JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. किस क्रिया द्वारा प्राकृतिक साधनों को बहुमूल्य पदार्थों में बदला जाता है?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(B) द्वितीयक

2. विनिर्माण में किस तत्त्व का प्रयोग नहीं होता?
(A) शक्ति
(B) मशीनरी
(C) विशेषीकरण
(D) आदिमकालीन औज़ार।
उत्तर:
(D) आदिमकालीन औज़ार।

3. किस उद्योग का विश्व स्तरीय बाजार है? .
(A) शस्त्र निर्माण
(B) एल्यूमीनियम
(C) तेलों के बीज़
(D) घरेलू उद्योग।
उत्तर:
(A) शस्त्र निर्माण

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

4. कौन-सा उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं ?
(A) डेयरी
(B) सूती वस्त्र
(C) हस्तकला
(D) वायुयान।
उत्तर:
(A) डेयरी

5. एल्यूमिनियम उद्योग किस कारक के निकट लगाया जाता है?
(A) बाज़ार
(B) कच्चे माल
(C) कुशलश्रम
(D) ऊर्जा।
उत्तर:
(D) ऊर्जा।

6. कृत्रिम रेशों का उद्योग किस प्रकार का उद्योग है?
(A) जीव आधारित
(B) रासायनिक
(C) खनिज आधारित
(D) कृषि आधारित।
उत्तर:
(B) रासायनिक

7. TIsco किस क्षेत्र का उद्योग है?
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) बहुराष्ट्रीय।
उत्तर:
(B) निजी

8. रुहर औद्योगिक प्रदेश किस देश में है?
(A) इंग्लैण्ड
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) यू० एस० ए०।
उत्तर:
(B) जर्मनी

9. सिलीकॉन घाटी किस नगर के निकट स्थित है?
(A) न्यूयार्क
(B) मांट्रियाल
(C) सेन फ्रांससिस्को
(D) बोस्टन।
उत्तर:
(C) सेन फ्रांससिस्को

10. किस केन्द्र को संयुक्त राज्य का ‘जंग का कटोरा’ कहते हैं ?
(A) पिट्टसबर्ग
(B) शिकागो
(C) गैरी
(D) बुफ़ैलो।
उत्तर:
(A) पिट्टसबर्ग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाकलाप क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए।

प्रश्न 2.
निर्माण उद्योग की सबसे छोटी इकाई क्या है?
उत्तर:
कुटीर उद्योग।

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प्रश्न 3.
सिलिकन घाटी कहां स्थित है ?
उत्तर:
कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य में)।

प्रश्न 4.
विनिर्माण उद्योग का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग।

प्रश्न 5.
बडे पैमाने के उद्योगों का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात।

प्रश्न 6.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते हैं?
उत्तर:
लोहा-इस्पात।

प्रश्न 7.
कृषि-आधारित उद्योग का उदाहरण दो।
उत्तर:
चीनी उद्योग।

प्रश्न 8.
प्लास्टिक उद्योग किस वर्ग का उद्योग है?
उत्तर:
पेट्रो रसायन।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्योग बताओ।
उत्तर:
बोकारो इस्पात कारखाना।

प्रश्न 10.
भारत के किस नगर में हीरे की कटाई का कार्य होता है?
उत्तर:
सूरत में।

प्रश्न 11.
संयुक्त राज्य में सबसे बड़ा लोहा-इस्पात क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
महान् झीलों का क्षेत्र।

प्रश्न 12.
किस क्रिया से आदेशानुसार सामान तैयार किया जाता था?
उत्तर:
शिल्प (Craft)।

प्रश्न 13.
यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था क्या है?
उत्तर:
स्वचालित क्रिया।

प्रश्न 14.
विश्व के कितने प्रतिशत भाग पर विनिर्माण उद्योग है?
उत्तर:
10% भाग पर।

प्रश्न 15.
उद्योगों का स्थानीकरण कहां होना चाहिए?
उत्तर:
उस स्थान पर जहां उत्पादन लागत कम हो।

प्रश्न 16.
सन्तुलित विकास कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक नीतियों द्वारा।

प्रश्न 17.
कृषि आधारित उद्योगों के उदाहरण दो।
उत्तर:
भोजन तैयार करना, शक्कर, अचार तथा फूलों के रस।

प्रश्न 18.
वनों पर आधारित दो उद्योग बताओ।
उत्तर:
कागज़ तथा लाख।

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प्रश्न 19.
धुएं की चिमनी वाले उद्योग बताओ।
उत्तर:
धातु पिघलाने वाले उद्योग।

प्रश्न 20.
जर्मनी का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
रुहर।

प्रश्न 21.
उस उद्योग का प्रकार बताइए जिसे निम्नलिखित विशेषताएं प्राप्त है? एकत्रित करके, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक, उन्नत प्रौद्योगिकी, कई कच्चे मालों का प्रयोग तथा विशाल ऊर्जा का प्रयोग।
उत्तर:
बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग।

प्रश्न 22.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताइए जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-जम्बिया तांबा क्षेत्र।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
द्वितीयक क्रियाकलापों में कौन-सी क्रियाएं सहायक होती हैं ?
उत्तर:
द्वितीय क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक कच्चे माल का रूप बदल कर उसे मूल्यवान बनाया जाता है। इसमें निम्नलिखित क्रियाएं सहायक हैं

  1. विनिर्माण
  2. प्रसंस्करण
  3. निर्माण।

प्रश्न 2.
विनिर्माण में कौन-सी प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं?
उत्तर:

  1. आधुनिक शक्ति का उपयोग
  2. मशीनरी का उपयोग
  3. विशिष्ट श्रमिक
  4. बड़े पैमाने पर उत्पादन
  5. मानक वस्तुओं का उत्पादन।

प्रश्न 3.
द्वितीयक क्रियाकलापों को द्वितीयक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप कच्चे माल का प्रयोग करते हैं। द्वितीयक क्रियाकलाप व निर्माण उद्योग इन वस्तुओं का प्रयोग करके इनका रूप तथा मूल्य बदलते हैं। इसलिए इन्हें द्वितीयक क्रियाकलाप कहते हैं। प्रश्न 4. आधारभूत उद्योगों तथा उपभोग वस्तु निर्माण उद्योगों के दो-दो उदाहरण दें। उत्तर-लोहा-इस्पात, तांबा. उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जब कि चाय, साबुन, उपभोग वस्तु निर्माण उद्योग है।

प्रश्न 5.
लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग अन्य सभी उद्योगों को आधार प्रदान करता है। इसलिए इसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे मशीनें, परिवहन साधन, कृषि उपकरण, सैनिक अस्त्र-शस्त्र आदि बनाए जाते हैं, वर्तमान युग को ‘इस्पात युग’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन कम्पलैक्स अधिकतर तटीय क्षेत्र में क्यों है?
उत्तर:
अधिकतर पैट्रो रसायन कम्पलैक्सों की स्थिति तटीय है क्योंकि खनिज तेल लैटिन अमेरिका तथा पश्चिम एशिया से आयात किया जाता है।

प्रश्न 7.
स्वचालित यन्त्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब यन्त्रीकरण में (मानव के बिना) मशीनों का प्रयोग किया जाता है तो इसे स्वचालित यन्त्रीकरण कहते हैं। यह यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था है। इससे कम्प्यूटर नियन्त्रण प्रणाली (CAD) प्रयोग की जाती है।

प्रश्न 8.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
विज्ञान पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक कम्पलैक्स को प्रौद्योगिक ध्रुव कहते हैं।

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प्रश्न 9.
बाजार से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
बाजार से तात्पर्य उसे क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की मांग हो एवं वहां के निवासियों में खरीदने की शक्ति, (क्रय शक्ति) हो।

प्रश्न 10.
किन कारकों के कारण उद्योगों में श्रम पर निर्भरता को कम कर दिया है
उत्तर:

  1. यन्त्रीकरण में बढ़ती स्थिति
  2. स्वचालित यन्त्रीकरण
  3. औद्योगिक प्रक्रिया का लचीलापन।

प्रश्न 11.
लघु पैमाने के उद्योगों में किन तत्त्वों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:

  1. स्थानीय कच्चे माल
  2. साधारण शक्ति से चलने वाले यन्त्र
  3. अर्द्ध-कुशल श्रमिक।

प्रश्न 12.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्णन करो।
उत्तर:
उद्योगों के लिए कच्चा माल सरलता से उपलब्ध होना चाहिए। भारी कच्चे माल पर आधारित उद्योग हैं इस्पात, चीनी, सीमेंट उद्योग। डेयरी उत्पादन दुग्ध-आपूर्ति स्रोतों के निकट लगाए जाते हैं ताकि ये नष्ट न हों।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।’ दो उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर यह उसे मूल्यवान बना देती है। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त पदार्थों के विषय में भी यह बात सत्य है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएं विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण (अवसंरचना) उद्योग से सम्बन्धित हैं।
उदाहरण:
(1) कपास का सीमित उपयोग है परन्तु तन्तु में परिवर्तित होने के बाद यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जा सकता है।
(2) खदानों से प्राप्त लौह-अयस्क का हम प्रत्यक्ष उपयोग नहीं कर सकते, परन्तु अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो जाता है, और इसका उपयोग कई प्रकार की मशीनें एवं औजार बनाने में होता है।

प्रश्न 2.
आधुनिक निर्माण की क्या विशेषताएं हैं ?
उत्तर:
आधुनिक निर्माण की विशेषताएं हैं –

  1. एक जटिल प्रौद्योगिकी यन्त्र
  2. अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन करना।
  3. अधिक पूंजी
  4. बड़े संगठन एवं
  5. प्रशासकीय अधिकारी-वर्ग।

प्रश्न 3.
कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुएं बताओ।
उत्तर:
इस उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयां, बर्तन, औज़ार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियां उत्पादित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त पत्थर एवं मिट्टी के बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है। सुनार सोना, चांदी एवं तांबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की वस्तुएं बांस एवं स्थानीय वन से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती है।.

प्रश्न 4.
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए किन कारकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए विशाल बाज़ार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश –
यह भारी उद्योग के क्षेत्र होते हैं जिसमें कोयला खदानों के समीप स्थित धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इंजीनियरिंग, रसायन निर्माण, वस्त्र उत्पादन इत्यादि का कार्य किया जाता है। इन्हें धुएं की चिमनी वाला उद्योग भी कहते हैं। परम्परागत औद्योगिक प्रदेशों के निम्न पहचान बिन्दु हैं।

  1. निर्माण उद्योगों में रोजगार का अनुपात ऊंचा होता है।
  2. उच्च गृह घनत्व जिसमें हर घटिया प्रकार के होते हैं एवं सेवाएं अपर्याप्त होती हैं।
  3. वातावरण अनाकर्षक होता है जिसमें गन्दगी के ढेर व प्रदूषण होता है।
  4. बेरोज़गारी की समस्या, उत्प्रवास, विश्वव्यापी मांग कम होने से कारखाने बन्द होने के कारण परित्यक्त भूमि का क्षेत्र।

प्रश्न 6.
यूरोप का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल कौन-सा है तथा क्यों?
उत्तर:
यूरोप में सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल राइन नदी घाटी क्षेत्र है। यह संकुल स्विट्ज़रलैण्ड से लेकर जर्मन संघीय गणराज्य तक विस्तृत है। यहां पर कोयला क्षेत्र स्थित है। यहां रेलमार्गों, नदियों तथा नहरों के जलमार्गों . द्वारा यातायात सुविधाएं हैं। यहां श्रम के साथ-साथ स्थानीय मांग भी है। यहां जल विद्युत् विकास की सुविधा भी है।

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प्रश्न 7.
कच्चे माल के निकट कौन-से उद्योग लगाए जाते हैं? उदाहरण दो।
उत्तर:
कच्चा माल निर्माण उद्योगों का आधार है। जिन उद्योगों का निर्माण के पश्चात् भार कम हो जाता है, वे. उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे गन्ने से चीनी बनाना। जिन उद्योगों में भारी कच्चे माल प्रयोग किए जाते हैं, वे उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग।

प्रश्न 8.
उद्योगों की स्थापना के लिए किस प्रकार के श्रम की आवश्यकता होती है? उदाहरण दें।
उत्तर:
उद्योगों के विकास के लिए सस्ते कुशल तथा प्रचुर श्रम की आवश्यकता होती है। जगाधरी तथा मुरादाबाद . में पीतल के बर्तन बनाने का उद्योग, फिरोजाबाद में शीशे का उद्योग तथा जापान में खिलौने बनाने का उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण है। ..

प्रश्न 9.
विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी क्यों है?
उत्तर:
निर्माण उद्योगों के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इन उद्योगों के लिए मांग क्षेत्र तथा बाजार का होना भी ज़रूरी है। परन्तु विकासशील देशों में पूंजी की कमी है तथा लोगों की क्रय शक्ति कम है। इसलिए मांग भी कम है। इसीलिए विकासशील देशों में भारी उद्योगों की कमी है।

प्रश्न 10.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्राय है? .
उत्तर;
प्रौद्योगिक ध्रुव-इन उच्च-प्रौद्योगिकी क्रिया-कलापों के अवस्थितिक प्रभाव विकसित औद्योगिक देशों में पहले ही देखने को मिल रहे हैं। सर्वाधिक ध्यान देने योग्य घटना नवीन प्रौद्योगिकी संकुलों या प्रौद्योगिक ध्रुव का उद्भव होना है। एक प्रौद्योगिक ध्रुव एक संकेन्द्रित क्षेत्र के भीतर अभिनव प्रौद्योगिकी व उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। प्रौद्योगिक ध्रुव में विज्ञान अथा प्रौद्योगिकी-पार्क, विज्ञान नगर (साइंस-सिटी) तथा दूसरी उच्च तकनीक औद्योगिक संकुल सम्मिलित किये जाते हैं।

प्रश्न 11.
गृह उद्योग क्या हैं ?
उत्तर:
कुटीर उद्योगों को गृह उद्योग कहते हैं। यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुएं तैयार करते हैं। इन वस्तुओं का वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय बाजार में विक्रय कर देते हैं। इनमें कम पूँजी लगी होती है। इन उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्त्व कम होता है। इस उद्योग में खाद्य पदार्थ, कपड़ा, बर्तन, औज़ार, जूते आदि शामिल होते हैं। मिट्टी के बर्तन, चमड़े का सामान,
आभूषण बनाना, बांस से शिल्प वस्तुएं भी तैयार की जाती हैं।

अन्तर स्पष्ट करने वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

व्यक्तिगत क्षेत्र (Private Sector) सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector)
1. जब किसी उद्योग की सारी पूंजी, लाभ, हानि तथा सम्पत्ति एक ही व्यक्ति की होती है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहते हैं। 1. जब किसी उद्योग की पूंजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता तथा समुदाय के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र कहा जाता है।
2. भारत में कई पूंजीपतियों द्वारा चलाए गए उद्योग जैसे टाटा लोहा इस्पात कारखाना व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं। 2. सरकारी भवन, स्कूल, उद्योग इसी क्षेत्र में गिने जाते  हैं जैसे भिलाई इस्पात कारखाना।
3. व्यक्तिगत क्षेत्र के उद्योग जापान, संयुक्त राज्य देशों में प्रचलित हैं, जहां कड़ा मुकाबला होता है। 3. सार्वजनिक क्षेत्र समाजवादी देशों में जैसे भारत, रूस में प्रचलित है।
4. इसमें अधिकतर छोटे पैमाने के उद्योग गिने जाते हैं। 4. इसमें प्रायः भारी उद्योग गिने जाते हैं।

प्रश्न 2.
बड़े तथा लघु पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industries) लघु पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries)
1. इन उद्योगों में ऊर्जा चालित मशीनों से उत्पादन होता हैं। 1. इन उद्योगों में छोटी-छोटी मशीनें लगाई जाती हैं।
2. इसमें बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश किया जाता है। 2. इनमें कम पूंजी निवेश के उद्योग लगाए जाते हैं।
3. ये उद्योग विकसित देशों के विकास का आधार होते हैं। 3. ये उद्योग विकासशील देशों में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न 3.
भारी उद्योग तथा कृषि उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

कृषि उद्योग (Agro-Industries) भारी उद्योग  (Heavy Industries)
1. वे प्रायः प्राथमिक उद्योग होते हैं। 1. ये प्रायः आधारभूत उद्योग होते हैं।
2. ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित होते हैं। 2. इन उद्योगों में शक्ति-चलित मशीनों का अधिक प्रयोग होता है।
3. इनसे कृषि पदार्थों का रूप बदलकर अधिक उपयोगी पदार्थ जैसे कपास से कपड़े बनाए जाते हैं। 3. इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर विषय यन्त्र तथा मशीनें – बनाई जाती हैं।
4. ये श्रम-प्रधान उद्योग होते हैं। 4. ये पूंजी प्रधान उद्योग होते हैं।
5. इसमें प्रायः छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग लगाये जाते हैं। 5. इसमें प्राय: बड़े पैमाने के उद्योग लगाये जाते हैं।
6. पटसन उद्योग, चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग कृषि उद्योग हैं। 6. लोहा-इस्पात, वायुयान, जलयान उद्योग भारी उद्योग हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
विभिन्न आधारों पर उद्योगों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
उद्योगों को आकार, उत्पादन, कच्चे माल तथा स्वामित्व के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटा जाता है।

1. आकार के आधार पर वर्गीकरण-किसी उद्योग के आकार का निश्चय उसमें लगाई गई पूँजी की मात्रा, कार्यरत लोगों की संख्या, उत्पादन की मात्रा आदि के आधार पर किया जाता है। तदानुसार उद्योगों का वर्गीकरण कुटीर उद्योग, लघु पैमाने के उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में किया जा सकता है।

(क) कुटीर उद्योग-कुटीर या गृह उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाइयाँ हैं। इसके हस्तकार या शिल्पकार अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से, स्थानीय कच्चे माल तथा साधारण उपकरणों का उपयोग करके अपने घरों में ही वस्तुओं का निर्माण करते हैं। उत्पादन की दक्षता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है। इनमें उत्पादन छोटे पैमाने पर होता है। औजार तथा उपकरण साधारण होते हैं। उत्पादित वस्तुओं को सामान्यतः स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है। इस प्रकार कुम्हार, बढ़ई, बुनकर, लुहार आदि गृह उद्योग क्षेत्र में ही वस्तुएँ बनाते हैं।

(ख) छोटे पैमाने के उद्योग-इनमें आधुनिक ऊर्जा से चलने वाली मशीनों तथा श्रमिकों की भी सहायता ली जाती है। ये उद्योग कच्चा माल बाहर से भी मंगाते हैं यदि ये स्थानीय बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। ये कुटीर उद्योगों की तुलना में आकार में बड़े होते हैं। इन उद्योगों द्वारा उत्पादित माल को व्यापारियों के माध्यम से स्थानीय बाजारों है। छोटे पैमाने के उद्योग विशेष रूप से विकासशील देशों की घनी जनसंख्या को रोज़गार उपलब्ध कराने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उदाहरण-कुछ देशों जैसे भारत तथा चीन में, कपड़े, खिलौने, फर्नीचर, खाद्य-तेल तथा चमड़े के सामान आदि का उत्पादन छोटे पैमाने के उद्योगों में किया जा रहा है।

(ग) बड़े पैमाने के उद्योग-इनमें भारी उद्योग तथा पूँजी-प्रधान उद्योग सम्मिलित किए जाते हैं, जो भारी मशीनों का प्रयोग करते हैं, बड़ी संख्या में श्रमिकों को लगाते हैं तथा काफ़ी बड़े बाज़ार के लिए सामानों का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों में उत्पाद की गुणवत्ता तथा विशिष्टीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन उद्योगों में बहुत बड़े संसाधन-आधार की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चा माल दर-दर स्थित विभिन्न स्थानों से मँगाया जाता है। वस्तओं का उत्पादन भी बडे पैमाने पर करते हैं तथा उत्पाद दूर-दूर बाजारों में भेजा जाता है। इस प्रकार इन उद्योगों को, अनेक सुविधाओं जैसे सड़क, रेल तथा ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है।

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उदाहरण:
लोहा एवं इस्पात-उद्योग, पेट्रो-रसायन उद्योग, वस्त्र निर्माण उद्योग तथा मोटर कार निर्माण उद्योग आदि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। संयुक्त राज्य, इंग्लैंड तथा यूरोप में से उद्योग उच्च तकनीकी क्षेत्रों में स्थित हैं।

2. आकार तथा उत्पादों की प्रकृति-कुछ भूगोलवेत्ता विनिर्माण उद्योग का विभाजन इनमें कार्य के आकार तथा उत्पादों की प्रकृति दोनों को मिलाकर ही करते हैं।

इस प्रकार, उद्योगों के दो वर्ग होते हैं –
(i) भारी उद्योग बड़े पैमाने के उद्योग हैं। इनके कच्चे माल व तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं। अतः इन्हें कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाता है।
उदाहरण:
जैसे लौह-इस्पात उद्योग

(ii) हल्के उद्योग सामान्यतः छोटे पैमाने के उद्योग हैं। ये हल्के तथा संहत वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों के लिए बाज़ार की निकटता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक होता है।
उदाहरण:
इलेक्ट्रोनिक उद्योग इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।

3. उत्पादन के आधार पर वर्गीकरण –
(क) आधारभूत उद्योग-कुछ उद्योग ऐसे होते हैं जिनके उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के. लिए किया जाता है। इन्हें आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि इसमें उत्पादित इस्पात का उपयोग अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। कुछ आधारभूत उद्योगों में मशीनें बनायी जाती हैं, जो अन्य उत्पादों को बनाने के लिये प्रयोग की जाती हैं।

(ख) वस्तु निर्माण उद्योग-कुछ उद्योग उन उत्पादों का निर्माण करते हैं, जिन्हें सीधे उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है, जैसे चाय, डबल रोटी, साबुन तथा टेलीविज़न । इन्हें उपभोक्ता वस्तु निर्माण उद्योग कहते हैं।

4. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकरण-उद्योगों का वर्गीकरण उनके द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर किया जा सकता है। इस प्रकार इन्हें कृषि आधारित उद्योग, वन आधारित उद्योग, धातु उद्योग तथा रासायनिक उद्योग के रूप में भी विभाजित किया जा सकता है।
(क) कृषि पर आधारित उद्योग-इनमें कृषि से प्राप्त उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। सूती वस्त्र, चाय, चीनी एवं वनस्पति तेल उद्योग इसके उदाहरण हैं।

(ख) वन आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में वनों से प्राप्त उत्पादों का कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है उन्हें वन आधारित उद्योग कहते हैं जैसे कागज़ एवं फर्नीचर उद्योग।

(ग) खनिज आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों का उपयोग कच्चे माल के रूप में होता है, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते हैं। धातुओं पर आधारित उद्योग को धातु उद्योग कहते हैं। इन्हें पुनः लौह धात्विक उद्योगों एवं अलौह धातु उद्योगों में बाँटते हैं। ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश होता है, लौह धातु उद्योग कहलाते हैं, जैसे लोहा-इस्पात उद्योग। दूसरी ओर ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश नहीं होता है, उन्हें अलौह-धातु उद्योग कहते हैं, जैसे तांबा तथा एल्यूमीनियम।

(घ) रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योग-रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योगों को रासायनिक उद्योग की संज्ञा दी जाती है, जैसे पेट्रो-रसायन, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे तथा औषधि निर्माण उद्योग आदि। कुछ रसायन उद्योगों में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, जैसे खनिज-तेल, नमक, गंधक, पोटाश तथा वनस्पति उत्पाद आदि। कुछ रासायनिक उद्योगों में अन्य उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।

5. स्वामित्व के आधार पर वर्गीकरण उद्योगों को स्वामित्व तथा प्रबंधन के आधार पर सरकारी या सार्वजनिक, निजी और संयुक्त क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। जब किसी उद्योग का स्वामित्व तथा प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में हो तो इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग की संज्ञा दी जाती है। राज्य या सरकारें ही ऐसी इकाइयों की स्थापना तथा संचालन करती हैं।

किसी एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के समूह (निगम) के स्वामित्व तथा प्रबंधन में संचालित उद्योग निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं जब एक व्यक्ति अपनी पूँजी लगाकर उद्योग स्थापित करता है, वह उस उद्योग का प्रबंधन निजी उद्योगपति के रूप में करता है। कभी-कभी कुछ व्यक्ति मिलकर सांझेदारी के आधार पर उद्योग स्थापित करते हैं। वे भी निजी उद्योग हैं। ऐसे उद्योगों में पूँजी तथा काम के हिस्से का समझौता पहले ही कर लिया जाता है।

उद्योगों की स्थापना निगमों द्वारा की जाती है। निगम कई व्यक्तियों अथवा संगठनों द्वारा बनाया हुआ ऐसा संघ होता है, जो पूर्व निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करता है। निगम जनता में शेयर बेचकर पूँजी जुटाता है। बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों, जैसे पेप्सी हिन्दुस्तान लीवर तथा जनेरल इलेक्ट्रिक ने भूमंडलीय स्तर पर अनेक देशों में अपने उद्योग स्थापित किए हैं।

प्रश्न 2.
उद्योगों का स्थानीयकरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ? उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
किसी स्थान पर उद्योगों की स्थापना के लिए कुछ भौगोलिक, सामाजिक तथा आर्थिक तत्त्वों का होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कच्चा माल, शक्ति के साधन, श्रम, पूंजी और बाज़ार उद्योगों के महत्त्वपूर्ण निर्धारक हैं। इन्हें उद्योगों के आधारभूत कारक भी कहते हैं। ये सभी कारक मिल-जुल कर प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक कारक का महत्त्व समय, स्थान और उद्योगों के अनुसार बदलता रहता है। इन अनुकूल तत्त्वों के कारण किसी स्थान पर अनेक उद्योग स्थापित हो जाते हैं। यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Region) बन जाता है।

उद्योगों के स्थानीयकरण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. कच्चे माल की निकटता (Nearness of Raw Material) उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित कच्चा माल उद्योगों की आत्मा है। उद्योग वहीं पर स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कच्चा माल अधिक मात्रा में कम लागत पर, आसानी से उपलब्ध हो सके। इसलिए लोहे और चीनी के कारखाने कच्चे माल की प्राप्ति-स्थान के निकट लगाए जाते हैं। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएं जैसे डेयरी उद्योग भी उत्पादक केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं। भारी कच्चे माल के उद्योग उन वस्तुओं के मिलने के स्थान के निकट ही लगाए जाते हैं। इस्पात उद्योग कोयला तथा लोहा खानों के निकट स्थित हैं। कागज़ की लुगदी के कारखाने तथा आरा मिलें कोणधारी वन प्रदेशों में स्थित हैं। जापान तथा ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के लिए हल्के कच्चे माल कपास आदि आयात कर लिए जाते हैं।
उदाहरण:
कच्चे माल की प्राप्ति के कारण ही चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में, पटसन उद्योग पश्चिमी बंगाल में तथा सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र में लगे हुए हैं।

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2. शक्ति के साधन (Power Resources)-कोयला, पेट्रोलियम तथा जल-विद्युत् प्रमुख साधन हैं। भारी उद्योगों में शक्ति के साधनों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इसलिए अधिकतर उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहाँ कोयले की खाने समीप हों या पेट्रोलियम अथवा जल-विद्युत् उपलब्ध हो। भारत में दामोदर घाटी, जर्मनी में रूहर घाटी कोयले के कारण ही प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। खाद व रासायनिक उद्योग, एल्यूमीनियम उद्योग, कागज़ उद्योग, जल विद्युत् शक्ति केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं, क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में सस्ती बिजली की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
भारत के इस्पात उद्योग झरिया तथा रानीगंज की कोयला खानों के समीप स्थित हैं। पंजाब में भाखडा योजना से जल-विद्युत् प्राप्ति के कारण खाद का कारखाना नंगल में स्थित है। इसी कारण रूस में डोनबास औद्योगिक क्षेत्र, यू० एस० ए० में झील क्षेत्र, कोयला खानों के निकट ही स्थित हैं।

3. यातायात के साधन (Means of Transport):
उन स्थानों पर उद्योग लगाए जाते हैं, जहाँ सस्ते, उत्तम, कुशल और शीघ्रगामी यातायात के साधन उपलब्ध हों। कच्चा माल, श्रमिक तथा मशीनों को कारखानों तक पहुँचाने के लिए सस्ते साधन चाहिए। तैयार किए हुए माल को कम खर्च पर बाज़ार तक पहुंचाने के लिए उत्तम परिवहन साधन बहुत सहायक होते हैं।
उदाहरण:
जल यातायात सबसे सस्ता साधन है। इसलिए अधिक उद्योग कोलकाता, चेन्नई आदि बन्दरगाहों के स्थान पर हैं। संसार के दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र यूरोप तथा यू० एस० ए० उत्तरी अन्धमहासागरीय मार्ग के सिरों पर स्थित हैं।

4. जलवायु (Climate):
कुछ उद्योगों में जलवायु का मुख्य स्थान होता है। उत्तम जलवायु मनुष्य की कार्य-कुशलता पर भी प्रभाव डालती है। सूती कपड़े के उद्योग के लिए आर्द्र जलवायु अनुकूल होती है। इस जलवायु में धागा बार-बार नहीं टता। वाययान उद्योग के लिए शुष्क जलवाय की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
मुम्बई में सूती कपड़ा उद्योग आर्द्र जलवायु के कारण तथा बंगलौर में वायुयान उद्योग (Aircraft) शुष्क जलवायु के कारण स्थित है। कैलीफोर्निया में हालीवुड में चलचित्र उद्योग के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि वहां बाह्य शूटिंग के लिए अधिकतर मेघरहित आकाश मिलता है।

5. पूंजी की सुविधा (Capital):
उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहां पूंजी पर्याप्त मात्रा में ठीक समय पर तथा उचित दर पर मिल सके। निर्माण उद्योग को बड़े पैमाने पर चलाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में पूंजी लगाने के कारण उद्योगों का विकास हुआ है। राजनीतिक स्थिरता और बिना डर के पूंजी विनियोग उद्योगों के विकास में सहायक हैं।
उदाहरण:
दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि नगरों में बड़े-बड़े पूंजीपतियों और बैंकों की सुविधा के कारण ही औद्योगिक विकास हुआ है।

6. कुशल श्रमिक (Skilled Labour):
कुशल श्रमिक अधिक और अच्छा काम कर सकते हैं जिससे उत्तम तथा सस्ता माल बनता है। किसी स्थान पर लम्बे समय से एक ही उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के कारण औद्योगिक केन्द्र बन जाते हैं । आधुनिक मिल उद्योग में अधिक कार्य मशीनों द्वारा होता है, इसलिए कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है। लंकाशायर में सूती कपड़ा उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही उन्नत हुआ है। कुछ उद्योगों में अत्यन्त कुशल तथा कुछ उद्योगों में अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। स्विट्ज़रलैंड के लोग घड़ियां, जापान के लोग विद्युत् यन्त्र तथा ब्रिटेन के लोग विशेष वस्त्र निर्माण में प्रवीण होते हैं।
उदाहरण:
मेरठ और जालन्धर में खेलों का सामान बनाने, लुधियाना में हौजरी उद्योग तथा वाराणसी में जरी उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही हैं।

7. सस्ती व समतल भूमि (Cheap and Level Land):
भारी उद्योगों के लिए समतल भूमि आवश्यक होती है। इसी कारण जमशेदपुर का इस्पात उद्योग दामोदर नदी घाटी के मैदानी क्षेत्र में स्थित है।

8. सरकारी नीति (Government Policy):
सरकार के संरक्षण में कई उद्योग विकास कर जाते हैं, जैसे देश में चीनी उद्योग सन् 1932 के पश्चात् सरकारी संरक्षण से ही उन्नत हुआ है। सरकारी सहायता से कई उद्योगों को बहुत-सी सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। सरकार द्वारा लगाए टैक्सों से भी उद्योग पर प्रभाव पड़ता है।

9. सस्ते श्रमिक (Cheap Labour):
सस्ते श्रमिक उद्योगों के लिए आवश्यक हैं ताकि कम लागत पर उत्पादन हो सके। इसलिए अधिकतर उद्योग घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों के निकट लगाए जाते हैं।

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10. बाजार से निकटता (Nearness to Market):
मांग क्षेत्रों का उद्योग के निकट होना आवश्यक है। इससे कम तैयार माल बाजारों में भेजा जाता है। माल की खपत जल्दी हो जाती है तथा लाभ प्राप्त होता है। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के उद्योग जैसे डेयरी उद्योग, खाद्य पदार्थ उद्योग बड़े नगरों के निकट लगाए जाते हैं। यहाँ अधिक जनसंख्या के कारण लोगों की माल खरीदने की शक्ति अधिक होती है। एशिया के देशों में अधिक जनसंख्या है, परन्तु निर्धन लोगों के कारण ऊँचे मूल्य वाली वस्तुओं की मांग कम है। यही कारण है कि विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी है। छोटे-छोटे पुर्जे तैयार करने वाले उद्योग बड़े कारखानों के निकट लगाए जाते हैं जहाँ इन पुों का प्रयोग होता है। वायुयान उद्योग तथा शस्त्र उद्योग का विश्व बाज़ार है।

11. पूर्व आरम्भ (Early Start):
जिस स्थान पर कोई उद्योग पहले से ही स्थापित हो, उसी स्थान पर उस उद्योग के अनेक कारखाने स्थापित हो जाते हैं। मुम्बई में सूती कपड़े के उद्योग तथा कोलकाता में जूट उद्योग इसी कारण से केन्द्रित हैं। किसी स्थान पर अचानक किसी ऐतिहासिक घटना के कारण सफल उद्योग स्थापित हो जाते हैं। जल पूर्ति के लिए कई उद्योग नदियों या झीलों के तटों पर लगाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
संसार के विभिन्न देशों में लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण तथा विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry):
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगिक युग की आधारशिला है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे अनेक प्रकार की मशीनें, परिवहन के साधन, कृषि यन्त्र, ऊँचे-ऊँचे भवन, सैनिक अस्त्र-शस्त्र, टेंक, रॉकेट तथा दैनिक प्रयोग की अनेक वस्तुएं तैयार की जाती हैं। लोहा-इस्पात का उत्पादन ही किसी देश के आर्थिक विकास का मापदण्ड है। आधुनिक सभ्यता लोहा-इस्पात पर निर्भर करती है, इसीलिए वर्तमान युग को “इस्पात युग” (Steel Age) कहते हैं।

लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के तत्त्व (Locational factors) –
लोहा-इस्पात उद्योग निम्नलिखित दशाओं पर निर्भर करता है –
1. कच्चा माल (Raw-Material):
यह उद्योग लोहे तथा कोयले की खानों के निकट लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज़, चूने के पत्थर, पानी तथा रद्दी लोहा (Scrap Iron) आदि कच्चे माल भी निकट ही प्राप्त हौं।

2. कोक कोयला (Coking Coal):
लोहा-इस्पात उद्योग की भट्टियों में लोहा साफ करने के लिए ईंधन के रूप में कोक कोयला प्राप्त हो। कई बार लकड़ी का कोयला भी प्रयोग किया जाता है।

3. सस्ती भूमि (Cheap Land):
इस उद्योग से कोक भट्टियों, गोदामों, इमारतों आदि के बनाने के लिए सस्ती तथा पर्याप्त भूमि चाहिए ताकि कारखानों का विस्तार भी किया जा सके।

4. बाज़ार की निकटता-इस उद्योग से बनी मशीनें तथा यन्त्र भारी होते हैं इसलिए यह उद्योग मांग क्षेत्रों के निकट
लगाए जाते हैं।

5. पूँजी-इस उद्योग को आधुनिक स्तर पर लगाने के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्नत देशों की सहायता से विकासशील देशों में इस्पात कारखाने लगाए जाते हैं।

6. इस उद्योग के लिए परिवहन के सस्ते साधन, कुशल श्रमिक, सुरक्षित स्थान तथा तकनीकी ज्ञान की सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिएं।

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विश्व उत्पादन (World Production):
संसार में लोहा-इस्पात उद्योग का वितरण असमान है। केवल छ: देश संसार का 60% लोहा-इस्पात उत्पन्न करते हैं। पिछले 50 वर्षों में इस्पात का उत्पादन 6 गुना बढ़ गया है।

मुख्य उत्पादक देश
(Main Countries)

1. रूस-रूस संसार में लोहे के उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) यूक्रेन क्षेत्र-यह रूस का सबसे बड़ा प्राचीन तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। किवाइरोग यहां का प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ख) यूराल क्षेत्र-यहां मैगनीटोगोर्क (Magnito- gorsk) तथा स्वर्डलोवस्क (Sverdlovsk) चिलियाबिन्सक प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ग) मास्को क्षेत्र-इस क्षेत्र में मास्को, तुला, गोर्की में इस्पात के कई कारखाने हैं।
(घ) अन्य क्षेत्र (Other Centres) इसके अतिरिक्त पूर्व में स्टालनिसक वालादिवास्टक, ताशकन्द, सैंट पीट्सबर्ग तथा रोसटोव प्रमुख केन्द्र हैं।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.):
यह देश लोहा-इस्पात के उत्पादन में संसार में दूसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) पिट्सबर्ग-यंगस्टाऊन क्षेत्र (जंग का प्रदेश)।
(2) महान् झीलों के क्षेत्र।
(क) सुपीरियर झील के किनारे डयूलथ केन्द्र।
(ख) मिशीगन झील के किनारे शिकागो तथा गैरी।
(ग) इरी झील के किनारे डेट्राइट, इरी, क्लीवलैंड तथा बफैलो।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ - 1
(3) बर्मिंघम-अलबामा क्षेत्र।
(4) मध्य अटलांटिक तट क्षेत्र पर स्पेरोज पोइण्ट, बीथिलहेम तथा मोरिसविले केन्द्र हैं।
(5) पश्चिमी राज्यों में प्यूएबेलो, टेकोमा, सानफ्रांसिस्को, लॉसएंजेल्स और फोण्टाना प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

3. जापान (Japan):
जापान संसार का 15% लोहा-इस्पात उत्पन्न करता है तथा संसार में तीसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) मोजी नागासाकी क्षेत्र जहां यावाता प्रसिद्ध केन्द्र है।
(2) दक्षिण हांशू में कामैशी क्षेत्र।
(3) होकेडो द्वीप में मुरोरान केन्द्र।
(4) कोबे-ओसाका क्षेत्र।
(5) टोकियो याकोहामा क्षेत्र।

4. पश्चिमी जर्मनी (West Germany):
लोहा-इस्पात उद्योग में संसार में इस देश का चौथा स्थान है। अधिकतर उद्योग रूहर घाटी (Ruhr Valley) में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त सार क्षेत्र तथा दक्षिण में भी इस्पात केन्द्र हैं। मुख्य-केन्द्र-ऐसेन (Essen), बोखम (Bochum), डार्टमण्ड (Dortmund), डुसेलडोर्फ (Dusseldorf) तथा सोलिजन (Solingen) प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

5. ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain):
लोहा-इस्पात उद्योग का विकास संसार में सबसे पहले ग्रेट ब्रिटेन में हुआ। मुख्य-केन्द्र-लोहा-इस्पात उद्योग के मुख्य केन्द्र तटों पर स्थित हैं –

  • दक्षिण वेल्ज में कार्डिफ तथा स्वांसी।
  • उत्तर-पूर्वी तट पर न्यू कासिल, मिडिल्सबरो तथा डालिंगटन।
  • यार्कशायर क्षेत्र में शैफील्ड जो चाकू-छुरियों (Cutlery) आदि के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है।
  • मिडलैंड क्षेत्र में बर्मिंघम जिसे अधिक कारखानों के कारण काला प्रदेश (Black Country) भी कहते हैं।
  • स्कॉटलैंड क्षेत्र में कलाईड घाटी में ग्लास्गो।
  • लंकाशायर में फोर्डिघम।

6. चीन-पिछले तीस सालों में चीन ने इस्पात निर्माण में बहुत तेजी से विकास किया है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) मंचूरिया में अन्शान तथा मुकडेन।
(ख) यंगसी घाटी में वुहान, शंघाई।
(ग)शान्सी में बीजिंग, टिटसिन, तियानशान।
(घ) वेण्टन, सिंगटाओ, चिनलिंग चेन तथा होपे अन्य प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

8. भारत (India):
भारत में लोहा-इस्पात उद्योग बहुत पुराना है। भारत में इस्पात उद्योग के लिए अनुकूल साधन मौजूद हैं। पर्याप्त मात्रा में उत्तम लोहा, कोयला, मैंगनीज़ और चूने का पत्थर मिलता है। भारत में संसार का सबसे सस्ता इस्पात बनता है। भारत में लोहा-इस्पात उद्योग में आधुनिक ढंग का कारखाना सन् 1907 में जमशेदपुर (बिहार) में जमशेद जी टाटा द्वारा लगाया गया। दामोदर घाटी में कोयले के विशाल क्षेत्र झरिया, रानीगंज, बोकारो में तथा लोहा सिंहभूमि, मयूरभंज क्योंझर, बोनाई क्षेत्र में मिलता है। इन सुविधाओं के कारण आसनसोल, भद्रावती, दुर्गापुर, भिलाई, बोकारो, राउरकेला में इस्पात के कारखाने हैं। विशाखापट्टनम, हास्पेट, सेलम में नए इस्पात के कारखाने लगाए जा रहे हैं। देश के कई भागों में इस्पात बनाने के छोटे छोटे कारखाने लगाकर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।

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प्रश्न 4.
सिलिकन घाटी पर एक नोट लिखो।
उत्तर:
सिलिकन घाटी-एक प्रौद्योगिक संनगर सिलिकन घाटी का विकास फ्रेडरिक टरमान के कार्यों का प्रतिफल है। वे एक प्रोफेसर थे और बाद में वे कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (सांता क्लारा काउंटी के उत्तरी पश्चिमी भाग में पालो आल्टो नगर स्थित) के उपाध्यक्ष बने। वर्ष 1930 में टरमान ने अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को उसी क्षेत्र में रहकर अपने कारखाने स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसी पहली कम्पनी विलियम हयूलिट और डेविड पैकर्ड द्वारा विश्वविद्यालय परिसर के निकट एक गेराज में स्थापित की गई थी। आज यह विश्व की एक सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक फर्म है।1950 के दशक के अन्त में टरमान ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को ऐसी नवीन उच्च तकनीकी फर्मों के लिए एक विशेष औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए राजी किया।

इसने अभिनव विचारों और महत्त्वपूर्ण विशिष्टीकृत कार्यशक्ति (लोग) तथा उत्पादन सम्बन्धी सेवाएं विकसित करने के लिए एक हाट हाउस (संस्थान) का निर्माण किया। इसमें उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स का सतत् समूहन जारी है तथा इसने दूसरे उच्च तकनीकी उद्योगों को भी आकर्षित किया है। उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका में जैव प्रौद्योगिकी में कार्यरत सम्पूर्ण रोज़गार का एक तिहाई भाग कैलिफोर्निया में अवस्थित है। इसमें से 90 प्रतिशत से अधिक से अधिक सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को आभारी कम्पनियों द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में दान राशि प्राप्त हो रही है जो प्रतिवर्ष करोड़ों डॉलर होती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. इनमें से मानव की प्राथमिक क्रिया कौन-सी नहीं है ?
(A) मत्स्यन
(B) वानिकी
(C) शिकार करना
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

2. इनमें से मानव की प्राचीनतम क्रिया कौन-सी है?
(A) मत्स्य न
(B) एकत्रीकरण
(C) कृषि
(D) उद्योग।
उत्तर:
(B) एकत्रीकरण

3. एकत्रीकरण की क्रिया किस प्रदेश में है?
(A) अमेज़न बेसिन
(B) गंगा बेसिन
(C) हवांग-हो बेसिन
(D) नील बेसिन।
उत्तर:
(A) अमेज़न बेसिन

4. सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त होती है
(A) रबड़
(B) टैनिन
(C) कुनीन
(D) गम।
उत्तर:
(C) कुनीन

5. कौन-सी जनजाति मौसमी पशुचारण की प्रथा करता है?
(A) पिग्मी
(B) रेड इण्डियन
(C) बकरवाल
(D) मसाई।
उत्तर:
(C) बकरवाल

6. गहन निर्वाह कृषि की मुख्य फ़सल कौन-सी है?
(A) चावल
(B) गेहूँ
(C) मक्का
(D) कपास।
उत्तर:
(A) चावल

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7. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि में कौन-सी मुख्य फ़सल है?
(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) मक्का
(D) पटसन।
उत्तर:
(A) गेहूँ

8. फ़ैजण्डा खेतों पर किस फ़सल की कृषि होती है?
(A) चाय
(B) कहवा
(D) गन्ना।
(C) कोको
उत्तर:
(B) कहवा

9. केलों की रोपण कृषि किस प्रदेश में है ?
(A) अफ्रीका
(B) पश्चिमी द्वीप समूह
(C) ब्राज़ील
(D) जापान।
उत्तर:
(B) पश्चिमी द्वीप समूह

10. डेनमार्क किस कृषि के लिए प्रसिद्ध है?
(A) मिश्रित कृषि
(B) पशुपालन
(C) डेयरी उद्योग
(D) अनाज कृषि।
उत्तर:
(C) डेयरी उद्योग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
‘आर्थिक क्रियाओं’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव के वे क्रियाकलाप, जिनसे आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
कोई चार प्राथमिक क्रियाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
आखेट, मत्स्यन, वानिकी, कृषि।।

प्रश्न 3.
आदिम कालीन मानव के दो क्रियाकलाप बताओ।
उत्तर:
आखेट तथा एकत्रीकरण ।

प्रश्न 4.
भारत में शिकार पर क्यों प्रतिबन्ध लगाया गया है?
उत्तर:
जंगली जीवों के संरक्षण के लिए।

प्रश्न 5.
चिकल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह ज़ोपोरा वृक्ष के दूध से बनता है।

प्रश्न 6.
उस वृक्ष का नाम लिखें जिसकी छाल से कनीन बनती है।
उत्तर:
सिनकोना।

प्रश्न 7.
व्यापारिक उद्देश्य के लिए एकत्रीकरण द्वारा प्राप्त तीन वस्तुओं के नाम लिखो। .
उत्तर:
कुनीन, रबड़, बलाटा, गम।

प्रश्न 8.
पशुधन पालन का आरम्भ क्यों हुआ?
उत्तर:
केवल आखेट से जीवन का भरण पोषण न होने के कारण पशुधन पालन आरम्भ हुआ।

प्रश्न 9.
सहारा क्षेत्र तथा एशिया के मरुस्थल में कौन-से पशु पाले जाते हैं ?
उत्तर:
भेड़ें, बकरियां, ऊंट।

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प्रश्न 10.
पर्वतीय क्षेत्र तथा टुण्ड्रा प्रदेश में कौन-से जीव पाले जाते हैं?
उत्तर:
तिब्बत में याक, एण्डीज़ में लामा, टुण्ड्रा में रेण्डियर।

प्रश्न 11.
कौन-से जाति समूह हिमालय पर्वत में मौसमी स्थानान्तरण करते हैं?
उत्तर:
गुज्जर, बकरवाल, गद्दी, भोटिया।

प्रश्न 12.
किस प्रकार के क्षेत्र में गहन निर्वाहक कृषि की जाती है?
उत्तर:
मानसून प्रदेश के सघन बसे प्रदेशों में।

प्रश्न 13.
रोपण कृषि का आरम्भ किसने किया?
उत्तर:
यूरोपियन लोगों ने अपनी कालोनियों में रोपण कृषि आरम्भ की।

प्रश्न 14.
वे तीन युग बताओ जिनमें सभ्यता खनिजों पर आधारित थी?
उत्तर:
तांबा युग, कांसा युग, लौह युग।

प्रश्न 15.
उस देश का नाम बताइए जहां व्यावहारिक रूप से हर किसान सहकारी समिति का सदस्य है।
उत्तर:
डेनमार्क जिसे सहकारिता का देश कहते हैं।

प्रश्न 16.
मानव की सबसे पुरानी दो आर्थिक क्रियाएं लिखो।
उत्तर:
आखेट तथा मत्स्यन।

प्रश्न 17.
सोवियत संघ में सामूहिक कृषि को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
कोल खहोज़।

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प्रश्न 18.
भूमध्य सागरीय कषि के एक उत्पादन का नाम लिखिए।
उत्तर:
अंगूर।

प्रश्न 19.
भारत व श्रीलंका में चाय बागानों का विकास सर्वप्रथम किस देश ने किया था ?
उत्तर:
ब्रिटेन।

प्रश्न 20.
प्राथमिक व्यवसाय में लगे हुए श्रमिक किस रंग (कलर) वाले श्रमिक कहलाते हैं ?
उत्तर:
लाल कलर श्रमिक।

प्रश्न 21.
रेडियर कहां पाला जाता है ?
उत्तर:
टुंड्रा (Tundra) प्रदेश में।

प्रश्न 22.
रोपन कृषि किन प्रदेशों में की जाती है ?
उत्तर:
पश्चिमी द्वीप समूह, भारत, श्रीलंका।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाकलाप क्या है? इनके विभिन्न वर्ग बताओ।
उत्तर:
मनुष्य अपने जीवन यापन के लिए कुछ क्रियाकलाप अपनाता है। मानवीय क्रियाकलाप जिनसे आय प्राप्त होती है, आर्थिक क्रियाकलाप कहलाते हैं। इसे मुख्यतः चार वर्गों में बांटा जाता है –

  1. प्राथमिक
  2. द्वितीयक
  3. तृतीयक
  4. चतुर्थक।

प्रश्न 2.
आदिम कालीन मानव के जीवन निर्वाह के दो साधन बताओ।
उत्तर:
आदिम कालीन मानव अपने जीवन निर्वाह के लिए पूर्णतः पर्यावरण पर निर्भर था। पर्यावरण से दो प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध थे

  1. पशुओं का आखेट करके।
  2. खाने योग्य जंगली पौधे एवं कन्द मूल एकत्रित करके।

प्रश्न 3.
उन तीन प्रदेशों के नाम लिखो जहां वर्तमान समय में भोजन संग्रह (एकत्रीकरण) प्रचलित है।
उत्तर:
भोजन संग्रह (एकत्रीकरण) विश्व के इन प्रदेशों में किया जाता है –

  1. उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली।
  2. निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन, उष्णकटिबन्धीय अफ्रीका।
  3. ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया का आन्तरिक प्रदेश।

प्रश्न 4.
चलवासी पशुचारण से क्या अभिप्राय है? इससे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होती है?
उत्तर:
चलवासी पशुचारण एक प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय रहा है। पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर निर्भर रहते थे। वे अपने पालतू पशुओं के साथ पानी एवं चरागाहों की उपलब्धता की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक फिरते रहते थे। ये पशु इन्हें कपड़े, शरण, औज़ार तथा यातायात की मूल आवश्यकताएं प्रदान करते थे।

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प्रश्न 5.
चलवासी पशुचारकों की संख्या अब घट रही है। क्यों ? दो कारण दो।
उत्तर:
विश्व में लगभग 10 मिलियन पशु चारक हैं जो चलवासी हैं। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन दो कारणों से घट रही है।

  1. राजनीतिक सीमाओं का अधिरोपण
  2. कई देशों द्वारा नई बस्तियों की योजना बनाना।

प्रश्न 6.
वाणिज्य पशुधन पालन से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
वाणिज्य पशुधन पालन एक बड़े पैमाने पर अधिक व्यवस्थित पशुपालन व्यवसाय है। इसमें भेड़, बकरी, गाय, बैल, घोड़े पाले जाते हैं जो मानव को मांस, खालें एवं ऊन प्रदान करते हैं।
विशेषताएं:

  1. यह एक पूंजी प्रधान क्रिया है तथा वैज्ञानिक ढंगों पर व्यवस्थित क्रिया है।
  2. पशुपालन विशाल क्षेत्र पर रैंचों पर होता है।
  3. इसमें मुख्य ध्यान पशुओं के प्रजनन, जननिक सुधार, बीमारियों पर नियन्त्रण तथा स्वास्थ्य पर दिया जाता है।
  4. उत्पादित वस्तुओं को विश्व बाजारों में निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 7.
महत्त्वपूर्ण रोपण कृषि के अधीन फ़सलों के नाम लिखो।
उत्तर:
महत्त्वपूर्ण रोपण फ़सलें निम्नलिखित हैं चाय, कहवा तथा कोको; रबड़, कपास, नारियल, गन्ना, केले तथा अनानास।

