JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-246-248)

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25
उत्तर:
(d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I²R
(b) IR²
(c) VI
(d) V² / R
उत्तर:
(b) IR²

प्रश्न 3.
किसी विद्युत बल्ब का अनुमतांक 220 V; 100 W है जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपयुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100W
(b) 75 W
(c) 50W
(d) 25 W
उत्तर:
(d) 25 W

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1
उत्तर:
(d) 4 : 1

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प्रश्न 5.
किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
परिपथ में वोल्टमीटर को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है?

प्रश्न 6.
किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 x 10-8Ωm है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दो गुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा।
उत्तर:
व्यास = 0.5mm
r = \(\frac{0.5 \mathrm{~mm}}{2}=\frac{0.5 \times 10^{-3}}{2} \mathrm{~m}\)
ρ = 1.6 x 10-8Ωm
R = 10Ω
हम जानते हैं :
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अतः तार की लम्बाई = 122.7 m
यदि व्यास दो गुना हो जाता है तो प्रतिरोध आधा रह जाता है।

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं के संगत मान आगे दिए गए हैं-

I. (ऐम्पियर) 0.5 1.0 2.0  3.0 4.0
V (वोल्ट)  1.6 3.4 6.7  10.2 13.2

V तथा I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है :
V = 12V
I = 2.5mA = 2.5 x 10-3 A
हम जानते हैं, R = \(\frac { V }{ I }\) (ओम के नियम से)
R = \(\frac{12}{2.5 \times 10^{-3}}\)Ω
= \(\frac{12 \times 10^3}{2.5}\)Ω
R = 4.8 x 103Ω
अतः अज्ञात प्रतिरोधक का प्रतिरोध = 4.8 x 10-3Ω

प्रश्न 9.
9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में कुल प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12Ω
R = 13.4Ω
ओम के नियम से,
I = \(\frac { V }{ I }\)
= \(\frac{9 \mathrm{~V}}{13.4 \Omega}=\frac{90}{134}\)A = 0.67 A
अतः विद्युत धारा = 0.67 A

प्रश्न 10.
176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्रोत के संयोजन से 5A विद्युत धारा प्रवाहित हो?
उत्तर:
माना प्रतिरोधकों की संख्या = 7
अतः \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{176}+\frac{1}{176}\) … + n
R = \(\frac {176} {n} \)
अब I = \(\frac {V} {R} \)
5 = \(\frac {220} {176} \) या n = \(\frac {5×176} {220} \)
= \(\frac {880} {220} \) = 4
अतः प्रतिरोधकों की संख्या = 4

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प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध – (i) 9Ω, (ii) 4Ω हो?
उत्तर:
(i) 9Ω प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए दो प्रतिरोधकों को पार्श्व क्रम में तथा एक प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
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(ii) 4Ω प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए पहले दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ें जिनका तुल्य प्रतिरोध = 6 + 6 = 12Ω फिर इसे तीसरे प्रतिरोध के साथ पार्श्वक्रम जोड़ना चाहिए।
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प्रश्न 12.
220V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10W है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध = R
I = \(\frac { V }{ R }\)
V = 220V
I = 5A
P = 10W
हम जानते हैं, R = \(\frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{P}}=\frac{(220)^2}{10}\)
R = \(\frac{220 \times 220}{10}\) = 4840Ω
माना ऐसे n बल्ब जोड़े गए हैं।
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अतः बल्बों की संख्या = 110

प्रश्न 13.
किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कंडलियों A तथा B की बनी है जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 2452 है तथा इन्हें पृथक-पृथक श्रेणीक्रम अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?
उत्तर:
दो प्लेटों का प्रतिरोध = 24 Ω प्रत्येक
V = 220 V
R = 24 + 24 = 48 Ω
ओम के नियम से
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {48} \) = 4.6 A लगभग
अतः श्रेणीक्रम में धारा का मान = 4.6 A
अब जब ये पार्श्वक्रम में जोड़े जाते हैं,
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {1} {24} \) + \(\frac {1} {24} \)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {2} {24} \)
R = \(\frac {24} {2} \) = 12 Ω
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {12Ω} \) = 18.33 लगभग
तीसरी बार जब केवल एक प्रतिरोधक जोड़ा जाता है
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {220} {24} \) = 9.16 A
अतः धारा का मान = 9.16 A

