JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर :
मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह अपने अतीत से चिपका रहना चाहता है। सबको अपना अतीत सदैव सुखदायी लगता है। अपने अतीत की बातों को याद करके वह मन-ही-मन प्रसन्न होता रहता है। रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद भी अपने अतीत को याद करते हैं। किंतु उनका अपने अतीत की तुलना वर्तमान से करना उचित नहीं है। समय सदा एक-सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है। यह आवश्यक नहीं कि जो पहले था, वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होतीं। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती हैं। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है। अतीत और वर्तमान में सदा सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाता है। वह मानता है कि लड़कियों के लिए भी शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी लड़कों के लिए होती है। वह नारी – शिक्षा का पक्षधर हैं किंतु जब उसे गोपाल प्रसाद के लड़के के साथ अपनी बेटी का रिश्ता करना होता है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा छिपाता है। एक लड़की का पिता होने की विवशता उससे ऐसा करवाती है। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी का विवाह गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए, परंतु गोपाल प्रसाद चाहते हैं कि उनकी बहू अधिक पढ़ी-लिखी न हो, अतः रामस्वरूप को विवश होकर अपनी लड़की की उच्च शिक्षा को छिपाना पड़ता है।

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प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे शंकर से तय करना चाहते हैं। गोपाल प्रसाद उनकी बेटी से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी उमा उनके सभी सवालों का उत्तर बड़े सहज भाव से दे। वह यह भी चाहता है कि गोपाल प्रसाद के द्वारा पूछे गए बेहूदा प्रश्नों के भी वह चुपचाप उत्तर देती जाए और उनके द्वारा किए गए अपने अपमान को चुपचाप सहन कर ले, क्योंकि वे लड़के वाले हैं। रामस्वरूप का अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना बिल्कुल गलत है। आजकल लड़का और लड़की दोनों में किसी प्रकार का कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों ही बराबर की शिक्षा के अधिकारी हैं और विवाह के समय केवल लड़की होने के कारण उसे चुपचाप अपमान सहना पड़े, यह उचित नहीं है। लड़का और लड़की बराबर सम्मान के अधिकारी हैं।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने लड़के शंकर का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप के घर आते हैं। वे विवाह की बातचीत आरंभ करते हुए विवाह को ‘बिजनेस’ कहते हैं। ‘बिजनेस’ का अर्थ होता है – व्यापार। व्यापार में निर्जीव वस्तुओं को खरीदा – बेचा जाता है। अतः उनके द्वारा विवाह जैसे पवित्र बंधन को ‘बिजनेस’ कहना सरासर अनुचित है। दूसरी ओर रामस्वरूप गोपाल प्रसाद के पुत्र के साथ रिश्ता जोड़ने के लिए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाते हैं।

गोपाल प्रसाद अपने बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं। अतः रामस्वरूप अपनी बेटी की शिक्षा मैट्रिक तक बताकर जैसे-तैसे इस रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करते हैं। रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी की पसंद और नापसंद का ध्यान न रखना और जबरन उसका विवाह करना भी उचित नहीं है। अतः गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की

प्रश्न 5.
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं.. ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर का रिश्ता तय करने से पहले उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उमा स्वयं को अपमानित अनुभव करती है। वह शंकर को भी पहचान लेती है। शंकर का चरित्र ठीक नहीं था। वह लड़कियों के छात्रावास के आस-पास घूमता रहता था और कई बार वहाँ से भगाया भी गया था। इसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह थी कि जिस लड़के लिए गोपाल प्रसाद हर प्रकार से परिपूर्ण लड़की चाहते थे, वह उनका अपना लड़का शंकर स्वयं रीढ़ की हड्डी से रहित था अर्थात पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित था। साथ ही वह तथा झुककर चलता था। शंकर अपने लिए अत्यंत सुंदर लड़की की तलाश में था, जबकि उसमें अपने में बहुत सारी कमियाँ थीं। उसकी रीढ़ की हड्डी न होना और ठीक प्रकार से खड़ा न हो पाना, उसकी सबसे बड़ी कमी थी। उमा ने यहाँ उसकी इसी कमी की ओर संकेत किया है।

