JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) किस वर्ष हुई ?
(अ) 1975
(ब) 1978
(स) 1956
(द) 1972
उत्तर:
(द) 1972

2. निम्नलिखित में से कौन-सी संधि अस्त्र नियंत्रण संधि थी
(अ) अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( SALT – II)
(ब) सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि (स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी – SIART)
(स) परमाणु अप्रसार संधि (NPT)
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

3. जैविक हथियार संधि कब की गई ?
(अ) 1975
(ब) 1992
(स) 1972
(द) 1968
उत्तर:
(स) 1972

4. सुरक्षा की अवधारणा कितने प्रकार की है ?
(अ) तीन
(ब) चार
(स) दो
(द) एक
उत्तर:
(स) दो

5. परमाणु अप्रसार संधि जिस सन् में हुई वह है-
(अ) 1968
(ब) दो
(स) 1972
(द) एक
उत्तर:
(अ) 1968

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

6. निम्न में से किस संधि ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोक:
(अ) जैविक हथियार संधि
(ब) एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि
(स) रासायनिक हथियार संधि
(द) परमाणु अप्रसार संधि
उत्तर:
(ब) एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि

7. अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादियों ने हमला किया
(अ) 11 सितंबर, 2001
(ब) 10 अक्टूबर, 2001
(स) 11 नवम्बर, 2002
(द) 9 दिसम्बर, 2002
उत्तर:
(अ) 11 सितंबर, 2001

8. भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया
(अ) 1974 में
(ब) 1975 में
(स) 1978 में
(द) 1980 में
उत्तर:
(अ) 1974 में

9. पाकिस्तान ने भारत पर अब तक कुल कितनी बार हमला किया है?
(अ) तीन
(ब) दो
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(अ) तीन

10. क्योटो के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कब किया गया?.
(अ) 1998
(ब) 1997
(स) 1991
(द) 1992
उत्तर:
(ब) 1997

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. सुरक्षा की ………………………. धारणा में माना जाता है कि किसी देश की सुरक्षा को ज्यादातर खतरा उसकी सीमा के बाहर से होता है।
उत्तर:
परंपरागत

2. सुरक्षा – नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे ………………………….. कहा जाता है।
उत्तर:
अपरोध

3. …………………….. सुरक्षा नीति का एक तत्त्व शक्ति संतुलन है।
उत्तर:
परम्परागत

4. जैविक हथियार संधि पर ………………………. से ज्यादा देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए।
उत्तर:
155

5. …………………………संधि ने परमाणविक आयुधों को हासिल कर सकने वाले देशों की संख्या कम की।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार

6. सुरक्षा की …………………… धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ……………………………. कहा जाता है।
उत्तर:
अपारंपरिक, विश्व- रक्षा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है। खतरे से आजादी।

प्रश्न 2.
सुरक्षा की कितनी धारणाएँ हैं?
उत्तर:
सुरक्षा की दो धारणाएँ हैं। पारंपरिक और अपारंपरिक।

प्रश्न 3.
लोग पलायन क्यों करते हैं? कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर:
लोग आजीविका हेतु पलायन करते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 4.
भारत के किन दो पड़ौसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं?
उत्तर:
भारत के दो पड़ौसी देशों – पाकिस्तान और चीन के पास परमाणु हथियार हैं।

प्रश्न 5.
आतंकवाद सुरक्षा के लिए खतरे की किस श्रेणी में आता है?
उत्तर:
अपरम्परागत श्रेणी में।

प्रश्न 6.
एन. पी. टी. का पूरा नाम क्या है? यह किस वर्ष में हुई?
उत्तर:
एन. पी. टी. का पूरा नाम है। न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी । यह सन् 1968 में हुई।

प्रश्न 7.
सैन्य शक्ति का आधार क्या है?
उत्तर:
सैन्य – शक्ति का आधार आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत है।

प्रश्न 8.
ओसामा बिन लादेन किस आतंकवादी समूह का था?
उत्तर:
अल-कायदा।

प्रश्न 9.
पारम्परिक सुरक्षा की धारणा के अन्तर्गत ‘अपरोध’ का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पारम्परिक सुरक्षा की धारणा के अन्तर्गत ‘अपरोध’ का अर्थ है – युद्ध की आशंका को रोकना।

प्रश्न 10.
पारम्परिक बाह्य सुरक्षा नीति के कोई दो तत्त्व लिखिये।
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन और गठबंधन बनाना।

प्रश्न 11.
एशिया- अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी एक समस्या का नाम लिखिये।
उत्तर:
अलगाववादी आंदोलन|

प्रश्न 12.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व- रक्षा’ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
मानवता की सुरक्षा का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
मानवता की सुरक्षा का प्राथमिक लक्ष्य व्यक्तियों की संरक्षा है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 14.
व्यापकतम अर्थ में मानवता की रक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यापकतम अर्थ में मानवता की रक्षा से आशय ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ है।

प्रश्न 15.
युद्ध के सिवाय मानव सुरक्षा के किन्हीं अन्य चार खतरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव सुरक्षा के खतरे निम्नलिखित हैं।

  1. पर्यावरण ह्रास
  2. ग्रीन हाउस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन
  3. नाभिकीय युद्ध का भय
  4. बढ़ती हुई जनसंख्या।

प्रश्न 16.
सुरक्षा के खतरे के किन्हीं दो नये स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:

  1. वैश्विक ताप वृद्धि
  2. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो शक्तियों के नाम लिखें जो सैनिक शक्ति का आधार हैं।
उत्तर:
आर्थिक शक्ति एवं, तकनीकी शक्ति।

प्रश्न 18.
सुरक्षा के मुख्य दो रूपों के नाम लिखिये।
उत्तर:
सुरक्षा के दो रूप हैं।

  1. पारम्परिक सुरक्षा और
  2. अपारंपरिक सुरक्षा।

प्रश्न 19.
पारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
पारम्परिक सुरक्षा में यह स्वीकार किया गया है कि हिंसा का प्रयोग जहाँ तक हो सके कम से कम होना

प्रश्न 20.
अपारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
अपारम्परिक सुरक्षा की धारणा सैन्य खतरों से सम्बन्धित न होकर मानवीय अस्तित्व को चोट पहुँचाने वाले व्यापक खतरों से है।

प्रश्न 21.
परम्परागत सुरक्षा और अपरम्परागत सुरक्षा में एक अंतर लिखें।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा का दृष्टिकोण संकुचित है जबकि अपरम्परागत सुरक्षा का दृष्टिकोण व्यापक है।

प्रश्न 22.
निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
निशस्त्रीकरण से अभिप्राय हथियारों के निर्माण या उनको हासिल करने पर अंकुश लगाना है।

प्रश्न 23.
विश्व तापन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विश्व तापन से अभिप्राय विश्व स्तर पर पारे में लगातार होने वाली वृद्धि है, जिसके कारण विश्व का वातावरण गर्म होता जा रहा है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 24.
निरस्त्रीकरण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. जैविक हथियार संधि
  2. रासायनिक हथियार संधि।

प्रश्न 25.
आतंकवाद के कोई दो रूप लिखिये।
उत्तर:
आतंकवाद के दो रूप हैं।

  1. विमान अपहरण करके आतंकवाद फैलाना।
  2. भीड़ भरी जगहों पर विस्फोट करना।

प्रश्न 26.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष बताइये।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष हैं।

  1. मानवता की सुरक्षा और
  2. विश्व सुरक्षा।

प्रश्न 27.
सुरक्षा नीति के दो घटक बताइये।
उत्तर:

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना।
  2. अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना।

प्रश्न 28.
ऐसी दो संधियों के नाम बताइये जो अस्त्र नियंत्रण से सम्बन्धित हैं।
उत्तर:

  1. सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि
  2. परमाणु अप्रसार संधि।

प्रश्न 29.
विश्व सुरक्षा का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विश्व सुरक्षा से आशय है- पृथ्वी के बढ़ते तापमान, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स ‘जैसे असाध्य रोगों पर रोक लगाना।

