JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.3

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = \(\frac {22}{7}\) लीजिए ।

प्रश्न 1.
त्रिज्या 4.2 सेमी वाले धातु के एक गोले को पिघलाकर त्रिज्या 6 सेमी वाले एक बेलन के रूप में ढाला जाता है। बेलन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
गोले की त्रिज्या (r) = 4.2 सेमी
बेलन की त्रिज्या (R) = 6 सेमी
माना कि बेलन की ऊँचाई = H सेमी
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ढालने पर गोले का आयतन और0 बेलन का आयतन बराबर होगा।
गोले का आयतन = बेलन का आयतन
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अत: बेलन की ऊँचाई = 2.74 सेमी

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प्रश्न 2.
क्रमशः 6 सेमी, 8 सेमी और 10 सेमी त्रिज्याओं वाले धातु के तीन ठोस गोलों को पिघलाकर एक बड़ा ठोस गोला बनाया जाता है। इस गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
पहले गोले की त्रिज्या (r1) = 6 सेमी
दूसरे गोले की त्रिज्या (r2) = 8 सेमी
तीसरे गोले की त्रिज्या (r3) = 10 सेमी
माना कि नए बने गोले की त्रिज्या R सेमी है।
∵ तीनों गोलों को पिघलाकर एक बड़ा गोला बनाया जाता है।
∴ बड़े गोले का आयतन = तीनों गोलों के आयतनों का योग
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अतः बड़े गोले की त्रिज्या = 12 सेमी

प्रश्न 3.
7 मीटर व्यास वाला तथा 20 मीटर गहरा एक कुआँ खोदा जाता है और खोदने से निकली हुई मिट्टी को समान रूप से फैलाकर 22 मीटर x 14 मीटर वाला एक चबूतरा बनाया गया है। इस चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, कुएँ का व्यास = 7 मीटर
कुएँ की त्रिज्या (r) = \(\frac {7}{2}\) मीटर
और कुएँ की गहराई (h) = 20 मीटर
कुएँ से निकाली मिट्टी का आयतन = πr²h
= \(\frac{22}{7} \times \frac{7}{2} \times \frac{7}{2}\) × 20
= 770 घन मीटर
चबूतरे की लम्बाई (L) = 22मी
तथा चौड़ाई (B) = 14 मी
माना चबूतरे की ऊँचाई H मीटर है।
चबूतरे का आयतन = L × B × H घन मीटर
= 22 × 14 × H घन मीटर
प्रश्नानुसार,
चबूतरे का आयतन = कुएँ से निकाली गई मिट्टी का आयतन
22 × 14 × H = 770
∴ H = \(\frac{770}{22 \times 14}\) = 2.5 मीटर
अतः चबूतरे की ऊँचाई = 2.5 मीटर

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प्रश्न 4.
3 मीटर व्यास का एक कुआँ 14 मीटर की गहराई तक खोदा जाता है। इससे निकली हुई मिट्टी को कुएँ के चारों ओर 4 मीटर चौड़ी एक वृत्ताकार वलय (ring) बनाते हुए, समान रूप से फैलाकर एक प्रकार का बाँध बनाया जाता है। इस बाँध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
∵ कुएँ का व्यास = 3 मीटर
तथा गहराई (h) = 14 मीटर
∴ कुएँ से निकली मिट्टी का आयतन = πr²h
कुएँ की त्रिज्या (r) = \(\frac{22}{7} \times \frac{3}{2} \times \frac{3}{2}\) × 14
= \(\frac{22 \times 3 \times 3}{2}\) = 99 घन मीटर
∵ कुएँ की त्रिज्या = \(\frac {3}{2}\) मीटर है और कुएँ के चारों ओर 4 मीटर चौड़ा वृत्ताकार वलय बनाया गया है।
∴ कुएँ की बाहरी त्रिज्या (r1) = \(\frac {3}{2}\) + 4 = \(\frac {11}{2}\) मीटर
तथा भीतरी त्रिज्या (r2) = \(\frac {3}{2}\) मीटर
∴ वृत्ताकार वलय का क्षेत्रफल = πr12 – πr22
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माना बाँध की ऊँचाई h मीटर है।
तब बाँध की मिट्टी का आयतन = 88 × h घन मीटर
अब बाँध की मिट्टी का आयतन = कुएँ से निकाली गई मिट्टी का आयतन
88 × h = 99
∴ h = \(\frac{99}{88}=\frac{9}{8}\)
= 1.125 मीटर
अतः बाँध की ऊँचाई = 1.125 मीटर

प्रश्न 5.
व्यास 12 सेमी और ऊँचाई 15 सेमी वाले एक लम्बवृत्तीय बेलन के आकार का बर्तन आइसक्रीम से पूरा भरा हुआ है। इस आइसक्रीम को ऊँचाई 12 सेमी और व्यास 6 सेमी वाले शंकुओं में भरा जाना है, जिनका ऊपरी सिरा अर्द्धगोलाकार होगा। उन शंकुओं की संख्या ज्ञात कीजिए जो इस आइसक्रीम से भरे जा सकते हैं।
हल :
दिया है,
बेलनाकार बर्तन का व्यास = 12 सेमी
∴ बेलनाकार बर्तन की त्रिज्या (r1) = 6 सेमी
तथा बेलनाकार बर्तन की ऊँचाई (h1) = 15 सेमी
∴ बेलनाकार बर्तन का आयतन = πr12h1
= π × (6)² × 15
= 540π घन सेमी
∴ आइसक्रीम का कुल आयतन = 540π घन सेमी
शंकु की त्रिज्या (r2) = \(\frac {6}{2}\) = 3 सेमी
तथा ऊँचाई (h2) = 12 सेमी
∴ शंकु का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr22h2 = \(\frac {1}{3}\)π × (3)² × 12
= 36π घन सेमी
शंकु के मुँह पर अर्द्धगोलाकार आइसक्रीम का आयतन
= \(\frac {2}{3}\)πr23
= \(\frac {2}{3}\)π × (3)3 = 18π घन सेमी
∴ आइसक्रीम से भरे शंकु का आयतन = 36π + 18π = 54π घन सेमी
∴ शंकुओं की संख्या
= आइसक्रीम का कुल आयतन / 1 शंकु में भरी आइसक्रीम का आयतन
= \(\frac {540π}{54π}\) = 10
अतः आइसक्रीम द्वारा भरे जाने वाले शंकुओं की संख्या = 10

प्रश्न 6.
विमाओं 5.5 सेमी × 10 सेमी × 3.5 सेमी वाला एक घनाभ बनाने के लिए 1.75 सेमी व्यास और 2 मिमी मोटाई वाले कितने चाँदी के सिक्कों को पिघलाना पड़ेगा ?
हल :
माना चाँदी के n सिक्के पिघलाने पड़ेंगे।
प्रत्येक सिक्के की त्रिज्या r = \(\frac {1.75}{2}\)सेमी
= \(\frac {175}{200}\)
= \(\frac {7}{8}\) सेमी
और प्रत्येक सिक्के की ऊँचाई h = 2 मिमी
= \(\frac {2}{10}\) सेमी = \(\frac {1}{5}\)
∴ प्रत्येक सिक्के का आयतन = πr²h
= \(\frac{22}{7} \times \frac{7}{8} \times \frac{7}{8} \times \frac{1}{5}\)
= \(\frac {77}{160}\) घन सेमी
∴ n सिक्कों का आयतन = \(\frac {77}{160}\)n घन सेमी
घनाभ का आयतन = 5.5 × 10 × 3.5
= 192.5 घन सेमी
∵ चाँदी के n सिक्कों को घनाभ बनाया गया
∴ n सिक्कों का आयतन = घनाभ का आयतन
⇒ \(\frac {77}{160}\)n = 192.5
⇒ n = \(\frac{192.5 \times 160}{77}\) = 400
अत: चाँदी के सिक्कों की संख्या = 400

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प्रश्न 7.
32 सेमी ऊँची और आधार त्रिज्या 18 सेमी वाली एक बेलनाकार बाल्टी रेत से भरी हुई है। इस बाल्टी को भूमि पर खाली किया जाता है और इस रेत की एक शंक्वाकार ढेरी बनाई जाती है। यदि शंक्वाकार ढेरी की ऊँचाई 24 सेमी है, तो इस ढेरी की त्रिज्या और तिर्यक ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
बेलनाकार बाल्टी की त्रिज्या (R) = 18 सेमी
बेलनाकार बाल्टी की ऊँचाई (H) = 32 सेमी
शंकु की ऊँचाई (h) = 24 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3 - 5
माना कि शंकु की त्रिज्या r सेमी तथा तिर्यक ऊँचाई l सेमी है।
बाल्टी में रेत का आयतन = शंक्वाकार ढेरी का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3 - 6
अतः ढेरी की तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{r^2+h^2}\)
= \(\sqrt{(36)^2+(24)^2}\)
= \(\sqrt{1296+576}\)
= \(\sqrt{1872}\)
= \(\sqrt{9 \times 4 \times 4 \times 13}\)
= 3 × 2 × 2 × \(\sqrt{13}\)
= 12\(\sqrt{13}\)
या l = 143.27 सेमी
अतः ढेरी की त्रिज्या = 36 सेमी
तथा तिर्यक ऊँचाई = 12\(\sqrt{13}\) अथवा 43.27 सेमी।

प्रश्न 8.
6 मीटर चौड़ी और 1.5 मीटर गहरी एक नहर में पानी 10 किमी / घण्टा की चाल से बह रहा है। 30 मिनट में, यह नहर कितने क्षेत्रफल की सिंचाई कर पाएगी, जबकि सिंचाई के लिए 8 सेमी गहरे पानी की आवश्यकता होती है?
हल :
दिया है,
नहर की चौड़ाई = 6 मीटर
नहर में पानी की गहराई = 1.5 मीटर
नहर में पानी की चाल = 10 किमी/ घण्टा
= \(\frac{10 \times 1000}{60}\) मीटर / मिनट
= \(\frac {500}{3}\)मीटर/मिनट
1 मिनट में नहर में बहे पानी की लम्बाई = \(\frac {500}{3}\)मी.
नहर घनाभ के आयतन के बराबर पानी प्रति मिनट में स्थानान्तरित करेगी।
∵ 1 मिनट में स्थानान्तरित पानी का आयतन
= 6 × 1.5 × \(\frac {500}{3}\)मी3
∴ 30 मिनट में स्थानान्तरित पानी का आयतन
= 30 × 6 × 1.5 × \(\frac {500}{3}\)
= 45000 घन मीटर
सिंचाई के लिए 8 सेमी या \(\frac {8}{100}\) मीटर गहरे पानी की आवश्यकता है।
∴ 30 मिनट में स्थानान्तरित पानी का आयतन = खेत में पानी का आयतन
45000 घन मीटर = खेत का क्षेत्रफल × पानी का ऊँचाई
या 45000 = खेत का क्षेत्रफल × \(\frac {8}{100}\)
∴ खेत का क्षेत्रफल = \(\frac{45000 \times 100}{8}\)
= 562500 मीटर²
= \(\frac {562500}{10000}\)हेक्टेअर
= 56.25 हेक्टेअर
अत: नहर द्वारा 30 मिनट में सिंचित क्षेत्र का क्षेत्रफल = 56.25 हेक्टेअर ।

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प्रश्न 9.
एक किसान अपने खेत में बनी 10 मीटर व्यास वाली और 2 मीटर गहरी एक बेलनाकार टंकी को, आन्तरिक व्यास 20 सेमी वाले एक पाइप द्वारा नहर से जोड़ता है। यदि पाइप में पानी 3 किमी प्रति घण्टा की चाल से बह रहा है तो कितने समय बाद टंकी पूरी भर जाएगी ?
हल :
दिया है,
टंकी का व्यास = 10 मीटर
∴ त्रिज्या r = 5 मीटर
और टंकी की गहराई h = 2 मीटर
∴ बेलनाकार टंकी का आयतन = πr²h
= π × (5)² × 2
= 50π घन मीटर
पाइप का व्यास = 20 सेमी
त्रिज्या = \(\frac {20}{2}\) = 10 सेमी
= \(\frac{10}{100}=\frac{1}{10}\) मीटर
पाइप में पानी की चाल 3 किमी / घण्टा
= \(\frac{3 \times 1000}{60}\) मीटर/मिनट
= 50 मीटर / मिनट
1 मिनट में बहे पानी की लम्बाई = 50 मी
पाइप, बेलन के आयतन के बराबर पानी प्रति मिनट में स्थानान्तरित करेगा।
यदि टंकी को भरने में n मिनट का समय लगता है, तो n मिनट में स्थानान्तरित पानी का आयतन = बेलनाकार टंकी का आयतन
⇒ n × π × (\(\frac {1}{10}\))² × 50 = 50π
⇒ n = \(\frac{50 \pi \times 100}{50 \pi \times 1}\)
⇒ n = 100 मिनट
अतः टंकी 100 मिनट में पूरी भर जाएगी।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Exercise Questions and Answers.

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Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-246-248)

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25
उत्तर:
(d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I²R
(b) IR²
(c) VI
(d) V² / R
उत्तर:
(b) IR²

प्रश्न 3.
किसी विद्युत बल्ब का अनुमतांक 220 V; 100 W है जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपयुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100W
(b) 75 W
(c) 50W
(d) 25 W
उत्तर:
(d) 25 W

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1
उत्तर:
(d) 4 : 1

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प्रश्न 5.
किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
परिपथ में वोल्टमीटर को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है?

प्रश्न 6.
किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 x 10-8Ωm है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दो गुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा।
उत्तर:
व्यास = 0.5mm
r = \(\frac{0.5 \mathrm{~mm}}{2}=\frac{0.5 \times 10^{-3}}{2} \mathrm{~m}\)
ρ = 1.6 x 10-8Ωm
R = 10Ω
हम जानते हैं :
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 1
अतः तार की लम्बाई = 122.7 m
यदि व्यास दो गुना हो जाता है तो प्रतिरोध आधा रह जाता है।

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं के संगत मान आगे दिए गए हैं-

I. (ऐम्पियर) 0.5 1.0 2.0  3.0 4.0
V (वोल्ट)  1.6 3.4 6.7  10.2 13.2

V तथा I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है :
V = 12V
I = 2.5mA = 2.5 x 10-3 A
हम जानते हैं, R = \(\frac { V }{ I }\) (ओम के नियम से)
R = \(\frac{12}{2.5 \times 10^{-3}}\)Ω
= \(\frac{12 \times 10^3}{2.5}\)Ω
R = 4.8 x 103Ω
अतः अज्ञात प्रतिरोधक का प्रतिरोध = 4.8 x 10-3Ω

प्रश्न 9.
9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में कुल प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12Ω
R = 13.4Ω
ओम के नियम से,
I = \(\frac { V }{ I }\)
= \(\frac{9 \mathrm{~V}}{13.4 \Omega}=\frac{90}{134}\)A = 0.67 A
अतः विद्युत धारा = 0.67 A

प्रश्न 10.
176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्रोत के संयोजन से 5A विद्युत धारा प्रवाहित हो?
उत्तर:
माना प्रतिरोधकों की संख्या = 7
अतः \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{176}+\frac{1}{176}\) … + n
R = \(\frac {176} {n} \)
अब I = \(\frac {V} {R} \)
5 = \(\frac {220} {176} \) या n = \(\frac {5×176} {220} \)
= \(\frac {880} {220} \) = 4
अतः प्रतिरोधकों की संख्या = 4

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध – (i) 9Ω, (ii) 4Ω हो?
उत्तर:
(i) 9Ω प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए दो प्रतिरोधकों को पार्श्व क्रम में तथा एक प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 3

(ii) 4Ω प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए पहले दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ें जिनका तुल्य प्रतिरोध = 6 + 6 = 12Ω फिर इसे तीसरे प्रतिरोध के साथ पार्श्वक्रम जोड़ना चाहिए।
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प्रश्न 12.
220V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10W है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध = R
I = \(\frac { V }{ R }\)
V = 220V
I = 5A
P = 10W
हम जानते हैं, R = \(\frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{P}}=\frac{(220)^2}{10}\)
R = \(\frac{220 \times 220}{10}\) = 4840Ω
माना ऐसे n बल्ब जोड़े गए हैं।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 4a
अतः बल्बों की संख्या = 110

प्रश्न 13.
किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कंडलियों A तथा B की बनी है जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 2452 है तथा इन्हें पृथक-पृथक श्रेणीक्रम अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?
उत्तर:
दो प्लेटों का प्रतिरोध = 24 Ω प्रत्येक
V = 220 V
R = 24 + 24 = 48 Ω
ओम के नियम से
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {48} \) = 4.6 A लगभग
अतः श्रेणीक्रम में धारा का मान = 4.6 A
अब जब ये पार्श्वक्रम में जोड़े जाते हैं,
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {1} {24} \) + \(\frac {1} {24} \)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {2} {24} \)
R = \(\frac {24} {2} \) = 12 Ω
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {12Ω} \) = 18.33 लगभग
तीसरी बार जब केवल एक प्रतिरोधक जोड़ा जाता है
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {24} \) = 9.16 A
अतः धारा का मान = 9.16 A

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए:
(i) 6V की बैटरी से संयोजित 1Ω तथा 2Ω श्रेणीक्रम संयोजन।
(ii) 4V बैटरी से संयोजित 1252 तथा 252 का पार्श्वक्रम संयोजन।
उत्तर:
(i) जब 1Ω व 2Ω के प्रतिरोधक 6V की बैटरी के साथ जोड़े जाते हैं:
R = R1 + R2 = 1 + 2 = 3 Ω
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {6} {3} \) = 2A
अतः धारा का मान 2A
P1 = VI = 6 × 2 = 12 Ω

(ii) जब 12Ω व 2Ω के प्रतिरोधक 4V की बैटरी के साथ पार्श्वक्रम में जोड़े जाते हैं,
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प्रश्न 15.
दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 तथा दूसरे का 60 W 220 V हैं, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती है?
उत्तर:
माना पहले लैम्प के लिए प्रतिरोध = R1
तथा दूसरे लैम्प के लिए प्रतिरोध = R2
P1 = 100W, P2 = 60W, V = 220 V
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प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है: 250 W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया ता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
उत्तर:
टी.वी. सेट के लिए,
P = 250W
t = 1 घं. = 3600 s
E1 = P × t
=250 W x 3600 s
= 900000 J
= 9 × 105 J
हीटर के लिए,
P = 120W
t = 10 मिनट = 600s
E2 = P x t
= 120 × 600
= 72000 J
= 72 x 105 J
हम देखते हैं कि E1 > E2
अतः टी. वी. सेट अधिक ऊर्जा उपभोग करेगा।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 17.
8Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मा की दर विद्युत शक्ति
P = \(\frac {E} {t} \)
= \(\frac{\mathrm{I}^2 \mathrm{R} t}{t}\) = I²R = (15)² x 8
= 225 x 8 = 1800 W
अतः ऊष्मा की दर = 1800 J/s

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-
(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाये जाते हैं?
(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(a) टंगस्टन का गलनांक तथा प्रतिरोध बहुत अतः यह विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है। अधिक प्रतिरोध के कारण इसमें अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा का उत्पादन होता है जिसके कारण तंतु चमकने लगते हैं और प्रकाशित हो जाते हैं।

(b) मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता तथा गलनांक शुद्ध धातुओं से अधिक होते हैं इसी कारण ये अधिक मात्रा में ऊष्मा का उत्पादन करती हैं और ये विद्युत तापन युक्तियों जैसे टोस्टर व इस्तरी में उपयोग की जाती हैं।

(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि श्रेणीक्रम में प्रतिरोध बहुत अधिक (R1 + R2 + R3 + ……….) हो जाता है। अधिक प्रतिरोध के कारण परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा की मात्रा बहुत कम हो जाती पार्श्वक्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध का मान बहुत कम हो जाता है जिसके कारण धारा का मान बहुत बढ़ जाता है। अतः घरेलू परिपथों में पार्श्वक्रम का उपयोग किया जाता है।

(d) किसी तार का प्रतिरोध कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से एक है अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल / तार का प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ \(\frac {1} {A} \)

(e) सिल्वर, कॉपर व ऐलुमीनियम विद्युत के सर्वश्रेष्ठ चालक होते हैं। अतः कॉपर व ऐलुमीनियम का उपयोग विद्युत संचारण में किया जाता है।

Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 222)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विद्युत स्रोत के विभिन्न घटकों से होकर विद्युत धारा के बहने के पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। इसके प्रमुख घटक हैं-

  • विद्युत स्रोत (बैटरी या सेल)
  • चालक
  • प्रतिरोध
  • स्विच (कुंजी) तथा
  • दूसरे अनेक उपकरण जो इससे जुड़े होते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है और इसे ‘A’ अक्षर से दर्शाते हैं जब किसी चालक में 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत धारा की मात्रा को 1 ऐम्पियर कहते हैं।
1A = \(\frac {1C} {1 s} \)

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19 C
माना 1 कूलॉम की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n तो n x 1.6 x 10-19 C = 1C
n = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}=\frac{10^{19}}{1.6}\)
= \(\frac {10} {16} \) x 1019
= 6.25 x 1018
अत: 1 कूलॉम = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 224)

प्रश्न 1.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है?
उत्तर:
सेल विभवांतर बनाए रखने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर:
इसका अर्थ यह है कि किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश ले जाने में 1 जूल कार्य होता है।

प्रश्न 3.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर:
V = 6 वोल्ट
Q = 1 कूलॉम
हम जानते हैं कि
W = VQ = 6 V x 1C = 6 जूल

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 232)

प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-
(i) तार की लम्बाई- किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती है।
R ∝ L

(ii) चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल – किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ \(\frac {1} {A} \)

(iii) किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों ?
उत्तर:
मोटे तार में विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होती है क्योंकि हम जानते हैं कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः मोटे तार का प्रतिरोध कम होगा और यह आसानी से विद्युत धारा प्रवाहित होने देगा।

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प्रश्न 3.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
यहाँ पर V2 = \(\frac {V} {2} \)
R2 = R
I2 = ?
हम जानते हैं कि
I = \(\frac {V} {R} \)
⇒ \(\frac{\mathrm{I}_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}_2 \mathrm{R}}{\mathrm{VR}_2}\)
⇒ \(\frac{\mathrm{I}_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V} / 2 . \mathrm{R}}{\mathrm{V} \cdot \mathrm{R}}\)
⇒ \(\frac{I_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}}{2 \mathrm{~V}}\)
⇒ I2 = I/2
अतः विद्युत धारा भी आधी रह जाएगी।

प्रश्न 4.
विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:
व्यापक रूप में मिश्रातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। मिश्रातुओं का उच्च ताप पर शीघ्र ही उपचयन (दहन ) नहीं होता। कारण है कि मिश्रातुओं का उपयोग विद्युत इस्तरी, टोस्टर आदि सामान्य वैद्युत तापन युक्तियों के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए-
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
तालिका : 20°C पर कुछ पदार्थों की वैद्युत चालकता
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि अच्छे चालकों की प्रतिरोधकता कम होती है।
अत: आयरन (Fe), मर्करी (Hg ) से एक अच्छा चालक है।

(b) तालिका के आधार पर सिल्वर (Ag) एक सर्वश्रेष्ठ चालक है, क्योंकि तालिका में सबसे ऊपर स्थित है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 237)

प्रश्न 1.
किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर:
श्रेणी क्रम में संयोजन के लिए व्यवस्था आरेख –
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 8

प्रश्न 2.
प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर:
यहाँ ऐमीटर को श्रेणीक्रम तथा वोल्टमीटर को 12Ω के प्रतिरोध के पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है।
बैटरी का कुल विभवांतर V = 3 x 2 = 6V
बैटरी प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 8a
ऐमीटर का पाठ्यांक = परिपथ में प्रवाहित धारा (I)
= \(\frac {V} {R} \)
= \(\frac {6} {25} \)
= 0.24 A
वोल्टमीटर का पाठ्यांक = 12Ω वाले प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर
= I × R3 = 0.24 x 12
= 2.88V

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 240)

प्रश्न 1.
जब (a) 1Ω तथा 106 Ω (b) 1Ω, 10³ Ω तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के सम्बन्ध में आप क्या निर्णय करेंगे?
उत्तर:
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प्रश्न 2.
100 Ω का एक विद्युत लैम्प, 50 Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फिल्टर 220 v के विद्युत स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित है। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती हैं?
उत्तर:
विद्युत इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध उतना ही होगा जितना 100 Ω, 50 Ω तथा 500 Ω का पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध है।
यदि तुल्य प्रतिरोध R है तो
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{5+10+1}{500}=\frac{16}{500}\)
R = \(\frac {500} {16} \) = 31.25 Ω
अतः विद्युत इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध = 31.25 Ω
धारा I = \(\frac{V}{R}=\frac{220}{\frac{500}{16}}=\frac{220 \times 16}{500}\)
\(\frac {352} {50} \) = 7.04 A
अतः धारा I = 7.04 A

प्रश्न 3.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर विद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध श्रेणीक्रम अपेक्षा बहुत कम होता है। अतः समान विभवांतर के स्रोत से पार्श्वक्रम में अधिक विद्युत धारा प्राप्त की जा सकती है। अत: कम प्रतिरोध के कारण ऊर्जा का क्षय भी पार्श्वक्रम में कम है। अतः श्रेणीक्रम के स्थान पर युक्तियों को पार्श्वक्रम में जोड़ने पर कई लाभ होते हैं।

प्रश्न 4.
2Ω, 3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4Ω (b) 1Ω हो?
उत्तर:
(a) 4Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए 3Ω व 6Ω प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम तथा 2Ω के प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
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(b) 1Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को पार्श्वक्रम में जोड़ना चाहिए-
\(\frac1R=\frac12+\frac13+\frac16\)
\(\frac{3+2+1}{6}=\frac{6}{6}\)
R = 1 Ω

प्रश्न 5.
4 Ω, 8 Ω, 12 Ω, तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके?
उत्तर:
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों को श्रेणी क्रम में जोड़ना चाहिए-
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
R = 48 Ω अधिकतम

(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों को पार्श्वक्रम में जोड़ना चाहिए-
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}+\frac{1}{R_4}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{12}+\frac{1}{24}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{6+3+2+1}{24}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {12} {24} \)
R = \(\frac {24} {12} \) = 2 Ω निम्नतम

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 242)

प्रश्न 1.
किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि सूत्र H = I²Rt से H ∝ R तापन अवयव का प्रतिरोध हीटर की डोरी से काफी अधिक होता है। अतः इसमें अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती है जिससे यह उत्तप्त हो जाता है डोरी नहीं।

प्रश्न 2.
एक घंटे में 50 V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है
समय t = 1 घण्टा 3600 से
V = 50 V, Q = 96000
हम जानते हैं W = H = VQ
= 50 x 96000
= 4800000 जूल
= 4.8 x 106 J

प्रश्न 3.
20Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5A विद्युत धारा लेती है। 30s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
यहाँ R = 20Ω
विद्युत धारा,
I = 5A
t = 30 s
हम जानते हैं कि H = I²Rt
= 5 x 5 x 20 x 30
= 15000 J

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 245)

प्रश्न 1.
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर विद्युत धारा तथा विभवांतर के गुणन के बराबर होती है। इसे विद्युत शक्ति भी कहते हैं।
P = VI
या P = I²R
या P = V² / R

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प्रश्न 2.
कोई विद्युत मोटर 220V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
V = 220V
I = 5.0 A
P = VI
P = 220 x 5.0
P = 1100 वाट (मोटर की शक्ति)
उपभुक्त ऊर्जा शक्ति x समय
= 1100 वाट x 2 x 3600 s
= 1100 x 7200
= 7920000 जूल (J)
= 7.92 x 10³ kaJ
अतः मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा
= 7.29 x 10³ kJ

क्रिया-कलाप-12.1
(i) चित्र में दिखाए अनुसार एक परिपथ तैयार कीजिए। इस परिपथ में लगभग 0.5 m लंबा निक्रोम का तार XY, एक ऐमीटर, एक वोल्टमीटर तथा चार सेल जिनमें प्रत्येक 1.5 V का हो, जोड़िए (निक्रोम निकिल, क्रोमियम, मैंगनीज तथा आयरन की एक मिश्रधातु है)।

(ii) सबसे पहले परिपथ में विद्युत धारा के स्रोत के रूप में केवल एक सेल का उपयोग कीजिए। परिपथ में निक्रोम-तार XY से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के लिए ऐमीटर का पाठ्यांक I, तार के सिरों के बीच विभवांतर के लिए वोल्टमीटर का पाठ्यांक V लीजिए। इन्हें सारणी में लिखिए।

(iii) इसके पश्चात् परिपथ में दो सेल जोड़िए और निक्रोम तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा तथा इसके
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 10a
सिरों के बीच विभवांतर का मान ज्ञात करने के लिए ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्यांक नोट कीजिए।

(iv) उपरोक्त चरणों को, पहले तीन सेल और फिर चार सेलों को परिपथ में पृथक-पृथक लगाकर दोहराइए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विभवान्तर V तथा विद्युत धारा I के प्रत्येक युगल के लिए अनुपात V / I परिकलित कीजिए।
उत्तर:

क्रम संख्या परिपथ में जुड़े सेलों की संख्या निक्रोम-तार से प्रवाहित विद्युत धारा I (A) निक्रोम-तार के सिरों पर विभवांतर V(V) V/I (वोल्ट/ऐम्पियर
1. 1 0.2 0.4 2 Ω
2. 2 0.4 0.8 2 Ω
3. 3 0.6 1.2 2 Ω
4. 4 0.8 1.6 2 Ω

प्रश्न 2.
V तथा I के बीच ग्राफ खींचिए तथा इस ग्राफ की प्रकृति का प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर:
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इस क्रियाकलाप में प्रत्येक प्रकरण: में V / I का लगभग एक ही मान प्राप्त होता है। इस प्रकार V-I ग्राफ चित्र में दिखाए अनुसार मूल बिन्दु से गुजरने वाली एक सरल रेखा होती है। इस प्रकार, V/I एक नियत अनुपात है।

क्रिया-कलाप- 12.2
(i) एक निक्रोम तार, एक टॉर्च बल्ब, एक 10 W का बल्ब तथा एक ऐमीटर (0-5 A परिसर), एक प्लग कुंजी तथा कुछ संयोजी तार लीजिए।

(ii) चार शुष्क सेलों (प्रत्येक 1.5 V का) को श्रेणीक्रम में ऐमीटर से संयोजित करके चित्र में दिखाए अनुसार परिपथ में एक अंतराल XY छोड़कर एक परिपथ बनाइए।

(iii) अंतराल XY में निक्रोम तार को जोड़कर परिपथ को पूरा कीजिए। कुंजी लगाइए। ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। प्लग से कुंजी बाहर निकालिए (ध्यान दीजिए : परिपथ की धारा मापने के पश्चात् सदैव ही प्लग से कुंजी बाहर निकालिए)।

(iv) निक्रोम तार के स्थान पर अंतराल XY में टार्च बल्ब को परिपथ में जोड़िए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक लेकर बल्ब से प्रवाहित विद्युत धारा मापिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 12
(v) अंतराल XY में विभिन्न अवयवों को जोड़ने पर ऐमीटर के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न हैं।

(vi) आप अंतराल XY में किसी भी पदार्थ का अवयव जोड़कर इस क्रियाकलाप को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक स्थिति में ऐमीटर के पाठ्यांक का प्रेक्षण कीजिए। इन प्रेक्षणों का विश्लेषण कीजिए।

प्रेक्षण-क्रियाकलाप के अनुसार परिपथ तैयार करने पर हम जब XY अंतराल में निक्रोम, बल्ब तथा अन्य बहुत से दूसरे पदार्थों के अवयव लगाकर ऐमीटर का पाठ्यांक लेते हैं। हम देखते हैं कि अलग-अलग पदार्थों के अवयव अंतराल में लगाने पर ऐमीटर का पाठ्यांक भिन्न-भिन्न है। इसका अर्थ है कि अलग-अलग पदार्थों की चालकता तथा प्रतिरोध भिन्न होते हैं।

क्रिया-कलाप-12.3
(i) एक सेल, एक ऐमीटर, l लंबाई का एक निक्रोम तार (जैसे (1) द्वारा चिन्हित) तथा एक प्लग कुंजी चित्र में दिखाए अनुसार जोड़कर एक विद्युत परिपथ पूरा कीजिए।
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(ii) अब प्लग में कुंजी लगाइए। ऐमीटर में विद्युत धारा नोट कीजिए।

(iii) इस निक्रोम तार को अन्य निक्रोम तार से प्रतिस्थापित कीजिए, जिसकी मोटाई समान परंतु लंबाई दोगुनी हो, अर्थात् 2l लंबाई का तार लीजिए जिसे चित्र में 2 से चिन्हित किया गया है।

(iv) ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।

(v) अब इस तार को समान लंबाई l के निक्रोम के मोटे तार [(3) से चिन्हित] से प्रतिस्थापित कीजिए। मोटे तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होता है। परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा फिर नोट कीजिए।

