JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

Jharkhand Board JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

Jharkhand Board Class 11 History समय की शुरुआत से InText Questions and Answers

पृष्ठ 9.

क्रिया-कलाप संख्या 1 : अधिकांश धर्मों में मानव प्राणियों की रचना के बारे में अनेक केहानियाँ कही गई हैं, पर अक्सर वे वैज्ञानिक खोजों से मेल नहीं खातीं। ऐसी कुछ धार्मिक कथाओं के बारे में पता लगाइए और उनकी तुलना, इस अध्याय में चर्चित मानव के क्रमिक विकास के इतिहास से कीजिए। आप उनके बीच क्या समानताएँ और अन्तर देखते हैं?
उत्तर:
आदि मानव की उत्पत्ति – आदि मानव की उत्पत्ति के विषय में दो मत प्रमुख हैं –
(1) धार्मिक तथा
(2) वैज्ञानिक।
धार्मिक मत के अनुसार इस पृथ्वी का निर्माण ईश्वर ने ही किया है तथा उसी की इच्छा से मनुष्य की भी सृष्टि हुई तथा ईश्वर की कृपा से ही मनुष्य ने निरन्तर विकास किया। ईसाइयों के पवित्र ग्रन्थ बाइबल के ओल्ड टेस्टामेन्ट में यह बताया गया है कि ईश्वर ने सृष्टि की रचना करते समय अन्य प्राणियों के साथ-साथ मनुष्य की भी रचना की। सुमेरियन लोगों के अनुसार ‘देवसमूह’ ने विश्व का निर्माण किया। इस प्रकार ईश्वर ने सब प्रकार के प्राणियों की सृष्टि की थी, बाद में उनकी वंशानुवंश परम्परा चलती रही। परन्तु आधुनिक काल में हुई वैज्ञानिक खोजों ने इस विश्वास को निराधार एवं असत्य सिद्ध कर दिया है।

मानव का विकास – मानव के इतिहास की जानकारी मानव के जीवाश्मों, पत्थर के औजारों और गुफाओं की चित्रकारियों की खोजों से मिलती है । परन्तु जब 200 वर्ष पूर्व ऐसी खोजें सर्वप्रथम की गई थीं, तब अनेक विद्वान् यह मानने को तैयार नहीं थे कि ये जीवाश्म प्रारम्भिक मानवों के हैं। अधिकांश विद्वानों को आदिकालीन मानव द्वारा पत्थर के औजार, चित्रकारियाँ बनाये जाने की योग्यता के बारे में भी सन्देह था। दीर्घकाल के बाद ही इन जीवाश्मों, औजारों और चित्रकारियों के वास्तविक महत्त्व को स्वीकार किया गया। इसका कारण यह था कि बाइबल के ओल्ड टेस्टामेन्ट में यह बताया गया था कि ईश्वर की सृष्टि की रचना करते समय अन्य प्राणियों के साथ-साथ मनुष्य की भी रचना की थी।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

अगस्त, 1856 में निअंडर की घाटी में चूने के पत्थरों की खान की खुदाई करते समय मजदूरों को एक खोपड़ी और अस्थिपंजर के कुछ टुकड़े मिले। उस समय विद्वानों ने घोषित किया कि यह खोपड़ी आधुनिक मानव की नहीं है तथा यह खोपड़ी किसी ‘मूर्ख’ या जड़बुद्धि प्राणी की है। प्रो. हरमन शाफहौसेन ने यह दावा किया कि यह खोपड़ी एक ऐसे मानव रूप की है, जो अब अस्तित्व में नहीं है, परन्तु लोगों ने उनके इस दावे को अस्वीकार कर दिया। इस प्रकार उस समय आदि मानव की उत्पत्ति के सम्बन्ध में धार्मिक धारणाएँ प्रचलित थीं। मानव का विकास क्रमिक रूप से हुआ है। इस बात का प्रमाण हमें मानव की उन प्रजातियों के जीवाश्मों से मिलता है जो अब लुप्त हो चुकी हैं।

पृष्ठ 24
क्रियाकलाप 3 : हादजा लोग जमीन और उसके संसाधनों पर अपने अधिकारों का दावा क्यों नहीं करते? उनके शिविरों के आकार और स्थिति में मौसम के अनुसार परिवर्तन क्यों होता रहता है? सूखा पड़ने पर भी उनके पास भोजन की कमी क्यों नहीं होती? क्या आप आज के भारत के किसी शिकारी-संग्राहक का नाम बता सकते हैं?
उत्तर:
हादजा लोगों का परिचय – हादजा शिकारियों तथा संग्राहकों का एक छोटा समूह है जो ‘लेक इयासी’ नामक एक खारे पानी की विभ्रंश घाटी में बनी झील के निकट रहते हैं । पूर्वी हादजा का क्षेत्र सूखा और चट्टानी है, परन्तु यहाँ जंगली खाद्य वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में मिलती हैं। यहाँ हाथी, गैंडे, भैंसे, जिराफ, जेब्रे, हिरण, चिंकारा, जंगली सूअर, शेर, तेन्दुए आदि अनेक बड़े जानवर मिलते हैं। यहाँ साही मछली, खरगोश, गीदड़, कछुए आदि . जानवर भी उपलब्ध हैं। हादजा लोग हाथी को छोड़कर शेष सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं तथा उनका मांस खाते हैं।

