JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. स्थलरूप विकास की किस अवस्था में अधोमुख कटाव प्रमुख होता है?
(A) तरुणावस्था
(B) प्रथम प्रौढावस्था
(C) अन्तिम प्रौढ़ावस्था
(D) जीर्णावस्था।
उत्तर:
तरुणावस्था।

2. एक गहरी घाटी जिसकी विशेषता सीढ़ीनुमा खड़े ढाल होते हैं, वह किस नाम से जानी जाती है?
(A) U. आकार घाटी
(B) अन्धी घाटी
(C) गार्ज
(D) कैनियन।
उत्तर:
कैनियन।

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3. निम्न में से किन प्रदेशों में रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया यान्त्रिक अपक्षय प्रक्रिया से अधिक शक्तिशाली है?
(A) आर्द्र प्रदेश
(B) शुष्क प्रदेश
(C) चूना पत्थर प्रदेश
(D) हिमनद प्रदेश।
उत्तर:
आर्द्र प्रदेश।

4. निम्न में से कौन-सा वक्तव्य लेपीज़ (Lapies) शब्द को परिभाषित करता है?
(A) छोटे से मध्यम आकार के उथले गर्त
(B) ऐसे स्थलरूप जिनके ऊपरी खुलाव वृत्ताकार व नीचे से कोण के आकार के होते हैं
(C) ऐसे स्थलरूप जो धरातल से जल के टपकने से बनते हैं
(D) अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।
उत्तर:
अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।

5. शहरे, लम्बे विस्तृत गर्त या बेसिन जिनके शीर्ष दिवाल खड़े ढाल वाले व किनारे खड़े व अवतल होते हैं, उन्हें रहते हैं?
(A) सर्क
(B) पाश्विक हिमोढ़ा
(C) घाटी हिमनद
(C) एस्कर।
उत्तर:
(A) सर्क।

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6. तटीय भागों में जान-माल के लिये सबसे खतरनाक तरंग कौन-सी है?
(A) स्थानांतरणी तरंग
(B) अधःप्रवाह
(C) सुनामी
(D) भम्नोमि।
उत्तर:
सुनामी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चट्टानों में अधःकर्तित विसर्प और मैदानी भागों में जलोढ़ के सामान्य विसर्प क्या बताते हैं?
उत्तर:
नदी के बाढ़ मैदान तथा डैल्टा में मन्द ढाल के कारण जलोढ़ के विसर्प बनते हैं। ये विसर्प लूप आकार के होते हैं। ये क्षैतिज कटाव को प्रकट करते हैं। कठोर चट्टानों में गहरे कटाव के कारण अधः कर्तित विसर्प बनते हैं। ये लगातार उत्थान के कारण गहरे होते जाते हैं तथा गहरे गार्ज व कैनियन का रूप बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
घाटी रंध्र अथवा युवाला का विकास कैसे होता है?
उत्तर;
चूना पत्थर चट्टानों के तल पर घुलन क्रिया द्वारा घोल गर्मों का विकास होता है। ये कार्ट क्षेत्र में मिलते हैं। यह एक प्रकार के छिद्र होते हैं जो ऊपर से वृत्ताकार व नीचे कीप की आकृति के होते हैं। कन्दराओं की छत गिरने से कई घोल रंध्र आपस में मिल जाते हैं जो लम्बी, तंग तथा विस्तृत खाइयाँ बनती हैं जिन्हें घाटी रंध्रया युवाला कहते हैं।

प्रश्न 3.
हिमनद घाटियों में कई रैखिक निक्षेपण स्थल रूप मिलते हैं। इनकी अवस्थिति व नाम बताएं।
उत्तर:
हिमनदी घाटी में मृतिका के निक्षेप से कई स्थल कम मिलते हैं जिन्हें हिमोढ़ कहते हैं। हिमनदी के समानांतर पार्शिवक हिमोढ़ बनते हैं। दो पार्शिवक हिमोढ़ मिल कर मध्य भाग में मध्यस्थ हिमोढ़ बनाते हैं। हिमनदी के तल पर तलस्थ हिमोढ़ मिलते हैं। हिमनद के अन्तिम भाग में अन्तस्थ हिमोढ़ मिलते हैं।

(ग) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर;
भू-तल को समतल करने वाले बाह्य कार्यकर्ताओं में नदी का कार्य सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्षा का जो जल धरातल पर बहते पानी (Run off) के रूप में बह जाता है, नदियों का रूप धारण कर लेता है। नदी का कार्य तीन प्रकार का होता है

  1. अपरदन (Erosion)
  2. परिवहन (Transportation)
  3. निक्षेप (Deposition)

1. अपरदन (Erosion) नदी का मुख्य कार्य अपनी तली तथा किनारों पर अपरदन करना है।
अपरदन की विधियां (Types of Erosion): नदी का अपरदन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है

  • रासायनिक अपरदन (Chemical Erosion): यह अपरदन घुलन क्रिया (Solution) द्वारा होता है। नदी जल के सम्पर्क में आने वाली चट्टानों के नमक (Salts) घुलकर पानी के साथ मिल जाते हैं।
  • भौतिक अपरदन (Mechanical Erosion): नदी के साथ बहने वाले कंकड़, पत्थर आदि नदी की तली तथा किनारों को काटते रहते हैं। किनारों के कटने से नदी चौड़ी और तल के कटने से गहरी होती है।

भौतिक कटाव तीन प्रकार के होते हैं
(a) शीर्षवत् अपरदन (Down Cutting)
(b) तटीय अपरदन (Side Cutting)
(c) संनिघर्षण (Attrition)

नदी के अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं:
I. ‘V’ आकार घाटी (‘V’ Shaped Valley):
नदी पर्वतीय भाग में अपने तल को गहरा करती है जिसके कारण ‘V’ आकार की गहरी घाटी बनती है। ऐसी घाटियों को कैनियन (Canyons) या प्रपाती खड्ड कहते हैं और जो कठोर तथा शुष्क प्रदेशों में बनती हैं।
उदाहरण: (i) अमेरिका (U.S.A.) में कोलोरेडो घाटी में ग्रैंड कैनियन (Grand Canyon) 200 किलोमीटर लम्बी तथा 2,000 मीटर गहरी है। यह (I) आकार की है।

II. गार्ज (Gorges):
पर्वतीय भाग में बहुत गहरे और तंग नदी मार्ग को गार्ज (Gorge) या कन्दरा कहते हैं। पर्वतीय प्रदेश ऊंचे उठते रहते हैं, परन्तु नदियां लगातार गहरा कटाव करती रहती हैं। इस प्रकार ऐसे नदी का निर्माण होता है जिसकी दीवारें लम्बवत् होती हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी तथा हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी गहरे गार्ज बनाती हैं।

III. जल प्रपात तथा क्षिप्रिका (Waterfall and Rapids):
जब अधिक ऊँचाई से जल अधिक वेग से कठोर चट्टान खड़े ढाल पर बहता है तो उसे जल प्रपात कहते हैं। जलप्रपात चट्टानों की भिन्न-भिन्न रचना के कारण बनते हैं।
(क) जब कठोर चट्टानों की परत नर्म चट्टानों की परत पर क्षैतिज (Horizontal) अवस्था में हो तो नीचे की नर्म चट्टानें जल्दी कट जाती हैं। चट्टान के सिरे पर जल-प्रपात बनता है। जल-प्रपात पीछे की ओर खिसकता मुलायम चट्टानें रहता है जिससे एक संकरी मगर गहरी घाटी का निर्माण होता है।
उदाहरण: (i) यू० एस० ए० में नियाग्रा जलप्रपात जो कि 120 मीटर ऊंचा है।
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(ii) विक्टोरिया जलप्रपात में पानी 50 मीटर की ऊंचाई से गिरता है।
(ख) जब कठोर तथा नर्म चट्टानें एक दूसरे के समानान्तर लम्बवत् (Vertical) हों तो कठोर चट्टान की ढाल पर जल-प्रपात बनता है।
उदाहरण: अमेरिका में यैलो स्टोन नदी (Yellow Stone River) का जल-प्रपात। जब कठोर तथा मुलायम चट्टानों की पर्ते एक-दूसरे के ऊपर बिछी हों तथा कुछ झुकी हों तो क्षिप्रिका (Rapids) की एक श्रृंखला बन जाती है। क्षिप्रिका कांगो नदी (Congo River) में लिविंगस्टोन फाल्ज (Livingstone Falls) नाम के 32 झरनों की एक श्रृंखला है।

IV. जलज गर्त (Pot Holes):
नदी के जल में चट्टानें भंवर उत्पन्न हो जाते हैं। नरम चट्टानों में गड्ढे बन जाते हैं। इनमें जल के साथ छोटे-बड़े पत्थर घूमते हैं। इन पत्थरों के घुमाव (Drilling) से भयानक गड्ढे बनते हैं जिन्हें जलज गर्त कहते हैं।
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2. परिवहन (Transportation):
अपरदन के पश्चात् नदी का दूसरा प्रधान कार्य परिवहन (Transportation) होता है। नदी खुर्चे हुए पदार्थ को अपने साथ बहाकर ले जाती है। इस पदार्थ को नदी का भार (Load of the River) कहते हैं।
नदी का परिवहन कार्य दो तत्त्वों पर निर्भर करता है

  1. नदी का वेग (Velocity of River): नदी के वेग तथा परिवहन शक्ति में निम्नलिखित अनुपात होता हैपरिवहन शक्ति = (नदी का वेग)
  2. जल की मात्रा (Volume of Water): नदी में जल की मात्रा तथा आकार के बढ़ जाने से नदी अधिक भार बहाकर ले जा सकती है।

3. निक्षेप (Deposition):
नदी का निक्षेप का कार्य रचनात्मक होता है। आर्थिक महत्त्व के स्थल रूप बनते हैं। अपरदन व निक्षेप एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों की दशाएं उलट होती हैं। नदी की निचली घाटी में निक्षेप की क्रिया होती है। यह निक्षेप नदी के तल में या नदी के किनारों पर या सागर में होता है। नदी की गहराई कम हो जाती है, परन्तु चौड़ाई बढ़ने लगती है। निक्षेप क्रिया द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

(i) जलोढ़ पंख (Alluvial Fans):
जब नदी पर्वत के सहारे नीचे उतर कर समतल भाग में प्रवेश करती है तो नदी का वेग एकदम कम हो जाता है; इसलिए पर्वतों की ढाल के आधार के पास अर्द्ध-वृत्ताकार रूप में पदार्थों का जमाव होता है जिसे जलोढ़ पंख कहते हैं। कई जलोढ़ पंखों के मिलने से भाबर क्षेत्र बना है।
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(ii) विसर्प अथवा घुमाव (Meanders):
नदी जब अपरदन अपरदन बल खाते हुए बहती है तो उसके टेढ़े-मेढ़े रास्ते में छोटेमोटे घुमाव पड़ जाते हैं जिन्हें नदी विसर्प (Meanders) निक्षेप कहते हैं। नदी के अवतल किनारों (Concave sides) पर तेज़ धारा के कारण-कटाव होता है परन्तु नदी के उत्तल किनारों (Convex sides) पर धीमी धारा के कारण निक्षेप निक्षेप होता है।
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(iii) गो-खुर झील (Ox-bow Lake):
जब दो घुमाव अति निकट आते हैं तो एक-दूसरे को काटते (Intersect) हैं तथा मिल जाते हैं। नदी में जब बाढ़ आती है तो नदी घुमाव के लम्बे मार्ग को छोड़ कर फिर छोटे (Short cut) व पुराने मार्ग से बहने लगती है। एक घुमाव का किनारा दूसरे घुमाव के किनारे से मिल जाता है। इस प्रकार एक धनुषाकार का घुमाव नदी से कट जाता है। इसे गो-खुर झील (Ox-bow Lake) कहते हैं। गंगा नदी के मार्ग में ऐसी कई गोखुर झीलें हैं।
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(iv) बाढ़ का मैदान (Flood Plain):
जब नदी में बाढ़ आती है तो नदी का भार किनारों को पार कर के दूरदूर तक जमा हो जाता है। इसमें कीचड़ और जलोढ़ मिट्टी (Silt) फैल जाती है। इसे बाढ़ का मैदान कहते हैं। ये मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं तथा प्रति वर्ष इनमें उपजाऊ मिट्टी की नई परत बिछ जाती है, जैसे-भारत में गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो (Hwang-Ho) का मैदान।
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(v) तटबन्ध (Leeves):
नदी के दोनों किनारों पर मिट्टी के जमाव द्वारा कम ऊंचाई वाले टीलों को तटबन्ध (Leeves) कहते हैं। बार-बार जमाव के कारण नदी का तल तथा किनारे बड़े ऊंचे होते हैं। कई बार बाढ़ के समय में किनारे टूट जाते हैं तो बहुत हानि होती है। भयंकर बाढ़ें आती हैं। चीन की ह्वांग-हो नदी की भीषण बाढ़ों का यही कारण है। इसलिए इसे ‘चीन का शोक’ कहते हैं।

