JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Exercise 3.5

प्रश्न 1.
निम्न रैखिक समीकरणों के युग्मों में से किसका एक अद्वितीय हल है, किसका कोई हल नहीं हैं या किसके अपरिमित रूप से अनेक हल हैं? अद्वितीय हल की स्थिति में, उसे वज्रगुणन विधि से ज्ञात कीजिए :
(i) x – 3y – 3 = 0
3x – 9y – 2 = 0
(ii) 2x + y = 5
3x + 2y = 8
(iii) 3x – 5y = 20
6x – 10y = 40
(iv) x – 3y – 7 = 0
3x – 3y – 15 = 0
हल:
(i) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म है
x – 3y – 3 = 0 …..(1)
तथा 3x – 9y – 2 = 0 …..(2)
उक्त समीकरण युग्म की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 1
अंत: दिये गये समीकरण युग्म का कोई हल नहीं है।

(ii) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म है।
2x + y = 5 ⇒ 2x + y – 5 = 0
3x + 2y = 8 ⇒ 3x + 2y – 8 = 0
उक्त समीकरण युग्म की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 2, b1 = 1, c1 = -5
a2 = 3, b2 = 2, c2 = -8
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 2
अतः दिए गए समीकरणों का एक अद्वितीय हल है।
अब वज्रगुणन विधि से,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 3
अतः समीकरण युग्म का हल x = 2 और y = 1 है।

(iii) दिए हुए समीकरण युग्म :
3x – 5y = 20.
6x – 10y = 40
इन समीकरणों को निम्न प्रकार लिख सकते हैं :
3x – 5y – 20 = 0
6x – 10y – 40 = 0
उक्त समीकरणों की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण युग्म् a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 3, b1 = -5, c1 = -20
a2 = 6, b2 = -10, c2 = 40
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 4
अतः समीकरण युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे।

(iv) दिया गया समीकरण युग्म :
x – 3y – 7 = 0 …..(i)
3x – 3y – 15 = 0 …..(ii)
उक्त समीकरणों की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 1, b1 = -3, c1 = – 7
a2 = 3, b2 = – 3, c2 = – 15
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 5
अतः दिया गया समीकरण युग्म का एक अद्वितीय हल है।
अब बज्रगुणन विधि से,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 6
अतः दिए गए समीकरण के हल x = 4 और y = -1 है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

प्रश्न 2.
(i) a और 6 के किन मानों के लिए, निम्न रैखिक समीकरणों के युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हाल होंगे ?
(i) 2x + 3y = 7
(a – b)x + (a + b)y = 3a + b – 2
(ii) k के किस मान के लिए, निम्न रैखिक समीकरणों के युग्म का कोई हल नहीं है ?
3x + y = 1
(2k – 1)x + (k – 1)y = 2k +1
हल:
(i) दिया गया समीकरण युग्म है:
2x + 3y = 7
या 2x + 3y – 7 = 0 …..(i)
(a – b)x + (a + b)y = 3a + b – 2
या (a – b)x + (a + b)y – (3a + b – 2) = 0 …..(ii)
उक्त समीकरण युग्म की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण
a1x + b1y + c1 =0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 2, b1 = 3, c1 = -7
a2 = (a – b), b2 = (a+b), c2 = -(3a + b – 2)
अपरिमित रूप से अनेक हल के लिए शर्त
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 7
⇒ 7(a – b) = 2(3a + b – 2)
⇒ 7a – 7b = 6a + 2b – 4
⇒ 7a – 6a – 7b – 2b = -4
⇒ a – 9b = -4 …..(iii)
और \(\frac{3}{a+b}=\frac{7}{3 a+b-2}\)
⇒ 7(a + b) = 3(3a + b – 2)
⇒ 7a + 7b = 9a + 3b – 6
⇒ 9a + 3b – 6 – 7a – 7b = 0
⇒ 2a – 4b = 6
⇒ 2(a – 2b) = 6
⇒ a – 2b = 3
⇒ a = 3 + 2b …..(iv)
समीकरण (iv) से a = 3 + 2b समीकरण (iii) में रखने पर,
⇒ 3 + 2b – 9b = -4
⇒ -7b = – 4 – 3
⇒ -7b = -7
b = \(\frac{-7}{-7}\) = 1
b के इस मान को समीकरण (iv) में प्रतिस्थापित करने पर,
a = 3 + 2 × 1
= 3 + 2 = 5
अतः रैखिक समीकरण युग्म के अभीष्ट हल a = 5 तथा b = 1 हैं।

(ii) दिया गया रैखिक समीकरण युग्म है:
3x + y = 1 ⇒ 3x + y -1 = 0 …..(i)
(2k – 1)x + (k – 1)y = 2k + 1
⇒ (2k – 1)x + (k – 1)y – (2k + 1) = 0 … (ii)
उक्त समीकरण युग्म की तुलना व्यापक रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2x + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 3, b1 = 1, c1 = -1
a2 = (2k – 1), b2 = (k – 1), c2 = – (2k + 1)
कोई हल नहीं है के लिए शर्त
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 8
⇒ 6k + 3 ≠ 2k – 1
⇒ 6k – 2k ≠ – 1 – 3
⇒ 4k ≠ -4
⇒ k ≠ -1
और \(\frac{3}{2 k-1}=\frac{1}{k-1}\)
3(k – 1) = 2k – 1
3k – 3 = 2k – 1
3k – 2k = – 1 + 3
∴ k = 2
अतः k = 2 और k ≠ -1

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

प्रश्न 3.
निम्नलिखित रैखिक समीकरणों के युग्म को प्रतिस्थापन विधि और वज्रगुणन विधि द्वारा हल कीजिए।
8x + 5y = 9
3x + 2y = 4
हल:
दिया गया समीकरण युग्म है:
8x + 5y = 9 …..(i)
3x + 2y = 4 …..(ii)
प्रतिस्थापन विधि से : समीकरण (ii) से,
2y = 4 – 3x
⇒ y = \(\frac{4-3 x}{2}\) …..(iii)
y के इस मान को समीकरण (i) में प्रतिस्थापित करने पर,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 9
x + 20 = 18
⇒ x = 18 – 20
∴ x = – 2
x का यह मान समीकरण (3) में रखने पर,
y = \(\frac{4-3 \times-2}{2}=\frac{4+6}{2}\)
∴ y = \(\frac{10}{2}\) = 5
अत: x = – 2 और y = 5
वज्रगुणन विधि से-रैखिक युग्म समीकरण है-
8x + 5y – 9 = 0
और 3x + 2y – 4 = 0
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 10
अतः दिए गए रैखिक समीकरण युग्म के हल x = -2 तथा y = 5 होंगे।

प्रश्न 4.
निम्न समस्याओं में रैखिक समीकरणों के युग्म बनाइए और उनके हल (यदि उनका अस्तित्व हो) किसी बीजगणितीय विधि से ज्ञात कीजिए :
(i) एक छात्रावास के मासिक व्यय का एक भाग नियत है तथा शेष इस पर निर्भर करता है कि छात्र ने कितने दिन भोजन लिया है जब एक विद्यार्थी 4 को, जो 20 दिन भोजन करता है, ₹ 1000 छात्रावास के व्यय के लिए अदा करने पड़ते हैं, जबकि एक विद्यार्थी B को, जो 26 दिन भोजन करता है छात्रावास के व्यय के लिए ₹ 1180 अदा करने पड़ते हैं। नियत व्यय और प्रतिदिन के भोजन का मूल्य ज्ञात कीजिए।
(ii) एक भिन्न
हो जाती \(\frac{1}{3}\) है जब उसके अंश से 1 घटाया जाता है और वह \(\frac{1}{4}\) हो जाती है जब हर में 8 जोड़ दिया जाता है। वह भिन्न ज्ञात कीजिए।
(iii) यश ने एक टेस्ट में 40 अंक अर्जित किए, जबकि उसे प्रत्येक सही उत्तर पर 3 अंक मिले तथा गलत उत्तर पर 1 अंक की कटौती की गई। यदि उसे सही उत्तर पर 4 अंक मिलते और गलत उत्तर पर 2 अंक कटते, तो यश 50 अंक अर्जित करता। टेस्ट में कितने प्रश्न थे ?
(iv) एक राजमार्ग पर दो स्थान A और B, 100 किमी की दूरी पर हैं। एक कार A से तथा दूसरी कार B से एक ही समय चलना प्रारम्भ करती है। यदि ये कारें भिन्न-भिन्न चालों से एक ही दिशा में चलती हैं तो वे 5 घण्टे पश्चात् मिलती हैं। यदि वे विपरीत दिशाओं में चलना प्रारम्भ करती हैं तो वे 1 घण्टे पश्चात् मिलती हैं। दोनों कारों की चाल ज्ञात कीजिए।
(v) एक आयत का क्षेत्रफल 9 वर्ग इकाई कम हो जाता है, यदि उसकी लम्बाई 5 इकाई कम कर दी जाती है और चौड़ाई 3 इकाई बढ़ा दी जाती है। यदि हम लम्बाई को 3 इकाई और चौड़ाई को 2 इकाई बढ़ा दें, तो क्षेत्रफल 67 वर्ग इकाई बढ़ जाता है। आयत की विमाएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) माना कि छात्रावास में भोजन करने वाले छात्र के नियत व्यय = ₹ x तथा प्रतिदिन के भोजन का मूल्य ₹ y है।
20 दिन के भोजन के लिए किया गया भुगतान = नियत व्यय + 20 दिन के भोजन का मूल्य
= ₹ (x + 20y)
परन्तु विद्यार्थी A 20 दिन भोजन करने के ₹ 1000 चुकाता है।
∴ x + 20y = 1000 …..(i)
इसी प्रकार, 26 दिन के भोजन के लिए किया गया भुगतान = नियत व्यय + 26 दिन के भोजन का मूल्य
= ₹ (x + 26y)
परन्तु विद्यार्थी B 26 दिन भोजन करने के ₹ 1180 चुकाता है।
x + 26y = 1180 …..(ii)
∴ समीकरण (ii) मैं से समीकरण (i) को घटाने पर,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 11
समीकरण (i) में y = 30 रखने पर
x + 20 (30) = 1000
⇒ x + 600 = 1000
⇒ x = 1000 – 600
∴ x = 400
समीकरण युग्म के अभीष्ट हल x = 400 और y = 30 है।
अत: छात्रावास का नियत व्यय = ₹ 400
तथा प्रतिदिन भोजन का व्यय = ₹ 30

