JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन परिवर्तन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. महासागरीय जल की ऊपर एवं नीचे गति किससे सम्बन्धित है?
(A) ज्वार
(C) धाराएं
(B) तरंग
(D) ऊपर में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) ज्वार।

2. निम्नलिखित में से कौन-सी गर्म धारा नहीं है?
(A) खाड़ी की धारा
(B) केलीफ़ोर्निया की धारा
(C) मोज़म्बीक धारा
(D) उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा।
उत्तर:
(B) केलीफ़ोर्निया की धारा।

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3. कालाहारी मरुस्थल के पश्चिम में बहने वाली धारा कौन-सी है?
(A) कनारी
(B) बेंगुएला
(C) इरमिंजर
(D) गल्फ स्ट्रीम।
उत्तर:
(B) बेंगुएला।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
प्रश्न 1.
महासागरीय धाराएं क्या हैं?
उत्तर:
महासागरीय धारा जल की एक राशि का एक नि चत दिशा में लम्बी दूरी तक सामान्य संचलन है। सागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर जल के निरन्तर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं।

प्रश्न 1.
तरंग का वेग कैसे मापा जाता है?
उत्तर:
संचलन करती हुई तरंग का वेग निम्न विधि से निश्चित किया जा सकता है
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन 1
दो क्रमिक शृंगों अथवा गर्तों के मध्य की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं। किसी निश्चित बिन्दू से ये निकलने वाले दो क्रमिक तरंगों के बीच के समय को तरंग आवर्त काल कहते हैं।

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प्रश्न 2.
ठण्डी एवं गर्म महासागरीय धाराओं में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
महासागरीय धाराएं सामान्यतः दो प्रकार की होती हैं-गर्म धाराएं तथा ठण्डी धाराएं। गर्म धाराएं ऊष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों के निम्न अक्षांशों से शीतोष्ण कटिबन्धीय तथा उप ध्रुवीय क्षेत्रों के उच्च अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं। ठण्डी धाराएं उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहती हैं।

प्रश्न 3.
महासागरीय धारा का वेग कैसे मापा जाता है?
उत्तर:
जल के धरातल के ऊपर से बहती हुई हवा, उसके तल पर कर्षण बल का प्रयोग करती है, जिससे धरातलीय जल स्तर गतिमान हो उठता है। कर्षण बल से धाराओं की उत्पत्ति होती है। कर्षण बल तथा पवनों के वेग से धाराओं की वेग का पता चलता है।

प्रश्न 4.
यदि महासागरीय धाराएं न होती तो विश्व का क्या हुआ होता?
उत्तर:
महासागरीय धाराओं के अभाव से विश्व की जलवायु, व्यापार तथा समुद्री जीवों पर बहुत प्रभाव पड़ता। यूरोप की जलवायु सुहावनी न होती। शीतोष्ण कटिबन्ध में वर्षा कम होती। महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर मरुस्थल न होते। यूरोप का तट व्यापार के लिए वर्ष भर खुला न रहता। कई प्रदेशों में मत्स्य क्षेत्रों का विकास न होता।

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प्रश्न 2.
जल धाराएं तापमान को कैसे प्रभावित करती है? उत्तर पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्रों में तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
समुद्री धाराओं के प्रभाव (Effects of Ocean Currents): समुद्री धाराएं आसपास के क्षेत्रों में मानव जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं का यह प्रभाव कई प्रकार से होता है।

जलवायु पर प्रभाव (Effects on Climate)
जलवायु (Climate): जिन तटों पर गर्म या ठण्डी धाराएं चलती हैं वहां की जलवायु क्रमश: गर्म या ठण्डी हो जाती है।
तापक्रम (Temperature): धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनें अपने साथ गर्मी या शीत ले जाती हैं। गर्म धारा के प्रभाव से तटीय प्रदेशों का तापक्रम ऊंचा हो जाता है तथा जलवायु कम हो जाती है। ठण्डी धारा के कारण शीतकाल में तापक्रम बहुत नीचा हो जाता है तथा जलवायु विषम व कठोर हो जाती है।
उदाहरण (Examples):

  1. लैब्रेडोर (Labrador) की ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा का पूर्वी तट तथा क्यूराइल (Kurile) की ठण्डी धारा के प्रभाव से साइबेरिया का पूर्वी तट शीतकाल में बर्फ से जमा रहता है।
  2. खाड़ी की गर्म धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीप समूह तथा नार्वे के तटीय भागों का तापक्रम ऊंचा रहता है और जल शीतकाल में भी नहीं जमता। जलवायु सुहावनी तथा सम रहती है।

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प्रश्न 3.
तरंगों तथा धाराओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:

तरंगें धाराएं
(1) तरंगों का आकार जल की गहराई पर निर्भर करता है। (1) धाराएं जल की विशाल राशियां होती हैं।
(2) ये बनती तथा बिगड़ती रहती हैं एवं अस्थायी होती हैं। (2) धाराएं स्थाई होती हैं तथा एक ही दिशा में गतिमान होती हैं।
(3) तरंगें जल की ऊपरी सतह पर चलती हैं। (3) धाराओं का प्रभाव अधिक गहराई तक होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरीय जल-धाराएँ कैसे उत्पन्न होती हैं? इनके स्वभाव और उत्पत्ति को निर्धारित करने वाले कारक बताओ।
उत्तर:
समुद्री धाराएं (Ocean Currents)-सागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर एक विशेष दिशा में जल के लगातार प्रवाह को समुद्री धारा कहते हैं। (“Regular movement of water from one part of the ocean to another is called an ocean current.”) समुद्री धाराओं में जल नदियों की भांति आगे बढ़ता है। इनके किनारे स्थिर जल वाले होते हैं। इन्हें समुद्री नदियां भी कहते हैं। (“An ocean current is like a river in the ocean.”) धाराओं के उत्पन्न होने के कारण (Causes)-समुद्री धाराओं के उत्पन्न होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

1. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
वायु अपनी अपार शक्ति के कारण जल को गति प्रदान करती है। धरातल पर चलने वाली पवनें (Planetary Winds) लगातार एक ही दिशा में चलने के कारण धाराओं को जन्म देती हैं। संसार की मुख्य धाराएं स्थायी पवनों की दिशा के अनुसार चलती हैं। (Ocean currents are wind determined.) मौसमी पवनें (Seasonal Winds) भी धाराओं की दिशा व उत्पत्ति में लायक होती हैं।
उदाहरण (Examples):

  1. व्यापारिक पवनें (Trade winds): द्वारा उत्तरी तथा दक्षिणी भूमध्य रेखीय धाराएं (Equatorial Currents) पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
  2. पश्चिमी पवनों (Westerlies): के प्रभाव से खाड़ी की धारा (Gulf Stream) तथा कयूरोसिवो (Kuroshio) धारा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।

2. तापक्रम में भिन्नता (Difference in Temperature):
गर्म जल हल्का होकर फैलता है तथा उसकी ऊँचाई बढ़ जाती है। ठण्डा जल भारी होने के कारण नीचे बैठ जाता है। कम ताप के कारण ठंडा जल सिकुड़ कर भारी हो जाता है। इस प्रकार समुद्र जल की सतह समान नहीं रहती तथा धाराएं चलती हैं।

3. खारेपन में भिन्नता (Difference in Salinity):
अधिक खारा जल भारी होने के कारण, तल के नीचे की ओर बहता है। कम खारा जल हल्का होने के कारण तल पर ही बहता है।
उदाहरण (Examples):

  1. रूम सागर से अधिक खारे जल की धारा तल के नीचे अन्ध महासागर की ओर बहती है।
  2. बाल्टिक सागर (Baltic Sea) से कम खारे जल की धारा तल पर उत्तरी सागर (North Sea) की ओर बहती है।

4. वाष्पीकरण तथा वर्षा की मात्रा (Evaporation and Rainfall):
अधिक वाष्पीकरण से जल भारी तथा अधिक खारा हो जाता है और तल नीचा हो जाता है परन्तु वर्षा अधिक होने से जल हल्का हो जाता है और उसका तल ऊंचा हो जाता है। इस प्रकार ऊंचे तल से नीचे तल की ओर धाराएं चलती हैं।

5. पृथ्वी की दैनिक गति (Rotation):
फैरल के सिद्धान्त (Ferral’s Law) के अनुसार धाराएं उत्तरी गोलार्द्ध में अपने बाईं ओर मुड़ जाती हैं। पृथ्वी की गति के कारण धाराओं का प्रवाह गोलाकार बन जाता है। उदाहरण (Examples): धाराओं का चक्कर उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के अनुकूल (Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के विपरीत (Anticlockwise) चलता है।

6. तटों के आकार (Shape of Coasts):
तटों के आकार धाराओं के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर देते हैं। समुद्र जल तटों से टकराकर धाराओं के रूप में बहने लगता है। धाराएं तट के सहारे मुड़ जाती हैं। यदि स्थल प्रदेश न होते तो पृथ्वी के गिर्द एक.महान् भूमध्य रेखीय धारा (Great Equatorial Current) चलती है। उदाहरण (Examples): ब्राज़ील (Brazil) के नुकीले तट पर केप सेन-रॉक अन्तरीप (Cape San Roque) से टकराकर भूमध्य रेखीय धारा ब्राजील की धारा के रूप में बहती है।

7. ऋतु परिवर्तन (Seasons):
मौसम के अनुसार हवाओं की दिशा में परिवर्तन होने के कारण धाराओं की दिशा भी बदल जाती है। हिन्द महासागर में ग्रीष्म ऋतु में (S.W. Monsoon Drift) तथा शीत ऋतु में (N.E. Monsoon Drift) बहती है।

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महासागरीय जल संचलन JAC Class 11 Geography Notes

→ महासागरीय जल की गतियां (Movements of Ocean Water): महासागरीय जल सदा गतिशील रहता है। इसकी तीन गतियां हैं

  • तरंगें
  • धाराएं
  • ज्वार-भाटा।

→ महासागरीय जल का तापमान (Temperature in Oceans): महासागरीय जल का तापमान गहराई के साथ घटता रहता है। औसत रूप से भू-मध्य रेखा पर वार्षिक तापमान 26°C तथा ध्रुवीय प्रदेशों में 0°C रहता
है। तैरते हुए हिमखण्डों को हिम शैल कहते हैं, जो अधिकतर ग्रीन लैंड के निकट पाये जाते हैं।

→ महासागरों में लवणता (Salinity in Oceans): समुद्र जल में पाये जाने वाले समस्त लवणों के योग को समुद्र की लवणता कहते हैं। औसत लवणता 35 प्रति हजार ग्राम है। सबसे अधिक लवणता कर्क रेखा तथा मकर । रेखा के निकट 37 प्रति हजार ग्राम है। वैन झील में 330 तथा मृत सागर में 238 लवणता है।

→ महासागरीय धाराएं (Ocean Currents): महासागर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर एक विशेष दिशा में जल के लगातार प्रवाह को सागरीय धारा कहते हैं। यह प्रचलित पवनों द्वारा निर्धारित होती हैं। गर्म धाराएं भू-मध्य रेखा से ध्रुवों की ओर तथा ठण्डी धाराएं ध्रुवों से भू-मध्य रेखा की ओर चलती हैं।

→ अन्ध महासागर की धाराएं (Currents of Atlantic Ocean): उत्तरी अन्धमहासागर में धाराएं घड़ी की सूइयों की दिशा में चक्र पूरा करती हैं परन्तु दक्षिणी अन्ध महासागर में घड़ी की सूइयों की विपरीत दिशा में | चक्र पूरा करती हैं। खाड़ी की गर्म धारा पश्चिमी यूरोप की जलवायु को सुहावना बनाती है। इसे यूरोप की जीवन रेखा भी कहते हैं। अधिकतर मरुस्थल ठण्डी धाराओं वाले तटों पर स्थित हैं।

→ प्रशान्त महासागर की धाराएं (Currents of Pacific Ocean): एशिया के तट पर क्यूराइल तथा क्यूरोशिया धारा बहती है। दक्षिणी अमेरिका के तट पर पेरू की ठण्डी धारा के कारण अटाकामा मरुस्थल | स्थित है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. मृदा का निर्माण किस क्रिया द्वारा होता है?
(A) अपक्षय
(B) अपरदन
(C) परिवहन
(D) निक्षेप।
उत्तर:
अपक्षय।

2. मृदा में संयोजन के लिए कौन-सी क्रिया शक्ति नहीं है?
(A) जल
(B) ऊर्जा
(C) पवन
(D) अपरदन।
उत्तर:
अपरदन।

3. मृदा के निर्माण के रूप से महत्त्वपूर्ण कारक है?
(A) जनक पदार्थ
(B) जलवायु
(C) जीव पदार्थ
(D) स्थलाकृति।
उत्तर:
जनक पदार्थ।

4. क्षारीय मृदा का निर्माण किन क्षेत्रों में होता है?
(A) अधिक वर्षा वाले
(B) कम वर्षा वाले
(C) मूसलाधार वर्षा
(D) मरुस्थल में।
उत्तर:
कम वर्षा वाले।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

5. सबसे ऊपरी मृदा स्तर है
(A) अ
(B) ब
(C) स
(D) ओ।
उत्तर:

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मिट्टी के प्रमुख तत्त्व कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. कण
  2. ह्यूमस
  3. खनिज

प्रश्न 2.
मिट्टी में निर्माणकारी सक्रिय घटक कौन-से हैं?
उत्तर:
जलवायु तथा जैव पदार्थ।

प्रश्न 3.
मिट्टी में निर्माणकारी निष्क्रिय घटक कौन-से हैं?
उत्तर:
वनस्पति, मल पदार्थ, भू-आकृति ।

प्रश्न 4.
मिट्टी में पाए जाने वाले वनस्पति अंश को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ह्यूमस।

प्रश्न 5.
मिट्टी के किस संस्तर में ह्यूमस अधिक होता है?
उत्तर:
अ’ संस्तर में ।

प्रश्न 6.
संस्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
मिट्टी की क्षैतिज परतों को संस्तर कहते हैं।

प्रश्न 7.
मिट्टी के भौतिक गुण बताओ।
उत्तर:

  1. रंग
  2. गठन
  3. संरचना।

प्रश्न 8.
अम्लीय मिट्टी किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस मिट्टी में चूने की मात्रा कम होती है

प्रश्न 9.
क्षारीय मिट्टी किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस मिट्टी में चूने की मात्रा अधिक होती है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 10.
अनावरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
चट्टानों को अपरदन द्वारा नंगा करना।

प्रश्न 11.
अनावरण में सहायक दो क्रियाएं बताओ।
उत्तर:
अपरदन तथा अपक्षरण।

प्रश्न 12.
पदार्थों के संचलन में कौन-से दो बल सहायक हैं?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण तथा ढाल।

प्रश्न 13.
पृथ्वी के अन्दर से निकलने वाली ऊर्जा के स्रोत बताओ।
उत्तर:
रेडियोधर्मी क्रियाएँ, घर्षण ज्वारीय घर्षण, पृथ्वी की उत्पत्ति से जुड़ी उष्मा।

प्रश्न 14.
अनाच्छदन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बहिर्जनिक क्रियाओं द्वारा धरातल पर निरावृत करना या आवरण हटाना।

प्रश्न 15.
अपक्षय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अपक्षय से अभिप्राय मौसम एवं जलवायु द्वारा यान्त्रिक विखंडन एवं रासायनिक अपघटन की क्रियाएं शामिल हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मिट्टी की परिभाषा तथा इसमें मिले तत्त्व बताओ।
उत्तर:
मिट्टी भूतल की ऊपरी सतह का आवरण है। यह एक धरातलीय पदार्थ है जिसमें स्पष्ट परत पाई जाती है। मिट्टी का निर्माण चट्टानों के पूर्ण तथा वनस्पति के गले – सड़े अंश से बनता है। इसमें कई तत्त्व मिले होते हैं- कण-मिट्टी के कण बारीक होते हैं जो आधार चट्टानों से भौतिक व रासायनिक क्रियाओं द्वारा प्राप्त होते हैं ह्यूमस – यह मिट्टी का उपजाऊ अंश है जो जैव पदार्थों तथा वनस्पति के गल – सड़ जाने से प्राप्त होता है । खनिज – चट्टानों के अपक्षरण से कई खनिज मिट्टी में मिल जाते हैं, जैसे- लोहा, चूना आदि।

प्रश्न 2.
मिट्टी के भौतिक गुण लिखो।
उत्तर:
प्रत्येक प्रकार की मिट्टी में तीन भौतिक गुण होते हैं-

  1. रंग
  2. गठन
  3. संरचना।

ये गुणमिट्टी की आधार चट्टानों पर निर्भर करते हैं। रंग से मिट्टी के निर्माण का ज्ञान होता है। गठन से मिट्टी के कणों का पता चलता है। मिट्टी की संरचना से कणों की व्यवस्था का पता चलता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 3.
मूल पदार्थ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मूल पदार्थ (Parent Material): आधार चट्टानों के अपक्षय से प्राप्त होने वाले पदार्थों को मूल पदार्थ कहते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के खनिज शामिल होते हैं। मिट्टी का रंग, रूप, संरचना तथा संगठन मूल पदार्थों के गुणों अनुसार होता है।

प्रश्न 4.
मिट्टी के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
मिट्टी एक प्राकृतिक सम्पत्ति है। मानव जाति सारे विश्व में मिट्टी पर ही निवास करती है। मिट्टी पर बहुत-सी मानवीय क्रियाएं आधारित हैं। मिट्टी कृषि का आधार है जो मानव को भोजन प्रदान करती है। पशुपालन, वन उद्योग मिट्टी पर आधारित हैं। प्राचीन सभ्यताएं नदी घाटियों में उपजाऊ मिट्टी के कारण ही पनप सकीं। मिट्टी मानवीय व्यवसाय का आधार है। जनसंख्या का घनत्व तथा वितरण मिट्टी के उपजाऊपन तथा उत्पादकता पर निर्भर करता है । मिट्टी का मानवीय सभ्यता पर सदैव महत्त्वपूर्ण प्रभाव रहेगा।

प्रश्न 5.
ह्यूमस क्या है? इसका निर्माण कैसे होता है? मिट्टी के निर्माण में इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
ह्यूमस (Humus ):
मिट्टी में पाये जाने वाले मृत जैव पदार्थ को ह्यूमस कहते हैं जो जैव पदार्थों तथा वनस्पति के गल-सड़ जाने से प्राप्त होता है। वृक्ष, झाड़ियां, घास जैसी वनस्पति तथा जीवाणु इसके निर्माण में सहायक होते हैं। ह्यूमस का निर्माण स्थानीय जलवायु तथा जीवाणुओं की क्रियाशीलता पर निर्भर करता है। आर्द्र जलवायु में काफ़ी संख्या में जीवाणु होते हैं तथा वे ह्यूमस पर ही जिन्दा रहते हैं, परन्तु ठण्डी जलवायु में कम जीवाणुओं के कारण ह्यूमस मिट्टी में जमा रहता है। ह्यूमस मिट्टी निर्माण तथा मिट्टी के उपजाऊपन पर प्रभाव डालता है। ह्यमस जीवाणुओं को जीवन प्रदान करके उन्हें मिट्टी निर्माण में सहायक बनाता है। ह्यूमस के कारण धरातल तथा मिट्टी का रंग बदल जाता है। ह्यूमस खनिजों के अपक्षरण में सहायक है तथा मिट्टी निर्माण की क्रिया को तेज़ करता है।

प्रश्न 6.
मूल पदार्थ से क्या अभिप्राय है? मिट्टी के निर्माण में मूल पदार्थों का क्या योगदान है?
उत्तर:
मूल पदार्थ (Parent Material):
आधार चट्टानों के भौतिक एवं रासायनिक अपक्षरण से प्राप्त होने पदार्थों को मूल पदार्थ कहते हैं। इस पदार्थ में विभिन्न प्रकार के खनिज शामिल होते हैं जो आधार शैलों की रचना करते हैं। मिट्टी निर्माण क्रिया में मूल पदार्थ एक निष्क्रिय (Passive ) घटक है। मूल पदार्थ खनिज ही मिट्टी के निर्माण, भौतिक तथा रासायनिक अपक्षरण पर प्रभाव डालते हैं।

मिट्टी का संघटन (texture) मूल पदार्थ पर ही निर्भर करता है। मूल पदार्थ अधिकतर तलछटी शैलों से ही प्राप्त होते हैं क्योंकि भू-पृष्ठ पर तलछटी शैलों का विस्तार अधिक है। मिट्टी का रंग, रूप, संरचना तथा अपक्षरण की दर मूल पदार्थों के गुणों के अनुसार होती है। नदी तल जलोढ़ों के अपक्षरण से ही जलोढ़ मिट्टी का निर्माण होता है।

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प्रश्न 7.
मिट्टी के कौन-से कार्य हैं जिनके लिए संरक्षण की ज़रूरत है?
उत्तर:
मिट्टी एक सम्पदा या संसाधन है। मिट्टी के उपजाऊपन पर कृषि तथा उत्पादकता निर्भर करती है। मिट्टी के नष्ट होने से उत्पादकता कम हो जाती है। उपजाऊ मिट्टी ही देश को खाद्य पदार्थ तथा कच्चे औद्योगिक माल प्रदान करती है। इसलिए मिट्टी का संरक्षण आवश्यक है। उपजाऊ मिट्टी वाले प्रदेश ही घनी जनसंख्या के प्रदेश होते हैं।

प्रश्न 8.
ध्रुवीय प्रदेशों में पाले द्वारा अपक्षरण का वर्णन करो।
उत्तर:
पाला (Frost):
पर्वतों व ठण्डे प्रदेशों में पाला अपक्षरण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। चट्टानों की दरारों भर जाता है। यह जल सर्दी के कारण रात को जम जाता है। जमने से पानी का आयतन (Volume) 1/10 गुना बढ़ जाता है। जमा हुआ पानी आस-पास की चट्टानों पर 2000 पौंड प्रति वर्ग इंच दबाव डालता है । इस दबाव से चट्टानें टूटती रहती हैं। यह मलबा पर्वत की ढलान के साथ (Scree) के रूप में जमा हो जाता है । हिमालय के पर्वतीय प्रदेशों में ऐसा होता है । चट्टानें बड़े-बड़े टुकड़ों (Blocks) के रूप में टूटती रहती हैं।

प्रश्न 9.
ऑक्सीकरण तथा कार्बोनेटीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
(a) ऑक्सीकरण (Oxidation ): चट्टानों के लोहे के खनिज के साथ ऑक्सीजन मिलने से चट्टानों को जंग (Rust) लग जाता है तथा भुर भुर कर नष्ट हो जाती हैं। यह क्रिया लोहे को जंग लगने के समान है।

(b) कार्बोनेटीकरण (Carbonation ): जल में विलय कार्बन-डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) तथा जल मिलकर चूने का पत्थर जिप्सम संगमरमर को घुला डालते हैं। चट्टानों के नष्ट होने के कारण गुफायें बनती हैं। प्रश्न

प्रश्न 10.
आर्द्र- ऊष्ण कटिबन्धीय मिट्टी में ह्यूमस का अभाव क्यों होता है?
उत्तर:
ह्यूमस का निर्माण स्थानीय जलवायु में जीवाणुओं की क्रियाशीलता पर निर्भर करता है। ह्यूमस ही जीवाणुओं को जिन्दा रखता है। आर्द्र- ऊष्ण कटिबन्धीय जलवायु में जीवाणुओं की संख्या अधिक होती है। वे इस प्रदेश की मिट्टी में काफी अधिक क्रियाशील होते हैं। ये जीवाणु मिट्टी में से ह्यूमस समाप्त कर देते हैं। इसी कारण इन आर्द्र- ऊष्ण प्रदेशों की मिट्टी में ह्यूमस का अभाव होता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 11.
पृथ्वी पर सम्भाव्यता किस प्रकार स्थिर रखी जा सकती है?
उत्तर:
भू-तल संवेदनशील है। मानव अपने निर्वाह के लिए इस पर निर्भर करता है तथा इसका व्यापक एवं सघन उपयोग करता है। अतः इसके सन्तुलन को बनाए रखते हुए तथा भविष्य के लिए इसकी सम्भाव्यता को कम किए बिना इसके प्रभावकारी उपयोग के लिए इसकी प्रकृति को समझना परमावश्यक है। लगभग सभी जीवों का धरातल के पर्यावरण के अनुवाह में योगदान होता है। मनुष्यों ने संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया है। हमें इनका उपयोग करना चाहिए, किन्तु भविष्य में जीवन निर्वाह के लिए इसकी पर्याप्त सम्भाव्यता को बचाये रखना चाहिए।

धरातल के अधिकांश भाग को बहुत लम्बी अवधि (सैकड़ों-हज़ारों- वर्षों) में आकार प्राप्त हुआ है तथा मानव द्वारा इसके उपयोग, दुरुपयोग एवं कुप्रयोग के कारण इसकी सम्भाव्यता (विभव) में बहुत तीव्र गति से ह्रास हो रहा है। यदि उन प्रक्रियाओं, जिन्होंने धरातल को विभिन्न आकार दिया और अभी दे रही हैं, तथा उन पदार्थों की प्रकृति जिनसे यह निर्मित है, को समझ लिया जाए तो निश्चित रूप से मानव उपयोग जनित हानिकारक प्रभाव को कम करने एवं भविष्य के लिए इसके संरक्षण हेतु आवश्यक उपाय किए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
भौतिक अपक्षय प्रक्रियाएं किन बलों पर निर्भर करती हैं?
उत्तर:
भौतिक अपक्षय प्रक्रियाएं (Physical Weathering Processes): भौतिक या यान्त्रिक अपक्षय- प्रक्रियाएं कुछ अनुप्रयुक्त बलों (Forces) पर निर्भर करती हैं। ये अनुप्रयुक्त बल निम्नलिखित हो सकते हैं

  1. गुरुत्वाकर्षक बल, जैसे अत्यधिक ऊपर भार दबाव एवं अपरूपण प्रतिबल (Shear stress),
  2. तापक्रम में परिवर्तन, क्रिस्टल रवों में वृद्धि एवं पशुओं के क्रियाकलापों के कारण उत्पन्न विस्तारण (Expansion) बल,
  3. शुष्कन एवं आर्द्रन चक्रों से नियन्त्रित जल का दबाव। इनमें से कई बल धरातल एवं विभिन्न धरातल पदार्थों के अन्दर अनुप्रयुक्त होती हैं जिसका परिणाम शैलों का विभंग (Fracture ) होता है। भौतिक अपक्षय प्रक्रियाओं में अधिकांश तापीय विस्तारण एवं दबाव के निर्मुक्त होने (Release) के कारण होता है। ये प्रक्रियाएं लघु एवं मंद होती हैं परन्तु कई बार संकुचन एवं विस्तारण के कारण शैलों के सतत् श्रान्ति (Fatigue) के फलस्वरूप ये शैलों को बड़ी हानि पहुंचा सकती हैं।

प्रश्न 13.
रेगोलिथ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विश्व की विविध दृश्य – भूमियों का निर्माण मुख्यतः शैलों पर अपक्षय की क्रिया से हुआ है। ‘शैल अपक्षय’ शब्दावली का प्रयोग, रासायनिक अपघटन तथा भौतिक विघटन को बताने के लिए किया जाता है। आधार – शैलों के ऊपर अदृढ़ पदार्थों की एक परत हो सकती है, इसे रेगोलिथ या आवरण- प्रस्तर कहते हैं। रेगोलिथ ऐसी शब्दावली है, जिसका प्रयोग मोटे तौर पर आधार – शैल के ऊपर बिखरे अपेक्षाकृत अदृढ़ अथवा कोमल पदार्थों के किसी भी परत के लिए किया जाता है। जब रेगोलिथ का निर्माण ठीक इसके नीचे स्थित आधार – शैलों के अपघटन तथा विघटन से होता है तब इसे अपशिष्ट रेगोलिथ कहते हैं। नदियों, हिमानियों, पवनों द्वारा परिवहित रेगोलिथ, जिसका निक्षेपण कहीं ओर कर दिया जाता है, परिवहित रेगोलिथ कहलाता है।

प्रश्न 14.
मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों और उनकी प्रक्रियाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
मृदा निर्माण के कारक सभी मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं अपक्षय से जुड़ी हैं। लेकिन कई अन्य कारक अपक्षय के अंतिम उत्पाद को प्रभावित करते हैं। इनमें से पांच प्राथमिक कारक हैं। ये अकेले अथवा सम्मिलित रूप से विभिन्न प्रकार की मृदाओं के विकास के लिए उत्तरदायी हैं।

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं (Processes of Soil Formation): मृदा निर्माण में अनेक प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं और किसी सीमा तक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित कर सकती हैं। ये प्रक्रियाएं हैं:

  1. अवक्षालन: यह मृत्तिका अथवा अन्य महीन कणों का यांत्रिक विधि से स्थान परिवर्तन है, जिसमें वे मृदा परिच्छेदिका में नीचे ले जाए जाते हैं।
  2. संपोहन: यह मृदा परिच्छेदिका के निचले संस्तरों में ऊपर से बहाकर लाए गए पदार्थों का संचयन है।
  3. केलूवियेशन: यह निक्षालन के समान पदार्थ का नीचे की ओर संचलन है, परन्तु जैविक संकुल यौगिकी के प्रभाव में।
  4. निक्षालन: इसमें घोल रूप में पदार्थों को किसी संस्तर से हटाकर नीचे की ओर ले जाना है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 15.
मृदा भौतिक, रासायनिक तथा जैविक क्रियाओं का परिणाम है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
मृदा अपक्षयित एवं अपरदित शैल पदार्थों तथा जैविक अवशेषों के संश्लिष्ट मिश्रण का उत्पाद है। अपक्षय द्वारा संगठित पदार्थ (शैल) असंगठित पदार्थ में बदल जाते हैं। पौधों तथा सूक्ष्म जीवाणुओं के अपघटन से जैविक रसायन (ह्यूमस) मुक्त होते हैं। असंगठित पदार्थों के साथ इनकी अंतः क्रियाएं विभिन्न प्रकार की मृदाओं का निर्माण करती हैं। इन परिवर्तनों में संयोजन, ह्रास, रूपांतरण तथा स्थान परिवर्तन शामिल हैं।

जल ( वर्षा, सिंचाई), जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण, सूर्य प्रकाश के रूप में ऊर्जा, पवन और जल से प्राप्त अवसाद, लवण एवं जैविक अवशेष संयोजन कार्य करते हैं। ह्रास के कारण हैं: मृदा जल में घुलनशील रसायन, अपरदित छोटे आकार के टुकड़े, पौधों के कटने और चराए जाने से पोषक तत्त्वों को हटाया जाना, जल की हानि, कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में कार्बन की क्षति तथा नाइट्रोजन की अनाइट्रीकरण से हुई हानि रूपांतरण का कारण अनेक रासायनिक एवं जैविक प्रतिक्रियाएं हैं, जो जैविक पदार्थों को अपघटित करती हैं।

जल तथा जीव मृदा में संचलन करके विभिन्न गहराइयों पर पदार्थों का स्थान परिवर्तन करते हैं। जैविक मृदा का निर्माण पौधों के अपशिष्टों के संचयन से होता है, जो छिछले एवं स्थिर जल के अल्प ऑक्सीजन वाले पर्यावरण द्वारा सुरक्षित रखे जाते हैं। भूपृष्ठ का वह पदार्थ मृदा नहीं है, जो वनस्पति – जीवन को पोषित नहीं करता है, जैसे- पथरीली या चट्टानी भूमि तथा ग्रेट साल्ट लेक का लवणमय धरातल।

प्रश्न 16.
भू-आकृतिक कारक तथा भू-आकृतिक प्रक्रिया में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
प्रकृति के किसी भी बहिर्जनिक तत्त्व (जैसे- जल, हिम, वायु इत्यादि), जो धरातल के पदार्थों का अधिग्रहण (Acquire) तथा परिवहन करने में सक्षम है, को भू-आकृतिक कारक कहा जा सकता है। जब प्रकृति के ये तत्त्व ढाल प्रवणता के कारण गतिशील हो जाते हैं तो पदार्थों को हटाकर ढाल के सहारे ले जाते हैं और निचले भागों में निक्षेपित कर देते हैं। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं तथा भू-आकृतिक कारक विशेषकर बहिर्जनिक, को यदि स्पष्ट रूप से अलग-अलग न कहा जाए तो इन्हें एक ही समझना होगा क्योंकि ये दोनों एक ही होते हैं।

एक प्रक्रिया एक बल होता है जो धरातल के पदार्थों के साथ अनुप्रयुक्त होने पर प्रभावी हो जाता है। एक कारक (Agent) एक गतिशील माध्यम (जैसे- प्रवाहित जल, हिमनदी, हवा, लहरें एवं धाराएं इत्यादि) है जो धरातल के पदार्थों को हटाता, ले जाता तथा निक्षेपित करता है। इस प्रकार प्रवाहयुक्त जल, भूमिगत जल, हिमनदी, हवा, लहरों, धाराओं इत्यादि को भू-आकृतिक कारक कहा जा सकता है।

प्रश्न 17.
पटल विरूपण से क्या अभिप्राय: है? इसमें कौन-सी प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं?
उत्तर:
पटल विरूपण (Diastrophism ): सभी प्रक्रियाएं जो भू-पर्पटी को संचलित, उत्थापित तथा निर्मित करती हैं, पटल विरूपण के अन्तर्गत आती हैं। इनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं

  1. तीक्ष्ण वलयन के माध्यम से पर्वत निर्माण तथा भू-पर्पटी की लम्बी एवं संकीर्ण पट्टियों को प्रभावित करने वाली पर्वतनी (Orogenic) प्रक्रियाएं
  2. धरातल के बड़े भाग के उत्थापन या विकृति में संलग्न महाद्वीप रचना सम्बन्धी (Epeirogenic) प्रक्रियाएं,
  3. अपेक्षाकृत छोटे स्थानीय संचलन के कारण उत्पन्न भूकम्प,
  4. पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन करने में प्लेट विवर्तनिकी की भूमिका प्लेट विवर्तनिक/पर्वतनी (Orogeny) की प्रक्रिया में भू-पर्पटी वलयन के रूप में तीक्ष्णता से विकृत हो जाती है।

