधे-सादे प्रस्ताव के जरिये की। यह आयोग एक सलाहकार की भूमिका निभाता है और इसकी सिफारिशें तभी प्रभावकारी हो पाती हैं जब मन्त्रिमण्डल उन्हें मंजूर करे।

→ शुरुआती कदम:
सोवियत संघ की तरह भारत ने भी पंचवर्षीय योजनाओं का विकल्प चुना। योजना के अनुसार केन्द्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो हिस्सों में बाँटा गया। एक हिस्सा गैर योजना- व्यय का था। इसके अंतर्गत सालाना आधार पर दैनंदिन मदों पर खर्च करना था। दूसरा हिस्सा योजना-व्यय का था।

→ प्रथम पंचवर्षीय योजना:
1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना का प्रारूप जारी हुआ इस योजना की कोशिश देश को गरीबी के मकड़जाल से निकालने की थी। पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र पर जोर दिया गया था। इसी योजना के अंतर्गत बाँध और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया । भाखड़ा नांगल जैसी विशाल परियोजनाओं के लिए बड़ी धनराशि आबंटित की गई।

→ औद्योगीकरण की तेज रफ्तार:
दूसरी पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। पी.सी. महालनोबिस के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों और योजनाकारों के एक समूह ने यह योजना तैयार की थी। हरा योजना के अंतर्गत सरकार ने देशी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया। संरक्षण की इस नीति से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिली। औद्योगीकरण पर दिए गए इस जोर ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को एक नया आयाम दिया। तीसरी पंचवर्षीय योजना दूसरी योजना से कुछ खास अलग नहीं थी। आलोचकों के अनुसार दूसरी पंचवर्षीय योजना से इनकी रणनीतियों में शहरों की तरफदारी नजर आने लगी थी।

→ विकेन्द्रित नियोजन:
जरूरी नहीं है कि नियोजन केन्द्रीकृत ही हो, केरल में विकेन्द्रित नियोजन अपनाया गया जिसे ‘केरल मॉडल’ कहा जाता है। इसमें इस बात के प्रयास किये गए कि लोग पंचायत, प्रखण्ड और जिला स्तर की योजनाओं को तैयार करने में शामिल हों। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, भूमि सुधार, गरीबी उन्मूलन पर जोर दिया गया।

→ मुख्य विवाद: विकास से जुड़े दो मुख्य विवाद या प्रश्न निम्न उठे

  • कृषि बनाम उद्योग
  • निजी क्षेत्र बनाम सार्वजनिक क्षेत्र

भारत जैसी पिछड़ी अर्थव्यवस्था में सरकार देश के ज्यादा संसाधन किस क्षेत्र अर्थात् कृषि में लगाये या उद्योग में तथा विकास के जो दो नये मॉडल थे, भारत ने उनमें से किसी को नहीं अपनाया। पूँजीवादी मॉडल में विकास का काम पूर्णतया निजी क्षेत्र के भरोसे होता है। भारत ने यह रास्ता नहीं अपनाया। भारत ने विकास का समाजवादी मॉडल भी नहीं अपनाया जिसमें निजी सम्पत्ति को समाप्त कर दिया जाता है और हर तरह के उत्पादन पर राज्य का नियन्त्रण होता है। इन दोनों ही मॉडलों की कुछ बातों को ले लिया गया और अपने-अपने देश में इन्हें मिले-जुले रूप में लागू किया गया। इसी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है। इस मॉडल की आलोचना दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों खेमों से हुई।

→ मुख्य परिणाम: नियोजित विकास की शुरुआती कोशिशों को देश के आर्थिक विकास और सभी नागरिकों की भलाई के लक्ष्य में आंशिक सफलता मिली। नियोजित आर्थिक विकास के निम्न प्रमुख परिणाम निकले

  • बुनियाद: इस दौर में भारत के आगामी विकास की बुनियाद पड़ी। इस काल में भारत की बड़ी विकास- परियोजनाएँ, सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ भारी उद्योग, परिवहन तथा संचार का आधारभूत ढाँचा आदि की स्थापना हुई।
  • भूमि सुधार: इस अवधि में भूमि सुधार के गम्भीर प्रयत्न हुए। जमींदारी प्रथा को समाप्त किया गया, . छोटी जोतों को एक-साथ किया गया तथा भूमि की अधिकतम सीमा तय की गई।
  • खाद्य संकट: इस काल में सूखे, युद्ध, विदेशी मुद्रा संकट तथा खाद्यान्न की भारी कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। खाद्य संकट के कारण सरकार को गेहूँ का आयात करना पड़ा।

→ हरित क्रान्ति: भारत में हरित क्रान्ति की शुरुआत 1960 के दशक में हुई। हरित क्रान्ति के तीन तत्त्व थे-

  • कृषि का निरन्तर विस्तार
  • दोहरी फसल का उद्देश्य तथा
  • अच्छे बीजों का प्रयोग

हरित क्रान्ति से उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि हुई, विशेषकर कृषिगत क्षेत्र में वृद्धि हुई तथा औद्योगिक विकास एवं बुनियादी ढाँचे में भी विकास हुआ। हरित क्रान्ति की कुछ कमियाँ भी रही हैं, जैसे- खाद्यान्न संकट बने रहना तथा केवल उत्तरी राज्यों को ही लाभ मिलना तथा धनी किसानों को ही लाभ मिलना इत्यादि।

→ बाद के बदलाव:
1960 के दशक में श्रीमती गाँधी के नेतृत्व में सरकार ने यह फैसला किया कि अर्थव्यवस्था के नियंत्रण और निर्देशन में राज्य बड़ी भूमिका निभायेगा। 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया लेकिन सरकारी नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था के पक्ष में बनी सहमति अधिक दिनों तक कायम नहीं रही क्योंकि

  • भारत की आर्थिक प्रगति दर 3-3.5 प्रतिशत ही रही।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में भ्रष्टाचार, अकुशलता का जोर बढ़ा।
  • नौकरशाही के प्रति लोगों का विश्वास टूट गया।

फलतः 1980 के दशक के बाद से अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका को कम कर दिया गया।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रत्ययस्य परिभाषा – धातोः प्रातिपादिकस्य वा पश्चात् यस्य प्रयोगः क्रियते सः प्रत्ययः इति कथ्यते। (धातु अथवा प्रातिपदिक (शब्द) के पश्चात् जिसका प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय कहा जाता है।)

प्रत्यानां भेदाः – प्रत्ययानां मुख्यरूपेण त्रयो भेदाः सन्ति। ते क्रमशः इमे सन्ति- (प्रत्ययों के मुख्य रूप से तीन भेद हैं। जो क्रमश: ये हैं-)

  1. कृत् प्रत्ययाः
  2. तद्धितप्रत्ययाः
  3. स्त्रीप्रत्ययाः

1. कृत-प्रत्ययाः – येषां प्रत्ययानां प्रयोगः धातोः (क्रियायाः) पश्चात् क्रियते ते कृत् प्रत्ययाः कथ्यन्ते। यथा- (जिन प्रत्ययों का प्रयोग धातु (क्रिया) के पश्चात् किया जाता है वे कृत् प्रत्यय कहे जाते हैं। जैसे -)

कृ + तव्यत् = कर्त्तव्यम् = करना चाहिए।
पठ् + अनीयर् = पठनयीम् = पढ़ना चाहिए।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

2. तद्धितप्रत्ययाः – येषां प्रत्ययानां प्रयोगः संज्ञासर्वनामादिशब्दानां पश्चात् क्रियते ते तद्धितप्रत्ययाः कथ्यन्ते। यथा (जिन प्रत्ययों का प्रयोग संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों के पश्चात् किया जाता है वे तद्धित प्रत्यय कहे जाते हैं। जैसे-)

शिव + अण् = शैवः।
उपगु + अण् = औपगवः
दशरथ + इञ् = दाशरथिः
धन + मतुप् = धनवान्

3. स्त्रीप्रत्ययाः – येषां प्रत्ययानां प्रयोगः पुंल्लिङ्गशब्दान् स्त्रीलिङ्गे परिवर्तयितुं क्रियते ते स्त्रीप्रत्ययाः कथ्यन्ते। यथा (जिन प्रत्ययों का प्रयोग पुँल्लिङ्ग शब्दों को स्त्रीलिङ्ग में परिवर्तित करने के लिये किया जाता है वे स्त्री प्रत्यय कहे जाते हैं। जैसे-)

कुमार + ङीप् = कुमारी
अज + टाप् = अजा

कृत-प्रत्ययाः

शतृप्रत्ययः
वर्तमानकालार्थे अर्थात् गच्छन् (जाते हुए), लिखन् (लिखते हुए) इत्यस्मिन् अर्थे परस्मैपदिधातुभ्यः शतृप्रत्ययः भवति। अस्य ‘अत्’ भागः अवशिष्यतेः शकारस्य ऋकारस्य च लोपः भवति। शतप्रत्ययान्तस्य शब्दस्य प्रयोगः विशेषणवत् भवति। अस्य पल्लिङ्गे पठत-वत, स्त्रीलिङ्गगे नदी-वत, नपंसकलिङ्गे च जगत-वत चलन्ति। (वर्तमान काल के अर्थ में ‘गच्छन्’ (जाते हुए), लिखन् (लिखते हुए) अर्थात् ‘हुआ’ अथवा ‘रहा’, ‘रहे’ इस अर्थ में (इस अर्थ का बोध कराने के लिए) परस्मैपदी धातुओं में ‘शत’ प्रत्यय होता है। जिसका (शतृ का) ‘अत्’ भाग शेष रहता है, शकार और ऋकार का लोप होता है। ‘शतृ’ प्रत्ययान्त शब्द का प्रयोग विशेषण की तरह होता है। इसके रूप पुंल्लिङ्ग में पठत्-वत्, स्त्रीलिङ्ग में नदी-वत् और नपुसंकलिङ्ग में जगत-वत् चलते हैं।)

शतप्रत्ययान्त-शब्दाः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 1

शतृ प्रत्ययान्त अन्य उदाहरणानि पुँल्लिते (शतृ प्रत्ययान्त अन्य उदाहरण केवल पुँल्लिङ्ग में)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 2

शानच् प्रत्ययः

वर्तमानकालार्थे आत्मनेपदिधातुभ्यः शानच् प्रत्ययः भवति। अस्य शकारस्य चकारस्य च लोपः भवति, ‘आन’ इति अवशिष्यते। शानच् प्रत्ययान्तरस्य शब्दस्य प्रयोगः विशेषणवत् भवति। अस्य रूपाणि पुंल्लिङ्गे रामवत्, स्त्रीलिङ्गे रमावत्, नपुंसकलिङ्गे च फलवत् चलन्ति ! (वर्तमानकाल के अर्थ में आत्मनेपदी धातुओं में शानच प्रत्यय होता है। इसके (शानच् के) शकार और चकार का लोप होता है। ‘अ’ यह शेष रहता है। शानच् प्रत्ययान्त शब्द का प्रयोग विशेषण की तरह होता है। इसके रूप पुल्लिङ्ग में राम-वत् स्त्रीलिङ्ग में रमा-वत्, और नपुंसकलिङ्ग में फल-वत् चलते हैं।)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

शानच् प्रत्ययान्त-शब्दाः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 3

शानच् प्रत्ययान्त अन्य उदाहरणानि (पुल्लिड़े) (अन्य उदाहरण केवल पुल्लिङ्ग में दिये जा रहे हैं।)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 4

तव्यत्-प्रत्ययः

तव्यत् प्रत्ययस्य प्रयोग: हिन्दीभाषायाः ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ इत्यस्मिन् अर्थे भवति। अस्य ‘तव्य’ भागः अवशिष्यते, तकारस्य च लोपः भवति। अयं प्रत्ययः भाववाच्ये अथवा कर्मवाच्ये एव भवति। तव्यत्-प्रत्ययान्तशब्दानां रूपाणि पुँल्लिङ्गे रामवत्, स्त्रीलिङ्गे रमावत्, नपुंसकलिङ्गे च फलवत् चलन्ति। (तव्यत् प्रत्यय का प्रयोग हिन्दी भाषा के ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ इस अर्थ में होता है। इसका (तव्यत् का) ‘तव्य’ शेष रहता है और तकार का लोप होता है। यह प्रत्यय भाववाच्य में अथवा कर्मवाच्य में ही होता है। तव्यत् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप पुंल्लिङ्ग में राम-वत्, स्त्रीलिङ्ग में रमा-वत् और नपुंसकलिङ्ग में फल-वत् चलते हैं।)

तव्यत् प्रत्ययान्त शब्दाः

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तव्यत् प्रत्ययान्त अन्य उदाहरणानि केवल पुल्लिङ्गे (तव्यत् प्रत्ययान्त अन्य उदाहरण केवल पुंल्लिङ्ग में)

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अनीयर्-प्रत्ययः

अनीयर् प्रत्ययः तव्यत् प्रत्ययस्य समानार्थकः अस्ति। अस्य प्रयोगः हिन्दीभाषायाः ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ इत्यर्थे भवति। अस्य ‘अनीय’ भागः अवशिष्यते, रेफस्य च लोपः भवति। अयं प्रत्ययः कर्मवाच्ये अथवा भाववाच्ये एव भवति। अनीयर्-प्रत्ययान्त-शब्दानां रूपाणि पुंल्लिङ्गे रामवत्, स्त्रीलिङ्गे रमावत्, नपुंसकलिङ्गे च फलवत् चलन्ति। (‘अनीयर्’ प्रत्यय ‘तव्यत्’ प्रत्यय का समानार्थक है। इसका प्रयोग हिन्दी भाषा के ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ इस अर्थ में होता है। इसका (अनीयर का) ‘अनीय’ भाग शेष रहता है और रेफ का लोप होता है। यह प्रत्यय कर्मवाच्य अथवा भाववाच्य में ही होता है। अनीयर् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप पुंल्लिङ्ग में राम-वत्, स्त्रीलिङ्ग में रमा-वत् और नपुंसकलिङ्ग में फल-वत् चलते हैं।)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

अनीयर्-प्रत्ययान्तशब्दाः

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अनीयर् ग्रहणीयम् अनीयर प्रत्ययान्त अन्य उदाहरणानि केवल पुंल्लिने (अनीयर् प्रत्ययान्त अन्य उदाहरण केवल पुंल्लिङ्ग में)

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क्तिन प्रत्यय-स्त्रियां क्तिन:

भाववाचक शब्द की रचना के लिए सभी धातुओं से ‘क्तिन’ प्रत्यय होता है। इसका ‘ति’ भाग शेष रहता है, ‘कृ’ और “न्’ का लोप हो जाता है। ‘क्तिन’ प्रत्ययान्त शब्द स्त्रीलिंग में ही होते हैं। इनके रूप ‘मति’ के समान चलते हैं।
उदाहरण –

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ल्युट्-प्रत्ययः

भाववाचक शब्द की रचना के लिए सभी धातुओं से ल्युट् प्रत्यय जोड़ा जाता है। इसका ‘यु’ भाग शेष रहता है तथा ‘ल’ और ‘ट्’ का लोप हो जाता है। ‘यु’ के स्थान पर ‘अन’ हो जाता है। ‘अन’ ही धातुओं के साथ जुड़ता है। ल्युट्-प्रत्ययान्त शब्द प्रायः नपुंसकलिङ्ग में होते हैं। इनके रूप ‘फल’ शब्द के समान चलते हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

ल्युट्-प्रत्ययान्तशब्दाः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 10

तृच् प्रत्ययः

कर्ता अर्थ में अर्थात् हिन्दी भाषा में ‘करने वाला’ इस अर्थ में धातु के साथ तृच् प्रत्यय होता है। इसका ‘तृ’ भाग शेष रहता है और ‘च्’ का लोप हो जाता है। तृच्-प्रत्ययान्त शब्दों के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं।

कृ + तृच् = कर्तृ (कर्ता)
पा + तृच् = पातृ (पिता)
गम् + तृच् = गन्तृ (गन्ता)
हृ + तृच् = हर्तृ (हर्ता)
भृ + तृच् = भर्तृ (भर्ता)

अन्य उदाहरण –

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2. तद्धित-प्रत्ययाः

मतुप् प्रत्ययः
‘तदस्य अस्ति’ (वह इसका है अथवा वाला) अथवा ‘अस्मिन्’ (इसमें) इत्यर्थे तद्धितस्य मतुप् प्रत्ययः भवति। अस्य ‘मत्’ भागः अवशिष्यते, उकारस्य पकारस्य च लोपो भवति। ‘मत्’ इत्यस्य स्थाने क्वचित् ‘वत्’ इति भवति। मतुप् प्रत्ययान्तशब्दानां रूपाणि पुंल्लिङ्गे भगवत्-वत्, स्त्रीलिङ्गे ई (ङीप्) प्रत्ययं संयोज्य नदीवत्, नपुंसकलिङ्गे च जगत्-वत् चलन्ति। (‘वह इसका है’ अथवा ‘वाला’ अथवा ‘इसमें’ इन अर्थों में तद्धित का ‘मतुप्’ प्रत्यय होता है। इसका (मतुप् का) ‘मत्’ शेष रहता है, और उकार तथा पकार का लोप होता है। ‘मत्’ के स्थान पर कहीं ‘वत्’ भी होता है। मतुप् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप पुंल्लिङ्ग में ‘भगवत्-वत्’, स्त्रीलिङ्ग में ‘ई’ (ङीप्) प्रत्यय जोड़कर ‘नदीवत्’ और नपुंसकलिङ्ग में ‘जगत्-वत्’ चलते हैं।)
इदमत्र अवगन्तव्यम् (यहाँ इसको जान लेना चाहिए।)
“वत्’ इत्यस्य प्रयोगः प्रायः इयन्तशब्देभ्यः अथवा झकारान्तशब्देभ्यः भवति। यथा- (‘वत्’ इसका प्रयोग प्रायः झकारान्त शब्दों अथवा अकारान्त शब्दों में होता है जैसे-)
झयन्तेभ्यः – विद्युत् + मतुप् = विद्युत्वत्
अकारान्तेभ्य – धन + मतुप् = धनवत्
विद्या + मतुप् = विद्यावत्

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

‘मत्’ इत्यस्य प्रयोगः प्रायः झकारान्तशब्देभ्यः भवति। यथा- (‘मत्’ इसका प्रयोग प्रायः इकारान्त शब्दों के साथ होता है। जैसे-)
श्री + मतुप् – श्रीमत्
बुद्धि + मतुप् + बुद्धिमत्

मतुप् प्रत्ययान्तशब्दाः

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2. इन्-ठन् प्रत्ययौ

‘अत इनिठनौ’ अकारान्ताद् प्रातिपदिकाद् ‘तदस्य अस्ति’ (वह इसका है) अथवा ‘अस्मिन्’ (इसमें) इत्यर्थे इनिठनौ प्रत्ययौ भवतः। (‘वह इसका है’ अथवा ‘इसमें’ इस अर्थ में अकारान्त प्रातिपदिक (संज्ञा शब्दों) से ‘इन्’-‘ठन्’ प्रत्यय होते हैं।)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

इनि – प्रयोगकाले ‘इनि’ प्रत्ययस्य ‘इन्’ अवशिष्यते, स च प्रथमाविभक्त्यर्थके ‘सु’ प्रत्यये ‘इ’ रूपे परिवर्तते। यथा-दण्डम् अस्य अस्तीति = दण्ड + इन् = दण्डिन् सु = दण्डी। ठन्- प्रयोगकाले ‘ठन्’ प्रत्ययस्य ‘ठ’ इति शिष्यते। ठस्य स्थाने च ‘इक’ आदेश: “ठस्येकः” सूत्रेण जायते। (‘इनि’ के प्रयोग में ‘इनि’ प्रत्यय का ‘इन्’ शेष रहता है और वह प्रथमा विभक्ति के अर्थ में ‘स’ प्रत्यय ‘ई’ रूप में परिवर्तित हो जाता है। जैसे- ‘दण्डम्’ इसका होता है दण्ड + इन = दण्डिन् प्रथमा विभक्ति में ‘सु’ प्रत्यय लगने पर- ‘दण्डिन् + सु’ ‘सु’ ‘ई’ रूप में परिवर्तित होकर दण्डी यह रूप बना। ‘ठन्’ का प्रयोग करने में ‘ठन्’ प्रत्यय का ‘ठ’ शेष रहता है। ‘ठ’ के स्थान पर ‘इक’ आदेश ‘ठस्येक’ सूत्र से होता है।)
यथा- दण्डम् अस्य अस्तीति- दण्ड + ठन् (ठ) दण्ड + इक = दण्डिकाः। उदाहरणानि
(जैसे- ‘दण्डम्’ इसका होता है – दण्ड + ठन् (ठ) = दण्ड + इक = दण्डिकः। उदाहरण-)

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3. स्व-तल प्रत्ययो- ‘तस्य भावस्त्वतली’- षष्ठीसमर्थात् प्रातिपदिकात् भाव इत्येतस्मिन्नर्थे त्व-तली प्रत्ययो भवतः। प्रयोगस्थलेषु त्व प्रत्ययान्तशब्दस्य रूपाणि फलवत् नपुंसकलिङ्गमनुसरन्ति। तथैव तल् प्रत्ययान्तशब्दस्य रूपाणि लतावत् स्त्रीलिङ्गे चलन्ति। यथा- (‘तस्य भावस्त्वतलौ’ षष्ठी से समर्थित प्रातिपदिक (संज्ञा शब्द) से भावाचक के अर्थ में त्व-तलौ प्रत्यय होते हैं।) अर्थात् भाववाचक संज्ञा बनाने के लिये किसी शब्द में त्व अथवा तल् (ता) प्रत्यय लगाते हैं।) प्रयोग स्थलों में ‘तव’ प्रत्ययान्त शब्द के रूप फल-वत् नपुंसकलिङ्ग में चलते हैं। उसी प्रकार ‘तल’ प्रत्यन्त शब्द के रूप लता-वत् स्त्रीलिङ्ग में चलते हैं। जैसे-)

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3. स्त्री-प्रत्ययाः

टाप प्रत्ययः- ‘अजाद्यतष्टाप’- अजादिभ्यः अकारान्तेभ्यश्च प्रातिपदिकेभ्यः स्त्रियां टाप टाप्प्रत्ययान्तशब्दानां रूपाणि आकारान्ताः स्त्रीलिङ्गे रमा-वत् चलन्ति। यथा- (‘अजाद्यतष्टाप्’- अकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्दों से स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए उनके आगे ताप् (आ) प्रत्यय होता है। अर्थात् भाववाचक एंत्रा बनाने के लिये किसी शब्द में त्व अथवा तल (ता) प्रत्यय लगाते हैं। प्रयोग स्थलों में ‘त्व’ प्रत्ययान्त शब्द के रूप में फल. -वत् नपुंसकलिङ्ग में चलते हैं। उसी प्रकार ‘तल’ प्रत्ययान्त शब्द के रूप लता-वत् स्त्रीलिंग में चलते हैं। जैसे-)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 15

टाप-प्रत्ययान्तशब्देषु क्वचित् अकारस्य इकारः भवति। यथा – (टाप् प्रत्ययान्त शब्दों में कहीं अकार का इकार होता है। जैसे-)

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2. गीप् प्रत्ययः – (1) ‘न्नेभ्यो गीप्’ – ऋन्त्रेभ्यो डीप् – नकारान्तेभ्यश्च प्रातिपादिकेभ्यः (शब्देभ्यः) स्त्रियाम् (स्त्रीलिओं) छीप् प्रत्ययो भवति। जीप् प्रत्ययस्य ‘ई’ अवशिष्यते। सामान्य-प्रयोगस्थले छात्रैः जीवन्ताः शब्दाः ईकारान्त-रूपेण स्मर्यन्ते। (‘अत्रेभ्यो जीप’ – प्रकारान्त और नकारान्त (पल्लिा ) शब्दों में स्त्रीलिज बनाने के लिए जीप (1) प्रत्यय होता है। डीप् प्रत्यय का ‘ए’ शेष रहता है। सामान्य प्रयोग स्थल में छात्रों द्वारा सीबत इकारान्त शब्दों के रूप में स्मरण किये जाते है।)

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(ii) ‘उगितश्च’ – उगिदन्तात् प्रातिपादिकात् स्त्रियां ङीप् प्रत्ययो भवति। येषु प्रत्येषु ‘उ, ऋ लु’ इत्येतेषां वर्णानाम् इत्संज्ञकत्वे लोपः ज्ञातः ते उगित् प्रत्ययाः। तैः प्रत्ययैः ये शब्दाः निर्मिताः ते उगिदन्ताः शब्दाः प्रातिपादिकाः वा, तेभ्यः उगिदन्तेभ्यः स्त्रियां ङीप् प्रत्यय: स्यात्। (ऐसे प्रातिपादिकों से जिनमें उकार और ऋकार का लोप होता है (मतुप, वतुप, इयसु, तवतु, शत से बने हुए शब्दों से) स्त्रीलिङ्ग बनाने में ङीप् (ई) प्रत्यय होता है। जिन प्रत्ययों में ‘उ, ऋ, लु’ इन वर्गों की इत्संज्ञा होकर लोप हो जाता है वे ‘उगित’ प्रत्यय हैं। उन प्रत्ययों से जो शब्द निर्मित होते हैं वे उगिदन्त शब्द अथवा प्रातिपदिक होते हैं, उन उगिदन्तों से स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए डीप (ई) प्रत्यय होवे।)

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(iii) ‘टिड्ढाणद्वयसज्दनज्मात्रच्तयप्टक्ठकञ्क्वरपः’ – टित्, ढ, अण, अब, द्वयसच्, दनच, मात्रच्, तयप्, ठक, ठ, कम्, क्वरप्, इत्येवमन्तेभ्यः अनुपसर्जनेभ्यः प्रातिपदिकेभ्यः स्त्रियां ङीप् प्रत्ययो भवति। उदाहरणानि- (टित्, ढ, अण, अञ् द्वयसच्, दनच, मात्र, तयप्, ठक्, ठञ्, कञ्, क्वरप् इनसे अन्त होने वाले शब्दों के अनन्तर स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए डीप (ई) प्रत्यय होता है। जैसे-)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 19

(iv) ‘वयसि प्रथमे’ – प्रथमे वयसि वर्तमानेभ्यः उपसर्जनरहितेभ्यः अदन्तेभ्यः प्रातिपदिकेभ्यः स्त्रियां ङीप् प्रत्ययो भवति। उदाहरणानि- (प्रथम वयस् (अन्तिम अवस्था को छोड़कर) का ज्ञान कराने वाले अदन्त शब्दों के अन्तर स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए डीप (ई) प्रत्यय होता है। जैसे-)

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 20

(v) षिद्गौरादिभ्यश्च – (पा. सू.)- जहाँ ‘ष’ का लोप हुआ हो (षित्) तथा गौर, नर्तक, नट, द्रोण, पुष्कर आदि गौरादिगण में पठित शब्दों से स्त्रीलिंग में ङीष् (ई) प्रत्यय होता है। यथा –
गौरी, नर्तकी, नटी, द्रोणी, पुष्करी, हरिणी, सुन्दरी, मातामही, पितामही, रजकी, महती आदि।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

(vi) द्विगो:- द्विगुसंज्ञाकाद् अनुपसर्जनाद् अदन्तात् प्रातिपदिकात स्त्रियां ङीप् प्रत्ययो भवति।
अयमर्थः – अदन्ताः ये द्विगुसंज्ञकाः शब्दः तेभ्यः स्त्रीलिङ्गे ङीप् प्रत्ययः स्यात्। उदाहरणानि
(अदन्त जो द्विगुसंज्ञक शब्द हैं उनसे स्त्रीलिङ्ग में (स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए) ङीप् प्रत्यय होता है। जैसे-)

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(vii) पुंयोगादाख्यायाम-पुरुषवाचक अकारान्त शब्द प्रयोग से स्त्रीलिंग हो तो उससे ङीष् (ई) हो जाता है। यथा गोपस्य स्त्री – गोप + ई = गोपी, शूद्रस्य स्त्री – शूद्र + ई = शूद्री।

(viii) जातेश्रस्त्रीविषयादयोपधात्-जो नित्य स्त्रीलिंग और योपध नहीं है, ऐसे जातिवाचक शब्द से स्त्रीलिंग में ङीष् होता है। ङीष् का भी ‘ई’ शेष रहता है। यथा –
ब्राह्मण + ई = ब्राह्मणी, मृग – मृगी, महिषी, हंसी, मानुषी, घटी, वृषली आदि।

(ix) इन्द्रवरुणभवशर्व० – इन्द्र आदि शब्दों से स्त्रीलिंग बनाने पर अनुक् (आन्) और ङीष् (ई) प्रत्यय होता है। यथा –
इन्द्र की स्त्री-इन्द्र + आन् + ई = इन्द्राणी, वरुण-वरुणानी, भाव-भवानी, शर्व-शर्वाणी, मातुल-मातुलानी, रुद्र-रुद्राणी, आचार्य-आचार्यानी आदि।

(x) यव’ शब्द से दोष अर्थ में, यवन शब्द से लिपि अर्थ में तथा अर्य एवं क्षत्रिय शब्द से स्वार्थ में आनुक् (आन्) और ङीष् (ई) होता है। जैसे –
यव + आन् + ई = यवानी, यवन + आन् + ई = यवनानी।
मातुलानी, उपाध्यायानी, आर्याणी, क्षत्रियाणी-इनमें भी स्त्री अर्थ में ङीष् होता है।

(xi) हिमारण्ययोर्महत्त्वे – महत्त्व अर्थ में हिम और अरण्य शब्द से ङीष् और आनुक् होता है। यथा महद् हिम-हिम + आन् + ई = हिमानी। (हिम की राशि) महद् अरण्यम् अरण्यानी (विशाल अरण्य)

(xii) वोतो गुणवचनात् – गुणवाचक उकारान्त शब्दसे स्त्रीलिंग बनाने के लिए विकल्प से ङीष् (ई) प्रत्यय होता है। यथा
मृदु से मृद्वी, पटु से पट्वी, साधु से साध्वी।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

(xiii) इतो मनुष्यजाते: – इदन्त मनुष्य जातिवाचक शब्द से स्त्रीलिंग बनाने पर ङीष् (ई) होता हैं जैसे दाक्षि + ई = दाक्षी (दक्ष के पुत्र की स्त्री)

(xiv) बहु आदि शब्दों से, शोण तथा कृत्प्रत्ययान्त इकारान्त शब्दों से तथा नासिका-उत्तरपद वाले शब्दों से विकल्प से ङीष् प्रत्यय होता है। यथा –

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
प्रदत्तेषु उत्तरेषु प्रत्ययानुसार यत् उत्तरम् शुद्धम् अस्ति, तत् चित्वा लिखत –
(दिए गये उत्तरों में प्रत्यय के अनुसार जो उत्तर शुद्ध हो, उसे चुनकर लिखिए)
1. गुरवः ……………. (वन्द् + अनीयर)
(अ) वन्दनीयः
(ब) वन्दनीयम्
(स) वन्दनीयाः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) वन्दनीयः

2. मानवसेवां ……………. (कृ + शानच्) वृक्षाः केषां न हितकराः।
(अ) कुर्वाणः
(ब) कुर्वाणाः
(स) कुर्वाणा
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) कुर्वाणः

3. ……………. (छाया + मतुप्) वृक्षाः आश्रयं यच्छन्ति।।
(अ) छायावान्
(ब) छायावन्तौ
(स) छायावन्तः
(द) न कोऽपि (कोकिल + टाप्)
उत्तरम् :
(स) छायावन्तः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

4. ……………. आम्रवृक्षे मधुरं गायति।
(अ) कोकिला
(ब) कोकिले
(स) कोकिला:
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) कोकिला

5. ……………. (बल + इन) निर्बलान् रक्षन्ति।
(अ) बलिन्
(ब) बलिनी
(स) बलिनः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) बलिनः

6. अस्माभिः परस्परं स्नेहेन ……………. (वस् + तव्यत्)।
(अ) वसितव्यः
(ब) वसितव्या
(स) वसितव्यम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) वसितव्यम्

7. उद्यमस्य ……………. (महत् + त्व) सर्वविदितम् एव।
(अ) महत्त्वः
(ब) महत्त्वम्
(स) महत्त्वा
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(ब) महत्त्वम्

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

8. ……………. (वर्ष + ठक् + ङीप) परीक्षा समीपम् एव।
(अ) वार्षिकी
(ब) वार्षिकी
(स) वार्षिकम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) वार्षिकी

9. त्वं कर्त्तव्यनिष्ठः ……………. (अधिकार + इन्) असि।
(अ) अधिकारी
(ब) अधिकारिन्
(स) अधिकारिणी
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) अधिकारी

10. छात्रैः अनुशासनम् ……………. (पाल् + अनीयर)।
(अ) पालनीयः
(ब) पालनीया
(स) पालनीयम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) पालनीयम्

11. मानवः ……………. (समाज + ठक्) प्राणी अस्ति।
(अ) सामाजिकः
(ब) सामाजिकी
(स) सामाजिकम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) सामाजिकः

12. ……………. (लौकिक + ङीप्) उन्नतिः यश: वर्धयति।
(अ) लौकिकः
(ब) लौकिकी
(स) लौकिकम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(ब) लौकिकी

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

13. (शिष्य + टाप) ……………. जलेन लताः सिञ्चति।
(अ) शिष्या
(ब) शिष्ये
(स) शिष्या
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) शिष्या

14. गुरोः (गुरु + त्व) वर्णयितुं न शक्यते।
(अ) गुरुत्वम्
(ब) गुरुत्वः
(स) गुरुत्वम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) गुरुत्वम्

15. मा भव …………….. (मान + णिनि)।
(अ) मानी
(ब) मानिनौ
(स) मानिनः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(अ) मानी

16. (उदार + तल्) ……………. गुणः न सुलभः।
(अ) उदारतम्
(ब) उदारता
(स) उदारतः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(ब) उदारता

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

17. ……………. (राजन् + ङीप) प्रासादं गच्छति।
(अ) राजनी
(ब) राजिनी
(स) राज्ञी
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) राज्ञी

18. गता रेल …………… (गन्तु + ङीप्)।
(अ) गन्त्री
(ब) गन्त्री
(स) गन्त्र्यः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(ब) गन्त्री

19. एकं …………… (सप्ताह + ठक्) पत्रम् आनय।।
(अ) साप्ताहिकः
(ब) साप्ताहिकी
(स) साप्ताहिकम्
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) साप्ताहिकम्।

20. …………… (योग + इनि) ईश्वरं भजन्ते।
(अ) योगी
(ब) योगिनो
(स) योगिनः
(द) न कोऽपि
उत्तरम् :
(स) योगिनः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 2.
रिक्तस्थानानि यथानिर्दिष्ट पदेन पूरयत – (रिक्त-स्थानों की पूर्ति निर्देशानुसार कीजिए-)
(क) रूपं यथा ………….” महार्णवस्य। (शम् + क्त)
(ख) ” ” नृत्यन्ति। (शिखा + इनि)
(ग) सलिलतीरं ……………. पक्षिण: वायसगणाः च। (वस् + णिनि)
(घ) अपयानक्रमो नास्ति …………”” अप्यन्यत्र को भवेत्। (नी + तृच)
(ङ) तत्किमत्र प्राप्तकालं स्यादिति
समहात्मास्वकीय सत्यतपोबलमेव तेषां रक्षणोपायम् अमन्यत्। (वि + मृश् + शतृ)
(च) स्मरामि न प्राणिवधं यथाहं ………. कृच्छ्रे परमेऽपि कर्तुम्। (सम् + चिन्त् + ल्यप्)
(छ) अतः शील विशद्धौ ……..” …..” (प्र + यत् + तव्यत्)
(ज) …………” राज संसत्सु श्रुतवाक्या बहुश्रुता ! (वि + श्रु + क्त + टाप्)
(झ) स लोके लोके लभते कीर्तिं परत्र च शुभां (गम् + क्तिन्)
(ब) ततः प्रविशति दारकं ………” रदनिका। (ग्रह + क्तवा)
(ट) उष्णं हि ………….. स्वदते। (भुज् + कर्म + शानच)
(ठ) कालोऽपि नो ……………” यमो वा। (नश् + णिच् + तुमुन्)
(ड) अस्ति कालिन्दीतीरे …… पुरं नाम नगरम् (योग + इनि + ङीप)
(ढ) हम्मीरदेवेन साकं युद्धं ……… “। (कृ + क्तवतु)
(ण) सः पराक्रमं …”दुर्गान्निः सृत्य सङ्ग्रामभूमौ निपपात्। (कृ + शानच्)
उत्तराणि –
(क) शान्तम्
(ख) शिखिनः
(ग) वासिनः
(घ) नेता
(ङ) विमृशन्
(च) सञ्चिन्त्य
(ज) विश्रुता
(झ) गीतम्
(ञ) गृहीत्वा
(ट) भुज्यमान
(ठ) नाशायतुम्
(ड) यागिना
(ढ) कृतवान्
(ण) कुर्वाणः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 3.
रिक्तस्थानं प्रकोष्ठात् पदं चित्वा लिखत – (रिक्तस्थान को कोष्ठक से पद चुनकर भरो-)
(क) इति दारकमादाय …………….. रदनिका। (निष्क्रान्तः/निष्क्रान्ता)
(ख) मम हृदये नित्य …………….. स्तः। (सन्निहितो/सन्निहितः)
(ग) किन्तु अनुज्ञां गन्तु शक्येत्। .. (प्राप्त्वा/प्राप्य)
(घ) वार्तालापं …………….. भृत्यौ रत्ना च बहिरायान्ति। (श्रुतौ/श्रुत्वा)
(ङ) दारकस्य कर्णमेव ……………” प्रवृत्तोऽसि। (भङ्क्तुम्/भञ्जयितुम्)
(च) ……………..” अस्मि तव न्यायालये। (पराजित:/पराजितम्)
(छ) रामदत्तहरणौ …………….” आगच्छतः। (धावन्ता/धावन्तौ)
(ज) देवस्य शत्रु ………….” प्रभोर्मनोरथं साधयिष्यामः। . (हनित्वा/हत्वा)
(झ) रे रे “” …………. ! अहं यवनराजेन समं योत्स्यामि। (योद्धाः/योद्धार:!)
(ब) रक्ष स्व ………….. परहा भवार्यः। (जातिम्/जात्याः)
(ट) नशक्तो कालोपि नो ……………..। (नष्टुम्/नाशयितुम्)
(ठ) अतिविलम्बितं हि ………….. न तृप्तिमधिगच्छति। (भुञ्जन्/भुञ्जानो)
(ड) …………” चाग्निमौदर्यमुदीयति। (भुक्तम्/भुक्त:)
(ढ) स्वबाहुबलम् … योऽभ्युज्जीवति सः मानवः। (आश्रित्य/आश्रित्वा)
(ण) निर्जितं सिन्धुराजेन …………..” दीनचेतसम्। (शयमानम्/शयानम्)
उत्तराणि –
(क) निष्क्रान्ता
(ख) सन्निहितौ
(ग) प्राप्य
(घ) श्रुत्वा
(ङ) भञ्जयितुम्
(च) पराजितः
(छ) धावन्तौ
(ज) हत्वा
(झ) योद्धारः !
(ब) जातिम्
(ट) नाशयितुम्
(ठ) भुञ्जानो
(ड) भुक्तम्
(ढ) आश्रित्य
(ण) शयानम्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 4.
प्रकृतिप्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत – (प्रकृति-प्रत्यय को जोड़कर पदरचना कीजिये।)
(क) (सम् + उद् + बह + शतृ) सलिलाऽतिभारं बलाकिनो वारिधराः नदन्तः।
(ख) शालिवनं (वि + पच् + क्त)
(ग) तान् मत्स्यान् (भक्ष् + तुमुन्) चिन्तयन्ति।
(घ) (मुह + क्त) मुखेन अति करुणं मन्त्रयसि।
(ङ) जीवितार्थं कुलं (त्यज् + क्तवा) यो जनोऽतिदूरं व्रजेत् किं तस्य जीवितेन ?
(च) तेन (रक्ष + अनीयर) रक्षा भविष्यन्ति।
(छ) भृत्यौ (हस् + शत) गृहाभ्यन्तरं पलायेते।
(ज) भो किं (कृ + क्तवतु) सिन्धु।
(झ) स्वपुस्तकालये (नि + सद् + क्त) दूरभाषयन्त्रं बहुषः प्रवर्तयति।
(ब) वत्स सोमधर ! मित्रगृहान्नैव (गम् + तव्यत्)
(ट) देवागारे (अपि + धा + क्त) द्वारे भजसे किम् ?
(ठ) ध्यानं (हा + क्त्वा) बहिरेहित्वम्।
(ड) शाकफल (वि + क्री + तृच्) दारकः कथं त्वामतिशेते।
(ढ) स लोके लभते (क + क्तिन्)
(ण) तद् ग्रहाण एतम् (अलम् + कृ + ण्वुल्)।
उत्तराणि :
(क) समुद्वहन्तः
(ख) विपक्वम्
(ग) भक्षितुम्
(घ) मुग्धेन
(ङ) त्यक्त्वा
(च) रक्षणीय
(छ) हसन्तौ
(ज) कृतवान्
(झ) निषण्णः
(ब) गन्तव्यम्
(ट) पिहित
(ठ) हित्वा
(ड) विक्रेतुः
(ढ) कीर्तिम
(ण) अलङ्कारकम्।।

प्रश्न 5.
कोष्ठकेषु प्रदत्तैः शब्दैः प्रकृति-प्रत्ययानुसारं रिक्तस्थानपूर्तिः करणीया। (कोष्ठकों में दिए गए शब्दों से प्रकृति-प्रत्यय के अनुसार रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।)
1. (i) पाठः तु सदैव ध्यानेन एव ………………। (पठ् + अनीयर)
(ii) छात्रैः समये विद्यालयः ………………। (गम् + तव्यत्)
(iii) ……………. पुरुषः सफलतां लभते। (यत् + शानच्)
(iv) ……………. बालकः हसति। (गम् + शतृ)
(v) वाराणस्याम्……………. पुरुषाः निवसन्ति। (धर्म + ठक्)
उत्तराणि :
(i) पठनीयः
(ii) गन्तव्यः
(iii) यतमानः
(iv) गच्छन्
(v) धार्मिकाः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

2. (i) (विद्या + मतुप्) ……………… सर्वत्र सम्मान्यते।
(ii) पुत्रेण अनुशासनम् (पाल् + अनीयर) ……………।
(iii) सदा (सुख + इन्) …………… भव।
(iv) शस्त्रहीनः न (हन् + तव्यत्) ………………।
(v) जीवने (महत् + त्व) ……………… लभस्व।
उत्तराणि :
(i) विद्यावान्
(ii) पालनीयम्
(iii) सुखी
(iv) हन्तव्यः
(v) महत्त्वम्।

3. (i) बालिकाभिः राष्ट्रगीतं ……………… (गै + तव्यत्)।
(ii) छात्रैः ……………… (उपदेश) पालनीयाः।
(iii) ……………… (युष्मद्) शुद्धं जलं पातव्यम्।
(iv) मुनिभिः ……………… (तपस्) करणीयम्।
(v) न्यायाधीशेन न्यायः ……………..(कृ + अनीयर्)।
उत्तराणि :
(i) गातव्यम्
(ii) उपदेशाः
(iii) युष्माभिः
(iv) तपः
(v) करणीयः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

4. (i) ……………… (भवति) पाठः लेखनीयः।
(ii) विद्वद्भिः कविताः ……………… (रच् + अनीयर)।
(iii) अस्माभिः लताः ……………… आरोपयितव्याः।
(iv) पत्रवाहकेन पत्राणि ………………। (आ + नी + तव्यत्)
(v) ……………… (राजन्) प्रजाः पालनीयाः।
उत्तराणि :
(i) भवत्या
(ii) रचनीयाः
(iii) लताः
(iv) आरोपयितव्याः
(v) राज्ञा।

5. (i) त्वया सन्तुलित आहारः (कृ + तव्यत्) ………………
(ii) तव (कृश + तल्) ……………… मां भृशं तुदति।
(iii) विद्यायाः महत्त्वमपि ……………… (स्मृ + तव्यत्)।
(iv) सद्ग्रन्थाः सदैव ……………… (पठ् + अनीयर्)।
(v) अध्ययनेन मनुष्यः (गुण + मतुप्) ……………… भवति।
उत्तराणि :
(i) कर्त्तव्यः
(ii) कृशता
(iii) स्मर्तव्यम्
(iv) पठनीयाः
(v) गुणवान्।

6. (i) अस्याः ……………… (अनुज + टाप्) दीपिका अस्ति।
(ii) दीपिका क्रीडायाम् ……………… (कुशल + टाप्) अस्ति।।
(iii) प्रभादीपिकयो: माता ……………… (चिकित्सक + टाप्) अस्ति।
(iv) सा समाजस्य ……………… (सेवक + टाप्) अस्ति।
(v) सा तु स्वभावेन अतीव ……………… (सरल + आप्) अस्ति।
उत्तराणि :
(i) अनुजा
(ii) कुशला
(iii) चिकित्सिका
(iv) सेविका
(v) सरला।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

7. (i) छात्रैः समये विद्यालयः (गम् + तव्यत्) ………………।
(ii) अद्य अस्माकं (वर्ष + ठक् + ङीप्) ……………… परीक्षा आरभते।
(iii) पर्यावरणस्य (महत् + त्व) ……………… सर्वे जानन्ति।
(iv) (बुद्धि + मतुप्) ……………… नरः सर्वत्र मानं लभते।
(v) जनकं (सेव् + शानच्) ……………… पुत्रः प्रसन्नः अस्ति।
उत्तराणि :
(i) गन्तव्यः
(ii) वार्षिकी
(iii) महत्त्वम्
(iv) बुद्धिमान्
(v) सेवमानः।

8. (i) मम ……………… (कीदृश + ङीप्) इयं क्लेशपरम्परा।
(ii) मारयितुम् ……………. (इष् + शतृ) स कलशं गृहाभ्यन्तरे क्षिप्तवान्।
(iii) छलेन अधिगृह्य ……………… (क्रूर + तल्) भक्षयसि।
(iv) अधुना ……………… (रमणीय + टाप्) हि सृष्टिरेव।
(v) अनेकानि अन्यानि ……………… (दृश् + अनीयर) स्थलानि अपि सन्त।
उत्तराणि :
(i) कीदृशी
(ii) इच्छन्
(iii) क्रूरतया
(iv) रमणीया
(v) रमणीयता।

9. (i) नृपेण प्रजा (पाल् + अनीयर) ………………।
(ii) आचार्यस्य (गुरु + त्व) ……………… वर्णयितुं न शक्यते।
(iii) पुरस्कार (लभ् + शानच्) ……………… छात्रः प्रसन्नः भवति।
(iv) मनुष्यः (समाज + ठक्) ……………… प्राणी अस्ति।
(v) प्रकृते (रमणीय + तल) ……………… दर्शनीया अस्ति।
उत्तराणि :
(i) पालनीया
(ii) गुरुत्वम्
(iii) लभमानः
(iv) सामाजिकः
(v) रमणीयता।

प्रश्न 6.
कोष्ठके दत्तान् प्रकृतिप्रत्ययान् योजयित्वा अनुच्छेदं पुनः उत्तर-पुस्तिकायां लिखत –
(कोष्ठक में दिए हुए प्रकृति-प्रत्ययों को जोड़कर अनुच्छेद को पुनः उत्तर-पुस्तिका में लिखिए)
1. पर्यावरणस्य (महत् + त्व) (i) ……………… कः न जानाति ? परं निरन्तरं (वृध् + शानच्) (ii) ……….. प्रदूषणेन मानव जातिः विविधैः रोगैः आक्रान्ता अस्ति। अस्माभिः (ज्ञा + तव्यत्) (iii) …………… यत् पर्यावरणस्व रक्षणे एव अस्माकं रक्षणम्। एतदर्थम् (जन + तल) (iv) …………… जागरूका कर्तव्या। स्थाने स्थाने वृक्षारोपणम् अवश्यम् (कृ + अनीयर) (v) ……………। यतो हि वृक्षाः पर्यावरणरक्षणे अस्माकं सहायकाः सन्ति।
उत्तरम् :
पर्यावरणस्य महत्त्वं कः न जानाति ? परं निरन्तरं वर्धमानेन प्रदूषणेन मानवजातिः विविधैः रोगैः आक्रान्ना अस्ति। अस्माभिः ज्ञातव्यम् यत् पर्यावरणस्य रक्षणे एव अस्माकं रक्षणम्। एतदर्थम् जनता जागरूका कर्त्तव्याः। स्थान-स्थाने वृक्षारोपणम् अवश्यम् करणीयम्। यतो हि वृक्षाः पर्यावरणरक्षणे अस्माकं सहायकाः सन्ति।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

2. ओदनं पचन्ती (i) ……………… (पुत्र + ङीप) कथितवती – किं त्वं जानासि कालस्य (ii) ……….. (महत् + त्व) ? काल: तु सततं चक्रवत् (ii) ……………… (परिवृत् + शानच्) वर्तते। ये जनाः अस्य अस्थिरता अनुभूय स्वकार्याणि यथासमयं कुर्वन्ति, ते एव (iv) ……………… (बुद्धि + मतुप)। ते जनाः (v) ……. (बन्द अनीयर्) भवन्ति।
उत्तरम् :
ओदनं पचन्ती पुत्री कथितवती-किं त्वं जानासि कालस्य महत्त्वम् ? कालः तु सततं चक्रवत् परिवर्तमान वर्तते। ये जनाः अस्य अस्थिरताम् अनुभूय स्वकार्याणि यथासमयं कुर्वन्ति, ते एव बुद्धिमन्तः। ते जनाः वन्दनीया: भाः

3. जानासि अस्माकं विद्यार्थिनां कानि (कृ + तव्यत्) (i) ……………… ? अस्माभिः विद्यालयस्य अनुशासनं (पान + अनीयर) (ii) ………………। सर्वैः सहपाठिभिः सह (मित्र + तल) (iii) ……………… आचरणीया। छात्रजीवने परिश्रमस्य (महत् + तल्) (iv) ……………… वर्तते। सत्यम् एव उक्तम् (सुखार्थ + इन्) (v) ……………… कुतो विद्या?
उत्तरम् :
जानासि अस्माकं विद्यार्थिनां कानि कर्त्तव्यानि ? अस्माभिः विद्यालयस्य अनुशासनं पालनीयम्। सबै सहपाठिभिः सह मित्रता आचरणीया। छात्रजीवने परिश्रमस्य महत्ता वर्तते। सत्यम् एव उक्तम् – सुखार्थिनः मन विद्या ?