(vi) डेल्टा (Delta):
समुद्र में गिरने से पहले नदी का भार अधिक हो जाता है तथा नदी की धारा बहुत धीमी हो जाती है। फलस्वरूप नदी अपने मुख पर अपने भार का निक्षेप कर देती है। समुद्र में नदी का निक्षेप एक मैदान के रूप में आगे बढ़ता है जिससे त्रिकोणाकार का स्थल रूप भूमध्य सागर बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द सिकन्द्रिया डेल्टा से मिलता-जुलता है तथा इसका प्रयोग सब से नील नदी पोर्ट सइद पहले नील नदी के डेल्टा के लिए किया गया था। डेल्टे दो प्रकार के होते हैं
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(क) नियमित (Regular): यह त्रिकोण आकार का होता है, जैसे-गंगा या नील नदी का डेल्टा।
(ख) अनियमित या पंजा डेल्टा (Irregular or Bird’s Foot Delta): यह डेल्टा पक्षी के पंजे के समान होता है जिससे बहुत-सी वितरिकाएं (Distributaries) होती हैं, जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी (Mississippi) नदी का डैल्टा। विभक्त धाराओं के जाल से बनी नदी को गुम्फित नदी कहते हैं। नील, पो, वालग आदि डेल्टाओं से गंगा, ब्रह्मपुत्र डेल्टा सब से बड़ा है जिसका क्षेत्रफल 1,25,000 वर्ग० कि० मी० है।

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प्रश्न 2.
हिमनदी ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाड़ियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है? बताइए।
उत्तर:
हिमनदी (Glacier): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। (A Glacier is a large mass of moving ice.)
हिमनदी के कारण: हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेती है। लगातार हिमपात के कारण हिम खण्डों का भार बढ़ जाता है। यह हिम समूह निचले ढलान की ओर खिसकने लगता है इसे हिमनदी कहते हैं। हिमनदी के खिसकने के कई कारण हैं

  1. अधिक हिम का भार (Pressure)
  2. ढाल (Slope)
  3. गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravity)

हिमनदी के प्रकार (Types of Glaciers): आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की होती हैं

  1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers)
  2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers)

1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers):
इन्हें पर्वतीय हिमनदी (Mountain Glaciers) भी कहते हैं। ये हिम नदी ऊँचे पर्वतों की चोटियों से उतर कर घाटियों में बहती है। सबसे पहले आल्पस पर्वत (Alps) में मिलने के कारण इन्हें अल्पाइन (Alpine) हिमनदी भी कहते हैं। हिमालय पर्वत पर इस प्रकार के कई हिमनद हैं, जैसे-गंगोत्री हिमनद।

2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers):
विशाल ध्रुवीय क्षेत्रों में फैले हुए हिमनद को महाद्वीपीय हिमनदी या हिम चादर (ice sheets) कहते हैं । लगातार हिमपात, नीचे तापक्रम तथा कम वाष्पीकरण के कारण हिम पिघलती नहीं। संसार की सबसे बड़ी हिम चादर अण्टार्कटिका (Antartica) 130 लाख वर्ग कि०मी० क्षेत्र में 4000 फुट मोटी है।

ग्रीनलैंड में ऐसी चादर का क्षेत्रफल 17 लाख वर्ग कि०मी० है। हिम क्षेत्रों में खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। जल की भांति हिमनदी अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप तीनों कार्य करती है। हिमनदी पर्वतीय प्रदेशों में अपरदन का कार्य, मैदानों में निक्षेप का कार्य तथा पठारों पर रक्षात्मक कार्य करती है। अपरदन (Erosion): हिमनदी अनेक क्रियाओं द्वारा अपरदन का कार्य करती है

  1. उखाड़ना (Plucking)
  2. गड्ढे बनाना (Grooving)
  3. 41411 (Grinding)

हिमनदी अपने मार्ग से बड़े-बड़े पत्थरों को उखाड़ कर गड्ढे उत्पन्न कर देती है। यह पत्थर चट्टानों के साथ रगड़ते, घिसते चलते हैं तथा हिमनदी की तली तथा किनारों को चिकना बनाते हैं। पर्वतीय प्रदेशों की रूपरेखा बदल जाती है।

अपरदन द्वारा बने भू-आकार:
I. हिमागार (Cirque):
पर्वतीय ढलानों पर गोल आकार के गड्ढों को हिमागार या सर्क कहते हैं। (“Cirques are semi-circular hollows at the side of
mountain.”) इनका आकार आराम कुर्सी के समान होता है। पाले द्वारा तुषार चीरण (Frost Wedging) की क्रिया से इनका आकार बड़ा हो जाता है। कभी-कभी इन गड्ढों में झील बन जाती है जिसे टार्न झील (Tarn Lake) कहते हैं। इन्हें फ्रांस में सर्क, स्कॉटलैण्ड में कौरी (Corrie) तथा जर्मनी में कैरन (Karren) कहते हैं।

II. श्रृंग (Horn):
जब किसी पहाड़ी के चारों ओर के सर्क आपस में मिल जाते हैं तो उनके पीछे के कटाव से नुकीली चोटियां बनती हैं। स्विटज़रलैण्ड में आल्पस पर्वत की एक प्रसिद्ध शृंग मैटर हार्न (Matter Horn) है तथा हिमालय पर्वत से त्रिशूल पर्वत।

III. कॉल (Col):
किसी पहाड़ी के दोनों ओर के हिमागारों के आपस में मिलने के कारण घोड़े की काठी जैसी आकृति वाला दर्रा बन जाता है जिसे कॉल कहते हैं।

IV. यू-आकार की घाटी (U-Shaped Valley):
जब हिमनदी किसी ‘V’ आकार की नदी घाटी में प्रवेश करती है तो उस घाटी का रूप ‘U’ अक्षर जैसा बन जाता है। यह घाटी गहरी हो जाती है। इसकी तली सपाट तथा चौरस होती है। इसके किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं। इसे हिमानी द्रोणी (Glacial trough) भी कहते हैं। जैसे उत्तरी अमेरिका में सेंट लारेंस घाटी (St. Lawrence Valley) समुद्र में डूबी हुई ‘U’ आकार की घाटियों को फियोर्ड (Fiord) कहते हैं, जैसे-नार्वे के तट पर।

V. लटकती घाटी (Hanging Valley):
हिमनदी की मुख्य घाटी अधिक गहरी होती है परन्तु उसमें मिलने वाली सहायक घाटी कम गहरी होती है। जब हिम पिघलती है तो सहायक घाटी मुख्य घाटी से ऊँची रह जाती है तथा मुख्य घाटी की दीवार के साथ संगम स्थल पर लटकती हुई प्रतीत होती है। इस लटकती घाटी का जल मुख्य घाटी में गिरता है तो प्रपात (Water Fall) का निर्माण होता है।

निक्षेप (Deposition):
जब हिमनदी पिघलती है तो उसका अधिकांश भाग अग्र भाग (snout) के निकट ही जमा हो जाता है। हिमनदी अपने भार को विभिन्न आकार तथा विस्तार के टीलों के रूप में जमा करती है। इन टीलों को हिमोढ़ (Moraines) कहते हैं। हिमोढ़ लम्बे कटक (Ridge) के रूप में लगभग 100 फीट ऊँचे होते हैं।

निक्षेप के स्थान के आधार पर हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं
1. पाश्विक हिमोढ़ (Lateral Moraines):
हिमनदी के किनारों के साथ-साथ बने लम्बे तथा संकरे हिमोढ़ को पाश्विक हिमोढ़ कहते हैं।

2. मध्यवर्ती हिमोढ़ (Medial Moraines):
दो मध्यवर्ती हिमोढ़ हिमनदियों के संगम के कारण उनके भीतरी किनारे वाले हिमोढ़ मिल कर एक हो जाते हैं। उसे मध्यवर्ती हिमोढ़ कहते हैं। कश्मीर में पर्वतीय चरागाह इन्हीं पर विकसित पाश्विक हिमोढ़ हुए हैं।

3. अन्तिम हिमोढ़ (Terminal Moraines):
अन्तिम हिमोढ़ हिमनदी के पिघल जाने पर हिमनदी के अन्तिम किनारे पर बने हिमोढ़ को अन्तिम हिमोढ़ कहते हैं।

4. तलस्थ हिमोढ़ (Ground Moraines):
हिमनदी की तली या आधार पर जमे हुए पदार्थ के ढेर को तलस्थ हिमोढ़ कहते हैं।

5. अन्य भू-आकार:
हिमनदी से पिघला हुआ जल कई स्थलाकारों को जन्म देता है। जलधाराओं से बारीक मिट्टी के निक्षेप से बाह्य मैदान (Out-wash plain) बनता है। उल्टी नाव या अंडे की शक्ल जैसी पहाड़ियां बनती हैं जिन्हें ड्रमलिन (Drumlin) कहते हैं। रेत, बजरी के निक्षेप से बनी कम ऊंचाई की श्रेणयों को एस्कर (Esker) कहते हैं। हिमनदी की अन्तिम सीमा पर टीलों की दीवार बन जाती है जिसे केमवेदिका कहते हैं।

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प्रश्न 3.
मरुस्थली क्षेत्रों में पवनें कैसे अपना कार्य करती हैं? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक स्थलरूपों का निर्माण करता है?
उत्तर:
मरुस्थलों व शुष्क प्रदेशों में वनस्पति व नमी की कमी के कारण वायु अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप कार्य करती है। इसलिए इसे शुष्क स्थल रूपरेखा (Arid Tropography) या वातज स्थल रूपरेखा भी कहते हैं। अपरदन के रूप-वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  1. नीचे का कटाव (Under Cutting)
  2. नालीदार कटाव (Gully Erosion)
  3. खुरचना (Scratching)
  4. चिकनाना (Polishing)

अपरदन (Erosion): वायु द्वारा अपरदन तीन प्रकार से होता है
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(ग) अपघर्षण (Abrasion):
वायु के धूलि-कण इसके अपरदन के यन्त्र (Tools) हैं। तीव्र गति वाली वायु धूलि-कणों को एक शक्ति के साथ चट्टानों से टकराती है। ये कण एक रेगमार (Sand paper) की भान्ति कटाव करते हैं। इस अपघर्षण की क्रिया से कई भू-आकार बनते हैं।

(i) छत्रक (Mushroom):
चट्टानों के निचले भाग व चारों तरफ से नीचे का कटाव (Under cutting) होता है। इस कटाव से एक पतले से आधार स्तम्भ (Pillar) के ऊपरी छतरी के आकार की चट्टानें खड़ी रहती हैं। नीचे की चट्टानें एक गुफा के समान कट जाती हैं। इसे छत्रक (Mushroom) या गारा (Gara) कहते हैं। चित्र-छत्रक जोधपुर के निकट छत्रक शैल मिलते हैं।
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(ii) ज्यूज़न (Zeugen):
ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज्यूज़न कहते हैं। ऊपरी भाग कठोर तथा कम चौड़ा होता है परन्तु निचला नरम भाग अधिक कटाव के कारण अधिक चौड़ा होता है।

(iii) यारडांग (Yardang):
वायु के लगातार एक ही दिशा में कटाव के कारण नुकीली चट्टानों का निर्माण होता है। इन्हें यारडांग कहते हैं। ये पसलियों (Ribs) की भान्ति तीव्र ढाल वाले होते हैं। ये भू-आकार चट्टानों के लम्ब (Vertical) रूप के कारण बनते हैं।

(iv) पुल तथा खिड़की (Bridge and Win-dow):
लम्बे समय तक कटाव के कारण चट्टानों की बीच बड़े-बड़े छिद्र बन जाते हैं। चट्टानों के आर-पार एक मेहराब (Arch) की आकृति का निर्माण हो जाता है, जैसे-U.S.A में Hope Window.

(v) इन्सेलबर्ग (Inselberg):
कठोर चट्टानों के ऊंचे टीलों को इन्सेलबर्ग कहते हैं। चारों ओर से कटाव के कारण ये तिरछी ढाल वाले तथा गुम्बदाकार होते हैं। ये ग्रेनाइट (Granite) तथा नीस (Gneiss) जैसी कठोर चट्टानों से बने होते हैं।

निक्षेप (Deposition): जब वायु का वेग कम हो जाता है तो उसे अपना भार कहीं-न-कहीं छोड़ना पड़ता है। इस निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस प्रदेश बनते हैं।

I. रेत के टीले (Sand Dunes):
जब रेत के मोटे कण टीलों के रूप में जमा हो जाते हैं तो उन्हें बालू का स्तूप कहते हैं (Sand dunes are hills of wind blown sand.)

