Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Important Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जनन किसे कहते हैं? जनन के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, जनन कहलाता है।
जनन दो प्रकार के होते हैं-
प्रश्न 2.
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम हैं-
- नर जननांग-पुंकेसर।
- मादा जननांग-स्त्री केसर।
प्रश्न 3.
परागकण का निषेचन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
परागकण नरयुग्मक का निर्माण करते हैं। परागकण परागनलिका के द्वारा अण्डाशय तक पहुँचता है और अण्ड से संयुक्त होकर युग्मनज बनाता है जिसके विभाजन से नए पौधे का जन्म होता है।
प्रश्न 4.
प्लेसेंटा के कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्लेसेंटा मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैव सम्बन्ध बनाये रखता है। इसी के द्वारा गर्भस्थ शिशु को माँ के द्वारा प्रचुर मात्रा में रक्त भेजा जाता है। इसके द्वारा भ्रूण पोषण और ऑक्सीजन माँ से प्राप्त करता है।
प्रश्न 5.
वर्धी प्रजनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह प्रजनन जिसमें पादप के शरीर का कोई भी वर्धी या कायिक भाग (पुष्प छोड़कर) पादप से पृथक् एक नये पौधे को जन्म जन्म देता है, उसे वर्धी या कायिक होकर एक प्रजनन कहते हैं।
प्रश्न 6.
कलम बाँधना क्या है?
उत्तर:
पौधों में वर्धी प्रजनन की वह विधि जिसमें विभिन्न पौधों के दो भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक नया पौधा प्राप्त होता है, कलम बाँधना कहलाता है।
प्रश्न 7.
मनुष्य में नर प्रजनन अंगों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर प्रजनन अंग निम्न प्रकार हैं-
- एक जोड़ी वृषण
- वृषण कोष
- शुक्रवाहिनियाँ
- शुक्राशय
- प्रोस्टेट ग्रन्थि
- मूत्र मार्ग
- शिश्न
प्रश्न 8.
‘अण्डज’ तथा ‘जरायुज’ जन्तुओं की जनन क्रिया में क्या अन्तर है? दोनों का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे में होता है, जबकि जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है।
- उदाहरण – अण्डज – पक्षी, सर्प, छिपकली, मेंढक आदि।
- जरायुज – मानव, बन्दर, गाय, हाथी, बाघ आदि।
प्रश्न 9.
बीज का निर्माण पुष्प के किस भाग में होता है?
उत्तर:
पुष्प के मादा जायांग के आधार में स्थित अण्डाशय (ovary) मैं।
प्रश्न 10.
किसी कोशिका से युग्मक (Gamete) कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
कोशिका के अर्द्ध-सूत्री विभाजन से।
प्रश्न 11.
तना तथा शाखाओं द्वारा कायिक जनन करने वाले पौधों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
गन्ना, गुलाब, चमेली आदि।
प्रश्न 12.
नर एवं मादा युग्मकों को सामान्यतः क्या कहते हैं?
उत्तर:
शुक्राणु (sperm) तथा अण्डाणु (ovum)।
प्रश्न 13.
पौधे के जनन अंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
पुष्प (flower)।
प्रश्न 14.
‘परागकण’ तथा ‘परागण’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
परागकण, पुष्प के नर जननांग के परागकोश में पायी जाने वाली सूक्ष्म रचनाएँ होती हैं, जबकि परागकोश से परागकणों के मादा जायांग के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होने की क्रिया को परागण कहते हैं।
प्रश्न 15.
मानव में निषेचन क्रिया किस अंग में होती है?
उत्तर:
अण्डवाहिनी (fallopian tube) में।
प्रश्न 16.
‘जनन’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों द्वारा अपने समान ही अन्य जीवधारियों के उत्पन्न करने की क्रिया को जनन कहते हैं।
प्रश्न 17.
‘युग्मनज’ कैसे बनता है?
उत्तर:
एक नर युग्मक अथवा शुक्राणु तथा एक मादा युग्मक अथवा अण्डाणु के संयोजन से युग्मनज बनता है।
प्रश्न 18.
मानव मादा जनन अंग कौन-कौन होते हैं?
उत्तर:
मानव मादा जनन अंग –
- एक जोड़ी अण्डाशय
- अण्डवाहिनी
- योनि
- गर्भाशय
- योनि द्वार
प्रश्न 19.
अण्डोत्सर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
मादा के वयस्क होने पर प्रत्येक 28 दिन में एक अण्डा उत्सर्जित होता है, यह क्रिया अण्डोत्सर्ग कहलाती है।
प्रश्न 20.
आन्तरिक निषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जन्तुओं में नए शुक्राणुओं को मादा के शरीर के अन्दर विसर्जित करता है और निषेचन की क्रिया शरीर के भीतर होती है। इस प्रकार का निषेचन आन्तरिक निषेचन कहलाता है।
प्रश्न 21.
पादप हार्मोन एथिलीन के दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
- फलों को पकाता है।
- फलों के प्राकृतिक स्वाद में परिवर्तन आ जाता है।
प्रश्न 22.
‘विखण्डन’ द्वारा जनन किस जीवधारी में होता है?
उत्तर:
अमीबा (amoeba) में।
प्रश्न 23.
‘मुकुलन’ का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीव के शरीर पर बल्ब के प्रकार की संरचना बनती है जिसे मुकुल (Bud) कहते हैं मातृ- कोशिका का केन्द्रक दो भागों में विभक्त हो जाता है तथा एक भाग मुकुल में आ जाता है। मुकुल के परिपक्व हो जाने पर वह मातृ- कोशिका से अलग हो जाता है तथा वृद्धि करता है। यीस्ट (Yeast) तथा हाइड्रा (Hydra) इसके उदाहरण हैं।
प्रश्न 24.
रोपण’ तथा ‘कलम लगाना’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जिस पौधे को उगाना है उसकी एक टहनी को किसी अन्य वृक्ष के ठूंठ पर लगा देने को रोपण (graft- ing) कहते हैं जबकि कलम लगाने (cutting) में पौधे की टहनी को मृदा में ही लगा दिया जाता है।
प्रश्न 25.
‘कलम’ तथा ‘स्कन्ध’ क्या है? ये कैसे मिलते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे की एक काटी गयी टहनी को ‘कलम’ कहते हैं तथा किसी वृक्ष की ढूँठ (पौधे में तने के नीचे जड़ का मिट्टी में दबा भाग ) को स्कन्ध कहते हैं। कलम किसी पौधे के तने अथवा शाख को काटकर प्राप्त होती है स्कन्ध, जड़ के ऊपर पौधे को काट देने से मिलता है।
प्रश्न 26.
ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन के मुख्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियंत्रित करता है तथा कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करता है।
साइटोकाइनिन प्रोटीन बनाने में सहायक होता है ये अंकुरण को प्रेरित करता है।
प्रश्न 27.
कलम और स्कन्ध क्या है?
