JAC Class 9 Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana अनुच्छेद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Rachana अनुच्छेद-लेखन

अनुच्छेद-लेखन एक अत्यंत महत्वपूर्ण कला है। इसमें किसी विषय से संबंधित तथ्यों को बहुत कम शब्दों में लिखना होता है। वास्तव में अनुच्छेद-लेखन एक तरह की संक्षिप्त लेखन शैली है। इसमें मुख्य विषय को ही केंद्र में रखना होता है। अच्छे अनुच्छेद लेखन के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • भाषा सजीव, शुद्ध तथा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
  • अनुच्छेद का पहला व अंतिम वाक्य अर्थगर्भित व प्रभावशाली होने चाहिए।
  • मुहावरों, लोकोक्तियों तथा सूक्तियों का प्रयोग भाषा के सौष्ठव के लिए करना चाहिए।
  • अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन नहीं करना चाहिए।

1. आत्मनिर्भर भारत

संकेत बिंदु – आत्मनिर्भर का मतलब, आत्मनिर्भरता के विभिन्न उदाहरण, आत्मनिर्भरता से राष्ट्र निर्माण
आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो स्वयं का कौशल है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर स्वयं को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए बहुत कुछ करना है। आप स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण हर संकट मे कर सकेंगे और इसके साथ ही आप अपने राष्ट्र मे भी अपना योगदान दे सकेंगे। आज आत्मनिर्भरता शब्द को नया शब्द नहीं कहा जा सकता।

गाँव मे कुटीर उद्योग के द्वारा बनाए गए उत्पादों और उसकी आमदनी से कमाए गए पैसों से परिवार का खर्च चलाने को ही आत्मनिर्भरता कहा जाता है। कुटीर उद्योग या घर में बनाए गए उत्पादों को अपने आस-पास के बाजारों में ही विक्रय किया जाता है, यदि किसी उत्पाद की गुणवत्ता सर्वविदित हो तो, अन्य जगहों पर भी उसकी खूब माँग होती है। कहने का आशय यह है कच्चे मालों से जो उत्पाद घरों में हमारे जीवन के उपयोग के लिए बनाया जाता है तो हम उसे स्थानीय उत्पाद कहते हैं पर सत्य यही है कि यही आत्मनिर्भता का एक रूप है। कुटीर उद्योग के उत्पाद, मत्स्य पालन, मुरगीपालन, इत्यादि आत्मनिर्भर भारत के विविध उदाहरण हैं।

आत्मनिर्भरता की श्रेणी में खेती, मत्स्य पालन, आँगनबाड़ी आदि अनेक तरह के कार्य आते हैं जो हमारे लिए आत्मनिर्भरता की राह में सहारा बनते हैं। इस प्रकार से हम अपने परिवार से गाँव-गाँव से जनपद, एक दूसरे से जोड़कर देखें तो इस प्रकार पूरे राष्ट्र को योगदान देते हैं। अतः हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रूप में देख सकते है। हम सहजता से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे मालों के द्वारा उत्पादों का निर्माण करके अपने आसपास के बाज़ारों में इसे विक्रय कर सकते हैं। इससे आप स्वयं के साथ – साथ आत्मनिर्भर भारत के पथ में अपना योगदान दे सकते हैं और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण के गांधी के सपने को सुदृढ़ बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

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2. स्वदेश-प्रेम

संकेत बिंदु – ममता का प्रतीक, उत्तरदायित्वों का निर्वहन, सम्मान में विद्धि
जिसके दिल में स्वदेश – प्रेम की रस – धारा नहीं बहती उसका इस संसार में होना, न होना एक समान है। स्वदेश प्रेम मनुष्य की स्वाभाविक ममता का प्रतीक है। संस्कृत के एक कवि ने तो जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया है- ‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’। स्वदेश- प्रेम हर देशवासी में स्वाभाविक रूप से होता है, चाहे कम हो या अधिक। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देना ही सच्चा स्वेदश – प्रेम है। देश-प्रेम की भावना मनुष्य को निःस्वार्थ त्याग और निश्चल प्रेम करना सिखाती है।

प्राणों का बलिदान कर देना ही वास्तव से स्वदेश-प्रेम नहीं है। वैज्ञानिक अपने आविष्कारों से, गुरु देश की भावी पीढ़ी को ज्ञानवान, चरित्रवान एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के योग्य बनाकर, वास्तुकार सुंदर भवनों का निर्माण करके और किसान देशवासियों के लिए अन्न उपजाकर अपना देश-प्रेम प्रकट करते है। वास्तव में स्वदेश-प्रेम वही कहलाता है जिससे हमारे देश की मर्यादा को ठेस न पहुँचे बल्कि उससे हमारे देश के सम्मान में वृद्धि हो।

3. विद्यार्थी और अनुशासन

संकेत बिंदु – अमूल्य निधि, देश की प्रगति, अनुशासित छात्र के गुण
विद्यार्थी का जीवन समाज और देश की अमूल्य निधि होता है। विद्यार्थी समाज की रीढ़ हैं क्योंकि वे ही आगे चलकर राजनेता बनते हैं। देश की बागडोर थामकर राष्ट्र-निर्माता बनते हैं। समाज तथा देश की प्रगति इन्हीं पर निर्भर है। अतएव विद्यार्थी का जीवन पूर्णत: अनुशासित होना चाहिए। वे जितने अनुशासित बनेंगे उतना ही अच्छा समाज व देश बनेगा। विद्यार्थी जीवन को सुंदर बनाने के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है। अनुशासन की शिक्षा स्कूल की परिधि में ही संभव नहीं है। घर से लेकर स्कूल, खेल के मैदान, समाज के परकोटों तक में अनुशासन की शिक्षा ग्रहण की जा सकती है। अनुशासनप्रियता विद्यार्थी के जीवन को जगमगा देती है। विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि उन्हें पढ़ने के समय पढ़ना और खेलने के समय खेलना चाहिए।

एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना, बड़ों का आदर करना, छोटों से स्नेह करना ये सभी अनुशासित छात्र के गुण हैं। जो छात्र माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा मानते हैं, वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं तथा उनका जीवन अच्छा बनता है। वे आत्मविश्वासी, स्वावलंबी तथा संयमी बनते हैं और जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। अनुशासन से जीवन सुखमय तथा सुंदर बनता है। अनुशासनप्रिय व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को सुगमता से प्राप्त कर लेते हैं। हमें चाहिए कि अनुशासन में रहकर अपने जीवन को सुखी, संपन्न एवं सुंदर बनाएँ।

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4. वन – महोत्सव या वृक्षारोपण

संकेत बिंदु – आवश्यकताओं की पूर्ति, विविध लाभ, वृक्षारोपण की अति आवश्यकता
प्राचीन समय में मनुष्य की भोजन, वस्त्र, आवास आदि आवश्यकताएँ वृक्षों से पूरी होती थीं। फल उसका भोजन था, वृक्षों की छाल और पत्तियाँ उसके वस्त्र थे और लकड़ी तथा पत्तियों से बनी झोंपड़ियाँ उसका आवास थीं। फिर आग जलाने की जानकारी होने पर ऊष्मा और प्रकाश भी वृक्षों से प्राप्त किया जाने लगा।

आधुनिक युग में भी वृक्षों की महिमा- गरिमा सर्वोपरि है। आज भी वृक्ष मानव-जीवन के आधार हैं। विविध प्रकार के फल वृक्षों से ही संभव हैं। प्रकृति की नयनाभिराम छवि वृक्ष ही प्रदान कर सकते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी वनों से मिलती हैं। वन मानव-जीवन के लिए एक निधि है, परंतु जनसंख्या के बढ़ने पर पेड़ कटते गए और ज़मीन खेती करने और रहने के योग्य बनती गई। भारत में बहुत-से घने वन थे, परंतु धीरे-धीरे वनों का नाश भयंकर रूप धारण करने लगा।

नए पेड़ों को लगाने का काम संभव न हो सका। स्वतंत्रता के बाद इसकी ओर ध्यान गया और देश में वन महोत्सव को राष्ट्रीय दिवस के रूप में ही मनाया जाने लगा। यह उत्सव सारे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वृक्ष तथा वनस्पतियाँ हवा को शुद्ध करते हैं, वर्षा करते हैं तथा वातावरण को संतुलित रखते हैं। साँस लेने के लिए तथा जीवित रहने के लिए पशु-पक्षी और मानव जगत को जिस गैस की आवश्यकता होती है वह ऑक्सीजन गैस वृक्षों से ही प्राप्त होती है।

आज भविष्य की चिंता किए बिना हमने अपनी आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं के लिए वृक्षों का अंधाधुंध सफाया शुरू कर दिया है। जनसंख्या बढ़ती जा रही है, परंतु वन घटते जा रहे हैं। हम उनका विकास किए बिना उनसे अधिक-से-अधिक सामग्री कैसे प्राप्त कर सकते हैं वृक्षों के महत्व से कौन इनकार कर सकता है। अतएव प्रत्येक गाँव में वृक्ष लगाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश की जनता भी इस संदर्भ में कर्तव्य से अवगत हो रही है। वह वृक्षों के विकास के लिए प्रयत्नशील है। हर वर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है। वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है।

5. शिक्षा में खेल का महत्व

संकेत बिंदु – चुस्ती और फुरती, मनोरंजन का आधार, शारीरिक तथा मानसिक विकास
विद्यार्थी – जीवन में खेलों का बड़ा महत्व है। पुस्तकों में उलझकर थका-माँदा विद्यार्थी जब खेल के मैदान में जाता है तो उसकी थकावट तुरंत गायब हो जाती है। विद्यार्थी अपने में चुस्ती और ताज़गी अनुभव करता है। मानव-जीवन में सफलता के लिए मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्तियों के विकास से जीवन संपूर्ण बनता है। खेल दो प्रकार के होते हैं। एक वे जो घर में बैठकर खेले जा सकते हैं।

इनमें व्यायाम कम तथा मनोरंजन ज़्यादा होता है, जैसे- शतरंज, ताश, कैरमबोर्ड आदि। दूसरे प्रकार के खेल मैदान में खेले जाते हैं, जैसे- क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बॉस्केटबॉल, कबड्डी आदि। इन खेलों में व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। स्वस्थ, प्रसन्न, चुस्त और फुर्तीला रहने के लिए शारीरिक शक्ति का विकास ज़रूरी है। इस पर ही मानसिक तथा आत्मिक विकास संभव है। शरीर का विकास खेल – कूद पर निर्भर करता है। सारा दिन काम करने और खेल के मैदान का दर्शन न करने से होशियार विद्यार्थी भी मूर्ख बन जाते हैं। यदि हम सारा दिन कार्य करते रहें तो शरीर में घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती छा जाती है।

ज़रा खेल के मैदान में जाइए, फिर देखिए घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती कैसे दूर भागते हैं। शरीर हलका-फुलका और साहसी बन जाता है। मन में और अधिक कार्य करने की लगन पैदा होती है। खेलों द्वारा मिल-जुलकर काम करने की भावना पैदा होती है। विद्यार्थी सहयोग से सब काम करते हैं। यह सहयोग की भावना उनके भावी जीवन में काम आती है। खेलों द्वारा एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना दृढ़ होती है। इस प्रकार विद्यार्थी जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़ में लगे रहते हैं। प्रत्येक विद्यालय में ऐसे खेलों का प्रबंध होना चाहिए, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी भाग लेकर अपना शारीरिक तथा मानसिक विकास कर सके।

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6. गणतंत्र दिवस

संकेत बिंदु – प्रतिवर्ष आयोजन, राष्ट्रीय इतिहास, दृढ़ संकल्प
यद्यपि भारत की पवित्र भूमि पर प्रतिवर्ष अनेक पर्व तथा उत्सव मनाए जाते हैं। इन पर्वों का अपना विशेष महत्व होता है, किंतु धार्मिक तथा सांस्कृतिक पर्वों के अतिरिक्त कुछ ऐसे पर्व हैं, जिनका संबंध सारे राष्ट्र तथा उसमें निवास करने वाले जन-जीवन से होता है, ये राष्ट्रीय पर्वों के नाम से प्रसिद्ध हैं। 26 जनवरी इन्हीं में से एक है। छब्बीस जनवरी राष्ट्रीय पर्वों में महापर्व है, क्योंकि मुक्ति संघर्ष के बाद राष्ट्रीय इतिहास में राष्ट्र को सर्वप्रभुत्ता – संपन्न गणतंत्रात्मक गणराज्य का स्वरूप प्रदान करने का श्रेय इसी पुण्य तिथि को है। भारतीय गणतंत्रात्मक लोकराज्य का स्व-निर्मित संविधान इसी पुण्य तिथि को कार्य रूप में परिणत हुआ था।

स्वाधीनता-प्राप्ति के पश्चात भारतीय नेताओं ने 26 जनवरी के दिन नवीन विधान को भारत पर लागू करना उचित समझा। 26 जनवरी, 1950 को प्रातः काल अंतिम गवर्नर जनरल सी० राज गोपालाचार्य ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद को कार्यभार सौंपा था। यद्यपि यह समारोह देश के प्रत्येक ओर-छोर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है, किंतु भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा देखते ही बनती है। मुख्य समारोह – सलामी व पुरस्कार वितरण आदि तो इंडिया गेट पर ही होता है। पर शोभा यात्रा नई दिल्ली की प्रायः सभी सड़कों पर घूमती है।

इसके साथ तीनों सेनाएँ घुड़सवार, टैंक, मशीन गनें, टैंकनाशक तोपें, विध्वंसक तथा विमान भेदी आदि यंत्र रहते हैं। विभिन्न प्रांतों के लोग नृत्य तथा शिल्प आदि का प्रदर्शन करते हैं। इस दिन राष्ट्रवासियों का आत्म-निरीक्षण भी करना चाहिए और सोचना चाहिए कि हमने क्या खोया तथा क्या पाया है, अपनी निश्चित की गई योजनाओं में हमें कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है। हमने जो लक्ष्य निर्धारित किए थे क्या हम वहाँ तक पहुँच पाए हैं। इस दृष्टि से आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए।

7. स्वतंत्रता दिवस

संकेत बिंदु – चिरस्मरणीय दिवस, दीर्घ संघर्ष का परिणाम, सहयोग की शपथ
15 अगस्त, 1947 भारतीय इतिहास में एक चिर – स्मरणीय दिवस रहेगा। इस दिन शताब्दियों से भारत माता की गुलामी के बंधन टूक-टूक हुए थे। भारतीय समाज के लिए दुखों की काली रात्रि समाप्त हो गई थी। एक स्वर्णिम प्रभात आ गया था। सबने शांति एवं सुख की साँस ली। स्वतंत्रता दिवस हमारा सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रसन्नता का त्योहार है। इस दिन के साथ गुँथी हुई बलिदानियों की अनेक गाथाएँ हमारे हृदय में स्फूर्ति और उत्साह भर देती हैं। देश के वीरों ने इस स्वतंत्रता यज्ञ में जो आहुति डाली, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई मिलती है। देश के भक्त वीरों ने स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।

देशवासी स्वतंत्रता संघर्ष में लंबे समय तक लगे रहे और उन सबके प्रयत्नों और बलिदानों से 15 अगस्त का शुभ दिन आया जब हमारा देश आज़ाद हो गया। स्वतंत्रता दिवस भारत के प्रत्येक नगर-नगर, ग्राम – ग्राम में बड़े उत्साह तथा प्रसन्नता से मनाया जाता है। इसे भिन्न-भिन्न संस्थाएँ अपनी ओर से मनाती हैं और सरकार सामूहिक रूप से इस उत्सव को विशेष रूप से रोचक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।

स्वतंत्रता संघर्ष का अमर प्रतीक हमारा राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज जब नील गगन में फहराता है तो प्रत्येक भारतीय उछल पड़ता है। 15 अगस्त, 1947 के दिन कुछेक मनोरंजक कार्यक्रम संपन्न कर लेने से ही हमारा कर्तव्य खत्म नहीं हो जाता है, बल्कि इस दिन से हमें देश की विकास योजनाओं में पूरा सहयोग देने की शपथ लेनी चाहिए। देश में फैले हुए जातीय भेद-भाव दूर करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। बेकारी की समस्या को जड़ मूल से उखाड़ फेंकने की नवीनतम योजनाएँ सोचनी चाहिए।

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8. भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड का दृश्य

संकेत बिंदु – बस अड्डों पर भारी भीड़, तरह-तरह की आवाज़ें, चहल-पहल
विज्ञान ने यातायात व्यवस्था को बहुत ही सुचारु बना दिया है। बस यातायात अत्यधिक लोकप्रिय होने से बस अड्डों पर भारी भीड़ जमा हो जाती है। बड़े शहरों के बस अड्डों पर मेला ही लगा रहता है। ऐसे ही भीड़-भाड़ वाले बस अड्डे का मैं यहाँ उल्लेख कर रहा हूँ। पिछले रविवार मैं अपने मित्र को विदा करने के लिए जालंधर बस स्टैंड पर पहुँचा। दिन के दो बजे थे। गर्मी का बहुत ज़ोर था। रिक्शा से उतरकर मैं पहले लोकल बस स्टैंड से होता हुआ मुख्य बस अड्डे पर पहुँचा।

यात्री विभिन्न बसों में जाने के लिए पंक्तियों में टिकट लेने के लिए खड़े थे। मेरा मित्र भी लुधियाना की टिकट लेने के लिए एक लाइन में लग गया। इसी समय अखबार वालों, बूट पॉलिश करने वालों, आइसक्रीम वालों और मनियारी का सामान बेचने वालों की आवाजें आने लगीं। पुलिस कर्मचारी भी इधर-उधर घूम रहे थे। अचानक दृष्टि एक बुक स्टॉल पर गई। मैं झट वहाँ पहुँच गया। मैंने कुछ पत्रिकाएँ खरीदीं। इतने में मेरा मित्र बस की टिकट ले आया। बस स्टैंड पर आ चुकी थी। मैंने सामान बस में रखने में मित्र की सहायता की।

कुली बस पर लोगों का सामान चढ़ा रहे थे | हॉकर सामान बेचने के लिए आवाज़ें लगा रहे थे। बहुत से लोग मेरी तरह अपने मित्रों या संबंधियों को विदा करने आए हुए थे। चारों ओर अपरिचित लोग एक-दूसरे को देख रहे थे। बस यात्रियों से भर चुकी थी। कंडक्टर आ चुका था। उसने सीटी बजाई। ड्राइवर अगली खिड़की से बस में सवार हुआ। उसने इंजन स्टार्ट किया और बस धीमी गति से चल पड़ी। वहाँ खड़े लोग अपने मित्रों और संबंधियों को हाथ हिला-हिलाकर विदा कर रहे थे। कुछ ही देर में बस अड्डे से बाहर चली गई। इस प्रकार बस के चले जाने पर भी बस अड्डे पर चहल-पहल पहले जैसी ही थी। मैं इस वातावरण में खो सा गया। धीरे-धीरे मैं बस अड्डे से बाहर की ओर मुड़ा और बाहर पहुँचकर मैं घर की ओर चल दिया।

9. कंप्यूटर- आज की आवश्यकता

संकेत बिंदु – लोकप्रियता, जटिल समस्याओं का समाधान, दिनों-दिन विकास
विज्ञान ने मनुष्य को अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं। इन सुविधाओं में कंप्यूटर का विशिष्ट स्थान है। कंप्यूटर के प्रयोग से प्रत्येक कार्य को अविलंब किया जा सकता है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। प्रत्येक उन्नत और प्रगतिशील देश स्वयं को कंप्यूटरमय बना रहा है। भारत में भी कंप्यूटर के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। कंप्यूटर ऐसे यांत्रिक मस्तिष्कों का रूपात्मक तथा समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व है, जो तीव्रतम गति से न्यूनतम समय में अधिक-से-अधिक काम कर सकता है। गणना के क्षेत्र में इसका विशेष महत्व है।

विज्ञान ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक गणनायंत्रों का आविष्कार किया है पर कंप्यूटर की तुलना किसी से भी संभव नहीं। चार्ल्स बेवेज ने 19वीं शताब्दी के आरंभ में सबसे पहला कंप्यूटर बनाया था। इस कंप्यूटर की यह विशेषता थी कि यह लंबी-लंबी गणनाओं को करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था। कंप्यूटर स्वयं ही गणना कर जटिल-से-जटिल समस्याओं का समाधान शीघ्र ही कर देता है। भारतीय बैंकों तथा अन्य उपक्रमों के खातों का संचालन तथा हिसाब-किताब रखने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। समाचार-पत्रों तथा पुस्तकों के प्रकाशन में भी कंप्यूटर अपनी विशेष भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

कंप्यूटर संचार का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है। ‘कंप्यूटर नेटवर्क’ के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है। आधुनिक कंप्यूटर डिज़ाइन तैयार करने में भी सहायक हो रहा है। भवनों, मोटर गाड़ियों, हवाई जहाज़ों आदि के डिज़ाइन तैयार करने में ‘कंप्यूटर ग्राफ़िक’ का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कंप्यूटर ने अपना अद्भुत कमाल दिखाया है। इसके माध्यम से अंतरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे हैं। इन चित्रों का विश्लेषण भी कंप्यूटर के माध्यम से ही किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में, युद्ध के क्षेत्र में तथा अन्य अनेक क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग परीक्षा – फल के निर्माण में, अंतरिक्ष यात्रा में, मौसम संबंधी जानकारी में, चिकित्सा में तथा चुनाव में भी किया जा रहा है। इस प्रकार भारत में कंप्यूटर का प्रयोग दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

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10. मेरे जीवन का लक्ष्य

संकेत बिंदु – योजनाओं का निर्माण, समाज सेवा का चयन, अटल लक्ष्य
मनुष्य अनेक कल्पनाएँ करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए योजनाएँ बनाता है। कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शक्ति किसी-किसी के पास होती है। सपनों में सब घूमते हैं। सभी अपने सामने कोई-न-कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं। विभिन्न व्यक्तियों के विभिन्न लक्ष्य होते हैं। कोई डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनकर निर्माण करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनना चाहता है तो कोई व्यापारी। मेरे मन में भी एक कल्पना है। मैं अध्यापक बनना चाहता हूँ। भले ही कुछ लोग इसे साधारण उद्देश्य समझें पर मेरे लिए यह गौरव की बात है। देश सेवा और समाज सेवा का सबसे बड़ा साधन यही है।

मैं व्यक्ति की अपेक्षा समाज और समाज की अपेक्षा राष्ट्र को अधिक महत्व देता हूँ। स्वार्थ की अपेक्षा परमार्थ को महत्व देता हूँ। मैं मानता हूँ कि जो ईंट नींव बनती है, महल उसी पर खड़ा होता है। मैं धन, कीर्ति और यश का भूखा नहीं। मेरे सामने तो राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का यह सिद्धांत रहता है ‘समष्टि के लिए व्यष्टि हों बलिदान’। विद्यार्थी देश की नींव है। मैं उस नींव को मज़बूत बनाना चाहता हूँ। यदि स्वामी दयानंद, विवेकानंद और शिवाजी जैसे महान व्यक्ति पैदा करने हैं तो अपने व्यक्तित्व को भी ऊँचा उठाना पड़ेगा। आज भारत को आदर्श नागरिकों की आवश्यकता है। आदर्श शिक्षा द्वारा ही उच्चकोटि के व्यक्ति पैदा किए जा सकते हैं। अध्यापक बनने का मेरा निश्चय अटल है। शेष ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है।

11. मेरा प्रिय लेखक

संकेत बिंदु – योगदान, स्वतंत्र विचारधारा, साहित्य जीवन का दर्पण
हिंदी – साहित्य को उन्नत बनाने में अनेक कलाकारों ने योगदान दिया है। प्रत्येक कलाकार का अपना महत्व है, पर प्रेमचंद जैसा असाधारण कलाकार किसी भी देश को बड़े सौभाग्य से मिलता है। यदि उन्हें भारत का गोर्की कहा जाए तो गलत नहीं होगा। प्रेमचंद के उपन्यासों में लोक जीवन के व्यापक चित्रण तथा सामाजिक समस्याओं के गहन विश्लेषण को देखकर कहा गया है कि प्रेमचंद के उपन्यास भारतीय जनजीवन के मुँह-बोलते चित्र हैं। इसी कारण मैं इन्हें अपना प्रिय लेखक मानता हूँ। जन्म वाराणसी के निकट लमही ग्राम में सन 1880 ई० में हुआ।

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उनका बचपन संकटों में बीता। कठिनाई से बी०ए० किया और शिक्षा विभाग में नौकरी की किंतु उनकी स्वतंत्र विचारधारा आड़े आई। नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखी ‘सोजे वतन’ पुस्तक अंग्रेज़ सरकार ने जब्त कर ली। इसके पश्चात उन्होंने प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू किया। प्रेमचंद ने एक दर्जन उच्चकोटि के उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनके उपन्यासों में गोदान, कर्मभूमि, गबन तथा सेवासदन आदि प्रसिद्ध हैं। कहानियों में पूस की रात तथा कफ़न अत्यंत मार्मिक हैं। प्रेमचंद को आदर्शोन्मुख यथार्थवादी साहित्यकार कहा जाता है।

वे मानते थे कि साहित्य समाज का चित्रण करता है किंतु साथ ही समाज के सामने एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करता है जिसके सहारे लोग अपने चरित्र को ऊँचा उठा सकें। प्रेमचंद की भाषा सरल तथा मुहावरेदार है। उन्होंने ऐसी भाषा अपनाई जिसे जनता बोलती और समझती थी। यह खेद की बात है कि हिंदी का यह महान सेवक जीवन भर आर्थिक संकटों में घिरा रहा। जीवन भर अथक परिश्रम के कारण स्वास्थ्य गिरने लगा और सन 1936 में हिंदी के उपन्यास सम्राट का देहांत हो गया। उनका साहित्य भारतीय जीवन का दर्पण है। उनके साहित्यिक आदर्श बड़ा मूल्य रखते हैं।

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12. मेरी प्रिय पुस्तक

संकेत बिंदु – अमर रचना, मूल संदेश, अमर और दिव्य वाणी
रामचरितमानस, मेरी सर्वप्रिय पुस्तक है। यह पुस्तक महाकवि तुलसीदास का अमर रचना है। तुलसीदास ही क्यों, वास्तव में इससे हिंदी साहित्य समृद्ध होकर समस्त जगत को आलोक दे रहा है। इसकी श्रेष्ठता का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह कृति संसार की प्राय: सभी समृद्ध भाषाओं में अनुदित हो चुकी है। रामचरितमानस, मानव-जीवन के लिए अमूल्य निधि है। पत्नी का पति के प्रति, भाई का भाई के

प्रति, बहू का सास-ससुर के प्रति, पुत्र का माता-पिता के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए आदि इस कृति का मूल संदेश है। यह ग्रंथ दोहा – चौपाई में लिखा महाकाव्य है। ग्रंथ में सात कांड हैं जो इस प्रकार हैं – बाल – कांड, अयोध्या – कांड, अरण्य-कांड, किष्किंधा – कांड, सुंदर कांड, लंका – कांड तथा उत्तर – कांड। हर कांड भाषा, भाव आदि की दृष्टि से पुष्ट और उत्कृष्ट है और हर कांड के आरंभ में संस्कृत के श्लोक हैं। तत्पश्चात कला फलागम की ओर बढ़ती है। यह ग्रंथ अवधी भाषा में और दोहा – चौपाई में लिखा हुआ है। चरित्रों का चित्रण जितना प्रभावशाली तथा सफल इसमें हुआ है उतना हिंदी के अन्य किसी महाकाव्य में नहीं हुआ।

राम, सीता, लक्ष्मण, दशरथ, भरत आदि के चरित्र विशेषकर उल्लेखनीय तथा प्रशंसनीय हैं। इस पुस्तक के पढ़ने से प्रतिदिन की पारिवारिक, सामाजिक आदि समस्याओं को दूर करने की प्रेरणा मिलती है। परलोक के साथ-साथ इस लोक में कल्याण का मार्ग दिखाई देता है और मन में शांति का सागर उमड़ पड़ता है। बार- बार पड़ने को मन चाहता है। रामचरितमानस में नीति, धर्म का उपदेश जिस रूप में दिया गया है वह वास्तव में प्रशंसनीय है।

जीवन के प्रत्येक रस का संचार किया है और लोक-मंगल की उच्च भावना का समावेश भी किया गया है। यह वह पतित पावनी गंगा है, जिसमें डुबकी लगाते ही सारा शरीर शुद्ध हो उठता है तथा एक मधुर रस का संचार होता है। सहृदय भक्तों के लिए यह दिव्य तथा अमर वाणी है। उपर्युक्त विवेचन के अनुसार अंत में कह सकते हैं कि रामचरितमानस साहित्यिक तथा धार्मिक दृष्टि से उच्चकोटि की रचना है, जो अपनी उच्चता तथा भव्यता की कहानी स्वयं कहती है, इसलिए मैं इसे अपनी प्रिय पुस्तक मानता हूँ।

13. प्रातः काल का भ्रमण

संकेत बिंदु – विशेष महत्व, सर्वत्र आनंद, तब जीवन का संचार
मनुष्य को सबसे पहले अपनी सेहत की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि हमारे बहुत-से कर्तव्य हैं। ये महत्व कर्तव्य बिना अच्छे स्वास्थ्य के पूरे नहीं हो सकते। स्वास्थ्य रक्षा के अनेक साधन हैं। इन साधनों में प्रातः काल का भ्रमण विशेष महत्व रखता है। दिन के सभी भागों में प्रातः काल सबसे मनोहर तथा चेतनामय होता है। रात्रि के बाद उषा की मधुर मुसकान मन को मोह लेती है।

पृथ्वी के कण-कण में एक नया उल्लास, नया संगीत, नया जीवन छा जाता है। ऐसे मंगलमय समय में भ्रमण करना लाभकारी है। प्रातः काल प्रकृति दोनों हाथों से स्वास्थ्य लुटाती है। विभिन्न ऋतुओं की सुगंधित वायु उसी समय चलती है। सर्वत्र आनंद ही आनंद छाया होता है। सुगंधि से भरे फूल खिलखिलाकर हँसते हुए कितने मोहक होते हैं। बेलों से झड़े फूल पृथ्वी का श्रृंगार करते हुए दिखाई देते हैं। चारों ओर फैली हरियाली नेत्रों को आनंद से भर देती है। पक्षियों का चहचहाना मन को प्रसन्नता से भर देता है।

पूर्व के आकाश पर मुसकराता हुआ प्रातः काल का सूर्य और अस्त होता हुआ चंद्रमा दोनों भगवान के दो नेत्रों की तरह आँख-मिचौली करते दिखाई देते हैं। ऐसे समय भ्रमण करने वाला मनुष्य स्वस्थ ही नहीं, दीर्घ आयु वाला भी होता है। प्रातः काल के भ्रमण से शरीर में फुर्ती और नए जीवन का संचार होता है। मन खुशी से भर जाता है। सारा दिन काम करने पर मनुष्य थकता नहीं। मुख पर तेज़ छाया रहता है। स्वच्छ वायु से रक्त शुद्ध होता है। फेफड़ों को बल मिलता है। मोती के समान ओस की बूँदों से सजी घास पर चलने से मुनष्य का मस्तिष्क रोगों से मुक्त होता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति प्रातः काल भ्रमण को निकल जाते हैं, उनका सारा दिन हँसते हुए बीतता है। अतः भ्रमण की आदत डालनी चाहिए।

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14. वर्षा ऋतु

संकेत बिंदु – असली समय, अनोखी कल्पनाएँ, प्रकृति का मधुर संगीत

धानी चुनर ओढ़ धरा की दुल्हन जैसी मुसकराती है।
नई उमंगें, नई तरंगें, लेकर वर्षा ऋतु आती है।

वैसे तो आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है, लेकिन इसके असली महीने सावन और भादों हैं। धरती का ” शस्य श्यामलाम् सुफलाम् नाम सार्थक हो जाता है। इस ऋतु में किसानों की आशा – लता लहलहा उठती है। नदियों, सरोवरों एवं नालों के सूखे हृदय प्रसन्नता के जल से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु में प्रकृति मोहक रूप धारण कर लेती है। इस ऋतु में मोर नाचते हैं। औषधियाँ – वनस्पतियाँ लहलहा उठती हैं। खेती हरी- भरी हो जाती है। किसान खुशी में झूमने लगते हैं। पशु-पक्षी आनंदमग्न हो उठते हैं। बच्चे किलकारियाँ मारते हुए इधर से उधर दौड़ते-भागते, खेलते- कूदते हैं। स्त्री-पुरुष हर्षित हो जाते हैं। वर्षा की पहली बूँदों का स्वागत होता है।

वर्षा प्राणी मात्र के लिए जीवन लाती है। जीवन का अर्थ पानी भी है। वर्षा होने पर नदी-नाले, तालाब, झीलें, कुएँ पानी से भर जाते हैं। अधिक वर्षा होने पर चारों ओर जल ही जल दिखाई देता है। कई बार भयंकर बाढ़ आ जाती है। पुल टूट जाते हैं; खेती तबाह हो जाती है। सच है कि प्रत्येक वस्तु की अति बुरी होती है। वर्षा न होने को ‘अनावृष्टि’ कहते हैं। बहुत वर्षा होने को ‘अतिवृष्टि’ कहते हैं। दोनों ही हानिकारक हैं। जब वर्षा न होने से सूखा पड़ता है, तब अकाल पड़ जाता है। वर्षा से अन्न, चारा, घास, फल आदि पैदा होते हैं जिससे मनुष्यों तथा पशुओं का जीवन – निर्वाह होता है। सभी भाषाओं के कवियों ने ‘बादल’ और ‘वर्षा’ पर बड़ी सुंदर-सुंदर कविताएँ रची हैं; अनोखी कल्पनाएँ की हैं। संस्कृत, हिंदी आदि के कवियों ने सभी ऋतुओं के वर्णन किए हैं।

ऋतु- वर्णन की पद्धति बड़ी लोकप्रिय रही है। श्रावण की पूर्णमासी को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन वर्षा ऋतु का प्रसिद्ध त्योहार है। वर्षा में कीट- पतंगे, मच्छर बहुत बढ़ जाते हैं। साँप आदि जीव बिलों से बाहर निकल आते हैं। वर्षा होते हुए कई दिन हो जाएँ तो लोग तंग आ जाते हैं। रास्ते रुक जाते हैं। गाड़ियाँ बंद हो जाती हैं। वर्षा की अधिकता कभी-कभी बाढ़ का रूप धारण कर जन-जीवन के लिए अभिशाप बन जाती है। निर्धन व्यक्ति का जीवन तो दुख की दृश्यावली बन जाता है।

इन दोषों के होते हुए भी वर्षा का अपना महत्व है। यदि वर्षा न होती तो इस संसार में कुछ भी न होता। न आकाश में इंद्रधनुष की शोभा दिखाई देती और न प्रकृति का मधुर संगीत सुनाई देता। इससे पृथ्वी की प्यास बुझती है और वह तृप्त हो जाती है।

15. आज की भारतीय नारी

संकेत बिंदु – महत्वपूर्ण अंग, कर्तव्य क्षेत्र, देश की उन्नति में भूमिका
नर तथा नारी समाज के दो महत्वपूर्ण अंग हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इतिहास में कई बार ऐसा दिखाई देता है कि पुरुष समाज को नारी – समाज पर श्रेष्ठता प्राप्त रही है। स्त्री को माता का जो महान और भव्य रूप भारतीय शास्त्रकारों ने दिया है, वह संसार के किसी भी देश के इतिहास में उपलब्ध नहीं होता। लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे चरण भी आए, जब नारी की उपेक्षा की गई और उसे भोग की वस्तु बना दिया गया। विशेष कर मध्यकाल में नारी की दशा शोचनीय बन गई। लेकिन आधुनिक काल में नारी ने करवट ली और अपना कायाकल्प कर डाला।

वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने लगी। आज की नारी अपनी दोहरी भूमिका का निर्वाह कर रही है। उसके कर्तव्य का क्षेत्र पहले से बढ़ गया है। आज एक ओर वह विवाहित रूप में घर का उत्तरदायित्व सँभालती है, तो दूसरी ओर बाहर के क्षेत्र में काम करके और कुछ कमाकर घर का खर्च चलाने में हाथ बँटाती है। अविवाहित नारी भी बाहरी क्षेत्र में अपनी क्षमता का परिचय देकर कुछ अर्जित करके परिवार की आर्थिक दशा सुधारने में अपना योगदान देती है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ नारी ने अपनी प्रतिभा का परिचय न दिया हो। राजनीति के क्षेत्र में भी उसने कदम बढ़ाए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो उसका बोलबाला है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी वह अपनी कुशलता का परिचय दे रही है। सरकारी कार्यालयों में वह पुरुष के बराबर काम कर रही है। कामकाजी महिलाओं की निरंतर वृद्धि हो रही है।

आज की नारी प्राचीनता की केंचुली उतारकर एक नए आलोक की ओर बढ़ रही है। स्वतंत्रता – प्राप्ति तथा नवजागरण के बाद नारी के कर्तव्य क्षेत्र का विस्तार हुआ है। उसने घर और बाहर सुंदर समन्वय किया है। आज की बढ़ती हुई महँगाई में ऐसी ही नारियों की आवश्यकता है। आज आवश्यकता है नारी के महत्व को समझने की। उसे पुरुष के समान ही आदर देना चाहिए। घर में लड़का हो या लड़की, दोनों के प्रति एक-सा दृष्टिकोण हो; एक-सी सुविधाएँ प्राप्त हों, तो नारी निश्चित रूप से परिवार, समाज तथा देश की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नारी का भी यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता का अनुचित प्रयोग न करे, मर्यादित जीवन व्यतीत करे तथा परिवार के प्रति पूरी आस्था रखे।

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16. जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत

संकेत बिंदु – सामाजिक प्राणी, नाशकारी कुसंग, सच्चे व्यक्ति की संगति
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक वह समाज से संपर्क स्थापित नहीं करता, तब तक उसके जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। समाज में कई प्रकार के लोग होते हैं – कुछ सदाचारी हैं, तो कुछ दुराचारी। अतः हमें ऐसे लोगों का संग करना चाहिए जो हमारे जीवन को उन्नति एवं निर्मल बनाएँ। अच्छी संगति पर प्रभाव अच्छा तथा बुरी संगति का प्रभाव बुरा होता है। तभी तो कहा है- जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत यह ठीक भी है, क्योंकि दुष्टों के साथ रहने वाला व्यक्ति भला हो ही नहीं सकता। संगति का प्रभाव जाने अथवा अनजाने मनुष्य पर अवश्य पड़ता है। बचपन में जो बालक परिवार अथवा मोहल्ले में जो कुछ सुनते हैं, प्रायः उसी को दोहराते हैं।

गाली सुनने से ही गाली देने की आदत पड़ती है। कहा भी गया है, “दुर्जन यदि विद्वान भी हो तो उसका संग छोड़ देना चाहिए। मणि धारण करने वाला साँप क्या भयंकर नहीं होता?” सत्संगति का हमारे चरित्र के निर्माण में बड़ा हाथ है। बुरी संगति के प्रभाव का परिणाम बड़ा भयंकर होता है; मनुष्य कहीं का नहीं रहता। वह न परिवार का कल्याण कर सकता है और न ही देश और जाति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह कर सकता है। कुसंग नाशकारी है तो सुसंग कल्याणकारी। सूरदास जी ने तो दुष्ट व्यक्ति के विषय में यहाँ तक कह दिया है – ‘सूरदास’ खल कारी कामरि चढ़त न दूजो रंग सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और विवेक के बिना जीवन का निर्माण नहीं हो सकता। सज्जन का संग सुखकारी एवं कल्याणकारी होता है। कबीर ने सच्चे साधु की संगति के विषय में ठीक ही कहा है –

कबीरा संगत साध की, ज्यों गंधी की बास।
जो कछु गंधी दे नहीं, तो भी बास सुवास॥

मनुष्य के जीवन की सफलता तथा असफलता उसकी संगति पर निर्भर करती है। यदि हम जीवन में सफलता चाहते हैं, तो अपनी संगति की तरफ़ ध्यान दें। सत्य सत्य को जन्म देता है; अच्छाई अच्छाई को जन्म देती है; बुराई से बुराई उत्पन्न होती है- यह कभी न भूलें।

17. प्रथम सुख नीरोगी क्या

संकेत बिंदु – नियमित व्यायाम, नीरोग जीवन, जागरूकता
मानव तभी सुखी रह सकता है जब उसका शरीर स्वस्थ हो। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक है। व्यायाम करने से शारीरिक सुखों के साथ-साथ मनुष्य को मानसिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है क्योंकि इससे उसका मन भी सदा स्फूर्तिमय, उत्साहपूर्ण तथा आनंदमय बना रहता है। महर्षि चरक ने लिखा है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है। यह बात अपने में नितांत सत्य है। मानव-जीवन की सफलता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने में ही निहित है परंतु सब की आधारशिला मनुष्य का स्वास्थ्य है, उसका नीरोग जीवन है।

रुग्ण और अस्वस्थ मनुष्य न धर्मचिंतन कर सकता है, न अर्थोपार्जन कर सकता है, न काम प्राप्ति कर सकता है, और न ही मानव-जीवन के सबसे बड़े स्वार्थ मोक्ष की ही उपलब्धि प्राप्त कर सकता है क्योंकि इन सबका मूल आधार शरीर है, इसलिए कहा गया है कि- “शरीरमादद्यम् खलु धर्मसाधनम्”। अस्वस्थ व्यक्ति न अपना कल्याण कर सकता है, न अपने परिवार का, न अपने समाज की उन्नति कर सकता है और न ही देश की। जिस देश के व्यक्ति अस्वस्थ और अशक्त होते हैं, वह देश न आर्थिक उन्नति कर सकता है और न सामाजिक। देश का निर्माण, देश की उन्नति, बाह्य और आंतरिक शत्रुओं से रक्षा, देश का समृद्धिशाली होना वहाँ के नागरिकों पर आधारित होता है। सभ्य और अच्छा नागरिक वही हो सकता है जो तन, मन, धन से देशभक्त हो तथा मानसिक और आत्मिक स्थिति में उन्नत हो।

इन दोनों ही क्रमों में शरीर का स्थान प्रथम है। बिना शारीरिक उन्नति के मनुष्य न देश की रक्षा कर सकता है और न अपनी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। प्राय: यह देखा जाता है कि बौद्धिक काम करने वाले लोगों का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, अतः उनके लिए व्यायाम की आवश्यकता अधिक रहती है। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें तथा जीवन के व्यस्त क्षणों में से कुछ समय निकाल कर व्यायाम अवश्य करें। इससे हमारा मन और तन पूर्ण रूप से स्वस्थ रहेगा। नीरोगी काया होने से हम सभी सुखों का उपयोग भी कर सकते हैं।

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18. प्रकृति का प्रकोप – भूकंप

संकेत बिंदु – मानव का प्रकृति के साथ संघर्ष, प्रकृतिक प्रकोप, मानवीय अहं का त्याग
प्रकृति ईश्वर की रचना होने के कारण अजेय है। मनुष्य आदिकाल से ही प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता आ रहा है। आँधी, तूफ़ान, अकाल, अनावृष्टि, अतिवृष्टि तथा भूकंप प्रकृति के ऐसे ही प्रकोप हैं। भूमि के हिलने को भूचाल, हॉलाडोल या भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का ऐसा कोई भी भाग नहीं है, जहाँ कभी-न-कभी भूकंप के झटके न आए हों। भूकंप के हल्के झटकों से तो विशेष हानि नहीं होती, लेकिन जब कभी ज़ोर के झटके आते हैं तो वे प्रलयकारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रकोप है जो अत्यधिक विनाश का कारण बनता है।

यह जानलेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दियों सहस्त्राब्दियों की मेहनत के परिणाम को भी नष्ट-भ्रष्ट कर देता है। बिहार ने बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं । हज़ारों लोग मौत के मुँह में चले गए। भूमि में दरारें पड़ गईं, जिनमें जीवित प्राणी समा गए। पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैसें उत्पन्न हुईं, जिनसे प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं, उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं। बड़े-बड़े भवन धराशायी हो जाते हैं।

लोग बेघर हो जाते हैं। धनवान् अकिंचन बन जाते हैं और लोगों को जीने के लाले पड़ जाते हैं। आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है पर विज्ञान प्रकृति के प्रकोप के सामने विवश है। भूकंप के कारण क्षण भर में ही प्रलय का संहारक दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश हैं। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा प्रकृति की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए।

19. परहित सरिस धरम नहिं भाई

संकेत बिंदु-कर्मानुसार पृष्ठभूमि, आदर्शों की प्रतिष्ठा, कल्याण की भावना
मानव का कर्मक्षेत्र यही समाज है, जिसमें रहकर वह अपने कर्मानुसार अगले जीवन की पृष्ठभूमि तैयार करता है। चौरासी लाख योनियों में से किसी एक में पड़ने का मूल वह यहीं स्थापित करता है और भारतीय धर्म – साधना में वर्णित अमरत्व के सिद्धांत को अपने श्रेष्ठ कर्मों से प्रमाणित करता है। लाखों-करोड़ों लोगों में से मरणोपरांत केवल वही व्यक्ति समाज में अपना नाम स्थायी बना पाता है जो जीवन काल में ही अपने जीवन को दूसरों के लिए अर्पित कर चुका होता है। परोपकार और दूसरों के प्रति सहानुभूति से समाज स्थापित है और इन तत्वों में समाज के नैतिक आदर्शों की प्रतिष्ठा होती है। दूसरे के लिए किए गए कार्य से जहाँ अपना स्वार्थ सिद्ध होता है वहाँ समाज में प्रधानता भी प्राप्त होती है।

निःस्वार्थ भाव से की गई सेवा लोकप्रियता प्रदान करती है। इससे मानव का अपना कल्याण भी होता है क्योंकि लोक की प्रवृत्ति है कि यदि आप दूसरों के काम आएँगे तो समय पड़ने पर दूसरे भी आप का साथ देंगे। जो व्यक्ति दूसरों के लिए आत्म- बलिदान करता है, समाज उसे अमर बना देता में तुम है और यह यश उपार्जित करता है – ‘कीर्तियस्य स जीवत।’ गुरु अर्जन देव के अमरत्व का यही तो आधार है। ईसा ने कहा है- ‘जो बड़ा होगा वह तुम्हारा सेवक होगा।’ प्रकृति का भी ऐसा ही व्यवहार है। वह कभी भी अपने साधन अपने लिए प्रयुक्त नहीं करती –

वृच्छ कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।
परमार्थ के कारन, साधुन धरा सरीर ॥

मानव-जीवन में लोक सेवा, सहानुभूति और दयालुता प्रायः रोग, दरिद्रता, महामारी, उपद्रवों आदि में संभव हो सकती है। इनमें राजा शिवि, दधीचि और गांधी जैसे बलिदानी की आवश्यकता नहीं है। दयालुता के छोटे-छोटे कार्यों, मृदुता का व्यवहार, दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाना, दूसरों की दुर्बलताओं के प्रति आदर होना, अछूतों या निम्नवर्गीय लोगों से घृणा न करना आदि में स्पष्ट रूप से सहानुभूति के चिह्न विद्यमान हैं। भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में मानव मात्र की कल्याण – भावना निहित है।

वास्तव में परोपकार के समान न कोई दूसरा धर्म है और न पुण्य। पंचतंत्र में भी कहा गया है कि – ” यस्मिन जीवति जीवंति वहवः सोऽत्र जीवतु, वयांसि किम् कुर्वंति चम्त्वास्वोद पूरणम्। ” अर्थात ” जो व्यक्ति अपने जीवन से दूसरे के जीवन को जीने योग्य बनाता है, वही बहुत दिन जीवित रहे। नहीं तो कौए भी बहुत दिन जी लेते हैं और ज्यों-त्यों अपना पेट भर लेते हैं।” जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं, उनके अपने जीवन में सौ गुना प्रसन्नता और उत्साह का संचार होता है। इससे उसका अपना चरित्र महान बनता है।

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20. नर हो, न निराश करो मन को

संकेत बिंदु – मननशील प्राणी, मानसिक बल पर विश्वास, आशावान दृष्टिकोण
मनुष्य एक मननशील प्राणी है। अपने मानसिक बल से वह असंभव से असंभव कार्य भी कर लेता है। एक कथन है कि “जहाँ चाह है वहाँ राह है” मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने का कार्य उसकी इच्छा-शक्ति अथवा मन ही संपन्न कराता है। मनुष्य जो भी उद्योग, निरंतर उन्नति करने का प्रयास अथवा कार्य करता है, सब मन के बल पर ही करता है। यदि मनुष्य का मन क्रियाशील नहीं रहता अथवा ‘मन मर जाता है ‘ तो उसके लिए संसार के समस्त आकर्षण तुच्छ अथवा अर्थहीन हो जाते हैं। उसे चारों ओर से निराशा घेर लेती है। वह जीवित होते हुए भी मरणासन्न हो जाता है।

कवि का यह कथन भी इसी ओर संकेत करता है कि “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत” अर्थात जब तक मनुष्य को अपने मानसिक बल पर विश्वास है तब तक वह संसार को भी जीत लेता है, किंतु ‘मन मर’ जाने पर व्यक्ति स्वयं ही पराजित हो जाता है। इसी मानसिक बल के आधार पर वानरों की सेना के साथ श्रीराम ने रावण को पराजित कर दिया था। नेपोलियन ने आल्पस के अजेय पर्वत को पार कर लिया तथा गुरु गोविंद सिंह जी ने सवा-सवा लाख से एक को लड़ाया था। यदि मनुष्य मानसिक रूप से निष्क्रिय हो जाता है तो वह कोई भी कार्य नहीं कर पाता। इसलिए कवि ने भी कहा है- “हारिए न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम।, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।। ”

अपने आराध्य के प्रति आस्था मनुष्य के मानसिक बल में वृद्धि करती है। जब वह प्रभु का नाम लेकर मन से कोई कार्य करता है तो कोई कारण नहीं कि उसे उस कार्य में सफलता न मिले। यह अवश्य हो सकता है कि उसे फल प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहना पड़े, किंतु उसे सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है। इस परिवर्तनशील संसार में सुख और दुख चक्र के समान घूमते रहते हैं। अतः जब दुख के बाद सुख आता ही है तो दुख से भी नहीं घबराना चाहिए। बुद्धिमान मनुष्य को जीवन के प्रति आशावान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिससे वह अपना और अपने राष्ट्र का कल्याण कर सके। हिम्मत हारने से कुछ बनता नहीं, बिगड़ता ही है। दूसरी बात यह है कि दुख और सुख, सफलता और असफलता सब भगवान की दी हुई वस्तुएँ हैं। यदि उसके दिए दुख से आप घबरा जाएँगे तो वह आपको सुख नहीं देगा।

21. आतंकवाद और भारत
अथवा
आतंकवाद – एक ज्वलंत समस्या

संकेत बिंदु – समस्याओं का चक्रव्यूह, देशों में आतंकवाद की स्थिति, कानून की सुदृढ़ता
आज यदि हम भारत की विभिन्न समस्याओं पर विचार करें तो हमें लगता है कि हमारा देश अनेक समस्याओं के चक्रव्यूह में घिरा हुआ है। एक ओर भुखमरी, दूसरी ओर बेरोज़गारी, कहीं अकाल तो कहीं बाढ़ का प्रकोप है। इन सबसे भयानक समस्या आतंकवाद की समस्या है, जो देश रूपी वट-वृक्ष को दीमक के समान चाट-चाटकर खोखला कर रही है। आतंकवाद से तात्पर्य है – ” देश में आतंक की स्थिति उत्पन्न करना “इसके लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर हिंसात्मक उत्पात मचाए जाते हैं जिससे सरकार उनमें उलझकर सामाजिक जीवन के विकास के लिए कोई कार्य न कर सके। कुछ विदेशी शक्तियाँ भारत की विकास दर को देखकर जलने लगी थीं।

आतंकवादी रेल पटरियाँ उखाड़कर, बस यात्रियों को मारकर, बैंकों को लूटकर, सार्वजनिक स्थलों पर बम फेंककर आदि कार्यों द्वारा आतंक फैलाने में सफल होते हैं। धार्मिक कट्टरता आतंकवादी गतिविधियों को अधिक प्रोत्साहित कर रही है। लोग धर्म के नाम पर एक-दूसरे का गला काटने के लिए तैयार हो जाते हैं। धार्मिक उन्माद अपने विरोधी धर्मावलंबी को सहन नहीं कर पाता। धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं। भारत सरकार को आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए कठोर पग उठाना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम कानून एवं व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चाहिए। जहाँ-जहाँ अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है, उन समस्त क्षेत्रों की पूरी नाकाबंदी की जानी चाहिए, जिससे आतंकवादियों को सीमा पार से हथियार, गोला-बारूद तथा प्रशिक्षण न प्राप्त हो सके।

पथ – भ्रष्ट युवक-युवतियों को समुचित प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर जुटाए जाने चाहिए। यदि युवा वर्ग को व्यस्त रखने तथा उन्हें उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य दे दिया जाए तो वे पथ – भ्रष्ट नहीं होंगे। इससे आतंकवादियों को अपना षड्यंत्र पूरा करने के लिए जन-शक्ति नहीं मिलेगी तथा वे स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे। जनता को भी सरकार से सहयोग करना चाहिए। कहीं भी किसी संदिग्ध व्यक्ति अथवा वस्तु को देखते ही उसकी सूचना निकट के पुलिस थाने में देनी चाहिए।

यदि आतंकवाद की समस्या का गंभीरता से समाधान न किया गया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ा जाएगा। सभी लड़कर समाप्त हो जाएँगे। हमें संगठित होकर उसकी ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए, जिससे उनका मनोबल समाप्त हो जाए तथा वे जान सकें कि उन्होंने गलत मार्ग अपनाया है। वे आत्मग्लानि के वशीभूत होकर जब अपने किए पर पश्चात्ताप करेंगे तभी उन्हें देश की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जा सकता है। अतः आतंकवाद की समस्या का समाधान जनता एवं सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही संभव हो सकता है।

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22. श्रम का महत्व अथवा परिश्रम सफलता की कुंजी है

संकेत बिंदु – श्रम से प्रगति, आलस्य अभिशाप, उन्नति में सहायक
श्रम का अर्थ है – मेहनत। श्रम ही मनुष्य जीवन की गाड़ी को खींचता है। चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव बिना श्रम के जीवित नहीं रह सकते। फिर मनुष्य तो अन्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है। संसार की उन्नति प्रगति मनुष्य के श्रम पर निर्भर करती है। परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी चल ही नहीं सकती। यहाँ तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं। परिश्रम का अभिप्राय ऐसे परिश्रम से है जिससे निर्माण हो, रचना हो, जिस परिश्रम से निर्माण नहीं होता, उसका कुछ अर्थ नहीं। जो व्यक्ति आलस्य का जीवन बिताते हैं, वे कभी उन्नति नहीं कर सकते। आलस्य जीवन को अभिशापमय बना देता है।

कुछ लोग श्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्य मिलेगा, अतः दौड़-धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है। यह ठीक है कि भाग्य का भी हमारे जीवन में महत्व है, लेकिन आलसी बनकर बैठे रहना और असफलता के लिए भाग्य को कोसना किसी प्रकार भी उचित नहीं। परिश्रम के बल पर मनुष्य भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकता है। परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपनी, परिवार की, जाति की तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग दे सकता है। अतः मनुष्य को परिश्रम करने की प्रवृत्ति विद्यार्थी जीवन में ग्रहण करनी चाहिए।

23. सदाचार

संकेत बिंदु – सर्वोत्तम गुण, सदाचार की महिमा, सामाजिक उन्नति का स्त्रोत
मानव-जीवन का सर्वोत्तम गुण सदाचार ही है। यह मनुष्य को उच्च एवं वंदनीय बनाता है। इसके अभाव में मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता। किसी विद्वान का कथन है- “धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट नहीं हुआ, स्वास्थ्यं नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हुआ, लेकिन चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया।” सदाचार के समक्ष धन तुच्छ हैं। वास्तव में सदाचार ही सर्वश्रेष्ठ मानव धर्म है। सदाचार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र है। सदाचारी में आत्म-विश्वास होता है। वह निर्भीक होता है। वह असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता है।