  1. लम्बे बालूका स्तूप (Longitudinal dunes): ये प्रचलित वायु की दिशा के समानान्तर बनते हैं। इनकी आकृति लम्बी पहाड़ी की भान्ति होती है।
  2. आड़े बालूका स्तूप (Transverse dunes): ये प्रचलित पवन की दिशा के समकोण पर बनते हैं। इनकी शक्ल अर्द्ध-चन्द्राकार होती है।
  3. बरखान (Barkhans): यह अर्द्ध-चन्द्राकार टीले हैं जिनमें पवन मुखी ढाल उत्तल (Convex) तथा पवन विमुखी ढाल अवतल (Concave) होता है। इनकी आकृति दरांती (Sickle) या दूज के चांद (Crescent Moon) के समान होती है। बरखाना तुर्की शब्द है जिसका अर्थ है बालू की पहाड़ी। ये टीले खिसकते रहते हैं।

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II. लोएस (Loess):
दूर स्थानों से उठाकर लाई हुई बारीक मिट्टी के जमाव को लोएस कहते हैं। मरुस्थलों की सीमा पर रेत के बारीक कणों के निक्षेप में से लोएस प्रदेश बनते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में पीली मिट्टी का लोएस प्रदेश है जो 3 लाख वर्ग मील के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मिट्टी मध्य एशिया के गोबी मरुस्थल से लाई गई है। यह उपजाऊ मिट्टी है।

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प्रश्न 4.
चूना चट्टानें आर्द्र व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती है। क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख भू आकृतिक प्रक्रिया कौन सी है और इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
भूमिगत जल का कार्य (Work Underground Water):
भूमिगत जल का महत्त्वपूर्ण कार्य चूने के प्रदेशों में होता है। भूमिगत जल ऐसे प्रदेशों में विशेष प्रकार की भू-रचना का निर्माण करता है। ऐसे प्रदेश के पत्थरों के रेगिस्तान, वनस्पतिहीन तथा असमतल होते हैं। जल को वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड मिल जाती है। इसमें चूने का पत्थर घुल जाता है। ‘कार्ट’ शब्द यूगोस्लाविया के चूने की चट्टानों के प्रदेश से लिया गया है। इस प्रकार चूने की चट्टानों के प्रदेश की भू-रचना को कार्ट भू-रचना कहते हैं। ऐसे प्रदेश फ्रांस में, संयुक्त राज्य अमेरिका में, फ्लेरेडा तथा केन्टुकी प्रदेश, मैक्सिको में यूकाटन प्रदेश तथा भारत में खासी, रोहतास, पहाड़ियां, कांगड़ा घाटी व जबलपुर क्षेत्र हैं।

भूमिगत जल के कार्य (Works of Under-ground Water):
नदी, पवन, हिमनदी की तुलना में भूमिगत जल का कार्य कम महत्त्वपूर्ण है। इसका कारण भूमिगत जल की मन्द गति है। कम गति के कारण वास्तव में परिवहन का कार्य नहीं होता। अतः भूमिगत जल का कार्य मुख्यतः दो प्रकार से होता है

  • अपरदन (Erosion)
  • निक्षेप (Deposition)

I. अपरदन के रूप (Kinds of Erosion): भूमिगत जल द्वारा अपरदन के कई रूप हैं

  1. घुलने की क्रिया (Solution)
  2. जलगति क्रिया (Hydraulic Action)
  3. अपघर्षण (Abrasion)

अपरदन से बने भू-आकार (Land formed by Erosion):
(i) लैपीज़ (Lappies):
चूने के घुल जाने से गहरे गड्ढे बन जाते हैं। इनके बीच एक-दूसरे के समानान्तर पतली नुकीली पहाड़ियां दिखाई देती हैं। इन तेज़-धारी वाली पहाड़ियां (Knife-edged Ridges) को लैपीज़ या कैरन (Karren), क्लिन्ट (Clint) या बोगाज़ (Bogaz) कहते हैं। ऐसे प्रदेश में धरातल कटा-फटा दिखाई देता है। इन गड्ढों की दीवारें सीधी होती हैं।

(ii) घोल छिद्र (Sink Holes):
भूमिगत जल घुलन क्रिया से दरारों को बड़ा करता है तथा बड़े-बड़े तथा चौड़े गड्ढे बना देता है। इन खुले गड्ढों द्वारा नदियां नीचे चली जाती हैं। इन्हें डोलाइन (Doline) या विलय छिद्र (Swallow Holes) या घोल छिद्र (Sink Holes) कहते हैं। कई घोल छिद्रों के आपस में मिल जाने से एक गड्ढा बन जाता है जिसे युवाला (Uvala) कहते हैं। इन छिद्रों के कारण धरातल का जल-प्रवाह लुप्त हो जाता है तथा शुष्क घाटियां (Dry Valleys) बनती हैं। नदी जल भमि के नीचे अपनी घाटी बनाता है जिन्हें आधी घाटियां (Blind Valleys) कहते हैं। कई गड्ढों में वर्षा का पानी भर जाने से कार्ट झील (Karst Lake) बन जाती है।

(iii) गुफाएं (Caves):
घुलन क्रिया से भूमि के निचले भाग खोखले हो जाते हैं। धरातल पर कठोर भाग छत के रूप में खड़े रहते हैं। इस प्रकार भूमि के भीतर की मीलों लम्बी-चौड़ी गुफाएं बन जाती हैं। गहरी कन्दराओं को पोनोर (Ponor) कहते हैं, परन्तु लम्बी बरामदों जैसी गुफाओं में गैलरी (Galleries) का निर्माण होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के केन्टुकी के प्रदेश की मैमथ गुफाएं (Mammoth caves) संसार भर में प्रसिद्ध हैं जोकि 48 कि० मी० लम्बी हैं। भारत में मध्य प्रदेश के बस्तर जिले में कोतामसर (Kotamsar) की गुफाएं प्रसिद्ध हैं जिनका बड़ा अक्ष (Chamber) 100 मीटर लम्बा तथा 12 मीटर ऊंचा है।

(iv) प्राकृतिक पुल (Natural Bridges): जहां गुफाओं के कुछ अश नीचे धंस जाते हैं और कठोर भाग खड़े रहते हैं तो प्राकृतिक पुल बनते हैं जैसे आयरलैण्ड में मार्बल आर्क (Marble Arch)।

(v) राजकुण्ड (Poljes): गुफाओं की छतों के गिर जाने से भूतल पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इन विशाल गड्ढों को राजकुण्ड (Poljes) कहा जाता है।

II. निक्षेप (Deposition):
भूमिगत जल द्वारा निक्षेप निम्नलिखित दशाओं में होता है

  1. जब जल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो जाए।
  2. जल की घुलन शक्ति कम हो जाए।
  3. अधिक वाष्पीकरण से जल भाप बन जाए।
  4. जल की मात्रा कम हो जाए।
  5. खनिज के घुल जाने के पश्चात् जल स्वयं ही निक्षेप करता है।
  6. दबाव तथा तापक्रम कम होने से।

निक्षेप से बने भू-आकार (Land forms formed by Deposition): भूमिगत जल बड़ी मात्रा में खनिज पदार्थ घोल लेता है। इस पदार्थ के निक्षेप से कई भू-आकार बनते हैं
1. स्टैलैक्टाइट (Stalactite):
गुफा की छत से टपकते जल में चूना घुला रहता है। जब जल वाष्प बन जाता है तो चूने का कुछ अंश छत पर जमा हो जाता है। धीरे-धीरे उसकी लम्बाई नीचे की ओर बढ़ जाती है। इन पतले, नुकीले, लटकते हुए स्तम्भों को स्टैलैक्टाइट (Stalactite) कहते हैं। यह स्तम्भ मुड़ कर बाजे की पाइप (Organ Pipe) का रूप धारण कर लेते हैं। विचित्र आकार के कारण इन्हें लटकते हुए परदे (Hanging Curtains) भी कहा जाता है।

2. स्टैलैगमाइट (Staiagmite):
गुफा को छत से रिसने वाला जल नीचे फर्श पर चूने का निक्षेप करता है। यह जमाव ऊपर की ओर स्तम्भ का रूप धारण कर लेता है। इस मोटे व बेलनाकार स्तम्भ को स्टैलैगमाइट (Stalagmite) कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक गुफा में एक ऐसे स्तम्भ का आकार 60 मीटर तथा ऊंचाई 30 मीटर तक है।

3. कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar):
ये दोनों स्तम्भ बढ़ते-बढ़ते आपस में मिल जाते हैं तो गुफा की दीवार की भान्ति कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar) बन जाते हैं। ये स्तम्भ खोखले होते हैं। ये खटकाने से बहुत सुन्दर आवाज़ करते हैं। स्टैलैक्टाइट

4. हम्स (Hums):
ये विस्तृत चूने के ढेर होते स्टैलैगमाइट हैं। ये गुम्बदादार (Dome-shaped) होते हैं। ये विशाल गड्ढों में पॉलजी (Poljes) में जमा होते रहते हैं।

5. ड्रिप स्टोन (Drip Stone):
जब गुफा की छत से जल छिद्र से न गिर कर छत की दरारों से टपकता है, तो गुफा की तली में परदे के समान चूने का लम्बवत् चित्र-स्टैलैक्टाइट और स्टैलैगमाइट जमाव हो जाता है। इस जमाव को ड्रिप स्टोन कहते हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास 19

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण के बाह्य कार्यकर्ता (External agents of change): निम्नलिखित प्रमुख बाह्य कार्यकर्ता जो भूतल पर परिवर्तन लाते हैं

  • अपक्षय
  • नदी
  • हिम नदी
  • पवन
  • सागरीय तरंगें।

→ नदी मार्ग के भाग (Sections of River Course): नदी मार्ग को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है

  • ऊपरी भाग या पर्वतीय भाग।
  • मध्यवर्ती भाग या मैदानी भाग
  • निचला भाग या डैल्टा भाग।

→ नदी का अपरदन कार्य (Work of Erosion by River) नदी द्वारा अपरदन के दो प्रकार हैं: घोलीकरण, यांत्रिक अपरदन-तटीय अपरदन, शीर्षवत् अपरदन तथा संनिघर्षण। अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

  • V-आकार घाटी
  • गार्ज तथा कैनियन
  • जलप्रपात
  • झरने।

नदी द्वारा निक्षेप से बनने वाले भू-आकार (Landforms formed by River Deposition)

  • जलोढ़ पंख
  • विसर्प
  • गोखुर झील
  • बाढ़ के मैदान
  • डैल्टा।

→ हिमनदी (Glaciers): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिम नदी कहते हैं। हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेतीहै। आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की हैं
घाटी हिम नदी।, महाद्वीपीय हिम नदी।

→ हिमनदी द्वारा अपरदन (Erosion by a glaciers): हिमनदी अपरदन का कार्य निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा करती है

  • उखाड़ना
  • गड्ढे बनाना
  • पीसना
  • चिकनाना।

→ इसके अपरदन से निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं।

  • हिमागार
  • श्रृंग
  • कॉल
  • U-आकार घाटी
  • लटकती घाटी।

→ हिमनदी द्वारा निक्षेप (Deposition by glaciers): हिमनदी के पिघलने पर इसके मलबे का निक्षेप होता है। यह निक्षेप टीलों के रूप में होता है जिसे हिमोढ़ कहते हैं। हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं|

  • पाश्विक हिमोढ़
  • मध्यवर्ती हिमोढ़
  • अन्तिम हिमोढ़
  • तलस्थ हिमोढ़।

→ वायु द्वारा अपरदन (Wind Erosion): वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  • नीचे का कटाव
  • नालीदार कटाव,
  • खुरचना
  • चिकनाना। वायु अपरदन में अपवाहन, अपघर्षण तथा संनिघर्षण महत्त्वपूर्ण हैं।

वायु अपरदन से:

  • छत्रक
  • यारडांग
  • ज्यूज़ेन
  • पुल
  • इन्सेलबर्ग बनते हैं।

→ वायु निक्षेप (Wind deposition): जब वायु का वेग कम होता है तो निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस निक्षेप बनते हैं। रेत के टीले तीन प्रकार के होते हैं

  • लम्बे बालूका स्तूप
  • आड़े बालूव’ स्तूप
  • बरखान टीले।

→ सागरीय तरंगें (Sea Waves): सागरीय तरंगों का कार्य तटों तक सीमित होता है। यह अपरदन ल दाब क्रिया, अपघर्षण, घुलन क्रिया द्वारा होता है। लहरों के अपरदन से खाड़िया, मृगु, गुफाएं, वात छिद्र तथा स्टक बनते हैं। लहरों द्वारा निक्षेप से पुलिन, रोधिकाएं, लैगून तथा स्पिट बनते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?
(A) निक्षेप
(B) ज्वालामुखीयता
(C) पटल-विरूपण
(D) अपरदन।
उत्तर:
अपरदन।

2. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(A) ग्रेनाइट
(B) क्वार्ट्ज
(C) चीका (क्ले) मिट्टी
(D) लवण।
उत्तर:
लवण।

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3. मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
(A) भूस्खलन
(B) तीव्र प्रवाही वृहत् संचलन
(C) मंद प्रवाही वृहत् संचलन
(D) अवतलन/धसकन।
उत्तर:
मंद प्रवाही वृहत् संचलन।

4. निम्न में कौन-सा कारक बृहत क्षरण को प्रभावित नहीं करता?
(A) विवर्तन
(B) चट्टानों का प्रकार
(C) गुरुत्वाकर्षण
(D) जलवायु।
उत्तर:
चट्टानों का प्रकार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?
उत्तर:
जैविक अपक्षय, जीवों की वृद्धि या संचलन से उत्पन्न अपक्षय-वातावरण एवं भौतिक परिवर्तन से खनिजों एवं आयन्स के स्थानान्तर की दिशा में एक योगदान है। केंचुओं, दीमकों, चूहों, कुंतकों इत्यादि जैसे जीवों द्वारा बिल खोदने एवं वेजिंग (फान) के द्वारा नयी सतहों (Surfaces) का निर्माण होता है जिससे रासायनिक प्रक्रिया के लिए अनावृत्त (Expose) सतह में नमी एवं हवा के वेधन में सहायता मिलती है। मानव भी वनस्पतियों को अस्त-व्यस्त कर, खेत जोतकर एवं मिट्टी में कृषि करके धरातलीय पदार्थों में वायु, जल एवं खनिजों के मिश्रण तथा उनमें नये सम्पर्क स्थापित करने में सहायक होता है।