उत्तर:
कलम – कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती हैं, जिस पर कलिकाओं से युक्त एक या दो गाँठें होती हैं। स्कन्ध-स्कन्ध तने वह भाग है जिसमें बहुशाखित और विस्तृत जड़ तन्त्र भूमि अन्दर हो।
प्रश्न 28.
विखण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह क्रिया विखण्डन कहलाती हैं।
प्रश्न 29.
खण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जीवों में प्रौढ़ जन्तु दो या अधिक भागों में खण्डित हो जाता है। प्रत्येक खण्ड वृद्धि कर प्रौढ़ तन्तु बना लेता है, खण्डन कहलाता है। चपटी कृमि में खण्डन क्रिया होती है।
प्रश्न 30.
किसी कोशिका के किस प्रकार के विभाजन से युग्मक उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन से।
प्रश्न 31.
जरायुज (viviparous) तथा अण्डज (oviparous) जन्तुओं के भ्रूण की विकास- क्रियाओं में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है। अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा-जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे (egg) – के खोल के भीतर होता है।
प्रश्न 32.
‘नाभिरज्जु’ (Umbilical cord) का क्या कार्य है?
उत्तर:
नाभिरज्जु, माता के शरीर से पोषक तत्त्वों को, अपरा से होकर से होकर भ्रूण तक पहुँचाती है।
प्रश्न 33.
अलैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा जीवों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा गुणित होता है, अलैंगिक जनन कहलाता है।
प्रश्न 34.
लैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा दोनों प्रकार के जीवों की आवश्यकता होती है, उनके संकरण से उन्हीं के समान नये जीवों की उत्पत्ति होती है। लैंगिक जनन कहलाता है।
प्रश्न 35.
स्पीशीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही प्रकार के सम्बन्धित पौधे या जन्तुओं के समूह जो आपस में संकरण कर नये जीव बना सकते हैं, स्पीशीज कहलाते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पौधों में अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर बताइए।
अथवा
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन में केवल एक जीव भाग लेता है जो स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा नये जीव उत्पन्न करता है-उदाहरणत: अमीबा का विखण्डन, यीस्ट का मुकुलन तथा कायिक- जनन की विभिन्न विधियों द्वारा पौधों का जनन।
इसके विपरीत लैंगिक जनन में नर एवं मादा, दो जीव अथवा एक ही जीव के दो प्रकार के जनन अंग (पुष्पी पौधों में भाग लेते हैं। इस क्रिया में नर एवं मादा भिन्न प्रकार की युग्मक (gamete) कोशिकाएँ बनाते हैं जो अर्द्धसूत्री विभाजन से बनती हैं। युग्मकों के संयोग से युग्मनज (zygote) कोशिका बनती हैं, जो विकसित होकर नया जीवधारी बनाती है।
प्रश्न 2.
‘कायिक जनन’ क्या होता है? इसकी प्रमुख विधियाँ बताइए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों में इस विधि से क्या लाभ है?
अथवा
पौधों में कायिक जनन की दो विधियों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों के विभिन्न भागों से होने वाले कायिक जनन का उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? इसके महत्त्व का उल्लेख कीजिए। इसके लाभ तथा हानि को भी बताइए।
अथवा
उत्तर:
कायिक जनन (Vegetation Reproduction) – पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की विधि को कायिक जनन कहते हैं। इस विधि का प्रयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों यथा उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में किया जाता है।
कायिक जनन की विधियाँ (Methods of Veg- etative Reproduction ) – कायिक जनन को पौधे के किसी विशेष अंगों का प्रयोग करके उपयोग में लाया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-
(i) पत्तियों द्वारा (By Leafs) – ब्रायोफिलम जैसे कुछ पौधों की पत्तियों के किनारे पर बहुत सी कलिकाएँ निकलती हैं। अनुकूल दशाओं में कलिकाएँ वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधे बन जाती हैं।
(ii) कलम लगाना (Cutting) – इस विधि में पौधे की कलम को नम मिट्टी में लगाते हैं तो इससे जड़ें निकलती हैं और बाद में वृद्धि करके नया पौधा बन जाता है। इस विधि का उपयोग, गुलाब, गन्ना, बोगेनविलिया तथा अनन्नास उगाने में किया जाता है।
(iii) दाब लगाना (Layering) – इस विधि में पौधे की किसी शाखा को झुकाकर नम मिट्टी में दबा दिया जाता है। कुछ समय बाद इससे जड़ें निकल आती हैं और इसके बाद नया पौधा बन जाता है नयी पौध को इसके पैतृक पौधे से काटकर अलग कर लिया जाता है। नयी पौध वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बन जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा चमेली के पौधे को प्राप्त किया जाता है।
(iv) जड़ों का उपयोग करके (Use of Root) – कुछ पौधों की जड़ों पर रेशेदार कलिकाएँ होती हैं जब इन्हें नम मिट्टी में बोया जाता है; तो नये पौधे उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-शकरकन्दी, पोदीना, अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।
(v) रोपण (Grafting ) – इस प्रक्रिया में हम ऐच्छिक पौधे की टहनी (कलम) को वृक्ष के ठूंठ (स्कन्ध) पर लगा देते हैं। स्कन्ध पौधे का वह भाग होता है जिसके तने पर मिट्टी के नीचे पूरा मूल तंत्र होता है कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती है। दोनों भागों को बाँध दिया जाता है इस प्रक्रिया के कारण कलम तथा स्कन्ध एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। स्कन्ध कलम को पोषण प्रदान करता है। इस विधि को अपनाने से हम ऐच्छिक गुणों वाले पौधे तथा फल प्राप्त कर सकते हैं।
आम की विविध किस्में रोपण विधि द्वारा उगायी जाती हैं। कायिक जनन के लाभ व हानि-कायिक जनन द्वारा तैयार पौधों में बीज से उगाये जाने वाले पौधों की अपेक्षा फूल तथा फल जल्दी उगते हैं। कायिक जनन से प्राप्त पौधे पैतृक पौधे के समान होते हैं। इनमें वातावरण के अनुकूल होने की क्षमता कम होती है।
प्रश्न 3.
अलैंगिक जनन की ‘विखण्डन’ तथा ‘खण्डन’ विधियों का अन्तर उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्तर-विखण्डन-जब पूर्ण विकसित एककोशिकीय जीव समसूत्री विभाजन द्वारा, दो पूर्ण जीव बनाता है तो इसे ‘विखण्डन’ (fission) कहते हैं। उदाहरणतः अमीबा का विखण्डन द्वारा जनन।
खण्डन-स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद दो या दो से अधिक खण्डों में टूट जाते हैं। वे खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। इसे खण्डन कहते हैं।
प्रश्न 4.
‘कायिक जनन’ की ऊतक संवर्धन विधि क्या है?
