JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

JAC Class 10 Hindi नेताजी का चश्मा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर :
चश्मेवाला सेनानी नहीं था और न ही वह नेताजी की फ़ौज में था; फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मेवाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्बे में चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया था। कैप्टन ने जब यह देखा, तो उसे बहुत दुख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसलिए वह जब तक जीवित रहा, उसने नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे।

प्रश्न 2.
हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? अथवा क्या प्रदर्शित करता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर :
(क) हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे, क्योंकि वे चौराहे पर लगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन की मृत्यु हुई थी, किसी ने भी नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसलिए जब हालदार साहब कस्बे से गुजरने लगे, तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना कर दिया था।

(ख) हालदार साहब जब चौराहे से गुज़रे, तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेताजी की मूर्ति की ओर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ, क्योंकि उस पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। यह देखकर हालदार साहब को उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी।

(ग) नेताजी की मूर्ति पर बच्चे के हाथ से बना सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। पहले उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा। इसलिए उन्होंने ड्राइवर को वहाँ रुकने से मना कर दिया था। परंतु जब उन्होंने मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा, तो उनका मन भावुक हो गया। उन्होंने नम आँखों से नेताजी की मूर्ति को प्रणाम किया।

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प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए-“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी :
सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर :
उपरोक्त वाक्य से लेखक का आशय है कि उस देश के लोगों का क्या होगा, जो अपने देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने वालों पर हँसते हैं। देश के लिए अपना घर-परिवार-जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण तक देने वालों पर लोग हँसते हैं; उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वाले ऐसे लोग स्वार्थी होते हैं। ये छोटे से लाभ के लिए भी देश का अहित करने से पीछे नहीं हटते।

प्रश्न 4.
पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
पानवाले की दुकान चौराहे पर नेताजी की मूर्ति के सामने थी। पानवाले का रंग काला था। वह शरीर से मोटा था। उसकी आँखें हँसती हुई थीं। उसकी तोंद निकली हुई थी। जब वह किसी बात पर हँसता था, तो उसकी तोंद गेंद की तरह ऊपर-नीचे उछलती थी। वह स्वभाव से खुशमिज़ाज़ था। बार-बार पान खाने से उसके दाँत लाल-काले हो गए थे। वह कोई भी बात करने से पहले मुँह में रखे पान को नीचे की ओर थूकता था। यह उसकी आदत बन चुकी थी। पानवाले के पास हर किसी की पूरी जानकारी रहती थी, जिसे वह बड़े रसीले अंदाज़ से दूसरे के सामने प्रस्तुत करता था।

प्रश्न 5.
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर :
हालदार साहब के मन में नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले के प्रति आदर था। जब उन्हें पता चला कि चश्मा लगाने वाला कोई कैप्टन था, तो उन्हें लगा कि वह नेताजी का कोई साथी होगा। परंतु पानवाला उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि वह एक लँगड़ा व्यक्ति है, वह फ़ौज में कैसे जा सकता है! पानवाले द्वारा कैप्टन की हँसी उड़ाना उचित नहीं था एक वही व्यक्ति था, जिसने नेताजी की मूर्ति के अधूरे व्यक्तित्व को पूरा किया था।

नेताजी के प्रति उसके आदर-भाव ने ही पूरे कस्बे की इज्जत बचा रखी थी। पानवाले के मन में देश और देश के नेताओं के प्रति सम्मान नहीं था। उसे केवल अपना पान बेचने के लिए कोई-न-कोई मुद्दा चाहिए था। यदि ऐसे लोग देश के लिए कुछ कर नहीं सकते, तो उन्हें किसी की हँसी उड़ाने का भी अधिकार नहीं है। कैप्टन जैसे भी व्यक्तित्व का स्वामी था, उससे उसकी देश के प्रति कर्तव्य भावना कम नहीं होती थी। पानवाले को कैप्टन की हँसी नहीं उड़ानी चाहिए थी।

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रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर :
(क) हालदार साहब द्वारा चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारने से पता चलता है कि उनके मन में देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना थी। नेताजी की मूर्ति उन्हें देश के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रेरित करती थी। इससे उनकी देशभक्ति की भावना का पता चलता है।

(ख) पानवाला जब भी कोई बात कहता था, उससे पहले वह मुँह का पान नीचे अवश्य थूकता था। पानवाले को कैप्टन के मरने का दुख था। इसलिए उसकी आँखें नम थीं। इससे पता चलता है कि पानवाले के मन में कैप्टन के प्रति आदर की भावना थी।

(ग) मूर्तिकार नेताजी की मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया था। बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन को बहुत आहत करती थी। इसलिए वह मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगा देता था। जब भी मूर्ति से चश्मा उतारा जाता था, वह उसी समय उस पर दूसरा चश्मा लगा देता था। इससे पता चलता है कि कैप्टन में देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना थी।

प्रश्न 7.
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर :
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था, तब तक वे सोचते होंगे कि कैप्टन रौबदार व्यक्तित्व वाला इनसान है। उनके मानस पटल पर एक गठीले बदन के पुरुष की छवि अंकित होगी, जिसकी मूंछे बड़ी-बड़ी हों। उसकी चाल में फौजियों जैसी मज़बूती और ठहराव होगा। चेहरे पर तेज़ होगा। उसका पूरा व्यक्तित्व ऐसा होगा, जिसे देखकर दूसरा व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इस तरह हालदार साहब के दिल और दिमाग पर एक फौजी की तसवीर अंकित होगी।

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प्रश्न 8.
कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है –
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर :
(क) कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने के पीछे यह उद्देश्य रहता है कि लोग उस व्यक्ति के व्यक्तित्व से शिक्षा लें। लोगों में देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागृत हो। उस मूर्ति को देखकर लोग भी देश के लिए कुछ करने का दृढ़ संकल्प लें।

(ख) हम अपने क्षेत्र के चौराहे पर लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा लगवाना चाहेंगे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जो अपनी मेहनत से देश के प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने आम व्यक्ति को यह अनुभव करवाया था कि उसकी भी देश के निर्माण में अहम भूमिका है। लाल बहादुर शास्त्री आम व्यक्ति की आवाज़ थे, इसलिए उनकी मूर्ति आम व्यक्ति को कुछ करने की प्रेरणा देगी।

(ग) चौराहे पर लगी मूर्ति के प्रति हमारे और दूसरे लोगों के मन में आदर और सम्मान की भावना होनी चाहिए। हमें दूसरे लोगों को भी मूर्ति वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व से परिचित करवाना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर वहाँ पर देशभक्ति के समागम होने चाहिए, जिससे आम व्यक्ति में देशभक्ति की भावना प्रबल हो। उस मूर्ति के सामने से जब भी निकलें, उसके आगे नतमस्तक हों। उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करके उन्हें अमल में लाने का प्रयत्न करें।

प्रश्न 9.
सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर :
हम अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कई कार्यों को उचित ढंग से कर सकते हैं, जिससे देश-प्रेम का परिचय मिलता है। पानी हमारे लिए अनमोल धरोहर है। हमें इसका उचित प्रयोग करना चाहिए। पानी की टंकी को खुला न छोड़ें। पानी के प्रयोग के बाद तुरंत टंकी बंद कर देनी चाहिए। हमें बिजली का उचित प्रयोग करना चाहिए। व्यर्थ बिजली का प्रयोग हमारे जीवन को अंधकारमय बना सकता है।

इसलिए जितना संभव हो, बिजली का उतना ही प्रयोग करना चाहिए। घरों में बिजली के पंखे, ट्यूबें खुली नहीं छोड़नी चाहिए। जब ज़रूरत न हो, तो इन्हें बंद कर देना चाहिए। पेट्रोल का उचित प्रयोग करने के लिए, जहाँ तक संभव हो निजी यातायात के साधनों का प्रयोग कम करना चाहिए। इसके स्थान पर सार्वजनिक यातायात के साधनों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। इससे मनुष्य के धन की भी बचत होती है तथा पर्यावरण भी कम प्रदूषित होता है। ऐसे हमारे जीवन-जगत से जुड़े कई कार्य हैं, जिन्हें अमल में लाकर हम अपने देश-प्रेम का परिचय दे सकते हैं।

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर :
मान लीजिए कि कोई ग्राहक आ गया और उसे चौड़े फ्रेम वाला चश्मा चाहिए। कैप्टन कहाँ से लाएगा। इसलिए ग्राहक को मूर्ति वाला चश्मा दे दिया और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया।

प्रश्न 11.
‘भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर :
एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द आने से वाक्य प्रभावशाली बन जाता है। दूसरी भाषाओं के कुछ ऐसे शब्द होते हैं, जिन्हें हम अपनी मातृभाषा की तरह ही प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के प्रयोग से वाक्य कहना, सुनना और समझना सरल हो जाता है। यदि उपरोक्त वाक्य एक ही भाषा में कहा जाता, तो यह सुनने वाले पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ता। दो या तीन भाषाओं के एक साथ प्रयोग से भाषा का नया स्वरूप बनता है, जोकि भाषा को लचीला बनाता है।

भाषा-अध्ययन – 

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों में से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए –
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।
उत्तर :
(क) भी – बाज़ार जा रहे हो तो मेरे लिए भी फल लेते आना।
(ख) ही – शिक्षा ही मानव को ऊँचा उठाती है।
(ग) यानी – यानी खाना खाया तो था, परंतु वह लजीज़ नहीं था।
(घ) भी – क्या कहा! तुम भी फ़िल्म देखने जा रहे हो।
(ङ) तक – पिछले दो सालों से उसने मुझे चिट्ठी तक नहीं लिखी।

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
(घ) ड्राइवर ने ज़ोर से ब्रेक मारे।
(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर :
(क) उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता था।
(ख) पानवाले के द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले के द्वारा साफ़ बता दिया गया था।
(घ) ड्राइवर के द्वारा ज़ोर से ब्रेक मारे गए।
(ङ) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब के द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

प्रश्न 14.
नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए जैसे-अब चलते हैं। अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर :
(क) माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।

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पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया –
(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?
(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्व और प्रोत्साहन दे
सकते हैं, लिखिए।
उत्तर :
(क) नगरपालिका चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति स्थापित करना चाहती थी। लेकिन मूर्ति बनाने का बजट सीमित था, इसलिए मूर्ति बनाने का कार्य स्थानीय स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दिया गया। मास्टर मोतीलाल को जब यह कार्य मिला, तो उन्हें बहुत खुशी हुई। उन्होंने नगरपालिका के सदस्यों को विश्वास दिलाया कि वे एक महीने के अंदर मूर्ति तैयार कर देंगे। इस प्रकार का कार्य मिलने से कलाकार में नया उत्साह जागृत हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि नगरपालिका ने उनकी कला को प्रोत्साहन देने के लिए यह कार्य उन्हें सौंपा है। इसलिए उन्होंने अपनी बात के अनुसार एक महीने में मूर्ति पूरी कर दी।

(ख) हमें अपने क्षेत्र के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों को समय-समय पर प्रोत्साहन देना चाहिए। हम उन्हें अपनी कला दिखाने के लिए नए-नए अवसर दे सकते हैं। किसी त्योहार या राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर इन लोगों को अपनी कला दिखाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इनके प्रदर्शन के अनुरूप इन्हें प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए, जिससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधरे और वे अपनी कला में निखार लाए। क्षेत्र के धनवान इन लोगों की कला को आर्थिक रूप से प्रोत्साहित करके इन्हें आगे बढ़ने का अवसर दे सकते हैं।

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प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी हैं। उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ, प्रशासन को इस संदर्भ में पत्र द्वारा सुझाव दीजिए।
उत्तर :
श्रीमान,
प्रधानाचार्य,
केंद्रीय विद्यालय,
दिल्ली कैंट।

विषय : विद्यालय परिसर एवं कक्षा के लिए सुझाव हेतु पत्र

मान्यवर,
आपको विदित है कि हमारे विद्यालय में अनेक ऐसे विद्यार्थी हैं, जो किसी-न-किसी तरह की शारीरिक दिव्यांगता से युक्त हैं। उन्हें विद्यालय में प्रथम अथवा द्वितीय तल पर स्थित कक्षाओं में जाने तथा प्रसाधन कक्षों का प्रयोग करने में बहुत कठिनाई होती है। आपसे प्रार्थना है कि शारीरिक रूप से असमर्थ ऐसे विद्यार्थियों की कक्षाएँ निचले तल पर लगाई जाएँ तथा सीढ़ियों के साथ-साथ रैंप भी बनाए जाएँ, जिससे उन्हें आने-जाने में तकलीफ़ न हो। इसी के अनुरूप उनके लिए पुस्तकालय, प्रसाधन कक्षों आदि में भी समुचित व्यवस्था की जाए।
आशा है आप हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर समुचित प्रबंध करवाएँगे।
धन्यवाद
भवदीय
राघव मेनन
विद्यार्थी, कक्षा-दसवीं
दिनांक : 15 मार्च, 20…

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प्रश्न 3.
कैप्टन फेरी लगाता था। फेरीवाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी ज़रूरतों को आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए।
उत्तर :
फेरीवाले हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग हैं। ये हमारी दौड़ती-भागती जिंदगी को आराम देते हैं। फेरीवाले घर पर ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर देते हैं। गली में कई फेरीवाले आते हैं; जैसे-सब्जीवाले, फलवाले, रोज़ाना काम में आने वाली वस्तुएँ बेचने वाले आदि। इन्होंने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है। हमें छोटी-से-छोटी चीज़ घर बैठे मिल जाती है। इससे हमारे समय की बचत होती है। हम अपना बचा हुआ समय किसी उपयोगी कार्य में लगा सकते हैं। जहाँ कुछ फेरीवाले हमारे जीवन के लिए उपयोगी हैं, वहीं कुछ फेरीवाले समस्या भी उत्पन्न कर देते हैं।

कई कॉलोनियाँ शहर से दूर होती हैं, इसलिए वहाँ के लोगों को अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए इन फेरीवालों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये फेरीवाले उन लोगों की ज़रूरतों का फ़ायदा उठाते हुए मनमाने मूल्यों पर वस्तु बेचते हैं। कई बार तो अधिक पैसे लेकर गंदा और घटिया माल बेच देते हैं। कई फेरीवाले अपराधिक तत्वों से मिलकर उन्हें ऐसे घरों की जानकारी देते हैं, जहाँ दिन में केवल बच्चे और बूढ़े होते हैं। फेरीवालों की मनमानी रोकने के लिए उन्हें नगरपालिका से जारी मूल्य-सूची दी जानी चाहिए। फेरीवालों के पास पहचान-पत्र और वस्तु बेचने का लाइसेंस होना चाहिए।

प्रश्न 4.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
अपने घर के आस-पास देखिए और पता लगाइए कि नगरपालिका ने क्या-क्या काम करवाए हैं? हमारी भूमिका उसमें क्या हो सकती है?
उत्तर :
नगरपालिका ने हमारे घर के आस-पास रोशनी का उचित प्रबंध किया है; टूटी हुई सड़कों को ठीक करवाया है; कूड़ा-कर्कट डालने के लिए बड़े-बड़े डिब्बे रखवाए हैं; सरकारी पानी की टंकी लगवाई है। नगरपालिका के करवाए कार्यों का उचित उपयोग हो, इसके लिए हमें इन सबकी देखभाल करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी सड़कों पर कूड़ा-कर्कट न फेंकें। पानी की टंकी को बेकार में खुला मत छोड़ें। अपने आस-पास के क्षेत्र की सफ़ाई का पूरा ध्यान रखें, जिससे स्वच्छ वातावरण में ताज़गी का अनुभव हो।

नीचे दिए गए निबंध का अंश पढ़िए और समझिए कि गद्य की विविध विधाओं में एक ही भाव को अलग-अलग प्रकार से कैसे व्यक्त किया जा सकता है –

देश-प्रेम

देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है? सारा देश अर्थात मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है, सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है।

देश-प्रेम यदि वास्तव में अंत:करण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है। यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा; वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा।

जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते हैं कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोंपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि बस-बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का परता बताकर देश-प्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए उन्हें तुम सुखी देखना चाहते हो, यह कैसे समझे? उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में ‘अर्थशास्त्र’ की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो। प्रेम हिसाब-किताब नहीं है।

हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं। हिसाब-किताब से देश की दशा का ज्ञान-मात्र हो सकता है। हित-चिंतन और हित-साधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या भाव पर अवलंबित है, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग का उत्साह हो नहीं सकता।
– आचार्य रामचंद्र शुक्ल

JAC Class 10 Hindi नेताजी का चश्मा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश हैं। इस पाठ का उद्देश्य देश-प्रेम का वर्णन करना है। देश का निर्माण कोई अकेला नहीं कर सकता। जब-जब देश का निर्माण होता है, उसमें कुछ नाम प्रसिद्ध हो जाते हैं और कुछ गुमनामी के अँधेरे में खो जाते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी यही दर्शाया गया है कि नगरपालिका वाले कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगवाते हैं। मूर्तिकार नेताजी की मूर्ति का चश्मा बनाना भूल जाता है। उस कस्बे में कैप्टन नाम का चश्मे बेचने वाला व्यक्ति है।

उसे बिना चश्मे के नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा लगता है, इसलिए वह उस मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगवा देता है। सब लोग उसका मज़ाक उड़ाते हैं। उसके मरने के बाद नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के चौराहे पर लगी रहती है। बिना चश्मे की मूर्ति हालदार साहब को भी दुखी कर देती है। वे ड्राइवर से चौराहे पर बिना रुके आगे बढ़ने को कहते हैं, लेकिन अचानक उनकी नज़र मूर्ति पर पड़ती है।

उस पर किसी बच्चे द्वारा सरकंडे का बनाया चश्मा लगा हुआ था। यह दृश्य हालदार साहब को देशभक्ति की भावना से भर देता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि देश के निर्माण में करोड़ों गुमनाम व्यक्ति अपने-अपने ढंग से योगदान देते हैं। इस योगदान में बड़े ही नहीं अपितु बच्चे भी शामिल होते हैं। यही पाठ का उद्देश्य है।