सड़ने वाले पौधों एवं पशुओं के पदार्थ; ह्यमिक, कार्बनिक एवं अन्य अम्ल जैसे तत्त्वों के उत्पादन में योगदान देते हैं जिससे कुछ तत्त्वों का सड़ना, क्षरण तथा घुलन बढ़ जाता है। शैवाल, खनिज पोषकों (Nutrients) लौह एवं मैंगनीज़ ऑक्साइड के संकेद्रण में सहायक होता है। पौधों की जड़ें धरातल के पदार्थों पर ज़बरदस्त दबाव डालती हैं तथा उन्हें यान्त्रिक ढंग (Mechanically) से तोड़कर अलग-अलग कर देती हैं।

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प्रश्न 2.
वृहत संचलन जो वास्तविक तीव्र एवं गोचर/अवगमन हैं वे क्या हैं? सूची बद्ध कीजिए।
उत्तर:
वृहत संचलन की सक्रियता के कई कारक होते हैं। वे इस प्रकार हैं

  1. प्राकृतिक एवं कृत्रिम साधनों द्वारा ऊपर के पदार्थों के टिकने के आधार का हटाना।
  2. ढालों की प्रवणता एवं ऊंचाई में वृद्धि,
  3. पदार्थों के प्राकृतिक अथवा कृत्रिम भराव से जुड़ने के कारण उत्पन्न अतिभार,
  4. अत्यधिक वर्षा, संतृप्ति एवं ढाल के पदार्थों के स्नेहन (Lubrication) द्वारा उत्पन्न अतिभार,
  5. मूल ढाल की सताह पर से पदार्थ या भार का हटना,
  6. भूकम्प आना,
  7. विस्फोट या मशीनों का कम्पन (Vibration),
  8. अत्यधिक प्राकृतिक रिसाव,
  9. झीलों, जलाशयों एवं नदियों से भारी मात्रा में जल निष्कासन एवं परिणामस्वरूप ढालों एवं नदी तटों के नीचे से जल का मंद गति से बहना,
  10. प्राकृतिक वनस्पति का अन्धाधुन्ध विनाश।

प्रश्न 3.
विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वह क्या प्रधान कार्य सम्पन्न करते हैं?
उत्तर:
गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक, भू-आकृतिक कारक, प्रवाहित जल, हिमानी, हवा, लहरें धाराएँ हैं। ये धरातल के पदार्थों को हटाने, ले जाने तथा निक्षेप के कार्य सम्पन्न करते हैं। इनका उद्देश्य भू-आकृतियों का विघर्षण करना है। प्रश्न

प्रश्न 4.
क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?
उत्तर:
मृदा निर्माण अपक्षय पर निर्भर करता है। अपक्षय शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा मृदा निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। यह अपरदन में सहायक हैं। मलबे के परिवहन तथा निक्षेप से ही मृदा निर्माण होता है।

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प्रश्न 5.
क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दोनों क्रियाएं सामूहिक रूप से कार्य करती हैं। कभी एक क्रिया प्रधान होती है तो कभी दूसरी क्रिया प्रधान होती है। दोनों क्रियाओं में विखण्डन तथा अपघटन होता है। दोनों में जल, दाब तथा गैसें सहायक होती हैं।

रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ: रासायनिक अपक्षय में क्रियाओं का एक समूह कार्य करता है जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण, जल योजन, ऑक्सीकरण। ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड इन क्रियाओं को तीव्र गति प्रदान करती है। भौतिक अपक्षय क्रियाएँ: ये क्रियाएं यांत्रिक क्रियाएं हैं जिनमें निम्नलिखित बल कार्य करते हैं:

  1. गुरुत्वाकर्षण बल
  2. तापमान वृद्धि के कारण विस्तारण बल
  3. जल का दवाब इन बलों के कारण शैलों का विघटन होता है। ये प्रक्रियाएं लघु व मन्द होती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक वर्गों के खेल का मैदान है। विवेचना करो।
उत्तर:
धरातल पृथ्वी मण्डल के अन्तर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अन्दर अद्भुत आन्तरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है तथा यह सर्वदा परिवर्तनशील है। बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आन्तरिक बलों को अन्तर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं। बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है-उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण (Wearing down) तथा बेसिन/निम्न क्षेत्रों/गों का भराव (अधिवृद्धि/तल्लोचन) धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अन्तर के कम होने के तथ्य को तल सन्तुलन (Gradation) कहते हैं।

अन्तर्जनित शक्तियां निरन्तर धरातल के भागों को ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं उच्चावच में भिन्नता को सम (बराबर) करने में असफल रहती हैं। अतएव भिन्नता तब तक बनी रहती है जब तक बहिर्जनिक एवं अन्तर्जनित बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं। सामान्यतः अन्तर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती हैं।

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प्रश्न 2.
“बाह्यजनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएं अपनी अन्तिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धरातल पर बाह्य भू-आकृतिक क्रियाएं भिन्न-भिन्न अक्षांशों में भिन्न-भिन्न होती हैं। यह सूर्य से प्राप्त गर्मी में भिन्नता के कारण हैं। विभिन्न जलवायु प्रदेशों में तथा ऊंचाई में अन्तर के कारण सूर्यताप प्राप्ति में स्थानीय विभिन्नता पाई जाती है। इस प्रकार वायु का वेग, वर्षा की मात्रा, हिमानी, तुषार आदि क्रियाओं में विभिन्नता सूर्यातप के कारण हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Question)

प्रश्न 1.
आप किस प्रकार मदा निर्माण प्रक्रियाओं और मृदा निर्माण कारकों के बीच अन्तर करेंगे? जलवायु और भौतिक क्रियाओं की मृदा निर्माण में क्या भूमिका है? दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप लिखो।
उत्तर:
मृदा निर्माण के कारक सभी मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं अपक्षय से जुड़ी हैं। लेकिन कई अन्य कारक अपक्षय के अंतिम उत्पाद को प्रभावित करते हैं। इनमें से पांच प्राथमिक कारक हैं। ये अकेले अथवा सम्मिलित रूप से विभिन्न प्रकार की मृदाओं के विकास के लिए उत्तरदायी हैं। ये कारक हैं

समय (Time):
आदर्श दशाओं में एक पहचान योग्य मृदा परिच्छेदिका का विकास 200 वर्षों में हो सकता है। परन्तु कम अनुकूल परिस्थितियों में यह समय हज़ारों वर्षों का हो सकता है। समय तथा अन्य विशिष्ट कारकों-जलवायु, जनक सामग्री, स्थलाकृति तथा जैविक पदार्थ के प्रभावों द्वारा मृदा विकास की दर निर्धारित होती है।

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएँ (Processes of Soil Formation):
मृदा निर्माण में अनेक प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं और किसी सीमा तक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित कर सकती हैं। ये प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं
(i) अवक्षालन:
यह मृत्तिका अथवा अन्य महीन कणों का यांत्रिक विधि से स्थान परिवर्तन है, जिसमें वे मृदा परिच्छेदिका में नीचे ले जाए जाते हैं।

(ii) संपोहन:
यह मृदा परिच्छेदिका के निचले संस्तरों में ऊपर से बहाकर लाए गए पदार्थों का संचयन है।

(iii) केलूवियेशन:
यह निक्षालन के समान पदार्थ का नीचे की ओर संचलन है, परन्तु जैविक संकुल यौगिकी के प्रभाव में।

(iv) निक्षालन:
इसमें घोल रूप में पदार्थों को किसी संस्तर से हटाकर नीचे की ओर ले जाना है।

1. जनक पदार्थ (Parent Material):
कमजोर तरीके से संयोजित बलुआ पत्थर से बनी मृदा बलुई होगी और शैल चट्टान से बनी मृदा उथली तथा महीन गठन वाली होगी। इसी प्रकार मृत्तिका निर्माण में अपघट्य गहरे रंग वाले खनिजों का उच्च प्रतिशत क्वार्ट्ज की अपेक्षा अधिक सहायक है। इस प्रकार जनक पदार्थ अपक्षय की विभिन्न दरों द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करता है। मूल शैल तट स्थान (In Situ) या अवशिष्ट मृदा या लाए गए निक्षेप (परिवहन कृत) (Transported) भी हो सकती है।

2. जलवायु (Climate):
आर्द्र क्षेत्रों में अत्यधिक अपक्षय तथा निक्षालन के कारण अम्लीय मृदा का निर्माण होता है। निम्न वर्षा वाले क्षेत्रों में चूने के संचयन या धारण के कारण क्षारीय मृदा का निर्माण होता है। विभिन्न प्रकार के मृदा निर्माण में जलवायु एक
अत्यधिक प्रभावी कारक है, विशेषकर तापमान और वर्षा के प्रभावों के कारण वनस्पति पर अपने प्रभाव के कारण, जलवायु मृदा निर्माण में परोक्ष भूमिका भी निभाती है।

3. जीवजात (Vegetation):
जैविक उत्सर्ग एवं अपशिष्ट पदार्थों के अपघटन तथा जीवित पौधों तथा पशुओं की क्रियाओं का मदा विकास में विशेष हाथ होता है। बिलकारी प्राणी जैसे-छछंदर, प्रेअरी डॉग, केंचुआ, चींटी और दीमक आदि धीरे-धीरे जैविक पदार्थों का अपघटन करके तथा दुर्बल अम्ल तैयार करके, जो शीघ्र ही खनिजों को घोल देता है, मृदा विकास में सहायक होते हैं।

4. स्थलाकृति (Topographes):
पहाड़ियों के तीव्र ढालों पर मृदा आवरण पतला होता है और इसका कारण पृष्ठीय प्रवाह के कारण भूपृष्ठ का अपरदन है। इसके विपरीत पहाड़ियों के मंद ढालों पर मृदा की परत मोटी होती है। इसका कारण वनस्पति की प्रचुरता
और पर्याप्त जल का मृदा के नीचे गहराई तक चला जाना है। स्थल-रुद्ध गर्तों में प्रवाहित जल का अधिकांश भाग आता है, जो घनी वनस्पति आवरण के लिए सहायक है, लेकिन ऑक्सीकरण की कमी के कारण अपघटन धीमा हो जाता है। इससे ऐसी मृदा की उत्पत्ति होती है, जो जैविक पदार्थों में समृद्ध होती है। स्थलाकृति, जल एवं तापमान के साथ अपने सम्बन्ध के द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ  JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण (Denudation): पृथ्वी के धरातल को समतल करने की क्रिया को अनावरण कहते हैं। बाह्य कार्यकर्ता धरातल को समतल करने का यत्न करते हैं।

→ अपरदन (Erosion): भूतल पर कांट-छांट तथा खुरचने की क्रिया को अपरदन कहते हैं। यह कार्य गतिशील कारकों द्वारा जैसे जल, हिम नदी, वायु द्वारा होता है।

→ अपक्षरण (Weathering): पृथ्वी की बाहरी स्थिर शक्तियों द्वारा चट्टानों को विखण्डन तथा अपघटन की क्रिया से तोड़ने-फोड़ने के कार्य को अपक्षरण कहते हैं। अपक्षरण चट्टानों को कमजोर करके अपरदन में सहायता करता है।

→ अपक्षरण के कारक (Factors):

  • चट्टानों की संरचना
  • भूमि का ढाल
  • जलवायु
  • वनस्पति
  • शैल सन्धियां।

→ अपक्षरण के प्रकार (Types of Weathering):

  • भौतिक अथवा यान्त्रिक अपक्षरण
  • रासायनिक

→ भौतिक अपक्षरण (Physical Weathering): यान्त्रिक साधनों द्वारा चट्टानों के विघटन (संरचना के परिवर्तन के बिना) को भौतिक अपक्षरण कहते हैं। यह क्रिया तापमान, पाला, पवन तथा वर्षा द्वारा होती है।

→ रासायनिक अपक्षरण (Chemical Weathering): रासायनिक विधियों से चट्टानों के अपने ही स्थान पर अपघटन को रासायनिक अपक्षरण कहते हैं। ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन आदि गैसों के प्रभाव से निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा अपक्षरण होता है

  • ऑक्सीकरण
  • कार्बोनेटीकरण
  • जलयोजन
  • घोलीकरण।

→ मृदा (Soil):
मृदा भूतल की ऊपरी सतह का आवरण है। यह चट्टानों के चूर्ण तथा वनस्पति के गले-सड़े अंश की एक पतली पर्त है।

→ मृदा संस्तर (Soil Horizons): मृदा के पार्श्व चित्र में तीन पर्ते या संस्तर पाए जाते हैं

  • अ-संस्तर
  • ब-संस्तर
  • स-संस्तर।

→ मृदा का महत्त्व (Importance of Soils): मृदा एक मूल्यवान् प्राकृतिक सम्पदा है। मानवता मृदा पर निर्भर है, अनेक मानवीय तथा आर्थिक क्रियाएं मृदा पर निर्भर हैं।