(vi) निक्रोम तार के स्थान पर ताँबे का तार [चित्र में जिस पर चिन्ह (4) बना है] परिपथ में जोड़िए। मान लीजिए यह तार निक्रोम के तार जिस पर (1) चिन्हित है, के बराबर लंबा तथा समान अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का है। विद्युत धारा का मान नोट कीजिए।

(vii) प्रत्येक प्रकरण में विद्युत धारा के मानों में अंतर को ध्यान से देखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या विद्युत धारा चालक की लम्बाई पर निर्भर करती है?
उत्तर:
हाँ, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा चालक की लंबाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
I ∝ \(\frac { 1 }{ L }\) क्योंकि लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है व धारा की मात्रा कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
क्या विद्युत धारा उपयोग किए जाने वाले तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है?
उत्तर:
हाँ विद्युत धारा चालक के तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है।
Ι ∝ Α
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम हो जाता है अतः धारा का मान बढ़ जाता है।

क्रिया-कलाप – 12.4
(i) विभिन्न मानों के तीन प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़िए। चित्र में दिखाए अनुसार इन्हें एक बैटरी, एक ऐमीटर तथा एक प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए। आप 1Ω, 2Ω, 3Ω आदि मानों के प्रतिरोधकों का उपयोग कर सकते हैं तथा इस क्रियाकलाप के लिए 6 V की बैटरी उपयोग में ला सकते हैं।

(ii) कुंजी को प्लग में लगाइए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।

(iii) ऐमीटर की स्थिति को दो प्रतिरोधकों के बीच कहीं भी परिवर्तित कर सकते हैं। हर बार ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।
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क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप ऐमीटर के द्वारा विद्युत धारा के मान में कोई अंतर पाते हैं?
उत्तर:
ऐमीटर की स्थिति दो प्रतिरोधकों के बीच कहीं भी परिवर्तित करके प्रत्येक बार ऐमीटर का पाठ्यांक नोट करते हैं। हम देखते हैं कि प्रत्येक बार पाठ्यांक समान होता है। यह स्पष्ट करता है कि यदि प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है तो विद्युत धारा के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् परिपथ में समान विद्युत धारा का प्रवाह होता है।

क्रिया-कलाप – 12.5
(i) क्रियाकलाप 12.4 में पाठ्यपुस्तक के चित्र 12.6 में दिखाए अनुसार तीन प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम संयोजन के सिरों X तथा Y के बीच एक वोल्टमीटर लगाइए।

(ii) परिपथ में प्लग में कुंजी लगाइए तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। इससे हमें श्रेणीक्रम संयोजन के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात होता है। मान लीजिए यह V है। अब बैटरी के दोनों टर्मिनलों के बीच विभवांतर नोट कीजिए। इन दोनों मानों की तुलना कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 15

(iii) प्लग से कुंजी निकालिए तथा वोल्टमीटर को भी परिपथ से हटा दीजिए। अब वोल्टमीटर को उपरोक्त चित्र में दिखाए अनुसार पहले प्रतिरोधक के सिरों X तथा P के बीच जोड़िए।

(iv) प्लग में कुंजी लगाइए तथा पहले प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापिए। मान लीजिए यह V1 है।

(v) इसी प्रकार अन्य दो प्रतिरोधकों के सिरों के बीच पृथक-पृथक विभवांतर मापिए मान लीजिए ये मान क्रमश: V2 तथा Vg हैं।

(vi) V, V1, V2 तथा V3 के बीच संबंध व्युत्पन्न कीजिए।

प्रेक्षण – जब श्रेणी क्रम में संयोजित तीनों प्रतिरोधकों के X व Y सिरों के बीच वोल्टमीटर जोड़कर पाठ्यांक लेते हैं तथा बैटरी का विभवांतर ज्ञात करते हैं तो हम देखते हैं। कि दोनों बार विभवांतर बराबर है। अब तीनों प्रतिरोधकों के सिरों पर वोल्टमीटर लगाकर पाठ्यांक नोट करते हैं जो V1, V2 व Vg है।

हम देखते हैं कि तीनों विभवांतरों का योग X व Y के बीच विभवांतर के बराबर है।
V = V1 + V2 + V3 + …………….. अर्थात् परिपथ में कुल विभवांतर अलग-अलग सिरों के बीच के विभवांतरों के योग के बराबर होता है।

क्रिया-कलाप – 12.6
(i) तीन प्रतिरोधकों जिनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 तथा R3 हैं, का पार्श्व संयोजन XY बनाइए। चित्र में दिखाए अनुसार इस संयोजन को एक बैटरी, एक प्लग कुंजी तथा एक ऐमीटर से संयोजित कीजिए। प्रतिरोधकों के संयोजन के पार्श्व क्रम में एक वोल्टमीटर भी संयोजित कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 16

(ii) प्लग में कुंजी लगाइए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। मान लीजिए विद्युतधारा का मान I है वोल्टमीटर का पाठ्यांक भी नोट कीजिए। इससे पार्श्व संयोजन के सिरों के बीच विभवान्तर V प्राप्त होता है। प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर भी है। इसकी जाँच प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर पृथक्-पृथक् वोल्टमीटर संयोजित करके की जा सकती है (चित्र)।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत 17

(iii) कुंजी से प्लग बाहर निकालिए। परिपथ से ऐमीटर तथा वोल्टमीटर निकाल लीजिए। चित्र में दिखाए अनुसार ऐमीटर को प्रतिरोध R1 से श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए। ऐमीटर का पाठ्यांक I, नोट कीजिए।

(iv) इसी प्रकार, R1 एवं R2 में प्रवाहित होने वाली धारा भी मापिए। माना इसका मान क्रमशः I1 एवं I2 है I, I1, I2 एवं I3 में क्या सम्बन्ध है।

प्रेक्षण – पार्श्वक्रम में प्रतिरोधकों को जोड़ने पर उनके सिरों के बीच का विभवान्तर उनके अलग-अलग विभवान्तरों के बराबर होता है। इसी प्रकार धारा का मान I अलग-अलग प्रतिरोधकों में बहने वाली धारा I1, I2 एवं I3 के योग के बराबर है।
I1, I2 और I3 का मान प्रतिरोधकों R1, R2 व R3 के मान पर आधारित है I = I1 + I2 + I3

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक तत्त्व (M) आवर्त सारणी के वर्ग IIIA में है। इसके क्लोराइड तथा ऑक्साइड के सूत्र लिखिए|
उत्तर:
वर्ग IIIA में तत्त्व M की संयोजकता 3 है। क्लोरीन की संयोजकता 1 तथा ऑक्सीजन की संयोजकता 2 होती है। अत: क्लोराइड का सूत्र MCl3 तथा ऑक्साइड का सूत्र M2O3 है।

प्रश्न 2.
एक तत्त्व (M) के सल्फाइड का सूत्र M2S5 है। यह तत्त्व आवर्त सारणी के किस उप वर्ग में होगा?
उत्तर:
सूत्र M2S5 के अनुसार M की संयोजकता 5 है – अतः यह उपवर्ग VA में होगा।

प्रश्न 3.
तत्त्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।” इस कथन का अर्थ सरल भाषा में समझाइए।
उत्तर:
इसका अर्थ है कि यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांकों के क्रम में व्यवस्थित किया जाय तो एक निश्चित अन्तराल पर स्थित तत्त्वों के गुणों में समानता होती है।

प्रश्न 4.
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक 1H1, 1H2 तथा 1H3 हैं। इन्हें आवर्त सारणी के किन आवर्ती/ उपवर्गों में रखा जाता है?
उत्तर:
तीनों समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक 1 है – अतः तीनों को प्रथम आवर्त के प्रथम उपवर्ग IA में रखा जाता है। जाता है।

प्रश्न 5.
अधिकतम कितने तत्त्व हो सकते हैं- (i) आवर्त संख्या n में, (ii) किसी आवर्त के p-ब्लॉक तथा d-ब्लॉक में, (iii) किसी आवर्त के f-ब्लॉक में।
उत्तर:
(i) n = 1 में 2 तत्त्व
n = 2 तथा 3 में से प्रत्येक में 8 तत्त्व
n = 4 तथा 5 में से प्रत्येक में 18 तत्त्व
n = 6 तथा 7 में से प्रत्येक में 32 तत्त्व

(ii) p-ब्लॉक में 6 तत्त्व; d-ब्लॉक में 10 तत्त्व,

(iii) f-ब्लॉक में 14 तत्त्व।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 6.
सबसे हल्के तथा सबसे भारी प्राकृतिक तत्त्वों के नाम, प्रतीक तथा परमाणु क्रमांक लिखिए।
उत्तर:

  • सबसे हल्का तत्त्व- हाइड्रोजन (H) 1
  • सबसे भारी तत्त्व – यूरेनियम (U) 92

प्रश्न 7.
कुछ तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् हैं। इनके नाम लिखिए तथा आवर्त सारणी में उपवर्ग बताइए-
A – 2. 4
B – 2, 8, 5
C – 2, 8,
D – 2,5
उत्तर:
A – 2, 4 → कार्बन, IV – A
B – 2, 8, 5 → फॉस्फोरस, V – A
C – 2, 8, 6 → सल्फर, VI – A
D – 2, 5 → नाइट्रोजन, V – A

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परमाणुओं से बनने वाले आयनों के प्रतीक आवेश सहित लिखिए-
(i) Cl
(ii) S
(iii) Na
उत्तर:
(i) Cl → Cl1, (ii) S → S2- (iii) Na →

प्रश्न 10.
आवर्त क्या है?
उत्तर:
आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहते हैं।

प्रश्न 11.
मेण्डलीफ ने कितने तत्त्वों का वर्गीकरण किया था?
उत्तर:
63 तत्त्व।

प्रश्न 12.
उन तत्त्वों नाम लिखिए (किन्हीं दो) जिनकी खोज की भविष्यवाणी मेण्डलीफ ने की थी?
उत्तर:
टाइटेनियम (Ti) व गैलियम (Ga)।

प्रश्न 13.
आवर्त सारणी में समूह क्या होते हैं?
उत्तर:
आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर कॉलम को समूह कहते हैं।

प्रश्न 14.
आधुनिक आवर्त सारणी में कितने समूह व आवर्त हैं?
उत्तर:
7 आवर्त व 18 समूह

प्रश्न 15.
आधुनिक आवर्त नियम लिखो।
उत्तर:
तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनकी परमाणु संख्या के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 16.
आवर्त सारणी में शून्य समूह की स्थिति बताओ।
उत्तर:
आवर्त सारणी में शून्य समूह दाहिनी तरफ अंत में है।

प्रश्न 17.
शून्य समूह के तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर:
हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), जीनॉन (Xe), रेडॉन (Rn)।

प्रश्न 18.
आवर्त सारणी में उस तत्त्व की स्थिति बताओ जिसकी परमाणु संख्या 13 है।
उत्तर:
यह तत्त्व आवर्त सारणी के समूह 13 और तीसरे आवर्त में स्थित है।

प्रश्न 19.
न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
न्यूलैंड्स ने तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में इस प्रकार व्यवस्थित किया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व के गुणधर्म के समान है।

प्रश्न 20.
मेण्डलीफ के द्वारा अनुमानित एका- ऐलुमिनियम तथा एका- सिलिकॉन तत्त्वों की किस नाम से खोज हुई?
उत्तर:

  • एका ऐलुमिनियम → गैलियम (Ga)
  • एका सिलिकॉन → जर्मेनियम (Ge)

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प्रश्न 21.
मेण्डलीफ के आवर्त सारणी का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:
तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान का आवर्त फलन होते हैं।

प्रश्न 22.
किसी वर्ग (समूह) में उपस्थित तत्त्वों में क्या समानता होती है?
उत्तर:
किसी समूह में तत्त्वों की संयोजकता समान रहती है। उदाहरण के लिए पहले समूह में प्रत्येक तत्त्व की संयोजकता 1 है।

प्रश्न 23.
मेण्डलीफ ने अपने आवर्त सारणी में तत्त्वों को किस आधार पर व्यवस्थित किया?
उत्तर:
मेण्डलीफ ने बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान, मूल गुणधर्म तथा रासायनिक गुणधमों में समानता को आधार मानकर तत्त्वों को आवर्त सारणी में व्यवस्थित किया।

प्रश्न 24.
किसी तत्त्व के ऑक्साइड का सूत्र E2O3 है तथा E एक क्रियाशील धातु है। E आवर्त सारणी के किस समूह में स्थित है?
उत्तर:
यह सारणी के 13वें समूह में स्थित है क्योंकि E की संयोजकता 3 है।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित तत्त्वों को उनके धात्विक गुणों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए- Mg, Ca, K, Ge, Ga
उत्तर:
Ge < Ga < Mg < Ca < K

प्रश्न 26.
क्लोरीन के दो समस्थानिक Cl-35 तथा Cl-37 हैं। क्या आधुनिक आवर्त सारणी में इन्हें दो स्थानों पर रखना चाहिए? उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
नहीं क्योंकि Cl की परमाणु संख्या 17 है और आधुनिक आवर्त सारणी का आधार परमाणु संख्या ही है।

प्रश्न 27.
आधुनिक आवर्त सारणी में कितने आवर्त (पीरियड) हैं?
उत्तर:
सात (7)।

प्रश्न 28.
मेण्डलीफ ने जिस समय आवर्त सारणी बनायी, उस समय तक कितने तत्वों की खोज हो चुकी थी?
उत्तर:
63 ।

प्रश्न 29.
मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कितने तत्त्वों को रखा है?
उत्तर:
56 तत्त्व।

प्रश्न 30.
आवर्त सारणी के आवर्त तीन के उन तत्त्वों के नाम लिखो जिनका आकार

  • सबसे बड़ा और
  • सबसे छोटा हो।

उत्तर:

  • सोडियम (Na)
  • आर्गन (Ar).

प्रश्न 31.
निम्नलिखित जोड़ों में से कौन-सा तत्त्व आकार में दूसरों से छोटा है?

  • Li व Na
  • C व N
  • B व Al.

उत्तर:

  • Na
  • C
  • Al

प्रश्न 32.
आवर्त के दो गुणधर्म लिखो।
उत्तर:

  • आवर्त के सभी तत्त्वों में भरे हुए कोशों की संख्या समान होती है।
  • आवर्त में आगे बढ़ने पर तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 33.
समूह की दो विशेषताएँ लिखो।
उत्तर:

  • वर्ग के सभी तत्त्वों में संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
  • वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 34.
संयोजी इलेक्ट्रॉन क्या हैं?
उत्तर:
किसी तत्त्व के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं।

प्रश्न 35.
किसी आवर्त और समूह में तत्त्वों के धात्विक 5 गुण किस प्रकार बदलते हैं?
उत्तर:
आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर धात्विक गुण घटता है तथा वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुण बढ़ता है।

प्रश्न 36.
उन दो तत्त्वों के नाम लिखिए जिनका सम्बन्ध निम्नलिखित से है-

  • कार्बन समूह
  • बोरॉन समूह
  • ऑक्सीजन समूह

उत्तर:

  • सिलिकॉन (Si) व जर्मेनियम (Ge)
  • ऐलुमिनियम (Al) व गैलियम (Ga)
  • सल्फर (S) व सिलीनियम (Se).

प्रश्न 37.
निम्नलिखित यौगिकों में बताइए कि हाइड्रोजन विद्युत धनी है अथवा विद्युत ऋणी-

  • NH3
  • HCl
  • H2S
  • PH3

उत्तर:

  • NH3 में विद्युत – धनी
  • HCl में विद्युत धनी में विद्युत-
  • H2S धनी
  • PH3 में विद्युत ऋणी

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प्रश्न 38.
ऐसे यौगिक का उदाहरण दीजिए जिससे नाइट्रोजन ऋणायन के रूप में हो। इस आयन का आवेश भी लिखिए।
उत्तर:
ऐलुमिनियम नाइट्राइड (AIN) में आयन N आवेश 3e.

प्रश्न 39.
आधुनिक आवर्त नियम क्या है? स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 40.
परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व की आवर्त सारणी में स्थिति बताइए तथा कारण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक 17 अर्थात् (Cl17)
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7
या 1s² 28² 2p6, 3s² 3p5
अत: आवर्त → = 3 है।
तथा वर्ग → = 2 + 5 = 7 है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का संक्षिप्त विवरण दीजिए – (i) डॉबेराइनर का त्रिक नियम; (ii) न्यूलैण्ड का अष्टक – नियम; (iii) संक्रमण तत्त्व; (iv) विकर्ण सम्बन्ध।
उत्तर:
(i) डॉबेराइनर का त्रिक नियम (1817) – इस नियम के अनुसार, “यदि समान गुण वाले तीन तत्त्वों को परमाणु भारों की वृद्धि के क्रम में रखा जाय तो बीच वाले भार, अन्य दो तत्त्वों के परमाणु भारों के माध्य (औसत) के लगभग बराबर होता है।” उदाहरणार्थ-
(i) \(\frac { Li }{ 7 }\), \(\frac { Na }{ 23 }\), \(\frac { K }{ 39 }\)
∴ Na = \(\frac { 7+39 }{ 2 }\) = 23

(ii) \(\frac { Cl }{ 35.5 }\), \(\frac { Br }{ 80 }\), \(\frac { I }{ 127 }\)
∴ Br = \(\frac { 35.5+127 }{ 2 }\) = 81
परन्तु सभी तत्त्वों के त्रिक न बनाये जा सकने के कारण यह नियम असफल रहा।

(ii) न्यूलैण्ड का अष्टक नियम (1864-66) – इस नियम के अनुसार, “जब तत्त्वों को उनके परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है तो किसी भी तत्त्व के भौतिक व रासायनिक गुण इसके बाद आने वाले आठवें तत्त्व के गुणों से मिलते-जुलते हैं।

क्र. सं. तत्त्व
1. हाइड्रोजन (H)
2. लीथियम (Li)
3. बेरीलियम (Be)
4. बोरॉन (B)
5. कार्बन (C)
6. नाइट्रोजन (N)
7. ऑक्सीजन (O)
8. फ्लोरीन (F)
9. सोडियम (Na)
10. मैग्नीशियम (Mg)
11. ऐलुमीनियम (Al)
12. सिलिकॉन (Si)
13. फॉस्फोरस (P)
14. सल्फर (S)
15. क्लोरीन (Cl)
16. पोटैसियम (K)
17. कैल्शियम (Ca)
18. क्रोमियम (Cr)
19. टाइटेनियम (Ti)
20. मैंगनीज (Mn)
21. आयरन (Fe)

जैसा कि उपर्युक्त सारणी से व्यक्त होता है, यह नियम क्रम संख्या 18 के बाद समुचित रूप से लागू नहीं होता अर्थात् इसकी वैधता केवल कम परमाणु भारों के तत्त्वों तक ही सीमित थी।

(iii) संक्रमण तत्त्व-जिन तत्त्वों के d-कक्षक आंशिक रूप से भारी होते हैं, संक्रमण तत्त्व कहलाते हैं। Fe (26) = 1s², 2s² 2p6, 3s² 3p6 3d6, 4s²। दीघांकार आवर्त सारणी में इनका स्थान s-तथा p-ब्लॉक तत्त्वों के माध्यम है।

(iv) विकर्ण सम्बन्ध- आवर्त सारणी के दूसरे लघु आवर्त में आठ तत्त्व हैं तथा तीसरे लघु आवर्त में भी आठ तत्त्व हैं। इन तत्त्वों को प्रारूपिक तत्त्व कहते हैं तथा इन आवर्ती के तत्वों को विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं अर्थात् विकर्ण से सिरों पर स्थित दोनों तत्त्वों के गुणों में समानता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 1

प्रश्न 2.
(i) मेण्डलीफ का आवर्त नियम लिखिए। इसमें क्या संशोधन करके आधुनिक आवर्त नियम प्राप्त किया गया? मेण्डलीफ के आवर्त सारणी तथा आधुनिक आवर्त सारणी बनाने के आधार में क्या मौलिक अंतर है?
अथवा
(ii) आधुनिक आवर्त नियम क्या है? आधुनिक आवर्त नियम पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(i) मेण्डलीफ का आवर्त नियम-यदि तत्त्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया जाय तो तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन (periodic function of their atomic weights) होते हैं। उपर्युक्त नियम में ‘परमाणु भार’ के स्थान पर ‘परमाणु क्रमांक’ का उपयोग करके आधुनिक आवर्त नियम प्राप्त किया गया, जिसके अनुसार तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक (Atomic Number) के आवर्ती फलन होते हैं।

मेण्डलीफ का आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु भारों पर आधारित है जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों पर आधारित है।

(ii) आधुनिक आवर्त नियम – यदि तत्त्वों को परमाणु क्रमांक के बढ़ते हुए क्रम में रखा जाय तो तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 3.
किसी तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों को मेण्डलीफ की मूल आवर्त सारणी में रखने में क्या कठिनाई थी? आधुनिक आवर्त सारणी में यह कठिनाई कैसे दूर हो गयी?
उत्तर:
समस्थानिकों का स्थान – अनेक तत्त्वों के ऐसे एक से अधिक समस्थानिक पाये जाते हैं जिनके परमाणु भार तो भिन्न होते हैं परन्तु रासायनिक गुण समान, जैसे हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक H-1, H-2, H-3, क्लोरीन के दो समस्थानिक Cl-35, Cl-37, कार्बन के दो समस्थानिक C-12, C-14 आदि हैं।

परमाणु भार के आधार पर क्रमायोजित करने से इन समस्थानिकों को भी सारणी में पृथक स्थान मिलना चाहिए परन्तु मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में ऐसा संभव नहीं था। आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व का स्थान उसके परमाणु क्रमांक से निर्धारित होता है। अतः किसी तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक समान होने के कारण उन्हें सारणी में एक ही स्थान पर रखा जाता है।

प्रश्न 4.
दीर्घाकार आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण क्या हैं? अंतिम चार आवर्ती के तत्त्वों की संख्या लिखिए।
अथवा
दीर्घाकार आवर्त सारणी की चार मुख्य विशेषताओं पर टिप्पणी लिखिए। दीर्घाकार आवर्त सारणी की विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
उत्तर:
दीघांकार आवर्त सारणी के लक्षण – इसके मुख्य लक्षण निम्नवत् हैं-
(1) इस सारणी में 7 क्षैतिज पंक्तियाँ (Horizontal rows) हैं, जिन्हें आवर्त (Period) कहते हैं तथा 18 ऊर्ध्वाधर स्तम्भ (Vertical columns) हैं, जिन्हें वर्ग (Group) या समूह कहते हैं।

(2) प्रत्येक आवर्त को चाहे वह लघु हो अथवा दीर्घ, एक ही रेखा में रखा गया है अर्थात् मेण्डलीफ की सारणी की भाँति उसे प्रथम तथा द्वितीय उपश्रेणियों में नहीं बाँटा गया।

(3) प्रत्येक आवर्त में, उपकोशों में अंतिम इलेक्ट्रॉन के प्रवेश के अनुसार तत्त्वों को उपवर्गों में निम्नलिखित क्रम में रखा गया है-
s – उपकोश – IA, IIA [ अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन]
p – उपकोश – III-A, IV-A, V-A, VI-A, VII-A तथा 0 [अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉन]
d – उपकोश – III-B, IV-B, V-B, VI-B, VII-B, VIII, VIII, VIII, I-B, II-B [ अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉन]
इस प्रकार इस सारणी में किसी तत्त्व की स्थिति से ज्ञात हो जाता है कि उसमें अंतिम इलेक्ट्रॉन की आपूर्ति किस कोश तथा किस उपकोश में हुई है। यह स्थिति इसका भी ज्ञान कराती है कि परमाणु में कौन-से कोश तथा उपकोश पूर्णतः भरे जा चुके हैं।

(4) दीर्घाकार आवर्त सारणी में तत्त्वों को चार खण्डों अथवा ब्लॉकों (blocks) में स्पष्टत: विभाजित किया गया है। इन्हें क्रमश: 3, p, d तथा f ब्लॉक के तत्त्व कहते हैं। किसी एक ब्लॉक के तत्त्वों के लक्षणों में अनेक समानताएँ तथा अन्य ब्लॉक के तत्त्वों से भिन्नताएँ होती हैं।

(5) लैन्थेनाइड तथा एक्टिनाइड श्रेणियों को अलग लिखा गया है तथा इनके स्थानों का मुख्य सारणी में स्थान तारांकित (* तथा **) किया गया है अर्थात् इन श्रेणियों को मुख्य सारणी में इन तारांकित स्थानों पर लिखा जाना चाहिए। परन्तु ऐसा करने से, सारणी में कुल 32 स्तम्भ हो जाते हैं, तथा सारणी की लम्बाई (मुद्रण में) असुविधाजनक हो जाती है। अतः इन श्रेणियों को अलग लिखा जाता है। ये f – ब्लॉक के तत्त्व होते हैं।

(6) इस सारणी में धात्वीय एवं अधात्वीय तत्त्वों को, संक्रमण तत्त्वों को तथा अक्रिय तत्त्वों को स्पष्टतः अलग देखा जा सकता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 5.
आवर्त सारणी के ‘लघु’ तथा ‘दीर्घ आवर्त’ से क्या तात्पर्य है? आवर्त 1 से 6 तक प्रत्येक में तत्त्वों की संख्याएँ लिखिए।
अथवा
आवर्त सारणी में आवत के चार मुख्य लक्षण लिखिए।
उत्तर:
आवर्त सारणी के प्रथम तीन आवर्त ‘लघु-आवर्त’ कहलाते हैं। इनमें तत्त्वों की संख्या कम होती है। इसके आगे के आवर्त 4, 5, 6 तथा 7 दीर्घ आवर्त’ कहलाते हैं। इनमें तत्त्वों की संख्या अधिक होती है। तत्त्वों की संख्याएँ निम्नवत हैं-

आवर्त तत्त्वों की संख्या
1 2
2 8
3 8
4 18
5 18
6 32

प्रश्न 6.
स्पष्ट कीजिए कि-
(i) लघु आवर्त में परमाणुओं के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों का वितरण किस प्रकार बदलता है?
(ii) किसी A उपवर्ग में परमाणुओं के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉन वितरण में क्या भिन्नता या समानता होती है।
(iii) तत्त्वों का विकर्ण सम्बन्ध एवं सम्बन्धित दो तत्त्व।
अथवा
विकर्णी सम्बन्ध पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(i) लघु आवर्त में पहले 8-उपकोश 1 तथा 2 इलेक्ट्रॉन तथा उपकोश के पूर्ण (2 इलेक्ट्रॉन) हो जाने के बाद p-उपकोश में क्रमश: 1, 2, 3, 4, 5 तथा 6 इलेक्ट्रॉनों की पूर्ति होती है।

(ii) किसी उपवर्ग में परमाणु के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती हैं, परन्तु उपवर्ग में परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ बाह्यतम कोश की मुख्य क्वाण्टम संख्या, आवर्त संख्या के साथ 1 से 7 तक बढ़ती जाती हैं।

उदाहरणतः उपवर्ग II-A के परमाणुओं में बाह्यतम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन 8- उपकोश में होते हैं, परन्तु बाह्यतम कोश क्रमश: 1, 2, 3, 4, 5, 6 तथा 7 क्वाण्टम संख्या का होगा।

(iii) तत्त्वों का विकर्ण सम्बन्ध – द्वितीय आवर्त के पहले तीन तत्त्व (Li, Be B) तीसरे आवर्त के तत्त्वों तथा अगले वर्ग के दूसरे तत्त्व के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं। इसे विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं।
उदाहरणत:
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 2

प्रश्न 7.
निम्न ऑक्साइडों को उनके क्षारकीय गुण के घटते हुए क्रम में लिखिए-
Al2O3, Na2O, MgO, P2O5
उत्तर:
P2O5, Al2O3, MgO, Na2O.

प्रश्न 8.
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के वर्ग तथा आवर्त की दो-दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के वर्गों की विशेषताएँ –

  • 0 से VIII तक कुल 9 वर्ग होते हैं।
  • धात्विक लक्षण या धनविद्युती लक्षण – परमाणु क्रमांक में वृद्धि क्रम के साथ बढ़ता है।
  • विद्युत ऋणीयता- किसी परमाणु की अपनी और इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने की प्रवृत्ति परमाणु क्रमांक के वृद्धि के साथ घटती है।

आवर्ती की विशेषताएँ-

  • आवर्त सारणी में आवर्ती की क्रम संख्या एक से सात तक होती है।
  • आवर्त में धात्वीय गुण परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ घटता है। क्रमांक के बढ़ने के साथ घटता है।
  • आवर्त में ऑक्साइडों का क्षारीय गुण परमाणु

प्रश्न 9.
आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है-

  • विद्युत धनात्मक गुण
  • धात्विक गुण
  • ऑक्साइडों का क्षारीय गुण?

उत्तर:

  • विद्युत धनात्मक गुण – परमाणु क्रमांक वृद्धि अर्थात् बायें से दायें जाने पर घटता है।
  • धात्विक गुण धात्विक गुण भी परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ घटता है।
  • ऑक्साइडों का क्षारीय गुण आवर्त में क्षारीय गुण परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ-साथ घटता है।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार का परिवर्तन होता है? समझाइए (i) धात्विक गुण (ii) हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता।
उत्तर:
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में परिवर्तन-

  • धात्विक गुण – परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ तत्त्वों के धात्विक गुण घटते हैं।
  • हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता – हाइडोजन के अनुसार तत्त्वों की संयोजकता बढ़ती है।

प्रश्न 11.
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है?

