Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए-
(i) विद्युत धारा
(ii) विभवान्तर
(iii) प्रतिरोध
(iv) विद्युत वाहक बल।
उत्तर:
(i) विद्युत आवेश विद्युत आवेशित कणों के किसी निश्चित दिशा में गति को विद्युत धारा कहते हैं। किसी चालक में विद्युत धारा का मान चालक से होकर प्रवाहित आवेश की मात्रा प्रति एकांक समय के बराबर होता है।
(ii) दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर, एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में आवेशित कणों द्वारा किये गये कार्य प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।
(iii) किसी चालक में विद्युत धारा के प्रवाह से उत्पन्न विभवान्तर एवं प्रवाहित धारा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
(iv) किसी विद्युत-सेल द्वारा सम्पूर्ण परिपथ में आवेश के प्रवाह हेतु दी गयी ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को विद्युत वाहक बल कहते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित के मात्रक लिखिए-
(i) विद्युत आवेश
(ii) विद्युत धारा
(iii) विभवान्तर
(iv) प्रतिरोध
(v) विद्युत वाहक बल
उत्तर:
(i) कूलॉम (coulomb)
(ii) एम्पियर (ampere)
(iii) वोल्ट (volt)
(iv) ओम (ohm)
(v) वोल्ट (volt)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित राशियों का सम्बन्ध सूत्र के रूप में लिखिए-
(i) विद्युत धारा तथा प्रवाहित आवेश
(ii) विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध
(iii) सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा तथा विद्युत वाहक बल
(iv) श्रेणी क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा सम्पूर्ण प्रतिरोध,
(v) समान्तर क्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध
उत्तर:
(i) विद्युत धारा तथा प्रवाहित आवेश-
विद्युत धारा x समय (q = it)
(ii) विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध-
विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध (V = i. R)
(iii) सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा तथा विद्युत वाहक
दी गयी ऊर्जा = विद्युत्-वाहक बल x प्रवाहित आवेश (E = e.q)
(iv) श्रेणी क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा सम्पूर्ण प्रतिरोध –
सम्पूर्ण प्रतिरोध R = r1 + r2
(v) समान्तर क्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध-
यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो \(\frac{1}{R}+\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}+\frac{1}{r_3}\)
प्रश्न 4.
विद्युत धारा नापने के यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
एमीटर (Ammeter)
प्रश्न 5.
विभवान्तर नापने के यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
वोल्टमीटर (Voltmeter)।
प्रश्न 6.
यदि किसी चालक में प्रवाहित धारा ऐम्पियर तथा चालक के सिरों का विभवान्तर V वोल्ट हो तो चालक का प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
प्रतिरोध R = \(\frac { V }{ i }\) ओम।
प्रश्न 7.
किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान-
(i) घटाने के लिए
(ii) बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त प्रतिरोधक किस क्रम में जोड़िएगा?
उत्तर:
(i) श्रेणीक्रम में (सम्पूर्ण प्रतिरोध बढ़ने से धारा घटेगी।
(ii) समान्तर क्रम में (सम्पूर्ण प्रतिरोध घटने से धारा बढ़ेगी)।
प्रश्न 8.
किसी परिपथ में विद्युत-सेल का कार्य क्या है?
उत्तर:
विद्युत-सेल परिपथ में आवेश को प्रवाहित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है।
प्रश्न 9.
किसी चालक में प्रवाहित धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) चालक के सिरों का विभवान्तर आधा कर दिया जाए?
(ii) समान प्रतिरोध को ही एक और चालक श्रेणी क्रम में जोड़ दिया जाए?
(iii) समान प्रतिरोध का चालक समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाए?
उत्तर:
(i) धारा का मान आधा हो जाएगा (i ∝ V)
(ii) धारा कम हो जायेगी (प्रतिरोध बढ़ जाएगा)
(iii) धारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा (प्रत्येक समान्तर की अपनी धारा अलग होती है।)
प्रश्न 10.
किसी चालक के विभवान्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) चालक में प्रवाहित धारा दो गुनी कर दी जाए?
(ii) चालक का प्रतिरोध आधा कर दिया जाए?
(iii) चालक के समान्तर क्रम में एक और प्रतिरोध जोड़ दिया जाए जाए?
उत्तर:
(i) विभवान्तर दो गुना हो जायेगा (V ∝ i)।
(ii) विभवान्तर आधा रह जायेगा (V ∝ R)।
(iii) कोई प्रभाव नहीं (समान्तर क्रम में दोनों प्रतिरोधों के विभवान्तर सेल के ही बराबर होंगे)।
प्रश्न 11.
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के आवेशों में क्या समानता तथा क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
समानता- दोनों के आवेश की मात्राएँ समान होती हैं (1.6 x 10-19 कूलॉम)।
अन्तर-
- प्रोटॉन धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित होता है।
- प्रोटॉन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से बहुत अधिक (लगभग 1840 गुना) होता है।
प्रश्न 12.
विद्युत ऊर्जा के किन्हीं दो स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत-सेल, विद्युत जनित्र (Generator) अथवा डायनमों (Dynamo)।
प्रश्न 13.
परमाणु में उपस्थित आवेशित मूल कणों के नाम तथा आवेश की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
प्रोटॉन- धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन – ऋणावेशित।
प्रश्न 14.
इलेक्ट्रॉन के आवेश की मात्रा S.I. मात्रक में लिखिए।
उत्तर:
1.6 x 10-19 कूलॉम।
प्रश्न 15.
मूल आवेश क्या होता है? इसका मान कूलॉम में लिखिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन अथवा प्रोटॉन के आवेश की मात्रा को मूल आवेश (Elementary charge) कहते हैं। इसका मान 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।
प्रश्न 16.
‘ऐम्पियर’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यदि परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो समान्तर चालकों में समान विद्युत धाराएँ प्रवाहित करने पर, चालकों की प्रति मीटर लम्बाई पर 2.0 x 10-7 न्यूटन का प्रतिकर्षण / आकर्षण बल लगे तो चालकों प्रवाहित धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है।
प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में बताइए-
(i) बिन्दुओं B तथा C का विभवान्तर, जबकि इनके बीच कोई चालक नहीं हो।
(ii) यदि B एवं C को एक शून्य प्रतिरोध के चालक से जोड़ दिया जाय तो
(क) A एवं B
(ख) B एवं C तथा
(ग) C एवं D के बीच विभवान्तर।
अपने उत्तरों का तर्क भी दीजिए।
उत्तर:
(i) बिन्दुओं B तथा C के बीच विभवान्तर = 6 वोल्ट।
(ii) B एवं C को शून्य प्रतिरोध के चालक से जोड़ने पर परिपथ का कुल प्रतिरोध = 2 + 1 = 3 Ω
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा i = \(\frac { V }{ R }\) = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 एम्पियर।
- A एवं B के बीच विभवान्तर V = i x R से V = 2 x 2 = 4 वोल्ट।
- B एवं C के बीच विभवान्तर शून्य होगा क्योंकि B और C का प्रतिरोध शून्य है।
- C एवं D के बीच विभवान्तर = 2 x 1 = 2 वोल्ट।
प्रश्न 18.
विद्युत आवेशन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने पर उन पर घर्षण के कारण समान मात्रा में एक-दूसरे से विपरीत आवेश उत्पन्न होते हैं, उसे विद्युत आवेश कहते हैं?
प्रश्न 19.
ओम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी चालक के सिरों पर एक वोल्ट विभवान्तर लगाने पर चालक में एक ऐम्पियर धारा बहने लगे तो उसका प्रतिरोध एक ओम कहलाता है।
प्रश्न 20.
एकांक आवेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक कूलॉम वह आवेश है जो अपने ही बराबर एवं सजातीय आवेश से हवा या निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर रखने पर उस पर 9 x 109 न्यूटन प्रतिकर्षण बल आरोपित करता है।
प्रश्न 21.
फ्यूज तार का क्या उपयोग है?
उत्तर:
फ्यूज तार का उपयोग विद्युत परिपथ में सुरक्षा युक्ति के रूप में किया जाता है तो परिपथ में स्वीकृत सीमा अधिक धारा प्रवाहित होने पर गर्म होकर पिघल जाता है, फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है।
प्रश्न 22.
प्रतिरोध से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिरोध से अभिप्राय किसी चालक द्वारा विद्युत प्रवाह में डाली गयी उस रुकावट से है जिसका परिमाण उसके सिरों पर आरोपित विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा I के अनुपात के बराबर होता है।
प्रश्न 23.
विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव क्या है?
उत्तर:
विद्युत धारा के प्रवाह से किसी चालक के ताप बढ़ने की घटना को धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 24.
किसी बिन्दु आवेश के लिए विद्युत विभव का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
उस बल की प्रकृति क्या होगी, जो दो विपरीत आवेशों के बीच लगाया जा रहा हो?
उत्तर:
दो विपरीत आवेशों के बीच लगने वाला बल आकर्षण प्रकृति का होगा।
प्रश्न 26.