→ मृदा अपरदन (Soil Erosion): भू-तल की ऊपरी सतह से उपजाऊ मृदा का उड़ जाना या बह जाना मृदा अपरदन कहलाता है। जल, वायु तथा वर्षा मृदा अपरदन के प्रमुख कारक हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

→ मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion):

  • धरातलीय अपरदन
  • नालीदार कटाव
  • वायु

→ अपरदन। मृदा अपरदन के कारण (Causes of Soil Erosion):

  • मूसलाधार वर्षा
  • तीव्र ढलान
  • तीव्र गति पवनें
  • अनियन्त्रित पशुचारण
  • स्थानान्तरी कृषि
  • वनों की कटाई।

→ मृदा संरक्षण के उपाय (Methods of Soil Conservation): मृदा संरक्षण, बचाव, पुनर्निर्माण तथा । उपजाऊपन कायम रखना आवश्यक है। विभिन्न उपायों का प्रयोग किया जाता है

  • वनारोपण
  • नियन्त्रित पशुचारण
  • सीढ़ीनुमा कृषि
  • नदी बांध निर्माण
  • फसलों का हेर-फेर।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने भूगोल शब्द का प्रयोग किया?
(A) हेरोडोटस
(B) गैलिलियो
(C) इरेटा स्थिनीज़
(D) अरस्तु।
उत्तर:
इरेटा स्थिनीज़।

2. निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
(A) बन्दरगाह
(B) मैदान
(C) सड़क
(D) जल, उघात।
उत्तर:
मैदान।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण सम्बन्ध से जुड़ा हुआ है?
(A) क्यों
(B) क्या
(C) कहां
(D) कब।
उत्तर:
क्यों।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
(A) समाज शास्त्र
(B) नृ-विज्ञान
(C) इतिहास
(D) भूगोल।
उत्तर:
इतिहास।

Matching Statements

प्रश्न 1.
स्तम्भ I एवं II के अन्तर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए।

स्तम्भ I

(Column I)

प्राकृतिक/सामाजिक विज्ञान

स्तम्भ II

(Column II)

भूगोल की शाखाएँ

1. मौसम विज्ञान (A) जनसंख्या भूगोल
2. जनांकिकी (B) मृदा भूगोल
3. समाज शास्त्र (C) जलवायु विज्ञान
4. मृदा विज्ञान (D) सामाजिक भूगोल।

सही मेल को चिह्नांकित कीजिए:
(क) 1. (B), 2. (C), 3. (A), 4. (D)
(ख) 1. (D), 2. (B), 3. (C), 4. (A)
(ग) 1. (A), 2. (D), 3. (B), 4. (C)
(घ) 1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B)
उत्तर:
1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B).

(स्व) लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन है। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान या घर मानकर अध्ययन करता है। भूगोल सभी सामाजिक तथा प्राकृतिक विज्ञानों से सूचना प्राप्त करके यह अध्ययन करता है। पृथ्वी पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण में भिन्नता दिखाई देती है। अतएव भूगोल को क्षेत्रीय-भिन्नताओं का अध्ययन मानना तार्किक है। भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो क्षेत्रीय सन्दर्भ में भिन्न होते हैं।

भूगोल कार्य-कारण नियम (Cause and effect) द्वारा इन विभिन्नताओं के उत्पत्ति के कारणों का भी अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।” अल्फ्रेड हैटनर के अनुसार, “भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से सम्बन्धित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 2.
आप विश्वविद्यालय जाते समय किन महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान हैं। इन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? क्यों?
उत्तर:
विश्व विद्यालय जाते समय हम सड़क, रेल, बाज़ार, सिनेमाघर आदि सांस्कृतिक लक्षण देखते हैं। ये सभी लक्षण असमान हैं। उन सभी लक्षणों को भूगोल के अध्ययन में शामिल करना चाहिए क्योंकि इनका सम्बन्ध भौतिक भूगोल से है।

प्रश्न 3.
एक टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, सन्तरा व लौकी में से कौन सी वस्तु की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती जुलती है।
उत्तर:
सन्तरे की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती-जुलती है क्योंकि यह फल पृथ्वी के समान दोनों सिरों पर चपटा होता है।

प्रश्न 4.
वनमहोत्सव में वृक्षारोपण किस प्रकार पारिस्थैतिक सन्तुलन बनाए रखते हैं?
उत्तर:
वनों की कमी को वृक्षारोपण से पूरा किया जाता है। वृक्ष हमें ऑक्सीजन, नम जलवायु तथा शीतलता प्रदान करते हैं। वृक्ष वन्य प्राणियों के आवास स्थल होते हैं तथा पारिस्थितिक सन्तुलन बनाए रखते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 5.
हाथी, हिरण, वन्य प्राणी किस मण्डल में निवास करते हैं?
उत्तर:
ये सभी जैव मण्डल में रहते हैं। परीक्षा शैली पर आधारित अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

भूगोल एक विषय के रूप में JAC Class 11 Geography Notes

→ भूगोल एक विज्ञान के रूप में: भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है। भूगोल दो शब्दों का सुमेल है-भू-पृथ्वी। + गोल-गोलाकार (Ge = earth, Grapho = description)

→ भूगोल में समग्रता (Synthesis of Geography): मैकिंडर ने भौतिक तथा मानवीय भूगोल के संश्लेषण का विचार प्रकट किया।

→ भूगोल एक स्वतन्त्र विषय: आधुनिक युग में भूगोल को एक विज्ञान का रूप दिया जाता है। यह क्षेत्रीय विज्ञान है जो प्राकृतिक तथा सामाजिक लक्षणों का अध्ययन है।

→ भूगोल के लक्ष्य तथा उद्देश्य: भूगोल किसी क्षेत्र को उसकी समग्रता के रूप में अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में दो विधियां-प्रादेशिक अध्ययन तथा क्रमबद्ध अध्ययन प्रयोग की जाती हैं।

→ अन्य विषयों से सम्बन्ध: भूगोल का सम्बन्ध भू-आकृति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि से है। भौतिक तथा मानवीय भूगोल दो मुख्य विषय हैं। इनके अन्तर्गत भू-विज्ञान, जलवायु विज्ञान, मृदा विज्ञान, सामाजिक भूगोल, आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल तथा राजनीतिक भूगोल के विषय हैं।

JAC Board Solutions Class 11 in Hindi & English Jharkhand Board

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JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8

2. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह है?
(A) पृथ्वी
(B) बृहस्पति
(C) शनि
(D) कुबेर।
उत्तर:
पृथ्वी।

3. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह नहीं है?
(A) बुध
(B) शुक्र
(C) पृथ्वी
(D) शनि।
उत्तर:
शनि।

4. एमैनुल कांट किस देश का निवासी था?
(A) भारत
(B) फ्रांस
(C) इंग्लैण्ड
(D) जर्मनी।
उत्तर:
जर्मनी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

5. लाप्लास ने नीहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1795
(B) 1796
(C) 1797
(D) 1798
उत्तर:
1796.

6. सूर्य से गैसीय पदार्थ किस बल द्वारा अलग हुए हैं?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घूर्णन
(C) कोणीय संवेग
(D) अपकेन्द्रीय बल।
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण।

7. किस गैस का संगलन हीलियम में हुआ?
(A) हाइड्रोजन
(B) नाइट्रोजन
(C) ऑक्सीजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

8. चन्द्रमा की उत्पत्ति कितने वर्ष पूर्व हुई?
(A) 2.44 अरब वर्ष
(B) 4.44 अरब वर्ष
(C) 3.44 अरब वर्ष
(D) 5.44 अरब वर्ष।
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष।

9. नीहारिका सिद्धान्त किस विद्वान् ने प्रस्तुत किया?
(A) चेम्बरलेन
(B) लाप्लेस
(C) न्यूटन
(D) मोल्टन।
उत्तर:
लाप्लेस।

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10. लाप्लेस किस विषय का विद्वान् था?
(A) सामाजिक विज्ञान
(B) भौतिकी
(C) अर्थशास्त्र
(D) गणित।
उत्तर:
गणित।

11. जेम्स तथा जेफ़री ने कौन-सा सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
(A) नीहारिका
(B) दैतारक सिद्धान्त
(C) एक तारक सिद्धान्त
(D) विस्थापन सिद्धान्त।
उत्तर:
दैतारक सिद्धान्त।

12. ऑटो शिमिड किस देश का वैज्ञानिक था?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
रूस।

13. सौर नीहारिका की प्रमुख गैस थी
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हाइड्रोजन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

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14. पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी सर्वमान्य सिद्धान्त है
(A) नीहारिका
(B) द्वैतारिक
(C) बिग बैंग
(D) ज्वारीय।
उत्तर:
बिग बैंग।

15. बिग बैंग सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) लाप्लेस
(B) एडविन हब्बल
(C) मोल्टन
(D) न्यूटन।
उत्तर:
एडविन हब्बल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
उत्तर:
8.

प्रश्न 2.
आन्तरिक ग्रहों (तुच्छ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ग्रह ।

प्रश्न 3.
बाह्य ग्रहों ( श्रेष्ठ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, कुबेर।

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प्रश्न 4.
उस अद्वितीय ग्रह का नाम लिखो जहां जीवन मौजूद है।
उत्तर:
पृथ्वी।

प्रश्न 5.
किस दार्शनिक ने नीहारिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कान्त।

प्रश्न 6.
किस वैज्ञानिक ने संघट्ट परिकल्पना प्रस्तुत की?
उत्तर:
जेम्स जीन्स तथा जेफ्रीज़ ने।

प्रश्न 7.
सूर्य से बाहर निकले जीह्वाकार पदार्थ का क्या आकार है?
उत्तर:
सिगार आकार।

प्रश्न 8.
1950 ई० में रूस के किस वैज्ञानिक ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन किया?
उत्तर:
ऑटो शिमिड ने।

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प्रश्न 9.
जींस और जैफरी का कौन-सा सिद्धान्त है?
उत्तर:
द्वैतारक सिद्धान्त।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त (विस्तृत ब्रह्माण्ड परि-कल्पना)

प्रश्न 11.
प्रकाश वर्ष में प्रकाश कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर:
9.461 x 1012 कि० मी०।

प्रश्न 12.
तारों का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले।

प्रश्न 13.
The Big Splat से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक बड़े पिण्ड का पृथ्वी से टकराना जिससे चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई।

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प्रश्न 14.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष पूर्व।

प्रश्न 15.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
संश्लेषण क्रिया से महासागरों में ऑक्सीजन का बढ़ना।

प्रश्न 16.
लाप्लेस के अनुसार ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से सूर्य की युवा अवस्था में हुआ।

प्रश्न 17.
द्वैतारक मत के दो समर्थक विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर:
सर जेम्स जीन्स, सर हैरोल्ड जैफ़री।

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प्रश्न 18.
सौर नीहारिका परिकल्पना के समर्थक दो विद्वानों के नाम लिखो।
उत्तर;
ऑटो शिमिड, कार्ल वाइज़ास्कर।

प्रश्न 19.
सौर नीहारिका में मौजूद तीन गैसें बताओ।
उत्तर:

  1. हाइड्रोजन
  2. हीलियम
  3. धूलिकण।

प्रश्न 20.
ब्रह्माण्ड का विस्तार कैसे हो रहा है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड की आकाश गंगाओं के बीच की दूरी बढ़ने से विस्तार हो रहा है।

प्रश्न 21.
पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में प्रारम्भिक मत किस दार्शनिक ने दिया?
उत्तर:
एमैनुल कान्ट।

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प्रश्न 22.
सूर्य के सबसे नज़दीक कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बुध।

प्रश्न 23.
सौरमण्डल का सबसे बड़ा व सबसे छोटा कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा। प्रश्न 24. प्रकाश वर्ष किस इकाई का मापक है?
उत्तर:
खगोलीय दूरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्रहाणु क्या है?
उत्तर:
सूर्य तथा गुज़रते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फ़िलेमैण्ट के रूप में पूर्व-स्थित सूर्य से निकल कर बाहर आ गया। यह जिह्वा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठंडे पिंडों के रूप में उड़ते हुए सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में घूमने लगे। इन्हें ग्रहाणु (Planetesimals) कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऑटो शिमिड द्वारा संशोधित सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
1950 ई० में रूस के ऑटो शिमिड (Otto Schmidt) व जर्मनी के कार्ल वाइज़ास्कर (Carl Weizascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया, जिसमें विवरण भिन्न था। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलिकणों की बनी थी। इन कणों के घर्षण व टकराने (Collusion) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।

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प्रश्न 3.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर:
तारों का निर्माण-प्रारम्भिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरम्भिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बलों में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यही एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हज़ारों प्रकाश वर्षों में (Light years) मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हज़ार से 1 लाख 50 हजार वर्ष के बीच हो सकता है।

एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका (Nebula) कहा गया। क्रमश: इस बढ़ती हुई नीहारिक में गैस के झुण्ड विकसित हुए। ये झुण्ड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बने, जिनसे तारों का निर्माण आरम्भ हुआ। ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।

प्रश्न 4.
आन्तरिक तथा बाहरी ग्रहों की तुलना करो।
उत्तर:
इन 8 ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह (Inner planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व छुद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह (Outer planets) कहलाते हैं जिनमें वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण शामिल हैं। पहले चार ग्रह पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं । इसका अर्थ है कि ये ग्रह पृथ्वी की भान्ति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं।

