JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से तत्व को बताइए-
(a) साबुन
(b) वायु
(c) सिलिकॉन
(d) कैल्शियम कार्बोनेट।
उत्तर:
(c) सिलिकॉन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन को पहचानिए-
(a) वायु
(b) मिट्टी
(c) कोयला
(d) लकड़ी की राख।
उत्तर:
(a) वायु।

प्रश्न 3.
कोलाइड का उदाहरण है-
(a) दूध
(b) स्याही
(c) रक्त
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
दो या दो से अधिक प्रकार के तत्वों का रासायनिक रूप से संयोजित पदार्थ है-
(a) तत्व
(b) यौगिक।
(c) मिश्रण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) यौगिक

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प्रश्न 5.
जिस विलयन में उसी ताप पर और अधिक
विलेय न घोला जा सके, उसे कहते हैं-
(a) असंतृप्त विलयन
(b) सम्पूर्ण विलयन
(c) संतृप्त विलयन
(d) घुलनशील विलयन।
उत्तर:
(c) संतृप्त विलयन।

प्रश्न 6.
विलयन की दी हुई मात्रा में उपस्थित विलेय की मात्रा कहलाती है-
(a) सान्द्रता
(b) यौगिक
(c) घुलनशीलता
(d) संतृप्तता।
उत्तर:
(a) सान्द्रता।

प्रश्न 7.
कमरे के ताप पर कौन-सा तत्व द्रव है?
(a) लोहा
(b) ताँबा
(c) ब्रोमीन
(d) एल्यूमिनियम।
उत्तर:
(c) ब्रोमीन।

प्रश्न 8.
उपधातु का उदाहरण है-
(a) ताँबा
(b) आयोडीन
(c) कार्बन
(d) जर्मेनियम।
उत्तर:
(d) जर्मेनियम।

प्रश्न 9.
विलयन में कणों का आकार लगभग क्या होता है?
(a) 10-6 मीटर
(b) 10-9 मीटर
(c) 10-15 मीटर
(b) 10-2 मीटर
उत्तर:
(b) 10-9 मीटर

प्रश्न 10.
पीतल का संघटन होता है-
(a) जिंक 50%, कॉपर 50%.
(b) कॉपर 30%, जिंक 70%
(c) जिंक 30%, कॉपर 70%
(d) जिंक 60%, कॉपर 40%
उत्तर:
(c) जिंक 30%, कॉपर 70%

प्रश्न 11.
दूध से क्रीम अलग की जाती है-
(a) अपकेन्द्रीकरण द्वारा
(c) निलंबन द्वारा
(b) वाष्पीकरण द्वारा
(d) आसवन द्वारा।
उत्तर:
(a) अपकेन्द्रीकरण द्वारा।

प्रश्न 12.
ऊष्मा तथा विद्युत की सर्वोत्तम चालक है-
(a) चाँदी
(b) एल्यूमिनियम
(c) ताँबा
(d) पीतल।
उत्तर:
(a) चाँदी।

प्रश्न 13.
एरोसॉल का उदाहरण है-
(a) पनीर
(b) दूध
(c) शेविंग क्रीम
(d) धुआँ।
उत्तर:
(d) धुआँ।

प्रश्न 14.
द्रवों के मिश्रण को अलग करने की तकनीक
(a) छानना
(b) प्रभाजी आसवन
(c) वाष्पन
(d) ऊर्ध्वपातन।
उत्तर:
(b) प्रभाजी आसवन।

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प्रश्न 15.
ऑक्सीजन का क्वथनांक है-
(a) -200°C
(b) 182°C
(c) – 182°C
(d) – 186 °C1
उत्तर:
(c) – 182°C1

प्रश्न 16.
प्राकृतिक तत्वों की संख्या है-
(a) 92
(b) 100
(c) 83
(d) 104.
उत्तर:
(a) 92.

प्रश्न 17.
एक विलयन 320 ग्राम 40 ग्राम साधारण नमक रखता है, विलयन की सान्द्रता होगी-
(a) 19%
(b) 25%
(c) 5%
(d) 11.1%।
उत्तर:
(d) 11.1%

प्रश्न 18.
सल्फर है-
(a) धातु
(b) अधातु।
(c) उपधातु
(d) मिश्रण।
उत्तर:
(b) अधातु

प्रश्न 19.
निम्न चित्र क्या दर्शाता है?
(a) निलंबन
(b) वाष्पीकरण
(c) टिण्डल प्रभाव
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
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उत्तर:
(c) टिण्डल प्रभाव।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित में से भौतिक परिवर्तन है-
(a) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना
(b) लोहे में जंग लगना
(c) भोजन का पाचन
(d) मोमबत्ती का जलना।
उत्तर:
(a) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना।

रिक्त स्थान भरो-

  1. दो या दो से अधिक अवयवों का समांगी मिश्रण ……………….. कहलाता है।
  2. अस्थाई असामांगिक मिश्रण ……………….. कहलाता है।
  3. दो या दो से अधिक किसी भी भौतिक रूप से मिले पदार्थों को ……………….. कहते हैं।
  4. निश्चित अनुपात में दो या दो से अधिक पदार्थों के रासायनिक बंधनों से बने नए पदार्थ को ……………….. को कहते हैं।

उत्तर:

  1. वास्तविक विलयन
  2. निलंबन
  3. मिश्रण,
  4. यौगिक।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. चीनी + पानी (क) कोलाइडी विलयन
2. अंडे की सफेदी + पानी (ख) यौगिक
3. मिट्टी (ग) वास्तविक विलयन
4. आयरन सल्फाइड (घ) मिश्रण

उत्तर:
1. (ग) वास्तविक विलयन
2. (क) कोलाइडी विलयन
3. (घ) मिश्रण
4. (ख) यौगिक

सत्य / असत्य-

  1. यौगिक के अवयवों को भौतिक विधियों से अलग किया जा सकता है।
  2. कॉपर सल्फेट को जल में घोलने पर रंगीन विलयन मिलता है।
  3. समांगी दिखने वाला विषमांगी विलयन कोलाइडी विलयन कहलाता है।
  4. वास्तविक विलयन अपारदर्शी होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य।

अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिश्रण तथा विलयन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
मिश्रण विषमांग होते हैं, जबकि विलयन समांग होते हैं।

प्रश्न 2.
किसी एक ठोस विलयन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पीतल (जिंक 30% तथा कॉपर 70% का समांग मिश्रण) ठोस विलयन है।

प्रश्न 3.
परिक्षिप्त प्रावस्था क्या है?
उत्तर:
कोलाइडी कण, जब विलायक जैसे माध्यम, जिसे परिक्षेपण माध्यम कहा जाता है, में वितरित रहते हैं, परिक्षिप्त प्रावस्था बनाते हैं; जैसे- दूध में वसा, प्रोटीन तथा लैक्टोस जल में परिक्षिप्त होकर, परिक्षिप्त प्रावस्था बनाते हैं।

प्रश्न 4.
संसार में सबसे सस्ता एवं अच्छा विलायक कौन-सा है?
उत्तर:
संसार में सबसे सस्ता एवं अच्छा विलायक जल है।

प्रश्न 5.
क्रोमैटोग्राफी का प्रयोग किन पदार्थों पर किया जाता है?
उत्तर:
क्रोमैटोग्राफी का प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले होते हैं।

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प्रश्न 6.
किसी द्रव में ठोस के विलयन से ठोस प्राप्त करने की विधि बताइए।
उत्तर:
क्रिस्टलीकरण।

प्रश्न 7.
अतिसंतृप्त विलयन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यदि विलयन में विलेय पदार्थ की सान्द्रता संतृप्त स्तर से अधिक हो तो उसे अतिसंतृप्त विलयन कहते हैं।

प्रश्न 8.
जलीय विलयन के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. जल में चीनी का विलयन
  2. जल में दूध का विलयन
  3. जल में सिरके का विलयन।

प्रश्न 9.
दूध से दही बनना कौन सा परिवर्तन है?
उत्तर:
रासायनिक परिवर्तन।

प्रश्न 10.
यदि एक संतृप्त विलयन को गर्म किया जाए तब क्या होगा?
उत्तर:
संतृप्त

प्रश्न 11.
क्या कोलाइडी कणों को आँखों से देखा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 12.
जेल का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पनीर।

प्रश्न 13.
इमल्शन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
फेस क्रीम।

प्रश्न 14.
30 50K से अधिक क्वथनांक में अन्तर वाले मिश्रणीय द्रवों को पृथक् करने की विधि का नाम बताइए।
उत्तर:
साधारण आसवन।

प्रश्न 15.
ठोस में ठोस विलयन क्या है?
उत्तर:
मिश्र धातुएँ ठोस में ठोस विलयन कहलाती हैं। जैसे पीतल में 30% जिंक तथा 70% कॉपर होता है। यहाँ Cu विलायक तथा Zn विलेय है।

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प्रश्न 16.
टिण्डल प्रभाव क्या होता है?
उत्तर:
कोलाइडल कणों के छोटे आकार के कारण हम इन्हें नग्न आँख से नहीं देख सकते, परन्तु ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं। इस घटना को टिण्डल प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 17.
विलयन के द्रव्यमान प्रतिशत का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 18.
विलयन के आयतन प्रतिशत का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 19.
निम्नलिखित में से धातु तथा अधातु छाँटिए – जस्ता, बेरियम, नाइट्रोजन, सीसा, ऑक्सीजन, कार्बन, ताँबा, आयोडीन।
उत्तर:
जस्ता, बेरियम, सीसा तथा ताँबा धातुएँ हैं। नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन तथा आयोडीन अधातुएँ हैं।

प्रश्न 20.
अपकेन्द्रण विधि में क्या होता है?
उत्तर:
अपकेन्द्रण विधि में जब किसी मिश्रण को अत्यन्त तीव्र गति से घुमाया जाता है तो भारी कण पात्र की तली में बैठ जाते हैं तथा हल्के कण ऊपर ही रह जाते हैं जिन्हें पृथक् करना सरल हो जाता है।

प्रश्न 21.
अपकेन्द्रण विधि किन मिश्रणों पर लागू की जाती है?
उत्तर:
अपकेन्द्रण विधि उन मिश्रणों पर लागू की जाती है जिनमें द्रव में उपस्थित ठोस कण इतने छोटे होते हैं जो कि छानक पत्र से बाहर निकल आते हैं। अतः छानक विधि का प्रयोग न करके अपकेन्द्रण विधि का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 22.
ऊर्ध्वपातन क्या है?
उत्तर:
कुछ ठोस पदार्थ गर्म करने पर बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए, सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, यह प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है।

प्रश्न 23.
शुद्ध पदार्थ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन पदार्थों का संघटन समान होता है तथा जिनके गुण; जैसे- बनावट, स्वाद आदि समान होते हैं, शुद्ध पदार्थ कहलाते हैं; जैसे- जल, सोडियम क्लोराइड आदि।

प्रश्न 24.
समांगी मिश्रण की परिभाषा देते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वह मिश्रण जिसका संघटन एकसमान होता है, समांगी मिश्रण कहलाता है; जैसे- कॉपर सल्फेट जल में घुलकर समांगी मिश्रण बनाता है।

प्रश्न 25.
विषमांगी मिश्रण की परिभाषा देते हुए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वह मिश्रण जिसका संघटन एकसमान नहीं होता, विषमांगी मिश्रण कहलाता है। उदाहरणार्थ – लवण तथा सल्फर का मिश्रण।

लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धातु तथा अधातु क्या हैं? इनमें क्या अन्तर है? निम्नलिखित को धातु तथा अधातु में वर्गीकृत कीजिए – सोडियम, जस्ता, हाइड्रोजन, सीसा, ऑक्सीजन, गन्धक, ताँबा, फॉस्फोरस।
उत्तर:
धातु – “वे तत्व, जो सामान्य अभिक्रियाओं में अपने परमाणुओं से एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन त्यागते हैं, धातु (metal) कहलाते हैं।” जैसे- सोडियम, जस्ता, सीसा तथा ताँबा आदि।

अधातु -“वे तत्व, जो सामान्य अभिक्रियाओं में दूसरे परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, अधातु (non-metal) कहलाते हैं।” जैसे- हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, गन्धक तथा फॉस्फोरस आदि।

धातु तथा अधातु में अन्तर:

गुण धातु अधातु
अवस्था पारे के अतिरिक्त सभी धातुएँ साधारण ताप पर ठोस होती हैं; जैसे-लोहा, सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल आदि। ये साधारण ताप पर ठोस, द्रव तथा गैस तीनों अवस्थाओं में पाई जाती है; जैसे-गन्धक (ठोस), ब्रोमीन (द्रव), ऑक्सीजन (गैस) आदि।
चमक इनमें एक विशेष प्रकार की धात्विक चमक होती है। ग्रेफाइट तथा आयोडीन के अतिरिक्त किसी भी अधातु में विशेष चमक नहीं होती है।
घनत्व इनका घनत्व प्रायः अधिक होता है इनका घनत्व प्रायः कम होता है।
मिश्र-धातु का निर्माण कुछ धातुएँ आपस में मिलकर समांग मिश्रण बनाती हैं, जो मिश्र-धातु कहलाता है। ये आपस में मिलकर मिश्र-धातु नहीं बनाती हैं, बल्कि इनकी थोड़ी मात्रा ही मिश्र-धातु बनाने में प्रयोग की जाती है।
आघात वर्धनीयता तथा तन्यता ये पीटने से बढ़ती हैं तथा इनके तार खीचे जा सकते हैं अर्थात् ये आघातवर्धनशील तथा तन्य होती हैं। ये पीटने से टूट जाती हैं तथा इनके तार भी नर्हीं खींचे जा सकते हैं अर्थात् ये आघात वर्धनशील तथा तन्य नहीं होती हैं।
कठोरता कुछ धातुओं; जैसे-सोडियम, पोटैशियम, आदि को छोड़कर सभी कठोर होती हैं। कठोर नहीं होती हैं।
गिरने या पीटने पर ध्वनि निकलती है। ध्वनि नहीं निकलती है।
ऊष्मा तथा विद्युत चालकता ऊष्मा तथा विद्युत की सूँचालक होती है। ऊष्मा तथा विद्युत की कुचालक होती है।
गलनांक तथा क्वथनांक प्रायः अधिक होते हैं। प्रायः कम होते हैं (कुछ को छोड़कर)

प्रश्न 2.
तत्वों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
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प्रश्न 3.
पदार्थों के वर्गीकरण की एक रूपरेखा दीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
25°C पर आप सोडियम क्लोराइड का जल के साथ विलयन किस प्रकार तैयार करोगे? यदि विलयन को 10°C तक ठण्डा किया जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
संतृप्त विलयन तैयार करने के लिए, एक बीकर में 100 मिली. जल लेते हैं। जल में सोडियम क्लोराइड की थोड़ी-थोड़ी मात्रा धीरे-धीरे डालते हैं। ताप लगभग 25°C स्थिर रखते हैं और जल को हिलाते रहते हैं। धीं धीरे सोडियम क्लोराइड की मात्रा बढ़ाते जाते हैं। एक अजस्था ऐसी आती है जब सोडियम क्लोराइड घुलना बंद हो जाता है। इस अवस्था में अब यह एक संतृप्त विलयन तैयार हो जाता है। जब इस विलयन को 10°C तक ठंडा किया जाता तो सोडियम क्लोराइड (नमक) के क्रिस्टल बनने लग जाते और बीकर की तली में बैठ जाते हैं।

प्रश्न 5.
कैसे पता लगाओगे कि दिया हुआ पदार्थ यौगिक है या मिश्रण ?
उत्तर:
1. (a) पदार्थ को यदि इसके अवयवों में भौतिक विधियों द्वारा पृथक् किया जा सकता है तो यह मिश्रण है।
(b) पदार्थ को यदि इसके अवयवों में भौतिक विधियों द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता है तो यह यौगिक है।

2. (a) पदार्थ यदि अपने अवयवों के गुणधर्म प्रदर्शित करता है, तो यह मिश्रण है।
(b) पदार्थ के गुणधर्म यदि इसके अवयवों से पूर्णतया भिन्न हैं, तो यह यौगिक है।

3. (a) पदार्थ के बनने में यदि ऊष्मा, प्रकाश इत्यादि नहीं निकलता या अवशोषित होता है, तो वह मिश्रण है।
(b) पदार्थ के बनने में यदि ऊष्मा, प्रकाश इत्यादि निकलता है या अवशोषित होता है, तो यह यौगिक है।

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प्रश्न 6.
विलयन क्या है? इसके चार उदाहरण दीजिए। विलयन के गुणधर्मों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विलयन-विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। नीबू जल, सोडा जल आदि विलयन के उदाहरण हैं। एक विलयन के कणों में समांगिकता होती है। उदाहरण के लिए-नीबू जल का स्वाद सदैव समान रहता है। यह दर्शाता है कि इस विलयन में चीनी, नमक आदि के कण समान हूप से वितरित होते हैं।