विद्युत क्षेत्र किसे कहते हैं? इसकी तीव्रता परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र – किसी विद्युत आवेश अथवा आवेश समुदाय के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ विद्युत प्रभाव अनुभव किया जा सके विद्युत क्षेत्र कहलाता है।
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता – किसी विद्युत क्षेत्र में (जो कि बिन्दु आवेश q द्वारा उत्पन्न हुआ है) किसी भी बिन्दु पर रखे एकांक आवेश पर बिन्दु आवेश q के कारण लगने वाला बल उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहलाता है।
प्रश्न 27.
1 वाट विद्युत शक्ति क्या है?
उत्तर:
यदि किसी परिपथ में 1 जूल प्रति सेकण्ड की दर से ऊर्जा क्षय हो रहा हो, परिपथ की विद्युत् शक्ति 1 वाट कहलाती है।
प्रश्न 28.
दो चालक प्रतिरोधक जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध R ओम है श्रेणी क्रम में जोड़े गए हैं। कुल प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
दिया है, R1 = R एवं R2 = R
∵ श्रेणी क्रम में संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
Rs = R1 + R2
= R+ R
∴ Rs = 2R
अतः श्रेणी क्रम में जोड़े गए दो मात्रक प्रतिरोध जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध R है, का तुल्य प्रतिरोध 2R होगा।
प्रश्न 29.
क्या कारण है कि बिजली के तार ऐलुमिनियम के बनाए जाते हैं?
उत्तर:
एल्युमीनियम धातु में अन्य धातुओं की तुलना में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है तथा इसका प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे इसमें विद्युत चालन शीघ्रता से सम्भव होता है। इसलिए बिजली के तार एल्युमीनियम से बनाए जाते हैं।
प्रश्न 30.
किसी चालक में विद्युत धारा का प्रवाह किस प्रकार होता है?
उत्तर:
किसी चालक में विद्युत धारा का प्रवाह आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन के माध्यम से होता है।
प्रश्न 31.
विद्युत धारा का मात्रक क्या है? परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है। विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से एक सेकण्ड में प्रवाहित इलेक्ट्रॉन की संख्या 6.25 x 1018 होती है तब उस परिपथ में विद्युत धारा की सामर्थ्य एक ऐम्पियर कहलाती है।
प्रश्न 32.
विद्युत आवेशन किन वस्तुओं में पाया जाता है?
उत्तर:
विद्युत आवेशन उन वस्तुओं में पाया जाता है जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं जो घर्षण अथवा अन्य विधियों से आसानी से निकाला जा सकता है।
प्रश्न 33.
विद्युत आवेश कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं-
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परमाणु संरचना के आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार बताइए कि किसी धनावेशित, ऋणावेशित तथा उदासीन वस्तु में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार, पदार्थ के परमाणुओं की संरचना तीन प्रकार के मूल कणों से होती है-
- ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन
- धनावेशित प्रोटॉन तथा
- उदासीन न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के आवेश की मात्राएँ परस्पर समान होती हैं। सामान्य दशा में किसी परमाणु, अणु अथवा किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्याएँ परस्पर बराबर होती हैं। अतः इस दशा में वस्तु का सम्पूर्ण आवेश शून्य रहता है तथा वस्तु उदासीन रहती है।
यदि किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, कुछ इलेक्ट्रॉनों के निकल जाने के कारण, प्रोटॉनों की संख्या से कम हो जाती है तो वस्तु में सम्पूर्ण धनावेश की मात्रा सम्पूर्ण ऋणावेश की मात्रा से अधिक हो जाती है अर्थात् वस्तु धनावेशित हो जाती है।
इसके विपरीत यदि किसी वस्तु में कुछ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों के आ जाने के कारण इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से अधिक हो जाती है तो वस्तु में सम्पूर्ण ऋणावेश की मात्रा सम्पूर्ण धनावेश की मात्रा से अधिक हो जाती है अर्थात् वस्तु ऋणावेशित हो जाती है।
सारांश यह है कि यदि वस्तु में इलेक्ट्रॉनों एवं प्रोटॉनों की संख्याएँ क्रमश: Ne तथा Np हों तो
धनावेशित वस्तु में Ne < Np
ऋणावेशित वस्तु में Ne > Np
उदासीन वस्तु में Ne = Np।
प्रश्न 2.
‘धारा की तीव्रता से क्या तात्पर्य है? आवश्यक सूत्र देकर समझाइए।
उत्तर:
विद्युत आवेश प्रवाह की समय दर को विद्युत धारा की तीव्रता (Intensity of electric current) कहते हैं। सामान्यतः इसे केवल विद्युत धारा भी कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में, किसी चालक में विद्युत धारा की माप उस चालक की किसी अनुप्रस्थ काट से होकर प्रति सेकण्ड प्रवाहित विद्युत आवेश से की जाती है अतः यदि किसी चालक की अनुप्रस्थ काट A से होकर समय में आवेश की मात्रा प्रवाहित हो तो विद्युत धारा-
प्रश्न 3.
‘धारा’ के मात्रक की परिभाषा लिखिए तथा इसके द्वारा, आवेश का मात्रक निगमित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक (Unit of Elec tric Current) – मापन की SI प्रणाली में विद्युत धारा को मूल राशि माना गया है, जिसका मूल मात्रक ऐम्पियर (ampere) है। इसका प्रतीक A है ऐम्पियर की परिभाषा विद्युत चुम्बकीय बल के आधार पर निम्नवत् दी जाती है-
“1 ऐम्पियर तीव्रता की विद्युत धारा वह होती है, जिसे, परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो समान्तर चालकों में प्रवाहित करने पर, चालकों की प्रति मीटर लम्बाई पर 2 x 10-7 न्यूटन का प्रतिकर्षण अथवा आकर्षण बल उत्पन्न होता है।
विद्युत आवेश का S.I. मात्रक-
∵ आवेश धारा x समय
अतः आवेश का मात्रक धारा का मात्रक x समय का मात्रक = ऐम्पियर x सेकण्ड अथवा ऐम्पियर सेकण्ड आवेश के इस मात्रक को कलॉम (coulomb) कहते हैं – अर्थात् 1 कूलॉम = 1 ऐम्पियर सेकण्ड।
प्रश्न 4.
‘विद्युत चालक’, ‘विद्युत रोधी’ तथा ‘अर्द्ध-चालक’ में व्यावहारिक अन्तर बताइए। प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसे पदार्थ जिनमें होकर विद्युत आवेश एक सिरे से दूसरे सिरे तक चला जाता है। विद्युत चालक कहलाते हैं। पृथ्वी पर सभी धातुएँ तथा अम्लों, क्षारों एवं लवणों के जलीय विलयन विद्युत चालक होते हैं। इनके विपरीत ऐसे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत् आवेश को एक सिरे से दूसरे सिरे तक नहीं जाने देते अथवा जिनमें से होकर आवेश का स्थानान्तरण नहीं होता है, विद्युत- अचालक अथवा विद्युतरोधी (Insulator) कहलाते हैं।
रबड़, अभ्रक, सूखी लकड़ी, प्लास्टिक, काँच, चीनी मिट्टी, लाख, कागज आदि [शुद्ध आसुत जल (distilled water) भी विद्युत का कुचालक होता है परन्तु इसमें थोड़ा-सा अम्ल, क्षार अथवा लवण मिलाने पर यह विद्युत चालक की भाँति कार्य करता है। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी पदार्थ होते हैं जो सामान्यतः अचालक की भाँति व्यवहार करते हैं परन्तु विशेष भौतिक परिस्थितियों (special physical conditions) जैसे उच्च ताप पर अथवा अशुद्धियों की उपस्थिति में चालक की भाँति व्यवहार करते हैं, इन्हें अर्द्धचालक (semi-conductor) कहते हैं, जैसे सिलिकॉन तथा जर्मेनियम।
प्रश्न 5.
विभवान्तर की परिभाषा लिखिए तथा मात्रक निगमित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत विभवान्तर (Electric Potential)- जब किसी चालक में विद्युत धारा बह रही होती है, उस समय चालक में गति कर रहे मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते रहते हैं, जिससे उनकी गति में बाधा उत्पन्न होती है। इस बाधा के विरुद्ध अपनी गति को बनाये रखने के लिए इलेक्ट्रॉनों को कार्य करना पड़ता है।
“किसी चालक में एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करने में एकांक आवेश द्वारा किये गये कार्य को विभवान्तर द्वारा “किसी चालक में दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर उन बिन्दुओं के बीच गति करने में प्रति एकांक आवेश द्वारा किये गये कार्य के बराबर होता है।” अर्थात् यदि एक बिन्दु व्यक्त किया जाता है। से दूसरे बिन्दु तक आवेश द्वारा गति करने में किया गया कार्य W हो तो इन बिन्दुओं के बीच
अर्थात् यदि दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश स्थानान्तरित करने में किया गया कार्य 1 जूल हो तो उन बिन्दुओं का विभवान्तर 1 वोल्ट होता है।
प्रश्न 6.