प्रश्न 30.
क्षेत्रीय सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
क्षेत्रीय सुरक्षा से आशय है। सशस्त्र विद्रोहियों तथा विदेशी आक्रमणकारियों से किसी भू भाग तथा उसके निवासियों के जान-माल की रक्षा करना।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय सुरक्षा, सुरक्षा की किस अवधारणा से जुड़ी हुई है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा से।

प्रश्न 32.
आतंकवाद का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आतंकवाद का अभिप्राय है। राजनीतिक हिंसा, जिसका निशाना नागरिक होते हैं ताकि समाज में दहशत पैदा की जा सके।

प्रश्न 33.
मानवाधिकार की पहली कोटि कौन-सी है?
उत्तर:
राजनैतिक अधिकारों की।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 34.
केमिकल वीपन्स कन्वेंशन (CWC) संधि पर कितने देशों ने हस्ताक्षर किये थे?
उत्तर:
181 देशों ने।

प्रश्न 35.
अस्त्र नियंत्रण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण का आशय है हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ कानून का पालन करना।

प्रश्न 36.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व – रक्षा’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि सुरक्षा की जरूरत सिर्फ राज्य ही नहीं व्यक्तियों और समुदायों अपितु समूची मानवता को है।

प्रश्न 37.
परम्परागत धारणा के अनुसार सुरक्षा के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
दो – बाह्य सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा।

प्रश्न 38.
मानवाधिकार को कितने कोटियों में रखा गया है?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 39.
राजनैतिक अधिकारों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति और सभा करने की आजादी।

प्रश्न 40.
सहयोगमूलक सुरक्षा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अपरम्परागत खतरों के लिए सैन्य संघर्ष की बजाय आपसी सहयोग अपनाना।

प्रश्न 41.
‘क्योटो प्रोटोकॉल’ क्या है?
उत्तर:
‘क्योटो प्रोटोकॉल’ में वैश्विक तापवृद्धि पर काबू पाने तथा ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 42.
क्योटो प्रोटोकॉल पर कितने देशों ने हस्ताक्षर किए हैं?
उत्तर:
160

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है। खतरे से आजादी संकीर्ण दृष्टिकोण के अनुसार इसका अभिप्राय व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा से है और व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार इसका अभिप्राय बड़े और गंभीर खतरों से सुरक्षा है।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली दो कठिनाइयाँ लिखें।
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली दो कठिनाइयाँ ये हैं।

  1. महाशक्तियों में अस्त्र-शस्त्रों के आधुनिकीकरण के प्रति मोह विद्यमान है।
  2. महाशक्तियों में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना भी अभी बनी हुई है।

प्रश्न 3.
‘सुरक्षा’ की धारणा अपने आप में भुलैयादार धारणा है। कैसे?
उत्तर:
‘सुरक्षा’ की धारणा अपने आप में भुलैयादार है क्योंकि इसकी धारणा हर सदी में एकसमान नहीं होती है। विश्व के सारे नागरिकों के लिए सुरक्षा के मायने अलग-अलग होते हैं। विकासशील देशों को बेरोजगार, भुखमरी तथा आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन से खुद की सुरक्षा करनी होती है तो विकसित देशों को पर्यावरण प्रदूषण, वैश्विक तापवृद्धि जैसे समस्याओं से स्वयं की सुरक्षा करनी होती है।

प्रश्न 4.
आतंकवाद क्या है?
उत्तर:
आतंकवाद का अर्थ है। राजनीतिक हिंसा, जिसका निशाना नागरिक होते हैं। ताकि समाज में दहशत पैदा की जा सके। इसकी चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण, भीड़भरी जगहों, जैसे रेलवे स्टेशनों, होटल, बाजार, धर्मस्थल आदि जगहों में बम लगाकर विस्फोट करना।

प्रश्न 5.
आतंकवादी दहशत क्यों पैदा करते हैं?
उत्तर:
आतंकवादी सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए दहशत पैदा करते हैं। दूसरे, उन्हें दहशत पैदा करने के लिए ही अपने संगठन से धन व अन्य सुविधायें मिलती हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 6.
पारम्परिक सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर;
पारम्परिक सुरक्षा:
पारम्परिक सुरक्षा में यह स्वीकार किया गया है कि हिंसा का प्रयोग जहाँ तक हो सके कम से कम होना चाहिए। युद्ध के लक्ष्य और साधन दोनों का इससे सम्बन्ध है। यह न्याय युद्ध की परम्परा का विस्तार, निःशस्त्रीकरण, अस्त्र- नियंत्रण और विश्वास बहाली के उपायों पर आधारित है।

प्रश्न 7.
सुरक्षा की परम्परागत तथा गैर-परम्परागत धारणाओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सिर्फ भूखण्ड तथा उसमें रहने वाले लोगों की जान-माल की रक्षा करना तथा सशस्त्र सैन्य हमलों को रोकना है जबकि अपरम्परागत धारणा में भू-भाग, प्राणियों और सम्पत्ति की सुरक्षा के साथ- साथ पर्यावरण तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा भी शामिल है।

प्रश्न 8.
अमरीका तथा सोवियत संघ जैसी महाशक्तियों ने अस्त्र- नियंत्रण का सहारा क्यों लिया?
उत्तर:
मरीका तथा सोवियत संघ सामूहिक संहार के अस्त्र यानी परमाण्विक हथियार का विकल्प नहीं छोड़ना चाहती थीं इसलिए दोनों ने अस्त्र-नियंत्रण का सहारा लिया।

प्रश्न 9.
अस्त्र नियंत्रण का अभिप्राय क्या है?
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। उदाहरण के लिए सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2, सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि इत्यादि संधियाँ अस्त्र नियंत्रण के उदाहरण हैं.

प्रश्न 10.
एंटी बैलेस्टिक संधि कब और क्यों की गई?
उत्तर:
सन् 1972 में एंटी बैलेस्टिक संधि की गई। इस संधि ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका। इस संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि ने दोनों देशों को ऐसी रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन से रोक दिया।

प्रश्न 11.
अपरोध नीति क्या है?
उत्तर:
युद्ध की आशंका को रोकने की सुरक्षा नीति को अपरोध नीति कहा जाता है। इसके अन्तर्गत एक पक्ष द्वारा . युद्ध से होने वाले विनाश को इस हद तक बढ़ाने के संकेत दिये जाते हैं ताकि दूसरा पक्ष सहम कर हमला करने से रुक जाये।

प्रश्न 12.
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में किस खतरे को सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसका स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 13.
बायोलॉजिकल वैपन्स कन्वेंशन, 1972 द्वारा क्या निर्णय लिया गया?
उत्तर:
सन् 1972 की जैविक हथियार संधि (बायोलॉजिकल वैपन्स कन्वेंशन) ने जैविक हथियारों को बनाना और रखना प्रतिबंधित कर दिया गया। 155 से अधिक देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें विश्व की सभी महाशक्तियाँ शामिल हैं।.

प्रश्न 14.
आपकी दृष्टि में बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौनसे विकल्प हो सकते हैं? कोई दो स्पष्ट कीजिए।
अथवा
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में सुरक्षा के कितने विकल्प होते हैं?
उत्तर:
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं।

  1. आत्म-समर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किये मान लेना।
  2. युद्ध से होने वाले नाश को इस हद तक बढ़ाने के संकेत देना कि दूसरा पक्ष सहम कर हमला करने से रुक जाये।
  3. यदि युद्ध ठन जाये तो अपनी रक्षा करना।

प्रश्न 15.
बाहरी सुरक्षा हेतु गठबंधन बनाने से क्या आशय है?
उत्तर:
गठबंधन बनाना:
गठबंधन में कई देश शामिल होते हैं और सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए समवेत कदम उठाते हैं। अधिकांश गठबंधनों को लिखित संधि से एक औपचारिक रूप मिलता है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि खतरा किससे है? गठबंधन राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 16.
एक उदाहरण देकर यह स्पष्ट कीजिये कि राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं।
उत्तर:
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए, अमरीका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ इस्लामी उग्रवादियों को समर्थन दिया, लेकिन 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद उसने उन्हीं इस्लामी उग्रवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 17.
निरस्त्रीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
निरस्त्रीकरण-निरस्त्रीकरण सुरक्षा की इस धारणा पर आधारित है कि देशों के बीच एक न एक रूप में सहयोग हो। निरस्त्रीकरण की मांग होती है कि सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ भी हो कुछ ख़ास किस्म के हथियारों से बाज आयें।