सदाचारी असत्य तथा बेईमानी से दूर रहता है। भावनाओं से पवित्र होता है। वह जानता है कि दूसरों को पीड़ा पहुँचाना सदाचार की राह से भटकना है। सभी दार्शनिक तथा धर्म गुरुओं ने सदाचार की महिमा का प्रतिपादन किया है। सदाचारी व्यक्ति के सत्संग में सद्गुणों का विकास होता है। मार्ग से भटका हुआ व्यक्ति भी सद्मार्ग पर चलने लगता है। सफल एवं सार्थक जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक है। उत्तम चरित्र का प्रभाव व्यापक एवं अचूक होता है। चरित्र का ह्रास होने से मानव को अनेक दुखों और कष्टों का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। सदाचारी का तो केवल भौतिक शरीर ही नष्ट होता है। उसकी यश ज्योति संसार में बिखरी रहती है। सदाचार व्यक्तिगत, राष्ट्रीय तथा सामाजिक उन्नति का स्रोत है। सदाचारी व्यक्तियों के चरण चिह्नों पर युग चलता है।

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24. दीपावली

संकेत बिंदु – श्रम की सार्थकता, पावन स्मृति, बधाई एवं खुशियों का त्योहार
भारतीय त्योहारों में दीपावली का विशेष स्थान है। दीपावली शब्द का अर्थ है- दीपों की पंक्ति या माला। इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीप – पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं।

रात दिन के रूप में बदल जाती है। इसी कारण इसका नाम दीपावली पड़ा। भगवान राम लंकापति रावण को मारकर तथा वनवास के चौदह वर्ष समाप्त कर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर हर्षोल्लास प्रकट किया और उनके स्वागत में रात को दीपक जलाए। उस दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े समारोह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम की स्मृति ताज़ी हो जाती है। दीपावली भारत का सबसे अधिक प्रसन्नता और मनोरंजन का द्योतक त्योहार है।

बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में खुशी की लहर दौड़ उठती है। आतिशबाज़ी और पटाखों की ध्वनि से सारा आकाश गूँज उठता है। इसके साथ ही खूब मिठाई उड़ती है। सभी राग-रंग में मस्त हो जाते हैं। दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरंभ हो जाती है। लोग शरद् ऋतु के आरंभ में ही घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं तथा कमरों को चित्रों से अलंकृत करते हैं। धन त्रयोदशी के दिन पुराने बर्तनों को लोग बेचते हैं और नए बर्तन खरीदते हैं। बर्तनों की दुकानें, बर्तनों से अनोखी ही शोभा देती हैं। चतुर्दशी को लोग घरों का कूड़ा- कर्कट बाहर निकालते हैं।

कार्तिक मास की अमावस्या को दीपमाला का दिन बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने इष्ट- बंधुओं तथा मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएँ नव – वस्त्र धारण कर मिठाई बाँटते हैं। रात को आतिशबाजी चलाते हैं। बहुत से लोग रात को लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। दीपावली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे यथोचित रीति से मनाना चाहिए। इस दिन विद्वान लोग व्याख्यान देकर जन साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं।

25. क्रिसमस

संकेत बिंदु – बाइबिल की कथा, नामकरण, महान पर्व के रूप में
विश्वभर में ईसा मसीह का जन्मदिन ‘क्रिसमस’ नाम से जाना जाता है। दीन-दुखियों के दर्द को समझने वाले इस महान संत ईसा मसीह का जन्म पच्चीस दिसंबर को मनाया जाता है। ‘बाइबिल’ के अनुसार नाज़रेथ नगर (फिलिस्तीन) के निवासियों में यूसुफ नामक व्यक्ति थे, जिनके साथ मरियम नामक कन्या की मँगनी (सगाई हुई थी। एक दिन मरियम को स्वर्ग दूत ने दर्शन देकर कहा, “आप पर प्रभु की कृपा है। आप गर्भवती होंगी, पुत्र रत्न को जन्म देंगी तथा नवजात शिशु का नाम ‘ईसा’ रखेंगी। वे महान होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलाएँगे।”)

ईसा के जन्म के समय आकाश में एक तारा उदित हुआ। तीन ज्योतिषयों ने उस तारे को देखा और देखते-देखते वे येरुसलम पहुँच गए। वे लोगों से पूछ रहे थे कि यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं ? हम उन्हें प्रणाम करना चाहते हैं। वे खोजते खोजते बेथेलहेम के अस्तबल में पहुँचे। वहाँ

उन्होंने बालक तथा मरियम को प्रणाम किया। जन्म के ठीक आठवें दिन उस बालक का नाम जीसस रखा गया। वह दिव्य बालक था। ईसा मसीह के जीवन के अनेक वर्ष पर्यटन, एकांतवास एवं चिंतन-मनन में बीते। अनेक वर्षों की अथक साधना के बाद ईसा अपनी पवित्र आत्मा के साथ गलीलिया लौटे। उनका यश सुगंध की तरह सारे प्रदेश में फैल गया। वे सभागारों में शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्धक उद्बोधन देने लगे। उन्होंने अनेक दुखियों, रोगियों एवं पीड़ितों का दुख दूर किया, अज्ञानियों को ज्ञान दिया और अंधों को दृष्टि दी। फलतः लोगों को पूरा विश्वास हो गया कि ईसा प्रभु के ही दूत हैं। ईसा ने अपने समय में व्याप्त अनाचारों एवं पापाचारों से समाज को त्राण दिलाया और गिरजाघरों को पवित्रता प्रदान कराई। ईसा के बढ़ते प्रभाव से तत्कालीन राजा हेरोद चिंतित हो उठे।

उन्होंने ईर्ष्यावश ईसा को बंदी बनाकर यहूदी महासभा में अपराधी के रूप में उपस्थित कराया। सभाध्यक्ष ईसा को निर्दोष मानकर उन्हें बंधनमुक्त करना चाहते थे। इस पर सभा के पुरोहितों और सदस्यों ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा, ‘इसे क्रूस दीजिए, इसे क्रूस दीजिए।’ सभाध्यक्ष के सामने कोई विकल्प न था। उसने ईसा को सैनिकों के हवाले कर दिया। ईसा मसीह को क्रूस का दंड दिया गया – सिर पर काँटों का किरीट और हाथ-पाँव में कीलें। उनके अंगों से खून बहने लगा। ईसा को इस दशा में देखकर जनता रो रही थी। ईसा ने लोगों को सांत्वना दी। शुक्रवार को ईसा मसीह ने प्राण त्याग किया। विश्वभर में ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार ‘क्रिसमस’ है। प्रभु ईसा के भूमंडल में अवतरित होने से उनके अनुयायियों को शांति मिली। ‘क्रिसमस’ एक महान पर्व है।

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26. वसंत ऋतु

संकेत बिंदु – हर्ष उल्लास, जीवन का संचार, वरदान का लाभ
भारत अनेक ऋतुओं का देश है। यहाँ गरमी – सरदी, बरसात – पतझड़, वसंत आदि छह ऋतुओं का आगमन होता रहता है। इनमें वसंत सबकी प्रिय ऋतु है जिसके आगमन पर सभी प्राणी प्रकृति सहित हर्ष और उल्लास से झूम उठते हैं। इसलिए वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। इस समय ऋतु अत्यंत सुहावनी होती है। सरदी का अंत और गर्मी का आरंभ हो रहा होता है। सरदी से कोई ठिठुरता नहीं और गरमी किसी का बदन नहीं जाती। हर एक व्यक्ति बाहर घूमने-फिरने का इच्छुक होता है। यह इस मीठी ऋतु की विशेषता है।

सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों में नव-जीवन का संचार हो जाता है। वृक्ष नए-नए पत्तों से लद जाते हैं। फूलों का सौंदर्य तथा हरियाली की छटा मन को मुग्ध कर देती है। आमों के वृक्षों पर बौर आ जाता है तथा कोयल भी मीठी कू-कू करती है। खेतों में नई फ़सल पकने लग जाती है। सरसों के खेतों में पीले-पीले फूल वसंत के आगमन पर झूल – झूलकर हर्ष व्यक्त करते हैं आकाश में पक्षी किलकारियाँ भरते ऋतुराज का अभिनंदन करते हैं। वसंत पंचमी को ऋतुराज के स्वागत के लिए उत्सव होता है। इस दिन लोग नाच-गाकर, खेल – कूदकर तथा झूला झूलकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। घर-घर में वसंती हलवा, चावल और केसरिया खीर बनती है।

लोग पीले वस्त्र पहनते हैं तथा बच्चे पीले पतंग उड़ाते हैं। वसंत पंचमी के दिन धर्मवीर हकीकत राय को भी याद किया जाता है। हकीकत राय को आज के दिन अपना धर्म न छोड़ने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया था। उस वीर बालक की याद में स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं तथा उसको श्रद्धांजलियाँ अर्पित की जाती हैं। हमें इस ऋतु में अपना स्वास्थ्य बनाना चाहिए। प्रातः उठकर बाहर घूमने जाएँ, ठंडी-ठंडी वायु में घूमें और प्राकृतिक सौंदर्य का निरीक्षण करें। वसंत ऋतु एक ईश्वरीय वरदान है और हमें इस वरदान का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए।

27. कोरोना वायरस : एक महामारी

संकेत बिंदु – कोरोना वायरस क्या है ?, कोरोना वायरस कैसे फैलता है ?, कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं?, कोरोना वायरस का क्या इलाज है ?
“कोरोना” का अर्थ ‘मुकुट जैसी आकृति’ होती है। इस अदृश्य वायरस को सूक्षदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है। इसके वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखाई देता है, इसी आधार पर इसका नाम रखा गया था। दूसरे अर्थ को समझने के लिए सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चंद्रमा के चारों और किरणें निकलती प्रतीत होती हैं उसको भी ‘कोरोना’ कहते हैं।

कोरोना वायरस का प्रकोप चीन के वुहान में दिसंबर 2019 के मध्य में शुरू हुआ था और इसी कारण से इसका कोविड – 19 नामकरण किया गया। इसके प्रसार होते ही से ज़्यादातर मौतें चीन में हुई हैं लेकिन दुनिया भर में इससे कई लाख लोग प्रभावित होकर जान गँवा चुके हैं। चीन ने इस वायरस से बचने के लिए इमरजेंसी कदम उठाया जिसमें कई शहरों को लोकडाउन कर दिया गया था।

इसकी रोकथाम के लिए सार्वजनिक परिवहन को रोक दिया गया था और सार्वजनिक जगहों और पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। केवल चीन ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश वायरस से बचने के लिए लोकडाउन लगाने जैसे कदम उठाए थे। कोरोना वायरस मुख्य तौर पर जानवरों के बीच फैलता है लेकिन बाद में इसने मानवों को भी संक्रमित कर दिया। कोरोना वायरस के जो लक्षण हैं, उनमें 90 फीसदी मामलों में बुखार, 80 फीसदी मामलों में थकान और सूखी खाँसी, 20 फीसदी मामलों में साँस लेने में परेशानी देखी गई है। दोनों फेफड़ों में इससे परेशानी देखी गई। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों को निमोनिया की भी शिकायत हुई है।

इस बात को माना जा रहा है कि इस वायरस की शुरुआत वुहान शहर के सीफूड बाज़ार में हुई थी। जिन लोगों में शुरुआत में यह पाया गया, वे लोग उस थोक बाजार में काम करते थे। इसके फैलने का जरिया अभी पूरी तरह साफ़ नहीं है। लेकिन इसके एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलने के प्रमाण हैं। इसके साथ ऐसा माना जा रहा है कि इससे प्रभावित एक व्यक्ति कम से कम तीन से चार स्वस्थ लोगों तक वायरस को फैला सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम चीन में इसकी उत्पत्ति को जाँच कर रही है।

वर्तमान में कोरोना वायरस से बचने के लिए अनेक वैक्सीन मौजूद हैं। विश्व के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। आप इससे बचने के लिए टीकाकरण करवा सकते हैं। टीकाकरण के दौरान भी अभी आप अपने हाथों को साबुन और पानी के साथ कम से कम 20 सेकेंड तक धोएँ। दो गज की सामाजिक दूरी बनाए रखें बिना धुले हुए हाथों से अपनी आँखों, नाक या मुँह को न स्पर्श करें। जो लोग बीमार हैं, उनके ज़्यादा नजदीक न जाएँ, फेस मास्क लगाना न भूलें। टीकाकरण के लिए आप अपनी बारी का इंतजार कर लाभ उठा सकते हैं।

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28. कमरतोड़ महँगाई

संकेत बिंदु – महँगाई के मुख्य कारण, भारत में महँगाई, महँगाई की रोकथाम के उपाय।
आमतौर पर महँगाई का प्रमुख कारण उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव तथा मुद्रास्फीति की दर है। जीवन के लिए आवश्यक दैनिक वस्तुओं की कमी कई बातों पर निर्भर करती है। इनमें, जैसे- अधिक वर्षा, हिमपात, अल्पवर्षा, अकाल, तूफान, फसलों की रोगग्रस्तता, प्रतिकूल मौसम, ओले, अनावृष्टि आदि। इसके अलावा स्वार्थी मानव द्वारा की गई गलत हरकतों द्वारा भी दैनिक उपयोगी वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया जाता है और फिर उन वस्तुओं को अधिक कीमत वसूल करके बेचा जाता है। इस प्रकार के अनर्गल काम आमतौर पर थोक व्यापारियों द्वारा किए जाते हैं। वे किसी वस्तु विशेष की जमाखोरी करके आकस्मिक अभाव पैदा करते हैं और फिर उस वस्तु को जरूरतमंद के हाथों बेचकर मनमाने दाम वसूल करते हैं।

यही कारण है कि भारत में महँगाई बढ़ जाती है और फिर अचानक घट जाती है। प्राइवेट सेक्टर के उत्पादनों की कीमतों पर प्रतिबंध लगाने तथा लाभ की सीमा तय करने में सरकार असमर्थ है। देश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है जिसका कारण जमाखोर तथा मुनाफाखोर हैं। वेतन में हुई भारी वृद्धि का लाभ उठाकर उत्पादकों ने सभी प्रकार के उत्पादों की कीमतें काफी बढ़ा दीं। महँगाई भारत में हीं नहीं वरन पूरे विश्व में गंभीर समस्या के रूप मे सामने आई है। समय के साथ महँगाई और भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब गरीबी।

उपभोक्ता और सरकार के बीच अच्छे तालमेल से महँगाई पर काबू पाया जा सकता है। महँगाई बढते ही सरकार देश मे ब्याज दर बढ़ा देती है। सरकार द्वारा तय की हुई राशि का आम आदमी तक पहुँचना बेहद जरूरी है। इससे गरीबी में भी गिरावट आएगी और लोगों के जीने के स्तर में भी सुधार आएगा। समय – समय पर यह जाँच करना ज़रूरी है कि कोई व्यापारी या फिर कोई अन्य व्यक्ति कालाबाज़ारी या अधिक मुनाफाखोरी के काम में तल्लीन तो नहीं है। सरकार द्वारा सर्वेक्षण करना ज़रूरी है कि बाज़ार मे किसी वस्तु का दाम कितना है, यह तय मानक दरों से अधिक तो नहीं है। मूल सुविधाओं और अन्न के दाम समय-समय पर देखने होगे क्योंकि मनुष्य के जीवन के लिए अन्न बेहद ज़रूरी है।

29. परिश्रम सफलता की कुंजी है

संकेत बिंदु – परिश्रम का महत्व, समयानुसार बुद्धि का सदुपयोग, परिश्रम और बुद्धि का तालमेल।
संस्कृत की प्रसिद्ध सूक्ति है – ‘उद्यमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथैः’ अर्थात परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है, मात्र इच्छा करने से नहीं। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र मंत्र है। ‘श्रमेव जयते’ का सूत्र इसी भाव की ओर संकेत करता है। परिश्रम के बिना हरी- भरी खेती सूखकर झाड़ बन जाती है जबकि परिश्रम से बंजर भूमि को भी शस्य – श्यामला बनाया जा सकता है। असाध्य कार्य भी परिश्रम के बल पर संपन्न किए जा सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कितने ही प्रतिभाशाली हों, किंतु उन्हें लक्ष्य में सफलता तभी मिलती है जब वे अपनी बुद्धि और प्रतिभा को परिश्रम की सान पर तेज़ करते हैं। न जाने कितनी संभावनाओं के बीज पानी, मिट्टी, सिंचाई और जुताई के अभाव में मिट्टी बन जाते हैं, जबकि ठीक संपोषण प्राप्त करके कई बीज सोना भी बन जाते हैं।

कई बार प्रतिभा के अभाव में परिश्रम ही अपना रंग दिखलाता है। प्रसिद्ध उक्ति है कि निरंतर घिसाव से पत्थर पर भी चिह्न पड़ जाते हैं। जड़मति व्यक्ति परिश्रम द्वारा ज्ञान उपलब्ध कर लेता है। जहाँ परिश्रम तथा प्रतिभा दोनों एकत्र हो जाते हैं वहाँ किसी अद्भुत कृति का सृजन होता है। शेक्सपीयर ने महानता को दो श्रेणियों में विभक्त किया है- जन्मजात महानता तथा अर्जित महानता। यह अर्जित महानता परिश्रम के बल पर ही अर्जित की जाती है। अतः जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है, उन्हें अपने श्रम-बल का भरोसा रखकर कर्म में जुटना चाहिए। सफलता अवश्य ही उनकी चेरी बनकर उपस्थित होगी।

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30. पशु न बोलने से और मनुष्य बोलने से कष्ट उठाता है

संकेत बिंदु – वाणी की शक्ति, दोषपूर्ण वाचालता, व्यर्थ बोलने का दुष्परिणाम।
मनुष्य को ईश्वर की ओर से अनेक प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इनमें वाणी अथवा वाक् शक्ति का गुण सबसे महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति वाणी का सदुपयोग करता है, उसके लिए तो यह वरदान है और जिसकी जीभ कतरनी के समान निरंतर चलती रहती है, उसके लिए वाणी का गुण अभिशाप भी बन जाता है। भाव यह है कि वाचालता दोष है। पशु के पास वाणी की शक्ति नहीं, इसी कारण जीवन भर उसे दूसरों के अधीन रहकर कष्ट उठाना पड़ता है। वह सुख-दुख का अनुभव तो करता है पर उसे व्यक्त नहीं कर सकता। उसके पास वाणी का गुण होता तो उसकी दशा कभी दयनीय न बनती। कभी-कभी पशु का सद्व्यवहार भी मनुष्य को भ्राँति में डाल देता है।

अनेक कहानियाँ ऐसी हैं जिनके अध्ययन से पता चलता है कि पशुओं ने मनुष्य जाति के लिए अनेक बार अपने बलिदान और त्याग का परिचय दिया है पर वाक् शक्ति के अभाव के कारण उसे मनुष्य के द्वारा निर्मम मृत्यु का भी सामना करना पड़ा है। इसके विपरीत मनुष्य अपनी वाणी के दुरुपयोग के कारण अनेक बार कष्ट उठाता है। रहीम ने अपने दोहे में व्यक्त किया है कि जीभ तो अपनी मनचाही बात कहकर मुँह में छिप जाती है पर जूतियों का सामना करना पड़ता है बेचारे सिर को।

अभिप्राय यह है कि मनुष्य को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। इस संसार में बहुत-से झगड़ों का कारण वाणी का दुरुपयोग है। एक नेता के मुख से निकली हुई बात सारे देश को युद्ध की ज्वाला में झोंक सकती है। अतः यह ठीक ही कहा गया है कि पशु न बोलने से कष्ट उठाता है और मनुष्य बोलने से। कोई भी बात कहने से पहले उसके परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए।

31. कारज धीरे होत हैं, काहे होत अधीर

संकेत बिंदु – धैर्य और इच्छा, शांत मन की उपयोगिता, प्रतीक्षा और उचित फल की प्राप्ति।
जिसके पास धैर्य है, वह जो इच्छा करता है, प्राप्त कर लेता है। प्रकृति हमें धीरज धारण करने की सीख देती है। धैर्य जीवन की लक्ष्य प्राप्ति का द्वार खोलता है। जो लोग ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ की रट लगाते हैं, वे वास्तव में ‘अधीर मन, गति कम’ लोकोक्ति को चरितार्थ करते हैं। सफलता और सम्मान उन्हीं को प्राप्त होता है, जो धैर्यपूर्वक काम में लगे रहते हैं। शांत मन से किसी कार्य को करने में निश्चित रूप से कम समय लगता है। बचपन के बाद जवानी धीरे-धीरे आती है। संसार के सभी कार्य धीरे-धीरे संपन्न होते हैं। यदि कोई रोगी डॉक्टर से दवाई लेने के तुरंत पश्चात पूर्णतया स्वस्थ होने की कामना करता है, तो यह उसकी नितांत मूर्खता है। वृक्ष को कितना भी पानी दो, परंतु फल प्राप्ति तो समय पर ही होगी। संसार के सभी महत्वपूर्ण विकास कार्य धीरे-धीरे अपने समय पर ही होते हैं। अतः हमें अधीर होने की बजाय धैर्यपूर्वक अपने कार्य में संलग्न होना चाहिए।

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32. दूर के ढोल सुहावने होते हैं

संकेत बिंदु – दूर के रिश्ते-नाते, दूर से प्राकृतिक सुंदरता, निकट से रिश्तों की कटुता।
इस उक्ति का अर्थ है कि दूर के रिश्ते-नाते बड़े अच्छे लगते हैं। जो संबंधी एवं मित्रगण हमसे दूर रहते हैं, वे पत्रों के द्वारा हमारे प्रति कितना अगाध स्नेह प्रकट करते हैं। उनके पत्रों से पता चलता है कि वे हमारे पहुँचने पर हमारा अत्यधिक स्वागत करेंगे। हमारी देखभाल तथा हमारे आदर-सत्कार में कुछ कसर न उठा रखेंगे। लेकिन जब उनके पास पहुँचते हैं तो उनका दूसरा ही रूप सामने आने लगता है। उनके व्यवहार में यह चरितार्थ हो जाता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं। दूर बजने वाले ढोल की आवाज़ भी तो कानों को मधुर लगती है। पर निकट पहुँचते ही उसकी ध्वनि कानों को कटु लगने लगती है। दूर से झाड़-झंखाड़ भी सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है पर निकट जाने पर पाँवों के छलनी हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। ठीक ही कहा है – दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

33. लोभ पाप का मूल है

संकेत बिंदु – लोभ, कारण, अपराधों का जन्मदाता, अनैतिकता का कारण, इच्छाओं पर नियंत्रण न होना।
संस्कृत के किसी नीतिकार का कथन है कि लोभ पाप का मूल है। मन का लोभ ही मनुष्य को चोरी के लिए प्रेरित करता है। लोभ अनेक अपराधों को जन्म देता है। लोभ अत्याचार, अनाचार और अनैतिकता का कारण बनता है। महमूद गज़नवी जैसे शासकों ने धन के लोभ में आकर मनमाने अत्याचार किए। औरंगज़ेब ने अपने तीनों भाइयों का वध कर दिया और पिता को बंदी बना लिया। जर, जोरू तथा ज़मीन के झगड़े भी प्राय: लोभ के कारण होते हैं।

लोभी व्यक्ति का हृदय सब प्रकार की बुराइयों का अड्डा होता है। महात्मा बुद्ध ने कहा है कि इच्छाओं का लोभ ही चिंताओं का मूल कारण है। लालची व्यक्ति बहुत कुछ अपने पास रखकर भी कभी संतुष्ट नहीं होता। उसकी दशा तो उस मूर्ख लालची के समान हो जाती है जो मुर्गी का पेट फाड़कर सारे अंडे निकाल लेना चाहता है। लोभी व्यक्ति अंत में पछताता है। लोभी किसी पर उपकार नहीं कर सकता। वह तो सबका अपकार ही करता है। इसलिए अगर कोई पाप से बचना चाहता है तो वह लोभ से बचे।

34. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं

संकेत बिंदु – पराधीनता का दुख और अभिशाप, पीड़ा और कुंठा।
‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं’ उक्ति का अर्थ है कि पराधीन व्यक्ति सपने में भी सुख का अनुभव नहीं कर सकता। पराधीन और परावलंबी के लिए सुख बना ही नहीं। पराधीनता एक प्रकार का अभिशाप है। मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी तक पराधीनता की अवस्था में छटपटाने लगते हैं। पराधीन हमेशा शोषण की चक्की में पिसता रहता है। उसका स्वामी उसके प्रति जैसा भी चाहें अच्छा-बुरा व्यवहार कर सकता है। पराधीन व्यक्ति अथवा जाति अपने आत्म-सम्मान को सुरक्षित नहीं रख सकते। किसी भी व्यक्ति, जाति अथवा देश की पराधीनता की कहानी दुख एवं पीड़ा की कहानी है। स्वतंत्र व्यक्ति दरिद्रता एवं अभाव में भी जिस सुख का अनुभव कर सकता है, पराधीन व्यक्ति उस सुख की कल्पना भी नहीं कर सकता। अतः ठीक ही कहा गया है – ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’

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35. पर उपदेश कुशल बहुतेरे

संकेत बिंदु – पर उपदेश का प्रभाव, भ्रष्टाचार और बेईमान लोगों की करनी कथनी में अंतर, अनुशासन की आवश्यकता।
दूसरों को उपदेश देना अर्थात सब प्रकार से आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देना सरल है। जैसे कहना सरल तथा करना कठिन है, उसी प्रकार स्वयं अच्छे पथ पर चलने की अपेक्षा दूसरों को अच्छे काम करने का संदेश देना सरल है। जो व्यक्ति दूसरों को उपदेश देता है, वह स्वयं भी उन उपदेशों का पालन कर रहा है, यह ज़रूरी नहीं। हर व्यापारी, अधिकारी तथा नेता अपने नौकरों, कर्मचारियों तथा जनता को ईमानदारी, सच्चाई तथा कर्मठता का उपदेश देता है जबकि वह स्वयं भ्रष्टाचार के पथ पर बढ़ता रहता है। नेता मंच पर आकर कितनी सारगर्भित बातें कहते हैं, पर उनका आचरण हमेशा उनकी बातों के विपरीत होता है। माता-पिता तथा गुरुजन बच्चों को नियंत्रण में रहने का उपदेश देते हैं – पर वे यह भूल जाते हैं कि उनका अपना जीवन ही अनुशासनबद्ध एवं नियंत्रित नहीं है। इसीलिए जो उपदेश हम दूसरों को देते हैं, हमें पहले स्वयं उन्हें जीवन में लाना चाहिए।

36. जैसा करोगे, वैसा भरोगे

संकेत बिंदु – कर्मों का फल, कुकर्मों का बुरा फल, मानवता की सच्ची पहचान, शुभ कर्मों का महत्व।
उपर्युक्त उक्ति का अर्थ है कि मनुष्य अपने जीवन में जैसा कर्म करता है, उसी के अनुरूप ही उसे फल मिलता है। मनुष्य जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। सुकर्मों का फल अच्छा तथा कुकर्मों का फल बुरा होता है। दूसरों को पीड़ित करने वाला व्यक्ति एक दिन स्वयं पीड़ा के सागर में डूब जाता है। जो दूसरों का भला करता है, ईश्वर उसका भला करता है। कहा भी है, ‘कर भला हो भला’। पुण्य से परिपूर्ण कर्म कभी भी व्यर्थ नहीं जाते। जो दूसरों का शोषण करता है, वह कभी सुख की नींद नहीं सो सकता। ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ वाली बात प्रसिद्ध है। मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्मों में रुचि लेनी चाहिए। दूसरों का हित करना तथा उन्हें संकट से मुक्त करने का प्रयास मानवता की पहचान है। मानवता के पथ पर बढ़ने वाला व्यक्ति मानव तथा दानवता के पथ पर बढ़ने वाला व्यक्ति दानव कहलाता है। मानवता की पहचान मनुष्य के शुभ कर्म हैं।

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37. समय का महत्व
अथवा
समय सबसे बड़ा धन है।

संकेत बिंदु – जीवन की क्षणिकता, समय का महत्व, मनोरंजन और समय का मूल्य, परिश्रम ही प्रगति की राह, उपसंहार। दार्शनिकों ने जीवन को क्षणभंगुर कहा है। इनकी तुलना प्रभात के तारे और पानी के बुलबुले से की गई है। अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हम अपने जीवन को सफल कैसे बनाएँ। इसका एकमात्र उपाय समय का सदुपयोग है। समय एक अमूल्य वस्तु है। इसे काटने की वृत्ति जीवन को काट देती है। खोया समय पुनः नहीं मिलता। दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं जो बीते हुए समय को वापस लाए। हमारे जीवन की सफलता-असफलता समय के सदुपयोग तथा दुरुपयोग पर निर्भर करती है। कहा भी है- क्षण को क्षुद्र न समझो भाई, यह जग का निर्माता है।

हमारे देश में अधिकांश लोग समय का मूल्य नहीं समझते। देर से उठना, व्यर्थ की बातचीत करना, ताश खेलना आदि के द्वारा समय नष्ट करते हैं। यदि हम चाहते हैं तो हमें पहले अपना काम पूरा करना चाहिए। बहुत-से लोग समय को नष्ट करने में आनंद का अनुभव करते हैं। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना बहुत बड़ी भूल है। समय का सदुपयोग करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने दैनिक कार्य को करने का समय निश्चित कर लें।

फिर उस कार्य को उसी समय में करने का प्रयत्न करें। इस तरह का अभ्यास होने से हम समय का मूल्य समझ जाएँगे और देखेंगे कि हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर बढ़ता जा रहा है। समय के सदुपयोग से ही जीवन का पथ सरल हो जाता है। महान व्यक्तियों के महान बनने का रहस्य समय का सदुपयोग ही है। समय के सदुपयोग के द्वारा ही मनुष्य अमर कीर्ति का पात्र बन सकता है। समय का सदुपयोग ही जीवन का सदुपयोग है। इसी में जीवन की सार्थकता है –

“कल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब॥”

38. स्त्री शिक्षा का महत्व

संकेत बिंदु – शिक्षा का महत्व, नारी का घर और समाज में स्थान, सामाजिक कर्तव्य, गृह विज्ञान की शिक्षा।
विद्या हमारी भी न तब तक काम में कुछ आएगी।
नारियों को भी सुशिक्षा दी न जब तक जाएगी।

आज शिक्षा मानव-जीवन का एक अंग बन गई है। शिक्षा के बिना मनुष्य ज्ञान – पंगु कहलाता है। पुरुष के साथ – साथ नारी को भी शिक्षा की आवश्यकता है। नारी शिक्षित होकर ही बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकती है। बच्चों पर पुरुष की अपेक्षा नारी के व्यक्तित्व का प्रभाव अधिक पड़ता है। अतः उसका शिक्षित होना ज़रूरी है। ‘स्त्री का रूप क्या हो ?’ – यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि नारी और पुरुष के क्षेत्र अलग-अलग हैं। पुरुष को अपना अधिकांश जीवन बाहर के क्षेत्र में बिताना पड़ता है जबकि नारी को घर और बाहर में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

सामाजिक कर्तव्य के साथ-साथ उसे घर के प्रति भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। अतः नारी को गृह विज्ञान की शिक्षा में संपन्न होना चाहिए। अध्ययन के क्षेत्र में भी वह सफल भूमिका का निर्वाह कर सकती है। शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी उसे योगदान देना चाहिए। सुशिक्षित माताएँ ही देश को अधिक योग्य, स्वस्थ और आदर्श नागरिक दे सकती हैं। स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार होना चाहिए। नारी को फ़ैशन से दूर रह कर सादगी के जीवन का समर्थन करना चाहिए। उसकी शिक्षा समाजोपयोगी होनी चाहिए।

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39. स्वास्थ्य ही जीवन है

संकेत बिंदु – स्वास्थ्य का महत्व, अस्वस्थ व्यक्ति की मानसिकता, अक्षमता, नशीले पदार्थों की अनुपयोगिता, पौष्टिक और सात्विक भोजन की आवश्यकता, भ्रमण की उपयोगिता।
जीवन का पूर्ण आनंद वही ले सकता है जो स्वस्थ है। स्वास्थ्य के अभाव में सब प्रकार की सुख-सुविधाएँ व्यर्थ प्रमाणित होती हैं। तभी तो कहा है – ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात शरीर ही सब धर्मों का मुख्य साधन है। स्वास्थ्य जीवन है और अस्वस्थता मृत्यु है। अस्वस्थ व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता। बढ़िया से बढ़िया खाद्य पदार्थ उसे विष के समान लगता है। वस्तुतः उसमें काम करने की क्षमता ही नहीं होती।

अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहे। स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नियमितता तथा संयम की सबसे अधिक ज़रूरत है। समय पर भोजन, समय पर सोना और जागना अच्छे स्वास्थ्य के लक्षण हैं। शरीर की सफ़ाई की तरफ़ भी पूरा ध्यान देने की ज़रूरत है। सफ़ाई के अभाव से तथा असमय खाने-पीने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। क्रोध, भय आदि भी स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन तो शरीर के लिए घातक साबित होता है। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पौष्टिक एवं सात्विक भोजन भी ज़रूरी है।

स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम का भी सबसे अधिक महत्व है। व्यायाम से बढ़कर न कोई औषधि है और न कोई टॉनिक। व्यायाम से शरीर में स्फूर्ति आती है, शक्ति, उत्साह एवं उल्लास का संचार होता है। शरीर की आवश्यकतानुसार विविध आसनों का प्रयोग भी बड़ा लाभकारी होता है। खेल भी स्वास्थ्य लाभ का अच्छा साधन है। इनसे मनोरंजन भी होता है और शरीर भी पुष्ट तथा चुस्त बनता है। प्रायः भ्रमण का भी विशेष लाभ है। इससे शरीर का आलस्य भागता है, काम में तत्परता बढ़ती है। जल्दी थकान का अनुभव नहीं होता।

40. मधुर वाणी

संकेत बिंदु – श्रेष्ठ वाणी की उपयोगिता, कटुता और कर्कश वाणी, चरित्र की स्पष्टता, विनम्रता और मधुरवाणी।
वाणी ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। वाणी का मनुष्य के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। सुमधुर वाणी के प्रयोग से लोगों के साथ आत्मीय संबंध बन जाते हैं, जो व्यक्ति कर्कश वाणी का प्रयोग करते हैं, उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। जो लोग अपनी वाणी का मधुरता से प्रयोग करते हैं, उनकी सभी लोग प्रशंसा करते हैं। सभी लोग उनसे संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं। वाणी मनुष्य के चरित्र को भी स्पष्ट करने में सहायक होती है।

जो व्यक्ति विनम्र और मधुर वाणी से लोगों के साथ व्यवहार करते हैं, उसके बारे में लोग यही समझते हैं कि इनमें सद्भावना विद्यमान है। मधुर वाणी मित्रों की संख्या में वृद्धि करती है। कोमल और मधुर वाणी से शत्रु के मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है। वह भी अपनी द्वेष और ईर्ष्या की भावना को विस्तृत करके मधुर संबंध बनाने का इच्छुक हो जाता है। यदि कोई अच्छी बात भी कठोर और कर्कश वाणी में कही जाए तो लोगों पर उसकी प्रतिक्रिया विपरीत होती है। लोग यही समझते हैं कि यह व्यक्ति अहंकारी है। इसलिए वाणी मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है तथा उसे उसका सदुपयोग करना चाहिए।

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41. नारी शक्ति

संकेत बिंदु – नारी का स्वरूप, प्राचीन ग्रंथों में नारी, नारी के बिना नर नारी की सक्षमता।
नारी त्याग, तपस्या, दया, ममता, प्रेम एवं बलिदान की साक्षात मूर्ति है। नारी तो नर की जन्मदात्री है। वह भगिनी भी और पत्नी भी है। वह सभी रूपों में सुकुमार, सुंदर और कोमल दिखाई देती है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी नारी को पूज्य माना गया है। कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। उसके हृदय में सदैव स्नेह की धारा प्रवाहित होती रहती है। नर की रुक्षता, कठोरता एवं उद्दंडता को नियंत्रित करने में भी नारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह धात्री, जन्मदात्री और दुखहर्त्री है। नारी के बिना नर अपूर्ण है।

नारी को नर से बढ़कर कहने में किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं है। नारी प्राचीन काल से आधुनिक काल तक अपनी महत्ता एवं श्रेष्ठता प्रतिपादित करती आई है। नारियाँ, ज्ञान, कर्म एवं भाव सभी क्षेत्रों में अग्रणी रही हैं। यहाँ तक कि पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित कहे जाने वाले कार्यों में भी उसने अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। चाहे एवरेस्ट की चोटी ही क्यों न हो, वहाँ भी नारी के चरण जा पहुँचे हैं। अंटार्कटिका पर भी नारी जा पहुँची है। प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन वह अनेक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कर चुकी है। आधुनिक काल की प्रमुख नारियों में श्रीमती इंदिरा गांधी, विजयलक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, बछेंद्री पाल, सानिया मिर्ज़ा आदि का नाम गर्व के साथ लिया जा सकता है।

42. चाँदनी रात में नौका विहार

संकेत बिंदु – ग्रीष्म ऋतु में यमुना नदी में विहार, रात्रिकालीन प्राकृतिक सुषमा, उन्माद भरा वातावरण।
ग्रीष्मावकाश में हमें पूर्णिमा के अवसर पर यमुना नदी में नौका विहार का अवसर प्राप्त हुआ। चंद्रमा की चाँदनी से आकाश शांत, तर एवं उज्ज्वल प्रतीत हो रहा था। आकाश में चमकते तारे ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो वे आकाश के नेत्र हैं जो अपलक चाँदनी में डूबे पृथ्वी के सौंदर्य को देख रहे हैं। तारों से जड़े आकाश की शोभा यमुना के जल में द्विगुणित हो गई थी। इस रात – रजनी के शुभ प्रकाश में हमारी नौका धीरे-धीरे चलती हुई ऐसी लग रही थी मानो कोई सुंदर परी धीरे-धीरे चल रही हो। जब नौका नदी के मध्य में पहुँची तो चाँदनी में चमकता हुआ पुलिन आँखों से ओझल हो गया तथा यमुना के किनारे खड़े हुए वृक्षों की पंक्ति भृकुटि सी वक्र लगने लगी।

नौका के चलने से जल में उत्पन्न लहरों के कारण उसमें चंद्रमा एवं तारकवृंद ऐसे झिलमिला रहे थे मानो तरंगों की लताओं में फूल खिले हों। रजत सर्पों-सी सीधी-तिरछी नाचती हुई चाँदनी की किरणों की छाया चंचल लहरों में ऐसी प्रतीत होती थी मानो जल में आड़ी-तिरछी रजत रेखाएँ खींच दी गई हों। नौका के चलते रहने से आकाश के ओर-छोर भी हिलते हुए लगते थे। जल में तारों की छाया ऐसी प्रतिबिंबित हो रही थी मानो जल में दीपोत्सव हो रहा हो। ऐसे में हमारे एक मित्र ने मधुर राग छेड़ दिया, जिससे वातावरण और भी अधिक उन्मादित हो गया। धीरे-धीरे हम नौका को किनारे की ओर ले आए। डंडों से नौका को खेने पर जो फेन उत्पन्न हो रही थी वह भी चाँदनी के प्रभाव से मोतियों के ढेर – सी प्रतीत हो रही थी। समस्त दृश्य अत्यंत दिव्य एवं अलौकिक ही लग रहा था।

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43. राष्ट्रीय एकता

संकेत बिंदु – क्षेत्रीयता के प्रति मोह, देश की एकता के लिए घातक, राष्ट्रीय भावना का महत्व, भाषाई एकता, अनेकता में एकता।
आज देश के विभिन्न राज्य क्षेत्रीयता के मोह में ग्रस्त हैं। सर्वत्र एक-दूसरे से बिछुड़ कर अलग होने तथा अपना-अपना मनोराज्य स्थापित करने की होड़ लगी हुई है। यह स्थिति देश की एकता के लिए अत्यंत घातक है क्योंकि राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। राष्ट्र से तात्पर्य किसी भौगोलिक भू-खंड मात्र अथवा उस भू-खंड में सामूहिक रूप से रहने वाले व्यक्तियों से न होकर उस भू-खंड में रहने वाली संवेदनशील जनता से होता है। अतः राष्ट्रीय एकता वह भावना है, जो किसी एक राष्ट्र के समस्त नागरिकों को एकता के सूत्र में बाँधे रखती है। राष्ट्र के प्रति ममत्व की भावना से ही राष्ट्रीय एकता की भावना का जन्म होता है।

भारत प्राकृतिक, भाषायी, रहन-सहन आदि की दृष्टि से अनेक रूप वाला होते हुए भी राष्ट्रीय स्वरूप में एक है। पर्वतराज हिमालय एवं सागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ हैं, समस्त भारतीय धर्म एवं संप्रदाय आवागमन में आस्था रखते हैं। भाषाई भेदभाव होते हुए भी भारतवासियों की भावधारा एक है। यहाँ की संस्कृति की पहचान दूर से ही हो जाती है। भारत की एकता का सर्वप्रमुख प्रमाण यहाँ एक संविधान का होना है। भारतीय संसद की सदस्यता धर्म, संप्रदाय, जाति, क्षेत्र आदि के भेदभाव से मुक्त हैं। इस प्रकार अनेकता में एकता के कारण भारत की राष्ट्रीय एकता सदा सुदृढ़ है।

44. बारूद के ढेर पर दुनिया

संकेत बिंदु – नए-नए वैज्ञानिक आविष्कार, अस्त्र-शस्त्रों की भरमार, रासायनिक पदार्थों की अधिकता, रसायनों से जीवन को ख़तरे।
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य ने अपने भौतिक सुखों की वृद्धि के लिए इतने अधिक वैज्ञानिक उपकरणों का आविष्कार कर लिया है कि एक दिन वे सभी उपकरण मानव सभ्यता के विनाश का कारण भी बन सकते हैं। एक- दूसरे देश को नीचा दिखाने के लिए अस्त्र-शस्त्रों, परमाणु मों, रासायनिक बमों के निर्माण ने जहाँ परस्पर प्रतिद्वंद्विता पैदा की है वहीं इनका प्रयोग केवल प्रतिपक्षी दल को ही नष्ट नहीं करता अपितु प्रयोग करने वाले देश पर भी इनका प्रभाव पड़ता है। नए-नए कारखानों की स्थापना से वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है।

भोपाल गैस दुर्घटना के भीषण परिणाम हम अभी भी सहन कर रहे हैं। देश में एक कोने से दूसरे कोने तक ज़मीन के अंदर पेट्रोल तथा गैस की नालियाँ बिछाईं जा रही हैं, जिनमें आग लगने से सारा देश जलकर राख हो सकता है। घर में गैस के चूल्हों से अक्सर दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। पनडुब्बियों के जाल ने सागर तल को भी सुरक्षित नहीं रहने दिया है। धरती का हृदय चीर कर मेट्रो – रेल बनाई गई है। इसमें विस्फोट होने से अनेक नगर ध्वस्त हो सकते हैं। इस प्रकार आज की मानवता बारूद के एक ढेर पर बैठी है, जिसमें छोटी-सी चिंगारी लगने मात्र से भयंकर विस्फोट हो सकता है।

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45. जिस दिन समाचार-पत्र नहीं आता

संकेत बिंदु – समाचार पत्र का महत्व, विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ, अच्छे-बुरे समाचार।
समाचार पत्र का हमारे आधुनिक जीवन में बहुत महत्व है। देश-विदेश के क्रियाकलापों का परिचय हमें समाचार पत्र से ही प्राप्त होता है। कुछ लोग तो प्रायः अपना बिस्तर ही तभी छोड़ते हैं जब उन्हें चाय का कप और समाचार-पत्र प्राप्त हो जाता है। जिस दिन समाचार – पत्र नहीं आता उस दिन इस प्रकार के व्यक्तियों को यह प्रतीत होता है कि मानो दिन निकला ही न हो। कुछ लोग अपने घर के छज्जे आदि पर चढ़कर देखने लगते हैं कि कहीं समाचार-पत्र वाले ने समाचार-पत्र इतनी जोर से तो नहीं फेंका कि वह छज्जे पर जा गिरा हो।

वहाँ से भी जब निराशा हाथ लगती है तो वह आस-पास के घरवालों से पूछते हैं कि क्या उनका समाचार पत्र आ गया है ? यदि उनका समाचार-पत्र आ गया हो तो वे अपने समाचार-पत्र वाले को कोसने लगते हैं। उन्हें लगता है आज उनका दिन अच्छा व्यतीत नहीं होगा। उनका अपने काम पर जाने का मन भी नहीं होता। वे पुराना अखबार उठा कर पढ़ने का प्रयास करते हैं किंतु पढ़ा हुआ होने पर बोर होकर उसे फेंक देते हैं तथा समाचार-पत्र वाहक पर आक्रोश व्यक्त करने लगते हैं। कई लोग तो समाचार-पत्र के अभाव में अपनी नित्य क्रियाओं से भी मुक्त नहीं हो पाते। वास्तव में जिस दिन समाचार-पत्र नहीं आता वह दिन अत्यंत फीका- फीका, उत्साह रहित लगता है।

46. वर्षा ऋतु की पहली बरसात

संकेत बिंदु – गरमी की अधिकता, सभी प्राणियों की पीड़ा, वर्षा ऋतु का आगमन, वातावरण में ठंडक, प्राकृतिक सुंदरता।
गरमी का महीना था। सूर्य आग बरसा रहा था। धरती तप रही थी। पशु-पक्षी तक गरमी के कारण परेशान थे। मज़दूर, किसान, रेहड़ी-खोमचे वाले और रिक्शा चालक तो इस तपती गरमी को झेलने के लिए विवश होते हैं। पंखों, कूलरों और एयर कंडीशनरों में बैठे लोगों को इस गरमी की तपन का अनुमान नहीं हो सकता। जुलाई का महीना शुरू हुआ इस महीने में ही वर्षा ऋतु की पहली वर्षा होती है। सबकी दृष्टि आकाश की ओर उठती है।

किसान लोग तो ईश्वर से प्रार्थना के लिए अपने हाथ ऊपर उठा देते हैं। अचानक एक दिन आकाश में बादल छा गए। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर पिऊ-पिऊ मधुर आवाज़ में बोलने लगे। हवा में भी थोड़ी ठंडक आ गई। धीरे-धीरे हलकी-हलकी बूंदाबांदी शुरू हो गई। मैं अपने साथियों के साथ गाँव की गलियों में निकल पड़ा। साथ ही हम नारे लगाते जा रहे थे, ‘बरसो राम धड़ाके से, बुढ़िया मर गई फाके से ‘। किसान भी खुश थे। वर्षा तेज़ हो गई थी। खुले में वर्षा में भीगने, नहाने का मज़ा ही कुछ और है। वर्षा भी उस दिन कड़ाके से बरसी। मैं उन क्षणों को कभी भूल नहीं सकता। मैं उसे छू सकता था, देख सकता था और पी सकता था। मुझे अनुभव हुआ कि कवि लोग क्योंकर ऐसे दृश्यों से प्रेरणा पाकर अमर काव्य का सृजन करते हैं।

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47. शक्ति अधिकार की जननी है

संकेत बिंदु-शक्ति के प्रकार, शारीरिक और मानसिक शक्तियों का संयोग, अधिकारों की प्राप्ति, सत्य और अहिंसा का बल, अनाचार का विरोध।
शक्ति का लोहा कौन नहीं मानता है ? इसी के कारण मनुष्य अपने अधिकार प्राप्त करता है। प्राय: यह दो प्रकार की मानी जाती है – शारीरिक और मानसिक। दोनों का संयोग हो जाने से बड़ी से बड़ी शक्ति को घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष की आवश्यकता होती है। इतिहास इस बात का गवाह है कि अधिकार सरलता, विनम्रता और गिड़गिड़ाने से प्राप्त नहीं होते। भगवान कृष्ण ने पांडवों को अधिकार दिलाने की कितनी कोशिश की पर कौरव उन्हें पाँच गाँव तक देने के लिए सहमत नहीं हुए थे।

तब पांडवों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए युद्ध का रास्ता अपनाना पड़ा। भारत को अपनी आज़ादी तब तक नहीं मिली थी जब तक उसने शक्ति का प्रयोग नहीं किया। देशवासियों ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेज़ सरकार से टक्कर ली थी। तभी उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी और देश आज़ाद हुआ था। कहावत है कि लातों भूत बातों से नहीं मानते। व्यक्ति हो अथवा राष्ट्र उसे शक्ति का प्रयोग करना ही पड़ता है। तभी अधिकारों की प्राप्ति होती है। शक्ति से ही अहिंसा का पालन किया जा सकता है, सत्य का अनुसरण किया जा सकता है, अत्याचार और अनाचार को रोका जा सकता है। इसी से अपने अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में ही शक्ति अधिकार की जननी है।

48. भाषण नहीं राशन चाहिए

संकेत बिंदु – भाषण की उपयोगिता और अनुपयोगिता, नेताओं की करनी – कथनी में अंतर, आम जनता की पीड़ा।
हर सरकार का यह पहला काम है कि वह आम आदमी की सुविधा का पूरा ध्यान रखे। सरकार की कथनी तथा करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। केवल भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता। यदि बातों से पेट भर जाता तो संसार का कोई भी व्यक्ति भूख-प्यास से परेशान न होता। भूखे पेट से तो भजन भी नहीं होता। भारत एक प्रजातंत्र देश है। यहाँ के शासन की बागडोर प्रजा के हाथ में है, यह केवल कहने की बात है। इस देश में जो भी नेता कुर्सी पर बैठता है, वह देश के उद्धार की बड़ी-बड़ी बातें करता है पर रचनात्मक रूप से कुछ भी नहीं होता।

जब मंच पर आकर नेता भाषण देते हैं तो जनता उनके द्वारा दिखाए गए सब्ज़बाग से खुशी का अनुभव करती है। उसे लगता है कि नेता जिस कार्यक्रम की घोषणा कर रहे हैं, उससे निश्चित रूप से गरीबी सदा के लिए दूर हो जाएगी, लेकिन होता सब कुछ विपरीत है। अमीरों की अमीरी बढ़ती जाती है और आम जनता की गरीबी बढ़ती जाती है। यह व्यवस्था का दोष है। इन नेताओं के हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत चरितार्थ होती है। जनता को भाषण की नहीं राशन की आवश्यकता है।

सरकार की ओर से ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जनता को ज़रूरत की वस्तुएँ प्राप्त करने में कठिनाई का अनुभव न हो। उसे रोटी, कपड़ा, मकान की समस्या का सामना न करना पड़े। सरकार को अपनी कथनी के अनुरूप व्यवहार भी करना चाहिए। उसे यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि जनता को भाषण नहीं राशन चाहिए। भाषणों की झूठी खुराक से जनता को बहुत लंबे समय तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

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49. हमारे पड़ोसी

संकेत बिंदु – रिश्तेदारों से बेहतर, सुख-दुख के साथी, अच्छे-बुरे स्वभाव।
अच्छे पड़ोसी तो रिश्तेदारों से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे सुख-दुख के भागीदार होते हैं। जीवन के हर सुख-दुख में पड़ोसी पहले आते हैं और दूर रहने वाले सगे-संबंधी तो सदा ही देर से पहुँचते हैं। आज के स्वार्थी युग में ऐसे पड़ोसी मिलना बहुत कठिन है, जो सदा कंधे से कंधा मिलाकर सुख-दुख में एक साथ चलें। हमारे पड़ोस में एक अवकाश प्राप्त अध्यापक रहते हैं।

वे सारे मुहल्ले के बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं। एक दूसरे सज्जन हैं जो सभी पड़ोसियों के छोटे-छोटे काम बड़ी प्रसन्नता से करते हैं। हमारे पड़ोस में एक प्रौढ़ महिला भी रहती हैं, जिन्हें सारे मुहल्ले वाले मौसी कह कर पुकारते हैं। यह मौसी मुहल्ले भर के लोगों की खोज-खबर रखती हैं। मौसी को सारे मुहल्ले की ही नहीं, सारे शहर की खबर रहती है। हम मौसी को चलता-फिरता अखबार कहते हैं। हमारे सारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं। एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं और समय पड़ने पर उचित सहायता भी करते हैं।

50. सपने में चाँद की यात्रा

संकेत बिंदु – मन में विचार, सपना, चाँद पर भ्रमण, नींद का खुलना।
आज के समाचार-पत्र में पढ़ा कि भारत भी चंद्रमा पर अपना यान भेज रहा है। सारा दिन यही समाचार मेरे अंतर में घूमता रहा। सोया तो स्वप्न में लगा कि मैं चंद्रयान से चंद्रमा पर जाने वाला भारत का प्रथम नागरिक हूँ। जब मैं चंद्रमा के तल पर उतरा तो चारों ओर उज्ज्वल प्रकाश फैला हुआ था। वहाँ की धरती चाँदी से ढकी हुई लग रही थी। तभी एकदम सफ़ेद वस्त्र पहने हुए परियों ने मुझे पकड़ लिया और चंद्रलोक के महाराज के पास गईं।

वहाँ भी सभी सफ़ेद उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए थे। उनसे वार्तालाप में मैंने स्वयं को जब भारत का नागरिक बताया तो उन्होंने मेरा सफ़ेद रसगुल्लों जैसी मिठाई से स्वागत किया। वहाँ सभी कुछ अत्यंत निर्मल और पवित्र था। मैंने मिठाई खानी शुरू ही की थी कि मेरी मम्मी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे उठा दिया और डाँटने लगीं कि चादर क्यों खा रहा है ? मैं हैरान था कि यह क्या हो गया ? कहाँ तो मैं चंद्रलोक का आनंद ले रहा था और यहाँ चादर खाने पर डाँट पड़ रही है। मेरा स्वप्न भंग हो गया था और मैं भागकर बाहर की ओर चला गया।

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51. मेट्रो रेल : महानगरीय जीवन का सुखद सपना

संकेत बिंदु – गति, व्यवस्थित, आराम।
मेट्रो रेल वास्तव में ही महानगरीय जीवन का एक सुखद सपना है। भाग-दौड़ की जिंदगी में भीड़-भाड़ से भरी सड़कों पर लगते हुए गतिरोधों से आज मुक्ति दिला रही है मेट्रो रेल। जहाँ किसी निश्चित स्थान पर पहुँचने में घंटों लग जाते थे, वहीं मेट्रो रेल मिनटों में पहुँचा देती है। यह यातायात का तीव्रतम एवं सस्ता साधन है। यह एक सुव्यवस्थित क्रम से चलती है। इससे यात्रा सुखद एवं आरामदेह हो गई है। बसों की धक्का-मुक्की, भीड़-भाड़ से मुक्ति मिल गई है। समय पर अपने काम पर पहुँचा जा सकता है। एक निश्चित समय पर इसका आवागमन होता है, इसलिए समय की बचत भी होती है। व्यर्थ में इंतज़ार नहीं करना पड़ता है। महानगर के जीवन में यातायात क्रांति लाने में मेट्रो रेल का महत्वपूर्ण योगदान है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 8 Reach for the Top

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 8 Reach for the Top Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Chapter 8 Reach for the Top

JAC Class 9 English Reach for the Top Textbook Questions and Answers

Part – I
Santosh Yadav

Thinking About the Text

I. Answer these questions in one or two sentences each. (The paragraph numbers within brackets provide clues to the answers.)

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिये। (कोष्ठकों में दिये गये पैराग्राफ नम्बर उत्तरों के लिए संकेतार्थ हैं 1 )

Question 1.
Why was the ‘holy man’ whg gave Santosh’s mother his blessing, surprised?
वह संन्यासी जिसने सन्तोष की माँ को आशीर्वाद दिया वह चकित क्यों हुआ? (Para 1 )
Answer:
The ‘holy man’ was surprised at the reply of Santosh’s grandmother. She told him that they didn’t want a son whereas he had blessed Santosh’ mother thinking that she probably wanted a son.

