JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन 

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) अर्जुन का सम्बन्ध किस प्रकार की वनस्पति से है
(क) पर्णपाती वन
(ख) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
(ग) मैंग्रोव
(घ) कंटीले वन।
उत्तर:
(क) पर्णपाती वन।

(ii) नंदादेवी जीवमण्डल निचय कौन से राज्य में स्थित है
(क) पंजाब
(ख) उत्तराखण्ड
(ग) उड़ीसा
(घ) कर्नाटक।
उत्तर:
(ख) उत्तराखण्ड।

(iii) आबनूस के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाये जाते हैं
(क) 200 सेमी.
(ख) 100 सेमी.
(ग) 70 सेमी.
(घ) 20 सेमी.।
उत्तर:
(क) 200 सेमी.।

(iv) कौन-सा पादप खाँसी और जुकाम की दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है?
(क) कचनार
(ख) तुलसी
(ग) बबूल
(घ) जामुन।
उत्तर:
(ख) तुलसी।

(v) भारतीय शेरों का प्राकृतिक वास स्थल है
(क) गिर वन
(ख) नन्दादेवी
(ग) सिमलीपाल
(घ) सुन्दर वन।
उत्तर:
(क) गिर वन।

(vi) विश्व के जीवमंडल निचय में सम्मिलित भारतीय जीवमंडल हैं
(क) सुन्दर वन
(ख) मन्नार की खाड़ी
(ग) कंचनजंघा।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व के बड़े जैव विविधता वाले कितने देश हैं?
उत्तर:
12 देश।

प्रश्न 2.
एशिया एवं समस्त विश्व में वनस्पति विविधता में भारत का स्थान बताइए।
उत्तर:
भारत का एशिया में चौथा एवं विश्व में दसवाँ स्थान है।

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प्रश्न 3.
प्राकृतिक वनस्पति क्या है? इसे अक्षत वनस्पति क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
पेड़-पौधों का वह समुदाय जो प्राकृतिक रूप से उगता है एवं बिना मानवीय सहायता के विकास करता है, उसे प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। चूंकि लम्बे समय से ये मानवों के हस्तक्षेप से मुक्त है, अत: इन्हें अक्षत वनस्पति भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
प्राकृतिक वनस्पति के तीन रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. वन,
  2. घास,
  3. झाड़ियाँ।

प्रश्न 5.
शंकुधारी वन कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
पर्वतों के ढलानों में जहाँ मृदा की परत गहरी है, वहाँ शंकुधारी वन पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय किस बात पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय उस स्थान के अक्षांश, समुद्र तल से ऊँचाई एवं ऋतु पर निर्भर करता है।

प्रश्न 7.
सन् 2003 में वनों का कुल क्षेत्रफल कितना था?
उत्तर:
68 लाख वर्ग किमी.।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय पार्क क्या है?
उत्तर:
यह प्राकृतिक वनस्पति, प्राकृतिक सुन्दरता और वन्य जीवों के परिरक्षण का एक आरक्षित क्षेत्र है, जैसे-कार्बेट राष्ट्रीय पार्क (उत्तराखण्ड), शिवपुरी राष्ट्रीय पार्क (म.प्र.)।

प्रश्न 9.
उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन कितनी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं?
उत्तर:
200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में।

प्रश्न 10.
उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वाले वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आबनूस, महोगनी, रोजवुड, सिनकोना एवं रबड़।

प्रश्न 11.
भारत में सबसे अधिक क्षेत्र पर कौन-से प्रकार के वन फैले हुए हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन।

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प्रश्न 12.
भारत में पर्णपाती वनों का विस्तार कितनी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाया जाता है?
उत्तर:
70 से लेकर 200 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में।

प्रश्न 13.
जल की उपलब्धता के आधार पर पर्णपाती वनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:

  1. आर्द्र पर्णपाती वन,
  2. शुष्क पर्णपाती वन।

प्रश्न 14.
आर्द्र पर्णपाती वनों के कोई दो क्षेत्र लिखिए।
उत्तर:

  1. झारखण्ड,
  2. पश्चिमी उड़ीसा।

प्रश्न 15.
कंटीले वन कितनी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं?
उत्तर:
70 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में।

प्रश्न 16.
कंटीले वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
कीकर, खजूर, नागफनी एवं बबूल।

प्रश्न 17.
कंटीले वनों में मुख्यतया कौन-कौन से जीव-जन्तु पाये जाते हैं?
उत्तर:
चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िए, शेर, सिंह, जंगली गधा, घोड़े एवं ऊँट आदि।

प्रश्न 18.
1500 से 3000 मीटर की ऊँचाई पर किस प्रकार के वृक्ष मिलते हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
शंकुधारी वृक्ष। उदाहरण पाइन, देवदार।

प्रश्न 19.
हिमरेखा क्या है?
उत्तर:
यह एक काल्पनिक रेखा है जिसके ऊपर के क्षेत्र में कभी बर्फ नहीं पिघलती है। यह क्षेत्र सदैव बर्फ से ढका रहता है।

प्रश्न 20.
किन घुमक्कड़ जातियों द्वारा अल्पाइन घास के मैदानों का पशुचारण के रूप में उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
गुज्जर और बक्करवाल घुमक्कड़ जातियों द्वारा।

प्रश्न 21.
मैंग्रोव वनों का प्रसिद्ध वृक्ष कौन-सा है?
उत्तर:
सुन्दरी वृक्षा

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प्रश्न 22.
मैंग्रोव वनस्पति कहाँ मिलती है?
उत्तर:
गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, कृष्णा, कावेरी एवं गोदावरी नदियों के डेल्टाई भाग में यह वनस्पति मिलती है।

प्रश्न 23.
किस क्षेत्र में रॉयल बंगाल टाइगर पाये जाते हैं?
उत्तर:
मैंग्रोव वनस्पति वाले क्षेत्र में।

प्रश्न 24.
सर्पगंधा किस बीमारी में काम आता है?
उत्तर:
सर्पगंधा रक्तचाप के निदान हेतु काम आता है तथा यह केवल भारत में ही पाया जाता है।

प्रश्न 25.
आयुर्वेद में कितने पादपों का वर्णन है?
उत्तर:
लगभग 2000 पादपों का वर्णन है।

प्रश्न 26.
एक सींग वाला गैंडा कहाँ पाया जाता
उत्तर:
असम और पश्चिमी बंगाल के दलदली क्षेत्रों में।

प्रश्न 27.
जंगली गधे कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
कच्छ के रन में।

प्रश्न 28.
ऊँट कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
थार के मरुस्थल में।

प्रश्न 29.
एशियाई शेर कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
गुजरात के गिर वनों में।

प्रश्न 30.
याक कहाँ पाये जाते हैं? उत्तर-लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों में।

प्रश्न 31.
घड़ियाल विश्व के किस देश में पाया जाता है?
उत्तर:
भारत में।

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प्रश्न 32.
भारतीय जीव सुरक्षा अधिनियम कब लागू हुआ था?
उत्तर:
सन् 1972 में।

प्रश्न 33.
भारत में जंगली जीवों के लिए आरक्षित किन्हीं चार क्षेत्रों का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. नीलगिरि,
  2. नंदादेवी,
  3. मन्नार की खाड़ी,
  4. सुन्दर वन।

प्रश्न 34.
पारिस्थितिक तन्त्र के असन्तुलन के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. वनों की अन्धाधुन्ध कटाई,
  2. शिकार करना।

प्रश्न 35.
भारत में साइबेरियन सारस किस ऋतु में आते हैं?
उत्तर:
शीत ऋतु में।

प्रश्न 36.
किन्हीं दो नेशनल पार्को के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. कान्हा,
  2. रणथम्भौर।

प्रश्न 37.
किन्हीं दो वन्य प्राणी अभयवनों का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सरिस्का,
  2. चन्द्रप्रभा।

प्रश्न 38.
भारत सरकार ने पादप उद्यानों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने की योजना कब बनायी?
उत्तर:
सन् 1992 में।

प्रश्न 39.
देशज वनस्पति और विदेशज वनस्पति में क्या अन्तर है?
उत्तर:
मूलरूप से जो पौधे भारतीय हैं उन्हें देशज वनस्पति कहते हैं। जो पौधे बाहर से लाये गये उन्हें विदेशज वनस्पति कहते हैं।

प्रश्न 40.
जैव आरक्षित क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
और दक्षिण क्षेत्र का एक-एक उदाहरण दें।।
उत्तर:
भारत की जैव विविधता के परिरक्षण और संरक्षण क्षेत्र को जैव आरक्षित क्षेत्र कहा जाता है। उत्तरी क्षेत्र में जैव आरक्षित क्षेत्र ‘फूलों की घाटी’ (उत्तराखण्ड) है। दक्षिणी क्षेत्र में ‘नीलगिरी’ (केरल) में है। प्रथम क्षेत्र को नन्दादेवी जैव आरक्षित क्षेत्र तथा द्वितीय को नीलगिरी जैव आरक्षित क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 41.
भारत में कितने प्रकार के जीव-जन्तु, कितनी प्रकार की वनस्पतियाँ और कितने प्रकार के पक्षी मिलते हैं।
उत्तर:
90,000 प्रकार के जीव-जन्तु, 47000 प्रकार की वनस्पतियाँ और 2,000 प्रकार के पक्षी मिलते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्वतीय प्रदेशों में ऊँचाई के अनुसार वनस्पति की पेटियों के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:

  1. 1000 मीटर से 2000 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आर्द्र-शीतोष्ण कटिबन्धीय वन पाये जाते हैं। इन वनों के प्रमुख वृक्षों में ओक एवं चेस्टनट प्रमुख हैं।
  2. 1500 से 3000 मीटर की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष पाये जाते हैं; जैसे-चीड़, देवदार, सिल्वर फर, स्प्रूस, सीडर आदि।
  3. 3600 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अल्पाइन वन पाये जाते हैं जिनमें सिल्वर-फर, जूनिपर, पाइन व बर्च प्रमुख हैं।
  4. इससे अधिक ऊँचाई पर टुण्ड्रा वनस्पति, मॉस, लिचन घास आदि मिलती हैं।

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प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। उत्तर-उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों को सदाबहार वन भी कहते हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. ये वन 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रों में लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, असम के ऊपरी भाग एवं तमिलनाडु का तटीय क्षेत्र प्रमुख हैं।
  2. इन वनों में वृक्षों की ऊँचाई 60 मीटर या उससे अधिक होती है।
  3. इन वनों में सभी प्रकार की वनस्पति-वृक्ष, झाड़ियाँ एवं लताएँ उगती हैं।
  4. ये वन वर्षभर हरे-भरे रहते हैं।
  5. इन वनों में व्यापारिक महत्व के वृक्ष, जैसे-आबनूस (एबोनी), महोगनी, रोजवुड, रबड़ एवं सिनकोना आदि मिलते हैं।
  6. इन वनों में हाथी, बन्दर, लैमूर एवं हिरण आदि जानवर मिलते हैं।

प्रश्न 3.
शुष्क पर्णपाती एवं आर्द्र पर्णपाती वनों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
शुष्क पर्णपाती एवं आर्द्र पर्णपाती वनों की तुलना निम्न प्रकार से हैशुष्क पर्णपाती वन

शुष्क पर्णपाती वन आर्द्र पर्णपाती वन
1. ये वन उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं, जहाँ वर्षा 70 सेमी. से 100 सेमी. के बीच होती है। 1. ये वन उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा 100 से 200 सेमी. के बीच होती है।
2. ये वन प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश एवं बिहार के मैदानी क्षेत्रों में पाये जाते हैं। 2. ये वन देश के पूर्वी एवं उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपाद प्रदेश, झारखण्ड, पश्चिमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं पश्चिमी घाटों के पूर्वी ढालों पर पाये जाते हैं।
3. इन वनों के प्रमुख वृक्षों में सागौन, साल, पीपल एवं नीम आदि हैं। 3. इन वनों के प्रमुख वृक्षों में सागौन, बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन एवं शहतूत आदि हैं।

प्रश्न 4.
काँटेदार वनों के वृक्षों की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
काँटेदार वनों के वृक्षों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं

  1. ये वन 70 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
  2. इन वनों में कंटीले वृक्ष एवं झाड़ियाँ पायी जाती हैं; जैसे-बबूल, खजूर, नागफनी आदि।
  3. इन वनों के वृक्ष बिखरे हुए मिलते हैं।
  4. इन वनों के वृक्षों की जड़ें लम्बी तथा पानी की तलाश में चारों ओर फैली होती हैं।
  5. इन वनों की पत्तियाँ अधिक मोटी एवं छोटी होती हैं जिससे कि वाष्पीकरण कम से कम हो सके।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिक तंत्र के असन्तुलन के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र के असन्तुलन के निम्नलिखित कारण हैं

  1. लालची व्यापारियों द्वारा अपने व्यवसाय के लिए जीव-जन्तुओं का अत्यधिक शिकार करना।
  2. रासायनिक एवं औद्योगिक अपशिष्टों की मात्रा में वृद्धि।
  3. विदेशी प्रजातियों का प्रवेश एवं रोपण।
  4. कृषि एवं निवास के लिए वनों की अन्धाधुन्ध कटाई।
  5. पर्यावरण का प्रदूषित होना।
  6. तीव्र जनसंख्या वृद्धि।

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प्रश्न 6.
भारत में पायी जाने वाली औषधीय वनस्पतियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में निम्नलिखित औषधीय वनस्पतियाँ प्रमुख रूप से पायी जाती हैं

  1. सर्पगंधा-इसका उपयोग रक्तचाप के उपचार में होता है। यह केवल भारत में ही पायी जाती है।
  2. जामुन-जामुन के बीज से बनाया गया पाउडर मधुमेह रोग में काम आता है। इसके फल से सिरका बनाया जाता है जो वायुसारी एवं मूत्रवर्धक है।
  3. अर्जुन-इसके पत्तों से निकाला गया रस कान के दर्द को ठीक करता है। यह रक्तचाप के इलाज में भी काम आता है।
  4. बबूल-इससे प्राप्त गोंद शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।
  5. नीम-यह प्रतिजैविक एवं बैक्टीरियारोधी होता है।
  6. तुलसी इसका उपयोग जुकाम और खाँसी की दवाई के निर्माण में होता है।
  7. कचनार-इसका उपयोग दमा और अल्सर के निदान में होता है।

प्रश्न 7.
हमारी जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाये हैं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
हमारी जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए सरकार ने निम्न कदम उठाये हैं

  1. देश में 18 जीवमंडलनिचय (आरक्षित क्षेत्र) की स्थापना की गयी है। इनमें से 10 को विश्व जीवमंडल निचय में शामिल किया गया है। इनमें सुन्दरवन, नन्दादेवी, मन्नार की खाड़ी, नीलगिरी, नाकरेक, ग्रेट निकोबार, मानस, सिमलीपाल, पंचमढ़ी, और अचनकमर-अमरकंटक शामिल हैं।
  2. सन् 1992 से ही भारत सरकार पादप उद्यानों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है।
  3. सरकार ने शेर संरक्षण, गैंडा संरक्षण, भारतीय भैसा संरक्षण एवं पारिस्थितिक तन्त्र के सन्तुलन के लिए कई योजनाएँ संचालित कर रखी हैं।
  4. सरकार द्वारा प्राकृतिक विरासत की देखभाल के लिए 103 राष्ट्रीय उद्यान तथा 535 वन्य प्राणी अभयारण्यों की स्थापना की गई है।

प्रश्न 8.
वनस्पतियों की विविधता को प्रभावित करने वाले कारकों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
वनस्पतियों की विविधता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

  1. भूमि: भूमि का वनस्पति पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। उपजाऊ समतल भूमि का उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। ऊबड़-खाबड़ असमतल भू-भाग पर जंगल एवं घास के मैदान पाये जाते हैं।
  2. मृदा विभिन्न मृदा प्रकारों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ विकसित होती हैं। बलुई मृदा में कंटीली झाड़ियाँ एवं नदियों के डेल्टा क्षेत्र में पर्णपाती वन पाये जाते हैं। पर्वतीय ढलानों पर शंकुधारी वन पाये जाते हैं।
  3. तापमान तापमान की वृद्धि एवं कमी वनस्पति के पनपने एवं बढ़ने को प्रभावित करती है। कम तापमान वाले क्षेत्रों में अल्पाइन वनस्पति का विकास होता है।
  4. सूर्य का प्रकाश-सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलने से वृक्ष ग्रीष्म ऋतु में शीघ्र बढ़ते हैं।
  5. वर्षा-कम वर्षा वाले क्षेत्रों की तुलना में अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अधिक सघन वनस्पतियाँ पायी जाती हैं।

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प्रश्न 9.
भारत में जैवमण्डल निचय क्षेत्र कौन-कौन से हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में 18 जैवमण्डल निचय क्षेत्र हैं, जो निम्नलिखित हैं
सुन्दरवन, सिमलीपाल, मन्नार की खाड़ी, दिहांग-दिबांग, नाकरेक, पंचमढ़ी, ग्रेट निकोबार, मानस, नंदादेवी, डिब्रु साइकवोवा, कंचनजुंगा, अचनकमर-अमरकंटक, अगस्त्यमलाई, नीलगिरी, कच्छ, ठंडा रेगिस्तान, शेष अचलम, पन्ना।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार और उनकी विशेषताओं को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार एवं उनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन:
ये वन पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों, असम के ऊपरी भागों एवं तमिलनाडु के तट तक सीमित हैं। इन वनों के वृक्षों में पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं होता है इसलिए ये सदैव हरित रहते हैं जिसके कारण इन वनों को सदाबहार वन भी कहा जाता है। ये वन 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं। इन वनों की ऊँचाई 60 मीटर या उससे अधिक होती है।

इन वनों के मुख्य वृक्ष ताड़, जामुन, महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बैंत, नारियल, सिनकोना इत्यादि हैं। इन वनों में हाथी, बंदर, लैमूर, हिरण आदि जानवर पाये जाते हैं। एक सींग वाले गैंडे असम और पश्चिमी बंगाल के दलदली क्षेत्र में मिलते हैं। इसके अतिरिक्त इन वनों में कई प्रकार के पक्षी, चमगादड़ तथा रेंगने वाले जीव भी पाए जाते हैं।

2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन:
इन वनों को मानसूनी वन भी कहते हैं। ये वन 100 से 200 सेमी. वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों में वृक्ष ग्रीष्म ऋतु में छह से आठ सप्ताह के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं, जिसके कारण इन वनों को पर्णपाती वन कहते हैं, ये वन भारत के सर्वाधिक भाग पर पाये जाते हैं। ये वन कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।

साल और सागौन इन वनों के महत्वपूर्ण वृक्ष हैं। आर्थिक महत्व के अन्य वृक्ष चंदन, शीशम, रोजवुड, महुआ, नीम, खैर तथा आम हैं। इन वनों में पाए जाने वाले जानवर प्रायः शेर, सूअर, हिरण और हाथी हैं। विविध प्रकार के पक्षी, छिपकली, साँप और कछुए भी पाए जाते हैं।

3. कंटीले वन तथा झाड़ियाँ:
ये वन 70 सेमी. से कम वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं इसलिए इनको शुष्क वन भी कहते हैं। भारत में ये वन मुख्यत: गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में उगते हैं। अकासिया, खजूर (पाम), यूफोरबिया तथा नागफनी (कैक्टाई) यहाँ की मुख्य पादप प्रजातियाँ हैं।

इन वनों में पाए जाने वाले वृक्षों की जड़ें लम्बी तथा जल की तलाश में चारों ओर फैली हुई होती हैं। पत्तियाँ प्राय: छोटी होती हैं जिनसे वाष्पीकरण कम से कम हो सके। इन वनों में प्राय: चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िए, शेर, जंगली गधा तथा ऊँट पाए जाते हैं।

4. पर्वतीय वन:
यह वनस्पति अत्यन्त ऊँचे स्थानों, जैसे–समुद्र तल से 3,600 मीटर से भी अधिक ऊँचे स्थानों में उगती है। इस क्षेत्र की वनस्पति में ऊँचाई के अनुसार अन्तर आता जाता है। चीड़, देवदार तथा जुनिपर, सिल्वर फर, बर्च इन वनों के प्रमुख वृक्ष हैं। इन वनों में प्राय: कश्मीरी महामृग, चितरा हिरण, जंगली भेड़, खरगोश, याक, हिम तेंदुआ, घने बालों वाली भेड़ें तथा बकरियाँ आदि पाई जाती हैं।

5. मैंग्रोव वन (ज्वारीय वन):
ये वन तटीय प्रदेशों में नदियों के डेल्टाई भागों में पाए जाते हैं, इसलिए इनको डेल्टाई वन भी कहते हैं। समुद्र में ज्वार उठने के समय इन क्षेत्रों में समुद्र का खारा पानी भर जाता है। जो इन वनों के वृक्षों के लिए उपयुक्त होता है। इन वनों का प्रमुख क्षेत्र गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा है। महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के डेल्टा प्रदेशों में भी ये वन पाए जाते हैं।

गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष पाए जाते हैं, नारियल, ताड़, क्योड़ा एवं ऐंगार के वृक्ष भी इन भागों में पाए जाते हैं। इस क्षेत्र का प्रसिद्ध जानवर रॉयल बंगाल टाइगर है। इसके अतिरिक्त कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल आदि जानवर भी इन वनों में पाए जाते हैं।

JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 4 जलवायु 

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Geography Chapter 4 जलवायु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिये गये चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) जेट स्ट्रीम जिसका अंग है, वह है
(क) वाताग्र
(ख) चक्रवात
(ग) लू
(घ) उच्च स्तरीय वायु संचरण।
उत्तर:
(घ) उच्च स्तरीय वायु संचरण।

(ii) भारत की जलवायु है
(क) मानसूनी
(ख) भूमध्य रेखीय
(ग) भूमध्य सागरीय
(घ) चीन तुल्य।
उत्तर:
(क) मानसूनी।

(iii) किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियन्त्रित करने वाले कारक हैं
(क) अक्षांश
(ख) ऊँचाई
(ग) समुद्र से दूरी
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

(iv) 27° से 30° उत्तर अक्षांशों के बीच स्थित वायुधारा का नाम है
(क) गल्फ धारा
(ख) जेट धारा
(ग) चक्रवात्
(घ) व्यापारिक हवाएँ। .
उत्तर:
(ख) जेट धारा।

(v) भारत के उत्तरी-पश्चिमी राज्यों से मानसून की वापसी प्रारम्भ हो जाती है
(क) सितम्बर से
(ख) अक्टूबर से
(ग) नवम्बर से
(घ) दिसम्बर से।
उत्तर:
(क) सितम्बर से।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जलवायु किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक विस्तृत क्षेत्र में एक लम्बे समय में मौसम की औसत अवस्थाओं और विभिन्नताओं का कुल योग जलवायु कहलाता है।

प्रश्न 2.
मौसम किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी विशेष समय में एक क्षेत्र में उपस्थित वायुमण्डलीय अवस्था को उस क्षेत्र का मौसम कहते हैं।

प्रश्न 3.
मौसम और जलवायु के तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. तापमान,
  2. वायुमण्डलीय दाब,
  3. पवन,
  4. आर्द्रता,
  5. वर्षा।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 4.
मानसून शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई है?
उत्तर:
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से हुई है। जिसका शब्दिक अर्थ है-मौसम।

प्रश्न 5.
मानसून का क्या अर्थ है?
उत्तर:
एक वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन को मानसून कहते हैं।

प्रश्न 6.
किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियन्त्रित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. अक्षांश,
  2. ऊँचाई,
  3. वायुदाब,
  4. पवन तन्त्र,
  5. समुद्र से दूरी,
  6. महासागरीय धाराएँ,
  7. उच्चावच लक्षण।

प्रश्न 7.
भारत की जलवायु में उष्ण एवं उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु के लक्षण पाये जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
कर्क रेखा हमारे देश के बीचों-बीच से होकर गुजरती है। इस अक्षांश के दक्षिण का क्षेत्र उष्ण होता है, जबकि उत्तर का क्षेत्र उपोष्ण होता है।

प्रश्न 8.
मध्य एशिया से आने वाली हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से कौन रोकता है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत।