4. कार्यं तु सदैव ध्यानेन एव (i) ……………… (कृ + अनीयर)। (ii)……………… (फल + इन्) वृक्षाः एन सदैव नमन्ति। शिक्षायाः (iii) ……………… (महत् + त्व) तु अद्वितीयम् एव। (iv)……………… (वृध् + शानच बालाः नृत्यन्ति। (v) ……………… (अज + टाप्) शनैः शनैः चलति।
उत्तरम् :
कार्यं तु सदैव ध्यानेन एव करणीयम्। फलिनः वृक्षाः एव सदैव नमन्ति। शिक्षायाः महत्त्वं तु अद्वितीयम् एव। वर्धमानाः बालाः नृत्यन्ति। अजा शनैः शनैः चलति।।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

5. एकदा पितरं (सेव् + शानच्) (i) ……………… पुत्रः तम् अपृच्छत् – ‘हे पितः! संसारे कः पूज्यते ? ‘ पिता अवदत् – (गुण + मतुप्) (ii) ……………… सर्वत्र पूज्यते। यः सेवायाः (महत् + त्व) (iii) ……………… सम्यक् जानाति, सः समाजे सदा (वन्द् + अनीयर्) (iv) ……………… भवति। अतः सर्वैः (मानव + तल्) (v) ………… सेवितव्या।’
उत्तरम् :
एकदा पितरं सेवमानः पुत्रः तम् अपृच्छत् – ‘हे पितः, संसारे कः पूज्यते ?’ पिता अवदत् – ‘ गुणवान् सर्वत्र पूज्यते। यः सेवायाः महत्त्वं सम्यक् जानाति, सः समाजे सदा वन्दनीयः भवति। अतः सर्वैः मानवता सेवितव्या।’

6. त्वं (गुण + मतुप्) (i) ……………… असि। तव प्रकृतिः (शोभन + टाप) (ii) ……………… अस्ति। अतः (विनय + इन्) (iii) ……………… अपि भव। सदैव (समाज + ठक्) (iv) ……………… कार्यमपि (कृ + शतृ) (v) ……………… त्वं लोके यशः प्राप्स्यसि।
उत्तरम् :
त्वं गुणवान् असि। तव प्रकृतिः शोभना अस्ति। अतः विनयी अपि भव। सदैव सामाजिक कार्यमपि कुर्वन् त्वं लोके यशः प्राप्स्यसि।

7. छात्रैः यथाकालम् एव विद्यालयस्य कार्यः (i) …………………. (कृ + तव्यत्)। ये छात्राः अध्ययनस्य (ii) ……………… (महत् + त्व) न जानन्ति तेषां कृते (iii) ……………… (सफल + तल) सन्दिग्धा भवति, परञ्च ये छात्रा: आलस्यं विहाय अहर्निशं परिश्रमं कुर्वन्ति तेषां कृते (iv) ……………… (वर्ष + ठक् + ङीप्) परीक्षा भयं न जनयति। (v) ……………… (बुद्धि + मतुप्) छात्राः पुरुषार्थे विश्वसन्ति न तु केवलं भाग्ये। अतः सर्वैः स्वकार्याणि समये (vi) ……………… (कृ + अनीयर)।
उत्तरम् :
छात्रैः यथाकालम् एव विद्यालयस्य कार्यः कर्त्तव्यम्। ये छात्राः अध्ययनस्य महत्त्वं न जानन्ति तेषां कृते सफलता सन्दिग्धा भवति, परञ्च ये छात्रा: आलस्यं विहाय अहर्निशं परिश्रमं कुर्वन्ति तेषां कृते वार्षिकी परीक्षा भयं न जनयति। बुद्धिमन्तः छात्राः पुरुषार्थे विश्वसन्ति न तु केवलं भाग्ये। अतः सर्वैः स्वकार्याणि समये करणीयानि।।

8. पिता पुत्रम् उपादिशत् यत् त्वया कुमार्गः (i) ……………… (त्यज् + तव्यत्) (ii) ……………… (प्र + यत् + शानच्) जनाः साफल्यं प्राप्नुवन्ति। यः नरः सत्यवादी (iii) ……………… (निष्ठा + मतुप्) च सः एव श्रेष्ठः। वृक्षारोपणम् अस्माकं (iv) ……………… (नीति + ठक्) कर्त्तव्यम्। मातृभूमिः सदैव (v)……………… (वन्दनीय + टाप्) भवति।
उत्तरम् :
पिता पुत्रम् उपादिशत् यत् त्वया कुमार्गः त्यक्तव्यः प्रयतमानाः जनाः साफल्यं प्राप्नुवन्ति। यः नरः सत्यवादी निष्ठावान् च सः एव श्रेष्ठः। वृक्षारोपणम् अस्माकं नैतिकं कर्त्तव्यम्। मातृभूमिः सदैव वन्दनीया भवति।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

9. एक: कैयट: नाम विद्वान् आसीत्। सः प्रातः (i) ……………… (काल + इ) शास्त्राणाम् अध्ययने रतः भवति स्म। एकदा राजा तं (ii) ……………… (बुद्धि + मतुप्) द्रष्टुं तस्य कुटीरं (iii) ……………… (गम् + तव्यत्) इति निश्चितवान्। तत्र गत्वा तस्य (iv) ……………… (दरिद्र + तल्) दूरीकर्तुं सः तस्मै स्वर्णमुद्राः अयच्छत्। कैयटः अवदत्- “धनस्य (v) ……………… (लोभ + इन्) जनाः आसक्ताः भूत्वा दुःखिनः भवन्ति। अतः मम आनन्दं मा नाशयतु इति।”
उत्तरम् :
एक: कैयटः नाम विद्वान् आसीत्। सः प्रात:काले शास्त्राणाम् अध्ययने रतः भवति स्म। एकदा राजा तं बुद्धिमन्तं द्रष्टुं तस्य कुटीरं गन्तव्यम् इति निश्चितवान्। तत्र गत्वा तस्य दरिद्रतां दूरीका सः तस्मै स्वर्णमुद्राः अयच्छत्। कैयटः अवदत् – “धनस्य लोभिनः जनाः आसक्ताः भूत्वा दुःखिनः भवन्ति। अतः मम आनन्दं मा नाशयतु इति।”
धानस्य शोभा खलु (i)……………… (दृश् + अनीयर)। शीघ्र-शीघ्रं (ii) ……………… (चल + शतृ) जनाः प्रसन्नाः भवन्ति। ते वायोः (iii) ……………… (शीतल + तल) अनुभवन्ति। (iv) ……………… (पक्ष + इन्) मधुर स्वरेण गायन्ति। बालकाः (v) ……………… (बालक + टाप्) च कन्दुकेन क्रीडन्ति।
उत्तरम् :
प्रात:काले उद्यानस्य शोभा खलु दर्शनीया। शीघ्रं-शीघ्रं चलन्तः जनाः प्रसन्नाः भवन्ति। ते वायोः शीतलताम् अनुभवन्ति। पक्षिणः मधुरस्वरेण गायन्ति। बालकाः बालिकाः च कन्दुकेन क्रीडन्ति।।

11. जीवने शिक्षायाः सर्वाधिकं (i) ……………… (महत् + त्व) वर्तते। बालः भवेत् (ii) ……………… (बालक + टाप्) वा भवेत्, ज्ञान प्राप्तुं सर्वैः एव प्रयत्नः (iii) ……………… (कृ + तव्यत्)। शिक्षिताः (iv) …….. (प्राण + इन्) परोपकारं (v) ………. …. (कृ + शानच) देशस्य सर्वदा हितमेव चिन्तयन्ति।
उत्तरम् :
जीवने शिक्षायाः सर्वाधिक महत्त्वं वर्तते। बालः भवेत् बालिका वा भवेत्, ज्ञानं प्राप्तुं सर्वैः एव प्रयत्नः कर्तव्यः। शिक्षिताः प्राणिनः परोपकारं कुर्वाणा: देशस्य सर्वदा हितमेव चिन्तयन्ति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पदों में प्रकृति-प्रत्यय को अलग कीजिए –
अधीतः, जग्धवान्, गृहीत्वा, उपगम्य, पातुम्।।
उत्तरम् :
अधि + इ + क्त; अद् + क्तवतु ग्रह + क्त्वा, उपगम् + ल्यप्, पा + तुमुन्।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में प्रकृति-प्रत्यय का मेल कीजिए –
कर्ता + ङीप, एडक + टाप, भाग् + इनि, बहु + तमप, निम्न + तरप्, रक्ष् + तव्यत्, युध् + शानच्, वस् + शतृ, स्तु + क्तवतु।
उत्तरम् :
की, एडका, भागी, बहुतमः, निम्नतरः, रक्षितव्यः, युध्यमानः, वसन् स्तुतवान्।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रत्ययान्त शब्दों को ‘कृत्”तद्धित’ और ‘स्त्री’ प्रत्ययान्त के रूप में अलग-अलग छाँटिये कोकिला, हन्त्री, शूद्रता, पीत्वा, नीति, भूता, पूजनम्, हन्तव्यः, लेखनीयः, भगवती, लघुता, शिशुत्वम्।
उत्तरम् :
कृत्-पीत्वा, नीति, पूजनम्, हन्तव्यः, लेखनीयः। तद्धित्-शूद्रता, लघुता, शिशुत्वम्। स्त्री-कोकिला, हन्त्री, भूता, भगवती।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 10.
प्रत्येक धातु में कोई पाँच प्रत्यय जोड़कर उनका एक-एक उदाहरण लिखिए –
पठ्, नम्, पच्, दा, लभ्, दृश्, गम्, हस्, इष्, लभ्।
उत्तरम् :
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम् 23

प्रश्न 11.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदानां प्रकृति-प्रत्यय-विभाग प्रत्ययान्तपदं वा लिखत –
(निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों में प्रकृति-प्रत्यय अलग कीजिये अथवा प्रत्ययान्त शब्द लिखिए-)
(1) अहं शयनं परित्यज्य भ्रमणं गच्छामि।
(2) श्यामः पुस्तकं क्रेतुं गमिष्यति।
(3) मया रामायणं श्रुतम्।
(4) फलं खादन् बालकः हसति।
(5) सुरेशः ग्रामं गत्वा धावति।
(6) सर्वान् विचिन्त्य ब्रू (वच्) + तव्यत्।
(7) मुकेशः भोजनं खाद + शत पुस्तकं पठति।
(8) स: गृहकार्यं कृ + क्त्वा क्रीडति।
(9) सीता ग्रामात् आ + गम् + ल्यप् नृत्यति।
(10) भारत: पठ्+तुमुन् इच्छति।
उत्तर :
(1) परि + त्यज् + ल्यप्,
(2) क्री + तुमुन्,
(3) श्रु+ क्त,
(4) खाद् + शत,
(5) गम् + क्त्वा,
(6) वक्तव्यम्,
(7) खादन्,
(8) कृत्वा,
(9) आगत्य,
(10) पठितुम्।।

प्रश्न 12.
निर्देशम् अनुसृज्य उदाहरणानुसारं संयोज्य वाक्यसंयोजनं क्रियताम्।
(निर्देश का अनुसरण करके उदाहरणानुसार जोड़कर वाक्यों को जोड़िए।)
(क) पूर्ववाक्ये ‘क्त्वा’ प्रत्ययं प्रयुज्य वाक्यं संयोजयत
(पहले वाक्य में ‘क्त्वा’ प्रत्यय का प्रयोग कर वाक्य-संयोजन कीजिए) महेशः खेलति। महेशः धावति।
उत्तरम् :
महेशः खेलित्वा धावति।

(ख) ‘तुमुन्’ प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा वाक्यसंयोजनं क्रियताम्-(तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग कर वाक्य-संयोजन कीजिए –
रामः वनं गच्छति। रामः अश्वम् आरोहति।
उत्तरम् :
रामः वनं गन्तुम् अश्वम् आरोहति।

(ग) पूर्ववाक्ये शतृप्रत्ययं प्रयुज्य वाक्यं पुनः लिखत –
(पूर्व वाक्य में ‘शतृ’ प्रत्यय का प्रयोग कर वाक्य को पुनः लिखिए-)
छात्राः श्यामपट्ट स्पृशति। छात्राः गृहं गच्छति।
उत्तरम् :
छात्राः श्यामपट्ट स्पृशन्तः गृहं गच्छन्ति।

(घ) ‘तुमुन्’ प्रत्ययं प्रयुज्य वाक्यं पुनः लिखत –
(तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग कर वाक्य को पुनः लिखिए-)
त्वं जलं पिबसि। त्वं कूपं गच्छसि।
उत्तरम् :
त्वं जलं पातुं कूपं गच्छसि।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 13.
स्थूलपदानाम् ‘प्रकृतिप्रत्ययः’ पृथक् संयोगं कृत्वा उत्तर-पुस्तिकायां लिखत –
(मोटे शब्दों के प्रकृति-प्रत्यय अलग करके उत्तर-पुस्तिका में लिखिए)
1. (i) अद्य मानवः सेवाया महत्त्वं न जानाति। (आज मनुष्य सेवा का महत्त्व नहीं जानता है।)
(ii) समाजसेवा करणीया। (समाज सेवा की जानी चाहिए।)
(iii) बालकोऽयं गुणवान् अस्ति। (यह बालक गुणवान् है।)
(iv) लोभी न भवेत्। (लोभी नहीं होना चाहिए।)
(v) सा बुद्धिमती अचिन्तयत्। (वह बुद्धिमती सोचने लगी।)
उत्तराणि :
(i) महत् + त्व
(ii) कृ + अनीयर् + टाप्
(iii) गुण + मतुप् (वत्)
(iv) लोभ + इनि
(v) बुद्धि + मतुप् + ङीप।

2. (i) गुरुः वन्दनीयः। (गुरु वन्दना के योग्य होता है।)
(ii) ज्ञानवान् एव गुरुत्वं प्राप्नोति। (ज्ञानवान् ही गुरुत्व को प्राप्त करता है।)
(iii) देशे अनेकानि दर्शनीयानि स्थानानि सन्ति। (देश में अनेक दर्शनीय स्थान हैं।)
(iv) गुणी एव सर्वत्र पूज्यः। (गुणी ही सब जगह पूज्य होता है।)
(v) शिक्षिका गणितं पाठयति। (शिक्षिका गणित पढ़ाती है।)
उत्तराणि :
(i) वन्द् + अनीयर्
(ii) गुरु + त्व
(iii) दृश् + अनीयर्
(iv) गुण + इन्
(v) शिक्षक + टाप्।

3. (i) पुस्तकानां महत्तां कः न जानाति ? (पुस्तकों की महत्ता को कौन नहीं जानता ?)
(ii) गायिका मधुरं गायति। (गायिका मधुर गाती है।)।
(iii) कार्यं कुर्वाणाः छात्राः अङ्कान् लभन्ते। (कार्य करते हुए छात्र अंक प्राप्त करते हैं।)
(iv) बालकैः गुरवः नन्तव्याः। (बालकों द्वारा गुरु को नमस्कार किया जाना चाहिए।)
(v) अश्वा धावति। (घोड़ी दौड़ती है।)
उत्तराणि :
(i) महत् + तल्
(ii) गायक + टाप्
(iii) कृ + शानच्
(iv) नम् + तव्यत्
(v) अश्व + टाप।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

4. (i) सः वेत्रासने आसीनः। (वह कुर्सी पर बैठा है।)
(ii) राज्ञी राजानम् अपृच्छत्। (रानी ने राजा से पूछा।)
(iii) इन्द्राणी इन्द्रं पृच्छति। (इन्द्राणी इन्द्र से पूछती है।)
(iv) मन्त्रिणः संसदि भाषन्ते। (मन्त्री संसद में बोलते हैं।)
(v) अजाः क्षेत्रे चरन्ति। (बकरियाँ खेत में चरती हैं।)
उत्तराणि :
(i) आस् + शानच्
(ii) राजन् + ङीप्
(iii) इन्द्र + ङीप्
(iv) मन्त्र + इन्
(v) अज + टाप्।

5. (i) मासिकं पत्रम् आनय। (मासिक पत्र लाइए।)
(ii) सुखार्थिनः कुतो विद्या। (सुख चाहने वाले को विद्या कहाँ ?)
(iii) वाष्पयानमाला संधावति वितरन्ती ध्वानम्।(रेलगाड़ी शोर बाँटती हुई दौड़ रही है।)
(iv) जगति शुद्धिकरणं करणीयम्। (संसार में शुद्धिकरण करना चाहिए।)
(v) ललितलतानां माला रमणीया। (सुन्दर लताओं की माला रमणीय है।)
उत्तराणि :
(i) मास + ठक्
(ii) सुख + अर्थ + इन्
(iii) वितरत् + ङीप्
(iv) कृ + अनीयर्
(v) रमू + अनीयर् + टाप्।

6. (i) लक्षणवती कन्यां विलोक्य सः पृच्छति (लक्षणवाली कन्या को देखकर वह पूछता है।)
(ii) अन्योऽपि बुद्धिमान् लोके मुच्यते महतो भयात्।। (और भी बुद्धिमान् लोक के महान् भय से मुक्त हो जाते हैं।)
(iii) शृगालः हसन् आह। (शृगाल ने हँसते हुए कहा।)
(iv) मया सा चपेटया प्रहरन्ती दृष्टा। (मैंने उसे थप्पड़ से प्रहार करती हुई देखा है।)
(v) तर्हि त्वया अहं हन्तव्यः। (तो तुम मुझे मार देना।)
उत्तराणि :
(i) लक्षणवत् + ङीप्
(ii) बुद्धि + मतुप्
(iii) हस् + शतृ
(iv) प्रहरत् + ङीप
(v) हन् + तव्यत्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

7. (i) शुनी सर्वम् इन्द्राय निवेदयति। (कुतिया सब कुछ इन्द्र से निवेदन कर देती है।)
(ii) आचार्य सेवमानः शिष्यः विद्यां लभते। (आचार्य की सेवा करता हुआ शिष्य विद्या प्राप्त करता है।)
(iii) श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्।। (श्रद्धावान् ज्ञान प्राप्त करता है।)
(iv) अद्य अस्माकं वार्षिकी परीक्षा आरभते। (आज हमारी वार्षिक परीक्षा आरम्भ है।)
(v) सः कार्यं कुर्वन् पठति अपि। (वह कार्य करता हुआ भी पढ़ता है।)
उत्तराणि :
(i) श्वन् + ङीप्
(ii) सेव + शानच्
(iii) श्रद्धा + मतुप् (वत्)
(iv) वर्ष + ठक् + ङीप्।
(v) कृ + शतृ।

8. (i) जीवने विद्यायाः अपि महत्त्वं वर्तते। (जीवन में विद्या का भी महत्त्व है।)
(ii) तर्हि त्वया सद्ग्रन्थाः अपि पठनीयाः। (तो तुम्हें सद्ग्रन्थ भी पढ़ने चाहिए।)
(iii) पठनेन नरः गुणवान् भवति। (पढ़ने से मनुष्य गुणवान् होता है।)
(iv) किं त्वं जानासि कालस्य महत्त्वम् ? (क्या तुम समय का महत्त्व जानते हो ?)
(v) कालः तु सततम् चक्रवत् परिवर्तमानः वर्तते। (समय तो निरन्तर चक्र की तरह बदलता रहता है।)
उत्तराणि :
(i) महत् + त्व
(ii) पत् + अनीयर्
(iii) गुण + मतुप् (वत्)
(iv) महत् + त्व
(v) परिवृत् + शानच्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

9. (i) ये जनाः अस्थिरताम् अनुभूय स्वकार्याणि यथासमयं कुर्वन्ति ते एव बुद्धिमन्तः।
(जो लोग अस्थिरता का अनुभव करके अपने कार्य समय पर करते हैं, वे ही बुद्धिमान् हैं।)
(ii) ते जनाः वन्दनीयाः भवन्ति। (वे लोग वन्दना करने योग्य होते हैं।)
(iii) जनाः तीव्र धावन्तः गच्छन्ति। (लोग तीव्र दौड़ते हुए जाते हैं।)
(iv) गृहं गच्छन्त्यः छात्राः प्रसीदन्ति। (घर जाती हुई छात्राएँ प्रसन्न होती हैं।)
(v) कालः परिवर्तमानः वर्तते। (समय बदलता रहता है।)
उत्तराणि :
(i) अस्थिर + तल, बुद्धि + मतुप्
(ii) वन्द् + अनीयर् + टाप्
(iii) धाव् + शतृ
(iv) गच्छत् + ङीप्
(v) परिवृत् + शानच्।

10. (i) कार्यं तु सदैव ध्यानेन एव करणीयम्। (कार्य सदैव ध्यान से ही करना चाहिए।)
(ii) फलिनः वृक्षाः एव सदैव नमन्ति। (फल वाले वृक्ष ही सदा झुकते हैं।)
(iii) शिक्षायाः महत्त्वं तु अद्वितीयम् एव। (शिक्षा का महत्त्व तो अद्वितीय है।)
(iv) वर्धमानाः बालाः नृत्यन्ति। (बढ़ती हुई बालाएँ नाचती हैं।)
(v) अजाः शनैः शनैः चलति।
(बकरी धीरे-धीरे चलती है।)
उत्तराणि :
(i) कृ + अनीयर्
(ii) फल + इन्
(iii) महत् + त्व
(iv) वृध् + शानच्
(v) अज + टाप्।

11. (i) कार्यं सदैव शीघ्रं परन्तु धैर्येण कर्त्तव्यम्। (कार्य सदैव शीघ्र परन्तु धैर्यपूर्वक करना चाहिए।)
(ii) वर्धमाना बालिका शीघ्रं शीघ्रं धावति। (बढ़ती बालिका जल्दी-जल्दी दौड़ती है। )
(iii) गुणिनः जनाः सदा वन्दनीयाः। (गुणी लोग सदैव वन्दना करने योग्य हैं।)
(iv) वृक्षाणां महत्त्वं कः न जानाति ? (वृक्षों का महत्त्व कौन नहीं जानता ?)
(v) कोकिला मधुर स्वरेण गायति। (कोयल मधुर स्वर से गाती है।)
उत्तराणि :
(i) कृ + तव्यत्
(ii) वृध् + शानच् + ङीप
(iii) गुण + इन्
(iv) महत् + त्व
(v) कोकिल + टाप।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

12. (i) पुस्तकानाम् अध्ययनं करणीयम्। (पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।)
(ii) मन्त्रिणः सदसि भाषन्ते। (मन्त्री सभा में भाषण करते हैं।)
(iii) वर्तमाना शिक्षापद्धतिः सुकरा। (वर्तमान शिक्षा पद्धति सरल है।)
(iv) त्वं स्व अज्ञानतां मा दर्शय। (तुम अपनी अज्ञानता को मत दिखाओ।)
(v) नर्तकी शोभनं नृत्यति। (नर्तकी सुन्दर नाचती है।)
उत्तराणि :
(i) कृ + अनीयर्
(ii) मन्त्र + इन्
(iii) वृत् + शानच् + टाप्
(iv) अज्ञान + तल्
(v) नर्तक+ङीप्।

13. (i) अस्माभिः सेवकाः पोषणीयाः। (हमें सेवकों का पोषण करना चाहिए।)
(ii) पक्षिणः वृक्षेषु तिष्ठन्ति। (पक्षी वृक्ष पर बैठते हैं।)
(iii) पृथिव्याः गुरुत्वं सर्वे जानन्ति। (पृथ्वी की गुरुता को सभी जानते हैं।)
(iv) सेवमाना: सेवकाः धनं लभन्ते। (सेवा करते हुए सेवक धन पाते हैं।)
(v) अश्वा वरं धारयति। (घोड़ी वर को धारण करती है।)
उत्तराणि :
(i) पुष् + अनीयर्
(ii) पक्ष + इन्
(iii) गुरु + त्व
(iv) सेव् + शानच्।
(v) अश्व + टाप्।

14. (i) बालकैः गुरवः नन्तव्याः।
(बालकों को गुरुजनों का नमन करना चाहिए।)
(ii) कार्यं कुर्वाणा: छात्राः अङ्कान् लभन्ते। (कार्य करते छत्र अंक प्राप्त करते हैं।)
(iii) भाग्यशालिनः जनाः विश्रामं कुर्वन्ति। (भाग्यशाली लोग आराम करते हैं।)
(iv) गायिका मधुरं गायति। (गायिका मधुर गाती है।)
(v) पुस्तकानां महत्तां कः न जानाति। (पुस्तकों की महत्ता कौन नहीं जानता।)
उत्तराणि :
(i) नम् + तव्यत्
(ii) कृ + शानच्
(iii) भाग्यशाल + इन्
(iv) गायक + टाप्।
(v) महत् + तल्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 14.
प्रकृतिप्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत।
(प्रकृति प्रत्यय को मिलाकर पदरचना कीजिये।)
(क) जन् + क्त
(ख) क्रीड् + शतृ
(ग) त्यज् + क्तवा
(घ) वि + श्रम् + ल्यप्
(ङ) भक्ष् + तुमुन्
(च) नि + वृत् + क्तिन्
(छ) प्र + यत् + तव्यत्
(ज) भुज् + शानच
(झ) गुह् + क्त + टाप्
(ब) जि + अच्
(ट) ग्रह् + ण्वुल्
(ठ) लभ् + क्तवतु
(ड) अधि + वच् + तृच्
(द) कृ + क्तवतु + ङीप्
(ण) कृ + अनीयर्
उत्तरम् :
(क) जातः
(ख) क्रीडन्
(ग) त्यक्तवा
(घ) विश्रम्य
(ङ) भक्षितुम्
(च) निवृत्तिः
(छ) प्रयतितव्यम्
(ज) भुञ्जानः
(झ) गूढ
(ब) जयः
(ट) ग्राहकः
(ठ) लब्धवान्
(ड) अधिवक्ता
(ढ) कृतती
(ण) करणीयः।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् प्रत्ययज्ञानम्

प्रश्न 15.
अधोलिखित पदेषु प्रकृतिप्रत्यय विभागः क्रियताम्।
(निम्नलिखित पदों में प्रकृति-प्रत्यय पृथक् कीजिये)
(क) प्रयुक्तम्
(ख) भवितव्यम्
(ग) गन्तुम्
(घ) पर्यटन्तः
(ङ) वहमानस्य
(च) क्रीत्वा
(छ) दृष्टिः
(ज) कर्ता
(झ) अतितराम्
(ब) प्रतीक्षमाणः
(ट) करणीया
(ठ) प्रत्यभिज्ञाय
(ड) कारकः
(ढ) कृतवती
(ण) विक्रेता।
उत्तरम् :
(क) प्रयुक्तम् = प्र + युज् + क्त
(ख) भवितव्यम् = भू + तव्यत्
(ग) गन्तुम् = गम् + तुमुन्
(घ) पर्यटन्तः = परि + अट् + शत् (प्र.ब.व.)
(ङ) वहमानस्य = वह् + शानच् (ब.ए.व.)
(च) क्रीत्वा = क्री + क्तवा
(छ) दृष्टिः = दृश् + क्तिन्
(ज) कर्ता = कृ + तृच्
(झ) अतितराम् = अति + तरप् + टाप् (द्वि.ए.व.)
(ब) प्रतीक्षमाणः = प्रति + ईक्ष् + शानच
(ट) करणीया = कृ + अनीयर् + टाप
(ठ) प्रत्यभिज्ञाय = प्रति + अभि + ज्ञा + ल्यप्
(ड) कारकः = कृ + ण्वुल्
(ढ) कृतवती = क + क्तवतु + ङीप्
(ण) विक्रेता = वि + क्री + तृच

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

संस्कृत भाषा में प्रयोग करने के लिए इन शब्दों को ‘पद’ बनाया जाता है। संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ लगाई जाती हैं। इन शब्दरूपों (पदों) का प्रयोग (पुंल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में) होता है। इन्हें सामान्यतया शब्दरूप कहा जाता हैं।

संज्ञा आदि शब्दों में जुड़ने वाली विभक्तियाँ सात होती हैं। इन विभक्तियों के तीनों वचनों (एक, द्वि, बहु) में बनने वाले रूपों के लिए जिन विभक्ति-प्रत्ययों की पाणिनि द्वारा कल्पना की गई है, वे ‘सुप्’ कहलाते हैं। इनका परिचय इस प्रकार है –

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 1

संज्ञा शब्दरूप-प्रकरणम्

1. अकारान्त पुल्लिंग छात्र’ शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 2

नोट – इसी प्रकार ह्रस्व ‘अ’ पर समाप्त होने वाले पुल्लिंग संज्ञा शब्द- मोहन, शिव, नृप (राजा), राम, सुत (बेटा), गज (हाथी), पुत्र, कृष्ण, जनक (पिता), पाठ, ग्राम, विद्यालय, अश्व (घोड़ा), ईश्वर (ईश या स्वामी), बुद्ध, मेघ (बादल), नर (मनुष्य), युवक (जवान), जन (मनुष्य), पुरुष, वृक्ष, सूर्य, चन्द्र (चन्द्रमा), सज्जन, विप्र (ब्राह्मण), क्षत्रिय, दुर्जन (दुष्ट पुरुष), प्राज्ञ (विद्वान्), लोक (संसार), उपाध्याय (गुरु), वृद्ध (बूढा), शिष्य, प्रश्न, सिंह (शेर), वेद, क्रोश (कोस), भर्प ,सागर (समुद्र), कृषक (किसान), छात्र (बालक), मानव, भ्रमर, सेवक, समीर (हवा), सरोवर और यज्ञ आदि के रूप चलते हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

विशेष – जिस शब्द में र्, ऋ अथवा ष् होता है, उसके तृतीया एकवचन के तथा षष्ठी बहुवचन के रूप में ‘न्’ के स्था- ‘ण’ हो जाता है। जैसे-‘राम’ शब्द में ‘र’ है। अतः तृतीया एकवचन में रामेण और षष्ठी बहुवचन में ‘रामाणाम्’ रूप बने हैं, किन्तु ‘बालक’ शब्द में र, ऋ अथवा ष् न होने से ‘बालकेन’ व ‘बालकानाम्’ रूप बनते

2. इकारान्त पुल्लिंग ‘हरि’ शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 3

नोट – इस प्रकार ह्रस्व ‘इ’ पर समाप्त होने वाले सभी पुल्लिंग संज्ञा शब्द-‘कवि’, बह्नि (आग), यति, (संन्यासी), नृपति (राजा), भूपति (राजा), गणपति (गणेश), प्रजापति (ब्रह्मा), रवि (सूर्य), कपि (बन्दर), अग्नि (आग), मुनि, जलधि (समुद्र), ऋषि, गिरि (पहाड़), विधि (ब्रह्मा), मरीचि (किरण), सेनापति, धनपति (सेठ), विद्यापति (विद्वान्), असि (तलवार), शिवि (शिवि नाम का राजा), ययाति (ययाति नाम का राजा) और अरि (शत्रु) आदि के रूप चलते हैं।

विशेष – जिन शब्दों में र, ऋ अथवा ष् होता है, उनमें तृतीया एकवचन में व षष्ठी बहुवचन में ‘न्’ के स्थान पर ‘ण’ हो जाता है। जैसे-हरि शब्द (रि में र होने के कारण)तृतीया एकवचन में हरिणा’ होगा तथा षष्ठी बहुवचन में ‘हरीणाम्’ होगा किन्तु ‘कवि’ में र, ऋ अथवा ए नहीं होने के कारण ‘कविना’ तथा कवीनाम्’ ही हुए हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

3. ऋकारान्त पुंल्लिग ‘पितृ’ (पिता) शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 4

नोट – इसी प्रकार ह्रस्व (छेटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य पुल्लिग शब्दों-भ्रातृ (भाई) और जामातृ (जमाई, दामाद) आदि के रूप चलेंगे।

4. गो (धेनुः) (ओकारान्तः पुल्लिंगः स्त्रीलिङ्गश्च) शब्दः

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5. उकारान्त पुल्लिग’गुरु’ शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 6

नोट – इसी प्रकार भानु, साधु, शिशु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु आदि शब्दों के रूप चलते हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

6. ईकारान्त स्त्रीलिंग ‘नदी’ शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 7

नोट – इसी प्रकार दीर्घ (बड़ी) ‘ई’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-देवी, भगवती, सरस्वती, श्रीमती, कुमारी (अविवाहिता), गौरी (पार्वती), मही (पृथ्वी), पुत्री (बेटी), पत्नी, राज्ञी (रानी), सखी (सहेली), दासी (सेविका), रजनी (रात्रि), महिषी (रानी, भैंस), सती, वाणी, नगरी, पुरी, जानकी और पार्वती आदि शब्दों के रूप चलते हैं।

7. वधू (बहू) शब्द (ऊकारान्त) स्त्रीलिंग

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 8

8. मातृ (माता) ऋकारान्त स्त्रीलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 9

इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य सभी स्त्रीलिंग शब्दों-दुहितु (पुत्री) और यातृ (देवरानी) आदि के रूप चलेंगे।

नोट – ‘मातृ’ शब्द के द्वितीया विभक्ति के बहुवचन के ‘मातः’ इस रूप को छोड़कर शेष सभी रूप ‘पितृ’ शब्द के समान ही चलते हैं।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

9. उकारान्त स्त्रीलिंग’धेनु’ (गाय) शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 10

नोट – इस प्रकार ह्रस्व ‘उ’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-तनु (शरीर), रेणु (धूल), रज्जु (रस्सी), कामधेनु, चञ्चु (चोंच) और हनु (ठोड़ी) आदि के रूप चलते हैं।

विशेष-धेनु शब्द के चतुर्थी, पञ्चमी, षष्ठी और सप्तमी विभक्ति के एकवचन के दो-दो रूप बनते हैं। इनमें से प्रथम रूप नदी शब्द के समान बनता है तथा द्वितीय रूप भान शब्द के समान बनता है। इन दो रूपों में से किसी भी एक रूप को प्रयोग में लाया जा सकता है।

सर्वनाम शब्दरूप-प्रकरणम्

10. अस्मद् (मैं) शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 11

नोट – ‘अस्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

11. युष्मद् (तुम) शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 12

नोट – ‘युष्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते

12. सर्व (सब) पुल्लिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 13

13. सर्व (सब) स्त्रीलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 14

14. सर्व (सब) नपुंसकलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 15

नोट – शेष विभक्तियों के रूप पुल्लिंग ‘सर्व’ की तरह चलेंगे।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

15. तत्/तद् (वह) पुल्लिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 16

नोट – प्रथमा विभक्ति एकवचन को छोड़कर सभी रूपों का आधार ‘त’ अक्षर है तथा ‘सर्व’ शब्द के समान रूप हैं।

16. तत् / तद् (वह) स्त्रीलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 17

17. तत् / तद (वह) नपुंसकलिंग

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 18

नोट – ‘तद्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के ये सभी रूप तद्’ पुल्लिंग के समान चलते

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

18. यत् (जो) पुंल्लिग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 19

नोट – इस ‘यत्’ शब्द का सभी लिंगों में, सभी विभक्तियों के रूप में ‘य’ आधार रहेगा तथा इसके ‘सर्व’ के समान ही रूप चलेंगे।

19. यत् (जो) स्त्रीलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 20

20. यत् (जो) नपुंसकलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 21

नोट – ‘यत्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सम्पूर्ण रूप ‘यत्’ पुंल्लिंग के समान ही चलेंगे।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

21. किम् (कौन) पुंल्लिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 22

नोट – ‘किम्’ शब्द के रूपों का मूल आधार सभी लिंगों एवं विभक्तियों में ‘क’ होता है तथा इसके रूप ‘सर्व’ शब्द के समान ही चलते हैं।

22. किम् (कौन) स्त्रीलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 23

23. किम् (कौन) नपुंसकलिंग शब्द

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम् 24

नोट – ‘किम्’ शब्द के नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सभी रूप ‘किम्’ पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखित प्रश्नेषु सम्यक् विकल्प चिनुत –
1. ‘बालक’ तृतीया विभक्ति एकवचन –
(अ) बालक
(ब) बालकेन
(स) बालकस्य
(द) बालकः
उत्तरम् :
(ब) बालकेन

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

2. ‘पति’ (स्वामी) षष्ठी द्विवचन –
(अ) पती
(ब) पत्युः
(स) पत्यौ
(द) पतिभ्यः
उत्तरम् :
(स) पत्यौ

3. ‘गुरु’ चतुर्थी विभक्ति बहुवचन –
(अ) गुरूणा
(ब) गुरौ
(स) गुरुभिः
(द) गुरुभ्यः
उत्तरम् :
(द) गुरुभ्यः

4. ‘सखि’ द्वितीया विभक्ति एकवचन –
(अ) सख्यौ
(ब) सखीनाम्
(स) सखायम्
(द) सख्युः
उत्तरम् :
(स) सखायम्

5. ‘स्त्री’ प्रथमा विभक्ति बहुवचन –
(अ) स्त्रियः
(ब) स्त्रीभ्यः
(स) स्त्रीभ्याम्
(द) स्त्रयाः
उत्तरम् :
(अ) स्त्रियः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

6. ‘विभा’ सप्तमी विभक्ति एकवचन –
(अ) विभासु
(ब) विभाभ्यः
(स) विभायाम्
(द) हे विभाः
उत्तरम् :
(स) विभायाम्

7. ‘पुस्तक’ पञ्चमी विभक्ति द्विवचन –
(अ) पुस्तकम्
(ब) पुस्तकाभ्याम्
(स) पुस्तकाय
(द) पुस्तकयोः
उत्तरम् :
(ब) पुस्तकाभ्याम्

8. ‘आत्मन्’ सप्तमी द्विवचन –
(अ) आत्मनः
(ब) आत्मभ्याम्
(स) आत्मानौ
(द) आत्मनोः
उत्तरम् :
(द) आत्मनोः

9. ‘पितृ’ प्रथमा बहुवचन –
(अ) पितरि
(ब) पित्रोः
(स) पितरः
(द) पित्रा
उत्तरम् :
(स) पितरः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

10. ‘भगवत्’ तृतीया विभक्ति बहुवचन –
(अ) भगवद्भिः
(ब) भगवत्सु
(स) भगवन्तः
(द) भगवते
उत्तरम् :
(अ) भगवद्भिः

11. ‘सर्व’ पुल्लिंग सप्तमी विभक्ति एकवचन –
(अ) सर्वेषु
(ब) सर्वयोः
(स) सर्वस्मिन्
(द) सर्वैः
उत्तरम् :
(स) सर्वस्मिन्

12. अस्मद् (मैं) तृतीया विभक्ति बहुवचन –
(अ) मह्यम्
(ब) अस्माकम्
(स) आवयोः
(द) अस्माभिः
उत्तरम् :
(द) अस्माभिः

13. किम् (कौन) स्त्रीलिंग,पंचमी विभक्ति, द्विवचन –
(अ) कयोः
(ब) काभ्याम्
(स) कासाम्
(द) के
उत्तरम् :
(ब) काभ्याम्

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

14. अस्मिन् वाक्ये सर्वनाम पदं किम्? ‘सा विद्यालये संस्कृत पठति।’
(अ) विद्यालये
(ब) पठति
(स) सा
(द) संस्कृतं
उत्तरम् :
(स) सा

15. इदम् मनीषस्य पुस्तकं अस्ति। अस्मिन् वाक्ये सर्वनाम पदं किम्?
(अ) पुस्तकं
(ब) अस्ति
(स) इदम्
(द) मनीषस्य
उत्तरम् :
(स) इदम्

16. भवत्याः गृहं अति शोभनं अस्ति। अस्मिन् वाक्ये सर्वनाम पदं किम् –
(अ) गृहं
(ब) अति
(स) शोभनं
(द) भवत्याः
उत्तरम् :
(द) भवत्याः

17. …………… प्रभावेन सिंहः सजीवः अभवत? रिक्त स्थाने उचितं सर्वनाम पदं किम् –
(अ) केन
(ब) कस्मात्
(स) के
(द) कस्य
उत्तरम् :
(अ) केन

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

18. अस्मिन् वाक्ये सर्वनाम पदः नास्ति-अहं तव तस्य च मित्र।
(अ) तव
(ब) तस्य
(स) अहं
(द) मित्रं
उत्तरम् :
(ब) तस्य

19. अस्मिन् वाक्ये सर्वनाम पदः अस्ति-तस्य भ्राता ग्रामं गच्छति।
(अ) तस्य
(ब) ग्रामं
(स) भ्राता
(द) गच्छति
उत्तरम् :
(अ) तस्य

20. युष्मद् (तुम) शब्दस्य पंचमी बहुवचने रूपं भवति –
(अ) युष्माकम्
(ब) युष्मत्
(स) युष्मानम्
(द) युष्मासु
उत्तरम् :
(स) युष्मानम्

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 2.
कोष्ठके प्रदत्तं निर्देशानुसारम् उचित विभक्तिपदेन रिक्तस्थानानि पूर्ति कुरुत –
(कोष्ठक में दिये निर्देशानुसार उचित विभक्ति पद से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
(i) ……………. पत्रं पतति।’ (वृक्ष-पञ्चमी)
(ii) ……………… हरीशः विनम्रः।(छात्र-सप्तमी)
(iii) भो ………………. पत्रं पठ। (महेश-सम्बोधन)
(iv) ………………. किं हसन्ति ? (भवान्-प्रथम)
(v) ………………. शनैः शनैः लिखति (केशव-प्रथमा)
(vi) गोपालः जलेन…………………. प्रक्षालयति। (मुख-द्वितीया)
(vii) सेवकः स्कन्धेन………………. वहति। (भार-द्वितीया)
(viii) सः ………………. कोमलः। (स्वभाव-तृतीया)
(ix) कोऽर्थः ………………. यो न विद्वान् न धार्मिकः। (पुत्र-तृतीया)
(x) भक्तः ………………. हरि भजति। (मुक्ति-चतुर्थी)
(xi) क्रीडनकं रोचते। …………….(शिशु-चतुर्थी)
(xii) ज्ञानं गुरुतरम्। (धन-पंचमी)
(xiii) ……………… गङ्गा प्रभवति। (हिमालय-पंचमी)
(xiv) …………….. हेतोः वाराणस्यां तिष्ठति। (अध्ययन-षष्ठी)
(xv) ………………. ओदनं पचति।। (स्थाली-सप्तमी)
उत्तरम्:
(i) वृक्षात्
(ii) छात्रेषु
(iii) महेश !
(iv) भवन्तः
(v) केशवः
(vi) मुखं
(vii) भारं
(viii) स्वभावेन
(ix) पुत्रेण
(x) मुक्तये
(xi) शिशवे
(xii) धनात्
(xili) हिमालयात्
(xiv) अध्ययनस्य
(xv) स्थाल्याम्।