महाद्वीप रचना के कारण साधारण विकृति हो सकती है। पर्वतनी पर्वत निर्माण प्रक्रिया है, जबकि महाद्वीप रचना महाद्वीप निर्माण-प्रक्रिया है। पर्वतनी, महाद्वीप रचना (Epeirogeny), भूकम्प एवं प्लेट विवर्तनिक की प्रक्रियाओं से भू-पर्पटी में भ्रंश तथा विभंग हो सकता है। इन सभी प्रक्रियाओं के कारण दबाव, आयतन तथा तापक्रम (PVT) में परिवर्तन होता है जिसके फलस्वरूप शैलों का कायान्तर प्रेरित होता है ।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 18.
विघटन एवं अपघटन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विघटन – भौतिक प्रक्रिया में विघटन से चट्टानें टूटती हैं। अपघटन: रासायनिक क्रिया में अपघटन के कारण जब चट्टानों पर पानी पड़ता है तो चट्टानें नर्म पड़ने से कमज़ोर हो जाती हैं जिसके कारण ये टूटती हैं।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
मिट्टी तथा शैल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-

मिट्टी (Soil) शैल (Rock)
(1) चट्टानों के अपक्षय तथा जैविक पदार्थों से प्राप्त होने वाले टूटे-फूटे कणों की परत को मिट्टी कहते हैं। (1) शैल प्राकृतिक रूप से ठोस जैव एवं अजैव पदार्थ हैं जो भू-पृष्ठ का निर्माण करते हैं।
(2) मिट्टी के विभिन्न संस्तर होते हैं। (2) शैल के संस्तर नहीं होते।
(3) मिट्टी की गहराई 2-3 मीटर तक सीमित होती है। (3) पृथ्वी के भीतरी भागों तक शैलें पाई जाती हैं।
(4) मिट्टी चट्टानों की टूट-फूट से प्राप्त चूर्ण से बनती है। (4) शैल कई खानिज पदार्थों के मिलने से बनती है।
मिट्टी (Soil) शैल (Rock)

प्रश्न 2.
अपरदन तथा अपक्षय में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

अपरदन (Erosion) अपक्षय (Weathering)
(1) भू-तल पर खुरचने, कांट-छांट तथा मलबे को परिवहन करने के कार्य को अपरदन कहते हैं। (1) इसमें रासायनिक क्रियाओं द्वारा अपघटन से चट्टानें टूटफूट जाती हैं।
(2) अपरदन एक बड़े क्षेत्र में होता है। (2) इससे चट्टानों का रासायनिक तत्त्वों में परिवर्तन नहीं होता है।
(3) अपरदन गतिशील कारकों द्वारा जैसे-जल, हिमनदी, वायु आदि से होता है। (3) इस अपक्षय के उदाहरण ऊष्ण प्रदेशों में मिलते हैं।
(4) अपक्षय अपरदन में सहायक होता है। (4) रासायनिक अपक्षय में कार्बन, ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन गैसों का प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
भौतिक अपक्षय तथा रासायनिक अपक्षय में अन्तर बताओ।
उत्तर:

भौतिक अपक्षय (Physical Weathering) रासायनिक अपक्षय (Chemical Weathering)
(1) इसमें यांत्रिक साधनों द्वारा चट्टानों के विघटन से चट्टानें चूर-चूर हो जाती हैं। (1) चट्टानों के अपघटन तथा विघटन के द्वारा अपने मूल स्थान पर तोड़-फोड़ करने की क्रिया को अपक्षय कहते हैं।
(2) इससे चट्टानों के खनिजों में कोई परिवर्तन नहीं होता। (2) अपक्षय छोटे क्षेत्रों की क्रिया है।
(3) यह अपक्षय शुष्क तथा शीत प्रदेशों में अधिक होता है । (3) अपक्षय सूर्यातप, पाला तथा रासायनिक क्रियाओं द्वारा होता है।
(4) भौतिक अपक्षय के मुख्य कारक ताप, पाला, वर्षा तथा वायु हैं। (4) अपक्षय चट्टानों को कमज़ोर करके अपरदन में सहायता करता है।


निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
अपक्षय किसे कहते हैं? अपक्षय कितने प्रकार से होता है? गर्म तथा ठण्डे प्रदेशों में होने वाले यांत्रिक अपक्षय की प्रक्रियाएं बताओ।
उत्तर:
अपक्षय (Weathering):
पृथ्वी की बाहरी स्थिर शक्तियों द्वारा चट्टानों के अपने ही स्थान पर विखंडन तथा अपघटन की क्रिया को अपक्षरण कहते हैं। इसमें चट्टानों के टूटने, भरने तथा घुलने की क्रियाएं होती हैं। [“Weathering includes the breaking up of Rocks (disintegration and decomposition) by the elements of weather.”] अपक्षरण को प्रभावित करने वाले तत्त्व

  1. चट्टानों की संरचना:  कोमल चट्टानें शीघ्र टूट जाती हैं परन्तु कठोर चट्टानें धीरे-धीरे टूटती हैं।
  2. भूमि का ढाल: तीव्र ढाल वाले क्षेत्रों में अपक्षरण अधिक होती है। चट्टानों का संगठन कमज़ोर हो जाता है।
  3. शैल सन्धि: सन्धियाँ शैलों में जल के घुलने तथा भौतिक एवं रासायनिक अपक्षरण में सहायक होती हैं।
  4. वनस्पति: वनस्पति के ढके धरातल सुरक्षित रहते हैं। परन्तु वनस्पति रहित प्रदेशों में अपक्षरण अधिक होता है।
  5. जलवायु: आर्द्र जलवायु में रासायनिक अपक्षरण तथा शुष्क जलवायु में यान्त्रिक अपक्षरण होता है।

अपक्षरण के रूप (Types of Weathering):
(i) भौतिक अपक्षरण (Physical Weathering): यान्त्रिक साधनों द्वारा चट्टानें अपने ही स्थान पर टूट-टूट कर चूर-चूर हो जाती हैं। चट्टानों के इस प्रकार टूटने की क्रिया को भौतिक अपक्षरण कहते हैं। इस अपक्षरण से चट्टानों का विघटन ( Disintegration) होता है।

1. सूर्यताप (Temperature ):
सूर्य की गर्मी से दिन के समय चट्टानें एक दम गर्म होकर फैलती हैं तथा त को तेज़ी से ठण्डी होकर सिकुड़ती हैं। बार-बार फैलने तथा सिकुड़ने से चट्टानों में दरारें (Cracks) तथा सन्धियां (Joints) पड़ जाती हैं तथा चट्टानें टूटती हैं और चूर-चूर हो जाती हैं। इस मलबे को Talus कहते हैं।
सूर्यताप द्वारा अपक्षरण कई बातों पर निर्भर करता है-

  1. मोटे कणों वाली चट्टानों पर अधिक तथा शीघ्र अपक्षरण होता है।
  2. काले रंग की चट्टानों पर अधिक अपक्षरण होता है।
  3. पर्वतीय ढलानों तथा मरुस्थलों में अपक्षरण महत्त्वपूर्ण है ।

2. पाला (Frost ):
पर्वतों व ठण्डे प्रदेशों में पाला अपक्षरण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। चट्टानों की दरारों में जल भर जाता है। यह जल सर्दी के कारण रात को जम जाता है। जमने से पानी का आयतन (Volume) 1/10 गुना बढ़ जाता है। जमा हुआ पानी आस-पास की चट्टानों पर 2000 पौंड प्रति वर्ग इंच दबाव डालता है। इस दबाव से चट्टानें टूटती रहती हैं । यह मलबा पर्वत की ढलान के साथ Scree के रूप में जमा हो जाता है। हिमालय के पर्वतीय प्रदेशों में ऐसा होता है। चट्टानें बड़े-बड़े टुकड़ों (Blocks) के रूप में टूटती रहती हैं।

3. वर्षा (Rainfall):
वर्षा का जल बहते हुए पानी का रूप धारण कर लेता है तथा कई प्रभाव डालता है।
(a) मिट्टी कटाव (Soil Erosion ): ढलान भूमि पर नदी घाटियों से वर्षा का पानी उपजाऊ मिट्टी बहाकर ले जाता है तथा मिट्टी कटाव की समस्या उत्पन्न होती है।

(b) ऊबड़-खाबड़ भूमि (Bad Land ): मूसलाधार वर्षा के कारण जल नालियां (Gullies) तथा खाइयां (Ravines) बनाकर बंजर व अस्त-व्यस्त धरातल बना देता है, जैसे- भारत में चम्बल घाटी में।

(c) मिट्टी के स्तम्भ ( Earth Pillars ): वर्षा के प्रहार से नर्म मिट्टी कट जाती है परन्तु कठोर चट्टान एक टोपी (Cap) का कार्य करती है तथा मिट्टी के स्तम्भ खड़े रहते हैं। जैसे इटली के बोलज़ानो (Bolzano) प्रदेश में तथा हिमालय के स्पीती (Spiti) प्रदेश में।

(d) भू- फिसलन (Land Slides): वर्षा का जल चट्टानों के नीचे जाकर उन्हें भारी कर देता है तथा चट्टानें ढलान की ओर फिसल जाती हैं। अधिक वर्षा वाले पर्वतीय क्षेत्रों में भू- फिसलन के कारण सड़कें रुक जाती हैं।

4. वायु (Wind):
हवा का अपक्षय मरुस्थलों, शुष्क प्रदेशों या वनस्पति रहित प्रदेशों में होता है। रेत से लदी वायु एक रेगमार (Sand paper) की भांति चट्टानों को चूर-चूर कर देती है।
(a) मरुस्थलों में से गुज़रने वाली रेलगाड़ियों को हर साल रंग (Paint) करना पड़ता है।
(b) टैलीग्राफ की तारें वायु के प्रहार से घिस जाती हैं।
(c) समुद्र तट की ओर साधारण शीशे ऐसे दिखाई देते हैं जैसे दानेदार शीशे (Frosted glass) हों।
(d) चट्टानों का आकार अद्भुत हो जाता है। जैसे राजस्थान में माऊंट आबू के निकट Toad Rock |

(ii) रासायनिक अपक्षय (Chemical Weathering): ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन गैसों के प्रभाव से चट्टानों के खनिजों व रासायनिक तत्त्वों में परिवर्तन हो जाता है। चट्टानें ढीली पड़ जाती हैं पर अलग-अलग नहीं होतीं। इसे अपघटन (Decomposition) कहते हैं। यह रासायनिक अपक्षय कई प्रकार से होता है।
1. ऑक्सीकरण (Oxidation):
चट्टानों के लोहे के खनिज के साथ ऑक्सीजन मिलने से चट्टानों को जंग (Rust) लग जाता है तथा भुर भुर कर नष्ट हो जाती हैं। यह क्रिया लोहे को जंग लगने के समान है। ऑक्सीजन की कमी के कारण न्यूनीकरण (Reduction) की क्रिया आरम्भ हो जाती है। इस क्रिया से लोहे का लाल रंग हरे या आसमानी धूसर रंग में बदल जाता है।

2. कार्बोनेटीकरण (Carbonation ):
जल में विलय कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) तथा जल मिलकर चूने का पत्थर जिप्सम संगमरमर को घुला डालते हैं। चट्टानों के नष्ट होने के कारण गुफायें बनती हैं।

3. जलयोजन (Hydration):
हाइड्रोजन गैस से मिला हुआ जल चट्टानों को भारी बना देता है। दबाव के कारण चट्टानें भीतर ही भीतर पिस कर चूर्ण बन जाती हैं। जबलपुर की पहाड़ियों में कैयोलिन (Kaolin) का जन्म इसी प्रकार फैल्सपार (Felspar) चट्टानों के अपघटन से हुआ है ।

4. घोलीकरण (Solution ):
पानी कई खनिजों को घुला देता है। यह खनिज घुल कर चट्टानों से बह जाते हैं। जैसे चूना मिट्टी में से घुल कर निकल जाता है। भारत में केरल प्रदेश में लेटेराइट ( Laterite) मिट्टी इसी प्रकार बनी है।

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प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के बृहत्-क्षरण (Mass Wasting) की व्याख्या करो।
उत्तर:
बृहत्-क्षरण (Mass Wasting ):
गुरुत्वाकर्षण बल निरन्तर मृदा, रेगोलिथ तथा आधार – शैलों पर क्रियाशील रहता है। जहां भी धरातल ढलुआ होता है, गुरुत्वाकर्षण बल ढाल से नीचे की ओर पृष्ठ के समानांतर संचलित होता है। प्रत्येक कण ढालों के साथ ऊपर से नीचे लुढ़कने या सरकने की प्रवृत्ति रखता है और ऐसा होता भी है, जब अनुढाल बल घर्षण अधिक हो जाता है। बृहत्-क्षरण के प्रकार (Types of Mass Wasting ): बृहत्-क्षरण के रूप प्रलयकारी अवसर्पण से लेकर जल-संतृप्त मृदा के मंद प्रवाह तक हो सकते हैं। इसके विभिन्न प्रकार हैं:

  1. शैलों का गिरना,
  2. लरज़ कर गिर पड़ना,
  3. स्खलन,
  4. प्रवाह।

1. मृदा सर्पण (Soil Crecp):
पर्वतीय ढालों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने पर अक्सर इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि मृदा लंबे काल से पर्वत ढाल के सहारे अति मंद गति से नीचे की ओर निरन्तर संचलित हो रही है। इस घटना को मृदा सर्पण कहते हैं। यह अपरूपण का प्रभाव है, जो शैलों में अनगिनत संधि विभागों और संस्तरणों या विदलन पृष्ठों के साथ – साथ वितरित हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ  1

2. मृदा प्रवाह (Earth Flow):
आर्द्र जलवायु वाले पर्वतीय तथा पहाड़ी क्षेत्रों में जल-संतृप्त मिश्रित मृदा तथा मृत्तिका खनिजों में धनी रेगोलिथ मृदा-प्रवाह का रूप लेते हैं। मृदा प्रवाह एक प्रकार का बृहत्-क्षरण है, जिसमें भूपदार्थ का आचरण सुघट्य ठोस जैसा होता है। वृक्ष विहीन टुंड्रा प्रदेश में मृदा प्रवाह का आर्कटिक प्रकार अंग्रेज़ी में सॉलीफ्लक्शन कहलाता है परन्तु हिन्दी में यह मृदा सर्पण ही कहलाता है।
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3. पंक प्रवाह (Mud Flow):
यदि खनिज पदार्थों के अनुपात में जल की मात्रा अधिक होती है, तो यह बृहत्-क्षरण पंक प्रवाह का रूप ले लेता है। यह नदी मार्गों में तेज़ी के साथ यात्रा करता है। पंक प्रवाह उच्च पर्वतों पर भी उत्पन्न होता है, जहां सर्दियों में एकत्र हिम पिघल कर मृत्तिका समृद्ध अपक्षयित शैल को उठा लेता है।

4. शैल स्खलन (Land Slide ):
सीधे शैल- भृगु के किनारे भौतिक अपक्षय की प्रक्रिया शैल को अदृढ़ बना देती है। जब गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें नीचे लाता है, तो इसे शैलपात का नाम दिया जाता है। गिरते हुए शैल खंड टूटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाते हैं और ऐसी ढाल का निर्माण करते हैं, जिस पर अदृढ़ पदार्थ बिखरे पड़े रहते हैं, जिन्हें शैल मलबा जुड़े हुए खंडों का संचालन पात क्षेत्र स्तर का नीचे की ओर मुड़ना बाड़, स्मृति पत्थर और तार के स्तम्भों का झुकना टूटी हुई शेष दीवारें मृदा सर्पण क्षेत्र कगार स्खलन आधार शैल क्षेत्र पात कहते हैं। एक शैल खंड का अकेले धरातल पर नीचे लुढ़कना शैल स्खलन कहलाता है। जब कोई अकेला शैल खंड अपने क्षैतिज अक्ष पर पीछे की ओर सर्पिल होकर एक वक्र विभंग’ तल पर लुढ़कता है तो उसे अवसर्पण कहते हैं।
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JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 खनिज एवं शैल

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 खनिज एवं शैल Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 खनिज एवं शैल

बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. निम्नलिखित में से कौन-सी शैल आग्नेय शैल है?
(A) कोयला
(B) क्वार्ट्ज़
(C) बेसाल्ट
(D) संगमरमर।
उत्तर:
(C) बेसाल्ट।

2. संगमरमर किस प्रकार की शैल है?
(A) आग्नेय
(B) तलछटी
(C) परिवर्तित
(D) अवसादी।
उत्तर:
(C) परिवर्तित।

3. आग्नेय चट्टानों में निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता है?
(A) परतें
(B) कण
(C) तलछट
(D) रवे।
उत्तर:
(D) रवे।

4. निम्नलिखित में से कौन-सी रूपान्तरित चट्टान है?
(A) संगमरमर
(B) बेसाल्ट
(C) पीट
(D) बलुआ पत्थर।
उत्तर:
(A) संगमरमर।

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5. निम्नलिखित में से कौन-सी चट्टान संगमरमर का मूल रूप है?
(A) बेसाल्ट
(B) ग्रेनाइट
(C) चूने का पत्थर
(D) शैल।
उत्तर:
चूने का पत्थर।

6. भूपर्पटी का निर्माण करने वाले पदार्थों को कहते हैं
(A) चट्टानें
(B) खनिज
(C) धातुएं
(D) लावा।
उत्तर:
(A) चट्टानें।

7. भूपर्पटी के नीचे पाए जाने वाले अत्यन्त गर्म तथा पिघले हुए पदार्थ को कहते हैं
(A) लावा
(B) मैग्मा
(C) रायोलाइट
(D) गैब्रो।
उत्तर:
मैग्मा।

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8. आग्नेय चट्टानों की रचना होती है
(A) अधिक दबाव से
(B) मैग्मा तथा लावा के ठोस बनने से
(C) टूटे हुए रवों के मिल जाने से
(D) नदियों के निक्षेप से।
उत्तर:
(B) मैग्मा तथा लावा के ठोस बनने से।

9. पहले से बनी चट्टानों के असंगठित तथा टूटे हुए रवों से बनती हैं
(A) अवसादी चट्टानें
(B) जैव चट्टानें
(C) आग्नेय चट्टानें
(D) रूपांतरित चट्टानें।
उत्तर:
अवसादी चट्टानें।

10. निम्नलिखित में से कौन-सी रूपान्तरित चट्टान है?
(A) ग्रेनाइट
(B) ग्रेफाइट
(C) ग्रिट
(D) गैब्रो।
उत्तर:
ग्रेफाइट।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्थलमण्डल में पाये जाने वाझले दो तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर:
सिलिकॉन तथा एल्यूमीनियम।

प्रश्न 2.
चट्टान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्थलमण्डल के कठोर खनिज।

प्रश्न 3.
चट्टानों के रंग तथा कठोरता किन तत्त्वों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
खनिजों की रचना।

प्रश्न 4.
चट्टानों से प्रभावित एक वस्तु का नाम लिखो।
उत्तर:
भू-आकार।

प्रश्न 5.
चट्टानों की तीन मुख्य किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. आग्नेय चट्टानें
  2. अवसादी या तलछटी चट्टानें
  3. रूपांतरित चट्टानें।

प्रश्न 6.
IGNEOUS शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह लेटिन शब्द Ignis से बना है। (अर्थ अग्नि है)।

प्रश्न 7.
लावा पृथ्वी के धरातल पर तेजी से क्यों ठण्डा हो जाता है?
उत्तर:
वायुमण्डल के सम्पर्क में होने के कारण।

प्रश्न 8.
बाह्य आग्नेय चट्टान की एक उदाहरण दो।
उत्तर:
बसॉल्ट।

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प्रश्न 9.
स्थिति के आधार पर आग्नेय चट्टानों के दो प्रकार लिखो।
उत्तर:
बाह्य तथा भीतरी चट्टानें।

प्रश्न 10.
उत्पत्ति के आधार पर आग्नेय चट्टानें कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी चट्टानें तथा पातालीय चट्टानें।

प्रश्न 11.
पातालीय शब्द कहां से बना?
उत्तर:
यह शब्द (Pluto) से बना जिसका अर्थ पाताल देवता है।

प्रश्न 12.
बसॉल्ट में रवे क्यों नहीं होते?
उत्तर:
लावा के तेज़ी से ठण्डा होने के कारण।

प्रश्न 13.
पातालीय चट्टानों की एक उदाहरण दें।
उत्तर:
ग्रेनाइट।

प्रश्न 14, ग्रेनाइट में बड़े रवे क्यों होते हैं?
उत्तर:
मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने के कारण।

प्रश्न 15.
Sedimentary शब्द किस शब्द से बना है?
उत्तर;
Sadimentum शब्द से, जिसका अर्थ है नीचे बैठना।

प्रश्न 16.
अवसादी चट्टानों के लिये निक्षेप करने वाले कार्यकर्ता बताओ।
उत्तर:
नदी, वायु, ग्लेशियर।

प्रश्न 17.
तलछट को कठोर बनाने में किस तत्त्व का योगदान है?
उत्तर:
सिलिका, कैल्साइट आदि संयोजक पदार्थ।

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प्रश्न 18.
बनावट के आधार पर अवसादी चट्टानों की तीन किस्में कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:

  1. यांत्रिक क्रिया द्वारा
  2. रासायनिक क्रिया द्वारा
  3. जैविक क्रिया द्वारा।

प्रश्न 19.
कार्बन प्रधान चट्टान की एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कोयला।

प्रश्न 20.
कोयले की विभिन्न किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर:
पीट लिग्नाइट, बिटुमिनस तथा एंथ्रासाइट।

प्रश्न 21.
चूना प्रधान चट्टानों की दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
चाक तथा चूने का पत्थर।

प्रश्न 22.
अवसादी चट्टानों में पाये जाने वाले दो फ़ॉसिल ईंधन बताएं।
उत्तर:
कोयला तथा पेट्रोलियम।

प्रश्न 23.
रासायनिक क्रिया द्वारा निर्मित दो चट्टानों के नाम लिखो।
उत्तर:
जिप्सम तथा चट्टानी नमक।

प्रश्न 24.
रूपांतरित शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
रूप में परिवर्तन।

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प्रश्न 25.
चट्टानें अपना रंग तथा रचना क्यों बदल लेती हैं?
उत्तर:
ताप तथा दबाव के कारण।

प्रश्न 26.
चट्टानें कितनी प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
तीन:

  1. अवसादी
  2. आग्नेय
  3. कायान्तरित।

प्रश्न 27.
पैंसिल का सिक्का किस चट्टान से बनता है?
उत्तर:
ग्रेफाइट।

प्रश्न 28.
किन चट्टानों को प्राथमिक चट्टानें कहा जाता है?
उत्तर:
आग्नेय चट्टानें।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्थल मण्डल किसे कहते हैं? स्थल मण्डल की कितनी गहराई तक चट्टानें पाई जाती हैं?
उत्तर:
स्थल मण्डल (Lithosphere) का अर्थ है चट्टानों का परिमण्डल। पृथ्वी की बाहरी ठोस पर्त को भूपर्पटी (Crust) कहते हैं। यह क्षेत्र चट्टानों का बना हुआ है। धरातल से लगभग 16 कि०मी० की गहराई तक स्थल मण्डल में चट्टानें पाई जाती हैं।

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प्रश्न 2.
शैल (Rock) की परिभाषा दो।
उत्तर:
भू-पृष्ठ (Crust) का निर्माण करने वाले सम्पूर्ण ठोस जैव एवं अजैव पदार्थों को शैल (चट्टान) कहते हैं। (“Any natural, solid organic or inorganic material out of which the crust is formed is called a Rock.”) शैल ग्रेनाइट की भान्ति कठोर या पंक की भान्ति नरम भी हो सकती है। भू-पृष्ठ शैलों का बना हुआ है। शैल की रचना कई खनिज पदार्थों के मिलने से होती है। कुछ शैल ऐसे भी हैं जिनमें एक ही प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। खनिज पदार्थों की विभिन्न मात्रा के कारण ही हर शैल की कोमलता या कठोरता, रंग-रूप, गुण व शक्ति अलग-अलग होती है।

प्रश्न 3.
खनिज की परिभाषा दें।
उत्तर:
शैलों की रचना पदार्थों के इकट्ठा होने से होती है। खनिज प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला एक अजैव तत्त्व (Inorganic element) या यौगिक (Compound) है। इसकी एक निश्चित रासायनिक रचना होती है। इसके संघटन में आण्विक संरचना पाई जाती है। इसके भौतिक गुण भी निश्चित होते हैं । अतः खनिज प्रकृति में पाये जाने वाले रासायनिक पदार्थ हैं। ये पदार्थ तत्त्व भी हो सकते हैं और यौगिक भी।

प्रश्न 4.
शैल निर्माणकारी खनिज किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर लगभग 2000 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, परन्तु इनमें से केवल 12 खनिज ही मुख्य रूप से भू-पृष्ठ की शैलों का निर्माण करते हैं। इन खनिजों को शैल निर्माणकारी खनिज ( Rock forming Minerals) कहते हैं। इन खनिजों में सिलिकेट सब से महत्त्वपूर्ण एवं प्रधान होता है । इन शैलों में सबसे सामान्य खनिज क्वार्टज़ (Quartz) पाया जाता है।

प्रश्न 5.
खनिज कितने तत्त्वों से बनते हैं? मुख्य तत्त्व कौन-से हैं? सिलिका तथा चूने के कार्बोनेट में कौनतत्त्व हैं?
उत्तर:
सामान्य खनिज 8 मुख्य तत्त्वों (Elements) से बनते हैं। इनमें से सिलिकेट, कार्बोनेट, ऑक्साइड तत्त्वों की मात्रा अधिक है। भू-पटल के खनिजों में 87% खनिज सिलिकेट हैं । सिलिका में 2 तत्त्व हैं – सिलिकॉन तथा ऑक्सीजन । चूने के कार्बोनेट में 3 तत्त्व हैं – कैल्शियम, कार्बन, ऑक्सीजन ।

प्रश्न 6.
‘चट्टानें पृथ्वी के इतिहास के पृष्ठ हैं ।’ व्याख्या करें।
उत्तर:
चट्टानें पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं। इसमें पाये जाने वाले खनिज तथा इनसे बनी मिट्टी प्राकृतिक वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । चट्टानों की तहों में जीव-जन्तु और वनस्पतियों के अवशेष सुरक्षित रहते हैं। ये जीवावशेष इन चट्टानों की उत्पत्ति व समय के बारे में जानकारी देते हैं। इसलिये कहा जाता है, ” चट्टानें पृथ्वी के इतिहास के पृष्ठ हैं तथा जीवावशेष उसके अक्षर हैं।” (“Rocks are the pages of Earth History and Fossils are the writing on it.”)

प्रश्न 7.
पृथ्वी की पर्पटी में कौन से प्रमुख तत्त्व हैं?
उत्तर:
पृथ्वी विभिन्न तत्त्वों से बनी हुई है। इनकी बाहरी परत पर ये तत्त्व ठोस रूप में और आंतरिक परत में ये गर्म एवं पिघली हुई अवस्था में पाये जाते हैं। पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भाग आठ तत्त्वों, जैसे ऑक्सीजन, सिलिकान, एल्यूमीनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटाशियम तथा मैग्नीशियम से बना है तथा शेष भाग टाइटेनियम, हाइड्रोजन, फॉस्फोरस, मैंगनीज, सल्फर, कार्बन, निकिल एवं अन्य पदार्थों से बना है।

सारणी पृथ्वी के पर्पटी के प्रमुख तत्त्व:

पदार्थ वज्रन के अनुसार $(\%)$
1. ऑक्सीजन 46.60
2. सिलिकन 27.72
3. एल्यूमीनियम 8.13
4. लौह 5.00
5. कैल्शियम 3.63
6. सोडियम 2.83
7. पोटैशियम 2.59
8. मैग्नीशियम 2.09
9. अन्य 1.41

प्रश्न 8.
धात्विक तथा अधात्विक खनिजों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
धात्विक खनिज-इनमें धातु तत्त्व होते हैं, तथा इनको तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
(क) बहुमूल्य धातु-स्वर्ण, चांदी, प्लैटिनम आदि।
(ख) लौह धातु-लौह एवं स्टील के निर्माण के लिए लोहे में मिलायी जाने वाली अन्य धातुएं।
(ग) अलौहिक धातु-इनमें ताम्र, सीसा, जिंक, टिन, एल्यूमीनियम आदि धातु शामिल होते हैं।
अधात्विक खनिज-इनमें धातु के अंश उपस्थित नहीं होते हैं। गंधक, फॉस्फेट तथा नाइट्रेट अधात्विक खनिज हैं। सीमेंट अधात्विक खनिजों का मिश्रण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 खनिज एवं शैल

प्रश्न 9.
रवों (Crystals) का निर्माण किस तत्त्व पर निर्भर करता है?
उत्तर:
पिघले हुए लावा के ठण्डा होने से रवों का निर्माण होता है । रवों का आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। रवों का आकार मैग्मा के शीतलन (rate of cooling of magma) की क्रिया पर निर्भर करता है। धरातल पर शीघ्र ही ठण्डा होने के कारण धरातल पर बनने वाले रवों का आकार छोटा होता है। इनका गठन कांच जैसा होता है, जैसे बेसॉल्ट। मैग्मा के शीतलन की क्रमिक क्रिया से बड़े-बड़े रवों का निर्माण होता है। मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने से पातालीय चट्टानों में बड़े आकार के रवों या मोटे दोनों वाले गठन का निर्माण होता है, जैसे ग्रेनाइट।

प्रश्न 10.
दक्कन ट्रैप (Deccan Trap) से क्या अभिप्राय है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भारतीय प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में बसाल्ट चट्टानों से ढके हुये विशाल क्षेत्र को दक्कन ट्रैप कहते हैं। इस क्षेत्र का विस्तार लगभग 5,00,000 वर्ग कि०मी० है। इन चट्टानों के अपक्षरण से उपजाऊ काली मिट्टी का निर्माण हुआ है जिसे ‘रेगर’ (Regur) मिट्टी कहते हैं। यह मिट्टी कपास की कृषि के लिये उत्तम है।

प्रश्न 11.
आग्नेय चट्टानों को प्राथमिक चट्टान क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
आग्नेय चट्टानें पृथ्वी पर सबसे प्राचीन चट्टानें हैं। आरम्भ में पृथ्वी पर मूल पदार्थ मैग्मा (Magma) पिघली हुई अवस्था में था। इस मैग्मा के ठण्डा तथा ठोस होने से आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ। इस प्रकार पृथ्वी पर सर्वप्रथम बनने के कारण इन्हें प्राथमिक चट्टानें (Primary rocks) कहा जाता है। इसके पश्चात् दूसरी चट्टानों का निर्माण आग्नेय चट्टानों से प्राप्त तलछट से हुआ।

प्रश्न 12.
तलछटी चट्टानों में जीवावशेष (Fossils) सुरक्षित रहते हैं जबकि आग्नेय चट्टानों में नहीं। क्यों?
उत्तर:
जीवावशेष वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं के बचे-खुचे भाग होते हैं। तलछटी चट्टानें परतों में पाई जाती हैं। इन परतों के बीच ये जीवावशेष सुरक्षित रहते हैं। ये जीवावशेष इन चट्टानों की उत्पत्ति के समय का ज्ञान देते हैं । आग्नेय चट्टानों में पर्ते नहीं पाई जातीं । आग्नेय चट्टानों के निर्माण में गर्म मैग्मा के कारण ये अवशेष झुलस जाते हैं तथा नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
खनिज संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
खनिज संसाधनों को पाँच प्रमुख निम्नलिखित वर्गों में रखा गया है

  1. लौह धातु-खनिज जिसमें लोहे का अंश होता है। जैसे-लोहा अयस्क, निकल, कोबाल्ट आदि।
  2. अलौह धातु-खनिज जिसमें लौह अयस्क के अलावा धातुएं पाई जाती हैं। जैसे-तांबा, सीसा, जस्ता व बॉक्साइट।
  3. बहुमूल्य खनिज-ऐसे खनिज जिनका आर्थिक मूल्य उच्च होता है। जैसे–सोना, चाँदी आदि।
  4. अधात्विक खनिज-यह वे खनिज हैं जिसमें धातुएं नहीं पाई जाती हैं। जैसे-अभ्रक, नमक, पोटाश, सल्फर आदि।
  5. ऊर्जा खनिज-ऐसे खनिज जो ऊर्जा उपलब्ध करवाते हैं। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
खनिजों का आर्थिक महत्त्व बताओ।
उत्तर:
खनिज संसाधनों को चार प्रमुख वर्गों में बांटा जा सकता है आवश्यक संसाधन, ऊर्जा संसाधन, धातु संसाधन तथा औद्योगिक संसाधन इनमें से सर्वाधिक आधारभूत वर्ग, आवश्यक संसाधन वर्ग है, जिसमें मृदा तथा जल शामिल है। ऊर्जा संसाधन को जीवाश्मी ईंधन (कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, कोयले, शैल तेल तथा तारकोल, बालू) तथा परमाणु ईंधन (यूरेनियम, थोरियम एवं भूतापीय ऊर्जा ) में विभक्त किया जा सकता है धात्विक संसाधनों में, संरचनात्मक धातुओं जैसे लोहा, एल्यूमीनियम एवं टिटैनियम से लेकर अलंकारी एवं औद्योगिक धातुएं जैसे- सोना, प्लैटिनम तथा सैलियम शामिल हैं।