प्रश्न 18.
आप वर्तमान विश्व में सुरक्षा को किससे खतरा मानते हैं? किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
हम वर्तमान विश्व में सुरक्षा को खतरा निम्न दो कारणों को मानते हैं।

  1. वैश्विक ताप वृद्धि: वर्तमान में विश्व में वैश्विक ताप वृद्धि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा है।
  2. प्रदूषण: पर्यावरण में तीव्रता से बढ़ रहे प्रदूषण से विश्व की सुरक्षा के समक्ष एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 19.
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके के रूप में अस्त्र नियंत्रण को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
अस्त्र नियंत्रण के अन्तर्गत हथियारों के संबंध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। जैसे, सन् 1972 की एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा- कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका।

प्रश्न 20.
मानवाधिकारों को कितनी कोटियों में रखा गया है?
उत्तर:
मानवाधिकारों को तीन कोटियों (श्रेणियों) में रखा गया है। ये हैं।

  1. राजनैतिक अधिकार, जैसे अभिव्यक्ति और सभा करने की स्वतंत्रता।
  2. आर्थिक और सामाजिक अधिकार।
  3. उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार।

प्रश्न 21.
आपकी दृष्टि में मानवता की सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ में कौन-कौनसी सुरक्षा को शामिल करेंगे?
उत्तर:
मानवतावादी सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ में हम युद्ध, जनसंहार, आतंकवाद, अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा के साथ-साथ ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ को भी शामिल करेंगे।

प्रश्न 22.
आप भारत की सुरक्षा नीति के दो घटक बताइये।
उत्तर:
भारत की सुरक्षा नीति के दो घटक ये हैं-

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना – अपने चारों तरफ परमाणु हथियारों से लैस देशों को देखते हुए भारत ने 1974 तथा 1998 में परमाणु परीक्षण कर अपनी सैन्य क्षमता का विकास किया है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करना – भारत ने अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कायदों एवं संस्थाओं को मजबूत करने की नीति अपनायी है।

प्रश्न 23.
‘आंतरिक रूप से विस्थापित जन’ से क्या आशय है?
उत्तर:
जो लोग राजनीतिक उत्पीड़न, जातीय हिंसा आदि किसी कारण से अपना घर-बार छोड़कर अपने ही देश या राष्ट्र की सीमा के भीतर ही रह रहे हैं, उन्हें ‘आंतरिक रूप से विस्थापित जन’ कहा जाता है। जैसे कश्मीर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 24.
युद्ध और शरणार्थी समस्या के आपसी सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
युद्ध और शरणार्थी समस्या के बीच आपस में सकारात्मक सम्बन्ध है क्योंकि युद्ध या सशस्त्र संघर्षों के कारण ही शरणार्थी की समस्या बढ़ती है। उदाहरण के लिए सन् 1990 के दशक में कुल 60 जगहों से शरणार्थी प्रवास करने को मजबूर हुए और इनमें से तीन को छोड़कर शेष सभी के मूल में सशस्त्र संघर्ष था।

प्रश्न 25.
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 की एक अस्त्र नियंत्रण संधि के रूप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 इस अर्थ में एक अस्त्र नियंत्रक संधि थी क्योंकि इसने परमाणविक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानूनों के दायरे में ला दिया। जिन देशों ने सन् 1967 से पहले परमाणु हथियार बना लिये थे उन्हें इस संधि के अन्तर्गत इस हथियारों को रखने की अनुमति दी गई। लेकिन अन्य देशों को ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया।

प्रश्न 26.
शक्ति संतुलन को कैसे बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने के अनेक साधन हैं।

  1. शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सैन्य शक्ति को बढ़ाना एवं आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकास महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. राष्ट्रों द्वारा सैनिक या सुरक्षा संधियाँ कर गठबंधन कर शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  3. ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर भी राष्ट्रों द्वारा शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  4. कई बार एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र में हस्तक्षेप कर वहां अपनी मित्र सरकार बनाकर भी शक्ति सन्तुलन स्थापित करते हैं।
  5. शस्त्रीकरण और निःशस्त्रीकरण द्वारा भी शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।

प्रश्न 27.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का अर्थ- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाये अतः सुरक्षा के अर्थ को दो दृष्टिकोणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. संकीर्ण दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा अर्थात् समाज में प्रत्येक मनुष्य की अपनी सोच व मूल्य होते हैं। जब इन मूल्यों को बचाने का प्रयास किया जाता है तो यह सुरक्षा का संकीर्ण दृष्टिकोण कहलाता है।
  2. व्यापक दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार सुरक्षा का सम्बन्ध बड़े तथा गंभीर खतरों से है। इसमें वे खतरे सम्मिलित होते हैं जिन्हें रोकने के उपाय नहीं किये गये तो हमारे केन्द्रीय मूल्यों को अपूरणीय हानि पहुँचेगी।

प्रश्न 28.
अमेरिका और सोवियत संघ ने नियंत्रण से जुड़ी जिन संधियों पर हस्ताक्षर किये उन्हें संक्षेप में लिखिये।
उत्तर:
अमेरिका और सोवियत संघ ने अस्त्र – नियंत्रण की कई संधियों पर हस्ताक्षर किये जिसमें सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन ट्रीटी – SALT-II) और सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि ( स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी-(START) शामिल हैं। परमाणु अप्रसार संधि (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी – NPT (1968) भी एक अर्थ में अस्त्र नियंत्रण संधि ही थी क्योंकि इसने परमाण्विक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानून के दायरे में ला खड़ा किया। सन् 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने से रोका।

प्रश्न 29.
सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण के महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
वर्तमान में विश्व शांति तथा सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण का बहुत महत्त्व है। आज यह अनुभव किया गया है कि राष्ट्रों की मारक क्षमता को कम करने वाला निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण न कि मारक क्षमता बढ़ाने वाले तथा आतंक संतुलन बनाने वाली शस्त्र दौड़, आज के युग में अधिक प्रभावशाली व लाभकारी शक्ति संतुलन का साधन है। एक व्यापक निःशस्त्रीकरण संधि, परमाणु निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण, 1972 की जैविक हथियार संधि, 1992 की रासायनिक हथियार संधि तथा 181 देशों के CWC संधि पर हस्ताक्षर, इस संतुलन को सुदृढ़ करने के लिये अधिक सहायक हो सकते हैं।

प्रश्न 30.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली के उपायों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात भी मानी गई है कि विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली के उपाय अग्र हैं।
उत्तर:
युद्ध और शरणार्थी समस्या के बीच आपस में सकारात्मक सम्बन्ध है क्योंकि युद्ध या सशस्त्र संघर्षों के कारण ही शरणार्थी की समस्या बढ़ती है। उदाहरण के लिए सन् 1990 के दशक में कुल 60 जगहों से शरणार्थी प्रवास करने को मजबूर हुए और इनमें से तीन को छोड़कर शेष सभी के मूल में सशस्त्र संघर्ष था।

प्रश्न 25.
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 की एक अस्त्र नियंत्रण संधि के रूप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि, 1968 इस अर्थ में एक अस्त्र नियंत्रक संधि थी क्योंकि इसने परमाणविक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानूनों के दायरे में ला दिया। जिन देशों ने सन् 1967 से पहले परमाणु हथियार बना लिये थे उन्हें इस संधि के अन्तर्गत इस हथियारों को रखने की अनुमति दी गई। लेकिन अन्य देशों को ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 26.
शक्ति संतुलन को कैसे बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने के अनेक साधन हैं।

  1. शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सैन्य शक्ति को बढ़ाना एवं आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकास महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. राष्ट्रों द्वारा सैनिक या सुरक्षा संधियाँ कर गठबंधन कर शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  3. ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर भी राष्ट्रों द्वारा शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।
  4. कई बार एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र में हस्तक्षेप कर वहां अपनी मित्र सरकार बनाकर भी शक्ति सन्तुलन स्थापित करते हैं।
  5. शस्त्रीकरण और निःशस्त्रीकरण द्वारा भी शक्ति सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है।