प्रश्न 3.
कोष्ठकात् उचितविभक्तियुक्तं पदं चित्वा वाक्यपूर्तिः क्रियताम् –
(कोष्ठक से उचित विभक्तियुक्त पद को चुनकर वाक्य-पूर्ति कीजिए-)
(i) ………………. पुरोहितः अकथयत्। (शुद्धोदनाय, शुद्धोदनस्य, शुद्धोदने)
(ii) मम ………………. स्वां दुहितरं यच्छ। (पिता, पित्रा, पित्रे)
(iii) शान्तनुः ……………….. वरम् अयच्छत्। (भीष्माय, भीष्मे, भीष्मात्)
(iv) अयि ………………. मम मित्रं भविष्यति।(चटकपोत!, चटकपोतं, चटकपोतैः)
(v) अस्मिन् ………………. प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नो भवति। (जगत. जगता, जगति)
(vi) कस्मिंश्चिद् ………………. एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। (ग्रामेन, ग्रामे, ग्रामस्य)
(vii) सा ………………. बहिः आगन्तव्यम्। (ग्रामात्, ग्रामे, ग्रामान्)
(vii) लुब्धया ………………. लोभस्य फलं प्राप्तम्। (बालिका, बालिकया, बालिकाया:)
(ix) इन्दुः ……………… प्रकाशं लभते। (भानुना, भानोः, भानवे)
(x) ……………. गङ्गा सर्वश्रेष्ठा। (नद्याम्, नद्याः नदीषु)
(xi) भो भगवन् ! ………………… दयस्व।(मयि, माम्, अहं)
(xii) ………………. सर्वत्र पूज्यते। (विद्वान्, विद्वांसः विद्वांसी)
(xiii) रविः प्रतिदिनं ………………. नमति। (ईश्वराय, ईश्वरे, ईश्वरम्)
(xiv) सः ……………… पश्यति। (राजानम्, राज्ञाम्, राज्ञा)
(xv) रामः ………………. पटुतरः। (मोहनेन, मोहनस्य, मोहनात्)
उत्तरम्-
(i) शुद्धोदनस्य
(ii) पित्रे
(iii) भीष्माय
(iv) चटकपोत!
(v) जगति
(vi) ग्रामे
(vil) ग्रामात्
(viii) बालिकया
(ix) भानुना
(x) नदीषु
(xi) मयि
(xii) विद्वान्
(xiii) ईश्वरम्
(xiv) राजानम्
(xv) मोहनात्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 4.
समुचितं विभक्तिप्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –
(उचित विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
1. …………….. कुत्र गच्छति? (भवत्)
2. ……………. मोदकं रोचते। (बालक)
3. …………… अभितः वनं अस्ति। (ग्राम)
4. कर्णः ………………. सह नगरं गच्छति। (पिता)
5. गङ्गा ……………. उद्भवति। (हिमालय)
6. ………………. कक्षायां बालकाः पठन्ति। (इदम्)
7. सः………………. अधितिष्ठति। (आसन)
8. मुनिः ………………. लोकं जयति। (सत्य)
9. नृपः ………………. क्रुध्यति। (दुर्जन)
10. बालकः…………….. बिभेति। (चोर)
उत्तरम् :
(1) भवान्
(ii) बालकाय
(iii) ग्रामम्
(iv) पित्रा
(v) हिमालयात्
(vi) अस्याम्
(vii) आसनम्
(viii) सत्येन
(ix) दुर्जनेभ्यः
(x) चोरात्।

प्रश्न 5.
कोष्ठके प्रदत्तं निर्देशानुसारम् उचितविभक्तिपदेन रिक्तस्थानानां पूर्ति कुरुत –
(कोष्ठक में दिये निर्देशानुसार उचित विभक्ति पद से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
(i) …………… च एका दुहिता आसीत्। (तत्-स्त्रीलिंग षष्ठी)
(ii) …………….. विस्मयं गता। (तत्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
(iii) ………………….. मम श्वश्रूः सदैव मर्मघातिभिः कटुवचनैराक्षिपति माम्। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथम)
(iv) …………………… काकिणी अपि न दत्ता। (यत्-पुल्लिग तृतीया)
(v) …………… तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता। (तत्-पुल्लिंग पंचमी)
(vi) ………………. मरालैः सह विप्रयोगः। (यत्-पुंल्लिग षष्ठी)
(vii) ………………. अनुकूले स्थिते शक्रोऽपि नास्मान् बाधितुं शक्नुयात्। (इदम्-ऍल्लिंग सप्तमी)
(viii) तत् ……………. अस्मात् मनोरथमभीष्टं साधयामि। (अस्मद्-प्रथमा)
(ix) किन्तु …………………. सह केलिभिः कोऽपि न उपलभ्यमानः आसीत्।। (तत्-पुंल्लिंग तृतीया)
(x) अयि चटकपोत ! ……….. मित्रं भविष्यसि। (अस्मद्-षष्ठी)
(xi) अपूर्वः इव ते हर्षो ब्रूहि ……….. असि विस्मितः। (किम्-पुंल्लिंग तृतीया)
(xii) …………………. कुले आत्मस्तवं कर्तुमनुचितम्। (अस्मद्-षष्ठी)
(xiii) तां च …………… चित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा देशान्तरं प्रस्थितः। (किम्-पुल्लिंग षष्ठी)
(xiv) वत्स! पितृव्योऽयं ………….. (युष्मद्-षष्ठी)
(xv) ……………….. अस्मि तपोदत्तः। (अस्मद्-प्रथमा)
(xvi) गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो ……………. करणीयः। (अस्मद्-तृतीया)
(xvii) …………………. शब्दमवसुप्तस्तु जटायुरथ शुश्रुवे। (तत्-पुल्लिंग द्वितीया)
(xviii) वृद्धोऽहं ………………. युवा धन्वी सरथः कवची शरी। (युष्मद्-प्रथमा)
(xix) यतः ……………….. स्थलमलापनोदिनी जलमलापहारिणश्च। (तत्-पुल्लिंग प्रथमा)
(xx) ………………. सर्वान् पुष्णाति विविधैः प्रकारैः। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
उत्तरम् :
(i) तस्याः
(ii) सा
(iii) इयम्
(iv) येन
(v) तस्मात्
(vi) येषाम्
(vii) अस्मिन्
(viii) अहम्
(ix) तेन
(x) मम
(i) केन
(xii) अस्माकं
(xiii) कस्य
(xiv) तव
(xv) अहम्
(xvi) मया
(xvii) तम्
(xviii) त्वम्
(xix) स:
(xx) इयम्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 6.
कोष्ठकात् उचितविभक्तियुक्तं पदं चित्वा वाक्यपूर्तिः क्रियताम् –
(कोष्ठक से उचित विभक्ति युक्त पद को चुनकर वाक्य की पूर्ति कीजिए-)
(i) नाऽहं जाने ……………… कोऽस्ति भवान्। (यत्, याभ्याम्, याः)
(ii) सिकता: जलप्रवाहे स्थास्यन्ति ……………….? (किम्, कानि, काषु)
(ii) त्वया ………………. पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामाः पूरिताः। (आवाभ्याम्, अस्मत्, अहम्)
(iv) प्रकृतिरेव ………………. विनाशकी सजाता। (तस्य, तयोः, तेषां)
(v) ………………. सर्वमिदानी चिन्तनीयं प्रतिभाति। (तत्, ते, तानि)
(vi) भगवन्। प्रष्टुमिच्छामि किम् …………………. मनः ? (इयं, अयं, इदम्)
(vii) अशितस्यान्नस्य योऽणिष्ठः ………………. मनः। (तत्, तम्, तासाम्)
(viii) बालिका ………………. निवारयन्ती। (तस्मै, ताभ्याम्, तम्)
(ix) परं ………………. माता एकाकिनी वर्तते। (तव, तयोः, तेषु)
(x) ………………. अपि चायपेयस्य नास्ति। (इदम्, इदानीम्, अयम्)
(xi) यत् …………….. अपि कथनीयं यां प्रत्येव कथय। (किम्, कौ, कानि)
(xii) ……………….. नृशंसाः। (मह्यम्, अस्मत्, वयम्)
(xiii) ………………. इदानी कुत्र गताः ? (ते, ताभ्याम्, तेभ्यः)
(xiv) कल्पतरु: ……………….. उद्याने तिष्ठति स तव सदा पूज्य:। (तव, तेभ्यः, तस्मै)
(xv) विषाक्तं जलं नद्यां निपात्यते ………………. मत्स्यादीनां जलचराणां च नाशो जायते। (येन, याभ्यां, याषु)
उत्तरम् :
(i) यत्
(ii) किम्
(iii) अस्मत्
(iv) तेषां
(v) तत्
(vi) इदम्
(vii) तत्
(viii) तम्
(ix) तव
(x) इदानीम्
(xi) किम्
(xii) वयम्
(xiii) ते
(xiv) तव
(xv) येन।

प्रश्न 7.
अधोलिखितानां शब्दरूपाणां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत-
(निम्नलिखित शब्दरूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-)
पूर्वस्या, द्वितीयम्, सखा, रमायै, पूर्वे, हरिः, पितृभ्यः, सखिषु, स्वसुः, राज्ञाम्, भवान्, भवती, विद्वांसः, अमूः, दिक्षु, सरितः, कर्मणा, नव, वाक्, पञ्च।
उत्तराणि :
1. सूर्यः पूर्वस्याम् दिशि उदेति।
2. कक्षायां मम द्वितीय स्थानमस्ति।
3. रमेशः मम सखा अस्ति।
4. फलानि रमायै सन्ति।
5. मोहनः पूर्वे कर्णपुरनगरे निवसति स्म।
6. हरिः विद्यालयं गच्छति।
7. राकेशः पितृभ्यः जलं समर्पयति।
8. सखिषु रमा सुन्दरतमा अस्ति।
9. रामः श्वः स्वसुः गृहं गमिष्यति।
10. राज्ञाम् आचारः शोभनः भवति।
11. भवान् कुत्र निवसति ?
12. भवती किं पठति ?
13. स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वांसः सर्वत्र पूज्यन्ते।
14. अमूः कुत्र वसन्ति ?
15. दिक्षु कृष्णाः वारिदाः सन्ति।
16. सरितः जलं शीतलं भवति।
17. कर्मणा विना जीवनं न अस्ति।
18. तत्र विद्यालये नव छात्राः सन्ति।
19. जनस्य वाक् मधुरं भवेत।
20. पञ्च पाण्डवाः विज्ञाः आसन्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 8.
निर्देशानुसार सर्वनाम शब्दानां रूपं लिखत –
(निर्देशानुसार सर्वनाम शब्दों के रूप लिखिए-)
1. (i) सर्व – (पुल्लिंग प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(ii) तत् – (नपुंसकलिंग सप्तमी विभक्ति एकवचन)
2. (i) भवती – (तृतीया विभक्ति एकवचन)
(ii) यत् – (पुल्लिंग षष्ठी विभक्ति बहुवचन)
3. (i) इदम् – (स्त्रीलिंग द्वितीया विभक्ति बहुवचन)
(ii) एतत् – (पुल्लिंग पंचमी विभक्ति एकवचन)
4. (i) भवत् – (तृतीया विभक्ति द्विवचन)
(ii) किम् – (पुल्लिंग षष्ठी विभक्ति एकवचन)
5. (i) सर्व – (स्त्रीलिंग चतुर्थी विभक्ति एकवचन)
(ii) किम् – (नपुंसकलिंग सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
6. (i) युष्मद् – (द्वितीया विभक्ति बहुवचन)
(ii) एतत् – (नपुंसकलिंग सप्तमी विभक्ति द्विवचन)
7. (i) सर्व – (नपुंसकलिंग चतुर्थी विभक्ति द्विवचन)
(ii) किम् – (स्त्रीलिंग पंचमी विभक्ति बहुवचन)
8. (i) इदम् – (पुल्लिग प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(ii) यत् – (स्त्रीलिंग पंचमी विभक्ति बहुवचन)
9. (i) इदम् – (नपुंसकलिंग तृतीया विभक्ति बहुवचन)
(ii) तत् – (पुल्लिंग षष्ठी विभक्ति एकवचन)
10. (i) अस्मद् – (चतुर्थी विभक्ति एकवचन)
(ii) एतत् – (स्त्रीलिंग सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
11. (i) सर्व – (पुल्लिंग प्रथमा विभक्ति एकवचन)
(ii) तत् – (नपुंसकलिंग सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
12. (i) भवती – (प्रथमा विभक्ति द्विवचन)
(ii) यत् – (पुल्लिग सप्तमी विभक्ति एकवचन)
13. (i) इदम् – (स्त्रीलिंग प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(i) एतत् – (पुल्लिंग सप्तमी विभक्ति द्विवचन)
14. (i) भवत् – (द्वितीया विभक्ति एकवचन)
(ii) किम् – (पुल्लिंग षष्ठी विभक्ति बहुवचन)
15. (i) सर्व – (स्त्रीलिंग द्वितीया विभक्ति द्विवचन)
(ii) किम् – (नपुंसकलिंग षष्ठी विभक्ति एकवचन)
16. (i) युष्मद् – (द्वितीया विभक्ति द्विवचन)
(ii) एतत् – (नपुंसकलिंग षष्ठी विभक्ति द्विवचन)
17. (i) सर्व – (नपुंसकलिंग तृतीया विभक्ति एकवचन)
(ii) किम् – (स्त्रीलिंग पंचमी विभक्ति एकवचन)
18. (i) इदम् – (पुल्लिंग तृतीया विभक्ति द्विवचन)
(ii) यत् – (स्त्रीलिंग पंचमी विभक्ति एकवचन)
19. (i) इदम् – (नपुंसकलिंग तृतीया विभक्ति बहुवचन)
(ii) तत् – (पुल्लिंग पंचमी विभक्ति द्विवचन)
20. (i) अस्मद् – (चतुर्थी विभक्ति बहुवचन)
(ii) एतत् – (स्त्रीलिंग सप्तमी विभक्ति एकवचन)
उत्तराणि :
1. (i) सर्वे (ii) तस्मिन्
2. (i) भवत्या (i) येषाम्
3. (i) इमाः (ii) एतस्मात्
4. (i) भवद्भ्याम् (ii) कस्य
5. (i) सर्वस्यैः (ii) केषु
6. (i) युष्मान् (ii) एतयोः
7. (i) सर्वाभ्याम् (ii) काभ्यः
8. (i) इमे (ii) याभ्यः
9. (i) एभिः (ii) तस्य
10. (i) मह्यम् (ii) एतासु
11. (i) सर्वः (ii) तेषु
12. (i) भवत्यौ (ii) यस्मिन्
13. (i) इमाः (ii) एतयोः
14. (i) भवन्तम् (ii) केषाम्
15. (i) सर्वे (ii) कस्य
16. (i) युवाम् (ii) एतयोः
17. (i) सर्वेण (ii) कस्याः
18. (i) आभ्याम् (ii) यस्याः
19. (i) एभिः (ii) ताभ्याम्
20.(i) अस्मभ्यम् (ii) एतस्याम्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 9.
निर्देशानुसारं शब्द-रूपं लिखत – (निर्देशानुसार शब्द-रूप लिखिए-)
1. (i) धेनु – (तृतीया विभक्ति बहुवचन)
(ii) प्रासाद – (सप्तमी विभक्ति एकवचन)
2. (i) स्वसृ – (चतुर्थी विभक्ति एकवचन)
(ii) विधातृ – (पुल्लिंग सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
3. (i) पितृ – (षष्ठी विभक्ति बहुवचन)
(ii) तनु – (प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
4. (i) फलम् – (सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
(ii) रमा – (तृतीया विभक्ति एकवचन)
5. (i) जगत् – (षष्ठी विभक्ति बहुवचन)
(ii) धेनु – (प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
6. (i) नदी – (प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(ii) मातृ – (तृतीया विभक्ति एकवचन)
7. (i) भ्रातृ – (पंचमी विभक्ति द्विवचन)
(ii) आशु – (सप्तमी विभक्ति एकवचन)
8. (i) प्रासाद – (द्वितीया विभक्ति एकवचन)
(ii) पितृ – (तृतीया विभक्ति बहुवचन)
9. (i) वेदना – (पंचमी विभक्ति एकवचन)
(ii) धातृ – (द्वितीया विभक्ति द्विवचन)
10. (i) शान्तनु – (षष्ठी विभक्ति एकवचन)
(ii) दातृ – (चतुर्थी विभक्ति एकवचन)
11. (i) गंगा – (पंचमी विभक्ति बहुवचन)
(ii) कर्तृ – (तृतीया विभक्ति बहुवचन)
12. (i) धीवर – (षष्ठी विभक्ति द्विवचन)
(ii) हर्तृ – (सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
13. (i) कन्या – (सप्तमी विभक्ति द्विवचन)
(ii) भ्रातृ – (द्वितीया विभक्ति एकवचन)
14. (i) गृहम् – (द्वितीया विभक्ति बहुवचन)।
(ii) दुहितृ – (सप्तमी विभक्ति एकवचन)
15. (i) सेवा – (प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(ii) स्वसू – (षष्ठी विभक्ति एकवचन)
16. (i) भानु – (चतुर्थी विभक्ति एकवचन)
(ii) ननान्दृ – (पंचमी विभक्ति बहुवचन)
17. (i) रज्जु – (द्वितीया विभक्ति द्विवचन)
(ii) भ्रातृ – (सप्तमी विभक्ति एकवचन)
18. (i) पशु – (प्रथमा विभक्ति बहुवचन)
(ii) विधातृ – (षष्ठी विभक्ति बहुवचन)
19. (i) धेनु – (द्वितीया विभक्ति एकवचन)
(ii) भगवत् – (पंचमी विभक्ति एकवचन)
20. (i) तनु – (तृतीया विभक्ति एकवचन)
(ii) जगत् – (सप्तमी विभक्ति बहुवचन)
उत्तराणि :
1. (i) धेनुभिः (ii) प्रासादे
2. (i) स्वस्रे (ii) विधातृषु
3. (i) पितृणाम् (i) तनवः
4. (i) फलेषु (ii) रमया
5. (i) जगताम् (ii) धेनवः
6. (i) नद्यः (ii) मात्रा
7. (i) भ्रातुः (ii) आशौ
8. (i) प्रासादम् (ii) पितृभिः
9. (i) वेदनायाः (ii) धातरौ
10. (i) शान्तनो: (ii) दात्रे
11. (i) गंगाभ्यः (ii) कर्तृभि
12. (i) धीवरयोः (ii) हर्तृषु,
13. (i) कन्ययोः (ii) भ्रातरम्
14. (i) गृहाणि (ii) दुहितरि
15. (i) सेवाः (ii) स्वसुः
16. (i) भानवे (ii) ननान्दृभ्यः
17. (i) रज्जू (ii) भ्रातरि
18. (i) पशव: (ii) विधातृणाम्
19. (i) धेनुम् (ii) भगवतः
20. (i) तन्वा (ii) जगत्सु।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूप प्रकरणम्

प्रश्न 10.
अधोलिखितेषु शब्देषु विभक्तिः वचनं च निर्देशनं कुरुत-
(निम्नलिखित शब्दों में विभक्ति और वचन को निर्देशित कीजिए-)
(i) गुरुणा
(ii) विद्यालयेषु
(iii) देवानाम्
(iv) लतायाम्
(v) मुनीन्
(vi) वारिणि
(vii) त्वाम्
(viii) कैः
(ix) यस्मै
(x) एतस्मात्।
उत्तरम् :
(i) तृतीया विभक्तिः एकवचनम्
(ii) सप्तमी विभक्तिः बहुवचनम्
(iv) षष्ठी विभक्तिः बहुवचनम्
(iv) सप्तमी विभक्तिः एकवचनम्
(v) द्वितीया विभक्तिः बहुवचनम्
(vi) द्वितीया विभक्तिः बहुवचनम्
(vii) द्वितीया विभक्तिः एकवचनम्
(viii) तृतीया विभक्ति: बहुवचनम्
(ix) चतुर्थी विभक्तिः एकवचनम्
(x) पञ्चमी विभक्तिः एकवचनम्।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

JAC Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गयाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ?
उत्तर :
मैना सेनापति ‘हे’ को कहती है कि जिन लोगों ने आपके विरुद्ध शस्त्र उठाए थे, दोषी तो वे लोग थे। इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका कोई अपराध नहीं किया है, इसलिए इस मकान की रक्षा कीजिए। वह उन्हें अपने और उनकी पुत्री मेरी के साथ अपने प्रेम-संबंधों की याद दिलाती है और कहती है कि वह मेरी की मृत्यु से बहुत दुखी हुई थी। उसने मेरी की यादगार के रूप में उसका एक पत्र भी संभालकर रखा हुआ था। उसने जनरल ‘हे’ को उनके घर आने-जाने तथा उसके परिवार से संबंधों की याद दिलाकर भी मकान की रक्षा के लिए प्रेरित किया है।

प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों ?
उत्तर :
मैना जड़ पदार्थ मकान को इसलिए बचाना चाहती थी क्योंकि उस मकान ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया था तथा यह मकान उसे बहुत प्रिय था। अंग्रेज़ इस मकान को इसलिए नष्ट करना चाहते हैं क्योंकि वे नाना साहब को पकड़ नहीं सके हैं। वे नाना साहब से संबंधित प्रत्येक वस्तु को नष्ट कर देना चाहते थे।

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प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया भाव के क्या कारण रहे थे ?
उत्तर :
सर टामस ‘हे’ ने जब मैना को पहचाना कि यह तो नाना साहब की पुत्री है तो उसके मन में इस छोटी-सी बालिका के प्रति दया का भाव उत्पन्न हो गया। वह नाना साहब के घर आता-जाता रहता था। उसके नाना साहब के घर के साथ पारिवारिक संबंध थे। मैना और उनकी पुत्री मेरी की परस्पर अच्छी मित्रता थी। वह मैना को भी मेरी के समान ही स्नेह करता था। इन सब बातों को सोचकर उसे मैना पर दया आ गई थी और उसने मैना को कहा था कि मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूँगा।

प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भर कर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ?
उत्तर :
पाषाण हृदय वाले जनरल अउटरम ने मैना की अंतिम इच्छा कि वह उस प्रासाद पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती है, इसलिए पूरी न होने दी क्योंकि उसे भय था कि कहीं वह भी नाना साहब की तरह भाग न जाए। पहले भी महल की तलाशी लेने पर उसे मैना कहीं नहीं मिली थी। इसलिए उसने उसे फौरन हथकड़ी पहना दी।

प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर :
मैना एक निडर, स्वाभिमानी, स्वदेश प्रेमी, स्पष्टवादी तथा भावुक बालिका है। इसके चरित्र की इन विशेषताओं को हम अपनाना चाहेंगे। इससे हमारा व्यक्तित्व निखरता है और हमें अपने देश के प्रति आत्म- बलिदान की प्रेरणा मिलती है। हम निडरतापूर्वक प्रत्येक स्थिति का सामना कर सकते हैं।

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प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था – ‘ बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है ?
उत्तर :
इस वाक्य में भारत सरकार से आशय भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी ?
उत्तर :
‘इस प्रकार के लेखों से स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वालों को अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए आत्म- बलिदान देने की प्रेरणा प्राप्त हुई होगी। अनेक भारतवासी ऐसे लेखों को पढ़कर स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े होंगे। उन्होंने निडरतापूर्वक विदेशी शक्तियों का डटकर मुकाबला किया होगा।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की इस खबर को आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर :
इतिहासकार महादेव चिटनवीस से आज ज्ञात हुआ कि स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के सेनानी नाना साहब की पुत्री मैना को कानपुर के किले में जीवित जला कर भस्म कर दिया। मैना को अंग्रेज़ी सेना के जनरल अउटरम ने नाना साहब के धराशायी महल के पास से बंदी बनाया था। छह सितंबर को हॉउस ऑफ़ लार्ड्स में सर टामस की अध्यक्षता में नाना के परिवारजनों तथा संबंधियों को मार डालने का क्रूरता भरा निर्णय लिया गया था। भीषण अग्नि में शांत भाव से जलती बालिका मैना को वहाँ उपस्थित लोगों ने देवी समझकर प्रणाम किया।

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प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप –
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
(ख) अपने आस-पास का किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर :
(क) 1. हिमाचल में मछली फार्म में जहर फैलने से सैकड़ों मछलियों की मौत हिमाचल प्रदेश के मछली फार्म में जहर फैलने की वजह से सैकड़ों हिमालयी मछलियों के मारे जाने की खबर मिली है। बताया गया है कि ये मछलियाँ दुर्लभ प्रजाति की थीं। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी तारा चंद ने इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल के धमवाड़ी सरकारी मछली फार्म में लगभग 3000 छोटी मछलियाँ मरी पाई गईं, जबकि 400 वयस्क मछलियों के मारे जाने की भी खबर मिली है। तारा चंद ने बताया कि मरी हुई मछलियों की जाँच करने से पाया गया है कि मछली- टैंक में जहरीले रासायनिक पदार्थ के फैलने की वजह से इन मछलियों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि राज्य की राजधानी शिमला से 140 किलोमीटर दूरी पर स्थित पब्बर घाटी पर सरकार द्वारा मछली फार्म संचालित किए जाते हैं, जिन्हें हैचरी बोला जाता है।

2. यहाँ किसी भी हिंदी समाचार पत्र से कोई समाचार काटकर चिपकाइए।
(ख) वह रात अति डरावनी थी, मूसलाधार बारिश में पूरी मुंबई गले तक डूब चुकी थी। लोग घरों तक पहुँचने की जद्दोजहद में अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे।
सारे संपर्क टूट गए थे। मैं तीसरे माले की अपनी बालकनी से प्रकृति का तांडव देख रही थी। बेटे और पति से बड़ी मुश्किल से बात हो पाई थी। पास के रिश्तेदारों के यहाँ उन्हें रुकने को कहने के बाद मैं घर में अकेली थी। हमेशा जगमगाती मुंबई आज अंधकार में डूबी थी। मैंने टॉर्च की रोशनी में देखा कि पास के नाले में भरा कचरा पानी के साथ पूरे मोहल्ले में फैल गया है।

इस दृश्य को मैं कई दिनों तक भुला नहीं पाई। धीरे-धीरे बारिश का प्रकोप थमा और जीवन सामान्य होने लगा। मैंने ठान लिया था कि मुझे क्या करना है। मैंने तीन कचरा पेटी खरीदीं और नाले के सामने रखवा दीं। आस-पास के हर घर में जाकर अपील की कि कचरा नाले में नहीं कचरापेटी में ही डालें। सोसायटी के अध्यक्ष से कहकर नाले की पूरी सफाई करवाई। काफी लोगों ने समझा, तो कुछ ने मजाक बनाया। जानबूझकर कचरा नाले में डाल देते। उनसे उलझने की जगह मैं खुद जाकर कचरा उठाकर पेटी में डाल आती। अब सभी लोग कचरा सही जगह पर डालते हैं और साफ-सुथरी कॉलोनी में रहने पर गर्व महसूस करते हैं।
ऐसी ही कोई न कोई पहल हम सब कर सकते हैं।

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प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर :
पिछले सप्ताह मेरी कक्षा एक पिकनिक ट्रिप पर गई थी। हमारे साथ शीतल मैडम और गुप्ता सर भी थे। हम तीस बच्चे स्कूल की वैन में गए थे। हम बहुत प्रसन्न थे और अपने साथ खेलने और खाने का बहुत-सा सामान ले गए थे। वैन से उतरते ही हम सब झील के किनारे चले गए। झील में किनारे के पास ही एक सुंदर फूल लगा था जिसे संदीप ने तोड़ना चाहा। सब बच्चों ने उसे ऐसा न करने को कहा पर वह माना ही नहीं।

वहाँ थोड़ी ढलान और फिसलन थी। जैसे ही उसने पाँव बढ़ाया वह फ़िसल गया और झील में जा गिरा। हम सब ज़ोर-ज़ोर से चीखने-चिल्लाने लगे। हममें से किसी को भी तैरना नहीं आता था। संदीप गोते खा रहा था। पास ही भैंस चराने वाला एक लड़का अपनी भैंसों को चरा रहा था। हमारी चीख-पुकार सुनकर वह भागा हुआ आया। उसने कपड़ों समेत झील में छलांग लगा दी और डूबते संदीप को झील से बाहर खींच लाया।

तब तक गुप्ता सर भी दूर से भागते हुए हमारे पास पहुँच गए। उन्होंने उस लड़के को शाबाशी दी और एक सौ रुपए इनाम देने की बहुत कोशिश की, पर उसने इनाम नहीं लिया। हम सब बच्चों ने उसकी बहुत प्रशंसा की, पर वह तो सिर नीचा कर चुपचाप बैठा रहा। उसकी बहादुरी के कारण ही संदीप डूबने से बच गया।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इसी पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले प्रचलित था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
उत्तर :
मानक रूप – अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अंत में वृद्धावस्था में सर टामस हे एक मामूली मराठी बालिका के सौंदर्य पर मोहित होकर अपना कर्तव्य ही भूल गए। हमारे मत से नाना के पुत्र, कन्या तथा अन्य कोई भी संबंधी जहाँ कहीं मिलें, मार दिए जाएँ। यह भी जानें –

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पाठेतर सक्रियता –

अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
इन पुस्तकों को पढ़िए- ‘ भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’ – राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली। ‘सन् 1857 की कहानियाँ’ – ख्वाजा हसन निज़ामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें –
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
आजाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हज़ार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा – “ जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी।

केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हज़ार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”

मुझे याद आता है सन् 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया – “चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”

मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।

1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया ?
2. दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया ?
3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं ?
4. आजादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा ?
5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे ?
उत्तर :
1. अनेक सरकारों ने उन्हें पैसे से तोलना चाहा। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार दरबारा सिंह ने उन्हें इक्यावन हज़ार रुपये भेंट किए थे।
2. दुर्गा भाभी ने पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा भेंट स्वरूप दिए गए रुपये इसलिए वापस कर दिए थे क्योंकि वे व्यक्तिगत लाभ नहीं लेना चाहती थीं।
3. दुर्गा भाभी को चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वे दलगत राजनीति से दूर रहना चाहती थीं, इसलिए अनेक बड़े-बड़े नेताओं से निकट संपर्क होते हुए भी संसदीय राजनीति से दूर रहीं।
4. आजादी के बाद उन्होंने स्वयं को नयी पीढ़ी के निर्माण में लगा दिया तथा अपना सारा समय अपने विद्यालय को समर्पित कर दिया।
5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व से हम उनकी यह विशेषता अपनाना चाहेंगे कि मनुष्य को कोई भी कार्य अपने व्यक्तिगत लाभ अथवा उपलब्धि के लिए न करके समाज के कल्याण के लिए करना चाहिए।

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यह भी जानें –

हिंदू – पंच – अपने समय की चर्चित पत्रिका हिंदू पंच का प्रकाशन सन् 1926 में कलकत्ता से हुआ। इसके संपादक थे – ईश्वरीदत्त शर्मा सन् 1930 में इसका ‘बलिदान’ अंक निकला जिसे अंग्रेज़ सरकार ने तत्काल जब्त कर लिया। चाँद के ‘फाँसी’ अंक की तरह यह भी आजादी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस अंक में देश और समाज के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले व्यक्तियों के बारे में बताया गया है।

JAC Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर :
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों ने अपना सैनिक दल बिठूर भेज दिया। बिठूर आकर उन्होंने नाना साहब का राजमहल लूट लिया। इस लूट में उन्हें बहुत थोड़ी संपत्ति मिली थी। उन्होंने तोप के गोलों से नाना साहब का महल नष्ट करने का निश्चय किया। सैनिकों ने जब वहाँ तोपें लगाईं तो नाना साहब की पुत्री मैना ने सेनापति ‘हे’ से ऐसा न करने की प्रार्थना की, किंतु जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना साहब का महल मिट्टी में मिला दिया गया और मैना को कानपुर के एक किले में लाकर जलाकर भस्म कर दिया गया।

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प्रश्न 2.
सर टामस हे की रिपोर्ट पर ‘हाउस ऑफ़ लाईस’ ने क्या टिप्पणी की थी ?
उत्तर :
सर टामस हे की रिपोर्ट पर हाउस ऑफ़ लार्ड्स में बहुत आलोचना हुई थी। इस संबंध में टाइम्स ने लिखा था कि ‘हे’ के लिए निश्चय ही यह कलंक की बात है। जिस नाना ने अंग्रेज़ नर-नारियों का संहार किया उसकी कन्या के लिए वे क्षमा- दान की माँग कर रहे हैं। लगता है, अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अंत में वृद्धावस्था में वे एक मामूली महाराष्ट्रीयन बालिका के सौंदर्य पर मुग्ध होकर अपना कर्तव्य भूल गए हैं। हमारे विचार में नाना का जो भी संबंधी मिले, उसे मार डाला जाए तथा जिस कन्या की ‘हे’ ने क्षमादान की अपील की है, उसे ‘हे’ के सामने फाँसी पर लटका दिया जाए।

प्रश्न 3.
धुंधुपंत नाना साहब से क्या गलती हुई थी और उस ग़लती का परिणाम किसे भुगतना पड़ा ?
उत्तर :
धुंधुपत नाना साहब सन् 1857 ई० के विद्रोह के नेताओं में से एक थे। नाना साहब कानपुर में असफल हो गए थे। वे जल्दी से वहाँ : से भाग निकले थे परंतु जल्दी-जल्दी में वे अपनी पुत्री मैना को अपने साथ नहीं ले सके थे। उनकी इस छोटी सी ग़लती का परिणाम छोटी बच्ची को भुगतना पड़ा। उस छोटी बच्ची मैना को अंग्रेजों की क्रूरता का शिकार होना पड़ा था।

प्रश्न 4.
अंग्रेज़ी सरकार ने सेनापति टामस ‘हे’ को क्या आदेश दिया था ?
उत्तर :
अंग्रेज़ी सरकार सन् 1857 के संग्राम में भाग लेने वालों के विरुद्ध क्रूरतापूर्ण व्यवहार कर रही थी। नाना साहब के असफल होने पर और वहाँ से सुरक्षित निकल जाने पर अंग्रेज़ों ने उनके महल पर कब्जा कर लिया। अंग्रेजी सरकार ने सेनापति टामस ‘हे’ को आदेश दिया कि नाना साहब के संबंधी, पुत्र और कन्या जो भी मिले उसे मार डाला जाए। नाना साहब की पुत्री को फाँसी देने का आदेश दिया गया था परंतु अंग्रेजों ने उसे जिंदा जला दिया।

प्रश्न 5.
सेनापति टामस ‘हे’ और नाना साहब की पुत्री मैना के मध्य हुए संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
नाना साहब का महल नष्ट करने के लिए अंग्रेज़ों की तरफ से सेनापति टामस ‘हे’ आए थे। मैना ने उन्हें पहचान लिया कि वे उसकी सहेली के पिता थे। मैना ने उनसे मकान को नष्ट करने से पहले मकान के द्वारा किया गया अपराध पूछा। सेनापति ‘हे’ ने कहा कि वह नाना साहब का निवास स्थान था। हमें उनसे संबंधित सभी वस्तुओं को नष्ट करने का आदेश मिला था। मैना सेनापति ‘हे’ को अपना परिचय उनकी पुत्री मेरी की सखी के रूप में दिया था। साथ ही जड़ पदार्थ मकान को नष्ट न करने की प्रार्थना की।

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प्रश्न 6.
सेनापति ‘हे’ मैना की बातें सुनकर असमंजस में क्यों पड़ जाता है ?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ नाना साहब का महल नष्ट करने आया था परंतु मैना की बातें सेनापति ‘हे’ पर गहरा प्रभाव डालती हैं। वह महल को नष्ट नहीं करना चाहता था परंतु उसे अंग्रेज़ सरकार से आदेश मिला था जिसे वह ठुकरा नहीं सकता था। वह मैना को अपनी पुत्री मेरी के समान प्यार करता था। वह असमंजस में पड़ जाता है कि वह सरकार का आदेश का पालन करे या मैना की बात मानकर महल की रक्षा करे।

प्रश्न 7.
प्रधान सेनापति जनरल अउटरम सेनापति ‘हे’ पर क्यों क्रोधित हुआ ?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ को आदेश दिया गया था कि नाना साहब से संबंधित सभी चीज़ों को नष्ट कर दिया जाए परंतु सेनापति ‘हे’ ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि मैना उनकी पुत्री मेरी की सहेली थी। वे उसकी रक्षा करने का प्रयत्न करते हैं। उसी समय जनरल अउटरम वहाँ पहुँच जाता है और सेनापति ‘हे’ को आदेश का पालन नहीं करते हुए देखकर वह उस पर बिगड़ जाता है।

प्रश्न 8.
सेनापति ‘हे’ ने नाना साहब के महल को बचाने के लिए क्या प्रयास किए?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ ने अंग्रेज़ी सरकार के आदेश का उल्लंघन करते हुए जनरल अउटरम से प्रार्थना करता है कि नाना साहब के महल को नष्ट न किया जाए। जनरल अउटरम उसकी प्रार्थना को ठुकरा देता है। सेनापति ‘हे’ गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग को एक तार भेजता है। गवर्नर जनरल भी उसकी प्रार्थना को ठुकरा देते हैं। सेनापति ‘हे’ नाना साहब के महल को बचाने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं।

प्रश्न 9.
अंत में मैना कहाँ बैठी थी और उसकी अंतिम इच्छा क्या थी ?
उत्तर :
जनरल अउटरम ने नाना साहब के महल को नष्ट कर दिया था। वहाँ उसे मैना कहीं नहीं मिली थी। सितंबर 1857 को आधी रात के समय मैना साफ़ कपड़े पहने हुए महल की राख की पास बैठी रो रही थी। अंग्रेज़ों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। वह मरने से नहीं डर रही थी। वह केवल कुछ देर के लिए अपने पिता के महल की राख के पास बैठकर रोना चाहती थी परंतु अंग्रेजों ने उसकी इच्छा पूरी नहीं की।

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प्रश्न 10.
अंग्रेज़ों ने मैना के साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तर :
अंग्रेजों ने मैना को उसके महल में से गिरफ्तार कर लिया। उसे कानपुर के किले में बंद कर दिया। मैना को फाँसी की सजा सुनाई गई थी, परंतु अंग्रेज़ों ने उसे कानपुर के किले में आग में जलाकर भस्म कर दिया। अंग्रेजों ने उस छोटी बच्ची को जिंदा जलाकर नाना साहब से अपना बदला लिया था।

प्रश्न 11.
मैना के मरने का समाचार किसने दिया और मरते समय वह कैसी लग रही थी ?
उत्तर :
मैना के मरने का समाचार महाराष्ट्रीय इतिहास वेत्ता महादेव चिटनवीस ने अपने पत्र ‘बाखर’ में छापा था। उसमें लिखा था, ‘अंग्रेज़ों ने कानपुर के किले में भीषण हत्याकांड किया और मैना को जिंदा आग में जलाकर भस्म कर दिया। भीषण अग्नि में जलते समय मैना शांत और सरल मूर्ति लग रही थी। वहाँ उपस्थित लोगों ने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।’

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. सन् 1857 के विद्रोही नेता धुंधुपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ . न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी, पर विद्रोह का दमन करने के बाद अंग्रेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. विद्रोह कब हुआ था ?
2. 1857 के विद्रोही नेता का क्या नाम था ?
3. नाना साहब कानपुर में किसको और क्यों छोड़कर चले गए थे ?
4. अंग्रेज़ों ने किसे अग्नि में भस्म कर दिया था ?
उत्तर :
1. विद्रोह सन् 1857 में हुआ था।
2. सन् 1857 के विद्रोही नेता का नाम धुंधपंत नाना साहब था।
3. सन् 1857 के विद्रोह में नाना साहब असफल हो गए थे, इसलिए वे वहाँ से जल्दी में भागने लगे। इसी जल्दबाजी में वे कानपुर में अपनी पुत्री देवी मैना को छोड़ गए, जो उनके महल में उनके साथ रहती थी।
4. अंग्रेज़ों ने नाना साहब की पुत्री देवी मैना को बड़ी ही क्रूरता से आग में जलाकर भस्म कर दिया।

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2. कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया, पर उसमें बहुत थोड़ी संपत्ति अंगरेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगाईं, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका उठकर खड़ी हो गई।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. अंग्रेज़ों के सैनिक भीषण हत्याकांड के पश्चात् कहाँ गए ?
2. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के राजमहल के साथ क्या किया ?
3. अंग्रेज़ों ने क्या निश्चय किया ?
4. नाना साहब के महल को तोपों से उड़ाते समय क्या हुआ ?
उत्तर
1. कानपुर में भीषण हत्याकांड के बाद अंग्रेज़ों के सैनिक दल बिठूर की ओर गए।
2. अंग्रेज़ों ने बिठूर में नाना साहब के राजमहल को लूट लिया। इसके पश्चात अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से उनका राजमहल भस्म करने का निश्चय किया।
3. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को तोप से उड़ा देने का निश्चय किया।
4. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को तोप से उड़ाने का निश्चय करने के बाद वहाँ पर तोपें लगवा दीं। उसी समय महल के बरामदे में एक सुंदर बालिका उठकर खड़ी हो गई।

3. मैं जानती हूँ कि आप जनरल ‘हे’ हैं। आपकी प्यारी कन्या मेरी में और मुझ में बहुत प्रेम संबंध था। कई वर्ष पूर्व मेरी मेरे पास बराबर आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। उस समय आप भी हमारे यहाँ आते थे और मुझे अपनी पुत्री के ही समान प्यार करते थे। मालूम होता है कि आप वे सब बातें भूल गए हैं। मेरी की मृत्यु से मैं बहुत दुखी हुई थी, उसकी एक चिट्ठी मेरे पास अब तक है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह शब्द किसने, किसे और क्यों कहे ?
(ख) जनरल ‘हे’ कौन था ? वह यहाँ किसलिए आया था ?
(ग) मेरी की सखी जनरल ‘हे’ को क्या समझाना चाहती थी और क्यों ?
(घ) मेरी की सखी ने मेरी का पत्र क्यों संभालकर रखा हुआ था ?
(ङ) जनरल ‘हे’ के मन में मैना ने क्या भाव भरने का प्रयत्न किया था ?
उत्तर :
(क) यह शब्द धुंधुपंत नाना साहब की पुत्री मैना ने अंग्रेज़ सेनापति जनरल ‘हे’ से कहे थे। जब जनरल ‘हे’ सरकार की आज्ञा से नाना साहब का महल तोपों से गिराना चाहता था तो मैना उनसे यह महल न गिराने का अनुरोध करते हुए उन्हें अपना परिचय देती है।
(ख) जनरल ‘हे’ एक अंग्रेज़ अधिकारी था। वह वहाँ नाना साहब का महल गिराने आया था।
(ग) मेरी की सखी मैना जनरल ‘हे’ को यह समझाना चाहती है कि उसका तथा उनकी पुत्री मैरी का आपस में बहुत प्रेम – भाव था। वे उनके घर आते रहते थे तथा मेरी भी उनके घर आती थी। वे उसे भी अपनी पुत्री के समान स्नेह देते थे। इस प्रकार उनके तथा मैना के परिवार के आपस में अच्छे संबंध थे, इसलिए उन्हें उनका महल नष्ट नहीं करना चाहिए।
(घ) मैना का मेरी के साथ बहुत प्रेम-भाव था। वे आपस में मिलती-जुलती रहती थीं। मेरी की मृत्यु से मैना बहुत दु:खी हुई थी। मेरी की यादगार के रूप में मैना ने मेरी का एक पत्र संभालकर रखा हुआ था।
(ङ) मैना ने जनरल ‘हे’ के मन में अपने प्रति प्रेम और सहानुभूति के भाव भरने चाहे थे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

4. बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक इस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह कथन किसने, कब और क्यों कहा ?
(ख) भारत सरकार किसे कहा गया है ? वह असफल क्यों रही ?
(ग) नाना साहब को दुर्दात क्यों कहा गया है ? अंग्रेज़ों को उन पर क्रोध क्यों है ?
(घ) कानपुर में कैसा हत्याकांड हुआ था ? यह घटना कब की है ?
(ङ) अंग्रेज़ सरकार को किसने भड़काया और उकसाया था ?
उत्तर :
(क) यह समाचार लंदन से प्रकाशित ‘टाइम्स’ के 6 सितंबर, सन् 1857 के अंक में छपा था। कानपुर में धुंधुपंत नाना साहब द्वारा अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध किए गए विद्रोह के कारण यह समाचार प्रकाशित हुआ था। अंग्रेज़ सेना नाना को पकड़ नहीं सकी थी।
(ख) भारत सरकार तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार को कहा गया है। वह सरकार नाना साहब द्वारा किए गए विद्रोह को दबा नहीं सकी थी और नाना साहब को भी पकड़ने में असमर्थ रही थी। इसलिए ‘टाइम्स’ ने इस सरकार को असफल कहा था।
(ग) नाना साहब को दुर्गांत इसलिए कहा गया है क्योंकि अंग्रेज़ सरकार के सैनिक नाना साहब के विद्रोह का दमन नहीं कर सके थे और न ही वे नाना साहब को पकड़ सके। नाना साहब द्वारा किए गए विद्रोह और अंग्रेज़ों की हत्याओं के कारण ही अंग्रेज़ों को उन पर क्रोध है।
(घ) कानपुर में अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध हुए नाना साहब के विद्रोह में अनेक अंग्रेज़ मारे गए थे। इसके बाद बदला लेने के लिए अंग्रेज़ सैनिकों ने कानपुर में अनेक भारतीयों को मार दिया था। यह घटना सन् 1857 ई० के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की है।
(ङ) अंग्रेज़ सरकार को भारत सरकार के विरुद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ ने भड़काया और उकसाया था।

नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Summary in Hindi

लेखिका – परिचय :

जीवन परिचय – चपला देवी द्विवेदी युग की लेखिका मानी जाती हैं। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

रचनाएँ – चपला देवी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में रिपोर्ताज लिखे थे। ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ उनके द्वारा रचित प्रसिद्ध रिपोर्ताज है। उनकी अन्य रचनाओं के संबंध में हिंदी साहित्य का इतिहास मौन है।

भाषा-शैली – चपला देवी द्वारा रचित रिपोर्ताज इस शैली का प्रारंभिक रूप है। इसमें लेखिका ने तत्कालीन प्रचलित बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। इसमें क्रूरता, विद्रोह, दमन, वासस्थान, अल्पवयस, भग्नावशिष्ट आदि तत्सम प्रधान शब्दों के अतिरिक्त महल, बरामदा, चिट्ठी, फिक्र, तार आदि विदेशी शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। संवादात्मकता ने इस रिपोर्ताज की रोचकता में वृद्धि की है, जैसे-सेनापति ने उससे पूछा – ‘क्या चाहती है ?”