(ii) माना कि भिन्न का अंश x तथा हर y है।
भिन्न = \(\frac{x}{y}\)
जब भिन्न के अंश में से 1 घटाया जाता है तो वह \(\frac{x-1}{y}\) हो जाती है।
प्रश्नानुसार, \(\frac{x-1}{y}=\frac{1}{3}\)
⇒ 3(x – 1) = y
⇒ y = 3x – 3 …..(i)
इसी प्रकार जब भिन्न के हर में 8 जोड़ा जाता है तो वह \(\frac{x}{y+8}\) हो जाती है।
प्रश्नानुसार, \(\frac{x}{y+8}=\frac{1}{4}\)
⇒ x = (y + 8) × 1 = x × 4
⇒ y + 8 = 4x …..(ii)
समीकरण (i) से समीकरण (ii) में y का मान प्रतिस्थापित करने पर,
⇒ 3x – 3 + 8 = 4x
⇒ – 3 + 8 = 4x – 3x
⇒ 5 = x
∴ x = 5
x का यह मान समीकरण (i) में रखने पर,
y = 3x – 3
= 3 × 5 – 3
= 15 – 3 = 12
y = 12
अत: x = 5, y = 12
∴ अभीष्ट भिन्न = \(\frac{5}{12}\)

(iii) माना कि यश द्वारा हल किए गये सही प्रश्नों की संख्या x है और गलत हल किए गये प्रश्नों की संख्या y है।
पहली शर्त के अनुसार,
3x – y = 40
⇒ 3x – y – 40 = 0 …..(1)
दूसरी शर्त के अनुसार,
4x – 2y = 50
⇒ 4x – 2y – 50 = 0 …..(2)
वज्रगुणन विधि से हल करने पर,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 12
सही प्रश्नों की संख्या = 15
तथा गलत प्रश्नों की संख्या = 5
अत: प्रश्नों की कुल संख्या = [सही प्रश्नों की संख्या] + [गलत प्रश्नों की संख्या]
= 15 + 5
= 20

(iv) माना कि स्थान A से चलने वाली कार की चाल = x किमी./ घण्टा
और स्थान B से चलने वाली कार की चाल = y कि.मी./ घण्टा
स्थान A व स्थान B के बीच की दूरी = 100 किमी
जब कारें एक ही दिशा में स्थान A तथा B से चलती हैं तो 5 घण्टे बाद P स्थान पर मिलती हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 13
∴ 5 घण्टे में स्थान A से चली दूरी – 5 घण्टे में स्थान B से चली दूरी = 100 किमी.
⇒ 5x – 5y = 100 [दूरी = चाल × समय]
⇒ x – y = 20 …..(1)
जब कारें विपरीत दिशा में स्थान A तथा B से चलकर Q स्थान पर मिलती हैं तो उन्हें 1 घण्टे में 100 किमी चलना होगा।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 14
∴ 1 घण्टे में स्थान A से चली दूरी + 1 घण्टे में स्थान B से चली दूरी = 100 किमी
⇒ x + y = 100 ……(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 15
x का यह मान समीकरण (1) में रखने पर,
60 – y = 20 ⇒ y = 40
अतः कारों की चाल 60 किमी./ घण्टा और 40 किमी./ घण्टा है।

(v) माना कि आयत की लम्बाई = x मात्रक
और आयत की चौड़ाई = y मात्रक
∴ आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= x × y
= xy वर्ग मात्रक
पहली शर्त के अनुसार,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 16
अतः आयत की लम्बाई = 17 मात्रक
तथा आयत की चौड़ाई = 9 मात्रक

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनन किसे कहते हैं? जनन के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, जनन कहलाता है।
जनन दो प्रकार के होते हैं-

  • अलैंगिक जनन
  • लैंगिक जनन।

प्रश्न 2.
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प के जननांगों के नाम हैं-

  • नर जननांग-पुंकेसर।
  • मादा जननांग-स्त्री केसर।

प्रश्न 3.
परागकण का निषेचन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
परागकण नरयुग्मक का निर्माण करते हैं। परागकण परागनलिका के द्वारा अण्डाशय तक पहुँचता है और अण्ड से संयुक्त होकर युग्मनज बनाता है जिसके विभाजन से नए पौधे का जन्म होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 4.
प्लेसेंटा के कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्लेसेंटा मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैव सम्बन्ध बनाये रखता है। इसी के द्वारा गर्भस्थ शिशु को माँ के द्वारा प्रचुर मात्रा में रक्त भेजा जाता है। इसके द्वारा भ्रूण पोषण और ऑक्सीजन माँ से प्राप्त करता है।

प्रश्न 5.
वर्धी प्रजनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह प्रजनन जिसमें पादप के शरीर का कोई भी वर्धी या कायिक भाग (पुष्प छोड़कर) पादप से पृथक् एक नये पौधे को जन्म जन्म देता है, उसे वर्धी या कायिक होकर एक प्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 6.
कलम बाँधना क्या है?
उत्तर:
पौधों में वर्धी प्रजनन की वह विधि जिसमें विभिन्न पौधों के दो भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक नया पौधा प्राप्त होता है, कलम बाँधना कहलाता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य में नर प्रजनन अंगों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर प्रजनन अंग निम्न प्रकार हैं-

  • एक जोड़ी वृषण
  • वृषण कोष
  • शुक्रवाहिनियाँ
  • शुक्राशय
  • प्रोस्टेट ग्रन्थि
  • मूत्र मार्ग
  • शिश्न

प्रश्न 8.
‘अण्डज’ तथा ‘जरायुज’ जन्तुओं की जनन क्रिया में क्या अन्तर है? दोनों का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे में होता है, जबकि जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है।

  • उदाहरण – अण्डज – पक्षी, सर्प, छिपकली, मेंढक आदि।
  • जरायुज – मानव, बन्दर, गाय, हाथी, बाघ आदि।

प्रश्न 9.
बीज का निर्माण पुष्प के किस भाग में होता है?
उत्तर:
पुष्प के मादा जायांग के आधार में स्थित अण्डाशय (ovary) मैं।

प्रश्न 10.
किसी कोशिका से युग्मक (Gamete) कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
कोशिका के अर्द्ध-सूत्री विभाजन से।

प्रश्न 11.
तना तथा शाखाओं द्वारा कायिक जनन करने वाले पौधों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
गन्ना, गुलाब, चमेली आदि।

प्रश्न 12.
नर एवं मादा युग्मकों को सामान्यतः क्या कहते हैं?
उत्तर:
शुक्राणु (sperm) तथा अण्डाणु (ovum)।

प्रश्न 13.
पौधे के जनन अंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
पुष्प (flower)।

प्रश्न 14.
‘परागकण’ तथा ‘परागण’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
परागकण, पुष्प के नर जननांग के परागकोश में पायी जाने वाली सूक्ष्म रचनाएँ होती हैं, जबकि परागकोश से परागकणों के मादा जायांग के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होने की क्रिया को परागण कहते हैं।

प्रश्न 15.
मानव में निषेचन क्रिया किस अंग में होती है?
उत्तर:
अण्डवाहिनी (fallopian tube) में।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 16.
‘जनन’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों द्वारा अपने समान ही अन्य जीवधारियों के उत्पन्न करने की क्रिया को जनन कहते हैं।

प्रश्न 17.
‘युग्मनज’ कैसे बनता है?
उत्तर:
एक नर युग्मक अथवा शुक्राणु तथा एक मादा युग्मक अथवा अण्डाणु के संयोजन से युग्मनज बनता है।

प्रश्न 18.
मानव मादा जनन अंग कौन-कौन होते हैं?
उत्तर:
मानव मादा जनन अंग –

  • एक जोड़ी अण्डाशय
  • अण्डवाहिनी
  • योनि
  • गर्भाशय
  • योनि द्वार

प्रश्न 19.
अण्डोत्सर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
मादा के वयस्क होने पर प्रत्येक 28 दिन में एक अण्डा उत्सर्जित होता है, यह क्रिया अण्डोत्सर्ग कहलाती है।

प्रश्न 20.
आन्तरिक निषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जन्तुओं में नए शुक्राणुओं को मादा के शरीर के अन्दर विसर्जित करता है और निषेचन की क्रिया शरीर के भीतर होती है। इस प्रकार का निषेचन आन्तरिक निषेचन कहलाता है।

प्रश्न 21.
पादप हार्मोन एथिलीन के दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर:

  • फलों को पकाता है।
  • फलों के प्राकृतिक स्वाद में परिवर्तन आ जाता है।

प्रश्न 22.
‘विखण्डन’ द्वारा जनन किस जीवधारी में होता है?
उत्तर:
अमीबा (amoeba) में।