औद्योगिक खनिजों में 30 से अधिक वस्तुएं (पण्य) सम्मिलित हैं जैसे- नमक, एस्बेस्टास तथा बालू खनिज निक्षेपों की दो भू-वैज्ञानिक विशेषताएं हैं जो आधुनिक सभ्यता के लिए चुनौती उपस्थित करती हैं। प्रथम लगभग सभी संसाधन नवीकरण योग्य नहीं हैं। भू-वैज्ञानिक क्रियाएं, जिनके द्वारा इनका निर्माण होता है, बहुत धीरे-धीरे काम करती हैं, जबकि इनके दोहन की दर इससे काफ़ी अधिक है। खनिज निक्षेपों को उनके उपभोग की दर के बराबर पैदा करने की हमारी योग्यता तथा क्षमता होने की कोई संभावना नहीं है। द्वितीय खनिज निक्षेपों की महत्ता स्थानबद्ध है। हम यह निर्धारित नहीं कर सकते कि कहां इनका दोहन किया जाए। प्रकृति हमारे लिए यह निर्णय उसी समय लेती है, जबकि इनका निक्षेपण होता है

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 खनिज एवं शैल

प्रश्न 2.
आग्नेय चट्टानों तथा तलछटी चट्टानों में अन्तर बताओ
उत्तर:

आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks) तलछटी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
1. रूप-ये चट्टानें ढेरों (Bulks) में पाई जाती हैं। 1. ये चट्टानें परतों (Layers) में पाई जाती हैं।
2. कारण-इन चट्द्रानों में चपढे तल वाले रवे (Crystals) मिलते हैं। 2. इन चट्टानों में विभिन्न आकार के गोल कण (Particles) मिलते हैं।
3. रचना-ये चट्टानें लावा (Magma) के ठण्डा व ठोस होने से बनती हैं । 3. ये चट्टानें तलछट (Sediments) की परतों के निरन्तर जमाव से बनती हैं।
4. कठोरता-ये चट्यनें कठोर होती हैं। 4. ये चट्टानें नर्म होती हैं।
5. अवशेष-इनमें जीव-अवशेष (Fossils) नहीं पाए जाते । 5. इन चट्टानों में जीव अवशेष सुरक्षित रहते हैं।
6. निर्माण काल-सर्व-प्रथम बनने के कारण इन्हें प्राथमिक चट्टानें (Primary Rocks) भी कहते हैं। 6. आग्नेय चट्टानों के क्षय के बाद में बनने के कारण इन्हें गौण चट्टानें (Secondary Rocks) भी कहते हैं।
7. अपरदन-इन चट्टानों पर ॠतु प्रहार कम होता है। 7. ये चट्टानें ऋतु प्रहार से शीघ्र टूट जाती हैं।
8. खण्ड-इनमें जोड़ (Joints) पाए जाते हैं। 8. इनमें जोड़ नहीं पाए जाते।
9. आग्नेय चद्टानें अप्रवेशीय (Imprevious) होती हैं। 9. ये अधिकतर प्रवेशीय (Previous) होती हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran वाच्य Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सामान्य रूप से वाच्य का शाब्दिक अर्थ होता है-‘बोलने योग्य’ या ‘जो बोलने का विषय हो’। इसे किसी बात को कहने का ढंग भी माना जा सकता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी किसी बात के बिंदु को प्रमुखता से स्पष्ट करता है। वाच्य इस बात को प्रकट करता है कि कोई किस कथ्य बिंदु को अधिक महत्व दे रहा है- वह कर्ता है, कर्म है या क्रिया- भाव है। जैसे –

आद्या नाच रही है।
इस वाक्य में ‘नाचना’ क्रिया का प्रधान कथ्य बिंदु है तथा आद्या कर्ता है इसलिए यह कर्तृवाच्य वाक्य है।

सचिन द्वारा बॉल को हिट मारी जा रही है।
इस वाक्य में कथ्य बिंदु ‘बॉल’ कर्म है इसलिए यह कर्मवाच्य है।

आप से खाया नहीं जा रहा।
इस वाक्य में ‘खाया जाना’ (क्रिया भाव) कथ्य बिंदु है इसलिए यह भाववाच्य वाक्य है।
अंतः क्रिया के जिस रूप यह पता लगे कि क्रिया का मुख्य विषय क्या है-कर्ता, कर्म या भाव; उसे वाच्य कहते हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

प्रश्न 2.
वाच्य के भेदों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वाच्य के तीन भेद होते हैं – 1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता प्रधान होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्ता के अनुसार आती है। जैसे –
राम पढ़ रहा है।
सिपाही घूम रहा है।
इन वाक्यों में राम, सिपाही प्रधान कर्ता हैं इसलिए ये कर्तृवाच्य वाक्य हैं।

2. कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्म के अनुसार आती है। इसमें वाक्य का उद्देश्य कर्म होता है और मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। इसकी क्रिया में एक से अधिक क्रियापद होते हैं। जैसे गणेश से पेन से लिखा जा रहा है।
रीना से चाय पी जाती है।

3. भाववाच्य – जिस वाक्य में भाव की प्रधानता होती है, उसे भाववाच्य कहते हैं। भाववाच्य की क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहती है। इसमें कर्ता और कर्म की प्रधानता नहीं होती। वास्तव में भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का कर्मवाच्य ही भाववाच्य होता है। जैसे –
हमसे अब भागा नहीं जाता।
लक्ष्मी से अब गाया नहीं जाता।

विशेष – प्रायः विवशता / असमर्थता प्रकट करने के लिए नहीं के साथ भाववाच्य का प्रयोग किया जाता है। जैसे –

  • दिनभर कैसे भूखा रहा जाएगा ?
  • अब तो उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा।

जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता वहाँ कर्ता जन सामान्य होता है। जैसे –

  • चलो, ज़रा टहला जाए।
  • अब तो खिसका जाए।
  • धुंध में भीतर ही बैठा जाता है।

वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन –

1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना –

कर्तृवाच्य में कर्ता और कर्म अपने शुद्ध रूप में प्रयुक्त होते हैं, पर कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ करण कारक का चिह्न से के द्वारा लगाया जाता है, और कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है व उसके साथ परसर्ग नहीं लगाया जाता है। क्रिया की धातु में या / ता जोड़ा जाता है तथा ‘जा’ धातु का कर्म के लिंग, वचन, काल तथा पुरुष के अनुसार प्रयोग किया जाता है। जैसे –

कर्मवाच्य – कर्तृवाच्य

  1. मैंने गाना गाया। – मुझ से गाना गाया गया।
  2. रेखा ने कहानी पढ़ी। – रेखा से कहानी पढ़ी गई।
  3. पिता ने पुत्र को पढ़ाया – पिता के द्वारा पुत्र को पढ़ाया गया।
  4. आप लिख नहीं सकते। – आप से लिखा नहीं जा सकता।
  5. राघव पतंग उड़ा रहा है। – राघव से पतंग उड़ाई जा रही है।
  6. मज़दूर वृक्ष काटेंगे। – मज़दूर द्वारा वृक्ष काटे जाएँगे।
  7. मैंने पत्र लिखा। – मुझसे पत्र लिखा गया।
  8. पूनम दूध पिएगी। – पूनम द्वारा दूध पिया जाएगा।
  9. अमित चाय पी रहा था। – अमित द्वारा चाय पी जा रही थी।
  10. सूरदास ने सूरसागर की रचना की। – सूरदास के द्वारा सूरसागर की रचना की गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना –

भाववाच्य में कर्म नहीं होता। इसमें कर्ता के आगे ‘से’, ‘द्वारा’, या ‘के द्वारा’ लगाया जाता है।
भाववाच्य बनाने के लिए कर्ता को करण कारक में बदला जाता है। अकर्मक धातु के सामान्य भूतकाल के रूप बनाकर अंत में ‘जा’ धातु के प्रथम पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन का रूप लगाया जाता है। क्रिया पुल्लिंग अन्य पुरुष एकवचन में रहती है –

कर्तृवाच्य – भाववाच्य

  1. श्याम जागता है। – श्याम से जागा जाता है।
  2. राम नहीं रोता है। – राम से रोया नहीं जाता।
  3. राम तेज़ दौड़ा है। – राम से तेज़ दौड़ा जाता है।
  4. मैं सर्दियों में नहीं नहाता। – मुझसे सर्दियों में नहीं नहाया जाता।
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। – पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है।
  6. लड़की आँगन में सो रही थी। – लड़की के द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
  7. बच्चे खेलेंगे। – बच्चों से खेला जाएगा।
  8. हम वहाँ नहीं रहेंगे। – हमसे वहाँ नहीं रहा जाएगा।
  9. राजन दौड़ेगा। – राजन से दौड़ा जाएगा।
  10. बच्चा हँसता है। – बच्चे से हँसा जाता है।

3. कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना –

कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना ऊपर दी गई विधियों से ठीक विपरीत हैं। इसमें सामान्य भूतकाल क्रिया को मुख्य क्रिया में बनाया जाता है। कर्ता के साथ प्रयुक्त परसर्ग से / के द्वारा हटा दिए जाते हैं। इसमें रंजक क्रिया जा / जाना हटा दिया जाता है। जैसे –
कर्मवाच्य या भाववाच्य – कर्तृवाच्य

  1. गौरांग से भागा नहीं जाता। – गौरांग भाग नहीं सकता।
  2. रुचि से नाचा नहीं जाता। – रुचि नाच नहीं सकती।
  3. बूढ़ों से खेला नहीं जाता। – बूढ़े खेल नहीं सकते।
  4. नरेश द्वारा पुस्तक लिखी जाएगी। – नरेश पुस्तक लिखेगा।
  5. आओ, अब चला जाए। – आओ, अब चलें।
  6. उठो, अब खाया जाए। – उठो, अब खाएँ।
  7. सुरेखा से उठा नहीं जाता। – सुरेखा उठ नहीं सकती।
  8. अनुष्का से खाना नहीं पकाया जाता। – अनुष्का खाना नहीं पकाती।
  9. सुरेश से बैठा नहीं जाता। – सुरेश बैठ नहीं सकता।
  10. नूतन से चला नहीं जाता। – नूतन चल नहीं सकती।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

1. निम्नलिखित वाक्यों में वाच्य परिवर्तन कीजिए –

  1. बच्चे फूल तोड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  2. अनेक कवियों ने सुंदर कविताएँ लिखी हैं। (कर्मवाच्य)
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए। (कर्तृवाच्य)
  4. सिपाही ने चोर को पकड़ा। (कर्मवाच्य)
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  6. पुलिस द्वारा कल रात कई चोर पकड़े गए। (कर्तृवाच्य)
  7. भिखारिन सड़क पर जा रही थी। (भाववाच्य)
  8. अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  9. पक्षी आकाश में उड़ेंगे। (भाववाच्य)
  10. राम पुस्तक पढ़ रहा है। (कर्मवाच्य)
  11. अध्यापक विद्यालय में शिक्षा देते हैं। (कर्मवाच्य)
  12. अध्यापक ने हमें आज नया पाठ पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  13. रोगी बिस्तर से उठ नहीं सकता। (भाववाच्य)
  14. मैं नहीं बैठ सकता। (कर्मवाच्य)
  15. मैं यह भाषा नहीं पढ़ सकूँगा। (भाववाच्य)

उत्तर :

  1. बच्चों से फूल तोड़ जाते हैं।
  2. अनेक कवियों द्वारा सुंदर कविताएँ लिखी गई हैं।
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए।
  4. सिपाही द्वारा चोर पकड़ा गया।
  5. पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है
  6. पुलिस ने कल रात कई चोर पकड़े।
  7. भिखारिन से सड़क पर जाया जा रहा था।
  8. अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पढ़ाया गया।
  9. पक्षियों से आकाश में उड़ा जाएगा।
  10. राम से पुस्तक पढ़ी जा रही है।
  11. अध्यापकों द्वारा विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
  12. अध्यापक द्वारा हमें आज नया पाठ पढ़ाया गया।
  13. रोगी द्वारा बिस्तर से उठा नहीं जाता।
  14. मुझसे यह भाषा पढ़ी नहीं जाएगी।
  15. मुझसे बैठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर –

(अ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(क) मुझसे पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(ख) मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा रही।
(ग) मैं पतंग नहीं उड़ाता।
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।
उत्तर :
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।

2. मुझ से निबंध नहीं लिखा गया।
(क) मैं निबंध नहीं लिख सकता।
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।
(ग) मैं निबंध नहीं लिखता।
(घ) मैंने निबंध नहीं लिखा था।
उत्तर :
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।

3. किसानों से खेतों की जुताई नहीं की जा रही।
(क) किसान खेतों की जुताई नहीं कर रहे।
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।
(ग) किसानों ने खेत नहीं जोते।
(घ) किसान खेत नहीं जोत रहे हैं।
उत्तर :
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्मवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. उन ठगों ने हमें ठग लिया।
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।
(ख) उन ठगों द्वारा हम ठगे गए।
(ग) उन ठगों ने हमारे साथ ठगी कर ली।
(घ) उन ठगों से हम ठगे गए हैं।
उत्तर :
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।

2. शेफ़ाली खाना पका रही है।
(क) शेफ़ाली से खाना पकाया जाएगा।
(ख) शेफ़ाली खाना पकाएगी।
(ग) शेफ़ाली द्वारा खाना पकाया गया।
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।
उत्तर :
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।

3. दीपा ग़ज़ल गा रही थी।
(क) दीपा से ग़ज़ल गाई जा रही है।
(ख) दीपा ग़ज़ल गाएगी।
(ग) दीपा द्ववारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।
(घ) दीपा से ग़ज़ल गाई गई थी।
उत्तर :
(ग) दीपा द्वारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(इ) निम्नलिखित वाक्यों में से भाववाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. कौआ पेड़ पर काँव-काँव करता है।
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।
(ख) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती रहेगी।
(ग) कौए के द्वारा पेड़ पर काँव-काँव किया जाता है।
(घ) कौए से पेड़ पर काँव-काँव होती है।
उत्तर :
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।

2. मैं कल रात वहीं ठहरूँगा।
(क) मुझे कल रात वहीं ठहरना होगा।
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।
(ग) मेंरे द्वारा कल रात वहीं पर ठहरना होगा।
(घ) मेरा कल रात वहीं ठहरना होगा।
उत्तर :
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।

3. बच्चे चुप नहीं बैठ सकते।
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।
(ख) बच्चों से चुप नहीं बैठा जाता।
(ग) बच्चों से चुप बैठा नहीं जा सकता।
(घ) बच्चों से चुप नहीं हुआ जा सकता।
उत्तर :
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर –

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) कर्मवाच्य में किसकी प्रधानता होती है-
(i) कर्ता की
(ii) कर्म की
(iii) क्रिया की
(iv) भाव की
उत्तर :
(ii) कर्म की

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ख) नीचे दिए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है –
(i) कालिदास के नाटक खूब प्रस्तुत किए गए हैं।
(ii) उससे मंच तक नहीं पहुँचा जाएगा।
(iii) उससे तो उठा ही नहीं जाता।
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
उत्तर :
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

(ग) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है –
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।
(ii) हम आपका समर्थन करते हैं।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) रेल मंत्री ने बुलेट ट्रेन चलाई।
उत्तर :
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।

(घ) नीचे लिखे वाक्यों में से भाववाच्य वाला वाक्य छाँटिए-
(i) वह थकान के कारण सो गया।
(ii) आओ, सैर करने चले।
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।
(iv) यह किला राणा कुंभा के द्वारा बनाया गया है।
उत्तर :
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ङ) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सैनिक बढ़ते जा रहे थे।
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।
(iii) वह नदी में डूब गया।
(iv) ऑँधी से टॉवर गिर गया।
उत्तर :
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनिए –

(क) कर्तृवाच्य ऐसा वाक्य होता है-
(i) जहाँ कर्म प्रधान होता है।
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।
(iii) जहाँ भाव प्रधान होता है।
(iv) जहाँ अन्य पद प्रधान होता है।
उत्तर :
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।

(ख) दिए गए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है-
(i) तुमसे कार नहीं चलाई जाएगी।
(ii) सारे दिन कैसे सोया जाएगा?
(iii) तुम शोर क्यों मचाते हो?
(iv) चटनी खाई ही नहीं जा रही है।
उत्तर :
(iii) तुम शोक क्यों मचाते हो?

(ग) दिए गए वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सेना ने आतंकियों को पकड़ लिया है।
(ii) बाढ़-पीड़ितों में राहत-सामग्री बाँटी जा रही है।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) वह रात-भर कैसे काम करता रहा?
उत्तर :
(ii) बाढ़ पीड़ितों में राहत सामग्री बाँटी जा रही है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(घ) दिए गए वाक्यों में से भाववाच्य का वाक्य है-
(i) अब हम गा नहीं पा रहे हैं।
(ii) अमेरिका ने मित्रता का हाथ बढ़ाया है।
(iii) यह पाठ एक दिन में पढ़ा जा सकता है।
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा?
उत्तर :
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा ?

(ङ) “तुमने अच्छी नीति अपनाई। ” वाक्य का कर्मवाच्य है-
(i) तुम अच्छी नीति अपना लेते हो।
(ii) तुमसे अच्छी नीति अपनाने की आशा थी।
(iii) तुम्हारे द्वारा क्या नीति अपनाई जाएगी?
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।
उत्तर :
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर

निर्देशानुसार वाच्य बदलिए –

1. (क) मैं सो नहीं सकता हूँ। (भाववाच्य में)
(ख) तुम्हें यहाँ किसने भेजा है ? (कर्मवाच्य में)
(ग) विद्व्वानों द्वारा जो कहा जाता है उसको सुना जाए। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मेरे द्वारा सोया नहीं जा सकता है।
(ख) तुम यहाँ किसके द्वारा भेजे गए हो ?
(ग) विद्वान जो कहते हैं, उसे सुनो।

2. (क) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तकें दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे चला नहीं जाता। (कर्तृवाज्य्य में)
(ग) वह तो उठ भी नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दी।
(ख) वह चल नहीं सकता।
(ग) उससे तो उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

3. (क) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठा जाएगा। (कर्तृवाच्य में)
(ग) हम इतना भार नहीं सह सकते। (कर्मवाच्य में)
(घ) अब राष्ट्रपति नहीं आएँगे। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की।
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठेंगे।
(ग) हमारे द्वारा इतना भार नहीं सहा जा सकता।
(घ) अब राष्ट्रपति से नहीं आया जा सकेगा।

4. (क) भाईसाहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) आओ कहीं चला जाए। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मेरी मित्र चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) भाई साहब ने मुझे पतंग दी
(ख) आओ, कहीं चलें।
(ग) मेरी मित्र से चला नहीं जाता।
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

5. (क) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) मेरे मित्र से चला नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) उनके सामने कौन बोल सकेगा ? (भाववाच्य में)
(घ) भाई साहब ने मुझे पतंग दी। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।
(ख) मेरा मित्र नहीं चलता।
(ग) उनके सामने किससे बोला जा सकेगा ?
(घ) भाई साहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई।

6. (क) राष्ट्रपति द्वारा इस भवन का उद्धाटन किया गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) हमसे इतना भार नहीं सहा जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठ सकते हैं ? (भाववाच्य में)
(घ) तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) राष्ट्रपति ने इस भवन का उद्घाटन किया।
(ख) हम इतना भार नहीं सह सकते।
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठा जा सकता है ?
(घ) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई।

7. (क) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे तो उठा भी नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मैं चल नहीं सकती। (भाववांच्य में)
(घ) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दीं। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली।
(ख) वह उठ नहीं सकते।
(ग) मुझसे उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तक दी गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

8. (क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में)
(ख) श्यामा द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। (कर्तृवाच्य में)
(ग) दर्द के कारण वह चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से की जाती है। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षियों द्वारा संगीत का अभ्यास किया जाता है।
(ख) श्यामा सुबह-दोपहर के राग बख़बी गाती है।
(ग) दर्द के कारण उससे चला नहीं जा सकता।
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से होती है।

9. (क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) फ़ाख़्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था। (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) फ़ुरसत में मैना द्वारा खूब रियाज किया जाता है।
(ख) फ़ाख़्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
(ग) बच्चे से साँस नहीं लिया जा रहा था।
(घ) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।

10. (क) बुलबुल रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सँहाल लिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह रात भर कैसे जागेगी? (भाववाच्य में)
(घ) सात सुरों को इसने गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) बुलबुल के द्वारा रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर किया जाता है।
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षी मंच संभाल लेते हैं।
(ग) उससे रात भर कैसे जागा जाएगा?
(घ) सात सुरों को इसके द्वारा गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

11. (क) मैनाओं ने गीत सुनाया। (कर्मवाच्य में)
(ख) माँ अभी भी खड़ी नहीं हो पाती। (भाववाच्य में)
(ग) बीमारी के कारण उससे उठा नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(घ) क्या अब चला जाए? (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैनाओं के द्वारा गीत सुनाया गया।
(ख) माँ से अभी भी खड़ा नहीं हुआ जाता।
(ग) बीमारी के कारण वह नहीं उठता।
(घ) क्या अब चलें?

12. (क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में)
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।
(कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों के द्वारा नोटिस थमा दिया गया।
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद करते हैं।
(ग) खबर सुनकर उससे चला भी नहीं जा पा रहा था।
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।

13. (क) अनेक पाठकों ने पुस्तक की सराहना की। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता रोज़ अख़बार पढ़ती है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) अनेक पाठकों द्वारा पुस्तक की सराहना की गई।
(ख) पक्षियों से बाग छोड़कर उड़ा नहीं गया।
(ग) हर्षिता द्वारा रोज़ अख़बार पढ़ा जाता है।
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

14. (क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) बालगोबिन भगत के द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थीं।
(ख) बीमारी के कारण उससे यहाँ न आया गया।
(ग) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था।
(घ) अवनि द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हंस से उड़ा न जा सका।

15. (क) गाँव की स्त्रियाँ बहू को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ग) नवाब साहब ने खीरे को धोकर पोंछ लिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) हम लोग क्लास छोड़कर बाहर नहीं आ सके। (भाववाच्य में बदलिए)
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया गया है, लुंगी पर नहीं। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) गाँव की स्त्रियों के द्वारा बहू को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
(ख) भारत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा।
(ग) नवाब साहब के द्वारा खीरे को धोकर पोछ लिया गया।
(घ) हम लोगों से क्लास छोड़कर बाहर नहीं आया गया।
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया है, लुंगी पर नहीं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

16. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा हीं नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लज़ीज होता है।

17. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन टोपी शुक्ला का सबसे पहला मित्र था। इफ़्फ़न और उसकी दादी से टोपी शुक्ला को वह प्यार मिला था, जो उसे कभी अपने घर से नहीं मिला। इपफन एक मुसलमान था, परंतु प्यार जाति-पाति नहीं देखता। इफ्फ़न के पास रहते हुए टोपी ने स्वयं को कभी अकेला नहीं समझा। वह उससे अपने मन की सारी बातें करता था। इफ्फन उसका दुख-दर्द समझता था। पिता का तबादला होने पर इफ्फन चला गया और टोपी बिलकुल अकेला पड़ गया। उसे कोई समझने वाला और दिलासा देने वाला नहीं रहा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फन की दादी एक ज़मींदार परिवार से थी। उसका ससुराल लखनऊ में था। उसके पति और ससुर वहाँ के प्रसिद्ध मौलवी थे। ससुराल में इफ्फन की दादी को बंदिशों में रहना पड़ता था, क्योंकि वह एक मौलविन थी। वह लखनऊ में रहकर उस दही को तरस गई थी, जो उनके यहाँ घी पिलाई हंडियों में असामियों के यहाँ से आता था। जब भी वे अपने पीहर जाती तो खूब दूध, घी और दही खाती थी। ससुराल में उसकी आत्मा सदा बेचैन रहती थी। दादी ने अपनी सारी उम्र ससुराल की पाबंदियों में व्यतीत की थी, इसलिए वह खुली हवा में साँस लेने और दूध, घी व दही खाने के लिए पीहर जाना चाहती थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 3.
दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं ?
उत्तर :
इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थी। उसे गाने-बजाने का बहुत शौक था। इफ्फन के दादा एक मौलवी थे, इसलिए उनके घर में गाना-बजाना नहीं होता था। इफ़्फ़न की दादी की इच्छा थी कि वह अपने बेटे की शादी में गाना-बजाना करे, परंतु मौलवी की पत्नी होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी को इफ्फ़न की दादी के मुंह से अम्मी शब्द सुनना अच्छा लगता था, इसलिए उसने अपने घर में अपनी माँ को अम्मी कहकर बुलाया। उसके मुंह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर के सदस्यों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। उस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे समय थम गया हो; परंपराओं की दीवारें हिलने लगी हों। अम्मी शब्द कहने और सुनने से ही धर्म संकट में पड़ गया था। दादी सुभद्रा देवी ने टोपी के साथ-साथ उसकी माँ रामदुलारी को भी बुरा-भला कहा। रामदुलारी ने गुस्से में टोपी की बहुत पिटाई की। उसे मार पड़ने पर मुन्नी बाबू और भैरव खुश हो रहे थे। यदि टोपी को पता होता कि उसके अम्मी कहने से घरवाले उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे, तो शायद वह कभी इस शब्द का प्रयोग न करता।

प्रश्न 5.
दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता था?
उत्तर :
टोपी के जीवन में दस अक्तूबर सन पैंतालीस के दिन का बहुत अधिक महत्व था। इसी दिन इफ्फन टोपी को छोड़कर दूसरे शहर चला गया था। इफ़्फ़न के पिता जी कलेक्टर थे। उनका तबादला दूसरे शहर में हो गया था, इसलिए इफ्फन भी उनके साथ चला गया। उसके जाने से टोपी अकेला पड़ गया। उस दिन उसने कसम खाई थी कि आगे से तबादले की नौकरी करने वाले के लड़के से दोस्ती नहीं करूँगा।

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प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती थी। वह उसे हर समय डाँटती थी। टोपी को इफ्फ़न की दादी अच्छी लगती थी। वह उसे पास बैठाकर प्यार करती थी और उसका हाल-चाल पूछती थी। टोपी को उनका अम्मी कहना अच्छा लगता था। इफ्फ़न की दादी की बोली भी उनकी तरह थी। उसे इफ्फन की दादी से बहुत अपनापन मिला था। वह उसे अच्छी तरह समझती थी, इसलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही थी।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
इफ्फन को अपने पूरे परिवार से प्यार था, परंतु उसे अपनी दादी से विशेष स्नेह था। उसकी अम्मी और बहन उसे डाँटती थी। छोटी बहन भी उसे तंग करती थी। अब्बू भी कभी-कभी घर को कचहरी समझकर अपना फैसला सुना दिया करते थे। घर में केवल एक दादी ही थी, जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया था। वह रात को सोते समय उसे कई कहानियाँ सुनाती थी। दादी की पूरबी बोली में उसे कहानी सुनना अच्छा लगता था। दादी के पास उसकी हर शिकायत का समाधान होता था, इसलिए इफ्फ़न अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी उनके घर गया, तो उसे घर खाली-सा लगा। उसे इफ्फन के घर में दादी ही अपनी लगती थी। इफ्फन की दादी और उसके बीच के संबंध को कोई नहीं समझ सकता था। टोपी और इफ्फन की दादी ने एक-दूसरे के प्रेम की चाहत को पूरा किया था। दोनों अपने घर में अकेले और अजनबी थे। दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर अपने अकेलेपन को भर लिया था। लेकिन इफ्फन की दादी के मरने से टोपी फिर अकेला हो गया था। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी के मरने के बाद उसका घर खाली खाली लगा।

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प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे, परंतु वे दोनों एक अटूट रिश्ते से बँधे हुए थे। टोपी हिंदू था और इफ्फन की दादी मुसलमान थी। टोपी की आयु आठ वर्ष थी और दादी की आयु बहत्तर वर्ष की थी। टोपी दादी के हाथ से कुछ नहीं खाता था, परंतु उसकी प्यार की चाहत उनके पास जाकर पूरी होती थी। टोपी को अपने घर में बिलकुल भी प्यार नहीं मिला था। घर में हर कोई उसे डाँटता और मारता था। वह प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता रहता था। जहाँ उसे प्यार मिलता, वह वहीं का हो जाता था।

इफ़्फ़न की दादी भी अपने घर में अकेली और अजनबी थी। वह पूरबी भाषा बोलती थी। घर के अन्य सदस्य उर्दू बोलते थे। उसकी भाषा को लेकर घर में हँसी उड़ती थी। इसलिए वह भी प्यार पाने के लिए तरसती थी। जब दादी और टोपी आपस में मिले, तो दोनों ने एक-दूसरे के स्नेह पाने की चाहत को पूरा किया। दोनों में एक विशेष लगाव था। यह बात दोनों के घरों में कोई नहीं समझ सका था कि उनमें इतना प्यार क्यों था। इससे हम कह सकते हैं कि प्यार उम्र और मजहब नहीं देखता। जिसे प्यार की चाहत होती है उसे जहाँ प्यार मिलता है वह वहीं चला जाता है।

प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मददेनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर :
(क) टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। वह पढ़ाई में बहुत ज़हीन था, परंतु उसे कोई पढ़ने नहीं देता था। जब भी वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर में कोई-न-कोई काम निकल आता था। उस काम को केवल टोपी कर सकता था। घर के नौकरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी मुन्नी बाबू, तो कभी रामदुलारी उसे किसी-न-किसी काम के लिए पढ़ने से उठा देते थे। रवालों को कुछ काम नहीं होता था, तो भैरव ही उसकी कॉपियों के कागज़ों के हवाई जहाज़ उड़ा चुका होता था। दूसरे साल उसने अच्छी तैयारी की थी, परंतु उसे टायफाइड हो गया था। इस कारण वह फेल हो गया।

(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में अब उसका कोई भी मित्र नहीं था, इसलिए वह कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टर जी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे, जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी।

जब वह दूसरी बार फेल हुआ, तो वह कक्षा में ऐसे गया जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था। सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवीं में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता, तो अध्यापक यह कहकर उसे मनाकर देते थे कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाली कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था, परंतु टोपी दो साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।

(ग) टोपी लगातार दो साल नवीं कक्षा में फेल हुआ। इसके लिए उसके घर के सदस्य तथा स्कूल के अध्यापक भी जिम्मेदार थे। यदि कोई बच्चा होशियार होते हुए भी कक्षा में पिछड़ जाए, तो अध्यापक को उसका कारण जानना चाहिए और जहाँ तक संभव हो, उसकी पढ़ाई में सहायता करनी चाहिए। उसे कक्षा में शर्मसार नहीं करना चाहिए। कक्षा का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि फेल हुए बच्चे अपने को अकेला न समझे।

प्रत्येक बच्चे में कोई-न-कोई गुण होता है। अध्यापकों को चाहिए कि फेल हुए बच्चों को अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे बच्चे में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़े और उसका अच्छा परिणाम आए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 11.
इफ्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
इफ्फन की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। इफ्फन की दादी के मायके वाले कराची चले गए थे। वे लोग वहीं रहने लगे थे। इसलिए उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया था, क्योंकि उस संपत्ति पर किसी का भी अधिकार नहीं था।

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘टोपी शुक्ला’ पाठ का मूल भाव लिखिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी अपने घर और स्कूल दोनों स्थानों पर उपेक्षित बच्चा है, जिसे कोई प्यार नहीं करता। उसके माध्यम से बताया गया है कि बच्चों की दृष्टि में अपना वही होता है, जो प्यार से सिर पर हाथ रखे और दुलार से बात करे। टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती। वे उसे हर समय डाँटती रहती है। मुन्नी बाबू और भैरव भी उसे पिटवाने के अवसर ढूँढ़ते रहते हैं। दोनों झूठ-सच बोलकर सबको टोपी के विरुद्ध करते हैं।

इसलिए टोपी भरे-पूरे घर में स्वयं को अकेला समझता है। उसका अकेलापन इफ्फ़न की दादी से मिलकर दूर होता है। अपनापन और प्यार जात-पात नहीं देखते। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी अपनी लगती है। उनके मरने पर वह बहुत रोता है। बच्चे भी प्यार को समझते । हैं। टोपी की प्यार पाने की चाहत उसे घर की बूढ़ी नौकरानी सीता के आँचल में खींच ले जाती है।

घर के पढ़े-लिखे लोग यह नहीं समझते कि टोपी जैसा आज्ञाकारी बालक उनकी केवल एक हिदायत नहीं मानता कि उसे इफ्फन की दादी और नौकरानी सीता से रिश्ता नहीं रखना है। वे लोग उसकी प्यार की चाहत को नहीं समझते। बच्चों का मन साफ़ होता है। उसमें छल-कपट या हिसाब-किताब नहीं होता। उन्हें जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। बचपन प्रेम के रिश्तों को मानता है। वह किसी और रिश्तों को नहीं पहचानता। यही दशा टोपी की भी है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार इफ्फन की बड़ाई किसमें थी?
उत्तर :
इफ्फन टोपी का सबसे पहला दोस्त था। टोपी ने उसे सदा इफ्फन कहकर बुलाया था। इफ़्फ़न उसके इस तरह बुलाने का बुरा मानता था, परंतु फिर भी वह टोपी द्वारा इफ्फन बुलाने पर उससे बोलता था। इस प्रकार बोलने में इफ्फन की बड़ाई थी।

प्रश्न 3.
नामों के चक्कर अजीब क्यों थे?
उत्तर :
लेखक नामों के चक्कर को अजीब मानता है। जिस व्यक्ति, वस्तु या भाषा को जिस नाम से पुकारो वह अपना स्वरूप नहीं बदलते। उर्दू और हिंदी एक ही भाषा हिंदवी के दो नाम हैं। श्रीकृष्ण को अवतार और मुहम्मद को पैगंबर कहकर बुलाया जाता है। लोगों के लिए यह दो नाम दो अलग-अलग धर्म के हैं, परंतु दोनों का कार्य एक था; दोनों ही दूध देने वाले जानवर चराया करते थे। इसलिए लेखक को नामों के चक्कर में उलझना अजीब लगता है।