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प्रश्न 2.
लेखक ने कस्बे का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर :
लेखक ने ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जिस कस्बे का वर्णन किया है, वह बहुत बड़ा नहीं है। वह कस्बा आम कस्बों जैसा है। उसमें कुछ मकान पक्के थे। एक बाज़ार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल था और एक लड़कियों का स्कूल था। एक छोटा-सा सीमेंट का कारखाना था। दो ओपन एयर सिनेमाघर थे। कस्बे में एक नगरपालिका थी।

प्रश्न 3.
नेताजी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता था ?
उत्तर :
नगरपालिका ने कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। लोग जब भी नेताजी की मूर्ति को देखते थे, तो उन्हें नेताजी का आजादी के दिनों वाला जोश याद आने लगता था। उन्हें नेताजी के वे नारे याद आते थे, जो लोगों में उत्साह भर देते थे, जैसे-‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो’। उनकी मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था कि कोई उन्हें देश के नवनिर्माण के लिए पुकार रहा है।

प्रश्न 4.
नेताजी का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता था?
उत्तर :
हालदार साहब जब भी कस्बे में से गुजरते थे, तो वे चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को देखते थे। उन्हें हर बार नेताजी का चश्मा अलग दिखता था। पूछने पर पान वाले ने बताया कि मूर्ति का चश्मा कैप्टन बदलता है। कैप्टन को बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति आहत करती थी, इसलिए उसने उस मूर्ति पर चश्मा लगा दिया। अब यदि कोई ग्राहक उससे नेताजी की मूर्ति पर लगे चश्मे जैसा चश्मा माँगता, तो वह मूर्ति से चश्मा उतारकर ग्राहक को दे देता था। उसके बदले में वह मूर्ति पर नया चश्मा लगा देता था। इस प्रकार हालदार साहब को नेताजी का चश्मा हर बार बदला हुआ मिलता था।

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प्रश्न 5.
हालदार साहब चश्मे वाले की देशभक्ति के प्रति क्यों नतमस्तक थे?
उत्तर :
नगरपालिका वालों ने चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगाने की योजना बनाई। उन लोगों ने मूर्ति बनाने का कार्य कस्बे के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दे दिया। मोतीलाल जी ने भी एक महीने में मूर्ति बना दी। मूर्ति बनाते समय उससे एक भूल हो गई कि वह नेताजी का चश्मा बनाना भूल गया। चश्मे के बिना नेताजी की मूर्ति अधूरी थी। इस अधूरेपन को कैप्टन चश्मे वाला मूर्ति पर चश्मा लगाकर पूरा करता है। हालदार साहब उसकी इस देशभक्ति की भावना के आगे नतमस्तक थे।

प्रश्न 6.
कैप्टन चश्मे वाले का व्यक्तित्व हालदार साहब की सोच से किस प्रकार अलग था?
उत्तर :
हालदार साहब को जब यह पता चला कि कैप्टन चश्मेवाले ने नेताजी की मूर्ति के अधूरेपन को अपने ढंग से पूरा किया है, तो वे कैप्टन की देशभक्ति के आगे नतमस्तक थे। कैप्टन नाम सुनते ही उनके दिल और दिमाग पर एक फ़ौजी की छवि अंकित हो गई। परंतु जब उन्होंने वास्तव में कैप्टन चश्मेवाले को देखा, तो हैरान रह गए। कैप्टन चश्मेवाला एक दुबला-पतला बूढ़ा था। उसकी एक टाँग नहीं थी। उसके सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा था। उसके एक हाथ में छोटी-सी संदूकची थी और दूसरे हाथ में एक बाँस पर लटके हुए चश्मे थे। इस प्रकार कैप्टन चश्मेवाले का व्यक्तित्व हालदार साहब की सोच से भिन्न था।

प्रश्न 7.
कस्बे में नगरपालिका क्या काम करवाती थी?
उत्तर :
कस्बे में नगरपालिका कुछ-न-कुछ काम करवाती रहती थी। वह सड़कें पक्की करवाती थी; पेशाबघर बनवाती थी; कबूतरों के लिए छतरी तथा कवि-सम्मेलन भी करवाती थी।

प्रश्न 8.
‘नेताजी का चश्मा’ कहानी किसके बारे में है और यह प्रतिमा किसने लगवाई?
उत्तर :
‘नेताजी का चश्मा’ कहानी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के बारे में है, जो नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड अधिकारी ने बाज़ार के मुख्य चौराहे पर लगवा दी थी। यह प्रतिमा संगमरमर की बनी हुई थी।

प्रश्न 9.
कस्बे का चौराहा आते ही हालदार साहब क्या करने लगते थे?
उत्तर :
कस्बे का चौराहा आते ही हालदार साहब आदतवश मूर्ति की ओर टकटकी लगाकर देखने लगते थे। वे यह सोचने पर मजबूर हो जाते थे कि इस कस्बे के लोग कितने देशभक्त हैं, जो नेताजी की मूर्ति को प्रतिदिन एक नया चश्मा पहना देते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

प्रश्न 10.
कैप्टन कौन था? वह क्या कार्य करता था ?
उत्तर :
कैप्टन एक बहुत ही बूढ़ा, कमज़ोर तथा अपाहिज व्यक्ति था। वह चश्मे बेचने का काम करता था। उसकी अपनी कोई दुकान नहीं थी। वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता था।

पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है?
यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है? पानवाले के खुद के मुँह में पान हुँसा हुआ था। वह एक काला-मोटा और खुशमिज़ाज आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मेवाला करता है।

(क) कस्बे में से गुज़रते हुए हालदार साहब को कौन-सी आदत पड़ गई थी?
(i) चौराहे पर रुकना
(ii) पान खाना
(iii) मूर्ति को ध्यान से देखना
(iv) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(iv) ये सभी

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

(ख) पानवाला कैसा था?
(i) कमज़ोर और चिड़चिड़ा
(ii) बातूनी और गुस्सैल
(iii) काला, मोटा और खुशमिज़ाज
(iv) गोरा और लंबा
उत्तर :
(iii) काला, मोटा और खुशमिज़ाज

(ग) मूर्ति का चश्मा हर बार कौन बदल देता था?
(i) पानवाला
(ii) हालदार साहब
(iii) कस्बे के लोग
(iv) चश्मेवाला कैप्टन
उत्तर :
(iv) चश्मेवाला कैप्टन

(घ) किसका प्रश्न सुनकर पानवाला हँसा?
(i) कैप्टन
(ii) मूर्तिकार
(iii) हालदार साहब
(iv) राहगीर
उत्तर :
(iii) हालदार साहब

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(ङ) चौराहे पर किसकी मूर्ति लगी थी?
(i) तिलक
(ii) नेताजी
(iii) सरदार
(iv) लाला लाजपत राय
उत्तर :
(ii) नेताजी

उच्च चिंतन क्षमताओं एवं अभिव्यक्ति पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न – 

पाठ पर आधारित प्रश्नों को पढ़कर सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए –
(क) लोग चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहते थे?
(i) क्योंकि वह एक सेनानी था।
(ii) क्योंकि वह एक नाविक था।
(iii) क्योंकि वह सच्चा देशभक्त था।
(iv) क्योंकि वह धूर्त राजनेता था।
उत्तर :
(ii) क्योंकि वह सच्चा देशभक्त था।

(ख) नेताजी की प्रतिमा किससे निर्मित थी?
(i) बुरादे से
(ii) लकड़ी से
(iii) मिट्टी से
(iv) संगमरमर से
उत्तर :
(iv) संगमरमर से

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(ग) हालदार साहब की आँखें क्यों भर आईं?
(i) कैप्टन चश्मेवाले को याद करके
(ii) नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा लगा देखकर
(iii) पानवाले के चश्मे को याद करके
(iv) कस्बे के लोगों को याद करके
उत्तर :
(ii) नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा लगा देखकर

(घ) ‘नेताजी का चश्मा’ गद्य पाठ के लेखक कौन हैं?
(i) प्रकाश जी
(ii) स्वयं प्रकाश
(iii) महादेवी वर्मा
(iv) यशपाल
उत्तर :
(ii) स्वयं प्रकाश

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर – 

1. पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफ़ी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया होगा, और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी-को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर ‘पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
2. वह पूरी बात कौन-सी थी, जिसका पता नहीं था?
3. ऊहापोह की स्थिति क्यों बनी रही?
4. मोतीलाल जी कौन थे और उन्हें क्या काम सौंपा गया?
5. ‘मूर्ति बनाकर पटक देने’ से क्या आशय है?
उत्तर :
1. पाठ-नेताजी का चश्मा; लेखक-स्वयं प्रकाश।
2. शहर के प्रमुख बाज़ार के चौराहे पर नगरपालिका ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगवानी थी। लेकिन मूर्ति बनवाने का कार्य मोतीलालजी को क्यों दिया गया, इस बात का किसी को पता नहीं था।
3. ऊहापोह की स्थिति इसलिए बनी रही, क्योंकि नगरपालिका के अधिकारियों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि मूर्ति कहाँ से और किससे बनवाई जाए तथा इस पर कितना व्यय होगा? इसके लिए वे विभिन्न संस्थाओं से पत्र-व्यवहार करते रहे, लेकिन कोई निर्णय नहीं कर पाए।
4. मोतीलाल जी स्थानीय हाई स्कूल में ड्राइंग के मास्टर थे। जब कहीं से मूर्ति बनवाने का प्रबंध नहीं हुआ, तो नगरपालिका ने उन्हें मूर्ति बनानेका काम दे दिया।
5. नगरपालिका ने एक निश्चित समय में शहर के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगानी थी। इसलिए उन्होंने ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को यह कार्य सौंप दिया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे एक महीने में मूर्ति तैयार कर देंगे।

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2. इस दृष्टि से यह सफल और सराहनीय प्रयास था। केवल एक चीज़ की कसर थी जो देखते ही खटकती थी। नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो था, लेकिन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. कौन-सा प्रयास सफल था और कैसे?
2. कहाँ क्या खटक रहा था और क्यों?
3. मूर्ति देखकर हालदार साहब ने क्या लक्षित किया?
4. हालदार साहब के चेहरे पर कौतुकभरी मुसकान फैलने का क्या कारण था?
उत्तर :
1. नगरपालिका ने शहर के हाई स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी से नेताजी की संगमरमर की जो मूर्ति बनवाई थी, वह एक सफल प्रयास था। मूर्ति सुंदर थी। नेताजी सुंदर लग रहे थे और फ़ौजी वरदी में थे।
2. नेताजी की मूर्ति में उनकी आँखों पर संगमरमर का बना हुआ चश्मा नहीं था। उसके स्थान पर सामान्य और सचमुच का चश्मा पहना दिया गया था। यही देखने पर खटकता था।
3. हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर रुककर पानवाले से पान लेकर खाने लगे, तब उन्होंने लक्षित किया कि मूर्ति पर संगमरमर का बना हुआ चश्मा न होकर सचमुच का काले फ्रेम का चश्मा लगा हुआ है।
4. हालदार साहब के चेहरे पर कौतुकभरी मुसकान फैलने का कारण काले फ्रेम का चश्मा था, जो नेताजी की मूर्ति पर लगाया गया था।

3. हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?

पानवाले के खुद के मुँह में पान हुँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मेवाला करता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. हालदार साहब की क्या आदत थी?
2. हालदार साहब को किस बात पर आश्चर्य हुआ?
3. हालदार साहब ने अपने कौतूहल के समाधान के लिए क्या किया?
4. पानवाले ने हालदार साहब को किस प्रकार उत्तर दिया?
उत्तर :
1. हालदार साहब जब भी इस कस्बे से निकलते थे, तो मुख्य बाज़ार के चौराहे पर अवश्य रुकते थे। वे चौराहे के पानवाले से पान लेकर खाते थे और चौराहे पर लगी हुई नेताजी की संगमरमर की मूर्ति को ध्यान से देखते थे।
2. हालदार साहब को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वे जब भी इधर से गुज़रते हैं, तो हर बार नेताजी की मूर्ति का चश्मा बदला होता है। उन्हें इसी बात पर आश्चर्य था कि हर बार चश्मा कैसे बदल जाता है ?
3. हालदार साहब ने अपने कौतूहल के समाधान के लिए पानवाले से पूछा कि नेताजी की मूर्ति का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता है?
4. पानवाला एक काला, मोटा और खुशमिजाज़ व्यक्ति था। जब हालदार साहब ने मूर्ति के चश्मे के बदलते रहने की बात पूछी, तो उस समय उसके मुँह में पान था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा और उसकी तोंद थिरकने लगी। उसने अपने मुँह का पान पीछे घूमकर दुकान के नीचे थूका और हालदार साहब को बताया कि मूर्ति के चश्मे को कैप्टन बदलता है।

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4. हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टंगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न :
1. हालदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा था?
2. कैप्टन के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
3. कैप्टन क्या काम करता था?
4. हालदार साहब को कैप्टन देशभक्त क्यों लगा?
उत्तर :
1. हालदार साहब को पानवाले के द्वारा एक देशभक्त व्यक्ति का मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा।
2. कैप्टन एक बहुत ही बूढ़ा, कमज़ोर-सा लँगड़ा व्यक्ति था। उसने अपने सिर पर गांधी टोपी पहनी हुई थी। उसने अपनी आँखों पर काला चश्मा लगाया हुआ था। उसके एक हाथ में छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टॅगे हुए बहुत-से चश्मे थे।
3. कैप्टन चश्मे बेचने का काम करता था। उसकी अपनी कोई दुकान नहीं थी। वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता था।
4. चश्मे बेचने वाला कैप्टन नेताजी की संगमरमर की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर उस पर सचमुच के चश्मों के फ्रेम लगाता था। यह जानकर हालदार साहब को लगा कि वह आज़ाद हिंद फ़ौज का भूतपूर्व सिपाही अथवा नेताजी का कोई देशभक्त सहयोगी होगा।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

5. पान वाले के लिए एक मजेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली। यानी वह ठीक ही सोच रहे थे। मूर्ति के नीचे लिखा ‘मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल’ वाकई कस्बे का अध्यापक था। बेचारे ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा। बना भी ली होगी लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए-काँचवाला- यह तय नहीं कर पाया होगा। या कोशिश की होगी और असफल रहा होगा। या बनाते-बनाते “कुछ और बारीकी’ के चक्कर में चष्ठमा टूट गया होगा। या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा। उफ….!

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न :
1. पानवाले के लिए क्या बात मज़ेदार थी और क्यों?
2. हालदार साहब की दृष्टि में कस्बे का अध्यापक ‘बेचारा’ क्यों था?
3. हालदार साहब ने नेताजी की प्रतिमा पर चश्मा न होने की क्या-क्या संभावनाएँ व्यक्त की?
उत्तर :
(क) मूर्तिकार द्वारा नेताजी की मूर्ति बनाते हुए उनका चश्मा बनाना भूल जाना, पान वाले के लिए एक मजेदार बात थी। पानवाले के बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति से कोई आपत्ति नहीं थी। कैप्टन को नेताजी की बिना चश्मेवाली मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए वह उसमें चश्मे का फ्रेम लगा देता था।

(ख) हालदार साहब की दृष्टि में कस्बे का अध्यापक बेचारा था। क्योंकि उसने कम समय और कम लागत में नेताजी की मूर्ति एक महीने में बनाकर लगा दी थी। संगमरमर की मूर्ति में काँचवाला चश्मा लगाने के लिए उसके पास समय नहीं रहा होगा।

(ग) हालदार साहब सोच रहे थे कि मूर्तिकार ने पत्थर की मूर्ति पर पारदर्शी चश्मा बनाने की कोशिश की होगी परंतु सफल नहीं हो पाया होगा, चश्मे की बारीकी पर ध्यान देते हुए चश्मा टूट गया होगा या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।

नेताजी का चश्मा Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – सुप्रसिद्ध कहानीकार स्वयं प्रकाश का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में सन् 1947 ई० को हुआ था। इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के पश्चात औद्योगिक प्रतिष्ठान में कार्य किया। सेवानिवृत्ति के बाद वे भोपाल में रहकर ‘वसुधा’ नामक पत्रिका का संपादन करने लगे हैं। इन्हें पहल सम्मान, बनमाली पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया है।

रचनाएँ – स्वयं प्रकाश एक सशक्त कथाकार हैं। अब तक इनके तेरह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं-‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘संधान’ आदि। इन्होंने उपन्यास भी लिखे हैं, जिनमें ईंधन’ तथा ‘बीच में विनय’ अत्यंत प्रसिद्ध हैं।

भाषा-शैली – स्वयं प्रकाश का कथा साहित्य मध्यवर्गीय जीवन की सफल झाँकियाँ प्रस्तुत करता है। ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी में लेखक ने देश के नेताओं के प्रति आम आदमी तथा बच्चों की श्रद्धा का सजीव अंकन किया है। लेखक की भाषा सहज तथा बोधगम्य है, जिसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भी प्रयोग किया गया है; जैसे – प्रयास, आहत, लक्षित, उपलब्ध, दुर्दमनीय आदि।

इसी प्रकार से कंपनी, सिलसिला, बस्ट, कमसिन, चश्मा, आइडिया, ओरिजिनल जैसे विदेशी तथा गिराक, तोंद, सरकंडे जैसे देशज शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। इनकी शैली अत्यंत प्रभावपूर्ण, चित्रात्मक, संवादात्मक, भावपूर्ण तथा वर्णनात्मक है। पानवाले का यह शब्द चित्र उसे साक्षात आकार प्रदान कर देता है-‘वह एक काला मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था।’

इसी प्रकार से कैप्टन की रूपरेखा इन शब्दों से स्पष्ट होती है-‘एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे।’ इन आम बोलचाल के शब्दों में लेखक ने अपनी बात अत्यंत प्रभावी रूप से व्यक्त की है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

