JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 8 धर्मनिरपेक्षता

JAC Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 8 धर्मनिरपेक्षता

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 8 धर्मनिरपेक्षता Textbook Exercise Questions and Answers.

Jharkhand Board Class 11 Political Science धर्मनिरपेक्षता InText Questions and Answers

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प्रश्न 1.
कुछ ऐसे तरीकों की सूची बनाओ जिनके माध्यम से साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया जा सकता है।
उत्तर:
साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए निम्न तरीके अपनाये जा सकते हैं।
(1) हम आपसी जागरूकता के लिए एक साथ मिलकर काम करें।
(2) लोगों की सोच को बदलने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर बल दें
(3) साझेदारी और पारस्परिक सहायता के व्यक्तिगत उदाहरण भी विभिन्न समुदायों के बीच पूर्वाग्रह और संदेहों को कम करने में योगदान दे सकते हैं।
(4) आधुनिक समाज में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना करके हम साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दे सकते हैं।

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प्रश्न 2.
क्या आप ऐसी धर्म निरपेक्षता की कल्पना कर सकते हैं, जो आपको अपनी पहचान से जुड़ा नाम रखने और आपको पसंद के कपड़े पहनने की आजादी न दे और आपकी बोलचाल की भाषा ही बदल डाले ? आपके खयाल से अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता भारतीय धर्म निरपेक्षता से किन मायनों में भिन्न है?
उत्तर:
हाँ, हम ऐसी धर्म निरपेक्षता की कल्पना कर सकते हैं। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तुर्की में अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता इसी प्रकार की धर्म निरपेक्षता थी। यथा- – 20वीं सदी के प्रारंभ में मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने तुर्की में धर्म में हस्तक्षेप के माध्यम से धर्म निरपेक्षता की हिमायत की। उसने इस तरह की धर्म निरपेक्षता न केवल प्रस्तुत की बल्कि उस पर अमल भी किया। उसकी धर्म निरपेक्षता की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार थीं

  1. मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने सर्वप्रथम अपना नाम मुस्तफा कमाल पाशा से बदलकर कमाल अतातुर्क कर लिया। अतातुर्क का अर्थ होता है। तुर्कों का पिता।
  2. हैट कानून के जरिए मुसलमानों द्वारा पहनी जाने वाली परंपरागत फैज टोपी को प्रतिबंधित कर दिया गया।
  3. स्त्री-पुरुषों के लिए पश्चिमी पोशाकों को बढ़ावा दिया गया।
  4. तुर्की पंचांग की जगह पश्चिमी (ग्रिगेरियन) पंचांग लाया गया।
  5. 1928 में नई तुर्की वर्णमाला को संशोधित लैटिन रूप में अपनाया गया।

वे तुर्की के सार्वजनिक जीवन में खिलाफत को समाप्त कर देने के लिए कटिबद्ध थे। वे मानते थे कि परम्परागत सोच-विचार और अभिव्यक्ति से नाता तोड़े बगैर तुर्की को उसकी दुःखद स्थिति से नहीं उबारा जा सकता। परिणामतः उसने तुर्की में उक्त किस्म की धर्म निरपेक्षता को लागू किया। अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता और भारतीय धर्म निरपेक्षता में अन्तर

  1. भारतीय धर्म निरपेक्षता न तो नाम बदलने से सम्बन्धित है। वह अपने पहचान से जुड़े नाम रखने की पूर्ण आजादी प्रदान करती है, जबकि अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता अपनी पहचान से जुड़े नाम बदलने पर बल देती है।
  2. भारतीय धर्म निरपेक्षता आपको अपने पसंद के कपड़े पहनने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करती है। यहाँ कोई भी धर्मावलम्बी अपनी पहचान से जुड़े तथा अपने पसंद के कपड़े पहन सकता है। लेकिन कमाल अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता आपको परम्परागत विचारों व सोचों से जुड़े कपड़ों को पहनने की आजादी को खत्म करती है। इसीलिए उसने मुसलमानों की परम्परागत फैज टोपी को पहनने को प्रतिबंधित कर दिया तथा पश्चिमी परिधानों को पहनने को बढ़ावा दिया।
  3. भारतीय धर्म निरपेक्षता आपको अपनी बोल-चाल की भाषाओं को बनाए रखनी की आजादी देती है जबकि अतातुर्क की धर्म निरपेक्षता ने तुर्की लोगों की बोलचाल की भाषा को ही बदल दिया।

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प्रश्न 3.
क्या धर्म निरपेक्षता नीचे लिखी बातों के संगत है।
1. अल्पसंख्यक समुदाय की तीर्थ यात्रा को आर्थिक अनुदान देना।
2. सरकारी कार्यालयों में धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करना।
उत्तर:
धर्म निरपेक्षता उक्त दोनों बातों के लिए संगत नहीं है क्योंकि धर्म निरपेक्षता धर्म और राज्य सत्ता के बीच सम्बन्ध विच्छेद पर बल देती है। साथ ही राज्य को किसी धर्म के साथ किसी भी तरह के औपचारिक गठजोड़ से परहेज करना भी आवश्यक है। उक्त दोनों बातों को राज्य द्वारा करने पर धर्म निरपेक्षता के इस सिद्धान्त का उल्लंघन होता है।

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प्रश्न 4.
राज्य धर्मों के साथ एक समान बरताव किस तरह कर सकता है। क्या हर धर्म के लिए बराबर संख्या में छुट्टी कर देने से ऐसा किया जा सकता है? या सार्वजनिक अवसरों पर किसी भी प्रकार के धार्मिक समारोह पर रोक लगाकर समान बरताव किया जा सकता है?
उत्तर:
राज्य धर्मों के साथ एक समान बरताव: सभी धर्मो को समान संरक्षण देकर, सभी धर्मों की हिफाजत कर, अन्य धर्मों की कीमत पर किसी एक धर्म की तरफदारी न करके तथा स्वयं किसी भी धर्म को राज्य धर्म के रूप में स्वीकार न करके कर सकता है। राज्य द्वारा हर धर्म के लिए बराबर संख्या में छुट्टी देना तथा सार्वजनिक अवसरों पर किसी प्रकार के धार्मिक समारोह की रोक लगाना सभी धर्मों के साथ समान बर्ताव के व्यवहार के अन्तर्गत ही आते हैं।

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प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी बातें धर्म निरपेक्षता के विचार से संगत हैं? कारण सहित बताइये
(क) किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व न होना।
(ख) किसी धर्म को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता देना।
(ग) सभी धर्मों को राज्य का समान आश्रय होना।
(घ) विद्यालयों में अनिवार्य प्रार्थना होना।
(ङ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक् शैक्षिक संस्थान बनाने की अनुमति होना।
(च) सरकार द्वारा धार्मिक संस्थाओं की प्रबंधन समितियों की नियुक्ति करना।
(छ) किसी मंदिर में दलितों के प्रवेश के निषेध को रोकने के लिए सरकार का हस्तक्षेप।
उत्तर:
निम्नलिखित बातें धर्म निरपेक्षता के विचार से संगत हैं
(क) किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व न होना।
(ग) सभी धर्मों को राज्य का समान आश्रय होना।
(ङ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक् शैक्षिक संस्थान बनाने की अनुमति देना।
(छ) किसी मंदिर में दलितों के प्रवेश के निषेध को रोकने के लिए सरकार का हस्तक्षेप।

(क) किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व न होना:
प्रत्येक प्रकार की धर्म निरपेक्षता के रूप में यह मूल सिद्धान्त निहित है कि धर्म निरपेक्षता अन्तर- धार्मिक वर्चस्व का विरोध करती है। यह कथन कि किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व नहीं है, इस सिद्धान्त का पालन करता है। अतः यह धर्म निरपेक्षता के विचार से संगत है।

(ग) सभी धर्मों को राज्य का समान आश्रय होना:
धर्मनिरपेक्ष होने के लिए राज्य सत्ता को किसी भी धर्म के साथ किसी भी तरह के औपचारिक कानूनी गठजोड़ से परहेज करना आवश्यक है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि राज्य का अपना कोई धर्म न हो बल्कि वह सभी धर्मों को समान संरक्षण व आश्रय प्रदान करे। इस दृष्टि से यह कथन कि ‘सभी धर्मों को राज्य का समान आश्रय है’ धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त से संगत है।

(ङ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक् शैक्षिक संस्थान बनाने की अनुमति देना:
यदि हम यूरोपीय मॉडल की धर्म निरपेक्षता की दृष्टि से विचार करें तो यह कथन धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त से असंगत है क्योंकि यूरोपीय संकल्पना में स्वतंत्रता और समानता का तात्पर्य है। व्यक्तियों की स्वतंत्रता व समुदाय को अपनी पसंद का आचरण करने की स्वतंत्रता रहे। समुदाय आधारित अधिकारों अथवा अल्पसंख्यक अधिकारों की वहाँ कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन यदि हम भारतीय मॉडल की धर्म निरपेक्षता की संकल्पना की दृष्टि से विचार करें तो यह कथन धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त से संगत है क्योंकि भारतीय धर्म निरपेक्षता का सम्बन्ध व्यक्तियों की धार्मिक आजादी से ही नहीं है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी से भी है। इसके अन्तर्गत धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी अपनी खुद की. संस्कृति और शैक्षिक संस्थाएँ कायम करने का अधिकार है।

(छ) किसी मंदिर में दलितों के प्रवेश के निषेध को रोकने के लिए सरकार का हस्तक्षेप:
पश्चिमी धर्म निरपेक्षता की संकल्पना की दृष्टि से यह कार्य धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त से असंगत है क्योंकि इस तरह की धर्म निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन भारतीय धर्म निरपेक्षता की संकल्पना की दृष्टि से यह कार्य संगत है क्योंकि भारतीय धर्म निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार की गुंजाइश भी है और अनुकूलता भी।

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प्रश्न 2.
धर्म निरपेक्षता के पश्चिमी और भारतीय मॉडल की कुछ विशेषताओं का आपस में घालमेल हो गया है। उन्हें अलग करें और एक नई सूची बनाएँ।

पश्चिमी धर्म निरपेक्षता भारतीय धर्म निरपेक्षता
धर्म और राज्य का एक-दूसरे के मामले में हस्तक्षेप न राज्य द्वारा समर्थित धार्मिक सुधारों की अनुमति
करने की अटल नीति एक धर्म के भिन्न पंथों के बीच समानता पर जोर देना
विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समानता एक मुख्य सरोकार होना समुदाय आधारित अधिकारों पर कम ध्यान देना
अल्पसंख्यक अधिकारों पर ध्यान देना व्यक्ति और धार्मिक समुदायों दोनों के अधिकारों का संरक्षण
व्यक्ति और उसके अधिकारों को केन्द्रीय महत्त्व देना भारतीय धर्म निरपेक्षता

उत्तर:
धर्म निरपेक्षता के पश्चिमी और भारतीय मॉडल की विशेषताओं को निम्न प्रकार सूचीबद्ध किया गया है।

पश्चिमी धर्म निरपेक्षता भारतीय धर्म निरपेक्षता
1. धर्म और राज्य का एक-दूसरे के मामले में हस्तक्षेप न करने की अंटल नीति 1. राज्य द्वारा समर्थित धार्मिक सुधारों की अनुमति
2. विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समानता एक मुख्य सरोकार होना 2. एक धर्म के भिन्न पंथों के बीच समानता पर जोर देना
3. समुदाय आधारित अधिकारों पर कम ध्यान देना 3. अल्पसंख्यक अधिकारों पर ध्यान देना।
4. व्यक्ति और उसके अधिकारों को केन्द्रीय महत्त्व दिया जाना 4. व्यक्ति और धार्मिक समुदाय दोनों के अधिकारों का संरक्षण

प्रश्न 3.
धर्म निरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जा सकती
उत्तर:
धर्म निरपेक्षता से आशय:
धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त का पहला पक्ष यह है कि यह अन्तर धार्मिक वर्चस्व का विरोध करता है और इसका दूसरा पक्ष यह है कि यह अन्तः धार्मिक वर्चस्व यानी धर्म के अन्दर छुपे हुए वर्चस्व का विरोध करता है। इस प्रकार यह अवधारणा संस्थाबद्ध धार्मिक वर्चस्व के सभी रूपों का विरोध करती है। यह धर्मों के अन्दर आजादी तथा विभिन्न धर्मों के बीच और उनके अन्दर समानता को बढ़ावा देती है। धर्म निरपेक्षता और धार्मिक सहनशीलता में अन्तर

  1. धार्मिक सहनशीलता धार्मिक वर्चस्व की विरोधी नहीं है, जबकि धर्म निरपेक्षता धार्मिक वर्चस्व की विरोधी है।
  2. धार्मिक सहनशीलता में धार्मिक स्वतंत्रता प्रायः सीमित होती है, जबकि धर्म निरपेक्षता में धार्मिक सहनशीलता अपेक्षाकृत अधिक होती है। हो सकता है कि धार्मिक सहनशीलता में हर किसी को धार्मिक स्वतंत्रता के अवसर मिल जाएँ लेकिन ऐसी स्वतंत्रता प्रायः सीमित होती है, जबकि धर्म निरपेक्षता में राज्य सत्ता धर्मसत्ता के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती और किसी धर्म का धार्मिक वर्चस्व नहीं होता है, इसलिए इसमें धार्मिक स्वतंत्रता के सभी को समान अवसर प्राप्त हैं।
  3. धार्मिक सहनशीलता हममें उन लोगों को बर्दाश्त करने की क्षमता पैदा करती है, जिन्हें हम बिल्कुल नापसंद करते हैं; जबकि धर्म निपरेक्षता में ऐसे बर्दाश्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे स्पष्ट होता है कि सहिष्णुता या धार्मिक सहनशीलता तथा धर्म निरपेक्षता में काफी अन्तर है तथा धर्म निरपेक्षता की बराबरी धार्मिक सहनशीलता से नहीं की जा सकती।

प्रश्न 4.
क्या आप नीचे दिए गए कथनों से सहमत हैं? उनके समर्थन या विरोध के कारण भी दीजिए।
(क) धर्म निरपेक्षता हमें धार्मिक पहचान बनाए रखने की अनुमति नहीं देती है।
(ख) धर्म निरपेक्षता किसी धार्मिक समुदाय के अन्दर या विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच असमानता के खिलाफ है।
(ग) धर्म निरपेक्षता के विचार का जन्म पश्चिमी और ईसाई समाज में हुआ है। यह भारत के लिए उपयुक्त नहीं है।
उत्तर:
(क) धर्म निरपेक्षता हमें धार्मिक पहचान बनाए रखने की अनुमति नहीं देती है। हम इस कथन से सहमत नहीं हैं क्योंकि धर्म निरपेक्षता धर्म और राज्य का एक-दूसरे के मामले में हस्तक्षेप न करने तथा विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समानता और एक धर्म के विभिन्न पंथों के बीच समानता तथा किसी धर्म के वर्चस्व का विरोध करने की नीति है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र है। वह इस प्रकार उसे अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखने की पूर्ण स्वतंत्रता देती है। इसलिए यह कहना गलत है कि धर्म निरपेक्षता हमें धार्मिक पहचान बनाए रखने की अनुमति नहीं देती है।

(ख) धर्म निरपेक्षता किसी धार्मिक समुदाय के अन्दर या विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच असमानता के खिलाफ है। हम इस कथन से सहमत हैं क्योंकि धर्म निरपेक्षता का विचार धर्मों के अन्दर आजादी तथा विभिन्न धर्मों के बीच और
उनके अन्दर समानता को बढ़ावा देता है तथा असमानता का विरोध करता है। यह अन्तर: धार्मिक तथा अन्तः धार्मिक दोनों तरह के वर्चस्वों के खिलाफ है तथा दोनों तरह के वर्चस्वों से रहित समाज बनाना चाहता है।

(ग) धर्म निरपेक्षता के विचार का जन्म पश्चिमी और ईसाई समाज में हुआ है। यह भारत के लिए उपयुक्त नहीं है। हम इस विचार से सहमत नहीं हैं। यद्यपि भारतीय धर्म निरपेक्षता के सम्बन्ध में यह आलोचना की जाती है कि यह ईसाइयत से जुड़ी है, पश्चिमी चीज है और इसीलिए भारतीय परिस्थितियों के लिए अनुपयुक्त है। लेकिन इस विचार से हम असहमत हैं क्योंकि।

  1. पतलून से लेकर इंटरनेट और संसदीय लोकतंत्र तक लाखों पश्चिमी चीजें भारत में प्रचलित हैं जिनकी जड़ें पश्चिम में हैं, क्या वे भारतीयों के लिए अनुपयुक्त हैं।
  2. धर्म निरपेक्ष होने के लिए प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वयं का लक्ष्य होता है। पश्चिमी धर्म निरपेक्षता का लक्ष्य ईसाइयत से राज्य का सम्बन्ध विच्छेद करना था। धर्म और राज्य का पारस्परिक निषेध पश्चिमी धर्म निरपेक्ष समाजों का आदर्श है; लेकिन भारत ने इस सिद्धान्त को उतनी कट्टरता के साथ नहीं अपनाया है।
  3. भारतीय धर्म निरपेक्षता में राज्य सत्ता धर्म से सैद्धान्तिक दूरी बनाए रखते हुए भी खास समुदायों की रक्षा के लिए उसमें हस्तक्षेप भी कर सकती है। यह भारतीय धर्म निरपेक्षता न तो ईसाइयत से पूरी तरह जुड़ी हुई है और न भारतीय जमीन पर सीधा-सीधा पश्चिमी आरोपण ही है।

प्रश्न 5.
भारतीय धर्म निरपेक्षता का जोर धर्म और राज्य के अलगाव पर नहीं वरन् उससे अधिक किन्हीं बातों पर है। इस कथन को समझाइये
उत्तर:
भारतीय धर्म निरपेक्षता पश्चिमी धर्म निरपेक्षता से बुनियादी रूप से भिन्न है। भारतीय धर्म निरपेक्षता केवल धर्म और राज्य के बीच सम्बन्ध विच्छेद पर बल नहीं देती। अन्तर- धार्मिक समानता भारतीय धर्म निरपेक्षता की संकल्पना के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। भारतीय धर्म निरपेक्षता की संकल्पना की विशिष्ट बातें निम्नलिखित हैं।
1. अन्तर-धार्मिक सहिष्णुता:
भारतीय धर्म निरपेक्षता का विचार गहरी धार्मिक विविधता के संदर्भ में उदित हुआ है। यह विविधता पश्चिमी आधुनिक विचारों और राष्ट्रवाद के आगमन से पहले की चीज है। भारत में पहले से ही अन्तर- धार्मिक सहिष्णुता की संस्कृति मौजूद थी। यह संस्कृति धार्मिक वर्चस्व की विरोधी नहीं है तथा इसमें धार्मिक आजादी प्रायः सीमित होती है तथा यह लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता पैदा करती है।

2. अन्तर-सामुदायिक समानता:
पश्चिमी आधुनिकता के आगमन ने भारतीय चिंतन में समानता की अवधारणा को सतह पर ला दिया। उसने इस धारणा को धारदार बनाया और हमें समुदाय के अन्दर समानता पर बल देने की ओर अग्रसर किया। उसने हमारे समाज को मौजूद श्रेणीबद्धता को हटाने के लिए अन्तर-सामुदायिक समानता के विचार को भी उद्घाटित किया। इस तरह भारतीय समाज में पहले से विद्यमान धार्मिक विविधता और पश्चिम से आए विचारों के बीच अंतर्क्रिया शुरू हुई; जिसके फलस्वरूप भारतीय धर्म निरपेक्षता ने विशिष्ट रूप ग्रहण किया।

3. यह अंतः धार्मिक और अन्तर:
धार्मिक वर्चस्व पर एक साथ ध्यान केन्द्रित करती है। भारतीय धर्म निरपेक्षता में अन्त:धार्मिक और अन्तर- धार्मिक वर्चस्व पर एक साथ ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसने हिन्दुओं के अन्दर दलितों और महिलाओं के उत्पीड़न और भारतीय मुसलमानों अथवा ईसाइयों के अन्दर महिलाओं के प्रति भेदभाव तथा बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के अधिकारों पर उत्पन्न किये जा सकने वाले खतरों का समान रूप से विरोध किया । इस प्रकार यह पश्चिमी धर्म निरपेक्षता से भिन्न हो गई।

4. व्यक्तियों और अल्पसंख्यक समुदायों दोनों प्रकार की धार्मिक स्वतंत्रता से सम्बद्ध:
पश्चिमी धर्म निरपेक्षता का सम्बन्ध केवल व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता से ही है जबकि भारतीय धर्म निरपेक्षता का सम्बन्ध व्यक्तियों की धार्मिक आजादी के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी से भी है। इसके अन्तर्गत हर आदमी को अपने पसंद का धर्म मानने के अधिकार के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी अपनी स्वयं की संस्कृति और शैक्षिक संस्थाएँ कायम करने का अधिकार है।

5. राज्य समर्थित धार्मिक सुधार:
भारतीय धर्म निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार की गुंजाइश भी है और अनुकूलता भी। इसीलिए भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगाया है। भारतीय राज्य ने बाल विवाह के उन्मूलन और अन्तर्जातीय विवाह पर हिन्दू धर्म के द्वारा लगाए गए निषेध को खत्म करने हेतु अनेक कानून बनाए हैं।

6. न धर्मतांत्रिक और न धर्म से विलग:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता का चरित्र धर्मतांत्रिक नहीं है क्योंकि यह किसी धर्म को राजधर्म नहीं मानता है। यह पूर्णतः धर्म से विलग भी नहीं है। यह धर्म से विलग भी हो सकता है और जरूरत पड़ने पर उसके साथ सम्बन्ध भी बना सकता है।
इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय धर्म निरपेक्षता का जोर धर्म और राज्य के अलगाव पर नहीं वरन् राज्य द्वारा समर्थित धार्मिक सुधारों की अनुमति देने, अल्पसंख्यक अधिकारों पर ध्यान देने, व्यक्ति और धार्मिक समुदाय दोनों के अधिकारों के संरक्षण देने पर अधिक है।

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प्रश्न 6.
‘सैद्धान्तिक दूरी’ क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये
उत्तर:
सैद्धान्तिक दूरी से आशय:
धर्म निरपेक्षता का सिद्धान्त यह मांग करता है कि राज्य धर्म से दूरी बनाए रखे। इसका आशय यह है कि राज्य और धर्म में पृथकता होनी चाहिए। पाश्चात्य धर्म निरपेक्षता के मॉडल में राज्य और धर्म के बीच अटल या पूर्ण पृथकता या पूर्ण दूरी पर बल दिया जाता है। लेकिन भारतीय धर्म निरपेक्षता के मॉडल में राज्य और धर्म की पूर्ण पृथकता को नहीं अपनाया गया है। इसमें सैद्धान्तिक दूरी के सिद्धान्त पर बल दिया गया है। सैद्धान्तिक दूरी से आशय यह है कि सामान्यतः राज्य धर्म से एक दूरी बनाए रखता है और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है। लेकिन विशिष्ट परिस्थितियों में राज्य धार्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप भी कर सकता है। ये विशिष्ट परिस्थितियाँ हैं—भेदभाव, शोषण और असमानता की।

उदाहरण के लिए भारत में राज्य ने हिन्दुओं में अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए संविधान में अस्पृश्यता को अपराध घोषित कर दिया है। इसी प्रकार राज्य ने हस्तक्षेप करके दलितों को मंदिरों में प्रवेश, सार्वजनिक स्थलों के उपयोग, कुओं, तालाबों तथा शैक्षिक संस्थाओं के प्रयोग के लिए अनुमति प्रदान की है। इसी प्रकार राज्य ईसाइयत और इस्लाम में भी हस्तक्षेप कर सकता है, जब वह देखता है कि धर्म व्यक्ति के मूल अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है, अन्याय या शोषण कर रहा है। दूसरे, भारतीय राज्य सुधारों को समर्थन करके धर्म का विकास भी कर सकता है अर्थात् वह धर्म सुधार हेतु हस्तक्षेप कर सकता है। इसी को सैद्धान्तिक दूरी कहा जाता है।

धर्मनिरपेक्षता JAC Class 11 Political Science Notes

→ धर्म निरपेक्षता क्या है?
धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त के दो पक्ष हैं। इसका पहला पक्ष यह है कि यह अन्तर- धार्मिक वर्चस्व का विरोध करता है। इसका दूसरा पक्ष यह है कि यह अंतः धार्मिक वर्चस्व यानी धर्म के अंदर छुपे हुए वर्चस्व का विरोध करता है। इस प्रकार धर्म निरपेक्षता संस्थाबद्ध धार्मिक वर्चस्व के सभी रूपों की विरोधी है। यह धर्मों के अन्दर आजादी तथा विभिन्न धर्मों के बीच और उनके अन्दर समानता को बढ़ावा देती है। इस प्रकार धर्म निरपेक्षता की अवधारणा को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही दृष्टि से स्पष्ट किया जाता है। यथा

  • नकारात्मक अर्थ में धर्म निरपेक्षता का सिद्धान्त संस्थागत धार्मिक वर्चस्व के सभी रूपों का विरोधी होने के नाते यह अन्तर- धार्मिक वर्चस्व तथा अन्तः धार्मिक वर्चस्व दोनों को नकारता है।
  • सकारात्मक अर्थ में धर्म निरपेक्षता का सिद्धान्त धर्मों के अन्दर की आजादी तथा विभिन्न धर्मों के बीच और उनके अन्दर समानता को बढ़ावा देता ह।

→ धर्मों के बीच वर्चस्ववाद:
धर्मों के बीच वर्चस्ववाद से यह आशय है कि एक क्षेत्र में बहुसंख्यक धर्म वाला सम्प्रदाय अल्पसंख्यक धर्मावलम्बियों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेता है और फिर वह अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों का उत्पीड़न करता है। उदाहरण के लिए, इसी धार्मिक वर्चस्ववाद के चलते

  • 1984 में दिल्ली में हजारों सिखं मारे गए;
  • हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी में अपना घर विवश होकर छोड़ना पड़ा;
  • सन् 2002 में गुजरात में लगभग 2000 मुसलमान मारे गये आदि।

→ धर्म के अन्दर वर्चस्व:
कई धर्म संप्रदायों में विभाजित हो जाते हैं और निरन्तर आपसी हिंसा तथा भिन्न मत रखने वाले अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न में लगे रहते हैं। इस प्रकार यह धर्म के अन्दर वर्चस्व का रूप ग्रहण कर लेता है। धर्म निरपेक्षता का सिद्धान्त धर्म के अन्दर के वर्चस्व के रूप का भी विरोध करता है। इस प्रकार धर्म निरपेक्षता का सिद्धान्त संस्थागत धार्मिक वर्चस्व के सभी रूपों का विरोध करता है। इस प्रकार धर्म निरपेक्षता ऐसा नियामक सिद्धान्त है जो धर्म निरपेक्ष समाज, उक्त दोनों तरह के वर्चस्वों से रहित समाज बनाना चाहता है जिसमें धर्मों के अन्दर आजादी तथा विभिन्न धर्मों के बीच और उनके अन्दर समानता को बढ़ावा दिया जाता हों।

→ धर्म निरपेक्ष राज्य:
धार्मिक भेदभाव को रोकने के लिए आपसी जागरूकता, शिक्षा, साझेदारी, पारस्परिक सहायता, भलाई की भावना का विकास आदि रास्तों को अपनाया जा सकता है। लेकिन इनसे अधिक शक्तिशाली रास्ता धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना करना है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य सत्ता में निम्न विशेषताएँ होनी आवश्यक हैं।

  • राज्य सत्ता किसी खास धर्म के प्रमुखों द्वारा संचालित नहीं हो। धार्मिक संस्थाओं और राज्यसत्ता की संस्थाओं के बीच सम्बन्ध नहीं होना चाहिए।
  • राज्य सत्ता को किसी भी धर्म के साथ किसी भी तरह के औपचारिक कानूनी गठजोड़ से परहेज करना होगा।
  • धर्म निरपेक्ष राज्य को ऐसे सिद्धान्तों और लक्ष्यों के लिए अवश्य प्रतिबद्ध होना चाहिए जो गैर धार्मिक स्रोतों से निकलते हों, जैसे शांति, धार्मिक स्वतंत्रता; धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और वर्जना से आजादी ; तथा अन्तर- – धार्मिक व अन्तः धार्मिक समानता। धर्म निरपेक्ष राज्य का कोई एक निश्चित मॉडल नहीं बताया जा सकता। राजनैतिक धर्म निरपेक्षता किसी भी रूप में स्थापित हो सकती हैं। यहाँ अग्रलिखित दो मॉडलों को स्पष्ट किया गया है।

→ धर्म निरपेक्षता का यूरोपीय मॉडल:

  • यूरोपीय मॉडल के सभी धर्म निरपेक्ष राज्य न तो धर्मतांत्रिक हैं और न किसी खास धर्म की स्थापना करते हैं।
  • इसमें राज्य सत्ता धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है और न धर्मसत्ता राज्य के मामलों में दखल देती है। दोनों के अपने अलग-अलग क्षेत्र तथा सीमाएँ हैं।
  • राज्य न तो धर्म के आधार पर कोई नीति बनायेगा और न किसी धार्मिक संस्था को मदद देगा।
  • देश के कानून की सीमा के अन्दर संचालित धार्मिक समुदायों की गतिविधियों में राज्य व्यवधान पैदा नहीं कर सकता।
  • यह संकल्पना स्वतंत्रता और समानता की व्यक्तिवादी ढंग से व्याख्या करती है। इसमें समुदाय आधारित अधिकारों या अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कोई गुंजाइश नहीं है। इस तरह की धर्म निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार के लिए कोई जगह नहीं है।

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→ धर्म निरपेक्षता का भारतीय मॉडल:
भारतीय धर्म निरपेक्षता में अंतः धार्मिक और अन्तर- धार्मिक वर्चस्व पर एक साथ ध्यान केन्द्रित किया गया है। परिणामस्वरूप भारतीय धर्म निरपेक्षता पश्चिमी धर्म निरपेक्षता से निम्न रूपों में भिन्न रूप में सामने आई हैं।

  • इसने पिछड़ों और अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के अधिकारों पर उत्पन्न किये जाने वाले खतरों का समान रूप से विरोध किया।
  • भारतीय धर्म निरपेक्षता का सम्बन्ध व्यक्तियों की धार्मिक आजादी से ही नहीं है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी से भी है।
  • भारतीय धर्म निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार की गुंजाइश भी है और अनुकूलता भी। इसीलिए भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगाया है। राज्य ने बाल विवाह के उन्मूलन और अन्तर्जातीय विवाह पर हिन्दू धर्म द्वारा लगाए निषेध को खत्म करने हेतु अनेक कानून बनाए हैं।

इस प्रकार भारतीय राज्य के धर्म निरपेक्ष चरित्र की प्रमुख विशेषता यह है कि वह न तो धर्मतांत्रिक है और न ही किसी धर्म को राजधर्म मानता है। लेकिन वह धार्मिक समानता हासिल करने के लिए अमेरिकी शैली में धर्म से विलग भी हो सकता है और आवश्यकता पड़ने पर उसके साथ सम्बन्ध भी बना सकता है। वह धार्मिक अत्याचार का विरोध करने हेतु धर्म के साथ निषेधात्मक सम्बन्ध भी बना सकता है और वह जुड़ाव की सकारात्मक विधि भी अपना सकता है। अस्पृश्यता का निषेध जहाँ निषेधात्मक जुड़ाव है, वहीं धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा संस्थाएँ खोलने व चा का अधिकार देना सकारात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। भारतीय धर्म निरपेक्षता तमाम धर्मों में राजसत्ता के सैद्धान्तिक हस्तक्षेप की अनुमति देती है।

→भारतीय धर्म निरपेक्षता की आलोचनाएँ:
धर्म विरोधी: कुछ लोग यह कहते हैं कि भारतीय धर्म निरपेक्षता धर्म विरोधी है क्योंकि यह संस्थागत धार्मिक वर्चस्व का विरोध करती है। लेकिन इसके आधार पर इसे धर्म विरोधी नहीं कहा जा सकता। कुछ लोग इस आधार पर इसे धर्म विरोधी कहते हैं कि यह धार्मिक पहचान के लिए खतरा पैदा करती है। लेकिन यह विचार भी त्रुटिपरक है क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता और समानता को बढ़ावा देती है। अतः यह धार्मिक पहचान के लिए खतरा नहीं बल्कि उसकी हिफाजत करती है। हाँ, वह धार्मिक पहचान के मतांध, हिंसक, दुराग्रही, औरों का बहिष्कार करने वाले और अन्य धर्मों के प्रति घृणा उत्पन्न करने वाले रूपों पर अवश्य चोट करती है।

→ पश्चिम से आयातित:
दूसरी आलोचना यह है कि यह पश्चिम से आयातित है। इसीलिए भारतीय परिस्थितियों के लिए अनुपयुक्त है। लेकिन यह विचार त्रुटिपरक है क्योंकि यहाँ ऐसी धर्म निरपेक्षता विकसित हुई है जो न तो पूरी तरह ईसाइयत से जुड़ी है और न भारतीय जमीन से। तथ्य यह है कि भारतीय धर्म निरपेक्षता में पश्चिमी और गैर-पश्चिमी दोनों मार्गों का अनुसरण किया गया है।

→ अल्पसंख्यकवाद:
भारतीय धर्म निरपेक्षता की तीसरी आलोचना अल्पसंख्यकवाद सम्बन्धी है। इसके तहत कहा जाता है कि यह अल्पसंख्यक अधिकारों की पैरवी करती है। इसके प्रत्युत्तर में यह कहा जा सकता है कि अल्पसंख्यक अधिकारों को विशेष अधिकारों या विशेष सुविधाओं के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके पीछे सिर्फ यह धारणा है कि अल्पसंख्यकों के सर्वाधिक मौलिक हितों की क्षति नहीं होनी चाहिए और संवैधानिक कानून द्वारा. उनकी हिफाजत की जानी चाहिए।

→ अतिशय अहस्तक्षेपकारी:
चौथी आलोचना यह की जाती है कि धर्म निरपेक्षता उत्पीड़नकारी है और समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता में अतिशय हस्तक्षेप करती है। लेकिन यह आलोचना भी त्रुटिपरक है क्योंकि भारतीय धर्म निरपेक्षता धर्म से सैद्धान्तिक दूरी कायम रखने पर चलती है जो हस्तक्षेप की गुंजाइश भी बनाती है लेकिन यह हस्तक्षेप अपने आप में उत्पीड़नकारी हस्तक्षेप नहीं होता।

→ वोट बैंक की राजनीति:
पांचवीं आलोचना यह की जाती है कि भारतीय धर्म निरपेक्षता वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देती है। लेकिन लोकतंत्र में राजनेताओं के लिए वोट पाना जरूरी है। यह उनके काम का अंग है और लोकतांत्रिक राजनीति बड़ी हद तक ऐसी ही है। यह तथ्य कि धर्म निरपेक्ष दल वोट बैंक का इस्तेमाल करते हैं, कष्टकारक नहीं है। भारत में हर समुदाय के संदर्भ में सभी दल ऐसा करते हैं।

→ एक असंभव परियोजना:
भारतीय धर्म निरपेक्षता की एक अन्य आलोचना यह की जाती है कि “यह धर्म निरपेक्षता नहीं चल सकती क्योंकि यह बहुत कुछ करना चाहती है, यह ऐसी समस्या का हल ढूँढ़ना चाहती है, जिसका समाधान है ही नहीं।” क्योंकि गहरे धार्मिक मतभेद वाले लोग कभी भी शांति से एक साथ नहीं रह सकते। लेकिन यह दावा गलत है। भारत में इस तरह साथ-साथ रहना बिल्कुल संभव रहा है। दूसरे, भारतीय धर्म निरपेक्षता एक असंभव परियोजना का अनुसरण नहीं है बल्कि यह भविष्य की दुनिया का प्रतिबिंब प्रस्तुत कर रही है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

JAC Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

Jharkhand Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक संबद्धताओं से अलग है?
उत्तर:
अन्य सामूहिक संबद्धताओं से राष्ट्र भिन्न है। राष्ट्र लोगों का वह समूह है जिनकी जाति, भाषा, धर्म की कुछ सामान्य (Common) विशेषताएँ होती हैं तथा जिनकी साझी राजनीतिक आकांक्षाएँ या साझा इतिहास होता है। यह मनुष्यों के अन्य प्रकार के समूहों व समुदायों से भिन्न है। यथा

  1. यह परिवार से भिन्न है। प्राथमिक सम्बन्धों के आधार पर यह परिवार से भिन्न होता है। परिवार का आधार प्राथमिक सम्बन्ध होते हैं और इस कारण परिवार का प्रत्येक सदस्य दूसरे सदस्यों के व्यक्तित्व और चरित्र के बारे में व्यक्तिगत जानकारी रखता है। लेकिन राष्ट्र के लिए यह संभव नहीं है क्योंकि इसके सभी सदस्यों के बीच प्राथमिक सम्बन्ध नहीं होते हैं।
  2. यह नातेदारी समूह जनजाति या अन्य सगोत्रीय समूहों से भी इस आधार पर भिन्न है क्योंकि इन समूहों के सदस्य रक्त या विवाह सम्बन्धों व वंश परम्परा पर आधारित होते हैं जबकि राष्ट्र के सदस्यों के लिए रक्त सम्बन्धों या विवाह सम्बन्धों के आधार पर सम्बन्धित होना आवश्यक नहीं है। यदि हम इन समूहों के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से नहीं भी जानते हों तो भी आवश्यकता पड़ने पर हम उन सूत्रों को खोज सकते हैं जो इन्हें आपस में जोड़ते हैं। लेकिन राष्ट्र के सदस्य के रूप में हम अपने राष्ट्र के अधिकतर सदस्यों को सीधे तौर पर न कभी जान पाते हैं और न उनके साथ वंशानुगत नाता जोड़ने की जरूरत पड़ती है।
  3. यह समाज से भिन्न है। एक राष्ट्र के सदस्यों के लिए एकता की भावना या अपनी राजनीतिक पहचान का होना आवश्यक है जबकि समाज के सदस्यों में एकता की भावना हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती।
  4. यह अन्य समुदायों से भिन्न है। यह अन्य समुदायों से इस आधार पर भिन्न है कि संघ के सदस्यों के साथ-साथ काम करने के लिए साझे उद्देश्य होते हैं, जबकि राष्ट्र के सदस्यों के ऐसे कोई विशिष्ट उद्देश्य नहीं होते।
  5. यह राज्य से भी भिन्न है। राष्ट्र राज्य से इस आधार पर भिन्न है कि राज्य राजनैतिक रूप से संप्रभुता प्राप्त संगठन है जबकि राष्ट्र के पास संप्रभुता नहीं होती है और न ही राष्ट्र राजनैतिक रूप से संगठित होता है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह विचार राष्ट्र-राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणत होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आशय: बाकी सामाजिक समूहों से अलग राष्ट्र अपना शासन अपने आप करने और भविष्य को तय करने का अधिकार चाहते हैं। इसी को राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार कहा जाता है।
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के दावे मैं राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से मांग करता है कि उसके पृथक् राजनीतिक इकाई या राज्य के दर्जे को मान्यता और स्वीकार्यता दी जाये । प्रायः ऐसी मांग निम्न प्रकार के लोगों की ओर से आती है।

  1. वे लोग जो एक लम्बे समय से किसी निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ रहते आए हों और जिनमें साझी पहचान का बोध हो।
  2. कुछ मामलों में आत्म-निर्णय के ऐसे दावे एक स्वतंत्र राज्य बनाने की उस इच्छा से भी जुड़े होते हैं। इन दावों का सम्बन्ध किसी समूह की संस्कृति की संरक्षा से होता है।

राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार राष्ट्र: राज्यों के निर्माण के रूप में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अनेक दावे किसी समूह की संस्कृति की संरक्षा के लिए एक स्वतंत्र राज्य बनाने की इच्छा के रूप में सामने आए। इन दावों ने राष्ट्र- राज्यों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। यथा

1. एक संस्कृति और एक राज्य की अवधारणा के तहत राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार:
19वीं सदी में यूरोप में एक संस्कृति और एक राज्य’ की मान्यता ने जोर पकड़ा। फलस्वरूप प्रथम विश्वयुद्ध के बाद राज्यों की पुनर्व्यवस्था में इस विचार को आजमाया गया। वर्साय की संधि से बहुत-से छोटे और नव स्वतंत्र राज्यों का गठन हुआ। लेकिन ‘एक संस्कृति – एक राज्य’ की मांगों को संतुष्ट करने से राज्यों की सीमाओं में बदलाव हुए। अलग-अलग सांस्कृतिक समुदायों को अलग-अलग राष्ट्र-राज्य मिले- इसे ध्यान में रखकर सीमाओं को बदला गया। इस प्रयास के बावजूद अधिकतर राज्यों की सीमाओं के अन्दर एक से अधिक नस्ल और संस्कृति के लोग रहते थे। ये छोटे-छोटे समुदाय राज्य के अन्दर अल्पसंख्यक थे और अक्सर नुकसानदेह स्थितियों में रहते थे। फिर भी इस प्रयास के अन्तर्गत बहुत सारे राष्ट्रवादी समूहों को राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के अन्तर्गत राजनीतिक मान्यता प्रदान की गई जो स्वयं को एक अलग राष्ट्र के रूप में देखते थे और अपने भविष्य को तय करने तथा अपना शासन स्वयं चलाना चाहते थे।

2. राजनीतिक स्वाधीनता के साथ राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार:
एशिया एवं अफ्रीका में औपनिवेशिक प्रभुत्व के खिलाफ राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों ने राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के तहत राजनीतिक स्वाधीनता के लिए संघर्ष चलाया। राष्ट्रीय आंदोलनों का मानना था कि राजनीतिक स्वाधीनता राष्ट्रीय समूहों को सम्मान एवं मान्यता प्रदान करेगी और वहाँ के लोगों के सामूहिक हितों की रक्षा करेगी। अधिकांश राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन राष्ट्र के लिए न्याय, अधिकार और समृद्धि हासिल करने के लक्ष्य से प्रेरित थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशिया और अफ्रीका के देशों को राजनीतिक स्वाधीनता के तहत राष्ट्रीय आत्म निर्णय का अधिकार मिला और अनेक नए राष्ट्र-राज्यों का निर्माण हुआ।

राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार राष्ट्र-राज्यों को मिल रही चुनौती के रूप में: राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार ने एक तरफ जहाँ राष्ट्र-राज्यों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं अब यह अधिकार राष्ट्र-राज्यों को चुनौती भी प्रस्तुत कर रहा है। यथा

1. जब राष्ट्रीय आत्म: निर्णय का अधिकार ‘एक संस्कृति: एक राज्य’ की अवधारणा के रूप में मिला तो अनेक नए राष्ट्रों को यूरोप में मान्यता मिली। लेकिन इन राज्यों के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों की समस्या ज्यों की त्यों बनी
रही।

2. एशिया और अफ्रीका में औपनिवेशिक प्रभुत्व के खिलाफ राजनीतिक स्वाधीनता की अवधारणा के साथ राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के तहत नवीन राष्ट्र-राज्यों का जन्म हुआ। लेकिन इस क्षेत्र के अनेक देश आबादी के देशान्तरण, सीमाओं परं युद्ध और हिंसा की चपेट में आते रहे। इन राष्ट्र-राज्यों में अनेक भू-क्षेत्रों में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की मांग अल्पसंख्यक समूह कर रहे हैं। वस्तुतः आज राष्ट्र-राज्य इस दुविधा में फँसे हुए हैं कि आत्म-निर्णय के इन आन्दोलनों से कैसे निपटा जाये। बहुत से लोग यह महसूस करने लगे हैं कि समाधान नए राज्यों के गठन में नहीं बल्कि वर्तमान राज्यों को अधिकाधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

प्रश्न 3.
हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रवाद ने जनता को जोड़ा है तो विभाजित भी किया है। इसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की है तो इसके साथ ही यह विरोध, कटुता और युद्धों का कारण भी रहा है। यथा

1. राष्ट्रवाद ने जनता को जोड़ा है। राष्ट्रवाद ने जनता को जोड़ा है। राष्ट्रवाद से जनता में एकता की भावना का संचार हुआ है। उदाहरण के लिए 19वीं शताब्दी के यूरोप में राष्ट्रवाद ने कई छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण द्वारा वृहत्तर राष्ट्र – राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। आज के जर्मनी और इटली का गठन एकीकरण और सुदृढ़ीकरण की इसी प्रक्रिया के जरिए हुआ था। राज्य की सीमाओं के सुदृढ़ीकरण के साथ स्थानीय निष्ठाएँ और बोलियाँ भी उत्तरोत्तर राष्ट्रीय निष्ठाओं और सर्वमान्य जनभाषाओं के रूप में विकसित हुईं। नए राष्ट्रों के लोगों ने एक नई राजनीतिक पहचान अर्जित की, जो राष्ट्र-राज्य की सदस्यता पर आधारित थी। आज अरबी राष्ट्रवाद में तमाम अरबी देशों के लोगों को अखिल अरब संघ में एकताबद्ध कर सकता है।

2. राष्ट्रवाद ने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की है। राष्ट्रवाद का आधार राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार है। आत्म-निर्णय के अधिकार के दावे में राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से मांग करता है कि उसके पृथक् राजनीतिक इकाई या राज्य के दर्जे को मान्यता दी जाए। एशिया और अफ्रीका में औपनिवेशिक अत्याचारी शासन के विरोध में राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित होकर लोगों ने राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन चलाये। राष्ट्रीय आन्दोलनों का मानना था कि राजनीतिक स्वाधीनता राष्ट्रीय समूहों को सम्मान और मान्यता प्रदान करेगी और वहाँ के लोगों के सामूहिक हितों की रक्षा करेगी। फलतः राष्ट्रवाद ने एशिया और अफ्रीका में अत्याचारी शासकों से लोगों को स्वतंत्रता प्रदान की है।

3. राष्ट्रवाद लोगों को तोड़ सकता है, उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। यूरोप में ‘एक संस्कृति – एक राज्य’ की राष्ट्रवाद की मांगों को संतुष्ट करने के लिए राज्यों की सीमाओं में बदलाव हुए। इससे सीमाओं के एक ओर से दूसरी ओर बड़ी संख्या में विस्थापन हुए। इसके परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घरों से उजड़ गए और उस जगह से उन्हें बाहर धकेल दिया गया जहाँ पीढ़ियों से उनका घर था। बहुत सारे लोग साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार हुए। इसी प्रकार राष्ट्रवाद की अवधारणा के तहत भारत और पाकिस्तान दो राष्ट्रों का जन्म हुआ। इसके कारण भी लाखों लोगों को एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में धकेला गया। इससे स्पष्ट होता है कि राष्ट्रवाद लोगों को तोड़ सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। इसके कारण बहुत से सीमा विवाद पैदा होते हैं। शरणार्थियों की समस्यायें सामने आती हैं।

4. उपराष्ट्रीयताओं का उभार राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से प्रेरित होकर एक राष्ट्र में उपराष्ट्रीयताओं का उभार होता है और वे अपने भू-क्षेत्र में नवीन राष्ट्र के निर्माण के लिए संघर्ष करने लग जाते हैं। ऐसे राष्ट्रीय आत्म- निर्णय के लिए संघर्ष दुनिया के विभिन्न भागों में अब भी चल रहे हैं। स्पेन में बास्क राष्ट्रवादी आन्दोलन इसी प्रकार का है।

प्रश्न 4.
वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता टिप्पणी कीजिये।
उत्तर:
बहुत से लोगों का मानना है कि एकसमान भाषा या जातीय वंश परम्परा जैसी साझी सांस्कृतिक पहचान व्यक्तियों को एक राष्ट्र के रूप में बांध सकती है। लेकिन वंश, भाषा या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। यथा

1. धर्म और भाषा: यद्यपि एक ही भाषा बोलना आपसी संवाद को आसान बना देता है और समान धर्म होने पर बहुत सारे विश्वास और सामाजिक रीति-रिवाज साझे हो जाते हैं। एक जैसे त्यौहार मनाना, एक जैसे अवसरों पर छुट्टियाँ चाहना और एक जैसे प्रतीकों को धारण करना लोगों को करीब ला सकता है, तथापि यह उन मूल्यों के भीतर खतरा भी उत्पन्न कर सकता है जिन्हें हम लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण मानते हैं। इसके दो कारण हैं। यथा

(i) धार्मिक विविधता:
दुनिया के सभी बड़े धर्म अंदरूनी तौर से विविधता से भरे हुए हैं। वे अपने समुदाय के अन्दर चलने वाले संवाद के कारण ही बने और बढ़े हैं। परिणामस्वरूप धर्म के अन्दर बहुत से पंथ बन जाते हैं और धार्मिक ग्रन्थों और नियमों की उनकी व्याख्यायें अलग-अलग होती हैं। अगर हम इन विभिन्नताओं की अवहेलना करें और एक समान धर्म के आधार पर एक पहचान स्थापित कर दें तो आशंका है कि हम बहुत ही वर्चस्ववादी और दमनकारी समाज का निर्माण कर दें

(ii) सांस्कृतिक विविधता:
अधिकतर समाज सांस्कृतिक विविधता से भरे हैं। एक ही भू-क्षेत्र में विभिन्न धर्म और भाषाओं के लोग साथ-साथ रहते हैं। किसी राज्य की सदस्यता की शर्त के रूप में किसी खास धार्मिक या भाषायी पहचान को आरोपित कर देने से कुछ समूह निश्चित रूप से शामिल होने से रह जायेंगे। इससे शामिल नहीं किए गए समूहों को हानि होगी। इससे ‘समान बर्ताव और सबके लिए स्वतंत्रता’ के उस आदर्श में भारी कटौती होगी, जिसे हम लोकतंत्र में अमूल्य मानते हैं। इन्हीं कारणों से यह बेहतर होगा कि राष्ट्र की कल्पना सांस्कृतिक पदों में न की जाए। अतः लोकतंत्र में किसी खास धर्म, नस्ल या भाषा की सम्बद्धता के स्थान पर एक मूल्य समूह के प्रति निष्ठा की जरूरत है।

2. नस्ल व वंश: राष्ट्रवाद के निर्माण और विकास के लिए नस्ल या वंश की एकता एक आवश्यक तत्त्व एक नस्ल या वंश के सदस्यों में स्वाभाविक रूप से एकता की भावना पाई जाती है। परन्तु आधुनिक विद्वानों ने इसे राष्ट्रवाद के निर्माण व विकास का मूल तत्त्व नहीं माना है क्योंकि एक ही राज्य में विभिन्न वंशों और नस्लों के लोग रहते हैं।

प्रश्न 5.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारक राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित है।
1. साझे विश्वास:
राष्ट्र विश्वास के जरिये बनता है। यह समूह के भविष्य के लिए सामूहिक पहचान और दृष्टिकोण का प्रमाण है, जो स्वतन्त्र राजनैतिक अस्तित्व का आकांक्षी है। एक राष्ट्र का अस्तित्व तभी कायम रह सकता है जब उसके सदस्यों को यह विश्वास हो कि वे एक-दूसरे के साथ हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्र की तुलना हम एक टीम से कर सकते हैं। जब हम टीम की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय लोगों के ऐसे समूह से है, जो एक साथ काम करते या खेलते हैं तथा वे स्वयं को एकीकृत समूह मानते हैं। अगर वे अपने बारे में इस तरह नहीं सोचते तो एक टीम की उनकी हैसियत खत्म हो जायेगी और वे खेल खेलने वाले अलग-अलग व्यक्ति रह जायेंगे।

2. इतिहास:
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाला दूसरा प्रमुख कारक साझा इतिहास है। जो लोग अपने को एक राष्ट्र मानते हैं उनके भीतर अपने बारे में स्थायी ऐतिहासिक पहचान की भावना होती है। वे देश की स्थायी ऐतिहासिक पहचान का खाका प्रस्तुत करने के लिए साझा स्मृतियों, किंवदन्तियों और ऐतिहासिक अभिलेखों के जरिये अपने लिए इतिहासबोध निर्मित करते हैं। उदाहरण के लिए भारत के राष्ट्रवादियों ने यह दावा करने के लिए कि एक सभ्यता के रूप में भारत का लम्बा और अटूट इतिहास रहा है और यह सभ्यतामूलक निरन्तरता और एकता भारतीय राष्ट्र की बुनियाद है।

3. भू-क्षेत्र:
बहुत सारे राष्ट्रों की पहचान एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हुई है। किसी खास भू-क्षेत्र पर लम्बे समय तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़ी साझे अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध देती हैं। ये उन्हें एक होने का एहसास देती हैं। इसलिए जो लोग स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में देखते हैं, वे एक गृहभूमि की बात करते हैं। राष्ट्र अपनी गृहभूमि का बखान मातृभूमि, पितृभूमि या पवित्र भूमि के रूप में करते हैं।

4. साझे राजनीतिक आदर्श:
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाला एक अन्य कारक ‘साझे राजनीतिक आदर्श’ हैं। भविष्य के बारे में साझा नजरिया और अपना स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व बनाने की सामूहिक चाहत, राष्ट्र को शेष समूहों से अलग करती है। राष्ट्र के सदस्यों की इस बारे में एक साझा दृष्टि होती है कि वे किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं। वे लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और उदारवाद जैसे मूल्यों और सिद्धान्तों को स्वीकार करते हैं । इन शर्तों के आधार पर वे साथ-साथ रहना चाहते हैं। इस प्रकार साझे राजनीतिक आदर्श राष्ट्र के रूप में उनकी राजनीतिक पहचान को बनाते हैं।

5. साझी राजनीतिक पहचान:
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाला एक अन्य कारक ‘साझी राजनैतिक ‘पहचान’ का होना है। राष्ट्र की कल्पना राजनीतिक शब्दावली में की जानी चाहिए अर्थात् लोकतंत्र में किसी खास धर्म, नस्ल या भाषा से संबद्धता की जगह एक मूल्य – समूह के प्रति निष्ठा की जरूरत होती है। इस मूल्य-समूह को देश के संविधान में भी दर्ज किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
संघर्षरत राष्ट्रवादी आकांक्षाओं के साथ बर्ताव करने में तानाशाही की अपेक्षा लोकतंत्र अधिक समर्थ होता है। कैसे?
उत्तर:
संघर्षरत राष्ट्रवादी आकांक्षाओं के साथ बर्ताव करने में तानाशाही की अपेक्षा लोकतंत्र अधिक समर्थ होता है क्योंकि संघर्षरत राष्ट्रवादी समूहों की आकांक्षाओं का समाधान नए राज्यों के गठन में नहीं बल्कि वर्तमान राज्यों को अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है। इसका समाधान यह सुनिश्चित करने में है कि अलग-अलग सांस्कृतिक और नस्लीय पहचानों के लोग देश में समान नागरिक और साथियों की तरह सह-अस्तित्वपूर्वक रह सकें। यह न केवल आत्म-निर्णय के नए दावों के उभार से पैदा होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए वरन् मजबूत और एकताबद्ध राज्य बनाने के लिए जरूरी होगा। यथा-

  1. लोकतांत्रिक शासन ‘समान व्यवहार और सबके लिए स्वतंत्रता’ के आदर्श को लेकर चलता है लेकिन तानाशाही शासन में यह आदर्श नहीं अपनाया जाता। इसका अभिप्राय यह है कि लोकतंत्र में किसी खास धर्म, नस्ल या भाषा की सम्बद्धता की जगह एक मूल्य समूह के प्रति निष्ठा की जरूरत होती है। इस मूल्य समूह को देश के संविधा में दर्ज कर संघर्षरत राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को संतुष्ट किया जा सकता है। लोकतांत्रिक राज्य अपनी सामूहिक राष्ट्रीय पहचान को साझे राजनैतिक आदर्शों के आधार पर गढ़कर सभी समूहों को एक राष्ट्र के रूप में निरूपित कर सकते हैं ।
  2. लोकतांत्रिक देश सांस्कृतिक रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान को स्वीकार करने और संरक्षित करने के उपाय कर सकता है। इस हेतु प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों ने अल्पसंख्यक समूहों एवं उनके सदस्यों की भाषा, संस्कृति एवं धर्म के लिए संवैधानिक संरक्षा का अधिकार प्रदान कर दिया है।
  3. लोकतांत्रिक देशों में इन समूहों को विधायी संस्थाओं और अन्य राजकीय संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का अधिकार देकर कानून द्वारा समान व्यवहार एवं सुरक्षा का अधिकार भी प्रदान किया जा सकता है।
  4. लोकतंत्र में राष्ट्रीय पहचान को समावेशी रीति से परिभाषित किया जाता है ताकि संघर्षरत राष्ट्रवादी सदस्यों की महत्ता और अद्वितीय योगदान को मान्यता मिल सके।
  5. संघर्षरत समूहों की मांगों से निपटने के लिए उदारता और दक्षता की आवश्यकता होती है। लोकतांत्रिक देश संघर्षरत समूहों को राष्ट्रीय समुदाय के एक अंग के रूप में मान्यता देकर अत्यन्त उदारता एवं दक्षता के साथ व्यवहार बर्ताव कर उनकी समस्याओं का समाधान कर सकता है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

प्रश्न 7.
आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
राष्ट्रवाद की सीमाएँ: हमारी दृष्टि में राष्ट्रवाद की प्रमुख सीमाएँ या राष्ट्रवाद के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं।
1. राष्ट्रवाद शीघ्र ही उग्र राष्ट्रवाद में परिवर्तित हो जाता है:
राष्ट्रवाद की एक प्रमुख सीमा यह है कि राष्ट्रवाद दूसरे राष्ट्रों के प्रति घृणा की जड़ों से प्रेरित होता है। इसलिए यह शीघ्र ही उग्र राष्ट्रवाद में परिवर्तित हो जाता है और उस के लोग अन्य राष्ट्रों के साथ दुश्मनी का व्यवहार करना प्रारंभ कर देते हैं। वे अपने राष्ट्र को विश्व में सर्वाधिक विकसित और शक्तिशाली बनाने के प्रयास शुरू कर देते हैं। इस प्रकार राष्ट्रों के बीच में प्रजातियाँ उभारी जाती हैं। प्रजाति की अवधारणा इसलिए हानिप्रद होती है क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र इसके लिए प्रत्येक उचित – अनुचित साधनों को अपनाता है। प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को नीचा दिखाने का प्रयास करता है।

2. राष्ट्रवाद बड़े राष्ट्रों को छोटे राष्ट्रों में विभाजित करने की प्रेरणा देता है:
राष्ट्रवाद लोगों को राष्ट्रीय आत्म- निर्णय के आधार पर बड़े राष्ट्रों को भंग कर छोटे-छोटे राष्ट्रों के निर्माण की मांग की प्रेरणा देता है । प्रायः सभी समाज बहुलवादी हैं जिनमें विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं के लोग निवास करते हैं। एक राष्ट्र के अन्तर्गत एक भू-क्षेत्र के लोगों में अपनी किसी विशेष पहचान के आधार पर एक पृथक् राष्ट्र की भावना विकसित हो जाती है और वे अपने लिए पृथक् स्वतंत्र राष्ट्र के लिए संघर्ष शुरू कर देते हैं। यूरोप में 20वीं सदी के प्रारंभ में आस्ट्रियाई – हंगेरियाई और रूसी साम्राज्य और इनके साथ एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली साम्राज्य के विघटन के मूल्य में राष्ट्रवाद ही था।

3. राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की समस्या:
यदि किसी राज्य में दो या दो से अधिक राष्ट्रीयताओं के लोग निवास करते हैं तो उस राज्य में राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की समस्या बनी रहती है। लोगों के अन्दर राष्ट्रवाद की चेतना उन्हें विभाजित रखती है और वे पृथक् राज्यों के लिए संघर्ष करते रहते हैं। इस प्रकार किसी राज्य में दो या दो से अधिक राष्ट्रीयताओं के लोग एक राष्ट्र के सदस्यों के रूप में कार्य नहीं कर पाते हैं।

4. व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं में कटौती:
राष्ट्रवाद प्रायः लोगों के अधिकारों में कटौती कर देता है। शासक राष्ट्रवाद के नाम लोगों की भावनाओं को प्रेरित कर उनके अधिकारों और स्वतंत्रताओं में कटौती करने की कोशिश करता है और लोग राष्ट्र के आदर तथा महत्त्व के लिए अपने अधिकारों व स्वतंत्रताओं की चिन्ता नहीं करते और तानाशाह या महत्त्वाकांक्षी शासक इन भावनाओं का अनुचित लाभ उठाते हैं।

5. राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद को बढ़ावा देता है:
राष्ट्रवाद शीघ्र ही उग्र राष्ट्रवाद में परिवर्तित हो जाता है और उग्र राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद के विस्तार की प्रेरणा देता है और अपने पड़ौसी कमजोर राष्ट्रों पर अधिकार करने की प्रक्रिया जारी हो `जाती है। यह प्रक्रिया युद्ध और सैनिक आक्रमण की धमकियों के रूप में जारी रहती है। इस प्रकार यह साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद का समर्थन करता है। उदाहरण के लिए हिटलर के शासनकाल में जर्मनी ने आर्य प्रजाति की उच्चता की वकालत की और इसके तहत जर्मन लोग सोचते थे कि आर्य जाति संसार की अन्य सभी प्रजातियों पर शासन करने के लिए है। इस धारणा के तहत हिटलर ने अन्य राष्ट्रों पर आक्रमण की नीति को अपनाया और उसका परिणाम द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में सामने आया।

6. राष्ट्रवाद अलगाववादी आंदोलनों को प्रेरित करता है:
राष्ट्रवाद राष्ट्रीय आत्मनिर्णय की अवधारणा के तहत भारत तथा अन्य राष्ट्रों में पृथकतावादी राष्ट्रीय आंदोलनों को प्रेरित कर रहा है। भारत की स्वतंत्रता के समय मुस्लिम लीग ने मुस्लिम भारतीयों के लिए पृथक् राष्ट्र-राज्य की मांग की जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान नामक दो राष्ट्रों का उदय हुआ। आज दुनिया के अनेक भागों में हम ऐसे राष्ट्रवादी संघर्षों को देख सकते हैं जो मौजूदा राष्ट्रों के अस्तित्व के लिए खतरे पैदा कर रहे हैं। ऐसे पृथकतावादी आंदोलन अन्य जगहों के साथ-साथ कनाडा के क्यूबेकवासियों, उत्तरी स्पेन के बास्कवासियों, तुर्की और ईरान के कुर्दों और श्रीलंका के तमिलों द्वारा भी चलाए जा रहे हैं। इन अलगाववादी आंदोलनों के प्रमुख कारक रहे हैं। साम्प्रदायिकता, जातीयता, प्रान्तीयता, भाषावाद तथा संकीर्ण व्यक्तिवाद।

 राष्ट्रवाद JAC Class 11 Political Science Notes

→ राष्ट्रवाद का परिचय:
आम राय में राष्ट्रवाद शब्द को कुछ प्रतीकों के साथ स्पष्ट किया जाता है, जैसे- राष्ट्रीय ध्वज, देशभक्ति, देश के लिए बलिदान, सत्ता और शक्ति के साथ विविधता की भावना। दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड भारतीय राष्ट्रवाद का बेजोड़ प्रतीक है।

→ राष्ट्रवाद एक सम्मोहक राजनीतिक सिद्धान्त या एक प्रभावी शक्ति के रूप में पिछली दो शताब्दियों के दौरान निम्नलिखित प्रभावों के कारण राष्ट्रवाद एक ऐसे सम्मोहक राजनीतिक सिद्धान्त के रूप में उभरा है जिसने इतिहास रचने में योगदान दिया है। यथा

  • इसने उत्कट निष्ठाओं के साथ-साथ गहरे विद्वेषों को प्रेरित किया है।
  • जनता को जोड़ने के साथ-साथ विभाजित भी किया है।
  • इसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की है।
  • यह विरोध, कटुता और युद्धों का कारण भी रहा है।
  • यह साम्राज्यों और राष्ट्रों के ध्वस्त होने का भी एक कारण रहा है तथा राष्ट्रवादी संघर्षों ने राष्ट्रों और साम्राज्यों की सीमाओं के निर्धारण – पुनर्निर्धारण में योगदान किया है। वर्तमान विश्व विभिन्न राष्ट्र-राज्यों में विभाजित है और राष्ट्रों की सीमाओं के पुनर्संयोजन की प्रक्रिया अभी भी जारी है।

→ राष्ट्रवाद के चरण-राष्ट्रवाद कई चरणों से होकर गुजरा है। यथा

  • 19वीं सदी में यूरोप में इसने कई छोटी: छोटी रियासतों के एकीकरण और सुदृढ़ीकरण से वृहत्तर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। जैसे जर्मनी और इटली का एकीकरण तथा लातिनी अमेरिका में नए राज्यों की स्थापना आदि।
  • राज्य की सीमाओं के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ स्थानीय निष्ठाएँ और बोलियाँ भी उत्तरोत्तर राष्ट्रीय निष्ठाओं एवं सर्वमान्य जनभाषाओं के रूप में विकसित हुईं।
  • राष्ट्र-राज्य की सदस्यता पर आधारित लोगों ने एक नई राजनीतिक पहचान अर्जित की।
  • राष्ट्रवाद बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में हिस्सेदार भी रहा। ( 20वीं सदी में आस्ट्रिया, हंगरी, रूसी, एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश, फ्रांसीसी, पुर्तगाली साम्राज्यों के विघटन के रूप में राष्ट्रवाद ही था।)
  • राष्ट्रों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया अभी जारी है।

राष्ट्र से आशय: राष्ट्र बहुत हद तक एक ‘काल्पनिक’ समुदाय होता है, जो अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बंधा होता है। यह कुछ खास मान्यताओं पर आधारित होता है जिन्हें लोग उस समग्र समुदाय के लिए गढ़ते हैं, जिससे वे अपनी पहचान कायम करते हैं।

राष्ट्र के सम्बन्ध में प्रमुख मान्यताएँ:
→  साझे विश्वास: राष्ट्र विश्वास के जरिए बनता है। यह समूह के भविष्य के लिए सामूहिक पहचान और सामूहिक दृष्टि का प्रमाण है, जो स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व का आकांक्षी है। अतः एक राष्ट्र का अस्तित्व तभी क़ायम रहता है जब उसके सदस्यों को यह विश्वास हो कि वे एक-दूसरे के साथ हैं।

→ इतिहास: जो लोग अपने को एक राष्ट्र मानते हैं उनके भीतर अपने बारे में बहुधा स्थायी ऐतिहासिक पहचान की भावना होती है। इस सम्बन्ध में वे साझी स्मृतियों, किंवदंतियों और ऐतिहासिक अभिलेखों की रचना के जरिये अपने लिए इतिहास बोध निर्मित करते हैं ।

→  भू-क्षेत्र: बहुत सारे राष्ट्रों की पहचान एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हुई है। किसी खास भू-क्षेत्र पर लम्बे समय तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़ी अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध देती हैं। ये उन्हें एक होने का एहसास भी देती हैं। राष्ट्र अपनी गृह – भूमि का विभिन्न तरीकों से बखान करते हैं, जैसे मातृभूमि, पितृभूमि, पवित्र भूमि आदि।

→ साझे राजनीतिक आदर्श:
राष्ट्र के सदस्यों की इस बारे में एक साझा दृष्टि होती है कि वे किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं। इस हेतु वे प्रायः लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और उदारवाद जैसे मूल्यों और सिद्धान्तों को स्वीकार करते हैं। लोकतंत्र में कुछ राजनीतिक मूल्यों और आदर्शों के लिए साझी प्रतिबद्धता ही किसी राष्ट्र का सर्वाधिक वांछित आधार है। इसके अन्तर्गत राष्ट्र के सदस्य कुछ दायित्वों से बंधे होते हैं । ये दायित्व सभी लोगों के नागरिकों के रूप में अधिकारों को पहचान लेने से पैदा होते हैं। इससे उनकी राजनीतिक पहचान बनती है तथा राष्ट्र मजबूत होता है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

→ साझी राजनीतिक पहचान:
लोकतंत्र में साझी राजनीतिक समझ के लिए किसी खास नस्ल, धर्म, भाषा से सम्बद्धता की जगह एक मूल्य समूह के प्रति निष्ठा की आवश्यकता होती है। इस मूल्य समूह को देश के संविधान में भी दर्ज किया जा सकता है। अतः राष्ट्र के लिए एक साझी राजनैतिक पहचान का होना भी आवश्यक है।

→ राष्ट्रीय आत्म-निर्णय अर्थात् लोग स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में क्यों निरूपित करते हैं? राष्ट्र अपना आत्म-निर्णय का अधिकार मांगते हैं। आत्म-निर्णय के दावे में राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से मांग करता है कि उसकी संस्कृति की रक्षा हेतु एक पृथक् राजनीतिक इकाई या राज्य के दर्जे को मान्यता दी जाये। प्रायः ऐसी मांगें उन लोगों की ओर से आती हैं जो एक लम्बे समय से किसी निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ रहते आए हों और जिनमें साझी पहचान का बोध हो।
कुछ मामलों में आत्म-निर्णय के ऐसे दावे एक स्वतंत्र राज्य बनाने की इच्छा से भी जुड़े होते हैं। इन दावों का सम्बन्ध किसी समूह की संस्कृति की रक्षा से होता है।

दूसरी तरह के दावे 19वीं सदी के यूरोप में सामने आए। उस समय ‘एक संस्कृति – एक राज्य’ की मान्यता ने जोर पकड़ा। अलग-अलग सांस्कृतिक समुदायों को अलग-अलग राष्ट्र-राज्य मिले- इसे ध्यान में रखकर सीमाओं को बदला गया। लेकिन फिर भी नवगठित राष्ट्र-राज्यों की सीमाओं के अन्दर एक से अधिक नस्ल और संस्कृति के लोग रहते थे। ऐसे राज्यों में अल्पसंख्यक हानिप्रद स्थितियों में रहते थे। ऐसे बहुत सारे समूहों को राजनीतिक मान्यता प्रदान की गई जो स्वयं को एक अलग राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे और अपने भविष्य को तय करने तथा अपना शासन स्वयं चलाना चाहते थे। लेकिन इन राष्ट्र-राज्यों के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।

एशिया: अफ्रीका में औपनिवेशिक प्रभुत्व के खिलाफ राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलनों ने राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की घोषणा की। इन्होंने राजनैतिक स्वाधीनता के साथ-साथ राष्ट्र की मान्यता भी प्राप्त की अब वे राष्ट्र-राज्य अपने को विरोधाभासी स्थिति में पाते हैं जिन्होंने संघर्षों की बदौलत स्वाधीनता प्राप्त की, लेकिन अब वे अपने भू-क्षेत्रों में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की मांग करने वाले अल्पसंख्यक समूहों का विरोध कर रहे हैं।

→ राष्ट्र-राज्यों में वर्तमान में उठे आत्म-निर्णय के आन्दोलनों से निपटने के लिए विद्वानों ने निम्न सुझाव दिये हैं।

  • राज्यों को अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाया जाये।
  • अल्पसंख्यक समूहों के अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान की कद्र की जाये।

→ राष्ट्रवाद और बहुलवाद: विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय एक ही देश में फल-फूल सकें इसके लिए अनेक लोकतांत्रिक देशों ने सांस्कृतिक रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान को स्वीकार करने और संरक्षित करने के उपायों को शुरू किया है।

  • विभिन्न देशों में अल्पसंख्यक समूहों एवं अनेक सदस्यों को भाषा, संस्कृति एवं धर्म के लिए संवैधानिक संरक्षा के अधिकार दिये गये हैं।
  • कुछ मामलों में इन समूहों को विधायी संस्थाओं और अन्य राजकीय संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया गया है। ये अधिकार इन समूहों के सदस्यों के लिए कानून द्वारा समान व्यवहार एवं सुरक्षा के साथ ही समूह की सांस्कृतिक पहचान के लिए भीं सुरक्षा का प्रावधान करते हैं।
  • इन समूहों को राष्ट्रीय समुदाय के एक अंग के बतौर भी मान्यता दी गई है।
  • इसके बावजूद यह हो सकता है कि कुछ समूह पृथक् राज्य की मांग पर अडिग रहें। ऐसी मांगों को अत्यन्त उदारता एवं दक्षता के साथ निपटाना आवश्यक है।

→ निष्कर्ष: यद्यपि राष्ट्रीय आत्म निर्णय के अधिकार में राष्ट्रीयताओं के लिए स्वतंत्र राज्य का अधिकार भी सम्मिलित है, तथापि प्रत्येक राष्ट्रीय समूह को स्वतंत्र राज्य प्रदान करना न तो मुमकिन है और न वांछनीय। यह आर्थिक और राजनैतिक क्षमता की दृष्टि से बेहद छोटे राज्यों के गठन की ओर ले सकता है जिसमें अल्पसंख्यक समूहों की समस्यायें और बढ़ेंगी।
अतः राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की पुनः यह व्याख्या की जाती है कि राज्य के भीतर किसी राष्ट्रीयता के लिए कुछ लोकतांत्रिक अधिकारों की स्वीकृति।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 9 The Bond of Love

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 9 The Bond of Love Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Chapter 9 The Bond of Love

JAC Class 9 English The Bond of Love Textbook Questions and Answers

Thinking About the Text

I. Given in the box are some headings. Find the relevant paragraphs in the text to match the headings:

बॉक्स में कुछ शीर्षक दिये गये हैं । इन शीर्षकों से मिलते-जुलते अनुच्छेद पाठ में से छाँटियेः
An Orphaned Cub; Bruno’s Food-chart; An Accidental Case of Poisoning; Playful Baba; Pain of Separation; Joy of Reunion; A Request to the Zoo; An Island in the Courtyard
Answer:
An Orphaned Cub — As we watched …………. a pitiful noise. (Para 3)
Bruno’s Food-chart — Bruno soon …………….. with relish. (Para 6)
An Accidental Case of Poisoning — One day ………… what to do? (Para 8)
PlayfulBaba—The months ……………. most of the time. (Para 12)
Pain of Separation—We all missed ……… refuses food too. (Para 14)
Joy of bunion — Friends had ……… in delight. (Para 16)
A Request to the Zoo — “Oh please, ……… have him back. (Para 18)
Anisland in the Courtyard — Once home ……… to play with. (Para 21)

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II. Answer the following questions :

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :

1. “I got him for her by accident.