बालिका ने शुद्ध अंग्रेज़ी भाषा में उत्तर दिया – ‘क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे ?”
सेनापति – ‘क्यों, तुम्हारा इसमें क्या उद्देश्य है ?’
बालिका – ‘आप ही बताइए कि यह मकान गिराने में आपका क्या उद्देश्य है ?”
कहीं-कहीं विवरणात्मक शैली के दर्शन होते हैं, जैसे – ‘कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।’
इस प्रकार लेखिका ने सहज, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी भाषा – शैली में अपने भावों को व्यक्त किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

पाठ का सार :

‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ चपला देवी द्वारा रचित रिपोर्ताज है, जिसमें लेखिका ने सन् 1857 ई० की क्रांति के नेता धुंधुपंत नाना साहब की पुत्री मैना को अंग्रेजों द्वारा जलाकर मार डालने की लोमहर्षक घटना का हृदयस्पर्शी वर्णन किया गया है। कानपुर में भीषण नरसंहार करने के बाद अंग्रेज़ों की सेना ने बिठूर जाकर नाना साहब का राजमहल लूट लिया।

इसके बाद उन्होंने तोप के गोलों से महल को उड़ाने की तैयारी की तो महल के बरामदे में एक बहुत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई तथा अंग्रेज सेनापति को महल पर तोप के गोले बरसाने से मना किया। उस छोटी-सी बालिका पर अंग्रेज सेनापति को दया आ गई और उसने उस बालिका से पूछा कि वह क्या चाहती है? उस बालिका ने सेनापति को अंग्रेज़ी भाषा में ही उत्तर दिया कि वह इस महल की रक्षा करना चाहती है क्योंकि जिन्होंने आप के विरुद्ध शस्त्र उठाए थे वे दोषी हो सकते हैं परंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने तो आप का कुछ नहीं बिगाड़ा है। सेनापति ने उत्तर दिया कि वह अपने कर्तव्य से बँधा हुआ है, इसलिए उसे यह मकान गिराना ही होगा।

तब वह बालिका उस अंग्रेज सेनापति को बताती है कि वह जानती है कि वे जनरल ‘हे’ हैं। उनकी पुत्री मैरी से उसकी मित्रता थी। मैरी की मृत्यु से वह बहुत दुखी हुई थी। मैरी का एक पत्र आज भी उसके पास सुरक्षित है। तब सेनापति ने उस बालिका को पहचान लिया कि वह नाना साहब की पुत्री मैना है। वह उसे बचाने का प्रयत्न करने की बात कहता है। तभी वहाँ जनरल अउटरम आकर नाना साहब के महल को तोप से उड़ाने के लिए कहता है।

सेनापति ‘हे’ नाना साहब के महल को किसी प्रकार से बचाने के लिए उनसे पूछता है तो अउटरम स्पष्ट कह देता है कि गवर्नर जनरल की आज्ञा के बिना यह संभव नहीं है। सेनापति ‘हे’ गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग से इस विषय में तार भेजकर अनुरोध करता है। लॉर्ड केनिंग का उत्तर आता है कि ‘लंदन के मंत्रिमंडल का यह मत है कि नाना का स्मृति चिह्न तक मिटा दिया जाए।’ उसी क्षण जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना का राजमहल तोप के गोले बरसा कर मिट्टी में मिला दिया जाता है।

इस संदर्भ में लंदन से प्रकाशित ‘टाइम्स’ पत्र में छठी सितंबर को एक लेख में नाना साहब को पकड़ सकने में अंग्रेजी सेना की असमर्थता पर खेद व्यक्त किया गया और ‘हाउस ऑफ लाईस’ की सभा में सर टामस ‘हे’ की इस रिपोर्ट की निंदा की गई कि नाना की कन्या पर दया की जाए। उन्होंने नाना के परिवारजनों तथा संबंधियों को मार डालने तथा मैना को फाँसी पर लटकाने का आदेश दिया।

सन् 1857 ई० के सितंबर महीने की आधी रात के समय चाँदनी में स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहनकर एक बालिका नाना साहब के धराशायी महल के ढेर पर बैठी रो रही थी। वहीं पास में जनरल अउटरम और उसकी सेना भी ठहरी हुई थी। बालिका के रोने की आवाज़ सुनकर वह वहाँ पहुँच गया और उसने उसे पहचान लिया कि यह तो नाना की पुत्री मैना है। उसने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसे कानपुर के किले में लाकर कैद कर दिया गया। बाद में महाराष्ट्रीय इतिहासकार महादेव चिटनवीस के समाचार पत्र ‘बाखर’ में यह प्रकाशित हुआ कि कल कानपुर के किले में नाना साहब की पुत्री मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में भी शांत भाव से उस बालिका को जलती देखकर सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • विद्रोही – बाग़ी
  • दमन – बगावत को बलपूर्वक रोकना
  • निरीह – बेचारा, चुपचाप पड़ा रहनेवाला
  • पाषाण – पत्थर
  • अल्पवयस – कम उम्र
  • विध्वंस – नष्ट, नाश
  • दुर्दांत – जिसे दबाना बहुत कठिन हो
  • प्रासाद – महल
  • विद्रोह – राज्य को उलटने के लिए बलवा करना, बगावत
  • कूरता – निर्दयता, निष्ठुरता
  • निरपराध – जिसने कोई अपराध न किया हो, निर्दोष
  • द्रवीभूत – दया से पसीजा हुआ
  • वास स्थान – रहने का स्थान
  • फिक्र – चिंता
  • भग्नावशिष्ट – खंडहर
  • आर्त – दुखी

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

JAC Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर :
बचपन में सालिम अली एयरगन से खेला करते थे। एक दिन उनकी एयरगन से निकली गोली से एक नीले कंठवाली गौरैया घायल होकर गिर पड़ी। इस घायल गौरैया की दयनीय दशा देखकर सालिम अली को बहुत दुख हुआ। उन्होंने एयरगन न चलाने का फ़ैसला किया और पक्षियों की सेवा करने का निश्चय किया। इस प्रकार एक घायल गौरैया ने उनके जीवन की दिशा को बदल दिया और वे पक्षी प्रेमी बन गए।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं ?
उत्तर :
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री को बताया होगा कि यदि हम ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से नहीं बचाएँगे तो यहाँ का समस्त पर्यावरण दूषित हो जाएगा। पेड़-पौधे सूख जाएँगे। वर्षा नहीं होगी। हरियाली नष्ट हो जाएगी। पक्षियों का चहचहाना सुनाई नहीं देगा। पक्षी किसी दूसरे स्थान पर चले जाएँगे। पशुओं की भी हानि होगी। इस प्रकार से यह सुंदर वैली उजाड़ हो जाएगी। यह सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।

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प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘मेरी छत पर बैठनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है??
उत्तर :
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि लॉरेंस को प्रकृति से गहरा लगाव था। वे एक अच्छे ‘बर्ड वाचर’ थे। वे पक्षियों के कलरव से प्रेरणा प्राप्त कर कविताएँ लिखते थे। उनकी प्रकृति संबंधी कविताएँ विशेष प्रसिद्ध हैं। वे अपनी छत पर बैठी हुई गौरैया को अकसर देखा करते थे। इसी कारण उनकी पत्नी ने यह कहा कि मेरी छत पर बैठी गौरैया लॉरेंस के बारे में अधिक बता सकती है।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर :
लेखक को लगता है कि जिस प्रकार सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कवि डी० एच० लॉरेंस प्रकृति से गहरा लगाव रखते थे और मानते थे कि ‘मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं।’ इसलिए ‘हमारा प्रकृति की ओर लौटना ज़रूरी है।’ उसी प्रकार सालिम अली भी प्रकृति से बहुत लगाव रखते थे। वे प्रकृति की दुनिया में अथाह सागर बनकर उभरे थे। इसलिए वे प्राकृतिक जीवन के प्रतिनिधि बन गए थे।

(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ?
उत्तर :
लेखक का कथन है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस मरे हुए व्यक्ति को यदि कोई अन्य व्यक्ति अपने शरीर की गरमी और अपने दिल की धड़कनें देकर जीवित करना चाहे तो यह संभव नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपनी साँसें देकर किसी मरे हुए व्यक्ति को जीवित नहीं कर सकता। जो पक्षी मर जाता है उसे फिर से जीवित नहीं किया जा सकता। वह फिर से अपना कलरव नहीं कर सकता।

(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर :
लेखक का मानना है कि सालिम अली को प्रकृति से बहुत प्रेम था। उन्होंने प्रकृति का बहुत सूक्ष्मता से निरीक्षण किया था। वे दूरबीन से प्रकृति के प्रत्येक हृदय का आनंद लेते थे। एकांत के क्षणों में भी वे प्रकृति को अपनी दूरबीन रहित आँखों से निहारते रहते थे। इसी प्रकृति – प्रेम ने उन्हें पक्षियों का प्रेमी भी बना दिया था। जैसे सागर बहुत गहरा होता है उसी प्रकार सालिम अली का प्रकृति – प्रेम भी बहुत गहरा था।

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प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
(क) सरल भाषा – इस पाठ में लेखक ने बोलचाल की सरल भाषा का प्रयोग किया है, जैसे – ‘आज सालिम अली नहीं हैं। चौधरी साहब भी नहीं हैं। कौन बचा हैं जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा।’

(ख) शब्द प्रयोग – इस पाठ में लेखक ने तत्सम तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। जैसे- अग्रसर, अंतहीन, पलायन, नैसर्गिक, परिंदे, हुजूम, वादी, सफ़र, एहसास, तलाश, साइलेंट वैली, आबशारों आदि। इन शब्दों के द्वारा लेखक ने दृश्यों के शब्द – चित्र भी उपस्थित कर दिए हैं जैसे “सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है।’

(ग) काव्यात्मकता – इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली काव्यात्मक भी हो गई है, जैसे- ‘एहसास की ऐसी ही एक ऊबड़-
खाबड़ जमीन पर जनमे मिथक का नाम है, सालिम अली’।

(घ) रोचकता – इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली अत्यंत रोचक है। वृंदावन में श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रसंग भाषा-शैली की रोचकता का सुंदर उदाहरण है, जैसे- ‘पता नहीं इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भाँड़े फोड़े थे।’
इस प्रकार इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली सहज, चित्रात्मक तथा रोचक है।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली को एक सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक तथा समर्पित ‘बर्ड वाचर’ के रूप में प्रस्तुत किया है। बचपन में उनकी एयरगन से एक गौरैया घायल हो गई थी, जिसका दर्द देखकर उनके मन में पक्षी – प्रेम उत्पन्न हो गया था। उसके बाद वे जीवनभर दूरबीन लेकर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की खोज करते रहे और ‘एक गौरैया का गिरना’ शीर्षक पुस्तक में पक्षियों से संबंधित अपने अनुभवों को लिखा।

वे प्रकृति – प्रेमी भी थे। उन्हें प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण करने में अपार आनंद आता था। उन्हें पर्यावरण को सुरक्षित रखने की बहुत चिंता रहती थी। इसलिए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा से बचाने का अनुरोध किया था। वे निरंतर लंबी-लंबी यात्राएँ करके पक्षियों पर खोज करते थे। उनकी आँखों पर सदा दूरबीन चढ़ी रहती थी जिसे उनकी मृत्यु के बाद ही उतारा गया था। उनकी मृत्यु कैंसर से हुई थी।

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प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ में लेखक ने सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक सालिम अली की मृत्यु पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। लेखक को लगता है कि सालिम अली की यायावरी से परिचित लोग अभी भी यही सोच रहे हैं कि वे आज भी पक्षियों के सुराग में निकले हैं और अभी गले में दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे। लेखक की आँखें भी नम हैं और वह सोचता है ‘सालिम अली, तुम लौटोगे ना।’

लेखक का यह स्वप्न तब भंग हो जाता है जब वह देखता है कि सालिम अली उस हुजूम में सबसे आगे हैं जो मौत की खामोशवादी की ओर अग्रसर हो रहा है जहाँ जाकर वह प्रकृति में विलीन हो जाएगा। सालिम अली को ले जाने वाले अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटा नहीं सकते। अब तो बस उसकी यादें ही शेष हैं। इस प्रकार इस पाठ का शीर्षक ‘साँवले सपनों की याद’ सार्थक है।

रचना और अभिव्यक्ति – 

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर :
पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए। अपनी गली-मोहल्ले को साफ़-सुथरा रखना चाहिए। कूड़ा एक स्थान पर जमा करना चाहिए। प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तालाबों, झीलों तथा नदियों में गंदगी नहीं डालनी चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थों को कम प्रयोग में लाना चाहिए। वातावरण को शुद्ध बनाकर रखना चाहिए।

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पाठेतर सक्रियता –

अपने घर या विद्यालय के नज़दीक आपको अकसर किसी पक्षी को देखने का मौका मिलता होगा। उस पक्षी का नाम, भोजन, खोने का तरीका, रहने की जगह और अन्य पक्षियों से संबंध आदि के आधार पर एक चित्रात्मक विवरण तैयार करें।
आपकी और आपके सहपाठियों की मातृभाषा में पक्षियों से संबंधित बहुत से लोकगीत होंगे। उन भाषाओं के लोकगीतों का एक संकलन तैयार करें। आपकी मदद के लिए एक लोकगीत दिया जा रहा है –

अरे अरे श्यामा चिरइया झरोखवै मति बोलहु।
मोरी चिरई ! अरी मोरी चिरई ! सिरकी भितर बनिजरवा।
जगाई लइ आवउ, मनाइ लइ आवड ॥1॥
कवने बरन उनकी सिरकी कवने रँग बरदी।
बहिनी ! कवने बरन बनिजरवा जगाइ लै आई मनाइ लै आई ॥2॥
जरद बरन उनकी सिरकी उजले रंग बरदी।
सँवर बरन बनिजरवा जगाइ लै आवउ मनाइ लै आवउ ॥3॥

विभिन्न भाषाओं में प्राप्त पक्षियों से संबंधित लोकगीतों का चयन करके एक संगीतात्मक प्रस्तुति दें।
टी०वी० के विभिन्न चैनलों जैसे- एनिमल किंगडम, डिस्कवरी चैनल, एनिमल प्लेनेट आदि पर दिखाए जानेवाले कार्यक्रमों को देखकर किसी एक कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया लिखित रूप में व्यक्त करें।
एन०सी०ई० आर०टी० का श्रव्य कार्यक्रम सुनें – डॉ० सालिम अली
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

यह भी जानें –

प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली का जन्म 12 नवंबर, सन् 1896 में हुआ और मृत्यु 20 जून, सन् 1987 में उन्होंने फॉल ऑफ़ ए स्पैरो नाम से अपनी आत्मकथा लिखी है जिसमें पक्षियों से संबंधित रोमांचक किस्से हैं। एक गौरैया का गिरना शीर्षक से इसका हिंदी अनुवाद नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित किया है।
डी० एच० लॉरेंस (1885-1930) 20वीं सदी के अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध उपन्यासकार। उन्होंने कविताएँ भी लिखी हैं, विशेषकर प्रकृति संबंधी कविताएँ उल्लेखनीय हैं। प्रकृति से डी०एच० लॉरेंस का गहरा लगाव था और सघन संबंध भी। वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं। वे यह भी मानते थे कि हमारा प्रकृति की ओर लौटना जरूरी है।

JAC Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक ने सालिम अली की अंतिम यात्रा का वर्णन कैसे किया है ?
उत्तर :
सालिम अली की अंतिम यात्रा के समय लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ वहाँ एकत्र हो गई थी। इस भीड़ में सबसे आगे सालिम अली का जनाज़ा चल रहा था। सब लोग चुपचाप उनके पीछे-पीछे मौत की वादी की ओर अग्रसर हो रहे थे। सालिम अली इस संसार के भीड़-भाड़ एवं तनाव से युक्त वातावरण से आज़ाद हो गए थे। वे उस वन – पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे थे जो अपने जीवन का अंतिम गीत गाकर मौत की गोद में चला गया हो। अब कोई उन्हें अपने जिस्म की गरमी तथा दिल की धड़कन देकर भी लौटा नहीं सकता था।

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प्रश्न 2.
वृंदावन की आज की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आज भी वृंदावन जाएँ तो यमुना नदी का साँवला पानी श्रीकृष्ण की वृंदावन में की गई अनेक लीलाओं की याद करा देता है। सूर्य निकलने से पहले ही वृंदावन की गलियों से लोग निकलकर यमुना की ओर जाते हैं तो लगता है कि श्रीकृष्ण कहीं से निकलकर बाँसुरी बजाने लगेंगे और सब उस बंसी की तान पर मस्त होकर जहाँ के वहाँ रह जाएँगे। आज भी वृंदावन का वातावरण श्रीकृष्ण की बाँसुरी के जादू से भरा हुआ है।

प्रश्न 3.
सालिम अली ने वर्षों पहले क्या कहा था ?
उत्तर :
वर्षों पहले सामिल अली ने कहा था कि आदमी को पक्षी को आदमी की नज़र की अपेक्षा पक्षियों की नज़र से देखना चाहिए इससे आदमी को पक्षियों के विषय में जानने में मदद मिलेगी। ऐसे ही आदमी प्रकृति को भी अपनी नज़र से देखता है इसलिए उसे जगलों, पहाड़ों, झरनों और आबशारों की असली सुंदरता का पता नहीं है। इन सबको जानने के लिए स्वयं को उसकी तरह अनुभव करना पड़ता है तब हमें पक्षियों और प्रकृति से अनोखा संगीत सुनाने को मिल सकता है।

प्रश्न 4.
‘बर्ड वाचर’ से क्या अभिप्राय है ? इस पाठ में लेखक ने किसे बर्ड वाचर कहा है ?
उत्तर :
‘बर्ड वाचर’ से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जिसे पक्षियों से प्रेम होता है। वह पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों और गतिविधियों का सूक्ष्मता से अध्ययन करता है तथा उनके संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराता है। वह पक्षियों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के लिए तैयार रहता है। इस पाठ में लेखक ने ‘बर्ड वाचर’ सालिम अली को कहा है। सालिम अली ने अपनी सारी उम्र पक्षियों की तलाश और हिफ़ाज़त के लिए समर्पित कर दी थी।

प्रश्न 5.
सालिम अली के लिए प्रकृति कैसी थी ?
उत्तर :
सालिम अली अपनी दृष्टि से प्रकृति के जादू को बाँध लेते थे। उनके लिए प्रकृति में चारों ओर एक हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया फैली हुई थी। सालिम अली उन लोगों में से थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने को कायल होते थे। प्रकृति की दुनिया उन्होंने अपने लिए बड़ी मेहनत से बनाई थी।

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प्रश्न 6.
‘सालिम अली ने स्वयं को प्रकृति के लिए अर्पित कर दिया था।’ इसमें उनका साथ किसने दिया ?
उत्तर :
सालिम अली का संपूर्ण जीवन प्रकृति के नए-नए दृश्यों की खोज और पक्षियों की खोज में बीता है। उन्होंने अपने आस-पास प्रकृति की दुनिया बड़ी मेहनत से बनाई थी। इस दुनिया को बनाने में उनकी जीवन-साथी तहमीना ने बहुत सहायता की थी। तहमीना स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी रही थीं।

प्रश्न 7.
लॉरेंस कौन था ? उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी से लोगों ने क्या कहा ?
उत्तर :
लॉरेंस बीसवीं सदी के अंग्रेज़ी के उपन्यासकार थे। उन्होंने प्रकृति-प्रेम से संबंधित कविताएँ लिखी हैं। उनका प्रकृति से गहरा लगाव और सघन संबंध था। वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की तरह है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं। वह यह मानते थे कि मनुष्य का प्रकृति की ओर लौटना जरूरी है। लॉरेंस की मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा से कहा कि वे लॉरेंस के विषय में कुछ लिखें। परंतु फ्रीडा ने यह कहकर इनकार कर दिया कि उसके लिए लॉरेंस पर लिखना कठिन है। उनके बारे में कुछ पता करना है तो छत पर बैठी गौरैया से पूछ लें अर्थात जो उनकी कविता के प्रेरणा स्रोत हैं आप लोगों को उनसे बात करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
प्रकृति की दुनिया में सालिम का क्या स्थान था ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
सालिम अली के लिए प्रकृति की दुनिया ही उनका जीवन थी। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन प्रकृति और उसमें रहनेवाले पक्षियों की नई-नई खोजों को समर्पित कर दिया। वे हिमालय या लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों के अस्तित्व की चिंता करते थे। वे प्रकृति के ज्ञान का अथाह सागर थे। उन्होंने प्रकृति का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने प्रकृति का सूक्ष्मता से अध्ययन किया था। क्षण प्रतिक्षण प्रकृति के होनेवाले विनाश को लेकर भी चिंतित थे। वे लोगों को जागरूक करना चाहते थे। उन्हें प्रकृति का प्रतिपल परिवर्तित रूप प्रभावित करता था।

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प्रश्न 9.
सालिम अली को जाननेवालों का उनके संबंध में क्या विचार था ?
उत्तर :
सालिम अली को निकट से जाननेवाले लोगों का मानना है कि वे कहीं नहीं गए। अभी उनकी मृत्यु नहीं हुई है। वे अपने प्रिय पक्षियों की खोज और हिफ़ाज़त के लिए कहीं गए हुए हैं। उनके साथ उनकी दूरबीन है। जो उन्हें पक्षियों की नित नई गतिविधियों से परिचित कराएगी। वे कुछ दिनों में वापिस लौट आएँगे और सबको अपनी यात्रा के अनुभव और खोजों के परिणाम को बताएँगे।

प्रश्न 10.
‘साँवले सपनों की याद’ किस प्रकार की विधा है ? लेखक ने इस पाठ में क्या कहा है?
उत्तर :
‘साँवले सपनों की याद’ जाबिर हुसैन द्वारा रचित एक संस्मरण है। उनका यह संस्मरण प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली के जीवन से संबंधित है। इस संस्मरण में लेखक ने सालिम अली के जीवन को एक किताब की भाँति खोलकर रख दिया उन्होंने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपनी भावनाओं को इस संस्मरण में प्रकट किया है।

प्रश्न 11.
सालिम अली ने केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए क्या किया ?
उत्तर :
सालिम अली ने अपने अथाह परिश्रमों से केरल की साइलेंट वैली को बचाने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने वैली को रेगिस्तानी हवा के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से अनुरोध किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया और समझाया कि किस प्रकार प्रकृति विनाश के गर्त में डूबने जा रही है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 12.
जाबिर हुसैन की भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
जाबिर हुसैन की भाषा-शैली सरल, सहज तथा भावानुकूल है। इनकी भाषा जनसाधारण के निकट थी। इन्होंने अपने लेखों में उर्दू के शब्दों का बहुत प्रयोग किया है। छोटे-छोटे वाक्य तथा उनमें छिपे गंभीर भाव इनकी सफलता का आधार हैं। इनकी शैली में चित्रात्मकता देखी जा सकती है। प्रकृति का वर्णन करने में इनका कवि हृदय मुखरित हो पड़ता है।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ़ अग्रसर है। कोई रोक-टोक सके, कहाँ संभव है। इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोझ उठाए। लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वे उस वन- पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) सालिम अली कौन से हुजूम में किसकी तरह चल रहे हैं ?
(ख) सालिम अली का अंतिम सफर कैसा था ?
(ग) साँवले सपनों का हुजूम किसकी वादी की ओर बढ़ रहा था ?
(घ) इन पंक्तियों में लेखक ने किसका वर्णन किया है ?
उत्तर :
(क) सालिम अली सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों के हुजूम में सैलानियों की तरह चल रहे हैं। यह सफ़र उनके सभी सफ़रों से भिन्न है।
(ख) सालिम अली भीड़-भाड़ की जिंदगी तथा तनाव भरे वातावरण से मुक्त हो रहे थे। वे वन के उस पक्षी की तरह विलीन हो रहे थे जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में सो गया हो।
(ग) साँवले सपनों का हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर बढ़ रहा है।
(घ) इन पंक्तियों में लेखक ने सालिम अली के अंतिम सफ़र (मृत्यु) के विषय में अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं।

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2. पता नहीं यह सब कब हुआ था। लेकिन कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटना क्रम की याद दिला देगा। हर सुबह सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज़ पर सब किसी के कदम थम जाएँगे। हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) वृंदावन जाने पर नदी का साँवला पानी किस घटनाक्रम की याद करा देगा ?
(ख) लेखक ने वृंदावन की वाटिका का वर्णन किस प्रकार किया है ?
(ग) ‘नदी का साँवला पानी’ पाठ में लेखक किस नदी की बात कर रहे है ?
(घ) ‘भीड़ को चीरकर सामने आएगा’ में लेखक किसके आने की प्रतीक्षा में हैं ?
उत्तर :
(क) वृंदावन जाने पर नदी का साँवला पानी श्रीकृष्ण की नदी किनारे की गई लीलाओं की याद करा देगा।
(ख) लेखक के अनुसार वृंदावन में वाटिका का वातावरण आज भी श्रीकृष्ण की बाँसुरी की जादुई धुन से भरा है। प्रतिदिन संध्या समय जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देता है, तो लगता है जैसे कुछ ही पलों में वह कहीं से आएगा और बाँसुरी की जादुई धुन पूरी वाटिका में छा जाएगी।
(ग) इस पाठ में लेखक यमुना नदी के विषय में कह रहे हैं।
(घ) ‘भीड़ को चीरकर सामने आएगा’ इन पंक्ति में लेखक श्रीकृष्ण के आने की प्रतीक्षा में हैं।

3. उन जैसा ‘बर्ड वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो। लेकिन एकांत क्षणों में सालिम अली बिना दूरबीन भी देखे गए हैं। दूर क्षितिज तक फैली जमीन और झुके आसमान को छूनेवाली उनकी नज़ारों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ़ एक हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) ‘बर्ड वाचर’ कौन है ? उन्हें यह नाम क्यों दिया गया ?
(ख) सालिम अली की नज़रों में कैसा जादू था ?
(ग) सालिम अली के लिए प्रकृति कैसी थी ?
(घ) सालिम अली बिना दूरबीन कब होते थे ?
उत्तर :
(क) सालिम अली को ‘बर्ड वाचर’ की संज्ञा दी जाती है। यह नाम उन्हें इसलिए दिया गया क्योंकि उन्हें पक्षियों से बहुत प्रेम था। उन्होंने पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों और गतिविधियों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया तथा उनके बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई।
(ख) सालिम अली की नज़रों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था जो प्रकृति को अपने वश में कर लेते हैं। वे प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं।
(ग)
सालिम अली के लिए प्रकृति हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया थी, जिसे उन्होंने स्वयं अपने परिश्रम से गढ़ा था।
(घ) सालिम अली एकांत के क्षणों में बिना दूरबीन होते थे।

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4. जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली ही बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वाली, नीले कंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ़ ले जाती रही। जिंदगी की ऊँचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) सालिम अली किनके लिए और क्यों पहेली बनी रहे ?
(ख) सालिम अली को किस घटना ने नई नई खोजों के लिए प्रेरणा दी ?
(ग) लॉरेंस कौन था ?
(घ) सालिम अली जीवनभर क्या करते रहे ?
(ङ) ‘डिगा देना’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
(क) सालिम अली जटिल प्राणियों के लिए एक पहेली बन गए थे क्योंकि वे अत्यंत सीधे-साधे व्यक्ति होते हुए भी उनके लिए महान थे।
(ख) सालिम अली ने बचपन में अपनी एयरगन से नीले कंठवाली एक गौरैया को घायल कर दिया था। इस घटना से उनके मन में पक्षियों के प्रति प्रेमभाव उमड़ पड़ा और वे नए-नए पक्षियों की खोज में लग गए।
(ग) लॉरेंस बीसवीं सदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उन्होंने प्रकृति – प्रेम से संबंधित कविताएँ लिखी हैं। उनका प्रकृति से गहरा लगाव था।
वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष के समान है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं।
(घ) सालिम अली जीवनभर पक्षियों के जीवन से संबंधित नई-नई खोजें करते रहे।
(ङ) ‘डिगा देना’ से तात्पर्य है- अपने लक्ष्य और सिद्धांतों से दूर हो जाना।

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5. सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वे आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं, और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) सालिम अली का प्रकृति की दुनिया में क्या स्थान था ?
(ख) सालिम अली के स्वभाव की क्या विशेषता थी ?
(ग) सालिम अली के परिचितों का सालिम अली के संबंध में क्या विचार हैं ?
(घ) सालिम अली पक्षियों की खोज कैसे करते थे ?
(ङ) ‘टापू बनने’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
(क) सालिम अली का प्रकृति की दुनिया में महत्त्वपूर्ण स्थान था। वे एक अथाह सागर के समान थे। उन्होंने प्रकृति का बहुत ही गंभीरता के साथ अध्ययन किया था। वे प्रकृति का सूक्ष्मता से निरीक्षण करते थे। प्रकृति का प्रतिपल परिवर्तित रूप उन्हें प्रभावित करता था।
(ख) सालिम अली भ्रमणशील स्वभाव के व्यक्ति थे। वे निरंतर घूमते रहते थे। वे एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठते थे। वे घूम-घूम कर पक्षियों के संबंध में खोज करते थे।
(ग) सालिम अली के संबंध में उनके परिचितों का यह विचार है कि उनकी अभी मृत्यु नहीं हुई है। वे आज भी पक्षियों की खोज में कहीं गए हैं और थोड़ी देर में अपने गले में लंबी दूरबीन लटकाए हुए लौट आएँगे और अपनी खोज के परिणामों को बताएँगे।
(घ) सालिम अली पक्षियों की खोज करने के लिए विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते थे। वे अपनी आँखों पर दूरबीन लगाकर आकाश में पक्षियों को तलाश करते रहते थे। जब उन्हें कोई नई प्रजाति का पक्षी मिल जाता था तो उससे संबंधित विवरण तैयार कर लेते थे। इस प्रकार वे पक्षियों की खोज में लगे रहते थे।
(ङ) ‘टापू बनने’ से तात्पर्य है – एक सीमित क्षेत्र में स्वयं को समेटकर जीवन-यापन करना।

साँवले सपनों की याद Summary in Hindi

लेखक – परिचय :

जीवन – जाबिर हुसैन का जन्म बिहार के नालंदा जिले के नौनहीं राजगीर में सन् 1945 ई० को हुआ था। इन्हें अध्ययन में विशेष रुचि थी। अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य में उपाधियाँ प्राप्त करने के पश्चात इन्होंने अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया था। इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य किया है। ये सन् 1977 में बिहार के मुँगेर विधानसभा क्षेत्र से सदस्य चुने गए। इन्हें बिहार के मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया था। सन 1995 ई० में इन्हें बिहार विधान परिषद का सभापति बनाया गया। राजनीति के साथ-साथ इन्हें लेखन में भी रुचि थी। इन्हें हिंदी, अंग्रेज़ी तथा उर्दू भाषाओं पर समान अधिकार है।

रचनाएँ – इन्होंने अपनी रचनाओं में आम आदमी के संघर्षरत जीवन को अभिव्यक्ति प्रदान की है। इनकी मुख्य रचनाएँ हैं – एक नदी रेतभरी, जो आगे हैं, अतीत का चेहरा, लोगां, डोला बीबी का मज़ार।

भाषा-शैली – जाबिर हुसैन की भाषा-शैली अत्यंत सहज तथा रोचक है। प्रस्तुत पाठ ‘साँवले सपनों की याद’ डायरी शैली में रचित संस्मरण है, जिसमें लेखक ने प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपनी संवेदना को व्यक्त किया है। लेखक ने अपनी भाषा में उर्दू के प्रचलित शब्दों का बहुत उपयोग किया है। जैसे – परिंदे, हुजूम, वादी, सफ़र, माहौल, एहसास, शोख, मेहनत, महसूस। कहीं-कहीं तत्सम शब्दों का प्रयोग भी मिलता है; जैसे- अग्रसर, संभव, अंतहीन, विलीन, वाटिका, क्षितिज, प्रतिरूप।

लेखक ने ऊबड़-खाबड़, भांडे, सोता आदि देशज शब्दों का भी सहज रूप में प्रयोग किया है। इनकी भाषा शैली कहीं-कहीं काव्यात्मक भी हो जाती है जैसे- ‘अब तो वो उस वन पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो ज़िंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो।’ इनकी शैली में चित्रात्मकता के भी दर्शन होते हैं वे शब्दों के माध्यम से वातावरण को सजीव कर देते हैं जैसे – ‘पता नहीं, इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भांडे फोड़े थे और दूध – छाछ से अपने मुँह भरे थे। कब वाटिका में, छोटे-छोटे किंतु घने पेड़ों की छाँह में विश्राम किया था।’ इस प्रकार कह सकते हैं कि लेखक की भाषा-शैली, अत्यंत रोचक, सरल, सहज तथा प्रभावशाली है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

पाठ का सार :

जाबिर हुसैन द्वारा रचित पाठ ‘साँवले सपनों की याद’ प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली से संबंधित संस्मरण है। इसमें लेखक ने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। सालिम अली अपने अंतिम सफ़र पर जा रहे हैं। वे उस वन – पक्षी के समान प्रकृति में विलीन होने जा रहे हैं, जो अपने जीवन का अंतिम गीत गाकर सदा के लिए खामोश हो गया हो। जैसे मौत की गोद में गए हुए पक्षी को कोई अपना जीवन देकर भी नहीं जीवित कर सकता वैसे ही अब सालिम अली को भी जीवित नहीं किया जा सकता। सालिम अली पक्षियों की मधुर आवाज सुनकर झूम उठता था।

लेखक कहता है कि न मालूम कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी, गोपियों को अपनी शरारतों से तंग किया था, माखन – भरे भाँड़े फोड़े थे, दूध- छाछ पिया था, कुंजों में विश्राम किया था और अपनी बंसी की तान से वृंदावन को संगीतमय कर दिया था। आज भी वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी का जादू छाया हुआ है। लेखक सालिम अली के संबंध में बताता है कि वह कमज़ोर कायावाला व्यक्ति अब सौ वर्ष में का होने ही वाला था कि कैंसर की बीमारी से चल बसा। वे जीवन के अंतिम क्षणों तक पक्षियों की खोज और सेवा में लगे रहे। उन जैसा ‘बर्ड वायर’ शायद ही कोई अन्य हो। वे सदा प्रकृति को हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया के समान अपने आस-पास देखते थे। उनके इस कार्य में उनकी जीवन-साथी तहमीना भी उनके साथ थी।

सालिम अली ने केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवा के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से अनुरोध किया था। आज सालिम अली और चौधरी चरण सिंह दोनों ही नहीं हैं। लेखक को चिंता है कि अब पर्यावरण के संभावित खतरों से हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की रक्षा कौन करेगा ? सालिम अली ने ‘फ़ॉल आत्मकथा लिखी थी।

डी० एच० लॉरेंस की मृत्यु के बाद जब कुछ लोगों ने उसकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अपने पति के बारे में कुछ लिखने ४ माफ अ स्पैरो’ नाम से अपनी का अनुरोध किया तो उसने उत्तर दिया था कि छत पर बैठनेवाली गौरैया उसके पति के बारे में उससे अधिक जानती है। बचपन में सालिम अली ने अपनी एयरगन से एक गौरैया को घायल कर दिया था। उसी ने उन्हें आजीवन पक्षियों का सेवक बना दिया। वे उन्हें ही खोजते रहे। लंबी दूरबीन लटकाए जगह-जगह घूमते हुए वे पक्षियों की तलाश करते रहे। अपने खोजपूर्ण नतीजे अपनी रचनाओं के द्वारा देते रहे। लेखक की आँखें उनके जाने पर भीग गई हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • सुनहरे – सोने जैसे रंगवाले
  • हुजूम – भीड़
  • अग्रसर – आगे बढ़नेवाला
  • अंतहीन – जिसका अंत नहीं होता
  • माहौल – वातावरण
  • विलीन – नष्ट, लुप्त
  • हरारत – गरमी, ताप
  • मिथक – प्राचीन पुरा कथाओं का तत्व, जो नवीन स्थितियों में नए अर्थ का वहन करता है
  • हिफ़ाज़त – सुरक्षा
  • शब्दों का जामा पहनाना – शब्दों के द्वारा व्यक्त करना
  • नैसर्गिक – स्वाभाविक, प्रकृतिजन्य
  • अथाह – जिसकी कोई थाह न हो
  • परिंदे – पक्षी
  • वादी – घाटी
  • सैलानी – घुमक्कड़, घूमते रहनेवाला
  • सफ़र – यात्रा
  • पलायन – भागना, दूसरी जगह जाना
  • जिस्म – शरीर
  • एहसास – अनुभूति
  • वाटिका – बगीची
  • शती – सौ वर्ष
  • मुमकिन – संभव
  • जटिल – दुरूह, दुर्बोध
  • प्रतिरूप – प्रतिनिधि, नमूना
  • यायावरी – घुमक्कड़ी, घूमते-फिरते रहना, खानाबदोशी

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) किस वर्ष हुई ?
(अ) 1975
(ब) 1978
(स) 1956
(द) 1972
उत्तर:
(द) 1972

2. निम्नलिखित में से कौन-सी संधि अस्त्र नियंत्रण संधि थी
(अ) अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( SALT – II)
(ब) सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि (स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी – SIART)
(स) परमाणु अप्रसार संधि (NPT)
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

3. जैविक हथियार संधि कब की गई ?
(अ) 1975
(ब) 1992
(स) 1972
(द) 1968
उत्तर:
(स) 1972

4. सुरक्षा की अवधारणा कितने प्रकार की है ?
(अ) तीन
(ब) चार
(स) दो
(द) एक
उत्तर:
(स) दो

5. परमाणु अप्रसार संधि जिस सन् में हुई वह है-
(अ) 1968
(ब) दो
(स) 1972
(द) एक
उत्तर:
(अ) 1968

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6. निम्न में से किस संधि ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोक:
(अ) जैविक हथियार संधि
(ब) एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि
(स) रासायनिक हथियार संधि
(द) परमाणु अप्रसार संधि
उत्तर:
(ब) एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि

7. अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादियों ने हमला किया
(अ) 11 सितंबर, 2001
(ब) 10 अक्टूबर, 2001
(स) 11 नवम्बर, 2002
(द) 9 दिसम्बर, 2002
उत्तर:
(अ) 11 सितंबर, 2001

8. भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया
(अ) 1974 में
(ब) 1975 में
(स) 1978 में
(द) 1980 में
उत्तर:
(अ) 1974 में

9. पाकिस्तान ने भारत पर अब तक कुल कितनी बार हमला किया है?
(अ) तीन
(ब) दो
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(अ) तीन

10. क्योटो के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कब किया गया?.
(अ) 1998
(ब) 1997
(स) 1991
(द) 1992
उत्तर:
(ब) 1997

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. सुरक्षा की ………………………. धारणा में माना जाता है कि किसी देश की सुरक्षा को ज्यादातर खतरा उसकी सीमा के बाहर से होता है।
उत्तर:
परंपरागत

2. सुरक्षा – नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे ………………………….. कहा जाता है।
उत्तर:
अपरोध

3. …………………….. सुरक्षा नीति का एक तत्त्व शक्ति संतुलन है।
उत्तर:
परम्परागत

4. जैविक हथियार संधि पर ………………………. से ज्यादा देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए।
उत्तर:
155

5. …………………………संधि ने परमाणविक आयुधों को हासिल कर सकने वाले देशों की संख्या कम की।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार

6. सुरक्षा की …………………… धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ……………………………. कहा जाता है।
उत्तर:
अपारंपरिक, विश्व- रक्षा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है। खतरे से आजादी।

प्रश्न 2.
सुरक्षा की कितनी धारणाएँ हैं?
उत्तर:
सुरक्षा की दो धारणाएँ हैं। पारंपरिक और अपारंपरिक।

प्रश्न 3.
लोग पलायन क्यों करते हैं? कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर:
लोग आजीविका हेतु पलायन करते हैं।

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प्रश्न 4.
भारत के किन दो पड़ौसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं?
उत्तर:
भारत के दो पड़ौसी देशों – पाकिस्तान और चीन के पास परमाणु हथियार हैं।

प्रश्न 5.
आतंकवाद सुरक्षा के लिए खतरे की किस श्रेणी में आता है?
उत्तर:
अपरम्परागत श्रेणी में।

प्रश्न 6.
एन. पी. टी. का पूरा नाम क्या है? यह किस वर्ष में हुई?
उत्तर:
एन. पी. टी. का पूरा नाम है। न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी । यह सन् 1968 में हुई।

प्रश्न 7.
सैन्य शक्ति का आधार क्या है?
उत्तर:
सैन्य – शक्ति का आधार आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत है।

प्रश्न 8.
ओसामा बिन लादेन किस आतंकवादी समूह का था?
उत्तर:
अल-कायदा।

प्रश्न 9.
पारम्परिक सुरक्षा की धारणा के अन्तर्गत ‘अपरोध’ का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पारम्परिक सुरक्षा की धारणा के अन्तर्गत ‘अपरोध’ का अर्थ है – युद्ध की आशंका को रोकना।

प्रश्न 10.
पारम्परिक बाह्य सुरक्षा नीति के कोई दो तत्त्व लिखिये।
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन और गठबंधन बनाना।

प्रश्न 11.
एशिया- अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी एक समस्या का नाम लिखिये।
उत्तर:
अलगाववादी आंदोलन|

प्रश्न 12.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व- रक्षा’ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
मानवता की सुरक्षा का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
मानवता की सुरक्षा का प्राथमिक लक्ष्य व्यक्तियों की संरक्षा है।

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प्रश्न 14.
व्यापकतम अर्थ में मानवता की रक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यापकतम अर्थ में मानवता की रक्षा से आशय ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ है।

प्रश्न 15.
युद्ध के सिवाय मानव सुरक्षा के किन्हीं अन्य चार खतरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव सुरक्षा के खतरे निम्नलिखित हैं।

  1. पर्यावरण ह्रास
  2. ग्रीन हाउस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन
  3. नाभिकीय युद्ध का भय
  4. बढ़ती हुई जनसंख्या।

प्रश्न 16.
सुरक्षा के खतरे के किन्हीं दो नये स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:

  1. वैश्विक ताप वृद्धि
  2. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो शक्तियों के नाम लिखें जो सैनिक शक्ति का आधार हैं।
उत्तर:
आर्थिक शक्ति एवं, तकनीकी शक्ति।

प्रश्न 18.
सुरक्षा के मुख्य दो रूपों के नाम लिखिये।
उत्तर:
सुरक्षा के दो रूप हैं।

  1. पारम्परिक सुरक्षा और
  2. अपारंपरिक सुरक्षा।

प्रश्न 19.
पारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
पारम्परिक सुरक्षा में यह स्वीकार किया गया है कि हिंसा का प्रयोग जहाँ तक हो सके कम से कम होना

प्रश्न 20.
अपारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
अपारम्परिक सुरक्षा की धारणा सैन्य खतरों से सम्बन्धित न होकर मानवीय अस्तित्व को चोट पहुँचाने वाले व्यापक खतरों से है।

प्रश्न 21.
परम्परागत सुरक्षा और अपरम्परागत सुरक्षा में एक अंतर लिखें।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा का दृष्टिकोण संकुचित है जबकि अपरम्परागत सुरक्षा का दृष्टिकोण व्यापक है।

प्रश्न 22.
निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
निशस्त्रीकरण से अभिप्राय हथियारों के निर्माण या उनको हासिल करने पर अंकुश लगाना है।

प्रश्न 23.
विश्व तापन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विश्व तापन से अभिप्राय विश्व स्तर पर पारे में लगातार होने वाली वृद्धि है, जिसके कारण विश्व का वातावरण गर्म होता जा रहा है।

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प्रश्न 24.
निरस्त्रीकरण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. जैविक हथियार संधि
  2. रासायनिक हथियार संधि।

प्रश्न 25.
आतंकवाद के कोई दो रूप लिखिये।
उत्तर:
आतंकवाद के दो रूप हैं।

  1. विमान अपहरण करके आतंकवाद फैलाना।
  2. भीड़ भरी जगहों पर विस्फोट करना।

प्रश्न 26.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष बताइये।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष हैं।

  1. मानवता की सुरक्षा और
  2. विश्व सुरक्षा।

प्रश्न 27.
सुरक्षा नीति के दो घटक बताइये।
उत्तर:

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना।
  2. अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना।

प्रश्न 28.
ऐसी दो संधियों के नाम बताइये जो अस्त्र नियंत्रण से सम्बन्धित हैं।
उत्तर:

  1. सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि
  2. परमाणु अप्रसार संधि।

प्रश्न 29.
विश्व सुरक्षा का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विश्व सुरक्षा से आशय है- पृथ्वी के बढ़ते तापमान, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स ‘जैसे असाध्य रोगों पर रोक लगाना।

प्रश्न 30.
क्षेत्रीय सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
क्षेत्रीय सुरक्षा से आशय है। सशस्त्र विद्रोहियों तथा विदेशी आक्रमणकारियों से किसी भू भाग तथा उसके निवासियों के जान-माल की रक्षा करना।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय सुरक्षा, सुरक्षा की किस अवधारणा से जुड़ी हुई है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा से।

प्रश्न 32.
आतंकवाद का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आतंकवाद का अभिप्राय है। राजनीतिक हिंसा, जिसका निशाना नागरिक होते हैं ताकि समाज में दहशत पैदा की जा सके।

प्रश्न 33.
मानवाधिकार की पहली कोटि कौन-सी है?
उत्तर:
राजनैतिक अधिकारों की।

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प्रश्न 34.
केमिकल वीपन्स कन्वेंशन (CWC) संधि पर कितने देशों ने हस्ताक्षर किये थे?
उत्तर:
181 देशों ने।

प्रश्न 35.
अस्त्र नियंत्रण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण का आशय है हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ कानून का पालन करना।

प्रश्न 36.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व – रक्षा’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि सुरक्षा की जरूरत सिर्फ राज्य ही नहीं व्यक्तियों और समुदायों अपितु समूची मानवता को है।

प्रश्न 37.
परम्परागत धारणा के अनुसार सुरक्षा के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
दो – बाह्य सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा।

प्रश्न 38.
मानवाधिकार को कितने कोटियों में रखा गया है?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 39.
राजनैतिक अधिकारों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति और सभा करने की आजादी।

प्रश्न 40.
सहयोगमूलक सुरक्षा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अपरम्परागत खतरों के लिए सैन्य संघर्ष की बजाय आपसी सहयोग अपनाना।

प्रश्न 41.
‘क्योटो प्रोटोकॉल’ क्या है?
उत्तर:
‘क्योटो प्रोटोकॉल’ में वैश्विक तापवृद्धि पर काबू पाने तथा ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

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प्रश्न 42.
क्योटो प्रोटोकॉल पर कितने देशों ने हस्ताक्षर किए हैं?
उत्तर:
160

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है। खतरे से आजादी संकीर्ण दृष्टिकोण के अनुसार इसका अभिप्राय व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा से है और व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार इसका अभिप्राय बड़े और गंभीर खतरों से सुरक्षा है।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली दो कठिनाइयाँ लिखें।
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली दो कठिनाइयाँ ये हैं।

  1. महाशक्तियों में अस्त्र-शस्त्रों के आधुनिकीकरण के प्रति मोह विद्यमान है।
  2. महाशक्तियों में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना भी अभी बनी हुई है।

प्रश्न 3.
‘सुरक्षा’ की धारणा अपने आप में भुलैयादार धारणा है। कैसे?
उत्तर:
‘सुरक्षा’ की धारणा अपने आप में भुलैयादार है क्योंकि इसकी धारणा हर सदी में एकसमान नहीं होती है। विश्व के सारे नागरिकों के लिए सुरक्षा के मायने अलग-अलग होते हैं। विकासशील देशों को बेरोजगार, भुखमरी तथा आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन से खुद की सुरक्षा करनी होती है तो विकसित देशों को पर्यावरण प्रदूषण, वैश्विक तापवृद्धि जैसे समस्याओं से स्वयं की सुरक्षा करनी होती है।

प्रश्न 4.
आतंकवाद क्या है?
उत्तर:
आतंकवाद का अर्थ है। राजनीतिक हिंसा, जिसका निशाना नागरिक होते हैं। ताकि समाज में दहशत पैदा की जा सके। इसकी चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण, भीड़भरी जगहों, जैसे रेलवे स्टेशनों, होटल, बाजार, धर्मस्थल आदि जगहों में बम लगाकर विस्फोट करना।

प्रश्न 5.
आतंकवादी दहशत क्यों पैदा करते हैं?
उत्तर:
आतंकवादी सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए दहशत पैदा करते हैं। दूसरे, उन्हें दहशत पैदा करने के लिए ही अपने संगठन से धन व अन्य सुविधायें मिलती हैं।

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प्रश्न 6.
पारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर;
पारम्परिक सुरक्षा:
पारम्परिक सुरक्षा में यह स्वीकार किया गया है कि हिंसा का प्रयोग जहाँ तक हो सके कम से कम होना चाहिए। युद्ध के लक्ष्य और साधन दोनों का इससे सम्बन्ध है। यह न्याय युद्ध की परम्परा का विस्तार, निःशस्त्रीकरण, अस्त्र- नियंत्रण और विश्वास बहाली के उपायों पर आधारित है।

प्रश्न 7.
सुरक्षा की परम्परागत तथा गैर-परम्परागत धारणाओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सिर्फ भूखण्ड तथा उसमें रहने वाले लोगों की जान-माल की रक्षा करना तथा सशस्त्र सैन्य हमलों को रोकना है जबकि अपरम्परागत धारणा में भू-भाग, प्राणियों और सम्पत्ति की सुरक्षा के साथ- साथ पर्यावरण तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा भी शामिल है।

प्रश्न 8.
अमरीका तथा सोवियत संघ जैसी महाशक्तियों ने अस्त्र- नियंत्रण का सहारा क्यों लिया?
उत्तर:
मरीका तथा सोवियत संघ सामूहिक संहार के अस्त्र यानी परमाण्विक हथियार का विकल्प नहीं छोड़ना चाहती थीं इसलिए दोनों ने अस्त्र-नियंत्रण का सहारा लिया।

प्रश्न 9.
अस्त्र नियंत्रण का अभिप्राय क्या है?
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। उदाहरण के लिए सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2, सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि इत्यादि संधियाँ अस्त्र नियंत्रण के उदाहरण हैं.