वह सन्यासी सन्तोष की दादी के उत्तर से आश्चर्यचकित था । उसने सन्यासी से कहा कि उन्हें लड़का नहीं चाहिए जबकि उसने (सन्यासी ने) सन्तोष की माँ को यह सोचते हुए आशीर्वाद दिया था कि शायद वह एक पुत्र चाहती है।

Question 2.
Give an example to show that even as a young girl Santosh was not ready to accept anything unreasonable. (Para 2 )
यह दिखाने के लिए एक उदाहरण दीजिए कि सन्तोष जब छोटी थी तो कोई भी तर्कहीन बात स्वीकार करने को तैयार नहीं थी ।
Answer:
From the very beginning Santosh lived her life on her own terms. She was not content with the traditional way of life and was not ready to accept anything unreasonable. Example for this. “Where other girls wore traditional Indian dresses, she preferred shorts.”

शुरूआत से ही संतोष ने अपनी स्वयं की इच्छा से जीवन जीना प्रारम्भ किया वह जीवन को परम्परागत ढंग से जीने में संतुष्ट नहीं थी और वह कुछ भी अतर्कसंगत बात स्वीकार करने को तैयार नहीं थी। इससे संबंधित उदाहरण- “जहाँ अन्य लड़कियाँ परम्परागत भारतीय वस्त्र पहना करती थीं वहीं सन्तोष शार्ट्स (छोटे नेकर) पहनना पसन्द करती थी ।’

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Question 3.
Why was Santosh sent to the local school ?
संतोष को स्थानीय स्कूल में क्यों भेजा गया ? (Para 3)
Answer:
Even though Santosh’s parents could afford to send their children to the best schools, they sent her to the local village school due to prevailing customs in the family. She completed her elementary education from there without any objection.

यद्यपि सन्तोष के माता-पिता अपने बच्चों को सबसे अच्छे स्कूलों में भेजने का खर्च उठा सकते थे लेकिन प्रचलित रीति रिवाजों के कारण उन्होंने उसे गाँव के स्थानीय स्कूल में भेज दिया था। उसने बिना किसी आपत्ति के अपनी प्रारम्भिक शिक्षा वहाँ से पूरी की।

Question 4.
When did she leave home for Delhi, and why ?
उसने दिल्ली जाने के लिए अपना घर कब छोड़ा और क्यों ? (Para 4)
Answer:
She left home for Delhi when she turned sixteen. She was under pressure from her parents to get married. She threatened her parents that she would never marry if she didn’t get a proper education.

जब वह सोलह वर्ष की हुयी तब वह घर से दिल्ली चली गयी। वह शादी करने के लिए अपने माता-पिता के दबाव में थी। उसने अपने माता-पिता को धमकी दी कि अगर उसे उचित शिक्षा नहीं मिलेगी तो वह कभी शादी नहीं करेगी।

Question 5.
Why did Santosh’s parents agree to pay for her schooling in Delhi ? What mental qualities of Santosh are brought into light by this incident? (Para 4)
संतोष के माता-पिता दिल्ली में उसके स्कूल की शिक्षा का खर्च देने को क्यों मान गये ? इस घटना से संतोष के कौन-से मानसिक गुण प्रकाशित होते हैं ?
Answer:
When Santosh politely informed her parents of her plan to earn money by working part time to pay for her school fees, they agreed to pay for her schooling. This incident shows that Santosh had iron will, firm determination and self-reliance.

जब सन्तोष ने विनम्रतापूर्वक अपने माता-पिता को अंशकालीन कार्य कर धन कमाने व स्कूल की फीस चुकाने की अपनी योजना के बारे में बताया तो वे उसके स्कूल का खर्च देने को तैयार हो गये । यह घटना सन्तोष की अडिग इच्छाशक्ति, दृढनिश्चय व आत्मनिर्भरता के गुण को दर्शाती है ।

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II. Answer each of these questions in a short paragraph (around 30 words) :

निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक संक्षिप्त अनुच्छेद में दें (30 शब्दों के लगभग) :

Question 1.
How did Santosh begin to climb mountains ?
संतोष ने पहाड़ों पर चढ़ना कैसे आरम्भ किया ?
Answer:
When Santosh joined Maharani College in Jaipur, she got a room in Kasturba Hostel. From there she used to watch mountaineers climbing the Aravalli hills. One day she joined them and began to learn climbing hills.

जब सन्तोष ने जयपुर में महारानी कॉलेज में प्रवेश लिया तब उसे कस्तूरबा होस्टल में एक कमरा मिला । वहाँ से वह पर्वतारोहियों को अरावली पहाड़ियों पर चढ़ते हुए देखा करती थी । एक दिन वह उनमें शामिल हो गई और उसने पहाड़ियों पर चढ़ना सीखना शुरू किया !

Question 2.
What incidents during the Everest expedition show Santosh’s concern for her team-mates?
एवरेस्ट अभियान के दौरान कौन-सी घटनाएँ सन्तोष द्वारा अपने दल के साथियों के प्रति चिन्ता को दर्शाती हैं ?
Answer:
During the 1992 Everest mission, Santosh Yadav provided special care to a climber. He lay dying at the South Col. Unfortunately, she could not save him. But she saved another climber Mohan Singh by sharing her oxygen with him.

वर्ष 1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान सन्तोष यादव ने एक पर्वतारोही की विशेष देख-रेख की । वह साउथ कॉल (दक्षिणी दर्रा) पर मरणासन्न पड़ा हुआ था । दुर्भाग्यवश, वह उसे नहीं बचा सकी । किन्तु उसने एक दूसरे पर्वतारोही मोहन सिंह को अपनी ऑक्सीजन में से कुछ ऑक्सीजन उसे देकर बचा लिया ।

Question 3.
What shows her concern for the environment ?
पर्यावरण के प्रति उसकी चिन्ता किस बात से प्रदर्शित होती है ?
Answer:
Santosh is a fervent environmentalist. During her Everest missions, she collected 500 kilograms of garbage from the Himalayas and brought it down. It shows her concern for the environment.

संतोष एक उत्साही पर्यावरणविद् है । अपने एवरेस्ट अभियानों के दौरान उसने हिमालय से 500 किलोग्राम कूड़ा-कचरा एकत्र किया और इसे नीचे लेकर आई। यह बात पर्यावरण के प्रति उसकी चिन्ता को दर्शाती है ।

Question 4.
How does she describe her feelings at the summit of the Everest?
एवरेस्ट की चोटी पर अपनी भावनाओं का वर्णन वह कैसे करती है ?
Answer:
Santosh felt proud of being an Indian. She unfurled the tricolour flag of India on Mt Everest. She held it aloft on the roof of the world. She felt extremely happy thinking that the flag of India was flying on top of the world.

सन्तोष ने भारतीय होने पर गर्व महसूस किया । उसने भारतीय तिरंगा ऐवरेस्ट पर फहराया। उसने इसको संसार की छत पर ऊँचा करके उठा लिया । उसने यह सोचकर बहुत खुशी महसूस की कि भारतीय ध्वज विश्व की सबसे अधिक ऊँचाई पर फहरा रहा था ।

Question 5.
Santosh Yadav got into the record books both times she scaled Mt Everest. What were the reasons for this?
संतोष यादव का नाम रिकॉर्ड (कीर्तिमान) की पुस्तकों में दोनों बार आया जब उसने माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई. की ? इसके कारण क्या थे?
Answer:
Santosh Yadav conquered Mt Everest twice. Each time she made a record. When she scaled Mt Everest first time, she became the youngest woman in the world to climb Mt Everest. When she conquered it the second time, she became the only woman in the world to scale Mt Everest twice.

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संतोष यादव ने माउण्ट एवरेस्ट को दो बार फतेह किया । प्रत्येक बार उसने रिकॉर्ड बनाया । जब उसने पहली बार चढ़ाई की तो वह माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की सबसे कम आयु की महिला बनी। जब उसने दूसरी बार एवरेस्ट पर विजय पाई तो वह एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की प्रथम महिला बन गई।

III. Complete the following statements:

निम्नलिखित कथनों की पूर्ति कीजिये :

1. From her room in Kasturba hostel, Santosh used to …………..
2. When she finished college, Santosh had to write a letter of apology to her father because …………..
3. During the Everest expedition, her seniors in the team admired her …………..
Answer:
1. ……………….. watch villagers going up the hifi and suddenly vanishing after a while.
2. ……………….. she had got herself enrolled at an institute in Uttarkashi without his permission.
3 for her climbing skills, physical fimess and mental strength while her concern for others and desire to work together with them

IV. Pick out words from the text that mean the same as the following words or expressions. (Look in the paragraphs indicated):

निम्नलिखित शब्दों या अभिव्यक्तियों के अर्थ वाले शब्दों को पाठ में से छाँटिये । ( निर्दिष्ट पैराग्राफ में देखिये):

1. took to be true without proof (1) : ………………..
2. based on reason : sensible : reasonable (2) : …………………
3. the usual way of doing things (3) : ………………..
4. a strong desire arising from within (5) : ………………..
5. the power to endure, without falling ill (7) : ………………..
Answer:
1. assumed
2. rational
3. custom
4. urge
5. endurance/resistance

Part- II
Maria Sharapova

Thinking About the Text

Working in small groups of 4-5 students, go back over the two passages on Santosh Yadav and Maria Sharapova and complete the table given below with relevant phrases or sentences.

विद्यार्थियों के छोटे-से समूहों में कार्य करते हुए संतोष यादव व मारिया शारापोवा के बारे में पीछे दिये गये दो गद्यांशों को देखिये, और सम्बंधित शब्द- समूहों या वाक्यों के नीचे दी गई तालिका को पूरी कीजिये ।

Points of Comparison/Contrast

Santosh Yadav Maria Sharapova
1. Their humble beginning
2. Their parents’ approach
3. Their will power and strong desire to succeed
4. Evidence of their mental toughness,
5. Their patriotism

Answer:
1. Their humble beginning
Santosh Yadav : She was born in a small village Joniyawas of Rewari district in Haryana. Maria Sharapova : She was born in the frozen plains of Siberia (Russia).

2. Their parents approach
Santosh Yadav: Her parents discouraged her.
Maria Sharapova: Her father worked as much as he could do to help her.

3. Their will power and strong desire to succeed
Santosh Yadav : She left home and went to Delhi for better schooling. After that she went to Jaipur and at last, she joined Nehru Institute of Mountaineering at Uttarkashi.
Maria Sharapova : She went to Florida (USA) leaving behind her mother and worked very hard in spite of humiliation.

4. Evidence of their mental toughness
Santosh Yadav: She conquered Mt Everest twice.
Maria Sharapova : She worked hard to reach the top position in women’s tennis.

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5. Their patriotism
Santosh Yadav : She felt proud of being an Indian. She unfurled India’s National Flag and held it high on top of the world.
Maria Sharapova : She retains Russian citizenship, wants to play at Olympics for Russia.

Thinking About Language:

Look at the following sentences. They each have two clauses, or two parts each with their own subject and verb or verb phrase. Often one part (italicised) tells us when or why something happened.

निम्नलिखित वाक्यों को देखिये । Subject और verb या verb phrase के साथ प्रत्येक वाक्य में दो clauses हैं या इसके दो भाग हैं। प्रायः तिरछे अक्षरों में मुद्रित भाग यह बताता है कि कोई चीज कब या क्यों हुई।

  • I reached the market when most of the shops had closed. (Tells us when I reached)
  • When Rahul Dravid walked back towards the pavilion, everyone stood up. (Tells us when everyone stood up)
  • The telephone rang and Ganga picked it up. (Tells us what happened next)
  • Gunjan has been with us ever since the school began. (Tells us for how long she has been with us)

I. Identify the two parts in the sentences below by underlining the part that gives us the information in brackets, as shown above.

नीचे दिये गये वाक्यों के दोनों भागों की पहचान कीजिये । जो भाग कोष्ठक में दी गई जानकारी देता है उसे रेखांकित कीजिये जैसा कि ऊपर दिखाया गया है।

1. Where other girls wore traditional Indian dresses, Santosh preferred shorts.
(Contrasts her dress with that of others).

2. She left home and got herself enrolled in a school in Delhi.
(Tells us what happened after the first action)

3. She decided to fight the system when the right moment arrived.
(Tells us when she was going to fight the system)

4. Little Maria had not yet celebrated her tenth birthday when she was packed off to train in the United States.
(Tells us when Maria was sent to the U.S.)
Answer:
1. Where other girls wore traditional Indian dresses, Santosh preferred shorts.
2. She left home and got herself enrolled in a school in Delhi.
3. She decided to fight the system when the right moment arrived.
4. Little Maria had not yet celebrated her tenth birthday when she was packed off to train in the United States.

II. Now rewrite the pairs of sentences given below as one sentence.

अब नीचे दिये गये वाक्य युग्मों को एक वाक्य में लिखिए ।

1. Grandfather told me about the old days. All books were printed on paper then.
2. What do you do after you finish the book? Perhaps you just throw it away.
3. He gave the little girl an apple. He took the computer apart.
4. You have nothing. That makes you very determined.
5. I never thought of quitting. I knew what I wanted.
Answer:
1. Grandfather told me about the old days when all books were printed on paper.
2. Perhaps you just throw the book away after finishing it.
3. He gave the little girl an apple and took the computer apart.
4. If you have nothing, it makes you very determined.
5. I never thought of quitting because I knew what I wanted.

Dictation

1. Read the passage once. Then close your books. Your teacher will dictate the story to you. Write it down with the correct punctuation and paragraphing.
निम्न अनुच्छेद को एक बार पढ़िये । फिर अपनी पुस्तकें बन्द कीजिए। आपके अध्यापक आपको इसे बोलकर लिखायेंगे । इसमें सही विराम चिन्ह लगाकर व इसके अनुच्छेद बनाकर लिखिए ।
नोट – अपी अध्यापक के निर्देशन में कार्य कीजिये ।

Speaking

Imagine that you are Santosh Yadav, or Maria Sharapova. You have been invited to speak at an All India Girls’ Athletic Meet, as chief guest. Prepare a short speech to motivate the girls to think and dream big and make an effort to fulfil their dreams, not allowing difficulties or defeat to discourage them. The following words and phrases may help you.

कल्पना कीजिए कि आप सन्तोष यादव या मारिया शारापोवा हैं। आपको अखिल भारतीय बालिका एथलेटिक मीट में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन के लिए आमन्त्रित किया गया है। बालिकाओं की प्रेरणार्थ एक संक्षिप्त भाषण तैयार कीजिए जिसमें उन्हें बड़े स्वप्न देखने व अपने स्वप्नों की पूर्ति हेतु प्रयास करने तथा कठिनाईयों व पराजय से हताश नहीं होने हेतु कहा गया हो। निम्न शब्द व वाक्यांश आपकी सहायता कर सकते

  • self confident/confidence/sure of yourself
  • self assured/assurance/belief in yourself
  • morale/boost morale/raise morale
  • giving somebody a boost/fillip/lift
  • demoralising/unsure of yourself/insecure/lack confidence

Answer:

Speech

Honourable President of the function and other distinguished personalities, and my younger sisters, first of all I thank the organisation for inviting me to this ceremony. I always feel very glad in the company of young girls. Today I’ll share with you my experiences that might give you something to learn. I think you must try hard as I did. For achieving something great, the first and foremost condition is that we should have self confidence in ourselves. We should always dream big. We should make an effort to fulfill our dreams. We should not allow difficulties or defeat to discourage us. We should be self confident.

We should have belief in ourselves. We should boost our morale and demoralise the feeling of insecurity and lack of confidence. My brave girls! Big words need big efforts. So stand up with firm determination and try hard to achieve the goal. You may have to sacrifice your certain pleasures. But at last you will be successful. I wish you all the best.
Thank you.

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Writing

Working in pairs, go through the table below that gives information about the top women tennis players since 1975. Write a short article for your school magazine comparing and contrasting the players in terms of their duration at the top. Mention some qualities that you think may be responsible for their brief or long stay at the top spot.

युग्मों में कार्य करते हुए नीचे दी गई तालिका को ध्यान से पढ़िये। इसमें उन महिला टेनिस खिलाड़ियों के बारे में सूचना है जो 1975 से शिखर पर रही हैं । अपने विद्यालय की पत्रिका के लिए एक संक्षिप्त लेख लिखिये जिसमें इन खिलाड़ियों के शीर्ष पर रहने के काल की तुलना व विषमता प्रस्तुत की गई हो । उन गुणों का भी उल्लेख कीजिये जो आपके विचार में उनके लम्बे या थोड़े समय तक शीर्ष स्थान पर रहने के लिए उत्तरदायी रहे हों ।

Top-Ranked Women Players

1. The roll of honour of women who enjoyed life at the summit since everybody’s favourite player, Chris Evert took her place in 1975.
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Answer:

Top-Ranked Women Players
(By Shalu IX-A)

Tennis is a very popular game all over the world. We should know about the women tennis players who have topped and touched the summit of success. First of all we see Chris Evert. She belonged to the US. She took her place in 1975. She maintained her first rank for 362 weeks that is indeed, a very long period for a player. She succeded in maintaining it only through sacrificing her pleasures. She had iron will and determination in achieving the goal. In 1978, Martina Navratilova of U.S. remained on the top continuously for 331 weeks.

She was also a great player of tennis and she was admired internationally. Steffi Graf from Germany became No.1 tennis player of the world on 17 August 1987 and remained on the top for 377 weeks, the longest period upto now. Martina Hingis from Switzerland, Lindsay Davenport from the U.S., Serena Williams from the U.S., Justine Henin-Hardenne from Belgium have also been world’s number one tennis players for considerably a good period. Among them Lindsay Davenport’s efforts are appreciable. She topped first on 12 Oct 1998 and remained on the summit for 82 weeks. She continued her efforts and she again became number one player in Oct. 2004 and maintained this rank for 82 weeks. Her high morale, determination, and self-confidence made her the best player in the world.

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There are some women players also who became number one player in the world, but they could not maintain it for a long period. This might have happened due to their weak-willed view and age factor. Among them came Tracy Austin, Arantxa Sanchez-Vicario, Jennifer Capriati, Venus Williams, Kim Clijsters and Amelie Mauresmo.

Now we talk about Maria Sharapova from Russia. She became number one player on 22 August 2005 but she remained on this spot only for a week. Although she was determined and fiercely competitive, her humble beginning became a hurdle in her success.

II. Which of these words would you use to describe Santosh ? Find reasons in the text to support your choices, and write a couple of paragraphs describing Santosh’s character.

संतोष का वर्णन करने के लिए आप इनमें से कौन-से शब्दों का प्रयोग करेंगे ? अपनी बात की पुष्टि के लिए पाठ में से कारण ढूँढ़िये और संतोष का चरित्र दो अनुच्छेदों में लिखिये ।
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  • Determined: She was determined to choose the correct path and change the system. She refused to marry early and joined a school in Delhi.
  • Adventurous: She went to climb the Aravalli Hills herself.
  • Polite: She was firm but polite. She told her father politely that she would earn for her. schooling.
  • Resourceful: She saved money and joined a course in mountaineering.
  • Considerate: She helped other climbers. She shared her oxygen to save the life of a fellow climber, Mohan Singh.
  • Independent: She joined the Nehru Institute of Mountaineering at Uttarkashi without asking permission from her father.
  • Persevering: She kept on going on expedition after expedition till she made it to the top twice.

A Brief Character-sketch of Padmashri Santosh Yadav
Padmashri Santosh Yadav was born in Joniyawas, a small village of Rewari district in Haryana. From the very beginning, she was determined to choose the right path and change the orthodox outlook of the people of her village. She refused to marry early. She was determined to get proper education. She went to Delhi on her own and joined a school there to get good education.

Santosh Yadav took to the climbing by chance. She was fascinated to see people climbing the Aravalli Hills. She tried to climb herself with the motivation of Aravalli hills climbers. She was resourceful. She saved money and joined a course in climbing without asking permission from her father. She was able to climb the top of Mt Everest. She did it twice and at an early age. Her worrying for others is praiseworthy. She shared her oxygen to save a dying fellow climber Mohan Singh.

पद्मश्री सन्तोष यादव – एक संक्षिप्त चरित्र चित्रण
पद्मश्री संतोष यादव का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गाँव जोनियावास में हुआ । वह शुरू से ही सही मार्ग चुनने और अपने गाँव के पुरातनपंथी लोगों के दृष्टिकोण को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित थी । उसने छोटी उम्र में विवाह करने से मना कर दिया । वह सही शिक्षा पाने के लिए दृढ़संकल्प थी । वह अपने आप दिल्ली चली गई और वहाँ एक स्कूल में दाखिला ले लिया ।

संतोष यादव ने पर्वतारोहण का कार्य संयोगवश ले लिया । वह लोगों को अरावली पहाड़ियों पर चढ़ते हुए देखकर आकर्षित हो गई । उसने स्वयं अरावली पहाड़ियों पर चढ़ने वाले लोगों की प्रेरणा से पहाड़ी पर चढ़ने का प्रयत्न किया । वह सूझबूझ से पूर्ण थी । उसने धन बचाकर अपने पिता की इजाजत के बिना ही पर्वतारोहण कोर्स में दाखिला ले लिया । वह एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने में समर्थ हुई । उसने बहुत ही छोटी अवस्था में यह कार्य दो बार किया। उसके हृदय में दूसरों के प्रति चिन्ता प्रशंसनीय है । उसने अपने एक साथी पर्वतारोही मोहन सिंह की जान बचाने के लिए अपनी ऑक्सीजन में से कुछ ऑक्सीजन दी।

JAC Class 9 English Reach for the Top Important Questions and Answers

Part – I
Santosh Yadav

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
Where was Santosh born ?
सन्तोष का जन्म कहाँ हुआ था ?
Answer:
Santosh, the only woman in the world who has scaled Mt Everest twice, was born in the small village of Joniyawas of Rewari district in Haryana.

संसार की एकमात्र महिला संतोष जो माउण्ट ऐवरेस्ट पर दो बार चढ़ चुकी है, का जन्म हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले में स्थित एक छोटे से गाँव जोनियावास में हुआ था ।

Question 2.
How could Santosh’s parents afford to send their children to the best schools?
सन्तोष के माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठतम विद्यालयों में भेजने में किस प्रकार समर्थ थे ?
Answer:
Santosh’s parents were affluent landowners. So they could afford to send their children to the best schools, even to the country’s capital, New Delhi, which was quite close by.

सन्तोष के माता-पिता समृद्ध जमींदार थे । इसलिए वे अपने बच्चों को श्रेष्ठतम विद्यालयों तथा यहाँ तक कि देश की राजधानी नई दिल्ली में भी भेजने में समर्थ थे जो कि बिल्कुल ही निकट थी ।

Question 3.
Why was Santosh not sent to study outside her village in her childood ?
सन्तोष को बचपन में पढ़ने के लिए गाँव से बाहर क्यों नहीं भेजा गया ?
Answer:
According to the prevailing custom in the family, Santosh was not sent to study outside her village. She had to read in the local village school. But she decided to fight the system in her quiet way,

परिवार में प्रचलित परम्परा के अनुसार सन्तोष को गाँव से बाहर पढ़ने के लिए नहीं भेजा गया। उसे गाँव के ही स्थानीय विद्यालय में पढ़ना पड़ा। लेकिन उसने अपने शांत भाव से इस परम्परा के खिलाफ लड़ने का निश्चय किया।

Question 4.
What did Santosh tell her parents when she was under pressure to get married?
जब सन्तोष पर विवाह करने के लिए दबाव था तो उसने अपने माता-पिता से क्या कहा ?
Answer:
When Santosh turned sixteen, her parents pressed her to get married as per the village tradition. But Santosh threatened her parents that she would never marry if she did not get proper education.

जब सन्तोष 16 वर्ष की हुयी तो उसके माता-पिता ने गाँव की प्रथा के अनुसार उस पर शादी करने के लिए दबाव डाला। लेकिन सन्तोष ने अपने माता-पिता को यह धमकी दी कि यदि उसको उपयुक्त शिक्षा प्राप्त नहीं हुई तो वह कभी भी विवाह नहीं करेगी ।

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Question 5.
Why did Santosh write a letter of apology to her father ?
सन्तोष ने अपने पिता को क्षमा-याचना का पत्र क्यों लिखा ?
Answer:
Santosh wrote a letter of apology to her father because she had got enrolled herself in a course at Uttarkashi’s Nehru Institute of mountaineering without his permission.

सन्तोष ने अपने पिता को क्षमा-याचना का पत्र इसलिए लिखा क्योंकि उसने उनकी अनुमति के बिना अपना नामांकन उत्तरकाशी के ‘नेहरू पर्वतारोहण संस्थान’ के एक पाठ्यक्रम में करवा लिया था ।

Question 6.
What qualities did Santosh develop in herself during expeditions?
सन्तोष ने अभियानों के दौरान किन-किन गुणों को विकसित किया?
Answer:
Santosh developed qualities like remarkable resistance to cold and the altitude. “Moreover, she possessed iron will, physical endurance and an amazing mental toughness. Due to these qualities, she could complete her mission.

सन्तोष ने शीत व ऊँचाई के प्रति एक उल्लेखनीय प्रतिरोधक शक्ति विकसित कर ली थी । इसके अतिरिक्त उसमें दृढ़ इच्छाशक्ति, शारीरिक सहनशीलता व अद्भुत मानसिक दृढ़ता थी । इन गुणों के कारण ही वह अपने मिशन को पूरा कर सकी ।

Question 7.
How did Santosh save her fellow climber Mohan Singh during the 1992 Everest Mission?
वर्ष 1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान सन्तोष ने अपने साथी पर्वतारोही मोहन सिंह को किस प्रकार बचाया ?
Answer:
During the 1992 Everest. Mission, Mohan Singh was lying in the South Col. He was about to die without oxygen. Then Santosh saved her fellow climber by sharing her oxygen with him.

वर्ष 1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान मोहन सिंह साउथ कोल में पड़ा हुआ था। वह बिना आक्सीजन के लगभग मरने ही वाला था। तब सन्तोष ने अपने साथी पर्वतारोही को अपनी आक्सीजन में से कुछ आक्सीजन देकर उसे बचाया ।

Question 8.
Who invited Santosh to scale Mt Everest a second time? What was her achievement?
माउण्ट एवरेस्ट पर दूसरी बार चढ़ने के लिए सन्तोष को किसने आमन्त्रित किया ? उसकी क्या उपलब्धि थी?
Answer:
Indo – Nepalese Women’s Expedition made Santosh a member of their team and invited her to scale Mt Everest a second time. The Indian Government bestowed upon her the Padmashri on setting a record as the only woman to have scaled Mt Everest twice.

इण्डो-नेपाली महिला अभियान ने सन्तोष को अपने दल का सदस्य बना लिया और उसे दूसरी बार माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए आमन्त्रित किया । माउण्ट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की एकमात्र महिला का कीर्तिमान स्थापित करने पर उसे भारत सरकार ने पदमश्री से सम्मानित किया।

Question 9.
What efforts did Santosh make to improve the environment of the Himalayas ?
सन्तोष ने हिमालय का पर्यावरण सुधारने के लिए क्या किया ?
Ans.
Santosh is a fervent environmentalist. She collected 500 kilograms of garbage from the Himalayas and brought it down from there. Thus, she made efforts to improve the environment of the Himalayas.

सन्तोष एक उत्साही पर्यावरणविद् है । उसने हिमालय से 500 किलोग्राम कूड़ा-कचरा इकट्ठा किया और वहाँ से नीचे लेकर आई । इस प्रकार सन्तोष ने हिमालय का पर्यावरण सुधारने का प्रयास किया ।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
How did Santosh struggle to get proper education ?
उपयुक्त शिक्षा प्राप्त करने के लिए सन्तोष ने किस प्रकार संघर्ष किया ?
Answer:
When Santosh was sixteen, her parents wanted her to get married. But she threatened her parents that she would never marry if she did not get proper education. Then she left her home and joined a school in Delhi to get good education. She made a plan to earn money by working part time to pay her school fees. But later her parents agreed to pay for her education. Thus, Santosh succeeded in getting proper education.

जब सतीष ‘सोलह वर्ष की हुई तो उसके माता-पिता उसका विवाह करना चाहते थे । किन्तु उसने अपने माता-पिता को धमकी दी कि यदि उसे उपयुक्त शिक्षा नहीं मिली तो वह कभी भी विवाह नहीं करेगी । तत्पश्चात् उसने अपना घर छोड़ दिया और अच्छी शिक्षा के लिए दिल्ली के एक स्कूल में प्रवेश ले लिया । उसने अपने स्कूल की फीस चुकाने के लिए अंशकालीन काम कर धन कमाने की योजना बनाई । किन्तु बाद में उसके माता-पिता उसकी शिक्षा के लिए धन देने को सहमत हो गये । इस प्रकार सन्तोष उपयुक्त शिक्षा प्राप्त करने में सफल रही ।

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Question 2.
How did Santosh take to mountain climbing ?
सन्तोष ने पर्वतारोहण किस प्रकार आरम्भ किया ?
Answer:
After passing the high school examinations, Santosh joined Maharani College in Jaipur. She got a room in Kasturba Hostel from where she used to watch villagers who went the hill and suddenly vanished after a while. One day she decided to check it out herself. She found some mountaineers at the foot of the hill. She asked them if she could join them. They motivated her for climbing the mountain. So she joined them and took to mountain climbing.

हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद सन्तोष ने जयपुर के महारानी कॉलेज में दाखिला ले लिया । उसे कस्तूरबा होस्टल में एक कमरा मिला जहाँ से वह ग्रामीणों को देखा करती थी जो पहाड़ी पर चढ़ते थे और कुछ समय बाद ही अचानक गायब हो जाते थे । एक दिन उसने स्वयं ही इसका पता लगाने का निश्चय किया । उसे पहाड़ी की तलहटी में कुछ पर्वतारोही मिले। उसने उनसे पूछा कि क्या वह भी उनमें शामिल हो सकती हैं । उन्होंने उसे पर्वतारोहण के लिए प्रेरित किया । इसलिए वह उनमें शामिल हो गयी और पर्वतारोहण प्रारम्भ किया।

Question 3.
How did Santosh succeed in scaling Mt Everest ?
सन्तोष माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने में कैसे सफल हुई ?
Answer:
Santosh possessed some extraordinary qualities. She was equipped with an iron will, physical endurance and an amazing mental toughness. She developed a remarkable resistance to cold and the altitude. She went on an expedition every year. Her climbing skills, physical fitness and mental strength were impressive.Due to these qualities she succeeded in scaling Mt Everest.

सन्तोष में कुछ असाधारण गुण थे । वह दृढ़ इच्छाशक्ति, शारीरिक सहनशीलता तथा अद्भुत मानसिक दृढ़ता से युक्त थी । उसने शीत व ऊँचाई के प्रति उल्लेखनीय प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली थी । वह प्रतिवर्ष (पर्वतारोहण) अभियान पर गई । उसका पर्वतारोहण कौशल, शारीरिक स्वस्थता तथा मानसिक शक्ति प्रभावशाली थे। इन गुणों के कारण वह माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल हो गई ।

Question 4.
What feelings did Santosh have when she was on Mt Everest?
जब सन्तोष माउण्ट एवरेस्ट पर थी तब उसकी भावनाएँ क्या थीं ?
Answer:
When Santosh had reached on Mt Everest, she was overwhelmed with joy. It was truly a spiritual moment for her. Her feelings were undescribable. She said that it had taken some time for the enormity of the moment to sink in. She unfurled the Indian tricolour and held it aloft on the roof of the world. The Indian flag was flying on top of the world. She felt proud as an Indian.

जब सन्तोष माउण्ट एवरेस्ट पर पहुँची तो वह आनन्द से अभिभूत हो गई । यह वास्तव में उसके लिए एक आत्मिक क्षण था । उसकी भावनाएँ अवर्णनीय थीं । सन्तोष ने कहा कि उस क्षण की महानता को समझने में उसे कुछ समय लगा था। उसने भारतीय तिरंगा फहराया और इसे संसार की छत पर ऊँचा करके उठा लिया। भारतीय ध्वज संसार के सर्वोच्च सिरे पर फहरा रहा था । उसने एक भारतीय होने का गर्व महसूस किया ।

Seen Passages

Passage – 1.

Read the following passages carefully and answer the questions given below them:

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िये एवं उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये :

The only woman in the world who has scaled Mt Everest twice was born in a society where the birth of a son was regarded as a blessing, and a daughter, though not considered a curse, was not generally welcome. When her mother was expecting Santosh, a travelling ‘holy man’, giving her his blessing, assumed that she wanted a son.

But, to everyone’s surprise, the unborn child’s grandmother, who was standing close by, told him that they did not want a son. The ‘holy man’ was also surprised! Nevertheless, he gave the requested blessing and as destiny would have it, the blessing seemed to work. Santosh was born the sixth child in a family with five sons, a sister to five brothers. She was born in the small village of Joniyawas of Rewari district in Haryana.

The girl was given the name ‘Santosh’, which means contentment. But Santosh was not always content with her place in a traditional way of life. She began living life on her own terms from the start. Where other girls wore traditional Indian dresses, Santosh preferred shorts. Looking back, she says now, “From the very beginning I was quite determined that if I chose a correct and a rational path, the others around me had to change, not me.” Santosh’s parents were affluent landowners who could afford to send their children to the best schools, even to the country’s capital, New Delhi, which was quite close by. But, in line with the prevailing custom in the family, Santosh had to make do with the local village school.

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1. How many times has Santosh scaled Mt Everest?
सन्तोष माउण्ट एवरेस्ट पर कितनी बार चढ़ाई कर चुकी है ?

2. What did the grandmother say to the ‘holyman’?
दादी ने संन्यासी से क्या कहा ?

3. How many brothers does Santosh have?
सन्तोष के कितने भाई हैं ?

4. Where was Santosh born ?
सन्तोष का जन्म कहाँ हुआ था ?

5. What does the word ‘Santosh’ mean?
‘सन्तोष’ शब्द का क्या अर्थ होता है ?

6. Which dresses did Santosh not like to wear?
सन्तोष कौन-से (किस तरह के) वस्त्र पहनना पसन्द नहीं करती थी ?

7. How could Santosh’s parents afford to send their children to the best schools?
सन्तोष के माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठतम् विद्यालयों में भेजने में किस प्रकार समर्थ थे ?

8. What was Santosh not content with?
सन्तोष किस बात से सन्तुष्ट नहीं थी ?

9. Pick out the word from the passage which is the antonym of- ‘curse’

10. Find the words from the passage which mean: ‘in accordance with’
Answers:
1. Santosh has scaled Mt Everest twice.
सन्तोष माउण्ट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ चुकी है ।

2. The grandmother told the holy man that they didn’t want a son.
दादी ने संन्यासी को बताया कि उन्हें लड़का नहीं चाहिए।

3. Santosh has five brothers.
सन्तोष के पाँच भाई हैं ।

4. Santosh was born in the small village of Joniyawas of Rewari district in Haryana.
सन्तोष का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गाँव जोनियावास में हुआ था ।

5. The word ‘Santosh’ means contentment.
‘सन्तोष’ शब्द का अर्थ सन्तुष्टि है ।

6. Santosh did not like to wear traditional Indian dresses.
सन्तोष परम्परागत भारतीय वस्त्र पहनना पसन्द नहीं करती थी ।

7. They could afford to send their children to the best schools because they were affluent land-owners.
सन्तोष के माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठतम् विद्यालयों में भेजने में समर्थ थे क्योंकि वे समृद्ध जमींदार थे।

8. Santosh was not content with her place in a traditional way of life.
सन्तोष परम्परागत जीवन शैली में अपने स्थान से सन्तुष्ट नहीं थी ।

9. blessing

10. in line with

Passage – 2.

A marriage as early as that was the last thing on her mind. She threatened her parents that she would never marry if she did not get a proper education. She left home and got herself enrolled in a school in Delhi. When her parents refused to pay for her education, she politely informed them of her plans to earn money by working part time to pay her school fees. Her parents then agreed to pay for her education.

Wishing always to study “a bit more” and with her father slowly getting used to her urge for more education, Santosh passed the high school examinations and went to Jaipur. She joined Maharani College and got a room in Kasturba Hostel. Santosh remembers, “Kasturba Hostel faced the Aravalli Hills. I used to watch villagers from my room, going up the hill and suddenly vanishing after a while.

One day I decided to check it out myself. I found nobody except a few mountaineers. I asked if I could join them. To my pleasant surprise, they answered in the affirmative and motivated me to take to climbing”. Then there was no looking back for this determined young girl. She’saved money and enrolled in a course at Uttarkashi’s Nehru Institute of Mountaineering. “My college semester in Jaipur was to end in April but it ended on the nineteenth of May.”

1. What did Santosh threaten her parents?
सन्तोष ने अपने माता-पिता को क्या धमकी दी ?

2. What did Santosh tell her parents when they refused to pay for her education?
सन्तोष के माता-पिता ने उसकी शिक्षा के लिए धन देने से मना कर दिया तो उसने अपने माता-पिता से क्या ?

3. When did Santosh go to Jaipur to study there?
सन्तोष अध्ययन हेतु जयपुर कब गई ?

4. In which institute did Santosh study in Jaipur?
जयपुर में सन्तोष ने किस संस्था में अध्ययन किया ?

5. What did Santosh use to watch from her room in Kasturba Hostel ?
सन्तोष कस्तूरबा होस्टल में अपने कमरे से क्या देखा करती थी ? .

6. Why did she leave home?
उसने घर क्यों छोड़ दिया ?

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7. What was her desire ?
उसकी इच्छा क्या थी ?

8. How was she a determined girl?
वह किस प्रकार एक दृढनिश्चय वाली लड़की थी ?

9. Pick out the word from the passage which is the antonym of- ‘forgets’

10. Find the word from the passage which means: ‘disappearing’
Answers:
1. Santosh threatened her parents that she would never marry if she did not get proper education.
सन्तोष ने अपने माता-पिता को धमकी दी कि यदि उसे उपयुक्त शिक्षा नहीं मिली तो वह कभी भी विवाह . नहीं करेगी ।

2. When Santosh’s parents refused to pay for her education, she told them of her plan to earn money by working part time to pay her school fees.
जब सन्तोष के माता-पिता ने उसकी शिक्षा के लिए धन देने से मना कर दिया तो उसने अपनी स्कूल फीस जमा करने के लिए अंशकालीन काम कर पैसा कमाने की योजना के बारे में उनको बताया ।

3. When Santosh had passed High School Examinations, she went to Jaipur to study there.
जब सन्तोष ने हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण कर ली, तब वह अध्ययन हेतु जयपुर गई ।

4. Santosh studied in Maharani College in Jaipur.
सन्तोष ने जयपुर में महारानी कॉलेज में अध्ययन किया ।

5. Santosh used to watch villagers from her room, going up the hill and suddenly vanishing after a while.
सन्तोष अपने कमरे से ग्रामीणों को पहाड़ी पर चढ़ते हुए एवं उन्हें थोड़ी देर में ही अचानक ओझल होते हुए देखा करती थी ।’

6. She left home to get higher education in Delhi.
उसने दिल्ली में उच्च शिक्षा पाने के लिए घर छोड़ दिया ।

7. Her desire was to study a bit more.
उसकी इच्छा कुछ अधिक अध्ययन करने की थी ।

8. She was a determined girl, She saved money and enrolled herself in a course at Uttarkashi’s Nehru Institute of Mountaineering.
वह दृढ़निश्चयी लड़की थी। उसने पैसा बचाया और उत्तरकाशी के नेहरू इंस्टिट्यूट ऑव माउन्टेनियरिंग में अपना नाम लिखवाया।

9. remembers

10. vanishing

Passage – 3.

During the 1992 Everest mission, Santosh Yadav provided special care to a climber who lay dying at the South Col. She was unfortunately unsuccessful in saving him. However, she managed to save another climber, Mohan Singh, who would have met with the same fate, had she not shared her oxygen with him.

Within twelve months, Santosh found herself a member of an Indo-Nepalese Women’s Expedition that invited her to join them. She then scaled the Everest a second time, thus setting a record as the only woman to have scaled the Everest twice, and securing for herself and India a unique place in the annals of mountaineering.

In recognition of her achievements, the Indian government bestowed upon her one of the nation’s top honours, the Padmashri. Describing her feelings when she was literally ‘on top of the world’, Santosh has said, ‘It took some time for the enormity of the moment to sink in. ……… Then I unfurled the Indian tricolour and held it aloft on the roof of the world. The feeling is indescribable. The Indian flag was flying on top of the world. It was truly a spiritual moment. I felt proud as an Indian.’

1. Whose life did Santosh save during the 1992 Everest mission?
1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान सन्तोष ने किसका जीवन बचाया ?

2. How did Santosh save Mohan Singh’s life?
सन्तोष ने मोहन सिंह का जीवन कैसे बचाया ?

3. What record did Santosh set ?
सन्तोष ने कौन – सा कीर्तिमान स्थापित किया ?

4. Which honour did the Indian government bestow upon Santosh ?
भारत सरकार ने सन्तोष को कौन-सा सम्मान प्रदान किया ?

5. With whom did Santosh scale the Everest second time?
सन्तोष ने एवरेस्ट पर दूसरी बार किसके साथ चढ़ाई की ?

6. To whom did Santosh Yadav provide a special care ?
सन्तोष यादव ने किसकी विशेष देख-रेख की ?

7. When did Santosh feel proud as an Indian?
सन्तोष को भारतीय होने का गर्व कब महसूस हुआ ?

8. What was a spiritual moment fo Santosh ?
सन्तोष के लिए आध्यात्मिक क्षण क्या था ?

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9. Pick out the word from the passage which is the antonym of- ‘humble’

10. Find the word from the passage which means: ‘unequalled or unmatched’
Answers:
1. During the 1992 Everest mission Santosh saved the life of a climber named Mohan Singh.
1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान सन्तोष ने मोहन सिंह नाम के एक पर्वतारोही का जीवन बचाया।

2. Santosh saved Mohan Singh’s life by sharing her oxygen with him.
सन्तोष ने अपनी ऑक्सीजन को मोहन सिंह को देकर उसका जीवन बचाया ।

3. Santosh set a record as the only woman to have scaled the Everest twice.
सन्तोष ने दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली एकमात्र महिला के रूप में कीर्तिमान स्थापित किया।

4. The Indian government bestowed upon Santosh one of the nation’s top honours, the Padmashri.
भारत सरकार ने सन्तोष को राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्मश्री प्रदान किया ।

5. Santosh scaled Mt Everest second time with an Indo-Nepalese Women’s Expedition team.
भारतीय नेपाली महिला अभियान दल के साथ सन्तोष एवरेस्ट पर दूसरी बार चढ़ीं ।

6. She provided special care to a climber who lay dying at the South Col.
उसने साउथ कोल में एक मरते हुए पर्वतारोही की विशेष देख-रेख की।

7. Santosh felt proud as an Indian when she unfurled the tri-colour flag on Mt Everest.
सन्तोष को भारतीय होने का गर्व महसूस हुआ जब उसने माउण्ट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया ।

8. When Indian flag was flying on top of the world, it was a spiritual moment for Santosh.
जब भारतीय ध्वज संसार के शिखर पर लहरा रहा था तो वह संतोष के लिए एक आध्यात्मिक क्षण था।

9. proud

10. unique

Part- II
Maria Sharapova

Answer the following questions in about 30-40 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
Describe Maria Sharapova’s stay and training in the U.S.
मारिया शारापोवा का अमेरिका में रहना और उसके प्रशिक्षण का वर्णन कीजिए ।
Answer:
Maria Sharapova left for the U. S. A. at the age of nine only. The trip to Florida was a heart- wrenching two-years separation from her mother. Yelena was compelled to stay back in Siberia because of visa restrictions. She was very lonely there.

मारिया शारापोसा नौ साल की उम्र में अमेरिका चली गई थी। फ्लोरिडा की यात्रा के लिये उन्हें अपनी माँ येलेना से दो वर्ष की हृदय विदारक जुदाई झेलनी पड़ी। वीजा नियमों की पाबन्दी के कारण येलेना को साइबेरिया में ही रूकना पड़ा था। मारियां वहाँ बहुत अकेली थी।

Question 2.
How was Maria harassed by other tennis trainees ?
अन्य टेनिस प्रशिक्षार्थियों द्वारा मारिया को कैसे तंग किया गया ?
Or
How did the senior tennis players bully young Maria Sharapova ?
सीनियर टेनिस खिलाड़ियों ने युवा शारापोवा को किस तरह धमकाया ?
Answer:
Maria used to put up with a lot of humiliation and insults while being in the U.S.A. They used to get her up at 11 p.m. and order her to tidy up the room and clean it. It was difficult for her to do because she was in a habit of going to bed at 8 p.m.

मारिया को अमेरिका में रहकर बहुत अपमान झेलना पड़ा था। उससे वरिष्ठ खिलाड़ी उसे रात में 11 बजे जगा देते थे और कमना सुसज्जित करने व साफ करने को कहते । यह मारिया के लिये कठिन कार्य था क्योंकि वह 8 बजे सो जाया करती थी।

Question 3.
How did Maria Sharapova’s father help her in becoming a top-class tennis player ?
मारिया शारापोवा के पिता ने शीर्ष श्रेणी की टेनिस खिलाड़ी के बनने में उसकी कैसे सहायता की?
Answer:
When she was a nine-year-old girl, her father Yuri took her to Florida to get her trained as juba hoog 192. a tennis player. It was Mr Yuri only who launched her on the path to success.

जब मारिया केवल नौ वर्ष की थी तब उसके पिता यूरी उसे टेनिस खिलाड़ी का प्रशिक्षण दिलाने के लिए फ्लोरिडा (यू. एस. ) ले गये। ये मि. यूरी ही थे जिन्होंने उसे सफलता का मार्ग दिखाया।

Question 4.
How did Maria Sharapova come to realize that excellence in tennis would only come at a price?
मारिया शारापोवा ने कैसे एहसास किया कि टेनिस में दक्षता ऊँची कीमत देकर ही पाई जाएगी ?
Answer:
To be in Florida for training was a heart-wrenching two-years separation from her mother. Her mother Yelena was compelled to stay back in Siberia because of visa-restrictions. Even in America she had to face lots of challanges. So, at an early age only she had learnt that excellence in tennis would only come at a price.

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मारिया प्रशिक्षण के लिय फ्लोरिडा पर गई तब उसे अपनी माँ से दो वर्ष की हृदय विदारक जुदाई झेलनी पड़ी। बीजा नियमों की पाबन्दी के कारण येलेना (उसकी माँ) को सइबेरिया में ही रुकना पड़ा। यहाँ तक कि अमेरिका में भी उसे बहुत कष्ट उठाने पड़े। तब मारिया यह समझ गई कि टेनिस में दक्षता ऊँची कीमत देकर (अधिक परिश्रम कर) प्राप्त की जा सकेगी।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
What made Maria Sharapova the world number one woman in women’s tennis? What kind of a woman is she?
किस चीज ने मारिया शारापोवा को महिला टेनिस की प्रथम महिला बना दिया? वह किस प्रकार की महिला है ?
Answer:
Maria Sharapova is a determined and mentally tough woman. Due to this toughness she won the women’s singles crown at Wimbledon in 2004. In August 2005, she became the world’s number one woman in Women’s Tennis. As a woman, Maria has great self-confidence. She is very competitive. She works very hard. She is patriotic to the core. She has Russian citizenship. She hopes to play the Olympics for Russia.

मारिया शारापोवा दृढनिश्चयी और मानसिक रूप से सख्त महिला है । इसी सख्ती के कारण उसने विम्बलडन 2004 में महिलाओं का एकल का खिताब जीता । अगस्त 2005 में वह महिला टेनिस में संसार की नम्बर एक महिला बन गई । महिला होने के नाते मारिया में अत्यधिक आत्म-विश्वास है । वह बहुत प्रतिस्पर्धाशील है । वह कठिन परिश्रम करती है । वह पूर्णरूप से देशभक्त है । वह रूसी नागरिक है । वह रूस की ओर से ओलिम्पिक्स खेलने की आशा करती है ।

Question 2.
What is ‘at odds’ with Maria Sharapova? What are her hobbies? In which way does she take the game tennis as a sport?
मारिया शारापोवा के बारे में असंगत क्या है ? उसकी कौन-कौन सी रूचियाँ है ? वह टेनिस को एक खेल के रूप में किस प्रकार से देखती है ?
Answer:
Maria Sharapova has a ready smile on her face. She also dresses fashionably. She is fond of wearing modern evening gowns. She loves pancakes with chocolate spread and fizzy orange drinks. All these things are ‘at odds’ with her being the number one tennis player in the . world in Women’s Tennis. Maria is talented. She has a great desire to succeed. Money is a motivation for her. Tennis is, a business as well as a sport for her.

मारिया के चेहरे पर स्वाभाविक मुस्कान है । वह फैशन के अनुसार कपड़े भी पहनती है । वह सांयकालीन आधुनिक व फैशनेबल गाउन पहनने की शौकीन है । वह चाकलेट लगे पेनकेक और बुलबुलेदार सन्तरे का पेय लेना पसन्द करती है उसकी ये सब बातें महिला टेनिस में संसार की प्रथम टेनिस खिलाड़ी बनने के असंगत है अर्थात् उनसे मेल नहीं खाती है। मारिया एक गुणी महिला है । उसमें सफल होने की एक तीव्र इच्छा है। उसके लिए धन एक प्रोत्साहन है। उसके लिए टेनिस एक व्यवसाय भी है और खेल भी है ।

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions that follow:

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

Passage – 1.

There is something disarming about Maria Sharapova, something at odds with her ready smile and glamorous attire. And that something in her lifted her on Monday, 22 August 2005 to the world number one position in women’s tennis. All this happened in almost no time. Poised beyond her years, the Siberian born teenager took just four years as a professional to reach the pinnacle.

However, the rapid ascent in a fiercely competitive world began nine years before with a level of sacrifice few children would be prepared to endure. Little Maria had not yet celebrated her tenth birthday when she was packed off to train in the United States. That trip to Florida with her father Yuri launched her on the path to success and stardom. But it also required a heart-wrenching two- year separation from her mother Yelena.

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The latter was compelled to stay back in Siberia because of visa restrictions. The nine-year old girl had already learnt an important lesson in life-that tennis excellence would only come at a price. “I used to be so lonely,” Maria Sharapova recalls. “I missed my mother terribly. My father was working as much as he could to keep my tennis-training going. So, he couldn’t see me either.”

Questions:
1. What is at odds with Maria?

2. When did she get the world number one position in women’s tennis?
उसने ‘महिला टेनिस’ में विश्व में नम्बर एक की स्थिति कब प्राप्त की ?

3. Who went to Florida with Maria ?
मारिया के साथ फ्लोरिडा कौन गया ?

4. How old was Maria when she went for the training?
मारिया कितने साल की थी जब वह प्रशिक्षण के लिए गई थी ?

5. How long did Maria take to reach the pinnacle?
मारिया को शिखर तक पहुँचने में कितने वर्ष लगे ?

6. Why could her mother not go with her?
उसकी माँ उसके साथ क्यों नहीं जा सकीं ?

7. What important lesson did Maria learn ?
मारिया ने क्या महत्त्वपूर्ण सबक सीखा?

8. Why couldn’t her father meet her?
उसके पिता उससे क्यों नहीं मिल पाते थे?

9. Pick out the word from the passage which is the antonym of- ‘slow’.

10. Find the word from the passage which means- ‘journey’.
Answers:
1. Maria’s ready smile and glamorous attire are at odds with her.
मारिया की स्वाभाविक मुस्कुराहट और भव्य वेशभूषा उसके बारे में एक असंगत बात है।

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2. On Monday, 22 August 2005 she got the world number one position in women’s tennis.
सोमवार, 22 अगस्त 2005 को उसने ‘महिला टेनिस’ में विश्व में नम्बर एक की स्थिति प्राप्त की ।

3. Her father Mr Yuri went to Florida with Maria.
उसके पिता श्री यूरी उसके साथ फ्लोरिडा गये ।

4. When Maria went for training, she was only nine years old.
जब मारिया प्रशिक्षण के लिए गई थी उस समय वह केवल नौ वर्ष की थी।

5. Maria took only four years to reach the pinnacle.
मारिया को शिखर तक पहुँचने में केवल चार वर्ष लगे ।

6. Due to Visa restrictions, her mother could not go with her.
वीजा नियमों में प्रतिबंधों के कारण उसकी माँ उसके साथ नहीं जा सकीं।

7. Maria learnt that tennis excellence would only come at a price.
मारिया ने सबक सीखा कि टेनिस में श्रेष्ठता भारी कीमत पर ही प्राप्त की जा सकती है।

8. Her father couldn’t meet her because he was working hard to keep her tennis-training going.
उसके पिता उससे इसलिए नहीं मिल पाते थे क्योंकि वह उसका टेनिस प्रशिक्षण जारी रखने के लिए कठोर परिश्रम कर रहे थे।

9. rapid

10. ‘trip’

Passage – 2.

“I am very, very competitive. I work hard at what I do. It’s my job.” This is her mantra for success.Though Maria Sharapova speaks with a pronounced American accent, she proudly parades her Russian nationality. Clearing all doubts she says, “I’m Russian. It’s true that the U.S. is a big part of my life. But I have Russian citizenship. My blood is totally Russian. I will play the Olympics for Russia if they want me.”’

Like any other number of teenaged sensations, Maria Sharapova lists fashion, singing and dancing as her hobbies. She loves reading the novels of Arthur Conan Doyle. Her fondness for sophisticated evening gowns appears at odds with her love of pancakes with chocolate spread and fizzy orange drinks. Maria Sharapova cannot be pigeon-holed or categorized.

Her talent, unwavering desire to succeed and readiness to sacrifice have lifted her to the top of the world. Few would grudge her the riches she is now reaping. This is what she has to say about her monetary gains from, tennis:”Of course, money is a motivation. Tennis is a business and a sport, but the most important is to become number one in the world. That’s the dream that kept me going.”

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Questions:
1. What is her mantra for success ?
उसकी सफलता का मंत्र क्या है?

2. What is a job for Maria ?
मारिया के लिए कार्य क्या है?

3. What are the things that have lifted her to the top of the world ?
वे क्या चीजें है जिसने उसे विश्व के शिखर पर पहुँचा दिया ?

4. For which country does she want to play tennis ?
वह किस देश के लिए टेनिस खेलना चाहती है?

5. What is the most important thing for Maria ?
मारिया के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण चीज क्या है?

