JAC Class 9 Social Science Solutions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

JAC Board Class 9th Social Science Solutions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

JAC Class 9th Civics  लोकतांत्रिक अधिकार InText Questions and Answers

विद्यार्थियों हेतु आवश्यक निर्देश:
पाठ्य-पुस्तक के इस अध्याय में विभिन्न पृष्ठों पर लड़के/लड़की के कार्टून चित्रों के नीचे अथवा ‘खुद करें, खुद सीखें’ शीर्षक से बॉक्स में अथवा ‘कार्टून बूझें’ शीर्षक के नीचे अथवा कहाँ पहुँचे? क्या समझे? शीर्षक से बॉक्स में प्रश्न दिए हुए हैं। इन प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर निम्न प्रकार से हैं|

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 82

प्रश्न 1.
अगर आप सर्ब होते तो कोसोवो में मिलोशेविक ने जो कुछ किया, क्या उसका समर्थन करते? सर्ब लोगों का प्रभुत्व कायम करने की उनकी योजना क्या सर्ब लोगों के वास्तविक हित में थी?
उत्तर:
यदि मैं एक सर्ब होता तो मिलोशेविक के कार्यों का बिल्कुल समर्थन नहीं करता। सर्ब लोगों का प्रभुत्व कायम करने की उसकी योजना किसी भी रूप में सर्ब लोगों के वास्तविक हित में नहीं थी।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 83

प्रश्न 2.
कोसोवो की बतीसा की तरफ से 1984 के सिख विरोधी दंगों या 2002 के गुजरात दंगों में वैसी ही स्थिति झेलने वाली किसी महिला के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

13 नवम्बर,
कोसोवो,
यूगोस्लाविया

प्रिय अनीता,
अखबारों के माध्यम से सिख विरोधी दंगों का पता चला, दंगे से तुम्हें भी बहुत हानि हुई, यह जानकर दुःख हुआ। इस तरह की घटनाओं को सुनकर हृदय को बहुत दुःख होता है। मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि कैसे मनुष्य एक-दूसरे पर अत्याचार करते हैं। हर जुल्म की एक सीमा होती है। हम सबको मिलकर इन अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए।

सदैव तुम्हारी
बतीसा

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प्रश्न 3.
सऊदी अरब की महिलाओं की तरफ से संयुक्त राष्ट्र महासचिव के नाम एक ज्ञापन लिखिए।
उत्तर:
महाशय, मैं आपको सऊदी अरब में महिलाओं के लिए निम्न व्यवस्था हेतु आग्रह करना चाहती हूँ

  1. महिलाओं को विधायिका तथा कार्यपालिका के चुनाव में भाग लेने की अनुमति होनी चाहिए।
  2. महिलाओं पर लगाये गये सभी सार्वजनिक प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिए। इन प्रतिबन्धों को हटाया जाना चाहिए।
  3. महिलाओं को भी पुरुषों के समान सामाजिक स्तर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  4. महिलाओं को अपने शासकों को चुनने अथवा बदलने का अधिकार भी दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
अधिकारविहीन जीवन के इन तीनों मामलों से मिलते-जुलते उदाहरण भारत से भी दें। ये उदाहरण निम्नलिखित में से हो सकते हैं
पुलिस हिरासत में हिंसा की अखबारी खबरें।
1. भूख हड़ताल पर जाने वाले कैदियों को जबरदस्ती खाना खिलाने की अखबारी रपट।
2. हमारे देश के किसी हिस्से में जातीय हिंसा।
3. महिलाओं के साथ गैर-बराबरी वाले व्यवहार की खबरें।
4. फिर इन मामलों और भारतीय मामलों के बीच समानता और अन्तरों की सूची बनाएँ। यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक मामले के लिए आप ठीक उसी तरह का भारतीय उदाहरण दें।
उत्तर:
छात्र, इस प्रश्न को अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं हल करें।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 84

प्रश्न 5.
चुनी हुई सरकारों द्वारा अपने नागरिक के अधिकार की रक्षा न करने या इन अधिकारों पर हमला करने के उदाहरण कौन से हैं? सरकार ऐसा क्यों करती है?
उत्तर:
चुनी हुई सरकारों द्वारा अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा न कर पाना तथा उन पर आक्रमण होने के उदाहरण हैं-तानाशाही सरकार, औपनिवेशिक सरकार और सैनिक सरकार। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सरकार का सत्ता पर कब्जा बना रहे।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 86