पाठ का सार :

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के लेखक ‘स्वयं प्रकाश’ हैं। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने देश के उन गुमनाम नागरिकों के महत्वपूर्ण योगदान का वर्णन किया है, जो देश के निर्माण में अपने-अपने ढंग से सक्रिय हैं। कैप्टन चश्मे वाले की देश-भक्ति भी उसके कस्बे तक सीमित थी। हालदार साहब कंपनी के काम से एक कस्बे में से हर पंद्रह दिन के बाद गुजरा करते थे। कस्बा सामान्य कस्बों जैसा था, जिसमें कुछ पक्के और कुछ कच्चे घर थे। लड़के-लड़कियों के लिए स्कूल था। एक नगरपालिका थी।

नगरपालिका समय-समय पर कस्बे के विकास के लिए कार्य करती थी। एक बार नगरपालिका ने कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगवाने का निश्चय किया। मूर्ति बनाने का कार्य कस्बे के स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल को दिया गया। मोतीलाल जी ने एक महीने में नेताजी की छाती तक की संगमरमर की मूर्ति तैयार कर दी। नगरपालिका ने वह मूर्ति चौराहे पर लगा दी।

नेताजी की मूर्ति को देखकर लोगों में देश के लिए कुछ करने का उत्साह पैदा होता था। इस तरह नगरपालिका का लोगों में देश-भावना जागृत करने का यह प्रयास सफल तथा सराहनीय था। लेकिन मूर्ति देखने वालों को मूर्ति में एक कमी लगती थी। मूर्ति का चश्मा पत्थर का नहीं था, वह असली था। शायद मूर्ति बनाने वाला नेताजी का चश्मा बनाना भूल गया, इसलिए मूर्ति पर असली चश्मा लगा। दिया गया था।

हालदार साहब जब पहली बार कस्बे से गुज़रे, तो उन्हें लोगों का यह प्रयास अच्छा लगा। उन्हें लगा कि लोगों में अपने नेताओं के प्रति आदर-सम्मान है। अगले दो-तीन बार वहाँ से गुजरने पर हालदार साहब को मूर्ति पर अलग चश्मा लगा मिलता था। यह देखकर वे आश्चर्यचकित थे। उन्होंने अपनी जिज्ञासा कम करने के लिए चौराहे पर बैठे पानवाले से पूछा कि हर बार मूर्ति का चश्मा कैसे बदल जाता है? पानवाले ने बताया कि नेताजी का चश्मा कैप्टन बदल देता है।

जब कोई ग्राहक नेताजी की मूर्ति पर लगा चश्मा चाहता है, तो कैप्टन मूर्ति से चश्मा उतार कर ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर नया चश्मा लगा देता है। कैप्टन को नेताजी की चश्मे के बिना मूर्ति बुरी लगती थी। उसे चश्मे के बिना नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा प्रतीत होता था, इसलिए वह अपने पास से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा देता था। पानवाले ने हालदार साहब को यह भी बताया कि मूर्तिकार मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया था।

हालदार साहब को पानवाले को यह बात बहुत बुरी लगी। हालदार साहब कैप्टन चश्मे वाले से बहुत प्रभावित हुए थे, जिसने अपनी देशभक्ति से मूर्ति के अधूरेपन को पूरा किया था। उन्होंने पानवाले से कैप्टन के विषय में पूछा कि क्या वह नेताजी की फ़ौज का कोई सिपाही था। इस पर पानवाला मुसकरा पड़ा और बोला कि वह एक लँगड़ा है। वह फ़ौज में कैसे जा सकता है ? पानवाला हालदार साहब को कैप्टन दिखाता है। कैप्टन एक पतला-सा बूढ़ा व्यक्ति था। उसके पास एक संदूकची थी और एक बाँस था, जिस पर तरह-तरह के चश्मे टँगे थे।

वह एक फेरी लगाने वाला था। जिस ढंग से पानवाले ने कैप्टन का परिचय दिया, वह ढंग हालदार साहब को बहुत बुरा लगा था। वे कैप्टन के विषय में बहुत कुछ जानना चाहते थे, परंतु पानवाला कुछ और बताने को तैयार नहीं था। हालदार साहब अगले दो साल तक कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति के बदलते चश्मे देखते रहे। एक बार हालदार साहब उधर से गुजरे, तो उन्हें नेताजी की मूर्ति पर चश्मा दिखाई नहीं दिया। उस दिन अधिकांश बाजार बंद था।

अगली बार फिर हालदार साहब वहाँ से गुज़रे, तो उन्हें नेताजी की मूर्ति पर चश्मा दिखाई नहीं दिया। हालदार साहब ने पानवाले से पूछा कि नेताजी का चश्मा कहाँ गया? पानवाले ने उदास होकर बताया कि चश्मे वाला कैप्टन मर गया। हालदार साहब यह सुनकर चले गए। कैप्टन के मरने के बाद हालदार साहब यह सोचने लगे कि उस देश का भविष्य क्या होगा, जिसकी जनता देश का निर्माण करने वालों पर हँसती है।

हालदार पंद्रह दिन बाद फिर उस कस्बे से गुजरे। उन्होंने पहले ही सोच लिया था कि वे चौराहे पर रुककर मूर्ति की तरफ़ नहीं देखेंगे। वे नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति नहीं देख सकते थे। परंतु जैसे ही वे नेताजी की मूर्ति के सामने से गुजरे, यह देखकर हैरान रह गए कि मूर्ति पर किसी बच्चे द्वारा बनाया सरकंडे का चश्मा रखा हुआ था। हालदार भावुक हो गए। उन्होंने बच्चों की भावना का सम्मान करने के लिए मूर्ति के सामने अटेंशन खड़े होकर नेताजी को प्रणाम किया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

कठिन शब्दों के अर्थ :

प्रतिमा – मूर्ति। मूर्तिकार – मूर्ति बनाने वाला। बस्ट – छाती। कमसिन – कम उमर का। रियल – असली। आइडिया – विचार। कौतुक – हैरानी, जिज्ञासा। प्रयास – कोशिश। चेंज करना – बदलना। सराहनीय – प्रशंसनीय। लक्षित – बतलाया हुआ, निर्दिष्ट। दुर्दमनीय – जिसका दमन न हो सके। प्रफुल्लता – प्रसन्नता।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles

Students should go through these JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles will seemingly help to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles

Triangle
A plane figure bounded by three lines in a plane is called a triangle. Every triangle has three sides and three angels. If ABC is any triangle then AB, BC and CA are three sides and ∠A, ∠B and ∠C are three angles.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 1
Types of Triangles
→ On the basis of sides we have three types of triangles:

  • Scalene triangle – A triangle whose no two sides are equal is called a scalene triangle.
  • Isosceles triangle – A triangle having two sides equal is called an isosceles triangle.
  • Equilateral triangle – A triangle in which all sides are equal is called an equilateral triangle.

→ On the basis of angles we have three types of triangles:

  • Right triangle – A triangle in which any one angle is a right angle (= 90°) is called right triangle.
  • Acute triangle – A triangle in which all angles are acute (0° >angle >90°) is called an acute triangle.
  • Obtuse (90° < angle < 180° ) triangle – A triangle in which any one angle is obtuse is called an obtuse triangle.

Congruent Figures
The figures are called congruent if they have same shape and same size. In other words, two figures are called congruent if they are having equal length, width and height.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 2
In the above figures {Fig. (i) and Fig. (ii)} both are equal in length, width and height, so these are congruent figures.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles

Congruent Triangles
Two triangles are congruent if and only if one of them can be made to superimposed on the other, so as to cover it exactly.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 3
If two triangles ΔABC and ΔDEF are congruent then there exist a one to one correspondence between their vertices and sides. i.e. we get following six equalities.
∠A = ∠D, ∠B = ∠E, ∠C = ∠F and AB = DE, BC = EF, AC = DF.
If ΔABC and ΔDEF are congruent under one to one correspondence A ↔ D, B ↔ E, C ↔ F then we write ΔABC ≅ ΔDEF We cannot write it as ΔABC ≅ ΔDFE or ΔABC ≅ ΔEDF or in other forms because ΔABC ≅ ΔDFE have following one-one correspondence A ↔ D, B ↔ F, C ↔ E.
Hence, we can say that ‘two triangles are congruent if and only if there exists a oneone correspondence between their vertices such that the corresponding sides and the corresponding angles of the two triangles are equal.

Sufficient Conditions for Congruence of two Triangles
→ SAS Congruence Criterion:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 4
Two triangles are congruent if two sides and the included angle of one triangle are equal to the corresponding sides and the included angle of the other triangle.

→ ASA Congruence Criterion:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 5
Two triangles are congruent if two angles and the included side of one triangle are equal to the corresponding two angles and the included side of the other triangle.

→ AAS Congruence Criterion:
If any two angles and a non included side of one triangle are equal to the corresponding angles and side of another triangle, then the two triangles are congruent.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 6
→ SSS Congruence Criterion:
Two triangles are congruent if the three sides of one triangle are equal to the corresponding three sides of the other triangle.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 7
→ RHS Congruence Criterion:
Two right angled triangles are congruent if the hypotenuse and one side of one triangle are respectively equal to the hypotenuse and one side of the other triangle.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 8

→ Congruence Relation in the Set of all Triangles:
By the definition of congruence of two triangles, we have following results.

  • Every triangle is congruent to itself i.e., ΔABC ≅ ΔABC
  • If ΔABC ≅ ΔDEF then ΔDEF ≅ ΔABC
  • If ΔABC ≅ ΔDEF and ΔDEF ≅ ΔΡQR then ΔΑΒC ≅ ΔΡQR

NOTE: If two triangles are congruent then their corresponding sides and angles are also congruent by CPCT (corresponding parts of congruent triangles are also congruent).

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles

Theorem 1.
Angles opposite to equal sides of an isosceles triangle are equal.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 9
Given:
ΔABC in which AB = AC
To Prove: ∠B = ∠C
Construction: We draw the bisector AD of ∠A which meets BC in D.
Proof: In ΔABD and ΔACD, we have
AB = AC [Given]
∠BAD = ∠CAD [∵ AD is bisector of ∠A]
And, AD = AD [Common side]
∴ By SAS criterion of congruence, we have
ΔΑΒD ≅ ΔΑCD
⇒ ∠B = ∠C [by CPCT]
Hence, proved.

Theorem 2.
If two angles of a triangle are equal, then sides opposite to them are also equal.
Given: ΔABC in which ∠B = ∠C
To Prove: AB = AC
Construction: We draw the bisector of ∠A
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 10
which meets BC in D.
Proof: In ΔABD and ΔACD, we have
∠B = ∠C [Given]
∠BAD = ∠CAD [∵ AD is bisector of ∠A]
AD = AD [Common side]
∴ By AAS criterion of congruence, we get
ΔΑΒD ≅ ΔΑCD
⇒ AB = AC [By CPCT] Hence, proved.

Theorem 3.
If the bisector of the vertical angle bisects the base of the triangle, then the triangle is isosceles.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 11
Given: ΔABC in which AD is the bisector of ∠A meeting BC in D such that BD = CD
To Prove: ΔABC is an isosceles triangle.
Construction: We produce AD to E such that AD = DE and join EC
Proof: In ΔADB and ΔEDC, we have
AD = DE [By construction]
∠ADB = ∠CDE [Vertically opposite angles]
BD = DC [Given]
∴ By SAS criterion of congruence, we get
ΔADR ≅ ΔEDC ⇒ AB = EC ……(i)
And, ∠BAD = ∠CED [By CPCT]
But, ∠BAD = ∠CAD
∴ ∠CAD = ∠CED
⇒ AC = EC [Sides opposite to equal angles are equal]
⇒ AC = AB [By eq. (i)] Hence, proved

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles

Some Inequality Relations In A Triangle
→ If two sides of a triangle are unequal, then the longer side has greater angle opposite to it, i.e., if in any ΔABC, AB > AC then ∠C > ∠B.
→ In a triangle the greater angle has the longer side opposite to it, ie, if in any ΔABC, ∠A > ∠B then BC > AC.
→ The sum of any two sides of a triangle is always greater than the third side, i.e., in any ΔABC, AB + BC > AC, BC + CA > AB and AC + AB > BC.
→ Of all the line segments that can be drawn to a given line, from a point, not lying on it, the perpendicular line segment is the shortest.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 7 Triangles 12
P is any point not lying on line l, PM ⊥ l then PM < PN.
→ The difference of any two sides of a triangle is less than the third side, i.e., in any ΔABC, AB – BC < AC, BC – CA < AB and AC – AB < BC.

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

JAC Class 10 Hindi डायरी का एक पन्ना Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था ?
उत्तर :
26 जनवरी 1931 के दिन कलकत्ता के लोगों ने अंग्रेज़ी सरकार का डटकर विरोध किया और स्वतंत्रता-दिवस मनाया। इसी कारण यह दिन कलकत्ता वासियों के लिए महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 2.
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर :
सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।

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प्रश्न 3.
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर :
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। पुलिस ने वहाँ उपस्थित अन्य लोगों को भी मार-पीट कर हटा दिया।

प्रश्न 4.
लोग अपने-अपने मकानों और सार्वजनिक स्थलों पर झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर :
लोग अपने-अपने मकानों और सार्वजनिक स्थलों पर झंडा फहराकर इस बात का संकेत देना चाहते थे कि वे स्वतंत्र हो चुके हैं। अब वे अंग्रेजी साम्राज्य के गुलाम नहीं रहना चाहते।

प्रश्न 5.
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर :
कलकत्ता के लोग देश की स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ी सभा करने की तैयारी कर रहे थे। अंग्रेजी सरकार लोगों को इकट्ठा नहीं होने देना चाहती थी। इसी कारण पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को घेर लिया था।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं ?
उत्तर :
26 जनवरी 1931 को कोलकाता में देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। उस दिन देश की स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ी सभा करने की तैयारी की गई। सभी लोगों को इस दिन का महत्व समझाया गया और सभी से अपने घरों पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए कहा गया। इस दिन के लिए खूब प्रचार किया गया। केवल प्रचार में ही दो हज़ार रुपये खर्च कर दिए गए, ताकि इस दिन को अमर बनाया जा सके।

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प्रश्न 2.
‘आज जो बात थी वह निराली थी’-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
26 जनवरी 1931 का दिन कलकत्तावासियों के लिए महत्वपूर्ण था। सभी लोगों ने उस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर ली थी। स्त्री समाज अपनी तैयारी कर रहा था। लोगों की भीड़ सभा-स्थल पर एकत्रित हो रही थी। लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूम रहे थे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसी कारण लेखक ने इस दिन को निराला कहा है।

प्रश्न 3.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर :
पुलिस कमिश्नर के नोटिस में लिखा था कि कानून की अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। यदि कोई सभा में भाग लेगा तो उसे दोषी समझा जाएगा। दूसरी ओर कौंसिल के नोटिस में सभी की उपस्थिति में 4 बजकर 24 मिनट पर झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़े जाने की बात कही गई थी। इस प्रकार दोनों नोटिसों में सीधा टकराव था।

प्रश्न 4.
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?
उत्तर :
धर्मतल्ले के मोड़ पर पुलिस वालों ने लाठियाँ चलानी शुरू कर दी। अनेक लोग घायल हो गए। पुलिस ने कई स्त्रियों को पकड़कर लालबाजार जेल भेज दिया। पुलिस ने लाठी चलाना नहीं छोड़ा और धीरे-धीरे जुलूस में लोगों की संख्या कुछ देर के लिए कम हो गई।

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प्रश्न 5.
डॉ० दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
26 जनवरी 1931 के दिन कलकत्ता के लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाया और एक जुलूस निकाला। अंग्रेजी शासन ने जुलूस में शामिल लोगों पर लाठियाँ बरसाईं। अनेक स्त्री और पुरुष घायल हो गए। डॉ० दासगुप्ता उनकी देखरेख करने के साथ-साथ उनके फ़ोटो भी खींचवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने का कारण अंग्रेजी शासन के क्रूरतापूर्ण रवैये को जन-जन तक पहुँचाना था। वे अगले दिन के समाचार-पत्रों में उन घायलों की तसवीरें छापना चाहते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी ?
उत्तर :
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज ने अपना सक्रिय योगदान दिया था। जगह-जगह से स्त्रियाँ जुलूस निकालने तथा ठीक स्थान पर पहुंचने की कोशिश कर रही थीं। जब पुलिस ने जुलूस में शामिल लोगों पर लाठियाँ बरसानी शुरू की, तो स्त्रियाँ मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहराने लगीं। उन्होंने स्वतंत्रता की घोषणा भी पढ़ी। स्त्रियाँ बड़ी भारी संख्या में उस जुलूस में शामिल थीं। पुलिस वालों ने उन स्त्रियों पर भी लाठियाँ चलाईं, किंतु उनका उत्साह कम नहीं हुआ। वे निरंतर आगे बढ़ती रहीं। उस दिन लगभग 105 स्त्रियाँ गिरफ्तार की गईं और उन्हें मारा-पीटा भी गया। इस प्रकार सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की भूमिका सराहनीय थी।

प्रश्न 2.
जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई ?
उत्तर :
लालबाज़ार आने पर जुलूस ने एक बड़ी भीड़ का रूप ले लिया था। उसमें अनेक स्त्री और पुरुष थे। पुलिस निर्दयतापूर्वक जुलूस में शामिल लोगों पर लाठियाँ बरसाती रही, किंतु लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। बहुत-से लोग घायल हो गए। पुलिस बर्बरतापूर्वक जुलूस को रोकना चाहती थी, लेकिन लोग निरंतर बढ़ रहे थे। जो लोग स्वयंसेवक थे, वे लाठियाँ पड़ने पर भी अपने स्थान से पीछे नहीं हट रहे थे। कुल मिलाकर पुलिस द्वारा लाठियाँ बरसाए जाने से अनेक लोग घायल हो गए। उनमें से कुछ तो गंभीर हालत में भी थे।