प्रश्न 23.
‘मुकुलन’ का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीव के शरीर पर बल्ब के प्रकार की संरचना बनती है जिसे मुकुल (Bud) कहते हैं मातृ- कोशिका का केन्द्रक दो भागों में विभक्त हो जाता है तथा एक भाग मुकुल में आ जाता है। मुकुल के परिपक्व हो जाने पर वह मातृ- कोशिका से अलग हो जाता है तथा वृद्धि करता है। यीस्ट (Yeast) तथा हाइड्रा (Hydra) इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 24.
रोपण’ तथा ‘कलम लगाना’ में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जिस पौधे को उगाना है उसकी एक टहनी को किसी अन्य वृक्ष के ठूंठ पर लगा देने को रोपण (graft- ing) कहते हैं जबकि कलम लगाने (cutting) में पौधे की टहनी को मृदा में ही लगा दिया जाता है।

प्रश्न 25.
‘कलम’ तथा ‘स्कन्ध’ क्या है? ये कैसे मिलते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे की एक काटी गयी टहनी को ‘कलम’ कहते हैं तथा किसी वृक्ष की ढूँठ (पौधे में तने के नीचे जड़ का मिट्टी में दबा भाग ) को स्कन्ध कहते हैं। कलम किसी पौधे के तने अथवा शाख को काटकर प्राप्त होती है स्कन्ध, जड़ के ऊपर पौधे को काट देने से मिलता है।

प्रश्न 26.
ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन के मुख्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियंत्रित करता है तथा कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करता है।
साइटोकाइनिन प्रोटीन बनाने में सहायक होता है ये अंकुरण को प्रेरित करता है।

प्रश्न 27.
कलम और स्कन्ध क्या है?
उत्तर:
कलम – कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती हैं, जिस पर कलिकाओं से युक्त एक या दो गाँठें होती हैं। स्कन्ध-स्कन्ध तने वह भाग है जिसमें बहुशाखित और विस्तृत जड़ तन्त्र भूमि अन्दर हो।

प्रश्न 28.
विखण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह क्रिया विखण्डन कहलाती हैं।

प्रश्न 29.
खण्डन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जीवों में प्रौढ़ जन्तु दो या अधिक भागों में खण्डित हो जाता है। प्रत्येक खण्ड वृद्धि कर प्रौढ़ तन्तु बना लेता है, खण्डन कहलाता है। चपटी कृमि में खण्डन क्रिया होती है।

प्रश्न 30.
किसी कोशिका के किस प्रकार के विभाजन से युग्मक उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन से।

प्रश्न 31.
जरायुज (viviparous) तथा अण्डज (oviparous) जन्तुओं के भ्रूण की विकास- क्रियाओं में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जरायुज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा जन्तु के शरीर के भीतर गर्भाशय में होता है। अण्डज जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा-जन्तु के शरीर के बाहर अण्डे (egg) – के खोल के भीतर होता है।

प्रश्न 32.
‘नाभिरज्जु’ (Umbilical cord) का क्या कार्य है?
उत्तर:
नाभिरज्जु, माता के शरीर से पोषक तत्त्वों को, अपरा से होकर से होकर भ्रूण तक पहुँचाती है।

प्रश्न 33.
अलैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा जीवों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा गुणित होता है, अलैंगिक जनन कहलाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 34.
लैंगिक जनन क्या है?
उत्तर:
वह जनन प्रक्रिया जिसमें नर तथा मादा दोनों प्रकार के जीवों की आवश्यकता होती है, उनके संकरण से उन्हीं के समान नये जीवों की उत्पत्ति होती है। लैंगिक जनन कहलाता है।

प्रश्न 35.
स्पीशीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही प्रकार के सम्बन्धित पौधे या जन्तुओं के समूह जो आपस में संकरण कर नये जीव बना सकते हैं, स्पीशीज कहलाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर बताइए।
अथवा
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन में केवल एक जीव भाग लेता है जो स्वयं समसूत्री विभाजन द्वारा नये जीव उत्पन्न करता है-उदाहरणत: अमीबा का विखण्डन, यीस्ट का मुकुलन तथा कायिक- जनन की विभिन्न विधियों द्वारा पौधों का जनन।

इसके विपरीत लैंगिक जनन में नर एवं मादा, दो जीव अथवा एक ही जीव के दो प्रकार के जनन अंग (पुष्पी पौधों में भाग लेते हैं। इस क्रिया में नर एवं मादा भिन्न प्रकार की युग्मक (gamete) कोशिकाएँ बनाते हैं जो अर्द्धसूत्री विभाजन से बनती हैं। युग्मकों के संयोग से युग्मनज (zygote) कोशिका बनती हैं, जो विकसित होकर नया जीवधारी बनाती है।

प्रश्न 2.
‘कायिक जनन’ क्या होता है? इसकी प्रमुख विधियाँ बताइए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों में इस विधि से क्या लाभ है?
अथवा
पौधों में कायिक जनन की दो विधियों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? पौधों के विभिन्न भागों से होने वाले कायिक जनन का उल्लेख कीजिए।
अथवा
कायिक जनन किसे कहते हैं? इसके महत्त्व का उल्लेख कीजिए। इसके लाभ तथा हानि को भी बताइए।
अथवा
उत्तर:
कायिक जनन (Vegetation Reproduction) – पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की विधि को कायिक जनन कहते हैं। इस विधि का प्रयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों यथा उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में किया जाता है।

कायिक जनन की विधियाँ (Methods of Veg- etative Reproduction ) – कायिक जनन को पौधे के किसी विशेष अंगों का प्रयोग करके उपयोग में लाया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-
(i) पत्तियों द्वारा (By Leafs) – ब्रायोफिलम जैसे कुछ पौधों की पत्तियों के किनारे पर बहुत सी कलिकाएँ निकलती हैं। अनुकूल दशाओं में कलिकाएँ वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधे बन जाती हैं।

(ii) कलम लगाना (Cutting) – इस विधि में पौधे की कलम को नम मिट्टी में लगाते हैं तो इससे जड़ें निकलती हैं और बाद में वृद्धि करके नया पौधा बन जाता है। इस विधि का उपयोग, गुलाब, गन्ना, बोगेनविलिया तथा अनन्नास उगाने में किया जाता है।

(iii) दाब लगाना (Layering) – इस विधि में पौधे की किसी शाखा को झुकाकर नम मिट्टी में दबा दिया जाता है। कुछ समय बाद इससे जड़ें निकल आती हैं और इसके बाद नया पौधा बन जाता है नयी पौध को इसके पैतृक पौधे से काटकर अलग कर लिया जाता है। नयी पौध वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बन जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा चमेली के पौधे को प्राप्त किया जाता है।

(iv) जड़ों का उपयोग करके (Use of Root) – कुछ पौधों की जड़ों पर रेशेदार कलिकाएँ होती हैं जब इन्हें नम मिट्टी में बोया जाता है; तो नये पौधे उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-शकरकन्दी, पोदीना, अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।

(v) रोपण (Grafting ) – इस प्रक्रिया में हम ऐच्छिक पौधे की टहनी (कलम) को वृक्ष के ठूंठ (स्कन्ध) पर लगा देते हैं। स्कन्ध पौधे का वह भाग होता है जिसके तने पर मिट्टी के नीचे पूरा मूल तंत्र होता है कलम ऐच्छिक पौधे की टहनी होती है। दोनों भागों को बाँध दिया जाता है इस प्रक्रिया के कारण कलम तथा स्कन्ध एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। स्कन्ध कलम को पोषण प्रदान करता है। इस विधि को अपनाने से हम ऐच्छिक गुणों वाले पौधे तथा फल प्राप्त कर सकते हैं।

आम की विविध किस्में रोपण विधि द्वारा उगायी जाती हैं। कायिक जनन के लाभ व हानि-कायिक जनन द्वारा तैयार पौधों में बीज से उगाये जाने वाले पौधों की अपेक्षा फूल तथा फल जल्दी उगते हैं। कायिक जनन से प्राप्त पौधे पैतृक पौधे के समान होते हैं। इनमें वातावरण के अनुकूल होने की क्षमता कम होती है।

प्रश्न 3.
अलैंगिक जनन की ‘विखण्डन’ तथा ‘खण्डन’ विधियों का अन्तर उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्तर-विखण्डन-जब पूर्ण विकसित एककोशिकीय जीव समसूत्री विभाजन द्वारा, दो पूर्ण जीव बनाता है तो इसे ‘विखण्डन’ (fission) कहते हैं। उदाहरणतः अमीबा का विखण्डन द्वारा जनन।

खण्डन-स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद दो या दो से अधिक खण्डों में टूट जाते हैं। वे खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। इसे खण्डन कहते हैं।

प्रश्न 4.
‘कायिक जनन’ की ऊतक संवर्धन विधि क्या है?
उत्तर:
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) – इस विधि में पौधे से ऊतक के छोटे से भाग को काटकर या कोशिका लेकर इसे उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम (nutrient medium) में रखते हैं। इस तरह उससे एक अनियमित ऊतक वृद्धि बन जाती है जिसे कैलस (callus ) कहते हैं। कैलस का उपयोग पुनः गुणन में करते हैं अथवा उसका छोटा-सा भाग किसी अन्य पोषक माध्यम में रखते हैं जो उसमें विभेदन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा देते हैं और उसको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है। ऊतक संवर्धन से आजकल आखिंड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं।

प्रश्न 5.
‘निषेचन’ से क्या तात्पर्य है? पौधों में निषेचन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
निषेचन (Fertilisation)- नर एवं मादा युग्मक (शुक्राणु एवं अण्डाणु) के मिलने की क्रिया को निषेचन कहते हैं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में एक ही जन्तु द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों में मिलन होता है। इस क्रिया को आत्म या स्वनिषेचन (self-fertilization) कहते हैं जैसे फीताकृमि में। जब एक ही जाति के दो भिन्न-भिन्न जन्तुओं द्वारा निर्मित नर एवं मादा युग्मकों के बीच परस्पर मिलन होता है तो इसे परनिषेचन (cross-fertilization ) कहते हैं। समस्त एकलिंगी एवं कुछ द्विलिंगी जन्तुओं में परनिषेचन होता है।

