JAC Board Class 9th Social Science Solutions Civics Chapter 1 लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों?
JAC Class 9th Civics लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों? InText Questions and Answers
विद्यार्थियों हेतु आवश्यक निर्देश:
पाठ्य-पुस्तक के इस अध्याय में विभिन्न पृष्ठों पर लड़के/लड़की के कार्टून चित्रों के नीचे अथवा ‘खुद करें-खुद सीखें’ शीर्षक से बॉक्स में अथवा ‘कार्टून बूझे’ शीर्षक के नीचे अथवा ‘कहाँ पहुँचे? क्या समझे?’ शीर्षक से बॉक्स में प्रश्न दिए हुए हैं। इन प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर निम्न प्रकार से हैं
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 3
प्रश्न 1.
आइए लिंगदोह मैडम की बात को गंभीरता से लें और कलम, बारिश और प्रेम जैसे सदा प्रयोग होने वाले साधारण शब्दों की ठीक-ठीक परिभाषा लिखने की कोशिश करें। जैसे, क्या कलम की कोई स्पष्ट परिभाषा है जो उसे पेंसिल, बुश, हाइलाइटर या मार्कर से अलग बताती हो ?
उत्तर:
पेन स्याही से चलने वाला एक ऐसा उपकरण है जिसके निब या प्वांइट के निर्माण में किसी-न-किसी धातु का प्रयोग किया जाता है, किन्तु अन्य दिए गए उपकरणों पर यह बात लागू नहीं होती है।
प्रश्न 2.
इस प्रयोग से आपने क्या सीखा?
उत्तर:
इस प्रयोग से हमने सीखा कि प्रत्येक वस्तु की अपनी खास विशेषता और पहचान होती है, जिसके आधार पर उसे अन्य दूसरी वस्तुओं से अलग किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
लोकतन्त्र का अर्थ समझने में इस अनुभव ने हमें क्या-क्या सिखाया?
उत्तर:
लोकतन्त्र को समझने में इस अनुभव से हमें शिक्षा मिलती है कि उसे उसके खास लक्षण या विशेषताओं के आधार पर सरकार के अन्य रूपों से अलग किया जा सकता है। यही लक्षण लोकतन्त्र की पहचान है।
प्रश्न 4.
मैंने तो यह भी सुना है कि लोकतन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ लोक पर तंत्र हावी रहता है। इसके बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:
वास्तव में लोकतन्त्र जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए एक शासन पद्धति है। क्योंकि यह जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यह कहना गलत है कि लोकतन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ लोक पर तंत्र हावी रहता है।
प्रश्न 5.
रिबियांग स्कूल से घर गई और उसने लोकतन्त्र के बारे में कुछ अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथनों को जमा किया। इस बार उसने इन उक्तियों को कहने या लिखने वाले के नाम का उपयोग नहीं किया। वह चाहती है कि आप भी इन्हें पढ़ें और बताएँ कि ये उक्तियाँ कितनी अच्छी या उपयोगी हैं?
1. लोकतन्त्र हर व्यक्ति को अपना शोषक आप बन जाने का अधिकार देता है।
2. लोकतन्त्र का मतलब है अपने तानाशाहों का चुनाव करना पर उनके मुँह से अपनी इच्छा की बातें सुनने के बाद।
3. व्यक्ति की न्यायप्रियता लोकतंत्र को सम्भव बनाती है, लेकिन अन्याय के प्रति व्यक्ति का रुझान लोकतन्त्र को जरूरी बनाता है।
4. लोकतन्त्र शासन का ऐसा तरीका है जो सुनिश्चित करता है कि हम जैसी सरकार के लायक हैं वैसी सरकार ही हम पर शासन करे।
5. लोकतन्त्र की सारी बुराइयों को और अधिक लोकतन्त्र से ही दूर किया जा सकता है।
उत्तर:
1. यह विचार एक सीमा तक सही भी है कि हम जिस प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं वही हमारा शोषण करता है, किन्तु इसमें लोकतन्त्र का दोष नहीं है, व्यक्ति का दोष होता है जो लोगों की उन भावनाओं की कद्र नहीं करते हैं जिसके कारण लोगों ने उनका चुनाव किया है। यह वास्तव में लोकतांत्रिक पद्धति का दुरुपयोग है।
2. यदि हम वर्तमान संदर्भ में देखें तो यह विचार हमारी व्यवस्था पर व्यावहारिक रूप से लागू हो रहा है। जिन लोगों को हम चुनकर प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजते हैं, वे हमारी समस्या को भूलकर अपने लाभ की सोचते हैं लेकिन यह लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के विपरीत है। ऐसे विचारों की लोकतन्त्र अथवा समाज में कोई उपयोगिता नहीं है। हमें अपने प्रतिनिधि सोच-समझ कर चुनने चाहिए।
3. लोकतन्त्र की माँग है कि शासक वर्ग में न्याय करने की क्षमता हो। यदि जनप्रतिनिधि लोगों की समस्याओं के साथ न्याय नहीं कर पाएँ तो लोकतन्त्र का कोई अर्थ नहीं रह जाता। अन्याय को रोकना लोकतन्त्र की जरूरत है। सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अन्याय को लोकतान्त्रिक ढाँचे के तहत प्रभावी रूप से दूर किया जा सकता है। अतः इस विचार की उपयोगिता बहुत अधिक है।
4. यह विचार कुछ हद तक ठीक है कि जनता जैसी होती है सरकार भी वैसी ही होती है। हम जैसे होते हैं हमारे विचार भी वैसे होते हैं। किन्तु लोकतन्त्र एक ऐसी पद्धति है जिसमें यदि विकल्प उपलब्ध हों तो हम अपने से बेहतर लोगों को अपने प्रतिनिधित्व का मौका दे सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में इस विचार की उपयोगिता बहुत अधिक है।
5. हम जितने अधिक लोकतान्त्रिक होते हैं, लोगों की सहभागिता तथा शासन की पारदर्शिता उतनी ही अधिक होती जाती है। लोगों की बढ़ती सहमति से संघर्ष की संभावना उतनी ही कम होती जाती है तथा देश में शांति आ जाती है। यह शांति और समृद्धि की ओर ले जाती है। अत: इस विचार की बहुत अधिक उपयोगिता है। |
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 4
प्रश्न 6.