प्रश्न 9.
उन वायुमण्डलीय कारकों के नाम बताइए जो भारत के जलवायु एवं उससे सम्बन्धित मौसमी परिस्थितियों को नियन्तित करते हैं।
उत्तर:

  1. वायुदाब एवं धरातलीय पवनें।
  2. ऊपरी वायु परिसंचरण।
  3. पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात।

प्रश्न 10.
भारत कौन-सी पवनों वाले क्षेत्र में स्थित है?
उत्तर:
भारत उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनों वाले क्षेत्र में स्थित है।

प्रश्न 11.
भारतीय मुख्य भूमि पर अधिकतम वर्षा किन हवाओं से प्राप्त होती है?
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों से।

प्रश्न 12.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उत्पत्ति का क्या कारण है?
उत्तर:
प्रीष्मकाल में उत्तर के स्थलीय भू-भागों में निम्न वायुदाब एवं समुद्री भागों में उच्च वायुदाब होने के कारण दक्षिण-पश्चिमी मानसून उत्पन्न होता है।

प्रश्न 13.
जेट धारा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल में अत्यधिक ऊँचाई (12000 मीटर से अधिक) एक संकरी पट्टी में चलने वाली पवनों को जेट धारा कहते हैं।

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प्रश्न 14.
पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ क्या है?
उत्तर:
यह शीत ऋतु में घटित होने वाली मौसमी प्रक्रिया है जो भूमध्य सागरीय क्षेत्र से पश्चिमी हवाओं के बहने के कारण उत्पन्न होता है।

प्रश्न 15.
अंतः उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
यह विषुवतीय अक्षांशों में स्थित एक निम्न दाब का क्षेत्र है। यहीं पर उत्तरी-पूर्वी एवं दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं।

प्रश्न 16.
एलनीनो क्या है?
उत्तर:
यह एक गर्म समुद्री जलधारा है जो पेरू की ठण्डी धारा के स्थान पर प्रत्येक 2 से 5 वर्ष के अन्तराल में पेरूू तट से होकर बहती है।

प्रश्न 17.
एलनीनो दक्षिणी दोलन क्या है?
उत्तर:
वायुदाब की अवस्था में परिवर्तन का सम्बन्ध एलनीनो से है। अर्थात् इस प्रक्रिया को एलनीनो दक्षिणी दोलन कहते हैं।

प्रश्न 18.
एलनीनो का क्या प्रभाव है?
उत्तर:
एलनीनो के कारण क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि हो जाती है और व्यापारिक पवनें कमजोर पड़ जाती हैं।

प्रश्न 19.
मानसून का समय क्या है?
उत्तर:
जून के मध्य से सितम्बर तक।

प्रश्न 20.
मानसून प्रस्फोट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानसून के आगमन के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है एवं लगातार कई दिनों तक यह स्थिति चलती रहती है। इसे ही मानसून प्रस्फोट (फटना) कहते हैं।

प्रश्न 21.
भारत में मानसून प्रवेश करते समय कितनी शाखाओं में विभाजित हो जाता है?
उत्तर:

  1. अरब सागर शाखा।
  2. बंगाल की खाड़ी शाखा।

प्रश्न 22.
मानसून की दोनों शाखाएँ एक-दूसरे से कहाँ मिलती हैं?
उत्तर:
मानसून की दोनों शाखाएँ गंगा के मैदान के उत्तरी-पश्चिमी भाग में आपस में मिलती हैं।

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प्रश्न 23.
भारत में मानसून की सबसे पहली वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर:
द्वीपों पर।

प्रश्न 24.
भारत में मानसून का वापस लौटना कब प्रारम्भ होता है एवं कब मानसून पूरी तरह से वापस हो। चुका होता है?
उत्तर:
सितम्बर की शुरुआत में भारत के उत्तरी-पश्चिमी राज्यों से मानसून का लौटना प्रारम्भ हो जाता है और दिसम्बर की शुरुआत तक मानसून देश से पूरी । तरह वापस हो चुका होता है।

प्रश्न 25.
शीत ऋतु में तमिलनाडु में कुछ मात्रा में वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
क्योंकि उस क्षेत्र में उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनें समुद्र से स्थल की ओर बहती हैं।

प्रश्न 26.
महावट किसे कहते हैं?
उत्तर:
शीतकाल में भूमध्य सागर से आने वाले चक्रवातों से होने वाली वर्षा को महावट कहते हैं।

प्रश्न 27.
‘लू’ क्या है?
उत्तर:
भारत के उत्तरी-पश्चिमी भागों में मई और जन के महीनों में दिन के समय बहने वाली गरम एवं शुष्क हवाओं को ‘लू’ कहते हैं।

प्रश्न 28.
काल वैशाखी का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में कभी-कभी तीव्र हवाओं के साथ गरज वाली मूसलाधार वर्षा भी होती है। इसके साथ प्रायः हिमवृष्टि भी होती है। इसे पश्चिमी बंगाल में काल वैशाखी कहते हैं।

प्रश्न 29.
आम्रवृष्टि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के अन्त में कर्नाटक और केरल में मानसून से पूर्व होने वाली वर्षा को आम्रवृष्टि कहते हैं। यह वर्षा आम की फसल को शीघ्र पकाने में सहायक होती

प्रश्न 30.
अनावृष्टि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब किसी क्षेत्र में वर्षा नहीं होती या नाममात्र को ही होती है उसे अनावृष्टि या सूखा कहते हैं।

प्रश्न 31.
मानसून में आने वाले विराम किससे ! सम्बन्धित होते हैं?
उत्तर:
मानसून में आने वाले विराम मानसूनी गर्त | की गति से सम्बन्धित होते हैं।

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प्रश्न 32.
कोरोमण्डल तट पर अधिकतर वर्षा किससे होती है?
उत्तर:
चक्रवातों एवं अवदाबों से।

प्रश्न 33.
मानसून का विशिष्ट लक्षण लिखिए।
उत्तर:
वर्षा की अनिश्चितता एवं उसका असमान वितरण।

प्रश्न 34.
पश्चिमी विक्षोभ का उत्पत्ति स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
भूमध्य सागर।

प्रश्न 35.
शीत ऋतु में देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में वर्षा का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
पश्चिमी विक्षोभा

प्रश्न 36.
अरब सागरीय मानसून शाखा से सर्वाधिक वर्षा किस भाग में होती है?
उत्तर:
पश्चिमी घाट के पवनोन्मुखी ढालों पर।

प्रश्न 37.
भारत की ऋतुओं के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. शीत ऋतु,
  2. ग्रीष्म ऋतु,
  3. मानसून के आगमन की ऋतु,
  4. मानसून के वापसी की ऋतु।

प्रश्न 38.
कोरिऑलिस बल क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न होने वाला बल। यह बल पवनों को उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मोड़ता है। इसे फेरेल का नियम भी कहा जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिणी दोलन क्या है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जब दक्षिणी प्रशान्त महासागर के उष्ण कटिबन्धीय पूर्वी भाग में उच्च दाब होता है तो हिन्द महासागर के उष्ण कटिबन्धीय पूर्वी भाग में निम्न दाब होता है लेकिन कुछ विशेष वर्षों में वायुदाब की यह स्थिति विपरीत हो जाती है एवं पूर्वी प्रशान्त महासागर के ऊपर हिन्द महासागर की तुलना में निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। दाब की अवस्था में इस नियतकालिक परिवर्तन को दक्षिणी दोलन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में मानसून किस प्रकार पहुँचता है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जून के प्रारम्भ में उत्तरी मैदानों में एक निम्न दाब क्षेत्र का निर्माण हो जाता है। इस कारण दक्षिणी गोलार्द्ध से व्यापारिक पवनें इस ओर आकर्षित होती हैं। इन व्यापारिक पवनों की उत्पत्ति दक्षिणी समुद्रों के उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में होती है। चूँकि ये पवनें गर्म महासागरों के ऊपर से गुजरती हैं, इसलिए ये अपने साथ इस उपमहाद्वीप में बहुत अधिक मात्रा में नमी लाती हैं। ये पवनें तीव्र होती हैं और सुदूर उत्तरी-पूर्वी भाग को छोड़कर देश के शेष भाग में लगभग 2 महीने में पहुँच जाती हैं। भारत में ये पवनें दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के रूप में प्रवेश करती हैं।

प्रश्न 3.
लौटते हुए मानसून पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सूर्य के दक्षिण की ओर आभासी गति के कारण अक्टूबर-नवम्बर के महीने के दौरान उत्तरी मैदान में निम्न दाब की स्थिति कमजोर होनी प्रारम्भ हो जाती है। धीरे-धीरे उच्च दाब प्रणाली इसका स्थान ले लेती है। फलस्वरूप दक्षिण-पश्चिमी मानसून कमजोर होकर लौटना प्रारम्भ कर देता है। मानसून की इस वापसी को स्वच्छ आकाश एवं दिन का बढ़ता तापमान, रातें ठण्डी एवं सुहावनी के रूप में पहचाना जा सकता है। अक्टूबर के आरम्भ तक, उत्तरी मैदानों से मानसून की वापसी हो चुकी होती है।

प्रश्न 4.
भारत में निम्न वर्षा वाले क्षेत्र कौन-कौन से हैं? बताइए।
उत्तर:
भारत में निम्न वर्षा वाले क्षेत्र निम्नलिखित हैं

  1. पश्चिमी राजस्थान एवं उससे जुड़े पंजाब, हरियाणा एवं गुजरात के भागों में वर्षा बहुत कम होती है। इन क्षेत्रों में 60 सेमी. से भी कम वार्षिक वर्षा होती है।
  2. दक्षिण के पठार के आन्तरिक भागों एवं सह्याद्रि के पूर्वी भाग में सामान्य रूप से कम वर्षा प्राप्त होती है।
  3. जम्मू-कश्मीर के लेह में भी वर्षा की मात्रा बहुत कम होती है।

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प्रश्न 5.
भारत में वर्षा के वितरण को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत में वर्षा का वितरण निम्नलिखित है

  1. पश्चिमी तट एवं उत्तरी पूर्वी भारत में वार्षिक वर्षा 400 सेमी. से भी अधिक होती है।
  2. पश्चिमी राजस्थान एवं उससे लगे गुजरात, हरियाणा एवं पंजाब में वार्षिक वर्षा 60 सेमी. से भी कम होती है।
  3. दक्षिण के पठार, सह्याद्रि के पूर्वी भाग में 60 सेमी. से भी कम वार्षिक वर्षा होती है।
  4. जम्मू-कश्मीर के लेह क्षेत्र में 20 सेमी. से भी कम वर्षा होती है।

प्रश्न 6.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं

  1. दक्षिण-पश्चिम में मानसून की अवधि जून से सितम्बर तक होती है।
  2. इन महीनों में उत्तर भारत में निम्न दाब का क्षेत्र बढ़ जाता है।
  3. मानसूनी पवनें निम्न दाब के क्षेत्र की ओर चलने लगती हैं और इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व होती
  4. इस ऋतु में सम्पूर्ण भारत में मानसून पवनें फैलकर वर्षा करती हैं।
  5. भारत में अधिकांश वर्षा (98%) इन्हीं मानसूनी पवनों से होती है।
  6. दक्षिण-पश्चिम मानसून की दो प्रमुख शाखाएँ है
    (अ) अरब सागरीय शाखा,
    (ब) बंगाल की खाड़ी की शाखा।

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प्रश्न 7.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले दो कारक बताइए।
उत्तर:
1. अक्षांश:
कर्क वृत्त, भारत को दो भागों में बाँटता है। कर्क वृत्त के दक्षिण का भाग उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में है तथा उत्तर का भाग उपोष्ण कटिबन्ध में है। अतः भारत की जलवायु में उष्ण एवं उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु दोनों की विशेषताएँ पायी जाती हैं।

2. ऊँचाई:
भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है जो मध्य एशिया से आने वाली ठण्डी हवाओं को रोककर हमारे देश की जलवायु को शीत मरुस्थल बनने से रोकता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी भी क्षेत्र की जलवाय को नियन्त्रित करने वाले कारकों को संक्षेप में बताइए। उत्तर–किसी भी क्षेत्र की जलवायु को विभाजित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
1. अक्षांश:
पृथ्वी की गोल आकृति के कारण अक्षांश के अनुरूप प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग होती है। फलस्वरूप तापमान विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर घटता जाता है जिससे किसी स्थान की जलवायु निर्धारित होती है।

2. ऊँचाई:
जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊँचाई की ओर जाते हैं तो वायुमण्डल की सघनता कम होती जाती है और तापमान घटता जाता है जिससे किसी स्थान की जलवायु निर्धारित होती है।

3. वायुदाब एवं पवन तन्त्र:
किसी भी क्षेत्र का वायुदाब एवं पवन तन्त्र उस स्थान के अक्षांश एवं ऊँचाई पर निर्भर करता है वायुदाब एवं पवन तन्त्र किसी स्थान की जलवायु पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं क्योंकि इनके द्वारा वर्षा का प्रारूप एवं तापमान नियन्त्रित होते हैं।

4. समुद्र से दूरी:
समुद्र का जलवायु पर समकारी प्रभाव पड़ता है, जैसे-जैसे किसी स्थान की समुद्र से दूरी बढ़ती जाती है समुद्र का जलवायु पर समकारी प्रभाव कम होता जाता है।

5. महासागरीय धाराएँ:
महासागरीय धारा एवं अपतटीय हवाओं द्वारा किसी स्थान की जलवायु प्रभावित होती है, जैसे-कोई भी तटीय क्षेत्र जहाँ गर्म एवं ठण्डी जलधाराएँ बहती हैं और वायु की दिशा समुद्र के तट की ओर हो, तब वह तट गर्म या ठण्डा हो जायेगा।

6. उच्चावच:
यह किसी स्थान की जलवायु के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ऊँचे पर्वत, ठण्डी या गर्म हवाओं से रक्षा करते हैं। अधिक ऊँचे पर्वत वर्षा लाने वाली पवनों को रास्ते में रोककर वर्षा कराने में सहायक होते हैं।

JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप 

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
प्रश्न 1.
पश्चिमी घाट का सर्वोच्च पर्वत शिखर है
(क) अनाईमुडी
(ख) डोडाबेटा
(ग) महेन्द्रगिरि
(घ) कंचनजंघा।
उत्तर:
(क) अनाईमुडी।

प्रश्न 2.
अरावली पर्वत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है
(क) उत्तरी मैदान
(ख) प्रायद्वीपीय पठार
(ग) तटीय मैदान
(घ) थार का मरुस्थल।
उत्तर:
(घ) थार का मरुस्थल।

प्रश्न 3.
मरुस्थल में पाये जाने वाले अर्धचन्द्राकार बालू के टीले कहलाते हैं
(क) बालू का स्तूप
(ख) बालू के टिब्बे
(ग) बरखान
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) बरखान।

प्रश्न 4.
बाढ़ वाले मैदानों में नये एवं युवा निक्षेपों को कहा जाता है
(क) भांगर (बांगर)
(ख) खादर
(ग) तराई
(घ) भाबर।
उत्तर:
(ख) खादर।

प्रश्न 5.
हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाने वाली नदी है
(क) गंगा
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) यमुना
(घ) झेलम।
उत्तर:
(ख) ब्रह्मपुत्र।

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प्रश्न 6.
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी स्थित है
(क) बैरेन द्वीप पर
(ख) लक्षद्वीप पर
(ग) कावारत्ती द्वीप पर
(घ) पिटली द्वीप पर।
उत्तर:
(क) बैरेन द्वीप पर।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे देश में कितने प्रकार की भूआकृतियाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:

  1. पर्वत,
  2. मैदान,
  3. मरुस्थल
  4. पठार,
  5. द्वीप समूह,
  6. तटीय मैदान।

प्रश्न 2.
विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी कौन-सी है?
उत्तर:
हिमालय।

प्रश्न 3.
हिमालय पर्वत श्रुंखला का विस्तार बताइए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत श्रंखला पश्चिम-पूर्व दिशा में सिन्धु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हुई है।

प्रश्न 4.
हिमालय की तीन समानान्तर पर्वत श्रेणियाँ कौन-कौनसी हैं?
उत्तर:

  1. हिमाद्रि,
  2. हिमाचल या निम्न हिमालय,
  3. शिवालिक।

प्रश्न 5.
हिमालय को पश्चिम से पूर्व स्थित क्षेत्रों के आधार पर विभाजित कीजिए।
उत्तर:

  1. पंजाय हिमाचल,
  2. कश्मीर हिमालय,
  3. हिमाचल हिमालय,
  4. कुमाऊ हिमालय,
  5. नेपाल हिमालय,
  6. असम हिमालय।

प्रश्न 6.
हिमालय के सबसे उत्तरी भाग में स्थित पर्वत शृंखला को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
इस पर्वत भृंघला को महान या आन्तरिक हिमालय या हिमाद्रि के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 7.
हिमालय की सबसे अधिक सतत् पर्वत्त शुंखला कौन-सी है?
उत्तर:
हिमाद्रि।

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प्रश्न 8.
हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित पर्वत श्रुखला को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
हिमाचल या निम्न हिमालय।

प्रश्न 9.
हिमालय की सबसे वाहरी पर्वत श्रृंखला को किस नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
शिवालिक।

प्रश्न 10.
दून क्या होते हैं? किन्हीं तीन प्रसिद्ध दूनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
निम्न हिमालय एवं शिवालिक के मध्य स्थित लम्बी घाटियों को दून कहते है। देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून आदि प्रसिद्ध दून हैं।

प्रश्न 11.
किस नदी द्वारा हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा का निर्माण होता है?
उत्तर:
ब्रत्रपुत्र नदी द्वारा।

प्रश्न 12.
भारत की पूर्वी सीमा पर फैले पर्वतों को किस नाम से जाना जाता हैं?
उत्तर:
पूर्वाचल।

प्रश्न 13.
पूर्वाचिल पर्वतों के अन्तर्गत कौन-कौन सी पहाड़ियाँ आती हैं?
उत्तर:

  1. पटकाई,
  2. नागा,
  3. मिजा,
  4. बणिपुर पहाड़ियाँ।

प्रश्न 14.
उस नदी प्रणाली का नाम बताइए जिसने उत्तरी मैदानों का निर्माण किया?
उत्तर:
उत्तरी मैदानों का निर्माण सिन्धु, गंगा व ब्रह्नपुत्र नदियों एवं उनकी सहायक नदियों द्वारा हुआ है।

प्रश्न 15.
उत्तरी मैदानों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
हिमालय के पास स्थित विश्जाल बेसिन में लाखों वर्ष तक नदियों द्वारा लाई गयी जलोढ़ मिट्टी के भरते जाने से उत्तरी विशाल मैदानों का निर्माण हुआ।

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प्रश्न 16.
विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप कौन-सा है?
उत्तर:
माजोली द्वीप जो ब्रह्सपुत्र नदी में स्थित है।

प्रश्न 17.
दोआव का शाबिदि अर्थ लिखिए।
उत्तर:
दोआब का शाख्दिक अर्थ है-दो नदियों के बीच का भाग।

प्रश्न 18.
वरसान क्या है?
उत्तर:
मरुस्थलीय क्षेत्रों में हवाओं द्वारा बने अर्द्धचन्द्राकार बालू के टीलों को बरखान कहते हैं।

प्रश्न 19.
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को कितने भागों में बॉँटा जा सकता है ?
उत्तर:

  1. भाबर,
  2. तराईू,
  3. भांगर,
  4. खादर।

प्रश्न 20.
भाबर क्या है?
उत्तर;
पर्वतों से उतरने वाली नदियों द्वारा शिवालिक के दाल पर कंकड़ियाँ जमा किये जाने से निर्मित मैदान को भाबर कहते हैं।

प्रश्न 21.
तराई क्या है?
उत्तर:
उत्तरी मैदान के भाबर क्षेत्र के दक्षिण में छोटी धाराएँ एवं नदियाँ फिर से निकलती हैं तथा एक नम एवं दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं जिसे तराई कहा जाता है।

प्रश्न 22.
भांगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
पुराने जलोद मिट्टी द्वारा निर्मित नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित भाग भांगर के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 23.
खादर किसे कहते है?
उत्तर:
बाबु के मैदानों के नये एवं युवा जलोऩ निक्षेपों को बादर कहा जाता है।

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प्रश्न 24.
प्रायद्वीपीय पठार के उपविभागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मध्य उच्च भूमि, दक्कन का पटार।

प्रश्न 25.
मध्य उच्च भूमि की प्रमुख नदियाँ कौन-कौनसी है?
उत्तर:

  1. चम्बल,
  2. सिंध,
  3. बेतवा,
  4. केन।

प्रश्न 26.
दक्कन के पठार के उत्तरी-पूर्वी विस्तार का नाम बताइए।
उत्तर:
मेघालय, कार्बी एंग्लींग पठार एवं उत्तर कचार पहाड़ी।

प्रश्न 27.
दक्कन ट्रेप क्या है?
उत्तर:
प्रायदीपीय पठार की काली मृदा वाले क्षेत्र को दक्कन ट्रेप कहते हैं।

प्रश्न 28.
अराबली की पहाड़ियाँ कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
अरावली की पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय पटार के पशिचमी एवं उत्तरी पशिचमी किनारों पर स्थित हैं।

प्रश्न 29.
थार के मरुस्थल की सबसे बड़ी नदी का क्या नाम है?
उत्तर:
लूनी नदी।

प्रश्न 30.
पशिचमी तट के तीन भाग कौन-कौन से है?
उत्तर:

  1. कौकण तट,
  2. कन्नड़ मैदान,
  3. मालाबार तट।

प्रश्न 31.
पूर्वी तट के दो भाग कौन-कौन से है?
उत्तर:
उत्तरी सरकार, कोरोमण्डल तट।

प्रश्न 32.
पूर्वी तट पर स्थित उन नदियों के नाम लिखिए जिनके द्वारा विशाल डेल्टा का निर्माण किया ज्ञाता है?
उत्तर:

  1. महानदी,
  2. गोदावरी,
  3. कृष्णा,
  4. कावेरी।

प्रश्न 33.
चिरका झील कहाँ स्थित है एवं क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
चिल्का दील उद्धीसा में महानदी डेल्टा के दक्षिण में स्थिथत है। यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।

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प्रश्न 34.
लक्षद्वीप द्वीप समूह को पहले किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
लक्षदीप दीप समूह को पहले लकादीव, मीनीकाय एवं एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 35.
लक्षद्धीप के प्रशासनिक मुख्यालय का नाम लिखिए।
उत्तर:
कावारती द्वीप।

प्रश्न 36.
प्रवाल क्या हैं ?
उत्तर:
प्रवाल अल्पजीवी सूक्ष्म प्राणी हैं जो समुद्र में समृह में रहते हैं।

प्रश्न 37.
श्रेट बेरियर रीफ कही स्थित है?
उत्तर:
अंस्ट्रेलिया में।

प्रश्न 38.
कौन-सा द्वीप समूह देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूण्ण है?