प्रश्न 8.
‘बुश-फैलो’ कृषि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि को बुश-फैलो कृषि कहते हैं। वन क्षेत्रों को काटकर या जलाकर भूमि का एक टुकड़ा कृषि के लिए साफ़ किया जाता है। इसे कर्तन एवं दहन कृषि (‘Slash and Burn’) या Bush fallow कृषि कहते हैं।

प्रश्न 9.
झूमिंग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थानान्तरी कृषि को झूमिंग (Jhumming) कहते हैं। असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड में आदिकालीन निर्वाह कृषि की जाती है, वृक्षों को काटकर, जलाकर, कृषि के लिए एक टुकड़ा साफ किया जाता है। कुछ वर्षों के पश्चात् जब खेतों की उर्वरता कम हो जाती है तो नए टुकड़े पर कृषि आरम्भ की जाती है। इससे खेतों का हेर-फेर होता है।

प्रश्न 10.
डेयरी फार्मिंग का विकास नगरीकरण के कारण हुआ है। सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
डेयरी उद्योग मांग क्षेत्रों के समीप लगाया जाता है। यह उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है। इसका औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण से गहरा सम्बन्ध है। नगरों में जनसंख्या की वृद्धि के कारण दुग्ध पदार्थों की मांग अधिक होती है। इसीलिए यूरोप के औद्योगिक क्षेत्रों के निकट तथा महानगरों के निकट डेयरी उद्योग का विकास हुआ है।

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प्रश्न 11.
धान की गहन जीविकोपार्जी कृषि के क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
धान की कृषि मानसून क्षेत्रों में की जाती है। कृषि के सभी कार्य मानवीय हाथों से किए जाते हैं। इसलिए सस्ते तथा अधिक श्रम की आवश्यकता होती है। श्रम की अधिक मांग के कारण इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व उच्च रहता है।

प्रश्न 12.
विस्तृत भूमि अधिकांशतः मशीनों की सहायता से क्यों की जाती है?
उत्तर:
बड़ी-बड़ी जोतों पर मशीनों की सहायता से, बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम है। भूमि एवं मनुष्य अनुपात अधिक है। श्रम महंगा है तथा कम उपलब्ध है। इसलिए कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर कृषि यन्त्रों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 13.
खनन को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
खनन कार्य को प्रभावित करने वाले कारक-खनन कार्य की लाभप्रदता दो बातों पर निर्भर करती है –

  1. भौतिक कारकों में खनिज निक्षेपों के आकार, श्रेणी एवं उपस्थिति की अवस्था को सम्मिलित करते हैं।
  2. आर्थिक कारकों जिसमें खनिज की मांग, विद्यमान तकनीकी ज्ञान एवं उसका उपयोग, अवसंरचना के विकास के लिए उपलब्ध पूंजी एवं यातायात व श्रम पर होने वाला व्यय आता है।

प्रश्न 14.
धरातलीय एवं भूमिगत खनन में अन्तर. स्पष्ट करो।
उत्तर:
खनन की विधियां उपस्थिति की अवस्था एवं अयस्क की प्रकृति के आधार पर खनन के दो प्रकार हैं धरातलीय एवं भूमिगत खनन।

धरातलीय खनन (Open cast Mining):
धरातलीय खनन को विवृत खनन.भी कहा जाता है। यह खनिजों के खनन का सबसे सस्ता तरीका है, क्योंकि इस विधि में सुरक्षात्मक पूर्वोपायों एवं उपकरणों पर अतिरिक्त खर्च अपेक्षाकृत निम्न कम होता है एवं उत्पादन शीघ्र व अधिक होता है।

भूमिगत खनन (Underground Mining):
जब अयस्क धरातल के नीचे गहराई में होता है तब भूमिगत अथवा कूपकी खनन विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में लंबवत् कूपक गहराई तक स्थित हैं, जहां से भूमिगत गैलरियां खनिजों तक पहुंचने के लिए फैली हैं। इन मार्गों से होकर खनिजों का निष्कर्षण एवं परिवहन धरातल तक किया जाता है। खदान में कार्य करने वाले श्रमिकों तथा निकाले जाने वाले खनिजों के सुरक्षित और प्रभावी आवागमन हेतु इसमें विशेष प्रकार की लिफ्ट बोधक (बरमा), माल ढोने की गाड़ियां तथा वायु संचार प्रणाली की आवश्यकता होती है। खनन का यह तरीका जोखिम भरा है क्योंकि जहरीली गैसें, आग एवं बाढ़ के कारण कई बार दुर्घटनाएं होने का भय रहता है। भारत की कोयला खदानों में आग लगने एवं बाढ़ आने की कई दुर्घटनाएँ हुई हैं।

प्रश्न 15.
विकसित देश खनन कार्य से पीछे क्यों हट रहे हैं?
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश उत्पादन की खनन, प्रसंस्करण एवं शोधन कार्य से पीछे हट रहे हैं क्योंकि इसमें श्रमिक लागत अधिक आने लगी है। जबकि विकासशील देश अपने विशाल श्रमिक शक्ति के बल पर अपने देशवासियों के ऊंचे रहन-सहन को बनाए रखने के लिए खनन कार्य को महत्त्व दे रहे हैं। अफ्रीका के कई देश, दक्षिण अमेरिका के कुछ देश एवं एशिया में आय के साधनों का पचास प्रतिशत तक खनन कार्य से प्राप्त होता है।

प्रश्न 16.
ऋतु प्रवास क्या होता है ?
उत्तर:
जब ग्रीष्म ऋतु में चरवाहे पहाड़ी ढलानों पर चले जाते हैं परन्तु शीत ऋतु में मैदानी भागों में प्रवास करते हैं।

प्रश्न 17.
प्राथमिक क्रियाएँ क्या हैं ?
उत्तर:
प्र.यमिक क्रियाकलाप-इस क्रियाकलाप में मुख्य उत्पाद पर्यावरण से सीधे रूप से प्राप्त किए जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राथमिक क्रियाकलापों से क्या अभिप्राय है? ये किस प्रकार पर्यावरण पर निर्भर हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप (Primary Activities)-प्राथमिक क्रियाकलाप वे क्रियाएं हैं जिसमें मुख्य उत्पाद पर्यावरण से सीधे-रूप से प्राप्त किए जाते हैं। इस प्रकार ये क्रियाएं प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर हैं क्योंकि ये पृथ्वी के संसाधनों जैसे भूमि, जल, वनस्पति, भवन निर्माण सामग्री एवं खनिजों का उपयोग करती है।

उदाहरण:
इन क्रियाकलापों में आखेट; भोजन संग्रह, पशुचारण, मत्स्यन, वानिकी, कृषि एवं खनन।

प्रश्न 2.
‘आदिमकालीन समाज जंगली पशुओं पर निर्भर था।’ उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
(i) आदिमकालीन समाज जंगली पशुओं पर निर्भर था। अतिशीत एवं अत्यधिक गर्म प्रदेशों के रहने वाले लोग आखेट द्वारा जीवन-यापन करते थे। प्राचीन-काल के आखेटक पत्थर या लकड़ी के बने औज़ार एवं तीर इत्यादि का प्रयोग करते थे, जिससे मारे जाने वाले पशुओं की संख्या सीमित रहती थी।

(ii) तकनीकी विकास के कारण यद्यपि मत्स्य-ग्रहण आधुनिकीकरण से युक्त हो गया है, तथापि तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग अब भी मछली पकड़ने का कार्य करते हैं। अवैध शिकार के कारण जीवों की कई जातियां या तो लुप्त हो गई हैं या संकटापन्न हैं।

प्रश्न 3.
आदिमकालीन निर्वाह कृषि (स्थानान्तरी कृषि) से क्या अभिप्रायः है? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि (आदिमकालीन निर्वाह कृषि) (Shifting Agriculture) यह कृषि का बहुत प्राचीन ढंग है। यह कृषि उष्ण कटिबन्धीय वन प्रदेशों में आदिवासियों का मुख्य धन्धा है।

वनों को काट कर तथा:
झाड़ियों को जला कर भूमि को साफ कर लिया जाता है। वर्षा काल के पश्चात् उसमें फ़सलें बोई जाती हैं। जब दो तीन फ़सलों के पश्चात् उस भूमि का उपजाऊपन नष्ट हो जाता है, तो उस क्षेत्र को छोड़कर दूसरी भूमि में कृषि की जाती है। यहां खेत बिखरे-बिखरे होते हैं, यह कृषि छोटे पैमाने पर होती है तथा स्थानीय मांग को ही पूरा कर पाती है। यह कृषि प्राकृतिक दशाओं के अनुकूल होने के कारण ही होती है। इसमें खाद, उत्तम बीजों या यन्त्रों का कोई प्रयोग नहीं होता। इस प्रकार की कृषि में खेतों का हेरफेर होता है। इस कृषि पर लागत कम होती है। संसार में इस कृषि के क्षेत्रों का विस्तार कम होता जा रहा है। क्योंकि उपज कम होने तथा मृदा उर्वरता घटने की समस्याएं हैं।

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प्रदेश तथा फ़सलें-प्रायः
इस कृषि में मोटे अनाजों की कृषि होती है जैसे चावल, मक्की, शकरकन्द, ज्वार आदि। भारत में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा मिज़ोरम प्रदेश में झूमिंग (Jhumming) नामक कृषि की जाती है। मध्य अमेरिका में उसे मिलपा (Milpa), मलेशिया तथा इन्डोनेशिया में लदांग (Ladang) कहते हैं।

प्रश्न 4.
गहन निर्वाह कृषि से क्या अभिप्राय है? इसके दो मुख्य प्रकार बताओ। (H.B. 2013)
उत्तर:
गहन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistance Farming) गहन निर्वाह कृषि मानसून प्रदेशों में घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाती है। इसमें छोटे-छोटे खेतों पर प्रचुर मात्रा में श्रम लगाकर, उच्च उपज प्रति हेक्टेयर प्राप्त करके वर्ष में कई फ़सलें प्राप्त की जाती हैं।

गहन निर्वाह कृषि के प्रकार-गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार हैं –
(i) चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि-इसमें चावल प्रमुख फसल होती है। अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण खेतों का आकार छोटा होता है एवं कृषि कार्य में कृषक का सम्पूर्ण परिवार लगा रहता है। भूमि का गहन उपयोग होता है एवं यन्त्रों की अपेक्षा मानव श्रम का अधिक महत्त्व है। उर्वरता बनाए रखने के लिए पशुओं के गोबर का खाद एवं हरी खाद का उपयोग किया जाता है। इस कृषि में प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है, परन्तु प्रति कृषक उत्पादन कम है।

(ii) चावल रहित गहन निर्वाह कृषि-मानसून एशिया के अनेक भागों में उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा अन्य भौगोलिक कारकों की भिन्नता के कारण धान की फ़सल उगाना प्रायः सम्भव नहीं है। उत्तरी चीन, मंचूरिया, उत्तरी कोरिया एवं उत्तरी जापान में गेहं, सोयाबीन, जौ एवं सरघम बोया जाता है। भारत में सिंध-गंगा के मैदान के पश्चिमी भाग में गेहूं एवं दक्षिणी व पश्चिमी शुष्क प्रदेश में ज्वार-बाजरा प्रमुख रूप से उगाया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें
(i) उद्यान कृषि
(ii) बाज़ार के लिए सब्जी खेती
(ii) ट्रक कृषि
(iv) पुष्प कृषि
(v) फल उद्यान।।
उत्तर:
(i) उद्यान कृषि (Horticulture) – उद्यान कृषि व्यापारिक कृषि का एक सघन रूप है। इसमें मुख्यतः। सब्जियां, फल और फूलों का उत्पादन होता है। इस कृषि का विकास संसार के औद्योगिक तथा नगरीय क्षेत्रों के पास होता है। यह कृषि छोटे पैमाने पर की जाती है। परन्तु इसमें उच्च स्तर का विशेषीकरण होता है। भूमि पर सघन कृषि होती है। सिंचाई तथा खाद का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक ढंग, उत्तम बीज तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। उत्पादों को बाजार में तुरन्त बिक्री करने के लिए यातायात की अच्छी सुविधाएं होती हैं। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक होती है।

(ii) बाज़ार के लिए सब्जी खेती (Market Gardening) – बड़े-बड़े नगरों की सीमाओं पर सब्जियों की कृषि की जाती है।
(ii) ट्रक कृषि (Truck Farming) – नगरों से दूर, अनुकूल जलवायु तथा मिट्टी के कारण कई प्रदेशों में सब्जियों या फलों की कृषि की जाती है।
(iv) पुष्प कृषि (Flower Culture) – इस कृषि द्वारा विकसित प्रदेशों में फूलों की मांग को पूरा किया जाता है।
(v) फल उद्यान (Fruit Culture) – उपयुक्त जलवायु के कारण कई क्षेत्रों में विशेष प्रकार के फलों की कृषि की जाती है।

प्रश्न 6.
खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर की जाने वाली यान्त्रिक कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है, परन्तु प्रति व्यक्ति उत्पादन ऊंचा होता है। क्यों?
उत्तर:
(1) खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर कृषि शीत-उष्ण घास के मैदानों में की जाती है। इसे विस्तृत कृषि कहते हैं। यह कृषि बड़े-बड़े फ़ार्मों पर मुख्यतः यान्त्रिक कृषि होती है। इसमें ट्रैक्टर, कम्बाईन, हारवेस्टर आदि मशीनों द्वारा सभी कार्य किए जाते हैं। एक मशीन प्रायः 50 से 100 मानवीय श्रमिकों का कार्य कर सकती है। इसलिए उपज पर उत्पादन खर्च कम होता है। परन्तु प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है।

(2) इन क्षेत्रों में औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 क्विटल होता है। जबकि यूरोप में खाद्यान्न की सघन कृषि द्वारा नीदरलैण्ड, बेल्जियम आदि देशों में प्रति हेक्टेयर उत्पादन 50 क्विटल से अधिक होता है।

(3) यह कृषि कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में होती है, जैसे कनाडा, अर्जेन्टाइना, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में कम जनसंख्या वाले क्षेत्र गेहूं उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। यहां प्रति व्यक्ति उत्पादन बहुत अधिक है क्योंकि श्रमिकों की संख्या कम होती है।

(4) यहां काफ़ी मात्रा में गेहूं निर्यात के लिए बच जाता है। इसलिए इन प्रदेशों को संसार का अन्न भण्डार (Granaries of the world) कहा जाता है।

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प्रश्न 7.
सामूहिक कृषि तथा सहकारी कृषि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

सहकारी कृषि: सामूहिक कृषि:
(i) जब कृषकों का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य सम्पन्न करे उसे सहकारी |कृषि कहते हैं।

इसमें व्यक्तिगत फार्म अक्षुण्ण रहते हुए सहकारी रूप में कृषि की जाती है।

(i) इस प्रकार की कृषि का आधारभूत सिद्धान्त अह। होता है कि इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सम्पूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। कृषि का यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारम्भ हुआ था जहां कृषि की दशा सुधारने एवं उत्पादन में वृद्धि व आत्मनिर्भरता प्राप्ति के लिए सामूहिक कृषि प्रारम्भ की गई। इस प्रकार की सामूहिक कृषि को सोवियत संघ में कोलखहोज़ का नाम दिया गया।
(ii) सहकारी संस्था कृषकों को सभी रूप में सहायता करती है। यह सहायता कृषि कार्य में आने वाली सभी चीजों की खरीद करने, कृषि उत्पाद को | उचित मूल्य पर बेचने एवं सस्ती दरों पर प्रसंस्कृत साधनों को जुटाने के लिए होती है। (ii) सभी कृषक अपने संसाधन जैसे भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य करते हैं। ये अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग अपने अधिकार में भी रखते हैं। सरकार उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है एवं उत्पादन को सरकार ही निर्धारित मूल्य पर खरीदती है। लक्ष्य से अधिक उत्पन्न होने वाला

भाग सभी सदस्यों को वितरित कर दिया जाता है या बाजार | में बेच दिया जाता है।

(iii) सहकारी आन्दोलन एक शताब्दी पूर्व प्रारम्भ हुआ था एवं पश्चिमी यूरोप के डेनमार्क, नीदरलैण्ड, बेल्जियम, स्वीडन एवं इटली में यह सफलतापूर्वक चला। सबसे अधिक सफलता इसे डेनमार्क में मिली जहां प्रत्येक कृषक इसका सदस्य है। (iii) उत्पादन एवं भाड़े पर ली गई मशीनों पर कृषकों को कर चुकाना पड़ता है। सभी सदस्यों को उनके द्वारा किए गए कार्य की प्रकृति के आधार पर भुगतान किया जाता है। असाधारण कार्य करने वाले सदस्य को नकद या । माल के रूप में पुरस्कृत किया जाता है। पूर्व सोवियत संघ की समाजवादी सरकार ने इसे प्रारम्भ किया जिसे अन्य समाजवादी देशों ने भी अपनाया। सोवियत संघ के विघटन के बाद इस प्रकार की कृषि में भी संशोधन किया गया है।

प्रश्न 8.
संसार की रोपण कृषि की किन्हीं छः फसलों के नाम बताइए। रोपण कृषि की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोपण फसलें

  1. चाय .
  2. कॉफी
  3. कोको
  4. कपास
  5. गन्ना
  6. केला

रोपण कृषि की विशेषताएं:

  1. रोपण कृषि में कृषि खेत को बागान कहा जाता है।
  2. इसमें अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है।
  3. इस कृषि में उच्च प्रबन्ध एवं तकनीकी नितांत आवश्यक है।
  4. इसमें वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  5. यह एक फसली कृषि है जिसका निर्यात किया जाता है।
  6. इस फसल की उपज के लिए सस्ते श्रमिक आवश्यक हैं।
  7. इसके लिए यातायात विकसित होता है, जिसके द्वारा बागान एवं बाज़ार सुचारु रूप से जुड़े रहते हैं क्योंकि यह व्यावहारिक कृषि है।

प्रश्न 9.
निर्वाह कृषि किसे कहते हैं ? इस प्रकार की कृषि के दो वर्गों के नाम बताइए। एक वर्ग की तीन तीन मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
निर्वाह कृषि से अभिप्राय ऐसी कृषि से है जिसके सम्पूर्ण अथवा अधिकतर उत्पादों का उपयोग स्वयं कृषक परिवार करता है। कृषि उत्पादों का कम भाग निर्यात होता है।
निर्वाह कृषि को दो वर्गों में बांटा जा सकता है –
(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि
(ii) गहन निर्वाह कृषि मुख्य विशेषताएं

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(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि

  1. इस कृषि को कर्तन एवं दहन कृषि (Slash and Burn) भी कहते हैं।
  2. इसका चलन उष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्रों में है। जहां विभिन्न जनजातियां इस प्रकार की खेती अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया में करती हैं।
  3. वन जलाकर कृषि के लिए भूमि तैयार की जाती है। (4) खेत बहुत छोटे-छोटे होते हैं। प्रति एकड़ उपज बहुत कम है।
  4. खेती पुराने औजारों जैसे-लकड़ी, कुदाल, फावड़े आदि से की जाती है।
  5. कुछ समय पश्चात् जब मिट्टी का उपजाऊपन कम हो जाता है तब कृषक पुराने खेत छोड़ कर नए. क्षेत्र में वन लाकर कृषि के लिए भूमि तैयार करता है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करो
(क) जीविका कृषि तथा व्यापारिक कृषि।
(ख) गहन कृषि तथा विस्तृत कृषि।
उत्तर:
(क) जीविका कृषि (Subsistance Agriculture):
इस कृषि-प्रणाली द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। इस कृषि का मुख्य उद्देश्य भूमि के उत्पादन से अधिक-से-अधिक जनसंख्या का भरण-पोषण किया जा सके। इसे निर्वाहक कृषि भी कहते हैं। स्थानान्तरी कृषि, स्थानबद्ध कृषि तथा गहन कृषि जीविका कृषि कहलाती है। इस कृषि द्वारा बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग को पूरा किया जाता है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि एशिया के मानसूनी प्रदेशों में होती है। चीन, जापान, कोरिया, भारत, बंगला देश, बर्मा (म्यनमार), इण्डोनेशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया में गहन जीविका कृषि होती है। भारत में जीविका कृषि मध्य प्रदेश, बुन्देलखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा दक्षिणी बिहार के पिछड़े हुए भागों में होती है।

विशेषताएं (Characteristics):
इस कृषि में आई प्रदेशों में चावल की फसल प्रमुख होती है, परन्तु कम वर्षा या सिंचित क्षेत्रों में मोटे अनाज, गेहूं, दालें, सोयाबीन, तिलहन उत्पन्न की जाती है।

  1. खेत छोटे आकार के होते हैं।
  2. साधारण यन्त्र प्रयोग करके मानव श्रम पर अधिक जोर दिया जाता है।
  3. खेतों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने तथा मिट्टी का उपजाऊपन कायम रखने के लिए हर प्रकार की खाद, रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जाता है।
  4. भूमि का पूरा उपयोग करने के लिए साल में दो, तीन या चार-चार फसलें भी प्राप्त की जाती हैं। शुष्क ऋतु में अन्य खाद्य फसलों की भी कृषि की जाती है।
  5. भूमि के चप्पे-चप्पे पर कृषि की जाती है। पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाए जाते हैं। अधिकतर कार्य मानव-श्रम द्वारा किए जाते हैं।
  6. चरागाहों के भूमि प्राप्त न होने के कारण पशुपालन कम होता है।

व्यापारिक कृषि (Commercial Agriculture):
इस कृषि में व्यापार के उद्देश्य से फ़सलों की कृषि की जाती है। यह जीविका कृषि से इस प्रकार भिन्न है कि इस कृषि द्वारा संसार के दूसरे देशों को कृषि पदार्थ निर्यात किए जाते हैं। अनुकूल भौगोलिक. दशाओं में एक ही मुख्य फ़सल के उत्पादन पर जोर दिया जाता है ताकि व्यापार के लिए अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।

प्रदेश (Areas):
व्यापारिक कृषि में कई प्रकार से कृषि पदार्थ बिक्री के लिए प्राप्त किए जाते हैं –

  1. इस प्रकार की कृषि शीत-उष्ण घास के मैदानों में अधिक है जहां गेहूं की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है।
  2. उष्ण कटिबन्ध में रोपण कृषि द्वारा चाय, गन्ना, कहवा आदि फ़सलों की कृषि की जाती है।
  3. यूरोप में मिश्रित कृषि द्वारा कृषि तथा पशुपालन पर जोर दिया जाता है।
  4. उद्यान कृषि तथा डेयरी फार्मिंग भी व्यापारिक कृषि का ही एक अंग है।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह आधुनिक कृषि की एक प्रकार है।
  2. इसमें उत्पादन मुख्यतः बिक्री के लिए किया जाता है।
  3. यह कृषि केवल उन्नत देशों में ही होती है।
  4. यह बड़े पैमाने पर की जाती है।
  5. इस कृषि में फ़सलों तथा पशुओं के विशेषीकरण पर ध्यान दिया जाता है।
  6. इसमें रासायनिक खाद, उत्तम बीज, मशीनों तथा जल-सिंचाई साधनों का प्रयोग किया जाता है।
  7. यह कृषि क्षेत्र यातायात के उत्तम साधनों द्वारा मांग क्षेत्रों से.जुड़े होते हैं।
  8. इस कृषि पर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का बहुत प्रभाव पड़ता है।

(ख) गहन कृषि (Intensive Agriculture):
थोड़ी भूमि से अधिक उपज प्राप्त करने के ढंग को गहन कृषि कहते हैं। इस उद्देश्य के लिए प्रति इकाई भूमि पर अधिक मात्रा में श्रम और पूंजी लगाई जाती है। अधिक जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति कृषि योग्य भूमि कम होती है। इस सीमित भूमि से अधिक-से-अधिक उपज प्राप्त करके स्थानीय खपत की पूर्ति की जाती है।

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प्रदेश (Areas):
यह कृषि प्राय: मानसून देशों में की जाती है। जापान, चीन, बंगला देश, भारत, फिलपाइन्स, हिन्द, चीन के देशों में गहन कृषि की जाती है। इन देशों में जनसंख्या घनत्व अधिक है। कृषि योग्य भूमि सीमित है। इन देशों में अधिक वर्षा वाले भागों में धान प्रधान गहन कृषि की जाती है। इस कृषि में एक वर्ष में, एक खेत से, धान की तीन चार फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। कम वर्षा वाले, कम उपजाऊ क्षेत्रों में अन्य फ़सलों के हेर-फेर के साथ धान की कृषि की जाती है।

विशेषताएं (Characteristics) –

  1. यह प्राचीन देशों की कषि प्रणाली है।
  2. खेतों का आकार बहुत छोटा होता है।
  3. कृषि में मानव श्रम अधिक मात्रा में लगाया जाता है। मशीनों का प्रयोग कम होता है।
  4. चरागाहों की कमी के कारण पशुचारण का कम विकास होता है।
  5. खाद, उत्तम बीज, कीटनाशक दवाइयां, सिंचाई के साधन तथा फ़सलों का हेर-फेर का प्रयोग किया जाता है।
  6. इस कृषि में खाद्यान्नों की अधिक कृषि की जाती है।
  7. इससे प्रति हेक्टेयर उपज काफ़ी अधिक होती है; परन्तु प्रति व्यक्ति उपज कम रहती है।
  8. यह कृषि स्थानीय खपत को पूरा करने के उद्देश्य से की जाती है ताकि घनी जनसंख्या वाले देश आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकें।
  9. इस कृषि में खेतों पर ही भारवाहक पशु पाले जाते हैं तथा मछली पकड़ने का धन्धा भी किया जाता है।
  10. भूमि कटाव रोकने के उपाय किए जाते हैं, मिट्टी का उपजाऊपन कायम रखा जाता है, पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाए जाते हैं।
  11. किसान लोग कई सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी इस प्रकार की कृषि करने के कारण बहुत कुशल होते हैं।

विस्तृत कृषि (Extensive Agriculture):
कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में कृषि योग्य भूमि अधिक होने के कारण बड़े-बड़े फार्मों पर होने वाली कृषि को विस्तृत कृषि कहते हैं। कृषि यन्त्रों के अधिक प्रयोग के कारण इसे यान्त्रिक कृषि भी कहते हैं। इस कृषि में एक ही फ़सल के उत्पादन पर जोर दिया जाता है ताकि उपज को निर्यात किया जा सके। इसलिए इसका दूसरा नाम व्यापारिक कृषि भी है। यह कृषि मुख्यत: नए देशों में की जाती है। इसमें अधिक-से-अधिक क्षेत्र में कृषि करके अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह एक आधुनिक कृषि प्रणाली है जिसका विकास औद्योगिक क्षेत्रों में खाद्यान्नों की मांग बढ़ने के कारण हुआ है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि मध्य अक्षांशों में शीत-उष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में की जाती है। रूस में स्टैप प्रदेश उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, अर्जेन्टाइना में पम्पास के मैदानों तथा ऑस्ट्रेलिया में डाऊनज़ क्षेत्र में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन प्रदेशों में प्राचीन काल में चलवासी चरवाहे घूमा करते थे। भूमि का मूल्य बढ़ जाने के कारण विस्तृत खेती के क्षेत्र धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह कृषि समतल भूमि वाले क्षेत्रों पर की जाती है जहां खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  2. कृषि यन्त्रों का अधिक प्रयोग किया जाता है। जैसे ट्रैक्टर, हारवैस्टर, कम्बाईन, धैशर आदि।
  3. खाद्यान्नों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े गोदाम या ऐलीवेटरज़ बनाए जाते हैं। इस कृषि में प्रति हेक्टेयर उपज कम होती है, परन्तु कम जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति उपज अधिक होती है।
  4. यह कृषि व्यापारिक दृष्टिकोण से की जाती है ताकि खाद्यान्नों को मांग क्षेत्रों को निर्यात किया जा सके।
  5. इसमें श्रमिकों का उपयोग कम किया जाता है।
  6. इस कृषि में कम वर्षा के कारण जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं।
  7. इस कृषि में रासायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया जाता है ताकि कुल उत्पादन में अधिक वृद्धि हो सके।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भोजन संग्रहण से क्या अभिप्राय है? इसकी मुख्य विशेषताएं तथा क्षेत्र बताओ। इन कार्यकलाप से एकत्र होने वाले उत्पाद लिखो। भोजन संग्रहण का विश्व में क्या भविष्य है ?
उत्तर:
भोजन संग्रहण मानव का प्राचीनतम कार्यकलाप है। मानव खाने योग्य पौधों एवं कन्दमूल पर निर्वाह करता था।

विशेषताएं:

  1. यह कठोर जलवायुविक दशाओं में किया जाता है।
  2. इसे अधिकतर आदिमकालीन समाज के लोग करते हैं जो भोजन, वस्त्र एवं शरण की आवश्यकता की पूर्ति हेतु पशुओं और वनस्पति का संग्रह करते हैं।
  3. इस कार्य के लिए बहुत कम पूंजी एवं निम्न स्तरीय तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  4. इसमें भोजन अधिशेष भी नहीं रहता है एवं प्रति व्यक्ति उत्पादकता भी कम होती है।

क्षेत्र-भोजन संग्रह विश्व के दो भागों में किया जाता है –

  1. उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली आते हैं।
  2. निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन, उष्णकटिबन्धीय अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया का आन्तरिक प्रदेश आता है।

उत्पाद-आधुनिक समय में भोजन संग्रह के कार्य का कुछ भागों में व्यापारीकरण भी हो गया है।

  1. ये लोग कीमती पौधों की पत्तियां, छाल एवं औषधीय पौधों को सामान्य रूप से संशोधित कर बाजार में बेचने का कार्य भी करते हैं।
  2. पौधे के विभिन्न भागों का ये उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर छाल का उपयोग कुनैन, चमड़ा तैयार करना एवं कार्क के लिए;
  3. पत्तियों का उपयोग, पेय पदार्थ, दवाइयां एवं कांतिवर्द्धक वस्तुएं बनाने के लिए; रेशे को कपड़ा बनाने; दृढ़फल को भोजन एवं तेल के लिए
  4. पेड़ के तने का उपयोग रबड़, बलाटा, गोंद व राल बनाने के लिए करते हैं।
  5. संग्रहण का भविष्य-विश्व स्तर पर संग्रहण का अधिक महत्त्व नहीं है। इन क्रियाओं के द्वारा प्राप्त उत्पाद विश्व बाज़ार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। कई प्रकार की अच्छी किस्म एवं कम दाम वाले कृत्रिम उत्पादों ने कई उत्पादों का स्थान ले लिया है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 1

प्रश्न 2.
विचरणशील पशुपालन की मुख्य विशेषताओं तथा क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
पशुपालन (Pastoralism):
सभ्यता के विकास में पशुओं का पालन एक महत्त्वपूर्ण कार्य था। विभिन्न जलवायु में रहने वाले लोगों ने अपने प्रदेशों के जानवरों को चुना तथा पशुपालन के लिए अपनाया जैसे घास के मैदानों में पशु तथा घोड़े; टुण्ड्रा प्रदेश में भेड़ें तथा रेडियर, ऊष्ण मरुस्थलों में ऊंट; एण्डीज़ तथा हिमालय के ऊंचे पर्वतों पर
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 2
लामा तथा याक। ये पशु दूध, मांस, ऊन तथा खालों के प्रमुख साधन थे। आज भी शीतोष्ण तथा ऊष्ण घास के मैदानों में विचरणशील पशुचारण प्रचलित है।

विचरणशील पशुचारण (Pastoral Nomadism):
यह पशुओं पर निर्वाहक क्रिया है। ये लोग स्थायी तौर पर नहीं रहते। उन्हें खानाबदोश कहते हैं। प्रत्येक जाति का एक निश्चित क्षेत्र होता है। पशु प्रकृति वनस्पति पर निर्भर करते हैं। जिन घास के मैदानों में अधिक वर्षा तथा लम्बी घास होती है वहां पशु पाले जाते हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भेड़ें पाली जाती हैं। ऊंची-नीची ढलानों पर भेड़ें पाली जाती हैं। 6 प्रकार के पशु मुख्य रूप से पाले जाते हैं, भेड़ें, बकरियां, ऊंट, पशु, घोड़े तथा गधे।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

क्षेत्र (Areas):
पशुपालन के 7 बड़े क्षेत्र हैं-उच्च अक्षांशीय ध्रुवीय क्षेत्र, स्टैप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया पर्वतीय क्षेत्र, सहारा, अरब मरुस्थल, उप-सहारा सवाना, एण्डीज़ तथा एशिया के उच्च पठार।

  1. सबसे बड़ा क्षेत्र सहारा के मंगोलिया तक 13000 कि० मी० लम्बा है।
  2. एशियाई टुण्ड्रा के दक्षिणी भाग में ।
  3. दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका। ये प्रदेश अधिक गर्म, अति शुष्क, अति टण्टे हैं ! आजकल 15 से 20 मिलियन लोम विचरालाल पशचारण में लगे हैं।

प्रश्न 3.
संसार के विभिन्न प्रदेशों में वाणिज्यिक पश पालन का वर्णन करो।
उत्तर:
व्यापारिक पशु पालन (Commercial Grazing)-संसार में विभिन्न घास के मैदानों में बड़े पैमाने पर, वैज्ञानिक ढंगों द्वारा, चारे की फसलों की सहायता से पशु पालन होता है। इसे व्यापारिक पशु पालन कहते हैं। शीत उष्ण घास के मैदानों में विचरणशील पशु चारण का स्थान व्यापारिक पशु पालन ने ले लिया है। इन प्रदेशों में 20 सें. मी. वर्षा के कारण घास के मैदान मिलते हैं। ये मैदान सभी महाद्वीपों में बिखरे हुए हैं।

निम्नलिखित शीत उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में व्यापारिक पशु पालन का विकास हुआ है –

1. उत्तरी अमेरिका का प्रेयरी क्षेत्र (Prairies):
संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में शीत-उष्ण घास के मैदानों को प्रेयरी के मैदान कहते हैं। इस प्रदेश में थोड़ी वर्षा के कारण घास अधिक होती है। सैंकड़ों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विशाल चरागाहों पर रैंच (Ranch) बनाए गए हैं। यहां उत्तम नस्ल की जरसी तथा फ्रिजीयन गाय पाली जाती हैं। इस विशाल मैदान पर मिश्रित खेती के रूप में पशु पालन होता है। यहां गोश्त के लिए पशु तथा ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। ऐडवर्ड पठार तथा मैक्सिको पठार में भेड़ें चराई जाती हैं। मांस प्रदान करने वाले पशु अधिकतर मक्का क्षेत्र (Corn belt) में मिलते हैं। यहां पशुओं को मोटा-ताजा बनाने के लिए मक्की की फसल प्रयोग की जाती है। इसलिए DET GICT “In U.S.A., corn goes to the market on hoofs.”

2. पम्पास क्षेत्र:
दक्षिणी अमेरिका में अर्जेन्टाइना, ब्राज़ील तथा युरुगए देशों में शीत-उष्ण घास के मैदानों में व्यापारिक पशु पालन होता है। अर्जेन्टाइना में पम्पास क्षेत्र पैटागोनिया तथा टेराडेल फ्यूगो क्षेत्र में पशु तथा भेड़ें चराई जाती हैं। यहां समशीत जलवायु, 50 सें० मी० से 100 सें० मी० वर्षा, एल्फा-एल्फा (Alafa-Alafa) घास तथा विशाल चरागाहों की सुविधाएं प्राप्त हैं। बड़े-बड़े रैंच (Ranch) बनाकर चारों तरफ तारों की बाड़ लगाई जाती है। अधिकतर पशु मांस के लिए पाले जाते हैं। दक्षिणी भाग में पहाड़ी ढलानों पर ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं।

3. ऑस्ट्रेलिया:
ऑस्ट्रेलिया संसार का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पशु पालन क्षेत्र है। यहां शीत-उष्ण घास के मैदानों को डाऊन्स (Downs) कहते हैं। यहां पशु पालन के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी भाग तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हैं। यहां ऊन तथा मांस के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। न्यू साऊथ वेल्ज़, विक्टोरिया तथा दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया राज्यों में पशु पालन के लिए अनुकूल दशाएं प्राप्त हैं। यहां विशाल घास के मैदान उपलब्ध हैं। सारा वर्ष सम-शीत जलवायु के कारण पशु खुले क्षेत्रों तथा बड़े-बड़े फार्मों पर रखे जा सकते हैं। आर्टिजियन कुओं द्वारा जल प्राप्त हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया संसार में ऊन का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। परन्तु इन प्रदेशों में शुष्क जलवायु के कारण पानी की कमी की समस्या है। जंगली कुत्ते तथा चूहे भी पशु पालन में बहुत बड़ी रुकावट हैं।

4. न्यूजीलैण्ड:
इस देश का आर्थिक विकास पशु पालन पर आधारित है। यहां प्रति व्यक्ति पशुओं का घनत्व संसार में सबसे अधिक है। यहां पर्याप्त वर्षा, सम-शीत उष्ण जलवायु, विशाल पर्वतीय ढलानों पर सारा साल उपलब्ध विशाल चरागाहें, उत्तम नस्ल के पशु, चारे की फसलों का प्राप्त होना आदि अनुकूल दशाओं के कारण व्यापारिक पशु पालन का विकास हुआ है। यह देश उत्तम भेड़ों के मांस (Mutton) के लिए प्रसिद्ध है। उत्तरी टापू तथा दक्षिणी टापू में भेड़ों के अतिरिक्त दूध देने वाले पशु भी पाले जाते हैं। यहां से मांस, ऊन, मक्खन, पनीर भी निर्यात किया जाता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 3

5. दक्षिणी अफ्रीका:
दक्षिणी अफ्रीका के पठार पर मिलने वाले घास के मैदान को वैल्ड (Veld) कहते हैं। यहां औसत वार्षिक वर्षा 75 सें० मी० के लगभग है। समुद्र के प्रभाव के कारण सामान्य तापमान मिलते हैं। दक्षिणी अफ्रीका में अधिकतर भेड़ें तथा अंगोरा बकरियां मांस एवं ऊन के लिए पाली जाती हैं। यहां दूध के लिए स्थानीय नस्ल के पशु पाले जाते हैं। यहां आदिवासी लोग पशु चारण का काम करते हैं। परन्तु श्वेत जातियों के सम्पर्क के कारण ही व्यापारिक पशु पालन का विकास सम्भव हुआ है।

प्रश्न 4.
रोपण कृषि से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं, क्षेत्र तथा फ़सलों का वर्णन करो।
उत्तर:
रोपण कृषि (Plantation Farming):
यह एक विशेष प्रकार की व्यापारिक कृषि है। इसमें किसी एक नकदी की फ़सल की बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। यह कृषि बड़े-बड़े आकार से खेतों या बाग़ान पर की जाती है इसलिए इसे बाग़ाती कृषि भी कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फ़सलें रबड़, चाय, कहवा, कोको, गन्ना, नारियल, केला आदि हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रदेश (Areas):
रोपण कृषि के मुख्य क्षेत्र उष्ण कटिबन्ध में मिलते हैं –

  1. पश्चिमी द्वीपसमूह, क्यूबा, जमैका आदि।
  2. पश्चिमी अफ्रीका में गिनी तट।
  3. एशिया में भारत, श्रीलंका, मलेशिया तथा इण्डोनेशिया।

विशेषताएं (Characteristics)

  1. यह कृषि बड़े-बड़े आकार के फ़ार्मों पर की जाती है। इन बागानों का आकार 40 हेक्टेयर से 60,000 हेक्टेयर तक होता है।
  2. इसमें केवल एक फ़सल पर बिक्री के लिए कृषि पर जोर दिया जाता है। इसका अधिकतर भाग निर्यात कर दिया जाता है।
  3. इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों, मशीनों, उर्वरक, अधिक पूंजी का प्रयोग होता है ताकि प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया जा सके, उत्तम कोटि का अधिक मात्रा में उत्पादन हो।
  4. इन बागानों पर बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक काम करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ प्रदेशों में दास श्रमिकों या नीग्रो लोग भी काम करते हैं। श्रीलंका के चाय के बागान तथा मलेशिया में रबड़ के बागान पर भारत के तमिल लोग काम करते हैं।
  5. इन बागानों पर अधिकतर पूंजी, प्रबन्ध व संगठन यूरोपियन लोगों के हाथ में है।
  6. रोपण कृषि के प्रमुख क्षेत्र समुद्र के किनारे स्थित हैं जहां सड़कों, रेलों, नदियों तथा बन्दरगाहों की यातायात की सुविधाएं प्राप्त हैं।
  7. रोपण कृषि के बाग़ान विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में अधिक भूमि प्राप्त होने के कारण लगाए जाते हैं।
  8. रोपण कृषि में वार्षिक फ़सलों की बजाय चिरस्थायी वृक्षों या झाड़ी वाली फ़सलों की कृषि की जाती है।

क्षेत्र –

  1. अधिकतर रोपण कृषि ब्रिटिश लोगों द्वारा स्थापित की गई। मलेशिया में रबड़, भारत और श्रीलंका में चाय के बागान हैं।
  2. फ्रांसीसी लोगों ने पश्चिमी अफ्रीका में कोको तथा कहवा के बाग़ लगाए।
  3. ब्रिटिश लोगों के पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ने व केले के बाग़ लगाए।
  4. स्पेनिश तथा अमरीकी लोगों ने नारियल तथा गन्ने के बाग़ान फिलीपाइन्ज़ में लगाए।

प्रश्न 5.
मिश्रित कृषि तथा डेयरी फार्मिंग में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर
मिश्रित कृषि
(Mixed Agriculture)
जब फ़सलों की कृषि के साथ-साथ पशु पालन आदि सहायक धन्धे भी अपनाए जाते हैं तो उसे मिश्रित कृषि कहते हैं। इस कृषि में दो प्रकार की फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं-खाद्यान्न तथा चारे की फ़सलें। संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्का पट्टी (Corn Belt) में मांस प्राप्त करने के लिए पशुओं को मक्का खिलाया जाता है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि समस्त यूरोप में, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में, पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड में अपनाई जाती है।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. इस कृषि में खाद्यान्नों को चारे की फ़सलों के साथ हेर-फेर के साथ उगाते हैं।
  2. कृषि के लिए वैज्ञानिक ढंग प्रयोग किए जाते हैं।
  3. इस कृषि में यन्त्रों, मकानों, गोदामों, खाद तथा श्रमिकों आदि पर बहुत अधिक धन व्यय किया जाता है।
  4. इस कृषि में किसानों की आय के कई साधन बन जाते हैं। बाजार में गिरावट आने से हानि से रक्षा होती है। श्रमिकों को पूरा वर्ष नियमित रूप से काम मिलता रहता है।

डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming):
दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, पनीर, जमाया हुआ दूध, पाऊडर दूध आदि प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओं को पालने के धन्धे को डेयरी फार्मिंग कहते हैं।

आवश्यक भौगोलिक दशाएं (Geographical Conditions):
डेयरी उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं अनुकूल होती हैं –

  1. जलवायु-डेयरी उद्योग के लिए सम-शीत-उष्ण जलवायु अनुकूल रहती है।
  2. चरागाहों का होना-दुधारू पशुओं के लिए विशाल प्राकृतिक चरागाहों की आवश्यकता होती है।
  3. मांग क्षेत्रों से समीपता-दूध के शीघ्र खराब होने के कारण डेयरी उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है।
  4. निपुण श्रमिक-पशुओं की नस्ल सुधार, दूध दोहने के यन्त्रों का प्रयोग, अनुसन्धान तथा वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग के लिए निपुण श्रमिक चाहिए।
  5. पूंजी-पशुओं के लिए शैड बनाना, डॉक्टरी सहायता देना, चारे की फ़सल उगाने, गोदाम बनाने तथा मशीनों के निर्माण के लिए काफ़ी पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रमुख क्षेत्र (Areas):
संसार के बड़े-बड़े डेयरी क्षेत्र सम-शीत-उष्ण कटिबन्ध में स्थित देशों में हैं।

  1. उत्तर-पश्चिमी यूरोप में इंग्लैण्ड, आयरलैंड, बैल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैण्ड, स्विट्ज़रलैण्ड, फ्रांस आदि देशों में डेयरी उद्योग बहुत उन्नत है।
  2. उत्तर-पूर्वी अमेरिकन क्षेत्रों में अन्धमहासागर से लेकर महान् झीलों तक यू० एस० ए० तथा कनाडा में डेयरी उद्योग मिलता है।
  3. ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग न्यूज़ीलैण्ड में।
  4. दक्षिणी अफ्रीका में।
  5. पम्पास घास के मैदानों में।
  6. एशिया में जापान तथा भारत में

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 4

विशेषताएं (Characteristics):

  1.  इस कृषि में खाद्यान्नों को चारे की फ़सलों के साथ हेर-फेर के साथ उगाते हैं।
  2. कृषि के लिए वैज्ञानिकादंग प्रयोग किए जाते हैं।
  3. इस कृषि में यन्त्रों, मकानों, गोदामों, खाद तथा श्रमिकों आदि पर बहुत अधिक धन व्यय किया जाता है।
  4. इस कृषि में किसानों की आय के कई साधन बन जाते हैं। बाजार में गिरावट आने से हानि से रक्षा होती है। श्रमिकों को पूरा वर्ष नियमित रूप से काम मिलता रहता है।

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डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming):
दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, पनीर, जमाया हुआ दूध, पाऊडर दूध आदि प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओं को पालने के धन्धे को डेयरी फार्मिंग कहते हैं।

आवश्यक भौगोलिक दशाएं (Geographical Conditions):
डेयरी उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं अनुकूल होती हैं –

  1. जलवायु-डेयरी उद्योग के लिए सम-शीत-उष्ण जलवायु अनुकूल रहती है।
  2. चरागाहों का होना-दुधारू पशुओं के लिए विशाल प्राकृतिक चरागाहों की आवश्यकता होती है।
  3. मांग क्षेत्रों से समीपता-दूध के शीघ्र खराब होने के कारण डेयरी उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है।
  4. निपुण श्रमिक-पशुओं की नस्ल सुधार, दूध दोहने के यन्त्रों का प्रयोग, अनुसन्धान तथा वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग के लिए निपुण श्रमिक चाहिए।
  5. पूंजी-पशुओं के लिए शैड बनाना, डॉक्टरी सहायता देना, चारे की फ़सल उगाने, गोदाम बनाने तथा मशीनों के निर्माण के लिए काफ़ी पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रमुख क्षेत्र (Areas):
संसार के बड़े-बड़े डेयरी क्षेत्र सम-शीत-उष्ण कटिबन्ध में स्थित देशों में हैं।

  1. उत्तर-पश्चिमी यूरोप में इंग्लैण्ड, आयरलैंड, बैल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैण्ड, स्विट्ज़रलैण्ड, फ्रांस आदि देशों में डेयरी उद्योग बहुत उन्नत है।
  2. उत्तर-पूर्वी अमेरिकन क्षेत्रों में अन्धमहासागर से लेकर महान् झीलों तक यू० एस० ए० तथा कनाडा में डेयरी उद्योग मिलता है।
  3. ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग न्यूज़ीलैण्ड में।
  4. दक्षिणी अफ्रीका में।
  5. पम्पास घास के मैदानों में।
  6. एशिया में जापान तथा भारत में
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JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. विकास का अर्थ है
(A) गुणात्मक परिवर्तन
(B) ऋणात्मक परिवर्तन
(C) गुणों में कमी
(D) साधारण परिवर्तन।
उत्तर:
(A) गुणात्मक परिवर्तन

2. आरम्भिक काल में विकास के माप का क्या मापदण्ड था ?
(A) औद्योगिक विकास
(B) कृषि विकास
(C) आर्थिक विकास
(D) जनसंख्या वृद्धि।
उत्तर:
(C) आर्थिक विकास

3. मानवीय विकास का कौन-सा अंग नहीं है ?
(A) अवसर
(B) स्वतन्त्रता
(C) स्वास्थ्य
(D) लोगों की संख्या।
उत्तर:
(D) लोगों की संख्या।

4. मानव विकास सूचकांक का प्रतिपादन कब किया गया ?
(A) 1980
(B) 1985
(C) 1990
(D) 1995.
उत्तर:
(C) 1990

5. मानव विकास का कौन-सा मूल बिन्दु नहीं है ?
(A) संसाधनों तक पहुंच
(B) उत्तम स्वास्थ्य
(C) शिक्षा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

6. समता की राह में कौन-सी बाधा नहीं है ?
(A) लिंग
(B) प्रजाति
(C) जाति
(D) स्वतन्त्रता।
उत्तर:
(D) स्वतन्त्रता।

7. कितने देशों का उच्च विकास सूचकांक है ?
(A) 37
(B) 47
(C) 57
(D) 67
उत्तर:
(C) 57

8. कितने देशों में निम्न सूचकांक है ?
(A) 12
(B) 22
(C) 32
(D) 42.
उत्तर:
(C) 32

9. उच्च विकास सूचकांक का स्कोर क्या है ?
(A) 0.6 से ऊपर
(B) 0.7 से ऊपर
(C) 0.8 से ऊपर
(D) 0.9 से ऊपर।
उत्तर:
(C) 0.8 से ऊपर

10. भारत का सन् 2003 के अनुसार विश्व में मानव सूचकांक के आधार पर स्थान है
(A) 107
(B) 117
(C) 126
(D) 137
उत्तर:
(C) 126

11. कौन-सा देश मानव विकास सूचकांक में विश्व में पहले स्थान पर है ?
(A) कनाडा
(B) नार्वे
(C) आइसलैंड
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(D) ऑस्ट्रेलिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
समाज के किस वर्ग से मानव विकास की अवधारणा सम्बन्धित है ?
उत्तर:
राष्ट्रों तथा समुदायों से।

प्रश्न 2.
दक्षिण पूर्वी एशिया के दो अर्थशास्त्रियों के नाम लिखो जिन्होंने मानवीय विकास की अवधारणा प्रस्तुत की ?
उत्तर:
डॉ० महबूब-उल-हक तथा प्रो० अमर्त्य सेन।

प्रश्न 3.
किसने मानव सूचकांक का विचार प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
पाकिस्तान के अर्थशास्त्री डॉ० महबूब-उल-हक ने 1990 में।

प्रश्न 4.
धनात्मक वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब धनात्मक रूप से गणों में वद्धि होती है। यह वर्तमान दशाओं में वद्धि से होती है।

प्रश्न 5.
विकास का क्या मापदण्ड था ?
उत्तर:
आर्थिक वृद्धि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 6.
मानव विकास के चार स्तम्भों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. समता
  2. सतत् पोषणीयता
  3. उत्पादकता
  4. सशक्तिकरण।

प्रश्न 7.
भारत के किस वर्ग के लोगों के बच्चे विद्यालयों से विरत होते हैं ?
उत्तर:
सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग।

प्रश्न 8.
सशक्तिकरण के दो आवश्यक तत्त्व बताओ।
उत्तर:
सुशासन तथा लोकोन्मुखी नीतियां।

प्रश्न 9.
संसाधनों की पहुंच का मापदण्ड बताओ।
उत्तर:
क्रय शक्ति एवं मानव ज्ञान शक्ति।

प्रश्न 10.
ILO को विस्तृत करो।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour or Organisation)।

प्रश्न 11.
UNDP को विस्तत करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme)।

प्रश्न 12.
GNH को विस्तृत करो।
उत्तर:
सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Happiness)।

प्रश्न 13.
किस देश ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अवधारणा प्रस्तुत की ?
उत्तर;
भूटान।

प्रश्न 14.
कितने देशों में उच्च मानवीय विकास सूचकांक है ?
उत्तर:

प्रश्न 15.
भारत का विश्व में सन् 2005 के अनुसार मानव विकास सूचकांक में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
126.