ओम का नियम लिखिए तथा इसकी सहायता से प्रतिरोध का अर्थ समझाइए।
अथवा
ओम के नियम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ओम का नियम-“यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थायें अपरिवर्तित रहें तो उसके सिरों का विभवान्तर चालक में बहने वाली धारा की प्रबलता के समानुपाती होता है।”
ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर (V) उसमें प्रवाहित धारा (i) के समानुपाती होती है। अतः
V ∝ i
या
V = Ri
यहाँ R एक समानुपाती स्थिरांक है। इसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
अतः किसी चालक का प्रतिरोध, उस चालक के परमाणुओं द्वारा चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति में उत्पन्न बाधा को व्यक्त करता है।
R = \(\frac { V }{ i }\)
प्रश्न 7.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
चालक के प्रतिरोध की निर्भरता (Depen-dency of Resistance of Conductors)- किसी चालक तार का प्रतिरोध, तार की
- लम्बाई,
- अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल,
- तार के पदार्थ, तथा
- ताप पर निर्भर करता है।
(i) तार की लम्बाई पर किसी चालक तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है,
R ∝ I
अर्थात् तार जितना लम्बा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
(ii) तार के क्षेत्रफल पर किसी चालक तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ 1/A
अर्थात् तार जितना मोटा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा।
(iii) तार के पदार्थ पर यदि विभिन्न पदार्थों के तार समान लम्बाई (l) एवं समान अनुप्रस्थ काट (A) के खींचे जायें तो चालक तारों का प्रतिरोध अलग-अलग होता है।
(iv) इसके अतिरिक्त चालक पदार्थों का प्रतिरोध ताप पर भी निर्भर करता है तथा ताप बढ़ाने बढ़ता है।
प्रश्न 8.
किसी सेल के ‘विद्युत वाहक बल’ का अर्थ आवश्यक सूत्र देकर बताइए। इसका मात्रक क्या है? विद्युत वाहक बल तथा विभवान्तर में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् सेल का विद्युत्-वाहक बल (Electro Motive Force of Electric Cell) किसी चालक में गतिमान मुक्त इलेक्ट्रॉनों को चालक के परमाणुओं द्वारा उत्पन्न बाधा के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है, जिससे उनकी ऊर्जा का ह्रास होता है। इससे स्पष्ट है कि चालक में विद्युत धारा का प्रवाह बनाये रखने के लिए, मुक्त इलेक्ट्रॉनों ऐसे किसी स्रोत को, जो किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा को किसी स्रोत से ऊर्जा देते रहना आवश्यक होगा।
ऐसे किसी स्रोत को, जो किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा को रूपान्तरित करके विद्युत् आवेश के प्रवाह हेतु आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति कर सके, विद्युत वाहक बल का स्रोत कहते हैं। विद्युत सेल भी विद्युत वाहक बल का एक स्रोत है। अतः विद्युत-सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
यदि किसी सम्पूर्ण बन्द परिपथ में कूलॉम आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल से W जूल ऊर्जा प्राप्त हो, तो सेल का विद्युत-वाहक-बल
विभवान्तर की भाँति विद्युत वाहक बल का भी मात्रक वोल्ट है।
अतः किसी सेल का विद्युत वाहक- बल, सम्पूर्ण परिपथ में आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।
किसी सेल से परिपथ को दी गयी सम्पूर्ण विद्युत् ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को सेल का विद्युत्-वाहक बल कहते हैं- जबकि परिपथ में किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच धारा प्रवाहित होने में व्यय हुई विद्युत् ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को उन बिन्दुओं का विभवान्तर कहते हैं।
प्रश्न 9.
अलग-अलग परिपथ आरेख बनाकर बताइए कि किसी प्रतिरोधक में- (i) प्रवाहित धारा, (ii) उत्पन्न विभवान्तर की माप किस प्रकार की जाती है? दोनों मापक उपकरणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) किसी प्रतिरोध में प्रवाहित धारा नापने के लिए आवश्यक है कि प्रतिरोध में प्रवाहित धारा, एमीटर से
भी प्रवाहित हो। अतः परिपथ में एमीटर को, उस प्रतिरोधक के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है जिसमें प्रवाहित धारा की माप करनी हो।
(ii) विभवान्तर की माप वोल्टमीटर (Voltmeter) से की जाती है। यह एक उच्च प्रतिरोध का धारामापी होता है तथा इसके डायल पर बने विक्षेपमापक पैमाने को विभवान्तर के मात्रक वोल्ट में अंशांकित किया होता है।
किसी परिपथ में जिन दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापना होता है, वोल्टमीटर के टर्मिनलों को उन बिन्दुओं से सीधे जोड़ा जाता है। इस प्रकार वोल्टमीटर उन बिन्दुओं के बीच जुड़े प्रतिरोधक या परिपथ के समान्तर क्रम में होता है।
प्रश्न 10.
दो प्रतिरोधकों r1 तथा r2 को-
(i) श्रेणी क्रम में,
(ii) समान्तर क्रम में एक विद्युत-सेल से जोड़ने का परिपथ आरेख बनाइए। दोनों में समतुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
(i) श्रेणी क्रम में समतुल्य प्रतिरोध के लिए
(ii) समान्तर क्रम में समतुल्य प्रतिरोध के लिए
प्रश्न 11.
निम्नलिखित का कारण लिखिए-
(i) धातुएँ उत्तम विद्युत चालक होती हैं।
(ii) काँच विद्युत अचालक होता है।
(iii) किसी चालक की धारा नापने के लिए एमीटर को चालक के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
(iv) किसी परिपथ में एक और प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़ने पर परिपथ की धारा कम हो जाती है।
(v) किसी परिपथ में समान्तर क्रम में अतिरिक्त प्रतिरोध जोड़ने पर परिपथ की सम्पूर्ण धारा बढ़ जाती है।
उत्तर:
(i) धातुओं में परमाणुओं से मुक्त हुए कुछ इलेक्ट्रॉन उपलब्ध रहते हैं जो स्वतंत्र रूप से गति कर सकने के कारण आवेश वाहक का कार्य करते हैं। अतः धातुएँ उत्तम विद्युत चालक होती हैं।
(ii) काँच अधातु है इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं होते। अतः यह अचालक होता है।
(iii) एमीटर का पाठ्यांक उसमें होकर प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। इसके लिए आवश्यक है कि चालक में प्रवाहित सम्पूर्ण धारा एमीटर से होकर प्रवाहित हो। चूँकि श्रेणीक्रम में जुड़े सभी उपकरणों में धारा समान होती है, अतः एमीटर को चालक के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
(iv) परिपथ में अतिरिक्त प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़ने पर परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध बढ़ जाता है। चूँकि ओम के नियम के अनुसार परिपथ में धारा, उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है, प्रतिरोध बढ़ने से धारा कम होती है।
(v) समान्तर क्रम के नियम \(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}\) अनुसार परिपथ में समान्तर क्रम में अतिरिक्त प्रतिरोध जोड़ने पर परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध कम हो जाता है। अतः ओम के नियम (i = \(\frac { V }{ R }\)) के अनुसार, सम्पूर्ण धारा का मान बढ़ जाता है।
प्रश्न 12.
विद्युत परिपथ में विद्युत-सेल का क्या कार्य है? इसके ‘विद्युत वाहक बल’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत-सेल ऐसी युक्ति है जो उसमें प्रयुक्त पदार्थों की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है तथा यह ऊर्जा परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए आवश्यक ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है। अतः विद्युत परिपथ में विद्युत सेल ऊर्जा का स्रोत है।
सम्पूर्ण परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए सेल द्वारा दी गयी “ऊर्जा प्रति एकांक आवेश” को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं।
प्रश्न 13.
विभवान्तर का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर:
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर एकांक धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य के बराबर होता है।
यदि किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर V वोल्ट है, तो q कूलॉम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य W होगा-
W = qV जूल
विभवान्तर का मात्रक विभवान्तर का मात्रक जूल/कूलॉम या वोल्ट है।
प्रश्न 14.
किसी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मापन उस बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश पर लगने वाले बल और परीक्षण धन आवेश के अनुपात के बराबर होता है।
यदि विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश q0 पर विद्युत क्षेत्र के कारण लगने वाला बल F हो तो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E का माप होगा-
E = \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{q}_0}\)
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का SI मात्रक न्यूटन / कूलॉम अथवा NC-1 है।
प्रश्न 15.
किसी धातु के विलगित गोले को धनावेश दिया जाता है तो इसके दुव्यमान पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर:
किसी धातु के विलगित गोले को धनावेश दिया जाता है तो इसका द्रव्यमान घटेगा क्योंकि इलेक्ट्रॉन के निकल जाने के कारण धनावेशित होता है।
प्रश्न 16.
वे कौन-सी परिस्थितियाँ हैं जिनमें ओम का नियम लागू नहीं होता है?
उत्तर:
निम्नलिखित परिस्थितियों में ओम का नियम लागू नहीं होता है-
- जब धारा का मान अत्यधिक हो।
- जब मात्रक असमांगी हो
- जब चालक विभिन्न पदार्थों से मिलकर बना हो।
प्रश्न 17.