इराक में अमेरिका और अन्य विदेशी शक्तियों की उपस्थिति में हुए चुनाव के समय यह कार्टून बना था। यह कार्टून क्या कहता है? इसमें डेमोक्रेसी’ को इस तरह क्यों लिखा गया है?
उत्तर:
इस कार्टून के द्वारा यह बताने की कोशिश की गई है कि अमेरिकी सैनिक, इराकी शासन व्यवस्था को सुधारकर वहाँ लोकतन्त्र स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें ‘डेमोक्रेसी’ को इस तरह से इसलिए लिखा गया है क्योंकि कार्टून के द्वारा यह बताया जा रहा है कि इराक में अभी पूरी तरह से लोकतन्त्र मजबूत नहीं हुआ है। अब इसे उठाया जा रहा है एवं उसे खड़ा होने में अभी समय लगेगा।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 5
प्रश्न 7.
सीरिया पश्चिम एशिया का एक छोटा-सा देश है। शासक बाथ पार्टी और उसकी कुछ सहयोगी पार्टियों को ही देश में राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति है। क्या इस कार्टून को चीन और मैक्सिको पर भी लाग किया जा सकता है? लोकतन्त्र के माथे पर पत्तों से बने ताज का क्या महत्व है?
उत्तर:
हाँ, इस कार्टून को चीन तथा मैक्सिको जैसे देशों पर भी लागू किया जा सकता है क्योंकि इन देशों में भी एक दल की सरकार है। केवल एक विशेष राजनीतिक पार्टी ही यहाँ शासन करती है।
अन्य दलों को राजनीतिक स्वीकृति प्राप्त नहीं है। पत्तों से बने ताज से यह पता चलता है कि जिस तरह एक ही शाखा में कई पत्तियाँ हैं, उसी तरह एक ही राजनीतिक दल अपने कई सहयोगी दलों की सहायता से सत्ता पर कब्जा बनाए हुए है। किसी दूसरी शाखा का न होना अन्य राजनीतिक दलों के न होने का संकेत देता है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 6
प्रश्न 8.
यह कार्टून लातिनी अमेरिका के सन्दर्भ में बना था। क्या आपको लगता है कि यह पाकिस्तान पर भी फिट बैठता है।कुछ अन्य देशों के बारे में सोधिए जिन पर यह कार्टून लागू हो सकता है। क्या ऐसा कई बार हमारे देश में भी होता है?
उत्तर:
यह कार्टून हथियारों के बल पर बूथ लूटने के दृश्य को प्रदर्शित करता है। यह लोकतन्त्र के अपहरण की ओर इशारा करता है। हाँ, यह पाकिस्तानी परिस्थितियों पर भी ठीक बैठता है, क्योंकि वहाँ सैनिक शासन ने लोकतन्त्र का अपहरण कर रखा था। यह चीन, म्यांमार आदि देशों पर भी लागू हो सकता है। हाँ, कभी-कभी इस तरह की छोटी-मोटी घटनाएँ हमारे देश में भी घटित होती रहती हैं। जब कुछ लोगों द्वारा इस तरह का गलत कार्य किया जाता है।
प्रश्न 9.
जाने कहाँ-कहाँ की बातें हो रही हैं! क्या लोकतन्त्र का मतलब सिर्फ सरकारों और शासनों से ही है? क्या हम अपनी कक्षा में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात कर सकते हैं? क्या हम अपने परिवार में लोकतन्त्र की बात कर सकते हैं? क्या हम एक लोकतान्त्रिक परिवार की बात कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, लोकतन्त्र का मतलब केवल शासन और सरकार से ही नहीं होता है। जनता के बिना शासन और सरकार का कोई अर्थ नहीं होता है। लोकतन्त्र, सरकार और शासन में जनता की सहभागिता से सम्बन्धित होता है। लोकतन्त्र आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय से सम्बन्धित है। हाँ, निश्चय ही हम अपने परिवार में लोकतन्त्र की बात कर सकते हैं। हाँ, जब हम अपनी कक्षा में मॉनीटर का चुनाव करते हैं तो यह लोकतांत्रिक पद्धति का उदाहरण होता है। परिवार के सदस्यों में विचार-विमर्श करके कोई निर्णय लेते हैं, तो यह लोकतान्त्रिक परिवार का उदाहरण होता है।
हाँ, हम एक लोकतान्त्रिक परिवार की बात कर सकते हैं।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 7
प्रश्न 10.
यह कार्टून लातिनी अमेरिका के लोकतन्त्र के कामकाज से सम्बन्धित है। इसमें सिक्कों की थैलियों का क्या मतलब है? राजनीति में थैलीशाहों की भूमिका के बारे में कार्टून बनाने वाला क्या कहना चाहता है ? क्या इस कार्टून को भारत पर भी लागू किया जा सकता है?
