JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. जाइरे बेसिन में किस प्रकार की जलवायु मिलती है?
(A) मानसूनी
(B) रूम सागरीय
(C) भूमध्य रेखीय
(D) ध्रुवीय।
उत्तर;
(C) भूमध्य रेखीय।

2. शीत ऋतु की वर्षा वाला खण्ड कौन-सा है?
(A) भूमध्य रेखीय
(B) रूमं सागरीय।
(C) मानसून
(D) टुण्ड्रा।
उत्तर:
(B) रूमं सागरीय।

3. यदि वाष्पीकरण वर्षा से कम हो तो जलवायु कैसी होती है ?
(A) शुष्क
(B) आर्द्र
(C) शीत
(D) उष्ण।
उत्तर:
(B) आर्द्र

4. वाष्पोत्सर्जन में कौन-सी क्रिया होती है?
(A) महासागरों से वाष्पीकरण
(B) पेड़-पौधों से वाष्पीकरण
(C) जल वाष्प का सघनन
(D) धूल-कणों पर जल वाष्प का जमना।
उत्तर:
(B) पेड़-पौधों से वाष्पीकरण।

5. H शब्द किस प्रकार के प्रदेशों की जलवायु प्रकट करता है?
(A) भूमध्य रेखीय
(B) भूमध्य सागरीय
(C) उच्च भूमियां
(D) मानसून
उत्तर:
(C) उच्च भूमियां।

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6. निम्नलिखित में से कौन-सा मौसम तथा जलवायु का तत्त्व नहीं है?
(A) तापमान
(B) आर्द्रता
(C) दृश्यता
(D) वृष्टि।
उत्तर:
(C) दृश्यता।

7. ऊष्ण ऋतु से पूर्णतः रहित ध्रुवीय जलवायु को कोपेन ने दर्शाया है:
(A) A अक्षर द्वारा
(C) D अक्षर द्वारा
(B) B अक्षर द्वारा
(D) E अक्षर द्वारा।
उत्तर:
(D) E अक्षर द्वारा।

8. निम्नलिखित में से कौन-से जलवायु प्रकार की प्रमुख विशेषताएं ऊंचा तापमान, ऊंची सापेक्षिक आर्द्रता, सारा वर्ष होने वाली अधिक वर्षा और कम वार्षिक तापान्तर है?
(A) विषुवतीय जलवायु
(B) सवाना जलवायु
(C) मानसून जलवायु
(D) चीन तुल्य जलवायु।
उत्तर:
(A) विषुवतीय जलवायु।

9. भूमध्य सागरीय जलवायु की विशेषता है:
(A) वर्ष भर वर्षा
(B) मुख्यतः शीत ऋतु में वर्षा
(C) मुख्यतः ग्रीष्म ऋतु में वर्षा
(D) 10 सेंटीमीटर से कम वार्षिक वर्षा।
उत्तर:
(B) मुख्यत: शीत ऋतु में वर्षा।

10. कौन-सी जलवायु में वार्षिक तापान्तर सर्वाधिक होता है?
(A) सवाना जलवायु
(B) उष्ण मरुस्थलीय जलवायु
(C) स्टेपी जलवायु
(D) उच्च पर्वतीय जलवायु।
उत्तर:
(B) उष्ण मरुस्थलीय जलवायु।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अमेज़न बेसिन में किस प्रकार की जलवायु मिलती है?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय जलवायु।

प्रश्न 2.
शीत ऋतु की वर्षा वाला खण्ड कौन-सा है?
उत्तर:
भूमध्यसागरीय।

प्रश्न 3.
A शब्द किस प्रकार की जलवायु का प्रतीक है?
उत्तर:
आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु।

प्रश्न 4.
दो उष्ण मरुस्थलों के नाम लिखो।
उत्तर:
सहारा तथा थार।

प्रश्न 5.
आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की सीमा कौन – सी समताप रेखा निर्धारित करती है?
उत्तर:
20°C समताप रेखा।

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प्रश्न 6.
उष्ण कटिबन्ध में कौन-सी तीन प्रकार की जलवायु मिलती है?
उत्तर:

  1. विषुवतीय रेखीय
  2. सवाना
  3. मानसूनी जलवायु।

प्रश्न 7.
शुष्क जलवायु के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
अर्ध-मरुस्थलीय, स्टेपी।

प्रश्न 8.
शुष्क मरुस्थल किन अक्षांशों के निकट मिलते हैं?
उत्तर:
कर्क रेखा तथा मकर रेखा।

प्रश्न 9.
भूमध्य सागरीय जलवायु खण्ड में शीत ऋतु की वर्षा का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
वायुदाब पेटियों का खिसकना।

प्रश्न 10.
टैगा जलवायु में कौन-से वन मिलते हैं?
उत्तर:
कोणधारी वन।

प्रश्न 11.
ध्रुवीय जलवायु में उष्णतम मास का तापमान कितना होता है?
उत्तर:
10°C से कम।

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प्रश्न 12.
टैगा जलवायु खण्ड में न्यूनतम ताप कहां मापा गया है?
उत्तर:
वर्खोयांस्क ( 50°C)।

प्रश्न 13.
भारत किस प्रकार की जलवायु वाला देश है?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जलवायु विज्ञान की परिभाषा दो।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान (Climatology ):
पृथ्वी के चारों ओर वायु का एक विस्तृत आवरण फैला हुआ है। इन वायुमण्डलीय अवस्थाओं ( तापमान, वायुदाब, पवनें, आर्द्रता) का अध्ययन करने वाले शास्त्र को जलवायु विज्ञान कहते हैं। इनमें केवल वायुमण्डलीय क्रियाओं का ही नहीं अपितु जलवायु के विभिन्न तत्त्वों एवं नियन्त्रणों का अध्ययन भी किया जाता है।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के जलवायविक वर्गीकरण के मुख्य आधारों के नाम लिखो।
उत्तर:
संसार की मुख्य जलवायु वर्गीकृत प्रकारों की पहचान इन तत्त्वों के आधार पर की जाती है

  1. तापमान (Temperature)
  2. वर्षा (Rainfall)
  3. वाष्पीकरण (Evaporation)
  4. वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration)
  5. जल सन्तुलन (Water Balance)।

प्रश्न 3.
तीन प्रसिद्ध जलवायविक वर्गीकरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
संसार में दो प्रसिद्ध भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए तथा इन्हीं के नाम पर प्रसिद्ध वर्गीकरण निम्नलिखित हैं

  1. थार्नवेट वर्गीकरण (Thornthwaite Classification)
  2. कोपेन वर्गीकरण (Koppen Classification)
  3. ट्रिवार्था का वर्गीकरण

प्रश्न 4.
वृष्टि की एक निश्चित मात्रा आर्द्र और शुष्क जलवायु विभाजक सीमा क्यों नहीं होती?
उत्तर:
केवल वर्षा की मात्रा के आधार पर ही आर्द्र और शुष्क जलवायु की सीमा निर्धारित नहीं होती है। औसत वार्षिक वर्षा के साथ-साथ वर्षा का मौसमी वितरण देखा जाता है। तापमान तथा वाष्पीकरण का प्रभाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये चारों कारक मिलकर किसी प्रदेश की शुष्क या आर्द्र जलवायु निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 5.
कोपेन के जलवायु वर्गीकरण में किस प्रकार के जलवायु आंकड़े प्रयोग किये जाते हैं?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. वर्षा
  3. वर्षा तथा तापमान का वनस्पति से सम्बन्ध।

प्रश्न 6.
किस प्रकार की जलवायु में वार्षिक तापान्तर कम-से-कम होता है?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय खण्ड में वार्षिक तापान्तर सबसे कम होता है। ये प्रायः 5° सैंटीग्रेड से कम होता है। इस खण्ड में वर्ष भर समान रूप से वर्षा होती है तथा मेघ छाये रहते हैं, उच्च तापमान मिलते हैं तथा दिन-रात सदा समान होते हैं परिणामस्वरूप वार्षिक तापान्तर कम होता है।

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प्रश्न 7.
ग्रीष्मकाल में 10° C समताप रेखा का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
टुण्ड्रा खण्ड में सबसे अधिक गर्म मास का तापमान 10° C से कम रहता है। ग्रीष्म ऋतु बहुत छोटी होती है तथा उपज काल भी बहुत छोटा होता है। यह समताप रेखा ध्रुवों की ओर वृक्षों की सीमा निर्धारित करती है। (limit of tree growth) 10° C से कम तापमान के कारण टुण्ड्रा खण्ड में वृक्ष नहीं होते।

प्रश्न 8.
पश्चिमी यूरोपीय जलवायु उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में केवल पतली समुद्र तटीय पट्टियों में ही क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में पश्चिमी यूरोपीय खण्ड एक तंग पट्टी के रूप में चिल्ली तथा कनाडा में मिलता है। निरन्तर ऊंचे रॉकीज तथा एण्डीज पर्वतों की रोक के कारण इस खण्ड का विस्तार सीमित है।

प्रश्न 9.
निम्न अक्षांशीय मरुस्थलीय जलवायु की तुलना स्टेपी जलवायु से करो।
उत्तर:

मरुस्थलीय जलवायु स्टेपी जलवायु
(1) मरुस्थलीय जलवायु 20 30 अक्षांशों के पश्चिमी भागों में मिलती है। (1) स्टेपी जलवायु 30 45 अक्षांशों में महाद्वीपों के अन्दरूनी भागों में पाई जाती है।
(2) इस जलवायु में औसत वार्षिक तापमान 38 रहता है। (2) इस जलवायु में औसत वार्षिक तापमान 20 रहता है।
(3) वार्षिक वर्षा 20 से० मी० से कम होती है। (3) औसत वार्षिक वर्षा 30 से० मी॰ से अधिक रहती है।
(4) प्राकृतिक वनस्पति का अभाव होता है। केवल कांटेदार झाड़ियां पाई जाती हैं। (4) यहां छोटी हरी घास मिलती है जिस पर पशु पालन होता है।


निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
कोपेन द्वारा जलवायु वर्गीकरण की पद्धति का वर्णन करो तथा प्रत्येक जलवायु प्रकार का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कोपेन की जलवायु वर्गीकरण की पद्धति ब्लादिमीर कोपेन द्वारा विकसित की गई जलवायु के वर्गीकरण की आनुभाविक पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया जाता है। कोपेन ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध की पहचान की। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया और इन मानों का उपयोग जलवायु के वर्गीकरण के लिए किया । वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आँकड़ों पर आधारित यह एक आनुभाविक पद्धति है।

उन्होंने जलवायु के समूहों एवं प्रकारों को पहचान करने के लिए बड़े तथा छोटे अक्षरों के प्रयोग का आरंभ किया। सन् 1918 में विकसित तथा समय के साथ संशोधित हुई कोपेन की यह पद्धति आज भी लोकप्रिय और प्रचलित है। कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान पर और एक घर्षण पर आधारित है बड़े अक्षरों का प्रयोग
बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायुओं को तथा B अक्षर शुष्क जलवायुओं को निरूपित करता है।

सारणी : कोपेन के अनुसार जलवायु समूह

समूह लक्षण
A. उष्णकटिबंधीय सभी महीनों का औसत तापमान 18° सेल्सियस से अधिक-आर्द्र जलवायु।
B. शुष्क जलवायु औसत वार्षिक वर्षा (से॰मी०) औसत वार्षिक तापमान (° सेल्सियस) के दुगुने से कम।
C. कोष्ण शीतोष्ण सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 3° सेल्सियस से अधिक किन्तु 18° सेल्सियस से कम मध्य अक्षांशीय जलवायु।
D. शीतल हिम-वन वर्ष के सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान. शून्य डिग्री तापमान से 3° नीचे।
E. शीत सभी महीनों का औसत तापमान 10° सेल्सियस से कम।
H. उच्चभूमि ऊँचाई के कारण सर्द।

छोटे अक्षरों का प्रयोग
जलवायु समूहों को तापक्रम एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है जिसको छोटे अक्षरों द्वारा अभिहित किया गया है। शुष्कता वाले मौसमों को छोटे अक्षरों f, m, w और s द्वारा इंगित किया गया है। इसमेंfशुष्क मौसम के न होने को, m मानसून जलवायु को, w शुष्क शीत ऋतु को और s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को इंगित करता है। छोटे अक्षर a, b, c तथा d तापमान की उग्रता वाले भाग को दर्शाते हैं। B समूह की जलवायुओं को उपविभाजित करते हुए स्टैपी अथवा अर्ध-शुष्क के लिए S तथा मरुस्थल के लिए W जैसे बड़े अक्षरों का प्रयोग किया गया है।

समूह प्रकार कुट अक्षर लक्षण
(A) उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु उष्णकटिबंधीय आर्द्र Af कोई शुष्क ऋतु नहीं।
उष्णकटिबंधीय मानसून Am मानसून, लघु शुष्क ॠतु
उष्पकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क Aw जाड़े की शुष्क ऋतु
(B) शुष्क जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय स्टैपी BSh निम्न अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क
उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल BWh निम्न अक्षांशीय शुष्क
मध्य अक्षांशीय स्टैपी BSk मध्य अक्षांशीय अर्ध शुष्क अथवा शुष्क
मध्य अक्षांशीय मरुस्थल BWk मध्य अक्षांशीय शुष्क
(C) कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय जलवायु) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय Cfa मध्य अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क अथवा शुष्क
भूमध्य सागरीय Csa शुष्क गर्म ग्रीष्म
समुद्री पश्चिमी तटीय Cfb एवं CFc कोई शुष्क ऋतु नहीं, कोष्ण तथा शीतल ग्रीष्म
(D) शीतल हिम-वन जलवायु आर्द्र महाद्वीपीय Df कोई शुष्क ऋतु नहीं, भीषण जाड़ा
उप-उत्तर ध्रुवीय DW जाड़ा शुष्क तथा अत्यंत भीषण
(E) शीत जलवायु टुंड्रा Et सही अर्थों में कोई ग्रीष्म नहीं
ध्रुवीय हिमटोपी Ef सदैव हिमाच्छादित हिम
(F) उच्चभूमि उच्च भूमि H हिमाच्छादित उच्च भूमियाँ

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 2.
जलवायु परिवर्तन से क्या अभिप्राय है? कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन
जिस प्रकार की जलवायु का अनुभव हम अब कर रहे हैं वह थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव के साथ विगत 10 हज़ार वर्षों से अनुभव की जा रही है। अपने प्रादुर्भाव से ही पृथ्वी ने जलवायु में अनेक परिवर्तन देखे हैं। भूगर्भिक अभिलेखों से हिमयुगों और अंतर – हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन की प्रक्रिया परिलक्षित होती है। भू-आकृतिक लक्षण, विशेषतः ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमनदियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न प्रदर्शित करते हैं। हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण उष्ण एवं शीत युगों के होने को उजागर करता है। वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय भी आर्द्र एवं शुष्क युगों की उपस्थिति का संकेत देते हैं । ऐतिहासिक अभिलेख भी जलवायु की अनिश्चितता का वर्णन करते हैं। ये सभी साक्ष्य इंगित करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है।

भारत में जलवायु
भारत में भी आर्द्र एवं शुष्क युग आते-जाते रहे हैं। पुरातत्व खोजें दर्शाती हैं कि ईसा से लगभग 8,000 वर्ष पूर्व राजस्थान मरुस्थल की जलवायु आर्द्र एवं शीतल थी। ईसा से 3,000 से 1,700 वर्ष पूर्व यहाँ वर्षा अधिक होती थी लगभग 2,000 से 1,700 वर्ष ईसा पूर्व यह क्षेत्र हड़प्पा संस्कृति का केन्द्र था। शुष्क दशाएँ तभी से गहन हुई हैं। लगभग 50 करोड़ से 30 करोड़ वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल के कूम्ब्रियन, आर्डोविसियन तथा सिल्युरिसन युगों में पृथ्वी गर्म थी। प्लीस्टोसीन युगांतर के दौरान हिमयुग और अंतर हिमयुग अवधियां रही हैं। अंतिम प्रमुख हिमयुग आज से 18,000 वर्ष पूर्व था। वर्तमान अंतर हिमयुग 10,000 वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था।

अभिनव पूर्व काल में जलवायु:
सभी कालों में जलवायु परिवर्तन होते रहे हैं। पिछली शताब्दी के 90 के दशक में चरम मौसमी घटनाएँ घटित हुई हैं। 1990 के दशक में शताब्दी का सबसे गर्म तापमान और विश्व में सबसे भयंकर बाढ़ों को दर्ज किया है। सहारा मरुस्थल के दक्षिण में स्थित साहेल प्रदेश में 1967 से 1977 के दौरान आया विनाशकारी सूखा ऐसा ही एक परिवर्तन था। 1930 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के वृहत मैदान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, जिसे ‘धूल का कटोरा’ कहा जाता है, भीषण सूखा पड़ा।

फसलों की उपज अथवा फसलों के विनाश, बाढ़ों तथा लोगों के प्रवास संबंधी ऐतिहासिक अभिलेख परिवर्तनशील जलवायु के प्रभावों के बारे में बताते हैं। यूरोप अनेकों बार उष्ण, आर्द्र, शीत एवं शुष्क युगों से गुज़रा है। इनमें से महत्त्वपूर्ण प्रसंग 10वीं और 11वीं शताब्दी की उष्ण एवं शुष्क दशाओं का है, जिनमें बाइकिंग कबीले ग्रीनलैंड में जा बसे थे। यूरोप ने सन् 1550 से सन् 1850 के दौरान लघु हिम युग का अनुभव किया है। 1885 से 1940 तक विश्व के तापमान में वृद्धि की प्रवृत्ति पाई गई है । 1940 के बाद तापमान में वृद्धि की दर है ।

जलवायु परिवर्तन के कारण: जलवायु परिवर्तन के अनेक कारण हैं। इन्हें खगोलीय और पार्थिव कारणों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. खगोलीय कारणों का सम्बन्ध सौर कलंकों की गतिविधियों से उत्पन्न सौर्थिक निर्गत ऊर्जा में परिवर्तन से है। सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं, जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं । कुछ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। सौर कलंकों की संख्या घटने से उष्ण एवं शुष्क दशाएँ उत्पन्न होती हैं यद्यपि ये खोजे आँकड़ों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं हैं।
  2. एक अन्य खगोलीय सिद्धांत ‘मिलैंकोविच दोलन’ है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के कक्षीय लक्षणों में बदलाव के चक्रों, पृथ्वी की डगमगाहट तथा पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाता है । ये सभी कारक सूर्य से प्राप्त होने वाले सूर्यातप में परिवर्तन ला देते हैं जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।
  3. ज्वालामुखी क्रिया जलवायु परिवर्तन का एक अन्य कारण है। ज्वालामुखी उद्भेदन वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऐरोसोल फेंक देता है। ये ऐरोसोल लंबे समय तक वायुमंडल में विद्यमान रहते हैं और पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाले सौर्यिक विकिरण को कम कर देते हैं । हाल ही में हुए पिनाटोबा तथा एल सियोल ज्वालामुखी उद्भेदनों के बाद पृथ्वी का औसत तापमान कुछ हद तक गिर गया था
  4. जलवायु पर पड़ने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मानवोद्भवी कारण वायुमंडल में ग्रीन हाऊस गैसों का बढ़ता सांद्रण है। इससे भूमंडलीय तापन हो सकता है।

भूमंडलीय तापन
ग्रीन हाऊस गैसों की उपस्थिति के कारण वायुमंडल एक हरित गृह की भांति व्यवहार करता है। वायुमंडल प्रवेशी सौर विकिरण का पोषण भी करता है किन्तु पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उत्सर्जित होने वाली अधिकतम दीर्घ तरंगों को अवशोषित कर लेता है। वे गैसें जो विकिरण की दीर्घ तरंगों का अवशोषण करती हैं, हरित गृह गैसें कहलाती हैं। वायुमंडल का तापन करने वाली प्रक्रियाओं को सामूहिक रूप से ‘हरित गृह प्रभाव’ (Green house effect) कहा जाता है।

प्रश्न 3.
भूमण्डलीय ऊष्मन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीय ऊष्मन (Global Warming): भूमण्डलीय ऊष्मन का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में वायुमण्डल को गर्म करने के साधन वायुमण्डलीय गैसों के परमाणु एवं अणु ग्रीन हाउस गैसों विशेषकर जल, कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथैन द्वारा सूर्य प्रकाश का अवशोषण तथा पश्च विकिरण करते हैं। महासागरों से होने वाले वाष्पन से वायुमण्डल में जल का संकेंद्रण नियंत्रित होता है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड ज्वालामुखी क्रिया द्वारा लाया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड की उतनी ही मात्रा वर्षण द्वारा हटा दी जाती है और महासागरों में कैल्शियम कार्बोनेट के रूप में जमा कर दी जाती है। मेथैन, जो कार्बन डाइऑक्साइड से बीस गुना अधिक प्रभावी है, लकड़ी में बैक्टीरिया के उपापचय तथा घास चरने वाले पशुओं द्वारा उत्पन्न की जाती है। मेथैन का बड़ी शीघ्रता से कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में ऑक्सीकरण होता है।