प्रश्न 4.
इफ्फ़न और टोपी के वास्तविक नाम क्या थे?
उत्तर :
इफ्फन का नाम सय्यद जरगाम मुरतुजा और टोपी का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला था। दोनों चौथी कक्षा में पढ़ते थे। इफ्फन के पिता कलेक्टर थे और टोपी के पिता शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर थे।

प्रश्न 5.
इफ्फन की दादी मरते दम तक पूरबी बोली क्यों बोलती रही थीं?
उत्तर :
इफ्फन की दादी पूरब की रहने वाली थीं। वे नौ या दस वर्ष की थीं, जब शादी करके लखनऊ आ गई थीं। ससुराल में सब उर्दू बोलते में रहने वाली थे; परंतु वे जब तक जीवित रहीं, पूरबी बोली ही बोलती रहीं। उन्हें लगता था कि ससुराल में यह बोली उनकी अपनी है, जो उनके सुख-दुख को समझती है। इसलिए उन्होंने कभी भी उर्दू बोलने का प्रयास नहीं किया। यही कारण था कि वे मरते दम तक पूरबी बोली को गले लगाए रहीं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 6.
मरते समय इफ्फ़न की दादी को अपने मायके का घर क्यों याद आ रहा था?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मरते समय आदमी अपने जीवन के सबसे खूबसूरत सपने को देखता है। इफ़्फ़ की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। वे ससुराल में रहते हुए हमेशा अपने मायके को याद करती थीं। वे एक ज़र्मींदार की बेटी थीं। उनके घर पर दूध, दही और घी की कमी नहीं थी। जब भी वे अपने घर जाती थीं, खूब दूध-दही खाती थीं। उन्होंने अपने घर में अपने हाथों से दसहरी आम का पेड़ लगाया था। अब वह पेड़ भी उनकी तरह बूढ़ा हो गया था। ऐसी ही कई मीठी यादें थीं, जो उन्हें मरते समय याद आ रही रीं।

प्रश्न 7.
टोपी के पिता को जब इफ्फन के साथ उसकी मित्रता का पता चला, तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर :
इफ्फन मुसलमान था और टोपी हिंदू। जब घर के सदस्यों को पता चला कि टोपी की मित्रता मुसलमान लड़के से है, तो सब सकते में आ गए। टोपी के पिता को बहुत क्रोध आया; परंतु जब उन्हें यह पता चला कि टोपी का मित्र इफ्फन कलेक्टर का बेटा है, तो वे अपने क्रोध को पी गए। उन्होंने टोपी की मित्रता का लाभ उठाते हुए इफ्फन के पिता से कपड़े और शक्कर के परमिट अपने नाम करवा लिए थे।

प्रश्न 8.
मुन्नी बाबू ने क्या झूठ बोला था और सच क्या था?
उत्तर :
घर में जब यह पता चला कि टोपी की मित्रता एक मुसलमान लड़के से है, तो उसकी माँ रामदुलारी ने उसे बहुत मारा। उसे मार पड़ते देखकर मुन्नी बाबू अपनी माँ से झूठ बोलता है कि एक दिन उसने टोपी को कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह सुनते ही उसकी माँ ने टोपी को दुगुने क्रोध से मारना शुरू कर दिया। वास्तव में कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। मुन्नी बाबू को कबाब खाते टोपी ने देख लिया था। मुन्नी बाबू इस बात से डर गए थे कि कहीं टोपी मार खाते हुए उसके भेद को खोल न दे, इसलिए उसने अपनी बात टोपी पर डाल दी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 9.
पाठ के आधार पर टोपी के चरित्र का चित्रांकन कीजिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी के चरित्र का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है –
परिचय – टोपी के पिता का नाम भृगु नारायण और माँ का नाम रामदुलारी था। टोपी के दो भाई मुन्नी बाबू और भैरव थे। टोपी का एक मित्र इफ्फन था। टोपी स्कूल में पढ़ता है।

सरल स्वभाव – टोपी सरल स्वभाव का बच्चा है। उसमें छल-कपट नहीं है। जब मुन्नी बाबू उस पर कबाब खाने का झूठा आरोप: लगाते हैं, तो वह मुन्नी बाबू की बात को चुपचाप स्वीकार कर लेता है। उसकी बात का कोई प्रतिवाद नहीं करता।

एकाकीपन – टोपी का परिवार भरा-पूरा है, फिर भी वह अकेला है। घर में सभी लोग अपने आप में व्यस्त हैं। किसी के पास भी। टोपी के लिए समय नहीं है। टोपी अपना अकेलापन दूर करने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है।

प्यार की चाहत – टोपी को अपने परिवार से प्यार नहीं मिला। वह प्यार पाने के लिए इधर-उधर जाता है। उसे इफ्फन, इफ्फ़न की दादी और घर की बूढी नौकरानी सीता से प्यार मिलता है। प्यार पाने की चाहत ने टोपी को सभी प्रकार के बंधनों को तोड़ने के लिए मज़बूर किया था।

सहनशील – टोपी एक सहनशील बालक था। वह शांत रहकर अपने घरवालों का अपने प्रति व्यवहार सहन करता था। टोपी घर में ही नहीं स्कूल में भी छात्रों और अध्यापकों का कड़वा व्यवहार चुपचाप सहन करता है। टोपी जब नवीं में दो बार फेल हो जाता है, तो उसे घर और स्कूल दोनों जगह से प्रताड़ना मिलती है जिसे वह बड़े साहस से सहन करता है।

आज्ञाकारी बालक – टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। वह किसी का कहना नहीं टालता। वह सबके काम चुपचाप कर देता है। वह जब भी पढ़ने बैठता था उसकी माँ, मुन्नी बाबू या अन्य उसे कोई-न-कोई काम सौंप देते थे। वह पढ़ाई छोड़कर उस काम को। पूरा करने में लग जाता था।

भावुक बालक – टोपी एक भावुक लड़का था। वह इफ्फन से अपनी दादी के बदले में उसकी दादी माँगता है। लेकिन जब इफ्फन। इनकार कर देता है, तो वह इफ्फन से भावुक होकर कहता है कि क्या वह उसके लिए इतना भी नहीं कर सकता। टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। उसके परिवार में सब हैं, परंतु फिर भी वह घर में स्वयं को अकेला अनुभव करता है। इसलिए वह अपनापन और प्यार प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 10.
कहानी कहते समय इफ्फन की दादी ऐसा क्यों कहती होंगी-“आँखों की देखी नहीं कहती। कानों की सुनी कहती हूँ….।”
उत्तर :
इफ्फन की दादी जब भी कहानी सुनाना शुरू करती थीं, उससे पहले वे एक पंक्ति कहती थीं कि ‘आँखों की देखी नहीं कहती, कानों की सुनी कहती हूँ’। वे ऐसा इसलिए कहती थीं क्योंकि जो कहानियाँ वे इफ्फन को सुनाती थीं, वे भी उनकी सुनी हुई थीं। वे कहानियाँ उनकी आँखों के आगे नहीं घटी थी, इसलिए वे सुना हुआ ही उसे सुनाती थीं। कहानियों में कई काल्पनिक घटनाएँ होती हैं। बच्चे उन्हें सच न मान लें, इसलिए भी कहानी शुरू करने से पहले इस पंक्ति को कहा जाता होगा।

प्रश्न 11.
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद के आधार पर मानवीय संबंधों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर :
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद रिश्तों में अविश्वास को उजागर करते हैं। सुभद्रा देवी टोपी की दादी सा, है। वह घर में अपने बड़े होने का वर्चस्व कायम रखने के लिए रामदुलारी को डाँटती है कि वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती। रामदुलारी अपनी सास का गुस्सा टोपी पर उतारती है। टोपी अपनी सफ़ाई में कुछ नहीं कह पाता। इसके बाद मुन्नी बाबू एक झूठ टोपी के नाम लिख देते हैं कि वह कबाब खाता है।

यह सुनते ही रामदुलारी दुगुने वेग से टोपी को मारने लगती है। वह टोपी से कोई सच्चाई नहीं जानना चाहती। उन लोगों के संवाद से यह सिद्ध होता है कि घर में जिसे बेकार समझा जाता है, उस पर हर कोई अपना दबाव डालना चाहता है। परिवार का आधार विश्वास और प्यार होता है, परंतु टोपी के परिवार में विश्वास और प्यार देखने को नहीं मिलता था। इसलिए टोपी प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता था।

प्रश्न 12.
इफ़्फ़न के दादा-परदादा क्या वसीयत करके मरे?
उत्तर :
इफ्फन के दादा और परदादा प्रसिद्ध मौलवी थे। उनका जन्म इसी देश में हुआ था। उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी। परंतु मरने से पहले उन्होंने वसीयत की थी कि उनके मरने के बाद उनकी लाश करबला ले जाई जाए। वे चाहते थे कि उन्हें करबला में दफनाया जाए।

प्रश्न 13.
इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले क्यों खरीदे?
उत्तर :
इफ्फ़न के घर जाने पर जब टोपी को बहुत मार पड़ी, तो वह बहुत उदास हुआ और अगले दिन उसने सब बातें इफ्फन को बता दी। इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले खरीदे, क्योंकि उसे पता था कि टोपी फल के अलावा कोई और चीज़ नहीं खाएगा। इस प्रकार वह टोपी को फल खिलाकर सांत्वना देने लगा।

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प्रश्न 14.
रामदुलारी की मार से इफ्फन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
जब टोपी ने इफ़्फ़न को बताया कि उसकी दादी उसे उसके घर जाने से रोकती है और उसके न मानने पर उसे खूब पीटती है, तो इफ्फ़न और वह भूगोल की कक्षा छोड़कर बाहर आ जाते हैं। इफ़्फ़न उसके लिए पंचम की दुकान से केले खरीदता है और उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि दादी बूढ़ी है, इसलिए वह मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

प्रश्न 15.
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों श्ते से बंधे थे। इस कथन पर कहानी के आधार पर विचार कीजिए।
अथवा
टोपी और इफ़्फ़न के संबंध धर्म से नहीं, मानवीय संबंधों से निर्धारित थे।
उत्तर :
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग धर्मों को मानने वाले हैं। इफ्फन मुसलमान है जबकि टोपी शुक्ला हिंदू है। इन दोनों की मित्रता में धर्म कहीं भी आड़े नहीं आता है। टोपी शुक्ला को इफ्फन और उसकी दादी से इतना प्यार मिला था, जो उसे अपने घर से भी नहीं मिलता था। इनकी इस मित्रता में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। दोनों एक-दूसरे से अपने मन की बातें खुलकर कर लेते थे। इफ्फन टोपी का सारा दुख-दर्द समझ कर उसे दिलासा देता था। बच्चों का मन साफ होता है।

उन्हें तो जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। इफ्फन को यह भी ध्यान रहता है कि टोपी को फल के अतिरिक्त अपने घर का कुछ नहीं खिलाना हैं। वह टोपी के परिवार के संस्कारों पर कोई प्रहार नहीं करता है। इफ्फन के पिता का जब स्थानांतरण हो जाता है तो टोपी स्वयं को बिल्कुल अकेला अनुभव करने लगता है। इफ्फन और टोपी अलग-अलग परिवेश में पले परन्तु उनकी मित्रता में किसी प्रकार का भी भेदभाव नहीं आया।

उनकी यह मित्रता हमें प्रेरणा देती है कि धर्म-संप्रदाय-जातिगत विविधता से समाज में तोड़ने की नहीं अपितु परस्पर जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। अलग-अलग विचारधारा, धार्मिक मान्यताएँ, संस्कार आदि होते हुए भी विभिन्न धर्म-जाति के लोग अपने-अपने रास्ते पर चलते हुए भी परस्पर टोपी और इफ्फन की तरह मिलजुल कर मित्रता के भाव से रह सकते हैं। परस्पर प्यार-मैत्री में कोई जातिगत-धर्मगत भेदभाव नहीं होता, इसलिए कहा गया है –

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना।
हिंदी हैं हम वतन हैं, हिंदुस्तान हमारा।।

टोपी शुक्ला Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘टोपी शुक्ला’ कहानी के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है, वह वहीं रहना चाहता है। टोपी को बचपन में अपनापन अपने परिवार की नौकरानी और अपने मित्र की दादी माँ से मिलता है। वह उन्हीं लोगों के साथ रहना चाहता है। इफ्फन टोपी का पहला मित्र था। टोपी उसे इफ्फन कहकर बुलाता था। इफ्फन को बुरा अवश्य लगता था, परंतु फिर भी वह उससे बात करता था। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

दोनों के घरों की परंपराएँ अलग-अलग थीं, लेकिन फिर भी इफ्फन टोपी के जीवन का अटूट हिस्सा है। इफ्फन के दादा-परदादा मौलवी थे। वे जीवित रहते हुए हिन्दुस्तान में रहे थे, परंतु उनकी लाश को करबला ले जाकर दफनाया गया। इफ्फन के पिताजी उनके खानदान में पहले बच्चे थे, जो हिंदुस्तानी थे। इफ्फन की दादी मौलवी परिवार से नहीं थी। वह एक जमींदार परिवार की तथा पूरब की रहने वाली थी।

उनकी ससुराल लखनऊ में थी, जहाँ गाना-बजाना बुरा समझा जाता था। इफ्फन के पिता की शादी पर उनके मन में विवाह के गीत गाने की इच्छा थी, परंतु इफ्फन के दादा के डर से नहीं गा पाई। उन्हें इफ्फन के दादा से केवल एक शिकायत थी कि वे सदा मौलवी बने रहते थे। इफ्फन की दादी जब मरने लगी, तो उसे अपनी माँ का घर याद आने लगा। इफ्फन उस समय स्कूल गया हुआ था। उसे अपनी दादी से बहुत प्यार था। वह उसे रात के समय कहानियाँ सुनाया करती थी।

दादी पूरबिया भाषा बोलती थी, जो उसे अच्छी लगती थी। टोपी को भी उसकी दादी की भाषा अच्छी लगती थी। टोपी को इफ्फन की दादी अपनी माँ जैसी लगती थी। उसे अपनी दादी से नफ़रत थी। वह इफ्फन के घर जाकर उसकी दादी से बात करता था। एक दिन टोपी ने अपने घर में जैसे ही अपनी माँ के लिए अम्मी शब्द का प्रयोग किया, उसी क्षण उनके यहाँ तूफान आ गया। माँ से ज्यादा उसकी दादी भड़क गई।

बाद में उसकी माँ से बहुत पिटाई हुई। उसके भाई मुन्नी बाबू ने माँ से झूठ कह दिया था कि उसने कबाब खाए हैं, जबकि कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। सबने मुन्नी बाबू के झूठ को सच समझ लिया। अगले दिन टोपी ने सारी बात इफ्फन से कह दी। चौथे पीरियड में दोनों स्कूल से भाग गए। टोपी इफ़्फ़न से कहता है कि क्यों न वह अपनी दादी बदल लें। इफ्फन ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी दादी उसके पिताजी की माँ भी थी। इफ्फन ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि फ़िक्र मत करो, तुम्हारी दादी जल्दी मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

उसी दिन इफ्फन की दादी मर जाती है। इफ्फन के साथ टोपी को भी लगता है कि उसका सबकुछ चला गया है। अब उसे इफ्फ़न के घर में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। दादी के बिना सारा घर खाली-खाली लगता है। टोपी सोचता है कि इफ्फन की दादी के स्थान पर उसकी दादी मर जाती, तो अच्छा रहता। जल्दी ही इफ्फन के पिता का तबादला हो गया। उस दिन टोपी ने कसम खाई कि आगे से किसी ऐसे लड़के से मित्रता नहीं करेगा, जिसके पिता की नौकरी बदलने वाली हो।

इफ्फन के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया। उस शहर के अगले कलेक्टर हरिनाम सिंह थे। उनके तीन लड़के थे। उन्हें इस बात का एहसास था कि वे एक कलेक्टर के बेटे हैं, इसलिए उन्होंने टोपी को मुँह नहीं लगाया। इसके बाद टोपी ने अपना अकेलापन घर की बूढी नौकरानी सीता से दूर किया। सीता उसे बहुत प्यार करती थी। वह उसका दुख-दर्द समझती थी। घर के सभी सदस्य उसे बेकार समझते थे। घर में सभी के लिए सर्दी में गर्म कपड़े बने, परंतु टोपी को मुन्नी बाबू का उतरा कोट मिला। उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। उसने वह कोट घर की नौकरानी केतकी को दे दिया। उसकी इस हरकत पर दादी क्रोधित हो गई। उन्होंने उसे बिना गर्म कपड़े के सर्दी बिताने का आदेश दे दिया।

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था, जिस कारण उसे घर में और अधिक डाँट पड़ने लगी थी। जिस समय वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर के सदस्यों को बाहर से कुछ-न-कुछ मँगवाना होता था। स्कूल में भी उसे अध्यापकों ने सहयोग नहीं दिया। अध्यापकों ने उसके नवीं में लगातार तीन साल फेल होने पर उसे नजरअंदाज कर दिया था। कोई भी ऐसा नहीं था, जो उसके साथ सहानुभूति रखता; उसे परीक्षा में पास होने के लिए प्रेरित करता। घर और स्कूल में किसी ने भी उससे अपनापन नहीं दिखाया। उसने स्वयं ही मेहनत की और तीसरी श्रेणी में नवीं पास कर ली। उसके नवीं पास करने पर दादी ने कहा कि उसकी रफ़्तार अच्छी है। तीसरे वर्ष में तीसरी श्रेणी में पास तो हो गए हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

कठिन शब्दों के अर्थ :

परंपरा – प्रथा, डेवलपमेंट – विकास, बेमानी – व्यर्थ, अटूट – न टूटने वाला, मज़बूत, करबला – इस्लाम का एक पवित्र स्थान, नमाज़ी – नियमित रूप से नमाज़ पढ़ने वाला, मास का सदका – एक टोटका, चेचक – एक संक्रामक रोग, छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान, जश्न – उत्सव, फर्क – अंतर, नाक-नक्शा – रूप-रंग, बीजू पेड़ – आम की गुठली से उगाया गया आम का पेड़, बेशुमार – बहुत सारी, बाजी – बड़ी बहन, कचहरी – न्यायालय, पाक – पवित्र, मुलुक – देश, अलबत्ता – बल्कि,

अमावट – पके आम के रस को सुखाकर बनाई गई वस्तु, तिलवा – तिल का लड्डू, लफ़्ज – शब्द, दुर्गति – बुरी हालत, कुटाई – पिटाई, कबाबची – कबाब बनाने वाला, जुगराफ़िया – भूगोल शास्त्र, पुरसा – सांत्वना देना, तबादला – बदली, एहसास – अनुभूति, टर्राव – बड़बड़ करना, गाउदी – भोंदू, सितम – अत्याचार, लौंदा – गीली मिट्टी का पिंड, लोगन – लोग, नज़रे बद – बुरी नज़र

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. इनमें से किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?
(A) बिहार
(B) पश्चिम बंगाल
(C) असम
(D) उत्तर प्रदेश।
उत्तर:
(A) बिहार।

2. उत्तराखंड के किस जिले में मालपा भू-स्खलन आपदा घटित हुई थी?
(A) बागेश्वर
(B) चंपावत
(C) अल्मोड़ा
(D) पिथोरागढ़।
उत्तर:
(D) पिथोरागढ़।

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3. इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?
(A) असम
(B) पश्चिम बंगाल
(C) केरल
(D) तमिलनाडु।
उत्तर:
(D) तमिलनाडु।

4. इनमें से किस नदी में मजौली तटीय द्वीप स्थित है?
(A) गंगा
(B) ब्रह्मपुत्र
(C) गोदावरी
(D) सिन्धु।
उत्तर:
(B) ब्रह्मपुत्र।

5. बर्फानी तूफ़ान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है?
(A) वायुमण्डलीय
(B) जलीय
(C) भौमिकी
(D) जीव मण्डलीय।
उत्तर:
(A) वायुमण्डलीय।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संकट किस दशा में आपदा बन जाता है?
उत्तर:
प्रायः संकट और आपदा दोनों शब्दों का प्रयोग एक-दूसरे की जगह कर लेते हैं। संकट में प्रायः धन-जन या दोनों के नुकसान की सम्भावना होती है। जब यह घटना तीव्रता से होती है तथा बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होती है तो इसे आपदा कहते हैं।

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प्रश्न 2.
हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकम्प क्यों आते हैं?
उत्तर:
भारत के उत्तर-पूर्वी सात राज्यों में तथा हिमालय पर्वत के साथ भूकम्प अधिक आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इण्डियन प्लेट प्रति वर्ष एक सें० मी० की गति से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है। इसलिए इण्डियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण हिमालय पर्वत की चाप के साथ-साथ भूकम्प अधिक आते हैं।

प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्धीय तूफ़ान की उत्पत्ति के लिए कौन-सी परिस्थितियां अनुकूल हैं?
उत्तर:

  1. उष्ण-आर्द्र वायु का उपलब्ध होना।
  2. कोरियोलिस बल का तीव्र होना।
  3. क्षोभ मण्डल में अस्थिरता।
  4. मज़बूत ऊर्ध्वाधर वायु की अनुपस्थिति।

प्रश्न 4.
पूर्वी भारत की बाढ़ पश्चिमी भारत की बाढ़ से अलग क्यों होती है?
उत्तर:
पूर्वी भारत में वर्षा की मात्रा अधिक होती है। यहां जल नदियों की क्षमता से अधिक मात्रा में बहता है तथा बाढ़ के रूप में फैल जाता है। पश्चिमी भारत में वर्षा की अचानक तथा अधिक तीव्रता के कारण कई क्षेत्र जल मग्न हो जाते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 5.
पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं?
उत्तर:
इन क्षेत्रों में वर्षा की अनिश्चितता अधिक है। वर्षा की परिवर्तिता 40% से अधिक है। इसलिए बार-बार लम्बे समय तक वर्षा न होने के कारण सूखा पड़ता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दोप्रश्न 1.
भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताए।
अथवा
भारत के विभिन्न भू-स्खलन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भू-स्खलन-भू-स्खलन द्वारा चट्टान समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरता है। भू-स्खलन मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से उत्पन्न होते हैं। इसलिए भू-स्खलन के बारे में आंकड़े एकत्र करना और इसकी सम्भावना का अनुमान लगाना न सिर्फ मुश्किल अपितु काफ़ी महंगा पड़ता है। प्रमुख क्षेत्र-इसके घटने को प्रभावित करने वाले कारकों, जैसे- भूविज्ञान, भूआकृतिक कारक, ढाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण और मानव क्रियाकलापों के आधार पर भारत को विभिन्न भू-स्खलन क्षेत्रों में बांटा गया है।

1. अत्यधिक सुभेद्यता क्षेत्र: ज्यादा अस्थिर हिमालय की युवा पर्वत श्रृंखलाएं, अंडमान और निकोबार, पश्चिमी घाट और नीलगिरी में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, भूकम्प प्रभावी क्षेत्र और अत्यधिक मानव क्रियाकलापों वाले क्षेत्र, जिसमें सड़क और बांध निर्माण इत्यादि आते हैं, अत्यधिक भू-स्खलन सुभेद्यता क्षेत्रों में रखे जाते हैं।

2. अधिक सुभेद्यता क्षेत्र: हिमालय क्षेत्र के सारे राज्य और उत्तर-पूर्वी भाग (असम को छोड़कर) इस क्षेत्र में शामिल हैं।

3. मध्यम और कम सुभेद्यता क्षेत्र: पार हिमालय के कम वृष्टि वाले क्षेत्र लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में स्पिती, अरावली पहाड़ियों में कम वर्षा वाला क्षेत्र, पश्चिमी व पूर्वी घाट के व दक्कन पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र ऐसे इलाके हैं, जहां कभी-कभी भू-स्खलन होता है। इसके अलावा झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल में खाद्यानों और भूमि धंसने से भू-स्खलन होता रहता है।

4. अन्य क्षेत्र: भारत के अन्य क्षेत्र विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग जिले को छोड़कर), असम (कार्बी अनलोंग को छोड़कर) और दक्षिण प्रांतों के तटीय क्षेत्र भू-स्खलन युक्त हैं।
निवारण-भू-स्खलन से निपटने के उपाय अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होने चाहिएं।

  1. अधिक भू-स्खलन सम्भावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बांध बनाने जैसे निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  2. इन क्षेत्रों में कृषि नदी घाटी तथा कम ढाल वाले क्षेत्रों तक सीमित होनी चाहिए तथा बड़ी विकास परियोजनाओं पर नियन्त्रण होना चाहिए।
  3. सकारात्मक कार्य जैसे-बृहत स्तर पर वनीकरण को बढ़ावा और जल बहाव को कम करने के लिए बांध का निर्माण भू-स्खलन के उपायों के पूरक हैं।
  4. स्थानान्तरी कृषि वाले उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 2.
सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें और इनके निवारण उपाय बताएं।
उत्तर:
सूखा ऐसी स्थिति है जब लम्बे समय तक कम वर्षा, अधिक वाष्पीकरण के कारण भूतल पर जल की कमी हो जाए। भारत में सूखां ग्रस्त क्षेत्र-भारतीय कृषि काफ़ी हद तक मानसून वर्षा पर निर्भर करती रही है। भारतीय जलवायु तन्त्र में सूखा और बाढ़ महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 19 प्रतिशत भाग और जनसंख्या का 12 प्रतिशत हिस्सा हर वर्ष सूखे से प्रभावित होता है।

देश का लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र सूखे से प्रभावित हो सकता है जिससे 5 करोड़ लोग इससे प्रभावित होते हैं। यह प्रायः देखा गया है कि जब देश के कुछ भागों में बाढ़ कहर ढा रही होती है, उसी समय दूसरे भाग सूखे से जूझ रहे होते हैं। यह मानसून में परिवर्तनशीलता और इसके व्यवहार में अनिश्चितता का परिणाम है। सूखे का प्रभाव भारत में बहुत व्यापक है, परन्तु कुछ क्षेत्र जहां ये बार-बार पड़ते हैं और जहां उनका असर अधिक है सूखे की तीव्रता के आधार पर अग्रलिखित क्षेत्रों में बांटा गया है

1. अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र:
राजस्थान में ज्यादातर भाग, विशेषकर अरावली के पश्चिम में स्थित मरुस्थली और गुजरात का कच्छ क्षेत्र अत्यधिक सूखा प्रभावित है। इसमें राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिले भी शामिल हैं, जहां 90 मिलीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है।

2. अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र:
इसमें राजस्थान के पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश के ज्यादातर भाग, महाराष्ट्र के पूर्वी भाग, आन्ध्र प्रदेश के अंदरूनी भाग, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु के उत्तरी भाग, झारखण्ड का दक्षिणी भाग और उड़ीसा का आन्तरिक भाग शामिल है।

3. मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र:
इस वर्ग में राजस्थान के उत्तरी भाग, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, गुजरात के बचे हुए जिले, कोंकण को छोड़कर महाराष्ट्र, झारखण्ड, तमिलनाडु में कोयम्बटूर पठार तथा कर्नाटक पठार शामिल हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 3.
किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है?
उत्तर:
आपदाओं की उत्पत्ति का सम्बन्ध मानव क्रियाकलापों से भी है। कुछ मानवीय गतिविधियां तो सीधे रूप से इन आपदाओं के लिए उत्तरदायी हैं। भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल नाभिकीय आपदा, युद्ध, सी०एफ०सी० (क्लोरोफ्लोरो कार्बन) गैसें वायुमण्डल में छोड़ना तथा ग्रीन हाऊस गैसें, ध्वनि, वायु, जल तथा मिट्टी सम्बन्धी पर्यावरण प्रदूषण आदि आपदाएं इसके उदाहरण हैं। कुछ मानवीय गतिविधियां परोक्ष रूप से भी आपदाओं को बढ़ावा देती हैं। वनों को काटने की वजह से भू-स्खलन और बाढ़, भंगुर ज़मीन पर निर्माण कार्य और अवैज्ञानिक भूमि उपयोग कुछ उदाहरण हैं।

यह सर्वमान्य है कि पिछले कुछ सालों से मानवकृत आपदाओं की संख्या और परिणाम, दोनों में ही वृद्धि हुई है और कई स्तर पर ऐसी घटनाओं से बचने के भरसक प्रयत्न किए जा रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान की स्थापना, 1993 में रियो डि जनेरो, ब्राजील में भू- शिखर सम्मेलन (Earth Summit) और मई, 1994 में यॉकोहामा, जापान में आपदा प्रबन्ध पर विश्व संगोष्ठी आदि, विभिन्न स्तरों पर इस दिशा में उठाए जाने वाले ठोस कदम हैं।
प्रत्येक आपदा, अपने नियन्त्रणकारी सामाजिक-पर्यावरणीय घटकों, सामाजिक अनुक्रिया, जो यह उत्पन्न करते हैं तथा जिस ढंग से प्रत्येक सामाजिक वर्ग इससे निपटता है, अद्वितीय होती है।

मानव पारिस्थितिक तन्त्र के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करता था। इसलिए इन आपदाओं से नुकसान कम होता था। तकनीकी विकास ने मानव को, पर्यावरण को प्रभावित करने की बहुत क्षमता प्रदान कर दी है। परिणामतः मनुष्य ने आपदा के खतरे वाले क्षेत्रों में गहन क्रियाकलाप शुरू कर दिया है और इस प्रकार आपदाओं की सुभेद्यता को बढ़ा दिया है। अधिकांश नदियों के बाढ़-मैदानों में भू-उपयोग तथा भूमि की कीमतों के कारण तथा तटों पर बड़े नगरों एवं बन्दरगाहों, जैसे मुम्बई तथा चेन्नई आदि के विकास ने इन क्षेत्रों को चक्रवातों, प्रभंजनों तथा सुनामी आदि के लिए सुभेद्य बना दिया है। पिछले 60 वर्षों में 12 गम्भीर प्राकृतिक आपदाओं से विभिन्न देशों में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हैं।

 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ   JAC Class 11 Geography Notes

→ अस्थिर पृथ्वी (Unstable Earth): भू-तल स्थिर नहीं है। आंतरिक तथा बाहरी शक्तियां भू-तल पर परिवर्तन लाती रहती हैं। भारत में प्रतिवर्ष एक बड़ी संख्या में लोग प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाते हैं।

→ प्राकृतिक आपदाएं (Natural Hazards): भारतीय प्रमुख आपदाएं भूकम्प, बाढ़े, सूखा तथा भू-स्खलन हैं।

→ भारत की स्थिति (India’s Position ): भारत विश्व में प्रमुख दस देशों में से एक है जो प्राकृतिक | आपदाओं से प्रभावित होते हैं। यहां प्रति वर्ष छ: करोड़ लोग इन आपदाओं से प्रभावित होते हैं।

→ भूकम्प (Earthquakes ): भारत का लगभग 54% भाग भूकम्प से प्रभावित होता है। कच्छ प्रदेश, हिमालय पर्वत, उत्तरर-पूर्वी भाग तथा अण्डमान द्वीप भूकम्प क्षेत्र में शामिल हैं। गत दो शताब्दियों में भारत में 27 बड़े-बड़े भूकम्प आये हैं। भूकम्प से बचाव के लिए विशेष प्रकार के ढांचों का निर्माण करना चाहिए। कच्छ प्रदेश में, भुज में 26 जनवरी, 2001 को विनाशकारी भूकम्प से 30 हज़ार (30,000) व्यक्तियों की जानें गईं। दो करोड़ लोग प्रभावित हुए। 50% मकानों को हानि पहुंची तथा 50 हज़ार करोड़ की सम्पत्ति नष्ट हुई।

→ बाढ़ तथा सूखा (Floods and Droughts ): भारत में मानसून तथा अनिष्टता के कारण सूखा तथा बाढ़े आती हैं जो कृषि को हानि पहुंचाती हैं। दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल (कुल का 16%) सूखाग्रस्त तथा चार करोड़ हेक्टेयर (कुल का 12%) क्षेत्रफल बाढ़ग्रस्त है।

→ भू-स्खलन (Landslides ): भूमि के किसी जलभृत भाग के अचानक फिसल कर नीचे गिरने की क्रिया को भू-स्खलन कहते हैं। भू-स्खलन भारी वर्षा, भूकम्प के कारण होते हैं। ये प्राय: सड़क मार्गों में अवरोध पैदा करते हैं ।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

JAC Class 10 Hindi गिरगिट Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर :
काठगोदाम के पास ख्यूक्रिन नामक व्यक्ति की उँगली पर एक कुत्ते ने काट लिया था। ख्यूक्रिन उस कुत्ते को पकड़ रहा था। उसके चिल्लाने और कुत्ते के किकियाने की आवाज़ को सुनकर वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर :
ख्यूक्रिन सुनार का कार्य करता था, जो पूरी तरह से हाथ उँगलियों पर आधारित होता है। इसी कारण उँगली ठीक न होने पर उसे काफी नुकसान हो सकता था।

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प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर :
कुत्ते को ख्यूक्रिन ने दबोच लिया था। इसी कारण वह कुत्ता किकिया रहा था।

प्रश्न 4.
बाजार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर :
बाजार में पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गश्त लगा रहा था। वह रिश्वतखोर था। जो भी उसके सामने आता था, उससे वह कुछ-न-कुछ लूट-खसोट ज़रूर करता था। उसके बाज़ार में निकलने के कारण ही चौराहे पर खामोशी थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
जनरल साहब के बावर्ची ने बताया कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, जो थोड़ी देर पहले ही वहाँ आए हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से क्यों चिल्ला रहा था?
उत्तर :
चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से इसलिए चिल्ला रहा था क्योंकि उस की उँगली कुत्ते ने काट ली थी।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने बताया कि वह कामकाजी व्यक्ति है और उसका काम भी पेचीदा किस्म का है। उँगली पर कुत्ते के काटने से वह कई दिनों तक काम नहीं कर पाएगा। इससे उसे काफ़ी नुकसान होगा। इसी आधार पर उसने कुत्ते के मालिक से मुआवजा दिलाने की प्रार्थना की।