प्रश्न 16.
सन् 2018 की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में भारत का क्या स्थान है ?
उत्तर:
130 वां।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विकास से क्या अभिप्राय है ? इसके तीन मूल बिन्दु बताओ।
उत्तर:
विकास का अर्थ है गुणात्मक परिवर्तन। इसके तीन मूल बिन्दु हैं –
(1) लोगों के जीवन की गुणवत्ता
(2) अवसरों तक पहुंच
(3) लोगों की स्वतन्त्रता।

प्रश्न 2.
डॉ० हक द्वारा प्रस्तुत मानव विकास अवधारणा का वर्णन करो।
उत्तर:
डॉ० महबूब-उल-हक के अनुसार मानव विकास लोगों के उत्तम जीवन के विकल्पों में वृद्धि करता है तथा उनके जीवन में सुधार लाता है। सभी प्रकार के विकास का केन्द्र बिन्दु मानव है। इनके विकल्प स्थिर नहीं हैं बल्कि परिवर्तनशील हैं। विकास का मूल उद्देश्य सभी दशाओं को उत्पन्न करना है जिसमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। लोग स्वस्थ हों, अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सके तथा अपने उद्देश्य को पूरा करने में स्वतन्त्र हों।

प्रश्न 3.
एक सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएं हैं –

  1. दीर्घ तथा स्वस्थ जीवन
  2. ज्ञान में वृद्धि
  3. एक सार्थक जीवन के पर्याप्त साधन।
  4. संसाधनों तक पहुंच।

प्रश्न 4.
कुछ लोगों में आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतन्त्रता नहीं होती। क्यों ?
उत्तर:
कुछ लोगों में क्षमता तथा स्वतन्त्रता नहीं होती कि वह अपने विकल्प तय कर सकें क्योंकि

  1. उनमें ज्ञान प्राप्त करने की अक्षमता
  2. भौतिक निर्धनता
  3. सामाजिक भेदभाव
  4. संस्थाओं की अक्षमता।

उदाहरण:
एक अशिक्षित बच्चा डॉक्टर बनने का विकल्प नहीं चुन सकता। एक निर्धन बीमारी के लिए चिकित्सा उपचार नहीं चुन सकता क्योंकि उसके संसाधन कम होते हैं।

प्रश्न 5.
प्रो० अमर्त्य सेन के अनुसार मानव विकास की अवधारणा क्या है ?
उत्तर:
अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य ध्येय स्वतन्त्रता में वृद्धि के रूप में देखा। स्वतन्त्रता में वृद्धि ही विकास लाने वाला सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है। इनका कार्य स्वतन्त्रता की वृद्धि में सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं तथा प्रक्रियाओं की भूमिका का अन्वेषण करता है।

प्रश्न 6.
वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
वृद्धि और विकास दोनों समय के संदर्भ में परिवर्तन को प्रकट करते हैं। वृद्धि मात्रात्मक तथा मूल्य निरपेक्ष है। यह धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों हैं। इसमें वृद्धि तथा ह्रास दोनों हो सकते हैं। विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन है। यह मूल्य सापेक्ष होता है। विकास का अर्थ है वर्तमान दशाओं में वृद्धि का होना। विकास का अर्थ है सकारात्मक वृद्धि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 7.
सार्थक जीवन की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
सार्थक जीवन केवल दीर्घ नहीं होता। जीवन का कोई उद्देश्य होना आवश्यक है।

  1. लोग स्वस्थ हो।
  2. लोग अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सके।
  3. वे समाज में प्रतिभागिता करें।
  4. अपने उद्देश्य की पूर्ति में स्वतन्त्र हों।

प्रश्न 8.
समता से क्या अभिप्राय है ? इसकी आपूर्ति में क्या रुकावटें हैं ?
उत्तर:
समता का अर्थ है सबको समान अवसर उपलब्ध कराना। यह अवसर समान हों। परन्तु इसके मार्ग में कई अवरोध हैं। जैसे

  1. लिंग
  2. प्रजाति
  3. आय
  4. जाति।

प्रश्न 9.
सतत पोषणीयता का अर्थ क्या है ? इसके लिए किन-किन साधनों का उपयोग आवश्यक है ?
उत्तर:
सतत पोषणीयता का अर्थ है अवसरों में निरन्तरता रखना। प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर प्राप्त हों। इसके लिए निम्न संसाधनों का उपयोग आवश्यक है –

  1. पर्यावरणीय संसाधन
  2. वित्तीय संसाधन
  3. मानव संसाधन।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादकता से क्या अभिप्राय है ? इसमें किस प्रकार वृद्धि की जा सकती है ?
उत्तर:
उत्पादकता का अर्थ है मानव श्रम सेवाओं या सामग्री द्वारा उत्पादन करना अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में उत्पादन क्षमता को बढ़ाना। इसमें वृद्धि करने के उपाय हैं –

  1. लोगों में क्षमताओं का निर्माण करना
  2. लोगों के ज्ञान में वृद्धि करना
  3. बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करके
  4. कार्यक्षमता बेहतर करके।

प्रश्न 2.
सशक्तिकरण से क्या अभिप्राय है ? लोगों को कैसे सशक्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
सशक्तिकरण का अर्थ है-अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति से स्वतन्त्रता और क्षमता बढ़ती है। लोगों को सशक्त करने के उपाय हैं –

  1. सुशासन
  2. लोकोन्मुखी नीतियां
  3. बढ़ती स्वतन्त्रता
  4. बढ़ती क्षमता।

प्रश्न 3.
मानव विकास के चार उपागम बताओ।
उत्तर:

  1. आय उपागम
  2. कल्याण उपागम
  3. आधारभूत आवश्यकता उपागम
  4. क्षमता उपागम।

प्रश्न 4.
Human Development Index (HDI) किन तत्त्वों द्वारा मापा जाता है ? इसका स्कोर क्या है ?
उत्तर:
HDI के मूल सूचक हैं –

  1. स्वास्थ्य
  2. शिक्षा
  3. संसाधनों तक पहुंच इसका स्कोर 0-1 तक है।

प्रश्न 5.
Human Development Index (HDI) सर्वाधिक विश्वसनीय माप नहीं है। क्यों ?
उत्तर:

  1. यह मानव ग़रीबी का सही मापक नहीं है।
  2. यह बिना आय वाला माप है।
  3. प्रौढ़ निरक्षरता तथा ग़रीबी सूचकांक मानव विकास का अधिक उद्घाटित करने वाला है।

प्रश्न 6.
सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
भूटान विश्व में अकेला देश है जिसमें (GNH) की अवधारणा प्रस्तुत की जोकि विकास का मापक है। प्रसन्नता की कीमत पर भौतिक प्रगति नहीं होती। (GNH) हमें विकास के आध्यात्मिक, भौतिकता, गुणात्मक पक्षों के सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 7.
मानव विकास के मापन के तीन प्रमुख क्षेत्रों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के मापन के क्षेत्र
1. स्वास्थ्य- यह सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) को दर्शाता है। विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा 65 वर्ष है।
2. शिक्षा-प्रौढ़ साक्षरता दर पढ़ और लिख सकने वाले व वयस्कों की संख्या और विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या दर्शाती है।
3. संसाधनों तक पहुंच को क्रय शक्ति तथा प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में मापा जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
मानवीय विकास से क्या अभिप्राय है? इस विचारधारा को प्रष्ट करो। मानवीय विकास के निर्धारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
मानवीय विकास (Human Development):
विकास एक प्रगतिशील विचारधारा है। यह किसी प्रदेश के संसाधनों के विकास के लिए अधिकतम शोषण की प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस सन्दर्भ में भूगोल वेत्ता विकसित देशों तथा विकासशील देशों के शब्द प्रयोग करते हैं। मानव भूतल पर सर्वोत्तम प्राणी है। मानव ने भूतल पर अनेक परिवर्तन किए हैं। विज्ञान, शिक्षा तथा प्रौद्योगिकी में बहुत विकास हुआ है।

फिर भी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में अन्तर-प्रादेशिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। विकास से अभिप्राय एक ऐसे वातावरण की रचना करना है जिसमें प्रत्येक शिशु को शिक्षा प्राप्त हो, कोई भी मानव स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न हो, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पूरा कर प्रयोग कर सके। मानवीय विकास के सूचक (Indicators of Human Development) विश्व बैंक प्रति वर्ष विश्व विकास करके प्रस्तुत करता है।

इसमें उत्पादन, खपत, मांग, ऊर्जा, वित्त, व्यापार, जनसंख्या वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के 177 देशों के आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। यह रिपोर्ट कुछ सूचकों पर आधारित होती है। मानवीय विकास के तीन मूल घटक हैं –
(1) जीवन अवधि
(2) ज्ञान
(3) रहन-सहन का स्तर।

सन् 2018 में भारत का विश्व में मानवीय विकास में 130वां स्थान है जबकि नार्वे का पहला स्थान है। मानवीय विकास के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं –
(1) जन्म पर जीवन अवधि
(2) साक्षरता
(3) प्रति व्यक्ति आय
(4) जनसंख्यात्मक विशेषताएं जैसे कि शिशु मृत्यु-दर, प्राकृतिक वृद्धि दर, आयु वर्ग आदि।

1.जन्म पर जीवन अवधि (Life expectancy at Birth):
जीवन अवधि से अभिप्राय है कि एक नवजात शिश के कितने वर्ष तक जीने की आशा है। यह विभिन्न देशों में विभिन्न है। विकसित तथा विकासशील देशों के लोगों की जीवन अवधि में अन्तर मिलते हैं। विश्व में औसत रूप से यह आयु 65 वर्ष है। उत्तरी अमेरिका में जीवन अवधि 77 वर्ष है जो कि सबसे अधिक है।

अफ्रीका में सबसे कम जीवन अवधि 54 वर्ष है। विकसित देशों में शिक्षा, पौष्टिक भोजन, चिकित्सा तथा रहन-सहन स्तर अधिक होने से जीवन अवधि अधिक है। भारत में यह 69 वर्ष हैं। विकासशील देशों में कम जीवन अवधि, बीमारियों, अशिक्षा, बेकारी तथा निर्धनता के कारण हैं। विकसित देशों में सीनीयर नागरिकों का प्रतिशत अधिक है जबकि विकासशील देशों में 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की संख्या कम है।

2. साक्षरता (Literacy):
किसी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास का साक्षरता एक विश्वसनीय तथा महत्त्वपूर्ण सूचक है। निर्धनता को दूर करने के लिए साक्षरता अनिवार्य है। साक्षरता जनसांख्यिकीय विशेषताओं जैसे जन्म-दर, मृत्यु-दर, व्यवसाय आदि पर प्रभाव डालती है। विकसित देशों में साक्षरता दर 90% से अधिक है जबकि विकासशील देशों में साक्षरता दर 60% से भी कम है। अधिकतर विकासशील देशों में स्त्रियों की साक्षरता दर कम है तथा समाज में स्त्रियों का स्थान निम्न है। स्त्रियों के लिए रोज़गार के अवसर भी कम हैं। भारत में स्त्रियों की साक्षरता दर 54% है जबकि पुरुषों की साक्षरता दर 75% है।

3. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income):
किसी देश में प्रति व्यक्ति आय के मापदण्ड GDP तथा GNP मानवीय विकास के प्रमुख सूचक हैं। उच्च प्रति व्यक्ति आय के कारण देश में अधिक विकास होता है। विकसित देशों में श्रमिक विकासशील देशों के श्रमिकों की अपेक्षा अधिक कमाते हैं। यूरोप के कई देशों में GDP का मूल्य $2000 अधिक है जबकि एशिया तथा अफ्रीका के कई देशों में यह मूल्य $100 से भी कम है। विकासशील देशों में कम GDP मूल्य के कारण वस्तु-उत्पादन निम्न है तथा सेवाएं कम प्राप्त हैं।

4. जनसांख्यिकीय विशेषताएं (Demographic Characteristics):
किसी देश के जनसांख्यिकीय लक्षणों पर देश के आर्थिक विकास का विशेष प्रभाव पड़ता है। इसीलिए विकसित तथा विकासशील देशों की जनसंख्या में विशेष अन्तर पाए जाते हैं।
(क) शिशु मृत्यु दर विकासशील देशों में अधिक होती है। लोगों को भोजन तथा दवाइयों की प्राप्ति नहीं होती। कम साक्षरता दर भी एक कारण है।
(ख) जनसंख्या वृद्धि दर-जन्म-दर तथा मृत्यु-दर में अन्तर के कारण जनसंख्या वृद्धि दर भी विकासशील देशों में अधिक होती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ता है। अफ्रीका के देशों में जन्म-दर 40 प्रति हजार से भी अधिक है। जबकि विकसित देशों में जन्म-दर 10 प्रति हज़ार से भी कम है।
(ग) आयु वर्ग (Age Group)-विकासशील देशों तथा विकसित देशों के आयु वर्गों में भी अन्तर मिलता है। विकासशील देशों में आश्रित वर्ग (बच्चों) का अनुपात अधिक होता है। परन्तु विकसित देशों में आश्रित वर्ग की जनसंख्या कम होती है। – इस प्रकार उपरोक्त कारकों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विश्व में मानवीय विकास असमान है।

इससे विभिन्न प्रकार के समाज तथा आर्थिकता का जन्म होता है, इसलिए दो प्रकार देश पाए जाते हैं –
(1) विकसित देश
(2) विकासशील देश।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 2.
प्रवास से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या कारण हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
प्रवास (Migration):
जनसंख्या की गतिशीलता का एक महत्त्वपूर्ण घटक प्रवास है। यह जनसंख्या तथा संसाधनों में एक सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न है। सामान्यतः प्रवास मानव को अपने निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जा कर निवास करने से होता है। प्रजननता (Fertility) तथा मृत्यु क्रम (Motality) की अपेक्षा जनसंख्या संरचना में प्रवास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रवास स्थायी अथवा अस्थाई हो सकता है।

प्रवास की धाराएं (Streams of Migration):
प्रवास के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  1. ग्रामों से नगर की ओर।
  2. नगर से ग्राम की ओर।
  3. ग्राम से ग्राम की ओर।
  4. नगर से नगर की ओर।

इसके अतिरिक्त प्रवास के सामान्य प्रकार अग्रलिखित हैं –
1. मौसमी प्रवास (Seasonal Migration):
अस्थायी प्रवास मौसमी होता है। गहन कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता के लिए श्रमिक प्रवास कर जाते हैं। कई बार एक मौसम से अधिक समय के प्रवास स्थायी रूप धारण कर लेता है।

2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International IvMigration):
यह प्रवास अन्तर्राष्ट्रीय होता है। यह थोड़े समय में जनसंख्या संरचना में परिवर्तन कर देता है। पिछले दशकों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में बहुत वृद्धि हुई है। युद्धों के कारण कई क्षेत्रों में शरणार्थी प्रवास कर रहे हैं। इस शताब्दी के शुरू में U.N.O. के अनुसार 12 करोड़ लोग विदेशों में बस गए हैं जिनमें 1.5 करोड़ शरणार्थी हैं।

3. आन्तरिक प्रवास (Internal Migration):
यह प्रवास व्यापक रूप से होता है। लाखों लोग ग्राम रोज़गार की तलाश में प्रवास करते हैं। यह आकर्षक कारक (Pull Factors) तथा प्रत्याकर्षक कारकों (Push factors) द्वारा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं जहाँ उच्च वेतन. सस्ती भमि. रहन-सहन तथा विकास की उच्च सेवाएं प्राप्त होती हैं। नगरों में कई झुग्गी-झोंपड़ी क्षेत्र बन जाते हैं।

4. ग्रामीण प्रवास (Rural Niigatiers):
कई बार एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास होता है जहां उन्नत कृषि होती है तथा नई तकनीकों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।

प्रश्न 3.
विकसित तथा विकासशील देशों में विकास की तुलना करो।
उत्तर:

विकासशील देश (Developing Countries) विकसित देश (Developed Countries)
(1) इन देशों में प्रति व्यक्ति आय कम है तथा पूंजी की कमी है। (1) इन देशों में प्रति व्यक्ति आय अधिक है तथा पूंजी सुविधापूर्वक प्राप्त है।
(2) प्राथमिक उद्योग जैसे कृषि वानिकी, खान खोदना, मत्स्यन राष्ट्रीय आर्थिकता में प्रमुख हैं। (2) निर्माण उद्योग प्रमुख हैं।
(3) कृषि में लगभग 70% लोग कार्य करते हैं। (3) लगभग 10% जनसंख्या कृषि में लगी है।
(4) निर्वाह कृषि प्रचलित है जिसमें छोटे-छोटे खेत हैं तथा प्रति हेक्टेयर उपज कम है। (4) व्यापारिक कृछि प्रचलित है, खेतों का आकार बड़ा है तथा उपज अधिक है।
(5) लगभग 80% जनसंख्या ग्रामीण है। (5) 80% जनसंख्या नगरीय है।
(6) जन्म-दर तथा मृत्यु-दर उच्च है, जीवन प्रत्याशा अवधि कम है तथा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक (6) जन्म-दर तथा मृत्यु-दर कम है, जीवन प्रत्याशा अवधि अधिक है तथा जनसंख्या वृद्धि दर कम
(7) असन्तुलित भोजन के कारण भुखमरी है। (7) सन्तुलित भोजन प्राप्त है।
(8) बीमारियों की अधिकता है तथा चिकित्सा सुविधाएं कम हैं। (8) उत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हैं।
(9) आवास की कमी तथा सफ़ाई की कमी के कारण सामाजिक हालत अच्छी नहीं है। (9) सामाजिक हालत अच्छी हैं क्योंकि सफ़ाई तथा आवास सुविधाएं हैं।
(10) शिक्षा की कमी है तथा वैज्ञानिक उन्नति कम है। (10) शिक्षा का अधिक प्रसार है तथा विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान अधिक है।
(11) स्त्रियों को समाज में उत्तम स्थान प्राप्त नहीं है। (11) स्त्रियों तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 4.
मानव विकास के चार स्तम्भों के नाम लिखो। प्रत्येक का उदाहरण सहित वर्णन करें।
उत्तर:
मानव विकास के चार स्तम्भ
(Four Pillars of Human Development)
जिस प्रकार किसी इमारत को स्तम्भों का सहारा होता है उसी प्रकार मानव विकास का विचार भी
(1) समता
(2) सतत् पोषणीयता
(3) उत्पादकता और
(4) सशक्तिकरण की संकल्पनाओं पर आश्रित है।

1. समता (Equity):
समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के सन्दर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए।
उदाहरण:
भारत में स्त्रियाँ और सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं।

2. सतत् पोषणीयता (Sustainability):
सतत् पोषणीय मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले। समस्त पर्यावरणीय वित्तीय एवं मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रख कर करना चाहिए। निर्वहन का अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में निरन्तरता। इन संसाधनों में से किसी भी एक का दुरुपयोग भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों को कम करेगा।
उदाहरण:
बालिकाओं का विद्यालय भेजा जाना एक अच्छा उदाहरण है।

3. उत्पादकता (Productivity):
यहाँ उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम द्वारा अवसरों का उत्पादन अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में सेवा अथवा सामग्री का उत्पादन है। लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरन्तर वद्धि की जानी चाहिए। अंतत: जन-समदाय ही राष्ट्रों के वास्तविक धन होते हैं। इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास अथवा उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में उनकी कार्यक्षमता बेहतर होगी।

4. सशक्तिकरण (Empowerment):
सशक्तिकरण का अर्थ है-अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतन्त्रता और क्षमता से आती है। लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है। सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए समूहों के सशक्तिकरण का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 5.
मानव विकास के विभिन्न उपागमों का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव विकास के उपागम-मानवक विकास की समस्या को देखने के अनेक ढंग हैं।

कुछ महत्त्वपूर्ण उपागम हैं –
(क) आय उपागम
(ख) कल्याण उपागम
(ग) न्यूनतम आवश्यकता उपागम
(घ) क्षमता उपागम।
मानव विकास का मापन-मानव विकास सूचकांक (HDI) स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुंच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है। यह क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है जो एक देश, मानव विकास के महत्त्वपूर्ण सूचकों में अपने रिकार्ड से प्राप्त करता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

मानव विकास के सूचक (Indicators):
(1) जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा।
(2) प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात ज्ञान तक पहुँच को प्रदर्शित करते हैं।
(3) संसाधनों तक पहुंच को क्रय शक्ति के सन्दर्भ में मापा जाता है।

इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता दी जाती है। मानव विकास सूचकांक इन सभी आयामों को दिए गए भारों का कुल योग होता है। स्कोर, 1 के जितना निकट होता है मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है। इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यन्त निम्न स्तर का माना जाएगा।

मानव विकास के उपागम
(Approaches of Human Development):

(i) आय उपागम (Income Approach):
यह मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़ कर देखा जाता है। विचार यह है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतन्त्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊंचा होगा।

(ii) कल्याण उपागम (Welfare Approach):
यह उपागम मानव को लाभार्थी अथवा सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखता है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख-साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। लोग विकास में प्रतिभोगी नहीं हैं किन्तु वे केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्ता हैं। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।

(iii) आधारभूत आवश्यकता उपागम (Basic Needs Approach):
इस उपागम को मूल रूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने प्रस्तावित किया था। इसमें छ: न्यूनतम आवश्यकताओं जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी। इसमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है और पारिभाषित वर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है।

(iv) क्षमता उपागम (Capability Approach);
इस उपागम का सम्बन्ध प्रो० अमर्त्य सेन से है। संसाधनों तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।

प्रश्न 6.
मानव विकास सूचकांक का वितरण उच्च, मध्य तथा निम्न मूल्य के आधार पर करो।
उत्तर:
प्रदेश देश के आकार और प्रति व्यक्ति आय का मानव विकास से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। प्रायः मानव विकास में बड़े देशों की अपेक्षा छोटे देशों का कार्य बेहतर रहा है। इसी प्रकार मानव विकास में अपेक्षाकृत निर्धन राष्ट्रों का कोटि-क्रम धनी पड़ोसियों से ऊँचा रहा है।
उदाहरण:
अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी श्रीलंका, ट्रिनिडाड और टोबैगो का मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है। इसी प्रकार कम प्रति व्यक्ति आय के बावजूद मानव विकास में केरल का प्रदर्शन पंजाब और गुजरात से कहीं बेहतर है।

वितरण (Distribution):
अर्जित मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
मानव विकास : संवर्ग, मानदण्ड और देश-2005

मानव विकास
का स्तर
मानव विकास
सूचकांक का स्कोर
देशों की
संख्या
उच्च 0.8 से ऊपर 57
मध्यम 0.5 से 0.799 के बीच 88
निम्न 0.5 से नीचे 32

(क) उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले देश-उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश वे हैं जिनका स्कोर.0.8 से ऊपर है। मानव विकास प्रतिवेदन 2005 के अनुसार इस वर्ग में 57 देश सम्मिलित हैं।
सर्वाधिक उच्च मूल्य सूचकांक वाले 10 देश-2005

क्रम सं० देश
1 नार्वे
2 आइसलैंड
3 ऑस्ट्रेलिया
4 लक्ज़मबर्ग
5 कनाडा
6 स्वीडन
7 स्विट्ज़रलैंड
8 आयरलैण्ड
9 बेल्जियम
10 संयुक्त राष्ट्र।

कारण:

  1. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है।
  2. उच्च मानव विकास वाले देशों में सामाजिक खंड में बहुत निवेश हुआ है।
  3. यहां सुशासन है।

(ख) मध्यम मानव विकास सूचकांक मूल्य. वाले देश-मानव विकास में मध्यम स्तरों वाले देशों का वर्ग विशाल है। इस वर्ग में कुल 88 देश हैं।
कारण:

  1. इस वर्ग के अधिकतर देश विकासशील देश हैं।
  2. कुछ देश पूर्वकालीन उपनिवेश थे।
  3. अनेक देशों का विकास 1990 ई० में तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् हुआ।
  4. इन देशों में लोकोन्मुखी नीतियां हैं तथा सामाजिक भेदभाव नहीं।
  5. इन देशों में सामाजिक विविधता अधिक है।
  6. अधिकतर देशों को राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह का सामना करना पड़ा है।

(ग) निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश-इस वर्ग में 32 देश हैं।
कारण:

  1. अधिकतर छोटे-छोटे देश हैं।
  2. इन देशों में राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध, सामाजिक स्थिरता, अकाल तथा बीमारियां होती रही हैं। इन देशों में . मानव विकास को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
  3. निम्न स्तर के लिए संस्कृति या धर्म या समुदाय को दोष देना ग़लत है।
  4. निम्न स्तर वाले देशों में सुरक्षा पर अधिक व्यय होता है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने भूगोल शब्द का प्रयोग किया?
(A) हेरोडोटस
(B) गैलिलियो
(C) इरेटा स्थिनीज़
(D) अरस्तु।
उत्तर:
इरेटा स्थिनीज़।

2. निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
(A) बन्दरगाह
(B) मैदान
(C) सड़क
(D) जल, उघात।
उत्तर:
मैदान।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण सम्बन्ध से जुड़ा हुआ है?
(A) क्यों
(B) क्या
(C) कहां
(D) कब।
उत्तर:
क्यों।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
(A) समाज शास्त्र
(B) नृ-विज्ञान
(C) इतिहास
(D) भूगोल।
उत्तर:
इतिहास।

Matching Statements

प्रश्न 1.
स्तम्भ I एवं II के अन्तर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए।

स्तम्भ I

(Column I)

प्राकृतिक/सामाजिक विज्ञान

स्तम्भ II

(Column II)

भूगोल की शाखाएँ

1. मौसम विज्ञान (A) जनसंख्या भूगोल
2. जनांकिकी (B) मृदा भूगोल
3. समाज शास्त्र (C) जलवायु विज्ञान
4. मृदा विज्ञान (D) सामाजिक भूगोल।

सही मेल को चिह्नांकित कीजिए:
(क) 1. (B), 2. (C), 3. (A), 4. (D)
(ख) 1. (D), 2. (B), 3. (C), 4. (A)
(ग) 1. (A), 2. (D), 3. (B), 4. (C)
(घ) 1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B)
उत्तर:
1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B).

(स्व) लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन है। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान या घर मानकर अध्ययन करता है। भूगोल सभी सामाजिक तथा प्राकृतिक विज्ञानों से सूचना प्राप्त करके यह अध्ययन करता है। पृथ्वी पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण में भिन्नता दिखाई देती है। अतएव भूगोल को क्षेत्रीय-भिन्नताओं का अध्ययन मानना तार्किक है। भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो क्षेत्रीय सन्दर्भ में भिन्न होते हैं।

भूगोल कार्य-कारण नियम (Cause and effect) द्वारा इन विभिन्नताओं के उत्पत्ति के कारणों का भी अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।” अल्फ्रेड हैटनर के अनुसार, “भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से सम्बन्धित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”

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प्रश्न 2.
आप विश्वविद्यालय जाते समय किन महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान हैं। इन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? क्यों?
उत्तर:
विश्व विद्यालय जाते समय हम सड़क, रेल, बाज़ार, सिनेमाघर आदि सांस्कृतिक लक्षण देखते हैं। ये सभी लक्षण असमान हैं। उन सभी लक्षणों को भूगोल के अध्ययन में शामिल करना चाहिए क्योंकि इनका सम्बन्ध भौतिक भूगोल से है।

प्रश्न 3.
एक टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, सन्तरा व लौकी में से कौन सी वस्तु की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती जुलती है।
उत्तर:
सन्तरे की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती-जुलती है क्योंकि यह फल पृथ्वी के समान दोनों सिरों पर चपटा होता है।

प्रश्न 4.
वनमहोत्सव में वृक्षारोपण किस प्रकार पारिस्थैतिक सन्तुलन बनाए रखते हैं?
उत्तर:
वनों की कमी को वृक्षारोपण से पूरा किया जाता है। वृक्ष हमें ऑक्सीजन, नम जलवायु तथा शीतलता प्रदान करते हैं। वृक्ष वन्य प्राणियों के आवास स्थल होते हैं तथा पारिस्थितिक सन्तुलन बनाए रखते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 5.
हाथी, हिरण, वन्य प्राणी किस मण्डल में निवास करते हैं?
उत्तर:
ये सभी जैव मण्डल में रहते हैं। परीक्षा शैली पर आधारित अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

भूगोल एक विषय के रूप में JAC Class 11 Geography Notes

→ भूगोल एक विज्ञान के रूप में: भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है। भूगोल दो शब्दों का सुमेल है-भू-पृथ्वी। + गोल-गोलाकार (Ge = earth, Grapho = description)

→ भूगोल में समग्रता (Synthesis of Geography): मैकिंडर ने भौतिक तथा मानवीय भूगोल के संश्लेषण का विचार प्रकट किया।

→ भूगोल एक स्वतन्त्र विषय: आधुनिक युग में भूगोल को एक विज्ञान का रूप दिया जाता है। यह क्षेत्रीय विज्ञान है जो प्राकृतिक तथा सामाजिक लक्षणों का अध्ययन है।

→ भूगोल के लक्ष्य तथा उद्देश्य: भूगोल किसी क्षेत्र को उसकी समग्रता के रूप में अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में दो विधियां-प्रादेशिक अध्ययन तथा क्रमबद्ध अध्ययन प्रयोग की जाती हैं।

→ अन्य विषयों से सम्बन्ध: भूगोल का सम्बन्ध भू-आकृति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि से है। भौतिक तथा मानवीय भूगोल दो मुख्य विषय हैं। इनके अन्तर्गत भू-विज्ञान, जलवायु विज्ञान, मृदा विज्ञान, सामाजिक भूगोल, आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल तथा राजनीतिक भूगोल के विषय हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. वस्तुओं की गुणवत्ता किस कारक पर निर्भर नहीं
(A) परिवहन
(B) संचार
(C) व्यापार
(D) उत्पादन मात्रा।
उत्तर:
(D) उत्पादन मात्रा।

2. परिवहन किस को सहायक नहीं है ?
(A) सहकारिता
(B) एकता
(C) सुरक्षा
(D) आखेट।
उत्तर:
(D) आखेट।

3. कौन-सा साधन एक द्वार से दूसरे द्वार तक सेवा प्रदान करता है ?
(A) रेलें
(B) सड़कें
(C) वायुमार्ग
(D) पाईप लाइनें।
उत्तर:
(B) सड़कें

4. किस साधन द्वारा उच्च मूल्य वाली हल्की वस्तुओं का परिवहन होता है ?
(A) रेलें
(B) सड़कें
(C) वायुमार्ग
(D) जलमार्ग।
उत्तर:
(C) वायुमार्ग

5. कौन-सा परिवहन साधन भारी वस्तुएं अधिक मात्रा में ले जाने के लिए उपयुक्त है ?
(A) सड़कें
(B) रेलें
(C) वायुमार्ग
(D) पाइपलाइनें।
उत्तर:
(B) रेलें

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

6. प्रथम सार्वजनिक रेलमार्ग कब आरम्भ की गई ?
(A) 1815
(B) 1825
(C) 1830
(D) 1835.
उत्तर:
(B) 1825

7. किस वस्तु का पाइपलाइनों द्वारा परिवहन नहीं होता है ?
(A) खनिज तेल
(B) गैस
(C) जल
(D) कोयला।
उत्तर:
(D) कोयला।

8. कौन-सा साधन भारी सामान वाहक है ? .
(A) नाव
(B) वैगन
(C) ऊंट
(D) बारज।
उत्तर:
(D) बारज।

9. किस देश में अब भी मानव द्वारा गाड़ियां खींची जाती हैं
(A) कोरिया
(B) जापान
(C) चीन
(D) रूस।
उत्तर:
(C) चीन

10. किस प्रदेश में रेडियर बोझा ढोने वाला पशु है
(A) अफ्रीका
(B) ऑस्ट्रेलिया
(C) साइबेरिया
(D) दक्षिणी अमेरिका।
उत्तर:
(C) साइबेरिया

11. भारत में सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग कौन-सा है ?
(A) NH 5
(B) NH6
(C) NH 7
(D) NH 8.
उत्तर:
(C) NH 7

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

12. मानक मापक की रेल की पटरी की चौड़ाई है
(A) 1.5 मीटर
(B) 1.44 मीटर
(C) 1 मीटर
(D) 0.75 मीटर।
उत्तर:
(C) 1 मीटर

13. ऑस्ट्रेलियन राष्ट्रीय रेलमार्ग इन स्थानों को जोड़ती है ?
(A) पर्थ से सिडनी।
(B) डारविन से मेलबोर्न
(C) ब्रिसबेन से एडीलेड
(D) सिडनी से कालगुर्ली।
उत्तर:
(A) पर्थ से सिडनी।

14. उस्पलाटा दर्रा कहां स्थित है ?
(A) एंडीज़ पर्वत
(B) राकी पर्वत
(C) आल्पस पर्वत
(D) हिमालय पर्वत।
उत्तर:
(A) एंडीज़ पर्वत

15. क्टांगा-जांबिया तांबा क्षेत्र में रेलमार्ग है ?
(A) तंजानिया
(B) बेग्रेएला
(C) ज़िम्बाब्बे
(D) ब्लू रेल।
उत्तर:
(B) बेग्रेएला

16. ट्रांस कनेडियन रेलमार्ग कब आरम्भ हुआ ?
(A) 1876
(B) 1886
(C) 1896
(D) 1898.
उत्तर:
(B) 1886

17. स्वेज नहर का निर्माण कब हुआ ?
(A) 1849
(B) 1859
(C) 1869
(D) 1879.
उत्तर:
(C) 1869

18. संसार में सब से लम्बा महामार्ग कौन-सा है ?
(A) पैन अमेरिकन
(B) ट्रांस कनेडियन
(C) ग्रांड ट्रंक
(D) ग्रेट दक्कन।
उत्तर:
(A) पैन अमेरिकन

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

19. संसार में सबसे लम्बा रेलमार्ग कौन-सा है ?
(A) यूनियन पैसिफ़िक
(B) कनेडियन नैशनल
(C) ट्रांस साइबेरियन
(D) ट्रांस एण्डियन।
उत्तर:
(C) ट्रांस साइबेरियन

20. स्वेज नहर किन सागरों को जोड़ती है ?
(A) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर
(B) काला सागर तथा भूमध्य सागर
(C) उत्तरी सागर तथा बाल्टिक सागर
(D) बाल्टिक तथा श्वेत सागर।
उत्तर:
(A) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर

21. पनामा नहर किन सागरों को जोड़ती है ?
(A) अन्ध महासागर तथा हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त तथा हिन्द महासागर
(C) अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर
(D) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर।
उत्तर:
(C) अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर

22. महामार्गों की चौड़ाई है
(A) 50 मीटर
(B) 60 मीटर
(C) 70 मीटर
(D) 80 मीटर।
उत्तर:
(D) 80 मीटर।

23. ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के पूर्वी छोर पर स्थित स्टेशन है ?
(A) हनोई
(B) शंघाई
(C) टोक्यिो
(D) व्लाडी वास्टेक।
उत्तर:
(D) व्लाडी वास्टेक।

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24. ट्रांस कनेडियन रेलमार्ग के पश्चिमी छोर पर स्थित स्टेशन है ?
(A) मांट्रियाल
(B) सेन फ्रांसिस्को
(C) वेनकूवर
(D) सेंट जॉन।
उत्तर:
(C) वेनकूवर

25. ‘आर्य भट्ट’ कब अंतरिक्ष में छोड़ा गया ?
(A) 1980
(B) 1979
(C) 1981
(D) 1975.
उत्तर:
(D) 1975

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
उन तीन तत्त्वों के नाम लिखो जो एक स्थान पर इकट्ठे नहीं मिलते।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधन, आर्थिक क्रियाएं तथा बाजार।

प्रश्न 2.
कौन-से तीन कारक उत्पादक केन्द्रों तथा खपत केन्द्रों को जोड़ते हैं ?
उत्तर:
परिवहन, संचार तथा व्यापार।

प्रश्न 3.
परिवहन ने किस प्रकार एक विशिष्ट रूप धारण किया है ?
उत्तर:
परिवहन योजक तथा वाहक उपलब्ध कराता है जिनके माध्यम से व्यापार सम्भव होता है।

प्रश्न 4.
परिवहन जाल क्या होता है ?
उत्तर:
अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है, उसे परिवहन जाल कहते हैं।

प्रश्न 5.
विश्व में परिवहन के मुख्य साधन बताओ।
उत्तर:
स्थल, जल, वायु और पाईप-लाइन।

प्रश्न 6.
आरम्भिक दिनों में किन पशुओं को बोझा ढोने के लिए प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
खच्चर, घोड़े, ऊंट।

प्रश्न 7.
पहिए के आविष्कार से पूर्व कौन-से परिवहन साधन थे ?
उत्तर:
पालतू पशुओं द्वारा परिवहन का कार्य किया जाता था।

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प्रश्न 8.
सर्वप्रथम रेल कब और कहां आरम्भ हुई ?
उत्तर:
पहली सार्वजनिक रेलवे 1825 में सटॉक्टन तथा डार्लिंगटन के मध्य आरम्भ हुई।

प्रश्न 9.
सड़क परिवहन में किस आविष्कार के कारण क्रान्ति हुई ?
उत्तर:
अंतर्दहन इंजन।

प्रश्न 10.
उन तीन आर्थिक पक्षों के नाम बताओ जहां सड़कें महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर:
व्यापार, वाणिज्य, पर्यटन।

प्रश्न 11.
संसार में मोटर वाहन सड़कों की कुल लम्बाई बताओ।
उत्तर:
लगभग 15 मिलियन कि० मी०।।

प्रश्न 12.
नगरों में सड़कों पर ट्रैफिक शीर्ष बिन्दु पर कब होता है ?
उत्तर:
काम के समय से पहले तथा पश्चात्।

प्रश्न 13.
उत्तरी अमेरिका में महामार्गों का घनत्व क्या है ?
उत्तर:
0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 14.
ट्रांस कनेडियन महामार्ग किन दो नगरों को जोड़ता है ?
उत्तर:
वेनकूवर तथा सेंट जॉन।

प्रश्न 15.
अलास्का महामार्ग किन दो नगरों को जोड़ता है ?
उत्तर:
एडमंटन तथा एनकोरेज।

प्रश्न 16.
डार्विन तथा मेलबोर्न को जोड़ने वाले महामार्ग का नाम लिखो।
उत्तर:
ट्रांस महाद्वीपीय स्टुअरट महामार्ग।

प्रश्न 17.
चीन तथा तिब्बत में बने नए महामार्ग द्वारा किन स्थानों को जोड़ा गया है ?
उत्तर:
चेंगटू तथा ल्हासा।

प्रश्न 18.
अफ्रीका के किन दो महानगरों को एक महाद्वीपीय महामार्ग जोड़ता है ?
उत्तर:
काहिरा तथा केपटाऊन।

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प्रश्न 19.
रेलमार्गों की विभिन्न गेजों की चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर:
(1) बड़ी लाइन-1.5 मीटर से अधिक
(2) मानक लाइन-1.44 मीटर
(3) मीटर लाइन–1 मीटर।

प्रश्न 20.
किन देशों में कंप्यूटर रेलें लोकप्रिय हैं ?
उत्तर:
इंग्लैंड, संयुक्त राज्य, जापान तथा भारत में लाखों यात्री प्रतिदिन नगरों की ओर तथा वापिस यात्रा करते हैं।

प्रश्न 21.
किस देश में सर्वाधिक रेल घनत्व है ?
उत्तर:
बेल्जियम-1 कि० मी० प्रति 6.5 वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 22.
यूरोप के किन तीन नगरों में भूमिगत रेलमार्ग हैं ?
उत्तर:
लन्दन, पेरिस, मास्को।

प्रश्न 23.
लन्दन तथा पेरिस को जोड़ने वाली सुरंग बताओ।
उत्तर:
यूरो चैनल सुरंग।

प्रश्न 24.
पश्चिम-पूर्व ऑस्ट्रेलियन द्वारा कौन-से दो नगर जोड़े गए हैं ?
उत्तर:
पर्थ तथा सिडनी।

प्रश्न 25.
दक्षिणी अमेरिका की एक पार महाद्वीपीय रेलमार्ग बताओ। यह किस दर्रे से गुजरती है ?
उत्तर:
ट्रांस एण्डियन रेलमार्ग जो वालप्रेसो तथा ब्यूनस आयर्स को जोड़ती है तथा उस्पलाटा ! (3900 मीटर) से गुज़रती है।

प्रश्न 26.
ब्लू ट्रेन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
एक रेलमार्ग जो दक्षिण अफ्रीका में केपटाऊन से प्रीटोरिया तक जाता है।

प्रश्न 27.
ऑस्टेलियन पार महाद्वीपीय रेलमार्ग पर स्थित दो खनन नगर बताओ।
उत्तर:
कालगुर्ली तथा ब्रोकन हिल।

प्रश्न 28.
आरियंट एक्सप्रेस रेलमार्ग किन स्थानों को जोड़ती है ?
उत्तर:
पेरिस तथा इस्तंबुल।।

प्रश्न 29.
प्रस्तावित ट्रांस एशियाटिक रेलमार्ग किन देशों को जोड़ेगी ?
उत्तर:
इरान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यानमार।

प्रश्न 30.
स्वेज नहर के दो छोरों पर स्थित पत्तन बताओ।
उत्तर:
पोर्ट सईद (उत्तर) तथा पोर्ट स्वेज़ (दक्षिण)।

प्रश्न 31.
स्वेज नहर पर स्थित तीन झीलें बताओ।
उत्तर:
तिमशा झील, ग्रेट बिटर झील, लिटल बिटर झील।

प्रश्न 32.
पनामा नहर के दो छोरों पर स्थित पत्तन बताओ।
उत्तर:
कोलोन अन्ध महासागर तथा पनामा प्रशान्त महासागर।

प्रश्न 33.
पनामा नहर की तीन द्वार प्रणालियां बताओ।
उत्तर:
गातुन, पेडरो मिकुएल, मीरा फ्लोरज़।

प्रश्न 34.
किस देश में राईन जलमार्ग बहता है ?
उत्तर:
जर्मनी तथा नीदरलैंड में (रोटरडम) से बेसिल (स्विट्ज़रलैंड) तक।

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प्रश्न 35.
कौन-सी नहर मास्को को काला सागर तक जोड़ती है ?
उत्तर:
बाल्गा-मास्को नहर तथा वाल्गा-डान नहर।

प्रश्न 36.
उत्तरी अमेरिका में एक आन्तरिक जलमार्ग बताओ।
उत्तर:
सेंट लारेंस नदी-महान् झीलें।

प्रश्न 37.
विश्व में कितनी वाणिज्यक एयर लाइनें हैं ?
उत्तर:
लगभग 250.

प्रश्न 38.
एशिया में एक प्रस्तावित पाइपलाइन बताओ।
उत्तर:
प्रस्तावित पाइपलाइन इरान-पाकिस्तान-भारत तेल गैस पाइपलाइन है।

प्रश्न 39.
इंटरनेट से कितने लोग विश्व से जुड़े हैं ?
उत्तर:
लगभग 1000 मिलियन।

प्रश्न 40.
APPLE का विस्तार करें।
उत्तर:
Asian Passenger Pay Load Experiment.

प्रश्न 41.
किस प्रकार का परिवहन भारी तथा बड़ी वस्तुओं के कम मूल्य पर अधिक दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है?
उत्तर:
जल मार्ग।

प्रश्न 42.
निम्नलिखित में से किस जलमार्ग ने भारत तथा यूरोप के मध्य दूरी अत्यधिक कम की है –
(i) राईन जल मार्ग
(ii) आशा अन्तरीय मार्ग
(iii) स्वेज नहर
(iv) पनामा नहर।
उत्तर:
स्वेज नहर।

प्रश्न 43.
उस रेलवे लाईन जो एक महाद्वीप के आर-पार गुजरती है तथा इसके दोनों सिरों को जोड़ती है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

प्रश्न 44.
उस प्रसिद्ध पेट्रोलियम पाइप लाईन का नाम लिखो जो खाड़ी मैक्सिको के तेल कुओं को उत्तरी पूर्वी राज्यों (यू-एस-ए) से जोड़ती है?
उत्तर:
बिग इंच पाईप लाईन।

प्रश्न 45.
वैश्विक संचार तंत्र के किस ग्रन्थ ने क्रान्ति ला दी है ?
उत्तर:
विद्युतीय प्रौद्योगिकी।

प्रश्न 46.
स्वेज नहर किन दो सागरों को मिलाती है ?
उत्तर:
भूमध्य सागर तथा रक्त सागर।

प्रश्न 47.
वृहद् ट्रंक मार्ग किन दो क्षेत्रों को मिलाता है ?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका।

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प्रश्न 48.
बिंग इंच क्या है ?
उत्तर:
बिंग इंच एक तेल पाइप लाइन है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘विशाल उत्पादन और विनिमय की प्रणाली अत्यन्त जटिल है’ व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रत्येक देश उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसके लिए वहां आदर्श दशाएं उपलब्ध होती हैं। ऐसी वस्तुओं का व्यापार एवं विनिमय परिवहन और संचार पर निर्भर करता है। इसी प्रकार जीवन स्तर व जीवन की गुणवत्ता भी दक्ष परिवहन, संचार एवं व्यापार पर निर्भर है।

प्रश्न 2.
परिवहन के विभिन्न साधन बताओ। इनके द्वारा विभिन्न वस्तुओं का परिवहन बताओ।
उत्तर:
परिवहन व्यक्तियों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन करने की सेवा को कहते हैं। इसमें मनुष्य, पशु तथा विभिन्न प्रकार की गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। ये परिवहन साधन स्थल, जल तथा वायु पर कार्य करते हैं।

  1. स्थल परिवहन-इनमें सड़कें तथा रेलें शामिल हैं।
  2. जल परिवहन-इनमें जहाज़ी मार्ग तथा जलमार्ग शामिल हैं।
  3. वायु परिवहन-ये उच्च मूल्य वस्तुओं का परिवहन करते हैं।
  4. पाइप लाइनें– इनके द्वारा पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा तरल पदार्थों का परिवहन होता है।

प्रश्न 3.
परिवहन साधन का महत्त्व किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
परिवहन साधनों का महत्त्व निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. परिवहन की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार।
  2. परिवहन की लागत।
  3. उपलब्ध परिवहन साधन।

प्रश्न 4.
स्थल परिवहन तथा जल परिवहन साधनों में नए परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर:
पाइपलाइनें, राजमार्गों तथा तार मार्गों का प्रयोग स्थल परिवहन में होने लगा है। पाइपलाइनों द्वारा तरल पदार्थों-खनिज तेल, जल, अवतल और नाली मल का परिवहन होता है। रेलमार्ग, समुद्री पोत, बजरे, नौकाएं, मोटर, ट्रक बड़े मालवाहक हैं।

प्रश्न 5.
पक्की सड़कों तथा कच्ची सड़कों की उपयोगिता की तुलना करो।
उत्तर:
सड़कें दो प्रकार की हैं –
(i) कच्ची
(ii) पक्की।
(i) कच्ची सड़कें – ये सरल सड़कें हैं, जो सतह पर बनाई जाती हैं। ये सभी ऋतुओं में अधिक प्रभावशाली तथा वाहन योग्य नहीं हैं। वर्षा ऋतु में ये वहन योग्य नहीं होती।
(ii) पक्की सड़कें – ये ईंटों तथा पत्थरों से बनाई जाती हैं। ये ठोस होती हैं। परन्तु वर्षा ऋतु में तथा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में इनको हानि पहुंचती है। इनके किनारों के साथ ऊंची दीवारें बना कर सुरक्षित किया जाता है।

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प्रश्न 6.
चीन में प्रमुख नगरों को जोड़ने वाले महामार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
चीन में महामार्ग प्रमुख नगरों को जोड़ते हुए देश में क्रिस-क्रॉस करते हैं।
उदाहरण:

  1. ये शांसो (वियतनाम सीमा के समीप)
  2. शंघाई (मध्य चीन)
  3. ग्वांगजाओ (दक्षिण) एवं बीजिंग उत्तर को परस्पर जोड़ते हैं। एक नवीन महामार्ग तिब्बती क्षेत्र में चेगडू को ल्हासा से जोड़ता है।

प्रश्न 7.
भारत के दो प्रमुख महामार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में अनेक महामार्ग पाए जाते हैं जो प्रमुख शहरों और नगरों को जोड़ते हैं।

  1. उदाहरणस्वरूप राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 7 जो वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता है, देश का सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग है।
  2. निर्माणाधीन स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) अथवा द्रुतमार्गों के द्वारा प्रमुख महानगरों नयी दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, कोलकाता तथा हैदराबाद को जोड़ने की योजना है।

प्रश्न 8.
सीमावर्ती सड़कों से क्या अभिप्राय है ? इनके क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के सहारे बनाई गई सड़कों को सीमावर्ती सड़कें कहा जाता है। ये सड़कें सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रमुख नगरों से जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रायः सभी देशों में गाँवों एवं सैन्य शिविरों तक वस्तुओं को पहुँचाने के लिए ऐसी सड़कें पाई जाती हैं।

प्रश्न 9.
ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग को जोड़ने वाले योजक मार्ग बताओ।
उत्तर:
इस रेलमार्ग को दक्षिण से जोड़ने वाले योजक मार्ग भी हैं, जैसे ओडेसा (यूक्रेन), कैस्पियन तट पर बाकू, ताशकंद (उज़्बेकिस्तान), उलन बटोर (मंगोलिया) और रोनयांग (मक्देन) चीन में बीजिंग की ओर।।

प्रश्न 10.
जल मार्गों के लाभ बताओ।
उत्तर:
जल परिवहन के महत्त्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि इसमें मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता। महासागर एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। इनमें विभिन्न आकार के जहाज़ चल सकते हैं। आवश्यकता केवल दोनों छोरों पर पत्तन सुविधाएं प्रदान करने की हैं। यह परिवहन बहुत सस्ता पड़ता है क्योंकि जल का घर्षण स्थल की अपेक्षा बहुत कम होता है। जल परिवहन की ऊर्जा लागत की अपेक्षाकृत कम होती है।

प्रश्न 11.
कई नदियों की नौगम्यता को किस प्रकार बढ़ाया गया है ?
उत्तर:

  1. नदी तल को गहरा करके
  2. नदी तल को स्थिर करके
  3. नदियों पर बांध बना कर इस जल प्रवाह को नियन्त्रित करके।

प्रश्न 12.
महान् झीलों तथा सेंटलारेंस समुद्री मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
वृहद झीलें सेंटलारेंस समुद्री मार्ग-उत्तरी अमेरिका की वृहद् झीलें सुपीरियर, यूरन, इरी तथा ओंटारियो, सू नहर तथा वलैंड नहर के द्वारा जुड़े हुए हैं, तथा आन्तरिक जलमार्ग की सुविधा प्रदान करते हैं। सेंट लॉरेंस नदी की एश्चुअरी वृहद् झीलों के साथ उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में विशिष्ट वाणिज्यिक जलमार्ग का निर्माण करती है।

प्रश्न 13.
दक्षिणी गोलार्द्ध में 10-35° अक्षांश के मध्य वायु सेवाएं सीमित क्यों हैं ?
उत्तर:

  1. विरल जनसंख्या के कारण
  2. सीमित स्थल खण्ड के कारण
  3. सीमित आर्थिक विकास के कारण।

प्रश्न 14.
अंतःस्थलीय जलमार्गों के विकास के लिए उत्तरदायी तीन कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नदियां, नहरें तथा झीलें महत्त्वपूर्ण अंत: स्थलीय जलमार्ग हैं। अंत:स्थलीय जलमार्गों का विकास निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. जलधारा की चौड़ाई एवं गहराई-कई नदियों में नाव्यता बढ़ाने के लिए सुधार किए गए हैं।
  2. जल प्रवाह की निरंतरता-जल प्रवाह की निरंतरता को बनाए रखने के लिए बांधों तथा बराजों का निर्माण किया गया है।
  3. परिवहन प्रौद्योगिकी का प्रयोग नदी में पानी की एक निश्चित गहराई को बनाए रखने के लिए उसकी तलहटी से सिल्ट तथा बालू निकालकर सफ़ाई करना।