मानवीय क्रियाओं का प्रभाव:
मानवीय क्रियाओं, जैसे जीवाश्मी तेल को जलाने तथा विभिन्न कृषीय क्रियाओं द्वारा मेथैन एवं कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जमा की जा रही है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा संपूर्ण विश्व की जलवायु को बदलने में मुख्य भूमिका अदा करती है। यह गैस सूर्यातप के लिए पारदर्शी है, लेकिन बाहर जाने वाले दीर्घ तरंगी पार्थिव विकिरण को अवशोषित कर लेती है। अवशोषित पार्थिव विकिरण भूपृष्ठ पर वापस विकिरित कर दिया जाता है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कोई भी उल्लेखनीय परिवर्तन वायुमण्डल के निचले स्तर के तापमान में परिवर्तन लाएगा।

तीव्र औद्योगीकरण तथा कृषि और परिवहन क्षेत्रों में हुई तकनीकी क्रांति के फलस्वरूप वायुमण्डल में बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, मेथैन तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैसें पहुंचाई जाती हैं। इनमें से कुछ गैस वनस्पति द्वारा उपभोग कर ली जाती हैं तथा कुछ भाग महासागरों में घुल जाता है। फिर भी लगभग 50 प्रतिशत भाग वायुमण्डल में बच जाता है।

  1. पिछले 100 वर्षों में, मेथैन का संकेंद्रण दुगुने से अधिक बढ़ गया है, (7.0 × 10-7 से 15.5 × 10-7 तक)।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 20 प्रतिशत से अधिक (2.90 × 10-4 से 3.49 × 10-4 तक) हो गई है।
  3. 1880-1890 में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 290 भाग प्रति दस लाख थी, जो बढ़ कर 1980 में 315 भाग प्रति दस लाख, 1990 में 340 भाग प्रति दस लाख और 2000 से 400 भाग प्रति दस लाख हो गई है।
  4. इसका अर्थ यह हुआ कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात बढ़कर 1950 तक 9 प्रतिशत तथा 1990 तक लगभग 17 प्रतिशत अधिक हो गया है। गत दशक में इसकी वृद्धि की दर और भी बढ़ गई है

औद्योगीकरण का प्रभाव:
अनेकों जलवायविक प्राचलों में से तापमान नगरीकरण तथा औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। नगरीय क्षेत्रों की तापीय विशेषताएं समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से काफ़ी भिन्न हैं। गत 50 वर्षों के तापमान आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि भारत में शीत ऋतु में तापमान में 0.7° से. तथा ग्रीष्म ऋतु में 1.4° से० बढ़ जाता है।

कृषि का प्रभाव:
मानव जलवायु परिवर्तन का एक इंजन समझा जाता है। उदाहरणार्थ चावल उत्पादन करने वाले किसान, कोयला खनिक, डेयरी में लगे लोग तथा स्थानांतरी कृषक भी भूमंडलीय ऊष्मन में अपना-अपना योगदान देते हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार विश्व में चावल का उत्पादन 20 प्रतिशत मेथैन तथा कोयला खनन 6 प्रतिशत मेथैन वायुमंडल में जोड़ता है। स्थानांतरी खेती के फलस्वरूप होने वाले वनों के कटाव से 20 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में जमा कर दी जाती है। इसी प्रकार औद्योगीकरण द्वारा 25 प्रतिशत क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस वायुमंडल के ऐरोसॉल में जोड़ दी जाती है। फलस्वरूप भूमंडलीय तापमान वृद्धि लगभग 1.5° से० है।

वायुमंडलीय ऊष्मन के प्रभाव समुद्र तल के जल का ऊपर उठना:
आज इस बात के लिए काफ़ी चिंता जताई जा रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथेन गैस की वायुमंडल में निरंतर वृद्धि से तापमान इस सीमा तक बढ़ जाएगा कि इससे ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिक महाद्वीप में बर्फ पिघलना आरंभ हो जाएगा। फलत: समुद्र तल ऊपर उठेगा जिससे तटीय भाग तथा द्वीप डूब जाएंगे। इससे वाष्पन एवं वर्षा के प्रतिरूपों में परिवर्तन आएगा, पौधों की नई-नई बीमारियां तथा नाशक जीवों की समस्याएं खड़ी होंगी और अंटार्कटिका के ऊपर स्थित ओजोन छिद्र बड़ा हो जाएगा।

अतीत में हुए जलवायविक परिवर्तनों की भरोसेमंद तस्वीर प्राप्त करने के उद्देश्य से अनेक देशों में विशेषकर अंटार्कटिक तथा ग्रीनलैंड की हिम टोपियों में पिछले 1,00,000 वर्षों के दौरान बर्फ़ में फंसी गैसों का विश्लेषण करने के लिए बर्फ कोरिंग कार्यक्रम को लिया गया है। इसके परिणाम बड़े रोचक निकले हैं और भूमंडलीय ऊष्मन की घटना से आगे बढ़कर पृथ्वी के अभिनव इतिहास की झलक दिखाते हैं। पृथ्वी के इतिहास के पिछले 10,000 वर्षों में जलवायु की प्रवृत्ति उसके पहले के वर्षों की तुलना में विशेष रूप से स्थिर रही है। ग्रीनलैंड के बर्फ़-कोर में ऑक्सीजन समस्थानिक अभिलेखों के अध्ययन से यह पता चलता है कि उत्तरी गोलार्द्ध में शीतलन प्रवृत्ति 1725 से 1920 तक चली। इनका संबंध ज्वालामुखी राख के निष्कासन से रहा, जो दो या तीन दशकों के नियमित अंतराल पर होता रहा लेकिन 1945 के बाद किसी प्रमुख ज्वालामुखी विस्फोट तथा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड संकेंद्रण की मात्रा में वृद्धि के बिना ही भूमंडलीय तापमान में वृद्धि से ऊष्मन शुरू हुआ है।

भविष्य: वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी है कि 2020 तक समस्त विश्व में पिछले 1,000 वर्षों की तुलना में तापमान अधिक होगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती हुई मात्रा भूमंडलीय तापमान को बढ़ाने का कार्य करेगी।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है?
(क) बाज़ार
(ग) जनसंख्या घनत्व
(ख) पूँजी
(घ) ऊर्जा।
उत्तर;
(ग) जनसंख्या घनत्व।

2. भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कम्पनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी (आई० आई० एस० सी० ओ०)
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी० आई० एस० सी० ओ०)
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लोहा तथा इस्पात कारखाना।
उत्तर:
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी।

3. मुम्बई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि
(क) मुम्बई एक पत्तन है।
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग) मुम्बई एक वित्तीय केन्द्र था
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

4. हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है
(क) कोलकाता-हावड़ा
(ग) कोलकाता-मेदनीपुर
(ख) कोलकाता रिशरा
(घ) कोलकाता-कोन नगर।
उत्तर;
(क) कोलकाता-हावड़ा।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(क) महाराष्ट्र
(ग) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर;
(ख) उत्तर प्रदेश।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है। ऐसा क्यों?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगीकरण की नींव है। यह उद्योग कई उद्योगों का आधारभूत सामान प्रदान करता है। यह आधुनिक मशीनों, परिवहन तथा यन्त्रों का आधार है। इसे आधारभूत उद्योग तथा उद्योगों की कुंजी भी कहा जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टर हैं-हथकरघा सेक्टर तथा विद्युत् करघा सेक्टर। हथकरघा सेक्टर स्थानिक श्रम तथा कच्चे माल पर निर्भर करता है। उसका उत्पादन भी सीमित है। विद्युत् करघा सेक्टर में कपड़ा मशीनों द्वारा उत्पादित किया जाता है। यह सेक्टर देश के कुल उत्पादन का 50% भाग उत्पादन करता है।

प्रश्न 3.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है, क्योंकि गन्ने को खेत से काटने के 24 घण्टे के अन्दर ही पेरा जाए तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। शुष्क ऋतु में गन्ने को खेत में खड़ा नहीं रखा जा सकता। इसे काट कर मिलों तक भेजा जाता है। इसलिए मिलें केवल उस मौसम में ही कार्य करती है, जब गन्ने को काटा जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 4.
पेट्रो रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेट्रो रासायनिक उद्योग के लिए खनिज तेल ही कच्चा माल है। इसलिए यह उद्योग तेल-शोधन शालाओं के निकट ही लगाया जाता है। इसके उत्पाद चार उप-वर्गों में बांटे जाते हैं। पालीमा, कृत्रिम रेशे, इलैस्टोमर्स, पृष्ठ संक्रियक।

प्रश्न 5.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर;
सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। इसने आर्थिक और सामाजिक रूपान्तरण के लिए कई सम्भावनाएं उत्पन्न कर दी हैं। सॉफ़्टवेयर उद्योग भारत में सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाला उद्योग है। लगभग 78,230 करोड़ रुपए का सामान निर्यात किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
स्वदेशी आंदोलन के सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मुम्बई और अहमदाबाद में पहली मिल की स्थापना के पश्चात् सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विस्तार हआ। मिलों की संख्या आकस्मिक रूप से बढ़ गई। स्वदेशी आन्दोलन ने उद्योग को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया क्योंकि ब्रिटेन के बने सामानों का बहिष्कार कर बदले में भारतीय सामानों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया।

1921 के बाद रेलमार्गों के विकास के साथ हो दूसरे सूती वस्त्र केन्द्रों का तेजी से विस्तार हुआ। दक्षिणी भारत में, कोयंबटूर, मदुरई और बंगलौर में मिलों की स्थापना की गई। मध्य भारत में नागपुर, इन्दौर के अतिरिक्त शोलापुर और वडोदरा सूती वस्त्र केन्द्र बन गए। कानपुर में स्थानिक निवेश के आधार पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में भी मिलें स्थापित की गईं।

जल-विद्युत् शक्ति के विकास से कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर सूती वस्त्र मिलों की अवस्थिति में भी सहयोग मिला। तमिलनाडु में इस उद्योग के तेजी से विकास का कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल-विद्युत् शक्ति की उपलब्धता है। उज्जैन, भड़ौच, आगरा, हाथरस, कोयम्बटूर और तिरुनेलवेली आदि केन्द्रों में, कम श्रम लागत के कारण कपास उत्पादक क्षेत्रों से उनके दूर होते हुए भी उद्योगों की स्थापना की गई।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार सहायता की है?
उत्तर:
भारत में नई उद्योगीकरण नीति के अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र में उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति अपनाई गई है। नई औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 में की गई। इस नीति के मुख्य उद्देश्य थे-अब तक प्राप्त किए गए लाभ को बढ़ाना, इसमें विकृति अथवा कमियों को दूर करना, उत्पादकता और लाभकारी रोज़गार में स्वपोषित वृद्धि को बनाए रखना और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता प्राप्त करना।

इस नीति के अन्तर्गत किए गए उपाय हैं:

  1. औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था का समापन,
  2. विदेशी तकनीकी का नि:शुल्क प्रवेश,
  3. विदेशी निवेश नीति,
  4. पूँजी बाज़ार में अभिगम्यता,
  5. खुला व्यापार,
  6. प्रावस्थबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उन्मूलन,
  7. औद्योगिक अवस्थिति कार्यक्रम का उदारीकरण। नीति के तीन मुख्य लक्ष्य हैंउदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

उदारीकरण (Liberalisation):
उदारीकरण से अभिप्राय है कि उद्योगों पर से प्रतिबन्ध हटाए जाएं या कम किए जाएं। नई नीति के अनुसार 9 महत्त्वपूर्ण उद्योगों को छोड़ कर शेष सभी उद्योगों पर लाइसेंस प्रणाली समाप्त कर दी गई है। इसमें उद्योग उद्यमी अपनी इच्छा से उद्योग लगा सकते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय उद्योग स्पर्धा प्राप्त कर सकते हैं।

निजीकरण (Privatisation):
निजीकरण से अभिप्राय है कि सरकार द्वारा लगाए गए उद्योगों को निजी क्षेत्र में स्थापित किया जाए। इससे सार्वजनिक क्षेत्र का महत्त्व कम होगा।

वैश्वीकरण (Globalisation):
वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समायोजन किया जाए। इसके अधीन आयात पर प्रतिबन्ध तथा आयात शुल्क में कमी की गई है।

8 निर्माण उद्योग JAC Class 12 Geography Notes

→ अध्याय के मुख्य तथ्य निर्माण उद्योग (Manufacturing): इस क्रिया में जिसमें कच्चे माल को मशीनों की सहायता से रूप बदल कर अधिक उपयोगी बनाया जाता है।

→ उद्योगों के प्रकार (Types of Industries):

  • भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग।
  • बड़े पैमाने तथा छोटे पैमाने के उद्योग।
  • कुटीर उद्योग तथा मिल उद्योग।
  • सार्वजनिक तथा निजी उद्योग।
  • कृषि आधारित तथा खनिज आधारित उद्योग।

→ उद्योगों का स्थानीयकरण (Location of Industries): उद्योगों का स्थानीयकरण निम्नलिखित भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है

  • कच्चे माल की निकटता,
  • शक्ति के साधन,
  • यातायात के साधन,
  • कुशल श्रमिक,
  • जलवायु,
  • बाज़ार।

→ पहला इस्पात कारखाना (Steel plant): भारत में पहला इस्पात यन्त्र 1907 में जमशेदपुर में स्थापित किया गया।

→ भारत का मानचेस्टर (Manchester of India): अहमदाबाद को सूती वस्त्र उद्योग के कारण भारत का मानचेस्टर कहा जाता है।

→ उर्वरक उद्योग (Fertilizer): सिन्द्री उर्वरक कारखाना एशिया में सबसे बड़ा कारखाना है।

→ भारत औद्योगिक आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर है।

JAC Class 12 History Important Questions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th History Important Questions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th History Important Questions in Hindi Medium

JAC Board Class 12th History Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 Bricks, Beads and Bones: The Harappan Civilisation Important Questions
  • Chapter 2 Kings, Farmers and Towns: Early States and Economies Important Questions
  • Chapter 3 Kinship, Caste and Class: Early Societies Important Questions
  • Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings: Cultural Developments Important Questions
  • Chapter 5 Through the Eyes of Travellers: Perceptions of Society Important Questions
  • Chapter 6 Bhakti-Sufi Traditions: Changes in Religious Beliefs and Devotional Texts Important Questions
  • Chapter 7 An Imperial Capital: Vijayanagara Important Questions
  • Chapter 8 Peasants, Zamindars and the State: Agrarian Society and the Mughal Empire Important Questions
  • Chapter 9 Kings and Chronicles: The Mughal Courts Important Questions
  • Chapter 10 Colonialism and the Countryside: Exploring Official Archives Important Questions
  • Chapter 11 Rebels and the Raj: 1857 Revolt and its Representations Important Questions
  • Chapter 12 Colonial Cities: Urbanisation, Planning and Architecture Important Questions
  • Chapter 13 Mahatma Gandhi and The Nationalist Movement: Civil Disobedience and Beyond Important Questions
  • Chapter 14 Understanding Partition: Politics, Memories, Experiences Important Questions
  • Chapter 15 Framing the Constitution: The Beginning of a New Era Important Questions

JAC Class 12 History Solutions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th History Solutions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th History Solutions in Hindi Medium

JAC Board Class 12th History Solutions in English Medium

  • Chapter 1 Bricks, Beads and Bones: The Harappan Civilisation
  • Chapter 2 Kings, Farmers and Towns: Early States and Economies
  • Chapter 3 Kinship, Caste and Class: Early Societies
  • Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings: Cultural Developments
  • Chapter 5 Through the Eyes of Travellers: Perceptions of Society
  • Chapter 6 Bhakti-Sufi Traditions: Changes in Religious Beliefs and Devotional Texts
  • Chapter 7 An Imperial Capital: Vijayanagara
  • Chapter 8 Peasants, Zamindars and the State: Agrarian Society and the Mughal Empire
  • Chapter 9 Kings and Chronicles: The Mughal Courts
  • Chapter 10 Colonialism and the Countryside: Exploring Official Archives
  • Chapter 11 Rebels and the Raj: 1857 Revolt and its Representations
  • Chapter 12 Colonial Cities: Urbanisation, Planning and Architecture
  • Chapter 13 Mahatma Gandhi and The Nationalist Movement: Civil Disobedience and Beyond
  • Chapter 14 Understanding Partition: Politics, Memories, Experiences
  • Chapter 15 Framing the Constitution: The Beginning of a New Era

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
(क) असम
(ग) राजस्थान
(ख) बिहार
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर:
(क) असम।

2. निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(क) कलपक्कम
(ग) राणाप्रताप सागर
(ख) नरोरा
(घ) तारापुर।
उत्तर:
(घ) तारापुर।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

3. निम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है?
(क) लौह
(ग) मैंगनीज़
(ख) लिगनाइट
(घ) अभ्रक।
उत्तर:
(ख)लिगनाइट।

4. निम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
(क) जल
(ग) ताप
(ख) सौर
(घ) पवन।
उत्तर;
वाप।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक मुख्तया झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश व राजस्थान में पाया जाता है। इसके पश्चात् तमिलनाडु, पं. बंगाल और मध्य प्रदेश भी आते हैं।

  1. झारखण्ड में उच्च गुणवत्ता वाला अभ्रक निचले हज़ारीबाग पठार की 150 कि० मी० लम्बी व 22 कि० मी० चौड़ी पट्टी में जाता है।
  2. आन्ध्र प्रदेश में, नेल्लोर जिले में सर्वोत्तम प्रकार के अभ्रक का उत्पादन किया जाता है।
  3. राजस्थान में अभ्रक की पट्टी लगभग 320 कि० मी० लम्बाई में जयपुर से भीलवाड़ा और उदयपुर के आसपास विस्तृत है।
  4. कर्नाटक के मैसूर व हासन जिले।
  5. तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरूचिरापल्ली, मदुरई तथा कन्याकुमारी ज़िले।
  6. महाराष्ट्र के रत्नागिरी तथा पश्चिमी बंगाल के पुरुलिया एवं बाकुरा ज़िलों में भी अभ्रक के निक्षेप पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
भारत में अणु-शक्ति उत्पन्न करने के लिए 1948 में अण-शक्ति आयोग स्थापित किया गया। देश में चार परमाणु बिजली घर हैं। अणु शक्ति यूरोनियम तथा थोरियम खनिजों के विघटन से उत्पन्न की जाती है।

  1. तारापुर (महाराष्ट्र में)
  2. राणा प्रताप सागर (राजस्थान में कोटा के समीप
  3. कल्पक्कम (चेन्नई के निकट)
  4. नरोरा (उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के निकट)। ककरपारा (गुजरात) तथा कैगा (कर्नाटक) में अणु केन्द्र योजना स्तर पर ही है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 3.
अलौह धातुओं के नाम बताएं। उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
(i) तांबा तथा बॉक्साइड प्रमुख अलौह धातुएँ हैं बॉक्साइट:

  1. उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कालाहांडी तथा संभलपुर अग्रणी उत्पादन हैं। दो अन्य क्षेत्र जो अपने उत्पादन को बढ़ा रहे हैं वे बोलनगीर तथा कोरापुट हैं।
  2. झारखण्ड में लोहारडागा जिले की पैटलैंड्स में इसके समृद्ध निक्षेप हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
  3. गुजरात के भावनगर और जामनगर में इसके प्रमुख निक्षेप हैं।
  4. छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट निक्षेप अमरकंटक के पठार में पाए जाते हैं।
  5. मध्य प्रदेश में कटनी, जबलपुर तथा बालाघाट में बॉक्साइट के महत्त्वपूर्ण निक्षेप हैं।
  6. महाराष्ट्र में कोलाबा, थाणे, रत्नागिरी, सतारा, पुणे तथा कोल्हापुर महत्त्वपूर्ण उत्पादक हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोआ बॉक्साइट के गौण उत्पादक हैं।

(ii) तांबा-देश के तांबे के कुल भण्डार 54 करोड़ टन हैं। मुख्य रूप से ये भण्डार झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हैं। तांबे का उत्पादन 31 लाख टन है। मध्य प्रदेश में मलंजखण्ड-बालाघाट, राजस्थान में झुनझुनु, अलवर, खेतड़ी, झारखण्ड में सिंहभूम प्रमुख उत्पादक हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 4.
ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस तथा परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत हैं जबकि सौर ऊर्जा, पवन, भूतापीय, बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न। (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:

भारत में खनिज तेल की खोज
(Exploration of Oil in India)

भारत में सबसे पहला कुआं असम में नहोर पोंग नामक स्थान पर सन् 1857 में खोदा गया। यह कुआं 36 मीटर गहरा था। सन् 1893 में असम में डिगबोई तेल शोधनशाला स्थापित की गई। स्वतन्त्रता से पहले केवल असम राज्य से ही तेल प्राप्त होता था। सन् 1955 में तेल तथा प्राकृतिक गैस आयोग (Natural Gas Commission) की स्थापना हुई। इस आयोग द्वारा देश के भीतरी तथा तटवर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज का कार्य किया जाता है।

तेल के भण्डार (Oil Reserves):
भारत में तेल के भण्डार टरशरी युग की तलछटी चट्टानों में मिलते हैं। भारत में 10 लाख वर्ग कि० मी० क्षेत्र में तेल मिलने की आशा है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 17 अरब टन तेल के भण्डार हैं। ये भण्डार असम, बम्बई हाई तथा गुजरात में स्थित हैं। देश में तेल की बढ़ती खपत को देखते हुए हम कह सकते हैं ये भण्डार अधिक देर तक नहीं चलेंगे। इसलिए तेल के नये क्षेत्रों की खोज तथा संरक्षण आवश्यक है।