प्रश्न 27.
सुरक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा का अर्थ- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाये अतः सुरक्षा के अर्थ को दो दृष्टिकोणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. संकीर्ण दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तिगत मूल्यों की सुरक्षा अर्थात् समाज में प्रत्येक मनुष्य की अपनी सोच व मूल्य होते हैं। जब इन मूल्यों को बचाने का प्रयास किया जाता है तो यह सुरक्षा का संकीर्ण दृष्टिकोण कहलाता है।
  2. व्यापक दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार सुरक्षा का सम्बन्ध बड़े तथा गंभीर खतरों से है। इसमें वे खतरे सम्मिलित होते हैं जिन्हें रोकने के उपाय नहीं किये गये तो हमारे केन्द्रीय मूल्यों को अपूरणीय हानि पहुँचेगी।

प्रश्न 28.
अमेरिका और सोवियत संघ ने नियंत्रण से जुड़ी जिन संधियों पर हस्ताक्षर किये उन्हें संक्षेप में लिखिये।
उत्तर;
अमेरिका और सोवियत संघ ने अस्त्र – नियंत्रण की कई संधियों पर हस्ताक्षर किये जिसमें सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2 ( स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन ट्रीटी – SALT-II) और सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि ( स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी-(START) शामिल हैं। परमाणु अप्रसार संधि (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी – NPT (1968) भी एक अर्थ में अस्त्र नियंत्रण संधि ही थी क्योंकि इसने परमाण्विक हथियारों के उपार्जन को कायदे-कानून के दायरे में ला खड़ा किया। सन् 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने से रोका।

प्रश्न 29.
सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण के महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
वर्तमान में विश्व शांति तथा सुरक्षा की दृष्टि से निरस्त्रीकरण का बहुत महत्त्व है। आज यह अनुभव किया गया है कि राष्ट्रों की मारक क्षमता को कम करने वाला निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण न कि मारक क्षमता बढ़ाने वाले तथा आतंक संतुलन बनाने वाली शस्त्र दौड़, आज के युग में अधिक प्रभावशाली व लाभकारी शक्ति संतुलन का साधन है। एक व्यापक निःशस्त्रीकरण संधि, परमाणु निःशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण, 1972 की जैविक हथियार संधि, 1992 की रासायनिक हथियार संधि तथा 181 देशों के CWC संधि पर हस्ताक्षर, इस संतुलन को सुदृढ़ करने के लिये अधिक सहायक हो सकते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 30.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली के उपायों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात भी मानी गई है कि विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली के उपाय अग्र हैं।

  1. विश्वास बहाली से दोनों देशों के बीच हिंसा को कम किया जा सकता है।
  2. विश्वास बहाली से दोनों देशों के बीच सूचनाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है।
  3. ऐसे में दोनों देश एक-दूसरे को सैनिक साजो-सामान की जानकारी व अपने सैनिक मकसद के बारे में जानकारी देते हैं
  4. इस प्रक्रिया से दोनों देशों के बीच गलतफहमी से बचा जा सकता है।

प्रश्न 31.
आपकी दृष्टि में सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा क्या है?
अथवा
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा क्या है? संक्षेप में लिखिये।
उत्तर:
अपारंपरिक धारणा का अर्थ- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में न केवल सैन्य खतरों को बल्कि इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले अन्य व्यापक खतरों और आशंकाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें राज्य ही नहीं बल्कि व्यक्तियों और संप्रदायों या कहें कि संपूर्ण मानवता की सुरक्षा होती है।

प्रश्न 32.
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा के चार तत्त्व निम्नलिखित हैं।

  1. परम्परागत खतरे: सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सैन्य खतरों को किसी भी देश के लिए सर्वाधिक घातक माना जाता है। इसका स्रोत कोई अन्य देश होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता तथा अखण्डता को प्रभावित करता है।
  2.  युद्ध: युद्ध से साधारण लोगों के जीवन पर भी खतरा मंडराता है क्योंकि युद्ध में जन सामान्य को भी काफी नुकसान पहुँचता है।
  3.  शक्ति सन्तुलन: प्रत्येक सरकार दूसरे देशों से अपने शक्ति सन्तुलन को लेकर अत्यधिक संवेदनशील रहती है।
  4. गठबंधन: इसमें विभिन्न देश सैनिक हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए मिलजुलकर कदम उठाते हैं।

प्रश्न 33.
आतंकवाद से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आतंकवाद-आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जानबूझकर बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक से ज्यादा देशों में व्याप्त आतंकवाद है और उसके निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं। कोई राजनीतिक स्थिति पसंद न होने पर आतंकवादी समूह उसे बल-प्रयोग या बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है। आतंकवाद की चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण, भीड़ भरी जगहों, जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार, धर्म स्थल आदि जगहों पर बम लगाना सितम्बर सन् 2001 में आतंकवादियों ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला बोला। इस घटना के बाद लगभग सभी देश आतंकवाद पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।

प्रश्न 34.
मानव अधिकारों के हनन की स्थिति में क्या संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए?
उत्तर:
मानव अधिकारों की हनन की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं, इस सम्बन्ध में विवाद है।

  1. कुछ देशों का तर्क है कि राष्ट्र संघ का घोषणा पत्र अन्तर्राष्ट्रीय जगत् को अधिकार देता है कि वह मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हथियार उठाये अर्थात् राष्ट्र संघ को इस क्षेत्र में दखल देना चाहिए।
  2. कुछ देशों का तर्क है यह संभव है कि मानवाधिकार हनन का मामला ताकतवर देशों के हितों से निर्धारित होता है और इसी आधार पर यह निर्धारित होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार उल्लंघन के लिए मामले में कार्रवाई करेगा और किसमें नहीं? इससे ताकतवर देशों को मानवाधिकार के बहाने उसके अंदरूनी मामलों में दखल देने का आसान रास्ता मिल जायेगा।

प्रश्न 35.
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी भी देश के लिए खतरनाक क्यों माना जाता है?
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी भी देश के लिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा मुल्क होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है। सैन्य कार्रवाई से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। युद्ध में सिर्फ सैनिक ही घायल नहीं होते हैं अपितु आम नागरिकों को भी हानि उठानी पड़ती है। अक्सर निहत्थे और आम नागरिकों को जंग का निशाना बनाया जाता है; उनका और उनकी सरकार का हौंसला तोड़ने की कोशिश होती है।

प्रश्न 36.
हर सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील रहती है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शक्ति – संतुलन परंपरागत सुरक्षा नीति का एक तत्त्व है। हर देश के पड़ोस में छोटे या बड़े मुल्क होते हैं इससे भविष्य के खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए कोई पड़ोसी देश संभवतः यह जाहिर ना करे कि वह हमले की तैयारी कर रहा है अथवा हमले का कोई प्रकट कारण भी ना हो। तथापि यह देखकर कि कोई देश बहुत ताकतवर है यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में वह हमलवार हो सकता है। इस वजह से हर सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील रहती है।

प्रश्न 37.
सरकारें दूसरे देशों से शक्ति-संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने हेतु किस प्रकार की कोशिशें करती हैं? यथा-
उत्तर:
सरकारें दूसरे देशों से शक्ति-संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने हेतु जी-तोड़ कोशिशें करती हैं।

  1. वो नजदीक देश जिनके साथ किसी मुद्दे पर मतभेद हो या अतीत में युद्ध हो चुका हो उनके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने के लिए अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न किया जाता है।
  2. सैन्य शक्ति के साथ आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत को बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है क्योंकि सैन्य- शक्ति का यही आधार है।