प्रश्न 2.
ख्यक्रिन ने ओचमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को बताया कि वह बाज़ार में लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाने के उद्देश्य से आया था। तभी अचानक एक कुत्ता कहीं से आया और उसने उसकी उँगली पर काट लिया। कुत्ते द्वारा काटे जाने के कारण ही उसने उँगली ऊपर उठाई हुई थी।

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प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
अथवा
‘गिरगिट’ पाठ में येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को उसके दोषी होने के क्या कारण बताए ?
उत्तर :
येल्दीरीन एक चापलूस सिपाही था। वह अपने इंस्पेक्टर की हाँ में हाँ मिलाते हुए उल्टे ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराता है। वह कहा है कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता है। इसने ज़रूर अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी, जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। यदि कुत्ते ने इसे काटा है, तो इसमें सारा दोष ख्यक्रिन का ही है। कुत्ते का कोई दोष नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि ‘उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है’ ?
उत्तर :
ओचुमेलॉव एक अवसरवादी इंस्पेक्टर है। उसने यह संदेश इसलिए भिजवाया होगा, ताकि वह जनरल साहब की नज़रों में अच्छा बन सके। वह एक चापलूस व्यक्ति है। इसी चापलूसी के बलबूते वह पदोन्नति भी चाहता है। उसे आशा थी कि यह संदेश सुनकर जनरल साहब उससे खुश हो जाएँगे और उसकी प्रशंसा करने के साथ-साथ उसे पदोन्नति भी देंगे।

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प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर
ख्यूक्रिन कुत्ते द्वारा काटे जाने पर न्याय-मुआवजे की आशा करता है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो वह ख्यूक्रिन को ही दोष देता है और कुत्ते को पुचकारता है। उस समय ख्यूक्रिन के स्थान पर उसे एक जानवर अधिक प्यारा और अच्छा लगता है। ख्यूक्रिन की स्थिति उस कुत्ते से भी बदतर हो जाती है। यह सब देखकर भीड़ ख्यूक्रिन पर हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर :
ओचुमेलॉव एक अवसरवादी व्यक्ति है। वह अवसर देखकर, बात करने वाला है; उसे प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना भी आता है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल झिगालॉव का है, तो वह अपने आपको पूरी तरह बदल देता है। ख्यूक्रिन द्वारा शिकायत करने पर पहले तो वह कुत्ते के मालिक को दंड देने तक की बात कह देता है, लेकिन यह पता चलते ही कि कुत्ता जनरल साहब का है, वह अपनी ही बात को बदल देता है। वह उल्टा ख्यूक्रिन पर दोष लगाता है कि उसने जान-बूझकर कील से उँगली छीली है और अब वह कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है। ओचुमेलॉव चापलूस किस्म का व्यक्ति है। इसी कारण वह ख्यूक्रिन का कोई दोष न होते हुए भी उसी पर दोष लगाता है। वह जनरल झिगालॉव के कुत्ते को अच्छा बताकर उनकी चापलूसी करता है।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
ओचुमेलॉव भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है। वह एक रिश्वतखोर व्यक्ति है। यही कारण है कि जब वह – अपने सिपाही के साथ बाज़ार से निकलता है, तो चारों ओर खामोशी छा जाती है। वह लोगों से जबरदस्ती लूट-खसोट करने वाला व्यक्ति है। ओचुमेलॉव एक अवसरवादी और चापलूस व्यक्ति भी है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो वह कुत्ते को सुंदर, अच्छा और प्यारा-सा डॉगी कहता है। वह अवसर के अनुसार बदल जाने वाला व्यक्ति है। इससे पूर्व कुत्ते को किसी भिजवाते हुए यह कहकर कि यह उसने भिजवाया है, जनरल साहब की चापलूसी भी करता है।

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प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आता और क्यों?
उत्तर :
ओचुमेलॉव परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदलने वाला व्यक्ति है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो वह एकदम बदल जाता है। जिस कुत्ते को थोड़ी देर पहले वह आवारा किस्म का कहकर मार डालने की बात कहता है, उसी कुत्ते को वह पुचकारने लगता है। वह उसे अत्यंत सुंदर ‘डॉगी’ और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहता है। यहाँ तक कि वह उस कुत्ते को ‘भाई’ भी कह देता है। ओचमेलॉव उसे नन्हा-सा शैतान कहकर जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। उसके बाद वह उस व्यक्ति को धमकाता है, जो कुत्ते के मालिक से हर्जाना चाहता था। वह उसे मारने-पीटने की धमकी देकर वहाँ से भगा देता।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…. ‘ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?
उत्तर :
ख्यक्रिन के इस कथन से समाज में फैली भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति का पता चलता है। ख्यूक्रिन यह कहना चाहता है कि उसका भाई भी पुलिस की नौकरी करता है और वह जानता है कि पुलिस क्या-क्या करती है। साथ ही वह अपने भाई के विषय में बताकर ओचुमेलॉव और वहाँ उपस्थित लोगों पर रौब भी डालना चाहता है। पुलिस वाले का भाई बताकर वह अपने आपको सुरक्षित करना चाहता है। ख्यक्रिन के इस कथन से यह भी स्पष्ट होता है कि पुलिस गलत को सही और सही को गलत बताकर कुछ भी कर सकती है। भ्रष्ट पुलिस न्याय को नहीं देखती और अपनी मनमानी करती है। ख्यूक्रिन के इस कथन से स्पष्ट होता है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“गिरगिट’ एक ऐसा जीव होता है, जो आस-पास के वातावरण के अनुसार अपना रंग बदल लेता है। प्रस्तुत कहानी का मुख्य पात्र ओचुमेलॉव भी ऐसा ही व्यक्ति है। वह अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदलता है। वास्तव में वह अवसरवादी है और गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला है। इसी आधार पर इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ रखा गया होगा। इस कहानी का एक अन्य शीर्षक ‘आदमी और कुत्ता’ भी हो सकता है। यह कहानी ख्यूक्रिन नामक एक आदमी और उसे काटने वाले कुत्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। अंत में उस कुत्ते को आदमी से अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि वह एक बड़े आदमी का कुत्ता है।

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प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज की कानून-व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। लेखक ने बताया है कि शासन-व्यवस्था पूर्ण रूप से चापलूसों और भाई-भतीजावाद के समर्थक अधिकारियों के भरोसे चल रही है। इन विसंगतियों के कारण सामान्य मनुष्य को न्याय नहीं मिलता। वर्तमान समाज में भी ऐसी विसंगतियों को देखा जा सकता है। हम देखते हैं कि चापलूस और रिश्वतखोर लोग सों व भ्रष्ट ला इसी रास्ते को अपनाते जा रहे हैं। कुल मिलाकर वर्तमान समाज में भी कई विसंगतियों को देखा जा सकता है। यद्यपि इन विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु अभी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न :
1. उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
2. कानून सम्मत तो यही है… कि सब लोग अब बराबर हैं।
3. हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर :
इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि बुरी तरह मारे-पीटे जाने के कारण वह कुत्ता घबरा गया था। उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थी। उसे आभास हो चुका था कि उस पर गहरा संकट आने वाला है। अत्यधिक पीटे जाने के कारण उसकी आँखों में आँसू थे। उसे लोगों के शोर और पीटने से अनुमान लग गया था कि उसका जीवन संकट में पड़ने वाला है। वह बहुत अधिक डरा हुआ था और ये भाव उसकी आँखों में साफ़ दिखाई दे रहे थे।

2. प्रस्तुत कथन ख्यूक्रिन का है। इस कथन से ख्यूक्रिन कहना चाहता है कि वर्तमान कानून-व्यवस्था में सभी बराबर हैं। कोई छोटा बड़ा नहीं है; कानून सभी के लिए बराबर है। यदि कोई बड़ा व्यक्ति अपराध करता है, तो उसे भी अवश्य दंड मिलना चाहिए। कानून की दृष्टि में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, बल्कि सभी बराबर होते हैं।

3. यह कथन सिपाही येल्दीरीन का है। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को भड़काना चाहता है। जब एक कुत्ते द्वारा काटे जाने पर ख्यूक्रिन चिल्लाता है, तो वहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है। येल्दीरीन दूर से ही भीड़ देखकर इंस्पेक्टर को बड़ा-चढ़ाकर कहता है कि यह देखकर ऐसा लगता है, मानो जन-विद्रोह होने वाला हो। शायद लोगों ने शांति छोड़कर विद्रोह का मार्ग अपना लिया है।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए –
(क) माँ ने पूछा बच्चो कहाँ जा रहे हो
(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था
(ग) हाय राम यह क्या हो गया
(घ) रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
(ङ) सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ
उत्तर :
(क) माँ ने पूछा, “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”
(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
(ग) हाय राम! यह क्या हो गया?
(घ) रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
(ङ) सिपाही ने कहा, “ठहर, तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए
मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
यह तो अति सुंदर ‘डॉगी’ है।
कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।
वाक्य के रेखांकित अंश निपात’ कहलाते हैं, जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल जाप बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि।
ही, भी, तो, तक निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर :
1. कल मैंने भी सुरेश को देखा था।
2. यह तो बहुत सुंदर गुलदस्ता है।
3. मुझे कल तक इस प्रश्न का उत्तर मिल जाना चाहिए।
4. मैंने आज ही नई साइकिल खरीदी है।
5. मुझे कल ही आगरा जाना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छूटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
1. त्योरियाँ चढ़ाना – जैसे ही अफसर ने त्योरियाँ चढ़ाकर सिपाही की ओर देखा, वह चुपके से बाहर चला गया।
2. मजा चखाना – मैं सुरेश को दूसरों को धोखा देने का मज़ा चखाकर ही रहूँगा।
3. मत्थे मढ़ना – तुम अपना दोष किसी दूसरे के मत्थे नहीं मढ़ सकते।
4. तबाह होना – युद्ध में कई जिंदगियाँ तबाह हो जाती हैं।
5. गाँठ बाँधना – तुम्हें यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि मेहनत के बिना सफलता नहीं मिल सकती।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए –
(क) ………. + भाव + ……….
(ख) ………. + पसंद + ……….
(ग) ………. + धारण + ……….
(घ) ………. + उपस्थित + ……….
(ङ) ………. + लायक + ……….
(च) ………. + विश्वास + ……….
(छ) ………. + परवाह + ……….
(ज) ………. + कारण + ……….
उत्तर :
(क) सम् + भाव = संभाव
(ख) ना + पसंद = नापसंद
(ग) निर् + धारण = निर्धारण
(घ) अनु + उपस्थित = अनुपस्थित
(ङ) ना + लायक = नालायक
(च) अ + विश्वास = अविश्वास
(छ) ला + परवाह = लापरवाह
(ज) अ + कारण = अकारण

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प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए –
मदद + …………. = …………
बुद्धि + …………. = …………
गंभीर + …………. = …………
सभ्य + …………. = …………
ठंड + …………. = …………
प्रदर्शन + …………. = …………
उत्तर :
मदद + गार = मददगार
बुद्धि + मान = बुद्धिमान
गंभीर + ता = गंभीरता
सभ्य + ता = सभ्यता
ठंड + ई = ठंडी
प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए –
(क) दुकानों में ऊँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
(ख) लाल बालोंबाला एक सिपाही चला आ रहा था।
(ग) यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है।
(घ) एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।
उत्तर :
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) क्रिया-विशेषण

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प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिससे आने-जाने वाले लोगों को असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
2106, मंदिर मार्ग
नई दिल्ली
15 जून, ……
सेवा में,
सुरक्षा अधिकारी
नगर निगम, विभाग,
नई दिल्ली।
विषयः लावारिस कुत्तों से सुरक्षा हेतु पत्र
महोदय,
पिछले कई दिनों से हमारे मोहल्ले में लावारिस और आवारा कुत्तों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। ये कुत्ते मोहल्ले के लोगों पर बिना कारण भौंकते हैं और उन्हें काटने को दौड़ते हैं। इन कुत्तों के कारण छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो ये कुत्ते आने-जाने वाले लोगों की खाने-पीने की चीज़ों पर भी झपट पड़ते हैं। इससे सारे मोहल्ले के लोगों में आतंक-सा छा गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इन लावारिस और आवारा कुत्तों को पकड़वाने का कष्ट करें, ताकि लोग चैन की साँस ले सकें। सारे मोहल्लेवासी आपके अति आभारी रहेंगे।
भवदीय
रोशन लाल

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
जिस प्रकार गिरगिट शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार रंग बदल लेता है, उसी प्रकार कई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार, दृष्टिकोण, विचार को बदल लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों को ‘गिरगिट’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना आप कहाँ तक उचित समझते हैं ? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

प्रश्न 3.
यहाँ आपने रूसी लेखक चेखव की कहानी पढ़ी है। अवसर मिले तो लियो ताल्स्ताय की कहानियाँ भी पढ़िए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

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परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े किस नियम की चर्चा हुई है? क्या आप इस नियम को उचित मानते हैं ? तर्क सहित दीजिए।

प्रशन 2.
गिरगिट कहानी का कक्षा में अथवा विद्यालय में मंचन कीजिए। मंचन के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी और सामग्री की ज़रूरत होगी? उनकी एक सूची भी बनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi गिरगिट Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ने चौराहे पर क्या देखा?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही येल्दीरीन के साथ चौराहे से निकला, तो अचानक उसे एक व्यक्ति के चिल्लाने और एक कुत्ते के किकियाने की आवाज़ सुनाई दी। वहाँ उसने देखा कि काठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता हुआ चला आ रहा था। एक व्यक्ति उस कुत्ते के पीछे-पीछे दौड़ रहा था। जैसे-तैसे वह कुत्ते की पिछली टाँग को पकड़ने में सफल हो गया। कुत्ता ज़ोर-ज़ोर से किकिया रहा था और वह व्यक्ति चीखकर ‘मत जाने दो’ कह रहा था। वहाँ आस-पास भीड़ भी इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
जब इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब यह पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो वह पूरी तरह से बदल जाता है। इससे पहले वह कुत्ते को आवारा, भद्दा तथा मरियल कहता है। बाद में वह उसे महँगा और नाजुक प्राणी कहता है। वह उल्टे ख्यक्रिन पर दोष लगाता है कि वह झूठा हर्जाना पाना चाहता है। वह ख्यूक्रिन से कहता है कि उसने अपनी उँगली को कील आदि से छील लिया होगा और अब वह उस कुत्ते पर आरोप लगा रहा है।

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प्रश्न 3.
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव जनरल साहब के बावर्ची की आधी बात सुनकर क्या कहता है और पूरी बात सुनने के बाद उसमें क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर :
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव जनरल साहब के बावर्ची प्रोखोर से कुत्ते के विषय में पूछता है। प्रोखोर कहता है कि यह कुत्ता उनके जनरल साहब का नहीं है। इस अधूरी बात को सुनकर ओचुमेलॉव कुत्ते को आवारा कहकर उसे मार डालने की बात कहता है। बाद में जब प्रोखोर यह बताता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो उसके हावभाव बदल जाते हैं। वह उसी कुत्ते को तथा ‘सुंदर डॉगी’ तथा ‘खूबसूरत पिल्ला’ कहता है। वह कुत्ते को नन्हा-सा शैतान कहकर उसे प्रोखोर को सौंप देता है।

प्रश्न 4.
‘गिरगिट’ पाठ के आधार पर लिखिए कि इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्व्यूक्रिन पर क्यों झुंझला रहा था?
उत्तर :
ख्यूक्रिन को एक कुत्ते ने काट लिया था। लेकिन इंस्पेक्टर ओचुमेलौव यह समझ नहीं पा रहा था कि कुत्ते का वास्तविक मालिक कौन है? इस बीच ख्यूक्रिन के बार-बार कराहने, अपने पक्ष को मज़बूत बताते हुए कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाने की माँग करने तथा अपनी पहचान ऊपर तक बताने के कारण ओचुमेलॉव उस पर झुंझला उठा।

प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी समाज में व्याप्त चाटुकारिता पर करारा व्यंग्य है – इसे पाठ के आधार पर सोदाहरण सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
‘गिरगिट’ प्रसिद्ध व्यंग्यकार अंतोन चेखव द्वारा लिखित कहानी है। इसमें उन्होंने सामाजिक स्तर पर व्याप्त चापलूसी का उल्लेख करते हुए उस पर करारा व्यंग्य किया है। कहानी का मुख्य पात्र इंस्पेक्टर आचुमेलॉव एक भ्रष्ट और चाटुकारिता से युक्त व्यक्तित्व का मालिक है। वह परिस्थितियों के अनुसार बदलने वाला तथा उनका लाठा उठाने वाला व्यक्ति है। जब तक उसे यह ज्ञात नहीं होता कि कुत्ता जनरल के भाई का है, तब तक वह उसे मारने तक का निश्चय करता है।

लेकिन जैसे ही उसे वास्तविकता पता चलती है, उसका व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है। उसके व्यवहार और शब्दों से चाटुकारिता टपकने लगती है। इसके बाद वह कुत्ते की तारीफ करते हुए उसे ‘एक अति सुंदर डॉगी’ कहता है। साथ ही वह कहता है कि ‘जनरल साहब से कहना कि यह मुझे मिला है और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है।’ इस प्रकार स्पष्ट होता है कि लेखक ने ओचुमेलॉव के माध्यम से चाटुकारिता पर करारा व्यंग्य किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
पुलिस इंस्पेक्टर कौन था? उसने सिपाही को क्या आदेश दिया?
उत्तर :
पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव था। उसने सिपाही को कुत्ते के मालिक का पता लगाने तथा उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा। उसने कहा कि कुत्ते को बिना देरी किए खत्म कर दिया जाए। शायद यह कुत्ता पागल हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

प्रश्न 2.
पुलिस इंस्पेक्टर के अचानक होश क्यों उड़ गए?
उत्तर :
जब पुलिस इंस्पेक्टर ने सिपाही को लापता कुत्ते के मालिक का पता लगाने तथा उसकी पूरी रिपोर्ट करने का आदेश दिया, तो किसी ने भीड़ में से किसी ने बताया कि शायद यह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। यह सुनकर पुलिस इंस्पेक्टर के होश उड़ गए।

प्रश्न 3.
ख्यूक्रिन कानून के बारे में क्या दलील दी?
उत्तर :
ख्यूक्रिन ने दलील दी कि कानून की दृष्टि में सब लोग बराबर हैं। कानून के अनुसार कोई छोटा-बड़ा नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए कुत्ते के मालिक के विषय में क्या कहा?
उत्तर :
ओचुमेलॉव ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए कुत्ते के मालिक के विषय में कहा कि वह इस तरह आवाज़ छोड़ने वाले कुत्ते के मालिक को मजा चखाएगा। वह उसे इतना जुर्माना लगाएगा कि उसे इल्म हो जाए कि कुत्ते को आवारा छोड़ने का क्या नतीजा होता है।

प्रश्न 5.
इंस्पेक्टर साहब की दृष्टि में जनरल साहब कैसे कुत्ते पालते थे?
उत्तर :
इंस्पेक्टर साहब की दृष्टि में जनरल साहब महँगे और अच्छी नस्ल के कुत्ते पालते थे। उनके कुत्ते हट्टे-कट्टे और सेहतमंद थे। जनरल साहब जैसा सभ्य आदमी ऐसे मरियल कुत्ते नहीं पाल सकता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी में लेखक ने मुख्य रूप से क्या स्पष्ट करना चाहा है?
उत्तर :
‘गिरगिट’ कहानी में लेखक ने रूस की तत्कालीन कानून एवं न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है। उन्होंने कहानी के द्वारा यह बताया है कि किस प्रकार नाम और हैसियत कानून व न्याय पर भारी पड़ जाती है। कानून अमीरों की इच्छा पर चलता है।

प्रश्न 7.
ख्यूक्रिन कौन था? वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर :
ख्यूक्रिन एक सुनार था। उसकी उँगली पर एक कुत्ते ने काट लिया था। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से कहता है कि उसका काम काफ़ी पेचीदा ढंग का है। कुत्ते द्वारा काटे जाने के बाद वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाएगा। अत: वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव से उस कुत्ते के मालिक से हर्जाना दिलाने की प्रार्थना करता है।

गिरगिट Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – प्रसिद्ध रूसी लेखक अंतोन चेखव का जन्म सन 1860 में दक्षिणी रूस के तगनोर नगर में हुआ था। उन्होंने बाल्यकाल से ही कहानियाँ लिखना शुरू कर दिया था। जब वे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब भी उनकी लिखी कहानियाँ प्रभावशाली थीं। सन 1890 से 1900 तक का समय रूस के लिए एक कठिन समय था। उस समय स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्तियों को दबाया जा रहा था। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी अंतोन चेखव ने साहस का परिचय देते हुए तत्कालीन अवसरवादी लोगों पर करारे व्यंग्य किए थे। सन 1904 में इस महान लेखक का देहांत हो गया।

रचनाएँ – अंतोन चेखव केवल रूस के ही नहीं अपितु पूरे विश्व के प्रिय लेखक माने जाते हैं। इनकी रचनाओं में सत्य के प्रति आस्था और निष्ठा दिखाई देती है, जो इनके साहित्य की विशेषता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में सत्य को सर्वोपरि माना है। गिरगिट, क्लर्क की मौत, वाल्का, तितली, एक कलाकार की कहानी, घोंघा, इओनिज, रोमांस, दुलहन आदि इनकी प्रमुख कहानियाँ हैं। इसके अतिरिक्त वाल्या मामा, तीन बहनें, सीगल और चेरी का बगीचा इनके प्रसिद्ध नाटक हैं।

भाषा-शैली – अंतोन चेखव मूल रूप से रूसी लेखक थे। प्रस्तुत कहानी भी उनके द्वारा रूसी में ही लिखी गई, थी जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया है। उनकी भाषा में रोचकता, मौलिकता और सरसता का गुण दिखाई देता है। समाज की बुराइयों का विरोध करने के कारण उनकी भाषा में व्यंग्यात्मकता साफ़ झलकती है। उनकी भाषा में प्रखरता और सभी भावों को व्यक्त करने की न्होंने इतने सहज रूप से प्रस्तुत किया है कि वह सीधे पाठक के हृदय तक पहँचती है। उनकी शैली वर्णन प्रधान और संवादात्मक है। वे छोटे-छोटे संवादों के माध्यम से अपनी कहानी को गति देने के पक्षधर थे। उनकी शैली में नाटकीयता का गुण भी दिखाई देता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 14 गिरगिट

पाठ का सार :

‘गिरगिट’ अंतोन चेखव द्वारा लिखित एक श्रेष्ठ कहानी है। यह सन 1884 में लिखी गई थी। इसमें रूस के तत्कालीन कानून एवं न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया गया है। पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही येल्दीरीन के साथ बाज़ार के चौराहे से गुज़रता है। वह एक रिश्वतखोर, भ्रष्ट और चापलूस व्यक्ति है। अचानक उसे एक कुत्ते के किकियाने और एक व्यक्ति के ‘पकड़ो, पकड़ो’ चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है।

ओचुमेलॉव और येल्दीरीन उसी ओर बढ़ते हैं। वहाँ उन्हें पता चलता है कि किसी कुत्ते ने ख्यूक्रिन नामक एक सुनार की उँगुली पर काट लिया है। उसने भी कर वहीं गिरा दिया था। ओचमेलॉव के पूछे जाने पर ख्यक्रिन बताता है कि उसे इस कुत्ते ने काट लिया है। वह ओचमेलॉव । से कहता है कि वह उसे कुत्ते के मालिक से हरजाना दिलवाए। ओचुमेलॉव उसे दिलासा देता है कि वह कुत्ते और उसके मालिक को इसकी सजा अवश्य देगा।

ओचुमेलॉव येल्दीरीन को कुत्ते के मालिक का पता लगाने को कहता है। तभी वहाँ खड़ी भीड़ में से कोई बताता है कि यह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। यह सुनते ही इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव एकदम बदल जाता है। वह उलटा ख्यूक्रिन को ही दोष देने लगता है। वह कहता है कि उसकी उँगली कील आदि से छिल गई होगी और वह कुत्ते के मालिक से झूठा हरजाना वसूलना चाहता है। सिपाही येल्दीरीन भी कहता है कि ख्यूक्रिन ने अवश्य अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी। इसी कारण इसने इसे काटा है। ख्यक्रिन बार-बार कहता है कि वह सच बोल रहा है, किंतु इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव और सिपाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

अभी यह बहस चल ही रही होती है कि सिपाही येल्दीरीन कुत्ते को भली प्रकार देखकर कहता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का नहीं है। यह सुनकर ओचुमेलॉव फिर बदल जाता है। तब वह उस कुत्ते को भद्दा और मरियल बताता है। वह ऐसे बेकार और आवारा कुत्तों को मरवाने की बात भी कह देता है। थोड़ी ही देर में सिपाही पुन: कहता है कि शायद यह कुत्ता जनरल साहब का ही है। भीड़ से भी यह आवाज़ आती है कि कुत्ता जनरल साहब का है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव फिर बदल जाता है। वह फिर से ख्यूक्रिन को ही दोष देना शुरू कर देता है। वह कहता है कि यदि कुत्ते ने उसे काटा भी है, तो इसमें सारी गलती उसकी अपनी है।

इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को बुरी तरह फटकारता है। उसी समय वहाँ से जनरल साहब का बावर्ची गुज़रता है। वह बताता है कि यह कुत्ता तो जनरल साहब के भाई का है। उनके भाई को ही ‘बारजोयस’ नस्ल के कुत्ते बहुत पसंद हैं। ओचुमेलॉव वह सुनकर प्रसन्नता का ढोंग करता है। वह उस कुत्ते को जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। वह उस कुत्ते को अति सुंदर डॉगी और खूबसूरत पिल्ला कहता है। बावर्ची कुत्ते को लेकर चला जाता है। वहाँ खड़ी भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँसने लगती है। तब इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को धमकाकर वहाँ से अपने रास्ते पर चला जाता है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

जब्त – कब्जा करना, हथिया लेना, खामोशी – शांति, झरबेरियों – बेर की एक किस्म, किकियाना – कष्ट में होने पर कुत्ते द्वारा की जाने वाली आवाज़, काठगोदाम – लकड़ी का गोदाम, कलफ – माँड़ लगाया गया कपड़ा, विहीन – रहित, सुनार – सोने का काम करने वाला, बारजोयस – कुत्ते की एक प्रजाति, आतंक – भय, अकारण – बिना किसी कारण के, कामकाजी – काम करने वाला, पेचीदा – जटिल, कठिन, लायक – योग्य, गुजारिश – प्रार्थना, हरजाना – क्षतिपूर्ति, नुकसान के बदले में दी जाने वाली रकम,

बर्दाश्त – सहना, खखारते – खाँसते हुए, त्योरियाँ – भौंहें चढ़ाना, इल्य – ज्ञान, विवरण – ब्योरा देना, तत्काल – उसी समय, फायदा – लाभ, कानून सम्मत – कानून के अनुसार, भद्दा – अनाकर्षक, कुरूप, नस्ल – जाति, वंश, विनती – प्रार्थना, आह्लाद – खुशी, प्रसन्नता, अद्भुत – विचित्र, खूबसूरत – सुंदर, हालत – स्थिति।

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana सूचना-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana सूचना-लेखन

किसी संस्थान में सब के सूचनार्थ जारी किए गए वे आदेश जो संस्थान की दैनिक कार्यवाही के लिए आवश्यक होते हैं, नोटिस अथवा सूचना
कहलाते हैं। सूचना कम शब्दों में औपचारिक रूप से लिखी गई संक्षिप्त जानकारी होती है। सूचना लेखन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं –

  • सबसे पहले संस्था का नाम या शीर्षक लिखिना चाहिए।
  • फिर सूचना जारी करने की दिनांक लिखिनी चाहिए।
  • फिर सूचना लेखन का उद्देश्य लिखिना चाहिए।
  • सूचना की भाषा संक्षिप्त, स्पष्ट तथा सरल होनी चाहिए।

प्रश्न 1.
महर्षि दयानंद विद्यालय दिनांक 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक ग्रीष्मावकाश के लिए बंद रहेगा। इस आशय की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
महर्षि दयानंद विद्यालय, जयपुर

दिनांक 10 मई, 20…..
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि ग्रीष्मावकाश के कारण विद्यालय 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक बंद रहेगा। विद्यालय 2 जुलाई को प्रातः 8 बजे खुलेगा।
सर्वजीत कौर
प्राचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 2.
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को अपनी छात्रवृत्ति महाविद्यालय के लेखापाल से प्राप्त करने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट

दिनांक 10 अगस्त, 20….
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियाँ पंजाब सरकार से प्राप्त हो गई हैं। वे विद्यालय के लेखापाल से खिड़की संख्या दो पर अपनी छात्रवृत्ति किसी भी कार्य दिवस में प्रातः 9 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक प्राप्त कर सकते हैं।
गोविंद सिंह बेदी
प्राचार्य

प्रश्न 3.
श्री हरबंस लाल भंडारी का पंद्रह वर्षीय लड़का घर से भाग गया है। उसकी तलाश के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुमशुदगी की सूचना

दिनांक 25 सितंबर, 20 ….

सबको सूचित जाता है कि मेरा पुत्र जिसका नाम संदीप कुमार है दिनांक 22 सितंबर से घर से लड़कर भाग गया है। उसकी उम्र पंद्रह वर्ष, कद 5′-2″, शरीर गठीला, चेहरा गोल तथा बाएँ गाल पर चोट का निशान है। उसने काली – सफ़ेद धारियों वाली कमीज़ तथा पैंट पहनी हुई है। उसका पता देने वाले अथवा घर तक पहुँचाने वाले को समुचित पुरस्कार दिया जाएगा। यदि संदीप स्वयं इस सूचना को पढ़ता है तो वह स्वयं घर चला आए। उसकी माँ बहुत बीमार है। उसे अब कोई कुछ नहीं कहेगा।
हरबंस लाल भंडारी
512, सदर बाज़ार,
फिरोज़पुर छावनी

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 4.
भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भूकंप पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता

दिनांक 28 जनवरी, 20….
आम जनता को सूचित किया जाता है कि जो दानी महानुभाव / स्वयंसेवी संगठन और निजी तौर पर गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कार्यों हेतु वित्तीय सहायता देने के इच्छुक हैं, वे ‘पंजाब चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड गुजरात’ के नाम चैक / ड्रॉफ्ट तैयार करवा के पंजाब सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के कार्यालय में डाक द्वारा या स्वयं दे सकते हैं।
जारीकर्ता
सूचना एवं लोक संपर्क, पंजाब

प्रश्न 5.
अपने विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुरु नानक देव कन्या विद्यालय, खन्ना

दिनांक 13 मार्च, 20….

विद्यालय का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह विद्यालय परिसर में शनिवार दिनांक 17 मार्च, 20…. को प्रातः 11.00 बजे मनाया जाएगा। मुख्य अतिथि शिक्षा आयुक्त श्रीमती सिमरण कौर होंगी। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के बाद जलपान की व्यवस्था है।
तृप्ता सचदेव
प्रधानाचार्या

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प्रश्न 6.
अपने विद्यालय में कवि सम्मेलन के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
माता प्रकाश कौर कन्या उच्च विद्यालय, फिरोज़पुर

दिनांक 15 नवंबर, 20….

सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि मंगलवार दिनांक 19 नवंबर, 20…. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय परिसर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इच्छुक विद्यार्थी प्रधानाचार्या कार्यालय में संपर्क करें।
सिमरन कौर
प्रधानाचार्या

प्रश्न 7.
अपने विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 14 जुलाई, 20 ….
समस्त विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 20 जुलाई, 20…. को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ० गोविंद खुराना करेंगे तथा विद्यालय प्रांगण में वृक्ष लगाए जाएँगे। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
के०सी० भाटी
प्रधानाचार्य

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प्रश्न 8.
अपने विद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
दयाल सिंह पब्लिक स्कूल, गांधीनगर

दिनांक 12 फरवरी, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि सोमवार, दिनांक 21 फरवरी, 20….. प्रात: 10.00 बजे विद्यालय परिसर में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
एस०के० मकवाना
प्रधानाचार्य
सूचना-लेखन

प्रश्न 9.
अपने विद्यालय में बाल दिवस मनाए जाने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय उच्च विद्यालय, कानपुर

दिनांक 10 नवंबर, 20 ….

सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 14 नवंबर, 20…. को प्रात: 10.00 बजे बाल दिसव मनाया जाएगा, जिसमें अनेक विद्वान अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस समारोह में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के पश्चात जलपान का प्रबंध है।
आशीष वाजपेयी
प्राचार्य

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प्रश्न 10.
अपने विद्यालय में अध्यापक दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
आर्य कन्या विद्यालय, वाराणसी

दिनांक 01 सितंबर, 20 ….
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 05 सितंबर, 20…. को प्रातः 9.00 बजे विद्यालय प्रांगण में अध्यापक दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अध्यापक श्री विकास शुक्ला करेंगे।
इस कार्यक्रम में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
देवेन्द्र मिश्रा
प्राचार्य

प्रश्न 11.
अपने विद्यालय में हिंदी दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
छबीलदास विद्यालय, गाजियाबाद

दिनांक 8 सितंबर, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 14 सितंबर 20…. को प्रातः 10.00 बजे विद्यालय परिसर में हिंदी दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर हिंदी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होगा। विद्यार्थी अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
अशोक कुमार
हिंदी विभाग अध्यक्ष

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प्रश्न 12.
नवनिर्मित क्लीनिक के उद्घाटन के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
ननकाना क्लीनिक का उद्घाटन

दिनांक 10 दिसंबर, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता है कि भगवान की असीम कृपा से अपने सुपुत्र डॉ० ओंकार ननकाना के नव-निर्मित औषधालय ‘ननकाना क्लीनिक’ के डॉ० जी०एस० सोढी द्वारा मुहूर्त के शुभ अवसर पर आशीर्वाद देने हेतु श्री किशन चंद्र ननकाना आपको दिनांक 21 दिसंबर 20…. को कार्यक्रमानुसार सादर आमंत्रित करते हैं।

र्कायिक्रम
हवन – 10.00 बजे प्रातः
जलपान 11.30 बजे प्रातः
स्थान: निकट पुलिस चौकी, राम नगर, फाजिल्का

दर्शनाभिलाषी
कैलाश चंद्र ननकाना

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प्रश्न 13.
खेल – कूद की पुरानी सामग्री की बेचने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
डी०ए०वी० विद्यालय, दिल्ली

दिनांक 21 अगस्त, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता कि खेल – कूद की बहुत सारी सामग्रियों को बेहद किफायती दामों पर बेचा जाने वाला है। सभी खेल उपकरण एवं सामग्री एकदम सही हालत में है। जो कोई भी इन्हें खरीदना चाहता है, वह इस महीने की दस तारीख को विद्यालय के हॉल में दोपहर एक बजे तक आ जाए। सामग्री की कीमत उसी समय देनी होगी।
अशोक मेहता
खेल, कप्तान

प्रश्न 14.
विद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित किया जाने वाला है, इस हेतु एक सूचना जारी कीजिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, पटना

दिनांक 12 नवंबर, 20….
हमारे विद्यालय में दिनांक 20 नवंबर, 20…. को एक रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है। शहर के उपायुक्त शिविर का उद्घाटन तथा अध्यक्षता करेंगे। रक्तदान करना मानवता के लिए सबसे बड़ा दान है। जो भी रक्तदान के लिए इच्छुक हों वे निश्चित तिथि पर विद्यालय के हॉल में आ जाएँ।
विवेक झा
प्रधानाचार्य

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प्रश्न 15.
विद्यालय में साहित्यिक क्लब के सचिव के रूप में ‘प्राचीर’ पत्रिका के लिए लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करने हेतु सूचना-पट के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, चेन्नई

दिनांक : 25 जुलाई, 20….
विद्यालय की पत्रिका ‘प्राचीर’ में प्रकाशनार्थ हेतु लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों से आमंत्रित किए जाते हैं। इच्छुक विद्यार्थी अपनी रचनाएँ दिनांक 12 अगस्त तक साहित्यिक क्लब के सचिव को दे दें।
वी० – रमा
सचिव, साहित्यिक क्लब
आर०के० मेनन प्राचार्य

प्रश्न 16.
विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रातः काल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना पट्ट के लिए यह सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
विवेकानंद विद्या मंदिर, नागपुर

दिनांक 15 जून, 20…..
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रात: काल 6 बजे से 7 बजे तक योग की अभ्यास कक्षाएँ लगेंगी। इसमें भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी अपने नाम दिनांक 20 जून, 20… तक अपनी-अपनी कक्षा के अध्यापकों को दे दें।
देवेंद्र नाथ पुरोहित
प्राचार्य

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प्रश्न 17.
विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 15 सितंबर 20…….
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 19 सितंबर, 20….. को प्रात: 10.00 बजे विद्यालय के सभागार में साहित्यिक क्लब की ओर से ‘बाल मज़दूरी’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विद्यार्थी दिनांक 18-9-20 तक अपने नाम साहित्यिक कल्ब के सचिव को दे दें।
सुधा राजे
सचिव, साहित्यिक क्लब

प्रश्न 18.
विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह के आयोजन के लिए आपको संयोजक बनाया गया है। पूरे विद्यालय की सहभागिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, नई दिल्ली

दिनांक : 15 जुलाई, 20…….

विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं अध्यापक गण को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में दिनांक 21 जुलाई, 20को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सबकी सहभागिता अपेक्षित है। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ० एस० के० भट्ट करेंगे।
संजीव चौधरी
संयोजक, पर्यावरण क्लब

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 19.
विद्यालय परिसर के बाहर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक खाद्य वस्तुएँ बेची जाती हैं और विद्यार्थी उस ओर आकृष्ट होकर उन वस्तुओं को खरीदते हैं। विद्यालय के छात्र प्रमुख के रूप में इन चीजों से दूर रहने की सलाह देते हुए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, राजेंद्र नगर

दिनांक 12 जुलाई, 20……
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर के बाहर ठेले वाले जो खाद्य-पदार्थ बेचते हैं, वे स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते हैं। इसलिए कोई भी विद्यार्थी उन वस्तुओं को नहीं खरीदें तथा कुछ खाना ही हो तो विद्यालय की कैन्टीन से खरीदें।
प्रियांश शुक्ला
छात्र प्रमुख

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

JAC Class 10 Hindi तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

लघु उत्तरीय प्रश्न – 

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिला था। इसे बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी यह फ़िल्म पुरस्कृत हुई थी।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर :
शैलेंद्र ने केवल एक ही फ़िल्म बनाई थी। इस फ़िल्म का नाम ‘तीसरी कसम’ है।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर :
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख फ़िल्में बॉबी, मेरा नाम जोकर, जागते रहो, सत्यम् शिवम् सुंदरम् हैं।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक राजकपूर तथा नायिका वहीदा रहमान हैं। राजकपूर ने एक भोले-भाले गाड़ीवान ‘हीरामन’ का तथा वहीदा रहमान ने नौटंकी की बाई ‘हीराबाई’ की भूमिका निभाई है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

प्रश्न 5.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण कवि और गीतकार शैलेंद्र ने किया था।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर :
राजकपूर को ‘मेरा नाम जोकर’ फ़िल्म के एक भाग को बनाने में छह वर्ष लग गए थे। उन्होंने यह कल्पना नहीं की थी कि इस फ़िल्म के बनने में इतना अधिक समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया ?
उत्तर :
राजकपूर ने शैलेंद्र की फ़िल्म में काम करने के लिए मज़ाक में एडवांस माँग लिया। शैलेंद्र ने सोचा कि वे मित्र होकर भी उनसे पारिश्रमिक माँग रहे हैं। यह सोचकर उनका चेहरा मुरझा गया।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर :
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे।

लिखित (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए –

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
सैल्यूलाइड से तात्पर्य किसी चीज्त को कैमरे की रील में भरकर चित्र पर प्रस्तुत करना होता है। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में कवि हृदयी शैलेंद्र की संवेदनशीलता और उनकी भावनाएँ पूरी सफलता से प्रस्तुत की गई थीं। हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक रचना को आधार बनाकर बनाई गई इस फ़िल्म में कविता के समान ही भावनाओं की प्रधानता है। इसी कारण ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया है।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर :
फ़िल्मी बाज़ार में बिकाऊ कोई भी चीज़ ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नहीं थी। इस फ़िल्म से लाभ नहीं कमाया जा सकता था। हर क्षेत्र में बेहतरीन फ़िल्म होने के बावजूद भी खरीददारों को इससे अधिक कमाई की आशा नहीं थी। यह एक भावात्मक आदर्शवादी फ़िल्म थी, जबकि फ़िल्मों से पैसा कमाने वालों के लिए भावनाओं और संवेदनाओं का कोई महत्व नहीं होता। इसी कारण इस फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल रहे थे।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है ?
उत्तर :
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर थोपना नहीं चाहिए।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफ़ाई क्यों कर दिया जाता है ?
अथवा
हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ‘ग्लोरीफाई’ क्यों कर दिया जाता है? ‘तीसरी कसम’ के शिल्पकार शैलेन्द्र के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
दर्शकों को अधिक भावुक बनाने के लिए ही फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों के चित्रांकन को ग्लोरीफ़ाई किया जाता है। त्रासद स्थितियों में दुख के वीभत्स रूप को प्रस्तुत किया जाता है, ताकि दर्शक उसमें डूब जाए। ऐसा करके दर्शकों का सरलता से भावनात्मक शोषण किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’-इस कथन से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में शैलेंद्र ने राजकपूर दवारा निभाए गए किरदार हीरामन की भावनाओं के अनुसार ही गीतों में शब्द दिए हैं। राजकपूर द्वारा गीत गाते-गाते हीराबाई से ‘मन’ के विषय में पूछना उनकी कोमल भावनाओं को ही दर्शाता है। एक नौटंकी की बाई में अपनापन खोजने वाले सरल हृदय हीरामन की जैसी भावनाएँ हो सकती थीं, उसी के अनुरूप गीतों में शब्द दिए गए हैं। इसी प्रकारं ‘सजनवा बैरी हो गए हमार’ गीत में भावप्रवणता अपनी चरम-सीमा पर है।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
शोमैन से अभिप्राय ऐसे फ़िल्म निर्माता से है, जो बहुत अधिक लोकप्रिय हो; जिसके नाम से ही फ़िल्में बिकती हों। इसके साथ-साथ फ़िल्मों के खरीददार जिसकी फ़िल्में हाथों-हाथ खरीद लेते हों। फ़िल्म इंडस्ट्री में जिसकी कई फ़िल्में लगातार हिट हो जाती हैं, उसे शोमैन की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपति क्यों की?
उत्तर :
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ में दिशाएँ दस कही गई हैं। संगीतकार जयकिशन का कहना था कि दर्शक दस दिशाओं की बात नहीं समझ सकता। गीत में दस की बजाय ‘चार दिशाएँ’ होनी चाहिए थी, इसलिए उन्हें गीत में आई ‘दस दिशाएँ’ शब्द पर आपत्ति थी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर :
राजकपूर और शैलेंद्र दोनों अच्छे मित्र थे। जब शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाने के बारे में सोचा, तो राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के खतरों के बारे में पहले ही बता दिया था फिर भी शैलेंद्र ने फ़िल्म बनाने का निर्णय नहीं बदला। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उनका उद्देश्य फ़िल्म का निर्माण करके उससे धन कमाना नहीं था। उन्हें अपार संपत्ति और धन की कोई कामना नहीं थी। वे आत्म-संतुष्टि के सुख के लिए फ़िल्म बना रहे थे। उनके लिए आत्म-संतुष्टि सबसे बड़ी चीज़ थी। अतः राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह किए जाने पर भी शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाई।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
राजकपूर एक महान कलाकार थे। फ़िल्म के पात्र के अनुरूप अपने आपको ढाल लेना वे भली-भाँति जानते थे। जब ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनी थी, उस समय राजकपूर एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में उन्हें एक सरल हृदय ग्रामीण गाड़ीवान के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने अपने आपको उस ग्रामीण गाड़ीवान हीरामन के साथ एकाकार कर लिया। एक शुद्ध देहाती का जैसा अभिनय राजकपूर ने किया, वह अद्वितीय है।

एक गाड़ीवान की सरलता, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजना, हीराबाई की बोली पर रीझना, उसकी भोली सूरत पर न्योछावर होना और हीराबाई की तनिक-सी उपेक्षा पर अपने अस्तित्व से जूझना जैसी हीरामन की भावनाओं को राजकपूर ने बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। फ़िल्म में राजकपूर कहीं भी अभिनय करते नहीं दिखते, अपितु ऐसा लगता है जैसे वह ही हीरामन हो। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का पूरा व्यक्तित्व ही जैसे हीरामन की आत्मा में उतर गया है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म से पहले भी साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फ़िल्में बनती रही थीं। उन फ़िल्मों में साहित्यिक रचना की मूल कथा में कुछ काल्पनिक तत्वों का समावेश करके उसे मनोरंजक बनाया जाता था। उन फ़िल्मों का उद्देश्य दर्शकों की रुचि के अनुरूप सामग्री डालकर धन कमाना होता था, किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में ऐसा नहीं था। इस फ़िल्म में मूल साहित्यिक रचना को उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया गया। उसमें किसी प्रकार के काल्पनिक अथवा मनोरंजक तत्वों को न डालकर उसकी गरिमा को भी बनाए रखा गया। इसी कारण लेखक ने लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
शैलेंद्र एक कवि और सफल गीतकार थे। उनके लिखे गीतों में अनेक विशेषताएँ दिखाई देती हैं। उन्होंने कभी भी निम्न-स्तर के गीत नहीं लिखे। उनमें सस्ती लोकप्रियता पाने की ललक नहीं थी। उनके गीतों में भावनाओं का प्रवाह है। उनके गीतों की एक अन्य विशेषता सरलता है। उन्होंने अपने गीतों में कठिन शब्दों के स्थान पर सरल शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे सामान्य दर्शक भी उसे समझ लेता है।

उनके गीतों में करुणा के साथ-साथ संघर्ष की भावना भी दिखाई देती है। शैलेंद्र के गीत मनुष्य को जीवन में दुखों से घबराकर रुकने के स्थान पर निरंतर आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। शैलेंद्र के गीतों की एक अन्य विशेषता उसकी भावप्रवणता है। उनके गीत का एक एक शब्द भावनाओं की अभिव्यक्ति करने में पूर्णतः सक्षम है।

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प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
फ़िल्म निर्माता के रूप में ‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म थी। उन्होंने इस फ़िल्म का निर्माण पैसा कमाने के उद्देश्य से नहीं किया था। उन्होंने फ़िल्म निर्माता के रूप में यश और संपत्ति की कभी कामना नहीं की। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उन्होंने तो आत्म-संतुष्टि के लिए फ़िल्म बनाई थी। शैलेंद्र फ़िल्म की असफलता से होने वाले खतरों से परिचित थे, फिर भी उन्होंने शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म बनाकर साहसी फ़िल्म निर्माता का परिचय दिया। शैलेंद्र एक मानवतावादी फ़िल्म निर्माता थे।

उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी अपनी आदमियत नहीं खोई थी। शैलेंद्र की एक अन्य विशेषता फ़िल्म में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन सापेक्ष प्रस्तुत करना था। शैलेंद्र ने तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण पूरी तरह साहित्यिक रचना के अनुसार करके उसके साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। वे चाहते तो इसमें फेरबदल करके इसे अधिक मनोरंजक बना सकते थे। उन्होंने फ़िल्म के असफल होने के डर से घबराकर अपने सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया। इस प्रकार वे एक आदर्श फ़िल्म निर्माता के रूप में सामने आए हैं।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शैलेंद्र ने अपने जीवन में एक ही फ़िल्म का निर्माण किया, जिसका नाम ‘तीसरी कसम’ था। यह एक संवेदनात्मक और भावनापूर्ण फ़िल्म थी। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई उनके निजी जीवन की विशेषता थी और यही विशेषता उनकी फ़िल्म में भी दिखाई देती है। ‘तीसरी कसम’ का नायक हीरामन अत्यंत सरल हृदयी और भोला-भाला नवयुवक है; जो केवल दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। उसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी चीज का कोई अर्थ नहीं। ऐसा ही व्यक्तित्व शैलेंद्र का था।

वे एक भावुक एवं संवेदनशील कवि थे। हीरामन को धन की चकाचौंध से दूर रहने वाले एक देहाती के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शैलेंद्र स्वयं भी यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। इसके साथ-साथ फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन सापेक्ष प्रस्तुत किया गया है। शैलेंद्र अपने निजी जीवन में भी दुख को सहज रूप से जी लेते थे। वे दुख से घबराकर उससे दूर नहीं भागते थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है।

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प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में भावनाओं और संवेदनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति है। फणीश्वरनाथ रेणु की साहित्यिक कृति पर आधारित – इस फ़िल्म में शैलेंद्र ने संवेदनशीलता को पूरी तीव्रता के साथ व्यक्त किया है। इस पूरी फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता है। ऐसी कोमल भावनाओं को एक कवि-हृदय व्यक्ति ही भली प्रकार समझ सकता है और उन्हें अच्छे ढंग से प्रस्तुत कर सकता है। कवि स्वभाव से अत्यंत संवेदनशील होते हैं; वे दिल से काम लेते हैं, दिमाग से नहीं।

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नायक और नायिका के मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए एक कवि-हदय की ही आवश्यकता थी। शैलेंद्र एक भावुक कवि और गीतकार थे। वे उन कोमल अनुभूतियों को बारीकी से समझते थे और उन्हें प्रस्तुत करने में भी सक्षम थे। उनके कवि-हृदय के कारण ही फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण संभव हो पाया। इस फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता होने के कारण ही लेखक ने कहा है कि इसे कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था। हम लेखक के कथन से पूर्णतः सहमत हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर :
यहाँ लेखक का आशय यह है कि शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण धन-संपत्ति कमाने और यश पाने के उद्देश्य से नहीं किया था। उनका इस फ़िल्म को बनाने का कारण आत्म-संतुष्टि के सुख को पाने की इच्छा थी। शैलेंद्र एक भावुक और आदर्शवादी कवि थे। उन्हें धन और यश की कोई इच्छा नहीं थी, अपितु वे तो समाज को एक साफ़-सुथरी और अच्छी फ़िल्म देना चाहते थे। वे तो इस बात की संतुष्टि पाना चाहते थे कि उन्होंने एक अच्छी फ़िल्म बनाई।

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प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
उत्तर :
लेखक ने यहाँ फ़िल्म-निर्माता और कलाकार के विषय में कवि शैलेंद्र के विचारों को प्रस्तुत किया है। लेखक के अनुसार कवि एवं संगीतकार शैलेंद्र की दृढ़ मान्यता थी कि फ़िल्मों में दर्शकों की रुचि का सहारा लेकर निम्न-स्तर की सामग्री का प्रयोग नहीं होना चाहिए। फ़िल्म निर्माता को उच्च-स्तर के दर्शकों का भी ध्यान रखना चाहिए। दर्शक सभी प्रकार के होते हैं।

केवल कुछ दर्शकों को प्रसन्न करने के लिए अन्य दर्शकों पर घटिया सामग्री को नहीं थोपना चाहिए। साथ ही उनका यह भी मानना था कि कलाकार को चाहिए कि वह दर्शकों की रुचियों को साफ़-सुथरा बनाने की कोशिश करे। कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों को निम्न रुचियों को ध्यान में रखकर अभिनय न करे, अपितु उसे दर्शकों की रुचियों को अपने अभिनय से श्रेष्ठ रूप में बदलने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि जीवन में आने वाले दुख मनुष्य को कभी पराजित नहीं करते, बल्कि वे तो जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। जो लोग दुखों से घबराकर बैठ जाते हैं, वे जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकते। जीवन में आने वाले दुख और पीड़ाएँ हमें अधिक मज़बूत बनाती हैं और जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की ओर प्रेरित करती हैं। दुखों से घबराने के स्थान पर इनसे प्रेरणा लेकर निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जो लोग ऐसा कर पाते हैं, वही सफ़ल होते हैं।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ एक संवेदनशील फ़िल्म थी। यह संवेदना फ़िल्मों से पैसा कमाने वाले लोगों की समझ में आने वाली नहीं थी। जिस फ़िल्म में दर्शकों के मनोरंजन के लिए पर्याप्त सामग्री होती है, उसे फ़िल्मों के खरीददार हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में भावनाओं और संवेदनाओं की प्रधानता थी। फ़िल्मों से पैसा कमाने वालों के लिए संवेदनाओं का कोई महत्व नहीं था। इसी कारण इस फ़िल्म को कोई खरीददार नहीं मिला।

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प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर :
लेखक का आशय यह है कि कवि एवं गीतकार शैलेंद्र के गीतों में भावप्रवणता बहुत थी, लेकिन वे कठिन नहीं थे। उनके गीतों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति होती थी। गहरी से गहरी भावनाओं को भी बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया जाता था। उनके गीत भावनात्मक होते हुए भी सरल थे। सामान्य से सामान्य श्रोता और दर्शक भी उनके गीतों के भाव को बड़ी आसानी से समझ लेता था। उनके गीत भावनाओं से परिपूर्ण होते हुए भी आम आदमी से जुड़े हुए थे।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए –
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना
उत्तर :
चेहरा मुरझाना – परीक्षा में पास न होने पर रमेश का चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना – आई०ए०एस० की परीक्षा पास करने में बड़े-बड़े चक्कर खा जाते हैं।
दो से चार बनाना – दो से चार बनाना भी किसी-किसी का काम है, सबका नहीं।
आँखों से बोलना – राम की आँखें बहुत कुछ कहती हैं; वह तो आँखों से बोलता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए –
(क) शिद्दत
(ख) याराना
(ग) बमुश्किल
(घ) खालिस
(ङ) नावाकिफ़
(च) यकीन
(छ) हावी
(ज) रेशा
उत्तर :
(क) शिद्दत – तीव्रता
(ख) याराना – मित्रता
(ग) बमुश्किल – कठिनतापूर्वक
(घ) खालिस – शुद्ध
(ङ) नावाकिफ़ – अपरिचित
(च) यकीन – विश्वास
(छ) हावी – भारी
(ज) रेशा – कण

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए –
(क) चित्रांकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट
(ग) चर्मॉत्कर्ष
(घ) रूपांतरण
(ङ) घनानंद
उत्तर :
(क) चित्रांकन – चित्र + अंकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट – सर्व + उत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष – चरम + उत्कर्ष
(घ) रूपांतरण – रूप + अंतरण
(ङ) घनानंद – घन + आनंद

प्रश्न 6.
निम्नलिखित का समास विश्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए –
(क) कला-मर्मज्ञ
(ख) लोकण्रिय
(ग) राष्ट्रपति
उत्तर :
(क) कला-मर्मज्ञ – कला का मर्मझ – संबंध तत्पुरुष
(ख) लोकप्रिय – लोगों में प्रिय – अधिकरण तत्पुरुष
(ग) राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति – संबंध तत्पुरुष

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर तीसरी कसम फ़िल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की रचना ‘तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम’ पर आधारित है।

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प्रश्न 2.
समाचार-पत्रों में फिल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फ़िल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को देखकर इस फ़िल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
फ़िल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा-‘जो बात पहले की फ़िल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फ़िल्मों और पहले की फ़िल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी समूहों में विभाजित होकर चर्चा करें।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ जैसी और भी फ़िल्में हैं जो किसी-न-किसी भाषा की साहित्यिक रचना पर बनी हैं। ऐसी फ़िल्मों की सूची निम्नांकित प्रपत्र के आधार पर तैयार करें।
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उत्तर :
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र 2

प्रश्न 3.
लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने-अपने क्षेत्र के अनुसार स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
लेखक ने शैलेंद्र को फ़िल्म-निर्माता बनने के सर्वथा अयोग्य क्यों कहा है?
उत्तर :
फ़िल्म निर्माता बनने के लिए खूब चालाकी और चतुरता की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत शैलेंद्र बिलकुल सरल-हृदयी थे। फ़िल्म निर्माता दर्शकों की रुचि के अनुसार निम्न स्तरीय सामग्री का भी उपयोग कर लेते हैं, किंतु शैलेंद्र आदर्शवादी व्यक्ति थे। वे अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करते थे। इसी कारण लेखक ने उन्हें फ़िल्म-निर्माता बनने के सर्वथा अयोग्य बताया है।

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प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर के अभिनय की तुलना किस फ़िल्म से की गई है? उनका श्रेष्ठ अभिनय किस फ़िल्म में है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर के अभिनय की तुलना उनकी एक अन्य फ़िल्म ‘जागते रहो.’ से की गई है। यद्यपि ‘जागते रहो’ फ़िल्म में भी उनके अभिनय को बहुत अधिक सराहा गया है, किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में उनका अभिनय सर्वश्रेष्ठ है। इस फ़िल्म में उन्होंने पात्र के साथ स्वयं को एकाकार कर लिया है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो उनका व्यक्तित्व पूरी तरह से उनके द्वारा निभाए गए पात्र हीरामन की आत्मा में उतर गया है।

प्रश्न 3.
‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ के आधार पर राजकपूर के व्यक्तित्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
राजकपूर भारतीय सिनेमा जगत के एक सुप्रसिद्ध अभिनेता तथा फ़िल्म निर्माता थे। वे एक महान कलाकार थे। उनकी कीर्ति और यश अपने देश में तो फैला ही था, विदेशों में भी उन्होंने खूब नाम कमाया था। एशिया महाद्वीप में उन्हें शोमैन के रूप में जाना जाता था।

वे जिस भी फ़िल्म में काम करते थे, उसमें अपनी भूमिका को बड़े सटीक ढंग से निभाते थे। कला के जानकार राजकपूर को एक ऐसा कलाकार मानते थे, जो आँखों से बात करता था। राजकपूर ने अनेक फ़िल्मों का निर्माण किया था, जिनमें से कुछ फ़िल्में मेरा नाम जोकर, सत्यम् शिवम् सुंदरम, मैं और मेरा दोस्त आदि थीं। फ़िल्म में वे अपनी भूमिका में खोकर शीघ्र ही एकाकार हो जाते थे।

प्रश्न 4.
आजकल हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमज़ोरी क्या है?
उत्तर :
आजकल हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमी है-‘लोक तत्वों का न होना’। आज हमारी फ़िल्में आम जीवन तथा उनकी जिंदगी से बहुत दूर होती जा रही हैं। आज फ़िल्मों में जो फ़िल्माया जा रहा है, वह जनता को उससे न जोड़कर मात्र मनोरंजन का साधन बन गया है। इसमें दुख को इतनी गहराई और गंभीरता से पेश कर देते हैं कि दर्शक न चाहकर भी स्वयं को उसमें डुबा दे तथा उसी में खो जाए। लेकिन यह दुख के स्वरूप को अधिक वीभत्स करता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

प्रश्न 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय किस प्रकार का है ?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय बेजोड़ है। उन्होंने इस फ़िल्म में एक शुद्ध देहाती हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई है। उनके द्वारा निभाई गई भूमिका इतनी उत्कृष्ट है कि वे कहीं भी अभिनय करते प्रतीत नहीं होते। वे अपनी भूमिका में इतने खो गए हैं कि वे हीरामन ही लगते हैं। उनका महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह से हीरामन में ढल गया है। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को बड़े ही सुंदर एवं सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘संगम’ फ़िल्म की अद्भुत सफलता से प्रभावित होकर राजकपूर ने क्या किया?
उत्तर :
‘संगम’ फ़िल्म की अद्भुत सफलता से प्रभावित होकर राजकपूर ने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा कर दी। इन फ़िल्मों के नाम ‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’, ‘मैं और मेरा दोस्त’ तथा ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ थे। इनमें से केवल एक ही फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के एक भाग को बनाने में ही उन्हें छह वर्ष का समय लग गया था।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान ने किसकी भूमिका निभाई है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर ने एक शुद्ध देहाती गाड़ीवान की भूमिका निभाई है, जिसका नाम ‘हीरामन’ है। वह सरल-हृदयी है। वह भोला-भाला ग्रामीण केवल दिल की बात समझता है। उसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं है। इस फ़िल्म में वहीदा रहमान ने नौटंकी में काम करने वाली एक बाई की भूमिका निभाई है, जिसका नाम ‘हीराबाई’ है।

प्रश्न 3.
आज भी ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म शैलेंद्र की पहली तथा अंतिम फ़िल्म थी। इस फ़िल्म ने अनेक पुरस्कार प्राप्त किए थे। इस फ़िल्म की पटकथा प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु ने तैयार की थी। फ़िल्म में छोटी-से-छोटी बारीक चीजें भी पूरी स्पष्टता के साथ दृष्टिगोचर होती हैं। यह फ़िल्म समाज के लिए मात्र मनोरंजन का साधन नहीं थी; यह फ़िल्म लोगों को एक संदेश देने में भी सफल रही।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की प्रसिद्धि के क्या कारण थे?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की प्रसिद्धि के अनेक कारण थे। यह फ़िल्म कलात्मक दृष्टि से उच्च कोटि की फ़िल्म थी। इसके गीत, संगीत अपने आप में बेजोड़ थे। फ़िल्म के कलाकार राजकपूर और अभिनेत्री वहीदा रहमान का अपने पात्रों में कुशल प्रस्तुति देने के कारण भी यह फ़िल्म प्रसिद्धि पाने में सफल रही।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

प्रश्न 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में कवि हृदय शैलेंद्र के किस रूप के दर्शन होते हैं ?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में शैलेंद्र की संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं। लेखक ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता की संज्ञा दी है। यह इनके भावुक होने और समाज के प्रति इनके चिंतन के भाव को मुखरित करता है। वे एक अत्यंत भावुक कवि थे। इनकी भावात्मकता इस फ़िल्म में स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 6.
“तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
इस पाठ के माध्यम से लेखक वास्तविकता का ज्ञान करवाना चाहता है कि कला फिल्में मर जाती हैं और लोगों को पता तक नहीं चलता। इसका कारण इनमें संवेदनाएँ तो होती हैं, लेकिन मनोरंजक तथ्य एवं भंगिमाएँ नहीं होती। इसी कारण दर्शक उनसे जुड़ नहीं पाते। हमें जीवन संदेश को आत्मसात् करना चाहिए, न कि मनोरंजन में ही डूबे रहना चाहिए।

प्रश्न 7.
‘तीसरी कसम’ फिल्म के मुख्य नायक कौन थे? उन्होंने इसमें क्या भूमिका निभाई है?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फिल्म के मुख्य नायक राजकपूर थे। उनका अभिनय बेजोड़ था। उनके द्वारा किया गया अभिनय इतना बेजोड़ था कि वह कहीं भी अभिनय करते दिखाई नहीं देते थे। उनके अभिनय में वास्तविकता झलक रही थी। उनका व्यक्तित्व हीरामन में समाहित हो गया था। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया।

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – फ़िल्म-क्षेत्र पर लेखनी चलाने वाले प्रहलाद अग्रवाल का जन्म सन 1947 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। बचपन से ही इनकी रुचि फ़िल्मों की ओर रही। इन्हें किशोरावस्था में हिंदी फ़िल्मों के इतिहास और फ़िल्मकारों के जीवन व उनके अभिनय के बारे में जानने तथा उस पर चर्चा करने का शौक रहा। इन्होंने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में ये सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापन कार्य कर रहे हैं।

रचनाएँ – प्रहलाद अग्रवाल ने अपनी रुचि के अनुरूप फ़िल्म क्षेत्र से जुड़े लोगों और फ़िल्मों के लिए ही अधिक लिखा है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – सातवाँ दशक, तानाशाह, मैं खुशबू, सुपर स्टार, राजकपूरः आधी हकीकत आधा फ़साना, कवि शैलेंद्र जिंदगी की जीत में यकीन, प्यासा चिर अतृप्त गुरुदत्त, उत्ताल उमंग सुभाष घई की फ़िल्मकला, ओ रे माँझी बिमल राय का सिनेमा और महाबाज़ार के महानायक इक्कीसवीं सदी का सिनेमा।

भाषा-शैली – प्रहलाद अग्रवाल की भाषा-शैली अत्यंत सरल, सहज, सरस और प्रभावशाली है। इनकी भाषा में रोचकता और प्रवाहमयता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। इन्होंने तत्सम व तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का सुंदर चित्रण किया है। प्रस्तुत पाठ में उर्दू फ़ारसी के अनेक शब्दों के अतिरिक्त अंग्रेजी के अनेक शब्दों जैसे फेस्टिवल, जर्नलिस्ट एसोसिएशन, एडवांस, ग्लोरीफ़ाई आदि का प्रयोग भी किया गया है।

फ़िल्म क्षेत्र पर अधिक लिखने के कारण इनकी भाषा में फ़िल्मी दुनिया में प्रयोग होने वाले शब्दों की भरमार है; जैसे रिलीज़, फ़िल्म इंडस्ट्री, स्टार, पटकथा, सैल्यूलाइड, शोमैन, फ़िल्म वितरक आदि। इसके साथ-साथ इनकी भाषा में आंचलिक शब्दों का भी र खूब प्रयोग हुआ है। जैसे-भुच्च, बांचे, भाग, टप्पर गाड़ी, उकड़, फेनू-गिलासी, मनुआ-नटुआ आदि। प्रहलाद अग्रवाल की शैली वर्णनात्मक है। कहीं-कहीं उन्होंने संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है, जिसमें नाटकीयता का पुट है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ में लेखक ने कवि एवं गीतकार शैलेंद्र द्वारा बनाई एकमात्र फिल्म ‘तीसरी कसम’ के विषय में बताया है। तीसरी कसम’ फ़िल्म सन 1966 ई० में प्रदर्शित हुई। इसमें मुख्य भूमिका शैलेंद्र के मित्र और अभिनेता राजकपूर ने निभाई। इस फ़िल्म को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यह फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की एक साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म में कवि हृदय शैलेंद्र की संवेदनशीलता का स्वरूप दिखाई देता है। लेखक ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता की संज्ञा दी है।

शैलेंद्र एक भावुक कवि थे। यद्यपि राजकूपर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के खतरों से पहले ही आगाह कर दिया था, फिर भी उन्होंने फ़िल्म बनाने का निर्णय नहीं छोड़ा। उनका फ़िल्म बनाने का उद्देश्य धन और यश न होकर आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ में फ़िल्म में लोकप्रिय सितारे, संगीत और गीत होने के बावजूद इसे कोई खरीददार नहीं मिल पाया। इसका कारण यह था कि इस फ़िल्म में पेश की गई संवेदना और करुणा फ़िल्मों से पैसा कमाने वाले खरीददारों की समझ से परे थी।

परिणामस्वरूप यह फ़िल्म कब आई और कब चली गई, किसी को पता ही नहीं चला। लेखक कहता है कि शैलेंद्र फ़िल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों को भली-भाँति जानते थे, फिर भी उन्होंने अपनी मनुष्यता को नहीं खोया था। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि दर्शकों की रुचि का सहारा लेकर निर्माताओं को फ़िल्मों में निम्न-स्तरीय सामग्री पेश नहीं करनी चाहिए। वे चाहते किया गया है। तत किया।