जब प्रतिरोधों का संयोजन श्रेणी क्रम में किया जाता है तो तुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखते हुए परिपथ का आरेख बनाइये।
उत्तर:
यदि तीन प्रतिरोध क्रमश: R1R2 R3 श्रेणी क्रम में संयोजित किये गये हों तो उनका तुल्य प्रतिरोध R होगा-
R = R1 + R2 + R3
श्रेणी क्रम संयोजन हेतु विद्युत परिपथ का आरेख –
प्रश्न 18.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(i) अतिभारण
(ii) ऐम्पियर
(iii) प्रतिरोधों का समांतर संयोजन।
उत्तर:
(i) अतिभारण- किसी विद्युत परिपथ में वह रही धारा का परिमाण उसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की शक्ति पर निर्भर करता है। यदि उपकरण की कुल शक्ति इस स्वीकृत सीमा से बढ़ जाती है तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचने लगते हैं, इसे अतिभारण कहते हैं। अतिभारण से बचने के लिए विद्युत परिपथ में इस्तेमाल के लिए तारों का चुनाव इस प्रकार किया जाना चाहिए कि उनमें किसी अधिकतम परिपथ तक की धारा बिना किसी हानि के प्रवाहित हो। इसके अतिरिक्त परिपथों को विभिन्न भागों में बाँट देना चाहिए एवं प्रत्येक भाग में उचित क्षमता का फ्यूज तार लगाया जाना चाहिए।
(ii) ऐम्पियर-किसी विद्युत परिपथ में विद्युत आवेश का प्रवाह किस परिमाण में हो रहा है, का मापन ऐम्पियर द्वारा किया जाता है। यह विद्युत धारा सामर्थ्य का मात्रक है। किसी परिपथ में जब एक कूलॉम आवेश एक सेकण्ड में प्रवाहित होता है तब विद्युत धारा की सामर्थ्य एक ऐम्पियर कहलाती है।
(iii) प्रतिरोधों का समान्तर संयोजन-दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को समांतर क्रम में संयोजित करने के लिए सभी प्रतिरोधों का एक सिरा एक बिन्दु पर, दूसरा सिरा दूसरे बिन्दु पर मिले ताकि हर प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर वही होता है जो तुल्य प्रतिरोध के सिरों पर होता है।
चित्र में तीन प्रतिरोध R1R2 और R3 समांतर क्रम में संयोजित हैं जिनके सिरों A व B के बीच विभवान्तर V है, परिपथ बहने वाली धारा I है जो सिरे A पर तीन भागों में I1, I2 व I3 में विभाजित हो जाती है।
इस प्रकार समांतर क्रम में संयोजन का तल्य प्रतिरोध R की गणना निम्न सूत्र से की जा सकती है।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)
इस प्रकार के संयोजन का तुल्य प्रतिरोध संयोजित न्यूनतम प्रतिरोध से भी कम होता है।
प्रश्न 19.
किसी चालक में विद्युत ‘बहने पर वह गर्म क्यों हो जाता है? कारण लिखिए।
उत्तर:
एक धात्विक चालक में अत्यधिक संख्या में यादृच्छिक गति करते हुए मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। जब इस चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉन की उसके परमाणुओं से टक्कर होती है जिनमें इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का अधिकांश भाग परमाणुओं को स्थानान्तरित हो जाता है। इससे चालक की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ती है और इसके कारण चालक का ताप बढ़ जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘विद्युत धारा’ से क्या तात्पर्य है? किसी धातु में विद्युत आवेश का प्रवाह किस रूप में होता है?
उत्तर:
विद्युत धारा (Electric Current) – विद्युत-आवेश के प्रवाह अर्थात् विद्युत आवेशित कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन आयन आदि) के किसी निश्चित दिशा में गति करने को विद्युत धारा कहते हैं।
धातुओं में विद्युत-आवेश का प्रवाह (Flow of Electric Charge in Metals)-धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि धातु के सभी भागों में समान रूप से वितरित रहते हैं। ये धातु के अन्दर सभी दिशाओं में अनियमित गति करते हैं, परन्तु इनके गति करते रहने पर भी इलेक्ट्रॉनों की माध्य स्थिति में कोई अन्तर नहीं पड़ता। किसी बाह्य बल के अभाव में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का सामूहिक रूप से कोई स्थानान्तरण नहीं होता है (चित्र (क))।
मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर बाहरी बल लगाने पर इलेक्ट्रॉन अनियमित गति के साथ-साथ बल की दिशा में भी आगे बढ़ते जाते हैं अर्थात् बल की दिशा में उनका स्थानान्तरण भी होता है तथा धातु के मुक्त इलेक्ट्रॉन बल की दिशा में सामूहिक रूप से स्थानान्तरित भी होते हैं। इलेक्ट्रॉन पर विद्युत आवेश होने के कारण, विद्युत आवेश का स्थानान्तरण होता है जिसे विद्युत आवेश का प्रवाह अथवा विद्युत-धारा कहते हैं।
अतः धातुओं में विद्युत आवेश का प्रवाह, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की नियमित गति के रूप में होता है।
प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि धातुएँ विद्युत्- चालक तथा अधातुएँ अचालक क्यों होती हैं?
उत्तर:
विद्युत आवेशित कणों की स्थानान्तरीय गति को विद्युत धारा कहते हैं अर्थात् ऐसे पदार्थ जिनमें विद्युत आवेश की गति हो सके, विद्युत चालक होते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि पदार्थ में विद्युत आवेश कण मुक्त रूप से गति करने के लिए उपलब्ध हों। यदि पदार्थ में मुक्त आवेशित कण उपलब्ध न हों तो पदार्थं अचालक होगा।
धातुएँ विद्युत चालक क्यों होती हैं? (Why Metals Electric Conductor?) विद्युत चालन के इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त के अनुसार, किसी धातु-खण्ड धातु के परमाणुओं से कुछ इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं तथा परमाणुओं बीच के रिक्त स्थान में स्वतन्त्रतापूर्वक, अनियंत्रित अथवा यादृच्छ गति (Random motion) करते रहते हैं (चित्र (क))। इस प्रकार की गति से इलेक्ट्रॉनों का किसी दिशा में भी कुल विस्थापन शून्य रहता है। इन स्वतन्त्र गति करते हुए इलेक्ट्रॉनों को मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electrons) कहते हैं।
अब यदि धातु खण्ड का एक सिरा धनावेशित तथा दूसरा सिरा ऋणावेशित कर दिया जाय तो ऋणावेशित मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत-आकर्षण के कारण चालक के धनावेशित सिरे की ओर नियमित गति करने लगते हैं। इससे चालक वस्तु में ऋणावेशित सिरे से धनावेशित सिरे की ओर मुक्त इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन (प्रवाह) होता है, जिसे विद्युत धारा कहते हैं।
इलेक्ट्रॉन के अलग हो जाने से अवशेष परमाणु धनावेशित रहता है, परन्तु ठोस धातु के दृढ़ता से अपने स्थान से बँधे रहने के कारण गति नहीं कर सकता (चित्र (ख))। इस प्रकार धातुएँ, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपलब्धता के कारण विद्युत् चालक होती हैं।
अधातुएँ अथवा अन्य अचालक पदार्थों में परमाणुओं अथवा अणुओं से इलेक्ट्रॉन सामान्यतः अलग नहीं हो पाते। अतः मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनुपलब्धता के कारण ऐसे पदार्थ अचालक होते हैं।
प्रश्न 4.
‘विभवान्तर’ से क्या तात्पर्य है? किसी चालक में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर में क्या सम्बन्ध होता है? आवश्यक नियम तथा सूत्र देकर समझाइए।
उत्तर:
उत्तर-विभवान्तर (Potential Difference)जब किसी चालक जैसे धात्वीय तार में विद्युत-धारा बहती है, तो धातु में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन अपनी यादृच्छ गति (Random motion) के साथ-साथ एक निश्चित दिशा में भी गति करते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉनों को नियमित गति की गतिज ऊर्जा विद्युत्-वाहक-बल के किसी स्रोत (जैसे विद्युत् सेल या डायनमो) से प्राप्त होती है।
मुक्त इलेक्ट्रॉन गति करते समय धातु के परमाणुओं से टकराते रहते हैं। चूँंकि इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा परमाणुओं का द्रव्यमान बहुत अधिक होता है, टकराने पर इलेक्ट्रॉन की लगभग समस्त गतिज ऊर्जा, परमाणु को स्थानान्तरित हो जाती है। अब इलेक्ट्रॉन स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत-क्षेत्र से पुनः ऊर्जा प्रदान करके आगे बढ़ता है।
इस प्रकार चालक से होकर विद्युत्-धारा बहने में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का निरन्तर क्षय होता रहता है। यदि चालक के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच गति करने में इलेक्ट्रानों की गति ऊर्जा का क्षय W तथा बिन्दुओं के बीच प्रवाहित आवेश q हो तो, इन बिन्दुओं के बीच
गतिज ऊर्जा का क्षय (W), उस कार्य के बराबर होता है जो गति करने वाले आवेशित कर्णो (जैसे मुक्त इलेक्ट्रॉनों) द्वारा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में किया जाता है।
अतः दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में आवेशित कणों के द्वारा किये गये कार्य प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।
चालक में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर में सम्बन्ध (Relation between Potential Difference and Flowing Current in Conductors)
प्रयोगों द्वारा यह पाया जाता है कि “किसी चालक में धारा प्रवाहित करने से चालक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर चालक में प्रवाहित धारा की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है।”
इस नियम के अन्वेषक वैज्ञानिक ओम (Ohm) के नाम पर इसे ओम का नियम (Ohm’s Law) कहते हैं। इसके अनुसार, यदि चालक में प्रवाहित धारा की तीव्रता तथा चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V हो,
तो V ∝ i
अथवा V = Ri
‘R’ समानुपातिक नियतांक है। इसे चालक का विद्युत प्रतिरोध (electrical resistance) अथवा संक्षेप में प्रतिरोध (resistance) कहते हैं।
प्रश्न 5.