विलयन सदैव तरल अवस्था में ही नहीं होते। प्रकृति में ठोस विलयन तथा गैसीय विलयन भी पाए जाते हैं। मिश्र-धातुएँ, ठोस विलयन का उदाहरण हैं तथा वायु एक गैसीय विलयन का उदाहरण है।

किसी विलयन को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

  • विलेय तथा
  • विलायक।

इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-
विलेय-विलयन का वह घटक जो प्रायः कम मात्रा में होता है तथा विलायक में घुला होता है, विलेय (Solute) कहलाता है।
विलायक – विलयन का वह घटक जिसकी मात्रा दूसरे घटक से अधिक होती है तथा दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है, विलायक (Solvent) कहलाता है।

उदाहरण के लिए –

  • चीनी और जल का विलयन एक तरल घोल में ठोस का उदाहरण है। इसमें चीनी विलेय है और जल विलायक है।
  • आयोडीन और एल्कोहॉल का विलयन जिसे टिंचर आयोडीन के नाम से जाना जाता है, इसमें आयोडीन विलेय है और एल्कोहॉल विलायक है।
  • वायुयुक्त पेय; जैसे- सोडा जल, कोक आदि तरल विलयन में गैस के रूप में हैं। इनमें कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस विलेय और जल विलायक है।
  • वायु में गैस का विलयन है। यह मुख्यतः दो घटकों ऑक्सीजन ( 21%) और नाइट्रोजन (78% ) का समांगी मिश्रण है। नाइट्रोजन को वायु का विलायक कहा जाता है। वायु में अन्य गैसें बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होती हैं।

विलयन के गुणधर्म:
विलयन के कुछ महत्वपूर्ण गुणधर्म निम्नलिखित हैं-

  • विलयन एक समांगी मिश्रण है।
  • विलयन के कण व्यास में 1 नैनोमीटर (10 m) से भी छोटे होते हैं। इसलिए वे आँख से नहीं देखे जा सकते।
  • अपने छोटे आकार के कारण विलयन के कण, गुजर रही प्रकाश की किरण को नहीं फैलाते। इसलिए विलयन में प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता।
  • छानने की विधि द्वारा विलेय के कणों को विलयन में से पृथक् नहीं किया जा सकता है। विलयन को शान्त छोड़ देने पर विलेय के कण नीचे नहीं बैठते, अर्थात् विलयन स्थायी होता है।

प्रश्न 7.
तत्व तथा यौगिक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तत्व तथा यौगिक में अन्तर:

तत्व यौगिक
1. तत्व एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। यौगिक के अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं।
2. तत्व को भौतिक अथवा रासायनिक विधियों द्वारा दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न गुणधर्म वाले सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यौगिक को दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न गुणधर्म वाले सरल पदार्थौं में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-सोडियम क्लोराइड को सोडियम तथा क्लोरीन में विभाजित किया जा सकता है।
3. तत्व के गुणधर्म उसके सूक्ष्मतम कण (परमाणु) के कारण होते हैं। यौगिक के गुणधर्म उसके सूक्ष्मतम कण (अणु) के कारण होते हैं। प्रायः यौगिक के गुणधर्म उसके अवयवी तत्वों के गुणों से भिन्न होते हैं।
4. कुछ तत्व परमाणुओं के रूप में पाए जाते हैं; जैसे कॉपर, सिल्वर, गोल्ड, सोडियम, पोटैशियम आदि। कुछ तत्व अणुओं के रूप में पाए जाते हैं; जैसे-हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि। यौगिक अणुओं के रूप में पाए जाते हैं; जैसे- जल, साधारण नमक, नौसादर आदि।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक विलयन में 10 ग्राम ग्लूकोस, 90 ग्राम जल में विलेय है। द्रव्यमान प्रतिशत में विलयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए। = 10 ग्राम
उत्तर:
विलेय (ग्लूकोस) का द्रव्यमान = 10 ग्राम
विलयन का द्रव्यमान 10 + 90 = 100 ग्राम
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प्रश्न 2.
90 मिली जल में 10 मिली H2 SO4 विलेय है। विलयन का आयतन प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलेय का आयतन = 10ml
विलयन का आयतन = 10 + 90 = 100ml
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प्रश्न 3.
यदि 500g विलयन में 100g लवण उपस्थित है, तो विलयन की सान्द्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
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विलयन का द्रव्यमान = 500 g
विलेय का द्रव्यमान = 100g
विलयन की सान्द्रता = \(\frac { 100 }{ 500 }\) x 100
= \(\frac { 100 }{ 5 }\)
= 20%

प्रश्न 4.
यदि एसीटोन के 5mL, इसके जलीय विलयन के 50 mL में उपस्थित हैं, तो इस विलयन की सान्द्रता की गणना कीजिए।
हल:
विलेय (एसीटोन) का आयतन = 5 mL
(विलेय + विलायक का आयतन) = 50ml
विलयन की सान्द्रता
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प्रश्न 5.
एक विलयन में जल के 350 g में 50g शक्कर घुली है। इस विलयन की सान्द्रता की गणना कीजिए।
हल:
विलेय (शक्कर) का द्रव्यमान = 50 g
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 350 g
विलयन की सान्द्रता
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमानों को सेल्सियस इकाई में परिवर्तित करें-
(a) 300K
(b) 573K
उत्तर:
सेल्सियस K273
(a) सेल्सियस = 300 K – 273 = 27°C
(b) सेल्सियस 573K – 273 = 300°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तापमानों को केल्विन इकाई में परिवर्तित करें-
(a) 25°C
(b) 373°C
उत्तर:
केल्विन = सेल्सियस + 273
(a) 25°C केल्विन (25+ 273) K 298K
(b) 373°C केल्विन (373273) K= 646K

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अवलोकनों हेतु कारण लिखें-
(a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है।
(b) हमें इत्र की गंध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
उत्तर:
(a) नैफ्थलीन की गोलियाँ बिना कोई अवशेष छोड़ गायब हो जाती हैं क्योंकि उनका ऊर्ध्वपातन हो जाता है। अर्थात ठोस अवस्था से बिना द्रव में बदले गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।

(b) इत्र के कण अपने-आप हवा के कणों के साथ मिलकर चारों तरफ फैल जाते हैं। इत्र के कणों के इस तरह फैलने के कारण कुछ दूरी पर बैठे होने पर भी हम इसकी गंध प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदार्थों को उनके कणों के बीच बढ़ते हुए आकर्षण के अनुसार व्यवस्थित करें-
(a) जल
(b) चीनी
(c) ऑक्सीजन।
उत्तर:
अन्तराण्विक आकर्षण बल सबसे कम गैस में, उससे अधिक द्रव में सबसे अधिक ठोस में होता है अतः यह ऑक्सीजन में सबसे कम, फिर जल में तथा सर्वाधिक चीनी में होगा।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित तापमानों पर जल की भौतिक अवस्था क्या है?
(a) 25°C
(b) 0°C
(c) 100°C
उत्तर:
(a) 25°C पर – द्रव अवस्था में होगा।
(b) 0°C पर ठोस अवस्था में होगा।
(c) 100°C पर वाष्प अवस्था में होगा।

प्रश्न 6.
पुष्टि हेतु कारण दें-
(a) जल कमरे के ताप पर द्रव है।
(b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस है।
उत्तर:
(a) कमरे के ताप पर पानी द्रव होता है क्योंकि इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता। यह उस बर्तन का आकार ग्रहण कर लेता है जिसमें उसे रखा जाता है तथा यह आसानी से प्रवाहित हो सकता है। अतः यह तरल है।

(b) लोहे की अलमारी एक ठोस है क्योंकि इसका आकार निश्चित होता है। यह प्रवाहित नहीं होती। अर्थात् यह ठोस है।

प्रश्न 7.
273 K पर बर्फ को ठंडा करने पर तथा जल को इसी तापमान पर ठंडा करने पर शीतलता का प्रभाव अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
273K पर पानी के कणों की अपेक्षा बर्फ के कणों की ऊर्जा कम होती है। अतः बर्फ वातावरण से अधिक ऊष्मा अवशोषित कर सकती है। यही कारण है कि समान ताप पर होते हुए भी बर्फ पानी की अपेक्षा अधिक ठंडक पहुँचाती है।

प्रश्न 8.
उबलते हुए जल अथवा भाप में से जलने की तीव्रता किसमें अधिक महसूस होती है?
उत्तर:
373 K पर वाष्प के कणों की ऊर्जा समान ताप पर पानी के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है। ऐसा वाष्प के कणों द्वारा वाष्पन की गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊर्जा अवशोषित किए जाने के कारण होता है। अतः जब वाष्प त्वचा के सम्पर्क में आती है तो समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा अधिक ऊर्जा मुक्त करती है। इसलिए 373 K पर वाष्प द्वारा समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा अधिक जलन पैदा होती है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित चित्र के लिए A, B, C, D, E तथा F की अवस्था परिवर्तन को नामांकित करें :
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 1a
उत्तर:

  • A – संगलन
  • B – वाष्पन
  • C – संघनन
  • D – जमना
  • E – ऊर्ध्वपातन
  • F – निक्षेपण

Jharkhand Board Class 9 Science हमारे आस-पास के पदार्थ InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 1.
एक 100 mL का बीकर लेकर उसे जल से आधा भरकर जल के स्तर पर निशान लगा देते हैं। अब चम्मच में रखे गए नमक या शक्कर (चीनी) को काँच की छड़ की मदद से घोल लें तथा जल के स्तर में बदलाव को देखें। (पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. -1)
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 3

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
नमक या शक्कर (चीनी) का क्या हुआ? ये कहाँ गायब हो गए?
उत्तर:
जल में नमक या शक्कर को घोलने पर इनके कण जल के कणों के बीच स्थित रिक्त स्थानों में समावेशित हो जाते हैं तथा दिखाई नहीं देते हैं।

प्रश्न 2.
क्या जल के स्तर में कोई बदलाव आया?
उत्तर:
नहीं।

क्रियाकलाप 2.
100 ml पानी को एक बीकर में लेकर उसमें 2 या 3 क्रिस्टल पोटैशियम परमैगनेट के डालकर घोल बनाइये।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 4
इस घोल से 10mL घोल निकालकर उसे 90mL जल में मिला दें। फिर इस घोल में से 10 ml निकालकर उसे भी 90ml जल में एक अन्य बीकर में मिला दें। इसी प्रकार इस घोल को 5 से 8 बार तनुकृत (Dilute ) करें।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
पोटैशियम परमैगनेट के एक क्रिस्टल में कितने सूक्ष्म कण होते हैं?
उत्तर:
पोटैशियम परमैगनेट के एक क्रिस्टल में बहुत से सूक्ष्म कण होते हैं तथा ये कण भी अत्यन्त छोटे-छोटे कणों में एक सीमा तक विभाजित किए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
जल के रंग के बारे में आपका क्या निष्कर्ष है?
उत्तर:
जल का रंग धीरे-धीरे हल्का होता जाता है फिर भी यह रंगीन ही रहता है।

क्रियाकलाप 3.
अपनी कक्षा के किसी कोने में एक बुझी हुई अगरबत्ती रख देने पर इसकी सुगन्ध लेने के लिए आपको इसके पास जाना पड़ेगा। यदि यही अगरबत्ती जल रही हो तब इसकी सुगन्ध दूर से भी आ जाती है। इस क्रियाकलाप द्वारा प्रदर्शित होता है कि पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते हैं। (पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. – 2)

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

क्रियाकलाप 4.
जल से भरे दो गिलास लें। पहले गिलास के एक सिरे पर सावधानी से एक बूँद लाल या नीली स्याही की डालें तथा दूसरे में शहद डालें और प्रेक्षण को नोट करें। स्याही जल में तुरन्त फैल जाती है।
(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. – 3)

क्रियाकलाप 5.
यदि दो गिलास लेकर उसमें से एक में ठंडा पानी व दूसरे में गर्म पानी डाला जाए तथा अब इन दोनों में एक-एक क्रिस्टल पोटैशियम परमैगनेट का डाला जाए, तब हम पाते हैं कि गर्म जल वाले गिलास का पानी जल्दी रंगीन हो जाता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
क्या पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील रहते हैं?
उत्तर:
हाँ, पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील रहते हैं, अर्थात इनमें गतिज ऊर्जा होती है।

प्रश्न 2.
तापमान का पदार्थ के कणों की गतिशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तापमान बढ़ाने से पदार्थ के कणों की गतिशीलता बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
पदार्थ के कण अपने आप अन्तः मिश्रित क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है। इन रिक्त स्थानों में कणों के समावेश के कारण ये अन्तः मिश्रित हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
विसरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वत: मिलना ही विसरण कहलाता है।

प्रश्न 5.
तापमान का विसरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तापमान बढ़ाने पर वि रण तेज हो जाता है।

क्रियाकलाप 6.
एक खेल के मैदान में चार समूह बनाकर मानव श्रृंखला बनाएँ। पहले समूह में ‘ईद्- मिश्मी नर्तकों’ की तरह एक दूसरे को पीछे से कसकर पकड़ लें। दूसरे समूह में एक दूसरे का हाथ पकड़कर मानव श्रृंखला बनाएँ। तीसरे समूह में केवल उंगली के सिरे से छूकर एक श्रृंखला बना लें। अब चौथे समूह द्वारा इन तीनों मानव श्रृंखलाओं को तोड़कर छोटे समूह में बाँटने का प्रयास करें। (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 3)

क्रियाकलाप 7.
एक लोहे की कील, एक चॉक का टुकड़ा एवं एक रबर बैंड काटकर या खींचकर उसे लेकर इन पर हथौड़ा मारकर, भंगुर करने का प्रयास करें। (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. – 4)

क्रियाकलाप 8.
एक थाली में जल लेकर उसे उंगली से काटने का प्रयास करें एवं प्रेक्षण लें।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
क्रियाकलाप 6 में, यदि प्रत्येक समूह में उपस्थित व्यक्तियों को कणों के रूप में माना जाए तो किस समूह में कणों से आपस में सर्वाधिक बल लगता है?
उत्तर:
प्रथम समूह में सर्वाधिक बल लगता है क्योंकि इसमें प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को पीछे से कसकर पकड़ता है, अतः प्रत्येक पदार्थ में कणों के बीच एक बल कार्य करता है जो कर्णों को एक साथ रखता है।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 7 में तीनों में से किसके कण अधिक बल से एक दूसरे को जकड़े हुए हैं?
उत्तर:
लोहे की कील के कण अधिक बल से एक- दूसरे को जकड़े हुए हैं।

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प्रश्न 3.
क्रियाकलाप 8 में क्या जल की धारा कटती है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 4.
जल की सतह न कटने का क्या कारण है?
उत्तर:
जल के कणों के बीच आकर्षण बल अधिक है इसी कारण जल की सतह उंगली को बीच में करने से नहीं कटती है।

खंड 1.1 1.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन से पदार्थ हैं- (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 4)
कुर्सी, वायु, स्नेह, गंध, नींबू पानी, इत्र घृणा, बादाम, विचार, शीत, की सुगंध।
उत्तर:
कुर्सी, वायु, बादाम व नींबू पानी पदार्थ हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताएँ- गर्मा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है, लेकिन ठंडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है।
उत्तर:
पदार्थ के कण सदैव गतिशील रहते हैं तथा तापमान बढ़ने पर कणों की गति तेज हो जाती है। खाने की गंध विसरण विधि द्वारा हम तक पहुँचती है। गर्म खाने का तापमान अधिक होने के कारण विसरण की दर ठंडे खाने की अपेक्षा अधिक होती है अतः कई मीटर दूर से ही गंध हम तक पहुँच जाती है।

प्रश्न 3.
स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षित होता है?
उत्तर:
स्वीमिंग पूल में पानी के कणों के बीच लगने वाला आकर्षण बल गोताखोर के द्वारा लगाये बल से कम होता है जिसके कारण गोताखोर पानी को काट पाता है।

प्रश्न 4.
पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
पदार्थों के कणों के बीच निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

  • पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
  • पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते हैं।
  • पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रबर बैंड को क्या हम ठोस कह सकते हैं? क्या खींचकर इसका आकार बदला जा सकता है?
उत्तर:
बाह्य बल लगाने पर रबर बैंड का आकार बदलता है तथा बल को हटा लेने पर यह पुनः उसी आकार में आ जाता है परन्तु एक सीमा से अधिक बल लगाने पर यह टूट जाता है। अतः रबर बैंड को ठोस कह सकते हैं।

प्रश्न 2.
चीनी व नमक को जिस बर्तन में रखा जाता है, वे उन्हीं बर्तनों के आकार को ग्रहण कर लेते हैं। क्या ये ठोस हैं?
उत्तर:
ये सभी ठोस हैं, क्योंकि इन्हें किसी प्लेट या जार में रखने पर इनके क्रिस्टलों के आकार में परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 3.
स्पंज एक ठोस है फिर भी इसका संपीडन संभव है, क्यों?
उत्तर:
स्पंज में बहुत छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनमें वायु भरी रहती है, जब हम स्पंज को दबाते हैं तो उसमें भरी वायु बाहर निकल जाती है। इसी कारण स्पंज का संपीडन सम्भव हो जाता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
इन द्रवों को यदि फर्श पर डाल दिया जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
फर्श पर डालने पर ये सभी द्रव बहने लगते हैं परन्तु इनके गाड़ेपन व पतलेपन के कारण बहने के वेग अलग-अलग होते हैं।