  • धन विद्युती गुण
  • ऑक्साइडों की प्रकृति
  • आयनन विभव।

उत्तर:

  • धनविद्युती गुण- परमाणु क्रमांक के वृद्धि क्रम के साथ बढ़ता है।
  • ऑक्साइडों की प्रकृति- आवर्त में ऑक्साइडों का क्षारीय गुण परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ-साथ घटता है।
  • आयनन विभव- किसी परमाणु से इलेक्ट्रॉन विस्थापित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा परमाणु क्रमांक में वृद्धि क्रम के साथ बढ़ती है।

प्रश्न 12.
परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व की आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त लिखिए।
अथवा
परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व की आवर्त सारणी में स्थिति बताइए।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक = 17
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7
आवर्त – 3
वर्ग-VIIA ।

प्रश्न 13.
परमाणु क्रमांक 11 वाले तत्त्व के समूह एवं आवर्त लिखिए।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक = 11
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 1
आवर्त – 3
वर्ग – I A ।

प्रश्न 14.
तत्त्व Mg आवर्त सारणी के द्वितीय समूह में है। यदि Mg का तुल्यांकी भार 12 है तो तत्त्व का परमाणु भार ज्ञात करें।
उत्तर:
Mg द्वितीय समूह में है।
इसलिए Mg की संयोजकता 2 होगी।
अत: परमाणु भार = तुल्यांकी भार x संयोजकता
= 12 x 2 = 24

प्रश्न 15.
निम्न में से किस तत्त्व का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय है और क्यों?
Na, Mg, Al एवं Si
उत्तर:
Na का ऑक्साइड Na2 प्रबल क्षारीय है क्योंकि किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्त्वों के ऑक्साइडों की क्षारीयता घटती जाती है।

प्रश्न 16.
आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है?
(i) परमाणु त्रिज्या
(ii) विद्युत ऋणात्मकता
(iii) आयनन विभव।
उत्तर:
आवर्त सारणी में आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं-

  • परमाणु त्रिज्या – परमाणु त्रिज्या घटेगी।
  • विद्युत ऋणात्मकता प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्त्व की ऋणविद्युत प्रकृति में क्रमिक वृद्धि होती है; जैसे P से S अधिक ऋणविद्युत है।
  • आयनन विभव – प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्त्व की आयनन विभव में कमी आयेगी।

प्रश्न 17.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आप कैसे छाँटोगे –
(i) समान रासायनिक गुणों वाले तत्त्व
(ii) आवर्त का पहला तत्त्व
(iii) आवर्त का अंतिम तत्त्व
उत्तर:
(i) समान रासायनिक गुणों वाले तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है।
(ii) आवर्त के पहले तत्त्व के बाह्यतम कोश केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है।
(iii) आवर्त के अंतिम तत्त्व के बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 18.
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन के स्थान पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादास्पद है। एक संयोजी इलेक्ट्रॉन होने के कारण इसे IA समूह में क्षार धातुओं के ऊपर रखा गया है, लेकिन इसके कुछ गुण हैलोजन के समान होने के कारण इसे
इनके साथ स्थान मिलना चाहिए। इस कारण इसकी स्थिति अनिश्चित रही।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेण्डलीफ के आवर्त नियम का उल्लेख करते हुए, मेण्डलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के लक्षण लिखिए।
उत्तर:
मेण्डलीफ का आवर्त नियम (Mendeleeff’s Periodic Law) – इसके अनुसार तत्त्वों के भौतिक रासायनिक गुण उनके परमाणु- भारों के आवर्ती फलन (periodic function of their atomic weights) हैं अर्थात् यदि तत्त्वों को बढ़ते हुए परमाणु- भारों के क्रम में व्यवस्थित किया जाय तो निश्चित एवं समान क्रम- अन्तरालों के बाद लगभग समान गुण वाले तत्त्व पाये जाते हैं।

मेण्डलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के लक्षण (Characteristics of Mendeleeff’s Modified Periodic Table ) – मेण्डलीफ की (Columns) संशोधित आवर्त सारणी को सात श्रेणियों (Series) जिनको आवर्त (Period) कहते हैं तथा नौ स्तम्भों में, जिन्हें वर्ग अथवा समूह (Groups ) कहते हैं, में विभाजित किया गया है।

सारणी में श्रेणियों को बाएँ से दाहिने तथा वर्गों को ऊपर से नीचे लिखा जाता है। श्रेणियों का नामांकन 1 से 7 तक तथा वर्गों का नामांकन I, II, III, IV, V, VI, VII VIII तथा 0 किया गया है। आवर्त 4, 5, 6 तथा में वर्ग I से VII तक प्रत्येक वर्ग को उपवर्गों A तथा B में विभाजित किया गया है तथा प्रत्येक वर्ग या समूह में आवर्त 1, 2 तथा 3 के तत्त्व उपवर्ग A के अन्तर्गत रखे गये हैं।

आवर्त सारणी के प्रथम आवर्त में केवल दो तत्त्व, H वर्ग 1 में तथा He वर्ग 0 में रखे गये हैं। द्वितीय तथा तृतीय आवर्त में से प्रत्येक में आठ तत्त्व हैं जो I से VII तक तथा वर्ग में आते हैं। इन्हें लघु आवर्त (Short periods) कहते हैं।

आवर्त 4 एवं 5 में से प्रत्येक में 18 तत्त्व हैं, जिनमें से 8 तत्त्व उपवर्ग A (I से VII तथा 0) में 7 तत्त्व उपवर्ग B (I से VII) में तथा 3 तत्त्व वर्ग 8 में रखे गये हैं।

आवर्त 6 में 32 तत्त्व तथा आवर्त 7 में अब तक ज्ञात 28 तत्त्व रखे गये हैं।
सारणी के वर्गों तथा आवतों के सामान्य लक्षण निम्नवत् हैं-
(i) प्रत्येक आवर्त में तत्त्वों का क्रम बढ़ते हुए परमाणु क्रमांकों के अनुसार है।

(ii) प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाहिने जाने पर तत्त्वों के (बढ़ता हुआ या घटता हुआ) परिवर्तन गुणों में क्रमिक होता जाता है।
उदाहरणत:
प्रत्येक आवर्त में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के अनुसार तत्त्वों की धन- वैद्युत संयोजकता बढ़ती तथा ऋण वैद्युत संयोजकता घटती जाती है।

(iii) एक ही वर्ग या समूह स्थित तत्त्वों के गुण (जैसे- संयोजकता, विद्युत धनात्मकता अथवा ऋणात्मकता तथा अन्य) में समानता पायी जाती हैं।

(iv) तत्त्व का परमाणु क्रमांक उसका मौलिक लक्षण हैं जो तत्त्व की विशेषताओं को व्यक्त करता है।

(v) सारणी में किसी तत्त्व के स्थान (आवर्त तथा वर्ग या समूह) के अनुसार उसके गुणों को बताया सकता है।

प्रश्न 2.
मेण्डलीफ की प्रारंभिक आवर्त सारणी के दोष बताइए। इनका निवारण मेण्डलीफ की संशोधित आवर्त सारणी में किस प्रकार किया गया है?
उत्तर:
मेण्डलीफ की प्रारंभिक आवर्त सारणी के प्रमुख दोष निम्नवत् हैं-
1. तत्त्वों का क्रम बढ़ते परमाणु भार के अनुसार न होना- मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में तत्त्वों के ऐसे चार युग्म (pairs) हैं जिनमें अधिक परमाणु भार का तत्त्व, कम परमाणु भार के तत्त्व से पहले रखा गया है। ये युग्म हैं-

  • आर्गन (Ar ) – 39.4 तथा पोटैशियम (K) 39.1
  • कोबाल्ट (Co) – 58.94 तथा निकिल (Ni)-58.96
  • टेलुरियम (Te) – 127.61 तथा आयोडीन (I)-126.91
  • थोरियम (Th) – 232.12 तथा प्रोटोएक्टीनियम (Pa) – 231

2. समस्थानिकों का स्थान- अनेक तत्त्वों के ऐसे एक से अधिक समस्थानिक पाये जाते हैं जिनके परमाणु भार तो भिन्न होते हैं परन्तु रासायनिक गुण समान, जैसे हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक H-1, H-2, H-3, क्लोरीन के दो समस्थानिक C1-35, C1-37, कार्बन के दो समस्थानिक C-12, C-14 आदि परमाणु भार के आधार पर क्रमायोजित करने से इन समस्थानिक को भी सारणी में पृथक स्थान मिलना चाहिए, परन्तु मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में ऐसा संभव नहीं था।

3. हाइड्रोजन का द्वैध व्यवहार हाइड्रोजन; जो कि प्रथम वर्ग A की धातुओं (Li, Na, K…….) और सप्तम वर्ग A के तत्त्वों (F, Cl, Br, I) के गुणों से समानता रखता है, को निश्चित स्थान नहीं दिया जा सकता है।

4. असमान तत्त्वों को एक ही वर्ग में रखना- प्रथम समूह A के क्षारीय धातु और B के मुद्रा-धातु व सप्तम् वर्ग A के हैलोजन और B के Mn धातु में काफी असमानता होते हुए भी वे एक साथ रखे गये हैं।

IA VII
(H) (H)
Li F
Rb Cl
Cs Br
Fr I

5. अक्रिय गैसों (जैसे हीलियम, निऑन, आर्गन आदि को सारणी में कोई स्थान नहीं दिया गया।
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में संशोधन वैज्ञानिक मोज्ले (Mosley) ने X- विकिरणों के स्पेक्ट्रमों के अध्ययन के द्वारा एक तत्त्वों के एक नवीन लक्षण, परमाणु क्रमांक (Atomic Number) का प्रतिपादन किया।

किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या अथवा नाभिक के धनावेश (मूल आवेश पदों में) को तत्त्व का परमाणु क्रमांक कहते हैं। वैज्ञानिकों ने यह पाया कि यदि तत्त्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाय तो मेण्डलीफ की प्रारंभिक आवर्त सारणी के अनेक दोष दूर हो जाते हैं। इस आधार पर मेण्डलीफ द्वारा प्रतिपादित आवर्त नियम में संशोधन करके आधुनिक आवर्त नियम निम्नवत् प्रस्तुत किया गया-

“तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।”

इस नियम आधार पर मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में संशोधन किया गया। इसके अतिरिक्त सारणी में अक्रिय गैसों का एक नया वर्ग (शून्य वर्ग) जोड़ा गया तथा दुर्लभ मृदा तत्त्वों (Rare Earth Elements) एवं एक्टिनाइड तत्त्वों के स्थान निर्धारित किये गये।

किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक समान होने के कारण उनके स्थान निर्धारण की त्रुटि स्वतः ही दूर हो गयी।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 3.
मेण्डलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के आवर्ती तथा वर्गों / उपवर्गों की विशेषताएँ या लक्षणों को लिखिए।
उत्तर:
(i) आवर्त सारणी की विशेषताएँ (Char- acteristics of Periodic Table)
1. आवर्त सारणी में आवर्ती की क्रम संख्या एक से सात तक होती है।

2. पहले आवर्त में केवल दो तत्त्व हैं इसलिए इसे अतिलघु आवर्त कहते हैं तथा इसमें सिर्फ हाइड्रोजन तथा हीलियम हैं।

3. आवर्त दो व तीन में आठ-आठ तत्त्व होते हैं तथा इनको लघु आवर्त कहते हैं। तीसरे आवर्त के तत्त्वों (Na, Mg, Al, Si, P, S, CI) को प्रारूपी तत्त्व (Typical Elements) कहते हैं।

4. चौथे और पाँचवें आवर्त में 18-18 तत्त्व होते हैं इसलिए इनको दीर्घ आवर्त (Long period) कहते हैं।

5. छठे तथा सातवें आवर्त में 32-32 तत्त्व आते हैं इसलिए इनको अतिदीर्घ आवर्त कहते हैं सातवें आवर्त में उस समय सिर्फ 13 तत्त्व ही ज्ञात थे।

6. प्रत्येक दीर्घ आवर्त में आठ तत्त्वों को सामान्य तत्त्व (Normal element) तथा शेष दस तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व (Transition elements) कहते हैं।

7. अतिदीर्घ छठे और सातवें आवर्त में आठ सामान्य तत्त्व 10 संक्रमण तत्त्व तथा 14 अन्त: संक्रमण तत्त्व हैं। छठी श्रेणी के अन्त संक्रमण तत्त्व लैन्थेनाइड तथा सातवीं श्रेणी के अन्तः संक्रमण तत्त्व एक्टिनाइड कहलाते हैं। इन्हें मुख्य सारणी के नीचे अलग दिखाया जाता है।

8. प्रत्येक आवर्त किसी क्षार धातु (Li, Na, K) से आरम्भ होकर किसी अक्रिय गैस, जैसे- हीलियम, निऑन, आर्गन आदि पर समाप्त हो जाता है।

9. प्रत्येक आवर्त में तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों, जैसे- धात्वीय प्रकृति, घनत्व, क्वथनांक, गलनांक और ऑक्साइड की प्रकृति में नियमित परिवर्तन ( Grada- tion) होता है।

10. द्वितीय आवर्त के पहले तीन तत्त्व ( लीथियम, बेरीलियम तथा बोरॉन) तीसरे आवर्त के तत्त्वों तथा अगले वर्ग के दूसरे तत्त्व के साथ विकर्ण समानता प्रदर्शित करते हैं। इस कारण इनके गुण समान होते हैं। जैसे- लीथियम, मैग्नीशियम के साथ, बेरीलियम, ऐलुमिनियम के साथ तथा बोरॉन, सिलिकॉन के साथ विकर्ण समानता प्रदर्शित कराता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 3
11. तत्त्वों का आवर्त में विद्युत धनात्मक गुण परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ घटता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 4

12. धात्वीय गुण – आवर्त में धात्वीय गुण परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ घटता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 5

13. संयोजकता (हाइड्रोजन के अनुसार) हाइड्रोजन के अनुसार तत्त्वों की संयोजकता पहले वर्ग 1 से 4 तक बढ़ती है और उसके उपरान्त 4 से 1 तक घटती है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 6
संयोजकता – (ऑक्सीजन के अनुसार) ऑक्सीजन के अनुसार संयोजकता वर्ग एक से आठ तक लगातार बढ़ती है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 7

14. ऑक्साइडों का क्षारीय गुण आवर्त में ऑक्साइडों का क्षारीय गुण परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ-साथ घटता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 8
क्वथनांक, गलनांक, विशिष्ट ताप में इसी प्रकार से क्रम पाया जाता है।

15. परमाणु त्रिज्या – प्रत्येक आवर्त में पहले वर्ग से सातवें वर्ग की ओर जाने पर तत्त्वों की परमाणु त्रिज्या का मान क्रमानुसार घटता है तथा किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या का मान बढ़ता जाता है।

(ii) वर्गों तथा उपवर्गों की विशेषताएँ-
(i) ‘0’ से ‘VIII’ तक कुल 9 वर्ग होते हैं।

(ii) प्रत्येक वर्ग की वर्ग संख्या अपनी विशिष्ट संयोजकता (Valency) को प्रकट करती है जैसे ‘0’ वर्ग के तत्त्वों की संयोजकता शून्य है, ‘I’ वर्ग के तत्त्वों की संयोजकता 1 है तथा III वर्ग के तत्त्वों की संयोजकता 3 है।

(iii) कुछ अपवादों को छोड़कर एक वर्ग के तत्त्वों के गुण समान होते हैं।

(iv) एक वर्ग में नीचे के तत्त्वों का परमाणु भार ऊपर के तत्त्वों के परमाणु भार से अधिक होता है।

(v) शून्य तथा आठवें वर्ग को छोड़कर अन्य वर्गों को उपवर्गों (Sub-groups ) में विभाजित किया गया है। इनको उपवर्ग ‘A’ (अ) तथा उपवर्ग ‘B’ (ब) कहते हैं। सारणी में उपवर्ग ‘A’ को बायीं ओर तथा उपवर्ग ‘B’ को दायाँ लिखते हैं। एक उपवर्ग में उपस्थित तत्त्वों में अधिक समानता पायी जाती है तथा ये तत्त्व दूसरे उपवर्ग में उपस्थित तत्त्वों से भिन्न होते हैं, जैसे प्रथम वर्ग के उप-समूह ‘A’ में 6 तत्त्व Li, Na, K, Rb, Cs व Fr हैं तथा उपवर्ग ‘B’ में Cu, Ag तथा Au उपस्थित हैं। उपवर्ग A तथा B में उपस्थित तत्त्वों में अन्तर पाया जाता है।

(vi) एक ही वर्ग में परमाणु क्रमांक के वृद्धि- के साथ तत्त्वों के गुणों में क्रमबद्ध परिवर्तन होता है।
(क) धात्विक लक्षण या धन विद्युती लक्षण-परमाणु क्रमांक के वृद्धि क्रम के साथ बढ़ता है।

(ख) आयनन विभव (Ionisation Poten-tial) – अर्थात् किसी परमाणु से इलेक्ट्रॉन विस्थापित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा परमाणु क्रमांक में वृद्धि क्रम के साथ घटती है।

(ग) विद्युत ऋणीयता (Electronega-tivity) – अर्थात् किसी परमाणु की अपनी ओर इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने की प्रवृत्ति परमाणु क्रमांक के वृद्धि क्रम के साथ घटती है।

(vii) विभिन्न समूहों में उपस्थित तत्त्व सामान्य (Nor-mal), संक्रमण (Transitional), दुर्लभ मृदा (Rare earth) तथा एक्टिनाइड (Actinied ) हो सकते हैं। आधुनिक प्रणाली में ‘B’ उपवर्ग (भारी धातुएँ) के तत्त्व संक्रमण तत्त्व कहलाते हैं और उपवर्ग ‘A’ के तत्त्व (हल्की धातु तथा अधातु) सामान्य तत्त्व (Normal elements) कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की उपयोगिता का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की उपयोगिता (Utility of Mendeleeff’s Periodic Table)
1. तत्त्वों का वर्गीकरण – मेण्डलीफ की आवर्त सारणी का मुख्य उपयोग यह है कि 109 तत्त्वों के भौतिक केवल तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन अलग-अलग न रहकर 9 समूहों तक सीमित रह गया है।

2. परमाणु भार का आकलन – चूँकि किसी वर्ग विशेष में उपस्थित तत्त्व की संयोजकता उसकी वर्ग संख्या के बराबर होती है, यदि तत्त्व का तुल्यांकी भार ज्ञात है तो उसका परमाणु भार निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात कर सकते हैं-
परमाणु भार = तुल्यांकी भार x संयोजकता

3. संदेहास्पद परमाणु भारों का सही निर्धारण- मेण्डलीफ आवर्त सारणी की सहायता से बहुत से तत्त्वों के परमाणु भारों का सही निर्धारण करने में सहायता मिली। जैसे, Be का परमाणु भार इसकी संयोजकता तीन मानकर 4.5 x 3 = 13.5 माना जाता था। 4.5 इसका तुल्यांकी भार है, परन्तु मेण्डलीफ ने इसे द्विसंयोजी मानकर द्वितीय वर्ग में रखा। बाद में इसका परमाणु भार 4.5 x 2 9 निकाला गया जो इसके रासायनिक व्यवहार से पूर्णतः मेल खाता है।

4. नये तत्त्वों की खोज में- मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में दो क्रमागत तत्त्वों के परमाणु भार में लगभग दो से तीन इकाइयों का अन्तर है। जहाँ अन्तर छह या छह से अधिक इकाई का हुआ, वहीं मेण्डलीफ ने दोनों तत्त्वों के मध्य एक रिक्त स्थान छोड़ दिया। उसने इन तत्त्वों के गुणों का वर्णन भी इस वर्ग के गुणों के आधार पर कर दिया। उदाहरणार्थ, मेण्डलीफ की मूल आवर्त सारणी में बाद में खोजे गये तत्त्व स्कैण्डियम (Se), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge) के स्थान रिक्त थे जिनको उसने क्रमशः एका बोरॉन, एका ऐलुमिनियम तथा एका सिलिकॉन नाम दिया था।

प्रश्न 5.
(i) मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान क्यों थे?
(ii) मेण्डलीफ के वर्गीकरण की कोई तीन सीमाएँ लिखिए।
(iii) किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में किस प्रकार परिवर्तन होता है?
उत्तर:
(i) मेण्डलीफ का अनुमान था कि रिक्त स्थानों की पूर्ति नए तत्त्वों की खोज से होगी। मेण्डलीफ ने आवर्त सारणी की सहायता से रिक्त स्थानों के अज्ञात तत्त्वों के गुण का पूर्वानुमान किया। अब उन सभी तत्त्वों की खोज हो चुकी है, जिनके लिए मेण्डलीफ ने सारणी में रिक्त स्थान छोड़े थे। इन तत्त्वों के गुण लगभग वही पाए गए हैं जो मेण्डलीफ ने इनकी खोज से पहले बता दिए थे।
उदाहरण-स्कैंडियम, गैलियम, जर्मेनियम।

(ii) मेण्डलीफ के वर्गीकरण की तीन सीमाएँ-

  • आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का कोई एक निश्चित स्थान होना।
  • समस्थानिकों और समभारिकों को आवर्त सारणी में स्थान देने में कठिनाई।
  • अधिक परमाणु भार के तत्त्व को कम परमाणु भार के तत्त्व से पहले रखना।

उदाहरण – कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान (भार) 58.9] को आवर्त सारणी में निकिल [परमाणु द्रव्यमान (भार) 58.7] से पहले रखा गया।

(iii) किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर संयोजकता इलेक्ट्रॉन में बाएँ से दाएँ जाने पर इकाई की वृद्धि होती है क्योंकि शेलों की संख्या अपरिवर्तित रहती है।
जै-Na : 2, 8, 1; Mg: 2, 8, 2; Al: 2, 8, 3.

प्रश्न 6.
क्या कारण है कि समान गुणों वाले तत्त्व एक नियमित अंतराल के बाद उपस्थित होते हैं यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या के क्रम में रखा गया हो?
अथवा
आप कैसे कह सकते हैं कि आधुनिक आवर्त सारणी का आधार तत्त्वों का इलेक्ट्रॉन विन्यास है?
उत्तर:
आवर्त सारणी के पहले आवर्त में 2, दूसरे और तीसरे आवर्त में 8-8 तथा चौथे और पाँचवें आवर्त में 18-18 तत्त्वों की उपस्थिति परमाणु की प्रथम, द्वितीय, तृतीय कोश (ऊर्जा स्तरों) की इलेक्ट्रॉन क्षमता से सम्बन्धित है। इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, कि आवर्त वर्गीकरण का आधार परमाणु संख्या अर्थात् इलेक्ट्रॉन की संख्या तथा अंततः इलेक्ट्रॉन विन्यास है।

यदि हम प्रथम तीन आवर्त के तत्त्वों के इलेक्ट्रॉन विन्यास पर दृष्टिपात करें तो हम पाते हैं विन्यास कि तत्त्वों के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या एक नियमित अंतराल के बाद समान होती है अर्थात् दोहराई जाती है जैसे- लीथियम, सोडियम तथा पोटैशियम के इलेक्ट्रॉन विन्यास से विदित है Li का इलेक्ट्रॉन = 2, 1, Na का 2, 8, 1 तथा K का 2, 8, 8, 1.

जैसा कि हम जानते हैं कि तत्त्वों के गुण उनके बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन (संयोजकता इलेक्ट्रॉन) की संख्या पर निर्भर करते हैं। संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होने पर उनके गुण भी समान होते हैं। यही कारण है कि नियमित अंतराल के बाद समान गुणों वाले तत्त्वों की पुनरावृत्ति होती है।

प्रश्न 7.
Na (परमाणु क्रमांक 11) और Al (परमाणु क्रमांक l3) आवर्त सारणी में एक तत्त्व की दूरी पर हैं। इनकी संयोजकता क्रमश: 1 तथा 3 है। C1 (परमाणु क्रमांक 17) और K (परमाणु क्रमांक 19) भी आवर्त सारणी में एक तत्त्व की दूरी पर हैं। किन्तु फिर भी दोनों की संयोजकता एक है। दोनों में अन्तर बताइए। प्रकार हैं-
उत्तर:
Na11 और Al13 के इलेक्ट्रॉन विन्यास निम्न
Na11 = 2, 8, 1 Al13 = 2, 8, 3.
Na11 के इलेक्ट्रॉन विन्यास में केवल 1 इलेक्ट्रॉन ही बाह्य कक्षा में है। अतः इसकी संयोजकता 1 है। Al के पास 3 संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं अतः इसकी संयोजकता 3 है।
अब, CI और K के इलेक्ट्रॉन विन्यास क्रमश: हैं-
Cl17 = 2, 8, 7 और K19 = 2, 8, 8, 1
Cl के पास 7 संयोजी इलेक्ट्रॉन होने के कारण इसे अपनी बाह्य कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की आवश्यकता होती है। अतः इसकी संयोजकता 1 है। जबकि K एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर पूर्ण इलेक्ट्रॉन विन्यास प्राप्त कर लेता है। अतः इसकी संयोजकता भी 1 है।

प्रश्न 5.
आधुनिक आवर्त नियम क्या है? आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों का वर्गीकरण समझाइए।
उत्तर:
मेण्डलीफ द्वारा प्रतिपादित आवर्त नियम में संशोधन करके आधुनिक आवर्त नियम निम्नवत् प्रस्तुत किया गया –
“तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।” आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements in Modern Periodic Table) – आधुनिक आवर्त सारणी का आधार परमाणुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है। इसके अनुसार ” तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आवर्ती फलन होते हैं।”

आवर्त सारणी में उपस्थित सभी तत्त्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर निम्नलिखित चार प्रकार के तत्त्वों में विभक्त किया जा सकता है-
1. अक्रिय तत्त्व (Inert Elements) – इस वर्ग ऐसे तत्त्व रखे गये हैं जिनके सभी कोश पूर्ण होते हैं, उदाहरणत: शून्य समूह के तत्त्व- हीलियम, निऑन, आर्गन इनके बाह्यतम कोश (Outermost shell) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns².np6 होता है। (हीलियम को इत्यादि। छोड़कर 292)

2. सामान्य तत्त्व (Normal Elements) – ये ऐसे तत्त्व हैं जिनके परमाणुओं के बाहरी कोश ही अपूर्ण होते हैं तथा बाकी सब पूर्ण होते हैं। ऐसे तत्त्वों के बाहरी कोश का सामान्य सूत्र ns1 से ns², np5 तक होता है। इस वर्ग में धातु, अधातु, उपधातु सभी आते हैं और यह सभी क्रियाशील तत्त्व होते हैं इनको दो भागों में बाँटा जा सकता है-

(क) 8 ब्लॉक के तत्त्व (Elements of s block) – s ब्लॉक के तत्त्वों के रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणुओं के बाहरी कक्ष के उपकोश पर निर्भर करते हैं। इनमें I-A तथा II-A वर्ग आते हैं। ये सभी क्रियाशील धातु होते हैं।

(ख) p-ब्लॉक के तत्त्व (Elements of p- block) – p-ब्लॉक के तत्त्वों के रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणुओं निर्भर के बाहरी कक्ष के p उपकोश के इलेक्ट्रॉनों पर करते हैं। इसमें IIIA, IVA, VA, VIA, VIIA के तत्त्व आते हैं और इनके बाहरी कक्ष के p उपकोश में 1 से 5 तक इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं। मुख्य रूप से इनमें अधातु आते हैं। जैसे- फ्लोरीन, क्लोरीन, ऑक्सीजन इत्यादि।

3. संक्रमण तत्त्व (Transition Elements) – इस वर्ग में ऐसे तत्त्व उपस्थित होते हैं जिनके दो बाहरी कोश अपूर्ण होते हैं और उनका सामान्य सूत्र (n-1)dxns² होता है जबकि x = 1, 2 …………. 10 तक। इनके बाहरी कक्ष से लगी हुई d उपकोश अपूर्ण होती है इसलिए इन्हें d – ब्लॉक के तत्त्व कहते हैं। इन तत्त्वों की चार श्रेणियाँ होती हैं जिनमें क्रमश: 3d (Sc – Zn), 4d (Y – Cd), 5d (LaHg) तथा 6d श्रेणी (अपूर्ण) है।

संक्रमण तत्त्व निम्नलिखित गुणों को प्रदर्शित करते हैं-

  • ये रंगीन आयन बनाते हैं, Fe2+ (हरा), Fe3+ (नारंगी)।
  • ये अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होते हैं।
  • ये उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
  • ये परिवर्ती संयोजकता दिखाते हैं
  • ये संकीर्ण आयन (Complex-ion) बनाते हैं।

4. आन्तरिक संक्रमण तत्त्व (Inner Transition Elements)-इस वर्ग में ऐसे तत्त्व रखे गये हैं जिनके परमाणुओं की अंतिम तीन कक्ष अपूर्ण होती हैं। यह तत्त्व f उपकोश को भरने के कारण बनते हैं। अत: इन्हें f-ब्लॉक के तत्त्व कहते हैं। इनका सामान्य सूत्र (n – 2 )fx, (n – 1)s²p6d1.ns² होता है जबकि x = 1, 2 ….. 14 तक 14f लैन्थेनाइड श्रेणी (Ce – 58 से Lu – 71 तक) तथा 5f एक्टिनाइड श्रेणी (Ac – 89 से Lw 103 तक), प्रत्येक में 14 तत्त्व होते हैं जो f-कक्षक में क्रमश: 1 से 14 इलेक्ट्रॉनों की आपूर्ति से बनते हैं। इन तत्त्वों के बाहरी दो कोशों का विन्यास समान होने के कारण इनके गुणों में बहुत समानता होती है।

5. प्रारूपिक तत्त्व (Typical Elements) – आवर्त सारणी के तृतीय आवर्त के (Na से C1 तक) तत्त्वों को प्रारूपिक तत्त्व कहते हैं क्योंकि ये तत्त्व अपने वर्गों तथा A – उपवर्गों के तत्त्वों की संयोजकता तथा अन्य रासायनिक लक्षणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न-

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. प्रारूपिक तत्त्व है-
(a) Na
(b) K
(c) Se
(d) He
उत्तर:
(a) Na

2. किसी आवर्त में बायें से दायें बढ़ने पर तत्त्वों की-
(a) धन विद्युती प्रकृति बढ़ती है
(b) धात्विकता बढ़ती जाती है।
(c) आयनिक त्रिज्या बढ़ती जाती है।
(d) तत्त्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है
उत्तर:
(d) तत्त्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है

3. किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर बढ़ने पर –
(a) आयनिक त्रिज्या घटती जाती है।
(b) सुचालकता घटती जाती है
(c) घनत्व घटता जाता है
(d) धात्विकता बढ़ती जाती है।
उत्तर:
(d) धात्विकता बढ़ती जाती है।

4. मेण्डलीफ आवर्त सारणी में एक दोष यह है कि-
(a) हैलोजन परिवार के सदस्यों को एक समूह में रखा गया है
(b) इसके आधार पर अज्ञात तत्त्वों के गुणों के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है
(c) सर्वथा भिन्न गण वाले तत्त्व एक ही समूह में स्थान पा गये हैं
(d) सारणी को बनाने में कोई आधारभूत सिद्धान्त नहीं रखा गया है
उत्तर:
(c) सर्वथा भिन्न गण वाले तत्त्व एक ही समूह में स्थान पा गये हैं

5. Li विकर्ण सम्बन्ध प्रकट करता है-
(a) Na के साथ
(b) K के साथ
(c) Al के साथ
(d) Mg के साथ
उत्तर:
(d) Mg के साथ

6. परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व का आवर्त सारणी में स्थान है-
(a) VII आवर्त, VII वर्ग
(b) III आवर्त, VII वर्ग
(c) IV आवर्त, VII वर्ग
(d) II आवर्त, VI वर्ग
उत्तर:
(b) III आवर्त, VII वर्ग

7. आधुनिक आवर्त नियम प्रतिपादित करने वाले वैज्ञानिक हैं-
(a) प्राउट
(b) न्यूलैंड
(c) मेण्डलीफ
(d) मोज्ले
उत्तर:
(d) मोज्ले

8. आधुनिक आवर्ती वर्गीकरण का आधार है-
(a) परमाणु भार
(b) परमाणु क्रमांक
(c) संयोजकता
(d) रासायनिक क्रियाशीलता
उत्तर:
(b) परमाणु क्रमांक

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

9. आवर्त सारणी के किसी समूह में परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ बढ़ता है-
(a) धन विद्युती लक्षण
(b) आयनन विभव
(c) विद्युत ऋणीयता
(d) अधात्विक लक्षण
उत्तर:
(a) धन विद्युती लक्षण

10. Be का विकर्ण सम्बन्ध है-
(a) Mg
(b) Al
(c) B
(d) Na
उत्तर:
(b) Al

11. द्वितीय आवर्त में तत्त्वों की संख्या होती है-
(a) 2
(b) 8
(c) 10
(d) 18
उत्तर:
(b) 8

12. ये तत्त्व परिवर्ती संयोजकता प्रकट करते हैं-
(a) नॉर्मल
(b) प्रारूपिक
(c) संक्रमण
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) संक्रमण

13. क्षार धातुएँ हैं-
(a) Be, Mg, Ca
(b) Li, Na, K
(c) B, Al, Ga
(d) Cu, Ag, Au
उत्तर:
(b) Li, Na, K

14. किस तत्त्व की विद्युत-धनात्मकता सबसे अधिक है-
(a) F
(b) Mg
(c) Na
(d) K
उत्तर:
(d) K

15. सर्वाधिक हाइड्रोजन संयोजकता होती है समूह ……… के तत्त्वों की।
(a) I
(b) VII
(c) IV
(d) 0
उत्तर:
(c) IV

16. तत्त्व A, B, C, D तथा E के परमाणु क्रमांक क्रमश: 9, 11, 17, 12 तथा 13 हैं। तत्त्वों का कौन सा युग्म समान समूह से सम्बन्धित है?
(a) A तथा B
(b) B तथा D
(c) A तथा C
(d) D तथा E
उत्तर:
(c) A तथा C

17. कोई तत्त्व जो क्षारकीय ऑक्साइड बनाते हैं, उसका परमाणु संख्या है—
(a) 18
(b) 14
(c) 17
(d) 19
उत्तर:
(d) 19

18. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व अम्लीय ऑक्साइड बनता है?
(a) परमाणु क्रमांक 7 युक्त तत्त्व
(b) परमाणु क्रमांक 3 वाला तत्त्व
(c) परमाणु क्रमांक 12 वाला तत्त्व
(d) परमाणु क्रमांक 19 वाला
उत्तर:
(a) परमाणु क्रमांक 7 युक्त तत्त्व

19. परमाणु क्रमांक 14 वाला तत्त्व कठोर है तथा अम्लीय ऑक्साइड एवं एक सहसंयोजक हैलाइड बनाता है। यह तत्त्व निम्नलिखित में से किस वर्ग से सम्बन्धित है?
(a) धातु
(b) उपधातु
(c) अधातु
(d) बायीं ओर वाले तत्त्व
उत्तर:
(b) उपधातु

20. आवर्त सारणी में एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर निम्नलिखित में से क्या नहीं बढ़ता है?
(a) परमाणु की त्रिज्या
(b) धात्विक अभिलक्षण
(c) संयोजकता
(d) एक तत्त्व में कोशों की संख्या
उत्तर:
(c) संयोजकता

21. निम्नलिखित में से किस तत्त्व में अधिकतम संयोजी इलेक्ट्रॉन (Valence electron) हैं-
(a) Na
(b) Mg
(c) C
(d) P
उत्तर:
(d) P

22. सर्वाधिक ऑक्सीजन-संयोजकता होती है समूह के तत्त्वों की।
(a) I
(b) VII
(c) IV
(d) 0
उत्तर:
(b) VII

23. तत्त्वों के गुण निर्भर करते हैं, उनके परमाणुओं-
(a) में प्रोटॉनों की संख्या पर
(b) में न्यूट्रॉनों की संख्या पर
(c) के द्रव्यमान पर
(d) उपर्युक्त किसी पर नहीं
उत्तर:
(a) में प्रोटॉनों की संख्या पर

24. यूरेनियम है-
(a) क्षार धातु
(b) अधातु
(c) स्थायी तत्त्व
(d) अन्त: संक्रमण धातु
उत्तर:
(d) अन्त: संक्रमण धातु

25. परमाणु क्रमांक 18 का तत्त्व होगा-
(a) वर्ग ‘शून्य में
(b) वर्ग VIII में
(c) आवर्त सं. 4 में
(d) संक्रमण धातुओं में
उत्तर:
(a) वर्ग ‘शून्य में

26. एक तत्त्व M के ऑक्साइड का सूत्र MO है। इसके नाइट्रेट का सूत्र होगा-
(a) MNO3
(b) M(NO3)2
(c) M2NO3
(d) M2(NO2)2
उत्तर:
(b) M(NO3)2