भारत में मुख्य तेल-क्षेत्र (Major oil fields in India):
1. असम-असम राज्य में उत्तर-पूर्वी भाग में लखीमपुर जिले में पाया जाता है। यह भारत का सबसे प्राचीन तेल क्षेत्र है। इस राज्य में निम्नलिखित तेल क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं

  • डिगबोई क्षेत्र (Digboi oil field): यह असम प्रदेश में भारत का सबसे प्राचीन तथा अधिक तेल वाला क्षेत्र है। यहां सन् 1882 में तेल का उत्पादन आरम्भ हुआ। 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3 तेलकूप हैं-डिगबोई, बापापुंग तथा हुंसापुंग। इस क्षेत्र में भारत का 30 % खनिज तेल प्राप्त होता है।
  • सुरमा घाटी (Surma Valley): इस क्षेत्र में बदरपुर, मसीमपुर पथरिया नामक कूपों में घटिया किस्म का तेल थोड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है।
  • नाहरकटिया क्षेत्र (Naharkatiya oil fields): असम में यह एक नवीन तेल क्षेत्र है जिसमें नहरकटिया, लकवा प्रमुख तेलकूप हैं।
  • हुगरीजन-मोरान तेल क्षेत्र (Hugrijan-Moran oil fields)
  • शिव सागर तेल क्षेत्र (Sibsagar oil fields)

2. गुजरात तेल क्षेत्र (Gujarat oil fields):
कैम्बे तथा कच्छ की खाड़ी के निकट अंकलेश्वर, लयुनेज, कलोल नामक स्थान पर तेल का उत्पादन आरम्भ हो गया है। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 30 लाख टन तेल प्राप्त होता है। इस राज्य में तेल क्षेत्र बड़ौदा, सूरत, मेहसना ज़िलों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मेहसना, ढोल्का, नवगाम, सानन्द आदि कई स्थानों पर तेल मिला है। यहां से तेल ट्राम्बे तथा कोयली के तेल शोधन कारखानों को भी भेजा जाता है।

3. अपतटीय तेल क्षेत्र (Off shore oil fields):
भारत के महाद्वीपीय निमग्न तट (Continental shelf) के 200 मीटर गहरे पानी में लगभग 4 लाख वर्ग कि० मी० क्षेत्र में तेल मिलने की सम्भावना है।

(i) बम्बई हाई क्षेत्र (Bombay High Fields) (खाड़ी कच्छ के कम गहरे समुद्री भाग (Off Shore region) में भी तेल मिल गया है। यहां बम्बई हाई क्षेत्र में 19 फरवरी, 1974 को ‘सागर सम्राट्’ नामक जहाज़ द्वारा की गई खुदाई से (Bombay High) के क्षेत्र में तेल मिला है।

(ii) इस क्षेत्र से 21 मई, 1976 से तेल निकलना आरम्भ हो गया। यहां से प्रतिवर्ष 150 लाख टन तेल निकालने का लक्ष्य है। यह क्षेत्र बम्बई (मुम्बई) के उत्तर-पश्चिमी में 176 कि० मी० दूरी पर स्थित है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 2.
भारत में जल विद्युत् पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:

जल विद्युत्
(Hydel Power)

आधुनिक युग में कृषि तथा उद्योगों में विद्युत् शक्ति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोयला तथा खनिज शीघ्र ही समाप्त हो जाने वाले साधन हैं। परन्तु विद्युत् शक्ति एक असमाप्य साधन है। विद्युत् शक्ति मुख्यतः तीन प्रकार से प्राप्त होती है-जल विद्युत्, ताप विद्युत्, परमाणु विद्युत्। भारत में जल विद्युत् शक्ति का मुख्य स्रोत है। पहला विद्युत् गृह कर्नाटक में शिव समुद्रम् नामक स्थान पर स्थापित किया गया था। स्वतन्त्रता के पश्चात् देश में कई विद्युत् ग्रिड स्थापित किए गये हैं।

भौगोलिक कारक (Geographical Factors): जल विद्युत् का उत्पादन निम्नलिखित भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है

  1. ऊंची नीची भूमि (Uneven-Relief): जल विद्युत् के विकास के लिए ऊंची-नीची तथा ढालू भूमि होनी चाहिए।
  2. अधिक वर्षा (Abundant Rainfall): जल विद्युत् के लिए सारा वर्ष निरन्तर जल की मात्रा उपलब्ध होनी चाहिए।
  3. विशाल नदियों तथा जल-प्रपातों का होना (Water falls and huge rivers): नदियों में जल की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि वर्ष भर समान रूप से जल प्राप्त हो सके।
  4. मार्ग में झीलों का होना (Presence of Lakes): नदी मार्ग में झीलें अनुकूल होती हैं। यह रेत के कणों को रोककर मशीनों को हानि से बचाती हैं।

आर्थिक कारक (Economic factors)
(क) बाजार की समीपता
(ख) अधिक मांग का होना
(ग) पूंजी का होना

भारत की स्थिति: भारत में जल-विद्युत् उत्पादन की सभी दशाएं सामान्य रूप से अनुकूल हैं। देश में वर्ष-पर्यन्त बहने वाली नदियां हैं। पठारी धरातल और प्राकृतिक झरने मिलते हैं। बांध निर्माण के लिए श्रमिक, तकनीकी ज्ञान उपलब्ध है। जल-विद्युत् के पश्चात् जल का सिंचाई में प्रयोग किया जाता है। परन्तु देश में वर्षा का वितरण मौसमी, अनिश्चित तथा दोषपूर्ण है। इसलिए बांध बनाकर कृत्रिम झीलों से बिजली घरों को जल प्रदान किया जाता है।

जल विद्युत् का उत्पादन भारत में आवश्यक है क्योंकि देश में कोयले तथा तेल के भण्डार पर्याप्त नहीं हैं। उद्योगों के विकेन्द्रीकरण के लिए जल-विद्युत् का उत्पादन आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार देश में कुल जल राशि में लगभग 90,000 M.W. शक्ति प्राप्त करने की क्षमता है। भारत में प्रति वर्ष 322 Billion KWH शक्ति उत्पन्न की जाती है।

भारत में जल-विद्युत् उत्पादन
(Hydel Power in India):

भारत में जल विद्युत् का उत्पादन दक्षिणी पठार पर अधिक है। यहां कोयले की कमी है। कई भागों में जल प्रपात पाए जाते हैं। औद्योगिक विकास के कारण मांग भी अधिक है।
(i) कर्नाटक:
इस राज्य को विद्युत् उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है। इस राज्य की मुख्य योजनाएं निम्नलिखित हैं

  1. महात्मा गांधी जल विद्युत् केन्द्र
  2. शिव समुद्रम जल-विद्युत् केन्द्र
  3. शिमसा परियोजना
  4. शराबती जल-विद्युत् केन्द्र

(ii) तमिलनाडु:
इस राज्य की मुख्य जल-विद्युत् योजनाएं निम्नलिखित हैं

  1. कावेरी नदी पर मैटूर योजना।
  2. पायकारा नदी पर पायकारा योजना।
  3. ताम्र परनी नदी पर पापनसाम योजना।
  4. पेरियार योजना तथा कुण्डा परियोजना।

(iii) महाराष्ट्र:

  1. टाटा जल विद्युत् योजना
  2. कोयना योजना
  3. ककरपारा योजना

(iv) उत्तर प्रदेश:
इस राज्य में ऊपरी गंगा नहर पर गंगा विद्युत् संगठन क्रम बनाया गया है। इस नहर पर 12 स्थानों पर जल प्रपात बनते हैं। इन सभी केन्द्रों से लगभग 23,800 किलोवाट विद्युत् उत्पन्न की जाती है।

(v) पंजाब:
पंजाब राज्य में भाखड़ा नंगल योजना तथा ब्यास योजना मुख्य जल-विद्युत् योजनाएं हैं।

  1. भाखड़ा नंगल परियोजना
  2. ब्यास परियोजना
  3. थीन योजना-रावी नदी पर।

(iv) अन्य प्रदेश:
1. हिमाचल प्रदेश:
इस राज्य की प्रमुख विद्युत् योजना मण्डी योजना है। ब्यास नदी की सहायक नदी उहल का जल 609 मीटर ऊंचाई से गिराकर जोगिन्दर नगर नामक स्थान पर जल-विद्युत् पर जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है। चमेरा योजना तथा बैरा सियोल योजना अन्य योजनाएं हैं।

2. जम्मू-कश्मीर:
जम्मू-कश्मीर में जेहलम नदी बारामूला विद्युत् तथा लिद्र नदी पर पहलगांव योजना महत्त्वपूर्ण है।

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन JAC Class 12 Geography Notes

→ खनिज संसाधन (Mineral Resources): भारत खनिज पदार्थों में लगभग आत्मनिर्भर है।

→ खनिज भण्डार (Mineral Reserves): भारत में खनिजों के पर्याप्त भण्डार मिलते हैं।

→ खनिजों की संख्या (Number of Minerals): भारत में लगभग 100 खनिज पाए जाते हैं।

→ खनिजों का मूल्य (Value of Minerals): भारत में निकाले गए खनिजों का मूल्य 4.80 अरब रुपए है।

→ खनिजों का वितरण (Distribution of Minerals): भारत में अधिकतर खनिज दामोदर घाटी में पाए जाते हैं।

→ खनिज पेटियां (Mineral Belts): भारत में तीन खनिज पेटियां हैं-उत्तरी पूर्वी पठार, दक्षिण-पश्चिमी पठार, उत्तर-पश्चिमी प्रदेश।

→ ऊर्जा संसाधन (Energy Resources): भारत में कोयला, खनिज तेल, जलविद्युत् गैस तथा अणुशक्ति प्रमुख ऊर्जा संसाधन हैं।

→ अपारम्परिक ऊर्जा के स्रोत (Non-Conventional Sources of Energy): भारत में सौर ऊर्जा, पवन शक्ति, बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा प्रमुख स्रोत हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग कौन-सी गैसों द्वारा बना है?
(A) नाइट्रोजन व ऑक्सीजन
(B) हाइड्रोजन व ऑक्सीजन
(C) ऑक्सीजन व आर्गन
(D) नाइट्रोजन व हाइड्रोजन।
उत्तर:
नाइट्रोजन व ऑक्सीजन

2. वायुमण्डल की सबसे निचली परत को कहते हैं
(A) मध्यमण्डल
(B) आयनमण्डल
(C) क्षोभमण्डल
(D) बाह्यमण्डल।
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

3. प्रकाश की क्या गति है?
(A) 3 लाख कि० मी० प्रति सैं०
(B) 5000 कि० मी० प्रति सैं०
(C) 10 कि० मी० प्रति सैं०
(D) 100 कि० मी० प्रति सैं।
उत्तर:
(A) 3 लाख कि० मी० प्रति सैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

4. वायुमण्डल का 99% द्रव्यमान कितनी ऊंचाई तक है?
(A) 12 कि० मी०
(B) 22 कि० मी०
(C) 32 कि० मी०
(D) 42 कि० मी०।
उत्तर:
32 कि० मी०।

5. कितनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन गैस नगण्य हो जाती है?
(A) 100 कि० मी०
(B) 110 कि० मी०
(C) 120 कि० मी०
(D) 130 कि० मी०।
उत्तर:
120 कि० मी०।

6. कार्बन डाइऑक्साइड गैस कितनी ऊंचाई तक सीमित है?
(A) 70 कि० मी०
(B) 80 कि० मी०
(C) 90 कि० मी०
(D) 100 कि० मी०।
उत्तर:
90 कि० मी०।

7. वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी % है?
(A) 15.95%
(B) 17.95%
(C) 20.95%
(D) 25.95%।
उत्तर:
(C) 20.95%।

8. वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस की मात्रा कितनी है?
(A) 72.08%
(B) 74.08%
(C) 76.08%
(D) 78.08%।
उत्तर:
(D) 78.08%।

9. मानव जीवन के लिए आवश्यक है-
(A) नाइट्रोजन
(B) ऑक्सीजन
(C) आर्गन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
(D) ओज़ो।

10. पौधों के लिए आवश्यक गैस है-
(A) कार्बन डाइऑक्साइड
(B) ऑक्सीजन।
(C) नाइट्रोजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
(A) कार्बन डाइऑक्साइड।

11. कौन-सी गैस सौर विकिरण को सोख लेती है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) ओज़ोन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।

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12. कौन-सी गैस ग्रीन हाऊस गैस है?
(A) कार्बन डाइ ऑक्साइड
(B) ओज़ोन
(C) ऑक्सीजन
(D) नाइट्रोजन।
उत्तर:
(A) कार्बन डाइऑक्साइड।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरती के गिर्द गैसों का आवरण।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की लगभग कितनी ऊंचाई है?
उत्तर:
1000 किलोमीटर से अधिक।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल में मुख्य दो गैसें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
78%.

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में ऑक्सीजन गैस कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
21%

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प्रश्न 6.
वायुमण्डल पृथ्वी के साथ क्यों सटा रहता है?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के कारण।

प्रश्न 7.
वायुमण्डल क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
इसके कारण पृथ्वी पर जीवन मौजूद है।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल की सबसे निचली परत को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 9.
वायुमण्डल की ऊपरी परत में पाई जाने वाली दो गैसों के नाम लिखो।

उत्तर:
आर्गन, हीलियम।

प्रश्न 10.
ओज़ोन गैस किन किरणों को सोख लेती है?
उत्तर:
सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें।

प्रश्न 11.
वायुमण्डल की कौन-सी परत मौसम की रचना करती है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 12.
तापमान की सामान्य घटन दर क्या है?
उत्तर:
165 मीटर के लिये 1°C.

प्रश्न 13.
किस परत पर वायुमण्डलीय विघ्न पाए जाते हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल में।

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प्रश्न 14.
किस परत पर स्थिर तापमान रहता है?
उत्तर:
समताप मण्डल।

प्रश्न 15.
वायुमण्डल की किस परत को समताप मण्डल कहा जाता है?
उत्तर;
सट्रेटोस्फीयर ( तापमान की स्थिरता होने के कारण)।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल मानवीय जीवन पर कई प्रकार से प्रभाव डालता है।

  1. ऑक्सीजन गैस पृथ्वी पर मानवीय जीवन का आधार है।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड वनस्पति जीवन का आधार है।
  3. वायुमण्डल सूर्यातप को जज़ब करके एक Glass House का काम करता है।
  4. वायुमण्डल का जलवाष्प वर्षा का मुख्य साधन है।
  5. वायुमण्डल फसलों, मौसम, जलवायु तथा वायुमार्गों पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 2.
आयनमण्डल पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
यह धरातल के ऊपर वायुमण्डल का चौथा संस्तर है। इसकी ऊंचाई 80 से 400 कि० मी० के मध्य है। इस मण्डल में तापमान फिर से ऊंचाई के साथ बढ़ता है। यहां की हवा विद्युत् आवेशित होती है। रेडियो तरंगें इसी मण्डल से परिवर्तित
हो कर पुनः पृथ्वी पर लौट जाती हैं। यह परत रेडियो प्रसारण में उपयोगी है।

प्रश्न 3.
क्षोभमण्डल सीमा (Tropopause) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है।

  1. 15 कि० मी० तक तापमान धीमी गति से कम होता है।
  2. 80 कि० मी० तक तापमान स्थिर रहता है।
  3. 80 कि० मी० से ऊपर तापमान में वृद्धि होने लगती है।

इस ऊंचाई के पश्चात् अर्थात् क्षोभमण्डल से ऊपर समताप मण्डल का भाग आरम्भ होता है। समताप मण्डल तथा क्षोभमण्डल को अलग करने वाले संक्रमण क्षेत्र को क्षोभमण्डल सीमा कहते हैं।

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प्रश्न 4.
कार्बन डाइऑक्साइड गैस का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड अन्तरिक्ष विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिम्बित कर देती है। यह ग्रीन हाऊस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में धूल कणों का वितरण बताओ।
उत्तर:
धूलकण वायुमण्डल में छोटे-छोटे कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे – समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएं की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा तारे के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकण प्रायः वायुमण्डल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफ़ी ऊंचाई तक ले जा सकता है। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् रेखीय और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहां अधिक मात्रा में होती है। धूल और नमक के कण द्रवग्राही केन्द्र की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल में धूल-कणों (Dust Particles) का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल में धूल-कण निचले भागों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल-कणों का कई प्रकार से विशेष महत्त्व है।

  1. धूल-कण सौर ताप का कुछ भाग सोख लेते हैं तथा कुछ भाग का परावर्तन हो जाता है। ताप सोख लेने के कारण वायुमण्डल का तापक्रम अधिक हो जाता है।
  2. धूल-कण आर्द्रताग्राही नाभि के रूप में काम करते हैं। इनके चारों ओर जलवाष्प का संघनन होता है जिससे वर्षा, कोहरा, बादल बनते हैं। धूल-कणों के अभाव के कारण वर्षा नहीं हो सकती
  3. धूल-कणों के कारण वायुमण्डल की दर्शन क्षमता (Visibility) कम होती है तथा धुंधलापन छा जाता है। धूल-कणों के संयोग से कई रंग-बिरंगे दृश्य सूर्य उदय, सूर्य अस्त तथा इन्द्र धनुष दृश्य बनते हैं।

प्रश्न 7.
ओज़ोन परत पर एक नोट लिखो ओजोन परत के घटने के क्या कारण हैं? इससे क्या हानि है?
उत्तर:
ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की एक मोटी परत मिलती है। यह परत पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। परन्तु कार्बन तथा रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण यह परत कम हो रही है। अणु शक्ति के परीक्षणों से भी यह परत घट गई है। 1980 में अण्टार्कटिका महाद्वीप के ऊपर इस परत में एक सुराख देखा गया है। इस सुराख के कारण पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुंच सकती हैं। इन किरणों से मनुष्य अन्धे हो जाते हैं तथा शरीर झुलस जाता है

प्रश्न 8.
जलवाष्प का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
जलवाष्प (Water Vapours ): वायुमण्डल में लगभग 4% मात्रा में जलवाष्प पाया जाता है। ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। कुछ जलवाष्प का लगभग आधा हिस्सा दो हज़ार मीटर ऊंचाई के नीचे ही पाया जाता है। जलवाष्प तापमान पर भी निर्भर करता है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। पृथ्वी पर वृष्टि तथा संघनन का मुख्य स्रोत जलवाष्प ही है। सूर्यतप को सोख कर जलवाष्प तापमान का नियन्त्रण करता है

प्रश्न 9.
क्षोभ सीमा की ऊँचाई भूमध्य रेखा पर अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
क्षोभ सीमा की ऊंचाई में विभिन्नता पाई जाती है। ध्रुवों पर यह 8 कि० मी० है। भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक सूर्याताप प्राप्त होता है। इसके परिणामस्वरूप संवहन धाराएं चलती हैं। ये धाराएं अधिक ऊंचाई तक ताप पहुंचा देती हैं। इससे क्षोभमण्डल का विस्तार बढ़ जाता है तथा ऊंचाई अधिक हो जाती है।

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प्रश्न 10.
वायुमण्डल कैसे पृथ्वी से जुड़ा रहता है?
उत्तर:
वायुमण्डल का अधिकतर भाग भू-पृष्ठ से केवल 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीमित है। इसे सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती है। यह पृथ्वी का एक अंग नहीं है। परन्तु पृथ्वी से जुड़ा हुआ है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति द्वारा वायुमण्डल पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 11.
वायुमण्डल के मुख्य संघटकों के नाम बताओ
उत्तर:
वायुमण्डल के प्रमुख संघटक तीन हैं:

  1. गैसें
  2. धूलकण
  3. जलवाष्प।

प्रश्न 12.
वायुमण्डल की मुख्य परतों के नाम बताओ ।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना परतदार है। इसमें पांच मुख्य परतें पाई जाती हैं-

  1. क्षोभमण्डल (Troposphere)
  2. समताप मण्डल (Stratosphere)
  3. आयन मण्डल (Ionosphere)
  4. बाह्यमण्डल (Exosphere)
  5. चुम्बक मण्डल (Magnetosphere)। (मध्यमण्डल)

प्रश्न 13.
वायुमण्डल की परतों में क्षोभमण्डल को अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है?
उत्तर:

  1. इस मण्डल में जीवन उपयोगी गैस ऑक्सीजन मिलती है।
  2. इस मण्डल में प्रति 165 मी० की ऊँचाई पर 1°C तापमान गिर जाता है।
  3. ऋतु, मौसम सम्बन्धी सभी घटनायें, जैसे बादल, वर्षा, भूकम्प आदि जो मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, इसी परत में घटित होती हैं।
  4. इस मण्डल में अस्थिर वायु के कारण विक्षोभ तथा आँधी तूफान आते रहते हैं।
  5. क्षोभमण्डल के मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में चक्रवात उत्पन्न होते हैं।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्षोभमण्डल तथा समताप मण्डल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