प्रश्न 15.
सड़क परिवहन सुविधाजनक क्यों होता है ?
उत्तर:
आधुनिक युग में सड़कें स्थल यातायात का मुख्य साधन हैं। छोटी दूरी के लिए सड़कें एक सस्ता परिवहन साधन है। सड़कों द्वारा तीव्र गति से परिवहन सम्भव है। सड़क परिवहन द्वारा उत्पादन वस्तुएं उपभोक्ता के द्वार तक पहँचाई जा सकती हैं। ऊँचे-नीचे प्रदेशों पर भी सड़क परिवहन सम्भव है। सड़कों द्वारा थोड़े में निर्मित माल बाजारों तक भेजा जा सकता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 16.
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग के आर्थिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
टांस-साइबेरियन रेलमार्ग रूस के पर्वी भाग, साइबेरिया तथा यराल प्रदेश को जोड़ती है। इस रेल मार्ग से साइबेरिया के आर्थिक विकास में सहायता मिली है। इस रेलमार्ग द्वारा पूर्वी क्षेत्र को मशीनरी तथा लोहा भेजा जाता है। साइबेरिया से पश्चिम की ओर खाद्यान्न, लकड़ी तथा कोयला भेजा जाता है। इस रेलमार्ग के उत्तर तथा दक्षिण की ओर नदियों द्वारा माल ढोया जाता है। इस व्यापारिक मार्ग पर साइबेरिया के मुख्य नगर स्थित हैं। इस रेलमार्ग के विकास से साइबेरिया में जनसंख्या की घनत्व बढ़ी है।

प्रश्न 17.
परिवहन जाल को संक्षिप्त में परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है उसे परिवहन जाल कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘परिवहन एक संगठित सेक उद्योग है’ व्याख्या करो।
उत्तर:

  1. परिवहन समाज की आधारभूत आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए रचा गया एक संगठित सेवा उद्योग है।
  2. इसके अन्तर्गत परिवहन मार्गों, लोगों और वस्तुओं के वहन हेतु गाड़ियों, मार्गों के रख-रखाव और लदान, उतराव तथा वितरण का निपटान करने के लिए संस्थाओं का समावेश किया जाता है।
  3. प्रत्येक देश ने प्रतिरक्षा उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार के परिवहन का विकास किया है।
  4. दक्ष संचार व्यवस्था से युक्त आश्वासित एवं तीव्रगामी परिवहन प्रकीर्ण लोगों के बीच सहयोग एवं एकता को प्रोन्नत करता है।

प्रश्न 2.
विभिन्न देशों में बोझा ढोने वाले पशुओं का वर्णन करो। उत्तर-बोझा ढोने वाले पशु

  1. घोड़ा (Horse) – घोड़ों का प्रयोग पश्चिमी देशों में भी भारवाही पशुओं के रूप में किया जाता है।
  2. कुत्ते एवं रेडियर (Dogs and Reindeer) – कुत्तों एव रेडियरों का प्रयोग उत्तरी अमेरिका, उत्तरी यूरोप और साइबेरिया के हिमाच्छादित मैदानों में स्लेज को खींचने के लिए किया जाता है।
  3. खच्चर (Mules) – पर्वतीय प्रदेशों में खच्चरों को वरीयता दी जाती है।
  4. ऊँट (Camel) – ऊँटों का प्रयोग मरुस्थलीय क्षेत्रों में कारवानों के संचालन में किया जाता है।
  5. बैल (Bullock) – भारत में बैलों का प्रयोग छकड़ों को खींचने में किया जाता है।

प्रश्न 3.
अफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख रेलमार्गों का वर्णन करो। ये किन-किन खनन क्षेत्रों को जोड़ती हैं ?
उत्तर:
दूसरा विशालतम महाद्वीप होने के बावजूद अफ्रीका में केवल 40,000 कि०मी० लम्बे रेलमार्ग हैं जिनमें से सोने, हीरे के सान्द्रण और ताँबा-खनन क्रियाकलापों के कारण अकेले दक्षिण अफ्रीका में 18,000 कि०मी० लम्बे रेलमार्ग हैं।

महाद्वीप के प्रमुख रेलमार्ग हैं –

  1. बेंगुएला रेलमार्ग जो अंगोला से कटंगा-जांबिया ताँबे की पेटी से होकर जाता है;
  2. तंजानिया रेलमार्ग जांबिया ताम्र पेटी से तट पर स्थित दार-ए-सलाम तक;
  3. बोसवाना और जिंबाब्वे से होते हुए रेलमार्ग जो स्थलरुद्ध राज्यों को दक्षिण अफ्रीकी रेलतन्त्र से जोड़ता है; और
  4. दक्षिण अफ्रीका गणतन्त्र में केपटाउन से प्रेटोरिया तक ब्लू ट्रेन।

प्रश्न 4.
महामार्गों से क्या अभिप्राय है ? इनकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
महामार्ग (Highway) – महामार्ग दूरस्थ स्थानों को जोड़ने वाली पक्की सड़कें होती हैं जो कि अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाए जाते हैं। इनका रख-रखाव केन्द्र एवं राज्य सरकारें करती हैं।

विशेषताएं:

  1. इनका निर्माण इस प्रकार से किया जाता है कि अबाधित रूप से यातायात का आवागमन हो सके।
  2. यातायात के अबाधित प्रवाह की सुविधा के लिए अलग-अलग यातायात लेन बनाए जाते हैं।
  3. ये पुलों, फ्लाईओवरों और दोहरे वाहन मार्गों से युक्त होते हैं।
  4. ये 80 मीटर चौड़ी सड़कें होती हैं।
  5. विकसित देशों में प्रत्येक नगर और पत्तन नगर महामार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं।

प्रश्न 5.
राइन जलमार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
राइन जलमार्ग (Rhine Waterway):
राइन नदी जर्मनी और नीदरलैंड से होकर प्रवाहित होती है। नीदरलैण्ड में रोटरर्डम में अपने मुहाने से लेकर स्विटज़लैण्ड में बेसल तक यह 700 कि०मी० लम्बाई में नौकायन योग्य हैं। सामुद्रिक पोत कोलोन तक पहुँच सकते हैं। रूर नदी पूर्व से आकर राइन नदी में मिलती है। यह नदी एक सम्पन्न यला क्षेत्र से होकर प्रवाहित होती है तथा सम्पूर्ण नदी बेसिन विनिर्माण क्षेत्र की दृष्टि से अत्यधिक सम्पन्न है। इस प्रदेश में डसलडोर्क राइन नदी पर स्थित पत्तन है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

रूर के दक्षिण में फैली पट्टी से होकर भारी वस्तुओं का आवागमन होता है। यह जलमार्ग विश्व का अत्यधिक प्रयोग में लाया जाने वाला जलमार्ग है। प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक समुद्री जलयान तथा लगभग 2 लाख आन्तरिक मालवाहक पोत वस्तुओं एवं सामग्रियों का आदान-प्रदान करते हैं। यह जलमार्ग स्विटरज़लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम तथा नीदरलैण्ड के औद्योगिक क्षेत्रों को उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग से जोड़ता है।

प्रश्न 6.
पाइप लाइनों का विस्तृत उपभोग खनिज तेल और प्राकृतिक गैस जैसी सामग्रियों का परिवहन करने के लिए क्यों होता है ?
उत्तर:
पाइप लाइन-पाइप लाइनों का अधिक प्रयोग तरल तथा गैस पदार्थों, जैसे जल, खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस, के परिवहन के लिए किया जाता है, क्योंकि इसमें इनका प्रवाह सतत् बना रहता है। हम लोग पाइप लाइनों द्वारा जल तथा खनिज तेल की आपूर्ति के बारे में पहले से परिचित हैं। संसार के अनेक भागों में खाना-पकाने की गैस (एल०पी०जी०) की आपूर्ति पाइप लाइनों द्वारा ही की जाती है। पानी के साथ मिलाकर कोयले के चूर्ण का परिवहन भी पाइप लाइनों के द्वारा किया जा सकता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में तेल को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोग क्षेत्रों तक ले जाने के लिए पाइप लाइनों का सघन जाल बिछा हुआ है।इनमें सबसे प्रसिद्ध पाइप लाइन ‘बिग इंच’ है, जो कि खाड़ी के तटीय कुओं से प्राप्त तेल को उत्तरी-पूर्वी भाग में पहुँचाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल प्रति टन किलोमीटर माल ढुलाई का 17 प्रतिशत पाइप लाइन द्वारा ही ढोया जाता है।

यूरोप, पश्चिमी एशिया, रूस और भारत में तेल कुओं को परिष्करणशालाओं एवं आन्तरिक बाज़ार से जोड़ने के लिए पाइप लाइनों का ही प्रयोग किया जाता है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्राकृतिक गैस पहुँचाने के लिए भी पाइप लाइन का अधिक प्रयोग होता है। पूर्वी यूरोपीय देशों में यूराल और वोल्गा के बीच के तेल कुओं को जोड़ने के लिए बनाई गई कामेकान नामक पाइप लाइन 4800 कि० मी० लम्बी है, जो संसार की एक सबसे लम्बी पाइप लाइन है।

प्रश्न 7.
यातायात के साधन किसी देश की जीवन रेखाएं क्यों कही जाती हैं ?
उत्तर:
यातायात के साधन राष्ट्ररूपी शरीर की धमनियां हैं। किसी भी देश की आर्थिक व सामाजिक उन्नति यातायात के साधनों के विकास पर निर्भर है। देश के प्राकृतिक साधनों का पूरा लाभ उठाने के लिए इन साधनों का विकास आवश्यक है। परिवहन साधन व्यापार तथा उद्योगों की आधारशिला हैं।

देश के दूर-दूर स्थित भागों को यातायात साधनों द्वारा मिलाकर एक राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का निर्माण होता है। इस प्रकार यातायात के साधन राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। विभिन्न प्रदेशों में मानव तथा पदार्थों की गतिशीलता यातायात के साधनों पर निर्भर करती है। जिस प्रकार शरीर में नाड़ियों द्वारा रक्त प्रवाह होता है उसी प्रकार किसी देश में सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों आदि द्वारा व्यापारिक वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है। इसलिए यातायात के साधनों को देश की जीवन रेखाएं कहा जाता है।

प्रश्न 8.
“यातायात और संचार साधनों के आधुनिक विकास ने संसार को छोटा कर दिया है,” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यातायात और संचार साधनों के विकास से मानव ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है। तेज गति वाले परिवहन साधनों द्वारा दूरस्थ स्थानों को कम समय में पहुंचा जा सकता है। पृथ्वी पर दूर-दूर स्थित भू-भाग एक-दूसरे के निकट आ रहे हैं। आधुनिक साधनों विशेषकर वायुयानों के कारण परिवहन भूगोल में दूरी के तत्त्व में बहुत परिवर्तन हुए हैं। प्राचीन समय में यातायात के प्रमुख साधन स्थलमार्ग थे। ये साधन कठिन तथा धीमी गति वाले थे जिससे दूर-दूर स्थित देशों के साथ कोई सम्पर्क नहीं था।

जल-यातायात के विकास के कारण नये-नये क्षेत्रों की खोज की गई, नए समुद्री मार्गों का विकास हुआ तथा दूर-दूर के क्षेत्रों में आना-जाना तथा व्यापार सम्भव हो सका। स्टीम इंजन, तेल इंजन, प्रशीतन भण्डार वाले जलयानों के प्रयोग से जल यातायात अधिक सुविधाजनक हो गया है। वायुयान के आविष्कार से हज़ारों मील दूर स्थित स्थान बिल्कुल पड़ोस में मालूम दिखाई देते हैं और ऐसा लगता है विश्व अब सिकुड़ रहा है। इस प्रकार यातायात तथा संचार के आधुनिक साधनों ने विशाल संसार को इतना छोटा बना दिया है कि दूर से दूर स्थानों तक पहुंचने में मनुष्य को कुछ ही समय लगता है।

प्रश्न 9.
रेलमार्गों के विकास का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
स्थलीय परिवहन में रेलमार्ग एक महत्त्वपूर्ण साधन है। आधुनिक युग में किसी देश में आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक दृष्टि से रेलों का बड़ा महत्त्व है।
महत्त्व –

  1. रेलमार्ग किसी क्षेत्र के खनिज पदार्थों के विकास में सहायता करते हैं।
  2. रेलमार्ग औद्योगिक क्षेत्रों में कच्चे माल तथा तैयार माल के वितरण में सहायता करते हैं।
  3. रेलमार्ग व्यापार को उन्नत करते हैं।
  4. रेलमार्ग राजनीतिक एकता व स्थिरता लाने में योगदान देते हैं।
  5. रेलमार्ग संकट काल में सहायता कार्यों में महत्त्वपूर्ण हैं।
  6. कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में रेलमार्ग जनसंख्या वृद्धि का आधार बनते हैं।
  7. लम्बी-लम्बी दूरियों को जोड़ने में रेलों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वास्तव में रेलमार्गों के विकास से मानव ने दूरी और समय पर विजय प्राप्त कर ली है।

प्रश्न 10.
‘परिवहन’ शब्द की परिभाषा दीजिए। उत्तरी अमेरिका के महामार्गों की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिभाषा-व्यक्तियों और वस्तुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन करने की सेवा को परिवहन कहते हैं जिसमें स्थल, जल तथा वायु परिवहन साधनों का प्रयोग होता है।
उत्तरी अमेरिका के महामार्गों की विशेषताएं –

  1. उत्तरी अमेरिका में महामार्गों का घनत्व उच्च है। यह 0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि०. मी० है। प्रत्येक स्थान महामार्ग से 20 कि० मी० की दूरी पर स्थित हैं।
  2. पश्चिमी प्रशान्त महासागरीय तट पर स्थित नगर पूर्व में अटलांटिक महासागरीय तट पर स्थित नगरों से भली भांति जुड़े हुए हैं।
  3. उत्तर में कनाडा के नगर दक्षिण में मैक्सिको के नगरों से जुड़े हैं। (उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्गों द्वारा)
  4. पार कनाडियन महामार्ग, अलास्का महामार्ग तथा पान अमेरिका महामार्ग महत्त्वपूर्ण महामार्ग हैं।

प्रश्न 11.
विश्व का व्यस्ततम समुद्री जल मार्ग कौन-सा है ? इस मार्ग की चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तर अटलांटिक समुद्री जलमार्ग विश्व का व्यस्ततम समुद्री मार्ग है जिस पर विश्व का लगभग \(\frac {1}{4}\) व्यापार होता है।

विशेषताएं –

  1. यह मार्ग विश्व के दो औद्योगिक प्रदेशों-उत्तर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप को मिलाता है।
  2. इसे ‘वृहद् ट्रंक मार्ग’ (Big trunk route) कहा जाता है क्योंकि यह एक लम्बा मार्ग है।
  3. दोनों तटों पर पत्तनों और पोताश्रयों की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैसे न्यूयार्क, लन्दन आदि।
  4. किसी भी अन्य मार्ग की अपेक्षा अधिक देशों और लोगों की सेवाएं प्रदान करना है।

अन्तर स्पष्ट करने वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पोताश्रय तथा पत्तन में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

पोताश्रय (Harbour) पत्तन (Port)
(1) पोताश्रय समुद्र में जहाजों के प्रवेश करने का प्राकृतिक स्थान होता है। (1) पत्तन समुद्री तट पर जहाज़ों के ठहरने के स्थान होते हैं।
(2) यहां जहाज़ लहरों तथा तूफ़ान से सुरक्षा प्राप्त  करते हैं। (2) यहां जहाज़ों पर सामान लादने-उतारने की सुविधाएं होती हैं।
(3) ज्वार नद मुख तथा कटे-फटे तट, खाड़ियां  प्राकृतिक पोताश्रय बनाते हैं, जैसे मुम्बई में। (3) यहां कई बस्तियों होती हैं जहां गोदामों की सुविधाएं होती हैं।
(4) जलतोड़ दीवारें बनाकर कृत्रिम पोताश्रय बनाये  जाते हैं। (4) पत्तन व्यापार के द्वार कहे जाते हैं। यहां स्थल तथा समुद्री भाग मिलते हैं।
(5) पोताश्रय में एक विशाल जल क्षेत्र में जहाजों के  आगमन की सुविधाएं होती हैं। (5) पत्तन प्रायः अपनी पृष्ठ-भूमि से रेलों व सड़कों द्वारा जुड़े होते हैं।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय महामार्ग तथा राज्य महामार्गों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

राष्ट्रीय महामार्ग राज्य महामार्ग
(1) यह महामार्ग देश के विभिन्न राज्यों की  राजधानियों को आपस में जोड़ते हैं। (1) यह महामार्ग किसी राज्य के मुख्य नगरों को आपस में जोड़ते हैं।
(2) इन महामार्गों की देखभाल केन्द्रीय सरकार करती है। (2) इन महामार्गों की देखभाल राज्य सरकार करती है।
(3) शेरशाह सूरी मार्ग एक राष्ट्रीय महामार्ग है। (3) अमृतसर-चण्डीगढ़ मार्ग एक राज्य मार्ग है।
राष्ट्रीय महामार्ग राज्य महामार्ग

प्रश्न 3.
परिवहन एवं संचार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

परिवहन संचार
(1) सन्देश तथा विचारों के भेजने के माध्यमों को संचार दूसरे स्थान तक भेजने के साधनों को परिवहन साधन कहते हैं। (1) उपयोगी वस्तुओं व यात्रियों को एक स्थान से साधन कहते हैं।
(2) रेलें, सड़कें, जलमार्ग तथा वायुमार्ग परिवहन साधन हैं। (2) तार, टेलीफोन, रेडियो आदि संचार साधन हैं।

प्रश्न 4.
स्वेज़ एवं पनामा नहर मार्गों के आर्थिक महत्त्व की तुलनात्मक व्याख्या करो।
उत्तर:
स्वेज़ नहर तथा पनामा नहरों में कई प्रकार की समानताएं तथा विभिन्नताएं मिलती हैं –

स्वेज नहर (Suez. Canal) पनामा नहर (Panama Canal)
(1) स्थिति (Location) – यह मिस्र देश में स्थित है। (1) यह पनामा देश में स्थित है।
(2) अधिकार (Rights) इस नहर पर मिस्त्र देश काअधिकार है। (2) इस नहर पर संयुक्त राज्य का अधिकार है।
(3) देश (Countries) – इसके आसपास उन्नत देश (3) इसके आस-पास कम उन्नत देश हैं।
(4) यातायात (Traffic) – इस में एक तरफ़ा यातायात होता है। (4) इसमें दोनों तरफ से यातायात होता है।
(5) लम्बाई (Length) स्वेज नहर की लम्बाई अधिक (5) पनामा नहर की लम्बाई कम है।
(6) द्वार (Locks) – इस नहर में कोई द्वार प्रणाली नहीं है। (6) इस नहर में जहाज़ द्वार प्रणाली द्वारा ही आ-जा सकते हैं।
(7) धरातल (Relief) – इस नहर का धरातल समतल (7) इस नहर का धरातल पहाड़ी है।
(8) कर (Taxes) – इस नहर से गुजरने वाले जहाजों पर भारी कर लगते हैं। (8) इस नहर से गुजरने वाले जहाज़ों पर कम कर लगते हैं।
(9) यातायात (Traffic) – इस मार्ग पर अधिकयातायात हैं। (9) इस मार्ग पर कम यातायात हैं।
(10) महासागर (Oceans)-यह नहर रूम सागर तथा रक्त सागर को मिलाती है। (10) यह नहर प्रशान्त महासागर तथा अन्धमहासागर को मिलाती है।
(11) प्रयोग (Use)-इसका अधिकतर प्रयोग इंग्लैण्ड द्वारा होता है। (11) इसका अधिकतर प्रयोग अमेरिका से होता है।
(12) कोयला (Coal)-इस मार्ग पर कोयले के पर्याप्त साधन हैं। (12) इस मार्ग पर कोयले के कम साधन हैं।
(13) बन्दरगाह (Ports)-इस मार्ग पर अधिक बन्दरगाह हैं। (13) इस मार्ग पर कम बन्दरगाह हैं।

निबन्धामक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
संसार के प्रमुख समुद्री मार्गों का वर्णन करो। इन मार्गों की विशेषताएं, व्यापार तथा महत्त्व बताओ।
उत्तर:
यातायात के साधनों में समुद्री यातायात सबसे सस्ता तथा महत्त्वपूर्ण साधन है। संसार का अधिकतर व्यापार समुद्री मार्गों द्वारा होता है। जब बहुत से जहाज़ एक निश्चित मार्ग का अनुसरण करते हैं तो उसे समुद्री मार्ग (Ocean Route) कहते हैं। इन मार्गों द्वारा दूर-दूर के देशों से सम्पर्क बढ़े हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई है। संसार के प्रमुख समुद्री मार्ग (Chief Ocean Routes of the World) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्ग द्वारा ही होता है। स्थल भाग की अधिकता के कारण मुख्य समुद्री मार्ग मध्य अक्षांशों में स्थित है। संसार के मुख्य समुद्री मार्ग अग्रलिखित हैं –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार - 1
(1) उत्तरी अन्ध महासागरीय मार्ग।
(2) स्वेज नहर मार्ग।
(3) पनामा नहर मार्ग।
(4) आशा अन्तरीप मार्ग।
(5) प्रशान्त महासागरीय मार्ग।
(6) दक्षिणी अन्ध महासागरीय मार्ग।

1. उत्तरी अन्ध महासागरीय मार्ग (North Atlantic Route)

(i) महत्त्व (Importance):
यह मार्ग 40°-50° उत्तर अक्षांशों में यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित है। यह संसार का सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्ग है। (This is the busiest route of the world.) संसार के 75% जलयान इस मार्ग पर चलते हैं। संसार के आधे से अधिक बन्दरगाह इस मार्ग पर स्थित हैं। इस मार्ग के सिरों या उत्तरी अमेरिका के उन्नत औद्योगिक प्रदेश हैं। इसलिए संसार का 25% व्यापार इसी मार्ग से होता है। इसे वृहद ट्रंक मार्ग (Big Trunk Route) भी कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

(ii) सुविधाएं (Facilities):
यह मार्ग एक महान् वृत्त (Great Circle) है। इस पर कोयला व तेल की सुविधाएं हैं। संसार के गहरे, सुरक्षित बन्दरगाह हैं। यहां बड़े-बड़े शिपयार्ड (Ship Yards) स्थित हैं। परन्तु न्यूयार्क के निकट रेतीले तट, न्यूफाउण्डलैंड के निकट कोहरा (Fog) व हिमखण्ड (Icebergs) की कठिनाइयां हैं।

(iii) बन्दरगाह (Ports):
यूरोप की ओर लन्दन (London), लिवरपूल (Liverpool), ग्लासगो (Glasgow), ओसलो (Oslo), हैम्बर्ग (Hamburg), रोटरडम (Rottardam), लिस्बन (Lisbon) प्रमुख बन्दरगाह हैं। उत्तरी अमेरिका की ओर क्यूबैक (Qubec), मौंट्रियल (Montreal), हैलिफैक्स (Halifax), बोस्टन (Boston), फिलाडैलफिया (Philadelphia) तथा न्यूयार्क (Newyork) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) पूर्व की ओर (East Bound):
पूर्व की ओर व्यापार अधिक है। कनाडा व संयुक्त राज्य से यूरोप को गेहूं, कपास, कागज़ की लुगदी, पेट्रोल, फल, माँस व डेयरी पदार्थ भेजे जाते हैं।
पश्चिम की ओर (West Bound) यूरोप से उत्तरी अमेरिका की दवाइयां, चाक, चीनी मिट्टी, पाईराइट व अखबारी कागज़ भेजा गया है।

2. स्वेज नहर मार्ग (Suez Canal Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग रूम सागर तथा लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर के कारण महत्त्वपूर्ण मार्ग है। यह संसार का दूसरा बड़ा मार्ग है। इसे सबसे अधिक लम्बा मार्ग होने के कारण ग्रांड ट्रंक मार्ग (Grand Trunk Route) कहते हैं। इस मार्ग पर संसार की घनी जनसंख्या वाले प्रदेश स्थित हैं।

(ii) सुविधाएं (Facilities) – इस मार्ग पर कोयला व तेल की सुविधाएं प्राप्त हैं। इस मार्ग के कारण यूरोप तथा एशिया में लगभग 8,000 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इस नहर द्वारा इंग्लैण्ड के साम्राज्य व व्यापार को बहुत सुरक्षा प्राप्त थी। इसे ब्रिटिश साम्राज्य की जीवन रेखा कहा जाता है। (Suez Route has been called the Life Line of British Empire)।

(iii) बन्दरगाह. (Ports):
रूम सागर व लाल सागर को पार करने के पश्चात् इसकी तीन शाखाएं हो जाती हैं –
(1) अफ्रीका की ओर।
(2) ऑस्ट्रेलिया की ओर।
(3) एशिया की ओर।

पश्चिम की ओर – लन्दन, लिवरपूल, मोर्सेल्ज, लिस्बन, नेपल्स, सिकन्दरिया प्रमुख बन्दरगाह हैं। पूर्व की ओर-अदन (Aden), कराची (Karachi), मुम्बई (Mumbai), कोलकाता (Kolkata), चेन्नई (Chennai), कोलम्बो (Colombo), रंगून (Rangoon), सिंगापुर (Singapore), हांगकांग (Hongkong), शंघाई (Shanghai), याकोहामा (Yokohama), मैल्बोर्न (Melbourne), विलिंगटन (Wellington) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) पूर्व की ओर (East Bound) – तैयार माल, मशीनें, दवाइयां, रसायन, परिवहन का समान भेजा जाता है। पश्चिम की ओर (West Bound) – पटसन, रेशम, चाय, ऊन, मांस, टिन, रबड़, गर्म मसाले, पेट्रोल, चीनी भेजी जाती है।

3. पनामा नहर मार्ग (Panama Canal Route)
(i) महत्त्व (Importance) – अन्ध महासागर तथा प्रशांत महासागर को मिलाने वाली पनामा नहर के 1914 में निर्माण होने से इस मार्ग का महत्त्व बढ़ गया है। इस मार्ग का विशेष महत्त्व संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड को है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – इस मार्ग के खुल जाने के कारण दक्षिणी अमेरिका के Cape Horn का चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रही। इस प्रकार अमेरिका के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों के बीच 10,000 किलोमीटर दूरी कम हो गई।
(iii) बन्दरगाह (Ports) – पश्चिम की ओर (West Bound)-आकलैंड (Aukland), वालपरेसो (Valpraiso), लॉस ऐंजल्स (Los Angeles), सैन फ्रांसिस्को (San Francisco), वैनकूवर (Vancouver) तथा प्रिंस रूपर्ट (Prince Rupert) प्रमुख बन्दरगाह हैं। पूर्व की ओर (East Bound)-किंगस्टन (Kingston), हवाना (Havana), रियो-डी-जैनेरो (Rio-De-Janeiro), पनामा (Panama), न्यू ओरलियनज (New Orleans) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

4. आशा अन्तरीप मार्ग (Cape of Good Hope Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह एक प्राचीन समुद्री मार्ग है। 1498 में वास्कोडिगामा (Vasco Degama) ने इस मार्ग की खोज की। स्वेज़ नहर के बन्द हो जाने के कारण इस मार्ग का महत्त्व बढ़ गया है। यह मार्ग दक्षिणी अफ्रीका,
ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड के लिए महत्त्वपूर्ण है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – यह मार्ग एक महान् वृत्त वाला मार्ग है। इस मार्ग पर कोयला व तेल की सुविधाएं प्राप्त हैं। यह मार्ग स्वेज़ मार्ग की अपेक्षा सस्ता व ठण्डा है तथा बड़े-बड़े जहाज इस मार्ग पर गुज़र सकते हैं।
(iii) बन्दरगाह (Ports)-आशा अन्तरीप से पूर्व की ओर मार्ग के तीन भाग हैं –
(1) अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ।
(2) एशिया की ओर।
(3) ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड की ओर।

पश्चिम की ओर (West Bound) – लन्दन, लिवरपूल, लिस्बन, लागोस, मानचेस्टर आदि यूरोप के बन्दरगाह हैं।
पूर्व की ओर (East Bound) – केपटाउन (Capetown), एलिजाबेथ (Elizabeth), डरबन (Durban), दार इस्लाम (Dar-e-Slam) एशिया व ऑस्ट्रेलिया के बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) –
पूर्व की ओर (East Bound) – तैयार माल, मशीनें, दवाइयां, मोटरें व कपड़ा भेजा जाता है।
पश्चिम की ओर (West Bound) – गेहूं, पटसन, चाय, चमड़ा, रबड़, डेयरी पदार्थ सोना, ऊन, कपास, तांबा, तम्बाकू आदि भेजा जाता है।

5. प्रशान्त महासागरीय मार्ग (Trans-Pacific Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग एशिया तथा अमेरिका महाद्वीपों को मिलाता है। यह मार्ग कम महत्त्वपूर्ण है। इस मार्ग की लम्बाई बहुत अधिक है तथा इसके सिरों पर कम उन्नत प्रदेश हैं।
(ii) सविधाएँ (Facilities) – यह एक महान वत्त है। इस मार्ग पर हिमशिलाओं का अभाव है। इस मार्ग की कई शाखाएं होनोलुल (Honolulu) नामक स्थान पर मिलती हैं, जैसे –
(1) उत्तरी अमेरिका से जापान मार्ग।
(2) उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट से न्यूजीलैंड मार्ग।
(3) उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से न्यूजीलैंड मार्ग।

(iii) बन्दरगाह (Ports) – पूर्व की ओर-याकोहामा, हांगकांग, शंघाई, मनीला, सिडनी व ऑकलैंड प्रमुख बन्दरगाह हैं। पश्चिम की ओर-वैंकूवर, प्रिंस रूपर्ट, सैन फ्रांसिस्को, लास एंजल्स प्रमुख बन्दरगाह हैं।
(iv) व्यापार (Trade) – एशिया की ओर लकड़ी, लुगदी, गेहूं, मशीनें, पेट्रोल, कागज़, फल तथा दवाइयां भेजी जाती हैं। उत्तरी अमेरिका की ओर-चीनी, पटसन, चाय, रेशम, तेल व खिलौने भेजे जाते हैं।

6. दक्षिणी अन्ध महासागरीय मार्ग (South Atlantic Route) –
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग दक्षिणी अमेरिका तथा यूरोप के देशों को मिलाता है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – ब्राजील के केप सन राक (Cape San Roque) से आगे इस मार्ग के दो भाग हो जाते हैं। एक यूरोप को तथा दूसरा उत्तरी अमेरिका की ओर। यहां दक्षिणी अफ्रीका से आने वाले मार्ग भी मिलते हैं।
(iii) बन्दरगाह (Ports) – उत्तर की ओर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के प्रसिद्ध बन्दरगाह तथा दक्षिण की ओर ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires), मोण्टी-विडियो (Monte-Video), रीयो-डी-जैनेरो (Rio-De-Janeiro), बहिया (Bahia), सैन्टाज़ (Santos) हैं।
(iv) व्यापार (Trade) – दक्षिण की ओर-कोयला, मशीनरी तथा तैयार माल भेजा जाता है। उत्तर की ओर- रबड़, कहवा, चीनी, मांस, शोरा व गेहूं भेजा जाता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 2.
स्वेज नहर के भौगोलिक, आर्थिक तथा सैनिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वेज नहर (Suez Canal):
1. स्थिति (Location) – स्वेज नहर संसार की सबसे भूमध्य सागर बड़ी जहाज़ी नहर (Nevigation Canal) है । यह नहर मित्र (Egypt) में स्थित है। यह नहर स्वेज़ के स्थलडमरू मध्य (Suez Isthmus) को काट कर बनाई गई है।

2. इतिहास (History) – इस नहर का निर्माण एक फ्रांसीसी इन्जीनियर फर्डीनेण्ड डी लैसैप्स (Ferdinand De Lesseps)
मंचाला की देख-रेख में सन् 1859 ई० में शुरू हुआ। इस निर्माण में लगभग 10 वर्ष लगे। इस नहर को 17 नवम्बर, 1869 को चालू किया गया। इसके निर्माण काल में 1 जानें नष्ट हुईं। इस नहर के निर्माण पर 180 लाख पौंड खर्च हुए।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार - 2

इस नहर का निर्माण स्वेज नहर कम्पनी (Suez Canal काहिरा इस्माइलिया ! Company) द्वारा किया गया। इस कम्पनी के अधिकतर हिस्से तिमसा झील (Shares) फ्रांस तथा इंग्लैण्ड के थे। इसके प्रकार इस नहर पर ग्रेट बिटर इंग्लैण्ड तथा फ्रांस को अधिकार था। यह नहर 99 वर्षों के पट्टे पर दी गई थी। परन्तु मिस्र के राष्ट्रपति कर्नल नासिर ने 26 जुलाई, लिटल बिटर 1956 को इस नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी। 1967 में मिस्र व इज़राइल में युद्ध हुआ तथा स्वेज़ नहर जहाज़ों के लिए बन्द हो गई। 1975 से स्वेज नहर पुनः खुल गई। -ताजे पानी की नहर पोर्ट स्वेज़

3. सागर तथा बन्दरगाह (Sea and Ports) – यह नहर 1+ रेलमार्ग रक्त सागर (Red Sea) तथा रूम सागर (Mediterranean Sea) स्वज का को मिलाती है। रूम सागर की ओर पोर्ट सईद (Port Said) तथा रक्त सागर की ओर पोर्ट स्वेज़ (Port Suez) के बन्दरगाह हैं। इस नहर की कुल लम्बाई 162 किलोमीटर, चौड़ाई, 60 से 65 मीटर तक तथा कम-से-कम गहराई 10 मीटर है। यह नहर पूरी लम्बाई में समुद्र तल पर बनी है।

इस नहर के मार्ग में नमकीन पानी की तीन झीलें हैं –
(1) लिटिल बिटर झील (Little Bitter Lake)।
(2) ग्रेट बिटर झील (Great Bitter Lake)।
(3) टिमशाह झील (Timshah Lake)।
इस नहर को पार करने में 12 घण्टे लग जाते हैं। जहाज़ औसत रूप से 14 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से चलते हैं। कम चौड़ाई के कारण एक साथ दो जहाज़ नहीं गुजर सकते हैं। इसलिए एक जहाज़ को झील में ठहरा लिया जाता है।

4. महत्त्व (Importance)

  • यह मार्ग संसार की घनी जनसंख्या वाले भाग के मध्य में से गुजरता है।
  • इस मार्ग पर बहुत अधिक देश स्थित हैं जिनके द्वारा विभिन्न वस्तुओं का व्यापार होता है।
  • इस मार्ग पर ईंधन के लिए कोयला व तेल मिल जाते हैं।
  • इस मार्ग पर छोटे-छोटे कई मार्ग मिल जाते हैं।
  • इस मार्ग पर कई उत्तम बन्दरगाहें स्थित हैं।
  • यह नहर तीन महाद्वीपों के केन्द्र पर स्थित है (It is located at the crossroads of three continents)। यहां यूरोप, अफ्रीका तथा एशिया महाद्वीप के लिए मार्ग निकलते हैं।
  • इस नहर द्वारा इंग्लैण्ड के साम्राज्य तथा व्यापार की रक्षा होती रही है। इसलिए इसे ब्रिटिश साम्राज्य की जीवन रेखा (Life Line of British Empire) भी कहते हैं।
  • इस नहर के खुल जाने से दक्षिणी अफ्रीका का चक्कर काटकर आने-जाने की आवश्यकता नहीं रही।

5. व्यापारिक महत्त्व (Commercial Importance) – इस नहर के बन जाने से यूरोप तथा एशिया व सुदूर पूर्व के बीच दूरी काफ़ी कम हो गई है। यह नहर हिन्द महासागर का (Gateway) द्वार है। कई देशों की दूरी की बचत इस प्रकार है –

स्थान से स्थान तक दूरी की बचत
(1) लन्दन खाड़ी फारस 8800 किलोमीटर
(2) लन्दन मुम्बई 8000 किलोमीटर
(3) लन्दन सिंगापुर 6000 किलोमीटर
(4) लन्दन मम्बासा 4800 किलोमीटर
(5) लन्दन जकार्ता 4700 किलोमीटर
(6) लन्दन सिडनी 1500 किलोमीटर
(7) न्यूयार्क मुम्बई 6000 किलोमीटर
(8) न्यूयार्क हांगकांग 4000 किलोमीटर

6. व्यापार (Trade):
इस नहर के कारण एशिया तथा यूरोप के बीच व्यापार अधिक हो गया है। नहर को चौड़ा व गहरा करने के कारण अब औसत रूप में 87 जहाज़ प्रतिदिन गुजर सकते हैं। 1976 में इस नहर से लगभग 20,000 जहाजों ने प्रवेश किया। इस मार्ग पर संसार का 25% व्यापार होता है। इसमें से अधिकतर जहाज़ ब्रिटेन को जाते हैं। 70% जहाज़ तेल वाहक जहाज़ (Oil Tankers) होते हैं। इस मार्ग से यूरोप को कच्चे माल (Raw Materials) जाते हैं तथा युरोप से तैयार माल व मशीनरी एशिया को भेजी जाती है। एशिया की ओर से कपास, पटसन, चाय, खांड, कहवा,’ , ऊन, मांग, डेयरी पदार्थ, रेशम, रबड़, चावल, तांबा, तम्बाकू, चमड़ा आदि पदार्थ यूरोप को भेजे जाते हैं। इस नहर द्वारा भारत का 60% निर्यात तथा 70% आयात व्यापार होता है। परन्तु अब यह व्यापार अन्तरीप मार्ग से होता है।

7. त्रुटियां (Drawbacks):
इस नहर में निम्नलिखित त्रुटियां भी हैं –
(1) यह नहर-कम चौड़ी व कम गहरी है। इसलिए बड़े-बड़े आधुनिक जहाज़ तथा बड़े-बड़े तेल वाहक जहाज़ (Oil Tankers) नहीं गुजर सकते हैं।
(2) यह पक्षीय यातायात होने के कारण नहर पार करने में समय अधिक लगता है।
(3) यह मार्ग बहुत महंगा है। जहाज़ों से बहुत अधिक चुंगी कर (Taxes) वसूल किया जाता है।
(4) दोनों ओर से मरुस्थल की रेत उड़-उड़ कर नहर में गिरती है। इसे साफ करने पर बहुत व्यय करना पड़ता है।

8. भविष्य (Future):
स्वेज़ नहर पर आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने की योजना है। कई बार मिस्र-इजराइल झगड़े के कारण यह नहर बन्द रही है। परन्तु अब संसार का अधिकतर व्यापार आशा अन्तरीप मार्ग पर तेज़ जहाज़ों से होने लग पड़ा है। भविष्य में स्वेज नहर इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं होगी। (It will not be the same old romantic Suez Canal.)

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प्रश्न 3.
पनामा नहर के भौगोलिक, आर्थिक व राजनीतिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
पनामा नहर (Panama Canal):
1. स्थिति (Location):
यह नहर मध्य अमेरिका (Central America) के पनामा गणराज्य में स्थित है। यह नहर पनामा स्थल डमरू मध्य (Panama Isthmus) को काटकर बनाई गई है।

2. इतिहास (History):
स्वेज नहर की सफलता को देख कर पनामा नहर के निर्माण की योजना बनाई गई। 1882 ई० में फर्डिनेण्ड-डी-लैसैप्स ने इस नहर का निर्माण कार्य आरम्भ किया परन्तु पीले ज्वर तथा मलेरिया के कारण हजारों श्रमिक मर गए। अत: यह प्रयत्न असफल रहा। उसके पश्चात् सन् 1904 में संयुक्त राज्य (U.S.A.) सरकार ने इस नहर का निर्माण आरम्भ किया। यह नहर दस वर्ष में 15 अगस्त, 1914 को बन कर तैयार हुई। इसके निर्माण पर 772 करोड़ पौंड खर्च हुए। यह नहर संयुक्त राज्य के अधीन है। इस नहर के निर्माण में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। इसलिए नहर का सफलतापूर्वक निर्माण आधुनिक विज्ञान की बहुत बड़ी सफलता है। (“The construction of Panama Canal was a great feast of Engineering.”)

इस नहर का निर्माण दो खाड़ियों (Bays), एक कृत्रिम झील (Artificial Lake), एक प्राकृतिक झील (Natural Lake) तथा तीन द्वार प्रणालियों (Lock Systems) द्वारा किया गया है। इस नहर का तल समुद्र तल के समान नहीं है। इसका निर्माण कुलबेरा (Culbera) नामक पहाड़ी को काट कर किया गया है। गातुन (Gatun) नामक कृत्रिम झील बनाई. गई है। इस नहर में तीन स्थानों पर फाटक बनाए गए हैं।

(1) गातुन (Gatun) द्वार
(2) पैड्रो मिग्वल (Padromiguel) द्वार।
(3) मिरा फ्लोर्स (Miraflore) द्वारा।

इन द्वारों को खोलकर जल-स्तर समान किया जाता है। फिर जलयान ऊपर चढ़ाए या नीचे उतारे जाते हैं। यह दोहरी द्वार प्रणाली (Double Lock System) है। इसमें एक ही समय में दोनों ओर से यातायात सम्भव है। इस प्रकार जहाजों को इस नहर में 45 मीटर तक ऊपर चढ़ाना या नीचे उतारना पड़ता है, इस नहर को चार्जेस (Charges) नदी द्वारा जल-विद्युत् प्रदान की जाती है जिससे प्रकाश व जलयानों को खींचने की शक्ति मिलती है।

3. सागर तथा बन्दरगाह (Sea and Ports):
“यह नहर प्रशान्त महासागर (Pacific Ocean) तथा अन्ध महासागर Atlantic Ocean) को मिलाती है। इसे प्रशान्त महासागर का द्वार (Gateway of the Pacific) भी कहते हैं। प्रशान्त तट पर पनामा (Panama) तथा अन्धमहासागर तट पर कालोन (Colon) के बन्दरगाह हैं । यह नहर 81.6 किलोमीटर लम्बी, 12 मीटर गहरी तथा 90 से 300 मीटर चौड़ी है। इस नहर को पार करने में 8 घण्टे लगते हैं। इस नहर में से बड़े-बड़े जहाज़ नहीं गुज़र सकते।

4. महत्त्व (Importance):
(1) इस नहर के निर्माण में अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर के बीच दूरी कम हो गई है।” (Panama Canal has changed the element of distance in geography of transport.)” इससे पहले जहाज़ दक्षिणी अमेरिका के (सिरे) केप हार्न (Cape Horm) का चक्कर लगा कर जाते थे। इस नहर से सबसे अधिक लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) को हुआ है। इसके पश्चिमी व पूर्वी तट से ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिणी अमेरिका, जापान के बन्दरगाहों की दूरी कम हो गई है। इस नहर के द्वारा यूरोप को कोई विशेष लाभ नहीं है। कई देशों की दूरी की बचत इस प्रकार है –
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स्थान तक दूरी की बचत
(1) न्यूयार्क सान फ्रांसिस्को 13000 किलोमीटर
(2) न्यूयार्क सिडनी 6000 किलोमीटर
(3) न्यूयार्क हांगकांग 7000 किलोमीटर
(4) न्यूयार्क वालपरेसो 6000 किलोमीटर
(5) न्यूयार्क टोकियो 6000 किलोमीटर
(6) न्यूयार्क सिडनी 700 किलोमीटर

(2) इस नहर के कारण पश्चिमी द्वीप समूह (West Indies) का महत्त्व बढ़ गया।
(3) इस नहर के कारण संयुक्त राज्य संकट के समय एक ही नौसेना (Navy) से पश्चिमी व पूर्वी तट की रक्षा कर सकता है।

5. व्यापार (Trade):
इस नहर द्वारा व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है। औसत रूप से प्रतिदिन 50 जहाज़ गुजरते हैं। प्रति वर्ष लगभग 15,0000 जहाज़ प्रवेश करते हैं। अन्ध महासागर से प्रशान्त महासागर की ओर अधिक व्यापार होता है। पूर्व की ओर से संयुक्त राज्य व यूरोप को शिल्पी वस्तुएं, खनिज पदार्थ, तेल, मशीनें, दवाइयां, सूती व ऊनी कपड़ा भेजा जाता है। पश्चिम की ओर से डेयरी पदार्थ, मांस, रेशम, रबड़, चाय, तम्बाकू, नारियल, शोरा, तांबा भेजा जाता है।

6. त्रुटियां (Drawbacks):
इस मार्ग में निम्नलिखित दोष हैं –
(1) इस नहर में बड़े-बड़े जहाज़ नहीं गुज़र सकते।
(2) द्वार प्रणाली के कारण काफ़ी असुविधा रहती है।
(3) इस मार्ग पर बन्दरगाह बहुत कम है।
(4) इस नहर के साथ के देश उन्नत नहीं हैं।

7. भविष्य (Future):
दक्षिणी अमेरिका के देश बड़ी तेज़ी से उन्नति कर रहे हैं। इनके विकास के कारण इस मार्ग पर व्यापार बढ़ेगा।

प्रश्न 4.
संसार के प्रमुख रेलमार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
संसार के प्रमुख रेलमार्ग-स्थल मार्गों में रेलमार्ग सबसे महत्त्वपूर्ण है। रेलमार्ग वास्तव में औद्योगिक क्रान्ति की देन है। रेलमार्गों की सबसे अधिक लम्बाई संयुक्त राज्य अमेरिका में है। संसार के कई भागों में अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्गों का विकास हुआ है। यह रेलमार्ग महाद्वीपों के दो विपरीत तटों को मिलाकर देश की एकता को मज़बूत करते हैं । विभिन्न आर्थिक क्रियाओं वाले दूर-दूर स्थित स्थानों को जोड़ते हैं। अधिकतम ऐसे रेलमार्ग विरल जनसंख्या वाले प्रदेशों में मिलते हैं। प्राय: उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र वनों में, गर्म मरुस्थलों तथा शीत प्रदेशों में ऐसे रेलमार्ग मिलते हैं। यह रेलमार्ग इन प्रदेशों के कच्चे माल को औद्योगिक क्षेत्रों तक पहुंचाते हैं।

1.ट्रांस साइबेरियन रेल-मार्ग:
यह रेल मार्ग 9332 कि० मी० लम्बा है तथा संसार में सबसे बड़ा रेलमार्ग है। यह रेलमार्ग साइबेरिया तथा यूराल प्रदेश के आर्थिक तथा औद्योगिक विकास का आधार है। यह एक अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग है। यह रेलमार्ग पश्चिम में बाल्टिक सागर पर स्थित सेंट पीटरसवर्ग बन्दरगाह को पूर्व में प्रशान्त महासागर पर स्थित ब्लाडीवोस्टक बन्दरगाह से जोड़ता है। इस रेलमार्ग के मुख्य स्टेशन मास्को, रयाजान, कुईबिशेव, चेलिया बिन्सक, ओमस्क, नोवो सिबीरस्क, चीता, इकूटस्क तथा खाबारोवस्क हैं। इस रेलमार्ग द्वारा कोयला, तेल, लकड़ी, खनिज, कृषि उत्पादन, मशीनरी तथा औद्योगिक उत्पादों का आदान-प्रदान पूर्व से पश्चिम को होता है। इकूटस्क एक फ़र का व्यापारिक केन्द्र है।

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2. कैनेडियन पैसेफिक रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग कनाडा के पूर्वी भाग में हैलीफैक्स से चलकर पश्चिम में वैन्कूवर तक पहुंचता है। यह रेलमार्ग दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में से गुजरता है। इस रेलमार्ग में लकड़ी, खनिज पदार्थ, गेहूं व लोहे का परिवहन होता है। इस मार्ग की लम्बाई 7050 कि० मी० है। इस मार्ग पर सेंटजॉन, मांट्रियल, ओटावा, विनीपेग आदि नगर स्थित हैं। यह रेलमार्ग क्यूबेक-मांट्रियल के औद्योगिक क्षेत्र को कोणधारी वनों तथा प्रेयरीज़ के गेहूं प्रदेश से जोड़ता है। इस प्रकार यह रेलमार्ग राजनैतिक तथा आर्थिक रूप से एकता स्थापित करता है। यह क्यूबैक-मांट्रियल प्रेयरी, कोणधारी वन क्षेत्र को जोड़ता है।

3. यूनियन पैसेफिक रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग अटलांटिक तट से न्यूयार्क से लेकर शिकागो तथा सानफ्रांसिस्को तथा प्रशांत महासागर तट तक जाता है। शिकागो संसार भर में सबसे बड़ा रेल केन्द्र है।

4. केप-काहिरा रेल-मार्ग:
यह रेल-मार्ग अफ्रीका के दक्षिणी सिरे को उत्तरी सिरे से जोड़ता है। यह रेलमार्ग केपटाऊन से प्रारम्भ होकर काहिरा तक जाता है।

5. ट्रांस एण्डियन रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग दक्षिणी अमेरिका में चिल्ली के वालप्रेसो नगर तथा अर्जेन्टीना के ब्यूनस आयर्स नगर को मिलाता है। यह रेलमार्ग एण्डीज पर्वतों को 3485 मीटर की ऊंचाई से पार करके उस्पलाटा दर्रे तथा सुरंगों से गुजरता है। यह पम्पास से कृषि तथा पशुपालन क्षेत्रों को चिल्ली के खनिज तथा फल उत्पादन क्षेत्र से जोड़ता है।

6. ऑस्ट्रेलियन अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग-यह मार्ग पूर्व में सिडनी को पश्चिमी तट पर स्थित पर्थ नगर से मिलाता है। यह रेलमार्ग पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के मरुस्थल से गुजरता है।

7. यूरोप – इस महाद्वीप में 4,40,000 कि०मी० लम्बा रेलमार्ग है। बेल्जियम में सर्वाधिक रेल घनत्व है, जो 1 कि० मी० प्रति 6.5 वर्ग कि. मी. है। लन्दन, पेरिस, मिलान, बर्लिन, वारसा मुख्य स्टेशन हैं। चैनल टनल यूरो लन्दन तथा पेरिस को जोड़ता है। लन्दन, पेरिस, मॉस्को में भूमिगत रेल मार्ग है।

8. ओरियण्ट एक्सप्रेस रेलमार्ग पेरिस से इस्तंबुल तक है । प्रस्तावित पारीय-एशिया रेलमार्ग इस्तंबुल से बंकाक तक गुजर कर ईरान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश तथा म्यानमार को मिलाएगी।

प्रश्न 5.
संसार के प्रमुख आन्तरिक जल-मार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
प्रमुख आन्तरिक जल-मार्ग
1. यूरोप –
(i) फ्रांस में सीन तथा रोन नदियां यातायात के लिए प्रयोग की जाती हैं।
(ii) पश्चिमी जर्मनी में राइन (Rhine) नदी सबसे महत्त्वपूर्ण जल-मार्ग है। यह नदी पश्चिमी जर्मनी के व्यापार की जीवन रेखा है। इस नदी द्वारा रूहर घाटी से खनिज पदार्थों का परिवहन किया जाता है।
(iii) यूरोप में कई अन्य नदियां डैन्यूब, वेसर, ऐल्ब, ओडर, विसचूला भी महत्त्वपूर्ण जल-मार्ग हैं।
(iv) रूस में वोल्गा, नीपर नदियां यातायात के साधन के रूप में प्रयोग की जाती हैं। वोल्गा नदी संसार में सबसे बड़ी जलप्रवाह प्रणाली है जो 11200 कि० मी० लम्बी है। वाल्गा-मास्को नहर तथा वाल्गा-डान महत्त्वपूर्ण नहरें हैं जो इसे काला सागर से जोड़ती हैं।

2. उत्तरी अमेरिका उत्तरी अमेरिका में महान् झीलें तथा मिसीसिपी नदी तथा सेंट-लारेंस जल-मार्ग महत्त्वपूर्ण हैं। ग्रेट-लेक सेंट लारेंस जल-मार्ग से जहाज़ 3760 कि० मी० अन्दर तक आ-जा सकते हैं।

3. एशिया-भारत में गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियाँ, चीन में यांगसी नदी तथा बर्मा में इरावदी नदी महत्त्वपूर्ण भीतरी जल-मार्ग है।

4. दक्षिणी अमेरिका-दक्षिणी अमेरिका में अमेजन नदी में तट से 1600 कि०मी० अन्दर तक जहाज चलाए जा सकते हैं। परन्तु कम जनसंख्या तथा पिछड़ेपन के कारण इस घाटी में इस जल-मार्ग का महत्त्व कम है। दक्षिणी अमेरिका में पराना-पेरागुए जल-मार्ग भी महत्त्वपूर्ण है।