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प्रश्न 3.
‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
यहाँ अंग्रेज़ सरकार के द्वारा लागू उस कानून को भंग करने की बात कही गई है, जिसके अंतर्गत भारतवासियों को अपने देश का झंडा लहराने-फहराने की आज्ञा नहीं थी। अंग्रेज़ सरकार के द्वारा लागू इसी कानून को 26 जनवरी 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाते समय भंग किया गया था। यह कानून भंग करना उचित था। ऐसा करने से देशवासियों के हृदय में स्वतंत्रता-प्राप्ति का उत्साह बढ़ गया था। लोगों में एकता का भाव जागृत हुआ; अंग्रेज़ सरकार का मनोबल टूट गया।

प्रश्न 4.
बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
26 जनवरी 1931 को कलकत्ता (कोलकाता) में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस दिन एक जुलूस निकालने और झंडा फहराने की तैयारी भी की गई। लोगों ने उत्साहपूर्वक जुलूस में भाग लिया। सुभाषचंद्र बोस भी कई नेताओं के साथ इस जुलूस में शामिल हुए। पुलिस ने बर्बरतापूर्वक जुलूस में शामिल स्त्री-पुरुषों पर लाठियाँ बरसाईं। बहुत-से लोग घायल और गिरफ़्तार हुए। स्त्रियाँ भी पीछे नहीं रहीं। उन्होंने भी लाठियाँ खाईं और गिरफ्तार हुईं। अंग्रेजी साम्राज्य का जैसा डटकर विरोध उस दिन हुआ, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था।

लोगों में स्वतंत्रता-प्राप्ति के प्रति उत्साह था। लगभग दो सौ लोग घायल हुए और 105 स्त्रियाँ जेल गईं। देश को आजाद करने का यह उत्साह पहले कभी नहीं देखा गया था। इससे पहले बंगाल के लोगों के विषय में कहा जाता था कि वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। परंतु इस विद्रोह के बाद कलकत्तावासियों पर लगा कलंक धुल गया। इसी कारण उस दिन को अपूर्व कहा गया है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर :
लेखक का आशय है कि 26 जनवरी 1931 के दिन जो कुछ भी हुआ, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। इससे पहले बंगाल या कलकत्ता के लोगों के विषय में यह कहा जा रहा था कि वे देश के स्वतंत्रता-संग्राम में कोई योगदान नहीं दे रहे। उस दिन उन लोगों ने दिखा दिया कि देश को स्वतंत्र कराने में वे भी पीछे नहीं हैं। उस दिन कलकत्ता के स्त्री-पुरुषों ने अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरोध में जैसा प्रदर्शन किया, वह प्रशंसनीय था। अंग्रेज़ी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं और उन्हें जेलों में ठूसा, किंतु उनका उत्साह कम नहीं हुआ। कलकत्तावासियों के ऐसे साहसी प्रदर्शन के कारण उन पर लगा कलंक धुल गया था।

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प्रश्न 2.
खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
उत्तर :
लेखक ने यहाँ स्पष्ट किया है कि 26 जनवरी 1931 के दिन कलकत्तावासियों ने अंग्रेजी सरकार को खुली चुनौती दी थी। एक तरफ़ पुलिस कमिश्नर ने यह नोटिस निकाला कि उस दिन कोई भी सभा करना कानूनन अपराध है और जो लोग इसमें शामिल होंगे उन्हें दोषी समझा जाएगा। वहीं दूसरी ओर कौंसिल ने अपने नोटिस में स्पष्ट कर दिया कि ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर सभा ज़रूर होगी, जिसमें झंडा भी फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा भी पढ़ी जाएगी। इस प्रकार अंग्रेजी साम्राज्य को चुनौती दी गई थी कि यदि वह आंदोलनकारियों को रोक सकती है, तो रोककर दिखा दे। अंग्रेजी साम्राज्य को ऐसी खुली चुनौती इससे पहले कभी नहीं दी गई थी।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं –
सरल वाक्य – सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है।
स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है।
उदाहरण – लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द-और, परंतु, इसलिए आदि।
उदाहरण – मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
मिश्र वाक्य – वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों मिश्र वाक्य कहलाता है।
उदाहरण – जब अविनाश बाबू ने झंडा गाढ़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।

1. निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए –

(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ़्तार हो गया।
(ख) मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।
(II) ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
(I) (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार जाकर गिरफ्तार हो गया।
(ख) मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ टोलियाँ बना-बनाकर घूमने लगी।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।

(II) सरल वाक्य – 1. वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।
2. मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था।

संयुक्त वाक्य – 1. हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था।
2. घंटे-दो घंटे के बाद निराशा के बादल फट जाते और मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढ़ँगा।

मिश्र वाक्य – 1. मगर टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है, उस पर अमल करना दूसरी बात।
2. एक दिन जब मैं भोर का सारा समय गुल्ली-डंडे की भेंट करके ठीक भोजन के समय लौटा, तो भाई साहब ने मानो तलवार खींच ली।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है?
(क) 1. कई मकान सजाए गए थे।
2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे।
(ख) 1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था।
2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी।
(ग) 1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था।
2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से समझें।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे ‘अर्थी’ शब्द का प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।
संधि शब्द का अर्थ है – जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि।
जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं; जैसे – विद्यालय-विद्या +आलय नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए –
1. श्रद्ध + आनंद = ………….
2. प्रति + एक = ………….
3. पुरुष + उत्तम = ………..
4. इंडा + उत्तव = ……………
5. पुनः + आवृत्ति = …………
6. ज्योतिः + मय = ………..
उत्तर :
1. श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद
2. प्रति + एक = प्रत्येक
3. पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
4. झंडा + उत्सव = आवृत्ति
5. झंडोत्सव + पुनरावृत्ति
6. ज्योतिः + मय = ज्योतिर्मय

योग्यता विस्तार –

प्रश्न :
1. भौतिक रूप से दबे हुए होने पर भी अंग्रेजों के समय में ही हमारा मन आज़ाद हो चुका था। अत: दिसंबर सन 1929 में लाहौर में कांग्रेस का एक बड़ा अधिवेशन हुआ, इसके सभापति जवाहरलाल नेहरू जी थे। इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब हम ‘पूर्ण स्वराज्य’ से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे। 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ के लिए हर प्रकार के बलिदान की प्रतिज्ञा की। उसके बाद आज़ादी प्राप्त होने तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
2. डायरी-यह गद्य की एक विधा है। इसमें दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, अनुभवों को वर्णित किया जाता है। आप भी अपने दैनिक जीवन से संबंधित घटनाओं को डायरी में लिखने का अभ्यास करें।
3. जमना लाल बजाज महात्मा गांधी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाने जाते हैं, क्यों? अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।
4. ढाई लाख का जानकी देवी पुरस्कार जमना लाल बजाज फाउंडेशन द्वारा पूरे भारत में सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। यहाँ ऐसी कुछ महिलाओं के नाम दिए जा रहे हैं –
श्रीमती अनुताई लिमये 1993 महाराष्ट्र; सरस्वती गोरा 1996 आंध्रप्रदेश; मीना अग्रवाल 1998 असम; सिस्टर मैथिली 1999 केरल; कुंतला कुमारी आचार्य 2001 उड़ीसा।
इनमें से किसी एक के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता आंदोलन में निम्नलिखित महिलाओं ने जो योगदान दिया, उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए –
(क) सरोजिनी नायडू
(ख) अरुणा आसफ अली
(ग) कस्तूरबा गांधी
उत्तर :
आप अपने अध्यापक/आध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 2.
इस पाठ के माध्यम से स्वतंत्रता-संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) के योगदान का चित्र स्पष्ट होता है। आजादी के आंदोलन में आपके क्षेत्र का भी किसी न किसी प्रकार का योगदान रहा होगा। पुस्तकालय, अपने परिचितों या फिर किसी दूसरे स्त्रोत से इस संबंध में जानकारी हासिल कर लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
‘केवल प्रचार में दो हज़ार रुपया खर्च किया गया था।’ तत्कालीन समय को मद्देनज़र रखते हुए अनुमान लगाइए कि प्रचार प्रसार के लिए किन माध्यमों का उपयोग किया गया होगा?
उत्तर :
उस समय भारत में अंग्रेजी शासन था। ऐसे में प्रेस की स्वतंत्रता नहीं थी। उस समय प्रचार-प्रसार के सभी साधन अंग्रेजी सरकार के अधीन थे। अतः अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन का प्रचार-प्रसार समाचार-पत्रों द्वारा संभव नहीं था। तत्कालीन समय में कार्यकर्ताओं ने छापाखाने से कुछ पर्चे छपवाकर बाँटे होंगे और स्वतंत्रता दिवस मनाने की बात का प्रचार किया होगा। इसके अतिरिक्त कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार के कार्य में जुटे होंगे। व्यक्तिगत रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर भी प्रचार-प्रसार किया गया होगा।

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प्रश्न 4.
आपको अपने विद्यालय में लगने वाले पल्स पोलियो केंद्र की सूचना पूरे मोहल्ले को देनी है। आप इस बात का प्रचार बिना पैसे के कैसे कर पाएँगे? उदाहरण के साथ लिखिए।
उत्तर :
हम घर-घर जाकर लोगों को इस बात की सूचना देंगे कि हमारे विद्यालय में पल्स पोलियो केंद्र लगाया जा रहा है। हम सभी लोगों को यह भी बताएँगे कि पल्स पोलियो अभियान चलाकर सरकार हमारा ही लाभ करती है। अतः हमें पल्स पोलियो केंद्र में जाकर 0 से 5 साल के बच्चे को यह दवा अवश्य पिलानी चाहिए। इस प्रकार प्रचार करने से हमारा कोई पैसा खर्च नहीं होगा और प्रचार का कार्य भी पूरा हो जाएगा।

JAC Class 10 Hindi डायरी का एक पन्ना Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार 26 जनवरी 1931 के दिन कोलकाता में कैसा वातावरण था?
उत्तर :
लेखक के अनुसार 26 जनवरी 1931 का दिन कोलकाता के लिए अमर दिन था। उस दिन वहाँ देश का स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था; चारों ओर अत्यंत आकर्षक वातावरण था। प्रायः प्रत्येक घर पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। घरों को पूर्ण रूप से सजाया गया था। कई घरों को तो ऐसे सजाया गया था, जैसे देश स्वतंत्र हो गया हो। कोलकाता के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे। पूरा कोलकाता देश की स्वतंत्रता के रंग में डूबा हुआ लग रहा था। पग-पग पर उत्साह और नवीनता छाई हुई थी। उस दिन कोलकाता में जैसा वातावरण था, वैसा पहले कभी दिखाई नहीं दिया था।

प्रश्न 2.
‘लोगों को आशा होने लगी कि शायद पुलिस अपना रंग न दिखलावे पर वह कब रुकने वाली थी’-इस पंक्ति से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर :
लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि अंग्रेज़ी पुलिस अपनी बर्बरता और निर्दयता के लिए प्रसिद्ध थी। 26 जनवरी 1931 के दिन जब मोनुमेंट के पास चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाना था, तो दोपहर के समय पुलिस कुछ सुस्त दिखी। पुलिस लोगों को रोक-टोक नहीं रही थी। इससे लोगों को आशा हो गई थी कि अब शायद पुलिस क्रांतिकारियों को सरलता से अपना प्रदर्शन करने देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाद में पुलिस ने क्रांतिकारियों पर निर्दयतापूर्वक लाठियाँ बरसाईं थीं, जिससे अनेक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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प्रश्न 3.
धर्मतल्ले के मोड़ पर स्त्रियों का नेतृत्व किसने किया? वहाँ कैसी स्थिति थी?
उत्तर :
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया था। उस समय लगभग 50-60 स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गईं। पुलिस ने उनको पकड़कर लालबाज़ार भेज दिया। तब स्त्रियों का एक दल आगे बढ़ा। उसका नेतृत्व विमल प्रतिभा ने सँभाला। उन्हें भी बहू बाजार के मोड़ पर रोक लिया गया। वे वहीं मोड़ पर ही कुछ स्त्रियों के साथ बैठ गईं। धीरे-धीरे आस-पास भीड़ इकट्ठी हो गई। पुलिस यह देखकर सतर्क हो गई और उसने रुक-रुककर लाठियाँ बरसाना शुरू कर दिया।

प्रश्न 4.
वृजलाल गोयनका कौन था? उसका जुलूस में क्या योगदान था?
उत्तर :
वृजलाल गोयनका एक कार्यकर्ता था। वह काफ़ी समय से लेखक के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान दे रहा था। वह लेखक के साथ दमदम जेल में भी था। 26 जनवरी सन 1931 को जब कोलकाता में जुलूस निकला, तो वह भी उसमें शामिल था। वह झंडा लेकर वंदे मातरम् बोलता हुआ मोनुमेंट की ओर तेज़ी से दौड़ा, किंतु अपने आप ही गिर पड़ा। उसे एक अंग्रेज़ घुड़सवार ने लाठी मारी और फिर पकड़कर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया। इसके बाद वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया और उसे वहाँ भी पकड़कर छोड़ दिया गया। तब वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर फिर प्रदर्शन करने लगा, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रश्न 5.
विद्यार्थियों की स्वाधीनता दिवस के आयोजन में क्या भूमिका थी?
उत्तर :
विद्यार्थियों ने स्वाधीनता दिवस के आयोजन में खूब बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उस दिन मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया था। इस समारोह में मदालसा तथा जानकी देवी ने सभी को संबोधित किया था। इन्होंने लड़कियों को – झंडे के बारे में जानकारी दी तथा झंडोत्सव क्यों किया जाता है, इसके बारे में भी बताया। अविनाश बाबू जो बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री थे, उन्होंने जब श्रद्धानंद पार्क में झंडा गाड़ा तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

प्रश्न 6.
सुभाषचंद्र बोस की स्वाधीनता संघर्ष में क्या भूमिका थी?
उत्तर :
सुभाषचंद्र बोस स्वाधीनता संघर्ष में एक अग्रणी नेता थे। वे अत्यंत निडर एवं साहसी थे। उन्होंने स्वाधीनता संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में 26 जनवरी 1931 को सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में ही झंडा फहराया जाना था; साथ ही प्रतिज्ञा भी पढ़ी जानी थी। अपनी योजना और दृढ़ निश्चय के साथ बोस बाबू जुलूस के साथ आयोजन स्थल की ओर बढ़ रहे थे। भारी-भरकम भीड़ को जब पुलिस न रोक पाई, तो उसने लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में कुछ लाठियाँ सुभाषचंद्र बोस को भी लगी, लेकिन वे पीछे नहीं हटे और न ही किसी सुरक्षित स्थान पर गए। उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

प्रश्न 7.
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ हमें क्या याद दिलाता है ? इससे हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर :
‘डायरी का एक पन्ना’ हमें हमारे देश के शहीदों तथा क्रांतिकारियों की कुर्बानी की याद दिलाता है। यह देश-प्रेम के बारे में हमें बताता है कि देश-प्रेम बलिदान का दूसरा नाम है। यह पाठ हमें संदेश देता है कि हमें देश तथा देशवासियों के हितों का ध्यान रखते हुए उनके सम्मान तथा रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। यदि हम सभी मिलकर आततायियों तथा अत्याचारियों का मिलकर सामना करें, तो हमें अवश्य ही एक सुदृढ़ तथा अच्छे समाज की नींव रखने में सफलता मिलेगी।

प्रश्न 8.
कोलकातावासियों के लिए कौन-सा दिन अपूर्व दिन था?
उत्तर :
कोलकातावासियों के लिए वह दिन अपूर्व था, जिस दिन आंदोलन करते हुए लगभग 105 स्त्रियाँ गिरफ़्तार हुईं और लगभग दो सौ लोग यल हुए। कोलकातावासियों ने अंग्रेजी सरकार का ऐसा अत्याचार पहले कभी नहीं देखा था। उस दिन कोलकातावासियों के माथे पर लगा यह कलंक कि बंगाल में स्वतंत्रता-संग्राम के लिए कुछ नहीं हो रहा है, सदा-सदा के लिए धुल गया। इसलिए 26 जनवरी 1931 का दिन कोलकातावासियों के लिए अमर, अपूर्व तथा महत्वपूर्ण बन गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
पाठ में वर्णित ‘हरिश्चंद्र’ सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
पाठ में वर्णित हरिश्चंद्र सिंह कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री थे। वे एक सजग नेता थे। समाज कल्याण की भावना उनमें कूट-कूटकर भरी हुई थी। उनके लिए देशहित ही सबकुछ था। अंग्रेज़ सरकार उनकी छवि और व्यक्तित्व से इतना डरती थी कि झंडा फहराने के लिए उन्हें अंदर घुसने ही नहीं दिया गया।

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प्रश्न 2.
26 जनवरी 1931 के दिन पूरे कोलकाता में किस बात की चर्चा थी?
उत्तर :
26 जनवरी 1931 के दिन पूरे कोलकाता में स्वतंत्रता संघर्ष के जुलूस तथा उसके सफल होने की चर्चा हर सड़क, चौराहे तथा हर व्यक्ति के मुख पर थी। लोगों में खुशी इस बात की थी कि अब उन्हें अघोषित स्वतंत्रता मिलने वाली थी; अंग्रेजों के अत्याचार की काली अँधेरी रात समाप्त होने वाली थी।

प्रश्न 3.
कोलकातावासियों के लिए वह दिन अपूर्व क्यों था?
उत्तर :
कोलकातावासियों के लिए वह दिन अपूर्व इसलिए था, क्योंकि वह दिन उनके संघर्ष की पहचान बन चुका था। उस दिन लगभग 105 स्त्रियाँ गिरफ्तार हुई थीं। अंग्रेजों की लाठियों से दो सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। इतना बड़ा विरोध कोलकातावासियों ने पहले कभी नहीं देखा था, इसलिए यह दिन उनके लिए अपूर्व था।