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘भारत की भूमि बहुत अधिक भौतिक विभिन्नताओं को दर्शाती है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-यह सत्य है कि भारत की भूमि में बहुत अधिक भौतिक विभिन्नताएँ पायी जाती हैं

  1. उत्तर में अवसादी एवं रूपान्तरित शैलों से निर्मित ऊँची:
    नीची भूमि के विस्तृत क्षेत्र पाये जाते हैं। यहाँ उच्च पर्वत शिखर, आवृत पठार, गहरी घाटियाँ एवं तेज बहने वाली नदियाँ आदि विशिष्ट स्थलरूप पाये जाते हैं।
  2. उत्तरी मैदान जलोढ़ निक्षेपों से बना है। इस मैदान में सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ प्रवाहित होती हैं।
  3. दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार है जो पृथ्वी का प्राचीनतम भाग है। यह पठार आग्नेय एवं रूपान्तरित शैलों वाली कम ऊँची पहाड़ियाँ एवं चौड़ी घाटियों से बना है।
  4. इसके पूर्वी एवं पश्चिमी किनारों पर तटीय मैदान हैं।

प्रश्न 2.
नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर हिमालय को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर हिमालय को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है

  1. पंजाब हिमालय-यह भाग सिन्धु एवं सतलज नदियों के मध्य जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में फैला हुआ है।
  2. कुमाऊँ हिमालय-यह भाग सतलज और काली नदियों के बीच का भाग है।
  3. नेपाल हिमालय-यह भाग काली और तीस्ता नदियों के बीच का भाग है।
  4. असम हिमालय-यह भाग तिस्ता तथा दिहांग नदियों के बीच का भाग है।

प्रश्न 3.
हिमालय की तीन समानान्तर श्रेणियों के नाम लिखिए एवं प्रत्येक की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:

  1. महान हिमालय या आन्तरिक हिमालय अथवा हिमाद्रि,
  2. निम्न हिमालय (हिमाचल हिमालय),
  3. शिवालिक (बाह्य हिमालय)।
  4. महान हिमालय: हिमालय की यह सर्वोच्च पर्वत श्रेणी है। यह हमेशा बर्फ से ढकी रहती है।
  5. निम्न हिमालय-हिमालय की यह मध्यवर्ती श्रेणी पहाड़ी नगरों के लिए जानी जाती है।
  6. शिवालिक-यह हिमालय की दक्षिणतम श्रेणी है जो जलोढ़ अवसादों से निर्मित है।

प्रश्न 4.
महान हिमालय किसे कहते हैं? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
हिमालय की उच्चतम श्रेणी को महान हिमालय कहते हैं। इसे आन्तरिक हिमालय एवं हिमाद्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह हिमालय की सर्वोच्च पर्वत श्रेणी है। इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है।
  2. यह पर्वत श्रेणी सदैव हिम से ढकी रहती है।
  3. हिमालय का सर्वोच्च पर्वत शिखर ‘माउण्ट एवरेस्ट’ इसी श्रेणी में स्थित है। अन्य प्रमुख शिखर कंचनजंघा, नंगा पर्वत, नंदा देवी आदि हैं।
  4. हिमालय के इस भाग का क्रोड ग्रेनाइट का बना है।

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प्रश्न 5.
निम्न हिमालय की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
हिमालय के दक्षिण में स्थित पर्वत श्रेणियों को निम्न हिमालय या मध्य हिमालय अथवा हिमाचल हिमालय के नाम से जाना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह हिमालय की मध्यवर्ती श्रेणी है।
  2. इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच एवं औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है।
  3. इन पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण अत्यधिक संपीडित एवं परिवर्तित चट्टानों से हुआ है।
  4. सभी महत्वपूर्ण पहाड़ी नगर-शिमला, मसूरी, नैनीताल, रानीखेत आदि इसी पर्वत श्रेणी में स्थित हैं।

प्रश्न 6.
शिवालिक पर्वत श्रेणी की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है, इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. शिवालिक श्रेणी की चौड़ाई 10 से 50 किमी. एवं ऊँचाई 900 से 1,100 मीटर के मध्य है।
  2. यह पर्वत श्रेणी जलोढ़ अवसादों से निर्मित है।
  3. शिवालिक तथा हिमाचल के बीच में लम्बवत् घाटी पायी जाती हैं जिन्हें ‘दून’ कहते हैं। देहरादून ऐसी ही एक घाटी में स्थित है।

प्रश्न 7.
भारत के उत्तरी मैदान का निर्माण कैसे हुआ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत का उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-सिधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ जिसके फलस्वरूप इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ।

प्रश्न 8.
भारत के उत्तरी मैदान की किन्हीं चार विशेषताओं को बताइए।
उत्तर:
भारत के उत्तरी मैदान की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह मैदान जलोढ़ मृदा से निर्मित है। जिसका निक्षेपण सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों एवं उनकी सहायक नदियों ने किया है।
  2. इस मैदान का विस्तार 7 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर है।
  3. यह मैदान लगभग 2,400 किमी. लम्बा एवं 240 से 320 किमी. चौड़ा है।
  4. यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है।

प्रश्न 9.
उत्तरी मैदान को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
उत्तरी मैदान को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है जो निम्नलिखित हैं

  1. पंजाब का मैदान-यह उत्तरी मैदान का पश्चिमी भाग है। इसका निर्माण सिन्धु एवं उनकी सहायक नदियों ने किया है। इस मैदान का अधिकांश भाग पाकिस्तान में है। इस मैदान में दोआबों की संख्या बहुत अधिक है।
  2. गंगा का मैदान-इस मैदान का विस्तार घाघरा एवं तीस्ता नदियों के मध्य है। यह मैदान उत्तरी भारत के हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड के कुछ भाग एवं पश्चिमी बंगाल में फैला हुआ है।
  3. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इस मैदान का निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी ने किया है। इस मैदान का विस्तार असम राज्य में सर्वाधिक है।

प्रश्न 10.
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को वर्गीकत कीजिए।
उत्तर:
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं

  1. भाबर-इसका निर्माण पर्वतों से उतरने के बाद नदियों द्वारा कंकड़ियों को एक चौड़ी पट्टी में जमा किये जाने के कारण हुआ है। सभी सरिताएँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं।
  2. तराई–यह भाबर के दक्षिण में स्थित है। यह नम, दलदली तथा घना वन्य प्रदेश है। भाबर में जबकि समस्त सरिताएँ लुप्त हो जाती हैं, वे इस क्षेत्र में पुनः प्रकट होती हैं।
  3. भांगर-उत्तरी मैदान के सबसे पुराने जलोढ़क को भांगर कहते हैं। जलोढ़कों के लगातार जमाव से वेदिका जैसी आकृति बन जाती है जो बाढ़ प्रभावी मैदान के स्तर जितनी ऊपर उठ जाती है। इस क्षेत्र में चूनेदार मिट्टी मिलती है।
  4. खादर-बाढ़ वाले मैदानों के नवीन तथा युवा निक्षेपों को खादर कहा जाता है। इनका लगभग प्रतिवर्ष पुनर्निर्माण होता रहता है, यह मैदान उपजाऊ होते हैं।

प्रश्न 11.
प्रायद्वीपीय पठार की निर्माण प्रक्रिया को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार की निर्माण प्रक्रिया को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुरानी क्रिस्टलीय, आग्नेय एवं कायान्तरित शैलों वाली कम ऊँची पहाड़ियों एवं चौड़ी घाटियों से बना है।
  2. यह पठार गोंडवाना भूमि के टूटने एवं खिसकने के कारण निर्मित हुआ था।
  3. इस पठार के दो प्रमुख भाग हैं-मध्य उच्च भूमि एवं दक्कन का पठार।

प्रश्न 12.
दक्षिण के पठार की लाक्षणिक विशेषताओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
दक्षिण के पठार की प्रमुख लाक्षणिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. दक्षिण का पठार नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित एक त्रिभुजाकार भूभाग है। उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला है। कैमूर, महादेव एवं मैकाल श्रेणियाँ इसके पूर्वी विस्तार हैं।
  2. पश्चिम में इसकी ऊँचाई अधिक है जो पूर्व में धीरे-धीरे कम होती जाती है। मेघालय, कार्बी एंगलौंग पठार एवं उत्तर कचार पहाड़ियाँ इसके उत्तरी-पूर्वी विस्तार हैं।
  3. यह एक भ्रंश के द्वारा छोटा नागपुर पठार से अलग है। पश्चिम से पूर्व की ओर गारो, खासी एवं जयंतिया पहाड़ियाँ स्थित हैं।

प्रश्न 13.
प्रायद्वीपीय पठार के दो प्रमुख उपविभाजनों के नाम बताइए एवं प्रत्येक की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
1. मध्य उच्च भूमि:
यह नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है। इसमें मालवा पठार, अरावली पहाड़ियाँ, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड एवं विंध्य आदि सम्मिलित हैं। यह क्षेत्र पश्चिम में चौड़ा एवं पूर्व में सँकरा है। इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ चम्बल, सिंध, बेतवा एवं केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बहती हैं।

2. दक्कन का पठार:
दक्कन का पठार एक त्रिभुजाकार भूभाग है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। यह पठार उत्तर में सतपुड़ा, पूर्व में महादेव, कैमूर एवं मैकाल श्रृंखला से दक्षिण की ओर प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे तक विस्तृत है। यह पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है।

प्रश्न 14.
पूर्वी घाट पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:

  1. पूर्वी घाट द्वारा दक्षिण के पठार के पूर्वी किनारे का निर्माण किया जाता है। इसकी ऊँचाई पश्चिमी घाट की अपेक्षा कम है। इसकी औसत ऊँचाई 600 मीटर है।।
  2. पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है।
  3. पूर्वी घाट का विस्तार सतत् नहीं है, ये अनियमित है।
  4. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने पूर्वी घाट को काट दिया है।
  5. पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी महेन्द्रगिरी (1500 मीटर) है। शेवराय एवं जावेदी की पहाड़ियाँ इसके दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

प्रश्न 15.
पश्चिमी घाट पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:

  1. पश्चिमी घाट द्वारा दक्षिण के पठार के पश्चिमी किनारे का निर्माण किया जाता है। इसकी औसत ऊँचाई 900 से 1,600 मीटर है।
  2. पश्चिमी घाट सतत् रूप में फैले हुए हैं। इन्हें केवल दरों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
  3. पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती जाती है। अनाईमुडी (2,695 मी.) एवं डोडा बेट्टा (2,633 मी.) इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं।
  4. पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती है।

प्रश्न 16.
अरावली की पहाड़ियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  1. अरावली की पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तरी-पश्चिमी किनारों पर स्थित हैं।
  2. ये पहाड़ियाँ बहुत अधिक अपरदित एवं खण्डित हैं।
  3. ये पहाड़ियाँ गुजरात से लेकर दिल्ली तक दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हुई हैं।

प्रश्न 17.
भारतीय मरुस्थल को किस नाम से जाना जाता है? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारतीय मरुस्थल को थार के मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। यह अरावली पर्वत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह बालू के टीलों से ढका एक तरंगित मैदान है।
  2. इस क्षेत्र में बहुत कम वर्षा होती है। यहाँ प्रतिवर्ष 150 मिमी. से भी कम वर्षा होती है।
  3. इस क्षेत्र में केवल वर्षा ऋतु में ही नदियाँ दिखती हैं जो आगे चलकर बालू में विलीन हो जाती हैं। इस क्षेत्र की एकमात्र बड़ी नदी लूनी है।
  4. इस क्षेत्र की जलवायु शुष्क है।
  5. यहाँ बहुत कम वनस्पति पायी जाती है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप 

प्रश्न 18.
तटीय मैदानों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर संकीर्ण तटीय मैदानों का विस्तार है। यह मैदान पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है। इस मैदान के दो भाग हैं

  1. पश्चिमी तटीय मैदान,
  2. पूर्वी तटीय मैदान। पश्चिमी तटीय मैदान, पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच तक सँकरा मैदान है। इसके उत्तरी भाग को कोंकण तट, मध्य भाग को कन्नड़ मैदान एवं दक्षिण भाग को मालाबार तट कहते हैं।
  3. पूर्वी तटीय मैदान अपेक्षाकृत चौड़ा एवं समतल है। इसके दो भाग हैं-उत्तरी भाग को उत्तरी सरकार एवं दक्षिणी भाग को कोरोमण्डल तट कहते हैं।

प्रश्न 19.
पूर्वी तटीय मैदानों एवं पश्चिमी तटीय मैदानों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
पूर्वी तटीय मैदानों एवं पश्चिमी तटीय मैदानों की तुलना निम्न प्रकार से हैपूर्वी तटीय मैदान

पूर्वी तटीय मैदान पशिचमी तटीय मैदान
1. ये मैदान पूर्वी घाट एवं बंगाल की खाड़ी के तट के बीच स्थित हैं। 1. ये मैदान पश्चिमी घाट एवं अरब सागर के तट के बीच स्थित हैं।
2. ये मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं। 2. ये मैदान अपेक्षाकृत सँकरे हैं।
3. पूर्वी तटीय मैदान को दो भागों में बाँटा गया है-
(i) उत्तरी सरकार तट,
(ii) कोरोमंडल तट।
3. पश्चिमी तटीय मैदान को तीन भागों में बाँटा गया है-
(i) कोंकण तट,
(ii) कन्नड़ मैदान,
(iii) मालाबार तट।
4. इस तट की नदियाँ विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। 4. इस तट की नदियाँ डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं।

प्रश्न 20.
बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर के द्वीप समूहों के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर के द्वीप समूहों के बीच निम्नलिखित अन्तर हैंबंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह अरब सागर के द्वीप समूह

बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह अरब सागर के द्वीप समूह
1. इस द्वीप समूह के अन्तर्गत अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं। 1. इस द्वीप समूह के अन्तर्गत लक्षद्वीप द्वीप समूह आते हैं।
2. ये द्वीप ज्वालामुखी उत्पत्ति के हैं। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरैन द्वीप पर स्थित है। 2. ये मुख्यतः प्रवाल द्वीप हैं जिनका निर्माण पालिप्स नाम के सूक्ष्म जीवों द्वारा हुआ है।
3. ये हरे-भरे घने वनों से आच्छादित हैं। यहाँ की जलवायु विषुवतीय है। 3. यह द्वीप समूह अपनी वनस्पति एवं जैव विभिन्नता के लिए जाना जाता है। यहाँ भी विषुवतीय जलवायु पायी जाती है।
4. यह द्वीप समूह 350 किमी. में फैले लगभग 200 द्वीपों से मिलकर बना है। 4. यह 32 किमी. क्षेत्र में फैले 32 द्वीपों से मिलकर बना है।
5. इस द्वीप समह के द्वीप बिखरे हुए हैं। 5. इस द्वीप समह के द्वीप अपेक्षाकृत कम बिखरे हृए हैं।


निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत को भू-आकृतिक विभागों में विभाजित कीजिए। किसी एक भू-आकृतिक विभाग का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत को निम्नलिखित भू-आकृतिक विभागों में बाँटा जा सकता है

  1. हिमालय पर्वत श्रृंखला,
  2. उत्तरी मैदान,
  3. प्रायद्वीपीय पठार,
  4. भारतीय मरुस्थल,
  5. तटीय मैदान,
  6. द्वीप समूह।

हिमालय पर्वत श्रृंखला

हिमालय पर्वत की स्थिति एवं विस्तार:
भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है जो पश्चिम-पूर्व दिशा में सिन्धु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक फैली हुई है। यह पर्वत श्रेणी 2,400 किमी. की लम्बाई में एक अर्द्धवृत्त के रूप में फैली हुई है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 किमी. एवं अरुणाचल प्रदेश में 150 किमी. है।
JAC Class 9 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप  1

हिमालय का भौगोलिक वर्गीकरण: हिमालय पर्वत श्रृंखला को तीन भागों में बाँटा जा सकता है
1. महान हिमालय:

  1. इसे हिमाद्रि, वृहत् एवं आन्तरिक हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
  2. हिमालय की इस श्रेणी का क्रोड ग्रेनाइट का बना है।
  3. यह सबसे अधिक सतत् पर्वत श्रृंखला है।
  4. इसकी औसत ऊँचाई लगभग 6,000 मीटर है।
  5. यह पर्वत श्रृंखला सदैव हिम से ढकी रहती है तथा इससे बहुत-सी हिमानियों का प्रवाह होता है।
  6. माउण्ट एवरेस्ट (8,848 मी.), कंचनजंघा (8,598 मी.), मकालु (8,481 मी.), धौलागिरी (8,172 मी.), नंगा पर्वत (8,126 मी.), अन्नपूर्णा (8,078 मी.), नंदादेवी (7,817 मी.), कामेट (7,756 मी.), आदि प्रमुख पर्वत शिखर हैं।
  7. महान हिमालय के कुछ महत्वपूर्ण दरे-जोजीला (जम्मू-कश्मीर), शिपकी-ला, बारालाचा-ला (हिमाचल प्रदेश), बोमडी-ला (अरुणाचल प्रदेश) आदि हैं।
  8. महान हिमालय में ही भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा (8598 मी.) स्थित है। यह भारत के सिक्किम राज्य में स्थित है।

2. निम्न हिमालय:

  1. इसे हिमाचल एवं मध्य हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
  2. यह पर्वत शृंखला हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित है।
  3. इस पर्वत श्रृंखला का निर्माण मुख्यतः अत्यधिक संपीडित एवं परिवर्तित शैलों से हुआ है।
  4. इसकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच है।
  5. इसकी औसत चौड़ाई 50 किमी. है।
  6. पीरपंजाल इसकी सबसे लम्बी श्रेणी है। अन्य श्रेणियों में धौलाधार एवं महाभारत प्रमुख हैं।
  7. इसी पर्वत श्रृंखला में कश्मीर घाटी, कांगड़ा एवं कुल्लू घाटियाँ (हिमाचल प्रदेश) स्थित हैं।
  8. मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, दार्जिलिंग आदि पर्वतीय स्थल निम्न हिमालय में स्थित हैं।

3. शिवालिक हिमालय:

  1. इसे उप हिमालय एवं बाह्य हिमालय भी कहते हैं।
  2. इसकी चौड़ाई 10 से 50 किमी. एवं ऊँचाई 900 से 1,100 मीटर के बीच है।
  3. इस पर्वत श्रृंखला का निर्माण महान हिमालय एवं निम्न हिमालय से नदियाँ द्वारा लाये गए असंपीडित अवसादों से हुआ है।
  4. निम्न हिमालय और शिवालिक के बीच में स्थित लम्बवत् घाटी पायी जाती है जिन्हें दून कहते हैं; जैसे-देहरादून, कोटलीदून आदि।

हिमालय का क्षेत्रीय वर्गीकरण:

  1. पंजाब हिमालय-यह सिंधु और सतलज नदी के बीच फैला हुआ है।
  2. कुमायूँ हिमालय-यह सतलज और काली नदी के बीच स्थित है।
  3. नेपाल हिमालय-इसका विस्तार काली नदी से लेकर तीस्ता नदी तक है।
  4. असम हिमालय-यह तिस्ता नदी से लेकर दिहांग नदी तक फैला हुआ है।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

भारत के मानचित्र में निम्न को दर्शाइए:
1. भारत के भौतिक विभाग,
2. हिमालय पर्वत एवं उसकी श्रेणियाँ,
3. पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट,
4. भारत का उच्चावच,
5. पामीर ग्रन्थि एवं सम्बन्धित श्रेणियाँ,
6. चम्बल, कावेरी, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियाँ।
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JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए:

1. अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ
(ख) एमनेस्टी इंटरनेशनल
(ग) इण्टरपोल
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) एमनेस्टी इंटरनेशनल।

2. निम्न में से कौन-सा मूल अधिकार नहीं है
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ख) समानता का अधिकार
(ग) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार
(घ) सम्पत्ति का अधिकार।
उत्तर:
(घ) सम्पत्ति का अधिकार।

3. भारतीय संविधान में कितने मूल अधिकार हैं
(क) छः
(ख) पाँच
(ग) सात
(घ) नौ।
उत्तर;
(क) छः।

4. मनुष्य जाति के अवैध व्यापार का निषेध करने वाले मूल अधिकार हैं
(क) समानता का अधिकार
(ख) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार
(ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

5. कोई भी व्यवसाय चुनना किस मूल अधिकार के अन्तर्गत आता है
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ख) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार
(ग) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गुआंतानामो बे किस कारण चर्चा में है?
उत्तर:
गुतानामो बे क्यूबा के निकट एक टापू है जिस पर अमेरिकी नौसेना का नियन्त्रण है। यहाँ पर लगभग 600 लोगों को संदेह के आधार पर पकड़कर जेल में डाल | दिया गया है।

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प्रश्न 2.
एमनेस्टी इण्टरनेशनल के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन दुनियाभर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतन्त्र रिपोर्ट प्रकाशित करता है।

प्रश्न 3.
किस संस्था ने यह रिपोर्ट दी थी कि गुआंतानामो बे की जेल में कैदियों को प्रताड़ित किया जा रहा है?
उत्तर:
एमनेस्टी इण्टरनेशनल ने।

प्रश्न 4.
गुआंतानामो बे की जेल के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने क्या कहा?
उत्तर:
गुआंतानामो बे की जेल को बन्द कर देना चाहिए।

प्रश्न 5.
किस देश में राजा या शाह को चुनने या बदलने में लोगों की कोई भूमिका नहीं होती?
उत्तर:
सऊदी अरब में।

प्रश्न 6.
पुराने यूगोस्लाविया के किस प्रान्त में जातीय नरसंहार हुआ?
उत्तर:
कोसोवो प्रान्त में।

प्रश्न 7.
किस देश में प्रत्येक नागरिक का मुसलमान होना आवश्यक है?
उत्तर:
सऊदी अरब में।

प्रश्न 8.
कोसोवो में किस वर्ष जातीय नरसंहार हुआ?
उत्तर:
सन् 1999 ई. में।

प्रश्न 9.
कानून के शासन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इससे अभिप्राय है कि कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा, चाहे व्यक्ति की हैसियत कुछ भी

प्रश्न 10.
अधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अधिकार किसी व्यक्ति के वे तार्किक दावे है जो वह दूसरे व्यक्तियों, समाज एवं सरकार पर करता है। इन्हें कानून की मान्यता प्राप्त होती है।

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प्रश्न 11.
लोकतन्त्र में अधिकारों की क्या आवश्यकता होती है?
उत्तर:
लोकतन्त्र की स्थापना के लिए अधिकारों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 12.
मौलिक अधिकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
कुछ ऐसे अधिकार जो हमारे जीवन के लिए मूलभूत एवं अति आवश्यक हैं, उन्हें विशेष स्थान दिया गया है। इन्हीं अधिकारों को मौलिक अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 13.
समानता का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समानता का अभिप्राय है प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार कार्य करने का समान अवसर | उपलब्ध कराना।

प्रश्न 14.
संविधान में कौन-कौन सी बुराइयों को गैरकानूनी घोषित किया गया है?
उत्तर:

  1. मनुष्य जाति का अवैध व्यापार
  2. बेगार प्रथा
  3. बाल मजदूरी निषेध।

प्रश्न 15.
किस मूल अधिकार को हमारे संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा गया है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों के अधिकार को।

प्रश्न 16.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार को किस विद्वान ने हमारे संविधान की ‘आत्मा और हृदय’ कहा है?
उत्तर:
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने।

प्रश्न 17.
समय-समय पर अदालतों ने ऐसे फैसले दिये हैं जिनसे अधिकारों का दायरा बढ़ा है? ये अधिकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. प्रेस की स्वतन्त्रता का अधिकार
  2. सूचना का अधिकार
  3. शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 18.
शिक्षा का अधिकार क्या है?
उत्तर:
6 से 14 वर्ष तक के समस्त बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दिलाना।

प्रश्न 19.
भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार दिये गये हैं?
उत्तर:
छः मौलिक अधिकार दिये गये हैं।

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प्रश्न 20.
सम्पत्ति रखने का अधिकार मौलिक अधिकार है या संवैधानिक अधिकार?
उत्तर:
संवैधानिक अधिकार।

प्रश्न 21.
दक्षिण अफ्रीका के संविधान में सम्मिलित किन्हीं दो अधिकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. निजता का अधिकार
  2. पर्यावरण का अधिकार।

प्रश्न 22.
भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार के किन्हीं तीन पहलुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. कानून के समक्ष समानता
  2. सरकारी सेवाओं में अवसरों की समानता
  3. छुआछूत की समाप्ति।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मिलोशेविक कौन था? अल्बानियाई लोगों के प्रति उसकी कैसी नीति थी? वह सर्बो से क्या चाहता था?
उत्तर:
मिलोशेविक एक संकीर्ण मानसिकता का उग्र सर्ब राष्ट्रवादी नेता था जो यूगोस्लाविया में चुनाव जीता था। उसकी सरकार ने कोसोवो के अल्बानियाई लोगों के प्रति बहुत ही कठोर व्यवहार किया। कोसोवो में अल्बानियाई लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी किन्तु सम्पूर्ण देश में सर्ब लोगों का बाहुल्य था। वह चाहता था कि देश पर सर्ब लोगों का ही पूर्ण नियन्त्रण हो।

प्रश्न 2.
वे कौन सी विशेषताएँ हैं जो किसी दावे को अधिकार बना देती हैं?
उत्तर:
वे निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जो किसी दावे को अधिकार बना देती हैं