उत्तर:
इसमें सिक्कों की थैलियों का मतलब है कि लोकतन्त्र का निर्माण एवं विकास काफी खर्चीला होता है। चुनाव के समय उसके स्वतंत्र तथा निष्पक्ष आयोजन पर सरकार द्वारा बहुत अधिक मात्रा में पैसा खर्च किया जाता है। साथ ही, उम्मीदवारों तथा सम्बन्धित दलों द्वारा भी बहुत पैसा खर्च किया जाता है। राजनीति में थैलीशाही की भूमिका के बारे में कार्टून बनाने वाला यह कहना चाहता है कि राजनीति में धनकुबेरों की भूमिका निरन्तर बढ़ती ही जा रही है। हाँ, इस कार्टून को भारत पर भी लागू किया जा सकता है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 8
प्रश्न 11.
यह कार्टून सद्दाम हुसैन के शासन को उखाड़ फेंकने के बाद हुए चुनावों से सम्बन्धित है। उन्हें जेल में बंद दिखाया गया है। यहाँ कार्टूनिस्ट क्या कहना चाहता है ? इस कार्टून के संदेश और अध्याय में आए पहले कार्टून के संदेश की तुलना कीजिए।
उत्तर:
यह कार्टून दिखाता है कि वोट डालने का अधिकार सबको एक समान होना चाहिए। इराकी लोगों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ। यह समानता के अधिकारों के आधार पर तानाशाही के ऊपर लोकतन्त्र की विजय को दर्शाता है। इस अध्याय के पहले कार्टून में यह संदेश दिया गया है कि पहले लोकतन्त्र को खड़ा करने और बाद में मजबूत बनाने की आवश्यकता है, किन्तु यहाँ कार्टूनिस्ट वोट देने के समान अधिकार की बात कर रहा है जो लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती का प्रतीक है। अत: पहला कार्टून इस कार्टून का आगे आने वाला परिणाम है।
प्रश्न 12.
जिम्बाब्वे की बात क्यों करें ? मैं तो अपने देश में भी इस तरह की घटनाओं की खबर अखबारों में पढ़ती रहती हूँ। हम इसकी चर्चा क्यों नहीं करते?
उत्तर:
- हमारे देश में कई ऐसे राज्य हैं जहाँ एक ही राजनीतिक पार्टी कई वर्ष तक शासन कर रही है; जैसे–पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी।
- हमारे देश में एक राष्ट्रीय पार्टी, जिसने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में हिस्सा लिया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केन्द्र में सन् 1947 से 1977 तक लगातार शासन करती रही। उसने आपातकाल लागू कर वैसा ही किया था, जैसा कि जिम्बाब्वे में जानु-पीएफ पार्टी ने किया था। अतः किसी पार्टी को लम्बे समय तक शासन में नहीं रहना चाहिए।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 9
प्रश्न 13.
चीनी सरकार ने ‘गूगल’ और ‘याहू’ जैसी लोकप्रिय वेबसाइटों पर बंदिशें लगाकर इंटरनेट पर सूचना के मुक्त प्रवाह को रोक दिया। इस कार्टून में इसी पर टिप्पणी की गई है। टैंक और निहत्थे छात्र की तस्वीर पाठक को चीन के हाल के इतिहास की एक अन्य बड़ी घटना की याद दिलाती है। वह घटना क्या थी? उसके बारे में अन्य ब्यौरेजुटाओ।
उत्तर:
यह घटना टियानन मेन चौक में सन् 1989 ई. में किये गये जनसंहार की थी। यह घटना एक खूनी सैनिक अभियान के समय चीनी सैनिकों द्वारा अपने ही सैकड़ों निहत्थे नागरिकों की गोलियों तथा तोपों द्वारा हत्या किए जाने की घटना है। यह अभियान बीजिंग के टियानन मेन चौक पर लोकतंत्र समर्थक लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया गया था।
अचानक विभिन्न दिशाओं से टैंकों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों व छात्रों पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया। छात्र पिछले सात सप्ताहों से अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे थे। उनका कहना था कि जब तक उनके लोकतान्त्रिक सुधारों की माँग मानी नहीं जाएगी, तब तक वे चौक में डटे रहेंगे। सम्पूर्ण विश्व ने इस घटना की कठोर शब्दों में निन्दा की।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 10
प्रश्न 14.
लोकतन्त्र के कामकाज या उसकी अनुपस्थिति के इन पाँच उदाहरणों को पढ़िए। इनका मेल लोकतन्त्र की उन प्रासंगिक विशेषताओं से कराएँ, जिनकी चर्चा ऊपर की गई है। उत्तरउदाहरण
उदाहरण | विशेषताएँ |
1. भूटान नरेश ने यह घोषणा की है कि आगे से वे चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा दी गई सलाह पर काम करेंगे। | चुने हुए नेताओं द्वारा प्रमुख फैसले करना। |
2. भारत से गए अनेक तमिल मजदूरों को श्रीलंका में वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया। | एक व्यक्ति, एक वोट, एक मोल। |
3. नेपाल नरेश ने राजनीतिक जमावड़ों, प्रदर्शनों और रैलियों पर रोक लगा दी। | अधिकारों का सम्मान। |
4. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार विधानसभा भंग करने को असंवैधानिक ठहराया। | कानून का शासन। |
5. बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियाँ इस बात पर सहमत हुई कि चुनाव के समय किसी पार्टी की सरकार न रहे। | स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावी मुकाबला। |
प्रश्न 15.