प्रश्न 6.
हर आदमी जानता है कि अमीर आदमी मुकदमे के समय अच्छे वकीलों की मदद ले सकता है। फिर कानून के समक्ष समानता की बात का क्या महत्व रह जाता है?
उत्तर:
यह सत्य है कि अमीर लोग धन की ताकत पर न्यायालय में अच्छे से अच्छा वकील कर सकते हैं। लेकिन संविधान के अनुसार सरकार प्रत्येक व्यक्ति को, उसके माँगने पर, मुफ्त न्यायिक सेवा उपलब्ध करायेगी, ऐसा कानून के समक्ष समानता या कानून की एक समान सुरक्षा के नाम पर किया जाता है।

इसका अर्थ यह है कि कानून अमीर-गरीब में कोई भेद नहीं करता, उसकी दृष्टि में सभी एक समान हैं। धनी लोग चाहे अच्छे वकीलों को एकत्रित कर लें, लेकिन लोकतान्त्रिक व्यवस्था में दोषी पाये जाने पर उन्हें भी वही सजा मिलेगी जो किसी सामान्य नागरिक को मिलती। अतः कानून के सामने समानता का बहुत ही व्यापक अर्थ होता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 87

प्रश्न 7.
किसी भी स्कूल के खेल के दौरान या किसी स्टेडियम में जाकर 400 मीटर दौड़ वाली पट्टी को गौर से देखिए। वहाँ बाहरी लेन में दौड़ने वाले खिलाड़ी को अन्दर वाली लेन के खिलाड़ी रेआगे के स्थान से दौड़ शुरू करने क्यों दिया जाता है? अगर सभी दौड़ने वाले एक ही लाइन पर से दौड़ प्रारम्भ करें तो क्या होगा? इन दोनों स्थितियों में से कौन-कौन सी स्थिति दौड़ के मुकाबले को समान बनाती है? नौकरियों में प्रतिद्वन्द्विता के मामले में भी इसी चीज को लागू कीजिए।
उत्तर:
खेल की शुरुआत के समय लाइन में अपनी दौड़ की शुरुआत करने वाले प्रतियोगियों को अन्दर की लाइन में दौड़ने वाले प्रतियोगियों के आगे रखा गया क्योंकि अन्दर के लाइन की परिधि बाहर के लाइन की परिधि से कम है। अतः प्रतियोगिता के समय न्याय नहीं हो सकेगा। इस हेतु बाहरी लाइन वालों को आगे रखने से दोनों को समान दूरी तय करनी होगी तभी प्रतियोगियों के साथ न्याय हो सकेगा।

यदि सभी प्रतियोगियों को एक ही लेन से दौड़ की शुरुआत करने को कहा जाए तो बाहरी लेन में दौड़ने वालों को अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी तथा वे लक्ष्य तक स्वाभाविक रूप से देर में पहुंचेंगे जो कि न्याय के विरुद्ध होगा। प्रथम स्थिति उचित है जिसमें बाहरी लाइन वालों को अन्दर की लाइन वालों से आगे रखा गया था। इस उदाहरण को नौकरी के क्षेत्र में भी लागू किया जा सकता है। प्रतियोगिता में समान योग्यता वाले विद्यार्थियों को एक साथ रखा जाना चाहिए।

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प्रश्न 8.
किसी भी बड़ी सार्वजनिक इमारत को गौर से देखिए। क्या वहाँ विकलांगों के आने-जाने के लिए अलग से विशेष व्यवस्था है ? विकलांग लोग उस जगह का उपयोग किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह ही कर सकें क्या इसका कोई और विशेष इंतजाम वहाँ है? ज्यादा खर्च होने पर भी क्या वे विशेष इंतजाम किए जाने चाहिए? क्या ये विशेष इंतजाम समानता के सिद्धान्त का उल्लंघन करते हैं?
उत्तर:
हमारे शहर में जय नारायण मेमोरियल ट्रस्ट का एक बड़ा सार्वजनिक भवन है, जहाँ शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए रैम्प बनाए गए हैं। वहाँ पर कई अन्य सुविधाएँ हैं जिनका उपयोग विकलांग लोग आसानी से कर सकते हैं। इस कारण से उस भवन की उपयोगिता विकलांग लोगों के लिए भी उतनी ही है जितनी कि आम लोगों के लिए।