‘प्रतिरोधक’ से क्या तात्पर्य है? विद्युत- परिपथों में इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
प्रतिरोधक (Resistor)-कोई चालक जो उसमें होकर विद्युत आवेश के प्रवाह में प्रतिरोध उत्पन्न करता है अर्थात् जिसमें होकर गति करने में विद्युत आवेशित कण की ऊर्जा का क्षय होता है, प्रतिरोधक (Resistor) कहलाता है।
उपयोगिता (Utility)-
1. परिपथ में धारा का नियन्त्रण-ओम के नियम से
इससे यह स्पष्ट है कि किसी सेल द्वारा यदि परिपथ के सिरों के बीच का विभवान्तर (V) नियत रखा जाये तो परिपथ की धारा का मान (i) परिपथ के प्रतिरोध (R) को बढ़ाकर घटाया और घटाकर बढ़ाया जा सकता है। अर्थात् परिपथ में प्रतिरोध के मान को उचित रूप में चुनकर धारा का अपेक्षित मान प्राप्त किया जा सकता है।
विद्युत परिपथ में धारा का मान घटाने बढ़ाने के लिए धारा- नियंत्रक का प्रयोग किया जाता है जो एक प्रकार के परिवर्तनीय प्रतिरोधक (variable resistance) होते हैं। घरों में प्रयुक्त विद्युत पंखों तथा विद्युत मोटरों के रेगुलेटर, रेडियो आदि में प्रयुक्त ध्वनि नियंत्रक (volume controller) आदि भी परिवर्तनीय प्रतिरोधक होते हैं।
2. विद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण-विद्युत धारा के उपयोग से काम करने वाले उपकरणों जैसे विद्युत बल्ब, ऊष्मक ( Heater), पंखा तथा विद्युत मोटर चालित अन्य मशीनों में विद्युत् ऊर्जा का रूपान्तरण ऊष्मीय ऊर्जा, प्रकाश, कार्य (यांत्रिक ऊर्जा), ध्वनि आदि में किया जाता है। वोल्टामीटर (Voltameter) में भी विद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा में होता है।
विद्युत धारा के मुक्त इलेक्ट्रॉन मॉडल से स्पष्ट है कि धारा के रूप में गतिमान इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा के रूपान्तरण हेतु उनकी गति में बाधा पड़ना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। किसी प्रतिरोधक (प्रतिरोधयुक्त चालक) में विद्युत धारा के प्रवाहित होने पर ही उसकी ऊर्जा यांत्रिक कार्य (जैसे विद्युत मीटर में), ऊष्मा एवं प्रकाश (विद्युत बल्ब, हीटर आदि में) अथवा ऊर्जा के अन्य स्वरूपों में बदलती है। अतः विद्युत् ऊर्जा के व्यावहारिक उपयोग हेतु परिपथ में प्रतिरोध की आवश्यकता होती है। प्रतिरोधरहित परिपथ द्वारा विद्युत ऊर्जा का कोई उपयोग नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 6.
सरल परिपथ आरेख बनाकर बताइए कि किसी प्रतिरोधक में –
(i) प्रवाहित धारा का,
(ii) विभवान्तर का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
(i) धारा का मापन (Measurement of Current) विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर (Am- pere) है। इसके मापन हेतु जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है उसे ऐम्पियर मीटर अथवा संक्षेप में एमीटर (Ammeter) कहते हैं।
एमीटर बहुत कम प्रतिरोध का धारामापी (Galva- nometer) होता है, जिसमें एक नाल चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच स्थित चालक तार की एक कुण्डली में धारा प्रवाहित होने से कुण्डली कुछ घूम जाती है। कुण्डली का यह विक्षेप उसमें प्रवाहित धारा की तीव्रता को व्यक्त करता है।
कुण्डली का विक्षेप नापने के लिए उसकी धुरी से एक सुई लगी रहती है जो यंत्र में लगे वृत्तीय पैमाने पर घूमती है वृत्तीय पैमाने का अंशांकन सामान्यतः ऐम्पियर अथवा मिली ऐम्पियर में होता है एमीटर को परिपथ में जोड़ने के लिए यंत्र के ऊपर दो टर्मिनल होते हैं जिनमें से एक पर चिन्ह + बना होता है।
किसी परिपथ में प्रवाहित धारा को नापने के लिए एमीटर को परिपथ में श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है, जिससे परिपथ सम्पूर्ण धारा मीटर से होकर त हो (चित्र (क))। यह भी ध्यान रखना होगा कि एमीटर का + टर्मिनल विद्युत सेल के + टर्मिनल (एनोड) की ओर से आने वाले तार से सम्बन्धित हो, अन्यथा कुण्डल का विक्षेप विपरीत दिशा में होगा। परन्तु उस दिशा में विक्षेप में बाधा होने के कारण यंत्र के खराब हो जाने की आशंका है।
यदि परिपथ में एक से अधिक चालक समान्तर क्रम मैं हों तो जिस चालक की धारा नापनी हो एमीटर को उसी के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
उदाहरण- चित्र (ख) में दिखाये गये परिपथ में चालक Y में धारा नापने के लिए एमीटर (A) को इसी के श्रेणी – क्रम में जोड़ा गया है।
(ii) विभवान्तर का मापन (Measurement of Potential Difference) – विभवान्तर का मात्रक वोल्ट (Volt) है। इसके मापन हेतु प्रयोग किये जाने वाले उपकरण को वोल्टमीटर (Voltmeter) कहते हैं। एमीटर की भाँति यह भी एक धारामापी होता है परन्तु इसका प्रतिरोध यथासम्भव अधिक रखा जाता है। इसकी अन्य रचना एमीटर के समान ही होती है। इसके वृत्तीय पैमाने का अंशांकन वोल्ट में किया जाता है।
परिपथ में वोल्टमीटर को जोड़ने की विधि एमीटर को जोड़ने की विधि से भिन्न है। परिपथ के जिन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर नापना होता है, वोल्टमीटर के टर्मिनलों को सीधे उन्हीं बिन्दुओं से जोड़ा जाता है। इस प्रकार के संयोजन को समान्तर संयोजन कहते हैं। चित्र (ख) में प्रदर्शित परिपथ में कई चालकों को संयोजित किया गया है। चालक P के सिरों का विभवान्तर नापने के लिए वोल्टमीटर (V) की स्थिति को तथा चालक R में प्रवाहित धारा नापने के लिए एमीटर (A) की स्थिति को परिपथ में दिखाया गया है।
वोल्टमीटर को भी जोड़ते समय यह ध्यान रखना होता है कि उसका + टर्मिनल विद्युत सेल के (एनोड) की ओर रहे।
प्रश्न 7.
सरल परिपथ आरेख तथा सूत्र देकर बताइए कि किसी चालक का प्रतिरोध कैसे ज्ञात किया जा सकता है?
उत्तर:
प्रतिरोध का मापन (Measurement of Resistance) ओम के नियम से चालक का प्रतिरोध
R = \(\frac { V }{ i }\)
अतः प्रतिरोध मापन हेतु दिये गये चालक R को श्रेणीक्रम में एक एमीटर (A) तथा समान्तर क्रम में एक वोल्टमीटर (V) से जोड़ा जाता है। चालक में धारा प्रवाहित करने के लिए सेल (E) धारा को चलाने तथा रोकने के लिए प्लग – कुंजी (K) तथा धारा का मान आवश्यकतानुसार घटाने बढ़ाने के लिए परिवर्तनीय प्रतिरोधक अथवा धारा नियंत्रक (Rheostat ) Rh को चालक R के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
प्लग-कुंजी को बन्द करके रिहॉस्टेट द्वारा एमीटर में धारा का एक उपयुक्त मान समंजित किया जाता है तथा एमीटर एवं वोल्टमीटर के पाठ्यांक नोट किये जाते हैं। इनसे सूत्र द्वारा प्रतिरोध R की गणना की जाती है।
अधिक शुद्धता हेतु धारा नियंत्रक द्वारा धारा के मान बदल-बदलकर अनेक पाठ्यांक लिए जाते हैं। इनसे प्राप्त प्रतिरोध के विभिन्न मानों का मध्यमान ही प्रतिरोध R का मान होता है।
प्रश्न 8.