उत्तर:
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) – इस विधि में पौधे से ऊतक के छोटे से भाग को काटकर या कोशिका लेकर इसे उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम (nutrient medium) में रखते हैं। इस तरह उससे एक अनियमित ऊतक वृद्धि बन जाती है जिसे कैलस (callus ) कहते हैं। कैलस का उपयोग पुनः गुणन में करते हैं अथवा उसका छोटा-सा भाग किसी अन्य पोषक माध्यम में रखते हैं जो उसमें विभेदन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा देते हैं और उसको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है। ऊतक संवर्धन से आजकल आखिंड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं।
प्रश्न 5.
‘निषेचन’ से क्या तात्पर्य है? पौधों में निषेचन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
निषेचन (Fertilisation)- नर एवं मादा युग्मक (शुक्राणु एवं अण्डाणु) के मिलने की क्रिया को निषेचन कहते हैं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में एक ही जन्तु द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों में मिलन होता है। इस क्रिया को आत्म या स्वनिषेचन (self-fertilization) कहते हैं जैसे फीताकृमि में। जब एक ही जाति के दो भिन्न-भिन्न जन्तुओं द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों के बीच परस्पर मिलन होता है तो इसे परनिषेचन (cross-fertilization ) कहते हैं। समस्त एकलिंगी एवं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में परनिषेचन होता है।
पौधों का जनन अंग पुष्प होता है। पौधों में पुंकेसर नर तथा जायांग मादा जनन अंग हैं। पुंकेसर के अग्रभाग पर परागकोश होते हैं। परगकोश में परागकण होते हैं। परागकण छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं। ये नर युग्मक बनाते हैं। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर पहुँचते-पहुँचते पतला हो जाता है। जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका कहते हैं।
वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वतिकाग्र कहा जाता है। वहाँ पानी तथा कीटों द्वारा परागकण जायांग के वर्तिका पर पहुँच जाते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली से होता हुआ बीजाणु तक युग्मनज बनाता है। ऐसे संलयन को निषेचन कहते हैं। युग्मनज से नया पौधा तैयार हो जाता है।
प्रश्न 6.
किसी पुष्प का आरेख बनाकर ‘नर’ एवं ‘मादा’ जननांगों को नामांकित कीजिए। अथवा
पुष्प का नामांकित चित्र बनाइए और इसके विभिन्न चक्रों के कार्यों को लिखिए।
उत्तर:
- बाह्यदल – पुष्प के अन्य भागों की सुरक्षा करना।
- दल – परागण के लिए कीटों को आकर्षित करना।
- पुंकेसर-नर जननांग का कार्य करना।
- स्त्रीकेसर-मादा जननांग के रूप में कार्य करना।
प्रश्न 7.
‘द्विलिंगी जन्तु’ से क्या तात्पर्य हैं? इसका उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
द्विलिंगी जन्तु (Bisexual animals) – कुछ जन्तु जैसे- केंचुआ, जॉक आदि द्विलिंगी या उभयलिंगी (bisexual or hermaphrodite) होते हैं अर्थात् नर एवं मादा युग्मक एक ही जन्तु द्वारा उत्पन्न होते हैं फिर भी इन में परनिषेचन (cross-fertilisation) के लिए दो जन्तुओं का साथ-साथ होना आवश्यक है क्योंकि एक ही जन्तु के नर एवं मादा युग्मक अलग-अलग समय में परिपक्व (mature) होते हैं अर्थात् इनमें स्वनिषेचन (self-fertilisation) नहीं होता है।
प्रश्न 8.
स्वपरागण तथा परपरागण में तीन-तीन अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वपरागण तथा परपरागण में अन्तर
स्वपरागण |
परपरागण |
1. यह प्रक्रिया तब होती है जब नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर होते हैं। |
1. इस क्रिया में नर व मादा पुष्प एक या अलगअलग पौधे पर भी हो सकते हैं। |
2. नर और मादा भाग एक साथ परिपक्व होते हैं। |
2. पुष्प के नर व मादा जननांग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं। |
3. पुष्प प्रायः सुगन्धरहित, आकर्षक, छोटे तथा मकरन्दरहित होते हैं। |
3. पुष्प प्रायः (वायु परागित पुष्पों को छोड़कर) गन्धयुक्त आकर्षक, बड़े या छोटे मकरन्दयुक्त होते हैं। |
प्रश्न 9.
द्विनिषेचन एवं वर्धी प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
आवृत्तबीजियों में द्विनिषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्विनिषेचन-प्रथम निषेचन के फलस्वरूप बना युग्मनज पुनः नर-युग्मनज के साथ निषेचन करता है। इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन (Double-Fertilization) कहते हैं।
वर्धी प्रजनन या कायिक प्रजनन-कायिक या वर्धी जनन अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें पादप शरीर के किसी भी कायिक भाग (पुष्प को छोड़कर) से नये पौधों का विकास होता है।
प्रश्न 10.
यदि प्लेनेरिया अथवा हाइड्रा को कई दुकड़ों में काट दें तो इसका क्या परिणाम होगा? उस क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्लेनेरिया या हाइड्रा को कई टुकड़ों में काट देने पर प्रत्येक टुकड़ा नये जीव में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को विखण्डन कहते हैं।
प्रश्न 11.
लैंगिक जनन की जन्तुओं में सामान्य प्रक्रिया स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों ही जन्तु भाग लेते हैं। नर जन्त के जनन अंगों में विशेष प्रकार की कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) से नर युग्मक (male gamete) बनते हैं जिन्हें शुक्राणु (Sperm) कहते हैं। मादा जन्तु के जनन अंगों में इसी प्रकार मादा युग्मक (female gamete) बनते हैं, जिन्हें अण्डाणु (Ovum) कहते हैं।
नर एवं मादा जन्तुओं के बीच लैंगिक संगम की क्रिया में नर-युग्मक अर्थात् शुक्राणु का संयोग अण्डाणु से होता है, जिससे युग्मनज (Zygote) बनता है यह नये शिशु जीवधारी की प्रथम कोशिका होती है। इसकी वृद्धि एवं विभेदन की क्रिया से भ्रूण (embryo) का निर्माण होता है। जो बढ़कर गर्भ में विकसित होता है।
प्रश्न 12.
मानव में पुरुष जनन अंगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:
- वृषण (Testes) – नर युग्मक, शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
- शुक्रवाहिकाएँ (Vas deferens) – शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग (urethra) तक पहुँचाती है।
- शिश्न ( Penis) – शुक्राणुओं को स्त्री के योनिमार्ग (Vagina) में प्रवेश कराता है।
- प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) – शुक्राणुओं के पोषण हेतु विशेष प्रकार का तरल उत्पन्न करता है।
- शुक्राशय – शुक्राणुओं से युक्त तरल (वीर्य) को संचित करना है।
प्रश्न 13.