” मुझे वह संयोगवश उसके लिए मिला ।

(i) Who says this ?
यह कौन कहता है ?
Answer:
The author says it.
यह लेखक कहता है

(ii) Who do ‘him’ and ‘her’ refer to ?
‘him’ और ‘her’ किनके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?
Answer:
‘Him’ refers to the baby bear and ‘her’ to the author’s wife.
‘Him’ रीछ के बच्चे के लिए और ‘her’ लेखक की पत्नी के लिए प्रयुक्त हुआ है ।

(iii) What is the incident referred to here?
यहाँ किस घटना का उल्लेख किया गया है ?
Answer:
The incident in which a bear was shot dead and its cub was orphaned, is referred here.
यहाँ उस घटना का उल्लेख किया गया है जिसमें एक रीछ को गोली मार दी गई थी और उसका बच्चा अनाथ.. हो गया था ।

2. “He stood on his head in delight. “

” वह प्रसन्नता के कारण अपने सिर के बल खड़ा हो गया ।”

(i) Who does ‘he’ refer to ?’
‘He’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?
Answer:
‘He’ refers to Baba.
‘He’ बाबा के लिए प्रयुक्त हुआ है ।

(ii) Why was he delighted ?
वह प्रसन्न क्यों था ?
Answer:
He was delighted to see his beloved mistress.
वह अपनी प्रिय मालकिन को देखकर प्रसन्न था ।

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3. “We all missed him greatly : but in a sense we were relieved.”

“हम सबको उसकी कमी अत्यधिक महसूस हो रही थी परन्तु एक तरह से हमें राहत मिली थी।”:

(i) Who does we all’ stand for ?
‘हम सब’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?
Answer:
‘We all’ stands for the author’s family including himself.
‘हम सब’ लेखक के परिवार व उसके स्वयं के लिए प्रयुक्त हुआ है

(ii) Who did they miss ?
उन्हें किसकी कमी महसूस हो रही थी ?
Answer:
They missed Baba, their pet bear.
उनको अपने पालतू रीछ, बाबा, की कमी महसूस हो रही थी ।

(iii) Why did they nevertheless feel relieved?
फिर भी उन्हें राहत क्यों महसूस हुई ?
Answer:
They felt relieved because Baba had grown up. He was now too big to be kept at home so they sent him off to a zoo.

उन्हें इसलिए राहत महसूस हुई क्योंकि बाबा बड़ा हो गया था। वह अब इतना बड़ा हो गया था कि उसे घर पर नहीं रखा जा सकता था इसलिए उन्होंने उसे चिड़ियाघर में भेज दिया ।

III. Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
On two occasions Bruno ate/drank something that should not be eaten/drunk. What happened to him on these occasions ?
ब्रूनो ने दो अवसरों पर ऐसी चीजें खा पी लीं जो उसे नहीं खानी पीनी चाहिये थीं । इन अवसरों पर उसे क्या हुआ ?
Answer:
On one occasion, Bruno ate poison. It was is barium carbonate. He got paralysed after eating the poison. He was saved by the promptness of the author and the doctor. On another occasion, he drank nearly a gallon of old engine oil. It had no ill effect on him.

एक बार ब्रूनो ने बैरियम कार्बोनेट जहर खा लिया । यह बेरियम कार्बोनेट था । जहर खाकर उसे लकवा हो गया । लेखक व डॉक्टर की तत्परता से उसे बचा लिया गया । एक अन्य अवसर पर उसने लगभग एक गैलन पुराना इंजिन ऑयल पी लिया । इसका उस पर कोई दुष्प्रभाव ( बुरा प्रभाव ) नहीं हुआ ।

Question 2.
Was Bruno a loving and playful pet ? Why, then, did he have to be sent away ?
क्या ब्रूनो एक प्यारा-सा व चंचल पालतू पशु था ? फिर उसे दूर क्यों भेजना पड़ा ?
Answer:
Yes, Bruno was a loving and playful pet. But, after all, he was a sloth bear. He was now too big to be kept at home. There was always a possibility of danger from him. So he had to be sent away.

हाँ, ब्रूनो एक प्यारा-सा व चंचल पालतू पशु था । लेकिन, अन्ततः वह एक रीछ था । वह इतना बड़ा हो गया था कि उसे घर पर नहीं रखा जा सकता था। उससे खतरे की सम्भावना हमेशा बनी रहती थी । इसलिए उसे दूर भेजना पड़ा ।

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Question 3.
How was the problem of what to do with Bruno finally solved ?
ब्रूनो का क्या किया जाये, यह समस्या अन्ततः किस प्रकार सुलझी ?
Answer:
When Bruno grew up, there was always a possibility of danger from him. It was not wise to keep him at home. Finally the problem was solved by sending him to the zoo.

ब्रूनो के बड़ा होने पर, उससे हमेशा खतरे की सम्भावना बनी रहती थी । उसे घर में रखना बुद्धिमानी नहीं थी । अंततः यह समस्या उसे चिड़ियाघर भेजकर हल हुई ।
Or
Bruno was not happy at the zoo. At the same time the narrator’s wife was also not feeling happy without him. So, Bruno was allowed to go back to Bangalore from the zoo. At the narrator’s home, an island was made for the bear keeping all its needs in mind. And thus this problem was solved.

ब्रूनो चिड़ियाघर में खुश नहीं था । उसके बिना वर्णनकर्त्ता की पत्नी भी खुशी महसूस नहीं कर रही थी। इसलिए ब्रूनो को चिड़ियाघर से बंगलौर वापस जाने की अनुमति मिल गयी। और घर पर रीछ की सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसके रहने के लिए एक द्वीप बना दिया गया। इस प्रकार यह समस्या हल हुई।

Thinking About Language

1. Find these words in the lesson. They all have ‘ie’ or ‘ei’ in them.

पाठ में इन शब्दों को ढूँढिये । इन सबमें ‘ie’ या ‘ei’ है :

f _ _ld
ingred_ _nts
h _ _ ght
misch_ _vous
fr _ _ nds
_ _ ghty _ seven
rel _ _ ved
p _ _ ce
Answer:
field
ingredients
height
mischievous
friends
eighty-seven
relieved
piece

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2. Now here are some more words. Complete them with ‘ei’ or ‘ie’. Consult a dictionary if necessary.

अब यहाँ कुछ और शब्द दिये जा रहे हैं । उन्हें ‘ei’ या ‘ie’ लगाकर पूरा कीजिए । आवश्यक हो, तो शब्दकोष की सहायता लीजिए ।

bel_ _ve
rec _ _ ve
w _ _ rd
l _ _ sure
w _ _ ght
r _ _ gn
f_ _ gn
gr _ _ f
Answer:
believe
receive
weird
leisure
seize
weight
reign
feign
grief
pierce

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III. How to look at an index:

परिशिष्ट कैसे देखी जाये :

परिशिष्ट नामों या शीर्षकों की सूची होती है जो किसी पुस्तक में पाए जाते हैं। यह पुस्तक के अन्त में; वर्णक्रम में व्यवस्थित होती है ।
Note: इसे देखने की विधि अपने अध्यापक की सहायता से समझें ।

IV. 1. The Narrative Present : वर्णनात्मक वर्तमान :

Notice the incomplete sentences in the following paragraphs. Here the writer is using incomplete sentences in the narration to make the incident more dramatic or immediate. Can you rewrite the paragraph in complete sentences?
निम्नलिखित गद्यांशों में अपूर्ण वाक्यों पर ध्यान दीजिए । यहाँ लेखक घटना को अधिक नाटकीय व त्वरित बनाने के लिए वर्णन में अपूर्ण वाक्यों का प्रयोग कर रहा है । क्या आप दिये गये गद्यांश को पूरे वाक्यों में लिख सकते हैं ?
आप इस प्रकार प्रारम्भ कर सकते हैं :

(The vet and I made a dash back to the car. Bruno was still floundering…….)

(I) A dash back to the car. Bruno still floundering about on his stumps, but clearly weakening rapidly; some vomiting, heavy breathing, with heaving flanks and gaping mouth. Hold him, everybody! In goes the hypodermic – Bruno squeals – 10 c.c. of the antidote enters his system without a drop being wasted. Ten minutes later: condition unchanged ! Another 10 c.c. injected ! Ten minutes later breathing less stertorous Bruno can move his arms and legs a little although he cannot stand yet.

Thirty minutes later : Bruno gets up and has a great feed! He looks at us disdainfully, as much as to say, ‘what’s barium carbonate to a big black bear like me ? – Bruno is still eating. Answer:The vet and I made a dash back to the car. Bruno was still floundering about on his stumps, but he was clearly weakening rapidly; he was vomiting and breathing heavily, his flanks were heaving and his mouth was gaping.
Answer:
The vet asked everybody there to hold him. The hypodermic medicine went in – Bruno squealed – 10 c.c. of the antidote entered his system without a drop being wasted. Ten minute passed.Bruno’s condition was still unchanged. Another 10 c.c. was injected into his body. Ten minutes passed again. His breathing became less stertorous. Bruno could move his arms and legs a little although he could not stand yet. Thirty minutes later, Bruno got up and had a great feed. He looked at us disdainfully, as much as to say, ‘What’s barium carbonate to a big black bear like me?’ Bruno was still eating.

(II) उपर्युक्त गद्यांशों में verb, Present Tense में हैं (जैसे – hold, goes आदि) । इससे पढ़ने वाले को कार्य के तुरन्त होने का आभास होता है । किसी खेल (क्रिकेट, फुटबॉल आदि) पर कमेन्ट्री करते ( आँखों देखा हाल सुनाते) समय या कहानी को इस तरह सुनाते समय मानो वह अभी घटित हो रही है, अक्सर Present Tense का प्रयोग किया जाता है । इसलिए इसे ‘Narrative Present’ ( वर्णनात्मक वर्तमान) कहा जाता है। आप Unit-10 में Present Tense के बारे में और पढ़ेंगे ।

2. Adverbs (क्रिया-विशेषण)

Adverb वे शब्द होते हैं जो किसी adjective या verb की विशेषता बताते हैं; जैसे- a very old man ran fast. यहाँ ‘very’ ‘old’ की विशेषता बता रहा है जो कि एक adjective है और ‘fast’ ‘ran’ की विशेषता बता रहा है जो कि एक verb है । अतः इस वाक्य में ‘very’ और ‘fast’ adverb हैं । Find the adverbs in the passage below:
नीचे दिये गये गद्यांश में से Adverbs छाँटिये : (आप Unit-1 में Adverbs के बारे में पढ़ चुके है।) We thought that everything was over when suddenly a black sloth bear came out panting in the hot sun. Now I will not shoot a sloth-bear wantonly but, unfortunately. for the poor beast, one of my companions did not feel that way about it, and promptly shot the bear on the spot.
Answer:
over, out, now, suddenly, now, wantonly, unfortunately, promptly.

(i) Complete the following sentences, using a suitable adverb ending in -ly.
‘ly’ से समाप्त होने वाले उपयुक्त adverb का प्रयोग करते हुए नीचे दिये गये वाक्यों को पूरा कीजिए:

(a) Rana does her homework …………
(b) It rains…………… in Mumbai in June.
(c) He does his work ……
(d) The dog serves his master …………
Answer:
regularly, heavily, neatly, faithfully.

(ii) Choose the most suitable adverbs or adverbial phrases and complete the following sentences:

नीचे दिये वाक्यों को पूरा करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त adverbs या adverbial phrases चुनिये :
(a) We should get down from a moving train. (never, sometimes, often)
(b) I was …………. in need of support after my poor performance. (badly, occasionally, sometimes)
(c) Rita met with an accident. The doctor examined her……….. (suddenly, seriously, immediately)
Answer:
(a) never
(b) badly
(c) immediately.

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3. Take down the following scrambled version of a story, that your teacher will dictate to you, with appropriate punctuation marks. Then, read the scrambled story carefully and try to rewrite it rearranging the incidents.

नीचे अव्यवस्थित क्रम में लिखी कहानी को देखिये, जिसे आपके अध्यापक उचित विराम-चिह्नों के साथ आपको बोलकर लिखवायेंगे । फिर अव्यवस्थित क्रम में लिखी इस कहानी को ध्यान से पढ़िये और घटनाओं को व्यवस्थित करते हुए इसे पुनः लिखने का प्रयास कीजिए :

A grasshopper, who was very hungry, saw her and said,” When did you get the corn? I am dying of hunger.” She wanted to dry them. It was a cold winter’s day, and an ant was bringing out some grains of corn from her home. She had gathered the corn in summer.
“I was singing all day.” answered the grasshopper.
“If you sang all summer,” said the ant, “you can dance all winter.”
“What were you doing?” asked the ant again.
The grasshopper replied,” I was too busy.”
“I collected it in summer,” said the ant. “What were you doing in summer? Why did you not store some corn?”
Answer:It was a cold winter’s day and an ant was bringing out some grains of corn from her home. She had gathered the corn in summer. She wanted to dry them. A grasshopper, who was hungry, saw her and said, “When did you get the corn? I am dying of hunger.” “I collected it in summer,” said the ant. “What were you doing in summer? Why did you not store some corn?”
The grasshopper replied, “I was too busy.”
“What were you doing?” asked the ant again.
“I was’ singing all day,” answered the grasshopper.
“If you sang all summer,” said the ant, “you can dance all winter.
”Note: Speaking व Writing वाले अंश को छात्र अपने विषय अध्यापक की सहायता से स्वयं करने का प्रयास करें ।

JAC Class 9 English The Bond of Love Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
What was the reaction of the author’s wife to see the baby bear ? रीछ के बच्चे को देखकर लेखक की पत्नी की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
Answer:
When the author presented the baby bear to his wife, she became very happy. She at once put a coloured ribbon around its neck. On knowing that it was a (male cub), she named it as Bruno.

जब लेखक ने रीछ का बच्चा अपनी पत्नी को उपहारस्वरूप दिया तो वह बहुत प्रसन्न हुई । उसने तुरन्त उसकी गर्दन में एक रंगीन रिबन (फीता) बाँध दिया । यह जानकर कि वह एक नर बच्चा है, उसने इसका नाम ब्रूनो रख दिया ।

Question 2.
How did Bruno pass his time when he was quite young ?
जब ब्रूनो बहुत छोटा था तो वह अपना समय कैसे व्यतीत करता था ?
Answer:
When Bruno was quite young, he was left free. He spent his time in playing and running into the kitchen. He would go to sleep in the beds of the family members since he was very much attached to them..

जब ब्रूने बहुत छोटा था तब उसे खुला छोड़ दिया जाता था । वह खेलने में और दौड़कर रसोईघर में जाने में अपना समय बिताता था । वह सोने के लिए परिवार के सदस्यों के पलंगों पर चला जाता था क्योंकि वह उनसे काफी हिल मिल गया था।

Question 3.
How was Baba missed by the author’s family ?
लेखक के परिवार की बाबा की कमी कैसे महसूस हुई ?
Answer:
They all missed him greatly. Author’s wife was very sad. She wept and fretted. For a few days, she did not eat anything. She wrote a number of letters to the curator to know about Baba.

उन सभी को उसकी बहुत अधिक याद आई । लेखक की पत्नी बहुत अधिक दुखी थी । वह रोती रहती और चिन्तित होती थी । कुछ दिनों तक उसने कुछ भी नहीं खाया। उसने बाबा के बारे में जानने के लिए चिड़ियाघर के अध्यक्ष को कई पत्र लिखे ।

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Question 4.
How did Baba miss the author’s family ?
बाबा ने लेखक के परिवार की कमी कैसे महसूस की ?
Answer:
When Baba was sent to the zoo, he missed the author’s family very much. All the time, he kept worrying. He even refused to take food. He became very weak and looked very sad.

जब बाबा को चिड़ियाघर भेज दिया गया तो उसे लेखक के परिवार की कमी बहुत महसूस हुई । वह हर समय चिन्तित रहता था । वह खाना खाने से भी मना कर देता था । वह बहुत दुबला हो गया और बहुत दुखी दिखता था ।

Question 5.
What was Baba’s reaction to see his mistress in the zoo ?
चिड़ियाघर में अपनी मालकिन को देखकर बाबा ने क्या प्रतिक्रिया की ?
Or
What shows Baba’s deep love for his mistress?
बाबा का उसकी मालकिन के लिए गहरा प्रेम किस बात से प्रदर्शित होता है ?
Answer:
While his mistress was yet some yards from his cage, Baba saw her and recognised her. He howled with happiness and when she patted him through the bar, he stood on his head in delight.

जबकि बाबा की मालकिन अभी उसके पिंजरे से कुछ गज दूर ही थी कि बाबा ने उसे देख लिया और पहचान लिया । वह प्रसन्नता के कारण जोर से गुर्राया और जब उसने सलाखों के बीच से हाथ डालकर उसे थपथपाया तो प्रसन्नता से वह अपने सिर के बल खड़ा हो गया ।

Question 6.
Describe the meeting between Baba and his mistress in the zoo.
चिड़ियाघर में बाबा और उसकी मालकिन की भेंट का वर्णन कीजिए ।
Answer:
Seeing his mistress, Baba howled with happiness. His mistress ran up to him and patted him through the bars. He stood on his head in delight. The mistress gave him cakes, ice-cream, tea, lemonade and many other things.

अपनी मालकिन को देखकर, बाबा प्रसन्नता के कारण जोर से हूँकने लगा । उसकी मालकिन दौड़कर उसके पास आयी और पिंजरे की सलाखों के बीच से हाथ डालकर उसे थपथपाया। वह प्रसन्नता से अपने सिर के बल खड़ा हो गया । उसकी मालकिन ने उसे केक, आइसक्रीम, चाय, शिकंजी ( नीबू शर्बत) और कई अन्य वस्तुएँ दी।

Question 7.
How did the author’s wife get Baba back from the zoo ?
लेखक की पत्नी को बाबा चिड़ियाघर से वापिस कैसे मिला ?
Answer:
The author’s wife requested the curator to give Baba back to them. He told her to ask for the permission from the superintendent. Seeing her love for Baba, the superintendent allowed Baba to be given back to her.

लेखक की पत्नी ने चिड़ियाघर के अध्यक्ष से निवेदन किया कि वह बाबा को उन्हें वापिस दे दें । अध्यक्ष ने उससे अधीक्षक से अनुमति लेने को कहा । बाबा के प्रति उसका प्रेम देखकर अधीक्षक ने बाबा को वापिस उसे दिये जाने की अनुमति दे दी ।

Question 8.
What kind of a person was the superintendent ?
अधीक्षक किस प्रकार का व्यक्ति था ?
Answer:
The superintendent was a kind-hearted man, Seeing the mutual love between Baba and his mistress, he allowed their reunion. He arranged for Baba’s transporting back to Bangalore with the help of the curator.

अधीक्षक एक दयालु हृदय व्यक्ति था । बाबा और उसकी मालकिन का एक-दूसरे के प्रति प्रेम देखकर उसने उनको पुन: साथ रहने की अनुमति दे दी । उसने चिड़ियाघर के अध्यक्ष की सहायता से बाबा को वापस बंगलौर ले जाये जाने की भी व्यवस्था की ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 9 The Bond of Love

Question 9.
How was Baba taken back home ?
बाबा को घर वापिस कैसे लाया गया ?
Answer:
Baba was put in a small cage. That cage was hoisted on top of the car. The cage was tied securely. The car was driven slowly and carefully to the author’s house which was located in Bangalore.

बाबा को एक छोटे पिंजरे में रखा गया । उस पिंजरे को कार की छत पर चढ़ा दिया गया। पिंजरे को कसकर बाँध दिया गया । कार को धीमी गति और सावधानी से चलाकर बंगलौर स्थित लेखक के घर ले जाया गया ।

Question 10.
What is the moral of the story ?
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
Answer:
The story teaches us to love all living beings. It also teaches us that love is not only limited to human beings but it is found among the animals also. They, too, understand the language of love and respond accordingly as we see in the case of Baba.

यह कहानी हमें प्राणीमात्र से प्रेम करना सिखाती है । यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि प्रेम की भावना मात्र मनुष्यों तक की सीमित नहीं है बल्कि यह भावना जानवरों में भी होती है। वे भी प्रेम की भाषा समझते, हैं और उसी के अनुसार व्यवहार करते हैं जैसा कि हम बाबा के मामले में देखते हैं ।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
Give an account of the accident that befell on Bruno.
ब्रूनों के साथ हुई दुर्घटना का वर्णन कीजिए ।
Or
How did Bruno survive a fatal accident?
ब्रूनो एक घातक दुर्घटना से कैसे बचा ?
Answer:
Once when the author put barium carbonate to kill the rats in his library, Bruno entered the library and ate it up. He got paralysed. The author immediately took him to a veterinary doctor. The doctor showed great promptness and injected him antidote twice. Thirty minutes later, Bruno got up and had a great feed.

एक बार जब लेखक ने अपने पुस्तकालय में चूहों को मारने के लिए बेरियम कार्बोनेट रखा तब ब्रूनो पुस्तकालय घुसा और इसे खा गया । उसे लकवा हो गया । लेखक तुरन्त ब्रूनों को एक पशु-चिकित्सक के पास लेकर गया । चिकित्सक ने अत्यधिक तत्परता दिखाई और उसे दो बार विषमारक का इंजेक्शन लगाया । तीस मिनट बाद ब्रूनो उठ खड़ा हुआ और उसने जमकर खाया ।

Question 2.
Describe Baba as a playful kid.
बाबा का एक चंचल बच्चे के रूप में वर्णन कीजिए।
Or
What games did Baba play ?
बाबा कौन-कौन से खेल खेलता था ?
Answer:
Baba was just like a kid in the author’s house. When he was commanded to wrestle or to box, he vigorously tackled anyone who came forward. If he had a stick and was commanded to hold gun, he pointed the stick at the person before him. He kept a stump of wood in his bed and considered it as a baby. On being asked about the baby, he cradled it.

बाबा लेखक के घर में बिल्कुल एक बच्चे की तरह था । जब उसे कुश्ती लड़ने या बॉक्सिंग करने का आदेश दिया जाता तो पर वह पूरे जोश से सामने वाले व्यक्ति से भिड़ जाता था । यदि उसके हाथ में कोई छड़ी होती थी और उसे बन्दूक उठाने का आदेश दिया जाता तो वह सामने वाले व्यक्ति पर वह छड़ी तान लेता था । वह अपने बिस्तर में एक लकड़ी का टुकड़ा रखता था जिसे वह एक छोटा बच्चा समझता था । बच्चे के बारे में पूछे जाने पर वह इसे गोद में ले लेता था ।

Question 3.
How did Bruno come to the author’s house ?
ब्रूनो लेखक के घर कैसे आया ?
Answer:
Once the author, with some of his companions, was passing through sugarcane fields. Suddenly a black sloth bear came out. One of the author’s companions shot the bear without any reason. The bear fell down dead. Its baby who was riding its back moved and left the body. The author tried to catch it. The author followed it and took hold of it. He gifted it to his wife. She named it Bruno.

एक बार लेखक अपने कुछ साथियों के साथ गन्ने के खेतों से होकर गुजर रहा था । अचानक एक काला रीछ बाहर आया । लेखक के एक साथी ने अकारण ही रीछ को गोली मार दी । रीछ मरकर गिर गया । उसका बच्चा जो उसकी पीठ पर सवार था, हट गया और ( अपनी माँ के ) शरीर से अलग हो गया । लेखक ने उसे पकड़ने की कोशिश की । लेखक उसके पीछे भागा और उसे पकड़ लिया । उसने इसे अपनी पत्नी को उपहारस्वरूप दे दिया । उसने इसका नाम ब्रूनो रखा ।

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Question 4.
Why was Baba sent to the zoo and how?
बाबा को चिड़ियाघर क्यों और कैसे भेजा गया ?
Answer:
The author’s wife loved Baba. But he was getting too big to keep at home. So the author, his son and his friends advised the author’s wife to give him to the zoo at Mysore. After some weeks of such advice, she at last consented. Then the author wrote a letter to the curator of the zoo at Mysore. In the letter he was asked if they, wanted a tame bear for their collection. The curator replied in affirmative. The zoo sent a cage in a lorry and Baba was packed off to the zoo.

लेखक की पत्नी बाबा को बहुत प्यार करती थी। लेकिन वह घर में रखने के हिसाब से बहुत बड़ा हो गया था। अतः लेखक ने, उसके पुत्र ने और उसके मित्र ने लेखक की पत्नी को सलाह दी कि उसे मैसूर स्थित चिड़ियाघर को दे दिया जाय। ऐसी सलाह के कुछ सप्ताहों ने बाद अंत में वह सहमत हो गई। फिर लेखक ने मैसूर स्थित चिड़ियाघर के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा । पत्र में उससे पूछा गया था कि क्या उन्हें अपने संग्रह के लिए एक पालतू रीछ चाहिए । उसने ‘हाँ’ में उत्तर दिया। चिड़ियाघर ने एक ट्रक में एक पिंजरा भेजा और बाबा को चिड़ियाघर भेज दिया गया ।

Question 5.
What arrangements were made for Baba when he came back home from the zoo ?
चिड़ियाघर से घर वापिस आने पर बाबा के लिए क्या व्यवस्था की गई ?
Answer:
When Baba came back home from the zoo, an island was made for him in the compound. It was surrounded by a dry pit six feet wide and seven feet deep. A wooden box was put on the island for Baba to sleep in. Straw was placed inside to keep him warm. His toys, a gnarled stump and a piece of bamboo were put there for him to play with.

जब बाबा चिड़ियाघर से वापिस आया, उसके लिए अहाते में एक द्वीप बनाया गया। यह चारों ओर से छह फीट चौड़े और सात फीट गहरे एक सूखे गड्ढे से घिरा हुआ था । द्वीप पर बाबा के सोने के लिए एक लकड़ी का सन्दूक रखा गया। इसके अन्दर बाबा को गर्म रखने के लिए पुआल (भूसा) रखा गया। उसके खिलौने जिसमें एक ऐंठा हुआ लकड़ी का टुकड़ा और एक बाँस का टुकड़ा था उसके खेलने के लिए वहाँ रख दिये गये

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions given below them :

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये:

Passage – 1.

As we watched the fallen animal, we were surprised to see that the black fur on its back moved and left the prostrate body. Then we saw, it was a baby bear that had been riding on its mother’s back when the sudden shot had killed her. The little creature ran around its prostrate parent making a pitiful noise. I ran up to it to attempt a capture. It scooted into the sugarcane field. Following it with my companions, I was at last able to grab it by the scruff of its neck while it snapped and tried to scratch me with its long, hooked claws.

We put it in one of the gunny bags we had brought and when I got back to Bangalore, I duly presented it to my wife. She was delighted! She at once put a coloured ribbon around its neck, and after discovering the cub was a ‘boy’ she christened it Bruno.

Bruno soon took to drinking milk from a bottle. It was but a step further and within a very few days he started eating and drinking everything else. And everything is the right word, for he ate porridge made from any ingredients, vegetables, fruits, nuts, meat (especially pork), curry and rice regardless of condiments and chillies, bread, eggs, chocolates, sweets, pudding, ice-cream etc., etc., etc. As for drink: milk, tea, coffee, lime-juice, aerated water, buttermilk, beer, alcoholic liquor and, in fact, anything liquid. It all went down with relish.

1. What happened to the black fur of the animal’s back?
पशु की पीठ पर स्थित काली फर (लोम ) को क्या हुआ ?

2. What was the black fur that moved from the animal’s body?
पशु के शरीर से जो काली फर (लोम) हट गई थी वह क्या था ?

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3. What did the baby bear do to see its prostrate parent?
अपनी माँ को जमीन पर दण्डवत् पड़ा हुआ देखकर रीछ के बच्चे ने क्या किया ?

4. How did the author catch the baby bear?
लेखक ने रीछ के बच्चे को कैसे पकड़ा ?

5. What shows that Bruno was an infant?
किस बात से पता चलता है कि ब्रूनो एक शिशु था ?

6. What did Bruno not care for while eating curry and rice?
कढ़ी – चावल खाते समय ब्रूनो किस बात की परवाह नहीं करता था ?

7. How do you know that Bruno was a glutton?
आपको कैसे पता चलता है कि ब्रूनो पेटू था ?

8. What did the author’s wife do with the cub?
लेखक की पत्नी ने रीछ के बच्चे का क्या किया ?

9. Pick out the word from the passage which is the opposite of ‘wrong’.

10. Find the word from the passage which means: ‘lying with its face downward’
Answer:
1. The fur on the animal’s back moved and left the body of the animal.
जानवर की पीठ पर से काली फर (लोम ) हट गई और उस जानवर के शरीर से अलग हो गई ।

2. This black fur was nothing but a baby bear riding on its mother’s back.
यह काली फर (लोम) कुछ और नहीं बल्कि एक रीछ का बच्चा था जो अपनी माँ की पीठ पर सवार था।

3. The baby bear ran around its parent making a pitiful sound.
वह रीछ का बच्चा दया का भाव जगाने वाली आवाज करता हुआ अपनी माँ के चारों ओर चक्कर काटने लगा।

4. The author caught it by the scruff of its neck.
लेखक ने रीछ के बच्चे को उसकी गर्दन के पिछले भाग से पकड़ा ।

5. Bruno’s drinking milk with a bottle shows that he was an infant.
ब्रूनो के बोतल से दूध पीने से पता चलता है कि वह एक शिशु था !

6. While eating curry and rice, he did not care for condiments and chillies.
कढ़ी – चावल खाते समय वह मसालों और मिर्च की परवाह नहीं करता था ।

7. We know it by the fact that he ate and drank everything he got.
हमें यह इस बात से पता चलता है कि उसे जो कुछ मिलता था वह सब खा-पी जाता था।

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8. The author’s wife put a coloured ribbon around its neck and christened him ‘Bruno’.
लेखक की पत्नी ने उसके गले में एक रंगीन रिबन ( फीता ) बाँध दिया व उसका नाम ब्रूनो रख दिया ।

9. right

10. prostrate

Passage – 2.

One day an accident befell him. I put down poison (barium carbonate) to kill the rats and mice that had got into my library. Bruno entered the library as he often did, and he ate some of the poison. Paralysis set in to the extent that he could not stand on his feet. But he dragged himself on his stumps to my wife, who called me. I guessed what had happened. Off I rushed in the car to the vet’s residence. A case of poisoning! Tame Bear-barium carbonate-what to do?

Out came his medical books, and a feverish reference to index began: “What poison did you say, sir ?” Barium carbonate”. “Ah yes-B-Ba-Barium Salts-Ah! Barium carbonate! Symptoms-paralysis-treatment-injections of …….., Just a minute, sir, I’ll bring my syringe and the medicine.”

A dash back to the car. Bruno still floundering about on his stumps, but clearly weakening rapidly; some vomiting, heavy breathing, with heaving flanks and gaping mouth. Hold him, everybody! In goes the hypodermic-Bruno squeals-10 c.c. of the antidote enters his system without a drop being wasted. Ten minutes later: condition unchanged! Another 10 c.c. injected!

1. ‘One day an accident befell him.’ Whom does ‘him’ indicate?
‘एक दिन उसके साथ एक दुर्घटना हो गई ।’ यहाँ ‘him’ किसे इंगित करता है ?

2. Which poison did Bruno eat ?
ब्रूनो ने कौन-सा जहर खा लिया ?

3. What happened to Bruno after eating poison?
जहर खा लेने पर ब्रूनो को क्या हुआ ?

4. What did the author guess ?
लेखक ने क्या अनुमान लगाया ?

5. Where did Bruno eat the poison?
ब्रूनो ने जहर कहाँ पर खाया ?

6. Where did the author take Bruno to?
लेखक ब्रूनो को कहाँ ले गया ?

7. Who dashed back to the car ?
झपटकर वापिस कार तक कौन-कौन गया ?

8. What quantity of the hypodermic healed Bruno ?
विषमारक की कितनी मात्रा से ब्रूनो ठीक हुआ ?

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9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘slowly’

10. Find the word from the passage which means: ‘disease in which one is unable to move the body’
Answer:
1. ‘Him’ indicates Bruno.
‘Him’ ब्रूनो का सूचक है 1

2. Bruno ate barium carbonate.
ब्रूनो ने बेरियम कार्बोनेट खा लिया ।

3. He got paralysed.
उसे लकवा मार गया ।

4. He guessed that Bruno had eaten poison.
उसने अनुमान लगाया कि ब्रूनो ने जहर खा लिया है ।

5. Bruno ate poison in the library of the author.
ब्रूनो ने लेखक के पुस्तकालय में जहर खाया ।

6. The writer took Bruno to a veterinary doctor.
लेखक ब्रूनो को एक पशु-चिकित्सक के पास ले गया ।

7. The veterinary doctor and the author dashed back to the car.
पशु-चिकित्सक और लेखक झपटकर वापिस कार तक गये ।

8. He was healed when he was injected 20 c.c. of the hypodermic.
वह तब ठीक हुआ जब उसे 20 c. c. विषमारक दवाई दी गयी ।

9. rapidly.

10. paralysis.

Passage – 3.

We all missed him greatly; but in a sense we were relieved. My wife was inconsolable. She wept and fretted. For the first few days she would not eat a thing. Then she wrote a number of letters to the curator. How was Baba? Back came the replies. “Well, but fretting; he refuses food too.’ After that, friends visiting Mysore were begged to make a point of going to the zoo and seeing how Baba was getting along. They reported that he was well but looked very thin and sad. All the keepers at the zoo said, he was fretting.

For three months I managed to restrain my wife from visiting Mysore. Then she said one day: ‘I must see Baba. Either you take me by car; or I will go myself by bus or train.’ So I took her by car. Friends had conjectured that the bear would not recognize her. I had thought so too. But while she was yet some yards from his cage, Baba saw her and recognized her. He howled with happiness. She ran up to him, patted him through the bars, and he stood on his head in delight. For the next three hours she would not leave that cage. She gave him tea, lemonade, cakes, ice-cream and what not.

1. What had the author’s friends conjectured about the bear?
लेखक के मित्रों ने रीछ के बारे में क्या अनुमान लगाया था ?

2. Why did Baba howl ?
बाबा जोर से क्यों गुर्राया ?

3. Why did the author’s wife and Baba cry?
लेखक की पत्नी और बाबा क्यों रोये ?

4. What did Baba do in delight ?
प्रसन्नता के कारण बाबा ने क्या किया ?

5. Who was in consolable?
अत्यधिक दुखी कौन था?

6. Why was the author’s wife sad?
लेखक की पल्नी दुखी क्यों थी ?

7. What did the author’s wife come to know about Baba?
लेखक की पत्नी को बाबा के बारे में क्या पता चला ?

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8. Why did the author take his wife to Baba?
लेखक अपनी पत्नी को बाबा के पास क्यों ले गया ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘accepts’…

10. Find the word from the passage which means: ‘extremely sad’
Answer:
1. Friends had conjectured that the bear would not recognize the author’s wife.
मित्रों ने यह अनुमान लगाया था कि रीछ लेखक की पत्नी को नहीं पहचानेगा ।

2. Baba howled with happiness.
वह खुशी के कारण जोर से गुर्राया ।

3. Author’s wife and Baba both cried because they were parting.
लेखक की पत्नी और बाबा दोनों इसलिए रोये क्योंकि वे एक-दूसरे से बिछुड़ रहे थे ।

4. Baba stood on his head in delight.
बाबा प्रसन्नता के कारण सिर के बल खड़ा हो गया ।

5. Author’s wife was inconsolable.
लेखक की पत्नी अत्यधिक दुखी थी।

6. She was sad because she was missing Baba.
वह इसलिए दुखी थी क्योंकि उसे बाबा की याद आ रही थी ।

7. She came to know that Baba was fretting.
उसे पता लगा कि बाबा चिन्ता में रहता है।

8. The author took his wife to Baba because she threatened him to go herself by bus or train if he did not take her.
लेखक अपनी पत्नी को बाबा के पास इसलिए ले गया क्योंकि उसने उसे धमकी दी थी कि अगर वह उसे नहीं ले जायेगा तो वह स्वयं बस या ट्रेन से चली जायेगी ।

9. refuses

10. inconsolable

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Passage 4.

Back we went to Mysore again, armed with the superintendent’s letter. Baba was driven into a small cage and hoisted on top of the car; the cage was tied securely, and a slow and careful return journey to Bangalore was accomplished.

Once home, a squad of coolies were engaged for special work in our compound. An island was made for Baba. It was twenty feet long and fifteen feet wide, and was surrounded by a dry pit, or moat, six feet wide and seven feet deep. A wooden box that once housed fowls was brought and put on the island for Baba to sleep in at night. Straw was placed inside to keep him warm, and his ‘baby’, the gnarled stump, along with his ‘gun’, the piece of bamboo, both of which had been sentimentally preserved since he had been sent away to the zoo, were put back for him to play with.

In a few days the coolies hoisted the cage on to the island and Baba was released. He was delighted; standing on his hindlegs, he pointed his ‘gun’ and cradled his ‘baby’. My wife spent hours sitting on a chair there while he sat on her lap. He was fifteen months old and pretty heavy too! The way my wife reaches the island and leaves it is interesting. I have tied a rope to the overhanging branch of a mango tree with a loop at its end. Putting one foot in the loop, she kicks off with the other, to bridge the six-foot gap that constitutes the width of the surrounding pit.

1. Who were engaged for special work in the compound?
आँगन में विशेष कार्य के लिए किनको लगाया गया ?

2. What was the age of Baba?
बाबा की आयु क्या थी ?

3. What was placed inside the worden box ?
लकड़ी के बक्से में क्या रखा गया ?

4. Who went to Mysore again?
फिर से मैसूर कौन गये ?

5. How was the journey from Mysore to Banglore?
मैसूर से बंगलौर की यात्रा कैसी थी ?

6. What was made for Baba in the compound?
अहाते में बाबा के लिए क्या बनाया गया ?

7. What was given to Baba to play with?
बाबा को खेलने के लिए क्या-क्या दिया गया ?

8. What was the size of the island prepared for Baba?
बाबा के लिए तैयार किये गये टापू का क्या आकार था ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘careless’

10. Find the word from the passage which means: ‘twisted’.
Answer:
1. A squad of coolies were engaged for special work in the compound.
आँगन में विशेष कार्य के लिए कुलियों का एक दल काम पर लगाया गया।

2. Baba was fifteen months old
बाबा की आयु 15 माह थी ।

3. Straw was placed inside the wooden box to keep Bruno warm.
ब्रूनो को गर्म रखने के लिए लकड़ी के बक्से में पुआल (भूसा) रखा गया था।

4. The author and his wife went to Mysore again.
लेखक और उसकी पत्नी फिर से मैसूर गये ।

5. It was a slow and careful journey
यह यात्रा धीमी और सावधानीपूर्ण थी ।

6. An island was made for Baba in the compound.
अहाते में बाबा के लिए एक द्वीप बनाया गया ।

7. Baba was given his ‘gun’, the piece of bamboo and his ‘baby’, the gnarled stump.
बाबा को उसकी ‘बन्दूक’, बाँस का टुकड़ा और उसका ‘बच्चा’, ऐंठा हुआ लकड़ी का टुकड़ा दे दिया गया ।

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8. The island was 20 feet long and 15 feet wide surrounded by a dry pit or moat six feet wide and seven feet deep.
यह 20 फीट लम्बा व 15 फीट चौड़ा था जो 6 फीट चौड़ी व 7 फीट गहरी खाई या सूखे गड्ढे से घिरा हुआ था ।

9. careful

10. gnarled

The Bond of Love Summary and Translation in Hindi

About The Lesson

यह कहानी मनुष्य तथा उस जंगली जानवर के मध्य प्रबल प्रेम ( गहरे लगाव ) के बारे में है जो उनका लाड़ला ( पालतू) बन गया। इस कहानी में लेखक व उसकी पत्नी के द्वारा एक रीछ के बच्चे को पालने का रोचक वर्णन है। कहानी की कुछ घटनायें मानव व जंगली जानवरों के मध्य प्रेम को दर्शाती हैं एवं हमें जंगली जानवरों के प्रति उदार दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करती हैं ।

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

क्या मनुष्यों और जंगली जानवरों के बीच प्रेम व मित्रता हो सकती है ? आइये, एक ऐसे अनाथ आलसी छ की मुग्ध कर देने वाली कहानी पढ़ें जिसे लेखक ने बचाया था। ऐसे रीछ वनाच्छादित क्षेत्रों में रहते हैं जिनमें भारत के उष्ण कटिबन्धीय वर्षा बहुल वन और कम ऊँचाई पर स्थित घास के मैदान भी शामिल हैं । इन रीछों के बाल झबरीले अर्थात बहुत लम्बे, घने और गंदे होते हैं तथा थूथन लम्बी होती है ।

वे अपने पंजों का उपयोग जमीन को खोदने में व होठों का उपयोग एक ट्यूब (नली-सी) के रूप में प्रयोग कर सकते हैं जो जमीन में गहराई तक जा सकती है या भोजन के लिए दुर्गम स्थानों तक पहुँच सकती है। उनका मुख्य भोजन दीमक होती है । आप कई फीट दूर से उन्हें अपना भोजन चूसते हुए सुन सकते हैं । नोट – Sloth bear रीछ को कहते हैं। जो सुस्त चाल वाला होता है । अमरीका में इसे केवल sloth ही कहा जाता है। shaggy = झबरीले | muzzle = थूथन । termites = दीमक । suck = चूसना ।

Word-Meanings And Hindi Translation

1-2. I will begin ………………… bear on the spot. (Page 113)

Word. – Meanings: begin (बिगिन) = start, शुरू करना । pet (पेट) = domestic, पालतू पशु । sloth bear (स्लॉथ बिअर्) = an animal that lives in tropical parts of America and moves very slowly, रीछ, सुस्त चाल वाला भालू । by accident (बाइ एक्सीडेण्ट ) = all of a sudden, अचानक, संयोगवश | ago (अगो): before, पहले । passing (पासिंग) = the process of going on, गुजर रहे । through (थ्रू) = से होकर | sugarcane ( शुगरकेन) = गन्ना | driving away ( ड्राइविंग अवे ) = fleeing away, भगा रहे, खदेड़ रहे । wild ( वाइल्ड) belonging to forest area, जंगली । shooting (शूटिंग) = hitting with bullet, गोली मारकर |

escaped- (इस्केप्ट) = remained unhurt, बच गये । over (ओवर) = finished, समाप्त हो चुका | suddenly (सडन्लि ) = all of a sudden, अचानक | panting (पैन्टिंग) = breathing very fast, हाँफता हुआ । wantonly (वॉन्टन्लि) = . without any reason, बिना किसी कारण के । unfortunately (अनूफॉ:च्यनेट्लि) = due to bad luck, दुर्भाग्यवश । poor (पुॲर) = wretched, helpless, बेचारा | beast ( बीस्ट) = animal, पशु । companions (कम्पैन्यन्ज़) those who accompany, साथी । that way ( दैट वे) = like that, उस तरह । promptly (प्रॉम्प्ट्ल) = at once, तुरन्त। on the spot ( ऑन द स्पॉट्) = at that very place, उसी जगह, वहीं ।

हिन्दी अनुवाद – मैं अपनी पत्नी के ब्रूनो नामक पालतू रीछ के बारे में बताते हुए कहानी शुरू करूँगा । मुझे उसके ( पत्नी के) लिए वह (रीछ) अचानक ( संयोगवश ) मिला । दो साल पहले हम मैसूर के निकट गन्ने के खेतों से होकर गुजर रहे थे । लोग जंगली सुअरों पर गोलियाँ चलाकर उन्हें खेतों से खदेड़ रहे थे । कुछ सुअरों को गोली लगी और कुछ बचकर निकल गये। हमें लगा कि सब कुछ समाप्त हो गया है तभी अचानक एक काला रीछ तपती धूप में हाँकता हुआ बाहर आया । अब मैं एक रीछ पर बिना किसी कारण गोली नहीं चलाऊँगा परन्तु उस बेचारे पशु का दुर्भाग्य था कि मेरे एक साथी ने इस विषय में इस तरह से अर्थात् मेरी तरह महसूस नहीं किया, और उसने तुरन्त वहीं रीछ पर गोली चला दी ।

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3-4-5. As we watched ………….. christened it Bruno. (Pages 113-114)

Word Meanings: watched (वॉच्ट) = saw carefully, ध्यान से देखा । fallen (फॉलन्) = dropped down, गिरे हुए। surprised (सॅ: प्राइज़्ड) = astonished, आश्चर्यचकित | fur (फर् ) = soft thick hair, कुछ पशुओं के शरीर को ढकने वाले कोमल घने बाल । moved (मूव्ड्) = stirred, हिला । left (लेफ्ट ) = remained, छोड़ दिया । prostrate (प्रॉस्ट्रेट) = lying on the ground facing downwards, दण्डवत् पड़ा हुआ, पेट के बल पड़ा हुआ। riding (राइडिंग) = सवारी कर रहा । sudden (सडन् ) = unexpected, अचानक । creature (क्रीचर) = living being, प्राणी । pitiful (पिटिफ़ल) = arousing pity, pitiable, दया का भाव जगाने वाला, दयनीय | attempt (अटेम्प्ट्) = try, कोशिश करना | capture ( कैप्चर) = catch, hold, पकड़ना । scooted ( स्कूटिड्) = ran away, भाग गया । following (फॉलोइंग) = going after, पीछा करते हुए । companions (कम्पैन्यन्ज़) = partners, साथी ।

at last (ऐट लास्ट) = finally, अन्ततः । grab ( ग्रैब) = hold, पकड़ना । by the scruff of its neck (वाइ द स्क्र्फ आव इट्स नेक) = holding the back of an animal’s neck, किसी जानकर की गर्दन का पिछला हिस्सा पकड़ते हुए । snapped ( स्नैप्ट) = tried to bite, दाँत से काटने की कोशिश की। scratch (स्क्रैच) * nails, खरोंच मारना | hooked (हुक्ट) = bent in the shape of a hook, मुड़े हुए व नुकीले । claws (क्लॉज़) paws with sharp nails, पंजे ।

gunny bags (गनी – बैग्ज़) = strong bags made of jute fibre for carrying some items, जूट के बने बोरे । duly (ड्यूलि) = in a ceremonious way, विधिवत् । presented (प्रेज़न्टिड्) gifted, भेंट किया | delighted (डिलाइटिड् ) = happy, प्रसन्न । at once ( एट वन्स) immediately, तुरन्त । discovering (डिस्कवरिंग) = finding out पता लगने । cub (कब ) = a young bear, रीछ का बच्चा । christened (क्रिसन्ड्) = named, नामकरण कर दिया, नाम रख दिया। = to rub the skin with the

हिन्दी अनुवाद – जैसे ही हमने गिरे हुए जानवर को ध्यान से देखा तो हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसकी पीठ से काले लोम (बाल) हिले और उन्होंने ( बालों ने) दण्डवत् पड़े हुए शरीर को छोड़ दिया। तब हमने देखा कि यह रीछ का बच्चा था जो उस समय अपनी माँ की पीठ पर सवार था और जब अचानक उसे (मादा रीछ को) गोली लगी तो उसकी मृत्यु हो गई थी। वह छोटा प्राणी ( रीछ का बच्चा ) दयनीय शोर करता हुआ, जमीन पर पड़ी हुई अपनी माँ के चारों ओर चक्कर लगाने लगा ।

मैं उसे पकड़ने की कोशिश करने के लिए उसकी ओर भागा । वह गन्ने के खेत में भाग गया । अपने साथियों के साथ उसका पीछा करते हुए मैं अन्ततः उसकी गर्दन के पिछले भाग से उसे पकड़ पाया हालाँकि उसने मुझे दाँतों से काटने की कोशिश की और अपने लम्बे नुकीले पंजों से खरोंच मारने की कोशिश की । हमने उसे अपने साथ लाये हुए एक जूट के बने हुए बोरे में रख लिया और जब मैं बंगलौर वापिस आया तो मैंने उसे अपनी पत्नी को विधिवत् उपहारस्वरूप भेंट किया । वह प्रसन्न हो गई ! उसने ( पत्नी ने ) तुरन्त उसकी (रीछ के बच्चे की ) गर्दन में एक रंगीन फीता बाँध दिया और यह पता लगने के बाद कि रीछ का बच्चा लड़का है, उसने उसका नाम ‘ब्रूनो’ रख दिया ।

6-7. Bruno soon took …………. sleep in our beds. (Page 114)

Word-Meanings: soon (सून) = in a short time, शीघ्र ही । took to (टुक टु) started, शुरू कर दिया | step (स्टेप) = pace, कदम | further (फॅ: दर) = to a greater degree, आगे । porridge (पॉरिज) = a soft thick white food, दलिया । ingredients (इन्ग्रीड्यण्ट्स) = grains, अनाज। vegetables (वेजिटेबल्ज़्) = सब्जियाँ। nuts (नट्स्) small hard fruits, गिरी, काष्ठ फल । curry (कॅरि) = कढ़ी । especially (इस्पेश्यलि ) = for a particular purpose, विशेष रूप से । pork (पोर्क) = unpreserved meat from a pig, सुअर का कच्चा माँस । regardless (रिगार्डलस) = without caring for, परवाह किये बिना ।

condiments (कॉन्डिमन्ट्स) = spices, मसाले। chillies (चिलीज़) = a small green or red vegetable having hot taste, मिर्च ।` pudding (पुडिंग) a cooked sweet dish, पुडिंग या कोई मीठा पकवान जैसे- हलुआ । aerated water (एअरेटिड वॉटर) = water to which air is added, (यहाँ) सोडा वॉटर (वह पेय जल जिसमें गैस भरी हो) । buttermil] (बटॅ:मिल्क) whey, मट्ठा, छाछ । alcoholic liquor (ऐल्कहॉलिक लिक्वर) = wine, शराब, in fact (इन फैक्ट) = in reality, वास्तव मैं। liquid (लिक्विड्) = तरल पदार्थ । relish (रेलिश) = taste, स्वाद | attached (अटच्ट) = got along आसक्त, अनुरक्त। tenants (टेनण्ट्स) = those living on rent, किरायेदार । quite (क्वाइट) = completely, पूर्णत:, बिल्कुल | spent (स्पेण्ट) = passed, बिताता था ।

हिन्दी अनुवाद ब्रूनो ने शीघ्र ही बोतल से दूध पीना शुरू कर दिया । यह तो आगे बढ़ाया गया मात्र एक कदम था और बहुत कम दिनों के अन्दर उसने अन्य सब चीजें खाना-पीना शुरू कर दिया। और ‘सब चीजें’ कहना ही सही शब्द होगा क्योंकि वह किसी भी अनाज से बना दलिया, सब्जियाँ, फल, काष्ठफल (गिरी), माँस (विशेष रूप से सुअर का कच्चा माँस), मसालों और मिर्च की परवाह किये बिना कढ़ी और चावल, ब्रेड, अंडे, चॉकलेट, मिठाईयाँ, हलुआ, आइसक्रीम इत्यादि सभी कुछ खा लेता था ।

पेय के रूप में दूध, चाय, कॉफी, नींबू का रस, सोडा वॉटर, छाछ या मट्ठा, बीयर, शराब और वास्तव में चाहे कोई भी तरल पेय हो, सब-कुछ स्वाद के साथ उसके पेट में जाता था अर्थात् वह हर तरह का पेय पदार्थ पी जाता था। वह भालू हमारे दो अल्सेशियन कुत्तों और हमारे बंगले में रहने वाले किरायेदारों के सभी बच्चों से बहुत हिल – मिल गया था । जब वह छोटा था तो उसे बिल्कुल स्वतन्त्र छोड़ दिया जाता था और उसका समय खेलने में, दौड़कर रसोईघर जाने में और सोने के लिए हमारे बिस्तर में जाने में बीतता था ।

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8. One day an accident ……………….. what to do. (Page 114)

Word Meanings: accident (एक्सीडेण्ट) = an unpleasant event, दुर्घटना । befell (बिफैल) happened, हो गई । poison (पॉइज़न) = a substance that kills you, विष, जहर । paralysis (पैरलसिस) inability to move muscles, लकवा । set in (सेट इन) = began and seemed to continue, हो गया । extent (इक्स्टेण्ट) = limit, हद, सीमा । dragged (ड्रैग्ड) = pulled along forcefully, घसीटा । stumps (स्टम्प्स) (here) legs, टाँगें i guessed (गेस्ड) = made a judgement, अनुमान लगाया । happened (हैपण्ड् ) = took place, घटित हुआ । rushed off (रश्ट ऑफ) = went in haste, बहुत जल्दी में गया । vet’s (वेट्स) = of a veterinary doctor, एक पशु-चिकित्सक के । residence (रेज़िडन्स्) = place of living, निवास-स्थान । poisoning (पॉइज़निंग) = swallowing poison, जहर खा लेना । tame (टेम) = pet, पालतू ।

हिन्दी अनुवाद एक दिन उसके साथ एक दुर्घटना हो गई । मैंने उन चूहों को मारने के लिए बेरियम कार्बोनेट जहर रख दिया था जो मेरे पुस्तकालय में घुस आए थे। ब्रूनो पुस्तकालय में घुसा जैसे कि वह अक्सर वहाँ घुस जाया करता था और उसने कुछ जहर खा लिया । उसे इस हद (सीमा) तक लकवा हो गया कि वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। लेकिन वह अपने पैरों पर घिसटता हुआ मेरी पत्नी के पास आया जिसने मुझे बुलाया । मैंने अनुमान लगा लिया कि क्या हुआ था । मैं तुरन्त कार में सवार हुआ और पशु चिकित्सक के निवास स्थान की ओर चल दिया। जहर खा लेने का मामला! पालतू रीछ बेरियम कार्बोनेट

9. Out came ………… gaping mouth. (Page 115)

Word Meanings: feverish (फीवरिश) = quick and worried, तेजी से और चिन्ता भरा, ज्वरप्रद । a reference (रेफरन्स) = a written or spoken comment, सन्दर्भ | index (इनडेक्स) = विषय-सूची | symptoms (सिम्प्टम्ज़) = signs, लक्षण । treatment (ट्रीटमण्ट ) = the use of medicine to cure an illness, उपचार । syringe’ (सिरिंज) = a plastic tube with a needle, सिरिंज, सुई । dash (डैश) = going rashly, झटपट जाना । floundering (फ्लाउण्डरिंग) = struggling to move, हिलने की कोशिश कर रहा । weakening (वीकनिंग) = getting weak, कमजोर हो रहा । rapidly (रैपिड्ल) = fast, तेजी से । vomiting (वॉमिटिंग) = bring food up from the stomach, वमन, उल्टी । heavy breathing (हैवि ब्रीदिंग ) = difficulty in breathing, साँस लेने में कठिनाई | heaving (हीविंग) = lifting something heavy, कोई भारी चीज ऊपर उठाना । flanks (फ्लैंक्स) = the r, side of an animal’s body, बाजू । gaping (गेपिंग) = open, खुला हुआ ।

हिन्दी अनुवाद- उसने (चिकित्सक ने) अपनी चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तकें निकालीं और विषय-सूची का ज्वरप्रद सन्दर्भ शुरू हुआ : “श्रीमान् ! आपने कौन-सा जहर बताया ?” “बेरियम कार्बोनेट ।” “आह हाँ ब बे- बेरियम सॉल्ट्स – ओह ! बेरियम कार्बोनेट ! लक्षण- लकवा उपचार इंजेक्शन….. बस एक मिनट, श्रीमान् ! मैं अपनी सिरिंज (सुई), और दवा लेकर आता हूँ। डॉक्टर और मैं झपटकर वापिस कार तक गये । ब्रूनो अब भी अपने पैरों पर हिलने की कोशिश कर रहा था परन्तु 1, स्पष्ट रूप से उसकी कमजोरी तेजी से बढ़ रही थी; उसे कुछ उल्टी हो रही थी और उसको साँस लेने में कठिनाई हो रही थी. साथ में बाजू वाला हिस्सा बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रहा था और उसका मुँह खुला हुआ था ।

10-11. Hold him, everybody …………………… ill effects whatever. (Page 115)

Word-Meanings : hold (होल्ड) = catch, पकड़िये । hypodermic (हाइपोड : मिक्) = along needle used to give an injection under the skin, इन्जेक्शन देने वाली लम्बी सिरिंज । squeals (स्क्वील्ज़) = makes a long loud sound, जोर से चीखता है। antidote (एन्टिडोट). = medicine that works against poison, विषमारक । system (सिस्टम) = body of a person / animal, शरीर (किसी मानव या पशु का ) 1 without a drop being wasted=without misusing even a drop, बिना एक भी बूँद बर्बाद हुए। condition (कॅन्डिशन) = state, freifal unchanged (अनचेन्ज्ड) | = same, वैसी की वैसी । less (लेस) = to a smaller extent, कम | stertorous breathing, (स्टर्टरस ब्रीदिंग ) = noisy breathing as in snoring, खर्राटों की सी आवाज |

move (मूव) = stir, हिलाना । a little (अ लिट्ल) = small in size, थोड़ा-सा | feed ( फीड) food, भोजन । disdainfully (डिस्डेन्फलि) = with contempt, तिरस्कारपूर्वक, मजाक सा उड़ाते हुए । gallon (गैलन् ) = 41⁄2 litre, 41⁄2 लिटर ( या अमेरिकी गैलन में 3.8 लिटर ) । nearly (निअर्लि ) = about, लगभग | drained (ड्रेन्ड) = took out, निकाला। sump (सम्प) = a hollow in which liquid collects, हौज | Studebaker (स्ट्यूडबेकर) = an old American car, एक पुरानी अमेरिकन कार |

weapon (वेपन) = a thing for physical damage, हथियार | against (अगेन्स्ट्) विरुद्धं । inroads (इनरोड्ज़) = coming in, आना, लगना । termites (टॅ: माइट्स) = white ants, दीमक 1 promptly (प्रॉम्प्ट्ल) = immediately, तुरन्त । the lot ( द लॉट) = all the contents, सारा का सारा | ill effects (इल इफ़ेक्ट्स) = a bad result, दुष्प्रभाव, बुरा प्रभाव | whatever (व्हॉटएवर) = at all, कुछ भी हो ।

हिन्दी अनुवाद – प्रत्येक व्यक्ति उसे पकड़ो ! इन्जेक्शन देने वाली लम्बी सुई अन्दर जाती है ब्रूनो जोर से चीखता है – विषमारक की 10 c.c. मात्रा उसके शरीर में एक भी बूँद बिना बर्बाद हुए प्रवेश करती है। दस मिनट बाद : उसकी स्थिति वैसी की वैसी रहती है ! 10 cc का एक इन्जेक्शन और दिया जाता है ! दस मिनट बाद : साँस के साथ खर्राटों की सी आवाज़ कम होती है – ब्रूनो अपने हाथ-पैर थोड़ा-सा हिला सकता है यद्यपि वह अभी भी खड़ा नहीं हो सकता है । तीस मिनट बाद : ब्रूनो उठता है और खूब खाता है ! वह हमारा मजाक – सा उड़ाते हुए हमें ऐसे देखता है जैसे कि वह यह कहता हो, ‘मुझ जैसे बड़े काले रीछ के लिए बेरियम कार्बोनेट क्या चीज है ?’ ब्रूनो का खाना अब भी जारी है। एक अन्य अवसर पर, उसे लगभग एक गैलन पुराना इंजिन ऑयल मिल गया जो मैंने कार के हौज में से निकालकर दीमक के विरुद्ध अर्थात् दीमक मारने के लिए हथियार के रूप में रखा हुआ था । उसने तुरन्त वह सारा का सारा तेल पी लिया । कुछ भी हो इसका कोई दुष्प्रभाव ( बुरा प्रभाव ) नहीं हुआ।

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12. The months rolled ….. most of the time. (Pages 115-116)