27. उभयधर्मी ऑक्साइड है-
(a) Na2 O
(b) P2O5
(c) Al2O3
(d) MgO5
उत्तर:
(c) Al2O3

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

28. निम्न में ऊष्मीय ऑक्साइड है-
(a) Al2O3
(b) K2O
(c) MgO
(d) P2O5
उत्तर:
(d) P2O5

29. निम्नलिखित में क्षारीय धातु है-
(a) Na
(b) Be
(c) Al
(d) Zn
उत्तर:
(b) Be

30. एक तत्त्व N के कार्बोनेट का सूत्र NCO3 है। इसके क्लोराइड का सूत्र होगा-
(a) MCl2
(b) MCl3
(c) MCl
(d) M2Cl
उत्तर:
(a) MCl2

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या ……………….. सकती है।
  2. एक ही ……………….. को सभी तत्त्वों के संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
  3. डॉबेराइनर ने तत्त्वों को ……………….. में वर्गीकृत किया जबकि ……………….. ने अष्टक का सिद्धान्त दिया।
  4. मेण्डलीफ ने तत्त्वों को उनके ……………….. को आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर व्यवस्थित किया।
  5. ………………. ने आवर्त सारणी में खाली स्थानों के आधार पर नए तत्त्वों की भविष्यवाणी की।
  6. तत्त्वों को परमाणु ………………. के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने से होने वाली विसंगतियाँ, परमाणु के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने से दूर हो गई तत्त्व के इस आधारभूत गुणधर्म अर्थात् परमाणु संख्या की खोज मोज्ले ने की।

उत्तर:

  1. 2n²
  2. समूह
  3. त्रिक, न्यूलैंड्स
  4. परमाणु द्रव्यमान
  5. मेण्डलीफ
  6. द्रव्यमान संख्या

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.5

प्रश्न 1.
व्यास 3 मिमी वाले ताँबे के तार को 12 सेमी लम्बे और 10 सेमी व्यास वाले एक बेलन पर इस प्रकार लपेटा जाता है कि वह बेलन के वक्र पृष्ठ को पूर्णतः ठक लेता है। तार की लम्बाई और द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यह मानते हुए कि ताँबे का घनत्व 8.88 ग्राम प्रति सेमी3 है।
हल :
दिया है:
तार का व्यास (d) = 3 मिमी
तार की त्रिज्या (r) = \(\frac {3}{2}\)मिमी = \(\frac {3}{20}\)सेमी
बेलन की त्रिज्या (R) = \(\frac {10}{2}\) = 5 सेमी
बेलन की ऊँचाई (h) = 12 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 1
बेलन के आधार का परिमाप = एक लपेटे में प्रयुक्त तार की लम्बाई
= 2πR
= 2 × 3.14 × 5
= 31.4 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 2
= \(\frac {12}{3}\) × 10 = 40
∴ प्रयुक्त तार की लम्बाई = लपेटों की संख्या × एक लपेटे में प्रयुक्त तार की लम्बाई
प्रयुक्त तार की लम्बाई (H) = 40 × 31.4 सेमी = 1256 सेमी
प्रयुक्त तार का आयतन = πr²H
= \(\frac{22}{7} \times \frac{3}{20} \times \frac{3}{20}\) × 1256
= 88.817 घन सेमी
∵ 1 घन सेमी का द्रव्यमान = 8.88 ग्राम
∴ 88.817 घन सेमी का द्रव्यमान = 8.88 × 88.817
= 788 ग्राम (लगभग) ।
अतः तार की लम्बाई = 1256 सेमी तथा तार का द्रव्यमान = 788 ग्राम (लगभग)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 2.
एक समकोण त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 3 सेमी और 4 सेमी हैं (कर्ण के अतिरिक्त) को उसके कर्ण के परित: घुमाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त द्वि-शंकु (double cone) के आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (ग का मान जो भी उपयुक्त लगे, प्रयोग कीजिए ।)
हल :
माना कि ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠B = 90°, AB = 4 सेमी, BC = 3 सेमी
समकोण ΔABC का क्षेत्रफल
= \(\frac{3 \times 4}{2}\) = 6 वर्ग सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 3
∵ AC पर BOB’ लम्ब है। माना BO = r सेमी है, तो
ΔABC का क्षेत्रफल = \(\frac{A C \times B O}{2}=\frac{5 \times r}{2}\)
6 = \(\frac {5r}{2}\) [∵ दोनों ΔABC के क्षेत्रफल हैं]
∴ r = \(\frac{6 \times 2}{5}\) = 2.4 सेमी
अतः समकोण ΔABC के परिक्रमण से बने द्वि-शंकु की त्रिज्या = 2.4 सेमी
द्वि-शंकु (double cone) का आयतन = शंकु (ABB’) का आयतन + शंकु (CBB’) का आयतन
= \(\frac {1}{3}\)πr²(AO) + \(\frac {1}{3}\)πr² (OC)
= \(\frac {1}{3}\)πr² (AO + OC) = \(\frac {1}{3}\)πr² (AC)
= \(\frac {1}{3}\)π × 2.4 × 2.4 × 5 = 9.6π घन सेमी
= 9.6 × 3.14 घन सेमी = 30.144 घन सेमी
और द्विशंकु का पृष्ठीय क्षेत्रफल = शंकु (ABB’) का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + शंकु (CBB’) का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πr (AB) + πr (BC) = πr (AB + BC)
= 3.14 × 2.4 × (4 + 3)
= 3.14 × 2.4 × 7 = 52.75 वर्ग सेमी
अतः द्विशंकु का आयतन 30.144 घन सेमी
और द्विशंकु का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 52.752 वर्ग सेमी

प्रश्न 3.
एक टंकी, जिसके आन्तरिक मापन 150 सेमी × 120 सेमी × 110 सेमी हैं, में 129600 समी3 पानी है। इस पानी में कुछ छिद्र वाली ईंटें तब तक डाली जाती हैं, जब तक कि टंकी पूरी ऊपर तक भर न जाए। प्रत्येक ईंट अपने आयतन का \(\frac {1}{17}\) पानी सोख लेती है। यदि प्रत्येक ईंट की माप 22.5 सेमी × 7.5 सेमी × 6.5 सेमी है, तो टंकी में कुल कितनी ईंटें डाली जा सकती हैं, ताकि उसमें से पानी बाहर न बहे ?
हल :
दिया है,
टंकी में पानी का आयतन = 129600 सेमी3
टंकी का आयतन = 150 × 120 × 110
= 1980000 सेमी3
प्रत्येक ईंट का आयतन = 22.5 × 7.5 × 6.5
= 1096.875 सेमी3
माना टंकी में n ईंटें डालने पर टंकी पानी से ऊपर तक भर जाएगी।
∵ n ईंटों का आयतन = 1096.875n घन सेमी
∴ ईंटों द्वारा शोषित पानी का आयतन
= 1096.875 n × \(\frac {1}{17}\)
= \(\frac {1096.875 n}{17}\)घन सेमी
टंकी में शेष बचे पानी का आयतन
= (129600 – \(\frac {1096.875 n}{17}\)) घन सेमी
टंकी का आयतन = n ईंटों का आयतन + टंकी में पानी का आयतन
⇒ 1980000 = 1096.875 n + 129600 – \(\frac {1096.875 n}{17}\)
⇒ 1980000 – 129600 = 1096.875 n – \(\frac {1096.875 n}{17}\)
⇒ 1850400 = 1096.875 n [1 – \(\frac {1}{17}\)]
⇒ 1850400 = 1096.875 n × \(\frac {16}{17}\)
⇒ 1096.875 n = \(=\frac{1850400 \times 17}{16}\)
⇒ n = \(\frac{1850400 \times 17}{16 \times 1096.875}\)
= 1792.4
≈ 1792 (लगभग)
अतः टंकी में डाली गई ईंटों की संख्या = 1792

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 4.
किसी महीने के 15 दिनों में, एक नदी की घाटी में 10 सेमी वर्षा हुई। यदि इस घाटी का क्षेत्रफल 97280 वर्ग किमी है तो दर्शाइए कि कुल वर्षा लगभग तीन नदियों के सामान्य पानी के योग के समतुल्य थी, जबकि प्रत्येक नदी 1072 किमी लम्बी, 75 मीटर चौड़ी और 3 मीटर गहरी है।
हल :
दिया है,
प्रत्येक नदी की लम्बाई = 1072 किमी चौड़ाई = 75 मी तथा गहराई = 3 मी
प्रत्येक नदी का आयतन
= 1072 किमी × 75 मीटर × 3 मीटर = 1072 × 1000 × 75 × 3 घन मीटर
= 241200000 घन मीटर
∴ तीनों नदियों के कुल पानी का आयतन = 3 × 241200000 घन मीटर
= 723600000 घन मीटर
∴ घाटी का क्षेत्रफल = 7280 वर्ग किमी (दिया है)
= 7280 × (1000)² वर्ग मीटर
= 7280000000 वर्ग मीटर
∴ वर्षा के पानी का आयतन
= 7280000000 × \(\frac {10}{100}\) घन मीटर (∵ 10 सेमी = \(\frac {10}{100}\)मीटर)
= 728000000 घन मीटर
∵ वर्षा के पानी का आयतन तीनों नदियों के पानी के आयतन के बराबर नहीं है।
अतः प्रश्न में दिए गए तथ्य असंगत हैं।

प्रश्न 5.
टीन की बनी हुई एक तेल की कुप्पी 10 सेमी लम्बे एक बेलन में एक शंकु के छिन्नक को जोड़ने से बनी है। यदि इसकी कुल ऊंचाई 22 सेमी है, बेलनाकार भाग का व्यास 8 सेमी है और कुप्पी के ऊपरी 1 सिरे का व्यास 18 सेमी है, तो इसके बनाने में लगी टीन की चादर का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (देखिए आकृति)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 4
हल :
दिया है,
कुप्पी के ऊपरी सिरे का व्यास = 18 सेमी
∴ कुप्पी के ऊपरी सिरे की त्रिज्या (R) = \(\frac {18}{2}\) = 9 सेमी
कुप्पी के आधार का व्यास = 8 सेमी
∴ कुप्पी के आधार की त्रिज्या (r) = \(\frac {8}{2}\) = 4 सेमी
बेलनाकार भाग की ऊँचाई (h) = 10 सेमी
शंकु के छिन्नक की ऊँचाई (H) = (22 – 10) = 12 सेमी
शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{H^2+(R-r)^2}\)
= \(\sqrt{(12)^2+(9-4)^2}\)
= \(\sqrt{(12)^2+(5)^2}\)
= \(\sqrt{144+25}\)
= \(\sqrt{169}\)
= 13 सेमी
शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πr (R + r) l
= n (9 + 4) × 13 = 169π वर्ग सेमी
बेलनाकार भाग का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh = 2π × 4 × 10 = 80π वर्ग सेमी
टीन की चादर का क्षेत्रफल = बेलनाकार भाग का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 80π + 169π = 249π
= 249 × \(\frac{22}{7}=\frac{5478}{7}\) = 782\(\frac {4}{7}\)सेमी²
= 782.57 वर्ग सेमी
अतः प्रयुक्त की गई चादर का कुल क्षेत्रफल = 782.57 वर्ग सेमी।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 6.
शंकु के छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए संकेतों का प्रयोग करते हुए, वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल और सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल के उन सूत्रों को सिद्ध कीजिए, जो अनुच्छेद 13.5 में दिये गए हैं।
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 5
माना एक शंकु (V, AB) का शीर्ष V, आधार की त्रिज्या r2 और तिर्यक ऊँचाई l2 है। इस शंकु के शीर्ष V से h1 नीचे स्थित बिन्दु O’ से आधार के समान्तर एक शंकु (V, CD) काटा गया है जिसकी त्रिज्या r1 तथा तिर्यक ऊँचाई l1 है।
बिन्दु D से आधार पर लम्ब DE खींचा।
ΔVO’D तथा ΔDEB में,
∠VO’D = ∠DEB
(VO’ और DE दोनों ही आधार पर लम्बवत् हैं)
∠VDO’ = ∠DBE
(दोनों शंकुओं के आधार परस्पर समान्तर हैं)
∴ ΔVO’D और ΔDEB समरूप हैं,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 6
छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = शंकु (V, AB) का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल – शंकु (V, CD) का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πr2l2 – πr1l1 = πr2(l1 + BD) – πr1l1
= πr2l1 + πr2BD – πr1l1
= π(r2 – r1) × [r1 / r2 – r1]l + πr2l
= πr1l + πr2l
अतः छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= π(r1 + r2)l
और छिन्नक का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + पहले सिरे का क्षेत्रफल + दूसरे सिरे का क्षेत्रफल
= π(r1 + r2)l + πr12 + πr22
= π(r1 + r2)l + π(r12 + r22)

प्रश्न 7.
शंकु के एक छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए संकेतों का प्रयोग करते हुए, आयतन का वह सूत्र सिद्ध कीजिए, जो अनुच्छेद 13.5 में दिया गया है।
हल :
मान शंकु (V, AB) का शीर्ष V, आधार की त्रिज्या r2 है। इस शंकु के शीर्ष V से h1 नीचे स्थित बिन्दु O’ से आधार के समान्तर एक शंकु (V, CD) काटा गया है जिसकी त्रिज्या r1 है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 7
∴ शंकु (V, AB) का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr22h2
और शंकु (V, CD) का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr12h1
∴ छिन्नक का आयतन = शंकु (V, AB) का आयतन – शंकु (V, CD) का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 8
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 - 9

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ

प्रश्न 1.
एक त्रिभुज ABC की रचना कीजिए जिसमें ∠B = 45°, ∠C = 60° और A से BC पर लम्ब AD = 4 सेमी।
हल :
दिया है ΔABC में, ∠B = 45°, ∠C = 60° तथा शीर्ष लम्ब AD = 4 सेमी।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 1
रचना :

  1. सर्वप्रथम XY रेखाखण्ड खींचा।
  2. XY रेखाखण्ड पर कोई बिन्दु D लिया।
  3. D से ED ⊥ XY खींचा।
  4. AD = 4 सेमी काटा।
  5. A बिन्दु से XY के समान्तर PQ खींची।
  6. XY के बिन्दु A पर क्रमश: ∠PAB = 45° और ∠QAC = 60° के कोण बनाती हुई रेखाएँ खींची जो XY को B तथा C बिन्दुओं पर मिलती हैं।
  7. इस प्रकार प्राप्त ΔABC ही अभीष्ट त्रिभुज है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ

प्रश्न 2.
त्रिभुज ABC की रचना कीजिए, जिसकी परिमिति 12 सेमी एवं आधार कोण 50° और 70° हों।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 2
रचना :

  1. सर्वप्रथम PQ = 12 सेमी का रेखाखण्ड खींचा।
  2. PQ के बिन्दु P से कोण RPQ = \(\frac {50°}{2}\) = 25° बनाती हुई रेखा PR खींची तथा PQ के बिन्दु Q से कोण SQP = \(\frac {70°}{2}\) = 35° का कोण बनाती हुई QS रेखा खींची जो परस्पर A बिन्दु पर काटती है।
  3. AP और AQ के लम्ब समद्विभाजक खींचे जो PQ को क्रमश: B और C बिन्दुओं पर मिलते हैं।
  4. A को B व C को 4 से मिलाया।
  5. इस प्रकार प्राप्त त्रिभुज ABC ही अभीष्ट त्रिभुज है, जिसमें AB + BC + CA = 12 सेमी है।

प्रश्न 3.
त्रिभुज ABC की रचना कीजिए जिसमें BC = 6 सेमी, AB – AC = 2 सेमी और ∠C = 30° हो ।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 3
रचना :

  1. रेखा BC = 6 सेमी की खींची।
  2. बिन्दु C पर 30° का कोण बनाती हुयी रेखा CY खींचा।
  3. CY में से CD = 2 सेमी काटा।
  4. BD को मिलाया।
  5. BD का लम्ब समद्विभाजक खींचा जो CY की A बिन्दु पर काटता है।
  6. AB को मिलाया।
    अतः अभीष्ट त्रिभुज ABC प्राप्त हुआ।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ

प्रश्न 4.
त्रिभुज PQR की रचना कीजिए, जिसमें RQ = 6 सेमी, ∠Q = 60° और PQ + PR = 8 सेमी है।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 4
रचना :

  1. सर्वप्रथम भुजा RQ = 6 सेमी की खींची।
  2. भुजा RQ के बिन्दु Q पर 60° का कोण बनाती हुयी रेखा QT खींची।
  3. QT से QS = (PQ + PR = 8 सेमी) काटा।
  4. S को R से मिलाया।
  5. RS का लम्ब समद्विभाजक खींचा जो SQ को बिन्दु P पर काटता है।
  6. P को R से मिलाया।
    ΔPQR ही अभीष्ट त्रिभुज है जिसमें PQ + PR = 8 सेमी है।

प्रश्न 5.
त्रिभुज ABC की रचना कीजिए, जिसमें AB = 4 सेमी, AC = 3 सेमी और भुजा BC पर शीर्ष लम्ब 2.5 सेमी लम्बा हो ।
हल :
रचना :
1. सर्वप्रथम XY रेखा खींची।
2. XY रेखाखण्ड पर कोई बिन्दु D लिया उस पर PD लम्ब खींचा।
3. PD में से AD = 2.5 सेमी काटा।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 5
4. A को केन्द्र मानकर क्रमशः 4 सेमी और 3 सेमी की त्रिज्या लेकर चाप लगाये जो XY को क्रमश: B और C बिन्दुओं पर काटते हैं।
5. A को B और C को 4 से मिलाया।
6. प्राप्त ΔABC ही अभीष्ट त्रिभुज है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ

प्रश्न 6.
त्रिभुज ABC की रचना कीजिए जिसमें AB = AC = 8 सेमी, ∠A = 75°, ∠B का समद्विभाजक खींचिए जो सामने की भुजा को मिले।
हल :
रचना :
1. भुजा AB = 8.0 सेमी की खींची।
2. बिन्दु A पर 75° का कोण बनाती हुयी AX रेखा खींची तथा AC = 8 सेमी काटा।
3. बिन्दु A को केन्द्र मानकर 8.0 सेमी त्रिज्या का एक चाप लगाया जो RA को C पर काटता है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 6
4. C को B से मिलाया।
5. B को केन्द्र मानकर किसी भी त्रिज्या का एक चाप PQ लगाया जो AB और BC को क्रमश: Q और P बिन्दुओं पर काटता है।
6. अब P और Q को केन्द्र मानकर दो चाप खींचे जो एक-दूसरे को S बिन्दु पर काटते हैं।
7. B और S को मिलाती हुयी रेखा खींची जो AC को M पर मिलती है।
8. इस प्रकार बना त्रिभुज AMB ही अभीष्ट त्रिभुज है।

प्रश्न 7.
ΔABC की रचना कीजिए जिसमें a = 7 सेमी, b = 5 सेमी और c = 4 सेमी। A से BC पर लम्ब डालिए ।
हल :
दिया है ΔABC में a = 7 सेमी, b = 5 सेमी और c = 4 सेमी अर्थात् BC = 7 सेमी, AC = 5 सेमी, AB = 4 सेमी।
रचना :
1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड BC = 7 सेमी खींचा।
2. B को केन्द्र मानकर 4 सेमी त्रिज्या से तथा C को केन्द्र मान कर 5 सेमी की त्रिज्या से चाप लगाए जो परस्पर A बिन्दु पर काटते हैं।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 11 रचनाएँ - 7
3. A को B से व C को A से मिलाया। यही अभीष्ट त्रिभुज ABC है।
4. अब बिन्दु A को केन्द्र मानकर चाप खींचा जो BC को क्रमश: P और Q बिन्दुओं पर काटता है।
5. P और Q को क्रमशः केन्द्र मानकर तथा उचित त्रिज्या से दो चाप BC के नीचे की ओर खींचे जो एक-दूसरे को R बिन्दु पर काटते हैं।
6. A को R से मिलाया, जो BC भुजा को S पर काटता है।
7. अत: AS, ही A से BC पर खींचा गया अभीष्ट लम्ब है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनन किसे कहते हैं? जनन के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, जनन कहलाता है।
जनन दो प्रकार के होते हैं-

  • अलैंगिक जनन
  • लैंगिक जनन।

प्रश्न 2.
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम हैं-

  • नर जननांग-पुंकेसर।
  • मादा जननांग-स्त्री केसर।

प्रश्न 3.
परागकण का निषेचन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
परागकण नरयुग्मक का निर्माण करते हैं। परागकण परागनलिका के द्वारा अण्डाशय तक पहुँचता है और अण्ड से संयुक्त होकर युग्मनज बनाता है जिसके विभाजन से नए पौधे का जन्म होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 4.
प्लेसेंटा के कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्लेसेंटा मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैव सम्बन्ध बनाये रखता है। इसी के द्वारा गर्भस्थ शिशु को माँ के द्वारा प्रचुर मात्रा में रक्त भेजा जाता है। इसके द्वारा भ्रूण पोषण और ऑक्सीजन माँ से प्राप्त करता है।

प्रश्न 5.
वर्धी प्रजनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह प्रजनन जिसमें पादप के शरीर का कोई भी वर्धी या कायिक भाग (पुष्प छोड़कर) पादप से पृथक् एक नये पौधे को जन्म जन्म देता है, उसे वर्धी या कायिक होकर एक प्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 6.
कलम बाँधना क्या है?
उत्तर:
पौधों में वर्धी प्रजनन की वह विधि जिसमें विभिन्न पौधों के दो भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक नया पौधा प्राप्त होता है, कलम बाँधना कहलाता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य में नर प्रजनन अंगों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर प्रजनन अंग निम्न प्रकार हैं-

  • एक जोड़ी वृषण
  • वृषण कोष
  • शुक्रवाहिनियाँ
  • शुक्राशय
  • प्रोस्टेट ग्रन्थि
  • मूत्र मार्ग
  • शिश्न

प्रश्न 8.
‘अण्डज’ तथा ‘जरायुज’ जन्तुओं की जनन क्रिया में क्या अन्तर है? दोनों का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे में होता है, जबकि जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है।

  • उदाहरण – अण्डज – पक्षी, सर्प, छिपकली, मेंढक आदि।
  • जरायुज – मानव, बन्दर, गाय, हाथी, बाघ आदि।

प्रश्न 9.
बीज का निर्माण पुष्प के किस भाग में होता है?
उत्तर:
पुष्प के मादा जायांग के आधार में स्थित अण्डाशय (ovary) मैं।

प्रश्न 10.
किसी कोशिका से युग्मक (Gamete) कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
कोशिका के अर्द्ध-सूत्री विभाजन से।

प्रश्न 11.
तना तथा शाखाओं द्वारा कायिक जनन करने वाले पौधों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
गन्ना, गुलाब, चमेली आदि।

प्रश्न 12.
नर एवं मादा युग्मकों को सामान्यतः क्या कहते हैं?
उत्तर:
शुक्राणु (sperm) तथा अण्डाणु (ovum)।

प्रश्न 13.
पौधे के जनन अंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
पुष्प (flower)।

प्रश्न 14.
‘परागकण’ तथा ‘परागण’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
परागकण, पुष्प के नर जननांग के परागकोश में पायी जाने वाली सूक्ष्म रचनाएँ होती हैं, जबकि परागकोश से परागकणों के मादा जायांग के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होने की क्रिया को परागण कहते हैं।

प्रश्न 15.
मानव में निषेचन क्रिया किस अंग में होती है?
उत्तर:
अण्डवाहिनी (fallopian tube) में।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 16.
‘जनन’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों द्वारा अपने समान ही अन्य जीवधारियों के उत्पन्न करने की क्रिया को जनन कहते हैं।

प्रश्न 17.
‘युग्मनज’ कैसे बनता है?
उत्तर:
एक नर युग्मक अथवा शुक्राणु तथा एक मादा युग्मक अथवा अण्डाणु के संयोजन से युग्मनज बनता है।

प्रश्न 18.
मानव मादा जनन अंग कौन-कौन होते हैं?
उत्तर:
मानव मादा जनन अंग –

  • एक जोड़ी अण्डाशय
  • अण्डवाहिनी
  • योनि
  • गर्भाशय
  • योनि द्वार

प्रश्न 19.
अण्डोत्सर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
मादा के वयस्क होने पर प्रत्येक 28 दिन में एक अण्डा उत्सर्जित होता है, यह क्रिया अण्डोत्सर्ग कहलाती है।

प्रश्न 20.
आन्तरिक निषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जन्तुओं में नए शुक्राणुओं को मादा के शरीर के अन्दर विसर्जित करता है और निषेचन की क्रिया शरीर के भीतर होती है। इस प्रकार का निषेचन आन्तरिक निषेचन कहलाता है।

प्रश्न 21.
पादप हार्मोन एथिलीन के दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर:

  • फलों को पकाता है।
  • फलों के प्राकृतिक स्वाद में परिवर्तन आ जाता है।

प्रश्न 22.
‘विखण्डन’ द्वारा जनन किस जीवधारी में होता है?
उत्तर:
अमीबा (amoeba) में।

प्रश्न 23.
‘मुकुलन’ का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीव के शरीर पर बल्ब के प्रकार की संरचना बनती है जिसे मुकुल (Bud) कहते हैं मातृ- कोशिका का केन्द्रक दो भागों में विभक्त हो जाता है तथा एक भाग मुकुल में आ जाता है। मुकुल के परिपक्व हो जाने पर वह मातृ- कोशिका से अलग हो जाता है तथा वृद्धि करता है। यीस्ट (Yeast) तथा हाइड्रा (Hydra) इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 24.
रोपण’ तथा ‘कलम लगाना’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जिस पौधे को उगाना है उसकी एक टहनी को किसी अन्य वृक्ष के ठूंठ पर लगा देने को रोपण (graft- ing) कहते हैं जबकि कलम लगाने (cutting) में पौधे की टहनी को मृदा में ही लगा दिया जाता है।

प्रश्न 25.
‘कलम’ तथा ‘स्कन्ध’ क्या है? ये कैसे मिलते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे की एक काटी गयी टहनी को ‘कलम’ कहते हैं तथा किसी वृक्ष की ढूँठ (पौधे में तने के नीचे जड़ का मिट्टी में दबा भाग ) को स्कन्ध कहते हैं। कलम किसी पौधे के तने अथवा शाख को काटकर प्राप्त होती है स्कन्ध, जड़ के ऊपर पौधे को काट देने से मिलता है।

प्रश्न 26.
ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन के मुख्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियंत्रित करता है तथा कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करता है।
साइटोकाइनिन प्रोटीन बनाने में सहायक होता है ये अंकुरण को प्रेरित करता है।

प्रश्न 27.
कलम और स्कन्ध क्या है?
उत्तर:
कलम – कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती हैं, जिस पर कलिकाओं से युक्त एक या दो गाँठें होती हैं। स्कन्ध-स्कन्ध तने वह भाग है जिसमें बहुशाखित और विस्तृत जड़ तन्त्र भूमि अन्दर हो।

प्रश्न 28.
विखण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह क्रिया विखण्डन कहलाती हैं।

प्रश्न 29.
खण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जीवों में प्रौढ़ जन्तु दो या अधिक भागों में खण्डित हो जाता है। प्रत्येक खण्ड वृद्धि कर प्रौढ़ तन्तु बना लेता है, खण्डन कहलाता है। चपटी कृमि में खण्डन क्रिया होती है।

प्रश्न 30.
किसी कोशिका के किस प्रकार के विभाजन से युग्मक उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन से।

प्रश्न 31.
जरायुज (viviparous) तथा अण्डज (oviparous) जन्तुओं के भ्रूण की विकास- क्रियाओं में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है। अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा-जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे (egg) – के खोल के भीतर होता है।

प्रश्न 32.
‘नाभिरज्जु’ (Umbilical cord) का क्या कार्य है?
उत्तर:
नाभिरज्जु, माता के शरीर से पोषक तत्त्वों को, अपरा से होकर से होकर भ्रूण तक पहुँचाती है।

प्रश्न 33.
अलैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा जीवों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा गुणित होता है, अलैंगिक जनन कहलाता है।

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प्रश्न 34.
लैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा दोनों प्रकार के जीवों की आवश्यकता होती है, उनके संकरण से उन्हीं के समान नये जीवों की उत्पत्ति होती है। लैंगिक जनन कहलाता है।

प्रश्न 35.
स्पीशीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही प्रकार के सम्बन्धित पौधे या जन्तुओं के समूह जो आपस में संकरण कर नये जीव बना सकते हैं, स्पीशीज कहलाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर बताइए।
अथवा
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन में केवल एक जीव भाग लेता है जो स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा नये जीव उत्पन्न करता है-उदाहरणत: अमीबा का विखण्डन, यीस्ट का मुकुलन तथा कायिक- जनन की विभिन्न विधियों द्वारा पौधों का जनन।

इसके विपरीत लैंगिक जनन में नर एवं मादा, दो जीव अथवा एक ही जीव के दो प्रकार के जनन अंग (पुष्पी पौधों में भाग लेते हैं। इस क्रिया में नर एवं मादा भिन्न प्रकार की युग्मक (gamete) कोशिकाएँ बनाते हैं जो अर्द्धसूत्री विभाजन से बनती हैं। युग्मकों के संयोग से युग्मनज (zygote) कोशिका बनती हैं, जो विकसित होकर नया जीवधारी बनाती है।

प्रश्न 2.
‘कायिक जनन’ क्या होता है? इसकी प्रमुख विधियाँ बताइए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों में इस विधि से क्या लाभ है?
अथवा
पौधों में कायिक जनन की दो विधियों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों के विभिन्न भागों से होने वाले कायिक जनन का उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? इसके महत्त्व का उल्लेख कीजिए। इसके लाभ तथा हानि को भी बताइए।
अथवा
उत्तर:
कायिक जनन (Vegetation Reproduction) – पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की विधि को कायिक जनन कहते हैं। इस विधि का प्रयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों यथा उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में किया जाता है।

कायिक जनन की विधियाँ (Methods of Veg- etative Reproduction ) – कायिक जनन को पौधे के किसी विशेष अंगों का प्रयोग करके उपयोग में लाया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-
(i) पत्तियों द्वारा (By Leafs) – ब्रायोफिलम जैसे कुछ पौधों की पत्तियों के किनारे पर बहुत सी कलिकाएँ निकलती हैं। अनुकूल दशाओं में कलिकाएँ वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधे बन जाती हैं।

(ii) कलम लगाना (Cutting) – इस विधि में पौधे की कलम को नम मिट्टी में लगाते हैं तो इससे जड़ें निकलती हैं और बाद में वृद्धि करके नया पौधा बन जाता है। इस विधि का उपयोग, गुलाब, गन्ना, बोगेनविलिया तथा अनन्नास उगाने में किया जाता है।

(iii) दाब लगाना (Layering) – इस विधि में पौधे की किसी शाखा को झुकाकर नम मिट्टी में दबा दिया जाता है। कुछ समय बाद इससे जड़ें निकल आती हैं और इसके बाद नया पौधा बन जाता है नयी पौध को इसके पैतृक पौधे से काटकर अलग कर लिया जाता है। नयी पौध वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बन जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा चमेली के पौधे को प्राप्त किया जाता है।

(iv) जड़ों का उपयोग करके (Use of Root) – कुछ पौधों की जड़ों पर रेशेदार कलिकाएँ होती हैं जब इन्हें नम मिट्टी में बोया जाता है; तो नये पौधे उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-शकरकन्दी, पोदीना, अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।

(v) रोपण (Grafting ) – इस प्रक्रिया में हम ऐच्छिक पौधे की टहनी (कलम) को वृक्ष के ठूंठ (स्कन्ध) पर लगा देते हैं। स्कन्ध पौधे का वह भाग होता है जिसके तने पर मिट्टी के नीचे पूरा मूल तंत्र होता है कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती है। दोनों भागों को बाँध दिया जाता है इस प्रक्रिया के कारण कलम तथा स्कन्ध एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। स्कन्ध कलम को पोषण प्रदान करता है। इस विधि को अपनाने से हम ऐच्छिक गुणों वाले पौधे तथा फल प्राप्त कर सकते हैं।

आम की विविध किस्में रोपण विधि द्वारा उगायी जाती हैं। कायिक जनन के लाभ व हानि-कायिक जनन द्वारा तैयार पौधों में बीज से उगाये जाने वाले पौधों की अपेक्षा फूल तथा फल जल्दी उगते हैं। कायिक जनन से प्राप्त पौधे पैतृक पौधे के समान होते हैं। इनमें वातावरण के अनुकूल होने की क्षमता कम होती है।

प्रश्न 3.
अलैंगिक जनन की ‘विखण्डन’ तथा ‘खण्डन’ विधियों का अन्तर उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्तर-विखण्डन-जब पूर्ण विकसित एककोशिकीय जीव समसूत्री विभाजन द्वारा, दो पूर्ण जीव बनाता है तो इसे ‘विखण्डन’ (fission) कहते हैं। उदाहरणतः अमीबा का विखण्डन द्वारा जनन।

खण्डन-स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद दो या दो से अधिक खण्डों में टूट जाते हैं। वे खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। इसे खण्डन कहते हैं।