क्षोभमण्डल (Troposphere) समताप मण्डल (Stratosphere)
(1) यह वायुमण्डल की सब से निचली परत है। (2) क्षोभमण्डल की ऊंचाई ध्रुवों पर 8 कि० मी० तथा भूमध्य रेखा पर 20 कि० मी० होती है। (1) यह धरातल से ऊपर वायुमण्डल की दूसरी परत है। (2) समताप मण्डल की ऊंचाई 16 कि० मी० से लेकर 72 कि० मी० तक होती है ।
(3) इस परत में तापमान 1°C प्रति 165 मीटर की दर से कम होता है। (3) इस परत में तापमान लगभग समान रहते हैं ।
(4) इस परत में संवाहिक धाराएं, मेघ तथा धूल कण पाए जाते हैं। (4) इस परत में संवाहिक धाराओं, मेघ तथा धूल का अभाव होता है ।
(5) इस मण्डल में ऋतु परिवर्तन सम्बन्धी घटनाएं होती रहती हैं। (5) यह मण्डल एक शान्त मण्डल है ।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रों में वायुमण्डल का महत्त्व बताओ ।
उत्तर:
वायुमण्डल निम्नलिखित क्षेत्रों में कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है

  1. जीवन का आधार: पृथ्वी पर मानव जीवन का आधार वायुमण्डल ही है। सौर मण्डल में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर वायुमण्डल विद्यमान है। ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन गैसें मानव तथा वनस्पति जीवन का आधार हैं।
  2. ऊष्मा सन्तुलन: वायुमण्डल एक ग्रीन हाऊस (Green House) की भान्ति कार्य करता है। इस प्रभाव से पृथ्वी का तापमान औसत रूप से 17°C रहता है। वायुमण्डल के बिना बहुत अधिक तापमान पर जीवन असम्भव होता
  3. हानिकारक विकिरण: ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख कर पृथ्वी पर मानव की सुरक्षा करती है।
  4. रेडियो तरंगें: आयनमण्डल रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर लौटा कर रेडियो प्रसारण में सहायता करता है।
  5. मौसम: वायुमण्डल की विभिन्न घटनाएं जैसे वाष्पीकरण, वर्षा, पवनें आदि मानव जीवन पर प्रभाव डालती हैं।
  6. उल्काओं से सुरक्षा: सौर मण्डल से पृथ्वी की ओर गिरने वाली उल्काएं वायुमण्डल में जल कर नष्ट हो जाती हैं।
  7. वायु: परिवहन वायुमण्डल वायुयानों की उड़ानों पर प्रभाव डालता है। जैट वायुयान समताप मण्डल में उड़ान भर सकते हैं।

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प्रश्न 2.
उदाहरण के साथ किसी स्थान की जलवायु तथा मौसम में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
तापक्रम, दबाव हवाएं, नमी, मेघ और वर्षा ये मौसम के प्रधान तत्त्व (Elements of Weather) हैं। वायु मण्डल की इन दशाओं का अध्ययन ही जलवायु या मौसम है।

मौसम (Weather):
मौसम शब्द का अर्थ है ” किसी स्थान पर किसी विशेष या निश्चित समय में वायुमण्डल की दशाओं, तापक्रम, दबाव, हवाओं, नमी, मेघ और वर्षा के कुल जोड़ का अध्ययन करना” (“Weather is the condition of atmosphere at any given moment.” ) इसीलिए मौसम मानचित्रों (Weather Maps ) पर दिन व समय अवश्य लिखे जाते हैं। मौसम प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, प्रति मास बदलता रहता है।

एक ही स्थान पर कभी मौसम गर्म (Hot), कभी उमस वाला (Sultry), कभी आर्द्र (Wet) हो सकता है। इंग्लैण्ड में दिन-प्रतिदिन के मौसम में इतनी विभिन्नता है कि कहा जाता है, “Britain has no climate, only weather.” इस प्रकार वायुमण्डल की बदलती हुई अवस्थाओं को मौसम कहा जाता है। आकाशवाणी से मौसम की स्थितियों का प्रसारण भी होता है। भारतीय मौसम विज्ञान मौसम मानचित्र प्रकाशित करता है।

जलवायु (Climate):
किसी स्थान की जलवायु उस स्थान पर एक लम्बे समय की वायुमण्डल की दशाओं के कुल जोड़ का अध्ययन होती है। यह एक लम्बे समय का औसत मौसम होती है। (“Climate is the average weather of a place over a long period.”) जलवायु तथा मौसम में भिन्नता समय पर निर्भर होती है। मौसम का सम्बन्ध थोड़े समय से है जबकि जलवायु का सम्बन्ध एक लम्बे समय से है। मिस्र में हर रोज़ एक जैसा मौसम होने के कारण जलवायु तथा मौसम में कोई अन्तर नहीं है।

इसलिए कहा जाता है, “Egypt has no weather, only climate ” इस प्रकार किसी स्थान पर कम-से-कम पिछले 35 वर्षों के मौसम की औसत दशाओं को उस स्थान की जलवायु कहते हैं। भारतीय जलवायु के अध्ययन के आधार आंकड़ों का सम्बन्ध पिछले 100 वर्षों से है। उदाहरण: देहली में किसी विशेष दिन अधिक वर्षा हो तो हम कहते हैं कि आज मौसम आर्द्र है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि देहली की जलवायु आर्द्र है। देहली में ग्रीष्मकाल में अधिक वर्षा होती है तथा जलवायु मानसूनी है।

JAC Board Solutions Class 12 in Hindi & English Jharkhand Board

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JAC Class 10 Hindi मौखिक अभिव्यक्ति सुनना

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JAC Board Class 10 Hindi मौखिक अभिव्यक्ति सुनना

अर्थग्रहण करना :

हम सब मानव सामाजिक प्राणी हैं। हम बोल- सुनकर अपने भावों का आदान-प्रदान करते हैं। लिखकर तथा संकेतों से भी हम स्वयं को अभिव्यक्त कर सकते हैं पर सुनने-बोलने से हमारी अभिव्यक्ति अधिक सहजता और सरलता से होती है। हमारे दैनिक जीवन में बोलने-सुनने से हो आपसी व्यवहार अधिक होता है।

सुनना एक कला है। हम सब इसके महत्त्व को समझते हैं। ईश्वर ने इसीलिए तो हमें दो कान दिए हैं। एक छोटा बच्चा बोलना बाद में सीखता है पर सुनना और समझना पहले आरंभ करता है। वास्तव में हम सुनने से ही तो बोलना सीखते हैं। तभी तो जन्म से बहरे लोग प्रायः गूँगे भी होते हैं। सुनना किसी के द्वारा बोले गए शब्दों का कानों में जाना मात्र नहीं है। उसका वास्तविक अर्थ उनका तात्पर्य समझना है; उसे मन-मस्तिष्क में बिठाना है और उसके अनुसार जीवन में अपनी प्रतिक्रियाओं को प्रकट करना है। किसी की बात को सुनकर उसे बाहर निकाल देना किसी भी प्रकार से सार्थक नहीं हो सकता। यदि किसी के द्वारा कही गई किसी बात का अनुपालन हमें बाद में करना हो तो उसे लिखकर अपने पास रख लेना अधिक अच्छा रहता है। ऐसा करने से प्रत्येक बात हमारे ध्यान में बनी रहती है।

सुनने से संबंधित प्रश्नों का स्वरूप :

आपके अध्यापक/अध्यापिका आपको कोई गद्य या पद्य सुनाएँगे और उस पर आधारित प्रश्न आप से पूछेंगे। आपको उन प्रश्नों के उत्तर सुने गए गद्य या पद्य के आधार पर देने होंगे। जिन प्रश्नों को आप से पूछा जाएगा उससे संबंधित प्रश्न पत्र आपको कुछ सुनाने से पहले दिया जाएगा। ये प्रश्न व्याकरण, रिक्त स्थान पूर्ति, शब्द – अर्थ, नाम, निष्कर्ष आदि से संबंधित हो सकते हैं। अध्यापक/अध्यापिका आपको गद्य या पद्य केवल एक ही बार सुनाएँगे। आपको स्मरण के आधार पर उत्तर देने होंगे। प्रत्येक प्रश्न-पत्र में दस प्रश्न होंगे।

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उदाहरण –

1. आपको परीक्षक एक अनुच्छेद सुनाएँगे। उसे ध्यानपूर्वक सुनिए और अनुच्छेद पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। अनुच्छेद दोबारा नहीं पढ़ा जाएगा।
दक्षिण भारत में कन्याकुमारी के आसपास स्थित ऐतिहासिक स्थल भी दर्शनीय हैं। यहाँ से कुछ दूर एक गोलाकार दुर्ग है, जिसे सर्कुलर फोर्ट कहा जाता है। यह सागर के किनारे बना हुआ है। यहाँ समुद्र की लहरें शांत गति से बहती हैं। कुछ किलोमीटर पर कानुमलायन मंदिर, नागराज मंदिर, पद्मनाभपुरम मंदिर भी देखने योग्य हैं।
कन्याकुमारी के छोटे से खोकेनुमा बाज़ारों में ताड़पत्तों और नारियल से निर्मित हस्तशिल्प की वस्तुएँ तथा सागर से प्राप्त शंख और सीप की मालाएँ और दूसरी वस्तुएँ पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती हैं। यहाँ तीनों समुद्रों से अलग-अलग रंग की रेत निकलती है। यह रेत इन बाज़ारों में प्लास्टिक की छोटी-छोटी थैलियों में बिक्री के लिए मिल जाती है, जिसे पर्यटक खरीदना नहीं भूलते। कन्याकुमारी में ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। विवेकानंद शिला स्मारक समिति ने विवेकानंदपुरम आश्रम का निर्माण किया है, जहाँ यात्रियों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था है। यहीं एक ऐसा स्थान है जहाँ उत्तर भारत के यात्रियों को अपने घर जैसा खाना प्राप्त हो जाता है।
कन्याकुमारी यद्यपि तमिलनाडु प्रदेश में है लेकिन यहाँ पहुँचने और लौटने का रास्ता केरल प्रदेश की राजधानी त्रिवेंद्रम से है। केरल को भारत का हरियाला जादू कहा जाता है क्योंकि इस प्रदेश में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। इसलिए कन्याकुमारी से यदि टैक्सी या निजी कार अथवा बस द्वारा त्रिवेंद्रम लौटा जाए तो यात्रा का पूरा मार्ग हरियाली की सुखद छाया को ओढ़कर चलता है। इसी रास्ते पर हाथियों की सुरक्षित

वनस्थली और अरब सागर तट पर स्थित कोवलम बीच भी दर्शनीय है। कोवलम सागर तट पर सागर – स्नान की सुखद अनुभूति प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आकर स्नान करते हैं और नारियल का मीठा पेय पीकर परम तुष्टि भाव से यात्रा की परिपूर्णता का आनंद लाभ करते हैं।

प्रश्न :
1. इसमें किसकी सुंदरता का वर्णन किया गया है ?
2. गोलाकार दुर्ग का नाम क्या है ?
3. बाज़ारों में बिकने वाली हस्तशिल्प की वस्तुएँ बनी होती हैं-
(क) रेशम की (ख) ताड़ – पत्तों की (ग) पत्थर की (घ) चीनी – मिट्टी की
4. यहाँ कितने समुद्रों की रंग-बिरंगी रेत मिलती है ?
5. विवेकानंद शिक्षा स्मारक समिति ने किस आश्रम का निर्माण किया है ?
6. आश्रम में किन यात्रियों को घर जैसा खाना प्राप्त होता है ?
7. कन्याकुमारी किस राज्य में है ?
8. कन्याकुमारी पहुँचने और लौटने का रास्ता किस राज्य से है ?
9. अरब सागर का कौन-सा तट दर्शनीय है ?
10. यात्री यहाँ क्या पीना पसंद करते हैं ?
उत्तर :
1. कन्याकुमारी की सुंदरता का वर्णन।
2. सर्कुलर फोर्ट।
3. (ख) ताड़पत्तों की।
4. तीन समुद्रों की रंग-बिरंगी रेत।
विवेकानंदपुरम आश्रम का निर्माण।
6. उत्तर भारत के यात्रियों को।
7. तमिलनाडु प्रदेश में।
8. केरल राज्य से।
9. कोवलम बीच
10. नारियल का मीठा पेय।

JAC Class 10 Hindi मौखिक अभिव्यक्ति सुनना

2. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक सुनकर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर अनुच्छेद में खोजकर लिखिए।
सर्कस अब घाटे का सौदा हो चुका है। अब जहाँ कहीं भी सर्कस लगाया जाता है सर्कस मालिक को चार गुना दाम पर ज़मीन, बिजली तथा अन्य सुविधाएँ प्राप्त हो पाती हैं। इसके अतिरिक्त पुलिस और प्रशासन का रवैया भी प्रायः असहयोगात्मक ही रहता है। ‘इंडियन सर्कस फेडरेशन’ का मानना है कि सर्कस के लिए सबसे बड़ी समस्या उसे लगाने वाले मैदान की है। एक दशक पहले तक शहरों में खाली भूखंड आसानी से मिल जाते थे।

अब वहाँ व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बन गए हैं। अधिकांश शहरों में आबादी से काफ़ी दूर ही जगह मिल पाती है। इससे काफ़ी कम दर्शक ‘शो’ देखने आते हैं। कई सर्कस मालिक अब सर्कस को समाप्त होती कला मानने लगे हैं, जिसे सरकार और समाज हर कोई मरते देखकर भी खामोश है। पिछले कुछ वर्षों में जैमिनी, भारत, ओरिएंटल और प्रभात सर्कस को बंद होना पड़ा। कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने केरल में ‘जमुना स्टिर सेंटर’ की स्थापना की है। ताकि इस व्यवसाय में आने वाले बच्चों के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो सके। सर्कस उस्ताद चुन्नी बाबू कहते हैं कि सर्कस संकट के दौर से गुजर रहा है। अगर सरकार ने इसकी मदद नहीं की तो जिन हज़ारों लोगों को इसके माध्यम से दो जून की रोटी मिल रही है, वह भी बंद हो जाएगी।

सर्कस के कलाकारों का ‘शो’ के दौरान अधिकांश खाली सीटें देखकर मनोबल टूट गया है। जब कभी सीटें भरी होती हैं, खेल दिखाने में मज़ा आ जाता है। सर्कस का एक प्रमुख हिस्सा है- जोकर। आमतौर पर बिना किसी काम का लगने वाला कद-काठी में छोटा-सा इनसान जो किसी काम का नहीं लगता सर्कस की ‘रिंग’ में अपनी अजीब हरकतों से किसी को भी हँसा देता है। तीन घंटे के ‘शो’ में दर्शकों को हँसाते रहने का आकर्षण ही कलाकारों को बाँधे रखता है।

प्रश्न :
1. सर्कस अब आर्थिक दृष्टि से कैसा सौदा है ?
2. सर्कस मालिकों को सुविधाएँ अब किस दाम पर प्राप्त हो पाती हैं ?
3. सर्कस के प्रति पुलिस और प्रशासन का रवैया रहता है –
(क) सहयोगात्मक
(ख) असहयोगात्मक
(ग) उदासीन
(घ) नृशंस
4. खाली भूखंडों पर अब क्या बन गए हैं ?
5. सर्कस को समाप्त होता देखकर कौन-कौन खामोश हैं ?
6. पिछले वर्षों में कौन-कौन सी सर्कसें बंद हुई हैं ?
7. बच्चों को सर्कस हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था किसने की है ?
8. किसने कहा है कि सर्कस संकट के दौर से गुजर रहा है ?
9. सर्कस के कलाकारों का मनोबल क्यों टूट रहा है ?
10. रिंग में अपनी हरकतों से कौन हँसाता है ?
उत्तर :
1. घाटे का सौदा।
2. चार गुना दाम पर
3. (ख) असहयोगात्मक।
4. व्यावसायिक कॉम्पलेक्स।
5. जनता और सरकार।
6. जैमिनी, भारत, ओरिएंटल और प्रभात सर्कसें
7. केरल में ‘जमुना स्टिर सेंटर’ ने।
8. उस्ताद चुन्नी बाबू ने।
9. अधिकांश शो में खाली सीटों को देखकर।
10. अपनी हरकतों से जोकर हँसाता है।

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भाषण –

3. भाषण को ध्यानपूर्वक सुनकर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर भाषण के आधार पर दीजिए –
युगों से गुरु का स्थान भारतीय समाज में अत्यंत ऊँचा माना जाता रहा है। भक्ति का साधन कृपा है और गुरुकृपा के बिना उसकी प्राप्ति नहीं होती। नारायण तीर्थ ने प्राचीन आचार्यों के आधार पर भक्ति के जो तेईस अंग गिनाए हैं उनमें गुरु को भक्ति का प्रथम अंग माना गया है। रामचरित मानस में गुरु शंकर रूपी हैं; हरि का नर रूप है; यही नहीं भगवान राम से भी बढ़कर है। विधाता के रुष्ट हो जाने पर गुरु रक्षा कर लेता है किंतु गुरु के रुष्ट हो जाने पर कोई ऐसा साधन नहीं बचता जो रक्षा का आधार बन सकता हो। गुरु की इस गरिमा का कारण यह है कि वही जीव के मोह-अंधकार को दूर करता है और उसे ज्ञान प्रदान करता है। गुरु की शरण में जाकर उससे शिक्षा प्राप्त करना ही ज्ञान की प्राप्ति करना है –

श्री गुरु पद नख मनि गन जोती।
सुमिरत दिव्य दृष्टि हिय होती ॥

तुलसी के राम ने शबरी को उपदेश देते समय गुरु सेवा को राम कृपा का स्वतंत्र और अमोघ साधन माना है।
प्राचीन साहित्य में गुरु का स्वरूप और उसके कार्यक्षेत्र समय, स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहे हैं पर उसका विवेक, ज्ञान, दूरदर्शिता और निष्ठा बदलती हुई दिखाई नहीं देती। देवताओं के गुरु बृहस्पति यदि देवताओं के हित और कल्याण के विषय में कार्य करते रहे तो दानवों के गुरु शुक्राचार्य दानवों की मानसिकता के आधार पर सोचते – विचारते रहे। वशिष्ठ मुनि और विश्वामित्र ने यदि श्री राम को शिक्षित किया तो संदीपन गुरु ने श्रीकृष्ण को ज्ञान ही नहीं दिया अपितु सहज-सरल जीवन जीने का भी पाठ पढ़ाया।

द्रोणाचार्य ने कौरवों – पांडवों को अस्त्र-शस्त्र चलाने के अभ्यास के साथ-साथ धर्म और नीति का भी ज्ञान दिया था। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को शिक्षित कर देश के इतिहास को ही बदल दिया था। यदि सिकंदर के गुरु अरस्तु ने उसे सारे विश्व को जीतने के लिए उकसाया था तो चाणक्य ने अपने शिष्य को धर्म और देश की रक्षा करना सिखाकर उसके कमजोर इरादों को मिट्टी में मिला दिया था। गुरु कुम्हार की तरह कार्य करता हुआ शिष्य रूपी कच्ची मिट्टी को मनचाहा आकार प्रदान कर देता है।

यह ठीक है कि हर माँ अपने बच्चे की पहली गुरु होती है। वह उसे जीवन के साथ-साथ अच्छे संस्कार देती है पर किसी भी छोटे बच्चे के मन पर अपने अध्यापक का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है, वैसा किसी अन्य व्यक्ति का नहीं पड़ता। वह उसे अपना आदर्श मानने लगता है और उसी का अनुकरण करने का प्रयत्न करता है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि वह वास्तव में ही आदर्श जीवन जीने का प्रयत्न करे।

अध्यापक ही ऐसा केंद्रबिंदु है जहाँ से बौद्धिक परंपराएँ तथा तकनीकी कुशलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संचारित होती हैं। वह सभ्यता के दीप को प्रज्वलित रखने में योगदान प्रदान करता है। वह केवल व्यक्ति का ही मार्गदर्शन नहीं करता बल्कि सारे राष्ट्र के भाग्य का निर्माण करता है। इसलिए उसे समाज के प्रति अपने विशिष्ट कर्तव्य को भली-भाँति पहचानना चाहिए। अध्यापक का जितना महत्त्व है, उतने ही व्यापक उसके व्यापक कार्य हैं। शिक्षण, गठन, निरीक्षण, परीक्षण, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और सुधारात्मक कार्यों के साथ-साथ उसे विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय से अनुकूल संबंध स्थापित करने पड़ते हैं।

कोई भी अध्यापक अपने छात्र – छात्राओं में लोकप्रिय तभी हो सकता है जब उसमें उचित जीवन शक्ति विद्यमान हो। मार-पीट, डाँट-डपट का विद्यार्थियों के कोमल मन पर सदा ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। छात्रों के भावात्मक विकास के लिए अध्यापक का संवेगात्मक संतुलन बहुत आवश्यक होता है। उसमें सामाजिक चातुर्य, उत्तम निर्णय की क्षमता, जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण, परिस्थितियों का सामना करने का साहस और व्यावसायिक निष्ठा निश्चित रूप से होनी चाहिए।

कोई भी व्यक्ति विषय के ज्ञान के अभाव में शिक्षक नहीं हो सकता। प्रायः माना जाता है कि एक अयोग्य चिकित्सक मरीज के शारीरिक हित के लिए खतरनाक है परंतु एक अयोग्य शिक्षक राष्ट्र के लिए इससे भी अधिक घातक है क्योंकि वह न केवल अपने छात्रों के मस्तिष्क को विकृत बनाता तथा हानि पहुँचाता है बल्कि उनके विकास को अवरुद्ध भी करता है तथा उनकी आत्मा को विकृत कर देता है।