Word-Meanings : rolled on (रॉल्ड ऑन) = passed, गुजर गये । grown (ग्रोन) = बड़ा हो गया। many times (मेनि टाइम्ज़) = almost entirely, कई गुना । equalled (इक्वल्ड) = became similar, बराबर हो गया। outgrown (आउटग्रोन) = grown bigger, अधिक बड़ा हो गया । sweet (स्वीट) = (here) lovely, प्यारा-सा । mischievous (मिस्चिवस् ) = naughty, शरारती, नटखट । playful (प्लेफ्ल्) = jolly, चुलबुला, चंचल । fond of (फॉण्ड ऑव) = full of love, प्रेम करने वाला । above all (अबॅव ऑल ) = more than all others, सबसे बढ़कर । signifying ( सिग्निफाइंग) = meaning, जिसका अर्थ होता है । tricks (ट्रिक्स्) feats, करतब । command (कमाण्ड ) = order, आदेश | wrestle (रेसल) कुश्ती लड़ो। box (बॉक्स) vigorously (विगॅरस्लि) = with enthusiasm and courage, जोश और साहस के साथ |

tackled (टैकल्ड) to make an effort to deal with a difficult situation, भिड़ जाता था, मुकाबला करता था । forward (फॉ: वर्ड) = ahead, सामने । rough and tumble (Idiom ) (रफ़ एण्ड टम्बल) = noisy and energetic behaviour when children or animals are playing, बच्चों या जानवरों का शोरगुल या उथल-पुथल (करने के लिए) । immediately (इमीडिअट्लि) = at once, तुरन्त । produced (प्रॅड्यूस्ट ) = presented, सामने ला देता था । cradled (क्रेडल्ड) ‘= held gently by supporting with the arms, पालने की तरह झुलाता था, गोद में रख लेता था। affectionately (अफ़ेक्शनट्लि) = with love, स्नेहपूर्वक stump (स्टम्प्) = piece of wood left after tree has been cut down, लकड़ी का टुकड़ा ठूंठ | ‘concealed (कन्सील्ड) = hidden, छिपाया हुआ । straw (स्ट्रॉ) = पुआल, भूसा | terrants (टेनण्ट्स) = those who live on rent, किरायेदार । poor (पुअर) = wretched, helpless, बेचारा, chained (चेन्ड) = जंजीर से बँधा हुआ

हिन्दी अनुवाद – महीनों गुजर गये और ब्रूनो जब वह आया था उससे कई गुना बड़ा हो गया। उसकी ऊँचाई अल्सेशियन कुत्तों के बराबर हो गई थी और यहाँ तक कि वह उनसे भी बड़ा हो गया था। लेकिन वह पहले जितना ही प्यारा था, उतना ही शरारती और उतना ही चुलबुला ( चंचल ) था । और वह हम सबसे बहुत प्रेम करता था । सबसे बढ़कर वह मेरी पत्नी को प्रेम करता था और वह भी उसे प्रेम करती थी ! उसने उसका नाम ‘ब्रूनो’ से बदलकर ‘बाबा’ रख दिया था जो एक हिन्दुस्तानी शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘छोटा बच्चा’।और वह कुछ करतब भी दिखा सकता था

जब उसे आदेश दिया जाता था ‘बाबा, कुश्ती लड़ो’ या ‘बाबा, बॉक्सिंग करो’, वह पूरे जोश और साहस के साथ उससे भिड़ जाता था जो उथल-पुथल करने के लिए सामने आता था । उसे एक छड़ी देकर कहिये – ‘बाबा, बन्दूक पकड़ो’ और वह आपके सामने छड़ी तान देता था । उससे कहिये – ‘बाबा, बच्चा कहाँ है ? और वह तुरन्त अपने पुआल (भूसा) के बिस्तर में सावधानीपूर्वक छिपाये हुए लकड़ी के टुकड़े (ठूंठ) को सामने ला देता था और उसे स्नेहपूर्वक गोद में रख पालने की तरह झुलाता था । । परन्तु किरायेदारों के बच्चों के कारण ब्रूनो या बाबा को अधिकांश समय जंजीर से बाँधकर रखना पड़ता था।

13. Then my son ………… was packed off. (Page 116)

Word Meanings: advised (अडवाइज़्ड) = suggested, सलाह दी । at last (ऐट लास्ट् ) = in the end, अन्ततः। consented ( कॅन्सेन्टिड) agreed, सहमत हो गई । hastily ( हेस्टिलि ) = in a hurry, जल्दी से, आनन-फानन में । curator (क्यूरेटर ) = (here) incharge of the zoo, चिड़ियाघर का अध्यक्ष, संग्रहाध्यक्ष । collection (कलेक्शन) = a group of objects of a particular type, संग्रह | replied (रिप्लाइड) = answered, उत्तर दिया । = a box made of bars and wires, पिंजरा | lorry (लॉरी) = a large vehicle for (केज) cage carrying heavy loads, भार ढोने वाली एक बड़ी-सी गाड़ी, ट्रक । distance (डिस्टन्स) = amount of space between two places, दूरी । was packed off (वाज पैक्ट ऑफ) = sent away to a different place, भेज दिया गया या रवाना कर दिया गया ।

हिन्दी अनुवाद – तब मेरे पुत्र ने और मैंने अपनी पत्नी को सलाह दी और मित्रों ने भी उसे सलाह दी कि बाबा को मैसूर स्थित चिड़ियाघर को दे दिया जाये । वह घर में रखने के हिसाब से बहुत बड़ा हो गया था । कुछ हफ्तों की ऐसी सलाह के बाद, अन्ततः वह सहमत हो गई। आनन- फानन में अर्थात् शीघ्र ही इससे पहले कि वह अपना इरादा बदल दे, चिड़ियाघर के संग्रहाध्यक्ष को एक पत्र लिखा गया । क्या वह ( संग्रहाध्यक्ष ) पालतू भालू को अपने संग्रहालय में रखना चाहते थे ? उनका उत्तर ‘हाँ’ में आया। चिड़ियाघर ने सतासी मील दूर मैसूर से एक ट्रक में एक पिंजरा भेजा और बाबा को रवाना कर दिया गया ।

14-15. We all missed …………… I took her by car. (Page 116)

Word Meanings: missed (मिस्ट) = felt absence, कमी महसूस की, याद किया | greatly (ग्रेट्लि) = very much, अत्यधिक । in a sense ( इन अ सेन्स) = in a particular way, एक तरह से । were relieved (वॅर् रिलीव्ड) = pleased, राहत महसूस कर रहे थे । inconsolable (इन्कॅन्सोलब्ल) = that cannot be comforted, अत्यधिक दुखी | wept (वेप्ट) = shed tears, रोई । fretted (फ्रेटिड ) = became worried and unhappy, दुःखी और चिंतित हुई | replies (रिप्लाइज़) = to say something as an answer, उत्तर। refuses (रिफ्यूज़िज़् ) = denies, मना कर देता है। a number of (अ नम्बर ऑव ) = several, कई । begged (बेग्ड) = requested, निवेदन किया, प्रार्थना की । make a point (मेक अ पॉइण्ट ) keep in mind, ध्यान में रखना । reported (रिपॉर्टिड) informed, सूचना देते, सूचित करते । managed (मैनिज्ड) = succeeded, सफल हुआ। restrain (रिस्ट्रेन) keep in control, stop, रोके रखना ।

हिन्दी अनुवाद – हम सबको उसकी अत्यधिक कमी महसूस हुई; पर एक तरह से हम राहत महसूस कर रहे थे। मेरी पत्नी अत्यधिक दुखी थी। वह रोती रहती और दुःखी रहती। पहले कुछ दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया । फिर उसने चिड़ियाघर के अध्यक्ष को कई पत्र लिखे, (यह पूछते हुए कि) बाबा कैसा है ? वापिस उत्तर प्राप्त हुए ” अच्छा है. लेकिन दुःखी हो रहा है; वह भोजन के लिए भी मना कर रहा है ।” उसके बाद मैसूर जाने वाले मित्रों से निवेदन किया गया कि वे चिड़ियाघर जाने का ध्यान रखें और देखें कि बाबा कैसा है। उन्होंने सूचित किया कि वह ठीक है परन्तु दुबला और दुखी दिखाई देता है। चिड़ियाघर के सभी रखवालों ने बताया कि वह दु:खी हो रहा है। तीन महीने तक मैंने किसी तरह अपनी पत्नी को मैसूर जाने से रोके रखा । फिर एक दिन वह बोली, “मुझे बाबा से मिलना ही है। या तो तुम मुझे कार से लेकर चलो; नहीं तो मैं स्वयं बस या ट्रेन से चली जाऊँगी ।” इसलिए मैं उसे कार से लेकर गया ।

16-17.Friends had conjectured ……….. to happen next. (Pages 116-117)

Word Meanings: conjectured (कॅन्जेक्चर्ड) = formed an opinion by guessing, अनुमान लगाया था । recognised ( रेकग्नाइज़्ड) = identified, पहचान लिया। yard ( यार्ड) = a distance of three feet, गजः । howled (हाउल्ड) = roared, जोर से गुर्राया हूंकने की आवाज की । petted (पैटिड) = थपथपाया। bars (बॉर्ज़) rods, सलाखें, लोहे की छड़ें। delight (डिलाइट) = happiness, प्रसन्नता । lemonade (लेम्नेड) = a drink made from lemon, नींबू शर्बत । cried (क्राईड) = wept, रोई । bitterly (बिटॅ: लि) = sharply, फूट-फूट कर hardened (हाडन्ड) = hard-hearted कठोर हृदय । keepers ( कीपॅज़) = people who cares for others, देखभाल करने वाले, रखवाले । felt depressed ( फैल्ट डिप्रेस्ट) became sad, दुखी हुए। reconciled (रेकन्साइल्ड) = settled, समझा लिया, तैयार कर लिया । happen (हैपन् ) = take place, होना ।

हिन्दी अनुवाद – मित्रों ने यह अनुमान लगाया था कि रीछ उसे (मेरी पत्नी को ) नहीं पहचानेगा । मैंने भी ऐसा ही सोचा था । परन्तु जबकि वह अभी पिंजरे से कुछ गज की दूरी पर ही थी तभी बाबा ने उसे देख लिया और पहचान लिया । वह खुशी से हूँकने लगा । वह दौड़कर उसके पास गयी, पिंजरे की सलाखों के बीच से हाथ डालकर उसे थपथपाया और वह प्रसन्नता के कारण अपने सिर के बल खड़ा हो गया । अगले तीन घण्टे तक वह पिंजरे के सामने से नहीं हटी । उसने उसे चाय, शिकंजी (नींबू शर्बत), केक, आइसक्रीम, और क्या-क्या नहीं दिया, अर्थात् बहुत सी चीजें खिलाई । फिर चिड़ियाघर के बन्द होने का समय हो गया और हमें वहाँ से जाना पड़ा । मेरी पत्नी फूट-फूट कर रोई; बाबा फूट-फूट कर रोया; यहाँ तक कि चिड़ियाघर के कठोर हृदय वाले संग्रहाध्यक्ष और रखवाले भी दुखी हो गये । जहाँ तक मेरी बात है मैंने अपने आपको उस बात के लिए तैयार कर लिया था जो मैं जानता था कि अब होने वाला है ।

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18-19-20. “Oh please, sir, ” was accomplished. (Pages 117-118)

Word Meanings : hesitantly (हेजिटेट्लि) = with hesitation, हिचकिचाते हुए, संकोच के साथ। belongs (बिलॉग्ज़) : be a member of, सम्बन्धित है । property (प्रॉप : टि) = possession, सम्पत्ति । superintendent (सूपरिन्टेण्डण्ट ) = an officer with high position, अधीक्षक | agrees ( अग्रीज़) = gives consent, सहमत हो जाता है । certainly (सॅटन्लि) = for sure, निश्चित रूप से । followed (फॉलोड) happened after that, उसके बाद हुआ | return ( रिटर्न) = coming back, वापसी । journey (ज:नि) travelling, यात्रा। visit (विज़िट्) = to meet, मुलाकात | tearful (टियरफुल ) full of tears, आँसुओं भरा ।

pleading (प्लीडिंग) = request, निवेदन । fretting (फ्रेटिंग) worrying and unpleasant, दुखी, परेशान । kind-hearted (काइण्ड – हाटिड) = generous, दयालु । consented ( कॅन्सेन्टिड) = gave permission, अनुमति दे दी । lend (लेन्ड) = to give something for a short time, उधारस्वरूप देना । transporting (ट्रैन्स्पॉटिंग) taking ले जाना । armed with (आम्ड विद ) equipped with, लैस, सुसज्जित । driven (ड्रिवन) = conveying, ले जाया गया । hoisted (हॉइस्टिड) = raised by means of ropes or pulleys, चढ़ा दिया गया । tied (टाइड) = roped, बाँधा गया I securely ( सिक्युअर्लि ) = tightly, कसकर । slow (स्लो) = steady, धीमी । careful (केॲ: फल) = giving a lot of attention, सावधानीपूर्ण । accomplished ( अकम्पप्लिश्ट) = completed, सम्पन्न हुई, पूरी हुई ।

हिन्दी अनुवाद – उसने संग्रहाध्यक्ष से कहा, “ ओह, श्रीमान्, कृपया, क्या मैं अपने बाबा को वापिस ले सकती ?” संग्रहाध्यक्ष ने हिचकिचाहट के साथ उत्तर दिया, “मैडम, वह अब चिड़ियाघर का है और अब सरकार की सम्पत्ति मैं सरकार की सम्पत्ति (किसी को) नहीं दे सकता हूँ। लेकिन मेरा बॉस जो बंगलौर में अधीक्षक है, यदि सहमत हो जाता है तो निश्चित रूप से आप उसे ( बाबा को) वापिस ले जा सकती हैं ।” उसके बाद हम लोग वापिस बंगलौर आये और अधीक्षक के बंगले पर गये।

मेरी पत्नी ने उससे आँसुओं भरा निवेदन किया, ” बाबा और मैं, दोनों एक-दूसरे के लिए चिंतित हैं। क्या आप कृपा करके उसे मुझे वापिस दे देंगें ?” वह एक दयालु व्यक्ति था और उसने अनुमति दे दी । न केवल इतना, बल्कि उसने चिड़ियाघर के संग्रहाध्यक्ष को यह आदेश देते हुए एक पत्र भी लिखा कि वह हमें रीछ को बंगलौर ले जाने के लिए एक पिंजरा भी उधार दे दे । अधीक्षक के पत्र को लेकर हम वापिस मैसूर गये । बाबा को एक छोटे पिंजरे में ले जाया गया और कार की छत पर चढ़ा दिया गया; पिंजरे को कसकर बाँध दिया गया और वापिस बंगलौर की एक धीमी व सावधानीपूर्ण यात्रा सम्पन्न हुई ।

21. Once home, ………… to play with. (Page 118)

Word Meaning: squad ( स्क्वैड) = group, दल । engaged ( इंगेज्ड ) = put to work, काम में लगाया गया। compound (कॅम्पाउण्ड) = courtyard, आँगन, अहाता । island (आइलैण्ड) = a piece of land surrounded by water, द्वीप। surrounded ( सराउण्डिड ) = encircled, घिरा हुआ । dry (ड्राई) = not wet, सूखा! pit (पिट) = a large hole that is made in the ground, गड्ढा | moat (मोट) = a long wide channel, खाई | wide (वाइड) = measuring a lot from one side to the other, चौड़ा । deep (डीप) = extending far down from the top, गहरा । housed (हाउस्ट) = was the house, घर था । fowls (फ़ाउल्ज़) = hens, मुर्गियाँ । was brought (वॉज़ ब्रॉट) = carried to a place, लाया गया |

straw (स्ट्रॉ) = the long straight central parts of plants, पुआल (भूसा) I was placed (वॉज़ प्लेस्ट) = was kept, रखा गया | inside ( इनसाइड) = अन्दर | warm (वॉ:म) गर्म । gnarled (नाल्ड) = rough and twisted, गंठीला I stump ( स्टम्प) = a piece of wood, लकड़ी का टुकड़ा । bamboo (बैम्बू) = बाँस । sentimentally (सेन्टिमेन्टॅलि) with deep feelings, भावुकतावश । preserved भेजा गया । = (प्रिज़र्व्ह) = kept carefully, सुरक्षित रखे गये । ( had been sent away, (सेन्ट अवे)

हिन्दी अनुवाद – घर पहुँचते ही कुलियों का एक दल हमारे आँगन में विशेष कार्य पर लगाया गया । बाबा के लिए एक द्वीप बनाया गया । यह बीस फीट लम्बा और पन्द्रह फीट चौड़ा था; और चारों ओर से छ: फीट चौड़े और सात फीट गहरे एक सूखे गड्ढे या खाई से घिरा हुआ था । कभी मुर्गियों का घर रह चुका एक लकड़ी का सन्दूक, बाबा को रात में सोने के लिए द्वीप पर रख दिया गया । इसके अन्दर उसे गर्म रखने के लिए पुआल (भूसा) रखा गया और उसका ‘बच्चा’, अर्थात् लकड़ी का गंठीला टुकड़ा, और उसकी ‘बन्दूक’ यानि कि बाँस का टुकड़ा जो दोनों ही उसे चिड़ियाघर भेजे जाने के बाद से भावुकतावश सुरक्षित रखे गये थे, वापिस उसके खेलने के लिए ( द्वीप पर ) रख दिये गये ।

22-23. In a few days ……………. characteristics (Page 118)

Word Meanings : hoisted (हॉइस्टिड) = raised by means of ropes and pulleys, चढ़ा दिया, ऊपर ले गये । released ( रिलीज़्ड) = freed, मुक्त कर दिया गया । delighted (डिलाइटिड् ) = happy, प्रसन्नः । hindlegs (हिण्डलैग्ज़) = back legs, पीछे के दोनों पैर | pointed (पॉइण्टिड) = aimed at, तानी । gun (गन) = (here) a piece of bamboo बन्दूक, (परन्तु यहाँ ) बाँस का टुकड़ा | cradled ( क्रेडल्डं) = held carefully and gently in the arms, गोद में लिया। baby (बेबी) = ( यहाँ) लकड़ी का ऐंठा हुआ टुकड़ा । spent (स्पेण्ट) passed, बिताये  lap (लैप) = the flat area between the waist and knees of a seated person, गोद | pretty (प्रिंटि) = (here) enough, काफी

heavy (हैवि) = weighing a lot, भारी । way (वे) = manner, तरीका | interesting (इन्ट्रस्टिंग) = fascinating, रोचक | tied (टाईड) = bound, बाँध दी । rope (रोप) = cord, रस्सी । overhanging (ओăहैंगिंग) = ऊपर लटकती हुई । branch (ब्रांच) = टहनी | loop (लूप) = shape like a curve, फन्दा | end ( एण्ड ) = last part of something, छोर । putting ( पुटिंग) = रखकर । kicks off (किक्स ऑफ) = hit somebody with your foot, ठोकर मारती है | bridge (ब्रिज) = cross, पार करना । gap (गैप) = distance, दूरी | constitutes ( कॉन्स्टट्यूट्स) = makes, बनाता है। width (विड्थ ) = चौड़ाई | surrounding (सराउण्डिंग) = around something, चारों ओर स्थित | sense (सेन्स) = feeling, भाव । affection ( अफेक्शन) = love, स्नेह । memory (मेमेरि) = power to remember, स्मृति | individual (इन्डिविजुअल) = personal, व्यक्तिगत । characteristics (कैरक्टरिस्टिक्स) = features, विशेषताएँ ।

हिन्दी अनुवाद कुछ दिन में कुलियों ने पिंजरे को द्वीप पर चढ़ा दिया और बाबा को मुक्त कर दिया गया । वह प्रसन्न था; अपने पीछे के दोनों पैरों पर खड़े होकर अपनी ‘बन्दूक’ (बाँस के टुकड़े) को तानता था और अपने ‘बच्चे’ ( लकड़ी के गंठीले टुकड़े) को गोद में ले लेता था । मेरी पत्नी ने वहाँ एक कुर्सी पर बैठकर घण्टों बिताये जबकि वह (बाबा) उसकी गोद में बैठा रहा । वह पन्द्रह महीने का था और काफी भारी भी था !…
जिस तरीके से मेरी पत्नी द्वीप पर आती-जाती है, बह रोचक है ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 9 The Bond of Love

मैंने आम के एक पेड़ के ऊपर लटकती हुई डाली से एक रस्सी बाँध दी है जिसके छोर पर एक फंदा है। एक पैर फंदे में रखकर वह दूसरे पैर से जमीन पर ठोकर मारती है ताकि वह छः फीट की उस दूरी को पार कर पाये जो चारों ओर के गड्ढे की चौड़ाई से बनी है । इसी प्रकार वह द्वीप से वापिस भी आती है। लेकिन अब कौन कह सकता है कि एक रीछ में स्नेह का कोई भाव नहीं होता, कोई स्मृति नहीं होती और कोई व्यक्तिगत विशेषताएँ नहीं होतीं ।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. 1952 के चुनावों में कुल मतदाताओं में केवल साक्षर मतदाताओं का प्रतिशत था
(क) 35 प्रतिशत
(ख) 25 प्रतिशत
(ग) 15 प्रतिशत
(घ) 75 प्रतिशत
उत्तर:
(ग) 15 प्रतिशत

2. कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे
(क) श्यामा प्रसाद मुखर्जी
(ख) आचार्य नरेन्द्र देव
(ग) ए.वी. वर्धन
(घ) कु. मायावती
उत्तर:
(ख) आचार्य नरेन्द्र देव

3. 1948 में भारत के गवर्नर जनरल पद की शपथ किसने ली-
(क) लार्ड लिटन
(ख) लार्ड माउंटबेटन
(ग) लार्ड रिपन
(घ) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
उत्तर:
(घ) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

4. भारत का संविधान तैयार हुआ-
(क) 26 जनवरी, 1950
(ख) 26 नवम्बर, 1949
(ग) 15 अगस्त, 1947
(घ) 30 जनवरी, 1948
उत्तर:
(ख) 26 नवम्बर, 1949

5. भारत में दलितों का मसीहा किसे कहा जाता है?
(क) राजा राममोहन राय
(ख) दयानन्द सरस्वती
(ग) बी. आर. अम्बेडकर
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर:
(ग) बी. आर. अम्बेडकर

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6. स्वतन्त्र पार्टी का गठन किया-
(क) सी. राजगोपालाचारी
(ख) श्यामा प्रसाद मुखर्जी
(ग) पं. दीनदयाल उपाध्याय
(घ) रफी अहमद किदवई
उत्तर:
(क) सी. राजगोपालाचारी

7. भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे-
(क) मोरारजी देसाई
(ख) मीनू मसानी
(ग) अटल बिहारी वाजपेयी
(घ) श्यामा प्रसाद मुखर्जी
उत्तर:
(घ) श्यामा प्रसाद मुखर्जी

8. भारत के संविधान पर हस्ताक्षर हुए-
(क) 15 अगस्त, 1947
(ख) 30 जनवरी, 1948
(ग) 24 जनवरी, 1950
(घ) 26 नवम्बर, 1949
उत्तर:
(ग) 24 जनवरी, 1950

9. भारत के पहले चुनाव आयुक्त बने
(क) सुकुमार सेन
(ख) सी. राजगोपालाचारी
(ग) ए. के. गोपालन
(घ) पी.सी. जोशी
उत्तर:

10. स्वतंत्र भारत में बने पहले मंत्रिमंडल में शिक्षामंत्री
(क) कामराज नाडार
(ख) जगजीवन राम
(ग) पी. डी. टंडन
(घ) मौलाना अबुल कलाम आजाद
उत्तर:
(क) कामराज नाडार

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11. स्वतंत्र भारत में पहला आम चुनाव कब हुआ?
(क) 1951
(ख) 1952
(ग) 1953
(घ) 1949
उत्तर:
(ख) 1952

12. स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री थे-
(क) राजकुमारी अमृतकौर
(ख) पी.सी.
(ग) सुकुमार सेन
(घ) जगजीवन राम
उत्तर:
(क) राजकुमारी अमृतकौर

13. 1959 में कांग्रेस सरकार ने संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत केरल की कम्युनिस्ट सरकार को बर्खास्त कर दिया?
(क) अनुच्छेद 370
(ख) अनुच्छेद 354
(ग) अनुच्छेद 356
(घ) अनुच्छेद 352
उत्तर:
(ग) अनुच्छेद 356

14. काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन कब हुआ था?
(क) 1934
(ख) 1955
(ग) 1948
(घ) 1942
उत्तर:
(क) 1934

15. इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के संस्थापक कौन थे?
(क) कामराज नाडार
(ख) पी. सी. जोशी
(ग) मोरारजी देसाई
(घ) भीमराव अंबेडकर
उत्तर:
(घ) भीमराव अंबेडकर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. पीआरआई के शासन को ………………………… कहा जाता है।
उत्तर:
परिपूर्ण तानाशाही

2. ………………………… स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में संचार मंत्री थे।
उत्तर:
रफी अहमद किदवई

3. सिंहासन मूलतः ………………………… भाषा में बनाई गई थी।
उत्तर:
मराठी

4. ए. के. गोपालन, ……………………. राज्य के प्रमुख कम्युनिस्ट नेता थे।
उत्तर:
केरल

5. पार्टी के अंदर मौजूद विभिन्न समूह ……………………. कहे जाते हैं।
उत्तर:
गुट

6. ………………….. 1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे।
उत्तर:
दीन दयाल उपाध्याय

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समग्र मानवतावाद सिद्धान्त के प्रणेता का नाम लिखिए दीनदयाल उपाध्याय।

प्रश्न 2.
भारत में एक दल प्रधानता के युग में किस दल को सबसे अधिक प्रभावशाली माना गया?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।

प्रश्न 3.
भारत में एक दल की प्रधानता का युग कब समाप्त हुआ?
उत्तर:
1977।

प्रश्न 4.
एक दल प्रधानता का युग किस वर्ष से शुरू हुआ था?
उत्तर:
सन् 1952 के प्रथम आम चुनावों से।

प्रश्न 5.
1977 के लोकसभा चुनावों में किस पार्टी को सत्ता प्राप्त हुई?
उत्तर:
जनता पार्टी को।

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प्रश्न 6.
प्रथम तीन आम चुनावों में किस राजनीतिक दल को नेतृत्व प्रदान किया गया?
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी।

प्रश्न 7.
प्रथम आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटें प्राप्त हुईं?
उत्तर:
प्रथम आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को 489 सीटों में से 364 सीटें प्राप्त हुईं।

प्रश्न 8.
“एकदल व्यवस्था से अधिक ठीक-ठीक भारतीय दलीय व्यवस्था को एक दल प्रधानता कहना उचित होगा।” किसने कहा था?
उत्तर:
रजनी कोठारी ने।

प्रश्न 9.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई?
उत्तर:
सन् 1885 में।

प्रश्न 10.
भारत में समाजवादी दल का गठन कब हुआ?
उत्तर:
भारत में समाजवादी दल का गठन 1934 में हुआ।

प्रश्न 11.
प्रथम चुनाव आयुक्त कौन बना?
उत्तर:
सुकुमार सेन।

प्रश्न 12.
भारत रत्न से सम्मानित पहले भारतीय थे।
उत्तर:
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी।

प्रश्न 13.
भारतीय जनसंघ की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1951 में।

प्रश्न 14.
भारत में निर्वाचन आयोग का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1950 में।

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प्रश्न 15.
भारत का संविधान कब से अमल में आया?
उत्तर:
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 से अमल में आया।

प्रश्न 16.
भारत में तीसरे आम चुनाव कब हुए? लिखिये।
उत्तर:
सन् 1962 में।

प्रश्न 17.
पहले तीन आम चुनावों में लोकसभा में दूसरे स्थान पर रहने वाली ( सबसे बड़ी पार्टी) का नाम
उत्तर:
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी।

प्रश्न 18.
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे।
उत्तर:
आचार्य नरेन्द्र देव।

प्रश्न 19.
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर।

प्रश्न 20.
भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
श्यामा प्रसाद मुखर्जी।

प्रश्न 21.
1957 में कांग्रेस पार्टी किस राज्य में पराजित हुई?
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 22.
किस विद्वान ने कांग्रेस की तुलना सराय से की है?
उत्तर:
डॉ. अम्बेडकर ने।

प्रश्न 23.
स्वतंत्रता के बाद भारत में एक पार्टी के प्रभुत्व का दौर क्यों रहा था?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भारत में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसका संगठन पूरे देश में गांव-गांव तक फैला हुआ था। इसीलिए एकदलीय प्रभुत्व का दौर रहा।

प्रश्न 24.
भारतीय दलीय व्यवस्था की कोई एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
भारत में बहुदलीय प्रणाली है और राजनीतिक दल विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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प्रश्न 25.
प्रथम तीन आम चुनावों में कांग्रेस को कितनी सीटें प्राप्त हुईं?
उत्तर:
प्रथम आम चुनाव में 364, दूसरे आम चुनाव में 371 और तीसरे आम चुनाव में 361 सीटें प्राप्त हुईं।

प्रश्न 26.
किन दो राज्यों में कांग्रेस 1952-67 के दौरान सत्ता में नहीं थी?
उत्तर:
कांग्रेस 1952-67 के दौरान केरल एवं जम्मू-कश्मीर में सत्ता में नहीं थी।

प्रश्न 27.
स्वतंन्त्र पार्टी कब अस्तित्व में आई और इसका नेतृत्व किसने किया?
उत्तर:
स्वतन्त्र पार्टी की स्थापना 1959 में की गई और इस पार्टी का नेतृत्व सी. राजगोपालाचारी, ए. एम. मुंशी, एन. जी. रंगा आदि ने किय ।

प्रश्न 28.
उत्तरी राज्यों जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब के दो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नाम बताइए।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल नेशनल कान्फ्रेंस है, जबकि पंजाब का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल अकाली दल है।

प्रश्न 29.
किस दशक के अंत में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल शुरू किया?
उत्तर:
सन् 1990

प्रश्न 30.
किस पत्रिका ने यह लिखा था कि जवाहर लाल नेहरू ” अपने जीवित रहते ही यह देख लेंगे और पछताएँगे कि भारत में सार्वभौम मताधिकार असफल रहा।”
उत्तर:
ऑर्गनाइजर।

प्रश्न 31.
कांग्रेस दल किस सन् में राष्ट्रीय चरित्र वाले जनसभा के रूप में अस्तित्व में आया?
उत्तर:
कांग्रेस दल 1905 से 1918 तक के काल में राष्ट्रीय चरित्र वाले एक जनसभा के रूप में अस्तित्व में आया।

प्रश्न 32.
राष्ट्रीय मंच पर किस नेता के आगमन से कांग्रेस पार्टी एक जन आन्दोलन में बदल गई।
उत्तर:
राष्ट्रीय मंच पर महात्मा गांधी के आगमन ने कांग्रेस पार्टी को एक आंदोलन में बदल दिया।

प्रश्न 33.
प्रथम आम चुनावों के समय कितने राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय दल विद्यमान थे?
उत्तर:
प्रथम आम चुनावों में 14 राष्ट्रीय स्तर एवं 52 राज्य स्तर के दल विद्यमान थे।

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प्रश्न 34.
भारत में किस चुनाव प्रणाली को अपनाया गया है?
उत्तर:
भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर ‘सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले की जीत’ प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 35.
भारत में 1967 के आम चुनावों में कौन-कौन से राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला?
उत्तर:
भारत में 1967 के आम चुनावों में जम्मू-कश्मीर, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मैसूर (कर्नाटक), आंध्रप्रदेश तथा असम राज्यों में बहुमत मिला।

प्रश्न 36.
जनसंघ ने किस विचार पर जोर दिया?
उत्तर:
जनसंघ ने ‘एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र’ के विचार पर जोर दिया।

प्रश्न 37.
समाजवादी पार्टी किन-किन पार्टियों में विभाजित हुई?
उत्तर:
समाजवादी पार्टी ‘किसान मजदूर प्रजा पार्टी’, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी तथा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में विभाजित हुई।

प्रश्न 38.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में पं. नेहरू, सरदार पटेल, मोरारजी देसाई, जगजीवन राम, डॉ. अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा सी. राजगोपालाचारी शामिल थे।

प्रश्न 39.
विश्व के किन्हीं चार ऐसे देशों के नाम लिखिए जो अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध हैं।
उत्तर:
ये देश हैं। इंग्लैण्ड , भारत, अमेरिका, फ्रांस।

प्रश्न 40
भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
भारत के संविधान का निर्माण 26 नवम्बर, 1949 को हुआ।

प्रश्न 41.
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर।

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प्रश्न 42.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय साम्यवादी पार्टी के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय साम्यवादी पार्टी के मुख्य नेताओं में ए. के. गोपालन, नम्बूदरीपाद, एस. ए. डांगे, अजय घोष तथा जी. सी. जोशी शामिल थे।

प्रश्न 43.
जनसंघ पार्टी के तीन नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और बलराज मधोक

प्रश्न 44.
एक पार्टी के लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध किन्हीं चार राष्ट्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
ये राष्ट्र हैं। भूतपूर्व सोवियत संघ, चीन, क्यूबा, सीरिया।

प्रश्न 45.
तानाशाही और सैन्य आधिपत्य वाले किन्हीं चार राष्ट्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
ये राष्ट्र हैं। म्यांमार, बेलारूस, इंरीट्रिया, अधिकांश समय पाकिस्तान भी ऐसी सरकारों के अधीन रहा।

प्रश्न 46.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन कब हुआ?
उत्तर:
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन 1964 में सी. पी. एम. या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और सी.पी.आई. अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में हुआ।

प्रश्न 47.
रूस की बोल्शेविक क्रान्ति कब हुई?
उत्तर:
रूस में बोल्शेविक क्रान्ति अक्टूबर सन् 1917 में हुई।

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प्रश्न 48.
भारत में अनुच्छेद 356 का तथाकथित दुरुपयोग सर्वप्रथम कब हुआ?
उत्तर:
केन्द्र की कांग्रेस सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 356 का प्रथम दुरुपयोग 1959 में केरल की वैधानिक रूप से चुनी गई कम्युनिस्ट सरकार को बर्खास्त करके किया गया।

प्रश्न 49.
स्वतंत्र पार्टी किस वजह के कारण दूसरी पार्टियों से अलग थी?
उत्तर:
स्वतंत्र पार्टी आर्थिक मसलों पर अपनी खास किस्म की पक्षधरता के कारण दूसरी पार्टियों से अलग थ ।

प्रश्न 50.
1952 के चुनाव में वोट हासिल करने के लिहाज से कौन सी पार्टी दूसरे नंबर पर रही?
उत्तर:
सोशलिस्ट पार्टी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय दलीय व्यवस्था की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. भारत में बहुदलीय व्यवस्था है और राजनीतिक दल विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  2. भारतीय दलीय व्यवस्था में राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों का भी अस्तित्व है।

प्रश्न 2.
उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपनिवेशवाद वह विचारधारा जिससे प्रेरित होकर प्राय: एक शक्तिशाली राष्ट्र अन्य राष्ट्र या किसी राष्ट्र विशेष के किसी भाग पर अपना वर्चस्व स्थापित कर, उसके आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों का शोषण अपने हित के लिए करता है उसे उपनिवेशवाद कहते हैं।

प्रश्न 3.
आपके मतानुसार ‘एकल पार्टी प्रभुत्व’ से क्या अभिप्राय है? भारत में इस स्थिति का कालखण्ड बताइये।
उत्तर:
एकल पार्टी प्रभुत्व ‘एकल पार्टी प्रभुत्व’ से आशय है। राजनीतिक व्यवस्था पर अन्य दलों के होते हुए भी किसी एक दल का वर्चस्व स्थापित होना। भारत में 1952 से लेकर 1967 तक कांग्रेस दल का प्रभुत्व रहा।

प्रश्न 4.
प्रथम तीन आम चुनावों में एक दल के प्रभुत्व के कारणों को इंगित कीजिए।
अथवा
भारत के पहले तीन चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व के दो कारण बताइये।
अथवा
आपके मतानुसार आजादी के बाद 20 वर्षों तक भारतीय राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व के क्या कारण रहे? किन्हीं दो को बताइये।
अथवा
भारत में लम्बे समय तक कांग्रेस के दलीय प्रभुत्व के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रथम तीन चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व के कारण थे।

  1. राष्ट्रीय संघर्ष में कांग्रेसी नेताओं का जनता में अधिक लोकप्रिय होना।
  2. कांग्रेस के पास ही राष्ट्र के कोने-कोने व ग्रामीण स्तर तक संगठन होना तथा
  3. पंडित नेहरू का करिश्माई व्यक्तित्व का होना।

प्रश्न 5.
मतदान के किन्हीं दो तरीकों का वर्णन करो।
उत्तर:

  1. मतपत्र के द्वारा मतदान: मतपत्र पर हर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह अंकित होता है। मतदाता को मतपत्र पर अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम पर मोहर लगानी होती है।
  2. ई. वी. एम. द्वारा मतदान: ई.वी.एम. मशीन में मतदाता को अपनी पसंद के नाम के आगे की बटन दबानी होती है।

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प्रश्न 6.
काँग्रेस पार्टी के प्रभुत्व ने पहले तीन चुनावों में भारत में लोकतंत्र स्थापित करने में किस प्रकार मदद की?
उत्तर:
पहला आम चुनाव एक गरीब और अनपढ़ देश में लोकतंत्र की पहली परीक्षा थी। उस समय तक लोकतंत्र केवल समृद्ध देशों में मौजूद था। उस समय तक यूरोप के कई देशों ने महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं दिया था। इस संदर्भ में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ भारत का प्रयोग एक साहसिक और जोखिम भरा कदम था। 1952 में भारत का आम चुनाव पूरी दुनिया में लोकतंत्र के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अब यह तर्क दे पाना संभव नहीं रहा कि गरीबी या शिक्षा की कमी की स्थितियों में लोकतांत्रिक चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। यह साबित हुआ कि दुनिया में कहीं भी लोकतंत्र का अभ्यास किया जा सकता है। अगले दो आम चुनावों ने भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया।

प्रश्न 7.
” सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ भारत का प्रयोग बहुत साहसिक और जोखिम भरा दिखाई दिया।” बयान को सही ठहराते हुए तर्क दीजिए।
उत्तर:
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ भारत का प्रयोग बहुत साहसिक और जोखिम भरा दिखाई दिया। इसके तर्क निम्न हैं।

  1. देश के विशाल आकार और जनसंख्या ने इन चुनावों को असामान्य बना दिया।
  2. 1952 का चुनाव भारत जैसे गरीब और अनपढ़ देश के लिए एक बड़ी परीक्षा थी।
  3. इसके पहले लोकतंत्र मुख्यतया यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे विकासशील देशों में हुआ करता था जहाँ की जनसंख्या साक्षर थी।

प्रश्न 8.
दल-बदल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दल-बदल का साधारण अर्थ एक दल से दूसरे दल में सम्मिलित होना है। इसमें निम्नलिखित स्थितियाँ सम्मिलित हैं।

  1. किसी विधायक का किसी दल के टिकट पर निर्वाचित होकर उसे छोड़ देना और अन्य किसी दल में शामिल हो जाना।
  2. मौलिक सिद्धान्तों पर विधायक का अपनी पार्टी की नीति के विरुद्ध योगदान करना।
  3. किसी दल को छोड़ने के बाद विधायक का निर्दलीय रहना।

प्रश्न 9.
1952 के चुनाव ने यह साबित कर दिया कि भारतीय जनता ने विश्व के इतिहास में लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रयोग को बखूबी अंजाम दिया। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1952 में देश के अधिकांश हिस्सों में मतदान हुआ। लोगों ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर उत्साहपूर्वक भाग लिया। कुल मतदाताओं में से आधे से अधिक ने मतदान के दिन अपना मत डाला। चुनावों के परिणाम घोषित हुए तो हारने वाले उम्मीदवारों ने भी इस परिणाम को निष्पक्ष बताया। सार्वभौम मताधिकार के इस प्रयोग ने आलोचकों का मुँह बंद कर दिया। अत: हर जगह यह बात मानी जाने लगी कि भारतीय जनता ने विश्व के इतिहास में लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रयोग को बखूबी अंजाम दिया।

प्रश्न 10.
भारत के किन्हीं दो ऐसे क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए जो किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े हुए हैं।
उत्तर:

  1. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK): द्रविड़ मुनेत्र कड़गम तमिलनाडु में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है।
  2. बीजू जनता दल – बीजू जनता दल उड़ीसा में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है।

प्रश्न 11.
भारतीय जनसंघ की दो विचारधाराएँ बताइये।
उत्तर:

  1. भारतीय जनसंघ ने एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र के विचार पर जोर दिया।
  2. जनसंघ का विचार था कि भारतीय संस्कृति और परम्परा के आधार पर भारत आधुनिक, प्रगतिशील और ताकतवर बन सकता है।

प्रश्न 12.
आलोचक ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में चुनाव सफलतापूर्वक नहीं कराए जा सकेंगे? किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत चुनाव सफलतापूर्वक सम्पन्न नहीं कराये जा सकने के सम्बन्ध में आलोचकों के तर्क ये थे।

  1. भारत क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से बहुत बड़ा देश है तथा शुरू से ही नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान कर दिया गया है। इतने बड़े निर्वाचक मण्डल के लिए व्यवस्था करना बहुत कठिन होगा।
  2. भारत के अधिकांश मतदाता अशिक्षित थे। वे स्वतंत्र व समझदारी से मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, इस पर उन्हें संदेह था।

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प्रश्न 13.
आचार्य नरेन्द्र देव कौन थे?
उत्तर:
आचार्य नरेन्द्र देव प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी एवं कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे। वे बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध विद्वान् थे तथा किसान आन्दोलन के सक्रिय नेता थे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का नेतृत्व किया।

प्रश्न 14.
डॉ. अम्बेडकर ने कांग्रेस पार्टी को एक सराय की संज्ञा क्यों दी?
उत्तर:
डॉ. अम्बेडकर ने कांग्रेस पार्टी को एक सराय कहा क्योंकि कांग्रेस पार्टी के द्वार समाज के सभी लोगों के लिए खुले हुए थे। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार कांग्रेस पार्टी के द्वार मित्रों, दुश्मनों, चालाक व्यक्तियों, मूर्खों तथा यहाँ तक कि सम्प्रदायवादियों के लिए भी खुले हुए
थे।

प्रश्न 15.
हमारे देश की चुनाव प्रणाली के कारण काँग्रेस पार्टी की जीत को अलग से बढ़ावा मिला। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश की चुनाव:
प्रणाली में ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ के तरीके को अपनाया गया है। इस ‘प्रणाली के अनुसार अगर कोई पार्टी बाकियों की अपेक्षा थोड़े ज्यादा वोट हासिल करती है तो दूसरी पार्टियों को प्राप्त वोटों के अनुपात की ‘ तुलना में उसे कहीं ज्यादा सीटें हासिल होती हैं। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी की जीत का आँकड़ा और दायरा हमारी चुनाव – प्रणाली के कारण बढ़ा-चढ़ा दिखता है ।

उदाहरण: 1952 में कांग्रेस पार्टी को कुल वोटों में से मात्र 45 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे लेकिन कांग्रेस को 74 फीसदी सीटें हासिल हुईं। सोशलिस्ट पार्टी वोट हासिल करने के लिहाज से दूसरे नंबर पर रही। उसे 1952 के चुनाव में पूरे देश में कुल 10 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन यह पार्टी 3 प्रतिशत सीटें भी नहीं जीत पायी।

प्रश्न 16.
साझा सरकारों के हुए परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साझा सरकारों के दुष्परिणाम निम्न हैं।

  1. विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति
  2. वसरवादिता की प्रवृत्ति
  3. उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति
  4. राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।

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प्रश्न 17.
निर्दलियों की बढ़ती संख्या एक चुनौती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनाव में किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ये निर्दलीय उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।

प्रश्न 18.
भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो एक पार्टी के प्रभुत्व के दौर से गुजरा हो। संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो एक पार्टी के प्रभुत्व के दौर से गुजरा हो। दुनिया के बाकी देशों को ‘देखने पर हमें एक पार्टी के प्रभुत्व के बहुत से उदाहरण मिलेंगे। हालाँकि बाकी मुल्कों में एक पार्टी के प्रभुत्व और भारत में ‘एक पार्टी के प्रभुत्व के बीच एक अंतर है। बाकी के देशों में एक पार्टी का प्रभुत्व लोकतंत्र की कीमत पर कायम हुआ है।
उदाहरण

  1. कुछ देशों जैसे चीन, क्यूबा और सीरिया के संविधान में सिर्फ एक ही पार्टी को देश के शासन की अनुमति दी गई है।
  2. कुछ अन्य देशों जैसे म्यांमार, बेलारूस और इरीट्रिया में एक पार्टी का प्रभुत्व कानूनी और सैन्य उपायों के चलते कायम हुआ है।
  3. अब से कुछ साल पहले तक मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और ताईवान भी एक पार्टी के प्रभुत्व वाले देश थे।

प्रश्न 19.
भीमराव रामजी अंबेडकर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आपका पूरा नाम बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर है। आप जाति विरोधी आंदोलन के नेता और दलितों को न्याय दिलाने के लिए हुए संघर्ष के अगुआ थे। आपने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की। बाद में शिड्यूल्ड कास्टस् फेडरेशन की स्थापना की। आप रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के गठन के योजनाकार रहे हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वायसराय की काउंसिल में सदस्य रहे हैं। आप संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। भारत की आजादी के बाद नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में मंत्री की भूमिका अदा की। आपने हिन्दू कोड बिल के मुद्दे पर अपनी असहमति जताते हुए 1951 में इस्तीफा दे दिया। आपने 1956 में हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया

प्रश्न 20.
सी. राजगोपालाचारी के व्यक्तित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सी. राजगोपालाचारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे संविधान सभा के सदस्य थे तथा भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने वे केंन्द्र सरकार में मंत्री तथा मद्रास के मुख्यमंत्री भी रहे। 1959 में उन्होंने स्वतन्त्र पार्टी की स्थापना की। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया।

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प्रश्न 21.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्यामा प्रसाद मुखर्जी:
श्यामा प्रसाद मुखर्जी संविधान सभा के सदस्य थे। वे हिन्दू महासभा के महत्त्वपूर्ण नेता तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। वे कश्मीर को स्वायत्तता देने के विरुद्ध थे। कश्मीर नीति पर जनसंघ के प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा 1953 में हिरासत में ही उनकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 22.
विपक्षी दल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जो दल सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों की कमियों को उजागर कर उनकी आलोचना करे उसे विपक्षी दल कहा जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति से लेकर 1967 तक भारत में संगठित विरोधी दल का अभाव था, परन्तु वर्तमान में संगठित विरोधी दल पाया जाता है।

प्रश्न 23.
भारत की किन्हीं तीन राष्ट्रीय पार्टियों के नाम व चुनाव चिह्न बताइए।
उत्तर:
पार्टी का नाम – चुनाव चिह्न

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस – हाथ
  2. भारतीय जनता पार्टी – कमल का फूल
  3. बहुजन समाज पार्टी – हाथी

प्रश्न 24.
भारत में लोकतन्त्र स्थापित करने की चुनौती को समझाइये।
उत्तर:
भारत में लोकतन्त्र स्थापित करने की चुनौती: भारत में लोकतन्त्र स्थापित करने की चुनौती निम्न कारणों से थी।
1. विभिन्न धार्मिक राजनीतिक समूहों में एकता स्थापित करना: भारतीय नेताओं के समक्ष लोकतन्त्र की स्थापना हेतु विभिन्न धार्मिक एवं राजनीतिक समूहों में पारस्परिक एकता की भावना को विकसित करने की चुनौती थी।

2. निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था करना: भारत के विस्तृत आकार को देखते हुए निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था करना भी एक गम्भीर चुनौती थी। चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन करना, मताधिकार प्राप्त वयस्क व्यक्तियों की सूची बनाना भी आवश्यक था। मतदाताओं में केवल 15 प्रतिशत ही साक्षर थे। 1952 के चुनाव में 50 प्रतिशत मतदाताओं ने मत डाला। चुनाव निष्पक्ष हुए। इस प्रकार भारत लोकतन्त्र स्थापित करने में सफल रहा।

प्रश्न 25.
प्रारम्भ से ही कांग्रेस पार्टी का भारतीय राजनीति में केन्द्रीय स्थान रहा है । क्यों?
उत्तर:
कांग्रेस भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल रहा है। भारतीय राजनीति के केन्द्र में यह दो दृष्टिकोणों से प्रमुख -प्रथम, अनेक दल तथा गुट कांग्रेस के केन्द्र से विकसित हुए हैं और इसके इर्द-गिर्द अपनी नीतियों तथा अपनी गुटीय रणनीतियों को विकसित किया तथा द्वितीय, भारतीय राजनीति के वैचारिक वर्णक्रम के केन्द्र का अभियोग करते हुए यह एक ऐसे केन्द्रीय दल के रूप में स्थित रहा है, जिसके दोनों ओर अन्य दल तथा गुट नजर आते रहे हैं। भारत में स्वतंत्रता के बाद से केवल एक केन्द्रीय दल उपस्थित रहा है और वह है कांग्रेस पार्टी। लेकिन वर्तमान समय में दलीय व्यवस्था के स्वरूप में व्यापक परिवर्तन आया है जिसमें बहुदलीय व्यवस्था और क्षेत्रीय दलों के विकास ने एकदलीय प्रभुत्व की स्थिति को कमजोर बना दिया है।

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प्रश्न 26.
प्रथम तीन आम चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मजबूत स्थिति के पीछे उत्तरदायी कारणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कांग्रेस की प्रधानता के लिए उत्तरदायी कारण- प्रथम तीन आम चुनावों में कांग्रेस की मजबूत स्थिति के पीछे निम्नलिखित कारण जिम्मेदार रहे हैं।

  1. कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय आंदोलन के वारिस के रूप में देखा गया। आजादी के आंदोलन के अग्रणी नेताओं ने अब कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े।
  2. कांग्रेस ही ऐसा दल था जिसके पास राष्ट्र के कोने-कोने व ग्रामीण स्तर तक फैला हुआ एवं संगठित संगठन था।
  3. कांग्रेस एक ऐसा संगठन था जो अपने आपको स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल ढाल सकने में समर्थ था।
  4. कांग्रेस पहले से ही एक सुसंगठित पार्टी थी। बाकी दल अभी अपनी रणनीति सोच ही रहे होते थे कि कांग्रेस अपना अभियान शुरू कर देती इस प्रकार कांग्रेस को ‘अव्वल और इकलौता’ होने का फायदा मिला।
  5. पण्डित नेहरू का करिश्माई व्यक्तित्व भी कांग्रेस के प्रभुत्व को बनाने में सफल रहा।

प्रश्न 27.
पहले तीन आम चुनावों में काँग्रेस के प्रभुत्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पहले तीन आम चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व का वर्णन निम्न कथनों द्वारा किया जा सकता है।

  1. 1952 के चुनाव में कॉंग्रेस 489 सीटों में से 364 सीटों पर विजयी रही।
  2. 16 सीटों के साथ कम्युनिस्ट पार्टी दूसरे स्थान पर रही।
  3. लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा के चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की।
  4. त्रावणकोर-कोचीन, मद्रास और उड़ीसा को छोड़कर सभी राज्यों में कांग्रेस ने अधिकतर सीटों पर जीत दर्ज की। आखिरकार इन तीनों राज्यों में भी काँग्रेस की ही सरकार बनी। इस तरह राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर पूरे देश में काँग्रेस पार्टी का शासन कायम हुआ।
  5. 1957 और 1962 में क्रमशः दूसरा और तीसरा चुनाव हुआ। इस चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में अपनी पुरानी स्थिति कायम रखी, उसका दशांश भी कोई विपक्षी पार्टी नहीं जीत सकी।

प्रश्न 28.
शक्तिशाली विपक्ष पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
आठवीं लोकसभा चुनावों तक 1969-70 तथा 1977-79 के काल को छोड़कर भारतीय राजनीति में सामान्यतः विपक्ष कमजोर तथा विभाजित ही रहा, लेकिन 9वीं लोकसभा चुनाव से लेकर 16वीं लोकसभा के चुनावों में संसद तथा भारतीय राजनीति में शक्तिशाली विपक्ष रहा है। 1990 ई. में कांग्रेस (इ) शक्तिशाली विपक्ष की स्थिति में थी, जिसे लोकसभा में 193 स्थान और राज्यसभा में लगभग बहुमत प्राप्त था। 10वीं व 11वीं लोकसभा में भी कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल की स्थिति प्राप्त रही जबकि 14वीं व 15वीं लोकसभा में भाजपा को मुख्य विपक्षी दल की स्थिति प्राप्त रही। 16वीं लोकसभा में कांग्रेस व दूसरे क्षेत्रीय दल, शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। इस काल में राज्य स्तर पर भी अधिकांश राज्यों में विपक्ष पर्याप्त शक्तिशाली रहा है।

प्रश्न 29.
भारत में राजनीतिक दलों द्वारा अपने कार्यों का निर्वहन करने में आने वाली तीन कठिनाइयों को बताइये।
उत्तर:
राजनीतिक दलों की समस्याएँ: भारत में राजनीतिक दलों की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं।

  1. दलीय व्यवस्था में अस्थिरता: भारतीय दलीय व्यवस्था निरन्तर बिखराव और विभाजन का शिकार रही है। सत्ता प्राप्ति की लालसा ने राजनीतिक दलों को अवसरवादी बना दिया है जिससे यह संकट उत्पन्न हुआ है।
  2. राजनीतिक दलों में गुटीय राजनीति: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में तीव्र आन्तरिक गुटबन्दी विद्यमान है। इन दलों में छोटे-छोटे गुट पाये जाते हैं।
  3. दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव है और वे घोर अनुशासनहीनता से पीड़ित हैं। भारत में अधिकांश राजनीतिक दल नेतृत्व की मनमानी प्रवृत्ति और सदस्यों की अनुशासनहीनता से पीड़ित है।

प्रश्न 30.
राजनीतिक दलों के प्रमुख तत्त्वों को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
राजनीतिक दलों के प्रमुख तत्त्व: किसी भी राजनीतिक दल के निर्माण के लिए निम्न तत्त्वों का होना आवश्यक है।

  1. संगठन: संगठन से तात्पर्य है। कि दल ने अपने कुछ लिखित एवं अलिखित नियम, उपनियम, कार्यालय, पदाधिकारी आदि होने चाहिए। ये दल के सदस्यों को अनुशासित रखते हैं।
  2. मूलभूत सिद्धान्तों में एकता: सिद्धान्तों की एकता ही दल को ठोस आधार प्रदान करती है। सैद्धान्तिक एकता के अभाव में दल की जड़ें हिल जायेंगी।
  3. संवैधानिक साधनों का प्रयोग: राजनीतिक दलों को जाति, धर्म, सम्प्रदाय या वर्ग हित की अपेक्षा राष्ट्रीय हित की अभिवृद्धि हेतु प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 31.
1952 के पहले आम चुनाव से लेकर 2004 के आम चुनाव तक मतदान के तरीके में क्या बदलाव आये हैं?
उत्तर:
1952 से लेकर 2004 के आम चुनाव तक मतदान के तरीकों में निम्न प्रकार बदलाव आये हैं।

  1. 1952 के पहले आम चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार के नाम व चुनाव चिह्न की एक मतपेटी रखी गयी थी। हर मतदाता को एक खाली मत पत्र दिया गया जिसे उसने अपने पसंद के उम्मीदवार की मतपेटी में डाला। शुरूआती दो चुनावों के बाद यह तरीका बदल दिया गया।
  2. बाद के चुनावों में मतपत्र पर हर उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिह्न अंकित किया गया। मतदाता को मतपत्र में अपने पसंद के उम्मीदवार के आगे मुहर लगानी होती थी।
  3. सन् 1990 के दशक के अन्त में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग शुरू कर दिया। इसमें मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवार के सामने दिये गये बटन को दबा देता है।

प्रश्न 32.
भारतीय दलीय व्यवस्था की कोई तीन कमियाँ लिखिए जो सरकारों की अस्थिरता के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की कमियाँ – भारतीय दलीय व्यवस्था की निम्नलिखित कमियाँ या समस्याएँ सरकार की अस्थिरता के लिए उत्तरदायी हैं।

  1. राजनीतिक दल-बदल: भारतीय राजनीतिक दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव तीव्र आन्तरिक गुटबन्दी और गहरी सत्ता लिप्सा ने दलीय व्यवस्था में राजनीति दल-बदल को जन्म दिया है जिसने राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया।
  2. नेतृत्व संकट: भारत में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी है। नेतृत्व का बौना कद दल को एकजुट रखने में असमर्थ रहता है।
  3. वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव: विचारधारा पर आधारित दलों जैसे मार्क्सवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल, भाजपा आदि ने भी घोर अवसरवादी राजनीति का परिचय देते हुए येन-केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करने के लिए अपने सिद्धान्तों को तिलांजलि दी है।

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प्रश्न 33.
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व राजनीतिक दलों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व भारत के राजनीतिक दल इस प्रकार थे।

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में राजनीतिक दलों का जन्म विदेशी साम्राज्य के विरुद्ध राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन कोचलाने के लिए हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 में हुई थी। वास्तव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उस समय न केवल एक राजनीतिक दल था, बल्कि एक ऐसा मंच था जिसमें हर विचारधारा के लोग शामिल थे, जिनका उद्देश्य छोटे-छोटे सुधार करना था। गई।
  2. मुस्लिम लीग: 1906 में मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना की
  3. भारतीय साम्यवादी दल: 1924 में साम्यवादी दल की स्थापना एम.एन. रॉय ने की।
  4. भारतीय समाजवादी पार्टी1934 में आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण एवं राममनोहर लोहिया ने भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना की।

प्रश्न 34.
भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भाजपा के प्रमुख कार्यक्रम: भाजपा की जो नीतियाँ, सिद्धान्त एवं कार्यक्रम हैं, वे अपने पूर्ववर्ती जनसंघ की नीतियों, सिद्धान्तों एवं कार्यक्रमों से समानता रखते हैं। जनसंघ गाँधीवाद, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता, लोकतन्त्र, न्याय एवं समानता के आदर्शों पर टिका हुआ था। राष्ट्रीय एकता के सन्दर्भ में इसका नारा था कि अनुच्छेद 370 को समाप्त कर कश्मीर का पूर्णत: भारत में विलय हो तथा वह एक सामान्य राज्य का दर्जा प्राप्त करे।

राष्ट्रीय सुरक्षा के सन्दर्भ में यह कठोर रुख अपनाने का समर्थक था। यह एक ऐसा दल था जो भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को पूर्ण रूप से अपनाये हुए था। परन्तु ज्यों ही जनसंघ भाजपा में परिवर्तित हुआ त्यों ही अपने मूलभूत सिद्धान्तों से धीरे-धीरे दूर होता चला गया।

प्रश्न 35.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यक्रम: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है।

  1. स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य स्वतन्त्रता प्राप्ति था, उस समय कांग्रेस एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि राष्ट्रीय आन्दोलन भी था। स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान इसके आदर्श थे। संसदीय लोकतन्त्र, धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद।
  2. स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त कांग्रेस 30 वर्षों तक सत्तारूढ़ रही। इन तीस वर्षों में कांग्रेस ने अस्पृश्यता उन्मूलन, दलितों का उत्थान, जमींदारी प्रथा का उन्मूलन, मिश्रित अर्थव्यवस्था पर बल, सार्वजनिक उद्यमों की स्थापना के कार्यक्रम अपनाये।
  3. वर्तमान में कांग्रेस पार्टी अपने समाजवादी सिद्धान्तों से काफी दूर हो चुकी है। चुनाव घोषणा पत्रों के माध्यम से कांग्रेस आर्थिक सुधार, प्रगति, विकास तथा प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार का वचन देती है और उदारवादी अर्थव्यवस्था को अपनाए हुए है।

प्रश्न 36.
भारत में क्षेत्रीय दलों की प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। क्षेत्रीय दल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
उत्तर:
भारत में क्षेत्रीय दलों की प्रकृति- भारत में क्षेत्रीय दलों की प्रकृति को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. जाति, धर्म, क्षेत्र या समुदाय पर आधारित क्षेत्रीय दल: भारत के कुछ क्षेत्रीय दल या तो किसी जाति विशेष पर आधारित हैं या धर्म – विशेष पर या क्षेत्र विशेष पर या किसी समुदाय विशेष पर आधारित हैं।
  2. राष्ट्रीय दलों से निकले क्षेत्रीय दल: कुछ क्षेत्रीय दल वे हैं जो किसी समस्या विशेष या नेतृत्व के प्रश्न को लेकर राष्ट्रीय दलों विशेषकर कांग्रेस आदि से अलग हुए हैं, जैसे- केरल कांग्रेस, बंगला कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, तमिल मनीला कांग्रेस आदि।
  3. विचारधारा पर आधारित क्षेत्रीय दल: भारत में कुछ राजनीतिक दल विचारधारा पर आधारित हैं, जैसे फारवर्ड ब्लॉक, किसान मजदूर पार्टी आदि।

प्रश्न 37.
आजादी के बाद भारत में अनेक पार्टियों ने मुक्त और निष्पक्ष चुनाव में एक-दूसरे से स्पर्धा की फिर भी काँग्रेस पार्टी ही विजयी होती गई। क्यों?
उत्तर:
काँग्रेस पार्टी की इस असाधारण सफलता की जड़ें स्वाधीनता संग्राम की विरासत में है। कांग्रेस पार्टी को जनता ने तथा सभी ने आंदोलन के वारिस के रूप में देखा। आजादी के आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले कई नेता अब काँग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। काँग्रेस शुरू से ही एक सुसंगठित पार्टी थी। चुनाव के दौरान जब तक बाकी के दल चुनावी रणनीति सोच रहे होते थे तब तक कांग्रेस अपना चुनावी अभियान शुरू कर चुकी होती थी। अनेक पार्टियों का गठन स्वतंत्रता के समय के आस-पास अथवा उसके बाद में हुआ।

जबकि काँग्रेस पार्टी आजादी के वक्त तक देश में चारों ओर फैल चुकी थी। इस पार्टी के संगठन का नेटवर्क स्थानीय स्तर तक पहुँच चुका था। कांग्रेस पार्टी की सबसे खास बात यह थी कि यह आजादी के आंदोलन की अग्रणी थी और इसकी प्रकृति सबको साथ लेकर चलने की थी। इसी कारण आजादी के बाद भारत में अनेक पार्टियों ने मुक्त और निष्पक्ष चुनाव में एक-दूसरे से स्पर्धा की फिर भी काँग्रेस पार्टी हर बार विजयी होती गई।

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प्रश्न 38.
कॉंग्रेस पार्टी के जन्म से लेकर अब तक इस पार्टी में क्या बदलाव आया है? संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शुरू-शुरू में काँग्रेस में अंग्रेजीदाँ, अगड़ी जाति, उच्च मध्यवर्ग और शहरी अभिजन का वर्चस्व था। परंतु जब भी कॉंग्रेस ने सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलन चलाए उसका सामाजिक आधार बढ़ा। काँग्रेस ने परस्पर विरोधी हितों के कई समूहों को एक साथ जोड़ा। समय के साथ-साथ काँग्रेस में किसान और उद्योगपति, गाँव और शहर के रहने वाले, मालिक और मजदूर और उच्च, मध्य एवं निम्न वर्ग सभी जातियों को जगह मिली।

धीरे-धीरे काँग्रेस का नेतृवर्ग विस्तृत हुआ। इसका नेतृवर्ग अब उच्च वर्ग या जाति के पेशेवर लोगों तक ही सीमित नहीं रहा। इसमें खेती-किसानी की बुनियाद वाले तथा गाँव- गिरान की तरफ रुझान रखने वाले नेता भी उभरे। आजादी के समय तक काँग्रेस एक सतरंगे सामाजिक गठबंधन की शक्ल धारण कर चुकी थी और वर्ग, जाति, धर्म, भाषा तथा अन्य हितों के आधार पर इस सामाजिक गठबंधन से भारत की विविधता की नुमाइंदगी हो रही थी।

प्रश्न 39.
किस वजह से काँग्रेस ने एक जनव्यापी राजनीतिक पार्टी का रूप लिया और राजनीतिक- व्यवस्था में इसका दबदबा कायम हुआ?
उत्तर:
काँग्रेस का जन्म 1885 में हुआ था। उस समय यह नवशिक्षित, कामकाजी और व्यापारिक वर्गों का एक हित – समूह भर थी। लेकिन 20वीं सदी में इस पार्टी ने जन आंदोलन का रूप ले लिया । इस वजह से कांग्रेस ने एक जनव्यापी राजनीतिक पार्टी का रूप लिया और राजनीतिक व्यवस्था में इसका दबदबा कायम हुआ।

प्रश्न 40.
ए. के. गोपालन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ए. के. गोपालन केरल के कम्युनिस्ट नेता थे। आपके राजनीतिक जीवन की शुरुआत काँग्रेस कार्यकर्ता के रूप में हुई। परंतु 1939 में आपने कम्युनिस्ट पार्टी के साथ खुद को जोड़ा। 1964 में कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन के पश्चात् आप कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) में शामिल हुए और इस पार्टी की मजबूती के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया। आपको सांसद के रूप में विशेष ख्याति प्राप्त हुई।

प्रश्न 41.
कॉंग्रेस पार्टी में गुटों की मौजूदगी की प्रणाली शासक दल के भीतर संतुलन साधने के औजार की तरह काम करती थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
काँग्रेस पार्टी की अधिकतर प्रांतीय इकाइयाँ विभिन्न गुटों को मिलाकर बनी थीं। ये गुट अलग-अलग विचारधाराओं वाले थे और इस कारण काँग्रेस एक भारी-भरकम मध्यमार्गी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आती थी। दूसरी पार्टियाँ अक्सर काँग्रेसी गुटों को प्रभावित करने का कार्य करती रहती थीं। इस प्रकार बाकी पार्टियाँ हाशिए पर रहकर ही नीतियों और फैसलों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर पाती थीं। ये पार्टियाँ सत्ता के वास्तविक इस्तेमाल से कोसों दूर थीं। शासक दल का कोई विकल्प नहीं था। इसके बावजूद विपक्षी पार्टियाँ लगातार काँग्रेस की आलोचना करती थीं, उस पर दबाव डालती थीं और इस क्रम में उसे प्रभावित करती थीं। इस प्रकार गुटों की मौजूदगी की यह प्रणाली शासक दल के भीतर संतुलन साधने के औजार की तरह काम करती थी । इस तरह राजनीतिक होड़ काँग्रेस के भीतर ही चलती थी।

प्रश्न 42.
1950 के दशक में विपक्षी दलों की मौजूदगी ने भारतीय शासन- व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1950 के दशक में विपक्षी दलों को लोकसभा अथवा विधानसभा में मात्र कहने भर को प्रतिनिधित्व मिल पाया फिर भी इन दलों ने भारतीय शासनव्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कथन की पुष्टि निम्न तथ्यों से की जा सकती है।