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए:
(i) 6V की बैटरी से संयोजित 1Ω तथा 2Ω श्रेणीक्रम संयोजन।
(ii) 4V बैटरी से संयोजित 1252 तथा 252 का पार्श्वक्रम संयोजन।
उत्तर:
(i) जब 1Ω व 2Ω के प्रतिरोधक 6V की बैटरी के साथ जोड़े जाते हैं:
R = R1 + R2 = 1 + 2 = 3 Ω
I = \(\frac {V} {R} \) = \(\frac {6} {3} \) = 2A
अतः धारा का मान 2A
P1 = VI = 6 × 2 = 12 Ω

(ii) जब 12Ω व 2Ω के प्रतिरोधक 4V की बैटरी के साथ पार्श्वक्रम में जोड़े जाते हैं,
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प्रश्न 15.
दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 तथा दूसरे का 60 W 220 V हैं, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती है?
उत्तर:
माना पहले लैम्प के लिए प्रतिरोध = R1
तथा दूसरे लैम्प के लिए प्रतिरोध = R2
P1 = 100W, P2 = 60W, V = 220 V
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प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है: 250 W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया ता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
उत्तर:
टी.वी. सेट के लिए,
P = 250W
t = 1 घं. = 3600 s
E1 = P × t
=250 W x 3600 s
= 900000 J
= 9 × 105 J
हीटर के लिए,
P = 120W
t = 10 मिनट = 600s
E2 = P x t
= 120 × 600
= 72000 J
= 72 x 105 J
हम देखते हैं कि E1 > E2
अतः टी. वी. सेट अधिक ऊर्जा उपभोग करेगा।

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प्रश्न 17.
8Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मा की दर विद्युत शक्ति
P = \(\frac {E} {t} \)
= \(\frac{\mathrm{I}^2 \mathrm{R} t}{t}\) = I²R = (15)² x 8
= 225 x 8 = 1800 W
अतः ऊष्मा की दर = 1800 J/s

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-
(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाये जाते हैं?
(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(a) टंगस्टन का गलनांक तथा प्रतिरोध बहुत अतः यह विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है। अधिक प्रतिरोध के कारण इसमें अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा का उत्पादन होता है जिसके कारण तंतु चमकने लगते हैं और प्रकाशित हो जाते हैं।

(b) मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता तथा गलनांक शुद्ध धातुओं से अधिक होते हैं इसी कारण ये अधिक मात्रा में ऊष्मा का उत्पादन करती हैं और ये विद्युत तापन युक्तियों जैसे टोस्टर व इस्तरी में उपयोग की जाती हैं।

(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि श्रेणीक्रम में प्रतिरोध बहुत अधिक (R1 + R2 + R3 + ……….) हो जाता है। अधिक प्रतिरोध के कारण परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा की मात्रा बहुत कम हो जाती पार्श्वक्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध का मान बहुत कम हो जाता है जिसके कारण धारा का मान बहुत बढ़ जाता है। अतः घरेलू परिपथों में पार्श्वक्रम का उपयोग किया जाता है।

(d) किसी तार का प्रतिरोध कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से एक है अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल / तार का प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ \(\frac {1} {A} \)

(e) सिल्वर, कॉपर व ऐलुमीनियम विद्युत के सर्वश्रेष्ठ चालक होते हैं। अतः कॉपर व ऐलुमीनियम का उपयोग विद्युत संचारण में किया जाता है।

Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 222)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विद्युत स्रोत के विभिन्न घटकों से होकर विद्युत धारा के बहने के पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। इसके प्रमुख घटक हैं-

  • विद्युत स्रोत (बैटरी या सेल)
  • चालक
  • प्रतिरोध
  • स्विच (कुंजी) तथा
  • दूसरे अनेक उपकरण जो इससे जुड़े होते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है और इसे ‘A’ अक्षर से दर्शाते हैं जब किसी चालक में 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत धारा की मात्रा को 1 ऐम्पियर कहते हैं।
1A = \(\frac {1C} {1 s} \)

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19 C
माना 1 कूलॉम की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n तो n x 1.6 x 10-19 C = 1C
n = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}=\frac{10^{19}}{1.6}\)
= \(\frac {10} {16} \) x 1019
= 6.25 x 1018
अत: 1 कूलॉम = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 224)

प्रश्न 1.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है?
उत्तर:
सेल विभवांतर बनाए रखने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर:
इसका अर्थ यह है कि किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश ले जाने में 1 जूल कार्य होता है।

प्रश्न 3.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर:
V = 6 वोल्ट
Q = 1 कूलॉम
हम जानते हैं कि
W = VQ = 6 V x 1C = 6 जूल

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 232)

प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-
(i) तार की लम्बाई- किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती है।
R ∝ L

(ii) चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल – किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ \(\frac {1} {A} \)

(iii) किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों ?
उत्तर:
मोटे तार में विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होती है क्योंकि हम जानते हैं कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः मोटे तार का प्रतिरोध कम होगा और यह आसानी से विद्युत धारा प्रवाहित होने देगा।

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प्रश्न 3.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
यहाँ पर V2 = \(\frac {V} {2} \)
R2 = R
I2 = ?
हम जानते हैं कि
I = \(\frac {V} {R} \)
⇒ \(\frac{\mathrm{I}_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}_2 \mathrm{R}}{\mathrm{VR}_2}\)
⇒ \(\frac{\mathrm{I}_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V} / 2 . \mathrm{R}}{\mathrm{V} \cdot \mathrm{R}}\)
⇒ \(\frac{I_2}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}}{2 \mathrm{~V}}\)
⇒ I2 = I/2
अतः विद्युत धारा भी आधी रह जाएगी।

प्रश्न 4.
विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:
व्यापक रूप में मिश्रातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। मिश्रातुओं का उच्च ताप पर शीघ्र ही उपचयन (दहन ) नहीं होता। कारण है कि मिश्रातुओं का उपयोग विद्युत इस्तरी, टोस्टर आदि सामान्य वैद्युत तापन युक्तियों के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए-
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
तालिका : 20°C पर कुछ पदार्थों की वैद्युत चालकता
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उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि अच्छे चालकों की प्रतिरोधकता कम होती है।
अत: आयरन (Fe), मर्करी (Hg ) से एक अच्छा चालक है।

(b) तालिका के आधार पर सिल्वर (Ag) एक सर्वश्रेष्ठ चालक है, क्योंकि तालिका में सबसे ऊपर स्थित है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 237)

प्रश्न 1.
किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर:
श्रेणी क्रम में संयोजन के लिए व्यवस्था आरेख –
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प्रश्न 2.
प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर:
यहाँ ऐमीटर को श्रेणीक्रम तथा वोल्टमीटर को 12Ω के प्रतिरोध के पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है।
बैटरी का कुल विभवांतर V = 3 x 2 = 6V
बैटरी प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω
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ऐमीटर का पाठ्यांक = परिपथ में प्रवाहित धारा (I)
= \(\frac {V} {R} \)
= \(\frac {6} {25} \)
= 0.24 A
वोल्टमीटर का पाठ्यांक = 12Ω वाले प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर
= I × R3 = 0.24 x 12
= 2.88V

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 240)