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प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
आज समाज को उमा जैसी लड़की की आवश्यकता है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रूप में ऊँचा उठाने में योगदान नहीं दे सकते। वह पढ़ा-लिखा तो अवश्य है किंतु वह चारित्रिक एवं मानसिक रूप से इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी ओर उमा वर्तमान नारी की साक्षात् प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने का साहस है। वह अन्याय को चुपचाप सहन करके उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती है। वह स्पष्ट करती है कि रिश्ता तय करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम है, अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने समाज की रूढ़ियों पर प्रहार किया है। गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी किंतु अत्यंत सुंदर बहू चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि लड़की प्रत्येक कार्य में निपुण हो। उसे गाना- बजाना, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और अन्य सभी कार्य आते हों। वे उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उनमें लड़के का पिता होने की ऐंठ है। वे चाहते हैं कि लड़की सर्वगुण संपन्न हो किंतु एकांकी के अंत में पता चलता है कि उनका अपना लड़का शंकर तो किसी प्रकार भी पूर्ण नहीं है। वह चरित्रहीन तो है ही साथ ही शारीरिक दृष्टि से अपंग भी है तथा पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित है। वह ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो पाता क्योंकि उसकी रीढ़ की हड्डी ही नहीं है। इस प्रकार इस एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ अत्यंत सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर :
कथावस्तु के आधार पर एकांकी की मुख्य पात्र उमा है। कोई भी लेखक जिस पात्र के माध्यम से अपने उद्देश्य की पूर्ति करता है, वही कथावस्तु का मुख्य पात्र होता है। इस एकांकी में भी लेखक ने अपने उद्देश्य की पूर्ति उमा के माध्यम से की है। उमा ही स्पष्ट करती है कि वर्तमान समाज में लड़का और लड़की का भेदभाव करना उचित नहीं है। दोनों को समान अधिकार और बराबर सम्मान मिलना चाहिए अब वह समय नहीं रहा जब लड़की घर की चारदीवारी में बंद रहती थी। रिश्ता करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल करके उसे अपमानित करना भी उचित नहीं है। इस प्रकार लेखक ने उमा के माध्यम से हमारे समाज के कुछ लोगों की दकियानूसी विचारधारा पर चोट की है। अतः उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्रा है।

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प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
एकांकी में रामस्वरूप एक लड़की का पिता है और गोपाल प्रसाद एक लड़के का पिता है। रामस्वरूप में जहाँ एक ओर लड़की का पिता होने के कारण एक अनावश्यक विवशता है वहीं गोपाल प्रसाद में लड़के का पिता होने की ऐंठ है। रामस्वरूप अधेड़ उम्र का व्यक्ति है। वह किसी भी प्रकार अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे से कर देना चाहता है, इसी कारण वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को भी छिपाता है। वह जरा-जरा सी बात पर झुंझलाने वाला व्यक्ति है। उसके नौकर और उसके बीच हुई बातचीत में उसकी झुंझलाहट को देखा जा सकता है।