थे कि कलाकार भी दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करें। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में संवेदनशीलता अपनी चरम-सीमा पर है। कहीं-कहीं तो नायिका आँखों से बोलती प्रतीत होती है। इसके अतिरिक्त फ़िल्म में मस्ती में डूबते और झूमते गाड़ीवान, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजते गाड़ीवान और अभावों की जिंदगी जीने वाले लोगों के सुनहरी सपनों का सुंदर चित्रण किया गया है। लेखक के अनुसार हमारी फ़िल्मों में सबसे बड़ी कमजोरी लोक-तत्व का अभाव है। तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोक तत्वों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

इस फ़िल्म में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत किया गया है। लेखक कहता है कि शैलेंद्र के गीत भी अपनी अलग विशेषताओं के कारण प्रसिदध रहे हैं। उनके गीतों में भावप्रवणता, सरलता और करुणा के साथ-साथ संघर्ष का स्वर भी : दिखाई देता है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के तो सभी गीत भावप्रवणता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

लेखक कहता है कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय बेजोड़ है। उन्होंने इस फ़िल्म में एक शुद्ध देहाती हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई है। उनके द्वारा निभाई गई भूमिका इतनी उत्कृष्ट है कि वे कहीं भी अभिनय करते प्रतीत नहीं होते। अपितु वे हीरामन ही बन गए हैं। उनका महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह से हीरामन में ढल गया है। उन्होंने एक सरल-हृदय गाड़ीवान की भावनाओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की पटकथा फणीश्वरनाथ रेणु ने तैयार की थी। उनकी मूल रचना का छोटे से छोटा भाग और उसकी बारीकियाँ इस फ़िल्म में बड़ी सफलता से प्रस्तुत की गई हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

कठिन शब्दों के अर्थ :

गहन – गहरा, अंतराल – के बाद, अभिनीत – अभिनय किया गया, सर्वोत्कृष्ट – सबसे अच्छा, अत्यंत – बहुत अधिक, सैल्यूलाइड – कैमरे की रील में उतार चित्र पर प्रस्तुत करना, सार्थकता – सफलता के साथ, कलात्मकता – कला से परिपूर्ण, संवेदनशीलता – भावुकता, तारीफ़ प्रशंसा, फेस्टिवल – उत्सव, शिद्दत – तीव्रता, अनन्य – परम, अत्यधिक, तन्मयता – तल्लीनता, पारिश्रमिक – मेहनताना, उम्मीद – आशा, याराना मस्ती – दोस्ताना अंदाज़, सर्वथा – बिलकुल, पूरी तरह, आगाह – सचेत, भावुक – संवेदनशील, भावनाओं में बहने वाला, आत्म-संतुष्टि – अपनी तुष्टि, अभिलाषा – चाह, इच्छा,

बमुश्किल – बहुत कठिनाई से, वितरक – प्रसारित करने वाले लोग, नामजद – विख्यात, प्रसिद्ध, बेहद – बहुत अधिक, दरअसल – वास्तव में, नावाकिफ़ – अनजान, आदमियत – मानवता, मनुष्यता, इकरार – सहमति, मंतव्य – मान्यता, उथलापन – सतही, नीचा, भावप्रवण – भावनाओं से भरा हुआ, दुरूह – कठिन, एकमात्र – अकेली मोड़कर पैर के तलवों के सहारे बैठना, सूक्ष्मता – बारीकी, स्पंदित – संचालित करना, गतिमान, लालायित – इच्छुक, टप्पर-गाड़ी – अर्धगोलाकार छप्पर युक्त बैलगाड़ी,

हुजूम – भीड़, प्रतिरूप – छाया, रूपांतरण – किसी एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करना, लोक तत्व – लोक संबंधी, त्रासद – दुखद, ग्लोरीफ़ाई – गुणगान, महिमामंडित करना, वीभत्स – भयावह, व्यथा – पीड़ा-दुख, जीवन, सापेक्ष – जीवन के प्रति, धन-लिप्सा – धन की अत्यधिक चाह, तहत – द्वारा, प्रक्रिया – प्रणाली, अद्वितीय – जिसके समान दूसरा न हो, बाँचै – पढ़ना, भाग – भाग्य, समीक्षक – समीक्षा करने वाला, कला-मर्मज्ञ – कला की परख करने वाला, चर्मोत्कर्ष – ऊँचाई के शिखर पर, खालिस – शुद्ध, देहाती – ग्रामीण, सिर्फ़ – केवल, भुच्च – निरा, बिलकुल, मुकाम – पड़ाव, किंवदंती – कहावत, तनिक सी – थोड़ी-सी

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?
उत्तर :
माँ के इन शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है। नारी में कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुण होते हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इसलिए माँ ने कहा है कि उसका लड़की होना आवश्यक है। उसमें आज की सामाजिक स्थितियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसमें सहजता, सजगता और सचेतता के गुण होने चाहिए। उसे दब्बू और डरपोक नहीं होना चाहिए। इसलिए उसे लड़की जैसी दिखाई नहीं देना चाहिए ताकि कोई सरलता से उसे डरा-धमका न सके।

प्रश्न 2.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं’
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
उत्तर :
(क) कवि ने इन पंक्तियों में समाज में विवाहिता स्त्री की स्थिति की ओर संकेत किया है। वर्तमान समय में हमारे भारतीय समाज में दहेज-प्रथा की आग बहुओं को बहुत तेजी से जला रही है। लोग दहेज के नाम पर पुत्रवधू के पिता के घर को खाली करके भी चैन नहीं पाते। वे खुले मुँह से धन माँगते हैं और धन न मिलने पर बहू से बुरा व्यवहार करते हैं; उसे मारते-पीटते हैं और अनेक बार लोभ में आकर उसे आग में धकेल देते हैं। कवि ने समाज में नारी की इसी स्थिति की ओर संकेत किया है, जो निश्चित रूप से अति दुखदायी और शोचनीय है।

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है, पर आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 3.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर :
अपने माता-पिता के संस्कारों में बँधी भोली-भाली लड़की उसी रास्ते पर चलना चाहती है, जो उसे बचपन से लेकर युवावस्था तक दिखाया गया है। उसने माता-पिता की छत्रछाया में रहते हुए जीवन के दुखों का सामना नहीं किया। वह नहीं जानती कि आज का समाज कितना बदल गया है। उसे दूसरों के द्वारा दी गई पीड़ाओं का कोई अहसास नहीं है। वह तो अज्ञान और अपनी छोटी से धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है।

प्रश्न 4.
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूजी’ क्यों लग रही थी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी लग रही थी, क्योंकि वह अपने जीवन के सारे सुख-दुख उसी के साथ बाँटती थी। वही उसके सबसे निकट थी; वही उसकी साथी थी।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
माँ ने बेटी को सीख दी कि वह केवल सुंदरता पर न रीझे, बलिक अपने आस-पास के वातावरण के प्रति भी सचेत रहे। जिस पानी में झाँकने पर उसे अपनी परछाई दिखाई देवी है, उसकी गहराई को भी वह भली-भाति जाने लै। कही वही उसके लिए जानलेवा सिद्ध न हो जाए। वह उस आग की तपन का भी ध्यान रखे, जो रोटी पकाने के काम आती है। कहीं रोसा ने ही कि बही उसको जला डाले। उसे लड़की लगना चाहिए, पर लड़की जैसा कमलोर नहीं दिखना वाहिए। उसे दुनिका की पूरी समझ होनी चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
अथवा
‘कन्या’ के साथ दान के औचित्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
युगों से नारी को हमारे समाज में हेय समझा जाता रहा है। पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को ही श्रेष्ठ माना जाता है। विवाह के पश्चात लड़की ही लड़के के साथ रहने के लिए जाती है। विवाह के समय लड़की के माता-पिता के द्वारा कन्या का दान किया परंपरा पूरी तरह से गलत है। आज के युग में लड़के या लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों की शिक्षा बराबर होती है; दोनों एक-समान काम करते हैं; बराबर कमाते हैं, तो फिर कन्या के दान की बात ही क्यों? ऐसा कहना पूरी तरह से ग़लत है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है ?

मैं लौटूंगी नहीं

मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूंगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूंगी नहीं
उत्तर :
इस कविता का ‘कन्यादान’ कविता से सीधा संबंध तो नहीं है, पर स्त्री की जागरूकता और सजगता की दृष्टि से साम्य अवश्य है। इस कविता में कवियित्री कहती है कि एक युगों से चली आने वाली सामाजिक रूढियों को तोड़कर उसने घर से बाहर कदम निकालने सीख लिए हैं। वह उन कष्टों और पीड़ाओं से अब परिचित है, जिसे उसने स्वयं झेला है। उसने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।

शृंगार के लिए पहने गहने उतार दिए हैं। वह जाग चुकी है। उसने अपने देश को आजाद कराने की राह देख ली है। वह अपना सबकुछ छोड़कर आज़ादी की राह पर आगे बढ़ गई है। वह वापस अपने घर नहीं लौटना चाहती। वह आज़ादी प्राप्त करने के लिए अड़ी हुई हैं। इस पंक्ति से स्त्री का क्रोध और मानसिक दृढ़ता का मनोभाव प्रकट हुआ है। उसने ज्ञान की प्राप्ति से ही ऐसा करना सीखा है।

JAC Class 10 Hindi कन्यादान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किन परंपराओं से हटकर जीवन जीने की शिक्षा दी है?
अथवा
विवाह के समय माँ ने अपनी बेटी को क्या शिक्षा दी? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
माँ ने बेटी को शिक्षा दी कि वह केवल शारीरिक सुंदरता, सुंदर कपड़ों और गहनों की ओर ही ध्यान न दे। उसे चाहिए कि वह समाज में आए परिवर्तन को खुली आँखों से देखे और अपने भीतर हिम्मत और साहस को बटोरे। उसके हृदय का साहस और अधिकारों के प्रति जागरूकता ही उसके जीवन को नई दिशा देंगे। इसी से उसके जीवन की रक्षा होगी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 2.
कवि ने कविता के माध्यम से माँ की किस विशेषता को वाणी प्रदान की है?
उत्तर :
कवि ने कविता के माध्यम से माँ के संचित अनुभवों की पीड़ा को प्रस्तुत किया है। माँ ने अपने जीवन में जिन कष्टों को पाया था, उनके कारणों को समझा था। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी को कभी कोई कष्ट हो।

प्रश्न 3.
माँ के मन में यह विचार क्यों आया कि पुत्री ही उसकी अंतिम पूँजी है ?
उत्तर :
विवाह के समय जब कन्यादान की प्रथा का निर्वाह हुआ, तो माँ को लगा कि उसकी अंतिम पूँजी उससे दूर जा रही है। माँ-बेटी में बहुत मधुर संबंध होता है। यह रिश्ता माँ को एक पूँजी के समान लगता है। यही रिश्ता बेटी की विदाई के साथ उससे दूर हो जाएगा। माँ के दुख-सुख को बाँटने वाली बेटी पर माँ का पहले-सा अधिकार न रहेगा। इसी कारण माँ ने कन्यादान को अंतिम पूँजी के समान कहा है।

प्रश्न 4.
किसके दुख को प्रामाणिक कहा गया है और क्यों?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में किसके दुख की बात की गई है और क्यों ?
उत्तर :
माँ के दुख को प्रमाणिक कहा गया है। माँ जानती है कि बेटी के विवाह के पश्चात वह अकेली रह जाएगी। उसके दुख-सुख बाँटने वाली दूर चली जाएगी। माँ का यह दुख प्रमाणिक है। इसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। यह स्वाभाविक दुख है। माँ सदा बेटी के विवाह के पश्चात स्वयं को अकेला महसूस करती है।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को स्वयं पर मोहित न होने की सीख क्यों दी?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए कि माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर :
विवाह के पश्चात सामान्यतः लड़कियाँ साज-शृंगार की ओर अधिक ध्यान देती हैं। वे अपना अधिकांश समय ऐसे ही सजने-संवरने में लगा देती हैं। अतः माँ ने बेटी को ऐसा न करने की सीख दी, ताकि वह ससुराल में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे। अपने लिए आदर: सम्मान बटोरे। सौंदर्य सदा नहीं रहता, उस पर क्या मोहित होना! अपने गुणों को विकसित करें। ससुराल पक्ष में अपना एक सम्मान योग्य स्थान बनाने का प्रयास करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 6.
उत्तर
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन क्यों कहा?
उत्तर :
लड़की की माँ एक परिपक्व महिला है। अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर ही उसने आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन कहा है। पुरुष जानता है कि स्त्री को आभूषणों-गहनों से बहुत प्यार होता है। ऐसे में इनका प्रयोग वह मनमानी करने के लिए करता है। स्त्री को गहनों की चकाचौंध में उलझाकर उसका मानसिक शोषण करता है। स्त्री को यह समझ नहीं आता कि ये गहने उसकी आजादी का हनन करते हैं; उसे जबरन बंधन में बाँध देते हैं।

प्रश्न 7.
माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों आवश्यक समझा?
उत्तर :
माँ ने सीख देकर अपनी बेटी को सचेत किया है, क्योंकि लड़की भोली, सरल तथा नासमझ है। उसे संसार की कुटिलता का आभास नहीं है; दुनियादारी की समझ नहीं है। फिर आज की सामाजिक परिस्थितियाँ भी कुछ ऐसी हैं कि दहेज या अन्य किसी भी छोटी-सी बात पर लड़की का ससुराल में मानसिक-शारीरिक शोषण होता है। बेटी के साथ किसी भी तरह की अनहोनी न हो, इसी आशंका से माँ ने कन्यादान के बाद विदा करते हुए बेटी को सचेत करना आवश्यक समझा।

प्रश्न 8.
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है ?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता की माँ परंपरागत माँ से अलग है, क्योंकि उसने बेटी को जो सीख दी है, वह परंपराओं से अलग है। वैसे तो माँ ने बेटी को अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करने की सलाह दी है, परंतु साथ ही उसे अपने आत्म-सम्मान के प्रति भी सचेत किया है। लीक से हटकर माँ ने आज के संदर्भ में जो समाज की वास्तविकता है, उसी के अनुरूप अपनी बेटी को सीख दी है। माँ अपनी बेटी के सुखद वैवाहिक जीवन के साथ-साथ उसकी सुरक्षा के प्रति भी आशंकित है। अतः माँ ने उसे कुछ अलग तरीके से समझाया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 9.
‘कन्यादान’ कविता का मूल उद्देश्य या भाव क्या है?
उत्तर :
यह कविता आधुनिक समाज का दर्पण है। एक ओर माँ-बेटी के घनिष्ठ संबंध की चर्चा हुई है, तो दूसरी ओर हमें यहाँ समाज की वर्तमान स्थिति का दर्शन हुआ है। इस कविता का संबंध नारी-जागृति से भी है। कवि ने स्त्री की कमजोरियों पर प्रकाश डाला है। आज भी भारत में पुरुष-प्रधान समाज विद्यमान है। कवि ने यह बताते हुए नारी को अपने शोषण के प्रति सचेत रहने को कहा है। दहेज – प्रथा जैसी समस्या पर भी कवि ने नारी को जागृत करने का प्रयास किया है। नारी अपने सभी गुणों तथा शक्तियों के साथ शोषण का डटकर सामना करने का साहस भी रखे। यही इस कविता का मूल भाव है।

प्रश्न 10.
‘कन्यादान’ कविता में किसे दुख बाँटना नहीं आता था और क्यों?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता में लड़की को दुख बाँटना नहीं आता था, क्योंकि उसने जीवन में अभी तक दुख नहीं देखे थे। दुखों व कष्टों की पीड़ा से वह अनजान थी, इसलिए उसे दुख बाँटना नहीं आता था।

प्रश्न 11.
माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर :
माँ की सीख में समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा व परिवार में होने वाले नारी शोषण की ओर संकेत किया गया है। यह कविता इन कुरीतियां से युक्त वर्तमान सामाजिक ढाँचे को प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 12.
‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कन्यादान कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा है क्योंकि ये नारी जवीन को भ्रम में डालने का काम करते हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं जो स्त्री जीवन को बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 13.
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’- में माँ की चिंता क्यों है ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’ में माँ अपनी बेटी को लेकर चिंतित थी। माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए ज़रूरी समझा क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह भी अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए। कोमलता नारी का शाश्वत गुण है लेकिन आज की परिस्थितियों में उसे कठोरता का पाठ अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कठिनाई आने की स्थिति में उसका सामना कर सके।

पिठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

(क) कवि ऋतुराज ने किसके दुखों को प्रामाणिक माना है?
(i) सहेलो के
(ii) माँ के
(iii) पत्नी के
(iv) पुत्री के
उत्तर :
(ii) माँ के

(ख) माँ को अपनी पुत्री कैसी पूँजी लगती है?
(i) अंतिम
(ii) अति सुखद
(iii) बातूनी
(iv) दुखदायी
उत्तर :
(i) अंतिम

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

(ग) पुत्री स्वभाव से कैसी थी?
(i) चालाक
(ii) बुद्धिमान
(iii) कठोर
(iv) भोली-भाली
उत्तर :
(iv) भोली-भाली

(घ) पुत्री को क्या पढ़ना नहीं आता था?
(i) सुखों को
(ii) दुखों को
(iii) पत्रों को
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) दुखों को

(ङ) पाठिका किसे कहा गया है?
(i) माँ को
(ii) पत्नी को
(iii) पुत्री को
(iv) पाठक को
उत्तर :
(iii) पुत्री को

काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न –

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –
(क) ‘बेटी अभी सयानी नहीं थी’-से कवि का क्या तार्य है?
(i) उसकी उम्र अभी कम थी।
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।
(iii) उसकी आयु विवाह के योग्य नहीं थी।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
(ii) उसको सांसारिक समझ नहीं थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 कन्यादान

(ख) किसके प्रति नारी का आकर्षण स्वाभाविक होता है?
(i) पुष्पों
(ii) चाँद
(iii) वस्त्र और आभूषणों
(iv) नौकर-चाकरों
उत्तर :
(iii) वस्त्र और आभूषणों

(ग) ‘लड़की होने से क्या तार्य है?
(i) भोलापन, गकोमलता, समर्पण और सादगी
(ii) चालाकी, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iii) भोलापन, कठोरता, समर्पण और सादगी
(iv) भोलापन, चतुरता, समर्पण और सादगी
उत्तर :
(i) भोलापन, कोमलता, समर्पण और सादगी

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त ।
जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

शब्दार्थ : वक्त – समय। अंतिम पूँजी – आखिरी संपत्ति। सयानी – समझदार। बांचना – पढ़ना।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से लिया गया है, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। वर्तमान समय में जीवन-मूल्य बदल गए हैं। माँ अपनी बेटी के लिए केवल भावुकता को महत्वपूर्ण नहीं मानती बल्कि अपने संचित अनुभवों की पीड़ा का ज्ञान भी उसे देना चाहती है। वह उसे भावी जीवन का यथार्थ पाठ पढ़ाना चाहती है।

व्याख्या : कवि कहता है कि माँ ने अपना जीवन जीते हुए जिन दुखों को भोगा था; सहा था, कन्यादान के समय अपनी बेटी को वह सब समझाना और उसे इसकी जानकारी देना उसके लिए बहुत अधिक आवश्यक था। उसकी बेटी ही उसकी अंतिम संपत्ति थी। जीवन के सारे सुख-दुख वह अपनी बेटी के साथ ही बाँटती थी। चाहे वह बेटी का विवाह कर रही थी, पर अभी उसकी बेटी अधिक समझदार नहीं थी; उसने दुनियादारी को नहीं समझा था।

वह अभी बहुत भोली और सीधी-सादी थी। वह दुखों की उपस्थिति को महसूस तो करती थी, लेकिन अभी उसे दुखों को भली-भाँति समझना और पढ़ना नहीं आता था। ऐसा लगता था कि अभी वह धुंधले प्रकाश में जीवन रूपी कविता की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ना ही जानती थी, पर उनके अर्थ समझना उसे नहीं आता था अर्थात वह दुनियादारी की ऊँच-नीच को अभी भली-भाँति नहीं समझती थी। उसमें इतनी समझदारी नहीं आई थी कि वह दुनिया के भेदभावों को समझ कर स्वयं निर्णय कर सके।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोतर –

1. अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. माँ के दुख को कवि ने क्या माना है?
3. अंतिम पूँजी कौन और क्यों थी?
4. ‘लड़की का दान’ से क्या तात्यर्य है?
5. विवाह के समय लड़की कैसी थी?
6. लड़की को किसका आभास था?
7. लड़की को क्या करना नहीं आता था?
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से क्या तात्पर्य है?
9. पाठिका किसे कहा गया है?
उत्तर :
1. कवि ने कविता के द्वारा बदल चुकी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था की ओर संकेत किया है। माँ के पास अब बेटी के विवाह के समय उसके प्रति कोरी भावुकता और प्रेम का भाव नहीं होता, बल्कि वह अपनी बेटी को शिक्षा देते समय जीवनभर के इकट्ठे अपने अनुभवों की पीड़ा को प्रामाणिक रूप से प्रकट करती है ताकि वह उन अनुभवों से शिक्षा ले और अपने जीवन को सही ढंग से जिए। वह जीवन में कभी कष्ट न उठाए।2. कवि ने माँ के दुखों को प्रामाणिक माना है, क्योंकि उसने अपने जीवन में उन्हें सहा है।
3. माँ की अंतिम पूँजी बेटी थी, क्योंकि वह अपने जीवन के हर सुख-दुख उसके साथ बाँटती है। बेटी ही माँ के सबसे निकट और उसके दुखसुख की साथी होती है।
4. ‘लड़की का दान’ से तात्पर्य लड़की के विवाह से है। युगों से चली आने वाली परंपरा में विवाह के समय कन्यादान का प्रचलन है।
5. विवाह के समय लड़की भोली-भाली और सीधी-सादी थी।
6. लड़की को सुख का आभास था, क्योंकि माता-पिता ने उसे केवल सुख ही प्रदान किए थे। उन्होंने अपनी बेटी को दुखों का अनुभव होने ही नहीं दिया था।
7. लड़की को दुखों की भयानकता को समझना नहीं आता था।
8. ‘तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों’ से कवि का तात्पर्य उस सामान्य ज्ञान से है, जो विवाह से पहले लड़की को परिवार में रहते हुए प्राप्त होता है, जिसमें दुखों की मात्रा या तो होती ही नहीं या वे बहुत कम होते हैं।
9. पाठिका उस लड़की को कहा गया है, जो जीवन के सामान्य ज्ञान को अभी प्राप्त कर रही थी।

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सदिय-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण के भाव को स्पष्ट कीजिए।
2. किस बोली का प्रयोग किया गया है?
3. कवि ने किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है?
4. कवि के कथन को किस शब्द-शक्ति के प्रयोग ने गहनता-गंभीरता प्रदान की है?
5. कौन-सा काव्य-गुण विद्यमान है?
6. किस काव्य-रस का प्रयोग किया गया है?
7. भावों को स्पष्ट करने के लिए किनका प्रयोग किया गया है?
8. किस छंद का प्रयोग है?
9. दो तद्भव शब्द लिखिए।
10. दो तत्सम शब्द लिखिए।
11. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
12. ‘धुंधला प्रकाश’ प्रतीक को स्पष्ट करें।
उत्तर :
1. कवि ने माँ के द्वारा बेटी को परंपराओं से हटकर शिक्षा देने की ओर संकेत किया है, जिससे आधुनिक समाज व्यवस्था में आए परिवर्तनों का बोध होता है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
4. लाक्षणिकता के प्रयोग ने कवि के कथन को गहनता-गंभीरता प्रदान की है।
5. प्रसाद गुण विद्यमान है।
6. शांत रस है।
7. प्रतीकात्मकता का प्रयोग किया गया है।
8. अतुकांत छंद है।
9. दान, सयानी।
10. प्रामाणिक, प्रकाश
11. अनुप्रास-दान में देते वक्त उत्प्रेक्षा-जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो।
12. अस्पष्ट सुख।

2. माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियां सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।

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शब्दार्थ : रीझना – आकृष्ट होना। आभूषण – गहने। भ्रमों – धोखों।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘कन्यादान’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता ऋतुराज हैं। कवि ने आधुनिक युग में समाज में आए परिवर्तनों के आधार पर विवाह के समय माँ की ओर से बेटी को शिक्षा दी है; उसे सचेत किया है। आज के बदलते समाज में कोरे आदर्शों की कमजोरी का कोई महत्व शेष नहीं बचा है।

व्याख्या : कवि के अनुसार माँ कन्यादान के समय अपनी लड़की को समझाते हुए कहती है कि पानी में झाँककर अपने चेहरे की सुंदरता की ओर केवल निहारते न रहना। केवल अपनी सुंदरता और बनाव-श्रृंगार की ओर ध्यान देना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि परछाई दिखाने वाले उस पानी की गहराई के बारे में जान लेना आवश्यक है। जो पानी परछाई दिखाता है और सुंदरता के प्रति तुम्हें आकर्षित करता है, वह डूबने पर मृत्यु का कारण भी बन सकता है; उससे सावधान रहना।

आग केवल रोटियाँ सेंकने के लिए होती है। वह जलने और जलकर मर जाने के लिए नहीं होती, इसलिए उसका शिकार न बनना। नारी जीवन को भ्रम में डालने वाले तरह-तरह के वस्त्र और गहने हैं। ये शाब्दिक धोखे हैं, जो स्त्री को जीवन में बाँध देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। माँ ने अपनी लड़की को समझाते हुए कहा कि तुम लड़की बने रहना, पर कभी भी लड़की की तरह दिखाई न देना; सजग और सचेत रहना। समाज में व्याप्त परिवर्तनों को भली-भाँति समझना। यह संसार निर्मम है, इसलिए उसे भली-भाँति समझना।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. कवि ने ‘आग’ और ‘पानी’ का क्या प्रतीक स्पष्ट किया है ?
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण क्या हैं ?
4. माँ ने अपनी लड़की को क्या समझाया?
5. लड़की की माँ लड़की से क्या उम्मीद रखती है?
6. ‘लड़की होने से क्या तात्पर्य है?
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में क्या हो रहा था ?
8. माँ ने चेहरे पर रीझने के लिए क्यों मना किया?
उत्तर :
1. माँ ने लड़की को अपने व्यवहार के प्रति सजग रहने की शिक्षा दी है और उससे कहा है कि वह लड़की की तरह रहे, पर लड़की की तरह कमज़ोर और असहाय न बने।
2. ‘आग’ और ‘पानी’ जीवन के प्रतीक हैं, पर यह केवल जीवन देने वाले नहीं हैं बल्कि जीवन लेने वाले भी हैं।
3. नारी-जीवन में वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं।
4. माँ ने अपनी लड़की को समझाया कि उसे लड़की की तरह होना तो चाहिए, पर उसका व्यवहार कमज़ोर नहीं होना चाहिए। उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए।
5. लड़की की माँ लड़की से उम्मीद रखती है कि वह विवाह के बाद घर-गृहस्थी के सारे काम तो करे पर शोषण का शिकार न बने। वह किसी भी अवस्था में अपनी स्वतंत्रता न खोए।
6. लडकी होने से तात्पर्य भोलेपन, सरलता, कोमलता, समर्पण आदि के भावों को बनाए रखना है।
7. आग के विषय में बताते हुए माँ के हृदय में बेचैनी और पीड़ा के भाव थे कि वह भी कहीं ससुराल की ओर से दी जाने वाली पीड़ा का शिकार न बन जाए। कहीं उसे भी दहेज के लालची आग में न झोंक दें।
8. ससुराल वालों से झूठी प्रशंसा को पाकर कहीं बेटी शोषण का शिकार न बन जाए। अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुनकर भ्रमित न हो जाए।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. कवि ने नारी को किनके प्रति सचेत किया है ?
2. किस शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है?
3. किस बोली का प्रयोग है?
4. शब्दावली किस प्रकार की है?
5. किस छंद का प्रयोग है?
6. काव्य-रस कौन-सा है?
7. सांकेतिकता का एक उदाहरण दीजिए।
8. दो तद्भव शब्द लिखिए।
9. दो तत्सम शब्द लिखिए।
10. अवतरण से अलंकार चुनकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने समाज के आधुनिक रूप के प्रति नारी को सचेत किया है कि उसे समाज के व्यवहार के प्रति सदा सजग रहना चाहिए।
2. लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है।
3. खड़ी बोली।
4. सामान्य शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
5. छंद रहित अभिव्यक्ति है।
6. शांत रस है।
7. माँ ने कहा पानी में झाँक कर अपने चेहरे पर मत रीझना।
8. चेहरे, लड़की
9. आभूषण, भ्रम
10. विरोधाभास – माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
उपमा – वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं स्त्री-जीवन के।

कन्यादान Summary in Hindi

कवि-परिचय :

आधुनिक युगबोध और यथार्थ के कवि ऋतुराज की नई कविता के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान है। इनका जन्म सन 1940 में राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने अध्ययन-अध्यापन को ही आजीविका का साधन बनाया था। चालीस वर्ष तक अंग्रेजी साहित्य पढ़ने-पढ़ाने के बाद अब ये सेवा-निवृत्त होकर जयपुर में रहते हैं।

इन्होंने हिंदी कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है और अब तक इनकी आठ रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें से प्रमुख हैं – एक मरणधर्मा और अन्य, पुल पर पानी, सुरत निरत, लीला मुखारविंद। साहित्य सेवा के लिए इन्हें सोमदत्त परिमल सम्मान, मीरा पुरस्कार, पहल सम्मान और बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्यिक विशेषताएँ – ऋतुराज ने अपनी कविता में आज के मानव की दशा को प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। इनकी कविता आधुनिकता, सामाजिक दायित्व, स्वाभिमान और विश्व-बंधुत्व की प्राप्ति से आलोकित है। इन्होंने न तो किसी को धूल बनाने की कोशिश की है और न ही हवा में ऊपर उठाने की। कवि अत्यंत सहज भाव से अन्याय, दमन, शोषण और रूढ़िग्रस्त जर्जर संस्कारों से जूझना चाहता है।

कहीं-कहीं कवि की विद्रोह- भावना व्यक्त हुई है। कवि ने आज के मानव के संघर्ष को कविता में स्थान दिया है। वह नई मर्यादाओं की स्थापना के लिए आगे बढ़ने में विश्वास रखता है। उसने उन लोगों को अपनी कविता का आधार बनाया है, जिन्हें समाज में अधिक महत्व प्राप्त नहीं हुआ।

ऋतुराज ने बड़ी-बड़ी दार्शनिक बातों को कहने की जगह दैनिक जीवन के अनुभव का यथार्थ प्रकट किया है। वे अपने आस-पास रोजमर्रा में घटित होने वाले सामाजिक शोषण और विडंबनाओं पर दृष्टि डालते हैं। इन्होंने परंपराओं से हटकर नए मूल्यों की स्थापना करने का प्रयत्न किया है। इनकी कविताओं में कोरी भावुकता नहीं है, बल्कि ये यथार्थ का दर्शन करने में सक्षम हैं –

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के

कवि ने कृत्रिम भाषा का प्रयोग नहीं किया है। इनकी भाषा अपने वातावरण और लोक जीवन से जुड़ी हुई है। इन्होंने बिंबों का सजीव चित्रण किया है। इनकी भाषा में तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज समन्वित प्रयोग दिखाई देता है।

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कविता का सार :

कवि ने ‘कन्यादान कविता में माँ-बेटी के आपसी संबंधों की घनिष्ठता को प्रतिपादित करते हुए नए सामाजिक मूल्यों को परिभाषित करने का प्रयत्न किया है। माँ अपनी युवा होती बेटी के लिए पहले कुछ और सोचती थी, पर सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन के कारण अब कुछ और सोचती है। पहले उसके मन में कुछ अलग तरह के डर के भाव छिपे हुए थे, पर अब उनकी दिशा और मात्रा बदल गई है।

इसलिए वह अपनी बेटी को परंपरागत उपदेश नहीं देना चाहती। उसके आदर्शों में भी परिवर्तन आ गया है। बेटी ही माँ की अंतिम पूँजी होती है, क्योंकि वह उसके दुख-सुख की साथी होती है। बेटी अभी पूरी तरह से बड़ी नहीं हुई। वह भोली-भाली और सरल है। उसे सुखों का आभास तो होता है, पर उसे जीवन के दुखों की ठीक से पहचान नहीं है। वह धुंधले प्रकाश में कुछ तुक और लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने का प्रयास मात्र करती है। माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि उसे जीवन में संभलकर रहना पड़ेगा।

वह अपनी बेटी को पानी में झाँककर अपने ही चेहरे पर न रीझने और आग से बचकर रहने की सलाह देती है। आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, न कि जलने के लिए। वस्त्रों और आभूषणों का लालच उसे जीवन के बंधन में डालने का कार्य करता है। माँ ने कहा कि उसे लड़की की तरह दिखाई नहीं देना चाहिए। उसे सजग, सचेत और दृढ होना चाहिए। जीवन की हर स्थिति का निर्भयतापूर्वक डटकर सामना करना आना चाहिए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती-पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डाल सकती। लेखक बचपन में जहाँ रहता था, वहाँ पर अधिकतर घर राजस्थान या हरियाणा से आकर बसे हुए लोगों के थे। वहाँ पर उन लोगों के व्यापार तथा दुकानदारी थी। उन लोगों की भाषा और रहन-सहन स्थानीय लोगों से भिन्न था। उनकी बोली बहुत कम समझ में आती थी। कुछ शब्द तो ऐसे थे, जिन्हें सुनकर हँसी आती थी। परंतु खेल के समय उन लोगों की भाषा में कोई अंतर नहीं आता था। वे सब एक-दूसरे की भाषा को अच्छी तरह समझ लेते थे। इसलिए लेखक ने कहा है कि भाषा आपसी व्यवहार में कोई बाधा नहीं बनती।