(1) हादजा लोग जमीन और उसके संसाधनों पर अपने अधिकारों का दावा क्यों नहीं करते ? – हादजा लोग जमीन और उसके संसाधनों पर अपने अधिकारों का दावा नहीं करते। कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कहीं भी रह सकता है, पशुओं का शिकार कर सकता है, कहीं पर भी कंदमूल – फल, शहद आदि इकट्ठा कर सकता है और पानी ले सकता है। इस सम्बन्ध में हाजा लोगों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है।

(2) हादजा लोगों के शिविरों के आकार और स्थिति में मौसम के अनुसार परिवर्तन – सूखे मौसम में हाजा लोगों के शिविर प्रायः जलस्रोत से एक किलोमीटर की दूरी में ही स्थापित किये जाते हैं। उनके शिविर पेड़ों अथवा चट्टानों के बीच विशेषकर वहाँ लगाए जाते हैं जहाँ पेड़ तथा चट्टानें दोनों उपलब्ध हैं । नमी के मौसम में हादजा लोगों के शिविर प्राय: छोटे और दूर-दूर तक फैले हुए होते हैं और सूखे के मौसम में पानी के स्रोतों के निकट बड़े और घने बसे होते हैं।

(3) सूखे के समय में भी हादजा लोगों को भोजन की कमी न होना- सूखे के समय में भी हादजा लोगों के पास भोजन की कमी नहीं होती है। हादजा प्रदेश में जंगली खाद्य वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में मिलती हैं। यहाँ सूखे मौसम में भी वनस्पति खाद्य-कन्दमूल, बेर, बाओबाब पेड़ के फल आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। हादजा लोग यहाँ पाई जाने वाली जंगली मधुमक्खियों के शहद तथा सुंडियों को भी खाते थे, अतः यहाँ खाद्य वस्तुओं की कोई कमी नहीं रहती। अतः सूखे के समय में भी हादजा लोगों के पास भोजन की कमी नहीं होती।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

पृष्ठ 25

क्रियाकलाप 4: आप क्या सोचते हैं कि प्राचीनतम मानव समाजों के जीवन के बारे में जानने के लिए ‘संजाति वृत्त’ सम्बन्धी वृत्तान्तों का इस्तेमाल करना, कितना उपयोगी अथवा अनुपयोगी है?
उत्तर:
प्राचीनतम मानव समाजों के जीवन के बारे में जानने के लिए ‘संजातिवृत्त’ सम्बन्धी वृत्तान्तों का प्रयोग करना – प्राचीनतम मानव समाजों के जीवन के बारे में जानने के लिए ‘संजातिवृत्त’ सम्बन्धी वृत्तान्तों का प्रयोग करना कितना उपयोगी है अथवा अनुपयोगी है। इस सम्बन्ध में दो विचारधाराएँ प्रचलित हैं –

(1) पहली विचारधारा – इस विचारधारा के समर्थक विद्वानों ने आज के शिकारी संग्राहक समाजों से प्राप्त तथ्यों तथा आंकड़ों का सीधे अतीत के अवशेषों की व्याख्या करने के लिए उपयोग कर लिया है। उदाहरणार्थ, कुछ पुरातत्त्वविदों का कहना है कि 20 लाख वर्ष पहले होमिनिड स्थल जो तुर्काना झील के किनारे स्थित है, सम्भवत: आदिकालीन मानवों के शिविर या निवास-स्थान थे, जहाँ वे सूखे के मौसम में आकर रहते थे। यह विशेषता वर्तमान हादजा तथा कुंगसैन समाजों में भी पाई जाती है।

(2) दूसरी विचारधारा – इस विचारधारा के समर्थक विद्वानों का मत है कि ‘संजातिवृत्त’ सम्बन्धी तथ्यों और आँकड़ों का उपयोग अतीत के समाजों के अध्ययन के लिए नहीं किया जा सकता है। उनके मतानुसार ये चीजें एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। उदाहरण के लिए –