  1. इन दलों ने काँग्रेस पार्टी की नीतियों और व्यवहारों की सुचिन्तित आलोचना की। इन आलोचनाओं में सिद्धांतों का बल होता था। बदला।
  2. विपक्षी दलों ने शासक दल पर अंकुश रखा और इन दलों के कारण काँग्रेस पार्टी के भीतर शक्ति-संतुलन
  3. इन दलों ने लोकतांत्रिक राजनीतिक विकल्प की संभावना को जीवंत रखा। ऐसा करके इन दलों ने व्यवस्थाजन्य रोष को लोकतंत्र-विरोधी बनने से रोका।
  4. इन दलों ने ऐसे नेता तैयार किए जिन्होंने आगे के समय में हमारे देश की तस्वीर को संवारने में अहम भूमिका निभाई।

प्रश्न 43.
आजादी के बाद काफी समय तक भारत देश में लोकतांत्रिक राजनीति का पहला दौर एकदम अनूठा था। इस कथन के समर्थन में तर्क दीजिए।
उत्तर:
शुरुआती सालों में काँग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच पारस्परिक सम्मान का गहरा भाव था। स्वतंत्रता की घोषणा के बाद अंतरिम सरकार ने देश का शासन सँभाला था। इसके मंत्रिमंडल में डॉ. अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता शामिल थे। नेहरू सोशलिस्ट पार्टी के प्रति काफी लगाव रखते थे। इसलिए उन्होंने जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी नेताओं को सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था।

अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी से इस प्रकार की नजदीकी उसके प्रति सम्मान का भाव दलगत प्रतिस्पर्धा के तेज़ होने के बाद लगातार कम होता गया। राष्ट्रीय आंदोलन का चरित्र समावेशी था। इस तरह हम यह कह सकते हैं कि आजादी के बाद लंबे समय तक अपने देश में लोकतांत्रिक राजनीति का पहला दौर अनूठा था।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राजनीति में 1952 से 1966 के युग को ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ कहकर पुकारा गया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? किन्हीं तीन कारकों की व्याख्या कीजिये जिन्होंने इस प्रभुत्व को बनाए रखने में सहायता की।
अथवा
प्रथम तीन आम चुनावों के सन्दर्भ में एक दल की प्रधानता का वर्णन कीजिए तथा इस प्रधानता के कारकों को स्पष्ट कीजिये। संजीव पास बुक्स
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भारत के राजनैतिक परिदृश्य में कांग्रेस का वर्चस्व लगातार तीन दशकों तक कायम रहा। यह निम्न प्रथम तीन आम चुनावों के परिणामों से स्पष्ट होता है।

  1. प्रथम तीन चुनावों में संसद की 494 सीटों में से कांग्रेस ने 1952 में 364, 1957 में 371 तथा 1962 में 361 सीटें जीतीं।
  2. इस काल में केरल और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर शेष सभी राज्यों में भी कांग्रेस की सरकारें बनीं। उपर्युक्त चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि 1952 से 1966 तक भारत में ‘एक दलीय प्रभुत्व’ की स्थिति  ही।

भारत में एक दल की प्रधानता के कारण: भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् चुनावों में एक दल के प्रभुत्व के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  1. कांग्रेस पार्टी को सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व प्राप्त था: कांग्रेस पार्टी में देश के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व प्राप्त था। कांग्रेस पार्टी उदारवादी, उग्रवादी, दक्षिणपंथी, साम्यवादी तथा मध्यमार्गी नेताओं का एक महान मंच था।
  2. कांग्रेस का चमत्कारिक नेतृत्व: कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू थे जो भारतीय राजनीति के सबसे करिश्माई और लोकप्रिय नेता थे।
  3. राष्ट्रीय आंदोलन की विरासत: कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्रता संग्राम के वारिस के रूप में देखा गया। स्वतंत्रता आंदोलन के अनेक अग्रणी नेता अब कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।
  4. गुटों में तालमेल और सहनशीलता: कांग्रेस गठबंधनी स्वभाव के कारण विभिन्न गुटों के प्रति सहनशील थी। इससे कांग्रेस एक भारी-भरकम मध्यमार्गी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आती थी। इस सन्दर्भ में दूसरी पार्टियाँ कांग्रेस का विकल्पं प्रस्तुत नहीं कर पायीं।

प्रश्न 2.
कांग्रेस पार्टी की विचारधारा एवं कार्यक्रमों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारतीय कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों व सिद्धान्तों पर एक आलोचनात्मक नोट लिखिए।
उत्तर:
भारतीय कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्रमुख नीतियाँ एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।
I. राजनीतिक कार्यक्रम।

  1. कांग्रेस लोकतन्त्र तथा राष्ट्र की एकता व अखण्डता में विश्वास करती है
  2. यह पार्टी राजनीतिक भ्रष्टाचार व राजनीतिक अपराधीकरण का विरोध करती है।
  3. यह लोकपाल की नियुक्ति का समर्थन करती है।
  4. यह आतंकवादियों तथा अन्य राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध निरन्तर संघर्ष करने के संकल्प पर बल देती है।
  5. यह विदेश नीति के सन्दर्भ में गुटनिरपेक्षता तथा पंचशील अन्तर्राष्ट्रीय शांति के सिद्धान्तों का समर्थन करती है। आर्थिक तथा सामाजिक कार्यक्रम-
  6. यह लोगों को आत्म-निर्भर बनाने तथा भारत जैसे गरीब देश को सम्पन्नता की ओर ले जाने; गरीबी को दूर करने, बेरोजगारी को मिटाने के प्रति वचनबद्ध है।
  7. यह आर्थिक सुधारों की गति को तीव्र करने, घरेलू उत्पादों में वृद्धि करने, कृषि की पैदावार में वृद्धि करने तथा कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने पर बल देती है।
  8. यह आवासीय योजनाओं का विस्तार करने तथा गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराने, दलितों, आदिवासियों तथा महिला कल्याण, बाल-कल्याण, पर विशेष
  9. योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर बल, देती है।
  10. यह संचार के साधनों के तीव्र विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं के विस्तार पर बल देती है । इस प्रकार ये कुछ नीतियाँ व कार्यक्रम हैं जिनको लेकर यह पार्टी चुनावों में भाग लेती है।

प्रश्न 3.
भारतीय साम्यवादी दल की नीतियों एवं कार्यक्रमों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
भारतीय साम्यवादी दल की नीतियाँ एवं कार्यक्रम: भारतीय साम्यवादी दल की नीतियाँ एवं कार्यक्रमों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है।
(क) राजनीतिक कार्यक्रम- पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं।

  1. पार्टी राष्ट्रीय एकता और अखण्डता, साम्प्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है।
  2. पार्टी केन्द्र- द- राज्य सम्बन्धों का पुनर्गठन करके राज्यों को आर्थिक शक्तियाँ देने के पक्ष में है।
  3. पार्टी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल विधेयक का समर्थन करती है।
  4. पार्टी अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा चुनाव प्रणाली में व्यापक सुधार करने, अनुच्छेद 356 को समाप्त किये जाने के पक्ष में है।
  5. पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती के पक्ष में है।

(ख) आर्थिक कार्यक्रम: भारतीय साम्यवादी दल के आर्थिक कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्न हैं।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए। दूर संचार, बिजली आदि की नीतियों को बदला जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को चुस्त-दुरुस्त किया जाए।
  2. मौजूदा औद्योगिक नीति को बदला जाए। अन्धाधुन्ध उदारीकरण की नीतियों को बदला जाए जो देश की सम्प्रभुता को कमजोर कर रही हैं।
  3. बजट का 50 प्रतिशत कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन आदि के विकास के लिए आवण्टित किया जाए और सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था की जाए।

(ग) सामाजिक कार्यक्रम: भारतीय साम्यवादी दल की सामाजिक नीतियाँ एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।

  1. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाए।
  2. लोगों के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की नीतियों को ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाए।
  3. शिक्षा तथा जन साक्षरता का प्रसार किया जाए।
  4. काम के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान किया जाए।
  5. स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जाए।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाने के प्रतिकूल कौन-कौनसी चुनौतियाँ थीं? विस्तारपूर्वक लिखिये।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में लोकतान्त्रिक प्रणाली अपनाने के प्रतिकूल परिस्थितियाँ: स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में लोकतान्त्रिक प्रणाली को अपनाने के प्रतिकूल निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियाँ थीं।

  • सार्वभौमिक मताधिकार द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव कराना: भारत के आकार को देखते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव कराना अत्यन्त कठिन मामला था क्योंकि:
    1. चुनाव कराने के लिए चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन आवश्यक था,
    2. मताधिकार प्राप्त वयस्क व्यक्तियों की मतदाता सूची बनाना आवश्यक था। ये दोनों ही काम उस समय अत्यन्त कठिन और समय लेने वाले।
  • निरक्षरता और गरीबी उस वक्त देश के मतदाताओं में महज 15 फीसदी ही साक्षर थे। मतदाताओं की बड़ी संख्या गरीब और अनपढ़ लोगों की थी और ऐसे माहौल में चुनाव लोकतंत्र के लिए परीक्षा की कठिन घड़ी था।
  • जातिवाद, क्षेत्रवाद तथा साम्प्रदायिकता: स्वतंत्रता के समय देश में जातिवाद, क्षेत्रवाद, साम्प्रदारिकता, राजाओं के प्रति भक्ति आदि तत्त्व प्रबल थे, जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव में बाधक बने हुए थे। मतदाताओं के अशिक्षित और गरीब होने से उन पर इन तत्त्वों के प्रभाव की पूरी गुंजाइश थी। देश में अनेक दलों, जैसे हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग आदि ने साम्प्रदायिक आधार अपना लिया था। साम्प्रदायिक आधार पर ये मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे। ऐसे में लोकतंत्र की सफलता में ये बाधक हो रहे थे।

प्रश्न 5.
1950 के दशक में भारत में विपक्षी पार्टियों की भूमिका की विवेचना कीजिय।
उत्तर:
1950 के दशक में लोकसभा में विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व: 1950 के दशक में भारत में अनेक राजनैतिक दल थे। यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व था, तथापि अनेक राजनैतिक दलों ने चुनावों में अपने संजीव पास बुक्स उम्मीदवार उतारे थे। ये दल थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी आदि।

इस दशक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 16 लोकसभा सीटें मिलीं जबकि जनसंघ को तीन चार सीटें ही मिलीं। अन्य दलों को भी कोई खास कामयाबी नहीं मिली। विपक्ष की भूमिका 1950 के दशक में भारत में यद्यपि विपक्षी दलों को लोकसभा या विधानसभा में कहने भर का प्रतिनिधित्व मिला तथापि उसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। यथा

  1. कांग्रेस की नीतियों की सैद्धान्तिक आलोचना विपक्षी दलों ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों और व्यवहारों की सकारात्मक आलोचना की जिसमें सिद्धान्तों का बल होता था।
  2. शासक दल पर अंकुश लगाना इस काल में विपक्षी दलों ने उसकी नीतियों की सैद्धान्तिक आलोचना करके शासक दल पर अंकुश रखा।
  3. राजनीतिक विकल्प की संभावना को जीवित रखना इन दलों ने लोकतांत्रिक राजनीतिक विकल्प की संभावना को जीवित रखा।
  4. कांग्रेस तथा विपक्षी नेताओं के बीच परस्पर सम्मान भाव इस दौर में कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच परस्पर सम्मान का गहरा भाव रहा। लेकिन 60 के दशक में यह सम्मान भाव लगातार कम होता गया।

प्रश्न 6.
मतदान के बदलते तरीके पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
इन दिनों चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक मशीन का उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से मतदाता उम्मीदवारों के बारे में अपनी पसंद जाहिर करते हैं। परंतु शुरू-शुरू में ऐसी मशीनों का उपयोग नहीं किया जाता था। पहले के चुनावों में प्रत्येक चुनाव केन्द्र में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक मतपेटी रखी जाती थी और उस मतपेटी पर उम्मीदवार का चुनाव चिह्न अंकित रहता था। प्रत्येक मतदाता को एक खाली मतपत्र दिया जाता था और उस पर वह अपने पसंद के उम्मीदवार की मतपेटी में डाल देता।

इस काम में स्टील के बक्सों का इस्तेमाल होता था। हर एक मतपेटी में भीतर और बाहर की तरफ संबंधित उम्मीदवार का चिह्न अंकित होता था। मतपेटी के बाहर किसी एक तरफ उम्मीदवार का नाम उर्दू, हिन्दी और पंजाबी भाषा में लिखा हुआ होता था। इसके साथ-साथ चुनाव क्षेत्र, चुनाव केन्द्र और मतदान केन्द्र की संख्या भी दर्ज होती थी। उम्मीदवार के आंकिक ब्यौरे वाला एक कागजी मुहरबंद पीठासीन पदाधिकारी के दस्तखत के साथ मतपेटी में लगाया जाता था। तत्पश्चात् मतपेटी के ढक्कन को तार के सहारे बाँधा जाता था और इसी जगह मुहरबंद लगाया जाता था।

यह सारा काम चुनाव की नियत तारीख के एक दिन पहले हो जाता था। चुनाव चिह्न और बाकी ब्यौरों को दर्ज करने के लिए मतपेटी को पहले सरेस कागज या ईंट के टुकड़े से रगड़ा जाता था। यह काम बहुत लंबा चलता था। शुरुआती दो चुनाव के बाद यह तरीका बदल दिया गया। अब मतपत्र पर हर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न अंकित किया जाने लगा। मतदाता को इस मतपत्र पर अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगानी होती थी । यह तरीका अगले चालीस सालों तक चलन में रहा। सन् 1990 के दशक के अंत में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल शुरू किया और 2004 तक पूरे देश में ईवीएम का उपयोग शुरू हुआ।

प्रश्न 7.
सोशलिस्ट पार्टी के जन्म, विकास, विचारधारा, उपलब्धियाँ और प्रमुख नेताओं को ध्यान में रखकर उस पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
सोशलिस्ट पार्टी की जड़ों को आजादी से पहले के उस वक्त में ढूँढ़ा जा सकता है जब भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस जनआंदोलन चला रही थी। काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन काँग्रेस के भीतर 1934 में युवा नेताओं की टोली ने किया था। ये नेता कांग्रेस को ज्यादा-से-ज्यादा परिवर्तनकारी और समतावादी बनाना चाहते थे। 1948 में काँग्रेस ने अपने संविधान में परिवर्तन किया। यह परिवर्तन इसलिए किया गया था ताकि काँग्रेस के सदस्य दोहरी सदस्यता न धारण कर सकें। इस वजह से काँग्रेस के समाजवादियों को मजबूरन 1948 में अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी बनानी पड़ी। परंतु सोशलिस्ट पार्टी चुनावों में कुछ खास कामयाबी प्राप्त नहीं कर सकी।

इस कारण पार्टी के समर्थकों को बड़ी निराशा हुई। हालाँकि सोशलिस्ट पार्टी की मौजूदगी हिन्दुस्तान के अधिकतर राज्यों में थी लेकिन पार्टी को चुनावों में छिटपुट सफलता ही मिली। समाजवादी लोकतांत्रिक समाजवाद की विचारधारा में विश्वास करते थे और इस आधार पर वे काँग्रेस तथा साम्यवादी दोनों से अलग थे। वे काँग्रेस की आलोचना करते थे। क्योंकि काँग्रेस पूँजीपतियों और जमींदारों का पक्ष लेती थी तथा मजदूरों और किसानों की उपेक्षा करती थी। समाजवादियों को 1955 में दुविधा की स्थिति का सामना करना पड़ा क्योंकि काँग्रेस ने घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य समाजवादी बनावट वाले समाज की रचना है। ऐसे में समाजवादियों के लिए खुद को काँग्रेस का कारगर विकल्प बनाकर पेश करना मुश्किल हो गया।

सोशलिस्ट पार्टी के कई टुकड़े हुए और कुछ मामलों में बहुधा मेल भी हुआ । इस प्रक्रिया में कई समाजवादी दल बने। इन दलों में किसान मजदूर प्रजा पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का नाम लिया जा सकता है। जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता, आचार्य नरेन्द्र देव, राममनोहर लोहिया और एस. एम. जोशी समाजवादी दलों के नेताओं में प्रमुख थे। मौजूदा हिन्दुस्तान के कई दलों जैसे समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और जनता दल (सेक्युलर) पर सोशलिस्ट पार्टी की छाप देखी जा सकती है।

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प्रश्न 8.
इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी का मैक्सिको में लगभग साठ सालों तक शासन रहा। स्पेनिश में इसे पीआरआई कहा जाता है। इस पार्टी की स्थापना 1929 में हुई थी। तब इसे नेशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी कहा जाता था। इस पार्टी को मैक्सिकन क्रांति की विरासत हासिल थी। मुख्यतः पीआरआई में राजनेता और सैनिक नेता, मजदूर और किसान संगठन तथा अनेक राजनीतिक दलों समेत कई किस्म के हितों का संगठन था।

समय बीतने के साथ पीआरआई के संस्थापक प्लूटार्को इलियास कैलस ने इसके संगठन पर कब्जा जमा लिया और इसके बाद नियमित रूप से होने वाले चुनावों में हर बार पीआरआई ही विजयी होती रही। बाकी पार्टियाँ बस नाम की थीं ताकि शासक दल को वैधता मिलती रहे। चुनाव के नियम इस तरह तय किए गए कि पीआरआई की जीत हर बार पक्की हो सके। पीआरआई के शासन को ‘परिपूर्ण तानाशाही’ कहा जाता है। आखिरकार सन् 2000 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में यह पार्टी हारी। मैक्सिको अब एक पार्टी के दबदबे वाला देश नहीं रहा। बहरहाल, अपने दबदबे के दौर में पीआरआई ने जो दाँव-पेंच अपनाए थे उनका लोकतंत्र की सेहत पर बड़ा खराब असर पड़ा है।

प्रश्न 9.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया पर लेख लिखिए।
उत्तर:
1920 के दशक के शुरुआती सालों में भारत के विभिन्न हिस्सों में साम्यवादी – समूह उभरे। ये रूस की बोल्शेविक क्रांति से प्रेरित थे और देश की समस्याओं के समाधान के लिए साम्यवाद की राह अपनाने की तरफदारी कर रहे थे। काँग्रेस से साम्यवादी 1941 के दिसंबर में अलग हुए। इस समय साम्यवादियों ने नाजी जर्मनी के खिलाफ लड़ रहे ब्रिटेन को समर्थन देने का फैसला किया। दूसरी गैर – काँग्रेस पार्टियों के विपरीत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के पास आजादी के समय एक सुचारू पार्टी मशीनरी और समर्पित कॉडर मौजूद थे।

बहरहाल, आजादी हासिल होने पर इस पार्टी के भीतर कई स्वर उभरे। आजादी के तुरंत बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विचार था कि 1947 में सत्ता का जो हस्तांतरण हुआ वह सच्ची आजादी नहीं थी। इस विचार के साथ पार्टी ने तेलंगाना में हिंसक विद्रोह को बढ़ावा दिया। साम्यवादी अपनी बात के पक्ष में जनता का समर्थन हासिल नहीं कर सके और इन्हें सशस्त्र सेनाओं द्वारा दबा दिया गया। फलस्वरूप इन्हें अपने पक्ष को लेकर पुनर्विचार करना पड़ा। 1951 में साम्यवादी पार्टी ने हिंसक क्रांति का रास्ता छोड़ दिया और आने वाले आम चुनावों में भाग लेने का फैसला किया।

पहले आम चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 16 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। इस दल को ज्यादातर समर्थन आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल में मिला। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में ए. के. गोपालन, एस. ए. डांगे, ई. एम. एस. नम्बूदरीपाद, पी. सी. जोशी, अजय घोष और पी. सुंदरैया के नाम लिए जाते हैं। चीन और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक अंतर आने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1964 में बड़ी टूट का शिकार हुई। सोवियत संघ की विचारधारा को सही मानने वाले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में रहे जबकि इसके विरोध में राय रखने वालों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) नाम से अलग दल बनाया। ये दोनों दल आज तक कायम हैं

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प्रश्न 10.
भारतीय जनसंघ पार्टी पर विस्तारपूर्वक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनसंघ का गठन 1951 में हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके संस्थापक-अध्यक्ष थे। इस दल की जड़ें आजादी के पहले के समय से सक्रिय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और हिन्दू महासभा में खोजी जा सकती हैं। जनसंघ अपनी विचारधारा और कार्यक्रमों के कारण बाकी दलों से भिन्न है। जनसंघ ने ‘एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र’ के विचार पर जोर दिया। इसका मानना था कि देश भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील और ताकतवर बन सकता है।

जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को एक करके ‘अखंड भारत’ बनाने की बात पर जोर दिया। अंग्रेजी को हटाकर हिन्दी को राजभाषा बनाने के आंदोलन में यह पार्टी अग्रणी थी। इसने धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायत देने की बात का विरोध किया। चीन द्वारा 1964 में आण्विक परीक्षण करने पर जनसंघ ने लगातार इस बात की पैरोकारी की कि भारत भी अपने आण्विक हथियार तैयार करे। 1950 के दशक में जनसंघ चुनावी राजनीति के हाशिए पर रहा।

इस पार्टी को 1952 के चुनाव में लोकसभा की तीन सीटों पर सफलता मिली और 1957 के आम चुनावों में इसने लोकसभा की 4 सीटें जीतीं। शुरुआती सालों में इस ‘पार्टी को हिन्दी भाषी राज्यों मसलन राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में समर्थन मिला। जनसंघ के नेताओं में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और बलराज मधोक के नाम शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी की जड़ें इसी जनसंघ में हैं।

प्रश्न 11.
स्वतंत्र पार्टी पर विस्तारपूर्वक लेख लिखि।
उत्तर:
काँग्रेस के नागपुर अधिवेशन में जमीन की हदबंदी, खाद्यान्न के व्यापार, सरकारी अधिग्रहण और सहकारी खेती का प्रस्ताव पास हुआ था। इसी के बाद 1959 के अगस्त में स्वतंत्र पार्टी अस्तित्व में आई। इस पार्टी का नेतृत्व सी. राजगोपालाचारी, के. एम. मुंशी, एन. जी. रंगा और मीनू मसानी जैसे पुराने काँग्रेस नेता कर रहे थे। यह पार्टी आर्थिक मसलों पर अपनी खास किस्म की पक्षधरता के कारण दूसरी पार्टियों से अलग थी स्वतंत्र पार्टी चाहती थी कि सरकार अर्थव्यवस्था में कम हस्तक्षेप करे इसका मानना था कि समृद्धि सिर्फ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के जरिए आ सकती है।

स्वतंत्र पार्टी अर्थव्यवस्था में विकास के नजरिए से किए जा रहे राजकीय हस्तक्षेप, केन्द्रीकृत नियोजन, राष्ट्रीयकरण और अर्थव्यवस्था के भीतर सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदगी को आलोचना की निगाह से देखती थी। यह पार्टी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के हित को ध्यान में रखकर किए जा रहे कराधान के भी खिलाफ थी। इस दल ने निजी क्षेत्र को खुली छूट देने की तरफदारी की। स्वतंत्र पार्टी कृषि में जमीन की हदबंदी, सहकारी खेती और खाद्यान्न के व्यापार पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ थी। इस दल ने गुटनिरपेक्षता की नीति और सोवियत संघ से मित्रता के रिश्ते को कायम रखने को भी गलत माना। इसने संयुक्त राज्य अमरीका से मित्रता के रिश्ते बनाने की वकालत की।

अनेक क्षेत्रीय पार्टियों और हितों के साथ मेल करने के कारण स्वतंत्र पार्टी देश के विभिन्न हिस्सों में ताकतवर हुई। स्वतंत्र पार्टी की तरफ जमींदार और राजा-महाराजा आकर्षित हुए। भूमि सुधार के कानूनों से इनकी मिल्कियत और हैसियत को खतरा मँडरा रहा था और इससे बचने के लिए इन लोगों ने स्वतंत्र पार्टी का दामन थामा। उद्योगपति और व्यवसायी वर्ग के लोग राष्ट्रीयकरण और लाइसेंस नीति के खिलाफ थे। इन लोगों ने भी स्वतंत्र पार्टी का समर्थन किया। इस पार्टी का सामाजिक आधार बड़ा संकुचित था और इसके पास पार्टी सदस्य के रूप में समर्पित कॉडर की कमी थी। इस वजह से यह पार्टी अपना मजबूत सांगठनिक नेटवर्क खड़ा नहीं कर पाई।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Exercise 1.4

प्रश्न 1.
उत्तरोत्तर आवर्धन करके संख्या रेखा पर 3.765 को देखिए ।
हल:
हम यह जानते हैं कि 3.765, 3 और 4 के बीच में ही स्थित है। अत: 3 और 4 के बीच की दूरी को 10 बराबर भागों में विभाजित करके [3.7, 3.8] को लेंस से देखने पर स्पष्ट हो जाता है कि संख्या 3.765, 3.7 और 3.8 के बीच में स्थित है [ आकृति (A)]। अब हम नये वर्ग [3.1, 3.2], [3.2, 3.3], …, [3.9, 4] की दूरी को 10 बराबर भागों में बाँटेंगे। इससे स्पष्ट है कि 3.765 वर्ग [3.76, 3.77] के बीच में स्थित है। [आकृति (B)]।
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4 1
अतः निरन्तर उपयुक्त आवर्धन से सांत दशमलव संख्या रेखा पर निरूपित की जा सकती है और अब असांत वास्तविक संख्या, संख्या रेखा पर निरूपण की स्थिति में है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4

प्रश्न 2.
4 दशमलव स्थानों तक संख्या रेखा पर 4.26 को देखिए।
हल:
स्पष्ट है कि संख्या \(4 . \overline{26}\) संख्या रेखा पर 4 और 5 के मध्य स्थित है। इस एकक इकाई को 10 बराबर भागों में विभाजित करने पर 4.1 4.2, 4.3… प्राप्त होता है पुनः \(4 . \overline{26}\), विभाजन से प्राप्त 4.2 तथा 4.3 के मध्य स्थित है। पुनः 4.2 तथा 4.3 के मध्य की एकक इकाई दूरी को 4.21, 4.22, 4.23,…..4.29, भागों में विभाजित करके पुनः आवर्धन तथा वर्ग की दूरी को कम करने पर स्पष्ट होता है कि \(4 . \overline{26}\) संख्या 4.262 की अपेक्षा 4.264 के सन्निकट है।

\(4 . \overline{26}\) वर्ग [4.26, 4.27] जिसकी लम्बाई 0.01 है, में स्थित है। 4.26 को 0.001 की दूरी में दर्शाने के लिए हम दोबारा प्रत्येक वर्ग को 10 बराबर भागों में बाँटेंगे और 0.001 लम्बाई वाले वर्ग [4.262, 4.263] में दर्शायेंगे और हम देखेंगे कि \(4 . \overline{26}\), 4.262 की तुलना में 4.264 के नजदीक है।
इस प्रकार आवर्धन और वर्ग की लम्बाई घटाकर अनन्त तक यह क्रिया दोहराई जा सकती है। जिसमें \(4 . \overline{26}\) स्थित है।
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4 2

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. प्रथम पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल था।
(क) 1951-1956
(ख) 1952-1957
(ग) 1955-1960
(घ) 1947-1952
उत्तर:
(क) 1951-1956

2. स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में किस आर्थिक प्रणाली को अपनाया गया?
(क) पूँजीवादी
(ख) मिश्रित
(ग) समाजवादी
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) मिश्रित

3. योजना आयोग की स्थापना कब की गई?
(क) 1950
(ख) 1952
(ग) 1960
(घ) 1962
उत्तर:
(क) 1950

4. हरित क्रान्ति के दौरान किस फसल का सर्वाधिक उत्पादन हुआ?
(क) गेहूँ
(ख) बाजरा
(ग) सोयाबीन
(घ) चावल
उत्तर:
(क) गेहूँ

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

5. लौह-अयस्क का विशाल भंडार था।
(क) उड़ीसा
(ख) पंजाब
(ग) केरल
(घ) उत्तरप्रदेश
उत्तर:
(क) उड़ीसा

6. प्रथम पंचवर्षीय योजना में सर्वाधिक बल किस पर दिया गया।
(क) कृषि
(ख) उद्योग
(ग) पर्यटन
(घ) संचार
उत्तर:
(क) कृषि

7. भारत में नियोजन प्रक्रिया की प्रेरणा किस देश से ली गई।
(क) सोवियत संघ
(ख) चीन
(ग) जापान
(घ) अमेरिका।
उत्तर:
(क) सोवियत संघ

8. दूसरी पंचवर्षीय योजना कब शुरू हुई?
(क) 1951
(ख) 1956
(ग) 1966
(घ) 1957
उत्तर:
(ख) 1956

9. चौथी पंचवर्षीय योजना कब से शुरू होनी थी?
(क) 1961
(ख) 1966
(ग) 1967
(घ) 1962
उत्तर:
(ख) 1966

10. पहली योजना का मूलमंत्र क्या था?
(क) संरचनात्मक बदलाव
(ख) प्रौद्योगिकी
(ग) धीरज
(घ) कृषि
उत्तर:
(ग) धीरज

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

संजीव पास बुक्सं
1. …………………….. ‘से उन लोगों की तरफ संकेत किया जाता है जो गरीब और पिछड़े सामाजिक समूह की तरफदारी करते हैं।
उत्तर:
वामपंथ

2. ……………………… पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया।
उत्तर:
दूसरी

3. पहली पंचवर्षीय योजना का मूलमंत्र था धीरज, लेकिन दूसरी योजना की कोशिश तेज गति से ……………………….बदलाव करने की थी।
उत्तर:
संरचनात्मक

4. केरल में विकास और नियोजन के लिए जो रास्ता चुना उसे …………………… कहा जाता है।
उत्तर:
केरल मॉडल

5. इकॉनोमी ऑफ परमानेंस के लेखक ……………………….. हैं।
उत्तर:
जे.सी. कुमारप्पा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्र भारत के समक्ष विकास के कौन-कौनसे दो मॉडल थे?
उत्तर:
पूँजीवादी मॉडल और समाजवादी मॉडल।

प्रश्न 2.
योजना आयोग की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
मार्च, 1950 में।

प्रश्न 3.
1944 में उद्योगपतियों ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया जिसे किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
बॉम्बे प्लान।

प्रश्न 4.
वामपंथ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वामपंथ से उन लोगों की तरफ संकेत किया जाता है जो गरीब और पिछड़े सामाजिक समूह की तरफदारी करते हैं और इन तबकों को फायदा पहुँचाने वाली सरकारी नीतियों का समर्थन करते हैं।

प्रश्न 5.
भारत सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर किस नई संस्था की स्थापना की?
उत्तर:
नीति आयोग।

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प्रश्न 6.
दूसरी पंचवर्षीय योजना में मुख्यतः किस बात पर जोर दिया गया?
उत्तर:
औद्योगिक विकास पर।

प्रश्न 7.
दक्षिणपंथ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
दक्षिणपंथ से उन लोगों को इंगित किया जाता है जो यह मानते हैं कि खुली प्रतिस्पर्धा और बाजारमूलंक अर्थव्यवस्था के माध्यम से ही प्रगति हो सकती है।

प्रश्न 8.
” विकासशील देशों को सार्वजनिक उद्यमों का सहारा लेना ही पड़ता है, क्योंकि इनके सहयोग के बिना अर्थव्यवस्था गतिशील हो ही नहीं सकती ।” यह कथन किसका है? हुआ ?
उत्तर:
यह कथन प्रो. हैन्सन का है।

प्रश्न 9.
भारत में अर्थव्यवस्था के कौनसे स्वरूप को स्वीकार किया गया है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 10.
‘मिल्कमैन ऑफ इण्डिया’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
वर्गीज कुरियन को।

प्रश्न 11.
नियोजित विकास क्या है?
उत्तर:
नियोजित विकास, विकास की एक प्रक्रिया है।

प्रश्न 12.
पश्चिमी मुल्कों में किस वजह से पुरानी सामाजिक संरचना टूटी और पूँजीवाद तथा उदारवाद का उदय
उत्तर:
आधुनिकीकरण।

प्रश्न 13.
आधुनिकीकरण किसका पर्यायवाची माना जाता था?
उत्तर:
संवृद्धि, भौतिक प्रगति और वैज्ञानिक तर्कबुद्धि।

प्रश्न 14.
1969 में केन्द्र सरकार ने कितने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया?
उत्तर:
14 बैंकों का।

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प्रश्न 15.
नियोजन की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
नियोजन के द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक जीवन के विभिन्न अंगों में समन्वय स्थापित करके समाज की उन्नति की जा सकती है।

प्रश्न 16.
भारत में नियोजन के दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:

  1. देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना।
  2. क्षेत्रीय असन्तुलन को कम करना।

प्रश्न 17.
सार्वजनिक क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य आर्थिक पूँजी का निर्माण करना, आधारभूत उद्योगों का विकास करना तथा आर्थिक समानता की स्थापना करना है।

प्रश्न 18.
सार्वजनिक क्षेत्र का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा निर्यात में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि तथा बीमार कारखानों की पुर्नस्थापना होती है।

प्रश्न 19.
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कमियाँ बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों में अनुशासनहीनता, कार्यकुशलता में कमी तथा उत्तरदायित्व की कमी पायी जाती है।

प्रश्न 20.
भारत में हरित क्रान्ति की क्या आवश्यकता थी?
उत्तर:
देश में कृषिगत विकास करने तथा खाद्यान्नों का अधिकाधिक उत्पादन करके इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने हेतु हरित क्रान्ति की आवश्यकता पड़ी।

प्रश्न 21.
हरित क्रान्ति के मुख्य उद्देश्य कौन – कौनसे हैं?
उत्तर:
हरित क्रान्ति के प्रमुख तत्त्व हैं। कृषि का निरन्तर विस्तार करना, दोहरी फसल का उद्देश्य तथा अच्छे बीजों का प्रयोग करना।

प्रश्न 22.
हरित क्रांति का एक नकारात्मक प्रभाव बताएं।
उत्तर:
हरित क्रांति के प्रभावस्वरूप धनाढ्य वर्गों ने गरीब व भूमिहीन किसानों का शोषण व दमन किया। परिणामतः नक्सलवादी आंदोलन को बल मिला।

प्रश्न 23.
हरित क्रांति के दो सकारात्मक परिणाम लिखिये
उत्तर:

  1. देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई।
  2. झोले वर्ग के किसानों का उभार हुआ।

प्रश्न 24.
दूसरी पंचवर्षीय योजना के योजनाकार कौन थे?
उत्तर:
पी. सी. महालनोबिस।

प्रश्न 25.
दूसरी पंचवर्षीय योजना में किसके विकास पर जोर दिया गया?
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया।

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प्रश्न 26.
बाम्बे प्लान क्या है?
उत्तर:
1944 में भारतीय उद्योगपतियों का एक समूह बॉम्बे में एकत्र हुआ। इस बैठक में इन उद्योगपतियों ने नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया। इसे ही बाम्बे प्लान के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 27.
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
पी. सी. महालनोबिस।

प्रश्न 28.
हरित क्रान्ति का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
हरित क्रान्ति के कारण किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है। वे राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक दल अब किसानों को साथ लेकर चलते हैं ।

प्रश्न 29.
जे. सी. कुमारप्पा का असली नाम क्या था?
उत्तर:
जे. सी. कॉर्नेलियस।

प्रश्न 30.
भूमि सुधार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूमि सुधार से आशय है भूमि के स्वामित्व का पुनर्वितरण करना।

प्रश्न 31.
आपकी दृष्टि में अंग्रेजी शासन समाप्त होने पर भूमि सुधार का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयास कौनसा किया गया था?
उत्तर:
जमींदारी प्रथा को समाप्त करना।

प्रश्न 32.
भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?
उत्तर:
भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण जुलाई, 1969 में किया गया।

प्रश्न 33.
भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु क्या-क्या प्रयास किये गये?
उत्तर:
भारत में कृषि सुधार हेतु उन्नत बीजों का प्रयोग किया, भूमि सुधार किए गए तथा सिंचाई के साधनों की उचित व्यवस्था की गई।

प्रश्न 34.
HYV बीजों का प्रयोग किन राज्यों में किया गया ? इसका क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
HYV (High Yeilding Variety) बीजों का प्रयोग तमिलनाडु, पंजाब एवं आन्ध्रप्रदेश में किया गया तथा इससे गेहूँ की पैदावार अच्छी हुई।

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प्रश्न 35.
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं का मूल उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं का मूल उद्देश्य आर्थिक विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भरता, सामाजिक न्याय तथा समाजवाद लागू करना था।

प्रश्न 36.
उड़ीसा के आदिवासियों ने लोहा – इस्पात उद्योग की स्थापना का विरोध क्यों किया?
उत्तर:
उड़ीसा के आदिवासियों को इस बात का डर था कि यदि लोहा – इस्पात के उद्योग की स्थापना होती है, तो वे बेरोजगार हो जायेंगे तथा उन्हें विस्थापित होना पड़ेगा।

प्रश्न 37.
चौधरी चरण सिंह ने काँग्रेस पार्टी से अलग होकर कौन-सी पार्टी बनाई?
उत्तर:
भारतीय लोकदल।

प्रश्न 38.
जमींदारी उन्मूलन से होने वाले दो लाभ बताइये।
उत्तर:

  1. कृषकों का शोषण होना बन्द हो गया।
  2. कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।

प्रश्न 39.
केरल मॉडल में नव लोकतंत्रात्मक पहल नाम का अभियान कैसे चलाया गया था?
उत्तर:
इस अभियान में लोगों को स्वयंसेवी नागरिक संगठनों के माध्यम से विकास की गतिविधियों में सीधे शामिल करने का प्रयास किया गया।

प्रश्न 40.
योजना आयोग के सदस्य के रूप में आप भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना में किस क्षेत्र पर बल देते?
उत्तर:
योजना आयोग के सदस्य के रूप में मैं भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र पर बल देता।

प्रश्न 41.
ऑपरेशन फ्लड से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
1970 में ऑपरेशन फ्लड के नाम से एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू हुआ था जिसमें सहकारी दूध- उत्पादकों को उत्पादन और वितरण के राष्ट्रव्यापी तंत्र से जोड़ा गया।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नियोजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नियोजन एक बौद्धिक प्रक्रिया है। यह कार्यों को क्रमबद्ध रूप से सम्पादित करने की एक मानसिक पूर्व प्रवृत्ति है, यह कार्य करने से पहले सोचना है तथा अनुमानों के स्थान पर तथ्यों को ध्यान में रखकर काम करना है।

प्रश्न 2.
पर्यावरणविदों के विरोध के क्या कारण थे? उनके विरोध के बावजूद भी केन्द्र सरकार उड़ीसा में इस्पात उद्योग की स्थापना के राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी क्यों देना चाहती थी?
उत्तर:
उड़ीसा में इस्पात प्लांट लगाये जाने से पर्यावरणविदों को इस बात का भय था कि खनन और उद्योग से पर्यावरण प्रदूषित होगा। केन्द्र सरकार को लगता था कि उद्योग लगाने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे एक बुरी मिसाल कायम होगी और देश में पूँजी निवेश को बाधा पहुँचेगी।

प्रश्न 3.
विकास सम्बन्धी निर्णय लेने से पूर्व सरकार को क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं? लोकतन्त्र में किन-किन विशेषज्ञों की सलाह महत्त्वपूर्ण मानी जाती है?
उत्तर:

  1. सरकार को विकास सम्बन्धी योजना के बारे में निर्णय लेने से पूर्व एक सामाजिक समूह के हितों को दूसरे सामाजिक समूह के हितों की तथा वर्तमान पीढ़ी और भावी पीढ़ी के हितों की तुलना में तोला जाता है।
  2. लोकतन्त्र में विकास सम्बन्धी निर्णयों के सम्बन्ध में विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए, लेकिन अन्तिम निर्णय जनप्रतिनिधियों द्वारा ही लिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
1940 और 1950 के दशक में नियोजन के पक्ष में दुनियाभर में हवा क्यों बह रही थी?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण के लिए नियोजन के विचार को 1940 और 1950 के दशक में पूरे विश्व में जनसमर्थन मिला था क्योंकि यूरोप, जापान और जर्मनी ने युद्ध की विभीषिका झेलने के बाद नियोजन से अपनी अर्थव्यवस्था पुनः खड़ी कर ली थी। सोवियत संघ ने भारी कठिनाई के बीच नियोजन के द्वारा शानदार आर्थिक प्रगति की थी।

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प्रश्न 5.
योजना आयोग के संगठन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च, 1950 को की गई। इसमें एक अध्यक्ष ( प्रधानमन्त्री), एक उपाध्यक्ष, तीन अशंकालीन सदस्य:

  1. केन्द्रीय गृह मन्त्री
  2. केन्द्रीय रक्षामन्त्री
  3. केन्द्रीय वित्तमन्त्री तथा तीन पूर्वकालिक सदस्य होते थे।

प्रश्न 6.
नियोजन के प्रमुख तीन तत्त्व बताइये।
उत्तर:
नियोजन के तीन तत्त्व ये हैं।

  1. उपलब्ध साधनों का सही आकलन
  2. इन साधनों के आर्थिक उपयोग हेतु एक योजना
  3. सभी साधनों का अनुकूलतम प्रयोग।

प्रश्न 7.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था किस प्रकार की थी?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई थी। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था थी। अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का इतना बुरी तरह दोहन किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह खराब हो गई। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था गतिहीन, अर्द्धसामन्ती तथा असन्तुलित अर्थव्यवस्था थी।

प्रश्न 8.
उन कारणों का वर्णन कीजिए जिनकी वजह से सरकार ने उड़ीसा में इस्पात उद्योग स्थापित करने का राजनीतिक निर्णय लेना चाहा।
उत्तर:
इस्पात की विश्वव्यापी माँग बढ़ी तो निवेश के लिहाज से उड़ीसा एक महत्त्वपूर्ण जगह के रूप में उभरा। उड़ीसा में लौह-अयस्क का विशाल भंडार था । उड़ीसा की राज्य सरकार ने लौह-अयस्क की इस अप्रत्याशित माँग को भुनाना चाहा। उसने अंतर्राष्ट्रीय इस्पात निर्माताओं और राष्ट्रीय स्तर के इस्पात – निर्माताओं के साथ सहमति – पत्र पर हस्ताक्षर किए।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक क्षेत्र के विस्तार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्रों का निर्माण एवं विस्तार से आशय है। भारी उद्योगों, कोयले तथा तेल की खोज तथा परमाणु ऊर्जा के विकास, अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योगों के निर्माण एवं विस्तार का उत्तरदायित्व केन्द्रीय सरकार के पास होना तथा इसके लिए वित्तीय तथा मानव शक्ति संसाधन का प्रबन्ध सरकार द्वारा करना।

प्रश्न 10.
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कोई दो समस्याएँ बताइये।
उत्तर:
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की समस्याएँ हैं।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र में लालफीताशाही और नौकरशाही का बोलबाला है, जिस कारण से सार्वजनिक क्षेत्र की कार्यकुशलता निजी क्षेत्र की अपेक्षा बहुत कम है।
  2. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख समस्या प्रबन्ध व्यवस्था का कुशल न होना है।

प्रश्न 11.
सार्वजनिक क्षेत्र की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार की समस्त आर्थिक तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ शामिल की जाती हैं।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र आर्थिक असमानताओं को कम करके आर्थिक समानता की स्थापना का प्रयास करता है।
  3. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से राष्ट्रीय नियन्त्रण होता है। इसमें एकाधिकार की प्रवृत्ति पाई जाती है।

प्रश्न 12.
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की उत्पत्ति के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:

  1. राज्य ने जनता के कल्याण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की स्थापना की।
  2. बहु-उद्देश्यीय परियोजनाएँ सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत ही स्थापित की जा सकती हैं।
  3. समाजवादी समाज की स्थापना करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को अपनाना अतिआवश्यक है।
  4. क्षेत्रीय आर्थिक असमानता सार्वजनिक क्षेत्र के उदय का महत्त्वपूर्ण कारण है।

प्रश्न 13.
दक्षिणपंथी विचारधारा क्या है?
उत्तर:
दक्षिणपंथी विचारधारा: इस विचारधारा में उन लोगों या दलों को सम्मिलित किया जाता है जो यह मानते हैं कि खुली प्रतिस्पर्धा और बाजारमूलक अर्थव्यवस्था के द्वारा ही प्रगति हो सकती है अर्थात् सरकार को अर्थव्यवस्था में गैरजरूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए भूतपूर्व स्वतन्त्र पार्टी तथा वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को (विशेषकर 1991 की नई आर्थिक नीति के बाद) दक्षिण पंथ की राजनीतिक पार्टियाँ कहा जाता है।

प्रश्न 14.
वामपंथी विचारधारा क्या है?
उत्तर:
वामपंथी विचारधारा प्रायः वामपंथी विचारधारा में उन लोगों व राजनीतिक दलों को सम्मिलित किया जाता है जो साम्यवादी या समाजवादी, माओवादी, लेनिनवादी, नक्सलवादी, प्रजा समाजवादी, फॉरवर्ड ब्लॉक आदि दल स्वयं को इसी विचारधारा के पक्षधर एवं उस पर चलने के लिए कार्यक्रम एवं नीतियाँ बनाते हैं। प्राय: ये गरीब एवं पिछड़े सामाजिक ‘समूह की तरफदारी करते हैं। वे इन्हीं वर्गों को लाभ पहुँचाने वाली सरकारी नीति का समर्थन करते हैं।

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प्रश्न 15.
पी. सी. महालनोबिस कौन थे?
उत्तर:
पी. सी. महालनोबिस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विख्यात वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। इन्होंने सन् 1931 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की थी। वे दूसरी पंचवर्षीय योजना के योजनाकार थे तथा तीव्र औद्योगीकरण तथा सार्वजनिक क्षेत्र की सक्रिय भूमिका के समर्थक थे ।

प्रश्न 16.
जे. पी. कुमारप्पा कौन थे?
उत्तर:
जे. पी. कुमारप्पा का जन्म 1892 में हुआ। इनका असली नाम जे. सी. कार्नेलियस था। इन्होंने अमेरिका में अर्थशास्त्र एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट की शिक्षा प्राप्त की। ये महात्मा गाँधी के अनुयायी थे। आजादी के बाद उन्होंने गाँधीवादी आर्थिक नीतियों को लागू करने का प्रयास किया। उनकी कृति ‘इकानॉमी ऑफ परमानैंस’ को बड़ी ख्याति मिली। योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी उनको ख्याति प्राप्त हुई।

प्रश्न 17.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हरित क्रान्ति: हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि की नई नीति अपनाने के कारण हुई है। जे. जी. हारर के अनुसार, ” हरित क्रान्ति शब्द 1968 में होने वाले उन आश्चर्यजनक परिवर्तनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जो भारत के खाद्यान्न उत्पादन में हुआ था तथा अब भी जारी है।”

प्रश्न 18.
भारत में नियोजन की आवश्यकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
भारत में नियोजित विकास के कारणों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नियोजन की आवश्यकता मुख्यतः अग्रलिखित कारणों से अनुभव की जाती है।

  1. नियोजन के द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक जीवन के विभिन्न अंगों में समन्वय स्थापित करके समाज की उन्नति की जा सकती है।
  2. नियोजन द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक न्याय की स्थापना की जा सकती है।
  3. देश में व्याप्त आर्थिक असंतुलन को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने व लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने की दृष्टि से नियोजन का अत्यधिक महत्त्व समझा गया।
  4. आर्थिक नियोजन का महत्त्व इस दृष्टि से भी था कि समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त किया जाए।
  5. साधनों के उचित प्रयोग, वैज्ञानिक साधनों के प्रयोग तथा राष्ट्रीय पूँजी का सही मात्रा में सदुपयोग की दृष्टि से भी नियोजन की अत्यधिक आवश्यकता थी ।

प्रश्न 19.
भारत में नियोजन के महत्त्व एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में नियोजन का महत्त्व एवं उपयोगिता – भारत में नियोजन के महत्त्व के सम्बन्ध में अग्रलिखित तर्क दिये जा सकते हैं।

  1. नियोजन के अन्तर्गत आर्थिक विकास का दायित्व राज्य ग्रहण कर लेता है तथा एक सामूहिक गतिविधि के रूप में योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास का प्रारम्भ तथा उसका निर्देशन करता है।
  2. आधुनिक लोककल्याणकारी राज्य में आर्थिक संसाधनों के समानतापूर्ण वितरण में नियोजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  3. नियोजन खुले बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं में अस्थिरता की सम्भावनाओं को दूर करने में सहायक है।
  4. विदेशी व्यापार की दृष्टि से भी नियोजन उपयोगी है। नियोजन से विदेशी व्यापार को अपने देश के हितों की शर्तों पर किया जा सकता है।
  5. प्रभावी नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

प्रश्न 20.
भारत में योजना आयोग की स्थापना किस प्रकार हुई? इसके कार्यों के दायरे का उल्लेख कीजिये।
अथवा
योजना आयोग के कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
योजना आयोग की स्थापना: योजना आयोग की स्थापना सन् 1950 में भारत सरकार ने एक सीधे-सादे प्रस्ताव के द्वारा की। योजना आयोग एक सलाहकारी भूमिका निभाता रहा है। योजना आयोग के कार्य-योजना आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. देश के भौतिक संसाधनों और जनशक्ति का अनुमान लगाना तथा उन संसाधनों की वृद्धि की संभावनाओं का पता लगाना।
  2. देश के संसाधनों के सन्तुलित उपयोग के लिए प्रभावकारी योजना बनाना।
  3. योजना की क्रियान्विति के चरणों का निर्धारण तथा उनके लिए संसाधनों का नियमन करना।
  4. आर्थिक विकास में आने वाली बाधाओं की ओर संकेत करना तथा योजना की सफल क्रियान्विति के लिए उपयुक्त परिस्थिति निर्धारित करना।
  5. योजना की चरणवार प्रगति का अवलोकन करना तथा इस बारे में आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय विकास परिषद् की रचना तथा उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:

  • राष्ट्रीय विकास परिषद् का संगठन: राष्ट्रीय विकास परिषद् के सदस्यों के रूप में निम्नलिखित व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है।
    1. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विकास परिषद् का अध्यक्ष होता है।
    2. योजना आयोग के सभी सदस्य।
    3. सभी राज्यों के मुख्यमंत्री तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का मुख्यमंत्री या उनका प्रतिनिधि।
  • परिषद् की बैठकों में उन मन्त्रियों को भी बुलाया जाता है, जिनके विभागों के सम्बन्ध में विचार किया जाना है। राष्ट्रीय विकास परिषद् के उद्देश्य
    1. योजना के समर्थन में राष्ट्र के साधनों तथा प्रयत्नों का उपयोग करना और उन्हें शक्तिशाली बनाना।
    2. सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सामान्य आर्थिक नीतियों की उन्नति करना।
    3. देश के सभी भागों का सन्तुलित विकास सुनिश्चित करना।

प्रश्न 22.
राष्ट्रीय विकास परिषद् के मुख्य कार्य बताइये।
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद् के कार्य: राष्ट्रीय विकास परिषद् के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. राष्ट्रीय योजना की प्रगति पर समय-समय पर विचार करना।
  2. राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाली आर्थिक तथा सामाजिक नीतियों सम्बन्धी विषयों पर विचार करना।
  3. राष्ट्रीय योजना के निर्धारित लक्ष्यों व उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सुझाव देना।
  4. राष्ट्रीय योजना के निर्माण के लिए तथा इसके साधनों के निर्धारण के लिए पथ-प्रदर्शक सूत्र निश्चित करना।
  5. योजना आयोग द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय योजना पर विचार करना।
  6. राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाली सामाजिक तथा आर्थिक नीति के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार करना।
  7. समय समय पर योजना के कार्यों की समीक्षा करना तथा राष्ट्रीय योजना में प्रतिपादित उद्देश्यों तथा कार्य लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।

प्रश्न 23.
हरित क्रान्ति की आवश्यकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हरित क्रान्ति की आवश्यकता- 1960 के मध्य भारत को राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस काल में चीन तथा पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध, सूखा तथा अकाल, विदेशी मुद्रा संकट तथा खाद्यान्न के भारी संकट का सामना करना पड़ा। खाद्य संकट के कारण सरकार को गेहूँ का आयात करना पड़ा। इन सबने भारतीय नेतृत्व को चिन्ता में डाल दिया कि किस प्रकार इन परिस्थितियों से बाहर निकला जाए।

अतः भारतीय नीति-निर्धारकों ने कृषि उत्पादन में तेजी से वृद्धि करने का निर्णय किया ताकि भारत खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाए। यहीं से भारत में हरित क्रान्ति की शुरुआत मानी जाती है। हरित क्रान्ति का मुख्य उद्देश्य देश में कृषिगत पैदावार बढ़ाकर भारत को खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था।

प्रश्न 24.
“भारत में स्वतंत्रता से पूर्व ही नियोजन के पक्ष में कुछ उद्योगपति आ गए थे।” इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यद्यपि भारत 1947 में आजाद हुआ था परंतु नियोजन के पक्ष में दो या ढाई वर्ष पूर्व ही बातें चलने लगी थीं। 1944 में उद्योगपतियों का एक तबका एकत्र हुआ इस समूह ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया। इसे ‘बॉम्बे प्लान’ की संज्ञा दी गई। ‘बॉम्बे प्लान’ की मंशा थी कि सरकार औद्योगिक तथा अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए। इस तरह दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों की इच्छा थी कि देश नियोजित अर्थव्यवस्था की राह पर चले। इस कारण भारत के स्वतंत्र होते ही योजना आयोग अस्तित्व में आया। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष बने। भारत अपने विकास के लिए कौन सा रास्ता और रणनीति अपनाएगा यह फैसला करने में इस संस्था ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा ।

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प्रश्न 25.
प्रथम पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य – प्रथम पंचवर्षीय योजना के निम्न उद्देश्य हैं।

  1. प्रथम योजना का सर्वप्रथम उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध तथा देश के विभाजन के फलस्वरूप देश में जो आर्थिक अव्यवस्था तथा असन्तुलन पैदा हो चुका था उसको ठीक करना था।
  2. दूसरा उद्देश्य देश में सर्वांगीण सन्तुलित विकास प्रारम्भ करना था।
  3. तीसरा उद्देश्य उत्पादन क्षमता में वृद्धि तथा आर्थिक विषमता को यथासम्भव कम करना था।
  4. प्रथम योजना का एक उद्देश्य मुद्रास्फीति के दबाव को भी कम करना था।
  5. यातायात के साधनों में वृद्धि करना।
  6. बड़े पैमाने पर सामाजिक सेवाओं की व्यवस्था पर भी जोर दिया गया था।
  7. राज्यों में कुशल प्रशासकीय मशीनरी की व्यवस्था करना भी इस योजना का मुख्य उद्देश्य था।

प्रश्न 26.
नियोजित विकास के शुरुआती दौर का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
नियोजित विकास के शुरुआती दौर का मूल्यांकन निम्न प्रकार से किया जा सकता है।

  1. भारत के आगामी आर्थिक विकास की बुनियाद इसी दौर में पड़ी।
  2. भारत के इतिहास की कुछ सबसे बड़ी विकास परियोजनाएँ इसी अवधि में शुरू हुईं। इसमें सिंचाई और बिजली  उत्पादन के लिए शुरू की गई। भाखड़ा नांगल और हीराकुंड जैसी विशाल बाँध परियोजनाएँ शामिल हैं।
  3. सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ भारी उद्योग जैसे इस्पात संयंत्र, तेल शोधक कारखाने, विनिर्माता इकाइयाँ, रक्षा उत्पादन आदि इसी अवधि में शुरू हुए।
  4. इस दौर में परिवहन और संचार के आधारभूत ढाँचे में भी काफी वृद्धि हुई।

प्रश्न 27.
नियोजित विकास के शुरुआती दौर के समय भूमि सुधार के लिए किए गए प्रयास का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नियोजित विकास के शुरुआती दौर में भूमि सुधार के गंभीर प्रयास हुए। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण और सफल प्रयास जमींदारी प्रथा को समाप्त करने का था। यह प्रथा अंग्रेजी शासन के समय से चली आ रही थी। इस प्रथा को समाप्त करने से जमीन उस वर्ग के हाथ से मुक्त हुई जिसे खेती में कोई दिलचस्पी नहीं थी। इससे राजनीति पर दबदबा कायम रखने की जमींदारों की क्षमता भी घटी। जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक साथ करने के प्रयास किए गए ताकि खेती का काम सुविधाजनक हो सके।

इस बात के लिए भी कानून बनाया गया कि कोई व्यक्ति अधिकतम कितनी भूमि अपने नाम पर रख सकता है। हालाँकि यह कानून सफल नहीं हो पाया। काश्तकारों के लिए भी कानून बना कि जो काश्तकार किसी और की जमीन बटाई पर जोत- बो रहे थे, उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई। परंतु इस कानून पर शायद ही अमल हुआ।

प्रश्न 28.
पंचवर्षीय योजनाओं के चार प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य: पंचवर्षीय योजनाओं के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक संवृद्धि: आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय निरंतर सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि है। लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आर्थिक संवृद्धि (अधिक वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करना) आवश्यक है।
  2. आधुनिकीकरण: उत्पादन में नई तकनीक का प्रयोग तथा सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन को आधुनिकीकरण कहते हैं। अतः आधुनिकीकरण लाना पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य है।
  3. आत्मनिर्भरता: आत्मनिर्भरता से अभिप्राय उन वस्तुओं के आयात से बचना है जिनका उत्पादन देश के अन्दर किया जाता है। पंचवर्षीय योजनाओं में इसी उद्देश्य को पूर्ण करने का प्रयास किया गया है।
  4. न्याय या समानता: सम्पत्ति व आय की विषमता को कम कर प्रत्येक के लिए आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था करना भी पंचवर्षीय योजनाओं के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है।

प्रश्न 29.
हरित क्रांति के विषय में कौन-कौनसी आशंकाएँ थीं? क्या यह आशंकाएँ सच निकलीं?
उत्तर:
सामान्यतः हरित क्रान्ति के विषय में दो भ्रान्तियाँ थीं।

  1. हरित क्रान्ति से अमीरों तथा गरीबों में विषमता बढ़ जायेगी क्योंकि बड़े जमींदार ही इच्छित अनुदानों का क्रय कर सकेंगे और उन्हें ही हरित क्रांति का लाभ मिलेगा और वे और अधिक धनी हो जायेंगे। निर्धनों को हरित क्रान्ति से कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा।
  2. उन्नत बीज वाली फसलों पर जीव-जन्तु आक्रमण करेंगे। दोनों भ्रांतियाँ सच नहीं हुईं क्योंकि सरकार ने छोटे किसानों को निम्न ब्याज दर पर ऋणों की व्यवस्था की और रासायनिक खादों पर आर्थिक सहायता दी ताकि वे उन्नत बीज तथा रासायनिक खाद सरलता से खरीद सकें और उनका उपयोग कर सके। जीव-जन्तुओं के आक्रमणों को भारत सरकार द्वारा स्थापित अनुसंधान संस्थाओं की सेवाओं द्वारा कम कर दिया गया।

प्रश्न 30.
मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ तथा विशेषताएँ बताइये
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ भारत ने विकास के लिए पूँजीवादी मॉडल और समाजवादी मॉडल दोनों ही मॉडल की कुछ एक बातों को ले लिया और अपने देश में उन्हें मिले-जुले रूप में लागू किया । इसी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ।

  1. इसमें खेती, किसानी, व्यापार और उद्योगों का एक बड़ा भाग निजी क्षेत्र के हाथों में रहा।
  2. राज्य ने अपने हाथ में भारी उद्योग रखे और उसने आधारभूत ढाँचा प्रदान किया।
  3. राज्य ने व्यापार का नियमन किया तथा कृषि क्षेत्र में कुछ बड़े हस्तक्षेप किये।

प्रश्न 31.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल की क्या-क्या आलोचनाएँ की गईं?
उत्तर:
भारत में अपनाये गये विकास के मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल की दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों खेमों ने आलोचनाएँ कीं। यथा

  1. योजनाकारों ने निजी क्षेत्र को पर्याप्त जगह नहीं दी है और न ही निजी क्षेत्र के बढ़वार के लिए कोई उपाय किया गया है।
  2. विशाल सार्वजनिक क्षेत्र ने ताकतवर निहित स्वार्थों को खड़ा किया है और इन न्यस्त हितों ने निवेश के लिए लाइसेंस तथा परमिट की प्रणाली खड़ी करके निजी पूँजी की राह में रोड़े अटकाए हैं।
  3. सरकार ने अपने नियंत्रण में जरूरत से ज्यादा चीजें रखीं। इससे भ्रष्टाचार और अकुशलता बढ़ी है।
  4. सरकार ने केवल उन्हीं क्षेत्रों में हस्तक्षेप किया जहाँ निजी क्षेत्र जाने को तैयार नहीं थे । इस तरह सरकार ने निजी क्षेत्र को मुनाफा कमाने में मदद की।

प्रश्न 32.
योजना आयोग का गठन किन कारणों से किया गया था? क्या वह अपने गठन के उद्देश्य में सफल रहा?
उत्तर:
योजना आयोग का गठन:

  • भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च, 1950 को किया गया। इसका गठन निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया था।
    1. पूर्ण रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना,
    2. गरीबी का उन्मूलन करना,
    3. सामाजिक समानता की स्थापना करना,
    4. उपलब्ध संसाधनों का उचित प्रयोग करना,
    5. संतुलित क्षेत्रीय विकास करना तथा
    6. राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना। लेकिन योजना आयोग अपने गठन के उद्देश्यों में पूर्णतः सफल नहीं हुआ है।
  • वह अपने उद्देश्यों में आंशिक रूप से भी सफल हुआ है क्योंकि:
    1. बेरोजगारी की समस्या अभी भी बनी हुई है।
    2. देश में गरीबी विद्यमान है।
    3. गरीब और गरीब हुआ है तथा अमीर और अमीर बना है। अतः सामाजिक असमानता कम होने के स्थान पर बढ़ी है।
    4. देश में क्षेत्रीय विकास संतुलित न होकर असंतुलित हुआ है।

प्रश्न 33.
स्वतंत्रता के बाद भूमि सुधार हेतु सरकार द्वारा क्या प्रयास किये गये?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भूमि सुधार हेतु निम्नलिखित प्रयास किये गये।

  1. जमींदारी प्रथा की समाप्ति: भूमि सुधार सम्बन्धी सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयास जमींदारी प्रथा को समाप्त करने का था। जमींदारी प्रथा को समाप्त करने से जमीन उस वर्ग के हाथ से मुक्त हुई जिसे कृषि में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
  2. चकबन्दी: जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक-साथ करने के प्रयास किए गए ताकि खेती का काम सुविधाजनक हो सके।
  3. जोत की अधिकतम सीमा का निर्धारण: भूमि सुधार हेतु इस बात के कानून बनाए गए कि कोई व्यक्ति अधिकतम कितनी भूमि अपने पास रख सकता है। लेकिन जिनके पास सीमा से अधिक जमीन थी, उन्होंने इन कानून से बचने के रास्ते खोज लिये।
  4. बटाईदार/ किरायेदार काश्तकार को सुरक्षा: जो काश्तकार किसी और की जमीन बटाई पर जोत- बो रहे थे, उन्हें भी ज्यादा कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई, लेकिन इस पर शायद ही कहीं अमल हुआ।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

प्रश्न 34.
उड़ीसा में किसका भंडार है? इससे संबंधित उद्योग लगाने पर आदिवासी, पर्यावरणविदों तथा केन्द्र सरकार को किस बात का भय था?
उत्तर:
उड़ीसा में लौह-अयस्क का भंडार है। लौह-अयस्क के ज्यादातर भंडार उड़ीसा के सर्वाधिक अविकसित. इलाकों में है। खासकर इस राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में। आदिवासियों को डर है अगर यहाँ उद्योग लग गए तो उन्हें अपने घर से बार-बार विस्थापित होना पड़ेगा और आजीविका भी छिन जाएगी। पर्यावरणविदों को इस बात का भय है कि खनन और उद्योग से पर्यावरण प्रदूषित होगा। केन्द्र सरकार को भय है कि यदि उद्योग लगाने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे एक बुरी मिसाल कायम होगी और देश में पूँजी निवेश को बाधा पहुँचेगी।

प्रश्न 35.
योजना आयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
योजना आयोग संविधान द्वारा स्थापित आयोग है, जो दूसरे निकायों से भिन्न है। योजना आयोग की स्थापना मार्च, 1950 में, भारत सरकार ने एक सीधे-सादे प्रस्ताव के जरिए की। यह आयोग एक सलाहकार की भूमिका निभाता है और इसकी सिफारिशें तभी प्रभावकारी हो पाती हैं जब मंत्रिमंडल उन्हें मंजूर करे।

प्रश्न 36.
आर्थिक नीति किसी समाज की वास्तविक राजनीतिक स्थिति का अंग होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नियोजित विकास के शुरुआती दौर के समय भूमि सुधार के लिए कुछ नियम-कायदे बनाए गए। परंतु कृषि की बेहतरी और खेतिहर जनता की भलाई से जुड़ी इन नीतियों को ठीक और कारगर तरीके से अमल में ला पाना इतना आसान नहीं था। यह तभी संभव था जब ग्रामीण भूमिहीन जनता लामबंद हो परन्तु भू-स्वामी बहुत ताकतवर थे। इनका राजनीतिक रसूख भी होता था। इस वजह से भूमि सुधार के अनेक प्रस्ताव या तो कानून का रूप नहीं ले सके या कानून बनने पर मात्र कागज की शोभा बढ़ाते रहे। इस प्रकार हमें यह पता चलता है कि आर्थिक नीति किसी समाज की वास्तविक राजनीतिक स्थिति का अंग होती है।

प्रश्न 37.
श्वेत क्रांति पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गुजरात एक ‘आणंद’ नामक शहर है। सहकारी दूध उत्पादन का आंदोलन अमूल इसी शहर में कायम है। इसमें गुजरात के 25 लाख दूध उत्पादक जुड़े हैं। ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के लिहाज से ‘अमूल’ अपने आप में एक अनूठा और कारगर मॉडल है। इसी मॉडल के विस्तार को श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 38.
‘ऑपरेशन फ्लड’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू हुआ था। इसके अंतर्गत सहकारी दूध: उत्पादकों को उत्पादन और विपणन के एक राष्ट्रव्यापी तंत्र से जोड़ा गया। हालाँकि यह कार्यक्रम मात्र डेयरी – कार्यक्रम नहीं था। इस कार्यक्रम में डेयरी के काम को विकास के एक माध्यम के रूप में अपनाया गया था ताकि ग्रामीण लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हों, उनकी आमदनी बढ़े और गरीबी दूर हो। इन कार्यक्रमों के कारण सहकारी दूध उत्पादकों की सदस्य संख्या लगातार बढ़ रही है। सदस्यों में महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है। महिला सहकारी डेयरी के जमातों में भी इजाफा हुआ है।