प्रश्न 38.
गठबंधन बनाना पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व है। संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व है गठबंधन बनाना गठबंधन में कई देश शामिल होते हैं जो सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए समवेत कदम उठाते हैं। गठबंधन लिखित रूप में होते हैं उनको औपचारिक रूप मिलता है और ऐसे गठबंधनों को यह बात स्पष्ट रहती है कि उन्हें खतरा किस देश से है। किसी देश अथवा गठबंधन की तुलना में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए देश गठबंधन बनाते हैं। गठबंधन राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं। राष्ट्रीय हितों के बदलने के साथ ही गठबंधन भी बदल जाते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 39.
संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व: राजनीति में ऐसी केन्द्रीय सत्ता है जो सर्वोपरि है। यह सोचना बस एक लालचमात्र है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व:
राजनीति में ऐसी केन्द्रीय सत्ता है जो सर्वोपरि है यह सोचना बस एक लालचमात्र है क्योंकि अपनी बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने सदस्य देशों का दास है ओर इसके सदस्य दशों का दास है ओर इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते और स्वीकारते हैं उतनी ही सत्ता इसे हासिल होती है। अतः विश्व- राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा ही सत्ता इसे हासलि होती है। अतः विश्व – राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है।

प्रश्न 40.
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने खड़ी सुरक्षा की चुनौतियाँ यूरोपीय देशों के मुकाबले किन दो मायनों में विशिष्ट थीं?
उत्तर:
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने खड़ी सुरक्षा की चुनौतियाँ यूरोपीय देशों के मुकाबले निम्न दो मायनों में विशिष्ट थीं।

  1. इन देशों को अपने पड़ोसी देश से सैन्य हमले की आशंका थी।
  2. इन्हें अंदरूनी सैन्य संघर्ष की भी चिंता करनी थी।

प्रश्न 41.
नव-स्वतंत्र देशों के सामने पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष की सबसे बड़ी चुनौती थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नव-स्वतंत्र देशों के सामने सीमापार से खतरे के साथ ही पड़ोसी देशों से भी खतरा था। साथ ही भीतर से भी खतरे की आशंका थी अनेक नव-स्वतंत्र देश संयुक्त राज्य अमरीका या सोवियत संघ अथवा औपनिवेशिक ताकतों से कहीं ज्यादा अपने पड़ोसी देशों से आशंकित थे। इनके बीच सीमा रेखा और भूक्षेत्र अथवा आबादी पर नियंत्रण को लेकर या एक-एक करके सभी सवालों पर झगड़े हुए।

अलग राष्ट्र बनाने पर तुले अंदर के अलगावादी आंदोलनों से भी इन देशों को खतरा था। कोई पड़ोसी देश यदि ऐसे अलगाववादी आंदोलन को हवा दे अथवा उसकी सहायता करे तो दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव की स्थिति बन जाती थी । इस प्रकार पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती थे।

प्रश्न 42.
‘न्याय-युद्ध’ की यूरोपीय परंपरा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की परंपरागत धारणा में यह माना गया है कि जितना हो सके हिंसा का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए। युद्ध के लक्ष्य और दोनों से इसका संबंध है। न्याय-युद्ध की यूरोपीय परम्परा को आज पूरा विश्व मानता है। इस परंपरा के अनुसार किसी भी देश को युद्ध उचित कारणों अर्थात् आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए ही करना चाहिए। इस दृष्टिकोण का मानना है कि।

  1. किसी भी देश को युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए।
  2. युद्धरत सेना को संघर्षविमुख शत्रु, निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु को मारना नहीं चाहिए।
  3. सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए जितना आत्मरक्षा के लिए आवश्यक हो और हिंसा का सहारा एक सीमा तक लेना चाहिए। बल प्रयोग तभी किया जाये जब बाकी के उपाय असफल हो गए हों।

प्रश्न 43.
भारत ने परमाणु परीक्षण करने के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर सत्यापित कैसे किया?
उत्तर:
भारतीय सुरक्षा नीति का पहला घटक सैन्य शक्ति को मजबूत करना है क्योंकि भारत पर पड़ोसी देशों से हमले होते रहे हैं। पाकिस्तान ने तीन तथा चीन ने भारत पर एक बार हमला किया है। दक्षिण एशियाई इलाके में भारत के चारों तरफ परमाणु हथियारों से लैस देश है। ऐसे में भारतीय सरकार ने परमाणु परीक्षण करने के भारत के फैसले को उचित ठहराते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क दिया था। भारत ने सन् 1974 में पहला तथा 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।

प्रश्न 44.
अप्रवासी और शरणार्थी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अप्रवासी उन्हें कहा जाता है जो अपनी इच्छा से स्वदेश छोड़ते हैं और शरणार्थी हम उन्हें कहते हैं जो युद्ध. प्राकृतिक आपदा अथवा राजनीतिक उत्पीड़न के कारण स्वदेश छोड़ने पर मजबूर होते हैं

प्रश्न 45.
1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की धारणा उभरने की क्या वजहें हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों को ध्यान में रखते हुए 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की धारणा उभरी। क्योंकि कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता। ऐसा भी हो सकता है कि किन्हीं स्थितियों में किसी एक देश को इन समस्याओं की मार बाकियों की अपेक्षा ज्यादा झेलनी पड़े।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 46.
भारत को अपनी परिस्थिति के अनुसार परम्परागत या अपरम्परागत सुरक्षा, किसे वरीयता देनी चाहिए?
उत्तर:
भारत को दोनों प्रकार की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए।

  1. परम्परागत सुरक्षा के कारण : स्वतंत्रता के बाद भारत ने अनेक युद्ध लड़े तथा भारत के अनेक आंतरिक भाग में अलगाववादी गतिविधियाँ व्याप्त हैं।
  2. अपरम्परागत सुरक्षा के कारण: भारत एक विकासशील देश है और इसके साथ इसमें गरीबी, बेकारी, साम्प्रदायिकता, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन भी व्याप्त है।

प्रश्न 47.
वैश्विक गरीबी असुरक्षा का स्रोत है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक गरीबी निर्धनता असुरक्षा का स्रोत है। वैश्विक गरीबी का आशय है आर्थिक विकास में कमी, राष्ट्रीय आय में कमी और यह विकासशील या विकसित देशों के जीवनस्तर को प्रभावित करती हैं। दुनिया की आधी आबादी का विकास सिर्फ 6 देशों में होता है भारत, चीन, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया, जिन्हें विकासशील देश माना जाता है और अनुमान है कि अगले 50 सालों में दुनिया के गरीब देशों में जनसंख्या तीन गुना बढ़ेगी।

विश्व स्तर पर यह विषमता दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच की खाई में योगदान करती है। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मौजूद गरीबी के कारण अधिकाधिक लोग बेहतर जीवन की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं। उपर्युक्त कारणों ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक घर्षण पैदा किया क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून अप्रवासी और शरणार्थी में भेद करते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा: सुरक्षा की पारम्परिक धारणा को दो भागों में विभाजित किया गया है।
(अ) बाहरी सुरक्षा की धारणा और
(ब) आन्तरिक सुरक्षा की धारणा। यथा।
(अ) बाहरी सुरक्षा की धारणा: सैन्य खतरा-
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता,  तंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता तथा जन-धन की हानि का खतरा पैदा करता है। सैन्य खतरे अर्थात् युद्ध से बचने के उपाय- सरकार के पास सैन्य खतरे से बचने के प्रमुख उपाय होते हैं।

  1. आत्मसमर्पण करना
  2. अपरोध की नीति अपनाना
  3. रक्षा नीति अपनाना
  4. शक्ति सन्तुलन की स्थापना करना तथा
  5. गठबन्धन बनाने की नीति अपनाना।

(ब) आंतरिक सुरक्षा की धारणा:
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ‘सुरक्षा के आंतरिक पक्ष पर दुनिया के अधिकांश ताकतवर देश अपनी अंदरूनी सुरक्षा के प्रति कमोबेश आश्वस्त थे। लेकिन एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों को बाह्य सुरक्षा के साथ-साथ अन्दरूनी सैन्य संघर्ष की भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि ये देश सीमा पार से अपने पड़ौसी देशों से सैन्य हमले की आशंका से ग्रस्त थे तो दूसरी तरफ अलग राष्ट्र बनाने पर तुले अन्दर के अलगाववादी आंदोलनों से भी इन देशों को खतरा था।

प्रश्न 2.
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं? उनमें से प्रत्येक की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
अथवा
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा को स्पष्ट कीजिये तथा सुरक्षा के पारम्परिक तरीकों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा- सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा में निम्न तरीकों पर बल दिया गया है।