  1. यह तार्किक होता है कि इसे समान रूप से दूसरे लोगों को भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
  2. इसे सम्पूर्ण समाज से भी स्वीकृति मिलनी चाहिए।
  3. इसे कानून द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को दिये गये मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में नागरिक को निम्नलिखित छः अधिकार दिये गये हैं

  1. संवैधानिक उपचार का अधिकार
  2. समानता का अधिकार
  3. स्वतंत्रता का अधिकार
  4. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  5. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  6. शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकार।

प्रश्न 4.
‘कानून के शासन’ को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
कानून का शासन किसी भी लोकतन्त्र का आधार है अर्थात् कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। इस आधार पर किसी राजनेता, सरकारी अधिकारी या सामान्य नागरिक में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। देश के प्रधानमन्त्री से लेकर दूरदराज के खेतिहर मजदूर तक सब पर एक ही कानून लागू होता है। कोई भी व्यक्ति वैधानिक रूप से अपने पद या जन्म के आधार पर विशेषाधिकार या विशेष व्यवहार का दावा नहीं कर सकता।

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प्रश्न 5.
क्या आरक्षण की व्यवस्था समानता के अधिकार के विरुद्ध है? बताइए।
उत्तर:
नहीं, ऐसा नहीं है। क्योंकि समानता का अर्थ यह नहीं है कि सभी व्यक्तियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना। समानता का अर्थ है-प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार काम करने का समान अवसर उपलब्ध कराना। कभी-कभी अवसर की समानता को सुनिश्चित करने के लिए किसी व्यक्ति समूह को विशेष अवसर देना जरूरी होता है। सरकारी सेवाओं में आरक्षण भी इसी का एक उदाहरण है।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को कौन-कौन सी स्वतन्त्रताएँ दी गई हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ दी गई हैं

  1. अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता।
  2. संगठन और संघ बनाने की स्वतन्त्रता।
  3. शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्रित होने की स्वतन्त्रता।
  4. देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतन्त्रता।
  5. देश के किसी भी भाग में रहने व बसने की स्वतन्त्रता।
  6. कोई भी काम धन्धा, व्यवसाय, व्यापार करने व चुनने की स्वतन्त्रता।

प्रश्न 7.
संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार के अन्तर्गत कौन-कौन-सी तीन प्रमुख बुराइयों की चर्चा की गयी है?
उत्तर:
शोषण के विरुद्ध अधिकार के अन्तर्गत निम्नलिखित तीन बुराइयों की चर्चा की गयी है

  1. संविधान मनुष्य जाति के अवैध व्यापार का निषेध करता है। आमतौर पर इसमें अनैतिक कार्यों हेतु महिलाओं का शोषण होता है।
  2. हमारा बंधुआ मजदरी का निवर यो वर्ग के लोग इसके शिकार बनते हैं।
  3. संविधान बाल मजदूरी का निषेध करता है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इसके शिकार होते हैं। अत: उनसे कोई कार्य नहीं लिया जा सकता है।

प्रश्न 8.
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार किसी भी लोकतन्त्र की एक अनिवार्य विशेषता है। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में बोलने, लिखने एवं कला के विभिन्न रूपों में स्वयं को व्यक्त करना सम्मिलित है। दूसरों से स्वतन्त्र ढंग से विचार-विमर्श और संवाद स्थापित करके ही हमारे विचारों और व्यक्तित्व का विकास होता है।

हमें अलग तरीके से सोचने तथा उसके अनुसार अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार है। हम सरकार की किसी नीति या किसी संगठन की गतिविधियों की आलोचना करने के लिए स्वतन्त्र हैं। हम अपने विचारों को जनता में प्रेषित कर सकते हैं। इसे हम पेंटिंग, कविता या गीत के माध्यम से भी फैला सकते हैं।

प्रश्न 9.
किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते अथवा हिरासत में लेते समय किन-किन नियमों का पालन करना पड़ता है?
उत्तर:
किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते अथवा हिरासत में लेते समय निम्न नियमों का पालन करना पड़ता

  1. गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी और हिरासत में लेने के कारणों की जानकारी देनी होती है।
  2. गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष गिरफ्तारी के 24 घण्टों के अन्दर प्रस्तुत करना होता है।
  3. ऐसे व्यक्ति को किसी भी वकील से सम्पर्क करने या अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

प्रश्न 10.
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।’ इस कथन की पुष्टि कीजिए। – उत्तर-भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। उक्त कथन की पुष्टि हेतु निम्न प्रमाण प्रस्तुत हैं

  1. भारत में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसन्द के धर्म को मानने, उसका प्रबन्धन करने एवं उसके प्रचार-प्रसार का अधिकार है।
  2. भारत में सरकार किसी धर्म विशेष को किसी भी तरह से समर्थन नहीं देती है न ही यह किसी भी व्यक्ति को धार्मिक मान्यताओं के कारण सजा देती है या उसके साथ भेदभाव करती है।
  3. सरकार किसी धर्म या धार्मिक संस्था को बढ़ावा देने या उसके रखरखाव के लिए ‘कर’ देने हेतु किसी व्यक्ति को मजबूर नहीं करती।
  4. सरकार शैक्षिक संस्थानों में किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्देश नहीं देती है।

प्रश्न 11.
संविधान अल्पसंख्यकों को कौन-कौन से सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार देता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान अल्पसंख्यकों को निम्नलिखित सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार देता है

  1. नागरिकों में विशिष्ट भाषा एवं संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने का अधिकार है।
  2. किसी भी राजकीय अथवा राजकीय अनुदान प्राप्त शैक्षिक संस्थान में किसी नागरिक को धर्म या भाषा के आधार पर प्रवेश लेने से नहीं रोका जा सकता।
  3. सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसन्द के शैक्षिक संस्थान की स्थापना करने व संचालन करने का अधिकार है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

प्रश्न 12.
उन नये अधिकारों के बारे में बताइए जो दक्षिण अफ्रीका के संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए हैं?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में संविधान द्वारा निम्नलिखित नये अधिकार वहाँ के नागरिकों को दिए गए हैं

  1. निजता का अधिकार ताकि नागरिकों और उनके घरों की तलाशी न ली जाए। उनके फोन टेप नहीं किये जा सकते और उनके पत्र व्यवहार को खोलकर पढ़ा नहीं जा सकता।
  2. एक ऐसे पर्यावरण का अधिकार जो उनके स्वास्थ्य के प्रतिकूल न हो।
  3.  स्वास्थ्य सेवाओं, पर्याप्त भोजन और पानी तक पहुँच का अधिकार। किसी भी व्यक्ति को आपात चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए
1. औपचारिक रूप से देश का सबसे बड़ा अधिकारी होता है
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमन्त्री।
(ग) मुख्य न्यायाधीश
(घ) मुख्यमन्त्री।
उत्तर:
(क) राष्ट्रपति।

2. सरकार का प्रमुख होता है
(क) राष्ट्रपति
(ख) लोकसभा अध्यक्ष
(ग) उपराष्ट्रपति
(घ) प्रधानमन्त्री।
उत्तर:
(घ) प्रधानमन्त्री।

3. भारत सरकार ने किस वर्ष दूसरा पिछड़ी जाति आयोग गठित किया था?
(क) सन् 1979 में
(ख) सन् 1950 में
(ग) सन् 1947 में
(घ) सन् 1970 में।
उत्तर:
(क) सन् 1979 में।

4. मन्त्रियों द्वारा किये गये फैसले को लागू करने के उपायों के लिए एक निकाय के रूप में जिम्मेदार होते हैं
(क) प्रधानमन्त्री
(ख) नौकरशाह
(ग) संसद सदस्य
(घ) जनता।
उत्तर:
(ख) नौकरशाह।

5. नागरिक और सरकार के बीच विवाद सुलझाने वाली संस्था है
(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) उच्च न्यायालय
(ग) संसद
(घ) मन्त्री।
उत्तर:
(क) सर्वोच्च न्यायालय।

6. भारतीय संसद के कितने सदन हैं
(क) एक
(ख) दो।
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
(ख) दो।

7. भारत के राष्ट्रपति के अधिकार कहाँ की महारानी की तरह होते हैं
(क) ब्रिटेन
(ख) सं. रा. अमेरिका
(ग) कनाडा
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(क) ब्रिटेन।

8. भारत के रक्षा बलों का सुप्रीम कमाण्डर कौन होता है
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) गृहमन्त्री
(घ) लोकसभा अध्यक्षा
उत्तर:
(क) राष्ट्रपति।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्यालय ज्ञापन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सक्षम अधिकारी द्वारा जारी पत्र जिसके माध्यम से सरकार के फैसले अथवा नीति के बारे में बताया जाता है कार्यालय ज्ञापन कहलाता है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज

प्रश्न 2.
SEBC का विस्तारित रूप बताइए।
उत्तर:
सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (Socially and Economically Backward Classes)।

प्रश्न 3.
हमारे देश का राष्ट्राध्यक्ष कौन है?
उत्तर:
राष्ट्रपति।

प्रश्न 4.
राजकाज से जुड़े अधिकतर निर्णय कहाँ पर लिये जाते हैं?
उत्तर
मन्त्रिमण्डल की बैठकों में राजकाज से जुड़े अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं।

प्रश्न 5.
भारतीय संसद के कितने सदन हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संसद के दो सदन हैं-राज्यसभा और लोकसभा।

प्रश्न 6.
प्रधानमन्त्री के लिए किस सदन के सदस्यों के बहुमत का समर्थन प्राप्त होना जरूरी है?
उत्तर:
लोकसभा के सदस्यों का।

प्रश्न 7.
द्वितीय पिछड़ी जाति आयोग के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
बी. पी. मण्डल।

प्रश्न 8.
मण्डल रिपोर्ट सरकार को कब सौंपी गयी?
उत्तर:
सन् 1980 ई. में।

प्रश्न 9.
मण्डल आयोग की प्रमुख सिफारिश क्या थी?
उत्तर:
सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देना।

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प्रश्न 10.
मण्डल आयोग की रिपोर्ट के पक्ष में लोगों के कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर:

  1. कुछ लोगों का मत था कि भारत में विभिन्न जातियों के बीच असमानता के कारण ही नौकरियों में आरक्षण आवश्यक है।
  2. वे समुदाय जिन्हें सरकारी नौकरियों में अभी तक पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है उन्हें अब पर्याप्त अवसर प्राप्त होगा।

प्रश्न 11.
मण्डल आयोग की रिपोर्ट के विपक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:

  1. कुछ लोगों का मत है कि आरक्षण लागू होने से जो लोग पिछड़े वर्ग के नहीं हैं उनके अवसर छिनेंगे।
  2. देश में जातिवाद बढ़ेगा जिससे देश की प्रगति व एकता पर असर होगा।

प्रश्न 12.
सरकारी निर्णय से उत्पन्न विवादों का निपटारा कौन करता है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय।

प्रश्न 13.
जनता की ओर से सर्वोच्च राजनीतिक अधिकार का प्रयोग कौन करती है?
उत्तर:
लोकतन्त्र में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की सभा जनता की ओर से सोंच्च राजनीतिक अधिकार का प्रयोग करती है।

प्रश्न 14.
राज्यसभा को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर:
काउंसिल ऑफ स्टेट्स।

प्रश्न 15.
लोकसभा को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर:
हाउस ऑफ पी’ पल।

प्रश्न 16.
संसद के फैसले किसकी मंजूरी के बाद लागू होते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति की।

प्रश्न 17.
भारतीय संसद के अपर हाउस एवं लोअर हाउस कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारतीय संसद के अपर हाउस एवं लोअर हाउस क्रमशः राज्यसभा एवं लोकसभा हैं।

प्रश्न 18.
मन्त्रिपरिषद् को संसद का कौन-सा सदन नियन्त्रित करता है?
उत्तर:
लोकसभा।

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प्रश्न 19.
किस राजनीतिक संस्था द्वारा जनता के धन पर नियन्त्रण रखा जाता है ?
उत्तर;
संसद द्वारा।

प्रश्न 20.
कार्यपालिका के दो वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. राजनीतिक कार्यपालिका
  2. स्थायी कार्यपालिका।

प्रश्न 21.
क्या राष्ट्रपति संसद का सदस्य होता है?
उत्तर:
नहीं, राष्ट्रपति संसद का सदस्य नहीं होता किन्तु संसद का अंग होता है।

प्रश्न 22.
संसद के दोनों सदनों में से कौन अधिक शक्तिशाली होता है?
उत्तर:
लोकसभा।

प्रश्न 23.
भारत के प्रथम राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति का नाम लिखें।
उत्तर:
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द।

प्रश्न 24.
विभिन्न विभागों के सचिव क्या कार्य करते हैं?
उत्तर:
मन्त्रियों को आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध कराना ताकि वे निर्णय ले सकें तथा उनके द्वारा लिए गये निर्णयों को लागू कराना।

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प्रश्न 25.
देश की सभी राजनीतिक संस्थाओं के काम की निगरानी कौन करता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति।

प्रश्न 26.
समस्त सरकारी गतिविधियाँ किसके नाम से होती हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति के नाम से।

प्रश्न 27.
कैबिनेट के भीतर सबसे प्रभावशाली व्यक्ति कौन होता है?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री।

प्रश्न 28.
प्रधानमन्त्री के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:

  1. कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करना
  2. मन्त्रियों के बीच कार्य का वितरण एवं समीक्षा करना।

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प्रश्न 29.
भारत में राष्ट्रपति का चयन कैसे होता है?
उत्तर:
भारत में राष्ट्रपति का चयन प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं किया जाता। सम्पूर्ण देश के संसद सदस्य एवं राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य उसे चुनते हैं।

प्रश्न 30.
किसके नाम से अन्तर्राष्ट्रीय संधियाँ एवं समझौते किये जाते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति के नाम से।

प्रश्न 31.
संसद द्वारा पारित कोई विधेयक किसकी मंजूरी के बाद कानून बनता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति की।

प्रश्न 32.
राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति के मामले में अपनी विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग कब करता है?
उत्तर:
जब किसी पार्टी या गठबन्धन को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो राष्ट्रपति अपनी विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

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प्रश्न 33.
भारत के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति।

प्रश्न 34.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कितनी आयु में सेवानिवृत्त होते हैं?
उत्तर:
65 वर्ष में।

प्रश्न 35.
भारतीय न्यायपालिका की संरचना के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका सम्पूर्ण देश के लिए एक सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय एवं स्थानीय स्तर के न्यायालयों से मिलकर बनी

प्रश्न 36.
देश की सभी अदालतों को किसका फैसला मानना होता है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय का।

प्रश्न 37.
देश के संविधान की व्याख्या कौन करता है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय।

प्रश्न 38.
लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा कौन करती है?
उत्तर:
न्यायपालिका।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत सरकार द्वारा गठित मंडल आयोग पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा सन् 1979 में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग श्री बी. पी. मंडल की अध्यक्षता में गठित किया गया इसीलिए इसे मंडल आयोग कहते हैं। इसे भारत में सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए मापदण्ड तय करने एवं उनके पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाने के लिए गठित किया गया था। इस आयोग ने 1980 में अपनी सिफारिशों दीं जिनमें से प्रमुख एक सिफारिश सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण देना था।

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प्रश्न 2.
राजनीतिक संस्थाओं की क्या आवश्यकता है ? बताइए।
उत्तर:
राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता निम्न कारणों से है

  1. सरकारी गतिविधियों को चलाने के लिए कुछ लोगों को फैसला लेना होता है कि इन गतिविधियों को कैसे चलाया जाये। दूसरे अन्य लोगों को इन निर्णयों को लागू करना होता है।
  2. यदि इन निर्णयों या इन्हें लागू करने पर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो कोई होना चाहिए जो इनके सही या गलत होने का फैसला कर सके।
  3. यह भी आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति इस बात को जाने कि कौन-कौन किस कार्य के लिए जिम्मेदार हैं।
  4. यह भी जरूरी है कि भले ही प्रमुख पदों पर लोग बदल जाएँ लेकिन विकासात्मक गतिविधियाँ जारी रहें।

प्रश्न 3.
हमें संसद की आवश्यकता क्यों है? कारण दीजिए। उत्तर-हमें संसद की निम्न कारणों से आवश्यकता है

  1. आवश्यकतानुसार कानूनों में परिवर्तन करने या उन्हें समाप्त करने अथवा नया कानून बनाने हेतु।
  2. जनता के धन अर्थात् राजकोष पर नियन्त्रण रखने के लिए।
  3. सरकार को ठीक ढंग से चलाने एवं उन लोगों पर नियन्त्रण रखने के लिए जो सरकार चलाते हैं।
  4. सार्वजनिक मामलों एवं किसी देश की राष्ट्रीय नीति पर चर्चा व बहस के लिए संसद ही सर्वोच्च संघ है। संसद किसी भी मामले में सूचना माँग सकती है।

प्रश्न 4.
लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिकारों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
हमारे संविधान में राज्यों के सम्बन्ध में राज्यसभा को विशेषाधिकार दिये गये हैं। लेकिन अधिकतर मामलों में अधिकार लोकसभा के पास ही हैं। किसी सामान्य कानून के पारित करने के लिए दोनों सदनों की जरूरत होती है। लोकसभा धन विधेयकों के मामले में अधिक महत्व रखती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोकसभा के बहुमत से ही कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है। यदि लोकसभा में बहुमत नहीं होगा तो प्रधानमंत्री सहित पूरी मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ेगा।

प्रश्न 5.
भारत में प्रधानमन्त्री का चुनाव किस तरह होता है?
उत्तर:
भारत में प्रधानमन्त्री पद के लिए कोई प्रत्यक्ष रूप से चुनाव नहीं होता है। प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति, लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल या गठबन्धन दलों के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है। यदि किसी दल या गठबन्धन को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है जो उसकी नजर में लोकसभा में बहुमत साबित कर सकता है।

प्रश्न 6.
प्रधानमन्त्री के कार्य एवं शक्तियाँ क्या हैं?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री के कार्य एवं शक्तियाँ निम्नलिखित हैं

  1. प्रधानमन्त्री कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता करता है एवं विभिन्न विभागों के मध्य कार्य का समन्वय करता है।
  2. वह विभिन्न विभागों के कामकाज का निरीक्षण करता है एवं विभागों के मतभेद सम्बन्धी मामलों में उसका निर्णय अन्तिम माना जाता है।
  3. वह मन्त्रियों के कार्यों का वितरण एवं पुनर्वितरण करता है। सभी मन्त्री उसके नेतृत्व में कार्य करते हैं।
  4. वह मन्त्रियों को बर्खास्त भी कर सकता है। जब प्रधानमन्त्री त्यागपत्र देता है तो साथ में सभी मन्त्रियों को अपना पद त्यागना पड़ता है।

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प्रश्न 7.
मन्त्रिपरिषद् में मन्त्रियों के कौन-कौन से वर्ग होते हैं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मन्त्रिपरिषद् में मन्त्रियों के तीन वर्ग होते हैं

  1. कैबिनेट मन्त्री-ये सत्ताधारी दल या गठबन्धन की पार्टियों के वरिष्ठ नेता होते हैं। ये प्रमुख मन्त्रालयों के प्रभारी होते हैं। ये मन्त्री कैबिनेट के नाम पर फैसले करने के लिए बैठक करते हैं।
  2. राज्यमन्त्री (स्वतन्त्र प्रभार) ये प्रायः छोटे मन्त्रालयों के प्रभारी होते हैं। ये विशेष रूप से आमन्त्रित किये जाने पर ही कैबिनेट की बैठक में भाग लेते हैं।
  3. राज्यमन्त्री-ये अपने विभाग के कैबिनेट मन्त्रियों से जुड़े होते हैं। ये कार्य में उनकी सहायता करते हैं।

प्रश्न 8.
संसदीय लोकतन्त्र को कभी-कभी सरकार का प्रधानमन्त्रीय रूप क्यों कहा जाने लगा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसके निम्न कारण हैं

  1. हाल के दशकों में संसार के समस्त संसदीय लोकतन्त्रों में प्रधानमन्त्रियों की शक्ति में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
  2. राजनीति में राजनीतिक दलों की भूमिका बढ़ने से प्रधानमन्त्री पार्टी के माध्यम से कैबिनेट और संसद को नियन्त्रित करने लगा है।
  3. मीडिया राजनीति और चुनाव को पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के मध्य प्रतिस्पर्धा के रूप में पेश करके इस रुझान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 9.
”गठबन्धन की राजनीति ने प्रधानमन्त्री की शक्तियों पर अकुंश लगाने का कार्य किया है ?” चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति ने प्रधानमन्त्री की शक्तियों पर अंकुश लगाने का कार्य किया है। यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है’

  1. गठबन्धन सरकार का प्रधानमन्त्री अपनी इच्छा से फैसला करने के लिए स्वतन्त्र नहीं रहता है।
  2. प्रधानमन्त्री को केवल अपनी पार्टी के अन्दर उपस्थित विभिन्न समूहों और गुटों के साथ-साथ गठबन्धन के साझीदार दलों को भी खुश रखना पड़ता है। इस हेतु उनकी राय माननी पड़ती है। उनके बीच संतुलन बनाकर चलना पड़ता है।
  3. प्रधानमन्त्री को विपक्ष तथा सहयोगी दलों के अतिरिक्त अन्य दलों के विचारों का भी ध्यान रखना पड़ता है। अन्यथा ये दल सरकार पर अनेकानेक आरोप लगाकर जनता में प्रचार कर सकते हैं।

प्रश्न 10.
राजनीतिक कार्यपालिका को गैर राजनीतिक कार्यपालिका से अधिक अधिकार क्यों होते हैं?
उत्तर:
इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. लोकतन्त्र में जनता की इच्छा सर्वोपरि होती है। राजनीतिक कार्यपालिका जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं। अतः वे जनता की ओर से समस्त शक्तियों का उपयोग करते हैं।
  2. राजनैतिक कार्यपालक (मन्त्री) अपनी नीति एवं फैसले के लिए अन्तिम रूप से जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं।

प्रश्न 11.
राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियाँ निम्नलिखित हैं

  1. सभी प्रमुख नियुक्तियाँ राष्ट्रपति के नाम से की जाती हैं। वह भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यों के राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों एवं दूसरे देशों में भारत के राजदूतों की नियुक्ति करता है।
  2. सभी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियाँ एवं समझौते राष्ट्रपति के नाम से ही किए जाते हैं।
  3. राष्ट्रपति भारतीय सेनाओं का सर्वोच्च कमाण्डर होता है। वह भारतीय सेना के समस्त सर्वोच्च पदों पर नियुक्तियाँ करता है।
  4. राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री एवं मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  5. संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों के पश्चात् ही कानून बनता है।

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प्रश्न 12.
शासन की राष्ट्रपति प्रणाली एवं संसदीय प्रणाली में क्या अन्तर है?
उत्तर:
शासन की राष्ट्रपति प्रणाली एवं संसदीय प्रणाली में निम्नलिखित अन्तर हैं

राष्ट्रपति प्रणाली संसदीय प्रणाली
1. राष्ट्रपति प्रणाली में कार्यपलिका का चुनाव एक निश्चित अवधि के लिए जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से होता है। संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका का चुनाव अप्रत्यक्ष संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निश्चित अवधि के लिये होता है।
2. इस प्रणाली में सत्ता में रहने के लिए कार्यपालिका को संसद के समर्थन की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रणाली में सत्ता में रहने के लिए संसद के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होती है।
3. इस प्रणाली में प्रायः राष्ट्रपति को उसकी नीतियों के लिए संसद का समर्थन प्राप्त नहीं होता है। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका। इस प्रणाली में कार्यपालिका को उसकी नीतियों के लिए संसद का समर्थन प्राप्त होता है। उदाहरण भारत।
4. इस प्रणाली में राष्ट्र की नाममात्र की एवं वास्तविक कार्यपालिका में कोई अन्तर नहीं होता, दोनों एक होती हैं। इस प्रणाली में राष्ट्र की नाममात्र एवं वास्तविक कार्यपालिका अलग-अलग होती हैं।
5. सरकार के इस स्वरूप में राष्ट्रपति की केन्द्रीय भूमिका होती है। सरकार के इस स्वरूप में प्रधानमन्त्री की केन्द्रीय भूमिका होती है।