6. Which novels does she like to read?
वह किन उपन्यासों को पढ़ना पसन्द करती है ?

7. What is her favourite dress ?
उसकी पसंदीदा पोशाक क्या है?

8. What does she like to eat and drink ?
वह क्या खाना व पीना पसंद करती है ?

9. Pick out the word from the passage which is the antonym of – ‘fail’.

10. Find the word from the passage which means – ‘inspiration’.
Answers:
1. Her mantra for success is to work hard.
उसकी सफलता का मंत्र कठोर परिश्रम है।

2. Tennis is a job for Maria.
टेनिस ही मारिया के लिए कार्य है।

3. Her talent, unwavering desire to succeed and readiness to sacrifice lifted her to the top of the world.
उसकी प्रतिभा, सफलता की दृढ़ इच्छा तथा बलिदान के लिए तैयार रहने की भावना ने उसे शिखर पर पहुँचा दिया ।

4. She wants to play tennis for her own country Russia.
वह अपने स्वयं के देश रूस के लिए टेनिस खेलना चाहती है ।

5. The most important thing for Maria is to become number one in tennis in the world.
मारिया के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है टेनिस में विश्व में नम्बर एक बनना ।

6. She likes to read the novels of Arthur Conan Doyle.
वह ऑर्थर कॉनन डायल के उपन्यासों को पढ़ना पसंद करती है।

7. Sophisticated evening gowns are her favourite dress.
आधुनिक एवं फैशनेबल सांध्यकालीन गाउन उसकी पसंदीदा पोशाक हैं।
.
8. She likes to take pancakes with chocolate spread and fizzy orange drinks.
वह चॉकलेट लगा पेनकेक व बुलबुलेदार संतरे का पेय पसन्द करती है।

9. succeed

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10. motivation

Reach for the Top Summary and Translation in Hindi

Part – I
Santosh Yadav

About the Lesson

इस अध्याय में दो आत्मकथात्मक लेख हैं जो शीर्ष पर पहुँचने के अथक प्रयासों के बारे में बताते हैं । Part – I एक ऐसी भारतीय लड़की की आत्मकथा हैं जो अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध अपने दृढ़ निश्चय से अपना अध्ययन जारी रखते हुए एक दिन संसार की सबसे ऊँची चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ी | Part – II में विश्व की नम्बर एक वरीयता प्राप्त करने वाली एक टेनिस खिलाड़ी की आत्मकथा है जिसे टेनिस खेल के लिए नौ वर्ष की छोटी-सी उम्र में ही अपने पिता के साथ अमेरिका जाकर बसना पड़ा। वह कठोर परिश्रम व दृढ़ निश्चय से इस मुकाम पर पहुँच पाई ।

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

कुछ समय के लिए चिन्तन कीजिये और ऐसे तीन या पाँच व्यक्तियों की एक सूची बनाइये जिनकी उपलब्धियों के लिए आप उनकी पूजा करते हैं या उनकी अत्यधिक प्रशंसा करते हैं । आपके द्वारा प्रशंसनीय व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र जैसे – खेल, चिकित्सा, संचार या कला एवं संस्कृति से हो सकते हैं । तत्पश्चात् आपके अध्यापक आपके चयन पर आपसे विचार विमर्श करेंगे और उनका पता लगायेंगे जो आपकी कक्षा के पाँच अति प्रशंसनीय व्यक्ति हैं । [Idol = a person or thing that is loved and admired very much, a statue that is worshipped as a god अतिप्रशंसनीय व्यक्ति, मूर्ति । ]

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Word-Meanings and Hindi Translation

1. The only woman in the ……………. District in Haryana. (Pages 99-100)

Word-Meanings: scaled (स्केल्ड्) = climbed, चढ़ी, चढ़ाई की। twice ( ट्वाइस् ) = two times, दो बार । was born = जन्म हुआ था । society (सॅसायटि) the aggregate of people living together, समाज । birth (बॅ:थ) = the emergence of a baby, जन्म । regarded (रिगाडिड्) considered, माना जाता था । blessing (ब्लैसिंग्) = a thing that you are grateful for, वरदान | though (दो) = in spite of the fact that, यद्यपि । (कॅ:स) = omen of destruction, अभिशाप । generally (जेनॅरॅलि) usually, सामान्यतः । welcome (वेल्कम्) = to greet, स्वागत |

was expecting = was about to give birth to Santosh, गर्भ में लिये हुए थी । travelling (ट्रेवलिंग) = roaming, घुमन्तू, भ्रमणशील । holy man (होलि मैन् ) = sage, साधु, सन्यासी। assumed (अज़्यूम्ड्) = supposed, मान लिया । surprise (सॅप्राइज़) = आश्चर्य । unborn (अन्बॉन्) born, अजन्मे । close by = near पास में ही । nevertheless (नेवॅदलेस्) = even then, फिर भी, तथापि । requested blessing = boon that was desired after request, मनचाहा वरदान। destiny ( डेस्टिनि) = fate, नियति, भाग्य । as destiny would have it = that which was written in fate happened, जो नियत था वह हुआ। seemed (सीम्ड्) = प्रतीत हुआ । = not yet

हिन्दी अनुवाद – विश्व की एकमात्र महिला जिसने दो बार माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई की वह एक ऐसे समाज में जन्मी थी जहाँ पुत्र का जन्म वरदान माना जाता था तथा एक पुत्री, यद्यपि अभिशाप तो नहीं मानी जाती थी किन्तु सामान्यतः उसका स्वागत भी नहीं होता था । जब उसकी ( सन्तोष की ) माँ सन्तोष के पैदा होने की उम्मीद लिये हुए थी तब एक भ्रमणशील संन्यासी ने यह मानकर उसको अपना आशीर्वाद दिया कि शायद वह पुत्र चाहती है । किन्तु, यह प्रत्येक के लिए आश्चर्य की बात थी कि अजन्मे बच्चे की दादी माँ ने, जो पास ही खड़ी हुई थीं, उस संन्यासी को बताया कि उन्हें पुत्र नहीं चाहिये । संन्यासी भी चकित हुआ ! तथापि उसने मनचाहा आशीर्वाद दे दिया ……. और जो नियति को मंजूर था वही हुआ, ऐसा लगा मानो आशीर्वाद काम कर गया । पाँच पुत्रों के परिवार में छठी सन्तान के रूप में सन्तोष का जन्म हुआ, वह पाँच भाईयों की बहिन थी । वह हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गाँव जोनियावास में जन्मी थी।

2. The girl was given …. to change, not me. (Page 100)

Word Meaning: contentment (कॅन्टेन्ट्मॅन्ट्) = satisfaction, सन्तोष । content (कॅन्टेन्ट्) = satisfied, सन्तुष्ट । traditional (ट्रेडिशनॅल्) ideas and methods that have existed for a long time, पारम्परिक, परम्परागत । way (वे) = style, तरीका, शैली । on her own terms (ऑन् हर आन् ट:म्ज़) = according to her own wish, अपनी स्वयं की इच्छा से । start (स्टाट्) = beginning, प्रारम्भ (से) । wore (वोर् ) = put on, पहनती थीं। dresses (ड्रेसेज़) = वस्त्र|

preferred ( प्रिफर्ड) = अधिकं पसंद करती थी । shorts (शॉ: ट्स) = a type of short trousers, नेकर, हाफपैण्ट आदि । from the very beginning = बिल्कुल प्रारम्भ से ही । determined (डिटॅ: मिन्ड्) = resolved, कृतसंकल्प, दृढ़निश्चित | chose (चोज़ू) = चुना | correct (करेक्ट् ) = right, सही, ठीक | rational (रैशॅनॅल्) = logical, विवेकपूर्ण, बुद्धिसंगत । path (पाथ्) = a way, रास्ता, पथ।

हिन्दी अनुवाद – लड़की को ‘सन्तोष’ नाम दिया गया जिसका अर्थ होता है कन्टेन्टमण्ट अर्थात् ‘सन्तोष’ । किन्तु सन्तोष हमेशा ही जीवन की परम्परागत शैली में जीने के लिए अपने स्थान से सन्तुष्ट नहीं थी । उसने प्रारम्भ से ही अपनी स्वयं की इच्छा से जीवन जीना प्रारम्भ कर दिया । जहाँ अन्य लड़कियाँ परम्परागत भारतीय वस्त्र पहना करती थीं वहीं सन्तोष नेकर या हाफपैण्ट (शार्ट्स) को पहनना पसंद करती थी । अपने अतीत पर विचार करते हुए वह अब कहती है, “ बिल्कुल प्रारम्भ से ही मैं पूरी तरह दृढ़संकल्प थी कि यदि मैंने सही व विवेकपूर्ण मार्ग चुना, तो ( उससे ) मेरे इर्द-गिर्द के अन्य लोगों को ही स्वयं बदलना पड़ेगा, न कि मुझे ।”

3. Santosh’s parents …………….. to do the same. (Page 100)

Word-Meanings: affluent (ऐफ्लुॲन्ट्) = prosperous, समृद्ध, धनाढ्य । landowners (लैण्ड्ओनर्स्) = persons who own land, भूस्वामी, जमींदार | afford (ॲफॉ: ड्) = have sufficient money to bear, समर्थ होना। capital (कैपिटल् ) = the city where the government of a country is, राजधानी | quite close by = very near, बिल्कुल निकट | in line with = following or in accordance with ; according to, के अनुसार | prevailing (प्रिवेलिंग्) = current, प्रचलित ।

custom (कॅस्टॅम्) = tradition, परम्परा । make do with ( मेक डू विद) = (Idiom) use something that is not good because nothing better is available, गुजारा करना, काम चलाना। local (लोकल्) of a particular place, स्थानीय | decided ( डिसाइडिड् ) = resolved, निश्चय किया | system (सिस्टॅम्) = method, व्यवस्था, पद्धति | own ( ओन् ) = स्वयं के । quiet (क्वाइट् ) = calm, शान्त । moment (मॉमण्ट्) = a very short period, क्षण | arrived (ॲराइव्ड्) = reached, आ पहुँचा। used to get married=विवाह हो जाता था । pressure (प्रेशर्) = a kind of force, दबाव ।

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हिन्दी अनुवाद – सन्तोष के माता-पिता समृद्ध जमींदार थे जो अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में भेजने में समर्थ थे यहाँ तक कि देश की राजधानी नई दिल्ली, जो बिल्कुल निकट थी, वहाँ भी ( वे बच्चों को भेजने में समर्थ थे ) । किन्तु परिवार में प्रचलित परम्परा के अनुसार सन्तोष को गाँव के स्थानीय विद्यालय से ही काम चलाना पड़ा। इसलिए उसने अपने स्वयं के शान्तिपूर्ण तरीके से सही क्षण आने पर व्यवस्था से लड़ने का निश्चय किया । और सही क्षण तब आया जब वह सोलह वर्ष की हुई । सोलह वर्ष की आयु में उसके गाँव की अधिकांश लड़कियों का विवाह हो जाता था । सन्तोष पर भी उसके माता-पिता द्वारा ऐसा ही करने के लिए दबाव था ।

4. A marriage as. ……………. her education: (Page 100)

Word-Meanings: marriage (मैरिज्) = the state of being husband and wife, विवाह । the last thing=the least important thing, सबसे कम महत्त्वपूर्ण बात, महत्त्वहीन | threatened (थ्रेटन्ड् ) = gave a threat, धमकी दे दी | proper (प्रॉपर्) = right, उचित | education ( एजुकेशन् ) = teaching, शिक्षा । got enrolled (गॉट इन्रॉल्ड्) = got admitted, नाम लिखाया, भरती हो गई । refused (रिफ्यूज्ड् ) = denied, मना कर दिया। pay (पे) = to give money for (school fees), अदा करना ।

politely (पॅलाइट्लि) = humbly, विनम्रतापूर्वक | informed (इन्फॉम्ड्) gave information, सूचित किया | plans ( प्लान्ज़) schemes, योजनाएँ | earn (अन्) = obtain money by working, कमाना | part time = अंशकालीन | agreed ( अग्रीड् ) = had the same opinion, सहमत हो गये ।

हिन्दी अनुवाद – यह विवाह की बात उतनी ही जल्दी हो रही थी जितनी ज्यादा महत्त्वहीन बात वह इसे मानती थी । उसने अपने माता-पिता को धमकी दी कि यदि उसे उचित शिक्षा नहीं मिली तो वह कभी विवाह नहीं करेगी। उसने घर छोड़ दिया और स्वयं का नाम दिल्ली के एक स्कूल में लिखा दिया । जब उसके माता – पिता ने उसकी शिक्षा के लिए पैसे देने से मना कर दिया तो उसने विनम्रतापूर्वक उन्हें ( माता – पिता को ) विद्यालय शुल्क चुकाने के लिए अंशकालीन कार्य कर धन कमाने की ( अपनी ) योजनाओं के बारे में बता दिया । तब उसके माता – 1 -पिता उसकी शिक्षा के लिए धन देने को सहमत हो गये।

5. Wishing always …………….. a little to climbing.” (Pages 100-101 )

Word Meaning: wishing ( विशिंग) = desiring, इच्छा करते हुए, चाहते हुए | a bit more = more, थोड़ा और अधिक | slowly (स्लोलि ) = bit by bit, धीरे-धीरे । getting used to urge (गैटिंग यूज्ड टू अर्ज) = (here) persuading her father to give her full support for studying more and more, आग्रह करते हुए । remembers (रिमेम्बर्ज़) = याद करती है, I faced (फेस्ड) = was in front of, सामने था। watch (वॉच्) = look, देखना | villagers (विलिज) = ग्रामीण | suddenly (सडन्लि) = quickly and unexpectedly, अचानक । vanishing (वैनिशिंग्) = disappearing, गायब होते हुए, ओझल होते हुए ।

after a while (आफ्टर अवाइल) after a short time, थोड़ी देर बाद ही । decided ( डिसाइडिड् ) = resolved, निश्चय किया । check it out (चेक इट आउट) = find out the truth), पता लगाना । except (इक्सेप्ट् ) = के सिवाय | mountaineers (माउण्टेनिअर्ज़) पर्वतारोही | pleasant (प्लेश्जण्ट् ) = enjoyable, सुखद, प्रिय । surprise (सॅप्राइज़) = amaze, आश्चर्य । .answered.(आन्सॅर्ड) = उत्तर दिया । affirmative (ॲफॅमॅटिव् ) = सकारात्मक, स्वीकारात्मक | motivated (मोटिवेटिड्) = inspired, प्रेरित किया । to take to = to start, आरम्भ करने के लिए | climbing ( क्लाइम्बिंग) = activity of climbing mountain, पर्वतारोहण |

हिन्दी अनुवाद – ” थोड़ा और अधिक” पढ़ने की इच्छा सदैव रखते हुए तथा अधिक शिक्षा के लिए अपने पिता से धीरे-धीरे आग्रह करते हुए सन्तोष ने हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की और जयपुर चली गई। उसने महारानी महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया और उसे कस्तूरबा छात्रावास में एक कमरा मिल गया । सन्तोष स्मरण करती है, “कस्तूरबा छात्रावास अरावली पहाड़ियों के सामने था ।

मैं अपने कमरे से ग्रामीणों को पहाड़ी पर ऊपर जाते हुए एवं कुछ ही देर में अचानक ओझल होते हुए देखा करती थी। एक दिन मैंने स्वयं ही इस बात के विषय में पता लगाने का निश्चय किया। मुझे कुछ पर्वतारोहियों के अतिरिक्त वहाँ कोई नहीं मिला। मैंने पूछा कि क्या मैं भी उनमें शामिल हो सकती हूँ । यह मेरे लिए सुखद आश्चर्य था कि उन्होंने सकारात्मक उत्तर दिया और मुझे पर्वतारोहण आरम्भ करने के लिए प्रेरित किया ।”

6. Then there was ……….. at Uttarkashi. (Page 101)

Word Meaning: determined (डिटॅ:मिन्ड् ) = firm in mind, दृढ़निश्चित, कृतसंकल्प | saved (सेव्ड्) = did not spend money, बचाया । enrolled (इन्रॉल्ड् ) = got her name written, नाम लिखाया । course ( कोर्स) = a complete series of lessons, पाठ्यक्रम | institute (इन्स्टिट्यूट् ) = an organisation, संस्था | mountaineering (माउण्टेनिअरिंग्) = the sport of climbing mountains, पर्वतारोहण | semester ( सिमेस्टर) = academic session, सत्र, अर्धसत्र |

ended ( एण्डिड् ) = finished, समाप्त हुआ । was supposed (वॉज़ सपोज़्ड) = was expected, अपेक्षा की जाती थी। instead (इन्स्टेड् ) = in place of, के स्थान पर, के बजाय | headed straight for (हैडिड स्ट्रेट फॉर) = went towards, सीधी चली गई । training (ट्रेनिंग्) = the action of teaching a person in a particular way, प्रशिक्षण | apology (अपॉलजि) = begging a pardon, क्षमा याचना, खेद प्रदर्शन | permission (पॅमिशॅन्) = the act of allowing somebody, अनुमति ।

हिन्दी अनुवाद – फिर इस कृतसंकल्प युवा लड़की के लिए पीछे मुड़कर देखने की कोई बात नहीं थी । उसने धन बचाया और उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एक पाठ्यक्रम में नाम लिखा दिया । ” जयपुर में मेरे महाविद्यालय का सत्र अप्रैल में समाप्त होना था किन्तु यह उन्नीस मई को समाप्त हुआ । तथा इक्कीस तारीख को मुझसे उत्तरकाशी में होने की अपेक्षा की जाती थी । इसलिये मैं घर वापिस नहीं गई; इसके बजाय मैं सीधे प्रशिक्षण के लिए चली गई । मुझे अपने पिता को क्षमायाचना के लिए एक पत्र लिखना पड़ा जिनकी अनुमति के बिना ही मैंने उत्तरकाशी में अपना नाम लिखा दिया था ।”

7.Thereafter, Santosh …………. fellow climbers.(Page 101)

Word-Meanings: thereafter (देॲरफ्टर् ) = after that, इसके बाद | expedition (एक्सपिडिशन्) = a difficult assignment, अभियान | skills (स्किल्ज़्) = an ability to do something well, कौशल, दक्षता । matured (मेच्युअर्ड) = fully developed, पूर्ण रूप से विकसित या परिपक्व होता गया। rapidly (रैपिड्ल) quickly, द्रुत गति से, तेजी से | developed (डिवेलॅप्ट् ) = विकसित कर ली । remarkable (रिमाकॅब्ल्) noteworthy, असाधारण, उल्लेखनीय । resistance (रिज़िस्टन्स्) = fighting power against something, प्रतिरोधक शक्ति |

cold (कोल्ड् ) = ठण्ड, शीत | altitude (ऐल्टिट्युड् ) = height, ऊँचाई | equipped with ( इक्विप्ट् विद) = endowed with, से सुसज्जित होकर । iron will (आइॲन् विल् ) = strong will, दृढ़ इच्छाशक्ति । physical (फिज़िकॅल्) = bodily, शारीरिक । endurance (इन्ड्युअरॅन्स्) = tolerance, सहनशक्ति, धैर्य । amazing (ॲमेजिंग्) = surprising, आश्चर्यजनक । mental (मेण्टल् ) = मानसिक ।

toughness (टॅफ्नस्) hardness, हठीलापन, कठोरता, मजबूती । proved (प्रूव्ड् ) = verified, प्रमाणित किया, सिद्ध किया । repeatedly (रिपीटिड्लि) = again and again, बारम्बार, बार-बार | culmination (कलमिनेशन् ) = climax, चरमबिन्दु, पराकाष्ठा । sincerity (सिन्सेरिटि ) = honesty, निष्ठा । shyly (शाइलि ) = timidly, संकोचपूर्वक, शर्मीलेपन से | barely (बेअ : लि) = hardly, मुश्किल से, मात्र I scaled (स्केल्ड्) = climbed, चढ़ाई की। youngest (यंगिस्ट् ) = सबसे छोटी | achieve ( अचीव् ) = attain, सफल होना, प्राप्त करना । feat (फीट्) = adventurous work, साहसिक कार्य, असाधारण कार्य ।

fitness (फिटनस्) = (here) healthiness, स्वस्थता, दुरुस्ती । strength (स्ट्रेन्थ्) = power, शक्ति, बल । impressed (इम्प्रेस्ट् ) =made somebody to feel admiration and respect, प्रभावित करते थे । seniors (सीनिअँर्ज) : वरिष्ठ I concern (कॅनर्से:न) = worry, interest, चिन्ता, दिलचस्पी | desire (डिज़ायर् ) = wish, इच्छा, आकांक्षा । special (स्पेशॅल्) = particular, विशेष | hearts (हाट्स) = हृदयों | fellow (फैलो) = companion, साथी । climbers (क्लाइम्बॅज़) = persons who climb mountains, पर्वतारोही ।

हिन्दी अनुवाद इसके बाद संतोष प्रति वर्ष एक अभियान पर गई । उसका पर्वतारोहण का कौशल तेज गति से परिपक्व होता गया । उसने ठण्ड व ऊँचाई के प्रति एक उल्लेखनीय प्रतिरोधकशक्ति भी विकसित कर ली थी । दृढ़ इच्छा-शक्ति, शारीरिक सहनशक्ति व आश्चर्यजनक मानसिक कठोरता से सुसज्जित होकर उसने स्वयं को बार-बार पर्वतारोहण के लिए सिद्ध किया । जब उसने संकोचपूर्वक अरावली के पर्वतारोहियों से पूछा था कि क्या वह उनके साथ शामिल हो सकती थी, तब उसके ठीक चार वर्ष पश्चात् 1992 में उसके कठोर परिश्रम व निष्ठा का चरमोत्कर्ष आया । मात्र बीस वर्ष की आयु में सन्तोष यादव ने माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई की और इस साहसिक कार्य को पूरा करने वाली विश्व की सबसे कम आयु की महिला बनी । यदि उसका पर्वतारोहण का कौशल, शारीरिक स्वस्थता तथा मानसिक शक्ति उसके वरिष्ठों को प्रभावित करते थे तो वहीं दूसरों के लिए चिन्ता तथा उनके साथ काम करने की इच्छा ने उसके साथी पर्वतारोहियों के हृदयों में उसके लिए एक विशेष स्थान दिला दिया ।

8. During the 1992 Everest ………….. oxygen with him. (Page 102)

Word-Meanings: during (ड्यूरिंग्) = के दौरान | mission (मिशन् ) = expedience, मिशन । provided (प्रॅवाइडिड् ) = supplied प्रदान की, उपलब्ध कराया । special (स्पेशॅल् ) = particular, विशेष । care (केअँर्) : look after, ध्यान, देख-रेख | climber (क्लाइमबॅर) = पर्वतारोही | lay (ले) = was lying, पड़ा हुआ था, लेटा हुआ था । dying (डाइंग्) = almost dead, मरणासन्न । Col (कॉल) = a low point between two group of mountains, पर्वत श्रृंखला में दो शिखरों के बीच का नीचा स्थान । unfortunately (अन्फॉ:च्यनट्लि) unluckily, दुर्भाग्यवश । unsuccessful (अन्सक्सेस्फल्) failed, विफल। saving (सेविंग) = keeping safe from death, बचाने में | managed (मैनिज्ड् ) = became successful, सफल हो गई । fate (फेट्) = destiny, नियति, (यहाँ ) मृत्यु | shared (शेॲड्) = divided, gave out, आपस में बाँटा ।

हिन्दी अनुवाद – वर्ष 1992 के एवरेस्ट मिशन के दौरान, सन्तोष यादव ने एक पर्वतारोही की विशेष देख-रेख की जो साउथ कॉल में मरणासन्न पड़ा था । दुर्भाग्यवश वह उसे बचाने में विफल रही। हालांकि वह एक और पर्वतारोही – मोहन सिंह को बचाने में सफल हो गई जो उसी प्रकार नियति (मृत्यु) का शिकार हो जाता यदि वह अपनी ऑक्सीजन में से कुछ ऑक्सीजन उसे नहीं देती तो ।

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9. Within twelve months ……………. the Padmashri. (Page 102)

Word-Meaning: within (विदिन्) = in, के भीतर, के अन्दर । expedition (एक्स्पडिशन् ) = a long journy for special purpose, अभियान | invited (इन्वाइटिड् ) = made a polite request, आमन्त्रित किया । thus (दॅस्) = so, इस प्रकार । setting a record (सैटिंग अ रेकॅड) = achieving something no other person has achieved, कीर्तिमान स्थापित करते हुए । twice (ट्वाइस् ) = two times, दो बार । securing (सिक्युअरिंग्) to fix or lock something firmly सुनिश्चित करते हुए, प्राप्त करते हुए |

unique (यूनीक्) = अद्वितीय, अनुपम । annals (ऐनॅल्ज़्) = historical records, इतिहास । recognition ( रेकग्निशॅन् ) = मान्यता, सम्मान | achievements (अचीवेमन्ट्स् ) = attainment, उपलब्धियाँ | bestowed (बिस्टोड् ) = gave something to somebody to show how much she/he was respected, प्रदान किया, अर्पित किया । nation’s (नेशन्ज़् ) = राष्ट्र के | top honours (टॉप ऑनॅज) = highest awards, सर्वोच्च सम्मान ।

हिन्दी अनुवाद – बारह महीने के अन्दर ही सन्तोष ने स्वयं को इण्डो-नेपाली ( भारत – नेपाल) महिला अभियान का सदस्य पाया जिसने उसे अपने साथ शामिल होने के लिये आमन्त्रित किया था । तत्पश्चात् उसने दूसरी बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की और इस प्रकार दो बार एवरेस्ट पर चढ़ने वाली एकमात्र महिला का कीर्तिमान स्थापित किया और पर्वतारोहण के इतिहास में स्वयं के लिए एवं भारत के लिए अद्वितीय स्थान प्राप्त किया । उसकी उपलब्धियों के सम्मान में, भारत सरकार ने राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्मश्री उसे प्रदान किया ।

10. Describing her feelings ……………. the Himalayas. (Page 102)

Word-Meanings: describing (डिस्क्राइबिंग) = expressing, वर्णन करते हुए । feelings (फीलिंग्ज्) = emotionŞ, भावनाएँ । literally (लिटॅरॅलि) = in reality, यथार्थ में । the enormity of moment (द इनॅॉमिटि आव मूमन्ट) = a very great moment, बहुत महत्वपूर्ण क्षण । to sink in (टू सिंक इन ) = be understood, समझने के लिए। unfurled (ॲन् फॅल्ड्) = unfolded, फहराया । the Indian tricolour (दा इण्डियन ट्राइकल र् ) = भारतीय तिरंगा held it aloft ( हैल्ड इट अलॉफ्ट) = held it up high, ऊँचा उठा लिया, ऊँचा करके पकड़ लिया।

indescribable (इन्डिस्क्राइबेब्ल्) = that which cannot be described, अवर्णनीय | flag (फ्लैग् ) = झण्डा, ध्वज flying (फ्लाइंग) = फहरा रहा । truly ( टूलि ) = really, वास्तव में, सत्यतः । spiritual (स्पिरिच्युअल्) divine, आध्यात्मिक । fervent (फॅ:वॅन्ट्) having strong and sincere feelings, जोशीली, उत्साही । = पर्यावरणवादी, पर्यावरणविद् | collected (कलेक्टिड् ) = gathered, (इन्वाइरॅनमॅन्टलिस्ट्) environmentalist garbage (गाबिज्) = rubbish, कूड़ा-कचरा ।

हिन्दी अनुवाद – जब वह यथार्थ में ‘विश्व के सर्वोच्च स्थान’ पर थी उस समय की अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए सन्तोष कहती है, “उस क्षण की महानता को समझने में कुछ समय लगा तत्पश्चात् मैंने भारतीय तिरंगा फहराया और इसे संसार की छत पर ऊँचा उठा लिया । उस समय की भावनाएँ अवर्णनीय हैं । भारतीय ध्वज संसार के सर्वोच्च स्थान पर फंहरा रहा था । यह वास्तव में एक आध्यात्मिक क्षण था । मैंने भारतीय होने का गर्व महसूस किया ।” सन्तोष, जो एक उत्साही पर्यावरणविद् भी है, ने हिमालय से 500 किलोग्राम कूड़ा-कचरा इकट्ठा किया और इसे नीचे लेकर आई ।

Part- II
Maria Sharapova

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व)

एक रूसी लड़की मारिया शारापोवा महिला टेनिस के शिखर पर उस समय पहुँच गई जब वह मुश्किल से 18 वर्ष की हुई थी। उसके बारे में पढ़ते समय पता लगाइये कि क्या आप उसके व संतोष यादव के बीच में कोई तुलना कर सकते हो।

Match the following : सुमेलित कीजिए :

Something disarming quickly, almost immediately
at odds with more calm, confident and in control than people of her age usually are
glamorous attire in contrast to; not agreeing with
in almost no time something that makes you feel friendly, taking away your suspiciousness
poised beyond her years sent off                           ‘
packed off attractive and exciting clothes
launched causing strong feelings of sadness
heart wrenching started

Answer:

Something disarming something that makes you feel friendly, taking away your suspiciousness
at odds with in contrast to; not agreeing with
glamorous attire attractive and exciting clothes
in almost no time quickly, almost immediately
poised beyond her years more calm, confident and in control than people of her age usually tire
packed off sent off
launched started
heart wrenching causing strong feelings of sadness

As you read, look for the answers to these questions:
आप पाठ को पढ़ते समय इन प्रश्नों के उत्तर खोजिए-

Why was Maria sent to the United States ?
मारिया को संयुक्त राज्य क्यों भेजा गया ?

Why didn’t her mother go with her?
उसकी माँ उसके साथ क्यों नहीं गईं ?

What are her hobbies? What does she like?
उसकी रुचियाँ क्या हैं? वह क्या पसन्द करती है?

What motivates her to keep going?
उसे निरन्तर आगे बढ़ने के लिए कौन-सी बात प्रेरित करती है?

Word-Meanings and Hindi Translation (Page 104)

1. There is …………… the pinnacle.

Word-Meanings: disarming ( डिसआर्मिंग) = friendly without suspicion, मैत्रीपूर्ण, बिना सन्देह की मित्रता । at odds with (एट ऑड्ज् विद्) = in contrast to, असंगत, मेल न खाने वाली । ready (रेडि) = (here) natural, स्वाभाविक 1 glamorous ( ग्लैमरस् ) = attractive, लुभावना, मोहक | attire ( अटाइअ ) = dress, वस्त्र, पोशाक । position (पॅज़िशून् ) = the place where somebody should be, स्थिति । almost (ऑल्मोस्ट्) = very nearly, करीब-करीब, लगभग। in no time (इन नो टाइम् ) = very soon, बहुत जल्दी ।

poised beyond her years (पॉइज़्ड बियॉन्ड् हर् यिअर्ज) = more calm, confident and in control than people of her age usually are, अपनी उम्र के लोगों से अधिक शान्त, आत्मविश्वासी व संयमी । teenager ( टीनेजू) = a person aged between 13 and 19 years old, किशोर (13 से 19 वर्ष का लड़का या लड़की) । took (टुक् ) = (here) taken time, समय लिया। professional (पॅफेशन्ल्) = vocational, पेशेवर । pinnacle (पिनॅकॅल्) = highest point of success, top, पराकाष्ठा, चोटी |

हिन्दी अनुवाद – मारिया शारापोवा में कोई ऐसी बात है जो विना संदेह की मित्रता जैसा अहसास कराती है परन्तु यह बात उसकी स्वाभाविक मुस्कान व मोहक वस्त्रों से मेल नहीं खाती । और मारिया की कुछ इसी बात ने उसको सोमवार 22 अगस्त 2005 को महिला टेनिस के संसार में पहले स्थान तक पहुँचा दिया। यह सब कुछ लगभग अत्यन्त ही कम समय में हुआ। अपनी उम्र के बच्चों से अधिक शांत, आत्मविश्वासी व संयमी, साइबेरिया में पैदा हुई इस किशोरी ने पेशेवर खिलाड़ी के रूप में चोटी तक पहुँचने में मात्र चार वर्ष का ही समय लिया।

2. However, the rapid …………… at a price. (Page 105)

word-Meanings : however (हाउएवर्) = although something is true, फिर भी । rapid (रैपिड्) = very quickly, तेज । ascent (एसेन्ट् ) = act of getting progress, उन्नति, उत्थान । fiercely (फिअलि ) = very strong, violent, भयंकर, जबरदस्त । competitive (कम्पेटिटिव् ) = having the desire to be more successful than others, प्रतिस्पर्धात्मक | level ( लेवूल्) = standard, स्तर | sacrifice ( सैक्रिफाइस) = the act of offering something, बलिदान | prepared (प्रिपेअर्स्) = made ready, तैयार । endure (इन्ड्युअर्) = to bear, सहना । celebrated ( सेलिब्रेटिड् ) = did something that showed you were happy, मनाया । packed off (पैक्ट ऑफ् ) = sent off, कहीं दूर भेज दिया जाना । train (ट्रेन्) = to learn how to learn a job, प्रशिक्षण पाने के लिए। trip (ट्रिप्) = यात्रा, सैर । launched (लॉन्च्ट् ) = started, प्रारम्भ कर दिया, चला दिया ।

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path (पाथ्) = way, रास्ता। .stardom (स्टार्डम् ) the state of being a famous person in sports, प्रसिद्ध खिलाड़ी का दर्जा । required (रिक्वाइॲर्ड) = needed, जरूरी था, आवश्यकता थी । heart-wrenching (हार्ट् रेन्चिंग्) = causing strong feeling of sadness, हृदय विदारक । separation (सेपरेश्न् ) = parting, पृथक्करण, जुदाई | latter ( लेटर) = दो में बाद वाला ( यहाँ पर मारिया की माँ) | compelled (कम्पेल्ड् ) = forced someone to do something, बाध्य कर दिया । visa (वीजा) = an official paper through which you are allowed to enter, leave, travel in a country, वीज़ा, देश में आने या जाने की अनुमति, प्रवेश पत्र । restrictions (रिस्ट्रिक्श्नज़) limitations, प्रतिबंध । learnt a lesson (लर्ट – अ लेसन) एक सबक सीख लिया । excellence (एक्सलन्स्) the quality of being the best, श्रेष्ठता, उत्कर्ष । at a price (एट अ प्राइस् ) = (here) at high rate, बहुत ऊँची कीमत पर।

हिन्दी अनुवाद – फिर भी इस भयंकर प्रतिस्पर्धात्मक संसार में यह तीव्र उन्नति नौ वर्ष पूर्व बलिदान के उस स्तर से शुरू हुई जिसे सहने के लिए शायद ही कोई बच्चा तैयार होगा। नन्ही मारिया ने अभी अपना दसवाँ जन्मदिन भी नहीं मनाया था जब उसे प्रशिक्षण पाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भेज दिया गया । अपने पिता यूरी के साथ फ्लोरिडा की उस यात्रा ने उसे सफलता व सुविख्यात खिलाड़ी बनने के रास्ते पर चला दिया । इसके लिए उसे अपनी माँ येलेना से दो वर्ष की हृदय विदारक जुदाई भी झेलनी पड़ी ( अर्थात् उसे दो वर्ष तक माँ से अलग रहना था ) । वीजा नियमों की पाबन्दी के कारण उसकी माँ को साइबेरिया में ही रुकने को बाध्य होना पड़ा। नौ वर्ष की इस लड़की ने जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक पहले ही सीख लिया था कि टेनिस में श्रेष्ठता केवल बहुत ऊँची कीमत पर ही हासिल की जा सकेगी।

3.”I used to ………….. me either. (Page 105)

Word Meanings: so lonely (सो लोन्लि) = very sad and alone, बहुत दुखी व अकेली । recalls (रिकॉल्ज़) = remembers, याद करती है। missed (मिस्ट् ) = कमी खली, याद सताती थी । terribly ( टेरिब्लि ) greatly, भयंकर रूप से, अत्यधिक । see (सी) = meet, मिलना । either (आइदर) = also, भी ।

हिन्दी अनुवाद – मारिया शारापोवा याद करती है, “मैं बहुत दुखी व अकेली हुआ करती थी ! मुझे अपनी माँ की अत्यधिक याद सताती थी। मेरे पिताजी मेरे टेनिस के प्रशिक्षण को जारी रखने के लिए जितना अधिक काम कर सकते थे उतना कर रहे थे। इसलिए वे मुझसे मिल भी नहीं सकते थे । ”

4. “Because I was ………………. and cleanit.” (Pages 105-106)

Word-Meanings: so young (सो यंग्) = not very old, अधिक छोटी बच्ची । go to bed (गो टु बेड्) = to sleep, सोना । pupils ( प्यूपिल्ज़् ) = students, शिष्य । wake up (वेक् अप्) = to stop sleeping, जगाना । tidy up (टाइडि अप्) = put things in order, clean, सुव्यवस्थित करना, साफ करना ।

हिन्दी अनुवाद – ‘चूँकि मैं बहुत छोटी बच्ची थी अतः मैं सायँ 8 बजे ही सो जाया करती थी। दूसरे टेनिस सीखने वाले बच्चे रात्रि में 11 बजे अन्दर आते थे और मुझे जगाकर कमरे को सुव्यवस्थित करने व इसे साफ करने का आदेश देते थे ।”

5. “Instead of ………. my dream.” (Page 106)

Word Meanings : instead of (इन्स्टेड ऑव ) = in place of, के स्थान पर | letting (लेटिंग) allowing, होने देना। depress (डिप्रेस्) = distress, निराश करना, उदास करना । determined (डिटॅ:मिण्ड्) ·resolved, दृढ़-निश्चयी । mentally (मेण्टॅलि) = मानसिक रूप से । tough (टफ्) = strong, कठोर, सख्त । quitting (क्विटिंग) = (here) losing courage, (यहाँ ) हिम्मत हारना । come from nothing (कम फ्रॉम नथिंग) = कुछ न होना । hungry = wanting something very much, किसी काम के प्रति इच्छुक । put up with (पुट् अप् विद्) = endure, सहन करना । humiliation (ह्यूमिलिएश्न् ) = अपमान, अवमानना । insults ( इन्सॅल्ट्स) : speak or treat with disrespect, अपमान, अनादर । steadfastly (स्टेड्फास्ट्ल) = with determination, अटलता से, दृढ़तापूर्वक । pursue (परस्यू) = follow, लगे रहना ।

हिन्दी अनुवाद – ‘इन बातों ने मुझे निराश करने के बजाये और अधिक शान्तिपूर्वक दृढ़ निश्चयी तथा मानसिक रूप से सख्त बना दिया। मैंने सीख लिया कि अपना स्वयं का ध्यान कैसे रखना है। मैंने कभी भी हिम्मत हारने की नहीं सोची क्योंकि मैंने जानती थी कि मुझे क्या चाहिये। जब आप कुछ नहीं से आते हैं अर्थात् जब आप किसी काम की शुरूआत करते हैं और आपके पास कुछ भी नहीं होता है तो यह आपको और भी किसी काम के प्रति इच्छुक व दृढ़ निश्चयी बना देता है मैं अपने स्वप्न को दृढ़तापूर्वक साकार करने के लिए इससे भी अधिक अपमान व अनादर सहन करने को तैयार थी । ”

6. That toughness,……………. following year. (Page 106)

Word Meanings: toughness (टॅफनिस) = strongness, मजबूती, सख्ती । runs through (रन्स थ्रू) (here) is present, मौजूद होना । । bagging (बैगिंग) winning, जीतने। singles (सिंग्ल्ज़) = a game of tennis, in which one player plays against another, एकल मैच । crown ( क्राउन्) = (here) award, खिताब । meteoric (मीटिओरिक) – very high place, बहुत ऊचे स्थान या पहले स्थान ।

हिन्दी अनुवाद – वह सख्ती आज भी मारिया में विद्यमान है। यह 2004 में विम्बिलडन में महिला एकल का खिताब अपनी झोली में डालने अर्थात् जीतने व अगले वर्ष विश्व में पहले स्थान पर तेजी से पहुँचने की कुन्जी थी ।

7. While her …………………. for success. (Page 106)

Word Meanings: frozen (फ्रोजून् ) = with a layer of ice, बर्फ से जमे हुए, हिमाच्छादित | plains (प्लेन्ज़) = flat land, मैदान | worth (वॅ:थ) = value, मूल्य । summit (समिट् ) = top, चोटी, शीर्ष | fans (फैन्ज़्) = admirers, उत्साही प्रशंसक । youngster (यंन्ग्स्टर) = (यहाँ ) मारिया | no room (नो रूम्) = जगह नहीं । | = no place, कोई sentiment (सेन्टिमम्ट्) = sensibility, भावुकता straight (स्ट्रेट) = direct, सीधा । ambition (एम्बिशॅन्) = a strong desire, महत्वाकांक्षा । amply (एम्प्ल) = plentifully, प्रचुर, पर्याप्त से अधिक । considers (कन्सिडज़) = regards, मानती है। worth it = (here) necessary, जरूरी | competitive (कम्पेटिटिव) = wanting very much to be more successful than others, प्रतिस्पर्धा में सफलता की इच्छुक या अभिलाषी ।

हिन्दी अनुवाद – साईबेरिया के हिमाच्छादित मैदानों से महिला टेनिस के शिखर तक पहुँचने की उसकी यात्रा ने एक ओर तो टेनिस के उत्साही प्रशंसकों के दिलों को छू लिया है तो दूसरी तरफ इस छोटी सी बच्ची के मन में इसके प्रति भावुकता प्रतीत नहीं होती है । जब उसकी महत्वाकांक्षा के बारे में पूछा जाता है तो वह सीधे देखकर उत्तर देती है जो यह बिल्कुल स्पष्ट कर देता है कि जो कुर्बानी उसने दी वह जरूरी थी । ” मैं प्रतिस्पर्धा में बहुत ही अधिक सफलता की इच्छुक या अभिलाषी हूँ। जो मैं करती हूँ उसमें कठोर परिश्रम करती हूँ । यह मेरा कार्य है ।” यह उसकी सफलता का मूलमंत्र है ।

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8. Though Maria ………. want me. (Page 106)

Word-Meanings: pronounced (प्रनाउन्स्ट) = clear, स्पष्ट, । accent (ऐक्सन्ट्) ing, लहजा । parades ( परेड्ज़) = shows, प्रदर्शन करती है । nationality (नेशनॅलटि) = the state of being | = a way of speak- legally a cilizen of a particular nation; किसी राष्ट्र की नागरिकता । clearing all doubts (क्लियरिंग आल डाउट्स) = removing all doubts, सभी संदेहों को स्पष्ट करते हुए | citizenship ( सिटिज़न्शिप) = the state of being a citizen of a particular country, नागरिकता । a big part of my life ( अ बिग पार्ट आव माइ लाइफ) = most of my life, मेरे जीवन का अधिकांश समय ।

हिन्दी अनुवाद – यद्यपि मारिया शारापोवा स्पष्ट अमेरिकन लहजे में बोलती है फिर भी वह गर्व से अपनी रूसी नागरिकता का गौरवपूर्ण प्रदर्शन करती है। संदेहों को स्पष्ट करते हुए वह कहती है, “मैं रूसी हूँ। और यह सही है कि मेरे जीवन का अधिकांश समय संयुक्त राज्य अमेरिका में बीता है लेकिन मेरी नागरिकता रूसी है । मेरा खून पूरी तरह से रूसी है। यदि वे मुझसे अपेक्षा रखते हैं तो मैं रूस की ओर से ओलम्पिक में खेलूँगी।”

9. Like any ………….. orange drinks. (Page 106)

Word Meaning: teenaged (टीनेज्ड् ) = between 13 and 19 years old, किशोरावस्था । sensations (सेन्सेश्न्ज) = successful personalities, सफलता प्राप्त व्यक्तियों । lists (लिस्ट्स) = makes count, गिनाती है । fondness (फॉन्ड्नस् ) = affection for something, चाह । sophisticated. (सफिस्टिकेटिड् ) = (here) advanced and fashionable, यहाँ आधुनिक और फैशनेवल। gowns (गाउन्ज़) | = a long formal dress (of women), गाउन (स्त्रियों की एक पोशाक ) । pancakes (पैनकेक्स ) = मैदे, अण्डे और दूध से बना एक प्रकार तला हुआ पकवान | spread (स्प्रेड्) = to cover a surface with a layer of a soft substance, (मक्खन आदि ) वस्तु को (ब्रेड आदि पर) लगाना, चुपड़ना । fizzy drinks (फिज़ि ड्रिंक्स) = a drink that contains many small bubbles, बुलबुलेदार पेय ।

हिन्दी अनुबाद – अन्य कई किशोरावस्था में सफलता प्राप्त व्यक्तियों की भाँति मारिया शारापोवा अपनी रुचियों के रूप में फैशन, गाना और नृत्य को गिनाती है । वह ऑर्थर कॉनन डायल के उपन्यास पढ़ना पसंद करती है । सांयकालीन फैशनेवल गाउनों के प्रति उसकी चाह उसके चॉकलेट लगे हुए पैनकेक व सन्तरों के बुलबुलेदार पेय के प्रति उसके प्रेम से मेल खाती प्रतीत नहीं होती है ।

10. Maria Sharapova ………… me going. ” (Pages 106 107) Word-Meanings: cannot be pigeon-holed = cannot be put aside with the intention of ignoring, उपेक्षा की भावना से अलग थलग नहीं किया जा सकता । cannot be categorized = cannot be put into any category, किसी भी श्रेणी में नहीं रखा जा सकता । | talent (टैलन्ट् ) = natural skill, प्रतिभा । unwavering (अनवेवरिंग) = firm, दृढ़, अडिग | readiness (रेडिनस) = the state of willing to do, तत्परता । grudge (ग्रज) = envy, ईर्ष्या करना । riches (रिचेज) = money, धन | reaping (रीपिंग) = (here) getting, प्राप्त कर रही ( है ) । monetary (मनिट्ठि) = connected with money, आर्थिक | gains (गेन्ज) = profits, लाभ प्राप्ति । motivation (मोटिवेशन् ) = inspiration, प्रेरणा ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 8 Reach for the Top
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हिन्दी अनुवाद – मारिया शारापोवा को उपेक्षा की भावना से अलग थलग नहीं किया जा सकता अथवा किसी श्रेणी में उसे नहीं रखा जा सकता है। उसकी प्रतिभा, सफलता के लिये दृढ़ इच्छा व बलिदान के लिए तत्परता ने उसे विश्व की चोटी पर पहुँचा दिया है। जो धन अब वह अपने कार्य के फल के रूप में प्राप्त कर रही है उससे शायद ही किसी को ईर्ष्या हो टेनिस से अपने आर्थिक लाभ के बारे में उसे यह कहना पड़ता है: ” निःसंदेह, धन एक प्रकार की प्रेरणा है। टेनिस एक व्यापार भी है और खेल भी है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात है दुनिया में नम्बर एक बनना। यही वह स्वप्न है जिसने मुझे इसमें लगाये रखा ।”

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Exercise 1.6

प्रश्न 1.
मान ज्ञात कीजिए :
(i) \(64^{\frac{1}{2}}\)
(ii) \(32^{\frac{1}{5}}\)
(iii) \(125^{\frac{1}{3}}\)
हल:
(i) \(64^{\frac{1}{2}}\) = \((8 \times 8)^{\frac{1}{2}}\)
= \((8)^{2 \times \frac{1}{2}}\) = 8.

(ii) \(32^{\frac{1}{5}}\) = \((2 \times 2 \times 2 \times 2 \times 2)^{\frac{1}{5}}\)
= \(\left(2^5\right)^{\frac{1}{5}}=2^{5 \times \frac{1}{5}}\) = 2.

(iii) \(125^{\frac{1}{3}}\) = \((5 \times 5 \times 5)^{\frac{1}{3}}\)
\(\left(5^3\right)^{\frac{1}{3}}=5^{3 \times \frac{1}{3}}\) = 5.

प्रश्न 2.
मान ज्ञात कीजिए :
(i) \(9^{\frac{3}{2}}\)
(ii) \(32^{\frac{2}{5}}\)
(iii) \(16^{\frac{3}{4}}\)
(iv) \(125^{-\frac{1}{3}}\)
हल:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 1

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

प्रश्न 3.
सरल कीजिए:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 2
हल:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 3
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 4

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

1. अपने मित्र अथवा अपनी सखी को अपने जन्म-दिवस पर बधाई – पत्र लिखिए।

56-एल, मॉडल टाउन
कोच्ची
31 मार्च, 20XX
प्रिय सखी नलिनी
सस्नेह नमस्कार।
आज ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ है। यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि तुम 4 अप्रैल को अपना 17वाँ जन्म – दिवस मना रही हो। इस अवसर पर तुमने मुझे भी आमंत्रित किया है इसके लिए अतीव धन्यवाद।
प्रिय सखी, मैं इस शुभावसर पर अवश्य पहुँचती, लेकिन कुछ कारणों से उपस्थित होना संभव नहीं। मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रही हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे तुम्हें चिरायु प्रदान करें। तुम्हारा भावी जीवन स्वर्णिम आभा से मंडित हो। अगले वर्ष अवश्य आऊँगी। मैं अपनी ओर से एक छोटी-सी भेंट भेज रही हूँ, आशा है कि तुम्हें पसंद आएगी। इस शुभावसर पर अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई अवश्य देना।
तुम्हारी प्रिय सखी
मधु

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

2. आपके मित्र को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। उसे बधाई पत्र लिखिए।

512, चौक घंटाघर
भुवनेश्वर
19 जून, 20XX
प्रिय मित्र सुमन
सस्नेह नमस्कार।
दिल्ली बोर्ड की दशम कक्षा की परिणाम सूची में तुम्हारा नाम छात्रवृत्ति प्राप्त छात्रों की सूची में देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। प्रिय मित्र, मुझे तुमसे यही आशा थी। तुमने परिश्रम भी तो बहुत किया था। तुमने सिद्ध कर दिया कि परिश्रम की बड़ी महिमा है। 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करना कोई खाला जी का घर नहीं। अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से बधाई देना। ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे पास आऊँगा। मिठाई तैयार रखना।
आपका अपना
विवेक शर्मा

3. आपका मित्र बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आया है। उसे बधाई देते हुए एक पत्र लिखिए।

31, माल रोड
चेन्नई
7 अगस्त, 20XX
प्रिय मित्र गिरीश
सस्नेह नमस्कार।
आज के दैनिक ‘दैनिक भास्कर’ में तुम्हारा चित्र देखकर तथा यह जानकर कि तुम बोर्ड की परीक्षा में देशभर में प्रथम रहे हो, हृदय प्रसन्नता से झूम उठा। मित्रवर, तुमसे यही आशा थी। तुमने अपने माता-पिता तथा अध्यापक वर्ग के सपनों को साकार कर दिया है। मित्रवर्ग की प्रसन्नता का तो पारावार ही नहीं। इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें। यह तुम्हारे कठोर परिश्रम का सुपरिणाम है। आज तुमने अनुभव किया होगा कि परिश्रम और प्रयत्न की कितनी महिमा है।
आज तुम्हारे ऊपर सभी गर्व का अनुभव कर रहे हैं। तुम्हारे माता-पिता कितने प्रसन्न होंगे, इसका अनुमान लगाना सहज नहीं। तुम्हारी इस असामान्य सफलता ने पाठाशाला के नाम को भी चार चाँद लगा दिए हैं।
आशा है कि आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी तरह अपूर्व सफलता प्राप्त करते रहोगे। संभव है अगले सप्ताह मैं तुम्हारे पास आऊँ। मिठाई तैयार रखना। अगर ठहर सका तो चलचित्र भी अवश्य देखूँगा।
इस शानदार सफलता पर एक बार फिर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई देने के साथ मेरी ओर से सादर नमस्कार भी कहें।
तुम्हारा अभिन्न हृदय
कृष्णन

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

4. अपने मित्र को एक पत्र लिखकर उसे ग्रीष्मावकाश का कार्यक्रम बताइए।
अथवा
ग्रीष्मावकाश के अवसर पर भ्रमणार्थ अपने मित्र को निमंत्रण- पत्र लिखिए।

3719, रेलवे रोड
हैदराबाद
15 मई, 20XX
प्रिय मित्र दिनेश
सस्नेह नमस्कार।
आशा है आप सब कुशल होंगे। आपके पत्र से ज्ञात हुआ है कि आपका विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो चुका है। हमारी परीक्षाएँ 28 मई को समाप्त हो रही हैं। इसके पश्चात विद्यालय 15 जुलाई तक बंद रहेगा। इस बार हम पिता जी के साथ शिमला जा रहे हैं। लगभग 20 दिन तक हम शिमला में रहेंगे। वहाँ मेरे मामा जी भी रहते हैं। अतः वहाँ रहने में हमें पूरी सुविधा रहेगी। शिमला के आस-पास सभी दर्शनीय स्थान देखने का निर्णय किया है। मेरे मामा जी के बड़े सुपुत्र वहाँ हिंदी के अध्यापक हैं। उनकी सहायता एवं मार्ग-दर्शन से मैं अपने हिंदी के स्तर को बढ़ा सकूँगा।
प्रिय मित्र, यदि आप भी हमारे साथ चलें तो यात्रा का आनंद आ जाएगा। आप किसी प्रकार का संकोच न करें। मेरे माता-पिता जी भी आपको मेरे साथ देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। आप शीघ्र ही अपना कार्यक्रम सूचित करना। हमारा विचार जून के प्रथम सप्ताह में जाने का है।
शिमला से लौटने के बाद दिल्ली तथा आगरा जाने का भी विचार है। दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थान हैं। आगरा का ताजमहल तो मेरे आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि मुझे अभी तक इस सुंदर भवन को देखने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। आशा है कि इस बार यह जिज्ञासा भी शांत हो जाएगी। आप अपना कार्यक्रम शीघ्र ही सूचित करना।
अपने माता-पिता को मेरी ओर से सादर नमस्कार कहना।
आपका मित्र
विजय नायडू

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5. अपने मित्र को उसके पिता के स्वर्गवास पर संवेदना – पत्र लिखिए।

4587/15, दरियागंज
दिल्ली
21 जनवरी, 20XX
प्रिय मित्र।
कल्पना भी न की गई थी कि 19 जनवरी का दिन हम सबके लिए इतना दुखद होगा। आपके पिता के निधन का समाचार पाकर बड़ा शोक हुआ। हाय ! यह विधाता का कितना निर्दय प्रहार हुआ है। आपके पिता की असामयिक मृत्यु से हमारे घर में शोक का वातावरण छा गया। सबकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। मेरे पिता जी ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अपना निकटतम मित्र तथा सहयोगी खो दिया है।”
प्रिय मित्र ! गत मास जब मैं आपसे मिलने आया था तो उस समय आपके पिता जी कितने स्वस्थ थे। विधि का विधान भी बड़ा विचित्र है। उनका साधु व्यक्तित्व अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। उनकी सज्जनता और परोपकार – भावना से सभी प्रभावित थे। उनके निधन से आपके परिवार को ही हानि नहीं पहुँची अपितु सारे नगर को हानि हुई है। उनकी शिक्षा में भी अत्यंत रुचि थी। उन्हीं की प्रेरणा से आप प्रत्येक परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करते रहे हैं।

प्रिय मित्र ! काल के आगे सब असहाय और विवश हैं। उसकी शक्ति से कोई नहीं बच सकता। उसके आगे सबने मस्तक झुकाया है। धैर्य धारण करने के अतिरिक्त दूसरा उपचार नहीं है। हम सब आपके इस अपार दुख में सम्मिलित होकर संवेदना प्रकट करते हैं। आप धैर्य से काम लीजिए। अपने छोटे भाइयों को सांत्वना दो। माता जी को भी इस समय आपके सहारे की आवश्यकता है। मित्र ! निश्चय ही आप पर भारी ज़िम्मेदारी आ पड़ी है। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे आपको इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति दें और स्वर्गीय आत्मा को शांति प्रदान करें।
आपके दुख में दुखी
रवि वर्मा

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

6. अपनी कक्षा में प्रथम आने की शुभ सूचना अपने मामा जी को पत्र द्वारा दीजिए।

22, कीर्ति नगर
सिकंदराबाद
10 जून, 20XX
आदरणीय मामा जी
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव होगा कि इस वर्ष की परीक्षा में मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह सब माता जी, पिता जी तथा आपके आशीर्वाद का परिणाम है। अब आपको अपना वायदा पूरा करना पड़ेगा। ग्रीष्मावकाश में मैं आपके पास आऊँगा। मेरा उपहार तैयार रखें। मामी जी को सादर नमस्कार।
आपका प्रिय भांजा
ध्रुव

7. अपने बड़े भाई को एक घड़ी खरीदने के लिए रुपए भेजने का निवेदन करते हुए पत्र लिखिए।
14, शिवाजी छात्रावास
नवोदय विद्यालय
गुहावाटी
25 जनवरी, 20XX
आदरणीय बंधु
सादर नमस्कार।
मैं यहाँ सकुशल हूँ और मेरा अध्ययन विधिपूर्वक चल रहा है। आप जानते हैं कि परीक्षा निकट आ रही है और मैंने परीक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करने के लिए आपको वचन दे रखा है। आप यह भी जानते हैं कि मेरे पास घड़ी का अभाव है। समय देखने के लिए मुझे दिन में कई बार छात्रावास के मुख्य भवन में लगी घड़ी देखने के लिए जाना पड़ता है। आपसे निवेदन है कि कृपया एक हज़ार रुपए शीघ्र भेजें ताकि मैं अपने लिए एक अच्छी घड़ी खरीद सकूँ। घड़ी होने पर मैं समय का सदुपयोग कर सकूँगा और निश्चित की गई समय-सारिणी के अनुसार अध्ययन कर सकूँगा। आशा है कि आप निराश नहीं करेंगे। भाभी जी को सादर प्रणाम। सुरुचि को सस्नेह आशीर्वाद।
आपका प्रिय अनुज
रजत शर्मा

8. अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें उसके द्वारा दी गई सीख पर आचरण करने का आश्वासन हो।

14, नौरोजी नगर
जलगाँव
7 जनवरी, 20XX
आदरणीय बंधु।
कल आपका प्रेरणा भरा पत्र मिला। आपने समय का सदुपयोग कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने का जो परामर्श दिया है, मैं उसका पूरी तरह ध्यान रखूँगा। प्रातः शीघ्र उठकर नियमित रूप से अध्ययन करूँगा। अपने अध्यापकवर्ग से भी भरपूर सहायता लूँगा। आवश्यकता पड़ने पर कुछ पुस्तकें भी खरीदूँगा।
मुझे आशा है कि आपकी दी हुई सीख पर आचरण कर परीक्षा में भव्य सफलता प्राप्त करूँगा। आप निश्चिंत रहें।
आपका अनुज
सुरेश देशमुख

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

9. बड़ी बहन के नाते अपने भाई को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजते हुए एक पत्र लिखिए।

6/574, लखनपुरा
कानपुर
9 अगस्त, 20XX
प्रिय अनुज प्रतीक
चिरंजीव रहो।
तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुमने मासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। अगले सप्ताह रक्षाबंधन का त्योहार है। मैं इस पत्र के साथ राखी भेज रही हूँ। प्रिय अनुज, इन राखी के धागों में बड़ी शक्ति और प्रेरणा का भाव होता है। इस दिन भाई अपनी बहन की मान-मर्यादा की रक्षा का संकल्प करता है। बहन भी भाई की सर्वांगीण प्रगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।
मैं इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर तुम्हारे कोमल हाथों में राखी बाँधने के लिए उपस्थित न हो सकूँगी। मेरा प्यार, मेरा आशीर्वाद तथा मेरी शुभकामना इन राखी के धागों में गुँथी हुई है।
माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारी बड़ी बहन
नीलम खन्ना

10. हाथ का कोई काम सीखने की इच्छा व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखकर अपने पिता जी से उसकी अनुमति माँगिए।

केंद्रीय विद्यालय
जयपुर
17 मार्च, 20XX
आदरणीय पिता जी
सादर नमस्कार।
इस वर्ष हमारे विद्यालय में ‘ दस्तकारी – शिक्षा’ नाम से एक नया पाठ्यक्रम शुरू हो रहा है। इस पाठ्यक्रम में हाथ से काम करने की व्यवस्था है। विद्यालय में एक वर्कशाप भी स्थापित हो रही है। यहाँ रेडियो बनाने, टेलीविज़न के पुर्जों को अलग करने और जोड़ने, फोटोग्राफ़ी तथा बढ़ई आदि के काम की शिक्षा दी जाएगी। पिता जी, आप जानते हैं कि हाथ से काम करने की कला में कुशल होना कितना उपयोगी है। इससे व्यक्ति की आजीविका की समस्या का समाधान हो जाता है। यदि आप आज्ञा दें तो मैं भी इस नये पाठ्यक्रम के लिए अपना नाम लिखवा दूँ। यह अतिरिक्त शिक्षा अवश्य ही जीवन में उपयोगी साबित होगी।
कृपया उत्तर शीघ्र दें क्योंकि 31 मार्च तक नाम लिखवा देना ज़रूरी है।
आपका आज्ञाकारी
मनमोहन स्वरूप माथुर

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11. अपने पिता जी को पत्र लिखिए जिसमें अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की सूचना देते हुए खर्च के लिए रुपए मँगवाइए।

परीक्षा भवन,
क० ख० ग०
5 मई, 20XX
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारा परीक्षा – परिणाम निकल आया है। मैं 580 अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया हूँ। अपनी कक्षा में मेरा दूसरा स्थान है। मुझे स्वयं इस बात का दुःख है कि मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कि मैं दिसंबर मास में बीमार हो गया था और लगभग 20-25 दिन विद्यालय न जा सका। यदि मैं बीमार न हुआ होता तो संभव था कि छात्रवृत्ति प्राप्त करता। अब मैं नौवीं कक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने का प्रयत्न करूँगा।
अब मुझे नौवीं कक्षा की नई पुस्तकें आदि खरीदनी हैं। कुछ मित्र मेरी इस सफलता पर पार्टी भी माँग रहे हैं। अतः आप मुझे 2500 रुपए यथाशीघ्र भेजने की कृपा करें।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
राघव।

12. अपने छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताकर अच्छे लड़कों की संगति में रहने की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।

720, सेक्टर 27-सी,
कुरुक्षेत्र।
20 फरवरी, 20XX
प्रिय जगदीश,
प्रसन्न रहो।
हमें पूर्ण विश्वास है कि तुम सदा मेहनत करते हो और मिडिल परीक्षा में कोई अच्छा स्थान लेकर उत्तीर्ण होगे। तुम्हारी नियमितता और अनुशासन- पालन को देखकर हमें यह विश्वास हो गया है कि तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना कि कहीं कुसंगति में फँसकर अपने को दूषित न कर लेना। यदि तुम बुरे लड़कों के जाल से न बचोगे तो तुम्हारा भविष्य अंधकारमय बन जाएगा और तुम अपने रास्ते से भटक जाओगे। तुम्हें जीवन-भर कष्ट उठाने पड़ेंगे और तुम अपने उद्देश्य में सफल न हो सकोगे।

कुसंगति छात्र का सबसे बड़ा शत्रु है। दुराचारी बच्चे होनहार बच्चों को भी भ्रष्ट कर देते हैं। प्रारंभ में बुरे बच्चों की संगति बड़ी मनोरम लगा करती है, लेकिन यह भविष्य को धूमिल कर देती है। दूसरी ओर अच्छे बच्चों की संगति करने से चरित्र ऊँचा होता है, कई अच्छे गुण आते हैं। अच्छे बालक की सभी प्रशंसा करते हैं।
आशा है कि तुम कुसंगति के पास तक नहीं फटकोगे, फिर भी तुम्हें सचेत कर देना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ। माता जी और पिता जी का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, किसी वस्तु की ज़रूरत हो तो लिखना।
तुम्हारा बड़ा भाई,
भुवन मोहन

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13 अपने मित्र / सहेली को एक पत्र लिखकर बताइए कि आपके स्कूल में 15 अगस्त का दिन कैसे मनाया गया।

48 – A, आदर्श नगर,
गुरदासपुर।
18 अगस्त, 20XX
प्रिय सखी दीपा,
सप्रेम नमस्ते।
बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र नहीं मिला। क्या कारण है ? मैं तुम्हें दो पत्र डाल चुकी हूँ पर उत्तर एक का भी नहीं मिला। कोई नाराज़गी तो नहीं। अगर ऐसी-वैसी कोई बात हो तो क्षमा कर देना।

हाँ, इस बार हमारे स्कूल में 15 अगस्त का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इसकी थोड़ी-सी झलक मैं पत्र द्वारा तुम्हें दिखा रही हूँ। 15 अगस्त मनाने की तैयारियाँ एक महीना पहले ही शुरू कर दी गई थीं। स्कूल में सफ़ेदी कर दी गई थी। लड़कियों को सामूहिक नृत्य की ट्रेनिंग देना कई दिन पहले ही शुरू कर दी गई थी। हमें ‘हमारे अमर शहीद’ एकांकी नाटक की रिहर्सल भी कई बार करवाई गई। निश्चित दिन को ठीक सुबह सात बजे 15 अगस्त का समारोह शुरू हो गया। सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेवक चौधरी रामलाल जी ने अदा की। इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करने शुरू कर दिए। गिद्धा नाच ने सबका मन मोह लिया। इसके बाद देश-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत गाया था। मैंने सामूहिक गायन में भी भाग लिया।

इसके बाद एकांकी ‘हमारे अमर शहीद’ का मंचन हुआ। इसके हर सीन पर तालियाँ बजती थीं। समारोह के अंत में मुख्य अतिथि और हमारी बड़ी बहन जी ने भाषण दिए, जिसमें देश-भक्ति की प्रेरणा थी।
15 अगस्त का यह समारोह मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि मुझे इसमें दो खूबसूरत इनाम मिले हैं। पूज्य माताजी और भाभी जी को प्रणाम। रिंकू और गुड्डी को प्यार देना। इस बार पत्र का उत्तर ज़रूर देना।
तुम्हारी अनन्य सखी,
वर्तिका

14. परीक्षा में असफल होने पर बहन को सांत्वना पत्र लिखिए।

519, राम कुटीर,
रामनगर, दिल्ली।
5 जुलाई, 20XX
प्रिय बहन सिया,
प्रसन्न रहो।
पिता जी का अभी-अभी पत्र आया है। तुम्हारे असफल होने का समाचार मिला। मुझे तो पहले ही तुम्हारे पास होने की आशा नहीं थी। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी, इसमें असफल रहना स्वाभाविक ही था। पहले माताजी बीमार हुईं, फिर तुम स्वयं बुखार में फँस गई। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझ से छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें रंचमात्र भी खेद नहीं करना चाहिए। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि हम तुम्हारे असफल होने पर नाराज़ हैं। हाँ, अब अगले वर्ष की परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ। किसी पुस्तक की आवश्यकता हो तो लिखो। डटकर पढ़ाई करो। माता जी एवं पिता जी को प्रणाम।
तुम्हारा प्यारा भाई,
वरुण

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15. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें दहेज की कुप्रथा के बारे में विवेचना हो।

डी० ए० वी० उच्च विद्यालय,
कोलकाता।
1 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र सुशील,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र मिला, तदर्थ धन्यवाद। बहन रमा की मँगनी के विषय में आपने मुझसे परामर्श माँगा है। दहेज के संबंध में मेरी सम्मति माँगी है। इसके लिए कुछ शब्द प्रस्तुत हैं।
मैं मनु
के इस उपदेश का प्रचारक हूँ कि जिस घर में नारियों की पूजा होती है, उस घर में देवता निवास करते हैं। आज इस आदर्श पर पोछा फिर गया है। जिस गृहस्थ के घर में कन्या पैदा होती है, वह समझता है कि मुझ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। मेरी सम्मति में इन सब बुरी भावनाओं का मूल कारण केवल मात्र दहेज प्रथा है।
आज की प्रचलित दहेज-प्रथा ने कई सुंदर देवियों को पतित होने पर विवश किया है। कइयों ने अपने माता-पिता को कष्ट में देखकर आत्महत्याएँ की हैं।

क्या आपको अंबाला की प्रेमलता की आत्महत्या की घटना स्मरण नहीं ? माता-पिता की इज़्ज़त की रक्षा के लिए उसने अपने प्राणों की बलि दे दी। इसी कारण समाज सुधारकों की आँखें खुलीं। समाज सुधारकों ने इस कुप्रथा का अंत करने का बीड़ा उठाया।
मेरी अपनी सम्मति में कन्यादान ही महान दान है। जिस व्यक्ति ने अपने हृदय का टुकड़ा दे दिया उसका यह दान तथा त्याग क्या कम है ? आज के नवयुवकों की बढ़ती हुई दहेज की लालसा मुझे सर्वथा पसंद नहीं है। वरों की इस प्रकार से बढ़ती हुई कीमतें समाज के भविष्य के लिए महान संकट बन रही हैं।

मेरी सम्मति में आप रमा बहन के लिए एक ऐसा वर ढूँढ़ें जो हर प्रकार से योग्य हो, स्वस्थ, समुचित रोज़गार वाला और शिक्षित हो। धनी-मानी और लालची लोगों की ओर एक बार भी नज़र न डालें। समय आ रहा है जबकि स्वतंत्र भारत के कर्णधार कानूनन दहेज प्रथा को बंद कर देंगे। इस संबंध में बहुत सोचने और घबराने की आवश्यकता नहीं है।
आपका अभिन्न हृदय
मनोहर लाल

16. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें प्रातः भ्रमण के लाभ बताए गए हों।

208, कृष्ण नगर,
इंदौर।
15 अप्रैल, 20XX
प्रिय सुरेश,
प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे स्वास्थ्य की बहुत चिंता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूँजी होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। गत वर्ष के टाइफाइड का प्रभाव अब तक भी तुम्हारे ऊपर बना हुआ है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रातः भ्रमण अवश्य किया करो। यह स्वास्थ्य सुधार के लिए अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। प्रातः बस्ती से बाहर की वायु बहुत ही शुद्ध होती है। इसके सेवन से स्वच्छ रक्त का संचार होता है। मन खिल उठता है, मांसपेशियाँ बलवान बनती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। प्रातःकाल खेतों की हरियाली से आँखें ताज़ा हो जाती हैं।

मुझे आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। नित्य प्रातः उठकर सैर के लिए जाया करोगे। अधिक क्या कहूँ। तुम्हारे स्वास्थ्य का रहस्य प्रातः भ्रमण में छिपा है। पूज्य माता जी को प्रणाम। अणु-शुक को प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
प्रमोद कुमार

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

17. अपनी छोटी बहन को सादा जीवन बिताने के लिए पत्र लिखिए।

केंद्रीय उच्च विद्यालय,
झाँसी।
2 नवंबर, 20XX
प्रिय बहन मधु,
प्यार भरी नमस्ते।
कल पूज्य माता जी का पत्र मिला। घर का हाल-चाल ज्ञात हुआ। यह पढ़कर मुझे दुःख भी हुआ और हैरानी भी कि तुम फ़ैशनपरस्ती की ओर बढ़ रही हो। फ़ैशन विद्यार्थी का सबसे बड़ा शत्रु है।
बहन, तुम समझदार हो। सागी, सरलता और सद्विचार उन्नति की सीढ़ियाँ हैं। फ़ैशन हमारी संस्कृति और सभ्यता के प्रतिकूल है। प्रगति की दौड़ में फ़ैशनपरस्त व्यक्ति हमेशा ही पिछड़ जाता है।

सादी वेश-भूषा व्यक्ति को ऊँचा उठाती है। सादापन मनुष्य का आंतरिक शृंगार है। अच्छे कुल की लड़कियाँ सादा खान-पान और सादा रहन-सहन कभी नहीं त्यागतीं। फ़ैशन की तितलियाँ बनना उन्हें शोभा नहीं देता। तड़क-भड़क व्यक्ति के आचरण को ले डूबती है। अतः इसे दूर से ही नमस्कार दो। गांधीजी कहा करते थे कि लड़के-लड़कियों में सादगी होना बहुत ज़रूरी है।

फिर तुम एक भारतीय लड़की हो। तुम्हें सीता, सावित्री, द्रौपदी, अनुसूइया आदि के समान आदर्श बनना है। कीलर या मारग्रेट नहीं बनना है। मुझे विश्वास है कि तुम मेरी इस छोटी-सी परंतु महत्वपूर्ण शिक्षा के अनुसार आचरण करोगी। इसी में हमारे परिवार का मंगल है।
तुम्हारा भाई,
रवि शंकर
कक्षा नौवीं ‘ए’

18. विदेशी मित्र / साथी को पत्र लिखिए और उसमें अपने विद्यालय की विशेषताएँ बताइए।

140, मोहन नगर
नागपुर – 4400021
20 अगस्त, 20XX
प्रिय मित्र आलोक
स्नेह !
तुम्हारा पत्र प्राप्त कर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम जर्मनी जाकर भी मुझे भूले नहीं हो। वहाँ तुम्हारा अपने नये विद्यालय में मन लग गया है, यह पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई। मैंने भी इस वर्ष नए विद्यालय, भारतीय विद्या भवन, इतवारी में प्रवेश ले लिया है। यह विद्यालय अपने क्षेत्र के विद्यार्थियों में सर्वश्रेष्ठ है। यहाँ के अध्यापक अपने विद्यार्थियों को बहुत प्रेम से पढ़ाते हैं। हमारे विद्यालय में खेल – कूद तथा अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों को भी बहुत प्रोत्साहित किया जाता है। सभी विद्यार्थी परस्पर मिल-जुलकर रहते हैं। आशा है तुम्हें मेरे इस विद्यालय की विशेषताओं को पढ़कर ज्ञात हो गया होगा कि मेरा इस विद्यालय में प्रवेश लेना मेरे भविष्य के लिए उचित ही होगा। तुम भी अपने विद्यालय के बारे में विस्तार से लिखना।
शुभकामनाओं सहित
तुम्हारा अभिन्न साथी
सुरेश नेरकर

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

19. जन्म – दिवस पर प्राप्त भेंट के लिए धन्यवाद – पत्र लिखिए।

712, जनता नगर
कोयंबटूर
24 दिसंबर, 20XX
पूज्य चाचा जी
सादर प्रणाम।
आपने मेरे जन्म-दिवस पर मुझे अपनी शुभ कामनाओं के साथ-साथ जो घड़ी भेजी है, उसके लिए मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करती हूँ। मेरी पहली घड़ी पुरानी हो जाने के कारण न तो ठीक तरह से चलती थी और न ही ठीक समय की सूचना देती थी। अतः मैं नई घड़ी की आवश्यकता अनुभव कर रही थी। घड़ी देखने में भी अत्यन्त आकर्षक है। ठीक समय देने में तो इसका जवाब नहीं।
चाचा जी, मुझे तोहफ़े तो और भी मिले हैं पर आपकी घड़ी की बराबरी कोई नहीं कर सकता। आपकी यह प्रिय भेंट चिरस्मरणीय है। इस भेंट के लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करती हूँ।
चाची जी को सादर प्रणाम। विमल और कमल को मेरी ओर से सस्नेह नमस्कार।
आपकी आज्ञाकारी
लक्ष्मी मेनन

20. छोटे भाई को पत्र लिखकर उसे समय का महत्व बताइए।

16, रूप नगर
अवंतिपुर
25 मई, 20XX
प्रिय अनुज चिरंजीव रहो।
कल ही पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ है। उसमें उन्होंने तुम्हारे विषय में यह शिकायत की है कि तुम समय के महत्व को नहीं समझते। अपना अधिकांश समय खेल-कूद में तथा मित्रों से व्यर्थ के वार्तालाप में नष्ट कर देते हो। नरेश ! तुम्हारे लिए यह उचित नहीं। समय ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य धन है। इसका ठीक ढंग से व्यय करना हमारा कर्तव्य है। समय की अपेक्षा करने वाला कभी महान नहीं बन सकता।

शीघ्र ही तुम्हारा स्कूल ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो रहा है। तुमने अपने भ्रमण के लिए जो योजना बनाई है, वह ठीक है। कुछ दिन शिमला में रहने से तुम्हारा मन तथा शरीर दोनों स्वस्थ बन जाएँगे। वहाँ भी तुम अध्ययन का क्रम जारी रखना। ज्ञान की वृद्धि के लिए पाठ्यक्रम के अतिरिक्त कुछ उपयोगी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए लेकिन दृष्टि परीक्षा पर ही केंद्रित रहे।
भी
प्रत्येक क्षण का सदुपयोग एक पीढ़ी के समान है जो हमें निरंतर उत्थान तथा प्रगति की ओर ले जाता है। संसार इस बात का साक्षी है कि जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन के किसी भी क्षण को व्यर्थ नहीं जाने दिया। इसीलिए वे आज इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गए हैं। पंत जी ने भी अपने जीवन को सुंदर रूप में देखने के लिए भगवान से कामना करते हुए कहा है – यह पल-पल का लघु जीवन, सुंदर, सुखकर, शुचितर हो।

प्रिय अनुज ! याद रखो। समय संसार का सबसे बड़ा शासक है। बड़े- बड़े नक्षत्र भी उसके संकेत पर चलते हैं। हमारी सफलता-असफलता समय के सदुपयोग अथवा दुरुपयोग पर ही निर्भर करती है। समय का मूल्य समझना, जीवन का मूल्य समझना है। हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो समय के दुरुपयोग में ही जीवन का आनंद ढूँढ़ते हैं। ऐसे लोग प्रायः व्यर्थ की बातचीत में, ताश खेलने में, चल-चित्र देखने में तथा आलस्यमय जीवन व्यतीत करने में ही अपना समय नष्ट करते रहते हैं। हमारे जीवन में मनोरंजन का भी महत्व है, पर मेहनत का पसीना बहाने के बाद। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना भूल ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी मूर्खता है।
इस प्रकार समय के सदुपयोग में ही जीवन की सार्थकता है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम समय का मूल्य समझोगे और उसके सदुपयोग द्वारा अपने जीवन को सफल बनाओगे।
मेरी ओर से माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारा हितैषी
रवींद्र वर्मा

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

21. अपने मित्र अथवा सखी को एक पत्र लिखिए जिसमें अपने जीवन-लक्ष्य पर प्रकाश डाला गया हो।

110, गांधी मार्ग
मदुरै
14 अगस्त, 20XX
प्रिय सखी रमा
सस्नेह नमस्कार।

आपने अपने पत्र में ‘जीवन के लक्ष्य के महत्व पर बड़े सुंदर विचार व्यक्त किए हैं। ‘प्रयोजन के बिना मूर्ख व्यक्ति भी कार्य नहीं करता।’ यह कथन बड़ा सारगर्भित है। आपने मुझे जीवन-लक्ष्य के विषय में कुछ लिखने को कहा है। प्रिय बहन ! कभी-कभी ऐसा भी प्रतीत होता है कि मनुष्य कुछ सोचता है और विधाता को कुछ और ही स्वीकार होता है। आपने डॉक्टर बनने का निर्णय किया है लेकिन मेरा जीवन – लक्ष्य सामान्य होकर भी असमान्य है। शायद आपको मेरे लक्ष्य को जानकर आश्चर्य होगा। बहन ! मैंने अध्यापिका बनने का निर्णय किया है। इस निर्णय के पीछे मेरी रुचि और प्रवृत्ति के अतिरिक्त कुछ और बातें भी हैं।

शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा गया है। लेकिन आज का शिक्षक कर्तव्य पालन की अपेक्षा अर्थ उपार्जन में अधिक रुचि रखता है। उसमें त्याग एवं तपस्या का अभाव होता जा रहा है। मैं शिक्षका बनकर सच्चे अर्थों में शिक्षा जगत की सेवा करना चाहती हूँ। मैं शिक्षिका बनकर सबसे पूर्व अपने छात्रों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न करूँगी। जब शिक्षा में मन लगता है तो अनुशासनहीनता का भाव आप दूर हो जाता है। मेरा आदर्श होगा अपने शिष्यों को सच्चा ज्ञान प्रदान करना। मुझे जो भी विषय पढ़ाने को मिलेगा उसे पूरी रुचि के साथ पढ़ाऊँगी।

इतिहास के विषय ऐसे पढ़ाऊँगी कि बीती हुई घटनाएँ बच्चों के सामने चित्रावली बनकर घूमने लगें। मैं इस बात की ओर भी पूरा ध्यान दूँगी कि बच्चों ने मेरी बात को ग्रहण भी किया है या नहीं। आज का अध्यापक तो अपनी बात कह देने में ही अपने कर्तव्य की पूर्ति मानता है।
मैं छात्र-छात्राओं के प्रति सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करूँगी लेकिन अनुशासन की अपेक्षा सहन नहीं करूँगी। बच्चों को ऐतिहासिक एवं पर्वतीय भ्रमण अवश्य कराऊँगी ताकि वे सब-कुछ आँखों से देखकर आनंद का अनुभव करें। ‘सादा जीवन एवं उच्च विचार’ मेरे जीवन का मूलमंत्र रहेगा। सत्य एवं अहिंसा के समर्थक पैदा करने के लिए गांधीजी का आदर्श सामने रखूँगी। धर्म एवं संस्कृति का ध्वजा फहराने वालों के सामने शिवाजी एवं राणाप्रताप के वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन करूँगी।

हमारे गाँव में शिक्षा का कितना अभाव है। भारत की आत्मा गाँव हैं और ग्रामों की उन्नति के लिए शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है। मुझे अवसर मिलेगा तो मैं ग्रामीण भोले-भाले बच्चों का उपयुक्त मार्गदर्शन करूँगी। उनमें सोई हुई शक्ति को जगाऊँगी।
ईश्वर से प्रार्थना है कि वे मेरी यह महत्वाकांक्षा पूर्ण करें।
अपनी कुशलता का समाचार लिखना।
आपकी सखी
सुनीति

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

22. अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें उसे खर्चीले फ़ैशन की होड़ छोड़कर परिश्रम करने की प्रेरणा दी गई हो।

425 – बी, मॉडल ग्राम
धर्मशाला
25 जुलाई, 20XX
प्रिय राकेश
चिरंजीव रहो।
कल ही माता जी का पत्र प्राप्त हुआ है। उन्होंने लिखा है कि कॉलेज में प्रवेश लेते ही राकेश के रंग-ढंग बदल गए हैं। उसमें फ़ैशन की प्रवृत्ति जाग उठी है। प्रिय अनुज, फ़ैशन आडंबर एवं दिखाने के लिए किया जाता है। इसमें धन का अपव्यय होता है, समय नष्ट होता है तथा अनेक प्रकार की चारित्रिक दुर्बलताएँ जन्म लेती हैं। सादा जीवन, उच्च विचार ही मानव के सबसे बड़े आभूषण हैं। सच्चाई तथा ईमानदारी जैसी भावनाएँ सादगी में ही रहती हैं। परिश्रम ही सफलता की कुँजी है। परिश्रम के बल पर ही तुमने दशम् कक्षा में शानदार सफलता प्राप्त की है। फ़ैशन से दूर रहकर तथा परिश्रम के बल पर ही तुम अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हो। परिश्रम की महिमा कौन नहीं जानता ?
शिक्षा-काल में तो फ़ैशन विष के समान है। मुझे विश्वास है कि तुम फ़ैशन की प्रवृत्ति से दूर रहोगे और परिश्रम के महत्त्व को समझते हुए अध्ययन में लीन रहोगे। शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का विकास ही शिक्षार्थी का लक्ष्य है।
तुम्हारा शुभचिंतक
पवन

23. बीमारी के कारण परीक्षा न दे सकने वाले मित्र को प्रेरणा – पत्र लिखिए।

720, नौरोजी मार्ग
बेंगलुरु
14 मार्च, 20XX
प्रिय महादेवन
सस्नेह नमस्कार।
अभी ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ, जिससे ज्ञात हुआ कि अस्वस्थ होने के कारण तुम वार्षिक परीक्षा नहीं दे सके हो तथा इस कारण बहुत दुखी हो। मुझे भी यह जान कर बहुत दुख हुआ कि तुम एक वर्ष की अपनी मेहनत को सार्थक नहीं कर पाये।

परंतु अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। जो भी हो गया उसे स्वीकार कर के पुनः पूरी तरह से परिश्रम करके अगले वर्ष की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने का प्रयास करो। जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है। अतः निराश नहीं होना चाहिए।
शुभकामनाओं सहित
तुम्हारा अभिन्न मित्र
चैतन्य श्रीनिवासन

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

24. खोई हुई वस्तु लौटाने के लिए आभार प्रदर्शित करते हुए अपरिचित को पत्र लिखिए।

436, परेड ग्राउंड
शिमला
24 मार्च, 20XX
आदरणीय श्री मेहता जी
सादर नमस्कार।
कल मुझे डाक द्वारा अपनी खोई हुई पुस्तक प्राप्त कर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हुआ। यह पुस्तक मैं बस में भूल गया था। आपने यह पुस्तक लौटाकर बड़ा उपकार किया। यदि इस पुस्तक के ऊपर मेरा पता न लिखा होता तो इसे प्राप्त करना संभव न होता। यह पुस्तक मेरे लिए बड़ी उपयोगी है। यह पुस्तक मुझे इसलिए भी प्रिय है, क्योंकि यह मुझे जन्म – दिवस पर एक मित्र द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी।
आपने इस पुस्तक को भेजने के लिए जो कष्ट किया है, उसके लिए मैं आपके प्रति आभार प्रदर्शित करता हूँ। पुस्तक भेजने के लिए आपने जो डाक व्यय किया है, उसने मुझे और भी उपकृत कर दिया है।
मेरे योग्य कोई सेवा हो तो लिखें।
भवदीय
आकाश चौधरी

JAC Class 9 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

25. अपनी भूल के लिए क्षमा-याचना करते हुए अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।

छात्रावास
कोलकाता विश्वविद्यालय
कोलकाता
14 अगस्त, 20XX
आदरणीय पिता जी
सादर प्रणाम।
कल ही आपका कृपा-पत्र मिला। आपने प्रश्न किया है कि मेरे वार्षिक परीक्षा में इतने कम अंक आने का कारण क्या है ? पिता जी इस बार मेरी संगति कुछ बुरे लड़कों से हो गई थी। मुझे अध्यापक महोदय ने भी एक-दो बार चेतावनी दी पर मैंने ध्यान नहीं दिया। आपके पत्र ने मुझे सचेत कर दिया है।
मैं अपनी इस भूल के लिए आपसे क्षमा-याचना करता हूँ और आपको आश्वासन दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी भूल कभी न करूँगा। अभी से परिश्रम में जुट जाऊँगा। आप कृपा कर मुझे कुछ परीक्षोपयोगी पुस्तकें अवश्य भेज दें।
आशा है कि आप मुझे क्षमा कर देंगे। मैं पुनः आपको वचन देता हूँ कि मैं आपकी इच्छानुसार अध्ययन करूँगा और परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करूँगा।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
ललित कपूर

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज

Students should go through these JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज will seemingly help to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज

→ त्रिभुज : किसी समतल में स्थित तीन बिन्दुओं से घिरी बन्द आकृति को त्रिभुज कहते हैं। एक त्रिभुज में तीन भुजाएँ, तीन कोण और तीन शीर्ष होते हैं।
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज 1

→ सर्वांगसमता : वे आकृतियाँ जिनके समान आकार और समान माप होती है सर्वांगसम आकृतियाँ कहलाती हैं।

  1. समान त्रिज्याओं वाले वृत्त सर्वांगसम होते हैं।
  2. समान भुजाओं वाले वर्ग सर्वांगसम होते हैं।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज

→ त्रिभुजों की सर्वांगसमता :
दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि
(i) भुजा-कोण-भुजा गुणधर्म (SAS rule) : यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनके मध्य अन्तरित कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और उनके मध्य अन्तरित कोण समान हों।
(ii) कोण-भुजा-कोण गुणधर्म (ASA Rule) : यदि एक त्रिभुज के दो कोण और एक भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और एक भुजा के बराबर हो।
(iii) भुजा-भुजा-भुजा गुणधर्म (SSS Rule) : यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों संगत भुजाओं के बराबर हों।
(iv) समकोण-कर्ण-भुजा गुणधर्म (RHS Rule) : यदि किसी समकोण त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा दूसरे समकोण त्रिभुज के कर्ण एवं संगत भुजा के बराबर हो।

→ त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।

→ त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।

→ किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° का होता है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

JAC Class 9 English The Sound of Music Textbook Questions and Answers

Part – I
Evelyn Glennie Listens to Sound without Hearing It (by Deborah Cowley)
(एवलिन ग्लेनी ध्वनि को बिना सुने ही ध्यान से सुनती है)

Thinking About the Text

I. Answer these questions in a few words or a couple of sentences each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में दीजिए :

Question 1.
How old was Evelyn when she went to the Royal Academy of Music?
एवलिन की क्या आयु थी जब वह रॉयल अकादमी ऑव म्यूज़िक में गई ?
Answer:
Evelyn was only seventeen years old when she went to the Royal Academy of Music.
एवलिन केवल सत्रह वर्ष की थी जब वह रॉयल अकादमी ऑव म्यूज़िक में गई ।

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

Question 2.
When was her deafness first noticed ? When was it confirmed ?
उसके बहरेपन का पहली बार कब पता चला ? उसकी पुष्टि कब हुई ?
Answer:
Evelyn’s deafness was first noticed by her mother when she was eight years old. When she was eleven years old, it was confirmed by a specialist. He said that her hearing was severely damaged.

एवलिन के बहरेपन का पहली बार उसकी माँ को पता चला जब वह आठ वर्ष की थी । जब वह ग्यारह वर्ष की थी तब एक विशेषज्ञ ने इसकी पुष्टि की। उसने बताया कि उसकी श्रवण शक्ति बुरी तरह से नष्ट हो गयी थी।

II. Answer each of these questions in a short paragraph (about 30. words) :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक छोटे अनुच्छेद (लगभग 30 शब्दों) में दीजिए :

Question 1.
Who helped her to continue with music ? What did he do and say ?
संगीत को जारी रखने में उसकी सहायता किसने की ? उसने क्या किया और क्या कहा ?
Answer:
Ron Forbes, a percussionist helped Evelyn to continue with music. He played two large drums to different notes. Then he asked Evelyn to sense the music in some other way. He asked her not to try to listen it through ears. Evelyn felt the vibrations of music in her parts of body.

तालवाद्यवादक रॉन ‘फोर्ब्स ने एवलिन को संगीत को जारी रखने में मदद की । उसने दो बड़े ढोलों को अलग-अलग स्वरों में बजाया । तत्पश्चात उसने एवलिन से संगीत को किसी अन्य तरीके से महसूस करने के लिए कहा । उसने उससे कहा कि वह संगीत को कानों से सुनने की कोशिश न करे । एवलिन ने संगीत के कम्पन को अपने शरीर के अंगों में महसूस किया ।

Question 2.
Name the various places and causes for which Evelyn performs.
उन विभिन्न स्थानों एवं कारणों के नाम बतायें जिनके लिए एवलिन कार्य करती है ।
Answer:
Evelyn performs at regular music concerts. She also gives concerts in prisons and hospitals without any charge. She takes classes for young musicians. She performs music in many other countries also.

एवलिन नियमित संगीतशालाओं के लिए वादन करती है । वह कारागारों और अस्पतालों में बिना शुल्क लिए संगीत प्रस्तुत करती है । वह युवा संगीतकारों की कक्षाएँ लेती है । वह कई अनेक देशों में भी संगीत की प्रस्तुतियाँ देती है।

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

III. Answer the question in two or three paragraphs ( 60 Words) :

इस प्रश्न का उत्तर लगभग दो या तीन पैराग्राफ में दीजिए ( 60 शब्दों में) :

Question 1.
How does Evelyn hear music?
एवलिन संगीत कैसे सुनती है?
Answer:
Evelyn could not hear music but she felt music by sensing the notes in different parts of her body. When Ron Forbes tuned two drums and asked Evelyn to sense the sound without using her ears, she used her upper and lower parts of body to feel the vibrations.

While performing on the wooden floor, she removed her shoes to feel the vibrations of music with her bare feet. She leaned against the drum to feel the resonances flowing into her body. These are some of the ways through which she heard music.

एवलिन संगीत को अपने कानों से नहीं सुनती थी लेकिन वह संगीत को अपने शरीर के विभिन्न अंगों के माध्यम से महसूस करती थी। जब रॉन फार्ब्स ने एक साथ दो ड्रम (ढोल) बजाए और उसने एवलिन से अपने कानों को प्रयोग किए बिना ही उनकी आवाज सुनने को कहा तब उसने संगीत के कम्पनों को महसूस करने के लिए शरीर के ऊपरी व निचले भाग का प्रयोग किया।

नंगे पैरों से संगीत के कम्पनों को महसूस करने के लिए लकड़ी के मंच पर जाने से पहले वह जूते उतार लेती थी। अपने शरीर में संगीत की ध्वनि के प्रवाह को महसूस करने के लिए वह ढोलों पर झुक जाती थी। ये ही कुछ ऐसे तरीके हैं जिनके माध्यम से वह संगीत सुन सकती थी।

Part – II
The Shehnai of Bismillah Khan
(बिस्मिल्ला खान की शहनाई ).

Thinking About the Text

I. Tick the right answer :

सही उत्तर पर निशान लगाइये

1. The (shehnai, pungi) was a ‘reeded noisemaker.’
2. (Bismillah Khan, A barber, Ali Bux) transformed the pungi into a shehnai.
3. Bismillah Khan’s paternal ancestors were (barbers, professional musicians)
4. Bismillah Khan learnt to play the Shehnai from (Ali Bux, Paigambar Bux, Ustad Faiyaz Khan).
5. Bismillah Khan’s first trip abroad was to (Afghanistan, U.S.A., Canada).
Answer:
(i) pungi
(ii) A barber
(iii) professional musicians
(iv) Ali Bux
(v) Afghanistan.

II. Find the words in the text which show Ustad Bismillah Khan’s feelings about the items listed below. Then mark tick (✓) in the correct column. Discuss your answers in class.

पाठ से वे शब्द चुनिये जो नीचे दी हुई सूची में शामिल बातों के बारे में उस्ताद बिस्मिल्ला खान की भावनाओं को प्रकट करते हैं । फिर सही स्तंभ में (✓) का चिह्न लगाएँ । अपने उत्तरों पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

Bismillah Khan’s feelings about Positive Negetive Neutral
1. teaching children music
2. the film world
3. migrating to the U.S.A.
4. playing at temples
5. getting the Bharat Ratna
6. the banks of the Ganga
Positive Negative Neutral
7. leaving Benaras and Dumraon

Answer:
1. “Teach your children music, this is Hindustan’s richest tradition.” (Positive)
2. “I just can’t come to terms with the artificiality and glamour of the film world. ” (Negative)
3. A student of his once wanted him to head a shehnai school in the USA….Khansaab asked him if he would be able to transport river Ganga as well. (Negative)
4. ………. a devout Muslim like him can very naturally play the shehnai every morning at Kashi Vishwanath temple. (Positive)
5……….his eyes glinting with rare happiness. (Positive)
6. (a) “While in Mumbai, I think of only Benaras and the holy Ganga……. (Positive)
(b) …………….. Ganga became his favourite haunts ……… the flowing waters of the Ganga inspired him to improvise and invent raagas. (Positive)
7. (a) Khansaab …….. is exceedingly fond of Benaras and Dumraon and they remain for him the most wonderful towns of the world.
(b) “While in Mumbai, I think of only Benaras ………. and while in Benaras, I miss the (Negative) unique mattha of Dumraon.”

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

III. ‘Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
Why did Aurangzeb ban the playing of the pungi ?
औरंगजेब ने पुंगी के बजाने पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया ?
Answer:
Pungi was a reeded musical instrument. When played, the pungi produced a shrill and unpleasant sound. Aurangzeb did not like its harsh sound. So, he banned its playing in his palace.

पुंगी एक सरकण्डे (नरकुल) का बना संगीत वाद्ययंत्र था । जब इसे बजाया जाता था तो यह तीखी व अप्रिय आवाज उत्पन्न करती थी । औरंगजेब इसकी कर्कश आवाज को पसंद नहीं करता था । इसलिए उसने अपने महल में इसे बजाने पर रोक लगा दी ।

Question 2.
How is a shehnai different from a pungi ?
पुभी से शहनाई किस प्रकार भिन्न होती है ?
Answer:
Both the pungi and the shehnai are made from a hollow stem. But the shehnai is made from a broader and longer stem. The shehnai has seven holes. Unlike the pungi, the shehnai produces sweet and melodious music.

पुंगी और शहनाई दोनों ही खोखले तने से बनाई जाती हैं । लेकिन शहनाई चौड़े और बड़े तने से बनाई जाती है । शहनाई में सात छेद होते हैं। पुंगी के विपरीत शहनाई मधुर एवं कर्णप्रिय ( सुरीला ) संगीत प्रस्तुत करती है ।

Question 3.
Where was the shehnai played traditionally ? How did Bismillah Khan change this ?
पारम्परिक रूप से शहनाई कहाँ बजाई जाती थी ? बिस्मिल्ला खान ने इसे कैसे बदल दिया ?
Answer:
Traditionally, the shehnai was played in royal courts, temples and wedding ceremonies. Ustad Bismillah Khan produced new raagas that were earlier thought to be beyond the range of the shehnai. He raised its playing to classical level.

पारम्परिक रूप से शहनाई शाही राजदरबारों, मन्दिरों और विवाह समारोहों में बजाई जाती थी । उस्ताद बिस्मिल्ला खान ने नये राग प्रस्तुत किये जिनको पूर्व में शहनाई के क्षेत्र से परे समझा जाता था । वे इसे शास्त्रीय वाद्ययंत्रों के स्तर पर ले आये ।

Question 4.
When and how did Bismillah Khan get his big break ?
बिस्मिल्ला खान को बड़ा अनुकूल अवसर कैसे और कहाँ प्राप्त हुआ ?
Answer:
Bismillah Khan got his ‘big break’ in 1938 with the opening of the All India Radio in Lucknow. He got a chance to play the shehnai on radio. This brought him fame and new opportunities.

बिस्मिल्ला खान को अनुकूल अवसर 1938 में, लखनऊ में ऑल इण्डिया रेडियो की शुरूआत के साथ प्राप्त हुआ । उन्हें वहाँ शहनाई बजाने का अवसर मिला। इसने उनको प्रसिद्धि और नये अवसर प्रदान किये ।

Question 5.
Where did Bismillah Khan play the shehnai on 15 August 1947 ? Why was the event historic ?
15 अगस्त, 1947 को बिस्मिल्ला खान ने कहाँ शहनाई बजाई ? यह घटना ऐतिहासिक क्यों थी ?
Answer:
On August 15, 1947 Bismillah Khan played the ‘Raag Kafi’ on his shehnai from the Red Fort. India got independence on that day. He played the shehnai to mark the new beginning of India and celebrated the historic day of India’s independence with his fellow IndiAnswer:Thus, the event was a historic one.

15 अगस्त सन् 1947 को बिस्मिल्ला खान ने लाल किले से अपनी शहनाई से ‘राग काफी’ को बजाया । उस दिन भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई थी। उसने भारत की नई शुरूआत करने के लिए शहनाई बजाई और अपने सभी भारतीयों के साथ भारत की स्वतन्त्रता का ऐतिहासिक दिन मनाया । अतः यह घटना ऐतिहासिक थी ।

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

Question 6.
Why did Bismillah Khan refuse to start a shehnai school in the U.SA.?
बिस्मिल्ला खान ने यू. एस. ए. में शहनाई स्कूल चलाने से इंकार क्यों कर दिया ?
Answer:
Bismillah Khan visited many countries, but he always yearned to come back to India because he would not live away from Hindustan. He loved Benaras, its temples, the Ganga and the mattha of Dumraon. So, he refused to start a shehnai school in the U.S.A.

बिस्मिल्ला खान ने बहुत-से देशों की यात्रा की लेकिन उनकी हमेशा भारत वापिस आने की लालसा रहती थी । क्योंकि वह हिन्दुस्तान से अलग नहीं रह पाते थे । वे बनारस, इसके मन्दिरों, गंगा और डुमराँव की छाछ (मट्ठा) को प्यार करते थे । अतः उन्होंने यू. एस. ए. में शहनाई स्कूल चलाने से इंकार कर दिया ।

Question 7.
Find at least two instances in the text which tell you that Bismillah Khan loves India and Benaras. पाठ में से ऐसे कम से कम दो उदाहरण खोजिए जो आपको यह बताते हैं कि बिस्मिल्ला खान को भारत व बनारस से प्यार है ।
Answer:
Bismillah Khan loved India and Benaras very much. When the partition took place, he didn’t move to Pakistan. He even refused to head a shehnai school in the U.S.A.

बिस्मिल्ला खान भारत व बनारस से बहुत प्यार करते थे । जब विभाजन हुआ तो वह पाकिस्तान नहीं गये । राज्य अमरीका में भी शहनाई स्कूल का प्रमुख बनने से मना कर दिया। उन्होंने संयुक्त

Thinking About the Language

I. Look at these sentences : ( इन वाक्यों को देखिये :

  • Evelyn was determined to live a normal life.
  • Evelyn managed to conceal her growing deafness from friends and teachers.

उपर्युक्त वाक्यों में टेढ़ा (Italic) छपा. भाग ‘एवलिन किसके लिए कृतसंकल्प थी ?’ तथा ‘एवलिन क्या करने में सफल रही ?’ प्रश्नों का उत्तर देता है । वे (उत्तर) ‘to verb’ के साथ शुरू होते हैं (to live तथा to conceal)।
Complete the following sentences. Beginning with a to-verb, try to answer the questions in brackets:

निम्नलिखित वाक्यों को पूरा कीजिये । ‘to verb’ से शुरू करते हुए कोष्ठकों में दिये हुए प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास कीजिए :

1. The school sports team hopes ………… (What does it hope to do?)
2. We all want…………….. (What do we all want to do?)
3. They advised the hearing-impaired child’s mother. (What did they advise her to do?)
4. The authorities permitted us to …….. (What did the authorities permit us to do ?)
5. A musician decided to ……………. (What did the musician decide to do?)
Answer:
1. to win the match.
2. to succeed in our life.
3. to consult a specialist
4. to play in the school campus.
5. to play a new Raaga.

II. From the text on Bismillah Khan, find the words and phrases that match these definitions and write them down. The number of the paragraph where you will find the words/phrases has been given for you in brackets.

बिस्मिल्ला खान पर दी गयी पाठ्य वस्तु से उन शब्दों तथा वाक्यांशों को छाँटिये और लिखिये जो इन परिभाषाओं से मिलती हों । आपके लिए कोष्ठकों में उन अनुच्छेदों की संख्या दे दी गयी है जहाँ आपको ये शब्द / वाक्यांश मिलेंगे :
1. the home of royal people (1) ………………
2. the state of being alone (5) ………………
3. a part which is absolutely necessary (2) ………………
4. to do something not done before (5) ………………
5. without much effort (13) ………………
6. quickly and in large quantities (9) ……………… and ……….
Answer:
1. the royal residence
2. solitude
3. indispensable component
4. invent
5. effortlessly
6. thick and fast

III. Tick the right answer :

सही उत्तर पर (✓) लगाइये :

1. When something is revived, it — (remains dead/lives again)
2. When a government bans something, it wants it — (stopped/started)
3. When something is considered auspicious — (welcome it/avoid it)
4. When we take to something, we find it — (boring/interesting)
5. When you appreciate something, you — (find it good and useful/find it of no use)
6. When you replicate something, you do it — (for the first time/for the second time)
7. When we come to terms with something, it is — (still upsetting/no longer upsetting)
Answer:
1. lives again
2. stopped
3. welcome it
4. interesting
5. find it good and useful
6. for the second time
7. no longer upsetting

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

IV. Dictionary work: ( शब्दकोष – कार्य )

  • The sound of the shehnai is auspicious.
  • The auspicious sound of the shehnai is usually heard at marriages.

विशेषण ‘auspicious’ क्रिया ‘be’ के बाद आ सकता है जैसे कि पहले वाक्य में आया है या किसी संज्ञा से पहले आ सकता है जैसे कि दूसरे वाक्य में आया है । लेकिन कुछ विशेषण ऐसे भी होते हैं जो केवल क्रिया ‘be’ के बाद ही प्रयुक्त हो सकते हैं तथा किसी संज्ञा से पहले नहीं । उदाहरणार्थ :

Ustad Faiyaz Khan was overjoyed.
हम ‘the overjoyed man’ नहीं कह सकते हैं ।
Oxford Advanced Learner’s Dictionary [2005] की इन प्रविष्टियों को देखिये :

elder adj., noun
adjective 1 [only before noun] (of people, especially two members of the same family) older: my elder brother – his elder sister 2 (the elder) used without a noun immediately after it to show who is the older of two people : the elder of their two sons 3 (the elder) (formal) used before or after sb’s name to show that they are the older of two people who have the same name : the elder Pitt. Pitt, the elder.

awake adj., verb adjective [not before noun] not asleep (especially immediately before or after sleeping): to be half/fully. awake : to be wide awake. I was still awake when he came to bed.

Consult your dictionary and complete the following table. The first one has been done for you:
अपने शब्दकोश की सहायता से निम्नांकित तालिका को पूरा कीजिये। पहला आपकी हायता के लिए कर दिया गया है :

Adjective Only before noun not before noun both before and after the verb be
indispensable
impressed
afraid
outdoor
paternal
countless
priceless

 

 

 

Use these words in phrases or sentences of your own:
इन शब्दों का अपने स्वयं के वाक्यांशों या वाक्यों में प्रयोग कीजिये :

Adjective Only before noun  not before noun both before and after the verb be
indispensable
impressed
afraid
outdoor
paternal
countless
priceless




after the verb be
after the verb be

after the verb be

Phrases or Sentences:

1. Studies are indispensable to succeed in every examination.
2. We stood impressed by her performance.
3. He is afraid of his boss.
4. They went for an outdoor shooting.
5. He has inherited a huge paternal property.
6. There are countless books in this library.
7. This gift is priceless.

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Speaking

I. Imagine the famous singer Kishori Amonkar is going to visit your school. You have been asked to introduce her to the audience before her performance. How would you introduce her? Here is some information about Kishori Amonkar you can find on the Internet.

कल्पना कीजिये कि सुप्रसिद्ध गायिका किशोरी अमोनकर आपके विद्यालय में आने वाली हैं। आपसे कहा गया है कि उनके प्रदर्शन (गायन) से पहले श्रोताओं को उनका परिचय दें। आप उनका परिचय किस प्रकार देंगे ? यहाँ किशोरी अमोनकर के बारे में कुछ सूचनाएँ हैं जिन्हें आप इन्टरनेट पर प्राप्त कर सकते हैं ।

Read the passage from the text book and make notes of the main points about:
गद्यांश को पाठ्यपुस्तक से पढ़िये तथा निम्नलिखित मुख्य बिन्दुओं पर नोट्स बनाइये :

her parentage
the school of music she belongs to
her achievements
her inspiration
awards
इससे संबंधित Paragraph को Textbook के Page Nos. 28-29 पर देखें।
Answer:
I. Her parentage: The Padma Bhushan Kishori Amonkar, the finest female vocalist, was born in 1931: She was the daughter of another great artist Smt Mogubai Kurdikar. The school she belongs to: In her early years she absorbed the approach and repertoire of her distinguished mother’s teacher Ustad Alladiya Khan.

Her achievement: As a thinker, she dissects her raagas like a perfectionist and brings emotions out.
Her inspiration: She was inspired by the teachings of ancient Vedic sages and thus, revived the study of khayal.
Awards: She was awarded the Sangeet Natak Akademi Award (1985), the Padma Bhushan (1987) and the highly coveted Sangeet Samradhini Award (most prestigious award in Indian Classical Music) in 1997.

II. Use your notes on Kishori Amonkar to introduce her to an imaginary audience. You may use one of the following phrases to introduce a guest:

काल्पनिक श्रोताओं को किशोरी अमोनकर का परिचय देने हेतु अपने नोट्स का प्रयोग कीजिये । किसी अतिथि का परिचय देने हेतु आप निम्नलिखित वाक्यांशों में से किसी एक का प्रयोग कर सकते हैं :
I am honoured to introduce…../I feel privileged to introduce……… ‘We welcome you…….
Answer:
Ladies and gentlemen! I am honoured to introduce you to the Padma Bhushan Kishori Amonkar. She is one of the finest female vocalists. She was born in 1931. She is the daughter of the great artist Smt Mogubai Kurdikar.

She is inspired by the teachings of the ancient Vedic sages. I am pleased to mention that she has revived the study of khayal. She was awarded the Sangeet Natak Academy Award in 1985 and the Padma Bhushant in 1987. She was awarded the Sangeet Samradhini Award in 1997. Let’s welcome the great classical maestro with open hearts.

महिलाओं एवं सज्जनों ! मुझे आपको पद्मभूषण किशोरी अमोनकर का परिचय देने का सम्मान मिला है । वे एक श्रेष्ठतम गायिका हैं । उनका जन्म 1931 में हुआ। वे महान कलाकार श्रीमती मोगूबाई कुर्दीकर की पुत्री हैं। उन्होंने प्राचीन वैदिक ऋषियों की शिक्षाओं से प्रेरणा प्राप्त की है। मुझे यह बताते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि उन्होंने ‘खयाल’ के अध्ययन को पुनः जीवित किया है। उन्हें 1985 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से तथा 1987 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया । उन्हें 1997 में संगीत – समृद्धिनी पुरस्कार प्रदान किया गया। आइये, हम सब इस महान शास्त्रीय संगीतकार का खुले दिल से स्वागत करें ।

Writing

“If you work hard and know where you’re going, you’ll get there,” says Evelyn Glennie. You have now read about two musicians, Evelyn Glennie and Ustad Bismillah Khan. Do you think that they both worked hard ? Where did they want to ‘go’ ? Answer these questions in two paragraphs, one on each of the two musicians.

एवलिन कहती है, “यदि आप कठिन परिश्रम करते हैं और जानते हैं कि आप कहाँ जा रहे हैं तो आप वहाँ पहुँच ही जायेंगे ।” अब आप दो संगीतकारों, एवलिन ग्लेनी तथा उस्ताद बिस्मिल्ला खान, के बारे में पढ़ चुके हैं । क्या आप सोचते हैं कि उन दोनों ने कठिन परिश्रम किया ? वे कहाँ जाना चाहते थे ? इन प्रश्नों के उत्तर दो अनुच्छेदों में दीजिए, दोनों में से प्रत्येक संगीतकार पर एक-एक अनुच्छेद ।
Answer:
Yes, I think they both worked really very hard in their lives.
Evelyn became deaf in her teen age. But she worked very hard and achieved worldwide recognition. She herself admitted that she had to work often harder than a classical musician. Young Evelyn noticed a girl playing a xylophone and then she decided to play it too.

Through her hard work she achieved most of the top awards in the field of music. Bismillah Khan also worked very hard. He used to sit practising the shehnai throughout the day. He would sit at the banks of the Ganga and practise it in solitude. Bismillah Khan’s hard work brought him the country’s highest civilian award the ‘Bharat Ratna’. This is the maximum top point that every artist wants to attain.

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हाँ, मैं सोचता हूँ कि उन दोनों ने अपने जीवन में वास्तव में बहुत कठिन परिश्रम किया । एवलिन अपनी किशोरावस्था में बहरी हो गयी थी । किन्तु उसने कठिन परिश्रम किया और दुनिया भर में सम्मान प्राप्त किया । उसने स्वयं स्वीकार किया कि उसे प्रायः एक शास्त्रीय संगीतकार से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी । एक छोटी लड़की के रूप में जब उसने एक अन्य बालिका को ज़ायलोफोन बजाते हुए देखा तो उसने निर्णय कर लिया कि वह भी इसे बजाना चाहती है ।

अपने कठिन परिश्रम से उसने संगीत के क्षेत्र में अधिकांश उच्च पुरस्कार प्राप्त किये । बिस्मिल्ला खान ने भी बहुत कठिन परिश्रम किया । वे सारा सारा दिन रियाज (अभ्यास) करते रहते थे । वे गंगा नदी के किनारें अकेले में बैठकर शहनाई का रियाज करते थे । बिस्मिल्ला खान के कठिन परिश्रम ने उन्हें देश का सर्वोच पुरस्कार ‘भारतरत्न’ प्राप्त कराया । यह उच्चता का वह शिखर है जहाँ प्रत्येक कलाकार जाना चाहता है ।

JAC Class 9 English The Sound of Music Important Questions and Answers

Part – I
Evelyn Glennie Listens to Sound without Hearing It (by Deborah Cowley)
(एवलिन ग्लेनी ध्वनि को बिना सुने ही ध्यान से सुनती है)

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
What challenge did Evelyn face ?
एवलिन ने किस चुनौती का सामना किया ?.
Answer:
Although Evelyn was deaf, she wanted to be a musician. To be a musician, she required the power to hear (audition). It was a big challenge for her to stand as a musician before those who had the capacity to hear.

यद्यपि एवलिन बहरी थी फिर भी वह एक संगीतज्ञ बनना चाहती थी । संगीतज्ञ बनने के लिये उसकी श्रवण शक्ति का होना जरूरी था । यह उसके लिए बड़ी चुनौती थी कि वह श्रवण शक्ति रखने वाले लोगों के समक्ष एक संगीतकार के रूप में स्वयं को साबित करे ।

Question 2.
When did Evelyn’s mother notice something wrong with her?
एवलिन की माँ को उसके साथ कुछ गड़बड़ी कब नजर आई ?
Answer:
When Evelyn was eight years old, her mother noticed something wrong with her. She noticed it when Evelyn was waiting to play the piano. She called her name but Evelyn didn’t move. Then her mother realised she hadn’t heard.