वह नारी शिक्षा का पक्षधर तो है किंतु नारी को पूर्ण अधिकार देने के पक्ष में नहीं है। इसी कारण वह उमा द्वारा गोपाल प्रसाद को खरी-खोटी सुनाने पर परेशान हो उठता है। दूसरी ओर गोपाल प्रसाद तो नारी का शत्रु ही दिखाई देता है। वह नारी की शिक्षा का प्रबल विरोधी है। वह आज भी नारी को घर की चारदीवारी में बंद करके रखना चाहता है। वह अत्यंत दकियानूसी और अपने अतीत से चिपका रहने वाला व्यक्ति है। उसके मत में इस संसार में समस्त सम्मान और अधिकारों का एकमात्र हकदार पुरुष है। गोपाल प्रसाद एक आत्मप्रशंसक व्यक्ति भी है। उसे अपनी प्रशंसा स्वयं करके आनंद की अनुभूति होती है।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर :
‘रीढ़ की हड्डी’ एक उद्देश्यपूर्ण एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने स्पष्ट किया है कि लड़के और लड़की में भेदभाव करना उचित नहीं है। लड़की भी उच्च शिक्षा के साथ-साथ सम्मान की अधिकारिणी है। विवाह के नाम पर उससे तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। आज लड़कियाँ भी लड़कों के ही समान उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, अतः उन्हें भी उचित सम्मान मिलना चाहिए। लेखक ने गोपाल प्रसाद जैसे रूढ़िवादी विचारधारा के लोगों पर प्रहार भी किया है। ऐसे लोग जो नारी को समस्त अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं और उसे अपमानित करते हैं, उन्हें स्वयं अपमानित होना पड़ता है। इस प्रकार लेखक ने इस एकांकी में लड़के और लड़की का भेदभाव समाप्त करते हुए शंकर जैसे लड़कों की अपेक्षा उमा जैसी लड़की की समाज की आवश्यकता बताई है।

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प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ?
उत्तर :
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन आज भी गाँव की महिलाओं की स्थिति दयनीय है। नारी की प्रगति का मुख्य आधार शिक्षा है। जब तक महिलाएँ शिक्षित नहीं होंगी वे न तो अपना विकास कर सकती हैं और न ही देश की उन्नति में अपना योगदान दे पाएँगी।

अतः सर्वप्रथम नारी को शिक्षित किया जाना चाहिए। नारी को पुरुष के समान अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए समाज को जागरूक किया जाना चाहिए। महिलाएँ किसी भी मायने में पुरुष से कम नहीं हैं। महिलाओं के कल्याण के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सभी योजनाओं को लागू करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए और प्रत्येक महिला को इसका लाभ मिलना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि यदि महिलाएँ विकसित और उन्नत नहीं हैं तो देश के उज्ज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती।

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रतन कौन है ? वह कैसा है ?
उत्तर :
रतन रामस्वरूप का नौकर है। वह बार-बार गलतियाँ करता रहता है और मालिक की डाँट फटकार सुनता रहता है। वह भुलक्कड़ प्रवृत्ति का है। वह कभी कुछ तो कभी कुछ भूलता ही रहता है। रामस्वरूप बाबू उसे उल्लू, कमबख्त और अन्य कई प्रकार की गालियाँ देकर फटकारते रहते हैं।

प्रश्न 2.
उमा अपने कमरे में मुँह फुलाकर क्यों लेटी हुई थी ?
उत्तर :
उमा आधुनिक लड़की है। वह पढ़-लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है। उसके माता-पिता उसका विवाह करना चाहते थे। वह अभी विवाह नहीं करना चाहती। इसी कारण वह मुँह फुलाकर लेटी हुई थी। इसके साथ-साथ उमा को खूब सज-सँवरकर लड़के वालों के समक्ष आना बिल्कुल उचित नहीं लगता था। वह छोटी आयु में विवाह करके अपने भविष्य को भी चौपट नहीं करना चाहती थी।

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प्रश्न 3.
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को गोपाल प्रसाद और शंकर के विषय में क्या बताता है?
उत्तर :
रामस्वरूप प्रेमा को बताता है कि उनकी लड़की उमा को देखने दो व्यक्ति आ रहे हैं। उनमें से एक लड़के का पिता बाबू गोपाल प्रसाद है जो दकियानूसी विचारों का है। वह स्वयं पढ़ा-लिखा है और पेशे से वकील है। बड़ी-बड़ी सभा सोसाइटियों में जाता है किंतु अपने लड़के के लिए ऐसी लड़की चाहता है जो अधिक पढ़ी-लिखी न हो। उनका लड़का शंकर बी०एससी० करने के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। वह भी लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्ष में नहीं है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को समझाता है कि वह उनके सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात को छिपाकर ही रखे।