यह सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है, विकलांग भी हमारे समाज के सदस्य होते हैं तथा इस देश के सम्मानित नागरिक हैं, जिन्हें सार्वजनिक भवनों के बराबर उपयोग का अधिकार है। हाँ, ज्यादा खर्च होने पर भी विशेष इंतजाम किये जाने चाहिए, इस तरह के विशेष इंतजाम समानता के सिद्धान्त का उल्लंघन नहीं करते हैं।

प्रश्न 9.
1999 में प्रसिद्ध पत्रकार पी.साईंनाथ ने दलितों या अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अभी तक छुआछूत के व्यवहार पर अंग्रेजी अखबार ‘हिन्दू’ में एक लेखमाला लिखी। वे देश के अनेक स्थानों पर गये और पाया कि अनेक स्थानों पर
1. चाय की दुकानों पर दो तरह के कप रखे जाते हैं-एक दलितों के लिए, दूसरा बाकी लोगों के लिए।
2. हजाम दलितों के बाल नहीं काटते, दाढ़ी नहीं बनाते।
3. दलित छात्रों को कक्षा में अलग बैठना होता है और अलग रखे घड़े से पानी पीना होता है।
4. दलित दूल्हों को बारात में घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया जाता। दलितों को सार्वजनिक हैण्डपम्प से पानी नहीं लेने दिया जाता या उनके पानी भर लेने के बाद हैण्डपम्प को धो दिया जाता है। ये सभी काम छुआछूत की परिभाषा के दायरे में आते हैं। क्या आप अपने इलाके से कुछ ऐसे ही उदाहरण सोच सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, हमने अपने क्षेत्र में लोगों को इस तरह का व्यवहार करते हुए कभी नहीं देखा है। किसी भी रूप में छुआछूत को व्यवहार में लाना एक दंडनीय अपराध है। हमारा संविधान भी इस बात की इजाजत नहीं देता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 88

प्रश्न 10.
क्या गलत और संकीर्ण विचारों का प्रचार करने वालों को भी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता मिलनी चाहिए? क्या उन्हें लोगों को भ्रमित करने की अनुमति दी जानी चाहिए?
उत्तर:
नहीं, ऐसे लोग जो संकीर्ण तथा गलत विचारों को जनता में फैलाते हैं वे एक दंडनीय अपराध कर रहे हैं। उनकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर समाज के हित में रोक लगानी चाहिए। ऐसे लोगों को कोई हक नहीं है कि वे अपने गलत और संकीर्ण विचारों से दूसरों को भ्रमित करें।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 90

प्रश्न 11.
क्या निम्नांकित उदाहरण स्वतन्त्रता के अधिकार के उल्लंघन के हैं? अगर हाँ, तो प्रत्येक में संविधान के कौन-से प्रावधान का उल्लंघन हुआ है?
1. भारत सरकार ने सलमान रुश्दी की किताब ‘सैटेनिक वर्सेज’को इस आधार पर प्रतिबन्धित कर दिया कि इसमें पैगम्बर मोहम्मद के प्रति अनादर का भाव दिखाया गया और इससे मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुँच सकती है।
उत्तर:
नहीं, क्योंकि यदि किसी के विचारों से जनमानस की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है तो उसे प्रतिबन्धित किया जा सकता है।

2. हर फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन पूर्व भारत सरकार के सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र लेना होता है। पर वही कहानी किताब या पात्रिका में छपे तो उस पर ऐसी पाबंदी नहीं है।
उत्तर:
हाँ, यह मामला स्वतन्त्रता के अधिकार के उल्लंघन का उदाहरण है। क्योंकि एक फिल्म का प्रभाव तो शिक्षित अथवा अशिक्षित दोनों ही लोगों पर पड़ सकता है, किन्तु किसी किताब को एक शिक्षित व्यक्ति ही पढ़ता है जिसके पास एक मजबूत विचार होता है। अतः इस तरह की पाबन्दी नहीं लगानी चाहिए।

3. सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि कुछ खास औद्योगिक क्षेत्रों या अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में काम करने वालों को यूनियन बनाने और हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं होगा।
उत्तर:
यह व्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार के उल्लंघन का मामला है। संविधान द्वारा संगठन बनाने का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त है।