अध्यापक में नेतृत्व की क्षमता होना आवश्यक है पर उसे जिस प्रकार के नेतृत्व की क्षमता की आवश्यकता है वह अन्य प्रकार के नेतृत्व से भिन्न है। उसका नेतृत्व उसके चरित्र, शक्ति, प्रभावशीलता तथा दूसरों से प्राप्त आदर पर निर्भर है। यह भी ध्यान रखने योग्य है कि अति दृढ़ व्यक्तित्व नेतृत्व के लिए उसी प्रकार की अयोग्यता है जिस प्रकार का निर्बल व्यक्तित्व व्यर्थ होता है। उसका मानसिक रूप से सुसज्जित होना आवश्यक है।

एक समय था जब अध्यापक राज्याश्रम में पलते थे और गुरुकुलों में विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते थे। इस भौतिकतावादी युग में शिक्षा का व्यावसायीकरण हो चुका है पर फिर भी अध्यापक को किसी भी अवस्था में शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा को नहीं त्यागना चाहिए और उसे जीवन-मूल्यों को बनाकर रखना चाहिए। व्यावसायीकरण के कारण अध्यापकों छात्रों के संबंधों में परिवर्तन आया है जो समाज के समुचित विकास के लिए अच्छा नहीं है। अध्यापक को विद्यार्थियों की भावनाओं को मानवीय रूप प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए।

यदि वह स्वयं जलता हुआ दीप नहीं है तो वह दूसरों में ज्ञान के प्रकाश को प्रसारित करने में सदैव असमर्थ रहेगा। समाज के विकास के लिए आदर्श अध्यापक अति आवश्यक है। उनके अभाव में सभ्यता और संस्कृति की कल्पना करना भी अत्यंत कठिन है।

प्रश्न :
1. भारतीय समाज में गुरु का स्थान कब से अति ऊँचा माना जाता रहा है ?
2. नारायण तीर्थ ने भक्ति के तेईस अंगों में गुरु को भक्ति का कौन-सा अंग माना है ?
(क) पहला
(ग) चौदहवाँ
(ख) दसवाँ
(घ) बीसवाँ
3. तुलसी ने राम कृपा का स्वतंत्र और अमोघ साधन किसे माना है ?
4. देवताओं के गुरु कौन थे ?
5. सिकंदर को विश्व-विजय के लिए किसने उकसाया था ?
6. सारे राष्ट्र के भाग्य का निर्माण कौन करता है ?
7. छात्रों के विकास के लिए अध्यापकों में किसकी अति आवश्यकता होती है ?
8. अध्यापक का नेतृत्व किन विशेषताओं पर निर्भर करता है ?
9. गुरुकुलों में विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति के लिए क्या दिया करते थे ?
10. भौतिकतावादी युग में शिक्षा का क्या हो गया है ?
उत्तर :
1. युगों से।
2. (क) पहला।
3. गुरु की शरण में जाकर उससे शिक्षा प्राप्त करने को।
4. बृहस्पति।
5. सिकंदर के गुरु अरस्तु ने।
6. अध्यापक।
7. संवेगात्मक संतुलन की।
8. अध्यापक के चरित्र, शक्ति और प्रभावशीलता तथा दूसरों से प्राप्त आदर पर।
9. विद्यार्थी निःशुल्क शिक्षा प्राप्त किया करते थे।
10. व्यावसायीकरण

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वार्तालाप / संवाद –

4. नीचे दिए गए वार्तालाप को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(वार्तालाप) :
राम्या – मुझे जल्दी से मम्मी को बताना है कि मेरा परीक्षा परिणाम आज शाम तक आ जाएगा।
शर्मिष्ठा – तो बता दे। देर क्यों कर रही है ?
राम्या – मेरा मोबाइल तो घर पर ही रह गया है। क्या करूँ ?
शर्मिष्ठा – करना क्या है ? मेरा मोबाइल ले और मम्मी से बात कर ले।
राम्या – हाँ, यह तो है। कितना सुख हो गया है मोबाइल का अब।
शर्मिष्ठा – अरे, इसने सारी दुनिया को गाँव बनाकर रख दिया है।
राम्या – क्या मतलब ?
शर्मिष्ठा – मतलब यह है कि अब पल भर में संसार के किसी भी कोने में किसी से भी बात कर लो। लगता है कि हर कोई बिलकुल पास है। ऐसा तो गाँवों में ही होता था।
राम्या – मोबाइल लोगों के पास पहुँचा भी बहुत तेज़ी से है
शर्मिष्ठा – कभी सोचा भी नहीं था कि मोबाइल इतनी तेज़ी से लोगों की जेब में अपना स्थान बनाएगा।
राम्या – बहुत लाभ हैं इसके
शर्मिष्ठा – लाभ तो हैं तभी तो हर अमीर-गरीब के पास दिखाई देने लगा है यह।
राम्या – अब तो यह मज़दूरों और रिक्शा चलाने वालों के पास भी दिखाई देता है
शर्मिष्ठा – उनके लिए यह और भी ज़रूरी है। वे छोटे शहरों और गाँवों से काम करने बड़े शहरों में आते हैं। मोबाइल से वे अपने घर से सदा जुड़े रहते हैं।
राम्या – नुकसान भी तो हैं इसके
शर्मिष्ठा – वे क्या हैं? मेरे विचार से तो मोबाइल का कोई नुकसान नहीं है।
राम्या – इससे अपराध बढ़े हैं। बच्चे भी क्लास में इसे लेकर बैठे रहते हैं। उनका ध्यान पढ़ाई की ओर कम और मोबाइल पर अधिक रहता है। शर्मिष्ठा – हाँ, आतंकवादी तो इससे विस्फोट तक करने लगे हैं।
राम्या – ओह ! फिर तो बड़ा खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
शर्मिष्ठा – जेलों में भी अपराधी छिप-छिप कर इनका प्रयोग करते हुए पकड़े जा चुके हैं।
राम्या – अरे, हर अच्छाई में बुराई तो सदा ही छिपी रहती है। वह इसमें भी है।
शर्मिष्ठा – वह तो है। अच्छा यह ले मोबाइल और कर ले बात

प्रश्न :
1. वार्तालाप किस-किस के बीच हुआ ?
2. किसने किससे मोबाइल पर बात करनी थी ?
3. मोबाइल ने दुनिया को बना दिया है-
(क) नगर
(ख) कस्बा
(ग) गाँव
(घ) महानगर
4. मोबाइल की पहुँच किस-किस के पास हो चुकी है ?
5. अपराधों की वृद्धि में किसने सहायता दी है ?
6. क्लास में बच्चे मोबाइल से क्या करते रहते हैं ?
7. आतंकवादी मोबाइल का प्रयोग किस कार्य के लिए करने लगे हैं ?
8. अपराधी छिप-छिप कर कहाँ से मोबाइल का प्रयोग करने लगे हैं ?
9. सदा अच्छाई में क्या छिपी रहती है ?
10. किसने मम्मी से बात करने के लिए अपना मोबाइल दिया ?
उत्तर :
1. राम्या और शर्मिष्ठा के बीच।
2. राम्या को अपनी मम्मी से बात करनी थी।
3. (ग) गाँव।
4. हर गरीब-अमीर के पास।
5. मोबाइल के प्रयोग ने।
6. एस०एम०एस० करते रहते हैं।
7. विस्फोट करने में।
8. जेलों से।
9. बुराई।
10. शर्मिष्ठा ने।

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कविता –

5. कविता को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

JAC Class 10 Hindi मौखिक अभिव्यक्ति सुनना 1

प्रश्न :
1. कवि ने पगली को कहाँ देखा था ?
2. नाक को ढके बिना कहाँ से नहीं गुजरा जा सकता था ?
(क) गंदी नाली के पास से
(ग) गंदे कपड़ों के पास से
(ख) कूड़े के ढेर के पास से
(घ) सड़े हुए फलों के पास से
3. कवि ने किस महीने में पगली को देखा था ?
4. पगली का शरीर किससे ढका हुआ था ?
5. पगली क्यों चिल्ला रही थी ?
6. पगली की वाणी थी –
(क) कोमल
(ख) कटु-कर्कश
(ग) सहज
(घ) शांत
7. पगली का रूप आकार क्या था ?
8. ‘दैव की मारी’ से तात्पर्य है –
(क) किस्मत की मारी
(ख) भूख की मारी
(ग) रिश्तेदारों की सताई हुई
(घ) गरीबी की मारी
9. कवि ने पगली के पागलपन का कारण किसे माना है ?
10. कवि का स्वर कैसा है ?
उत्तर :
1. कॉलेज के निकट, कच्ची सड़क के पास।
2. (क) गंदी नाली के पास से।
3. पौष के महीने में।
4. गंदे काले चिथड़ों से।
5. पगली पागलपन के कारण चिल्ला रही थी। उसके अवचेतन मन में पागल हो जाने के दुखदायी कारण छिपे हुए थे।
6. (ख) कटु-कर्कश।
7. वह कुबड़ी काली थी।
8. (क) किस्मत की मारी।
9. कवि ने किसी एक को पगली के पागलपन का कारण नहीं बताया। उसने अनेक संभावनाएँ प्रकट की हैं।
10. मानवतावादी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Questions and Answers

माखक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उस ज़मीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें और मकान बनाना चाहते थे। इसी कारण समुद्र धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर :
लेखक का घर पहले ग्वालियर में था। अब वह वर्सेवा (मुंबई) में रहता है।

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प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर :
जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर :
कबूतर का एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया था और दूसरा लेखक की माँ के हाथ से गिरकर टूट गया था। दोनों अंडे टूट जाने के कारण ही कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर :
नूह एक पैग़ंबर था, जिसका असली नाम लशकर था। सारी उम्र रोते रहने के कारण ही उसे नूह के नाम से याद किया जाता है। उन्होंने एक बार एक ज़ख़्म कुत्ते को दुत्कार दिया। कुत्ते ने उन्हें कहा कि वह ईश्वर की मर्ज़ी से कुत्ता बना है और वही सबका मालिक है। इसी बात को याद करके नूह सारा जीवन रोते रहे और अपनी गलती पर पछताते रहे।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं और क्यों ?
उत्तर :
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों के पत्तों को तोड़ने से मना करती थीं। उनका विश्वास था कि संध्या के समय फूलों को तोड़ने से फूल-पत्तियाँ बदुदुआ देते हैं और पेड़ रोते हैं। वे पेड़ों की पत्तियों और फूलों में भी जीवन का होना मानती थीं।

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प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :
प्रकृति में आए असंतुलन के भयंकर परिणाम सामने आए हैं। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, असमय वर्षा होना, भूकंप, बाढ़ तथा तूफान आना, नए-नए रोगों का बढ़ना आदि प्रकृति में आए असंतुलन के ही परिणाम हैं।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा ?
उत्तर :
लेखक की माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाकर उसे दूसरे स्थान पर रखने की कोशिश की। इस बीच वह उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इस पाप के पश्चाताप के लिए ही लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक जब ग्वालियर में रहता था, तो वहाँ लोगों के मन में सभी प्राणियों के लिए दया के भाव थे; पशु-पक्षियों के प्रति भी करुणा दिखाई जाती थी। लेकिन मुंबई में सबकुछ बदला हुआ था। मुंबई में जंगलों और समुद्र को नष्ट करके बस्तियाँ बसाई जा रही थीं। इन जंगलों और समुद्र में रहने वाले जीव-जंतुओं के विषय में किसी को कोई चिंता नहीं थी।

प्रश्न 6.
‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘डेरा डालने’ से तात्पर्य अल्पकालिक निवास है। जब कोई अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले किसी जगह पर कुछ देर के लिए रुकता है, वो उसे ‘डेरा डालना’ कहते हैं; जैसे-‘आज रात यहीं डेरा डाल लो, सुबह फिर यात्रा शुरू करेंगे’।

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प्रश्न 7.
शेख अयाज्त के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए ?
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता भोजन करने से पूर्व कुएँ पर नहाने गए थे। जब वे भोजन करने बैठे, तो उन्होंने देखा कि उनकी बाजू पर एक काला च्योंटा रेंग रहा है। वह नहाते समय उनके बाजू पर चढ़ गया था। वे भोजन छोड़कर उस च्योंटे को उसके घर कुएँ में वापस छोड़ने के लिए ही उठ खड़े हुए थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशुपक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है ? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर :
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाकर उसकी ज़मीन पर अपने रहने की जगह बना ली है। पेड़ों की निरंतर कटाई की जा रही है तथा लगातार प्रदूषण के फैलने से पशु-पक्षी बस्तियों से दूर हो गए हैं। पर्यावरण का पूरा संतुलन बिगड़ गया है। पर्यावरण के इसी असंतुलन के कारण अब अधिक गर्मी और असमय वर्षा होने लगी है। समय-समय पर आने वाले भूकंप, बाढ़ और तरह-तरह की बीमारियाँ भी इसी का परिणाम हैं। बढ़ती हुई आबादी से चारों ओर वातावरण प्रदूषित हो गया है, जिससे मनुष्य का साँस लेना भी कठिन होता जा रहा है।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर :
लेखक के फ्लैट में कबूतरों ने अपना घोंसला बना लिया था। उन कबूतरों के बच्चे छोटे थे, जिससे वे उन्हें भोजन देने के लिए दिन में आने-जाने लगे। वे कबूतर बार-बार आते-जाते कभी कोई चीज़ गिराकर तोड़ देते थे, तो कभी लेखक की लाइब्रेरी में घुसकर किताबें नीचे गिरा देते थे। लेखक की पत्नी कबूतरों की इस प्रकार की हरकतों से परेशान हो गई। उन कबूतरों को घर में आने-जाने से रोकने के लिए ही उसे खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।

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प्रश्न 3.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में समुद्र के गुस्से का क्या कारण था? उसे अपना गुस्सा कैसे शांत किया?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को धीरे-धीरे पीछे धकेलकर उसकी जमीन पर इमारतें बनाते जा रहे थे। जब इन बिल्डरों ने समुद्र की सारी जगह पर अधिकार करना चाहा, तो समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपना गुस्सा निकालने के लिए एक रात तीन समुद्री जहाज़ों को उठाकर तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा के कार्टर रोड के सामने गिरा और तीसरा गेटवेऑफ़ इंडिया पर गिरकर बुरी तरह टूट गया। इस प्रकार समुद्र ने गुस्से को प्रकट करके बिल्डरों को चेतावनी दी थी।

प्रश्न 4.
‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में सबकुछ नश्वर है। मनुष्य अपने आप पर व्यर्थ ही अभिमान करता है। अंततः नष्ट होकर वह मिट्टी में ही मिल जाता है। जीवन-भर बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। मिट्टी में मिल जाने पर यह पहचानना कठिन हो जाता है कि यह किसकी मिट्टी है। लेखक के कहने का भाव यह है कि मनुष्य को अंत में मिट्टी में ही विलीन हो जाना है। अत: उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न :
1. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था।
2. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
3. इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. लेखक का आशय है कि नेचर अर्थात प्रकृति भी एक सीमा तक सबकुछ सहन करती है। जब मनुष्य प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ करता है, तो वह उसे अवश्य दंडित करती है। जब प्रकृति को गुस्सा आता है, तो वह तबाही मचा देती है। कुछ साल पहले बंबई में भी प्रकृति के ऐसे ही गुस्से का एक उदाहरण देखने को मिला था। तब समुद्र ने तीन समुद्री जहाजों को मुंबई के तीन अलग अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त किया था। प्रकृति का गुस्सा अत्यंत भयानक होता है। अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

2. लेखक का आशय है कि जो जितना अधिक महान होता है, वह उतना ही अधिक विनम्र एवं शांत होता है। वह दूसरों पर कम क्रोधित होता है। जो महान होता है, वह प्रायः शांत रहकर अपना बड़प्पन दिखाता है। किंतु यदि कोई उसे बार-बार परेशान करता है, तो उसका गुस्सा भी भयंकर होता है। तब वह बहुत आक्रामक हो जाता है।

3. लेखक का आशय है कि बढ़ती हुई आबादी के कारण मनुष्य ने अनेक बस्तियों को बसाना शुरू कर दिया है। बस्तियों के बसाने के लिए उसने जंगलों को काट डाला है, जिससे जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षी बेघर हो गए हैं। बस्तियों ने इन पशु-पक्षियों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ पशु-पक्षी लोगों के बसने के कारण शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा पाए, उन्होंने इधर-उधर अपने रहने की जगह बना ली है। ये पशु-पक्षी इन बस्तियों के आस-पास ही मँडराते रहते हैं।

4. इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की प्राणीमात्र के प्रति करुणा की भावना व्यक्त हुई है। शेख अयाज़ के पिता शरीर पर चिपके च्योंटे को वापस उसके घर पहुँचा देते हैं। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने एक प्राणी को उसके घर से बेघर कर दिया है। उस बेघर हुए प्राणी के प्रति उनमें करुणा की भावना थी। इसी कारण वे भोजन छोड़कर पहले उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल देते हैं।

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भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिहुनों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे –
(क) माँ ने भोजन परोसा।
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।
उत्तर :
(क) माँ ने भोजन परोसा। – कतो कारक
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ। – संप्रदान कारक
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया। – अपादान कारक
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। – अधिकरण कारक
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो। – अधिकरण कारक

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए –
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर :
चींटी – चींटियाँ
घोड़ा – घोड़े
आवाज़ – आवाजें
बिल – बिलों
फ़ौज – फ़ौजें
रोटी – रोटियाँ
बिंदु – बिंदुओं
दीवार – दीवारें
टुकड़ा – टुकड़े

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प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘दफा’ जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
सजा – सज़ा
नाज – नाज़
जरा – ज़रा
तेज – तेज़
निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए –
(क) आजकल ………. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को ……………….. दो। (सजा/सज़ा)
(ग) ………. चीनी तो देना। (जरा/जरा)
(घ) माँ दही ……… भूल गई। (जमाना/जमाना)
(ङ) दोषी को ……………… दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर …………… था। (तेज/तेज़)
उत्तर :
(क) आजकल ज़माना बहुत खराब है।
(ख) पूरे कमरे को सजा दो।
(ग) ज़रा चीनी तो देना।
(घ) माँ दही जमाना भूल गई।
(ङ) दोषी को सज़ा दी गई।
(च) महात्मा के चेहरे पर तेज था।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
पशु-पक्षी एवं वन्य संरक्षण केंद्रों में जाकर पशु-पक्षियों की सेवा-सुश्रूषा के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

परियोजना- कार्य –

प्रश्न 1.
अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आए असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु-पक्षियों का उपयोग किया गया हो
उत्तर :
एक दिन मैं सरकस देखने गया। वहाँ मैंने देखा कि मानव द्वारा अनेक पशु-पक्षियों का उपयोग मनोरंजन के लिए हो रहा था। वहाँ शेर और रीछ के कई कारनामे दिखाकर तथा बंदरों को इधर-उधर उछालकर लोगों का मनोरंजन किया जा रहा था। सरकस में हाथी का उपयोग भी मनोरंजन के लिए हो रहा था। इसके अतिरिक्त चिड़ियाघर में भी तोते, मैना, चिड़िया, शेर, बतख, मगरमच्छ, हाथी और अन्य जीव-जंतुओं का उपयोग मनुष्य के मनोरंजन के लिए ही होता है।

JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
बादशाह सुलेमान और चींटियों से जुड़ी घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ईसा से 1025 वर्ष पूर्व सुलेमान नामक बादशाह हुए। वे मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भाषा भी जानते थे। एक बार वे अपनी सेना के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में कुछ चींटियों ने उनके घोड़ों की आवाज़ सुनी, तो वे डर गईं। उन्होंने एक-दूसरे से जल्दी-जल्दी बिलों में घुसने की बात कही। बादशाह सुलेमान ने उनकी बात सुन ली। उन्होंने चींटियों से कहा कि उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है। वे तो सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाले हैं। तब चींटियों ने उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना की और बादशाह अपनी मंजिल की ओर चले गए।

प्रश्न 2.
शेख अयाज़ के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए? इससे उनके व्यक्तित्व की किस विशेषता का पता चलता है ? अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता कुएँ पर नहाने गए थे। वहीं से काला च्योंटा उनके शरीर पर चढ़ गया था। जब उन्होंने अपनी बाजू पर उसे रेंगते देखा, तो तुरंत उसे वापस उसके घर अर्थात कुएँ में छोड़ने का निर्णय लिया। इसलिए वे अपना भोजन वहीं छोड़कर उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल पड़े। इस घटना से पता चलता है कि उनके हृदय में अन्य जीवों के लिए असीमित दया थी।

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प्रश्न 3.
नूह सारा जीवन क्यों रोते रहे थे ?
उत्तर :
नूह का वास्तविक नाम लशकर था। एक बार उनके सामने से एक जख्मी कुत्ता गुज़रा। उन्होंने उसे दुत्कारते हुए कहा कि गंदे कुत्ते। मेरी नज़रों से दूर हो जाओ। उस जख्मी कुत्ते ने जवाब दिया कि तुम्हें इनसान और मुझे कुत्ता बनाने वाला ईश्वर एक है। अत: तुम्हें मुझसे इतनी घृणा नहीं करनी चाहिए। यह बात सुनकर नूह को अपनी भूल का अहसास हुआ। इसी भूल का पश्चाताप करने के लिए वे सारा जीवन रोते रहे। लेखक ने इस घटना का उल्लेख करते मानवता व दयालुता का उदाहरण देने के लिए किया है।