तीन प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन के सूत्र का आवश्यक आरेख देकर, निगमन कीजिए। अथवा श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस समायोजन के लिए सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चित्र में n प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। इनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2, R3, …. Rn है। पूरे संयोजन को एक सेल (E) से जोड़ने पर परिपथ में धारा (i) प्रवाहित होती है।
चूँकि आवेश संरक्षण के नियम के अनुसार, विद्युत आवेश न तो नष्ट होता है, न ही उत्पन्न, किसी भी प्रतिरोधक में जितना आवेश प्रति सेकण्ड प्रवेश करता है, उतना ही निर्गत भी होता है। अतः श्रेणी क्रम में जोड़े गये। प्रत्येक प्रतिरोधक में आवेश प्रवाह की दर अर्थात् विद्युत धारा (i) समान होती है।
अब यदि धारा के प्रवाह के कारण प्रतिरोधकों के सिरों के विभवान्तर क्रमश: V1, V2, V3 …. Vn हों तो संयोजन का सम्पूर्ण विभवान्तर = प्रतिरोधकों के विभवान्तरों का योग
अथवा
V = V1 + V2 + V3 + … + Vn
अब ओम के नियम से
V1 = i.R1, V2 = i.R2, V3 = i.R3+ … Vn = i. Rn
V = i.R1 + i.R2 + i.R3 + … + i.Rn
अथवा V = i.(R1 + R2 + R3 … + Rn)
अथवा \(\frac { V }{ i }\) = R1+ R2 + R3 … + Rn
यदि संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध R हो तो
∴ R = R1+ R2 + R3 … + Rn यही अभीष्ट सूत्र है।
प्रश्न 9.
प्रतिरोधकों के समान्तर संयोजन के सूत्र का आवश्यक आरेख देकर, निगमन कीजिए। अथवा समान्तर संयोजन में जोड़े गये दो प्रतिरोधों R, और Rg के तुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
समान्तर क्रम में जोड़े गये सभी प्रतिरोधकों के एक सिरे सेल के एक टर्मिनल (+) से तथा दूसरे सिरे सेल के दूसरे टर्मिनल (-) से जोड़े जाते हैं। चूँकि एक ही बिन्दु पर जोड़े गये सभी सिरे समान विभव पर होंगे, स्पष्ट है कि समान्तर क्रम में जोड़े गये सभी प्रतिरोधकों के सिरों का विभवान्तर समान होता है।
अतः यदि प्रतिरोधकों R1, R2 … Rn विभवान्तर क्रमश: V1 = Vn ….. Vn तो
V1 = V2 ….. = Vn – V
अब प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा उससे होकर प्रवाहित ‘आवेश प्रति सेकण्ड’ को व्यक्त करती है। चूँकि इन प्रतिरोधकों के मार्ग अलग-अलग हैं, प्रत्येक में प्रति सेकण्ड प्रवाहित आवेश भिन्न-भिन्न होगा तथा किसी समय में सेल से होकर प्रवाहित सम्पूर्ण आवेश अलग-अलग प्रतिरोधकों में प्रवाहित आवेशों का योग होगा।
अतः संयोजन की सम्पूर्ण धारा = विभिन्न प्रतिरोधकों में धाराओं का योग
आंकिक प्रश्न
[आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रॉन का आवेश (e) 1.6 x 10-19 कूलॉम मानिए।]
प्रश्न 1.
एक चालक पर 1.12 x 10-18 कूलॉम धन आवेश है इस पर सामान्य अवस्था से कितने इलेक्ट्रॉन कम या अधिक हैं?
हल:
धनावेशित होने के कारण इलेक्ट्रॉन कम हैं। यदि n इलेक्ट्रॉन कम हों, तो q = n.e
अथवा 1.12 x 10-18 कलॉम
= n x 1.6 x 10-19 कूलॉम
n = \(\frac{1.12 \times 10^{-18}}{1.6 \times 10^{-19}}=\frac{11.2 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac { 112 }{ 16 }\) = 7 इलेक्ट्रॉन
प्रश्न 2.
एक विद्युत चालक में 10 ऐम्पियर की धारा बह रही है। उसमें प्रति सेकण्ड बहने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
दिया है i = 10 ऐम्पियर
∵ i = \(\frac { ne }{ t }\)
\(\frac { n }{ t }\) = \(\frac { i }{ e }\) = \(\frac{10}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{100 \times 10^{19}}{16}\)
प्रति सेकण्ड इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6.25 x 1019
प्रश्न 3.
संलग्न विद्युत परिपथ में बहने वाली विद्युत धारा i की गणना कीजिए।
उत्तर:
PQ ST के बीच श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 + 1 = 6Ω
∴ P तथा T के बीच समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{\mathrm{R}_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{1}{3}\)
R2 = 3Ω
अब परिपथ में धारा i = \(\frac { v }{ R }\)
∴ i = \(\frac { 12 }{ 6 }\)
i = 2 ऐम्पियर
प्रश्न 4.
किसी चालक में 200 मिली ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। इससे होकर प्रति सेकण्ड कितने मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
उत्तर:
प्रश्न 5.
संलग्न परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा i का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
PQ के बीच का प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{2}+\frac{1}{2}=\frac{2}{2}\) = 1
∴ परिपथ का तुल्य प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 = 5Ω
∴ V = 10 वोल्ट
∴ परिपथ में धारा (i) = \(\frac { v }{ R }\)
i = \(\frac { 10 }{ 5 }\) = 2
i = 2 ऐम्पियर
प्रश्न 6.
एक चालक तार से 1.0 मिली सेकण्ड में 200 माइक्रोकूलॉम आवेश गुजर जाता है तार में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
एक प्रतिरोधक में 0.5 एम्पियर धारा प्रवाहित करने से 2.5 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है। प्रतिरोधक के सिरों पर 1.0 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए उसमें कितनी धारा प्रवाहित करनी होगी?
उत्तर:
प्रश्न 8.
20 ओम प्रतिरोध के तार में 100 मिली ऐम्पियर धारा प्रवाहित करने से तार में कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा?
उत्तर:
V = i. R = 100 x 10-3 ऐम्पियर x 20 ओम = 2.0 वोल्ट।
प्रश्न 9.
2 वोल्ट की सेल से एक बल्ब को जोड़ने पर सेल से 0.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
3Ω तथा 6Ω के दो प्रतिरोधकों को- (i) समान्तर क्रम में, (ii) श्रेणी क्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
(i) \(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}=\frac{1}{3}+\frac{1}{6}=\frac{1}{2}\)
∴ R = 2 ओम
(ii) R = r1 + r2 = 3 + 6 = 9 ओम।
प्रश्न 11.
तीन प्रतिरोधकों में से प्रत्येक का प्रतिरोध 6 ओम है। इनके संयोजन से-
(i) अधिकतम
(ii) न्यूनतम
कितना प्रतिरोध कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
(i) अधिकतम प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़ने से प्राप्त होगा।
R = r1 + r2 + r3 = 6 + 6 + 6
= 18 ओम।
(ii) न्यूनतम प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़ने पर प्राप्त होगा।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}+\frac{1}{r_3}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
∴ R = 2
प्रश्न 12.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में A एवं B के बीच समतुल्य प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
A एवं B के बीच ऊपर की शाखा में कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r1 = 1 + 1 = 2Ω
नीचे की शाखा कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r2 = 1 + 1 = 2Ω
r1 तथा r2 समान्तर क्रम में हैं। अतः यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}=\frac{1}{2}+\frac{1}{2}=\frac{2}{2}\) = 1
∴ R = 1 ओम।
प्रश्न 13.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में जात कीजिए-
(i) चालक R का प्रतिरोध
(ii) चालक P में धारा
(iii) A एवं B के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(ii) चालक P में धारा R में धारा सम्पूर्ण धारा
अथवा i + 1.5 A = 2A
i = 2 – 1.5 = 0.5 A
(iii) A एवं B का विभवान्तर = P का प्रतिरोध x P में धारा = 6Ω x 0.5A = 3 वोल्ट
प्रश्न 14.
दो प्रतिरोधकों में से प्रत्येक का प्रतिरोध 5 ओम है। इन्हें किसी सेल से श्रेणीक्रम में जोड़ने पर सेल से 0.5 ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है। यदि दोनों प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में उसी सेल से जोड़ दिया जाय तो सेल से कितनी धारा प्रवाहित होगी? यह भी बताइए कि समान्तर क्रम में प्रत्येक प्रतिरोधक से कितनी धारा प्रवाहित होगी?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में सम्पूर्ण प्रतिरोध = 5Ω + 5Ω = 10Ω
सेल का विभवान्तर धारा x प्रतिरोध = 0.5 A x 10Ω = 5 वोल्ट
समान्तर क्रम में यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो
प्रश्न 15.