प्रश्न 4.
मोनुमेंट के नीचे शाम के समय क्या घटना घटी?
उत्तर :
मोनुमेंट के नीचे शाम के समय सभा होनी थी, किंतु सुबह से ही पुलिस ने सारे इलाके को घेर लिया था। सभी को किसी भी प्रकार के सामाजिक क्रियाकलाप को करने से रोक दिया गया था। बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने श्रद्धानंद पार्क में जब झंडा गाड़ा, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रश्न 5.
पुलिस ने सुभाषचंद्र बोस को पकड़ कर कहाँ बंद किया था? इसका क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर :
सुभाषचंद्र बोस अपने साथियों के साथ ब्रिटिश सरकार का विरोध कर रहे थे। तभी अंग्रेज सरकार ने उन्हें कैद कर लिया और पकड़कर लालबाजार जेल में डाल दिया। उनके साथ स्त्री-पुरुषों को भी पकड़ कर जेल में डाल दिया गया। लेकिन इससे किसी का भी मनोबल नहीं टूटा, अपितु देश के लिए मर मिटने के लिए उनका उत्साह और जोश बढ़ गया।

डायरी का एक पन्ना Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-श्री सीताराम सेकसरिया का जन्म सन 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ नामक स्थान पर हुआ था। इन्हें विद्यालय जाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ, अतः इन्होंने स्वाध्याय से ही पढ़ना-लिखना सीखा था। बाद में ये व्यापार व्यवसाय से जुड़ गए। इनका जन्म राजस्थान में हुआ था, किंतु इनका अधिकांश जीवन कलकत्ता (कोलकाता) में ही बीता। ये अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक और नारी शिक्षण संस्थाओं के प्रेरक, संस्थापक और संचालक रहे। सीताराम सेकसरिया देश की स्वतंत्रता के प्रति अत्यंत गंभीर थे।

गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन में इनकी सक्रिय भूमिका रही। इसी आंदोलन के दौरान इन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी। ये कुछ वर्ष तक ‘आज़ाद हिंद फ़ौज’ के मंत्री भी रहे। सीताराम सेकसरिया के तत्कालीन नेताओं, कवियों और लेखकों से प्रगाढ़ संबंध थे। गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ इनके निकटतम संबंध थे। सन 1962 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मश्री’ सम्मान से भी सम्मानित किया।

सन 1982 में सीताराम सेकसरिया जी का देहांत हो गया। रचनाएँ-व्यापार-व्यवसाय से जुड़े होने पर भी सीताराम सेकसरिया का साहित्य के प्रति विशेष लगाव था। अपने व्यस्ततम समय में से कुछ समय वे साहित्य पठन-लेखन के लिए निकाल ही लेते थे। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-स्मृतिकण, मन की बात, बीता युग, नयी याद तथा एक कार्यकर्ता की डायरी (दो भाग)। भाषा-शैली-सीताराम सेकसरिया ने स्वाध्याय से ही पढ़ना-लिखना सीखा था, इसलिए इनकी भाषा में पूर्ण साहित्यिकता और प्रौढ़ता दिखाई नहीं देती किंतु इनकी भाषा भावानुकूल और अभिव्यक्ति में पूर्ण सक्षम है। इनकी भाषा में चित्रात्मकता, रोचकता एवं प्रवाहमयता का गुण भी विद्यमान है।

इनकी भाषा पर बाँग्ला का प्रभाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। इन्होंने तत्सम और तद्भव शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भी सुंदर प्रयोग किया है। इनकी भाषा में सरलता और सहजता सर्वत्र विद्यमान है। उदाहरणस्वरूप-“बड़े बाजारों के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और कई मकान तो ऐसे सजाए गए थे कि ऐसा मालूम होता था कि मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ता के प्रत्येक भाग में ही झंडे लगाए गए थे। जिस रास्ते से मनुष्य जाते थे उसी रास्ते में उत्साह और नवीनता मालूम होती थी।” सीताराम सेकसरिया ने अपनी रचनाओं में आत्मकथात्मक शैली का अधिक प्रयोग किया है। कहीं-कहीं इनकी शैली वर्णनात्मक और विचारात्मक भी है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ ‘डायरी का एक पन्ना’ लेखक सीताराम सेकसरिया द्वारा 26 जनवरी 1931 के दिन लिखी गई डायरी का एक अंश है। 26 जनवरी 1931 को कलकत्तावासियों ने दूसरा स्वतंत्रता दिवस मनाया था। इससे क्रोधित होकर अंग्रेजी सरकार ने क्रांतिकारियों पर खूब लाठियाँ बरसाईं और अत्याचार किए। इस पाठ में उस दिन की सारी घटना का विस्तृत वर्णन है। लेखक कहता है कि 26 जनवरी 1931 का दिन अमर दिन था।

इस दिन केवल कलकत्ता में ही नहीं पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस की द्वितीय वर्षगाँठ मनाई गई। यद्यपि उस समय भारत गुलाम था, किंतु 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा के बाद इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। 26 जनवरी 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाने की पूरी तैयारी की गई थी।

कामश्न ने भी स्पष्ट कर दिया कि ऐसी किसी भी सभा में शामिल होना अपराध है। यदि कोई सभा में शामिल हुआ, तो उसे दोषी समझा जाएगा। सभा होने से रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस का प्रबंध भी कर दिया गया।

उस दिन मोनुमेंट के नीचे जहाँ शाम को सभा होनी थी, उस जगह को प्रातःकाल से ही घेर लिया गया। बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने जब श्रद्धानंद पार्क में झंडा गाड़ा, तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह को तो झंडा फहराने के लिए घुसने ही नहीं दिया गया। गुजराती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकालने वाली लड़कियों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया। उधर सुभाषचंद्र बोस के जुलूस का प्रबंध करने वाले पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय को भी गिरफ़्तार कर लिया गया।

उस दिन ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाषचंद्र बोस जुलूस लेकर जब चौरंगी पहुँचे, तो उन्हें वहीं रोक लिया गया। उनके साथ लोगों की भारी भीड़ थी। सभा-स्थल के पास पहुँचते ही भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस ने उन पर लाठियाँ बरसाना शुरू कर दिया। सुभाषचंद्र बोस पर भी लाठियाँ पड़ीं। अनेक लोग घायल हुए। एक ओर पुलिस लोगों पर लाठियाँ बरसा रही थी, तो दूसरी ओर जुलूस में शामिल स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा दिया और स्वतंत्रता की घोषणा भी पढ़ी।

पुलिस ने सुभाषचंद्र बोस और अनेक स्त्री-पुरुषों को पकड़कर लालबाज़ार जेल में डाल दिया। अंग्रेज़ी पुलिस द्वारा लाठियाँ बरसाए जाने से लोगों के सिर फूट रहे थे, किंतु उत्साह कम नहीं हो रहा था। धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर थोड़ी देर के लिए जुलूस टूट गया, लेकिन थोड़ी ही देर में एक बड़ी भीड़ जुलूस में फिर शामिल हो गई। लेखक बताता है कि उनका एक साथी जिसका नाम वृजलाल गोयनका था, जुलूस में सक्रिय योगदान दे रहा था।

वह झंडा लेकर वंदेमातरम् बोलता हुआ तेज़ी से मोनुमेंट की ओर दौड़ा, तो एक अंग्रेज़ी घुड़सवार ने उसे ज़ोर से लाठी मारी। इसके बाद वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया, जहाँ उसे पकड़कर छोड़ दिया गया। इसके बाद वह लगभग दो सौ लोगों को जुलूस के रूप में लेकर लालबाज़ार की तरफ़ आया, जहाँ उसे फिर गिरफ़्तार कर लिया गया। उस जुलूस में शामिल जानकी देवी एवं जमनालाल बजाज की पुत्री मदालसा को भी पकड़कर जेल में डाल दिया गया।

लेखक लिखता है कि वह दिन कलकत्तावासियों के लिए अपूर्व दिन था। उस दिन लगभग 105 स्त्रियाँ गिरफ़्तार हुई और लगभग दो सौ लोग अंग्रेज़ी पुलिस की लाठियों से घायल हुए। अंग्रेज़ी सरकार का ऐसा विरोध कलकत्तावासियों ने पहले कभी नहीं किया था। उस दिन अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरोध से कलकत्तावासियों पर लगा यह कलंक धुल गया कि बंगाल में स्वतंत्रता-संग्राम से संबंधित कोई कार्य नहीं हो रहा है। इस प्रकार 26 जनवरी 1931 का दिन कलकत्तावासियों के लिए अमर, अपूर्व और महत्त्वपूर्ण बन गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

कठिन शब्दों के अर्थ :

पुनरावृत्ति – फिर से होना, गत वर्ष – पिछले साल, नवीनता – नयापन, गश्त – पुलिस का पहरे के लिए घूमना, सारजेंट – सेना में एक पद, ट्रैफिक पुलिस – यातायात को नियंत्रण में रखने वाली पुलिस, मोनुमेंट – स्मारक, भोर – प्रात:काल, कौंसिल – परिषद, निराली – विचित्र, ओपन लड़ाई – खली लड़ाई, चैलेंज – चुनौती, चौरंगी – कलकत्ता (कोलकाता) शहर में एक स्थान का नाम, वालेंटियर – स्वयंसेवक, लॉकप – जेल, नेतृत्व – अगुवाई, संगीन – गंभीर, अपूर्व – जो पहले कभी न हुआ हो, कलंक – धब्बा, अंश – हिस्सा

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार

JAC Class 10 Hindi संगतकार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर :
संगतकार के माध्यम से कवि विवश या ज्ञान के इच्छुक व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है। इसके माध्यम से कवि ने ऐसे निर्बल, असहाय और निर्धन लोगों की ओर भी संकेत किया है, जो धनवान और शक्तिशाली के स्वर में अपना स्वर मिलाने के लिए विवशहैं।

प्रश्न 2.
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं ?
उत्तर :
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देते हैं। साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि ठीक करने रीगरों के पास काम करने वाले लड़के संगतकार की ही तरह काम सीखते और करते हैं। लुहार, काष्ठकार, मूर्तिकार, रंग-रोगन करने वाले, चर्मकार, नल ठीक करने वाले और पत्थर का काम करने वाले इसी श्रेणी से संबंधित होते हैं, जो अपने-अपने गुरु या उस्ताद के साथ अभ्यास करके काम सीख लेते हैं।

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प्रश्न 3.
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं ?
उत्तर :
संगतकार सहगायक, सहगायिका के रूप में गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं। वे तरह-तरह के वाद्य यंत्र बजाने में भी सहायक बनते हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए –
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर :
संगतकार मुख्य गायक का साथ देने के लिए गाता है। वह अस्पष्ट रूप से उसे यह बताना चाहता है कि जो राग पहले गाया जा चुका है,
उसे फिर से गाया जा सकता है, पर उसकी आवाज़ में एक हिचक साफ़ सुनाई देती है। वह अपने स्वर को ऊँचा उठाने की कोशिश नहीं करता। इसे उसकी विफलता नहीं, बल्कि उसकी मनुष्यता समझना चाहिए क्योंकि वह किसी भी अवस्था में मुख्य गायक के अहं को ठेस नहीं लगने देना चाहता। वह उसका शिष्य है। उसका बड़प्पन इसी बात में है कि वह मुख्य गायक के मान-सम्मान की रक्षा करे।

प्रश्न 5.
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हर क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने के लिए लोगों को अनेक लोगों की सहायता लेनी पड़ती है। हम सामाजिक प्राणी हैं और समाज में रहते ए दूसरों की सहायता और उनके योगदान के बिना जीवन की राह में आगे नहीं बढ़ सकते। कल्पना चावला के नाम को आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि सारे संसार में प्रसिद्धि प्राप्त हो चुकी है। उसकी प्रसिद्धि का आधार वह स्वयं ही है, पर उसके जीवन में अनेक लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है।

सबसे पहला योगदान तो उसके माता-पिता और भाई ने दिया। उसके हरियाणा के करनाल में स्थित स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों ने उसकी पढ़ाई में योगदान दिया। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ ने उसकी शिक्षा में योगदान दिया। नासा ने सफलता प्राप्ति के लिए भरपूर योगदान दिया। न जाने कितने लोगों के योगदान को प्राप्त करके ही वह अपनी मंजिल तक पहुंची थी। योगदान फिर भी मिल जाता है, पर आत्मिक बल और परिश्रम की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, तभी प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है।

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प्रश्न 6.
कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरने लगता है, तब संगतकार उसके साथ स्वर मिलाकर उसे अहसास करवाता है कि वह अकेला नहीं है। वह पहले भी तारसप्तक की ऊँचाई पर कई बार पहुँचा था और अब फिर पहुँच सकता है। पहले गाया गया राग फिर गाया जा सकता है। संगतकार उसे सांत्वना देकर उसके आत्मिक बल को बढ़ाने में सहायता देता है।

प्रश्न 7.
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं ? उत्तर :
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं, तब उसे उसके सहयोगी सांत्वना देते हैं; उसका हौसला बढ़ाते हैं। उसे असफलता को भूलने की सलाह देते हैं। यदि आवश्यकता हो तो आर्थिक सहायता भी देते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाए –
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर :
(क) ऐसी स्थिति में मन में घबराहट उत्पन्न होगी। सहयोगी कलाकारों के बिना संगीत या नृत्य समारोह लगभग असंभव-सा है। वाद्य यंत्रों के बिना संगीत या नृत्य अधूरा है।
(ख) ऐसी परिस्थिति में सहयोगी कलाकारों से शीघ्र संपर्क करके उन्हें बुलाऊँगा। उनके न पहुँच पाने की स्थिति में नए कलाकारों को बुलाने का प्रयत्न करूँगा, लेकिन उनके बुलाने पर भी कार्यक्रम पूरी तरह से सफल नहीं होगा क्योंकि उनके साथ पूर्व अभ्यास न होने के कारण तालमेल बैठाना बहुत कठिन होगा। संभव है कि उस कार्यक्रम को स्थगित ही करना पड़े।

प्रश्न 9.
आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक: अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
मेरे विद्यालय में मनाए जाने वाले किसी भी सांस्कृतिक समारोह में जितना महत्व मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों और उद्घोषकों का होता है, उतना या उससे भी अधिक महत्व मंच के पीछे काम करने वालों का भी होता है। जिस प्रकार नींव के बिना कोई भवन खड़ा नहीं हो सकता, उसी प्रकार मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों के बिना कोई समारोह हो ही नहीं सकता। संगीत और नृत्य कार्यक्रमों में संगतकार मंच के पीछे से संगीत की प्रस्तुति कर कार्यक्रम को जीवंत बनाते हैं। प्रकाश की अनकल और प्रभावी व्यवस्था मंच के पीछे काम करने वाले ही करते हैं। वे ही अपने कौशल से किसी कार्यक्रम में जान डाल देते हैं।

कार्यक्रम आरंभ होने से पहले ही मंच की साज-सज्जा का दर्शक के मन पर जो स्थाई प्रभाव पड़ता है, उसका सीधा संबंध कार्यक्रम की प्रस्तुति पर होता है। इसलिए मंच सज्जाकार का विशिष्ट महत्व है। ध्वनि व्यवस्था करने वाले इलैक्ट्रीशियन का महत्व भी महत्वपूर्ण है। बिना उचित ध्वनि के कार्यक्रम संभव ही नहीं। पावरकट की स्थिति में जैनरेटर चलाने वाले की उपयोगिता अपने : आप ही दिखाई दे जाती है। किसी नृत्य-कार्यक्रम में मंच के पीछे से भूमिका बाँधने वाले और गायन प्रस्तुत करने वाले सहयोगी की आवश्यकता तो सदा रहती ही है।

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प्रश्न 10.
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
उत्तर :
यह दुनिया किसी फ्रेम में लगे चित्र का चमकीला और रंगीन दृश्य ही देख पाती है। उसका ध्यान कभी उसके पीछे सहारा देने वाले गत्ते या लकड़ी के टुकड़े की ओर नहीं जाता। सभी को किसी ऊँचे-सुंदर भवन का सजा-सँवरा रूप तो दिखाई देता है, पर उसकी। गहरी मिट्टी में दबी नींव दिखाई नहीं देती जिसके बिना भवन का अस्तित्व ही संभव नहीं था।

मंच पर गाते और नृत्य करते कलाकार तो सभी को दिखाई देते हैं और इसलिए उनकी प्रतिभा की पहचान सभी को हो जाती है। लोग उनके लिए वाह-वाह करते हैं; तालियाँ बजाते हैं; उन्हें पुरस्कार देते हैं, पर उनके कार्यक्रम तैयार करने वाले उनके लिए गीत लिखने वाले; उनके संगतकार मंच के अंधेरे में ही छिपे रहते हैं। इसलिए अति प्रतिभावान संगतकार भी लोगों की भीड़ के सामने न आ पाने के कारण मुख्य या शीर्ष स्थान पर नहीं पहुँच पाते।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न 1.
आप फ़िल्में तो देखते होंगे। अपनी पसंद की किसी एक फ़िल्म के आधार पर लिखिए कि उस फ़िल्म की सफलता में अभिनय करने वाले कलाकारों के अतिरिक्त और किन-किन लोगों का योगदान रहा?
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध गायिका की गीत प्रस्तुति का आयोजन है
(क) इस संबंध पर सूचना पट के लिए एक नोटिस तैयार करें।
(ख) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार करें।
उत्तर
(क)

नोटिस

संगीत क्लब द्वारा शुक्रवार, 14 सितंबर को विद्यालय के सभागार में सायं 6.00 बजे संगीत संध्या का आयोजन किया जा रहा है। देशभर में ख्याति प्राप्त गायिकाएँ अपनी-अपनी स्वर माधुरी से विद्यालय के प्रांगण को सुवासित करने हेतु इसमें पधार रही हैं। आप अपने माता-पिता के साथ इसमें सादर आमंत्रित हैं। निर्धारित समय से पंद्रह मिनट पहले पहुँचकर आप अपना-अपना स्थान ग्रहण करने का कष्ट करें।