5. अफ्रीका- अफ्रीका में नील, नाईजर, कांगो तथा जैम्बजी नदियां जल प्रपातों के कारण अधिक उपयोगी नहीं हैं।

6. अन्य मार्ग-संसार में कई देशों में नहरें भी यातायात के साधन के रूप में प्रयोग की जाती हैं। पश्चिमी जर्मनी में कील नहर और राइन नहर, रूस में वोल्गा-वाल्टिक नहर, उत्तरी अमेरिका में हडसन- मोहाक नहर, इंग्लैण्ड में मानचेस्टर लिवरपूल नहर, भारत में बकिंघम नहर यातायात के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 6.
संसार में सड़क मार्गों के वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
सड़कों का विश्व वितरण-संसार में उन्नत देशों में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। औद्योगिक देश कच्चे माल के लिए सड़कों पर निर्भर करते हैं। सड़क मार्गों का विस्तार रेल मार्गों से अधिक है।

1. उत्तरी अमेरिका – उत्तरी अमेरिका के विकसित देशों संयुक्त राज्य तथा कनाडा में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। यहां मोटर गाड़ियों की संख्या अधिक है। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तथा पूर्वी तट पर स्थित नगरों को महामार्गों द्वारा जोड़ा गया है। उत्तर में अलास्का को दक्षिणी चिल्ली तक जोड़ने वाले महामार्ग को पैन अमेरिकन (Pan American) मार्ग कहा जाता है। यह 24500 कि०मी० लम्बा है तथा विश्व में सबसे लम्बा मार्ग है। ट्रांस केनेडियन महामार्ग न्यूफाऊंडलैंड के सेंटजॉन नगर को बैंकूवर नगर से जोड़ता है। इस महाद्वीप में सर्वाधिक सड़क घनत्व है जो 0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि० मी० है।

2. एशिया – एशिया में प्राचीनकाल से ही स्थलमार्गों का महत्त्व रहा है। यात्रियों के काफिले इन महामार्गों पर चलते थे जिन्हें कारवाँ मार्ग कहते थे। चीन में बीजिंग नगर से शंघाई तक सड़क मार्ग हैं। चैंगड़ से एक महामार्ग लहासा तक है।

3. भारत – भारत में अधिकतर पक्की सड़कें दक्षिणी भारत में स्थित हैं। भारत में शेरशाह सूरी मार्ग या ग्रैंड ट्रंक मार्ग (G.T. Road) बड़े-बड़े नगरों को जोड़ती हैं। यह अमृतसर, दिल्ली तथा कोलकाता के बीच राष्ट्रीय मार्ग नं0 1 तथा नं0 2 के रूप में 1856 कि०मी० लम्बी है। भारत का सबसे बड़ा मार्ग राष्ट्रीय मार्ग नं0 7 है जो वाराणसी से कन्याकुमारी तक 2325 कि०मी० लम्बा है। भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग महानगरों नई दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता को जोड़ता है।

4. अन्य मार्ग-यूरोप में सड़कों का जाल बिछा है। प्रत्येक नगर एवं पत्तन महामार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं। अफ्रीका में काहिरा से केपटाऊन मार्ग महत्त्वपूर्ण है। रूस में मास्को नगर कई सड़क मार्गों का केन्द्र है। ऑस्ट्रेलिया में स्टुआर्ट मार्ग पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को मिलाता है।

प्रश्न 7.
वायु मार्गों का विकास किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
वायु मार्ग महान् वृत्तों के अनुसार बनाए जाते हैं ताकि कम दूरी हो। वायु-परिवहन के लिए अच्छा मौसम हो। धुन्ध, कोहरा, हिमपात और तूफ़ान आदि बाधाएं उत्पन्न कर देते हैं। हवाई अड्डों के लिए समतल भूमि प्राप्त हो। अधिक उन्नत देशों में लोगों के उच्च जीवन स्तर के कारण वाय मार्गों का विकास होता है। निर्धन देश इन साधनों पर अधिक खर्च नहीं कर सकते। आधुनिक युग में युद्ध तथा संकट के लिए वायु सेवा आवश्यक है।

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वायु मार्गों के गुण-दोष
(Merits-Demerits of Airways)

संसार में वायु मार्गों का विकास प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् हुआ। आजकल इस का बहुत बड़ा महत्त्व है। यह एक तीव्रगामी साधन है। इसमें मार्गों के निर्माण पर कोई खर्च नहीं होता, केवल हवाई अड्डों का निर्माण करना पड़ता है। इससे पर्वतों, विशाल महासागरों व मरुस्थलों के पार पहुंचा जा सकता है, जहां दूसरे साधन नहीं पहुँच सकते। विभिन्न संस्कृतियों के बड़े-बड़े नगरों के वायु मार्गों द्वारा जुड़े होने से अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास होता है। परन्तु इस साधन पर व्यय बहुत होता है। इसका व्यापारिक महत्त्व भी अधिक नहीं है। वायुयानों द्वारा यात्रियों, डाक व शीघ्र खराब होने वाले पदार्थों का परिवहन होता है।

विश्व में नोडल बिन्दु (Nodal Point) – संयुक्त राज्य अमेरिका में संसार की 60% वायु सेवाएं उपलब्ध हैं। मुख्य नोडल बिन्दु है-न्यूयार्क, लन्दन, पेरिस, रोम, मास्कों, कराची, नई दिल्ली, मुम्बई, बैंकाक, सिंगापुर, टोकियो, सेन फ्रांसिस्को, लॉस एन्जलज, शिकागो।
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JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) नाइट्रोजन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
नाइट्रोजन।

2. वह वायुमण्डलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है
(A) समतापमण्डल
(B) क्षोभमण्डल
(C) मध्यमण्डल
(D) आयनमण्डल।
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

3. समुद्री नमक, पराग, राख, धुएं की कालिमा, महीन मिट्टी-ये किससे सम्बन्धित हैं?
(A) गैस
(B) जलवाष्प
(C) धूलकण
(D) उल्कापात।
उत्तर:
धूलकण।

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4. निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगनय हो जाती है?
(A) 90 कि० मी०
(B) 100 कि० मी०
(C) 120 कि० मी०
(D) 150 कि० मी०।
उत्तर:
(C) 120 कि० मी०।

5. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हीलियम
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है तथा पृथ्वी का एक अभिन्न अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है।

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प्रश्न 2.
मौसम एवं जलवायु के प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
वायुमण्डल दशाएं जो मौसम की रचना करती हैं मौसम के तत्व कहलाती हैं। जैसे:

  1. तापमान
  2. समुद्र तल से ऊंचाई
  3. पवनें
  4. धूप
  5. आर्द्रता
  6. मेघावरण
  7. वर्षा
  8. धुन्ध तथा कोहरा।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना के बारे में लिखें।
उत्तर:
वायुमण्डल में ऑक्सीजन (21%) तथा नाईट्रोजन प्रमुख गैसें हैं। शेष गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथैन, ओज़ोन, हाईड्रोजन हैं।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल के सभी संस्तरों में क्षोभ मण्डल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है जो कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है

  1. पृथ्वी के धरातल पर जलवायु स्थितियों का निर्माण करने वाली महत्त्वपूर्ण क्रियाएं इसी परत में होती हैं।
  2. इस परत में गैसों, धूल-कण तथा जलवाष्प की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसलिए मेघ, वर्षा, कोहरा आदि क्रियाएं इसी परत में होती हैं।
  3. इस अस्थिर भाग में संवाहिक धाराएं चलती हैं जो ताप और आर्द्रता को ऊंचाई तक ले जाती हैं।
  4. इस भाग में संचालन क्रिया द्वारा वायुमण्डल की विभिन्न परतें गर्म होती हैं। ऊंचाई के साथ-साथ तापमान कम होता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है।
  5. इस भाग में अस्थिर वायु के कारण वायु विक्षोभ तथा आंधी तूफान चलते हैं। वायु परिवर्तन के कारण मौसम परिवर्तन होता रहता है।
  6. क्षोभमण्डल के मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में ही चक्रवात उत्पन्न होते हैं। उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत है जो मानवीय  या-कलापों पर प्रभाव डालती है।

वायुमण्डल में मौजूद विभिन्न गैसों का महत्त्व निम्नलिखित है:

  1. नाइट्रोजन-नाइट्रोजन एक अक्रियाशील गैस है। यह मानव तथा जीव-जन्तुओं की सुरक्षा करती है। जानवरों तथा पौधों के लिए यह एक आवश्यक गैस है।
  2. ऑक्सीजन-शुष्क वायु में ऑक्सीजन की मात्रा 20.95% होती है। ऑक्सीजन का महत्त्व मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड-यह गैस सौर विकिरण को सोख लेती हैं। यह एक ग्रीन हाऊस गैस है। इसकी वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।
  4. ओज़ोन-यह गैस वायुमण्डल के ऊपरी भाग में महत्त्वपूर्ण है। यह गैस सूर्य की परा बैंगनी किरणों को सोख कर पृथ्वी को इसके प्रभाव से बचाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल के संगठन (रचना) की व्याख्या करो।
उत्तर:
वायुमण्डल अनेक गैसों, जलवाष्प तथा धूल-कणों के मिश्रण से बना हुआ है।

1. गैसें (Gases) वायुमण्डल में ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन प्रमुख गैसें हैं । नाइट्रोजन की मात्रा 78% तथा ऑक्सीजन की मात्रा 21% है। शेष 1% में अन्य गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, ओज़ोन, आर्गन, हाइड्रोजन, हीलियम आदि शामिल हैं। इन गैसों की मात्रा कम व अधिक होती रहती है। भारी गैसें वायुमण्डल की निचली परतों में तथा हल्की गैसें ऊपरी परतों में पाई जाती हैं।

ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड जीव-जन्तुओं तथा पौधों का आधार हैं। 120 कि० मी० की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 कि० मी० की ऊंचाई तक ही पाए जाते हैं। विभिन्न गैसों की मात्रा इस प्रकार है

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 1

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प्रश्न 2.
वायुमण्डल का चित्र खींचो और इसकी संरचना की व्याख्या करो।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना अथवा परतें (Structure or Layers of the Atmosphere):
ऊंचाई के साथ वायु दाब तथा ऊष्णता कम होती जाती है । अत: इसी को आधार मान कर वायुमण्डल को निम्नलिखित परतों में विभक्त करते हैं

(i) क्षोभ मण्डल तथा अधोमण्डल (Troposphere): वायुमण्डल की क्षैतिज परतों में से क्षोभमण्डल सबसे निचली परत है। भूतल से इसकी रेडियो तरंगें मध्यमान ऊंचाई 13 किलोमीटर है। इसमें जलवाष्प,धूल-कण तथा भारी गैसें मिलती हैं। इस मण्डल का मानव के लिए महत्त्व अत्यधिक है। क्योंकि ऋतु परिवर्तन तथा ऋतु से सम्बन्धित अन्य कार्य इसी परतमें होते हैं।

इसमें निरन्तर पवनें तथा संवहनीय धाराएं (Con-vectional Currents) चलती हैं। क्षोभ मण्डल समताप मण्डल में ऊंचाई के अनुसार तापमान निम्न हो जाता है। प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1° सेण्टीग्रेड तापमान कम क्षोभ सीमा होता जाता है। इस मण्डल में परिवर्तन होते रहते हैं।

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(ii) मध्यस्तरअथवा क्षोभसीमा (Tropopause):
तापमान (फ) यह वायुमण्डल की वह परत है जहां क्षोभमण्डल समाप्त हो जाता है। एक अन्य नवीन परत समताप प्रारम्भ हो जाती है। मध्यस्तर की चौड़ाई लगभग [latex}1 \frac{1}{2} [/latex] किलोमीटर है। इस परत में प्रविष्ट होते ही क्षोभमण्डल की पवन तथा संवहनीय धाराएं समाप्त हो जाती हैं। यहां तापमान स्थिर रहता है। वायु तापमान भूमध्य रेखा पर -80° C तथा ध्रुवों पर -45° C रहता है।

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(iii) समतापमण्डल (Stratosphere):
मध्यस्तर के ऊपर समताप मण्डल है। इसकी ऊंचाई भूमध्य रेखा पर अधिक तथा ध्रुवों पर कम है। इसी प्रकार ग्रीष्मकाल में इसकी ऊंचाई शीतकाल की अपेक्षा अधिक होती है। स्पूतनिकों (Sputniks) द्वारा किए अन्वेषणों से इसकी ऊंचाई 16 से 80 किलोमीटर तक आंकी गई है। इस मण्डल में ऊंचाई के अनुसार तापमान में वृद्धि नहीं होती अपितु यह समान रहता है। इसमें विकिरण (Radiation) द्वारा ताप क्षोभसीमा. का ग्रहण ताप की मुक्ति के समान होता है। फलत: इसे क्षोभमण्डल समताप मण्डल कहते हैं। ध्रुवों के ऊपर -45° C तथा भूमध्यरेखा पर -80° तापमान रहता है।

(iv) ओज़ोन मण्डल (Ozonesphere):
इस मण्डल में ओजोन गैस की प्रधानता के कारण इसे ओज़ोन मण्डल कहते हैं। ओजोन गैस सूर्य से निकलने वाली अत्यन्त ऊष्ण पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। वायुमण्डल में यदि यह परत न होती तो पृथ्वी पर विद्यमान प्राणी जीवन को अपार हानि होती । पराबैंगनी किरणों से मनुष्य अन्धे हो जाते हैं तथा उनका शरीर झुलस जाता है। इस मण्डल की ऊंचाई 20 से 80 किलोमीटर तथा प्रति किलोमीटर ऊंचाई पर 16° सैण्टीग्रेड तापमान बढ़ जाता है अतः यह मण्डल अत्यन्त गर्म है।

(v) मध्य मण्डल (Merosphere):
यह समताप मण्डल से ऊपर 80 कि० मी० की ऊंचाई तक इसका विस्तार है। ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ने लगता है। 80 कि० मी० की ऊंचाई तक तापमान-100°C होता है। ऊपरी सीमा को मध्य सीमा कहते हैं।

(vi) आयन मण्डल (Ionosphere):
यह मण्डल 80 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर विद्यमान है। इसमें तापमान का वितरण असमान एवं अनिश्चित है। इस मण्डल में बड़ी ही विस्मयकारी विद्युतकीय घटनाएं दृष्टिगोचर होती हैं। इस परिमण्डल में विद्युत् से चार्ज कण ईओन मिलते हैं। पृथ्वी से ऊपर जाने वाली रेडियो तरंगें पृथ्वी पर पुनः लौट आती हैं।

(vi) बाह्य मण्डल (Exosphere):
वायुमण्डल की यह सर्वोच्च परत है जिसकी ऊंचाई 400 किलोमीटर से अधिक है। अधिकांशतः इसमें हाइड्रोजन तथा हीलियम गैसें विद्यमान हैं। यहां वायु विरल है। यहां का तापमान 6,000° सैण्टीग्रेड होने का अनुमान है।

 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना JAC Class 11 Geography Notes

→ मौसम (Weather)-मौसम शब्द का अर्थ है “किसी स्थान पर किसी विशेष या निश्चित समय में वायुमण्डल की दशाओं, तापक्रम, दबाव, हवाओं, नमी, मेघ और वर्षा के कुल जोड़ का अध्ययन करना।” जलवायु (Climate)-किसी स्थान की जलवायु उस स्थान पर एक लम्बे समय की वायुमण्डल की दशाओं के कुल जोड़ का अध्ययन होती है। यह एक लम्बे समय का औसत मौसम होती है।

→ मौसम तथा जलवायु के तत्त्व (Elements of Weather and Climate): मौसम के तत्त्व हैं

  • तापमान
  • दबाव
  • हवाएं
  • धूप
  • मेघावरण
  • आर्द्रता
  • वर्षा
  • धुन्ध तथा कोहरा।

जलवायु के तत्त्व हैं

  • अक्षांश
  • समुद्र तल से ऊंचाई
  • स्थल तथा जल का वितरण
  • वायुदाब का वितरण
  • प्रचलित पवनें
  • महासागरीय धाराएं
  • पर्वतीय अवरोध।

→ वायुमण्डल (Atmosphere): पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है तथा पृथ्वी का एक अभिन्न । अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है। यहां जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन आदि मिलती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ वायुमण्डल का संघटन (Composition of Atmosphere): वायुमण्डल की संरचना मुख्य तीन तत्त्वों द्वारा होती है(1) गैसें (Gases) नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%) तथा अन्य (1%)।

→ जल वाष्प (Water Vapour): वायुमण्डल में 2% जल वाष्प पाया जाता है।

→ धूल कण (Dust Particles): ये सूर्यताप को जज़ब करके बादल तथा धुन्ध की रचना करते हैं।

→ वायुमण्डल की परतें (Layers of Atmosphere): तापमान तथा घनत्व के आधार पर वायुमण्डल को निम्नलिखित पांच परतों में बाँटा जा सकता ह

  • क्षोभमण्डल या अधोमण्डल (Troposphere): सबसे निचली परत।
  • समताप मण्डल (Stratosphere): क्षोभ मण्डल से ऊपरी परत।
  • ओज़ोन मण्डल (Ozonesphere): ओज़ोन गैस क्षेत्र।
  • आयन मण्डल (lonosphere): आयन गैस क्षेत्र।
  • बाह्य मण्डल (Exosphere): सबसे बाहरी परत।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. स्थलरूप विकास की किस अवस्था में अधोमुख कटाव प्रमुख होता है?
(A) तरुणावस्था
(B) प्रथम प्रौढावस्था
(C) अन्तिम प्रौढ़ावस्था
(D) जीर्णावस्था।
उत्तर:
तरुणावस्था।

2. एक गहरी घाटी जिसकी विशेषता सीढ़ीनुमा खड़े ढाल होते हैं, वह किस नाम से जानी जाती है?
(A) U. आकार घाटी
(B) अन्धी घाटी
(C) गार्ज
(D) कैनियन।
उत्तर:
कैनियन।

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3. निम्न में से किन प्रदेशों में रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया यान्त्रिक अपक्षय प्रक्रिया से अधिक शक्तिशाली है?
(A) आर्द्र प्रदेश
(B) शुष्क प्रदेश
(C) चूना पत्थर प्रदेश
(D) हिमनद प्रदेश।
उत्तर:
आर्द्र प्रदेश।

4. निम्न में से कौन-सा वक्तव्य लेपीज़ (Lapies) शब्द को परिभाषित करता है?
(A) छोटे से मध्यम आकार के उथले गर्त
(B) ऐसे स्थलरूप जिनके ऊपरी खुलाव वृत्ताकार व नीचे से कोण के आकार के होते हैं
(C) ऐसे स्थलरूप जो धरातल से जल के टपकने से बनते हैं
(D) अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।
उत्तर:
अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खांच हों।

5. शहरे, लम्बे विस्तृत गर्त या बेसिन जिनके शीर्ष दिवाल खड़े ढाल वाले व किनारे खड़े व अवतल होते हैं, उन्हें रहते हैं?
(A) सर्क
(B) पाश्विक हिमोढ़ा
(C) घाटी हिमनद
(C) एस्कर।
उत्तर:
(A) सर्क।

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6. तटीय भागों में जान-माल के लिये सबसे खतरनाक तरंग कौन-सी है?
(A) स्थानांतरणी तरंग
(B) अधःप्रवाह
(C) सुनामी
(D) भम्नोमि।
उत्तर:
सुनामी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चट्टानों में अधःकर्तित विसर्प और मैदानी भागों में जलोढ़ के सामान्य विसर्प क्या बताते हैं?
उत्तर:
नदी के बाढ़ मैदान तथा डैल्टा में मन्द ढाल के कारण जलोढ़ के विसर्प बनते हैं। ये विसर्प लूप आकार के होते हैं। ये क्षैतिज कटाव को प्रकट करते हैं। कठोर चट्टानों में गहरे कटाव के कारण अधः कर्तित विसर्प बनते हैं। ये लगातार उत्थान के कारण गहरे होते जाते हैं तथा गहरे गार्ज व कैनियन का रूप बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
घाटी रंध्र अथवा युवाला का विकास कैसे होता है?
उत्तर;
चूना पत्थर चट्टानों के तल पर घुलन क्रिया द्वारा घोल गर्मों का विकास होता है। ये कार्ट क्षेत्र में मिलते हैं। यह एक प्रकार के छिद्र होते हैं जो ऊपर से वृत्ताकार व नीचे कीप की आकृति के होते हैं। कन्दराओं की छत गिरने से कई घोल रंध्र आपस में मिल जाते हैं जो लम्बी, तंग तथा विस्तृत खाइयाँ बनती हैं जिन्हें घाटी रंध्रया युवाला कहते हैं।

प्रश्न 3.
हिमनद घाटियों में कई रैखिक निक्षेपण स्थल रूप मिलते हैं। इनकी अवस्थिति व नाम बताएं।
उत्तर:
हिमनदी घाटी में मृतिका के निक्षेप से कई स्थल कम मिलते हैं जिन्हें हिमोढ़ कहते हैं। हिमनदी के समानांतर पार्शिवक हिमोढ़ बनते हैं। दो पार्शिवक हिमोढ़ मिल कर मध्य भाग में मध्यस्थ हिमोढ़ बनाते हैं। हिमनदी के तल पर तलस्थ हिमोढ़ मिलते हैं। हिमनद के अन्तिम भाग में अन्तस्थ हिमोढ़ मिलते हैं।

(ग) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर;
भू-तल को समतल करने वाले बाह्य कार्यकर्ताओं में नदी का कार्य सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्षा का जो जल धरातल पर बहते पानी (Run off) के रूप में बह जाता है, नदियों का रूप धारण कर लेता है। नदी का कार्य तीन प्रकार का होता है

  1. अपरदन (Erosion)
  2. परिवहन (Transportation)
  3. निक्षेप (Deposition)

1. अपरदन (Erosion) नदी का मुख्य कार्य अपनी तली तथा किनारों पर अपरदन करना है।
अपरदन की विधियां (Types of Erosion): नदी का अपरदन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है

  • रासायनिक अपरदन (Chemical Erosion): यह अपरदन घुलन क्रिया (Solution) द्वारा होता है। नदी जल के सम्पर्क में आने वाली चट्टानों के नमक (Salts) घुलकर पानी के साथ मिल जाते हैं।
  • भौतिक अपरदन (Mechanical Erosion): नदी के साथ बहने वाले कंकड़, पत्थर आदि नदी की तली तथा किनारों को काटते रहते हैं। किनारों के कटने से नदी चौड़ी और तल के कटने से गहरी होती है।

भौतिक कटाव तीन प्रकार के होते हैं
(a) शीर्षवत् अपरदन (Down Cutting)
(b) तटीय अपरदन (Side Cutting)
(c) संनिघर्षण (Attrition)

नदी के अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं:
I. ‘V’ आकार घाटी (‘V’ Shaped Valley):
नदी पर्वतीय भाग में अपने तल को गहरा करती है जिसके कारण ‘V’ आकार की गहरी घाटी बनती है। ऐसी घाटियों को कैनियन (Canyons) या प्रपाती खड्ड कहते हैं और जो कठोर तथा शुष्क प्रदेशों में बनती हैं।
उदाहरण: (i) अमेरिका (U.S.A.) में कोलोरेडो घाटी में ग्रैंड कैनियन (Grand Canyon) 200 किलोमीटर लम्बी तथा 2,000 मीटर गहरी है। यह (I) आकार की है।

II. गार्ज (Gorges):
पर्वतीय भाग में बहुत गहरे और तंग नदी मार्ग को गार्ज (Gorge) या कन्दरा कहते हैं। पर्वतीय प्रदेश ऊंचे उठते रहते हैं, परन्तु नदियां लगातार गहरा कटाव करती रहती हैं। इस प्रकार ऐसे नदी का निर्माण होता है जिसकी दीवारें लम्बवत् होती हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी तथा हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी गहरे गार्ज बनाती हैं।

III. जल प्रपात तथा क्षिप्रिका (Waterfall and Rapids):
जब अधिक ऊँचाई से जल अधिक वेग से कठोर चट्टान खड़े ढाल पर बहता है तो उसे जल प्रपात कहते हैं। जलप्रपात चट्टानों की भिन्न-भिन्न रचना के कारण बनते हैं।
(क) जब कठोर चट्टानों की परत नर्म चट्टानों की परत पर क्षैतिज (Horizontal) अवस्था में हो तो नीचे की नर्म चट्टानें जल्दी कट जाती हैं। चट्टान के सिरे पर जल-प्रपात बनता है। जल-प्रपात पीछे की ओर खिसकता मुलायम चट्टानें रहता है जिससे एक संकरी मगर गहरी घाटी का निर्माण होता है।
उदाहरण: (i) यू० एस० ए० में नियाग्रा जलप्रपात जो कि 120 मीटर ऊंचा है।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास 1

(ii) विक्टोरिया जलप्रपात में पानी 50 मीटर की ऊंचाई से गिरता है।
(ख) जब कठोर तथा नर्म चट्टानें एक दूसरे के समानान्तर लम्बवत् (Vertical) हों तो कठोर चट्टान की ढाल पर जल-प्रपात बनता है।
उदाहरण: अमेरिका में यैलो स्टोन नदी (Yellow Stone River) का जल-प्रपात। जब कठोर तथा मुलायम चट्टानों की पर्ते एक-दूसरे के ऊपर बिछी हों तथा कुछ झुकी हों तो क्षिप्रिका (Rapids) की एक श्रृंखला बन जाती है। क्षिप्रिका कांगो नदी (Congo River) में लिविंगस्टोन फाल्ज (Livingstone Falls) नाम के 32 झरनों की एक श्रृंखला है।

IV. जलज गर्त (Pot Holes):
नदी के जल में चट्टानें भंवर उत्पन्न हो जाते हैं। नरम चट्टानों में गड्ढे बन जाते हैं। इनमें जल के साथ छोटे-बड़े पत्थर घूमते हैं। इन पत्थरों के घुमाव (Drilling) से भयानक गड्ढे बनते हैं जिन्हें जलज गर्त कहते हैं।
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2. परिवहन (Transportation):
अपरदन के पश्चात् नदी का दूसरा प्रधान कार्य परिवहन (Transportation) होता है। नदी खुर्चे हुए पदार्थ को अपने साथ बहाकर ले जाती है। इस पदार्थ को नदी का भार (Load of the River) कहते हैं।
नदी का परिवहन कार्य दो तत्त्वों पर निर्भर करता है

  1. नदी का वेग (Velocity of River): नदी के वेग तथा परिवहन शक्ति में निम्नलिखित अनुपात होता हैपरिवहन शक्ति = (नदी का वेग)
  2. जल की मात्रा (Volume of Water): नदी में जल की मात्रा तथा आकार के बढ़ जाने से नदी अधिक भार बहाकर ले जा सकती है।

3. निक्षेप (Deposition):
नदी का निक्षेप का कार्य रचनात्मक होता है। आर्थिक महत्त्व के स्थल रूप बनते हैं। अपरदन व निक्षेप एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों की दशाएं उलट होती हैं। नदी की निचली घाटी में निक्षेप की क्रिया होती है। यह निक्षेप नदी के तल में या नदी के किनारों पर या सागर में होता है। नदी की गहराई कम हो जाती है, परन्तु चौड़ाई बढ़ने लगती है। निक्षेप क्रिया द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

(i) जलोढ़ पंख (Alluvial Fans):
जब नदी पर्वत के सहारे नीचे उतर कर समतल भाग में प्रवेश करती है तो नदी का वेग एकदम कम हो जाता है; इसलिए पर्वतों की ढाल के आधार के पास अर्द्ध-वृत्ताकार रूप में पदार्थों का जमाव होता है जिसे जलोढ़ पंख कहते हैं। कई जलोढ़ पंखों के मिलने से भाबर क्षेत्र बना है।
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(ii) विसर्प अथवा घुमाव (Meanders):
नदी जब अपरदन अपरदन बल खाते हुए बहती है तो उसके टेढ़े-मेढ़े रास्ते में छोटेमोटे घुमाव पड़ जाते हैं जिन्हें नदी विसर्प (Meanders) निक्षेप कहते हैं। नदी के अवतल किनारों (Concave sides) पर तेज़ धारा के कारण-कटाव होता है परन्तु नदी के उत्तल किनारों (Convex sides) पर धीमी धारा के कारण निक्षेप निक्षेप होता है।
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(iii) गो-खुर झील (Ox-bow Lake):
जब दो घुमाव अति निकट आते हैं तो एक-दूसरे को काटते (Intersect) हैं तथा मिल जाते हैं। नदी में जब बाढ़ आती है तो नदी घुमाव के लम्बे मार्ग को छोड़ कर फिर छोटे (Short cut) व पुराने मार्ग से बहने लगती है। एक घुमाव का किनारा दूसरे घुमाव के किनारे से मिल जाता है। इस प्रकार एक धनुषाकार का घुमाव नदी से कट जाता है। इसे गो-खुर झील (Ox-bow Lake) कहते हैं। गंगा नदी के मार्ग में ऐसी कई गोखुर झीलें हैं।
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(iv) बाढ़ का मैदान (Flood Plain):
जब नदी में बाढ़ आती है तो नदी का भार किनारों को पार कर के दूरदूर तक जमा हो जाता है। इसमें कीचड़ और जलोढ़ मिट्टी (Silt) फैल जाती है। इसे बाढ़ का मैदान कहते हैं। ये मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं तथा प्रति वर्ष इनमें उपजाऊ मिट्टी की नई परत बिछ जाती है, जैसे-भारत में गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो (Hwang-Ho) का मैदान।
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(v) तटबन्ध (Leeves):
नदी के दोनों किनारों पर मिट्टी के जमाव द्वारा कम ऊंचाई वाले टीलों को तटबन्ध (Leeves) कहते हैं। बार-बार जमाव के कारण नदी का तल तथा किनारे बड़े ऊंचे होते हैं। कई बार बाढ़ के समय में किनारे टूट जाते हैं तो बहुत हानि होती है। भयंकर बाढ़ें आती हैं। चीन की ह्वांग-हो नदी की भीषण बाढ़ों का यही कारण है। इसलिए इसे ‘चीन का शोक’ कहते हैं।

(vi) डेल्टा (Delta):
समुद्र में गिरने से पहले नदी का भार अधिक हो जाता है तथा नदी की धारा बहुत धीमी हो जाती है। फलस्वरूप नदी अपने मुख पर अपने भार का निक्षेप कर देती है। समुद्र में नदी का निक्षेप एक मैदान के रूप में आगे बढ़ता है जिससे त्रिकोणाकार का स्थल रूप भूमध्य सागर बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द सिकन्द्रिया डेल्टा से मिलता-जुलता है तथा इसका प्रयोग सब से नील नदी पोर्ट सइद पहले नील नदी के डेल्टा के लिए किया गया था। डेल्टे दो प्रकार के होते हैं
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(क) नियमित (Regular): यह त्रिकोण आकार का होता है, जैसे-गंगा या नील नदी का डेल्टा।
(ख) अनियमित या पंजा डेल्टा (Irregular or Bird’s Foot Delta): यह डेल्टा पक्षी के पंजे के समान होता है जिससे बहुत-सी वितरिकाएं (Distributaries) होती हैं, जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी (Mississippi) नदी का डैल्टा। विभक्त धाराओं के जाल से बनी नदी को गुम्फित नदी कहते हैं। नील, पो, वालग आदि डेल्टाओं से गंगा, ब्रह्मपुत्र डेल्टा सब से बड़ा है जिसका क्षेत्रफल 1,25,000 वर्ग० कि० मी० है।

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प्रश्न 2.
हिमनदी ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाड़ियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है? बताइए।
उत्तर:
हिमनदी (Glacier): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। (A Glacier is a large mass of moving ice.)
हिमनदी के कारण: हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेती है। लगातार हिमपात के कारण हिम खण्डों का भार बढ़ जाता है। यह हिम समूह निचले ढलान की ओर खिसकने लगता है इसे हिमनदी कहते हैं। हिमनदी के खिसकने के कई कारण हैं

  1. अधिक हिम का भार (Pressure)
  2. ढाल (Slope)
  3. गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravity)

हिमनदी के प्रकार (Types of Glaciers): आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की होती हैं

  1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers)
  2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers)

1. घाटी हिमनदी (Valley Glaciers):
इन्हें पर्वतीय हिमनदी (Mountain Glaciers) भी कहते हैं। ये हिम नदी ऊँचे पर्वतों की चोटियों से उतर कर घाटियों में बहती है। सबसे पहले आल्पस पर्वत (Alps) में मिलने के कारण इन्हें अल्पाइन (Alpine) हिमनदी भी कहते हैं। हिमालय पर्वत पर इस प्रकार के कई हिमनद हैं, जैसे-गंगोत्री हिमनद।

2. महाद्वीपीय हिमनदी (Continental Glaciers):
विशाल ध्रुवीय क्षेत्रों में फैले हुए हिमनद को महाद्वीपीय हिमनदी या हिम चादर (ice sheets) कहते हैं । लगातार हिमपात, नीचे तापक्रम तथा कम वाष्पीकरण के कारण हिम पिघलती नहीं। संसार की सबसे बड़ी हिम चादर अण्टार्कटिका (Antartica) 130 लाख वर्ग कि०मी० क्षेत्र में 4000 फुट मोटी है।

ग्रीनलैंड में ऐसी चादर का क्षेत्रफल 17 लाख वर्ग कि०मी० है। हिम क्षेत्रों में खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिमनदी कहते हैं। जल की भांति हिमनदी अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप तीनों कार्य करती है। हिमनदी पर्वतीय प्रदेशों में अपरदन का कार्य, मैदानों में निक्षेप का कार्य तथा पठारों पर रक्षात्मक कार्य करती है। अपरदन (Erosion): हिमनदी अनेक क्रियाओं द्वारा अपरदन का कार्य करती है

  1. उखाड़ना (Plucking)
  2. गड्ढे बनाना (Grooving)
  3. 41411 (Grinding)

हिमनदी अपने मार्ग से बड़े-बड़े पत्थरों को उखाड़ कर गड्ढे उत्पन्न कर देती है। यह पत्थर चट्टानों के साथ रगड़ते, घिसते चलते हैं तथा हिमनदी की तली तथा किनारों को चिकना बनाते हैं। पर्वतीय प्रदेशों की रूपरेखा बदल जाती है।

अपरदन द्वारा बने भू-आकार:
I. हिमागार (Cirque):
पर्वतीय ढलानों पर गोल आकार के गड्ढों को हिमागार या सर्क कहते हैं। (“Cirques are semi-circular hollows at the side of
mountain.”) इनका आकार आराम कुर्सी के समान होता है। पाले द्वारा तुषार चीरण (Frost Wedging) की क्रिया से इनका आकार बड़ा हो जाता है। कभी-कभी इन गड्ढों में झील बन जाती है जिसे टार्न झील (Tarn Lake) कहते हैं। इन्हें फ्रांस में सर्क, स्कॉटलैण्ड में कौरी (Corrie) तथा जर्मनी में कैरन (Karren) कहते हैं।

II. श्रृंग (Horn):
जब किसी पहाड़ी के चारों ओर के सर्क आपस में मिल जाते हैं तो उनके पीछे के कटाव से नुकीली चोटियां बनती हैं। स्विटज़रलैण्ड में आल्पस पर्वत की एक प्रसिद्ध शृंग मैटर हार्न (Matter Horn) है तथा हिमालय पर्वत से त्रिशूल पर्वत।

III. कॉल (Col):
किसी पहाड़ी के दोनों ओर के हिमागारों के आपस में मिलने के कारण घोड़े की काठी जैसी आकृति वाला दर्रा बन जाता है जिसे कॉल कहते हैं।

IV. यू-आकार की घाटी (U-Shaped Valley):
जब हिमनदी किसी ‘V’ आकार की नदी घाटी में प्रवेश करती है तो उस घाटी का रूप ‘U’ अक्षर जैसा बन जाता है। यह घाटी गहरी हो जाती है। इसकी तली सपाट तथा चौरस होती है। इसके किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं। इसे हिमानी द्रोणी (Glacial trough) भी कहते हैं। जैसे उत्तरी अमेरिका में सेंट लारेंस घाटी (St. Lawrence Valley) समुद्र में डूबी हुई ‘U’ आकार की घाटियों को फियोर्ड (Fiord) कहते हैं, जैसे-नार्वे के तट पर।

V. लटकती घाटी (Hanging Valley):
हिमनदी की मुख्य घाटी अधिक गहरी होती है परन्तु उसमें मिलने वाली सहायक घाटी कम गहरी होती है। जब हिम पिघलती है तो सहायक घाटी मुख्य घाटी से ऊँची रह जाती है तथा मुख्य घाटी की दीवार के साथ संगम स्थल पर लटकती हुई प्रतीत होती है। इस लटकती घाटी का जल मुख्य घाटी में गिरता है तो प्रपात (Water Fall) का निर्माण होता है।

निक्षेप (Deposition):
जब हिमनदी पिघलती है तो उसका अधिकांश भाग अग्र भाग (snout) के निकट ही जमा हो जाता है। हिमनदी अपने भार को विभिन्न आकार तथा विस्तार के टीलों के रूप में जमा करती है। इन टीलों को हिमोढ़ (Moraines) कहते हैं। हिमोढ़ लम्बे कटक (Ridge) के रूप में लगभग 100 फीट ऊँचे होते हैं।

निक्षेप के स्थान के आधार पर हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं
1. पाश्विक हिमोढ़ (Lateral Moraines):
हिमनदी के किनारों के साथ-साथ बने लम्बे तथा संकरे हिमोढ़ को पाश्विक हिमोढ़ कहते हैं।

2. मध्यवर्ती हिमोढ़ (Medial Moraines):
दो मध्यवर्ती हिमोढ़ हिमनदियों के संगम के कारण उनके भीतरी किनारे वाले हिमोढ़ मिल कर एक हो जाते हैं। उसे मध्यवर्ती हिमोढ़ कहते हैं। कश्मीर में पर्वतीय चरागाह इन्हीं पर विकसित पाश्विक हिमोढ़ हुए हैं।

3. अन्तिम हिमोढ़ (Terminal Moraines):
अन्तिम हिमोढ़ हिमनदी के पिघल जाने पर हिमनदी के अन्तिम किनारे पर बने हिमोढ़ को अन्तिम हिमोढ़ कहते हैं।

4. तलस्थ हिमोढ़ (Ground Moraines):
हिमनदी की तली या आधार पर जमे हुए पदार्थ के ढेर को तलस्थ हिमोढ़ कहते हैं।

5. अन्य भू-आकार:
हिमनदी से पिघला हुआ जल कई स्थलाकारों को जन्म देता है। जलधाराओं से बारीक मिट्टी के निक्षेप से बाह्य मैदान (Out-wash plain) बनता है। उल्टी नाव या अंडे की शक्ल जैसी पहाड़ियां बनती हैं जिन्हें ड्रमलिन (Drumlin) कहते हैं। रेत, बजरी के निक्षेप से बनी कम ऊंचाई की श्रेणयों को एस्कर (Esker) कहते हैं। हिमनदी की अन्तिम सीमा पर टीलों की दीवार बन जाती है जिसे केमवेदिका कहते हैं।

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प्रश्न 3.
मरुस्थली क्षेत्रों में पवनें कैसे अपना कार्य करती हैं? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक स्थलरूपों का निर्माण करता है?
उत्तर:
मरुस्थलों व शुष्क प्रदेशों में वनस्पति व नमी की कमी के कारण वायु अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप कार्य करती है। इसलिए इसे शुष्क स्थल रूपरेखा (Arid Tropography) या वातज स्थल रूपरेखा भी कहते हैं। अपरदन के रूप-वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  1. नीचे का कटाव (Under Cutting)
  2. नालीदार कटाव (Gully Erosion)
  3. खुरचना (Scratching)
  4. चिकनाना (Polishing)

अपरदन (Erosion): वायु द्वारा अपरदन तीन प्रकार से होता है
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास 11

(ग) अपघर्षण (Abrasion):
वायु के धूलि-कण इसके अपरदन के यन्त्र (Tools) हैं। तीव्र गति वाली वायु धूलि-कणों को एक शक्ति के साथ चट्टानों से टकराती है। ये कण एक रेगमार (Sand paper) की भान्ति कटाव करते हैं। इस अपघर्षण की क्रिया से कई भू-आकार बनते हैं।

(i) छत्रक (Mushroom):
चट्टानों के निचले भाग व चारों तरफ से नीचे का कटाव (Under cutting) होता है। इस कटाव से एक पतले से आधार स्तम्भ (Pillar) के ऊपरी छतरी के आकार की चट्टानें खड़ी रहती हैं। नीचे की चट्टानें एक गुफा के समान कट जाती हैं। इसे छत्रक (Mushroom) या गारा (Gara) कहते हैं। चित्र-छत्रक जोधपुर के निकट छत्रक शैल मिलते हैं।
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(ii) ज्यूज़न (Zeugen):
ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज्यूज़न कहते हैं। ऊपरी भाग कठोर तथा कम चौड़ा होता है परन्तु निचला नरम भाग अधिक कटाव के कारण अधिक चौड़ा होता है।

(iii) यारडांग (Yardang):
वायु के लगातार एक ही दिशा में कटाव के कारण नुकीली चट्टानों का निर्माण होता है। इन्हें यारडांग कहते हैं। ये पसलियों (Ribs) की भान्ति तीव्र ढाल वाले होते हैं। ये भू-आकार चट्टानों के लम्ब (Vertical) रूप के कारण बनते हैं।

(iv) पुल तथा खिड़की (Bridge and Win-dow):
लम्बे समय तक कटाव के कारण चट्टानों की बीच बड़े-बड़े छिद्र बन जाते हैं। चट्टानों के आर-पार एक मेहराब (Arch) की आकृति का निर्माण हो जाता है, जैसे-U.S.A में Hope Window.

(v) इन्सेलबर्ग (Inselberg):
कठोर चट्टानों के ऊंचे टीलों को इन्सेलबर्ग कहते हैं। चारों ओर से कटाव के कारण ये तिरछी ढाल वाले तथा गुम्बदाकार होते हैं। ये ग्रेनाइट (Granite) तथा नीस (Gneiss) जैसी कठोर चट्टानों से बने होते हैं।

निक्षेप (Deposition): जब वायु का वेग कम हो जाता है तो उसे अपना भार कहीं-न-कहीं छोड़ना पड़ता है। इस निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस प्रदेश बनते हैं।

I. रेत के टीले (Sand Dunes):
जब रेत के मोटे कण टीलों के रूप में जमा हो जाते हैं तो उन्हें बालू का स्तूप कहते हैं (Sand dunes are hills of wind blown sand.)

  1. लम्बे बालूका स्तूप (Longitudinal dunes): ये प्रचलित वायु की दिशा के समानान्तर बनते हैं। इनकी आकृति लम्बी पहाड़ी की भान्ति होती है।
  2. आड़े बालूका स्तूप (Transverse dunes): ये प्रचलित पवन की दिशा के समकोण पर बनते हैं। इनकी शक्ल अर्द्ध-चन्द्राकार होती है।
  3. बरखान (Barkhans): यह अर्द्ध-चन्द्राकार टीले हैं जिनमें पवन मुखी ढाल उत्तल (Convex) तथा पवन विमुखी ढाल अवतल (Concave) होता है। इनकी आकृति दरांती (Sickle) या दूज के चांद (Crescent Moon) के समान होती है। बरखाना तुर्की शब्द है जिसका अर्थ है बालू की पहाड़ी। ये टीले खिसकते रहते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास 15

II. लोएस (Loess):
दूर स्थानों से उठाकर लाई हुई बारीक मिट्टी के जमाव को लोएस कहते हैं। मरुस्थलों की सीमा पर रेत के बारीक कणों के निक्षेप में से लोएस प्रदेश बनते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में पीली मिट्टी का लोएस प्रदेश है जो 3 लाख वर्ग मील के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मिट्टी मध्य एशिया के गोबी मरुस्थल से लाई गई है। यह उपजाऊ मिट्टी है।

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प्रश्न 4.
चूना चट्टानें आर्द्र व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती है। क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख भू आकृतिक प्रक्रिया कौन सी है और इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
भूमिगत जल का कार्य (Work Underground Water):
भूमिगत जल का महत्त्वपूर्ण कार्य चूने के प्रदेशों में होता है। भूमिगत जल ऐसे प्रदेशों में विशेष प्रकार की भू-रचना का निर्माण करता है। ऐसे प्रदेश के पत्थरों के रेगिस्तान, वनस्पतिहीन तथा असमतल होते हैं। जल को वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड मिल जाती है। इसमें चूने का पत्थर घुल जाता है। ‘कार्ट’ शब्द यूगोस्लाविया के चूने की चट्टानों के प्रदेश से लिया गया है। इस प्रकार चूने की चट्टानों के प्रदेश की भू-रचना को कार्ट भू-रचना कहते हैं। ऐसे प्रदेश फ्रांस में, संयुक्त राज्य अमेरिका में, फ्लेरेडा तथा केन्टुकी प्रदेश, मैक्सिको में यूकाटन प्रदेश तथा भारत में खासी, रोहतास, पहाड़ियां, कांगड़ा घाटी व जबलपुर क्षेत्र हैं।

भूमिगत जल के कार्य (Works of Under-ground Water):
नदी, पवन, हिमनदी की तुलना में भूमिगत जल का कार्य कम महत्त्वपूर्ण है। इसका कारण भूमिगत जल की मन्द गति है। कम गति के कारण वास्तव में परिवहन का कार्य नहीं होता। अतः भूमिगत जल का कार्य मुख्यतः दो प्रकार से होता है

  • अपरदन (Erosion)
  • निक्षेप (Deposition)

I. अपरदन के रूप (Kinds of Erosion): भूमिगत जल द्वारा अपरदन के कई रूप हैं

  1. घुलने की क्रिया (Solution)
  2. जलगति क्रिया (Hydraulic Action)
  3. अपघर्षण (Abrasion)

अपरदन से बने भू-आकार (Land formed by Erosion):
(i) लैपीज़ (Lappies):
चूने के घुल जाने से गहरे गड्ढे बन जाते हैं। इनके बीच एक-दूसरे के समानान्तर पतली नुकीली पहाड़ियां दिखाई देती हैं। इन तेज़-धारी वाली पहाड़ियां (Knife-edged Ridges) को लैपीज़ या कैरन (Karren), क्लिन्ट (Clint) या बोगाज़ (Bogaz) कहते हैं। ऐसे प्रदेश में धरातल कटा-फटा दिखाई देता है। इन गड्ढों की दीवारें सीधी होती हैं।

(ii) घोल छिद्र (Sink Holes):
भूमिगत जल घुलन क्रिया से दरारों को बड़ा करता है तथा बड़े-बड़े तथा चौड़े गड्ढे बना देता है। इन खुले गड्ढों द्वारा नदियां नीचे चली जाती हैं। इन्हें डोलाइन (Doline) या विलय छिद्र (Swallow Holes) या घोल छिद्र (Sink Holes) कहते हैं। कई घोल छिद्रों के आपस में मिल जाने से एक गड्ढा बन जाता है जिसे युवाला (Uvala) कहते हैं। इन छिद्रों के कारण धरातल का जल-प्रवाह लुप्त हो जाता है तथा शुष्क घाटियां (Dry Valleys) बनती हैं। नदी जल भमि के नीचे अपनी घाटी बनाता है जिन्हें आधी घाटियां (Blind Valleys) कहते हैं। कई गड्ढों में वर्षा का पानी भर जाने से कार्ट झील (Karst Lake) बन जाती है।

(iii) गुफाएं (Caves):
घुलन क्रिया से भूमि के निचले भाग खोखले हो जाते हैं। धरातल पर कठोर भाग छत के रूप में खड़े रहते हैं। इस प्रकार भूमि के भीतर की मीलों लम्बी-चौड़ी गुफाएं बन जाती हैं। गहरी कन्दराओं को पोनोर (Ponor) कहते हैं, परन्तु लम्बी बरामदों जैसी गुफाओं में गैलरी (Galleries) का निर्माण होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के केन्टुकी के प्रदेश की मैमथ गुफाएं (Mammoth caves) संसार भर में प्रसिद्ध हैं जोकि 48 कि० मी० लम्बी हैं। भारत में मध्य प्रदेश के बस्तर जिले में कोतामसर (Kotamsar) की गुफाएं प्रसिद्ध हैं जिनका बड़ा अक्ष (Chamber) 100 मीटर लम्बा तथा 12 मीटर ऊंचा है।

(iv) प्राकृतिक पुल (Natural Bridges): जहां गुफाओं के कुछ अश नीचे धंस जाते हैं और कठोर भाग खड़े रहते हैं तो प्राकृतिक पुल बनते हैं जैसे आयरलैण्ड में मार्बल आर्क (Marble Arch)।

(v) राजकुण्ड (Poljes): गुफाओं की छतों के गिर जाने से भूतल पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इन विशाल गड्ढों को राजकुण्ड (Poljes) कहा जाता है।

II. निक्षेप (Deposition):
भूमिगत जल द्वारा निक्षेप निम्नलिखित दशाओं में होता है

  1. जब जल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो जाए।
  2. जल की घुलन शक्ति कम हो जाए।
  3. अधिक वाष्पीकरण से जल भाप बन जाए।
  4. जल की मात्रा कम हो जाए।
  5. खनिज के घुल जाने के पश्चात् जल स्वयं ही निक्षेप करता है।
  6. दबाव तथा तापक्रम कम होने से।

निक्षेप से बने भू-आकार (Land forms formed by Deposition): भूमिगत जल बड़ी मात्रा में खनिज पदार्थ घोल लेता है। इस पदार्थ के निक्षेप से कई भू-आकार बनते हैं
1. स्टैलैक्टाइट (Stalactite):
गुफा की छत से टपकते जल में चूना घुला रहता है। जब जल वाष्प बन जाता है तो चूने का कुछ अंश छत पर जमा हो जाता है। धीरे-धीरे उसकी लम्बाई नीचे की ओर बढ़ जाती है। इन पतले, नुकीले, लटकते हुए स्तम्भों को स्टैलैक्टाइट (Stalactite) कहते हैं। यह स्तम्भ मुड़ कर बाजे की पाइप (Organ Pipe) का रूप धारण कर लेते हैं। विचित्र आकार के कारण इन्हें लटकते हुए परदे (Hanging Curtains) भी कहा जाता है।

2. स्टैलैगमाइट (Staiagmite):
गुफा को छत से रिसने वाला जल नीचे फर्श पर चूने का निक्षेप करता है। यह जमाव ऊपर की ओर स्तम्भ का रूप धारण कर लेता है। इस मोटे व बेलनाकार स्तम्भ को स्टैलैगमाइट (Stalagmite) कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक गुफा में एक ऐसे स्तम्भ का आकार 60 मीटर तथा ऊंचाई 30 मीटर तक है।

3. कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar):
ये दोनों स्तम्भ बढ़ते-बढ़ते आपस में मिल जाते हैं तो गुफा की दीवार की भान्ति कन्दरा स्तम्भ (Cave Pillar) बन जाते हैं। ये स्तम्भ खोखले होते हैं। ये खटकाने से बहुत सुन्दर आवाज़ करते हैं। स्टैलैक्टाइट

4. हम्स (Hums):
ये विस्तृत चूने के ढेर होते स्टैलैगमाइट हैं। ये गुम्बदादार (Dome-shaped) होते हैं। ये विशाल गड्ढों में पॉलजी (Poljes) में जमा होते रहते हैं।

5. ड्रिप स्टोन (Drip Stone):
जब गुफा की छत से जल छिद्र से न गिर कर छत की दरारों से टपकता है, तो गुफा की तली में परदे के समान चूने का लम्बवत् चित्र-स्टैलैक्टाइट और स्टैलैगमाइट जमाव हो जाता है। इस जमाव को ड्रिप स्टोन कहते हैं।
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भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण के बाह्य कार्यकर्ता (External agents of change): निम्नलिखित प्रमुख बाह्य कार्यकर्ता जो भूतल पर परिवर्तन लाते हैं