4 ओम, 8 ओम, 12 ओम तथा 24 ओम प्रतिरोध की चार कुण्डलियों को कैसे संयोजित करेंगे कि संयोजन से (1) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके? परिपथ आरेख भी बनाइए।
उत्तर:
(i) अधिकतम प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़ने से प्राप्त होता है।
अतः A एवं B के बीच ऊपर की शाखा में कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r1 = 4Ω + 8Ω = 12Ω
नीचे की शाखा में कुल प्रतिरोध
r2 = 12Ω + 24Ω = 36Ω
तुल्य प्रतिरोध
r = r1 + r2
= 12Ω + 36Ω = 48Ω
(ii) न्यूनतम प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़ने पर प्राप्त होता है।
अत: 1 तथा 2 समान्तर क्रम में जोड़ने पर
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{12}+\frac{1}{36}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{4}{36}=\frac{1}{9}\)
R = 9
अधिकतम 48Ω, न्यूनतम 9Ω
प्रश्न 16.
2Ω व 4Ω के तार क्रमशः श्रेणी-क्रम तथा समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। दोनों अवस्था में इनका तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम-
तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2
∴ R = 2 + 4 = 6Ω
समान्तर क्रम में जोड़ने पर,
तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{2}+\frac{1}{4}=\frac{2+1}{4}=\frac{3}{4}\)
∴ 3R = 4
⇒ R = \(\frac { 4 }{ 3 }\) = 1.33Ω
प्रश्न 17.
तीन प्रतिरोध 4 ओम, 6 ओम तथा 12 ओम के हैं। इन्हें 22 वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर परिपथ में धारा का मान ज्ञात कीजिए जबकि-
(i) प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
(ii) प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
उत्तर:
(i) प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर
तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 4Ω + 6Ω + 12Ω
= 22Ω
विभव = 22 वोल्ट
(ii) प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर
तुल्य प्रतिरोध
प्रश्न 18.
दिये गये परिपथ में 1.5 एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है।
ज्ञात कीजिए-
(i) प्रतिरोध R का मान
(ii) A व B के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(i) प्रतिरोध R = \(\frac { V }{ I }\) = \(\frac { 3.0V }{ 1.5A }\) = 2Ω
(ii) A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 R3
R = 3Ω + 2Ω + 4Ω = 9Ω
A व B के बीच विभवान्तर (V) = IR
= 1.5 x 9 = 13.5 वोल्ट
प्रश्न 19.
एक विद्युत परिपथ चित्र में दर्शाया गया है। इसके 1 ओम प्रतिरोध में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर की गणना कीजिए-
उत्तर:
परिपथ के तुल्य प्रतिरोध की गणना- 3.0Ω व 6.0Ω समान्तर क्रम में हैं अतः
तुल्य प्रतिरोध R1 = \(\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}\)
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{6}=\frac{3}{6}\)
R1 = 2Ω
2Ω व 1.0Ω श्रेणी क्रम में है अतः
परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R2 = R1 + 3
= 2 + 1
= 3Ω
1Ω में प्रवाहित धारा I = \(\frac{V}{R}=\frac{3.0 \mathrm{~V}}{3 \Omega}\) = 1 ऐम्पियर
प्रश्न 20.
दिये गये परिपथ में सेल का आन्तरिक प्रतिरोध 1 ओम है तथा विद्युत वाहक बल 20 वोल्ट है।
ज्ञात कीजिए-
(i) परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध
(ii) परिपथ की धारा (i)
(iii) बिन्दुओं A व B के बीच विभवान्तर।
हल:
(i) R1 व R2 श्रेणी क्रम में हैं इनका तुल्य प्रतिरोध
Rs = R1 + R2
= 4 + 2
= 6 ओम
Rs व R3 समान्तर क्रम में है इनका तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R_p}=\frac{1}{R_s}+\frac{1}{R_3}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}\)
Rs = 3Ω
Rp व Rs श्रेणी क्रम में हैं इनका तुल्य प्रतिरोध
R = Rp + Rs = 3 + 6 = 9Ω
तो परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध = 9Ω
(iii) बिन्दु A व B के बीच विभवान्तर
V = IR
= 2 ऐम्पियर
V = 2 ऐम्पियर x 3Ω = 6 वोल्ट
प्रश्न 21.
दिये गये परिपथ में ज्ञात कीजिए-
(i) A व B के मध्य प्रतिरोध,
(ii) परिपथ में प्रवाहित धारा (i),
(iii) A व B के मध्य विभवान्तर
(iv) 352 के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर।
हल:
(i) A व B के मध्य प्रतिरोध-
r1 व r2 श्रेणी क्रम में हैं अतः तुल्य प्रतिरोध (R1) = 4 + 2 = 6 ओम
r3 व r4 श्रेणी क्रम में हैं अतः तुल्य प्रतिरोध (R2) = 2 + 1 = 3 ओम
R1 व R2 समान्तर क्रम हैं अतः तुल्य प्रतिरोध-
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) + \(\frac { 1 }{ 3 }\)
\(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { 3 }{ 6 }\)
R = 2 ओम
(ii) परिपथ का तुल्य प्रतिरोध = 2 + 3 = 5Ω
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा
(i) = \(\frac { v }{ r }\) ⇒ \(\frac { 10 }{ 5 }\) = 2 ऐम्पियर
(iii) A व B के मध्य विभवान्तर V=IR = 2 x 2 = 4 वोल्ट
(iv) 3Ω के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर
V = IR
= 2 x 6
= 6 वोल्ट
प्रश्न 22.
किसी तार में 2.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। 20 मिनट में कितना आवेश प्रवाहित होगा?
उत्तर:
धारा = 2.5 ऐम्पियर
समय = 20 मिनट
= 20 x 60 = 1200 सेकण्ड
तो आवेश = धारा x समय
Q = I x t = 2.5 x 1200
= 3000 कूलॉम
प्रश्न 23.
दो प्रतिरोधों के मान क्रमशः 6 ओम एवं 3 ओम हैं। इनके संयोजन से बनने वाले अधिकतम एवं न्यूनतम प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
अधिकतम प्रतिरोध के लिए श्रेणी क्रम में जोड़ना होगा।
अतः तुल्य प्रतिरोध (R) = R1 + R2
= 6 + 3 = 9 ओम
न्यूनतम प्रतिरोध के लिए समान्तर क्रम में जोड़ना होगा। अतः तुल्य प्रतिरोध
\(\left(\frac{1}{R}\right)=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{3}\)
= \(\frac { 1+2 }{ 6 }\) = \(\frac { 3 }{ 6 }\)
R = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 ओम
अधिकतम 9 ओम, न्यूनतम 2 ओम।
प्रश्न 24.
किसी चालक का कुल आवेश 8.0 x 10-19 कूलॉम है जो कि ऋणात्मक है। इस पर कितने इलेक्ट्रॉन की अधिकता है?
उत्तर:
एक इलेक्ट्रॉन का आवेश 1.6 x 10-19 कूलॉम
प्रश्न 25.
दिये गये परिपथ में सेल का विद्युत वाहक बल 4 वोल्ट व आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है।
ज्ञात कीजिए-
(i) कुल प्रतिरोध
(ii) परिपथ की धारा का मान
(iii) A व B बिन्दुओं के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(i) A व C के बीच तुल्य प्रतिरोध
= (\(\frac { 1 }{ 3 }\) + \(\frac { 1 }{ 3 }\))
\(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { 2 }{ 3 }\)
R = \(\frac { 3 }{ 2 }\) = 1.5Ω
A व D के बीच तुल्य प्रतिरोध = 1.5 + 1 = 2.5Ω
(ii) धारा (i) = \(\frac {V }{ R }\) = \(\frac { 4 }{ 2.5 }\) = 1.6 Å
= 1.6 Å
(iii) A व C के बीच विभवान्तर = i x R
= 1.6 x 1.5 = 2.4 वोल्ट
प्रश्न 26.
निम्न परिपथ में ज्ञात कीजिए।
(i) सेल में प्रवाहित धारा।
(ii) 2Ω के प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(i) समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधों का तुल्य
प्रतिरोध \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{3}+\frac{1}{3}=\frac{3}{3}\)
R = 1Ω
कुल प्रतिरोध = 1 + 2 = 3Ω
धारा (v) = \(\frac {v }{ R }\) = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 ऐम्पियर
(ii) विभवान्तर (v) = i x R = 2 x 2 = 4V
प्रश्न 27.
दिये गये परिपथ में AB व AC के बीच तुल्य प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
AB के बीच तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 = 6 + 6 = 12Ω
प्रश्न 28.
दो तार जिनके प्रतिरोध 4Ω व 2Ω हैं श्रेणी क्रम में बैटरी से जुड़े हैं। पहले तार में 2 ऐम्पियर की धारा बह रही है। दूसरे तार में धारा का मान कितना है?
उत्तर:
चूँकि श्रेणी क्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में धारा का मान समान होता है। अतः 2Ω के प्रतिरोध में भी धारा का मान 2 ऐम्पियर ही होगा।
प्रश्न 29.