मानव में स्त्री जननांगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:
- अण्डाशय – इनमें मादा युग्मक (Ovum) बनते हैं।
- अण्डवाहिनी (Oviduets) अथवा फैलोपियन नलिकाएँ (Fallopian tubes) अण्डाशयों से निर्गत अण्डाणु को गर्भाशय तक ले जाने वाली नलिकाएँ हैं। निषेचन की क्रिया इन्हीं में होती है।
- गर्भाशय (Uterus) – निषेचित अण्डाणु अथवा युग्मनज (Zygote) अण्डवाहिनी में होकर इस थैली में पहुँचता है तथा इसकी दीवार से चिपककर क्रमश: वृद्धि से भ्रूण एवं शिशु में परिवर्तित होता है।
- योनि (Vagina) – गर्भाशय के मुख से बाहर की ओर जाने वाली पेशीय नलिका है। इसी से होकर शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश करते हैं।
- भग (Vulva) – योनि के बाहर की ओर खुलने वाले छिद्र को भग कहते हैं।
प्रश्न 14.
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? छोटे परिवार के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
परिवार नियोजन परिवार की जन्मदर इस प्रकार नियंत्रित हो कि परिवार सीमित रहे और बच्चों के जनम के बीच पर्याप्त समयान्तर रहे, परिवार नियोजन कहलाता है।
छोटे परिवार का महत्त्व –
- बच्चों का पोषण सही ढंग से होता है।
- बच्चों की शिक्षा में सुविधा होती है।
- पारिवारिक बजट सीमित होता है।
- जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण होता है।
प्रश्न 15.
एक मानव शुक्राणु का नामांकित चित्र बनाइए तथा उस कोशिका का उल्लेख कीजिए जिससे इसका निर्माण होता है।
उत्तर:
मानव के शुक्राणु की रचना मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण लैंगिक कोशिकाओं (Sex cell) या युग्मक कोशिकाओं द्वारा होता है ये कोशिकाएँ नर जननों में पायी जाती हैं जिन्हें वृषण (testes) कहते हैं।
प्रश्न 16.
नर तथा मादा युग्मक में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
नर तथा मादा युग्मक में निम्नलिखित अन्तर हैं-
नर युग्मक |
मादा युग्मक |
1. नर युग्मक शुक्राणु होता है जो छोटा किन्तु क्रियाशील होता है। |
1. मादा युग्मक अण्डाणु होता है जो बड़ा किन्तु सुस्त होता है। |
2. नर युग्मक का निर्माण वृषण में होता है। |
2. मादा युग्मक का निर्माण अण्डाशय के अन्दर होता है। |
3. नर युग्मक चलायमान होते हैं। |
3. मादा युग्मक स्थिर रहते हैं। |
4. नर युग्मक का निर्माण शुक्र जनन प्रक्रिया के द्वारा होता है। |
4. मादा युग्मक का निर्माण अण्डजनन प्रक्रिया के द्वारा होता है। |
5. पुरुषों में एक स्खलन में करीब $20-40$ करोड़ शुक्राणु होते हैं। |
5. स्त्रियों में माह में केवल एक बार मादा युग्मक उत्सर्जित होता है। |
प्रश्न 17.
विखण्डन द्वारा प्रजनन क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
विखण्डन द्वारा प्रजनन कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह विखण्डन कहलाता है। पहले नाभिक का और फिर साइटोप्लाज्म का विखण्डन होता है। एक कोशिका के विभाजन से एक बार में दो नई कोशिका का निर्माण द्विखण्डन कहलाती है।
अमीबा में द्विखण्डन की विधि से दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है।
कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर सिस्ट (रक्षक आवरण) बन जाती है। अन्दर की कोशिका कई बार विभाजित होकर अनेक पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करती है यह बहु-विखण्डन कहलाता है। म्यूकर इसी विधि द्वारा प्रजनन करते हैं।
प्रश्न 18.
निषेचन को नियन्त्रित करना कैसे सम्भव है? इससे होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर:
निषेचन को नियन्त्रित करना कृत्रिम रूप से सम्भव है, क्योंकि मादा युग्मक (अण्डाणु) निषेचन के लिए बहुत कम समय के लिए उपलब्ध होता है। विभिन्न यान्त्रिक, रासायनिक एवं शल्य चिकित्सा के तरीके उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से अण्डाणु और शुक्राणु के संयोग या गर्भावस्था में रुकावट डालने में सहायक है। शल्य चिकित्सा द्वारा पुरुषों में शुक्रवाहिनी को व स्त्रियों में फैलोपियन नली को काट दिया जाता है। रासायनिक गर्भ निरोधक दवाइयाँ एवं कण्डोम के उपयोग से भी निषेचन को नियन्त्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त माह की उस अवधि में मैथुन न करके जब स्त्री सर्वाधिक संवेदनशील होती है।
निषेचन को नियन्त्रित करने से लाभ –
- परिवार नियोजित हो सकेगा।
- जनसंख्या वृद्धि में नियन्त्रण सकेगा।
- परिवार कल्याण में सहायता मिलेगी।
प्रश्न 19.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे के एक भाग को काटकर उसे एक बर्तन में पोषक तत्त्वों से युक्त माध्यम में रख देते हैं। इस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिण्ड के रूप में होती हैं जिसे कैलस कहते हैं कैलस का थोड़ा सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिससे पादप में विभेदन प्रेरित होता है। इस पादप को गमले या मिट्टी में रोपित किया जाता है, जिससे वयस्क पौधे बनते हैं। सेवन्ती, सतावर, ऑर्किड आदि इसी विधि से उगाया जाता है।
प्रश्न 20.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर जननांग में वृषण (Testis) आ हैं, जो जोड़े में रहते हैं और मांसल थैले वृषणकोश (Scro-tum) के अन्दर स्थित होते हैं। दोनों वृषण से एक सँकरी नलिका निकलती है जो एक बड़ी नलिका मूत्रवाहिनी या यूरेथ्रा (Urethra) में खुलती है पुरुषों में यूरेथ्रा एक मांसल संरचना है इसे शिश्न (Penis) कहते हैं। शिश्न में बहुत अधिक रक्त की पूर्ति होती है। इसकी मांसपेशियाँ विशेष प्रकार की होती हैं।
शिश्न मूत्र और शुक्राणुओं दोनों को ही बाहर निकालने का कार्य करता है। वृषण में एक विशिष्ट संरचना पायी जाती है इसे शुक्राशय (Seminal Vesicle) कहते हैं। ये शुक्राणु के पोषण के लिए एक लसलसा तरल द्रव स्त्रावित करते हैं। शुक्राणु शिश्न द्वारा मादा जननांग में छोड़े जाते हैं। नर जनन तंत्र पुरुषों में 13-14 वर्ष की उम्र में क्रियाशील हो जाते हैं।
प्रश्न 21.