प्रश्न 2.
यदि किसी द्रव का 50 mL मापकर विभिन्न बर्तनों में क्रमशः एक-एक करके डाला जाए तो क्या प्रत्येक अवस्था में आयतन समान रहता है?
उत्तर:
हाँ, प्रत्येक अवस्था में आयतन समान ही रहता है।

प्रश्न 3.
क्या द्रव का आकार एकसमान रहता है?
उत्तर:
नहीं, द्रव का आकार बर्तन की आकृति के अनुसार बदलता है।

प्रश्न 4.
द्रव को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में उड़ेलने पर क्या यह आसानी से बहता है?
उत्तर:
हाँ, यह आसानी से बहता है।

प्रश्न 5.
द्रवों में विसरण दर ठोसों से अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
ठोस की अपेक्षा द्रव के कर्णों में रिक्त स्थान अधिक होने के कारण द्रवों में विसरण की दर ठोसों से अधिक होती है।

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प्रश्न 6.
उपरोक्त क्रियाकलाप से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
द्रव का आयतन निश्चित होता है लेकिन आकार अनिश्चित होता है। इन्हें जिस बर्तन में रखा जाता है ये उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं।

क्रियाकलाप 11.
100 mL की तीन सीरिन्ज लेकर उनके सिरों को रबर के कॉर्क से बन्द कर दें तथा सभी के पिस्टन को हटा दें। पहली सीरिज में हवा रहने दें, दूसरी सीरिज में जल तथा तीसरी में चॉक के टुकड़े भर दें। सीरिन्ज के आसानी से गतिशील होने के लिए उस पर वैसलीन लगा दें तथा पिस्टन को सिरिन्ज में डालकर संपीडित करने की कोशिश करें।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
पिस्टन किस स्थिति में आसानी से भीतर चला जाता है?
उत्तर:
पिस्टन हवा के सिरिन्ज में रहने पर आसानी से भीतर चला जाता है।

प्रश्न 2.
इस प्रेक्षण से क्या पता चलता है?
उत्तर:
इससे यह पता चलता है कि हवा (गैसों) को ठोसों व द्रवों की अपेक्षा अधिक दबाया जा सकता है। इसका अर्थ है कि गैसों की संपीड्यता (Compressibility) बहुत अधिक होती है।

नोट- संपीड्यता के गुण का उपयोग घरों में खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली सिलिण्डर में भरी जाने वाली गैसों में किया जाता है। सिलिण्डर में भरी गैस द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) को संपीड्य करके ही भरा जाता है, आजकल वाहनों में संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) का उपयोग किया जाता है। संपीड्यता अधिक होने के कारण गैस के अधिक आयतन को कम आयतन में संपीडित किया जा सकता है।

खंड 1.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पृ. सं. – 6)

प्रश्न 1.
किसी तत्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं।
(घनत्व = द्रव्यमान / आयतन) बढ़ते हुए घनत्व के क्रम में निम्नलिखित को व्यवस्थित करें-वायु, चिमनी का धुआँ, शहद, जल, चॉक, रुई और लोहा।
उत्तर:
वायु, चिमनी का धुआँ, रुई, जल, शहद, चॉक, लोहा।

प्रश्न 2.
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अन्तर को सारणीबद्ध कीजिए। (b) निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए -दृढ़ता, संपीड्यता, तरलता, बर्तन में गैस का भरना, आकार, गतिज ऊर्जा एवं घनत्व।
उत्तर:
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अर-

ठोस द्रव गैस
1. ठोसों का निश्चित आयतन व आकार होता है। द्रव का आयतन तो निशिचत होता है किन्तु आकार निशिचत नहीं होता। गैसों का आयतन तथा आकार निश्चित नहीं होता। गैसें जिस बर्तन में रखी जाती हैं, उसी का आयतन तथा आकार ग्रहण कर लेती हैं।
2. इन्हें दबाया नहीं जा सकता। द्रव उच्च तल से निम्न तल की ओर बहते हैं। इन्हैं दबाया जा सकता है।
3. इनके गलनांक व क्वथनांक कक्षताप से अधिक होते हैं। इनमें गलनांक कक्षताप से कम तथा क्वथनांक कक्षतताप से अधिक होते हैं। इनके गलनांक तथा क्वथनांक क क्षताप अधिक होते हैं।
4. इन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता। इन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता है। इन्हें संपीडित किया जा सकता है।
5. कणों के बीच आकर्ष ण बल अधिक होता है। कणों के बीच आकर्षण बल ठोसों से कम होता है। कणों के बीच आकर्षण बल द्रवों से कम होता है।
6. ठोस में विसरण द्रव तथा गैसों की अपेक्षा कम होता है। विसरण तीव्र होता है। विसरण द्रवों से अधिक होता है।

(b) दृढ़ता – ठोस पदार्थों के कण आपस में अत्यधिक आकर्षण बल से जुड़े होते हैं जिससे उन्हें तोड़ना या दबाना कठिन होता है, इसे दृढ़ता कहते हैं।
संपीड्यता – द्रव व गैसीय पदार्थों के कणों के बीच अत्यधिक रिक्त स्थान होता है, जिसमें हवा भरी होती है, जिससे वह दबाये जा सकते हैं। इस गुण को संपीड्यता कहते हैं।
तरलता – पदार्थों के बहने के गुण को तरलता कहते हैं।
बर्तन में गैस का भरना – गैसों के बीच काफी रिक्त स्थान होता है इसीलिए उन्हें काफी दबाया जा सकता है। इस प्रकार एक छोटे बर्तन में काफी गैस भरी जा सकती है।
आकार – कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है, उसे उस वस्तु का आकार कहते हैं।
गतिज ऊर्जा – वस्तुओं में गति के कारण जो ऊर्जा या कार्य करने की क्षमता होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं।
K.E. = \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv²
(जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान तथा वस्तु का वेग है)
घनत्व – किसी वस्तु के इकाई आयतन के द्रव्यमान को घनत्व कहते हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 5

प्रश्न 3.
कारण बताएँ – (a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती हैं, जिसमें इसे रखते हैं। (b) गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती हैं। (c) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है। (d) हवा में हम आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं लेकिन ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
उत्तर:
(a) गैस के कणों के बीच आकर्षण बल नगण्य होता है। गैस के कण एक-दूसरे से दूर-दूर होते हैं और उसमें बहने का गुण होता है जिससे वह जिस बर्तन में रखे जाते हैं, उस पूरे बर्तन में फैल जाते हैं।

(b) गैस के अणु तीव्र गति से इधर-उधर घूमते रहते हैं और जिस बर्तन में होते हैं, उसकी दीवारों से टकराते हैं। जिससे बर्तन की दीवारों पर दबाव डालते हैं।

(c) लकड़ी के कण पास-पास होते हैं और अत्यधिक बल से जुड़े होते हैं जिससे उनका आयतन तथा आकार निश्चित होता है, जो ठोस का गुण हैं अतः लकड़ी ठोस है। इसलिए लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।

(d) हवा के कणों के बीच में आकर्षण बल बहुत कम होता है, (लगभग नगण्य )। इसलिए हवा के अणु आसानी से काटे जा सकते हैं और हवा में हाथ आसानी से चला सकते हैं। जबकि लकड़ी के कणों के बीच में आकर्षण बल अधिक होता है तथा लकड़ी के कण पास-पास होते हैं। अतः हाथ चलाने के लिए कराटे में दक्ष होना चाहिए।

प्रश्न 4.
सामान्यतया ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है। लेकिन आपने बर्फ के टुकड़ों को पानी पर तैरते देखा होगा। पता लगाइए ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
बर्फ का टुकड़ा अपने अधिक आयतन के कारण अपने द्रव्यमान से अधिक पानी हटा देता है। इसलिए बर्फ का टुकड़ा पानी पर तैरता रहता है। बर्फ का आयतन जल से अधिक होता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
बर्फ क्यों पिघल जाती है?
उत्तर:
बर्फ को दी गई ऊष्मा उसके कणों की गतिज ऊर्जा में वृद्धि कर देती है, इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोड़कर अधिक स्वतन्त्र होकर गति करने लगते हैं। एक अवस्था ऐसी आती है, जब ठोस (बर्फ) पूर्णतः पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 1
चित्र:
(a) बर्फ़ का जल में बदलने की प्रक्रिया
(b) जल से जलवाष्प में बदलने की प्रक्रिया।

प्रश्न 2.
गलनांक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह निश्चित तांपमान जिस पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह इसका गलनांक कहलाता है।

प्रश्न 3.
किसी ठोस का गलनांक क्या दर्शाता है?
उत्तर:
किसी ठोस का गलनांक उसके कणों के बीच के आकर्षण बल के सामर्थ्य को दर्शाता है।

प्रश्न 4.
बर्फ का गलनांक कितना होता है?
उत्तर:
273.15 K।

प्रश्न 5.
गुप्त ऊष्मा से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
गलने की प्रक्रिया के दौरान जब तक सम्पूर्ण बर्फ पिघल नहीं जाती है तापमान नहीं बदलता है, तापमान में बिना किसी तरह की वृद्धि दर्शाए इस ऊष्मीय ऊर्जा को बर्फ अवशोषित कर लेती है। यह ऊर्जा बीकर में ली गई सामग्री में छुपी रहती है, इसे ही गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

प्रश्न 6.
गुप्त ऊष्मा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब पर किग्रा ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा को गुप्त ऊष्मा कहा जाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 7.
जल के वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा क्या है?
उत्तर:
373 K (100°C) वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा है। (पा. पु. पृ. सं. 8)

क्रियाकलाप 13.
चीनी की प्याली में थोड़ा सा कपूर या अमोनियम क्लोराइड (NH4 Cl) लिया तथा इसका चूर्ण बनाया। एक कीप को उल्टा करके इस प्याली के ऊपर रख दिया तथा इसे गर्म किया तब हम पाते हैं कि कपूर या अमोनियम क्लोराइड बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए सीधे गैस में बदल गया। इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 2

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
ऊर्ध्वपातन किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में बदलने की प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं। गैस के सीधे ठोस में बदलने की प्रक्रिया निक्षेपण कहलाती है।

खंड 1.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा. पु. पू. सं. १)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमान को सेल्सियस में बदलें-
(a) 300K
(b) 573 K
उत्तर:
सेल्सियस K – 273
(a) सेल्सियस- 300K 273 27°C
(b) सेल्सियस = 573K – 273300°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित ताप पर जल की भौतिक अवस्था क्या होगी?
(a) 250°C
(b) 100°C
उत्तर:
(a) 250°C पर जल वाष्प अवस्था में होगा।
(b) 100°C पर जल द्रव अवस्था में होगा तथा उबल रहा होगा एवं वाष्प में परिवर्तित हो रहा होगा।

प्रश्न 3.
किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर:
किसी पदार्थ का तापमान बढ़ाने पर वह दूसरी अवस्था में परिवर्तित होना प्रारम्भ कर देता है। एक निश्चित ताप के बाद ताप स्थिर हो जाता है क्योंकि अब समस्त ऊर्जा, अवस्था परिवर्तन के काम आती है। ऐसा तब तक होता रहता है जब तक पदार्थ एक अवस्था से दूसरी अवस्था में पूर्ण रूप से परिवर्तित न हो जाए, इस ऊष्मा को पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

प्रश्न 4.
वायुमण्डलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने के लिए कोई विधि सुझाइए।
उत्तर:
पदार्थों की अवस्थाएँ दाब व तापमान पर निर्भर होती हैं। अतः वाष्प अवस्था में ताप कम करके व दाब बढ़ाकर अवस्था परिवर्तन किया जा सकता है। वायुमण्डलीय गैसें ऊँचाई पर होती हैं जहाँ ताप कम होता है। ताप कम होने के कारण गैसें संघनित होकर बादलों में बदल जाती हैं जो द्रव की छोटी-छोटी बूँदों से मिलकर बना होता है।

क्रियाकलाप 14.
एक परखनली में 5 mL जल लेकर इसे खिड़की के पास या पंखे के नीचे रखें खुली रखी चीनी मिट्टी की प्याली में जल रखकर उसे खिड़की के पास या पंखे के नीचे रख दें। एक अन्य चीनी मिट्टी की प्याली में 5 mL जल रखकर उसे अपनी कक्षा की किसी अलमारी के अन्दर रख दें। कमरे का तापमान नोट करके सभी में वाष्पीकरण में लगे समय को नोट करें।
इस क्रियाकलाप को बारिश में भी दोहराएँ।

निष्कर्ष-इसमें निष्कर्ष निकलता है कि वाष्पीकरण की दर निम्नलिखित के साथ बढ़ती है-

  • सतह का क्षेत्रफल बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है जैसे कपड़े सुखाने के लिए हम उन्हें फैला देते हैं।
  • तापमान में वृद्धि होने से वाष्पीकरण में वृद्धि होती है।
  • वायु में आर्द्रता कम होने पर वाष्पीकरण अधिक हो जाता है। आर्द्रता होने पर वाष्पीकरण की दर घट जाएगी।
  • वायु की गति बढ़ने पर भी जलवाष्प के कण वायु के साथ उड़ जाते हैं। इससे आस पास के जलवाष्प की मात्रा घट जाती है।

खंड 1.5 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ.सं.-11)

प्रश्न 1.
गर्म, शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा क्यों करता है?
उत्तर:
गर्म, शुष्क दिनों में वायुमण्डल में जलवाष्प बहुत कम होती है। इस कारण वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है जब कूलर चलता है तो उसका जल अपनी वाष्पीकरण की ऊर्जा अपने वातावरण से लेता है तथा तेजी से वाष्पित होता है। वाष्पन के कारण कूलर अधिक ठंडा करता है।

प्रश्न 2.
गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है?
उत्तर:
गर्मियों में वायुमण्डल में जलवाष्प कम होती है। जो वाष्पन की दर को बढ़ा देती है। घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनसे पानी धीरे-धीरे रिसता रहता है जो वाष्पन के लिए ऊष्मा जल से व वायुमण्डल से लेता है। जिससे घड़े के आस-पास का वातावरण ठंडा हो जाता है और घड़े का पानी ठंडा हो जाता है।

प्रश्न 3.
ऐसीटोन / पेट्रोल या इत्र डालने पर हमारी हथेली ठंडी क्यों हो जाती है?
उत्तर:
ऐसीटोन / पेट्रोल या इत्र वाष्पशील पदार्थ हैं। जब इन्हें हथेली पर रखते हैं तो हाथ की गर्मी के कारण इनका वाष्पन तेज हो जाता है। इसके लिए यह ऊर्जा हथेली से लेते हैं जिससे वह ठंडी हो जाती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 4.
कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं?
उत्तर:
कप का क्षेत्रफल कम होने के कारण चाय या दूध का वाष्पन धीरे होता है और वह देर में ठंडी होती है तथा पीने में देर लगती है, जबकि प्लेट का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण वाष्पन तेजी से होता है और चाय या दूध जल्दी ठंडे हो जाते है अतः प्लेट में दूध या चाय जल्दी पी लेते हैं।

प्रश्न 5.
गर्मियों में हमें किस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर:
गर्मियों में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि इनके द्वारा पसीने का अधिक अवशोषण हो जाता है जो वायुमण्डल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम

Students must go through these JAC Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम

→ बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु में गति उत्पन्न कर सकता है, अथवा गति उत्पन्न करने का प्रयास करता है।

→ बल किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है, उसकी गति को धीमा या तेज कर सकता है।

→ बल किसी वस्तु के रूप अथवा आकार को बदल सकता है।

→ बल दो प्रकार के होते हैं-(i) सन्तुलित बल (ii) असन्तुलित बल।

→ वस्तु पर असन्तुलित बल लगा होने पर वस्तु में अवश्य ही गति उत्पन्न हो जाती है।

→ किसी वस्तु पर लगे सन्तुलित बल वस्तु में गति उत्पन्न नहीं कर सकते।

→ S.I. पद्धति में बल का मात्रक किग्रा मी./से² है। इसे न्यूटन के नाम से भी जाना जाता है।

→ एक न्यूटन का बल किसी एक किग्रा की वस्तु में एक मीटर प्रति सेकण्ड² का त्वरण उत्पन्न करता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम

→ बल के प्रभाव से वस्तुओं में होने वाली गति के लिए न्यूटन ने तीन मौलिक नियम दिए-प्रथम नियम-प्रत्येक वस्तु अपनी वर्तमान अवस्था (विराम की अवस्था या एकसमान गति की अवस्था) को बनाए रखती है, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए। इस नियम को ‘जड़त्व का नियम’ भी कहते हैं।