  • आज के शिकारी संग्राहक समाज शिकार और संग्रहण के साथ-साथ और अनेक आर्थिक क्रिया-कलापों में भी लगे रहते हैं।
  • ये जिन परिस्थितियों में रहते हैं, वे आरम्भिक मानव की अवस्था से बहुत भिन्न हैं।
  • आज के शिकारी-संग्राहक समाजों में आपस में भी बहुत भिन्नता है। वे सब समाज शिकार और संग्रहण को अलग-अलग महत्त्व देते हैं, उनके आकार तथा गतिविधियों में भी अन्तर पाया जाता है।
  • भोजन प्राप्त करने के सम्बन्ध में श्रम विभाजन को लेकर भी उनमें कोई आम सहमति नहीं है। अतः वर्तमान स्थिति के समाजों के आधार पर अतीत के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना कठिन है।

Jharkhand Board Class 11 History समय की शुरुआत से Textbook Questions and Answers

लघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 13 पर दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था (Positive Feedback Mechanism) को दर्शाने वाले आरेख को देखिए। क्या आप उन निवेशों (Inputs) की सूची दे सकते हैं जो औजारों के निर्माण में सहायक हुए? औजारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला?
उत्तर:
औजारों के निर्माण में सहायक निवेश – निम्नलिखित निवेश औजारों के निर्माण में सहायक सिद्ध हुए –

  1. मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि।
  2. दो पैरों पर खड़े होकर चलने की क्षमता के कारण औजारों के प्रयोग के लिए बच्चों व चीजों को ले जाने के लिए हाथों का मुक्त होना।
  3. सीधे खड़े होकर चलना।
  4. आँखों से निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लम्बी दूरी तक चलना।
  5. सीधे दो पैरों पर चलने से शारीरिक ऊर्जा की खपत कम होने लगी।

प्रक्रियाएँ जिनको औजारों के निर्माण से बल मिला –

औजारों के निर्माण से निम्न प्रक्रियाओं को बल मिला –
(1) भोजन में सुधार – औजारों की सहायता से मांस को साफ कर लिया जाता था तथा उसे सुखा कर सुरक्षित रख लिया जाता था। इस प्रकार सुरक्षित रखे खाद्य को बाद में खाया जा सकता था।
(2) वस्त्र – कुछ जानवरों की खाल का कपड़ों के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। सुई की सहायता से कपड़ों की सिलाई की जाने लगी।
(3) कला – छेनी या रुखानी जैसे छोटे-छोटे औजार बनाने के लिए तकनीक शुरू हो गई। इन नुकीले ब्लेडों से हड्डी, सींग, हाथीदाँत या लकड़ी पर नक्काशी करना या कुरेदना अब सम्भव हो गया।
(4) आत्मरक्षा – औजारों की सहायता से मनुष्य जंगली एवं हिंसक जानवरों से अपने जीवन की रक्षा करने में सफल हुआ।
(5) यातायात के साधन – पहिए के आविष्कार के फलस्वरूप बैलगाड़ियों का निर्माण किया जाने लगा, जिससे यातायात के साधनों का विकास हुआ।
(6) शिकार करना – औजारों के निर्माण से जानवरों को मारने अथवा शिकार करने के तरीकों में सुधार हुआ।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 2.
मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सम्भवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ।
(कं) व्यवहार और
(ख) शरीर रचना शीर्षकों के अन्तर्गत दो अलग-अलग स्तम्भ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाये जाने वाले उन अन्तरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्त्वपूर्ण समझते हैं।
उत्तर:
मानव तथा लंगूर और वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार में निम्नलिखित समानताएँ पाई जाती हैं –
समानताएँ –
(क) व्यवहार

मानव वानर तथा लंगूर
1. माताएँ अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं। मादा वानर भी अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं। वानर भी पेड़ों पर चढ़ सकते हैं।
2. मानव वृक्षों पर चढ़ सकता है। वानरों में भी सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता है।
3. मानव में सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है। वानर भी लम्बी दूरी तक चल सकते हैं।
4. मानव लम्बी दूरी तक चल सकता है। वानर भी अपने बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं और अपनी सन्तानों से प्यार करते हैं।
5. मानव अपने बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं और उन्हें प्यार करते हैं। वानर तथा लंगूर

(ख) शरीर-रचना

मानव वानर तथा लंगूर
1. मानव रीढ़धारी है। वानर भी रीढ़धारी है।
2. मादा मानव के बच्यों को दूध पिलाने हेतु स्तन होते हैं। मादा वानरों के बच्चों को दूध पिलाने हेतु स्तन होते हैं।
3. बच्चा पैदा होने से पहले अपेक्षाकृत दीर्घकाल तक वह माता के गर्भ में पलता है। बंच्चा पैदा होने से पहले वह अपेक्षाकृत दीर्घकाल तक मादा वानर के गर्भ में पलता है।
4. मानव के शरीर पर बाल होते हैं। लंगूर तथा वानर के शरीर पर भी बाल होते हैं।