मैं लिंगदोह मैडम की कक्षा में बैठना चाहती हूँ! यही सही अर्थों में लोकतान्त्रिक कक्षा लगती है। ठीक है न?
उत्तर:
लिंगदोह मैडम की कक्षा सही अर्थों में लोकतान्त्रिक कक्षा लगती है। यह ठीक है, क्योंकि यहाँ लोकतन्त्र पर हुई चर्चा में सभी ने भाग लिया और अपने-अपने विचार प्रकट किए।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 12
प्रश्न 16.
यह कार्टून ब्राजील का है जिसे तानाशाही के लम्बे दौर का अनुभव है। इसका शीर्षक है ‘तानाशाही का छुपा पक्ष’। इस कार्टून में किस छुपे पहलू को उजागर किया गया है? क्या हर तानाशाही का एक पक्ष छुपा रहे यह जरूरी है? पहले अध्याय में जिन तानाशाहों का जिक्र हुआ है, उनके बारे में ऐसी जानकारियाँ जुटाएँ। अगर संभव हो तो उनके साथ नाइजीरिया के अबाचा और फिलीपींस के मार्कोस के बारे में भी ऐसी जानकारियाँ इकट्ठी करें।
उत्तर:
इस कार्टून में एक तानाशाह दिखता तो सामान्य आदमी की तरह ही है, किन्तु उसके कार्य बहुत भयानक हैं। वह कहता कुछ है और करता कुछ है। उसके मनमाने फैसलों को कोई रोकने वाला नहीं होता है। प्रायः लोगों के सामने वह अपना लोकप्रिय चेहरा पेश करता है, किन्तु उसके पीछे उसके नजदीकी तथा पारिवारिक आदमियों की एक सेना होती है जो लोगों पर अत्याचार करती है तथा उनका शोषण करती है।
प्रत्येक तानाशाह के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसका एक पक्ष छुपा रहे। यदि वह अपनी क्षमता का जनता की भलाई के लिए उपयोग करना चाहता है, तो उसे किसी छुपे चेहरे की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही, कई ऐसे तानाशाह हुए हैं जिन्होंने सरेआम अत्याचार किया है, जैसे-हिटलर।
ऐसे लोगों को किसी छुपे चेहरे की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये अपनी नीतियों को सैन्य बल की सहायता से लागू करते हैं। 1973 ई. में जनरल ऑगस्तो पिनोशे ने चिले में तख्ता पलट द्वारा सत्ता प्राप्त की। तत्कालीन रक्षा मंत्री को गिरफ्तार कर लिया तथा राष्ट्रपति सल्वाडोर आयेंदे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया किन्तु उसने मना कर दिया।
सेना द्वारा उसके निवास पर बमबारी शुरू कर दी गई, इस फौजी हमले में आयेंदे मारे गये। पिनोशे की सरकार ने लोकतंत्र की माँग करने वाले जनरल अल्बटों बैशेले की हत्या कराई और उसकी पत्नी और बेटी को कैद कर लिया तथा विरोध करने और प्रजातंत्र पुनर्स्थापित करने के लिए कहने पर उन्हें प्रताड़ना दी।
इस घटना से हम अनुमान लगा सकते हैं कि लोकतन्त्र समर्थक सामान्य जनता के साथ क्या हुआ होगा। 3,000 से अधिक लोगों की हत्या की गई तथा हजारों लोग लापता हो गए। हम देख सकते हैं कि किस तरह अच्छे शासन के नाम पर सत्ता पर अधिकार करने के बाद पिनोशे द्वारा अत्याचार किए गए। वह बिना किसी छुपे चेहरे के लोगों पर अत्याचार करता रहा।
अबाचा कई मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी था। उसने प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता तथा कवि केन सार को फाँसी पर लटका दिया था। उसने अपने विरोधियों की सामूहिक रूप से हत्या करवाईं तथा उन्हें सामूहिक रूप से कब्रों में दफना दिया। देश में चुनाव नहीं कराए गए तथा लोगों के विभिन्न मौलिक अधिकारों पर पाबन्दी लगा दी गयी।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 13
प्रश्न 17.
अगर भारत लोकतन्त्र नहीं अपनाता तो क्या हुआ होता ? क्या ऐसी स्थिति में हम एक राष्ट्र बने रह सकते थे?
उत्तर:
यदि भारत लोकतन्त्र नहीं अपनाता तो यहाँ तानाशाही होती या सैनिक शासन होता या फिर कई छोटे-छोटे राजतंत्रों में विभाजित हो जाता। ऐसी स्थिति में यह देश विभिन्न हिस्सों में बँट जाता, क्योंकि हमारे देश में सांस्कृतिक, भाषायी, धार्मिक आदि भिन्नताएँ अधिक पायी जाती हैं।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 14
प्रश्न 18.
यह कार्टून कनाडा के 2004 संसदीय चुनावों के ठीक पहले प्रकाशित हुआ था। इस कार्टूनिस्ट समेत सभी लोगों का मानना था कि लिबरल पार्टी ही एक बार फिर चुनाव जीत जाएगी। पर जब नतीजे आए तो लिबरल पार्टी चुनाव हार गई। यह कार्टून लोकतंत्र के खिलाफ तर्क देता है या लोकतंत्र के पक्ष में ?