अन्य चार ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन (Jovian) ग्रह कहलाते हैं। जोवियन का अर्थ है बृहस्पति (Jupiter) की तरह। इनमें से अधिकतर पार्थिक ग्रहों से विशाल हैं और हाइड्रोजन व हीलियम से बना सम, वायुमण्डल है। सभी ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब सालों पहले एक ही समय में हुआ।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 5.
ग्रहों का सूर्य से दूरी, घनत्व तथा अर्द्धव्यास की दृष्टि से तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अद्ध व्यास

ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अर्ध्ध व्यास उपग्रह
बुध 0.387 5.44 0.383 0
शुक्र 0.723 5.245 0.949 0
पृथ्वी 1.000 5.517 1.000 1
मंगल 1.524 3.945 0.533 2
बृहस्पति 5.203 1.33 11.19 69
शान 9.539 0.70 9.460 61
अरुण 19.182 1.17 4.11 27
वरुण 30.058 1.66 3.88 14

प्रश्न 6.
चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत करें।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत किए गए हैं।

1. सन् 1838 ई० में, सर जार्ज डार्विन (Sir George Darwin):
ने सुझाया कि प्रारम्भ में पृथ्वी व चन्द्रमा तेज़ी से घूमते एक ही पिण्ड थे। यह पूरा पिण्ड डंबल (बीच से पतला व किनारों से मोटा) की आकृति में परिवर्तित हुआ और अंततोगत्वा टूट गया। उनके अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ जहाँ आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद है।

2. यद्यपि वर्तमान समय के वैज्ञानिक इनमें से किसी भी व्याख्या को स्वीकार नहीं करते। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव (Giant impact) का नतीजा है जिसे ‘द बिग स्पलैट’ (The big splat) कहा गया है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के 1 से 3 गुणा बड़े आकार का पिण्ड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया। टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और क्रमशः आज का चन्द्रमा बना। यह घटना या चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्षों पहले हुई।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनः बनने में सक्षम था) और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं।

300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधारण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पहले आरम्भ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश वर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष (Light Year) समय का नहीं वरन् दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि०मी० प्रति सैकेंड है। विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। यह 9.461×1012 कि०मी० के बराबर है। पृथ्वी व सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्ष के सन्दर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 मिनट है।

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प्रश्न 9.
सौर मण्डल क्या है? इसकी रचना कब हुई?
उत्तर:
हमारे सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। जिस नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है उसके ध्वस्त होने व क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षों पहले हुई व ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्षों पहले बने। हमारे सौर मण्डल में सूर्य (तारा), आठ ग्रह, 63 उपग्रह, लाखों छोटे पिण्ड जैसे-क्षुद्र ग्रह (ग्रहों के टुकड़े) (Asterodis), धूमकेतु (Comets) एवं वृहत् मात्रा में धूलिकण व गैस हैं।

प्रश्न 10.
पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
पार्थिव ग्रह

पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
(1) पार्थिव ग्रह अपने जनक तारे के बहुत समीप बने हैं। (1) जोवियन ग्रहों की रचना अपने जनक तारे से अधिक दूरी पर हुई।
(2) सौर वायु पार्थिव ग्रहों से अधिक मात्रा में गैस व धूल कण उड़ा ले गई। (2) सौर वायु जोवियन ग्रहों से अधिक गैसों को हटा नहीं पाई।
(3) बृहस्पति, शनि, अरुण वरुण पार्थिव ग्रह हैं। (3) बृहस्पति एक जोवियन ग्रह हैं।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की भू-पर्पटी का विकास क्रम बताइए।
उत्तर:
अनेक ग्रहाणुओं के एकत्र होने से ग्रह बने, पदार्थों के एकत्र होने से अत्यधिक उष्मा उत्पन्न हुई, उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने लगे। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गए, हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ठण्डे व ठोस होने लगे। इस प्रकार भू-पर्पटी का निर्माण हुआ।

प्रश्न 12.
अन्तरिक्ष क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खुले ब्रह्मांड में करोड़ों आकाश गंगाएं (Galaxies) हैं। प्रत्येक आकाश गंगा तमें अरबों तारे हैं। इनसे मिलकर बने ब्रह्मांड को अंतरिक्ष कहते हैं। वास्तव में अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अंतरिक्ष का न कोई आदि है और न ही कोई अन्त।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा प्रस्तुत संघट्ट परिकल्पना का वर्णन करो।
उत्तर:
संघट्ट परिकल्पना (Collision Hypothesis):
यह परिकल्पना द्वि-तारक (Dualistic) सिद्धान्त पर आधारित है। यह परिकल्पना इंग्लैंड के प्रसिद्ध विद्वान् सर जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा 1926 में प्रस्तुत की गई। इस सिद्धान्त के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति द्वै-तारक (Bi-parental) है। इसे ज्वारीय परिकल्पना भी कहते हैं।

परिकल्पना की रूप-रेखा (Outlines of the Hypothesis):

  1. इस परिकल्पना के अनुसार आरम्भ में सूर्य एक गर्म गैसीय पदार्थ के रूप में अन्तरिक्ष में मौजूद था।
  2. इस सूर्य से कई गुणा बड़ा, एक और तारा सूर्य के निकट से गुज़रा। इस तारे के कारण सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुए।
  3. गुजरते हुए तारे के गुरुत्वाकर्षण के कारण पूर्व स्थित सूर्य से गैसीय पदार्थ आकर्षित होकर खिंच गए। इस निकले हुए पदार्थ को फ़िलेमैण्ट कहा गया जो सिगार के आकार का था।
  4. यह फिलेमैण्ट कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया जिन्हें ग्रहाणु (Planetisimals) कहते हैं।
  5. आपसी टक्कर तथा गुरुत्वाकर्षण द्वारा ग्रहाणु के बड़े टुकड़ों ने छोटे टुकड़ों को अपने में मिला लिया और इस प्रकार ग्रहों की रचना हुई।

गुण-दोष (Merits and Demerits):
यह परिकल्पना सबसे अधिक मान्य है। ग्रहों का वर्तमान क्रम इस परिकल्पना का प्रमाण है। उपग्रहों का आकार तथा संख्या भी इस परिकल्पना के अनुसार हैं। छोटे ग्रहों के उपग्रह कम हैं। परन्तु यह सिद्धान्त मंगल ग्रह की स्थिति को समझाने में असमर्थ है। सूर्य का तापमान भी इतना अधिक है कि इससे ग्रहों की रचना सम्भव नहीं है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 2.
पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास को महाकल्पों में बांटिए और उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
पृथ्वी का इतिहास (Life History of the Earth):
पृथ्वी सौर मण्डल का एक अंग है। इसकी उत्पत्ति सौर मण्डल के साथ-साथ ही हुई है। पृथ्वी की चट्टानें भी पृथ्वी इतिहास के पृष्ठ हैं। चट्टानों की पर्तों और उनमें जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन से पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास का पता चलता है। पृथ्वी की आयु 3 अरब से 5 अरब वर्ष तक आंकी गई है; परन्तु पृथ्वी पर मानव का उदय 50,000 वर्ष पूर्व की घटना है। पृथ्वी की आयु के प्रथम 1/2 अरब वर्ष का अनुमान निराधार है। परन्तु अन्तिम 50 करोड़ वर्षों का अनुमान विभिन्न तथ्यों पर आधारित है। पृथ्वी के इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए विभिन्न ईयोन (Eons), महाकल्पों (Era), कल्पों (Periods) और युगों (Epoch) में बांटा गया है।

1. आद्य महाकल्प (Pre-Cambrian Era):
यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे प्राचीन महाकल्प है। इस महाकल्प की चट्टानें सबसे पुरानी हैं तथा पृथ्वी के भीतर बहुत गहराई में पाई जाती हैं। इस काल की मुख्य शैलें नीस (Geneiss) तथा ग्रेनाइट (Granite) हैं। इस काल में ज्वालामुखी क्रिया तथा भूकम्प बहुत आया करते थे। इस समय हरसिनीयन हलचलों के कारण गोंडवाना लैण्ड, अंगारा लैण्ड, लॉरेशिया तथा बाल्टिक भू-खण्डों का निर्माण हुआ।

2. पुराजीव महाकल्प (Palaeozoic or Primary Era):
यह मकाकल्प 150 करोड़ वर्ष पूर्व से 22 करोड़ वर्ष पूर्व तक रहा। इस महाकल्प में पृथ्वी पर वनस्पति और जीवों का विकास हुआ। इस महाकल्प में कैलिडोनियन हलचल हुई। इस महाकल्प को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है
(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प।
(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प।

(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प (Lower Palaeozoic Era): इस महाकल्प को तीनों कल्पों में बांटा जाता है

  1. कैम्ब्रियन कल्प (Cambrian Period):
    इस युग में भू-मण्डल पर समुद्रों की उत्पत्ति हुई। इस कल्प की शैलों में चूने का पत्थर, बलुआ पत्थर तथा शैल महत्त्वपूर्ण हैं। इस युग में बिना रीढ़ वाले जन्तुओं का जन्म हुआ।
  2. ओौंविसियन कल्प (Ordovician Period):
    इस कल्प में समुद्र का अधिक विस्तार हुआ। जीवों का और अधिक विकास हुआ। ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माणकारी हलचलें प्रारम्भ हुईं।
  3. सिल्यूरियन कल्प (Silurian Period):
    इस युग में समुद्रों में मछलियों का जन्म हुआ तथा लाल बालू का पत्थर बना। इस कल्प में कैलिडोनियन हलचल के कारण स्कॉटलैण्ड के पर्वत बने।

(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प (Upper Paleozoic Era)

  1. डिवोनियन कल्प (Devonian Period): इस कल्प के मछलियों की वृद्धि हुई तथा वलन क्रिया का विस्तार हुआ।
  2. कार्बोनीफेरस कल्प (Carboniferous Period): इस युग में अधिक ऊष्णता के कारण दबी हुई वनस्पति कोयले में बदल गई। इसलिए इसे कोयला या कार्बन कल्प भी कहा जाता है।
  3. परमियन कल्प (Permian Period): इस युग में शुष्क जलवायु के कारण महासागरों का विस्तार कम होने लगा है। हरसीनियन भू-हलचलों के कारण अप्लेशियन पर्वतों का निर्माण हुआ।

3. मध्य महाजीव महाकल्प (Mesozoic Era):
यह प्राचीन तथा नवीन महाकल्पों का मध्य भाग है जिसे द्वितीय महाकल्प (Secondary Era) भी कहते हैं। यह वर्तमान से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इसे तीन कल्पों में बांटा जाता है

  1. ट्रियासिक’कल्प (Triassic Period): इस काल में महाद्वीपीय विस्थापन टेथीज़ महासागर बना तथा विभिन्न भू-खण्डों की रचना हुई।
  2. जुरैसिक कल्प (Triassic Period): इस कल्प में भारी तथा भयानक जीव-जन्तुओं का विस्तार हुआ।
  3. क्रिटेशस कल्प (Cretaceous Period): इस युग में स्तनपोषी जीवों की वृद्धि हुई। लावा प्रवाह से दक्कन के पठारों की रचना हुई।

4. नवजीव महाकल्प (Canozoic Era):
इस युग में आदि मानव का जन्म हुआ। कई पर्वत निर्माणकारी हलचलें हुईं जिससे नवीन मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ।

  1. इयोसीन युग (Eocene Period): इस युग में भू-तल पर लावा प्रवाह हुआ तथा कई पठारों की रचना हुई। स्तनधारी पशुओं का विकास हुआ।
  2. औलिगोसीन युग (Oligocene Period): इस युग को एल्पाइन भू-हलचल का युग कहा जाता है जिसके कारण हिमालय तथा आल्पस पर्वतों का निर्माण हुआ।
  3. मायोसीन युग (Miocene Period): इस युग में ह्वेल मछली तथा बन्दर आदि का जन्म हुआ। यूरेशिया के मोड़दार पर्वत उत्पन्न हुए। (iv) प्लायोसीन युग (Pliocene Period)—इस युग में तलछट के जमाव से मैदानों का निर्माण हुआ।

5. क्वाटरनरी महाकल्प (Quarternary Era):
यह नवीनतम महाकल्प है। यह युग 10 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ था। इसे दो भागों में बांटा जाता है
1. प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Period):
इस युग में उत्तरी अमेरिका, यूरोप आदि भागों पर हिम का आवरण छा गया। इसे ‘महान् हिम युग’ (Great Ice Age) कहते हैं। हिम आवरण के हटने से महान् झीलों, भू-आकार घाटियों तथा हिमोढ़ों की रचना हुई।

2. होलीसीन युग (Holocene Period):
यह अभिनव कल्प या सर्व नूतन युग में मनुष्य का विकास हुआ है। इस युग में पुनः ताप बढ़ने लगा। इस युग में हिम के हटने से कई स्थानों पर हिमोढ़ निक्षेप बने। इस युग में मानव सभ्यता के कई चरण पार करता हुआ अन्तरिक्ष में जा पहुंचा है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. “भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी का मानव के घर के रूप में अध्ययन किया जाता है।” यह परिभाषा कौन-से भूगोलवेत्ता द्वारा प्रस्तुत की गई है?
(A) हार्टशोर्न
(B) डडले स्टैम्प
(C) काण्ट तथा रिटर
(D) वूल्डरिज तथा ईर।
उत्तर:
डडले स्टैम्प।