प्रश्न 13.
सर्वोच्च न्यायालय के कार्य एवं शक्तियाँ क्या हैं?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के कार्य एवं शक्तियाँ निम्नलिखित हैं

  1. सर्वोच्च न्यायालय देश का सबसे बड़ा न्यायालय है। यह देश के समस्त न्यायिक प्रशासन को नियन्त्रित करता है। इसके फैसले देश के अन्य सभी न्यायालयों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
  2. यह फौजदारी एवं दीवानी मामलों की अपील सुनता है। यह उच्च न्यायालयों के फैसलों के विरुद्ध भी सुनवाई करता है।
  3. यह किसी भी विवाद की सुनवाई कर सकता है, जो
    (अ) देश के नागरिकों के बीच हो।
    (ब) नागरिक व सरकार के बीच हो।
    (स) दो या उससे अधिक राज्य सरकारों के बीच हो।
    (द) केन्द्र व राज्य सरकार के बीच हो।
  4. यह देश के संविधान की व्याख्या करता है।

प्रश्न 14.
”भारतीय न्यायपालिका, विधायिका या कार्यपालिका के नियन्त्रण से मुक्त है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका, विधायिका या कार्यपालिका के नियन्त्रण से मुक्त है। यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट

  1. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रधानमन्त्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है किन्तु उसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श किया जाता है।
  2. न्यायाधीश सरकार के निर्देश या सत्ताधारी पार्टी की इच्छानुसार कार्य नहीं करते हैं।
  3. सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के नये न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश चुनते हैं।
  4. एक बार किसी व्यक्ति को सर्वोच्च या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किये जाने के पश्चात् उसे उसके पद से हटाना लगभग असम्भव है।
  5. किसी न्यायाधीश को पद से हटाने हेतु संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कराना होता है जो अत्यन्त कठिन है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज

प्रश्न 15.
‘भारतीय न्यायपालिका दुनिया की सबसे अधिक प्रभावशाली न्यायपालिकाओं में से एक है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका दुनिया की सबसे प्रभावशाली न्यायपालिकाओं में से एक है। यह निम्न बिन्दुओं से – स्पष्ट है

  1. भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या करने का अधिकार प्राप्त है।
  2. ये कार्यपालिका द्वारा किये गए किसी कार्य एवं विधायिका द्वारा पारित किसी कानून की वैधानिकता की जाँच कर सकते हैं।
  3. राष्ट्रीय अथवा राज्य स्तर पर विधायिका द्वारा पारित किसी ऐसे कानून अथवा कार्यपालिका के किसी भी ऐसे कार्य को ये अवैध घोषित कर सकते हैं जो संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध हो।
  4. भारतीय न्यायपालिका मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में भी कार्य करती है। यदि जनता को सरकार के किसी कार्य द्वारा नुकसान पहुँचता है तो कोई भी व्यक्ति न्यायालय की शरण में जा सकता है और जनहित याचिका प्रस्तुत कर न्याय प्राप्त कर सकता है।
  5. न्यायालय सरकार के निर्णय लेने की शक्ति के दुरुपयोग होने पर उसमें हस्तक्षेप कर सकता है।
  6. न्यायालय सरकारी अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण को रोकता है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

JAC Board Class 9th Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

JAC Class 9th History फ्रांसीसी क्रांति InText Questions and Answers 

विद्यार्थियों हेतु निर्देश:  पाठ्य-पुस्तक में इस अध्याय के विभिन्न पृष्ठों पर बॉक्स के अन्दर क्रियाकलाप दिए हुए हैं। इन क्रियाकलापों के अन्तर्गत पूछे गए प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर निम्न प्रकार से हैं

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-5)

प्रश्न 1.
बताएँ कि चित्रकार ने कुलीन व्यक्ति को मकड़े और किसान को मक्खी के रूप में क्यों चित्रित किया
उत्तर:
चित्रकार ने कुलीन व्यक्ति को मकड़े और किसान को मक्खी के रूप में इसलिए चित्रित किया है, क्योंकि मक्खियाँ अपना भोजन प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करती हुईं इधर-उधर भटकती रहती हैं। जबकि मकड़ा एक जाल बनाकर मक्खियों को फँसा लेता है एवं बिना कोई मेहनत किये बैठे-बिठाये भोजन प्राप्त कर लेता है।

ठीक उसी प्रकार तत्कालीन फ्रांसीसी समाज में कुलीन वर्गों ने एक ऐसा राजतन्त्र विकसित कर लिया था, जिसमें किसान कड़ी मेहनत से रोजी-रोटी की व्यवस्था करते थे तथा कुलीन वर्ग उसे बिना कोई मेहनत किये ‘कर’ के रूप में प्राप्त कर लेता था। चित्रकार द्वारा इस तरह का चित्रण तत्कालीन फ्रांसीसी समाज में शोषक वर्ग और उसके द्वारा निर्मित विधि-व्यवस्था को निरूपित करता है।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-6)

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर चित्र 4 के रिक्त स्थानों को भरें: खाद्य दंगे, अन्नाभाव, मृतकों की संख्या में वृद्धि, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत, कमजोर शरीर।
उत्तर:
JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति 1

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-7)

प्रश्न 1.
यहाँ आर्थर यंग क्या सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं? ‘गुलामों’ से उनका क्या आशय है? वह किसकी आलोचना कर रहे हैं? सन् 1787 ई. में उन्हें किन खतरों का आभास होता है?
उत्तर:

  1. यहाँ आर्थर यंग यह सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं कि पादरी एवं कुलीन वर्ग गुलामों की जगह स्वतन्त्र लोगों की सेवा लेने के खतरों के प्रति पूरी तरह सावधान हैं।
  2. गुलामों से उनका आशय फ्रांसीसी सामाजिक व्यवस्था के शिकार लोगों से है।
  3. वह पादरी तथा कुलीन वर्गों की आलोचना कर रहे हैं जिन्होंने भोली-भाली गरीब जनता को अपना शिकार बनाया है।
  4. सन् 1787 ई. में उन्हें उस खतरे का आभास होता है जब पीड़ित लोगों का विलाप एक ऐसे दंगे का रूप ले सकता है जिसमें स्वयं पादरी एवं कुलीन वर्ग के परिवार सुरक्षित नहीं होंगे।

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क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-8)

प्रश्न 1.
तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि मध्य में एक मेज पर खड़े असेम्बली अध्यक्ष बेयली की ओर हाथ उठाकर शपथ लेते हैं। क्या आप मानते हैं कि उस समय बेयली निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर पीठ करके खड़ा रहा होगा? बेयली को इस तरह दर्शाने (चित्र 5) के पीछे डेविड का क्या इरादा प्रतीत होता है ?
उत्तर:
नहीं, मेरा मानना है कि बेयली उस समय निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर पीठ करके खड़ा नहीं रहा होगा। बेयली को इस तरह से दर्शाकर डेविड ने यह इरादा दर्शाया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि बेयली के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर रहे थे।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-13)

प्रश्न 1.
पाठ्य पुस्तक के पृष्ठ 12-13 पर दिए बॉक्स 1 में स्वतन्त्रता, समानता एवं बन्धुत्व के प्रतीकों की पहचान करें।
उत्तर:
टूटी हुई जंजीर – स्वतन्त्रता की सूचक विधिपट समानता का सूचक नीला-सफेद-लाल फ्रांस के राष्ट्रीय रंग जो उसकी जनता के बीच बन्धुत्व के सूचक हैं।

प्रश्न 2.
ले बार्बिये के पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र’ पाठ्य पुस्तक के पृष्ठ 11 के (चित्र 8) में चित्रित प्रतीकों की व्याख्या करें।
उत्तर:
चित्र में एक महिला को नीले, सफेद और लाल रंग के वस्त्र में दर्शाया गया है, ये रंग फ्रांस के राष्ट्रीय रंग हैं। महिला के हाथ में टूटी हुई जंजीर है, जो स्पष्ट करती है कि फ्रांस की जनता अब आजाद है। परन्तु दूसरी ओर डेनों वाली स्त्री का चित्र है, जो स्वयं कानून का प्रतीक है। इससे संदेश मिलता है कि जनता की स्वतन्त्रता कानून के दायरे में ही है। दोनों चित्रों को विधि पट पर दर्शाया गया है जिससे संदेश मिलता है कि कानून सभी के लिए समान है।

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प्रश्न 3.
सन् 1791 ई. के संविधान में नागरिकों को दिए गए राजनीतिक अधिकारों के घोषणा-पत्र (स्रोत ग)के अनुच्छेद 1 एवं 6 में दिए गए अधिकारों से तुलना करें।क्या दोनों दस्तावेज एक-दूसरे के अनुरूप हैं? क्या दोनों दस्तावेजों से एक ही विचार का बोध होता है?
उत्तर:

  1. अनुच्छेद (1) के तहत् सभी नागरिकों को समान अधिकार दिया गया है, जबकि अनुच्छेद (6) के तहत् सभी नागरिकों को प्रत्यक्ष रूप से अथवा अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से कानून के निर्माण में भाग लेने का अधिकार दिया गया है।
  2. दोनों दस्तावेजों में घोषित अधिकार एक-दूसरे के पूरक हैं।
  3. दोनों दस्तावेजों से एक ही विचार का बोध नहीं होता है। अनुच्छेद (1) में लोगों की प्राकृतिक स्वतन्त्रता तथा समानता के अधिकारों पर जोर दिया गया है, किन्तु अनुच्छेद (6) के तहत् लोगों की सम्प्रभुता एवं कानून के निर्माण में सबकी सहभागिता की घोषणा की गई है तथा कानून के समक्ष समानता के उनके अधिकार की चर्चा की गई है।

प्रश्न 4.
सन् 1791 ई.के संविधान से फ्रांसीसी समाज के कौन-से समूह लाभान्वित हुए होते? किन समूहों को इससे असन्तोष हो सकता था? ‘मरा’ ने भविष्य के बारे में कौन-से पूर्वानुमान (स्रोत खोलगाए थे?
उत्तर:

  1. सन् 1791 ई. के संविधान से फ्रांसीसी समाज के तृतीय एस्टेट के सदस्यों को सर्वाधिक लाभ पहुँचा होगा।
  2. प्रथम तथा द्वितीय एस्टेट्स के सदस्यों अर्थात् पादरी एवं कुलीन वर्गों के लिये निराश होने के पर्याप्त कारण मौजूद थे। एक तरफ उनको मिली हुई सभी विशेष सुविधाएँ समाप्त कर दी गईं तथा दूसरी तरफ अब दी गईं सुविधाओं के अनुपात में उन्हें ‘कर’ भी अदा करना था।
  3. ‘मरा’ भविष्य के विकास के बारे में यह राय रखता है कि यदि लोग कुलीन वर्ग की गुलामी की जंजीरों को उतार कर फेंक सकते हैं तो आगे चलकर उसी तरह की पुनरावृत्ति अन्य अमीरों के साथ भी हो सकती है।

प्रश्न 5.
फ्रांस की घटनाओं से निरंकुश राजतन्त्र वाले प्रशा, ऑस्ट्रिया, हंगरी या स्पेन आदि देशों पर पड़ने वाले प्रभावों की कल्पना कीजिए। फ्रांस में हो रही घटनाओं की खबरों पर राजाओं, व्यापारियों, किसानों, कुलीनों एवं पादरियों ने कैसी प्रतिक्रिया दी होगी?
उत्तर:

  1. फ्रांस की घटनाओं की छाया पड़ोस के निरंकुश राजतन्त्र वाले देशों प्रशा ऑस्ट्रिया हंगरी या स्पेन आदि पर भी अवश्य पड़ी होगी। इन देशों ने अपनी निरंकुशता कम करके नागरिकों का शोषण कम कर दिया होगा, क्योंकि उन्हें भय होने लगा होगा कि फ्रांस की घटना यहाँ भी दोहराई जा सकती हैं।
  2.  इन राज्यों में राजा, कुलीन वर्ग तथा पादरी सभी फ्रांस की घटनाओं से डर गये होंगे। उन्होंने गरीबों का शोषण और उन पर अत्याचार करना कम कर दिया होगा, जबकि किसान, मजदूर तथा व्यापारी वर्ग इन राज्यों में फ्रांस जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति का स्वागत करने के लिये तैयार बैठे होंगे।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-15)

प्रश्न 1.
चित्र 10 को ध्यान से देखें और उन वस्तुओं की सूची बनाएँ जिन्हें आपने राजनीतिक प्रतीकों के रूप में बॉक्स 1 में देखा है (लाल टोपी, टूटी हुई जंजीर, छड़ों का बींदार गट्ठर, अधिकारों का घोषणा-पत्र)। पिरामिड समानता का प्रतीक है, जिसे अक्सर एक त्रिभुज के रूप में दिखाया जाता था। इन प्रतीकों की सहायता से इस चित्र की व्याख्या करें। स्वतन्त्रता की प्रतिमूर्ति इस महिला मूर्ति के बारे में आपके क्या विचार हैं?
उत्तर:

  1. महिला के हाथ में स्थित लाल टोपी तथा अधिकारों का घोषणा-पत्र दो राजनीतिक चिह्न हैं।
  2. पिरामिड की त्रिभुजीय आकृति समानता की सूचक है, क्योंकि इसकी तीनों भुजाएँ यह प्रदर्शित करती हैं कि सरकार बनाने वाली तीनों एस्टेट्स की शक्तियाँ एवं अधिकार बराबर हैं।
  3. स्वतन्त्रता की प्रतिमूर्ति यह महिला मूर्ति, सच्ची स्वतन्त्रता की सूचक है, क्योंकि सदियों तक महिलाओं को उनकी स्वतन्त्रता से दूर रखा गया था।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-16)

प्रश्न 1.
1. डेस्मॉलिन्स और रोबेस्प्येर के विचारों की तुलना करें। राज्य शक्ति के प्रयोग से दोनों का क्या तात्पर्य है?
2. निरंकुशता के विरुद्ध स्वतन्त्रता की लड़ाई से रोबेस्प्येर का क्या मतलब है?
3. डेस्मॉलिन्स स्वतन्त्रता को कैसे देखता है?
4. एक बार फिर स्रोत (ग) देखें। व्यक्तिगत अधिकारों के बारे में संविधान में कौन-से प्रावधान थे? इस विषय पर अपनी कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:

  1. रोबेस्प्येर का मानना था कि क्रान्ति के दौरान लोकतान्त्रिक सरकार के लिये आतंक का उपयोग न्यायोचित था, जबकि डेस्मॉलिन्स मानते थे कि राजदण्ड का उपयोग स्थापित कानून के अनुरूप हो।
  2. निरंकुशता के विरुद्ध स्वतन्त्रता की लड़ाई से रोबेस्प्येर का मतलब देश के अन्दर तथा बाहर गणतन्त्र के दुश्मनों को समूल नष्ट कर देने से था।
  3. डेस्मॉलिन्स के लिये स्वतन्त्रता से तात्पर्य था खुशहाली, विवेक , समानता, न्याय आदि। वे इसे अधिकारों की घोषणा के रूप में लेते थे।
  4. संविधान के नियमों के तहत् व्यक्ति को स्वतन्त्रता, समानता, सम्पत्ति, सुरक्षा एवं शोषण का विरोध करने के अधिकार दिये गये थे।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-17)

प्रश्न 1.
यहाँ चित्रित जनसमूह, उनकी वेशभूषा, भूमिका एवं क्रियाकलाप का वर्णन करें। इस चित्र से क्रांतिकारी उत्सव की कैसी छवि बनती है?
उत्तर:
चित्र में दर्शाया गया जनसमूह उत्सव मना रहा है। उसकी वेशभूषा गौरवमयी इतिहास को प्रदर्शित कर रही है जिसमें प्राचीन यूनान व रोम की सभ्यताओं के प्रतीकों का प्रयोग किया गया है। इस उत्सव के द्वारा क्रान्तिकारी सरकार ने जनता की वफादारी हासिल करने का प्रयास किया है। अत: एक अच्छी छवि का प्रदर्शन हो रहा है।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 1.
1. चित्र 12 में अंकित औरतों, उनकी क्रियाओं, उनके हाव-भाव एवं उनके हाथ की वस्तुओं का विवरण दें।गौर से देखें कि क्या वे सभी एक ही सामाजिक वर्ग की लगती हैं?
2. चित्रकार ने इस आकृति में किन प्रतीकों को शामिल किया है? इन प्रतीकों के क्या मायने हैं?
3. क्या महिलाओं को देखकर लगता है कि वे सार्वजनिक रूप से वही कर रही हैं जिसकी उनसे उम्मीद की जाती थी?
4. आप क्या सोचते हैं चित्रकार, महिलाओं के साथ है या उनके विरोध में खड़ा है? कक्षा में अपनी राय पर विचार-विमर्श कीजिए। उनके हाथों में ढोल, त्रिशूल तराजू, लालटोपी, भाला तलवार डण्डा आदि दिखाई दे रहे हैं तथा उनके हाव-भाव क्रान्ति के लिए बढ़ती हुई महिलाओं के लग रहे हैं।
उत्तर:

  1. चित्र 12 में दिखायी गई सभी स्त्रियाँ तृतीय एस्टेट्स की लगती हैं। उनके हाथों में ढोल त्रिशूल, तराज, लाल टोपी, भाला, तलवार, डण्डा आदि दिखाई दे रहे हैं तथा उनके हाव-भाव क्रान्ति के लिए आगे बढ़ती हुई महिलाओं के लग रहे हैं।
  2. चित्रकार ने अपने चित्र में निम्नलिखित प्रतीकों को शामिल किया हैमहिलाएँ-न्याय की देवी की सूचक हैं। तराजू-समानता का सूचक है। त्रिशूल, भाला, फरसा तथा तलवार-ये शक्ति एवं विद्रोह के सूचक हैं।
  3. नहीं, महिलाओं की मुद्रायें सार्वजनिक जीवन में उनसे अपेक्षित पारम्परिक व्यवहार के विचार को प्रदर्शित नहीं करती हैं।
  4. मेरे विचार से चित्रकार महिलाओं के साथ है वह महिलाओं की गतिविधियों के प्रति सहानुभूति रखता है।

क्रियाकलाप (पृष्ठ-20)

प्रश्न 1.
ओलम्प दे गूज द्वारा तैयार किये गये घोषणा-पत्र (स्रोत छ ) तथा पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र’ (स्रोत ग)की तुलना करें।
उत्तर:
पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र (स्रोत ग) केवल मानव तथा नागरिक के अधिकारों की बात करता है। इस घोषणा-पत्र में महिलाओं के अधिकारों की चर्चा किसी भी अनुच्छेद में नहीं की गई है। जबकि ओलम्प दे गूज द्वारा तैयार किया गया घोषणा-पत्र (स्रोत छ) पुरुष एवं महिला के अधिकारों की चर्चा समानता के आधार पर करता है।

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प्रश्न 2.
कल्पना करें कि आप चित्र 13 की कोई महिला हैं और शोमेत ( स्रोत ज )के तर्कों का जवाब दें।
उत्तर:
यह सही है कि कुछ कार्यों को महिलाएँ अच्छी प्रकार से कर सकती हैं तथा कुछ को पुरुष अच्छी प्रकार से कर सकते हैं। लेकिन परिवार एवं समाज के विकास के लिए एक-दूसरे के कार्यों में सहयोग करना आवश्यक है। अत: महिलाओं को उनकी पसंद का कार्य करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए क्योंकि किसी कार्य को करने की क्षमता एवं योग्यता कार्य करने वाले पर व्यक्तिगत रूप से निर्भर होती है।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-22 )

प्रश्न 1.
इस चित्र का अपने शब्दों में वर्णन करें। चित्रकार ने लोभ, समानता, न्याय, राज्य द्वारा चर्च की सम्पत्ति का अधिग्रहण आदि विचारों को सम्प्रेषित करने के लिए किन प्रतीकों का सहारा लिया है?
उत्तर:

  1. लोभ: मोटे आदमी के प्रतीक द्वारा प्रतिरोध करना।
  2. समानता: पुरुष तथा महिला का एक साथ होना।
  3. न्याय: दो व्यक्ति दु:खी होकर जा रहे हैं। जो इस बात का प्रतीक हैं कि न्याय नहीं किया गया।
  4. राज्य द्वारा चर्च की सम्पत्ति का अधिग्रहण: चित्र में एक व्यक्ति को दाब मशीन में लगाकर दबाया जा रहा है, जो राजा द्वारा चर्च की सम्पत्ति के अधिग्रहण का प्रतीक है।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-24)

प्रश्न 1.
इस अध्याय में आपने जिन क्रान्तिकारी व्यक्तियों के बारे में पढ़ा है उनमें से किसी एक के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठा करें। उस व्यक्ति की संक्षिप्त जीवनी लिखें।
उत्तर:
ओलम्प दे गूज (1748-1793) ओलम्प दे गूज फ्रांसीसी क्रान्ति में सर्वाधिक सक्रिय भूमिका निभाने वाली महिलाओं में से एक थी। उसने संविधान तथा पुरुष एवं नागरिकों के अधिकार सम्बन्धी घोषणा-पत्र का विरोध किया। क्योंकि इस घोषणा-पत्र ने प्रत्येक मनुष्य को प्राप्त मौलिक अधिकारों से महिलाओं को दूर रखा।

उसने स्वयं महिलाओं तथा नागरिकों के अधिकार सम्बन्धी एक घोषणा-पत्र को सन् 1791 ई. में तैयार किया। उसने इसे महारानी तथा नेशनल असेम्बली के सदस्यों को भेजा तथा उसने इन लोगों से इस घोषणा-पत्र पर कार्यवाही करने की माँग की। सन् 1793 ई. में उसने जैकोबिन सरकार द्वारा बलपूर्वक महिलाओं के क्लबों को बन्द कराये जाने की आलोचना की। उसके ऊपर नेशनल कन्वेंशन ने देशद्रोह का मुकदमा चलाकर फाँसी दे दी।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान ऐसे अखबारों का जन्म हुआ जिनमें हर दिन और हर हफ्ते की घटनाओं का ब्यौरा दिया जाता था। किसी एक घटना के बारे में जानकारियाँ और तस्वीरें इकट्ठा करें तथा अखबार के लिए एक लेख लिखें। आप चाहें तो मिराब्यो, ओलम्प दे गूज या रोबेस्प्येर आदि के साथ काल्पनिक साक्षात्कार भी कर सकते हैं। दो या तीन का समूह बना लें। हर समूह फ्रांसीसी क्रांति पर एक दीवार पत्रिका बनाकर बोर्ड पर लटकाए।
उत्तर:
(अ) बास्तील के अन्त पर अखबार में लेख:
14 जुलाई, सन् 1789 ई. को पेरिस शहर में खतरे की घंटी बज उठी। चारों ओर यही चर्चा फैली हुई है कि शीघ्र ही राजा, सेना को जनता पर गोली चलाने का आदेश देने जा रहा है। लगभग 7000 की संख्या में पुरुष और महिलाएँ टॉउन हॉल के सामने एकत्रित हो गये तथा जन-सेना का गठन करने का निश्चय किया। फिर इस जन-सेना की एक टुकड़ी बास्तील किले की जेल की ओर गोला-बारूद पाने की उम्मीद में बढ़ गई।

गुस्साई भीड़ ने बास्तील के किले की जेल को तोड़ डाला। इसके बाद सैन्य बल के साथ जन समूह की झड़प हुई जिसमें बास्तील का कमाण्डर मारा गया। इस जन-सेना ने वहाँ बन्द कैदियों को मुक्त कर दिया। यद्यपि, इन कैदियों की संख्या केवल 7 थी। इस तरह दमन के सूचक बास्तील के किले को ढहाकर उसका अन्त कर दिया गया।

(ब) काल्पनिक साक्षात्कार
1. मिराब्यो के साथ साक्षात्कार:
पत्रकार : श्रीमान्, आप कुलीन वर्ग से सम्बन्ध रखते हैं, किन्तु आप यहाँ उन लोगों के साथ हैं जो कुलीनता का विरोध कर रहे हैं।

मिराब्यो : हाँ, मैं कुलीन वर्ग में पैदा हुआ हूँ पर इसका मतलब यह नहीं है कि अगर वे गलती करें तो उनका विरोध नहीं किया जाए।

पत्रकार : श्रीमान्, क्या आप समाज के कुछ वर्गों को जन्म के आधार पर दिए जाने वाली विशेष सुविधाओं एवं अधिकारों आदि का समर्थन करेंगे?