प्रश्न 4.
“अच्छा तो साहब, ‘बिजनेस’ की बातचीत हो जाए।” यह कथन किसका है ? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता
चलता है ?
उत्तर :
यह कथन बाबू गोपाल प्रसाद का है। वह विवाह को बिजनेस कहता है। उसकी दृष्टि में विवाह एक व्यापार है। वह उमा से भी इस प्रकार व्यवहार करता है जैसे वह अपने लड़के के लिए बहू नहीं अपितु घर के लिए कोई जानवर खरीद रहा हो। गोपाल प्रसाद बिजनेस के समान ही विवाह में भी लेन-देन की बात अवश्य करता किंतु उमा द्वारा फटकारने पर उसे वहाँ से उठने के लिए विवश होना पड़ता है। वह निश्चित रूप से अपने लड़के के लिए दहेज की माँग भी करता।

प्रश्न 5.
उमा गाना गाने के बाद गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं देती हैं ?
उत्तर :
उमा जब गाना गाती है तो गाते-गाते उसका झुका हुआ मस्तक उठ जाता है और वह शंकर को देख लेती है। वह शंकर को पहचान लेती है। शंकर कुछ ही दिनों पहले लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द तांक-झाँक करता पकड़ा गया था और उसे वहाँ से भगाया गया था। उसे देखने के बाद उमा निश्चय कर लेती है कि वह उसके साथ किसी भी स्थिति में विवाह नहीं करेगी। इसी कारण बाबू गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए सवालों का वह उत्तर नहीं देती।

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प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी एकांकी में लेखक ने अत्यंत सरल एवं बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। भाषा प्रसंगानुकूल, भावानुकूल एवं पात्रों के अनुरूप है। लेखक ने अंग्रेजी के अनेक शब्दों को बड़े सहज भाव से प्रयोग किया है। एकांकी में आए अंग्रेजी के शब्द हैं- बैकबोन, हॉस्टल, मैट्रिक, वीक एंड पॉलिटिक्स, कॉलेज आदि। इसके साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों की भरमार है; जैसे-मर्ज, दकियानूसी, तकदीर, काबिल, जायका, निहायत, बेइज्जती, दगा, बेढब आदि। लेखक ने कहीं-कहीं मुहावरों का भी प्रयोग किया है। जैसे-भीगी बिल्ली बनना, चौपट कर देना आदि।

‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की शैली संवादात्मक है। लेखक ने छोटे-छोटे संवादों का प्रयोग करते हुए कथावस्तु को गति प्रदान की है। भाषा-शैली में नाटकीयता और चित्रात्मक का गुण सर्वत्र विद्यमान है।

प्रश्न 7.
रामस्वरूप बाबू के घर में साज-सज्जा क्यों हो रही थी ?
उत्तर :
रामस्वरूप बाबू के घर में सुबह से साज-सज्जा हो रही थी। इसका कारण यह था कि उनकी लड़की उमा को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे। रामस्वरूप बाबू लड़के वालों की खातिरदारी की तैयारियाँ कर रहे थे क्योंकि वह यहाँ पर अपनी लड़की का रिश्ता पक्का करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
उमा को देखने कौन-कौन आया ?
उत्तर :
उमा को देखने लड़के वाले आए। लड़के शंकर के साथ उसके पिता गोपाल प्रसाद आए।

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प्रश्न 9.
शंकर का व्यक्तित्व कैसा है ?
उत्तर :
शंकर खींसे निपोरने वाला नौजवान है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट से भरी हुई है। कमर झुकी हुई है इसलिए उसके मित्र उसे ‘बैक बोन’ बुलाते हैं। वह बी०एससी० के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसका चरित्र ठीक नहीं है, वह गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल की लड़कियों को छेड़ते हुए पकड़ा गया था।