(क) व्यवहार

मानव वानर तथा लंगूर
1. मानव दो पैरों के बल चलता है। 1. वानर चार पैरों के बल चलता है।
2. मानव खेती और पशुपालन का कार्य करते हैं। 2. वानर खेती और पशुपालन का कार्य नहीं कर सकते।
3. मानव में औजार बनाने की विशेषताएँ होती हैं। उसके हाथों की रचना विशेष प्रकार की होती है। 3. मनुष्य में औजार बनाने की जो विशेषताएँ होती हैं, वे वानरों में नहीं पाई जातीं।
4. मानव सीधे खडे होकर चल सकता है। 4. वानर सीधे खड़े होकर नहीं चल सकते।

(ख) शरीर-रचना

मानव वानर तथा लंगूर
मानव का शरीर वानरों से बड़ा होता है। वानरों का शरीर अपेक्षाकृत छोटा होता है।
मानव की पूँछ नहीं होती। वानरों की पूँछ होती है।
मानव के हाथ की पकड़ सशक्त होती है। वानर के हाथ की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर होती है
मानव का मस्तिष्क बड़ा होता है। वानर का मस्तिष्क छोटा होता है।

प्रश्न 3.
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा कीजिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है?
उत्तर:
मानव उद्भव का क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल – मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के अनुसार आधुनिक मानव का विकास भिन्न-भिन्न प्रदेशों में रहने वाले होमो सैपियन्स से अलग-अलग समय में हुआ। आधुनिक मानव का विकास धीरे-धीरे तथा अलग-अलग गति से हुआ। इसीलिए आधुनिक मानव विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में अलग-अलग स्वरूप में दिखाई दिया।

यह तर्क इस बात पर आधारित है कि आज के मनुष्यों के विभिन्न लक्षण पाये जाते हैं। इस मॉडल के समर्थकों का कहना है कि ये असमानताएँ एक ही क्षेत्र में पहले से रहने वाले होमो एरेक्टस तथा होमो हाइंडल-बर्गेसिस समुदायों में पाई जाने वाली भिन्नताओं के कारण हैं। हमारे विचार में क्षेत्रीयता निरन्तरता मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है।

प्रश्न 4.
इनमें से कौनसी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं :
(क) संग्रहण
(ख) औजार बनाना
(ग) आग का प्रयोग।
उत्तर:
औजार बनाना – पुरातात्विक अभिलेख में संग्रहण, औजार बनाने और आग का प्रयोग क्रियाओं में औजार बनाने की क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण सर्वाधिक मिलते हैं।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

यथा –

  1. आदि मानव द्वारा पत्थर के औजार बनाने और उनका प्रयोग करने का सबसे प्राचीन साक्ष्य इथियोपिया और केन्या के पुरास्थलों से मिला है। ये औजार सम्भवतः आस्ट्रेलोपिथिकस ने बनाए थे।
  2. ओल्डुवई नामक स्थान से प्राप्त आरम्भिक औजारों में एक गंडासा प्राप्त हुआ है, जिसके शल्कों को निकालकर धारदार बना दिया गया है।
  3. इसके अतिरिक्त दूसरा औजार एक हस्त – कुठार है।
  4. लगभग 35,000 वर्ष पहले ‘फेंककर मारने वाले भालों’ तथा ‘तीर-कमान’ जैसे नये प्रकार के औजार बनाए जाने लगे।
  5. सिलने के लिए सूई का आविष्कार भी हुआ । सिले हुए कपड़ों का सबसे पहला साक्ष्य लगभग 21,000 वर्ष पुराना है।
  6. इसके बाद ‘छेनी’ या ‘रुखानी’ जैसे छोटे-छोटे औजार बनाये जाने लगे। इन नुकीले ब्लेडों से हड्डी, सींग, हाथी- दाँत या लकड़ी पर नक्काशी करना सम्भव हो गया।

संक्षेप में निबन्ध लिखिए –

प्रश्न 5.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद मिली होगी? इस पर चर्चा करिए। इन क्रिया-कलापों के लिए विचार सम्प्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था?
उत्तर:
(क) भाषा के प्रयोग से शिकार करने में मदद मिलना-जीवित प्राणियों में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो भाषा के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकता है। भाषा और कला दोनों ही सम्प्रेषण अर्थात् विचार – अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। भाषा के प्रयोग