प्रश्न 1.
जब (a) 1Ω तथा 106 Ω (b) 1Ω, 10³ Ω तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के सम्बन्ध में आप क्या निर्णय करेंगे?
उत्तर:
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प्रश्न 2.
100 Ω का एक विद्युत लैम्प, 50 Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फिल्टर 220 v के विद्युत स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित है। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती हैं?
उत्तर:
विद्युत इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध उतना ही होगा जितना 100 Ω, 50 Ω तथा 500 Ω का पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध है।
यदि तुल्य प्रतिरोध R है तो
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{5+10+1}{500}=\frac{16}{500}\)
R = \(\frac {500} {16} \) = 31.25 Ω
अतः विद्युत इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध = 31.25 Ω
धारा I = \(\frac{V}{R}=\frac{220}{\frac{500}{16}}=\frac{220 \times 16}{500}\)
\(\frac {352} {50} \) = 7.04 A
अतः धारा I = 7.04 A

प्रश्न 3.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर विद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध श्रेणीक्रम अपेक्षा बहुत कम होता है। अतः समान विभवांतर के स्रोत से पार्श्वक्रम में अधिक विद्युत धारा प्राप्त की जा सकती है। अत: कम प्रतिरोध के कारण ऊर्जा का क्षय भी पार्श्वक्रम में कम है। अतः श्रेणीक्रम के स्थान पर युक्तियों को पार्श्वक्रम में जोड़ने पर कई लाभ होते हैं।

प्रश्न 4.
2Ω, 3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4Ω (b) 1Ω हो?
उत्तर:
(a) 4Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए 3Ω व 6Ω प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम तथा 2Ω के प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
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(b) 1Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को पार्श्वक्रम में जोड़ना चाहिए-
\(\frac1R=\frac12+\frac13+\frac16\)
\(\frac{3+2+1}{6}=\frac{6}{6}\)
R = 1 Ω

प्रश्न 5.
4 Ω, 8 Ω, 12 Ω, तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके?
उत्तर:
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों को श्रेणी क्रम में जोड़ना चाहिए-
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
R = 48 Ω अधिकतम

(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों को पार्श्वक्रम में जोड़ना चाहिए-
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}+\frac{1}{R_4}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{12}+\frac{1}{24}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac{6+3+2+1}{24}\)
\(\frac {1} {R} \) = \(\frac {12} {24} \)
R = \(\frac {24} {12} \) = 2 Ω निम्नतम

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 242)

प्रश्न 1.
किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि सूत्र H = I²Rt से H ∝ R तापन अवयव का प्रतिरोध हीटर की डोरी से काफी अधिक होता है। अतः इसमें अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती है जिससे यह उत्तप्त हो जाता है डोरी नहीं।

प्रश्न 2.
एक घंटे में 50 V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है
समय t = 1 घण्टा 3600 से
V = 50 V, Q = 96000
हम जानते हैं W = H = VQ
= 50 x 96000
= 4800000 जूल
= 4.8 x 106 J

प्रश्न 3.
20Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5A विद्युत धारा लेती है। 30s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
यहाँ R = 20Ω
विद्युत धारा,
I = 5A
t = 30 s
हम जानते हैं कि H = I²Rt
= 5 x 5 x 20 x 30
= 15000 J

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 245)

प्रश्न 1.
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर विद्युत धारा तथा विभवांतर के गुणन के बराबर होती है। इसे विद्युत शक्ति भी कहते हैं।
P = VI
या P = I²R
या P = V² / R

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प्रश्न 2.
कोई विद्युत मोटर 220V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
V = 220V
I = 5.0 A
P = VI
P = 220 x 5.0
P = 1100 वाट (मोटर की शक्ति)
उपभुक्त ऊर्जा शक्ति x समय
= 1100 वाट x 2 x 3600 s
= 1100 x 7200
= 7920000 जूल (J)
= 7.92 x 10³ kaJ
अतः मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा
= 7.29 x 10³ kJ