  • अपक्षय
  • नदी
  • हिम नदी
  • पवन
  • सागरीय तरंगें।

→ नदी मार्ग के भाग (Sections of River Course): नदी मार्ग को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है

  • ऊपरी भाग या पर्वतीय भाग।
  • मध्यवर्ती भाग या मैदानी भाग
  • निचला भाग या डैल्टा भाग।

→ नदी का अपरदन कार्य (Work of Erosion by River) नदी द्वारा अपरदन के दो प्रकार हैं: घोलीकरण, यांत्रिक अपरदन-तटीय अपरदन, शीर्षवत् अपरदन तथा संनिघर्षण। अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं

  • V-आकार घाटी
  • गार्ज तथा कैनियन
  • जलप्रपात
  • झरने।

नदी द्वारा निक्षेप से बनने वाले भू-आकार (Landforms formed by River Deposition)

  • जलोढ़ पंख
  • विसर्प
  • गोखुर झील
  • बाढ़ के मैदान
  • डैल्टा।

→ हिमनदी (Glaciers): खिसकते हुए हिम पिण्ड को हिम नदी कहते हैं। हिमनदी हिम क्षेत्रों से जन्म लेतीहै। आकार व क्षेत्रफल की दृष्टि से हिमनदियां दो प्रकार की हैं
घाटी हिम नदी।, महाद्वीपीय हिम नदी।

→ हिमनदी द्वारा अपरदन (Erosion by a glaciers): हिमनदी अपरदन का कार्य निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा करती है

  • उखाड़ना
  • गड्ढे बनाना
  • पीसना
  • चिकनाना।

→ इसके अपरदन से निम्नलिखित भू-आकार बनते हैं।

  • हिमागार
  • श्रृंग
  • कॉल
  • U-आकार घाटी
  • लटकती घाटी।

→ हिमनदी द्वारा निक्षेप (Deposition by glaciers): हिमनदी के पिघलने पर इसके मलबे का निक्षेप होता है। यह निक्षेप टीलों के रूप में होता है जिसे हिमोढ़ कहते हैं। हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं|

  • पाश्विक हिमोढ़
  • मध्यवर्ती हिमोढ़
  • अन्तिम हिमोढ़
  • तलस्थ हिमोढ़।

→ वायु द्वारा अपरदन (Wind Erosion): वायु अपरदन निम्नलिखित क्रियाओं से होता है

  • नीचे का कटाव
  • नालीदार कटाव,
  • खुरचना
  • चिकनाना। वायु अपरदन में अपवाहन, अपघर्षण तथा संनिघर्षण महत्त्वपूर्ण हैं।

वायु अपरदन से:

  • छत्रक
  • यारडांग
  • ज्यूज़ेन
  • पुल
  • इन्सेलबर्ग बनते हैं।

→ वायु निक्षेप (Wind deposition): जब वायु का वेग कम होता है तो निक्षेप से रेत के टीले तथा लोएस निक्षेप बनते हैं। रेत के टीले तीन प्रकार के होते हैं

  • लम्बे बालूका स्तूप
  • आड़े बालूव’ स्तूप
  • बरखान टीले।

→ सागरीय तरंगें (Sea Waves): सागरीय तरंगों का कार्य तटों तक सीमित होता है। यह अपरदन ल दाब क्रिया, अपघर्षण, घुलन क्रिया द्वारा होता है। लहरों के अपरदन से खाड़िया, मृगु, गुफाएं, वात छिद्र तथा स्टक बनते हैं। लहरों द्वारा निक्षेप से पुलिन, रोधिकाएं, लैगून तथा स्पिट बनते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?
(A) निक्षेप
(B) ज्वालामुखीयता
(C) पटल-विरूपण
(D) अपरदन।
उत्तर:
अपरदन।

2. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(A) ग्रेनाइट
(B) क्वार्ट्ज
(C) चीका (क्ले) मिट्टी
(D) लवण।
उत्तर:
लवण।

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3. मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
(A) भूस्खलन
(B) तीव्र प्रवाही वृहत् संचलन
(C) मंद प्रवाही वृहत् संचलन
(D) अवतलन/धसकन।
उत्तर:
मंद प्रवाही वृहत् संचलन।

4. निम्न में कौन-सा कारक बृहत क्षरण को प्रभावित नहीं करता?
(A) विवर्तन
(B) चट्टानों का प्रकार
(C) गुरुत्वाकर्षण
(D) जलवायु।
उत्तर:
चट्टानों का प्रकार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?
उत्तर:
जैविक अपक्षय, जीवों की वृद्धि या संचलन से उत्पन्न अपक्षय-वातावरण एवं भौतिक परिवर्तन से खनिजों एवं आयन्स के स्थानान्तर की दिशा में एक योगदान है। केंचुओं, दीमकों, चूहों, कुंतकों इत्यादि जैसे जीवों द्वारा बिल खोदने एवं वेजिंग (फान) के द्वारा नयी सतहों (Surfaces) का निर्माण होता है जिससे रासायनिक प्रक्रिया के लिए अनावृत्त (Expose) सतह में नमी एवं हवा के वेधन में सहायता मिलती है। मानव भी वनस्पतियों को अस्त-व्यस्त कर, खेत जोतकर एवं मिट्टी में कृषि करके धरातलीय पदार्थों में वायु, जल एवं खनिजों के मिश्रण तथा उनमें नये सम्पर्क स्थापित करने में सहायक होता है।

सड़ने वाले पौधों एवं पशुओं के पदार्थ; ह्यमिक, कार्बनिक एवं अन्य अम्ल जैसे तत्त्वों के उत्पादन में योगदान देते हैं जिससे कुछ तत्त्वों का सड़ना, क्षरण तथा घुलन बढ़ जाता है। शैवाल, खनिज पोषकों (Nutrients) लौह एवं मैंगनीज़ ऑक्साइड के संकेद्रण में सहायक होता है। पौधों की जड़ें धरातल के पदार्थों पर ज़बरदस्त दबाव डालती हैं तथा उन्हें यान्त्रिक ढंग (Mechanically) से तोड़कर अलग-अलग कर देती हैं।

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प्रश्न 2.
वृहत संचलन जो वास्तविक तीव्र एवं गोचर/अवगमन हैं वे क्या हैं? सूची बद्ध कीजिए।
उत्तर:
वृहत संचलन की सक्रियता के कई कारक होते हैं। वे इस प्रकार हैं

  1. प्राकृतिक एवं कृत्रिम साधनों द्वारा ऊपर के पदार्थों के टिकने के आधार का हटाना।
  2. ढालों की प्रवणता एवं ऊंचाई में वृद्धि,
  3. पदार्थों के प्राकृतिक अथवा कृत्रिम भराव से जुड़ने के कारण उत्पन्न अतिभार,
  4. अत्यधिक वर्षा, संतृप्ति एवं ढाल के पदार्थों के स्नेहन (Lubrication) द्वारा उत्पन्न अतिभार,
  5. मूल ढाल की सताह पर से पदार्थ या भार का हटना,
  6. भूकम्प आना,
  7. विस्फोट या मशीनों का कम्पन (Vibration),
  8. अत्यधिक प्राकृतिक रिसाव,
  9. झीलों, जलाशयों एवं नदियों से भारी मात्रा में जल निष्कासन एवं परिणामस्वरूप ढालों एवं नदी तटों के नीचे से जल का मंद गति से बहना,
  10. प्राकृतिक वनस्पति का अन्धाधुन्ध विनाश।

प्रश्न 3.
विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वह क्या प्रधान कार्य सम्पन्न करते हैं?
उत्तर:
गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक, भू-आकृतिक कारक, प्रवाहित जल, हिमानी, हवा, लहरें धाराएँ हैं। ये धरातल के पदार्थों को हटाने, ले जाने तथा निक्षेप के कार्य सम्पन्न करते हैं। इनका उद्देश्य भू-आकृतियों का विघर्षण करना है। प्रश्न

प्रश्न 4.
क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?
उत्तर:
मृदा निर्माण अपक्षय पर निर्भर करता है। अपक्षय शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा मृदा निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। यह अपरदन में सहायक हैं। मलबे के परिवहन तथा निक्षेप से ही मृदा निर्माण होता है।

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प्रश्न 5.
क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दोनों क्रियाएं सामूहिक रूप से कार्य करती हैं। कभी एक क्रिया प्रधान होती है तो कभी दूसरी क्रिया प्रधान होती है। दोनों क्रियाओं में विखण्डन तथा अपघटन होता है। दोनों में जल, दाब तथा गैसें सहायक होती हैं।

रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ: रासायनिक अपक्षय में क्रियाओं का एक समूह कार्य करता है जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण, जल योजन, ऑक्सीकरण। ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड इन क्रियाओं को तीव्र गति प्रदान करती है। भौतिक अपक्षय क्रियाएँ: ये क्रियाएं यांत्रिक क्रियाएं हैं जिनमें निम्नलिखित बल कार्य करते हैं:

  1. गुरुत्वाकर्षण बल
  2. तापमान वृद्धि के कारण विस्तारण बल
  3. जल का दवाब इन बलों के कारण शैलों का विघटन होता है। ये प्रक्रियाएं लघु व मन्द होती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक वर्गों के खेल का मैदान है। विवेचना करो।
उत्तर:
धरातल पृथ्वी मण्डल के अन्तर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अन्दर अद्भुत आन्तरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है तथा यह सर्वदा परिवर्तनशील है। बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आन्तरिक बलों को अन्तर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं। बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है-उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण (Wearing down) तथा बेसिन/निम्न क्षेत्रों/गों का भराव (अधिवृद्धि/तल्लोचन) धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अन्तर के कम होने के तथ्य को तल सन्तुलन (Gradation) कहते हैं।

अन्तर्जनित शक्तियां निरन्तर धरातल के भागों को ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं उच्चावच में भिन्नता को सम (बराबर) करने में असफल रहती हैं। अतएव भिन्नता तब तक बनी रहती है जब तक बहिर्जनिक एवं अन्तर्जनित बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं। सामान्यतः अन्तर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएं मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती हैं।

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प्रश्न 2.
“बाह्यजनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएं अपनी अन्तिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धरातल पर बाह्य भू-आकृतिक क्रियाएं भिन्न-भिन्न अक्षांशों में भिन्न-भिन्न होती हैं। यह सूर्य से प्राप्त गर्मी में भिन्नता के कारण हैं। विभिन्न जलवायु प्रदेशों में तथा ऊंचाई में अन्तर के कारण सूर्यताप प्राप्ति में स्थानीय विभिन्नता पाई जाती है। इस प्रकार वायु का वेग, वर्षा की मात्रा, हिमानी, तुषार आदि क्रियाओं में विभिन्नता सूर्यातप के कारण हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Question)

प्रश्न 1.
आप किस प्रकार मदा निर्माण प्रक्रियाओं और मृदा निर्माण कारकों के बीच अन्तर करेंगे? जलवायु और भौतिक क्रियाओं की मृदा निर्माण में क्या भूमिका है? दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप लिखो।
उत्तर:
मृदा निर्माण के कारक सभी मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं अपक्षय से जुड़ी हैं। लेकिन कई अन्य कारक अपक्षय के अंतिम उत्पाद को प्रभावित करते हैं। इनमें से पांच प्राथमिक कारक हैं। ये अकेले अथवा सम्मिलित रूप से विभिन्न प्रकार की मृदाओं के विकास के लिए उत्तरदायी हैं। ये कारक हैं

समय (Time):
आदर्श दशाओं में एक पहचान योग्य मृदा परिच्छेदिका का विकास 200 वर्षों में हो सकता है। परन्तु कम अनुकूल परिस्थितियों में यह समय हज़ारों वर्षों का हो सकता है। समय तथा अन्य विशिष्ट कारकों-जलवायु, जनक सामग्री, स्थलाकृति तथा जैविक पदार्थ के प्रभावों द्वारा मृदा विकास की दर निर्धारित होती है।

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएँ (Processes of Soil Formation):
मृदा निर्माण में अनेक प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं और किसी सीमा तक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित कर सकती हैं। ये प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं
(i) अवक्षालन:
यह मृत्तिका अथवा अन्य महीन कणों का यांत्रिक विधि से स्थान परिवर्तन है, जिसमें वे मृदा परिच्छेदिका में नीचे ले जाए जाते हैं।

(ii) संपोहन:
यह मृदा परिच्छेदिका के निचले संस्तरों में ऊपर से बहाकर लाए गए पदार्थों का संचयन है।

(iii) केलूवियेशन:
यह निक्षालन के समान पदार्थ का नीचे की ओर संचलन है, परन्तु जैविक संकुल यौगिकी के प्रभाव में।

(iv) निक्षालन:
इसमें घोल रूप में पदार्थों को किसी संस्तर से हटाकर नीचे की ओर ले जाना है।

1. जनक पदार्थ (Parent Material):
कमजोर तरीके से संयोजित बलुआ पत्थर से बनी मृदा बलुई होगी और शैल चट्टान से बनी मृदा उथली तथा महीन गठन वाली होगी। इसी प्रकार मृत्तिका निर्माण में अपघट्य गहरे रंग वाले खनिजों का उच्च प्रतिशत क्वार्ट्ज की अपेक्षा अधिक सहायक है। इस प्रकार जनक पदार्थ अपक्षय की विभिन्न दरों द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करता है। मूल शैल तट स्थान (In Situ) या अवशिष्ट मृदा या लाए गए निक्षेप (परिवहन कृत) (Transported) भी हो सकती है।

2. जलवायु (Climate):
आर्द्र क्षेत्रों में अत्यधिक अपक्षय तथा निक्षालन के कारण अम्लीय मृदा का निर्माण होता है। निम्न वर्षा वाले क्षेत्रों में चूने के संचयन या धारण के कारण क्षारीय मृदा का निर्माण होता है। विभिन्न प्रकार के मृदा निर्माण में जलवायु एक
अत्यधिक प्रभावी कारक है, विशेषकर तापमान और वर्षा के प्रभावों के कारण वनस्पति पर अपने प्रभाव के कारण, जलवायु मृदा निर्माण में परोक्ष भूमिका भी निभाती है।

3. जीवजात (Vegetation):
जैविक उत्सर्ग एवं अपशिष्ट पदार्थों के अपघटन तथा जीवित पौधों तथा पशुओं की क्रियाओं का मदा विकास में विशेष हाथ होता है। बिलकारी प्राणी जैसे-छछंदर, प्रेअरी डॉग, केंचुआ, चींटी और दीमक आदि धीरे-धीरे जैविक पदार्थों का अपघटन करके तथा दुर्बल अम्ल तैयार करके, जो शीघ्र ही खनिजों को घोल देता है, मृदा विकास में सहायक होते हैं।

4. स्थलाकृति (Topographes):
पहाड़ियों के तीव्र ढालों पर मृदा आवरण पतला होता है और इसका कारण पृष्ठीय प्रवाह के कारण भूपृष्ठ का अपरदन है। इसके विपरीत पहाड़ियों के मंद ढालों पर मृदा की परत मोटी होती है। इसका कारण वनस्पति की प्रचुरता
और पर्याप्त जल का मृदा के नीचे गहराई तक चला जाना है। स्थल-रुद्ध गर्तों में प्रवाहित जल का अधिकांश भाग आता है, जो घनी वनस्पति आवरण के लिए सहायक है, लेकिन ऑक्सीकरण की कमी के कारण अपघटन धीमा हो जाता है। इससे ऐसी मृदा की उत्पत्ति होती है, जो जैविक पदार्थों में समृद्ध होती है। स्थलाकृति, जल एवं तापमान के साथ अपने सम्बन्ध के द्वारा मृदा निर्माण को प्रभावित करती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ  JAC Class 11 Geography Notes

→ अनावरण (Denudation): पृथ्वी के धरातल को समतल करने की क्रिया को अनावरण कहते हैं। बाह्य कार्यकर्ता धरातल को समतल करने का यत्न करते हैं।

→ अपरदन (Erosion): भूतल पर कांट-छांट तथा खुरचने की क्रिया को अपरदन कहते हैं। यह कार्य गतिशील कारकों द्वारा जैसे जल, हिम नदी, वायु द्वारा होता है।

→ अपक्षरण (Weathering): पृथ्वी की बाहरी स्थिर शक्तियों द्वारा चट्टानों को विखण्डन तथा अपघटन की क्रिया से तोड़ने-फोड़ने के कार्य को अपक्षरण कहते हैं। अपक्षरण चट्टानों को कमजोर करके अपरदन में सहायता करता है।

→ अपक्षरण के कारक (Factors):

  • चट्टानों की संरचना
  • भूमि का ढाल
  • जलवायु
  • वनस्पति
  • शैल सन्धियां।

→ अपक्षरण के प्रकार (Types of Weathering):

  • भौतिक अथवा यान्त्रिक अपक्षरण
  • रासायनिक

→ भौतिक अपक्षरण (Physical Weathering): यान्त्रिक साधनों द्वारा चट्टानों के विघटन (संरचना के परिवर्तन के बिना) को भौतिक अपक्षरण कहते हैं। यह क्रिया तापमान, पाला, पवन तथा वर्षा द्वारा होती है।

→ रासायनिक अपक्षरण (Chemical Weathering): रासायनिक विधियों से चट्टानों के अपने ही स्थान पर अपघटन को रासायनिक अपक्षरण कहते हैं। ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन आदि गैसों के प्रभाव से निम्नलिखित क्रियाओं द्वारा अपक्षरण होता है

  • ऑक्सीकरण
  • कार्बोनेटीकरण
  • जलयोजन
  • घोलीकरण।

→ मृदा (Soil):
मृदा भूतल की ऊपरी सतह का आवरण है। यह चट्टानों के चूर्ण तथा वनस्पति के गले-सड़े अंश की एक पतली पर्त है।

→ मृदा संस्तर (Soil Horizons): मृदा के पार्श्व चित्र में तीन पर्ते या संस्तर पाए जाते हैं

  • अ-संस्तर
  • ब-संस्तर
  • स-संस्तर।

→ मृदा का महत्त्व (Importance of Soils): मृदा एक मूल्यवान् प्राकृतिक सम्पदा है। मानवता मृदा पर निर्भर है, अनेक मानवीय तथा आर्थिक क्रियाएं मृदा पर निर्भर हैं।

→ मृदा अपरदन (Soil Erosion): भू-तल की ऊपरी सतह से उपजाऊ मृदा का उड़ जाना या बह जाना मृदा अपरदन कहलाता है। जल, वायु तथा वर्षा मृदा अपरदन के प्रमुख कारक हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

→ मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion):

  • धरातलीय अपरदन
  • नालीदार कटाव
  • वायु

→ अपरदन। मृदा अपरदन के कारण (Causes of Soil Erosion):

  • मूसलाधार वर्षा
  • तीव्र ढलान
  • तीव्र गति पवनें
  • अनियन्त्रित पशुचारण
  • स्थानान्तरी कृषि
  • वनों की कटाई।

→ मृदा संरक्षण के उपाय (Methods of Soil Conservation): मृदा संरक्षण, बचाव, पुनर्निर्माण तथा । उपजाऊपन कायम रखना आवश्यक है। विभिन्न उपायों का प्रयोग किया जाता है

  • वनारोपण
  • नियन्त्रित पशुचारण
  • सीढ़ीनुमा कृषि
  • नदी बांध निर्माण
  • फसलों का हेर-फेर।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न–दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. 2011 जनगणना के अनुसार भारत में औसत जनसंख्या घनत्व है –
(A) 216
(B) 382
(C) 221
(D) 350
उत्तर:
(B) 382

2. किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) पश्चिम बंगाल
(C) केरल
(D) पंजाब।
उत्तर:
(A) उत्तर प्रदेश

3. किस राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात है?
(A) केरल
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) उड़ीसा
(D) तमिलनाडु।
उत्तर:
(A) केरल

4. भारत का विश्व जनंसख्या में कौन-सा स्थान है?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) पांचवां
(D) सातवां।
उत्तर:
(B) दूसरा

5. भारत में प्रति दशक जनसंख्या वृद्धि दर है?
(A) 15.3%
(B) 17.3%
(C) 19.3%
(D) 21.3%.
उत्तर:
(D) 21.3%.

6. भारत में पहली सम्पूर्ण जनगणना कब हुई?
(A) 1871
(B) 1881
(C) 1891
(D) 1861.
उत्तर:
(B) 1881

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

7. भारत में विश्व की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है?
(A) 10.7%
(B) 12.7%
(C) 16.7%
(D) 18.7%.
उत्तर:
(C) 16.7%

8. किस राज्य में सबसे कम जनसंख्या है?
(A) हरियाणा
(B) राजस्थान
(C) सिक्किम
(D) मिज़ोरम।
उत्तर:
(C) सिक्किम

9. भारत में कितने मिलियन नगर हैं?
(A) 25
(B) 27
(C) 30
(D) 53.
उत्तर:
(D) 53.

10. भारत में 2011 में औसत लिंगानुपात था
(A) 910
(B) 923
(C) 940
(D) 953.
उत्तर:
(C) 940

11. भारत में औसत जीवन प्रत्याश कितनी है?
(A) 55 वर्ष
(B) 60 वर्ष
(C) 65 वर्ष
(D) 70 वर्ष।
उत्तर:
(C) 65 वर्ष

12. भारत में साक्षरता दर है
(A) 55%
(B) 60%
(C) 74%
(D) 67%.
उत्तर:
(C) 74%

13. भारत में कृषकों का प्रतिशत है
(A) 48%
(B) 50%
(C) 54%
(D) 58%.
उत्तर:
(D) 58%.

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

14. भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व है
(A) जम्मू-कश्मीर
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) राजस्थान
(D) नागालैंड।
उत्तर:
(B) अरुणाचल प्रदेश

15. भारत की जनसंख्या कितने वर्षों में दुगुनी होती है ?
(A) 32 वर्ष
(B) 34 वर्ष
(C) 36 वर्ष
(D) 38 वर्ष।
उत्तर:
(C) 36 वर्ष

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
121.02 करोड़। (विश्व की 17.5% जनसंख्या)।

प्रश्न 2.
जनसंख्या तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार में स्थान बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या : दूसरा स्थान क्षेत्रफल : सातवां स्थान (विश्व का 2.4% क्षेत्रफल)।

प्रश्न 3.
भारत में पहली पूर्ण जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1881 में।

प्रश्न 4.
भारत में औसत जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर:
382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 5.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व किस राज्य में है?
उत्तर:
बिहार-1102 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।।

प्रश्न 6.
भारत में औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धि कितनी है?
उत्तर:
1.76 प्रतिशत।

प्रश्न 7.
भारत में जन्म-दर तथा मृत्यु-दर कितनी है ?
उत्तर:
जन्म-दर 26 प्रति हजार तथा मृत्यु-दर 9 प्रति हजार व्यक्ति है।

प्रश्न 8.
भारत में राज्यस्तर पर जनसंख्या वृद्धि किस राज्य में कम है ?
उत्तर:
केरल-4.9% प्रति दशक।

प्रश्न 9.
विगत शताब्दी में भारत की जनसंख्या में कितनी वृद्धि हुई है?
उत्तर:
78 करोड़।

प्रश्न 10.
संसार में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बताओ।
उत्तर:
चीन-134 करोड़।

प्रश्न 11.
भारत में पहली अपूर्ण जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1872 ई० में।

प्रश्न 12.
भारत की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग ग्रामीण है?
उत्तर:
68.8%

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 13.
भारत में गाँवों की कुल संख्या कितनी है ?
उत्तर:
580781

प्रश्न 14.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या है ?
उत्तर:
भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में 19.95 करोड़ जनसंख्या है जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।

प्रश्न 15.
भारत के किस राज्य में सबसे कम जनसंख्या है?
उत्तर:
सिक्किम राज्य में 6.07 लाख।

प्रश्न 16.
भारत के कितने राज्यों में 5 करोड़ से अधिक जनसंख्या प्रत्येक राज्य में है?
उत्तर:
10 राज्य।

प्रश्न 17.
भारत के पाँच राज्य बताओ जिनमें देश की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश।

प्रश्न 18.
जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से विश्व के तीन बड़े देश बताओ।
उत्तर:

  1. बांग्लादेश-849 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  2. जापान-334 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  3. भारत-382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 19.
100 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम घनत्व वाले तीन राज्य बताओ।
उत्तर:
सिक्किम (86), मिजोरम (52) तथा अरुणाचल प्रदेश (17)।

प्रश्न 20.
उच्च घनत्व के तीन समूह बताओ।
उत्तर:
उत्तरी मैदान, पूर्वी तट, डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 21.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों के तीन समूह बताओ।
उत्तर:

  1. भौतिक कारक
  2. सामाजिक-आर्थिक कारक
  3. जनांकिकीय कारक।

प्रश्न 22.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले चार भौतिक कारक बताओ।
उत्तर:

  1. धरातल
  2. मृदा
  3. जलवायु
  4. खनिजों की सुलभता।

प्रश्न 23.
जनांकिकीय कारकों के तीन तत्त्व बताओ।
उत्तर:

  1. प्रजनन दर
  2. मृत्यु-दर
  3. प्रवास।

प्रश्न 24.
जनसंख्या वृद्धि दर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दो समय बिन्दुओं के मध्य जनसंख्या में होने वाले शुद्ध परिवर्तन को वृद्धि दर कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 25.
वृद्धि दर के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. ऋणात्मक वृद्धि दर-जब समय अवधि में जनसंख्या घटती है तो उसे ऋणात्मक वृद्धि दर कहते हैं।
  2. धनात्मक वृद्धि दर-जब जनसंख्या बढ़ती है तो इसे धनात्मक वृद्धि दर कहते हैं।

प्रश्न 26.
विगत शताब्दी में भारत की जनसंख्या में कितने गुणा वृद्धि हुई है?
उत्तर:
चार गुणा (कुल वृद्धि 78 करोड़)।

प्रश्न 27.
1991 तथा 2001 की अवधि में देश की जनसंख्या वृद्धि दर कितनी थी?
उत्तर:
21.34 प्रतिशत प्रति दशक तथा 1.93 प्रतिशत प्रतिवर्ष।

प्रश्न 28.
भारत के किस राज्य में जनसंख्या वृद्धि दर, उच्चतम तथा निम्नतम है?
उत्तर:
मेघालय में 27.8 प्रतिशत तथा केरल में 40.9 प्रतिशत।

प्रश्न 29.
भारत में ग्रामीण जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत किस राज्य में है?
उत्तर:
अरुणाचल प्रदेश (94.50 प्रतिशत)।

प्रश्न 30.
अधिक नगरीय जनसंख्या वृद्धि वाले 4 राज्य बताओ।
उत्तर:
हरियाणा, नागालैंड, तमिलनाडु, सिक्किम।

प्रश्न 31.
नगरीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या से नगरीय जनसंख्या में समाज के बदलने की प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 32.
भारत में सर्वाधिक नगरीकृत राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
गोवा (49.77 प्रतिशत)।

प्रश्न 33.
किस आयु वर्ग की जनसंख्या को श्रमजीवी (कार्यरत ) कहा जाता है?
उत्तर:
प्रौढ़ वर्ग 15-59 वर्ष तक (56.7 प्रतिशत)।

प्रश्न 34.
आश्रित अनुपात किसे कहते हैं ? भारत में यह कितना है?
उत्तर:
किशोर, वृद्ध जनसंख्या तथा प्रौढ़ जनसंख्या के बीच अनुपात को आश्रित अनुपात कहते हैं। भारत में यह अनुपात 79.4 प्रतिशत है।

प्रश्न 35.
लिंग-अनुपात किस प्रकार एक सामाजिक संकेतक है ?
उत्तर:
लिंग-अनुपात समाज में पुरुषों और स्त्रियों के मध्य विद्यमान असमानता का माप है।

प्रश्न 36.
भारत की कुल जनसंख्या में पुरुष तथा स्त्रियां कितनी संख्या में हैं?
उत्तर:
पुरुष 62 करोड़, स्त्रियां 59 करोड़।

प्रश्न 37.
भारत में औसत लिंगानुपात कितना है?
उत्तर:
940

प्रश्न 38.
भारत में सबसे अधिक लिंगानुपात किस राज्य में है?
उत्तर:
केरल राज्य में 1084।

प्रश्न 39.
भारत में सबसे कम लिंगानुपात किस राज्य में है?
उत्तर:
हरियाणा में 877।

प्रश्न 40.
किसी व्यक्ति के व्यवसाय का क्या अर्थ है?
उत्तर:
व्यवसाय वह कार्य या व्यापार है जिससे कोई व्यक्ति अपनी रोजी रोटी कमाता है।

प्रश्न 41.
भारत में लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है?
उत्तर:
भारत में 67.4 प्रतिशत कामगार कृषि कार्य करते हैं।

प्रश्न 42.
क्या कारण है कि कृषि कामगारों का अनुपात निरन्तर घट रहा है?
उत्तर:
भारत में कृषि कामगारों का अनुपात 1971 में 69.49 प्रतिशत से घटकर 2001 में 58.4 प्रतिशत रह गया – है। इसका मुख्य कारण है कि घरेलू उद्योगों में कामगारों की संख्या बढ़ रही है।

प्रश्न 43.
गैर-कृषि कार्य क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, भंडारण तथा संचार।

प्रश्न 44.
संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाएं सूचीबद्ध हैं?
उत्तर;
22 भाषाएं।

प्रश्न 45.
भारत किन चार धर्मों का जन्म स्थान रहा है?
उत्तर:
हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिक्ख धर्म।

प्रश्न 46.
भारत में कौन-सी भाषा सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है?
उत्तर:
हिंदी (33.73 करोड़)।

प्रश्न 47.
भारत में द्राविड़ भाषा बोलने वाले लोगों का कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
20% I

प्रश्न 48.
भारत में हिंदू धर्म के अनुयायी कितने % लोग हैं ?
उत्तर:
68.76 करोड़ (82.0%)।

प्रश्न 49.
भारत के किस राज्य में सिक्ख धर्म जनसंख्या का संकेंद्रण है?
उत्तर:
पंजाब।

प्रश्न 50.
भारत के किस राज्य में बौद्ध जनसंख्या अधिक है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में।

प्रश्न 51.
भारत के किस राज्य में जैन धर्म जनसंख्या अधिक है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में।

प्रश्न 52.
भारत के दो उच्च घनत्व वाले राज्यों के नाम लिखो (400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से अधिक)
उत्तर:
बिहार तथा केरल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत की जनसंख्या का विशाल आकार है’ इसके पक्ष में दो तथ्य बताओ।
उत्तर:

  1. भारत का विश्व जनसंख्या में दूसरा स्थान है।
  2. भारत की जनसंख्या उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है।

प्रश्न 2.
भारत में कई सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक उलझनें हैं। तीन कारण बताओ।
उत्तर:

  1. विशाल जनसंख्या
  2. सीमित संसाधन
  3. जनसंख्या वृद्धि दर का अधिक होना।

प्रश्न 3.
भारत में सामाजिक आर्थिक विकास प्रक्रिया और गति को प्रभावित करने वाले चार कारक बताओ।
उत्तर:

  1. विशाल जनसंख्या
  2. जातीय विविधता
  3. अत्यधिक ग्रामीण स्वरूप
  4. जनसंख्या का असमान वितरण।

प्रश्न 4.
‘भारत गाँवों का देश है। स्पष्ट करो तथा दो तथ्य बताओ।
उत्तर:
(i) भारत में 68.8% लोग गाँवों में रहते हैं।
(ii) भारत में गाँवों की संख्या 580781 है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 5.
दिल्ली राज्य में 2011 में कुल जनसंख्या 1,67,53,235 तथा क्षेत्रफल 1483 वर्ग कि०मी० था। जनसंख्या घनत्व ज्ञात करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व =
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 4
= 11297 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०

प्रश्न 6.
भारत तथा चीन में जनसंख्या तथा जनसंख्या घनत्व की तुलना करो।
उत्तर:
चीन में कल जनसंख्या 134 करोड है जबकि भारत में कुल जनसंख्या 121.02 करोड है। भारत में जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है जबकि चीन में जनसंख्या घनत्व 140 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। इस प्रकार चीन में कुल जनसंख्या अधिक है जबकि भारत में जनसंख्या घनत्व अधिक है।

प्रश्न 7.
‘अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य गंगा और सतलज के मैदान में स्थित हैं।’ उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल (1029 व्यक्ति) तथा बिहार (1102 व्यक्ति) भारत के दो बड़े घने बसे प्रदेश उत्तरी मैदान में हैं। उत्तर प्रदेश (20 करोड़ जनसंख्या) भारत की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है जहां जनसंख्या घनत्व 828 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हैं। पंजाब में 550 तथा हरियाणा में 573 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० घनत्व है।

प्रश्न 8.
‘भारत की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है’ तीन उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का वितरण असमान है।

  1. पर्वतों, मरुस्थलों तथा वन-प्रदेशों में जनसंख्या कम है।
  2. समतल एवं उपजाऊ क्षेत्र के राज्यों में जनसंख्या अधिक है।
  3. जलोढ़ मैदानों तथा तटीय मैदानों में जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 9.
‘जनसंख्या का घनत्व भूमि पर जनसंख्या के दबाव का वास्तविक परिचायक नहीं है’। एक राज्य का उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर;
घनत्व से केवल सामान्य दशा का पता चलता है। इससे सामाजिक व आर्थिक कारकों के प्रभाव का ज्ञान नहीं होता। मध्य प्रदेश एक विशाल जनसंख्या वाला राज्य है। (236 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०)। इस राज्य का अधिकतर भाग ऊबड़-खाबड़, पहाड़ी तथा वनों से ढका प्रदेश है। यदि कृषि भूमि पर विचार किया जाए तो मध्य प्रदेश सघन जनसंख्या वाला राज्य बन जाता है।

प्रश्न 10.
औसत घनत्व की दृष्टि से कितने प्रकार के जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों की पहचान की जा सकती है?
उत्तर:

  1. उच्च घनत्व वाले जिले-400 से अधिक व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  2. मध्यम घनत्व वाले जिले-200 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०।
  3. निम्न घनत्व वाले जिले-200 व्यक्ति से कम प्रति वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 11.
विरल (निम्न) जनसंख्या वाले क्षेत्र बताओ। यहां निम्न घनत्व के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम घनत्व वाले क्षेत्र विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

  1. राजस्थान के कुछ क्षेत्र
  2. मध्य प्रदेश
  3. छत्तीसगढ़
  4. पश्चिमी उड़ीसा
  5. पूर्वी कर्नाटक
  6. आंध्र प्रदेश का मध्यवर्ती भाग।

इस प्रकार निम्न घनत्व का यह क्षेत्र अरावली पर्वत श्रेणी से लेकर पूर्व में उड़ीसा तक फैला हुआ है।

निम्न घनत्व के कारण –

  1. पहाड़ी ऊबड़-खाबड़ धरातल
  2. कम उपजाऊ मृदा
  3. कम वर्षा
  4. वनाच्छादित प्रदेश
  5. मरुस्थलीय क्षेत्र।

प्रश्न 12.
सामाजिक-आर्थिक कारकों के प्रभाव से उच्च घनत्व वाले दो प्रकार के क्षेत्र बताओ तथा कारण स्पष्ट करो।
उत्तर:
सामाजिक-आर्थिक कारकों का प्रभाव क्रिया-कलापों पर पड़ता है। इसलिए अधिक नगरीयकरण तथा औद्योगिक विकास के कारण मुम्बई, कोलकाता और दिल्ली में उच्च घनत्व है। अधिक उपज देने वाली फ़सलों की खेती (हरित क्रान्ति) के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब में उच्च घनत्व है।

प्रश्न 13.
‘भारत के दक्षिणी राज्यों में जन्म-दर अपेक्षाकृति कम है’। कारण बताओ।
उत्तर:
भारत के उत्तरी राज्यों में वृद्धि दर अधिक है, परन्तु दक्षिणी राज्यों में जन्म दर कम होने के कारण वृद्धि दर कम है।
कारण –

  1. दक्षिणी राज्यों में उच्च साक्षरता दर
  2. अधिक नगरीय जनसंख्या
  3. अधिक आर्थिक विकास।

प्रश्न 14.
जनसंख्या संघटन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या संघटन – जनसंख्या की भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं को जनसंख्या का संघटन कहते हैं। इसे आयु, लिंग, निवास स्थान, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, मानव प्रजातीयता, साक्षरता, शिक्षा और व्यावसायिक संरचना प्रमुख घटक हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 15.
भारत की नगरीय जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न चरण बताओ।
उत्तर:
भारतीय नगरीय जनसंख्या का अनुपात सन् 1901 से निरन्तर बढ़ रहा है।

  1. 1901 से 1941 तक यह वृद्धि दर 13.38% थी।
  2. 1941 से 1971 तक यह वृद्धि दर 19.90% थी।
  3. 1971 से 2001 तक यह वृद्धि दर 27.78% हो गई।

प्रश्न 16.
भारत में उच्च नगरीकरण तथा निम्न नगरीकरण के क्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भारत में दक्षिणी, पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी राज्यों में।
  2. उत्तरी, मध्य भारत, उत्तर पूर्वी राज्यों में नगरीकरण निम्न हैं।

प्रश्न 17.
किन पांच राज्यों में भारत की नगरीय जनसंख्या का आधे से अधिक भाग रहता है? उत्तर प्रदेश राज्य की स्थिति क्या है?
उत्तर:
पांच राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में भारत की नगरीय जनसंख्या का 51 प्रतिशत भाग रहता है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है परन्तु यहां केवल 20.78 प्रतिशत जनसंख्या ही नगरों में रहती है। यह ग्रामीण पृष्ठभूमि के कारण है।

प्रश्न 18.
भारत में किशोर जनसंख्या वर्ग का अनुपात कितना है ? इसके अधिक होने के तीन कारण बताओ।
उत्तर:
भारत में किशोर वर्ग (15 वर्ष से कम आयु) का प्रतिशत 36.5 है। किशोर जनसंख्या के अधिक अनुपात के मुख्य कारण हैं:

  1. उच्च जन्म दर
  2. तीव्रता से घटती शिशु मृत्यु दर
  3. निरन्तर घटती बाल मृत्यु दर।

प्रश्न 19.
‘भारत में लिंगानुपात दक्षिण से उत्तर की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटता है। उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
अथवा
भारत में लिंगानुपात संघटन के प्रादेशिक प्रतिरूपों का वर्णन करें। उत्तर-भारत के राज्यों में लिंगानुपात में बहुत भिन्नता पाई जाती है।

  1. केरल राज्य में सबसे अधिक लिंगानुपात 1084 है।
  2. पाण्डिचेरी केन्द्र शासित प्रदेश में लिंगानुपात 1001 है।
  3. दक्षिणी राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। तमिलनाडु राज्य में 987, आन्ध्र प्रदेश 978, उड़ीसा 972, कर्नाटक 965, गोवा 961, झारखण्ड 941 है।।
  4. उत्तरी भारत तथा मध्य भारत के राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। महाराष्ट्र 922, राजस्थान 921, गुजरात 920, बिहार 919, मध्य प्रदेश 919, उत्तर प्रदेश 898, पंजाब 893, हरियाणा 877 है। इससे स्पष्ट है कि भारत में लिंगानुपात दक्षिण से उत्तर की ओर कम तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटता है।

प्रश्न 20.
लिंगानुपात घटने के चार कारण बताओ।
उत्तर:

  1. लड़कियों की तुलना में अधिक लड़कों का जन्म लेना।
  2. शैश्यावस्था में कन्या शिशओं की मृत्यु और बच्चों के जन्म के समय अधिक स्त्रियों की मृत्य।
  3. स्त्रियों की सामान्य उपेक्षा के कारण बचपन में उनकी अधिक मृत्यु दर।
  4. गर्भावस्था में स्त्री-शिशु होने पर भ्रूण हत्या।

प्रश्न 21.
काम की अवधि के आधार पर भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बांटो।
उत्तर:
काम की अवधि के आधार पर भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है –

  1. मुख्य कामगार (Main worker) मुख्य कामगार वह है जो वर्ष में छ: महीने या 183 दिन तक आर्थिक रूप से उत्पादक कार्य में शारीरिक या मानसिक रूप से भाग लेता है। देश में कामगारों का अनुपात 30.5% है।
  2. सीमांत कामगार (Marginal worker) वह है जो वर्ष में 183 दिनों से कम दिनों में उत्पादक कार्य में भाग लेता है। देश में सीमान्त कामगारों की अनुपात 8.7% है।
  3. गैर-कामगार (Non worker)-जो वर्ष भर अपनी आजीविका के लिए कोई काम नहीं करता। देश में गैर कामगार 60.8% है।

प्रश्न 22.
स्त्रियों की सहभागिता दर कम होने के कारण बताओ।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों की सहभागिता दर केवल 14.68 प्रतिशत है। इस निम्न सहभागिता दर के निम्नलिखित कारण हैं:

  1. सम्मिलित परिवार व्यवस्था
  2. स्त्रियों में शिक्षा का निम्न स्तर
  3. बारंबार शिशु जन्म
  4. रोज़गार के सीमित अवसर
  5. स्त्रियों पर परिवार की अधिक ज़िम्मेदारी।

प्रश्न 23.
भारत के कामगारों को चार मुख्य श्रेणियों में बांटो।
उत्तर:

  1. कृषक
  2. खेतिहर मज़दूर
  3. घरेलू औद्योगिक कामगार
  4. अन्य कामगार।

प्रश्न 24.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो घटक कौन-से हैं ? प्रत्येक घटक के प्रमुख लक्षण बताओ।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो घटक हैं –
(i) प्राकृतिक
(ii) अभिप्रेरित। प्राकृतिक घटक-प्राकृतिक वृद्धि का विश्लेषण अशोधित जन्म और मृत्यु दर को निर्धारित किया जाता है।
अभिप्रेरित घटक-अभिप्रेरित घटक किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अन्तवर्ती व बहिवर्ती संचलन द्वारा स्पष्ट किया जाता है।

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प्रश्न 25.
भारत के सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य का नाम बताइए और उसका घनत्व भी लिखिए।
उत्तर:
बिहार राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है जो कि 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत का विश्व में जनसंख्या के आकार तथा घनत्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या सन् 2011 में 121.02 करोड़ थी। भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत में औसत जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है तथा भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।

प्रश्न 2.
चार राज्य बताओ जिनकी देश में जनसंख्या सर्वाधिक है। इनकी जनसंख्या तथा क्षेत्रफल की तुलना करो।
उत्तर:

क्रम राज्य जनसंख्या क्षेत्रफल (लाख वर्ग कि०मी०)
(1) उत्तर प्रदेश 19.95 करोड़ 2.40 ,,
(2) महाराष्ट्र 11.2 ,, 3.07 ,,
(3) बिहार 10.3 ,, 0.94 ,,
(4) पश्चिमी बंगाल 9.1 ,, 0.88 ,,

प्रति जनगणना में भारत में जनसंख्या घनत्व लगातार क्यों बढ़ रहा है ? .
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर पहले की अपेक्षा कम है। परन्तु कुल जनसंख्या में अधिक वृद्धि जनसंख्या को एक विशाल आधार प्रदान कर रही है। इसी बड़े आधार के कारण जनसंख्या घनत्व लगातार बढ़ रहा है जबकि भूमि संसाधन सीमित हैं।

प्रश्न 4.
भारत में कौन-से क्षेत्र जनसंख्या निवास के लिए आकर्षक नहीं हैं ?
उत्तर:
पर्वतीय प्रदेश, शुष्क प्रदेश तथा वन प्रदेश जनसंख्या के लिए आकर्षण नहीं रखते। इस वर्ग में लगभग 167 जिले हैं जहां जनसंख्या कम है।

प्रश्न 5.
उत्तरी राज्यों तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में कृषि पर ग्रामीण जनसंख्या का दबाव अधिक क्यों है ?
उत्तर:
केवल कृषिकृत भूमि ही जनसंख्या दबाव सहार सकती है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में कृषिकृत भूमि कम है। इसलिए इन राज्यों में जनसंख्या कम है। ये राज्य पहाड़ी तथा वनाच्छादित हैं। धरातल कटा-फटा है। उत्तरी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या बहुत अधिक है जो कृषि में लगी हुई है। इसलिए यहाँ कृषि पर जनसंख्या दबाव अधिक है।

प्रश्न 6.
भारत में जनसंख्या इतिहास को चार अवस्थाओं में बांटो।
उत्तर:
भारत का जनसंख्या इतिहास निम्नलिखित चार अवस्थाओं में बांटा जा सकता है –

जन्म दर-मृत्यु दर मुख्य लक्षण: उच्च जन्म दर
(1) 1921 से पूर्व जनसंख्या में नगण्य वृद्धि तथा उच्च मृत्यु दर
(2) 1921-1951 धीमी गति से वृद्धि उच्च जन्म दर तथा घटती मृत्यु दर
(3) 1951-1981 तीव्र गति से वृद्धि तीव्र गति से मृत्यु दर का कम होना
(4) 1981 से आगे वृद्धि दर का कम होना कम जन्म दर तथा कम मृत्यु दर

प्रश्न 7.
सतलुज गंगा मैदान जनसंख्या के संकेन्द्रण के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
सतलुज गंगा मैदान में उत्तर प्रदेश, बिहार पश्चिमी बंगाल, हरियाणा, पंजाब तथा दिल्ली क्षेत्र में जनसंख्या संकेन्द्रण हैं। यहां जनसंख्या घनत्व 400-700 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० के बीच है। यह एक उन्नत कृषि का प्रदेश है। जहां वर्ष में 2-3 फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। यहाँ मिट्टी उपजाऊ है तथा जलवायु अनुकूल है। जल सिंचाई सुविधाओं के कारण कृषि उन्नत है। दिल्ली तथा कोलकाता के इर्द-गिर्द औद्योगिक तथा नगरीय विकास के कारण जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 8.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले सामाजिक आर्थिक कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व भौतिक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें भूमि, जलवायु तथा मृदा शामिल हैं। परन्तु आधुनिक समय में सामाजिक-आर्थिक कारक प्रौद्योगिकी के प्रयोग के द्वारा जनसंख्या को प्रभावित करते हैं। उच्च नगरीयकरण तथा औद्योगिक विकास के प्रभाव से मुम्बई, कोलकाता तथा दिल्ली क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व आधार हैं। कृषि प्रदेशों में हरित क्रान्ति के प्रयोग से पंजाब तथा हरियाणा प्रदेश में जनसंख्या घनत्व अधिक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर जनसंख्या प्रवास बढ़ रहा है। लोग रोज़गार की तलाश में प्रवास करते हैं। शिक्षा केन्द्र भी जनसंख्या को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।।

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प्रश्न 9.
भारत के किन राज्यों में जनसंख्या कम है ?
उत्तर:
भौतिक कारक जनसंख्या वृद्धि दर की सीमा निर्धारित करते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी उड़ीसा, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश में जनसंख्या कम है। पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में जनसंख्या कम है।

प्रश्न 10.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में जनसंख्या में एक निश्चित समय में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। यह जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर होता है। प्रवास के कारण भी जनसंख्या में वृद्धि होती है।

प्रश्न 11.
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु दर की प्रवृत्तियां किस प्रकार जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करती रही हैं ?
उत्तर:
1921-51 की अवधि में जनसंख्या वृद्धि धीमी गति से रही है। जन्म दर उच्च तथा परन्तु मृत्यु दर भी कई महामारियों के कारण उच्च थी। 1951-81 की अवधि में जनसंख्या तीव्र गति से विस्फोटात्मक दर से बढ़ी। चिकित्सा सुविधाओं के कारण मृत्यु दर बहुत कम हो गई। 1981 के पश्चात् वृद्धि दर फिर घटने लगी क्योंकि जन्म दर कम हो गया है। अब जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर केवल 17 प्रति हज़ार है।

प्रश्न 12.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या तथा अधिकतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या-सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश राज्य में है। यहां कुल जनसंख्या 19.95 करोड़ है। यह भारत की कुल जनसंख्या का 16% भाग है। ख्या घनत्व-भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व (सन् 2011) बिहार राज्य में 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 13.
भारत की जनसंख्या में मोटे तौर पर पुरुषों का प्रभुत्व क्यों है ?
उत्तर:
20वीं शताब्दी में महिलाओं की जनसंख्या का अनुपात निरन्तर घटता रहा है। सामाजिक कारणों से परिवार में लड़कियों की उपेक्षा की जाती रही है। ठीक प्रकार से लालन-पालन न होने के कारण लड़कियों में बीमारियों का प्रकोप अधिक है तथा बहुत-सी महिलाएं प्रसव के समय ही मर जाती हैं। पुरुष संख्या 62 करोड़ तथा स्त्री संख्या 59 करोड़ है।

प्रश्न 14.
भारत के किन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अत्यधिक निम्न है और क्यों ?
उत्तर:
“पर्यावरण की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के पहाड़ी राज्यों में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। सिक्किम में 86, नागालैंड में 119, जम्मू-कश्मीर में 124, मेघालय में 132, मणिपुर में 122, अरुणाचल प्रदेश में 17, मिज़ोरम में 52, हिमाचल प्रदेश में 123 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। इन राज्यों में पर्वतीय धरातल, वनों के अधिक विस्तार, यातायात के साधनों की कमी तथा प्रतिकूल जलवायु के कारण जनसंख्या घनत्व कम है।

प्रश्न 15.
जनसंख्या परिवर्तन के आधारभूत घटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
समय के साथ-साथ किसी भी देश की जनसंख्या घटती-बढ़ती है। जनसंख्या भी अन्य प्राणियों की भांति स्थिर नहीं रहती है। यह परिवर्तन तीन कारकों पर निर्भर करता है

  1. जन्म दर (Birth rate)
  2. मृत्यु दर (Death rate)
  3. जनसंख्या प्रवास (Migration)

जन्म दर अधिक होने से जनसंख्या बढ़ती है, जबकि मृत्यु दर बढ़ने से जनसंख्या कम होती है। जन्म दर तथा मृत्यु .. दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहा जाता है। जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है तो उसे धनात्मक प्राकृतिक वृद्धि (Positive Natural Growth) कहा जाता है। दूसरे देशों में प्रवास के कारण जनसंख्या कम होती है। दूसरे देशों से आने वाले लोगों या अप्रवास के कारण जनसंख्या में वृद्धि होती है। समय के साथ होने वाले जनसंख्या परिवर्तन … को जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) कहा जाता है।

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प्रश्न 16.
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर कितनी है ? नगरों तथा महानगरों में वृद्धि दर औसत से अधिक क्यों है ?
उत्तर:
भारत में 2001-2010 के दशक में जनसंख्या की औसत वृद्धि दर 1.67% रही है। देश में कुल जनसंख्या में 1830 लाख की वृद्धि हुई है। नगरों तथा महानगरों में यह वृद्धि दर औसत से बहुत अधिक है। नगरों का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है। नगरों के बाहर स्थित उप-नगर तथा ग्राम भी नगरों में मिल गए हैं। रोजगार तथा अच्छे रहन-सहन की तलाश में गांवों में से लोग शहरों की ओर प्रवास कर रहे हैं। इसलिए नगरों में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है जबकि ग्रामीण जनसंख्या में वृद्धि दर कम है।

प्रश्न 17.
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की असमानता के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का क्षेत्रीय वितरण बहुत असमान है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल तथा आन्ध्र प्रदेश में कुल मिलाकर देश की लगभग आधी जनसंख्या निवास करती है। उत्तर प्रदेश अकेले राज्य में इतनी जनसंख्या है जितनी दक्षिण के तीन राज्यों केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु में मिलती है। दिल्ली की जनसंख्या सभी केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल जनसंख्या से अधिक है। मध्य प्रदेश भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। यहां देश के 14% क्षेत्रफल में केवल 7.6% लोग रहते हैं तथा जनसंख्या की दृष्टि से इसका छठा स्थान है।