प्रश्न 4.
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर क्या किया है?
उत्तर :
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर संसार के अन्य प्राणियों के अधिकार छीने हैं। यद्यपि पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि का इस धरती पर समान अधिकार है, लेकिन मानव ने सारी धरती पर केवल अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है। पहले जहाँ पूरा संसार एक परिवार के समान रहता था, अब मानव-बुद्धि के कारण वह छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है। परिणामस्वरूप मिल-जुलकर रहने की भावना समाप्त होती जा रही है। वर्तमान समय में ऐसे अनेक परिवार देखने को मिल जाएँगे, जो अब संयुक्त न रहकर एकल में परिवर्तित हो गए हैं। यह भी मानव द्वारा बुद्धि प्रयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

प्रश्न 5.
बढ़ती हुई जनसंख्या का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर :
जनसंख्या के बढ़ने से मनुष्य ने अपने रहने के लिए पर्वत, जंगल और समुद्र को नष्ट करना शुरू कर दिया है। जंगलों को निरंतर काटा जा रहा है। इससे जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे सभी बेघर होकर इधर-उधर भटकने लगे हैं। कई जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ ही लुप्त होती जा रही हैं। जनसंख्या के बढ़ने से चारों ओर प्रदूषण फैल रहा है, जिससे पक्षी लोगों के निवास स्थानों से दूर होते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। इसके फलस्वरूप जीवों की अनेक प्रजातियाँ दिन-प्रतिदिन विलुप्त हो रही हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे। कैसे?
उत्तर :
सुलेमान बादशाह केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, अपितु वे सभी छोटे-बड़े, पशु-पक्षियों के भी हाकिम थे। वे उनकी भाषा जानते थे। वे मानव ही नहीं बल्कि प्राणीमात्र के हितचिंतक थे। उनके हृदय में प्राणीमात्र के प्रति गहन संवेदनाएँ एवं प्रेम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे।

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प्रश्न 2.
शेख अयाज़ कौन थे? उन्होंने आत्मकथा में किस घटना का चित्रण किया है?
उत्तर :
शेख अयाज़ सिंधी भाषा के महाकवि थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने पिताजी के जीवन की एक उदारतापूर्ण घटना का चित्रण किया है, जिसमें उनके पिता एक च्योंटे को उसके घर पहुँचाने के लिए खाना छोड़कर उठ गए थे।

प्रश्न 3.
नूह का परिचय दीजिए।
उत्तर :
बाइबिल और दूसरे पावन-ग्रंथों में नूह नामक एक पैगंबर का वर्णन मिलता है। उनका असली नाम लशकर था, लेकिन अरब ने उनको नूह के जकब से याद किया है।

प्रश्न 4.
नूह ने कुत्ते को क्यों दुत्कारा? कुत्ते ने उनको क्या जवाब दिया?
उत्तर :
नूह ने कुत्ते को इसलिए दुत्कारा था, क्योंकि वह घायल और जख्मी अवस्था में उनके सामने आ गया था। कुत्ते ने उनकी दुत्कार सुनकर जवाब दिया कि न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ, न तुम अपनी पसंद से इनसान हो। बनाने वाला सबका तो वही एक है।

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प्रश्न 5.
“सब की पूजा एक-सी, अलग-अलग है रीत।
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में जितने भी प्राणी हैं, उन सभी का प्रभु की पूज़ा करने का ढंग एक समान है। बस उनकी पूजा करने के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। जैसे एक मौलवी मस्ज़िद जाकर नमाज़ अदा करता है, तो कोयल गीत गाकर प्रभु की पूजा करती है।

प्रश्न 6.
संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यह संसार प्रकृति की अनुपम देन है। प्रकृति ने संपूर्ण संसार को एक परिवार की तरह बनाया है। उसने किसी में कोई अंतर नहीं किया। संसार में असंख्य पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि मौजूद हैं, किंतु इन सबकी संसार में बराबर की हिस्सेदारी है। प्रकृति के सम्मुख प्रत्येक प्राणी बराबर है, जो परस्पर परिवार के समान जुड़े हुए हैं। इस प्रकार संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है।

प्रश्न 7.
“नदियाँ सींचे खेत को, तोता कुतरे आम।
सूरज ठेकेदार-सा, सबको बाँटे काम॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में असंख्य प्राणी हैं। प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को उसकी क्षमता, शक्ति एवं बुद्धि के अनुसार अलग अलग कार्य बाँटे हैं। इसलिए यहाँ नदियों का कार्य खेतों का सिंचन करना है और तोते का कार्य आम खाना है। सूर्य एक ठेकेदार के समान है, जो सबमें कार्यों का बँटवारा करता है।

प्रश्न 8.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ लेखक द्वारा लिखा गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव होता था; वह दूसरों के दुख को अपना समझता था, किंतु आज स्थिति बदल गई है। आज वह एक-दूसरे का विरोधी बन गया है। आज प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है। लेखक मानव को प्रकृति से खिलवाड़ न करने तथा मिलजुल कर रहने का संदेश देना चाह रहा है।

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प्रश्न 9.
पाठ में लेखक ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है ?
उत्तर :
लेखक अपनी माँ के विषय में बताते हुए कहता है कि उसके हृदय में सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ प्रकृति के कण-कण में जीवन तथा उसके मंगल की कामना करती थी। उसकी माँ को पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर, मुर्गे आदि में जीवन का अहसास होता था। वह इन सभी जीवों तथा प्रकृति के रूप को तंग न करने की भी बात करती थी।

प्रश्न 10.
कबूतर के अंडे को बचाते समय लेखक की माँ के साथ क्या घटना घटी?
उत्तर :
एक बार लेखक की माँ कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने का प्रयास कर रही थी। उसके इसी प्रयास में कबूतर का अंडा उसके हाथ से छिटककर ज़मीन पर गिर गया और टूट गया। इससे माँ का हृदय अत्यंत दुख से भर गया।

प्रश्न 11.
अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ ने उसका पश्चाताप कैसे किया?
उत्तर :
कबूतर का अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ स्वयं को उसका दोषी मान रही थी। वह इस बात से इतनी दुखी थी कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया-पीया। उसे यह घटना पाप के समान लग रही थी। अतः अपनी भूल का पश्चाताप करने हेतु वह सारा दिन नमाज़ पढ़ती रही।

प्रश्न 12.
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कौन करता था?
उत्तर :
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कबूतर करते थे। कभी कबूतर उसके पुस्तकालय में आकर उत्पात मचाते थे, तो कभी घर के अन्दर अन्य चीजों को तोड़-फोड़ देते थे। उनके इस उत्पात से लेखक और उसका परिवार बहुत परेशान था।

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प्रश्न 13.
आपकी माँ आपको किन कार्यों के लिए प्रेरित करता है?
उत्तर :
मेरी माँ बहुत अच्छी हैं। वे मुझे प्रतिदिन अच्छी-अच्छी बातें सिखाती हैं। वे कहती हैं कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। किसी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए। प्रकृति को साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए। पशु-पक्षियों का आदर-सम्मान करना चाहिए। एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
लेखक के मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति कैसे भाव थे?
उत्तर :
लेखक जन्म से ही धार्मिक स्वभाव का था। उसके मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति अगाध श्रद्धा थी। उसकी माँ अक्सर उसे हज़रत मुहम्मद का हवाला देते हुए उपदेश दिया करती थी। लेखक माँ के उन उपदेशों को मान भी लेता था।

प्रश्न
कुत्ते को नूह गंदा जीव क्यों मानते थे?
उत्तर :
नूह का धर्म इस्लाम था। वे पूर्णतः धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे। कुत्ते को इस्लाम में गंदा जीव कहा गया है। इस्लाम धर्म में आस्था नूह का पर होने के कारण वे कुत्ते को गंदा जीव मानते थे। इसलिए उन्होंने कुत्ते को दुत्कारा था।

प्रश्न 16.
समुद्र ने अपने गुस्से का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर :
मानव द्वारा लगातार प्रकृति से खिलवाड़ करने से समुद्र बहुत दुखी था। उसने अपने दुख को रोष के रूप में प्रकट करते हुए तीन जहाजों को आकाश में उछाल दिया। तीनों जहाज़ तीन अलग-अलग दिशाओं में जा गिरे। पहला जहाज वी तट पर जाकर उलट गया; दूसरा जहाज़ कार्टर रोड बाँद्रा में उल्टा जा गिरा; तीसरा गेटवे ऑफ़ इंडिया पर जाकर गिरा, जहाँ वह बुरी तरह से टूट-फूट गया।

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प्रश्न 17.
पाठ के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग अब कम मिलते हैं।
उत्तर
दसरों के दख से दखी होने वाले लोग पहले बहत मिलते थे क्योंकि उनमें प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था. वे दसरों के दुख से दुखी हो जाते थे परन्तु आज लोग दूसरे के दुख को देखकर दुखी नहीं होते। मनुष्य ने धरती पर अधिकार करना शुरू कर दिया है, जिससे पशु, पक्षी, पर्वत, सागर आदि के प्रति भी उसके मन में करुणा नहीं है। जंगलों को काट कर बस्तियाँ बन रही हैं। पर्वतों को फाड़ा जा रहा है तथा सागर को पाट कर बिल्डिंगें बन रही हैं। स्वयं लेखक अपने घर में कबूतरों के बने घोंसले से परेशान होकर खिडकी में जाली लगाकर कबूतरों के घर में प्रवेश पर रोक लगा देता है। इससे स्पष्ट है कि अब दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग कम मिलते हैं।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर सन 1938 को दिल्ली में हुआ, लेकिन इनका सारा बचपन ग्वालियर में बीता। निदा फ़ाज़ली उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। इनकी शेरो-शायरी पाठक के दिलो-दिमाग में सरलता से घर कर लेती है। निदा फ़ाज़ली को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए उन्हें 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया था। वर्तमान में निदा फ़ाज़ली फ़िल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं।

रचनाएँ – निदा फ़ाज़ली की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
लफ़्जों का पुल (कविता संग्रह), खोया हुआ सा कुछ (शायरी संग्रह)
दीवारों के बीच (आत्मकथा का पहला भाग), दीवारों के पार (आत्मकथा का दूसरा भाग)
तमाशा मेरे आगे (फ़िल्मी दुनिया पर लिखे संस्मरणों का संग्रह)
निदा फ़ाज़ली को सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रभावशाली काव्य रचना में महारत प्राप्त है। इनकी गद्य रचनाओं में भी शेर-ओ-शायरी को कुछ इस ढंग से पिरोया गया है कि वे थोड़े में ही बहुत कुछ कह जाते हैं। उनकी इस विशेषता ने उन्हें काफी लोकप्रिय बनाया है।

भाषा-शैली – निदा फ़ाज़ली की भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है। सरलता, सहजता, सरसता और प्रभावोत्पादकता इनकी भाषा-शैली की विशेषताएँ हैं। इनकी भाषा में रोचकता और प्रवाहमयता को भी सर्वत्र देखा जा सकता है। इन्होंने तत्सम व तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का सुंदर प्रयोग किया है। प्रस्तुत पाठ में इन्होंने बीच-बीच में जो दोहों और सूक्तियों का प्रयोग किया है, वह इनकी भाषा को चार चाँद लगा देता है। इनकी भाषा में कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – नेचर, बिल्डर, कार्टर रोड, गेटवे ऑफ़ इंडिया, फ्लैट, लाइब्रेरी आदि।

निदा फ़ाज़ली की शैली कहीं वर्णनात्मक है, तो कहीं आत्मकथात्मक है। कहीं-कहीं इन्होंने संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। इनकी शैली में अनेक ऐसे गुण हैं, जो उसे श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं।

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पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले निदा फ़ाज़ली द्वारा लिखी पुस्तक ‘तमाशा मेरे आगे’ में से लिया गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीव-जंतुओं के प्रति करुणा का भाव होता था। वह दूसरों के दुख से दुखी होता था, किंतु आज मनुष्य के हृदय में दूसरे के दुख को देखकर भी दुख के भाव नहीं उमड़ते। मनुष्य धरती पर अपना अधिकार करता जा रहा है, जिससे अन्य प्राणी बेघर होते जा रहे हैं। लेखक के अनुसार पहले मनुष्य के हृदय में प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था।

ईसा से 1025 वर्ष पूर्व हुए बादशाह सुलेमान चींटी तक की रक्षा किया करते थे। वे स्वयं को किसी के लिए मुसीबत न मानकर सभी प्राणियों पर करुणा बरसाते थे। एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए लेखक कहता है कि सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज की आत्मकथा में भी उनके पिता की सभी प्राणियों के प्रति करुणा की चलता है। वे लिखते हैं कि एक बार उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे, तो भोजन करते समय उन्होंने अपनी बाजू पर काले च्योंटे को रेंगते हुए देखा। वे तुरंत उस च्योंटे को उसके घर अर्थात् कुएँ में छोड़ने चल दिए। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने उसे बेघर कर दिया है।

प्राणियों के प्रति करुणा का एक अन्य उदाहरण नूह नाम के एक पैग़ंबर से जुड़ा हुआ है। एक बार उन्होंने एक ज़ख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था। कुत्ते ने जवाब दिया कि कोई अपनी मर्ज़ी से जानवर या इनसान नहीं बनता। सबको बनाने वाला खुदा है। तब नूह को अपनी गलती पर इतना पश्चाताप हुआ कि वे जीवन-भर एक कुत्ते को दुख पहुँचाने के दर्द से रोते रहे। लेखक कहता है कि सभी जीव-जंतुओं से प्रेम करने वाले और सबके प्रति करुणा का भाव रखने वाले ऐसे लोग अब नहीं हैं। अब तो मनुष्य ने सारी धरती पर अपना अधिकार करना शुरू कर दिया है। उसके हृदय में पशुओं, पक्षियों, पर्वतों, समंदरों के प्रति कोई करुणा का भाव नहीं है। मिल-जुलकर रहने की भावना भी उसमें धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है।

लेखक कहता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है। बस्तियाँ बसाने के लिए उसने पेड़ों को भी काटना शुरू कर दिया है, जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, भूकंप, बाढ़ और नए-नए रोगों का होना प्रकृति के इसी असंतुलन का परिणाम है। लेखक कहता है कि प्रकृति तंग आकर कई बार अपना गुस्सा भी प्रकट करती है। कुछ वर्ष पहले मुंबई में समुद्र ने तीन समुद्री जहाज़ों को अलग-अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त भी किया था।

लेखक कहता है कि उसकी माँ के हृदय में भी सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ पेड़ों की पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर और मुर्गे आदि में भी जीवन को महसूस करती थी और इन्हें तंग करने से मना करती थी। लेखक एक घटना का वर्णन करता है कि एक बार उसकी माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने की कोशिश की। इस कोशिश में वह अंडा उसके हाथ से गिरकर टूट गया। उसकी माँ इस बात से इतनी दुखी हुई कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया। उसे लगा कि उसके हाथ से पाप हो गया है और वह सारा दिन नमाज़ पढ़कर अपनी भूल पर पश्चाताप करती रही।

लेखक के अनुसार अब काफ़ी कुछ बदल गया है। मनुष्य लगातार बस्तियाँ बसाता जा रहा है, जिससे जंगलों को काटा जा रहा है। जंगलों के काटने से इसमें रहने वाले अनेक जीव-जंतु बेघर हो रहे हैं, लेकिन किसी को इसकी कोई चिंता नहीं है। लेखक कहता है कि उसके फ्लैट में भी कबूतरों ने जब घोंसला बनाया, तो वह परेशान हो उठा था। उसकी पत्नी ने कबूतरों के आने-जाने को रोकने के लिए खिड़की में जाली लगा दी थी। लेखक दुख प्रकट करता है कि अब जीव-जंतुओं के प्रति किसी के हृदय में करुणा का भाव नहीं है। सभी प्राणियों से प्रेम करने वाले और दूसरों के दुख में दुखी होने वाले लोग अब इस संसार में नहीं हैं।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

बादशाह – राजा, हाकिम – राजा, मालिक, दफा – बार, रखवाला – रक्षा करने वाला, जिक्र – वर्णन, बेघर – घर से रहित, लश्कर (लशकर) – सेना, विशाल जनसमुदाय, लकब – पद सूचक नाम, जख्मी – घायल, मर्जी – इच्छा, मुद्दत – काफ़ी समय, प्रतीकात्मक – प्रतीकस्वरूप, एकांत – अकेलापन, दालान – बरामदा, सिमटना – सिकुड़ना, आबादी – जनसंख्या, बेवक्त – बिना समय के, असमय,

जलजले – भूकंप, लानी – ऐसे पर्यटक जो भ्रमण कर नए-नए स्थानों के विषय में जानना चाहते हैं, काबिल – योग्य, अजीज़ – प्रिय प्यारा, मज़ार – दरगाह, कब्र, गुंबद – मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे आदि के ऊपर बनी गोल छत, अज़ान – नमाज़ के समय की सूचना जो मस्जिद की छत या दूसरी ऊँची जगह पर खड़े होकर दी जाती है, डेरा – अस्थायी पड़ाव, गुनाह – पाप, खुदा – ईश्वर, परिंदे – पक्षी, खामोश – चुप।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8

2. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह है?
(A) पृथ्वी
(B) बृहस्पति
(C) शनि
(D) कुबेर।
उत्तर:
पृथ्वी।

3. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह नहीं है?
(A) बुध
(B) शुक्र
(C) पृथ्वी
(D) शनि।
उत्तर:
शनि।

4. एमैनुल कांट किस देश का निवासी था?
(A) भारत
(B) फ्रांस
(C) इंग्लैण्ड
(D) जर्मनी।
उत्तर:
जर्मनी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

5. लाप्लास ने नीहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1795
(B) 1796
(C) 1797
(D) 1798
उत्तर:
1796.

6. सूर्य से गैसीय पदार्थ किस बल द्वारा अलग हुए हैं?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घूर्णन
(C) कोणीय संवेग
(D) अपकेन्द्रीय बल।
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण।

7. किस गैस का संगलन हीलियम में हुआ?
(A) हाइड्रोजन
(B) नाइट्रोजन
(C) ऑक्सीजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

8. चन्द्रमा की उत्पत्ति कितने वर्ष पूर्व हुई?
(A) 2.44 अरब वर्ष
(B) 4.44 अरब वर्ष
(C) 3.44 अरब वर्ष
(D) 5.44 अरब वर्ष।
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष।

9. नीहारिका सिद्धान्त किस विद्वान् ने प्रस्तुत किया?
(A) चेम्बरलेन
(B) लाप्लेस
(C) न्यूटन
(D) मोल्टन।
उत्तर:
लाप्लेस।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

10. लाप्लेस किस विषय का विद्वान् था?
(A) सामाजिक विज्ञान
(B) भौतिकी
(C) अर्थशास्त्र
(D) गणित।
उत्तर:
गणित।

11. जेम्स तथा जेफ़री ने कौन-सा सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
(A) नीहारिका
(B) दैतारक सिद्धान्त
(C) एक तारक सिद्धान्त
(D) विस्थापन सिद्धान्त।
उत्तर:
दैतारक सिद्धान्त।

12. ऑटो शिमिड किस देश का वैज्ञानिक था?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
रूस।

13. सौर नीहारिका की प्रमुख गैस थी
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हाइड्रोजन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

14. पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी सर्वमान्य सिद्धान्त है
(A) नीहारिका
(B) द्वैतारिक
(C) बिग बैंग
(D) ज्वारीय।
उत्तर:
बिग बैंग।

15. बिग बैंग सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) लाप्लेस
(B) एडविन हब्बल
(C) मोल्टन
(D) न्यूटन।
उत्तर:
एडविन हब्बल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
उत्तर:
8.