4. नगर प्रशासन ने माध्यमिक परीक्षाओं के मद्देनजर शहर में रात 10 बजे के बाद सार्वजनिक लाउडस्पीकर के प्रयोग पर पाबन्दी लगा दी है।
उत्तर:
यह मामला स्वतन्त्रता के अधिकार के हनन का मामला नहीं है, हमें अपने अधिकारों का उसी सीमा तक प्रयोग करने का अधिकार है जिस सीमा तक वे किसी दूसरे के अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हों। बच्चों की परीक्षा को देखते हुए प्रशासन द्वारा लिया गया यह सही फैसला है। हमें इसका पालन करना चाहिए।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 91

प्रश्न 12.
इन खबरों के आधार पर सम्पादक के नाम एक लम्बा पत्र या शोषण के खिलाफ अधिकार के उल्लंघन की बात उजागर करते हुए अदालत के लिए अर्जी लिखिए :
मद्रास हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर की गई। अर्जी दायर करने वाले ने कहा कि सालेम जिले के गाँवों के 7 से 12 वर्ष के उम्र के अनेक बच्चों को ले जाकर केरल के त्रिचूर जिले के ओलुर में बेचा गया है। आवेदनकर्ता ने अदालत से माँग की कि वह सरकार को इस मामले से जुड़े हुए तथ्यों की जाँच कराने का आदेश दे। (मार्च 2005)

कर्नाटक के होमपेट, मांडुर और इकाल इलाके में लौह अयस्क खदानों में पाँच वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों से काम कराया जा रहा है। बच्चों से खुदाई, अयस्क तोड़ने,लादने, गिराने, ढुलाई और कटाई का काम लिया जा रहा है। उनको न तो सुरक्षा के उपकरण दिये जाते हैं न तय मजदूरी और न ही उनके काम का समय तय है। वे बहुत ही जहरीले कचरे को ढोते हैं और खदान की धूल, जो मानक स्तर से काफी अधिक है, भी उनके आँख, नाक, कान में जाती रहती है। इस इलाके में स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ने की दर काफी ऊँची है। (मई 2005)

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के नवीनतम वार्षिक सर्वेक्षण में पाया गया कि ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में लड़कियों से काम कराने का क्रम बढ़ता जा रहा है और अब, ज्यादा बच्चियों से काम कराया जा रहा है। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि पहले जहाँ प्रति हजार कामगारों में बच्चियों की संख्या 34 थी वहीं अब 41 हो गयी है। लड़कों की संख्या का अनुपात 31 बना हुआ है। (अप्रैल, 2005)
उत्तर:
नोट-विद्यार्थी ऊपर लिखे हुए तथ्यों का प्रयोग करते हुए स्वयं पत्र लिखें। इन न्यूज रिपोर्ट्स के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि बच्चों से सम्बन्धित तीनों ही मामलों में बिना किसी सुरक्षा या उपयुक्त माहौल के उनसे खतरनाक काम लिये जा रहे हैं और उन्हें व्यापार की वस्तु बना दिया गया है। सर्वेक्षण रिपोर्ट भी बाल मजदूरों, खासकर महिला बाल मजदूरों की तेजी से बढ़ती संख्या की ओर इशारा कर रही है।

हमारे संविधान में बाल मजदूरी पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। किसी भी व्यक्ति को 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी खतरनाक उद्योग में नियोजित करने का अधिकार नहीं है। यह बच्चों के ऊपर किया जा रहा अत्याचार है। इस सम्बन्ध में माननीय न्यायालय द्वारा आवश्यक कदम उठाते हुए सरकार से तथ्यों की जाँच करने हेतु कहा जाए तथा इसको सही पाये जाने पर आवश्यक कार्यवाही की जाए।

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प्रश्न 13.
क्या आपको अपने प्रदेश में लागू न्यूनतम मजदूरी का पता है? अगर नहीं, तो क्या आप यह पता कर सकते हैं? अपने मुहल्ले में अलग-अलग काम करने वालों से बात करके यह जानने की कोशिश कीजिए कि क्या उनको न्यूनतम मजदूरी मिल रही है। उनसे पूछिए कि क्या उनको न्यूनतम मजदूरी का पता है? उनसे यह भी पूछिए कि उसी काम के लिए क्या मर्द और औरत को समान मजदूरी मिलती है?
उत्तर:
छात्र, इस प्रश्न को अपने शिक्षकों की सहायता से स्वयं हल करें।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 92