2. “भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी का मानव के संसार के रूप में वैज्ञानिक वर्णन है।’ भूगोल की यह परिभाषा किस ने प्रस्तुत की?
(A) एफ० जे० मोंकहाउस
(B) हार्टशोर्न
(C) फेयरग्रीव
(D) विडाल डी ला ब्लाश।
उत्तर:
विडाल डी ला ब्लाश।

3. “प्रकृति मंच प्रदान करती है और मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।” ये शब्द किस भूगोलशास्त्री ने कहे थे?
(A) रिचथोफेन
(B) एडवर्ड एकरमैन
(C) विडाल डी ला ब्लाश
(D) हार्टशोर्न। उत्तर-विडाल डी ला ब्लाश।

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4. निम्नलिखित में से कौन-से अमेरिकन भूगोलशास्त्री थे?
(A) काण्ट तथा रिटर
(B) डडले स्टैम्प तथा एफ० जे० मोंकहाउस
(C) वूल्डरिज तथा ईस्ट
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन ।
उत्तर:
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन।

5. वातावरण में कौन-से दो तत्त्वों का समावेश होता है?
(A) प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक
(B) प्राकृतिक तथा भौतिक
(C) जैविक तथा प्राकृतिक
(D) भौतिक तथा जैविक।
उत्तर:
प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक।

6. स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल के पारस्परिक कार्यों का कौन-सा प्रतिफल है
(A) सामाजिक वातावरण
(B) प्राकृतिक वातावरण
(C) सांस्कृतिक वातावरण
(D) जैविक वातावरण।
उत्तर:
(B) प्राकृतिक वातावरण।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक लक्षण नहीं है?
(A) पर्वत
(B) नदियां
(C) सड़कें
(D) मैदान।
उत्तर:
(C) सड़कें।

8. निम्नलिखित में से कौन-सा सांस्कृतिक लक्षण नहीं है?
(A) भवन
(B) सड़कें
(C) फ़सलें
(D) महाद्वीप।
उत्तर:
महाद्वीप।

9. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व संस्कृति में नहीं है?
(A) मूल्य
(B) विश्वास
(C) विचारधारा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

10. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सभ्यता में नहीं है?
(A) गांव
(B) नगर
(C) पर्वत
(D) यातायात।
उत्तर:
(C) पर्वत।

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11. भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(A) विडाल डी ला ब्लाश
(B) एरेटा स्थिनीज़
(C) काण्ट
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
(B) एरेटा स्थिनीज़

12. कौन-सा तत्त्व भौतिक भूगोल से सम्बन्धित नहीं है?
(A) जलवायु
(B) भौमिकी
(C) वनस्पति
(D) मानवीय क्रियाएं।
उत्तर:
(D) मानवीय क्रियाएं।

13. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया?
(A) हम्बोलट
(B) रिटर
(C) स्टैम्प
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
हम्बोलट।

14. मानचित्र बनाने की कला का ज्ञान किसने दिया?
(A) टॉलेमी
(B) रिटर
(C) काण्ट
(D) थेल्स।
उत्तर:
टॉलेमी।

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15. ब्रह्माण्ड को समझने का प्रयत्न किस विद्वान् ने सर्वप्रथम किया?
(A) काण्ट
(B) आर्यभट्ट
(C) थेल्स
(D) स्ट्रेबो।
उत्तर:
आर्यभट्ट।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में जर्मनी के दो प्रसिद्ध भूगोल-वेत्ताओं के नाम लिखो।
उत्तर:
हम्बोलट तथा रिटर।

प्रश्न 2.
भूगोल के दो स्पष्ट क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:
भू-आकृतिक विज्ञान, जलवायु विज्ञान।

प्रश्न 4.
मानवीय भूगोल के दो उप-क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल दशाओं का अध्ययन करने वाले दो विज्ञान बताओ।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान।

प्रश्न 6.
“मनुष्य के कार्य प्रकृति द्वारा निर्धारित होते हैं।” यह किस भूगोलवेत्ता का कथन है?
उत्तर:
रैत्सेल (Ratzel) का।

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प्रश्न 7.
किन विषयों के अध्ययन ने भूगोल को गणितीय चरित्र दिया?
उत्तर:
सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश तथा देशान्तर।

प्रश्न 8.
अठारहवीं शताब्दी में विद्यालयों में भूगोल को लोकप्रियता क्यों मिली?
उत्तर:
भूगोल का विद्यालयों में एक लोकप्रिय विषय बनने का मुख्य कारण यह है कि इसके अध्ययन से पृथ्वी के निवासियों तथा स्थानों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इससे प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तथ्यों का ज्ञान होता है। इस अध्ययन से मनुष्य तथा पर्यावरण के सम्बन्धों का अनुमान होता है।

प्रश्न 9.
उस भूगोलवेत्ता का नाम बताइए जिन्होंने ‘भौतिक तथा मानव भूगोल के संश्लेषण का समर्थन किया था’।
उत्तर:
एच० जे० मैकिंडर (H.J. Mackinder)।

प्रश्न 10.
भूगोल में कौन-सा आधुनिकतम विकास हुआ है?
उत्तर:
भूगोल में सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक भूदृश्य के मुख्य लक्ष्य बताओ।
उत्तर:
पर्वत, नदियां, वनस्पति आदि।

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प्रश्न 12.
वातावरण को कौन-से दो मुख्य भागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक, मानवीय।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भू-आकृति विज्ञान
  2. जलवायु विज्ञान
  3. जल विज्ञान
  4. मृदा विज्ञान।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. सांस्कृतिक भूगोल
  2. आर्थिक भूगोल
  3. जनसंख्या भूगोल
  4. ऐतिहासिक भूगोल।

प्रश्न 15.
भूगोल किन तीन प्रमुख विषयों का अध्ययन है?
उत्तर:

  1. भौतिक वातावरण
  2. मानवीय क्रियाएं
  3. दोनों का अंतर्प्रक्रियात्मक सम्बन्ध।

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प्रश्न 16.
भूगोल के दो दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर:
प्राचीन दृष्टिकोण, आधुनिक दृष्टिकोण।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो भारतीय वैज्ञानिकों के नाम बताइए जिन्होंने सबसे पहले पृथ्वी के आकार का वर्णन किया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट, भास्कराचार्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमें भूगोल क्यों पढ़ना चाहिए?
उत्तर:
पृथ्वी मनुष्य का घर है। यहां हमारा जीवन अनेक रूपों से प्रभावित होता है। हम आसपास के संसाधनों पर निर्भर करते हैं। हम तकनीकों द्वारा प्राकृतिक संसाधन भूमि, मृदा, जल का उपयोग करते हुए अपना आहार प्राप्त करते हैं। हम मौसमी दशाओं के अनुसार अपना जीवन समायोजित करते हैं। इसलिए भूगोल का अध्ययन आवश्यक है।

प्रश्न 2.
भूगोल विषय में पृथ्वी के किन चार परिमण्डलों का अध्ययन होता है?
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. वायु मण्डल
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 3.
“भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रदान करता है जिस पर मानव कार्य करे।” स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी पर भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक लक्षणों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन है। अनेक तत्त्वों में समानता तथा कई तत्वों में असमानता पाई जाती है। भूगोल भौतिक वातावरण तथा मानव के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन है। एक लेखक के अनुसार “भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रस्तुत करता है जिस पर मानव समाज अपने सृजनात्मक क्रिया कलापों का ड्रामा अपने तकनीकी विकास से मंचित करता है।” भू-आकृतियां आधार प्रदान करती हैं जिस पर मानवीय क्रियाएं होती हैं। मैदानों पर कृषि, पठारों पर खनन, पशु पालन, पर्वतों से नदियां निकलती हैं। जलवायु मानव के घरों के प्रकार, वस्त्र, भोजन, वनस्पति को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 4.
भूगोल बहु-आयामी पृथ्वी का अध्ययन किस प्रकार करता है?
उत्तर:
भूगोल यथार्थता का अध्ययन करता है। पृथ्वी भी यथार्थता की भान्ति बहु-आयामी है। इसलिए इस अध्ययन में अनेक प्राकृतिक विज्ञान जैसे-भौमिकी मृदा विज्ञान, समुद्र विज्ञान वनस्पति शास्त्र, जीवन विज्ञान, मौसम विज्ञान सहायक हैं। अन्य सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाज शास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, नृ-विज्ञान भी धरातल की यथार्थता का अध्ययन करते हैं। भूगोल सभी प्राकृतिक तथा सामाजिक विषयों से सूचनाधार प्राप्त करके संश्लेषण करता है।

प्रश्न 5.
भौतिक भूगोल किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन में सहायक है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को समझना आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास (Sustainable development) के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान नितान्त आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्त्व को रेखांकित करता है।

प्रश्न 6.
विश्व एक परस्पर निर्भर तन्त्र है। व्याख्या करो।
उत्तर:
विश्व के एक प्रदेश दूसरे प्रदेश से जुड़े हुए हैं तथा एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्तमान विश्व को एक वैश्विक ग्राम (Global Village) की संज्ञा दी जा सकती है। परिवहन के तीव्र साधनों ने बढ़ती दूरियां कम की हैं। श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio-visual media) एवं सूचना तकनीकी ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है। प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रश्न 7.
भूगोल की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
भूगोल की परिभाषा (Definition of Geography)

भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है (Geography is the science of the Earth)। भूगोल को अंग्रेज़ी भाषा में ‘ज्योग्राफी’ कहा जाता है। ज्योग्राफी शब्द यूनानी भाषा के जी (Ge) तथा ‘ग्राफो’ (Grapho) शब्दों से मिलकर बना है। (Geography = Ge + Grapho)। ‘जी’ (Ge) का अर्थ है पृथ्वी और ग्राफो (Grapho) शब्द का अर्थ है ‘वर्णन करना’। इस प्रकार ज्योग्राफी का अर्थ है-‘पृथ्वी का वर्णन करना’।

जिस प्रकार अर्थशास्त्र का मूल मंत्र मूल्य है, भूगर्भ विज्ञान चट्टानों का अध्ययन है, वनस्पति विज्ञान पेड़-पौधों से तथा इतिहास समय से सम्बन्धित है, भूगोल ‘स्थान’ से सम्बन्धित है। पृथ्वी मानव का निवास स्थान है। भूगोल एक प्रकार से ‘पृथ्वी-तल’ या ‘भूतल’ का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान मान कर इसका अध्ययन करता है। (Geography studies the Earth as home of man.)

प्रश्न 8.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 9.
भूगोल के अध्ययन में द्वैतवाद का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
‘भूगोल का अध्ययन दो उपागमों के आधार पर किया जाता है

1. विषय वस्तुगत उपागम (Systematic Approach):
इस उपागम में एक तथ्य का पूरे विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसके पश्चात् क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई प्राकृतिक वनस्पति के अध्ययन में रुचि रखता है, तो सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसका अध्ययन किया जायेगा, फिर प्रकारात्मक वर्गीकरण, जैसे विषुवत् रेखीय सदाबहार वन, नरम लकड़ी वाले कोणधारी वन अथवा मानसूनी वन इत्यादि की पहचान, उनका विवेचन तथा सीमांकन करना होगा।

2. प्रादेशिक उपागम (Regional Approach):
प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या निर्दिष्ट (नामित) प्रदेश हो सकते हैं। एक प्रदेश में तथ्यों का अध्ययन समग्रता से विविधता में एकता की खोज करते हुए किया जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 10.
“भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयुक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। इन विभिन्न घटकों को संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है।

भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है। विभिन्न शाखाओं के अंश भौगोलिक अध्ययन में सहायक होते हैं। यह घटक अलग-अलग पहचाने जाते हैं। इन घटकों को आपस में संयुक्त करने को ही समाकलन कहा जाता है। किसी भी प्रदेश के धरातल, कृषि, यातायात, जलवायु आदि के अलग-अलग मानचित्रों में सम्बन्ध स्थापित करने से कई उपयोगी परिणाम निकल पाते हैं।

प्रश्न 11.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। ‘प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है।

जैसे रैत्सेल के अनुसार “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है। मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रतिक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है।

इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in Nature) कहना ही उचित है। जैसे कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल-डि-ला-ब्लाश (Vidal-de-la-Blach) ने कहा है’ ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।’ (Nature provides the stage and it is for man to act on it.)