पौधों का जनन अंग पुष्प होता है। पौधों में पुंकेसर नर तथा जायांग मादा जनन अंग हैं। पुंकेसर के अग्रभाग पर परागकोश होते हैं। परगकोश में परागकण होते हैं। परागकण छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं। ये नर युग्मक बनाते हैं। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर पहुँचते-पहुँचते पतला हो जाता है। जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका कहते हैं।

वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वतिकाग्र कहा जाता है। वहाँ पानी तथा कीटों द्वारा परागकण जायांग के वर्तिका पर पहुँच जाते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली से होता हुआ बीजाणु तक युग्मनज बनाता है। ऐसे संलयन को निषेचन कहते हैं। युग्मनज से नया पौधा तैयार हो जाता है।

प्रश्न 6.
किसी पुष्प का आरेख बनाकर ‘नर’ एवं ‘मादा’ जननांगों को नामांकित कीजिए। अथवा
पुष्प का नामांकित चित्र बनाइए और इसके विभिन्न चक्रों के कार्यों को लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

  • बाह्यदल – पुष्प के अन्य भागों की सुरक्षा करना।
  • दल – परागण के लिए कीटों को आकर्षित करना।
  • पुंकेसर-नर जननांग का कार्य करना।
  • स्त्रीकेसर-मादा जननांग के रूप में कार्य करना।

प्रश्न 7.
‘द्विलिंगी जन्तु’ से क्या तात्पर्य हैं? इसका उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
द्विलिंगी जन्तु (Bisexual animals) – कुछ जन्तु जैसे- केंचुआ, जॉक आदि द्विलिंगी या उभयलिंगी (bisexual or hermaphrodite) होते हैं अर्थात् नर एवं मादा युग्मक एक ही जन्तु द्वारा उत्पन्न होते हैं फिर भी इन में परनिषेचन (cross-fertilisation) के लिए दो जन्तुओं का साथ-साथ होना आवश्यक है क्योंकि एक ही जन्तु के नर एवं मादा युग्मक अलग-अलग समय में परिपक्व (mature) होते हैं अर्थात् इनमें स्वनिषेचन (self-fertilisation) नहीं होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 8.
स्वपरागण तथा परपरागण में तीन-तीन अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वपरागण तथा परपरागण में अन्तर

स्वपरागण परपरागण
1. यह प्रक्रिया तब होती है जब नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर होते हैं। 1. इस क्रिया में नर व मादा पुष्प एक या अलगअलग पौधे पर भी हो सकते हैं।
2. नर और मादा भाग एक साथ परिपक्व होते हैं। 2. पुष्प के नर व मादा जननांग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं।
3. पुष्प प्रायः सुगन्धरहित, आकर्षक, छोटे तथा मकरन्दरहित होते हैं। 3. पुष्प प्रायः (वायु परागित पुष्पों को छोड़कर) गन्धयुक्त आकर्षक, बड़े या छोटे मकरन्दयुक्त होते हैं।

प्रश्न 9.
द्विनिषेचन एवं वर्धी प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
आवृत्तबीजियों में द्विनिषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्विनिषेचन-प्रथम निषेचन के फलस्वरूप बना युग्मनज पुनः नर-युग्मनज के साथ निषेचन करता है। इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन (Double-Fertilization) कहते हैं।

वर्धी प्रजनन या कायिक प्रजनन-कायिक या वर्धी जनन अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें पादप शरीर के किसी भी कायिक भाग (पुष्प को छोड़कर) से नये पौधों का विकास होता है।

प्रश्न 10.
यदि प्लेनेरिया अथवा हाइड्रा को कई दुकड़ों में काट दें तो इसका क्या परिणाम होगा? उस क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्लेनेरिया या हाइड्रा को कई टुकड़ों में काट देने पर प्रत्येक टुकड़ा नये जीव में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को विखण्डन कहते हैं।

प्रश्न 11.
लैंगिक जनन की जन्तुओं में सामान्य प्रक्रिया स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों ही जन्तु भाग लेते हैं। नर जन्त के जनन अंगों में विशेष प्रकार की कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) से नर युग्मक (male gamete) बनते हैं जिन्हें शुक्राणु (Sperm) कहते हैं। मादा जन्तु के जनन अंगों में इसी प्रकार मादा युग्मक (female gamete) बनते हैं, जिन्हें अण्डाणु (Ovum) कहते हैं।

नर एवं मादा जन्तुओं के बीच लैंगिक संगम की क्रिया में नर-युग्मक अर्थात् शुक्राणु का संयोग अण्डाणु से होता है, जिससे युग्मनज (Zygote) बनता है यह नये शिशु जीवधारी की प्रथम कोशिका होती है। इसकी वृद्धि एवं विभेदन की क्रिया से भ्रूण (embryo) का निर्माण होता है। जो बढ़कर गर्भ में विकसित होता है।

प्रश्न 12.
मानव में पुरुष जनन अंगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:

  • वृषण (Testes) – नर युग्मक, शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
  • शुक्रवाहिकाएँ (Vas deferens) – शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग (urethra) तक पहुँचाती है।
  • शिश्न ( Penis) – शुक्राणुओं को स्त्री के योनिमार्ग (Vagina) में प्रवेश कराता है।
  • प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) – शुक्राणुओं के पोषण हेतु विशेष प्रकार का तरल उत्पन्न करता है।
  • शुक्राशय – शुक्राणुओं से युक्त तरल (वीर्य) को संचित करना है।

प्रश्न 13.
मानव में स्त्री जननांगों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:

  • अण्डाशय – इनमें मादा युग्मक (Ovum) बनते हैं।
  • अण्डवाहिनी (Oviduets) अथवा फैलोपियन नलिकाएँ (Fallopian tubes) अण्डाशयों से निर्गत अण्डाणु को गर्भाशय तक ले जाने वाली नलिकाएँ हैं। निषेचन की क्रिया इन्हीं में होती है।
  • गर्भाशय (Uterus) – निषेचित अण्डाणु अथवा युग्मनज (Zygote) अण्डवाहिनी में होकर इस थैली में पहुँचता है तथा इसकी दीवार से चिपककर क्रमश: वृद्धि से भ्रूण एवं शिशु में परिवर्तित होता है।
  • योनि (Vagina) – गर्भाशय के मुख से बाहर की ओर जाने वाली पेशीय नलिका है। इसी से होकर शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश करते हैं।
  • भग (Vulva) – योनि के बाहर की ओर खुलने वाले छिद्र को भग कहते हैं।

प्रश्न 14.
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? छोटे परिवार के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
परिवार नियोजन परिवार की जन्मदर इस प्रकार नियंत्रित हो कि परिवार सीमित रहे और बच्चों के जनम के बीच पर्याप्त समयान्तर रहे, परिवार नियोजन कहलाता है।
छोटे परिवार का महत्त्व –

  • बच्चों का पोषण सही ढंग से होता है।
  • बच्चों की शिक्षा में सुविधा होती है।
  • पारिवारिक बजट सीमित होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 15.
एक मानव शुक्राणु का नामांकित चित्र बनाइए तथा उस कोशिका का उल्लेख कीजिए जिससे इसका निर्माण होता है।
उत्तर:
मानव के शुक्राणु की रचना मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण लैंगिक कोशिकाओं (Sex cell) या युग्मक कोशिकाओं द्वारा होता है ये कोशिकाएँ नर जननों में पायी जाती हैं जिन्हें वृषण (testes) कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 2

प्रश्न 16.
नर तथा मादा युग्मक में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
नर तथा मादा युग्मक में निम्नलिखित अन्तर हैं-

नर युग्मक मादा युग्मक
1. नर युग्मक शुक्राणु होता है जो छोटा किन्तु क्रियाशील होता है। 1. मादा युग्मक अण्डाणु होता है जो बड़ा किन्तु सुस्त होता है।
2. नर युग्मक का निर्माण वृषण में होता है। 2. मादा युग्मक का निर्माण अण्डाशय के अन्दर होता है।
3. नर युग्मक चलायमान होते हैं। 3. मादा युग्मक स्थिर रहते हैं।
4. नर युग्मक का निर्माण शुक्र जनन प्रक्रिया के द्वारा होता है। 4. मादा युग्मक का निर्माण अण्डजनन प्रक्रिया के द्वारा होता है।
5. पुरुषों में एक स्खलन में करीब $20-40$ करोड़ शुक्राणु होते हैं। 5. स्त्रियों में माह में केवल एक बार मादा युग्मक उत्सर्जित होता है।

प्रश्न 17.
विखण्डन द्वारा प्रजनन क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
विखण्डन द्वारा प्रजनन कई एककोशीय जीवों में कोशिका के परिपक्व हो जाने के बाद दो भागों में विभाजन हो जाता है। यह विखण्डन कहलाता है। पहले नाभिक का और फिर साइटोप्लाज्म का विखण्डन होता है। एक कोशिका के विभाजन से एक बार में दो नई कोशिका का निर्माण द्विखण्डन कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 3
अमीबा में द्विखण्डन की विधि से दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है।

कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर सिस्ट (रक्षक आवरण) बन जाती है। अन्दर की कोशिका कई बार विभाजित होकर अनेक पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करती है यह बहु-विखण्डन कहलाता है। म्यूकर इसी विधि द्वारा प्रजनन करते हैं।