प्रश्न 18.
अंक गणितीय घनत्व जनसंख्या के घनत्व का एक संवेदनशील माप क्यों नहीं है ?
उत्तर:
किसी देश की कुल जनसंख्या तथा उसके कुल क्षेत्रफल के अनुपात को उस देश की जनसंख्या का अंक गणितीय घनत्व (Arithmatic Density) कहा जाता है। यह पद्धति सरल है तथा अधिक प्रयोग की जाती है परन्तु यह एक अपरिष्कृत (Crude) विधि है तथा प्रत्येक क्षेत्र के लिए प्रयोग नहीं की जा सकती। यह एक संवेदनशील माप (Sensitive Index) नहीं है। इस विधि में देश के कुल क्षेत्रफल को उपयोग में लाया जाता है। परन्तु बहुत-से क्षेत्र ऐसे भी होते हैं जहां एक भी व्यक्ति नहीं रहता। इन्हें नकारात्मक प्रदेश (Negative Areas) कहते हैं। मनुष्य केवल चुने हुए प्रदेशों में रहता है जहां प्राकृतिक संसाधन सुगमता से प्राप्त हों। पहाड़ी, वन, दलदल, रेगिस्तान आदि प्रदेशों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता जबकि वहां मानव निवास सम्भव नहीं होता।

प्रश्न 19.
भारत की जनसंख्या का घनत्व लगातार क्यों बढ़ रहा है ?
उत्तर:
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह संसार के घने बसे हुए क्षेत्रों में से एक है। भारत की जनसंख्या का घनत्व 1921 से लगातार बढ़ता जा रहा है।

वर्ष जनसंख्या घनत्व प्रति व्यक्ति

वर्ग कि०मी०

1921 81
1931 90
1941 103
1951 117
1961 142
1971 177
1981 221
1991 267
2001 313
2011 382

प्रत्येक जनगणना में जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है, परन्तु क्षेत्रफल में वृद्धि नहीं होती। देश का क्षेत्रफल वहीं का वहीं रहता है। जनसंख्या घनत्व कुल जनसंख्या तथा क्षेत्रफल में अनुपात होता है। इसलिए जनसंख्या की सघनता बढ़ रही है। देश में कृषि पर अत्यधिक निर्भरता है। इसलिए कृषि में वृद्धि न होने के कारण भी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए अर्थ-व्यवस्था में विविधता आवश्यक है।

प्रश्न 20.
भारत में जनसंख्या के घनत्व में पाई जाने वाली विभिन्नता के प्रमुख कारण क्या हैं ?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या घनत्व में क्षेत्रीय प्रतिरूप में पर्याप्त विभिन्नताएं पाई जाती हैं। पर्यावरण की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर-पूर्वी भारत में औसत घनत्व 60 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम है। मध्यवर्ती भारत में यह घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। उत्तरी मैदान में पंजाब से पश्चिमी बंगाल की मेखला में अधिक घनत्व है। इस जनसंख्या घनत्व की विभिन्नता के मुख्य कारक उच्चावच, जलवायु, जल-आपूर्ति, मिट्टी की उर्वरता तथा कृषि उत्पादकता है। इन कारकों का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त जनांकिकी, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक कारकों के योगदान आदि का जनसंख्या के घनत्व पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 21.
‘जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक’ से क्या अभिप्राय है ? यह किस प्रकार जनसंख्या के असमान वितरण को प्रदर्शित करता है ?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। यदि हम प्रत्येक राज्य की जनसंख्या का देश की कुल जनसंख्या के अनुपात को देखें तो यह तथ्य और भी स्पष्ट हो जाता है। इसे जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक (Index of Concentration) कहते हैं। संकेन्द्रण सूचकांक से अभिप्राय है-देश की कुल जनसंख्या में किसी राज्य की जनसंख्या का अनुपात। जैसे उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक है –
उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या = 1995 लाख भारत की कुल जनसंख्या = 12102 लाख
सकन्द्रण सूचकाक = \(\frac {1995}{12102}\) = \(\frac {1995}{12102}\) x 100 = 19.8%
यह संकेन्द्रण सूचकांक नागालैण्ड में 0.1 प्रतिशत, मेघालय में 0.19 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 0.87 प्रतिशत है। पश्चिमी बंगाल के घने बसे राज्य में 8 प्रतिशत है। पंजाब तथा हरियाणा के कृषि विकसित प्रदेश में क्रमश: 1.9 प्रतिशत तथा 2.4 प्रतिशत है। इस प्रकार संकेन्द्रण सूचकांक देश में जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रीय वितरण के असमान रूप को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 22.
गंगा के मैदान में जनसंख्या के वितरण की दो विशेषताएं बताओ। इस क्षेत्र में वर्षा वितरण किस प्रकार जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है ?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या का अधिकतर भाग गंगा के मैदान में निवास करता है। पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में भारत की कुल जनसंख्या का 50% भाग निवास करता है। इस मैदान में पश्चिम से पूर्व की ओर जनसंख्या घनत्व बढ़ता जाता है। जैसे पंजाब (550), उत्तर प्रदेश (828), बिहार (1102), पश्चिमी बंगाल (1029) । यह इस तथ्य से मेल खाता है कि इस मैदान में वर्षा की मात्रा भी पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती है।

प्रश्न 23.
भारतीय जनसंख्या की आयु संरचना के तीन प्रमुख लक्षणों का विवरण दीजिए।
उत्तर:

  1. भारत में कुल जनसंख्या में 0-14 वर्ष की आयु वर्ग की अधिकता है। कुल जनसंख्या का लगभग 40% निम्न आयु वर्ग का है।
  2. भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 67% भाग आश्रित वर्ग में है जबकि 33% लोग श्रमिक हैं।
  3. 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की संख्या 12% है।

प्रश्न 24.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के इतिहास में सन् 1921 और सन् 1951 सबसे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं ?
अथवा
विगत 100 वर्षों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में इस शताब्दी में जनसंख्या बड़ी तीव्र गति से बढ़ रही है। सन् 1901 से 1981 तक के समय में जनसंख्या तिगुनी हुई है। जनसंख्या वृद्धि में कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। सन् 1901 से 1921 तक जनसंख्या में बहुत कम वृद्धि हुई थी। इन 20 वर्षों में जनसंख्या में केवल 129 लाख की वृद्धि हुई। सन् 1921 में जनसंख्या 0.3 प्रतिशत की दर से कम हुई। इसका मुख्य कारण यह था कि देश के विभिन्न भागों में अकाल (1920), प्लेग आदि महामारियों (1918) तथा विश्व युद्ध (1914) के कारण बहुत-से लोगों की मृत्यु हुई। परन्तु सन् 1921 के पश्चात् जनसंख्या धीमी और निश्चित गति से बढ़ती रही।

इसलिए 1921 को जनसंख्या वृद्धि के इतिहास में जनांकिकीय विभाजक कहा गया है।1921 से 1951 तक जनसंख्या धीमी परन्तु निश्चित गति से बढ़ती रही। 1951 के अन्त तक यह वृद्धि 1.3% की दर से हुई। इन तीस वर्षों में जनसंख्या में लगभग 11 करोड़ की वृद्धि हुई। 1951 का वर्ष इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है चूंकि इसके पश्चात् जनसंख्या में बड़ी तेज़ी से वृद्धि हुई। 1951 तक जनसंख्या वृद्धि के पहले चरण का अन्त हो गया। 1961 से 1991 तक तीस वर्ष के समय में जनसंख्या लगभग दुगुनी हो गई और कुल जनसंख्या 43 करोड़ से . बढ़ कर 84 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि दर 2.4% प्रति वर्ष रही है। 2001-10 के दशक में वृद्धि दर 1.67% रही। वृद्धि दर की वितरण -भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में बड़े पैमाने पर प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं।
(i) उच्च वृद्धि दर वाले राज्य एक सतत पेटी में स्थित हैं जो देश के उत्तरी आधे भाग में स्थित है।
(ii) भारत में निम्नतम जनसंख्या वृद्धि दर केरल राज्य में 9.43 प्रतिशत थी जबकि उच्चतम वृद्धि दर नागालैंड राज्य में 64.53 प्रतिशत थी।

कम जनसंख्या वृद्धि दर के प्रदेश

राज्य वृद्धि दर
केरल 4.9
तमिलनाडु 15.6
आन्ध्र प्रदेश 11.1
गोवा 8.2
उड़ीसा 14.0
कर्नाटक 15.7
हिमाचल प्रदेश 12.8
पश्चिम बंगाल 13.9
असम 16.9
पंजाब 13.7
नागालैंड 0.5

उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के प्रदेश

राज्य वृद्धि दर
सिक्किम 12.4
मेघालय 27.8
मिज़ोरम 22.8
बिहार 25.1
राजस्थान 21.4
हरियाणा 19.9
अरुणाचल प्रदेश 25.9
उत्तर प्रदेश 20.1
मध्य प्रदेश 20.3
महाराष्ट्र 16.0

कुल मिलाकर देश के 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि हुई है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि (2001-2011)

वर्ष जनसंख्या (लाखों में) प्रति दशक (प्रतिशत वृद्धि)
1901 2383 – 01.01
1911 2520 + 05.75
1921 2512 – 00.30
1931 2789 + 11.00
1941 3185 + 14.23
1951 3610 + 13.31.
1961 4391 + 21.52
1971 5479 + 24.80
1981 6338 + 24.75
1991 8439 + 23.50
2001 10270 + 19.30
2011 121.02 + 17.7

India Population (in millions): 1901-2011
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 1
Percentage decádal growth rates of population, India: 1951-1961 to 2W01-2011
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 2

प्रश्न 25.
भारत में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
सन् 1901 से 1921 तक भारत में जनसंख्या लगभग स्थिर रही है। इसके पश्चात् विशेषकर सन् 1951 से जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं –
1. मृत्यु दर में कमी-भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के कारण कई महामारियों पर नियन्त्र है। सूखे, बाढ़ों तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मृत्यु में भी कमी हुई है। मृत्यु दर 47 से कम हो कर सन् 2001 में 8.4 व्यक्ति प्रति हज़ार हो गई है।

2. जन्म दर में कमी-जन्म दर में भी थोड़ी-सी कमी हुई है। जन्म दर 46 से कम होकर 27 व्यक्ति प्रति हज़ार हो गई है। इसका जनसंख्या की कमी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। निश्चित गति से कम होती हुई मृत्यु संख्या तीव्र जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि-जीवन प्रत्याशा का औसत 23 वर्ष से बढ़ कर 65 वर्ष हो गया है। फलस्वरूप देश की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।

4. शिशु मृत्यु दर में कमी-एक साल से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु संख्या जो पहले 250 थी, घट कर 70 प्रति हज़ार हो गई है। यह भी जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।

5. अन्य कारण-विदेशों से आ कर भारत में बसने वाले लोगों के कारण जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इसी कारण बाल-विवाह, अशिक्षा, भाग्यवादी विचार, निर्धनता, परिवार नियोजन की कमी आदि कारणों के प्रभाव से जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 26.
जनसंख्या की गणना से क्या अभिप्राय है ? यह कितने वर्ष बाद की जाती है ?
उत्तर:
जनसंख्या की गणना-संसार के सभी देशों में जनसंख्या सम्बन्धी आंकड़े जनगणना द्वारा एकत्रित किये जाते हैं। भारत में सबसे पहली जनगणना 1872 में की गई थी। यद्यपि प्रथम पूर्ण जनगणना 1881 में हुई थी। उस समय से जनगणना नियमित रूप से 10 वर्ष के अन्तराल पर की जाती है। जनसंख्या की गणना एक जटिल प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत जनगणना के समय देश में रहने वाले सभी लोगों के पूर्ण जनसांख्यिकीय आंकड़ों का एकत्रीकरण, संकलन तथा प्रकाशन किया जाता है। जनगणना में कई सुधारों के पश्चात् भारतीय जनगणना विश्व में उत्तम मानी जाती है।

प्रश्न 27.
भारत में 2001-2010 के दशक में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य तथ्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) –

  1. भारत में 2001-2010 के दशक में औसत जनसंख्या वृद्धि दर 16.76 प्रतिशत थी।
  2. भारत में औसत वार्षिक वृद्धि दर 1.67 प्रतिशत थी।
  3. 2001-2010 दशक में भारत की जनसंख्या में कुल वृद्धि 18.4 करोड़ थी।
  4. इस वृद्धि दर से भारत की जनसंख्या 36 वर्ष में दुगुनी हो जाएगी।

वृद्धि दर की वितरण – भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में बड़े पैमाने पर प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं।

  1. उच्च वृद्धि दर वाले राज्य एक सतत पेटी में स्थित हैं जो देश के उत्तरी आधे भाग में स्थित है।
  2. भारत में निम्नतम जनसंख्या वृद्धि दर केरल राज्य में 4.9 प्रतिशत थी जबकि उच्चतम वृद्धि दर मेघालय राज्य में 27.8 प्रतिशत थी।
  3. कुल मिलाकर देश के 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि हुई है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 3

प्रश्न 28.
जनांकिकीय संक्रमण से क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न अवस्थाएं बताओ।
उत्तर:
जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition) – किसी समाज की जनसंख्या के परिवर्तन की प्रक्रिया को जनांकिकीय संक्रान्ति कहते हैं। इस संक्रान्ति का आरम्भ, मध्य और अन्त होता है। इसकी चार अवस्थाएं होती हैं –

अवस्था मृत्यु-दर जन्म-दर वृद्धि दर
1. प्रथम उच्च मृत्यु-दर उच्च जन्म-दर निम्न वृद्धि दर
2. द्वितीय मृत्यु-दर का घटना उच्च जन्म-दर अति उच्च वृद्धि दर
3. तृतीय मृत्यु-दर कम होना तेज़ी से घटना वृद्धि दर का घटना
4. चतुर्थ मृत्यु-दर कम जन्म-दर कम वृद्धि दर कम

प्रश्न 29.
भारत के जनांकिकीय इतिहास का चार अवस्थाओं में विभाजन कीजिए।
उत्तर:
भारत के जनांकिकीय इतिहास को निम्नलिखित चार अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है –
(i) 1921 से पूर्व – इस अवधि में जनसंख्या वृद्धि बहुत धीमी थी। जन्म दर तथा मृत्यु-दर दोनों ही उच्च थे। इस अध्ययन के आधार पर सन् 1921 को जनांकिकीय विभाजक (Demographic Divide) कहा जाता है।

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(ii) 1921 और 1951 के मध्य – इस अवधि में उच्च जन्म-दर तथा घटती मृत्यु-दर के कारण जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हुई। स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के कारण प्लेग, हैजा, मलेरिया आदि महामारियों के कारण होने वाली मौतें घट गईं। परिवहन के विकसित साधनों द्वारा खाद्यान्न भेजने से अकाल के कारण भी मौतें घट गईं। इसे मृत्यु प्रेरित वृद्धि (Mortality induced growth) कहते हैं।

(iii) 1951 और 1981 के मध्य – इस अवधि में तीव्र गति से वृद्धि के कारण भारत की जनसंख्या लगभग दुगुनी हो गई। स्वास्थ्य सेवाओं के अधिक सुधार के कारण जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर तेजी से घटी। इस प्रकार यह प्रजनन प्रेरित वृद्धि (Faculity induced growth) थी।

(iv) 1981 के पश्चात् – इस अवधि में जन्म-दर कम होने तथा कम मृत्यु-दर के कारण वृद्धि दर में क्रमिक ह्रास हुआ, इस अवधि में जन्म-दर तेजी से घटी। यह 1981 में 34 प्रति हजार से घटकर 1999 में 26 प्रति हज़ार हो गई। यह प्रवृत्ति छोटे परिवार (Small Family) के प्रति अपने रुझान व सकारात्मक संकेत है।

प्रश्न 30.
भारत के लोगों की भाषाओं एवं बोलियों में अत्यधिक विविधता क्यों पाई जाती है ?
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। इस देश के लोगों की भाषा तथा बोली में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। भारत की इतनी विस्तृत भूमि पर विशाल जन-समूह को देखते हुए यह विविधता आश्चर्यजनक नहीं है। यह विविधता भारत में विभिन्न जाति समूहों की विविधता के कारण उत्पन्न हुई है। भारतीय उप-महाद्वीप को आबाद करने की क्रिया एक लम्बे समय में सम्पन्न हुई है। इस समय में एशिया के निकटवर्ती प्रदेशों से विभिन्न जाति समूह भारत में आए। प्रत्येक मानव समूह द्वारा अपनी-अपनी भाषा के विकास के कारण सारे देश में अनेक भाषाएँ पाई जाती हैं। अलग-अलग प्रदेश में विभिन्न भाषाओं का विकास हुआ है। इन भाषाओं के आधार पर विभिन्न प्रदेशों की पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 31.
देश के किन भागों में लिंग अनुपात अधिक तथा किन भागों में कम है ?
उत्तर:
देश में सबसे अधिक लिंग अनुपात केरल राज्य में 1084 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष है जबकि राष्ट्रीय औसत लिंग अनुपात 940 है। राष्ट्रीय औसत से कम लिंग अनुपात, निम्नलिखित राज्यों में है कम लिंग अनुपात वाले राज्य-सिक्किम (889), नागालैंड (931), हरियाणा (877), पंजाब (893), उत्तर प्रदेश (898), जम्मू-कश्मीर (883), पश्चिमी बंगाल (947), राजस्थान (926), अरुणाचल प्रदेश (920), बिहार (926), असम (991) है।

मध्य प्रदेश (930), महाराष्ट्र (925), गुजरात (918), जम्मू कश्मीर (908)। लिंग अनपात वाले राज्य-राष्टीय औसत से अधिक लिंग अनपात निम्नलिखित राज्यों में है उड़ीसा (978), आन्ध्र प्रदेश (972), तमिलनाडु (995), कर्नाटक (968), हिमाचल प्रदेश (974), मेघालय (966), गोआ (968), केरल (1084) है। पांडिचेरी (1038), छत्तीसगढ़ (991), मणिपुर (997), उत्तराखण्ड (963), त्रिपुरा (900), झारखण्ड (947), मिजोरम (973)।

प्रश्न 32.
लिंग अनुपात से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान आवश्यक है। प्रति हज़ार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात (Sex Ratio) कहा जाता है। भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हज़ार पुरुष था जबकि 2011 में यह संख्या घट कर 940 हो गई है। भारत में केवल केरल राज्य में ही स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। यहां एक हजार पुरुषों के पीछे 1084 स्त्रियां हैं।

प्रश्न 33.
‘सन् 1901 के बाद लिंगानुपात सामान्यतः घटता जा रहा है।’ इस कथन का विश्लेषण आलोचनात्मक रूप में कीजिए और इस घटती हुई प्रवृत्ति के कारण भी बताइए।
अथवा
विगत शताब्दी में लिंगानुपात की प्रवृति बताओ।
उत्तर:
सन् 1901 के बाद से जनगणनाओं में भारत में लिंग अनुपात लगातार घटता जा रहा है। 1901 में यह लिंगानुपात 972 प्रति हज़ार पुरुष था, 2011 में यह घट कर 940 हो गया है। यह प्रवृत्ति हमारी सामाजिक बुराइयों के कारण है। भारत में जनसंख्या की लिंग संरचना पर कई तत्त्वों का विशेष प्रभाव पड़ा है। हमारे समाज में पुरुषों को अधिक महत्त्व देने की प्रथा है। स्त्रियों को समान अधिकार दिलाने के लिए शिक्षा का प्रचार तथा विवाह योग्य आयु को बढ़ाना आवश्यक है।

स्त्रियों की स्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा की उपेक्षा होती है। प्रत्येक आयु वर्ग में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की अधिक मृत्यु होती है। प्रसव के दौरान स्त्रियों की मृत्यु के कारण लिंग अनुपात और भी कम हो जाता है। कई प्रदेशों में श्रमिक पुरुषों के बाहर प्रवास से भी स्त्रियों का अनुपात बढ़ जाता है। मध्य प्रदेश, उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश राज्यों में बड़ी संख्या में बाहर से आकर काम करने वाली स्त्रियों के कारण लिंग अनुपात बढ़ जाता है। कई औद्योगिक प्रदेशों में अप्रवासी पुरुषों की अधिकता के कारण जनसंख्या में लिंग अनुपात कम रह जाता है।

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प्रश्न 34.
भारत की जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना के मुख्य लक्षणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय (Occupation) – व्यवसाय से अभिप्राय है वह कार्य जिससे व्यक्ति अपनी रोजी रोटी कमाता E. . है। भारत में सामान्य रूप से व्यवसायों को तीन वर्गों में बांटा जाता है –

  • प्राथमिक
  • द्वितीयक
  • तृतीयक।

भारत की व्यावसायिक संरचना (Occupational Structure) –
(i) भारत में 2001 में दो तिहाई मुख्य कामगार (67.4 प्रतिशत) कृषि कार्यों में लगे हुए हैं।
(ii) भारत में कामगारों को निम्न चार श्रेणियों में बांटा जाता है।
(क) कृषक
(ख) खेतीहर मजदूर
(ग) घरेलू, औद्योगिक कामगार
(घ) अन्य कामगार।
(iii) गैर-कृषि कार्यों में विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, संचार, भंडारण मुख्य व्यवसाय हैं जिनमें केवल 12.1 प्रतिशत लोग काम करते हैं।
(iv) श्रम शक्ति में 38.72 प्रतिशत किसान तथा 26.09 प्रतिशत खेतीहर मजदूर थे।
(v) देश में कृषि कामगारों का अनुपात घट रहा है। यह अनुपात 1971 में 69.49 से घटकर 2001 में 58.4 प्रतिशत रह गया है।

भारत-कामगारों की व्यावसायिक संरचना (प्रतिशत)-2001

व्यवसाय व्यक्ति पुरुष स्त्री
1. कृषक 31.71 31.34 32.50
2. कृषीय श्रमिक 22.69 20.82 39.43
3. घरेलू उद्योग 4.07 3.02 6.37
4. अन्य कामगार 37.58 44.72 21.70
5. योग 100.00 100.00 100.00

प्रश्न 35.
भारत में आयु संरचना की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में जनगणना के अनुसार 5 आयु वर्ग हैं –

आयु वर्ग कुल जनसंख्या का प्रतिशत
1. 0-14 वर्ष 40%
2. 15-29″ 26%
3. 30-39″ 12%
4. 40-49″ 10%
5. 50-59″ 6%
6. 60 वर्ष से अधिक 6%

श्रमजीवी वर्ग 15-59 वर्ष तक है जबकि महिला वर्ग में प्रजनन आयु वर्ग 15-49 वर्ष है।

मुख्य विशेषताएं –
(i) जहां तक जनसंख्या की आयु संरचना का संबंध है, भारत की कुल जनसंख्या के लगभग एक-चौथाई की आयु 10 वर्ष से कम है।
(2) लगभग 21 प्रतिशत जनसंख्या 10-19 आयु वर्ग में है। यहां यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि देश की 47 प्रतिशत जनसंख्या 20 वर्ष से कम आयु के लोगों की है।
(3) मापनी के दूसरे सिरे पर केवल 7 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले लोगों की है। इससे यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि देश की 93 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष से कम आयु की है।
(4) यह स्पष्ट है कि 37.25 प्रतिशत जनसंख्या 15 वर्ष से कम है।
(5) 15-29 वर्ष की आयु वाले युवा वर्ग की है।
(6) सिर्फ 16 प्रतिशत जनसंख्या 40-49 वर्ष के मध्यम आयु वर्ग में है।
(7) आयु संरचना में अन्तःप्रादेशिक और अन्तर्राज्यीय अंतर है जिन्हें 1991 के जनगणना के प्रासंगिक सारणियों के अध्ययन द्वारा समझा जा सकता है।

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प्रश्न 36.
आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारतीय जनंसख्या के तीन वर्ग कौन-से हैं ? प्रत्येक वर्ग की मुख्य विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारतीय जनसंख्या को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा जाता है
1. मुख्य श्रमिक (Main worker)
2. सीमांत श्रमिक (Marginal worker)
3. अश्रमिक (Non workers)

विशेषताएं –

1. मुख्य श्रमिक-वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में कम-से-कम 183 दिन काम करता है। इसे कार्यशील जनसंख्या कहते हैं।
2. सीमान्त श्रमिक-वह व्यक्ति जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम दिन काम करता है। मुख्य तथा सीमान्त श्रमिक 39% है।
3. अश्रमिक-वह व्यक्ति है जो अपने भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है। भारत में 61% जनसंख्या अश्रमिक वर्ग से जुड़ी है। इसे आश्रित (Dependent) जनसंख्या कहते हैं।

प्रश्न 37.
‘विशाल जनसंख्या प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों पर एक बोझ है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में विशाल जनसंख्या है, 121.02 करोड़ जनसंख्या विश्व का 16.7% भाग है। अधिक जनसंख्या के कारण कई सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। मानव तथा प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप निर्धनता तथा बेरोजगारी बढ़ रही है। वातावरण का प्रदूषण एक गम्भीर रूप धारण कर रहा है। जातीय विविधता, अत्यधिक ग्रामीण स्वरूप तथा असमान वितरण सामाजिक आर्थिक विकास की गति को धीमा कर रहा है। भारतीय कृषि इस तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या का भरण-पोषण नहीं कर सकती।

प्रश्न 38.
कोई ऐसे तीन मूल्य आधारित तथ्य लिखें जो ‘भारत की जनसंख्या के असमान रूप से वितरण’ के लिए उत्तरदाई हैं।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या के वितरण के उत्तरदाई कारण –
(i) पर्वतों, मरुस्थलों तथा वन-प्रदेशों में कठोर जलवायु होने से जनसंख्या कम है।
(ii) बड़े क्षेत्र के राज्यों में तथा अधिक विकसित राज्यों में मूल सुविधाओं की उपलब्धता के कारण जनसंख्या अधिक है।
(iii) जलोढ मैदानों तथा तटीय मैदानों में उपज या रोजगार के साधन अधिक उपलब्ध हैं जिनके चलते इनकी जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 39.
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या में कौन से मूल्य आधारित तथ्य अन्तर स्पष्ट करने में सहायक हैं ?
उत्तर:

नगरीय जनसंख्या (Urban Population) ग्रामीण जनसंख्या (Rural Population)
(i) मुख्य

व्यवसाय

(1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय निर्माण उद्योग तथा व्यापार होता है। (1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशु-पालन होता है।
(ii) उपलब्ध

सुविधाएँ

(2) नगरीय जनसंख्या को परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाएं प्राप्त होती हैं। (2) ग्रामीण जनसंख्या को आधुनिक सुविधाएं प्राप्त नहीं होती हैं।
(iii) जनसंख्या

घनत्व

(3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता हैं। (3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक नहीं होता है।

 

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
उत्पादक और आश्रित जनसंख्या में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

उत्पादक जनसंख्या (Productive Population) आश्रित जनसंख्या (Dependent Population)
(1) लाभदायक आर्थिक क्रियाओं में कार्य करने वाले लोगों को उत्पादक जनसंख्या कहा जाता है। (1) जो लोग किसी आर्थिक क्रिया में सहयोग नहीं देते, उन्हें आश्रित जनसंख्या कहा जाता है।
(2) ऐसे जन-समुदाय को श्रमिक बल कहा जाता है। (2) ऐसे जन-समुदाय को अश्रमिक बल कहा जाता हैं।
(3) ये लोग 15-60 वर्ष की आयु वर्ग से होते हैं। (3) इस वर्ग में 60 वर्ष की आयु से अधिक के व्यक्ति तथा 15 वर्ष से कम के बच्चे शामिल होते हैं।
(4) ये लोग स्वयं कुछ कार्य करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। (4) ये लोग बेरोज़गार होते हैं तथा श्रमिक लोगों पर आश्रित होते हैं।
(5) भारत में लगभग 33% लोग श्रमिक हैं। (5) भारत में लगभग 67% लोग आश्रित हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

नगरीय जनसंख्या (Urban Population) ग्रामीण जनसंख्या (Rural Population)
(1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय निर्माण उद्योग तथा व्यापार होता है। (1) इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशु पालन होता है।
(2) नगरीय जनसंख्या को परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाएं प्राप्त होती हैं। (2) ग्रामीण जनसंख्या को आधुनिक सुविधाएं प्राप्त नहीं होती हैं।
(3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है। (3) इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक नहीं होता है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या का अंकगणितीय तथा फिजियोलॉजिकल (कायिक) घनत्व में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

अंकगणितीय घनत्व (Arithmatical Density) फिजियोलॉजिकल (कायिक) घनत्व (Physiological Density)
(1) इस पद्धति द्वारा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर व्यक्तियों की संख्या प्रकट की जाती है। (1) इस पद्धति द्वारा कुल जनसंख्या तथा कुल कृषि भूमि के अनुपात को प्रकट किया जाता है।
(2) भारत में फिजियोलॉजिकल घनत्व (2011) JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 10 (2) भारत का अंकगणितीय घनत्व (2011) = JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 11
(3) इससे जनसंख्या वितरण की भिन्नताओं का पता चलता है। (3) इस पद्धति से कृषि भूमि पर निर्भर लोगों की संख्या का पता चलता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
“जनसंख्या के घनत्व” से क्या अभिप्राय है ? जनसंख्या का घनत्व किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population) – किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या प्रति वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है। एक वर्ग किलोमीटर या एक वर्ग मील में औसत रूप से जितने लोग रहते हैं, जनसंख्या का घनत्व कहलाता है। भारत में जनसंख्या का स्थानिक वितरण बहुत असमान है।

जनसंख्या का घनत्व प्रायः खाद्य पदार्थों की सुविधा तथा रोजगार की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिमी बंगाल घने बसे राज्य हैं परन्तु हिमाचल, सिक्किम, नागालैण्ड, अरुणाचल विरल जनसंख्या प्रदेश हैं।

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जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(क) भौतिक कारक
(ख) सामाजिक आर्थिक कारक
(ग) जनांकिकीय कारक

(क) भौतिक कारण (Natural Factors)
1. धरातल (Land) – किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार जनसंख्या के घनत्व पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी, कठोर जलवायु, यातायात के कम साधनों तथा कृषि के अभाव के कारण जनसंख्या कम होती है। इसीलिए हिमाचल प्रदेश, मेघालय कम जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80%
जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान घनी जनसंख्या वाला क्षेत्र है।

2. जलवायु (Climate) – तापमान तथा वर्षा जनसंख्या के घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। अधिक ठण्डे या अधिक गर्म क्षेत्रों में कम जनसंख्या होती है। इसीलिए संसार के उष्ण तथा शीत मरुस्थल व ध्रुवीय प्रदेश लगभग खाली हैं। राजस्थान मरुस्थल में कम जनसंख्या मिलती है। यहां मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहां पर्याप्त वर्षा कृषि के उपयुक्त होती है। उत्तरी मैदान के पांच राज्यों में देश की कुल जनसंख्या का 1/2 भाग निवास करत

3. मिट्टी (Soil) – गहरी उपजाऊ मिट्टी में कृषि उत्पादन अधिक होता है। इन प्रदेशों में अधिक लोगों को भोजन प्राप्त करने की क्षमता होती है। नदी घाटियों की कछारी मिट्टी में चावल का अधिक उत्पादन होने के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है। गंगा नदी के उपजाऊ मैदानों में जनसंख्या का अधिक जमाव है। लावा मिट्टी के उपजाऊपन के कारण ही महाराष्ट्र में घनी जनसंख्या है।

4. खनिज पदार्थ (Minerals) – खनिज पदार्थ लोगों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं। कोयला, तेल, लोहा, सोना आदि खनिज पदार्थों वाले क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। भारत में दामोदर घाटी में खनिजों के विशाल भण्डार के कारण घनी जनसंख्या है। जिन क्षेत्रों में कोयला, तेल तथा पन-बिजली के शक्ति साधनों का अधिक विकास होता है, वहां औद्योगिक विकास . के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है; जैसे
जमशेदपुर।।

5. नदियां और जल प्राप्ति (River and Water Supply) – नदियां जल का मुख्य साधन होती हैं। इनका जल पीने, जल-सिंचाई, उद्योग-धन्धों तथा यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सुविधाओं के कारण नदियों के किनारों पर अधिक जनसंख्या मिलती है। इसीलिए कई प्राचीन शहर, जैसे-कोलकाता, दिल्ली, आगरा तथा इलाहाबाद नदियों के किनारे ही स्थित हैं।

(ख) आर्थिक कारण (Economic Factors):
6. खेतीबाड़ी (Agriculture) – अधिक कृषि उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक भोजन प्राप्ति के कारण घनी जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन-तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह हो सकता है। इसीलिए उत्तरी मैदान में अधिक जनसंख्या है। जहां आधुनिक अधिक उपज वाली फसलों के कारण पंजाब आदि राज्यों में अधिक जनसंख्या घनत्व है।

7. उद्योग (Industries) – औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत-सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। दामोदर घाटी में औद्योगिक विकास के कारण ही अधिक जनसंख्या है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी घनी जनसंख्या होती है।

8. यातायात के साधनों की सुविधा (Easy Means of Transportation) – यातायात के साधनों की सुविधाओं के कारण उद्योगों, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। तटीय क्षेत्रों में जल मार्ग की सुविधा के कारण संसार की अधिकतर जनसंख्या निवास करती है। पर्वतीय भागों तथा कई भीतरी प्रदेशों में यातायात के साधनों की कमी के कारण कम जनसंख्या होती है।

9. नगरीय विकास (Urban Development) – किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन विकास हो जाता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण नगरों में तेजी से जनसंख्या बढ़ जाती है।

(ग) जनांकिकीय कारक (Demographic factors) – प्रजनन दर, मृत्यु दर तथा प्रवाह, नगरीकरण जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या वितरण की विभिन्नता तथा इसके कारणों का वर्णन करो।
अथवा
भारत की जनसंख्या घनत्व का राज्य स्तरीय विश्लेषण करें।
उत्तर:
जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population) – भारत क्षेत्रफल के आधार पर संसार में सातवां बड़ा देश है परन्तु जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 102.8 करोड़ थी तथा जनसंख्या घनत्व 323 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० था। भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। देश में प्राकृतिक तथा आर्थिक दशाओं की विभिन्नता के कारण जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व में बहुत विभिन्नता है। गंगा-सतलुज के उपजाऊ मैदान में देश के 23% क्षेत्र में 52% जनसंख्या का संकेन्द्रण है जबकि हिमालय के पर्वतीय भाग में 13% क्षेत्र में केवल 2% जनसंख्या निवास करती है।

केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली में जनसंख्या का घनत्व 9340 (भारत में सबसे अधिक) है। जबकि अरुणाचल प्रदेश में केवल 13 (भारत में सबसे कम) है। सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहां 16 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। भारत में जनसंख्या का घनत्व, धरातल; मिट्टी के उपजाऊपन, वर्षा की मात्रा तथा जल सिंचाई पर निर्भर करता है। भारत मूलतः कृषि प्रधान देश है। इसलिए अधिक घनत्व उन प्रदेशों में पाया जाता है जहां भूमि की कृषि उत्पादन क्षमता अधिक है। जनसंख्या का घनत्व वर्षा की मात्रा पर निर्भर करता है। पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक क्षेत्रों में भी जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है।

Country Population (In millions)
1. China 1341.0
2. India 1,210.2
3. U.S.A. 308.7
4. Indonesia 237.6
5. Brazil 190.7
6. Pakistan 184.8
7. Bangladesh I 64.4
8. Nigeria 158.3
9. Russian Fed. I 404
10. Japan 128.1
11. Other Countries 2844.7
12. World 6908.7

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 5
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 6
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population) – किसी प्रदेश की जनसंख्या तथा भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे निम्न प्रकार से प्रकट किया जाता है कि एक वर्ग कि०मी० में औसत रूप से कितने व्यक्ति रहते हैं।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 7
उदाहरण के लिए भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि०मी० है तथा जनसंख्या 121.7 करोड़ है। इस प्रकार भारत की औसत जनसंख्या
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन - 8
= 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
भारत को जनसंख्या के घनत्व के आधार पर क्रमशः तीन भागों में बांटा जा सकता है –

1. अधिक घनत्व वाले क्षेत्र (Densely Populated Areas):
इस भाग में वे राज्य शामिल हैं जहां जनसंख्या घनत्व 500 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से अधिक है। अधिक घनत्व वाले क्षेत्र प्रायद्वीपीय भारत के चारों ओर एक मेखला बनाते हैं। पंजाब से लेकर गंगा के डेल्टा तक जनसंख्या का घनत्व अधिक है। एक अनुमान है कि इस भाग के 17% क्षेत्रफल में 43% जनसंख्या निवास करती है। इस क्षेत्र के तीन समूह हैं –
राज्यवार जनसंख्या वितरण-2011

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश कुल क्षेत्र (वर्ग कि०मी०) भारत के कुल क्षेत्रफल का % भाग कुल जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का % भाग घनत्व प्रति वर्ग कि०मी०
1. उत्तर प्रदेश 240928 7.33 19,95,81,477 16.49 828
2. महाराष्ट्र 307713 9.36 11,23,72,972 9.29 365
3. बिहार 94163 9.86 10,38,04,637 8.58 1102
4. पश्चिमी बंगाल 88752 5.7 9,12,47,736 7.55 1029
5. आन्ध्र प्रदेश 275045. 8.37 8,46,65,533 7.00 308
तथा तेलंगाना 130055 3.96 7,25,97,565 6.00 236
6. तमिलनाडु 308245 9.38 7,21,38,958 5.96 555
7. मध्य प्रदेश 342239 10.41 6,86,21,012 5.67 201
8. राजस्थान 191791 5.83 6,11,30,704 5.05 319
9. कर्नाटक 196024 5.96 6,03,83,628 4.99 308
10. गुजरात 155707 4.74 4,19,47,358 3.47 269
11. ओडिशा 38863 1.18 3,33,87,677 2.76 859
12. केरल 79714 2.42 3,29,66,238 2.72 414
13. झारखण्ड 78438 2.39 3,11,69,272 2.58 397
14. असम 50362 1.53 2,77,04, 236 2.29 550
15. पंजाब 44212 1.34 2,55,40,196 2.11 573
16. हरियाणा 135191 4.11 2,53,53,081 2.09 189
17. छत्तीसगढ़ 143 0.05 1,67,53,235 1.38 11297
18. दिल्ली* 222236 6.76 1,25,48,926 1.04. 124
19. जम्मू तथा कश्मीर 53483 1.63 101,16,752 0.84 159
20. उत्तराखंड 1483 0.05 167,53,235 .38.. 11297
21. हिमाचल प्रदेश 222236 6.76 1,25,48,926 1.04 124
22. त्रिपुरा 53483 1.63 101,16,752 0.84 159
23. मणिपुर 55673 1.69 68,56,509 0.57 124
24. मेघालय 10486 0.32 36,71,032 0.30 350
25. नागालैण्ड 22327 0.68 29,64007 0.24 132
26. गोवा 22429 0.68 27,21,756 0.22 122
27. अरुणाचल प्रदेश 16579 0.5 19,80,602 0.16 119
28. पॉडिचेरी* 3702 0.11 14,57,723 0.12 394
29. मिजोरम 83743 2.55 13,82,611 0.11 17
30. चण्डीगढ़* 0.14 12,44,464 0.10 2598

(1) पश्चिमी तटीय मैदान – इस भाग में केरल प्रदेश में घनत्व 859 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है।
कारण –
(i) अधिक वर्षा
(2) मैदानी भाग तथा उपजाऊ मिट्टी
(3) चावल की अधिक उपज
(4) उद्योगों के लिए जल विद्युत्
(5) उत्तम बन्दरगाहों का होना
(6) जलवायु पर समुद्र का समकारी प्रभाव।

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(ii) पश्चिमी बंगाल-इस भाग में घनत्व 1029 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
कारण –
(1) गंगा नदी का उपजाऊ डेल्टा
(2) अधिक वर्षा
(3) चावल की वर्ष में तीन फसलें
जनसंख्या घनत्व व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०-2011

राज्य घनत्व राज्य घनत्व
पश्चिमी बंगाल 1029 उत्तर प्रदेश 828
केरल 859 तमिलनाडु 555
बिहार 1102 पंजाब 550
हरियाणा 573

कारण –
(4) कोयले के भण्डार
(5) प्रमुख उद्योगों का स्थित होना।

(iii) उत्तरी मैदान-इस भाग में विभिन्न प्रदेशों के घनत्व बिहार (1102), उत्तर प्रदेश (828), पंजाब (550), हरियाणा (573) व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी०।. .
कारण –
(1) सतलुज, गंगा आदि नदियों के उपजाऊ मैदान
(2) पर्याप्त वर्षा तथा स्वास्थ्यप्रद जलवायु
(3) जल सिंचाई की सुविधाएं
(4) कृषि के लिए आदर्श दशाएं
(5) व्यापार, यातायात तथा उद्योगों का विकास
(6) नगरों का अधिक होना।

(iv) पूर्वी तट – इस भाग में तमिलनाडु प्रदेश में घनत्व 555 व्यक्ति वर्ग कि० मी० है। महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, डेल्टा में अधिक घनत्व के समूह हैं ।
कारण –
(1) नदियों के उपजाऊ डेल्टा
(2) उद्योगों की अधिकता.
(3) गर्म आर्द्र जलवायु
(4) चावल का अधिक उत्पादन
(5) दोनों ऋतुओं में वर्षा
(6) जल सिंचाई की सुविधा।

2. साधारण घनत्व वाले क्षेत्र (Moderately Populated Areas) –
इस भाग में वे राज्य शामिल हैं जिनका घनत्व 250 से 500 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। मुख्य रूप से ये प्रदेश पूर्वी तथा पश्चिमी घाट, अरावली पर्वत तथा गंगा के मैदान की सीमाओं के अन्तर्गत स्थित है।

जनसंख्या घनत्व – व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० – 2011

राज्य जनसंख्या घनत्व
गोआ 399
जनसंख्या घनत्व 397
त्रिपुरा 365
आन्ध्र प्रदेश 350
असम 308
कर्नाटक 319
महाराष्ट्र 308
गुजरात 269
उड़ीसा 399

कारण –
(1) इन भागों में पथरीला या रेतीला धरातल होने के कारण कृषि उन्नत नहीं है।
(2) कृषि के लिए वर्षा पर्याप्त नहीं है। कुछ क्षेत्रों में हरित क्रान्ति के कारण जनसंख्या अधिक है।
(3) उद्योग उन्नत नहीं हैं।
(4) यातायात के साधन उन्नत नहीं हैं।
(5) परन्तु जंल सिंचाई, लावा मिट्टी औद्योगिक विकास तथा खनिज पदार्थों के कारण साधारण जनसंख्या मिलती है।

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3. कम घनत्व वाले क्षेत्र (Sparsely Populated Areas):
इस भाग में वे पान्त शामिल हैं जिनका घनत्व 250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से कम है।

(i) उत्तर-पूर्वी भारत – इस भाग में मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा मिज़ोरम शामिल हैं।
व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०-2011

राज्य घनत्व
मणिपुर 122
मेघालय 132
नागालैंड 119
सिक्किम 86
मिजोरम 52
अरुणाचल प्रदेश 17

कारण –
(1) असमतल तथा पर्वतीय धरातल
(2) वन प्रदेश की अधिकता
(3) मलेरिया का प्रकोप
(4) उद्योगों का पिछड़ापन
(5) सीमा प्रान्त होने के कारण असुरक्षित
(6) यातायात के साधनों की कमी
(7) ब्रह्मपुत्र नदी की भयानक बाढ़ों से हानि ।

(ii) कच्छ तथा राजस्थान प्रदेश-इस भाग में राजस्थान का थार का मरुस्थल तथा खाड़ी कच्छ के प्रदेश शामिल हैं।
कारण –
(1) कम वर्षा
(2) कठोर जलवायु
(3) मरुस्थलीय भूमि के कारण कृषि का अभाव
(4) खनिज तथा उद्योगों की कमी
(5) जल सिंचाई के साधनों की कमी
(6) गुजरात की खाड़ी तथा कच्छ क्षेत्र का दलदली होना।

(iii) जम्मू – कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश-हिमालय पर्वत के पहाड़ी क्षेत्र में जनसंख्या बहुत कम है। हिमाचल प्रदेश में 123 घनत्व है तथा जम्मू-कश्मीर में 124 है।
कारण –
(1) शीतकाल में अत्यन्त सर्दी
(2) बर्फ से ढके प्रदेश का होना
(3) पथरीली धरातल के कारण कृषि क्षेत्र
(4) यातायात के साधनों की कमी
(5) वनों का अधिक.विस्तार
(6) सीमान्त प्रदेश का होना
(7) उद्योगों की कमी।

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(iv) मध्य प्रदेश – इस प्रान्त में कुछ भागों में बहुत कम जनसंख्या है। मध्य प्रदेश में जनसंख्या घनत्व 196 है।

प्रश्न 3.
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति की विवेचना विशेष रूप से स्वतन्त्रता के बाद के वर्षों के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
नगरीकरण (Urbanisation) –
प्राय: नगर की परिभाषा जनगणना के अनुसार की जाती है। नगर में वे सभी क्षेत्र होते हैं जहां नगरपालिकाएं आदि स्थापित हों, जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो तथा 75% श्रमिक वर्ग ऐसी क्रियाओं में लगा हो जो कृषि से सम्बन्धित न हो। भारत वास्तव में ग्रामों का देश है। गांव ही भारतीय संस्कृति के आधार रहे हैं। भारत के नगरीय जनसंख्या का विशाल आकार है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 37 करोड़ 70 लाख लोग नगरों में रहते हैं। यह जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की नगरीय जनसंख्या के लगभग बराबर है। भारत का संसार में नगरीय जनसंख्या की दृष्टि से पहला स्थान है। परन्तु भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत अन्य देशों की तुलना में कम है। जैसे –

देशों नगरीय जनसंख्या %
संयुक्त राज्य अमेरिका 75.00
ब्राजील 75.00
जापान 77.00
ऑस्ट्रेलिया 85.00
भारत 27.75
पाकिस्तान 32.00
चीन 39.00
विश्व 45.00

नगरीय जनसंख्या में वृद्धि – भारत की जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की साथ-साथ नगरीय जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले 80 वर्षों में (1901-1981) देश की कुल जनसंख्या में 3 गुना वृद्धि हुई है जबकि इसी समय में नगरीय जनसंख्या 6 गुना अधिक हो गई है।

वर्ष नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत
1901 10.84
1911 10.29
1921 11.17
1931 11.99
1941 13.85
1951 17.29
1961 17.97
1971 19.90
1981 23.31
1991 25.72
2001 27.75
2011 31.2

1901 से 1961 तक नगरीय जनसंख्या में मन्द गति से वृद्धि हुई है। परन्तु 1961 से 1981 तक 20 वर्षों में नगरीय जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। यह जनसंख्या 7.8 करोड़ से बढ़ कर 15.6 करोड़ हो गई है। नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 17.9 से बढ़ कर 23.3 हो गया है। सन् 2001 में नगरीय जनसंख्या 27.7% थी। 2011 में नगरीय जनसंख्य 31.2% थी। भारत में नगरीकरण में नगरों के विकास का विशेष योगदान रहा है। औद्योगिक क्रान्ति के कारण कई नगरों का विकास हुआ है। भारतीय जनगणना के अनुसार नगरों को छ: वर्गों में बांटा गया है।

वर्ग जनसंख्या
प्रथम 1 लाख से अधिक
द्वितीय 50,000 से 99,999 तक
तृतीय 20,000 से 49,999 तक
चतुर्थ 10,000 से 19,999 तक
पंचम 5000 से 9,999
षष्टम 5000 से कम

स्वतन्त्रता के पश्चात् बड़े नगरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जबकि छोटे नगरों की संख्या कम हो रही है। 2001 में देश में 4689 नगरों में से 500 प्रथम वर्ग के नगर थे। 1901 में एक लाख से अधिक जनसंख्या के प्रथम वर्ग केवल 24 थे। देश में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 53 है जिसमें कुल जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है जो भारत की कुल नगरीय जनसंख्या का एक तिहाई भाग है। कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, कानपुर, नागपुर, जयपुर, लखनऊ दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर (Million Towns) हैं।

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प्रश्न 4.
भारत के भाषा परिवारों के भौगोलिक वितरण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत के लोगों की भाषाओं में अत्यधिक विविधता है। भारत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को निम्नलिखित चार भाषा परिवारों (Language Families) में बांटा जाता है –
1. आग्नेय (आस्ट्रिक) परिवार (Austric Family) – ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के उप-परिवार में आग्नेय भाषाएं शामिल की जाती हैं। भारत में लगभग 62 लाख लोगों द्वारा ये भाषाएं बोली जाती हैं। इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः जन-जातीय वर्गों द्वारा बोली जाती हैं।
(क) मुण्डा भाषा जो मुख्यतः संथाल परगना, मयूरभंज, रांची, बेतुल तथा बौद्ध खोडमहाल जन-जातीय जिलों में बोली जाती है।
(ख) मान खमेर वर्ग की खासी बोली मेघालय की खासी एवं जैन्तिया पहाड़ियों के क्षेत्र में बोली जाती है।
(ग) मान रुमेर वर्ग की खासी बोली निकोबार द्वीप में बोली जाती है।

2. चीनी-तिब्बती परिवार (Sino-Tibetan Family) – भारत में हिमालय तथा उप-हिमालयी क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाएं चीनी-तिब्बती परिवार में शामिल की जाती हैं। ये भाषाएं तीन उप-वर्गों में बांटी जाती हैं –
(क) तिब्बती-हिमालयी वर्ग की भाषाएं लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और भटान में बोली जाती हैं। इस वर्ग में तिब्बती, बाल्ती, लद्दाखी, किन्नौरी, लेपचा आदि भाषाएं गिनी जाती हैं। इन समस्त भाषाओं में लद्दाखी बोलने वाले लोगों की संख्या सब से अधिक है।
(ख) उत्तर असमी वर्ग में 6 प्रमुख बोलियां जैसे अका, उफला, अबोर, मिरी, मिश्मी तथा मिशिंग सम्मिलित हैं।
ये भाषाएं अरुणाचल प्रदेश में बोली जाती हैं।
(ग) असमी-बर्मी वर्ग की भाषाओं में बोरों, नागा, कोचिन, कुकिचिन, बर्मी भाषाएं सम्मिलित हैं। ये भाषाएं हिन्द- . बर्मा सीमा तथा उत्तर-पूर्वी भारत में नागालैंड, लुशाई, मिजोरम, गारो तथा मणिपुर क्षेत्र में बोली जाती हैं।

3. द्राविड़ परिवार (Dravidian Family) – इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः प्रायद्वीपीय पठार तथा छोटा नागपुर पठार के क्षेत्रों में बोली जाती हैं। इस परिवार में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ तथा मलयालम मुख्य भाषाएं हैं। आंध्र प्रदेश में तेलुगु, तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़ तथा केरल में मलयालम मुख्य भाषाएं हैं। इसके अतिरिक्त तलु, तुलकुरगी, पारजी, खोड़, कुरुख तथा मालती जैसी गौण भाषाएं भी इस परिवार में शामिल की जाती हैं। इस परिवार की भाषाओं में कम विविधता पाई जाती है।

4. आर्य परिवार (Aryan Family) – इसे भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार भी कहा जाता है। भारत की अधिकांश जनसंख्या आर्य परिवार की भाषाएं बोलती है। इस परिवार की मुख्य भाषा हिन्दी है जो भारत की बहुसंख्यक जनता द्वारा बोली जाती है। भाषाओं के संदर्भ में हिन्दी का विश्व में चौथा स्थान है। भारत के उत्तरी मैदान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान तथा हरियाणा मुख्य हिन्दी भाषी प्रदेश हैं। इन प्रदेशों में उर्दू तथा हिन्दोर है। इस परिवार की अन्य भाषाएं विभिन्न प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण हैं। पश्चिमी भारत में कच्छी एवं सिंधी, दक्षिणी भारत में मराठी गवं कोंकण, पूर्वी भारत में उड़िया, बिहारी, बंगाली तथा उत्तर-पश्चिमी भाग में पंजाबी, राजस्थानी तथा मारवाड़ी मुख्य भाषाएं हैं।