उत्तर:
- यह कार्टून लोकतंत्र के पक्ष में तर्क देता है। क्योंकि लोकतंत्र में मतदाता ही यह फैसला करता है कि शासक पार्टी फिर से सत्ता प्राप्त करेगी या सत्ता छोड़ देगी।
- दिखाए गए कार्टून से यह पता चलता है कि मतदाता शासक लिबरल पार्टी के प्रति गुस्से में हैं। अतः उन्होंने लिबरल पार्टी के खिलाफ वोट दिया तथा वह चुनाव हार गई।
प्रश्न 19.
राजेश और मुजफ्फर ने एक लेख पढ़ा। इसमें बताया गया था कि किसी भी लोकतान्त्रिक देश ने दूसरे लोकतान्त्रिक देश के साथ कभी लड़ाई नहीं छेड़ी है। लड़ाई तभी होती है जब कम से कम एक देश में गैर-लोकतान्त्रिक सरकार होती है। पर लेख पढ़ने के बाद राजेश ने कहा कि यह लोकतन्त्र के पक्ष में कोई अच्छा तर्क नहीं है। ऐसा सिर्फ संयोग से हुआ होगा। यह संभव है कि भविष्य में लोकतान्त्रिक देशों के बीच भी युद्ध हो। मुजफ्फर का कहना था कि ऐसा सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। लोकतन्त्र में जिस तरह से फैसले लिए जाते हैं उसमें युद्ध होने का अंदेशा काफी कम हो जाता है। प्रश्न-इन दोनों विचारों में आपकी सहमति किसकी तरफ है और क्यों?
उत्तर:
- यद्यपि मुजफ्फर का विचार ज्यादा तर्कसंगत है, किन्तु पूरी तरह से ठीक नहीं है। क्योंकि, जब कारगिल युद्ध हुआ उस समय पाकिस्तान में भी लोकतन्त्र था और भारत तो एक लोकतांत्रिक देश है ही।
- यह तर्क ज्यादा ठीक है कि जनता के दबाव, चर्चा एवं बहस द्वारा लोकतंत्र में फैसले लिए जाते हैं जिससे लोकतान्त्रिक देशों के बीच युद्ध होने का अंदेशा काफी हद तक कम हो जाता है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 15
प्रश्न 20.
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण का यह चर्चित कार्टून देश की आजादी की स्वर्ण जयंती पर टिप्पणी करता है। दीवार पर बने चित्रों में से आप किन-किन को पहचानते हैं? क्या देश के बहुत-से आम आदमी इस कार्टून के आम आदमी की तरह सोचते हैं?
उत्तर:
दीवार पर बने चित्रों में से सभी को पहचाना जा सकता है। ये चित्र हैं-पं. जवाहरलाल नेहरू, गुलजारी लाल नंदा, लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, नरसिम्हा राव, देवेगौड़ा तथा अटल बिहारी वाजपेयी। भारत की अधिकांश आबादी शहरों में नहीं रहती, भारत एक कृषि प्रधान देश है।
यहाँ अधिकांश लोग गाँवों में रहते हैं। जैसा कार्टून में दावा किया गया है, पिछले त्रेसठ वर्षों में, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वैसा कुछ भी विकास नहीं हुआ है। अत: अधिकांश लोग वैसा महसूस नहीं करते हैं जैसा कि कार्टून में आम लोगों को महसूस करता हुआ दिखाया गया है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 16
प्रश्न 21.
मेरे गाँव में ग्राम सभा की बैठक कभी नहीं होती। यह कैसा लोकतंत्र है?
उत्तर:
नहीं, यह लोकतन्त्र नहीं है। क्योंकि लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के अनुसार ग्राम सभा की बैठक, उसके कार्यों पर चर्चा के लिए एक निश्चित समयान्तर पर होना अति आवश्यक है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं.- 17
प्रश्न 22.
अपने विधानसभा और संसदीय क्षेत्र के सभी मतदाताओं की संख्या का पता लगाएँ। फिर यह पता करें कि आपके आसपास के सबसे बड़े स्टेडियम या हॉल में कितने लोग बैठ सकते हैं। फिर सोचें कि क्या एक विधानसभा या संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का एक साथ बैठना, सार्थक चर्चा करना और लोकतान्त्रिक फैसले करना सम्भव है?
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षकों की मदद से हल करें।
JAC Class 9th Civics लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों? Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
यहाँ चार देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ हैं। इन सूचनाओं के आधार पर आप इन देशों का वर्गीकरण किस तरह करेंगे? इनके सामने ‘लोकतान्त्रिक’, ‘अलोकतान्त्रिक’ और ‘पक्का नहीं लिखें।
(क) देश क-जो लोग देश के आधिकारिक धर्म को नहीं मानते, उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है।
(ख) देश ख-एक ही पार्टी बीते बीस वर्षों से चुनाव जीतती आ रही है।
(ग) देश ग-पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
(घ) देश घ-यहाँ स्वतंत्र चुनाव आयोग नहीं है।
उत्तर:
सूचना | वर्गीकरण |
(क) जो लोग देश के आधिकारिक धर्म को नहीं मानते, उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है। | अलोकतान्त्रिक |
(ख) एक ही पार्टी बीते बीस वर्षो से चुनाव जीतती आ रही है। | पक्का नहीं |
(ग) पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय का मुँह देखना पड़ा। | लोकतान्त्रिक |
(घ) यहाँ स्वतन्त्र चुनाव आयोग नहीं है। | अलोकतान्त्रिक |
प्रश्न 2.