प्रश्न 2.
पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पीटी मास्टर प्रीतम चंद बहुत सख्त स्वभाव और अनुशासन में रहने वाले व्यक्ति थे। वे छोटी-से-छोटी गलती पर भी बच्चों को बुरी
तरह मारते थे। बच्चों ने उन्हें कभी भी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। वे उनसे बहुत डरते थे कि पता नहीं कब ‘खाल खींचने’ वाला मुहावरा प्रत्यक्ष हो जाए। बच्चों को स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती थी, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों को वह शाबाश फ़ौज के तमगों जैसी लगती थी। बच्चों को लगता कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण कार्य अच्छे : ढंग से संपन्न किया है, जिस कारण पीटी साहब से शाबाश रूपी तमगा मिला है।

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प्रश्न 3.
नयी श्रेणी में जाने और नयी कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?
उत्तर :
लेखक को नई श्रेणी में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे नई कॉपियों और पुरानी किताबों में से एक अजीब-सी गंध आती थी। वह उस गंध को कभी नहीं समझ सका लेकिन वह गंध उसे उदास कर देती थी। इसके पीछे कारण हो सकता है कि नई श्रेणी की पढ़ाई मास्टरों से पड़ने वाली मार का भय उसके मन में गहरी जड़ें जमा चुका था, इसलिए नई कक्षा में जाने पर लेखक को खुशी नहीं होती थी। पाठ को अच्छी तरह समझ न आने पर मास्टरों से चमड़ी उधेड़ने वाले मुहावरों को प्रत्यक्ष होते हुए देखना ही उसे अंदर तक उदास कर देता था।

प्रश्न 4.
स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?
उत्तर :
लेखक को अपने स्कूल में यदि कुछ अच्छा लगता था तो वह था-स्काउट परेड। स्काउट परेड के लिए धोबी से धुली खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते पहनने को मिलते थे। परेड करते समय मास्टर प्रीतम चंद विह्सल बजाते हुए लेफ्ट-राइट, राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाउट टर्न कहते थे। उस समय छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एकदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक से आगे बढ़ते जाना उन्हें अच्छा लगता था। उस समय वे स्वयं को विद्यार्थी नहीं फ़ौजी जवान समझते थे।

प्रश्न 5.
हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?
उत्तर :
पीटी उन्हें मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा को फ़ारसी भाषा पढ़ाते थे। बच्चों के लिए फ़ारसी भाषा अंग्रेज़ी से भी कठिन थी। फ़ारसी पढ़ाते हुए उन्हें अभी एक सप्ताह हुआ था कि उन्होंने चौथी कक्षा के छात्रों को एक शब्द-रूप याद करके लाने और अगले दिन सुनाने का आदेश दिया। शब्द-रूप बहुत कठिन था। मार के डर से बच्चे सारा दिन शब्द-रूप याद करते रहे, परंतु वह उन्हें याद नहीं हुआ। अगले दिन कोई भी बच्चा शब्द-रूप नहीं सुना पाया। पीटी साहब ने अपने सख्त स्वभाव के अनुरूप बच्चों को झुककर टाँगों में से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा सुनाई। कमजोर बच्चे तीन-चार मिनट में ही थकने लगे। हेडमास्टर शर्मा जी ने जब यह दृश्य देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने पीटी साहब को बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करने पर मुअत्तल कर दिया।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
अथवा
स्कूल किस प्रकार की स्थिति में अच्छा लगने लगता है और क्यों?
उत्तर :
लेखक को स्कूल कभी भी ऐसी जगह नहीं लगता था, जहाँ खुशी से जाया जाए। स्कूल जाना उसके लिए एक सज़ा के समान था। परंतु एक-दो अवसर ऐसे होते थे, जब उसे स्कूल जाना अच्छा लगता था। पीटी मास्टर जब स्कूल में स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते थे, उस समय वे बच्चों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे। मास्टर जी के वन, टू, थ्री कहने पर बच्चे झंडियों को ऊपर नीचे, दाएँ-बाएँ करते थे। उस समय हवा में लहराती हुई झंडियाँ बच्चों को अच्छी लगती थीं। उन्हें पहनने के लिए खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते मिलते थे। गले में दोरंगा रूमाल पहनने को मिलता था। उस समय स्कूल के सभी बच्चे खुशी-खुशी स्कूल जाते थे।

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प्रश्न 7.
लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति बहादुर बनने की कल्पना किया करता था?
उत्तर :
लेखक के छात्र जीवन में अप्रैल से स्कूल आरंभ होते थे। डेढ़ महीना स्कूल जाने के बाद उन्हें डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। पहला एक महीना वे खेल-कूद में व्यतीत करते थे या फिर अपनी माँ के साथ ननिहाल जाते थे। यदि ननिहाल नहीं जाते, तो घर के पास तालाब में नहाते और पास के टीले की रेत से खेलते थे। रेत से खेलना और तालाब में नहाने का क्रम अनगिनत बार चलता था।

जब छुट्टियों का एक महीना शेष बचता था, तो स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब वाले मास्टर दो सौ से कम सवाल नहीं देते थे। वे दस सवाल हर रोज़ करने की योजना बनाते। इस प्रकार दो सौ सवाल बीस दिन में पूरे हो जाएंगे, ऐसा सोचकर फिर खेल में लग जाते थे। इस प्रकार पंद्रह दिन निकल जाते थे। फिर वे पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचते थे। लेखक के कई साथियों को छुट्टियों में स्कूल का काम करने की अपेक्षा मास्टर के हाथों से मार खाना सस्ता सौदा लगता था। लेखक के साथियों में ‘ओमा’ नाम का एक साथी था, जो बहुत बहादुर था। लेखक भी काम करने की अपेक्षा ‘ओमा’ की तरह बहादुर बनकर मार खाने के लिए तैयार हो जाता था।

प्रश्न 8.
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
1. व्यक्तित्व – मास्टर प्रीतम चंद देखने में दुबले-पतले लगते थे, परंतु उनका शरीर गठीला था। उनका कद छोटा था। चेहरे पर माता के दाग थे। उनकी आँखें बाज़ जैसी तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और फ़ौजियों वाले भारी-भरकम बूट पहनते थे। बूटों की ऊँची एड़ियों – के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। पंजों के नीचे मोटे सिरों वाले कील लगे हुए थे। उनका पूरा व्यक्तित्व बच्चों को भयभीत करने वाला था।

2. अनुशासन पसंद – मास्टर प्रीतम चंद अनुशासन में रहना पसंद करते थे। उन्हें अनुशासनहीनता पसंद नहीं थी। स्कूल में प्रार्थना के समय सभी लड़के कद के अनुसार कतारों में सीधे खड़े होते थे। यदि कोई लड़का हिलता हुआ दिखाई दे जाता था, तो मास्टर प्रीतम चंद उस लड़के को वहीं बुरी तरह मारने लगते थे।

3. कठोर स्वभाव – मास्टर प्रीतम चंद का स्वभाव बहुत कठोर था। बच्चे उनसे बहत डरते थे। बच्चों ने उन्हें कभी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों के लिए वह ‘शाबास’ किसी फ़ौजी तमगे से कम नहीं होती थी। पीटी साहब के मुंह से निकली ‘शाबाश’ सारा साल कॉपियों पर मास्टरों से मिलने वाली ‘गुडों’ से ऊपर होती थी।

4. भावना रहित – मास्टर प्रीतम चंद में मानवीय भावनाएँ बिलकुल नहीं थीं। वे छोटे-छोटे बच्चों को छोटी-से-छोटी गलती पर बड़ी-से-बड़ी सजा देने में झिझकते नहीं थे। एक बार मास्टर प्रीतम चंद ने चौथी कक्षा के बच्चों को शब्द-रूप याद करके न आने पर उन्हें झुककर टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा दी। कमजोर और छोटे बच्चे तीन-चार मिनट में ही जलन और थकान के कारण गिर पड़े, परंतु मास्टर जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। अपने इसी अमानवीय व्यवहार के कारण उन्हें हेडमास्टर शर्मा जी ने नौकरी से निकाल दिया था।

5. पक्षी प्रेम – मास्टर प्रीतम चंद को छोटे-छोटे बच्चों के साथ कोई दया या प्रेम नहीं था, परंतु उन्हें पक्षियों से प्रेम था। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। वे उन तोतों को बादाम की गिरियाँ खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करते थे। पीटी साहब का पक्षियों से मीठी-मीठी बातें करना बच्चों को एक चमत्कार लगता था। जो अध्यापक स्कूल में बच्चों को निर्दयता से मारे और घर में पक्षियों के साथ अच्छा व्यवहार करे, यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। पीटी साहब को अपने कठोर और अमानवीय स्वभाव के कारण ही स्कूल से मुअत्तल किया गया था। उन्हें अपनी गलती पर कोई पछतावा नहीं था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 9.
विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
लेखक के अनुसार उनके साथ विद्यार्थी जीवन में बहुत कठोर और अमानवीय व्यवहार किया जाता था। उनके मन में अध्यापकों की मार का इतना डर बैठ गया था कि उन्हें नई कक्षा में जाने की कोई खुशी नहीं होती थी। स्कूल उन्हें एक जेल के समान लगता था, जहाँ वे कैद की सजा काटने के लिए जाते थे। अधिकतर बच्चे स्कूल जाने की अपेक्षा माँ-बाप के साथ उनके काम में हाथ बँटाना अधिक उचित मानते थे।

वर्तमान समय में स्कूल के अध्यापक बच्चों को कठोर शारीरिक दंड नहीं देते। यदि कोई अध्यापक ऐसा करता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। वर्तमान में अध्यापकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है। पढ़ाई में कमजोर बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, उन्हें प्रशिक्षण के समय सिखाया जाता है।

यदि कोई शरारती बच्चा हो, जो प्यार से समझाने से भी नहीं समझता, उस पर माँ-बाप के कहने पर ही सख्ती की जाती है या उसे बाल मनोचिकित्सक से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है। वर्तमान समय में बच्चों को आने वाले कल का निर्माता समझा जाता है। इसलिए उनके मन में स्कूल के प्रति भय को निकालने के लिए स्कूल का वातावरण खुशहाल बनाया जाता है जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास हो सके।

प्रश्न 10.
बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों कीं। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।
उत्तर :
बचपन की यादें कभी किसी को नहीं भूलतीं। उन दिनों मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था। घर से स्कूल के रास्ते में एक बड़ी-सी कोठी थी। उसमें बाहरी दीवार के पास फलों के अनेक पेड़ उगे थे। मैं अपने मित्रों के साथ बाहर से पत्थर फेंककर फलों को प्रायः तोड़ने की कोशिश करता था। कभी-कभी कोई फल टूटकर बाहर भी आ गिरता था और हम उस कच्चे-पक्के फल को पाकर इतने प्रसन्न हुआ करते थे, जैसे हमें कोई खजाना मिल गया हो।

हमारे घर के पास एक जोहड़ था। हम हर रोज़ उसके किनारे बैठकर उसमें तैरते-उछलते मेंढकों को घंटों देखा करते थे। वे कभी पानी में डुबकी लगाते थे, तो कभी किनारे पर आ जाते थे। जब वे गले की झिल्ली फुलाकर टर्र-टरी किया करते थे, तो हमें बड़ा मज़ा आता था।

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प्रश्न 11.
प्रायः अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए –
(क) खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं?
(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर :
(क) जीवन में खेल का बहुत महत्व है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेल परम आवश्यक है। स्वस्थ शरीर वाला व्यक्ति संसार के सभी सुखों को प्राप्त करता है। खेल-कूद से शरीर ही स्वस्थ नहीं रहता अपितु उसका बौद्धिक विकास भी होता है। इससे मनुष्य को मानसिक थकावट नहीं होती; शरीर में स्फूर्ति आती है; शिथिलता और आलस्य दूर भागता है। खेलने से बच्चों में एकता की भावना का विकास होता है। उनमें मिल-जुलकर रहने की आदत का विकास होता है। दूसरे बच्चों के साथ खेलने से बच्चे अकेलेपन का शिकार नहीं होते। खेल से बच्चों में नेतृत्व, अनुशासन, धैर्य, सहनशीलता, मेल-जोल, सहयोग आदि के गुण स्वतः ही विकसित हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए खेल ज़रूरी है।

(ख) खेल से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। परंतु अधिक खेलना बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है। इसलिए बच्चों के लिए कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे उनके खेलने और पढ़ाई में संतुलन बना रहे। बच्चों को खेलने का समय निर्धारित करना चाहिए। खेलने से पहले उन्हें अपना स्कूल का कार्य समाप्त कर लेना चाहिए। इससे अभिभावकों को भी उनके खेलने से परेशानी नहीं होगी। खेलने के बाद कुछ शारीरिक थकावट अवश्य होती है, परंतु कुछ देर आराम करने के बाद शरीर और दिमाग ताजगी से भर जाते हैं।

उस समय स्कूल से मिले अन्य कार्य पूरे किए जा सकते हैं तथा माता-पिता के कार्य में उनकी सहायता की जा सकती है। बच्चों को ऐसे खेल खेलने चाहिए जिनमें चोट लगने का डर न हो। उन्हें सड़क के बीच में नहीं खेलना चाहिए। खेल ऐसे न हों, जिनसे उन्हें या दूसरों को कोई नुकसान पहुँचे। खेलने के लिए खुले स्थान का चुनाव करना चाहिए, जो घर से अधिक दूर न हो। यदि बच्चे अपने बनाए नियमों का उचित ढंग से पालन करें, तो अभिभावक भी उनको खेलने से मना नहीं करेंगे। अभिभावकों को भी पता होता है कि खेलने से बच्चों में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक गुणों का विकास होता है।

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक के साथ खेलने वाले बच्चों की हालत कैसी होती थी?
उत्तर :
लेखक के साथ खेलने वाले सभी बच्चों का हाल एक जैसा होता था। बच्चों के पैर नंगे होते थे। उन्होंने फटी-मैली कच्छी पहनी होती थी। उनके कुर्ते बिना बटनों के होते थे। कई बच्चों के कुर्ते फटे हुए भी होते थे। अधिकतर बच्चों को खेलते समय चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर पहुँचकर माँ, बहन या पिताजी से बहुत मार पड़ती थी। किसी को भी चोट में से बहते खून को देखकर तरस नहीं आता था।

प्रश्न 2.
लेखक के समय में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में दिलचस्पी क्यों नहीं लेते थे?
उत्तर :
लेखक के समय में बच्चों या अभिभावकों को स्कूल में कोई खास दिलचस्पी नहीं होती थी। जिन बच्चों की पढ़ाई में रचचि नहीं होती थी, वह अपना बस्ता किसी तालाब में फेंक आते और फिर कभी स्कूल नहीं जाते थे। अभिभावक भी बच्चों को अपने साथ अपने काम में लगा लेते थे। उनके अनुसार पढ़-लिखकर उन्होंने कौन-सा तहसीलदार बनना था। उनकी यही सोच बच्चों को स्कूल से दूर रखती थी।

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प्रश्न 3.
“बचपन में घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है”-लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
बचपन में बच्चे हर प्रकार के भेदभाव, समस्याओं तथा छल-कपट से दूर होते हैं। उनकी अपनी अलग दुनिया होती है, जिसमें वे मस्त रहते हैं। वे इस बात से बेखबर होते हैं कि उनके आस-पास के संसार में क्या हो रहा है। वे अपने दुख में दुखी और अपनी खुशी में खुश होते हैं, इसलिए उनके लिए अपने आस-पास का वातावरण अधिक खुशगवार और सुहावना होता है। उन्हें पतझड़ में भी बहार दिखाई देती है। बचपन में बच्चे अल्हड़ और अलमस्त होते हैं, इसलिए उन्हें घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है।

प्रश्न 4.
लेखक को बचपन में स्कूल जाते समय किन-किन चीज़ों की महक आज भी याद है?
उत्तर :
लेखक को अपने बचपन के दिन और स्कूल आज भी अच्छी तरह याद हैं। कुछ चीज़ों की महक उसे आज भी अच्छी तरह से याद है। उनके स्कूल के अंदर जाने के रास्ते के दोनों ओर अलियार के बड़े ढंग से कटे-छाँटे झाड़ उगे हुए थे। उनमें से आने वाली नीम के पत्तों जैसी महक लेखक आज भी आँख बंद करके अनुभव कर सकता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे होते थे। उन फूलों को वे चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे। उन फूलों की तेज़ गंध को भी लेखक आँख बंद करके अनुभव कर सकता है।

प्रश्न 5.
लेखक बचपन में अपनी छुट्टियों को किस प्रकार व्यतीत करता था?
अथवा
तालाब में तैरने का आनंद लेखक कैसे लेता था?
उत्तर :
लेखक अपनी छुट्टियाँ खेलने-कूदने में व्यतीत करता था। छुट्टियाँ होते ही वह अपनी माँ के साथ नाना के घर चला जाता था। वहाँ का तालाब भी उनके घर के पास वाले तालाब जितना ही बड़ा था। दोपहर तक तालाब पर नहाते थे, फिर घर आकर नानी से कुछ भी माँगकर खा लेते थे। जिस साल लेखक नाना के घर नहीं जाता था, उस साल अपने घर के पास बने तालाब में मित्रों के साथ नहाता था। तालाब में नहाकर वे पास के टीले की रेत में खेलते थे। उस टीले की गरम रेत को अपने शरीर पर लगाते थे। फिर रेत को धोने के लिए तालाब में छलाँग लगाते थे। ऐसा दिन में कितनी बार करते थे, यह उन्हें याद नहीं था। ऐसे ही उनकी छुट्टियाँ खेल-कूद में बीत जाती थीं।

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प्रश्न 6.
पाठ में वर्णित ‘ओमा’ का व्यक्तित्व कैसा था?
अथवा
ओमा का लड़ाई करने का क्या ढंग था?
उत्तर :
लेखक के साथियों में ‘ओमा’ उनका नेता था। ओमा बहुत बहादुर था। वह किसी से नहीं डरता था। उस जैसा लड़का उनके समूह में नहीं था। ओमा’ की सूरत सबसे भिन्न थी। उसका सिर बहुत बड़ा था, ऐसा लगता था जैसे बड़ा मटका हो। उसका कद छोटा था, इसलिए छोटे कद पर बड़ा सिर अजीब लगता था। उसका सिर जितना बड़ा था, चेहरा उतना ही छोटा था। उसकी बातें, गालियाँ और मारपीट का ढंग अलग ही था। वह अपने हाथ-पैरों से नहीं लड़ता था। वह अपने सिर से लड़ने वाले की छाती पर वार करता था। उससे दुगुने शरीर वाले लड़के भी उसके वार को सहन नहीं कर सकते थे। उसके सिर की चोट पड़ते ही लड़के दर्द से चिल्लाने लगते थे। उसके सिर की टक्कर को लड़के ‘रेल-बम्बा’ कहकर बुलाते थे।

प्रश्न 7.
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव कैसा था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव सरल था। वह कभी किसी की पिटाई नहीं करते थे। वह पाँचवीं कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ाते थे। वह उस समय के मास्टरों से भिन्न थे। वे बच्चों की चमड़ी उधेड़ने में विश्वास नहीं करते थे। यदि उन्हें किसी बच्चे पर क्रोध आ भी जाता तो वे जल्दी आँखें सकपकाने लगते थे। अपने हाथ से इस प्रकार थप्पड़ लगाते थे, जैसे हाथ में नमकीन पापड़ी पकड़ ली हो। बच्चों को उनके पीरियड में पढ़ना सबसे अधिक अच्छा लगता था।

प्रश्न 8.
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर किस प्रकार उसकी पढ़ाई पूरी हुई थी?
उत्तर :
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी। उस समय एक-दो रुपये में सारी किताबें आ जाया करती थीं, परंतु यह उस समय में बड़ी रकम समझी जाती थी, जिससे घर का गुजारा अच्छी तरह हो सकता था। इसलिए उन दिनों अमीर परिवारों के बच्चे स्कूल जाया करते थे। लेखक अपने दो परिवारों में पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। उसके परिवार की स्थिति देखते हुए हेडमास्टर शर्मा जी एक अमीर बच्चे की किताबें लाकर उसको दे देते थे। कॉपियों, पेंसिलों, होल्डर या स्याही-दवात पर साल भर में मुश्किल से एक या दो रुपये खर्च होता था। यदि हेडमास्टर शर्मा जी उसकी मदद नहीं करते, तो उसकी तीसरी-चौथी कक्षा में ही पढ़ाई छूट जाती।

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प्रश्न 9.
आज का बचपन लेखक के बचपन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :
आज का बचपन लेखक के बचपन से बहुत भिन्न है। आजकल के बच्चों के पास पहले के बच्चों की तरह न खेलने का समय है आज और न ही खुला स्थान है। बच्चों को बचपन से ही बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनने के लिए उकसाया जाता है, जिससे बच्चे महत्वाकांक्षी बन जाते हैं। वे भी अपना भविष्य बनाने के लिए खेल-कूद को बेकार समझने लगते हैं। आज के बच्चे लेखक के मस्त, अल्हड़ या ब समाप्त होती जा रही है। बच्चों के सार्वभौमिक विकास के लिए उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए, जिससे वे बड़े होकर एक अच्छा नागरिक बन देश और समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

प्रश्न 10.
ननिहाल जाने पर लेखक को क्या सुख मिलता था?
उत्तर :
छुट्टियों में लेखक अपनी माँ के साथ ननिहाल चला जाता था। वहाँ नानी उसे खूब दूध, दही, मक्खन खिलाती थी। वह उसे बहुत प्यार करती थी। वहाँ वह तालाब में खब नहाता और बाद में नानी से जो मन में आता, माँगकर खाता था।

प्रश्न 11.
फ़ौज में भर्ती करने के लिए अफ़सरों के साथ नौटंकी वाले क्यों आते थे?
उत्तर :
लेखक जहाँ रहता था, वहाँ के लोगों को अंग्रेज़ ‘जबरन’ फ़ौज में भर्ती नहीं कर पा रहे थे। इसलिए लोगों को फ़ौज में भर्ती होने का लालच देने के लिए वे नौटंकी वालों के साथ आते और रात को गाँव में खुले मैदान में शामियाने लगाकर नौटंकी वालों से फ़ौज के सुख-आराम, बहादुरी आदि के दृश्यों का मंचन करवाते थे। इसके साथ ही कुछ मसखरे गाने भी गाते थे, जिनसे आकर्षित होकर कई नौजवान फ़ौज में भर्ती होने के लिए तैयार हो जाते थे।

प्रश्न 12.
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक क्या सोचा करता था ?
उत्तर :
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक उन बहादुर लड़कों के समान यह सोचा करता था कि छुट्टियों का काम करने की बजाय मास्टरों की पिटाई अधिक सस्ता सौदा है। ऐसे में उसे ओमा याद आ जाता था, जो उन जैसे सब लड़कों का नेता था।

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प्रश्न 13.
हेडमास्टर साहब का विद्यार्थियों के साथ कैसा व्यवहार था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का अपने विद्यार्थियों के साथ व्यवहार अत्यंत मृदुल था। वे पाँचवीं और आठवीं कक्षा को अंग्रेजी पढ़ाते थे। वे कभी भी किसी विद्यार्थी को डाँटते नहीं थे। जब कभी उन्हें गुस्सा आता, तो वे बहुत जल्दी-जल्दी अपनी आँखें झपकाते हुए उल्टी उँगलियों से एक हल्की-सी चपत लगा देते थे। यह चपत विद्यार्थियों को भाई भीखे की नमकीन पापड़ी जैसी मज़ेदार लगती थी।

सपनों के-से दिन Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘सपनों के-से दिन’ पाठ के लेखक ‘गुरदयाल सिंह’ हैं। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन किया है। बच्चों को स्कूल की पढ़ाई से अधिक साथियों के साथ खेलना अच्छा लगता है। स्कूल उन्हें जेल के समान प्रतीत होता है। लेखक बचपन में जिन बच्चों के साथ खेलता था, उन सभी की पारिवारिक स्थिति लगभग एक जैसी थी। प्राय: सभी बच्चे मैली कच्छी और टूटे बटनों वाला कुर्ता पहने हुए होते थे। खेलते हुए प्रायः घुटने, पैर और पिंडलियों पर चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर में किसी को तरस नहीं आता था।

चोट देखकर माँ, बहन या पिता के हाथ से जोरदार पिटाई होती थी। पिटाई होने के बावजूद बच्चे फिर अगले दिन खेलने के लिए तैयार हो जाते थे। लेखक और उसके साथियों में से अधिकतर बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। उन दिनों यदि बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था, तो माँ-बाप भी उनके साथ जबरदस्ती । नहीं करते थे। वे भी बच्चों को अपने साथ काम में लगा लेते थे।

थोड़ा-सा बड़े होने पर वे बच्चों को बहीखाते का हिसाब-किताब सिखा देना आवश्यक समझते थे। बचपन में बच्चों को सबकुछ अच्छा लगता था, केवल उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। लेखक को अपने स्कूल जाने का रास्ता याद था, जिसके दोनों ओर काँटेदार झाड़ियाँ थीं। उनके पत्तों की महक नीम जैसी थी, जिसे लेखक आज भी अपनी साँसों में अनुभव करता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे हुए थे, जिन्हें वे लोग चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे।

उन फूलों की खुशबू आज भी याद है। नई कक्षा में जाना अच्छा लगता था, परंतु साथ में डर भी लगता था कि मास्टरों से पहले से अधिक मार पड़ेगी। उन दिनों स्कूल में डेढ़ महीना पढ़ाई होने के बाद डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। छुट्टियों के शुरू के दो-तीन सप्ताह खेलने में बीत जाते थे। वे अपनी माँ के साथ नाना के घर जाकर छुट्टियों का भरपूर आनंद लेते थे। यदि किसी कारण नाना के घर नहीं जाते थे, तो घर के पास बने तालाब में सारा दिन खेलते थे।

तालाब में नहाकर गीले बदन ही पास में पड़ी रेत में खेलते और फिर से तालाब में कूद जाते। ऐसा वे एक बार नहीं, न जाने कितनी बार करते थे। उनमें कोई भी अच्छा तैराक नहीं था। यदि कोई बच्चा गहरे पानी में चला जाता था, तो दूसरे बच्चे उसे भैंस के सींग या पूँछ पकड़कर बाहर आने की सलाह देते थे। इसी तरह छुट्टियों का एक महीना बीत जाता था। एक महीना शेष रहने पर स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब के अध्यापक दो सौ सवाल करके लाने के लिए कहते थे। बच्चे अपने मन में हिसाब लगाते थे कि यदि दस सवाल भी प्रतिदिन किए जाएँ, तो बीस दिन में काम समाप्त हो जाएगा। इसलिए दस दिन और खेला जा सकता है।

दस की बजाय पंद्रह दिन खेल में निकल जाते थे। पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचकर एक-दो दिन और खेल में निकल जाते थे। ऐसे ही हिसाब लगाते लगाते छुट्टियाँ कम होती जाती थीं और स्कूल जाने का भय सताने लगता था। कुछ सहपाठियों को छुट्टियों में काम करने की अपेक्षा स्कूल में मास्टर के हाथ से मार खाना अधिक सस्ता सौदा लगता था। लेखक जो पिटाई से डरता था, वह भी उनकी संगत में रहकर उनकी तरह सोचने लगता था। उनका नेता ‘ओमा’ था। ‘ओमा’ की सभी बातें अलग ढंग की थीं।

लड़ाई में उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था। लेखक का स्कूल बहुत छोटा था। उसमें केवल नौ कमरे थे। दाईं ओर से पहला कमरा मुख्याध्यापक श्री मदनमोहन शर्मा का था। पीटी मास्टर प्रीतम चंद की पिटाई के डर से सभी बच्चे प्रार्थना में सीधे कतारों में खड़े रहते थे। यदि कोई बच्चा उसे पीटी मास्टर बुरी तरह पीटते थे। मास्टर प्रीतम चंद से विपरीत स्वभाव वाले हेडमास्टर शर्मा थे। वे कभी किसी बच्चे को नहीं मारते थे। वे पाँचवीं कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते थे। लेखक को अपना स्कूल कभी पसंद नहीं आया।

पहली कक्षा से लेकर चौथी कक्षा तक अधिकतर बच्चे स्कूल रोते हुए जाते थे। उन्हें स्कूल स्काउटिंग का अभ्यास करते समय अच्छा लगता था। पीटी मास्टर अभ्यास करवाते समय नीली-पीली झंडियाँ बच्चों के हाथों में दे देते थे। अभ्यास के समय वे खाकी वर्दी के साथ गले में दो रंगा रूमाल पहनते थे। जब कभी अभ्यास करते हुए पीटी मास्टर के मुँह से ‘शाबाश’ का शब्द सुनने को मिल जाता, तो उस समय ऐसा लगता जैसे फौज में मिलने वाले सभी तमगे उन्हें मिल गए हों।

लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए हेडमास्टर शर्मा एक अमीर परिवार के लड़के की किताबें लाकर उसे दे देते थे। अपने स्कूल के हेडमास्टर के कारण ही लेखक अपनी शुरू की पढ़ाई पूरी कर सका। लेखक अपने परिवार का पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। लेखक को नई कक्षा में जाने पर कभी कोई खुशी अनुभव नहीं होती थी। उसे किताबों और कॉपियों में से अजीब-सी गंध आती थी, जिससे उसका मन उदास हो जाता था। इसका कारण उसे आज भी समझ में नहीं आता।

इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते थे; जैसे-आगे की पढ़ाई का कठिन होना या नए मास्टरों से मार का भय। यह भय मन के अंदर गहरी जड़ें जमा चुका था। इसलिए लेखक को नई कक्षा में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे स्कूल उस समय अच्छा लगता था, जब मास्टर प्रीतम चंद उनसे परेड करवाते थे। फ़ौजी वर्दी पहनकर वे स्वयं को महत्वपूर्ण व्यक्ति समझने लगते थे। दूसरे विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने 1923 में नाभा रियासत के राजा को तमिलनाडु के कोडाएकेनाल में गिरफ्तार कर लिया था। उनका बेटा बाहर पढ़ता था, इसलिए रियासत में अंग्रेज़ी शासन की चलती थी।

उस समय अंग्रेजी फौज़ में भर्ती करने के लिए कुछ अफसर नौटंकी वालों को अपने साथ लेकर गाँव-गाँव जाते थे वे ग्रामीण लोगों को नौटंकी वालों के माध्यम से फौज़ में भर्ती होने के लाभ दिखाते थे, जिससे लालच में आकर अनेक लोग फौज़ में भर्ती हो जाते थे। लेखक को भी स्काउटिंग की परेड में जब धुली वर्दी और पॉलिश किए बूट मिलते थे, तो वह स्वयं को फौजी से कम नहीं समझता था। बच्चों ने कभी मास्टर प्रीतम चंद को हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। उनका व्यक्तित्व और फौज़ी पहनावा बच्चों को भयभीत करने वाला था। बच्चे उनसे डरते ही नहीं थे अपितु नफ़रत भी करते थे। मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने सभी बच्चों को शब्द-रूप याद करने के लिए कहा।

अगले दिन उन्होंने सब बच्चों से शब्द-रूप सुने, परंतु किसी भी बच्चे को पूरी तरह शब्द-रूप याद नहीं थे। मास्टर जी ने सभी बच्चों को टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने और पीठ ऊँची करने के लिए कहा। कमजोर बच्चे सहन नहीं कर सके; तीन चार मिनट बाद वे गिरने लगे थे। जब लेखक की बारी आई, उसी समय हेडमास्टर शर्मा जी उधर से निकले। उन्होंने पीटी सर को बच्चों से इतना बुरा व्यवहार करते देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने उन्हें बहुत डाँटा और उनकी शिकायत डायरेक्टर को लिखकर भेज दी।

जब तक ऊपर से आदेश नहीं आ जाते थे, तब तक पीटी सर स्कूल में नहीं आ सकते थे। लेकिन बच्चों के मन में फ़ारसी की घंटी बजते ही दहशत बैठ जाती थी। वह उस समय दूर होती थी, जब कक्षा में शर्मा जी या नौहरिया सर फ़ारसी पढ़ाने नहीं आ जाते थे। पीटी मास्टर कई दिनों तक स्कूल नहीं आए। वे बाजार में एक दुकान के ऊपर बने किराए के चौबारे में रहते थे। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। उन्हें नौकरी से निकाले जाने की कोई चिंता नहीं थी। वे अपने तोतों को बादाम खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करने में अपना दिन व्यतीत करते थे। बच्चों को यह एक चमत्कार लगता था कि जो मास्टर स्कूल में बच्चों को बुरी तरह मारता था, वह अपने तोतों के साथ कैसे मीठी बातें कर लेता था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

कठिन शब्दों के अर्थ :

लहू – खून, गुस्सैल – गुस्से वाले, ट्रेनिंग – प्रशिक्षण, लंडे – हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी लिपि, बहियाँ – खाता, जिसमें हिसाब-किताब लिखा जाता है, – अनुभव, खेडण – खेलने के, सुगंध – खुशबू, बास – महक, फ़र्क – अंतर, चपड़ासी – चपरासी, ननिहाल – नाना का घर, दुम – पूँछ, दाढ़स – धीरज, गंदला – गंदा, कतार – पंक्ति, खाल खींचना – बुरी तरह मारना,

चपत – थप्पड़, तमगा – मेडल, डिसिप्लिन – अनुशासन, सतिगुर – सतगुरु, परमात्मा, धनाढ्य – अमीर, हरफनमौला – पारंगत, विद्वान, हर शिक्षा में निपुण, लेफ्ट-राइट – बायाँ-दायाँ, विह्सल – सीटी, टर्न – मुड़ना, रियासत – राज्य, जंग – लड़ाई, देहांत – स्वर्गवास, जबरन – ज़बरदस्ती, बलपूर्वक, अठे – यहाँ, उठै – वहाँ, लीतर – टूटे हुए पुराने जूते, बर्बरता – हैवानियत, बहुत बुरा व्यवहार, मुअत्तल – निलंबित, महकमाए तालीम – शिक्षा विभाग, मंजूरी – अनुमति बहाल करना – फिर से नौकरी पर रखना