क्रिया-कलाप-12.1
(i) चित्र में दिखाए अनुसार एक परिपथ तैयार कीजिए। इस परिपथ में लगभग 0.5 m लंबा निक्रोम का तार XY, एक ऐमीटर, एक वोल्टमीटर तथा चार सेल जिनमें प्रत्येक 1.5 V का हो, जोड़िए (निक्रोम निकिल, क्रोमियम, मैंगनीज तथा आयरन की एक मिश्रधातु है)।

(ii) सबसे पहले परिपथ में विद्युत धारा के स्रोत के रूप में केवल एक सेल का उपयोग कीजिए। परिपथ में निक्रोम-तार XY से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के लिए ऐमीटर का पाठ्यांक I, तार के सिरों के बीच विभवांतर के लिए वोल्टमीटर का पाठ्यांक V लीजिए। इन्हें सारणी में लिखिए।

(iii) इसके पश्चात् परिपथ में दो सेल जोड़िए और निक्रोम तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा तथा इसके
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सिरों के बीच विभवांतर का मान ज्ञात करने के लिए ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्यांक नोट कीजिए।

(iv) उपरोक्त चरणों को, पहले तीन सेल और फिर चार सेलों को परिपथ में पृथक-पृथक लगाकर दोहराइए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विभवान्तर V तथा विद्युत धारा I के प्रत्येक युगल के लिए अनुपात V / I परिकलित कीजिए।
उत्तर:

क्रम संख्या परिपथ में जुड़े सेलों की संख्या निक्रोम-तार से प्रवाहित विद्युत धारा I (A) निक्रोम-तार के सिरों पर विभवांतर V(V) V/I (वोल्ट/ऐम्पियर
1. 1 0.2 0.4 2 Ω
2. 2 0.4 0.8 2 Ω
3. 3 0.6 1.2 2 Ω
4. 4 0.8 1.6 2 Ω

प्रश्न 2.
V तथा I के बीच ग्राफ खींचिए तथा इस ग्राफ की प्रकृति का प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर:
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इस क्रियाकलाप में प्रत्येक प्रकरण: में V / I का लगभग एक ही मान प्राप्त होता है। इस प्रकार V-I ग्राफ चित्र में दिखाए अनुसार मूल बिन्दु से गुजरने वाली एक सरल रेखा होती है। इस प्रकार, V/I एक नियत अनुपात है।

क्रिया-कलाप- 12.2
(i) एक निक्रोम तार, एक टॉर्च बल्ब, एक 10 W का बल्ब तथा एक ऐमीटर (0-5 A परिसर), एक प्लग कुंजी तथा कुछ संयोजी तार लीजिए।

(ii) चार शुष्क सेलों (प्रत्येक 1.5 V का) को श्रेणीक्रम में ऐमीटर से संयोजित करके चित्र में दिखाए अनुसार परिपथ में एक अंतराल XY छोड़कर एक परिपथ बनाइए।

(iii) अंतराल XY में निक्रोम तार को जोड़कर परिपथ को पूरा कीजिए। कुंजी लगाइए। ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। प्लग से कुंजी बाहर निकालिए (ध्यान दीजिए : परिपथ की धारा मापने के पश्चात् सदैव ही प्लग से कुंजी बाहर निकालिए)।

(iv) निक्रोम तार के स्थान पर अंतराल XY में टार्च बल्ब को परिपथ में जोड़िए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक लेकर बल्ब से प्रवाहित विद्युत धारा मापिए।
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(v) अंतराल XY में विभिन्न अवयवों को जोड़ने पर ऐमीटर के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न हैं।

(vi) आप अंतराल XY में किसी भी पदार्थ का अवयव जोड़कर इस क्रियाकलाप को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक स्थिति में ऐमीटर के पाठ्यांक का प्रेक्षण कीजिए। इन प्रेक्षणों का विश्लेषण कीजिए।