से शिकार करने में काफी मदद मिली होगी जिसका वर्णन निम्नानुसार है-
(1) लोग शिकार की योजना बना सकते थे।
(2) फ्रांस में स्थित लैसकाक्स और शोवे की गुफाओं में और स्पेन में स्थित आल्टामीरा की गुफा में जानवरों की सैकड़ों चित्रकारियाँ प्राप्त हुई हैं। विद्वानों के अनुसार जीवन में शिकार का महत्त्व होने के कारण जानवरों की चित्रकारियाँ धार्मिक क्रियाओं, रस्मों और जादू-टोनों से जुड़ी होती थीं। जानवरों का चित्रण इसलिए किया जाता था कि ऐसी रस्म का पालन करने से शिकार करने में सफलता मिले।
(3) लोग शिकार के तरीकों तथा तकनीकों पर एक-दूसरे से चर्चा कर सकते थे।
(4) वे विभिन्न क्षेत्रों में पाये जाने वाले जानवरों की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
(5) वे जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा के उपायों के बारे में विचार-विमर्श कर सकते थे।
(6) जंगली जानवरों का शिकार करते समय प्रस्तुत होने वाले खतरों के बारे में चर्चा कर सकते थे 1
(7) वे विभिन्न सरकार के जानवरों की प्रकृति एवं स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते थे (8) वे जानवरों के शिकार करते समय सुरक्षात्मक उपायों के बारे में आपस में विचार-विमर्श कर सकते थे।
(9) वे आवश्यकतानुसार नवीन औजारों का निर्माण कर सकते थे।
(10) वे जानवरों की आवाजाही के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते थे तथा उनका जल्दी से बड़ी संख्या में वध करने के तरीकों के बारे में चर्चा कर सकते थे।
(11) शिकारी लोग वर्षा के मौसम में तथा सूखे मौसम में शिकार के लिए उपयुक्त स्थानों पर अपने शिविर लगा सकते हैं।
(12) वे मारे गए पशुओं के मांस, खाल, हड्डियों आदि के उपयोग पर चर्चा कर सकते हैं।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

(ख) भाषा के प्रयोग से आश्रय बनाने में मदद मिलना – भाषा के प्रयोग से आश्रय बनाने में निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त की जा सकती हैं-

  1. लोग जंगली जानवरों तथा मौसम की प्रतिकूलता से अपनी सुरक्षा के लिए उपयुक्त आश्रय स्थलों के निर्माण के बारे में आपस में चर्चा कर सकते थे।
  2. आश्रय स्थल के निर्माण के लिए पत्थरों और अन्य सामग्री के उपयोग के बारे में चर्चा की जा सकती थी।
  3. लोग आश्रय स्थल के निर्माण के लिए उपलब्ध औजारों में सुधार कर सकते थे तथा उनका उपयोग कर सकते थे।
  4. वे आश्रय-स्थल बनाने के लिए उपयुक्त सामग्री की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  5. वे आश्रय स्थल बनाने के तरीकों तथा तकनीकों के बारे में परस्पर चर्चा कर सकते थे।
  6. वे आश्रय स्थल को अधिकाधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श कर सकते थे।

(ग) विचार – सम्प्रेषण के अन्य तरीके- विचार – सम्प्रेषण के लिए चित्रकारी तथा संकेतों का प्रयोग भी किया जाता था। फ्रांस के लैसकाक्स और शोवे की गुफाओं में और स्पेन में स्थित आल्टामीरा की गुफाओं में जानवरों की अनेक चित्रकारियाँ पाई गई हैं। इनमें जंगली बैलों, घोड़ों- हिरनों, गैंडों, शेरों, भालुओं, तेन्दुओं, लकड़बग्घों और उल्लुओं के चित्र सम्मिलित हैं। इन चित्रों के माध्यम से मनुष्य ने अपने साथियों तथा आगे आने वाली पीढ़ियों को शिकार के तरीकों एवं तकनीकों का सन्देश दिया होगा।

प्रश्न 6.
अध्याय के अन्त में दिए गए प्रत्येक कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइए कि इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कालानुक्रम-1 में से दो घटनाओं का विवरण –
1. होमिनाइड और होमिनिड की शाखाओं में विभाजन (64 लाख वर्ष पूर्व ) – लगभग 64 लाख वर्ष पूर्व होमिनिड वर्ग का होमिनाइड उपसमूह से विकास हुआ। होमिनाइडों का मस्तिष्क होमिनिडों की अपेक्षा छोटा होता था। संजीव पास बुक्स होमिनाइड चार पैरों के बल चलते थे, परन्तु उनके शरीर का अगला हिस्सा और अगले दोनों पैर लचकदार होते थे। परन्तु होमिनिड सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे। उनके हाथ विशेष प्रकार के होते थे जिनकी सहायता से वे औजार बना सकते थे तथा उनका प्रयोग कर सकते थे।

2. आस्ट्रेलोपिथिकस (56 लाख वर्ष पूर्व ) – ‘आस्ट्रेलोपिथिकस, होमिनिडों’ की शाखाओं में से एक होते हैं। इन शाखाओं को जीनस कहते हैं। होमिनिडों की दूसरी प्रमुख शाखा ‘होमो’ कहलाती है। आस्ट्रेलोपिथिकस का समय 56 लाख वर्ष पहले का माना जाता है। ‘आस्ट्रेलोपिथिकस’ दो शब्दों के मेल से बना है – लैटिन शब्द ‘आस्ट्रल’ अर्थात् ‘दक्षिणी’ तथा यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिकस’ अर्थात् वानर। यह नाम इसलिए दिया गया कि मानव के प्राचीन रूप में उसकी वानर अवस्था के अनेक लक्षण पाये जाते थे।