→ द्वितीय नियम-किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए असन्तुलित बल की दिशा में तथा उस बल के समानुपाती होती है।

→ तृतीय नियम-जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बल लगाती है। ये दोनों बल परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होते हैं। इस नियम को ‘क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम’ भी कहते हैं।

→ वस्तुओं में उनकी वर्तमान अवस्था को बनाए रखने की प्रवृत्ति को ‘जड़त्व’ कहते हैं।

→ किसी वस्तु का द्रव्यमान ही उसंके जड़त्व की माप है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम

→ किसी वस्तु के द्रव्यमान m तथा वेग v के गुणनफल को संवेग कहते हैं। इसे p से प्रदर्शित करते हैं। p = m v

→ संवेग एक सदिश राशि है। संवेग की दिशा वही होती है जो वस्तु के वेग की होती है। इसका मात्रक किग्रा-मीटर/सेकण्ड है।

→ गति के दूसरे नियम का गणितीय रूप F = m a है, वहाँ F वस्तु पर लगा बल, m वस्तु का द्रव्यमान तथा a वस्तु का त्वरण है।

→ एक विलग निकाय में कुल संवेग संरक्षित रहता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 8 गति

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 8 गति

→ यदि किसी वस्तु की स्थिति अपने पास स्थित वस्तुओं से परिवर्तित होती है तो वस्तु को गति की अवस्था में कहा जाता है।

→ किसी वस्तु की स्थिति तथा उसकी गति का वर्णन करने के लिए एक निर्देश बिन्दु की आवश्यकता होती है।

→ किसी गतिमान वस्तु द्वारा अपने यात्रा के समय में तय किए गए पथ की कुल लम्बाई को वस्तु द्वारा तय की गई दूरी कहते हैं।

→ किसी गतिमान वस्तु के यात्राकाल में उसकी प्रारम्भिक स्थिति व अन्तिम स्थिति तक के बीच की न्यूनतम दूरी को वस्तु का विस्थापन कहते हैं।

→ एक समान गति में वस्तु सरल रेखा में गतिमान होती हुई समान समय अन्तरालों में समान दूरी तय करती है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 8 गति

→ यदि गतिमान वस्तु द्वारा समान समय अन्तरालों में असमान दूरियाँ तय की जाती हैं तब वस्तु की गति को असमान गति कहते हैं।

→ किसी वस्तु की गति दर अथवा वस्तु द्वारा दूरी तय करने की समय दर को वस्तु की चाल कहते हैं। चाल के मात्रक मीटर/सेकण्ड; सेमी/सेकण्ड तथा किमी/घन्टा हैं।

→ वस्तु की चाल तथा उसकी गति की दिशा दोनों को एक साथ व्यक्त करने के लिए वेग राशि का प्रयोग किया जाता है।

→ किसी गतिमान वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को उस वस्तु का त्वरण कहते हैं।

→ एक समान त्वरण से चल रही किसी वस्तु की गति की व्याख्या निम्न तीन समीकरणों के माध्यम से की जा सकती है-

  • v = u + a t
  • s = u t + \(\frac { 1 }{ 2 }\) a t²
  • v² = u² + 2 a s

जहाँ u वस्तु का प्रारम्भिक वेग, v वस्तु का अन्तिम वेग तथा वस्तु t समय के लिए एक समान त्वरण a से गति करती है तथा t समय में तय की गई दूरी s है।

→ किसी वस्तु के दूरी-समय ग्राफ का ढाल उस वस्तु की चाल को व्यक्त करता है।

→ किसी वस्तु के वेग-समय ग्राफ तथा समय अक्ष के बीच घिरा क्षेत्रफल किसी समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को व्यक्त करता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 8 गति

→ वेग-समय ग्राफ का ढाल वस्तु के त्वरण को व्यक्त करता है।

→ एकसमान चाल से गतिमान वस्तु का दूरी-समय ग्राफ एक सरल रेखा होता है।

→ एकंसमान वेग से गतिमान वंस्तु का वेग-समय ग्राफ, समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा होता है।

→ एकसमान त्वरण से गतिमान वस्तु का वेग-समय ग्राफ एक सरल रेखा होता है।

→ एकसमान चाल से किसी वृत्तीय पथ पर गतिमान वस्तु की गति एकसमान वृत्तीय गति कहलाती है।

→ वेग को किमी/घण्टा से मीटर/सेकण्ड में बदलने के लिए \(\frac { 5 }{ 18 }\) से गुणा करना चाहिए तथा मीटर/सेकण्ड को किमी/घण्टा में बदलने के लिए \(\frac { 18 }{ 5 }\) से गुणा करना चाहिए।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

→ जब कोई पिण्ड एकसमान चाल से वृत्तीय पथ पर गति करता है तो उसकी गति की दिशा लगातार बदलती रहती है, अतः वृत्तीय पथ पर गति करते हुए पिण्ड की गति में त्वरण होता है। इस त्वरण की दिशा सदैव वृत्त के केन्द्र की ओर होती है; अतः इस त्वरण को अभिकेन्द्रीय त्वरण कहते हैं।

→ एकसमान वृत्तीय गति करते पिण्ड पर, केन्द्र की ओर सदैव ही एक बल कार्य करता है जिसे अभिकेन्द्र बल कहते हैं।

→ विश्व का प्रत्येक पिण्ड, प्रत्येक अन्य पिण्ड को अपनी ओर एक बल से आकर्षित करता है। इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।

→ दो पिण्डों के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
F ∝ m1 m2 तथा F ∝ \(\frac { 1 }{ d² }\) अत: F ∝ \(\frac{m_1 m_2}{d^2}\)
∴ F = \(\frac{G m_1 m_2}{d^2}\)
इस नियम को न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम कहते हैं।

→ सार्वत्रिक गुरुजाकर्षण नियतांक G का मान 6.673 x 10-11 न्यूटन मी²/किम्र² है।

→ गुरुचाकर्षण बल के कारण ही चृथ्वी प्रत्रेक घनुदु को अपने केन्यू की और आकर्षित करती है। पृष्दी द्वारा किती बस्तु पर लगाए गए बल को गुणनीय बल काजे है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

→ पृथ्नी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु के त्वरण को गुरुपीय त्वरण करते हैं तथा इसे ‘g’ से प्रदर्शित करते हैं।

→ पृथ्वी के केन्द्र से d दूरी पर गुरुचीय त्वरण का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होता है-
g = \(\frac{\mathrm{GM}}{d^2}\)

→ जहाँ पृथ्वी का द्रव्यमान M तथा दूरी d पृथ्वी की त्रिज्या से अधिक या उसके बराबर है।

→ गुरुत्वीय त्वरण g का मान विषुवत् रेखा पर सबसे कम तथा ध्रुवों पर सबसे अधिक होता है।

→ पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु पर आरोपित गुरुत्वीय बल को उस वस्तु के भार के रूप में भी जाना जाता है।

→ m द्रव्यमान की किसी वस्तु का पृथ्वी तल पर भार W = m g होता है।

→ किसी वस्तु का भार विषुवत रेखा पर सबसे कम तथा ध्रुवों पर सबसे अधिक होता है।

→ किसी पृष्ठ के लम्बवत् लगने वाले बल को ‘प्रणोद’ कहते हैं।

→ किसी पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को ‘दाब’ कहते हैं।
JAC Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 1

→ दाब का S.I. मात्रक न्यूटन/मीटर² है जिसे पास्कल भी कहते हैं तथा Pa से प्रदर्शित करते हैं।

→ जब किसी ठोस वस्तु को द्रव में छोड़ा जाता है तो द्रव उस वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है जिसे द्रव का उक्षेप या उत्प्लावन बल कहते हैं।

→ किसी वस्तु पर कार्य करने वाला द्रव का उत्प्लावन बल, वस्तु द्वारा हटाये गए द्रव के भार के बराबर होता है।

→ यदि वस्तु का घनत्व, द्रव के घनत्व से अधिक है तो वह उस द्रव में डूब जाती है। इसके विपरीत यदि वस्तु का घनत्व, द्रव के घनत्व से कम होता है तो वस्तु द्रव पर तैरती है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

→ जब किसी वस्तु को द्रव में डुबाया जाता है तो वस्तु के भार में कमी हो जाती है। वस्तु के भार में होने वाली कमी, वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है। इस सिद्धान्त को आर्किमिडीज के सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है।

→ किसी पदार्थ के घनत्व का मात्रक किग्रा/मीटर³ है।

→ किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व, उस पदार्थ के घनत्व तथा जल के घनत्व के अनुपात के बराबर होता है।
JAC Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 2
आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता

→ वर्गीकरण जीवों की विविधता को स्पष्ट करने में सहायक होता है।

→ जीवों को पाँच जगत् में वर्गीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है-

  • कोशिकीय संरचना-प्रौकेरियोटी अथवा यूकेरियोटी।
  • जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
  • कोशिका भित्ति की उपस्थिति या स्वपोषण की क्षमता।

→ उपरोक्त आधार पर सभी जीवों को पाँच जगत् में बाँटा गया है-मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक (फंजाई), प्लांटी और एनीमेलिया।

→ जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से सम्बन्धित है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता

→ प्लांटी और एनीमेलिया को उनकी क्रमिक शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

→ पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है-शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म

→ जन्तुओं को दस फाइलम में बाँटा गया है-पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटिहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थ्रोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और कॉर्डेटा।

→ द्विपद- नाम पद्धति जीवों की सही पहचान में सहायता करती है।

→ द्विपद- नाम पद्धति में पहला नाम जीनस और दूसरा स्पीशीज का होता है।
हमारे चारों ओर अनेक प्रकार के जीव समूह पाये जाते हैं। सभी जीवधारी एक दूसरे से किसी न किसी रूप में भिन्न हैं। हम मनुष्य तथा बन्दर की आपस में तुलना करें तो निश्चय ही मनुष्य और बन्दर में अधिक समानताएँ हैं। किन्तु गाय और बन्दर में काफी अन्तर है।

जैव विविधता रंगहीन जीवधारियों, पारदर्शी कीटों और विभिन्न रंगों वाले पक्षियों और फूलों में भी पायी जाती है। इन समस्त जीवधारियों को जानने व समझने के लिए जीवों को उनकी समानता एवं भिन्नता के आधार पर विभिन्न वर्गों व समूहों में वर्गीकृत किया गया है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 6 ऊतक

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 6 ऊतक

→ ऊतक कोशिकाओं का समूह होता है जिसमें कोशिकाओं की संरचना तथा कार्य एक समान होते हैं।

→ पादप ऊतक दो प्रकार के होते हैं-विभज्योतक तथा स्थायी ऊतक।

→ विभज्योतक (मेरिस्टेमेटिक) ऊतक एक विभाज्य ऊतक है तथा यह पौधों के वृद्धि वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

→ स्थायी ऊतक विभज्योतक से बनते हैं जो एक बार विभाजित होने की क्षमता को खो देते हैं। इनको सरल तथा जटिल ऊतकों में वर्गीकृत किया जाता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 6 ऊतक

→ पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा तथा स्कलेरेनकाइमा सरल ऊतकों के तीन प्रकार हैं। जाइलम और फ्लोएम जटिल ऊतकों के प्रकार हैं।

→ एपीथीलियमी, पेशीय, संयोजी तथा तन्त्रिका ऊतक जन्तु ऊतक हैं।

→ आकृति और कार्य के आधार पर एपीथीलियमी ऊतकों को शल्की, घनाकार, स्तम्भाकार, रोमीय तथा ग्रंथिल श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।

→ हमारे शरीर में विद्यमान संयोजी ऊतकों के विभिन्न प्रकार हैं-एरिओलर ऊतक, एडीपोज (वसामय)ऊतक, अस्थि, कंडरा, स्नायु, उपास्थि तथा रक्त (रुधिर)।

→ पेशीय ऊतक तीन प्रकार के होते हैं-रेखित, अरेखित और कार्डियक (हृदयक पेशी)।

→ तन्त्रिका ऊतक न्यूरॉन का बना होता है, जो संवेदना को प्राप्त और संचालित करता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

→ कोशिका- कोशिका जीवन की मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।

→ कोशिका के चारों ओर प्लाज्मा झिल्ली होती है। यह झिल्ली लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है।

→ कोशिका झिल्ली कोशिका का सक्रिय भाग है। यह पदार्थों की गति को कोशिका के भीतर तथा बाहरी वातावरण से नियमित करती है।

→ पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के चारों ओर एक कोशिका भित्ति होती है। कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है।

→ पादप कोशिका में स्थित कोशिका भित्ति फंजाई तथा बैक्टीरिया को अल्प परासरण दाबी घोल (माध्यम) में बिना फटे जीवित रहने देती है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

→ संरचना के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं-

  • यूकैरियोटिक कोशिकाएँ
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ।

→ यूकैरियोटिक कोशिकाओं में केन्द्रक दोहरी झिल्ली द्वारा कोशिका द्रव्य से अलग होता है। यह कोशिका की जीवन प्रक्रियाओं को निर्देशित करता है।

→ अन्तर्द्रव्यी जालिका (ER)-यह अन्त: कोशिकीय परिवहन तथा उत्पादक सतह के रूप में कार्य करता है।

→ गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिकाओं का स्तम्भ है। यह कोशिकाओं में बने पदार्थों का संचयन, रूपान्तरण तथा पैकेजिंग करतां है।

→ अधिकांश पादप कोशिकाओं में झिल्ली युक्त अंगक जैसे प्लास्टिड होते हैं। ये दो प्रकार होते हैं-क्रोमोप्लास्ट तथा ल्यूकोप्लास्ट।

→ क्लोरोफिल युक्त क्रोमोप्लास्ट्स को क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं।

→ ल्यूकोप्लास्ट का प्राथमिक कार्य संचय करना है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

→ अधिकांश परिपक्व पादप कोशिकाओं में एक बड़ी केन्द्रीय रसधानी होती है। यह कोशिका की स्फीति को बनाये रखती है और अपशिष्ट पदार्थों सहित महत्वपूर्ण पदार्थों का संचय करती है।

→ प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोई भी झिल्ली युक्त अंगक नहीं होता। इनमें क्रोमोसोम के स्थान पर न्यूक्लीयक अम्ल होता है और केवल छोटे राइबोसोम अंगक के रूप में होते हैं।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 4 परमाणु की संरचना

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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 4 परमाणु की संरचना

→ इलेक्ट्रॉन की खोज जे.जे. टॉमसन ने तथा प्रोटॉन की खोज ई. रदरफोर्ड ने की।

→ टॉमसन ने बताया कि इलेक्ट्रॉन धनात्मक गोले में धँसे होते हैं।

→ परमाणु के केन्द्रक की खोज रदरफोर्ड के अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा हुई।

→ रदरफोर्ड ने बताया कि परमाणु का समस्त भार तथा कुल धनावेश उसके केन्द्र में एक बहुत छोटे से आयतन में स्थित होता है, परमाणु के इस भाग को केन्द्रक या नाभिक कहते हैं। ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन उसके चारों ओर वृत्तीय पथ पर गति करते हैं।

→ बोर के अनुसार इलेक्ट्रॉन केन्द्रक के चारों ओर निश्चित ऊर्जा के साथ अलग-अलग कक्षाओं में वितरित हैं। इन कक्षाओं में ये ऊर्जा का विकिरण नहीं करते हैं तथा जब हम इलेक्ट्रॉन को ऊर्जा देते हैं तो वह उच्च कक्षाओं में जा सकते हैं।

→ जब इलेक्ट्रान उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर पर आता है तो दोनों ऊर्जा स्तरों के बीच के ऊर्जा अन्तर के बराबर ऊर्जा विकिरित होती है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 4 परमाणु की संरचना

→ जे. चैडविक ने परमाणु के अन्दर न्यूट्रॉन की उपस्थिति का पता लगाया। इस प्रकार परमाणु के तीन मूल कण हैंइलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन। इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश होता है, प्रोटॉनों पर धन आवेश होता है और न्यूट्रॉन वैद्युत उदासीन होते हैं।

→ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग \(\frac { 1}{ 1837 }\) वां भाग होता है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन में प्रत्येक का द्रव्यमान एक इकाई लिया जाता है।

→ परमाणु के कक्षों को K, L, M, N …………… नाम दिया गया है।

→ संयोजकता द्वारा परमाणु की संयोजन शक्ति का पता चलता है।

→ किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित इकाई धनावेशों की संख्या को उस तत्व का परमाणु क्रमांक कहते हैं।

→ परमाणु की द्रव्यमान संख्या केन्द्रक में विद्यमान न्यूक्लिऑनों की संख्या के बराबर होती है।

→ एक ही तत्व के परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक समान तथा द्रव्यमान सख्याएँ भिन्न-भिनन होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।

→ विभिन्न तत्वों के वे परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक असमान तथा द्रव्यमान संग्रयायें समान होती हैं, समभारिक कहलाते हैं।