प्रेक्षण-क्रियाकलाप के अनुसार परिपथ तैयार करने पर हम जब XY अंतराल में निक्रोम, बल्ब तथा अन्य बहुत से दूसरे पदार्थों के अवयव लगाकर ऐमीटर का पाठ्यांक लेते हैं। हम देखते हैं कि अलग-अलग पदार्थों के अवयव अंतराल में लगाने पर ऐमीटर का पाठ्यांक भिन्न-भिन्न है। इसका अर्थ है कि अलग-अलग पदार्थों की चालकता तथा प्रतिरोध भिन्न होते हैं।

क्रिया-कलाप-12.3
(i) एक सेल, एक ऐमीटर, l लंबाई का एक निक्रोम तार (जैसे (1) द्वारा चिन्हित) तथा एक प्लग कुंजी चित्र में दिखाए अनुसार जोड़कर एक विद्युत परिपथ पूरा कीजिए।
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(ii) अब प्लग में कुंजी लगाइए। ऐमीटर में विद्युत धारा नोट कीजिए।

(iii) इस निक्रोम तार को अन्य निक्रोम तार से प्रतिस्थापित कीजिए, जिसकी मोटाई समान परंतु लंबाई दोगुनी हो, अर्थात् 2l लंबाई का तार लीजिए जिसे चित्र में 2 से चिन्हित किया गया है।

(iv) ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।

(v) अब इस तार को समान लंबाई l के निक्रोम के मोटे तार [(3) से चिन्हित] से प्रतिस्थापित कीजिए। मोटे तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होता है। परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा फिर नोट कीजिए।

(vi) निक्रोम तार के स्थान पर ताँबे का तार [चित्र में जिस पर चिन्ह (4) बना है] परिपथ में जोड़िए। मान लीजिए यह तार निक्रोम के तार जिस पर (1) चिन्हित है, के बराबर लंबा तथा समान अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का है। विद्युत धारा का मान नोट कीजिए।

(vii) प्रत्येक प्रकरण में विद्युत धारा के मानों में अंतर को ध्यान से देखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या विद्युत धारा चालक की लम्बाई पर निर्भर करती है?
उत्तर:
हाँ, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा चालक की लंबाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
I ∝ \(\frac { 1 }{ L }\) क्योंकि लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है व धारा की मात्रा कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
क्या विद्युत धारा उपयोग किए जाने वाले तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है?
उत्तर:
हाँ विद्युत धारा चालक के तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है।
Ι ∝ Α
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम हो जाता है अतः धारा का मान बढ़ जाता है।

क्रिया-कलाप – 12.4
(i) विभिन्न मानों के तीन प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़िए। चित्र में दिखाए अनुसार इन्हें एक बैटरी, एक ऐमीटर तथा एक प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए। आप 1Ω, 2Ω, 3Ω आदि मानों के प्रतिरोधकों का उपयोग कर सकते हैं तथा इस क्रियाकलाप के लिए 6 V की बैटरी उपयोग में ला सकते हैं।

(ii) कुंजी को प्लग में लगाइए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।

(iii) ऐमीटर की स्थिति को दो प्रतिरोधकों के बीच कहीं भी परिवर्तित कर सकते हैं। हर बार ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए।
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क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप ऐमीटर के द्वारा विद्युत धारा के मान में कोई अंतर पाते हैं?
उत्तर:
ऐमीटर की स्थिति दो प्रतिरोधकों के बीच कहीं भी परिवर्तित करके प्रत्येक बार ऐमीटर का पाठ्यांक नोट करते हैं। हम देखते हैं कि प्रत्येक बार पाठ्यांक समान होता है। यह स्पष्ट करता है कि यदि प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है तो विद्युत धारा के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् परिपथ में समान विद्युत धारा का प्रवाह होता है।

क्रिया-कलाप – 12.5
(i) क्रियाकलाप 12.4 में पाठ्यपुस्तक के चित्र 12.6 में दिखाए अनुसार तीन प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम संयोजन के सिरों X तथा Y के बीच एक वोल्टमीटर लगाइए।