  • न्याय युद्ध की परम्परा का विस्तार- सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा ‘न्याय युद्ध’ की यूरोपीय परम्परा का विस्तार है। इसकी प्रमुख बातें ये हैं-
    1. किसी देश को युद्ध आत्म-रक्षा अथवा दूसरों से जन-संहार से बचाने के लिए ही करना चाहिए।
    2. साधनों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
    3. निहत्थे व्यक्ति या आत्मसमर्पण वाले शत्रु को नहीं मारना चाहिए तथा
    4. बल प्रयोग तभी किया जाये जब अन्य उपाय असफल हो गये हों।
  • निरस्त्रीकरण: देशों के बीच सहयोग में सुरक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है। निरस्त्रीकरण। इसमें कुछ खास किस्म के हथियारों का त्याग करने पर बल दिया जाता है।
  • अस्त्र – नियंत्रण – अस्त्र- नियंत्रण के अन्तर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको प्राप्त करने के सम्बन्ध में कुछ कायदे-कानूनों का पालन करना पड़ता है। सन् 1972 की ‘एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि’, ‘साल्ट-2’ तथा ‘परमाणु अप्रसार संधि 1968 ‘ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  •  विश्वास बहाली का उपाय: विश्वास बहाली की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाएँ। विश्वास बहाली की प्रक्रिया के अन्तर्गत सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश एक-दूसरे को अपने फौजी मकसद, अपनी सैन्य योजनाओं, सैन्य बलों के स्वरूप तथा उनके तैनाती के स्थानों आदि प्रकार की सूचनाओं और विचारों का नियमित आदान-प्रदान करने का फैसला करते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 3.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा सिर्फ सैन्य खतरों से ही संबद्ध नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है। इसके दो प्रमुख पक्ष हैं।
1. मानवता की सुरक्षा तथा
2. विश्व सुरक्षा। यथा।

1. मानवता की सुरक्षा:
मानवता की सुरक्षा की धारणा व्यक्तियों की रक्षा पर बल देती है। मानवता की रक्षा का विचार जन – सुरक्षा को राज्यों की सुरक्षा से बढ़कर मानता है। मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा परस्पर पूरक होने चाहिए लेकिन व्यक्तियों की रक्षा किनसे की जाय, इस सम्बन्ध में तीन प्रकार के दृष्टिकोण सामने आये हैं। यथा।

(अ) संकीर्ण अर्थ: इस दृष्टिकोण के पैरोकारों का जोर व्यक्तियों और समुदायों को अंदरूनी खून-खराबे से बचाना है।

(ब) व्यापक अर्थ: व्यापक अर्थ लेने वाले समर्थक विद्वानों का तर्क है कि खतरों की सूची में हिंसक खतरों के साथ-साथ अकाल, महामारी और आपदाओं को भी शामिल किया जाये ।

(स) व्यापकतम अर्थ: व्यापकतम अर्थ में युद्ध, जनसंहार, आतंकवाद, अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा के साथ-साथ ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ पर बल दिया गया है।

2. विश्व – सुरक्षा:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा का दूसरा पक्ष है। विश्व सुरक्षा विश्वव्यापी खतरे, वैश्विक ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग), अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स तथा बर्ड फ्लू जैसी समस्याओं की प्रकृति वैश्विक है, इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

प्रश्न 4.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में सुरक्षा के प्रमुख खतरों पर एक निबंध लिखिये।
उत्तर:
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में खतरे के नये स्त्रोत: सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के संदर्भ में खतरों की बदलती प्रकृति पर जोर दिया जाता है। ऐसे खतरों के प्रमुख नये स्त्रोत निम्नलिखित हैं।

  1. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद: जब आतंकवाद का कोई संगठन एक से अधिक देशों में व्याप्त हो जाता है, तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद कहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं। आतंकवाद की चिर-परिचित तकनीकें हैं। विमान अपहरण करना, भीड़-भरी जगहों में बम लगाना।
  2. मानवाधिकारों का हनन: मानवता की सुरक्षा का एक नया स्रोत राष्ट्रीय सरकारों द्वारा मानवाधिकारों का हनन है।
  3. वैश्विक निर्धनता: मानवता की सुरक्षा के लिए वैश्विक गरीबी एक बड़ा खतरा है।
  4. र्थिक असमानता: विश्व स्तर पर आर्थिक असमानता पूरे विश्व को उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध में विभाजित करती है । दक्षिणी गोलार्द्ध में यह आर्थिक असमानता और अधिक व्याप्त है।
  5. आप्रवासी, शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की समस्या – आप्रवासी, शरणार्थी तथा आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों की समस्याएँ भी सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के अन्तर्गत आती हैं।
  6. महामारियाँ: एड्स, बर्ड- ड-फ्लू, सार्स जैसी महामारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है।

प्रश्न 5.
सुरक्षा पर मंडराते अनेक अपारंपरिक खतरों से निपटने के लिए क्या किया जाना आवश्यक है?
उत्तर:
सुरक्षा के अपारंपरिक खतरों से निपटने के उपाय : सहयोगात्मक सुरक्षा सुरक्षा पर मंडराते अनेक अपारंपरिक खतरों, जैसे- अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, वैश्विक ताप वृद्धि, वैश्विक गरीबी, वैश्विक असमानता, महामारियाँ, मानवाधिकारों के हनन तथा शरणार्थी समस्या आदि-से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की रणनीतियाँ बनाने की आवश्यकता है। इन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

  1. राज्यस्तरीय द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, महादेशीय और वैश्विक सहयोग: इन अपारंपरिक खतरों से निपटने के लिए विभिन्न देश द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, महादेशीय या वैश्विक स्तर पर सहयोग की रणनीति बना सकते हैं।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सुरक्षात्मक रणनीतियाँ: सहयोगमूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएँ, जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ व उसकी विभिन्न एजेन्सियाँ, अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन, बहुराष्ट्रीय व्यावसायिक संगठन और निगम तथा जानी-मानी हस्तियाँ शामिल हो सकती हैं।
  3. बल-प्रयोग-सहयोगमूलक सुरक्षा में भी अंतिम उपाय के रूप में बल-प्रयोग किया जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी उन सरकारों से निपटने के लिए बल-प्रयोग की अनुमति दे सकती है जो अपनी ही जनता को मार रही हो अथवा उसके दुःख-दर्द की उपेक्षा कर रही हो। लेकिन बल-प्रयोग सामूहिक स्वीकृति से और सामूहिक रूप में किया जाए।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 6.
भारत की ‘सुरक्षा रणनीति’ के विभिन्न घटकों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
भारत की सुरक्षा नीति के प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
भारत की सुरक्षा नीति के प्रमुख घटक: भारत की सुरक्षा नीति के चार बड़े घटक हैं और अलग-अलग समयों में इन्हीं घटकों के हेर-फेर से सुरक्षा की रणनीति बनायी गई है। यथा

  1. सैन्य क्षमता को मजबूत करना: भारत की सुरक्षा नीति का पहला घटक है। सैन्य क्षमता को मजबूत करना क्योंकि भारत पर पड़ौसी देशों के सैन्य – आक्रमण होते रहे हैं। भारत ने परमाणु परीक्षण के औचित्य में भी राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क दिया है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना: भारत की सुरक्षा नीति का दूसरा घटक है- अपने हितों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कायदों और संस्थाओं को मजबूत करना। इस हेतु भारत ने एशियाई एकता, उपनिवेशीकरण का विरोध, निरस्त्रीकरण, नव अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थ की नीतियाँ अपनाई हैं।
  3. देश की आंतरिक सुरक्षा: समस्याओं से निपटना: भारत सरकार ने देश की आंतरिक सुरक्षा की समस्याओं से निबटने के लिए लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है।
  4. गरीबी और असमानता को दूर करने के प्रयास: भारत सरकार ने बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से निजात दिलाने के निरन्तर प्रयास किये हैं ताकि नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता ज्यादा न हो।

प्रश्न 7.
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले साधनों का विवेचन कीजिये।
उत्तर;
शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले साधन: शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने वाले प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं।