प्रश्न 4.
‘कायिक जनन’ की ऊतक संवर्धन विधि क्या है?
उत्तर:
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) – इस विधि में पौधे से ऊतक के छोटे से भाग को काटकर या कोशिका लेकर इसे उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम (nutrient medium) में रखते हैं। इस तरह उससे एक अनियमित ऊतक वृद्धि बन जाती है जिसे कैलस (callus ) कहते हैं। कैलस का उपयोग पुनः गुणन में करते हैं अथवा उसका छोटा-सा भाग किसी अन्य पोषक माध्यम में रखते हैं जो उसमें विभेदन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा देते हैं और उसको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है। ऊतक संवर्धन से आजकल आखिंड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं।

प्रश्न 5.
‘निषेचन’ से क्या तात्पर्य है? पौधों में निषेचन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
निषेचन (Fertilisation)- नर एवं मादा युग्मक (शुक्राणु एवं अण्डाणु) के मिलने की क्रिया को निषेचन कहते हैं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में एक ही जन्तु द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों में मिलन होता है। इस क्रिया को आत्म या स्वनिषेचन (self-fertilization) कहते हैं जैसे फीताकृमि में। जब एक ही जाति के दो भिन्न-भिन्न जन्तुओं द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों के बीच परस्पर मिलन होता है तो इसे परनिषेचन (cross-fertilization ) कहते हैं। समस्त एकलिंगी एवं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में परनिषेचन होता है।

पौधों का जनन अंग पुष्प होता है। पौधों में पुंकेसर नर तथा जायांग मादा जनन अंग हैं। पुंकेसर के अग्रभाग पर परागकोश होते हैं। परगकोश में परागकण होते हैं। परागकण छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं। ये नर युग्मक बनाते हैं। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर पहुँचते-पहुँचते पतला हो जाता है। जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका कहते हैं।

वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वतिकाग्र कहा जाता है। वहाँ पानी तथा कीटों द्वारा परागकण जायांग के वर्तिका पर पहुँच जाते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली से होता हुआ बीजाणु तक युग्मनज बनाता है। ऐसे संलयन को निषेचन कहते हैं। युग्मनज से नया पौधा तैयार हो जाता है।

प्रश्न 6.
किसी पुष्प का आरेख बनाकर ‘नर’ एवं ‘मादा’ जननांगों को नामांकित कीजिए। अथवा
पुष्प का नामांकित चित्र बनाइए और इसके विभिन्न चक्रों के कार्यों को लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

  • बाह्यदल – पुष्प के अन्य भागों की सुरक्षा करना।
  • दल – परागण के लिए कीटों को आकर्षित करना।
  • पुंकेसर-नर जननांग का कार्य करना।
  • स्त्रीकेसर-मादा जननांग के रूप में कार्य करना।

प्रश्न 7.
‘द्विलिंगी जन्तु’ से क्या तात्पर्य हैं? इसका उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
द्विलिंगी जन्तु (Bisexual animals) – कुछ जन्तु जैसे- केंचुआ, जॉक आदि द्विलिंगी या उभयलिंगी (bisexual or hermaphrodite) होते हैं अर्थात् नर एवं मादा युग्मक एक ही जन्तु द्वारा उत्पन्न होते हैं फिर भी इन में परनिषेचन (cross-fertilisation) के लिए दो जन्तुओं का साथ-साथ होना आवश्यक है क्योंकि एक ही जन्तु के नर एवं मादा युग्मक अलग-अलग समय में परिपक्व (mature) होते हैं अर्थात् इनमें स्वनिषेचन (self-fertilisation) नहीं होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 8.
स्वपरागण तथा परपरागण में तीन-तीन अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वपरागण तथा परपरागण में अन्तर

स्वपरागण परपरागण
1. यह प्रक्रिया तब होती है जब नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर होते हैं। 1. इस क्रिया में नर व मादा पुष्प एक या अलगअलग पौधे पर भी हो सकते हैं।
2. नर और मादा भाग एक साथ परिपक्व होते हैं। 2. पुष्प के नर व मादा जननांग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं।
3. पुष्प प्रायः सुगन्धरहित, आकर्षक, छोटे तथा मकरन्दरहित होते हैं। 3. पुष्प प्रायः (वायु परागित पुष्पों को छोड़कर) गन्धयुक्त आकर्षक, बड़े या छोटे मकरन्दयुक्त होते हैं।

प्रश्न 9.
द्विनिषेचन एवं वर्धी प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
आवृत्तबीजियों में द्विनिषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्विनिषेचन-प्रथम निषेचन के फलस्वरूप बना युग्मनज पुनः नर-युग्मनज के साथ निषेचन करता है। इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन (Double-Fertilization) कहते हैं।

वर्धी प्रजनन या कायिक प्रजनन-कायिक या वर्धी जनन अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें पादप शरीर के किसी भी कायिक भाग (पुष्प को छोड़कर) से नये पौधों का विकास होता है।

प्रश्न 10.
यदि प्लेनेरिया अथवा हाइड्रा को कई दुकड़ों में काट दें तो इसका क्या परिणाम होगा? उस क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्लेनेरिया या हाइड्रा को कई टुकड़ों में काट देने पर प्रत्येक टुकड़ा नये जीव में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को विखण्डन कहते हैं।

प्रश्न 11.
लैंगिक जनन की जन्तुओं में सामान्य प्रक्रिया स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों ही जन्तु भाग लेते हैं। नर जन्त के जनन अंगों में विशेष प्रकार की कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) से नर युग्मक (male gamete) बनते हैं जिन्हें शुक्राणु (Sperm) कहते हैं। मादा जन्तु के जनन अंगों में इसी प्रकार मादा युग्मक (female gamete) बनते हैं, जिन्हें अण्डाणु (Ovum) कहते हैं।

नर एवं मादा जन्तुओं के बीच लैंगिक संगम की क्रिया में नर-युग्मक अर्थात् शुक्राणु का संयोग अण्डाणु से होता है, जिससे युग्मनज (Zygote) बनता है यह नये शिशु जीवधारी की प्रथम कोशिका होती है। इसकी वृद्धि एवं विभेदन की क्रिया से भ्रूण (embryo) का निर्माण होता है। जो बढ़कर गर्भ में विकसित होता है।

प्रश्न 12.
मानव में पुरुष जनन अंगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:

  • वृषण (Testes) – नर युग्मक, शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
  • शुक्रवाहिकाएँ (Vas deferens) – शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग (urethra) तक पहुँचाती है।
  • शिश्न ( Penis) – शुक्राणुओं को स्त्री के योनिमार्ग (Vagina) में प्रवेश कराता है।
  • प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) – शुक्राणुओं के पोषण हेतु विशेष प्रकार का तरल उत्पन्न करता है।
  • शुक्राशय – शुक्राणुओं से युक्त तरल (वीर्य) को संचित करना है।

प्रश्न 13.
मानव में स्त्री जननांगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:

  • अण्डाशय – इनमें मादा युग्मक (Ovum) बनते हैं।
  • अण्डवाहिनी (Oviduets) अथवा फैलोपियन नलिकाएँ (Fallopian tubes) अण्डाशयों से निर्गत अण्डाणु को गर्भाशय तक ले जाने वाली नलिकाएँ हैं। निषेचन की क्रिया इन्हीं में होती है।
  • गर्भाशय (Uterus) – निषेचित अण्डाणु अथवा युग्मनज (Zygote) अण्डवाहिनी में होकर इस थैली में पहुँचता है तथा इसकी दीवार से चिपककर क्रमश: वृद्धि से भ्रूण एवं शिशु में परिवर्तित होता है।
  • योनि (Vagina) – गर्भाशय के मुख से बाहर की ओर जाने वाली पेशीय नलिका है। इसी से होकर शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश करते हैं।
  • भग (Vulva) – योनि के बाहर की ओर खुलने वाले छिद्र को भग कहते हैं।

प्रश्न 14.
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? छोटे परिवार के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
परिवार नियोजन परिवार की जन्मदर इस प्रकार नियंत्रित हो कि परिवार सीमित रहे और बच्चों के जनम के बीच पर्याप्त समयान्तर रहे, परिवार नियोजन कहलाता है।
छोटे परिवार का महत्त्व –

  • बच्चों का पोषण सही ढंग से होता है।
  • बच्चों की शिक्षा में सुविधा होती है।
  • पारिवारिक बजट सीमित होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 15.
एक मानव शुक्राणु का नामांकित चित्र बनाइए तथा उस कोशिका का उल्लेख कीजिए जिससे इसका निर्माण होता है।
उत्तर:
मानव के शुक्राणु की रचना मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण लैंगिक कोशिकाओं (Sex cell) या युग्मक कोशिकाओं द्वारा होता है ये कोशिकाएँ नर जननों में पायी जाती हैं जिन्हें वृषण (testes) कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 2

प्रश्न 16.
नर तथा मादा युग्मक में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
नर तथा मादा युग्मक में निम्नलिखित अन्तर हैं-

नर युग्मक मादा युग्मक
1. नर युग्मक शुक्राणु होता है जो छोटा किन्तु क्रियाशील होता है। 1. मादा युग्मक अण्डाणु होता है जो बड़ा किन्तु सुस्त होता है।
2. नर युग्मक का निर्माण वृषण में होता है। 2. मादा युग्मक का निर्माण अण्डाशय के अन्दर होता है।
3. नर युग्मक चलायमान होते हैं। 3. मादा युग्मक स्थिर रहते हैं।
4. नर युग्मक का निर्माण शुक्र जनन प्रक्रिया के द्वारा होता है। 4. मादा युग्मक का निर्माण अण्डजनन प्रक्रिया के द्वारा होता है।
5. पुरुषों में एक स्खलन में करीब $20-40$ करोड़ शुक्राणु होते हैं। 5. स्त्रियों में माह में केवल एक बार मादा युग्मक उत्सर्जित होता है।

प्रश्न 17.
विखण्डन द्वारा प्रजनन क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
विखण्डन द्वारा प्रजनन कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह विखण्डन कहलाता है। पहले नाभिक का और फिर साइटोप्लाज्म का विखण्डन होता है। एक कोशिका के विभाजन से एक बार में दो नई कोशिका का निर्माण द्विखण्डन कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 3
अमीबा में द्विखण्डन की विधि से दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है।

कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर सिस्ट (रक्षक आवरण) बन जाती है। अन्दर की कोशिका कई बार विभाजित होकर अनेक पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करती है यह बहु-विखण्डन कहलाता है। म्यूकर इसी विधि द्वारा प्रजनन करते हैं।

प्रश्न 18.
निषेचन को नियन्त्रित करना कैसे सम्भव है? इससे होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर:
निषेचन को नियन्त्रित करना कृत्रिम रूप से सम्भव है, क्योंकि मादा युग्मक (अण्डाणु) निषेचन के लिए बहुत कम समय के लिए उपलब्ध होता है। विभिन्न यान्त्रिक, रासायनिक एवं शल्य चिकित्सा के तरीके उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से अण्डाणु और शुक्राणु के संयोग या गर्भावस्था में रुकावट डालने में सहायक है। शल्य चिकित्सा द्वारा पुरुषों में शुक्रवाहिनी को व स्त्रियों में फैलोपियन नली को काट दिया जाता है। रासायनिक गर्भ निरोधक दवाइयाँ एवं कण्डोम के उपयोग से भी निषेचन को नियन्त्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त माह की उस अवधि में मैथुन न करके जब स्त्री सर्वाधिक संवेदनशील होती है।

निषेचन को नियन्त्रित करने से लाभ –

  • परिवार नियोजित हो सकेगा।
  • जनसंख्या वृद्धि में नियन्त्रण सकेगा।
  • परिवार कल्याण में सहायता मिलेगी।

प्रश्न 19.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे के एक भाग को काटकर उसे एक बर्तन में पोषक तत्त्वों से युक्त माध्यम में रख देते हैं। इस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिण्ड के रूप में होती हैं जिसे कैलस कहते हैं कैलस का थोड़ा सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिससे पादप में विभेदन प्रेरित होता है। इस पादप को गमले या मिट्टी में रोपित किया जाता है, जिससे वयस्क पौधे बनते हैं। सेवन्ती, सतावर, ऑर्किड आदि इसी विधि से उगाया जाता है।

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प्रश्न 20.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर जननांग में वृषण (Testis) आ हैं, जो जोड़े में रहते हैं और मांसल थैले वृषणकोश (Scro-tum) के अन्दर स्थित होते हैं। दोनों वृषण से एक सँकरी नलिका निकलती है जो एक बड़ी नलिका मूत्रवाहिनी या यूरेथ्रा (Urethra) में खुलती है पुरुषों में यूरेथ्रा एक मांसल संरचना है इसे शिश्न (Penis) कहते हैं। शिश्न में बहुत अधिक रक्त की पूर्ति होती है। इसकी मांसपेशियाँ विशेष प्रकार की होती हैं।
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शिश्न मूत्र और शुक्राणुओं दोनों को ही बाहर निकालने का कार्य करता है। वृषण में एक विशिष्ट संरचना पायी जाती है इसे शुक्राशय (Seminal Vesicle) कहते हैं। ये शुक्राणु के पोषण के लिए एक लसलसा तरल द्रव स्त्रावित करते हैं। शुक्राणु शिश्न द्वारा मादा जननांग में छोड़े जाते हैं। नर जनन तंत्र पुरुषों में 13-14 वर्ष की उम्र में क्रियाशील हो जाते हैं।

प्रश्न 21.
मनुष्य में मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए। अण्डाशय और अण्डवाहिनी का कार्य लिखिए।
उत्तर:
मादा जननतन्त्र में अण्डाशय (Ovary), अण्डवाहिनी (Oviduct), योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus) और योनिद्वार (Vulva) होते हैं। अण्डाशय (Ovaries) एक जोड़े में पाये जाते हैं और उदरगुहा (Ab- dominal cavity) में स्थित होते हैं। प्रत्येक अण्डाशय के निकट एक सँकरी नलिका के रूप में अण्डवाहिनी
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 5
शुरू होकर पतली और कुण्डलित फेलोपियन ट्यूब में बढ़ती है। दोनों ओर की अण्डवाहिनियाँ एक चौड़े नाल में खुलती हैं, इसे गर्भाशय कहते हैं। गर्भाशय एक अन्य सँकरे कक्ष में खुलता है जिसे योनि कहते हैं। यह एक संकर छिद्र योनिद्वार द्वारा बाहर खुलती हैं। उत्सर्जन नलिका (मूत्र वाहिनी) एक स्वतन्त्र छिद्र द्वारा बाहर खुलती है।
(i) अण्डाशय के कार्य दो अण्डाशय उदर गुहा के निचले भाग में स्थित होते हैं। इनमें अण्डाणु बनता है।

(ii) अण्डवाहिनी के कार्य- यह पतली, कुण्डलित पेशीय नली है जो गर्भाशय और अण्डाशय को जोड़ती है। यह अपनी कशाभिका क्रियाओं द्वारा अण्डाणुओं को गर्भाशय तक पहुँचाती है तथा निषेचन के
लिए स्थान प्रदान करती है।

प्रश्न 22.
सजीवों में प्रजनन को संक्षिप्त में समझाइये।
अथवा
अलैंगिक प्रजनन तथा लैंगिक प्रजनन को समझाइए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, प्रजनन कहलाता है। यह सजीवों का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है।
प्रजनन मुख्यतः दो विधियों से होती है- (i) अलैंगिक जनन, (ii) लैंगिक जनन।
(1) अलैंगिक जनन इस प्रकार के जनन में नर तथा मादा युग्मकों का निर्माण नहीं होता है। एक ही जीव समसूत्री विभाजन विधि से जनन करता है। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं और नये जीव को जन्म देते हैं। इसकी प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • विखण्डन
  • मुकुलन
  • बीजाणुओं द्वारा जनन,
  • खण्डन
  • कायिक प्रवर्धन

(2) लैंगिक जनन – इस प्रकार के जनन में नये जीव की उत्पत्ति नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयुग्मन से प्राप्त युग्मनज से होती है। नर युग्मक तथा मादा युग्मक क्रमशः वृषण तथा अण्डाशय में बनते हैं जो निषेचन की प्रक्रिया द्वारा मिलते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमीबा में अलैंगिक जनन की विधियाँ लिखिए।
उत्तर:
अमीबा में जनन अमीबा में जनन द्विखण्डन विधि द्वारा होता है। इस विधि में अमीबा समसूत्री विभाजन द्वारा पहले केन्द्रक का तथा बाद में कोशिका द्रव्य विभाजित खण्ड विकसित होकर दो पुत्री अमीबा का निर्माण कर देता है जो बड़ी होकर मातृ अमीबा का रूप ले लेती हैं। चूँकि इसमें एक जीव बीच में से टूटकर दो भागों में बँट जाता है, अत: इसे द्विखण्डन कहते हैं।
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प्रश्न 2.
कायिक प्रवर्धन के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  • इस विधि से बिना बीज वाले पौधे विकसित किये जा सकते हैं।
  • इस विधि में इच्छित गुणों वाले पौधे एवं फलों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस विधि से उत्पन्न पौधों में जल्दी पुष्प खिलते हैं और फल भी जल्दी लगते हैं।
  • यह विधि कुछ पौधों को उगाने की एक सुगम तथा जल्दी बढ़ाने में सहायक है।

प्रश्न 3.
बाह्य निषेचन तथा आन्तरिक निषेचन का क्या अर्थ है? स्वयं निषेचन तथा पर- निषेचन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बाह्य निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा शरीर के बाहर होती है तो इसे बाह्य निषेचन कहते हैं।
उदाहरण- मेढक में।

आन्तरिक निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा के शरीर के अन्दर होती है तो इसे आन्तरिक निषेचन कहते हैं। उदाहरण- गाय, मनुष्य में।

स्वयं निषेचन – जब किसी एकलिंगी जीव के नर युग्मक तथा मादा युग्मक का निषेचन होता है तो वह क्रिया स्वयं निषेचन कहलाती हैं। उदाहरण- केंचुआ।

पर-निषेचन – जब एक जीव (नर) का शुक्राणु (नर युग्मक) दूसरे जीव मादा के अण्डाणु (मादा युग्मक) को निषेचित करता है तो यह क्रिया पर निषेचन कहलाती है।

प्रश्न 4.
पुरुष में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इस अवस्था के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पुरुष में प्रजनन अंग 13-14 वर्ष की आयु में क्रियाशील होते हैं। इन अंगों से हार्मोन स्रावित होते हैं जिससे शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं। इस अवस्था के प्रमुख लक्षण हैं-

  • जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
  • मूँछ और दाढ़ी का निकलना।
  • बगलों में तथा शिश्न व वृषणकोश के चारों ओर बाल उगना।
  • शरीर सुडौल व ताकतवर हो जाता है।

प्रश्न 5.
स्त्रियों में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इसके प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
स्त्रियों में प्रजनन अंग 11-14 वर्ष की आयु में अपना कार्य करना प्रारम्भ करते हैं। इस अवस्था में लड़कियों में प्रमुख लैंगिक लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • वक्ष का विकसित होना।
  • जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
  • ऋतुस्राव प्रारम्भ होना।
  • बगल में बाल निकलना।

प्रश्न 6.
उभयलिंगी जीवों में लैंगिक प्रजनन को समझाइये।
उत्तर:
कुछ ऐसे जीव होते हैं जिसमें नर एवं मादा ही जननांग पाये जाते हैं, इन्हें उभयलिंगी कहते हैं। इन जीवों में एक ही समय में एक ही जननांग क्रियाशील होता है अर्थात् ये द्विलिंगी होते हुए भी एकलिंगी जीवों जैसा व्यवहार करते हैं और नर एवं मादा युग्मक अलग- अलग समय में उत्पन्न करते हैं। अतः इसमें अपने आप प्रजनन नहीं होता बल्कि एक युग्मक नर एवं दूसरा मादा जीव से संयुक्त होता है और नये जीव की उत्पत्ति होती है।

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प्रश्न 7.
परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसकी विधियों का विवरण दीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? परिवार नियोजन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन को परिभाषित कीजिए। नियोजित परिवार के लिए दो स्थायी विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिवार नियोजन (परिवार कल्याण) (Family Planning) – परिवार कल्याण (परिवार नियोजन) का मुख्य उद्देश्य जन्म दर को कम करना जब परिवार में सीमित 2-3 बच्चे होंगे तो कल्याणकारी योजनाओं को भली प्रकार बनाया जा सकता है। परिवार में बच्चों को पेटभर अच्छा भोजन, तन ढकने को वस्त्र, उचित शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल आसानी से की जा सकती है। इससे परिवार का कल्याण होगा। परिवार सीमित रखने के विभिन्न उपाय हैं। इसको दो विधियों में बाँटा गया है-

  • अस्थायी विधियाँ
  • स्थायी विधियाँ।

1. अस्थायी विधियाँ (Temporary Methods)
(क) आत्मसंयम (Self-control) – पुरुष का स्त्री के साथ केवल सुरक्षित काल में ही लैंगिक सम्पर्क हो। शेष दिनों में आत्मसंयम रखें।

(ख) लूप (Loop) – अस्पतालों में परिवार कल्याण विभाग द्वारा स्त्रियों को लूप लगाने की व्यवस्था है। इसके लगवाने के बाद गर्भधारण नहीं हो सकता।

(ग) निरोध (Condom ) निरोध का प्रयोग पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसके प्रयोग से गर्भधारण नहीं हो सकता।

(घ) स्त्रियों का सुरक्षित काल (Safe Period) – मासिक धर्म के एक सप्ताह पूर्व तथा एक सप्ताह बाद का समय सुरक्षित काल कहा जाता है। इस समय में गर्भधारण करने की सम्भावनाएँ कम रहती हैं। यह विधि विश्वसनीय नहीं है।

(ङ) रासायनिक ओषधियाँ (Pills) – अस्पताल से गर्भनिरोधक गोलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं जिससे गर्भ-धारण करने की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं।

(च) गर्भसमापन (Abortion ) अनावश्यक बच्चे के लिए अस्पताल जाकर लेडी डॉक्टर की सलाह से गर्भसमापन कराया जा सकता है। किसी अप्रशिक्षित अकुशल स्त्री द्वारा गर्भ समापन नहीं कराना चाहिए, इससे महिला के जीवन को खतरा हो सकता है।

2. स्थायी विधियाँ (Permanent Methods)
(क) पुरुष का ऑपरेशन (Vasectomy) – शुक्रनलिका का यह बहुत ही साधारण ऑपरेशन है। इसमें किसी प्रकार का भय नहीं है।

(ख) महिला का ऑपरेशन ( Tubectomy)- अण्डनलिका का यह ऑपरेशन साधारण होता है घाव पूरा होने की अवधि में सावधानी रखनी चाहिए।

प्रश्न 8.
पौधों में अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पादपों में अलैंगिक जनन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction):
इस प्रकार के जनन में दो लिंगों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार हैं-
(1) विखण्डन (Fission ) – जब जीव पूर्ण विकसित होता है तब यह दो भागों में विभाजित हो जाता है, इसे विखण्डन कहते हैं पहले केन्द्रक विभाजित होता है और फिर कोशिका द्रव्य विखण्डन से जब दो जीव बनते हैं तो उस प्रक्रिया को द्विखण्डन कहते हैं। इससे दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।

कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था (Cyst) कहते हैं। पुटी के अन्दर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएँ जाती हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत सी कोशिकाएँ को पुटी बन बाहर निकल जाती हैं।

(2) मुकुलन (Budding) – शरीर पर एक बल्ब की तरह की संरचना बनती है जिसे मुकुल (bud) कहते हैं। शरीर का केन्द्रक दो भागों में उनमें जीव से अलग होकर वृद्धि विभाजित हो है और से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है। मुकुल पैतृक करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। उदाहरणतः यीस्ट और हाइड्रा

(3) खण्डन (Fragmentation) – स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतः दो या अधिक खण्डों में टूट जाते हैं ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं।

(4) बीजाणुजनन (Sporogenesis ) – कुछ जीवाणु तथा निम्नवर्गीय जीव बीजाणु विधि द्वारा जनन प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा के लिए उसके करते हैं। बीजाणु कोशिका की विराम अवस्था है जिसमें चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है। अनुकूल परिस्थिति में मोटी भित्ति टूट जाती है और जीवाणु सामान्य विधि से जनन करता है और वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। इस विधि द्वारा जनन करने के कुछ उदाहरण हैं- म्यूकर, फर्न अथवा माँस।

(5) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)- पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि का उपयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों विशेषतः उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में प्रवर्धन अथवा एक सामान्य पोदीने की किया जाता है। पौधों में कायिक विधि है। उदाहरणतः अमरूद, शकरकन्द छोटी-छोटी जड़ों पर अपस्थानिक कलियाँ होती हैं। होती हैं। ये कलियाँ अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बना देती हैं।

अन्य पौधों में उनकी शाखाएँ कुछ दूरी तक उगती हैं और उसके बाद उनमें भूमि की ओर अपस्थानिक जड़ें और ऊपर की ओर पत्तियाँ निकलती हैं। आलू की शल्की कार्यों के कक्ष में कलियाँ होती हैं। इन कलियों से वायवीय प्ररोह विकसित हो जाते हैं। इसके अन्य उदाहरण हैं-अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।

पत्तियाँ (Leafs) – ब्रायोफिल्लम के पौधों में पत्तियों के किनारों पर स्थित खाँचों में अपस्थानिक कलिकाएँ होती हैं जो अनुकूल दशाओं में विकसित होकर पूरा पौधा बना देती हैं।

किसानों ने पौधों में कायिक प्रवर्धन विधि का उपयोग अपने आर्थिक लाभ के लिए किया है। इस विधि से वह उद्यानों तथा नर्सरी में नये-नये पौधे उगा सकता है। कायिक प्रवर्धन में रोपण, कलम, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन जैसी विधियाँ अपनायी जाती हैं।

प्रश्न 9.
पौधों में लैंगिक जनन के अंगों का विवरण देते हुए इसकी प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
पौधों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduc- tion in Plants) पुष्प पौधे का जनन अंग होता है। चित्र में फूल में जनन अंगों को दिखाया जाता है। इसमें पुंकेसर (Stamens) नर तथा जायांग (Gynoecium) मादा जनन अंग है। पुंकेसर के अग्र भाग पर परागकोश (Anthers) होते हैं। परागकोश में परागकण होते हैं। परागकण (Pollen grains) छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं जो नर युग्मक का कार्य करती है। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर जाते जाते पतला होता जाता है। निचले चौड़े आधार को अण्डाशय (Ovary) कहते हैं। इसमें अण्डाणु होते हैं। अण्डाणु में बीजाण्ड (Ovule) होते हैं जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका (Style) कहते हैं।

वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वर्तिकाग्र (stigma) कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकान पर पहुँच जाते हैं। परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (Pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है। यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (Zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है।
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प्रश्न 10.
परपरागण किसे कहते हैं? पर परागण की विभिन्न विधियों का केवल नाम लिखिए। परागकण के अंकुरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर परागण – एक पुष्प के परागकण उसी प्रजाति के किसी अन्य पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचने की क्रिया पर परागण कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 8
परपरागण की विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • कीट परागण
  • वायु परागण
  • जल परागण
  • पक्षी परागण
  • मनुष्य परागण

परागकण का अंकुरण – वर्तिकाग्र से सामान्यतः एक तरल पदार्थ स्त्रावित होता है जिसमें प्राय: शर्करा या मैलिक अम्ल जैसे रसायन होते हैं। तरल पदार्थों को अवशोषित करके परागकण फूलने लगता है। अन्त: चोल (intine) जनन छिद्रों (germ pore) से परागनलिका (pollen tube) के रूप में बाहर निकल आता है। परागनलिका में जनन केन्द्रक तथा वर्धी केन्द्रक आ जाते हैं।

प्रश्न 11.
पादप हॉर्मोन्स क्या हैं? किन्हीं तीन पादप हॉर्मोन्स के नाम एवं उनके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो पादप हॉर्मोन्स के नाम तथा इसके एक-एक कार्य बताइए।
अथवा
ऑक्सिन एवं जिब्रेलिन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन्स (Plant Harmones) – पौधों में तन्त्रिका तन्त्र नहीं होता है। अतः इनमें केवल रासायनिक समन्वय ही होता है। जन्तुओं की भाँति पौधों की कुछ विशिष्ट कोशिकाओं में एक विशेष प्रकार का रस या रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है जिन्हें हॉर्मोन (Hor- mones) कहते हैं। हॉर्मोन जटिल कार्बनिक यौगिक है। विभिन्न प्रकार के हॉर्मोन अलग-अलग जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। आवश्यकतानुसार हॉर्मोन शरीर में एक जगह से दूसरे जगह स्थानान्तरित होते रहते हैं। पादप हॉर्मोन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
1. ऑक्सिन (Auxin) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं जो वृद्धि नियंत्रक में भाग लेते हैं। ये पौधे के जड़ एवं तनों के शीर्ष पर उत्पन्न होते हैं तथा लम्बाई में बढ़ने वाले भाग की तरफ स्थानान्तरित होकर कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं। पौधों में आकृति एवं आकार के विकास पर भी इनका नियंत्रण होता है।

ऑक्सिन के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • इण्डोल ऐसीटिक एसिड (IAA)
  • इण्डोल प्रोपियोनिक एसिड (IPA)
  • इण्डोल ब्यूटारिक एसिड (IBA)
  • नेपथेलीन ऐसीटिक एसिड (NAA)
  • फिनाइल ऐसीटिक एसिड (PAA) आदि।

इनके निम्नलिखित कार्य है-

  • ये कोशिका वृद्धि एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करते हैं।
  • अंकुरित बीजों की जड़ों में ऑक्सिन वृद्धि दर को कम कर देते हैं।
  • जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियन्त्रित करते हैं।
  • ऑक्सिन पत्तियों का गिरना, फूलों का खिलना तथा फलों का बनना एवं पकना आदि को प्रभावित करते हैं।
  • अनिषेचित पुष्पों पर IAA के छिड़काव से बीजरहित फल मिलते हैं।
  • कुछ ऑक्सिन खरपतवार नाशक होते हैं अर्थात् गेहूँ, मक्का आदि के खेतों में उगे खरपतवार ऑक्सिन के छिड़काव से नष्ट हो जाते हैं।

2. जिब्रेलिन (Gibberelins) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं। इसमें कई हॉर्मोन आते हैं। ये तनों के शीर्ष, नई पत्तियों तथा बीजों में बनते हैं इस समूह का मुख्य हॉर्मोन, जिब्रेलिक एसिड है। इसके कार्य निम्नलिखित

  • इसके प्रभाव से कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा पौधे लम्बे हो जाते हैं। इसके छिड़काव से बौने मटर एवं मक्के के पौधे लम्बे हो जाते हैं। यहाँ तक कि पौधे की दूनी, तिगुनी वृद्धि हो जाती है।
  • ये काष्ठीय पौधों में कैम्बियम की सक्रियता को बढ़ाते हैं।
    JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 9
  • इसके प्रभाव से पौधे कम समय में ही पुष्पित होने लगते हैं।
  • इसका प्रयोग बीजरहित फलों उत्पादन होता है।
  • इसके छिड़काव से फूलों एवं फलों का आकार बड़ा हो जाता है।
  • यह बीजों की सुसुप्त ( निष्क्रिय) अवस्था को समाप्त करके उसे अंकुरित करता है।
  • फूलों को खिलने में सहायता करता है।

3. काइनन्स (Kinins) – ये भी जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। इसका मुख्य उदाहरण काइनेटिन (kinetin) है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • ये कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं।
  • ये प्रोटीन बनाने में सहायक होते हैं।
  • इनके द्वारा पार्श्व कलिकाएँ अधिक वृद्धि करती हैं।
  • ये बीजों के अंकुरण को प्रेरित करते हैं।

4. एब्सेसिक एसिड (Abscissic Acid) – इसे ABC हॉर्मोन कहते हैं। वैज्ञानिकों को अभी कुछ वर्षों पहले इसका पता चला है। इसका संश्लेषण पत्तियों तनों फलों एवं बीजों में होता है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • इसके प्रभाव से तने की वृद्धि मन्द हो जाती है।
  • यह पौधों की पत्तियों, फलों एवं फलों के गिरने का नियमन करता है।
  • यह रन्ध्रों के छिद्रों का नियमन कर वाष्पोत्सर्जन क्रिया को कम कर देता है।

प्रश्न 12.
निषेचन किसे कहते हैं? द्विनिषेचन एवं निषेचनोपरान्त पुष्प में होने वाले परिवर्तनों को समझाइए।
उत्तर:
आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन के समय परागनली में उपस्थित दो नर युग्मकों में से एक नर युग्मक बीजाण्ड के साथ संलयित होता है तथा दूसरा युग्मक द्वितीयक केन्द्रक से संलयित होता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं।

परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है।

यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है। निषेचनोपरांत पुष्प में होने वाले परिवर्तन- निषेचन के बाद फूल के पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्यदल सूख जाता है पर अण्डाशय से लगा रहता है। अण्डाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है। इसमें स्थित कोशिकाएँ विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरम्भ हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 10
बीज में एक पौधा अथवा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूलज), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र (Coty- ledons) होते हैं बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज कठोर होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थित में भी जीवित रह सकता है। अण्डाशय की दीवार या तो कडी हो जाती है और एक फली बन जाती है, जैसे खसखस में अथवा एक गूदेदार रसीला फल बन सकती है जैसे- आलूबुखारा अथवा टमाटर में निषेचन के बाद सारे अण्डाशय को फल कहते हैं।