डॉ० महीप शर्मा
अध्यक्ष
संगीत क्लब

(ख) स्वर सम्राज्ञी कविता कृष्णमूर्ति को देशभर में ही ख्याति प्राप्त नहीं है अपितु इन्होंने विश्वभर में अपनी मधुर आवाज़ से सम्मान प्राप्त किया है। इनका नाम संगीत की पहचान बन चुका है। फ़िल्म संगीत में इनकी अपनी पहचान है। गायन में इनका कोई मुकाबला नहीं है। इनके साथ निपुण और कलावंत संगतकारों की पूरी टीम है। इस सभा में तबले पर हरीश शर्मा, सारंगी पर बेजू, हारमोनियम पर गुरविंद्र सिंह, ढोलक पर अविनाश चावला, मृदंगम पर रामानुज और बाँसुरी पर अखिलेश भट्टाचार्य गायिका का साथ देंगे।

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यह भी जानें –

सरगम – संगीत के लिए सात स्वर तय किए गए हैं। वे हैं-षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन्हीं नामों के पहले अक्षर लेकर इन्हें सा, रे, गा, म, प, ध और नि कहा गया है।

सप्तक – सप्तक का अर्थ है सात का समूह। सात शुद्ध स्वर हैं इसीलिए यह नाम पड़ा। लेकिन ध्वनि की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गए हैं। यदि साधारण ध्वनि है तो उसे ‘मध्य सप्तक’ कहेंगे और ध्वनि मध्य सप्तक से ऊपर है तो उसे ‘तार सप्तक’ कहेंगे तथा यदि ध्वनि मध्य सप्तक से नीचे है तो उसे ‘मंद्र सप्तक’ कहते हैं।

JAC Class 10 Hindi संगतकार Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्य में संगतकार का महत्व प्रतिपादित कीजिए।
अथवा
‘संगतकार’ की भूमिका क्या होती है? टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
भारतीय इतिहास में संगतकार का सदा से विशिष्ट योगदान रहा है। राजा-महाराजाओं के युग में सैनिकों की सहायता से युद्ध लड़े जाते थे। हार या जीत से कोई गुलाम बन जाता था, तो कोई सम्राट बन जाता था। सैनिकों को इतिहास में कोई जानता तक नहीं, पर राजसत्ता में परिवर्तन का आधार वही बनते थे। कर वसूल करने वाले का नाम-पता तक ज्ञात नहीं होता, पर शासक और उच्चाधिकारियों के नाम को ऊँचा उठा दिया जाता है या नीचे गिरा दिया जाता है। राजतंत्र के मुखिया स्वयं बहुत कम काम करते थे, अधिकांश काम उनके संगतकार ही करते थे पर नाम शासक का ही होता था।

प्रश्न 2.
‘वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संगतकार मुख्य गायक के स्वर में अपने स्वर का सहयोग प्राचीन काल से ही देता चला आया है। कभी भी अकेला मुख्य गायक कार्यक्रम या संगीत सभा में अकेला नहीं गाता; उसके साथ संगतकार होते ही हैं। यह एक प्राचीन परंपरा है। उनकी सहायता के बिना मुख्य गायक को सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। जब मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है, तो संगतकार धीमे स्वर में उसके स्वर में स्वर मिलाता है।

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प्रश्न 3.
संगतकार के माध्यम से कवि ने किन लोगों की ओर ध्यान आकर्षित किया है?
उत्तर :
संगतकार के माध्यम से कवि ने हर क्षेत्र में सहयोगी की भूमिका निभाने वालों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करके उनके महत्व का प्रतिपादन किया है। मुख्य गायक की सफलता में संगतकार का महत्वपूर्ण योगदान है। यदि संगतकार न हो, तो मुख्य गायक गीत गाते गाते तानों में उलझकर रह जाए। उसकी आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाकर संगतकार ही उसके आत्म-विश्वास को बनाए रखता है। उसके कारण मुख्य गायन भी आश्वस्त रहता है कि कोई है, जो उसे तान से भटकने नहीं देगा।

प्रश्न 4.
संगतकार कैसे लोगों का प्रतिनिधित्व करता दिखाई देता है?
अथवा
संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है-पुष्टि कीजिए।
अथवा
संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है ? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?
उत्तर :
संगतकार उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्वयं प्रतिभावान होते हुए भी बड़े-बड़े कलाकारों की संगत करते हैं। जो गुमनामी में अपना जीवन बिताते हैं, परंतु योग्य होते हुए भी अपने आश्रयदाता के पीछे ही रहते हैं और मुख्य कलाकारों की सफलता में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं; उनका सम्मान करते हैं। संगतकारों का यही प्रयास रहता है कि वे मुख्य कलाकारों की अपेक्षा धीमे स्वर में ही गाएँ। उन में दूसरों के लिए अपने नाम और पहचान की इच्छा नहीं होती। इस प्रकार वह अपनी मनुष्यता बनाए रखता है।

प्रश्न 5.
‘संगतकार’ कविता का क्या उददेश्य है?
उत्तर
‘संगतकार’ कविता का उद्देश्य संगतकारों के महत्व को समाज में प्रतिपादित करना है। कवि चाहता है कि इनके योगदान को न तो मुख्य कलाकार अनदेखा करे और न ही समाज इनको निम्न दृष्टि से देखे। समाज केवल मुख्य कलाकारों का ही सम्मान करता है। ऐसी प्रवृत्ति इन कलाकारों के लिए लाभप्रद नहीं है। समाज तो बाद में आता है, मुख्य कलाकारों को सर्वप्रथम इनका सम्मान करते हुए इन्हें समय-समय पर आगे आने का अवसर प्रदान करना चाहिए। ये कहीं गुमनामी के अँधेरे में खोकर अपना हुनर न गँवा बैठे, यह जिम्मेदारी मुख्य कलाकारों की ही बनती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार

प्रश्न 6.
संगतकार की आवाज़ में एक हिचक सी क्यों प्रतीत होती है ?
उत्तर :
संगतकार की आवाज़ सुंदर और मधुर है। परंतु उसकी आवाज़ में कंपन है, मुख्य गायक की तुलना में उसकी आवाज़ कमजोर है। अनुभव तथा आत्म-विश्वास में कमी होने के कारण ऐसा नहीं है, बल्कि वह मुख्य गायक को आगे ले जाना चाहता है। उसके बिखरे स्वरों को संभालता है। वह कहीं मुख्य गायक से आगे न निकल जाए, इसलिए उसकी आवाज़ में एक हिचक सुनाई देती है।

पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा उन उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।

(क) मुख्य गायक जब ऊँचे स्वर में गाता है तो क्या होता है?
(i) सब मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
(ii) सब तालियाँ बजाते हैं।
(iii) मुख्य गायक का गला बैठने लगता है।
(iv) संगतकार चुप हो जाता है।
उत्तर :
(iii) मुख्य गायक का गला बैठने लगता है।

(ख) जब मुख्य गायक निराश हो जाता है तो उसका साथ कौन देता है?
(i) संगतकार
(ii) संगीतकार
(iii) तबलावादक
(iv) सितार वादक
उत्तर :
(i) संगतकार

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार

(ग) किसकी आवाज़ में हिचक का भाव छिपा रहता है।
(i) मुख्य गायक की
(ii) संगतकार की
(iii) श्रोता की
(iv) संगीतकार की
उत्तर :
(ii) संगतकार की

(घ) संगतकार द्वारा अपनी आवाज़ को ऊँचा न उठाना क्या है?
(i) उसकी असफलता
(ii) उसकी नीचता
(iii) उसका स्वार्थ
(iv) उसकी इनसानियत
उत्तर :
(iv) उसकी इनसानियत

(ङ) ‘तारसप्तक’ कैसा स्वर है?
(i) सबसे नीचा
(ii) मध्य
(iii) सबसे ऊँचा
(iv) मंद्र
उत्तर :
(iii) सबसे ऊँचा

काव्यबोध संबंधी बहुविकल्पी प्रश्न –

काव्य पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर वाले विकल्प चुनिए –
(क) निपुण और संपन्न की आवाज़ में अपनी आवाज़ कौन मिलाता रहा है?
(i) संगतकार
(ii) मुख्य गायक
(iii) अभावग्रस्त
(iv) सर्वसंपन्न
उत्तर :
(iii) अभावग्रस्त

(ख) पैदल चलकर’ से कवि किस ओर संकेत कर रहा है?
(i) संपन्नता की ओर
(ii) निर्धनता की ओर
(iii) निपुणता की ओर
(iv) ईमानदारी की ओर
उत्तर :
(ii) निर्धनता की ओर

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(ग) मुख्य गायक/गायिका को ढाढ़स कौन बँधाता है?
(i) संगतकार
(ii) श्रोता
(iii) संगीतकार
(iv) कोई नहीं
उत्तर :
(i) संगतकार

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर – 

1. मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँधकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था

शब्दार्थ संगतकार – मुख्य गायक के साथ गायन करने वाला या कोई वाद्य बजाने वाला। गरज – ऊँची गंभीर आवाज़। प्राचीनकाल – पुराना समय। अंतरा – स्थायी या टेक को छोड़कर गीत का चरण। जटिल – कठिन। तान – संगीत में स्वर का विस्तार। सरगम – संगीत के सात स्वर-सा, रे, ग, म, प, ध, नि। लाँघकर – पार करके। अनहद – परमात्मा से मिलने से पहले भक्त के कान में आने वाली आवाज़। समेटता – इकट्ठा करता। नौसिखिया – जिसने अभी सीखना आरंभ किया हो।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-2) में संकलित कविता ‘संगतकार’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता श्री मंगलेश डबराल हैं। कवि ने मुख्य गायक के साथ गाने वाले संगतकार की विशिष्टता का वर्णन करते हुए उसके महत्व को प्रतिपादित किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी-भरकम गाने के स्वर के साथ संगतकार की काँपती हुई-सी सुंदर और कमज़ोर आवाज़ मिल गई थी। शायद वह संगतकार गायक का छोटा भाई है या उसका कोई शिष्य है। हो सकता है कि वह कहीं दूर से पैदल चलकर संगीत की शिक्षा प्राप्त करने वाला गायक का अभावग्रस्त रिश्तेदार हो। वह संगतकार मुख्य गायक की ऊँची गंभीर आवाज़ में अपनी गूंज युगों से मिलाता आया है। अभावग्रस्त, जरूरतमंद और कमज़ोर सदा से ही निपुण और संपन्न की ऊँची आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाता रहा है।

मुख्य गायक जब स्वर को लंबा खींच कर अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो जाता है; संगीत के रस में या संगीत के सुरों की अपनी सरगम की सीमा को पार कर ईश्वरीय आनंद की प्राप्ति में डूब जाता है और उसे अनहद का आनंददायक स्वर आलौकिक आनंद देने लगता है, तब संगतकार ही गीत के स्थायी को सँभाल कर अपने साथ रखता है। गीत को बिखरने से वही रोकता है। ऐसा लगता है, जैसे वही मुख्य गायक के पीछे छूट गए सामान को इकट्ठा कर रहा हो। संगतकार ही उस मुख्य गायक को उसका बचपन याद दिलाता है, जब उसने संगीत को नया-नया सीखना आरंभ किया था और उसने संगीत में निपुणता प्राप्त नहीं की थी।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. भटके स्वर को संगतकार कब सँभालता है और मुख्य गायक पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
2. मुख्य गायक के साथ कौन स्वर साधता है?
3. ‘संगतकार’ का स्वर कैसा है?
4. ‘संगतकार’ कौन हो सकता है?
5. ‘पैदल चल कर’ किस भाव की ओर संकेत करता है?
6. ‘वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से’ में निहित गूढार्थ को स्पष्ट कीजिए।
7. ‘अनहद’ क्या है ?
8. यहाँ नौसिखिया किसे कहा गया है और किस संदर्भ में?
9. संगतकार की भूमिका का महत्व कब सामने आता है ?
उत्तर :
1. जब गायक अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो जाता है, तब संगतकार उसके भटके स्वर को सँभालता है। संगतकार के इस कार्य से गायक सँभल जाता है।
2. मुख्य गायक के साथ संगतकार स्वर साधता है।
3. संगतकार का स्वर कंपनशील और सुंदर, लेकिन कमज़ोर है।
4. संगतकार मुख्य गायक का छोटा भाई या उसका कोई शिष्य हो सकता है या दूर से पैदल चलकर आने वाला संगीत सीखने का इच्छुक कोई रिश्तेदार हो सकता है।
5. ‘पैदल चल कर’ संगतकार की निर्धनता और साधनहीनता की ओर संकेत करता है।
6. कवि ने लाक्षणिकता का प्रयोग करते हुए प्रकट किया है कि जैसे निपुण संगीतकार के ऊँचे और गंभीर स्वर में संगतकार अपना स्वर मिलाने को विवश होता है, वैसे ही किसी साधन-संपन्न, समृद्ध और शक्तिशाली के स्वर में कोई अभावग्रस्त अपनी आवाज़ को मिलाने के लिए मज़बूर होता है। उसके अपने स्वर का कोई औचित्य नहीं होता।
7. ‘अनहद’ वह विशेष ध्वनि है, जो संतों-भक्तों को ईश्वर-मिलन से पहले सुनाई देती है। वे उसके आनंद में डूब जाते हैं।
8. यहाँ गायक के लिए नौसिखिया शब्द प्रयुक्त किया गया है। इसका गायक के तानों में खोकर भटक जाने के संदर्भ में उल्लेख किया गया है।
9. जब मुख्य गायक सरगम से परे हो जाता था तब संगतकार उसके स्वर को संभाल कर अपना महत्व सिद्ध करता है।

सादव सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. गायक के स्वर को सँभालने में कौन सहायक बनता है?
2. कवि ने किस बोली का प्रयोग किया है?
3. किस प्रकार की शब्द-योजना की गई है?
4. किस शब्द-शक्ति ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है?
5. काव्य-गुण कौन-सा है ?
6. किस छंद का प्रयोग किया गया है?
7. दो तद्भव शब्द चुनकर लिखिए।
8. दो तत्सम शब्द चुनकर लिखिए।
9. दो विशेषण चुनकर लिखिए।
10. प्रयुक्त अलंकार चुनकर लिखिए।
उत्तर :
1. कवि ने संगीतकार के साथ संगतकार के महत्व को प्रतिपादित किया है और माना है कि वही मुख्य गायक स्वर को सँभालने में सहायक सिद्ध होता है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. सामान्य बोलचाल के शब्दों की अधिकता है।
4. अभिधा शब्द-शक्ति ने कवि के कथन को सरलता और सरसता प्रदान की है।
5. प्रसाद गुण विद्यमान है।
6. अतुकांत छंद का प्रयोग है।
7. छोटा, भाई
8. प्राचीन, स्थायी
9. कमज़ोर, भारी
10. अनुप्रास –
कमज़ोर काँपती, दूर का कोई रिश्तेदार,
गायक की गरज में, संगतकार ही स्थायी को सँभाले

उपमा –
चट्टान जैसे भारी।

रूपक –
जटिल तानों के जंगल।

उत्प्रेक्षा –

जैसे समेटता हो ………. हुआ सामान।
जैसे उसे याद ………. बचपन।

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2. तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाढ़स बंधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है।
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।

शब्दार्थ : सप्तक – संगीत के सात शुद्ध स्वर। तारसप्तक – मध्य सप्तक से ऊपर की ध्वनि। उत्साह – जोश। अस्त होना – डूबना, मंद पड़ना। राख जैसा कुछ गिरता हुआ – बुझता हुआ स्वर। ढाढ़स बँधाना – तसल्ली देना, सांत्वना देना। हिचक – झिझक। विफलता – असफलता। मनुष्यता – इंसानियत।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ (भाग-2) में संकलित कविता ‘संगतकार’ से लिया गया है, जिसके रचयिता श्री मंगलेश डबराल हैं। कवि ने संगतकार के महत्व को प्रस्तुत किया है और माना है कि वह मुख्य गायक के गायन में सहायता ही नहीं देता बल्कि अपनी इंसानियत को भी प्रकट करता है।

व्याख्या : कवि कहता है कि मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है। तब उसकी आवाज़ मध्य सप्तक से ऊपर उठकर तारसप्तक तक पहुँचती है, तो ध्वनि की उच्चता के कारण उसका गला बैठने लगता है। उसकी प्रेरणा उसका साथ छोड़ने लगती है और उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है। उसका स्वर बुझने-सा लगता है और उसे प्रतीत होने लगता है कि वह ठीक प्रकार से गायन नहीं कर पाएगा। वह हतोत्साहित-सा हो जाता है। उसमें जब निराशा का भाव भरने लगता है, तब संगतकार उसे सांत्वना देता है; उसका हौसला बढ़ाता है। इससे मुख्य गायक का स्वर स्वयं ही कहीं से आ जाता है।

वह फिर से उच्च स्वर में गाने लगता है। उसकी निराशा समाप्त हो जाती है। कभी-कभी संगतकार वैसे ही मुख्य गायक का साथ दे देता है। वह मुख्य गायक को यह अहसास करवाना चाहता है कि वह अकेला नहीं है। वह उसका साथ देने के लिए उसके साथ है। वह उसे गाकर यह भी बता देता है कि जिस राग को पहले गाया जा चुका है, उसे फिर से गाया जा सकता है। पर उसकी आवाज़ में हिचक का भाव अवश्य छिपा रहता है। उसे यह अवश्य लगता है कि उसे मुख्य गायक से संकेत मिले बिना नहीं गाना चाहिए।