प्रश्न 39.
हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं।
    1. हरित क्रांति से खेतिहर पैदावार में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ।
    2. देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में वृद्धि हुई।
    3. हरित क्रांति के कारण देश में मंझोले दर्जे के किसानों यानी मध्यम श्रेणी के भू-स्वामित्व वाले किसानों का उभार हुआ और देश के अनेक हिस्सों में ये प्रभावशाली बनकर उभरे।
  • हरित क्रांति के नकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं।
    1. समाज के विभिन्न वर्गों और देश के अलग-अलग इलाकों के बीच ध्रुवीकरण तेज हुआ।
    2. पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाके कृषि के लिहाज से समृद्ध हो गए जबकि बाकी इलाके खेती के लिहाज से पिछड़ गए।
    3. गरीब किसानों और भू-स्वामियों के बीच का अंतर मुखर हो उठा। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी संगठनों के लिए गरीब किसानों को लामबंद करने के लिहाज से अनुकूल स्थिति पैदा हुई।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नियोजन का अर्थ बताइये तथा उसके उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
अथवा
नियोजन से आप क्या समझते हैं? भारत में नियोजन के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय योजना आयोग ने नियोजन को परिभाषित करते हुए लिखा है कि “नियोजन साधनों के संगठन की एक विधि है जिसके माध्यम से साधनों का अधिकतम लाभप्रद उपयोग निश्चित सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। ” नियोजन के उद्देश्य
कराना। भारत में नियोजन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  1. पूर्ण रोजगार: भारत में बेरोजगारी की समस्या को दूर कर लोगों को पूर्ण रोजगार के अवसर उपलब्ध
  2. गरीबी का उन्मूलन: निर्धनता निवारण हेतु व्यक्ति की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति व जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराना।
  3. सामाजिक समानता की स्थापना करना: धन के समान वितरण द्वारा सामाजिक समानता की स्थापना करना।
  4. उपलब्ध संसाधनों का उचित प्रयोग: सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम लाभप्रद उपयोग निश्चित करना।
  5. सन्तुलित क्षेत्रीय विकास: विकास सम्बन्धी क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर कर सन्तुलित क्षेत्रीय विकास करना।
  6. राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी करना: राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करना।
  7. सामाजिक उद्देश्य: वर्ग रहित समाज की स्थापना करना।

इस प्रकार नियोजन आधुनिक युग की नूतन प्रवृत्ति है। इसके अभाव में राष्ट्र सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता।

प्रश्न 2.
भारत में नियोजन के विकास का प्रारम्भ किस प्रकार हुआ है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. भारत में नियोजन के विकास का प्रारम्भ: भारत में नियोजन के प्रारम्भ का विवेचन मोटे रूप से निम्नलिखित दो बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है। स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में नियोजन व विकास-

  1. भारत में पहली बार नियोजित विकास का विचार श्री एम. विश्वेश्वरैया ने सन् 1934 में अपनी पुस्तक ‘भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था’ में प्रतिपादित किया।
  2. सन् 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारत में नियोजन व विकास के संदर्भ में एक समिति गठित की। इस समिति ने अनेक प्रस्तावों की रूपरेखा तैयार की।
  3. सन् 1944 में देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने देश के आर्थिक विकास के लिए बम्बई योजना नामक एक योजना तैयार की तथा श्री एम. एन. राय ने भी एक दस वर्षीय योजना ‘जनता योजना’ तैयार की।
  4. अगस्त, 1944 में तत्कालीन भारत सरकार ने भारत के पुनर्निर्माण हेतु एक दीर्घावधि की तथा एक अल्पावधि की दो योजनाएँ तैयार कीं।
  5. सन् 1946 में गठित एक आयोग ने भारत के विकास के लिए केन्द्रीय स्तर पर एक योजना आयोग के गठन का सुझाव दिया।

II. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में नियोजन व विकास तथा योजना आयोग की स्थापना: स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् 15 मार्च, 1950 को पण्डित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा पारित एक प्रस्ताव के आधार पर योजना आयोग का गठन किया गया।

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प्रश्न 3.
पहले दो दशकों में भारत के नेताओं ने कौनसी रणनीति अपनाई और उन्होंने ऐसा क्यों किया? विकास की रणनीति
उत्तर:
भारत के योजना आयोग ने विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का विकल्प चुना। इस योजना के अनुसार केन्द्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो हिस्सों में बाँटा गया। एक हिस्सा गैर योजना व्यय का था। इसके अन्तर्गत सालाना आधार पर दैनंदिन मदों पर खर्च करना था। दूसरा हिस्सा योजना- व्यय का था। योजना में तय की गई प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे पांच साल की अवधि में व्यय करना था।

  • प्रथम पंचवर्षीय योजना:
    1. इस योजना में ज्यादा जोर कृषि – क्षेत्र पर था। इसके अंतर्गत बांध और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया। क्योंकि विभाजन के कारण कृषि क्षेत्र को गहरी मार लगी थी।
    2. इस योजना में भूमि सुधार पर भी जोर दिया गया।
    3. योजनाकारों का बुनियादी लक्ष्य राष्ट्रीय आय के स्तर को ऊँचा करने का था। यह तभी संभव था जब लोगों की बचत हो। इसलिए बचत को बढ़ावा देने की कोशिश की गई।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजना:
    1. इस योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया क्योंकि तेज गति से संरचनात्मक बदलाव का लक्ष्य रखा गया था।
    2. बिजली, रेलवे, इस्पात, मशीनरी, संचार आदि उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ाया गया।
    3. सरकार ने देशी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया।

प्रश्न 4.
भारत में प्रारंभिक विकास की रणनीतियों पर उठे किन्हीं दो मुद्दों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
प्रारंभिक दौर के विकास में जो रणनीतियाँ अपनाई गईं उन पर अनेक मुद्दे उठे उनमें से दो प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित थे।

  • कृषि बनाम उद्योग: इस संबंध में मुख्य मुद्दा यह उठा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग के बीच किसमें ज्यादा संसाधन लगाये जाने चाहिए। यथा-
    1. कुछ लोगों का कहना था कि दूसरी योजना में उद्योगों पर ज्यादा जोर देने के कारण खेती और ग्रामीण इलाकों को चोट पहुँची। इसलिए उन्होंने ग्रामीण औद्योगीकरण तथा कृषि पर बल दिया।
    2. कुछ का सोचना था कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को तेज किये बगैर गरीबी के मकड़जाल से छुटकारा नहीं मिल सकता।
  • (2) निजी क्षेत्र बनाम सार्वजनिक क्षेत्र – भारत द्वारा विकास के लिये अपनायी गयी मिश्रित अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र सम्बन्धी ये मुद्दे उठे।
    1. योजनाकारों ने निजी क्षेत्र को पर्याप्त जगह नहीं दी है और न ही निजी क्षेत्र के बढ़वार के लिए कोई उपाय किया गया है।
    2. विशाल सार्वजनिक क्षेत्र ने ताकतवर निहित स्वार्थों के हितों के निवेश के लिए लाइसेंस तथा परमिट की प्रणाली खड़ी करके निजी पूँजी की राह में रोड़े अटकाए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अकुशलता भी बढ़ी है।
    3. सरकार ने शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र की उपेक्षा की है तथा निजी क्षेत्र को मुनाफा कमाने में मदद की है।

प्रश्न 5. भारत
में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका एवं महत्त्व का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका एवं महत्त्व: भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका व इसके महत्त्व को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. समाजवादी समाज की स्थापना: आर्थिक असमानता को कम करके समाजवादी समाज की स्थापना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम महत्त्वपूर्ण हैं ।
  2. सन्तुलित आर्थिक विकास में सहायक: सार्वजनिक उद्यम पिछड़े क्षेत्रों के तीव्र विकास करने व पिछड़े तथा सम्पन्न राज्यों के बीच खाई को पाटने में सहायक हैं।
  3. सामरिक (सुरक्षा) उद्योगों के लिए महत्त्वपूर्ण: नागरिकों की सुरक्षा हेतु विश्वसनीय हथियारों का निर्माण निजी क्षेत्र को न सौंपकर सार्वजनिक क्षेत्र को सौंपना अधिक उपयोगी है।
  4. लोककल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कुछ मूलभूत जन उपयोगी सेवाएँ, जैसे पानी, बिजली, परिवहन, स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा तथा कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की दृष्टि से सार्वजनिक क्षेत्र ही उपयोगी है।
  5. अर्थव्यवस्था पर नियन्त्रण: अर्थव्यवस्था को उतार-चढ़ावों से बचाने के लिए तथा इसको नियमित रखने के लिए सरकारी नियन्त्रण आवश्यक है।
  6.  विदेशी सहायता: विदेशी सहायता की प्राप्ति के लिए भी सार्वजनिक क्षेत्र महत्त्वपूर्ण है।
  7. प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा: सार्वजनिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का जनहित में विवेकपूर्ण ढंग से विदोहन संभव होता है
  8. रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना: ये उद्योग बेरोजगारी को दूर करने में सहायता प्रदान करते हैं।
  9. निर्यात को प्रोत्साहन: सार्वजनिक क्षेत्र देश के निर्यात को बढ़ाने में बहुत सहायक सिद्ध हुआ. है।
  10. सहायक उद्योगों का विकास: सार्वजनिक क्षेत्र ने सहायक उद्योगों के विकास में सहायता प्रदान की है।

प्रश्न 6.
देश की स्वतंत्रता के पश्चात् विकास के स्वरूप में और इससे जुड़े नीतिगत निर्णयों के बारे में किस सीमा तक टकराव था? क्या यह टकराव आज भी जारी है विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। आजादी के बाद अपने देश में ऐसे कई फैसले लिए गए जिससे सामाजिक समूह का हित सधे। इनमें से कोई भी फैसला बाकी फैसलों से मुँह फेरकर नहीं लिया जा सकता था। सारे फैसले आपस में आर्थिक विकास के एक मॉडल या विजन से बँधे हुए थे। लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि भारत के विकास का अर्थ आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक-सामाजिक न्याय दोनों ही हैं। इस बात पर भी सहमति थी कि इस मामले को व्यवसायी, उद्योगपति और किसानों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।

सरकार को इस मसले में प्रमुख भूमिका निभानी थी। यद्यपि आर्थिक संवृद्धि हो और सामाजिक न्याय मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन सी भूमिका निभाए? इस सवाल पर मतभेद थे। क्या कोई ऐसा केन्द्रीय संगठन जरूरी है जो पूरे देश के लिए योजना बनाएं? क्या सरकार को कुछ महत्त्वपूर्ण उद्योग और व्यवसाय खुद चलाने चाहिए? अगर सामाजिक न्याय आर्थिक संवृद्धि की जरूरतों के आड़े आता हो तो ऐसी सूरत में सामाजिक न्याय पर कितना जोर देना उचित होगा?

इनमें से प्रत्येक सवाल पर टकराव हुए जो आज तक जारी है। जो फैसले लिए गए उनके राजनीतिक परिणाम सामने आए। इनमें से अधिकतर मसलों पर राजनीतिक रूप से कोई फैसला लेना ही था और इसके लिए राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा करना जरूरी था, साथ ही जनता की स्वीकृति भी हासिल करनी थी।

प्रश्न 7.
भारत में विकास की प्रारंभिक रणनीति की मुख्य उपलब्धियाँ क्या रहीं और इसकी सीमाएँ क्या थीं? विकास की रणनीति की उपलब्धियाँ नियोजित विकास की प्रारंभिक रणनीतियों की अग्र प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं।
उत्तर:

  • आर्थिक विकास की नींव की स्थापना- विकास के इस दौर में भारत के आगामी आर्थिक विकास की नींव पड़ी। यथा
    1. भारत के इतिहास की कुछ सबसे बड़ी विकास परियोजनाएँ इसी अवधि में शुरू हुईं।
    2. सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ भारी उद्योग, जैसे- इस्पात संयंत्र, तेल शोधक कारखाने, विनिर्माता इकाइयाँ, रक्षा- उत्पादन आदि इसी अवधि में शुरू हुए।
    3. इस दौर में परिवहन और संचार के आधारभूत ढाँचे में भी काफी इजाफा हुआ।
  • भूमि सुधार: इस अवधि में जमींदारी प्रथा की समाप्ति, चकबन्दी, अधिकतम भूमि सीमा का निर्धारण आदि भूमि सुधार के गंभीर प्रयास किये गये।
  • हरित क्रांति: सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि की एक नई रणनीति अपनायी इसके अन्तर्गत समृद्ध तथा सिंचाई सुविधा क्षेत्र के किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि अनुदानित मूल्य पर मुहैया कराये तथा उनकी उपज को एक निर्धारित मूल्य पर खरीद लिया। इसे हरित क्रांति कहा गया। इससे उत्पादन में वृद्धि हुई तथा मझोले दर्जे के किसानों का उभार हुआ।

प्रारंभिक रणनीति की सीमाएँ: विकास की इस प्रारंभिक रणनीति की निम्नलिखित सीमाएँ रहीं।

  1. भूमि सुधार के अनेक प्रस्ताव या तो कानून का रूप नहीं ले सके या उनका उचित क्रियान्वयन नहीं हो सका।
  2. हरित क्रांति के दौर में धनी किसानों और बड़े भू-स्वामियों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ और गरीब किसानों बड़े भूस्वामियों के बीच का अन्तर बढ़ा।
  3. इससे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्र ही समृद्ध हुए।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 3 नियोजित विकास की राजनीति

प्रश्न 8.
हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रान्ति के दो सकारात्मक और दो नकारात्मक परिणामों की परीक्षा कीजिए।
अथवा
हरित क्रांति क्या है? हरित क्रान्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू बताइये।
अथवा
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है? हरित क्रान्ति के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
हरित क्रान्ति किसे कहते हैं? इसकी सफलता के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
हरित क्रान्ति का अर्थ- हरित क्रांति से अभिप्राय कृषिगत उत्पादन की तकनीक को सुधारने तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि करने से है। इसके तीन तत्त्व थे।

  1. कृषि का निरन्तर विस्तार
  2. दोहरी फसल लेना तथा
  3. अच्छे बीजों का तथा आधुनिक कृषि पद्धति का प्रयोग।

हरित क्रान्ति के सकारात्मक प्रभाव
अथवा
हरित क्रान्ति की सफलता के विभिन्न पक्ष

  • भारत में हरित क्रान्ति के सकारात्मक परिणाम सामने आये, जो इस प्रकार हैं।
    1. उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई: हरित क्रान्ति के प्रभावस्वरूप कृषिगत उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई जिससे भारत गेहूँ आयात करने के स्थान पर निर्यात करने की स्थिति में आ गया।
    2. औद्योगिक विकास को बढ़ावा: इससे औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिला क्योंकि अच्छे बीजों, अधिक पानी, खाद तथा कृत्रिम यन्त्रों के लिए उद्योग लगाए गए।
    3. बुनियादी ढाँचे का विकास: हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप भारत में बुनियादी ढाँचे में उत्साहजनक विकास देखने को मिला।
    4. जलविद्युत शक्ति को बढ़ावा: बाँधों द्वारा संचित किए गये पानी का जलविद्युत शक्ति के उत्पादन में प्रयोग किया गया।
    5. किसानों में संगठनात्मक एकता जागृत हुई- हरित क्रांति के परिणामस्वरूप भारतीय किसानों में संगठनात्मक एकता जागृत हुई तथा किसानों में राजनैतिक चेतना आई।
  • हरित क्रांति के नकारात्मक प्रभाव।
    1. हरित क्रांति ने निर्धन और छोटे किसानों तथा धनी जमीदारों के बीच की खाई को बहुत गहरा कर दिया।
    2. इससे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश जैसे क्षेत्र कृषि की दृष्टि से समृद्ध हो गये जबकि शेष इलाकों में कृषि पिछड़ी रही।

प्रश्न 9.
खाद्य संकट के बारे में विस्तारपूर्वकं लिखिए।
उत्तर:
1960 के दशक में कृषि की दशा बद से बदतर होती गई। 1940 और 1950 के दशक में ही खाद्यान्न के उत्पादन की वृद्धि दर, जनसंख्या की वृद्धि दर से जैसे-तैसे अपने को ऊपर रख पाई थी। 1965 से 1967 के बीच देश अनेक हिस्सों में सूखा पड़ा। इसी समय में भारत ने दो युद्धों का सामना किया और उसे विदेशी मुद्रा के संकट को भी झेलना पड़ा। इन सारी बातों के कारण खाद्यान्न की भारी कमी हो गई।

देश के अनेक भागों में अकाल जैसी स्थिति आन पड़ी। बिहार में खाद्यान्न संकट सबसे ज्यादा विकराल था। यहाँ स्थिति लगभग अकाल जैसी हो गई थी। बिहार के सभी जिलों में खाद्यान्न का अभाव बड़े पैमाने पर था। इस राज्य के 9 जिलों में अनाज की पैदावार सामान्य स्थिति की तुलना में आधी से भी कम थी।

इनमें से पाँच जिले अपनी सामान्य पैदावार की तुलना में महज एक-तिहाई ही अनाज उपजा रहे थे। खाद्यान्न के अभाव में कुपोषण बड़े पैमाने पर फैला और इसने गंभीर रूप धारण किया। 1967 में बिहार की मृत्यु दर पिछले साल की तुलना में 34 प्रतिशत बढ़ गई थी। इन वर्षों के दौरान बिहार में उत्तर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में खाद्यान्न की कीमतें भी बढ़ीं। अपेक्षाकृत समृद्ध पंजाब की तुलना में गेहूँ और चावल बिहार में दो गुने अथवा उससे भी ज्यादा दामों में बिक रहे थे। सरकार ने उस वक्त ‘ज़ोनिंग’ या ‘इलाकाबंदी’ की नीति अपना रखी थी। इसी वजह से विभिन्न राज्यों के बीच व्यापार बंद था।

इस नीति के कारण उस वक्त बिहार में खाद्यान्न की उपलब्धता में भारी मात्रा में गिरावट आई। ऐसी दशा में समाज के सबसे गरीब तबके पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। खाद्य संकट के कई परिणाम हुए। सरकार को गेहूँ का आयात करना पड़ा और विदेशी मदद भी स्वीकार करनी पड़ी। अब योजनाकारों के सामने पहली प्राथमिकता यह थी कि किसी भी तरह खाद्यान्न के मामले में भारत आत्मनिर्भर बने। पूरी योजना-प्रक्रिया और इससे जुड़ी आशा तथा गर्वबोध को इन बातों से धक्का लगा।

प्रश्न 10.
हरित क्रांति की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके परिणाम लिखिए ।
उत्तर- खाद्यान्न संकट के कारण देश पर बाहरी दबाव पड़ने की आशंका बढ़ गई थी। भारत विदेशी खाद्य सहायता पर निर्भर होने लगा था, खासकर संयुक्त राज्य अमरीका के। संयुक्त राज्य अमरीका ने इसकी एवज में भारत पर अपनी आर्थिक नीतियों को बदलने के लिए दबाव डाला। सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि की नई रणनीति अपनाई। जो इलाके अथवा किसान खेती के मामले में पिछड़े हुए थे, सरकार ने उनको ज्यादा सहायता देने की रणनीति अपनाई। परंतु कुछ समय पश्चात् इस नीति को छोड़ दिया गया।

सरकार ने अब उन इलाकों पर ज्यादा संसाधन लगाने का फैसला किया जहाँ सिंचाई की सुविधा मौजूद थी और जहाँ किसान समृद्ध थे। इस नीति के पक्ष में यह तर्क दिया गया कि जो पहले से ही सक्षम है वह कम समय में उत्पादन की रफ्तार को बढ़ाने में सहायक होंगे। सरकार ने उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, कीटनाशक और बेहतर सिंचाई सुविधा बड़े अनुदानित मूल्य पर उपलब्ध कराना शुरू किया। सरकार ने इस बात का भी आश्वासन दिया कि उपज को एक निर्धारित मूल्य पर खरीदा जाएगा। यही परिघटना ‘हरित क्रांति’ के नाम से जानी गई।

हरित क्रांति के परिणाम: इस प्रक्रिया में धनी किसानों और बड़े भू-स्वामियों को अधिक फायदा हुआ। हरि क्रांति से खेतिहर पैदावार में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ और देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में वृद्धि हुई। यद्यपि इसके कारण समाज के विभिन्न वर्गों और देश के अलग-अलग इलाकों के बीच ध्रुवीकरण तेज हुआ। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश जैसे इलाकों के किसान समृद्ध हो गए जबकि बाकी इलाके खेती के मामले में पिछड़ गए।

हरि क्रांति के कारण गरीब किसानों और भू-स्वामियों के बीच का अंतर मुखर हो उठा। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी संगठनों के लिए गरीब किसानों को लामबंद करने के लिहाज से अनुकूल स्थिति पैदा हुई। हरित क्रांति की वजह से कृषि में मध्यम दर्जे के किसानों का उभार हुआ । इन्हें बदलावों का फायदा हुआ था और ये देश के अनेक हिस्सों में ताकतवर बनकर उभरे

JAC Class 9 Hindi रचना संवाद-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana संवाद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Rachana संवाद-लेखन

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत को संवाद कहते हैं। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदानप्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह – तरह के हाव – भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह – अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं।

संवादों के बिना दो लोगों के बीच बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थिति तो जड़ अवस्था को जन्म देती है। सामान्य बातचीत, लड़ाई – झगड़ा, हँसी – मज़ाक, प्रेम – घृणा, वाद – विवाद आदि सभी संवादों के सहारे ही पूरे होते हैं। संवादों में अनेक गुण होने चाहिए ताकि उनसे दूसरों को मनचाहे ढंग से प्रभावित किया जा सके या उन पर वही प्रभाव डाला जा सके जो हम डालना चाहते हैं। संवादों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

संवाद स्वाभाविक होने चाहिए।
उनकी भाषा अति सरल, सरस, भावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
उनमें जहाँ कहीं संभव हो वहाँ विराम – चिहनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
उनकी लंबाई अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे संवाद स्वाभाविक और सहज होते हैं। लंबे संवाद भाषण का बोध कराते हैं।
भाषा में भावों के अनुरूप चुटीलापन, पैनापन, स्पष्टता और सहजता होनी चाहिए।
उनमें कही जाने वालो बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो जानी चाहिए।

सवाद के दुछ उदाहरण :

प्रश्न 1.
राधिका द्वारा गृहकार्य न कर पाने का कारण स्पष्ट करते हुए अपने अध्यापक से की गई बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • अध्यापक (राधिका के निकट आकर) – तुम अपनी कॉपी दिखाओ।
  • राधिका – सर, मैंने आज होमवर्क नहीं किया। मुझे क्षमा कर दीजिए। मैं आज उसे पूरा कर लूँगी।
  • अध्यापक – पर क्यों नहीं किया ?
  • राधिका – कल दोपहर मेरे पापा बहुत बीमार हो गए थे और मैं अपनी मम्मी के साथ उन्हें नर्सिंग होम ले गई थी। समय ही नहीं मिला।
  • अध्यापक – क्या हुआ था उन्हें ?
  • राधिका – उन्हें तेज़ पेटदर्द और उल्टियाँ हो रही थीं।
  • अध्यापक – नर्सिंग होम से वापस कब लौटे थे ?
  • राधिका – रात के दस बजे।
  • अध्यापक – ठीक है, बैठ जाओ। आज काम पूरा कर लेना।

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प्रश्न 2.
वार्षिक परीक्षा परिणाम के बाद नई कक्षा में प्रवेश पाने वाले दो छात्रों के बीच आपसी बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • राजन (आश्चर्य से) – अरे, राघव तुम यहाँ ?
  • राघव – हाँ, लेकिन इसमें आश्चर्य की क्या बात है ?
  • राजन – पर तुम्हारा सेक्शन तो दूसरा था। तुम हमारे सेक्शन में कैसे ?
  • राघव – ओह ! तुम्हें इस स्कूल का नियम पता नहीं है। हाँ, पता भी कैसे होगा ? तुम इस विद्यालय में अभी नए हो।
  • राजन – कौन – सा नियम ? कैसा नियम ?
  • राघव – हमारे स्कूल में प्रत्येक उस विद्यार्थी को ‘ए’ सेक्शन में भेज दिया जाता है, जिसके अंक पिछली कक्षा में $90 \%$ या उससे अधिक
  • आते हैं। पिछली कक्षा में मेरे इतने अंक आए हैं।
  • राजन – वाह! बधाई हो। तुम तो हर क्षेत्र में आगे हो – खेल में भी और पढ़ाई में भी।

प्रश्न 3.
रेखा और कनुप्रिया के बीच आधी छुट्टी के समय किए जाने वाले आपसी संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • रेखा – आज तो मुझसे गलती हो गई। मैं अपनी गणित की कॉपी घर ही भूल गई।
  • कनुप्रिया – गणित की अध्यापिका तो हैं भी बहुत गुस्से वाली।
  • रेखा – इसी बात से तो डर लग रहा है।
  • कनुप्रिया – कल तो होमवर्क में बस पाँच ही प्रश्न मिले थे। कुल दस मिनट का काम है।
  • रेखा – हाँ, वह तो है। उन्हें सब बात बता दूँगी।
  • कनुप्रिया – हाँ, शायद सच बोलने पर वे गुस्सा न करें।
  • रेखा – चल जल्दी से खाना खा ले फिर मैं अपना होमवर्क एक कॉपी पर तो कर ही लेती हूँ ताकि अध्यापिका जी कुछ कम नाराज हों।
  • कनुप्रिया – ठीक कह रही हो। चलो खाना खाएँ।

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प्रश्न 4.
स्कूल जाने से पहले अनुष्का और उसकी मम्मी के बीच कुछ संवादों को अपने शब्दों में लिखिए। मम्मी (ज़ोर से) – अनुष्का, तुम्हें आज फिर स्कूल जाने में देर हो जाएगी।
उत्तर :

  • अनुष्का – मम्मी, अभी तो स्कूल बस आने में पाँच मिनट बाकी हैं।
  • मम्मी – वह तो मुझे पता है। तुम तो अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं हुई।
  • अनुष्का – बस, जूते पहनने ही रह गए हैं।
  • मम्मी – और नाश्ते का क्या ? मेज़ पर रखा हुआ नाश्ता ठंडा हो गया है।
  • अनुष्का – उसे खाने में दो मिनट भी नहीं लगेंगे, मम्मी। क्यों गुस्सा कर रही हो ?
  • मम्मी – रोज़ कहती हूँ समय से उठा करो पर सुनती ही नहीं हो मेरी बात।
  • अनुष्का – जल्दी तो उठी थी पर….।
  • मम्मी – किसने कहा था कि बैठ जाओ सवेरे – सवेरे टॉम एंड जैरी के सामने।
  • अनुष्का – अच्छा मम्मी। कल से सवेरे – सवेरे टॉम एंड जैरी नहीं देखूँगी।

प्रश्न 5.
लतिका और मनू के बीच सवेरे स्कूल जाने से पहले हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • लतिका (हाथ में तौलिया लिए हुए) – जल्दी कर मनू, बाहर निकल बाथरूम से।
  • मनू (भीतर से) – क्यों चीख रही हो दीदी ? क्यों नहीं उठ जाती ज़रा जल्दी ?
  • लतिका – तू बाहर निकल। नहीं तो पापा से कहती हूँ।
  • मनू – अरे, नहाकर ही तो निकलूँगा। अभी आया – बस दो मिनट में।
  • लतिका – तेरे दो मिनट भी तो बीस मिनट के होते हैं। बस आ जाएगी। देर हो रही है।
  • मनू – तू अपना स्कूल बैग तैयार कर। मेरा लंच बॉक्स भी तैयार कर दो। मैं अभी आया।

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प्रश्न 6.
स्कूल के माली और कबीर के बीच हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए। माली (हाथ में खुरपा लिए हुए) – तुमने फूल क्यों तोड़ा ?
उत्तर :

  • कबीर – मैंने यहाँ से फूल नहीं तोड़ा।
  • माली – झूठ बोलते हो। यह फूल तो स्कूल के बगीचे का ही है।
  • कबीर – तो क्या ऐसे सारे फूल यहीं लगते हैं ? मैं इसे अपने घर से लाया हूँ। हमारे घर में ऐसे बहुत – से फूल लगे हुए हैं। माली – तुम नहीं मानोगे।
  • कबीर – अरे, मैं सच कह रहा हूँ। मैं यह फूल मैडम के लिए लाया हूँ अपने घर से। आज बाल – दिवस है न।
  • माली – अच्छा। तुम्हारे घर में कौन – सा माली काम करता है ? फूल देखकर तो अच्छा समझदार लगता है।
  • कबीर – हाँ, वह बहुत समझदार और मेहनती है।

प्रश्न 7.
रिक्शा चालक और गोमती के बीच हुए संवादों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • गोमती (ज़ोर से आवाज़ लगाते हुए) – रिक्शावाले भइया।
  • रिक्शावाला – जी, कहिए। कहाँ चलना है ?
  • गोमती – सदर बांज़ार जाना है। चलोगे ?
  • रिक्शावाला – हमारा तो काम ही यही है। बैठिए।
  • गोमती – कितने पैसे लोगे ?
  • रिक्शावाला – जो आपको ठीक लगे, दे देना बहन जी।
  • गोमती – नहीं, ठीक – ठीक बताओ। बाद में झगड़ा होता है।
  • रिक्शावाला – बहन जी, मैं इस शहर में नया आया हूँ।
  • मुझे ठीक – ठीक पता नहीं कि वहाँ का यहाँ से कितना किराया होता है ?
  • गोमती – तो तुम्हें रास्ता भी पता नहीं होगा ?
  • रिक्शावाला – जी हाँ। मुझे रास्ता भी आप ही बताना।
  • गोमती – (रिक्शा में बैठती हुई) – अच्छा चलो। दस रुपये दूँगी। वहाँ का इतना ही किराया लगता है। रिक्शा तो ठीक चलाते हो न ?
  • रिक्शावाला – जी हाँ। पिछले दस साल से रिक्शा चला रहा हूँ।

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प्रश्न 8.
सब्त्रीवाले से मनीषा की बातचीत अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मनीषा (पुकारती हुई) – रुकना ज़रा। ओ सब्ज़ीवाले भइया।
  • सब्ज़ीवाला – जी, कहिए, क्या लेना है ?
  • मनीषा – सब्ज़ी लेनी है। क्या – क्या है तुम्हारे पास ?
  • सब्ज़ीवाला – सब कुछ है – आलू, गोभी, मटर, साग, भिंडी, तोरी….।
  • मनीषा – मटर किस भाव दे रहे हो ? ताज़े तो हैं ये ?
  • सब्ज़ीवाला – ताज़े हैं बहन जी। अभी मंडी से ला रहा हूँ। चालीस रुपये किलो हैं।
  • मनीषा – बहुत महँगे लगा रहे हो। कल तो तीस रुपये किलो थे।
  • सब्ज़ीवाला – जी हाँ। आज इसी भाव हैं। कल ट्रकवालों की हड़ताल थी न। मंडी में माल कम आया है आज।
  • मनीषा – कुछ कम करो। दो किलो ले लूँगी।
  • सब्ज़ीवाला – अच्छा बहन जी। पैंतीस रुपये किलो दे दूँगा। इससे कम नहीं।
  • मनीषा – ठीक है। दो किलो तोल दो।
  • ठीक – ठीक तोलना।
  • सब्ज़ीवाला – ठीक ही तोलता हूँ। पिछले कितने वर्षों से यही काम तो कर रहा हूँ।

प्रश्न 9.
पुस्तक – विक्रेता से रजनीश की बातचीत को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • रजनीश – आपके पास शब्दकोश हैं क्या ?
  • पुस्तक – विक्रेता – जी हाँ। आप को कौन – सा शब्दकोश चाहिए ? हिंदी – अंग्रेज़ी या अंग्रेज़ी – हिंदी ?
  • रजनीश – हिंदी – अंग्रेज़ी दिखाना।
  • पुस्तक – विक्रेता – पॉकेट साइज़ चाहिए या बड़े आकार का ?
  • रजनीश – बड़े आकार का। जिसमें अधिक – से – अधिक शब्द हों।
  • पुस्तक – विक्रेता – हाँ एक नया शब्दाकोश कल ही आया है। डेढ़ लाख शब्द हैं इसमें।
  • रजनीश – दिखाओ तो ज़रा।
  • पुस्तक – विक्रेता – (शब्दकोश दिखाते हुए) – इसका कवर भी बहुत सुंदर है और छपाई भी आकर्षक है।
  • रजनीश – महँगा भी उतना ही होगा।
  • पुस्तक – विक्रेता – नहीं, बहुत महाँगा नहीं है। मॉडर्न पब्लिशर्ज़ का है। उन्होंने बड़ी मेहनत से इसे तैयार कराया है।

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प्रश्न 10.
मुकेश और राजेश के बीच आधी छुट्टी के समय आपस में किए गए झगड़े में प्रयुक्त संवादों को अपने शब्दों में लिखिए। मुकेश (कक्षा से बाहर निकलते हुए) – ओ राजेश, तू समझता क्या है अपने आप को ?
उत्तर :

  • राजेश (गुस्से में) – ज़रा ढंग से बोल।
  • मुकेश – तो ढंग मैं तुझ से सीखूँगा। एक तो तेरे कारण मेरी गुप्ता सर से आज पिटाई हो जाती और ऊपर से तू मुझे ढंग सिखाएगा।
  • राजेश – तूने गुप्ता सर की पीठ के पीछे मुझे मुँह क्यों चिढ़ाया था ?
  • मुकेश – अर, मैंने तुझे मुँह नहीं चिढ़ाया था बल्कि अनुराग को चिढ़ाया था। वह तो बोला नहीं और तूने मुझे कागज़ की गोली मार दी।
  • राजेश – आह! तो मुझ से गलती हो गई। मैं समझा था कि तुम बिना किसी कारण मुझे मुँह चिढ़ा रहे हो।
  • मुकेश – तो कान पकड़कर बोल “सॉरी”।
  • राजेश – (धीरे से हँसते हुए) – सॉरी।

प्रश्न 11.
सुबह सैर करने गई दो वृद्ध महिलाओं में हुए संवादों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • पहली महिला – बहन जी, तुम यहाँ रोज दिखाई देती हो।
  • दूसरी महिला – हाँ, मैं यहाँ रोज़ सुबह सैर करने आती हूँ। यह पार्क बहुत अच्छा है।
  • पहली महिला – क्या तुम्हारा घर पास ही है ?
  • दूसरी महिला – हाँ, पिछली गली में है। और तुम्हारा।
  • पहली महिला – मेरा घर भी पास ही है। डॉक्टर ने कहा है कि रोज़ चार किलोमीटर सैर किया करो। इसलिए पिछले कुछ दिन से सैर करनी शुरू की है।
  • दूसरी महिला – सैर तो बहुत ज़रूरी है। शरीर ठीक रहता है इससे। शरीर के अंग खुल जाते हैं इससे।
  • पहली महिला – मेरा ब्लड प्रेशर ऊँचा रहने लगा था।
  • दूसरी महिला – और अब कैसा है ?
  • पहली महिला – अब तो ठीक है। डॉक्टर कहता है कि ब्लड प्रेशर तो चोर होता है। शरीर का कोई – न – कोई अंग खराब कर देता है।
  • दूसरी महिला – हाँ बहन। रोज़ सैर करती रहो और दवाई लेती रहो। सब ठीक हो जाएगा। ईश्वर दया करेगा।

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प्रश्न 12.
दफ़्तर की सहयोगी नीमा से अपनी बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • नीमा – घर नहीं चलना है क्या ? मुँह लटकाए क्यों बैठे हो ? घर चलो भई।
  • पवन – मुझे कुछ काम है, तुम निकल जाओ।
  • नीमा – मैं रोज़ जो तुम से लिफ़्ट लेती हूँ, अगर नहीं जाना था तो पहले कह देते, मैं किसी और के साथ निकल जाती।
  • पवन – आज बस से चली जाओ, आज मुझे पहले कहीं और जाना है, तुम कहाँ मेरे साथ घूमती.रहोगी।
  • नीमा – यह क्या अजय, आज मुझे समय से घर पहुँचना था।
  • पवन – यह तुम्हारी समस्या है कि आज तुम्हें समय से पहुँचना था। बस आज मुझे सीधे घर नहीं जाना।

प्रश्न 13.
घर आए मेहमान और राकेश की बातचीत संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • राकेश – कौन है बाहर ?
  • मेहमान – मैं हूँ नीरज गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
  • राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। आप भीतर आइए। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
  • मेहमान – आप कौन हैं ? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेरे सहयोगी हैं।
  • राकेश – मैं उनका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरु रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आप को नहीं पहचानता।
  • मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
  • राकेश – वहाँ एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ।
  • मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीरज गुप्ता आए थे।
  • राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
  • मेहमान – उनका नंबर नहीं लग रहा, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ़्तर की किसी समस्या के बारे में।
  • राकेश – ठीक है। जैसा आप उचित समझें।

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प्रश्न 14.
हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए दो मित्रों की बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
  • रजत – आती क्यों नहीं ! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
  • कमल – भाषा का संबंध अच्छे – बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
  • रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
  • कमल – अपनी – अपनी समझ है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज़ी तो सबको समझ भी नहीं आती।
  • रजत – वैसे भी हम जितनी अच्छी तरह अपने भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
  • कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कहीं – कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
  • रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
  • कमल – हाँ, हम इसमें जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।

प्रश्न 15.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
  • काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई – लिखाई में तेज़ है।
  • मनस्वी – वह अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है – इससे तो बड़े – बड़े भी डरते हैं।
  • काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए ?
  • मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में एक भी छुट्टी नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
  • काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
  • मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
  • काम्या – यह बात तो ठीक है। पर अब हम कर क्या सकते हैं ?

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प्रश्न 16.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद रूप में कीजिए।
उत्तर :

  • मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
  • गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
  • मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
  • गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
  • मनुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
  • गीतिका – हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर – लुटेरा ही न हो।
  • मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
  • गीतिका – यह अच्छा है।
  • मनुज – रिश्ते – नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।

प्रश्न 17.
मालविका और सागरिका में पेड़ – पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • मालविका – कल वन महोत्सव है।
  • सागरिका – तो, कल क्या होगा ?
  • मालविका – हम तो मिलजुल कर अपने स्कूल में नए पौधे लगाएँगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
  • सागरिका – उससे क्या लाभ ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
  • मालविका – अरे नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
  • सागरिका – इससे क्या होता है ?
  • मालविका – इसी से तो होता है। पेड़ – पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
  • सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि – कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
  • मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़ – पौधे लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा – भरा रह सकेगा।

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प्रश्न 18.
वृंदा और मानसी के बीच चिड़ियाघर को देखते समय की गई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • वृंदा (ऊपर की तरफ़ देखते हुए) – देख ऊपर, पेड़ पर चार लंगूर कैसे बैठे हैं।
  • मानसी – उनका मुँह कितना काला है और पूँछें कितनी लंबी – लंबी।
  • वृंदा – हाँ, उधर देख मोर अपने पंख फैलाकर कैसे नाच रहा है।
  • मानसी – बादल छाए हुए हैं न। पापा ने बताया था कि बादलों को देखकर मोर नाचते हैं। इनके पंख कितने सुंदर हैं। ये तो गोल – गोल घूम भी रहे हैं।
  • वृंदा – उधर देख, कितने बड़े – बड़े दो शेर हैं।
  • मानसी – चलो भागें यहाँ से। कहीं इन्होंने हमें देख लिया तो खा जाएँगे।
  • वृंदा – डर मत। हमारे और इनके बीच गहरी खाई है और चारों तरफ़ जाल भी तो लगा है। ये हम तक नहीं पहुँच सकते।
  • मानसी – वह देख, हिरणों के कितने सुंदर झुंड हैं। उनकी आँखें देख, कितनी सुंदर हैं। हम भी एक हिरण घर में पालेंगे – पापा से कहेंगे कि हमें भी एक हिरण ला दें।
  • वृंदा – नहीं, जंगली जीवों को यहीं रहना चाहिए या जंगल में। इन्हें घर में रखना तो अपराध है।

प्रश्न 19.
छुट्टियों में किसी दर्शनीय स्थल को देखने की योजना पर अपने और अपने भाई के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखो।
उत्तर :

  • सानिया – अगले हफ़्ते से स्कूल में छुट्टियाँ हो जाएँगी। चल अब्बा – अम्मी से कहें कि कहीं बाहर चलें।
  • अज्जू – हाँ। हमें बाहर कहीं भी गए हुए दो साल हो गए हैं।
  • सानिया – उन्हें कहते हैं कि मसूरी ले चलें।
  • अज्जू – हाँ, वह बहुत सुंदर जगह है।
  • सानिया – तुझे कैसे पता ?
  • अज्जू – गुरुप्रीत कह रहा था। वह पिछले वर्ष छुट्टियों में गया था अपनी मम्मी – पापा के साथ।
  • सानिया – वहाँ तो गर्मियों में भी गर्मी नहीं होती। वह तो पर्वतों की रानी है।
  • अज्जू – वहाँ तो सब तरफ पहाड़-ही-पहाड़ हैं। वहाँ तो एक बड़ा और सुंदर प्राकृतिक झरना भी है।
  • सानिया – वह कैंप्टी फॉल है। बहुत ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है।
  • अज्जू – तुझे कैसे पता ?
  • सानिया – मैंने एक मैग्जीन में पढ़ा था और उसकी फ़ोटो देखी थी।

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प्रश्न 20.
अपने दक्त्तर के बॉस से श्रीमती देशपांडे की बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
‘उत्तर :
और मैडम देशपांडे, क्या चल रहा है ? सब ठीक तो है घर पर।’
‘यस सर, बेटी का फ़ोन था, दरिंदा शब्द का अर्थ पूछ रही थी।’
‘दरिंदा, क्या माने ?’
‘खतरनाक जंगली जानवर होता है इसका मतलब,’।
‘है न मिसेज देशपांडे, यही तो बताया न आपने अभी ? इंटरेस्टिंग। और क्या पूछ रही थी आपकी बेटी ?’
‘बहुत सवाल करती है सर, पूछ रही थी दरिंदा और दरिद्र दोनों का एक ही मतलब होता है क्या मम्मी ?’
‘तो क्या बताया आपने मैडम ?’
‘उसे क्या बताती, लेकिन जाने तो अभी से जान ले, यही ठीक है।’
‘क्या ?’
‘यही कि एक ही होता है इन दोनों शब्दों का मतलब। दरिद्रता चाहे आर्थिक हो या मानसिक, उसी की एक हद होती है दरिंदगी। क्या मैंने गलत कहा सर ?’

प्रश्न 21.
पिता और बेटी में नाश्ते के समय हुई बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
उत्तर :
“खाओ – खाओ, दूसरा आ रहा है, पिज्जा स्वादिष्ट बना है क्या ? बेटी ने पूछा।”
“बेटे, तुम ने पिण्जा बहुत स्वादिष्ट बनाया है।” पिता बोले।
“सच पापा ?” और लीजिए न पापा ।”
“हाँ, हाँ अवश्य लूँगा ? किससे सीखा है पिज्जा बनाना ?”
“मम्मी से सीखा है।”
“तुम्हारी मम्मी तो पिज्जा बनाने में परफेक्ट है। और तुम भी उससे कुछ कम नहीं।” पापा बोले।
“नहीं, अभी पूरी तरह से नहीं। मम्मी को लंबा समय हो गया यह सब करते हुए पर मैंने तो अभी शुरू किया है,” बेटी ने कहा।
“अरे तुम भी परफेक्ट हो जाओगी, बहुत जल्दी।”

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प्रश्न 22.
बाहर से घर आए किसी मेहमान से राकेश की बातचीत को संवाद योजना में लिखिए।
उत्तर :

  • राकेश – कौन है बाहर ?
  • मेहमान – मैं हूँ गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
  • राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
  • मेहमान – आप कौन हैं ? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेंरे सहदोगी हैं।
  • राकेश – मैं उसका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरु रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आपको नहीं पहचानता। मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
  • राकेश – डॉक्टर हूँ वहाँ एक अस्पताल में। आप भीतर आइए।
  • मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीलाम गुप्ता आए थे।
  • राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
  • मेहमान – नहीं, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ्तर की किसी समस्या के बारे में।
  • राकेश – ठीक है। आपकी इच्छा।

प्रश्न 23.
दो मित्रों के बीच हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
  • रजत – आती क्यों नहीं! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
  • कमल – भाषा का संबंध अच्छे – बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
  • रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
  • कमल – समझ अपनी – अपनी है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज्जी तो सब को समझ भी नहीं आती।
  • रजत – वैसे भी हम अपने जो भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
  • कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कही – कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
  • रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
  • कमल – हाँ, हम इस में जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।

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प्रश्न 24.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
  • काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई – लिखाई में तेज़ है।
  • मनस्वी – बहुत अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है-इससे तो बड़े-बड़े भी डरते हैं।
  • काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए ?
  • मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में छुट्टी भी एक नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
  • काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
  • मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
  • काम्या – यह बात तो ठीक है। पर हम अब क्या कर सकते हैं ?

प्रश्न 25.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद योजना में कीजिए।
उत्तर :

  • मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
  • गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
  • मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
  • गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
  • ममुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
  • गीतिका – हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर-लुटेरा ही न हो।
  • मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
  • गीतिका – यह अच्छा है।
  • मनुज – रिश्ते-नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।

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प्रश्न 26.
मालविका और सागरिका में पेड़-पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद योजना के द्वारा प्रकट कीजिए।
उत्तर :

  • मालविका – कल वन महोत्सव है।
  • सागरिका – तो, क्या ?
  • मालविका – हम तो अपने स्कूल में मिल-जुलकर नए पौधे लगाएंगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
  • सागरिका – उससे क्या लाभ ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
  • मालविका – अरी नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
  • सागरिका – इससे क्या होता है ?
  • मालविका – इसी से तो होता है। पेड़-पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
  • सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि-कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
  • मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा-भरा रह सकेगा।

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प्रश्न 27.
नगर की टूटी-फूटी सड़कों से परेशान विनीता और पल्लवी के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • विनीता – मैं तो कल बड़े ज़ोर से सड़क पर गिर गई थी। सारी टाँग छिल गई है।
  • पल्लवी – वह कैसे ? फिसल गई थी क्या ?
  • विनीता – नहीं। सारे नगर की सड़कों का हाल तो तुझे पता ही है। चंद्रमा की सतह की तरह गड्ढे हैं हमारी सड़कों पर। मेरी साइकिल उछल गई और में गिर गई।
  • पल्लवी – सारी सड़ें ही खराब हैं। सरकार कुछ करती भी तो नहीं।
  • विनीता – अब बरसातें आने वाली हैं। इनमें पानी भर जाएगा और फिर वहाँ मच्छरों के अंडों की भरमार हो जाएगी।
  • पल्लवी – तभी तो पिछले साल कितना मलेरिया फैला था।
  • विनीता – पता नहीं रोज़ कितने लोग गिरते हैं इनके कारण।
  • पल्लवी – लोगों को कुछ करना चाहिए। यदि हम अपने आस-पास की सड़कों के गड्ढों में खुद मिट्टी भर दें तो…..।
  • विनीता – मिट्टी तो एक दिन में निकल जाएगी। इस काम में पैसा लगता है और वह तो हमारे पास है नहीं।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Exercise 1.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित भिन्नों को दशमलव के रूप में लिखिए और बताइए कि प्रत्येक का दशमलव प्रसार किस प्रकार का है ?
(i) \(\frac{36}{100}\)
उत्तर:
\(\frac{36}{100}\) = 0.36, सांत।

(ii) \(\frac{1}{11}\)
उत्तर:
भाग विधि द्वारा :
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 1
∴ \(\frac{1}{11}\) = 0.090909…..
= \(0 . \overline{09}\) असांत और आवृत्ति ।

(iii) 4\(\frac{1}{8}\) = \(\frac{33}{8}\)
उत्तर:
भाग विधि द्वारा:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 2
∴ 4\(\frac{1}{8}\) = 4.125, सांत।

(iv) \(\frac{3}{13}\)
उत्तर:
भाग विधि द्वारा:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 3
\(\frac{3}{13}\) = 0.23076923….
= \(0 . \overline{230769}\), असांत और आवृत्ति (पुनरावृत्ति)।

(v) \(\frac{2}{11}\)
हल:
भाग विधि द्वारा :
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 4
∴ \(\frac{2}{11}\) = 0.1818 = \(0 . \overline{18}\), असांत और पुनरावृत्ति ।

(vi) \(\frac{329}{400}\)
हल:
भाग विधि द्वारा:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 5
∴ \(\frac{329}{400}\) = 0.8225, सान्त।

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प्रश्न 2.
आप जानते हैं कि \(\frac{1}{7}\) = \(0 . \overline{142857}\) है। वास्तव में, लम्बा भाग दिए बिना क्या आप यह बता सकते हैं कि \(\frac{2}{7}, \frac{3}{7}, \frac{4}{7}, \frac{5}{7}, \frac{6}{7}\) के दशमलव प्रसार क्या हैं? यदि हाँ, तो कैसे ?
हल:
हाँ, उपर्युक्त सभी 1, 4, 2, 8, 5, 7 आवृत्ति (पुनरावृत्ति) दशमलव हैं।
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित को \(\frac{p}{q}\) के रूप में व्यक्त कीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0 है:
(i) \(0 . \overline{6}\), (ii) \(0.4 \overline{7}\), (iii) \(0 . \overline{001}\).
हल:
(i) माना x = \(0 . \overline{6}\)
x = 0.666…. …(1)
∵ यहाँ केवल एक आवृत्ति अंक है। इसलिए समीकरण (1) में 10 से गुणा करने पर,
10x = 10 × 0.666….
या 10x = 6.666…. …(2)
समी. (2) मैं से समी. (1) घटाने पर,
9x = 6
⇒ x = \(\frac{6}{9}\)
या x = \(\frac{2}{3}\)
अतः \(0 . \overline{6}\) = \(\frac{2}{3}\)

(ii) प्रथम विधि : माना x = \(0.4 \overline{7}\) …(1)
∵ दशमलव बिन्दु के दायीं ओर बिना बार (रेखा) के एक अंक है।
∴ अतः दोनों पक्षों में 10 से गुणा करने पर,
10x = 10 × \(0.4 \overline{7}\) ⇒ 10x = \(4 . \overline{7}\) ….. (ii)
पुन: समी. (i) के दोनों पक्षों में 100 से गुणा करने पर
100x = \(47 . \overline{7}\) ……..(iii)
समी. (iii) में से समी. (ii) घटाने पर,
90x = 43
⇒ x = \(\frac{43}{90}\)
अत: \(0.4 \overline{7}\) = \(\frac{43}{90}\)

(iii) \(0 . \overline{001}\)
माना x = \(0 . \overline{001}\)
⇒ x = 0.001001001…. …(1)
यहाँ दशमलव बिन्दु के बाद तीन आवृत्ति अंक हैं।
अत: समी. (1) को (10)3 = 1000 से गुणा करने पर,
1000x = 1.001001…. …(2)
समी. (2) में से समी. (1) को घटाने पर,
1000x – x = (1.001001…) – (0.001001….)
⇒ 999x = 1
⇒ x = \(\frac{1}{999}\)
अतः \(0 . \overline{001}\) = \(\frac{1}{999}\)

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प्रश्न 4.
0.99999…. को \(\frac{p}{q}\) के रूप में व्यक्त कीजिए। क्या आप अपने उत्तर से आश्चर्यचकित हैं ? अपने अध्यापक और कक्षा के सहयोगियों के साथ उत्तर की सार्थकता पर चर्चा कीजिए।
हल:
माना x = 0.99999….. …..(1)
∵ यहाँ केवल एक आवृत्ति अंक है अतः समीकरण (1) में 10 से गुणा करने पर,
10x = 10 × 0.99999….
10x = 9.999…. …(2)
समी. (2) में से सभी (1) को घटाने पर,
⇒ 9x = 9
∴ x = 1
अतः 0.9999…. = 1
क्योंकि 0.9999…. अनन्त तक होगा। अतः 1 और 0.9999…. में कोई अन्तर नहीं है अतः ये लगभग समान हैं।

प्रश्न 5.
\(\frac{1}{17}\) के दशमलव प्रसार में अंकों के पुनरावृत्ति खण्ड में अंकों की अधिकतम संख्या क्या हो सकती है ? अपने उत्तर की जाँच करने के लिए विभाजन क्रिया कीजिए।
हल:
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 8
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 9
अतः \(\frac{1}{17}\) = \(0 . \overline{0588235294117647}\)
\(\frac{1}{17}\) के दशमलव प्रसार में पुनरावृत्ति अंकों की अधिकतम संख्या 16 है।

प्रश्न 6.
\(\frac{p}{q}\)(q ≠ 0) के रूप की परिमेय संख्याओं के अनेक उदाहरण लीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, जिनका 1 के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है और जिसका सांत दशमलव (निरूपण) प्रसार है। क्या आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि 9 को कौन-सा गुण अवश्य सन्तुष्ट करना चाहिए ?
हल:
\(\frac{p}{q}\)(q ≠ 0) के रूप में कुछ ऐसी परिमेय संख्याएँ लेते हैं जिसमें और पूर्णांक हों तथा जिनके के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो और सांत दशमलव हो।
माना \(\frac{1}{2}, \frac{1}{4}, \frac{7}{8}, \frac{37}{25}, \frac{8}{125}, \frac{17}{20}, \frac{31}{16}\) आदि ऐसी परिमेय संख्याएँ हैं।
अब हर में ऐसी प्राकृत संख्या से गुणा करते हैं जिससे हर 10 या 10 की घात का प्राप्त हो।
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 10
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 11
उपरोक्त परिमेय संख्याओं में प्रत्येक के हर का एक गुणनखण्ड 2 अथवा 5 है, तभी हर को 10 या 10 की किसी घात के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
यदि परिमेय संख्या जो मानक रूप में हो और हर में 2 और 5 के अलावा और कोई अभाज्य गुणनखण्ड न हो तब और केवल तब सांत दशमलव निरूपित होता है।

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प्रश्न 7.
ऐसी तीन संख्याएं लिखिए जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती हों।
हल:
हम जानते हैं कि सभी अपरिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती होता है।
अतः \(\sqrt{2}\), \(\sqrt{3}\), \(\sqrt{5}\)….. इत्यादि का दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती है।
ऐसी संख्या को सीधे दशमलव प्रसार के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है।
a = 0.04004000400004…..
b = 0.505005000500005…..
c = 0.007000700007…..

प्रश्न 8.
परिमेय संख्याओं \(\frac{5}{7}\) और \(\frac{9}{11}\) के बीच तीन अलग-अलग अपरिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
\(\frac{5}{7}\) और \(\frac{9}{11}\)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3 12
\(\frac{5}{7}\) और \(\frac{9}{11}\) के मध्य अनन्त अपरिमेय संख्याएँ हो सकती हैं। इसमें से तीन अपरिमेय संख्याएँ निम्नलिखित हैं :
0.75075007500075000075………
0.767076700767000767………
और 0.808008000800008………

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प्रश्न 9.
बताइए कि निम्नलिखित संख्याओं में कौन-कौन संख्याएँ परिमेय और कौन-कौन संख्याएँ अपरिमेय हैं:
(i) \(\sqrt{23}\)
(ii) \(\sqrt{225}\)
(iii) 0.3796
(iv) 7.478478…….
(v) 1·101001000100001………
हल:
(i) संख्या \(\sqrt{23}\) मे 23 पूर्ण वर्ग नहीं है।
\(\sqrt{23}\) अपरिमेय संख्या है।
(ii) \(\sqrt{225}\) = \(\sqrt{3 \times 3 \times 5 \times 5}\)
= 3 × 5 = 15
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अतः \(\sqrt{225}\) = 15 एक परिमेय संख्या है।

(iii) 0.3796
सांत दशमलव संख्या है।
∴ 0.3796 एक परिमेय संख्या है।
(iv) 7.478478…..
एक आवृत्ति लेकिन पुनरावृत्ति है।
∴ यह परिमेय संख्या है।

(v) 1.101001000100001…..
यह एक आवृत्ति है लेकिन पुनरावृत्ति नहीं है।
∴ यह अपरिमेय संख्या है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Exercise 2.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित व्यंजकों में कौन-कौन एक चर के बहुपद हैं और कौन-कौन नहीं हैं ? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए:
(i) 4x2 – 3x + 7
(ii) y2 + \(\sqrt{2}\)
(iii) 3\(\sqrt{t}\) + t\(\sqrt{2}\)
(iv) y + \(\frac{2}{y}\)
(v) x10 + y3 + t50.
हल:
(i) व्यंजक 4x2 – 3x +7 में x की सभी घात पूर्ण संख्या हैं। इसलिए यह एक चर का बहुपद है।
(ii) y2 + \(\sqrt{2}\) = y2 + \(\sqrt{2}\)y0 व्यंजक में y की सभी घात पूर्ण संख्या हैं। अतः यह व्यंजक एक चर का बहुपद है।
(iii) 3\(\sqrt{t}\) + t\(\sqrt{2}\) = 3t1/2 + t\(\sqrt{2}\), यहाँ व्यंजक में चर t की घात \(\frac{1}{2}\) है, जो कि पूर्ण संख्या नहीं है। इसलिए व्यंजक एक चर का बहुपद नहीं है।
(iv) y + \(\frac{2}{y}\) = y + 2y-1, यहाँ व्यंजक में दूसरे पद में y की घात -1 है, जो कि पूर्ण संख्या नहीं है। इसलिए व्यंजक एक चर बहुपद नहीं है।
(v) x10 + y3 + t50, यहाँ व्यंजक में x, y, t तीन चर हैं।
अतः यह व्यंजक एक चर का बहुपद नहीं है, बल्कि यह तीन चर का बहुपद है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से प्रत्येक में x2 का गुणांक लिखिए:
(i) 2 + x2 + x
(ii) 2 – x2 + x3
(iii) \(\frac{\pi}{2}\)x2 + x
(iv) \(\sqrt{2}\)x – 1
हल:
(i) 2 + x2 + x में x2 का गुणांक 1 है।
(ii) 2 – x2 + x3 में x2 का गुणांक -1 है।
(iii) \(\frac{\pi}{2}\)x2 + x मैं x2 का गुणांक \(\frac{\pi}{2}\) है।
(iv) \(\sqrt{2}\)x – 1 में x2 का गुणांक 0 है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1

प्रश्न 3.
35 घात के द्विपद का और 100 घात के एकपदी का एक-एक उदाहरण दीजिए।
हल:
(i) 35 घात वाला द्विपदी बहुपद = x35 + 2x.
(ii) 100 घात वाला एकपदी बहुपद = 3x100.

प्रश्न 4.
निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद की घात लिखिए:
(i) 5x3 + 4x2 + 7x
(ii) 4 – y2
(iii) 5t – \(\sqrt{7}\)
(iv) 3.
हल:
(i) बहुपद 5x3+ 4x2 + 7x मैं x की अधिकतम घात 3 है।
∴ बहुपद की घात = 3
(ii) बहुपद 4 – y2 में y की अधिकतम घात 2 है
∴ बहुपद की घात = 2
(iii) बहुपद 5t – \(\sqrt{7}\) में t की अधिकतम घात 1 है।
अत: व्यंजक की घात = 1
(iv) बहुपद 3 में केवल एक पद है, जिसे 3x0 लिख सकते हैं। अतः इस व्यंजक की घात = 0.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1

प्रश्न 5.
बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में कौन-कौन बहुपद रैखिक हैं, कौन-कौन द्विघाती हैं और कौन-कौन त्रिपाती हैं
(i) x2 + x
(ii) x – x3
(iii) y + y2 + 4
(iv) 1 + x
(v) 3t
(vi) r2
(vii) 7x3.
हल:
(i) x2 + x, इस बहुपद की अधिकतम घात 2 है।
∴ बहुपद द्विपाती है।
(ii) x – x3 बहुपद की अधिकतम घात 3 है।
∴ बहुपद त्रिघाती है।
(iii) y + y2 + 4 बहुपद की अधिकतम घात 2 है।
∴ द्विघाती बहुपद है।
(iv) 1 + x बहुपद की अधिकतम घात 1 है।
∴ यह रैखिक बहुपद है।
(v) 3t, बहुपद की अधिकतम घात 1 है।
∴ यह रैखिक बहुपद है।
(vi) r2, बहुपद की अधिकतम घात 2 है।
∴ यह द्विघाती बहुपद है।
(vii) 7x3, बहुपद की अधिकतम घात 3 है।
∴ यह त्रिघाती बहुपद है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

Jharkhand Board JAC Class 9th English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

JAC Class 9th English My Childhood Textbook Questions and Answers

Thinking About the Text

Activity: Find Dhanuskodi and Rameswaram on the map. What language(s) do you think are spoken there? What languages do you think the author, his family and his teachers spoke with one another?
धनुषकोड और रामेश्वरम् को मानचित्र पर खोजिये । आपके विचार में वहाँ कौन-सी भाषाएँ बोली जाती हैं ? आपके विचार में लेखक, उसका परिवार, उसके मित्र और उसके अध्यापक एक-दूसरे के साथ कौन-सी भाषाओं में बातचीत करते थे ?
नोट – चित्र को Text Book में पेज नं. 74 पर देखिए ।
Answer:
Dhanuskodi and Rameswaram are on the map at the south-east coast of India in Tamil Nadu State. I think people speak Tamil there. In my view, the author, his family, his teachers and friends also spoke in Tamil with one another.

धनुषकोड और रामेश्वरम् भारत के मानचित्र के दक्षिण-पूर्वी तट पर तमिलनाडु में हैं । मेरे विचार में लोग वहाँ तमिल भाषा बोलते हैं । मेरे विचार में लेखक, उसका परिवार, उसके अध्यापक और मित्र भी एक-दूसरे से तमिल भाषा ही बोलते थे ।

I. Answer these questions in one or two sentences each:

इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिये :

Question 1.
Where was Abdul Kalam’s house ?
अब्दुल कलाम का घर कहाँ था ?
Answer:
Abdul Kalam’s house was on the Mosque Street in Rameswaram.
अब्दुल कलाम का घर रामेश्वरम् में मस्जिद – मार्ग पर था ।

Question 2.
What do you think Dinamani is the name of ? Give a reason for your answer.
आपके विचार में दिनमणि किसका नाम है ? अपने उत्तर का कारण बताओ ।
Answer:
Abdul Kalam looked for the stories about the war in the headlines of Dinamani. So it is clear that Dinamani is the name of a local newspaper.

अब्दुल कलाम दिनमणि के मुख्य शीर्षकों में युद्ध के बारे में कहानियाँ देखा करते थे। अतः यह स्पष्ट है कि दिनमणि एक स्थानीय समाचार-पत्र का नाम|

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

Question 3.
Who were Abdul Kalam’s school friends ? What did they later become ?
अब्दुल कलाम के स्कूल के मित्र कौन-कौन थे ? वे बाद में क्या बने ?
Answer:
Ramanadha Sastry, Aravindan and Sivaprakasan were Abdul Kalam’s school friends. Ramanadha became the high priest of Rameswaram temple. Aravindan started transport business and Sivaprakasan became a catering contractor in the Southern railways.

रमानद शास्त्री, अरविन्दन और शिवप्रकाशन अब्दुल कलाम के स्कूल के मित्र थे । रमानद रामेश्वरम् मन्दिर का मुख्य पुजारी बना। अरविन्दन ने यातायात ( परिवहन) का व्यापार प्रारम्भ कर दिया और शिवप्रकाशन दक्षिण रेलवे में खान-पान का ठेकेदार बन गया ।

Question 4.
How did Abdul Kalam earn his first wages ?
अब्दुल कलाम ने अपनी पहली मजदूरी कैसे कमाई ?
Answer:
Abdul Kalam earned his first wages by working for his cousin Samsuddin. He caught the bundles of newspapers thrown from the moving train during the Second World War. Then he handed these bundles to Samsuddin and got some money for his work.

अब्दुल कलाम ने अपने चचेरे भाई शमसुद्दीन के लिए काम कर अपनी पहली मजदूरी कमाई । वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चलती ट्रेन से फेंके गये अखबारों के बण्डलों को पकड़ा करते थे । तत्पश्चात् वह उन बण्डलों को शमसुद्दीन को दे दिया करते थे और अपने कार्य के लिए धन प्राप्त कर लेते थे ।

Question 5.
Had he earned any money before that ? In what way?
क्या उन्होंने इससे पहले भी कुछ पैसा कमाया था ? कैसे ?
Answer:
Yes, he had earned some money before it also. He collected tamarind seeds and sold them to a provision shop. Every day he received one anna for the work.

हाँ, उन्होंने इससे पहले भी पैसा कमाया था । वह इमली के बीज इकट्ठा करते थे और परचून की दुकान पर उन्हें बेचते थे । इस काम से हर रोज वह एक आना (one anna) प्राप्त कर लेते थे ।

II. Answer each of these questions in a short paragraph (about 30 words) :

इन प्रश्नों में से प्रत्येक का उत्तर एक संक्षिप्त अनुच्छेद (लगभग 30 शब्दों) में दीजिये :

Question 1.
How does the author describe :
(a) his father (b) his mother (c) himself ?
लेखक अपने-. (i) पिता (ii) माता और (iii) स्वयं का कैसे वर्णन करता है ?
Answer:
(a) His father – Jainulabdeen was Abdul’s father. He was an honest and hardworking man who provided a decent life to his children. He felt happy when he helped others.

उनके पिता – जैनुल आबदीन अब्दुल के पिता थे। वे ईमानदार व कर्मठ व्यक्ति थे जिन्होंने अपने बच्चों को एक अच्छा जीवन प्रदान किया था। जब वह दूसरों की सहायता करते थे तो बहुत खुश होते थे।

(a) His mother-Ashiamma, Abdul’s mother was a kind-hearted and generous lady who fed many outsiders everyday apart from her family.
उनकी माँ – आशि अम्मा, अब्दुल की दयालु व उदार माँ थीं जो प्रतिदिन अपने परिवार के अलावा अनेक बाहरी लोगों को भोजन कराती थीं।

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(b) Abdul himself-Abdul considered himself a short boy with ordinary looks. He was born to tall and handsome parents. He belonged to a middle class Tamil family of Rameswaram.
अब्दुल स्वयं – अब्दुल खुद को एक साधारण दिखने वाला छोटे कद का बालक बताते हैं। उनके माता-पिता लम्बे व सुन्दर थे। वे एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में पैदा हुये थे।

Question 2.
What characteristics does he say he inherited from his parents ?
उनके कथनानुसार उन्होंने अपने माता-पिता से क्या गुण ग्रहण किये ?
Answer:
According to Abdul Kalam, he inherited honesty and self discipline from his father. His father taught him to lead a life of austerity and avoid all inessential comforts. He inherited kindness and generosity from his mother Ashiamma.

अब्दुल कलाम के अनुसार उन्होंने अपने पिता से ईमानदारी और आत्म अनुशासन का गुण विरासत में प्राप्त किया। उनके पिता ने उन्हें सादगीपूर्ण जीवन जीने और अनावश्यक सुख सुविधाओं से बचना सिखाया। उन्होंने अपनी माँ आशि अम्मा से दयालुता व उदारती का गुण विरासत में पाया ।

III. Discuss these questions in the class with your teacher and then write down your answers in two or three paragraphs (60 words) each :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न पर कक्षा में अध्यापक के साथ चर्चा कीजिए और फिर अपने उत्तर दो या तीन अनुच्छेदों ( 60 शब्द) में लिखिए :

Question 1.
“On the whole, the small society of Rameswaram was very rigid in terms of the segregation of different social groups, ” says the author.
लेखक कहता है ” कुल मिलाकर रामेश्वरम् का छोटा-सा समाज विभिन्न सामाजिक समूहों के अलगाव के मामले में बहुत कठोर था ।”
(i) Which social groups does he mention ? Were these groups easily identifiable (for example, by the way they dressed)?