प्रश्न 13.
निषेचन के बाद पुष्प में होने वाले परिवर्तनों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निषेचन के बाद पुष्य में होने वाले परिवर्तन

  • बाह्यदलप्राय: मुरझाकर गिर जाते हैं, परन्तु टमाटर, बैंगन, रसभरी, मिर्च आदि फलों के साथ लगे रहते हैं।
  • दल – मुरझाकर गिर जाते हैं।
  • पुंकेसर झड़ जाते हैं।
  • वर्तिकाग्र – मुरझा जाता है।
  • वर्तिकामुरझा जाती है।
  • अण्डाशय फल में बदल जाता है।
  • बीजाण्ड – बीज में परिवर्तित हो जाता है।
  • अण्डकोशिका – भ्रूण बनाती है।
  • द्वितीय नर युग्मक परागनली में प्रवेश करने वाले दो शुक्राणुओं में से एक अण्डाणु से संलयित (fuse) होकर युग्मक (zygote) बनाता है। दूसरा शुक्राणु अन्य अण्डाणु (ovum) से मिलकर द्वितीयक युग्मज ( diploid zygote) बनाता है जिससे एक स्राव (secretion) उत्पन्न होता है। यह नाव प्रथम युग्मनज को आवरण के रूप में ढक लेता है, जिससे बीजाणु (oospore) बनता है।
  • बीजाण्ड कवच बीजाण्ड बनता है।
  • बीजाण्डवृन्त- बीजवृन्त बनाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. शुक्राणु उत्पन्न होते हैं-
(a) शुक्राशय
(b) शिश्न में
(c) शुक्राणु नली में
(d) वृषण में
उत्तर:
(d) वृषण में

2. अण्डाणु उत्पन्न होते हैं-
(a) गर्भाशय में
(b) अण्डाशय में
(c) योनि मार्ग में
(d) डिम्बवाहिनी में
उत्तर:
(b) अण्डाशय में

3. केवल नर में पायी जाने वाली ग्रन्थि है-
(a) प्रोस्टेट
(b) जठर
(c) पेरिनियल
(d) पैन्क्रियास
उत्तर:
(a) प्रोस्टेट

4. मनुष्य का वृषण देहगुहा के बाहर होता है क्योंकि-
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे
(b) देहगुहा में स्थान की कमी है।
(c) मैथुन में सुगमता होती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

5. नर जनन अंगों से सम्बन्धित ग्रन्थि है-
(a) एथिडिडाइमिस
(b) अधिवृक्क ग्रन्थि
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि
(d) अग्न्याशय
उत्तर:
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि

6. मानव मादा में निषेचन होता है-
(a) गर्भाशय में
(b) अंडाशय में
(c) योनि में
(d) फैलोपियन नलिका में
उत्तर:
(d) फैलोपियन नलिका में

7. निम्नलिखित में से किसमें मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) स्पाइरोगाइरा
(d) ब्रायोफिलम
उत्तर:
(b) यीस्ट

8. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण किसमें विद्यमान होते हैं?
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) राइबोसोम
(c) गॉल्जीकाय
(d) जीन
उत्तर:
(d) जीन

9. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण क्या प्रदर्शित करते हैं?
(a) केवल जनकों से समानताएँ
(b) केवल जनकों से विविधताएँ
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ
(d) न समानताएँ और न विविधताएँ
उत्तर:
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ

10. अमीबा, स्पाइरोगाइरा और यीस्ट में जनन की सामान्य विशेषता क्या होती है?
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(b) ये सभी एककोशिक हैं।
(c) ये केवल लैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(d) ये सभी बहुकोशिक हैं।
उत्तर:
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।

11. पुष्प में कितने भाग होते हैं?
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच
(d) छह
उत्तर:
(d) छह

12. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(d) मॉस में

13. खण्डन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(b) स्पाइरोगाइरा में

14. मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(c) यीस्ट में

15. हाइड्रा में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(b) मुकुलन द्वारा

16. म्यूकर में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(d) बीजाणुओं द्वारा

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

17. कायिक प्रवर्धन सम्भव है-
(a) जड़ द्वारा
(b) तना द्वारा
(c) पत्ती द्वारा
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा
उत्तर:
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा

18. द्विनिषेचन पाया जाता है-
(a) सभी जीवों में
(b) सभी पादपों में
(c) आवृत्तबीजी पौधों में
(d) केवल जलीय पौधों में
उत्तर:
(c) आवृत्तबीजी पौधों में

19. तने पर अपस्थानिक कलियाँ पायी जाती हैं-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) प्रायोफिल्लम मैं
(d) सभी में
उत्तर:
(b) आलू में

20. पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) ब्रायोफिल्लम में
(d) सभी में
उत्तर:
(c) ब्रायोफिल्लम में

21. अन्तरावस्था के दौरान केन्द्रक में किसका जाल होता है?
(a) हिस्टोन का
(b) क्रोमेटिन धागे का
(c) गुणसूत्रों का
(d) RNA का
उत्तर:
(b) क्रोमेटिन धागे का

22. ऐच्छिक किस्म का पौधा प्राप्त करने के लिएउपयुक्त विधि है-
(a) कलम
(b) रोपण
(c) दाब
(d) इनमें से कोई भी
उत्तर:
(b) रोपण

23. निषेचन के बाद फल में बदलता है-
(a) बाह्यदल
(b) पुंकेसर
(c) अण्डाशय
(d) बीजाण्डासन
उत्तर:
(c) अण्डाशय

24. परागनली नर युग्मक की संख्या होती है-
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

25. मुकुलन द्वारा अलिंगी जनन निम्नलिखित में से किस जन्तु में होता है?
(a) मेढक
(b) अमीबा
(c) केंचुआ
(d) हाइडा
उत्तर:
(d) हाइडा

26. किस पादप हॉरमोन का उपयोग बिना निषेचन के बीजरहित फल के निर्माण में किया जाता है?
(a) जिबरेलिन
(b) एथिलीन
(c) साइटोकाइनिन
(d) ऑक्सिन
उत्तर:
(a) जिबरेलिन

27. अनिषेक फलन (बीजरहित फलन) को प्रोत्साहित करता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एथिलीन
(d) फ्लोरीजेन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन

28. परागकणों का परागकोश से वर्तिका तक स्थानान्तरण कहलाता है-
(a) परागण
(b) अण्डोत्सर्ग
(c) निषेचन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) परागण

29. निम्नलिखित में से कौन पादप हॉर्मोन है-
(a) फीरोमोन
(b) जिब्रेलिन
(c) हिपैरिन
(d) इंसुलिन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन

30. पतझड़ से सम्बन्धित हॉर्मोन्स होता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एब्सेसिक अम्ल
(d) एथिलीन
उत्तर:
(c) एब्सेसिक अम्ल

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. आलू में कायिक संचरण ……………….. द्वारा होता है।
  2. मानव मादा में अंडे का निषेचन ……………….. होता है।
  3. अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को ……………….. कहते हैं।
  4. मानव नर में शुक्राणु उत्पादन ……………….. अंग से होता है।
  5. मादा पुष्प का ……………….. भाग होता है।
  6. अलैंगिक जनन में ……………….. जीव निहित होते हैं।

उत्तर:

  1. स्तंभ
  2. फैलोपियन नालिका में
  3. अंडोत्सर्ग
  4. वृषण
  5. जायांग
  6. एक

JAC Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

→ प्राकृतिक संसाधन-प्राकृतिक रूप से प्राप्त वस्तुएँ जिनका उपयोग मानव द्वारा होता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। जल, मृदा, वायु, खनिज, वन एवं वन्य पशु, सौर ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

→ अनवीनीकृत संसाधन-वे संसाधन जिनमें पुनः स्थापना फी सहज क्षमता नहीं होती है। कोयला, पेट्रोलियम, लोहा, खनिज पदार्थ इसके अन्तर्गत आते हैं।

→ नवीनीकृत संसाधन-वे संसाधन जिनमें पुनःस्थापना की एक सहज क्षमता होती है। मृदा, जल, वन, वायु एवं वन्य जीव इसके अन्तर्गत आते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

→ प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण-प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा सुनियोजित उपयोग जिसमें ये अनन्तकाल तक चलता रहे।

→ पुनः चक्रीकरण-इस प्रक्रिया से अनवीनीकरण संसाधनों को संरक्षित किया जा सकता है।

→ प्राकृतिक संसाधनों को दो वर्गों में रखा जा सकता है-

  • नवीनीकरण योग्य
  • अनवीनीकरण योग्य।

→ वन-सम्पदा का प्रबन्ध सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

→ जीवाश्म ईंधन, जैसे कोयला एवं पेट्रोलियम, अंतत: समाप्त हो जायेंगे। इनकी मात्रा सीमित होती है और इनके दहन से पर्यावरण प्रदूषित होता है, अतः इन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने वाले रसायन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने वाले रसायन को पादप हॉर्मोन्स कहते हैं।

प्रश्न 2.
मनुष्य में पाई जाने वाली अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में पाई जाने वाली अंत:स्रावी ग्रन्थियाँ हैं-थॉयराइड, पेंक्रियास, एड्रिनल, पीयूष, अण्डाशय एवं वृषण।

प्रश्न 3.
न्यूरॉन एवं एक्सान (तंत्रिकाक्ष) के कार्य लिखिए।
उत्तर:
न्यूरॉन सन्देश संजिन का कार्य करता है तथा एक्सान डेन्ड्राइट द्वारा किये गये संवेदना को विद्युत आवेश के रूप में वहन करने का कार्य करता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 4.
अण्डाशय एवं वृषण से स्रावित होने वाले हॉर्मोन के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर:
अण्डाशय द्वारा स्रावित होने वाला हॉर्मोन एस्ट्रोजन है इसका कार्य मादा लैंगिक लक्षणों का विकास करना है।
वृषण द्वारा स्रावित होने वाला हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन है। इसका कार्य पुरुषों में लैंगिक लक्षणों का विकास करना है।

प्रश्न 5.
रसायनानुवर्तन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परागनलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना।

प्रश्न 6.
मानवों में पश्चमस्तिष्क का एक कार्य बताइए।
उत्तर:
अनैच्छिक क्रियाएँ; जैसे-रक्तदाब, लार आना तथा वमन पश्चमस्तिष्क स्थित मेडुला द्वारा नियंत्रित होती हैं।

प्रश्न 7.
बहुकोशिकीय जीवों में नियंत्रण तथा समन्वय प्रदान करने वाले दो ऊतकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • तंत्रिका ऊतक
  • पेशी ऊतक।

प्रश्न 8.
कौन-सी अंतःस्तावी ग्रंधि वृद्धि हॉर्मोंन का स्ताव करती है?
उत्तर:
पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland)।

प्रश्न 9.
कोशिका विभाजन को बड़ावा देने वाले पादप हॉमोंन का नाम लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन कोशिका।

प्रश्न 10.
तने की वृद्धि के लिए उत्तरदायी पादप हॉर्मोन का नाम बताइए।
उत्तर:
जिब्येरेलिन।

प्रश्न 11.
क्या होगा यदि हमारे द्वारा भोजन में आयोडीन कम मात्रा में ली जाए?
उत्तर:
थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनने के लिए आयोडीन जरूरी होता है, जिसकी कमी से हम गॉयटर (घेंधा) रोग से ग्रसित हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
सूत्र-युग्मन क्या है?
उत्तर:
वह स्थान जहाँ दो न्यूरॉन मिलते हैं, सूत्र-युग्मन कहलाता है।

प्रश्न 13.
अग्याशय से स्रावित होने वाले हॉर्मोन का नाम एवं कार्य लिखिए।
उत्तर:
अग्न्याशय से स्रावित होने वाला हॉमोन इन्सुलिन है। इसका कार्य शर्करा उपापचय का नियन्त्रण करना है।

प्रश्न 14.
प्रतिवर्ती क्रिया किस अंग द्वारा नियन्तित होती है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया मेरुण्जु द्वारा नियन्त्रित होती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 15.
ABA के कार्य लिखिए।
उत्तर:
ABA के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह पौधों की वृद्धि की गति कम करता है।
  • पतझड़ की क्रिया को बढ़ता है।
  • पत्तियों एवं फूलों के खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 16.
मास्टर ग्रान्थि किसे कहते हैं?
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं।

प्रश्न 17.
एड्रीनलिन होर्मोन किस ग्रंधि द्वारा स्रावित होता है?
उत्तर:
मेडुला में।

प्रश्न 18.
एड़ीनलिन हॉमोंन का एक कार्ब लिखिए।
उत्तर:
एड्रीनलिन हॉर्मोन दिल की धड़कन को बड़ा देता है। यह खतरे का सामना करने के लिए शरीर को तैयार करता है।

प्रश्न 19.
प्रोजेस्टरॉन का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्रोजेस्टरॉन का स्राव कार्पस ल्यूटियस से होता है। गर्भाशय में होने वाले वे सभी अंतिम परिवर्तन हैं जो गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए गर्भास्य के भीतर के की वृद्धि के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 20.
मास्टर ग्रंथि का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
पिट्यूटरी ग्रंथि को ही मास्टर ग्रंथि कहते हैं।

प्रश्न 21.
फेरोमोन से से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
फेरोमोन वे वे स्राव होते हैं जो एक जीव द्वारा स्त्रावित होते हैं, लेकिन वे प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या जीव पर डालते हैं। यह हॉर्मोन कुछ कीट अपने साथियों को आकर्षित करने के लिए स्त्रावित करते हैं।

प्रश्न 22.
हॉर्मोन स्त्राव पर नियंत्रण कौन-सी ग्रंथि द्वारा होता है?
उत्तर:
पिट्यूटरी ग्रंथि अंतःस्रावी ग्रंथियों के क्रिया- कलाप का नियंत्रण और नियमन करती है और स्वयं हाइपोथैलेमस के नियंत्रण में होती है।

प्रश्न 23.
फेरोमोन किन बातों में हॉर्मोन से अलग होते हैं?
उत्तर:
हॉर्मोन उसी जीव को प्रभावित करता है जिससे उत्पन्न हुआ होता है जबकि फेरोमोन दूसरे जीवों को प्रभावित करता है।

प्रश्न 24.
‘एक सीधी रेखा में चलना’ मस्तिष्क के किस भाग द्वारा नियंत्रित होगा?
उत्तर:
अनुमस्तिष्क द्वारा।

प्रश्न 25.
प्ररोह के प्रकाश की ओर झुक जाने को हम क्या कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाशानुवर्तन।

प्रश्न 26.
कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि के लिए उत्तरदायी पादप हॉर्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन।

प्रश्न 27.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की संस्थिति एवं संतुलन के लिए उत्तरदायी है?
उत्तर:
पश्चमस्तिष्क स्थित भाग अनुमस्तिष्क द्वारा।

प्रश्न 28.
जब कोई सुई हाथ में चुभती है या गर्म वस्तु का स्पर्श हो जाता है, तो हम तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लेते हैं हैं। इस प्रक्रिया से सम्बन्धित प्रतिक्रिया का क्या नाम है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती प्रतिक्रिया (Reflex action)।

प्रश्न 29.
उस अंतःस्त्रावी ग्रंथि का क्या नाम है, जो हमारे शरीर में इन्सुलिन का स्राव करती है?
उत्तर:
अग्न्याशय।

प्रश्न 30.
निम्नलिखित छूने पर प्रक्रियाओं में से रसायनानुवर्तन का उदाहरण कौन-सा है? स्पर्श सुग्राही पादप (छुई-मुई) में गति, मानव टाँग में गति
उत्तर:
स्पर्श-सुग्राही पादप (छुई-मुई) में गति।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 31.
मेडुला ऑब्लांगेटा कहाँ स्थित होता है?
उत्तर:
यह मस्तिष्क का अंतिम भाग होता है, जो मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है। यह श्वास लेने, खाँसने व निगलने आदि का केन्द्र है। इसके अलावा यह हृदयस्पंदन, आहारनाल के क्रमाकुंचन तथा अनेक अनैच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।

प्रश्न 32.
हाइपोथैलेमस का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:
यह समस्थापन तथा पिट्यूटरी ग्रंथि का नियंत्रण करते हैं तथा संवेदी आवेगों के लिए रिले केंद्र होता है।

प्रश्न 33.
सुनने के लिए कौन-सा संवेदी अंग कार्य करता है?
उत्तर:
कान के द्वारा हम अलग-अलग ध्वनियों को सुन सकते हैं। कान वायु में मौजूद कंपनों को तंत्रिका आवेगों में बदल देते हैं जो आगे मस्तिष्क में संदेश भेजते हैं।

प्रश्न 34.
एक ऐसे रसायन का नाम बताइए, जो एक्सॉन के अंतिम सिरों से निकलकर अगले न्यूरॉन में एक नया आवेग शुरू कर देता है।
उत्तर:
ऐसीटिलकोलिन।

प्रश्न 35.
होमोस्टेटिस किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवों द्वारा बाह्य वातावरण और जीवों की आन्तरिक स्थितियों स्थायित्व की स्थिति और स्थिरता बनाये रखने की क्षमता को होमोस्टेटिस कहते हैं। वास्तव में होमोस्टेटिस का अर्थ है- समान दशा।

प्रश्न 36.
तन्त्रिका तन्त्र क्या है?
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र वह तंत्र होता है जो कि सोचने, समझने याद रखने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों के क्रियाकलापों में सामंजस्य एवं समन्वय स्थापित करके शरीर पर नियंत्रण रखता है।

प्रश्न 37.
इन्सुलिन क्या है? इसका क्या कार्य है?
उत्तर:
अन्त:स्त्रावी ग्रन्थि पेंक्रियास द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन का नाम इंसुलिन है। यह शर्करा उपापचय का नियन्त्रण करता है।

प्रश्न 38.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है? नाम लिखिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन्स को 4 वर्गों में विभाजित किया गया है-

  • ऑक्सिन
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन
  • वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन।

प्रश्न 39.
साइटोकाइनिन के अन्तर्गत आने वाले रसायन के नाम लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन के अन्तर्गत –

  • काइनिन
  • केलाइन
  • जिएटिन
  • फ्लोकोजिन आदि रसायन आते हैं।

प्रश्न 40.
नलिकाविहीन ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सभी अन्त: स्रावी ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन होती हैं, ये हैं-

  • थायरॉइड
  • पेंक्रियास
  • एड्रिनल
  • पीयूष
  • अण्डाशय
  • वृषण।

प्रश्न 41.
तन्त्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन) कितने ‘की होती हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
तन्त्रिका कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • प्रेरक तन्त्रिका कोशिका
  • संवेदी तंत्रिका कोशिका
  • बहुध्रुवीय तन्त्रिका कोशिका।

प्रश्न 42.
मनुष्य में लिंग निर्धारित करने वाली ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
महिला में 1 में लिंग निर्धारण – अण्डाशय द्वारा। पुरुष में लिंग निर्धारण – वृषण द्वारा।

प्रश्न 43.
हॉर्मोन तथा ग्रंथियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
हॉर्मोन – वह रासायनिक पदार्थ जो शरीर के किसी भाग में ग्रंथियों से स्त्रावित होता है और रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में पहुँचा दिया जाता है, उसे हॉर्मोन कहते हैं।
ग्रंथि – वह संरचना, जो एक विशेष प्रकार का रासायनिक पदार्थ स्त्रावित करती है। यह दो प्रकार की होती है- बहिःस्रावी व अंत: स्रावी

प्रश्न 44.
अंत: स्रावी ग्रंथियों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
अंत: स्रावी ग्रंथियाँ अपना स्राव सीधे रक्त में छोड़ती और ये वाहिकाहीन ग्रंथियाँ होती हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 45.
थायरॉइड ग्रंथि कहाँ स्थित होती है?
उत्तर:
गर्दन के सामने Larynx के ठीक नीचे।

प्रश्न 46.
थायरॉइड ग्रंथि किस हॉर्मोन का स्त्राव करती है?
उत्तर:
थायरॉक्सिन और कैल्सीटोनिन।

प्रश्न 47.
उच्च वर्ग के जन्तुओं के समन्वय केन्द्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
उच्च वर्ग के जन्तुओं के समन्वय केन्द्र हैं- मस्तिष्क और मेरुरज्जु।

प्रश्न 48.
मस्तिष्क के विभिन्न भाग क्या हैं?
उत्तर:
मस्तिष्क के विभिन्न भाग हैं-

  • अग्र मस्तिष्क
  • मध्य-मस्तिष्क
  • पश्च मस्तिष्क

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हॉर्मोन क्या हैं?
उत्तर:
जन्तुओं एवं पौधों के शरीर में विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने के लिए कुछ विशेष रसायन होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। ये हॉर्मोन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्त्रावित किये जाते हैं।

प्रश्न 2.
तंत्रिका कोशा (न्यूरॉन) का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
तंत्रिका कोशा (न्यूरॉन) का नामांकित चित्र
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

प्रश्न 3.
पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि क्यों कहते
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि से 13 से भी अधिक प्रकार के हॉर्मोन्स स्त्रावित होते हैं जिनका प्रभाव शरीर के विभिन्न भागों के कार्यों पर होता है। इतना ही नहीं ये अन्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को भी प्रभावित करते इसलिए पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं।

प्रश्न 4.
प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
हमारे शरीर में होने वाली कुछ ऐसी अभिक्रियाएँ हैं जो मस्तिष्क के आदेश के बिना ही तुरन्त हो जाती हैं। इस प्रकार की अनुक्रियाएँ प्रतिवर्ती या स्वत: प्रेरित क्रियाएँ कहलाती हैं जो मेरुरज्जु द्वारा ही सम्पन्न हो जाती हैं। पलकों का झपकना, छींकना या खाँसना सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ हैं।

उदाहरण के लिए, जब हाथ पर मुई चुभोई जाती है तो एकदम हाथ हट जाता है, यह प्रतिवर्ती क्रिया है। जब मुई चुभोते हैं तो शरीर का यह भाग उत्तेजित हो जाता है। फलस्वरूप यह उत्तेजना (उद्दीपन) आवेग के रूप में बदल जाता है, यह आवेग डेन्ड्राइट ग्रहण कर लेते हैं। यहाँ से आवेग मेरुरज्जु में पहुँचता है। यह आवेग मेरुरज्जु से होते हुए न्यूरॉन में जाता है जहाँ से यह अपवाही अंग में पहुँच
जाता है। अपवाही अंग में प्रेरणा के पहुँचते ही शरीर के इस भाग को उद्दीपन के स्थान से हटा लिया जाता है।

प्रश्न 5.
हाइड्रा में तंत्रिका समन्वय चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
हाइड़ा के तन्त्रिका तन्त्र को नीचे चित्र में दर्शाया गया है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 2
हाइड़ा एक निम्न वर्ग का जन्तु है। इसमें सन्देश एक ही न्यूरॉन (तन्त्रिका कोशिका) द्वारा ग्रहण किया जाता है जो कि पूरे शरीर में फैली रहती है। हाइड्रा में मस्तिष्क नहीं होता है परन्तु फिर भी मनुष्य तथा हाइड्रा में सन्देश संवहन की क्रिया – विधि मूलतः एक जैसी होती है।

प्रश्न 6.
मानव मस्तिष्क के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मानव मस्तिष्क के विभिन्न कार्य निम्नलिखित हैं-

  • सभी संवेदी अंगों आवेश ग्रहण करना।
  • इन आवेशों पर प्रेरित तंत्रिकाओं द्वारा ग्रन्थियों और पेशियों को निर्देश भेजना जिससे वे उचित अनुक्रिया करें।
  • विभिन्न संवेदी अंगों से विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों में सम्बन्ध स्थापित कर इस प्रकार समन्वय करना जिससे शरीर अधिक क्षमता से क्रियाकलाप कर सके।
  • सूचनाओं को ज्ञान या चेतना के रूप में एकत्रित करना और व्यवहार में पूर्व अनुभव के आधार पर परिवर्तन करना।
  • अनुमस्तिष्क सही-सही गतियों को नियन्त्रित तथा समन्वित करता है। इसका लम्बा भाग मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है जो हृदय धड़कन, रुधिर परिवहन, श्वसन तथा अधिकांश अनैच्छिक क्रियाओं एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं पर नियन्त्रण रखता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मेरुरज्जु प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह अनैच्छिक क्रियाओं, प्रतिवर्ती क्रियाओं आदि का प्रमुख केन्द्र है, जिनका संचालन का कार्य करता है।
  • यह मस्तिष्क से आने वाले तथा मस्तिष्क को जाने वाले सन्देश को मार्ग प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8.
अभिग्राहक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अभिग्राहक जंतुओं में एक में एक विशेष प्रकार की संरचना वाले तंत्रिका अंग होते हैं हैं जो प्रकाश, ध्वनि एवं गंध के द्वारा बाहरी सूचनाओं का पता लगाते हैं। इन्हें प्रकाशग्राही, ध्वनिग्राही व गंधग्राही कहते हैं। अभिग्राहक एक विशेष प्रकार की तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा मस्तिष्क को सूचनाएँ प्रेषित करते हैं जिन्हें संवेदी पथिकाएँ भी कहते हैं।

प्रश्न 9.
अमीबा, हाइड्रा, केंचुए व कॉकरोच में तंत्रिका तंत्र किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर:
अमीबा में एक कोशिका होती है जो स्वयं ही उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करती है। हाइड्रा में तंत्रिका कोशिकाओं का एक जाल होता है जो सारे शरीर हुआ होता है। केंचुए में एक अधर तंत्रिकारज्जु होता तथा उसमें खंडशः व्यवस्थित गैंग्लिया एवं तंत्रिकाएँ होती हैं कॉकरोच में एक स्पष्ट मस्तिष्क और अधर तंत्रिकारज्जु में श्रृंखलाबद्ध गैंग्लिया होते हैं।

प्रश्न 10.
पादप हॉर्मोन क्या हैं? किन्हीं दो पादप हॉर्मोनों के नाम बताइए।
उत्तर:
वो हॉर्मोन जो पादपों के एक भाग में उत्पन्न होते हैं तथा पौधे के अन्य भागों में क्रिया को प्रेरित करते हैं। यह वृद्धि नियामक होते हैं।
जैसे-

  • ऑक्सिन
  • जिब्रेलिन
  • साइटोकाइनिन।

प्रश्न 11.
ऑक्सिन क्या है? इसके कोई 4 कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन पौधों में पाया जाने वाला एक हॉर्मोन है, जो तने के शीर्ष पर उत्पन्न होता है। इसे IAA (इन्डोल एसीटिक एसिड) के नाम से जाना जाता है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह तने की लम्बाई में वृद्धि करता है तथा जड़ों की वृद्धि को रोकता है।
  • फलों एवं पत्तियों को झड़ने से रोकता है।
  • बीजरहित फल के उत्पादन में सहायता करता है।
  • यह कोशिका विभाजन करता है।

प्रश्न 12.
पीयूष ग्रन्थि के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • ऊतकों और हड्डियों की वृद्धि का नियमन करना।
  • वृक्कों द्वारा जल के पुनः अवशोषण का नियमन करना।
  • कार्टीसोन बनाने में एड्रिनल कॉर्टेक्स को प्रेरित करना।
  • थाइरॉक्सिन स्रावण के लिए थायराइड को प्रेरित करना।

प्रश्न 13.
साइटोकाइनिन के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • प्रोटीन के उत्पादन (संश्लेषण) में सहायता करना।
  • कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि करना।
  • अंकुरण के समय उत्प्रेरक उत्पन्न करना।
  • पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि करना।
  • पत्तियों की वृद्धि को रोकना व तने की लम्बाई में

प्रश्न 14.
वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन के कोई चार वृद्धि करना। प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • पौधों में वृद्धि की गति को कम करना।
  • पतझड़ क्रिया को बढ़ाना।
  • पत्तियों में खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करना।
  • फूलों को खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करना।

प्रश्न 15.
सूत्र – युग्मन किसे कहते हैं? समझाइए।
अथवा
सूत्र – युग्मन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
दो न्यूरॉन जहाँ मिलते हैं उस स्थान को सूत्र – युग्मन कहते हैं। बहुधा सन्देश एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक सूत्र – युग्मन के द्वारा पहुँचाया जाता है। उदाहरण के लिए, आपके पैर के अँगूठे में दर्द होता है तो सबसे पहले संवेदना डेन्ड्राइट या न्यूरॉन के बहुशाखित संरचना द्वारा ग्रहण कर तन्त्रिका द्वारा विद्युत आवेश के रूप में वहन की जाती है। सूत्र युग्मन के जरिए दूसरे न्यूरॉन में और अन्त में यह तन्त्रिका केन्द्र तक पहुँच जाती है। अनुक्रिया प्रेरक तन्त्रिका द्वारा पैर की मांसपेशियों में पहुँच जाती है और पैर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है।

प्रश्न 16.
तंत्रिका तंत्र के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह शरीर के सभी अंगों के कार्यों पर नियन्त्रण एवं समन्वय बनाये रखता है।
  • यह तंत्र जीवधारी को बाहरी वातावरणीय परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया देने में मदद करता है।
  • यह अनुभवों को याद रखने में सहायता करता है।
  • यह प्रतिवर्ती क्रियाओं के द्वारा हमारी सुरक्षा करता है।

प्रश्न 17.
ऑक्सिन के पौधों पर कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  • कायिका की लंबाई बढ़ाने में।
  • पौधों की जड़ों को बहुत तेजी से बढ़ाना।

प्रश्न 18.
गुरुत्वानुवर्तन गति व स्पर्शानुवर्तन एक अंतर बताइए।
उत्तर:
पौधों में जो गति गुरुत्वाकर्षण के कारण होती है, उन्हें गुरुत्वावर्त गति कहते हैं, जबकि जिन पौधों में के कारण होती है, उन्हें स्पर्शानुवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 19.
ऑक्सिन और साइटोकाइनिन में क्या अंतर है?
उत्तर:
ऑक्सिन का निम्न सांद्रण वृद्धि को जाग्रत करता है। लेकिन सांद्रण की मात्रा अधिक होने पर वृद्धि कम हो जाती है। लेकिन तने में वृद्धि बढ़ जाती है जबकि साइटोकाइनिन हॉर्मोन सक्रिय रूप से बुद्धिमान ऊतकों, जैसे- भ्रूणों, परिवर्धमान फलों और जड़ों में उत्पन्न होते हैं। इनके कारण कोशिका विभाजन हो जाता है और जीर्णता देर से आती है।

प्रश्न 20.
प्रतिवर्ती क्रिया के कोई चार उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया के उदाहरण हैं-

  • छींकना एवं खाँसना।
  • मिठाई देखने पर मुँह में लार आना।
  • तेज रोशनी (बिजली चमकना) में पलकों का झपकना।
  • सुई चुभने पर तुरन्त अंग को हटाना।

प्रश्न 21.
मनुष्य में जनन ग्रन्थि को समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य पायी जाने वाली मुख्यतः दो ग्रन्थि हैं-

  • वृषण
  • अण्डाशय।

(1) वृषण – यह पुरुष में होते हैं जो उदरगुहा के बाहर स्थित होते हैं। यह टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन स्रावित करते हैं जिसका कार्य दाढ़ी-मूंछ का विकास, आवाज भारी होने वाले लक्षण तथा शुक्राणु उत्पन्न करना।

(2) अण्डाशय यह स्त्री में होता है जो उदरगुहा में स्थित होता है। यह एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन स्रावित करता है जिसका कार्य स्तनों का विकास, आवाज पतली होना, रजोधर्म का होना तथा अण्डज उत्पन्न करना होता है।

प्रश्न 22.
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है? समझाइये।
उत्तर:
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कुछ विशिष्ट प्रकार के रसायन द्वारा होता है जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। हॉर्मोन विशिष्ट ग्रन्थियों में निर्मित होते हैं जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन होने के कारण हॉर्मोन के सीधे रक्त प्रवाह में स्रावित करती हैं। ये हॉर्मोन शरीर को विभिन्न भागों में पहुँचकर अपना विशिष्ट प्रकार दिखाते हैं, जैसे- वृद्धि दर, विकास, रुधिर दाब, लैंगिक परिपक्वता आदि। फलस्वरूप शरीर में विभिन्न क्रिया-कलापों में तालमेल बना रहता है।

प्रश्न 23.
मानव शरीर में पायी जाने वाली अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों के नाम एवं उनसे स्त्रावित होने वाले हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
अथवा
कोई भी तीन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम एवं उनसे स्त्रावित हॉर्मोन को लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ एवं उनसे स्त्रावित हॉर्मोन्स निम्नलिखित हैं-

ग्रन्थि का नाम हॉर्मोन
(i) थॉयराइड थॉयरॉक्सिन
(ii) पेंक्रियास इन्सुलिन
(iii) एड्रिनल कार्टीसोन
(iv) पीयूष ग्रन्थि वृद्धि हॉर्मोन ADH, ACTH, FSH, TSH
(v) अण्डाशय एस्ट्रोजन
(vi) वृषण टेस्टोस्टेरॉन