प्रश्न 18.
निषेचन को नियन्त्रित करना कैसे सम्भव है? इससे होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर:
निषेचन को नियन्त्रित करना कृत्रिम रूप से सम्भव है, क्योंकि मादा युग्मक (अण्डाणु) निषेचन के लिए बहुत कम समय के लिए उपलब्ध होता है। विभिन्न यान्त्रिक, रासायनिक एवं शल्य चिकित्सा के तरीके उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से अण्डाणु और शुक्राणु के संयोग या गर्भावस्था में रुकावट डालने में सहायक है। शल्य चिकित्सा द्वारा पुरुषों में शुक्रवाहिनी को व स्त्रियों में फैलोपियन नली को काट दिया जाता है। रासायनिक गर्भ निरोधक दवाइयाँ एवं कण्डोम के उपयोग से भी निषेचन को नियन्त्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त माह की उस अवधि में मैथुन न करके जब स्त्री सर्वाधिक संवेदनशील होती है।

निषेचन को नियन्त्रित करने से लाभ –

  • परिवार नियोजित हो सकेगा।
  • जनसंख्या वृद्धि में नियन्त्रण सकेगा।
  • परिवार कल्याण में सहायता मिलेगी।

प्रश्न 19.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी पौधे के एक भाग को काटकर उसे एक बर्तन में पोषक तत्त्वों से युक्त माध्यम में रख देते हैं। इस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिण्ड के रूप में होती हैं जिसे कैलस कहते हैं कैलस का थोड़ा सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिससे पादप में विभेदन प्रेरित होता है। इस पादप को गमले या मिट्टी में रोपित किया जाता है, जिससे वयस्क पौधे बनते हैं। सेवन्ती, सतावर, ऑर्किड आदि इसी विधि से उगाया जाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 20.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में नर जननांग में वृषण (Testis) आ हैं, जो जोड़े में रहते हैं और मांसल थैले वृषणकोश (Scro-tum) के अन्दर स्थित होते हैं। दोनों वृषण से एक सँकरी नलिका निकलती है जो एक बड़ी नलिका मूत्रवाहिनी या यूरेथ्रा (Urethra) में खुलती है पुरुषों में यूरेथ्रा एक मांसल संरचना है इसे शिश्न (Penis) कहते हैं। शिश्न में बहुत अधिक रक्त की पूर्ति होती है। इसकी मांसपेशियाँ विशेष प्रकार की होती हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 4
शिश्न मूत्र और शुक्राणुओं दोनों को ही बाहर निकालने का कार्य करता है। वृषण में एक विशिष्ट संरचना पायी जाती है इसे शुक्राशय (Seminal Vesicle) कहते हैं। ये शुक्राणु के पोषण के लिए एक लसलसा तरल द्रव स्त्रावित करते हैं। शुक्राणु शिश्न द्वारा मादा जननांग में छोड़े जाते हैं। नर जनन तंत्र पुरुषों में 13-14 वर्ष की उम्र में क्रियाशील हो जाते हैं।

प्रश्न 21.
मनुष्य में मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए। अण्डाशय और अण्डवाहिनी का कार्य लिखिए।
उत्तर:
मादा जननतन्त्र में अण्डाशय (Ovary), अण्डवाहिनी (Oviduct), योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus) और योनिद्वार (Vulva) होते हैं। अण्डाशय (Ovaries) एक जोड़े में पाये जाते हैं और उदरगुहा (Ab- dominal cavity) में स्थित होते हैं। प्रत्येक अण्डाशय के निकट एक सँकरी नलिका के रूप में अण्डवाहिनी
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 5
शुरू होकर पतली और कुण्डलित फेलोपियन ट्यूब में बढ़ती है। दोनों ओर की अण्डवाहिनियाँ एक चौड़े नाल में खुलती हैं, इसे गर्भाशय कहते हैं। गर्भाशय एक अन्य सँकरे कक्ष में खुलता है जिसे योनि कहते हैं। यह एक संकर छिद्र योनिद्वार द्वारा बाहर खुलती हैं। उत्सर्जन नलिका (मूत्र वाहिनी) एक स्वतन्त्र छिद्र द्वारा बाहर खुलती है।
(i) अण्डाशय के कार्य दो अण्डाशय उदर गुहा के निचले भाग में स्थित होते हैं। इनमें अण्डाणु बनता है।

(ii) अण्डवाहिनी के कार्य- यह पतली, कुण्डलित पेशीय नली है जो गर्भाशय और अण्डाशय को जोड़ती है। यह अपनी कशाभिका क्रियाओं द्वारा अण्डाणुओं को गर्भाशय तक पहुँचाती है तथा निषेचन के
लिए स्थान प्रदान करती है।

प्रश्न 22.
सजीवों में प्रजनन को संक्षिप्त में समझाइये।
अथवा
अलैंगिक प्रजनन तथा लैंगिक प्रजनन को समझाइए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें सजीवों की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को उत्पन्न करती है, प्रजनन कहलाता है। यह सजीवों का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है।
प्रजनन मुख्यतः दो विधियों से होती है- (i) अलैंगिक जनन, (ii) लैंगिक जनन।
(1) अलैंगिक जनन इस प्रकार के जनन में नर तथा मादा युग्मकों का निर्माण नहीं होता है। एक ही जीव समसूत्री विभाजन विधि से जनन करता है। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं और नये जीव को जन्म देते हैं। इसकी प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • विखण्डन
  • मुकुलन
  • बीजाणुओं द्वारा जनन,
  • खण्डन
  • कायिक प्रवर्धन

(2) लैंगिक जनन – इस प्रकार के जनन में नये जीव की उत्पत्ति नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयुग्मन से प्राप्त युग्मनज से होती है। नर युग्मक तथा मादा युग्मक क्रमशः वृषण तथा अण्डाशय में बनते हैं जो निषेचन की प्रक्रिया द्वारा मिलते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमीबा में अलैंगिक जनन की विधियाँ लिखिए।
उत्तर:
अमीबा में जनन अमीबा में जनन द्विखण्डन विधि द्वारा होता है। इस विधि में अमीबा समसूत्री विभाजन द्वारा पहले केन्द्रक का तथा बाद में कोशिका द्रव्य विभाजित खण्ड विकसित होकर दो पुत्री अमीबा का निर्माण कर देता है जो बड़ी होकर मातृ अमीबा का रूप ले लेती हैं। चूँकि इसमें एक जीव बीच में से टूटकर दो भागों में बँट जाता है, अत: इसे द्विखण्डन कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 6

प्रश्न 2.
कायिक प्रवर्धन के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  • इस विधि से बिना बीज वाले पौधे विकसित किये जा सकते हैं।
  • इस विधि में इच्छित गुणों वाले पौधे एवं फलों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस विधि से उत्पन्न पौधों में जल्दी पुष्प खिलते हैं और फल भी जल्दी लगते हैं।
  • यह विधि कुछ पौधों को उगाने की एक सुगम तथा जल्दी बढ़ाने में सहायक है।

प्रश्न 3.
बाह्य निषेचन तथा आन्तरिक निषेचन का क्या अर्थ है? स्वयं निषेचन तथा पर- निषेचन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बाह्य निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा शरीर के बाहर होती है तो इसे बाह्य निषेचन कहते हैं।
उदाहरण- मेढक में।

आन्तरिक निषेचन – जब निषेचन की क्रिया मादा के शरीर के अन्दर होती है तो इसे आन्तरिक निषेचन कहते हैं। उदाहरण- गाय, मनुष्य में।

स्वयं निषेचन – जब किसी एकलिंगी जीव के नर युग्मक तथा मादा युग्मक का निषेचन होता है तो वह क्रिया स्वयं निषेचन कहलाती हैं। उदाहरण- केंचुआ।

पर-निषेचन – जब एक जीव (नर) का शुक्राणु (नर युग्मक) दूसरे जीव मादा के अण्डाणु (मादा युग्मक) को निषेचित करता है तो यह क्रिया पर निषेचन कहलाती है।

प्रश्न 4.
पुरुष में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इस अवस्था के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पुरुष में प्रजनन अंग 13-14 वर्ष की आयु में क्रियाशील होते हैं। इन अंगों से हार्मोन स्रावित होते हैं जिससे शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं। इस अवस्था के प्रमुख लक्षण हैं-

  • जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
  • मूँछ और दाढ़ी का निकलना।
  • बगलों में तथा शिश्न व वृषणकोश के चारों ओर बाल उगना।
  • शरीर सुडौल व ताकतवर हो जाता है।

प्रश्न 5.
स्त्रियों में प्रजनन अंग कब क्रियाशील होते हैं? इसके प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
स्त्रियों में प्रजनन अंग 11-14 वर्ष की आयु में अपना कार्य करना प्रारम्भ करते हैं। इस अवस्था में लड़कियों में प्रमुख लैंगिक लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • वक्ष का विकसित होना।
  • जंघनास्थि पर बालों का बढ़ना।
  • ऋतुस्राव प्रारम्भ होना।
  • बगल में बाल निकलना।

प्रश्न 6.
उभयलिंगी जीवों में लैंगिक प्रजनन को समझाइये।
उत्तर:
कुछ ऐसे जीव होते हैं जिसमें नर एवं मादा ही जननांग पाये जाते हैं, इन्हें उभयलिंगी कहते हैं। इन जीवों में एक ही समय में एक ही जननांग क्रियाशील होता है अर्थात् ये द्विलिंगी होते हुए भी एकलिंगी जीवों जैसा व्यवहार करते हैं और नर एवं मादा युग्मक अलग- अलग समय में उत्पन्न करते हैं। अतः इसमें अपने आप प्रजनन नहीं होता बल्कि एक युग्मक नर एवं दूसरा मादा जीव से संयुक्त होता है और नये जीव की उत्पत्ति होती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 7.
परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसकी विधियों का विवरण दीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? परिवार नियोजन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवार नियोजन को परिभाषित कीजिए। नियोजित परिवार के लिए दो स्थायी विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिवार नियोजन (परिवार कल्याण) (Family Planning) – परिवार कल्याण (परिवार नियोजन) का मुख्य उद्देश्य जन्म दर को कम करना जब परिवार में सीमित 2-3 बच्चे होंगे तो कल्याणकारी योजनाओं को भली प्रकार बनाया जा सकता है। परिवार में बच्चों को पेटभर अच्छा भोजन, तन ढकने को वस्त्र, उचित शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल आसानी से की जा सकती है। इससे परिवार का कल्याण होगा। परिवार सीमित रखने के विभिन्न उपाय हैं। इसको दो विधियों में बाँटा गया है-