प्रश्न 2.
आन्तरिक ग्रहों (तुच्छ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ग्रह ।

प्रश्न 3.
बाह्य ग्रहों ( श्रेष्ठ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, कुबेर।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 4.
उस अद्वितीय ग्रह का नाम लिखो जहां जीवन मौजूद है।
उत्तर:
पृथ्वी।

प्रश्न 5.
किस दार्शनिक ने नीहारिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कान्त।

प्रश्न 6.
किस वैज्ञानिक ने संघट्ट परिकल्पना प्रस्तुत की?
उत्तर:
जेम्स जीन्स तथा जेफ्रीज़ ने।

प्रश्न 7.
सूर्य से बाहर निकले जीह्वाकार पदार्थ का क्या आकार है?
उत्तर:
सिगार आकार।

प्रश्न 8.
1950 ई० में रूस के किस वैज्ञानिक ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन किया?
उत्तर:
ऑटो शिमिड ने।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 9.
जींस और जैफरी का कौन-सा सिद्धान्त है?
उत्तर:
द्वैतारक सिद्धान्त।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त (विस्तृत ब्रह्माण्ड परि-कल्पना)

प्रश्न 11.
प्रकाश वर्ष में प्रकाश कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर:
9.461 x 1012 कि० मी०।

प्रश्न 12.
तारों का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले।

प्रश्न 13.
The Big Splat से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक बड़े पिण्ड का पृथ्वी से टकराना जिससे चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 14.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष पूर्व।

प्रश्न 15.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
संश्लेषण क्रिया से महासागरों में ऑक्सीजन का बढ़ना।

प्रश्न 16.
लाप्लेस के अनुसार ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से सूर्य की युवा अवस्था में हुआ।

प्रश्न 17.
द्वैतारक मत के दो समर्थक विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर:
सर जेम्स जीन्स, सर हैरोल्ड जैफ़री।

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प्रश्न 18.
सौर नीहारिका परिकल्पना के समर्थक दो विद्वानों के नाम लिखो।
उत्तर;
ऑटो शिमिड, कार्ल वाइज़ास्कर।

प्रश्न 19.
सौर नीहारिका में मौजूद तीन गैसें बताओ।
उत्तर:

  1. हाइड्रोजन
  2. हीलियम
  3. धूलिकण।

प्रश्न 20.
ब्रह्माण्ड का विस्तार कैसे हो रहा है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड की आकाश गंगाओं के बीच की दूरी बढ़ने से विस्तार हो रहा है।

प्रश्न 21.
पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में प्रारम्भिक मत किस दार्शनिक ने दिया?
उत्तर:
एमैनुल कान्ट।

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प्रश्न 22.
सूर्य के सबसे नज़दीक कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बुध।

प्रश्न 23.
सौरमण्डल का सबसे बड़ा व सबसे छोटा कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा। प्रश्न 24. प्रकाश वर्ष किस इकाई का मापक है?
उत्तर:
खगोलीय दूरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्रहाणु क्या है?
उत्तर:
सूर्य तथा गुज़रते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फ़िलेमैण्ट के रूप में पूर्व-स्थित सूर्य से निकल कर बाहर आ गया। यह जिह्वा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठंडे पिंडों के रूप में उड़ते हुए सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में घूमने लगे। इन्हें ग्रहाणु (Planetesimals) कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऑटो शिमिड द्वारा संशोधित सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
1950 ई० में रूस के ऑटो शिमिड (Otto Schmidt) व जर्मनी के कार्ल वाइज़ास्कर (Carl Weizascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया, जिसमें विवरण भिन्न था। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलिकणों की बनी थी। इन कणों के घर्षण व टकराने (Collusion) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।

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प्रश्न 3.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर:
तारों का निर्माण-प्रारम्भिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरम्भिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बलों में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यही एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हज़ारों प्रकाश वर्षों में (Light years) मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हज़ार से 1 लाख 50 हजार वर्ष के बीच हो सकता है।

एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका (Nebula) कहा गया। क्रमश: इस बढ़ती हुई नीहारिक में गैस के झुण्ड विकसित हुए। ये झुण्ड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बने, जिनसे तारों का निर्माण आरम्भ हुआ। ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।

प्रश्न 4.
आन्तरिक तथा बाहरी ग्रहों की तुलना करो।
उत्तर:
इन 8 ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह (Inner planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व छुद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह (Outer planets) कहलाते हैं जिनमें वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण शामिल हैं। पहले चार ग्रह पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं । इसका अर्थ है कि ये ग्रह पृथ्वी की भान्ति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं।

अन्य चार ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन (Jovian) ग्रह कहलाते हैं। जोवियन का अर्थ है बृहस्पति (Jupiter) की तरह। इनमें से अधिकतर पार्थिक ग्रहों से विशाल हैं और हाइड्रोजन व हीलियम से बना सम, वायुमण्डल है। सभी ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब सालों पहले एक ही समय में हुआ।

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प्रश्न 5.
ग्रहों का सूर्य से दूरी, घनत्व तथा अर्द्धव्यास की दृष्टि से तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अद्ध व्यास

ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अर्ध्ध व्यास उपग्रह
बुध 0.387 5.44 0.383 0
शुक्र 0.723 5.245 0.949 0
पृथ्वी 1.000 5.517 1.000 1
मंगल 1.524 3.945 0.533 2
बृहस्पति 5.203 1.33 11.19 69
शान 9.539 0.70 9.460 61
अरुण 19.182 1.17 4.11 27
वरुण 30.058 1.66 3.88 14

प्रश्न 6.
चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत करें।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत किए गए हैं।

1. सन् 1838 ई० में, सर जार्ज डार्विन (Sir George Darwin):
ने सुझाया कि प्रारम्भ में पृथ्वी व चन्द्रमा तेज़ी से घूमते एक ही पिण्ड थे। यह पूरा पिण्ड डंबल (बीच से पतला व किनारों से मोटा) की आकृति में परिवर्तित हुआ और अंततोगत्वा टूट गया। उनके अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ जहाँ आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद है।

2. यद्यपि वर्तमान समय के वैज्ञानिक इनमें से किसी भी व्याख्या को स्वीकार नहीं करते। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव (Giant impact) का नतीजा है जिसे ‘द बिग स्पलैट’ (The big splat) कहा गया है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के 1 से 3 गुणा बड़े आकार का पिण्ड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया। टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और क्रमशः आज का चन्द्रमा बना। यह घटना या चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्षों पहले हुई।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनः बनने में सक्षम था) और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं।

300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधारण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पहले आरम्भ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश वर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष (Light Year) समय का नहीं वरन् दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि०मी० प्रति सैकेंड है। विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। यह 9.461×1012 कि०मी० के बराबर है। पृथ्वी व सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्ष के सन्दर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 मिनट है।

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प्रश्न 9.
सौर मण्डल क्या है? इसकी रचना कब हुई?
उत्तर:
हमारे सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। जिस नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है उसके ध्वस्त होने व क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षों पहले हुई व ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्षों पहले बने। हमारे सौर मण्डल में सूर्य (तारा), आठ ग्रह, 63 उपग्रह, लाखों छोटे पिण्ड जैसे-क्षुद्र ग्रह (ग्रहों के टुकड़े) (Asterodis), धूमकेतु (Comets) एवं वृहत् मात्रा में धूलिकण व गैस हैं।

प्रश्न 10.
पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
पार्थिव ग्रह

पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
(1) पार्थिव ग्रह अपने जनक तारे के बहुत समीप बने हैं। (1) जोवियन ग्रहों की रचना अपने जनक तारे से अधिक दूरी पर हुई।
(2) सौर वायु पार्थिव ग्रहों से अधिक मात्रा में गैस व धूल कण उड़ा ले गई। (2) सौर वायु जोवियन ग्रहों से अधिक गैसों को हटा नहीं पाई।
(3) बृहस्पति, शनि, अरुण वरुण पार्थिव ग्रह हैं। (3) बृहस्पति एक जोवियन ग्रह हैं।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की भू-पर्पटी का विकास क्रम बताइए।
उत्तर:
अनेक ग्रहाणुओं के एकत्र होने से ग्रह बने, पदार्थों के एकत्र होने से अत्यधिक उष्मा उत्पन्न हुई, उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने लगे। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गए, हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ठण्डे व ठोस होने लगे। इस प्रकार भू-पर्पटी का निर्माण हुआ।

प्रश्न 12.
अन्तरिक्ष क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खुले ब्रह्मांड में करोड़ों आकाश गंगाएं (Galaxies) हैं। प्रत्येक आकाश गंगा तमें अरबों तारे हैं। इनसे मिलकर बने ब्रह्मांड को अंतरिक्ष कहते हैं। वास्तव में अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अंतरिक्ष का न कोई आदि है और न ही कोई अन्त।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा प्रस्तुत संघट्ट परिकल्पना का वर्णन करो।
उत्तर:
संघट्ट परिकल्पना (Collision Hypothesis):
यह परिकल्पना द्वि-तारक (Dualistic) सिद्धान्त पर आधारित है। यह परिकल्पना इंग्लैंड के प्रसिद्ध विद्वान् सर जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा 1926 में प्रस्तुत की गई। इस सिद्धान्त के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति द्वै-तारक (Bi-parental) है। इसे ज्वारीय परिकल्पना भी कहते हैं।

परिकल्पना की रूप-रेखा (Outlines of the Hypothesis):

  1. इस परिकल्पना के अनुसार आरम्भ में सूर्य एक गर्म गैसीय पदार्थ के रूप में अन्तरिक्ष में मौजूद था।
  2. इस सूर्य से कई गुणा बड़ा, एक और तारा सूर्य के निकट से गुज़रा। इस तारे के कारण सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुए।
  3. गुजरते हुए तारे के गुरुत्वाकर्षण के कारण पूर्व स्थित सूर्य से गैसीय पदार्थ आकर्षित होकर खिंच गए। इस निकले हुए पदार्थ को फ़िलेमैण्ट कहा गया जो सिगार के आकार का था।
  4. यह फिलेमैण्ट कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया जिन्हें ग्रहाणु (Planetisimals) कहते हैं।
  5. आपसी टक्कर तथा गुरुत्वाकर्षण द्वारा ग्रहाणु के बड़े टुकड़ों ने छोटे टुकड़ों को अपने में मिला लिया और इस प्रकार ग्रहों की रचना हुई।

गुण-दोष (Merits and Demerits):
यह परिकल्पना सबसे अधिक मान्य है। ग्रहों का वर्तमान क्रम इस परिकल्पना का प्रमाण है। उपग्रहों का आकार तथा संख्या भी इस परिकल्पना के अनुसार हैं। छोटे ग्रहों के उपग्रह कम हैं। परन्तु यह सिद्धान्त मंगल ग्रह की स्थिति को समझाने में असमर्थ है। सूर्य का तापमान भी इतना अधिक है कि इससे ग्रहों की रचना सम्भव नहीं है।

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प्रश्न 2.
पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास को महाकल्पों में बांटिए और उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
पृथ्वी का इतिहास (Life History of the Earth):
पृथ्वी सौर मण्डल का एक अंग है। इसकी उत्पत्ति सौर मण्डल के साथ-साथ ही हुई है। पृथ्वी की चट्टानें भी पृथ्वी इतिहास के पृष्ठ हैं। चट्टानों की पर्तों और उनमें जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन से पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास का पता चलता है। पृथ्वी की आयु 3 अरब से 5 अरब वर्ष तक आंकी गई है; परन्तु पृथ्वी पर मानव का उदय 50,000 वर्ष पूर्व की घटना है। पृथ्वी की आयु के प्रथम 1/2 अरब वर्ष का अनुमान निराधार है। परन्तु अन्तिम 50 करोड़ वर्षों का अनुमान विभिन्न तथ्यों पर आधारित है। पृथ्वी के इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए विभिन्न ईयोन (Eons), महाकल्पों (Era), कल्पों (Periods) और युगों (Epoch) में बांटा गया है।

1. आद्य महाकल्प (Pre-Cambrian Era):
यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे प्राचीन महाकल्प है। इस महाकल्प की चट्टानें सबसे पुरानी हैं तथा पृथ्वी के भीतर बहुत गहराई में पाई जाती हैं। इस काल की मुख्य शैलें नीस (Geneiss) तथा ग्रेनाइट (Granite) हैं। इस काल में ज्वालामुखी क्रिया तथा भूकम्प बहुत आया करते थे। इस समय हरसिनीयन हलचलों के कारण गोंडवाना लैण्ड, अंगारा लैण्ड, लॉरेशिया तथा बाल्टिक भू-खण्डों का निर्माण हुआ।

2. पुराजीव महाकल्प (Palaeozoic or Primary Era):
यह मकाकल्प 150 करोड़ वर्ष पूर्व से 22 करोड़ वर्ष पूर्व तक रहा। इस महाकल्प में पृथ्वी पर वनस्पति और जीवों का विकास हुआ। इस महाकल्प में कैलिडोनियन हलचल हुई। इस महाकल्प को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है
(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प।
(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प।

(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प (Lower Palaeozoic Era): इस महाकल्प को तीनों कल्पों में बांटा जाता है

  1. कैम्ब्रियन कल्प (Cambrian Period):
    इस युग में भू-मण्डल पर समुद्रों की उत्पत्ति हुई। इस कल्प की शैलों में चूने का पत्थर, बलुआ पत्थर तथा शैल महत्त्वपूर्ण हैं। इस युग में बिना रीढ़ वाले जन्तुओं का जन्म हुआ।
  2. ओौंविसियन कल्प (Ordovician Period):
    इस कल्प में समुद्र का अधिक विस्तार हुआ। जीवों का और अधिक विकास हुआ। ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माणकारी हलचलें प्रारम्भ हुईं।
  3. सिल्यूरियन कल्प (Silurian Period):
    इस युग में समुद्रों में मछलियों का जन्म हुआ तथा लाल बालू का पत्थर बना। इस कल्प में कैलिडोनियन हलचल के कारण स्कॉटलैण्ड के पर्वत बने।

(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प (Upper Paleozoic Era)

  1. डिवोनियन कल्प (Devonian Period): इस कल्प के मछलियों की वृद्धि हुई तथा वलन क्रिया का विस्तार हुआ।
  2. कार्बोनीफेरस कल्प (Carboniferous Period): इस युग में अधिक ऊष्णता के कारण दबी हुई वनस्पति कोयले में बदल गई। इसलिए इसे कोयला या कार्बन कल्प भी कहा जाता है।
  3. परमियन कल्प (Permian Period): इस युग में शुष्क जलवायु के कारण महासागरों का विस्तार कम होने लगा है। हरसीनियन भू-हलचलों के कारण अप्लेशियन पर्वतों का निर्माण हुआ।

3. मध्य महाजीव महाकल्प (Mesozoic Era):
यह प्राचीन तथा नवीन महाकल्पों का मध्य भाग है जिसे द्वितीय महाकल्प (Secondary Era) भी कहते हैं। यह वर्तमान से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इसे तीन कल्पों में बांटा जाता है

  1. ट्रियासिक’कल्प (Triassic Period): इस काल में महाद्वीपीय विस्थापन टेथीज़ महासागर बना तथा विभिन्न भू-खण्डों की रचना हुई।
  2. जुरैसिक कल्प (Triassic Period): इस कल्प में भारी तथा भयानक जीव-जन्तुओं का विस्तार हुआ।
  3. क्रिटेशस कल्प (Cretaceous Period): इस युग में स्तनपोषी जीवों की वृद्धि हुई। लावा प्रवाह से दक्कन के पठारों की रचना हुई।

4. नवजीव महाकल्प (Canozoic Era):
इस युग में आदि मानव का जन्म हुआ। कई पर्वत निर्माणकारी हलचलें हुईं जिससे नवीन मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ।

  1. इयोसीन युग (Eocene Period): इस युग में भू-तल पर लावा प्रवाह हुआ तथा कई पठारों की रचना हुई। स्तनधारी पशुओं का विकास हुआ।
  2. औलिगोसीन युग (Oligocene Period): इस युग को एल्पाइन भू-हलचल का युग कहा जाता है जिसके कारण हिमालय तथा आल्पस पर्वतों का निर्माण हुआ।
  3. मायोसीन युग (Miocene Period): इस युग में ह्वेल मछली तथा बन्दर आदि का जन्म हुआ। यूरेशिया के मोड़दार पर्वत उत्पन्न हुए। (iv) प्लायोसीन युग (Pliocene Period)—इस युग में तलछट के जमाव से मैदानों का निर्माण हुआ।

5. क्वाटरनरी महाकल्प (Quarternary Era):
यह नवीनतम महाकल्प है। यह युग 10 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ था। इसे दो भागों में बांटा जाता है
1. प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Period):
इस युग में उत्तरी अमेरिका, यूरोप आदि भागों पर हिम का आवरण छा गया। इसे ‘महान् हिम युग’ (Great Ice Age) कहते हैं। हिम आवरण के हटने से महान् झीलों, भू-आकार घाटियों तथा हिमोढ़ों की रचना हुई।

2. होलीसीन युग (Holocene Period):
यह अभिनव कल्प या सर्व नूतन युग में मनुष्य का विकास हुआ है। इस युग में पुनः ताप बढ़ने लगा। इस युग में हिम के हटने से कई स्थानों पर हिमोढ़ निक्षेप बने। इस युग में मानव सभ्यता के कई चरण पार करता हुआ अन्तरिक्ष में जा पहुंचा है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. “भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी का मानव के घर के रूप में अध्ययन किया जाता है।” यह परिभाषा कौन-से भूगोलवेत्ता द्वारा प्रस्तुत की गई है?
(A) हार्टशोर्न
(B) डडले स्टैम्प
(C) काण्ट तथा रिटर
(D) वूल्डरिज तथा ईर।
उत्तर:
डडले स्टैम्प।

2. “भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी का मानव के संसार के रूप में वैज्ञानिक वर्णन है।’ भूगोल की यह परिभाषा किस ने प्रस्तुत की?
(A) एफ० जे० मोंकहाउस
(B) हार्टशोर्न
(C) फेयरग्रीव
(D) विडाल डी ला ब्लाश।
उत्तर:
विडाल डी ला ब्लाश।

3. “प्रकृति मंच प्रदान करती है और मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।” ये शब्द किस भूगोलशास्त्री ने कहे थे?
(A) रिचथोफेन
(B) एडवर्ड एकरमैन
(C) विडाल डी ला ब्लाश
(D) हार्टशोर्न। उत्तर-विडाल डी ला ब्लाश।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

4. निम्नलिखित में से कौन-से अमेरिकन भूगोलशास्त्री थे?
(A) काण्ट तथा रिटर
(B) डडले स्टैम्प तथा एफ० जे० मोंकहाउस
(C) वूल्डरिज तथा ईस्ट
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन ।
उत्तर:
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन।

5. वातावरण में कौन-से दो तत्त्वों का समावेश होता है?
(A) प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक
(B) प्राकृतिक तथा भौतिक
(C) जैविक तथा प्राकृतिक
(D) भौतिक तथा जैविक।
उत्तर:
प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक।

6. स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल के पारस्परिक कार्यों का कौन-सा प्रतिफल है
(A) सामाजिक वातावरण
(B) प्राकृतिक वातावरण
(C) सांस्कृतिक वातावरण
(D) जैविक वातावरण।
उत्तर:
(B) प्राकृतिक वातावरण।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक लक्षण नहीं है?
(A) पर्वत
(B) नदियां
(C) सड़कें
(D) मैदान।
उत्तर:
(C) सड़कें।

8. निम्नलिखित में से कौन-सा सांस्कृतिक लक्षण नहीं है?
(A) भवन
(B) सड़कें
(C) फ़सलें
(D) महाद्वीप।
उत्तर:
महाद्वीप।

9. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व संस्कृति में नहीं है?
(A) मूल्य
(B) विश्वास
(C) विचारधारा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

10. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सभ्यता में नहीं है?
(A) गांव
(B) नगर
(C) पर्वत
(D) यातायात।
उत्तर:
(C) पर्वत।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

11. भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(A) विडाल डी ला ब्लाश
(B) एरेटा स्थिनीज़
(C) काण्ट
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
(B) एरेटा स्थिनीज़

12. कौन-सा तत्त्व भौतिक भूगोल से सम्बन्धित नहीं है?
(A) जलवायु
(B) भौमिकी
(C) वनस्पति
(D) मानवीय क्रियाएं।
उत्तर:
(D) मानवीय क्रियाएं।

13. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया?
(A) हम्बोलट
(B) रिटर
(C) स्टैम्प
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
हम्बोलट।

14. मानचित्र बनाने की कला का ज्ञान किसने दिया?
(A) टॉलेमी
(B) रिटर
(C) काण्ट
(D) थेल्स।
उत्तर:
टॉलेमी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

15. ब्रह्माण्ड को समझने का प्रयत्न किस विद्वान् ने सर्वप्रथम किया?
(A) काण्ट
(B) आर्यभट्ट
(C) थेल्स
(D) स्ट्रेबो।
उत्तर:
आर्यभट्ट।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में जर्मनी के दो प्रसिद्ध भूगोल-वेत्ताओं के नाम लिखो।
उत्तर:
हम्बोलट तथा रिटर।

प्रश्न 2.
भूगोल के दो स्पष्ट क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:
भू-आकृतिक विज्ञान, जलवायु विज्ञान।

प्रश्न 4.
मानवीय भूगोल के दो उप-क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल दशाओं का अध्ययन करने वाले दो विज्ञान बताओ।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान।

प्रश्न 6.
“मनुष्य के कार्य प्रकृति द्वारा निर्धारित होते हैं।” यह किस भूगोलवेत्ता का कथन है?
उत्तर:
रैत्सेल (Ratzel) का।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 7.
किन विषयों के अध्ययन ने भूगोल को गणितीय चरित्र दिया?
उत्तर:
सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश तथा देशान्तर।

प्रश्न 8.
अठारहवीं शताब्दी में विद्यालयों में भूगोल को लोकप्रियता क्यों मिली?
उत्तर:
भूगोल का विद्यालयों में एक लोकप्रिय विषय बनने का मुख्य कारण यह है कि इसके अध्ययन से पृथ्वी के निवासियों तथा स्थानों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इससे प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तथ्यों का ज्ञान होता है। इस अध्ययन से मनुष्य तथा पर्यावरण के सम्बन्धों का अनुमान होता है।

प्रश्न 9.
उस भूगोलवेत्ता का नाम बताइए जिन्होंने ‘भौतिक तथा मानव भूगोल के संश्लेषण का समर्थन किया था’।
उत्तर:
एच० जे० मैकिंडर (H.J. Mackinder)।