प्रश्न 14.
संविधान लोगों का धर्म नहीं तय करता। पर लोगों को अपने धार्मिक कामकाज करने का अधिकार इसे क्यों देना पड़ा?
उत्तर:
एक धर्मनिरपेक्ष प्रजातन्त्र में लोग अपनी पसंद के धर्म का चुनाव करने तथा उसको मानने के लिए स्वतन्त्र हैं। संविधान यह अधिकार देकर धर्म को वैयक्तिक विषय बनाता है। स्वतन्त्रता स्वयं में सबसे बड़ा धर्म है। यदि किसी को धर्म के अनुपालन से कानून द्वारा रोका जाए और किसी खास धर्म को सरकार द्वारा आश्रय दिया जाए, तो वह देश एक धार्मिक देश होगा जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष (पंथ निरपेक्ष) देश है।

हमारे संविधान की प्रस्तावना में इस देश का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष बताया गया है। अर्थात् धर्म के आधार पर यहाँ किसी भी तरह के भेदभाव की सम्भावना नहीं है। अतः व्यक्ति की धार्मिक स्वतन्त्रता की घोषणा आवश्यक है, जो हमारा संविधान करता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 93

प्रश्न 15.
इन खबरों को पढ़िए और प्रत्येक में जिस अधिकार की चर्चा है, उसकी पहचान कीजिए। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी की आपात बैठक में हरियाणा के सिख धार्मिक स्थलों के प्रबन्धन के लिए अलग संगठन बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। सरकार को यह चेतावनी दी गई कि सिख समुदाय अपने धार्मिक मामलों में किसी भी किस्म की दखलंदाजी बरदाश्त नहीं करेगा। (जून 2005)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा देने वाले केन्द्रीय कानून को रद्द कर दिया और मेडिकल स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स में सीटों के आरक्षण को गैर-कानूनी करार दिया। (जनवरी 2005)

राजस्थान सरकार ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाने का फैसला किया है। ईसाई नेताओं का कहना है कि इस विधेयक से अल्पसंख्यकों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।
(मार्च 2005)
उत्तर:
पहले कथन में धर्म की स्वतन्त्रता सम्बन्धी अधिकार की चर्चा की गई है। दूसरे कथन में समानता के अधिकार की चर्चा की गई है। तीसरे कथन में धार्मिक स्वतन्त्रता सम्बन्धी अधिकार की चर्चा की गई है।

प्रश्न 16.
क्या आपको अपने मौलिक अधिकारों के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने से राष्ट्रपति भी रोक सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, भारत के राष्ट्रपति मुझे अपने मौलिक अधिकार प्राप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने से नहीं रोक सकते हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ सं. 95

प्रश्न 17.
क्या आपके राज्य में मानवाधिकार आयोग है? इसकी गतिविधियों के बारे में जानकारियाँ इकट्ठी कीजिए।
उत्तर:
छात्र, इस प्रश्न को अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं हल करें।

प्रश्न 18.
इस अध्याय में आए मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों या आपको ज्ञात किसी भी ऐसे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक आवेदन लिखें।
उत्तर:
छात्र इस प्रश्न को अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं हल करें।

प्रश्न 19.
जरा सोचिए : क्या ये अधिकार सिर्फ वयस्क के लिए हैं? बच्चों के लिए कौन-कौन से अधिकार
उत्तर:
नहीं, ये अधिकार केवल वयस्कों के लिए ही नहीं हैं, ये बच्चों को भी प्राप्त हैं, जैसे-जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार, समानता का अधिकार आदि।

JAC Class 9th Civics लोकतांत्रिक अधिकार Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1.
इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है
(क) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना।
(ख) ईसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना।
(ग) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना।
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।
उत्तर:
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।

प्रश्न 2.
इनमें से कौन-सी स्वतन्त्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है
(क) सरकार की आलोचना की स्वतन्त्रता।
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतन्त्रता।
(ग) सरकार बदलने के लिए आन्दोलन शुरू करने की स्वतन्त्रता।
(घ) संविधान के केन्द्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतन्त्रता।
उत्तर:
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतन्त्रता।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान इनमें से कौन-सा अधिकार देता है
(क) काम का अधिकार।
(ख) पर्याप्त जीविका का अधिकार।
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।
(घ) निजता का अधिकार।
उत्तर:
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।