निम्नांकित वैद्युत परिपथ में सेल के आन्तरिक प्रतिरोध की गणना कीजिए-
उत्तर:
दिया है-
V = 1.5V
i = 0.6
P और Q के बीच प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{3}+\frac{1}{3}=\frac{2}{3}\)
R = \(\frac { 3 }{ 2 }\) = 1.5Ω
अतः परिपथ का आन्तरिक प्रतिरोध
∵ V = (R + r)
∴ 1.5 = 0.6 (r + 1.5)
\(\frac { 5 }{ 2 }\) = r + 1.5
2.5 – 1.5 = r
r = 1.0 Ω
प्रश्न 30.
निम्नांकित परिपथ में गणना कीजिए-
(i) A और B बिन्दुओं के मध्य तुल्य प्रतिरोध
(ii) बैटरी से प्रवाहित धारा का मान
(iii) 2Ω प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर।
उत्तर:
PQ ST के बीच प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 + 1 = 6Ω
∴ P तथा T के बीच तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{1}{3}\)
R2 = 3Ω
अब परिपथ का तुल्य प्रतिरोध
R = 1 + 2 + 3 = 6Ω
अब परिपथ में धारा i = \(\frac { V }{ R }\)
∴ i = \(\frac { 12 }{ 6 }\) = 2
i = 2 ऐम्पियर
बहुविकल्पीय प्रश्न
निर्देश- प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-
1. किसी चालक तार में विद्युत धारा का प्रवाह होता है-
(a) प्रोट्रॉनों द्वारा
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा
(c) न्यूट्रॉनों द्वारा
(d) आयनों द्वारा
उत्तर:
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा
2. ओम के नियम का सूत्र है-
(a) I = VxR
(b) V = I × R
(c) R = V × 1
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) V = I × R
3. विद्युत-सेल स्रोत है-
(a) विद्युत धारा का
(b) विद्युत आवेश का
(c) इलेक्ट्रॉनों का
(d) विद्युत ऊर्जा का
उत्तर:
(d) विद्युत ऊर्जा का
4. निम्नलिखित में से अशुद्ध सम्बन्ध है-
(a) 1 एम्पियर x सेकण्ड = 1 कूलॉम
(b) 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर = 1 ओम
(c) 1 वोल्ट / 1 ओम 1 ऐम्पियर
(d) 1 वोल्ट x 1 कूलॉम = 1 जूल
उत्तर:
(b) 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर = 1 ओम
5. प्रतिरोध का मात्रक होगा-
(a) ऐम्पियर / वोल्ट
(b) कूलॉम/सेकण्ड
(c) वोल्ट / कूलॉम
(d) वोल्ट / ऐम्पियर
उत्तर:
(d) वोल्ट / ऐम्पियर
6. निम्नांकित में से कौन-सा कथन ओम के नियम को व्यक्त नहीं करता?
(a) धारा / विभवान्तर = नियतांक
(b) विभवान्तर / धारा नियतांक
(c) विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध
(d) धारा विभवान्तर x प्रतिरोध
उत्तर:
(d) धारा विभवान्तर x प्रतिरोध
7. विभवान्तर मापक यंत्र है-
(a) वोल्टामीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) एमीटर
(d) ओम मीटर
उत्तर:
(b) वोल्टमीटर
8. एमीटर नापता है-
(a) आवेश
(b) धारा
(c) विभवान्तर
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(b) धारा
9. किसी धात्वीय चालक AB में विद्युत धारा (i) प्रवाहित हो रही है। चालक में-
(a) प्रोट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा
(b) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा
(c) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से A की ओर होगा
(d) प्रोट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा तथा
इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से Á की ओर होगा।
उत्तर:
(c) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से A की ओर होगा
10. निम्न परिपथ में A एवं B बिन्दुओं के बीच विभवान्तर होगा-
(a) 3 बोल्ट
(b) 2 वोल्ट
(c) 1 वोल्ट
(d) 1 वोल्ट
उत्तर:
(a) 3 बोल्ट
11. प्रतिरोध का मात्रक होता है-
(a) ओम
(b) ओम / मीटर
(c) ओम मीटर
(d) मीटर / ओम
उत्तर:
(a) ओम
12. एक माइको ऐम्पियर की विद्युत धारा का मान है-
(a) 10+3 ऐम्पियर
(b) 10-3 ऐम्पियर
(c) 10-6 ऐम्पियर
(d) 10+6 ऐम्पियर
उत्तर:
(c) 10-6 ऐम्पियर
13. एक प्रोटॉन पर विद्युत आवेश की मात्रा होती है-
(a) 1.0 x 10-19 कूलॉम
(b) 6.25 x 10+19 कूलॉम
(c) 1.6 x 10+19 कूलॉम
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम
उत्तर:
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम
14. 4 ओम के चार प्रतिरोध एक-दूसरे के समानान्तर क्रम में जोड़े गये हैं तो तुल्य प्रतिरोध होगा-
(a) 4 ओम
(b) 2 ओम
(c) 3 ओम
(d) 1 ओम
उत्तर:
(d) 1 ओम
15. ऐम्पियर सेकण्ड किसका मात्रक है-
(a) विद्युत ऊर्जा का
(b) विद्युत वाहक बल का
(c) आवेश का
(d) विद्युत धारा का
उत्तर:
(c) आवेश का
16. सिलिकॉन पदार्थ होता है-
(a) सुचालक
(b) कुचालक
(c) अर्द्धचालक
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्द्धचालक
17. विद्युत् आवेश का मात्रक है-
(a) जूल
(b) कूलॉम
(c) वोल्ट
(d) ऐम्पियर
उत्तर:
(b) कूलॉम
18. धारा का मात्रक है-
अथवा
विद्युत धारा का SI मात्रक है-
(a) कूलॉम
(b) जूल
(c) ऐम्पियर
(d) कैलोरी
उत्तर:
(c) ऐम्पियर
19. संलग्न परिपथ में धारा का मान है-
(a) 1 ऐम्पियर
(b) 0.5 ऐम्पियर
(c) 4 ऐम्पियर
(d) 2 ऐम्पियर
उत्तर:
(d) 2 ऐम्पियर
20. इलेक्ट्रॉन पर आवेश होता है-
(a) -1.6 x 10-19 कूलॉम
(b) + 1.6 x 10-19 कूलॉम
(c) – 1.6 x 10+19 कूलॉम
(d) + 1.6 x 10+19 कूलॉम
उत्तर:
(a) -1.6 x 10-19 कूलॉम
21. R1 व R2 प्रतिरोध के दो समान्तर तार समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। इनका तुल्य प्रतिरोध होगा-
(a) R1+ R2
(b) R1 x R2
(c) \(\frac{R_1 \times R_2}{R_1+R_2}\)
(d) \(\frac{R_1+R_2}{R_1 \times R_2}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{R_1 \times R_2}{R_1+R_2}\)
22. एक माइक्रो- ओम का मान होता है-
(a) 10-9 ओम
(b) 10-6 ओम
(c) 10-3ओम
(d) 1 ओम
उत्तर:
(b) 10-6 ओम
23. किसी तार की लम्बाई उसकी प्रारम्भिक लम्बाई की तीन गुना करने पर उसका प्रतिरोध हो जायेगा-
(a) 9 गुना
(b) 3 गुना
(c) \(\frac { 1 }{ 9 }\) गुना
(d) \(\frac { 1 }{ 3 }\) गुना
उत्तर:
(a) 9 गुना
24. निम्नलिखित में से कौन-सा पद परिपथ में वैद्युत शक्ति को प्रदर्शित नहीं करता है?
(a) I²R
(b) IR²
(c) V I
(d) \(\frac { V² }{ R }\)
उत्तर:
(c) V I
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
- विद्युत धारा का SI मात्रक ……………….. है।
- किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों को गति प्रदान करने के लिए हम किसी सेल अथवा बैटरी का उपयोग करते हैं। सेल अपने सिरों के बीच ……………….. उत्पन्न करता है। इस विभवान्तर को वोल्ट (V) में मापते हैं।
- ……………….. एक ऐसा गुणधर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह का विरोध करता है। यह विद्युत धारा के परिमाण को नियंत्रित करता है। प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (52) है।
- ओम का नियम किसी प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित विद्युत धारा के ……………….. होता है परन्तु एक शर्त यह है कि प्रतिरोधक का ताप उसकी लम्बाई पर समान रहना चाहिए।
- किसी चालक का ……………….. सीधे उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर प्रतिलोमत : निर्भर करता है और उस पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है जिससे वह बना है।
- ……………….. में संयोजित बहुत से प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध उनके व्यष्टिगत प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।
- ……………….. में संयोजित प्रतिरोधकों के समुच्चय का तुल्य प्रतिरोध Rp निम्नलिखित संबंध द्वारा व्यक्त किया जाता है-
\(\frac{1}{R_P}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\) + ….
उत्तर:
- ऐम्पियर
- विभवान्तर
- प्रतिरोध
- अनुक्रमानुपाती
- प्रतिरोध
- श्रेणीक्रम
- पार्श्वक्रम