वह किन सामाजिक गुटों का उल्लेख करते हैं ? क्या इन गुटों को सरलता से पहचाना जा सकता था (उदाहरण के लिये, उनके वस्त्र पहनने के ढंग से) ?

(ii) Were they aware only of their differences or did they also naturally share friendships and experiences? (Think of the bedtime stories in Kalam’s house; of who his friends were; and of what used to take place in the pond near his house.)

क्या वे केवल अपनी विभिन्नता के बारे में अवगत थे या वे अपनी मित्रता व अनुभवों को स्वाभाविक ढंग से एक-दूसरे से मिल-जुल कर बाँटते थे ?
(कलाम के घर में सोते समय सुनाई जाने वाली कहानियाँ; उनमें उनके मित्र कौन थे; और उनके घर के पास के तालाब में क्या होता था इन सब के बारे में विचार कीजिये ।)

(iii) The author speaks both of people who were very aware of the difference among them and those who tried to bridge these differences. Can you identify such people in the text?

लेखक उन दोनों प्रकार के लोगों की बात करता है जो अपनी विभिन्नता के बारे में बहुत सचेत थे तथा उन लोगों की भी जो इन विभिन्नताओं की खाई को पाटना चाहते थे । क्या पाठ में से आप ऐसे लोगों की पहचान कर सकते हो ?

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(iv) Narrate two incidents that show how differences can be created and also how they can be resolved. How can people change their attitudes?

कोई दो ऐसी घटनाएँ बताओ जिनसे पता चलता हो कि भिन्नताएँ कैसे बनाई जा सकती हैं और कैसे मिटाई भी जा सकती हैं। लोग अपना दृष्टिकोण कैसे बदल सकते हैं ?
Answer:
(i) The author Kalam talks about the people who belong to various castes and follow various religious preachings. Besides, he mentions two distinct social groups of Muslims and orthodox Brahmins, who were easily identified by vitue of their clothing, traditions, culture and rituals. Muslims wore a special kind of cap while Brahmins wore sacred threads, This is illustrated by the behaviour of the new teacher who asked Kalam to sit on the back bench according to his social ranking.

लेखक उन लोगों की चर्चा करते हैं जो विभिन्न जातियों से संबंधित हैं और वे विभिन्न धार्मिक सिद्धान्तों ( शिक्षाओं) को मानते हैं। इसके अतिरिक्त वह दो सामाजिक गुटों का उल्लेख करते हैं : मुसलमानों व रूढ़िवादी ब्राह्मणों का । हाँ इन गुटों को इनके वस्त्रों, प्रथाओं, संस्कृति एवं कर्मकाण्डों के आधार पर सरलता से पहचाना जा सकता था । मुसलमान लोग एक विशेष प्रकार की टोपी पहनते थे व ब्राह्मण जनेऊ पहनते थे। यह अलगाव कलाम के नए अध्यापक के व्यवहार से भी झलकता है जिन्होंने सामाजिक स्तर के अनुसार मुसलमान होने के कारण कलाम को कक्षा में सबसे पीछे बैठा दिया।

(ii) These social groups were aware of their differences but they naturally shared friendships and experiences. The author’s mother and grandmother told the stories of the Ramayana and the Prophet to the children in the house. The author was a Muslim but his friends were from orthodox Hindu Brahmin families. The author’s family arranged boats during the annual Shri Sita Rama Kalyanam ceremony. This ceremony was held in the middle of the pond called ‘Rama Tirtha’.

ये सामाजिक समूह अपनी भिन्नताओं से अवगत थे, किन्तु वे स्वाभाविक रूप से मित्रता व अनुभव बाँटते थे । लेखक की माँ व दादी माँ घर में बच्चों को रामायण व पैगम्बर मुहम्मद साहब की कहानियाँ सुनाया करती थीं । लेखक मुसलमान थे किन्तु उनके मित्र रूढ़िवादी हिन्दू ब्राह्मण परिवारों से थे । लेखक का परिवार ‘श्री सीताराम कल्याणम्’ नामक वार्षिक समारोह के दौरान नावों का प्रबन्ध किया करता था । यह समारोह ‘रामतीर्थ’ नामक सरोवर के मध्य में होता था।

(iii) The new teacher at Rameswaram Elementary School and the author’s science teacher Sivasubramania Iyer’s wife were aware of the differences between the Muslims and the Hindus. But Lakshmana Sastry and Sivasubramania Iyer tried to bridge these differences. Scolded by Lakshamana Sastry, the new teacher changed his attitude. In the same way, inspired by Sivasubramania lyer, his wife served food to the author with her own hands in her kitchen.

रामेश्वरम् प्रारम्भिक स्कूल का नया अध्यापक व लेखक के विज्ञान अध्यापक शिवसुब्रमण्य अय्यर की पत्नी मुसलमानों व हिन्दुओं के मध्य भिन्नताओं के प्रति सचेत थे । लेकिन लक्ष्मण शास्त्री व शिवसुब्रमण्य अय्यर ने इन भिन्नताओं की खाई को पाटने का प्रयास किया । लक्ष्मण शास्त्री द्वारा फटकारने के बाद, नये अध्यापक ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया। इसी प्रकार शिवसुब्रमण्य अय्यर से प्रभावित होकर उनकी पत्नी ने लेखक को अपनी रसोईघर में अपने हाथ से भोजन परोसा !

(iv) Two incidents in the text show how differences can be created. A new teacher at the Rameswaram Elementary School asked the author to sit on the back bench because he was a Muslim and was sitting beside a Hindu priest’s son. The next incident took place at the house of Sri Sivasubramania Iyer. His wife refused to serve food to the author in her ritually pure kitchen

Both changed their attitudes later. The new teacher was scolded by Lakshamana Sastry. He realised his mistake and promised to change his attitude. Sivasubramania Iyer’s wife herself realised that there was no difference between the two communities. Later, she served the author food with her own hands in her kitchen.

पाठ में दो घटनाएँ भिन्नताओं को उत्पन्न करना दर्शाती हैं । रामेश्वरम् प्रारम्भिक स्कूल के नये अध्यापक ने लेखक को पीछे की बेंच पर बैठने के लिए कहा क्योंकि वह एक मुसलमान था और एक हिन्दू पुजारी के पुत्र की बगल में बैठा हुआ था । दूसरी घटना शिवसुब्रमण्य अय्यर के घर घटित हुई । उनकी पत्नी ने अपनी धार्मिक अनुष्ठानों से पवित्र रसोई में लेखक के लिए भोजन परोसने से मना कर दिया । दोनों ने ही बाद में अपना व्यवहार बदल लिया । नये अध्यापक को लक्ष्मण शास्त्री के द्वारा डाँटा गया । उसने अपनी गलती महसूस की और अपने विचार बदलने का वायदा किया । शिवसुब्रमण्य अय्यर की पत्नी ने स्वयं ही अपनी गलती महसूस कर ली कि दोनों समुदायों में कोई अन्तर नहीं है । बाद में उन्होंने अपनी रसोई में अपने हाथों से लेखक को भोजन परोसा।

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Question 2.
(i) Why did Abdul Kalam want to leave Rameswaram?
अब्दुल कलाम रामेश्वरम् से क्यों जाना चाहते थे ?

(ii) What did his father say to this ?
उनके पिताजी ने इसके बारे में क्या कहा ?

(iii) What do you think his words mean? Why do you think he spoke those words?
आपके विचार में उनके शब्दों का क्या अर्थ है ? आपके विचार में उन्होंने ये शब्द क्यों कहे?.
Answer:
(i) Abdul Kalam wanted to leave Rameswaram to study at the district headquarters in Ramanathapuram.
अब्दुल कलाम जिला मुख्यालय रामनाथपुरम् में पढ़ाई करने के लिए रामेश्वरम् से जाना चाहते थे ।.

(ii) When Abdul Kalam asked his father for permission to leave Rameswaram, he gave his consent and said, “Abul! I know you have to go away to grow. Does the seagull not fly across the sun, alone and without a nest?” But Abdul Kalam’s mother did not want her son to leave home. So his father quoted Khalil Gibran to console his hesitant mother, “Your children are not your children. They are the sons and daughters of Life’s longing for itself. You may give them your love but not your thoughts”.

जब अब्दुल कलाम ने अपने पिता से रामेश्वरम् से जाने की अनुमति माँगी तो उन्होंने अपनी सहमति दे दी और कहा, “अबुल ! मैं जानता हूँ कि तुम्हें उन्नति करने के लिए जाना है । क्या समुद्री पक्षी (समुद्री काक) सूरज से आगे तक अकेला व बिना घोंसले के नहीं उड़ता?” किन्तु अब्दुल कलाम की माँ नहीं चाहती थीं कि उनका पुत्र घर छोड़कर जाये। इसलिए उनके पिता ने उनकी दुविधा में पड़ी माँ को सान्त्वना प्रदान करने के लिए खलील जिब्रान की पंक्तियाँ उद्धृत कीं, “आपके बच्चे आपके बच्चे ही नहीं हैं । वे जीवन की लालसा के पुत्र व पुत्रियाँ हैं !……तुम उन्हें प्यार दे सकते हो किन्तु उन्हें अपने विचार नहीं दे सकते। ”

(iii) His words bore great meaning. First, he inspired his son to go ahead alone giving the example of the seagull. Secondly, he explained to his wife to give their son opportunity to get higher education and to make progress. Parents’ thoughts should not be imposed upon children. They should be given opportunities to grow independently.

उनके शब्द का अर्थ गंभीर था । पहले, उन्होंने अपने पुत्र को समुद्री काक का उदाहरण देकर अकेले ही आगे बढ़ने को प्रेरित किया । बाद में, उन्होंने अपनी पत्नी को समझाया कि वह अपने पुत्र को उन्नति करने के लिए उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करे । बच्चों के ऊपर उनके माता-पिता के विचार नहीं थोपे जाने चाहिये । उन्हें स्वतन्त्रतापूर्वक विकास करने के अवसर दिये जाने चाहिये ।

Thinking about Language

1. Find the sentences in the text where these words occur:

पाठ में से उन वाक्यों को ढूँढ़िए जहाँ ये शब्द आए हैं:
erupt, surge, trace, undistinguished, casualty

Look these words up in a dictionary which gives examples of how they are used. Now answer the following questions :
शब्दकोश में इन शब्दों को देखिए, जिसमें उदाहरण दिये गये हैं कि ये शब्द कैसे प्रयोग किये जाते हैं । अब निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

1. What are the things that can erupt? Use examples to explain the various meanings of erupt. Now do the same for the word surge. What things can surge?
वे कौन-सी वस्तुएँ है जो अचानक प्रारम्भ हो सकती हैं। ‘erupt’ शब्द के विभिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उदाहरणों का प्रयोग कीजिए । अब ‘surge’ शब्द के लिए भी ऐसा ही करें । कौन-सी वस्तुएँ ‘surge कर सकती हैं ?

2. What are the meanings of the word trace and which of the meanings is closest to the word in the text?
‘trace’ शब्द के क्या-क्या अर्थ हैं तथा पाठ में इस शब्द का कौन-सा अर्थ निकटतम है ?

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3. Can you find the word undistinguished in your dictionary? (If not, look up the word distinguished and say what undistinguished must mean.)
क्या आप ‘undistinguished’ शब्द को अपने शब्दकोश में ढूँढ़ सकते हो ? (यदि नहीं तो distinguished शब्द देखिये और बताइये कि undistinguished का अर्थ क्या होना चाहिए । )
Answer:
1. erupt:

  • When something erupts, it happens suddenly.
  • When the people in a place become angry or violent, we can say they have erupted.
  • When riots or war erupt, it suddenly begins.
  • When a volcano erupts, it throws out lava, ash etc.

surge:

  • Surge is a sudden great increase in something.
  • If people or vehicles surge forward, it means they move forward.
  • If water surges, it moves forward suddenly and powerfully.
  • If an emotion surges in you, you feel it suddenly.

2. trace:

  • Its meanings are: to track; to follow step by step; to detect; to mark the outline of something; to find out.
  • The word in the text means ‘to find out’.

3. Undistinguished: not eminent; ordinary.

II. 1. Match the phrases in Column A with their meanings in Column B :

स्तम्भ ‘A’ में दिये गये वाक्यांशों को स्तम्भ ‘B’ में दिये गये उनके अर्थों से मिलाइये :

A B
(i) broke out

(ii) in accordance with

(iii) a helping hand

(iv) could not stomach

(v) generosity of spirit

(vi) figures of authority

(a) an attitude of kindness, a readiness to give freely

(b) was not able to tolerate.

(c) began suddenly in a violent way

(d) assistance

(e) persons with power to make decisions

(f) according to a particular rule, principle, or system

Answer:

A B
(i) broke out

(ii) in accordance with

(iii) a helping hand

(iv) could not stomach

(v) generosity of spirit

(vi) figures of authority

(c) began suddenly in a violent way

(f) according to a particular rule, principle, or system

(d) assistance

(b) was not able to tolerate.

(a) an attitude of kindness, a readiness to give freely

(e) persons with power to make decisions


2. Study the words in italics in the sentences below. They are formed by prefixing un- or in- to their antonyms (words opposite in meanings).

निम्नलिखित वाक्यों में तिरछे छपे शब्दों को पढ़िये । इनकी रचना इनके विलोम शब्दों में un या in उपसर्ग जोड़कर की गई है ।

  • I was a short boy with rather undistinguished looks. (un + distinguished)
  • My austere father used to avoid all inessential comforts. (in + essential)
  • The area was completely unaffected by the war. (un + affected)
  • He should not spread the poison of social inequality and communal intolerance. (in + equality, in + tolerance)

Now form the opposites of the words below by prefixing un-or in-. The prefix in- can also have the forms il-, ir- or im- (for example: illiterate -il +literate, impractical -im + practical, irrational -ir + rational). You may consult a dictionary if you wish.

अब निम्नलिखित शब्दों में un या in उपसर्ग जोड़कर विलोम शब्दों की रचना कीजिये । ‘ir’ या ‘im’ भी हो सकते हैं (उदाहरणार्थ -illiterate – il + literate, impractical – im + practical, irrational – ir + rational) । आप चाहें तो शब्दकोष देख सकते हैं।

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Answer:
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III. Passive Voice

Study these sentences: इन वाक्यों को पढ़िये :

  • My parents were regarded as an ideal couple.
  • I was asked to go and sit on the back bench.
  • Such problems have to be confronted.

इन वाक्यों में तिरछी छपी हुई क्रियाएँ be क्रिया के किसी रूप तथा past participle से बनाई गई हैं । (उदाहरणार्थ – were + regarded, was + asked, be+ confronted)। ये वाक्य ‘कौन क्या करता है’ की बजाय ‘क्या होता है – इस बात पर ध्यान केन्द्रित करते हैं । ध्यान दीजिये कि इन वाक्यों में कार्य के कर्त्ता का उल्लेख नहीं किया गया है ।

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आवश्यकतानुसार हम कार्य के कर्त्ता का उल्लेख by – phrase में कर सकते हैं । उदाहरणार्थ :

  • The tree was struck by lightning.
  • The flag was unfurled by the Chief Guest.

IV. Rewrite the sentences below, changing the verbs in brackets into the passive form:

नीचे दिये गये वाक्यों की कोष्ठकों में दी गयी verbs को Passive form में बदलकर पुन: लिखियेः

1. In yesterday’s competition the prizes (give away) by the Principal.
2. In spite of financial difficulties, the labourers (pay) on time.
3. On the Republic Day, vehicles (not allow) beyond this point.
4. Second-hand books (buy and sell) on the pavement every Saturday.
5. Elections to the Lok Sabha (hold) every five years.
6. Our National Anthem (compose) Rabindranath Tagore.
Answer:
1. In yesterday’s competition the prizes were given away by the Principal.
2. In spite of financial difficulties, the labourers were paid on time.
3. On Republic Day, vehicles are not allowed beyond this point.
4. Second-hand books are bought and sold on the pavement every Saturday.
5. Elections to the Lok Sabha are held every five years.
6. Our National Anthem was composed by Rabindranath Tagore.

V. Rewrite the paragraphs below, using the correct form of the verb given in bracket:

निम्नलिखित अनुच्छेदों को कोष्ठकों में दी गई क्रियाओं के सही रूप का प्रयोग करते हुए पुनः लिखिए :

1. How Helmets Came to be Used in Cricket

Nari Contractor was the Captain and an opening batsman for India in the 1960s. The Indian cricket team went on a tour to the West Indies in 1962. In a match against Barbados in Bridgetown, Nari Contractor (seriously injure and collapse). In those days, helmets (not wear). Contractor (hit) on the head by a bouncer from Charlie Griffith. Contractor’s skull (fracture). The entire team (deeply concern). The West Indies players (worry). Contractor (rush) to hospital. He (accompany) by Frank Worrell, the Captain of the West Indies Team. Blood (donate) by the West Indies players. Thanks to the timely help, Contractor (save). Now a days helmets (routinely use) against bowlers.
Answer:
Nari Contractor was the Captain and an opening batsman for India in the 1960s. The Indian cricket team went on a tour to the West Indies in 1962. In a match against Barbados in Bridgetown Nari Contractor was seriously injured and collapsed. In those days, helmets were not worn. Contractor was hit on the head by a bouncer from Charlie Griffith. Contractor’s skull was fractured.

The entire team was deeply concerned. The West Indies players were worried. Contractor was rushed to hospital. He was accompanied by Frank Worrell, the Captain of the West Indies Team. Blood was donated by the West Indies players. Thanks to the timely help, Contractor was saved. Nowadays helmets are routinely used against bowlers.

2. Oil from Seeds
Vegetable oils (make) from seeds and fruits of many plants growing all over the world, from tiny sesame seeds to big juicy coconuts. Oil (produce) from cotton seeds, groundnuts, soyabeans and sunflower seeds, Olive oil (use) for cooking, salad dressing etc. Olives (shake) from the trees and (gather) up, usually by hand. The olives (ground) to a thick paste which is spread onto special mats. Then the mats (layer) up on the pressing machine which will gently squeeze them to produce olive oil.
Answer:
Vegetable oils are made from seeds and fruits of many plants growing all over the world, from tiny sesame seeds to big juicy coconuts. Oil is produced from cotton seeds, groundnuts, soyabeans and sunflower seeds. Olive oil is used for cooking, salad dressing etc. Olives are shaken from the trees and are gathered up, usually by hand. The olives are grounded to a thick paste which is spread onto special mats. Then the mats are layered up on the pressing machine which will gently squeeze them to produce olive oil.

Dictation.

Let the class divide itself into three groups. Let each group take down one passage that the teacher dictates. Then put the passages together in the right order:
कक्षा को तीन समूहों में विभाजित करें। प्रत्येक समूह अध्यापक द्वारा बोले गये एक अनुच्छेद को लिखे। तत्पश्चात् अनुच्छेदों को सही क्रम में रखो :

To Sir, with Love

1. From Rameswaram to the Rashtrapati Bhavan, it had been a long journey. Talking to Nona Walia on the eve of Teachers’ Day, Dr A.P.J. Abdul Kalam talked about life’s toughest lessons learnt and his mission-being a teacher to the Indian youth. “A proper education would help nurture a sense of dignity and self-respect among our youths”, said Dr Kalam. There was still a child in him though, and he was still curious about learning new things. Life had a mission for A.P.J. Abdul Kalam.

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2. Nonetheless, he remembered his first lesson in life and how it changed his destiny. “I was studying in Standard V, and must have been all of 10. My teacher, Sri Sivasubramania Iyer was telling us how birds fly. He drew a diagram of a bird on the blackboard, depicting the wings, tail and the body with the head and then explained how birds soar to the sky. At the end of the class, I. said, I didn’t understand. Then he asked the other students if they had understood, but nobody had understood how birds fly,” he recalled.

3. “That evening, the entire class was taken to Rameswaram shore,” Dr Abdul Kalam continued, “My teacher showed us sea birds. We saw marvellous formations of them flying and how their wings flapped. Then my teacher asked us, “Where is the birds’ engine and how is it powered ?” I knew then that birds are powered by their own life and motivation.

I understood all about bird’s dynamics. This was real teaching – a theoretical lesson coupled with a live practical example. Sri Sivasubramania Iyer was a great teacher.” “That day, my future was decided. My destiny was changed. I knew my future had to be about flight and flight systems.”
Note: Passage is correctly punctuated. It’s a class activity, so no answer is required.

Speaking

Here is a topic for you to :
यहाँ आपके लिए एक विषय है :

1. think about; (विचार करने के लिए)
2. give your opinion on. (अपना मत देने के लिए।)
Find out what other people think about it. Ask your friends/seniors/parents to give you their opinion.
पता लगाइये कि अन्य लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं। अपने मित्रों, वरिष्ठों व माता-पिता के विचार जानिये ।

‘Career Building is the Only Goal of Education’
शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य भविष्य का निर्माण करना है ।
Or
‘Getting a Good Job is More Important than Being a Good Human Being.’
एक अच्छा मानव बनने की बजाय एक अच्छी नौकरी पाना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है ।

You can use the following phrases:
आप निम्नलिखित वाक्यांशों का प्रयोग कर सकते हैं :

(i) While giving your opinon:
(अपना मत रखते समय)

I think that ……. in my opinion ………..
It seems to me that ………..
I am of the view that…………
If you ask me …………………
As far as I know……………

(ii) Saying what other people think:
(यह कहते हुए दूसरे लोग क्या सोचते हैं) :

According to some…..
Quite a few think ………
Some others favour…………
Thirty percent of the people disagree………
Fifty percent of them strongly feel……….

(iii) Asking for others’ opinions :
(दूसरों का मत पूछते हुए) :

What do you think about………….
What is your opinion about……….
What do you think of……..
Does this make you believe…………
Do you agree………….
Answer:
Career building is the only goal of education.
(शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य भविष्य का निर्माण करना है ।)
Dear Friends
This is an important question in the present time, “What is the purpose of education?” Is it to prepare ourselves for a better career so that we may earn only money? I have asked the question quite a many young persons and their parents. Most young persons are attracted by the glamour of modern life. They wish to have a luxurious life. They want to pursue higher edcuation to find a highly paid job and satisfy their ambition.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

But I think that is not the goal of education. If we pursue education for monetary sake only, we are sure to lose human values. I hope you also will agree that money brings no peace. Education must promote human values. No doubt we should have a good career. But we must not be devoid of love, sympathy, and kindness. Without these human emotions man will turn into a monster. He will become a machine or a robot.

प्रिय साथियों,
यह आधुनिक समय का एक प्रमुख प्रश्न है, “शिक्षा का क्या उद्देश्य है ?” क्या यह हमें एक सुखद भविष्य बनाने के लिये तैयार करती है ताकि हम केवल धन कमा सकें । मैंने यह प्रश्न अनेक युवा व्यक्तियों तथा उनके माता-पिता से पूछा हैं। अधिकतर युवा आधुनिक जीवन की चकाचौंध से प्रभावित हैं । वे विलासितापूर्ण जीवन जीना चाहते हैं । वे अधिक तनख्वाह वाली नौकरी पाने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तथा अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करना चाहते है। किन्तु मेरा विचार है कि यह शिक्षा का उद्देश्य नहीं है ।

यदि हम शिक्षा केवल’ धन प्राप्ति के लिये ही पाना चाहते हैं तो हम मानव मूल्यों को निश्चित रूप से खो देंगे । मैं आशा करती/करता हूँ कि आप इस बात से सहमत होंगे कि धन शान्ति प्रदान नहीं करता है । शिक्षा को मानव मूल्यों के हित में बढ़ावा देना चाहिये । नि:संदेह हमारा कैरियर अच्छा होना चाहिये । किन्तु हमें प्रेम, दया व सहानुभूति की भावनाओं से वंचित नहीं होना चाहिये । इन मानव मूल्यों के अभाव में मनुष्य एक दानव बन जायेगा । वह एक मशीने या रोबोट बन जायेगा ।

Writing

Think and write a short account of what life in Rameswaram in the 1940s must have been like. (Were people rich or poor? Hard working or lazy? Hopeful of change, or resistant to it ?)
रामेश्वरम् में वर्ष 1940 के दशक में जीवन कैसा रहा होगा इसके विषय में सोचिये और एक संक्षिप्त वर्णन लिखिये । · लोग धनी थे या निर्धन ? परिश्रमी या आलसी ? परिवर्तन के प्रति आशावान थे या उसके विरुद्ध ?
Answer:
Rameswaram is a small island town on the south east coast of India. Here, the small society was very rigidly divided into different social groups in the 1940. People were not rich. They led austere lives. There were schools and students were given modern education. They were learning science also.

But in spite of social segregation, there was feeling of cooperation among the people. There were some people with orthodox outlooks, whereas some others were open minded. They wanted to change the system. People on the whole were hardworking. After the war, they looked forward to a great change.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

रामेश्वरम् भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीपीय उपनगर है । 1940 के दशक में यहाँ छोटा-सा समाज विभिन्न सामाजिक समूहों में बहुत कठोरता से बँटा हुआ था । लोग अमीर नहीं थे । वे साधारण जीवन जीते थे । वहाँ स्कूल थे और स्कूलों में विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा दी जाती थी । वे विज्ञान भी पढ़ते थे । किन्तु लोगों में सामाजिक भिन्नता के बावजूद सहयोग की भावना थी । वहाँ कुछ कट्टरपंथी लोग थे, तो कुछ अन्य खुले दिमाग वाले लोग भी थे और वे व्यवस्था को बदलना चाहते थे। कुल मिलाकर लोग. कठिन परिश्रमी थे । युद्ध के बाद वे एक महान परिवर्तन की आशा कर रहे थे ।

JAC Class 9th English My Childhood Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नांकित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
What does the author tell about his father ?
लेखक अपने पिता के विषय में क्या बताता है ?
Answer:
According to the author, his father had neither much formal education nor much wealth. But he had great innate wisdom and a true nobleness of spirit. He believed in simple living and used to avoid unnecessary comforts.

लेखक के अनुसार, उसके पिता के पास न तो अधिक औपचारिक शिक्षा थी और न ही अधिक धन । परन्तु उनमें जन्मजात महान बुद्धिमत्ता व आत्मा की सच्ची श्रेष्ठता थी । वह साधारण जीवन में विश्वास करते थे तथा अनावश्यक सुख-सुविधाओं से बचते थे ।

Question 2.
How was the author’s childhood ?
लेखक का बचपन कैसा था ?
Answer:
The author had very secure childhood, both materially and emotionally. All needs such as food, medicine and clothes were provided for. Besides, he had ideal parents.
उनका बचपन भौतिक व भावनात्मक, दोनों दृष्टियों से सुरक्षित था। भोजन, दवा और कपड़ों जैसी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी । इसके अतिरिक्त, उनके माता-पिता आदर्श माता – पिता थे ।

Question 3.
What did Dr Kalam’s father avoid ?
डा. कलाम के पिता किन बातों से बचा करते थे ?
Answer:
His father used to avoid all inessential comforts and luxuries. But all the necessary things like food, medicine and clothes were provided to keep the life comportable.

उनके पिता सभी अनावश्यक सुख-सुविधाओं और विलासिताओं से बचा करते थे । परन्तु जीवन को भोजन, दवा तथा कपड़ों जैसी सभी आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध करा दी जाती थीं ।

Question 4.
How would the author earn one anna a day ?
लेखक प्रतिदिन एक आना कैसे कमा लेता था ?
Answer:
During the Second World War, a sudden demand for tamarind seeds came up in the market. The author used to collect the seeds and sell them to a provision shop. This gave him an anna a day.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बाजार में अचानक इमली के बीजों की माँग उत्पन्न हो गई थी । लेखक इमली के बीज एकत्र किया करता था और उन्हें एक परचून की दुकान पर बेच देता था । इससे उसे प्रतिदिन एक आना मिल जाता था ।

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Question 5.
Give an account of the author’s childhood friends and their family backgrounds.
लेखक के बचपन के मित्रों व उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमियों के विषय में बताइये ।
Answer:
The author had three close friends in his childhood – Ramanadha Sastry, Aravindan and Sivaprakasan. All these boys were from orthodox Hindu Brahmin families. But they never felt any difference with the author.

बचपन में लेखक के तीन घनिष्ठ मित्र थे- रमानद शास्त्री, अरविन्दन और शिवप्रकाशन। ये सब लड़के रूढ़िवादी हिन्दू ब्राह्मण परिवारों से थे । लेकिन उन्होंने कभी भी लेखक से कोई भिन्नता नहीं रखी।

Question 6.
Which stories were told to the children at the bed time in the author’s family?
लेखक के परिवार में बच्चों को सोने के समय कौन- सी कहानियाँ सुनाई जाती थीं?
Answer:
The author’s mother and grandmother would tell the children of the family some stories at the bedtime. These stories were the events from the Ramayana and from the life of the Prophet.

लेखक की माँ व दादी सोने के समय परिवार के बच्चों को कुछ कहानियाँ सुनाया करती थीं । ये कहानियाँ रामायण की व पैगम्बर साहब के जीवन की घटनाएँ होती थीं ।

Question 7.
How did the author and his friend feel when he was asked to go and sit on the back bench?
जब लेखक को पीछे की बेंच पर जाकर बैठने के लिए कहा गया तो उसने व उसके मित्र ने कैसा अनुभव किया ?
Answer:
When the author was asked to go and sit on the back bench, he felt very sad. His friend, Ramanadha Sastry also looked very downcast. He even started to weep.

जब लेखक से पीछे की बेंच पर जाकर बैठ जाने को कहा गया तो उसे बहुत दुःख हुआ । उसका मित्र रमानद शास्त्री भी बहुत उदास प्रतीत हुआ । उसने रोना भी शुरू कर दिया ।

Question 8.
Who was Lakshmana Sastry and what did he tell the new teacher ?
लक्ष्मण शास्त्री कौन थे और उन्होंने नये अध्यापक से क्या कहा ?
Answer:
Lakshmana Sastry was Ramanadha Sastry’s father. He told the new teacher that he should not spread the poison of social inequality and communal intolerance in the minds of inno- cent children. He asked him to apologise or leave the island.

लक्ष्मण शास्त्री, रामनाथ शास्त्री के पिता थे। उन्होंने नये अध्यापक से कहा कि वह मासूम बच्चों के मन में सामाजिक असमानता व साम्प्रदायिकता का जहर न फैलाये । उन्होंने उससे कहा कि वह माफी माँगे अथवा द्वीप को छोड़कर चला जाये ।

Question 9.
What was the main quality of Abdul Kalam’s science teacher, Sivasubramania Iyer ?
अब्दुल कलाम के विज्ञान- अध्यापक शिवसुब्रमण्य अय्यर का मुख्य गुण क्या था ?
Answer:
Abdul Kalam’s science teacher was an ordhodox Brahmin. But he tried his best to break social barriers so that people from different backgrounds might mingle easily.

अब्दुल कलाम के विज्ञान- अध्यापक कट्टर परम्परावादी ब्राह्मण थे । परन्तु उन्होंने सामाजिक बन्धनों को तोड़ने का भरपूर प्रयास किया ताकि विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग आसानी से घुल-मिल सकें ।

Question 10.
How did Mr Iyer treat the author at his home ?
श्री अय्यर ने अपने घर पर लेखक के साथ कैसा व्यवहार किया ?
Answer:
Mr Iyer’s wife refused to serve the author in her ritually pure kitchen, but he (Mr Iyer) remained calm. He served the author with his own hands and sat down beside him to eat his meal.

श्री अय्यर की पत्नी ने लेखक को धार्मिक अनुष्ठानों से पवित्र अपने रसोईघर में भोजन परोसने से मना कर दिया परन्तु वह (श्री अय्यर) शान्त रहे । उन्होंने लेखक को स्वयं अपने हाथों से भोजन परोसा और उनकी बगल में बैठकर भोजन किया ।

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Question 11.
What change did the author notice in her behaviour when he went to Mrs Iyer’s house the next time?
जब लेखक दूसरी बार श्रीमती अय्यर के घर गया तो उसने उनके व्यवहार में क्या परिवर्तन देखा?
Answer:
When the author visited Mrs Iyer’s house for the first time, she refused to serve food to the author in her kitchen. But when he went to her house the next time, she took him inside her kitchen and served him food with her own hands.

जब लेखक श्रीमती अय्यर के घर पहली बार गए तो उसने लेखक को अपनी रसोई में भोजन परोसने से मना कर दिया था । लेकिन जब वह अगली बार उनके घर गया तो वह उसे अपने रसोईघर में ले गईं और उसे अपने हाथों से भोजन परोसा ।

Question 12.
According to the author, how many people did his mother feed everyday ?
लेखक के अनुसार उनकी माँ प्रतिदिन कितने लोगों को भोजन कराती थीं ?
Answer:
Even the author did not know the exact number of such people. But certainly she fed far more people than all the members in their family. It was all out of her kind heartedness and generosity.

लेखक ऐसे लोगों की ठीक-ठीक संख्या नहीं जानता था । किन्तु निश्चित रूप से वह परिवार की कुल सदस्य संख्या से कहीं ज्यादा लोगों को भोजन कराती थीं । यह उनकी दयालुता और उदारता ही थी ।

Question 13.
What did the author’s family use to do during the annual Shri Sita Ram Kalyanam ceremony ?
लेखक का परिवार श्री सीता राम कल्याणम् वार्षिक उत्सव के दौरान क्या किया करता था ?
Answer:
During this ceremony, the author’s family used to arrange boats with a special platform for carrying idols of the Lord (God) from the temple to the marriage site which was situated in the middle of a pond called ‘Rama Tirth’.

उत्सव के दौरान लेखक का परिवार मन्दिर से रामतीर्थ नामक सरोवर के मध्य स्थित विवाह स्थल तक भगवान की मूर्तियाँ ले जाने के लिए विशेष मंच वाली नावों की व्यवस्था किया करता था ।

Question 14.
What did Gandhiji declare and when ?
गाँधी जी ने कब व क्या घोषणा की ?
Answer:
When the Second World War was over, Gandhiji declared that Indians would build their own India. Then the whole country was filled with an unprecedented optimism.

जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तब गाँधी जी ने घोषणा की कि भारतीय स्वयं अपने भारत का निर्माण करेंगे। तब सारा देश एक अभूतपूर्व आशावादिता से भर गया ।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए :

Question 1.
What do you know about the parents of the author ? लेखक के माता-पिता के विषय में आप क्या जानते हैं ?
Answer:
The author’s father was a wise man. His name was Jainulabdeen. He was not highly educated. He didn’t possess much wealth. So he avoided all inessential comforts. However all necessities were provided like food, medicine and clothes. His mother was an ideal housewife. Her name was Ashiamma. She was so generous that she fed far more outsiders than all the members of her family put together.

लेखक के पिता एक बुद्धिमान व्यक्ति थे। उनका नाम जैनुल आबदीन था। वे बहुत शिक्षित नहीं थे। उनके पास ज्यादा धन नहीं था। इसलिए वे सभी अनावश्यक सुख सुविधाओं से बचा करते थे। फिर भी भोजन, औषधि और वस्त्रों जैसी सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्धा करा दी जाती थीं। उनकी माँ एक आदर्श गृहिणी थीं। उनका नाम आशिअम्मा था। वह इतनी उदारें थीं कि अपने परिवार के कुल सदस्यों की संख्या से ज्यादा लोगों को वह भोजन कराती थीं ।

Question 2.
What kind of lady was Dr Kalam’s mother ?
डा. कलाम की माँ किस प्रकार की महिला थीं ?
Answer:
Dr Kalam’s mother was an ideal housewife. Her name was Ashiamma. She was a kind lady. Everyday she fed many people in her house. She loved her family very much. She told the children the stories from the Ramayana and from the life of the Prophet. When Dr Kalam was about to leave for Ramanathapuram, she was very upset because she loved him-very much.

डा. कलाम की माँ एक आदर्श गृहिणी थीं। उनका नाम आशिअम्मा था । वे एक दयालु महिला थीं। वे प्रतिदिन अपने घर में बहुत-से लोगों को भोजन कराती थीं । वे अपने परिवार से अत्यधिक प्रेम करती थीं। वे बच्चों को रामायण व पैगम्बर मोहम्मद के जीवन की कहानियाँ सुनाया करती थीं । जब डा. कलाम रामनाथपुरम् जाने . लगे, तो वे बहुत बेचैन हो उठी थीं क्योंकि वे उन्हें बहुत प्रेम करती थीं ।

Question 3.
How did Abdul Kalam earn his own money for the first time ?
अब्दुल कलाम ने अपनी पहली मजदूरी कैसे कमाई ?
Answer:
During the Second World War the train did not stop at Rameswaram station. So the bundles of the newspapers were thrown out from the running train on the Rameswaram Road between Rameswaran and Dhanushkodi. In this situation, his cousin, Samsuddin needed a boy to catch the bundles. Kalam used to help him. For this, Samsuddin paid him some money. In this way, Abdul Kalam earned his first wages.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रेलगाड़ी रामेश्वरम् स्टेशन में नहीं रुकती थी । अतः रामेश्वरम् और धनुषकोडि के बीच रामेश्वरम रोड पर अखबारों के बंडल चलती हुई गाड़ी से बाहर फेंक दिये जाते थे । इस परिस्थिति में उनके चचेरे भाई शमसुद्दीन को एक लड़के की जरूरत थी जो बंडल लपक सके। कलाम उसकी सहायता किया करते थे । इसके लिए शमसुद्दीन उन्हें कुछ धन देता था । इस प्रकार अब्दुल कलाम ने अपनी पहली मजदूरी कमाई ।

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Question 4.
What kind of poison was the new young teacher spreading in the minds of the students?
युवा अध्यापक छात्रों के मन में किस तरह का जहर फैला रहा था ?
Answer:
Abdul Kalam’s three close friends were from traditional Hindu Brahmin families. But there was no religious difference among them. Abdul Kalam always sat in the front row next to his Brahmin friend. The new teacher did not allow Kalam, a Muslim boy, to sit beside a Brahmin boy. In this way, he was spreading the poison of social inequality and communalism in the minds of innocent children.

अब्दुल कलाम के तीन घनिष्ठ मित्र परम्परागत हिन्दू ब्राह्मण परिवारों से थे। किन्तु इनके बीच किसी प्रकार का शर्मिक भेदभाव न था । अब्दुल कलाम सदैव आगे की पंक्ति में अपने ब्राह्मण मित्र के बराबर में बैठते थे। नये शिक्षक ने मुसलमान बालक अब्दुल कलाम को एक ब्राह्मण लड़के के पास में नहीं बैठने दिया । इस प्रकार वह मासूम बच्चों के मन में सामाजिक भेदभाव और साम्प्रदायिकता का जहर फैला रहा था ।

Question 5.
What were the reactions of Abdul Kalam’s father and mother when he wanted to leave home ?
जब अब्दुल कलाम घर छोड़कर जाना चाहते थे उस समय उनके माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया थी ?
Answer:
When Abdul Kalam wanted to leave home, the reactions of his parents were different. His mother was upset. She was hesitant to allow him to go. At this time his father had control over his emotions. He encouraged Abdul Kalam to be brave like a seagull and must go out for his growth. He also consoled his wife to let their son go out for a successful future.

जब अब्दुल कलाम घर छोड़कर जाना चाहते थे; उस समय उनके माता-पिता की प्रतिक्रियाएँ भिन्न थीं । उनकी माँ तनाव में थीं। वे उन्हें जाने की अनुमति देने में हिचकिचा रही थीं। उस समय उनके पिता ने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया था। उन्होंने अब्दुल कलाम को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह एक समुद्री पक्षी की भाँति बहादुर बनें और अपने विकास हेतु अवश्य बाहर जाऐ। उन्होंने अपनी पत्नी को भी सांत्वना दी कि वह उनके पुत्र को उसके सफल भविष्य के लिए बाहर जाने दें।

Question 6.
Why did the author’s science teacher Sivasubramania Iyer try to break social barriers and how?
लेखक के विज्ञान अध्यापक शिवसुब्रमण्य अय्यर ने सामाजिक अवरोधों को तोड़ने का प्रयास क्यों और कैसे किया ?
Answer:
Though the author’s science teacher Sivasubramania Iyer was an orthodox Brahmin, he was. something of a rebel. He wanted to break social barriers so that people from varying backgrounds could mingle easily. For this, he invited the author (a muslim boy) to his home for a meal. He himself served the author and sat beside him to eat his meal. Taking the lesson from this incident, following week Mr Iyer’s conservative wife also served the author in her own kitchen.

यद्यपि लेखक के विज्ञान अध्यापक शिवसुब्रमण्य अय्यर एक परम्परावादी ब्राह्मण थे, किन्तु वे एक विद्रोही थे । वह सामाजिक अवरोधों को तोड़ना चाहते थे जिससे कि विविध पृष्ठभूमियों के लोग आसानी से घुल-मिल सकें । उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने लेखक ( एक मुसलमान बालक) को अपने घर पर भोजन करने के लिए बुलाया । उन्होंने लेखक को स्वयं भोजन परोसा व स्वयं भी उनके बगल में ही भोजन करने बैठ गये । इस घटना से सबक लेकर अगले सप्ताह श्री अय्यर की पुरातनपंथी पत्नी ने भी अपनी ही रसोई में लेखक को भोजन परोसा ।

Question 7.
What do you learn from this lesson ?
इस पाठ से आप क्या सीखते हैं ?
Answer:
The author’s autobiographical note about his childhood teaches us many things. We should always obey and respect our parents and elders in our family. We should read and learn about the great men to develop our own traits. We should believe in simple living and high thinking. We should try to establish social and religious harmony in our society.

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अपने बचपन के बारे में लेखक का यह आत्मकथात्मक विवरण हमें कई बातें सिखाता है। हमें हमेशा परिवार में बड़ों व माता-पिता की आज्ञा माननी चाहिये और उनका सम्मान करना चाहिए । हमें स्वयं अपनी विशेषताएँ विकसित करने के लिए महापुरुषों के विषय में पढ़ना व जानना चाहिए । हमें सादा जीवन व उच्च विचार में विश्वास करना चाहिए । हमें अपने समाज में सामाजिक व धार्मिक समरसता स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए ।

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions given below them:

नीचे दिए हुए गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

Passage – 1.

I was born into a middle-class Tamil family in the island town of Rameswaram in the erstwhile Madras state. My father, Jainulabdeen, had neither much formal education nor much wealth; despite these disadvantages, he possessed great innate wisdom and a true generosity of spirit. He had an ideal helpmate in my mother, Ashiamma. I do not recall the exact number of people she fed everyday, but I am quite certain that far more outsiders ate with us than all the members of our own family put together.

I was one of many children – a short boy with rather undistinguished looks, born to tall and handsome parents. We lived in our ancestral house, which was built in the middle of the 19th century. It was a fairly large pucca house, made of limestone and brick, on the Mosque Street in Rameswaram. My austere father used to avoid all inessential comforts and luxuries. However, all necessities were provided for, in terms of food, medicine or clothes.

In fact, I would say mine was very secure childhood, both materially and emotionally. The Second World War broke out in 1939, when I was eight years old. For reasons I have never been able to understand, a sudden demand for tamarind seeds erupted in the market.

1. Where was the author born ?
लेखक का जन्म कहाँ हुआ था ?

2. What did the author’s mother do everyday ?
लेखक की माँ प्रतिदिन क्या किया करती थीं ?

3. When was the author’s ancestral house built ?
लेखक का पैतृक मकान कब निर्मित हुआ था ?

4. Who was the ideal helpmate of the author’s father ?
लेखक के पिता का आदर्श सहायक कौन था ?

5. When did the Second World War break out ?
द्वितीय विश्व युद्ध कब छिड़ा था ?

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6. How old was the author when the Second World War broke out?
जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा उस समय लेखक कितने वर्ष का था ?

7. What were the names of the author’s father and mother ?
लेखक के माता व पिता के क्या नाम थे ?

8. What was the condition of their ancestral house ?
उनके पैतृक मकान की क्या स्थिति थी ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘essential’

10. Find the word from the passage which means: ‘a piece of land surrounded by water’.
Answer:
1. The author was born in the island town of Rameswaram in the erstwhile Madras State.
लेखक का जन्म तत्कालीन मद्रास राज्य के द्वीपीय नगर रामेश्वरम् में हुआ था ।

2. The author’s mother fed a number of people everyday.
लेखक की माँ प्रतिदिन बहुत से लोगों को भोजन कराती थीं ।

3. The author’s ancestral house was built in the middle of the 19th century.
लेखक का पैतृक मकान उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में निर्मित हुआ था ।

4. The author’s mother Ashiamma was an ideal helpmate of his father.
लेखक की माँ आशिअम्मा के पिता आदर्श सहायक थीं ।

5. The Second World War broke out in 1939.
द्वितीय विश्व युद्ध 1939 में छिड़ा था ।

6. When the Second World War broke out the author was eight years old.
जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा उस समय लेखक आठ वर्ष का था ।

7. The name of the author’s father was Mr Jainulabdeen and his mother’s name was Mrs Ashiamma.
लेखक के पिता का नाम श्री जैनुल आबदीन व माँ का श्रीमती आशिअम्मा था ।

8. Their ancestral house was a fairly large pucca house, made of limestone and brick.
उनका पैतृक मकान चूना पत्थर और ईंट का बना हुआ काफी बड़ा पक्का मकान था ।

9. inessential

10. island

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Passage – 2.

Every child is born with some inherited characteristics, into a specific socio-economic and emotional environment, and trained in certain ways by figures of authority. I inherited honesty and self-discipline from my father; from my mother, I inherited faith in goodness and deep kindness and so did my three brothers and sister. I had three close friends in my childhood-Ramanadha Sastry, Aravindan and Sivaprakasan.

All these boys were from orthodox Hindu Brahmin families. As children, none of us ever felt any difference amongst ourselves because of our religious differences and upbringing. In fact, Ramanadha Sastry was the son of Pakshi Lakshmana Sastry, the high priest of the Rameswaram temple.

Later, he took over the priesthood of the Rameswaram temple from his father; Aravindan went into the business of arranging transport for visiting pilgrims; and Sivaprakasan became a catering contractor for the Southern Railways.
During the annual Shri Sita Rama Kalyanam ceremony, our family used to arrange boats with a special platform for carrying idols of the Lord from the temple to the marriage site, situated in the middle of the pond called Rama Tirtha which was near our house. Events from the Ramayana and from the life of the Prophet were the bedtime stories my mother and grandmother would tell the children in our family.

1. What did the author inherit from his father?
लेखक ने अपने पिता से वंशानुक्रम (विरासत ) में क्या प्राप्त किया ?

2. What did Sivaprakasan become afterwards?
शिवप्रकाशन बाद में क्या बना ?

3. What did Aravindan do for the pilgrims?
अरविन्दन तीर्थयात्रियों के लिए क्या करता था ?

4. How many brothers and sisters did the author have?
लेखक के कितने भाई-बहिन थे ?

5. Which families did the author’s friends belong to ?
लेखक के मित्र किन परिवारों से थे ?

6. Who was Ramanadha Sastry’s father?
रमानद शास्त्री के पिता कौन थे ?

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7. Which stories would the author’s mother and grand mother tell the children?
लेखक की माँ तथा दादी बच्चों को कौन-सी कहानियाँ सुनाया करती थीं ?

8. On which occasion would the author’s family arrange boats?
किस अवसर पर लेखक का परिवार नावों की व्यवस्था किया करता था ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of – ‘Northern’

10. Find the word from the passage which means: ‘persons who take journey to a sacred place.’
Answer:
1. The author inherited honesty and self-discipline from his father.
लेखक ने ईमानदारी और आत्म-अनुशासन को अपने पिता से वंशानुक्रम (विरासत ) में प्राप्त किया।

2. Sivaprakasan became a catering contractor for the Southern Railways.
शिवप्रकाशन दक्षिण रेलवे में खान-पान का ठेकेदार बन गया ।

3. Aravindan arranged transport for the pilgrims.
अरविन्दन तीर्थयात्रियों के लिए यातायात की व्यवस्था करता था ।

4. The author had three brothers and one sister. .
लेखक के तीन भाई व एक बहिन थी ।

5. The author’s friends belonged to orthodox Hindu Brahmin families.
लेखक के मित्र परम्परावादी हिन्दू ब्राह्मण परिवारों से थे ।

6. Pakshi Lakshman Sastry, the high priest of the Rameswaram temple, was Ramanadha Sastry’s father.
रामेश्वरम् मन्दिर के मुख्य पुजारी पाक्षि लक्ष्मण शास्त्री, रमानद शास्त्री के पिता थे ।

7. Events from the Ramayan and from the life of the Prophet were the bed time stories which the author’s mother and grandmother would tell the children in their family.
रामायण और पैगम्बर मुहम्मब साहब के जीवन की घटनाएँ रात्रि के समय सुनाई जाने वाली वे कहानियाँ थीं जिनको लेखक की माँ व दादी माँ अपने परिवार में बच्चों को सुनाया करती थीं।

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8. They used to arrange boats during the annual Shri Sita Rama Kalyanam ceremony.
वे श्री सीताराम कल्याणम् वार्षिक समारोह के दौरान नावों की व्यवस्था किया करते थे।

9. Southern

10. pilgrims

Passage – 3.

One day when I was in the fifth standard at the Rameswaram Elementary School, a new teacher came to our class. I used to wear a cap which marked me as a Muslim, and I always sat in the front row next to Ramanadha Sastry who wore a sacred thread. The new teacher could not stomach a Hindu priest’s son sitting with a Muslim boy. In accordance with our social ranking as the new teacher saw it, I was asked to go and sit on the back bench. I felt very sad, and so did Ramanadha Sastry. He looked utterly downcast as I shifted to my seat in the last row. The image of him weeping when I shifted to the last row left a lasting impression on me.

After school, we went home and told our respective parents about the incident. Lakshmana Sastry summoned the teacher, and in our presence, told the teacher that he should not spread the poison of social inequality and communal intolerance in the minds of innocent children.

He bluntly asked the teacher to either apologise or quit the school and the island. Not only did the teacher regret his behaviour, but the strong sense of conviction Lakshmana Sastry conveyed ultimately reformed this young teacher. On the whole, the small society of Rameswaram was very rigid in terms of the segregation of different social groups.

1. What did the new teacher ask the author to do?
नये अध्यापक ने लेखक से क्या करने के लिए कहा ?

2. What could the new teacher not stomach (tolerate)?
नये अध्यापक क्या नहीं सह सके ?

3. Whom did the children tell about the incident of the school?
बच्चों ने विद्यालय की घटना के बारे में किसको बताया ?

4. What did Lakshmana Sastry tell the new teacher?
लक्ष्मण शास्त्री ने नये अध्यापक से क्या कहा ?

5. How did the new teacher know that the author was a Muslim boy?
नये अध्यापक ने यह कैसे जाना कि लेखक एक मुस्लिम लड़का था ?

6. With whom did the author use to sit in the class?
लेखक कक्षा में किसके साथ बैठा करता था ?

7. Why did Ramanadha Sastry weep in the class?
रमानद शास्त्री कक्षा में क्यों रोया ?

8. What condition did Lakshmana Sastry put before the new teacher?
लक्ष्मण शास्त्री ने नये अध्यापक के सामने क्या शर्त रखी ?

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9. Find the word from the passage which is the opposite of – ‘weak’

10. Find the word from the passage which means: ‘sad or depressed’.
Answer:
1. The new teacher asked the author to go and sit on the back bench.
नये अध्यापक ने लेखक से पीछे की बेंच पर जाकर बैठने के लिए कहा ।

2. He could not stomach a Hindu priest’s son sitting with a Muslim boy.
वे एक हिन्दू पुजारी के पुत्र का एक मुसलमान लड़के के साथ बैठना नहीं सह सके ।

3. The children told their respective parents about the incident of the school.
बच्चों ने “विद्यालय की घटना के बारे में अपने-अपने माता-पिता को बताया ।

4. Lakshmana Sastry told the new teacher that he should not spread the poison of social inequality and communal intolerence in the minds of innocent children.
लक्ष्मण शास्त्री ने नये अध्यापक से कहा कि वह भोले-भाले बच्चों के मन में सामाजिक असमानता तथा साम्प्रदायिक असहिष्णुता का जहर न फैलाये ।

5. The new teacher came to know it by the cap that the author used to wear.
उस टोपी से जो लेखक पहनता था नये अध्यापक ने यह जाना ।

6. The author used to sit with Ramanadha Sastry in the class.
लेखक कक्षा में रमानद शास्त्री के साथ बैठा करता था ।

7. Ramanadha Sastry wept in the class because his friend, the author was shifted to the last row.
रमानद शास्त्री कक्षा में इसलिए रोया क्योंकि उसके मित्र, लेखक को अन्तिम पंक्ति में बैठा दिया गया था।

8. Lakshmana Sastry put the condition before him either to apologise or to quit the school and the island.
लक्ष्मण शास्त्री ने उसके सामने या तो माफी माँगने या फिर स्कूल और द्वीप छोड़ जाने की शर्त रखी ।

9. strong

10. downcast

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Passage – 4.

One day, he invited me to his home for a meal. His wife was horrified at the idea of a Muslim boy being invited to dine in her ritually pure kitchen. She refused to serve me in her kitchen. Sivasubramania Iyer was not perturbed, nor did he get angry with his wife, but instead, served me with his own hands and sat down beside me to eat his meal. His wife watched us from behind the kitchen door. I wondered whether she had observed any difference in the way I ate rice, drank water or cleaned the floor after the meal.

When I was leaving his house, Sivasubramania Iyer invited me to join him for dinner again the next weekend. Observing my hesitation, he told me not to get uspet, saying, “Once you decide to change the system, such problems have to be confronted.” When I visited his house the next week, Sivasubramania Iyer’s wife took me inside her kitchen and served me food with her own hands.

Then the Second World War was over and India’s freedom was imminent. “Indians will build their own India,” declared Gandhiji. The whole country was filled with an unprecedented optimism. I asked my father for permission to leave Rameswaram and study at the district headquarters in Ramanathapuram.

1. Why did Mrs Iyer refuse to serve the author in her kitchen ?
श्रीमती अय्यर ने लेखक को अपने रसोईघर में भोजन परोसने से क्यों मना कर दिया ?

2. Who served food to the author when he visited Mr Iyer’s house first time ?
जब लेखक पहली बार श्री अय्यर के घर गया तो उसके लिए भोजन किसने परोसा?

3. What was Mrs Iyer doing when the author and Mr lyer were taking their meal?
जब लेखक और श्री अय्यर अपना भोजन कर रहे थे तब श्रीमती अय्यर क्या कर रही थीं ?

4. Why was Mrs Iyer horrified ?
श्रीमती अय्यर क्यों भयभीत थीं ?

5. Why was Mrs Iyer not ready for a Muslim boy to dine in her kitchen ?
श्रीमती अय्यर एक मुस्लिम लड़के को अपने रसोईघर में खाना खाने देने के लिए क्यों तैयार नहीं थीं ?

6. Why did Mr Iyer invite the author for dinner again the next weekend ?
श्री अय्यर ने अगले सप्ताहांत में लेखक को दोबारा खाने पर क्यों आमंत्रित किया ?

7. Where did the author want to go for study ?
लेखक अध्ययन करने के लिए कहाँ जाना चाहता था ?

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8. What did Gandhiji declare ?
गाँधी जी ने क्या घोषणा की ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of – ‘slavery’

10. Find the word from the passage which means : ‘extremely shocked’
Answer:
1. Mrs Iyer refused to serve the author in her kitchen because he was a Muslim boy.
श्रीमती अय्यर ने लेखक को अपने रसोईघर में भोजन परोसने से इसलिये मना कर दिया क्योंकि वह एक मुसलमान बालक था ।

2. Mr Sivasubramania Iyer served the author with his own hands.
श्री शिवसुब्रमण्य अय्यर ने स्वयं अपने हाथों से लेखक को भोजन परोसा ।

3. When they were taking their meal, Mrs Iyer was watching them from behind the kitchen door.
जब वे अपना-अपना भोजन कर रहे थे तब श्रीमती अय्यर रसोईघर के दरवाजे से उन्हें देख रही थीं ।

4. She was horrified at the idea of a Muslim boy being invited to dine in her kitchen.
वह एक मुस्लिम लड़के को अपने रसोईघर में भोजन के लिए आमन्त्रित किये जाने के विचार से भयभीत थीं।

5. She was not ready because she thought that it would make her kitchen impure.
वह इसलिए तैयार नहीं थीं क्योंकि वह सोचती थी कि इससे उनका रसोईघर अपवित्र हो जायेगा ।

6. Mr Iyer invited the author for dinner again the next weekend to teach him to be ready to confront problems
श्रीमान् अय्यर ने अगले सप्ताहान्त में लेखक को दोबारा खाने पर उसे समस्याओं से सामना करने के लिए तैयार रहना सिखाने के लिए बुलाया ।

7. The author wanted to go to Ramanathapuram for study!
लेखक अध्ययन करने के लिए रामनाथपुरम् जाना चाहता था ।

8. Gandhiji declared that Indians would build their own India.
गाँधीजी ने घोषणा की कि भारतीय अपना स्वयं का भारत बनायेंगे ।

9. freedom

10. horrified

My Childhood Summary and Translation in Hindi

About The Lesson

यह आत्मकथात्मक विवरण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के बचपन का है। यह विवरण भारतवासियों के मैत्री भाव, पूर्वाग्रहों, परम्पराओं तथा परिवर्तनशीलता को साकार करता है । इसके प्रसंग बच्चों को कथानक के उदाहरणों को आत्मसात करने हेतु मार्गदर्शन करते हैं ।

Who is who in the Lesson

1. Abdul Kalam : His childhood is described here.
डॉ अब्दुल कलाम : उनका बचपन यहाँ वर्णित है।

2. Sivasubramania Iyer : The science teacher of Abdul Kalam, who was an orthodox Brahmin.
शिवसुब्रमण्य अय्यर : कलाम के विज्ञान के अध्यापक जो एक कट्टर परम्परावादी ब्राह्मण थे।

3. Ramanadha Sastry : One of Kalam’s best friends.
रमानद शास्त्री : कलाम के मित्र ।

4. Jainulabdeen: Abdul’s father.
जैनुल आबदीन : अब्दुल के पिताजी ।

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5. Ashiamma : ‘ Abdul’s mother who was kind and generous.
आशिअम्मा: अब्दुल की नेक व दयालु माँ !

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

क्या आप किन्हीं ऐसे वैज्ञानिकों के बारे में सोच सकते हैं, जो राजनयिक भी रहे हों ?
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जिनकी अन्तरिक्ष, रक्षा व नाभिकीय प्रौद्योगिकी की परियोजनाओं ने भारत का इक्कीसवीं सदी में मार्गदर्शन किया, वह वर्ष 2002 में हमारे ग्यारहवें राष्ट्रपति बने । अपनी आत्मकथा ‘Wings of Fire’ (अग्नि के पंख) में वह अपने बचपन के बारे में बता रहे हैं ।

Word-Meanings and Hindi Translation

1. I was born into ……………….. family put together. (Page 68)

Word-Meanings and Hindi Translation

Meaning : was born (वाज बोर्न) = जन्म हुआ था, पैदा हुआ था । middle class (मिड्ल क्लास ) = neither poor nor rich, मध्यम वर्ग । island (आइलैन्ड) = a piece of land surrounded by water, द्वीप । erstwhile (अस्टवाइल) = former पूर्व, तत्कालीन । formal education (फॉ: मल एजुकेशन) = औपचारिक ( स्कूली) शिक्षा | wealth (वेल्थ) = money, सम्पत्ति । despite (डिस्पाइट) = in spite of, के बावजूद | disadvantages (डिस्एडवान्टिजिज़) : adverse circumstances, प्रतिकूल परिस्थितियों । possessed (पज़ेस्ट) = (he) had, से युक्त थे, उनमें थीं। innate (इननेट) = inborn (a quality or feeling) in one’s nature, जन्मजात ।

wisdom (विज्डम) = बुद्धिमत्ता । generosity (जेनॅरॉसिटि) = उदारता । spirit (स्पिरिट ) = soul, आत्मा | ideal (आइडियल) = आदर्श | helpmate (हेल्पमेट ) = partner, सँगिनी । recall (रिकॉल) = remember, याद करना । exact (इग्ज़ैक्ट) = correct, accurate, ठीक-ठीक । fed (फेड) = gave food, भोजन कराती थीं । quite certain ( क्वॉइट सटन) = सुनिश्चित । far more outsiders (फार मोर आउटसाइडर्ज) = a large number of people of other houses than our own, कहीं अधिक संख्या में बाहरी लोग । put together (पुट टंगेदर्) =कुल मिलाकर ।

हिन्दी अनुवाद – मैं तत्कालीन मद्रास राज्य के द्वीपीय नगर रामेश्वरम् के एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में पैदा हुआ था। मेरे पिताजी, जैनुल आबदीन के पास न तो बहुत औपचारिक ( स्कूली ) शिक्षा थी और न ही बहुत सम्पत्ति; इन कमियों (प्रतिकूल पारिस्थितियों) के रहते हुए भी उनमें अत्यधिक जन्मजात बुद्धिमत्ता और सच्ची आत्मिक उदारता थी । मेरी माँ आशिअम्मा के रूप में उनके पास एक आदर्श जीवन संगिनी थी। मुझे वह संख्या ठीक-ठीक याद नहीं आ रही है कि वे प्रतिदिन कितने लोगों को भोजन कराती थीं, किन्तु मैं यह निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि हमारे परिवार में कुल मिलाकर जितने सदस्य थे उससे कहीं अधिक संख्या में बाहरी लोग हमारे साथ भोजन करते थे।

2. I was one of ….. materially and emotionally. (Page 68)

Meaning: ratherरॉद (र) = कुछ-कुछ । undistinguished ( अनडिस्टिन्ग्विश्ट) = ordinary, साधारण । looks (लुक्स) = appearance, शक्ल-सूरत। ancestral (ऐन्सेस्ट्रल) = of fore-fathers, पैतृक । was built (वॉज़ बिल्ट) = बनवाया गया था । century (सेन्च्युरि) = शताब्दी | fairly large ( फेअर्लि लार्ज) = काफी बड़ा | made of (मेड ऑव्) – से बना हुआ। limestone (लाइमस्टोन) = चूना पत्थर | brick (ब्रिक) = ईंट | Mosque Street ( मॉस्क स्ट्रीट) = मस्जिद मार्ग | austere (ऑस्टीअर) = simple, strict and severe, आडम्बरहीन, संयमी, कठोर । used to avoid (यूज्ड टु अवॉइड ) = kept away, बचा करते थे । inessential (इंनइसैन्शल ) = not necessary, अनावश्यक । comforts ( कम्फॅट्स) = सुख-सुविधाएँ | luxuries (लग्‍ज़रीज़) = things of pomp & show, विलास एवं वैभव की चीजें |

however (हाउएवर) = तथापि । necessities (नेसॅसिटीज़) जरूरी वस्तुएँ | were provided for (वर प्रॅवाइडिड फॉर) = were made available, उपलब्ध या प्राप्त करा दी जाती थीं । in terms of (इन टम्ज़ ऑव्) = in the shape of, के रूप में । medicine (मेडिसिन्) = औषधि, दवा | in fact = वास्तव में । mine (माइन) = मेरा । secure ( सिक्युअर्) = safe, निश्चिन्त, सुरक्षित | childhood (चाइल्डहुड) = बचपन । materially (मटिरिअलि ) = in a way that relates to money and possessions, भौतिक दृष्टि से । emotionally (इमोशनलि) = connected with feelings, भावनात्मक दृष्टि से !