प्रश्न 10.
एंटी बैलेस्टिक संधि कब और क्यों की गई?
उत्तर:
सन् 1972 में एंटी बैलेस्टिक संधि की गई। इस संधि ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका। इस संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि ने दोनों देशों को ऐसी रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन से रोक दिया।

प्रश्न 11.
अपरोध नीति क्या है?
उत्तर:
युद्ध की आशंका को रोकने की सुरक्षा नीति को अपरोध नीति कहा जाता है। इसके अन्तर्गत एक पक्ष द्वारा . युद्ध से होने वाले विनाश को इस हद तक बढ़ाने के संकेत दिये जाते हैं ताकि दूसरा पक्ष सहम कर हमला करने से रुक जाये।

प्रश्न 12.
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में किस खतरे को सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसका स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है।

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प्रश्न 13.
बायोलॉजिकल वैपन्स कन्वेंशन, 1972 द्वारा क्या निर्णय लिया गया?
उत्तर:
सन् 1972 की जैविक हथियार संधि (बायोलॉजिकल वैपन्स कन्वेंशन) ने जैविक हथियारों को बनाना और रखना प्रतिबंधित कर दिया गया। 155 से अधिक देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें विश्व की सभी महाशक्तियाँ शामिल हैं।.

प्रश्न 14.
आपकी दृष्टि में बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौनसे विकल्प हो सकते हैं? कोई दो स्पष्ट कीजिए।
अथवा
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में सुरक्षा के कितने विकल्प होते हैं?
उत्तर:
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं।

  1. आत्म-समर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किये मान लेना।
  2. युद्ध से होने वाले नाश को इस हद तक बढ़ाने के संकेत देना कि दूसरा पक्ष सहम कर हमला करने से रुक जाये।
  3. यदि युद्ध ठन जाये तो अपनी रक्षा करना।

प्रश्न 15.
बाहरी सुरक्षा हेतु गठबंधन बनाने से क्या आशय है?
उत्तर:
गठबंधन बनाना:
गठबंधन में कई देश शामिल होते हैं और सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए समवेत कदम उठाते हैं। अधिकांश गठबंधनों को लिखित संधि से एक औपचारिक रूप मिलता है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि खतरा किससे है? गठबंधन राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 16.
एक उदाहरण देकर यह स्पष्ट कीजिये कि राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं।
उत्तर:
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए, अमरीका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ इस्लामी उग्रवादियों को समर्थन दिया, लेकिन 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद उसने उन्हीं इस्लामी उग्रवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

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प्रश्न 17.
निरस्त्रीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
निरस्त्रीकरण-निरस्त्रीकरण सुरक्षा की इस धारणा पर आधारित है कि देशों के बीच एक न एक रूप में सहयोग हो। निरस्त्रीकरण की मांग होती है कि सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ भी हो कुछ ख़ास किस्म के हथियारों से बाज आयें।

प्रश्न 18.
आप वर्तमान विश्व में सुरक्षा को किससे खतरा मानते हैं? किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
हम वर्तमान विश्व में सुरक्षा को खतरा निम्न दो कारणों को मानते हैं।

  1. वैश्विक ताप वृद्धि: वर्तमान में विश्व में वैश्विक ताप वृद्धि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा है।
  2. प्रदूषण: पर्यावरण में तीव्रता से बढ़ रहे प्रदूषण से विश्व की सुरक्षा के समक्ष एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 19.
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके के रूप में अस्त्र नियंत्रण को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण के अन्तर्गत हथियारों के संबंध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। जैसे, सन् 1972 की एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा- कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका।

प्रश्न 20.
मानवाधिकारों को कितनी कोटियों में रखा गया है?
उत्तर:
मानवाधिकारों को तीन कोटियों (श्रेणियों) में रखा गया है। ये हैं।

  1. राजनैतिक अधिकार, जैसे अभिव्यक्ति और सभा करने की स्वतंत्रता।
  2. आर्थिक और सामाजिक अधिकार।
  3. उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार।

प्रश्न 21.
आपकी दृष्टि में मानवता की सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ में कौन-कौनसी सुरक्षा को शामिल करेंगे?
उत्तर:
मानवतावादी सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ में हम युद्ध, जनसंहार, आतंकवाद, अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा के साथ-साथ ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ को भी शामिल करेंगे।

प्रश्न 22.
आप भारत की सुरक्षा नीति के दो घटक बताइये।
उत्तर:
भारत की सुरक्षा नीति के दो घटक ये हैं-

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना – अपने चारों तरफ परमाणु हथियारों से लैस देशों को देखते हुए भारत ने 1974 तथा 1998 में परमाणु परीक्षण कर अपनी सैन्य क्षमता का विकास किया है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करना – भारत ने अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कायदों एवं संस्थाओं को मजबूत करने की नीति अपनायी है।

प्रश्न 23.
‘आंतरिक रूप से विस्थापित जन’ से क्या आशय है?
उत्तर:
जो लोग राजनीतिक उत्पीड़न, जातीय हिंसा आदि किसी कारण से अपना घर-बार छोड़कर अपने ही देश या राष्ट्र की सीमा के भीतर ही रह रहे हैं, उन्हें ‘आंतरिक रूप से विस्थापित जन’ कहा जाता है। जैसे कश्मीर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित।

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प्रश्न 24.
युद्ध और शरणार्थी समस्या के आपसी सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
युद्ध और शरणार्थी समस्या के बीच आपस में सकारात्मक सम्बन्ध है क्योंकि युद्ध या सशस्त्र संघर्षों के कारण ही शरणार्थी की समस्या बढ़ती है। उदाहरण के लिए सन् 1990 के दशक में कुल 60 जगहों से शरणार्थी प्रवास करने को मजबूर हुए और इनमें से तीन को छोड़कर शेष सभी के मूल में सशस्त्र संघर्ष था।

प्रश्न 25.
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 की एक अस्त्र नियंत्रण संधि के रूप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 इस अर्थ में एक अस्त्र नियंत्रक संधि थी क्योंकि इसने परमाणविक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानूनों के दायरे में ला दिया। जिन देशों ने सन् 1967 से पहले परमाणु हथियार बना लिये थे उन्हें इस संधि के अन्तर्गत इस हथियारों को रखने की अनुमति दी गई। लेकिन अन्य देशों को ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया।

प्रश्न 26.
शक्ति संतुलन को कैसे बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने के अनेक साधन हैं।

  1. शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सैन्य शक्ति को बढ़ाना एवं आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकास महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. राष्ट्रों द्वारा सैनिक या सुरक्षा संधियाँ कर गठबंधन कर शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  3. ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर भी राष्ट्रों द्वारा शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  4. कई बार एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र में हस्तक्षेप कर वहां अपनी मित्र सरकार बनाकर भी शक्ति सन्तुलन स्थापित करते हैं।
  5. शस्त्रीकरण और निःशस्त्रीकरण द्वारा भी शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।

प्रश्न 27.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का अर्थ- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाये अतः सुरक्षा के अर्थ को दो दृष्टिकोणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. संकीर्ण दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा अर्थात् समाज में प्रत्येक मनुष्य की अपनी सोच व मूल्य होते हैं। जब इन मूल्यों को बचाने का प्रयास किया जाता है तो यह सुरक्षा का संकीर्ण दृष्टिकोण कहलाता है।
  2. व्यापक दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार सुरक्षा का सम्बन्ध बड़े तथा गंभीर खतरों से है। इसमें वे खतरे सम्मिलित होते हैं जिन्हें रोकने के उपाय नहीं किये गये तो हमारे केन्द्रीय मूल्यों को अपूरणीय हानि पहुँचेगी।

प्रश्न 28.
अमेरिका और सोवियत संघ ने नियंत्रण से जुड़ी जिन संधियों पर हस्ताक्षर किये उन्हें संक्षेप में लिखिये।
उत्तर:
अमेरिका और सोवियत संघ ने अस्त्र – नियंत्रण की कई संधियों पर हस्ताक्षर किये जिसमें सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन ट्रीटी – SALT-II) और सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि ( स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी-(START) शामिल हैं। परमाणु अप्रसार संधि (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी – NPT (1968) भी एक अर्थ में अस्त्र नियंत्रण संधि ही थी क्योंकि इसने परमाण्विक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानून के दायरे में ला खड़ा किया। सन् 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने से रोका।

प्रश्न 29.
सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण के महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
वर्तमान में विश्व शांति तथा सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण का बहुत महत्त्व है। आज यह अनुभव किया गया है कि राष्ट्रों की मारक क्षमता को कम करने वाला निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण न कि मारक क्षमता बढ़ाने वाले तथा आतंक संतुलन बनाने वाली शस्त्र दौड़, आज के युग में अधिक प्रभावशाली व लाभकारी शक्ति संतुलन का साधन है। एक व्यापक निःशस्त्रीकरण संधि, परमाणु निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण, 1972 की जैविक हथियार संधि, 1992 की रासायनिक हथियार संधि तथा 181 देशों के CWC संधि पर हस्ताक्षर, इस संतुलन को सुदृढ़ करने के लिये अधिक सहायक हो सकते हैं।

प्रश्न 30.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली के उपायों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात भी मानी गई है कि विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली के उपाय अग्र हैं।
उत्तर:
युद्ध और शरणार्थी समस्या के बीच आपस में सकारात्मक सम्बन्ध है क्योंकि युद्ध या सशस्त्र संघर्षों के कारण ही शरणार्थी की समस्या बढ़ती है। उदाहरण के लिए सन् 1990 के दशक में कुल 60 जगहों से शरणार्थी प्रवास करने को मजबूर हुए और इनमें से तीन को छोड़कर शेष सभी के मूल में सशस्त्र संघर्ष था।

प्रश्न 25.
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 की एक अस्त्र नियंत्रण संधि के रूप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 इस अर्थ में एक अस्त्र नियंत्रक संधि थी क्योंकि इसने परमाणविक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानूनों के दायरे में ला दिया। जिन देशों ने सन् 1967 से पहले परमाणु हथियार बना लिये थे उन्हें इस संधि के अन्तर्गत इस हथियारों को रखने की अनुमति दी गई। लेकिन अन्य देशों को ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 26.
शक्ति संतुलन को कैसे बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने के अनेक साधन हैं।

  1. शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सैन्य शक्ति को बढ़ाना एवं आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकास महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. राष्ट्रों द्वारा सैनिक या सुरक्षा संधियाँ कर गठबंधन कर शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  3. ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर भी राष्ट्रों द्वारा शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  4. कई बार एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र में हस्तक्षेप कर वहां अपनी मित्र सरकार बनाकर भी शक्ति सन्तुलन स्थापित करते हैं।
  5. शस्त्रीकरण और निःशस्त्रीकरण द्वारा भी शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।

प्रश्न 27.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का अर्थ- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाये अतः सुरक्षा के अर्थ को दो दृष्टिकोणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. संकीर्ण दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा अर्थात् समाज में प्रत्येक मनुष्य की अपनी सोच व मूल्य होते हैं। जब इन मूल्यों को बचाने का प्रयास किया जाता है तो यह सुरक्षा का संकीर्ण दृष्टिकोण कहलाता है।
  2. व्यापक दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार सुरक्षा का सम्बन्ध बड़े तथा गंभीर खतरों से है। इसमें वे खतरे सम्मिलित होते हैं जिन्हें रोकने के उपाय नहीं किये गये तो हमारे केन्द्रीय मूल्यों को अपूरणीय हानि पहुँचेगी।

प्रश्न 28.
अमेरिका और सोवियत संघ ने नियंत्रण से जुड़ी जिन संधियों पर हस्ताक्षर किये उन्हें संक्षेप में लिखिये।
उत्तर;
अमेरिका और सोवियत संघ ने अस्त्र – नियंत्रण की कई संधियों पर हस्ताक्षर किये जिसमें सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन ट्रीटी – SALT-II) और सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि ( स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी-(START) शामिल हैं। परमाणु अप्रसार संधि (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी – NPT (1968) भी एक अर्थ में अस्त्र नियंत्रण संधि ही थी क्योंकि इसने परमाण्विक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानून के दायरे में ला खड़ा किया। सन् 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने से रोका।

प्रश्न 29.
सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण के महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
वर्तमान में विश्व शांति तथा सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण का बहुत महत्त्व है। आज यह अनुभव किया गया है कि राष्ट्रों की मारक क्षमता को कम करने वाला निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण न कि मारक क्षमता बढ़ाने वाले तथा आतंक संतुलन बनाने वाली शस्त्र दौड़, आज के युग में अधिक प्रभावशाली व लाभकारी शक्ति संतुलन का साधन है। एक व्यापक निःशस्त्रीकरण संधि, परमाणु निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण, 1972 की जैविक हथियार संधि, 1992 की रासायनिक हथियार संधि तथा 181 देशों के CWC संधि पर हस्ताक्षर, इस संतुलन को सुदृढ़ करने के लिये अधिक सहायक हो सकते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 30.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली के उपायों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात भी मानी गई है कि विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली के उपाय अग्र हैं।

  1. विश्वास बहाली से दोनों देशों के बीच हिंसा को कम किया जा सकता है।
  2. विश्वास बहाली से दोनों देशों के बीच सूचनाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है।
  3. ऐसे में दोनों देश एक-दूसरे को सैनिक साजो-सामान की जानकारी व अपने सैनिक मकसद के बारे में जानकारी देते हैं
  4. इस प्रक्रिया से दोनों देशों के बीच गलतफहमी से बचा जा सकता है।

प्रश्न 31.
आपकी दृष्टि में सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा क्या है?
अथवा
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा क्या है? संक्षेप में लिखिये।
उत्तर:
अपारंपरिक धारणा का अर्थ- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में न केवल सैन्य खतरों को बल्कि इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले अन्य व्यापक खतरों और आशंकाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें राज्य ही नहीं बल्कि व्यक्तियों और संप्रदायों या कहें कि संपूर्ण मानवता की सुरक्षा होती है।

प्रश्न 32.
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा के चार तत्त्व निम्नलिखित हैं।

  1. परम्परागत खतरे: सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सैन्य खतरों को किसी भी देश के लिए सर्वाधिक घातक माना जाता है। इसका स्रोत कोई अन्य देश होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता तथा अखण्डता को प्रभावित करता है।
  2.  युद्ध: युद्ध से साधारण लोगों के जीवन पर भी खतरा मंडराता है क्योंकि युद्ध में जन सामान्य को भी काफी नुकसान पहुँचता है।
  3.  शक्ति सन्तुलन: प्रत्येक सरकार दूसरे देशों से अपने शक्ति सन्तुलन को लेकर अत्यधिक संवेदनशील रहती है।
  4. गठबंधन: इसमें विभिन्न देश सैनिक हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए मिलजुलकर कदम उठाते हैं।

प्रश्न 33.
आतंकवाद से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आतंकवाद-आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जानबूझकर बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक से ज्यादा देशों में व्याप्त आतंकवाद है और उसके निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं। कोई राजनीतिक स्थिति पसंद न होने पर आतंकवादी समूह उसे बल-प्रयोग या बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है। आतंकवाद की चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण, भीड़ भरी जगहों, जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार, धर्म स्थल आदि जगहों पर बम लगाना सितम्बर सन् 2001 में आतंकवादियों ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला बोला। इस घटना के बाद लगभग सभी देश आतंकवाद पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।

प्रश्न 34.
मानव अधिकारों के हनन की स्थिति में क्या संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए?
उत्तर:
मानव अधिकारों की हनन की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं, इस सम्बन्ध में विवाद है।

  1. कुछ देशों का तर्क है कि राष्ट्र संघ का घोषणा पत्र अन्तर्राष्ट्रीय जगत् को अधिकार देता है कि वह मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हथियार उठाये अर्थात् राष्ट्र संघ को इस क्षेत्र में दखल देना चाहिए।
  2. कुछ देशों का तर्क है यह संभव है कि मानवाधिकार हनन का मामला ताकतवर देशों के हितों से निर्धारित होता है और इसी आधार पर यह निर्धारित होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार उल्लंघन के लिए मामले में कार्रवाई करेगा और किसमें नहीं? इससे ताकतवर देशों को मानवाधिकार के बहाने उसके अंदरूनी मामलों में दखल देने का आसान रास्ता मिल जायेगा।

प्रश्न 35.
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी भी देश के लिए खतरनाक क्यों माना जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी भी देश के लिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा मुल्क होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है। सैन्य कार्रवाई से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। युद्ध में सिर्फ सैनिक ही घायल नहीं होते हैं अपितु आम नागरिकों को भी हानि उठानी पड़ती है। अक्सर निहत्थे और आम नागरिकों को जंग का निशाना बनाया जाता है; उनका और उनकी सरकार का हौंसला तोड़ने की कोशिश होती है।

प्रश्न 36.
हर सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील रहती है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शक्ति – संतुलन परंपरागत सुरक्षा नीति का एक तत्त्व है। हर देश के पड़ोस में छोटे या बड़े मुल्क होते हैं इससे भविष्य के खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए कोई पड़ोसी देश संभवतः यह जाहिर ना करे कि वह हमले की तैयारी कर रहा है अथवा हमले का कोई प्रकट कारण भी ना हो। तथापि यह देखकर कि कोई देश बहुत ताकतवर है यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में वह हमलवार हो सकता है। इस वजह से हर सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील रहती है।

प्रश्न 37.
सरकारें दूसरे देशों से शक्ति-संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने हेतु किस प्रकार की कोशिशें करती हैं? यथा-
उत्तर:
सरकारें दूसरे देशों से शक्ति-संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने हेतु जी-तोड़ कोशिशें करती हैं।

  1. वो नजदीक देश जिनके साथ किसी मुद्दे पर मतभेद हो या अतीत में युद्ध हो चुका हो उनके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने के लिए अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न किया जाता है।
  2. सैन्य शक्ति के साथ आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत को बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है क्योंकि सैन्य- शक्ति का यही आधार है।

प्रश्न 38.
गठबंधन बनाना पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व है। संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व है गठबंधन बनाना गठबंधन में कई देश शामिल होते हैं जो सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए समवेत कदम उठाते हैं। गठबंधन लिखित रूप में होते हैं उनको औपचारिक रूप मिलता है और ऐसे गठबंधनों को यह बात स्पष्ट रहती है कि उन्हें खतरा किस देश से है। किसी देश अथवा गठबंधन की तुलना में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए देश गठबंधन बनाते हैं। गठबंधन राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं। राष्ट्रीय हितों के बदलने के साथ ही गठबंधन भी बदल जाते हैं।

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प्रश्न 39.
संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व: राजनीति में ऐसी केन्द्रीय सत्ता है जो सर्वोपरि है। यह सोचना बस एक लालचमात्र है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व:
राजनीति में ऐसी केन्द्रीय सत्ता है जो सर्वोपरि है यह सोचना बस एक लालचमात्र है क्योंकि अपनी बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने सदस्य देशों का दास है ओर इसके सदस्य दशों का दास है ओर इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते और स्वीकारते हैं उतनी ही सत्ता इसे हासिल होती है। अतः विश्व- राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा ही सत्ता इसे हासलि होती है। अतः विश्व – राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है।

प्रश्न 40.
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने खड़ी सुरक्षा की चुनौतियाँ यूरोपीय देशों के मुकाबले किन दो मायनों में विशिष्ट थीं?
उत्तर:
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने खड़ी सुरक्षा की चुनौतियाँ यूरोपीय देशों के मुकाबले निम्न दो मायनों में विशिष्ट थीं।

  1. इन देशों को अपने पड़ोसी देश से सैन्य हमले की आशंका थी।
  2. इन्हें अंदरूनी सैन्य संघर्ष की भी चिंता करनी थी।

प्रश्न 41.
नव-स्वतंत्र देशों के सामने पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष की सबसे बड़ी चुनौती थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नव-स्वतंत्र देशों के सामने सीमापार से खतरे के साथ ही पड़ोसी देशों से भी खतरा था। साथ ही भीतर से भी खतरे की आशंका थी अनेक नव-स्वतंत्र देश संयुक्त राज्य अमरीका या सोवियत संघ अथवा औपनिवेशिक ताकतों से कहीं ज्यादा अपने पड़ोसी देशों से आशंकित थे। इनके बीच सीमा रेखा और भूक्षेत्र अथवा आबादी पर नियंत्रण को लेकर या एक-एक करके सभी सवालों पर झगड़े हुए।

अलग राष्ट्र बनाने पर तुले अंदर के अलगावादी आंदोलनों से भी इन देशों को खतरा था। कोई पड़ोसी देश यदि ऐसे अलगाववादी आंदोलन को हवा दे अथवा उसकी सहायता करे तो दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव की स्थिति बन जाती थी । इस प्रकार पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती थे।

प्रश्न 42.
‘न्याय-युद्ध’ की यूरोपीय परंपरा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की परंपरागत धारणा में यह माना गया है कि जितना हो सके हिंसा का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए। युद्ध के लक्ष्य और दोनों से इसका संबंध है। न्याय-युद्ध की यूरोपीय परम्परा को आज पूरा विश्व मानता है। इस परंपरा के अनुसार किसी भी देश को युद्ध उचित कारणों अर्थात् आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए ही करना चाहिए। इस दृष्टिकोण का मानना है कि।

  1. किसी भी देश को युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए।
  2. युद्धरत सेना को संघर्षविमुख शत्रु, निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु को मारना नहीं चाहिए।
  3. सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए जितना आत्मरक्षा के लिए आवश्यक हो और हिंसा का सहारा एक सीमा तक लेना चाहिए। बल प्रयोग तभी किया जाये जब बाकी के उपाय असफल हो गए हों।

प्रश्न 43.
भारत ने परमाणु परीक्षण करने के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर सत्यापित कैसे किया?
उत्तर:
भारतीय सुरक्षा नीति का पहला घटक सैन्य शक्ति को मजबूत करना है क्योंकि भारत पर पड़ोसी देशों से हमले होते रहे हैं। पाकिस्तान ने तीन तथा चीन ने भारत पर एक बार हमला किया है। दक्षिण एशियाई इलाके में भारत के चारों तरफ परमाणु हथियारों से लैस देश है। ऐसे में भारतीय सरकार ने परमाणु परीक्षण करने के भारत के फैसले को उचित ठहराते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क दिया था। भारत ने सन् 1974 में पहला तथा 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।

प्रश्न 44.
अप्रवासी और शरणार्थी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अप्रवासी उन्हें कहा जाता है जो अपनी इच्छा से स्वदेश छोड़ते हैं और शरणार्थी हम उन्हें कहते हैं जो युद्ध. प्राकृतिक आपदा अथवा राजनीतिक उत्पीड़न के कारण स्वदेश छोड़ने पर मजबूर होते हैं

प्रश्न 45.
1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की धारणा उभरने की क्या वजहें हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों को ध्यान में रखते हुए 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की धारणा उभरी। क्योंकि कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता। ऐसा भी हो सकता है कि किन्हीं स्थितियों में किसी एक देश को इन समस्याओं की मार बाकियों की अपेक्षा ज्यादा झेलनी पड़े।

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प्रश्न 46.
भारत को अपनी परिस्थिति के अनुसार परम्परागत या अपरम्परागत सुरक्षा, किसे वरीयता देनी चाहिए?
उत्तर:
भारत को दोनों प्रकार की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए।

  1. परम्परागत सुरक्षा के कारण : स्वतंत्रता के बाद भारत ने अनेक युद्ध लड़े तथा भारत के अनेक आंतरिक भाग में अलगाववादी गतिविधियाँ व्याप्त हैं।
  2. अपरम्परागत सुरक्षा के कारण: भारत एक विकासशील देश है और इसके साथ इसमें गरीबी, बेकारी, साम्प्रदायिकता, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन भी व्याप्त है।

प्रश्न 47.
वैश्विक गरीबी असुरक्षा का स्रोत है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक गरीबी निर्धनता असुरक्षा का स्रोत है। वैश्विक गरीबी का आशय है आर्थिक विकास में कमी, राष्ट्रीय आय में कमी और यह विकासशील या विकसित देशों के जीवनस्तर को प्रभावित करती हैं। दुनिया की आधी आबादी का विकास सिर्फ 6 देशों में होता है भारत, चीन, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया, जिन्हें विकासशील देश माना जाता है और अनुमान है कि अगले 50 सालों में दुनिया के गरीब देशों में जनसंख्या तीन गुना बढ़ेगी।

विश्व स्तर पर यह विषमता दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच की खाई में योगदान करती है। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मौजूद गरीबी के कारण अधिकाधिक लोग बेहतर जीवन की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं। उपर्युक्त कारणों ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक घर्षण पैदा किया क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून अप्रवासी और शरणार्थी में भेद करते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा: सुरक्षा की पारम्परिक धारणा को दो भागों में विभाजित किया गया है।
(अ) बाहरी सुरक्षा की धारणा और
(ब) आन्तरिक सुरक्षा की धारणा। यथा।
(अ) बाहरी सुरक्षा की धारणा: सैन्य खतरा-
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता,  तंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता तथा जन-धन की हानि का खतरा पैदा करता है। सैन्य खतरे अर्थात् युद्ध से बचने के उपाय- सरकार के पास सैन्य खतरे से बचने के प्रमुख उपाय होते हैं।

  1. आत्मसमर्पण करना
  2. अपरोध की नीति अपनाना
  3. रक्षा नीति अपनाना
  4. शक्ति सन्तुलन की स्थापना करना तथा
  5. गठबन्धन बनाने की नीति अपनाना।

(ब) आंतरिक सुरक्षा की धारणा:
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ‘सुरक्षा के आंतरिक पक्ष पर दुनिया के अधिकांश ताकतवर देश अपनी अंदरूनी सुरक्षा के प्रति कमोबेश आश्वस्त थे। लेकिन एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों को बाह्य सुरक्षा के साथ-साथ अन्दरूनी सैन्य संघर्ष की भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि ये देश सीमा पार से अपने पड़ौसी देशों से सैन्य हमले की आशंका से ग्रस्त थे तो दूसरी तरफ अलग राष्ट्र बनाने पर तुले अन्दर के अलगाववादी आंदोलनों से भी इन देशों को खतरा था।

प्रश्न 2.
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं? उनमें से प्रत्येक की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
अथवा
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा को स्पष्ट कीजिये तथा सुरक्षा के पारम्परिक तरीकों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा- सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा में निम्न तरीकों पर बल दिया गया है।

  • न्याय युद्ध की परम्परा का विस्तार- सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा ‘न्याय युद्ध’ की यूरोपीय परम्परा का विस्तार है। इसकी प्रमुख बातें ये हैं-
    1. किसी देश को युद्ध आत्म-रक्षा अथवा दूसरों से जन-संहार से बचाने के लिए ही करना चाहिए।
    2. साधनों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
    3. निहत्थे व्यक्ति या आत्मसमर्पण वाले शत्रु को नहीं मारना चाहिए तथा
    4. बल प्रयोग तभी किया जाये जब अन्य उपाय असफल हो गये हों।
  • निरस्त्रीकरण: देशों के बीच सहयोग में सुरक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है। निरस्त्रीकरण। इसमें कुछ खास किस्म के हथियारों का त्याग करने पर बल दिया जाता है।
  • अस्त्र – नियंत्रण – अस्त्र- नियंत्रण के अन्तर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको प्राप्त करने के सम्बन्ध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। सन् 1972 की ‘एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि’, ‘साल्ट-2’ तथा ‘परमाणु अप्रसार संधि 1968 ‘ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  •  विश्वास बहाली का उपाय: विश्वास बहाली की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाएँ। विश्वास बहाली की प्रक्रिया के अन्तर्गत सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश एक-दूसरे को अपने फौजी मकसद, अपनी सैन्य योजनाओं, सैन्य बलों के स्वरूप तथा उनके तैनाती के स्थानों आदि प्रकार की सूचनाओं और विचारों का नियमित आदान-प्रदान करने का फैसला करते हैं।

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प्रश्न 3.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा सिर्फ सैन्य खतरों से ही संबद्ध नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है। इसके दो प्रमुख पक्ष हैं।
1. मानवता की सुरक्षा तथा
2. विश्व सुरक्षा। यथा।

1. मानवता की सुरक्षा:
मानवता की सुरक्षा की धारणा व्यक्तियों की रक्षा पर बल देती है। मानवता की रक्षा का विचार जन – सुरक्षा को राज्यों की सुरक्षा से बढ़कर मानता है। मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा परस्पर पूरक होने चाहिए लेकिन व्यक्तियों की रक्षा किनसे की जाय, इस सम्बन्ध में तीन प्रकार के दृष्टिकोण सामने आये हैं। यथा।

(अ) संकीर्ण अर्थ: इस दृष्टिकोण के पैरोकारों का जोर व्यक्तियों और समुदायों को अंदरूनी खून-खराबे से बचाना है।

(ब) व्यापक अर्थ: व्यापक अर्थ लेने वाले समर्थक विद्वानों का तर्क है कि खतरों की सूची में हिंसक खतरों के साथ-साथ अकाल, महामारी और आपदाओं को भी शामिल किया जाये ।

(स) व्यापकतम अर्थ: व्यापकतम अर्थ में युद्ध, जनसंहार, आतंकवाद, अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा के साथ-साथ ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ पर बल दिया गया है।

2. विश्व – सुरक्षा:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा का दूसरा पक्ष है। विश्व सुरक्षा विश्वव्यापी खतरे, वैश्विक ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग), अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स तथा बर्ड फ्लू जैसी समस्याओं की प्रकृति वैश्विक है, इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

प्रश्न 4.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में सुरक्षा के प्रमुख खतरों पर एक निबंध लिखिये।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में खतरे के नये स्त्रोत: सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के संदर्भ में खतरों की बदलती प्रकृति पर जोर दिया जाता है। ऐसे खतरों के प्रमुख नये स्त्रोत निम्नलिखित हैं।

  1. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद: जब आतंकवाद का कोई संगठन एक से अधिक देशों में व्याप्त हो जाता है, तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद कहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं। आतंकवाद की चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण करना, भीड़-भरी जगहों में बम लगाना।
  2. मानवाधिकारों का हनन: मानवता की सुरक्षा का एक नया स्रोत राष्ट्रीय सरकारों द्वारा मानवाधिकारों का हनन है।
  3. वैश्विक निर्धनता: मानवता की सुरक्षा के लिए वैश्विक गरीबी एक बड़ा खतरा है।
  4. र्थिक असमानता: विश्व स्तर पर आर्थिक असमानता पूरे विश्व को उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध में विभाजित करती है । दक्षिणी गोलार्द्ध में यह आर्थिक असमानता और अधिक व्याप्त है।
  5. आप्रवासी, शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की समस्या – आप्रवासी, शरणार्थी तथा आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों की समस्याएँ भी सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के अन्तर्गत आती हैं।
  6. महामारियाँ: एड्स, बर्ड- ड-फ्लू, सार्स जैसी महामारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है।

प्रश्न 5.
सुरक्षा पर मंडराते अनेक अपारंपरिक खतरों से निपटने के लिए क्या किया जाना आवश्यक है?
उत्तर:
सुरक्षा के अपारंपरिक खतरों से निपटने के उपाय : सहयोगात्मक सुरक्षा सुरक्षा पर मंडराते अनेक अपारंपरिक खतरों, जैसे- अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, वैश्विक ताप वृद्धि, वैश्विक गरीबी, वैश्विक असमानता, महामारियाँ, मानवाधिकारों के हनन तथा शरणार्थी समस्या आदि-से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की रणनीतियाँ बनाने की आवश्यकता है। इन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

  1. राज्यस्तरीय द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, महादेशीय और वैश्विक सहयोग: इन अपारंपरिक खतरों से निपटने के लिए विभिन्न देश द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, महादेशीय या वैश्विक स्तर पर सहयोग की रणनीति बना सकते हैं।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सुरक्षात्मक रणनीतियाँ: सहयोगमूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएँ, जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ व उसकी विभिन्न एजेन्सियाँ, अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन, बहुराष्ट्रीय व्यावसायिक संगठन और निगम तथा जानी-मानी हस्तियाँ शामिल हो सकती हैं।
  3. बल-प्रयोग-सहयोगमूलक सुरक्षा में भी अंतिम उपाय के रूप में बल-प्रयोग किया जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी उन सरकारों से निपटने के लिए बल-प्रयोग की अनुमति दे सकती है जो अपनी ही जनता को मार रही हो अथवा उसके दुःख-दर्द की उपेक्षा कर रही हो। लेकिन बल-प्रयोग सामूहिक स्वीकृति से और सामूहिक रूप में किया जाए।

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प्रश्न 6.
भारत की ‘सुरक्षा रणनीति’ के विभिन्न घटकों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
भारत की सुरक्षा नीति के प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
भारत की सुरक्षा नीति के प्रमुख घटक: भारत की सुरक्षा नीति के चार बड़े घटक हैं और अलग-अलग समयों में इन्हीं घटकों के हेर-फेर से सुरक्षा की रणनीति बनायी गई है। यथा

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना: भारत की सुरक्षा नीति का पहला घटक है। सैन्य क्षमता को मजबूत करना क्योंकि भारत पर पड़ौसी देशों के सैन्य – आक्रमण होते रहे हैं। भारत ने परमाणु परीक्षण के औचित्य में भी राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क दिया है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना: भारत की सुरक्षा नीति का दूसरा घटक है- अपने हितों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना। इस हेतु भारत ने एशियाई एकता, उपनिवेशीकरण का विरोध, निरस्त्रीकरण, नव अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थ की नीतियाँ अपनाई हैं।
  3. देश की आंतरिक सुरक्षा: समस्याओं से निपटना: भारत सरकार ने देश की आंतरिक सुरक्षा की समस्याओं से निबटने के लिए लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है।
  4. गरीबी और असमानता को दूर करने के प्रयास: भारत सरकार ने बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से निजात दिलाने के निरन्तर प्रयास किये हैं ताकि नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता ज्यादा न हो।

प्रश्न 7.
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले साधनों का विवेचन कीजिये।
उत्तर;
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले साधन: शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं।

  1. मुआवजा या क्षतिपूर्ति: साधारणतया इसका अर्थ उस देश की भूमि को बाँटने या समामेलन से लिया जाता है जो शक्ति सन्तुलन के लिए खतरा होती है।
  2. शस्त्रीकरण तथा निःशस्त्रीकरण: प्रत्येक राष्ट्र अपने पक्ष में शक्ति सन्तुलन बनाए रखने के लिए शस्त्रीकरण पर अधिक जोर देता है। वर्तमान में शस्त्रीकरण के साथ-साथ निःशस्त्रीकरण एवं शस्त्र – नियंत्रण को भी महत्त्व दिया जाने लगा है।
  3. गठबंधन: एक गठबंधन समझौते के बाद विरोधी राष्ट्रों के समूह के बीच भी एक प्रति गठबंधन समझौता होता है। इसीलिए इसे गठबंधनों और प्रतिगठबंधनों का नाम दिया जाता है।
  4. हस्तक्षेप: कई बार कोई बड़ा देश किसी छोटे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करके वहाँ पर अपनी मित्र – सरकार स्थापित कर देता है।
  5. फूट डालो और राज करो: ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को भी शत्रु को कमजोर करने का एक बड़ा महत्त्वपूर्ण शक्ति संतुलन का साधन माना जाता है।
  6. बफर राज्य-शक्ति प्राप्त करके और इसे बनाए रखने का एक अन्य तरीका है। ऐसे तटस्थ (बफर) राज्य की स्थापना करना जो कमजोर हो और दो बड़े प्रतिद्वन्द्वी देशों के बीच में स्थित हो।
  7. सन्तुलनधारी राज्य: संतुलनधारी राज्य वह देश होता है जो दूसरे देशों की प्रतिद्वन्द्विता से दूर रहता है और एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी देश उसकी सहायता पाने की इच्छा रखते हैं। ऐसा देश प्राय: शक्ति संतुलन हेतु कमजोर राष्ट्र का साथ देता है।

प्रश्न 8.
निरस्त्रीकरण से आप क्या समझते हैं? आधुनिक युग में इसकी आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए इसके मार्ग की बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण का अर्थ: निःशस्त्रीकरण से हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियंत्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। इसका लक्ष्य उपस्थित हथियारों के प्रभाव व संख्या को घटा देना है। मॉर्गेन्थो के शब्दों में, “नि:शस्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करना है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।” निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता या महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है।

  1. विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना की दृष्टि से निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।
  2. इससे विश्व के राष्ट्र अपने धन को आर्थिक विकास के कार्यों में लगा सकते हैं।
  3. निःशस्त्रीकरण को अपनाने पर उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त होगा।
  4. विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के लिए आवश्यक है कि सभी देश मिलकर निःशस्त्रीकरण पर बल दें।
  5. बढ़ते हुए सैनिकीकरण को रोकने के लिए निःशस्त्रीकरण बहुत आवश्यक है।
  6. नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता एवं समाप्त करता है।
  7. परमाणु युद्ध के बचाव के लिए भी निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।

निःशस्त्रीकरण के मार्ग की बाधाएँ: निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधायें निम्नलिखित हैं।

  1. विश्व व्यवस्था राष्ट्रों में परस्पर अविश्वास का होना।
  2. प्रत्येक राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि महत्त्व देना।
  3. विश्व में प्रत्येक राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति बढ़ती आशंका।
  4. वर्चस्व स्थापित करने की भावना।
  5. नि:शस्त्रीकरण से बड़े देशों की कंपनियों के हथियारों के व्यापार को संकट का सामना करना पड़ता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 9.
शरणार्थी से आप क्या समझते हैं? शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण क्या है? संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में शरणार्थियों की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा के क्या प्रयास किये गये हैं?
उत्तर:
शरणार्थी से आशय:
शरणार्थी वे व्यक्ति हैं जो युद्ध, प्राकृतिक आपदा अथवा राजनीतिक उत्पीड़न के कारण अपने देश को छोड़ने पर मजबूर होते हैं और दूसरे देश में पलायन कर जाते हैं। शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण – शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण सशस्त्र संघर्ष और युद्ध है। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में सशस्त्र संघर्ष और युद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बने। शरणार्थी सुरक्षा एजेन्सियाँ – शरणार्थियों की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में निम्नलिखित अभिकरण कार्य कर रहे हैं।

  1. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त ने आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की. सुरक्षा और सहायता का समग्र उत्तरदायित्व ग्रहण किया है। सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में यह नागरिकों को सुरक्षित मार्ग से सुरक्षित ठिकानों पर पहुँचाता है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति: अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति जो खतरे की स्थिति में नागरिकों को निकालना, बंदियों की रिहाई, संरक्षित क्षेत्र बनाना, युद्ध विराम के लिए व्यवस्था करना आदि कार्य करती है।
  3. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व खाद्य कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन भी महिलाओं और बच्चों की सहायता करते हैं।
  4. डॉक्टर्स विदआऊट वार्ड्स और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्च्स भी देशीय विस्थापितों की सहायता करते हैं।

प्रश्न 10.
विश्वास बहाली की प्रक्रिया द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाए इस कथन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात स्वीकार की गई है विश्वास बहाली के माध्यम से देशों के बीच हिंसाचार को कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली की प्रक्रिया: विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का फैसला करते हैं। दो देश एक-दूसरे को अपने फौजी मकसद तथा एक हद तक अपनी सैन्य योजनाओं के बारे में बताते हैं। इस प्रकार ये देश अपने प्रतिद्वन्द्वी देश को इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि उनकी तरफ से किसी भी प्रकार से हमले की योजना नहीं बनायी जा रही है।

एक-दूसरे को यह भी बताते हैं कि उनके पास किस प्रकार के सैन्य बल हैं तथा इन बलों को कहाँ तैनात किया जा रहा है। इस प्रकार संक्षेप में कहें तो विश्वास बहाली की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाएँ। सुरक्षा की परंपरागत धारणा मुख्य रूप से सैन्य बल के प्रयोग अथवा सैन्य बलके प्रयोग की आशंका से संबंध है।

प्रश्न 11.
सुरक्षा की दृष्टि से खतरे के नए स्रोत पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
खतरे के नए स्रोत: सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष हैं मानवता की सुरक्षा और विश्व सुरक्षा ये दोनों सुरक्षा के संदर्भ में खतरों की बदलती प्रकृति पर जोर देते हैं।
1.आतंकवाद:
आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जानबूझकर और बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को निशाना बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कई देशों में व्याप्त है तथा कई देशों के निर्दोष नागरिक इसके निशाने पर है। कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल प्रयोग अथवा बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलने का प्रयत्न करते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और आतंकवाद नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ करता है। विमान-अपहरण अथवा भीड़ भरी जगहों जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसी ही जगहों पर बम लगाना आदि आतंकवाद के उदाहरण हैं।

2. मानवाधिकार:
मानवाधिकार को तीन कोटियों में रखा गया है। पहली कोटि राजनीतिक अधिकारों की है जैसे अभिव्यक्ति और सभा करने की आजादी । दूसरी कोटि आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की है। अधिकारों की तीसरी कोटि में उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार आते हैं। इन वर्गीकरण को लेकर सहमति तो हैं लेकिन इस बात पर सहमति नहीं बन पायी है कि इनमें से किस कोटि के अधिकारों को सार्वभौम मानवाधिकारों की संज्ञा दी जाए या इन अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को क्या करना चाहिए?