मिराब्यो : नहीं, मैं समाज के कुछ वर्गों को जन्म के आधार पर दिये जाने वाली किसी भी प्रकार की विशेष सुविधाओं एवं अधिकारों का समर्थन नहीं करना चाहूँगा।

2. ओलम्प दे गूज के साथ साक्षात्कार:
पत्रकार : मैडम, आप संविधान तथा पुरुष व नागरिक अधिकारों के घोषणा-पत्र का विरोध क्यों कर रही हैं?

गूज : हाँ, मैं इसलिए इनका विरोध कर रही हूँ कि इनमें महिलाओं के उन अधिकारों की चर्चा भी नहीं की गई, जो नागरिक होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति को मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त होते हैं।

पत्रकार : क्या कारण है कि आपने जैकोबिन सरकार की आलोचना की?

गूज : मैंने जैकोबिन सरकार की आलोचना इसलिए की कि इसने जबरन महिला क्लबों को बन्द करवा दिया।

3. रोबेस्प्येर के साथ साक्षात्कार:
पत्रकार : श्रीमान्, आप प्रजातन्त्र को किस तरह स्थापित एवं संगठित करेंगे?

रोबेस्प्येर : प्रजातन्त्र की स्थापना एवं संगठन के लिये सर्वप्रथम मैं आतंक के खिलाफ स्वतन्त्रता की जंग को देश तथा देश के बाहर जीतना चाहूँगा।

पत्रकार : क्रान्ति के दौरान एक प्रजातान्त्रिक सरकार को कौन-सा तरीका अपनाना चाहि?

रोबेस्प्येर : क्रान्ति के दौरान एक प्रजातान्त्रिक सरकार को आतंक का रास्ता अपनाना चाहिए।

पत्रकार : श्रीमान्, आतंक से आपका क्या अभिप्राय है?

रोबेस्प्येर : आतंक कुछ और नहीं बल्कि कठोर, तुरन्त व अनम्य न्याय की नीति है जिसकी सहायता से पितृभूमि एवं गणतन्त्र की सुरक्षा की जा सकती है।

JAC Class 9th History फ्रांसीसी क्रांति Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1.
फ्रांस में क्रान्ति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर:
सन् 1789 ई. में हुई फ्रांस की क्रान्ति इतिहास की एक प्रमुख घटना थी। इस क्रान्ति के समय फ्रांस में राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक दशा की स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। अन्ततः फ्रांस में निरंकुश राजतन्त्र का अन्त करके लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की गई। इस क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. राजनीतिक कारण:
फ्रांस के शासक स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे। वे राजा के दैवी और निरंकुश अधिकारों के सिद्धान्त में विश्वास करते थे अतः वे प्रजा के सुख-दुःख, हित-अहित की कोई चिन्ता न करके अपनी इच्छानुसार कार्य करते थे। वे जनता पर नए ‘कर’ लगाते रहते थे और ‘कर’ के रूप में वसूले गए धन को मनमाने ढंग से विलासिता के कार्यों पर व्यय करते थे। सम्पूर्ण देश के लिए एक समान कानून व्यवस्था भी नहीं थी। इस प्रकार फ्रांस की जनता शासकों की निरंकुशता से बहुत परेशान थी।

2. आर्थिक कारण:
फ्रांस द्वारा अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उसकी आर्थिक दशा अत्यन्त खराब हो चुकी थी। राजदरबार की शान-शौकत एवं कुलीन वर्ग के व्यक्तियों की विलासप्रियता के कारण साधारण जनता पर अनेक प्रकार के ‘कर’ लगाये जाते थे और उनकी वसूली निर्दयतापूर्वक की जाती थी। फ्रांस में कुलीन वर्ग और पादरी करों का भार वहन करने में समर्थ थे, परन्तु उन्हें करों से मुक्त रखा गया। इस प्रकार दयनीय आर्थिक दशा भी फ्रांस की क्रान्ति का एक बड़ा कारण बनी।

3. सामाजिक कारण:
फ्रांस में क्रान्ति से पूर्व बहुत बड़ी सामाजिक असमानता थी। पादरी एवं कुलीन वर्ग के लोगों का जीवन बहुत विलासी था तथा उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे। इसके विपरीत किसानों तथा मजदूरों का जीवन नारकीय था। वे विभिन्न प्रकार के करों एवं बेगार के बोझ के नीचे पिस रहे थे। समाज में बुद्धिजीवी वर्ग अर्थात् वकील, डॉक्टर, अध्यापक एवं व्यापारी आदि का सम्मान नहीं था। अत: फ्रांस की मध्यमवर्गीय धनी एवं शिक्षित जनता; कुलीन वर्ग के लोगों तथा चर्च के उच्च अधिकारियों से सदैव द्वेष रखती थी। अतः क्रान्ति प्रारम्भ होते ही तृतीय वर्ग की सम्पूर्ण जनता ने इसका पूर्ण समर्थन किया।

4. दार्शनिकों एवं लेखकों के विचारों का प्रभाव:
फ्रांस जैसी दशा यूरोप के लगभग अन्य सभी देशों में थी। फ्रांस के दार्शनिकों और लेखकों के क्रान्तिकारी विचारों के परिणामस्वरूप फ्रांस में ही सबसे पहले क्रान्ति हुई। फ्रांस के लेखकों एवं दार्शनिकों के विचारों ने राज्य के खिलाफ क्रान्ति की भावना का बीजारोपण किया। इनमें मॉण्टेस्क्यू, वाल्टेयर, रूसो आदि दार्शनिकों ने फ्रांस की क्रान्ति को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

5. तात्कालिक कारण:
5 मई, सन् 1789 ई. को लुई सोलहवें द्वारा नये कर लगाने के लिए एस्टेट्स जेनराल के अधिवेशन की तिथि निर्धारित की गई। इस बैठक में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। एस्टेट्स जेनराल के नियम के अनुसार, प्रत्येक वर्ग को एक मत देने का अधिकार था, परन्तु तृतीय एस्टेट वर्ग के प्रतिनिधि इस मत से सहमत नहीं थे।

उनका मत था कि इस बार सम्पूर्ण सभा द्वारा मतदान कराया जाना चाहिए जिसमें प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार होगा। इस बात से सम्राट लुई सोलहवाँ सहमत नहीं हुआ। अन्ततः तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि विरोध स्वरूप सभा से बाहर चले गए, इस बात ने फ्रांसीसी क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार की।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रान्ति का फायदा मिला? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रान्ति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर:

  1. सन् 1789 ई. में हुई फ्रांस की क्रान्ति से समाज के निम्न वर्ग; जैसे-मजदूर, किसान एवं शिक्षित वर्ग को सबसे अधिक लाभ हुआ। इस वर्ग के लोगों में फ्रांस की जनसंख्या के लगभग 90 प्रतिशत किसान सम्मिलित थे।
  2. इस क्रान्ति के द्वारा उच्च वर्ग के लोगों, राज-परिवार, पादरियों तथा सामन्तों को सत्ता छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।
  3. फ्रांस की क्रान्ति से कुलीन वर्ग के लोगों को अत्यधिक निराशा हुई। इस वर्ग के लोगों की जमीनें जब्त कर ली गईं एवं उनके सभी विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए।

प्रश्न 3.
उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति कौन-सी विरासत छोड़ गई?
उत्तर:
सन् 1789 ई. में हुई फ्रांस की क्रान्ति के उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी की दुनिया पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े

  1. फ्रांस की क्रान्ति के परिणामस्वरूप यूरोप के अन्य देशों; जैसे-जर्मनी, इटली आदि में राष्ट्रीयता की भावना का जन्म हुआ जिससे स्वेच्छाचारी शासन की समाप्ति हुई तथा सभी देशों में मनुष्यों की समानता पर बल दिया जाने लगा।
  2. इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप विश्व के लोगों में सामन्तवाद के विरुद्ध आन्दोलन को एक नई दिशा मिली और सामन्तवाद का स्थान प्रजातन्त्र ने लेना प्रारम्भ कर दिया।
  3. इस क्रान्ति ने प्रचलित कानूनों का रूप बदल दिया, सामाजिक मान्यताएँ बदल डाली और आर्थिक ढाँचे में आश्चर्यजनक परिवर्तन किए।
  4. इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप अन्य देशों के शासक वर्ग ने सजगता दिखाते हुए अपनी जनता का अधिक से अधिक कल्याण करने का प्रयत्न करना प्रारम्भ कर दिया।
  5. इस क्रान्ति से भारत सहित अनेक अफ्रीकी एवं एशियाई देशों के स्वतन्त्रता आन्दोलनों को प्रेरणा मिली।

प्रश्न 4.
उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ, जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रान्ति में है।
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रान्ति ही प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सभी जनवादी अधिकारों की उत्पत्ति का स्रोत है। स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृत्व फ्रांसीसी क्रान्ति के मार्गदर्शन के सिद्धान्त हैं। हमारे देश में संविधान ने स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृत्व के सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुए सभी नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं, जो निम्नलिखित

  1. समानता का अधिकार,
  2. स्वतन्त्रता का अधिकार,
  3. शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार.
  4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार,
  5. शोषण के विरुद्ध अधिकार,
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

प्रश्न 5.
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में नाना अन्तर्विरोध थे?
उत्तर:
हाँ, मैं इस तर्क से सहमत हूँ कि सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में विभिन्न प्रकार के निम्नांकित अन्तर्विरोध थे

  1. सार्वभौमिक अधिकारों के अन्तर्गत सभी को समान अधिकारों की बात तो की गयी लेकिन महिलाओं एवं अन्य शोषित वर्ग के विकास एवं संरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं था।
  2. सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में शोषण के प्रतिरोध का अधिकार तो दिया लेकिन दास प्रथा, जाति प्रथा, रंगभेद आदि को समाप्त करने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किये गये।
  3. सार्वभौमिक अधिकारों के अन्तर्गत कानून सम्मत अधिकार प्रदान किये गये हैं लेकिन कानून बनाने का अधिकार कुछ ही चुने हुए लोगों को है जिससे शोषित एवं दमित वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिलना आसान नहीं है। क्योंकि उनके लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।
  4. इसमें सार्वजनिक शिक्षा के सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा गया था।
  5. इसमें व्यापार तथा व्यवसाय की स्वतन्त्रता का अधिकार नहीं दिया गया था।
  6. सभी देशों में एक निश्चित आयु के पूर्व लोगों को मताधिकार नहीं दिया गया। फ्रांस में 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र के उन्हीं पुरुषों को मताधिकार मिला, जो सरकार को कम-से-कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर की राशि ‘कर’ के रूप में भुगतान करते थे।
  7. इन अधिकारों का सबसे बड़ा दोष यह था कि इनके साथ मानव के कर्तव्य निश्चित नहीं किए गए थे। अत: कर्त्तव्य के बिना अधिकार महत्वहीन ही थे। अन्त में यह कहा जा सकता है कि सार्वजनिक शिक्षा का अधिकार न होना तथा व्यवसाय की स्वतन्त्रता का अधिकार न होना एवं एक निश्चित आयु के बाद सभी को मताधिकार प्राप्त न होना इन अधिकारों के अन्तर्विरोध को प्रकट करता है।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 6.
नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर:
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद एक नया संविधान बना। इस संविधान में दो चुनी गई विधान परिषदों का प्रावधान था। इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका ‘डिरेक्ट्री’ को नियुक्त किया। डिरेक्ट्री के सदस्य अक्सर विधान परिषदों में झगड़ते रहते थे।

डिरेक्ट्री की राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर नेपोलियन सेना की मदद से तानाशाह बन गया और सन् 1804 ई. में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। इस प्रकार सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त हुआ। उसका शासन असीम एवं निरंकुश था, वह सम्पूर्ण यूरोप का शासक बनना चाहता था।

शासक के रूप में उसने फ्रांस में एक कुशल एवं सक्षम शासन की स्थापना की और फ्रांसीसी जनता को क्रान्ति से उत्पन्न अराजकता से मुक्ति दिलाई। नेपोलियन ने शिक्षा को बढ़ावा दिया और व्यापार एवं उद्योग को सुधारने के लिए उपयुक्त कदम उठाये। उसने निजी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाये और दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलाई।

प्रारम्भ में तो जनता को नेपोलियन मुक्तिदाता लगता था और उससे जनता को स्वतन्त्रता मिलने की उम्मीद थी, परन्तु शीघ्र ही उसकी सेनाओं को लोग हमलावर मानने लगे। आखिरकार सन् 1815 ई. में वॉटर लू के युद्ध में उसकी हार हुई। नेपोलियन के क्रान्तिकारी विचारों, जैसे-स्वतन्त्रता एवं आधुनिक कानूनों की धारणा ने यूरोप के लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी।

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JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

→ घुमंतू ऐसे लोग होते हैं, जो किसी एक स्थान पर स्थाई रूप से नहीं रहते अपितु अपनी आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।

→ जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोग भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े झुण्ड रखते हैं।

→ हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में रहने वाले चरवाहा समुदाय को ‘गद्दी’ के नाम से जाना जाता है।

→ ‘धंगर’ महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण चरवाहा समुदाय है। कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश के पठारी क्षेत्रों में ‘गोल्ला’ समुदाय के लोग गाय-भैंस, जबकि ‘कुरुमा’ और ‘कुरुवा’ समुदाय के लोग भेड़-बकरियाँ पालते थे।

→ उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के कई भागों में बंजारा चरवाहा समुदाय तथा राजस्थान के रेगिस्तानों में राइका समुदाय रहता था। औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों की जिन्दगी में बहुत बदलाव आए। उनके चरागाह सिमट गए, इधर-उधर आने-जाने पर रोक लगने लगी। उनसे जो लगान वसूल किया जाता था उसमें भी वृद्धि हुई। खेती में उनका हिस्सा घटने लगा जिससे उनके पेशे और हुनरों पर बहुत बुरा असर पड़ा।

→ उन्नीसवीं सदी के मध्य तक देश के विभिन्न राज्यों में वन अधिनियमों के बन जाने से चरवाहों की जिन्दगी बदल गई। अब उन्हें जंगलों में जाने से रोक दिया गया जो मवेशियों के लिए चारे के स्रोत थे।

→ भारत के अधिकांश चरवाही क्षेत्रों में उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया।

→ आज भी अफ्रीका के लगभग सवा दो करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए किसी न किसी तरह की चरवाही गतिविधियों पर ही निर्भर हैं।

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→ उन्नीसवीं सदी के आखिरी दशकों में औपनिवेशिक सरकार ने अफ्रीका में चरवाहों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने-फिरने पर प्रतिबन्ध लगाना प्रारम्भ कर दिया।

→ बेदुईन्स, बरबेर्स, मासाई, सोमाली, बोरान, तुर्काना आदि अफ्रीका के प्रमुख चरवाहा समुदाय हैं।

→ उपनिवेश बनने से पहले ‘मासाई समाज’ दो सामाजिक श्रेणियों में बँटा हुआ था वरिष्ठ जन (ऐल्डर्स) और योद्धा (वॉरियर्स)। वरिष्ठ जन शासन चलाते थे, जबकि योद्धाओं को मुख्य रूप से लड़ाई लड़ने और कबीले की हिफाजत करने के लिए तैयार किया जाता था।

→ पर्यावरणवादी और अर्थशास्त्री अब इस बात को गम्भीरता से मानने लगे हैं कि घुमंतू चरवाहों की जीवन-शैली संसार के बहुत सारे पहाड़ी और सूखे क्षेत्रों में जीवनयापन के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

→ सन् 1871 ई.- अंग्रेजी शासक चरवाहों को सन्देह की दृष्टि से देखते थे। अतः सन् 1871 ई. में विदेशी सरकार ने चरवाहों के विरुद्ध एक अपराधी जनजाति अधिनियम पारित कर दिया। इसके अनुसार उन्हें अपराधी समुदायों का दर्जा दिया गया।

→ सन् 1850-1880 ई. – इन दशकों में टैक्स-वसूली का काम बाकायदा बोली लगाकर ठेकेदारों को सौंपा गया था।

→ सन् 1880 ई. – सरकार ने इस दशक में अपने कर्मचारियों के माध्यम से सीधे चरवाहों से ‘कर’ वसूल करना प्रारम्भ कर दिया था। प्रत्येक चरवाहे को एक ‘पास’ जारी कर दिया गया।

→ सन् 1885 ई. – ब्रिटिश कीनिया एवं जर्मन तांगान्यिका (वर्तमान तंज़ानिया) के बीच एक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा खींचकर मासाईलैण्ड के दो बराबर-बराबर टुकड़े कर दिए गए।

→ सन् 1919 ई. – तांगान्यिका ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया।

→ सन् 1947 ई. – भारत-पाक विभाजन के पश्चात् ऊँट एवं भेड़ पालने वाले राइका समुदाय के लोग न तो सिन्ध प्रान्त में प्रवेश कर सकते थे और न ही सिन्धु नदी के किनारे अपने पशुओं को चरा सकते थे।

→ मारू – राजस्थान के मरुस्थल का स्थानीय नाम।

→ गुज्जर बक्करवाल-जम्मू – कश्मीर का एक चरवाहा समुदाय, जो भेड़ एवं बकरियाँ पालता है।

→ गद्दी – हिमाचल प्रदेश का एक चरवाहा समुदाय।

→ ढंडी – राजस्थान में ऊँटों के झुण्ड की बस्ती का स्थानीय नाम! मासाई-अफ्रीका का एक चरवाहा समुदाय।

→ धनगर – महाराष्ट्र का भेड़ पालने वाला प्रमुख समुदाय।

→ धार – ऊँचे पर्वतों में स्थित चरागाह।

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→ चलवासी – एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले घुमक्कड़ लोग।

→ चरवाही – वह प्रक्रिया जो जानवरों की देखभाल एवं चराने से सम्बन्धित है।

→ कृषि चरवाही – कृषि के साथ-साथ की जाने वाली चरवाही क्रिया।

→ घुमंतू चरवाहे – घुमंतू चरवाहे वे लोग हैं जो एक स्थान पर नहीं रहते बल्कि अपनी आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।

→ भाबर – गढ़वाल तथा कुमाऊँ के इलाके में पहाड़ियों के आस-पास पाए जाने वाला शुष्क वनों का क्षेत्र।

→ लूंठ – फसल की कटाई के बाद जमीन में शेष रह जाने वाले अनाज के पौधों का निचला सिरा या उनकी जड़।

→ चरागाह – भूमि के विशाल भाग में पशुओं के चरने के लिए उगाई गई घास तथा अन्य पौधों वाला क्षेत्र।

→ बुग्याल – ऊँचे पहाड़ों पर स्थित विस्तृत घास के मैदान।

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→ खरीफ – वर्षा ऋतु में बोई जाने वाली तथा सितम्बर तथा अक्टूबर के बीच कटने वाली फसल।

→ रबी – जाड़ों की फसल, जिसे प्रायः मार्च के बाद काटा जाता है।

→ परम्परागत अधिकार – परम्परा और रीति-रिवाज के आधार पर मिलने वाले अधिकार।

→ अपराधी जनजाति अधिनियम – सन् 1871 ई. में, औपनिवेशिक सरकार ने भारत में अपराधी जनजाति अधिनियम (Criminal Tribes Act) पारित किया। इस अधिनियम के द्वारा दस्तकारों, व्यापारियों तथा चरवाहों की कुछ जातियों को अपराधी जनजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया।

→ निर्वाह – जीवन की जरूरी आवश्यकताएँ पूर्ण करना।

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JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए1. भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है
(क) राज्यपाल
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमन्त्री
(घ) मुख्यमन्त्री।
उत्तर:
(ख) राष्ट्रपति।

2. देश में चुनाव करवाने का दायित्व किसका है?
(क) राष्ट्रपति का।
(ख) लोकसभा अध्यक्ष का
(ग) चुनाव आयुक्त का
(घ) प्रधानमन्त्री का।
उत्तर:
(ग) चुनाव आयुक्त का।

3. नियमित अन्तराल पर जनता के प्रतिनिधियों के चुनने की प्रक्रिया कहलाती है
(क) चुनाव
(ख) राजनीतिक दल
(ग) मतदाता
(घ) धाँधली
उत्तर:
(क) चुनाव।

4. जब किसी निर्वाचित सदस्य की मृत्यु अथवा त्यागपत्र देने की स्थिति में रिक्त सीट पर पुनः चुनाव आयोजित किया जाता है, वह कहलाता है
(क) निर्वाचन
(ख) आम चुनाव
(ग) मध्यावधि चुनाव
(घ) उप चुनाव
उत्तर:
(घ) उप चुनाव।

5. चुनाव घोषणा पत्र जारी किया जाता है
(क) राष्ट्रपति द्वारा
(ख) राजनीतिक दल द्वारा
(ग) सरकार द्वारा
(घ) चुनाव आयोग द्वारा
उत्तर:
(ख) राजनीतिक दल द्वारा।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें चुनावों की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर:
अपनी पसन्द के प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए।

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प्रश्न 2.
चुनाव का अभिप्राय क्या है?
उत्तर:
चुनाव का अभिप्राय राजनीतिक प्रतियोगिता या प्रतिद्वन्द्विता है।

प्रश्न 3.
चुनावी प्रतियोगिता का कोई एक दोष बताइए।
उत्तर:
प्रत्येक स्थान पर चुनावी प्रतियोगिता लोगों के बीच एकता की भावना को नुकसान पहुँचाती है एवं उन्हें दलों में बाँटती है।

प्रश्न 4.
नियमित चुनाव प्रक्रिया किस तरह जनता के हाथों में नेताओं को दण्डित या पुरस्कृत करने का एक साधन है?
उत्तर:
राजनेता इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि यदि वे जनता की इच्छा के अनुसार मुद्दों को उठाते हैं तो उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी और अगले चुनावों में उनके जीतने की सम्भावना बढ़ जाती है। लेकिन यदि वे अपने कामकाज से मतदाताओं को सन्तुष्ट करने में असफल रहते हैं तो वे अगला चुनाव नहीं जीत सकते।

प्रश्न 5.
कितने अन्तराल पर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव आयोजित किये जाते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक पाँच वर्ष के अन्तराल पर।

प्रश्न 6.
विधायक किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित प्रतिनिधि को विधायक कहते हैं।

प्रश्न 7.
लोकसभा चुनाव के लिए हमारे देश को कितने निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है?
उत्तर:
543 निर्वाचन क्षेत्रों में।

प्रश्न 8.
संसद सदस्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक संसदीय क्षेत्र से चुने गये प्रतिनिधि को संसद सदस्य कहते हैं।

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प्रश्न 9.
वार्ड’ क्या है?
उत्तर:
पंचायत तथा नगर पालिका चुनावों के लिए प्रत्येक पंचायत अथवा शहर को कई छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। ऐसे प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र को वार्ड कहते हैं।

प्रश्न 10.
सीट किसे कहते हैं?
उत्तर:
संसदीय या विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र को ! आम बोलचाल की भाषा में सीट कहा जाता है।

प्रश्न 11.
आरक्षित क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों के लिए सुरक्षित रखे गये चुनाव क्षेत्र को आरक्षित क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 12.
लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए कितनी सीटें आरक्षित हैं?
उत्तर;
लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए क्रमशः 84 एवं 47 सीटे आरक्षित हैं।

प्रश्न 13.
किस केन्द्र शासित प्रदेश में लोकसभा की सीटों की संख्या सर्वाधिक है?
उत्तर:
दिल्ली (7)

प्रश्न 14.
किस राज्य में लोकसभा की सीटों की संख्या सर्वाधिक है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश (80)

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प्रश्न 15.
मतदाता सूची क्या है?
उत्तर:
मतदान की योग्यता रखने वाले लोगों की सूची को मतदाता सूची कहते हैं।

प्रश्न 16.
चुनाव में कौन मतदान कर सकता है?
उत्तर:
हमारे देश के सभी नागरिक जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है, जाति, धर्म या लिंग के आधार पर बिना भेदभाव के चुनाव में मतदान कर सकता है।