हिन्दी अनुवाद मैं अनेक बच्चों में से एक था – कुछ साधारण-सी शक्ल-सूरत वाला, ठिगना-सा बालक, (जो) लम्बे एवं सुन्दर माता-पिता से जन्मा था । हम लोग अपने पैतृक मकान में रहते थे जो उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में बनवाया गया था । चूना पत्थर और ईंट का बना हुआ यह एक काफी बड़ा पक्का मकान था जो रामेश्वरम् में मस्जिद मार्ग पर स्थित था । मेरे सादगीपूर्ण (आडम्बररहित ) पिताजी सभी अनावश्यक सुख-सुविधाओं और विलासिताओं से बचा करते थे । तथापि भोजन, औषधि या वस्त्रों जैसी सभी जरूरत की वस्तुएँ उपलब्ध करा दी जाती थीं । वास्तव में मैं कहूँगा कि भौतिक एवं भावनात्मक, दोनों ही दृष्टियों से मेरा बचपन बहुत सुरक्षित था ।

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3. The Second World War ………… the first time. (Page 69)

Meanings: Second World War (सेकंड वल्ड् बॉर्) = द्वितीय विश्वयुद्ध | broke out (ब्रोक आउट) = started, छिड़ गया । reasons ( रीज़न्ज़) = causes, कारण । understand (अंडस्टैन्ड) = समझना। sudden (सडन) = अचानक, आकस्मिक | demand (डिमान्ड) माँग । tamarind seeds (टैमेरिन्ड सीड्ज़) = इमली के बीज | erupted ( इरप्टिड) = burst forth, (यहाँ) बढ़ गई। used to collect ( यूज्ड टु कलेक्ट) = इकट्ठे किया करता था।

provision shop (प्रॉविश्ज़न शॉप) = grocery shop, पंसारी या परचून की दुकान | collection ( कलेक्शन् ) = संग्रह | would fetch (वुड फेच) brought, लाता था । princely sum ( प्रिन्स्ल सम) generous amount, (here, ironic) तुच्छ – सी राशि | anna (आना) = an old Indian coin worth about four paise; आना, चार पैसे मूल्य का एक पुराने समय में चलने वाला भारतीय सिक्का । brother-in-law (ब्रदर-इन-लॉ) : the husband of sister, (यहाँ ) जीजाजी ।

attempt to trace ( अटेम्प्ट टु ट्रेस) = try to search, खोजने की कोशिश करना | headlines (हेडलाइन्ज़) = शीर्षक, सुर्खियाँ । Dinamani = दिनमणि नामक अखबार । । isolated (आइसोलेटिड ) = solitary, अलग-थलग, पृथक । completely (कम्पलीलि) = fully, पूर्णतः । unaffected (अनअफेक्टिड) अप्रभावित । was forced (वॉज़ फोस्ड) = was compelled, विवश किया गया | Allied Forces = the armies of the U. K., the USA. and Russia during the Second World War, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों, इंग्लैण्ड, अमरीका व रूस की संयुक्त सेना । like a state of emergency = like the situation of emergency, आपात्काल जैसी स्थिति । was declared (वॉज़ डिक्लेअर्ड) = घोषित कर दी गई । casuality (कैजुअल्टि) mishap, बुरी घटना । in the form of = के रूप में । suspension ( सस्पेन्शन) = temporary stoppage, अस्थायी रोक, स्थगन । halt (हॉल्ट) = bring to an abrupt stop, ठहराव । had to be bundled and thrown out = (अखबारों का) बन्डल बाँधकर फेंक देना पड़ता था | moving ( मूविंग) = in motion, चलती हुई ।

cousin (कज्न)= चचेरा भाई | distributed ( डिस्ट्रिब्यूटिड) = gave out, बाँटता था । forced to look for ( फोस्ड = सहायक, सहयोगी । टु लुक फॉर्) = मजबूर कर दिया कि ( वह ) तलाश करे । helping hand (हेल्पिंग हैन्ड) as if naturally (ऐज़ इफ नैचलि) = मानो स्वाभाविक रूप से । slot (स्लॉट) = empty place, खाली स्थान | earn (अर्न्) = obtain money in return of labour or services, कमाना | wages (वेजिज़) = a fixed regular payment, मजदूरी के पैसे half a century (हाफ अ सेन्च्युरि) = आधी शताब्दी, पचास साल । I can still feel = मुझे आज भी अनुभव होता है । surge of pride ( सर्ज ऑव प्राइड) = wave of pride, गर्व की लहर | earning (अर्निंग ) = कमाना।

हिन्दी अनुवाद – सन् 1939 में, जब मैं आठ साल का था, द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया । कुछ ऐसे कारणों से, जिन्हें मैं ( आज तक) कभी नहीं समझ पाया हूँ, बाजार में इमली के बीजों की माँग अचानक बहुत बढ़ गयी । मैं उन बीजों को इकट्ठा किया करता था और उन्हें मस्जिद मार्ग पर एक पंसारी की दुकान पर बेच देता था । एक दिन के इकट्ठे किये हुए बीज मुझे एक आने की तुच्छ-सी राशि दिला देते थे। मेरे बहनोई ( जीजाजी) जलालुद्दीन मुझे युद्ध की कहानियाँ सुनाते थे, जिन्हें मैं बाद में दिनमणि (अखबार) की सुर्खियों में खोजने की कोशिश किया करता था । हमारा क्षेत्र अलग-थलग होने के कारण युद्ध से बिल्कुल अप्रभावित था । किन्तु शीघ्र ही भारत को मित्र राष्ट्रों की संयुक्त सेना में शामिल होने को बाध्य होना पड़ा और आपात्काल जैसी किसी स्थिति की घोषणा कर दी गई ।

रामेश्वरम् स्टेशन पर रेलगाड़ी के ठहराव पर अस्थाई रोक हमारे लिए पहली बुरी घटना हुई। अब तो अखबारों का बंडल बाँधकर, रामेश्वरम् और धनुषकोडि के बीच में रामेश्वरम् रोड पर चलती हुई रेलगाड़ी से बाहर फेंक देना पड़ता था । इस बात ने मेरे चचेरे भाई शमसुद्दीन, जो रामेश्वरम् में अखबार बाँटते थे, को बाध्य कर दिया कि वह बंडलों को लपकने के लिए किसी सहायक की तलाश करें और मानो स्वाभाविक रूप से मैंने वह स्थान भर दिया । शमसुद्दीन ने मुझे अपनी पहली मजदूरी के पैसे कमाने में मेरी सहायता की। आधी शताब्दी ( पचास साल) बाद, अपनी पहली कमाई के पैसे पर गर्व की लहर का मुझे आज भी अनुभव होता है ।

4. Every child is born ………… took (Pages 69-70)

Meanings: inherited (इनहेरिटिड) = belonging to forefathers, पैतृक, वंशानुगत । characteristics (कैरेक्टरस्टिक्स) = qualities, विशेषताएँ । specific (स्पेसिफिक) = special, विशेष | environment (इनवाइअरनमण्ट) = the conditions in which you live, पर्यावरण | socio-economic (सोशिओ-इकॉनॉमिक) = सामाजिक-आर्थिक | emotional (इमोशनल) = connected with people’s feelings, भावनात्मक । is trained (इज़ ट्रेन्ड) taught, सिखाया जाता है | certain (स: टन) = कुछ विशिष्ट ! figures of authority (फिगर्ज़ ऑव अथॉरिटि ) (here) senior members of the family, अधिकारी लोग, (यहाँ ) घर के प्रमुख व्यक्ति माता-पिता, दादा-दादी या बड़े भाई आदि अभिभावक ।

honesty (ऑनेस्टि ) = ईमानदारी । self-discipline (सेल्फ डिसिप्लिन) ability to do something difficult or unpleasant, आत्मानुशासन | faith (फेथ ) = strong belief, विश्वास । goodness (गुडनिस) = virtue, अच्छाई । deep (डीप) = गहरी । kindness (काइन्डनिस) = दयालुता । close (क्लोज़) = intimate, घनिष्ठ | orthodox (ऑर्थोडॉक्स) = traditional, परंपरावादी, रूढ़िवादी । difference (डिफरंस) अंतर । religious (रिलीजियस्) धार्मिक | upbringing (अपब्रिगिंग) =the way a child is treated and taught how to behave by his/her parents, बच्चे का लालन-पालन । in fact (इन्फेक्ट् ) = वास्तव में priest (प्रीस्ट) = a person who performs religious ceremonies, पुजारी, पुरोहित । took over the control of something, अधिकार में किया, (यहाँ पुजारी का पद ) पाया । priesthood (प्रीस्टहुड् ) = पुजारी का पद ।

business (बिज़िनिस् ) = व्यापार, कार्य । arranging ( अरेन्जिंग) = प्रबंध करना । transport (ट्रान्सपोर्ट) = यातायात, सवारियों को लाना ले जाना । visiting ( विज़िटिंग) = आने वाले । pilgrims (पिलग्रिम्ज़) = persons who travel a long way to visit religious places, तीर्थयात्री । catering contractor ( केटरिंग कॉन्ट्रक्टर) = a man who arranges food on a contract, खाने-पीने का प्रबंध करने वाला ठेकेदार | Southern (सदर्न) = दक्षिणी ।

हिन्दी अनुवाद – प्रत्येक बालक एक विशेष सामाजिक-आर्थिक और भावनात्मक वातावरण में कुछ पैतृक ( वंशानुगत ) विशेषताओं के साथ जन्म लेता है तथा घर के प्रमुख व्यक्तियों (बुजुर्गों) के द्वारा उसे विशिष्ट विधियों से सिखाया जाता है । अपने पिताजी से वंशानुक्रम में मैंने ईमानदारी और आत्म-अनुशासन पाया; अपनी माताजी से विरासत में मैंने अच्छाई में (भलाई करने में) विश्वास (आस्था) और गहरी दयालुता प्राप्त की तथा ऐसा ही मेरे तीनों

भाईयों और बहिन ने भी पाया । बचपन में मेरे तीन घनिष्ठ मित्र थे रमानद शास्त्री, अरविंदन और शिवप्रकाशन। ये सब लड़के परंपरावादी ( रूढ़िवादी) हिन्दू – ब्राह्मण परिवारों से थे । बच्चों के रूप में, हममें से किसी ने अपने मध्य धार्मिक भिन्नता और लालन-पालन के अंतरों के कारण कभी कोई भेद-भाव महसूस नहीं किया । वस्तुतः, रमानद शास्त्री, पाक्षि लक्ष्मण शास्त्री का बेटा था जो रामेश्वरम् मंदिर के मुख्य पुजारी थे। बाद में उसने अपने पिताजी से रामेश्वरम् मंदिर के पुजारी का पद पाया; अरविंदन आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यातायात का प्रबंध करने के व्यवसाय में लग गया और शिवप्रकाशन दक्षिण रेलवे में खान-पान का ठेकेदार बन गया

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5. During the annual in our family……….. in a manner (Page 70)

Meanings : annual (ऐनुअल) = yearly, वार्षिक । ceremony (सेरेमनि) = a formal religious or public occasion, समारोह | arrange (अरेंज्) = manage, व्यवस्था करना Ispecial (स्पेशल ) = not usual or ordinary, विशेष | platform (प्लेटफॉम) = a flat surface, मंच | carrying ( कैरीइंग) = ले जाना । idols (आइडल्ज़) = images, मूर्तियाँ । the Lord ( द लॉर्ड) = (here) God, भगवान । marriage site ( मैरिज साइट ) . = विवाह-स्थल । situated (सिट्युएटिड् ) = स्थित था । in the middle of ( इन द मिड्लू ऑव् ) = बीच में Ipond (पॉन्ड) = an area of water, सरोवर, तालाब । events ( इवेन्ट्स) = happenings, घटनाएँ । the Prophet (द प्रॉफेट) = a person who is sent by God, पैगम्बर मुहम्मद साहब । bedtime stories (बैडटाइम् स्टोरीज़ ) = सोने के समय सुनाई जाने वाली कहानियाँ ।

हिन्दी अनुवाद – श्री सीताराम कल्याणम् वार्षिक समारोह के दौरान हमारा परिवार भगवान की मूर्तियों को मंदिर से विवाह – स्थल तक ले जाने के लिए एक विशेष मंच वाली नावों का प्रबंध किया करता था, (यह) विवाह – स्थल रामतीर्थ नामक एक सरोवर के मध्य स्थित था जो हमारे घर के पास था । रामायण तथा पैगम्बर मुहम्मद साहब के जीवन की घटनाएँ रात्रि के समय सुनाई जाने वाली वे कहानियाँ थीं जिन्हें मेरी माता व दादी माँ हमारे परिवार में बच्चों को सुनाया करती थीं ।

6. One day when ……… impression on me. (Pages 70-71)

Meanings : standard ( स्टैन्डर्ड) = class, कक्षा । elementary (एलिमेन्द्र) = primary, प्रारम्भिक । wear (वियर् ) = put on, पहनना । marked (मार्क्ट) = showed, बताती थी, चिह्नित करती थी । front row (फ्रन्ट् रो) = आगे की पंक्ति । sacred thread ( सैक्रेड थ्रेड) = holy thread, जनेऊ, यज्ञोपवीत । could not stomach (कुड नॉट स्टमक ) could not tolerate, सह नहीं सका । accordance ( अकॉर्डेन्स) conforming with अनुरूप | social ranking (सोशल रैन्किंग) = social status, सामाजिक स्तरं । utterly ( अटर्लि) = entirely, पूर्णत: बहुत अधिक । downcast ( डाउनकास्ट) sad or depressed, उदास । shifted (शिफ्टिड) = स्थान बदला। image (इमिज) = a mental picture or idea, शक्ल, बिम्ब । of him weeping (ऑव् हिम वीपिंग ) = his weeping face, उसके रोने की, उसकी रोती हुई | lasting (लास्टिंग) = permanent, अमिट । impression (इम्प्रेशन) = influence, प्रभाव, छाप ।

हिन्दी अनुवाद – जब मैं रामेश्वरम एलिमेन्टरी स्कूल में ( रामेश्वरम् में प्रारम्भिक पाठशाला की) पाँचवीं कक्षा में था तो एक दिन एक नये अध्यापक हमारी कक्षा में आये । मैं एक (ऐसी) टोपी पहनता था जो मुझे मुसलमान चिह्नित करती थी और मैं हमेशा आगे की पंक्ति में रमानद शास्त्री की बगल में बैठा करता था जो एक जनेऊ (यज्ञोपवीत) पहनता था ।

वह नये अध्यापक एक हिन्दू पुजारी के बेटे का एक मुसलमान लड़के के साथ बैठना सहन नहीं कर पाये । हमारे अपने सामाजिक स्तर के अनुरूप, जैसा कि नये अध्यापक ने समझा, मुझसे कहा गया कि मैं जाऊँ और पीछे वाली बेन्च पर बैठ जाऊँ । मैं बहुत दुखी हुआ और रमानद शास्त्री भी ( उतना ही दुखी हुआ ।) जब मैं अन्तिम पंक्ति में अपनी सीट पर गया तो वह बहुत अधिक उदास दिखाई पड़ा । जब मैं पीछे की पंक्ति में गया तो उसकी रोती हुई सूरत ने मेरे ऊपर एक अमिट प्रभाव छोड़ा।

7. After school, we . young teacher. (Page 71) Meanings: respective (रिस्पेक्टिव) = own, अपने-अपने । incident (इंसिडंट) = घटना | summoned (समन्ड) = called, बुलवाया |presence (प्रेज़न्स) = उपस्थिति | spread ( स्प्रेड) = फैलाना । poison ( पॉइज़न) – जहर, विष | social inequality (सोशल इन्इक्वलिटि ) = social difference, सामाजिक असमानता । communal intolerance (कम्यूनल इनटॉलरंस) = sectarian hatred, साम्प्रदायिक असहिष्णुता । innocent ( इनोसंट )

blameless, भोले-भाले । bluntly (ब्लंट्लि) = rudely, रूखेपन से, स्पष्ट रूप से । apologize (अपॉलजाइज़) beg pardon, माफी माँगना । quit (क्विट) = leave, छोड़ना । island (आइलैण्ड) = द्वीप | regret (रिग्रेट) = feel sorry, खेद प्रकट करना । behaviour (बिहेविअर ) = व्यवहार । conviction (कन्विक्शन) = the action of finding somebody guilty of a crime, अपराधबोध । conveyed (कन्वेइड) कहा, (यहाँ) ज्ञान कराया । ultimately (अल्टिमेट्ल) = अंत में । reformed (रिफॉर्म्ड) = got improved, सुधार दिया । young (यंग) = युवा ।

हिन्दी अनुवाद – विद्यालय के बाद हम घर गये और अपने-अपने माता-पिता को इस घटना के बारे में बताया । लक्ष्मण शास्त्री ने अध्यापक को बुलवाया और हमारी ही उपस्थिति में अध्यापक से कहा कि वह भोले-भाले बच्चों के मन में सामाजिक असमानता और साम्प्रदायिक असहिष्णुता का जहर न फैलाये। उन्होंने बड़े स्पष्ट रूप से अध्यापक से कहा कि या तो वह माफी माँगे या फिर उस स्कूल और द्वीप को ही छोड़ जाये । उस अध्यापक ने अपने व्यवहार के लिए न केवल खेद प्रकट किया बल्कि लक्ष्मण शास्त्री ने उनको जो अपराधबोध कराया उसने अंत में उस युवा अध्यापक को सुधार दिया ।

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8. On the whole,………. the big cities.” (Page 72)

Meanings : on the whole (ऑन द होल) = generally, सामान्यतः | society (सोसायटी) rigid’ (रिजिड ) = hard कठोर । in terms of ( इन टम्ज़ ऑव ) के मामले में । segregation (सेग्रिगेशन) separation, अलगाव | social (सोशल्) सामाजिक | groups ( ग्रुप्स् ) समूह । though (दो) = यद्यपि । orthodox (ऑर्थोडॉक्स) = conventional, रूढ़िवादी । conservative (कंजॅवेइटिव) = one who believes in tradition, पुरातनपंथी।

rebel (रेबल) = a person who fights against society, law etc., विद्रोही | barriers (बैरिअज़) = hurdles, बाधाएँ । varying (वैरिइंग ) = विविधतापूर्ण | backgrounds (बैकग्राउन्ड्ज़) = पृष्ठभूमि । mingle (मिंगल) = घुल-मिल जाना । easily (ईज़िलि) = आसानी से | develop (डिवेलप ) = विकसित होना । on par (ऑन पार) = of an equal level, बराबरी । highly educated (हाइलि एजुकेटिड)= उच्चशिक्षा प्राप्त ।

हिन्दी अनुवाद – सामान्यतः रामेश्वरम् का छोटा-सा समाज विभिन्न सामाजिक समूहों के अलगाव के मामले में बहुत कठोर था । फिर भी मेरे विज्ञान के अध्यापक शिवसुब्रमण्य अय्यर, यद्यपि वे स्वयं एक रूढ़िवादी ब्राह्मण थे और उनकी पत्नी भी एक पुरातनपंथी थीं, किन्तु वे कुछ विद्रोही किस्म के थे । उन्होंने सामाजिक अवरोधों को तोड़ने का भरपूर प्रयास किया, जिससे कि भिन्न-भिन्न पृष्ठभूमियों के लोग आसानी से घुल-मिल सकें। वे मेरे साथ घंटों बिताया करते थे और कहते थे, ” कलाम, मैं तुम्हारा ऐसा विकास चाहता हूँ कि तुम बड़े शहरों के उच्चशिक्षा – प्राप्त लोगों के साथ बराबरी कर सको।”

9. One day, he invited …….. her own hands. (Pages 72-73)

Meaning: invited (इनवाइटिड) = made a formal or polite request, निमंत्रित किया । for a meal for taking food, भोजन करने के लिए | horrified (हॉरिफाइड) = frightened very much, भयभीत | dine (डाइन) = eat food, भोजन करना ritually pure (रिचुअलि प्युअर) kept protected from all outside influences for the observances of religion, धार्मिक रीति-रिवाजों से पवित्र कर सुरक्षित रखा हुआ । refused ( रिफ्यूज़्ड) = denied, मना कर दिया । serve (सॅ:व) = to give food to somebody during a meal, भोजन परोसना । was not perturbed (वाज नॉट पर्टर्ड) = was not disturbed, विचलित नहीं हुए ।

nor did he get angry (नॉर डिडं ही गेट एग्रि ) = न वे नाराज हुए । instead (इंस्टेड) = ( इसके ) बजाय । watched (वॉच्ट) = देखा । wondered (वन्डर्ड) = was desirous to know, जानने का इच्छुक था । whether ( वैदर ) if, कि क्या । observed (ऑब्ज़र्ड) = noted, देखा । difference (डिफरेन्स् ) = अन्तर | leaving (लीविंग) = छोड़ रहा, निकल रहा । weekend – ( वीकएन्ड ) = सप्ताह के अंत में । observing (ऑब्ज़ेविंग) = देखकर | hesitation (हेजिटेशन) = reluctance, हिचकिचाहट, हिचक, झिझक |

upset (अपसेट) = not to feel bad, परेशान । not to get upset (नॉट टु गेट अपसेट) = not to feel bad, परेशान न होने के लिए । decide (डिसाइड) = resolve, निर्णय ले लेना । system (सिस्टम्) = structure, arrangement, व्यवस्था, परम्परा । confront ( कनफ्रंट) = face, सामना करना, मुकाबला करना । have to be confronted (हैव टु बी कनफ्रन्टिंड) = have to be faced मुकाबला करना ही होगा ।

हिन्दी अनुवाद एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया । उनकी पत्नी धार्मिक रीति-रिवाजों, से पवित्र किये हुए अपने रसोईघर में एक मुसलमान लड़के को बुलाकर भोजन कराने के विचार से बहुत डर गईं । उन्होंने मुझे अपने रसोईघर में भोजन परोसने से इंकार कर दिया । शिवसुब्रमण्य अय्यर न तो विचलित हुए और न वह अपनी पत्नी से नाराज हुए बल्कि उसके बजाय उन्होंने मुझे अपने हाथों से भोजन परोसा और खुद भी भोजन करने के लिए मेरी बगल में ही बैठ गए। उनकी पत्नी रसोईघर के दरवाजे के पीछे से हमें देखती रहीं ।

मैं यह जानने को उत्सुक था कि क्या उन्हें अर्थात् उनकी पत्नी को उस ढंग में कोई अन्तर दिखाई पड़ा जिस ढंग से मैंने चावल खाये, पानी पिया या भोजन के बाद फर्श साफ किया । जब मैं उनके घर से बाहर निकल रहा था तब शिवसुब्रमण्य अय्यर ने मुझे सप्ताह के अंत में अर्थात् शनिवार को भोजन के लिए फिर से आमंत्रित किया । मेरी हिचकिचाहट को देखकर उन्होंने मुझसे परेशान नहीं होने के लिए कहा तथा बोले, “एक बार यदि आप एक परम्परा (व्यवस्था) को बदलने का निर्णय ले लेते हैं तो ऐसी समस्याओं से तो मुकाबला करना ही होगा ।” अगले सप्ताह जब मैं उनके घर गया तो शिवसुब्रमण्य अय्यर की पत्नी मुझे अपने रसोईघर में अंदर ले गईं और स्वयं अपने हाथों से मुझे भोजन परोसा ।

10. Then the Second World War …………… in Ramanathapuram. (Page 73)

Meaningy : was over (वॉज़ ओवर) = finished, खत्म हो गया । freedom (फ्रीडम्) = liberty, स्वतन्त्रता । imminent (इमिनंट) = close, near, निकट, आसन्न | build (बिल्ड) = set up, बनाना । declared (डिक्लेअर्ड) openly asserted, घोषणा की । unprecedented (अनप्रिसिडेन्टिड) unparalled, अभूतपूर्व । optimism = approval, अनुमति | district (ऑप्टिमिज़्म) = hopefulness, आशावादिता । permission ( पॅमिशन) headquarters = जिला – मुख्यालय ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 6 My Childhood

11. He told me as if …………. their own thoughts. (Page 74)

हिन्दी अनुवाद फिर द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया और भारत की आजादी निकट ही थी । गाँधीजी ने घोषणा की, ” भारतीय अपना स्वयं का भारत बनायेंगे ।” सारा देश एक अभूतपूर्व आशावादिता से भर गया । मैंने अपने पिताजी से रामेश्वरम् से प्रस्थान करने की और जिला मुख्यालय रामनाथपुरम् में अध्ययन करने की अनुमति माँगी ।

Meanings: as if (ऐज़ इफ) = जैसे कि, मानो । thinking aloud (थिन्किंग अलाउड) = speaking loudly after thinking, सोचकर जोर से बोलना । to grow (टु ग्रो) = to progress, तरक्की करने के लिए । seagull ( सीगल) = a sea bird, एक समुद्री पक्षी, समुद्री काक । across (अक्रॉस) = इस पार से उस पार | alone (अलोन) = अकेला । nest (नेस्ट) = घोंसला | quoted (क्वोटिड्) = spoke the words of, उद्धृतं की। hesitant (हेज़िटन्ट ) = हिचकिचाती हुई | longing (लॉगिंग) = desire, लालसा । for (फॉर) = because, क्योंकि । through you (थ्रू यू) = तुम्हारे द्वारा । not from you (नॉट फ्रॉम यू) = तुम्हारे पास से नहीं । thoughts (थॉट्स ) = विचार |

हिन्दी अनुवाद उन्होंने मुझसे कहा मानो कि कुछ सोचकर जोर से बोले हों, “अबुल ! मैं जानता हूँ कि तरक्की करने के लिए तुम्हें दूर जाना ही होगा । क्या एक समुद्री पक्षी (समुद्री काक) अकेला और बिना घोंसले के उड़कर सूर्य को पार नहीं करता है?” मेरी हिचकिचाती या दुविधा में पड़ी हुई माँ को उन्होंने खलील जिब्रान की पंक्तियाँ उद्धृत कीं, “तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे बच्चे नहीं हैं। वे तो स्वयं जीवन की लालसा के पुत्र और पुत्रियाँ हैं (अर्थात् व्यक्ति अपने माता-पिता से अधिक अपनी जीवनगत लालसाओं के लिए प्रतिबद्ध होता है।)वे तुम्हारे द्वारा आते हैं पर तुम्हारे पास से नहीं आते । तुम उन्हें अपना प्यार तो दे सकते हो परन्तु अपने विचार नहीं (दे सकते )।क्योंकि उनके पास उनके स्वयं के विचार होते हैं ।”

JAC Class 9 Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Rachana अनुच्छेद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Rachana अनुच्छेद-लेखन

अनुच्छेद-लेखन एक अत्यंत महत्वपूर्ण कला है। इसमें किसी विषय से संबंधित तथ्यों को बहुत कम शब्दों में लिखना होता है। वास्तव में अनुच्छेद-लेखन एक तरह की संक्षिप्त लेखन शैली है। इसमें मुख्य विषय को ही केंद्र में रखना होता है। अच्छे अनुच्छेद लेखन के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • भाषा सजीव, शुद्ध तथा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
  • अनुच्छेद का पहला व अंतिम वाक्य अर्थगर्भित व प्रभावशाली होने चाहिए।
  • मुहावरों, लोकोक्तियों तथा सूक्तियों का प्रयोग भाषा के सौष्ठव के लिए करना चाहिए।
  • अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन नहीं करना चाहिए।

1. आत्मनिर्भर भारत

संकेत बिंदु – आत्मनिर्भर का मतलब, आत्मनिर्भरता के विभिन्न उदाहरण, आत्मनिर्भरता से राष्ट्र निर्माण
आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो स्वयं का कौशल है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर स्वयं को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए बहुत कुछ करना है। आप स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण हर संकट मे कर सकेंगे और इसके साथ ही आप अपने राष्ट्र मे भी अपना योगदान दे सकेंगे। आज आत्मनिर्भरता शब्द को नया शब्द नहीं कहा जा सकता।

गाँव मे कुटीर उद्योग के द्वारा बनाए गए उत्पादों और उसकी आमदनी से कमाए गए पैसों से परिवार का खर्च चलाने को ही आत्मनिर्भरता कहा जाता है। कुटीर उद्योग या घर में बनाए गए उत्पादों को अपने आस-पास के बाजारों में ही विक्रय किया जाता है, यदि किसी उत्पाद की गुणवत्ता सर्वविदित हो तो, अन्य जगहों पर भी उसकी खूब माँग होती है। कहने का आशय यह है कच्चे मालों से जो उत्पाद घरों में हमारे जीवन के उपयोग के लिए बनाया जाता है तो हम उसे स्थानीय उत्पाद कहते हैं पर सत्य यही है कि यही आत्मनिर्भता का एक रूप है। कुटीर उद्योग के उत्पाद, मत्स्य पालन, मुरगीपालन, इत्यादि आत्मनिर्भर भारत के विविध उदाहरण हैं।

आत्मनिर्भरता की श्रेणी में खेती, मत्स्य पालन, आँगनबाड़ी आदि अनेक तरह के कार्य आते हैं जो हमारे लिए आत्मनिर्भरता की राह में सहारा बनते हैं। इस प्रकार से हम अपने परिवार से गाँव-गाँव से जनपद, एक दूसरे से जोड़कर देखें तो इस प्रकार पूरे राष्ट्र को योगदान देते हैं। अतः हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रूप में देख सकते है। हम सहजता से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे मालों के द्वारा उत्पादों का निर्माण करके अपने आसपास के बाज़ारों में इसे विक्रय कर सकते हैं। इससे आप स्वयं के साथ – साथ आत्मनिर्भर भारत के पथ में अपना योगदान दे सकते हैं और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण के गांधी के सपने को सुदृढ़ बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

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2. स्वदेश-प्रेम

संकेत बिंदु – ममता का प्रतीक, उत्तरदायित्वों का निर्वहन, सम्मान में विद्धि
जिसके दिल में स्वदेश – प्रेम की रस – धारा नहीं बहती उसका इस संसार में होना, न होना एक समान है। स्वदेश प्रेम मनुष्य की स्वाभाविक ममता का प्रतीक है। संस्कृत के एक कवि ने तो जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया है- ‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’। स्वदेश- प्रेम हर देशवासी में स्वाभाविक रूप से होता है, चाहे कम हो या अधिक। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देना ही सच्चा स्वेदश – प्रेम है। देश-प्रेम की भावना मनुष्य को निःस्वार्थ त्याग और निश्चल प्रेम करना सिखाती है।

प्राणों का बलिदान कर देना ही वास्तव से स्वदेश-प्रेम नहीं है। वैज्ञानिक अपने आविष्कारों से, गुरु देश की भावी पीढ़ी को ज्ञानवान, चरित्रवान एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के योग्य बनाकर, वास्तुकार सुंदर भवनों का निर्माण करके और किसान देशवासियों के लिए अन्न उपजाकर अपना देश-प्रेम प्रकट करते है। वास्तव में स्वदेश-प्रेम वही कहलाता है जिससे हमारे देश की मर्यादा को ठेस न पहुँचे बल्कि उससे हमारे देश के सम्मान में वृद्धि हो।

3. विद्यार्थी और अनुशासन

संकेत बिंदु – अमूल्य निधि, देश की प्रगति, अनुशासित छात्र के गुण
विद्यार्थी का जीवन समाज और देश की अमूल्य निधि होता है। विद्यार्थी समाज की रीढ़ हैं क्योंकि वे ही आगे चलकर राजनेता बनते हैं। देश की बागडोर थामकर राष्ट्र-निर्माता बनते हैं। समाज तथा देश की प्रगति इन्हीं पर निर्भर है। अतएव विद्यार्थी का जीवन पूर्णत: अनुशासित होना चाहिए। वे जितने अनुशासित बनेंगे उतना ही अच्छा समाज व देश बनेगा। विद्यार्थी जीवन को सुंदर बनाने के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है। अनुशासन की शिक्षा स्कूल की परिधि में ही संभव नहीं है। घर से लेकर स्कूल, खेल के मैदान, समाज के परकोटों तक में अनुशासन की शिक्षा ग्रहण की जा सकती है। अनुशासनप्रियता विद्यार्थी के जीवन को जगमगा देती है। विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि उन्हें पढ़ने के समय पढ़ना और खेलने के समय खेलना चाहिए।

एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना, बड़ों का आदर करना, छोटों से स्नेह करना ये सभी अनुशासित छात्र के गुण हैं। जो छात्र माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा मानते हैं, वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं तथा उनका जीवन अच्छा बनता है। वे आत्मविश्वासी, स्वावलंबी तथा संयमी बनते हैं और जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। अनुशासन से जीवन सुखमय तथा सुंदर बनता है। अनुशासनप्रिय व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को सुगमता से प्राप्त कर लेते हैं। हमें चाहिए कि अनुशासन में रहकर अपने जीवन को सुखी, संपन्न एवं सुंदर बनाएँ।

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4. वन – महोत्सव या वृक्षारोपण

संकेत बिंदु – आवश्यकताओं की पूर्ति, विविध लाभ, वृक्षारोपण की अति आवश्यकता
प्राचीन समय में मनुष्य की भोजन, वस्त्र, आवास आदि आवश्यकताएँ वृक्षों से पूरी होती थीं। फल उसका भोजन था, वृक्षों की छाल और पत्तियाँ उसके वस्त्र थे और लकड़ी तथा पत्तियों से बनी झोंपड़ियाँ उसका आवास थीं। फिर आग जलाने की जानकारी होने पर ऊष्मा और प्रकाश भी वृक्षों से प्राप्त किया जाने लगा।

आधुनिक युग में भी वृक्षों की महिमा- गरिमा सर्वोपरि है। आज भी वृक्ष मानव-जीवन के आधार हैं। विविध प्रकार के फल वृक्षों से ही संभव हैं। प्रकृति की नयनाभिराम छवि वृक्ष ही प्रदान कर सकते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी वनों से मिलती हैं। वन मानव-जीवन के लिए एक निधि है, परंतु जनसंख्या के बढ़ने पर पेड़ कटते गए और ज़मीन खेती करने और रहने के योग्य बनती गई। भारत में बहुत-से घने वन थे, परंतु धीरे-धीरे वनों का नाश भयंकर रूप धारण करने लगा।

नए पेड़ों को लगाने का काम संभव न हो सका। स्वतंत्रता के बाद इसकी ओर ध्यान गया और देश में वन महोत्सव को राष्ट्रीय दिवस के रूप में ही मनाया जाने लगा। यह उत्सव सारे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वृक्ष तथा वनस्पतियाँ हवा को शुद्ध करते हैं, वर्षा करते हैं तथा वातावरण को संतुलित रखते हैं। साँस लेने के लिए तथा जीवित रहने के लिए पशु-पक्षी और मानव जगत को जिस गैस की आवश्यकता होती है वह ऑक्सीजन गैस वृक्षों से ही प्राप्त होती है।

आज भविष्य की चिंता किए बिना हमने अपनी आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं के लिए वृक्षों का अंधाधुंध सफाया शुरू कर दिया है। जनसंख्या बढ़ती जा रही है, परंतु वन घटते जा रहे हैं। हम उनका विकास किए बिना उनसे अधिक-से-अधिक सामग्री कैसे प्राप्त कर सकते हैं वृक्षों के महत्व से कौन इनकार कर सकता है। अतएव प्रत्येक गाँव में वृक्ष लगाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश की जनता भी इस संदर्भ में कर्तव्य से अवगत हो रही है। वह वृक्षों के विकास के लिए प्रयत्नशील है। हर वर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है। वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है।

5. शिक्षा में खेल का महत्व

संकेत बिंदु – चुस्ती और फुरती, मनोरंजन का आधार, शारीरिक तथा मानसिक विकास
विद्यार्थी – जीवन में खेलों का बड़ा महत्व है। पुस्तकों में उलझकर थका-माँदा विद्यार्थी जब खेल के मैदान में जाता है तो उसकी थकावट तुरंत गायब हो जाती है। विद्यार्थी अपने में चुस्ती और ताज़गी अनुभव करता है। मानव-जीवन में सफलता के लिए मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्तियों के विकास से जीवन संपूर्ण बनता है। खेल दो प्रकार के होते हैं। एक वे जो घर में बैठकर खेले जा सकते हैं।

इनमें व्यायाम कम तथा मनोरंजन ज़्यादा होता है, जैसे- शतरंज, ताश, कैरमबोर्ड आदि। दूसरे प्रकार के खेल मैदान में खेले जाते हैं, जैसे- क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बॉस्केटबॉल, कबड्डी आदि। इन खेलों में व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। स्वस्थ, प्रसन्न, चुस्त और फुर्तीला रहने के लिए शारीरिक शक्ति का विकास ज़रूरी है। इस पर ही मानसिक तथा आत्मिक विकास संभव है। शरीर का विकास खेल – कूद पर निर्भर करता है। सारा दिन काम करने और खेल के मैदान का दर्शन न करने से होशियार विद्यार्थी भी मूर्ख बन जाते हैं। यदि हम सारा दिन कार्य करते रहें तो शरीर में घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती छा जाती है।

ज़रा खेल के मैदान में जाइए, फिर देखिए घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती कैसे दूर भागते हैं। शरीर हलका-फुलका और साहसी बन जाता है। मन में और अधिक कार्य करने की लगन पैदा होती है। खेलों द्वारा मिल-जुलकर काम करने की भावना पैदा होती है। विद्यार्थी सहयोग से सब काम करते हैं। यह सहयोग की भावना उनके भावी जीवन में काम आती है। खेलों द्वारा एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना दृढ़ होती है। इस प्रकार विद्यार्थी जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़ में लगे रहते हैं। प्रत्येक विद्यालय में ऐसे खेलों का प्रबंध होना चाहिए, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी भाग लेकर अपना शारीरिक तथा मानसिक विकास कर सके।

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6. गणतंत्र दिवस

संकेत बिंदु – प्रतिवर्ष आयोजन, राष्ट्रीय इतिहास, दृढ़ संकल्प
यद्यपि भारत की पवित्र भूमि पर प्रतिवर्ष अनेक पर्व तथा उत्सव मनाए जाते हैं। इन पर्वों का अपना विशेष महत्व होता है, किंतु धार्मिक तथा सांस्कृतिक पर्वों के अतिरिक्त कुछ ऐसे पर्व हैं, जिनका संबंध सारे राष्ट्र तथा उसमें निवास करने वाले जन-जीवन से होता है, ये राष्ट्रीय पर्वों के नाम से प्रसिद्ध हैं। 26 जनवरी इन्हीं में से एक है। छब्बीस जनवरी राष्ट्रीय पर्वों में महापर्व है, क्योंकि मुक्ति संघर्ष के बाद राष्ट्रीय इतिहास में राष्ट्र को सर्वप्रभुत्ता – संपन्न गणतंत्रात्मक गणराज्य का स्वरूप प्रदान करने का श्रेय इसी पुण्य तिथि को है। भारतीय गणतंत्रात्मक लोकराज्य का स्व-निर्मित संविधान इसी पुण्य तिथि को कार्य रूप में परिणत हुआ था।

स्वाधीनता-प्राप्ति के पश्चात भारतीय नेताओं ने 26 जनवरी के दिन नवीन विधान को भारत पर लागू करना उचित समझा। 26 जनवरी, 1950 को प्रातः काल अंतिम गवर्नर जनरल सी० राज गोपालाचार्य ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद को कार्यभार सौंपा था। यद्यपि यह समारोह देश के प्रत्येक ओर-छोर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है, किंतु भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा देखते ही बनती है। मुख्य समारोह – सलामी व पुरस्कार वितरण आदि तो इंडिया गेट पर ही होता है। पर शोभा यात्रा नई दिल्ली की प्रायः सभी सड़कों पर घूमती है।

इसके साथ तीनों सेनाएँ घुड़सवार, टैंक, मशीन गनें, टैंकनाशक तोपें, विध्वंसक तथा विमान भेदी आदि यंत्र रहते हैं। विभिन्न प्रांतों के लोग नृत्य तथा शिल्प आदि का प्रदर्शन करते हैं। इस दिन राष्ट्रवासियों का आत्म-निरीक्षण भी करना चाहिए और सोचना चाहिए कि हमने क्या खोया तथा क्या पाया है, अपनी निश्चित की गई योजनाओं में हमें कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है। हमने जो लक्ष्य निर्धारित किए थे क्या हम वहाँ तक पहुँच पाए हैं। इस दृष्टि से आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए।

7. स्वतंत्रता दिवस

संकेत बिंदु – चिरस्मरणीय दिवस, दीर्घ संघर्ष का परिणाम, सहयोग की शपथ
15 अगस्त, 1947 भारतीय इतिहास में एक चिर – स्मरणीय दिवस रहेगा। इस दिन शताब्दियों से भारत माता की गुलामी के बंधन टूक-टूक हुए थे। भारतीय समाज के लिए दुखों की काली रात्रि समाप्त हो गई थी। एक स्वर्णिम प्रभात आ गया था। सबने शांति एवं सुख की साँस ली। स्वतंत्रता दिवस हमारा सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रसन्नता का त्योहार है। इस दिन के साथ गुँथी हुई बलिदानियों की अनेक गाथाएँ हमारे हृदय में स्फूर्ति और उत्साह भर देती हैं। देश के वीरों ने इस स्वतंत्रता यज्ञ में जो आहुति डाली, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई मिलती है। देश के भक्त वीरों ने स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।

देशवासी स्वतंत्रता संघर्ष में लंबे समय तक लगे रहे और उन सबके प्रयत्नों और बलिदानों से 15 अगस्त का शुभ दिन आया जब हमारा देश आज़ाद हो गया। स्वतंत्रता दिवस भारत के प्रत्येक नगर-नगर, ग्राम – ग्राम में बड़े उत्साह तथा प्रसन्नता से मनाया जाता है। इसे भिन्न-भिन्न संस्थाएँ अपनी ओर से मनाती हैं और सरकार सामूहिक रूप से इस उत्सव को विशेष रूप से रोचक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।

स्वतंत्रता संघर्ष का अमर प्रतीक हमारा राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज जब नील गगन में फहराता है तो प्रत्येक भारतीय उछल पड़ता है। 15 अगस्त, 1947 के दिन कुछेक मनोरंजक कार्यक्रम संपन्न कर लेने से ही हमारा कर्तव्य खत्म नहीं हो जाता है, बल्कि इस दिन से हमें देश की विकास योजनाओं में पूरा सहयोग देने की शपथ लेनी चाहिए। देश में फैले हुए जातीय भेद-भाव दूर करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। बेकारी की समस्या को जड़ मूल से उखाड़ फेंकने की नवीनतम योजनाएँ सोचनी चाहिए।

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8. भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड का दृश्य

संकेत बिंदु – बस अड्डों पर भारी भीड़, तरह-तरह की आवाज़ें, चहल-पहल
विज्ञान ने यातायात व्यवस्था को बहुत ही सुचारु बना दिया है। बस यातायात अत्यधिक लोकप्रिय होने से बस अड्डों पर भारी भीड़ जमा हो जाती है। बड़े शहरों के बस अड्डों पर मेला ही लगा रहता है। ऐसे ही भीड़-भाड़ वाले बस अड्डे का मैं यहाँ उल्लेख कर रहा हूँ। पिछले रविवार मैं अपने मित्र को विदा करने के लिए जालंधर बस स्टैंड पर पहुँचा। दिन के दो बजे थे। गर्मी का बहुत ज़ोर था। रिक्शा से उतरकर मैं पहले लोकल बस स्टैंड से होता हुआ मुख्य बस अड्डे पर पहुँचा।

यात्री विभिन्न बसों में जाने के लिए पंक्तियों में टिकट लेने के लिए खड़े थे। मेरा मित्र भी लुधियाना की टिकट लेने के लिए एक लाइन में लग गया। इसी समय अखबार वालों, बूट पॉलिश करने वालों, आइसक्रीम वालों और मनियारी का सामान बेचने वालों की आवाजें आने लगीं। पुलिस कर्मचारी भी इधर-उधर घूम रहे थे। अचानक दृष्टि एक बुक स्टॉल पर गई। मैं झट वहाँ पहुँच गया। मैंने कुछ पत्रिकाएँ खरीदीं। इतने में मेरा मित्र बस की टिकट ले आया। बस स्टैंड पर आ चुकी थी। मैंने सामान बस में रखने में मित्र की सहायता की।

कुली बस पर लोगों का सामान चढ़ा रहे थे | हॉकर सामान बेचने के लिए आवाज़ें लगा रहे थे। बहुत से लोग मेरी तरह अपने मित्रों या संबंधियों को विदा करने आए हुए थे। चारों ओर अपरिचित लोग एक-दूसरे को देख रहे थे। बस यात्रियों से भर चुकी थी। कंडक्टर आ चुका था। उसने सीटी बजाई। ड्राइवर अगली खिड़की से बस में सवार हुआ। उसने इंजन स्टार्ट किया और बस धीमी गति से चल पड़ी। वहाँ खड़े लोग अपने मित्रों और संबंधियों को हाथ हिला-हिलाकर विदा कर रहे थे। कुछ ही देर में बस अड्डे से बाहर चली गई। इस प्रकार बस के चले जाने पर भी बस अड्डे पर चहल-पहल पहले जैसी ही थी। मैं इस वातावरण में खो सा गया। धीरे-धीरे मैं बस अड्डे से बाहर की ओर मुड़ा और बाहर पहुँचकर मैं घर की ओर चल दिया।

9. कंप्यूटर- आज की आवश्यकता

संकेत बिंदु – लोकप्रियता, जटिल समस्याओं का समाधान, दिनों-दिन विकास
विज्ञान ने मनुष्य को अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं। इन सुविधाओं में कंप्यूटर का विशिष्ट स्थान है। कंप्यूटर के प्रयोग से प्रत्येक कार्य को अविलंब किया जा सकता है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। प्रत्येक उन्नत और प्रगतिशील देश स्वयं को कंप्यूटरमय बना रहा है। भारत में भी कंप्यूटर के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। कंप्यूटर ऐसे यांत्रिक मस्तिष्कों का रूपात्मक तथा समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व है, जो तीव्रतम गति से न्यूनतम समय में अधिक-से-अधिक काम कर सकता है। गणना के क्षेत्र में इसका विशेष महत्व है।

विज्ञान ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक गणनायंत्रों का आविष्कार किया है पर कंप्यूटर की तुलना किसी से भी संभव नहीं। चार्ल्स बेवेज ने 19वीं शताब्दी के आरंभ में सबसे पहला कंप्यूटर बनाया था। इस कंप्यूटर की यह विशेषता थी कि यह लंबी-लंबी गणनाओं को करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था। कंप्यूटर स्वयं ही गणना कर जटिल-से-जटिल समस्याओं का समाधान शीघ्र ही कर देता है। भारतीय बैंकों तथा अन्य उपक्रमों के खातों का संचालन तथा हिसाब-किताब रखने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। समाचार-पत्रों तथा पुस्तकों के प्रकाशन में भी कंप्यूटर अपनी विशेष भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

कंप्यूटर संचार का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है। ‘कंप्यूटर नेटवर्क’ के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है। आधुनिक कंप्यूटर डिज़ाइन तैयार करने में भी सहायक हो रहा है। भवनों, मोटर गाड़ियों, हवाई जहाज़ों आदि के डिज़ाइन तैयार करने में ‘कंप्यूटर ग्राफ़िक’ का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कंप्यूटर ने अपना अद्भुत कमाल दिखाया है। इसके माध्यम से अंतरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे हैं। इन चित्रों का विश्लेषण भी कंप्यूटर के माध्यम से ही किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में, युद्ध के क्षेत्र में तथा अन्य अनेक क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग परीक्षा – फल के निर्माण में, अंतरिक्ष यात्रा में, मौसम संबंधी जानकारी में, चिकित्सा में तथा चुनाव में भी किया जा रहा है। इस प्रकार भारत में कंप्यूटर का प्रयोग दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

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10. मेरे जीवन का लक्ष्य

संकेत बिंदु – योजनाओं का निर्माण, समाज सेवा का चयन, अटल लक्ष्य
मनुष्य अनेक कल्पनाएँ करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए योजनाएँ बनाता है। कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शक्ति किसी-किसी के पास होती है। सपनों में सब घूमते हैं। सभी अपने सामने कोई-न-कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं। विभिन्न व्यक्तियों के विभिन्न लक्ष्य होते हैं। कोई डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनकर निर्माण करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनना चाहता है तो कोई व्यापारी। मेरे मन में भी एक कल्पना है। मैं अध्यापक बनना चाहता हूँ। भले ही कुछ लोग इसे साधारण उद्देश्य समझें पर मेरे लिए यह गौरव की बात है। देश सेवा और समाज सेवा का सबसे बड़ा साधन यही है।

मैं व्यक्ति की अपेक्षा समाज और समाज की अपेक्षा राष्ट्र को अधिक महत्व देता हूँ। स्वार्थ की अपेक्षा परमार्थ को महत्व देता हूँ। मैं मानता हूँ कि जो ईंट नींव बनती है, महल उसी पर खड़ा होता है। मैं धन, कीर्ति और यश का भूखा नहीं। मेरे सामने तो राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का यह सिद्धांत रहता है ‘समष्टि के लिए व्यष्टि हों बलिदान’। विद्यार्थी देश की नींव है। मैं उस नींव को मज़बूत बनाना चाहता हूँ। यदि स्वामी दयानंद, विवेकानंद और शिवाजी जैसे महान व्यक्ति पैदा करने हैं तो अपने व्यक्तित्व को भी ऊँचा उठाना पड़ेगा। आज भारत को आदर्श नागरिकों की आवश्यकता है। आदर्श शिक्षा द्वारा ही उच्चकोटि के व्यक्ति पैदा किए जा सकते हैं। अध्यापक बनने का मेरा निश्चय अटल है। शेष ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है।

11. मेरा प्रिय लेखक

संकेत बिंदु – योगदान, स्वतंत्र विचारधारा, साहित्य जीवन का दर्पण
हिंदी – साहित्य को उन्नत बनाने में अनेक कलाकारों ने योगदान दिया है। प्रत्येक कलाकार का अपना महत्व है, पर प्रेमचंद जैसा असाधारण कलाकार किसी भी देश को बड़े सौभाग्य से मिलता है। यदि उन्हें भारत का गोर्की कहा जाए तो गलत नहीं होगा। प्रेमचंद के उपन्यासों में लोक जीवन के व्यापक चित्रण तथा सामाजिक समस्याओं के गहन विश्लेषण को देखकर कहा गया है कि प्रेमचंद के उपन्यास भारतीय जनजीवन के मुँह-बोलते चित्र हैं। इसी कारण मैं इन्हें अपना प्रिय लेखक मानता हूँ। जन्म वाराणसी के निकट लमही ग्राम में सन 1880 ई० में हुआ।

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उनका बचपन संकटों में बीता। कठिनाई से बी०ए० किया और शिक्षा विभाग में नौकरी की किंतु उनकी स्वतंत्र विचारधारा आड़े आई। नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखी ‘सोजे वतन’ पुस्तक अंग्रेज़ सरकार ने जब्त कर ली। इसके पश्चात उन्होंने प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू किया। प्रेमचंद ने एक दर्जन उच्चकोटि के उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनके उपन्यासों में गोदान, कर्मभूमि, गबन तथा सेवासदन आदि प्रसिद्ध हैं। कहानियों में पूस की रात तथा कफ़न अत्यंत मार्मिक हैं। प्रेमचंद को आदर्शोन्मुख यथार्थवादी साहित्यकार कहा जाता है।

वे मानते थे कि साहित्य समाज का चित्रण करता है किंतु साथ ही समाज के सामने एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करता है जिसके सहारे लोग अपने चरित्र को ऊँचा उठा सकें। प्रेमचंद की भाषा सरल तथा मुहावरेदार है। उन्होंने ऐसी भाषा अपनाई जिसे जनता बोलती और समझती थी। यह खेद की बात है कि हिंदी का यह महान सेवक जीवन भर आर्थिक संकटों में घिरा रहा। जीवन भर अथक परिश्रम के कारण स्वास्थ्य गिरने लगा और सन 1936 में हिंदी के उपन्यास सम्राट का देहांत हो गया। उनका साहित्य भारतीय जीवन का दर्पण है। उनके साहित्यिक आदर्श बड़ा मूल्य रखते हैं।

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12. मेरी प्रिय पुस्तक

संकेत बिंदु – अमर रचना, मूल संदेश, अमर और दिव्य वाणी
रामचरितमानस, मेरी सर्वप्रिय पुस्तक है। यह पुस्तक महाकवि तुलसीदास का अमर रचना है। तुलसीदास ही क्यों, वास्तव में इससे हिंदी साहित्य समृद्ध होकर समस्त जगत को आलोक दे रहा है। इसकी श्रेष्ठता का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह कृति संसार की प्राय: सभी समृद्ध भाषाओं में अनुदित हो चुकी है। रामचरितमानस, मानव-जीवन के लिए अमूल्य निधि है। पत्नी का पति के प्रति, भाई का भाई के

प्रति, बहू का सास-ससुर के प्रति, पुत्र का माता-पिता के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए आदि इस कृति का मूल संदेश है। यह ग्रंथ दोहा – चौपाई में लिखा महाकाव्य है। ग्रंथ में सात कांड हैं जो इस प्रकार हैं – बाल – कांड, अयोध्या – कांड, अरण्य-कांड, किष्किंधा – कांड, सुंदर कांड, लंका – कांड तथा उत्तर – कांड। हर कांड भाषा, भाव आदि की दृष्टि से पुष्ट और उत्कृष्ट है और हर कांड के आरंभ में संस्कृत के श्लोक हैं। तत्पश्चात कला फलागम की ओर बढ़ती है। यह ग्रंथ अवधी भाषा में और दोहा – चौपाई में लिखा हुआ है। चरित्रों का चित्रण जितना प्रभावशाली तथा सफल इसमें हुआ है उतना हिंदी के अन्य किसी महाकाव्य में नहीं हुआ।

राम, सीता, लक्ष्मण, दशरथ, भरत आदि के चरित्र विशेषकर उल्लेखनीय तथा प्रशंसनीय हैं। इस पुस्तक के पढ़ने से प्रतिदिन की पारिवारिक, सामाजिक आदि समस्याओं को दूर करने की प्रेरणा मिलती है। परलोक के साथ-साथ इस लोक में कल्याण का मार्ग दिखाई देता है और मन में शांति का सागर उमड़ पड़ता है। बार- बार पड़ने को मन चाहता है। रामचरितमानस में नीति, धर्म का उपदेश जिस रूप में दिया गया है वह वास्तव में प्रशंसनीय है।

जीवन के प्रत्येक रस का संचार किया है और लोक-मंगल की उच्च भावना का समावेश भी किया गया है। यह वह पतित पावनी गंगा है, जिसमें डुबकी लगाते ही सारा शरीर शुद्ध हो उठता है तथा एक मधुर रस का संचार होता है। सहृदय भक्तों के लिए यह दिव्य तथा अमर वाणी है। उपर्युक्त विवेचन के अनुसार अंत में कह सकते हैं कि रामचरितमानस साहित्यिक तथा धार्मिक दृष्टि से उच्चकोटि की रचना है, जो अपनी उच्चता तथा भव्यता की कहानी स्वयं कहती है, इसलिए मैं इसे अपनी प्रिय पुस्तक मानता हूँ।

13. प्रातः काल का भ्रमण

संकेत बिंदु – विशेष महत्व, सर्वत्र आनंद, तब जीवन का संचार
मनुष्य को सबसे पहले अपनी सेहत की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि हमारे बहुत-से कर्तव्य हैं। ये महत्व कर्तव्य बिना अच्छे स्वास्थ्य के पूरे नहीं हो सकते। स्वास्थ्य रक्षा के अनेक साधन हैं। इन साधनों में प्रातः काल का भ्रमण विशेष महत्व रखता है। दिन के सभी भागों में प्रातः काल सबसे मनोहर तथा चेतनामय होता है। रात्रि के बाद उषा की मधुर मुसकान मन को मोह लेती है।

पृथ्वी के कण-कण में एक नया उल्लास, नया संगीत, नया जीवन छा जाता है। ऐसे मंगलमय समय में भ्रमण करना लाभकारी है। प्रातः काल प्रकृति दोनों हाथों से स्वास्थ्य लुटाती है। विभिन्न ऋतुओं की सुगंधित वायु उसी समय चलती है। सर्वत्र आनंद ही आनंद छाया होता है। सुगंधि से भरे फूल खिलखिलाकर हँसते हुए कितने मोहक होते हैं। बेलों से झड़े फूल पृथ्वी का श्रृंगार करते हुए दिखाई देते हैं। चारों ओर फैली हरियाली नेत्रों को आनंद से भर देती है। पक्षियों का चहचहाना मन को प्रसन्नता से भर देता है।

पूर्व के आकाश पर मुसकराता हुआ प्रातः काल का सूर्य और अस्त होता हुआ चंद्रमा दोनों भगवान के दो नेत्रों की तरह आँख-मिचौली करते दिखाई देते हैं। ऐसे समय भ्रमण करने वाला मनुष्य स्वस्थ ही नहीं, दीर्घ आयु वाला भी होता है। प्रातः काल के भ्रमण से शरीर में फुर्ती और नए जीवन का संचार होता है। मन खुशी से भर जाता है। सारा दिन काम करने पर मनुष्य थकता नहीं। मुख पर तेज़ छाया रहता है। स्वच्छ वायु से रक्त शुद्ध होता है। फेफड़ों को बल मिलता है। मोती के समान ओस की बूँदों से सजी घास पर चलने से मुनष्य का मस्तिष्क रोगों से मुक्त होता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति प्रातः काल भ्रमण को निकल जाते हैं, उनका सारा दिन हँसते हुए बीतता है। अतः भ्रमण की आदत डालनी चाहिए।

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14. वर्षा ऋतु

संकेत बिंदु – असली समय, अनोखी कल्पनाएँ, प्रकृति का मधुर संगीत

धानी चुनर ओढ़ धरा की दुल्हन जैसी मुसकराती है।
नई उमंगें, नई तरंगें, लेकर वर्षा ऋतु आती है।

वैसे तो आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है, लेकिन इसके असली महीने सावन और भादों हैं। धरती का ” शस्य श्यामलाम् सुफलाम् नाम सार्थक हो जाता है। इस ऋतु में किसानों की आशा – लता लहलहा उठती है। नदियों, सरोवरों एवं नालों के सूखे हृदय प्रसन्नता के जल से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु में प्रकृति मोहक रूप धारण कर लेती है। इस ऋतु में मोर नाचते हैं। औषधियाँ – वनस्पतियाँ लहलहा उठती हैं। खेती हरी- भरी हो जाती है। किसान खुशी में झूमने लगते हैं। पशु-पक्षी आनंदमग्न हो उठते हैं। बच्चे किलकारियाँ मारते हुए इधर से उधर दौड़ते-भागते, खेलते- कूदते हैं। स्त्री-पुरुष हर्षित हो जाते हैं। वर्षा की पहली बूँदों का स्वागत होता है।

वर्षा प्राणी मात्र के लिए जीवन लाती है। जीवन का अर्थ पानी भी है। वर्षा होने पर नदी-नाले, तालाब, झीलें, कुएँ पानी से भर जाते हैं। अधिक वर्षा होने पर चारों ओर जल ही जल दिखाई देता है। कई बार भयंकर बाढ़ आ जाती है। पुल टूट जाते हैं; खेती तबाह हो जाती है। सच है कि प्रत्येक वस्तु की अति बुरी होती है। वर्षा न होने को ‘अनावृष्टि’ कहते हैं। बहुत वर्षा होने को ‘अतिवृष्टि’ कहते हैं। दोनों ही हानिकारक हैं। जब वर्षा न होने से सूखा पड़ता है, तब अकाल पड़ जाता है। वर्षा से अन्न, चारा, घास, फल आदि पैदा होते हैं जिससे मनुष्यों तथा पशुओं का जीवन – निर्वाह होता है। सभी भाषाओं के कवियों ने ‘बादल’ और ‘वर्षा’ पर बड़ी सुंदर-सुंदर कविताएँ रची हैं; अनोखी कल्पनाएँ की हैं। संस्कृत, हिंदी आदि के कवियों ने सभी ऋतुओं के वर्णन किए हैं।

ऋतु- वर्णन की पद्धति बड़ी लोकप्रिय रही है। श्रावण की पूर्णमासी को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन वर्षा ऋतु का प्रसिद्ध त्योहार है। वर्षा में कीट- पतंगे, मच्छर बहुत बढ़ जाते हैं। साँप आदि जीव बिलों से बाहर निकल आते हैं। वर्षा होते हुए कई दिन हो जाएँ तो लोग तंग आ जाते हैं। रास्ते रुक जाते हैं। गाड़ियाँ बंद हो जाती हैं। वर्षा की अधिकता कभी-कभी बाढ़ का रूप धारण कर जन-जीवन के लिए अभिशाप बन जाती है। निर्धन व्यक्ति का जीवन तो दुख की दृश्यावली बन जाता है।

इन दोषों के होते हुए भी वर्षा का अपना महत्व है। यदि वर्षा न होती तो इस संसार में कुछ भी न होता। न आकाश में इंद्रधनुष की शोभा दिखाई देती और न प्रकृति का मधुर संगीत सुनाई देता। इससे पृथ्वी की प्यास बुझती है और वह तृप्त हो जाती है।

15. आज की भारतीय नारी

संकेत बिंदु – महत्वपूर्ण अंग, कर्तव्य क्षेत्र, देश की उन्नति में भूमिका
नर तथा नारी समाज के दो महत्वपूर्ण अंग हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इतिहास में कई बार ऐसा दिखाई देता है कि पुरुष समाज को नारी – समाज पर श्रेष्ठता प्राप्त रही है। स्त्री को माता का जो महान और भव्य रूप भारतीय शास्त्रकारों ने दिया है, वह संसार के किसी भी देश के इतिहास में उपलब्ध नहीं होता। लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे चरण भी आए, जब नारी की उपेक्षा की गई और उसे भोग की वस्तु बना दिया गया। विशेष कर मध्यकाल में नारी की दशा शोचनीय बन गई। लेकिन आधुनिक काल में नारी ने करवट ली और अपना कायाकल्प कर डाला।

वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने लगी। आज की नारी अपनी दोहरी भूमिका का निर्वाह कर रही है। उसके कर्तव्य का क्षेत्र पहले से बढ़ गया है। आज एक ओर वह विवाहित रूप में घर का उत्तरदायित्व सँभालती है, तो दूसरी ओर बाहर के क्षेत्र में काम करके और कुछ कमाकर घर का खर्च चलाने में हाथ बँटाती है। अविवाहित नारी भी बाहरी क्षेत्र में अपनी क्षमता का परिचय देकर कुछ अर्जित करके परिवार की आर्थिक दशा सुधारने में अपना योगदान देती है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ नारी ने अपनी प्रतिभा का परिचय न दिया हो। राजनीति के क्षेत्र में भी उसने कदम बढ़ाए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो उसका बोलबाला है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी वह अपनी कुशलता का परिचय दे रही है। सरकारी कार्यालयों में वह पुरुष के बराबर काम कर रही है। कामकाजी महिलाओं की निरंतर वृद्धि हो रही है।

आज की नारी प्राचीनता की केंचुली उतारकर एक नए आलोक की ओर बढ़ रही है। स्वतंत्रता – प्राप्ति तथा नवजागरण के बाद नारी के कर्तव्य क्षेत्र का विस्तार हुआ है। उसने घर और बाहर सुंदर समन्वय किया है। आज की बढ़ती हुई महँगाई में ऐसी ही नारियों की आवश्यकता है। आज आवश्यकता है नारी के महत्व को समझने की। उसे पुरुष के समान ही आदर देना चाहिए। घर में लड़का हो या लड़की, दोनों के प्रति एक-सा दृष्टिकोण हो; एक-सी सुविधाएँ प्राप्त हों, तो नारी निश्चित रूप से परिवार, समाज तथा देश की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नारी का भी यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता का अनुचित प्रयोग न करे, मर्यादित जीवन व्यतीत करे तथा परिवार के प्रति पूरी आस्था रखे।

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16. जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत

संकेत बिंदु – सामाजिक प्राणी, नाशकारी कुसंग, सच्चे व्यक्ति की संगति
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक वह समाज से संपर्क स्थापित नहीं करता, तब तक उसके जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। समाज में कई प्रकार के लोग होते हैं – कुछ सदाचारी हैं, तो कुछ दुराचारी। अतः हमें ऐसे लोगों का संग करना चाहिए जो हमारे जीवन को उन्नति एवं निर्मल बनाएँ। अच्छी संगति पर प्रभाव अच्छा तथा बुरी संगति का प्रभाव बुरा होता है। तभी तो कहा है- जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत यह ठीक भी है, क्योंकि दुष्टों के साथ रहने वाला व्यक्ति भला हो ही नहीं सकता। संगति का प्रभाव जाने अथवा अनजाने मनुष्य पर अवश्य पड़ता है। बचपन में जो बालक परिवार अथवा मोहल्ले में जो कुछ सुनते हैं, प्रायः उसी को दोहराते हैं।

गाली सुनने से ही गाली देने की आदत पड़ती है। कहा भी गया है, “दुर्जन यदि विद्वान भी हो तो उसका संग छोड़ देना चाहिए। मणि धारण करने वाला साँप क्या भयंकर नहीं होता?” सत्संगति का हमारे चरित्र के निर्माण में बड़ा हाथ है। बुरी संगति के प्रभाव का परिणाम बड़ा भयंकर होता है; मनुष्य कहीं का नहीं रहता। वह न परिवार का कल्याण कर सकता है और न ही देश और जाति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह कर सकता है। कुसंग नाशकारी है तो सुसंग कल्याणकारी। सूरदास जी ने तो दुष्ट व्यक्ति के विषय में यहाँ तक कह दिया है – ‘सूरदास’ खल कारी कामरि चढ़त न दूजो रंग सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और विवेक के बिना जीवन का निर्माण नहीं हो सकता। सज्जन का संग सुखकारी एवं कल्याणकारी होता है। कबीर ने सच्चे साधु की संगति के विषय में ठीक ही कहा है –

कबीरा संगत साध की, ज्यों गंधी की बास।
जो कछु गंधी दे नहीं, तो भी बास सुवास॥

मनुष्य के जीवन की सफलता तथा असफलता उसकी संगति पर निर्भर करती है। यदि हम जीवन में सफलता चाहते हैं, तो अपनी संगति की तरफ़ ध्यान दें। सत्य सत्य को जन्म देता है; अच्छाई अच्छाई को जन्म देती है; बुराई से बुराई उत्पन्न होती है- यह कभी न भूलें।

17. प्रथम सुख नीरोगी क्या

संकेत बिंदु – नियमित व्यायाम, नीरोग जीवन, जागरूकता
मानव तभी सुखी रह सकता है जब उसका शरीर स्वस्थ हो। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक है। व्यायाम करने से शारीरिक सुखों के साथ-साथ मनुष्य को मानसिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है क्योंकि इससे उसका मन भी सदा स्फूर्तिमय, उत्साहपूर्ण तथा आनंदमय बना रहता है। महर्षि चरक ने लिखा है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है। यह बात अपने में नितांत सत्य है। मानव-जीवन की सफलता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने में ही निहित है परंतु सब की आधारशिला मनुष्य का स्वास्थ्य है, उसका नीरोग जीवन है।

रुग्ण और अस्वस्थ मनुष्य न धर्मचिंतन कर सकता है, न अर्थोपार्जन कर सकता है, न काम प्राप्ति कर सकता है, और न ही मानव-जीवन के सबसे बड़े स्वार्थ मोक्ष की ही उपलब्धि प्राप्त कर सकता है क्योंकि इन सबका मूल आधार शरीर है, इसलिए कहा गया है कि- “शरीरमादद्यम् खलु धर्मसाधनम्”। अस्वस्थ व्यक्ति न अपना कल्याण कर सकता है, न अपने परिवार का, न अपने समाज की उन्नति कर सकता है और न ही देश की। जिस देश के व्यक्ति अस्वस्थ और अशक्त होते हैं, वह देश न आर्थिक उन्नति कर सकता है और न सामाजिक। देश का निर्माण, देश की उन्नति, बाह्य और आंतरिक शत्रुओं से रक्षा, देश का समृद्धिशाली होना वहाँ के नागरिकों पर आधारित होता है। सभ्य और अच्छा नागरिक वही हो सकता है जो तन, मन, धन से देशभक्त हो तथा मानसिक और आत्मिक स्थिति में उन्नत हो।

इन दोनों ही क्रमों में शरीर का स्थान प्रथम है। बिना शारीरिक उन्नति के मनुष्य न देश की रक्षा कर सकता है और न अपनी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। प्राय: यह देखा जाता है कि बौद्धिक काम करने वाले लोगों का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, अतः उनके लिए व्यायाम की आवश्यकता अधिक रहती है। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें तथा जीवन के व्यस्त क्षणों में से कुछ समय निकाल कर व्यायाम अवश्य करें। इससे हमारा मन और तन पूर्ण रूप से स्वस्थ रहेगा। नीरोगी काया होने से हम सभी सुखों का उपयोग भी कर सकते हैं।

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18. प्रकृति का प्रकोप – भूकंप

संकेत बिंदु – मानव का प्रकृति के साथ संघर्ष, प्रकृतिक प्रकोप, मानवीय अहं का त्याग
प्रकृति ईश्वर की रचना होने के कारण अजेय है। मनुष्य आदिकाल से ही प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता आ रहा है। आँधी, तूफ़ान, अकाल, अनावृष्टि, अतिवृष्टि तथा भूकंप प्रकृति के ऐसे ही प्रकोप हैं। भूमि के हिलने को भूचाल, हॉलाडोल या भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का ऐसा कोई भी भाग नहीं है, जहाँ कभी-न-कभी भूकंप के झटके न आए हों। भूकंप के हल्के झटकों से तो विशेष हानि नहीं होती, लेकिन जब कभी ज़ोर के झटके आते हैं तो वे प्रलयकारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रकोप है जो अत्यधिक विनाश का कारण बनता है।

यह जानलेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दियों सहस्त्राब्दियों की मेहनत के परिणाम को भी नष्ट-भ्रष्ट कर देता है। बिहार ने बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं । हज़ारों लोग मौत के मुँह में चले गए। भूमि में दरारें पड़ गईं, जिनमें जीवित प्राणी समा गए। पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैसें उत्पन्न हुईं, जिनसे प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं, उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं। बड़े-बड़े भवन धराशायी हो जाते हैं।