प्रश्न 10.
गोपाल बाबू के पढ़ी-लिखी लड़की के लिए कैसे विचार थे ?
उत्तर :
गोपाल बाबू वकील थे। वे सभा-सोसाइटियों में जाते थे। उनका लड़का भी पढ़ा-लिखा था। परंतु उन्हें लड़के के लिए बहू कम पढ़ी-लिखी चाहिए थी। पढ़ी-लिखी लड़कियाँ उन्हें पसंद नहीं थी। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी लड़कियों के नखरे बहुत होते हैं। वे घर का काम नहीं कर सकतीं। वे अंग्रेजी अखबार पढ़ने लगती हैं और पॉलिटिक्स पर बहस करती हैं। इसलिए उन्हें केवल गृहस्थी सँभालने वाली कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए।

प्रश्न 11.
रामस्वरूप ने उमा की शादी के लिए क्या झूठ बोला ?
उत्तर :
रामस्वरूप को भी एक आम पिता की तरह अपनी लड़की के विवाह की चिंता थी। उनकी लड़की उमा पढ़ी-लिखी थी। परंतु जो रिश्ता उसके लिए आया था, वे लोग कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते थे। इसलिए रामस्वरूप ने अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ी-लिखी बताया। उसके चश्मे का कारण आँख का दुखना बताया था। यह झूठ एक लड़की के पिता की मजबूरी भी दिखाता है।

प्रश्न 12.
उमा गोपाल प्रसाद की बातों का क्या जवाब देती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद उमा से कई तरह के सवाल पूछते हैं जिसका जवाब रामस्वरूप देते हैं। जब गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उमा को जवाब देने दें। उस पर उमा के अंदर की मजबूरी बाहर आती है कि वह क्या जवाब दे। जब कोई मेज- कुर्सी बिकती है तो दुकानदार मेज – कुर्सी की मर्ज़ी नहीं पूछते, केवल उसे खरीददार को दिखा देते हैं। अब यह खरीददार की इच्छा पर होता है कि पसंद है या नहीं। वह भी एक मेज़ – कुर्सी की तरह है। उसके पिता ने उसे लड़के वालों के समक्ष प्रस्तुत किया है। उमा कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं। उन्हें भी चोट लगती है, वे लाचार भेड़-बकरियाँ नहीं हैं जिन्हें कसाई को अच्छी तरह दिखाया जाए। उमा के शब्दों में हर उस लड़की की मजबूरी है जिसे लड़के वालों के सामने सजावटी वस्तु बनाकर पेश किया जाता है।

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प्रश्न 13.
उमा ने शंकर के विषय में क्या सच्चाई बताई ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद को उमा के जवाब पसंद नहीं आए। उन्हें क्रोध आ जाता है। उन्हें लगता है कि उमा उनकी बेइज्जती कर रही है। उस समय उमा शंकर की असलियत बताती है कि शंकर पिछली फरवरी को लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाते हुए पकड़ा गया था। उसे वहाँ से कैसे भगाया गया था। एक बार वह नौकरानी के पैरों में गिरकर माफ़ी माँगते हुए भागा था। उमा कहती है कि उनके लड़के की तो बैक-बोन ही नहीं है। वह उनके लड़के की तरह नहीं है, उसे अपने माता-पिता की इज्ज़त का ध्यान है।

प्रश्न 14.
गोपाल बाबू अपने लड़के शंकर की कमियों को किस प्रकार ढकते हैं ?
उत्तर :
उमा ने सबके सामने शंकर की असलियत खोल दी। इस पर गोपाल प्रसाद बाबू को अपनी बेइज्जती लगती है। वह गुस्से में खड़े हो जाते हैं। वह रामस्वरूप बाबू से कहते हैं कि उन्होंने उनसे झूठ बोला है। उनकी लड़की ने हॉस्टल में रहकर बी०ए० किया है। उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए थी। ऐसे झूठे लोगों से वह संबंध नहीं जोड़ना चाहते और घर से बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार एक घमंडी लड़के का पिता लड़की में कमी ढूँढ़ता हुआ अपने लड़के की कमियों को छिपाता है।