ऐसा भी हो सकता है कि वह अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा उठाने की कोशिश नहीं करना चाहता। संगतकार के द्वारा अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश उसकी असफलता नहीं मानी जानी चाहिए, बल्कि इसे तो उसकी इंसानियत समझना चाहिए। वह मनुष्यता के भावों को सामने रखकर और सोच-विचार कर अपने संगीत-गुरु की आवाज़ से अपनी आवाज़ को ऊँचा नहीं उठाना चाहता। उसमें श्रद्धा का भाव है, जो सराहनीय है।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
2. तारसप्तक क्या है?
3. बैठने लगता है उसका गला’ से क्या तात्पर्य है?
4. ‘राख जैसा’ किसे कहा गया है और क्यों?
5. मुख्य गायक को कौन ढाढ़स बंधाता है?
6. मुख्य गायक का साथ कभी-कभी कौन देता है और क्यों?
7. ‘उसका गला’ में ‘उसका’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
8. किसे संगतकार की मनुष्यता समझा जाना चाहिए?
9. ‘तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला, प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ’–का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. कवि ने संगतकार की विशेषता और उसके श्रेष्ठ गुणों को प्रकट करते हुए कहा है कि वह मुख्य गायक को गाने में सहायता ही नहीं देता बल्कि उसे प्रेरणा भी देता है। उसके साहस को बढ़ाता है और स्वयं को उससे नीचे दिखाने का प्रयत्न करता है।
2. संगीत के सात शुद्ध स्वर हैं। ध्वनि की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत के तीन सप्तक माने गए हैं-मध्यसप्तक, तारसप्तक और मंद्र सप्तक। जब ध्वनि मध्यसप्तक से ऊपर होती है, तो उसे तारसप्तक कहते हैं।
3. ऊँचे स्वर में गाने से जब गला ठीक प्रकार से स्वर लहरी को प्रकट नहीं कर पाता, तो उसे ‘गला बैठने लगा’ कहते हैं।
4. ‘राख जैसा’ से तात्पर्य है-‘गिरता हुआ स्वर’। जब गायक के स्वर में उत्साह की कमी हो जाती है, तब उसका स्वर गिरने लगता है। इसे ही कवि ने ‘राख जैसा’ कहा है।
5. मुख्य गायक को संगतकार ढाढ़स बँधाता है।
6. मुख्य गायक का साथ कभी-कभी संगतकार देता है, ताकि उसे ऐसा न लगे कि वह अकेला है। वह उसे अहसास करवाना चाहता है कि वह उसके साथ है।
7. ‘उसका गला’ में ‘उसका’ का प्रयोग मुख्य गायक के लिए किया गया है।
8. संगतकार के द्वारा अपने स्वर को जानबूझकर ऊँचा न उठाने को उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
9. इस पंक्ति के अनुसार ऊँचे स्वर में गाते समय गायक का गला बैठने लगता है। जिस प्रेरणा से वह गा रहा है, वह क्षीण पड़ने लगती है और उसका उत्साह कम होने लगता है।

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सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अवतरण का भाव स्पष्ट कीजिए।
2. कवि ने किस बोली का प्रयोग किया है ?
3. किस काव्य-गुण का प्रयोग किया गया है?
4. कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
5. काव्य-रस का नाम लिखिए।
6. किस प्रकार के शब्दों की अधिकता है?
7. किस शब्द-शक्ति ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है ?
8. दो तद्भव शब्द चुनकर लिखिए।
9. दो तत्सम शब्द चुनकर लिखिए।
10. प्रयुक्त संगीत संबंधी शब्द चुनकर लिखिए।
11. प्रयुक्त अलंकार चुनिए।
उत्तर :
1. कवि ने संगतकार की निपुणता और श्रेष्ठ मानसिकता की ओर संकेत किया है, जो मुख्य गायक का सहायक बनकर भी उसके प्रति अपने मन में श्रद्धा के भाव रखता है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
3. प्रसाद गुण।
4. मुक्त छंद।
5. शांत रस।
6. सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
7. अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग कवि के कथन को सरलता-सरसता प्रदान करने का आधार बना है।
8. अकेला, गला
9. अस्त, उत्साह
10. राग, तारसप्तक, आवाज, संगतकार
11. उपमा –
आवाज़ से राख जैसा कुछ

पुनरुक्ति प्रकाश –
कभी-कभी

संदेह –
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाए

संगतकार Summary in Hindi

कवि-परिचय :

एक पत्रकार के रूप में प्रतिष्ठित श्री मंगलेश डबराल हिंदी जगत के श्रेष्ठ कवि हैं। इनका जन्म सन 1948 में टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) के काफलपानी गाँव में हुआ था। इनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई थी। दिल्ली आकर ये पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ गए। इन्होंने हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम किया। बाद में ये भारत भवन, भोपाल से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक संपादक के पद पर आसीन हुए।

इन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ में छपने वाले अमृत प्रभात में भी काम किया। सन 1983 में ये जनसत्ता समाचार-पत्र में साहित्य संपादक के पद पर सुशोभित हुए। इन्होंने कुछ समय तक सहारा समय का संपादन कार्य भी किया। आजकल श्री डबराल नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं।

रचनाएँ – अब तक श्री मंगलेश डबराल के चार काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं; वे हैं-‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’ तथा ‘आवाज़ भी एक जगह। भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, स्पानी, जर्मन, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी इनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। कविता के अतिरिक्त साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति से संबंधित विभिन्न विषयों पर भी थे।

नियमित रूप से लेखन करते रहे हैं। इनकी साहित्यिक उपलब्धियों पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पहल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने केवल कवि के रूप में ही ख्याति प्राप्त नहीं की है, बल्कि एक अच्छे अनुवादक के रूप में भी नाम अर्जित किया है।

विशेषताएँ – श्री मंगलेश की कविता में सामंती बोध और पूँजीवादी छल-छद्म का खुलकर विरोध किया गया है। इनकी विद्रोह भावना एक निश्चित दर्शन के स्तर पर व्यक्त हुई है। आज का मानव अधिक संघर्षशील है। उसे सामाजिक, आर्थिक, नैतिक आदि अनेक मोर्चा पर एक साथ संघर्ष करना पड़ता है। वह नई मर्यादाओं की स्थापना करना चाहता है।

कवि ने इनकी आवाज़ को अपनी कविता में विशेष स्थान दिया है। इनकी कविता में अनुभूति और रागात्मकता विद्यमान है। इन्होंने पुरानी परंपराओं का विरोध किसी शोर-शराबे के साथ नहीं किया, बल्कि प्रतिपक्ष में एक सुंदर सपना रच कर प्रकट किया है। इनका सौंदर्य बोध सूक्ष्म है। सजग भाषा-दृष्टि इनकी कविता की प्रमुख विशेषता है। इन्होंने नए शब्दों को नए अर्थों के लिए प्रयुक्त किया है।

इन्होंने बोलचाल के शब्दों का भी अधिक प्रयोग किया है। इन्होंने छंद विधान को परंपरागत आधार पर स्वीकार नहीं किया बल्कि उसे अपने इच्छित रूप में प्रस्तुत किया है। इन्होंने लय के बंधन का निर्वाह किया है और कुछ कोमल भावनाएँ इन्होंने अपनी कविता में बाँधी हैं। इन्होंने परंपरागत बिंबों की जगह नए बिंबों का निर्माण किया है। इनकी कविता में नए प्रतीकों की बड़ी संख्या है। सार्वभौम प्रतीकों की अपेक्षा इन्हें नए प्रतीकों के प्रति अधिक मोह है। इनकी भाषा पारदर्शी और सुंदर है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार

कविता का सार :

‘संगतकार’ कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार के महत्व और उसकी अनिवार्यता की ओर संकेत करती है। मुख्य गायक की सफलता में वह अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। संगतकार केवल गायन के क्षेत्र में ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि नाटक, फिल्म, संगीत, नृत्य आदि के लिए भी उपयोगी है। जब कोई मुख्य गायक अपने भारी स्वर में गाता है, तब संगतकार अपनी सुंदर कमजोर कॉपती आवाज से उसे और अधिक सुंदर बना देता है। युगों से संगतकार अपनी आवाज़ को मुख्य गायक के स्वर के साथ मिलाते रहे हैं। जब मुख्य गायक अंतरे की जटिल तान में खो चुका होता है या अपनी ही सरगम को लाँघ जाता है, तब संगतकार हो स्थायी को संभाल कर आगे बढ़ाता है।

जैसे वह उसे उसका बचपन याद दिला रहा हो। वही मुख्य गायक के गिरते हुए स्वर को ढाढ़स बँधाता है। कभी-कभी वह उसे यह अहसास दिलाता है कि गाने वाला अकेला नहीं है, बल्कि वह उसका साथ दे रहा है जो राग पहले गाया जा चुका है, वह फिर से गाया जा सकता है। वह मुख्य गायक के समान अपने स्वर मनुष्यता समझना चाहिए। वह ऐसा करके मुख्य गायक के प्रति अपने हृदय का सम्मान प्रकट करता है।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry

Students should go through these JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry will seemingly help to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry

Co-Ordinate System:
In two dimensional coordinate geometry, we generally use two types of coordinate systems.

  • Cartesian or Rectangular coordinate system.
  • Polar coordinate system.

In cartesian coordinate system we represent any point by ordered pair (x, y) where x and y are called x and y coordinate of that point respectively.
In polar coordinate system we represent any point by ordered pair (r, θ) where is called radius vector and ‘θ’ is called vectorial angle of that point, which will be studied in higher classes.

Cartesian Coordinate System:
→ Rectangular Coordinate Axes:
Let XX’ and YY’ are two lines such that XX’ is horizontal and YY’ is vertical lines in the same plane and they intersect each other at O. This intersecting point is called origin Now choose a convenient unit of length and starting from origin as zero, mark off a number scale on the horizontal line XX’, positive to the right of origin O and negative to the left of origin O. Also mark off the same scale on the vertical line YY’, positive upwards and negative downwards of the origin. The line XX’ is called X-axis and the line YY’ is known as Y-axis and the two lines taken together are called the coordinate axes.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry 1

→ Quadrants:
The coordinates axes XX’ and YY’ divide the plane of graph paper into four parts XY, X’Y, X’Y’ and XY’. These four parts are called the quadrants. The parts XY, X’Y, X’Y’ and XY’ are known as the first second, third and fourth quadrants respectively.

→ Cartesian Coordinates of a Point:
Let -axis and y-axis be the coordinate axes and P be any point in the plane. To find the position of P with respect of x-axis and y-axis, we draw two perpendicular line segment from P on both coordinate axes.

Let PM and PN be the perpendiculars on x-axis and y-axis resepectively. The length of the line segment OM is called the x-coordinate or abscissa of point P. Similarly the length of line segment ON is called the y-coordinate or ordinate of point P.

Let OM = x and ON = y. The position of the point P in the plane with respect to the coordinate axes is represented by the ordered pair (x, y). The ordered pair (x, y) is called the coordinates of point P. “Thus, for a given point, the abscissa and ordinate are the distances of the given point from y-axis and x-axis respectively”.

The above system of coordinating of ordered pair (x, y) with every point in plane is called the Rectangular or Cartesian coordinate system.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry 2
Cartesian coordinate system

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry

→ Convention of Signs:
As discussed earlier that regions XOY, Χ’ΟΥ, Χ’ΟΥ’ and ΧΟΥ’ are known as the first second, third and fourth quadrants respectively. The ray OX is taken as positive X-axis, OX’ as negative x-axis, OY as positive y-axis and OY as negative y-axis. Thus we have.
In first quadrant: x > 0, y > 0
In second quadrant: x < 0, y > 0
In third quadrant: x < 0, y < 0
In fourth quadrant: x > 0, y < 0

→ Points on Axis:
If point P lies on x-axis then clearly its distance from x-axis will be zero, therefore we can say that its ordinate will be zero. In general, if any point lies on x-axis then its y-coordinate will be zero. Similarly if any point Q lies on y-axis, then its distance from y-axis will be zero therefore we can say its x-coordinate will be zero. In general, if any point lies on y-axis then its x-coordinate will be zero.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 3 Coordinate Geometry 3

→ Plotting of Points:
In order to plot the points in a plane, we may use the following algorithm.
Step I: Draw two mutually perpendicular lines on the graph paper, one horizontal and other vertical.
Step II: Mark their intersection point as O (origin).
Step III: Choose a suitable scale on X-axis and Y-axis and mark the points on both the axes.
Step IV: Obtain the coordinates of the point which is to be plotted. Let the point be P(a, b). To plot this point start from the origin and |a| units move along OX, OX’ according as ‘a’ is positive or negative respectively. Suppose we arrive at point M. From point M move vertically upward or downward |b| units according as ‘b’ is positive or negative respectively The point where we arrive finally is the required point P(a, b).

Distance Between Two Points:
→ If there are two points A (x1, y1) and B(x2, y2) on the XY plane, the distance between them is given by
AB = \(\sqrt{\left(x_2-x_1\right)^2+\left(y_2-y_1\right)^2}\)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 1.
Prove that x = 3, y = 2 is a solution of 3x – 2y = 5.
Solution :
x = 3, y = 2 is a solution of 3x – 2y = 5, because L.H.S. = 3x – 2y = 3 × 3 – 2 × 2 = 9 – 4 = 5 = R.H.S.
i.e. x = 3, y = 2 satisfies the equation 3x – 2y = 5.
∴ It is a solution of the given equation.

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 2.
Prove that x = 1, y = 1 as well as x = 2, y = 5 is a solution of 4x – y – 3 = 0.
Solution :
Given eq, is 4x – y – 3 = 0 …(i)
First we put x = 1, y = 1 in L.H.S. of eq (i)
Here L.H.S. = 4x – y – 3 = 4 × 1 – 1 – 3 = 4 – 4 = 0 = R.H.S.
Now we put x = 2, y = 5 in eq. (i)
L.H.S. = 4x – y – 3 = 4 × 2 – 5 – 3 = 8 – 8 = 0 = R.H.S.
Since, x = 1, y = 1 and x = 2, y = 5, both pairs satisfied the given equation, therefore they are the solutions of given equation.

Question 3.
Determine whether x = 2, y = – 1 is a solution of equation 3x + 5y – 2 = 0.
Solution :
Given eq. is 3x + 5y – 2 = 0 ….(i)
Taking L.H.S. = 3x + 5y – 2 = 3 × 2 + 5 × (-1) – 2 = 6 – 5 – 2 = – 1 + 0 = R.H.S.
Here LH.S. ≠ R.H.S. therefore x = 2, y = – 1 is not a solution of given equation.

Question 4.
Draw the graph of
(i) 2x + 5 = 0
(ii) 3y – 15 = 0
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables - 1
Solution :
(i) Graph of 2x + 5 = 0
On simplifying it we get 2x = – 5
x = – \(\frac {5}{2}\)
First we plot point A1 (-\(\frac {5}{2}\), 0) and then we plot any other point A2 (-\(\frac {5}{2}\), 2) on the graph paper, then we join these two points we get required line l as shown in adjoining figure

(ii) Graph of 3y – 15 = 0
On simplifying it we get 3y = 15 y = 5.
⇒ y = \(\frac {15}{3}\) = 5
First we plot the point B1(0, 5) and then we plot any other point B2(3, 5) on the graph paper, then we join these two points we get required line m as shown in figure.
Note: A point which lies on the line is a solution of that equation. A point not lying on the line is not a solution of the equation.

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 5.
Draw the graph of the line x – 2y = 3, from the graph find the coordinates of the point when
(i) x = – 5
(ii) y = 0
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables - 1
Solution :
Here given equation is x – 2y = 3.
Solving it for y we get 2y = x – 3
⇒ y = \(\frac {1}{2}\)x – \(\frac {3}{2}\)
Let x = 0, then y = \(\frac {1}{2}\)(0) – \(\frac {3}{2}\) = – \(\frac {3}{2}\)
x = 3, then y = \(\frac {1}{2}\)(3) – \(\frac {3}{2}\) = 0
x = – 2, then y Hence, we get y = \(\frac {1}{2}\)(-2) – \(\frac {3}{2}\) = – \(\frac {5}{2}\)
Hence, we get

x 0 3 – 2
Y –\(\frac {3}{2}\) 0 –\(\frac {5}{2}\)

Clearly from the graph, when x = -5 then y = -4 so corresponding coordinates are (-5, -4) and when y = 0 then x = 3, so corresponding coordinates are (3, 0).

Question 6.
Draw the graphs of the lines represented by the equations x + y = 4 and 2x – y = 2 in the same graph. Also find the coordinates of the point where the two lines intersect.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables - 2
Solution :
Given equations are x + y = 4 ………….(i)
and 2x – y = 2 ….. (ii)
(i) We have, y = 4 – x

x 0 2 4
Y 4 2 0

(ii) We have, y = 2x – 2

x 1 0 3
Y 0 – 2 4

By drawing the lines on a graph paper, clearly we can say that P is the point of intersection where coordinates are x = 2, y = 2, i.e., P(2, 2).

Question 7.
Solve : \(\frac {x}{2}\) = 3 + \(\frac {x}{3}\)
Solution :
Given \(\frac {x}{2}\) = 3 + \(\frac {x}{3}\)
⇒ \(\frac {x}{2}\) – \(\frac {x}{3}\) = 3
⇒ \(\frac{3 x-2 x}{6}\) = 3
⇒ \(\frac {x}{6}\) = 3
⇒ x = 18

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 8.
Solve the following system of equations:
2x – 3y = 5
3x + 2y = 1
Solution :
Given eq. are 2x – 3y = 5 ………(i)
and 3x + 2y = 1 ……………(ii)
Multiplying eq. (i) by 3 and eq. (ii) by 2. we get 6x – 9y = 15 and 6x + 4y = 2 respectively.
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables - 3
⇒ -13y = 13
⇒ y = – 1
Putting the value of y in eq. (i) we get
2x – (3) × (-1) = 5
2x + 3 = 5
⇒ 2x = 5 – 3
⇒ 2x = 2
⇒ x = 1
∴ x = 1, y = – 1 is the solution of given system of linear equations.