  • अस्थायी विधियाँ
  • स्थायी विधियाँ।

1. अस्थायी विधियाँ (Temporary Methods)
(क) आत्मसंयम (Self-control) – पुरुष का स्त्री के साथ केवल सुरक्षित काल में ही लैंगिक सम्पर्क हो। शेष दिनों में आत्मसंयम रखें।

(ख) लूप (Loop) – अस्पतालों में परिवार कल्याण विभाग द्वारा स्त्रियों को लूप लगाने की व्यवस्था है। इसके लगवाने के बाद गर्भधारण नहीं हो सकता।

(ग) निरोध (Condom ) निरोध का प्रयोग पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसके प्रयोग से गर्भधारण नहीं हो सकता।

(घ) स्त्रियों का सुरक्षित काल (Safe Period) – मासिक धर्म के एक सप्ताह पूर्व तथा एक सप्ताह बाद का समय सुरक्षित काल कहा जाता है। इस समय में गर्भधारण करने की सम्भावनाएँ कम रहती हैं। यह विधि विश्वसनीय नहीं है।

(ङ) रासायनिक ओषधियाँ (Pills) – अस्पताल से गर्भनिरोधक गोलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं जिससे गर्भ-धारण करने की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं।

(च) गर्भसमापन (Abortion ) अनावश्यक बच्चे के लिए अस्पताल जाकर लेडी डॉक्टर की सलाह से गर्भसमापन कराया जा सकता है। किसी अप्रशिक्षित अकुशल स्त्री द्वारा गर्भ समापन नहीं कराना चाहिए, इससे महिला के जीवन को खतरा हो सकता है।

2. स्थायी विधियाँ (Permanent Methods)
(क) पुरुष का ऑपरेशन (Vasectomy) – शुक्रनलिका का यह बहुत ही साधारण ऑपरेशन है। इसमें किसी प्रकार का भय नहीं है।

(ख) महिला का ऑपरेशन ( Tubectomy)- अण्डनलिका का यह ऑपरेशन साधारण होता है घाव पूरा होने की अवधि में सावधानी रखनी चाहिए।

प्रश्न 8.
पौधों में अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पादपों में अलैंगिक जनन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction):
इस प्रकार के जनन में दो लिंगों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार हैं-
(1) विखण्डन (Fission ) – जब जीव पूर्ण विकसित होता है तब यह दो भागों में विभाजित हो जाता है, इसे विखण्डन कहते हैं पहले केन्द्रक विभाजित होता है और फिर कोशिका द्रव्य विखण्डन से जब दो जीव बनते हैं तो उस प्रक्रिया को द्विखण्डन कहते हैं। इससे दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।

कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था (Cyst) कहते हैं। पुटी के अन्दर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएँ जाती हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत सी कोशिकाएँ को पुटी बन बाहर निकल जाती हैं।

(2) मुकुलन (Budding) – शरीर पर एक बल्ब की तरह की संरचना बनती है जिसे मुकुल (bud) कहते हैं। शरीर का केन्द्रक दो भागों में उनमें जीव से अलग होकर वृद्धि विभाजित हो है और से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है। मुकुल पैतृक करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। उदाहरणतः यीस्ट और हाइड्रा

(3) खण्डन (Fragmentation) – स्पाइरोगाइरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतः दो या अधिक खण्डों में टूट जाते हैं ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं।

(4) बीजाणुजनन (Sporogenesis ) – कुछ जीवाणु तथा निम्नवर्गीय जीव बीजाणु विधि द्वारा जनन प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा के लिए उसके करते हैं। बीजाणु कोशिका की विराम अवस्था है जिसमें चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है। अनुकूल परिस्थिति में मोटी भित्ति टूट जाती है और जीवाणु सामान्य विधि से जनन करता है और वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। इस विधि द्वारा जनन करने के कुछ उदाहरण हैं- म्यूकर, फर्न अथवा माँस।

(5) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)- पौधे के किसी भी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड का उपयोग करके नया पौधा तैयार करने की प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि का उपयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों विशेषतः उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में प्रवर्धन अथवा एक सामान्य पोदीने की किया जाता है। पौधों में कायिक विधि है। उदाहरणतः अमरूद, शकरकन्द छोटी-छोटी जड़ों पर अपस्थानिक कलियाँ होती हैं। होती हैं। ये कलियाँ अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बना देती हैं।

अन्य पौधों में उनकी शाखाएँ कुछ दूरी तक उगती हैं और उसके बाद उनमें भूमि की ओर अपस्थानिक जड़ें और ऊपर की ओर पत्तियाँ निकलती हैं। आलू की शल्की कार्यों के कक्ष में कलियाँ होती हैं। इन कलियों से वायवीय प्ररोह विकसित हो जाते हैं। इसके अन्य उदाहरण हैं-अदरक, हल्दी, प्याज, केला, लहसुन तथा जलकुम्भी।

पत्तियाँ (Leafs) – ब्रायोफिल्लम के पौधों में पत्तियों के किनारों पर स्थित खाँचों में अपस्थानिक कलिकाएँ होती हैं जो अनुकूल दशाओं में विकसित होकर पूरा पौधा बना देती हैं।

किसानों ने पौधों में कायिक प्रवर्धन विधि का उपयोग अपने आर्थिक लाभ के लिए किया है। इस विधि से वह उद्यानों तथा नर्सरी में नये-नये पौधे उगा सकता है। कायिक प्रवर्धन में रोपण, कलम, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन जैसी विधियाँ अपनायी जाती हैं।

प्रश्न 9.
पौधों में लैंगिक जनन के अंगों का विवरण देते हुए इसकी प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
पौधों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduc- tion in Plants) पुष्प पौधे का जनन अंग होता है। चित्र में फूल में जनन अंगों को दिखाया जाता है। इसमें पुंकेसर (Stamens) नर तथा जायांग (Gynoecium) मादा जनन अंग है। पुंकेसर के अग्र भाग पर परागकोश (Anthers) होते हैं। परागकोश में परागकण होते हैं। परागकण (Pollen grains) छोटी-छोटी संरचनाएँ होती हैं जो नर युग्मक का कार्य करती है। जायांग का आधार चौड़ा होता है और ऊपर जाते जाते पतला होता जाता है। निचले चौड़े आधार को अण्डाशय (Ovary) कहते हैं। इसमें अण्डाणु होते हैं। अण्डाणु में बीजाण्ड (Ovule) होते हैं जायांग के ऊपरी भाग को वर्तिका (Style) कहते हैं।

वर्तिका का अग्रभाग चिपचिपा होता है। इसे वर्तिकाग्र (stigma) कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकान पर पहुँच जाते हैं। परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (Pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है। यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (Zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 7

प्रश्न 10.
परपरागण किसे कहते हैं? पर परागण की विभिन्न विधियों का केवल नाम लिखिए। परागकण के अंकुरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर परागण – एक पुष्प के परागकण उसी प्रजाति के किसी अन्य पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचने की क्रिया पर परागण कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 8
परपरागण की विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • कीट परागण
  • वायु परागण
  • जल परागण
  • पक्षी परागण
  • मनुष्य परागण

परागकण का अंकुरण – वर्तिकाग्र से सामान्यतः एक तरल पदार्थ स्त्रावित होता है जिसमें प्राय: शर्करा या मैलिक अम्ल जैसे रसायन होते हैं। तरल पदार्थों को अवशोषित करके परागकण फूलने लगता है। अन्त: चोल (intine) जनन छिद्रों (germ pore) से परागनलिका (pollen tube) के रूप में बाहर निकल आता है। परागनलिका में जनन केन्द्रक तथा वर्धी केन्द्रक आ जाते हैं।

प्रश्न 11.
पादप हॉर्मोन्स क्या हैं? किन्हीं तीन पादप हॉर्मोन्स के नाम एवं उनके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो पादप हॉर्मोन्स के नाम तथा इसके एक-एक कार्य बताइए।
अथवा
ऑक्सिन एवं जिब्रेलिन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन्स (Plant Harmones) – पौधों में तन्त्रिका तन्त्र नहीं होता है। अतः इनमें केवल रासायनिक समन्वय ही होता है। जन्तुओं की भाँति पौधों की कुछ विशिष्ट कोशिकाओं में एक विशेष प्रकार का रस या रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है जिन्हें हॉर्मोन (Hor- mones) कहते हैं। हॉर्मोन जटिल कार्बनिक यौगिक है। विभिन्न प्रकार के हॉर्मोन अलग-अलग जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। आवश्यकतानुसार हॉर्मोन शरीर में एक जगह से दूसरे जगह स्थानान्तरित होते रहते हैं। पादप हॉर्मोन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
1. ऑक्सिन (Auxin) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं जो वृद्धि नियंत्रक में भाग लेते हैं। ये पौधे के जड़ एवं तनों के शीर्ष पर उत्पन्न होते हैं तथा लम्बाई में बढ़ने वाले भाग की तरफ स्थानान्तरित होकर कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं। पौधों में आकृति एवं आकार के विकास पर भी इनका नियंत्रण होता है।