3. वैश्विक निर्धनता:
खतरे का एक ओर स्रोत वैश्विक निर्धनता है। विश्व की जनसंख्या फिलहाल 760 करोड़ है और यह आँकड़ा 21वीं सदी के मध्य तक 1000 करोड़ हो जाएगी। अनुमान है कि अगले 50 सालों में दुनिया के सबसे गरीब देशों में जनसंख्या तीन गुना बढ़ेगी जबकि इसी अवधि में अनेक धनी देशों की जनसंख्या घटेगी। प्रति व्यक्ति उच्च आय और जनसंख्या की कम वृद्धि के कारण धनी देश अथवा सामाजिक समूहों को और धनी बनाने में मदद मिलती है जबकि प्रति व्यक्ति निम्न आय और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एक साथ मिलकर गरीब देशों और सामाजिक समूहों को और गरीब बनाते हैं।

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प्रश्न 12.
विश्व स्तर पर असमानता से किस प्रकार के खतरे उत्पन्न होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्वस्तर पर अमीरी-गरीबी की यह असमानता उत्तरी गोलार्द्ध के देशों को दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों से अलग करती है। दक्षिण गोलार्द्ध के देशों में असमानता अच्छी-खासी बढ़ी है। यहाँ कुछ देशों ने आबादी की रफ्तार को काबू कर आय को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है परंतु बाकी के देश ऐसा नहीं कर पाए हैं। उदाहरण के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा सशस्त्र संघर्ष अफ्रीका के सहारा मरुस्थल के दक्षिणवर्ती देशों में होते हैं। यह इलाका दुनिया का सबसे गरीब इलाका है। 21वीं सदी के शुरुआती समय में इस इलाके के युद्धों में शेष दुनिया की तुलना में कहीं ज्यादा लोग मारे गए। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मौजूद गरीबी के कारण अधिकाधिक लोग बेहतर जीवन खासकर आर्थिक अवसरों की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं।

इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक मतभेद उठ खड़ा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय कायदे कानून अप्रवासी और शरणार्थी में भेद करते हैं। विश्व का शरणार्थी – मानचित्र विश्व के संघर्ष – मानचित्र से लगभग हू-ब-हू मिलता है क्योंकि दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में सशस्त्र संघर्ष और युद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बने और सुरक्षित जगह की तलाश में निकले हैं। 1990 से 1995 के बीच 70 देशों के मध्य कुल 93 युद्ध हुए और इसमें लगभग साढ़े 55 लाख लोग मारे गए। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति, परिवार और कभी-कभी पूरे समुदाय को सर्वव्याप्त भय अथवा आजीविका, पहचान और जीवन- यापन के परिवेश के नाश के कारण जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

प्रश्न 13.
महामारियों के फैलाव से विश्व में किस प्रकार के खतरे उत्पन्न होते हैं ? निबंध लिखिए।
उत्तर:
एचआईवी-एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स (सिवियर एक्यूट रेसपिटॅरी सिंड्रोम – SARS) जैसी महामारियाँ अप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य अभियानों के जरिए बड़ी तेजी से विभिन्न देशों में फैली हैं। इन बीमारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है। एक अनुमान है कि 2003 तक पुरी दुनिया में 4 करोड़ लोग एचआईवी-एड्स से संक्रमित हो चुके थे।

इसमें दो- तिहाई लोग अफ्रीका में रहते हैं जबकि शेष के 50 फीसदी दक्षिण एशिया में। उत्तरी अमरीका तथा दूसरे औद्योगिक देशों में उपचार की नई विधियों के कारण 1990 के दशक के उत्तरार्ध के वर्षों में एचआईवी एड्स से होने वाली मृत्यु की दर में तेजी से कमी आयी है परंतु अफ्रीका जैसे गरीब इलाके के लिए ये उपचार कीमत को देखते हुए आकाश- कुसुम कहे जाएँगे जबकि अफ्रीका को ज्यादा गरीब बनाने में एचआईवी-एड्स महत्त्वपूर्ण घटक साबित हुआ है।

एबोला वायरस, हैन्टावायरस और हेपेटाइटिस – सी जैसी कुछ नयी महामारियाँ उभरी हैं जिनके बारे में खास जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। टीबी, मलेरिया, डेंगू बुखार और हैजा जैसी पुरानी महामारियों ने औषधि प्रतिरोधक रूप धारण कर लिया है और इससे इनका उपचार कठिन हो गया है। जानवरों में महामारी फैलने से भारी आर्थिक दुष्प्रभाव होते हैं 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध के सालों से ब्रिटेन ने ‘मेड-काऊ’ महामारी के फैलने के कारण अरबों डॉलर का नुकसान उठाया है और बर्ड फ्लू के कारण कई दक्षिण एशियाई देशों को मुर्ग-निर्यात बंद करना पड़ा। ऐसी महामारियाँ बताती हैं कि देशों के बीच पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही हैं और राष्ट्रीय सीमाएँ पहले की तुलना में कम सार्थक रह गई हैं। इन महामारियों का संकेत है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है।

प्रश्न 14.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा भी सुरक्षा की पारंपरिक धारणा समान स्थानीय संदर्भों के अनुकूल परिवर्तनशील है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की धारणा में विस्तार करने का यह मतलब नहीं होता कि हम हर तरह के कष्ट या बीमारी को सुरक्षा विषयक चर्चा के दायरे में शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने पर सुरक्षा की धारणा में संगति नहीं रह जाती। ऐसे में हर चीज सुरक्षा का मसला हो सकती है। इसी वजह से किसी मसले को सुरक्षा का मसला कहलाने के लिए एक सर्व स्वीकृत न्यूनतम मानक पर खरा उतरना जरूरी है। उदाहरण के लिए यदि किसी मसले से संदर्भों के अस्तित्व को खतरा हो जाए तो उसे सुरक्षा का मसला कहा जा सकता है चाहे इस खतरे की प्रकृति कुछ भी हो।

उदाहरण के लिए मालदीव को वैश्विक तापवृद्धि से खतरा हो सकता है क्योंकि समुद्रतल के ऊँचा उठने से इसका ज्यादातर हिस्सा डूब जाएगा जबकि दक्षिणी अफ्रीकी देशों में एचआईवी-एड्स से गंभीर खतरा है क्योंकि यहाँ हर 6 वयस्क व्यक्ति में 1 इस रोग से पीड़ित है। 1994 की खांडा की तुन्सी जनजाति के अस्तित्व पर खतरा मंडराया क्योंकि प्रतिद्वन्द्वी हुतु जनजाति ने कुछ हफ्तों में लगभग 5 लाख तुन्सी लोगों को मार डाला। इससे पता चलता है कि सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा भी सुरक्षा की पारंपरिक धारणा के समान संदर्भों के अनुकूल परिवर्तनशील है।

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प्रश्न 15.
लोकतंत्र सिर्फ राजनीतिक आदर्श नहीं अपितु लोकतांत्रिक शासन जनता को ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने का साधन भी है। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को इस तरह विकसित करने का प्रयास किया है जिससे बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से निजात मिले और नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता ज्यादा न हो। हालांकि ये प्रयास ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं। हमारा देश अभी भी गरीब है और आर्थिक असमानता व्यापक रूप से व्याप्त है। फिर भी, लोकतांत्रिक राजनीति से ऐसे अवसर नागरिकों को उपलब्ध हो जाते हैं जिसके द्वारा गरीब और वंचित नागरिक अपनी आवाज उठा सके और अपने हक के लिए सरकार से माँग कर सकें। लोकतांत्रिक सरकार लोकतंत्र की रीति से निर्वाचित होती है जिसके कारण सरकार के ऊपर दबाव होता है कि वह आर्थिक संवृद्धि को मानवीय विकास का सहगामी बनाए। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र सिर्फ राजनीतिक आदर्श नहीं है; लोकतांत्रिक शासन जनता को ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने का साधन भी है।

प्रश्न 16.
पारंपरिक और अपारंपरिक धारणा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

पारंपरिक धारणा अपारंपरिक धारणा
(1) पारंपरिक सुरक्षा सैन्य उपयोग के खतरे से संबंधित है। (1) अपारंपरिक सुरक्षा सैन्य खतरों से इतर है। इसमें वो शामिल हैं जो मानव अस्तित्व को खतरे में डालते हैं।
(2) इस सुरक्षा के लिए पारंपरिक खतरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के मुख्य मूल्यों को खतरे में डालते हैं। (2) गैर पारंपरिक सुरक्षा राज्य की तुलना में मानव को खतरे में डालती है।
(3) पारंपरिक अवधारणा के तहत सैन्य बल पर जोर दिया जाता है। (3) अपारंपरिक सुरक्षा में सैन्य बल का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है।
(4) सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में माना जाता है कि किसी देश की सुरक्षा को ज्यादातर खतरा उसकी सीमा के बाहर से होता है। (4) अपारंपरिक धारणा में खतरा सामान्य वातावरण है।

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

Jharkhand Board JAC Class 12 History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. 1857 के विद्रोह से पूर्व दिल्ली के कोतवाल थे-
(क) गंगाधर नेहरू
(ख) अरुण नेहरू
(ग) मोतीलाल नेहरू
(घ) जवाहरलाल नेहरू
उत्तर:
(क) गंगाधर नेहरू

2. अखिल भारतीय जनगणना का प्रयास भारत में प्रथम बार हुआ-
(क) 1772 में
(ख) 1872 में
(ग) 1786 में
(घ) 1881 में
उत्तर:
(ख) 1872 में

3. शाहजहाँनाबाद को बसाया था-
(क) अकबर ने
(ख) औरंगजेब ने
(ग) शाहजहाँ ने
(घ) हुमायूँ ने
उत्तर:
(ग) शाहजहाँ ने

4. ब्रिटिश काल में पहला हिल स्टेशन बना-
(क) शिमला
(ख) दार्जिलिंग
(ग) नैनीताल
(घ) मनाली
उत्तर:
(क) शिमला

5. आगरा, दिल्ली तथा लाहौर की एक सामान्य विशेषता थी-
(क) तीनों शहर मिली-जुली संस्कृति के लिए जाने जाते थे।
(ख) तीनों शहर सूफी सन्तों तथा भक्तों को खूब प्रिय थे।
(ग) तीनों शहर सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में मुगल शासन के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे।
(घ) तीनों शहर मुस्लिम आबादी वाले थे।
उत्तर:
(ग) तीनों शहर सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में मुगल शासन के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे।

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6. भारत में रेलवे की शुरुआत हुई
(क) 1856 में
(ग) 1855 में
(ख) 1853 में
(घ) 1851 में
उत्तर:
(ख) 1853 में

7. कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया गया-
(क) 1911 में
(ख) 1916 में
(ग) 1908 में
(घ) 1899 में
उत्तर:
(क) 1911 में

8. प्लासी का युद्ध लड़ा गया था-
(क) 1755 में
(ख) 1757 में
(ग) 1765 में
(घ) 1857 में
उत्तर:
(ख) 1757 में

9. दक्षिण भारत के दो शहरों मदुराई और कांचीपुरम की मुख्य विशेषता थी-
(क) ये दोनों नगर हमलावरों से सुरक्षित थे।
(ख) इनमें मुख्य केन्द्र मन्दिर तथा महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र होते थे।
(ग) इनमें विश्व के प्रमुख धर्मों के त्यौहार मनाए जाते थे।
(घ) समाज के लोग इन शहरों में साहित्यिक चर्चा किया करते थे।
उत्तर:
(ख) इनमें मुख्य केन्द्र मन्दिर तथा महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र होते थे।

10. औपनिवेशिक शहरों में प्राय: निम्न तीन शहर शामिल किए जाते थे-
(क) दिल्ली, बम्बई, कलकत्ता
(ख) दिल्ली, मद्रास, कलकत्ता
(ग) मद्रास, कलकत्ता, बम्बई
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) मद्रास, कलकत्ता, बम्बई

11. मद्रास, कलकत्ता एवं बम्बई तीनों शहरों की एक सामान्य विशेषता थी-
(क) तीनों व्यापारिक राजधानी थे
(ख) तीनों मूलतः मत्स्य ग्रहण एवं बुनाई के गाँव थे
(ग) तीनों शहरों को अंग्रेजों ने बसाया था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) तीनों मूलतः मत्स्य ग्रहण एवं बुनाई के गाँव थे

12. मिर्जा गालिब थे-
(क) चित्रकार
(ग) कवि
(ख) शायर
(घ) फिल्मकार
उत्तर:
(ख) शायर

13. निम्न में से किस शहर का सम्बन्ध राइटर्स बिल्डिंग से है?
(क) बम्बई
(ग) कलकत्ता
(ख) दिल्ली
(घ) मद्रास
उत्तर:
(ग) कलकत्ता

14. कासल क्या था?
(क) एक दुर्ग
(ग) एक बस्ती
(ख) एक शहर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) एक दुर्ग

15.
विनोदिनी दासी कौन थीं?
(क) चित्रकार
(ख) रंगकर्मी
(ग) वास्तुकार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) रंगकर्मी

16. फोर्ट सेंट जार्ज कहाँ स्थित है?
(क) मद्रास
(ख) दिल्ली
(ग) कलकत्ता
(घ) बम्बई
उत्तर:
(क) मद्रास

17. किस भारतीय शहर का सम्बन्ध फोर्ट विलियम से है?
(क) दिल्ली
(ग) मद्रास
(ख) कलकत्ता
(घ) जयपुर
उत्तर:
(ख) कलकत्ता

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18. नवशास्त्रीय स्थापत्य शैली का उदाहरण है-
(क) टाउन हॉल
(ख) लाल किला
(ग) विक्टोरिया टर्मिनल
(च) ताजमहल
उत्तर:
(क) टाउन हॉल

19. सात टापुओं का शहर है-
(क) बम्बई
(ग) मद्रास
(ख) कलकत्ता
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(क) बम्बई

20. लॉटरी कमेटी का सम्बन्ध है-
(क) पुरातत्त्व व्यवस्था से
(ख) सैनिक व्यवस्था से
(ग) प्रशासनिक व्यवस्था से
(घ) नगर नियोजन से
उत्तर:
(घ) नगर नियोजन से

21. गारेर मठ क्या था?
(क) एक मैदान
(ग) एक बस्ती
(ख) एक शहर
(घ) एक पक्षी
उत्तर:
(क) एक मैदान

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. 1853 में बम्बई से ………………….. “तक रेलवे लाइन बिछाई गई।
2. 1896 में बम्बई के ………………….. -होटल में पहली बार फिल्म दिखाई गई।
3. कलकत्ता की जगह दिल्ली को ………………….. में राजधानी बनाया गया।
4. 1857 में बम्बई में पहली स्पिनिंग और ………………….. मिल की स्थापना की गई।
5. ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा ………………… में कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
6. एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना ………………….. में ………………….. की गई।
7. ………………… में बम्बई को ब्रिटेन के राजा ने कम्पनी को दे दिया।
8. ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को ………………. कहा जाता है।
9. ………………….. कहा का तात्पर्य एक छोटे स्थायी बाजार है।
10. पुर्तगालियों ने 1510 में ……………… तथा डचों ने 1605 में ………………. में आधार स्थापित कर लिए थे।
11. मद्रास, बम्बई और कलकत्ता का आधुनिक नाम क्रमश: …………………. , …………………… और …………………. है।
12. प्लासी का युद्ध ……………. में हुआ था।
13. सर्वे ऑफ इण्डिया का गठन ……………. ने किया गया था।
14. कपडों जबकि …………… अपने स्टील उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
15 ……………… की स्थापना गुरखा युद्ध के दौरान की गई थी।
उत्तरमाला –
1. ठाणे
2. वाटसन्स
3. 1911
4 बीविंग
5. 1773
6. सर विलियम जोन्स, 1784
7. 1661
8. कस्बा
9. गंज
10. पणजी, मछलीपट्टनम
11. चेन्नई, मुम्बई और कोलकाता
12. 1757
13. 1878
14. कानपुर, जमशेदपुर
15. शिमला।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
प्लासी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ?
उत्तर:
1757 ई. में प्लासी का युद्ध अंग्रेजों और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ।

प्रश्न 2.
गेटवे ऑफ इण्डिया कब और कहाँ बनाया गया?
उत्तर:
गेटवे ऑफ इण्डिया 1911 में बम्बई में बनाया

प्रश्न 3.
औपनिवेशिक भारत में स्थापित दो हिल स्टेशनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) शिमला
(2) माउंट आबू

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प्रश्न 4.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा अपनी बस्तियों की किलेबन्दी करने का प्रमुख उद्देश्य क्या था? उत्तर- यूरोपीय कम्पनियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा के कारण सुरक्षा बनाये रखना।

प्रश्न 5.
अखिल भारतीय जनगणना का प्रथम प्रयास किस वर्ष में किया गया था?
उत्तर:
सन् 1872 ई. में

प्रश्न 6.
भारत के मद्रास, कलकत्ता और बम्बई तीनों शहर मूलत: किस प्रकार के गाँव थे?
उत्तर:
ये तीनों शहर मत्स्य ग्रहण और बुनाई के गाँव थे।

प्रश्न 7.
इंग्लिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के एजेन्ट मद्रास में किस सन् में बस गये?
उत्तर:
सन् 1639 में।

प्रश्न 8.
इंग्लिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने मद्रास, कलकत्ता और बम्बई में किस प्रकार के कार्यालय स्थापित किये?
उत्तर:
व्यापारिक और प्रशासनिक कार्यालय।

प्रश्न 9.
भारत में मुगलकाल में शाही प्रशासन और सत्ता के तीन महत्त्वपूर्ण केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) आगरा
(2) दिल्ली और
(3) लाहौर।

प्रश्न 10.
दक्षिण भारत के ऐसे दो नगरों के नाम लिखिए जिनमें मुख्य केन्द्र मन्दिर होता था।
उत्तर:
मदुरई और कांचीपुरम

प्रश्न 11.
18वीं सदी के अन्त तक स्थल आधारित साम्राज्यों का स्थान कैसे साम्राज्यों ने ले लिया?
उत्तर:
जल आधारित यूरोपीय साम्राज्यों ने।

प्रश्न 12.
भारत में रेलवे की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
1853 में भारत में रेलवे की शुरुआत हुई। प्रश्न 13, 19वीं सदी के मध्य तक भारत में कौनसे दो औद्योगिक शहर थे?
उत्तर:
(1) कानपुर,
(2) जमशेदपुर।

प्रश्न 14.
कलकत्ता में किन लोगों ने बाजारों के आस-पास ब्लैक टाउन में परम्परागत ढंग से दालानी मकान बनवाए?
उत्तर:
अमीर भारतीय एजेन्टों और बिचौलियों ने।

प्रश्न 15.
कलकत्ता में मजदूर वर्ग के लोग कहाँ रहते में।
उत्तर:
शहर के विभिन्न इलाकों की कच्ची झोंपड़ियों

प्रश्न 16.
1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों के लिए किस नाम से नए शहरी इलाके विकसित किये गये?
उत्तर:
सिविल लाइन्स’ के नाम से

प्रश्न 17.
सिविल लाइन्स में किनको बसाया गया?
उत्तर:
केवल गोरों को।

प्रश्न 18.
पहला हिल स्टेशन कब और कौनसा बनाया गया?
उत्तर:
पहला हिल स्टेशन 1815-16 में शिमला में स्थापित किया गया।

प्रश्न 19.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कलकत्ता और बम्बई में अपने व्यापारिक केन्द्र कब स्थापित किये?
उत्तर:
(1) 1661 में बम्बई में
(2) 1690 में कलकत्ता में।

प्रश्न 20.
1800 ई. तक जनसंख्या की दृष्टि से कौनसे भारतीय शहर विशालतम शहर बन गए थे?
उत्तर:
(1) मद्रास
(2) कलकत्ता
(3) बम्बई।

प्रश्न 21.
भारत में दशकीय जनगणना कब से एक नियमित व्यवस्था बन गई थी?
उत्तर:
पहला हिल-स्टेशन 1815-16 में शिमला में स्थापित किया गया।

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प्रश्न 22.
1900 से 1940 के मध्य 40 वर्षों की अवधि में भारतीय शहरी आबादी में कितनी वृद्धि हुई?
उत्तर:
दस प्रतिशत से बढ़कर लगभग 13 प्रतिशत हो गई।

प्रश्न 23
19वीं शताब्दी में भारत में कौनसे रेलवे नगर अस्तित्व में आए?
उत्तर;
जमालपुर, वाल्टेयर तथा बरेली।

प्रश्न 24.
अंग्रेजों ने अपनी किन बस्तियों की किलेबन्दी की थी?
उत्तर:
बम्बई, मद्रास और कलकत्ता की।

प्रश्न 25.
औपनिवेशिक काल के दो औद्योगिक शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) कानपुर
(2) जमशेदपुर।

प्रश्न 26.
चमड़े की चीजों तथा ऊनी और सूती वस्त्रों के निर्माण के लिए कौनसा औद्योगिक नगर प्रसिद्ध था?
उत्तर:
कानपुर। था?

प्रश्न 27.
जमशेदपुर किसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध
उत्तर:
स्टील उत्पादन के लिए।

प्रश्न 28.
राइटर्स बिल्डिंग कहाँ पर स्थित थी?
उत्तर:
कलकत्ता में।

प्रश्न 29.
इंग्लिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के एजेंट कलकत्ता में किस वर्ष बसे?
उत्तर:
1690 ई. में।

प्रश्न 30.
अंग्रेजों द्वारा स्थापित दो हिल स्टेशनों के नाम बताइये ये कब स्थापित किये गए?
उत्तर:
1818 में माउण्ट आबू तथा 1835 में दार्जिलिंग।

प्रश्न 31.
सेनेटोरियम के रूप में किनका विकास किया गया था?
उत्तर:
हिल स्टेशनों का।

प्रश्न 32.
कौनसा हिल स्टेशन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ (प्रधान सेनापति) का भी अधिकृत वास बन गया था?
उत्तर:
शिमला।

प्रश्न 33.
भारत के नये शहरों में यातायात के कौनसे साधन थे?
उत्तर:
घोड़ागाड़ी, ट्राम तथा बस।

प्रश्न 34.
भारतीय शहरों में किस नये वर्ग का प्रादुर्भाव हुआ?
उत्तर:
मध्य वर्ग’ का ।

प्रश्न 35.
भारतीय शहरों में किन लोगों की माँग बढ़ रही थी?
उत्तर:
वकीलों, डॉक्टरों, शिक्षकों, क्लकों, इंजीनियरों, लेखाकारों की।

प्रश्न 36.
आमार कथा (मेरी कहानी) की रचना किसने की थी?
उत्तर:
विनोदिनी दास ने

प्रश्न 37.
मद्रास में ‘व्हाइट टाउन’ का केन्द्र कौन
उत्तर:
फोर्ट सेंट जार्ज।

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प्रश्न 38.
कलकत्ता को किन तीन गाँवों को मिलाकर बनाया गया था?
उत्तर:
(1) सुतानाती
(2) कोलकाता
(3) गोविन्दपुर।

प्रश्न 39.
कलकत्ता का किला क्या कहलाता था?
उत्तर:
फोर्ट विलियम।

प्रश्न 40.
‘स्वास्थ्यकर नगर’ और ‘अस्वास्थ्यकर नगर’ कौनसे होते थे?
उत्तर:
व्हाइट टाउन’ स्वास्थ्यकर तथा ‘ब्लैक टाउन’ अस्वास्थ्यकर कहलाते थे।

प्रश्न 41.
लार्ड वेलेजली भारत के गवर्नर जनरल कब बने?
उत्तर:
1798 ई. में।

प्रश्न 42.
लार्ड वेलेजली ने कलकत्ता में अपने लिए रहने के लिए जो महल बनवाया, वह क्या कहलाता था?
उत्तर:
गवर्नमेंट हाउस

प्रश्न 43.
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग किस प्रकार जीवन- यापन करते थे?
उत्तर:
खेती, जंगलों में संग्रहण तथा पशुपालन द्वारा।

प्रश्न 44.
ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों तथा शहरों को अलग दिखाने वाली एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
कस्बों तथा शहरों की किलेबन्दी की जाती थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की नहीं। –

प्रश्न 45.
जनगणना के आँकड़ों का एक महत्त्व बताइए। उत्तर- जनगणना शहरीकरण के इतिहास का अध्ययन करने का बहुमूल्य स्रोत है।

प्रश्न 46.
आरम्भ में अधिकांश लोग जनगणना को सन्देह की दृष्टि से क्यों देखते थे?
उत्तर:
क्योंकि लोगों का मानना था कि सरकार नए कर लागू करने के लिए जाँच करवा रही है।

प्रश्न 47.
बगीचा पर’ का सम्बन्ध किस औपनिवेशिक शहर से था?
उत्तर:
कलकत्ता।

प्रश्न 48.
प्रारम्भ में बम्बई कितने टापुओं का इलाका था?
उत्तर:
सात टापुओं का।

प्रश्न 49.
बम्बई में नव-शास्त्रीय (नव क्लासिकल शैली) में निर्मित दो इमारतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) बम्बई का टाउन हाल
(2) एल्फिंस्टन सर्कल।

प्रश्न 50.
बम्बई में नव-गॉथिक शैली में निर्मित चार इमारतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) बम्बई सचिवालय
(2) बम्बई विश्वविद्यालय
(3) उच्च न्यायालय
(4) बम्बई टर्मिनस रेलवे स्टेशन।

प्रश्न 51.
नव-गॉथिक शैली में निर्मित सर्वोत्कृष्ट इमारत कौनसी थी जो बम्बई में निर्मित थी?
उत्तर:
विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन

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प्रश्न 52.
मद्रास में इण्डो सारसेनिक स्थापत्य शैली में निर्मित भवन का नाम लिखिए।
उत्तर:
मद्रास ला कोर्टस।

प्रश्न 53.
बम्बई में निर्मित ‘गेटवे ऑफ इण्डिया’ किस शैली का प्रतीक है?
उत्तर:
गुजराती शैली का।

प्रश्न 54.
राजा जार्ज पंचम और उनकी पत्नी मेरी के स्वागत के लिए कौनसी इमारत बनाई गई थी और कब?
उत्तर:
(1) गेटवे ऑफ इण्डिया
(2) 1911 में।

प्रश्न 55.
भारत में सबसे पहली रेल किन शहरों के बीच चलाई गई और कब?
उत्तर:
(1) बम्बई से ठाणे तक
(2) 1853 में।

प्रश्न 56.
बम्बई, मद्रास और कलकत्ता विश्वविद्यालयों की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
1857 में।

प्रश्न 57.
अंग्रेजों ने कलकत्ता की जगह दिल्ली को कब राजधानी बनाया?
उत्तर;
1911 में

प्रश्न 58.
फोर्ट विलियम पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर- फोर्ट विलियम कलकत्ता का एक प्रसिद्ध दुर्ग था। इसका निर्माण ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने करवाया था।

प्रश्न 59
6वीं तथा 17वीं सदी में मुगलों द्वारा बनाए गए शहर किन बातों के लिए प्रसिद्ध थे? उत्तर-ये शहर जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों तथा शाही शोभा व समृद्धि के लिए प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 60.
मुगल राजधानियों दिल्ली और आगरे के राजनीतिक प्रभुत्व की समाप्ति के बाद किन क्षेत्रीय राजधानियों का महत्त्व बढ़ गया था?
उत्तर- लखनऊ, हैदराबाद, सारंगपट्म, पूना, नागपुर, बड़ौदा, तंजौर

प्रश्न 61.
पेठ और पुरम में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पेठ तमिल शब्द है जिसका अर्थ होता है बस्ती जबकि पुरम शब्द गाँव के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 62.
अंग्रेजों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र सर्वप्रथम किसे बनाया था?
उत्तर:
सूरत।

प्रश्न 63.
कलकत्ता में अंग्रेजों की सत्ता की प्रतीक इमारत कौनसी थी?
उत्तर:
गवर्नमेंट हाऊस।

प्रश्न 64.
लॉटरी कमेटी का सम्बन्ध किस औपनिवेशिक शहर से था?
उत्तर:
कलकत्ता।

प्रश्न 65.
बम्बई सचिवालय का डिजाइन किसने बनाया था?
उत्तर:
एच. एस. टी. क्लेयर विलकिन्स ने।

प्रश्न 66.
मद्रास, कलकत्ता और बम्बई में कौनसे इलाके ब्रिटिश आबादी के रूप में जाने जाते थे?
उत्तर:
मद्रास, कलकत्ता और बम्बई में क्रमश: फोर्ट सेंट जार्ज, फोर्ट विलियम और फोर्ट इलाके ब्रिटिश आबादी के रूप में प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 67.
आजकल बम्बई, मद्रास तथा कलकत्ता किन नामों से पुकारे जाते हैं?
उत्तर:
आजकल बम्बई, मद्रास तथा कलकत्ता क्रमशः मुम्बई, चेन्नई तथा कोलकाता नाम से पुकारे जाते हैं।

प्रश्न 68.
पुर्तगालियों तथा डचों ने कब और कहाँ अपने व्यापारिक केन्द्रों की स्थापना की?
उत्तर:
पुर्तगालियों ने 1510 में पणजी में तथा डचों ने 1605 में मछलीपट्नम में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित किये।

प्रश्न 69.
अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों ने कब और कहाँ व्यापारिक केन्द्र स्थापित किये?
उत्तर:
अंग्रेजों ने 1639 में मद्रास में तथा फ्रांसीसियों ने 1673 में पांडिचेरी में अपने व्यापारिक केन्द्रों की स्थापना की।

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प्रश्न 70.
भारत के एक आधुनिक औद्योगिक देश न बनने का क्या कारण था?
उत्तर:
इंग्लैण्ड की पक्षपातपूर्ण औपनिवेशिक नीति के कारण।

प्रश्न 71.
‘राइटर्स बिल्डिंग’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राइटर्स बिल्डिंग कम्पनी का एक मुख्य प्रशासकीय कार्यालय था क्लर्क ‘राइटर्स’ कहलाते थे।

प्रश्न 72.
‘दि मार्बल पैलेस’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
किसी शहरी सम्भ्रान्त वर्ग के एक भारतीय परिवार ने कलकत्ता में दि मार्बल पैलेस नामक एक अत्यंत भव्य इमारत बनवाई थी।

प्रश्न 73.
अंग्रेजों के लिए ‘सिविल लाइन्स’ में किन इमारतों का निर्माण किया गया?
उत्तर:
चौड़ी सड़कों, बड़े बगीचों में बने बंगलों, बैरकों, परेड मैदानों, चर्च आदि का निर्माण किया गया।

प्रश्न 74.
चितपुर बाजार कहाँ स्थित था?
उत्तर:
चितपुर बाजार कलकत्ता में ब्लैक टाउन और व्हाइट टाउन की सीमा पर स्थित था।

प्रश्न 75.
ब्लैक टाउन में भारतीयों द्वारा बनवाये गए मन्दिर को अंग्रेज क्या कहते थे?
उत्तर:
ब्लैक पगौडा।

प्रश्न 76.
‘व्हाइट टाउन’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिस शहरी इलाके में अंग्रेज (गोरे लोग ) रहते थे, वह ‘व्हाइट टाउन’ कहलाता था।

प्रश्न 77.
‘ब्लैक टाउन’ किसे कहते थे?
उत्तर:
जिस शहरी इलाके में भारतीय (काले लोग ) रहते थे, वह ‘ब्लैक टाउन’ कहलाता था।

प्रश्न 78.
प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने बम्बई में किस शैली में किस होटल का निर्माण करवाया था?
उत्तर:
गुजराती शैली में ताजमहल होटल का।

प्रश्न 79.
कस्बा और गंज में क्या अन्तर था?
उत्तर:
कस्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को तथा गंज एक छोटे स्थानीय बाजार को कहा जाता था।

प्रश्न 80.
अंग्रेजों की नजर में ‘ब्लैक टाउन’ कैसे थे?
उत्तर:
अंग्रेजों की नजर में ‘ब्लैक टाउन’ अराजकता तथा हो-हल्ला के केन्द्र व गन्दगी और बीमारियों के स्त्रोत थे।

प्रश्न 81.
अंग्रेजों द्वारा हिल स्टेशनों की स्थापना किस उद्देश्य से की गई थी?
अथवा
अंग्रेजी शासन काल में पहाड़ी शहरों (हिल स्टेशनों) का विकास क्यों किया गया?
उत्तर:
हिल स्टेशन अंग्रेज सैनिकों को ठहराने, सीमाओं की चौकसी करने और शत्रु के विरुद्ध आक्रमण करने के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान थे।

प्रश्न 82.
किस गवर्नर जनरल ने अपनी काउंसिल कहाँ स्थानान्तरित की थी और कब?
उत्तर:
1864 में गवर्नर जनरल जान लारेन्स ने अपनी काउंसिल शिमला में स्थानान्तरित की थी।

प्रश्न 83.
मद्रास के नये ‘ब्लैक टाउन’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नये ‘ब्लैक टाउन’ में भारतीय लोग रहते थे। यहाँ आड़ी-टेढ़ी संकरी गलियों में अलग-अलग जातियों के मोहल्ले थे।

प्रश्न 84.
लार्ड वेलेजली ने शहर में मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करने के लिए सरकार की जिम्मेदारियों का उल्लेख किसमें किया था?
उत्तर:
1803 में ‘कलकत्ता मिनट्स’ में

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प्रश्न 85.
अंग्रेज ‘बस्ती’ का प्रयोग किस रूप में ‘करते थे?
उत्तर:
गरीबों की कच्ची झोंपड़ियों के रूप में।

प्रश्न 86.
बम्बई अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र क्यों था?
उत्तर:
एक प्रमुख बन्दरगाह होने के नाते।

प्रश्न 87.
19वीं शताब्दी के अन्त तक भारत का आधा निर्यात तथा आयात किस शहर से होता था?
उत्तर:
बम्बई से

प्रश्न 88.
अम्बई से व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु कौनसी थी?
उत्तर:
अफीम

प्रश्न 89.
व्यापार की उन्नति के कारण कौनसा भारतीय शहर ‘भारत का सरताज शहर’ कहलाता था?
उत्तर:
बम्बई।

प्रश्न 90.
एशियाटिक सोसायटी ऑफ बाम्बे’ का कार्यालय कहाँ है?
उत्तर:
बम्बई के टाउनहाल में।

प्रश्न 91.
बम्बई की उस इमारत का नाम लिखिए जो ग्रीको-रोमन स्थापत्य शैली से प्रभावित है।
उत्तर:
एल्फिंस्टन सर्कल।

प्रश्न 92.
औपनिवेशिक शहरों में इमारतें बनाने के लिए कौनसी स्थापत्य शैलियों का प्रयोग किया गया?
उत्तर:
(1) नवशास्त्रीय
(2) नव-गॉथिक शैली
(3) इण्डो-सारसेनिक शैली।

प्रश्न 93.
नव-गॉथिक स्थापत्य शैली की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
ऊँची उठी हुई छलें, नोकदार मेहराबें, बारीक साज-सज्जा

प्रश्न 94.
इण्डो-सारसेनिक स्थापत्य शैली क्या थी?
उत्तर;
इण्डो-सारसेनिक स्थापत्य शैली में भारतीय और यूरोपीय दोनों शैलियों के तत्त्व थे।

प्रश्न 95.
चॉल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बम्बई में जगह की कमी एवं भीड़भाड़ के कारण एक विशेष प्रकार की इमारतें बनायी गयीं जिन्हें चॉल कहा गया।

प्रश्न 96.
स्थापत्य शैलियों से क्या पता चलता है? उत्तर-स्थापत्य शैलियों से अपने समय के सौन्दर्यात्मक आदशों एवं उनमें निहित विविधताओं का पता चलता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में स्थल आधारित साम्राज्यों का स्थान जल आधारित शक्तिशाली यूरोपीय साम्राज्यों ने ले लिया।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
18वीं शताब्दी के अन्त तक जल आधारित शक्तिशाली यूरोपीय साम्राज्यों ने प्रमुख स्थान प्राप्त कर लिया। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्यवाद तथा पूँजीवाद की शक्तियाँ अब समाज के स्वरूप को निर्धारित करने लगीं। अब मद्रास, कोलकाता तथा मुम्बई जैसे औपनिवेशिक बन्दरगाह शहर नई आर्थिक राजधानियों के रूप में प्रकट हुए। ये औपनिवेशिक प्रशासन और सत्ता के केन्द्र भी बन गए। अब नये भवनों और संस्थानों का विकास हुआ।

प्रश्न 2.
तर्क सहित सिद्ध कीजिये कि औपनिवेशिक शहरों का सामाजिक जीवन वर्तमान शहरों में भी दिखाई पड़ता है?
उत्तर;
औपनिवेशिक शहरों की भाँति वर्तमान शहरों में भी घोड़गाड़ी, ट्रामों, बसों का यातायात के साधनों के रूप में प्रयोग किया जाता है। उनहाल सार्वजनिक पार्क, रंगशाला, सिनेमाहाल आदि लोगों के मिलने-जुलने के स्थान हैं। वर्तमान शहरों में ‘मध्य वर्ग’ का काफी प्रभाव है। वर्तमान शहरों में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, लाइब्रेरी आदि शिक्षा के केन्द्र बने हुए हैं। स्वियों में भी जागृति आई है।

प्रश्न 3.
‘चाल’ से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषता लिखिए।
उत्तर:
शहर में जगह की कमी और भीड़भाड़ के कारण बम्बई में एक खास तरह की इमारतें बनाई गई, जिन्हें ‘चाल’ का नाम दिया गया। ये इमारतें बहुमंजिला होती थीं, जिनमें एक-एक कमरे वाली आवासीय इकाइयाँ बनाई जाती थीं। इमारत के सारे कमरों के सामने एक खुला बरामदा या गलियारा होता था और बीच में दालान होता था। इस प्रकार की इमारतों में बहुत थोड़ी सी जगह में बहुत सारे परिवार रहते थे। सभी लोग एक-दूसरे के सुख- दुःख में भागीदार होते थे।

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प्रश्न 4.
अंग्रेजों ने भारत में भवन निर्माण के लिए यूरोपीय शैली को किस कारण चुना? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर:
(1) इसमें एक अनजान देश में जाना- पहचाना सा भू-दृश्य रचने की और उपनिवेश में घर जैसा अनुभव करने की अंग्रेजों की चाहत दिखाई पड़ती थी।
(2) अंग्रेजों को लगता था कि यूरोपीय शैली उनकी श्रेष्ठता, अधिकार और सत्ता का प्रतीक होगी।
(3) वे सोचते थे कि यूरोपीय ढंग की दिखने वाली इमारतों से औपनिवेशिक शासकों और भारतीय प्रजा के बीच फर्क और फासला साफ दिखने लगेगा।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों ने मद्रास (चेन्नई) के आसपास अपना वर्चस्व कैसे स्थापित किया?
उत्तर:
1611 में अंग्रेजों ने मछलीपट्नम में अपनी फैक्ट्री स्थापित की। लेकिन जल्दी ही उन्होंने मद्रास को अपना केन्द्र बनाया, जिसका पट्टा वहाँ के जा ने 1639 में उन्हें दे दिया। राजा ने उन्हें उस स्थान की किलेबन्दी करने, सिक्के ढालने तथा प्रशासन की अनुमति दे दी। यहाँ पर अंग्रेजों ने अपनी फैक्ट्री के इर्द-गिर्द एक किला बनाया, जिसका नाम फोर्ट सेंट जार्ज रखा गया 1761 में फ्रांसीसियों की हार के बाद मद्रास और सुरक्षित हो गया।

प्रश्न 6.
दक्षिण भारत की परिस्थितियाँ अंग्रेजों के लिए अधिक अनुकूल थीं, क्यों? लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण भारत में अंग्रेजों का मुकाबला किसी ताकतवर राज्य से नहीं हुआ 1665 में तालीकोटा के युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य नष्ट-भ्रष्ट हो गया और उसके स्थान पर छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गये, जैसे- बीदर, बरार, गोलकुण्डा आदि। इन राज्यों को अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति के द्वारा डरा-धमका कर या लालच देकर अपने अधीन कर लिया। केवल मैसूर के राज्य से ही उन्हें टक्कर लेनी पड़ी।

प्रश्न 7.
नक्शे हमें क्या बताते हैं और क्या छिपाते है?
उत्तर:
1878 में भारत में सर्वे ऑफ इण्डिया का गठन किया गया। उस समय के नक्शों से हमें काफी जानकारी उपलब्ध होती है, साथ ही हमें अंग्रेजों की भेदभावपूर्ण सोच का भी पता लग जाता है। उदाहरण के लिए, नक्शे में गरीबों की बस्तियों को चिह्नित नहीं किया गया। इसका अर्थ यह लगाया गया कि नक्शे में रिक्त स्थान अन्य योजनाओं के लिए उपलब्ध हैं। जब इन योजनाओं को शुरू किया गया तो गरीबों की बस्तियों को वहाँ से हटा दिया गया।

प्रश्न 8.
औपनिवेशिक काल में ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों के चरित्र में अन्तर बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों के चरित्र में भिन्नता के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं-
(1) ग्रामीण इलाकों के लोग खेती, पशुपालन एवं जंगलों में संग्रहण द्वारा अपनी जीविका का निर्वाह करते हैं। इसके विपरीत कस्बों में शासक, व्यापारी, प्रशासक व शिल्पकार आदि रहते थे।
(2) कस्बों एवं शहरों की प्रायः किलेबन्दी की जाती थी। यह किलेबन्दी उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से अलग करती थी।
(3) कस्बों पर ग्रामीण जनता का प्रभुत्व रहता था। वे खेती से प्राप्त होने वाले करों एवं अधिशेष के आधार पर निर्भर रहते थे।

प्रश्न 9.
मध्यकालीन दक्षिण भारत के शहरों की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) दक्षिण भारत के नगर मदुरई तथा कांचीपुरम प्रमुख केन्द्र थे।
(2) दक्षिण भारत के अनेक नगरों में बन्दरगाह होते थे।
(3) ये व्यापार के मुख्य केन्द्रों के कारण विकसित हुए थे।
(4) दक्षिण भारत के शहरों में धार्मिक उत्सव अत्यधिक धूम-धाम के साथ मनाए जाते थे।

प्रश्न 10.
कस्बा एवं गंज के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कस्बा – कस्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतः स्थानीय विशिष्ट वस्तुओं का केन्द्र होता है।
गंज-गंज एक छोटे स्थायी बाजार को कहा जाता है। कस्बा और गंज दोनों कपड़ा, फल, सब्जी एवं दुग्ध उत्पादों से सम्बन्ध थे। ये विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए सामग्री उपलब्ध करवाते थे।

प्रश्न 11.
अमेरिका के गृहयुद्ध और स्वेज नहर के खुलने का भारत की आर्थिक गतिविधियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
अमेरिकी गृह युद्ध ने भारत में ‘रैयत’ समुदाय के जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
सन् 1861 में अमेरिका में गृहयुद्ध शुरू होने के कारण वहाँ से कपास का निर्यात बन्द हो गया। इससे भारतीय कपास की माँग बढ़ी, जिसकी खेती मुख्य रूप से दक्कन में होती थी। 1869 में स्वेज नहर को व्यापार के लिए खोल दिया गया, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था के साथ-साथ बम्बई की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई। बम्बई की सरकार और भारतीय व्यापारियों ने बम्बई को ‘भारत का सरताज शहर’ घोषित कर दिया।

प्रश्न 12.
18वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने नगरों के लिए मानचित्र तैयार करने पर ध्यान क्यों दिया ?
अथवा
औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र तैयार करने पर विशेष ध्यान क्यों दिया?
उत्तर:
औपनिवेशिक सरकार की मान्यता थी कि किसी शहर की बनावट और भूदृश्य को समझने के लिए मानचित्र आवश्यक होते हैं। इस जानकारी के आधार पर वे इलाके पर अधिक नियन्त्रण स्थापित कर सकते थे। शहरों के मानचित्रों से हमें उस स्थान पर पहाड़ियों, नदियों व हरियाली का पता चलता है। ये समस्त बातें रक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए योजना तैयार करने में बड़ी उपयोगी सिद्ध होती हैं। मकानों की सघनता, सड़कों की स्थिति आदि से इलाके की व्यावसायिक सम्भावनाओं की जानकारी मिलती है।

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प्रश्न 13.
जनगणना से प्राप्त आँकड़ों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
(1) ये आँकड़े शहरीकरण का अध्ययन करने के लिए एक बहुमूल्य स्रोत हैं।
(2) बीमारियों से होने वाली मृत्युओं की सारणियों, आयु, लिंग, जाति व व्यवसाय के अनुसार लोगों को गिनने की व्यवस्था से संख्याओं का एक विशाल भण्डार मिलता है।
(3) जनगणना के माध्यम से आबादी के बारे में सामाजिक जानकारियों को सुगम्य आँकड़ों में बदला जा सकता था।

प्रश्न 14.
औपनिवेशिक भारत में जनगणना सम्बन्धी भ्रमों का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर:
(1) आबादी के विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए अलग-अलग श्रेणियाँ बनाई गई थीं। कई बार यह वर्गीकरण अतार्किक होता था।
(2) लोग जनगणना आयुक्तों को गलत जवाब दे देते थे।
(3) प्राय: लोग स्वयं भी जनगणना के कार्य में सहायता देने से इनकार कर देते थे। ऊँची जाति के लोग अपने परिवार की स्त्रियों के बारे में जानकारी देने से संकोच करते थे बीमारियों से सम्बन्धित आँकड़ों को कठिन था।
(4) मृत्यु दर तथा एकत्रित करना बहुत

प्रश्न 15.
” अठारहवीं शताब्दी में औपनिवेशिक शहर अंग्रेजों की वाणिज्यिक संस्कृति को प्रतिबिम्बित करते थे।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में राजनीतिक सत्ता और संरक्षण भारतीय शासकों के स्थान पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारियों के हाथों में आ गई दुभाषिए, बिचौलिए, व्यापारी और माल आपूर्तिकर्ता के रूप में काम करने वाले भारतीयों का भी इन नये शहरों में एक महत्त्वपूर्ण स्थान था। नदी या समुद्र के किनारे आर्थिक गतिविधियों से गोदियों और घाटियों का विकास हुआ। समुद्र किनारे गोदाम, वाणिज्यिक कार्यालय, बीमा एजेंसियों, यातायात डिपो और बैंकिंग संस्थानों की स्थापना हुई।

प्रश्न 16.
1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज़ों ने शहरी इलाकों में ‘सिविल लाइन्स’ नामक इलाके क्यों विकसित किये?
उत्तर:
1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज शासकों ने अनुभव किया कि अंग्रेजों को भारतीयों (देशियों) के खतरे से दूर, अधिक सुरक्षित व पृथक् बस्तियों में रहना चाहिए। अत: उन्होंने पुराने कस्बों के चारों ओर चरागाहों और खेतों को साफ कर ‘सिविल लाइन्स’ नामक नये शहरी इलाके विकसित किये। ‘सिविल लाइन्स’ में केवल गोरे लोगों को बसाया गया। चौड़ी सड़कों, बड़े बगीचों में बने बंगलों, बैरकों, परेड मैदान, चर्च आदि से लैस छावनियाँ यूरोपीय लोगों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल थीं।

प्रश्न 17.
हिल स्टेशनों की अंग्रेजों के लिए क्या उपयोगिता थी?
उत्तर:
(1) हिल स्टेशन अंग्रेज सैनिकों को ठहराने, सीमाओं की चौकसी करने और शत्रु के विरुद्ध आक्रमण करने के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान थे।
(2) हिल स्टेशनों की जलवायु अंग्रेजों के लिए स्वास्थ्यप्रद थी।
(3) यहाँ अंग्रेज सैनिक हैजा, मलेरिया आदि बीमारियों से मुक्त रह सकते थे।
(4) ये हिल स्टेशन सेनेटोरियम के रूप में भी विकसित किये गए थे। यहाँ सैनिकों को विश्राम करने एवं इलाज कराने के लिए भेजा जाता था।

प्रश्न 18.
“औपनिवेशिक शहरों में नये सामाजिक समूह बने तथा लोगों की पुरानी पहचानें महत्त्वपूर्ण नहीं रहीं।” व्याख्या कीजिये ।
अथवा
औपनिवेशिक शहरों में ‘मध्य वर्ग’ के विकास का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में औपनिवेशिक शहरों में समस्त वर्गों के लोग आने लगे शहरों में क्लकों, डॉक्टरों, इन्जीनियरों वकीलों, शिक्षकों तथा लेखाकारों की माँग बढ़ती जा रही थी। परिणामस्वरूप शहरों में ‘मध्य वर्ग’ का विकास हुआ। मध्य वर्ग के लोग सुशिक्षित थे तथा इनकी स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी तक अच्छी पहुँच थी। वे समाज और सरकार के बारे में समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और सार्वजनिक सभाओं में अपने विचार व्यक्त कर सकते थे।

प्रश्न 19.
इतिहासकारों को जनगणना जैसे स्रोतों का प्रयोग करते समय सावधानी क्यों रखनी चाहिए?
उत्तर:
इतिहासकारों को जनगणना जैसे स्रोतों का प्रयोग करते समय सावधानी इसलिए रखनी चाहिए क्योंकि जनगणना के आँकड़े भ्रामक भी हो सकते हैं। इन आँकड़ों का प्रयोग करने से पहले हमें इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि आँकड़े किसने इकट्ठा किए हैं तथा उन्हें क्यों व कैसे इकट्ठा किया गया था।

प्रश्न 20.
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में क्यों लिया?
उत्तर- अंग्रेज व्यापारी नवाब सिराजुद्दौला की सम्प्रभुता से असन्तुष्ट थे। उसने उनसे माल गोदाम के रूप में प्रयोग किये जाने वाला छोटा किला छीन लिया था। प्लासी के युद्ध में विजय के उपरान्त अंग्रेजों ने कलकत्ता में ऐसा किला बनाने का निश्चय किया जिस पर आसानी से आक्रमण न किया जा सके।