प्रश्न 15.
एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
एकांकी में उमा वह लड़की है जिसे लड़के वाले देखने आते हैं। उमा वर्तमान नारी का प्रतीक है। वह बी०ए० पढ़ी हुई है। उसे प्रदर्शन की वस्तु बनना पसंद नहीं है। वह गृह कार्य में दक्ष है। वह संगीत विद्या में भी निपुण है। उसे अन्याय सहन नहीं होता है। जब गोपाल प्रसाद बाबू उसके विषय में तरह-तरह के सवाल पूछते हैं तो उसे अपना अपमान लगता है। इसके लिए वह अपनी बातों से अपना विरोध प्रकट करती है। उसे यह पसंद नहीं है कि लड़की को उसकी इच्छा के बिना सजावटी वस्तु की तरह लड़के वालों के सामने प्रस्तुत कर दिए गए। इस प्रकार उमा एक वर्तमान नारी का उदाहरण प्रस्तुत करती है जो अपने अधिकार के लिए लड़ना जानती है। गलत का विरोध करती है और लड़के वालों को उनकी असलियत का आईना दिखाती है।

रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi

पाठ का सार :

एकांकी ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी के लेखक श्री जगदीश चंद्र माथुर हैं। इसमें उन्होंने लड़के और लड़की में भेदभाव करने वाले लोगों पर प्रहार करते हुए दोनों को समान सामाजिक प्रतिष्ठा देने की बात कही है। एकांकी का संक्षिप्त सार इस प्रकार है –

एकांकी का आरंभ रामस्वरूप बाबू के घर में होने वाली साज-सज्जा से होता है। उनकी लड़की उमा को देखने के लिए बाबू गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर आने वाले हैं। बावू रामस्वरूप, उनकी पत्नी प्रेमा और उनका नौकर रतन कमरे को सजाते हैं। बीच-बीच में बाबू रामस्वरूप अपने नौकर पर झुंझलाते भी हैं, तभी प्रेमा उन्हें बताती है कि उनकी लड़की उमा को जब से लड़के वालों के आने की बात कही है, तभी से वह मुँह फुलाए पड़ी है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को कहते हैं कि वह उमा को जैसे-तैसे समझाकर तैयार कर दे। साथ ही वे अपनी पत्नी से कहते हैं कि लड़के वालों के सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात नहीं बतानी है। वे कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं, अतः वे उमा को मैट्रिक तक पढ़ा-लिखा ही बताएँगे।

उसी समय लड़के वालों का आगमन होता है। बाबू गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे और पेशे से वकील हैं। उनका बेटा शंकर बी० एससी० के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी है। झुकी हुई कमर उसकी खासियत है रामस्वरूप अतिथियों की आवभगत करते हैं। गोपाल प्रसाद अपने अतीत की बातें करते हैं और आत्म-प्रशंसा करते हुए अपने आप को महान साबित करने की कोशिश करते हैं।

कुछ ही देर बाद गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ कहकर विवाह की बात छेड़ते हैं। रामस्वरूप उनके लिए नाश्ता लाकर उनकी सेवा करते हैं। कुछ इधर-उधर की बातों के बाद गोपाल प्रसाद स्पष्ट कहते हैं कि उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए। उनका मत है कि लड़कियों को अधिक पढ़ाना बेकार है। पढ़ना और कमाकर लाना तो केवल पुरुषों का काम है। स्त्रियों का कार्य तो केवल घर-गृहस्थी संभालना है। गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करना केवल लड़कों का अधिकार है, लड़कियों का नहीं। उनका लड़का शंकर भी उनकी इस विचारधारा का समर्थन करता है।