ऑक्सिन के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • इण्डोल ऐसीटिक एसिड (IAA)
  • इण्डोल प्रोपियोनिक एसिड (IPA)
  • इण्डोल ब्यूटारिक एसिड (IBA)
  • नेपथेलीन ऐसीटिक एसिड (NAA)
  • फिनाइल ऐसीटिक एसिड (PAA) आदि।

इनके निम्नलिखित कार्य है-

  • ये कोशिका वृद्धि एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा तने की वृद्धि में सहायता करते हैं।
  • अंकुरित बीजों की जड़ों में ऑक्सिन वृद्धि दर को कम कर देते हैं।
  • जड़ एवं तनों की वृद्धि को नियन्त्रित करते हैं।
  • ऑक्सिन पत्तियों का गिरना, फूलों का खिलना तथा फलों का बनना एवं पकना आदि को प्रभावित करते हैं।
  • अनिषेचित पुष्पों पर IAA के छिड़काव से बीजरहित फल मिलते हैं।
  • कुछ ऑक्सिन खरपतवार नाशक होते हैं अर्थात् गेहूँ, मक्का आदि के खेतों में उगे खरपतवार ऑक्सिन के छिड़काव से नष्ट हो जाते हैं।

2. जिब्रेलिन (Gibberelins) – ये जटिल कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं। इसमें कई हॉर्मोन आते हैं। ये तनों के शीर्ष, नई पत्तियों तथा बीजों में बनते हैं इस समूह का मुख्य हॉर्मोन, जिब्रेलिक एसिड है। इसके कार्य निम्नलिखित

  • इसके प्रभाव से कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण द्वारा पौधे लम्बे हो जाते हैं। इसके छिड़काव से बौने मटर एवं मक्के के पौधे लम्बे हो जाते हैं। यहाँ तक कि पौधे की दूनी, तिगुनी वृद्धि हो जाती है।
  • ये काष्ठीय पौधों में कैम्बियम की सक्रियता को बढ़ाते हैं।
    JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 9
  • इसके प्रभाव से पौधे कम समय में ही पुष्पित होने लगते हैं।
  • इसका प्रयोग बीजरहित फलों उत्पादन होता है।
  • इसके छिड़काव से फूलों एवं फलों का आकार बड़ा हो जाता है।
  • यह बीजों की सुसुप्त ( निष्क्रिय) अवस्था को समाप्त करके उसे अंकुरित करता है।
  • फूलों को खिलने में सहायता करता है।

3. काइनन्स (Kinins) – ये भी जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। इसका मुख्य उदाहरण काइनेटिन (kinetin) है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • ये कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घीकरण में भाग लेते हैं।
  • ये प्रोटीन बनाने में सहायक होते हैं।
  • इनके द्वारा पार्श्व कलिकाएँ अधिक वृद्धि करती हैं।
  • ये बीजों के अंकुरण को प्रेरित करते हैं।

4. एब्सेसिक एसिड (Abscissic Acid) – इसे ABC हॉर्मोन कहते हैं। वैज्ञानिकों को अभी कुछ वर्षों पहले इसका पता चला है। इसका संश्लेषण पत्तियों तनों फलों एवं बीजों में होता है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • इसके प्रभाव से तने की वृद्धि मन्द हो जाती है।
  • यह पौधों की पत्तियों, फलों एवं फलों के गिरने का नियमन करता है।
  • यह रन्ध्रों के छिद्रों का नियमन कर वाष्पोत्सर्जन क्रिया को कम कर देता है।

प्रश्न 12.
निषेचन किसे कहते हैं? द्विनिषेचन एवं निषेचनोपरान्त पुष्प में होने वाले परिवर्तनों को समझाइए।
उत्तर:
आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन के समय परागनली में उपस्थित दो नर युग्मकों में से एक नर युग्मक बीजाण्ड के साथ संलयित होता है तथा दूसरा युग्मक द्वितीयक केन्द्रक से संलयित होता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं। परागकण हवा, पानी या कीटों द्वारा जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं।

परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित हो जाते हैं तब ऐसी प्रक्रिया को परागण (pollination) कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक परागनली में से होता हुआ बीजाण्ड तक पहुँच जाता है।

यह बीजाण्ड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज (zygote) बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन (fertilisation) कहते हैं। युग्मनज समसूत्री विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है। निषेचनोपरांत पुष्प में होने वाले परिवर्तन- निषेचन के बाद फूल के पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्यदल सूख जाता है पर अण्डाशय से लगा रहता है। अण्डाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है। इसमें स्थित कोशिकाएँ विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरम्भ हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 10
बीज में एक पौधा अथवा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूलज), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र (Coty- ledons) होते हैं बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज कठोर होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थित में भी जीवित रह सकता है। अण्डाशय की दीवार या तो कडी हो जाती है और एक फली बन जाती है, जैसे खसखस में अथवा एक गूदेदार रसीला फल बन सकती है जैसे- आलूबुखारा अथवा टमाटर में निषेचन के बाद सारे अण्डाशय को फल कहते हैं।

प्रश्न 13.
निषेचन के बाद पुष्प में होने वाले परिवर्तनों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निषेचन के बाद पुष्य में होने वाले परिवर्तन

  • बाह्यदलप्राय: मुरझाकर गिर जाते हैं, परन्तु टमाटर, बैंगन, रसभरी, मिर्च आदि फलों के साथ लगे रहते हैं।
  • दल – मुरझाकर गिर जाते हैं।
  • पुंकेसर झड़ जाते हैं।
  • वर्तिकाग्र – मुरझा जाता है।
  • वर्तिकामुरझा जाती है।
  • अण्डाशय फल में बदल जाता है।
  • बीजाण्ड – बीज में परिवर्तित हो जाता है।
  • अण्डकोशिका – भ्रूण बनाती है।
  • द्वितीय नर युग्मक परागनली में प्रवेश करने वाले दो शुक्राणुओं में से एक अण्डाणु से संलयित (fuse) होकर युग्मक (zygote) बनाता है। दूसरा शुक्राणु अन्य अण्डाणु (ovum) से मिलकर द्वितीयक युग्मज ( diploid zygote) बनाता है जिससे एक स्राव (secretion) उत्पन्न होता है। यह नाव प्रथम युग्मनज को आवरण के रूप में ढक लेता है, जिससे बीजाणु (oospore) बनता है।
  • बीजाण्ड कवच बीजाण्ड बनता है।
  • बीजाण्डवृन्त- बीजवृन्त बनाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. शुक्राणु उत्पन्न होते हैं-
(a) शुक्राशय
(b) शिश्न में
(c) शुक्राणु नली में
(d) वृषण में
उत्तर:
(d) वृषण में

2. अण्डाणु उत्पन्न होते हैं-
(a) गर्भाशय में
(b) अण्डाशय में
(c) योनि मार्ग में
(d) डिम्बवाहिनी में
उत्तर:
(b) अण्डाशय में

3. केवल नर में पायी जाने वाली ग्रन्थि है-
(a) प्रोस्टेट
(b) जठर
(c) पेरिनियल
(d) पैन्क्रियास
उत्तर:
(a) प्रोस्टेट

4. मनुष्य का वृषण देहगुहा के बाहर होता है क्योंकि-
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे
(b) देहगुहा में स्थान की कमी है।
(c) मैथुन में सुगमता होती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उनका ताप देह के आंतरिक ताप से कम रहे

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

5. नर जनन अंगों से सम्बन्धित ग्रन्थि है-
(a) एथिडिडाइमिस
(b) अधिवृक्क ग्रन्थि
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि
(d) अग्न्याशय
उत्तर:
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि

6. मानव मादा में निषेचन होता है-
(a) गर्भाशय में
(b) अंडाशय में
(c) योनि में
(d) फैलोपियन नलिका में
उत्तर:
(d) फैलोपियन नलिका में

7. निम्नलिखित में से किसमें मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) स्पाइरोगाइरा
(d) ब्रायोफिलम
उत्तर:
(b) यीस्ट

8. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण किसमें विद्यमान होते हैं?
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) राइबोसोम
(c) गॉल्जीकाय
(d) जीन
उत्तर:
(d) जीन

9. जनकों से संतति में संप्रेषित होने वाले लक्षण क्या प्रदर्शित करते हैं?
(a) केवल जनकों से समानताएँ
(b) केवल जनकों से विविधताएँ
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ
(d) न समानताएँ और न विविधताएँ
उत्तर:
(c) जनकों के साथ समानताएँ और विविधताएँ

10. अमीबा, स्पाइरोगाइरा और यीस्ट में जनन की सामान्य विशेषता क्या होती है?
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(b) ये सभी एककोशिक हैं।
(c) ये केवल लैंगिक रूप से जनन करते हैं।
(d) ये सभी बहुकोशिक हैं।
उत्तर:
(a) ये अलैंगिक रूप से जनन करते हैं।

11. पुष्प में कितने भाग होते हैं?
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच
(d) छह
उत्तर:
(d) छह

12. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(d) मॉस में

13. खण्डन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(b) स्पाइरोगाइरा में

14. मुकुलन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(a) अमीबा में
(b) स्पाइरोगाइरा में
(c) यीस्ट में
(d) मॉस में
उत्तर:
(c) यीस्ट में

15. हाइड्रा में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(b) मुकुलन द्वारा

16. म्यूकर में अलैंगिक जनन होता है-
(a) विखण्डन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) खण्डन द्वारा
(d) बीजाणुओं द्वारा
उत्तर:
(d) बीजाणुओं द्वारा