Question 9.
Solve the following system of equations:
x + 4y = 14
7x – 3y = 5
Solution :
Let x + 4y = 14 ……..(i)
and 7x – 3y = 5 ……….(ii)
From equation (i)
x = 14 – 4y
Substitute the value of x in equation (ii)
⇒ 7(14 – 4y) – 3y = 5
⇒ 98 – 28y – 3y = 5
⇒ 98 – 31y = 5
⇒ 93 = 3ly
⇒ y = \(\frac {93}{31}\)
⇒ y = 3
x = 14 – 4y = 14 – 4 × 3 = 14 – 12 = 2
So, solution is x = 2 and y = 3.

Multiple Choice Questions

Question 1.
Which of the following equations is not a linear equation?
(a) 2x + 3 = 7x – 2
(b) \(\frac {2}{3}\)x + 5 = 3x – 4
(c) x2 + 3 = 5x – 3
(d) (x – 2)2 = x2 + 8
Solution :
(c) x2 + 3 = 5x – 3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 2.
Solution of equation \(\sqrt{3}\)x – 2 = 2\(\sqrt{3}\) + 4 is
(a) 2(\(\sqrt{3}\) – 1)
(b) 2(1 – \(\sqrt{3}\))
(c) 1 + \(\sqrt{3}\)
(d) 2(1 + \(\sqrt{3}\))
Solution :
(d) 2(1 + \(\sqrt{3}\))

Question 3.
The value of x which satisfies \(\frac{6 x+5}{4 x+7}=\frac{3 x+5}{2 x+6}\) is :
(a) -1
(b) 1
(c) 2
(d) -2
Solution :
(b) 1

Question 4.
Solution of \(\frac{x-a}{b+c}+\frac{x-b}{c+a}+\frac{x-c}{a+b}\) = 3 is
(a) a + b – c
(b) a – b + c
(c) – a + b + c
(d) a + b + c
Solution :
(d) a + b + c

Question 5.
One-fourth of one-third of one-half of a number is 12, then number is
(a) 284
(b) 286
(c) 288
(d) 290
Solution :
(c) 288

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 6.
A linear equation in two variables has maximum
(a) one solution
(b) two solutions
(c) infinitely many solutions
(d) None of these
Solution :
(c) infinitely many solutions

Question 7.
Solutions of the equation x – 2y = 2 is/are
(a) x = 4, y = 1
(b) x = 2, y = 0
(c) x = 6, y = 2
(d) All of these
Solution :
(d) All of these

Question 8.
The graph of line 5x + 3y = 4 cuts y-axis at the point
(a) (0, \(\frac {4}{3}\))
(b) (0, \(\frac {3}{4}\))
(c) (\(\frac {4}{3}\), 0)
(d) (\(\frac {4}{3}\), 0)
Solution :
(a) (0, \(\frac {4}{3}\))

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

Question 9.
If x = 1, y = 1 is a solution of equation 9ax + 12ay = 63, then the value of a is
(a) – 3
(b) 3
(c) 7
(d) 5
Solution :
(b) 3

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

उपसर्ग की परिभाषा – शब्द या धातु (क्रिया) के पूर्व जो पद जोड़े या लगाये जाते हैं वे उपसर्ग कहे जाते हैं। उपसर्ग का प्रयोग करने से धातु के अर्थ में विशेषता आ जाती है। कहीं धातु का अर्थ परिवर्तित होकर एक नया अर्थ प्रकट करता है तो कहीं अर्थ का विपर्ययं या विलोम हो जाता है और इस प्रकार अर्थ में सौन्दर्य आ जाता है। जैसे –

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 1

उपर्युक्त सभी उपसर्गयुक्त शब्द एक ही धातु (क्रिया) शब्द के साथ भिन्न-भिन्न उपसर्ग जोड़ने से बने हैं, किन्तु उनके अर्थ बिल्कुल बदल गये हैं।
कुल उपसर्ग 22 होते हैं जो इस प्रकार हैं – प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर, दुस्, दुर्, वि, आड्. (आ), नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि, उप।
अब यहाँ पर कतिपय उपसर्गों व उनसे बने शब्दों को दिया गया है।

1. ‘अव’ उपसर्ग: –

1. अव + जानाति = अवजानाति
2. अव. + क्षिपति = अवक्षिपति
3. अव + तरति = अवतरति
4. अव + नति = अवनति
5. अव + गमनम् = अवगमनम्
6. अव + ज्ञा. = अवज्ञा
7. अव + दानम् = अवदानम्
8. अव + तिष्ठति = अवतिष्ठति
9. अव + गुणः = अवगुणः
10. अव + शेषः = अवशेषः
11. अव + क्षेपणम् = अवक्षेपणम्
12. अव + सरः = अवसरः
13. अव + काशः = अवकाशः
14. अव + गच्छति = अवगच्छति
15. अव + लेहः = अवलेहः
16. अव + गणना = अवगणना
17. अव + धारणा = अवधारणा
18. अव + ग्रहः = अवग्रहः
19. अव + रोहः = अवरोहः
20. अव + रोधः = अवरोधः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

2. ‘अप’ उपसर्ग:

1. अप + करोति = अपकरोति
2. अप + सरति = अपसरति
3. अप + ऐति – अपैति
4. अप + ए = अपहरति
5. अप + वादः = अपवादः
6. अप + शब्दः = अपशब्दः
7. अप + कारः = अपकारः
8. अप + आदानम् = अपादानम्
9. अप + कर्षः = अपकर्ष
10. अप + कर्ता = अपकर्ता
11. अप + मानम् = अपमानम्
12. अप + यशः = अपयशः
13. अप + राधः = अपराधः
14. अप + ज्ञानम् = अपज्ञानम्
15. अप + हरणम् = अपहरणम्
16. अप + भ्रंशः = अपभ्रंशः
17. अप + व्ययः = अपव्ययः
18. अप + हरति = अपहरति
19. अप + कारीः = अपकारीः
20. अप + चारी = अपचारी

3. ‘निस्’ उपसर्गः –

1. निस् + तेज = निस्तेज
2. निस् + काम = निष्काम
3. निस् + तार = निस्तार
4. निस् + चय = निश्चय
5. निस् + सार = निस्सार
6. निस् + सरति = निस्सरति
7. निस् + प्राणः = निष्प्राणः
8. निस् + क्रियः = निष्क्रियः
9. निस + चलः = निश्चलः
10. निस् + फलम् = निष्फलम्
11. निस् + कपटः = निष्कपटः
12. निस् + तारणम् = निस्तारणम्
13. निस् + प्रयोजनम् = निष्प्रयोजनम्
14. निस् + छलः = निश्छलः
15. निस् + कृतिः = निष्कृतिः
16. निस् + पापम् = निष्पापम्
17. निस् + चितः = निश्चितः
18. निस् + कर्षः = निष्कर्षः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

4. ‘निर्’ उपसर्गः

1. निर् + ईक्षते = निरीक्षते
2. निर् + वहति = निर्वहति
3. निर् + अस्यति = निरस्यति
4. निर् + गच्छति = निर्गच्छति
5. निर् + भय = निर्भय
6. निर् + वचनम् = निर्वचनम्
7. निर् + आकरणम्= निराकरणम्
8. निर् + धनः = निर्धनः
9. निर् + नयः = निर्णयः
10. निर् + गमनम् = निर्गमनम्
11. निर् + वाहः, = निर्वाहः
12. निर् + जनम् = निर्जनम्
13. निर् + वेदः = निर्वेदः
14. निर् + अस्तम् = निरस्तम्
15. निर् + नायकः = निर्णायकः
16. निर् + ईक्षणम् = निरीक्षणम्
17. निर् + देशः = निर्देशः
18. निर् + आदरः = निरादरः
19. निर् + मूलम् = निर्मूलम्

5. ‘दुर्’ उपसर्ग:

1. दुर् + बोधति = दुर्बोधति
2. दुर् + गच्छति = दुर्गच्छति
3. दुर् + नयति = दुर्नयति
4. दुर् + वचनम् = दुर्वचनम्
5. दुर् + दैवम् = दुर्दैवम्
6. दुर् + दशा = दुर्दशा
7. दुर् + आशा = दुराशा
8. दुर् + जनः = दुर्जनः
9. दुर् + बोधः = दुर्बोध:
10. दुर् + गन्धः = दुर्गन्धः
11. दुर् + गमः = दुर्गमः
12. दुर् + लभः = दुर्लभः
13. दुर् + आचरणम्= दुराचरणम्
14. दुर् + गः = दुर्गः
15. दुर् + व्यवहारः = दुर्व्यवहारः
16. दुर् + दिनम् = दुर्दिनम्
17. दुर् + आचारः = दुराचारः
18. दुर् + अवस्था = दुरवस्था
19. दुर् + योधनः = दुर्योधनः
20. दुर् + गतिः = दुर्गतिः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

6. ‘आङ्’ (आ) उपसर्गः

1. आ + नयति = आनयति
2. आ + चरति = आचरति
3. आ + गच्छति = आगच्छति
4. आ + रोहति = आरोहति
5. आ + गमः = आगमः
6. आ + दरः = आदरः
7. आ + धारः = आधारः
8. आ + गमनम् = आगमनम्
9. आ + गच्छति = आगच्छति
10. आ + नी = आनयति
11. आ + चरणम् = आचरणम्
12. आ + दाय = आदाय
13. आ + हरति = आहरति
14. आ. + मरणम् = आमरणम्
15. आ + दानम् = आदानाम्
16. आ + चारः = आचारः
17. आ + कर्षणम् = आकर्षणम्
18. आ + गमनम् = आगमनम्
19. आ + ग्रहः = आग्रहः
20. आ + ज्ञा आज्ञा

7. ‘उत्’ उपसर्ग:

1. उत् + गच्छति = उद्गच्छति
2. उत् + भवति = उद्भवति
3. उत् + तिष्ठति = उत्तिष्ठति
4. उत् + हरति = उद्धरति
5. + सवः = उत्सवः
6. उत् + पत्ति – उत्पत्तिः
7. उत् + पतति = उत्पतति
8. उत् + क्षेपणम् = उत्क्षेपणम्
9. उत् + तेजकः = उत्तेजकः
10. उत् + साहः = उत्साहः
11. उत् + सर्गः = उत्सर्गः
12. उत् + थानम् = उत्थानम्
13. उत् + जवलः = उज्ज्वलः
14. उत् + गमनम् = उदगमनम्
15. उत् + भवः = उद्भवः
16. उत् + तरम् = उत्तरम्
17. उत् + तमः = उत्तमः
18. उत् + कण्ठा = उत्कण्ठा
19. उत् + कर्षः = उत्कर्षः
20. उत् + हारः = उद्धारः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

8. ‘अधि’ उपसर्गः

1. अधि + करोति = अधिकरोति
2. अधि + गच्छति = अधिगच्छति
3. अधि + अस्ति = अध्यास्ते
4. अधि + वसति = अधिवसति
5. अधि + कृतम् = अधिकृतम्
6. अधि + लोकम् = अधिलोकम्
7. अधि + वचनम् = अधिवचनम्
8. अधि + स्था = अधितिष्ठति
9. अधि + भारः = अधिभारः
10. अधि + पतिः = अधिपतिः
11. अधि+ अक्षः = अध्यक्षः
12. अधि + दैवतम् = अधिदैवतम्
13. अधि+ हरिः = अधिहरिः
14. अधि + स्थाता = अधिष्ठाता
15. अधि+ कृत्य = अधिकृत्य
16. अधि + कारः = अधिकारः
17. अधि+ करणम् = अधिकरणम्
18. अधि + कारी = अधिकारी
19. अधि+ क्षेपः = अधिक्षेपः
20. अधि + शेषः = अधिशेषः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उचित विकल्पं चित्वा लिखत –
1. ‘अप’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः नास्ति?
(अ) अपशब्दः
(ब) अपेक्षा
(स) अवगुणः
(द) अपव्ययः
उत्तरम् :
(अ) अपशब्दः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

2. ‘आनयति’ इति पदे कः उपसर्गः ?
(अ) निर्
(ब) अप्
(स) नी
(द) आ
उत्तरम् :
(ब) अप्

3. ‘निस्’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः अस्ति?
(अ) निर्वेदः
(ब) निर्धनः
(स) निष्प्राणः
(द) नियमः
उत्तरम् :
(ब) निर्धनः

4. ‘निष्कामति’ इति पदे : उपसर्ग:?
(अ) उद्
(ब) दुर्
(स) निस्
(द) निर्
उत्तरम् :
(ब) दुर्

5. ‘आङ’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः अस्ति?
(अ) अपव्ययः
(ब) अपशब्दः
(स) अवगुणः
(द) अपेक्षा
उत्तरम् :
(स) अवगुणः

6. ‘निरीक्षणम्’ इति पदे कः उपसर्गः?
(अ) निस्
(ब) दुर्
(स) निर्
(द) आङ
उत्तरम् :
(अ) निस्

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

7. ‘दुर्’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः नास्ति?
(अ) दुराशा
(ब) दूरम्
(स) दुर्जनः
(द) दुर्बलः
उत्तरम् :
(स) दुर्जनः

8. ‘अध्यक्षः’ इति पदे कः उपसर्ग:?
(अ) अधि
(ब) अव
(स) आ
(द) अप्
उत्तरम् :
(ब) अव

9. ‘अव’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः नास्ति?
(अ) अवागच्छत्
(ब) अवकाशः
(स) अवतिष्ठति
(द) अवनि
उत्तरम् :
(स) अवतिष्ठति

10. ‘उत्’ उपसर्गयुक्तं शब्दः कः अस्ति?
(अ) उपदेशः
(ब) उत्थानम्
(स) उपकारः
(द) उपेक्षा
उत्तरम् :
(अ) उपदेशः

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न 2.
निम्नलिखित उपसर्गम् शब्दम् च योगेन सार्थक शब्द रचनां कृत्वा रिक्तस्थान पूरयत –
पदम् उपसर्ग + शब्द
(i) दुर् + आशा ……………………..
(ii) दुर् + भाग्यम् ……………………..
(iii) आ + कर्षणम् ……………………..
(iv) आ + गमनम् ……………………..
(v) आ + दानम् ……………………..
उत्तरम् :
(i) दुराशा,
(ii) दुर्भाग्यम्,
(iii) आकर्षणम्,
(iv) आगमनम्,
(v) आदानम्।

प्रश्न 3.
निम्नाङ्किताभ्यामुपसर्गधातुभ्यां क्रियापदं रचयत –
(क) अव + तृ
(ख) अप + कृ।
उत्तरम् :
(क) अवतरति
(ख) अपकरोति।

प्रश्न 4.
निम्नलिखितपदयोः प्रयुक्तमुपसर्गयोः लिखत –
(क) अपकर्षः
(ख) निर्जनम्।
उत्तरम् :
(क) अप
(ख) निर्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न 5.
निम्नलिखितपदयोः प्रयुक्तमुपसर्गं लिखत –
(क) निर्गच्छति,
(ख) निष्क्रामति।
उत्तरम् :
(क) निर्
(ख) निस्।

प्रश्न 6.
निम्नलिखिताभ्यामुपसर्गधातुभ्यां क्रियापदं रचयत –
(क) आ + नी
(ख) निर् + गम्।
उत्तरम् :
(क) आनयति
(ख) निर्गच्छति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित उपसर्गधातुभ्यां क्रियापदं रचयत –
(क) उत् + स्था
(ख) अधि + कृ।
उत्तरम् :
(क) उत्तिष्ठति
(ख) अधिकरोति।

प्रश्न 8.
निम्नलिखितपदयोः प्रयुक्तमुपसर्गयोः लिखत –
(क) उन्नति
(ख) अध्यक्षः।
उत्तरम् :
(क) उत्
(ख) अधि।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न 9.
निम्नलिखितपदयोः प्रयुक्तमुपसर्ग लिखत –
(क) निर्वृत्तिः
(ख) अवरोहति।
उत्तरम् :
(क) निर्
(ख) अव।

प्रश्न 10.
निम्नलिखिताभ्यामुपसर्गधातुभ्यां क्रियापदं रचयत –
(क) अप + हृ
(ख) निस् + सृ।
उत्तरम् :
(क) अपहरति
(ख) निस्सरति।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उपसर्गधातुभ्यां क्रियापदं रचयत
(क) अव + गम्
(ख) निस् + सृ।।
उत्तरम :
(क) अवगच्छति
(ख) निस्सरति।

प्रश्न 12.
निम्नलिखितपदयोः प्रयुक्तमुपसर्ग लिखत –
(क) दुर्लभते
(ख) उत्तिष्ठतु।
उत्तरम् :
(क) दुर्
(ख) उत्।

JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम्

प्रश्न 13.
अधोलखितपदेषु उपसर्गम् धातुम् च पृथक् कृत्वा लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 2

प्रश्न 14.
निम्नलिखितानाम् उपसर्गाणां धातूनां च योगेन सार्थकशब्दरचनां कुरुत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 3

प्रश्न 15.
निम्नलिखितपदेषु प्रयुक्तान् उपसर्गान् लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 4

प्रश्न 16.
अधोलखितपदेषु उपसर्गम् धातुम् च पृथक् कृत्वा लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 5

प्रश्न 17.
निम्नलिखितानाम् उपसर्गाणां धातूनां च योगेन सार्थकशब्दरचनां कुरुत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 6

प्रश्न 18.
निम्नलिखितपदेषु प्रयुक्तान् उपसर्गान् लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 7

प्रश्न 19.
निम्नलिखितपदेषु उपसर्ग शब्दं च पृथक् कृत्वा लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 8

प्रश्न 20.
निम्नलिखितपदेषु उपसर्ग शब्दं च पृथक् कृत्वा लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 9

प्रश्न 21.
निम्नलिखितानाम् उपसर्गाणां धातूनां च योगेन सार्थकशब्दरचनां कुरुत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 10

प्रश्न 22.
निम्नलिखितानाम् उपसर्गाणां धातूनां च योगेन सार्थकशब्दरचनां कुरुत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 11

प्रश्न 23.
निम्नलिखितपदेषु उपसर्ग शब्दं च पृथक् कृत्वा लिखत।
JAC Class 10 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्ग प्रकरणम् 12