→ तत्वों को उनके प्रोटॉनों की संख्या के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारतीय संविधान में निम्न में से कौनसा मौलिक अधिकार प्रदान नहीं किया गया है।
(क) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ख) स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण और पर्यावरण संरक्षण का अधिकार
(ग) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(घ) स्वतन्त्रता का अधिकार।

2. 1928 में किस समिति ने भारत में अधिकारों के घोषणा-पत्र की माँग उठायी थी।
(क) साइमन कमीशन ने
(ख) कैबिनेट मिशन ने
(ग) मोतीलाल नेहरू समिति ने
(घ) वांचू समिति ने।

3. निम्नलिखित में कौनसा कथन असत्य है?
(क) मौलिक अधिकारों की गारण्टी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
(ख) मौलिक अधिकारों को संसद कानून बनाकर परिवर्तित कर सकती है।
(ग) मौलिक अधिकार वाद योग्य हैं।
(घ) सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने की शक्ति और इसका उत्तरदायित्व न्यायपालिका के पास है।

4. संविधान का कौनसा अनुच्छेद साफ-साफ यह कहता है कि राज्य के अधीन सेवाओं में पिछड़े हुए नागरिकों को नियुक्तियों या पदों के आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं मानता।
(क) अनुच्छेद 16 (4)
(ख) अनुच्छेद 21
(ग) अनुच्छेद 19
(घ) अनुच्छेद 14

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

5. निम्नलिखित में किस प्रावधान से धर्मनिरपेक्षता के जीवन को बल नहीं मिलता है।
(क) भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है।
(ख) सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के सम्बन्ध में सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी।
(ग) शासकों से अलग धर्म को मानने वाले लोगों को शासकों द्वारा मान्य धर्म को ही स्वीकार करने के लिए विवश करना।
(घ) राज्य द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में न तो किसी धर्म का प्रचार किया जायेगा और न ही कोई धार्मिक शिक्षा दी जायेगी।

6. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को व्यवहार में लाने और उल्लंघन होने पर उनकी रक्षा का साधन है।
(क) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(ग) समानता का अधिकार
(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

7. जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है तो ऊपर की अदालतें उसे ऐसा करने से रोकने के लिए जो आदेश जारी करती है, उसे कहते हैं।
(क) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(ग) निषेध आदेश
(ख) परमादेश
(घ) अधिकार पृच्छा।

8. किस आदेश के द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है।
(क) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(ग) परमादेश
(ख) उत्प्रेषण लेख
(घ) अधिकार पृच्छा।

9. राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के पीछे वह कौनसी शक्ति है जो सरकार को यह बाध्य करेगी कि वह नीति। निर्देशक तत्त्वों को गम्भीरता से ले।
(क) संवैधानिक शक्ति
(ख) कानूनी शक्ति
(ग) नैतिक शक्ति
(घ) धार्मिक शक्ति।

10. निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है।
(क) भारतीय संविधान नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों को लागू करने के सम्बन्ध में संविधान मौन है।
(ख) संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।
(ग) नागरिकों के मौलिक अधिकार वाद – योग्य हैं।
(घ) राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व वाद – योग्य हैं।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. दक्षिण अफ्रीका का संविधान दिसंबर ………………….. में लागू हुआ।
उत्तर:
1996

2. अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों के अधिकारों को ………………. में सूचीबद्ध कर दिया जाता है।
उत्तर:
संविधान

3. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान 1928 में ही …………………… समिति ने अधिकारों के एक घोषणापत्र की माँग उठायी थी।
उत्तर:
मोतीलाल नेहरू

4. डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को संविधान का ………………. और ……………….. की संज्ञा दी।
उत्तर:
हृदय, आत्मा

5. संविधान में नीति निर्देशक तत्त्वों को …………………… के माध्यम से लागू करवाने की व्यवस्था नहीं की गई है।
उत्तर:
न्यायालय।

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये

1. मौलिक अधिकारों की गारंटी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
उत्तर:
सत्य

2. संसद कानून बनाकर मौलिक अधिकारों को परिवर्तित कर सकती है।
उत्तर:
असत्य

3. सरकार का कोई भी अंग मौलिक अधिकारों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं कर सकता।
उत्तर:
सत्य

4. सरकार मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर औचित्यपूर्ण प्रतिबंध लगा सकती है।
उत्तर:
सत्य

5. बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा निचली अदालत द्वारा अधिकार क्षेत्र से अतिक्रमण करने से उच्च अदालतें रोकती हैं।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अ) नीति निर्देशक तत्त्व
2. काम का अधिकार (ब) कानूनी अधिकार
3. सम्पत्ति का अधिकार (स) 42वां संविधान संशोधन
4. संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों मुकदमे का निर्णयकी सूची का समावेश (द) केशवनानंद भारती का निर्णय
5. संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा अतिलघूत्तरात्मक (य) मूल अधिकार

उत्तर:

1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (य) मूल अधिकार
2. काम का अधिकार (अ) नीति निर्देशक तत्त्व
3. सम्पत्ति का अधिकार (ब) कानूनी अधिकार
4. संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों मुकदमे का निर्णयकी सूची का समावेश (स) 42वां संविधान संशोधन
5. संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा अतिलघूत्तरात्मक (द) केशवनानंद भारती का निर्णय

प्रश्न 1.
अधिकारों के घोषणा-पत्र से क्या आशय है?
उत्तर:
संविधान द्वारा प्रदान किये गये और संरक्षित अधिकारों की सूची को अधिकारों का घोषणा-पत्र कहते हैं।

प्रश्न 2.
अधिकारों का घोषणा-पत्र क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर:
अधिकारों का घोषणा-पत्र सरकार को नागरिकों के अधिकारों के विरुद्ध काम करने से रोकता है और उनका उल्लंघन हो जाने पर उपचार सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 3.
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किससे संरक्षित करता है?
उत्तर:
संविधान नागरिक के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति, निजी संगठन तथा सरकार के विभिन्न अंगों से संरक्षित करता है।

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प्रश्न 4.
भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों की संज्ञा किसे दी गई है?
उत्तर:
भारत के संविधान में उन अधिकारों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें सुरक्षा देनी थी । इन्हीं सूचीबद्ध अधिकारों को मौलिक अधिकारों की संज्ञा दी गई है।

प्रश्न 5.
सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने के उत्तरदायित्व को न्यायपालिका किस प्रकार निभाती है?
उत्तर:
विधायिका या कार्यपालिका के किसी कार्य से या किसी निर्णय से यदि मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो न्यायपालिका उसे अवैध घोषित कर सकती है।

प्रश्न 6.
क्या मौलिक अधिकार निरंकुश या असीमित अधिकार हैं?
उत्तर:
नहीं, मौलिक अधिकार निरंकुश या असीमित अधिकार नहीं हैं। सरकार मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर औचित्यपूर्ण प्रतिबन्ध लगा सकती है।

प्रश्न 7.
स्वतन्त्रता के अधिकार से क्या आशय है?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के अधिकार से आशय है बिना किसी अन्य की स्वतन्त्रता को नुकसान पहुँचाये और बिना कानून व्यवस्था को ठेस पहुँचाये प्रत्येक व्यक्ति अपनी चिन्तन, अभिव्यक्ति एवं कार्य करने की स्वतन्त्रता का आनन्द ले सके।

प्रश्न 8.
निवारक नजरबन्दी किसे कहते है?
उत्तर:
जब किसी व्यक्ति को, इस आशंका पर कि वह कोई गैर-कानूनी कार्य करने वाला है, गिरफ्तार कर वर्णित प्रक्रिया का पालन किये बिना कुछ समय के लिए जेल भेज दिया जाता है तो इसे निवारक नजरबन्दी कहते हैं।

प्रश्न 9.
प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार का किनसे निपटने का एक हथियार है?
उत्तर:
प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार के हाथ में असामाजिक तत्त्वों और राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों से निपटने का एक हथियार है।

प्रश्न 10.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर किस आधार पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं?
उत्तर:
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर कानून व्यवस्था, शान्ति और नैतिकता के आधार पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 11.
धार्मिक स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार पर सरकार किन आधारों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है?
उत्तर:
सरकार लोक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर धार्मिक स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।

प्रश्न 12.
अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?
उत्तर:
अल्पसंख्यक वह समूह है जिसकी अपनी एक भाषा या धर्म होता है और देश के किसी एक भाग में या पूरे देश में संख्या के आधार पर वह अन्य समूह से छोटा होता है।

प्रश्न 13.
संपत्ति के अधिकार को किस अनुच्छेद के अन्तर्गत एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया है?
उत्तर:
संपत्ति के अधिकार को अनुच्छेद 300 (क) के अन्तर्गत एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया है।

प्रश्न 14.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार क्या है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों का अधिकार वह साधन है जिसके द्वारा मौलिक अधिकारों को व्यवहार में लाया जा सकता है और उल्लंघन होने पर उनकी रक्षा की जा सकती है।

प्रश्न 15.
मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय कौन – कौनसे आदेश जारी कर सकते हैं?
उत्तर:
मूल अधिकारों की रक्षा के सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय पाँच प्रकार के आदेश जारी कर सकते हैं। ये हैं।

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण,
  2. परमादेश,
  3. निषेध आदेश,
  4. अधिकार पृच्छा तथा
  5.  उत्प्रेषण

प्रश्न 16.
भारत में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय के अतिरिक्त अन्य किन-किन संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है?
उत्तर:
मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अलावा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आदि संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

प्रश्न 17.
राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व क्या हैं?
उत्तर:
संविधान निर्माताओं ने देश में सामाजिक और आर्थिक समानता व स्वतन्त्रता की स्थापना के लिए संविधान में सरकार के लिए कुछ नीतिगत निर्देशों का प्रावधान किया है, जो वाद – योग्य नहीं हैं। इन्हीं को राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व कहा जाता है।

प्रश्न 18.
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के प्रयास में कौनसी योजनाएँ क्रियान्वित की गई हैं? किन्हीं दो योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू करना।
  2. रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत काम क सीमित अधिकार प्रदान करना।

प्रश्न 19.
भारत के संविधान में लिखे किसी एक नीति-निर्देशक सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
महिला व पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाये।

प्रश्न 20.
शिक्षा के अधिकार से संबंधित संशोधन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
शिक्षा के अधिकार के संशोधन का यह महत्त्व है कि जिन बच्चों को किन्हीं अभावों के कारण शिक्षा नहीं मिल पा रही थी, वह अब मिल पा रही है।

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प्रश्न 21.
मौलिक अधिकारों में संशोधन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
मौलिक अधिकारों में संशोधन भारतीय संसद के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 22.
भारतीय संविधान में कौनसे संविधान संशोधन के द्वारा नागरिकों के कितने मौलिक कर्त्तव्यों का समावेश किया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन, 1976 के द्वारा नागरिकों के दस मौलिक कर्त्तव्यों का समावेश किया गया है।

प्रश्न 23.
महाराष्ट्र के किस समाज-सुधारक की रचनाओं में इस बात की झलक मिलती है कि अधिकारों में स्वतन्त्रता और समानता दोनों ही निहित हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र के क्रान्तिकारी समाज-सुधारक ज्योतिबा राव फुले की रचनाओं में हमें इस बात की झलक दिखाई देती है कि अधिकारों में स्वतन्त्रता और समानता दोनों ही निहित हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“मौलिक अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। ” सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
मौलिक अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इसीलिए उन्हें संविधान में सूचीबद्ध किया गया है और उनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान बनाये गये हैं। सके वे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए संविधान स्वयं यह सुनिश्चित करता है कि सरकार भी उनका उल्लंघन न कर

प्रश्न 2.
मौलिक अधिकार और साधारण अधिकारों में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
मौलिक अधिकार और साधारण अधिकारों में अन्तर।

  1. जहाँ साधारण अधिकारों को सुरक्षा देने और लागू करने के लिए साधारण कानूनों का सहारा लिया जाता है, वहाँ मौलिक अधिकारों की गारण्टी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
  2. सामान्य अधिकारों को संसद कानून बनाकर परिवर्तित कर सकती है लेकिन मौलिक अधिकारों में परिवर्तन के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किससे संरक्षित करता है?
उत्तर:
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन तथा सरकार के विभिन्न अंगों से संरक्षित करता है। यथा

  1. किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन से संरक्षण: नागरिक के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन से खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में संविधान व्यक्ति के अधिकारों को सरकार द्वारा सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि सरकार व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हो।
  2. सरकार से संरक्षण: सरकार के अंग विधायिका, कार्यपालिका, नौकरशाही अपने कार्यों के सम्पादन में व्यक्ति के अधिकारों का हनन कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में न्यायपालिका व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करती है।

प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका सरकार के कार्यों से व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का संरक्षण किस प्रकार करती है?
उत्तर:
भारत में सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने की शक्ति और इसका उत्तरदायित्व न्यायपालिका के पास है। विधायिका या कार्यपालिका के किसी निर्णय या कार्य से यदि मौलिक अधिकारों का हनन होता है या उन पर अनुचित प्रतिबन्ध लगाया जाता है, तो न्यायपालिका उसे अवैध घोषित कर सकती है।

प्रश्न 5.
समता के अधिकार में कौन-कौनसे अधिकार सम्मिलित हैं?
उत्तर:
समता के अधिकार में निम्न अधिकार सम्मिलित हैं।

  1. कानून के समक्ष समानता
  2. कानून का समान संरक्षण
  3. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध
  4. दुकानों, होटलों, कुओं, तालाबों, स्नानघरों, सड़कों आदि में प्रवेश की समानता
  5. रोजगार में अवसर की समानता
  6. छूआछूत का अन्त
  7. उपाधियों का अन्त आदि।

प्रश्न 6.
अवसर की समानता के मौलिक अधिकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि सरकारी नियुक्तियों के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर दिये जायेंगे। कोई भी नागरिक धर्म, वंश, जाति, जन्म-स्थान या निवास-स्थान के आधार पर सरकारी नियुक्तियों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जायेगा। अनुच्छेद 16 के दो अपवाद हैं।

  • कुछ विशेष पदों के लिए निवास स्थान सम्बन्धी शर्तें आवश्यक मानी जा सकती हैं।
  • सरकार बच्चों, महिलाओं तथा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में स्थान आरक्षित कर सकती है।

आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि संविधान की भावना के अनुसार ‘अवसर की समानता’ के अधिकार को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है।

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प्रश्न 7.
न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान अभियुक्त के किन अधिकारों की व्यवस्था करता है?
उत्तर:
आरोपी या अभियुक्त के अधिकार; न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान आरोपी के तीन अधिकारों की व्यवस्था करता है।

  1. किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से ज्यादा सजा नहीं मिलेगी।
  2. कोई भी कानून किसी भी ऐसे कार्य को जो उक्त कानून के लागू होने के पहले किया गया हो अपराध घोषित नहीं कर सकता।
  3. किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए नहीं कहा जा सकेगा।

प्रश्न 8.
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को लोकतन्त्र का प्रतीक क्यों माना जाता है?
उत्तर:
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को लोकतन्त्र का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इतिहास गवाह है कि दुनिया के अनेक देशों के शासकों और राजाओं ने अपने-अपने देश की जनता को धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार नहीं दिया । शासकों से अलग धर्म मानने वाले लोगों को या तो मार डाला गया या विवश किया गया कि वे शासकों द्वारा मान्य धर्म को स्वीकार कर लें। अतः लोकतन्त्र में अपनी इच्छा के अनुसार धर्म – पालन की स्वतन्त्रता को हमेशा एक बुनियादी सिद्धान्त के रूप में स्वीकार किया गया है।

प्रश्न 9.
नागरिक के दो धार्मिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. धार्मिक विश्वास का अधिकार: भारत में प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने और उसका पालन करने का अधिकार है। धार्मिक स्वतन्त्रता में अन्तःकरण की स्वतन्त्रता भी समाहित है।
  2. धार्मिक प्रचार का अधिकार: प्रत्येक धर्म के मानने वालों को अपने धर्म का प्रचार करने का समान अधिकार है।

प्रश्न 10.
धार्मिक स्वतन्त्रता पर सरकार किन-किन आधारों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है?
उत्तर:
धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है। इस पर कुछ प्रतिबन्ध भी हैं।

  1. लोक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर सरकार धार्मिक स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।
  2. कुछ सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है, जैसेसती-प्रथा और मानव-बलि जैसी कप्रथाओं पर सरकार ने प्रतिबन्ध के लिए अनेक कदम उठाये हैं।

प्रश्न 11.
“नीति-निर्देशक तत्त्व वाद – योग्य नहीं हैं।” इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“नीति-निर्देशक तत्त्व वाद-योग्य नहीं हैं।” इस कथन का आशय यह है कि संविधान में नीति-निर्देशक तत्त्वों का समावेश तो किया गया है लेकिन उन्हें न्यायालय के माध्यम से लागू करवाने की व्यवस्था नहीं की गई है। यदि सरकार किसी निर्देश को लागू नहीं करती तो हम न्यायालय में जाकर यह माँग नहीं कर सकते कि उसे लागू करने के लिए न्यायालय सरकार को आदेश दे।