लोग बेघर हो जाते हैं। धनवान् अकिंचन बन जाते हैं और लोगों को जीने के लाले पड़ जाते हैं। आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है पर विज्ञान प्रकृति के प्रकोप के सामने विवश है। भूकंप के कारण क्षण भर में ही प्रलय का संहारक दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश हैं। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा प्रकृति की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए।

19. परहित सरिस धरम नहिं भाई

संकेत बिंदु-कर्मानुसार पृष्ठभूमि, आदर्शों की प्रतिष्ठा, कल्याण की भावना
मानव का कर्मक्षेत्र यही समाज है, जिसमें रहकर वह अपने कर्मानुसार अगले जीवन की पृष्ठभूमि तैयार करता है। चौरासी लाख योनियों में से किसी एक में पड़ने का मूल वह यहीं स्थापित करता है और भारतीय धर्म – साधना में वर्णित अमरत्व के सिद्धांत को अपने श्रेष्ठ कर्मों से प्रमाणित करता है। लाखों-करोड़ों लोगों में से मरणोपरांत केवल वही व्यक्ति समाज में अपना नाम स्थायी बना पाता है जो जीवन काल में ही अपने जीवन को दूसरों के लिए अर्पित कर चुका होता है। परोपकार और दूसरों के प्रति सहानुभूति से समाज स्थापित है और इन तत्वों में समाज के नैतिक आदर्शों की प्रतिष्ठा होती है। दूसरे के लिए किए गए कार्य से जहाँ अपना स्वार्थ सिद्ध होता है वहाँ समाज में प्रधानता भी प्राप्त होती है।

निःस्वार्थ भाव से की गई सेवा लोकप्रियता प्रदान करती है। इससे मानव का अपना कल्याण भी होता है क्योंकि लोक की प्रवृत्ति है कि यदि आप दूसरों के काम आएँगे तो समय पड़ने पर दूसरे भी आप का साथ देंगे। जो व्यक्ति दूसरों के लिए आत्म- बलिदान करता है, समाज उसे अमर बना देता में तुम है और यह यश उपार्जित करता है – ‘कीर्तियस्य स जीवत।’ गुरु अर्जन देव के अमरत्व का यही तो आधार है। ईसा ने कहा है- ‘जो बड़ा होगा वह तुम्हारा सेवक होगा।’ प्रकृति का भी ऐसा ही व्यवहार है। वह कभी भी अपने साधन अपने लिए प्रयुक्त नहीं करती –

वृच्छ कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।
परमार्थ के कारन, साधुन धरा सरीर ॥

मानव-जीवन में लोक सेवा, सहानुभूति और दयालुता प्रायः रोग, दरिद्रता, महामारी, उपद्रवों आदि में संभव हो सकती है। इनमें राजा शिवि, दधीचि और गांधी जैसे बलिदानी की आवश्यकता नहीं है। दयालुता के छोटे-छोटे कार्यों, मृदुता का व्यवहार, दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाना, दूसरों की दुर्बलताओं के प्रति आदर होना, अछूतों या निम्नवर्गीय लोगों से घृणा न करना आदि में स्पष्ट रूप से सहानुभूति के चिह्न विद्यमान हैं। भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में मानव मात्र की कल्याण – भावना निहित है।

वास्तव में परोपकार के समान न कोई दूसरा धर्म है और न पुण्य। पंचतंत्र में भी कहा गया है कि – ” यस्मिन जीवति जीवंति वहवः सोऽत्र जीवतु, वयांसि किम् कुर्वंति चम्त्वास्वोद पूरणम्। ” अर्थात ” जो व्यक्ति अपने जीवन से दूसरे के जीवन को जीने योग्य बनाता है, वही बहुत दिन जीवित रहे। नहीं तो कौए भी बहुत दिन जी लेते हैं और ज्यों-त्यों अपना पेट भर लेते हैं।” जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं, उनके अपने जीवन में सौ गुना प्रसन्नता और उत्साह का संचार होता है। इससे उसका अपना चरित्र महान बनता है।

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20. नर हो, न निराश करो मन को

संकेत बिंदु – मननशील प्राणी, मानसिक बल पर विश्वास, आशावान दृष्टिकोण
मनुष्य एक मननशील प्राणी है। अपने मानसिक बल से वह असंभव से असंभव कार्य भी कर लेता है। एक कथन है कि “जहाँ चाह है वहाँ राह है” मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने का कार्य उसकी इच्छा-शक्ति अथवा मन ही संपन्न कराता है। मनुष्य जो भी उद्योग, निरंतर उन्नति करने का प्रयास अथवा कार्य करता है, सब मन के बल पर ही करता है। यदि मनुष्य का मन क्रियाशील नहीं रहता अथवा ‘मन मर जाता है ‘ तो उसके लिए संसार के समस्त आकर्षण तुच्छ अथवा अर्थहीन हो जाते हैं। उसे चारों ओर से निराशा घेर लेती है। वह जीवित होते हुए भी मरणासन्न हो जाता है।

कवि का यह कथन भी इसी ओर संकेत करता है कि “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत” अर्थात जब तक मनुष्य को अपने मानसिक बल पर विश्वास है तब तक वह संसार को भी जीत लेता है, किंतु ‘मन मर’ जाने पर व्यक्ति स्वयं ही पराजित हो जाता है। इसी मानसिक बल के आधार पर वानरों की सेना के साथ श्रीराम ने रावण को पराजित कर दिया था। नेपोलियन ने आल्पस के अजेय पर्वत को पार कर लिया तथा गुरु गोविंद सिंह जी ने सवा-सवा लाख से एक को लड़ाया था। यदि मनुष्य मानसिक रूप से निष्क्रिय हो जाता है तो वह कोई भी कार्य नहीं कर पाता। इसलिए कवि ने भी कहा है- “हारिए न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम।, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।। ”

अपने आराध्य के प्रति आस्था मनुष्य के मानसिक बल में वृद्धि करती है। जब वह प्रभु का नाम लेकर मन से कोई कार्य करता है तो कोई कारण नहीं कि उसे उस कार्य में सफलता न मिले। यह अवश्य हो सकता है कि उसे फल प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहना पड़े, किंतु उसे सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है। इस परिवर्तनशील संसार में सुख और दुख चक्र के समान घूमते रहते हैं। अतः जब दुख के बाद सुख आता ही है तो दुख से भी नहीं घबराना चाहिए। बुद्धिमान मनुष्य को जीवन के प्रति आशावान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिससे वह अपना और अपने राष्ट्र का कल्याण कर सके। हिम्मत हारने से कुछ बनता नहीं, बिगड़ता ही है। दूसरी बात यह है कि दुख और सुख, सफलता और असफलता सब भगवान की दी हुई वस्तुएँ हैं। यदि उसके दिए दुख से आप घबरा जाएँगे तो वह आपको सुख नहीं देगा।

21. आतंकवाद और भारत
अथवा
आतंकवाद – एक ज्वलंत समस्या

संकेत बिंदु – समस्याओं का चक्रव्यूह, देशों में आतंकवाद की स्थिति, कानून की सुदृढ़ता
आज यदि हम भारत की विभिन्न समस्याओं पर विचार करें तो हमें लगता है कि हमारा देश अनेक समस्याओं के चक्रव्यूह में घिरा हुआ है। एक ओर भुखमरी, दूसरी ओर बेरोज़गारी, कहीं अकाल तो कहीं बाढ़ का प्रकोप है। इन सबसे भयानक समस्या आतंकवाद की समस्या है, जो देश रूपी वट-वृक्ष को दीमक के समान चाट-चाटकर खोखला कर रही है। आतंकवाद से तात्पर्य है – ” देश में आतंक की स्थिति उत्पन्न करना “इसके लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर हिंसात्मक उत्पात मचाए जाते हैं जिससे सरकार उनमें उलझकर सामाजिक जीवन के विकास के लिए कोई कार्य न कर सके। कुछ विदेशी शक्तियाँ भारत की विकास दर को देखकर जलने लगी थीं।

आतंकवादी रेल पटरियाँ उखाड़कर, बस यात्रियों को मारकर, बैंकों को लूटकर, सार्वजनिक स्थलों पर बम फेंककर आदि कार्यों द्वारा आतंक फैलाने में सफल होते हैं। धार्मिक कट्टरता आतंकवादी गतिविधियों को अधिक प्रोत्साहित कर रही है। लोग धर्म के नाम पर एक-दूसरे का गला काटने के लिए तैयार हो जाते हैं। धार्मिक उन्माद अपने विरोधी धर्मावलंबी को सहन नहीं कर पाता। धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं। भारत सरकार को आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए कठोर पग उठाना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम कानून एवं व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चाहिए। जहाँ-जहाँ अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है, उन समस्त क्षेत्रों की पूरी नाकाबंदी की जानी चाहिए, जिससे आतंकवादियों को सीमा पार से हथियार, गोला-बारूद तथा प्रशिक्षण न प्राप्त हो सके।

पथ – भ्रष्ट युवक-युवतियों को समुचित प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर जुटाए जाने चाहिए। यदि युवा वर्ग को व्यस्त रखने तथा उन्हें उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य दे दिया जाए तो वे पथ – भ्रष्ट नहीं होंगे। इससे आतंकवादियों को अपना षड्यंत्र पूरा करने के लिए जन-शक्ति नहीं मिलेगी तथा वे स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे। जनता को भी सरकार से सहयोग करना चाहिए। कहीं भी किसी संदिग्ध व्यक्ति अथवा वस्तु को देखते ही उसकी सूचना निकट के पुलिस थाने में देनी चाहिए।

यदि आतंकवाद की समस्या का गंभीरता से समाधान न किया गया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ा जाएगा। सभी लड़कर समाप्त हो जाएँगे। हमें संगठित होकर उसकी ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए, जिससे उनका मनोबल समाप्त हो जाए तथा वे जान सकें कि उन्होंने गलत मार्ग अपनाया है। वे आत्मग्लानि के वशीभूत होकर जब अपने किए पर पश्चात्ताप करेंगे तभी उन्हें देश की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जा सकता है। अतः आतंकवाद की समस्या का समाधान जनता एवं सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही संभव हो सकता है।

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22. श्रम का महत्व अथवा परिश्रम सफलता की कुंजी है

संकेत बिंदु – श्रम से प्रगति, आलस्य अभिशाप, उन्नति में सहायक
श्रम का अर्थ है – मेहनत। श्रम ही मनुष्य जीवन की गाड़ी को खींचता है। चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव बिना श्रम के जीवित नहीं रह सकते। फिर मनुष्य तो अन्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है। संसार की उन्नति प्रगति मनुष्य के श्रम पर निर्भर करती है। परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी चल ही नहीं सकती। यहाँ तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं। परिश्रम का अभिप्राय ऐसे परिश्रम से है जिससे निर्माण हो, रचना हो, जिस परिश्रम से निर्माण नहीं होता, उसका कुछ अर्थ नहीं। जो व्यक्ति आलस्य का जीवन बिताते हैं, वे कभी उन्नति नहीं कर सकते। आलस्य जीवन को अभिशापमय बना देता है।

कुछ लोग श्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्य मिलेगा, अतः दौड़-धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है। यह ठीक है कि भाग्य का भी हमारे जीवन में महत्व है, लेकिन आलसी बनकर बैठे रहना और असफलता के लिए भाग्य को कोसना किसी प्रकार भी उचित नहीं। परिश्रम के बल पर मनुष्य भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकता है। परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपनी, परिवार की, जाति की तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग दे सकता है। अतः मनुष्य को परिश्रम करने की प्रवृत्ति विद्यार्थी जीवन में ग्रहण करनी चाहिए।

23. सदाचार

संकेत बिंदु – सर्वोत्तम गुण, सदाचार की महिमा, सामाजिक उन्नति का स्त्रोत
मानव-जीवन का सर्वोत्तम गुण सदाचार ही है। यह मनुष्य को उच्च एवं वंदनीय बनाता है। इसके अभाव में मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता। किसी विद्वान का कथन है- “धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट नहीं हुआ, स्वास्थ्यं नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हुआ, लेकिन चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया।” सदाचार के समक्ष धन तुच्छ हैं। वास्तव में सदाचार ही सर्वश्रेष्ठ मानव धर्म है। सदाचार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र है। सदाचारी में आत्म-विश्वास होता है। वह निर्भीक होता है। वह असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता है।

सदाचारी असत्य तथा बेईमानी से दूर रहता है। भावनाओं से पवित्र होता है। वह जानता है कि दूसरों को पीड़ा पहुँचाना सदाचार की राह से भटकना है। सभी दार्शनिक तथा धर्म गुरुओं ने सदाचार की महिमा का प्रतिपादन किया है। सदाचारी व्यक्ति के सत्संग में सद्गुणों का विकास होता है। मार्ग से भटका हुआ व्यक्ति भी सद्मार्ग पर चलने लगता है। सफल एवं सार्थक जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक है। उत्तम चरित्र का प्रभाव व्यापक एवं अचूक होता है। चरित्र का ह्रास होने से मानव को अनेक दुखों और कष्टों का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। सदाचारी का तो केवल भौतिक शरीर ही नष्ट होता है। उसकी यश ज्योति संसार में बिखरी रहती है। सदाचार व्यक्तिगत, राष्ट्रीय तथा सामाजिक उन्नति का स्रोत है। सदाचारी व्यक्तियों के चरण चिह्नों पर युग चलता है।

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24. दीपावली

संकेत बिंदु – श्रम की सार्थकता, पावन स्मृति, बधाई एवं खुशियों का त्योहार
भारतीय त्योहारों में दीपावली का विशेष स्थान है। दीपावली शब्द का अर्थ है- दीपों की पंक्ति या माला। इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीप – पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं।

रात दिन के रूप में बदल जाती है। इसी कारण इसका नाम दीपावली पड़ा। भगवान राम लंकापति रावण को मारकर तथा वनवास के चौदह वर्ष समाप्त कर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर हर्षोल्लास प्रकट किया और उनके स्वागत में रात को दीपक जलाए। उस दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े समारोह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम की स्मृति ताज़ी हो जाती है। दीपावली भारत का सबसे अधिक प्रसन्नता और मनोरंजन का द्योतक त्योहार है।

बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में खुशी की लहर दौड़ उठती है। आतिशबाज़ी और पटाखों की ध्वनि से सारा आकाश गूँज उठता है। इसके साथ ही खूब मिठाई उड़ती है। सभी राग-रंग में मस्त हो जाते हैं। दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरंभ हो जाती है। लोग शरद् ऋतु के आरंभ में ही घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं तथा कमरों को चित्रों से अलंकृत करते हैं। धन त्रयोदशी के दिन पुराने बर्तनों को लोग बेचते हैं और नए बर्तन खरीदते हैं। बर्तनों की दुकानें, बर्तनों से अनोखी ही शोभा देती हैं। चतुर्दशी को लोग घरों का कूड़ा- कर्कट बाहर निकालते हैं।

कार्तिक मास की अमावस्या को दीपमाला का दिन बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने इष्ट- बंधुओं तथा मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएँ नव – वस्त्र धारण कर मिठाई बाँटते हैं। रात को आतिशबाजी चलाते हैं। बहुत से लोग रात को लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। दीपावली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे यथोचित रीति से मनाना चाहिए। इस दिन विद्वान लोग व्याख्यान देकर जन साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं।

25. क्रिसमस

संकेत बिंदु – बाइबिल की कथा, नामकरण, महान पर्व के रूप में
विश्वभर में ईसा मसीह का जन्मदिन ‘क्रिसमस’ नाम से जाना जाता है। दीन-दुखियों के दर्द को समझने वाले इस महान संत ईसा मसीह का जन्म पच्चीस दिसंबर को मनाया जाता है। ‘बाइबिल’ के अनुसार नाज़रेथ नगर (फिलिस्तीन) के निवासियों में यूसुफ नामक व्यक्ति थे, जिनके साथ मरियम नामक कन्या की मँगनी (सगाई हुई थी। एक दिन मरियम को स्वर्ग दूत ने दर्शन देकर कहा, “आप पर प्रभु की कृपा है। आप गर्भवती होंगी, पुत्र रत्न को जन्म देंगी तथा नवजात शिशु का नाम ‘ईसा’ रखेंगी। वे महान होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलाएँगे।”)

ईसा के जन्म के समय आकाश में एक तारा उदित हुआ। तीन ज्योतिषयों ने उस तारे को देखा और देखते-देखते वे येरुसलम पहुँच गए। वे लोगों से पूछ रहे थे कि यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं ? हम उन्हें प्रणाम करना चाहते हैं। वे खोजते खोजते बेथेलहेम के अस्तबल में पहुँचे। वहाँ

उन्होंने बालक तथा मरियम को प्रणाम किया। जन्म के ठीक आठवें दिन उस बालक का नाम जीसस रखा गया। वह दिव्य बालक था। ईसा मसीह के जीवन के अनेक वर्ष पर्यटन, एकांतवास एवं चिंतन-मनन में बीते। अनेक वर्षों की अथक साधना के बाद ईसा अपनी पवित्र आत्मा के साथ गलीलिया लौटे। उनका यश सुगंध की तरह सारे प्रदेश में फैल गया। वे सभागारों में शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्धक उद्बोधन देने लगे। उन्होंने अनेक दुखियों, रोगियों एवं पीड़ितों का दुख दूर किया, अज्ञानियों को ज्ञान दिया और अंधों को दृष्टि दी। फलतः लोगों को पूरा विश्वास हो गया कि ईसा प्रभु के ही दूत हैं। ईसा ने अपने समय में व्याप्त अनाचारों एवं पापाचारों से समाज को त्राण दिलाया और गिरजाघरों को पवित्रता प्रदान कराई। ईसा के बढ़ते प्रभाव से तत्कालीन राजा हेरोद चिंतित हो उठे।

उन्होंने ईर्ष्यावश ईसा को बंदी बनाकर यहूदी महासभा में अपराधी के रूप में उपस्थित कराया। सभाध्यक्ष ईसा को निर्दोष मानकर उन्हें बंधनमुक्त करना चाहते थे। इस पर सभा के पुरोहितों और सदस्यों ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा, ‘इसे क्रूस दीजिए, इसे क्रूस दीजिए।’ सभाध्यक्ष के सामने कोई विकल्प न था। उसने ईसा को सैनिकों के हवाले कर दिया। ईसा मसीह को क्रूस का दंड दिया गया – सिर पर काँटों का किरीट और हाथ-पाँव में कीलें। उनके अंगों से खून बहने लगा। ईसा को इस दशा में देखकर जनता रो रही थी। ईसा ने लोगों को सांत्वना दी। शुक्रवार को ईसा मसीह ने प्राण त्याग किया। विश्वभर में ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार ‘क्रिसमस’ है। प्रभु ईसा के भूमंडल में अवतरित होने से उनके अनुयायियों को शांति मिली। ‘क्रिसमस’ एक महान पर्व है।

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26. वसंत ऋतु

संकेत बिंदु – हर्ष उल्लास, जीवन का संचार, वरदान का लाभ
भारत अनेक ऋतुओं का देश है। यहाँ गरमी – सरदी, बरसात – पतझड़, वसंत आदि छह ऋतुओं का आगमन होता रहता है। इनमें वसंत सबकी प्रिय ऋतु है जिसके आगमन पर सभी प्राणी प्रकृति सहित हर्ष और उल्लास से झूम उठते हैं। इसलिए वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। इस समय ऋतु अत्यंत सुहावनी होती है। सरदी का अंत और गर्मी का आरंभ हो रहा होता है। सरदी से कोई ठिठुरता नहीं और गरमी किसी का बदन नहीं जाती। हर एक व्यक्ति बाहर घूमने-फिरने का इच्छुक होता है। यह इस मीठी ऋतु की विशेषता है।

सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों में नव-जीवन का संचार हो जाता है। वृक्ष नए-नए पत्तों से लद जाते हैं। फूलों का सौंदर्य तथा हरियाली की छटा मन को मुग्ध कर देती है। आमों के वृक्षों पर बौर आ जाता है तथा कोयल भी मीठी कू-कू करती है। खेतों में नई फ़सल पकने लग जाती है। सरसों के खेतों में पीले-पीले फूल वसंत के आगमन पर झूल – झूलकर हर्ष व्यक्त करते हैं आकाश में पक्षी किलकारियाँ भरते ऋतुराज का अभिनंदन करते हैं। वसंत पंचमी को ऋतुराज के स्वागत के लिए उत्सव होता है। इस दिन लोग नाच-गाकर, खेल – कूदकर तथा झूला झूलकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। घर-घर में वसंती हलवा, चावल और केसरिया खीर बनती है।

लोग पीले वस्त्र पहनते हैं तथा बच्चे पीले पतंग उड़ाते हैं। वसंत पंचमी के दिन धर्मवीर हकीकत राय को भी याद किया जाता है। हकीकत राय को आज के दिन अपना धर्म न छोड़ने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया था। उस वीर बालक की याद में स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं तथा उसको श्रद्धांजलियाँ अर्पित की जाती हैं। हमें इस ऋतु में अपना स्वास्थ्य बनाना चाहिए। प्रातः उठकर बाहर घूमने जाएँ, ठंडी-ठंडी वायु में घूमें और प्राकृतिक सौंदर्य का निरीक्षण करें। वसंत ऋतु एक ईश्वरीय वरदान है और हमें इस वरदान का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए।

27. कोरोना वायरस : एक महामारी

संकेत बिंदु – कोरोना वायरस क्या है ?, कोरोना वायरस कैसे फैलता है ?, कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं?, कोरोना वायरस का क्या इलाज है ?
“कोरोना” का अर्थ ‘मुकुट जैसी आकृति’ होती है। इस अदृश्य वायरस को सूक्षदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है। इसके वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखाई देता है, इसी आधार पर इसका नाम रखा गया था। दूसरे अर्थ को समझने के लिए सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चंद्रमा के चारों और किरणें निकलती प्रतीत होती हैं उसको भी ‘कोरोना’ कहते हैं।

कोरोना वायरस का प्रकोप चीन के वुहान में दिसंबर 2019 के मध्य में शुरू हुआ था और इसी कारण से इसका कोविड – 19 नामकरण किया गया। इसके प्रसार होते ही से ज़्यादातर मौतें चीन में हुई हैं लेकिन दुनिया भर में इससे कई लाख लोग प्रभावित होकर जान गँवा चुके हैं। चीन ने इस वायरस से बचने के लिए इमरजेंसी कदम उठाया जिसमें कई शहरों को लोकडाउन कर दिया गया था।

इसकी रोकथाम के लिए सार्वजनिक परिवहन को रोक दिया गया था और सार्वजनिक जगहों और पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। केवल चीन ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश वायरस से बचने के लिए लोकडाउन लगाने जैसे कदम उठाए थे। कोरोना वायरस मुख्य तौर पर जानवरों के बीच फैलता है लेकिन बाद में इसने मानवों को भी संक्रमित कर दिया। कोरोना वायरस के जो लक्षण हैं, उनमें 90 फीसदी मामलों में बुखार, 80 फीसदी मामलों में थकान और सूखी खाँसी, 20 फीसदी मामलों में साँस लेने में परेशानी देखी गई है। दोनों फेफड़ों में इससे परेशानी देखी गई। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों को निमोनिया की भी शिकायत हुई है।

इस बात को माना जा रहा है कि इस वायरस की शुरुआत वुहान शहर के सीफूड बाज़ार में हुई थी। जिन लोगों में शुरुआत में यह पाया गया, वे लोग उस थोक बाजार में काम करते थे। इसके फैलने का जरिया अभी पूरी तरह साफ़ नहीं है। लेकिन इसके एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलने के प्रमाण हैं। इसके साथ ऐसा माना जा रहा है कि इससे प्रभावित एक व्यक्ति कम से कम तीन से चार स्वस्थ लोगों तक वायरस को फैला सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम चीन में इसकी उत्पत्ति को जाँच कर रही है।

वर्तमान में कोरोना वायरस से बचने के लिए अनेक वैक्सीन मौजूद हैं। विश्व के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। आप इससे बचने के लिए टीकाकरण करवा सकते हैं। टीकाकरण के दौरान भी अभी आप अपने हाथों को साबुन और पानी के साथ कम से कम 20 सेकेंड तक धोएँ। दो गज की सामाजिक दूरी बनाए रखें बिना धुले हुए हाथों से अपनी आँखों, नाक या मुँह को न स्पर्श करें। जो लोग बीमार हैं, उनके ज़्यादा नजदीक न जाएँ, फेस मास्क लगाना न भूलें। टीकाकरण के लिए आप अपनी बारी का इंतजार कर लाभ उठा सकते हैं।

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28. कमरतोड़ महँगाई

संकेत बिंदु – महँगाई के मुख्य कारण, भारत में महँगाई, महँगाई की रोकथाम के उपाय।
आमतौर पर महँगाई का प्रमुख कारण उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव तथा मुद्रास्फीति की दर है। जीवन के लिए आवश्यक दैनिक वस्तुओं की कमी कई बातों पर निर्भर करती है। इनमें, जैसे- अधिक वर्षा, हिमपात, अल्पवर्षा, अकाल, तूफान, फसलों की रोगग्रस्तता, प्रतिकूल मौसम, ओले, अनावृष्टि आदि। इसके अलावा स्वार्थी मानव द्वारा की गई गलत हरकतों द्वारा भी दैनिक उपयोगी वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया जाता है और फिर उन वस्तुओं को अधिक कीमत वसूल करके बेचा जाता है। इस प्रकार के अनर्गल काम आमतौर पर थोक व्यापारियों द्वारा किए जाते हैं। वे किसी वस्तु विशेष की जमाखोरी करके आकस्मिक अभाव पैदा करते हैं और फिर उस वस्तु को जरूरतमंद के हाथों बेचकर मनमाने दाम वसूल करते हैं।

यही कारण है कि भारत में महँगाई बढ़ जाती है और फिर अचानक घट जाती है। प्राइवेट सेक्टर के उत्पादनों की कीमतों पर प्रतिबंध लगाने तथा लाभ की सीमा तय करने में सरकार असमर्थ है। देश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है जिसका कारण जमाखोर तथा मुनाफाखोर हैं। वेतन में हुई भारी वृद्धि का लाभ उठाकर उत्पादकों ने सभी प्रकार के उत्पादों की कीमतें काफी बढ़ा दीं। महँगाई भारत में हीं नहीं वरन पूरे विश्व में गंभीर समस्या के रूप मे सामने आई है। समय के साथ महँगाई और भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब गरीबी।

उपभोक्ता और सरकार के बीच अच्छे तालमेल से महँगाई पर काबू पाया जा सकता है। महँगाई बढते ही सरकार देश मे ब्याज दर बढ़ा देती है। सरकार द्वारा तय की हुई राशि का आम आदमी तक पहुँचना बेहद जरूरी है। इससे गरीबी में भी गिरावट आएगी और लोगों के जीने के स्तर में भी सुधार आएगा। समय – समय पर यह जाँच करना ज़रूरी है कि कोई व्यापारी या फिर कोई अन्य व्यक्ति कालाबाज़ारी या अधिक मुनाफाखोरी के काम में तल्लीन तो नहीं है। सरकार द्वारा सर्वेक्षण करना ज़रूरी है कि बाज़ार मे किसी वस्तु का दाम कितना है, यह तय मानक दरों से अधिक तो नहीं है। मूल सुविधाओं और अन्न के दाम समय-समय पर देखने होगे क्योंकि मनुष्य के जीवन के लिए अन्न बेहद ज़रूरी है।

29. परिश्रम सफलता की कुंजी है

संकेत बिंदु – परिश्रम का महत्व, समयानुसार बुद्धि का सदुपयोग, परिश्रम और बुद्धि का तालमेल।
संस्कृत की प्रसिद्ध सूक्ति है – ‘उद्यमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथैः’ अर्थात परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है, मात्र इच्छा करने से नहीं। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र मंत्र है। ‘श्रमेव जयते’ का सूत्र इसी भाव की ओर संकेत करता है। परिश्रम के बिना हरी- भरी खेती सूखकर झाड़ बन जाती है जबकि परिश्रम से बंजर भूमि को भी शस्य – श्यामला बनाया जा सकता है। असाध्य कार्य भी परिश्रम के बल पर संपन्न किए जा सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कितने ही प्रतिभाशाली हों, किंतु उन्हें लक्ष्य में सफलता तभी मिलती है जब वे अपनी बुद्धि और प्रतिभा को परिश्रम की सान पर तेज़ करते हैं। न जाने कितनी संभावनाओं के बीज पानी, मिट्टी, सिंचाई और जुताई के अभाव में मिट्टी बन जाते हैं, जबकि ठीक संपोषण प्राप्त करके कई बीज सोना भी बन जाते हैं।

कई बार प्रतिभा के अभाव में परिश्रम ही अपना रंग दिखलाता है। प्रसिद्ध उक्ति है कि निरंतर घिसाव से पत्थर पर भी चिह्न पड़ जाते हैं। जड़मति व्यक्ति परिश्रम द्वारा ज्ञान उपलब्ध कर लेता है। जहाँ परिश्रम तथा प्रतिभा दोनों एकत्र हो जाते हैं वहाँ किसी अद्भुत कृति का सृजन होता है। शेक्सपीयर ने महानता को दो श्रेणियों में विभक्त किया है- जन्मजात महानता तथा अर्जित महानता। यह अर्जित महानता परिश्रम के बल पर ही अर्जित की जाती है। अतः जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है, उन्हें अपने श्रम-बल का भरोसा रखकर कर्म में जुटना चाहिए। सफलता अवश्य ही उनकी चेरी बनकर उपस्थित होगी।

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30. पशु न बोलने से और मनुष्य बोलने से कष्ट उठाता है

संकेत बिंदु – वाणी की शक्ति, दोषपूर्ण वाचालता, व्यर्थ बोलने का दुष्परिणाम।
मनुष्य को ईश्वर की ओर से अनेक प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इनमें वाणी अथवा वाक् शक्ति का गुण सबसे महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति वाणी का सदुपयोग करता है, उसके लिए तो यह वरदान है और जिसकी जीभ कतरनी के समान निरंतर चलती रहती है, उसके लिए वाणी का गुण अभिशाप भी बन जाता है। भाव यह है कि वाचालता दोष है। पशु के पास वाणी की शक्ति नहीं, इसी कारण जीवन भर उसे दूसरों के अधीन रहकर कष्ट उठाना पड़ता है। वह सुख-दुख का अनुभव तो करता है पर उसे व्यक्त नहीं कर सकता। उसके पास वाणी का गुण होता तो उसकी दशा कभी दयनीय न बनती। कभी-कभी पशु का सद्व्यवहार भी मनुष्य को भ्राँति में डाल देता है।

अनेक कहानियाँ ऐसी हैं जिनके अध्ययन से पता चलता है कि पशुओं ने मनुष्य जाति के लिए अनेक बार अपने बलिदान और त्याग का परिचय दिया है पर वाक् शक्ति के अभाव के कारण उसे मनुष्य के द्वारा निर्मम मृत्यु का भी सामना करना पड़ा है। इसके विपरीत मनुष्य अपनी वाणी के दुरुपयोग के कारण अनेक बार कष्ट उठाता है। रहीम ने अपने दोहे में व्यक्त किया है कि जीभ तो अपनी मनचाही बात कहकर मुँह में छिप जाती है पर जूतियों का सामना करना पड़ता है बेचारे सिर को।

अभिप्राय यह है कि मनुष्य को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। इस संसार में बहुत-से झगड़ों का कारण वाणी का दुरुपयोग है। एक नेता के मुख से निकली हुई बात सारे देश को युद्ध की ज्वाला में झोंक सकती है। अतः यह ठीक ही कहा गया है कि पशु न बोलने से कष्ट उठाता है और मनुष्य बोलने से। कोई भी बात कहने से पहले उसके परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए।

31. कारज धीरे होत हैं, काहे होत अधीर

संकेत बिंदु – धैर्य और इच्छा, शांत मन की उपयोगिता, प्रतीक्षा और उचित फल की प्राप्ति।
जिसके पास धैर्य है, वह जो इच्छा करता है, प्राप्त कर लेता है। प्रकृति हमें धीरज धारण करने की सीख देती है। धैर्य जीवन की लक्ष्य प्राप्ति का द्वार खोलता है। जो लोग ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ की रट लगाते हैं, वे वास्तव में ‘अधीर मन, गति कम’ लोकोक्ति को चरितार्थ करते हैं। सफलता और सम्मान उन्हीं को प्राप्त होता है, जो धैर्यपूर्वक काम में लगे रहते हैं। शांत मन से किसी कार्य को करने में निश्चित रूप से कम समय लगता है। बचपन के बाद जवानी धीरे-धीरे आती है। संसार के सभी कार्य धीरे-धीरे संपन्न होते हैं। यदि कोई रोगी डॉक्टर से दवाई लेने के तुरंत पश्चात पूर्णतया स्वस्थ होने की कामना करता है, तो यह उसकी नितांत मूर्खता है। वृक्ष को कितना भी पानी दो, परंतु फल प्राप्ति तो समय पर ही होगी। संसार के सभी महत्वपूर्ण विकास कार्य धीरे-धीरे अपने समय पर ही होते हैं। अतः हमें अधीर होने की बजाय धैर्यपूर्वक अपने कार्य में संलग्न होना चाहिए।

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32. दूर के ढोल सुहावने होते हैं

संकेत बिंदु – दूर के रिश्ते-नाते, दूर से प्राकृतिक सुंदरता, निकट से रिश्तों की कटुता।
इस उक्ति का अर्थ है कि दूर के रिश्ते-नाते बड़े अच्छे लगते हैं। जो संबंधी एवं मित्रगण हमसे दूर रहते हैं, वे पत्रों के द्वारा हमारे प्रति कितना अगाध स्नेह प्रकट करते हैं। उनके पत्रों से पता चलता है कि वे हमारे पहुँचने पर हमारा अत्यधिक स्वागत करेंगे। हमारी देखभाल तथा हमारे आदर-सत्कार में कुछ कसर न उठा रखेंगे। लेकिन जब उनके पास पहुँचते हैं तो उनका दूसरा ही रूप सामने आने लगता है। उनके व्यवहार में यह चरितार्थ हो जाता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं। दूर बजने वाले ढोल की आवाज़ भी तो कानों को मधुर लगती है। पर निकट पहुँचते ही उसकी ध्वनि कानों को कटु लगने लगती है। दूर से झाड़-झंखाड़ भी सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है पर निकट जाने पर पाँवों के छलनी हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। ठीक ही कहा है – दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

33. लोभ पाप का मूल है

संकेत बिंदु – लोभ, कारण, अपराधों का जन्मदाता, अनैतिकता का कारण, इच्छाओं पर नियंत्रण न होना।
संस्कृत के किसी नीतिकार का कथन है कि लोभ पाप का मूल है। मन का लोभ ही मनुष्य को चोरी के लिए प्रेरित करता है। लोभ अनेक अपराधों को जन्म देता है। लोभ अत्याचार, अनाचार और अनैतिकता का कारण बनता है। महमूद गज़नवी जैसे शासकों ने धन के लोभ में आकर मनमाने अत्याचार किए। औरंगज़ेब ने अपने तीनों भाइयों का वध कर दिया और पिता को बंदी बना लिया। जर, जोरू तथा ज़मीन के झगड़े भी प्राय: लोभ के कारण होते हैं।

लोभी व्यक्ति का हृदय सब प्रकार की बुराइयों का अड्डा होता है। महात्मा बुद्ध ने कहा है कि इच्छाओं का लोभ ही चिंताओं का मूल कारण है। लालची व्यक्ति बहुत कुछ अपने पास रखकर भी कभी संतुष्ट नहीं होता। उसकी दशा तो उस मूर्ख लालची के समान हो जाती है जो मुर्गी का पेट फाड़कर सारे अंडे निकाल लेना चाहता है। लोभी व्यक्ति अंत में पछताता है। लोभी किसी पर उपकार नहीं कर सकता। वह तो सबका अपकार ही करता है। इसलिए अगर कोई पाप से बचना चाहता है तो वह लोभ से बचे।

34. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं

संकेत बिंदु – पराधीनता का दुख और अभिशाप, पीड़ा और कुंठा।
‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं’ उक्ति का अर्थ है कि पराधीन व्यक्ति सपने में भी सुख का अनुभव नहीं कर सकता। पराधीन और परावलंबी के लिए सुख बना ही नहीं। पराधीनता एक प्रकार का अभिशाप है। मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी तक पराधीनता की अवस्था में छटपटाने लगते हैं। पराधीन हमेशा शोषण की चक्की में पिसता रहता है। उसका स्वामी उसके प्रति जैसा भी चाहें अच्छा-बुरा व्यवहार कर सकता है। पराधीन व्यक्ति अथवा जाति अपने आत्म-सम्मान को सुरक्षित नहीं रख सकते। किसी भी व्यक्ति, जाति अथवा देश की पराधीनता की कहानी दुख एवं पीड़ा की कहानी है। स्वतंत्र व्यक्ति दरिद्रता एवं अभाव में भी जिस सुख का अनुभव कर सकता है, पराधीन व्यक्ति उस सुख की कल्पना भी नहीं कर सकता। अतः ठीक ही कहा गया है – ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’

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35. पर उपदेश कुशल बहुतेरे

संकेत बिंदु – पर उपदेश का प्रभाव, भ्रष्टाचार और बेईमान लोगों की करनी कथनी में अंतर, अनुशासन की आवश्यकता।
दूसरों को उपदेश देना अर्थात सब प्रकार से आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देना सरल है। जैसे कहना सरल तथा करना कठिन है, उसी प्रकार स्वयं अच्छे पथ पर चलने की अपेक्षा दूसरों को अच्छे काम करने का संदेश देना सरल है। जो व्यक्ति दूसरों को उपदेश देता है, वह स्वयं भी उन उपदेशों का पालन कर रहा है, यह ज़रूरी नहीं। हर व्यापारी, अधिकारी तथा नेता अपने नौकरों, कर्मचारियों तथा जनता को ईमानदारी, सच्चाई तथा कर्मठता का उपदेश देता है जबकि वह स्वयं भ्रष्टाचार के पथ पर बढ़ता रहता है। नेता मंच पर आकर कितनी सारगर्भित बातें कहते हैं, पर उनका आचरण हमेशा उनकी बातों के विपरीत होता है। माता-पिता तथा गुरुजन बच्चों को नियंत्रण में रहने का उपदेश देते हैं – पर वे यह भूल जाते हैं कि उनका अपना जीवन ही अनुशासनबद्ध एवं नियंत्रित नहीं है। इसीलिए जो उपदेश हम दूसरों को देते हैं, हमें पहले स्वयं उन्हें जीवन में लाना चाहिए।

36. जैसा करोगे, वैसा भरोगे

संकेत बिंदु – कर्मों का फल, कुकर्मों का बुरा फल, मानवता की सच्ची पहचान, शुभ कर्मों का महत्व।
उपर्युक्त उक्ति का अर्थ है कि मनुष्य अपने जीवन में जैसा कर्म करता है, उसी के अनुरूप ही उसे फल मिलता है। मनुष्य जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। सुकर्मों का फल अच्छा तथा कुकर्मों का फल बुरा होता है। दूसरों को पीड़ित करने वाला व्यक्ति एक दिन स्वयं पीड़ा के सागर में डूब जाता है। जो दूसरों का भला करता है, ईश्वर उसका भला करता है। कहा भी है, ‘कर भला हो भला’। पुण्य से परिपूर्ण कर्म कभी भी व्यर्थ नहीं जाते। जो दूसरों का शोषण करता है, वह कभी सुख की नींद नहीं सो सकता। ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ वाली बात प्रसिद्ध है। मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्मों में रुचि लेनी चाहिए। दूसरों का हित करना तथा उन्हें संकट से मुक्त करने का प्रयास मानवता की पहचान है। मानवता के पथ पर बढ़ने वाला व्यक्ति मानव तथा दानवता के पथ पर बढ़ने वाला व्यक्ति दानव कहलाता है। मानवता की पहचान मनुष्य के शुभ कर्म हैं।

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37. समय का महत्व
अथवा
समय सबसे बड़ा धन है।

संकेत बिंदु – जीवन की क्षणिकता, समय का महत्व, मनोरंजन और समय का मूल्य, परिश्रम ही प्रगति की राह, उपसंहार। दार्शनिकों ने जीवन को क्षणभंगुर कहा है। इनकी तुलना प्रभात के तारे और पानी के बुलबुले से की गई है। अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हम अपने जीवन को सफल कैसे बनाएँ। इसका एकमात्र उपाय समय का सदुपयोग है। समय एक अमूल्य वस्तु है। इसे काटने की वृत्ति जीवन को काट देती है। खोया समय पुनः नहीं मिलता। दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं जो बीते हुए समय को वापस लाए। हमारे जीवन की सफलता-असफलता समय के सदुपयोग तथा दुरुपयोग पर निर्भर करती है। कहा भी है- क्षण को क्षुद्र न समझो भाई, यह जग का निर्माता है।

हमारे देश में अधिकांश लोग समय का मूल्य नहीं समझते। देर से उठना, व्यर्थ की बातचीत करना, ताश खेलना आदि के द्वारा समय नष्ट करते हैं। यदि हम चाहते हैं तो हमें पहले अपना काम पूरा करना चाहिए। बहुत-से लोग समय को नष्ट करने में आनंद का अनुभव करते हैं। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना बहुत बड़ी भूल है। समय का सदुपयोग करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने दैनिक कार्य को करने का समय निश्चित कर लें।

फिर उस कार्य को उसी समय में करने का प्रयत्न करें। इस तरह का अभ्यास होने से हम समय का मूल्य समझ जाएँगे और देखेंगे कि हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर बढ़ता जा रहा है। समय के सदुपयोग से ही जीवन का पथ सरल हो जाता है। महान व्यक्तियों के महान बनने का रहस्य समय का सदुपयोग ही है। समय के सदुपयोग के द्वारा ही मनुष्य अमर कीर्ति का पात्र बन सकता है। समय का सदुपयोग ही जीवन का सदुपयोग है। इसी में जीवन की सार्थकता है –

“कल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब॥”

38. स्त्री शिक्षा का महत्व

संकेत बिंदु – शिक्षा का महत्व, नारी का घर और समाज में स्थान, सामाजिक कर्तव्य, गृह विज्ञान की शिक्षा।
विद्या हमारी भी न तब तक काम में कुछ आएगी।
नारियों को भी सुशिक्षा दी न जब तक जाएगी।

आज शिक्षा मानव-जीवन का एक अंग बन गई है। शिक्षा के बिना मनुष्य ज्ञान – पंगु कहलाता है। पुरुष के साथ – साथ नारी को भी शिक्षा की आवश्यकता है। नारी शिक्षित होकर ही बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकती है। बच्चों पर पुरुष की अपेक्षा नारी के व्यक्तित्व का प्रभाव अधिक पड़ता है। अतः उसका शिक्षित होना ज़रूरी है। ‘स्त्री का रूप क्या हो ?’ – यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि नारी और पुरुष के क्षेत्र अलग-अलग हैं। पुरुष को अपना अधिकांश जीवन बाहर के क्षेत्र में बिताना पड़ता है जबकि नारी को घर और बाहर में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

सामाजिक कर्तव्य के साथ-साथ उसे घर के प्रति भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। अतः नारी को गृह विज्ञान की शिक्षा में संपन्न होना चाहिए। अध्ययन के क्षेत्र में भी वह सफल भूमिका का निर्वाह कर सकती है। शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी उसे योगदान देना चाहिए। सुशिक्षित माताएँ ही देश को अधिक योग्य, स्वस्थ और आदर्श नागरिक दे सकती हैं। स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार होना चाहिए। नारी को फ़ैशन से दूर रह कर सादगी के जीवन का समर्थन करना चाहिए। उसकी शिक्षा समाजोपयोगी होनी चाहिए।

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39. स्वास्थ्य ही जीवन है

संकेत बिंदु – स्वास्थ्य का महत्व, अस्वस्थ व्यक्ति की मानसिकता, अक्षमता, नशीले पदार्थों की अनुपयोगिता, पौष्टिक और सात्विक भोजन की आवश्यकता, भ्रमण की उपयोगिता।
जीवन का पूर्ण आनंद वही ले सकता है जो स्वस्थ है। स्वास्थ्य के अभाव में सब प्रकार की सुख-सुविधाएँ व्यर्थ प्रमाणित होती हैं। तभी तो कहा है – ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात शरीर ही सब धर्मों का मुख्य साधन है। स्वास्थ्य जीवन है और अस्वस्थता मृत्यु है। अस्वस्थ व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता। बढ़िया से बढ़िया खाद्य पदार्थ उसे विष के समान लगता है। वस्तुतः उसमें काम करने की क्षमता ही नहीं होती।

अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहे। स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नियमितता तथा संयम की सबसे अधिक ज़रूरत है। समय पर भोजन, समय पर सोना और जागना अच्छे स्वास्थ्य के लक्षण हैं। शरीर की सफ़ाई की तरफ़ भी पूरा ध्यान देने की ज़रूरत है। सफ़ाई के अभाव से तथा असमय खाने-पीने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। क्रोध, भय आदि भी स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन तो शरीर के लिए घातक साबित होता है। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पौष्टिक एवं सात्विक भोजन भी ज़रूरी है।

स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम का भी सबसे अधिक महत्व है। व्यायाम से बढ़कर न कोई औषधि है और न कोई टॉनिक। व्यायाम से शरीर में स्फूर्ति आती है, शक्ति, उत्साह एवं उल्लास का संचार होता है। शरीर की आवश्यकतानुसार विविध आसनों का प्रयोग भी बड़ा लाभकारी होता है। खेल भी स्वास्थ्य लाभ का अच्छा साधन है। इनसे मनोरंजन भी होता है और शरीर भी पुष्ट तथा चुस्त बनता है। प्रायः भ्रमण का भी विशेष लाभ है। इससे शरीर का आलस्य भागता है, काम में तत्परता बढ़ती है। जल्दी थकान का अनुभव नहीं होता।

40. मधुर वाणी

संकेत बिंदु – श्रेष्ठ वाणी की उपयोगिता, कटुता और कर्कश वाणी, चरित्र की स्पष्टता, विनम्रता और मधुरवाणी।
वाणी ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। वाणी का मनुष्य के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। सुमधुर वाणी के प्रयोग से लोगों के साथ आत्मीय संबंध बन जाते हैं, जो व्यक्ति कर्कश वाणी का प्रयोग करते हैं, उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। जो लोग अपनी वाणी का मधुरता से प्रयोग करते हैं, उनकी सभी लोग प्रशंसा करते हैं। सभी लोग उनसे संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं। वाणी मनुष्य के चरित्र को भी स्पष्ट करने में सहायक होती है।

जो व्यक्ति विनम्र और मधुर वाणी से लोगों के साथ व्यवहार करते हैं, उसके बारे में लोग यही समझते हैं कि इनमें सद्भावना विद्यमान है। मधुर वाणी मित्रों की संख्या में वृद्धि करती है। कोमल और मधुर वाणी से शत्रु के मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है। वह भी अपनी द्वेष और ईर्ष्या की भावना को विस्तृत करके मधुर संबंध बनाने का इच्छुक हो जाता है। यदि कोई अच्छी बात भी कठोर और कर्कश वाणी में कही जाए तो लोगों पर उसकी प्रतिक्रिया विपरीत होती है। लोग यही समझते हैं कि यह व्यक्ति अहंकारी है। इसलिए वाणी मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है तथा उसे उसका सदुपयोग करना चाहिए।

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41. नारी शक्ति

संकेत बिंदु – नारी का स्वरूप, प्राचीन ग्रंथों में नारी, नारी के बिना नर नारी की सक्षमता।
नारी त्याग, तपस्या, दया, ममता, प्रेम एवं बलिदान की साक्षात मूर्ति है। नारी तो नर की जन्मदात्री है। वह भगिनी भी और पत्नी भी है। वह सभी रूपों में सुकुमार, सुंदर और कोमल दिखाई देती है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी नारी को पूज्य माना गया है। कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। उसके हृदय में सदैव स्नेह की धारा प्रवाहित होती रहती है। नर की रुक्षता, कठोरता एवं उद्दंडता को नियंत्रित करने में भी नारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह धात्री, जन्मदात्री और दुखहर्त्री है। नारी के बिना नर अपूर्ण है।

नारी को नर से बढ़कर कहने में किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं है। नारी प्राचीन काल से आधुनिक काल तक अपनी महत्ता एवं श्रेष्ठता प्रतिपादित करती आई है। नारियाँ, ज्ञान, कर्म एवं भाव सभी क्षेत्रों में अग्रणी रही हैं। यहाँ तक कि पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित कहे जाने वाले कार्यों में भी उसने अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। चाहे एवरेस्ट की चोटी ही क्यों न हो, वहाँ भी नारी के चरण जा पहुँचे हैं। अंटार्कटिका पर भी नारी जा पहुँची है। प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन वह अनेक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कर चुकी है। आधुनिक काल की प्रमुख नारियों में श्रीमती इंदिरा गांधी, विजयलक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, बछेंद्री पाल, सानिया मिर्ज़ा आदि का नाम गर्व के साथ लिया जा सकता है।

42. चाँदनी रात में नौका विहार

संकेत बिंदु – ग्रीष्म ऋतु में यमुना नदी में विहार, रात्रिकालीन प्राकृतिक सुषमा, उन्माद भरा वातावरण।
ग्रीष्मावकाश में हमें पूर्णिमा के अवसर पर यमुना नदी में नौका विहार का अवसर प्राप्त हुआ। चंद्रमा की चाँदनी से आकाश शांत, तर एवं उज्ज्वल प्रतीत हो रहा था। आकाश में चमकते तारे ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो वे आकाश के नेत्र हैं जो अपलक चाँदनी में डूबे पृथ्वी के सौंदर्य को देख रहे हैं। तारों से जड़े आकाश की शोभा यमुना के जल में द्विगुणित हो गई थी। इस रात – रजनी के शुभ प्रकाश में हमारी नौका धीरे-धीरे चलती हुई ऐसी लग रही थी मानो कोई सुंदर परी धीरे-धीरे चल रही हो। जब नौका नदी के मध्य में पहुँची तो चाँदनी में चमकता हुआ पुलिन आँखों से ओझल हो गया तथा यमुना के किनारे खड़े हुए वृक्षों की पंक्ति भृकुटि सी वक्र लगने लगी।

नौका के चलने से जल में उत्पन्न लहरों के कारण उसमें चंद्रमा एवं तारकवृंद ऐसे झिलमिला रहे थे मानो तरंगों की लताओं में फूल खिले हों। रजत सर्पों-सी सीधी-तिरछी नाचती हुई चाँदनी की किरणों की छाया चंचल लहरों में ऐसी प्रतीत होती थी मानो जल में आड़ी-तिरछी रजत रेखाएँ खींच दी गई हों। नौका के चलते रहने से आकाश के ओर-छोर भी हिलते हुए लगते थे। जल में तारों की छाया ऐसी प्रतिबिंबित हो रही थी मानो जल में दीपोत्सव हो रहा हो। ऐसे में हमारे एक मित्र ने मधुर राग छेड़ दिया, जिससे वातावरण और भी अधिक उन्मादित हो गया। धीरे-धीरे हम नौका को किनारे की ओर ले आए। डंडों से नौका को खेने पर जो फेन उत्पन्न हो रही थी वह भी चाँदनी के प्रभाव से मोतियों के ढेर – सी प्रतीत हो रही थी। समस्त दृश्य अत्यंत दिव्य एवं अलौकिक ही लग रहा था।

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43. राष्ट्रीय एकता

संकेत बिंदु – क्षेत्रीयता के प्रति मोह, देश की एकता के लिए घातक, राष्ट्रीय भावना का महत्व, भाषाई एकता, अनेकता में एकता।
आज देश के विभिन्न राज्य क्षेत्रीयता के मोह में ग्रस्त हैं। सर्वत्र एक-दूसरे से बिछुड़ कर अलग होने तथा अपना-अपना मनोराज्य स्थापित करने की होड़ लगी हुई है। यह स्थिति देश की एकता के लिए अत्यंत घातक है क्योंकि राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। राष्ट्र से तात्पर्य किसी भौगोलिक भू-खंड मात्र अथवा उस भू-खंड में सामूहिक रूप से रहने वाले व्यक्तियों से न होकर उस भू-खंड में रहने वाली संवेदनशील जनता से होता है। अतः राष्ट्रीय एकता वह भावना है, जो किसी एक राष्ट्र के समस्त नागरिकों को एकता के सूत्र में बाँधे रखती है। राष्ट्र के प्रति ममत्व की भावना से ही राष्ट्रीय एकता की भावना का जन्म होता है।

भारत प्राकृतिक, भाषायी, रहन-सहन आदि की दृष्टि से अनेक रूप वाला होते हुए भी राष्ट्रीय स्वरूप में एक है। पर्वतराज हिमालय एवं सागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ हैं, समस्त भारतीय धर्म एवं संप्रदाय आवागमन में आस्था रखते हैं। भाषाई भेदभाव होते हुए भी भारतवासियों की भावधारा एक है। यहाँ की संस्कृति की पहचान दूर से ही हो जाती है। भारत की एकता का सर्वप्रमुख प्रमाण यहाँ एक संविधान का होना है। भारतीय संसद की सदस्यता धर्म, संप्रदाय, जाति, क्षेत्र आदि के भेदभाव से मुक्त हैं। इस प्रकार अनेकता में एकता के कारण भारत की राष्ट्रीय एकता सदा सुदृढ़ है।

44. बारूद के ढेर पर दुनिया

संकेत बिंदु – नए-नए वैज्ञानिक आविष्कार, अस्त्र-शस्त्रों की भरमार, रासायनिक पदार्थों की अधिकता, रसायनों से जीवन को ख़तरे।
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य ने अपने भौतिक सुखों की वृद्धि के लिए इतने अधिक वैज्ञानिक उपकरणों का आविष्कार कर लिया है कि एक दिन वे सभी उपकरण मानव सभ्यता के विनाश का कारण भी बन सकते हैं। एक- दूसरे देश को नीचा दिखाने के लिए अस्त्र-शस्त्रों, परमाणु मों, रासायनिक बमों के निर्माण ने जहाँ परस्पर प्रतिद्वंद्विता पैदा की है वहीं इनका प्रयोग केवल प्रतिपक्षी दल को ही नष्ट नहीं करता अपितु प्रयोग करने वाले देश पर भी इनका प्रभाव पड़ता है। नए-नए कारखानों की स्थापना से वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है।

भोपाल गैस दुर्घटना के भीषण परिणाम हम अभी भी सहन कर रहे हैं। देश में एक कोने से दूसरे कोने तक ज़मीन के अंदर पेट्रोल तथा गैस की नालियाँ बिछाईं जा रही हैं, जिनमें आग लगने से सारा देश जलकर राख हो सकता है। घर में गैस के चूल्हों से अक्सर दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। पनडुब्बियों के जाल ने सागर तल को भी सुरक्षित नहीं रहने दिया है। धरती का हृदय चीर कर मेट्रो – रेल बनाई गई है। इसमें विस्फोट होने से अनेक नगर ध्वस्त हो सकते हैं। इस प्रकार आज की मानवता बारूद के एक ढेर पर बैठी है, जिसमें छोटी-सी चिंगारी लगने मात्र से भयंकर विस्फोट हो सकता है।

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45. जिस दिन समाचार-पत्र नहीं आता

संकेत बिंदु – समाचार पत्र का महत्व, विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ, अच्छे-बुरे समाचार।
समाचार पत्र का हमारे आधुनिक जीवन में बहुत महत्व है। देश-विदेश के क्रियाकलापों का परिचय हमें समाचार पत्र से ही प्राप्त होता है। कुछ लोग तो प्रायः अपना बिस्तर ही तभी छोड़ते हैं जब उन्हें चाय का कप और समाचार-पत्र प्राप्त हो जाता है। जिस दिन समाचार – पत्र नहीं आता उस दिन इस प्रकार के व्यक्तियों को यह प्रतीत होता है कि मानो दिन निकला ही न हो। कुछ लोग अपने घर के छज्जे आदि पर चढ़कर देखने लगते हैं कि कहीं समाचार-पत्र वाले ने समाचार-पत्र इतनी जोर से तो नहीं फेंका कि वह छज्जे पर जा गिरा हो।

वहाँ से भी जब निराशा हाथ लगती है तो वह आस-पास के घरवालों से पूछते हैं कि क्या उनका समाचार पत्र आ गया है ? यदि उनका समाचार-पत्र आ गया हो तो वे अपने समाचार-पत्र वाले को कोसने लगते हैं। उन्हें लगता है आज उनका दिन अच्छा व्यतीत नहीं होगा। उनका अपने काम पर जाने का मन भी नहीं होता। वे पुराना अखबार उठा कर पढ़ने का प्रयास करते हैं किंतु पढ़ा हुआ होने पर बोर होकर उसे फेंक देते हैं तथा समाचार-पत्र वाहक पर आक्रोश व्यक्त करने लगते हैं। कई लोग तो समाचार-पत्र के अभाव में अपनी नित्य क्रियाओं से भी मुक्त नहीं हो पाते। वास्तव में जिस दिन समाचार-पत्र नहीं आता वह दिन अत्यंत फीका- फीका, उत्साह रहित लगता है।

46. वर्षा ऋतु की पहली बरसात

संकेत बिंदु – गरमी की अधिकता, सभी प्राणियों की पीड़ा, वर्षा ऋतु का आगमन, वातावरण में ठंडक, प्राकृतिक सुंदरता।
गरमी का महीना था। सूर्य आग बरसा रहा था। धरती तप रही थी। पशु-पक्षी तक गरमी के कारण परेशान थे। मज़दूर, किसान, रेहड़ी-खोमचे वाले और रिक्शा चालक तो इस तपती गरमी को झेलने के लिए विवश होते हैं। पंखों, कूलरों और एयर कंडीशनरों में बैठे लोगों को इस गरमी की तपन का अनुमान नहीं हो सकता। जुलाई का महीना शुरू हुआ इस महीने में ही वर्षा ऋतु की पहली वर्षा होती है। सबकी दृष्टि आकाश की ओर उठती है।

किसान लोग तो ईश्वर से प्रार्थना के लिए अपने हाथ ऊपर उठा देते हैं। अचानक एक दिन आकाश में बादल छा गए। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर पिऊ-पिऊ मधुर आवाज़ में बोलने लगे। हवा में भी थोड़ी ठंडक आ गई। धीरे-धीरे हलकी-हलकी बूंदाबांदी शुरू हो गई। मैं अपने साथियों के साथ गाँव की गलियों में निकल पड़ा। साथ ही हम नारे लगाते जा रहे थे, ‘बरसो राम धड़ाके से, बुढ़िया मर गई फाके से ‘। किसान भी खुश थे। वर्षा तेज़ हो गई थी। खुले में वर्षा में भीगने, नहाने का मज़ा ही कुछ और है। वर्षा भी उस दिन कड़ाके से बरसी। मैं उन क्षणों को कभी भूल नहीं सकता। मैं उसे छू सकता था, देख सकता था और पी सकता था। मुझे अनुभव हुआ कि कवि लोग क्योंकर ऐसे दृश्यों से प्रेरणा पाकर अमर काव्य का सृजन करते हैं।

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47. शक्ति अधिकार की जननी है

संकेत बिंदु-शक्ति के प्रकार, शारीरिक और मानसिक शक्तियों का संयोग, अधिकारों की प्राप्ति, सत्य और अहिंसा का बल, अनाचार का विरोध।
शक्ति का लोहा कौन नहीं मानता है ? इसी के कारण मनुष्य अपने अधिकार प्राप्त करता है। प्राय: यह दो प्रकार की मानी जाती है – शारीरिक और मानसिक। दोनों का संयोग हो जाने से बड़ी से बड़ी शक्ति को घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष की आवश्यकता होती है। इतिहास इस बात का गवाह है कि अधिकार सरलता, विनम्रता और गिड़गिड़ाने से प्राप्त नहीं होते। भगवान कृष्ण ने पांडवों को अधिकार दिलाने की कितनी कोशिश की पर कौरव उन्हें पाँच गाँव तक देने के लिए सहमत नहीं हुए थे।

तब पांडवों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए युद्ध का रास्ता अपनाना पड़ा। भारत को अपनी आज़ादी तब तक नहीं मिली थी जब तक उसने शक्ति का प्रयोग नहीं किया। देशवासियों ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेज़ सरकार से टक्कर ली थी। तभी उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी और देश आज़ाद हुआ था। कहावत है कि लातों भूत बातों से नहीं मानते। व्यक्ति हो अथवा राष्ट्र उसे शक्ति का प्रयोग करना ही पड़ता है। तभी अधिकारों की प्राप्ति होती है। शक्ति से ही अहिंसा का पालन किया जा सकता है, सत्य का अनुसरण किया जा सकता है, अत्याचार और अनाचार को रोका जा सकता है। इसी से अपने अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में ही शक्ति अधिकार की जननी है।

48. भाषण नहीं राशन चाहिए

संकेत बिंदु – भाषण की उपयोगिता और अनुपयोगिता, नेताओं की करनी – कथनी में अंतर, आम जनता की पीड़ा।
हर सरकार का यह पहला काम है कि वह आम आदमी की सुविधा का पूरा ध्यान रखे। सरकार की कथनी तथा करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। केवल भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता। यदि बातों से पेट भर जाता तो संसार का कोई भी व्यक्ति भूख-प्यास से परेशान न होता। भूखे पेट से तो भजन भी नहीं होता। भारत एक प्रजातंत्र देश है। यहाँ के शासन की बागडोर प्रजा के हाथ में है, यह केवल कहने की बात है। इस देश में जो भी नेता कुर्सी पर बैठता है, वह देश के उद्धार की बड़ी-बड़ी बातें करता है पर रचनात्मक रूप से कुछ भी नहीं होता।

जब मंच पर आकर नेता भाषण देते हैं तो जनता उनके द्वारा दिखाए गए सब्ज़बाग से खुशी का अनुभव करती है। उसे लगता है कि नेता जिस कार्यक्रम की घोषणा कर रहे हैं, उससे निश्चित रूप से गरीबी सदा के लिए दूर हो जाएगी, लेकिन होता सब कुछ विपरीत है। अमीरों की अमीरी बढ़ती जाती है और आम जनता की गरीबी बढ़ती जाती है। यह व्यवस्था का दोष है। इन नेताओं के हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत चरितार्थ होती है। जनता को भाषण की नहीं राशन की आवश्यकता है।

सरकार की ओर से ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जनता को ज़रूरत की वस्तुएँ प्राप्त करने में कठिनाई का अनुभव न हो। उसे रोटी, कपड़ा, मकान की समस्या का सामना न करना पड़े। सरकार को अपनी कथनी के अनुरूप व्यवहार भी करना चाहिए। उसे यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि जनता को भाषण नहीं राशन चाहिए। भाषणों की झूठी खुराक से जनता को बहुत लंबे समय तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

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49. हमारे पड़ोसी

संकेत बिंदु – रिश्तेदारों से बेहतर, सुख-दुख के साथी, अच्छे-बुरे स्वभाव।
अच्छे पड़ोसी तो रिश्तेदारों से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे सुख-दुख के भागीदार होते हैं। जीवन के हर सुख-दुख में पड़ोसी पहले आते हैं और दूर रहने वाले सगे-संबंधी तो सदा ही देर से पहुँचते हैं। आज के स्वार्थी युग में ऐसे पड़ोसी मिलना बहुत कठिन है, जो सदा कंधे से कंधा मिलाकर सुख-दुख में एक साथ चलें। हमारे पड़ोस में एक अवकाश प्राप्त अध्यापक रहते हैं।

वे सारे मुहल्ले के बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं। एक दूसरे सज्जन हैं जो सभी पड़ोसियों के छोटे-छोटे काम बड़ी प्रसन्नता से करते हैं। हमारे पड़ोस में एक प्रौढ़ महिला भी रहती हैं, जिन्हें सारे मुहल्ले वाले मौसी कह कर पुकारते हैं। यह मौसी मुहल्ले भर के लोगों की खोज-खबर रखती हैं। मौसी को सारे मुहल्ले की ही नहीं, सारे शहर की खबर रहती है। हम मौसी को चलता-फिरता अखबार कहते हैं। हमारे सारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं। एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं और समय पड़ने पर उचित सहायता भी करते हैं।

50. सपने में चाँद की यात्रा

संकेत बिंदु – मन में विचार, सपना, चाँद पर भ्रमण, नींद का खुलना।
आज के समाचार-पत्र में पढ़ा कि भारत भी चंद्रमा पर अपना यान भेज रहा है। सारा दिन यही समाचार मेरे अंतर में घूमता रहा। सोया तो स्वप्न में लगा कि मैं चंद्रयान से चंद्रमा पर जाने वाला भारत का प्रथम नागरिक हूँ। जब मैं चंद्रमा के तल पर उतरा तो चारों ओर उज्ज्वल प्रकाश फैला हुआ था। वहाँ की धरती चाँदी से ढकी हुई लग रही थी। तभी एकदम सफ़ेद वस्त्र पहने हुए परियों ने मुझे पकड़ लिया और चंद्रलोक के महाराज के पास गईं।

वहाँ भी सभी सफ़ेद उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए थे। उनसे वार्तालाप में मैंने स्वयं को जब भारत का नागरिक बताया तो उन्होंने मेरा सफ़ेद रसगुल्लों जैसी मिठाई से स्वागत किया। वहाँ सभी कुछ अत्यंत निर्मल और पवित्र था। मैंने मिठाई खानी शुरू ही की थी कि मेरी मम्मी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे उठा दिया और डाँटने लगीं कि चादर क्यों खा रहा है ? मैं हैरान था कि यह क्या हो गया ? कहाँ तो मैं चंद्रलोक का आनंद ले रहा था और यहाँ चादर खाने पर डाँट पड़ रही है। मेरा स्वप्न भंग हो गया था और मैं भागकर बाहर की ओर चला गया।

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51. मेट्रो रेल : महानगरीय जीवन का सुखद सपना

संकेत बिंदु – गति, व्यवस्थित, आराम।
मेट्रो रेल वास्तव में ही महानगरीय जीवन का एक सुखद सपना है। भाग-दौड़ की जिंदगी में भीड़-भाड़ से भरी सड़कों पर लगते हुए गतिरोधों से आज मुक्ति दिला रही है मेट्रो रेल। जहाँ किसी निश्चित स्थान पर पहुँचने में घंटों लग जाते थे, वहीं मेट्रो रेल मिनटों में पहुँचा देती है। यह यातायात का तीव्रतम एवं सस्ता साधन है। यह एक सुव्यवस्थित क्रम से चलती है। इससे यात्रा सुखद एवं आरामदेह हो गई है। बसों की धक्का-मुक्की, भीड़-भाड़ से मुक्ति मिल गई है। समय पर अपने काम पर पहुँचा जा सकता है। एक निश्चित समय पर इसका आवागमन होता है, इसलिए समय की बचत भी होती है। व्यर्थ में इंतज़ार नहीं करना पड़ता है। महानगर के जीवन में यातायात क्रांति लाने में मेट्रो रेल का महत्वपूर्ण योगदान है।