मनुष्य में मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए। अण्डाशय और अण्डवाहिनी का कार्य लिखिए।
उत्तर:
मादा जननतन्त्र में अण्डाशय (Ovary), अण्डवाहिनी (Oviduct), योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus) और योनिद्वार (Vulva) होते हैं। अण्डाशय (Ovaries) एक जोड़े में पाये जाते हैं और उदरगुहा (Ab- dominal cavity) में स्थित होते हैं। प्रत्येक अण्डाशय के निकट एक सँकरी नलिका के रूप में अण्डवाहिनी
शुरू होकर पतली और कुण्डलित फेलोपियन ट्यूब में बढ़ती है। दोनों ओर की अण्डवाहिनियाँ एक चौड़े नाल में खुलती हैं, इसे गर्भाशय कहते हैं। गर्भाशय एक अन्य सँकरे कक्ष में खुलता है जिसे योनि कहते हैं। यह एक संकर छिद्र योनिद्वार द्वारा बाहर खुलती हैं। उत्सर्जन नलिका (मूत्र वाहिनी) एक स्वतन्त्र छिद्र द्वारा बाहर खुलती है।
(i) अण्डाशय के कार्य दो अण्डाशय उदर गुहा के निचले भाग में स्थित होते हैं। इनमें अण्डाणु बनता है।
(ii) अण्डवाहिनी के कार्य- यह पतली, कुण्डलित पेशीय नली है जो गर्भाशय और अण्डाशय को जोड़ती है। यह अपनी कशाभिका क्रियाओं द्वारा अण्डाणुओं को गर्भाशय तक पहुँचाती है तथा निषेचन के
लिए स्थान प्रदान करती है।
प्रश्न 22.
सजीवों में प्रजनन को संक्षिप्त में समझाइये।
अथवा
अलैंगिक प्रजनन तथा लैंगिक प्रजनन को समझाइए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, प्रजनन कहलाता है। यह सजीवों का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है।
प्रजनन मुख्यतः दो विधियों से होती है- (i) अलैंगिक जनन, (ii) लैंगिक जनन।
(1) अलैंगिक जनन इस प्रकार के जनन में नर तथा मादा युग्मकों का निर्माण नहीं होता है। एक ही जीव समसूत्री विभाजन विधि से जनन करता है। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं और नये जीव को जन्म देते हैं। इसकी प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-
- विखण्डन
- मुकुलन
- बीजाणुओं द्वारा जनन,
- खण्डन
- कायिक प्रवर्धन
(2) लैंगिक जनन – इस प्रकार के जनन में नये जीव की उत्पत्ति नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयुग्मन से प्राप्त युग्मनज से होती है। नर युग्मक तथा मादा युग्मक क्रमशः वृषण तथा अण्डाशय में बनते हैं जो निषेचन की प्रक्रिया द्वारा मिलते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अमीबा में अलैंगिक जनन की विधियाँ लिखिए।
उत्तर:
अमीबा में जनन अमीबा में जनन द्विखण्डन विधि द्वारा होता है। इस विधि में अमीबा समसूत्री विभाजन द्वारा पहले केन्द्रक का तथा बाद में कोशिका द्रव्य विभाजित खण्ड विकसित होकर दो पुत्री अमीबा का निर्माण कर देता है जो बड़ी होकर मातृ अमीबा का रूप ले लेती हैं। चूँकि इसमें एक जीव बीच में से टूटकर दो भागों में बँट जाता है, अत: इसे द्विखण्डन कहते हैं।
प्रश्न 2.
कायिक प्रवर्धन के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
- इस विधि से बिना बीज वाले पौधे विकसित किये जा सकते हैं।
- इस विधि में इच्छित गुणों वाले पौधे एवं फलों को प्राप्त किया जा सकता है।
- इस विधि से उत्पन्न पौधों में जल्दी पुष्प खिलते हैं और फल भी जल्दी लगते हैं।
- यह विधि कुछ पौधों को उगाने की एक सुगम तथा जल्दी बढ़ाने में सहायक है।
प्रश्न 3.
बाह्य निषेचन तथा आन्तरिक निषेचन का क्या अर्थ है? स्वयं निषेचन तथा पर- निषेचन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बाह्य निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा शरीर के बाहर होती है तो इसे बाह्य निषेचन कहते हैं।
उदाहरण- मेढक में।
आन्तरिक निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा के शरीर के अन्दर होती है तो इसे आन्तरिक निषेचन कहते हैं। उदाहरण- गाय, मनुष्य में।
स्वयं निषेचन – जब किसी एकलिंगी जीव के नर युग्मक तथा मादा युग्मक का निषेचन होता है तो वह क्रिया स्वयं निषेचन कहलाती हैं। उदाहरण- केंचुआ।
पर-निषेचन – जब एक जीव (नर) का शुक्राणु (नर युग्मक) दूसरे जीव मादा के अण्डाणु (मादा युग्मक) को निषेचित करता है तो यह क्रिया पर निषेचन कहलाती है।
प्रश्न 4.
पुरुष में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इस अवस्था के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पुरुष में प्रजनन अंग 13-14 वर्ष की आयु में क्रियाशील होते हैं। इन अंगों से हार्मोन स्रावित होते हैं जिससे शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं। इस अवस्था के प्रमुख लक्षण हैं-
- जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
- मूँछ और दाढ़ी का निकलना।
- बगलों में तथा शिश्न व वृषणकोश के चारों ओर बाल उगना।
- शरीर सुडौल व ताकतवर हो जाता है।
प्रश्न 5.
स्त्रियों में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इसके प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
स्त्रियों में प्रजनन अंग 11-14 वर्ष की आयु में अपना कार्य करना प्रारम्भ करते हैं। इस अवस्था में लड़कियों में प्रमुख लैंगिक लक्षण निम्नलिखित हैं-
- वक्ष का विकसित होना।
- जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
- ऋतुस्राव प्रारम्भ होना।
- बगल में बाल निकलना।
प्रश्न 6.
उभयलिंगी जीवों में लैंगिक प्रजनन को समझाइये।
उत्तर:
कुछ ऐसे जीव होते हैं जिसमें नर एवं मादा ही जननांग पाये जाते हैं, इन्हें उभयलिंगी कहते हैं। इन जीवों में एक ही समय में एक ही जननांग क्रियाशील होता है अर्थात् ये द्विलिंगी होते हुए भी एकलिंगी जीवों जैसा व्यवहार करते हैं और नर एवं मादा युग्मक अलग- अलग समय में उत्पन्न करते हैं। अतः इसमें अपने आप प्रजनन नहीं होता बल्कि एक युग्मक नर एवं दूसरा मादा जीव से संयुक्त होता है और नये जीव की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 7.
परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसकी विधियों का विवरण दीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? परिवार नियोजन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन को परिभाषित कीजिए। नियोजित परिवार के लिए दो स्थायी विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिवार नियोजन (परिवार कल्याण) (Family Planning) – परिवार कल्याण (परिवार नियोजन) का मुख्य उद्देश्य जन्म दर को कम करना जब परिवार में सीमित 2-3 बच्चे होंगे तो कल्याणकारी योजनाओं को भली प्रकार बनाया जा सकता है। परिवार में बच्चों को पेटभर अच्छा भोजन, तन ढकने को वस्त्र, उचित शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल आसानी से की जा सकती है। इससे परिवार का कल्याण होगा। परिवार सीमित रखने के विभिन्न उपाय हैं। इसको दो विधियों में बाँटा गया है-
- अस्थायी विधियाँ
- स्थायी विधियाँ।
1. अस्थायी विधियाँ (Temporary Methods)
(क) आत्मसंयम (Self-control) – पुरुष का स्त्री के साथ केवल सुरक्षित काल में ही लैंगिक सम्पर्क हो। शेष दिनों में आत्मसंयम रखें।
(ख) लूप (Loop) – अस्पतालों में परिवार कल्याण विभाग द्वारा स्त्रियों को लूप लगाने की व्यवस्था है। इसके लगवाने के बाद गर्भधारण नहीं हो सकता।
(ग) निरोध (Condom ) निरोध का प्रयोग पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसके प्रयोग से गर्भधारण नहीं हो सकता।
(घ) स्त्रियों का सुरक्षित काल (Safe Period) – मासिक धर्म के एक सप्ताह पूर्व तथा एक सप्ताह बाद का समय सुरक्षित काल कहा जाता है। इस समय में गर्भधारण करने की सम्भावनाएँ कम रहती हैं। यह विधि विश्वसनीय नहीं है।
(ङ) रासायनिक ओषधियाँ (Pills) – अस्पताल से गर्भनिरोधक गोलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं जिससे गर्भ-धारण करने की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं।
(च) गर्भसमापन (Abortion ) अनावश्यक बच्चे के लिए अस्पताल जाकर लेडी डॉक्टर की सलाह से गर्भसमापन कराया जा सकता है। किसी अप्रशिक्षित अकुशल स्त्री द्वारा गर्भ समापन नहीं कराना चाहिए, इससे महिला के जीवन को खतरा हो सकता है।
2. स्थायी विधियाँ (Permanent Methods)
(क) पुरुष का ऑपरेशन (Vasectomy) – शुक्रनलिका का यह बहुत ही साधारण ऑपरेशन है। इसमें किसी प्रकार का भय नहीं है।
(ख) महिला का ऑपरेशन ( Tubectomy)- अण्डनलिका का यह ऑपरेशन साधारण होता है घाव पूरा होने की अवधि में सावधानी रखनी चाहिए।
प्रश्न 8.
पौधों में अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पादपों में अलैंगिक जनन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction):
इस प्रकार के जनन में दो लिंगों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार हैं-
(1) विखण्डन (Fission ) – जब जीव पूर्ण विकसित होता है तब यह दो भागों में विभाजित हो जाता है, इसे विखण्डन कहते हैं पहले केन्द्रक विभाजित होता है और फिर कोशिका द्रव्य विखण्डन से जब दो जीव बनते हैं तो उस प्रक्रिया को द्विखण्डन कहते हैं। इससे दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।
कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था (Cyst) कहते हैं। पुटी के अन्दर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएँ जाती हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत सी कोशिकाएँ को पुटी बन बाहर निकल जाती हैं।
(2) मुकुलन (Budding) – शरीर पर एक बल्ब की तरह की संरचना बनती है जिसे मुकुल (bud) कहते हैं। शरीर का केन्द्रक दो भागों में उनमें जीव से अलग होकर वृद्धि विभाजित हो है और से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है। मुकुल पैतृक करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। उदाहरणतः यीस्ट और हाइड्रा
(3) खण्डन (Fragmentation) – स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतः दो या अधिक खण्डों में टूट जाते हैं ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं।
(4) बीजाणुजनन (Sporogenesis ) – कुछ जीवाणु तथा निम्नवर्गीय जीव बीजाणु विधि द्वारा जनन प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा के लिए उसके करते हैं। बीजाणु कोशिका की विराम अवस्था है जिसमें चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है। अनुकूल परिस्थिति में मोटी भित्ति टूट जाती है और जीवाणु सामान्य विधि से जनन करता है और वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। इस विधि द्वारा जनन करने के कुछ उदाहरण हैं- म्यूकर, फर्न अथवा माँस।
(5) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)- पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि का उपयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों विशेषतः उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में प्रवर्धन अथवा एक सामान्य पोदीने की किया जाता है। पौधों में कायिक विधि है। उदाहरणतः अमरूद, शकरकन्द छोटी-छोटी जड़ों पर अपस्थानिक कलियाँ होती हैं। होती हैं। ये कलियाँ अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बना देती हैं।
अन्य पौधों में उनकी शाखाएँ कुछ दूरी तक उगती हैं और उसके बाद उनमें भूमि की ओर अपस्थानिक जड़ें और ऊपर की ओर पत्तियाँ निकलती हैं। आलू की शल्की कार्यों के कक्ष में कलियाँ होती हैं। इन कलियों से वायवीय प्ररोह विकसित हो जाते हैं। इसके अन्य उदाहरण हैं-अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।
पत्तियाँ (Leafs) – ब्रायोफिल्लम के पौधों में पत्तियों के किनारों पर स्थित खाँचों में अपस्थानिक कलिकाएँ होती हैं जो अनुकूल दशाओं में विकसित होकर पूरा पौधा बना देती हैं।
किसानों ने पौधों में कायिक प्रवर्धन विधि का उपयोग अपने आर्थिक लाभ के लिए किया है। इस विधि से वह उद्यानों तथा नर्सरी में नये-नये पौधे उगा सकता है। कायिक प्रवर्धन में रोपण, कलम, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन जैसी विधियाँ अपनायी जाती हैं।
प्रश्न 9.
पौधों में लैंगिक जनन के अंगों का विवरण देते हुए इसकी प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
पौधों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduc- tion in Plants) पुष्प पौधे का जनन अंग होता है। चित्र में फूल में जनन अंगों को दिखाया जाता है। इसमें पुंकेसर (Stamens) नर तथा जायांग (Gynoecium) मादा जनन अंग है। पुंकेसर के अग्र भाग पर परागकोश (Anthers) होते हैं। परागकोश में परागकण होते हैं। परागकण (Pollen grains) छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं जो नर युग्मक का कार्य करती है। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर जाते जाते पतला होता जाता है। निचले चौड़े आधार को अण्डाशय (Ovary) कहते हैं। इसमें अण्डाणु होते हैं। अण्डाणु में बीजाण्ड (Ovule) होते हैं जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका (Style) कहते हैं।
वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वर्तिकाग्र (stigma) कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकान पर पहुँच जाते हैं। परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (Pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है। यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (Zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है।
प्रश्न 10.