प्रश्न 12.
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू किये जाने के सम्बन्ध में संविधान निर्माताओं की क्या मान्यता थी?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू किये जाने के सम्बन्ध में संविधान निर्माताओं की मान्यता थी कि।

  1. इन निर्देशक तत्त्वों के पीछे जो नैतिक शक्ति है, वह सरकार को बाध्य करेगी कि सरकार इन्हें गम्भीरता से ले।
  2. जनता इन निर्देशक तत्त्वों को लागू करने की जिम्मेदारी भावी सरकारों पर डालेगी।

प्रश्न 13.
नीति-निर्देशक तत्त्वों की सूची में प्रमुख बातें क्या हैं?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों की सूची में तीन बातें प्रमुख हैं।

  1. वे लक्ष्य और उद्देश्य जो एक समाज के रूप में हमें स्वीकार करने चाहिए।
  2. वे अधिकार जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।
  3. वे नीतियाँ जिन्हें सरकार को स्वीकार करनी चाहिए।

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प्रश्न 14.
क्या संविधान में मौलिक कर्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर पड़ा है?
उत्तर:
संविधान मौलिक कर्त्तव्यों के अनुपालन के आधार पर या उनकी शर्त पर हमें मौलिक अधिकार नहीं देता । इस दृष्टि से संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।

प्रश्न 15.
नीति-निर्देशक तत्त्वों के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों के प्रमुख उद्देश्य ये हैं।

  1. लोगों का कल्याण तथा आर्थिक-सामाजिक न्याय की स्थापना।
  2. लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना तथा संसाधनों का समान वितरण करना।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बढ़ावा देना।

प्रश्न 16.
अल्पसंख्यक किसे कहा गया है? भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के किन्हीं दो अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अल्पसंख्यक से आशय अल्पसंख्यक वह समूह है जिनकी अपनी एक भाषा या धर्म होता है और देश के किसी एक भाग में या पूरे देश में संख्या के आधार पर वह किसी अन्य समूह से छोटा है। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकार

  1. अल्पसंख्यक समूहों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रखने और उसे विकसित करने का अधिकार है।
  2. भाषायी या धार्मिक अल्पसंख्यक अपने शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं। ऐसा करके वे अपनी संस्कृति को सुरक्षित और विकसित कर सकते हैं। शिक्षण संस्थाओं को वित्तीय अनुदान देने के मामले में सरकार इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगी कि उस शिक्षण संस्थान का प्रबन्ध किसी अल्पसंख्यक समुदाय के हाथ में है।

प्रश्न 17.
नीति-निर्देशक तत्त्व और मौलिक अधिकारों में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्व और मौलिक अधिकारों में सम्बन्ध – मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्व एक-दूसरे के पूरक हैं। यथा।

  1. जहाँ मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं, वहीं नीति-निर्देशक तत्त्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं।
  2. मौलिक अधिकार खास तौर से व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करते हैं, वहाँ नीति-निर्देशक तत्त्व पूरे समाज के हित की बात करते हैं।
  3. कभी-कभी सरकार जब नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने का प्रयास करती है, तो वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों से टकरा भी सकते हैं।
  4. मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त व संरक्षित किये गये हैं, जबकि नीति-निर्देशक तत्त्व वे अधिकार हैं जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।

प्रश्न 18.
नीति-निर्देशक तत्त्वों में ऐसे कौनसे अधिकार दिये गये हैं जिनके लिए न्यायालय में दावा नहीं किया जा सकता?
उत्तर:
राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों में निम्नलिखित अधिकार दिये गये हैं जिनके लिए न्यायालय में दावा नहीं किया जा सकता।

  1. पर्याप्त जीवन-यापन का अधिकार।
  2. महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान मजदूरी का अधिकार।
  3. आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार।
  4. काम का अधिकार।
  5. बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 19.
भारत में नीति-निर्देशक तत्त्वों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से टकराने का मूल कारण क्या रहा तथा इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
भारत में मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच टकराहट का एक महत्त्वपूर्ण कारण- सम्पत्ति का मूल अधिकार रहा। यह समस्या तब पैदा हुई जब सरकार ने जमींदारी उन्मूलन कानून बनाने का फैसला किया। इसका विरोध इस आधार पर किया गया कि उससे सम्पत्ति के मूल अधिकार का हनन होता है। लेकिन यह सोचकर कि सामाजिक आवश्यकताएँ वैयक्तिक हित के ऊपर हैं, सरकार ने नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए संविधान का संशोधन किया। इससे एक लम्बी कानूनी लड़ाई शुरू हुई। कार्यपालिका और न्यायपालिका ने इस पर परस्पर विरोधी दृष्टिकोण अपनाया। यथा

  1. कार्यपालिका की मान्यता थी कि नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं क्योंकि लोक-कल्याण के मार्ग में अधिकार बाधक हैं।
  2. न्यायपालिका की यह मान्यता थी कि मौलिक अधिकार इतने महत्त्वपूर्ण और पावन हैं कि नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए उन्हें प्रतिबन्धित नहीं किया जा सकता।

इसने एक और विवाद को जन्म दिया कि संसद संविधान के किस अंश या प्रावधान में संशोधन कर सकती है और किसमें नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानन्द भारती वाद में इस प्रश्न का निपटारा यह निर्णय करके दिया कि संसद संविधान के ‘मूल ढाँचे’ में कोई संशोधन नहीं कर सकती तथा सम्पत्ति का अधिकार संसद के मूल ढाँचे का तत्त्व नहीं है। अतः संसद इसमें संशोधन कर सकती है। परिणामतः 1978 में 44वें संविधान संशोधन द्वारा संसद ने सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से निकाल दिया।

प्रश्न 20.
नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों का संविधान में कब समावेश किया गया? ये कर्त्तव्य कितने हैं? चार प्रमुख कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य वर्ष 1976 में संविधान का 42वाँ संशोधन किया गया जिसमें अन्य प्रावधानों के साथ-साथ संविधान में नागरिकों के दस कर्त्तव्यों की एक सूची का समावेश किया गया। लेकिन इन्हें लागू करने के सम्बन्ध में संविधान मौन है। प्रमुख कर्त्तव्य – नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों की सूची में चार प्रमुख कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं।

  1. नागरिक के रूप में हमें अपने संविधान का पालन करना चाहिए।
  2. सभी नागरिकों को देश की रक्षा करनी चाहिए।
  3. सभी नागरिकों में भाईचारा बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए।
  4. सभी नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 21.
भारतीय संविधान में वर्णित शोषण के विरुद्ध अधिकार का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
शोषण के विरुद्ध अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार का उद्देश्य है। समाज के निर्बल वर्ग को शक्तिशाली वर्ग के शोषण से बचना। इसमें निम्न प्रावधान हैं।

  1. मानव के क्रय-विक्रय तथा शोषण पर प्रतिबन्ध संविधान के अनुच्छेद 23 में दास के रूप में मानव के क्रय-विक्रय तथा किसी भी व्यक्ति से बेगार लेना गैर-कानूनी घोषित किया गया है। शोषण से मनाही के बावजूद देश में अभी भी बंधुआ मजदूरी के रूप में आज भी शोषण किया जा रहा है। अब इसे अपराध घोषित कर दिया गया है और यह कानूनी दण्डनीय अपराध है।
  2. कारखानों आदि में बच्चों को काम करने की मनाही – संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी कारखाने, खदान या अन्य किसी खतरनाक काम में नियोजित नहीं किया जायेगा। बाल-श्रम को अवैध बनाकर और शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार बनाकर ‘शोषण के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार’ को और अर्थपूर्ण बनाया गया है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 22.
शिक्षा और संस्कृति से सम्बन्धित कौनसे अधिकार भारतीय नागरिकों को प्रदान किये गये हैं?
उत्तर:
संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 तथा 30 में इन अधिकारों का वर्णन है। इन अधिकारों को संविधान में स्थान देकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी स्पष्ट किया गया है। यथा

  1. भारत के नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
  2. धर्म, वंश, जाति, भाषा अथवा इनमें से किसी एक के आधार पर किसी भी नागरिक को किसी राजकीय संस्था या राजकीय सहायता प्राप्त संस्था में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।
  3. अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छानुसार स्कूल, कॉलेज खोलने का अधिकार होगा। इस प्रकार की संस्थाओं को अनुदान देने में राज्य कोई भेदभाव नहीं करेगा।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में दिये गए स्वतन्त्रता के अधिकार का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता का अधिकार भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक नागरिकों को प्रदत्त स्वतन्त्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। यथा (अ) नागरिक स्वतन्त्रताएँ ( अनुच्छेद 19 ) – 44वें संविधान संशोधन के पश्चात् अनुच्छेद 19 में भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित छः स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं।

1. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता: नागरिकों को भाषण, लेख, चलचित्र अथवा अन्य किसी माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करने की स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। समाचार-पत्रों को संसद, विधानमण्डलों की कार्यवाही प्रकाशित करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होगी। परन्तु राज्य देश की अखण्डता, सुरक्षा, शान्ति, नैतिकता, न्यायालयों के सम्मान तथा विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए इन अधिकारों पर उचित प्रतिबन्ध लगा सकता है।

2. शान्तिपूर्ण ढंग से जमा होने और सभा करने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को शान्तिपूर्वक एकत्र होने की स्वतन्त्रता है। लेकिन सुरक्षा और शान्ति की दृष्टि से इस अधिकार पर भी राज्य द्वारा उचित प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

3. संगठित होने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को संस्था व संघ बनाने की पूर्ण स्वतन्त्रता है परन्तु उसका उद्देश्य सुरक्षा व शान्ति को खतरा पहुँचाना न हो।

4. भ्रमण की स्वतन्त्रता: नागरिकों को देश की सीमाओं के भीतर कहीं भी आने-जाने की स्वतन्त्रता है परन्तु सार्वजनिक हित तथा जनजातियों की रक्षा के लिए सरकार इस स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।

5. देश के किसी भी भाग में बसने और रहने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को देश के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतन्त्रता है परन्तु सार्वजनिक हित और जनजातियों की रक्षा के लिए इस पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

6. कोई भी पेशा चुनने तथा व्यापार करने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को अपना कोई भी व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता दी गई है लेकिन सार्वजनिक हित में इस पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। दूसरे, किसी भी व्यवसाय के लिए कुछ व्यावसायिक योग्यताएँ निर्धारित की जा सकती हैं। तीसरे, राज्य को स्वयं या किसी सरकारी कम्पनी द्वारा किसी भी व्यापार या धन्धे को अपने हाथों में ले लेने का अधिकार है।

(ब) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता: अनुच्छेद 20-21 में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। जब तक न्यायालय किसी व्यक्ति को किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराता तब तक उसे दोषी नहीं माना जा सकता । यह भी जरूरी है कि किसी अपराध के आरोपी को स्वयं को बचाने का समुचित अवसर मिले। न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान निम्न अधिकारों की व्यवस्था करता है।

(क) किसी भी व्यक्ति को किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता जो अपराध करते समय लागू न हो।

(ख) किसी व्यक्ति को उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता जो उस कानून के लिए उल्लंघन करते समय निश्चित हो।

(ग) किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक न तो मुकदमा चलाया जा सकता है और न ही दोबारा दण्डित किया जा सकता है।

(घ) किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध किसी अपराध में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। संविधान में जीवन तथा निजी स्वतन्त्रता की रक्षा की व्यवस्था की गई है। यथा

किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी तरीके से जीवन अथवा निजी स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। गिरफ्तार किये जाने पर उस व्यक्ति को अपने पसन्दीदा वकील के माध्यम से अपना बचाव करने का अधिकार है। इसके अलावा, पुलिस के लिए यह आवश्यक है कि वह अभियुक्त को 24 घण्टे के अन्दर निकटतम न्यायाधीश के सामने पेश करे। न्यायाधीश ही इस बात का निर्णय करेगा कि गिरफ्तारी उचित है या नहीं।

इस अधिकार द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन को मनमाने ढंग से समाप्त करने के विरुद्ध ही गारण्टी नहीं मिलती बल्कि इसका दायरा और भी व्यापक है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले अनेक निर्णयों द्वारा इस अधिकार का दायरा बढ़ाया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार इसमें शोषण से मुक्त और मानवीय गरिमा से पूर्ण जीवन जीने का अधिकार अन्तर्निहित है।

न्यायालय ने माना है कि ‘जीवन के अधिकार’ का अर्थ है व्यक्ति को आश्रय और आजीविका का भी अधिकार हो क्योंकि इसके बिना कोई व्यक्ति जिन्दा नहीं रह सकता। अनुच्छेद 20 तथा 21 में प्राप्त अधिकारों को आपात स्थिति में भी निलम्बित नहीं किया जा सकता। (स) निवारक नजरबन्दी – यदि सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति देश की कानून व्यवस्था या शान्ति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, तो वह उसे बन्दी बना सकती है।

लेकिन निवारक नजरबन्दी अधिकतम 3 महीने तक के लिए ही हो सकती है। तीन महीने के बाद ऐसे मामले समीक्षा के लिए एक सलाहकार बोर्ड के समक्ष लाए जाते हैं। प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार के हाथ में असामाजिक तत्त्वों और राष्ट्र-विद्रोही तत्त्वों से निपटने का एक हथियार है। लेकिन सरकार ने प्राय: इसका दुरुपयोग किया है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में दिये गये समानता के अधिकार की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
समानता का अधिकार भारतीय संविधान में समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक किया गया है। यथा-
1. कानून के समक्ष समानता तथा कानून का समान संरक्षण- संविधान के अनु. 14 में कहा गया है कि ‘राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।” कानून की दृष्टि में सब व्यक्ति समान हैं।

2. भेदभाव का निषेध: अनुच्छेद 15 में भेदभाव का निषेध किया गया है। इसके अनुसार, “राज्य केवल धर्म, वंश, जाति, लिंग व जन्म स्थान या इनमें से किसी एक आधार पर किसी नागरिक को दुकानों, भोजनालयों, मनोरंजन की जगहों, तालाबों, पूजा स्थलों और कुओं का प्रयोग करने से वंचित नहीं कर सकेगा।” परन्तु महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधाएँ प्रदान की जा सकती हैं। अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए राज्य विशेष प्रकार की व्यवस्था कर सकता है।

3. रोजगार में अवसर की समानता: अनुच्छेद 16 के अनुसार सरकारी सेवाओं पर नियुक्तियों के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर दिये जायेंगे। कोई भी नागरिक धर्म, वंश, जाति, जन्म-स्थान या निवास स्थान के आधार पर सरकारी नियुक्तियों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जायेगा। इस अनुच्छेद के कुछ अपवाद भी दिये गये हैं।

  • कुछ विशेष पदों के लिए निवास स्थान सम्बन्धी शर्तें आवश्यक मानी जा सकती हैं।
  • अनुच्छेद 16(4) के अनुसार, “इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण का प्रावधान करने से नहीं रोकेगी।”

इस प्रकार संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार बच्चों, महिलाओं तथा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की बेहतरी के लिए विशेष योजनाएँ या निर्णय लागू कर सकती है। वास्तव में संविधान अनुच्छेद 16 (4) की आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता। संविधान की भावना के अनुसार तो यह ‘अवसर की समानता’ के अधिकार को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

4. अस्पृश्यता की समाप्ति: संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का अन्त कर दिया गया है। किसी भी रूप को बरतने की मनाही की गई है। इसे दण्डनीय अपराध बना दिया गया है।

5. उपाधियों का अन्त: अनुच्छेद 18 के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई है कि

  • केवल उन लोगों को छोड़कर जिन्होंने सेना या शिक्षा के क्षेत्र में गौरवपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, राज्य किसी भी व्यक्ति को कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
  • भारत का नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
  • कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है, लेकिन वह भारत राज्य के अधीन किसी पद को धारण किये हुए है, तो वह इस पद को धारण करते हुए किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।

प्रश्न 3.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार से क्या तात्पर्य है ? मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय कितने प्रकार के लेख जारी कर सकता है? इस अधिकार का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32): संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उसे प्राप्त मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया जाये या छीना जाये, चाहे वह सरकार ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से न्याय की माँग कर सकता है। विभिन्न प्रकार के लेख – म जारी कर सकते हैं। अधिकारों की रक्षा के लिए ये न्यायालय निम्न प्रकार के निर्देश, आदेश या लेख।
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण: बन्दी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है। यदि गिरफ्तारी का तरीका या कारण गैर-कानूनी या असन्तोषजनक हो, तो न्यायालय गिरफ्तार व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे सकता है।

2. परमादेश: यह आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

3. निषेध आदेश: जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है तो ऊपर की अदालतें ( उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) निषेध आदेश के माध्यम से उसे ऐसा करने से रोकती हैं।