ये लक्षण निम्नलिखित थे –

  1. होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था।
  2. उनके पिछले दाँत बड़े थे।
  3. उनके हाथों की दक्षता सीमित थी।
  4. उनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी क्योंकि वे अभी भी अपना अधिकतर समय पेड़ों पर बिताते थे।

इसलिए उनमें पेड़ों पर जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यक अनेक विशेषताएँ अब भी विद्यमान थीं जैसे आगे के अंगों का लम्बा होना, हाथ और पैरों की हड्डियों का मुड़ा होना तथा टखने के जोड़ों का घुमावदार होना।

कालानुक्रम-2 में से दो घटनाओं का विवरण –
(1) आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव – आधुनिक मानव (होमो सैपियन्स) एक चिन्तनशील और बुद्धिमान प्राणी माना जाता है। (होमो सैपियन्स के अस्तित्व के बारे में प्राचीनतम साक्ष्य हमें अफ्रीका के भिन्न-भिन्न भागों से मिले हैं। विद्वानों के अनुसार आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव 1,95,000 से 1,60,000 वर्ष पूर्व हुआ था। इसके प्राचीनतम जीवाश्म इथियोपिया के ओमोकिबिश नामक स्थान से मिले हैं। आधुनिक मानव के मस्तिष्क का आकार बड़ा था। वह दो पैरों के बल सीधा खड़ा हो सकता था तथा सीधा चलता था। अपने हाथों की दक्षता के कारण वह औजार बना सकता था तथा उनका प्रयोग कर सकता था।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

(2) स्वर – तन्त्र का विकास – जीवित प्राणियों में मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है, जिसकी अपनी भाषा है। उच्चरित भाषा से पहले गाने या गुनगुनाने जैसे मौखिक या अ-शाब्दिक संचार का प्रयोग होता था। होमो हैबिलिस के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ थीं, जिनके कारण उसके लिए बोलना सम्भव हुआ होगा । इस प्रकार सम्भवतः भाषा का विकास सबसे पहले 20 लाख वर्ष पूर्व शुरू हुआ। मस्तिष्क में हुए परिवर्तनों के अलावा स्वर-तंत्र का विकास भी उतना ही महत्त्वपूर्ण था। स्वर-तन्त्र का विकास लगभग 2,00,000 वर्ष पूर्व हुआ था। इसका सम्बन्ध विशेष रूप से आधुनिक मानव से रहा है।

समय की शुरुआत से JAC Class 11 History Notes

पाठ- सार

1. मानव का प्रादुर्भाव – विद्वानों के अनुसार 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर मानव का प्रादुर्भाव हुआ। आधुनिक मानव का जन्म 1,60,000 वर्ष पहले हुआ था।

2. मानव का विकास – मानव का विकास क्रमिक रूप से हुआ इस बात का साक्ष्य हमें मानव की उन प्रजातियों के जीवाश्मों से मिलता है जो अब लुप्त हो चुकी हैं। 24 नवम्बर, 1859 को चार्ल्स डार्विन की पुस्तक ‘ऑन दि ओरिजन ऑफ स्पीशीज’ प्रकाशित हुई जिसमें डार्विन ने बताया कि मानव का विकास बहुत समय पहले जानवरों से हुआ।

3. आधुनिक मानव के पूर्वज – लगभग 56 लाख वर्ष पहले होमिनिड प्राणियों का प्रादुर्भाव हुआ। इनका उद्भव अफ्रीका में हुआ था । होमिनिड समूह के प्राणियों की विशेषताएँ हैं –
(1) मस्तिष्क का बड़ा आका
(2) पैरों के बल सीधे खड़े होने की क्षमता
(3) दो पैरों के बल चलना
(4) हाथ की विशेष क्षमता जिससे वह औजार बना सकता था। होमिनिडों को कई शाखाओं (जीनस) में बाँटा जा सकता है। इनमें आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो के बीच मुख्य अन्तर उनके मस्तिष्क के आकार, जबड़े और दाँतों के सम्बन्ध में पाये जाते हैं।

4. आस्ट्रेलोपिथिकस – आस्ट्रेलोपिथिकस नाम लैटिन भाषा के शब्द ‘आस्ट्रल’ अर्थात् दक्षिणी तथा यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिकस’ अर्थात् ‘वानर’ से मिलकर बना है। होमो की अपेक्षा आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिष्क छोटा होता था, पिछले दाँत बड़े होते थे तथा उसमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं होती थी।