यहाँ चार अन्य देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ दी गई हैं, इन सूचनाओं के आधार पर इन देशों का वर्गीकरण आप किस तरह करेंगे? इनके आगे लोकतान्त्रिक’, ‘अलोकतान्त्रिक’ और ‘पक्का नहीं लिखें।
(क) देश च-संसद सेना प्रमुख की मंजूरी के बिना सेना के बारे में कोई कानून नहीं बना सकती।
(ख) देश छ-संसद न्यायपालिका के अधिकारों में कटौती का कानून नहीं बना सकती।
(ग) देश ज-देश के नेता बिना पड़ोसी देश की अनुमति के किसी और देश से सन्धि नहीं कर सकते।
(घ) देश झ-देश के सारे आर्थिक फैसले केन्द्रीय बैंक के अधिकारी करते हैं, जिसे मंत्री भी नहीं बदल सकते।
सूचना | वर्गीकरण |
(क) संसद सेना प्रमुख की मंजूरी के बिना सेना के बारे में कोई कानून नहीं बना सकती। | अलोकतान्त्रिक |
(ख) संसद न्यायपालिका के अधिकारों में कटौती का कानून नहीं बना सकती। | अलोकतान्त्रिक |
(ग) देश के नेता बिना पड़ोसी देश की अनुमति के किसी और देश से संधि नहीं कर सकते। | पक्का नहीं |
(घ) देश के सारे आर्थिक फैसले केन्द्रीय बैंक के अधिकारी करते हैं जिसे मंत्री भी नहीं बदल सकते। | अलोकतान्त्रिक |
प्रश्न 3.
इनमें से कौन-सा तर्क लोकतन्त्र के पक्ष में अच्छा नहीं है और क्यों?
(क) लोकतन्त्र में लोग खुद को स्वतंत्र और समान मानते हैं।
(ख) लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएँ दूसरों की तुलना में टकरावों को ज्यादा अच्छी तरह सुलझाती हैं।
(ग)लोकतान्त्रिक सरकारें लोगों के प्रति ज्यादा उत्तरदायी होती हैं।
(घ)लोकतान्त्रिक देश दूसरों की तुलना में ज्यादा समृद्ध होते हैं।
उत्तर:
इनमें से (क), (ख) तथा (ग) लोकतन्त्र के पक्ष में अच्छे तर्क माने जा सकते हैं, क्योंकि ये लोकतन्त्र की विशेषताओं से सम्बन्धित हैं, लेकिन तर्क (घ) लोकतन्त्र के पक्ष में उचित तर्क नहीं है। क्योंकि जरूरी नहीं है कि लोकतान्त्रिक देश दूसरों से समृद्ध हो। किसी देश का समृद्ध होना उसके संसाधनों पर निर्भर होता है। जो देश आर्थिक रूप से जितना सम्पन्न होता है उतना ही समृद्ध माना जाता है।
एक अलोकतान्त्रिक देश भी समृद्ध हो सकता है। चीन एक अलोकतान्त्रिक देश है, किन्तु अपने संसाधनों तथा नीतियों के बल पर वह विश्व के समृद्ध देशों में गिना जाता है। लोकतान्त्रिक देश गरीब भी हो सकते हैं, यदि उनके पास संसाधनों की कमी है; जैसे-बांग्लादेश। यह देश संसाधनों की कमी तथा गलत आर्थिक नीतियों के कारण आज भी गरीब है।
प्रश्न 4.
इन सभी कथनों में कुछ चीजें लोकतान्त्रिक हैं तो कुछ अलोकतान्त्रिक। हर कथन में इन चीजों को अलग-अलग करके लिखें।
(क) एक मंत्री ने कहा कि संसद को कुछ कानून पास करने होंगे, जिससे विश्व व्यापार संगठन द्वारा तय नियमों की पुष्टि हो सके।
उत्तर:
लोकतान्त्रिक-संसद द्वारा कानून पास किया जाना। अलोकतान्त्रिक-विश्व-व्यापार संगठन द्वारा तय नियमों के अनुसार कानून पास किया जाना।
(ख)चुनाव आयोग ने एक चुनाव क्षेत्र के सभी मतदान केन्द्रों पर दुबारा मतदान का आदेश दिया जहाँ बड़े पैमाने पर मतदान में गड़बड़ी की गई थी।
उत्तर:
लोकतान्त्रिक तत्व-गड़बड़ी की स्थिति में निष्पक्ष चुनाव के लिए दुबारा मतदान का आदेश देना। अलोकतान्त्रिक तत्व-चुनाव में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी किया जाना।
(ग) संसद में औरतों का प्रतिनिधित्व कभी भी 10 प्रतिशत तक नहीं पहुंचा है। इसी के कारण महिला संगठनों ने संसद में एक-तिहाई आरक्षण की माँग की है।
उत्तर:
अलोकतान्त्रिक-संसद में औरतों का प्रतिनिधित्व कभी भी 10 प्रतिशत नहीं पहुंचा है। लोकतान्त्रिक-इसी कारण महिला संगठनों ने एक-तिहाई आरक्षण की माँग की है।
प्रश्न 5.
लोकतन्त्र में अकाल और भुखमरी की संभावना कम होती है। यह तर्क देने का इनमें से कौन-सा कारण सही नहीं है?