  1. मुआवजा या क्षतिपूर्ति: साधारणतया इसका अर्थ उस देश की भूमि को बाँटने या समामेलन से लिया जाता है जो शक्ति सन्तुलन के लिए खतरा होती है।
  2. शस्त्रीकरण तथा निःशस्त्रीकरण: प्रत्येक राष्ट्र अपने पक्ष में शक्ति सन्तुलन बनाए रखने के लिए शस्त्रीकरण पर अधिक जोर देता है। वर्तमान में शस्त्रीकरण के साथ-साथ निःशस्त्रीकरण एवं शस्त्र – नियंत्रण को भी महत्त्व दिया जाने लगा है।
  3. गठबंधन: एक गठबंधन समझौते के बाद विरोधी राष्ट्रों के समूह के बीच भी एक प्रति गठबंधन समझौता होता है। इसीलिए इसे गठबंधनों और प्रतिगठबंधनों का नाम दिया जाता है।
  4. हस्तक्षेप: कई बार कोई बड़ा देश किसी छोटे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करके वहाँ पर अपनी मित्र – सरकार स्थापित कर देता है।
  5. फूट डालो और राज करो: ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को भी शत्रु को कमजोर करने का एक बड़ा महत्त्वपूर्ण शक्ति संतुलन का साधन माना जाता है।
  6. बफर राज्य-शक्ति प्राप्त करके और इसे बनाए रखने का एक अन्य तरीका है। ऐसे तटस्थ (बफर) राज्य की स्थापना करना जो कमजोर हो और दो बड़े प्रतिद्वन्द्वी देशों के बीच में स्थित हो।
  7. सन्तुलनधारी राज्य: संतुलनधारी राज्य वह देश होता है जो दूसरे देशों की प्रतिद्वन्द्विता से दूर रहता है और एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी देश उसकी सहायता पाने की इच्छा रखते हैं। ऐसा देश प्राय: शक्ति संतुलन हेतु कमजोर राष्ट्र का साथ देता है।

प्रश्न 8.
निरस्त्रीकरण से आप क्या समझते हैं? आधुनिक युग में इसकी आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए इसके मार्ग की बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण का अर्थ: निःशस्त्रीकरण से हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियंत्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। इसका लक्ष्य उपस्थित हथियारों के प्रभाव व संख्या को घटा देना है। मॉर्गेन्थो के शब्दों में, “नि:शस्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करना है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।” निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता या महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है।

  1. विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना की दृष्टि से निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।
  2. इससे विश्व के राष्ट्र अपने धन को आर्थिक विकास के कार्यों में लगा सकते हैं।
  3. निःशस्त्रीकरण को अपनाने पर उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त होगा।
  4. विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के लिए आवश्यक है कि सभी देश मिलकर निःशस्त्रीकरण पर बल दें।
  5. बढ़ते हुए सैनिकीकरण को रोकने के लिए निःशस्त्रीकरण बहुत आवश्यक है।
  6. नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता एवं समाप्त करता है।
  7. परमाणु युद्ध के बचाव के लिए भी निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।

निःशस्त्रीकरण के मार्ग की बाधाएँ: निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधायें निम्नलिखित हैं।

  1. विश्व व्यवस्था राष्ट्रों में परस्पर अविश्वास का होना।
  2. प्रत्येक राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि महत्त्व देना।
  3. विश्व में प्रत्येक राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति बढ़ती आशंका।
  4. वर्चस्व स्थापित करने की भावना।
  5. नि:शस्त्रीकरण से बड़े देशों की कंपनियों के हथियारों के व्यापार को संकट का सामना करना पड़ता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 9.
शरणार्थी से आप क्या समझते हैं? शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण क्या है? संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में शरणार्थियों की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा के क्या प्रयास किये गये हैं?
उत्तर:
शरणार्थी से आशय:
शरणार्थी वे व्यक्ति हैं जो युद्ध, प्राकृतिक आपदा अथवा राजनीतिक उत्पीड़न के कारण अपने देश को छोड़ने पर मजबूर होते हैं और दूसरे देश में पलायन कर जाते हैं। शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण – शरणार्थी समस्या का प्रमुख कारण सशस्त्र संघर्ष और युद्ध है। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में सशस्त्र संघर्ष और युद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बने। शरणार्थी सुरक्षा एजेन्सियाँ – शरणार्थियों की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में निम्नलिखित अभिकरण कार्य कर रहे हैं।

  1. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त ने आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की. सुरक्षा और सहायता का समग्र उत्तरदायित्व ग्रहण किया है। सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में यह नागरिकों को सुरक्षित मार्ग से सुरक्षित ठिकानों पर पहुँचाता है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति: अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति जो खतरे की स्थिति में नागरिकों को निकालना, बंदियों की रिहाई, संरक्षित क्षेत्र बनाना, युद्ध विराम के लिए व्यवस्था करना आदि कार्य करती है।
  3. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व खाद्य कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन भी महिलाओं और बच्चों की सहायता करते हैं।
  4. डॉक्टर्स विदआऊट वार्ड्स और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्च्स भी देशीय विस्थापितों की सहायता करते हैं।

प्रश्न 10.
विश्वास बहाली की प्रक्रिया द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाए इस कथन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में यह बात स्वीकार की गई है विश्वास बहाली के माध्यम से देशों के बीच हिंसाचार को कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली की प्रक्रिया: विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का फैसला करते हैं। दो देश एक-दूसरे को अपने फौजी मकसद तथा एक हद तक अपनी सैन्य योजनाओं के बारे में बताते हैं। इस प्रकार ये देश अपने प्रतिद्वन्द्वी देश को इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि उनकी तरफ से किसी भी प्रकार से हमले की योजना नहीं बनायी जा रही है।

एक-दूसरे को यह भी बताते हैं कि उनके पास किस प्रकार के सैन्य बल हैं तथा इन बलों को कहाँ तैनात किया जा रहा है। इस प्रकार संक्षेप में कहें तो विश्वास बहाली की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिद्वन्द्वी देश किसी गलतफहमी या गफलत में पड़कर जंग के लिए आमादा न हो जाएँ। सुरक्षा की परंपरागत धारणा मुख्य रूप से सैन्य बल के प्रयोग अथवा सैन्य बलके प्रयोग की आशंका से संबंध है।

प्रश्न 11.
सुरक्षा की दृष्टि से खतरे के नए स्रोत पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
खतरे के नए स्रोत: सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के दो पक्ष हैं मानवता की सुरक्षा और विश्व सुरक्षा ये दोनों सुरक्षा के संदर्भ में खतरों की बदलती प्रकृति पर जोर देते हैं।
1.आतंकवाद:
आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जानबूझकर और बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को निशाना बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कई देशों में व्याप्त है तथा कई देशों के निर्दोष नागरिक इसके निशाने पर है। कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल प्रयोग अथवा बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलने का प्रयत्न करते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और आतंकवाद नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ करता है। विमान-अपहरण अथवा भीड़ भरी जगहों जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसी ही जगहों पर बम लगाना आदि आतंकवाद के उदाहरण हैं।

2. मानवाधिकार:
मानवाधिकार को तीन कोटियों में रखा गया है। पहली कोटि राजनीतिक अधिकारों की है जैसे अभिव्यक्ति और सभा करने की आजादी । दूसरी कोटि आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की है। अधिकारों की तीसरी कोटि में उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार आते हैं। इन वर्गीकरण को लेकर सहमति तो हैं लेकिन इस बात पर सहमति नहीं बन पायी है कि इनमें से किस कोटि के अधिकारों को सार्वभौम मानवाधिकारों की संज्ञा दी जाए या इन अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को क्या करना चाहिए?