5. आदिकालीन मानव के अवशेषों को भिन्न-भिन्न प्रजातियों में वर्गीकृत करना – आदिकालीन मानव के अवशेषों को भिन्न-भिन्न प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है। इन प्रजातियों को प्रायः उनकी हड्डियों की रचना में पाए जाने वाले अन्तर के आधार पर एक-दूसरे से अलग किया गया है। उदाहरणार्थ, प्रारम्भिक मानवों की प्रजातियों को उनकी खोपड़ी के आकार और जबड़े की विशिष्टता के आधार पर विभाजित किया गया है।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

6. होमो – लगभग 25 लाख वर्ष पहले, ध्रुवीय हिमाच्छादन से जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में भारी परिवर्तन आए । जंगल कम हो गए तथा जंगलों में रहने के अभ्यस्त आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारम्भिक रूप लुप्त होते गए तथा उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियों का उद्भव हुआ जिनमें होमो के सबसे पुराने प्रतिनिधि सम्मिलित थे।

7. होमो की प्रजातियाँ – होमो लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है- ‘आदमी’। वैज्ञानिकों ने होमो को होमो हैबिलिस (औजार बनाने वाले), होमो एरेक्टस (सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले) और होमो सैपियन्स (प्राज्ञ या चिन्तनशील मनुष्य) नामक विभिन्न प्रजातियों में बाँटा है। होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो और तंजानिया में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

होमो एरेक्टस के जीवाश्म अफ्रीका तथा एशिया दोनों महाद्वीपों में पाए गए हैं। एशिया में पाए गए जीवाश्म अफ्रीकी जीवाश्मों की तुलना में परवर्ती काल के हैं। संभवतः ही मीनिड पूर्वी अफ्रीका से चलकर दक्षिणी और उत्तरी अमरीका, दक्षिणी एशिया और शायद यूरोप में गए होंगे। यूरोप में मिले सबसे पुराने जीवाश्म होमो सैपियन्स प्रजाति के होमो हाइडलबर्गेसिस तथा होमोनिअंडरथलैसिस हैं।

8. विश्व में मानव प्रजातियों का निवास –

  • आस्ट्रेलोपिथिकस, प्रारम्भिक होमो तथा होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजातियाँ अफ्रीका में सहारा के आसपास के प्रदेश में 50 लाख से 10 लाख वर्ष पूर्व तक निवास करती थीं।
  • होमो एरेक्टस, आद्य होमो सैपियन्स, निअंडरथल मानव, होमो सैपियन्स आधुनिक मानव अफ्रीका, एशिया और यूरोप के मध्य – अक्षांश क्षेत्र में 10 लाख से 40 हजार वर्ष पूर्व निवास करते थे।
  • आधुनिक मानव आस्ट्रेलिया में 45,000 वर्ष पूर्व तक निवास करता था।
  • बाद वाले निअंडरथल, आधुनिक मानव नामक प्रजातियाँ उच्च अक्षांश पर यूरोप तथा एशिया-प्रशान्त द्वीप – समूह तथा उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी रेगिस्तान और वर्षा वन में 40,000 वर्ष से अब तक निवास करती हैं।

9. आधुनिक मानव का उद्भव – क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के अनुसार अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है। प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार मनुष्य का उद्भव एक ही स्थान – अफ्रीका में हुआ था।

10. आधुनिक मानवों के प्राचीनतम जीवाश्म-

1. कहाँ कब (वर्षों पहले)
2. इथियोपिया
ओमोकिबिश
1,95,000-1,60,000
3. दक्षिणी अफ्रीका
बार्डर गुफा
दी केल्डर्स
क्लासीज नदी का मुहाना
1,20,000-50,000
4. मोरक्को
दर एस सुल्तान
70,000-50,000
5. इजराइल
कफजेह स्खुल
100,000-80,000
6. आस्ट्रेलिया
मुंगो लेक (मुंगो झील)
45,000-35,000
7. बोर्नियो
नियाह गुफा
40,000
8. फ्रांस
क्रोमैगनन
लेस आइजीस के पास
35,000

11. आदिकालीन मानव का भोजन – आदिकालीन मानव कई तरीकों से अपना भोजन जुटाते थे जैसे संग्रहण, शिकार, मछली पकड़ना, अपमार्जन द्वारा अपने आप मरे या अन्य हिंसक जानवरों द्वारा मार दिये गए जानवरों की लाशों से मांस – मज्जा खुरचना।