(क) विपक्षी दल भूख और भुखमरी की ओर सरकार का ध्यान दिला सकते हैं।
(ख) स्वतन्त्र अखबार देश के विभिन्न हिस्सों में अकाल की स्थिति के बारे में खबरें दे सकते हैं।
(ग) सरकार को अगले चुनाव में अपनी पराजय का डर होता है।
(घ) लोगों को कोई भी तर्क मानने और उस पर आचरण करने की स्वतन्त्रता है।
उत्तर:
(घ) लोगों को कोई भी तर्क मानने और उस पर आचरण करने की स्वतन्त्रता है।
प्रश्न 6.
किसी जिले में 40 ऐसे गाँव हैं जहाँ सरकार ने पेयजल उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम नहीं किया है। इन गाँवों के लोगों ने एक बैठक की और अपनी जरूरतों की ओर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए कई तरीकों पर विचार किया। इनमें से कौन-सा तरीका लोकतान्त्रिक नहीं है?
(क) अदालत में पानी को अपनी जीवन के अधिकार का हिस्सा बताते हुए मुकदमा दायर करना।
(ख) अगले चुनाव का बहिष्कार करके सभी पार्टियों को संदेश देना।
(ग) सरकारी नीतियों के खिलाफ जनसभाएँ करना।
(घ) सरकारी अधिकारियों को पानी के लिए रिश्वत देना।
उत्तर:
(घ) सरकारी अधिकारियों को पानी के लिए रिश्वत देना।
प्रश्न 7.
लोकतन्त्र के खिलाफ दिए जाने वाले इन तर्कों का जवाब दीजिए
(क) सेना देश का सबसे अनुशासित और भ्रष्टाचार मुक्त संगठन है। इसलिए सेना को देश का शासन करना चाहिए।
उत्तर:
अनुशासित तथा भ्रष्टाचार मुक्त होने पर भी सेना को देश का शासन नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह देश की जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती।
(ख) बहुमत के शासन का मतलब है मूर्तों और अशिक्षितों का राजा हमें तो होशियारों के शासन की जरूरत है, भले ही उनकी संख्या कम क्यों न हो?
उत्तर:
लोकतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था का सम्बन्ध केवल होशियारों से नहीं होता। लोकतन्त्र का महत्वपूर्ण सिद्धान्त है-समानता का सिद्धान्त। इस शासन व्यवस्था में सभी निर्णय बहुमत से लिये जाते हैं। बहुमत के विरुद्ध थोड़े से होशियार लोगों को सत्ता सौंपना लोकतन्त्र के विरुद्ध है।
(ग) अगर आध्यात्मिक मामलों में मार्गदर्शन के लिए हमें धर्म-गुरुओं की जरूरत होती है तो उन्हीं को राजनीतिक मामलों में मार्गदर्शन का काम क्यों नहीं सौंपा जाए ? देश पर धर्म-गुरुओं का शासन होना चाहिए।
उत्तर:
धर्म लोगों का व्यक्तिगत विषय है इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। लोकतन्त्र का हमारी भौतिक समस्याओं से सम्बन्ध है जो सभी लोगों की लगभग समान होती हैं। धर्म-गुरु अपने धर्म विशेष से प्रभावित हो सकते हैं अत: वे किसी वर्ग के साथ न्याय नहीं कर सकेंगे। उनके बीच हमेशा एक वैचारिक संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी, जो धर्म तथा आस्था से प्रेरित होती है। धर्म और राजनीति दो अलग-अलग बातें हैं। अतः धर्म-गुरुओं को राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 8.
इनमें से किन कथनों को आप लोकतान्त्रिक समझते हैं? क्यों?
(क) बेटी से बाप-मैं शादी के बारे में तुम्हारी राय सुनना नहीं चाहता। हमारे परिवार में बच्चे वहीं शादी करते हैं जहाँ माँ-बाप तय कर देते हैं।
उत्तर:
इस कथन में लोकतान्त्रिक मूल्यों का विरोध प्रकट किया गया है क्योंकि, इसमें दूसरों के विचारों की अभिव्यक्ति नहीं है जो लोकतन्त्र की एक प्रमुख विशेषता है।
(ख) छात्र से शिक्षक-कक्षा में सवाल पूछकर मेरा ध्यान मत बँटाओ।
उत्तर:
शिक्षक का इस प्रकार कहना लोकतान्त्रिक मूल्यों के अनुसार नहीं है क्योंकि, छात्रों का यह अधिकार है कि वे अपनी समस्याओं को शिक्षकों के सामने रखें तथा शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी समस्याओं का समाधान करें।
(ग) अधिकारी से कर्मचारी-हमारे काम करने के घंटे कानून के अनुसार कम किए जाने चाहिए।
उत्तर:
निश्चित अधिक घंटों तक काम लेना कानून का उल्लंघन तथा शोषण है। शोषण के विरुद्ध आवाज उठाना लोकतान्त्रिक मौलिक अधिकार होता है। अतः यह माँग लोकतन्त्र के अनुसार उचित है।
प्रश्न 9.