परपरागण किसे कहते हैं? पर परागण की विभिन्न विधियों का केवल नाम लिखिए। परागकण के अंकुरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर परागण – एक पुष्प के परागकण उसी प्रजाति के किसी अन्य पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचने की क्रिया पर परागण कहलाती है।
परपरागण की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
- कीट परागण
- वायु परागण
- जल परागण
- पक्षी परागण
- मनुष्य परागण
परागकण का अंकुरण – वर्तिकाग्र से सामान्यतः एक तरल पदार्थ स्त्रावित होता है जिसमें प्राय: शर्करा या मैलिक अम्ल जैसे रसायन होते हैं। तरल पदार्थों को अवशोषित करके परागकण फूलने लगता है। अन्त: चोल (intine) जनन छिद्रों (germ pore) से परागनलिका (pollen tube) के रूप में बाहर निकल आता है। परागनलिका में जनन केन्द्रक तथा वर्धी केन्द्रक आ जाते हैं।
प्रश्न 11.
पादप हॉर्मोन्स क्या हैं? किन्हीं तीन पादप हॉर्मोन्स के नाम एवं उनके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो पादप हॉर्मोन्स के नाम तथा इसके एक-एक कार्य बताइए।
अथवा
ऑक्सिन एवं जिब्रेलिन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन्स (Plant Harmones) – पौधों में तन्त्रिका तन्त्र नहीं होता है। अतः इनमें केवल रासायनिक समन्वय ही होता है। जन्तुओं की भाँति पौधों की कुछ विशिष्ट कोशिकाओं में एक विशेष प्रकार का रस या रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है जिन्हें हॉर्मोन (Hor- mones) कहते हैं। हॉर्मोन जटिल कार्बनिक यौगिक है। विभिन्न प्रकार के हॉर्मोन अलग-अलग जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। आवश्यकतानुसार हॉर्मोन शरीर में एक जगह से दूसरे जगह स्थानान्तरित होते रहते हैं। पादप हॉर्मोन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
1. ऑक्सिन (Auxin) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं जो वृद्धि नियंत्रक में भाग लेते हैं। ये पौधे के जड़ एवं तनों के शीर्ष पर उत्पन्न होते हैं तथा लम्बाई में बढ़ने वाले भाग की तरफ स्थानान्तरित होकर कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं। पौधों में आकृति एवं आकार के विकास पर भी इनका नियंत्रण होता है।
ऑक्सिन के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- इण्डोल ऐसीटिक एसिड (IAA)
- इण्डोल प्रोपियोनिक एसिड (IPA)
- इण्डोल ब्यूटारिक एसिड (IBA)
- नेपथेलीन ऐसीटिक एसिड (NAA)
- फिनाइल ऐसीटिक एसिड (PAA) आदि।
इनके निम्नलिखित कार्य है-
- ये कोशिका वृद्धि एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करते हैं।
- अंकुरित बीजों की जड़ों में ऑक्सिन वृद्धि दर को कम कर देते हैं।
- जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियन्त्रित करते हैं।
- ऑक्सिन पत्तियों का गिरना, फूलों का खिलना तथा फलों का बनना एवं पकना आदि को प्रभावित करते हैं।
- अनिषेचित पुष्पों पर IAA के छिड़काव से बीजरहित फल मिलते हैं।
- कुछ ऑक्सिन खरपतवार नाशक होते हैं अर्थात् गेहूँ, मक्का आदि के खेतों में उगे खरपतवार ऑक्सिन के छिड़काव से नष्ट हो जाते हैं।
2. जिब्रेलिन (Gibberelins) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं। इसमें कई हॉर्मोन आते हैं। ये तनों के शीर्ष, नई पत्तियों तथा बीजों में बनते हैं इस समूह का मुख्य हॉर्मोन, जिब्रेलिक एसिड है। इसके कार्य निम्नलिखित
- इसके प्रभाव से कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा पौधे लम्बे हो जाते हैं। इसके छिड़काव से बौने मटर एवं मक्के के पौधे लम्बे हो जाते हैं। यहाँ तक कि पौधे की दूनी, तिगुनी वृद्धि हो जाती है।
- ये काष्ठीय पौधों में कैम्बियम की सक्रियता को बढ़ाते हैं।
- इसके प्रभाव से पौधे कम समय में ही पुष्पित होने लगते हैं।
- इसका प्रयोग बीजरहित फलों उत्पादन होता है।
- इसके छिड़काव से फूलों एवं फलों का आकार बड़ा हो जाता है।
- यह बीजों की सुसुप्त ( निष्क्रिय) अवस्था को समाप्त करके उसे अंकुरित करता है।
- फूलों को खिलने में सहायता करता है।
3. काइनन्स (Kinins) – ये भी जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। इसका मुख्य उदाहरण काइनेटिन (kinetin) है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-
- ये कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं।
- ये प्रोटीन बनाने में सहायक होते हैं।
- इनके द्वारा पार्श्व कलिकाएँ अधिक वृद्धि करती हैं।
- ये बीजों के अंकुरण को प्रेरित करते हैं।
4. एब्सेसिक एसिड (Abscissic Acid) – इसे ABC हॉर्मोन कहते हैं। वैज्ञानिकों को अभी कुछ वर्षों पहले इसका पता चला है। इसका संश्लेषण पत्तियों तनों फलों एवं बीजों में होता है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं-
- इसके प्रभाव से तने की वृद्धि मन्द हो जाती है।
- यह पौधों की पत्तियों, फलों एवं फलों के गिरने का नियमन करता है।
- यह रन्ध्रों के छिद्रों का नियमन कर वाष्पोत्सर्जन क्रिया को कम कर देता है।
प्रश्न 12.
निषेचन किसे कहते हैं? द्विनिषेचन एवं निषेचनोपरान्त पुष्प में होने वाले परिवर्तनों को समझाइए।
उत्तर:
आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन के समय परागनली में उपस्थित दो नर युग्मकों में से एक नर युग्मक बीजाण्ड के साथ संलयित होता है तथा दूसरा युग्मक द्वितीयक केन्द्रक से संलयित होता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं।
परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है।
यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है। निषेचनोपरांत पुष्प में होने वाले परिवर्तन- निषेचन के बाद फूल के पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्यदल सूख जाता है पर अण्डाशय से लगा रहता है। अण्डाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है। इसमें स्थित कोशिकाएँ विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरम्भ हो जाता है।
बीज में एक पौधा अथवा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूलज), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र (Coty- ledons) होते हैं बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज कठोर होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थित में भी जीवित रह सकता है। अण्डाशय की दीवार या तो कडी हो जाती है और एक फली बन जाती है, जैसे खसखस में अथवा एक गूदेदार रसीला फल बन सकती है जैसे- आलूबुखारा अथवा टमाटर में निषेचन के बाद सारे अण्डाशय को फल कहते हैं।
प्रश्न 13.