प्रश्न 4.
उस मौलिक अधिकार का नाम बताएँ जिसके तहत निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ आती हैं
(क) अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतन्त्रता।
(ख) जीवन का अधिकार।
(ग) छुआछूत की समाप्ति।
(घ) बेगार पर प्रतिबन्ध।
उत्तर:
(क) धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार।
(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार।
(ग) समानता का अधिकार।
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

प्रश्न 5.
लोकतन्त्र और अधिकारों के बीच सम्बन्धों के बारे में इनमें से कौन-सा बयान ज्यादा उचित है? अपनी पसंद के पक्ष में कारण बताएँ।
(क) हर लोकतान्त्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।
(ख) अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतान्त्रिक है।
(ग) अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतन्त्र के लिए जरूरी नहीं है।
उत्तर:
(क) यह कथन सर्वाधिक उपयुक्त है, क्योंकि लोकतान्त्रिक देश में वहाँ के नागरिकों को उनके कुछ अधिकारों की गारण्टी दी जाती है। कई बार लोगों के पास गैर-लोकतान्त्रिक देश में भी कुछ अधिकार हो सकते हैं। अतः इस आधार पर उन्हें लोकतान्त्रिक नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 6.
स्वतन्त्रता के अधिकार प्रर ये पाबन्दियाँ उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।
(क) भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।
(ख) स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को सम्पत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।
(ग ) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबन्ध लगाती है।
उत्तर:
(क) यदि सरकार कुछ संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के घूमने पर प्रतिबन्ध लगाती है तो यह सर्वथा उचित है क्योंकि, इससे न केवल सम्बन्धित व्यक्ति/व्यक्तियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, बल्कि इसका फायदा उठाकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोग दुश्मनों से सूचनाओं का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं। साथ ही, इस तरह की स्वतन्त्रता से सीमा के आर-पार अवैध व्यापार तथा घुसपैठ को बढ़ावा मिल सकता है।

(ख) नागरिकों को संविधान द्वारा दी गई स्वतन्त्रता के अन्तर्गत देश में कहीं भी बस जाने की स्वतन्त्रता भी है किन्तु, यदि सरकार स्थानीय लोगों के हित में यह फैसला लेती है कि कोई बाहरी व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता, तो यह उचित ही है। ऐसा वह वहाँ के लोगों की विशेष सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने के लिए करती है।

(ग) लोगों को संविधान के अन्तर्गत अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता प्राप्त है और किताब विचार व्यक्त करने का एक माध्यम है। शर्त यह है कि ऐसे विचार समाज विरोधी अथवा राष्ट्रविरोधी न हों। किन्तु, यदि सरकार सिर्फ इस कारण से किताब के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगाती है कि यह उसकी पार्टी के विरोध में है अथवा आगामी चुनाव में उसकी पार्टी पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, तो यह गलत है। इससे व्यक्ति के स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन होता है।

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प्रश्न 7.
मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के किरानी (लिपिक)ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, ‘झाडू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।’ इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है ? मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।
उत्तर:

दिनांक-05-5-2020

सेवा में,
श्रीमान जिला अधिकारी महोदय,
भरतपुर (राज.)

विषय : मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के सम्बन्ध में।
महाशय,
नम्र निवेदन है कि मैं मनोज पुत्र श्री भगवानदास, निवासी नगर (भरतपुर) ने दिनांक 03-5-2020 को परिवहन डिपो के सरकारी दफ्तर में मैनेजर पद के लिए आवेदन किया था। वहाँ सम्बन्धित क्लर्क ने आवेदन लेने से मना कर दिया। जबकि मैं उक्त पद हेतु समस्त योग्यताओं को पूरा करता हूँ। उक्त कार्यालय में मुझे जातिसूचक शब्दों से भी सम्बोधित किया गया।

श्रीमान् हमारे संविधान में नागरिक को विभिन्न मौलिक अधिकार दिये गए हैं। इस घटना में हमारे ‘अवसर की समानता’ के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। अतः श्रीमान् से मेरा नम्र निवेदन है कि आप उपरोक्त विषय में उचित कार्यवाही करके सम्बन्धित अधिकारी को इस पद के लिए मेरा आवेदन स्वीकार करने का आदेश दें। इसके लिए मैं हमेशा श्रीमान् जी का आभारी रहूँगा।