प्रश्न 24.
अण्डाशय से निकलने वाले प्रमुख हॉर्मोन को उनके कार्य सहित लिखिए।
उत्तर:
अण्डाशय द्वारा स्रावित प्रमुख हॉर्मोन एस्ट्रोजन हैं जिनके कार्य निम्न हैं-

  • स्तन ग्रन्थियों का विकास करना।
  • गर्भाशय, फेलोपियन नलिका तथा योनि की वृद्धि एवं परिवर्धन।
  • मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास करना।
  • ऋतुस्राव चक्र का नियमन करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित क्रिया पथ को समझाइए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया – अभ्यासार्थ लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 3 का उत्तर देखिए।
प्रतिवर्ती क्रिया का पथ निम्नलिखित प्रकार होता है-
उद्दीपन → ग्राही अंग → संवेदन तन्त्रिका → मेरुरज्जु → प्रेरित तंत्रिका → मांसपेशियों द्वारा क्रियाएँ।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 3

प्रश्न 2.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन को चार वर्गों में विभाजित किया गया है-

  • ऑक्सिन
  • जिब्रेलिन
  • साइटोकाइनिन
  • वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन।

कार्य-
(i) ऑक्सिन – इसका प्रमुख कार्य कोशिकाओं को दीर्घीकरण करना है। इनके द्वारा कोशिका विभाजन होता है। पौधों की गतियों पर नियन्त्रण रखता है। इससे पत्तियों का गिरना रुकता है तथा यह बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक है।

(ii) जिब्रेलिन – इसके कारण पौधों की लम्बाई बढ़ जाती है। यह कोशिका विभाजन में सहायक होता है।

(iii) साइटोकाइनिन – इसके अन्तर्गत

  • काइनिन
  • केलाइन
  • जिएटिन
  • फ्लोकोजिन आदि रसायन आते हैं जो प्रोटीन के उत्पादन में सहायता करते हैं। ये बीज अंकुरण में सहायता करते हैं पाश्र्व कलिका की वृद्धि करते हैं, मूल वृद्धि को रोकते हैं, पत्तियों की वृद्धि को रोकते हैं तथा तने की लम्बाई में वृद्धि करते हैं। की गति कम करता है, पतझड़ की क्रिया को बढ़ाता है,

(iv) वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन – यह पौधे की वृद्धि पत्तियों एवं फलों के खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को यह पदार्थ नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 3.
मानव मस्तिष्क के विभिन्न भागों के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मानव मस्तिष्क तीन भागों में विभाजित हैं जिनके कार्य निम्नलिखित है-

  • अग्र-मस्तिष्क
  • मध्य-मस्तिष्क
  • पश्च मस्तिष्क।

(1) अग्र-मस्तिष्क- इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • अग्र-मस्तिष्क घ्राण पिण्ड सुगन्ध का बोध कराता है।
  • प्रमस्तिष्क मनुष्य की बुद्धि, स्मृति व चेतना तर्क का केन्द्र माना जाता है। यह इच्छाओं, भावनाओं तथा सुनने का केन्द्र होता है।
  • डाइनसिफेलॉन भाग भूख प्यास, नींद, थकावट, क्रोध तथा प्रसन्नता का केन्द्र है।

(2) मध्य-मस्तिष्क – यह भाग वस्तुओं के प्रतिबिम्बों की पहचान के नियन्त्रण का कार्य करता है इसलिए इसे दृष्टि पिण्ड कहते हैं।

(3) पश्च-मस्तिष्क- ये तीन भागों –

  • अनुमस्तिष्क
  • मेडुला ऑब्लांगेटा
  • मेरुरज्जु से मिलकर बने होते हैं।

इनके निम्नलिखित कार्य हैं-
(a) अनुमस्तिष्क का कार्य-

  • यह शरीर में सन्तुलन स्थापित रखता है।
  • यह कंकाल पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन को भी नियन्त्रित करता है।

(b) मेडुला ऑब्लांगेटा शरीर के सभी अनैच्छिक क्रियाओं का केन्द्र है।

(c) मेरुरज्जु के कार्य-

  • यह प्रतिवर्ती क्रियाओं का मुख्य केन्द्र है।
  • यह अनैच्छिक क्रियाओं को सन्तुलित करती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 4.
मानव शरीर की विभिन्न ग्रन्थियों से उत्पन्न पाँच महत्त्वपूर्ण हॉर्मोन्स तथा उनके कार्य की सारणी बनाइये।
उत्तर:
अन्तःस्त्रावी ग्रन्थि और उनके कार्य

ग्रा्थि/स्थिति हॉर्मोन का नाम हॉर्मोन के कार्य
1. पीयूष ग्रन्थि (मस्तिष्क में) वृद्धि हॉर्मोन ऊतकों और हड्डियों की वृद्धि का नियन्त्रण।
2. थायरॉइड ग्रन्थि (गर्दन में) थायरॉक्सिन (i) वृद्धि और उपापचय को नियन्त्रित करना।
(ii) इसकी कमी से घेंघा रोग होता है।
(iii) अत्यधिक स्रावण से दुर्बलता, पतलापन और अधिक क्रियाशीलता आती है।
3. एड्रीनल (वृक्कों के ऊपर) एड्रीनेलीन यह शरीर में रक्त प्रवाह की दर को नियन्त्रित करता है।
4. पेंक्रियास (ग्रहणी के पास) इन्सुलिन (i) शर्करा उपापचय का नियंत्रण। (ii) इसकी कमी से मधुमेह रोग (डायबिटीज) होता है। पुरुष द्वितीय लैंगिक लक्षणों (दाढ़ी, मूँछ का निकलना, आवाज का भारीपन) के विकास के लिए उत्तरदायी है।
5. वृषण (नर जननांग) टेस्टोस्टेरॉन

प्रश्न 5.
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वय प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
नियंत्रण और समन्वय सभी जन्तुओं में बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनमें शारीरिक क्रियाओं के लिए अलग-अलग अंग या क्रियात्मक तंत्र पाए जाते हैं। जन्तुओं में दो प्रकार का समन्वय पाया जाता है-

  • रासायनिक एवं
  • तंत्रिकीय समन्वय।

(1) जन्तुओं में रासायनिक समन्वय एवं नियन्त्रण -जन्तुओं में कुछ विशिष्ट प्रकार के रसायन स्रावित होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं, ये विशिष्ट ग्रन्थियों में निर्मित होते हैं जिन्हें अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। ये हॉर्मोन को सीधे ही रक्त प्रवाह में स्रावित करती हैं। शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर ये हॉर्मोन अपना विशिष्ट प्रभाव दिखाते हैं; जैसे – वृद्धि करना, लैंगिक परिपक्वता आदि। नीचे कुछ
ग्रन्थि एवं उनसे स्रावित हॉर्मोन का नाम दर्शाया गया है-

ग्रन्थि का नाम हॉर्मोन
(i) थॉयराइड थॉयरॉक्सिन
(ii) पेंक्रियास इन्सुलिन
(iii) एड्रिनल कार्टीसोन
(iv) पीयूष ग्रन्थि वृद्धि हॉर्मोन ADH, ACTH, FSH, TSH
(v) अण्डाशय एस्ट्रोजन
(vi) वृषण टेस्टोस्टेरॉन

(2) तंत्रिकीय समन्वय एवं नियन्त्रण- नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य एक और तंत्र द्वारा किया जाता है, यह हैं- तंत्रिका तंत्र।

तंत्रिका कोशिका, इसकी संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है जो पूरे शरीर में फैलकर विद्युत संवाहित कोशिकाओं का एक जाल बनाते हैं। इन्हीं के द्वारा सन्देश शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचाये जाते हैं। तंत्रिका तन्त्र के तीन प्रमुख भाग होते हैं जो विभिन्न कार्यों का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। ये निम्नलिखित हैं –
(A) केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र- इसमें

  • मस्तिष्क
  • मेरुरज्जु शामिल हैं।

(B) परिधीय तंत्रिका तंत्र- इसमें

  • क्रेनियल तथा
  • स्पाइनल तंत्रिकाएँ शामिल हैं।

(C) स्वायत्त तंत्रिका तंत्र- इसमें

  • अनुकम्पीय तंत्रिकाएँ तथा
  • परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र शामिल हैं।

प्रश्न 6.
मनुष्य के मस्तिष्क की काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मनुष्य के मस्तिष्क की काट का नामांकित चित्र-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 4

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण होता है-
(a) अग्र-मस्तिष्क के मेडुला से
(b) मध्य-मस्तिष्क के मेडुला से
(c) पश्च-मस्तिष्क के मेडुला से
(d) मेरुरज्जु के मेडुला से
उत्तर:
(c) पश्च-मस्तिष्क के मेडुला से

2. सूर्य के मार्ग के अनुसार सूरज की गति किसके कारण होती है?
(a) प्रकाशानुवर्तन के
(b) गुरुत्वानुवर्तन के
(c) रसायनानुवर्तन के
(d) जलानुवर्तन के
उत्तर:
(a) प्रकाशानुवर्तन के

3. मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग है-
(a) अग्रमस्तिष्क
(b) मध्यमस्तिष्क
(c) अनुमस्तिष्क
(d) पश्चमस्तिष्क
उत्तर:
(a) अग्रमस्तिष्क

4. सुनने, सूँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत क्षेत्र होते हैं-
(a) अग्रमस्तिष्क
(b) मेडुला
(c) अनुमस्तिष्क
(d) पश्चमस्तिष्क
उत्तर:
(a) अग्रमस्तिष्क

5. कौन-सा हॉर्मोन शरीर को आपातकाल के लिए तैयार करता है?
(a) एड्रीनलिन
(b) इन्सुलिन
(c) मेलाटोनिन
(d) थाइमोसिन
उत्तर:
(a) एड्रीनलिन

6. मेरुरज्जु कहाँ से निकलती है?
(a) मेडुला से
(b) प्रमस्तिष्क से
(c) अनुमस्तिष्क से
(d) अग्रमस्तिष्क से
उत्तर:
(a) मेडुला से

7. प्ररोह का प्रकाश की ओर गति क्या कहलाती है?
(a) गुरुत्वानुवर्तन
(b) रसायनानुवर्तन
(c) जलानुवर्तन
(d) प्रकाशानुवर्तन
उत्तर:
(d) प्रकाशानुवर्तन

8. पराग नलियों की अंडाणु की तरफ वृद्धि किसके कारण होती है?
(a) जलानुवर्तन के
(b) रसोनुवर्तन (रसायनानुवर्तन) के
(c) गुरुत्वानुवर्तन
(d) प्रकाशानुवर्तन
उत्तर:
(b) रसोनुवर्तन (रसायनानुवर्तन) के

9. बौनेपन का क्या कारण है?
(a) एडीनलिन के स्राव की कमी।
(b) वृद्धि – हॉर्मोन के स्राव की अधिकता
(c) वृद्धि हॉर्मोन के स्राव की कमी
(d) इन्सुलिन की अधिकता
उत्तर:
(c) वृद्धि हॉर्मोन के स्राव की कमी

10. एक तंत्रिका कोशिका का ऐक्सॉन अगली तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइटों के समीप होता है। दो तंत्रिका कोशिकाओं की इस संधि को क्या कहते हैं?
(a) सिनेप्स
(b) संवेदी तंत्रिकाएँ
(c) मिश्रित तंत्रिकाएँ
(d) प्रेरक तंत्रिकाएँ
उत्तर:
(a) सिनेप्स

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

11. निम्न में से फाइटोक्रोम (Phytochrome) कौन-सा है?
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) साइटोकाइनिन
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

12. निम्न में से मस्तिष्क का कौन-सा भाग है?
(a) प्रमस्तिष्क
(b) अनुमस्तिष्क
(c) मेडुला
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

13. छुई-मुई के पौधे में किस प्रकार की गति होती है?
(a) रासायनिक गति
(b) तंत्रिका गति
(c) पेशीय गति
(d) ये सभी।
उत्तर:
(a) रासायनिक गति

14. कौन जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती है?
(a) छुई-मुई का पौधा
(b) तंत्रिका कोशिका
(c) गुलाब का पौधा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) छुई-मुई का पौधा

15. पादपों में कोशिकाओं के लंबी होने के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन हैं—
(a) जिब्रेलिन
(b) ऑक्सिन
(c) साइटोकायनिन
(d) ऐब्सिजिक अम्ल
उत्तर:
(b) ऑक्सिन

16. पौधे में वृद्धि का संदमन करने वाले हॉर्मोन का एक उदाहरण है1
(a) एब्सिसिक अम्ल
(b) टार्टरिक अम्ल
(c) ऐसीटिक अम्ल
(d) सल्फ्यूरिक अम्ल
उत्तर:
(a) एब्सिसिक अम्ल

17. इंसुलिन के बारे में गलत कथन चुनिए-
(a) यह अग्न्याशय से उत्पन्न होता है।
(b) यह शरीर की वृद्धि और उसके परिवर्धन (विकास) का नियमन करता है।
(c) यह रुधिर में शर्करा के स्तर का नियमन करता है।
(d) इंसुलिन के अपर्याप्त स्त्रावण से डायबिटीज नामक रोग हो जाता है।
उत्तर:
(b) यह शरीर की वृद्धि और उसके परिवर्धन (विकास) का नियमन करता है।

18. मटर के पौधों में प्रतान की वृद्धि किसके कारण होती है?
(a) प्रकाश के प्रभाव के
(b) गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के
(c) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब से दूर होती हैं।
(d) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब के संपर्क में होती हैं।
उत्तर:
(c) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब से दूर होती हैं।

19. मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग कौन-सा होता है?
(a) प्रमस्तिष्क
(b) अनुमस्तिष्क
(c) मेडुला ऑब्लांगेटा
(d) मस्तिष्क
उत्तर:
(a) प्रमस्तिष्क

20. अनुमस्तिष्क निम्न में से कौन-सा कार्य करता है?
(a) यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है।
(b) यह अत्यावश्यक प्रतिवर्त केन्द्रों का नियंत्रण करता है।
(c) यह सभी अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
(d) यह हमारी भावनाओं, इच्छाशक्ति एवं वाक्शक्ति को नियंत्रित करता है।
उत्तर:
(a) यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षण …………………… हॉर्मोन द्वारा विकसित होते हैं।
  2. किसी उद्दीपन के प्रति तुरन्त होने वाली अनुक्रिया …………………… क्रिया कहलाती है।
  3. प्रतिवर्ती क्रिया …………………… द्वारा संपन्न होती है।
  4. अग्न्याशय पाचक एंजाइम के साथ …………………… भी स्त्रावित करता है।
  5. वृषण शुक्राणुओं के साथ-साथ …………………… हॉर्मोन भी उत्पन्न करता है।
  6. अनैच्छिक प्रक्रियाएँ …………………… के द्वारा नियंत्रित होती हैं।
  7. विभिन्न अंगों का एक-दूसरे के साथ कार्य करना …………………… कहलाता है।
  8. लड़कियों में वक्ष स्थल का विकास गर्भाशय द्वारा स्रावित हॉर्मोन …………………… द्वारा किया जाता है।
  9. ऑक्सिन मूल की वृद्धि को …………………… करते हैं।
  10. तने की वृद्धि एवं कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदायी है ……………………।

उत्तर:

  1. टेस्टोस्टेरोन
  2. प्रतिवर्ती
  3. मेरुरज्जु
  4. हॉर्मोन
  5. टेस्टोस्टेरोन
  6. मेरुरज्जु
  7. समन्वयन
  8. एस्ट्रोजन
  9. कम
  10. जिब्रेलिन।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board Class 10 Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है-
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया
उत्तर:
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी
उत्तर:
(c) शुक्रवाहिका।

प्रश्न 3.
परागकोश में होते हैं-
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(c) अंडप
(d) परागकण
उत्तर:
(a) परागकरण।

प्रश्न 4.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कोशिका विभाजन में डी.एन.ए. दो प्रतिकृति उत्पन्न करता है और इन प्रतिकृतियों में मूल कोशिका की डी.एन.ए. प्रतिकृति से कुछ विभिन्नताएँ होती हैं। अलैंगिक जनन में केवल डी.एन.ए. की प्रतिकृति के सृजन में आई विविधताएँ ही होंगी जो परिवर्तन एवं विकास के बहुत कम अवसर प्रदान करेगी। लैंगिक जनन में दो जनन कोशिकाएँ समाहित होती हैं। अत: डी.एन.ए. एन.ए. प्रतिकृतियों के संयोजन से विभिन्नताओं के नए संयोजन उत्पन्न होंगे और क्योंकि विभिन्नताएँ जीवित व्यष्टि के जनन में भाग लेने से आई अतः हानिकारक नहीं सकती।

(ध्यान रहे हानिकारक विभिन्नता उत्पन्न होने पर जीव की उत्तरजीविता असंभव हो जाती हैं)। अतः इस नए संयोजन से विकास व परिवर्तन के अवसर कई गुना अधिक होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में संतति अपनी पितृ पीढ़ी से हूबहू मिलती है। इस प्रकार अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के लाभ जीव या स्पीशीज के लक्षणों में परिवर्तन, विकास एवं उत्तरजीविता में वृद्धि करना है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 5.
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वृषण के कार्य-

  • ये शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
  • ये हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन उत्पन्न करते हैं जो शुक्राणु के उत्पादन को नियंत्रित करता है और युवकों में यौवनारंभ या द्वितीयक लैंगिक लक्षणों नियंत्रण करता है।

प्रश्न 6.
ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर:
यदि अंडाणु का निषेचन नहीं होता है तो वह एक दिन बाद नष्ट हो जाता है। गर्भाशय भी निषेचित अंडाणु को प्राप्त करने की तैयारी करता है। गर्भाशय की दीवार मोटी तथा स्पंजी हो जाती है। लेकिन निषेचन न होने पर ये धीरे-धीरे टूटती है और रुधिर व म्यूकस के रूप में योनि मार्ग बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को रजोधर्म या ऋतुस्राव कहते हैं। अतः ऋतुस्राव निषेचन न होने की अवस्था में होता है।

प्रश्न 7.
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

प्रश्न 8.
गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी है?
उत्तर:
गर्भधारण रोकने की निम्नलिखित विधियाँ-
(i) यांत्रिक अवरोध – गर्भधारण को रोकने के लिए यांत्रिक अवरोध का प्रयोग किया जाता है जिससे शुक्राणु अंडकोशिका तक न पहुँच सकें। शिश्न को ढकने वाले कंडोम अथवा योनि में रखने वाली अनेक युक्तियाँ: जैसे- लूप अथवा कॉपर-टी (Copper-T) को गर्भाशय में स्थापित करना।

(ii) हार्मोन संतुलन का परिवर्तन – इस प्रकार दवाएँ मादा सामान्यतः गोली के रूप में लेती हैं, जिससे हॉर्मोन संतुलन में परिवर्तन हो जाता है तथा अंडे का विमोचन नहीं होता है। अतः निषेचन नहीं हो पाता है।

(iii) शल्य क्रिया तकनीक – यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाए तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। यदि मादा की अंडवाहिनी अथवा फेलोपियन नलिका को अवरुद्ध कर दिया जाए तो अंड (डिंब) गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। दोनों ही अवस्थाओं में निषेचन नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 9.
एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर:
एककोशिक जीवों में केवल एक ही कोशिका होती है। उनमें जनन के लिए अलग से कोई ऊतक या अंग नहीं होता है। अतः इनमें जनन केवल द्विविखंडन या बहुविखंडन द्वारा ही हो सकता है। कुछ जीवों जैसे यीस्ट आदि में मुकुलन द्वारा भी जनन होता है।

बहुकोशिक जीवों का का शरीर बहुत-सी कोशिकाओं से बना होता है। इनमें जनन तंत्र तंत्र होते जनन कं अलग से ऊतक था है। अतः इनमें जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार से होता है।

प्रश्न 10.
जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थ्रायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि पारितंत्र में स्थान में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करते हैं। के दौरान DNA प्रतिकृति का बनना जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का सम्बन्ध जनन से हैं।

प्रश्न 11.
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
जनन एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। एक समष्टि में जन्मदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं। जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के लिए चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण यह है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना आसान कार्य नहीं है। अतः जनसंख्या की बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इसीलिए गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनानी चाहिए।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 142)

प्रश्न 1.
डी एन ए प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
प्रजनन की मूल घटना है DNA की दो प्रतिकृति तैयार करना। इसके लिए कोशिकाएँ रासायनिक अभिक्रियाएँ करती हैं, जिससे DNA की दो प्रतिकृति बन जाती हैं। इन प्रतिकृतियों को अलग होने के लिए एक अलग कोशिकीय संरचना की आवश्यकता होती है। DNA की दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होकर दो कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इस प्रकार प्रजनन में दो कोशिकाओं को बनाने के लिए DNA प्रतिकृति आवश्यक है।

प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर:
जीवों में विभिन्नताओं की किसी जीव के अस्तित्व के लिए आवश्यक नहीं क्योंकि उसके जीवित रहने पर कुछ विभिन्नताओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है वह समानता के आधार पर अधिक अनुकूल होता है। लेकिन DNA की दोनों प्रतिकृति बिल्कुल समान नहीं होती उनमें कुछ-न-कुछ विभिन्नताएँ अवश्य होती हैं जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं। जनन में होने वाली ये विभिन्नताएँ अन्ततः नई स्पीशीज के विकास में योगदान देती हैं तथा जैव विकास का आधार बनती हैं। अतः विभिन्नताएँ स्पीशीज के उद्भव के लिए आवश्यक हैं लेकिन जीव के जीवित रहने के लिए इनकी कोई आवश्यकता नहीं है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 146)

प्रश्न 1.
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
द्विखंडन – इस विधि द्वारा कोई जीव एक कोशिका से दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। जैसे- अमीबा।
बहुखंडन – इस विधि में एक कोशिकीय जीव अनेक भागों विभक्त होता है तथा प्रत्येक भाग नए जीव में विकसित होता है। जैसे-मलेरिया परजीवी (प्लाज्मोडियम)।

प्रश्न 2.
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर:
बहुत-से सरल बहुकोशिकीय जीवों के वृन्त पर एक कैप्सूल जैसी संरचना होती है जिसे बीजाणुधानी कहते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर:
जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते क्योंकि-

  • ऐसे जीवों की संरचना अत्यन्त जटिल होती है।
  • ऐसे जीवों में एक विशिष्ट कार्य के लिए विशिष्ट अंग/ अंगों की आवश्यकता होती है।
  • ऐसे जीवों में श्रम विभाजन होता है।
  • पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा होता है। ऐसी कोशिकाएँ जटिल जीवों में नहीं होतीं हैं।

प्रश्न 4.
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन केवल ऐसे पौधों में ही संभव है जिनके जड़, तना या पत्तियों में नए पौधों को उगाने की क्षमता होती है।

कुछ पौधों में बीज नहीं होते, ऐसे पौधों को केवल कायिक जनन द्वारा ही उगाया जा सकता है। कायिक प्रवर्धन बीजरहित पौधों को उगाना संभव बनाता है। केला, नारंगी, गुलाब, जासमीन व गन्ने में बीज बनने की क्षमता कम है या बिल्कुल नहीं है। ऐसे पौधे कायिक प्रवर्धन द्वारा ही उगाए जा सकते हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 5.
डी एन ए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
डी एन ए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक की दो कोशिकाएँ बनती हैं। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक हैं तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 154)

प्रश्न 1.
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
परागण क्रिया-पराग कणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाती है। यह अधिकतर कीट, हवा, जल, पक्षी आदि के माध्यम से होती है और यह क्रिया निषेचन से पहले होती है।

निषेचन क्रिया-नर और मादा युग्मकों को मिलकर जायगोट बनाने की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं। इस प्रक्रिया में नर युग्मकों को मादा युग्मक तक ले जाने का कार्य परागनलिका करती है। यह क्रिया परागण के बाद होती है।

प्रश्न 2.
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर:
नर जनन तंत्र में कुछ ग्रंथियाँ जैसे शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथियाँ होती हैं। इन ग्रंथियों के स्राव शुक्राणुओं के साथ मिलते हैं।। इस प्रकार शुक्राणु एक द्रव में आ जाते हैं। यह द्रव शुक्राणुओं के स्थानांतरण को आसान बनाता है। यह द्रव शुक्राणुओं को पोषण भी प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:

  • स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती हैं।
  • स्तनाग्र की त्वचा का रंग भी गहरा होने लगता है।
  • रजोधर्म प्रारम्भ होने लगता है।

प्रश्न 4.
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है।
उत्तर:
निषेचन के बाद युग्मनज बनता है जो धीरे-धीरे भ्रूण में विकसित होने लगता है। भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से के चिपक जाता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लेंटेशन कहते हैं। भ्रूण माता के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसके लिए एक विशिष्ट ऊतक जिसे प्लेसेंटा कहते हैं के द्वारा होता है।

यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में घुसा होता है। माता के गर्भाशय की भित्ति विलाई से बनी होती है जो गर्भाशय का क्षेत्रफल बढ़ाता है। इससे भ्रूण को अधिक ग्लूकोज व ऑक्सीजन मिलती है। इस प्रकार भ्रूण माता के शरीर से अपना पोषण प्राप्त करता है।

प्रश्न 5.
यदि कोई महिला कॉपर-T का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन संचारित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर:
नहीं, कॉपर-T उसकी यौन संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगी। यह केवल गर्भधारण होने से रोकती है।

क्रिया-कलाप – 8.1

  • 100 mL जल में लगभग g चीनी को घोलिए
  • एक परखनली में इस विलयन का 20 mL लेकर उसमें एक चुटकी यीस्ट पाउडर डालिए।
  • परखनली के मुख को रुई से ढककर किसी गर्म स्थान पर रखिए।
  • 1 या 2 घण्टे के पश्चात्, परखनली से यीस्ट – संवर्ध की एक बूँद स्लाइड पर लेकर उस पर कवर स्लिप रखिए।
  • सूक्ष्मदर्शी की सहायता से स्लाइड पर प्रेक्षण कीजिए।

अवलोकन – यीस्ट की कोशिकाएँ दिखाई देती हैं। इनमें से यीस्ट की कुछ कोशिकाएँ एक श्रृंखला मुकुलन दर्शाती दिखाई देती है।
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क्रिया-कलाप – 8.2

  • डबल रोटी के एक टुकड़े को जल में भिगोकर ठंडे, नम तथा अँधेरे स्थान पर रखिए।
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  • आवर्धक लैंस की सहायता से स्लाइस की सतह का निरीक्षण कीजिए।
  • अपने एक सप्ताह के प्रेक्षण कॉपी में रिकॉर्ड कीजिए।

अवलोकन – लैंस द्वारा स्लाइड के ऊपर देखने पर एक सफेद रुई के समान पदार्थ दिखाई देता है जो स्लाइड के ऊपर फैला हुआ है।
एक सप्ताह बाद सफेद रूई जैसा पदार्थ भूरा – काला हो जाता है क्योंकि स्पोरेजियम तथा स्पोर (बीजाणु) बन जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 8.3

  • अमीबा की स्थायी स्लाइड का सूक्ष्मदर्शी की सहायता से प्रेक्षण कीजिए।
  • इसी प्रकार अमीबा के द्विखंडन की स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए।
  • अब दोनों स्लाइडों की तुलना कीजिए।
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दोनों स्लाइडों की तुलना – अमीबा की स्थाई स्लाइड में अमीबा की कोशिका दिखाई देती है जिसमें कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दिखाई देते हैं।

जबकि द्विखंडन की स्थायी स्लाइड में केन्द्रक दो भागों में विभाजित होता हुआ प्रतीत होता है। प्रारंभ में इसका आकार बढ़ता है तथा केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य दो भागों में विभक्त हो जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 8.4

  • किसी झील अथवा तालाब जिसका जल गहरा हरा दिखाई देता हो और जिसमें तंतु के समान संरचनाएँ हों, उससे कुछ जल एकत्र कीजिए।
  • एक स्लाइड पर एक अथवा दो तंतु रखिए।
  • इन तंतुओं पर ग्लिसरीन की एक बूँद डालकर कवर – स्लिप से ढक दीजिए।
  • सूक्ष्मदर्शी के नीचे स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप स्पाइरोगाइरा तंतुओं में विभिन्न ऊतक पहचान सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, स्पाइरोगाइरा तंतुओं में अनेक कोशिकाएँ दिखाई देती हैं। ये कोशिकाएँ आपस में जुड़कर स्पाइरोगाइरा तंतु का निर्माण करती हैं।
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क्रिया-कलाप – 8.5

  • एक आलू लेकर उसकी सतह का निरीक्षण कीजिए। क्या इसमें कुछ गर्त दिखाई देते हैं?
  • आलू को छोटे-छोटे टुकड़ों में इस प्रकार काटिए कि कुछ में तो यह गर्त हों और कुछ में नहीं।
  • एक ट्रे में रुई की पतली पर्त बिछाकर उसे गीला कीजिए। कलिका (गर्त) वाले टुकड़ों को एक ओर तथा बिना गर्त वाले टुकड़ों को दूसरी ओर रख दीजिए।
  • अगले कुछ दिनों तक इन टुकड़ों में होने वाले परिवर्तनों का प्रेक्षण कीजिए। ध्यान रखिए कि रुई में नमी बनी रहे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वे कौन-से टुकड़े हैं जिनसे हरे प्ररोह तथा जड़ विकसित हो रहे हैं?
उत्तर:
आलू के वे टुकड़े जिनमें गर्त (कलिकाएँ) थीं केवल उनमें प्ररोह तथा जड़ विभाजित हुईं।

क्रिया-कलाप – 8.6

  • एक मनीप्लांट लीजिए।
  • इसे कुछ टुकड़ों में इस प्रकार काटिए कि प्रत्येक में कम-से-कम एक पत्ती अवश्य हो।
  • दो पत्तियों के मध्य वाले भाग के कुछ टुकड़े काटिए।
  • सभी टुकड़ों के एक सिरे को जल में डुबोकर रखिए तथा अगले कुछ दिनों तक उनका अवलोकन कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कौन-से टुकड़ों में वृद्धि होती है तथा नवी पत्तियाँ निकली हैं?
उत्तर:
मनीप्लांट का वह भाग जिसकी गाँठों में पत्तियाँ होती हैं, नयी पत्तियाँ बनना दर्शाता है।

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प्रश्न 2.
आप अपने प्रेक्षणों से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
हरी पत्तियाँ भोजन बनाती हैं। इनमें शाखाएँ भी निकलती हैं। ये शाखाएँ एक्जाइल में उपस्थित ऑक्जलरी गाँठों से निकलती हैं।

क्रिया-कलाप – 8.7

  • चने के कुछ बीजों को एक रात तक जल में भिगो दीजिए।
  • अधिक जल को फेंक दीजिए तथा भोगे हुए बीजों को गीले कपड़े से ढककर एक दिन के लिए रख दीजिए। ध्यान रहे कि बीज सूखें नहीं।
  • बीजों को सावधानी से खोलकर उसके विभिन्न भागों का प्रेक्षण कीजिए।
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क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
अपने प्रेक्षण की तुलना चित्र से कीजिए, क्या आप सभी भागों को पहचान सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, यह एक द्विबीजपत्री बीज है, जैसे ही इसमें वृद्धि होती है, सबसे पहले प्रांकुर (भावी प्ररोह) की वृद्धि होती है और इसके बाद मूलांकुर (भावी जड़) निकलते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Students must go through these JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ प्रजनन-वह प्रक्रिया जिसमें वंश वृद्धि की जाती है अर्थात् एक पीड़ी, दूसरी पीढ़ी को जन्म देती है।

→ विखण्डन-कोशिकाओं का दो या दो अधिक भागों में विभाजन विखण्डन कहलाता है।

→ मुकुलन-जीव के शरीर के किसी एक भाग पर एक बल्ब जैसी संरचना बन जाती है और जो पैतृक जीव से अलग होकर पूर्ण विकसित जीव बन जाता है।

→ पुनरुद्भवन-इसमें जीवों के खोये हुए भाग फिर से बन जाते हैं।

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→ वर्धी प्रजनन-पौधों के किसी भी कायिक अंग का प्रयोग करके नया पौधा तैयार करने की विधि वर्धी प्रजनन कहलाती है।

→ कटान-इसमें पौधों की एक कटान लेकर नम भूमि में लगाने पर उसमें जड़ें निकल आती हैं जो बढ़कर नया पौधा बन जाता है।

→ लेयरिंग-इसमें पौधों की किसी एक शाखा को झुकाकर नम मिट्टी में दबा दिया जाता है जिनसे जड़ें निकल आती हैं और नया पौधा उग आता है।

→ ग्राफ्टिंग-इसमें विभिन्न पौधों के दो भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक नया पौधा प्राप्त होता है।

→ लैंगिक प्रजनन-जनन की वह प्रक्रिया जिसमें नर और मादा दोनों ही जननांग भाग लेते हैं जिसमें युग्मकों के संयोजन से नए जीव की उत्पत्ति होती है।