प्रश्न 17.
किसे मतदान से वंचित किया जा सकता है?
उत्तर:
अपराधियों और दिमागी असन्तुलन वाले – कुछ लोगों को विशेष परिस्थितियों में मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।

प्रश्न 18.
चुनाव कौन लड़ सकता है?
उत्तर:
कोई भी मतदाता जिसकी आयु 25 वर्ष या – उससे अधिक है, चुनाव लड़ सकता है।

प्रश्न 19.
मतदाता सूची का पूर्णतया नवीनीकरण – कब किया जाता है?
उत्तर:
प्रत्येक पाँच वर्ष में मतदाता सूची का पूर्णतया नवीनीकरण किया जाता है।

प्रश्न 20.
राजस्थान में लोकसभा की कुल कितनी सीटें हैं?
उत्तर:
राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीट हैं।

प्रश्न 21.
नामांकन पत्र किसे भरना पड़ता है?
उत्तर:
चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक उम्मीदवार को एक नामांकन पत्र भरना पड़ता है।

प्रश्न 22.
टिकट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में अपने उम्मीदवार मनोनीत किये जाते हैं जिन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न और समर्थन मिलता है। पार्टी के इस मनोनयन को आम बोलचाल की भाषा में ‘टिकट’ कहते हैं।

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प्रश्न 23.
चुनाव का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
चुनाव का मुख्य उद्देश्य जनता को अपनी पसंद का प्रतिनिधि और सरकार चुनाव करने का अवसर देना है।

प्रश्न 24.
हमारे देश में चुनावों का आयोजन कौन करता है?
उत्तर:
चुनाव आयोग।

प्रश्न 25.
आप कैसे कह सकते हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त किसी भी तरह के दबाव से मुक्त है?
उत्तर;
राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है एवं एक बार नियुक्त हो जाने पर वह राष्ट्रपति या सरकार के प्रति उत्तरदायी नहीं रहता है। सरकार के लिए भी उसके कार्यकाल से पहले उसे हटाना लगभग असम्भव है।

प्रश्न 26.
चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी व कर्मचारी किसके नियन्त्रण में रहकर कार्य करते हैं?
उत्तर:
चुनाव आयोग के।

प्रश्न 27.
आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
चुनाव प्रचार के लिए किसी पार्टी द्वारा धर्मस्थल का उपयोग करना।

प्रश्न 28.
भारत के प्रथम निर्वाचन आयुक्त कौन थे और प्रथम चुनाव कब हुए?
उत्तर:
सुकुमार सेन भारत के प्रथम निर्वाचन आयुक्त थे। सन् 1952 में प्रथम चुनाव हुए।

प्रश्न 29.
चुनाव घोषणा पत्र से क्या अभिप्राय
उत्तर:
सभी राजनीतिक दल चुनाव के समय जनता के समक्ष अपना भावी कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। ये कार्यक्रम एवं नीतियाँ राजनीतिक दल विशेष का चुनाव घोषणा पत्र कहलाता है।

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प्रश्न 30.
चुनाव प्रचार के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए जाते हैं?
उत्तर:

  1. चुनाव घोषणा पत्र
  2. चुनाव सभा व जुलूस आयोजित करना
  3. घर-घर जाकर मत माँगना।

प्रश्न 31.
कानून द्वारा वर्जित चुनाव के किन्हीं दो भ्रष्ट तरीकों को लिखिए।
उत्तर:

  1. मतदाताओं को रिश्वत देना
  2. मतदाताओं को डराना या धमकाना।

प्रश्न 32.
चुनाव के किन्हीं चार चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. चुनाव प्रक्रिया की घोषणा
  2. नामांकन पत्र दाखिल करना
  3. चुनाव घोषणा पत्र जारी करना F
  4. मतदान।

प्रश्न 33.
मतपत्र क्या है? उस मशीन का नाम बताइए जिसने इन मतपत्रों का स्थान ले लिया है?
उत्तर:
वह प्रपत्र जिस पर चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों के नाम, उनकी पार्टियों के नाम एवं चुनाव चिह्न अंकित होते हैं उसे मतपत्र कहते हैं। मतपत्रों का स्थान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (E.V.M.) ने ले लिया है।

प्रश्न 34.
जब राजकीय अधिकारी चुनावों के समय कार्य करते हैं, नियन्त्रण में होते हैं? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनावों के लिए कार्य करते समय राजकीय अधिकारी निर्वाचन आयोग के नियन्त्रण में होते हैं। ऐसा स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव करने के लिए किया जाता है । ताकि सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न कर सके।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनता विधायिकाओं के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव किन-किन स्तरों पर करती है?
उत्तर:
जनता निम्नलिखित स्तरों पर विधायिकाओं के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है

  1. राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा के प्रतिनिधियों का चुनाव करती है।
  2. राज्य स्तर पर विधानसभा के प्रतिनिधियों का चुनाव करती है।
  3. स्थानीय स्तर पर जनता ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों, जैसे-नगर पालिका आदि के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करती है।

प्रश्न 2.
चुनाव क्या है? चुनाव में मतदाता किस तरह चुनाव करते हैं?
उत्तर:
नियमित अंतराल पर अपने प्रतिनिधियों के चुनने की व्यवस्था को चुनाव कहते हैं। चुनाव में मतदाता कई तरह से चुनाव करते हैं

  1. वे अपने लिए कानून बनाने वाले का चुनाव कर सकते हैं।
  2. वे सरकार बनाने तथा बड़े निर्णय लेने वालों का चयन कर सकते हैं।
  3. वे सरकार और उसके द्वारा बनने वाले कानूनों का दिशा-निर्देश करने वाली पार्टी का चुनाव कर सकते हैं।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

प्रश्न 3.
लोकतान्त्रिक चुनावों के लिए आवश्यक न्यूनतम शर्ते क्या हैं?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक चुनावों के लिए आवश्यक न्यूनतम शर्ते अग्रलिखित हैं

  1. जनता को चुनाव करने का अवसर मिलना अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति के पास एक मत हो और प्रत्येक मत का मूल्य समान होना चाहिए।
  2. चुनाव में विकल्प उपलब्ध होने चाहिए अर्थात् दल और उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की आजादी हो तथा वे मतदाताओं के सामने कुछ विकल्प रख सकें।
  3. जनता को चुनाव का अवसर नियमित अन्तराल पर मिलते रहना चाहिए।
  4. जनता द्वारा वरीयता प्राप्त उम्मीदवारों का चयन होना चाहिए।
  5. चुनाव स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए।

प्रश्न 4.
आरक्षित क्षेत्र बनाने की क्यों आवश्यकता पड़ी?
उत्तर:
हमारे संविधान निर्माताओं को चिन्ता थी कि खुले चुनावी मुकाबले में कुछ कमजोर समूहों के लोग लोकसभा तथा विधानसभाओं में नहीं पहुंच पायेंगे। उनके पास चुनाव लड़ने और जीतने लायक जरूरी संसाधन, शिक्षा व सम्पर्क हैं ही नहीं। अतः विधायी निकायों में उनकी उपस्थिति को सुरक्षित करने के लिए आरक्षित क्षेत्रों का निर्माण किया गया जिनसे केवल उन्हीं वर्गों के लोग चुनाव लड़ सकते हैं।

प्रश्न 5.
अपने नामांकन पत्र में प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा कौन-कौन सी सूचनाएँ अनिवार्य रूप से दी जाती हैं? इसका क्या लाभ है?
उत्तर:
अपने नामांकन पत्र में प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा निम्नलिखित सूचनाएँ अनिवार्य रूप से दी जाती हैं

  1. उम्मीदवार के विरुद्ध चल रहे गम्भीर आपराधिक मामले।
  2. उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति और देनदारियों का विवरण।
  3. उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता। इन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से मतदाताओं को उम्मीदवारों से उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर अपना निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 6.
जब देश की सभी नौकरियों के लिए किसी न किसी किस्म की शैक्षिक योग्यता आवश्यक है तो विधायक या सांसद जैसे महत्वपूर्ण पदों के चुनाव के लिए किसी किस्म की शैक्षिक योग्यता की जरूरत क्यों नहीं है ?
उत्तर:
सभी तरह के कार्य केवल शैक्षिक योग्यता के आधार पर नहीं होते हैं, जैसे-भारतीय क्रिकेट टीम में चनाव के लिए डिग्री की नहीं अच्छा क्रिकेट खेलने की योग्यता आवश्यक है। इसी प्रकार विधायक या सांसद की सबसे बड़ी योग्यता यह है कि वह अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को समझे, उनकी चिन्ताओं को समझे एवं उनके हितों का प्रतिनिधित्व करे। वे यह काम कर रहे हैं अथवा नहीं इसकी परीक्षा उनके लाखों वोटर पाँच वर्ष तक लेते रहते हैं।

अगर शिक्षा या डिग्री की प्रासंगिकता हो भी तो यह जिम्मेदारी लोगों पर छोड़ देनी चाहिए कि वे शैक्षिक योग्यता को कितना महत्व देते हैं। हमारे देश में शैक्षिक योग्यता की शर्त लगाना एक अन्य कारण से भी लोकतन्त्र की मूलभावना के खिलाफ होगा। इसका मतलब होगा देश के अधिकांश लोगों को चुनाव लड़ने के मौलिक अधिकार से वंचित करना, जैसे यदि उम्मीदवारों के लिए बी. ए., बी. कॉम या बी. एस.-सी. की स्नातक डिग्री को भी अनिवार्य किया गया तो 90 प्रतिशत से अधिक नागरिक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएँगे।

प्रश्न 7.
विभिन्न चुनावों के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दिये गये कुछ सफल नारों का विवरण दीजिए।
उत्तर:

  1. 1971 के लोकसभा चुनावों में इन्दिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था।
  2. 1977 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने ‘लोकतन्त्र बचाओ’ का नारा दिया था।
  3. 1977 में पश्चिमी बंगाल के विधानसभा चुनावों में वामपंथी दलों ने ‘जमीन जोतने वाले की’ का नारा दिया था।
  4. 1983 के आन्ध्र प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एन. टी. रामाराव के नेतृत्व में तेलुगू देशम पार्टी ने ‘तेलुगू स्वाभिमान’ का नारा दिया था।

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प्रश्न 8.
एक आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत उम्मीदवारों एवं पार्टियों को कौन-कौन से कार्य करने की मनाही है?
उत्तर:
एक आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत उम्मीदवारों एवं पार्टियों को निम्नलिखित कार्य करने की मनाही

  1. चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का उपयोग करना।
  2. सरकारी वाहन, हवाई जहाज या अधिकारियों व कर्मचारियों का चुनाव में उपयोग करना।
  3. चुनाव की घोषणा होने के पश्चात् सत्ताधारी पार्टी के मन्त्री द्वारा किसी बड़ी योजना का शिलान्यास करना, बड़े नीतिगत फैसले लेना अथवा जनता को सुविधाएँ देने वाले वायदे करना।

प्रश्न 9.
चुनाव कानूनों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार या पार्टी कौन-कौन से कार्य नहीं कर सकती है?
उत्तर:
चुनाव कानूनों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार या पार्टी निम्नलिखित कार्य नहीं कर सकती है

  1. मतदाता को प्रलोभन देना, घूस देना अथवा डराना-धमकाना।
  2. उनसे जाति या धर्म के नाम पर वोट माँगना।
  3. चुनाव अभियान में राजकीय संसाधनों का उपयोग करना।
  4. लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में 25 लाख अथवा विधान सभा चुनाव में 10 लाख रुपये से अधिक खर्च करना।

प्रश्न 10.
चुनावों के दौरान अखबार और टीवी चैनलों पर दी जाने वाली अधिकांश खबरों में किस तरह की गड़बड़ियों और धाँधलियों की सूचना होती है ?
उत्तर:

  1. मतदाता सूची में फर्जी नाम डालना एवं सही नाम को गायब करना।
  2. सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारों का दुरुपयोग करना।
  3. बड़ी-बड़ी पार्टियों एवं धनिक वर्ग के उम्मीदवारों द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च करना।
  4. मतदान के दिन चुनावी धाँधली/मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।

प्रश्न 11.
भारत में चुनाव परिणामों से कैसे सिद्ध होता है कि चुनावों का आयोजन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष रूप से हुआ है?
उत्तर:
भारत में चुनावों का परिणाम यह प्रदर्शित करता है कि

  1. राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सत्ताधारी दल अक्सर चुनाव हारते हैं।
  2. वोट खरीदने में सक्षम धनी उम्मीदवार अथवा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार प्रायः चुनाव हारते हैं।
  3. यदि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो हारी हुई पार्टी द्वारा चुनाव के परिणामों को जनादेश मानकर स्वीकार किया जाता है। इससे सिद्ध होता है कि भारत में चुनावों का आयोजन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष हुआ है।

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प्रश्न 12.
उदाहरण देकर बताइए कि चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संस्था है?
उत्तर:
निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संस्था है

  1. चुनाव आयोग आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को सजा देता है।
  2. प्रायः देखा जाता है कि चुनाव के दौरान गलती करने पर चुनाव आयोग सरकार और प्रशासन को फटकार लगाता है।
  3. अगर चुनाव आयोग यह सोचता है कि कुछ मतदान केन्द्रों पर या सम्पूर्ण चुनाव क्षेत्र में मतदान ठीक ढंग से नहीं हुआ तो ऐसी स्थिति में पुनर्मतदान का आदेश दे सकता है।
  4. मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना लगभग असम्भव होता है। अत: वह स्वतंत्रतापूर्वक कार्य कर सकता है।

प्रश्न 13.
भारत में चुनाव आयोग की शक्तियों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत में चुनाव आयोग की शक्तियाँ निम्नलिखित हैं

  1. चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी परिणामों के आने तक प्रत्येक पहलू की देखरेख एवं गतिविधियों पर प्रभावी नियन्त्रण रखने का कार्य करता है।
  2. यह आदर्श चुनाव संहिता लागू कराता है एवं इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवार और पार्टियों को सजा भी देता है।
  3. चुनाव के दौरान चुनाव आयोग सरकार को कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करने का आदेश दे सकता है। इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना एवं अधिकारियों का स्थानान्तरण करना भी सम्मिलित है।
  4.  चुनाव कार्य हेतु लगाये गये अधिकारी एवं कर्मचारियों पर सरकार का नियन्त्रण न होकर चुनाव आयोगं का नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 14.
चुनावी सहभागिता किस प्रकार दर्शाती है कि चुनाव प्रक्रिया का आयोजन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष हुआ है?
उत्तर:

  1. भारत में पिछले लगभग 70 वर्षों में चुनावी सहभागिता में या तो वृद्धि हुई है या यह स्थिर बनी हुई है।
  2. भारत में निर्धन, अविकसित एवं कमजोर वर्ग के लोग अमीर और सुविधाभोगी लोगों की तुलना में मतदान में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  3. भारत में आम जनता चुनावों को बहुत महत्व देती है। उनका मानना है कि चुनावों की सहायता से वे राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रम बनाने के लिए दबाव डाल सकते हैं। इससे सिद्ध होता है कि भारत में चुनाव प्रक्रिया का आयोजन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष हुआ है।

प्रश्न 15.
पार्टी चुनाव चिह्न क्या होता है एवं इसे क्यों आवंटित किया जाता है?
उत्तर:
प्रत्येक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है। चुनावों के दौरान स्वतन्त्र रूप से चुनाव लड़ने वाले (निर्दलीय) उम्मीदवारों को भी आयोग द्वारा चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है। एक ही चुनाव क्षेत्र में दो उम्मीदवारों के एक जैसे चुनाव चिह्न नहीं हो सकते। भारत में बहुत अधिक जनसंख्या अशिक्षित है किन्तु वे चुनाव चिह्नों की सहायता से पार्टी एवं उम्मीदवारों को सरलता से पहचान कर सकते हैं एवं अपने मत का उचित उपयोग कर सकते हैं। इसलिए चुनाव चिह्न का आबंटन किया जाता है।

प्रश्न 16.
मतदान समाप्ति से लेकर वोटों की गिनती तक की प्रक्रिया को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मतदान समाप्ति से लेकर वोटों की गिनती तक की निम्नलिखित प्रक्रिया होती है

  1. एक बार मतदान खत्म हो जाने के पश्चात् सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को सील कर एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाता है।
  2. फिर एक निश्चित दिनांक को एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीनों को एक साथ खोला जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार को प्राप्त मतों की गिनती की जाती है।
  3. मतदान स्थल पर सभी दलों के एजेंट रहते हैं जिससे मतगणना का कार्य निष्पक्ष ढंग से हो सके।
  4. चुनाव क्षेत्र में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है।
  5. सामान्यतया आम चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना एक ही तारीख को होती है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

प्रश्न 17.
क्या भारत में चुनाव बहुत मँहगे हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव करवाने पर बहुत ज्यादा राशि खर्च होती है जैसे सन् 2014 में लोकसभा चुनावों पर ही सरकार ने लगभग 3,500 करोड़ रुपये खर्च किए। यदि इसका हिसाब लगाया जाए तो मतदाता सूची में दर्ज प्रत्येक नाम पर 40 रु. के लगभग खर्च हुआ। विभिन्न राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों ने चुनाव में सरकार से भी ज्यादा व्यय किया। एक मोटे अनुमान के अनुसार सरकार, पार्टियों और उम्मीदवारों का कुल खर्च लगभग 30,000 करोड़ रु. हुआ होगा अर्थात् प्रति मतदाता पर लगभग 500 रु. व्यय हुए।

प्रश्न 18.
स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के मार्ग में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के मार्ग में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं
1. चुनावों में धन का अत्यधिक प्रयोग:
बहुत अधिक धनी उम्मीदवार एवं दलों को अपनी जीत का निश्चय नहीं होता, परन्तु वे छोटे दलों एवं निर्दलीय उम्मीदवारों की अपेक्षा अधिक व अनुचित लाभ उठा लेते हैं।

2. भाई-भतीजावाद:
कुछ परिवार राजनीतिक पार्टियों में सर्वोच्च होते हैं इस प्रकार टिकट इन्हीं परिवारों के रिश्तेदारों में बाँट दिये जाते हैं।

3. अपराधियों का चुनाव लड़ना:
देश के कुछ भागों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार चुनाव की दौड़ में से अन्य को हटाकर प्रमुख पार्टियों से टिकट प्राप्त कर लेते हैं।

4. भ्रष्ट राजनीतिज्ञ:
चुनाव लड़ने वाले अधिकांश उम्मीदवार भ्रष्ट राजनीतिज्ञ होते हैं एवं अधिकांश जनता के लिए चुनावों में उनके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता है।

JAC Class 9 Social Science Important Questions

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

→ जंगलों से हमें कागज, मसाले, गोंद, शहद, कॉफी, चाय, रबड़, चमड़ा, जड़ीबूटी, बाँस, कोयला, फल-फूल, पशु-पक्षी, फर्नीचर एवं जलाने हेतु लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं।

→  औद्योगीकरण के दौर में सन् 1700 ई. से सन् 1995 ई. के मध्य 139 लाख वर्ग किमी. वन क्षेत्र कृषि, चरागाहों, ईंधन की लकड़ी एवं उद्योगों के कच्चे माल के लिए साफ कर दिया गया।

→ वन विनाश की समस्या प्राचीनकाल से चली आ रही है। वनों के लुप्त होने को सामान्यत: वन विनाश कहते हैं।

→ सन् 1600 में हिन्दुस्तान के कुल भू-भाग के लगभग ! भाग पर ही खेती होती थी आज यह आँकड़ा लगभग आधे तक पहुँच गया है।

→  सन् 1880 से 1920 के बीच खेती योग्य जमीन के क्षेत्रफल में 67 लाख हेक्टेयर की बढ़त हुई।

→ खेती के विस्तार को हम विकास का सूचक मानते हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जमीन को जोतने से पहले जंगलों की कटाई करनी पड़ती है।

→  भारत में रेल-लाइनों का जाल 1860 के दशक से तेजी से फैला, सन् 1946 तक इन रेल लाइनों की लम्बाई 7,65,000 कि. मी. तक बढ़ चुकी थी। इनके विस्तार हेतु जमीन एवं स्लीपरों के लिए बड़ी मात्रा में पेड़ों को काटा गया।

→ पेड़ों की अंधाधुध कटाई पर रोक लगाने के लिए अंग्रेजों ने जर्मन विशेषज्ञ डायट्रिच भेंडिस को देश का पहला बन महानिदेशक नियुक्त किया। उसने सन् 1864 में भारतीय वन सेवा की स्थापना की।

→ वन अधिनियम द्वारा जंगलों को आरक्षित, सुरक्षित एवं ग्रामीण इन तीन श्रेणियों में बाँटा गया।

→ सरकार ने वनों की सुरक्षा के लिए घुमंतू कृषि पर रोक लगाने का फैसला किया। जंगल के कुछ भागों को बारी-बारी से काटकर और जलाकर उन पर खेती करना घुमंतू कृषि कहलाता है।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

→ सन् 1905 ई. में जब ब्रिटिश सरकार ने वनों के 2/3 भाग को आरक्षित करने, घुमन्तू कृषि को रोकने, शिकार करने एवं अनेक वन्य उत्पादों के संग्रह पर प्रतिबन्ध लगाने जैसे प्रस्ताव रखे तो बस्तर के लोग चिन्तित हो गए क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका इन वन्य उत्पादों से ही प्राप्त होती थी। अंग्रेजों की नजर में बड़े जानवर जंगली, बर्बर और आदि समाज के प्रतीक थे इसलिए उन्होंने बाघ, भेड़िये तथा दूसरे बड़े जानवरों को मारने एवं शिकार करने को प्रोत्साहित किया।

→ जावा को आजकल इंडोनेशिया के चावल उत्पादक द्वीप के रूप में जाना जाता है लेकिन एक जमाने में यह क्षेत्र वनाच्छादित था। उन्नीसवीं सदी में डच उपनिवेशकों ने जावा में वन कानून लागू कर ग्रामीण लोगों के वनों में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया। अब वनों में लकड़ी केवल विशिष्ट उद्देश्यों जैसे-नाव या घर बनाना आदि के लिए चुने हुए जंगलों से ही काटने की इजाजत दी गई। डचों ने वहाँ वन प्रबंधन की शुरुआत की।

→ अस्सी के दशक से एशिया और अफ्रीका की सरकारों को यह समझ में आने लगा कि वैज्ञानिक वानिकी और वन समुदायों को जंगल से बाहर रखने की नीतियों के चलते बार-बार टकराव पैदा होते हैं अत: सरकार ने यह मान लिया कि जंगलों के संरक्षण हेतु प्रदेशों में रहने वालों की मदद लेनी होगी।

→  सन् 1600 ई. – भारत के कुल भू-भाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी।

→  सन् 1700-1995 ई. – इस काल के मध्य 139 लाख वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र अर्थात् विश्व के कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत भाग औद्योगिक उपयोग, कृषि कार्य, चरागाहों एवं ईंधनों की लकड़ी के लिए साफ कर दिया गया।

→  सन् 1820 ई. – सन् 1820 ई. के दशक में इंग्लैण्ड के खोजी दस्ते भारत की वन-सम्पदा का अन्वेषण करने के लिए भेजे गए।

→  सन् 1850 ई. -सन् 1850 ई. के दशक में औपनिवेशिक विस्तार के लिए रेल-लाइनों के प्रसार का कार्य एवं लकड़ी की माँग में वृद्धि हुई।

→  सन् 1860 ई. – सन् 1860 ई. के दशक में भारत में रेल-लाइनों का जाल तेजी से फैला।

→  सन् 1864 ई. – चैंडिस द्वारा भारतीय वन सेवा की स्थापना।

→  सन् 1865 ई. – भारत में वन अधिनियम लागू।

→  सन् 1878 ई. – वन अधिनियम में प्रथम बार संशोधन किया गया।

→  सन् 1880-1920 ई. – खेती योग्य जमीन के क्षेत्रफल में 67 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई।

→  सन् 1899-1900 ई. – औपनिवेशिक सरकार के काल में भारत में भयंकर अकाल।

→  सन् 1906 ई. – देहरादून में इम्पीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना। अब इसको वन अनुसंन्धान संस्थान कहा जाता है तथा इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।