(ii) परिपथ में प्लग में कुंजी लगाइए तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। इससे हमें श्रेणीक्रम संयोजन के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात होता है। मान लीजिए यह V है। अब बैटरी के दोनों टर्मिनलों के बीच विभवांतर नोट कीजिए। इन दोनों मानों की तुलना कीजिए।
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(iii) प्लग से कुंजी निकालिए तथा वोल्टमीटर को भी परिपथ से हटा दीजिए। अब वोल्टमीटर को उपरोक्त चित्र में दिखाए अनुसार पहले प्रतिरोधक के सिरों X तथा P के बीच जोड़िए।

(iv) प्लग में कुंजी लगाइए तथा पहले प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापिए। मान लीजिए यह V1 है।

(v) इसी प्रकार अन्य दो प्रतिरोधकों के सिरों के बीच पृथक-पृथक विभवांतर मापिए मान लीजिए ये मान क्रमश: V2 तथा Vg हैं।

(vi) V, V1, V2 तथा V3 के बीच संबंध व्युत्पन्न कीजिए।

प्रेक्षण – जब श्रेणी क्रम में संयोजित तीनों प्रतिरोधकों के X व Y सिरों के बीच वोल्टमीटर जोड़कर पाठ्यांक लेते हैं तथा बैटरी का विभवांतर ज्ञात करते हैं तो हम देखते हैं। कि दोनों बार विभवांतर बराबर है। अब तीनों प्रतिरोधकों के सिरों पर वोल्टमीटर लगाकर पाठ्यांक नोट करते हैं जो V1, V2 व Vg है।

हम देखते हैं कि तीनों विभवांतरों का योग X व Y के बीच विभवांतर के बराबर है।
V = V1 + V2 + V3 + …………….. अर्थात् परिपथ में कुल विभवांतर अलग-अलग सिरों के बीच के विभवांतरों के योग के बराबर होता है।

क्रिया-कलाप – 12.6
(i) तीन प्रतिरोधकों जिनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 तथा R3 हैं, का पार्श्व संयोजन XY बनाइए। चित्र में दिखाए अनुसार इस संयोजन को एक बैटरी, एक प्लग कुंजी तथा एक ऐमीटर से संयोजित कीजिए। प्रतिरोधकों के संयोजन के पार्श्व क्रम में एक वोल्टमीटर भी संयोजित कीजिए।
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(ii) प्लग में कुंजी लगाइए तथा ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। मान लीजिए विद्युतधारा का मान I है वोल्टमीटर का पाठ्यांक भी नोट कीजिए। इससे पार्श्व संयोजन के सिरों के बीच विभवान्तर V प्राप्त होता है। प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर भी है। इसकी जाँच प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर पृथक्-पृथक् वोल्टमीटर संयोजित करके की जा सकती है (चित्र)।
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(iii) कुंजी से प्लग बाहर निकालिए। परिपथ से ऐमीटर तथा वोल्टमीटर निकाल लीजिए। चित्र में दिखाए अनुसार ऐमीटर को प्रतिरोध R1 से श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए। ऐमीटर का पाठ्यांक I, नोट कीजिए।

(iv) इसी प्रकार, R1 एवं R2 में प्रवाहित होने वाली धारा भी मापिए। माना इसका मान क्रमशः I1 एवं I2 है I, I1, I2 एवं I3 में क्या सम्बन्ध है।

प्रेक्षण – पार्श्वक्रम में प्रतिरोधकों को जोड़ने पर उनके सिरों के बीच का विभवान्तर उनके अलग-अलग विभवान्तरों के बराबर होता है। इसी प्रकार धारा का मान I अलग-अलग प्रतिरोधकों में बहने वाली धारा I1, I2 एवं I3 के योग के बराबर है।
I1, I2 और I3 का मान प्रतिरोधकों R1, R2 व R3 के मान पर आधारित है I = I1 + I2 + I3

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