एक देश के बारे में निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करें और फैसला करें कि आप इसे लोकतन्त्र कहेंगे या नहीं? अपने फैसले के पीछे तर्क भी बताएँ।
(क) देश के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार है और चुनाव नियमित रूप से होते हैं।
(ख) देश ने अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों से ऋण लिया। ऋण के साथ यह एक शर्त जुड़ी थी कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपने खचों में कमी करेगी।
(ग) लोग सात से ज्यादा भाषाएं बोलते हैं पर शिक्षा का माध्यम सिर्फ एक भाषा है जिसे देश के 52 फीसदी लोग बोलते हैं।
(घ) सरकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन करने और देश भर में हड़ताल करने का आह्वान किया है। सरकार ने उनके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है।
(ङ) देश के रेडियो और टेलीविजन चैनल सरकारी हैं। सरकारी नीतियों और विरोध के बारे में खबर छापने के लिए अखबारों को सरकार से अनुमति लेनी होती है।
उत्तर:
(घ) तथा
(ङ) सरकार के अलोकतान्त्रिक व्यवहार को दर्शाते हैं।
(ख) सरकार की आर्थिक कमजोरी के कारण मजबूरी में उठाए गए एक गलत फैसले की ओर संकेत करता है। किंतु,
(क) तथा
(ग) सरकार के मौलिक रूप से लोकतान्त्रिक होने को दिखाते हैं। ये विशेषताएँ लोकतान्त्रिक मूल्यों में विश्वास के प्रतीक हैं। अत: कहा जा सकता है कि यह देश एक लोकतान्त्रिक देश है।
प्रश्न 10.
अमेरिका के बारे में 2004 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार वहाँ के समाज में असमानता बढ़ती जा रही है। आमदनी की असमानता लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में विभिन्न वर्गों की भागीदारी घटने-बढ़ने के रूप में भी सामने आई। इन समूहों की सरकार के फैसलों पर असर डालने की क्षमता भी इससे प्रभावित हुई है। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें थीं
1. सन् 2004 में एक औसत अश्वेत परिवार की आमदनी 100 डॉलर थी, जबकि गोरे परिवार की आमदनी 162 डॉलर। औसत गोरे परिवार के पास अश्वेत परिवार से 12 गुना ज्यादा संपत्ति थी।
2. राष्ट्रपति चुनाव में 75,000 डॉलर से ज्यादा आमदनी वाले परिवारों के प्रत्येक 10 में से 9 लोगों ने वोट डाले थे। यही लोग आमदनी के हिसाब से समाज के ऊपरी 20 फीसदी में आते हैं। दूसरी ओर 15,000 डॉलर से कम आमदनी वाले परिवारों के प्रत्येक 10 में से सिर्फ 5 लोगों ने ही वोट डाले। आमदनी के हिसाब से ये लोग सबसे निचले 20 फीसदी हिस्से में आते हैं।
3. राजनीतिक दलों का करीब 95 फीसदी चंदा अमीर परिवारों से ही आता है। इससे उन्हें अपनी राय और चिंताओं से नेताओं को अवगत कराने का अवसर मिलता है। यह सुविधा देश के अधिकांश नागरिकों को उपलब्ध नहीं है।
4. जब गरीब लोग राजनीति में कम भागीदारी करते हैं तो सरकार भी उनकी चिन्ताओं पर कम ध्यान देती है-गरीबी दूर करना, रोजगार देना, उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की व्यवस्था करने पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना दिया जाना चाहिए।राजनेता अक्सर अमीरों और व्यापारियों की चिन्ताओं पर ही नियमित रूप से गौर करते हैं।
इस रिपोर्ट की सूचनाओं को आधार बनाकर भारत का उदाहरण देते हुए लोकतन्त्र और गरीबी’ पर एक लेख लिखें।
उत्तर:
लोकतन्त्र और गरीबी
सामान्य लोगों की भलाई के लिए लोकतन्त्र लोगों के बहुमत का शासन है। किन्तु, आजकल इसका उपयोग कुछ मुट्ठी भर लोगों के फायदे के लिए किया जा रहा है, जिनके पास धन, संसाधन एवं शिक्षा है। भारत में अमीरों तथा गरीबों के बीच का अंतर बढ़ता ही जा रहा है। गरीब और गरीब होते जा रहे हैं जबकि अमीर और तेजी से अमीर होते जा रहे हैं। सक्षम लोगों द्वारा सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाया जा रहा है तथा गरीब इनसे वंचित होते जा रहे हैं।
हमारे देश में लोकतान्त्रिक मूल्यों में तेजी से गिरावट आ रही है। आज लोगों ने राजनीति को व्यापार बना लिया है। लोग अब जनता की समस्याओं का हल निकालने के लिए राजनीति में नहीं जाते, बल्कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को पूरा करने के लिए राजनीति में आते हैं। राजनीति में धन तथा बल के उपयोग ने इसके लोकतान्त्रिक स्वरूप को बिगाड़ दिया है।
भारत की आबादी गाँवों में बसती है। उनके लिए कागजों पर बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाई जाती हैं तथा आए दिन होने वाले घोटालों के द्वारा विकास की राशि को नेताओं, व्यापारियों, ठेकेदारों तथा अन्य सक्षम वर्गों द्वारा आपस में बाँट लिया जाता है। इस कारण गरीबी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आज हमें जनप्रतिनिधियों से जवाब माँगने की आवश्यकता है। जनता के पास यह शक्ति होनी चाहिए कि वह जब चाहे अपने प्रतिनिधि को वापस बुला ले। यह उन्हें जवाबदेह बना देगा, साथ ही चुनावों में धन के अत्यधिक प्रयोग पर रोक लगानी चाहिए। तभी लोकतन्त्र का सही रूप सामने आएगा तथा आम जनता की समस्या की ओर ध्यान दिया जा सकेगा।
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इनको निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटकर रखो। लोकतन्त्र का संवैधानिक और कानूनी पहलू -नागरिक अधिकार -चुनावी और पार्टियों की राजनीति -लोकतन्त्र की आलोचना उत्तर-विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षकों की सहायता से हल करें।