प्रश्न 12.
क्रमबद्ध भूगोल से क्या अभिप्राय है? इसकी उप-शाखाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भूगोल में भू-पृष्ठ का अध्ययन दो विधियों द्वारा किया जाता है:
(क) क्रमबद्ध भूगोल
(ख) क्षेत्रीय भूगोल।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):
विशिष्ट प्राकृतिक अथवा सामाजिक घटनाओं से भू-पृष्ठ पर उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय प्रतिरूपों तथा संरचनाओं का अध्ययन क्रमबद्ध भूगोल कहलाता है। इस संदर्भ में किसी एक भौगोलिक कारक को चुन कर जैसे जलवायु, अध्ययन किया जाता है। भूगोल के उस कारक के क्षेत्रीय वितरण के कारण तथा प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। मुख्य उद्देश्य जलवायु तथा जलवायु के प्रकार होते हैं। कृषि का अध्ययन कृषि प्रदेशों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार यह किसी एक घटक का विस्तृत अध्ययन होता है।

साधारणत: क्रमबद्ध भूगोल को चार प्रमुख शाखाओं में बांटा गया है:

  1. भू-आकृतिक भूगोल-परम्परा अनुसार इसे भौतिक भूगोल भी कहते हैं।
  2. मानव-भूगोल-इसे सांस्कृतिक भूगोल भी कहते हैं।
  3. जैव-भूगोल-इसमें पर्यावरण भूगोल शामिल है।
  4. भौगोलिक विधियां और तकनीकें-ये विधियां मानचित्र बनाने में प्रयोग की जाती हैं।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल की विषय वस्तु का वर्णन करें।
उत्तर:
यहां भूगोल की इस शाखा के महत्त्व को बताना युक्ति संगत होगा। भौतिक भूगोल में भूमण्डल (भूआकृतियां, प्रवाह, उच्चावच), वायुमण्डल (इसकी बनावट, संरचना, तत्त्व एवं मौसम तथा जलवायु, तापक्रम, वायुदाब, वायु, वर्षा, जलवायु के प्रकार इत्यादि), जलमण्डल (समुद्र, सागर, झीलें तथा जल परिमण्डल से संबद्ध तत्त्व), जैव मण्डल (जीव के स्वरूप-मानव तथा वृहद् जीव एवं उनके पोषक प्रक्रम, जैसे-खाद्य श्रृंखला, पारिस्थैतिक प्राचल (Ecological parametres) एवं पारिस्थैतिक सन्तुलन का अध्ययन सम्मिलित होता है। मिट्टियां मृदा-निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती हैं तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती हैं। कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पाश्विका (Profile) के विकास में सहायक होती है। मानव के लिए प्रत्येक तत्त्व महत्त्वपूर्ण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 14.
भौतिक भूगोल के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
भौतिक भूगोल का महत्त्व भौतिक भूगोल में उन सभी तत्त्वों को सम्मिलित किया गया है जो प्राकृतिक हैं-स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल। स्थलमण्डल में भू-आकृति शामिल है। वायुमण्डल का सम्बन्ध जलवायु से है। जलमण्डल जल लक्षणों का अध्ययन है और जैवमण्डल का सम्बन्ध सभी जीवन्त वस्तुओं जैसे पेड़-पौधे, पशुओं, सूक्ष्म जीवों और मनुष्यों के अध्ययन से है। मृदा, भौतिक भूगोल में अध्ययन किए जाने वाले इन चारों तत्त्वों या मण्डलों का उत्पाद है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तरप्रादेशिक भूगोल

प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)
(1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है। (1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्व का अध्ययन होता है।
(2) यह अध्ययन समाकलित होता है। (2) यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
(3) यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है। (3) यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
(4) यह किसी प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा मानव के बीच सम्बन्ध प्रकट करता है। (4) यह अध्ययन खोज व तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
(5) इस अध्ययन में प्रदेशों का सीमांकन सम्मिलित है, जिसे प्रादेशीकरण कहते हैं। (5) इस अध्ययन में एक घटक, जैसे जलवायु के आधार पर विभिन्न प्रकार तथा उप-प्रकार निश्चित किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वातावरण तथा समग्र वातावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्राकृतिक वातावरण (Natural Environment) समग्र वातावरण (Total Environment)
(1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तत्त्वों द्वारा होती है। (1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तथा मानवीय तत्तों से मिलकर होती है।
(2) इसमें भूमि, वायु वनस्पति, जल, मिट्टी आदि तत्त्व शामिल हैं। (2) इसमें भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण सम्मिलित होते हैं।
(3) इसमें स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल शामिल होते हैं। (3) इसमें जैव-मण्डल की भूमिका महत्तपूर्ण होती है।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल तथा जैव भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

भौतिक भूगोल (Physical Geography) जैव-भूगोल (Bio-Geography)
1. भौतिक भूगोल महाद्वीपों, पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदी घाटियों और अन्य भू-लक्षणों का अध्ययन है। 1. जैव भूगोल में विभिन्न प्रकार के वनों तथा जीव जन्तुओं के वितरण का अध्ययन किया जाता है।
2. इसकी चार उप-शाखाएँ है-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान तथा मृदा भूगोल। 2. इसकी चार उप-शाखाएं हैं- वनस्पति भूगोल, प्राणी भूगोल, मानव पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण भूगोल।

प्रश्न 4.
भूगोल में आगमन तथा निगमन पद्धतियों में अन्तर स्पष्ट करें।

आगमन पद्धति निगमन पद्धति
1. इसमें पाई जाने वाली समानताओं के आधार पर कोई सिद्धान्त अथवा नियम बनाये जाते हैं। 1. इसमें बनाये गये नियमों से निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. आगमन पद्धति तथ्यों से सिद्धान्त (From facts to theory) की विधि है। 2. यह पद्धति सामान्य से विशेष (General to Specific) के सिद्धांत की विधि है।
3. इसमें नियमों एवं परिणामों का अनुभव के आधार पर परीक्षण किया जाता है। 3. इस पद्धति में कुछ अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की विभिन्न शाखाओं के नाम बताओ।
उत्तर:
भूगोल की शाखाएँ-भूगोल अध्ययन का एक अंतशिक्षण (Interdisciplinary) विषय है। प्रत्येक विषय का अध्ययन कुछ उपागमों के अनुसार किया जाता है। इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में  1

1. विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) एवं

2. प्रादेशिक। विषय वस्तुगत भूगोल का उपागम वही है जो सामान्य भूगोल का होता है।
यह उपागम एक जर्मन भूगोलवेत्ता, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (1769-1859) द्वारा प्रवर्तित किया गया, जबकि प्रादेशिक भूगोल का विकास हम्बोल्ट के समकालीन एक-दूसरे जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (1779-1859) द्वारा किया गया है।

(अ) भौतिक भूगोल-किसी क्षेत्र के प्राकृतिक या भौतिक लक्षणों के अध्ययन को भौतिक भूगोल कहते हैं। यह लक्षण प्रकृति द्वारा निर्मित होते हैं, जैसे-पर्वत, नदियां, वनस्पति, मिट्टी आदि। यह लक्षण मनुष्य के क्रिया-कलापों को प्रभावित करते हैं। भौतिक भूगोल को चार शाखाओं में बांटा जाता है

1. भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology):
इस शाखा में पृथ्वी की विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों (landforms) का अध्ययन किया जाता है। भू-आकृति विज्ञान भूगोल के आधार का निर्माण करती है। स्थलाकृतियां भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल तथा विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
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2. जलवायु विज्ञान (Climatology):
यह एक स्वतन्त्र शाखा है। इसमें पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए वायुमण्डल की विभिन्न क्रियाओं को समझने का प्रयास किया जाता है। यह वायुमण्डल के तत्त्वों, जैसे-तापमान, वर्षा, पवनें, वायुदाब तथा नमी आदि का अध्ययन करता है।

3. जल विज्ञान (Hydrology):
इस विज्ञान द्वारा महासागरों, नदियों तथा हिम नदियों द्वारा होने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इस विज्ञान से जल चक्र तथा जल के विभिन्न रूपों, गतियों, तापमान तथा महासागरों के धरातल का ज्ञान होता है।

4. मृदा विज्ञान (Soil Geography):
यह भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके द्वारा मिट्टी के प्रकार, विकास, वितरण तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त होती है।

(ब) मानव भूगोल-किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features):
के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे कृषि, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण (Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं

1. सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल (Socia/Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं। इसमें समाज के योगदान से निर्मित सांस्कृतिक तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें कृषि, उद्योग, पर्यटन, व्यापार, परिवहन, आधार ढांचे तथा सेवाओं का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल एवं अधिवास भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, व्यावसायिक संरचना आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। अधिवास भूगोल में ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के वितरण का अध्ययन होता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है। प्रत्येक प्रदेश में कुछ ऐतिहासिक परिवर्तन होते हैं। उन कालिक परिवर्तनों का अध्ययन भी ऐतिहासिक भूगोल से होता है।

5. राजनीतिक भूगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासकीय निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं। इसमें राजनीतिक घटनाओं, चुनावी हलकों का सीमांकन, चुनाव आदि का भी अध्ययन होता है। लोगों के राजनीतिक व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता है।

(स) जीव भूगोल (Bio-Geography):
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अंतरापृष्ठ के फलस्वरूप जीव भूगोल का अभ्युदय हुआ। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित शाखाएँ आती हैं

  1. जीव-भूगोल (Bio Geography): इसमें पशुओं एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन होता है।
  2. वनस्पति भूगोल (Geography of Vegatation): यह प्राकृतिक वनस्पति का उसके निवास क्षेत्र (Habitat) में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थतिक विज्ञान (Ecological Science): इसमें प्रजातियों (Species) के निवास/स्थिति क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
  4. पर्यावरण भूगोल (Environment Geography): सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरणीय प्रतिबोधन के फलस्वरूप पर्यावरणीय समस्याओं, जैसे-भूमि-ह्रास, प्रदूषण, संरक्षण की चिन्ता आदि का अनुभव किया गया, जिसके अध्ययन हेतु इस शाखा का विकास हुआ।

(द) प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ

  1. वृहद्, मध्यम, लघुस्तरीय प्रादेशिक/क्षेत्रीय अध्ययन
  2. ग्रामीण/इलाका नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन
  3. प्रादेशिक विकास
  4. प्रादेशिक विवेचना/विश्लेषण दो ऐसे पक्ष हैं जो सभी विषयों के लिए उभयनिष्ठ/सर्वनिष्ठ हैं। ये हैं
  • (क) दर्शन
    1. भौगोलिक चिन्तन
    2. भूमि एवं मानव अन्तर्प्रक्रिया/मानव पारिस्थितिकी
  • (ख) विधितन्त्र एवं तकनीक
    1. सामान्य एवं संगणक आधारित मानचित्रण
    2. परिमाणात्मक तकनीक/सांख्यिकी तकनीक
    3. क्षेत्र सर्वेक्षण विधियां
    4. भू-सूचना विज्ञान तकनीक (Geoinformatics) जैसे-दूर संवेदन तकनीक, भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.), वैश्विक स्थितीय तन्त्र (G.P.S.)

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प्रश्न 2.
“भूगोल के अनेक उप-विषय विज्ञान पर आधारित हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूगोल का अन्य विषयों से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मानवीय विकास भौतिक तत्त्वों के सदुपयोग पर आधारित है। इसलिए भूगोल भौतिक वातावरण तथा सामाजिक वातावरण के विभिन्न तत्त्वों का अध्ययन करता है। भूगोल काफ़ी हद तक प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान दोनों पर निर्भर है। कई उप-विषयों (Allied Sciences) में भूगोल अन्य विज्ञान शाखाओं के निकट है।
प्राकृतिक विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल तथा अन्य विषयों का निम्नलिखित सम्बन्ध है

1. जीव-भू विस्तार विज्ञान (Chrological Science):
इस विज्ञान का मुख्य सम्बन्ध क्षेत्रीय अध्ययन (Study of an area) या प्रादेशिक अध्ययन से होता है। नक्षत्र विज्ञान (Astronomy) तथा भूगोल मिलकर जीव भू-विस्तार विज्ञान की रचना करते हैं। नक्षत्र विज्ञान में कई विषय, जैसे-सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश-देशान्तर भूगोल को एक विज्ञान का रूप देते हैं।

2. कालानुक्रमिक विज्ञान (Chronological Science):
इतिहास में समय का तत्त्व महत्त्वपूर्ण होता है। इतिहास, भूगोल के समय के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है। इससे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक मानवीय विकास को समझने में सहायता मिलती है। इस विज्ञान से भू-संघटनाओं का क्रमानुसार अध्ययन किया जाता है। जैसे-प्राचीन काल, मध्यकाल तथा वर्तमान में भारत के स्वरूप का विकास कैसे हुआ।

3. क्रमबद्ध विज्ञान (Systematic Science):
इसके द्वारा पृथ्वी की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा प्राणी विज्ञान किसी प्रदेश के मानव एवं वातावरण के सम्बन्धों को स्पष्ट रूप में समझने में सहायता करते हैं। यह अध्ययन वर्गीकरण (Classification System) के आधार पर किया जाता है।

4. अर्थशास्त्र से सम्बन्ध (Relation with Economics):
मनुष्य के आर्थिक कल्याण तथा प्रादेशिक विकास सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन के लिए भूगोल का सम्बन्ध अर्थशास्त्र से निकटतम तथा उपयोगी होता जा रहा है।

5. अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध (Relationship with other Sciences):
भूगोल के कई उप-विषय अन्य विज्ञानों के निकट हैं, जैसे-भू-आकृति विज्ञान का भूगर्भ विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है। ऐतिहासिक भूगोल का इतिहास से सम्बन्ध है, आर्थिक भूगोल का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध है, जैव भूगोल का प्राणी विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है तथा राजनीतिक भूगोल का राजनीति विज्ञान से सम्बन्ध है।