निषेचन के बाद पुष्प में होने वाले परिवर्तनों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निषेचन के बाद पुष्य में होने वाले परिवर्तन
- बाह्यदलप्राय: मुरझाकर गिर जाते हैं, परन्तु टमाटर, बैंगन, रसभरी, मिर्च आदि फलों के साथ लगे रहते हैं।
- दल – मुरझाकर गिर जाते हैं।
- पुंकेसर झड़ जाते हैं।
- वर्तिकाग्र – मुरझा जाता है।
- वर्तिकामुरझा जाती है।
- अण्डाशय फल में बदल जाता है।
- बीजाण्ड – बीज में परिवर्तित हो जाता है।
- अण्डकोशिका – भ्रूण बनाती है।
- द्वितीय नर युग्मक परागनली में प्रवेश करने वाले दो शुक्राणुओं में से एक अण्डाणु से संलयित (fuse) होकर युग्मक (zygote) बनाता है। दूसरा शुक्राणु अन्य अण्डाणु (ovum) से मिलकर द्वितीयक युग्मज ( diploid zygote) बनाता है जिससे एक स्राव (secretion) उत्पन्न होता है। यह नाव प्रथम युग्मनज को आवरण के रूप में ढक लेता है, जिससे बीजाणु (oospore) बनता है।
- बीजाण्ड कवच बीजाण्ड बनता है।
- बीजाण्डवृन्त- बीजवृन्त बनाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-
1. शुक्राणु उत्पन्न होते हैं-
(a) शुक्राशय
(b) शिश्न में
(c) शुक्राणु नली में
(d) वृषण में
उत्तर:
(d) वृषण में
2. अण्डाणु उत्पन्न होते हैं-
(a) गर्भाशय में
(b) अण्डाशय में
(c) योनि मार्ग में
(d) डिम्बवाहिनी में
उत्तर:
(b) अण्डाशय में
3. केवल नर में पायी जाने वाली ग्रन्थि है-
(a) प्रोस्टेट
(b) जठर
(c) पेरिनियल
(d) पैन्क्रियास
उत्तर:
(a) प्रोस्टेट
4. मनुष्य का वृषण देहगुहा के बाहर होता है क्योंकि-
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे
(b) देहगुहा में स्थान की कमी है।
(c) मैथुन में सुगमता होती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे
5. नर जनन अंगों से सम्बन्धित ग्रन्थि है-
(a) एथिडिडाइमिस
(b) अधिवृक्क ग्रन्थि
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि
(d) अग्न्याशय
उत्तर:
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि
6. मानव मादा में निषेचन होता है-
(a) गर्भाशय में
(b) अंडाशय में
(c) योनि में
(d) फैलोपियन नलिका में
उत्तर:
(d) फैलोपियन नलिका में
7. निम्नलिखित में से किसमें मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) स्पाइरोगाइरा
(d) ब्रायोफिलम
उत्तर:
(b) यीस्ट
8. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण किसमें विद्यमान होते हैं?
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) राइबोसोम
(c) गॉल्जीकाय
(d) जीन
उत्तर:
(d) जीन
9. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण क्या प्रदर्शित करते हैं?
(a) केवल जनकों से समानताएँ
(b) केवल जनकों से विविधताएँ
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ
(d) न समानताएँ और न विविधताएँ
उत्तर:
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ
10. अमीबा, स्पाइरोगाइरा और यीस्ट में जनन की सामान्य विशेषता क्या होती है?
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(b) ये सभी एककोशिक हैं।
(c) ये केवल लैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(d) ये सभी बहुकोशिक हैं।
उत्तर:
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।
11. पुष्प में कितने भाग होते हैं?
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच
(d) छह
उत्तर:
(d) छह
12. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(d) मॉस में
13. खण्डन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(b) स्पाइरोगाइरा में
14. मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(c) यीस्ट में
15. हाइड्रा में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(b) मुकुलन द्वारा
16. म्यूकर में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(d) बीजाणुओं द्वारा
17. कायिक प्रवर्धन सम्भव है-
(a) जड़ द्वारा
(b) तना द्वारा
(c) पत्ती द्वारा
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा
उत्तर:
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा
18. द्विनिषेचन पाया जाता है-
(a) सभी जीवों में
(b) सभी पादपों में
(c) आवृत्तबीजी पौधों में
(d) केवल जलीय पौधों में
उत्तर:
(c) आवृत्तबीजी पौधों में
19. तने पर अपस्थानिक कलियाँ पायी जाती हैं-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) प्रायोफिल्लम मैं
(d) सभी में
उत्तर:
(b) आलू में
20. पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) ब्रायोफिल्लम में
(d) सभी में
उत्तर:
(c) ब्रायोफिल्लम में
21. अन्तरावस्था के दौरान केन्द्रक में किसका जाल होता है?
(a) हिस्टोन का
(b) क्रोमेटिन धागे का
(c) गुणसूत्रों का
(d) RNA का
उत्तर:
(b) क्रोमेटिन धागे का
22. ऐच्छिक किस्म का पौधा प्राप्त करने के लिएउपयुक्त विधि है-
(a) कलम
(b) रोपण
(c) दाब
(d) इनमें से कोई भी
उत्तर:
(b) रोपण
23. निषेचन के बाद फल में बदलता है-
(a) बाह्यदल
(b) पुंकेसर
(c) अण्डाशय
(d) बीजाण्डासन
उत्तर:
(c) अण्डाशय
24. परागनली नर युग्मक की संख्या होती है-
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो
25. मुकुलन द्वारा अलिंगी जनन निम्नलिखित में से किस जन्तु में होता है?
(a) मेढक
(b) अमीबा
(c) केंचुआ
(d) हाइडा
उत्तर:
(d) हाइडा
26. किस पादप हॉरमोन का उपयोग बिना निषेचन के बीजरहित फल के निर्माण में किया जाता है?
(a) जिबरेलिन
(b) एथिलीन
(c) साइटोकाइनिन
(d) ऑक्सिन
उत्तर:
(a) जिबरेलिन
27. अनिषेक फलन (बीजरहित फलन) को प्रोत्साहित करता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एथिलीन
(d) फ्लोरीजेन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन
28. परागकणों का परागकोश से वर्तिका तक स्थानान्तरण कहलाता है-
(a) परागण
(b) अण्डोत्सर्ग
(c) निषेचन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) परागण
29. निम्नलिखित में से कौन पादप हॉर्मोन है-
(a) फीरोमोन
(b) जिब्रेलिन
(c) हिपैरिन
(d) इंसुलिन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन
30. पतझड़ से सम्बन्धित हॉर्मोन्स होता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एब्सेसिक अम्ल
(d) एथिलीन
उत्तर:
(c) एब्सेसिक अम्ल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
- आलू में कायिक संचरण ……………….. द्वारा होता है।
- मानव मादा में अंडे का निषेचन ……………….. होता है।
- अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को ……………….. कहते हैं।
- मानव नर में शुक्राणु उत्पादन ……………….. अंग से होता है।
- मादा पुष्प का ……………….. भाग होता है।
- अलैंगिक जनन में ……………….. जीव निहित होते हैं।
उत्तर:
- स्तंभ
- फैलोपियन नालिका में
- अंडोत्सर्ग
- वृषण
- जायांग
- एक