प्रश्न 21.
नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता नगर पर हमला क्यों किया?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारी नवाब सिराजुद्दौला की सम्प्रभुता पर लगातार सवाल उठा रहे थे। वे न तो कस्टम ड्यूटी चुकाना चाहते थे और न ही उनके द्वारा तय की गई कारोबार की शर्तों पर काम करना चाहते थे। इसलिए नवाब सिराजुद्दौला ने 1756 ई. में कलकत्ता पर हमला करके अंग्रेजों द्वारा बनाए गए किले पर अपना अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 22.
अठारहवीं शताब्दी में शहरों में स्त्रियों में आई जागरूकता का रूढ़िवादी लोग विरोध क्यों करने लगे?
उत्तर:
रूढ़िवादियों को भय था कि यदि स्त्रियाँ पढ़ लिख गई, तो वे संसार में क्रान्ति ला देंगी तथा सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था का आधार खतरे में पड़ जायेगा। कुछ महिला सुधारक भी स्त्रियों को माँ और पत्नी की परम्परागत भूमिकाओं में ही देखना चाहते थे। उनका कहना था फि स्त्रियों को पर की चारदीवारी के भीतर ही रहना चाहिए। वे परम्परागत पितृसत्तात्मक रीति-रिवाजों, कानूनों को परिवर्तित करने के प्रयासों से असन्तुष्ट थे।

प्रश्न 23.
‘नव-गॉथिक शैली’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
ऊँची उठी हुई छर्ने, नोकदार मेहराबें और बारीक साज-सज्जा ‘नव- गाँधिक शैली’ की विशेषताएँ थीं। बम्बई सचिवालय, बम्बई विश्वविद्यालय, बम्बई उच्च न्यायालय आदि भव्य इमारतें समुद्र किनारे इसी शैली में बनाई गई। यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के घंटाघर का निर्माण प्रेमचन्द रायचन्द के धन से किया गया था। इसका नाम उनकी माँ के नाम पर राजाबाई टावर रखा गया। परन्तु नव-गॉथिक शैली का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन है।

प्रश्न 24.
नवशास्त्रीय या नियोक्लासिकल स्थापत्य कला पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बड़े-बड़े स्तम्भों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण नवशास्त्रीय स्थापत्य शैली की विशेषता थी। यह शैली मूल रूप से प्राचीन रोम की भवन निर्माण शैली से निकली थी। 1833 में बम्बई का टाउन हाल इसी शैली के अनुसार बनाया गया था। 1860 के दशक में अनेक व्यावसायिक इमारतों के समूह को ‘एल्फिन्स्टन सर्कल’ कहा जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर हार्निमान सर्कल रख दिया गया था। इसमें पहली मंजिल पर ढके हुए तोरणपथ का रचनात्मक ढंग से प्रयोग किया गया।

प्रश्न 25.
भारत में रेलवे की शुरुआत कब हुई और इसके क्या प्रभाव हुए?
अथवा
1853 में रेलवे के आरम्भ की शहरीकरण की प्रक्रिया में क्या भूमिका रही?
अथवा
1853 में रेलवे की स्थापना से किस प्रकार नगरों का भाग्य बदल गया? कोई दो परिवर्तन बताइये।
उत्तर:
(1) भारत में रेलवे की शुरुआत 1853 में हुई। अब आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र परम्परागत शहरों से दूर जाने लगा क्योंकि ये शहर पुराने मार्गों और नदियों के निकट थे।
(2) प्रत्येक रेलवे स्टेशन कच्चे माल का संग्रह केन्द्र और आयातित माल का वितरण केन्द्र बन गया था।
(3) रेलवे नेटवर्क के विस्तार के साथ रेलवे वर्कशाप, रेलवे कालोनियों भी बनने लगीं और जमालपुर, बरेली और वाल्टेयर जैसे रेलवे नगर अस्तित्व में आए।

प्रश्न 26.
अंग्रेजों ने ब्लैक टाउनों में सफाई व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान कब व क्यों दिया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब ब्लैक टाउन (काले इलाके में हैजा और प्लेग जैसी महामारियाँ फैली और हजारों लोग मौत का शिकार हुए तब अंग्रेज अफसरों को स्वच्छता व सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा कठोर कदम उठाने पड़े। उनको इस बात का डर था कि कहीं ये बीमारियाँ ब्लैक टाउन से ह्वाइट टाउन में भी न फैल जायें। 1960-70 के दशकों से साफ-सफाई के बारे में कड़े प्रशासकीय उपाय लागू किए गए और भारतीय शहरों में निर्माण गतिविधियों पर अंकुश लगाया गया।

प्रश्न 27.
आमार कथा (मेरी कहानी ) क्या है और किसके द्वारा लिखी गई ?
अथवा
विनोदिनी दास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विनोदिनी दास बंगाली रंगमंच की एक प्रसिद्ध अदाकारा थीं। ‘स्टार थियेटर’, कलकत्ता की स्थापना ( 1883 ) के पीछे उनका मुख्य हाथ था 1910 से 1913 के बीच उन्होंने ‘आमार कथा’ के नाम से किस्तों में अपनी आत्मकथा लिखी। वे एक जबरदस्त व्यक्तित्व वाली महिला थीं। उन्होंने समाज में औरतों की समस्याओं पर केन्द्रित कई भूमिकाएँ निभाई। वे अभिनेत्री, संस्था निर्मात्री और लेखिका के रूप में कई भूमिकाएँ एक साथ निभाती

प्रश्न 28.
अंग्रेजों ने जहाँ पर भी किले बनाए, उनके चारों ओर खुले मैदान क्यों छोड़े और इसके पीछे क्या दलील दी ?
उत्तर:
अंग्रेजों ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम के इर्द- गिर्द एक विशाल जगह खाली छोड़ दी। खाली मैदान रखने का उद्देश्य यह था कि किले की ओर बढ़ने वाली शत्रु की सेना पर किले से बेरोक-टोक गोलीबारी की जा सके। जब अंग्रेजों को कलकत्ता में अपनी उपस्थिति स्थायी दिखाई देने लगी, तो वे फोर्ट से बाहर मैदान के किनारे पर भी आवासीय इमारतें बनाने लगे।

प्रश्न 29.
“कलकत्ता के लिए जो पैटर्न तैयार किया गया था, उसे बहुत सारे शहरों में दोहराया गया।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज विद्रोहियों के गढ़ों को अपने लिए सुरक्षित बनाने लगे। उन्होंने दिल्ली में लाल किले पर अपना कब्जा करके वहाँ अपनी सेना तैनात कर दी। उन्होंने किले के पास बनी इमारतों को साफ करके भारतीय मोहल्लों और किले के बीच काफी फासला बना दिया। इसके पीछे उन्होंने यह दलील दी कि अगर . कभी शहर के लोग फिरंगी-राज के खिलाफ खड़े हो जाएँ तो उन पर गोली चलाने के लिए खुली जगह जरूरी थी।

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प्रश्न 30.
कलकत्ता नगर नियोजन में लाटरी कमेटी के कार्यों की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘लाटरी कमेटी’ क्या थी? इसकी कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1817 में कलकत्ता में एक कमेटी बनाई गई जो सरकार की मदद से नगर नियोजन का कार्य करती थी। यह कमेटी नगर सुधार के लिए धन की व्यवस्था जनता के बीच लाटरी बेचकर करती थी, इसलिए इसका नाम ‘लाटरी कमेटी’ पड़ा। लाटरी कमेटी ने एक नक्शा बनवाया, जिससे कलकत्ता शहर की एक सम्पूर्ण तस्वीर सामने आ सके। कमेटी की प्रमुख गतिविधियों में शहर के हिन्दुस्तानी आबादी वाले हिस्से में सड़क निर्माण और नदी के किनारे से अवैध कब्जे हटाना शामिल था।

प्रश्न 31.
औपनिवेशिक काल में कस्बों का स्वरूप गाँवों से भिन्न था फिर भी इनके बीच की पृथकता अनिश्चित होती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- औपनिवेशिक काल में लोग ग्रामीण इलाकों में खेती, जंगलों में संग्रहण या पशुपालन द्वारा जीवन निर्वाह करते थे। इसके विपरीत कस्बों में शिल्पकार, व्यापारी, प्रशासक एवं शासक रहते थे। कस्बों पर ग्रामीण जनता का प्रभुत्व रहता था तथा वे खेती से प्राप्त करों एवं अधिशेष के आधार पर फलते-फूलते थे प्रायः कस्बों व शहरों की किलेबन्दी की जाती थी जो उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से अलग करती थी फिर भी कस्बों एवं गाँवों के मध्य की पृथकता अनिश्चित होती थी।

किसान तीर्थयात्रा करने के लिए लम्बी दूरियाँ तय करते थे एवं कस्बों से होकर गुजरते थे। दूसरी ओर लोगों और माल का कस्बे से गाँवों की ओर गमन होता रहता था। व्यापारी और फेरीवाले कस्बों से माल गाँव ले जाकर बेचते थे इससे बाजारों का फैलाव और उपभोग की नई शैलियों का उदय होता था। इसके अतिरिक्त जब कस्बों पर आक्रमण होते थे तो लोग प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में शरण लेते थे।

प्रश्न 32.
अठारहवीं शताब्दी के मध्य से शहरों का रूप परिवर्तन क्यों एवं किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी के मध्य से शहरों के रूप परिवर्तन का एक नया चरण प्रारम्भ हुआ। व्यापारिक गतिविधियों के अन्य स्थानों पर केन्द्रित होने के कारण सत्रहवीं शताब्दी में विकसित हुए शहर- सूरत, मछलीपट्टनम व ढाका पतनोन्मुख हो गए। 1757 ई. में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला एवं अंग्रेजों के मध्य हुए प्लासी के बुद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई। मद्रास, बम्बई व कलकत्ता ये शहर औपनिवेशिक प्रशासन एवं सत्ता के केन्द्र भी बन गये। नए भवनों एवं संस्थानों का उदय हुआ एवं शहरी केन्द्रों को नए तरीके से पूर्णतः व्यवस्थित किया गया। इन शहरों में नये नये रोजगारों का सृजन हुआ, जिससे लोग इन शहरों में बसने लगे। लगभग 1800 ई. तक ये शहर जनसंख्या की दृष्टि से भारत के विशाल शहर बन गए।

प्रश्न 33.
प्रारम्भिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र बनाने पर विशेष ध्यान क्यों दिया?
उत्तर:
प्रारम्भिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कारणों से मानचित्र बनाने पर विशेष ध्यान दिया-
(i) सरकार का मानना था कि किसी स्थान की बनावट एवं भूदृश्य को समझने के लिए मानचित्र आवश्यक होते हैं। इस जानकारी के आधार पर वे शहरी प्रदेश पर नियन्त्रण बनाये रख सकते थे।

(ii) जब शहरों का विस्तार होने लगा तो न केवल उनके विकास की योजना तैयार करने के लिए बल्कि शहर को विकसित करने एवं अपनी सत्ता मजबूत बनाने के लिए भी मानचित्र बनाये जाने लगे।

(ii) शहरों के मानचित्रों से हमें उसकी पहाड़ियों, नदियों एवं हरियाली का पता चलता है। यह जानकारी रक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए योजना बनाने में बहुत काम आती

प्रश्न 34.
किन सरकारी नीतियों ने भारतीयों के भीतर उपनिवेशवाद विरोधी और राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया?
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में शहरों में सरकारी दखलन्दाजी और सख्त हो गई। इस आधार पर और अधिक तेजी से झुग्गी-झोंपड़ियों को हटाना शुरू किया गया। दूसरे इलाकों की अपेक्षा ब्रिटिश आबादी वाले हिस्सों को तेजी से विकसित किया जाने लगा। ‘स्वास्थ्यकर’ और ‘अस्वास्थ्यकर’ के नए विभेद के कारण ‘हाइट’ और ‘ब्लैक’ टाउन वाले नस्ली विभाजन को और बल मिला। इन सरकारी नीतियों के विरुद्ध जनता के प्रतिरोध ने भारतीयों के भीतर उपनिवेशवाद विरोधी और राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया।

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प्रश्न 35.
बम्बई स्थित होटल ताजमहल के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बम्बई स्थित प्रसिद्ध होटल ताजमहल का निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने करवाया था। यह परम्परागत गुजराती शैली में निर्मित है। यह इमारत न केवल भारतीय उद्यमशीलता का प्रतीक है अपितु अंग्रेजों के स्वामित्व एवं नियन्त्रण वाले नस्ली क्लबों और होटलों के लिए चुनौती भी थी।

प्रश्न 36.
फोर्ट सेण्ट जॉर्ज के विषय में आप क्या जानते हैं? क्या यह व्हाइट टाउन का केन्द्र बिन्दु था?
उत्तर:
मद्रास स्थित फोर्ट सेंट जॉर्ज औपनिवेशिक शासन का मुख्य केन्द्र था। यहाँ फोर्ट सेंट व्हाइट टाउन का केन्द्र था। यहाँ अधिकांशतः यूरोपीय रहते थे इसकी दीवारों तथा बुर्जों ने इसे एक खास प्रकार की घेराबन्दी का रूप दे दिया था। किले के भीतर रहने का निर्णय रंग तथा धर्म के आधार पर किया जाता था। भारतीयों के साथ कम्पनी के कर्मचारियों अथवा उनके परिवार के सदस्यों को विवाह की अनुमति नहीं थी। यूरोपीय ईसाई होने के कारण डच तथा पुर्तगालियों को वहाँ रहने की छूट थी। व्हाइट टाउन का केन्द्रबिन्दु इस किले का विकास गोरे विशेषकर अंग्रेजों की जरूरतों एवं सुविधाओं के अनुसार किया गया था।

प्रश्न 37.
लॉर्ड वेलेजली की नगर योजना के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लॉर्ड वेलेजली 1798 ई. में बंगाल का गवर्नर जनरल बना। यह अपनी नगर योजना के लिये भी जाना जाता है। वेलेजली ने कलकत्ता में अपने लिये एक गवर्नमेण्ट
हाउस नाम का एक शानदार महल बनवाया था। यह भवन अंग्रेजी सत्ता का प्रतीक था। लॉर्ड वेलेजली कलकत्ता में आ जाने के पश्चात् यहाँ की भीड़-भाड़, अत्यधिक हरियाली, गंदे तालाब तथा साँध से परेशान हो गया। वेलेजली को इन सब तत्त्वों से चिढ़ थी तथा अंग्रेजों का यह भी विचार था कि भारत की उष्णकटिबन्धीय जलवायु बीमारियों तथा महामारियों के अधिक अनुकूल है अतः वेलेजली ने शहर को अधिक स्वास्थ्यपरक बनाने के लिए अधिक खुले स्थान रखने का निर्णय लिया। 1803 ई. में वेलेजली ने नगर नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया। अतः कहा जा सकता है कि वेलेजली अपनी सहायक सन्धि के कारण जितना कुख्यात है उससे अधिक विख्यात वह स्वास्थ्यपरक नगर नियोजन के लिये है।

प्रश्न 38.
इमारतें और स्थापत्य शैलियाँ क्या बताती हैं?
उत्तर:
स्थापत्य शैलियों से अपने समय के सौन्दर्यात्मक आदर्शों और उनमें निहित विविधताओं का पता चलता है। इमारतें उन लोगों की सोच और नजर के बारे में भी बताती हैं जो उन्हें बना रहे थे इमारतों के जरिये सभी शासक अपनी ताकत को अभिव्यक्त करना चाहते थे। स्थापत्य शैलियों से केवल प्रचलित रुचियों का ही पता नहीं चलता, वे उनको बदलती भी हैं। वे नई शैलियों को लोकप्रियता प्रदान करती हैं और संस्कृति की रूपरेखा तय करती हैं।

प्रश्न 39.
‘बंगला’ भवन निर्माण शैली में किस बात का द्योतक है? इसकी रूपरेखा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों के मुताबिक भवन निर्माण में भारतीय शैलियों को भी अपना लिया था। ‘बंगला’ इसका स्पष्ट उदाहरण है बंगला बम्बई और पूरे देश में सरकारी अफसरों के लिए बनाए जाने वाला भवन था। औपनिवेशिक बंगला एक बड़ी जमीन पर बना होता था। इसमें परम्परागत ढलवाँ छत होती थी और चारों तरफ बरामदा होता था। बंगले के परिसर में घरेलू नौकरों के लिए अलग से क्वार्टर होते थे।

प्रश्न 40.
पूर्व औपनिवेशिक काल के शहरी केन्द्रों की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
(1) ये शहर जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों तथा अपनी शाही शोभा और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध थे।
(2) मनसबदार और जागीरदार सामान्यतः इन शहरों में अपने आवास रखते थे।
(3) इन शहरी केन्द्रों में सम्राट और कुलीन वर्ग की ‘उपस्थिति के कारण, यहाँ शिल्पकार, राजकोष, सम्राट का किलेबन्द महल होता था तथा नगर एक दीवार से घिरा होता था।
(4) नगरों के भीतर उद्यान, मस्जिदें, मन्दिर, मकबरे, महाविद्यालय, बाजार तथा सराय स्थित होती थीं।

प्रश्न 41.
ब्रिटिश भारत में निर्मित भवनों में किन- किन स्थापत्य शैलियों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है?
उत्तर:
ब्रिटिश भारत में निर्मित भवनों में ‘नव-गॉधिक शैली’, ‘नवशास्त्रीय’ तथा ‘इण्डोसारसेनिक’ स्थापत्य शैलियों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। ऊँची उठी हुई छलें, नोकदार मेहरावें तथा बारीक साज-सज्जा नव-गॉथिक शैली की विशेषताएँ हैं। बड़े- बड़े स्तम्भों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण नवशास्त्रीय शैली की विशेषताएँ हैं, इण्डोसारसेनिक शैली गुम्बदों, छतरियों, मेहराबों से प्रभावित थी।

प्रश्न 42.
लॉटरी कमेटी क्या थी? इसके अन्तर्गत कलकत्ता के नगर नियोजन के लिए कौन-कौनसे कदम उठाए गए?
उत्तर:
गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली के पश्चात् नगर नियोजन का कार्य सरकार की सहायता से लॉटरी कमेटी ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी का यह नाम इसलिए पड़ा कि यह कमेटी नगर सुधार के लिए पैसे की व्यवस्था जनता के बीच लॉटरी बेचकर करती थी।
लॉटरी कमेटी द्वारा नगर नियोजन के लिए उठाए गए कदम –
(i) लॉटरी कमेटी ने कलकत्ता शहर का नया मानचित्र बनाया ताकि कलकत्ता को नया रूप दिया जा सके।
(ii) लॉटरी कमेटी की प्रमुख गतिविधियों में शहर में हिन्दुस्तानी जनसंख्या वाले भाग में सड़कें बनवाना एवं नदी किनारे से अवैध कब्जे हटाना सम्मिलित था।
(iii) कलकत्ता शहर के भारतीय हिस्से को साफ- सुथरा बनाने के लिए कमेटी ने बहुत सी झोंपड़ियों को साफ कर दिया एवं गरीब मजदूरों को वहाँ से बाहर निकाल दिया। उन्हें कलकत्ता के बाहरी किनारे पर निवास हेतु जगह दी गई।

प्रश्न 43.
कौन-कौनसी सरकारी नीतियों ने कलकत्ता में भारतीयों के भीतर उपनिवेशवाद विरोधी एवं राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के प्रारम्भ के साथ ही कलकत्ता शहर में सरकारी हस्तक्षेप बहुत अधिक सख्त हो चुका था। वित्त पोषण (फण्डिंग) सहित नगर नियोजन के समस्त आयामों को अंग्रेज सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। इस आधार पर और तीव्र गति से शुग्गी-झोंपड़ियों को हटाना प्रारम्भ किया गया। दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा ब्रिटिश आबादी वाले हिस्सों का तेजी से विकास किया जाने लगा। स्वास्थ्यकर एवं अस्वास्थ्यकर के नये विभेद के कारण व्हाइट और ब्लैक टाउन वाले नस्ली विभाजन को और बल मिला। कलकत्ता नगर निगम में मौजूद भारतीय प्रतिनिधियों ने शहर के यूरोपीय आबादी वाले क्षेत्रों के विकास पर आवश्यकता से अधिक ध्यान दिये जाने की आलोचना की। इन सरकारी नीतियों के विरुद्ध जनता के प्रतिरोध ने कलकत्ता में भारतीयों के भीतर उपनिवेशवाद विरोधी एवं राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया।

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प्रश्न 44.
बम्बई का वाणिज्यिक शहर के रूप में किस प्रकार विकास हुआ? टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
19वीं शताब्दी के अन्त तक भारत का आधार आयात तथा निर्यात वाणिज्य शहर बम्बई से होता था। इस समय व्यापार की मुख्य वस्तु अफीम तथा नील थी। यहाँ से ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन को अफीम का निर्यात किया करती थी। इस व्यापार से शुद्ध भारतीय पूँजीपति वर्ग का निर्माण हुआ। पारसी, मारवाड़ी, कोंकणी, मुसलमान, गुजराती, ईरानी, आर्मेनियाई, यहूदी, बोहरे तथा बनिये इत्यादि यहाँ के मुख्य व्यापारी वर्ग से सम्बन्धित थे 1869 ई. में स्वेज नहर को व्यापार के लिये खोला गया था इससे बम्बई के व्यापारिक सम्बन्ध शेष विश्व के साथ अत्यधिक मजबूत हुए। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक बम्बई में भारतीय व्यापारी कॉटन मिल जैसे नवीन उद्योगों में अत्यधिक धन का निवेश कर रहे थे।

प्रश्न 45
औपनिवेशिक शहरों में स्त्रियों के सामाजिक जीवन में आए परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक शहरों में महिलाओं के लिए नए अक्सर थे। वे पत्र-पत्रिकाओं, आत्मकथाओं तथा पुस्तकों के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त कर रही थीं। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ रही थी। वे नौकरानी, फैक्ट्री मजदूर, शिक्षिका, रंगकर्मी और फिल्म कलाकार के रूप में शहरों के नये व्यवसायों में प्रविष्ट होने लगीं। परन्तु घर से निकलकर सार्वजनिक स्थानों में जाने वाली महिलाओं का सम्मान नहीं था।

प्रश्न 46.
मद्रास का कौनसा क्षेत्र व्हाइट टाउन कां केन्द्रक बन गया था?
उत्तर:
मद्रास में स्थित फोर्ट सेन्ट जार्ज व्हाइट टाउन .का केन्द्रक बन गया था। यहाँ अधिकतर यूरोपीय लोग रहते ‘थे। किले के अन्दर रहने का निर्णय रंग और धर्म के आधार पर किया जाता था। कम्पनी के लोगों को भारतीयों के साथ विवाह करने की अनुमति नहीं थी। संख्या की दृष्टि से कम होते हुए भी यूरोपीय लोग शासक थे और मद्रास शहर का विकास शहर में रहने वाले गोरे लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर किया जा रहा था।

प्रश्न 47.
मद्रास में स्थित ब्लैक टाउन का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
मद्रास में ब्लैक टाउन किले के बाहर स्थित था। यहाँ आबादी को सीधी पंक्तियों में बसाया गया था। कुछ समय बाद उत्तर की दिशा में दूर जाकर एक नवा ब्लैक टाउन बसाया गया। इसमें भारतीय बुनकरों, कारीगरों, बिचौलियों, दुभाषियों को रखा गया। इसमें भारतीय लोग रहते थे। यहाँ मंदिर और बाजार के आस-पास आवासीय मकान बनाए गए थे। शहर के बीच से गुजरने वाली आड़ी-टेड़ी संकरी गलियों में अलग-अलग जातियों के मोहल्ले थे।

प्रश्न 48.
कोलकाता में नगर नियोजन को क्यों प्रोत्साहन दिया गया?
उत्तर:
कोलकाता में 1817 में हैजा फैल गया तथा 1896 में प्लेग ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया। इस स्थिति में अंग्रेजों ने लोलकाता में नगर नियोजन पर बल दिया। घनी आबादी के इलाकों को अस्वच्छ माना जाता था। इसलिए कामकाजी लोगों की झोंपड़ियों तथा वस्तियों को वहाँ से हटा दिया गया। मजदूरों, फेरीवालों कारागरों और बेरोजगारों को दूर वाले इलाकों में ढकेल दिया गया। आग लगने की आशंका को ध्यान में रखते हुए फँस की झोंपड़ियों को अवैध घोषित कर दिया गया।

प्रश्न 49.
मुम्बई में यूरोपीय शैली की इमारतों का निर्माण क्यों किया गया?
उत्तर:
(1) यूरोपीय शैली की इमारतों में भारत जैसे अपरिचित देश में जाना पहिचाना सा भू-दृश्य रचने की और उपनिवेश में भी पर जैसा महसूस करने की अंग्रेजों की आकांक्षा प्रकट होती थी।
(2) अंग्रेजों की मान्यता थी कि यूरोपीय शैली उनकी श्रेष्ठता, अधिकार और सत्ता का प्रतीक थी
(3) वे सोचते थे कि यूरोपीय शैली में निर्मित इमारतों से अंग्रेज शासकों और भारतीय लोगों के बीच अन्तर साफ दिखाई देगा।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक भारत के प्रमुख बन्दरगाहों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
औपनिवेशिक भारत के प्रमुख बन्दरगाह
(1) बन्दरगाहों की किलेबन्दी-अठारहवीं शताब्दी तक भारत में मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह बन चुके थे। यहाँ जो बस्तियों बसों, वे चीजों के संग्रह के लिए बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इन बस्तियों में अपने कारखाने अर्थात् वाणिज्यिक कार्यालय स्थापित किये। कम्पनी ने सुरक्षा के उद्देश्य से इन बस्तियों की किलाबन्दी की। मद्रास में फोर्ट सेन्ट जार्ज, कलकत्ता में फोर्ट विलियम और बम्बई में फोर्ट नामक किले बनाये गए।

(2) यूरोपीयों और भारतीयों के लिए अलग-अलग बस्तियों की व्यवस्था-यूरोपीय व्यापारी किलों के अन्दर रहते थे, जबकि भारतीय व्यापारी, कारीगर, कामगार आदि इन किलों के बाहर अलग बस्तियों में रहते थे। जिस बस्ती में यूरोपीय लोग रहते थे वह ‘व्हाइट टाउन’ (गोरा शहर ) तथा जिस बस्ती में भारतीय लोग रहते थे, वह ‘ब्लैक टाउन’ (काला शहर) के नाम से पुकारे जाते थे।

(3 ) देहाती एवं दूरस्थ इलाकों का बन्दरगाहों से जुड़ना-उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में रेलवे के विकास ने इन शहरों को शेष भारत से जोड़ दिया। परिणामस्वरूप ऐसे देहाती तथा दूरस्थ इलाके भी इन बन्दरगाहों से जुड़ गए जहाँ से कच्चा माल तथा मजदूर आते थे।

(4) कारखानों की स्थापना- कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में कारखानों की स्थापना करना भी आसान था। इसका कारण यह था कि कच्चा माल निर्यात के लिए इन शहरों में आता था तथा यहाँ सस्ता श्रम उपलब्ध था। 1850 के दशक के बाद भारतीय व्यापारियों और उद्यमियों ने बम्बई में सूती कपड़े की मिलें स्थापित कीं। कलकत्ता के बाहरी इलाके में यूरोपियन लोगों ने जूट मिलों की स्थापना की। परन्तु इन शहरों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से फैक्टरी उत्पादन पर आधारित नहीं थी।

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(5) भारत का औद्योगिक देश न बन पाना 19वीं शताब्दी में भारत में केवल कानपुर तथा जमशेदपुर ही औद्योगिक शहर थे। कानपुर में चमड़े की चीजें तथा ऊनी और सूती कपड़े बनते थे, जबकि जमशेदपुर स्टील उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
भारत कभी भी एक आधुनिक औद्योगिक देश नहीं बन पाया क्योंकि ब्रिटिश सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति ने भारत के औद्योगिक विकास को कभी प्रोत्साहन नहीं दिया। यद्यपि कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास बड़े शहरों के रूप में तो विख्यात हुए, परन्तु इससे औपनिवेशिक भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में कोई क्रान्तिकारी वृद्धि नहीं हुई।

प्रश्न 2.
सन् 1800 के पश्चात् हमारे देश में शहरीकरण की गति धीमी रही। इसके लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शहरीकरण- ग्रामीण एवं कृषि करने वाले लोगों का गाँवों से शहरों की ओर अच्छे रोजगार अथवा काम की तलाश में पलायन करना या सामान्य गमनागमन शहरीकरण कहलाता है। यह कस्बों एवं शहरों में कुल जनसंख्या के बढ़ते हुए आनुपातिक सन्तुलन को भी इंगित करता है। कुल जनसंख्या में शहरी जनसंख्या के अनुपात से शहरीकरण के विकास की गति का मापन होता है 1800 ई. के पश्चात् हमारे देश में शहरीकरण की गति धीमी रही। सम्पूर्ण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के पहले दो दशकों तक देश की कुल जनसंख्या में शहरी जनसंख्या का अनुपात लगभग स्थिर रहा। इसमें केवल 3 प्रतिशत को ही बढ़ोत्तरी हुई। सन् 1900 से 1940 के मध्य शहरी जनसंख्या 10 प्रतिशत बढ़कर 13 प्रतिशत हो गई।

शहरीकरण की गति के स्थिर रहने के पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे-
1. छोटे कस्बों के पास आर्थिक रूप से विकसित होने के पर्याप्त अवसर नहीं थे परन्तु दूसरी तरफ कलकत्ता, बम्बई और मद्रास का विस्तार तेजी से हुआ।
2. कलकता, अम्बई व मद्रास औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के केन्द्र होने के कारण भारतीय सूती कपड़े जैसे निर्यात होने वाले उत्पादों के संग्रहण केन्द्र थे। लेकिन इंग्लैण्ड में हुई औद्योगिक क्रान्ति के बाद इस प्रवाह की दिशा परिवर्तित हो गई। भारत से अब तैयार माल की अपेक्षा कच्चे माल का निर्यात होने लगा।

3. 1853 ई. में औपनिवेशिक सरकार ने भारत में रेलवे की शुरुआत की, इसने भारतीय शहरों को पूर्ण रूप से परिवर्तित कर दिया। प्रत्येक रेलवे स्टेशन कच्चे माल के संग्रह और आयातित वस्तुओं के वितरण का केन्द्र बन गया। उदाहरण के लिए गंगा के किनारे स्थित मिर्जापुर दक्कन से आने वाली कंपास एवं सूती वस्त्रों के संग्रह का केन्द्र था जो बम्बई तक जाने वाली रेलवे लाइन के निर्माण के पश्चात् अपनी पुरानी पहचान को खोने लगा था। भारत में रेलवे नेटवर्क के विस्तार के पश्चात् रेलवे वर्कशॉप्स और रेलवे कॉलोनियों की स्थापना होना भी प्रारम्भ हो गया। फलस्वरूप जमालपुर, बरेली व वाल्टेयर जैसे रेलवे नगरों का जन्म हुआ।

प्रश्न 3.
अंग्रेजों ने हिल स्टेशनों की स्थापना क्यों की थी?
अथवा
हिल स्टेशनों की अंग्रेजों के लिए क्या उपयोगिता थी?
उत्तर:
हिल स्टेशनों की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य हिल स्टेशनों की स्थापना और बसावट का सम्बन्ध सबसे पहले ब्रिटिश सेना की जरूरतों से था। सिमला (शिमला) की स्थापना गुरखा युद्ध (1815-16) के दौरान, माउंट आबू की स्थापना अंग्रेज-मराठा युद्ध (1818) के कारण की गई तथा दार्जिलिंग को 1835 में सिक्किम के राजाओं से छीना गया। ये हिल स्टेशन फौजियों को ठहराने, सरहद की चौकसी करने और दुश्मन के खिलाफ हमला बोलने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान थे।

हिल स्टेशनों की उपयोगिता-यूरोपियनों के लिए हिल स्टेशन अग्रलिखित कारणों से उपयोगी थे-
(1) स्वास्थ्यवर्द्धक तथा ठण्डी जलवायु-भारतीय पहाड़ों की मृदु और ठण्डी जलवायु को फायदे की चीज माना जाता था, खासतौर से अंग्रेज गर्मियों के मौसम को बीमारी पैदा करने वाला मानते थे। उन्हें गर्मियों के कारण हैजा व मलेरिया की सबसे ज्यादा आशंका रहती थी।

(2) सेना की सुरक्षा – सेना की भारी भरकम मौजूदगी के कारण ये स्थान पहाड़ियों में एक छावनी के रूप में बदल गये। हिल स्टेशनों को सेनीटोरियम के रूप में भी विकसित किया गया, जहाँ सिपाही विश्राम करने व इलाज कराने के लिए जाते थे।

(3) यूरोप की जलवायु से मिलती-जुलती जलवायु हिल स्टेशनों की जलवायु यूरोप की ठण्डी जलवायु से मिलती-जुलती थी, इसलिए नए शासकों को वहाँ की जलवायु बहुत पसन्द थी 1864 में वायसराय जॉन लारेंस ने अधिकृत रूप से अपनी काउंसिल शिमला में स्थापित कर दी और इस प्रकार गर्मी में राजधानियाँ बदलने के सिलसिले पर रोक लगा दी। शिमला भारतीय सेना के कमाण्डर इन चीफ का भी अधिकृत आवास बन गया।

(4) अंग्रेजों व यूरोपियन के लिए आदर्श स्थान -हिल स्टेशन ऐसे अंग्रेजों व यूरोपियन के लिए भी आदर्श स्थान थे। अलग-अलग मकानों के बाद एक-दूसरे से सटे विला और बागों के बीच कॉटेज बनाए जाते थे। एंग्लिकन चर्च और शैक्षणिक संस्थान आंग्ल आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते थे। सामाजिक दावत, चाय बैठक, पिकनिक, रात्रिभोज मेले, रेस और रंगमंच जैसी घटनाओं के रूप में यूरोपियों का सामाजिक जीवन भी एक खास किस्म का था।

(5) पर्वतीय सैरगाहें रेलवे के आने से पर्वतीय सैरगाहें बहुत तरह के लोगों की पहुँच में आ गई। उच्च व मध्यम वर्गीय लोग, महाराजा, वकील और व्यापारी सैर- सपाटे के लिए वहाँ जाने लये।

(6) औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशन औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे। पास के इलाकों में चाय और काफी के बागानों की स्थापना से मैदानी इलाकों से बड़ी संख्या में मजदूर वहाँ रोजगार हेतु आने लगे ।

प्रश्न 4.
कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) शहर के नगर नियोजन पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
अथवा
कलकत्ता नगर के विकास में अंग्रेजों की भूमिका का वर्णन कीजिये।
अथवा
औपनिवेशिक काल में कलकत्ता में नगर नियोजन के इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये ।
उत्तर:
कलकत्ता में नगर नियोजन का विकास क्रम कलकत्ता में नगर नियोजन के विकास क्रम को अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
(1) फोर्ट विलियम और मैदान का निर्माण तथा मैदान के किनारे आवासीय इमारतें बनाना- कलकत्ता को- सुतानाती, कोलकाता और गोविन्दपुर- इन तीन गाँवों को मिलाकर बनाया गया था। कम्पनी ने गोविन्दपुर गाँव की जमीन को साफ करने के लिए वहाँ के व्यापारियों और बुनकरों को हटवा दिया। फोर्ट विलियम के इर्द-गिर्द एक विशाल खाली जगह छोड़ दी गई, जिसे स्थानीय लोग मैदान या ‘गारेर मठ’ कहने लगे।

(2) गवर्नमेंट हाउस का निर्माण- 1798 में गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने कलकत्ता में अपने लिए ‘गवर्नमेंट हाउस’ के नाम से एक महल बनवाया। यह इमारत अंग्रेजी सत्ता का प्रतीक थी।

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

(3) जन स्वास्थ्य की दृष्टि से नगर नियोजन की आवश्यकता पर बल वेलेजली ने हिन्दुस्तानी आबादी वाले भीड़भाड़ भरे गन्दे तालाबों और निकासी की खस्ता हालत को देखते हुए यह माना कि ऐसी अस्वास्थ्यकर बस्तियों से बीमारियाँ फैलती हैं। फलतः वेलेजली ने 1803 में नगर नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया। बहुत सारे बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों और चर्मशोधन इकाइयों को हटा दिया गया। इस प्रकार ‘जन-स्वास्थ्य’ शहरों की सफाई और नगर नियोजन परियोजनाओं का मुख्य विचार बन गया।

(4) लॉटरी कमेटी द्वारा नगर नियोजन कार्य को गति प्रदान करना – वेलेजली के जाने के बाद नगर नियोजन का काम सरकार की मदद से लॉटरी कमेटी ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी ने शहर का एक नक्शा बनवाया, जिससे कलकत्ता की पूरी तस्वीर सामने आ सके। इसके अतिरिक्त कमेटी ने शहर के हिन्दुस्तानी हिस्से में सड़क निर्माण कराया, नदी किनारे से ‘अवैध कब्जे हटाये तथा बहुत सारी झोंपड़ियों को साफ कर दिया और गरीब लोगों को वहाँ से हटाकर कलकत्ता के बाहरी किनारे पर जगह दी गई।

(5) महामारी की आशंका से नगर नियोजन कार्य में तीव्र गति – अगले कुछ दशकों में प्लेग, हैजा आदि महामारियों की आशंका से नगर नियोजन की अवधारणा को बल मिला। कलकत्ता को और अधिक स्वास्थ्यकर बनाने के लिए कामकाजी लोगों की झोंपड़ियों या बस्तियों को तेजी से हटाया गया और यहाँ के गरीब मजदूर वाशिंदों को पुनः दूर वाले इलाकों में ढकेल दिया गया। फूँस की झोंपड़ियों को अवैध घोषित कर दिया गया।

(6) नगर नियोजन के सारे आयामों को सरकार द्वारा अपने हाथ में लेना 19वीं सदी में और ज्यादा तेजी से झुग्गियों को हटाया गया तथा दूसरे इलाकों की कीमत पर ब्रिटिश आबादी वाले हिस्सों को तेजी से विकसित किया गया।

(7) ह्वाइट और ब्लैक टाउन वाले नस्ली विभाजन को बढ़ावा-‘ स्वास्थ्यकर’ और ‘अस्वास्थ्यकर’ के नये विभेद के सहारे ‘डाइट’ और ‘ब्लैक’ टाउन वाले नस्ली विभाजन को और बल मिला तथा शहर के यूरोपीय आबादी वाले इलाकों के विकास पर आवश्यकता से अधिक ध्यान दिया गया।

प्रश्न 5.
तर्क सहित सिद्ध कीजिए कि औपनिवेशिक शहरों का सामाजिक जीवन वर्तमान शहरों में भी दिखाई पड़ता है।
उत्तर:
औपनिवेशिक शहरों का सामाजिक जीवन वर्तमान शहरों में भी दिखाई देता है। इस बात के समर्थन में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत हैं-
(i) वर्गभेद – औपनिवेशिक शहरों में वर्गभेद स्पष्ट दिखाई देता था। एक ओर व्हाइट टाउन थे जहाँ गोरे लोग ही रह सकते थे दूसरी ओर ब्लैक टाउन में मात्र भारतीय ही रहते थे। व्हाइट टाउन में समस्त सुविधाएँ थीं, वहीं ब्लैक टाउन आवश्यक सुविधाओं एवं स्वच्छता से विहीन थे। यही स्थिति वर्तमान शहरों में देखने को मिल रही है। धनवान लोगों की कालोनियों में पर्याप्त नागरिक सुविधाएँ व स्वच्छता देखने को मिलती है।

(ii) यातायात के साधनों का विकास औपनिवेशिक शहरों में यातायात के साधनों का पर्याप्त विकास हुआ जिस कारण लोग शहर के केन्द्र से दूर जाकर भी बस सकते थे। वर्तमान शहरों में भी यही स्थिति देखने को मिलती है। लोग यातायात के साधनों के विकास के कारण शहर के केन्द्र से दूर जाकर बस रहे हैं।

(ii) मनोरंजन तथा मिलने-जुलने के नये सार्वजनिक स्थल औपनिवेशिक शहरों की तरह वर्तमान शहरों में टाउन हॉल सार्वजनिक पार्क, रंगशाला एवं सिनेमा हॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों का निर्माण हुआ है, जिससे शहरों में लोगों को मिलने-जुलने तथा मनोरंजन के नये अवसर मिलने लगे हैं। शहरों में नये सामाजिक समूह बने हैं।

(iv) मध्यम वर्ग का विस्तार औपनिवेशिक शहरों की तरह वर्तमान में सभी वर्गों के लोग शहरों में आने लगे हैं। क्लकों, शिक्षकों, वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, एकाउण्टेन्ट्स की माँग बढ़ने लगी है परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग बढ़ता जा रहा है। उनके पास स्कूल, कॉलेज तथा लाइब्रेरी जैसे नये शिक्षा केन्द्रों तक अच्छी पहुँच है।

(v) महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन औपनिवेशिक शहरों में महिलाओं के लिए नये अवसर थे। वर्तमान शहरों में भी महिलाओं के लिए नये अवसर मौजूद हैं। आज महिलाएँ घर की चारदीवारी से निकलकर समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के द्वारा स्वयं को अभिव्यक्त कर रही हैं।

(vi) मेहनतकश, गरीबों अथवा कामगारों में वृद्धि- औपनिवेशिक शहरों की तरह वर्तमान शहरों में भी ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रोजगार की तलाश में लगातार शहरों की ओर आ रहे हैं।

प्रश्न 6.
मद्रास शहर के नगर नियोजन की विवेचना कीजिए।
अथवा
मद्रास में बसावट और पृथक्करण पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
स्थापना- अंग्रेज व्यापारियों ने 1639 में एक व्यापारिक चौकी मद्रासपट्म में स्थापित की फ्रेंच इंस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ प्रतिद्वंद्विता के कारण (1746- 63) अंग्रेजों को मद्रास की किलेबन्दी करनी पड़ी।
(1 ) फोर्ट सेंट जार्ज एवं हाइट टाउन का निर्माण- अंग्रेजों ने मद्रास में अपना किला बनाया जो ‘फोर्ट सेन्ट जार्ज’ कहलाता था। इसमें ज्यादातर यूरोपीय रहते थे। मद्रास शहर का विकास शहर में रहने वाले थोड़े से गोरों की जरूरतों और सुविधाओं के हिसाब से किया जा रहा।

(2) ब्लैक टाउन का विकास ब्लैक टाउन को किले के बाहर बसाया गया। इस आबादी को भी सीधी कतारों में बसाया गया जो कि औपनिवेशिक नगरों की खास विशेषता थी नये ब्लैक टाउन में बुनकरों, कारीगरों, बिचौलियों और दुभाषियों को बसाया गया, जो कम्पनी के व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वहाँ मन्दिर और बाजार के आसपास रिहायशी मकान बनाए गए। आड़ी-टेढ़ी गलियों में अलग- अलग जातियों के मोहल्ले थे। चिन्ताद्रीपेठ इलाका केवल बुनकरों के लिए था। वाशरमेन पेठ में रंगसाज और धोबी रहते थे। दुबाश एजेन्ट और व्यापारी के रूप में कार्य करते थे, इसमें सम्पन्न लोग थे। ये लोग भारतीयों एवं यूरोपियनों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे।

(3) स्थानीय वाशिंदे व नौकरी-शुरू में कम्पनी में कार्य करने वालों में लगभग सारे वेल्लालार होते थे। वह एक स्थानीय ग्रामीण जाति थी। ब्राह्मण भी इसी तरह के पदों के लिए जोर लगाने लगे। तेलुगू कोमाटी समुदाय एक शक्तिशाली व्यावसायिक समूह था पेरियार और बनियार गरीब कामगार वर्ग था माइलापुर और ट्रिप्लीकेन हिन्दू धार्मिक केन्द्र थे ट्रिप्लीकेन में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती थी सानधोम और वहाँ का चर्च रोमन कैथोलिक समुदाय का केन्द्र था।

(4) यूरोपीय लोगों द्वारा गार्डन हाउसेज का निर्माण- जैसे-जैसे अंग्रेजी सत्ता मजबूत होती गई, यूरोपीय निवासी किले के बाहर जाकर गार्डन हाउसेज का निर्माण करने लगे।

(5) सम्पन्न भारतीयों द्वारा उपशेहरी इलाकों का निर्माण धीरे-धीरे सम्पन्न भारतीय भी अंग्रेजों की तरह रहने लगे थे। परिणामस्वरूप मद्रास के इर्द-गिर्द स्थित गाँवों की जगह बहुत सारे नये उपशहरी इलाकों ने ले ली।

(6) गरीब लोगों का काम के नजदीक वाले गाँवों में निवास- गरीब लोग अपने काम की जगह से नजदीक पड़ने वाले गाँवों में बस गये। बढ़ते शहरीकरण के कारण इन गाँवों के बीच वाले इलाके शहर के भीतर आ गए। इस तरह मद्रास एक अर्द्धग्रामीण-सा शहर दिखने लगा।

प्रश्न 7.
बम्बई एक आधुनिक नगर और भारत की वाणिज्यिक राजधानी कैसे बना? इस पर प्रकाश डालिए।
अथवा
बम्बई शहर के नगर नियोजन की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
मुम्बई का उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिये कि अंग्रेजों ने नगर नियोजन के माध्यम से अपने औपनिवेशिक सपने को कैसे पूरा किया?
अथवा
बम्बई नगर नियोजन तथा भवन निर्माण के मुख्य चरणों की व्याख्या कीजिये मुख्य रूप से नवशास्त्रीय ( नियोक्लासिकल) शैली में बनी इमारतों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
प्रारम्भ में बम्बई सात टापुओं का इलाका था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, इन टापुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया और इन टापुओं के जुड़ने पर एक विशाल शहर अस्तित्व में आया।

(1) औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी अम्बई औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। पश्चिमी तट पर एक प्रमुख बन्दरगाह होने के नाते यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र था। 19वीं सदी के अन्त तक भारत का आधा आयात-निर्यात बम्बई से ही होता था। इस व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु अफीम थी। अफीम के व्यापार में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ भारतीय व्यापारी और बिचौलियों की भी प्रमुख भूमिका थी। इससे भारतीय पूँजीपति वर्ग का विकास हुआ। बाद में अमेरिकी गृहयुद्ध के कारण भारतीय कपास की बढ़ती माँग और बढ़ती कीमतों तथा स्वेज नहर के खुलने से बम्बई का वाणिज्यिक विकास हुआ और बम्बई को भारत का ‘सरताज शहर’ घोषित किया गया।