12. आदिकालीन मानव का निवास स्थान- एक ही क्षेत्र में होमिनिड अन्य प्राइमेटों तथा मांसाहारियों के साथ निवास करते थे। पुरातत्त्वविदों का मत है कि पूर्व होमिनिड्स भी होमो हैबिलिस की भाँति जहाँ कहीं भी भोजन मिलता था, वहीं खा लेते थे। वे विभिन्न स्थानों पर सोते थे तथा अपना अधिकांश समय वृक्षों पर बिताते थे। 4,00,000 से 1,25,000 वर्ष पहले गुफाओं तथा खुले निवास-क्षेत्रों का प्रयोग किया जाता था। दक्षिणी फ्रांस कलेजले गुफा में 12×4 मीटर आकार का एक आश्रय स्थल मिला है। इसके अन्दर दो चूल्हों तथा विभिन्न भोजन-स्रोतों के प्रमाण मिले हैं।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 1 समय की शुरुआत से

13. आदिकालीन मानव के औजार- आदिकालीन मानव द्वारा पत्थर के औजार बनाने तथा उनका प्रयोग किये जाने के प्रमाण इथियोपिया और केन्या के पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं। आस्ट्रेलोपिथिकस ने सम्भवतया सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए थे। फेंककर मारने वाले भाले तथा तीर-कमान जैसे औजार बनाये जाने लगे। सिले हुए कपड़ों का सबसे पहला प्रमाण लगभग 21,000 वर्ष पुराना है। छेनी तथा रुखानी जैसे छोटे-छोटे औजार भी बनाये जाने लगे। इन नुकीले ब्लेडों से हड्डी, सींग, हाथीदाँत या लकड़ी पर नक्काशी करना या कुरेदना अब सम्भव हो गया।

14. भाषा और कला – जीवित प्राणियों में केवल मनुष्य ही भाषा का प्रयोग करता है। होमो हैबिलिस के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ थीं जिनके कारण उसके लिए बोलना सम्भव हुआ होगा। पहला विचार यह है कि, सम्भवतया भाषा का विकास सर्वप्रथम 20 लाख वर्ष पूर्व शुरू हुआ होगा। दूसरा विचार यह है कि, स्वर तंत्र का विकास 2 लाख वर्ष पहले हुआ था। तीसरा विचार यह है कि भाषा, कला के साथ-साथ लगभग 40,000-35000 साल पहले विकसित हुई।

15. उपसंहार – 10,000 से 4,500 वर्ष पहले तक लोगों ने कुछ जंगली पौधों का अपने उपयोग के लिए उगाना और जानवरों को पालतू बनाना सीख लिया। इसके परिणामस्वरूप खेती और पशु चारण कार्य उनकी जीवन-पद्धति का हिस्सा बन गया। अब लोगों ने गारे, कच्ची ईंटों तथा पत्थरों से स्थायी घर बना लिए। अब लोगों ने मिट्टी के बर्तन बनाना, नये प्रकार के औजारों का प्रयोग करना शुरू कर दिया।

16. काल-रेखा-1 (लाख वर्ष पूर्व)

1. 360-240 लाख वर्ष पूर्व नर-वानर (प्राइमेट); बन्दर एशिया और अफ्रीका में।
2. 240 लाख वर्ष पूर्व (अधिपरिवार) होमिनाइड; गिब्बन, एशियाई ओरांगउटान और अफ्रीकी वानर (गोरिल्ला, चिंपैंजी और बोनोबो ‘पिग्मी’ चिंपैंजी)।
3. 64 लाख वर्ष पूर्व होमिनाइड और होमिनिड की शाखाओं में विभाजन।
4. 56 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस।
5. 26-25 लाख वर्ष पूर्व पत्थर के सबसे पहले औजार।
6. 25-20 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका का ठण्डा और शुष्क होना, जिसके परिणामस्वरूप जंगलों में कमी और घास के मैदानों में वृद्धि हुई।
7 25-20 लाख वर्ष पूर्व होमो
8. 22 लाख वर्ष पूर्व होमो हैबिलिस
9. 18 लाख वर्ष पूर्व होमो एरेक्टस
10. 13 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस का विलुप्त होना
11. 8 लाख वर्ष पूर्व ‘आद्य’ सैपियन्स, होमोहाइडलबर्गेसिस
12. 1.9-1.6 लाख वर्ष पूर्व होमो सैपियन्स सैपियन्स (आधुनिक मानव)
काल-रेखा-2 (लाख वर्ष पूर्व)
1. दफनाने की प्रथा का सबसे पहला साक्ष्य 3,00,000
2. होमो एरेक्टस का लोप 2,00,000
3. स्वर-तन्त्र का विकास 2 ,00000
4. नर्मदा घाटी, भारत में आद्य होमो सैपियन्स की खोपड़ी 200,0O0-1 ,30,000
5. आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव 1,95,000-1 40,000
6. निअंडरथल मानव का प्रादुर्भाव 1,30,000
7. चूल्हों के प्रयोग के विषय में सबसे पहला साक्ष्य 1,25,000
8. निअंडरथल मानवों का लोप 35,000
9. आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियों का सबसे पहला प्रमाण 27,000
10. सिलाई वाली सुई का आविष्कार 21,000

Leave a Comment