जब एवलिन आठ साल की थी तब उसकी माँ को उसके साथ कुछ गड़बड़ी नजर आई। उसे इस बात का पता तब चला जब एवलिन पियानो बजाने के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। उन्होंने उसका नाम पुकारा किन्तु एवलिन नहीं हिली। तब उसकी माँ ने महसूस किया कि उसने सुना ही नहीं था।

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Question 3.
What were Evelyn’s parents advised to do ?
एवलिन के माता-पिता को क्या करने की सलाह दी गई ?
Answer:
Evelyn’s parents were advised by the doctor that she should be fitted with hearing aids and sent to a school for the deaf. Only then she could be taught properly.

एवलिन के माता-पिता को उसकी शिक्षा के लिए डॉक्टर द्वारा यह सलाह दी गई कि एवलिन को श्रवणयन्त्र लगवा देना चाहिए और उसे बधिरों (बहरों) के विद्यालय में भेजना चाहिए। केवल तभी उसे ठीक से पढ़ाया जा सकता था।

Question 4.
How did Ron Forbes begin to teach Evelyn music ?
रॉन फोर्ब्स ने एवलिन को किस प्रकार संगीत सिखाना शुरू किया ?
Answer:
Ron Forbes, who was a percussionist spotted her talent of music. After knowing it, he began to teach Evelyn music by tuning two large drums to different notes. He asked her not to listen the music through her ears but to sense it in some other way.

रॉन फोर्ब्स, जो कि एक तालवाद्य वादक था ने उसकी संगीत प्रतिभा को पहचाना । इसे जानने के बाद उसने दो बड़े ढोलों को भिन्न-भिन्न सुरों में बजाकर एवलिन को संगीत सिखाना शुरू किया। उसने उससे (एवलिन) संगीत को कानों से सुनने के लिए नहीं कहा. बल्कि किसी अन्य प्रकार से अनुभव करने के लिए कहा ।

Question 5.
When did Evelyn decide to make music her life ?
एवलिन ने संगीत को ही अपना जीवन बनाने का निश्चय कब किया ?
Answer:
With firm determination Evelyn learnt music. She toured the United Kingdom with a youth orchestra. And by the time when she was sixteen, she decided to make music her life.

दृढ़-निश्चय के साथ एवलिन ने संगीत सीखा । उसने एक युवा वादक दल के साथ यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) का भ्रमण किया और जब वह सोलह साल की हुई तब उसने संगीत को अपना जीवन बनाने का निश्चय कर लिया था ।

Question 6.
Why did the men with bushy beards give Evelyn trouble?
घनी दाढ़ी वाले लोग एवलिन को परेशानी पैदा क्यों करते थे?
Answer:
Evelyn was deaf. So when the men with bushy beards said something, she could not understand them easily. To understand people, she had to watch their whole faces and especially the eyes. Thus the men with bushy beards gave Evelyn trouble.

एवलिन बहरी थी। इसलिए जब घनी दाढ़ी वाले लोग कुछ कहते तो वह उनकी बात आसानी से नहीं समझ पाती थी । लोगों को समझने के लिए उसे उनके पूरे चेहरे को तथा विशेषतः आँखों को ध्यान से देखना पड़ता था। इस प्रकार घनी दाढ़ी वालों से एवलिन को परेशानी होती थी ।

Question 7.
How did she sense the sound of xylophone ?
वह जाइलोफोन की ध्वनि का अनुभव कैसे करती थी ?
Answer:
When she played the xylophone, she could sense the sound passing up the stick into her fingertips.
जब वह जाइलोफोन बजाती, तो वह छड़ी से गुजरती हुई ध्वनि का अनुभव अपनी उँगलियों के पोरों में कर सकती थी ।

Question 8.
Why did Evelyn remove her shoes on a wooden platform ?
एवलिन लकड़ी के मंच पर अपने जूते क्यों उतार देती थी ?
Answer:
Evelyn removed her shoes on a wooden platform so that the vibrations might pass through her bare feet and up her legs and as a result, she could feel the music.

एवलिन लकड़ी के मंच पर अपने जूते इसलिए उतार देती थी ताकि कम्पन उसके नग्न पैगें से होकर टाँगों तक जा सके और इसके परिणामस्वरूप वह संगीत को महसूस कर सके।

Question 9.
Where does Evelyn give free concerts ?
एवलिन निःशुल्क संगीत कार्यक्रम कहाँ देती है ?
Answer:
Apart from the regular concerts, she gives free concerts in prisons and hospitals. She also gives high priority to clauses for young musicians.

नियमित संगीत – कार्यक्रम देने के अलावा वह कारागारों व अस्पतालों में निःशुल्क संगीत कार्यक्रम देती है । वह युवा संगीतकारों की कक्षाओं को भी उच्च प्राथमिकता देती है।

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Question 10.
What does she say regarding life ? वह जीवन के बारे में क्या कहती है ?
Answer:
She is of the view regarding life that ‘if you work hard and know where you are going, you will get there. She herself did miracles in her life by the same thinking.

वह जीवन के संबंध में कहती है कि ‘यदि तुम कठिन परिश्रम करते हो तथा जानते हो कि तुम कहाँ जा रहे हो तो तुम वहाँ अवश्य ही पहुँचोगे ।’ इसी सोच से उसने अपने जीवन में अद्भुत कार्य किये ।

Question 11.
What is her idea regarding music ? संगीत के बारे में उसका क्या विचार है ?
Answer:
Regarding music, she is of the opinion that it pours in through every part of her body.
It tingles in her skin, her cheekbones and even in her hair. Music is her life in her own view.

संगीत के बारे में वह कहती है कि यह उसके सम्पूर्ण शरीर के समस्त अंगों में होकर प्रवाहित होता है ।
यह उसकी त्वचा, गालों की हड्डियों तथा बालों तक को स्पन्दित करता है । उसके दृष्टिकोण में, संगीत ही उसका जीवन है।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
What attempts did Evelyn make to become a musician?
संगीतकार बनने के लिए एवलिन ने क्या-क्या प्रयास किये ?
Answer:
Evelyn became deaf but she was determined to make music her life. Most of the teachers discouraged her but she did not give up hope. A percussionist Ron Forbes spotted her talent and decided to teach her music using two large drums to different notes. Now Evelyn learnt that she could sense certain notes in different parts of her body. She started to work hard and finally became a successful musician.

एवलिन बहरी हो गई थी लेकिन वह संगीत को ही अपना जीवन बनाने के लिए दृढ़संकल्प थी। अधिकांश अध्यापकों ने उसे हतोत्साहित किया किन्तु उसने आशा नहीं छोड़ी । तालवाद्य वादक रॉन फोर्ब्स ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे संगीत सिखाने के लिए विभिन्न स्वरों के लिए दो बड़े-बड़े ढोलों का ( ड्रमों का) प्रयोग करने का निश्चय किया । अब एवलिन को पता लगा कि वह अपने शरीर के विभिन्न अंगों में कुछ निश्चित सुरों का अनुभव कर सकती थी । उसने कठिन परिश्रम करना आरम्भ किया और अंत में वह एक सफल संगीतकार बन गई ।

Question 2.
How did Evelyn sense the sound of music ?
एवलिन संगीत की ध्वनि का अनुभव किस प्रकार करती थी?
Answer:
Ron Forbes, a percussionist, taught Evelyn to sense the sound of music in the different parts of body. When she played the xylophone, she could sense the sound passing up the stick into her fingertips. By leaning against the drums, she could feel the resonances flowing into her body. On a wooden platform she removed her shoes so that the vibrations might pass through her bare feet and up her legs.

सर्वप्रथम रॉन फोर्ब्स, एक तालवाद्य वादक, ने एवलिन को शरीर के विभिन्न अंगों के माध्यम से संगीत की ध्वनि को अनुभव करना सिखाया । अब जब वह ज़ाइलोफोन बजाती, तो वह छड़ी से गुजरती हुई ध्वनि को अपनी अँगुलियों के पोरों में प्रवेश करती हुई-सी महसूस करती । ढोलों का सहारा लेकर वह गूँज को अपने शरीर में प्रवाहित होती हुई अनुभव कर सकती थी । लकड़ी के मंच पर वह अपने जूते उतार देती थी जिससे कि कम्पन उसके नग्न पैरों से गुजरकर उसकी टाँगों तक पहुँच सकें ।

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions given below them:

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा उनके नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:

Passage – 1.

Rush hour crowds jostle for position on the underground train platform. A slight girl,: looking younger than her seventeen years, was nervous yet excited as she felt the vibrations of the approaching train. It was her first day at the prestigious Royal Academy of Music in London and daunting enough for any teenager fresh from a Scottish farm. But this aspiring musician faced a bigger challenge than most: she was profoundly deaf.

Evelyn Glennie’s loss of hearing had been gradual. Her mother remembers noticing something was wrong when the eight-year old Evelyn was waiting to play the piano. “They called her name and she didn’t move. I suddenly realised she hadn’t heard,” says Isabel Glennie.

For quite a while Evelyn managed to conceal her growing deafness from friends and teachers. But by the time she was eleven her marks had deteriorated and her headmistress urged her parents to take her to a specialist. It was then discovered that her hearing was severely impaired as a result of gradual nerve damage. They were advised that she should be fitted with hearing aids and sent to a school for the deaf. “Everything suddenly looked black,” says Evelyn.

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1. Where was the girl going to?
लड़की कहाँ जा रही थी ?

2. What was a big challenge for the girl?
लड़की के लिए बड़ी चुनौती क्या थी ?

3. Which country did the girl belong to and how old was she?
लड़की किस देश की थी तथा उसकी आयु कितनी थी ?

4. From whom did Evelyn manage to conceal her deafness for quite a while?
एवलिन काफी समय तक अपना बहरापन किससे छिपाने में सफल रही ?

5. What did Evelyn’s headmistress ask her parents?
एवलिन की प्रधानाध्यापिका ने उसके माता-पिता से क्या कहा ?

6. How did Evelyn lose her hearing?
एवलिन की श्रवणशक्ति का ह्रास कैसे हुआ ?

7. What did the specialist advise Evelyn’s parents?
विशेषज्ञ ने एवलिन के माता-पिता को क्या सलाह दी ?

8. How did the headmistress come to know about Evelyn’s deafness?
प्रधानाध्यापिका को एवलिन के बहरेपन के बारे में कैसे पता चला ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to – ‘enemies’

10. Find the word from the passage which means: ‘thin and light’
Answer:

1. The girl was going to the prestigious Royal Academy of Music in London.
लड़की लन्दन की प्रतिष्ठित रॉयल अकादमी ऑव म्यूज़िक में जा रही थी ।

2. Although the girl was deaf, she wanted to be a musician. It was a big challenge for her.
यद्यपि लड़की बहरी थी फिर भी वह एक संगीतज्ञ बनना चाहती थी । यह उसके लिए एक बड़ी चुनौती थी ।

3. The girl belonged to Scotland and she was seventeen years old.
लड़की स्कॉटलैण्ड की थी और वह सत्रह वर्ष की थी ।

4. Evelyn managed to conceal her deafness from her friends and teachers for quite a while.
एवलिन काफी समय तक अपना बहरापन अपने मित्रों व अध्यापकों से छिपाने में सफल रही।

5. Evelyn’s headmistress asked her parents to take her to a specialist.
एवलिन की प्रधानाध्यापिका ने उसके माता-पिता से उसको किसी विशेषज्ञ के पास ले जाने के लिए कहा ।

6. Evelyn lost her hearing as a result of gradual nerve damage.
स्नायु की क्रमिक क्षति के परिणामस्वरूप एवलिन की श्रवण शक्ति का ह्रास हुआ ।

7. They were advised that Evelyn should be fitted with hearing aids and sent to a school for the deaf.
उन्हें सलाह दी गई कि एवलिन को श्रवण – यन्त्र लगाया जाये एवं उसे किसी बधिर (बहरे छात्रों के) विद्यालय में भेजा जाये ।

8. The headmistress came to know about her deafness when her marks had deteriorated.
प्रधानाध्यापिका को उसके बहरेपन के बारे में तब पता चला जब उसके अंक कम होते गये ।

9. friends

10. slight

Passage – 2.

Most of the teachers discouraged her but percussionist Ron Forbes spotted her potential. He began by tuning two large drums to different notes. “Don’t listen through your ears,” he would say, “try to sense it some other way.” Says Evelyn, “Suddenly I realised I could feel the higher drum from waist up and the lower one from the waist down.” Forbes repeated the exercise, and soon Evelyn discovered that she could sense certain notes in different parts of her body. “I had learnt to open my mind and body to sounds and vibrations.” The rest was sheer determination and hard work.

She never looked back from that point onwards. She toured the United Kingdom with a youth orchestra and by the time she was sixteen, she had decided to make music her life. She auditioned for the Royal Academy of Music and scored one of the highest marks in the history of the academy. She gradually moved from orchestral work to solo performances. At the end of her three-year course, she had captured most of the top awards. And for all this, Evelyn won’t accept any hint of heroic achievement. “If you work hard and know where you are going, you’ll get there.”

1. Which country did she tour with a youth orchestra?
एक युवा वादक – दल के साथ उसने किस देश का भ्रमण किया ?

2. When had she decided to make music her life?
उसने संगीत को ही अपना जीवन बनाने का निश्चय कब कर लिया था ?

3. How can one, according to Evelyn, get success?
एवलिन के अनुसार कोई व्यक्ति कैसे सफलता प्राप्त कर सकता है ?

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4. How many marks did she score in her audition for the Royal Academy of Music?
रॉयल अकादमी ऑव म्यूजिक के स्वर परीक्षण में उसने कितने अंक प्राप्त किये ?

5. Who recognised her potential?
एवलिन की प्रधानाध्यापिका ने उसके माता-पिता से क्या कहा ?

6. What did Ron Forbes say to Evelyn?
एवलिन की श्रवणशक्ति का ह्रास कैसे हुआ ?

7. In which part of her body did she realise the sound of the drums ?
अपने शरीर के किस भाग में उसने ढोलों की धुन को महसूस किया ?

8. What did Evelyn soon discover ?
एवलिन को जल्द ही क्या पता चल गया ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to

10. Find the word from the passage which means: ‘exciting’

Passage – 3

It is intriguing to watch Evelyn function so effortlessly without hearing. In our two-hour discussion she never missed a word. “Men with bushy beards give me trouble,” she laughed. “It is not just watching the.lips, it’s the whole face, especially the eyes.” She speaks flawlessly with a Scottish lilt. “My speech is clear because I could hear till I was eleven,” she says. But that doesn’t explain how she managed to learn French and master basic Japanese.

As for music, she explains, “It pours in through every part of my body. It tingles in the skin, my cheekbones and even in my hair.” When she plays the xylophone, she can sense the sound passing up the stick into her fingertips. By leaning against the drums, she can feel the resonances flowing into her body. On a wooden platform she removes her shoes so that the vibrations pass through her bare feet and up her legs. Not surprisingly, Evelyn delights her audiences. In 1991 she was presented with the Royal Philharmonic Society’s prestigious Soloist of the Year Award.

1. What kinds of persons give Evelyn trouble ?
एवलिन को कैसे लोगों से परेशानी होती है?

2. Why is Evelyn’s speech clear?
एवलिन की वाणी स्पष्ट क्यों है ?

3. Which languages can she speak ?
वह कौन-कौन सी भाषायें बोल सकती है ?

4. Why does she remove her shoes on a wooden platform?
वह लकड़ी के मंच पर अपने जूते क्यों उतार देती है ?

5. What is intriguing about Evelyn?
एवलिन के विषय में क्या कौतूहलपूर्ण है ?

6. How does Evelyn know what somebody is telling?
एवलिन कैसे जानती है कि कोई क्या कह रहा है ?

7. How does she sense the sound of xylophone?
जाइलोफोन की ध्वनि की अनुभूति वह किस प्रकार करती है ?

8. Which award was bestowed upon her in 1991 ?
1991 में उसे कौन – सा पुरस्कार प्रदान किया गया ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to ‘always’

10. Find the word from the passage which means: ‘echoes of sounds’

Passage – 4

Says master percussionist James Blades, “God may have taken her hearing but He has given her back something extraordinary. What we hear, she feels – far more deeply than any of us. That is why she expresses music so beautifully.”

Evelyn confesses that she is something of a workaholic. “I’ve just got to work. harder than classical musicians. But the rewards are enormous.” Apart from the regular concerts, Evelyn also gives free concerts in prisons and hospitals. She also gives high priority to classes for young musicians. Ann Richlin of the Beethoven Fund for Deaf Children says, “She is a shining inspiration for deaf children. They see that there is nowhere that they cannot go.”

Evelyn Glennie has already accomplished more than most people twice her age. She has brought percussion to the front of the orchestra, and demonstrated that it can be very moving. She has given inspiration to those who are handicapped, people who look to her and say, “If she can do it, I can. ” And, not the least, she has given enormous pleasure to millions.

1. Where does Evelyn give free concerts?
एवलिन निःशुल्क संगीत कार्यक्रम कहाँ देती है ?

2. What does she give high priority to ?
वह किस बात को उच्च प्राथमिकता देती है ?

3. What do, according to Ann Richlin, deaf children feel to see Evelyn being successful ?
एन रिचलिन के अनुसार एवलिन को सफल होती हुई देखकर बधिर ( बहरे ) बच्चे क्या महसूस करते हैं ?

4. What does James Blades say about Evelyn ?
एवलिन के बारे में जेम्स ब्लेड्ज़ क्या कहते हैं ?

5. How can she express music so beautifully ?
वह संगीत को इतनी सुन्दरता से कैसे व्यक्त कर सकती है ?

6. What does Evelyn confess ?
एवलिन क्या स्वीकार करती है ?

7. What important work for percussion has she done ?
तालवाद्य वादन के लिए उसने कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया है ?

8. How is she an inspiration to the handicapped ?
वह दिव्यांगों के लिए प्रेरणा किस प्रकार से है ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to – ‘ordinary’

10. Find the word from the passage which means : ‘great importance’

Part – II
The Shehnai of Bismillah Khan
(बिस्मिल्ला खान की शहनाई ).

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
Who decided to revive the pungi ? How did he do so ?
पुंगी को पुनर्जीवित करने का निर्णय किसने लिया ? उसने ऐसा कैसे किया ?
Answer:
A barber of a family of professional musicians decided to revive the pungi. He chose a pipe with a natural hollow stem. It was longer and broader than the pungi. He made seven holes on the body of the pipe. When he played on it, soft and melodious sounds were produced by opening and closing some of these holes.

पेशेवर संगीतकारों के परिवार के एक नाई ने पुंगी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया । उसने प्राकृतिक खोखले तने वाली एक नरकुल (सरकण्डे) को चुना । यह पुंगी से लम्बा तथा चौड़ा था । उसने उसमें सात छेद किये। जब उसने इसे बजाया तो इन छेदों में से कुछ को खोलने और बंद करने से मधुर व मीठा स्वर उत्पन्न हुआ ।

Question 2.
Why is the sound of the shehnai considered to be auspicious ?
शहनाई की आवाज को शुभ क्यों माना जाता है ?
Answer:
The sound of the shehnai is considered to be auspicious because it is played in temples. “It is a compulsory musical instrument played in North Indian weddings. In the past too, it was a part of the ‘naubat’ or traditional group of nine instruments found at royal courts.

शहनाई की ध्वनि को शुभ इसलिये मानते हैं क्योंकि यह मंदिरों में बजायी जाती है। यह उत्तर भारत में शादी समारोहों में बजाया जाने वाला एक अनिवार्य वाद्य यंत्र है । पुराने समय में भी शहनाई ‘नौबत’ का अंग थी अर्थात् राजदरबार में पाये जाने वाले नौ वाद्य यंत्रों के परम्परागत समूह का एक अंग थी ।

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Question 3.
Why was this musical instrument named ‘shehnai’ ?
इस वाद्ययंत्र का नाम शहनाई क्यों पड़ा ?
Answer:
This musical instrument was much different from the pungi, so it had to be given a new name. As the story goes, since it was first played in the Shah’s chambers and was played by a nai (barber), it was named the ‘shehnai’.

यह वाद्ययन्त्र पुंगी से बहुत भिन्न था अतः इसे नया नाम दिया जाना था। जैसी कि कहानी प्रचलित है कि इसे सर्वप्रथम ‘शाह’ के कक्ष में बजाया गया और एक ‘नाई’ के द्वारा बजाया गया, इसलिए इसका नाम ‘शहनाई’ रखा गया ।

Question 4.
Who made a film after the instrument played by Bismillah? Who is credited for bringing the shehnai onto the classical stage?
किसने बिस्मिल्ला द्वारा बजाये जाने वाले यंत्र पर फिल्म बनाई ? शहनाई को शास्त्रीय मंच पर लाने का श्रेय किसे जाता है?
Answer:
Film director Vijay Bhatt made a film after the shehnai called ‘Gunj Uthi Shehnai’. The credit for bringing the shehnai onto the classical stage goes to Bismillah Khan.

फिल्म निर्देशक विजय भट्ट ने शहनाई पर आधारित ‘गूंज उठी शहनाई’, नामक एक फिल्म बनाई । शहनाई को शास्त्रीय मंच पर लाने का श्रेय बिस्मिल्ला खान को जाता है।

Question 6.
Where did Bismillah go to sing Bhojpuri ‘Chaita’? And what was he given for it?
बिस्मिल्ला भोजपुरी ‘चैता’ गाने के लिए कहाँ जाते थे ? और उन्हें इसके लिए क्या प्रदान किया जाता था ?
Answer:
Bismillah went to Bihariji temple at Dumraon to sing Bhojpuri ‘Chaita’. He was given a big laddu weighing 1.25 kg as a prize by the local Maharaja.
बिस्मिल्ला भोजपुरी ‘चैता’ गाने के लिए डुमराँव के बिहारीजी के मन्दिर में जाते थे । उन्हें स्थानीय महाराजा द्वारा पुरस्कारस्वरूप सवा किलो का एक लड्डू दिया जाता था।

Question 7.
How can you say that Bismillah belongs to a well-known family of musicians from Bihar?
आप कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला बिहार के संगीतकारों के एक प्रसिद्ध परिवार से हैं ?
Answer:
Bismillah’s grandfather, Rasool Bux Khan was the shehnai nawaz of the Bhojpur king’s court. His father Paigambar Bux and other paternal ancestors were also great shehnai players. So we can say that Bismillah belongs to a well-known family of musicians from Bihar.

बिस्मिल्ला के दादाजी रसूल बख्श खान भोजपुर (बिहार) में राजा के दरबार में शहनाई – नवाज थे। उनके पिता पैगम्बर बख्श और अन्य पैतृक पूर्वज भी महान शहनाई वादक थे । इसलिए हम कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला बिहार के संगीतज्ञों के एक प्रसिद्ध परिवार से हैं ।

Question 8.
What were Bismillah’s favourite haunts to practise the shehnai in solitude ? एकान्त में शहनाई का अभ्यास करने के लिए बिस्मिल्ला के प्रिय स्थल कौन-कौन से थे?
Answer:
The temples of Balaji and Mangala Maiya and the banks of the Ganga were Bismillah’s favourite haunts where he could practise the shehnai in solitude.

बालाजी व मंगला मैया के मन्दिर व गंगा का तट बिस्मिल्ला के वे प्रिय स्थल थे जहाँ वह एकान्त में शहनाई का अभ्यास कर सकते थे।

Question 9.
Which National Awards were conferred on Bismillah Khan?
बिस्मिल्ला खान को कौन-कौन से राष्ट्रीय पुरस्कार दिये गये ?
Answer:
The National awards like the Padmashri, the Padma Bhushan, the Padma Vibhushan and the Bharat Ratna were conferred on Bismillah Khan.

बिस्मिल्ला खान को पदमश्री, पदमभूषण, पदम विभूषण व भारतरत्न जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये गये ।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
How was the shehnai invented ?
शहनाई का आविष्कार कैसे हुआ ?
Answer:
Aurangzeb had banned the playing of the pungi in the royal palace. A barber of a professional musicians’ family decided to revive it. He chose a pipe with a natural hollow stem. It was longer and broader than the pungi. He made seven holes on it. He played it before the royalty in Shah’s palace. All were impressed. It was played in the Shah’s chambers by a nai (barber), so it was named ‘shehnai’.Thus, the shehnai was invented.

औरंगजेब ने शाही महल में पुंगी बजाने पर रोक लगा दी थी । पेशेवर संगीतकारों के एक परिवार से सम्बन्धि त एक नाई ने इसे पुनः जीवित करने का निश्चय किया । उसने सरकण्डे (नरकुल) के एक खोखले तने को लिया । यह पुंगी से लम्बा और चौड़ा था । उसने इस पर सात छेद बना दिये । उसने राजपरिवार के सम्मुख शाह के कक्ष में इसे बजाया। हर व्यक्ति प्रभावित हो गया। इसे शाह के कक्ष में एक नाई द्वारा बजाया गया था, अतः इसे ‘शहनाई’ नाम दिया गया । इस प्रकार शहनाई का आविष्कार हुआ।

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Question 2.
How did the holy Ganga inspire Bismillah Khan ?
पवित्र गंगा नदी बिस्मिल्ला खान को कैसे प्रेरित करती थी ?
Answer:
The banks of the Ganga were the favourite haunts of Bismillah Khan’s practice of the shehnai playing. He would sit there for hours in solitude. He would sit practising there for many hours. The flowing waters of the Ganga was a source of inspiration to him to invent new ‘raagas’. The sights and sounds of the flowing Ganga dominated his songs.

गंगा के किनारे बिस्मिल्ला खान के शहनाई बजाने के अभ्यास के मनचाहे स्थल थे । वह वहाँ एकांत में कई घण्टे बैठे रहते। वह वहाँ बैठकर घंटों अभ्यास करते रहते । गंगा का बहता जल उनके लिए नए ‘राग’ खोजने के लिए प्रेरणा का स्रोत था । गंगा के बहते जल के दृश्य और आवाजें उनके गीतों में छाये रहते थे ।

Question 3.
What was Bismillah Khan’s influence on films?
फिल्मों पर बिस्मिल्ला खान का क्या प्रभाव रहा ?
Answer:
Bismillah Khan’s music fascinated everyone. Film director Vijay Bhatt was so impressed that he made a film Gunj Uthi Shehnai. The film was a hit and one of Bismillah Khan’s compositions ‘Dil ka khilona hai toot gaya……’ turned out to be a nationwide chartbuster! Another director Vikram Srinivas from Kannada made a film ‘Sanadhi Apanna’ with Bismillah Khan. Thus, he influenced the film industry in the North as well as in the South India.

बिस्मिल्ला खान का संगीत सभी को मुग्ध करता था । फिल्म निर्देशक विजय भट्ट इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ‘गूँज उठी शहनाई’ नामक फिल्म बनाई । फिल्म हिट हुई और खान साहब की रचनाओं में से एक रचना ‘दिल का खिलौना हाय टूट गया ……….. पूरे देश में कीर्तिमान तोड़ने वाली सिद्ध हुई । इसी प्रकार एक अन्य फिल्म निर्देशक विक्रम श्रीनिवास, जो कि कन्नड़ भाषा में फिल्म बनाते थे, ने . इनके साथ ‘सनधि अपन्ना’ नामक फिल्म बनाई । इस प्रकार बिस्मिल्ला ने उत्तर व दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री (उद्योग) को बहुत प्रभावित किया ।

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions given below them:

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा उनके नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:

Passage – 1.

Emperor Aurangzeb banned the playing of a musical instrument called pungi in the royal residence for it had a shrill unpleasant sound. Pungi became the generic name for reeded noisemakers. Few had thought that it would one day be revived. A barber of a family of professional musicians, who had access to the royal place, decided to improve the tonal quality of the pungi. He chose a pipe with a natural hollow stem that was longer and broader than the pungi, and made seven holes on the body of the pipe. When he played on it, closing and opening some of these holes, soft and melodious sounds were produced. He played the instrument before royalty and everyone was impressed. The instrument so different from the pungi had to be given a new name. As the story goes, since it was first played in the Shah’s chambers and was played by a nai (barber), the instrument was named the ‘shehnai.’

The sound of the shehnai began to be considered auspicious. And for this reason it is still played in temples and is an indispensable component of any North Indian wedding. In the past, the shehnai was a part of the naubat or traditional ensemble of nine instruments found at royal courts. Till recently it was used only in temples and weddings. The credit for bringing this instrument onto the classical stage goes to Ustad Bismillah Khan.

1. Why did Aurangzeb ban the playing of the pungi in the royal residence?
औरंगजेब ने शाही निवास में पुंगी बजाने पर प्रतिबन्ध क्यों लगा दिया ?

2. Who decided to improve the tonal quality of the pungi?
पुंगी के स्वर – सम्बन्धी गुणों को सुधारने का निश्चय किसने किया ?

3. Why was the instrument named the ‘shehnai’?
‘वाद्ययन्त्र का ‘शहनाई’ नाम क्यों रखा गया ?

4. How many holes were there in the modified pungi?
संशोधित पुंगी में कितने छेद थे ?

5. What had nobody thought of about the pungi?
किसी ने भी पुंगी के बारे क्या नहीं सोचा था ?

6. What thing did the barber choose for the modified pungi?
संशोधित पुंगी के लिए उस नाई ने किस चीज़ को चुना ?

7. How did the barber produce soft and melodious sounds?
नाई ने मधुर और सुरीली ध्वनियाँ किस प्रकार से उत्पन्न कीं ?

8. When and where is the shehnai played?
शहनाई कब व कहाँ पर बजाई जाती है ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to – ‘artificial’

10. Find the word from the passage which means: ‘came to life again’
Answer:
1. Aurangzeb banned the playing of the pungi in the royal residence because it had a shrill and unpleasant sound.
औरंगजेब ने शाही निवास में पुंगी बजाने पर इसलिए प्रतिबन्ध लगा दिया क्योंकि इसकी ध्वनि तीखी व अप्रिय थी ।

2. A barber of a family of professional musicians decided to improve the tonal quality of the pungi.
पेशेवर संगीतकारों के परिवार के एक नाई ने पुंगी के स्वर – सम्बन्धी गुणों का सुधारने का निश्चय किया ।

3. The instrument was first played in the Shah’s chambers and was played by a nai (barber), so it was named the ‘shehnai’.
वाद्ययन्त्र को सर्वप्रथम शाह के कक्ष में बजाया गया और . एक ‘नाई’ के द्वारा बजाया गया, इसलिए इसका नाम ‘शहनाई’ रखा गया।

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4. There were seven holes in the modified pungi.
संशोधित पुंगी में सात छेद थे ।

5. Nobody had thought of the pungi that it would be revived one day.
किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि एक दिन पुंगी पुनर्जीवित हो जायेगी ।

6. The barber chose a pipe with a natural hollow stem that was longer and broader than .the püngi.
उस नाई ने प्राकृतिक खोखले तने वाली एक नरकुल को चुना जो पुंगी से ज्यादा लम्बा व चौड़ा था ।

7. The barber played on the modified seven holed pungi. He played on it by closing and opening some of these holes and thus he produced soft and melodious sounds out of it.
उसने सात छेदों वाली संशोधित पुंगी बजाई। उसने कुछ छेदों को बंद करके व कुछ को खोलकर मधुर और सुरीली ध्वनियाँ पैदा कीं ।

8. The shehnai is played in temples and the North Indian weddings.
शहनाई मंदिरों में तथा उत्तर भारत की शादियों में बजाई जाती है ।

9. natural

10. revived

Passage – 2.

As a five-year old, Bismillah Khan played gilli-danda near a pond in the ancient estate of Dumraon in Bihar. He would regularly go to the nearby Bihariji temple to sing the Bhojpuri ‘Chaita’, at the end of which he would earn a big laddu weighing 1.25 kg, a prize given by the local Maharaja. This happened 80 years ago, and the little boy has travelled far to earn the highest civilian award in India – The Bharat Ratna.

Born on 21 March 1916, Bismillah belongs to a well-known family of musicians from Bihar. His grandfather, Rasool Bux Khan, was the shehnai-nawaz of the Bhojpur king’s court. His father, Paigambar Bux, and other paternal ancestors were also great shehnai players. The young boy took to music early in life. At the age of three when his mother took him to

Beehive (Prose} his maternal uncle’s house in Benaras (now Varanasi), Bismillah was fascinated watching his uncles practise the shehnai. Soon Bismillah started accompanying his uncle, Ali Bux, to the Vishnu temple of Benaras where Bux was employed to play the shehnai. Ali Bux would play the shehnai and Bismillah would sit captivated for hours on end. Slowly, he started getting lessons in playing the instrument and would sit practising throughout the day.

1. Why would Bismillah Khan go to the Bihariji temple?
बिस्मिल्ला खान बिहारीजी के मंदिर क्यों जाते थे ?

2. What prize did the local Maharaja give Bismillah Khan?
स्थानीय महाराजा बिस्मिल्ला खान को क्या पुरस्कार देते थे ?

3. Which highest civilian award was given to Bismillah Khan in India?
बिस्मिल्ला खान को भारत का कौन-सा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया गया ?

4. Who was the shehnai-nawaz of the Bhojpur king’s court?
भोजपुर के राजदरबार में शहनाई – नवाज कौन थे ?

5. ‘Where did Bismillah Khan use to play gilli-danda?
बिस्मिल्ला खान गिल्ली-डण्डा कहाँ पर खेला करते थे ?

6. Where did Bismillah’s maternal uncle live?
बिस्मिल्ला के मामा कहाँ रहते थे ?

7. Where did Bismillah’s maternal uncle play the shehnai?
बिस्मिल्ला के मामा शहनाई कहाँ बजाते थे ?

8. How long did Bismillah practise for the shehnai?
बिस्मिल्ला शहनाई का अभ्यास कितने समय तक करते थे ?

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9. Pick out the word from the passage which is the opposite to

10. Find the word from the passage which means: ‘famous’
Answer:
1. He would go to the Bihariji temple to sing the Bhojpuri Chaita’.
वे भोजपुरी ‘चैता’ गाने के लिए बिहारीजी के मंदिर जाते थे ।

2. The local Maharaja gave Bismillah Khan a big laddu weighing 1.25 kg.
स्थानीय महाराजा बिस्मिल्ला खान को 1.25 किलो वजन का लड्डू देते थे ।

3. Bismillah Khan was given the highest civilian award in India – the Bharat Ratna.
बिस्मिल्ला खान को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार – भारत रत्न दिया गया ।

4. Bismillah Khan’s grandfather, Rasool Bux Khan was the shehnai-nawaz of the Bhojpur. king’s court.
बिस्मिल्ला खान के दादाजी रसूल बख्श खान भोजपुर के राजदरबार में शहनाई – नवाज थे ।

5. Bismillah Khan used to play gilli-danda near a pond in the ancient estate of Dumraon in Bihar.
बिस्मिल्ला खान बिहार में डुमराँव की प्राचीन रियासत में एक तालाब के निकट गिल्ली-डण्डा खेला करते थे ।

6. Bismillah’s maternal uncle lived in Benaras (Varanasi).
बिस्मिल्ला के मामा बनारस (वाराणसी) में रहते थे ।

7. Bismillah’s maternal uncle played the shehnai at the Vishnu temple of Benaras.
बिस्मिल्ला के मामा बनारस (वाराणसी) के विष्णु मंदिर में शहनाई बजाते थे ।

8. Bismillah practised for the shehnai throughout the day.
बिस्मिल्ला शहनाई का अभ्यास दिन-भर करते थे ।

9. slowly

10. well-known

Passage – 3.

At the age of 14, Bismillah accompanied his uncle to the Allahabad Music Conference. At the end of his recital, Ustad Faiyaz Khan patted the young boy’s back and said, “Work hard and you shall make it.” With the opening of the All India Radio in Lucknow in 1938 came Bismillah’s big break. He soon became an often-heard shehnai player on radio. When India gained independence on 15 August 1947, Bismillah Khan became the first Indian to greet the nation with his shehnai. He poured his heart out into Raag Kafi from the Red Fort to an audience which included Pandit Jawaharlal Nehru, who later gave his famous ‘Tryst with Destiny’ speech.

Bismillah Khan has given many memorable performances both in India and abroad. His first trip abroad was to Afghanistan where king Zahir Shah was so taken in by the maestro that he gifted him priceless Persian carpets and other souvenirs. The king of Afghanistan was not the only one to be fascinated with Bismillah’s music. Film director Vijay Bhatt was so impressed after hearing Bismillah play at a festival that he named a film after the instrument called Gunj Uthi Shehnai. The film was a hit, and one of Bismillah Khan’s compositions “Dil ka khilona hai toot gaya turned out to be a nationwide chartbuster!

1. Where did Bismillah accompany his uncle to?
बिस्मिल्ला अपने मामा के साथ कहाँ गये ?

2. Which foreign country did Bismillah Khan travel first of all?
बिस्मिल्ला खान ने सर्वप्रथम किस देश की यात्रा की ?

3. What did King Zahir Shah give as a gift to Bismillah Khan?
राजा जहीर शाह ने बिस्मिल्ला खान को क्या उपहार दिये?

4. Who was impressed after hearing Bismillah play at a festival ?
एक उत्सव में बिस्मिल्ला के वादन को सुनकर कौन प्रभावित हुआ ?

5. Which film did Vijay Bhatt make after the name of the instrument, the shehnai ?
विजय भट्ट ने शहनाई वाद्ययंत्र के नाम पर कौन-सी फिल्म बनाई ?

6. When did Bismillah’s big break come ?
बिस्मिल्ला को अनुकूल अवसर कब मिला ?

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7. How did Bismillah greet the nation on 15 August 1947 ?
15 अगस्त 1947 को बिस्मिल्ला खान ने राष्ट्र का अभिवादन किस प्रकार किया ?

8. Which speech did Pandit Jawaharlal Nehru deliver from the Red Fort?
पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से कौन-‍ -सा भाषण दिया ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to – ‘closing ‘

10. Find the word from the passage which means : ‘freedom’
Answer:
1. Bismillah accompanied his uncle to the Allahabad Music Conference.
बिस्मिल्ला अपने मामा के साथ इलाहाबाद संगीत सम्मेलन में गये ।

2. Bismillah Khan travelled Afghanistan first of all.
बिस्मिल्ला खान ने सर्वप्रथम अफगानिस्तान की यात्रा की ।

3. King Zahir Shah gifted Bismillah Khan priceless Persian carpets and other souvenirs.
राजा जहीर शाह ने बिस्मिल्ला खान को अमूल्य फारसी गलीचे व अन्य स्मृति चिह्न उपहार में दिये ।

4. Film director Vijay Bhatt was impressed after hearing Bismillah’s play at a festival.
फिल्म निर्देशक विजय भट्ट एक उत्सव में बिस्मिल्ला के वादन को सुनकर प्रभावित हुए ।

5. Vijay Bhatt made a film named ‘Gunj Uthi Shehnai’ after the name of the instrument shehnai.
विजय भट्ट ने शहनाई वाद्ययंत्र के नाम पर ‘गूँज उठी शहनाई’ नामक फिल्म बनाई ।

6. With the opening of the All India Radio in Lucknow in 1938, Bismillah’s big break came.
1938 में लखनऊ में ऑल इण्डिया रेडियो की शुरूआत से बिस्मिल्ला को एक अनुकूल अवसर मिला।

7. Bismillah Khan greeted the nation on 15 August 1947 by playing Raag Kafi on his shehnai.
बिस्मिल्ला खान ने 15 अगस्त 1947 को अपनी शहनाई पर राग काफी बजाकर राष्ट्र का अभिवादन कियां ।

8. Pandit Jawaharlal Nehru delivered his famous ‘Tryst with Destiny’ speech from the Red Fort.
पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से अपना प्रसिद्ध भाषण ‘भाग्य से भेंट’ दिया ।

9. opening

10. independence

Passage – 4.

Awards and recognition came thick and fast. Bismillah Khan became the first Indian to be invited to perform at the prestigious Lincoln Centre Hall in the United States of America. He also took part in the World Exposition in Montreal, in the Cannes Art Festival and in the Osaka Trade Fair. So well-known did he become internationally that an auditorium in Teheran was named after him Tahar Mosiquee Ustaad Bismillah Khan. National awards like the Padmashri, the Padma Bhushan and the Padma Vibhushan were conferred on him.

In 2001, Ustad Bismillah Khan was awarded India’s highest civilian award, the Bharat Ratna. With the coveted award resting on his chest and his eyes glinting with rare happiness he said, “All I would like to say is: Teach your children music, this is Hindustan’s richest tradition; even the West is now coming to learn our music.” is In spite of having travelled all over the world Khansaab as he is fondly called exceedingly fond of Benaras and Dumraon and they remain for him the most wonderful towns of the world. A student of his once wanted him to head a shehnai school in the U.S,A., and the student promised to recreate the atmosphere of Benaras by replicating the temples there.

1. When was Bismillah Khan awarded the Bharat Ratna ?
बिस्मिल्ला खान को भारतरत्न कब दिया गया ?

2. What, according to Bismillah Khan, is Hindustan’s richest tradition ?
बिस्मिल्ला खान के अनुसार हिन्दुस्तान की समृद्धतम परम्परा क्या है ?

3. Which are the favourite towns of Bismillah Khan ?
बिस्मिल्ला खान के प्रिय नगर कौन-से हैं ?

4. Where did Bismillah’s student want him to head a shehnai school ?
बिस्मिल्ला खान का छात्र उनसे कहाँ के शहनाई – स्कूल का प्रधान बनने का अनुरोध करना चाहता था ?

5. What did Bismillah’s student promise to Bismillah Khan ?
बिस्मिल्ला के विद्यार्थी ने बिस्मिल्ला खान से क्या वायदा किया था ?

6. Where did Bismillah Khan give his performance in America ?
अमेरिका में बिस्मिल्ला खान ने अपनी प्रस्तुति कहाँ दी ?

7. In which international ceremonies did Bismillah Khan take part?
बिस्मिल्ला खान ने किन अन्तर्राष्ट्रीय समारोहों में भाग लिया ?

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8. Name the awards conferred on him.
पुरस्कारों के नाम बताओ जो उन्हें दिये गये ।

9. Pick out the word from the passage which is the opposite to —

10. Find the word from the passage which means : ‘much desired ‘ ‘sadness’
Answer:
1. Bismillah Khan was awarded the ‘Bharat Ratna’ in 2001,
बिस्मिल्ला खान को वर्ष 2001 में ‘भारत रत्न’ दिया गया ।

2. According to Bismillah Khan, music is Hindustan’s richest tradition.
बिस्मिल्ला खान के अनुसार संगीत भारत की समृद्धतम परम्परा है।

3. Benaras and Dumraon are the favourite towns of Bismillah Khan.
बनारस व डुमराँव बिस्मिल्ला खान के प्रिय नगर हैं ।

4. Bismillah’s student wanted him to head a shehnai school in the U.S.A.
बिस्मिल्ला खाँ का छात्र चाहता था कि वे USA में शहनाई स्कूल के प्रधान बनें।

5. Bismillah’s student promised Bismillah Khan that he would recreate the atmosphere of Benaras by replicating the temples there.
बिस्मिल्ला के शिष्य ने बिस्मिल्ला खान से वायदा किया कि वह वहाँ बनारस के मंदिरों की हूबहू प्रतिकृतियाँ बनवाकर बनारस का वातावरण बना देगा ।

6. Bismillah Khan gave his performance in Lincoln Centre Hall in America.
अमेरिका में लिंकन सेन्टर हॉल में बिस्मिल्ला खान ने अपनी प्रस्तुति दी ।

7. Bismillah Khan took part in the World Exposition in Montreal, in the Cannes Art Festival and in the Osaka Trade Fair.
बिस्मिल्ला खान ने मॉण्ट्रियल में ‘विश्व प्रदर्शनी’, ‘कान्स कला उत्सव’ व ‘ ओसाका व्यापार मेले’ में भाग लिया

8. National awards like the Padmashri, the Padma Bhushan, the Padma Vibhushan and the Bharat Ratna were conferred on him.
उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण व भारत रत्न जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये गये ।

9. happiness

10. coveted

The Sound of Music Summary and Translation in Hindi

Part – I
Evelyn Glennie Listens to Sound without Hearing It (by Deborah Cowley)
(एवलिन ग्लेनी ध्वनि को बिना सुने ही ध्यान से सुनती है)

About The Lesson

ये जीवनवृत्तांत्मक अंश हमें उन व्यक्तियों के बारे में बताते हैं जिन्होंने अपने दृढ़ निश्चय, कठोर परिश्रम तथा साहस से सफलता पाई तथा अपनी पहचान बनाई । पाठ के प्रथम भाग में बच्चों से सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों तथा उन लोगों के बारे में विचार करने हेतु कहा गया है जिन्होंने उन पर विजय पाई है । पाठ का दूसरा भाग विद्यार्थियों को भारतीय संगीत तथा वाद्य यंत्रों की समृद्ध विरासत पर विचार करने को प्रोत्साहित करता है ।

Who is who in the lesson

1. Evelyn Glennie : She is a young girl from a Scottish farm. She has a hearing disability.
एवलिन ग्लेनी : वह स्कॉटलैण्ड की ग्रामीण नवयुवती है। वह बहरी है।

2. Isabel Glennie : She is the mother of Evelyn Glennie.
इसावेल ग्लेनी : एवलिन ग्लेनी की माँ है।

3. Ron Forbes : He is a percussionist in Evelyn’s school.
रोन फोर्ब्स : एवलिन के स्कूल में तालवाद्यवादक हैं।

4. James Blades : He is a master percussionist.
जेम्स ब्लेड्स बहुत योग्य तालवाद्यवादक

5. Ann Richlin : She is associated with the Beethoven Fund for Deaf Children.
एन रिचलिनः यह बीथावने फण्ड फॉर डेफ चिल्ड्रन संस्था से जुड़ी महिला हैं।

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

ईश्वर ने उससे उसकी श्रवणशक्ति भले ही छीन ली हो किन्तु उसने उसको इसके बदले में एक असाधारण वस्तु प्रदान की है । जो कुछ हम सुनते हैं उसे वह महसूस करती है 1 वह इसे इतना गम्भीरतापूर्वक महसूस करती है कि हममें से कोई भी ऐसा नहीं कर सकता । यही कारण है कि वह इतनी सुन्दरता से संगीत को प्रस्तुत करती है ।

ऐसे एक व्यक्तित्व के निम्नलिखित विवरण को पढ़िये जिसने एक शारीरिक विकलांगता के विरुद्ध संघर्ष किया और अपने जीवन को सफलता की कहानी बना दिया ।

Word-Meanings and Hindi Translation

1. Rush hour crowds ………… profoundly deaf. (Page 17)

Word Meanings: rush hour ( रॅशू आवर) busy hours of the day, व्यस्त समय 1 crowds (क्राउड्ज़) = भीड़-भाड़। jostle (जॉसॅल) = push roughly, धक्का-मुक्की करना । position (पॅज़िशॅन्) = to get placed, स्थिति, स्थान । underground (अण्डग्रउण्ड् ) = under the surface of earth भूमिगत । slight (स्लाइट्) = small and thin, छोटी व पतली । was looking younger than her seventeen years = अपनी सत्रह वर्ष की आयु से भी छोटी दिख रही थी । puzzled आशंकित, घबराई हुई ।

excited (एक्साइटिड्) = zestful, उत्तेजित। felt (फेल्ट् ) = perceived महसूस किया । vibrations (वाइब्रेशन्ज़) approaching (ॲप्रोचिंग्) = coming near समीप आती हुई । prestigious (प्रेस्टीजियस्) = respectable, प्रतिष्ठित । Tdaunting (डॉण्टिग्) frightening, भयभीत करने वाला, निरुत्साहित करने वाला | enough (इनॅफ्) = sufficient, पर्याप्त |

teenager ( टीनएजर ) = young, किशोर/किशोरी । Scottish (स्कॉटिश) स्कॉटलैण्ड का | farm (फा:म) = (here) village atmosphere, खेत, (यहाँ ) ग्रामीण परिवेश । aspiring musician (एस्पाइरिंग म्यूजिशियन् ) = a person who wants to be a musician, संगीतकार बनने की आकांक्षा रखने वाला, महत्त्वाकांक्षी संगीतज्ञ । faced (फेस्ड) = confronted, सामना किया । challenge (चैर्लिज्) summons to fight, चुनौती । profoundly (प्रॅफाउण्ड्ल) = intensely, गंभीर रूप से, पूर्णतः । deaf (डैफ्) unable to hear, बहरी, बधिर ।

हिन्दी अनुवाद भूमिगत ट्रेन प्लेटफार्म पर व्यस्त भीड़ आगे स्थान प्राप्त करने के लिए एक दूसरे को धक्का दे रही है । अपनी सत्रह वर्ष की आयु से भी छोटी दिखाई देने वाली एक छोटी व पतली सी लड़की घबराई हुई वहाँ खड़ी हुई थी किन्तु जैसे ही उसने समीप आती हुई ट्रेन के कम्पन को महसूस किया तो वह उत्तेजित हो गई । लन्दन की प्रतिष्ठित ‘रॉयल अकादमी ऑव म्यूजिक’ के लिए यह उसका प्रथम दिन था और स्कॉटलैण्ड के ग्रामीण परिवेश से हाल ही में आई किसी किशोरी के लिए यह काफी भयभीत करने वाला भी था । किन्तु यह महत्त्वाकांक्षी संगीतकार अधिकांश लोगों की अपेक्षा कहीं बड़ी चुनौती का सामना कर रही थी : वह पूर्ण रूप से बहरी थी ।

JJAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music

2. Evelyn Glennie’s loss. …………… says Evelyn. (Pages 17-18)

Word Meanings : loss (लॉस्) = waste, क्षति, ह्रास । hearing ( हियरिंग ) ability to hear, श्रवणशक्ति, सुनने की शक्ति | gradual ( ग्रैजुअल् ) = progressive, क्रमिक, धीरे-धीरे | remembers (रिमेम्बर्ज़) = recollects, याद करती है । noticing ( नोटिसिंग्) = intimating, ध्यान देते हुए । wrong (रौंग) = unfit, खराब, गड़बड़ । play on (प्ले ऑन) = to create music, बाजा बजाना। called (कॉल्ड् ) पुकारा move (मूव्) in the motion, हिलना-डुलना | suddenly (सडॅन्लि) = all of a sudden, अचानक! realised (रियलाइज़्ट) felt, महसूस किया for quite a while = for a long time, काफ़ी समय तक । managed (मॅनेज्ड् ) = succeeded, सफल रही । conceal (कन्सील् ) = hide, छिपाना । growing ( ग्रोइंग्) = progressing, बढ़ते हुए । deafness (डेफनस्) = unable to hear, बहरापन, बधिरता ।

deteriorated (डिटिॲरेटिड् ) = बिगड़ गये, कम हो गये । urged (अॅ:ज़्ड्) = pressed earnestly, अनुरोध किया, आग्रह किया । specialist (स्पेशॅलिस्ट् ) = one who devotes himself to a special branch of knowledge, विशेषज्ञ । discovered (डिस्कवड् ) = revealed, पता लगाया । severely (सिविऑर्लि) = seriously, गंभीर रूप से । was impaired (वॉज़ इम्पेअर्स्) weakened, खराब हो गयी थी ।

nerve (नॅ:व) = one of the long thin threads in your body that carry feelings or other messages to and from your brain, मस्तिष्क से अथवा मस्तिष्क को संवेदनाएँ या संदेश पहुँचाने वाली शरीर में स्थित धागे जैसी लम्बी पतली संरचना, स्नायु, नस, तन्त्रिका | damage (डैमिज्) = loss, क्षति, हानि । advised (अड्वाइस्ट) = सलाह दी । should be fitted = लगाये जायें | hearing aids ( हियरिंग एड्ज़) = श्रवण-यन्त्र । looked black (लुक्ट ब्लैक) = looked dejected निराशामय लगता था ।

हिन्दी अनुवाद – एवलिन ग्लेनी की श्रवण शक्ति का ह्रास धीरे-धीरे हुआ था । उसकी माँ को याद है कि जब उसने आठ वर्षीय एवलिन को पिआनो बजाने के लिए इन्तजार करते समय कुछ गड़बड़ महसूस की । ” उन्होंने उसका नाम पुकारा किन्तु वह हिली भी नहीं । मैंने अचानक महसूस किया कि उसने सुना हीं नहीं था, ” इसाबेल ग्लेनी कहती हैं। काफी समय तक एवलिन अपने मित्रों और शिक्षकों से अपनी बढ़ती हुई बधिरता या बहरेपन को छिपाने में सफल रही ।

लेकिन जब वह ग्यारह वर्ष की थी तो उसके अंक कम होते गये और उसकी प्रधानाध्यापिका ने उसके माता-पिता से आग्रह किया कि वे उसे किसी विशेषज्ञ के पास ले जायें । तब पता चला कि स्नायु (तन्त्रिका ) की क्रमिक क्षति के परिणामस्वरूप उसकी श्रवण शक्ति गम्भीर रूप से खराब हो गयी थी । उन्हें सलाह दी गई कि उसे श्रवण-यन्त्र लगाया जाये और किसी बधिर विद्यालय में भेजा जाये । एवलिन कहती है, “अचानक सब-कुछ निराशाजनक लगने लगा ।”

3. But Evelyn was ………… and hard work. (Page 18)

Word Meanings: to give up = to stop expecting to succeed, (यहाँ) हार मानना | determined (डिटर्मिण्ड् ) = having firmly decided to do something, even if it is difficult, दृढ़ निश्चयी, कृतसंकल्प । lead (लीड्) = to go with, जीवन बिताना | normal (नॉ: मॅल्) = usual, सामान्य | pursue (पॅस्यू) = to continue to do, जारी रखना, में लगे रहना । interest (इन्ट्रिस्ट् ) = wanting to know more, रुचि । noticed (नोटिस्ट) gave attention, देखा ।

xylophone (ज़ाइँलफोन्) = a musical instrument with a row of hear wooden bars of different lengths, ‘काष्ठतरंग’ (जाइलोफोन ) नामक एक वाद्ययन्त्र | decided ( डिसाइडिड्) determined, निश्चय किया । discouraged (डिस्करिज्ड् ) disheartened, निरुत्साहित किया, हतोत्साहित ढोलक किया । percussionist (पॅ: कॅशनिस्ट) = a person who plays the drum, the tabla etc., तालवाद्यवादक, या तबला बजाने वाला | spotted (स्पॉटिड् ) = (here) guessed, अनुमान लगा लिया, देख लिया।

potential (पॅटेन्शॅल्) = quality or ability that can be developed, भावी योग्यता, शक्ति या क्षमता | began (बिगेन्) started, प्रारम्भ किया | by tuning (वाइं ट्यूनिंग) = by adjusting a musical instrument to the correct pitch, सुर या धुन बजाकर | drums ( ड्रम्ज़) = – ढोल, मृदंग | different (डिफरेंन्ट् ) = in a distinct manner, भिन्न ।

notes (नोट्स्) = single musical sounds made by an instrument, स्वर । listen ( लिसन्) attentively, सुनना । through (थ्रू) = by means of, के द्वारा, try (ट्राइ) = to attempt, प्रयास करना। to sense (टु सेंस्) = to feel, महसूस करना | some other way = in a different way, किसी अन्य प्रकार से । suddenly (सडॅन्लि) all of a sudden; अचानक । realised (रियलाइज्ट) = felt, महसूस किया ।

feel ( फील्) = to experience something, अनुभव करना । higher (हायर) अधिक ऊँचा | lower (लोअर्) = अधिक नीचा। waist (वेस्ट्) = narrowest part around the middle of your body, कमर, कटि । repeated (रिपीटिड् ) : said again, दोहराया।exercise (इक्सर्साइज् ) = practice, अभ्यास । discovered (डिस्कवर्ड् ) = searched, पता लगाया । certain (सॅटॅन्) = some particular, कुछ विशेष | learnt (लॅन्ट् ) = gained knowledge, सीख लिया था ! sounds (साउण्ड्ज़) = voices, ध्वनियाँ vibrations (वाइब्रेशॅन्ज़) = a continuous shaking movements, कम्पन | rest ( रेस्ट्) – remain, शेष sheer (शिअर् ) = only, केवल | determination (डिटॅमिनेशन्) = संकल्प, दृढ़ निश्चय | hard work (हाड् व:क) = toil, कठोर परिश्रम ।