(2) विशाल इमारतें तथा उनका स्थापत्य अंग्रेजों ने अनेक भव्य और विशाल इमारतों का निर्माण कराया। इनकी स्थापत्य शैली यूरोपीय शैली पर आधारित थी। धीरे-धीरे भारतीयों ने भी यूरोपीय स्थापत्य शैली को अपना लिया। अंग्रेजों ने अनेक बंगले बनवाये।
(i) अंग्रेजों ने नव-गॉथिक शैली में इमारतों का निर्माण कराया। विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन इस शैलीका बेहतरीन उदाहरण है। इसके अतिरिक्त बम्बई विश्वविद्यालय, सचिवालय और उच्च न्यायालय जैसी भव्य इमारतों का निर्माण कराया गया।
(ii) नवशास्त्रीय शैली में ‘एल्फिंस्टन सर्कल’ का निर्माण किया गया।
(iii) बीसवीं सदी के प्रारम्भ में भारतीय और यूरोपीय 4 शैली को मिलाकर एक नयी शैली का विकास हुआ जो ‘इण्डोसारसेनिक’ कहलाती थी यह शैली गुम्बदों, छतरियों, जालियों और मेहराबों से प्रभावित थी गुजराती शैली में बने गेट वे ऑफ इण्डिया तथा होटल ताज प्रमुख इमारतें हैं।

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(3) चाल – बम्बई शहर में जगह की कमी तथा भीड़-भाड़ की वजह से विशेष प्रकार की इमारतें भी बनाई गई, जिन्हें ‘चाल’ कहा जाता था। ये बहुमंजिला इमारतें होती थीं, जिनमें एक-एक कमरेवाली आवासीय इकाइयाँ बनाई जाती थीं।

प्रश्न 8.
औपनिवेशिक काल में भारत में सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए कौन-कौनसी स्थापत्य शैलियों का प्रयोग किया गया?
अथवा
ब्रिटिश काल में इण्डो-सारसेनिक स्थापत्य कला की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
सार्वजनिक भवनों के लिए स्थापत्य शैलियाँ औपनिवेशिक काल में सार्वजनिक भवनों के लिए मोटे तौर पर तीन स्थापत्य शैलियों का प्रयोग किया गया।
(1) नवशास्त्रीय या नियोक्लासिकल शैली-बड़े- बड़े स्तम्भों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण इस शैली की विशेषता थी। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए उसे खासतौर से अनुकूल माना जाता था। अंग्रेजों को लगता था कि जिस शैली में शाही रोम की भव्यता दिखाई देती थी, उसे शाही भारत के वैभव की अभिव्यक्ति के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि यह शैली मूल रूप से प्राचीन रोम की भवन निर्माण शैली से निकली थी और इसे यूरोपीय पुनर्जागरण के दौरान पुनर्जीवित, संशोधित और लोकप्रिय किया गया था।

इस स्थापत्य शैली के भूमध्यसागरीय उद्गम के कारण उसे उष्णकटिबंधीय मौसम के अनुकूल भी माना गया। 1833 में बम्बई का ‘टाउन हॉल’ इसी शैली के अनुसार बनाया गया था। 1860 में व्यावसायिक इमारतों के समूह को ‘एल्फिंस्टन सर्कल’ कहा जाता था। यह इमारत इटली की इमारतों से प्रेरित थी। इसमें पहली मंजिल पर ढँके हुए तोरण पथ का रचनात्मक ढंग से इस्तेमाल किया गया। दुकानदारों व पैदल चलने वालों को तेज धूप और बरसात से बचाने के लिए यह सुधार काफी उपयोगी था ।

(2) नव-गॉथिक शैली- एक अन्य स्थापत्य शैली जिसका काफी प्रयोग किया गया, वह थी- नव- गाँधिक शैली ऊँची उठी हुई छरों, नोकदार मेहराबें और बारीक साज-सज्जा इस शैली की खासियत थी। इस शैली की इमारतों का जन्म गिरजाघरों से हुआ था, जो मध्यकाल में यूरोप में काफी बनाए गए थे। 19वीं सदी के मध्य इंग्लैण्ड में इसे दुबारा अपनाया गया बम्बई सचिवालय, बम्बई विश्वविद्यालय और उच्च न्यायालय की इमारतें इसी शैली में बनाई गई नव-गॉथिक शैली का सबसे बेहतरीन उदाहरण ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ है, जो ग्रेट इंडियन पेनिन्स्युलर रेलवे कम्पनी का स्टेशन और मुख्यालय हुआ करता था।

(3) इंडो-सारासेनिक शैली 20वीं सदी के प्रारम्भ में एक नयी मिश्रित स्थापत्य शैली विकसित हुई, जिसमें भारतीय और यूरोपीय, दोनों तरह की शैलियों के तत्व थे। इस शैली को ‘इंडो-सारासेनिक शैली’ का नाम दिया गया था। 1911 में बना ‘गेट वे ऑफ इण्डिया’ परम्परागत गुजराती शैली का प्रसिद्ध उदाहरण था उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने इसी शैली में ‘ताजमहल होटल’ बनवाया था। बम्बई के ज्यादातर ‘भारतीय’ इलाकों में सजावट एवं भवन निर्माण और साज-सज्जा में इसी शैली का बोलबाला था।

प्रश्न 9.
औपनिवेशिक भारत की स्थापत्य शैलियों से किन तथ्यों के बारे में जानकारी मिलती है?
उत्तर:
औपनिवेशिक भारत की स्थापत्य शैलियों से विभिन्न तथ्यों की जानकारी
औपनिवेशिक भारत की स्थापत्य शैलियों से निम्नलिखित तथ्यों के बारे में जानकारी मिलती है-
(1) सौन्दर्यात्मक आदर्शों एवं उनमें निहित विविधताओं का बोध होना स्थापत्य शैलियों से अपने समय के सौन्दर्यात्मक आदर्शों और उनमें निहित विविधताओं का पता चलता है।

(2) भवन-निर्माताओं के दृष्टिकोण की प्रतीक ये इमारतें उन लोगों की सोच और दृष्टिकोण के बारे में भी बताती हैं, जो उन्हें बना रहे थे इमारतों के जरिये शासक अपनी ताकत का इजहार करना चाहते थे तथा इन इमारतों से उस समय की सत्ता को किस रूप में देखा जा रहा था, इसका भी ज्ञान होता है। इस प्रकार एक विशिष्ट युग की स्थापत्य शैली को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि उस समय सत्ता को किस तरह देखा जा रहा था।

(3) प्रचलित रुचियों की जानकारी एवं नवीन शैलियों को लोकप्रियता प्रदान करना- स्थापत्य शैलियों से प्रचलित रुचियों का तो पता लगता ही है, साथ ही संजीव पास बुक्स यह भी पता लगता है कि इन शैलियों ने उन रुचियों को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा संस्कृति की रूपरेखा तय की है, जैसे बहुत सारे भारतीय भी यूरोपीय स्थापत्य शैलियों को आधुनिकता व सभ्यता का प्रतीक मानते हुए उन्हें अपनाने लगे थे तथा बहुतों ने उनके आधुनिक तत्वों को स्थानीय परम्पराओं के तत्वों में समाहित कर दिया। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त से हमें औपनिवेशिक आदर्शों से भिन्न क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय अभिरुचियों को परिभाषित करने के प्रयास दिखाई देते हैं। इस तरह स्थापत्य शैलियों को देखकर हम इस बात को भी समझ सकते हैं कि शाही और राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय और क्षेत्रीय के बीच सांस्कृतिक टकराव और राजनीतिक खींचतान किस तरह शक्ल ले रही थी।

प्रश्न 10.
औपनिवेशिक शासन किस प्रकार बेहिसाब आँकड़ों और जानकारियों के संग्रह पर आधारित था?
अथवा
औपनिवेशिक शहरों के अध्ययन में सहायक तत्त्वों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन में संग्रहित आँकड़े व जानकारियाँ ( औपनिवेशिक शहरों के अध्ययन में सहायक तत्त्व )
औपनिवेशिक शासन बेहिसाब आँकड़ों और जानकारियों के संग्रह पर आधारित था। यथा-
(1) व्यापारिक गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा रखना-अंग्रेजों ने अपने व्यावसायिक मामलों को चलाने के लिए व्यापारिक गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा रखा था। (2) शहरों का नियमित सर्वेक्षण तथा उनके सांख्यिकीय आँकड़े एकत्रित करना – वे बढ़ते शहरों में जीवन की गति और दिशा पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से सर्वेक्षण करते थे। वे सांख्यिकीय आँकड़े इकट्ठा करते थे और विभिन्न प्रकार की सरकारी रिपोर्ट प्रकाशित करते थे।

(3) मानचित्र तैयार करना- प्रारम्भिक वर्षों में ही औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र तैयार करने पर ध्यान दिया। उसका मानना था कि किसी जगह की बनावट और भू-दृश्य को समझने के लिए नक्शे जरूरी होते हैं। इस जानकारी के सहारे वे इलाके पर ज्यादा बेहतर नियंत्रण कायम कर सकते थे। जब शहर बढ़ने लगे तो न केवल उनकी विकास की योजना तैयार करने के लिए बल्कि व्यवसाय को विकसित करने और अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए भी नक्शे बनाये जाने लगे। शहरों के नक्शों से हमें उस स्थान पर पहाड़ियों, नदियों व हरियाली का पता चलता है। ये सारी चीजें रक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए योजना तैयार करने में बहुत काम आती हैं। इसके अतिरिक्त पाटों की जगहों, मकानों की समनता तथा गुणवत्ता तथा सड़कों की स्थिति आदि से इलाके की व्यावसायिक सम्भावनाओं का पता लगाने और कराधान की रणनीति बनाने में मदद मिलती थी।

(4) नगर निगमों की गतिविधियों से उत्पन्न रिकाईस – 19वीं सदी में शहरों के रख-रखाव के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए आंशिक लोक प्रतिनिधित्व से लैस नगर निगम जैसी संस्था की स्थापना की गई। नगर- निगमों की गतिविधियों से नए तरह के रिकार्ड्स पैदा हुए, जिन्हें नगरपालिका रिकार्ड रूम में सम्भाल कर रखा जाने
लगा।

(5) जनगणना आँकड़े शहरों के फैलाव पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से लोगों की गिनती की जाती थी। 19वीं सदी के मध्य तक विभिन्न क्षेत्रों में कई जगह स्थानीय स्तर पर जनगणना की जा चुकी थी। अखिल भारतीय जनगणना का पहला प्रयास 1872 में किया गया। इसके बाद, 1881 से हर दस साल में जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई। भारत में शहरीकरण का अध्ययन करने के लिए जनगणना से निकले आँकड़े एक बहुमूल्य स्रोत हैं। इस प्रकार जनगणना, नगरपालिका जैसे संस्थानों के सर्वेक्षण, मानचित्रों और अन्य रिकार्डों के सहारे औपनिवेशिक शहरों का पुराने शहरों के मुकाबले ज्यादा विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है।

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प्रश्न 11.
औपनिवेशिक काल में भारत में जनगणना की प्रक्रिया में क्या भ्रम थे? जनगणनाओं के सावधानी से अध्ययन करने पर क्या दिलचस्प रुझान सामने आते हैं? उत्तर- औपनिवेशिक भारत में जनगणना से सम्बन्धित भ्रम यद्यपि भारत में शहरीकरण का अध्ययन करने के लिए जनगणना से निकले आँकड़े एक बहुमूल्य स्रोत हैं, तथापि इस प्रक्रिया में भी कई भ्रम थे यथा-

(1) वर्गीकरण सम्बन्धी भ्रम- जनगणना आयुक्तों ने आबादी के विभिन्न तबकों का वर्गीकरण करने के लिए अलग-अलग श्रेणियाँ बना दी थीं। कई बार यह वर्गीकरण निहायत अतार्किक होता था और लोगों की परिवर्तनशील तथा परस्पर काटती पहचानों को पूरी तरह नहीं पकड़ पाता था।

(2) स्वयं लोगों द्वारा सहयोग न करना- प्राय: लोग स्वयं भी इस प्रक्रिया में सहयोग करने से इनकार कर देते थे या जनगणना आयुक्तों को गलत जवाब दे देते थे। काफी समय तक वे जनगणना कार्यों को सन्देह की दृष्टि से देखते रहे। उन्हें लगता था कि सरकार नये टैक्स लागू करने के लिए जाँच करवा रही है।

(3) औरतों के बारे में जानकारी देने में हिचकिचाना – ऊँची जाति के लोग अपने घर की औरतों के बारे में पूरी जानकारी देने से हिचकिचाते थे। महिलाओं से अपेक्षा की जाती थी कि वे घर के भीतरी हिस्से में दुनिया से कट कर रहें। उनके बारे में सार्वजनिक जाँच को सही नहीं माना जाता था।

(4) पहचान सम्बन्धी दावों का भ्रामक होना- जनगणना अधिकारियों ने यह भी पाया कि बहुत सारे लोग ऐसी पहचानों का दावा करते थे जो ऊँची हैसियत की मानी जाती थीं। उदाहरण के लिए, शहरों में ऐसे लोग भी थे जो फेरी लगाते थे या काम न होने पर मजदूरी करने लगते थे। इस तरह के बहुत सारे लोग जनगणना कर्मचारियों के सामने स्वयं को प्रायः व्यापारी बताते थे क्योंकि उन्हें मजदूर की तुलना में व्यापारी ज्यादा सम्मानप्रद लगता था।

(5) मृत्युदर और बीमारियों से सम्बन्धित आँकड़ों को इकट्ठा करना लगभग असम्भव था मृत्यु दर और बीमारियों से सम्बन्धित आंकड़ों को इकट्ठा करना भी लगभग असम्भव था। बीमार पड़ने की जानकारी भी लोग प्रायः नहीं देते थे। बहुत बार इलाज भी गैर लाइसेंसी डॉक्टरों से करा लिया जाता था। ऐसे में बीमारी या मौत की घटनाओं का सटीक हिसाब लगाना सम्भव नहीं था। जनगणनाओं का सावधानी से अध्ययन करने पर कुछ दिलचस्प रुझान जनगणनाओं का सावधानी से अध्ययन करने पर निम्नलिखित दिलचस्प रुझान सामने आते हैं-

(1) सन् 1800 के बाद हमारे देश में शहरीकरण की रफ्तार धीमी रही। पूरी 19वीं सदी और 20वीं सदी के पहले दो दशकों तक देश की कुल आबादी में शहरी आबादी का हिस्सा बहुत मामूली तथा स्थिर रहा। यह लगभग 10 प्रतिशत रहा।
(2) 1900 से 1940 के बीच 40 सालों के दरमियान शहरी आबादी 10 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत हो गई थी।
(3) नए व्यावसायिक एवं प्रशासनिक केन्द्रों के रूप में बम्बई, मद्रास और कलकत्ता शहर पनपे लेकिन दूसरे तत्कालीन शहर कमजोर भी हुए।

प्रश्न 5.
” भारत छोड़ो आन्दोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ गाँधीजी का तीसरा बड़ा आन्दोलन था।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया। अगस्त, 1942 ई. में शुरू किए गए इस आन्दोलन को ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ के नाम से जाना गया। भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने के कारण-
(i) अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति- सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी व जवाहरलाल नेहरू दोनों ही हिटलर व नात्सियों के आलोचक थे। तदनुरूप उन्होंने फैसला किया कि यदि अंग्रेज बुद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को स्वतन्त्रता देने पर सहमत हों तो कांग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है। ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस घटनाक्रम ने अंग्रेजी साम्राज्यवादी नीति के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु प्रोत्साहित किया।

(ii) क्रिप्स मिशन की असफलता द्वितीय विश्व युद्ध में कांग्रेस व गाँधीजी का समर्थन प्राप्त करने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमन्त्री विंस्टन चर्चिल ने अपने एक मन्त्री सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि यदि धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद् में किसी भारतीय को एक रक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त करना चाहिए। इसी बात पर वार्ता टूट गयी। क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् गाँधीजी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने का फैसला किया। भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ-9 अगस्त, 1942 ई. को गाँधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।

अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लिया। कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया तथा सभाओं, जुलूसों व समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिए गए। इसके बावजूद देशभर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों एवं तोड़फोड़ की कार्यवाहियों के माध्यम से आन्दोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत होकर अपनी गतिविधियों को चलाते रहे। आन्दोलन का अन्त-अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रति कठोर रवैया अपनाया फिर भी इस विद्रोह का दमन करने में साल भर से अधिक समय लग गया।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. भारत की सबसे बड़ी नदी कौन-सी है?
(A) यमुना
(B) गंगा
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) गोदावरी।
उत्तर:
(B) गंगा।

2. वृक्ष की शाखाओं के समान कौन-सा जल प्रवाह है?
(A) केन्द्रभिमुख
(B) आरीय
(C) द्रुमाकृतिक
(D) जालीनुमा।
उत्तर:
(C) द्रुमाकृतिक।

3. गंगा तथा यमुना का संगम स्थान कहां है?
(A) कानपुर
(B) वाराणसी
(C) पटना
(D) इलाहाबाद।
उत्तर:
(D) इलाहाबाद।

4. सुन्दर वन डेल्टा किन नदियों द्वारा बनता है?
(A) गंगा
(B) कावेरी
(C) गोदावरी
(D) नर्मदा।
उत्तर:
(A) गंगा।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

5. ट्रांस – हिमालयाई नदी कौन-सी है?
(A) गंगा
(B) चम्बल
(C) सतलुज
(D) ब्यास।
उत्तर:
(C) सतलुज।

6. प्रायद्वीपीय भारत की नदियां कहां से निकलती हैं?
(A) विन्ध्याचल
(B) पश्चिमी घाट
(C) पूर्वी घाट
(D) सतपुड़ा।
उत्तर:
(B) पश्चिमी घाट

7. किस नदी को दक्षिण की गंगा कहते हैं?
(A) महानदी
(B) गोदावरी
(C) कृष्णा
(D) कावेरी ।
उत्तर:
(B) गोदावरी।

8. किस नदी पर शिव समुद्रम जलप्रपात स्थित है?
(A) महानदी
(B) गोदावरी
(C) कावेरी
(D) नर्मदा।
उत्तर:
(C) कावेरी।

9. उड़ीसा राज्य में कौन-सी झील स्थित है?
(A) चिल्का
(B) सांभर
(C) वैवनाद
(D) कोलेरु।
उत्तर:
(A) चिल्का।

10. नर्मदा नदी का उद्गम कहां है ?
(A) सतपुड़ा
(B) अमरकण्टक
(C) ब्रह्मगिरि
(D) गोबिन्दसागर।
उत्तर:
(B) अमरकण्टक।

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11. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है
(A) नर्मदा
(B) गोदावरी
(C) कृष्णा
(D) महानदी।
उत्तर:
(B) गोदावरी।

12. कौन-सी नदी दरार घाटी में बहती है?
(A) दामोदर
(B) कृष्णा
(C) तुंगभद्रा
(D) तापी।
उत्तर:
(D) तापी।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के दो जल-प्रवाह तन्त्र बताएं।
उत्तर:
हिमालय नदियां तथा प्रायद्वीपीय नदियां ।

प्रश्न 2.
सिन्धु नदी का कुल बेसिन क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
1,165,000 वर्ग किलोमीटर

प्रश्न 3.
दरार घाटियों में बहने वाली दो नदियों के नाम लिखो।
उत्तर:
नर्मदा, ताप्ती।

प्रश्न 4.
प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य विभाजक का नाम लिखो।
उत्तर:
पश्चिमी घाट।

प्रश्न 5.
उत्तरी भारत तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मध्य जल विभाजन का नाम बताएं।
उत्तर:
विंध्या – सतपुड़ा श्रेणी।

प्रश्न 6.
सिन्धु नदी का उद्गम बताएं।
उत्तर:
मानसरोवर झील (तिब्बत)।

प्रश्न 7.
सिन्धु नदी की कुल लम्बाई कितनी है?
उत्तर:
2880 किलोमीटर।

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प्रश्न 8.
गंगा की सहायक नदी का नाम बताओ जो दक्षिण से मिलती है।
उत्तर:
सोन नदी।

प्रश्न 9.
एक ट्रांस हिमालयी नदी का नाम बताएं जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है।
उत्तर:
सतलुज।

प्रश्न 10.
भारतीय पठार की नदी का नाम लिखो जो अरब सागर की ओर बहती है।
उत्तर:
नर्मदा तथा ताप्ती।

प्रश्न 11.
प्रायद्वीपीय भारत की एक नदी बताओ जो ज्वारनदमुख बनाती है।
उत्तर:
नर्मदा।

प्रश्न 12.
प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
गोदावरी

प्रश्न 13.
कृष्णा नदी का स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
महाबलेश्वर।

प्रश्न 14.
भारत में गंगा नदी का कुल कितना बेसिन क्षेत्रफल है?
उत्तर:
8,61,404 वर्ग किलोमीटर

प्रश्न 15.
बांग्लादेश में गंगा नदी को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर:
पदमा।

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प्रश्न 16.
उन नदियों के नाम लिखो जो हिमालय नदी तंत्र बनाती हैं?
उत्तर:
सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र।

प्रश्न 17.
प्रायद्वीपीय भारत की बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के नाम लिखो।
उत्तर:
महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी।

प्रश्न 18.
एक ट्रांस हिमालय नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
सतलुज।

प्रश्न 19.
पूर्ववर्ती जल प्रवाह की एक नदी का नाम लिखें।
उत्तर:
सिन्धु।

प्रश्न 20.
प्राचीन समय में कौन-सी नदी पंजाब से असम की ओर बहती थी?
उत्तर:
सिन्ध – ब्रह्म नदी।

प्रश्न 21.
जेहलम नदी का स्रोत बताएं।
उत्तर:
बुल्लर झील।

प्रश्न 22.
गंगा नदी द्वारा निर्मित डेल्टे का नाम लिखो।
उत्तर:
सुन्दरवन।

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प्रश्न 23.
किस नदी को तिब्बत में सांग- पो कहा जाता है?
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र नदी।

प्रश्न 24.
किस नदी को दक्षिण की गंगा कहते हैं?
उत्तर:
कावेरी

प्रश्न 25.
जबलपुर के निकट नर्मदा नदी कौन-सा जल प्रवाह बनाती है?
उत्तर:
मार्बल रॉक।

प्रश्न 26.
प्राचीन समय में हरियाणा के शुष्क क्षेत्र में बहने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
सरस्वती।

प्रश्न 27.
जोग जल प्रपात कहां पर स्थित है?
उत्तर:
शरबती नदी पर (कर्नाटक)।

प्रश्न 28.
अरावली से निकलने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
साबरमती।

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प्रश्न 29.
खम्बात की खाड़ी में गिरने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
माही।

प्रश्न 30.
नदियों के चार प्रमुख अपवाह प्रारूप बताओ।
उत्तर:

  1. वृक्षाकार
  2. अपकेन्द्रीय
  3. जालीनुमा
  4. अभिकेन्द्रीय।

प्रश्न 31.
जल ग्रहण क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
जहाँ से विशाल नदी जल बहा कर लाती है।

प्रश्न 32.
जलविभाजक किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो अपवाह द्रोणियों को अलग करने वाली सीमा।

प्रश्न 33.
अरब सागर तथा खाड़ी बंगाल में भारत की नदियों का कितने-कितने % जल गिरता है?
उत्तर:
अरब सागर – 23%,
खाड़ी बंगाल – 73%.

प्रश्न 34.
20000 वर्ग कि० मी० से अधिक अपवाह क्षेत्र वाली नदियों के नाम लिखो।
उत्तर:
गंगा, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, तापी, नर्मदा, माही, पेन्नार, साबरमती, बारांक

प्रश्न 35.
ब्रह्मपुत्र नदी को बंगला देश में किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
मेघना।

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प्रश्न 36.
बंगला देश में गंगा को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पदमा।

प्रश्न 37.
किस नदी को बिहार का शोक कहा जाता है?
उत्तर:
कोसी।

प्रश्न 38.
प्रायद्वीपीय भारत का सबसे बड़ा नदी तन्त्र कौन-सा है?
उत्तर:
गोदावरी।

स्मरणीय तथ्य (Points to Remember)

  • उत्तरी भारत की नदियां:
    1. सिन्धु
    2. सतलुज
    3. ब्यास
    4. रावी
    5. चेनाव
    6. जेहलम
    7. गंगा
    8. यमुना
    9. घाघरा
    10. गण्डक
    11. कोसी
    12.  ब्रह्मपुत्र
  • दक्षिणी भारत की नदियां:
    1. नर्मदा
    2. ताप्ती
    3. महानदी
    4. गोदावरी
    5. कृष्णा
    6. कावेरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपवाह किसे कहते हैं?
उत्तर:
निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जल प्रवाह को अपवाह कहते हैं।

प्रश्न 2.
अपवाह तन्त्र की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अपवाह तन्त्र- निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जल-प्रवाह के जाल को अपवाह तन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 3.
अपवाह तन्त्र को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
उत्तर:
किसी क्षेत्र का अपवाह तन्त्र उस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक समयाविधि, चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना, स्थलाकृति, ढाल, प्रवाहित जल की मात्रा तथा बहाव की अवधि का परिणाम है।

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प्रश्न 4.
वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह अपवाह प्रतिरूप जो कि पेड़ की शाखाओं के अनुरूप होता है उसे वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 5.
अरीय अपवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जब नदियां किसी पर्वत से निकल कर सभी दिशाओं में प्रवाहित होती हैं तो इसे अरीय अपवाह प्रतिरूप के नाम से जाना जाता है। अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियां इस अपवाह प्रतिरूप का अनुसरण करती हैं।

प्रश्न 6.
जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब मुख्य नदियां एक-दूसरे के समानान्तर प्रवाहित होती हों तथा सहायक नदियां उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप हों तो ऐसे अपवाह को जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप कहते हैं।

प्रश्न 7.
उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों को कितने वर्गों में बांटा जाता है?
उत्तर:
भारत का जल प्रवाह देश की भू-संरचना पर निर्भर करता है। इस आधार पर देश की नदियों को दो वर्गों में बांटा जाता है।

  1. हिमालय की नदियां
  2. प्रायद्वीपीय नदियां।

प्रश्न 8.
हिमालय के तीन प्रमुख नदी तन्त्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
हिमालय की नदियों का विकास एक लम्बे समय में हुआ है। हिमालय की नदियों को तीन मुख्य तन्त्रों (System) में बांटा जाता है।

  1. सिन्धु तन्त्र (Indus System)
  2. गंगा तन्त्र (Ganges System)
  3.  ब्रह्मपुत्र तन्त्र (Brahmaputra System)।

प्रश्न 9.
गार्ज ( महाखंड ) क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पर्वतीय भागों में बहुत गहरे तथा तंग नदी मार्गों को गार्ज कहते हैं। इसे महाखंड भी कहा जाता है। इसके किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं तथा लगातार ऊपर उठते रहते हैं। इसका तल लगातार गहरा होता जाता है। हिमालय पर्वत में ऐसे कई गार्ज मिलते हैं।
जैसे – सिन्धु, सतलुज, गार्ज, ब्रह्मपुत्र ( दिहांग ) गार्ज।

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प्रश्न 10.
गंगा की दो शीर्ष नदियों (Head Streams) के नाम बताइए जो देव प्रयाग में मिलती हैं।
उत्तर:
गंगा नदी उत्तर प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र से निकलती है तथा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। देव प्रयाग में इसमें दो शीर्ष नदियां – अलकनन्दा और भागीरथी आ कर मिलती हैं। इसके बाद इनका नाम गंगा पड़ता है

प्रश्न 11.
प्रायद्वीप भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रायद्वीप की कुछ नदियां पूर्व की ओर बहती हुई खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। इनमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेनार महत्त्वपूर्ण नदियां हैं। कुछ नदियां पश्चिम की ओर बह कर अरब सागर में गिरती हैं। इसमें नर्मदा, ताप्ती प्रमुख नदियां हैं।

प्रश्न 12.
डेल्टा किसे कहते हैं? भारत से चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। डेल्टा नदी के अन्तिम भाग में अपने भार के निक्षेप से बनने वाला भू-आकार है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश होता है। भारत में चार प्रसिद्ध डेल्टा इस प्रकार हैं:

  1. गंगा नदी का डेल्टा
  2. कृष्णा नदी का डेल्टा
  3. महानदी का डेल्टा
  4. कावेरी नदी का डेल्टा।

प्रश्न 13.
गोदावरी को वृद्ध गंगा या दक्षिण गंगा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
गोदावरी नदी प्रायद्वीप की सबसे बड़ी नदी है। इसका एक विशाल अपवहन क्षेत्र है जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा तथा आन्ध्र प्रदेश में फैला हुआ है। विशाल आकार और विस्तार के कारण इसकी तुलना गंगा नदी से की जाती है। जिस प्रकार उत्तरी भारत में गंगा नदी महत्त्वपूर्ण है उसी प्रकार दक्षिणी भारत में गोदावरी नदी का महत्त्व है। गंगा नदी की तरह इसकी भी अनेक सहायक नदियां हैं।

प्रश्न 14.
पश्चिमी तट पर नदियां डेल्टा क्यों नहीं बनाती हैं जबकि वे बड़ी मात्रा में तलछट बहा कर लाती हैं?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर नर्मदा और ताप्ती प्रमुख नदियां हैं। ये नदियां काफ़ी मात्रा में तलछट बहा कर ले जाती हैं। परन्तु ये डेल्टा नहीं बनातीं। इस तट पर मैदान की चौड़ाई बहुत कम है। प्रदेश की तीव्र ढाल है। नदियां तेज़ गति से समुद्र में गिरती हैं। इसलिए तलछट का निक्षेप नहीं होता । संकरे मैदान के कारण नदियों के अन्तिम भाग की लम्बाई कम है जिससे डेल्टे का निर्माण नहीं होता।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व तथा पश्चिम की अोर बहने वाली नदियों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

पूर्व की ओर बहने वाली नदियां पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां
(1) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी नदियां पूर्व की ओर बहती हैं। (1) नर्मदा तथा ताप्ती नदियां पश्चिम की ओर बहती हैं।
(2) ये नदियां डेल्टा बनाती हैं। (2) ये नदियां डेल्टा नहीं बनाती हैं।
(3) ये नदियां खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। (3) ये नदियां अरब सागर में गिरती हैं

प्रश्न 2.
पूर्ववर्ती अपवाह तथा अनुवर्ती अपवाह में अन्तर बताओ।
उत्तर:

पूर्ववर्ती अपवाह (Antecedent Drainage) (1) किसी क्षेत्र में उत्थान के पश्चात् नवीन ढाल के अनुसार बहने वाली अपवाह को अनुवर्ती अपवाह कहते हैं।
(1) किसी क्षेत्र में जब नदी उत्थान से पूर्व के ढाल के अनुसार मूल दिशा में बहती रहती है तो उसे पूर्ववर्ती अपवाह कहते हैं। (2) ये नदियां उत्थान के पश्चात् जन्म लेती हैं।
(2) ये नदियां उन मोड़दार पर्वतों की अपेक्षा पुरानी होती हैं जिन पर ये बहती हैं। (3) ये नदियां गार्ज नहीं बनातीं।
(3) ये नदियां गहरे गार्ज बनाती हैं। (4) दक्षिणी पठार की पूर्व की ओर बहने वाली नदियां अनुवर्ती नदियां हैं।
(4) ट्रांस हिमालयी नदियां सिन्धु- सतलुज पूर्ववर्ती अपवाह के उदाहरण हैं। (1) किसी क्षेत्र में उत्थान के पश्चात् नवीन ढाल के अनुसार बहने वाली अपवाह को अनुवर्ती अपवाह कहते हैं।

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प्रश्न 3.
हिमालय एवं प्रायद्वीपीय पठार की नदियों के मध्य अपवाह लक्षणों एवं जलीय विशेषताओं में कौन- सी महत्त्वपूर्ण भिन्नताएं हैं? अपने उत्तर की पुष्टि उपयुक्त उदाहरण देते हुए कीजिए।
उत्तर:

हिमालय की नदियां प्रायद्वीप की नदियां
(1) हिमालय की नदियां अधिक लम्बी हैं। (1) प्रायद्वीप की नदियां इतनी अधिक लम्बी नहीं हैं।
(2) हिमालय की नदियों की संख्या अधिक है। (2) प्रायद्वीप की नदियों की संख्या कम है।
(3) हिमालय की नदियों के बेसिन काफ़ी बड़े हैं तथा अपवहन-क्षेत्र बहुत बड़े हैं। (3) प्रायद्वीप की नदियों के बेसिन तथा अपवहन-क्षेत्र छोटे हैं।
(4) हिमालय की नदियों के जल के दो स्रोत हैं-वर्षा तथा हिमनदियों से पिघलता हुआ जल। इसलिए ये बारहमासी नदियां हैं। (4) प्रायद्वीप की नदियां मुख्यतया वर्षा पर निर्भर करती हैं इसलिए ये मानसूनी नदियां हैं।
(5) हिमालय की नदियां गहरे गार्ज बनाती हैं। (5) प्रायद्वीप नदियां उथली घाटियों में बहती हैं।
(6) हिमालय की नदियां गहरे विसर्प बनाती हैं तथा मार्ग भी बदल लेती हैं। (6) प्रायद्वीप की नदियों का मार्ग सीधा होता है।
(7) हिमालय की नदियां पूर्ववर्ती नदियां हैं। (7) प्रायद्वीप की नदियां अनुवर्ती नदियां हैं।
(8) हिमालय की नदियां जहाज़रानी तथा सिंचाई के अनुकूल हैं। (8) प्रायद्वीप की नदियां जहाज़रानी और जल सिंचाई के अनुकूल नहीं हैं।
(9) ये नदियां जलोढ़ आधार के कारण घाटी के अपरदन में लगी हुई हैं। (9) ये नदियां दृढ़ आधार के कारण अधिक अपरदन नहीं कर सकतीं।सकतीं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के विभिन्न जल प्रवाहों का वर्णन करो तथा भारत की मुख्य नदियों पर प्रकाश डालो। भारत का जल प्रवाह (Drainage System of India ):
जल प्रवाह किसी देश की भू-संरचना तथा ढलान पर निर्भर करता है। भारत की धार्मिक, सामाजिक रूप-रेखा पर नदियों का विशेष प्रभाव रहा है। भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा इसकी आर्थिक व्यवस्था में नदियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसलिए भारत को नदियों का देश (Land of Rivers) भी कहा जाता है। विन्ध्याचल पर्वत, उत्तरी भारत तथा दक्षिणी भारत के जल प्रवाह की विभाजन सीमा माना जाता है। इस प्रकार धरातल के अनुसार भारत में जल प्रवाह को दो भागों में बांटा जाता है।

  1. उत्तरी भारत के विशाल मैदान का जल प्रवाह।
  2. दक्षिण भारत के जल प्रवाह।

1. उत्तरी भारत का जल प्रवाह (Drainage System of Northern India)
उत्तरी भारत के जल प्रवाह पर हिमालय पर्वत का विशेष प्रभाव है। अधिकांश नदियां हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण वर्ष भर बहती हैं। कई नदियां हिमालय पर्वत से भी पुरानी हैं। पर्वतीय भागों में अनेक तंग गहरी घाटियां बनाती हैं, परन्तु मैदानी भाग में निक्षेप का कार्य अधिक करती हैं। वर्षा ऋतु में भयानक बाढ़ें आती हैं। इन नदियों द्वारा निक्षेप से ही विशाल मैदान का निर्माण हुआ है। उत्तरी मैदान को गंगा का वरदान कहा जाता है। (The northern plain is a gift of the Ganges.) इस जल प्रवाह का विस्तार पश्चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में असम प्रदेश तक है। इस जल प्रवाह को तीन भागों में बांटा जाता है।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र 1

  1. सिन्धु जल प्रवाह क्रम।
  2. गंगा जल प्रवाह क्रम।
  3. ब्रह्मपुत्र जल प्रवाह क्रम

1. सिन्धु जल प्रवाह क्रम (The Indus Drainage System):
सिन्धु नदी के जल प्रवाह में सतलुज, ब्यास तथा रावी मुख्य नदियां हैं जो भारत में हैं परन्तु झेलम, चिनाब तथा सिन्धु नदियां पाकिस्तान में हैं।
(i) सतलुज (The Sutlej): यह नदी कैलाश पर्वत के निकट मानसरोवर झील के समीप राक्षस ताल से निकलती हैं जो 4,630 मीटर ऊंचा है। पर्वतीय भाग में एक तंग गहरी घाटी बनाने के बाद रोपड़ नामक स्थान पर मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। हरिके पत्तन के स्थान पर ब्यास नदी इसमें मिल जाती है। 160 किलोमीटर की दूरी तक भारत- पाकिस्तान सीमा बनाती है। इसकी कुल लम्बाई 1,448 किलोमीटर है। शिवालिक की पहाड़ियों की तंग घाटी में इस नदी पर एक प्रसिद्ध बांध भाखड़ा डैम बनाया गया है।

(ii) ब्यास (The Beas): यह नदी रोहतांग दर्रे के ऊपर से ब्यास कुण्ड से निकलती है जो 4,062 मीटर ऊंचा है। शिवालिक की पहाड़ियों को पार कर मीरथल नामक स्थान पर मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। इसकी कुल लम्बाई 460 किलोमीटर है। इस नदी का पूरा भाग पंजाब की सीमा के अन्दर है।

(iii) रावी (The Ravi): यह नदी चम्बा के निकट धौलाधार पर्वत श्रेणी से निकलती है। माधोपुर के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। यह नदी 720 किलोमीटर लम्बी है। भारत तथा पाकिस्तान के बीच एक प्राकृतिक सीमा रेखा है। इस नदी पर थीन बांध ( Thein Dam) योजना का कार्य चल रहा है।

2. गंगा जल प्रवाह क्रम (The Ganga Drainage System):
इसमें हिमालय पर्वत से उतरने वाली नदियां गंगा, यमुना, शारदा, गण्डक, घाघरा तथा कोसी शामिल हैं। विन्ध्याचल, सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों से निकलने वाली नदियां चम्बल, बेतवा, केन तथा सोन भी गंगा के जल प्रवाह से मिल जाती हैं। गंगा नदी इस जल प्रवाह की मुख्य नदी है। (The Ganges is the master stream of this system.)

(i) गंगा (The Ganges):
गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है। भारत की धार्मिक तथा सांस्कृतिक रूप-रेखा पर इसका विशेष प्रभाव है। (The story of the Ganges from her source of the sea, from old times to new, is the story of India’s civilization and culture.) यह नदी हिमालय पर्वत में गोमुख हिमनदी से निकलती है। इस स्थान पर इसे गंगोत्री कहते हैं। इसका विकास भागीरथी तथा अलकनन्दा नदियों द्वारा होता है। 290 किलोमीटर पर्वतीय प्रदेश से निकल कर हरिद्वार के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इलाहाबाद के निकट इसमें यमुना नदी आकर मिल जाती है।

यह स्थान संगम के नाम से प्रसिद्ध है। इससे आगे उत्तर की ओर से गोमती, घाघरा, गण्डक और कोसी की सहायक नदियां इसमें मिलती हैं। दक्षिण की ओर से सोन नदी आकर मिलती है। खाड़ी बंगाल में गिरने से पहले एक विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। गंगा का डेल्टा ‘सुन्दर वन’ विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है। उद्गम से लेकर डेल्टा तक इसकी लम्बाई 2525 किलोमीटर है। किनारे पर हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता आदि महत्त्वपूर्ण नगर बसे हैं।

(ii) यमुना (The Yamuna ):
यह यमनोत्री हिम नदी से निकल कर गंगा के समानान्तर बहती है। इसकी कुल लम्बाई 1375 किलोमीटर है। पर्वतीय भाग को पार कर उत्तरी मैदान में एक विशाल चाप बनाती हुई इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है। भगवान् कृष्ण की लीला भूमि मथुरा, वृन्दावन, गोकुल आदि इसी के तट पर स्थित है। दक्षिण की ओर से चम्बल नदी विन्ध्याचल पर्वत से निकल कर इटावा के निकट यमुना नदी में मिल जाती है। इसके अतिरिक्त केन तथा बेतवा नदियां यमुना की सहायक नदियां हैं

(iii) घाघरा (The Ghaghra ):
इसे ‘सरयू’ नदी भी कहते हैं । नेपाल (हिमालय) से निकल कर मैदानी भाग में बहती हुई पटना के निकट गंगा नदी में मिलती है। अयोध्या नगरी इस नदी के तट पर स्थित है। शारदा नदी इसकी मुख्य सहायक नदी है।

(iv) गण्डक (The Gandak ):
यह नदी नेपाल (हिमालय) से निकलती है। मैदानी भाग में उत्तर प्रदेश तथा बिहार की सीमा बनाती है। इस नदी ने कई बार अपना मार्ग परिवर्तन किया है। यह नदी पटना के निकट गंगा में मिल जाती है। इस नदी में भीषण बाढ़ें आती रहती हैं।

(v) कोसी (The Kosi ):
यह नदी हिमालय पर्वत में कंचनजुंगा पर्वत से निकलती है। पर्वतीय प्रदेश को पार कर चतरा नामक स्थान पर मैदानी भाग में प्रवेश करती है। यह नदी मार्ग परिवर्तन तथा भयानक बाढ़ों के कारण धन-जन को बहुत हानि पहुंचाती है। इसलिए इसे “बिहार की शोक नदी” (River of sorrow of Bihar) कहते हैं ।

3. ब्रह्मपुत्र जल प्रवाह क्रम (The Brahmputra Drainage System):
यह नदी 2880 किलोमीटर लम्बी है तथा भारत की सबसे लम्बी नदी है। मानसरोवर झील के पूर्व में कैलाश पर्वत के समीप से निकल कर हिमालय पर्वत के समानान्तर बहती हुई तिब्बत प्रदेश में बहती है। इसे 1440 किलोमीटर लम्बे मार्ग में सांपो ( Tsangpo) नदी कहते हैं । हिमालय के पूर्वी मोड़ को काट कर दिहांग गार्ज (Gorge) में से असम घाटी में प्रवेश करती है। यह एक विशाल नदी है जिसमें भयानक बाढ़ें आती हैं। बांग्ला देश में यह पद्मा नदी से मिलकर खाड़ी बंगाल में विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। डिब्रूगढ़ (Dibrugarh ) से लेकर खाड़ी बंगाल तक इसमें किश्तियां चलाई जा सकती हैं।

2. दक्षिणी भारत का जल प्रवाह (The Drainage System of Southern India):
दक्षिणी भारत बहुत प्राचीन भू-खण्ड है। इसलिए इस प्रदेश की नदियां बहुत प्राचीन हैं। दक्षिणी भाग एक पठार है जो चारों ओर ढालुआ है। इसलिए यहां से पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर की ओर नदियां बहती हैं। अधिकांश नदियां पूर्व की ओर बहती हुई खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। केवल नर्मदा, ताप्ती पश्चिम की ओर बहती हैं। पश्चिमी घाट के पर्वत दक्षिणी भारत की नदियों को दो भागों में बांटते हैं।

  1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां तथा
  2. खाड़ी बंगाल में गिरने वाली नदियां।

दक्षिणी भारत की नदियां नीचे पर्वतों से निकलती हैं जहां हिमपात नहीं होता। इसलिए इनको केवल वर्षा काल में ही जल प्राप्त होता है। दक्षिणी पठार की नदियां छोटी तथा कम संख्या में हैं। इन नदियों में वर्षा ऋतु में अचानक बाढ़ें आ जाती हैं। इन नदियों की घाटियां चौड़ी और उथली हैं तथा कम मात्रा में कटाव करती हैं। इनका मार्ग ऊंचा – नीचा, पथरीला होने के कारण, इनमें जहाज़ नहीं चलाए जा सकते हैं। इन नदियों से नहरें निकालना कठिन है। ये नदियां अनेक जल प्रपात बनाती हैं जो जल-विद्युत् विकास को सुविधा प्रदान करते हैं।

1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां (The Rivers falling into Arabian Sea)
(i) नर्मदा (The Narmada):
यह नदी मध्य प्रदेश में अमर कण्टक नामक स्थान से निकलती है। इसके उत्तर में विंध्याचल तथा दक्षिण में सतपुड़ा पर्वत श्रेणियां हैं। 1300 किलोमीटर लम्बी नदी, एक तंग रिफ्ट घाटी (Rift Valley) में बहती है। तीव्र गति से बहने के कारण यह नदी डेल्टा नहीं बनाती है। मध्य प्रदेश में संगमरमर की चट्टानों में रमणीक गार्ज बहुत प्रसिद्ध हैं। नर्मदा की सहायक नदियों की कमी है।

(ii) ताप्ती (The Tapti):
यह नदी महादेव पहाड़ियों में बेतुल से निकलती है। यह नदी 724 किलोमीटर लम्बी है। नर्मदा नदी के समानान्तर बहने के पश्चात् खाड़ी खम्बात (Gulf of Cambay) में गिरती हैं। इसके मुहाने पर सूरत नगर स्थित है। नर्मदा नदी तथा ताप्ती दोनों नदियां एक दरार घाटी (Rift Valley) में बहती हैं। इसके अतिरिक्त अरब सागर में गिरने वाली महत्त्वपूर्ण नदियां, लूनी, साबरमती तथा माही हैं।

2. खाड़ी बंगाल में गिरने वाली नदियां (The Rivers falling into Bay of Bengal)
(i) दामोदर नदी (The Damodar ):
530 किलोमीटर लम्बी नदी छोटा नागपुर पठार से निकलती है। बाढ़ों तथा मार्ग परिवर्तन के कारण इसे “शोक नदी ? (River of sorrow) कहते हैं। दामोदर घाटी परियोजना के कारण इससे अब आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी।

(ii) महानदी (The Mahanadi ):
यह नदी 857 किलोमीटर लम्बी है। अमरकण्टक पर्वत श्रेणी से निकल कर उड़ीसा राज्य में बहती हुई एक उपजाऊ मैदान तथा डेल्टा बनाती है। डेल्टा क्षेत्र में इस नदी से नहरों द्वारा जल सिंचाई की जाती है।

(iii) गोदावरी (The Godavari ):
1,440 किलोमीटर लम्बी नदी, पश्चिमी घाट में नासिक क्षेत्र से निकल कर आन्ध्र प्रदेश में पूर्व की ओर बहती है। पूर्वी घाट को पार करते समय एक तंग गहरी घाटी बनाती हैं। इस नदी का डेल्टा बड़ा उपजाऊ है।

(iv) कृष्णा (The Krishna ):
यह नदी 1, 400 किलोमीटर लम्बी है। यह नदी पश्चिमी घाट में महाबलेश्वर से निकलती है। इसको दो मुख्य सहायक नदियां उत्तर में भीमा नदी तथा दक्षिण में तुंगभद्रा नदी है।

(v) कावेरी (The Cauvery ):
यह 800 किलोमीटर लम्बी नदी ब्रह्म गिर पहाड़ियों से निकल कर खाड़ी बंगाल में गिरती है। यह नदी जल सिंचाई, परिवहन तथा जल विद्युत् के लिए उपयोगी है। यह नदी कई जल प्रपात बनाती है। शिवसुन्द्रम् जल प्रपात जल  विद्युत् विकास के लिए उपयोगी है। इसका डेल्टा बहुत विशाल उपजाऊ मैदानी है शीतकाल की वर्षा के कारण इस नदी में सारा वर्ष जल रहता है। कावेरी का जल ग्रहण क्षेत्र केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों में विस्तृत है।