→  सन् 1907-1908 ई. – औपनिवेशिक सरकार के काल में पुन: अकाल का दौर।

→  सन् 1910 ई. – बस्तर रियासत में विद्रोह।

→  सन् 1927 ई. – वन अधिनियम में दूसरी बार संशोधन किया गया।

→ डायट्रिच बैंडिस – जर्मन विशेषज्ञ, जिसे भारत का प्रथम वन महानिदेशक नियुक्त किया गया।

→ जॉर्ज यूल – एक अंग्रेज अफसर जिसने 400 बाघों को अपना शिकार बनाया।

→ सुरोन्तिको सामिन – इन्होंने जावा में डच सरकार के विरुद्ध आन्दोलन किया तथा वनों पर राज्य के अधिकार को नहीं माना।

→ चरवाहे – ऐसे लोग जो भेड़-बकरियाँ एवं पशुओं को चराने के लिए इधर-उधर घूमते रहते हैं।

→ विलुप्त प्रजातियाँ – पौधों और पशुओं की ऐसी प्रजातियाँ जो बिल्कुल समाप्त हो चुकी हैं।

→ वनोन्मलन – वनोन्मूलन का अर्थ है-वन विनाश या समाप्ति। कृषि के विस्तार, रेलवे के विस्तार, जलयान-निर्माण आदि कई कार्यों के लिए वनों को बड़े पैमाने पर काटा गया।

→ वैज्ञानिक वानिकी – वन विभाग द्वारा पेड़ों की कटाई करके उनके स्थान पर पंक्तिबद्ध तरीके से एक निश्चित प्रजाति के पौधों को लगाना।

→ वन उत्पाद – वनों से प्राप्त होने वाली विभिन्न उपयोगी वस्तुएँ।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

→ वन अधिनियम – औपनिवेशिक शासकों ने वनों की उपयोगिता को जानते हुए वन अधिनियम पारित करके वनों पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया।

→ सुरक्षित वन – वे वन, जिनमें पशुओं को चराने की अनुमति सामान्य प्रतिबन्धों के साथ प्रदान की जाती है।

→ आरक्षित वन – वे वन, जो व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारती लकड़ी का उत्पादन करते हैं। इन वनों में किसी भी प्रकार की कृषि करने की अनुमति नहीं होती।

→ स्लीपर – रेल की पटरी के आर-पार लगे लकड़ी के तख्ते जो पटरियों को उनकी जगह पर रोके रखते हैं।

→ परती-भूमि – वह भूमि, जिसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए उसे कुछ समय तक जोता नहीं जाता।

→ वन-ग्राम – वे ग्राम जिन्हें इस शर्त पर आरक्षित वनों में बसने दिया जाता था कि गाँववासी पेड़ों को काटने, उनकी ढुलाई तथा वनों को आग से बचाने में वन विभाग के लिए मुफ्त में काम करेंगे।

→ लेटेक्स – रबड़ की आपूर्ति के लिए जंगली रबड़ के वृक्षों से प्राप्त होने वाला पदार्थ।

→ इजारेदारी – एकाधिकार।

→ व्यावसायिक वानिकी – जब वनों को केवल व्यावसायिक बिक्री एवं मुनाफा कमाने के उद्देश्य से उद्योग के रूप में संचालित किया जाए तो उसे व्यावसायिक वानिकी कहा जाता है।

→ बागान – जब बहुत बड़े स्तर पर एक विशाल क्षेत्र पर एक ही तरह के पेड़ लगाये जाएँ, विशेषकर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए तो उसे बागान कहा जाता है, जैसे-असम के चाय बागान।

→ झूम कृषि – इस कृषि में वन के कुछ भागों को काट कर बारी-बारी से जला दिया जाता है। पहली मानसून वर्षा के पश्चात् इस राख में बीज बोए जाते हैं तथा अक्टूबर-नवम्बर में फसल काटी जाती है। ऐसे खेतों को कुछ वर्षों के लिए जोता जाता है तथा फिर कई वर्षों तक खेतों को खाली छोड़ दिया जाता है ताकि वन फिर से पनप जाएँ। इन भूखण्डों में मिली-जुली फसलें उगाई जाती हैं।

→ भारतीय वन अधिनियम,1878 – इस अधिनियम के अन्तर्गत वनों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया-आरक्षित, संरक्षित एवं गाँव वन।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

→ ब्लैण्डाँगडिएन्स्टेन प्रणाली – इस प्रणाली का आरम्भ जावा में किया गया, जिसके अन्तर्गत कुछ ग्रामीणों को इस शर्त पर करों में छूट दी गयी थी कि वे वन काटने एवं इमारती लकड़ी ढोने के लिए भैंसें उपलब्ध कराने का काम मुफ्त करेंगे।

→ बस्तर – वर्तमान में बस्तर छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। वन नियन्त्रण से प्रभावित यहाँ के आदिवासी कबीलों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह किए। इन विद्रोहों का आरम्भ धुरवा समुदाय द्वारा हुआ था।

→ छोटा नागपुर – बिरसा मुण्डा ने छोटा नागपुर में वन समुदाय के विद्रोह का नेतृत्व किया था।

→ सन्थाल परगना – वन्य समुदाय के नेता सीधू एवं कानू के नेतृत्व में सन्थाल परगना में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह किया गया।

→ सामिन आन्दोलन – जावा के वन्य लोगों का डच सरकार के विरुद्ध एक आन्दोलन था। इसका नेतृत्व सुरोन्तिको सामिन ने किया।

JAC Class 9 Social Science Notes

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय 

JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

→ बीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों में जर्मनी एक ताकतवर साम्राज्य था।

→ जर्मनी ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर रूस, फ्रांस एवं इंग्लैण्ड के विरुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध (सन् 1914-1918 ई.) लड़ा था। इस युद्ध में जर्मनी की बुरी तरह पराजय हुई।

→ जून सन् 1919 ई. में मित्र राष्ट्रों के साथ वर्साय में हुई शान्ति सन्धि जर्मनी की जनता के लिए बहुत कठोर एवं अपमानजनक थी। मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी की सेना भंग कर दी। उस पर छ: अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया।

→ समाजवादियों, डेमोक्रेट्स और कैथलिक गुटों ने वाइमर में एकत्र होकर तत्कालीन शासन व्यवस्था का विरोध करते हुए लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का फैसला लिया।

→ पुराने सैनिकों की मदद से इस विद्रोह को कुचल कर स्पार्टकिस्टों ने जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी की नींव डाली।

→ 1929 ई. में अमेरिका में आई मंदी का सबसे बुरा प्रभाव जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। चारों तरफ गहरी हताशा का माहौल था तथा लोग बेरोजगार हो रहे थे।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय 

→ अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज में गहराते जा रहे इस संकट ने हिटलर के सत्ता में पहुँचने का रास्ता साफ कर दिया।

→ सन् 1889 ई. को ऑस्ट्रिया में जन्मे एडोल्फ हिटलर का प्रारम्भिक जीवन बहुत गरीबी में गुजरा। सन् 1912 ई. में वह जर्मनी चला गया था। उसने सैनिक के रूप में प्रथम
विश्वयुद्ध में भाग लिया एवं उसे उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विशिष्ट पदक भी मिला था।

→ सितम्बर सन् 1919 ई. में हिटलर ने राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी की स्थापना की। बाद में यही नात्सी पार्टी कहलाई।

→ 30 जनवरी, सन् 1933 ई. को राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने हिटलर को चांसलर का पद ग्रहण करने का निमन्त्रण दिया।

→ सत्ता प्राप्त कर लेने के बाद हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को भंग करना शुरू कर दिया तथा 28 फरवरी सन् 1933 को जारी अग्नि अध्यादेश के द्वारा अभिव्यक्त, प्रेस तथा सभा करने के अधिकारों को अनिश्चित काल के लिए निलम्बित कर दिया।

→ 3 मार्च सन् 1933 को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम द्वारा तानाशाही स्थापित कर दी।

→ हिटलर ने एक जन, एक साम्राज्य, एक नेता का नारा दिया तथा राईनलैंड, ऑस्ट्रिया तथा चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा कर लिया।

→ सन् 1940 तक हिटलर अपनी ताकत के शिखर पर था। जून 1941 में उसने सोवियत संघ पर हमला कर दिया। यह द्वितीय विश्वयुद्ध मई 1945 में हिटलर की पराजय और जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराने के साथ खत्म हुआ।

→ नात्सी शासन ने भाषा और मीडिया का बड़ी होशियारी से इस्तेमाल किया और उसका जबरदस्त फायदा उठाया।

→ जर्मनी के बहुत से लोगों ने पुलिस दमन और मौत की आशंका के बावजूद नात्सीवाद का विरोध किया था।

→ 1899 ई. – ऑस्ट्रिया में हिटलर का जन्म हुआ।

→ 1अगस्त,सन् 1914 ई. – प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ।

→ 9 नवम्बर, सन् 1918 ई. – जर्मनी की पराजय एवं प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति, वाइमर गणराज्य की स्थापना।

→ 28 जून, सन् 1919 ई. – जर्मनी वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर।

→ सन् 1922 ई. – नात्सी यूथ लीग का गठन।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय 

→ सन् 1929 ई. – अमेरिका का वॉलस्ट्रीट शेयर एक्सचेंज धराशायी।

→ 30 जनवरी, सन् 1933 ई. – हिटलर जर्मनी का चांसलर बना।

→ 28 फरवरी,सन् 1933 ई. – जर्मनी में अग्नि अध्यादेश के तहत् मुख्य नागरिक अधिकारों का अनिश्चित काल के लिए निलम्बन।

→ 3 मार्च, सन् 1933 ई. – जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम पारित।

→ सन् 1938 ई. – जर्मनी द्वारा ऑस्ट्रिया पर अधिकार।

→ 1 सितम्बर,सन् 1939 ई. – जर्मनी द्वारा पोलैण्ड पर हमला, द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ।

→ 22 जून, सन् 1941 ई. – जर्मन सेनाओं द्वारा सोवियत संघ पर हमला।

→ 23 जून, सन् 1941 ई. – बड़े पैमाने पर यहूदियों की हत्या।

→ 8 दिसम्बर, सन् 1941 ई. – संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग लेना।

→ 27 जनवरी, सन् 1945 ई. – सोवियत सेनाओं द्वारा औषावित्स को मुक्त कराना।

→ 8मई,सन् 1945 ई. – यूरोप के मित्र राष्ट्रों की विजय तथा जर्मनी का समर्पण।

→ एडोल्फ हिटलर – जर्मनी का तानाशाह शासक।

→ नात्सी – ‘नात्सियोणाल’ शब्द हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द था इसलिए इस पार्टी के लोगों को नात्सी कहा जाता था।

→ ह्यालमार शाख्त – हिटलर के शासनकाल का प्रमुख अर्थशास्त्री।

→ ग्योबल्स – हिटलर का प्रचार मंत्री जिसने हिटलर के साथ परिवार सहित आत्महत्या कर ली।

→ चार्ल्स डार्विन – एक प्रकृति विज्ञानी और डार्विनवाद का प्रणेता।

→ नाजीवाद – यह शब्द हिटलर द्वारा स्थापित दल अर्थात् नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी के नाम से प्रचलित हुआ।

→ हर्जाना – किसी गलती के बदले दण्ड के रूप में नुकसान की भरपाई करना।

→ प्रोपेगैंडा – जनमत को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला खास तरह का प्रचार।

→ जिप्सी – विशेष सामुदायिक पहचान वाले लोगों के समूह।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय 

→ सूदखोर – अत्यधिक ब्याज वसूल करने वाले महाजन। मेन काम्फ हिटलर द्वारा जेल में लिखी पुस्तक ‘मेरा संघर्ष’ (Mein Kampf)।

→ यन्त्रणा शिविर – यन्त्रणा शिविर जर्मनी में हिटलर द्वारा स्थापित किए गए थे। इनमें नात्सीवाद के विरोधियों को यातनाएँ दी जाती थीं।

→ मित्र राष्ट्र – चार देशों का समूह अर्थात् ब्रिटेन, फ्रांस, रूस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका। जो धुरी शक्तियों अर्थात् जर्मनी, इटली तथा जापान के विरुद्ध द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े।

→ धुरी शक्तियाँ – द्वितीय विश्वयुद्ध में तीन देशों का समूह जर्मनी, इटली एवं जापान।

→ वर्साय की संधि – प्रथम विश्वयुद्ध के बाद हस्ताक्षरित की हुई एक शक्ति सन्धि थी, जिसके अन्तर्गत जर्मनी पर अपमानजनक शर्ते थोपी गईं।

→ कंसन्देशन कैम्प – ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी कार्यवाही के लोगों को कैद रखा जाता था। ये कंसन्ट्रेशन कैम्प बिजली का करंट दौड़ते कँटीले तारों से घिरे रहते थे। इनका निर्माण हिटलर ने किया था।

→ अति-मुद्रास्फीति – कीमतों में बेहिसाब वृद्धि।

→ नॉर्डिक जर्मन आर्य – आर्यों की एक शाखा जो उत्तरी यूरोपीय देशों में रहते थे तथा वे जर्मन अथवा सम्बन्धित मूल के थे।

→ युंगफोक – 14 वर्ष से कम आयु के नात्सी युवकों का संगठन। राष्ट्रीय समाजवाद-नाजी लोगों द्वारा प्रतिपादित समाजवाद।

→ घेटो – यहूदियों के लिए रखा गया पृथक् क्षेत्र, जहाँ वे रह सकते थे। इसे दड़बा भी कहा जाता था।

→ ब्लॉण्ड – नीली आँखों और सुनहरे बालों वाले जर्मन आर्य।

→ वाल स्ट्रीट एक्सचेंज – संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज।

→ सोवियत रेड आर्मी – द्वितीय विश्वयुद्ध में शक्तिशाली विशाल सोवियत सेना।

JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय 

→ खंदक – युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों के छिपने के लिए खोदे गये गड्डे।

→ सर्वहाराकरण – श्रमजीवी वर्गों के निम्न स्तर तक गिरकर बहुत ही निर्धन हो जाना।

→ परसेक्यूट – किसी एक समूह या धर्मावलम्बियों को योजनाबद्ध तरीके से बड़ी सोची-समझी योजना के तहत् कत्लेआम करने की प्रक्रिया।

→ राइखस्टाग – जर्मन संसद।

→ होलोकास्ट – यहूदियों को मारने के लिए प्रयोग की जाने वाली नात्सियों की कत्लेआम प्रक्रिया। इसे महाध्वंस भी कहते हैं।

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JAC Class 9th Social Science Notes History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति 

JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

→ फ्रांस की क्रान्ति के पश्चात् यूरोप एवं एशिया सहित विश्व के बहुत से भागों में एक विशेष प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक क्रान्ति आयी।

→ उन्नीसवीं शताब्दी में समाज में परिवर्तन के विषय में लोग विभिन्न विचारधाराओं-उदारवादी (लिबरल), क्रान्तिकारी (रैडिकल) तथा रूढ़िवादी (कंजरवेटिव) श्रेणियों में बँटे हुए थे। उदारवादी विचारक धार्मिक एवं आर्थिक मामलों में राज्य के हस्तक्षेप के विरुद्ध थे। वे जीवन के अधिकार, नागरिक व धार्मिक स्वतन्त्रता, सम्पत्ति की सुरक्षा एवं कोई भी व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता के अधिकार पर बल देते थे। ये केवल सम्पत्तिधारी वयस्क मताधिकार के पक्ष में थे।

→ क्रान्तिकारी विचारक राजनीति में अधिक से अधिक व्यक्तियों की भागीदारी के पक्ष में थे। ये बड़े जमींदारों एवं उद्योगपतियों को प्राप्त विशेषाधिकारों के विरोधी तथा सभी वयस्कों के मताधिकार के पक्षधर थे।

→ रूढ़िवादी विचारक रैडिकल और उदारवादी दोनों के खिलाफ थे। वे चाहते थे कि आवश्यकतानुसार तथा धीमी गति से बदलाव आये।

→ सन् 1760 ई. के आस-पास यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति हुई। परिवहन के नये साधन विशेषकर रेल परिवहन का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थे जिससे आवास और साफ-सफाई के कार्यों में मुश्किल हो रही थी।

→ समाजवादी निजी सम्पत्ति के विरोधी थे। तत्कालीन विचारक कार्ल मार्क्स का मानना था कि पूँजीपतियों का मुनाफा मजदूरों की मेहनत से पैदा होता है अत: जब तक सम्पत्तियों पर सामाजिक नियन्त्रण एवं स्वामित्व नहीं होगा तब तक मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है। 9 जनवरी, सन् 1905 ई. को रूस में प्रथम क्रान्ति हुई जिसे ‘खूनी रविवार’ के रूप में याद किया जाता है।

→ सन् 1914 ई. में प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ जिसमें एक तरफ थे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बल्गारिया व तुर्की तथा दूसरी तरफ-फ्रांस, ब्रिटेन व रूस। 16 अक्टूबर 1917 को लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर कब्जा करने के लिए राजी कर लिया।

→ जब बोल्शेविकों ने जमीन के पुनर्वितरण के आदेश दिये तो गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गयी, लेकिन उन्होंने उद्योगों और बैंकों के राष्ट्रीयकरण को जारी रखा।

→ लेनिन के बाद स्तालिन ने पार्टी की कमान सम्हाली तथा खेती के सामूहिकीकरण पर बल दिया, जिसका काफी विरोध हुआ।

→ बीसवीं सदी के अन्त तक एक समाजवादी देश के रूप में सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम हो गयी थी।

अध्याय की महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ

→ सन् 1850-1880 ई. — तीस वर्षों का कालखण्ड जिसमें रूस में समाजवाद पर बहस जारी रही।

→ सन् 1898 ई. — रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन किया गया।

→ सन् 1900 ई. — सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी का गठन किया गया।

→ सन् 1905 ई. — रूसी क्रान्ति एवं खूनी रविवार की घटना तथा जार द्वारा ड्यूमा के गठन की सहमति।

→ सन् 1914 ई. — प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ। सन् 1916 ई. रोटी की दुकानों पर दंगे होने लगे।

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→ सन् 1917 ई. — 2 मार्च को रूस के जार को सत्ता से हटना पड़ा तथा 24 अक्टूबर को पैत्रोग्राद में बोल्शेविक क्रान्ति हुई। जिसमें रूस की सत्ता पर समाजवादियों का कब्जा हो गया।

→ सन् 1918-1920 ई. — रूस में गृहयुद्ध जारी रहा।

→ सन् 1919 ई. — कॉमिन्टर्न का गठन।

→ सन् 1927-1932 ई. — रूस में प्रथम पंचवर्षीय योजना।

→ सन् 1929 ई. — रूस में सामूहिकीकरण की शुरुआत।

→ सन् 1930-1933 ई. — सोवियत रूस के इतिहास का सबसे बड़ा अकाल, 40 लाख से अधिक लोग मारे गये।

→ सन् 1933-1938 ई. — रूस की द्वितीय पंचवर्षीय योजना की समयावधि।

→ जार निकोलस द्वितीयरूसी — क्रान्ति जार निकोलस द्वितीय के शासनकाल में हुई।

→ कार्ल मार्क्स — समाजवादी दार्शनिक एवं विचारक।

→ फ्रेडरिक एंगेल्स — समाजवादी दार्शनिक एवं विचारक।

→ केरेंस्की — अक्टूबर सन् 1917 ई. की क्रान्ति के समय रूस के प्रधानमंत्री।

→ जदीदी — रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी।

→ मेजिनी — इटली का राष्ट्रवादी नेता।

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→ मार्फा वासीलेवा — मार्फा वासीलेवा नामक महिला ने अकेले ही एक सफल हड़ताल की।

→ लुई ब्लां — फ्रांसीसी समाजवादी विचारक।

→ लेनिन — रूस का एक क्रान्तिकारी नेता। उसने रूस की बोल्शेविक क्रान्ति का नेतृत्व किया।

→ स्टालिन — लेनिन के बाद पार्टी का नेतृत्व, कृषि के सामूहिकीकरण का फैसला एवं श्रम शिविरों की स्थापना।

→ रॉबर्ट ओवन — अंग्रेज समाजवादी विचारक एवं उद्योगपति।

→ अतिवादी — ये निजी सम्पत्ति के केन्द्रीकरण के विरोधी थे।

→ रूढ़िवादी — ये समाज की व्यवस्था में धीरे-धीरे परिवर्तन लाने के पक्षधर थे। उनका विश्वास था कि अतीत का सम्मान होना चाहिए।

→ इयमा — ड्यूमा रूस की राष्ट्रीय सभा अथवा संसद थी। इसका गठन सन् 1905 ई. में प्रथम बार हुआ। रूस के जार निकोलस द्वितीय ने इसे मात्र एक सलाहकार समिति में बदल दिया था।

→ उदारवादी — उदारवादी यूरोप के समाज के वे लोग थे जो वंशानुगत शासकों की निरंकुश शक्तियों के विरुद्ध थे। उदारवादी एक ऐसे राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान एवं स्थान मिले।

→ रूसी आर्थोडॉक्स चर्च — ईसाई धर्म की एक शाखा जो रूसी साम्राज्य का प्रमुख धर्म था। कोलखोज-रूस में सामूहिक खेतों को ‘कोलखोज’ कहा जाता था।

→  रूसी साम्यवादी दल — सन् 1917 ई. में रूस की क्रान्ति के पश्चात् बोल्शेविक पार्टी को ‘रूसी कम्युनिस्ट पार्टी’ (बोल्शेविक) का नाम दिया गया।

→ घुमन्तु — ऐसे लोग जो अपनी आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। इन्हें ‘खानाबदोश’ भी कहा जाता है।

→ सुफ्फरेगेट — महिलाओं को मताधिकार दिए जाने के लिए चलाया गया आन्दोलन। कुलक-रूस में सम्पन्न किसानों को ‘कुलक’ कहा जाता था।

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→ चेका — चेका एक ‘कमीशन’ था जिसका कार्य रूसी साम्यवादी पार्टी के विरोधियों को दण्ड देना था।

→ तालाबन्दी — कारखाने को स्थायी रूप से बन्द करने के लिए कारखाना मालिकों द्वारा फाटक पर ताला लगा देना।

→ कॉमिन्टन — कम्युनिस्ट पार्टियों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था।

→ खूनी रविवार — 9 जनवरी, सन् 1905 ई. को पुलिस ने मजदूरों के एक समूह पर गोलियाँ चलायीं, जिसमें सौ से अधिक मजदूर मारे गए। इस दिन को खूनी रविवार कहा जाता है।

→ अप्रैल थीसिस — बोल्शेविक नेता लेनिन की सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति से पूर्व तीन माँगें- शक्ति, भूमि को किसानों को स्थानान्तरित करना एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण ‘अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी गई।

→ रूसी स्टीम रोलर — शाही रूसी सेना को ‘रूसी स्टीम रोलर’ कहा जाता था।

→ ऑरोरा — यह एक रूसी युद्धपोत था।

→ ओजीपीयू व एनकेवीडी — गुप्तचर पुलिस जो बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दण्डित करती थी।

→ सोवियत — रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन।

→ मताधिकार आन्दोलन — वोट डालने का अधिकार पाने के लिए किया गया आन्दोलन।

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→ निरंकुश राजशाही — राजा द्वारा बिना रोकटोक के शासन करना!

→ स्वायत्तता — अपना शासन स्वयं चलाने का अधिकार।

→ कार्यस्थितियाँ — काम करने की परिस्थितियाँ।

→ प्रतिक्रांतिकारी — क्रांति का विरोध करने वाले।

→ फरवरी क्रान्ति — रूस की यह क्रान्ति पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 27, फरवरी सन् 1917 ई. को हुई थी। अत: इसे फरवरी क्रान्ति के नाम से पुकारा जाता है। जार ने राजगद्दी छोड़ दी तथा अन्तरिम सरकार की स्थापना हुई।

→ अक्टूबर क्रान्ति — पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 24 अक्टूबर, सन् 1917 ई. को ‘अक्टूबर क्रान्ति’ हुई। इस क्रान्ति के फलस्वरूप केरेस्की सरकार’ का पतन हो गया।

→ बोल्शेविक क्रान्ति — अक्टूबर सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति को बोल्शेविक क्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है।

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