3. वैश्विक निर्धनता:
खतरे का एक ओर स्रोत वैश्विक निर्धनता है। विश्व की जनसंख्या फिलहाल 760 करोड़ है और यह आँकड़ा 21वीं सदी के मध्य तक 1000 करोड़ हो जाएगी। अनुमान है कि अगले 50 सालों में दुनिया के सबसे गरीब देशों में जनसंख्या तीन गुना बढ़ेगी जबकि इसी अवधि में अनेक धनी देशों की जनसंख्या घटेगी। प्रति व्यक्ति उच्च आय और जनसंख्या की कम वृद्धि के कारण धनी देश अथवा सामाजिक समूहों को और धनी बनाने में मदद मिलती है जबकि प्रति व्यक्ति निम्न आय और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एक साथ मिलकर गरीब देशों और सामाजिक समूहों को और गरीब बनाते हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 12.
विश्व स्तर पर असमानता से किस प्रकार के खतरे उत्पन्न होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्वस्तर पर अमीरी-गरीबी की यह असमानता उत्तरी गोलार्द्ध के देशों को दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों से अलग करती है। दक्षिण गोलार्द्ध के देशों में असमानता अच्छी-खासी बढ़ी है। यहाँ कुछ देशों ने आबादी की रफ्तार को काबू कर आय को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है परंतु बाकी के देश ऐसा नहीं कर पाए हैं। उदाहरण के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा सशस्त्र संघर्ष अफ्रीका के सहारा मरुस्थल के दक्षिणवर्ती देशों में होते हैं। यह इलाका दुनिया का सबसे गरीब इलाका है। 21वीं सदी के शुरुआती समय में इस इलाके के युद्धों में शेष दुनिया की तुलना में कहीं ज्यादा लोग मारे गए। दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मौजूद गरीबी के कारण अधिकाधिक लोग बेहतर जीवन खासकर आर्थिक अवसरों की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं।

इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक मतभेद उठ खड़ा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय कायदे कानून अप्रवासी और शरणार्थी में भेद करते हैं। विश्व का शरणार्थी – मानचित्र विश्व के संघर्ष – मानचित्र से लगभग हू-ब-हू मिलता है क्योंकि दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में सशस्त्र संघर्ष और युद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बने और सुरक्षित जगह की तलाश में निकले हैं। 1990 से 1995 के बीच 70 देशों के मध्य कुल 93 युद्ध हुए और इसमें लगभग साढ़े 55 लाख लोग मारे गए। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति, परिवार और कभी-कभी पूरे समुदाय को सर्वव्याप्त भय अथवा आजीविका, पहचान और जीवन- यापन के परिवेश के नाश के कारण जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

प्रश्न 13.
महामारियों के फैलाव से विश्व में किस प्रकार के खतरे उत्पन्न होते हैं ? निबंध लिखिए।
उत्तर:
एचआईवी-एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स (सिवियर एक्यूट रेसपिटॅरी सिंड्रोम – SARS) जैसी महामारियाँ अप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य अभियानों के जरिए बड़ी तेजी से विभिन्न देशों में फैली हैं। इन बीमारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है। एक अनुमान है कि 2003 तक पुरी दुनिया में 4 करोड़ लोग एचआईवी-एड्स से संक्रमित हो चुके थे।

इसमें दो- तिहाई लोग अफ्रीका में रहते हैं जबकि शेष के 50 फीसदी दक्षिण एशिया में। उत्तरी अमरीका तथा दूसरे औद्योगिक देशों में उपचार की नई विधियों के कारण 1990 के दशक के उत्तरार्ध के वर्षों में एचआईवी एड्स से होने वाली मृत्यु की दर में तेजी से कमी आयी है परंतु अफ्रीका जैसे गरीब इलाके के लिए ये उपचार कीमत को देखते हुए आकाश- कुसुम कहे जाएँगे जबकि अफ्रीका को ज्यादा गरीब बनाने में एचआईवी-एड्स महत्त्वपूर्ण घटक साबित हुआ है।

एबोला वायरस, हैन्टावायरस और हेपेटाइटिस – सी जैसी कुछ नयी महामारियाँ उभरी हैं जिनके बारे में खास जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। टीबी, मलेरिया, डेंगू बुखार और हैजा जैसी पुरानी महामारियों ने औषधि प्रतिरोधक रूप धारण कर लिया है और इससे इनका उपचार कठिन हो गया है। जानवरों में महामारी फैलने से भारी आर्थिक दुष्प्रभाव होते हैं 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध के सालों से ब्रिटेन ने ‘मेड-काऊ’ महामारी के फैलने के कारण अरबों डॉलर का नुकसान उठाया है और बर्ड फ्लू के कारण कई दक्षिण एशियाई देशों को मुर्ग-निर्यात बंद करना पड़ा। ऐसी महामारियाँ बताती हैं कि देशों के बीच पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही हैं और राष्ट्रीय सीमाएँ पहले की तुलना में कम सार्थक रह गई हैं। इन महामारियों का संकेत है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है।

प्रश्न 14.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा भी सुरक्षा की पारंपरिक धारणा समान स्थानीय संदर्भों के अनुकूल परिवर्तनशील है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की धारणा में विस्तार करने का यह मतलब नहीं होता कि हम हर तरह के कष्ट या बीमारी को सुरक्षा विषयक चर्चा के दायरे में शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने पर सुरक्षा की धारणा में संगति नहीं रह जाती। ऐसे में हर चीज सुरक्षा का मसला हो सकती है। इसी वजह से किसी मसले को सुरक्षा का मसला कहलाने के लिए एक सर्व स्वीकृत न्यूनतम मानक पर खरा उतरना जरूरी है। उदाहरण के लिए यदि किसी मसले से संदर्भों के अस्तित्व को खतरा हो जाए तो उसे सुरक्षा का मसला कहा जा सकता है चाहे इस खतरे की प्रकृति कुछ भी हो।

उदाहरण के लिए मालदीव को वैश्विक तापवृद्धि से खतरा हो सकता है क्योंकि समुद्रतल के ऊँचा उठने से इसका ज्यादातर हिस्सा डूब जाएगा जबकि दक्षिणी अफ्रीकी देशों में एचआईवी-एड्स से गंभीर खतरा है क्योंकि यहाँ हर 6 वयस्क व्यक्ति में 1 इस रोग से पीड़ित है। 1994 की खांडा की तुन्सी जनजाति के अस्तित्व पर खतरा मंडराया क्योंकि प्रतिद्वन्द्वी हुतु जनजाति ने कुछ हफ्तों में लगभग 5 लाख तुन्सी लोगों को मार डाला। इससे पता चलता है कि सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा भी सुरक्षा की पारंपरिक धारणा के समान संदर्भों के अनुकूल परिवर्तनशील है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 15.
लोकतंत्र सिर्फ राजनीतिक आदर्श नहीं अपितु लोकतांत्रिक शासन जनता को ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने का साधन भी है। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को इस तरह विकसित करने का प्रयास किया है जिससे बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से निजात मिले और नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता ज्यादा न हो। हालांकि ये प्रयास ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं। हमारा देश अभी भी गरीब है और आर्थिक असमानता व्यापक रूप से व्याप्त है। फिर भी, लोकतांत्रिक राजनीति से ऐसे अवसर नागरिकों को उपलब्ध हो जाते हैं जिसके द्वारा गरीब और वंचित नागरिक अपनी आवाज उठा सके और अपने हक के लिए सरकार से माँग कर सकें। लोकतांत्रिक सरकार लोकतंत्र की रीति से निर्वाचित होती है जिसके कारण सरकार के ऊपर दबाव होता है कि वह आर्थिक संवृद्धि को मानवीय विकास का सहगामी बनाए। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र सिर्फ राजनीतिक आदर्श नहीं है; लोकतांत्रिक शासन जनता को ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने का साधन भी है।

प्रश्न 16.
पारंपरिक और अपारंपरिक धारणा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

पारंपरिक धारणा अपारंपरिक धारणा
(1) पारंपरिक सुरक्षा सैन्य उपयोग के खतरे से संबंधित है। (1) अपारंपरिक सुरक्षा सैन्य खतरों से इतर है। इसमें वो शामिल हैं जो मानव अस्तित्व को खतरे में डालते हैं।
(2) इस सुरक्षा के लिए पारंपरिक खतरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के मुख्य मूल्यों को खतरे में डालते हैं। (2) गैर पारंपरिक सुरक्षा राज्य की तुलना में मानव को खतरे में डालती है।
(3) पारंपरिक अवधारणा के तहत सैन्य बल पर जोर दिया जाता है। (3) अपारंपरिक सुरक्षा में सैन्य बल का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है।
(4) सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में माना जाता है कि किसी देश की सुरक्षा को ज्यादातर खतरा उसकी सीमा के बाहर से होता है। (4) अपारंपरिक धारणा में खतरा सामान्य वातावरण है।

Leave a Comment