हिन्दी अनुवाद किन्तु एवलिन हार मानने वाली नहीं थी । वह एक सामान्य जीवन जीने के लिए और संगीत में अपनी रुचि को जारी रखने के लिए कृतसंकल्प थी । एक दिन उसने एक लड़की को ज़ाइलोफोन (‘काष्ठतरंग’ नामक वाद्ययन्त्र) बजाते हुए देखा और निश्चय कर लिया कि वह भी उसे बजाना चाहेगी । अधिकांश अध्यापकों ने उसको हतोत्साहित किया किन्तु तालवाद्य वादक रॉन फोर्ब्स ने उसकी भावी योग्यता (क्षमता) को पहचान लिया । उसने दो बड़े ढोलों को अलग-अलग स्वरों में बजाकर शुरूआत की ।

“ अपने कानों से मत सुनो”, वह कहता था, “इसे अन्य प्रकार से महसूस करने की कोशिश करो।” एवलिन कहती है, “ अचानक मुझे महसूस हुआ कि मैंने ऊँचे स्वर वाले ढोल को कमर के ऊपर व नीचे स्वर वाले ढोल को अर्थात् उसके कम्पनों को कमर से नीचे अनुभव किया ।” फोर्ब्स ने इस अभ्यास को दोहराया और शीघ्र ही एवलिन को पता चल गया कि वह कुछ विशेष स्वरों को अपने शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में महसूस कर सकती थी । ” मैंने अपने मन व शरीर को ध्वनियों व कम्पनों के प्रति खोलना अर्थात् उनके साथ सामंजस्य बनाना सीख लिया था ।” शेष केवल दृढसंकल्प व कठोर परिश्रम ही था ।

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4. She never looked ……….. the top awards. (Page 18)

Word-Meanings: never looked back ( न्व्र लुक्ट बैक् ) = कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । onwards (ऑन्वॅड्ज़्) = ahead of, आगे | toured (टुॲर्स्) = travelled, भ्रमण किया । youth (यूथ) = young, युवा। orchestra (ऑ:किस्ट्रा) = a group of musicians who play different musical instruments together, led by one person, एक वादक दल । decided ( डिसाइडिड् ) = determined, निश्चय किया । music ( म्यूज़िक्) = an arrangement of sounds, संगीत | auditioned (ऑडिशन्ड् ) = gave a short performance so that the director could decide whether she was expert enough, ध्वनि-परीक्षण दिया ।

scored (स्कोर्स्) obtained, प्राप्त किये | highest marks (हाय्एस्ट् माक्स् ) = excellent marks, सर्वोच्च अंक | history ( हिस्ट्रि ) = work of इतिहास | gradually (ग्रेजुअलि ) = by and by, धीरे-धीरे । orchestral work ( ऑकिस्ट्रल वर्क) orchestra, वादन-सम्बन्धी कार्य । solo ( सोलो) = performance done by only one person, एकल, अकेले । performances (पॅफा : मॅन्सिज् ) = manners of doing, प्रदर्शन, प्रस्तुतियाँ । (had) captured (कैप्चर्ड् ) = (had) won, जीत चुके थे।

हिन्दी अनुवाद उसने उस समय के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । उसने एक युवा वादक दल के साथ यूनाइटिड किंगडम ( इंगलैण्ड) का भ्रमण किया और सोलह वर्ष की होने तक उसने संगीत को ही अपना जीवन बनाने का निश्चय कर लिया था । उसने रॉयल अकादमी ऑफ म्यूज़िक के लिए ध्वनि-परीक्षण दिया और अकादमी के इतिहास में सर्वोच्च अंकों में से एक का स्तर प्राप्त किया । उसने धीरे-धीरे वादक दल सम्बन्धी कार्य से हटकर एकल प्रस्तुतियाँ देना शुरू किया। अपने तीन वर्षीय पाठ्यक्रम की समाप्ति तक वह अधिकांश उच्चतम पुरस्कार जीत चुकी थी ।

5. And for all this, ……………….. international schedule. (Page 18)

Word Meanings: accept (अॅक्सेप्ट) = to agree, स्वीकार करना । hint (हिन्दू) = संकेत | heroic (हिरोइक् ) = having the characteristics of a heroine, वीरतापूर्ण । achievement (अचीवमॅण्ट् ) = attainments, उपलब्धि । work hard (व: क् हाड्) = toil, परिश्रम करना | you will get there = you will reach there, तुम वहाँ पहुँच जाओगे।

sought after (सॉट् आफ्टर्) = be in great demand, जिसे बहुत लोग आमन्त्रित करते हों । multi-percussionist ( मल्टीपॅ: कॅशनिस्ट्) = a person who plays the drums, tabla and so many other instruments of music, कई वाद्ययन्त्र बजाने वाला तालवाद्यवादक | mastery ( मास्टरि) = expertise, महारत, विशेष योग्यता। instruments (इन्स्ट्रुमन्ट्स् ) = (here) musical instruments for playing music, वाद्ययन्त्र | hectic (हेक्टिक् ) very busy, अति व्यस्त | international (इन्टरनेशनल् ) = अन्तर्राष्ट्रीय | schedule (शेड्यूल्) programme, कार्यक्रम |

हिन्दी अनुवाद और इतना सब कुछ होने पर भी एवलिन यह नहीं मानती कि उसने कोई वीरतापूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है । ” यदि आप परिश्रम करते हैं और आप जानते हैं कि आप कहाँ जा रहे हैं तो निश्चित ही आप वहाँ पहुँच जायेंगे ।” और वह ठीक शिखर पर पहुँच गई, विश्व की सबसे ज्यादा आमन्त्रित की जाने वाली अनेक वाद्ययंत्रों की वादक बन गई, जिसे लगभग एक हजार वाद्ययन्त्रों में महारत प्राप्त था और उसका अति व्यस्त अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम रहता था ।

6. It is intriguing …………….. basic Japanese. (Pages 18-19)

Word Meaning: intriguing (इन्ट्रीगिंग्) = fascinating and curious, कौतूहलपूर्ण, रोमांचक | watch (वॉच्) = to look, देखना | function ( फंक्शन् ) = to work correctly, कार्य करना । hearing ( हियरिंग ) ability to hear,, श्रवण शक्ति | effortlessly (एफर्टलस्लि ) = normally, बिना प्रयास किए, सहजता से । discussion (डिस्कैशन् ) = the process of talking about something, विचार-विमर्श, चर्चा । missed (मिस्ट) : failed to understand, चूकी, छोड़ा | bushy (बुशि) = bush like, घनी, गुच्छेदार | beards ( बिॲड्ज़) = hair which grow on men’s cheeks, दाढ़ियाँ । trouble (ट्रॅबॅल्) = difficulty, कष्ट, तकलीफ।

laughed (लाफ्ट्) = the sound that shows you are happy, हँसी | whole (होल्) = complete, सम्पूर्ण । especially (इस्पेशॅलि) = particularly, विशेष रूप से।speaks (स्पीक्स् ) = says something, बोलती है । flawlessly (फ्लॉलस्लि) = without a fault or mistake, शुद्ध रूप से, बिना त्रुटि के | lilt ( लिल्ट् ) = a way of speaking, ( झूमकर व आरोह-अवरोह के साथ) बोलने का ढंग | speech (स्पीच्) = a formal talk, वाणी, बोली। clear (क्लिअर् ) = easy to understand, स्पष्ट | explain (इक्सप्लेन्) = स्पष्ट करना, समझाना|managed (मैनिज्ड् ) = became successful, सफल हुई । master ( मास्टर् ) = learn easily, अच्छी तरह से सीखना । basic (बेसिक्) = fundamental, आधारभूत, मौलिक ।

हिन्दी अनुवाद- श्रवणशक्ति के बिना सहजता से काम करती हुई एवलिन को संगीत बजाते हुए देखना कौतूहलपूर्ण ( रोमांचक ) है हमारी दो घण्टे की चर्चा में वह एक शब्द भी नहीं चूकी अर्थात् अनसुना नहीं किया । “घनी दाढ़ी वाले लोगों से मुझे कुछ तकलीफ होती है,” वह हँसी । “बात केवल होठों को ही देखने की नहीं होती है, पूरा चेहरा देखना होता है, विशेष रूप से आँखें “। वह बिना त्रुटि के स्कॉटिश लहजे में बोलती है । वह कहती है, “मेरी वाणी स्पष्ट है क्योंकि मैं ग्यारह वर्ष की आयु तक सुन सकती थी।” किन्तु इससे यह बात स्पष्ट नहीं होती कि वह फ्रेंच भाषा सीखने में और मौलिक जापानी भाषा को अच्छी तरह सीखने में कैसे सफल रही ।

7. As for music, ………… and up her legs. (Page 19)

Word Meanings : pours in (पॉर्स् इन्) = flows in a steady stream in every part of the body, अन्दर प्रवाहित होता है । through (थ्रू) = from one end to other, में होकर ।tingles ( टिंगल्ज़) = causes a slight pricking or stinging sensation, स्पन्दित करता है । skin (स्किन् ) = त्वचा | cheekbones (चीक्बोन्ज़्) = bones of cheeks, गालों की हड्डियाँ । even (ईवॅन्) = भी। sense (सेन्स् ) = feel, महसूस करना । sound (साउण्ड्) = voice, ध्वनि ।

passing up ( पासिंग् अप्) = letting go, गुजरती हुई । stick (स्टिक् ) = a small thin piece of wood, छड़ी | fingertips (फिंगटिप्स) = top parts of the fingers, उँगलियों के अग्रभाग, उँगलियों के पोर। leaning (लीनिंग ) = bending, झुकते हुए । resonances (रेज़ोनेन्सिज् ) = echoes of sounds, गूँज, प्रतिध्वनियाँ। flowing (फ्लोइंग) = to move in a continous way, प्रवाहित होते हुए, बहते हुए | wooden (वुडन्) = of wood, लकड़ी के | platform (प्लेटफॉम) = a raised level surface, मंच | removes ( रिमूव्ज्) = takes off, उतारती है। vibrations (वाइब्रेशन्ज़) = shaking, कम्पन । pass through (पास् थ्रू) = में होकर गुजरें | bare (बेअर् = without shoes, नंगे।

हिन्दी अनुवाद -हाँ तक संगीत की बात है, वह स्पष्ट करती है, “यह मेरे शरीर के प्रत्येक अंग में होकर प्रवाहित होता है । यह मेरी त्वचा, मेरे गालों की हड्डियों तथा मेरे बालों में भी स्पन्दन पैदा करता है ।” जब वह ज़ाइलोफोन बजाती है तो वह ध्वनि को छड़ियों में होकर उँगलियों के अग्रभाग में आती हुई महसूस कर सकती है । ढोलों पर झुककर या उनका सहारा लेकर वह प्रतिध्वनियों को अपने शरीर में प्रवाहित होते हुए महसूस कर सकती है । लकड़ी के मंच पर वह अपने जूते उतार देती है जिससे कि कम्पन उसके नंगे पैरों से होकर उसकी टाँगों तक जा सके।

8. Not surprisingly …………………… so beautifully.”(Page 20)

word-Meanings: surprisingly (सॅप्राइजिंगलि ) = wonderfully, आश्चर्यजनक ढंग से | delights (डिलाइट्स्) = प्रसन्न करती है । audiences (ऑ: ड्यन्सिज्) श्रोताओं, दर्शकों । was presented (वॉज़ प्रिन्टिड् ) = was gifted, प्रदान ( भेंट) किया गया । prestigious (प्रेस्टिजियस्) प्रतिष्ठित | soloist (सोलोइस्ट) = performer of a solo, एकल वाद्यवादक । extraordinary (एक्स्ट्रॉ : ड्रनॅरि) = very remarkable, असाधारण, अनोखा । deeply (डीप्लि ) = profoundly, गहराई से । that is why (देट इज वाई) = for this reason, यही कारण. है ।(इक्स्प्रेसिज़) expresses = conveys, व्यक्त करती है, प्रकट करती है । beautifully (ब्यूटिफलि) attractively, सुन्दरता से, सुन्दर ढंग से ।

हिन्दी अनुवाद इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि एवलिन अपने श्रोताओं को प्रसन्न कर देती है । वर्ष 1991 में उसे रॉयल फिलहारमोनिक सोसायटी का प्रतिष्ठित ‘सोलोइस्ट ऑव द ईयर’ पुरस्कार प्रदान किया गया । प्रमुख तालवाद्य – वादक जेम्स ब्लेड्स कहते हैं, “ ईश्वर ने चाहे उसकी श्रवणशक्ति छीन ली हो, किन्तु उसने उसको बदले में कुछ असाधारण वस्तु दी है । जो हम सुनते हैं, उसे वह महसूस करती है वह हममें से किसी से भी अधिक गहराई के साथ ( उसे महसूस करती है) । यही कारण है कि वह संगीत को इतनी सुन्दरता के साथ व्यक्त करती है ।”

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9. Evelyn confesses…………. they cannot go. ” (Page 20)

Word-Meanings: confesses ( कनफेसिज्) = accepts, स्वीकार करती है । workaholic (वर्कअहोलिक् ) = a person who finds it difficult to stop working, बिना रुके परिश्रम करते रहने वाला व्यक्ति, सतत उद्यमी । often (ऑफन् ) = frequently, अक्सर | harder (हा:डर) = some more difficult, अधिक कठिन । classical (क्लासिकॅल्) = serious and having a value that lasts, गंभीर संगीत या शास्त्रीय संगीत | musicians (म्यूज़िश्न्ज़) = persons who play musical instruments, संगीतकारों ।

rewards ( रिवाईज् ) awards, पुरस्कार | enormous (इनॉ:मॅस्) = very big, विशाल, बहुत बड़ा | apart from = besides, के अतिरिक्त । regular (रेग्युलर) = systematic, नियमित । concerts (कन्सर्ट्स्) = musical performances, संगीत-गोष्ठियाँ, संगीत-कार्यक्रम । prisons (प्रिज़न्ज्) = jails, कारागारों । priority (प्राइऑरिटि ) = more importance, प्राथमिकता, अधिक महत्त्व | shining ( शाइनिंग) = glowing, उज्ज्वल, चमकती हुई | inspiration (इन्सपिरेशॅन् ) = motivation,, प्रेरणा | nowhere (नोवेॲर् ) = not in any place, कहीं (भी) नहीं ।

हिन्दी अनुवाद- एवलिन स्वीकार करती है कि वह कुछ सतत उद्यमी जैसी है अर्थात् उसे परिश्रम करने का नशा सा रहता है । “मुझे तो बस काम करते रहना है प्रायः शास्त्रीय संगीतकारों से भी कठिन । किन्तु इसके पुरस्कार भी बहुत बड़े हैं ।” नियमित संगीत – कार्यक्रमों के अतिरिक्त, एवलिन कारागारों व अस्पतालों में निःशुल्क संगीत – कार्यक्रम करती है । वह युवा संगीतकारों की कक्षाओं को भी उच्च प्राथमिकता देती है । बीथोवन फण्ड फॉर डेफ चिल्ड्रन ( नामक संस्था) की एन रिचलिन कहती हैं, “वह बहरे बच्चों के लिए उज्ज्वल प्रेरणास्रोत है । वे समझ सकते हैं कि ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ वे नहीं पहुँच सकते । ”

10. Evelyn Glennie has ……… .pleasure to millions.(Page 20)

Word Meanings: accomplished (अॅकॅम्प्लिश्ट्) = achieved, उपलब्धि प्राप्त की, पूरा किया । twice her age = double her age, उसकी आयु से दोगुने । percussion ( पॅ: कॅशन् ) = playing the drum, tabla, तालवाद्य ( ढोलक / तबला) वादन । to the front of = ahead of it, के आगे, के सामने । demonstrated (डिमांस्ट्रेटिड्) showed practically, प्रदर्शित किया । moving ( मूविंग् ) (here) inspiring, हृदयस्पर्शी, प्रभावशाली | handicapped (हैण्डिकैप्ट्) = disabled, दिव्यांग । not the least = specially, विशेष रूप से । delight, आनन्द, खुशी | millions (मिलिअन्ज्) = very great, अत्यधिक विशाल ।

हिन्दी अनुवाद – एवलिन अपनी आयु से दोगुने बड़े लोगों से अधिक उपलब्धि पहले से ही प्राप्त कर चुकी है । उसने तालवाद्य वादन को आर्केस्ट्रा में अग्रिम स्थान दिला दिया है और उसने यह प्रदर्शित कर दिया है कि यह बहुत प्रभावशाली हो सकता है । उसने उन लोगों को प्रेरणा दी है जो दिव्यांग हैं, ऐसे लोग जो उसकी ओर देखते हैं और कहते हैं, “यदि वह ऐसा कर सकती है, तो मैं भी कर सकता हूँ।” और विशेष रूप से उसने लाखों लोगों को भारी आनन्द प्रदान किया है ।

Part – II
The Shehnai of Bismillah Khan
( बिस्मिल्ला खान की शहनाई).

Who is who in the lesson

1. Emperor Aurangzeb : He was a Mughal Emperor.
सम्राट औरंगजेब : एक मुगल शासक ।

2. Ustad Bismillah Khan’ : He was a famous ‘Shehnai’ maestro.
बिस्मिल्ला खान : प्रसिद्ध शहनाई वादक ।

3. Rasool Bux Khan : He was the grandfather of Ustad Bismillah Khan.
रसूल बख्श खान : बिस्मिल्ला खान के दादा |

4. Paigamber Bux: He was the father of Ustad Bismillah Khan and a musician also.
पैगम्बर बख्श : बिस्मिल्ला खाँ के पिताजी व शहनाई वादक भी।

5. Ali Bux : He was the maternal uncle of Ustad Bismillah Khan.
अली बख्श : बिस्मिल्ला खान के मामा ।

6. Ustad Faiyaz Khan ; He was also a famous musician of his time.
उस्ताद फैयाज खान : अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार ।

7. Pandit Jawaharlal Nehru: He was the first Prime Minister of India.
पंडित जवाहर लाल नेहरू : भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ।

8. King Zahir Shah: He was the King of Afghanistan.
राजा जहीर शाह : अफगानिस्तान के राजा ।

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9. Vijay Bhatt: He was a film director.
विजय भट्ट : फिल्म निर्देशक ।

10. Vikram Srinivas : He was a Kannada film producer.
विक्रम श्रीनिवास : कन्नड फिल्म निर्देशक ।

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

क्या आप इन व्यक्तियों को जानते हैं ? वे कौन-कौन से वाद्ययन्त्र बजाते हैं ?
JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 2 The Sound of Music 1

शहनाई के बारे में सोचिये तथा सम्भवतया आप सर्वप्रथम विवाह अथवा ऐसे ही किसी समारोह या उत्सव की कल्पना करेंगे । उसके पश्चात् शायद आप महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान के विषय में सोचेंगे जो इस वाद्ययन्त्र को बजाते रहे हैं ।

Word-Meanings and Hindi Translation

1. EMPEROR Aurangzeb banned …………….. the shehnai (Pages 21-22)

Word-Meanings: emperor (एम्पॅरॅर्) = सम्राट, बादशाह | banned (बैन्ड् ) = officially prohibited, प्रतिबन्ध लगा दिया । playing on (प्लेइंग् ऑन) = वादन, बजाना । musical instrument (म्यूज़िकल इन्स्ट्रुमॅण्ट) = something that is used for playing music, संगीत यन्त्र | royal (रॉयल् ) = शाही, राजसी । residence (रेज़िडन्स् ) = निवास । for ( फॉर) = क्योंकि । shrill ( श्रिल) = high pitched and piercing, तीखी, कर्णभेदी । ‘unpleasant (अनूप्लेश्नॅण्ट् ) = अप्रिय । sound (साउण्ड्) ध्वनि ।

generic name ( जनेरिक् नेम्) = a name given to a class or group as a whole, सामान्य नाम, जातिगत नाम । reeded ( रीडिड्) = wind instruments which have reeds like the flute, the clarinet etc.; नरकुल से बने फूंक से बजने वाले वाद्ययन्त्र । noisemakers (नॉइज्मेकॅज़) = शोर करने वाले, तेज आवाज करने वाले । few (फ्यू) (here) none, किसी ने नहीं । thought (थॉट्) = considered, सोचा था । revived (रिवाइव्ड् ) = (here) would be popular again, पुनः लोकप्रिय हो जाएगी। barber (बाबॅर्) नाई, हज्जाम ।professional (प्रफेशनल्) = connected with a job, पेशेवर ।

musicians (म्यूज़िश्न्ज़) = persons who play musical instruments, संगीतकार । access ( ऐक्सेस) reach, पहुँच, पैठ । palace (पैलिस्) महल। decided (डिसाइडिड्) = निश्चय किया । improve (इम्प्रूव्) = गुण, लक्षण | chose = सुधारना । tonal (टोनल्) = regarding tone, स्वर सम्बन्धी । quality (क्वालिटि )_ (चोज़) = selected, चुना । pipe (पाइप् ) = नली, मुरली | natural ( नेचूल् = स्वाभाविक, प्राकृतिक । hollow ( हॉलो) = खोखला । stem (स्टेम्) = तना । longer and broader = ज्यादा लम्बा व ज्यादा चौड़ा । holes (होल्ज़) छिद्र । played (प्लेइड्) = made music, बजाया। closing (क्लोजिंग्) = बन्द करते हुए ।

opening (ओपनिंग ) खोलते हुए | soft (सॉफ्ट्) = not hard, मधुर । melodious (मलोड्यॅस्) = sweet, सुरीली । produced (ऍड्यूस्ड) = made something by a natural process, उत्पन्न हुई । royalty (रॉयल्ट) = family members of royal family, राजपरिवार | was impressed (वाज इम्प्रेस्ट् ) = प्रभावित हुआ । different (डिफॅरॅन्ट) as the story goes = as the story is popular, जैसी कि कहानी प्रचलित है। chambers (चेम्बर्स) = rooms, कक्ष, सदन ।

हिन्दी अनुवाद – बादशाह औरंगजेब ने शाही निवास ( राजमहल) में पुंगी नामक वाद्ययन्त्र के बजाने पर रोक लगा दी थी क्योंकि इसकी आवाज तीखी व अप्रिय थी । नरकुल ( सरकण्डे) से बने शोर मचाने वाले. (सभी वाद्ययन्त्रों) का जातिगत नाम पुंगी हो गया । किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यह (पुंगी) लोकप्रिय हो जायेगी ।’ पेशेवर संगीतकारों के एक परिवार के नाई ने, जिसकी पहुँच शाही राजमहल तक थी, पुंगी के स्वर सम्बन्धी गुण को सुधारने का निश्चय किया ।

उसने प्राकृतिक खोखले तने वाले एक नरकुल (सरकण्डे) को चुना जो पुंगी से ज्यादा लम्बी व चौड़ी थी और उसने नरकुल पर सात छेद बना दिये । जब उसने इसके कुछ छेदों को बन्द करते हुए व खोलते हुए इसे बजाया तो मधुर और सुरीली ध्वनियाँ उत्पन्न हुईं । उसने इस वाद्य-यन्त्र को शाही परिवार के सामने बजाया और प्रत्येक व्यक्ति इससे प्रभावित हुआ । पुंगी से इतने भिन्न इस वाद्य यन्त्र को नया नाम देना था। जैसी कि कहानी प्रचलित है, चूँकि इसे सबसे पहले ‘शाह (बादशाह)’ के कक्ष में बजाया गया और उसको एक ‘नाई’ ने बजाया था (इसलिए) इस वाद्य यन्त्र का नाम ‘शहनाई’ रखा गया ।

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2. The sound of the shehnai (Page 22)

Word Meanings: began to be considered=began to be granted, माना जाने लगा | auspicious (ऑस्पिशस् ) = promising to bring good fortune, शुभ, मांगलिक । reason ( रीज़न् ) = cause, कारण | still (स्टिल् ) = continue until now, अब तक । temples (टेम्पल्ज़्) मन्दिर । indispensable (इन्डिस्पेन्सबल्) = without which a piece of work cannot be done, बहुत आवश्यक, अपरिहार्य । component (कॅम्पोनण्ट) = one of the several parts, अंग, घटक |

wedding (वेडिंग् ) = विवाह, शादी | naubat = a group of nine musical instruments played in the royal court, शाही दरबार में बजाए जाने वाले नौ वाद्ययंत्रों का समूह। traditional (ट्रेडिशनल् ) = परम्परागत | ensemble (एन्सेम्ब्ल ) = things (here) group of musical instruments, वाद्ययन्त्र समूह । courts (कोस्) दरबार । recently (रीसॅन्ट्ल) = हाल ही में । credit (क्रेडिट् ) = the act of saying that somebody has done something well, श्रेय । for bringing = लाने का । onto the classical शास्त्रीय मंच पर ।

हिन्दी अनुवाद – शहनाई की ध्वनि को मांगलिक (शुभ) माना जाने लगा । और इसी कारण से इसे अब भी मन्दिरों में बजाया जाता है और यह किसी भी उत्तर भारतीय विवाह का बहुत ही आवश्यक अंग है। प्राचीनकाल में शहनाई ‘नौबत’ अर्थात् राजदरबार में पाये जाने वाले नौ वाद्ययन्त्रों के परम्परागत वाद्ययन्त्र समूह का एक अंग थी। अभी कुछ समय पूर्व तक इसका प्रयोग केवल मन्दिरों व विवाहों में ही किया जाता था । शास्त्रीय मंच पर इस वाद्य-यन्त्र को लाने का श्रेय उस्ताद बिस्मिल्ला खान को जाता है ।

3 – 4. As a five year old,……….. shehnai players. (Page 22)

Word-Meanings: pond (पॉण्ड्) = तालाब | ancient (एन्शन्ट् ) = प्राचीन | estate (एस्टेट् ) = जागीर । regularly (रेग्युलरर्लि) नियमित रूप से | nearby (निअ: बाइ) : निकटस्थ | earn (अर्न्) weighing (वेइंग्) = तोल का, वजनी । prize (प्राइज़) = पुरस्कार। local (लोकल्) स्थानीय | happened (हैपन्ड्) होता था । highest (हाइएस्ट्) सर्वोच्च । civilian award (सिविलियन् अवार्ड) नागरिक सम्मान । belongs to ( बिलॉग्ज़ टु) से सम्बन्ध रखते हैं । well-known (वेल – नोन् ) = प्रसिद्ध, प्रतिष्ठित । paternal (पॅटॅ:नॅल) = पैतृक । ancestors (ऐन्सेस्टर्ज़) = पूर्वज । paternal ancestors= ancestors of the father, पिता के पूर्वज ।

हिन्दी अनुवाद – पाँच वर्षीय बालक के रूप में बिस्मिल्ला खाने बिहार में डुमराँव की प्राचीन जागीर में एक तालाब के निकट गिल्ली-डण्डा खेला करते थे । नियमित रूप से निकटस्थ बिहारीजी के मन्दिर में भोजपुरी ‘चैता’ (भोजपुर क्षेत्र में ईश्वरीय प्रार्थना के रूप में गाया जाने वाला गीत) गाने के लिए जाते थे और इसकी समाप्ति पर उनको सवा किलो (1.25 किग्रा) वजन का एक बड़ा लड्डू प्राप्त होता था जो स्थानीय महाराजा के द्वारा दिया गया इनाम होता था ।

यह सब 80 वर्ष पहले होता था और इस छोटे लड़के ने भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारतरत्न’ को प्राप्त करने के लिए बहुत लम्बी यात्रा की है । 21 मार्च, 1916 को जन्मे बिस्मिल्ला खान बिहार में संगीतकारों के एक प्रसिद्ध परिवार से सम्बन्ध रखते हैं । उनके दादाजी, रसूल बख्श खान भोजपुर के राज दरबार के शहनाई – नवाज थे । उनके पिता पैगम्बर बख्श और उनके अन्य पूर्वज भी महान शहनाई वादक थे ।

5. The young boy. the range of the shehnai. (Page 23)

Word-Meanings: took to (टुक् टु) = started liking, पसन्द करने लगा, में लग गया।maternal uncle = मामा। fascinated (फेसिनेटिड् ) = attracted, मोहित हुए, मन्त्र-मुग्ध हुए । watching (वॉचिंग) देखकर | practise (प्रैक्टिस् ) = अभ्यास करते हुए । accompanying (ॲकॅम्पॅनिइंग) = साथ जाना! employed (इम्प्लॉइंड् ) = नियुक्त थे । captivated (कैप्टिवेटिड् ) = charmed, मोहित, मंत्र-मुग्ध | on end (ऑन् एण्ड्) for a very long time without stopping, लगातार, काफी देर तक ।

slowly ( स्लोलि ) धीरे-धीरे । throughout the day (थ्रूआउट द डे ) = दिनभर । banks (बैंक्स्) = तट, किनारे | apprentice (अप्रेन्टिस् ) learner, नौसिखिया, प्रशिक्षु । favourite haunts (फेवरिट हॉन्ट्स) = places that somebody visits often or where somebody spends a lot of time, पसंदीदा बसेरे । solitude (सॉलिट्यूड्) एकान्त, एकाकीपन । flowing (फ्लोइंग्) = बहता हुआ । inspired (इन्स्पायर्ड) = प्रेरित करता था। improvise (इम्प्रॅवाइज़) = to play music using his imagination, अपनी कल्पना का प्रयोग करते हुए संगीत रचना करना । invent (इन्वेन्ट् ) create, आविष्कार करना, गढ़ना । raagas (रागाज़ू) = pattern of notes in Indian music, राग । earlier (अॅलियर्) इससे पूर्व । considered (कॅन्सिडर्स्) = माना जाता था । beyond (बियॉण्ड् ) = परे, बाहर | range (रेन्ज्) = area, सीमा, श्रेणी |

हिन्दी अनुवाद – यह छोटा लड़का (बिस्मिल्ला खान ) जीवन के प्रारम्भ से ही संगीत में लग गया । तीन वर्ष की उम्र में जब उसकी माँ उसे उसके मामा के घर बनारस (अब वाराणसी) ले गई तो बिस्मिल्ला अपने मामाओं को शहनाई का अभ्यास करते हुए देखकर मोहित हो गये । शीघ्र ही बिस्मिल्ला ने अपने मामा, अली बख्श के साथ बनारस के विष्णु मन्दिर में जाना शुरू कर दिया जहाँ बख्श को शहनाई बजाने के लिए नियुक्त किया गया था। अली बख्श शहनाई बजाया करते और बिस्मिल्ला घण्टों तक लगातार मन्त्र-मुग्ध होकर बैठे रहते ।

धीरे-धीरे उन्होंने वाद्ययन्त्र को बजाने की शिक्षा लेना शुरू कर दिया और वह पूरे दिन बैठकर अभ्यास करते रहते । आने वाले वर्षों में बालाजी और मंगला मैया के मन्दिर तथा गंगा नदी का किनारा इस युवा प्रशिक्षु के सर्वाधिक प्रिय अड्डे ( बसेरे) बन गये जहाँ वह एकान्त में बैठकर अभ्यास कर सकते थे । गंगा का बहता हुआ जल उनको उन नये रागों की तत्काल रचना करने व आविष्कार करने की प्रेरणा देता जो पहले शहनाई की सीमा से बाहर के माने जाते थे ।

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6-7. At the age of 14, ………… “Tryst with Destiny’ speech. (Page 23)

Word Meaning: accompanied (अॅकॅम्पनीड्) = went in the company of, साथ गया । recital (रिसाइटॅल) = performance of the music, संगीत प्रस्तुति । patted (पैटिड् ) = थपथपाया । shall make it = will get success, सफलता मिलेगी। opening (ओपनिंग ) शुरूआत । big break ( बिग ब्रेक् ) = a piece of good luck, अनुकूल अवसर, सौभाग्य । often heard (ऑफॅन हर्ड) = heard occasionally, अक्सर सुना जाने वाला ।

player (प्लेयर्) = (here) singer of shehnai, शहनाई वादक अर्थात शहनाई बजाने वाला संगीतकार । gained (गेइन्ड्) = got, प्राप्त किया । independence (इन्डिपॅन्डॅन्स्) = स्वतन्त्रता | greet (ग्रीट् ) = to welcome, अभिवादन करना | nation ( नेशन्) राष्ट्र । poured out (पोई आउट) = gave out, उड़ेल दिया । heart (हार्ट्) = हृदय । audience (ऑडिअन्स्) = peaple who hear attentively, श्रोतागण । included (इन्क्लुडिड्) = शामिल था । famous (फेमस् ) = प्रसिद्ध । ‘Tryst with Destiny’ speech = meeting with fate speech, ‘भाग्य से भेंट’ नामक भाषण ।

हिन्दी अनुवाद – चौदह वर्ष की आयु में बिस्मिल्ला अपने मामा के साथ इलाहाबाद संगीत सम्मेलन में गये । उनकी संगीत प्रस्तुति की समाप्ति पर उस्ताद फैयाज खान ने इस छोटे बालक की पीठ थपथपाई और कहा, “परिश्रम करो और तुम्हें सफलता मिलेगी ।” वर्ष 1938 में लखनऊ में ऑल इण्डिया रेडियो के शुरू होने पर बिस्मिल्ला को एक बड़ा अनुकूल अवसर अर्थात् सौभाग्य लाने वाला अवसर मिला । वे शीघ्र ही रेडियो पर अक्सर सुने जाने वाले शहनाईवादक बन गये । जब 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई तो बिस्मिल्ला खान शहनाई से राष्ट्र का अभिवादन करने वाले प्रथम भारतीय बने । उन्होंने लाल किले से ‘राग काफी’ में अपना हृदय उन श्रोताओं के समक्ष उड़ेल दिया जिनमें पण्डित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे, जिन्होंने बाद में अपना ‘भाग्य से भेंट’ नामक प्रसिद्ध भाषण दिया ।

8. Bismillah Khan has he says with emphasis. (Pages 23-24)

Word Meanings: memorable ( मेमल् ) = स्मरणीय । performances (पॅ: फॉ: मन्सिज्) = act of performance before the audience, प्रदर्शन, प्रस्तुतियाँ | abroad (अॅब्रॉड) = in a foreign land, विदेश में । trip abroad (ट्रिप अॅब्रॉड ) = विदेश यात्रा | taken in by ( टेकन इन बाइ) = attracted or charmed by से मोहित, से आकर्षित maestro ( माइस्ट्रो) = expert in music, संगीताचार्य, महान संगीतकार gifted (गिफ्टिड् ) = gave presents, उपहार दिये । priceless (प्राइसलस्) अमूल्य । carpets (का: पिट्स्) = गलीचे । souvenirs (सूर्वेनिॲर्ज़) = things given in memory of a place, person or event, स्मृति चिह्न ।

impressed (इम्प्रेस्ट्) = attracted, प्रभावित | festival (फेस्टिवॅल्) = उत्सव । named (नेम्ड्) = नाम रखा । hit (हिट् ) = successful, सफल। composition (कॉम्पॅजिशॅन् ) = musical creation, रचना, कृति । turned out (टॅन्ड् आउट्) proved, सिद्ध हुआ। chartbuster (चास्टर् ) = record breaker, कीर्तिमान तोड़ने वाला । despite (डिस्पाइट् ) के बावजूद |

huge (ह्यूज् ) = विशाल । success (सक्सेज) = सफलता । celluloid world (सेल्युलॉयड वॅल्ड्) = old fashioned way of referring to films, फिल्मी दुनिया, चलचित्र लोक । ventures (वेन्वर्जू) = projects that are new and often involve risk, जोखिम का कार्य, उद्यम । limited (लिमिटिड् ) = सीमित । come to terms (कॅम टु टॅम्ज़) = accept something unpleasant, अप्रिय वस्तु से समझौता करना या उसे स्वीकार करना । artificiality (आटिफिलिटि ) कृत्रिमता, बनावटीपन । glamour ( ग्लैमर् ) attraction, मोहकता | with emphasis (विद एम्फॅसिस् ) = with force, जोर देकर।

हिन्दी अनुवाद- बिस्मिल्ला खान ने भारत व विदेश दोनों ही स्थानों पर अनेक स्मरणीय प्रस्तुतियाँ दीं । उनकी प्रथम विदेश यात्रा अफगानिस्तान की थी जहाँ राजा जहीर शाह इस महान संगीतकार से इतने आकर्षित हुए कि उन्होंने उनको अमूल्य फारसी गलीचे व अन्य स्मृति चिह्न उपहार में दिये । अफगानिस्तान के राजा ही बिस्मिल्ला के संगीत से मोहित होने वाले एकमात्र व्यक्ति नहीं थे ।

फिल्म निर्देशक विजय भट्ट बिस्मिल्ला के वादन को एक उत्सव में सुनने के बाद इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक फिल्म का नाम वाद्ययन्त्र के नाम पर ही ‘गूँज उठी शहनाई’ रख दिया । फिल्म हिट ( सफल ) रही तथा बिस्मिल्ला खान की रचनाओं में से एक रचना ‘दिल का खिलौना हाय टूट गया…’, पूरे राष्ट्र में कीर्तिमान अर्थात् रिकार्ड तोड़ने वाला सिद्ध हुआ ! फिल्मी जगत में इस अपार सफलता के बावजूद बिस्मिल्ला खान का उद्यम फिल्मी संगीत में केवल दो फिल्मों तक ही सीमित रहा विजय भट्ट की ‘गूँज उठी शहनाई’ और विक्रम श्रीनिवास की कन्नड़ फिल्म ‘सनधि अपन्ना’। “मैं फिल्मी जगत की कृत्रिमता तथा मोहकता से समझौता नहीं कर सकता”, वे जोर देकर कहते हैं ।

9. Awards and recognition……. Bismillah Khan. (Page 24)

Word Meaning: recognition ( रेकॅग्निशॅन् ) = respect, मान्यता, सम्मान | thick and fast (थिक् एण्ड फास्ट् ) = quickly and in large quantities, तेजी से व बड़ी संख्या में । was invited (वाज इन्वाइटिड्) – आमन्त्रित किया गया। perform (प: फॉम्) = to take part to sing before an audience प्रदर्शन करना । prestigious (प्रेस्टिजस् ) = famous, प्रतिष्ठित । took part (टुक पाट) = भाग लिया । exposition ( एक्सपॅज़िशॅन् ) = a large public exhibition, प्रदर्शनी । Trade Fair (ट्रेड् फेअर् ) = व्यापार मेला | well-known (वेल्-नोनू) famous, प्रसिद्ध । internationally (इन्टर्नेशनॅलि) = अन्तर्राष्ट्रीय रूप से । auditorium (ऑडिटोरियम्) hall for meeting, सभा भवन, प्रेक्षागृह ।

हिन्दी अनुवाद – पुरस्कार और सम्मान बहुत अधिक संख्या में और तेजी से प्राप्त हुए । बिस्मिल्ला खान संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित लिंकन सेन्टर हॉल में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले पहले भारतीय थे । उन्होंने मॉण्ट्रियल में ‘विश्व प्रदर्शनी’, ‘कान्स कला उत्सव’ व ‘ओसाका व्यापार मेले’ में भी भाग लिया । वे अन्तर्राष्ट्रीय रूप से इतने प्रसिद्ध हो गये कि तेहरान में एक सभा भवन का नाम ही उनके नाम पर ‘ताहर मौसिकी उस्ताद बिस्मिल्ला खान’ रख दिया गया ।

10-11. National awards ………… learn our music.” (Page 24)

Word-Meanings: National awards ( नेश्नल् अवाड्ज़) = prizes of the nation, राष्ट्रीय पुरस्कारों । were conferred (वर कन्फर्ड) = were given (awards ), ( पुरस्कार) प्रदान किये गये। civilian award (सविलिअन् अवाड्) = a prize given to a civilian, नागरिक को दिया जाने वाला सम्मान । coveted (कवटिड्) = much desired, लालसा के योग्य । resting (रेस्टिंग् ) = keeping, रखे हुए। his eyes glinting with = filling his eyes with tears of happiness, अपनी आँखों में (प्रसन्नता के) आँसू भरते हुए | rare (रेअर् ) = uncommon, असाधारण । happiness (हैपिनस्) = प्रसन्नता । richest ( रिचॅस्ट) = most prosperous, समृद्धतम। tradition ( ट्रडिशन् ) = custom, परम्परा ।

हिन्दी अनुवाद – पद्मश्री, पद्मभूषण व पद्मविभूषण जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें प्रदान किये गये थे । वर्ष 2001 में बिस्मिल्ला खान को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया। किसी के लिए भी लालसा के योग्य इस पुरस्कार को अपने वक्षस्थल पर रखे हुए और असाधारण प्रसन्नता से अपनी आँखों में आँसू भरते हुए उन्होंने कहा, “जो कुछ मैं कहना चाहता हूँ वह यह है :- अपने बच्चों को संगीत सिखाइये, यह हिन्दुस्तान की समृद्धतम परम्परा है; यहाँ तक कि पश्चिम भी अर्थात् पश्चिमी देश भी अब हमारा संगीत सीखने आ रहे हैं । ”

12. In spite of ………… (Readers’ Digest, Oct. 2005) (Pages 24-25)

word-Meanings in spite of (इन स्पाईट ऑव ) = despite, के बावजूद । fondly (फॉन्ड्ल) = with love, प्रेमपूर्वक । exceedingly (इक्सीडिंगलि ) = very much, अत्यधिक, अत्यन्त । fond of (फॉण्ड् ऑव्) having an affection for लगाव, स्नेह । remain (रिमेन्) = बने रहना, रहना । wonderful (वन्डफ्ल) fantastic, अद्भुत, आश्चर्यजनक | to head (टु हैड् ) = to lead नेतृत्व करना, प्रमुख बनना । promised (प्रॉमिस्ट् ) वायदा किया। recreate (रिक्रिएट्) = to create again, पुनः रचना, करना, पुनः उत्पन्न करना । atmosphere (ऐट्मॅस्फिॲर्) वातावरण | by replicating (बाइ रेप्लिकेटिंग) = by copying, हूबहू नकल करते हुए |

able (एबॅल) = समर्थ । transport (ट्रैन्स्पॉट् ) = to bring, ले जाना । as well ( एज़ वेल् ) = also, भी । whenever (वेनेवर्) = जब-जब, जब कभी । foreign (फॉरन् ) = विदेशी | country (कन्ट्रि ) = देश | remember (रिमेम्बर) = याद करना Ayearning (यॅनिंग्) = intense longing, लालसा, ललक । holy (होलि ) = pious, पवित्र। miss (मिस्) = feel the lack of अभाव महसूस करना । unique (यूनीक्) matchless, अनोखा, अद्वितीय । partition (पा:टिशॅन्) = विभाजन i happened (हैपन्ड् ) = हुआ, घटित हुआ। God forbid ! (spoken) = used to say that you hope that something will not happen, ईश्वर ऐसा न करे, अल्लाह खैर करे । leave ( लीव्) छोड़ना । crossed (क्रॉस्ट्) = पार किया | border (बॉर्डर् ) सीमा ।

हिन्दी अनुवाद – सारे संसार में यात्रा कर चुकने के बावजूद खान साहब, जैसा कि उन्हें प्यार से कहा जाता है – बनारस व डुमराँव से अत्यधिक लगाव रखते हैं और वे उनके लिए संसार के सर्वाधिक अद्भुत नगर हैं । उनका एक शिष्य एक बार उनसे चाहता था कि वे यू. एस. ए. में एक शहनाई स्कूल के प्रधान बनें और उस शिष्य ने यह वायदा भी किया कि वह वहाँ बनारस के मन्दिरों की हूबहू प्रतिकृतियाँ बनवांकर बनारस का वातावरण बना देगा । किन्तु खान साहब ने उससे पूछा कि क्या वह वहाँ गंगा नदी को भी लाने में समर्थ होगा ।

बाद में ऐसा याद किया जाता है कि उन्होंने कहा था, “यही कारण है कि जब कभी मैं विदेश में होता हूँ तो हिन्दुस्तान को देखने की लालसा मुझे बनी रहती है । जब मैं मुम्बई में होता हूँ तो मैं केवल बनारस और पवित्र गंगा के बारे में सोचता हूँ। और जब बनारस में होता हूँ तो मैं डुमराँव के अनोखे मट्ठे का अभाव महसूस करता हूँ ।”

शेखर गुप्ता — जब विभाजन हुआ तो क्या आपने और आपके परिवार ने पाकिस्तान जाने के बारे में नहीं सोचा ?

बिस्मिल्ला खान — अल्लाह खैर करे । मैं, और बनारस छोडूं ? कभी नहीं मैं एक बार पाकिस्तान गया था
बिस्मिल्ला खान — मैंने सीमा को पार किया केवल यह कहने के लिए कि मैं पाकिस्तान गया हूँ। मैं वहाँ लगभग एक घण्टे रहा । मैंने पाकिस्तानियों से ‘नमस्कार’ कहा और भारतीयों से ‘सलाम आलेकुम्’ कहा ! मैं खूब हँसा ।

( रीडर्स डाइजेस्ट, अक्टूबर 2005 )

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13. Ustad Bismillah …………… national mourning (Page 25)

Word-Meanings: perfect (पॅ: फिक्ट्) = ideal, आदर्श, श्रेष्ठ । example (इग्ज़ाम्पॅल्) = उदाहरण। rich (रिच्) = prosperous, समृद्ध | cultural (कल्चॅरॅलू) = of the culture, सांस्कृतिक । heritage (हेरिटिज्) things or culture that you get from your forefathers, विरासत, पैतृक सम्पत्ति | effortlessly (एफॅट्लस्लि) = without any effort, सहजता से, अनायास ही । accepts (अॅक्सेप्ट्स) = agrees, स्वीकार करता हैं ।

devout (डिवोउट् ) = believing strongly in a religion and obeying its laws and following its practices, भक्त, धर्मपरायण । naturally (नैचुरैलि) = in a normal way, स्वाभाविक ढंग से, सहजता से । passed away (पास्ट अवे ) = died, देहान्त हो गया । prolonged (प्रॅलॉगूड् ) = long, लम्बी, दीर्घ । illness ( इल्नस् ) = बीमारी । was given a state funeral (वाज गिविन स्टेट् फ्यूनरल् ) = was respected by the Govt. of India even in his ritual of burying the dead body, राजकीय सम्मान के साथ उन्हें दफन किया गया । declared (डिक्लेअर्स्) announced, घोषणा की । national mourning (नेशॅनॅल् मो:निंग्) = mourning by the whole nation, राष्ट्रीय शोक।

हिन्दी अनुवाद – उस्ताद बिस्मिल्ला खान का जीवन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का श्रेष्ठ उदाहरण है,. एक ऐसा उदाहरण जो सहजता से यह स्वीकार करता है कि उनके जैसा धर्मपरायण मुसलमान प्रत्येक सुबह काशी के विश्वनाथ मन्दिर में स्वाभाविक रूप से शहनाई बजा सकता है । (उस्ताद बिस्मिल्ला खान लम्बी बीमारी के बाद 90 वर्ष की आयु में 21 अगस्त, 2006 को परलोक सिधार गये । उनकी राजकीय सम्मान के साथ अन्त्येष्टि की गई और भारत सरकार ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया ।)

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

Students should go through these JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण will seemingly help to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

(1) रेखा : (i) रेखा अनन्त बिन्दुओं का वह समूह है जिसका कोई अन्त बिन्दु नहीं होता।
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(2) प्रतिच्छेदी रेखाएँ: जब दो रेखाएँ आपस में एक-दूसरे को काटती हैं, प्रतिच्छेदी रेखाएँ कहलाती हैं। जिस बिन्दु पर वे एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करती हैं, वह बिन्दु प्रतिच्छेदन बिन्दु कहलाता हैं।
AB व CD प्रतिच्छेदी रेखाएँ हैं तथा X प्रतिच्छेदन बिन्दु है।
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(3) समान्तर रेखाएँ : वे रेखाऐं जो एक ही समतल में होते हुए भी कभी प्रतिच्छेद नहीं करती हैं तथा जिनके मध्य की दूरी अनन्त तक अचर रहती है। समान्तर रेखाऐं कहलाती हैं।
LM व OP समान्तर रेखाएँ हैं।
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(4) संगामी रेखाएँ : तीन या तीन से अधिक ऐसी रेखाएँ जो एक ही बिन्दु से होकर गुजरें या उनका एक उभयनिष्ठ बिन्दु हो, संगामी रेखाएँ कहलाती हैं। AB, CD, EF, GH चार संगामी रेखाएँ हैं तथा उभयनिष्ठ बिन्दु O है।
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JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

(5) सरेख बिन्दु किसी सरल रेखा पर स्थित समस्त बिन्दु सरेख बिन्दु कहलाते हैं।
P Q R S सरेख बिन्दु हैं।
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(6) कोण : कोण वह आकृति है जो उभयनिष्ठ प्रारम्भ वाली दो किरणों से बनती है।
दो कोण आसन्न कोण कहलाते हैं, यदि
(i) उनका एक ही शीर्ष बिन्दु हो, तथा
(ii) एक कोण की दूसरी भुजा उभयनिष्ठ भुजा के एक ओर हो और दूसरे कोण की दूसरी भुजा उभयनिष्ठ भुजा के दूसरी ओर हो।
दो आसन्न कोणों को कोणों का रैखिक युग्म (A linear pair of angles) कहते हैं, यदि उभयनिष्ठ भुजा के अतिरिक्त भुजाएँ दो विपरीत किरणें हों।
यदि किसी किरण का मूल बिन्दु एक रेखा पर स्थित हो, तो इस प्रकार बने दो आसन्न कोणों का योग दो समकोण अथवा 180° होता है।
किरणें \(\overrightarrow{O X}\) तथा \(\overrightarrow{O Y}\), ∠XOY या ∠YOX की भुजाएँ कहलाती हैं। उभयनिष्ठ बिन्दु ‘O’ को कोण का शीर्ष कहते हैं।
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(7) कोणो का वर्गीकरण :
(a) सम्पूरक कोण ऐसे दो कोण जिनकी माप का योगफल 180° के बराबर हो, एक-दूसरे के सम्पूरक कोण कहलाते हैं।
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चित्र में ∠AOC और ∠BOC एक-दूसरे के सम्पूरक कोण हैं।

(b) पूरक कोण ऐसे कोण युग्म जिनका योग 90° होता है परस्पर पूरक कोण कहलाते हैं।
चित्र में ∠XOY और ∠YOZ एक-दूसरे के पूरक कोण हैं।
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण 8

(8) शीर्षाभिमुख कोण यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें, तो प्रतिच्छेद बिन्दु पर एक-दूसरे के विपरीत बने कोण, शीर्षाभिमुख कोण कहलाते हैं। शीर्षाभिमुख कोण आपस में बराबर होते हैं।
चित्र में रेखाएँ AB तथा XY एक-दूसरे को O बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती हैं और इस प्रकार बिन्दु ‘O’ पर बने शीर्षाभिमुख ∠XOB = ∠AOY तथा ∠XOA = ∠BOY.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण 9

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

(9) समान्तर रेखाएँ और तिर्यक रेखा एक सरल रेखा जो दो या दो से अधिक रेखाओं को भिन्न बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है, तिर्यक रेखा कहलाती है। चित्र में रेखा l समान्तर रेखाओं m और n को क्रमश: P और Q बिन्दु पर काटती है। रेखा l, रेखाओं m और n के लिए तिर्यक रेखा है। प्रत्येक बिन्दु P और Q पर चार-चार कोण क्रमश: ∠1, ∠2, ∠3, ∠4 तथा ∠5, ∠6, ∠7, ∠8 बन रहे हैं।
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अन्त: कोण : ∠3, ∠4, ∠5 तथा ∠6 अन्तः कोण कहलाते हैं।
बाह्य कोण ∠1, ∠2, ∠7 तथा ∠8 बाह्य कोण कहलाते हैं। कोणों के युग्मों की स्थिति निम्न प्रकार होती है।
(a) संगत कोण (Corresponding angles) :
(i) ∠1 और ∠5
(ii) ∠2 और ∠6
(iii) ∠4 और ∠8
(iv) ∠3 और ∠7
(b) एकान्तर अन्तः कोण (Alternate interior angles) :
(i) ∠4 और ∠6
(ii) ∠3 और ∠5
(c) एकान्तर बाह्य कोण (Alternate exterior angles) :
(i) ∠1 और ∠7
(ii) ∠2 और ∠8
(d) तिर्यक रेखा के एक ही और के अन्तः कोण :
(i) ∠4 और ∠5
(ii) ∠3 और ∠6
(e) शीर्षाभिमुख कोण (Vertically opposite angles) :
(∠1, ∠3), (∠2, ∠4), (∠5, ∠7), (∠6, ∠8)

सामान्यतः ऊपर दिए गए कोण युग्मों के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता है, लेकिन यदि दो या दो से अधिक समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटे, तो

  • संगत कोण समान होते हैं।
  • एकान्तर कोण समान होते हैं।
  • अन्तःकोण सम्पूरक होते हैं।
  • एकान्तर बाह्य कोण समान होते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

JAC Class 9 Hindi माटी वाली Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं, आपकी समझ में वे कौन-से कारण रहे
होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे ?
उत्तर :
भागीरथी और भीलांगना नामक दो नदियों के तटों पर बसे टिहरी शहर की मिट्टी पूरी तरह रेतीली है जिससे चूल्हों पर लिपाई का काम नहीं हो सकता। शहर के हर घर में सुबह-दोपहर-शाम चूल्हा जलता है और हर बार उसकी लिपाई-पुताई के लिए लाल मिट्टी की आवश्यकता होती है। कभी-कभी घरों के कमरों की दीवारों की गोबरी- लिपाई में भी लाल मिट्टी की आवश्यकता अनुभव होती थी। सारे शहर में ‘माटी वाली’ ही एक ऐसी औरत है जो हर घर जाकर लाल मिट्टी पहुँचाती है। शहर का हर वासी उसे और उसके कंटर लगभग रोज़ देखता है। वर्षों से लगातार प्रतिदिन माटी वाली और उसके ढक्कन-कटे कंटर को देखने के कारण सारे शहरवासी उन दोनों को भली-भाँति पहचानते हैं।

प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था ?
उत्तर :
माटी वाली का गाँव टिहरी नगर से इतना दूर था कि उसे वहाँ पहुँचने में कम-से-कम एक घंटा अवश्य लगता था। इतना ही समय उसे घर वापिस आने में लगता था। वह सारा दिन माटाखान से खोद – खोदकर लाल मिट्टी अपने कनस्तर में भरती और फिर उसे अपने सिर पर रखकर घर-घर बेचती। उसे अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय ही नहीं था। वैसे भी उसके पास न कोई ज़मीन थी और न झोंपड़ी। सारे टिहरी नगर में वह अकेली ही थी जो लाल मिट्टी पहुँचाती थी। अति व्यस्तता और अपने विशिष्ट स्वभाव के कारण उसके पास ज्यादा सोचने का समय ही नहीं था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 3.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती। जब कोई व्यक्ति वास्तव में ही भूखा हो, उसका पेट पूरी तरह लंबे समय से खाली हो तो वह उसे भरने के लिए स्वाद नहीं माँगता। वह किसी भी तरह भरना चाहता है। उसे रूखी-सूखी रोटी भी अच्छी लगती है। उसे तब किसी दाल-सब्जी की आवश्यकता नहीं होती। जब पेट भरा हो तो व्यक्ति को स्वाद सूझता है और वह स्वाद को अच्छा या बुरा बताता है।
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि जब भूख सता रही हो तो हर प्रकार का रूखा-सूखा भी मीठा लगता है