प्रश्न 10.
भूगोल में कौन-सा आधुनिकतम विकास हुआ है?
उत्तर:
भूगोल में सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक भूदृश्य के मुख्य लक्ष्य बताओ।
उत्तर:
पर्वत, नदियां, वनस्पति आदि।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 12.
वातावरण को कौन-से दो मुख्य भागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक, मानवीय।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भू-आकृति विज्ञान
  2. जलवायु विज्ञान
  3. जल विज्ञान
  4. मृदा विज्ञान।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. सांस्कृतिक भूगोल
  2. आर्थिक भूगोल
  3. जनसंख्या भूगोल
  4. ऐतिहासिक भूगोल।

प्रश्न 15.
भूगोल किन तीन प्रमुख विषयों का अध्ययन है?
उत्तर:

  1. भौतिक वातावरण
  2. मानवीय क्रियाएं
  3. दोनों का अंतर्प्रक्रियात्मक सम्बन्ध।

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प्रश्न 16.
भूगोल के दो दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर:
प्राचीन दृष्टिकोण, आधुनिक दृष्टिकोण।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो भारतीय वैज्ञानिकों के नाम बताइए जिन्होंने सबसे पहले पृथ्वी के आकार का वर्णन किया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट, भास्कराचार्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमें भूगोल क्यों पढ़ना चाहिए?
उत्तर:
पृथ्वी मनुष्य का घर है। यहां हमारा जीवन अनेक रूपों से प्रभावित होता है। हम आसपास के संसाधनों पर निर्भर करते हैं। हम तकनीकों द्वारा प्राकृतिक संसाधन भूमि, मृदा, जल का उपयोग करते हुए अपना आहार प्राप्त करते हैं। हम मौसमी दशाओं के अनुसार अपना जीवन समायोजित करते हैं। इसलिए भूगोल का अध्ययन आवश्यक है।

प्रश्न 2.
भूगोल विषय में पृथ्वी के किन चार परिमण्डलों का अध्ययन होता है?
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. वायु मण्डल
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 3.
“भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रदान करता है जिस पर मानव कार्य करे।” स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी पर भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक लक्षणों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन है। अनेक तत्त्वों में समानता तथा कई तत्वों में असमानता पाई जाती है। भूगोल भौतिक वातावरण तथा मानव के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन है। एक लेखक के अनुसार “भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रस्तुत करता है जिस पर मानव समाज अपने सृजनात्मक क्रिया कलापों का ड्रामा अपने तकनीकी विकास से मंचित करता है।” भू-आकृतियां आधार प्रदान करती हैं जिस पर मानवीय क्रियाएं होती हैं। मैदानों पर कृषि, पठारों पर खनन, पशु पालन, पर्वतों से नदियां निकलती हैं। जलवायु मानव के घरों के प्रकार, वस्त्र, भोजन, वनस्पति को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 4.
भूगोल बहु-आयामी पृथ्वी का अध्ययन किस प्रकार करता है?
उत्तर:
भूगोल यथार्थता का अध्ययन करता है। पृथ्वी भी यथार्थता की भान्ति बहु-आयामी है। इसलिए इस अध्ययन में अनेक प्राकृतिक विज्ञान जैसे-भौमिकी मृदा विज्ञान, समुद्र विज्ञान वनस्पति शास्त्र, जीवन विज्ञान, मौसम विज्ञान सहायक हैं। अन्य सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाज शास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, नृ-विज्ञान भी धरातल की यथार्थता का अध्ययन करते हैं। भूगोल सभी प्राकृतिक तथा सामाजिक विषयों से सूचनाधार प्राप्त करके संश्लेषण करता है।

प्रश्न 5.
भौतिक भूगोल किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन में सहायक है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को समझना आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास (Sustainable development) के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान नितान्त आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्त्व को रेखांकित करता है।

प्रश्न 6.
विश्व एक परस्पर निर्भर तन्त्र है। व्याख्या करो।
उत्तर:
विश्व के एक प्रदेश दूसरे प्रदेश से जुड़े हुए हैं तथा एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्तमान विश्व को एक वैश्विक ग्राम (Global Village) की संज्ञा दी जा सकती है। परिवहन के तीव्र साधनों ने बढ़ती दूरियां कम की हैं। श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio-visual media) एवं सूचना तकनीकी ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है। प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रश्न 7.
भूगोल की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
भूगोल की परिभाषा (Definition of Geography)

भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है (Geography is the science of the Earth)। भूगोल को अंग्रेज़ी भाषा में ‘ज्योग्राफी’ कहा जाता है। ज्योग्राफी शब्द यूनानी भाषा के जी (Ge) तथा ‘ग्राफो’ (Grapho) शब्दों से मिलकर बना है। (Geography = Ge + Grapho)। ‘जी’ (Ge) का अर्थ है पृथ्वी और ग्राफो (Grapho) शब्द का अर्थ है ‘वर्णन करना’। इस प्रकार ज्योग्राफी का अर्थ है-‘पृथ्वी का वर्णन करना’।

जिस प्रकार अर्थशास्त्र का मूल मंत्र मूल्य है, भूगर्भ विज्ञान चट्टानों का अध्ययन है, वनस्पति विज्ञान पेड़-पौधों से तथा इतिहास समय से सम्बन्धित है, भूगोल ‘स्थान’ से सम्बन्धित है। पृथ्वी मानव का निवास स्थान है। भूगोल एक प्रकार से ‘पृथ्वी-तल’ या ‘भूतल’ का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान मान कर इसका अध्ययन करता है। (Geography studies the Earth as home of man.)

प्रश्न 8.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 9.
भूगोल के अध्ययन में द्वैतवाद का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
‘भूगोल का अध्ययन दो उपागमों के आधार पर किया जाता है

1. विषय वस्तुगत उपागम (Systematic Approach):
इस उपागम में एक तथ्य का पूरे विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसके पश्चात् क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई प्राकृतिक वनस्पति के अध्ययन में रुचि रखता है, तो सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसका अध्ययन किया जायेगा, फिर प्रकारात्मक वर्गीकरण, जैसे विषुवत् रेखीय सदाबहार वन, नरम लकड़ी वाले कोणधारी वन अथवा मानसूनी वन इत्यादि की पहचान, उनका विवेचन तथा सीमांकन करना होगा।

2. प्रादेशिक उपागम (Regional Approach):
प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या निर्दिष्ट (नामित) प्रदेश हो सकते हैं। एक प्रदेश में तथ्यों का अध्ययन समग्रता से विविधता में एकता की खोज करते हुए किया जाता है।

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प्रश्न 10.
“भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयुक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। इन विभिन्न घटकों को संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है।

भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है। विभिन्न शाखाओं के अंश भौगोलिक अध्ययन में सहायक होते हैं। यह घटक अलग-अलग पहचाने जाते हैं। इन घटकों को आपस में संयुक्त करने को ही समाकलन कहा जाता है। किसी भी प्रदेश के धरातल, कृषि, यातायात, जलवायु आदि के अलग-अलग मानचित्रों में सम्बन्ध स्थापित करने से कई उपयोगी परिणाम निकल पाते हैं।

प्रश्न 11.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। ‘प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है।

जैसे रैत्सेल के अनुसार “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है। मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रतिक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है।

इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in Nature) कहना ही उचित है। जैसे कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल-डि-ला-ब्लाश (Vidal-de-la-Blach) ने कहा है’ ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।’ (Nature provides the stage and it is for man to act on it.)

प्रश्न 12.
क्रमबद्ध भूगोल से क्या अभिप्राय है? इसकी उप-शाखाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भूगोल में भू-पृष्ठ का अध्ययन दो विधियों द्वारा किया जाता है:
(क) क्रमबद्ध भूगोल
(ख) क्षेत्रीय भूगोल।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):
विशिष्ट प्राकृतिक अथवा सामाजिक घटनाओं से भू-पृष्ठ पर उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय प्रतिरूपों तथा संरचनाओं का अध्ययन क्रमबद्ध भूगोल कहलाता है। इस संदर्भ में किसी एक भौगोलिक कारक को चुन कर जैसे जलवायु, अध्ययन किया जाता है। भूगोल के उस कारक के क्षेत्रीय वितरण के कारण तथा प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। मुख्य उद्देश्य जलवायु तथा जलवायु के प्रकार होते हैं। कृषि का अध्ययन कृषि प्रदेशों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार यह किसी एक घटक का विस्तृत अध्ययन होता है।

साधारणत: क्रमबद्ध भूगोल को चार प्रमुख शाखाओं में बांटा गया है:

  1. भू-आकृतिक भूगोल-परम्परा अनुसार इसे भौतिक भूगोल भी कहते हैं।
  2. मानव-भूगोल-इसे सांस्कृतिक भूगोल भी कहते हैं।
  3. जैव-भूगोल-इसमें पर्यावरण भूगोल शामिल है।
  4. भौगोलिक विधियां और तकनीकें-ये विधियां मानचित्र बनाने में प्रयोग की जाती हैं।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल की विषय वस्तु का वर्णन करें।
उत्तर:
यहां भूगोल की इस शाखा के महत्त्व को बताना युक्ति संगत होगा। भौतिक भूगोल में भूमण्डल (भूआकृतियां, प्रवाह, उच्चावच), वायुमण्डल (इसकी बनावट, संरचना, तत्त्व एवं मौसम तथा जलवायु, तापक्रम, वायुदाब, वायु, वर्षा, जलवायु के प्रकार इत्यादि), जलमण्डल (समुद्र, सागर, झीलें तथा जल परिमण्डल से संबद्ध तत्त्व), जैव मण्डल (जीव के स्वरूप-मानव तथा वृहद् जीव एवं उनके पोषक प्रक्रम, जैसे-खाद्य श्रृंखला, पारिस्थैतिक प्राचल (Ecological parametres) एवं पारिस्थैतिक सन्तुलन का अध्ययन सम्मिलित होता है। मिट्टियां मृदा-निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती हैं तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती हैं। कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पाश्विका (Profile) के विकास में सहायक होती है। मानव के लिए प्रत्येक तत्त्व महत्त्वपूर्ण है।

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प्रश्न 14.
भौतिक भूगोल के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
भौतिक भूगोल का महत्त्व भौतिक भूगोल में उन सभी तत्त्वों को सम्मिलित किया गया है जो प्राकृतिक हैं-स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल। स्थलमण्डल में भू-आकृति शामिल है। वायुमण्डल का सम्बन्ध जलवायु से है। जलमण्डल जल लक्षणों का अध्ययन है और जैवमण्डल का सम्बन्ध सभी जीवन्त वस्तुओं जैसे पेड़-पौधे, पशुओं, सूक्ष्म जीवों और मनुष्यों के अध्ययन से है। मृदा, भौतिक भूगोल में अध्ययन किए जाने वाले इन चारों तत्त्वों या मण्डलों का उत्पाद है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तरप्रादेशिक भूगोल

प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)
(1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है। (1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्व का अध्ययन होता है।
(2) यह अध्ययन समाकलित होता है। (2) यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
(3) यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है। (3) यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
(4) यह किसी प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा मानव के बीच सम्बन्ध प्रकट करता है। (4) यह अध्ययन खोज व तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
(5) इस अध्ययन में प्रदेशों का सीमांकन सम्मिलित है, जिसे प्रादेशीकरण कहते हैं। (5) इस अध्ययन में एक घटक, जैसे जलवायु के आधार पर विभिन्न प्रकार तथा उप-प्रकार निश्चित किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वातावरण तथा समग्र वातावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्राकृतिक वातावरण (Natural Environment) समग्र वातावरण (Total Environment)
(1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तत्त्वों द्वारा होती है। (1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तथा मानवीय तत्तों से मिलकर होती है।
(2) इसमें भूमि, वायु वनस्पति, जल, मिट्टी आदि तत्त्व शामिल हैं। (2) इसमें भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण सम्मिलित होते हैं।
(3) इसमें स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल शामिल होते हैं। (3) इसमें जैव-मण्डल की भूमिका महत्तपूर्ण होती है।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल तथा जैव भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

भौतिक भूगोल (Physical Geography) जैव-भूगोल (Bio-Geography)
1. भौतिक भूगोल महाद्वीपों, पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदी घाटियों और अन्य भू-लक्षणों का अध्ययन है। 1. जैव भूगोल में विभिन्न प्रकार के वनों तथा जीव जन्तुओं के वितरण का अध्ययन किया जाता है।
2. इसकी चार उप-शाखाएँ है-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान तथा मृदा भूगोल। 2. इसकी चार उप-शाखाएं हैं- वनस्पति भूगोल, प्राणी भूगोल, मानव पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण भूगोल।

प्रश्न 4.
भूगोल में आगमन तथा निगमन पद्धतियों में अन्तर स्पष्ट करें।

आगमन पद्धति निगमन पद्धति
1. इसमें पाई जाने वाली समानताओं के आधार पर कोई सिद्धान्त अथवा नियम बनाये जाते हैं। 1. इसमें बनाये गये नियमों से निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. आगमन पद्धति तथ्यों से सिद्धान्त (From facts to theory) की विधि है। 2. यह पद्धति सामान्य से विशेष (General to Specific) के सिद्धांत की विधि है।
3. इसमें नियमों एवं परिणामों का अनुभव के आधार पर परीक्षण किया जाता है। 3. इस पद्धति में कुछ अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की विभिन्न शाखाओं के नाम बताओ।
उत्तर:
भूगोल की शाखाएँ-भूगोल अध्ययन का एक अंतशिक्षण (Interdisciplinary) विषय है। प्रत्येक विषय का अध्ययन कुछ उपागमों के अनुसार किया जाता है। इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं

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1. विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) एवं

2. प्रादेशिक। विषय वस्तुगत भूगोल का उपागम वही है जो सामान्य भूगोल का होता है।
यह उपागम एक जर्मन भूगोलवेत्ता, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (1769-1859) द्वारा प्रवर्तित किया गया, जबकि प्रादेशिक भूगोल का विकास हम्बोल्ट के समकालीन एक-दूसरे जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (1779-1859) द्वारा किया गया है।

(अ) भौतिक भूगोल-किसी क्षेत्र के प्राकृतिक या भौतिक लक्षणों के अध्ययन को भौतिक भूगोल कहते हैं। यह लक्षण प्रकृति द्वारा निर्मित होते हैं, जैसे-पर्वत, नदियां, वनस्पति, मिट्टी आदि। यह लक्षण मनुष्य के क्रिया-कलापों को प्रभावित करते हैं। भौतिक भूगोल को चार शाखाओं में बांटा जाता है

1. भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology):
इस शाखा में पृथ्वी की विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों (landforms) का अध्ययन किया जाता है। भू-आकृति विज्ञान भूगोल के आधार का निर्माण करती है। स्थलाकृतियां भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल तथा विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
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2. जलवायु विज्ञान (Climatology):
यह एक स्वतन्त्र शाखा है। इसमें पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए वायुमण्डल की विभिन्न क्रियाओं को समझने का प्रयास किया जाता है। यह वायुमण्डल के तत्त्वों, जैसे-तापमान, वर्षा, पवनें, वायुदाब तथा नमी आदि का अध्ययन करता है।

3. जल विज्ञान (Hydrology):
इस विज्ञान द्वारा महासागरों, नदियों तथा हिम नदियों द्वारा होने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इस विज्ञान से जल चक्र तथा जल के विभिन्न रूपों, गतियों, तापमान तथा महासागरों के धरातल का ज्ञान होता है।

4. मृदा विज्ञान (Soil Geography):
यह भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके द्वारा मिट्टी के प्रकार, विकास, वितरण तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त होती है।

(ब) मानव भूगोल-किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features):
के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे कृषि, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण (Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं

1. सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल (Socia/Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं। इसमें समाज के योगदान से निर्मित सांस्कृतिक तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें कृषि, उद्योग, पर्यटन, व्यापार, परिवहन, आधार ढांचे तथा सेवाओं का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल एवं अधिवास भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, व्यावसायिक संरचना आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। अधिवास भूगोल में ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के वितरण का अध्ययन होता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है। प्रत्येक प्रदेश में कुछ ऐतिहासिक परिवर्तन होते हैं। उन कालिक परिवर्तनों का अध्ययन भी ऐतिहासिक भूगोल से होता है।

5. राजनीतिक भूगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासकीय निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं। इसमें राजनीतिक घटनाओं, चुनावी हलकों का सीमांकन, चुनाव आदि का भी अध्ययन होता है। लोगों के राजनीतिक व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता है।

(स) जीव भूगोल (Bio-Geography):
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अंतरापृष्ठ के फलस्वरूप जीव भूगोल का अभ्युदय हुआ। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित शाखाएँ आती हैं

  1. जीव-भूगोल (Bio Geography): इसमें पशुओं एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन होता है।
  2. वनस्पति भूगोल (Geography of Vegatation): यह प्राकृतिक वनस्पति का उसके निवास क्षेत्र (Habitat) में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थतिक विज्ञान (Ecological Science): इसमें प्रजातियों (Species) के निवास/स्थिति क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
  4. पर्यावरण भूगोल (Environment Geography): सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरणीय प्रतिबोधन के फलस्वरूप पर्यावरणीय समस्याओं, जैसे-भूमि-ह्रास, प्रदूषण, संरक्षण की चिन्ता आदि का अनुभव किया गया, जिसके अध्ययन हेतु इस शाखा का विकास हुआ।

(द) प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ

  1. वृहद्, मध्यम, लघुस्तरीय प्रादेशिक/क्षेत्रीय अध्ययन
  2. ग्रामीण/इलाका नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन
  3. प्रादेशिक विकास
  4. प्रादेशिक विवेचना/विश्लेषण दो ऐसे पक्ष हैं जो सभी विषयों के लिए उभयनिष्ठ/सर्वनिष्ठ हैं। ये हैं
  • (क) दर्शन
    1. भौगोलिक चिन्तन
    2. भूमि एवं मानव अन्तर्प्रक्रिया/मानव पारिस्थितिकी
  • (ख) विधितन्त्र एवं तकनीक
    1. सामान्य एवं संगणक आधारित मानचित्रण
    2. परिमाणात्मक तकनीक/सांख्यिकी तकनीक
    3. क्षेत्र सर्वेक्षण विधियां
    4. भू-सूचना विज्ञान तकनीक (Geoinformatics) जैसे-दूर संवेदन तकनीक, भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.), वैश्विक स्थितीय तन्त्र (G.P.S.)

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 2.
“भूगोल के अनेक उप-विषय विज्ञान पर आधारित हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूगोल का अन्य विषयों से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मानवीय विकास भौतिक तत्त्वों के सदुपयोग पर आधारित है। इसलिए भूगोल भौतिक वातावरण तथा सामाजिक वातावरण के विभिन्न तत्त्वों का अध्ययन करता है। भूगोल काफ़ी हद तक प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान दोनों पर निर्भर है। कई उप-विषयों (Allied Sciences) में भूगोल अन्य विज्ञान शाखाओं के निकट है।
प्राकृतिक विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल तथा अन्य विषयों का निम्नलिखित सम्बन्ध है

1. जीव-भू विस्तार विज्ञान (Chrological Science):
इस विज्ञान का मुख्य सम्बन्ध क्षेत्रीय अध्ययन (Study of an area) या प्रादेशिक अध्ययन से होता है। नक्षत्र विज्ञान (Astronomy) तथा भूगोल मिलकर जीव भू-विस्तार विज्ञान की रचना करते हैं। नक्षत्र विज्ञान में कई विषय, जैसे-सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश-देशान्तर भूगोल को एक विज्ञान का रूप देते हैं।

2. कालानुक्रमिक विज्ञान (Chronological Science):
इतिहास में समय का तत्त्व महत्त्वपूर्ण होता है। इतिहास, भूगोल के समय के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है। इससे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक मानवीय विकास को समझने में सहायता मिलती है। इस विज्ञान से भू-संघटनाओं का क्रमानुसार अध्ययन किया जाता है। जैसे-प्राचीन काल, मध्यकाल तथा वर्तमान में भारत के स्वरूप का विकास कैसे हुआ।

3. क्रमबद्ध विज्ञान (Systematic Science):
इसके द्वारा पृथ्वी की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा प्राणी विज्ञान किसी प्रदेश के मानव एवं वातावरण के सम्बन्धों को स्पष्ट रूप में समझने में सहायता करते हैं। यह अध्ययन वर्गीकरण (Classification System) के आधार पर किया जाता है।

4. अर्थशास्त्र से सम्बन्ध (Relation with Economics):
मनुष्य के आर्थिक कल्याण तथा प्रादेशिक विकास सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन के लिए भूगोल का सम्बन्ध अर्थशास्त्र से निकटतम तथा उपयोगी होता जा रहा है।

5. अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध (Relationship with other Sciences):
भूगोल के कई उप-विषय अन्य विज्ञानों के निकट हैं, जैसे-भू-आकृति विज्ञान का भूगर्भ विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है। ऐतिहासिक भूगोल का इतिहास से सम्बन्ध है, आर्थिक भूगोल का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध है, जैव भूगोल का प्राणी विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है तथा राजनीतिक भूगोल का राजनीति विज्ञान से सम्बन्ध है।