प्रार्थी
मनोज

प्रश्न 8.
जब मधुरिमा सम्पत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, ”आप अपना नाम मधुरिमा बनर्जी,बेटी ए.के. बनर्जी”नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए। मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, ‘अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?” आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तर:
मेरे विचार में रजिस्ट्रार की सलाह पूर्वाग्रह से प्रभावित तथा अनुचित है। मधुरिमा का कहना बिल्कुल ठीक है कि यदि विवाह के बाद उसके पति का नाम नहीं बदला तो उसका नाम क्यों बदला जाएगा? वास्तव में, इस तरह का रिवाज पुरुष प्रधानता का सूचक है। यह महिला-पुरुष समानता के विचार का विरोध करता है। यह महिला-स्वतन्त्रता की भावना के विरुद्ध है। अतः मधुरिमा को अपना नाम नहीं बदलना चाहिए।

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प्रश्न 9.
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभयारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य से अपनी प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला सम्भावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो।
उत्तर:
सेवा में,

दिनांक-05-5-2020

श्रीमान् अध्यक्ष, महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
महोदय,
निवेदन यह है कि हम वनवासी लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य तथा पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्रों में सैकड़ों वर्षों से रहते आ रहे हैं। हम वनवासियों की प्रत्येक गतिविधि वन से जुड़ी हुई है। हमारी जीविका का मुख्य स्रोत वन हैं। आज मध्य प्रदेश सरकार विकास तथा वन्यजीवों की सुरक्षा के नाम पर हमें यहाँ से हटाना चाहती है इससे हमारा जीवन प्रभावित होगा। अतः, श्रीमान् जी से निवेदन है कि हमारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमें न्याय दिलाएँ। इसके लिए हम वनवासी सदैव आपके आभारी रहेंगे।

प्रार्थी
समस्त वनवासी
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)

सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला सम्भावित जवाब:
क्षेत्र के विकास तथा वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है कि सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य तथा पंचमढ़ी अभ्यारण्य क्षेत्रों से वनवासियों का कहीं दूसरे स्थान पर पुनर्वास किया जाए। इससे वन्यजीवों को सुरक्षा मिलेगी। वहाँ वनवासियों के लिए स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा, आवास आदि जैसी मौलिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा सकेंगी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट:
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान तथा बोरी एवं पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्रों से लोगों के विस्थापन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को देखते हुए आयोग ने सरकार के इस कदम पर असहमति व्यक्त की है। आयोग का कहना है कि सरकार पहले उनकी जीविका तथा पुनर्वास की व्यवस्था करे फिर उन्हें विस्थापित करने जैसा कदम उठाये। इन लोगों की जीविका वनों से चलती है। विस्थापन की स्थिति में हजारों परिवार अपनी रोजी-रोटी खो देंगे अतः, सरकार एक समिति बनाकर पहले इससे जुड़ी सभी समस्याओं की जानकारी ले, फिर अन्य कदम उठाए, ताकि उनके मानवीय अधिकारों की रक्षा हो सके।

प्रश्न 10.
इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल बनाएँ। जैसे आने-जाने की स्वतन्त्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की स्वतन्त्रता का अधिकार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसका कारण है कि आने-जाने की स्वतन्त्रता के चलते व्यक्ति अपने गाँव या शहर के अन्दर ही नहीं, दूसरे गाँव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक में जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को बनाएँ और तीर के निशानों से बताएं कि कौन-से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर तीर के साथ सम्बन्ध बताने वाला एक उदाहरण भी दें।
उत्तर:
JAC Class 9 Social Science Solutions Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार 1

आइए, अखबार पढ़ें

प्रश्न 1.
अभी तक के सभी अध्यायों में हमने अखबार पढ़ने वाला अभ्यास रखा है। आइए, अब अखबारों के लिए लिखने का प्रयास करें। इस अध्याय में आई रिपोर्टों या अपने आसपास के उदाहरणों के आधार पर इन चीजों को लिखने का प्रयास करें
1. मानवाधिकारों का उल्लंघन के मामले पर सम्पादक के नाम पत्र।
2. मानवाधिकार संगठन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति।
3. मौलिक अधिकार सम्बन्धित सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से सम्बन्धित समाचार और उसका शीर्षक।
4. पुलिस हिरासत में मौत की बढ़ती घटनाओं पर संपादकीय टिप्पणी। इन सबको मिलाकर अपने स्कूल के नोटिस बोर्ड के लिए अखबार तैयार करो।
उत्तर:
छात्र, इस प्रश्न को अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं हल करें।

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