प्रश्न 4.
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’ – मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
मध्यवर्गीय या निम्नवर्गीय परिवारों में धन कमाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ता है। एक-एक पैसा जोड़कर घर के लिए उपयोगी और आवश्यक सामान खरीदा जाता है। उसे ठोक-बजा कर खरीदा जाता है कि वह लंबे समय तक टिकाऊ बना रहे। घर की मालकिन ने घर में पीतल और काँसे के बर्तनों को सहेजकर रखा हुआ था क्योंकि वह पुरखों की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति के महत्व को भली-भाँति समझती थी। पता नहीं उन्होंने कितनी कठिनाई से उन बर्तनों को खरीदा होगा। वह अपने पुरखों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव नहीं बेचना चाहती थी। विरासत में प्राप्त धन-संपत्ति का उपयोग मानव के द्वारा सोच-समझकर किया जाना चाहिए। उसके साथ पूर्वजों का स्नेह, यादें और मान भी जुड़ा होता है। वे उनके परिश्रम, पसंद और भविष्य के प्रति लगाव के प्रतीक होते हैं। उसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। नयेपन के मोह में अपनों की स्मृतियों को नहीं भुलाया जाना चाहिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 5.
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर :
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी निर्धनता, अभावग्रस्तता और असहायता को प्रकट करता है। उसका पति बहुत कमज़ोर और बुड्ढा था। अशक्त होने के कारण वह काम नहीं कर सकता था इसीलिए माटी वाली को जी-तोड़ शारीरिक मेहनत करनी पड़ती थी, फिर भी वह पेट भर रोटी नहीं कमा पाती थी।

प्रश्न 6.
आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी – इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
माटी वाली आर्थिक दृष्टि से असहाय है। वह अति निर्धन है और चाहकर भी अपने बुड्ढे पति के लिए ठीक से रोटी नहीं कमा पाती। बुड्ढा अति कमज़ोर था और इस कारण वह डेढ़ से अधिक रोटी नहीं खा सकता था। आज बुढ़िया के पास तीन रोटियाँ थीं। उसके पास मिट्टी बेचने से प्राप्त कुछ पैसे भी थे। वह आज गठरी में बाँधे गए अपने बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं खिलाएगी। उसने एक पाव प्याज खरीदे और सोच लिया कि वह उन्हें कूटकर जल्दी-जल्दी तल लेगी। वह पहले उसे रोटियाँ दिखाएगी ही नहीं। सब्ज़ी तैयार होते ही दो रोटियाँ उसे परोस देगी। माटी वाली के हृदय में अपने पति के प्रति गहरा लगाव था। वह उसकी पीड़ा से पीड़ित थी, पर चाहकर भी उसकी भूख और पीड़ा को दूर नहीं कर पाती थी। उसका इस दुनिया में सिवाय बुड्ढे के कोई भी नहीं था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
गरीब आदमी के पास रहने और सिर छिपाने के लिए अपना कोई सहारा नहीं होता। कुछ भी तो नहीं होता उसके पास, जिसे वह अपना कह सके। श्मशान ही एक ऐसी जगह है जहाँ मरने के बाद उसे जगह अवश्य मिलती है-चाहे अपने वहाँ छोड़ आएँ या पराए। ऐसा नहीं होता कि गरीब की लाश सदा के लिए वहीं पड़ी रहे जहाँ वह मरा हो। माटी वाली का बुड्ढा मरा और उसे श्मशान में जगह मिली, चाहे माटी वाली के पास पैसे नहीं थे। अब जब टिहरी में पानी भरने लगा तो सबसे पहले पानी में श्मशान डूबा। माटी वाली को लगा कि अब तो उसे वहाँ भी स्थान नहीं मिल पाएगा। इसीलिए उसने अपने हृदय की व्यथा को प्रकट करते हुए कहा कि ‘ग़रीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’

प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
विस्थापन है – अपना घर और स्थान छोड़ना। दो-चार दिन के लिए नहीं बल्कि हमेशा के लिए। यह बहुत दुखदायी स्थिति है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में नहीं गुज़रना चाहता। अपने घर से सभी को लगाव होता है, चाहे वह टूटा-फूटा और दूसरों की दृष्टि में बेकार ही क्यों न हो। वह उसे सिर छिपाने की जगह देता है। जब-जब कोई राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या प्राकृतिक विपदा आती है तब-तब विस्थापन की समस्या लोगों के सामने सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। बाढ़, तूफान, भूकंप आदि की स्थितियों में लोगों को अपने घर से विस्थापित होना पड़ता है, पर सदा के लिए नहीं बल्कि कुछ देर के लिए।

इन स्थितियों में आर्थिक नुकसान होता है पर व्यक्ति फिर सामान्य स्थिति हो जाने पर वापिस लौट आता है। अपना टूटा-फूटा और उजड़ा आशियाना फिर से तैयार कर लेता है, पर राजनीतिक कारणों से कभी-कभी स्थायी रूप से विस्थापन हो जाता है। जब हमारे देश का बँटवारा अंग्रेज़ सरकार ने कर दिया था तब लाखों परिवारों को अपना बसा-बसाया घर छोड़ रातों-रात दूसरी जगह जाना पड़ा था। तब आसमान ही सिर पर छत का काम करता है। सन 1972 में जब बांग्लादेश बना था तब भी लाखों लोग विस्थापित होकर भारत आ गए थे। राजनीतिक अशांति के कारण लोग अपना घर छोड़ अन्यत्र विस्थापित होने के लिए विवश होते हैं।

विस्थापन की स्थिति मनुष्य को मानसिक रूप से तोड़ देती है। व्यक्ति जहाँ कहीं भी बसने के लिए जाता है उसे वहाँ की परिस्थितियों में स्वयं को ढालना पड़ता है, नये सिरे से स्थापित होना पड़ता है। किसी पौधे को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाए तो वह भी कई दिनों तक मुर्झाया रहता है। उसकी पुरानी पत्तियाँ पीली होकर झड़ जाती हैं और फिर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ निकलनी शुरू होती हैं। बाहर से घर के भीतर आ जाने वाले किसी कीड़े-मकोड़े को भी जगह ढूँढ़ने में परेशानी होती है। मनुष्य तो अति संवेदनशील प्राणी है इसलिए विस्थापन की स्थिति में उसका विचलित हो जाना सहज – स्वाभाविक है। टिहरी नगर के डूब जाने से लोग विस्थापित हुए हैं। चाहे सरकार ने उनके पुनर्वास का प्रबंध किया है, उनकी हुई क्षति की पूर्ति की है पर वे लोग इस विस्थापन को कभी नहीं भूल पाएँगे।

JAC Class 9 Hindi माटी वाली Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘माटी वाली’ के आधार पर मुख्य पात्रा की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
‘माटी वाली’ कहानी की मुख्य पात्रा है-बुढ़िया। कहानीकार ने पूरी कहानी में उसका नाम नहीं लिया है। मुख्य पात्रा होकर भी वह नाम-रहित है। उसकी चरित्रगत प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. बाह्य व्यक्तित्व-बुढ़िया मैली-कुचैली छोटे कद की महिला थी जो अति साधारण व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। सारे नगरवासियों को उसकी अच्छी पहचान है क्योंकि वह टिहरी नगर के हर घर में जाती थी। उसका जन्म हरिजन परिवार में हुआ था।

2. परिश्रमी – माटी वाली बहुत परिश्रमी औरत थी। वृद्धावस्था में भी वह दिन-भर कठोर परिश्रम करती थी। माटाखान से मिट्टी खोदना और सिर पर कनस्तर रख शहर में जगह-जगह जाना उसका कार्य था।

3. अभावग्रस्त और असहाय- माटी वाली पूर्ण रूप से अभावग्रस्त थी। उसके पास धन के नाम पर कुछ नहीं था। वह जिस झोंपड़ी में रहती थी वह ठाकुर की ज़मीन पर बनी थी। उसके लिए भी उसे बेगार करनी पड़ती थी। अपनी असहायावस्था के कारण ही वह कहती है-
“गरीब, आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

4. डरपोक माटी वाली स्वभाव से डरपोक थी। जब वह ठकुराइन के घर मिट्टी देने के लिए गई तो उसे वहाँ दो रोटियाँ दी गईं और ठकुराइन उसके लिए चाय लेने गई। माटी वाली ने एक रोटी झट से छिपाकर अपने डिल्ले में बाँध ली और झूठ-मूठ ही मुँह हिलाने लगी जैसे वह रोटी को चबा-चबाकर खा रही हो। जब गृहस्वामिनी ने स्वयं ही उसे रोटी दी थी, तो उसे रोटी छिपाने और डरने की क्या बात थी।

5. पति के प्रति लगाव – बुढ़िया का बुड्ढा पति बहुत कमज़ोर था। वह अपनी झोंपड़ी में पड़ा रहता था पर बुढ़िया का मन उसके आस-पास मँडराता रहता था। वह स्वयं रोटी न खा उसके लिए रोटी लाने का प्रयत्न करती थी। उसके प्रति उसके हृदय में अगाध लगाव था। तभी तो वह उसके लिए एक पाव प्याज खरीदती है ताकि वह कोरी रोटी न खाए। उसकी बात ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा ?’ उसके कानों में गूँजता रहता है।
वास्तव में बुढ़िया गरीबी, असहायावस्था और पीड़ा की प्रतीक है जिसके जीवन में दुख ही दुख हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर बुड्ढे की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
1. बीमार और अशक्त – माटी वाली का पति बहुत अशक्त और बीमार था। वह चलने-फिरने के योग्य नहीं था। इसलिए ठाकुर की ज़मीन पर बनी झोंपड़ी में दिन-रात पड़ा रहता था।
2. सचेत – बुड्ढा चाहे कमज़ोर और विवश था, पर सचेत था। जब माटी वाली बुढ़िया वापिस झोंपड़ी में पहुँचती तो आहट होते ही वह चौंक जाया करता था और नारें उठाकर उसकी तरफ देखा करता था।
3. भूख से त्रस्त – बुड्ढा भूख से त्रस्त रहता था। जब बुढ़िया उसके लिए रोटी लेकर पहुँचती थी तो वह खिल उठता था। सब्ज़ी न मिलने पर भी वह संतुष्ट रहता था और कहता था-

‘भूख मीठी कि भोजन मीठा। ”

प्रश्न 3.
टिहरी शहर के पास गाँव में रहने वाली बुढ़िया को विस्थापित क्यों होना पड़ा ?
उत्तर :
भागीरथी और भीलांगना नदियों के तटों पर टिहरी शहर बसा हुआ था। बिजली उत्पादन के लिए जब वहाँ बाँध बनाया गया तो टिहरी शहर को मानव निर्मित झील में समा जाना था। जिन लोगों की जमीन थी, उन्हें तो उनकी संपत्ति के आधार पर सरकार ने पुनर्वास दे दिया, पर बुढ़िया के पास तो कुछ भी नहीं था इसलिए उसे विस्थापित होना पड़ा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 4.
ठकुराइन ने बुढ़िया को भाग्यवान क्यों कहा था ?
उत्तर :
जब ठकुराइन के घर ‘माटी वाली’ मिट्टी का कनस्तर लेकर पहुँची तब चाय का समय हो चुका था। भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान का ही रूप मानते हैं। इसलिए उसने कहा था, ” तू बहुत भाग्यवान है। चाय के टैम पर आई है हमारे घर। भाग्यवान आए खाते वक्त।”

प्रश्न 5.
शहर वालों को लाल मिट्टी की जरूरत क्यों होती थी ?
उत्तर :
दो नदियों के बीच बसे टिहरी शहर की ज़मीन रेतीली थी। वे लोग खाना पकाने के लिए चूल्हा जलाते थे और हर बार उन्हें चूल्हों की लाल मिट्टी से पुताई करनी पड़ती थी क्योंकि रेतीली मिट्टी से पुताई नहीं हो सकती। साथ ही वे कमरों और दीवारों की गोबरी- लिपाई करने के लिए भी लाल मिट्टी का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 6.
टिहरी शहर में आपाधापी कब मची थी ?
उत्तर :
जब टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया तो शहर में पानी भरने लगा। शहरवासी अपने घरों को छोड़कर वहाँ से भागने लगे। इस कारण सारे शहर में आपाधापी मच गई थी।

प्रश्न 7.
नगर वालों के लिए माटी वाली क्या महत्व रखती थी ?
उत्तर :
नगर वालों के लिए माटी वाली बहुत महत्व रखती थी। माटी वाली की मिट्टी से नगर वालों के चूल्हे जलते थे। लोगों को रसोई के चूल्हे-चौकों की लिपाई के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए घर में साफ़ लाल मिट्टी का होना जरूरी थी। साल दो साल में मकान की दीवारों को गोबरी- लिपाई करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए नगर वालों के लिए माटी वाली उनके जीवन में बहुत महत्व रखती थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 8.
माटी वाली ने मालकिन द्वारा दी गई दो रोटियों का क्या किया ?
उत्तर :
माटी वाली जिस घर में मिट्टी डालने गई थी, उस घर की मालकिन ने उसे रोटी खाने के लिए दी। मालकिन के घर के अंदर जाते ही उसने अपने सिर पर रखने वाला कपड़ा निकाला, उसमें से एक रोटी मोड़ कर अपने पति के लिए उस कपड़े में रख लिया। मालकिन के आने पर वह ऐसे मुँह चलाने लगी जैसे उसने एक रोटी समाप्त कर ली है। दूसरी रोटी उसने चाय के साथ खाई।

प्रश्न 9.
आजकल घरों में से कौन बरतन दिखाई नहीं देते हैं और उनकी जगह किस धातु के बरतन आ गए हैं ?
उत्तर :
आजकल घरों में पीतल, काँसे और ताँबे के बरतन दिखाई नहीं देते हैं। किसी-किसी के घर में सजावट के रूप में यह बरतन दिखाई देते हैं। आजकल अधिकतर घरों में स्टील, काँच और ऐल्युमीनियम ने बरतन दिखाई देते हैं।

प्रश्न 10.
घर की मालकिन ने यह क्यों कहा कि अपनी चीज का मोह बहुत बुरा होता है ?
उत्तर :
घर की मालकिन दूर की बात सोचने वाली महिला थी। उसके घर में पीतल के बरतन थे। वह सोचती थी कि उसके पूर्वजों ने यह बरतन पता नहीं किस प्रकार पेट काट-काट कर इकट्ठे किए होंगे। उसे इन बरतनों से बहुत लगाव था। वह उसके पुरखों की गाढ़ी कमाई के थे। अब टिहरी पर बाँध बन रहा था जिस कारण उसे मकान छोड़ना पड़ेगा। वह इस उम्र में दूसरी नई जगह जाने को तैयार नहीं है। इसलिए वह माटी वाली से कहती है कि अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है।

प्रश्न 11.
माटी वाली चाय किस ढंग से पी रही थी ?
उत्तर :
घर की मालकिन माटी वाली के लिए पीतल के गिलास में चाय लेकर आई थी। माटी वाली ने खुले कपड़े से पूरी गोलाई में गरम चाय का गिलास पकड़ लिया। गरम चाय पीने से पहले, वह गिलास के अंदर रखी चाय को ठंडा करने के लिए सू-सू करके, उस पर लंबी-लंबी फूकें मारने लगी। फिर धीरे-धीरे रोटी के साथ चाय सुड़कने लगी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 12.
मादी वाली की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर :
माटी वाली की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसका पति बीमार तथा कमज़ोर था। उससे कोई काम नहीं होता था। माटी वाली मिट्टी ढोकर घर का गुजारा चलाती थी। उसके पास अपना कोई खेत भी नहीं था। जिस जमीन पर उसकी झोंपड़ी थी वह गाँव के ठाकुर की थी। ठाकुर ज़मीन के एवज में उससे कई तरह के काम करवा लेता था। उसके पैसे भी नहीं देता था। इस प्रकार माटी वाली बड़ी तंगी से अपने घर का निर्वाह करती थी।

प्रश्न 13.
माटी वाली के बुड्ढे को अब रोटी की ज़रूरत क्यों नहीं थी ?
उत्तर :
माटी वाली रोटियों का हिसाब लगाते हुए घर पहुँची। उसने सोचा था कि आज वह बुड्ढे को सूखी रोटी नहीं देगी। उसने एक पाव प्याज खरीद लिए। उसने सोचा कि वह प्याज की सब्ज़ी बनाकर अपने पति को रोटी के साथ देगी। परंतु घर पहुँचकर प्रतिदिन की तरह बुड्ढे ने उसकी आहट सुनकर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। माटी वाली ने उसका बदन छूकर देखा तो उसका पति अपनी मिट्टी छोड़कर जा चुका था अर्थात् मर गया था। इसलिए, अब उसके बुड्ढे को रोटी की ज़रूरत नहीं थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 14.
टिहरी बाँध पुनर्वास वाले साहब किन लोगों को मुआवजा दे रहे थे ?
उत्तर :
टिहरी बाँध बनने से नीचे के शहरों में पानी भर गया था, इसलिए वहाँ के लोगों को दूसरी जगह विस्थापित किया गया। टिहरी बाँध वाले साहब उन लोगों का मुआवजा दे रहे थे जिनके पास जमीन, घर और दुकान संबंधी कागज थे। जिन लोगों के पास कुछ नहीं था उनके लिए सरकार कुछ नहीं कर रही थी। माटी वाली के पास भी किसी प्रकार की संपत्ति नहीं थी, इसलिए बाँध बनने के बाद वह अपना गुजारा कैसे करे, उसे इस बात की चिंता सताने लगी।

माटी वाली Summary in Hindi

पाठ का सार :

विस्थापन की समस्या पर आधारित ‘माटी वाली’ स्वतंत्र भारत के अनियोजित विकास और उससे प्रभावित आम आदमी की पीड़ा से संबंधित कहानी है। बड़ी-बड़ी योजनाएँ किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य होती हैं पर उनकी बलिवेदी पर न जाने कितने निरीह प्राणियों को स्वयं को मिटाना पड़ता है। उनकी पीड़ा को कोई नहीं समझता, कोई नहीं जानना चाहता।
‘माटी वाली’ सारे टिहरी शहर में जगह-जगह घूमकर लाल मिट्टी बेचती थी। नगर में कोई भी ऐसा घर नहीं था जहाँ वह लाल मिट्टी बेचने न जाती हो। सारे टिहरीवासी उसे बरसों से जानते-पहचानते थे क्योंकि हर घर में चूल्हों के लिए लाल मिट्टी वही पहुँचाती थी 4 हर बार खाने पकाने के बाद चूल्हे पर इस मिट्टी को पोता जाता था। उस सारे क्षेत्र में रेतीली मिट्टी पाई जाती थी, उससे चूल्हों पर लिपाई नहीं की जा सकती थी।

लोग इस मिट्टी को अपने घरों की गोबरी-लिपाई में भी प्रयुक्त करते थे। शहर के सेमल का तप्पड़ मोहल्ले की ओर बने आखिरी खोली में पहुँचकर मिट्टी वाली हरिजन बुढ़िया अपने सिर पर रखे मिट्टी से भरे कनस्तर को नीचे उतारा। कनस्तर पर कोई ढक्कन नहीं था। ढक्कन को वह काटकर उतार देती थी क्योंकि वह मिट्टी भरने और फिर खाली करने में रुकावट बनता था। घर की मालकिन ने मिट्टी वाली से मिट्टी का कनस्तर कच्चे आँगन के एक कोने में उड़ेलने के लिए कहा। उसने मिट्टी वाली को खाने के लिए दो रोटियाँ दीं।

उसने एक रोटी को अपने सिर पर रखे डिल्ले को खोलकर उसके कपड़े में लपेट लिया और दूसरी को घर की मालकिन के द्वारा दी गई पीतल के गिलास में चाय के साथ निगल लिया। चाय के साथ रोटी खाते हुए उसने कहा कि चाय तो बहुत अच्छा साग है तो मालकिन ने कहा कि भूख तो अपने आप में एक साग होती है। सामान्य बातचीत में घर की मालकिन ने उसे बताया कि चाहे बाकी लोगों ने अपने घर की पीतल और काँसे के बर्तन बेचकर स्टील और चीनी मिट्टी के बर्तन खरीद लिए थे, पर वह अपने पूर्वजों की मेहनत से खरीदे बर्तनों को नहीं बेचेगी।

उसे पुरानी चीज़ों के प्रति मोह था पर अब वह सोच-सोचकर परेशान थी कि अब जब टिहरी बाँध के कारण यह जगह उसे छोड़कर जाना पड़ेगा तो वह क्या करेगी। मिट्टी वाली वहाँ से दूसरे घर में गई जहाँ उसे अगले दिन मिट्टी लाने का आदेश मिला। वहाँ से उसे दो रोटियाँ भी मिलीं जिन्हें उसने अपने कपड़े के दूसरे छोर में बाँध लिया। लोग नहीं जानते थे कि उसने रोटियाँ अपने साथ ले जाने के लिए क्यों बाँधी थीं। घर में उसका बुड्ढा पति था। वह रोटी का इंतज़ार कर रहा होगा। आज तो उसे खाने के लिए तीन रोटियाँ मिल जाएँगी जिन्हें देख वह प्रसन्न हो जाएगा।

उसका गाँव टिहरी शहर से दूर था। तो चलने पर भी एक घंटा तो लग ही जाता है। वह हर रोज अपने घर से माटाखान में मिट्टी खोदने जाती। फिर वहाँ से उसे सिर पर ढोकर दूर-दूर बेचने जाती। उसके पास अपना कोई झोंपड़ी या जमीन का टुकड़ा नहीं था। वह तो ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर रहती थी जिसके बदले उसे कई काम बेगार करने पड़ते थे।

माटी वाली ने रास्ते में एक पाव प्याज खरीदे ताकि वह अपने बुड्ढे को रोटियों के साथ तले हुए प्याज दे सके। उसका बुड्ढा बहुत कमजोर हो चुका था। अब तो वह डेढ़ से अधिक रोटी खा ही नहीं सकता था। वह अपनी झोंपड़ी में पहुँची। रोज की तरह आज उसका बुड्ढा आहट सुनकर चौंका नहीं। माटी वाली ने घबराकर उसे छू कर देखा। वह तो सदा के लिए जा चुका था। अब उसे किसी रोटी की आवश्यकता नहीं थी।

टिहरी बाँध के पुनर्वास के साहब ने उसे बता दिया था कि जब वहाँ पानी भर जाएगा तो उसके पास रहने के लिए कोई स्थान नहीं होगा। उसे रहने-खाने के लिए स्वयं कहीं प्रबंध करना होगा। टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। शहर में पानी भरने लगा। सारे शहर में आपाधापी मच गई। लोग वहाँ से भागने लगे। सबसे पहले पानी में श्मशान डूब गए। माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर हर आने-जाने वाले से यही कहती रही- “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • धरा – रखा
  • तलक – तक
  • अलावा – अतिरिक्त
  • माटी – मिट्टी
  • टैम – समय
  • बेगार – बिना मज़दूरी काम करना
  • कंटर – कनस्तर
  • मुशिकल – कठिन
  • नाटे – छोटे, ठिगने
  • डिल्ले – सिर पर बोझे के नीचे रखने के लिए कपड़े की गद्दी
  • गाढ़ी कमाई – परिश्रम से कमाया हुआ धन
  • तमाम – सारी

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर :
मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह अपने अतीत से चिपका रहना चाहता है। सबको अपना अतीत सदैव सुखदायी लगता है। अपने अतीत की बातों को याद करके वह मन-ही-मन प्रसन्न होता रहता है। रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद भी अपने अतीत को याद करते हैं। किंतु उनका अपने अतीत की तुलना वर्तमान से करना उचित नहीं है। समय सदा एक-सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है। यह आवश्यक नहीं कि जो पहले था, वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होतीं। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती हैं। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है। अतीत और वर्तमान में सदा सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाता है। वह मानता है कि लड़कियों के लिए भी शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी लड़कों के लिए होती है। वह नारी – शिक्षा का पक्षधर हैं किंतु जब उसे गोपाल प्रसाद के लड़के के साथ अपनी बेटी का रिश्ता करना होता है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा छिपाता है। एक लड़की का पिता होने की विवशता उससे ऐसा करवाती है। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी का विवाह गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए, परंतु गोपाल प्रसाद चाहते हैं कि उनकी बहू अधिक पढ़ी-लिखी न हो, अतः रामस्वरूप को विवश होकर अपनी लड़की की उच्च शिक्षा को छिपाना पड़ता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे शंकर से तय करना चाहते हैं। गोपाल प्रसाद उनकी बेटी से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी उमा उनके सभी सवालों का उत्तर बड़े सहज भाव से दे। वह यह भी चाहता है कि गोपाल प्रसाद के द्वारा पूछे गए बेहूदा प्रश्नों के भी वह चुपचाप उत्तर देती जाए और उनके द्वारा किए गए अपने अपमान को चुपचाप सहन कर ले, क्योंकि वे लड़के वाले हैं। रामस्वरूप का अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना बिल्कुल गलत है। आजकल लड़का और लड़की दोनों में किसी प्रकार का कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों ही बराबर की शिक्षा के अधिकारी हैं और विवाह के समय केवल लड़की होने के कारण उसे चुपचाप अपमान सहना पड़े, यह उचित नहीं है। लड़का और लड़की बराबर सम्मान के अधिकारी हैं।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने लड़के शंकर का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप के घर आते हैं। वे विवाह की बातचीत आरंभ करते हुए विवाह को ‘बिजनेस’ कहते हैं। ‘बिजनेस’ का अर्थ होता है – व्यापार। व्यापार में निर्जीव वस्तुओं को खरीदा – बेचा जाता है। अतः उनके द्वारा विवाह जैसे पवित्र बंधन को ‘बिजनेस’ कहना सरासर अनुचित है। दूसरी ओर रामस्वरूप गोपाल प्रसाद के पुत्र के साथ रिश्ता जोड़ने के लिए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाते हैं।

गोपाल प्रसाद अपने बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं। अतः रामस्वरूप अपनी बेटी की शिक्षा मैट्रिक तक बताकर जैसे-तैसे इस रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करते हैं। रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी की पसंद और नापसंद का ध्यान न रखना और जबरन उसका विवाह करना भी उचित नहीं है। अतः गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की

प्रश्न 5.
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं.. ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर का रिश्ता तय करने से पहले उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उमा स्वयं को अपमानित अनुभव करती है। वह शंकर को भी पहचान लेती है। शंकर का चरित्र ठीक नहीं था। वह लड़कियों के छात्रावास के आस-पास घूमता रहता था और कई बार वहाँ से भगाया भी गया था। इसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह थी कि जिस लड़के लिए गोपाल प्रसाद हर प्रकार से परिपूर्ण लड़की चाहते थे, वह उनका अपना लड़का शंकर स्वयं रीढ़ की हड्डी से रहित था अर्थात पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित था। साथ ही वह तथा झुककर चलता था। शंकर अपने लिए अत्यंत सुंदर लड़की की तलाश में था, जबकि उसमें अपने में बहुत सारी कमियाँ थीं। उसकी रीढ़ की हड्डी न होना और ठीक प्रकार से खड़ा न हो पाना, उसकी सबसे बड़ी कमी थी। उमा ने यहाँ उसकी इसी कमी की ओर संकेत किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
आज समाज को उमा जैसी लड़की की आवश्यकता है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रूप में ऊँचा उठाने में योगदान नहीं दे सकते। वह पढ़ा-लिखा तो अवश्य है किंतु वह चारित्रिक एवं मानसिक रूप से इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी ओर उमा वर्तमान नारी की साक्षात् प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने का साहस है। वह अन्याय को चुपचाप सहन करके उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती है। वह स्पष्ट करती है कि रिश्ता तय करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम है, अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने समाज की रूढ़ियों पर प्रहार किया है। गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी किंतु अत्यंत सुंदर बहू चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि लड़की प्रत्येक कार्य में निपुण हो। उसे गाना- बजाना, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और अन्य सभी कार्य आते हों। वे उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उनमें लड़के का पिता होने की ऐंठ है। वे चाहते हैं कि लड़की सर्वगुण संपन्न हो किंतु एकांकी के अंत में पता चलता है कि उनका अपना लड़का शंकर तो किसी प्रकार भी पूर्ण नहीं है। वह चरित्रहीन तो है ही साथ ही शारीरिक दृष्टि से अपंग भी है तथा पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित है। वह ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो पाता क्योंकि उसकी रीढ़ की हड्डी ही नहीं है। इस प्रकार इस एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ अत्यंत सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर :
कथावस्तु के आधार पर एकांकी की मुख्य पात्र उमा है। कोई भी लेखक जिस पात्र के माध्यम से अपने उद्देश्य की पूर्ति करता है, वही कथावस्तु का मुख्य पात्र होता है। इस एकांकी में भी लेखक ने अपने उद्देश्य की पूर्ति उमा के माध्यम से की है। उमा ही स्पष्ट करती है कि वर्तमान समाज में लड़का और लड़की का भेदभाव करना उचित नहीं है। दोनों को समान अधिकार और बराबर सम्मान मिलना चाहिए अब वह समय नहीं रहा जब लड़की घर की चारदीवारी में बंद रहती थी। रिश्ता करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल करके उसे अपमानित करना भी उचित नहीं है। इस प्रकार लेखक ने उमा के माध्यम से हमारे समाज के कुछ लोगों की दकियानूसी विचारधारा पर चोट की है। अतः उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्रा है।

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प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
एकांकी में रामस्वरूप एक लड़की का पिता है और गोपाल प्रसाद एक लड़के का पिता है। रामस्वरूप में जहाँ एक ओर लड़की का पिता होने के कारण एक अनावश्यक विवशता है वहीं गोपाल प्रसाद में लड़के का पिता होने की ऐंठ है। रामस्वरूप अधेड़ उम्र का व्यक्ति है। वह किसी भी प्रकार अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे से कर देना चाहता है, इसी कारण वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को भी छिपाता है। वह जरा-जरा सी बात पर झुंझलाने वाला व्यक्ति है। उसके नौकर और उसके बीच हुई बातचीत में उसकी झुंझलाहट को देखा जा सकता है।

वह नारी शिक्षा का पक्षधर तो है किंतु नारी को पूर्ण अधिकार देने के पक्ष में नहीं है। इसी कारण वह उमा द्वारा गोपाल प्रसाद को खरी-खोटी सुनाने पर परेशान हो उठता है। दूसरी ओर गोपाल प्रसाद तो नारी का शत्रु ही दिखाई देता है। वह नारी की शिक्षा का प्रबल विरोधी है। वह आज भी नारी को घर की चारदीवारी में बंद करके रखना चाहता है। वह अत्यंत दकियानूसी और अपने अतीत से चिपका रहने वाला व्यक्ति है। उसके मत में इस संसार में समस्त सम्मान और अधिकारों का एकमात्र हकदार पुरुष है। गोपाल प्रसाद एक आत्मप्रशंसक व्यक्ति भी है। उसे अपनी प्रशंसा स्वयं करके आनंद की अनुभूति होती है।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर :
‘रीढ़ की हड्डी’ एक उद्देश्यपूर्ण एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने स्पष्ट किया है कि लड़के और लड़की में भेदभाव करना उचित नहीं है। लड़की भी उच्च शिक्षा के साथ-साथ सम्मान की अधिकारिणी है। विवाह के नाम पर उससे तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। आज लड़कियाँ भी लड़कों के ही समान उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, अतः उन्हें भी उचित सम्मान मिलना चाहिए। लेखक ने गोपाल प्रसाद जैसे रूढ़िवादी विचारधारा के लोगों पर प्रहार भी किया है। ऐसे लोग जो नारी को समस्त अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं और उसे अपमानित करते हैं, उन्हें स्वयं अपमानित होना पड़ता है। इस प्रकार लेखक ने इस एकांकी में लड़के और लड़की का भेदभाव समाप्त करते हुए शंकर जैसे लड़कों की अपेक्षा उमा जैसी लड़की की समाज की आवश्यकता बताई है।

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प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ?
उत्तर :
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन आज भी गाँव की महिलाओं की स्थिति दयनीय है। नारी की प्रगति का मुख्य आधार शिक्षा है। जब तक महिलाएँ शिक्षित नहीं होंगी वे न तो अपना विकास कर सकती हैं और न ही देश की उन्नति में अपना योगदान दे पाएँगी।

अतः सर्वप्रथम नारी को शिक्षित किया जाना चाहिए। नारी को पुरुष के समान अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए समाज को जागरूक किया जाना चाहिए। महिलाएँ किसी भी मायने में पुरुष से कम नहीं हैं। महिलाओं के कल्याण के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सभी योजनाओं को लागू करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए और प्रत्येक महिला को इसका लाभ मिलना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि यदि महिलाएँ विकसित और उन्नत नहीं हैं तो देश के उज्ज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती।

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रतन कौन है ? वह कैसा है ?
उत्तर :
रतन रामस्वरूप का नौकर है। वह बार-बार गलतियाँ करता रहता है और मालिक की डाँट फटकार सुनता रहता है। वह भुलक्कड़ प्रवृत्ति का है। वह कभी कुछ तो कभी कुछ भूलता ही रहता है। रामस्वरूप बाबू उसे उल्लू, कमबख्त और अन्य कई प्रकार की गालियाँ देकर फटकारते रहते हैं।

प्रश्न 2.
उमा अपने कमरे में मुँह फुलाकर क्यों लेटी हुई थी ?
उत्तर :
उमा आधुनिक लड़की है। वह पढ़-लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है। उसके माता-पिता उसका विवाह करना चाहते थे। वह अभी विवाह नहीं करना चाहती। इसी कारण वह मुँह फुलाकर लेटी हुई थी। इसके साथ-साथ उमा को खूब सज-सँवरकर लड़के वालों के समक्ष आना बिल्कुल उचित नहीं लगता था। वह छोटी आयु में विवाह करके अपने भविष्य को भी चौपट नहीं करना चाहती थी।

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प्रश्न 3.
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को गोपाल प्रसाद और शंकर के विषय में क्या बताता है?
उत्तर :
रामस्वरूप प्रेमा को बताता है कि उनकी लड़की उमा को देखने दो व्यक्ति आ रहे हैं। उनमें से एक लड़के का पिता बाबू गोपाल प्रसाद है जो दकियानूसी विचारों का है। वह स्वयं पढ़ा-लिखा है और पेशे से वकील है। बड़ी-बड़ी सभा सोसाइटियों में जाता है किंतु अपने लड़के के लिए ऐसी लड़की चाहता है जो अधिक पढ़ी-लिखी न हो। उनका लड़का शंकर बी०एससी० करने के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। वह भी लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्ष में नहीं है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को समझाता है कि वह उनके सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात को छिपाकर ही रखे।

प्रश्न 4.
“अच्छा तो साहब, ‘बिजनेस’ की बातचीत हो जाए।” यह कथन किसका है ? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता
चलता है ?
उत्तर :
यह कथन बाबू गोपाल प्रसाद का है। वह विवाह को बिजनेस कहता है। उसकी दृष्टि में विवाह एक व्यापार है। वह उमा से भी इस प्रकार व्यवहार करता है जैसे वह अपने लड़के के लिए बहू नहीं अपितु घर के लिए कोई जानवर खरीद रहा हो। गोपाल प्रसाद बिजनेस के समान ही विवाह में भी लेन-देन की बात अवश्य करता किंतु उमा द्वारा फटकारने पर उसे वहाँ से उठने के लिए विवश होना पड़ता है। वह निश्चित रूप से अपने लड़के के लिए दहेज की माँग भी करता।

प्रश्न 5.
उमा गाना गाने के बाद गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं देती हैं ?
उत्तर :
उमा जब गाना गाती है तो गाते-गाते उसका झुका हुआ मस्तक उठ जाता है और वह शंकर को देख लेती है। वह शंकर को पहचान लेती है। शंकर कुछ ही दिनों पहले लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द तांक-झाँक करता पकड़ा गया था और उसे वहाँ से भगाया गया था। उसे देखने के बाद उमा निश्चय कर लेती है कि वह उसके साथ किसी भी स्थिति में विवाह नहीं करेगी। इसी कारण बाबू गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए सवालों का वह उत्तर नहीं देती।

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प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी एकांकी में लेखक ने अत्यंत सरल एवं बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। भाषा प्रसंगानुकूल, भावानुकूल एवं पात्रों के अनुरूप है। लेखक ने अंग्रेजी के अनेक शब्दों को बड़े सहज भाव से प्रयोग किया है। एकांकी में आए अंग्रेजी के शब्द हैं- बैकबोन, हॉस्टल, मैट्रिक, वीक एंड पॉलिटिक्स, कॉलेज आदि। इसके साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों की भरमार है; जैसे-मर्ज, दकियानूसी, तकदीर, काबिल, जायका, निहायत, बेइज्जती, दगा, बेढब आदि। लेखक ने कहीं-कहीं मुहावरों का भी प्रयोग किया है। जैसे-भीगी बिल्ली बनना, चौपट कर देना आदि।

‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की शैली संवादात्मक है। लेखक ने छोटे-छोटे संवादों का प्रयोग करते हुए कथावस्तु को गति प्रदान की है। भाषा-शैली में नाटकीयता और चित्रात्मक का गुण सर्वत्र विद्यमान है।

प्रश्न 7.
रामस्वरूप बाबू के घर में साज-सज्जा क्यों हो रही थी ?
उत्तर :
रामस्वरूप बाबू के घर में सुबह से साज-सज्जा हो रही थी। इसका कारण यह था कि उनकी लड़की उमा को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे। रामस्वरूप बाबू लड़के वालों की खातिरदारी की तैयारियाँ कर रहे थे क्योंकि वह यहाँ पर अपनी लड़की का रिश्ता पक्का करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
उमा को देखने कौन-कौन आया ?
उत्तर :
उमा को देखने लड़के वाले आए। लड़के शंकर के साथ उसके पिता गोपाल प्रसाद आए।

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प्रश्न 9.
शंकर का व्यक्तित्व कैसा है ?
उत्तर :
शंकर खींसे निपोरने वाला नौजवान है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट से भरी हुई है। कमर झुकी हुई है इसलिए उसके मित्र उसे ‘बैक बोन’ बुलाते हैं। वह बी०एससी० के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसका चरित्र ठीक नहीं है, वह गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल की लड़कियों को छेड़ते हुए पकड़ा गया था।

प्रश्न 10.
गोपाल बाबू के पढ़ी-लिखी लड़की के लिए कैसे विचार थे ?
उत्तर :
गोपाल बाबू वकील थे। वे सभा-सोसाइटियों में जाते थे। उनका लड़का भी पढ़ा-लिखा था। परंतु उन्हें लड़के के लिए बहू कम पढ़ी-लिखी चाहिए थी। पढ़ी-लिखी लड़कियाँ उन्हें पसंद नहीं थी। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी लड़कियों के नखरे बहुत होते हैं। वे घर का काम नहीं कर सकतीं। वे अंग्रेजी अखबार पढ़ने लगती हैं और पॉलिटिक्स पर बहस करती हैं। इसलिए उन्हें केवल गृहस्थी सँभालने वाली कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए।

प्रश्न 11.
रामस्वरूप ने उमा की शादी के लिए क्या झूठ बोला ?
उत्तर :
रामस्वरूप को भी एक आम पिता की तरह अपनी लड़की के विवाह की चिंता थी। उनकी लड़की उमा पढ़ी-लिखी थी। परंतु जो रिश्ता उसके लिए आया था, वे लोग कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते थे। इसलिए रामस्वरूप ने अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ी-लिखी बताया। उसके चश्मे का कारण आँख का दुखना बताया था। यह झूठ एक लड़की के पिता की मजबूरी भी दिखाता है।

प्रश्न 12.
उमा गोपाल प्रसाद की बातों का क्या जवाब देती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद उमा से कई तरह के सवाल पूछते हैं जिसका जवाब रामस्वरूप देते हैं। जब गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उमा को जवाब देने दें। उस पर उमा के अंदर की मजबूरी बाहर आती है कि वह क्या जवाब दे। जब कोई मेज- कुर्सी बिकती है तो दुकानदार मेज – कुर्सी की मर्ज़ी नहीं पूछते, केवल उसे खरीददार को दिखा देते हैं। अब यह खरीददार की इच्छा पर होता है कि पसंद है या नहीं। वह भी एक मेज़ – कुर्सी की तरह है। उसके पिता ने उसे लड़के वालों के समक्ष प्रस्तुत किया है। उमा कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं। उन्हें भी चोट लगती है, वे लाचार भेड़-बकरियाँ नहीं हैं जिन्हें कसाई को अच्छी तरह दिखाया जाए। उमा के शब्दों में हर उस लड़की की मजबूरी है जिसे लड़के वालों के सामने सजावटी वस्तु बनाकर पेश किया जाता है।

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प्रश्न 13.
उमा ने शंकर के विषय में क्या सच्चाई बताई ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद को उमा के जवाब पसंद नहीं आए। उन्हें क्रोध आ जाता है। उन्हें लगता है कि उमा उनकी बेइज्जती कर रही है। उस समय उमा शंकर की असलियत बताती है कि शंकर पिछली फरवरी को लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाते हुए पकड़ा गया था। उसे वहाँ से कैसे भगाया गया था। एक बार वह नौकरानी के पैरों में गिरकर माफ़ी माँगते हुए भागा था। उमा कहती है कि उनके लड़के की तो बैक-बोन ही नहीं है। वह उनके लड़के की तरह नहीं है, उसे अपने माता-पिता की इज्ज़त का ध्यान है।

प्रश्न 14.
गोपाल बाबू अपने लड़के शंकर की कमियों को किस प्रकार ढकते हैं ?
उत्तर :
उमा ने सबके सामने शंकर की असलियत खोल दी। इस पर गोपाल प्रसाद बाबू को अपनी बेइज्जती लगती है। वह गुस्से में खड़े हो जाते हैं। वह रामस्वरूप बाबू से कहते हैं कि उन्होंने उनसे झूठ बोला है। उनकी लड़की ने हॉस्टल में रहकर बी०ए० किया है। उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए थी। ऐसे झूठे लोगों से वह संबंध नहीं जोड़ना चाहते और घर से बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार एक घमंडी लड़के का पिता लड़की में कमी ढूँढ़ता हुआ अपने लड़के की कमियों को छिपाता है।

प्रश्न 15.
एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
एकांकी में उमा वह लड़की है जिसे लड़के वाले देखने आते हैं। उमा वर्तमान नारी का प्रतीक है। वह बी०ए० पढ़ी हुई है। उसे प्रदर्शन की वस्तु बनना पसंद नहीं है। वह गृह कार्य में दक्ष है। वह संगीत विद्या में भी निपुण है। उसे अन्याय सहन नहीं होता है। जब गोपाल प्रसाद बाबू उसके विषय में तरह-तरह के सवाल पूछते हैं तो उसे अपना अपमान लगता है। इसके लिए वह अपनी बातों से अपना विरोध प्रकट करती है। उसे यह पसंद नहीं है कि लड़की को उसकी इच्छा के बिना सजावटी वस्तु की तरह लड़के वालों के सामने प्रस्तुत कर दिए गए। इस प्रकार उमा एक वर्तमान नारी का उदाहरण प्रस्तुत करती है जो अपने अधिकार के लिए लड़ना जानती है। गलत का विरोध करती है और लड़के वालों को उनकी असलियत का आईना दिखाती है।

रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi

पाठ का सार :

एकांकी ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी के लेखक श्री जगदीश चंद्र माथुर हैं। इसमें उन्होंने लड़के और लड़की में भेदभाव करने वाले लोगों पर प्रहार करते हुए दोनों को समान सामाजिक प्रतिष्ठा देने की बात कही है। एकांकी का संक्षिप्त सार इस प्रकार है –

एकांकी का आरंभ रामस्वरूप बाबू के घर में होने वाली साज-सज्जा से होता है। उनकी लड़की उमा को देखने के लिए बाबू गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर आने वाले हैं। बावू रामस्वरूप, उनकी पत्नी प्रेमा और उनका नौकर रतन कमरे को सजाते हैं। बीच-बीच में बाबू रामस्वरूप अपने नौकर पर झुंझलाते भी हैं, तभी प्रेमा उन्हें बताती है कि उनकी लड़की उमा को जब से लड़के वालों के आने की बात कही है, तभी से वह मुँह फुलाए पड़ी है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को कहते हैं कि वह उमा को जैसे-तैसे समझाकर तैयार कर दे। साथ ही वे अपनी पत्नी से कहते हैं कि लड़के वालों के सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात नहीं बतानी है। वे कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं, अतः वे उमा को मैट्रिक तक पढ़ा-लिखा ही बताएँगे।

उसी समय लड़के वालों का आगमन होता है। बाबू गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे और पेशे से वकील हैं। उनका बेटा शंकर बी० एससी० के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी है। झुकी हुई कमर उसकी खासियत है रामस्वरूप अतिथियों की आवभगत करते हैं। गोपाल प्रसाद अपने अतीत की बातें करते हैं और आत्म-प्रशंसा करते हुए अपने आप को महान साबित करने की कोशिश करते हैं।

कुछ ही देर बाद गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ कहकर विवाह की बात छेड़ते हैं। रामस्वरूप उनके लिए नाश्ता लाकर उनकी सेवा करते हैं। कुछ इधर-उधर की बातों के बाद गोपाल प्रसाद स्पष्ट कहते हैं कि उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए। उनका मत है कि लड़कियों को अधिक पढ़ाना बेकार है। पढ़ना और कमाकर लाना तो केवल पुरुषों का काम है। स्त्रियों का कार्य तो केवल घर-गृहस्थी संभालना है। गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करना केवल लड़कों का अधिकार है, लड़कियों का नहीं। उनका लड़का शंकर भी उनकी इस विचारधारा का समर्थन करता है।

थोड़ी दी देर बाद रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को आवाज़ लगाते हैं। पान की तश्तरी हाथों में लिए उमा अत्यंत सादे कपड़ों में आती है। उसकी आँखों पर लगे चश्मे को देखते ही गोपाल प्रसाद और शंकर चौंक पड़ते हैं। रामस्वरूप बताता है कि कुछ दिन पहले ही आँखों में आई कुछ खराबी के कारण ही वह चश्मा लगा रही है। गोपाल प्रसाद उससे गाने-बजाने के बारे में पूछते हैं। रामस्वरूप भी उमा को गाने के लिए कहते हैं। उमा सितार उठाकर मीरा का मशहूर गीत ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ गाने लगती है।

वह गीत में इतना तल्लीन हो जाती है कि उसकी झुकी गर्दन ऊपर उठती है तो वह शंकर को देखती है। शंकर को देखते ही वह गाना बंद कर देती है। तब गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग, सिलाई और अन्य चीज़ों से संबंधित सवाल पूछते हैं किंतु उमा कोई उत्तर नहीं देती। गोपाल प्रसाद उसे बोलने के लिए कहते हैं। रामस्वरूप भी अपनी बेटी को जवाब देने के लिए कहता है। तरह-तरह के सवालों से अपमानित उमा कहती है कि लड़कियाँ केवल निर्जीव वस्तुएँ अथवा बेबस जानवर नहीं होतीं। उनका भी मान-सम्मान होता है। इस प्रकार तरह-तरह के सवाल पूछकर उन्हें अपमानित करना उचित नहीं है।

गोपाल प्रसाद जाने के लिए उठते हैं। तब उमा उन्हें बताती है कि जिस लड़के के लिए वे सर्वगुणसंपन्न लड़की चाहते हैं उनका वह लड़का लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द ताक-झाँक करता हुआ कई बार पकड़ा गया है। गोपाल प्रसाद को पता चल जाता है कि उमा पढ़ी-लिखी लड़की है। वे रामस्वरूप को कहते हैं कि उन्होंने उनके साथ धोखा किया है। यह कहकर वे दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं। तब उमा कहती है कि जाइए और घर जाकर यह ज़रूर पता लगा लेना कि आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं।

बाबू गोपाल प्रसाद के चेहरे पर बेबसी का गुस्सा और शंकर के चेहरे पर रुआँसापन आ जाता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। रामस्वरूप वहीं कुर्सी पर धम से बैठ जाते हैं। उमा रोने लगती है। घबराई हुई प्रेमा वहाँ पहुँचती है। तभी उनका नौकर रतन भी वहाँ आ जाता है। वह मेहमानों के लिए मक्खन लेने गया हुआ था। सभी रतन की ओर देखते हैं। यहीं एकांकी समाप्त हो जाती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • सहसा – अचानक
  • मर्प्र – बीमारी
  • टीम-टाम – साज-सज्जा, शृंगार
  • तालीम – शिक्षा
  • खासियत – विशेषता
  • वीक-एंड – सप्ताह का अंतिम दिन
  • तकदीर – भाग्य
  • बैकबोन – रीढ़ की हड्डी
  • आमदनी – आय
  • तश्तरी – प्लेट
  • जायचा – जन्म-पत्री
  • पालिटिक्स – राजनीति
  • अधीर – बेचैन
  • बेबस – माबूर
  • होस्टल – छात्रावास
  • दगा – धोखा
  • भीगी बिल्ली की तरह – डरा-डरा सा जतन – यत्न, प्रयास
  • दकियानूसी – रूढ़िवादी
  • सब चौपट कर देना – काम बिगाड़ देना तकलीफ – परेशानी
  • मार्जिन – अंतर
  • काबिल – योग्य
  • जायका – स्वाद
  • बेढब – अजीव, विचित्र
  • निहायत – बहुत ही
  • खुद-ब-खुद – अपने आप
  • ज़ाहिर – पता चलना
  • खरीददार – चीज खरीदने वाला
  • बेइज्जती – अपमान
  • इर्द-गिर्द – आस-पास

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Exercise 1.1

प्रश्न 1.
क्या शून्य एक परिमेय संख्या है ? क्या इसे आप \(\frac{p}{q}\) के रूप में लिख सकते हैं, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 है ?
हल:
हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है, जिसे \(\frac{p}{q}\) के रूप में लिख सकते हैं, जैसे
⇒ \(\frac{0}{1}, \frac{0}{-1}, \frac{0}{2}, \frac{0}{-2}\) आदि।
जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0
अतः 0 एक परिमेय संख्या है।

प्रश्न 2.
3 और 4 के मध्य में छः परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रथम विधि : हम जानते हैं कि दो परिमेय संख्याओं के मध्य परिमेय संख्या
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1 1
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1 2
अथवा
द्वितीय विधि : ∵ 3 और 4 के मध्य 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करनी हैं।
इसलिए अंश व हर में (6 + 1) 7 से गुणा करने पर 3 और 4 को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है :
3 = \(\frac{3 \times 7}{1 \times 7}=\frac{21}{7}\)
4 = \(\frac{4 \times 7}{1 \times 7}=\frac{28}{7}\)
हम जानते हैं कि
21 < 22 < 23 < 24 < 25 < 26 < 27 < 28
अत: 3 = \(\frac{21}{7}\) और 4 = \(\frac{28}{7}\) के मध्य परिमेय संख्याएँ
\(\frac{22}{7}, \frac{23}{7}, \frac{24}{7}, \frac{25}{7}, \frac{26}{7}\) और \(\frac{27}{2}\) हैं।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1

प्रश्न 3.
\(\frac{3}{5}\) और \(\frac{4}{5}\) के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
∵ \(\frac{3}{5}\) व \(\frac{4}{5}\) के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात करनी हैं।
\(\frac{3}{5}\) और \(\frac{4}{5}\)
लाक
और के अंश व हर में (5 + 1) = 6 से गुणा करने पर \(\frac{3}{5}\) व \(\frac{4}{5}\) को निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
\(\frac{3}{5}=\frac{3 \times 6}{5 \times 6}=\frac{18}{30}\), \(\frac{4}{5}=\frac{4 \times 6}{5 \times 6}=\frac{24}{30}\)
हम जानते हैं कि
18 < 19 < 20 < 21 < 22 < 23 < 24
अतः \(\frac{3}{5}=\frac{18}{30}\) और \(\frac{4}{5}=\frac{24}{30}\) के मध्य पाँच परिमेय संख्याएँ
\(\frac{19}{30}, \frac{2}{3}, \frac{7}{10}, \frac{11}{15}, \frac{23}{30}\) हैं।

प्रश्न 4.
नीचे दिये गये कथन सत्य हैं या असत्य? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए:
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है ?
हल:
सत्य, प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।

(ii) प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या होती है।
हल:
असत्य, क्योंकि पूर्णांक संख्याओं में ऋण संख्याओं को भी सम्मिलित किया जाता है जबकि पूर्ण संख्याएँ धनात्मक होती हैं। अतः प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या नहीं है।

(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
हल:
असत्य, परिमेय संख्या धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों ही हो सकती हैं, जबकि पूर्ण संख्या में केवल धनात्मक संख्या ही आती हैं।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

प्रस्तावना : शब्द ज्यामिति (geometry) यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘जियो’ (geo) और ‘मेट्रन’ (metrein) से मिलकर बना है। जियो का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और मेटून का अर्थ है ‘मापना’ अर्थात् ज्यामिति का उदय भूमि मापने की आवश्यकता के कारण हुआ होना प्रतीत होता है।

→ यद्यपि यूक्लिड ने ज्यामिति के बिन्दु, रेखा और तल को अपने शब्दों में परिभाषित किया था, परन्तु गणितज्ञों ने इन परिभाषाओं को आज तक पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। इसलिए ज्यामिति में इन्हें अपरिभाषित पदों के रूप में ही लिया जाता है।

बिन्दु-रेखा-पृष्ठ पर यूक्लिड की परिभाषाएँ :

  • बिन्दु (Point) वह है जिसका कोई भाग नहीं होता।
  • रेखा (Line) चौड़ाई रहित लम्बाई होती है।
  • किसी रेखा के अन्तिम सिरे बिन्दु होते हैं ।
  • सीधी रेखा (Straight line) ऐसी रेखा है जो स्वयं पर बिन्दुओं के साथ सपाट रूप से स्थित होती है।
  • पृष्ठ (Surface) वह है जिसकी केवल लम्बाई और चौड़ाई होती है।
  • प्रत्येक पृष्ठ के किनारे (edges) रेखाएँ होती हैं।
  • समतल पृष्ठ (Plane Surface) स्वयं पर सीधी रेखाओं के साथ सपाट रूप से स्थित होता है।

→ अभिगृहीत और अभिधारणाएँ ऐसी कल्पनाएँ हैं जो स्पष्टतः सार्वभौमिक सत्य होती हैं। इन्हें सिद्ध नहीं किया जाता है।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

→ यूक्लिड के कुछ अभिगृहीत :

  • वे वस्तुएँ, जो किसी अन्य वस्तु के बराबर हों, आपस में भी बराबर होती हैं।
  • यदि भिन्न-भिन्न प्रकृति की समान वस्तुओं को अलग-अलग जोड़ा जाये, तो उनके योग भी बराबर होते हैं।
  • यदि बराबर वस्तुओं में से एक दूसरे को घटाया जाये, तो शेषफल भी बराबर होते हैं।
  • वे वस्तुएँ जो संपाती होती हैं, एक-दूसरे के बराबर होती हैं।
  • पूर्ण अपने किसी भी भाग से बड़ा होता है।
  • बराबर वस्तुओं के दुगुने भी परस्पर बराबर होते हैं।
  • किसी वस्तु के आधे भाग परस्पर बराबर होते हैं।

→ यूक्लिड की अभिधारणाएँ :
अभिधारणा 1. एक बिन्दु से एक अन्य बिन्दु तक एक रेखा खींची जा सकती है।
अभिधारणा 2. एक सांत रेखा को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है।
अभिधारणा 3. किसी बिन्दु को केन्द्र मानकर समान त्रिज्या से केवल एक वृत्त खींचा जा सकता है।
अभिधारणा 4. सभी समकोण एक-दूसरे के बराबर होते हैं।
अभिधारणा 5. यदि एक सीधी रेखा दो सीधी रेखाओं पर गिरकर अपने एक ही ओर दो अंत: कोण इस प्रकार बनाए कि इन दोनों कोणों का योग मिलकर दो समकोणों से कम हो, तो वे दोनों सीधी रेखाएँ अनिश्चित रूप से बढ़ाये जाने पर उसी ओर मिलती हैं जिस ओर यह योग दो समकोणों से कम होता है।