→ पौधों में लैंगिक प्रजनन-इस प्रजनन में पुंकेसर नर और स्त्रीकेसर मादा जननांग भाग लेते हैं। इसमें युग्मनज कई बार सूत्री विभाजन से विभाजित होकर नए पौधों को जन्म देती हैं।

→ मनुष्यों में लैंगिक जनन-इसमें नर युग्मक शुक्राणु एवं मादा युग्मक अण्डापु के संयोग से युग्मनज बनता है जिसका विकास श्रण के रूप में होता है, इसके पूर्ण विकसित हो जाने पर शिशु के रूप में जन्म होता है।

→ शुक्राणु-नर युग्मक (पुरुष में)।

→ अण्डाणु-मादा युग्मक (स्त्री में)।

→ पुंकेसर-पौधों में नर जनन अंग।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ स्त्रीकेसर-पौधों में मादा जनन अंग।

→ निषेचन-नर युग्मक का मादा युग्मक के साथ संलयन की प्रक्रिया निषेचन कहलाती है।

→ पुरुषों के जननांग-वृषण तथा नलियाँ, शुक्रवाहिकाएँ, यूरेश्रा एवं उपजनन अंग शिश्न है।

→ मादा जननांग-अण्डाशय, अण्डवाहिनियाँ, योनि, गर्भाशाय तथा योनि द्वार।

→ प्लेसेंटा-मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैव सम्बन्ध बनाने वाला ऊतक प्लेसेंटा कहलाता हैं।

→ D.N.A. प्रतिकृति की तकनीक से विभिन्नता उत्पन्न होती है जो स्पीशीज के अस्तित्व के लिए लाभप्रद्र है। लैंगिक जनन द्वारा अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ यौवनारंभ में शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं, उदाहरण के लिए लड़कियों में स्तन का विकास तथा लड़कों के चेहरे पर बालों (दाढ़ी, मूँछ) का आना, लैंगिक परिपक्वता के चिन्ह हैं।

→ मानव में नर जनन तंत्र में वृषण, शुक्राणुवाहिनी, शुक्राशय, प्रोस्टेट ग्रन्थि, मूत्र मार्ग तथा शिश्न होते हैं।

→ मानव के मादा जनन तंत्र में अण्डाशय, डिम्बवाहिनी गर्भाशय तथा योनि पाये जाते हैं।

→ मानव में लैंगिक जनन प्रक्रिया में शुक्राणुओं का स्त्री की योनि में स्थानान्तरण होता है तथा निषे चन डिम्बवाहिनी में होता है।

→ गर्भनिरोधी युक्तियाँ अपनाकर गर्भधारण को रोका जा सकता है। कंडोम, गर्भनिरोधी गोलियाँ, कांपर-टी तथा अन्य युक्तियाँ इसके उदाहरण हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board Class 10 Science जैव प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो सम्बन्धित है-
(a) पोषण
(c) उत्सर्जन
(b) श्वसन
(d) परिवहन
उत्तर:
(a) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है-
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर:
(a) जल का वहन।

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केन्द्रक
उत्तर:
(a) माइटोकॉण्ड्रिया।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर:

  1. वसा का पाचन छोटी आँत में होता है।
  2. क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है, जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है।
  3. लीवर द्वारा स्रावित पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है, जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। यह इमल्सीकृत क्रिया कहलाती है।
  4. पित्त रस अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है, ताकि अग्न्याशय से स्रावित लाइपेज एंजाइम क्रियाशील हो सके।
  5. लाइपेज एंजाइम वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
  6. पाचित वसा अंत में आंत्र की भित्ति अवशोषित कर लेती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर:

  1. लार में लार (सेलाइवरी) एमायलेज़ एंज़ाइम होता है जो स्टार्च को शर्करा जैसे माल्टोज में परिवर्तित कर देता है।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1
  2. लार भोजन को नम करती है जो भोजन के बड़े टुकड़ों को छोटे टुकड़ों में चबाने तथा तोड़ने में मदद करती है, जिससे कि सेलाइवरी एमायलेज़ स्टार्च को प्रभावशाली तरीके से पाचित कर सके।

प्रश्न 7.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर:
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक शर्तें हैं-

  • जैव कोशिकाओं में क्लोरोफिल की उपस्थिति।
  • पादप की कोशिकाओं या हरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति का प्रबन्ध या तो जड़ों के द्वारा या आसपास के वातावरण के द्वारा।
  • पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध हो, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा आवश्यक है।
  • पर्याप्त CO2, जो प्रकाश संश्लेषण के दौरान शर्करा के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण अवयव है।
  • स्वपोषी पोषण के सह उत्पाद हैं- स्टार्च (शर्करा), जल तथा O2

प्रश्न 8.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अन्तर हैं? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर:
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में प्रमुख निम्नलिखित अन्तर हैं-

वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
1. वायवीय श्वसन, ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। 1. यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है।
2. ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। 2. ग्लूकोज़ का अपूर्ण विखण्डन होता है।
3. अन्तिम उत्पाद है – CO2, जल तथा ऊर्जा।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2
3. अन्तिम उत्पाद हैं- इथाइल ऐल्कोहॉल (या लैक्टिक अम्ल), CO2 तथा थोड़ी-सी ऊर्जा।
4. बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, एक ग्लूकोज़ अणु 38 ATP अणु। 4. कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, एक ग्लूकोज़ अणु से 2ATP अणु।
5. वायवीय श्वसन का प्रथम चरण (ग्लाइकोलिसिस) कोशिकाद्रव्य में होता है जबकि अगला चरण माइटोकॉण्ड्रिया में होता है। 5. पूरा अवायवीय श्वसन कोशिकाद्रव्य में होता है।

जन्तु जिनमें अवायवीय श्वसन होता है- यीस्ट तथा परजीवी, जैसे टेपवर्म (फीताकृमि), एसकेरिस (गोलकृमि) आदि।

प्रश्न 9.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर:

  • कूपिका की भित्ति पतली होती है तथा रुधिर वाहिकाओं के जाल से ढकी हुई है, जिससे गैसों का आदान-प्रदान, रुधिर तथा कूपिका के अन्दर भरी हवा के बीच अधिकाधिक हो सके।
  • कूपिका की गुब्बारे के समान संरचना है, जो गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ा देती है।

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
रुधिर की औसत हीमोग्लोबिन मात्रा किसी भी लिंग में 14.5 g प्रति 100 mL रुधिर है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा रुधिर में कम होती है, तो इसकी O2 की वहन क्षमता भी घट जाती है। अतः वह मानव O2 की कमी के लक्षण दर्शाता है, जैसे साँस फूलना जो कि अक्सर लोहे की कमी से हुए एनीमिया का पहला लक्षण है।

प्रश्न 11.
मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरण इसलिए कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकता है। चूँकि हमारे शरीर में उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं, जिसके लिए उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन जरूरी होता है। अतः शरीर का तापक्रम बनाए रखने तथा निरन्तर ऊर्जा की पूर्ति के लिए यह परिसंचरण लाभदायक होता है।

प्रश्न 12.
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नलिखित अन्तर हैं।

जाइलम फ्लोएम
1. जाइलम जड़ से पत्तियों तथा अन्य भागों में जल तथा घुले लवण परिवहित करते हैं। 1. फ्लोएम, भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्सों तक परिवहित करता है।
2. जाइलम में पदार्थों का परिवहन वाहिकाओं तथा वाहिनियों द्वारा होता है, जो मृत ऊतक हैं। 2. फ्लोएम में पदार्थों का परिवहन चालनी ट्यूबों द्वारा सहचर कोशिकाओं की मदद से होता है, जो जैव कोशिकाएँ हैं।
3. वाष्पोत्सर्जन पुल के कारण ऊपर की ओर जल तथा घुले लवणों का चढ़ना सम्भव हो पाता है। यह पत्ती की कोशिकाओं से जल अणुओं के वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है। 3. स्थानान्तरण में, पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ATP ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए होता है। यह् परासरण दाब बढ़ा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को ऊतकों की ओर भेजता है, जिनमें दाब कम होता है।
4. जल का परिवहन सरल भौतिक गति के अन्तर्गत होता है। ऊर्जा खर्च नहीं होती है। अतः ATP की आवश्यकता नहीं है। 4. फ्लोएम में स्थानान्तरण एक सक्रिय क्रिया है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा ATP से प्राप्त हाती है।

प्रश्न 13.
फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
फुफ्फूस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु की रचना तथा क्रियार्विधि की तुलना निम्न प्रश्न से की जा सकती है-

कूपिका वृक्काणु
1. पतली भित्ति, गुब्बारे के समान संरचना। सतह महीन तथा नाजुक। 1. पतली भित्ति, कप की आकृति की संरचना, जो पतली भित्ति वाले ट्युब्यूल से जुड़ी है।
2. गैसों के आदान-प्रदान के लिए रुधिर केशिकाओं का लम्बा-चौड़ा जाल। 2. बोमेन संपुट में रुधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है, जिसे केशिका गुच्छ कहते हैं। इसका काम छानना है। वृक्काणु के ट्युब्यूलर हिस्सों के ऊपर रुधिर वाहिकाओं का एक जाल होता है, जो लाभप्रद पदार्थों तथा जल का पुनः अवशोषण करता है।
3. कूपिकाएँ सतही क्षेत्र बढ़ा देती हैं, जिससे CO2 का रुधिर से वायु में तथा O2 का वायु से रुधिर में विसरण हो सके। 3. वृक्काणु भी सतही क्षेत्र बढ़ाता है, रूधिर को छानने के लिए तथा निस्यंद से लाभप्रद पदार्थ तथा जल के पुनः अवशोषण के लिए। अन्त में मूत्र बचेगा।
4. कूपिकाएँ केवल फेफड़ों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ाती हैं। 4. वृक्काणु के नलिकाकार हिस्से मृत्र को संग्राहक वाहिनी तक ले जाती है।
5. कूपिकाएँ बहुत छोटी होती हैं और प्रत्येक फेफड़े में एक बहुत बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। 5. वृक्काणु, जो छानने की आधार इकाई है, एक बड़ी संख्या में प्रत्येक गुर्द् में होते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science जैव प्रक्रम InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-105)

प्रश्न 1.
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि बहुकोशिकीय जीवों में समस्त कोशिकाएँ वातावरण से सीधे सम्पर्क में नहीं होती हैं अतः सरल विसरण समस्त कोशिकाओं की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है।

प्रश्न 2.
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर:
सजीवों को अपनी संरचनाओं की मरम्मत एवं रखरखाव करना आवश्यक है। ये समस्त संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी हैं। इसलिए हमें हर समय, अणुओं को गतिशील रखने की क्षमता होनी चाहिए। अतः अदृश्य अणुगति, जीव के जीवित होने का प्रमाण है।

प्रश्न 3.
किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:

  • भोजन- ऊर्जा एवं पदार्थों के स्रोत के रूप में।
  • ऑक्सीजन- भोजन पदार्थों का विखण्डन करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
  • जल भोजन के सही पाचन के लिए तथा शरीर के अन्दर अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए।
  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)।

प्रश्न 4.
जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर:
अनेकों जैव प्रक्रम हैं जो जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक हैं, जैसे-

  • पोषण
  • श्वसन
  • उत्सर्जन
  • वहन आदि।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-111)

प्रश्न 1.
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में निम्नलिखित अन्तर हैं –

स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition) विषमपोषी पोषण (Hetrotrophic Nutrition)
1. यह पोषण हरे पौधों में पाया जाता है, जो भोजन के निर्माण के लिए अकार्बनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं। इसलिए हरे पौधों को स्वयंपोषी जीव कहते हैं। 1. इसमें जन्तुओं को अपने कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकता के लिए पौधों तथा अन्य जीवों पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण-शाकाहारी, मांसाहारी, मृतजीवी आदि ।
2. इस पोषण में CO2 जल, क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश द्वारा कार्बनिक पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषपा कहते हैं। 2. विषमपोषी पोषण में यह प्रक्रिया नहीं होती है।
3. यह पोषण हरे पौधों तथा साइनोबैक्टीरिया (नीले-हरे शैवाल) में होता है। 3. यह पोषण प्रायः सभी जन्तुओं, मानव, परजीवी, कवक आदि में होते हैं।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर:

  • कार्बन डाइऑक्साइड – पादप वातावरण से CO2 रंध्रों द्वारा प्राप्त करते हैं।
  • जल- पादप, जड़ों द्वारा जल का अवशोषण मृदा में से करते हैं तथा पत्तियों तक इसका परिवहन करते हैं।
  • क्लोरोफिल – हरे पत्तों में क्लोरोप्लास्ट होता है, जिसमें क्लोरोफिल मौजूद होते हैं।
  • सूर्य का प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
आमाशय में अम्ल माध्यम को अम्लीय बनाता है जो पेप्सिन ( Pepsin) एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 4.
पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर:
पाचक एंजाइम प्रोटीन को अमीनो अम्ल में, कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तथा वसा को वसीय अम्लों व ग्लिसरॉल में बदल देते हैं।

प्रश्न 5.
पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर:
पचे हुए भोजन का अवशोषण क्षुद्रांत्र में होता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3
क्षुद्रांत्र की संरचना इस प्रकार से है कि कुल सतही क्षेत्रफल अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे अवशोषण का क्षेत्र भी बढ़ जाता है। अतः पाचित भोजन अधिक मात्रा में अवशोषित होकर रक्त में पहुँचता है और फिर इसका वहन सारे शरीर में होता है। क्षुद्रांत्र की अंदरूनी भित्ति में बहुत बड़ी संख्या में अंगुलियाँ समान दीर्घरोम होती हैं। ये दीर्घरोम भोजन के अवशोषण के लिए एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 116)

प्रश्न 1.
श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
जो जीव पानी में रहता है, वह अपने चारों ओर पानी में घुली ऑक्सीजन का प्रयोग करता है। चूँकि पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, अतः जलीय जीव में श्वसन दर अधिक होती है। थलीय जीव, पर्याप्त ऑक्सीजन वाले वातावरण से श्वसन अंगों द्वारा ऑक्सीजन लेते हैं। अतः जलीय जीवों की तुलना में थलीय जीवों की श्वसन दर काफी कम होती है।

प्रश्न 2.
ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर:
ग्लूकोज के ऑक्सीजन से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ निम्नलिखित प्रकार हैं-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4

प्रश्न 3.
मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन का परिवहन – मानव शरीर के फुफ्फुस कूपिकाओं की रुधिर वाहिकाओं में RBC होते हैं, जिसमें मौजूद हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है तथा सभी ऊतकों एवं अंगों तक पहुँच जाता है।

कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) का परिवहन – ऑक्सीजन की अपेक्षा CO2 जल में अधिक विलेय है, इसलिए ऊतकों से फुफ्फुस तक परिवहन हमारे रुधिर (प्लाज्मा) में विलेय अवस्था में होता है।

प्रश्न 4.
गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर:
श्वास नली फुफ्फुस में कई छोटी-छोटी श्वसनिकाओं में विभाजित होती ये छोटी श्वसनिकाएँ बहुत छोटे-छोटे थैली जैसी रचना कूपिकाओं में खुलती हैं। कूपिकाओं की भित्ति बहुत पतली होती है जो कि रुधिर केशिकाओं से घिरी होती है। दोनों फुफ्फुस में लगभग 30 करोड़ कूपिकाएँ होती हैं जो कि लगभग 100 वर्ग मीटर सतह बनाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-122)

प्रश्न 1.
मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वहन तंत्र के घटक हैं-हदय, रुधिर वाहिकाएँ और रुधिर। उनके कार्य निम्न प्रकार हैं-
(i) हददय-यह एक पंप की तरह कार्य करता है।

(ii) रुधिर वाहिकाएँ :

  • धमनियों से शरीर के सभी अभी तक
  • शिराएं विभिन्न तक वापस डीऑक्सीजनेटेड विभाजित हो जाती है, जिसे कोशिकाएँ कहते है सर एवं टीचर के लिए लाते हैं।
  • केशिकाएँ-धमनी छोटी-छोटी वाहिकाओं में विभाजित हो जाती हैं, जिसे केशिकाएँ कहते हैं। रुधिर एवं आसपास की केशिकाओं के मध्य पदार्थों का विनिमय होता है।

(iii) रुधिर या रक्त-यह परिवहन का माध्यम है जो निम्नलिखित से बने हैं-

  • प्लाज्मा-भोजन के अणुओं, CO2 नाइट्रोजनी वर्ज्य, लवण, हार्मोन, प्रोटीन आदि का विलीन रूप में वहन करता है।
  • RBC-इसमें हीमोग्लोबिन होता है, जो ऑक्सीजन को ले जाती है।
  • WBC-संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है। यह शरीर में आए रोगाणुओं को मारकर शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • प्लेटलेट्स-रक्तस्त्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती है।

प्रश्न 2.
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीज तथा विनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हृदय का दावा विक्सीजन चिर को मिलने से रोकता है शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है, क्योंकि पक्षी और स्तनधारी जंतुओं को अपने शरीर का उपक्रम बनाए रखने के लिए निरन्तर उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए यह बहुभदायक होता है।

प्रश्न 3.
उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर:
उच्च संगठित पादप में निम्नलिखित वहन तंत्र होते हैं-
(i) जाइलम ऊतक-जाइलम ऊतक पादप के जड़ से खर्रिज लवण तथा जल इसके सभी अंगों तक पहुँचाता है। जाइलम ऊतक में जड़ों, तनों और पत्तियों की त्राहिनिकाएँ तथा वाहिकाएँ आपस में जुड़कर जल संवहन वाहिकाओं का एक जाल बनाती हैं, जो पादप के सभी भागों से सम्बद्ध होता है।

(ii) फ्लोएम ऊतक भोजन तथा अन्य पदार्थों का संवहन पत्तियों से अन्य सभी अंगों तक फ्लोएम ऊतक द्वारा होता है।

प्रश्न 4.
पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर:
जल तथा लवण, मृदा से पत्तियों तक जाइलम कोशिकाओं द्वारा परिवहित होते हैं। जड़, तने तथा पनियों कोशिकाएँ परस्पर जुड़कर संयोजी मार्ग बनाते हैं। जड़ों की कोशिकाएँ मृदा से लवण लेती हैं। ये मृदा तथा जड़ के लवणों की सान्द्रता में फर्क उत्पन्न कर देता की जाइलम है। इसलिए जल की निरन्तर गति जाइलम में होती रहती है। एक परासरण दबाव उत्पन्न होता और जल व लवण एक कोशिका से दूसरी कोशिका में परासरण के कारण परिवहित होते रहते हैं। वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की निरन्तर हानि होती रहती है तथा चूषण बल उत्पन्न होता है जिससे जल तथा लवणों की निरन्तर गति होती रहती है। और जल तथा लवणों का परिवहन होता रहता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5

प्रश्न 5.
पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर:
पादपों में निर्मित भोजन, फ्लोएम द्वारा भण्डारण अंगों जैसे जड़, फल, बीज तथा विकासशील हिस्सों में परिवहित होता है। इस क्रिया को स्थानान्तरण कहते हैं। यह कार्य चलनी कोशिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा सम्पन्न होता है। भोजन कणों का परिवहन ऊपर तथा नीचे स्थानांतरण की क्रिया एक सक्रिय क्रिया है जिसमें ऊर्जा का प्रयोग होता है।

पदार्थों का स्थानांतरण पत्ती की कोशिकाओं या भण्डारण के स्थान से फ्लोएम ऊतक में होता है। इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो ए. टी. पी. (ATP ) अणु से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा परासरण दाब बढ़ाता है, परिणामस्वरूप जल बाहर से फ्लोएम के अन्दर गति करता है। यह क्रिया भोजन का परिवहन पादपों के समस्त हिस्सों में कायम रखती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-124)

प्रश्न 1.
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृक्काणु के ऊपरी सिरे पर कप के आकार की रचना होती है जिसे बोमन संपुट कहते हैं। बोमन संपुट का निचला सिरा नली के आकार का होता है जो मूत्र संग्राहक नलिका में खुलता है। बोमन संपुट में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है। प्रारम्भिक निस्यंद में कुछ पदार्थ जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। जैसे-जैसे मूत्र इस नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

प्रश्न 2.
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं।
उत्तर:
उत्सर्जक पदार्थों से मुक्ति पाने के लिए पादप निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करते हैं-

  • अनेकों उत्सर्जक उत्पाद कोशिकाओं के धानियों में भण्डारित रहते हैं। पादप कोशिकाओं में तुलनात्मक रूप से बड़ी धानियाँ होती हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद पत्तियों में भण्डारित रहते हैं। पत्तियों के गिरने के साथ ये हट जाते हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद, जैसे रेज़िन या गम, विशेष रूप से निष्क्रिय पुराने जाइलम में भण्डारित रहते हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद जैसे टेनिन, रेज़िन, गम छल में भण्डारित रहते हैं। छाल के उतरने के साथ हट जाते हैं।
  • पादप कुछ उत्सर्जक पदार्थों का उत्सर्जन जड़ों के द्वारा मृदा में भी करते हैं।

प्रश्न 3.
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मूत्र की मात्रा पानी के पुनः अवशोषण पर प्रमुख रूप से निर्भर करती है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी की मात्रा का पुनः अवशोषण निम्नलिखित पर निर्भर करता है-

  • शरीर में अतिरिक्त पानी की कितनी मात्रा है जिसको निकालना है। जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त जल है, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है। जब शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम है, तब सांद्र मूत्र की थोड़ी-सी मात्रा उत्सर्जित होती है।
  • कितने घुलनशील उत्सर्जक, विशेषकर नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जक जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल तथा लवण आदि का शरीर से उत्सर्जन होता है।

जब शरीर में घुलनशील उत्सर्जक की अधिक मात्रा हो, तब उनके उत्सर्जन के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। अतः मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

क्रिया-कलाप – 6.1

  • गमले में लगा एक शबलित पत्ती वाला पौधा लीजिए (उदाहरण के लिए मनीप्लांट या क्रोटन का पौधा)।
  • पौधे को तीन दिन अँधेरे कमरे में रखिए ताकि उसका सम्पूर्ण मंड प्रयुक्त हो जाए।
  • अब पौधे को लगभग छह घण्टे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखिए।
  • पौधे से एक पत्ती तोड़ लीजिए। इसमें हरे भाग को अंकित करिए तथा उन्हें एक कागज पर ट्रेस कर लीजिए।
  • कुछ मिनट के लिए इस पत्ती को उबलते पानी में डाल दीजिए।
  • इसके बाद इसे ऐल्कोहॉल से भरे बीकर में डुबा दीजिए।
  • इस बीकर को सावधानी से जल ऊष्मक में रखकर तब तक गर्म करिए जब तक ऐल्कोहॉल उबलने न लगे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पत्ती के रंग का क्या होता है? विलयन का रंग कैसा जाता है?
उत्तर:
पत्ती का रंग उड़ जाता है तथा यह रंगरहित हो जाती है, क्योंकि क्लोरोफिल ऐल्कोहॉल में घुल जाता है। घोल का रंग हरा हो जाता है।

  • लगभग समान आकार के गमल मे लग दा पाध लीजिए।
  • तीन दिन तक उन्हें अँधेरे कमरे में रखिए।
  • अब प्रत्येक पौधे को अलग-अलग काँच-पट्टिका पर रखिए। एक पौधे के पास वाच ग्लास में पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड रखिए। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए किया जाता है।
  • चित्र के अनुसार दोनों पौधों को अलग-अलग बेलजार से ढक दीजिए।
  • जार के तले को सील करने के लिए काँच-पट्टिका पर वैसलीन लगा देते हैं इससे प्रयोग वायुरोधी हो जाता है।
  • लगभग दो घंटों के लिए पौधों को सूर्य के प्रकाश में रस्विए।
  • प्रत्येक पौधे से एक पत्ती तोड़िए तथा उपर्युक्त क्रिया-कलाप की तरह उसमें मंड की उपस्थिति की जाँच कीजिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7
  • अब कुछ मिनट लिए इस पत्ती को आयोडीन के तन विलयन डाल दीजिए।
  • पत्ती को बाहर निकालकर उसके आयोडीन को धो डालिए।
  • पत्ती के रंग का अवलोकन कीजिए और प्रारम्भ में पत्ती का जो रंग ट्रेस किया था उससे इसकी तुलना कीजिए।

क्रिया-कलाप – 6.2

प्रश्न 2.
पत्ती के विभिन्न भागों में मंड की उपस्थिति के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
पत्ती के वे क्षेत्र जो गहरे नीले-काले आयोडीन घोल के कारण हो गए हैं, स्टार्च की उपस्थिति दर्शा रहे हैं, जबकि वे क्षेत्र जो रंगरहित रह गए हैं, यह दर्शा रहे हैं कि वहाँ स्टार्च निर्माण नहीं हुआ है। यह क्रिया-कलाप यह संकेत दे रहा है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या दोनों पत्तियाँ समान मात्रा में मंड की उपस्थिति दर्शाती हैं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि एक पौधे के पास (KOH) रखा गया है, जो CO2 अवशोषित करता है। अत: KOH वाले बेलजार से तोड़ी गई पत्ती में मंड की उपस्थिति अपेक्षाकृत बहुत कम है।

प्रश्न 2.
इस क्रिया-कलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
यह क्रिया-कलाप दर्शाता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 की मात्रा एक आवश्यक घटक है।

क्रिया-कलाप – 6.3

  • 1 mL मंड का घोल (1%) दो परखनलियों ‘A’ तथा ‘B’ में लीजिए।
  • परखनली ‘A’ में 1 mL लार डालिए तथा दोनों परखनलियों को 20-30 मिनट तक शांत छोड़ दीजिए।
  • अब प्रत्येक परखनली में कुछ बूँद तनु आयोडीन घोल की डालिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किस परखनली में आपको रंग में परिवर्तन दिखाई दे रहा है?
उत्तर:
परखनली B में रंग बदल गया, क्योंकि इसमें केवल स्टार्च है। परखनली A में स्टार्च शर्करा में परिवर्तित हो गया, अतः रंग में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया।

प्रश्न 2.
दोनों परखनलियों में मंड की उपस्थिति के बारे जबकि में क्या इंगित करता है?
उत्तर:
यह दर्शाता है कि परखनली परखनली A स्टार्च नहीं है। में स्टार्च है,

प्रश्न 3.
यह लार की मंड पर क्रिया के बारे में क्या दर्शाता है?
उत्तर:
यह हमें बताता है कि लार स्टार्च पर क्रिया करते हुए स्टार्च को दूसरे पदार्थ (माल्टोज शर्करा) में परिवर्तित कर देती है।

क्रिया-कलाप – 6.4

प्रश्न 1.
एक परखनली में ताजा तैयार किया हुआ चूने का पानी लीजिए। इस चूने के पानी में नि:श्वास द्वारा निकली वायु प्रवाहित कीजिए [चित्र (a)]। नोट कीजिए कि चूने के पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है?
उत्तर:
छात्र स्वयं समय नोट करें।

प्रश्न 2.
एक सिरिंज या पिचकारी द्वारा दूसरी परखनली में में ताजा चूने का पानी लेकर वायु प्रवाहित पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है। करते हैं [चित्र (b)]। नोट कीजिए कि इस बार चूने के
उत्तर:
छात्र स्वयं समय नोट करें।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
निःश्वास द्वारा निकली वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है?
उत्तर:
पहली स्थिति में चूने का पानी [चित्र (a)] दूधिया होने में ज्यादा समय लेता है जबकि दूसरी स्थिति [चित्र (b)] में यह दर्शाता है कि बाह्यश्वसन वाली वायु में सामान्य वायु की तुलना में CO2 अधिक है। इसलिए बाह्यश्वसन वायु सामान्य वायु की तुलना में चूने के पानी को जल्दी दूधिया कर देती है। अतः बाह्यश्वसनीय वायु में CO2 अधिक है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
(a) चूने के पानी में निःश्वास द्वारा वायु प्रवाहित हो रही है।
(b) चूने के पानी में वायु पिचकारी / सिरिंज द्वारा प्रवाहित की जा रही है।

क्रिया-कलाप – 6.5

  • किसी फल का रस या चीनी का घोल लेकर उसमें कुछ यीस्ट डालिए। एक छिद्र वाली कॉर्क लगी परखनली में इस मिश्रण को ले जाइए।
  • कॉर्क में मुड़ी हुई काँच की नली लगाइए। काँच की नली के स्वतंत्र सिरे को ताजा तैयार चूने के पानी वाली परखनली में ले जाइए।
  • चूने के पानी में होने वाले परिवर्तन को तथा इस परिवर्तन में लगने वाले समय के अवलोकन को नोट कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किण्वन के उत्पाद के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है?
उत्तर:
यह हमें बताता है कि अन्य उत्पादों (ऐल्कोहॉल) के साथ CO2 भी एक उत्पाद है।

क्रिया-कलाप – 6.6

प्रश्न 1.
एक जलशाला में मछली का अवलोकन कीजिए। वे अपना मुँह खोलती और बंद करती रहती हैं साथ ही आँखों के पीछे क्लोमछिद्र (या क्लोमछिद्र को ढकने वाला प्रच्छद) भी खुलता और बंद होता रहता है। क्या मुँह समय और क्लोमछिद्र के खुलने और बंद होने के में किसी प्रकार का समन्वय है?
उत्तर:
हाँ, वे बारी-बारी से खुलते तथा बन्द होते हैं।

प्रश्न 2.
गिनती करो कि मछली एक मिनट में कितनी बार मुँह खोलती और बन्द करती है?
उत्तर:
मुँह का खोलना तथा बन्द होना अलग-अलग मछलियों में तथा विभिन्न प्रकार की मछलियों में भिन्न-भिन्न होता है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि यह वह स्वयं करें।

प्रश्न 3.
इसकी तुलना आप अपनी श्वास को एक मिनट में अंदर और बाहर करने से कीजिए।
उत्तर:
मछली हमारी तुलना में अधिक तेज श्वसन करती है क्योंकि वायु की तुलना में पानी में कम ऑक्सीजन होती है।

क्रिया-कलाप 6.7

प्रश्न 1.
अपने आसपास के एक स्वास्थ्य केन्द्र का भ्रमण कीजिए और ज्ञात कीजिए कि मनुष्यों में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य परिसर क्या है?
उत्तर:
पुरुष : 13.8 – 17.5gm/dl
महिला : 12.1 – 15.1 gm/dl
बच्चों में 5 से 11 वर्ष : 11.5gm/dl
12 से 14 वर्ष : 12 gm/dl (माध्य मान)
2 से 6 वर्ष : 12.5gm/dl

प्रश्न 2.
क्या यह बच्चे और वयस्क के लिए समान है?
उत्तर:
नहीं बच्चों में 11 से 16 g/dl होता है।

प्रश्न 3.
क्या पुरुष और महिलाओं के हीमोग्लोबिन स्तर में कोई अन्तर है?
उत्तर:
हाँ, प्रश्न 1 का उत्तर देखें।

प्रश्न 4.
अपने आसपास के एक पशुचिकित्सा क्लीनिक का भ्रमण कीजिए। ज्ञात कीजिए कि पशुओं, जैसे भैंसा परिसर ‘या गाय में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य क्या है?
उत्तर:
10.4 से 16.4 g/dl

प्रश्न 5.
क्या यह मात्रा बछड़ों में, नर तथा मादा जन्तुओं में समान है?
उत्तर:
नहीं, बछड़ों में अधिक होता है।

प्रश्न 6.
नर तथा मादा मानव में व जन्तुओं में दिखाई देने वाले अन्तर की तुलना कीजिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन की मात्रा निम्नानुसार है-
पुरुष = 13.8 से 17.2 g/dl
महिला = 12.1 से 15.1 g/dl
बच्चे = 11 से 16 g/dl
मवेशी = 10.4 से 16.4g/dl

प्रश्न 7.
यदि कोई अन्तर है तो उसे कैसे समझाओगे?
उत्तर:
क्योंकि शरीर में O2 तथा CO2 के परिवहन के लिए हीमोग्लोबिन आवश्यक है। पुरुष महिलाओं बच्चों से अधिक परिश्रम करता है। कार्यों की प्रकृति व विविधता के कारण ही इनमें महिलाओं, बच्चों व मवेशियों की अपेक्षा हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है।

क्रिया-कलाप 6.8

  • लगभग एक ही आकार के तथा बराबर मुदा वाले दो गमले लीजिए। एक में पौधा लगा दीजिए तथा दूसरे गमले में पौधे की ऊँचाई की एक छड़ी लगा दीजिए।
  • दोनों गमलों की मिट्टी प्लास्टिक की शीट से ढक दीजिए जिसमें नमी का वाष्पन न हो सके।
  • दोनों गमलों को को पौधे के साथ तथा दूसरे को छड़ी के साथ, प्लास्टिक शीट से ढक दीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप दोनों में कोई अन्तर देखते हैं?
उत्तर:
हाँ, जिस गमले में पौधा है, उसकी प्लास्टिक की चादर में पानी की बूँदें नजर आ रही हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में पहले गमले में, जिसमें पौधा है, जल वाष्प बनकर उड़ रही बूँदों के रूप में नज़र आ रहा है जबकि दूसरे गमले में जिसमें लकड़ी है, पानी की बूँदें नजर नहीं आ रही हैं।