भारत-1991 में अनुसूचित भागाओं का बोलने वालों की तलनात्मक संख्या

भाषा बोलने वालों की संख्या (करोड़) कुल जनसंख्या का (प्रतिशत)
1. हिन्दी 33.73 40.42
2. बांग्ला 6.96 830
3. तेलुगु 6.60 7.37
4. मराठी 6.25 7.45
5. तमिल 5.30 632
6. उर्दू 4.34 5.18
7. गुजराती 4.07 4.85
8. कन्नड़ 3.28 3.91
9. मलयालम 3.04 3.62
10. उड़िया 2.81 3.35
11. पंजाबी 2.34 2.79
12. असमिया 1.31 1.56
13. सिंधी 0.21 0.25
14. नेपाली 0.21 0.25
15. कोंकणी 0.18 0.21
16. मणिपुरी 0.12 0.15
17. कश्मीरी 60 हज़ार 0.01
18. संस्कृति 50 हजार 0.01

प्रश्न 5.
भारतीय जनसंख्या के धार्मिक संगठन और स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत की जनसंख्या के धार्मिक संघटन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
धार्मिक संगठन-भारत की जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी धार्मिक आस्थाओं की विविधता है। यह सामान्यतः जानी हुई बात है कि भारत का प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है। भारत में समय-समय पर दूसरे धर्म भी (ईसाई, यहूदी, पारसी, इस्लाम) क्रम में आते रहे हैं और भारतीय जनसंख्या के कुछ वर्ग उन्हें अपनाते भी रहे हैं।
(1) भारत में सबसे पहले प्रवेश करने वाला ईसाई धर्म था। ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है कि सीरियन ईसाई भारत के पश्चिमी तट पर पहली सदी ईस्वी में ही आ गये थे।
(2) अरब व्यापारियों द्वारा इस्लाम का संदेश भारत के पश्चिमी तट पर रहने वाले लोगों तक मुस्लिम आक्रमण से पहले ही आ गया था।
(3) बौद्ध धर्म जो कभी भारत का एक महत्त्वपूर्ण धर्म था अब केवल कुछ छोटे क्षेत्रों में ही सीमित है।

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इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भारतीय जनसंख्या का धार्मिक संगठन धर्म परिवर्तन, प्रवास तथा देश विभाजन के कारण परिवर्तित होता रहा है। भारत के मुख्य धार्मिक समूहों में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध एवं जैन सम्मिलित किये जाते हैं। यद्यपि यहूदी, पारसी आदि जैसे दूसरे धर्मावलम्बी भी यहाँ पाये जाते हैं। कई जन-जातीय समुदाय जीववाद एवं टोटेमवाद पर विश्वास रखते हैं। भारत में कुल जनसंख्या में 82 प्रतिशत हिन्दू धर्मालम्बी हैं।

ये देश के सभी भागों में पाये जाते हैं, परन्तु कुछ जिलों में इनकी संख्या मुस्लिम, ईसाइयों, बौद्धों या सिक्खों की अपेक्षा कम है। अल्प संख्यकों में सबसे अधिक संख्या मुस्लिमों की है जो भारत की जनसंख्या का 12.12 प्रतिशत हैं। ईसाइयों की जनसंख्या 2.34 प्रतिशत है जबकि सिक्ख कुल जनसंख्या का केवल 1.93 प्रतिशत हैं। बौद्ध एवं जैन कुल जनसंख्या का क्रमश: 0.76 तथा 0.39 प्रतिशत हैं।

1. हिन्दू – हिन्दू धर्म भारत में सभी स्थानों पर पाया जाता है।
(क) उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में इनका प्रतिशत 95% से भी अधिक है।
(ख) उत्तर प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश में यह प्रतिशत लगभग 95% है। मिज़ोरम में केवल 5% है।
(ग) मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा आन्ध्र प्रदेश में यह प्रतिशत 90% है। परन्तु पंजाब, जम्मू कश्मीर, मेघालय, नागालैंड में यह अल्प संख्या में है।

2. मुस्लिम – 1991 की जनगणना के अनुसार देश में मुसलमानों की संख्या 101.59 मिलियन थी जो देश की कुल जनसंख्या का 12.12 प्रतिशत थी। मुस्लिम संकेन्द्रण के प्रमुख क्षेत्रों में कश्मीर घाटी, ऊपरी गंगा मैदान के कुछ भाग (उत्तर प्रदेश) तथा पश्चिमी बंगाल के कई जिले हैं। यहां मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 20 से 46 प्रतिशत तक पाया जाता है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में कुल जनसंख्या का 61.40 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है। ऊपरी गंगा मैदान के कई जिलों में मुस्लिम आबादी काफ़ी है।

3. ईसाई – भारत के 1 करोड़ 96 लाख ईसाइयों में से लगभग 29% लाख केरल में ही रहते हैं। ईसाइयों के संकेन्द्रण के अन्य क्षेत्र गोवा तथा तमिलनाडु हैं। गोवा की जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत ईसाई धर्मावलम्बी है। सा एवं बिहार के कई जन-जातीय जिलों में ईसाई जनसंख्या का अनुपात महत्त्वपूर्ण है। इसी प्रकार मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड तथा मणिपुर में ईसाई जनसंख्या का अनुपात काफ़ी अधिक है। उदाहरण के लिए नागालैण्ड की कुल संख्या में, ईसाई जनसंख्या का अनुपात 87.47 प्रतिशत है। इसके बाद मिज़ोरम में यह अनुपात 85.73 प्रतिशत है। मेघालय के जिलों एवं मणिपुर के कुछ जिलों में यह अनुपात काफ़ी अधिक (50-98 प्रतिशत) पाया जाता है। उत्तर प्रदेश एवं पंजाब के कई जिलों में ईसाई थोडी संख्या में पाये जाते हैं।

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4. सिक्ख-1991 की जनगणना में सिक्खों की संख्या 1 करोड़ 62 लाख दिखाई गई। वैसे तो भारत का कोई ऐसा भाग नहीं है जहां सिक्ख न रहते हों। परन्तु इनका अधिकतम संकेन्द्रण पंजाब तथा उससे संलग्न हरियाणा के जिलों में है। यह बात स्पष्ट है क्योंकि सिक्ख धर्म का उद्भव पंजाब में हुआ। उत्तर प्रदेश के तराई में, राजस्थान के गंगानगर, अलवर तथा भरतपुर में सिक्खों के संकेन्द्रण के छोटे-छोटे पॉकेट हैं। दिल्ली की कुल जनसंख्या का 4.84 प्रतिशत सिक्ख हैं। दूसरे राज्यों के नगरों में भी सिक्ख कम संख्या में रहते हैं।

5. बौद्ध, जैन तथा पारसी – भारत में लगभग 64 लाख बौद्ध, 35 लाख जैन तथा लगभग 72 हज़ार पारसी रहते हैं। भारत में कुल बौद्ध जनसंख्या का 79 प्रतिशत केवल महाराष्ट्र में रहता है। ये लोग बहुधा नव-बौद्ध हैं जो बाबा साहिब अंबेडकर के आन्दोलन से प्रभावित होकर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बने थे।

बौद्ध संकेन्द्रण के परम्परागत क्षेत्र लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा हैं। भारत की कुल जैन जनसंख्या में से 28.80 प्रतिशत महाराष्ट्र 16.78 प्रतिशत राजस्थान में तथा 14.65 प्रतिशत गुजरात में रहते हैं। इन तीनों राज्यों को मिलाकर देश की कुल जैन जनसंख्या के 60.23 प्रतिशत पाये जाते हैं। जैनों के बारे में यह एक रोचक तथ्य है कि उनकी अधिकांश संख्या नगरों में रहती है। पारसी देश का सबसे छोटा धार्मिक समूह है। इनका अधिकतम संकेन्द्रण भारत के पश्चिमी भागों-महाराष्ट्र और गुजरात में है।

प्रश्न 6.
लिंगानुपात से आप क्या समझते हैं ? भारत में लिंगानुपात के प्रादेशिक वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
लिंगानुपात (Sex Ratio) – किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान आवश्यक है। प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियां के अनुपात को लिंग अनुपात (Sex Ratio) कहा जाता है। भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हजार पुरुष था और जबकि 2001 में यह संख्या घट कर 933 हो गई है तथा 2011 में 940 हो गई। भारत में केवल केरल राज्य में ही स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। यहां एक हजार पुरुषों के पीछे 1084 स्त्रियां हैं। देश में सबसे अधिक लिंग अनुपात केरल राज्य में 1084 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष है जबकि राष्ट्रीय औसत लिंग अनुपात 940 है। राष्ट्रीय औसत से कम लिंग अनुपात निम्नलिखित राज्यों में है कम लिंग अनुपात वाले राज्य-सिक्किम (889), नागालैंड (931), हरियाणा (877), पंजाब (893), उत्तर प्रदेश (898), जम्मू-कश्मीर (883), पश्चिमी बंगाल (947), राजस्थान (926), अरुणाचल प्रदेश (920), असम (954) है। मध्य प्रदेश (930), महाराष्ट्र (925), गुजरात (918), बिहार (916), उत्तर प्रदेश (908)।
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JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Polynomials:
An algebraic expression f(x) of the form f(x) = a0 + a1x + a2x2 + …… + anxn, where a0, a1, a2 ……, an are real numbers and all the index of x’ are nonnegative integers is called a polynomial in x.
→ Degree of a Polynomial: Highest Index of x in algebraic expression is called the degree of the polynomial, here a0, a1x, a2x2 ….. anxn, are called the terms of the polynomial and a0, a1, a2, …… an are called various coefficients of the polynomial f(x).
Note: A polynomial in x is said to be in standard form when the terms are written either in increasing order or decreasing order of the indices of x in various terms.

→ Different Types of Polynomials: Generally, we divide the polynomials in the following categories.
→ Based on degrees:
There are four types of polynomials based on degrees. These are listed below:

  • Linear Polynomials: A polynomial of degree one is called a linear polynomial. The general form of linear polynomial is ax + b, where a and b are any real constant and a ≠ 0.
  • Quadratic Polynomials: A polynomial of degree two is called a quadratic polynomial. The general form of a quadratic polynomial is ax2 + bx + c, where a ≠ 0, a, b, c ∈ R.
  • Cubic Polynomials: A polynomial of degree three is called a cubic polynomial. The general form of a cubic polynomial is ax3 + bx2 + cx + d, where a ≠ 0 and a, b, c, d ∈ R.
  • Biquadratic (or quadric) Polynomials: A polynomial of degree four is called a biquadratic (quadric) polynomial. The general form of a biquadratic polynomial is ax4 + bx3 + cx2 + dx + e, where a ≠ 0 and a, b, c, d, e are real numbers.

Note: A polynomial of degree five or more than five does not have any particular name. Such a polynomial usually called a polynomial of degree five or six or ….etc.

→ Based on number of terms:
There are three types of polynomials based on number of terms. These are as follow:

  • Monomial: A polynomial is said to be monomial if it has only one term. e.g. x, 9x2, 5x3 all are monomials.
  • Binomial: A polynomial is said to be binomial if it contains only two terms e.g. 2x2 + 3x, \(\sqrt{3}\)x + 5x3, -8x3 + 3, all are binomials.
  • Trinomial: A polynomial is said to be a trinomial if it contains only three terms.e.g. 3x3 – 8x + \(\frac{1}{2}\), \(\sqrt{7}\) x10 + 8x4 – 3x2, 5 – 7x + 8x9, are all trinomials.

Note: A polynomial having four or more than four terms does not have particular name. These are simply called polynomials.

→ Zero degree polynomial: Any non-zero number (constant) is regarded as polynomial of degree zero or zero degree polynomial. i.e. f(x) = a. where a ≠ 0 is a zero degree polynomial, since we can write f(x) = a, as f(x) = ax0.

→ Zero polynomial: A polynomial whose all coefficients are zero is called as zero polynomial i.e. f(x) = 0, we cannot determine the degree of zero polynomial.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Algebraic Identities:
An identity is an equality which is true for all values of the variables.
Some important identities are:
(i) (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
(ii) (a – b)2 = a2 – 2ab + b2
(iii) a2 – b2 = (a + b)(a – b)
(iv) a3 + b3 = (a + b)(a2 – ab + b2)
(v) a3 – b3 = (a – b)(a2 + ab + b2)
(vi) (a + b)3 = a3 + b3 + 3ab (a + b)
(vii) (a – b)3 = a3 – b3 – 3ab (a – b)
(viii) a4 + a2b2 + b4 = (a2 + ab + b2)(a2 – ab + b2)
(ix) a3 + b3 + c3 – 3abc = (a + b + c)(a2 + b2 + c2 – ab – bc – ac)

Special case: if a + b + c = 0 then a3 + b3 + c3 = 3abc.
Other Important Identities
(i) a2 + b2 = (a + b)2 – 2ab,
if a + b and ab are given
(ii) a2 + b2 = (a – b)2 + 2ab
if a – b and ab are given
(iii) a + b = \(\sqrt{(a-b)^2+4 a b}\)
if a – b and ab are given
(iv) a – b = \(\sqrt{(a+b)^2-4 a b}\)
if a + b and ab are given
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials 1a
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials 2

Factors Of A Polynomial:
→ If a polynomial f(x) can be written as a product of two or more other polynomials f1(x), f2(x), f3(x)…. then each of the polynomials f1(x), f2(x), f3(x)….. is called a factor of polynomial f(x). The method of finding the factors of a polynomial is called factorisation.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Zeroes Of A Polynomial:
→ A real number α is a zero of polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 + an-2xn-2 + ….. +a1x + a0, if f(α) = 0. i.e. anαn + an-1αn-1 + an-2αn-2+ ….. + a1α + a0 = 0.
For example x = 3 is a zero of the polynomial f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6, because f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6 = 27 – 54 + 33 – 6 = 0.
but x = -2 is not a zero of the above mentioned polynomial,
∵ f(-2) = (-2)3 – 6(-2)2 + 11(-2) – 6
f(-2) = -8 – 24 – 22 – 6
f(-2) = -60 ≠ 0.

→ Value of a Polynomial: The value of a polynomial f(x) at x = a is obtained by substituting x a in the given polynomial and is denoted by f(a). Eg if f(x) = 2x3 – 13x2 + 17x + 12 then its value at x = 1 is
f(1) = 2(1)3 – 13(1)2 + 17(1) + 12
= 2 – 13 + 17 + 12 = 18.

Remainder Theorem:
Let ‘p(x)’ be any polynomial of degree greater than or equal to one and ‘a’ be any real number and if p(x) is divided by (x – a). then the remainder is equal to p(a). Let q(x) be the quotient and r(x) be the remainder when p(x) is divided by (x – a), then
Dividend = Divisor × Quotient + Remainder
∴ p(x) = (x – a) × q(x) + [r(x) or r], where r(x) = 0 or degree of r(x) < degree of (x – a). But (x – 2) is a polynomial of degree 1 and a polynomial of degree less than 1 is a constant. Therefore, either r(x) = 0 or r(x) = Constant. Let r(x) = r, then p(x) = (x – a)q(x) + r.
Putting x = a in above equation, p(a)
p(a) = (a – a)q(a) + r = 0 × q(a) + r
p(a) = 0 + r
⇒ p(a) = r
This shows that the remainder is p(a) when p(x) is divided by (x – a).
Remark: If a polynomial p(x) is divided by (x + a),(ax – b), (ax + b), (b – ax) then the remainder is the value of p(x) at x.
= \(-a, \frac{b}{a},-\frac{b}{a}, \frac{b}{a} \text { i.e. } p(-a)\)
\(p\left(\frac{b}{a}\right), p\left(-\frac{b}{a}\right), p\left(\frac{b}{a}\right)\) respectively.

Factor Theorem:
Let ‘p(x)’ be a polynomial of degree greater than or equal to 1 and ‘a’ be a real number such that p(a) = 0, then (x – a) is a factor of p(x). Conversely, if(x – a) is a factor of p(x). then p(a) = 0.

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Factorisation Of A Quadratic Polynomial:
→ For factorisation of a quadratic expression ax2 + bx + c where a ≠ 0, there are two methods.
→ By Method of Completion of Square:
In the form ax2 + bx + c where a ≠ 0, firstly we take ‘a’ common in the whole expression then factorise by converting the expression \(a\left\{x^2+\frac{b}{a} x+\frac{c}{a}\right\}\) as the difference of two squares, which is
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials 3

→ By Splitting the Middle Term:
→ x2 + lx + m = x2 + (a + b)x + ab
Where l = a + b and m = ab, such that a and b are real numbers
= x2 + ax + bx + ab
= x (x + a) + b (x + a)
= (x + a) (x + b)
Method: We express l as the sum of two such numbers whose product is m.

→ ax2 + bx + c = prx2 + (ps + qr)x + qs
where b = ps + qr, a = pr, c = qs
so that (ps) (gr) (pr) (qs) = ac
∴ prx2 + (ps + qr)x + qs
= prx2 + psx + qrx + qs
= px (rx + s) + q(rx + s)
= (px + q) (rx + x)
Method: We express b as the sum of two such numbers whose product is ac.

→ Integral Root Theorem:
If f(x) is a polynomial with integral coefficient and the leading coefficient is 1, then any integral root of f(x) is a factor of the constant term. Thus if f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6 has an Integral root, then it is one of the factors of 6 which are ±1, ±2, ±3, ±6.
Now in fact,
f(1) = (1)3 – 6(1)2 + 11(1) – 6 = 1 – 6 + 11 – 6 = 0
f(2) = (2)3 – 6(2)2 + 11(2) – 6
= 8 – 24 + 22 – 6 = 0
f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6
27 – 54 + 33 – 6 = 0
Therefore Integral roots of f(x) are 1, 2, 3.

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→ Rational Root Theorem:
Let \(\frac{b}{c}\) be a rational fraction in lowest terms. If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 +…+ a1x + a0, an ≠ 0 with integral coefficients, then b is a factor of constant term a0, and C is a factor of the leading coefficient an.
For example: If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2, then the values of b are limited to the factors of -2, which are ±1, ±2 and the values of care limited to the factors of 6, which are ±1, ±2, ±3, ±6. Hence, the possible rational roots of f(x) are ±1, ±2, \(\pm \frac{1}{2}, \pm \frac{1}{3}, \pm \frac{1}{6}, \pm \frac{2}{3}\). In fact -1 is an integral root and \(\frac{2}{3}\), –\(\frac{1}{2}\) are the rational roots of f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2.
Note: (i) nth degree polynomial can have at most n real roots.
→ Finding a zero of polynomial f(x) means solving the polynomial equation f(x) = 0. It follows from the above discussion that if f(x) = ax + b, a ≠ 0 is a linear polynomial, then it has only one zero given by
f(x) = 0 i.e. f(x) = ax + b = 0
⇒ ax = -b
⇒ x = –\(\frac{b}{a}\)
Thus, x = –\(\frac{b}{a}\) is the only zero of f(x) = ax + b.
→ If a polynomial of degree n has more than n zeros then all the coefficients of powers of x including constant term of polynomial are zero.

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

JAC Class 10 Hindi पतझर में टूटी पत्तियाँ Textbook Questions and Answers

मौखिक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है ?
अथवा
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे हैं ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोने में क्या अंतर है ?
उत्तर :
शुद्ध सोना बिलकुल शुद्ध होता हैं; इसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती। इसके विपरीत गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। इसी कारण वह अधिक चमकदार और मज़बूत होता है।

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प्रश्न 2.
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो शुद्ध आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का भी प्रयोग करते हैं, उन्हें प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।

प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है ?
उत्तर :
पाठ के अनुसार शुद्ध आदर्श है-‘अपने सिद्धांतों, सत्य आदि का पालन करना’। इसमें व्यंवहारवाद के लिए कोई स्थान नहीं होता।

प्रश्न 4.
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड़’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
उत्तर :
जापानियों का दिमाग बहुत तेज्ञ गति से चलता है। वे हर काम को जल्दी निपय देना चाहते हैं। इसी कारण लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।

प्रश्न 5.
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

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प्रश्न 6.
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है ?
उत्तर :
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान पर पूरी तरह से शांति होती है। यही उस स्थान की मुख्य विशेषता है।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्याकहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार शुद्ध आदर्श सोने के समान खो होते है। सोने की तरह ही उनमें पूर्ण शुद्धता होती है। अतः वे सोने के समान मूल्यवान हैं। दूसरी ओर व्यावहारिकता ताँबे के समान है, जो शुद्ध आदर्शरूपी सोने में मिलकर उसे चमक प्रदान करती है। व्यावहारिकता ताँबे के समान ऊपरी तौर पर चमकदार होती है।

प्रश्न 2.
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण बंग से पूरी की ?
उत्तर :
जापानी विधि से चाय पिलाने वाले को चाजीन कहा गया है। जब लेखक और उसके मित्र वहाँ चाय पीने गए, तो उसने कमर झुकाकर प्रणाम किया और उन्हें बैठने की जगह दिखाई। उसके बाद अँगीठी सुलगाकर उसने चायदानी रखी। वह दूसरे कमरे में जाकर बर्तन लेकर आया और उन बर्तनों को उसने तौलिए से साफ़ किया। इन्हीं क्रियाओं को उसने अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से पूरा किया था।

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प्रश्न 3.
‘टी-सेंरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों ?
उत्तर :
‘टी-सेंरेमनी’ में तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। ‘ टी-सेंरमनी’ की मुख्य विशेषता वहाँ की शांति होती है। यदि अधिक व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाए, तो वहाँ शांति भंग होने की आशंका रहती है। एक समय में तीन व्यक्ति ही शांतिपूर्ण चाय पीने के उस ढंग का सही आनंद उठा सकते हैं।

प्रश्न 4.
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयय में क्या परिवर्तन महसूल किया?
उत्तर :
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि उसके दिमाग के दौड़ने की गति धीर-धीर कम हो रही थी। कुछ देर बाद दिमाग की गति बिलकुल बंद हो गई और उसका दिमाग पूरी तरह शांत हो गया। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ मानो वह अनंतकाल में जी रहा है। उसे अपने चारों ओर इसनी शांति महसूस हो रही थी कि उसे सन्नाटा भी साफ़ सुनाई दे रहा था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
गाधीजी में नेतृत्व की अद्भुत कमता थी; उदाहरण साित्त इस बात की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
गंधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। यह बात उनके अहिंसात्मक आंदोलनों से स्पष्ट हो जाती है। वे अकेले चलते थे और लाखोंलोग उनके पीछे हो जाते थे। नमक का कानून तोड़ने के लिए जब उन्होंने जनता का आहवान किया तो उनके नेतृत्व में हज़ारों लोग उनके साथ पैदल ही दाँडी यात्रा पर निकल पड़े थे। इसी प्रकार से असहयोग आंदोलन के समय भी उनकी एक आवाज़ पर देश के हज़ारों नौज़वान अपनी पढ़ाई छोड़कर उनके नेतृत्व में आंदोलन के पथ पर चल पड़े थे।

प्रश्न 2.
आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं ? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मेरे विचार में ईमानदारी, सत्य बोलना, अहिंसा, पारस्परिक प्रेमभाव, सदाचार, परिश्रम करना, निरंतर कर्म करते रहना, मानव धर्म का पालन करना, देश और समाज के प्रति निष्ठावान रहना, दूसरों की सहायता करना आदि शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में जबकि सर्वत्र भ्रष्टाचार, अनाचार, हिंसा, द्वेष, आलसीपन, कदाचार आदि दुर्भावों का बोलबाला है, हम इन शाश्वत मूल्यों को अपनाकरं अपना, अपने परिवार, समाज तथा देश का नाम ऊँचा कर सकते हैं। ये शाश्वत मूल्य ही हमें सद्मार्ग दिखा सकते हैं।

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प्रश्न 3.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब –
1. शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
2. शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर :
1. एक बार एक सज्जन हमारे घर का दरवाज़ा खटखटा रहे थे। मैंने बाहर जाकर देखा। वे पिताजी के बारे में पूछ रहे थे। मैंने उन्हें बैठक में बैठाया और पिताजी को बुला लाया। उन सज्जन के जाने के बाद पिताजी ने मुझे डाँटा और कहा कि बिना मुझसे पूछे किसी को भी अंदर मत लाया करो। मैंने काम अच्छा किया था, परंतु मुझे फल उसके अनुसार नहीं मिला। इसके विपरीत एक बार मैं कक्षा का काम करके नहीं गया। जब अध्यापक जी ने पूछा कि काम क्यों नहीं किया, तो मैंने स्पष्ट उत्तर दे दिया कि कल मेरी तबियत खराब थी। मेरे सत्य बोलने पर अध्यापक जी ने मुझे कोई दंड नहीं दिया। यह मेरे सत्य बोलने का अच्छा फल था।

2. एक बार मैं अपनी दुकान पर बैठा हुआ था; पिंताजी कहीं गए हुए थे। एक ग्राहक कुछ सामान लेने आया। उसका कुल मूल्य दो हज़ार रुपये बना। ग्राहक इस पर कुछ रियायत चाहता था। मुझे ज्ञात था कि इस सामान की बिक्री पर हमें लगभग तीस प्रतिशत लाभ हो रहा है। मैंने उसे दस प्रतिशत की छूट दे दी। इस प्रकार मैंने अपने आदर्शों की रक्षा करते हुए अपनी व्यवहारिकता से लाभ लिया और ग्राहक को भी प्रसन्न कर दिया। अब वह व्यक्ति सदा हमारी दुकान से ही सामान खरीदता है।

प्रश्न 4.
‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’, गांधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुछ लोगों का मत है कि गांधीजी ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ थे। वे व्यावहारिकता को पहचानते थे। उन्होंने केवल आदर्शों का सहारा नहीं लिया, बल्कि वे आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता को मिलाकर चले। लेखक के अनुसार इसके लिए गांधीजी ने कभी भी अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर नहीं उतरने दिया। वे अपने आदर्शों को उसी ऊँचाई पर रखते थे; उन्हें नीचे नहीं गिराते थे। उन्होंने व्यावहारिकता को ऊँचा उठाकर उसे आदर्शों की ऊँचाई तक पहुँचाया। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी भी सोने में ताँबा मिलाने का प्रयत्न नहीं किया बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाई। उन्होंने अपनी व्यावहारिकता को ऊँचा उठाकर आदर्शों के रूप में प्रतिष्ठित किया।

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प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्व है ?
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ पाठ के माध्यम में लेखक बताना चाहता है कि जीवन में व्यवहारवादी लोग लाभ-हानि का हिसाब-किताब लगाने में अधिक निपुण होते हैं। इसलिए वे आदर्शवादी लोगों से कहीं आगे निकल जाते हैं, परंतु समाज की दृष्टि में उनका महत्व अधिक नहीं होता है। इसके विपरीत जो आदर्शवादी व्यक्ति हैं, वे व्यवहारिकता को अपने आदर्शों के अनुरूप ढाल लेते हैं और अपने साथ-साथ समाज की भी उन्नति करते हैं। इसलिए जीवन में आदर्शोन्मुखी व्यावहारिकता का ही अधिक महत्व है।

प्रश्न 6.
लेखक के मित्र ने जापानी लोगों के मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए ? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर :
लेखक के मित्र ने बताया कि जापान में मानसिक रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसका कारण जापानी लोगों के जीवन का तेज़ गति से चलना है। वे लोग दौड़ रहे हैं। उनका दिमाग निरंतर कार्यशील रहता है। उसने यह भी बताया कि जापानी अब अमेरिका से आगे बढ़ने की होड़ में लगे हैं। वे एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयत् करते हैं। उनका दिमाग लगातार कुछ नया करने के लिए सोचता रहता है।

इससे धीरे-धीरे उनके दिमाग पर तनाव बढ़ रहा है और वे मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं। मेरे विचार से जीवन में संघर्ष करना और आगे बढ़ना अच्छी बात है, किंतु अपने आपको केवल दूसरे से आगे बढ़ने के लिए निरंतर काम में उलझाए रखना उचित नहीं है। काम के साथ-साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक का मत है कि हम अकसर बीते हुए दिनों के बारे में सोचते हैं या भविष्य के रंगीन सपनों में डूबे रहते हैं। वास्तव में सत्य केवल वर्तमान है और हमें उसी में जीना चाहिए। अतीत को हम चाहकर भी लौटा नहीं सकते और भविष्य को हमने देखा नहीं है। आने वाला कल कैसा होगा, कोई नहीं जानता।

अतः अतीत और भविष्य के बारे में सोचकर अपने आपको दुखी करने का कोई लाभ नहीं है। वर्तमान, जो सामने दिखाई दे रहा है, उसी को सत्य मानकर उसका भरपूर आनंद उठाने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान के एक-एक पल को जीना ही वास्तव में जीवन जीना है। इसी आधार पर लेखक ने वर्तमान जीवन में जीने के लिए कहा है।

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(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

I

प्रश्न 1.
1. समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
2. जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धंरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
II
3. हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं, तब अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
4. सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
I
उत्तर :
1. लेखक यहाँ स्पष्ट करना चाहता है कि समाज को शाश्वत मूल्य देने का श्रेय आदर्शवादी लोगों को है। वे अपने आदर्शों से समाज को एक आदर्श मार्ग दिखाते हैं और उन्हें उस पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आदर्शवादी लोग समाज को जीने और रहने योग्य बनाते हैं। वे समाज को निरंतर एक दिशा देकर ऊँचा उठाने का प्रयास करते है। उन्हीं के कारण ही समाज में सद्गुणों का विकास होता है।

2. लेखक कहता है कि जो लोग आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता को भी लेकर चलते हैं, उन्हें ‘ प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहा जाता है। ऐसे लोग आदर्शों को केवल थोड़ा-सा अपनाते हैं। जब व्यावहारिकता का वर्णन होने लगता है, तो ये लोग धीरे-धीरे अपने आदर्शों को छोड़ते चले जाते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही सामने आने लगती। जिन आदर्शों की वे बात करते हैं, वे कहीं भी दिखाई नहीं देते।

II

3. यहाँ लेखक ने अपने जापानी मित्र के माध्यम से जापान के लोगों के बारे में बताया है कि उनके जीवन की रफ़्तार अत्यंत तेज़ है। वे लोग निरंतर दौड़ते प्रतीत होते हैं। लेखक कहता है कि यह रफ्तार उनके जीवन में ही नहीं अपितु चलने और बोलने में भी है। उनका दिमाग निरंतर कुछ-न-कुछ सोचता रहता है। वे प्रत्येक क्षण कुछ-न-कुछ करते रहते हैं। यहाँ तक कि जब वे अकेले होते हैं, तो भी वे अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

4. लेखक के कहने का आशय है कि जापानी विधि से चाय बनाने वाला व्यक्ति प्रत्येक कार्य अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से कर रहा था। उसकी क्रियाओं को देखकर ऐसा अनुभव हो रहा था मानो जयजयवंती नामक मधुर राग बज रहा हो। उसकी इन क्रियाओं को देखकर एक मधुरता और अपनेपन का अहसास होता था। चाय बनाने वाले व्यक्ति की समस्त क्रियाएँ एकदम गरिमापूर्ण एवं अनूठी थीं, जो मन को शांति प्रदान करती थीं।

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भाषा-अध्ययन –

I

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत
उत्तर :
व्यावहारिकता – प्रत्येक व्यक्ति के लिए व्यावहारिकता का ज्ञान जरूरी है।
आदर्श – हमें अपने जीवन में कुछ आदर्श अपनाने चाहिएँ।
सूझबूझ – सूझबूझ से लिए गए निर्णय सदैव लाभकारी होते हैं।
विलक्षण – सचिन में विलक्षण प्रतिभा है।
शाश्वत ईश्वर का नाम शाश्वत है।

प्रश्न 2.
‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा-लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिहून लगाया जाता है। आगे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए –
(क) माता-पिता = ………..
(ङ) अन्न-जल = ………..
(ख) पाप-पुण्य = ………..
(च) घर-बाहर = ………..
(ग) सुख-दुख = ………..
(ए) देश-विदेश = ………..
(घ) रात-दिन = ………..
उत्तर :
(क) माता-पिता = माता और पिता
(ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
(ग) सुख-दुख = सुख और दुख
(घ) रात-दिन = रात और दिन
(ङ) अन्न-जल = अन्न और जल
(च) घर-बाहर = घर और बाहर
(छ) देश-विदेश = देश और विदेश

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प्रश्न 3.
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए –
(क) सफल = ………….
(ख) विलक्षण = ………
(ग) व्यावहारिक = …………
(घ) सजग = …………..
(ङ) आदर्शवादी = ……….
(च) शुद्ध = ………..
उत्तर :
(क) सफल = सफलता
(ख) विलक्षण = विलक्षणता
(ग) व्यावहारिक = व्यावहारिकता
(घ) सजग = सजगता
(ङ) आदर्शवादी = आदर्शवादिता
(च) शुद्ध = शुद्धता

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए –
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भो में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
उत्तर, कर, अंक, नग
उत्तर :

  • उत्तर – इन सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  • उत्तर – ध्रुव तारा उत्तर दिशा में दिखाई देता है। कर
  • इस पुल का उद्घाटन नेताजी के कर-कमलों से हुआ।
  • कर – हमें समय पर आय कर जमा करवाना चाहिए।
  • अंक – तुमने परीक्षा में कितने अंक प्राप्त किए हैं?
  • अंक – बालक दौड़कर माँ के अंक में छिप गया।
  • नग – रेखा की अंगूठी में कई नग जड़े हैं।
  • नग – नगराज हिमालय हमारे देश की उत्तर दिशा में है।

II

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए –
(क) 1. अँगीठी सुलगायी।
2. उस पर चायदानी रखी।
1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
(ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।
उत्तर :
(क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने प्यालों में भरी।
(ग) बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और उन्हें तौलिये से साफ़ किया।

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प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए –
(क) 1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।
उत्तर :
(क) चाय पीने की यह एक विधि है, जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था, जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जैसे ही चाय तैयार हुई, उसने उसे प्यालों में भरकर प्याले हमारे सामने रख दिए।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
I. गांधीजी के आदर्शों पर आधारित पुस्तकें पढ़िए ; जैसे-महात्मा गांधी द्वारा रचित ‘सत्य के प्रयोग’ और गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘गिरमिटिया’।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
II. पाठ में वर्णित ‘टी-सेरेमनी’ का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना-कार्य – 

प्रश्न 1.
भारत के नक्शे पर वे स्थान अंकित कीजिए जहाँ चाय की पैदावार होती है। इन स्थानों से संबंधित भौगोलिक स्थितियाँ क्या हैं और अलग-अलग जगह की चाय की क्या विशेषताएँ हैं, इनका पता लगाइए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi पतझर में टूटी पत्तियाँ Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
कुछ लोगों का गांधी जी के बारे में क्या कहना है ? ‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक कहता है कि कुछ लोग गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ अर्थात व्यावहारिक आदर्शवादी मानते हैं। ऐसे लोगों का गांधी जी के बारे में यह कहना यह है कि वे व्यावहारिकता से भली-भाँति परिचित थे। उन्हें समय और अवसर को देखकर कार्य करने की पूरी समझ थी। वे व्यावहारिकता की असली कीमत जानते थे। इसी कारण वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। यदि उन्हें व्यावहारिकता की समझ न होती, तो वे केवल कल्पना में ही रहते और लोग भी उनके पीछे-पीछे न चलते।

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प्रश्न 2.
लेखक ने व्यवहारवादियों और आदर्शवादियों में क्या अंतर बताया है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार व्यवहारवादी हमेशा समय और अवसर का लाभ उठाते हैं। वे सदा सजग रहते हैं और इसी कारण उन्हें सफलता भी अधिक मिलती है। वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति करने में अन्य लोगों से बहुत आगे रहते हैं। दूसरी ओर आदर्शवादी केवल अपना भला नहीं करते अपितु दूसरों को भी अपने साथ उन्नति के मार्ग पर लेकर चलते हैं। आदर्शवादी सदैव समाज को सही दिशा देने का प्रयास करते हैं। जहाँ आदर्शवादियों ने समाज को ऊपर उठाया है, वहीं व्यवहारवादियों ने समाज को सदा गिराया ही है।

प्रश्न 3.
‘व्यक्ति विशेष की उन्नति समाज की उन्नति है’-विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
किसी भी समाज की उन्नति उसके व्यक्तियों पर निर्भर करती है। यदि व्यक्ति उन्नति करता है, तो समाज की उन्नति अपने आप हो जाती है। एक व्यक्ति से परिवार बनता है, परिवारों से गाँव बनता है और गाँवों से देश व समाज का निर्माण होता है। एक व्यक्ति की उन्नति का प्रभाव सीधे समाज पर पड़ता है। व्यक्ति समाज की सबसे छोटी इकाई है, किंतु इसका सीधा संबंध समाज से है। अत: कहा: जा सकता है कि व्यक्ति विशेष की उन्नति समाज की उन्नति है।

प्रश्न 4.
‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग में लेखक ने व्यवहारवादी लोगों को गिन्नी के सोने के समान बताया है। जिस प्रकार गिन्नी के सोने में शदध सोने और ताँबे का मिश्रण होता है, उसी प्रकार व्यवहारवादी लोगों में भी आदर्शों और व्यावहारिकता का मिश्रण होता है। लेखक का मानना जाता है, तो वह गलत है। लेखक का मत है कि पूर्ण व्यवहारवादी लोगों से समाज का कल्याण नहीं हो सकता। व्यावहारिकता से समाज का कभी लाभ नहीं होता। व्यावहारिकता व्यक्ति को सफलता तो दिला सकती है, किंतु समाज का कल्याण केवल आदर्शवादिता से ही संभव है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट से तात्पर्य है-‘शुद्ध आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का प्रयोग करने वाले।’ शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के समान होते हैं, किंतु कुछ लोग उनमें व्यावहारिकता का थोड़ा-सा ताँबा लगाकर काम चलाते हैं। इस स्थिति में इन्हें प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
मानवीय जीवन की रफ़्तार क्यों बढ़ गई है?
उत्तर :
मानवीय जीवन की रफ्तार इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि इस संसार में कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ रहा है। कोई किसी से बोलता नहीं बल्कि बक रहा है। अकेलेपन में भी हम अपने आप से ही बड़बड़ाते रहते हैं।

प्रश्न 3.
मानव होने के नाते हम प्रायः कहाँ उलझे रहते हैं ?
उत्तर :
मानव एक चिंतनशील एवं कल्पनाशील प्राणी है, इसलिए कभी हम गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मिट्ठी यादों में उलझे रहते हैं, तो कभी भविष्य के रंगीन सपने देखते हैं। हम या तो भूतकाल में खोए रहते हैं या फिर भविष्य के बारे में सोचते हैं।

प्रश्न 4.
लेखक की दृष्टि में सत्य क्या है?
उत्तर :
लेखक की दृष्टि में मनुष्य के सामने जो वर्तमान हैं, वही सत्य है। इसलिए हमें केवल उसी में जीना चाहिए। वास्तव में भूतकाल और भविष्यकाल दोनों ही मिथ्या हैं। उनके बारे में सोचने से कोई लाभ नहीं है।

प्रश्न 5.
‘गिन्नी का सोना’ पाठ में लेखक ने किसे और क्यों श्रेष्ठ बताया है?
उत्तर :
का सोना’ पाठ में लेखक ने आदर्शवादियों और व्यवहारवादियों में से आदर्शवादियों को श्रेष्ठ बताया है। आदर्शवादी इसलिए श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे स्वयं भी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और अन्य लोगों को भी उन्नति के मार्ग पर अपने साथ ले जाते हैं।

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प्रश्न 6.
समाज को आदर्शवादियों ने क्या दिया है? उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
समाज को आदर्शवादियों ने शाश्वत मूल्यों की भेंट दी है। ये शाश्वत मूल्य मानव को भटकने से बचाएँगे; उन्हें सद्मार्ग दिखाएंगे। उन्हें जीवन में आने वाले कष्टों से लड़ने की शक्ति तथा साहस प्रदान करेंगे।

प्रश्न 7.
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने चाय पीने के विषय में क्या जानकारी दी है?
उत्तर :
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक बताता है कि जापान में चाय पीने का ढंग बड़ा ही निराला था। वहाँ चाय पीने की जगह एकदम शांतिपूर्ण थी। लेखक और उसके मित्रों को प्याले में दो बूट चाय लाकर दी गई। इस चाय को उन्होंने धीरे-धीरे बूंद-बूंद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया।

प्रश्न 8.
लेखक को चाय पीते समय किस बात का ज्ञान हुआ?
उत्तर :
लेखक को चाय पीते समय ज्ञान हुआ कि मनुष्य व्यर्थ में ही भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता में उलझा रहता है, जबकि वास्तविकता तो वर्तमान है जो हमारे सामने घट रहा है। वह यह भी बताता है कि जो वर्तमान को जीता है, वही सही अर्थों में आनंद को प्राप्त करता है।

प्रश्न 9.
जापान में किस प्रकार की बीमारियाँ हैं और वहाँ के कितने प्रतिशत लोग इससे बीमार हैं?
उत्तर :
लेखक के अनुसार जापान में मानसिक बीमारियाँ अधिक हैं। वहाँ के लोग निरंतर दिमागी-कार्य में डूबे रहते हैं। मस्तिष्क का ज़रूरत से अधिक प्रयोग करने के कारण वे मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए हैं। पाठ के अनुसार वहाँ के लगभग अस्सी प्रतिशत लोग मनोरोगी हैं।

प्रश्न 10.
लेखक ने ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पीते समय क्या निर्णय लिया?
उत्तर :
लेखक ने टी-सेरेमनी में चाय पीते-पीते यह निर्णय लिया कि अब वह कभी भी अतीत और भविष्य के बारे में नहीं सोचेगा। उसे लगा कि जो वर्तमान हमारे सामने है, वही सत्य है। भूतकाल और भविष्य दोनों ही मिथ्या हैं। क्योंकि भूतकाल चला गया है, जो कभी लौटकर नहीं आएगा और भविष्य अभी आया ही नहीं है। अतः इन दोनों के बारे में सोचना छोड़कर वर्तमान में जीने में ही वास्तविक आनंद है।

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प्रश्न 11.
‘टी सेरेमनी’ की तैयारी और उसके प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
अथवा
चा-नो-मू की पूरी प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
टी-सेरेमेनी क्या है?
उत्तर :
जापान में चाय पीने की एक विशेष विधि है, जिससे मस्तिष्क का तनाव कम हो जाता है। इस विधि को ‘चा-नो-मू’ कहते हैं। ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पिलानेवाला अँगीठी सलगाने से लेकर प्याले में चाय डालने तक की सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से करता है। इस सेरेमनी में तीन से अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण होता है।

प्याले में दो-दो घूट चाय दी जाती है, जिसे बूंद-बूंद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया जाता है। यह चाय पीने के बाद ऐसा अनुभव होता है जैसे दिमाग के दौड़ने की गति धीरे-धीरे कम हो गई है। कुछ देर बाद दिमाग बिलकुल शांत हो जाता है और ऐसा लगता है जैसे अनंतकाल में जी रहे हों। अपने चारों ओर इतनी शांति महसूस होती है कि सन्नाटा भी साफ सुनाई देता है।

प्रश्न 12.
जापान में मानसिक रोग के क्या कारण बताए हैं? उससे होने वाले प्रभाव का उल्लेख करते हुए लिखिए कि इसमें ‘टी सेरेमनी’ की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
जापान में मानसिक रोग का प्रमुख कारण वहाँ के लोगों का निरंतर दिमागी कार्यों में डूबे रहना है। वे आगे बढ़ने की होड़ में एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करते हैं, जिससे उनके दिमाग पर तनाव बढ़ जाता है और वे मानसिक न जाते हैं। ‘टी सेरेमनी’ में चाय-पान करते समय अतीत और भविष्य की न सोचकर वर्तमान में जीने का संकल्प किया जाता है, जिससे सभी प्रकार के मानसिक तनावों से मुक्ति मिल जाती है। ‘टी सेरेमनी’ का शांतिपूर्ण वातावरण और एक-एक घुट लेकर चाय पीने से वे वर्तमान में जी कर तनाव रहित हो जाते हैं।

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन मेरे दिमाग से भूत और भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने था और वह अनंत काल जितना विस्तृत था।
(क) गद्यांश में किन दो कालों के बारे में बात की गई है और उनकी क्या विशेषता है?
(ख) लेखक ने किस काल को सत्य माना है और क्यों?
(ग) गद्यांश से लेखक क्या समझाना चाहता है?
उत्तर :
(क) गद्यांश में भूत और भविष्य कालों के बारे में बात की गई है। भूतकाल बीत गया है और भविष्य काल अभी आया नहीं है, इसलिए इनके विषय में विचार करना व्यर्थ है।
(ख) लेखक ने वर्तमान काल को सत्य माना है क्योंकि वही हमारे सामने सत्य स्वरूप में उपस्थित है। इसलिए हमें वर्तमान में ही जीना चाहिए।
(ग) इस गद्यांश से लेखक यह समझाना चाहता है कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए, भूत और भविष्य के विषय में सोच कर परेशान नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 14.
भूत, भविष्य और वर्तमान में किसे सत्य माना गया है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, क्योंकि वहीं हमारे सामने सत्य स्वरूप में उपस्थित है।

पतझर में टूटी पत्तियाँ Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – रवींद्र केलेकर का जन्म 7 मार्च सन 1925 को कोंकण क्षेत्र में हुआ था। छात्र जीवन से ही इनका झुकाव गोवा को मुक्त करवाने की ओर था। इसी कारण वे गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए। केलेकर की रुचि पत्रकारिता में भी रही। ये गांधीवादी दर्शन से बहुत प्रभावित थे। इनके लेखन पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। रवींद्र केलेकर को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें गोवा कला अकादमी द्वारा दिया गया साहित्य पुरस्कार भी शामिल है।

रचनाएँ – रवींद्र केलेकर ने हिंदी के साथ-साथ कोंकणी और मराठी भाषा में भी लिखा है। इन्होंने अपनी रचनाओं में जनजीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। इनके द्वारा की गई टिप्पणियों में चिंतन की मौलिकता के साथ-साथ मानवीय सत्य तक पहुँचने की सहज चेष्टा है। इनके गद्य की एक विशेषता थोड़े में ही बहुत कुछ कह देना है। सरल और थोड़े शब्दों में लिखना कठिन काम माना जाता है, किंतु रवींद्र केलेकर ने यह कार्य अपनी रचनाओं में बड़ी सरलता से कर दिखाया है।

इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं उजवादाचे सूर, समिधा, सांगली ओथांबे (कोंकणी); कोंकणीचे राजकरण, जापान जसा दिसला (मराठी); पतझर में टूटी पत्तियाँ(हिंदी)। – रवींद्र केलेकर ने काका कालेलकर की अनेक पुस्तकों का संपादन और अनुवाद भी किया है।

भाषा-शैली – रवींद्र केलेकर की भाषा-शैली अत्यंत सरल, स्पष्ट और सरस है। सामान्य पाठक भी इनकी भाषा को सरलता से समझ लेता है। वे बहुत ही नपे-तुले शब्दों में अपनी बात को समझाते हैं। उनकी भाषा में कहीं भी नीरसता का अनुभव नहीं होता। भाषा क में प्रवाहमयता और प्रभावोत्पादकता सर्वत्र दिखाई देती है।

इनकी भाषा में तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी सभी शब्दों का मिश्रण है। इनकी भाषा की सरलता और सहजता देखते ही बनती है; उदाहरणस्वरूप-“अक्सर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है।” रवींद्र केलेकर की शैली की विशेषता उसकी संक्षिप्तता है। कहीं-कहीं उन्होंने आत्मकथात्मक शैली और कहीं सूक्ति शैली का भी प्रयोग किया है।

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पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ में लेखक रवींद्र केलेकर ने दो अलग-अलग प्रसंगों के माध्यम से एक जागरूक और सक्रिय नागरिक बनने की प्रेरणा दी है। पहले प्रसंग ‘गिन्नी का सोना’ में लेखक ने जीवन में अपने लिए सुख-साधन जुटाने वालों के स्थान पर उन लोगों का अधिक महत्व बताया है, जो संसार को जीने और रहने योग्य बनाते हैं। दूसरे प्रसंग ‘झेन की देन’ में बौद्ध दर्शन में वर्णित शांतिपूर्ण जीवन के विषय में बताया गया है।

I. गिन्नी का सोना –

इस प्रसंग में लेखक कहता है कि गिन्नी का सोना शुद्ध सोने से भिन्न होता है। इसमें ताँबा मिला होता है। यह चमकदार और अधिक मज़बूत होता है। शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के समान होते हैं। कुछ लोग शुद्ध आदर्शों में व्यावहारिकता का मिश्रण करते हैं। ऐसे लोगों को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहा जाता है। लेखक कहता है कि कुछ लोग गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कहते हैं, किंतु गांधीजी व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर ले जाते थे। इस प्रकार वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसका मूल्य बढ़ा दिया करते थे।

लेखक ने आदर्शवादियों और व्यवहारवादियों में से आदर्शवादियों को श्रेष्ठ बताया है। आदर्शवादी स्वयं भी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और अन्य लोगों को भी उन्नति के मार्ग पर अपने साथ ले जाते हैं। समाज को शाश्वत मूल्यों की देन आदर्शवादियों की ही है।

II. झेन की देन –

प्रस्तुत प्रसंग में लेखक कहता है कि जापानी लोगों को मानसिक बीमारियाँ अधिक होती हैं। इसका कारण यह है कि जापान में जीवन की गति बहुत तेज़ है। उनका मस्तिष्क निरंतर क्रियाशील रहता है, जिससे वे तनाव और मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं। लेखक बताता है कि जापान में चाय पीने की एक विशेष विधि है, जिससे मस्तिष्क का तनाव कम होता है। जापान में इस विधि को चा-नो-यू कहते हैं। लेखक अपने मित्रों के साथ एक ‘टी सेरेमनी’ में जाता है। वहाँ चाय पिलाने वाला उनका स्वागत करता है और अँगीठी सुलगाने से लेकर प्याले में चाय डालने तक की सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से करता है।

लेखक कहता है कि इस विधि से चाय पीने की मुख्य विशेषता वहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण है। वहाँ तीन से अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। लेखक और उसके मित्रों को वहाँ प्याले में दो-दो घूँट चाय दी गई, जिसे उन्होंने बूँद-बूँद करके लगभग डेढ़ घंटे में पीया। तब लेखक ने अनुभव किया कि वहाँ का वातावरण अत्यंत शांत होने के कारण उनके मस्तिष्क की गति भी धीरे-धीरे धीमी हो गई थी।

लेखक को लगा जैसे वह अनंतकाल में जी रहा है। लेखक को चाय पीते हुए भी ज्ञान हुआ कि मनुष्य व्यर्थ में ही भूतकाल और भविष्यकाल में उलझा रहता है। वास्तविक सत्य तो वर्तमान है, जो हमारे सामने घटित हो रहा है। वर्तमान में जीना ही जीवन का वास्तविक आनंद उठाना है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

व्यावहारिकता – समय और अवसर देखकर कार्य करने की सुझ, चंद लोग – कुछ लोग, प्रैक्टिकल आइडियॉलिस्ट – व्यावहारिक आदर्शवादी, बखान – वर्णन करना, बयान करना, सूझ-बुझ – काम करने की समझ, स्तर – श्रेणी, के स्तर – के बेराबर, सजग – सचेत, कीमत – मूल्य, शाश्वत – जो सदैव एक सा रहे, जो बदला न जा सके, शुद्ध सोना – 24 कैरेट का (बिना मिलावट का) सोना, गिन्नी का सोना 22 कैरेट (सोने में ताँबा मिला हुआ) का सोना, जिससे गहने बनवाए जाते हैं, अस्सी फ़ीसदी – अस्सी प्रतिशत,

मानसिक – मस्तिष्क संबंधी, दिमागी, मनोरुग्ण – तनाव के कारण मन से अस्वस्थ, रु़्तार – गति, प्रतिस्पदर्धा – होड़, स्पीड – गति, टी-सेंरेमनी – जापान में चाय पीने का विशेष आयोजन, तातामी – चटाई, चा-नो-यू – जापानी भाषा में टी-सेरमनी का नाम, पर्णकुटी – पत्तों से बनी कुटिया, बेढब-सा – बेडौल, चाजीन – जापानी विधि से चाय पिलाने वाला, गरिमापूर्ण – सलीके से, भंगिमा – मुद्रा, जयजयवंती – एक राग का नाम, खदबदाना – उबलना, सिलसिला – क्रम, उलझन – असमंजस की स्थिति, अनंतकाल – वह काल जिसका अंत न हो, सन्नाटा – खामोशी, मिध्या – भ्रम, विस्तृत – विशाल।