थोड़ी दी देर बाद रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को आवाज़ लगाते हैं। पान की तश्तरी हाथों में लिए उमा अत्यंत सादे कपड़ों में आती है। उसकी आँखों पर लगे चश्मे को देखते ही गोपाल प्रसाद और शंकर चौंक पड़ते हैं। रामस्वरूप बताता है कि कुछ दिन पहले ही आँखों में आई कुछ खराबी के कारण ही वह चश्मा लगा रही है। गोपाल प्रसाद उससे गाने-बजाने के बारे में पूछते हैं। रामस्वरूप भी उमा को गाने के लिए कहते हैं। उमा सितार उठाकर मीरा का मशहूर गीत ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ गाने लगती है।

वह गीत में इतना तल्लीन हो जाती है कि उसकी झुकी गर्दन ऊपर उठती है तो वह शंकर को देखती है। शंकर को देखते ही वह गाना बंद कर देती है। तब गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग, सिलाई और अन्य चीज़ों से संबंधित सवाल पूछते हैं किंतु उमा कोई उत्तर नहीं देती। गोपाल प्रसाद उसे बोलने के लिए कहते हैं। रामस्वरूप भी अपनी बेटी को जवाब देने के लिए कहता है। तरह-तरह के सवालों से अपमानित उमा कहती है कि लड़कियाँ केवल निर्जीव वस्तुएँ अथवा बेबस जानवर नहीं होतीं। उनका भी मान-सम्मान होता है। इस प्रकार तरह-तरह के सवाल पूछकर उन्हें अपमानित करना उचित नहीं है।

गोपाल प्रसाद जाने के लिए उठते हैं। तब उमा उन्हें बताती है कि जिस लड़के के लिए वे सर्वगुणसंपन्न लड़की चाहते हैं उनका वह लड़का लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द ताक-झाँक करता हुआ कई बार पकड़ा गया है। गोपाल प्रसाद को पता चल जाता है कि उमा पढ़ी-लिखी लड़की है। वे रामस्वरूप को कहते हैं कि उन्होंने उनके साथ धोखा किया है। यह कहकर वे दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं। तब उमा कहती है कि जाइए और घर जाकर यह ज़रूर पता लगा लेना कि आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं।

बाबू गोपाल प्रसाद के चेहरे पर बेबसी का गुस्सा और शंकर के चेहरे पर रुआँसापन आ जाता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। रामस्वरूप वहीं कुर्सी पर धम से बैठ जाते हैं। उमा रोने लगती है। घबराई हुई प्रेमा वहाँ पहुँचती है। तभी उनका नौकर रतन भी वहाँ आ जाता है। वह मेहमानों के लिए मक्खन लेने गया हुआ था। सभी रतन की ओर देखते हैं। यहीं एकांकी समाप्त हो जाती है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

  • सहसा – अचानक
  • मर्प्र – बीमारी
  • टीम-टाम – साज-सज्जा, शृंगार
  • तालीम – शिक्षा
  • खासियत – विशेषता
  • वीक-एंड – सप्ताह का अंतिम दिन
  • तकदीर – भाग्य
  • बैकबोन – रीढ़ की हड्डी
  • आमदनी – आय
  • तश्तरी – प्लेट
  • जायचा – जन्म-पत्री
  • पालिटिक्स – राजनीति
  • अधीर – बेचैन
  • बेबस – माबूर
  • होस्टल – छात्रावास
  • दगा – धोखा
  • भीगी बिल्ली की तरह – डरा-डरा सा जतन – यत्न, प्रयास
  • दकियानूसी – रूढ़िवादी
  • सब चौपट कर देना – काम बिगाड़ देना तकलीफ – परेशानी
  • मार्जिन – अंतर
  • काबिल – योग्य
  • जायका – स्वाद
  • बेढब – अजीव, विचित्र
  • निहायत – बहुत ही
  • खुद-ब-खुद – अपने आप
  • ज़ाहिर – पता चलना
  • खरीददार – चीज खरीदने वाला
  • बेइज्जती – अपमान
  • इर्द-गिर्द – आस-पास

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