4. अधिकार पृच्छा: जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी हक नहीं है, तब न्यायालय ‘अधिकार पृच्छा आदेश’ के द्वारा उसे उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।

5. उत्प्रेषण लेख: जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है, तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण लेख द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तान्तरित कर देता है।

संवैधानिक उपचारों के अधिकार का महत्त्व संविधान में संवैधानिक उपचारों के अधिकार द्वारा मौलिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की गई है। इस अधिकार के बिना मौलिक अधिकार खोखले वायदे साबित होते । संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्य के उच्च न्यायालयों को सौंपा गया है। यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन होता है तो वह उन न्यायालयों में प्रार्थना-पत्र देकर अपने अधिकार की रक्षा कर सकता है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 4.
भारत में मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अतिरिक्त किन संरचनाओं का निर्माण किया गया है ? राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अलावा कुछ और संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है। इनमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रमुख हैं। ये संस्थाएँ क्रमशः अल्पसंख्यकों, महिलाओं, दलितों के अधिकारों तथा मानवाधिकारों की रक्षा करती हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गठन-मौलिक अधिकारों और अन्य अधिकारों की रक्षा करने के लिए वर्ष 2000 में भारत सरकार ने कानून द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा मानवाधिकारों के सम्बन्ध में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो और सदस्य होते हैं। कार्यक्षेत्र मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें मिलने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्वयं अपनी पहल या किसी पीड़ित व्यक्ति की याचिका पर जाँच कर सकता है। जेलों में बन्दियों की स्थिति का अध्ययन कर सकता है; मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कर सकता है या शोध को प्रोत्साहन कर सकता है।

प्राप्त शिकायतों का स्वरूप: आयोग को प्रतिवर्ष हजारों शिकायतें मिलती हैं। इनमें से अधिकतर हिरासत में मृत्यु, हिरासत के दौरान बलात्कार, लोगों के गायब होने, पुलिस की ज्यादतियों, कार्यवाही न किये जाने, महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार आदि से सम्बन्धित होती हैं। आयोग को स्वयं मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है। यह सरकार या न्यायालय को अपनी जाँच के आधार पर मुकदमे चलाने की सिफारिश कर सकता है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. आधुनिक लोकतन्त्र में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र का निकटतम उदाहरण है।
(क) ग्राम सभा
(ग) पंचायत समिति
(ख) ग्राम पंचायत
(घ) नगरपालिक।
उत्तर:
(क) ग्राम सभा

2. निम्नलिखित में कौनसा कथन भारत की लोकसभा सदस्यों के निर्वाचन व्यवस्था की विशेषता नहीं है।
(क) पूरे देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
(ख) प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
(ग) उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
(घ) विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।
उत्तर:
(घ) विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।

3. जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाते हैं, उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। निर्वाचन की इस विधि को कहते हैं।
(क) समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
(ख) एकल संक्रमणीय मत प्रणाली
(ग) जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली

4. ‘पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र मानकर प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।’ समानुपातिक प्रतिनिधित्व का यह प्रकार किस देश में अपनाया जा रहा है?
(क) भारत
(ख) ब्रिटेन
(ग) इजरायल
(घ) पुर्तगाल।
उत्तर:
(ग) इजरायल

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

5. भारत में निम्नलिखित में से किसमें आनुपातिक प्रतिनिधिक प्रणाली को नहीं अपनाया गयां है?
(क) लोकसभा के चुनाव में
(ख) राज्यसभा के चुनाव में
(ग) राष्ट्रपति के चुनाव में
(घ) विधान परिषदों के चुनाव में।
उत्तर:
(क) लोकसभा के चुनाव में

6. भारत में निम्नलिखित में किस संस्था के चुनाव के लिए फर्स्ट- पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम को अपनाया गया है-
(क) लोकसभा के चुनाव के लिए
(ख) विधानसभा के चुनाव के लिए
(ग) स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।

7. निम्नलिखित में कौनसा कथन ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ प्रणाली से सम्बद्ध नहीं है।
(क) पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट दिया जाता है।
(ख) हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
(ग) मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है।
(घ) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
उत्तर:
(घ) मतदाता पार्टी को वोट देता है।

8. निम्नलिखित में कौनसा कथन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषता को व्यक्त नहीं करता है?
(क) एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जाते हैं।
(ख) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
(ग) विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं कि उसे वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले।
(घ) हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
उत्तर:
(ग) विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं कि उसे वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले।

9. भारत में वयस्क मताधिकार की न्यूनतम आयु है।
(क) 21 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 25 वर्ष
(घ) 16 वर्ष।
उत्तर:
(ख) 18 वर्ष

10. भारत में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम कितने वर्ष का होना चाहिए?
(क) 25 वर्ष
(ख) 21 वर्ष
(ग) 30 वर्ष उत्तरमाला
(घ) 35 वर्ष।
उत्तर:
(क) 25 वर्ष

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

1. लोकतंत्र का वह रूप जिसमें देश के शासन और प्रशासन को चलाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है, ………………. लोकतंत्र कहलाता है।
उत्तर:
अप्रत्यक्ष

2. आधुनिक भारत में ग्राम पंचायत की ……………….. प्रत्यक्ष लोकतंत्र की उदाहरण हैं।
उत्तर:
ग्राम सभाएँ

3. भारत में लोकसभा चुनावों में ……………………. प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनायी गई है।
उत्तर:
जो सबसे आगे वही जीते

4. इजरायल के चुनावों में ……………………. प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनायी गई है।
उत्तर:
समानुपातिक

5. पृथक् निर्वाचन मंडल की व्यवस्था भारत के लिए …………………. रही है।
उत्तर:
अभिशाप

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये

1. भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को केवल अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए ही सीमित रूप में अपनाया गया है।
उत्तर:
सत्य

2. भारत के संविधान निर्माताओं ने दलित उत्पीड़ित सामाजिक समूहों के लिए उचित प्रतिनिधित्व हेतु पृथक् निर्वाचन मंडल की व्यवस्था को अपनाया गया. है।
उत्तर:
असत्य

3. भारतीय संविधान में प्रत्येक वयस्क नागरिक को चुनाव में मत देने का अधिकार है।
उत्तर:
सत्य

4. लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशी के लिए कम से कम 35 वर्ष की आयु आवश्यक है।
उत्तर:
असत्य

5. भारत में एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।
उत्तर:
सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. ग्राम सभा (अ) प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र
2. लोकसभा (ब) भारत के राष्ट्रपति का चुनाव
3. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (स) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
4. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (द) सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार
5. लोकसभा और राज्यसभा (य) प्रत्यक्ष लोकतंत्र

उत्तर:

1. ग्राम सभा (य) प्रत्यक्ष लोकतंत्र
2. लोकसभा (अ) प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र
3. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (द) सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार
4. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (ब) भारत के राष्ट्रपति का चुनाव
5. लोकसभा और राज्यसभा (स) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का वह रूप जिसमें नागरिक रोजमर्रा के फैसलों और सरकार चलाने में सीधे भाग लेते हैं, लोकतन्त्र कहलाता

प्रश्न 2.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के कोई दो उदाहरण दीजि ।
उत्तर:

  1. प्राचीन यूनान के नगर राज्य।
  2. आधुनिक भारत में ग्राम पंचायत की ग्राम सभाएँ।

प्रश्न 3.
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का वह रूप जिसमें देश के शासन और प्रशासन को चलाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है।, अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहलाता है।

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प्रश्न 4.
लोकतंत्र का बुनियादी तत्त्व क्या है।
उत्तर:
लोकतंत्र का बुनियादी तत्त्व जनता द्वारा प्रतिनिधियों का निर्वाचन है।

प्रश्न 5.
निर्वाचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनता अपने प्रतिनिधियों को जिस विधि से निर्वाचित करती है, उस विधि को चुनाव या निर्वाचन कहते

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान चुनाव से सम्बन्धितं किन दो लक्ष्यों को लेकर चलता है?
उत्तर:

  1. एक स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव, जिसे लोकतान्त्रिक चुनाव कहा जा सके।
  2. न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व।

प्रश्न 7.
भारतीय संविधान स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव हेतु किन मूलभूत नियमों को निर्धारित करता है? (कोई दो का उल्लेख कीजिए ।)
उत्तर:

  1. भारत का प्रत्येक वयस्क नागरिक, जिसकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, मत देने का अधिकार रखता है
  2. सभी नागरिकों को चुनाव में खड़े होने और जनता का प्रतिनिधि होने का अधिकार है।

प्रश्न 8.
निर्वाचक मण्डल से क्या आशय है?
उत्तर:
निर्वाचक मण्डल से आशय एक ऐसे समूह से है जिसका निर्माण किसी विशेष पद के चुनाव के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9.
निर्वाचन विधि से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक चुनाव में अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए लोगों के द्वारा अपनी रुचि जिस तरीके से व्यक्त की जाती है और उनकी पसन्द की गणना जिस विधि से की जाती है, उसे निर्वाचन विधि कहते हैं।

प्रश्न 10.
पृथक् निर्वाचक मण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथक् निर्वाचक मण्डल से अभिप्राय किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे।

प्रश्न 11.
चुनाव आचार संहिता क्या है?
उत्तर:
चुनाव आचार संहिता निर्वाचन के समय में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के चुनाव – संचालन के नियंत्रण हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों की एक संहिता होती है ।

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प्रश्न 12.
विशेष बहुमत क्या होता है?
उत्तर:
विशेष बहुमत का आशय सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत तथा सदन की कुल सदस्य संख्या के साधारण बहुमत से है।

प्रश्न 13.
परिसीमन आयोग का गठन कौन करता है?
उत्तर;
परिसीमन आयोग का गठन राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 14.
किन्हीं दो निर्वाचन विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. जो सबसे आगे वही जीते (फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम) विधि।
  2. समानुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति।

प्रश्न 15.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ पद्धति की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. इसमें पूरे देश को छोटे-छोटे एकल निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है।
  2. इसमें सर्वाधिक वोट पाने वाले प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 16.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ पद्धति को अपनाने वाले किन्हीं दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. यूनाइटेड किंग्डम
  2. भारत।

प्रश्न 17.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
  2. हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।

प्रश्न 18.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाने वाले किन्हीं दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. इजरायल
  2. नीदरलैंड

प्रश्न 19.
भारत में सर्वाधिक जीत वाली व्यवस्था जिन संस्थाओं के चुनाव के लिए अपनाई गई है, उनमें से किन्हीं दो संस्थाओं के नाम लिखिए। है?
उत्तर:

  1. लोकसभा
  2. राज्यों की विधानसभाएँ।

प्रश्न 20.
हमारे संविधान ने किन संस्थाओं के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को लागू किया
उत्तर:
हमारे संविधान ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषदों के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को लागू किया है।

प्रश्न 21.
संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में किन जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करता है?
उत्तर:
संविधान अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण की व्यवस्था करता है।

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प्रश्न 22.
भारतीय संविधान में निर्वाचन आयोग की व्यवस्था क्यों की गई है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए तथा चुनावों के संचालन और देखरेख के लिए निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 23.
निर्वाचन आयोग के कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. मतदाता सूची तैयार करना।
  2. स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था करना।

प्रश्न 24.
20 वर्ष पहले के मुकाबले आज निर्वाचन आयोग ज्यादा स्वतन्त्र और प्रभावी क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान में निर्वाचन आयोग ने उन शक्तियों का और प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करना शुरू कर दिया है जो उसे संविधान में पहले से ही प्राप्त थीं। इसी कारण आज यह 20 वर्ष पहले की तुलना में ज्यादा स्वतन्त्र और प्रभावी है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए किस विधि को स्वीकार करता है? समझाइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए ‘जो सबसे आगे वही जीते’ (फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट) व्यवस्था को स्वीकार करता है। इस व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाते हैं, उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है । विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।

प्रश्न 2.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस चुनाव व्यवस्था में प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे मतगणना के बाद प्राप्त वोटों के अनुपात के हिसाब से दिया जाता है। चुनावों की इस व्यवस्था को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में सर्वाधिक वोट से जीत प्रणाली क्यों स्वीकार की गई?
उत्तर:
भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत में सर्वाधिक वोट से जीत प्रणाली इन कारणों से अपनायी।

  1. यह प्रणाली अत्यधिक सरल तथा लोकप्रिय है।
  2. इसमें चुनाव के समय मतदाताओं के पास स्पष्ट विकल्प होते हैं कि वह प्रत्याशी को मत दे या दल को।
  3. प्रतिनिधि का मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होने की दृष्टि से भी यह प्रणाली श्रेष्ठ है।
  4. यह प्रणाली स्थायी सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।

प्रश्न 4.
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर:
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से यह आशय है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए वह सीट आरक्षित है।

प्रश्न 5.
भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए तथा चुनाव की देख-रेख करने के लिए किस संस्था का गठन किया गया है?
उत्तर:
भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने तथा चुनाव की देख-रेख करने के लिए एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है। वर्तमान में भारत का निर्वाचन आयोग बहुसदस्यीय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श पर की जाती है।

प्रश्न 6.
भारत में चुनावों को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए किये गये किन्हीं तीन संवैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लेख कीजिए। जाये।
उत्तर:
भारत में चुनावों को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए संविधान में निम्नलिखित तीन व्यवस्थाएँ की गई

  1. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था।
  2. प्रत्येक नागरिक को चुनाव लड़ने की स्वतन्त्रता।
  3. एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना।

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प्रश्न 7.
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए कोई तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए सुझाव।

  1. चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियन्त्रित करने के लिए और कठोर कानूनी प्रावधानों की व्यवस्था की
  2. सभी उम्मीदवार, राजनीतिक दल और वे सभी लोग जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं। लोकतान्त्रिक प्रतिस्पर्द्धा की भावना का सम्मान करें।
  3. जनता स्वयं ही और अधिक सतर्क रहते हुए राजनीतिक कार्यों में और अधिक सक्रियता से भाग ले।

प्रश्न 8.
जो सबसे आगे वही जीते अर्थात् सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनांव व्यवस्था ( फर्स्ट- पास्ट-द- पोस्ट सिस्टम) की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनाव व्यवस्था – सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनाव व्यवस्था (फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट – सिस्टम) की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1.  निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण: इस चुनाव प्रणाली के अन्तर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं।
  2. एक क्षेत्र से एक प्रतिनिधि का निर्वाचन: इसमें हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  3. मतदान प्रत्याशी को इसमें मतदाता प्रत्याशी को मत देता है।
  4. वोट प्रतिशत तथा सीटों की संख्या में असन्तुलन: इस प्रणाली में पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं।
  5. इसमें विजयी उम्मीदवार के लिए यह जरूरी नहीं है कि वोटों का बहुमत (50% + 1 ) ही मिले।

प्रश्न 9.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषताएँ – समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. निर्वाचन क्षेत्र: समानुपातिक प्रतिनिधिक प्रणाली में या तो किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है, जिससे दो या दो से अधिक सदस्यों का निर्वाचन होना अनिवार्य होता है या पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है।
  2. एक क्षेत्र से प्रतिनिधियों की संख्या: इसमें एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
  3. मतदान पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में मतदाता पार्टी को वोट देता है, न कि प्रत्याशी को।
  4. सीटें प्राप्त मतों के अनुपात में: इस प्रणाली में प्रत्येक पार्टी को प्राप्त मतों के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
  5. वोटों के बहुमत से विजय: इसमें विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत (50% + 1 ) हासिल होता है।

प्रश्न 10.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ तथा ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’ प्रणाली के बीच कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ तथा ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’ चुनाव प्रणाली में अन्तर

सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत समानुपातिक प्रतिनिधित्व
1. पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं। 1. किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है। पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र गिना जा सकता है।
2. हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है। 2. एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
3. मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है। 3. मतदाता रांजनैतिक दल को वोट देता है।
4. पार्टी को प्राप्तोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं। 4. हर पार्टी को प्रास मत के अनुपात में ही विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।

प्रश्न 11.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्या है?
उत्तर:
जब देश के सभी वयस्क नागरिकों को जाति, धर्मा, लिंग, धन, स्थान आदि के आधार पर उत्पन्न भेदभाव के बिना, समान रूप से मतदान का अधिकार दे दिया जाए तो उसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं। इंग्लैंड, भारत तथा अमेरिका में इसकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। इस निश्चित आयु के पश्चात् प्रत्येक नागरिक को यहाँ मतदान करने का अधिकार प्राप्त है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

प्रश्न 12.
परिसीमन आयोग किसे कहते हैं? उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिसीमन आयोग पूरे देश में निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा खींचने के उद्देश्य से राष्ट्रपति द्वारा एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाता है जिसे परिसीमन आयोग कहते हैं। परिसीमन आयोग के कार्य: रिसीमन आयोग के दो प्रमुख कार्य हैं।

1. निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएँ निर्धारित करना: परिसीमन आयोग आम निर्वाचन से पहले पूरे देश में निर्वाचन के क्षेत्रों की सीमाएँ निर्धारित करता है। इस कार्य को वह चुनाव आयोग के साथ मिलकर करता है।

2. आरक्षित किये जाने वाले निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण: प्रत्येक राज्य में आरक्षण के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का एक कोटा होता है जो उस राज्य में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की संख्या के अनुपात में होता ह। परिसीमन के बाद, परिसीमन आयोग प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में जनसंख्या की संरचना देखता है। जिन निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या सबसे ज्यादा होती है उसे उनके लिए आरक्षित कर दिया जाता है। अनुसूचित जातियों के मामले में परिसीमन आयोग दो बातों पर ध्यान देता है।

आयोग उन निर्वाचन क्षेत्रों को चुनता है जिनमें अनुसूचित जातियों का अनुपात ज्यादा होता है। लेकिन वह इन निर्वाचन क्षेत्रों को राज्य के विभिन्न भागों में फैला भी देता है। ऐसा इसलिए कि अनुसूचित जातियों को पूरे देश में बिखराव समरूप है। जब कभी भी परिसीमन का काम होता है, इन आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ परिवर्तन कर दिया जाता है।

प्रश्न 13.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 543 में से 415 सीटें जीतीं – जो कुल सीटों के 80 प्रतिशत से भी अधिक है। जबकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 48 प्रतिशत वोट ही मिले थे। अन्य दलों के प्रदर्शन से भी उनको प्राप्त मतों और प्राप्त सीटों में कोई सन्तुलन नहीं है। ऐसा कैसे हुआ?
उत्तर:
1984 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्राप्त मतों के अनुपात से अधिक सीटें मिलीं जबकि भाजपा, लोकदल को प्राप्त मतों के अनुपात से कम सीटें मिलीं। ऐसा इसलिए सम्भव हुआ कि भारत में चुनाव की एक विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस विधि को फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम कहते हैं । इस विधि के अन्तर्गत चुनाव की निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है।

  1. पूरे देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
  2. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  3. उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता।
  4. इसमें विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।

यदि चुनाव मैदान में कई प्रत्याशी हों तो जीतने वाले प्रत्याशी को प्रायः 50 प्रतिशत से कम वोट मिलते हैं। सभी हारने वाले प्रत्याशियों के वोट बेकार चले जाते हैं क्योंकि इन वोटों के आधार पर उन प्रत्याशियों या दलों को कोई सीट नहीं मिलती। मान लीजिए कि किसी पार्टी को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 25 प्रतिशत वोट मिलते हैं लेकिन अन्य प्रत्याशियों को उससे भी कम वोट मिलते हैं। उस स्थिति में केवल 25 प्रतिशत या उससे कम वोट पाकर कोई दल सभी सीटें जीत सकता है। इस विधि की इसी विशेषता के कारण 1984 में कांग्रेस पार्टी ने 48% मत पाकर भी 80 प्रतिशत सीटें प्राप्त कीं।

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प्रश्न 14.
इजरायल में अपनायी गयी समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इजराइल में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली: इजराइल में चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाई गई है। वहाँ विधायिका (नेसेट) के चुनाव प्रत्येक चार वर्ष पर होते हैं। यहाँ पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है। प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है। लेकिन मतदाता प्रत्याशियों को नहीं वरन् पार्टियों को वोट देते हैं। मतगणना के बाद, प्रत्येक पार्टी को संसद में उसी अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं जिस अनुपात में उन्हें वोटों में हिस्सा मिलता है।

इस प्रकार प्रत्येक पार्टी अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है। इससे सीमित जनाधार वाली छोटी पार्टियों को भी विधायिका में कुछ प्रतिनिधित्व मिल जाता है। शर्त यह है कि विधायिका में सीट पाने के लिए न्यूनतम 3.25 प्रतिशत वोट मिलने चाहिए। इससे प्राय: बहुदलीय गठबन्धन सरकारें बनती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग के संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग का संगठन: भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई संविधान के अनुच्छेद 324(1) के अनुसार, “इस संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमण्डल के लिए कराये जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली
तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचकों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियन्त्रण एक आयोग में निहित होगा (जिसे इस संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया है।)

निर्वाचन आयुक्त: भारत का निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय या बहुसदस्यीय भी हो सकता है। वर्तमान में निर्वाचन आयोग त्रिसदस्यीय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं। एक सामूहिक संस्था के रूप में चुनाव सम्बन्धी हर निर्णय में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दोनों निर्वाचन आयुक्तों की शक्तियाँ समान हैं।

नियुक्ति: निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श पर की जाती है।

कार्यकाल: संविधान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के कार्यकाल की सुरक्षा देता है। उन्हें 6 वर्षों के लिए अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले खत्म हो) के लिए नियुक्त किया जाता है।

पद: विमुक्ति-मुख्य निर्वाचन आयुक्त को कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है; पर इसके लिए संसद के दोनों सदनों को विशेष बहुमत से पारित कर इस आशय का एक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेजना होगा। विशेष बहुमत से आशय है। उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत; और सदन की कुल सदस्य संख्या का साधारण बहुमत। मुख्य निर्वाचन अधिकारी व अन्य कर्मचारी – भारत के निर्वाचन आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है। निर्वाचन आयोग के पास बहुत ही सीमित कर्मचारी होते हैं।

वह प्रशासनिक मशीनरी की मदद से कार्य करता है। एक बार चुनाव प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाने के बाद चुनाव सम्बन्धी कार्यों के सम्बन्ध में आयोग का पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर नियन्त्रण हो जाता है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान राज्य और केन्द्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों को चुनाव सम्बन्धी कार्य दिये जाते हैं और इस सम्बन्ध में निर्वाचन आयोग का उन पर पूरा नियन्त्रण होता है। निर्वाचन आयोग इन अधिकारियों का तबादला कर सकता है या उनके तबादले रोक सकता है; अधिकारियों के निष्पक्ष ढंग से काम करने में विफल रहने पर आयोग उनके विरुद्ध कार्यवाही भी कर सकता है।

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प्रश्न 2.
भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चुनाव आयोग के कार्य: भारत में चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।
1. निर्वाचक नामावली तैयार करना:
निर्वाचन आयोग का प्रमुख कार्य निर्वाचन हेतु निर्वाचक नामावली तैयार करना है। इस हेतु वह मतदाता सूचियों को नया करने के काम की देख-रेख करता है। वह पूरा प्रयास करता है कि मतदाता सूचियों में गलतियाँ न हों अर्थात् पंजीकृत मतदाताओं के नाम न छूट जाएँ और न ही उसमें ऐसे लोगों के नाम हों जो मतदान के अयोग्य हों या जीवित न हों।

2. चुनाव कार्यक्रम तैयार करना तथा इसका क्रियान्वयन करना:
निष्पक्ष और स्वतन्त्र निर्वाचन कराने की दृष्टि से वह चुनाव का समय और चुनावों का पूरा कार्यक्रम तैयार करता है। इसमें चुनाव की अधिघोषणा, नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तिथि, मतदान की तिथि, मतगणना की तिथि और चुनाव परिणामों की घोषणा आदि बातों का उल्लेख होता है। चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग इस निर्वाचन कार्यक्रम को क्रियान्वित करता है।

3. चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति:
चुनाव आयोग चुनाव करवाने के लिए प्रत्येक राज्य में मुख्य चुनाव अधिकारी और प्रत्येक चुनाव क्षेत्र के लिए एक चुनाव अधिकारी व अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं। चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग का पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर नियंत्रण हो जाता है। निर्वाचन आयोग इन प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को चुनाव सम्बन्धी कार्य देता है।

4. राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता का निर्माण:
निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता है।

5. राजनीतिक दलों को मान्यता तथा चुनाव चिह्न का आवंटन: निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित करता है।

6. अन्य कार्य: निर्वाचन आयोग को स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्णय लेने का अधिकार है।

  1. वह पूरे देश, किसी राज्य या किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों को इस आधार पर स्थगित या रद्द कर सकता है कि वहाँ माकूल माहौल नहीं है तथा स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराना सम्भव नहीं है।
  2. वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दुबारा चुनाव कराने की आज्ञा दे सकता है।
  3. यदि उसे लगे कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से उचित और न्यायपूर्ण नहीं थी तो वह दोबारा मतगणना कराने की भी आज्ञा दे सकता है।

प्रश्न 3.
भारत में चुनावों को निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने हेतु चुनाव सुधार सम्बन्धी सुझाव दीजिए।
उत्तर:
चुनाव सुधार हेतु सुझाव: वयस्क मताधिकार, चुनाव लड़ने की स्वतन्त्रता और एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना को स्वीकार कर भारत में चुनावों को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने की कोशिश की गई है। पिछले 50 वर्षों के अनुभव के बाद इस सन्दर्भ में भारत की चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं।

1. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू की जाये: भारत में चुनाव व्यवस्था के अन्तर्गत ‘सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली’ (फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट-सिस्टम) के स्थान पर किसी प्रकार की समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करनी चाहिए। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेंगी जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेंगे।

2. महिलाओं को आरक्षण दिया जाये: संसद और विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाये जाएँ।

3. धन के प्रभाव पर नियन्त्रण हो: चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियन्त्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान होने चाहिए। सरकार को एक विशेष निधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिए।

4. अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक: जिस उम्मीदवार के विरुद्ध फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए, भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो।

5. जाति: धर्म आधारित चुनावी अपीलों पर प्रतिबन्ध लगे- चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधार पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबन्धित कर देना चाहिए।

6. राजनीतिक दलों को अधिक पारदर्शी तथा लोकतान्त्रिक बनाया जाये: राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली को नियन्त्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधि को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतान्त्रिक बनाने के लिए एक कानून होना चाहिए।

7. जनता की सतर्कता और सक्रियता में वृद्धि आवश्यक; कानूनी सुधारों के अतिरिक्त चुनावों की स्वतन्त्रता व निष्पक्षता के लिए यह भी आवश्यक है कि स्वयं जनता अधिक सतर्क रहते हुए राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रहे। वास्तव में निष्पक्ष और स्वतन्त्र चुनाव तभी हो सकते हैं जब सभी उम्मीदवार, राजनीतिक दल और वे सभी लोग जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं। लोकतान्त्रिक प्रतिस्पर्द्धा की भावना का सम्मान करें।

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प्रश्न 4.
भारत में चुनाव व्यवस्था की सफलता का मापन कीजिए।
अथवा
भारत में चुनाव व्यवस्था ने सफलतापूर्वक अपना कार्य किया है। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए भारत में चुनाव व्यवस्था की सफलता।
उत्तर:
जिन देशों में प्रतिनिध्यात्मक लोकतान्त्रिक व्यवस्था है, वहाँ चुनाव और चुनाव का प्रतिनिधित्व वाला स्वरूप लोकतन्त्र को प्रभावी और विश्वसनीय बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है। भारत में चुनाव व्यवस्था ने अपना कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया है। इसकी सफलता को निम्नलिखित आधारों पर मापा जा सकता है।
1. शान्तिपूर्ण ढंग से सरकारों में परिवर्तन सम्भव: भारतीय चुनाव व्यवस्था ने मतदाताओं को न केवल अपने प्रतिनिधियों को चुनने की स्वतन्त्रता दी है, बल्कि उन्हें केन्द्र और राज्यों में शान्तिपूर्ण ढंग से सरकारों को बदलने का अवसर भी दिया है।

2. मतदाताओं तथा दलों की चुनाव प्रक्रिया में निरन्तर रुचि का होना; भारतीय चुनाव व्यवस्था के अन्तर्गत मतदाताओं ने चुनाव प्रक्रिया में लगातार रुचि ली है और उसमें भाग लिया है। चुनावों में भाग लेने वाले उम्मीदवारों और दलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

3. सभी को साथ लेकर चलना: भारतीय निर्वाचन व्यवस्था में सभी को स्थान मिला है और यह सभी को साथ लेकर चली है। हमारे प्रतिनिधियों की सामाजिक पृष्ठभूमि भी धीरे-धीरे बदली है। अब हमारे प्रतिनिधि विभिन्न सामाजिक वर्गों से आते हैं।

4. अधिकाश चुनाव परिणाम चुनावी अनियमितताओं और धाँधली से अप्रभावित: देश के अधिकतर भागों में चुनाव परिणाम चुनावी अनियमितताओं और धाँधली से प्रभावित नहीं होते, यद्यपि चुनाव में धाँधली करने के अनेक प्रयास किये जाते हैं। फिर भी ऐसी घटनाओं से शायद ही कोई चुनाव परिणाम प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता हो।

5. चुनाव भारत के लोकतान्त्रिक जीवन के अभिन्न अंग: चुनाव भारत के लोकतान्त्रिक जीवन के अभिन्न अंग बन गये हैं। कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि कभी कोई सरकार चुनावों में जनादेश का उल्लंघन भी करेगी। इसी तरह, कोई यह भी कल्पना नहीं कर सकता कि बिना चुनावों के कोई सरकार बन सकेगी। भारत में निश्चित अन्तराल पर होने वाले नियमित चुनावों को एक महान लोकतान्त्रिक प्रयोग के रूप में ख्याति मिली है। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि भारत में निर्वाचन व्यवस्था ने सफलतापूर्वक निर्वाचन कार्य को सम्पन्न किया है। इससे भारत में मतदाता के अन्दर आत्म-विश्वास बढ़ा है तथा मतदाताओं की निगाह में निर्वाचन आयोग का कद बढ़ा है।

प्रश्न 5.
भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को किनके चुनावों के लिए अपनाया गया है? राज्यसभा के चुनावों का विवेचन करते हुए इसके स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का स्वरूप: भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को केवल अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए ही सीमित रूप में अपनाया गया है। भारत का संविधान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का एक जटिल स्वरूप प्रस्तावित करता है जिसे एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहा जाता है। राज्यसभा के चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली समानुपातिक प्रतिनिधित्व के एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का स्वरूप हमें भारत में राज्यसभा के चुनावों में देखने को मिलता है। यथा

1. राज्यवार सीटों की संख्या का निर्धारण: प्रत्येक राज्य को राज्यसभा में सीटों का एक निश्चित कोटा प्राप्त है।

2. मतदाता: राज्यों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा इन सीटों के लिए चुनाव किया जाता है। इसमें राज्य के विधायक ही मतदाता होते हैं।

3. प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में मतदान: मतदाता चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों को अपनी पसन्द के अनुसार एक वरीयता क्रम में मत देता है।

4. कोटा का निर्धारण: जीतने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को मतों का एक कोटा प्राप्त करना पड़ता है, निम्नलिखित फार्मूले के आधार पर निकाला जाता है।
JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व 1
उदाहरण के लिए यदि राजस्थान के 200 विधायकों को राज्यसभा के लिए चार सदस्य चुनने हैं तो विजयी उम्मीदवार को \(\left(\frac{200}{4+1}\right)\) + 1 = \(\frac{200}{5}\) + 1 = 41 वोटों की जरूरत पड़ेगी।

5. मतगणना और परिणाम: जब मतगणना होती है तब उम्मीदवारों को प्राप्त ‘प्रथम वरीयता’ का वोट गिना जाता है। प्रथम वरीयता के आधार पर वोटों की गणना के पश्चात्, यदि प्रत्याशियों की वांछित संख्या वोटों का कोटा प्राप्त नहीं कर पाती तो पुनः मतगणना की जाती है। ऐसे प्रत्याशी को मतगणना से निकल दिया जाता है जिसे प्रथम वरीयता वाले सबसे कम वोट मिले हों। उसके वोटों को दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य प्रत्याशियों को हस्तान्तरित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखा जाता है जब तक वाँछित संख्या में प्रत्याशियों को विजयी घोषित नहीं कर दिया जाता।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

प्रश्न 6.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ की तुलना कीजिए।
उत्तर:
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की तुलना- ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ की तुलना अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की गई है।

1. निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट दिया जाता है जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं। एक निर्वाचन दूसरी तरफ ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ के अन्तर्गत या तो किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को क्षेत्र मानकर पूरे देश को इस प्रकार के बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है या पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र गिना जा सकता है।

2. एकल या बहुल निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर-सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है, जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।

3. वोट प्रत्याशी को या दल को: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है। दूसरी तरफ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत मतदाता पार्टी को वोट देता है।

4. प्राप्त मत और प्राप्त सीटें: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं; जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में ही विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।

6. वोटों के बहुमत का अन्तर-सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली के अन्तर्गत विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं है कि उसे कुल वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत हासिल होता है। सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली के उदाहरण हैं – यूनाइटेड किंगडम और भारत तथा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के उदाहरण हैं- इजरायल और नीदरलैण्ड।