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

17. कायिक प्रवर्धन सम्भव है-
(a) जड़ द्वारा
(b) तना द्वारा
(c) पत्ती द्वारा
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा
उत्तर:
(d) उपर्युक्त में से किसी भी द्वारा

18. द्विनिषेचन पाया जाता है-
(a) सभी जीवों में
(b) सभी पादपों में
(c) आवृत्तबीजी पौधों में
(d) केवल जलीय पौधों में
उत्तर:
(c) आवृत्तबीजी पौधों में

19. तने पर अपस्थानिक कलियाँ पायी जाती हैं-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) प्रायोफिल्लम मैं
(d) सभी में
उत्तर:
(b) आलू में

20. पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) पोदीने में
(b) आलू में
(c) ब्रायोफिल्लम में
(d) सभी में
उत्तर:
(c) ब्रायोफिल्लम में

21. अन्तरावस्था के दौरान केन्द्रक में किसका जाल होता है?
(a) हिस्टोन का
(b) क्रोमेटिन धागे का
(c) गुणसूत्रों का
(d) RNA का
उत्तर:
(b) क्रोमेटिन धागे का

22. ऐच्छिक किस्म का पौधा प्राप्त करने के लिएउपयुक्त विधि है-
(a) कलम
(b) रोपण
(c) दाब
(d) इनमें से कोई भी
उत्तर:
(b) रोपण

23. निषेचन के बाद फल में बदलता है-
(a) बाह्यदल
(b) पुंकेसर
(c) अण्डाशय
(d) बीजाण्डासन
उत्तर:
(c) अण्डाशय

24. परागनली नर युग्मक की संख्या होती है-
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

25. मुकुलन द्वारा अलिंगी जनन निम्नलिखित में से किस जन्तु में होता है?
(a) मेढक
(b) अमीबा
(c) केंचुआ
(d) हाइडा
उत्तर:
(d) हाइडा

26. किस पादप हॉरमोन का उपयोग बिना निषेचन के बीजरहित फल के निर्माण में किया जाता है?
(a) जिबरेलिन
(b) एथिलीन
(c) साइटोकाइनिन
(d) ऑक्सिन
उत्तर:
(a) जिबरेलिन

27. अनिषेक फलन (बीजरहित फलन) को प्रोत्साहित करता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एथिलीन
(d) फ्लोरीजेन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन

28. परागकणों का परागकोश से वर्तिका तक स्थानान्तरण कहलाता है-
(a) परागण
(b) अण्डोत्सर्ग
(c) निषेचन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) परागण

29. निम्नलिखित में से कौन पादप हॉर्मोन है-
(a) फीरोमोन
(b) जिब्रेलिन
(c) हिपैरिन
(d) इंसुलिन
उत्तर:
(b) जिब्रेलिन

30. पतझड़ से सम्बन्धित हॉर्मोन्स होता है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) एब्सेसिक अम्ल
(d) एथिलीन
उत्तर:
(c) एब्सेसिक अम्ल

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. आलू में कायिक संचरण ……………….. द्वारा होता है।
  2. मानव मादा में अंडे का निषेचन ……………….. होता है।
  3. अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को ……………….. कहते हैं।
  4. मानव नर में शुक्राणु उत्पादन ……………….. अंग से होता है।
  5. मादा पुष्प का ……………….. भाग होता है।
  6. अलैंगिक जनन में ……………….. जीव निहित होते हैं।

उत्तर:

  1. स्तंभ
  2. फैलोपियन नालिका में
  3. अंडोत्सर्ग
  4. वृषण
  5. जायांग
  6. एक

JAC Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Students must go through these JAC Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

→ प्राकृतिक संसाधन-प्राकृतिक रूप से प्राप्त वस्तुएँ जिनका उपयोग मानव द्वारा होता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। जल, मृदा, वायु, खनिज, वन एवं वन्य पशु, सौर ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

→ अनवीनीकृत संसाधन-वे संसाधन जिनमें पुनः स्थापना फी सहज क्षमता नहीं होती है। कोयला, पेट्रोलियम, लोहा, खनिज पदार्थ इसके अन्तर्गत आते हैं।

→ नवीनीकृत संसाधन-वे संसाधन जिनमें पुनःस्थापना की एक सहज क्षमता होती है। मृदा, जल, वन, वायु एवं वन्य जीव इसके अन्तर्गत आते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

→ प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण-प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा सुनियोजित उपयोग जिसमें ये अनन्तकाल तक चलता रहे।

→ पुनः चक्रीकरण-इस प्रक्रिया से अनवीनीकरण संसाधनों को संरक्षित किया जा सकता है।

→ प्राकृतिक संसाधनों को दो वर्गों में रखा जा सकता है-

  • नवीनीकरण योग्य
  • अनवीनीकरण योग्य।

→ वन-सम्पदा का प्रबन्ध सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

→ जीवाश्म ईंधन, जैसे कोयला एवं पेट्रोलियम, अंतत: समाप्त हो जायेंगे। इनकी मात्रा सीमित होती है और इनके दहन से पर्यावरण प्रदूषित होता है, अतः इन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने वाले रसायन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने वाले रसायन को पादप हॉर्मोन्स कहते हैं।

प्रश्न 2.
मनुष्य में पाई जाने वाली अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में पाई जाने वाली अंत:स्रावी ग्रन्थियाँ हैं-थॉयराइड, पेंक्रियास, एड्रिनल, पीयूष, अण्डाशय एवं वृषण।

प्रश्न 3.
न्यूरॉन एवं एक्सान (तंत्रिकाक्ष) के कार्य लिखिए।
उत्तर:
न्यूरॉन सन्देश संजिन का कार्य करता है तथा एक्सान डेन्ड्राइट द्वारा किये गये संवेदना को विद्युत आवेश के रूप में वहन करने का कार्य करता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 4.
अण्डाशय एवं वृषण से स्रावित होने वाले हॉर्मोन के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर:
अण्डाशय द्वारा स्रावित होने वाला हॉर्मोन एस्ट्रोजन है इसका कार्य मादा लैंगिक लक्षणों का विकास करना है।
वृषण द्वारा स्रावित होने वाला हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन है। इसका कार्य पुरुषों में लैंगिक लक्षणों का विकास करना है।

प्रश्न 5.
रसायनानुवर्तन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परागनलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना।

प्रश्न 6.
मानवों में पश्चमस्तिष्क का एक कार्य बताइए।
उत्तर:
अनैच्छिक क्रियाएँ; जैसे-रक्तदाब, लार आना तथा वमन पश्चमस्तिष्क स्थित मेडुला द्वारा नियंत्रित होती हैं।

प्रश्न 7.
बहुकोशिकीय जीवों में नियंत्रण तथा समन्वय प्रदान करने वाले दो ऊतकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • तंत्रिका ऊतक
  • पेशी ऊतक।

प्रश्न 8.
कौन-सी अंतःस्तावी ग्रंधि वृद्धि हॉर्मोंन का स्ताव करती है?
उत्तर:
पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland)।

प्रश्न 9.
कोशिका विभाजन को बड़ावा देने वाले पादप हॉमोंन का नाम लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन कोशिका।

प्रश्न 10.
तने की वृद्धि के लिए उत्तरदायी पादप हॉर्मोन का नाम बताइए।
उत्तर:
जिब्येरेलिन।

प्रश्न 11.
क्या होगा यदि हमारे द्वारा भोजन में आयोडीन कम मात्रा में ली जाए?
उत्तर:
थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनने के लिए आयोडीन जरूरी होता है, जिसकी कमी से हम गॉयटर (घेंधा) रोग से ग्रसित हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
सूत्र-युग्मन क्या है?
उत्तर:
वह स्थान जहाँ दो न्यूरॉन मिलते हैं, सूत्र-युग्मन कहलाता है।

प्रश्न 13.
अग्याशय से स्रावित होने वाले हॉर्मोन का नाम एवं कार्य लिखिए।
उत्तर:
अग्न्याशय से स्रावित होने वाला हॉमोन इन्सुलिन है। इसका कार्य शर्करा उपापचय का नियन्त्रण करना है।

प्रश्न 14.
प्रतिवर्ती क्रिया किस अंग द्वारा नियन्तित होती है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया मेरुण्जु द्वारा नियन्त्रित होती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 15.
ABA के कार्य लिखिए।
उत्तर:
ABA के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह पौधों की वृद्धि की गति कम करता है।
  • पतझड़ की क्रिया को बढ़ता है।
  • पत्तियों एवं फूलों के खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 16.
मास्टर ग्रान्थि किसे कहते हैं?
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं।

प्रश्न 17.
एड्रीनलिन होर्मोन किस ग्रंधि द्वारा स्रावित होता है?
उत्तर:
मेडुला में।

प्रश्न 18.
एड़ीनलिन हॉमोंन का एक कार्ब लिखिए।
उत्तर:
एड्रीनलिन हॉर्मोन दिल की धड़कन को बड़ा देता है। यह खतरे का सामना करने के लिए शरीर को तैयार करता है।

प्रश्न 19.
प्रोजेस्टरॉन का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्रोजेस्टरॉन का स्राव कार्पस ल्यूटियस से होता है। गर्भाशय में होने वाले वे सभी अंतिम परिवर्तन हैं जो गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए गर्भास्य के भीतर के की वृद्धि के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 20.
मास्टर ग्रंथि का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
पिट्यूटरी ग्रंथि को ही मास्टर ग्रंथि कहते हैं।

प्रश्न 21.
फेरोमोन से से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
फेरोमोन वे वे स्राव होते हैं जो एक जीव द्वारा स्त्रावित होते हैं, लेकिन वे प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या जीव पर डालते हैं। यह हॉर्मोन कुछ कीट अपने साथियों को आकर्षित करने के लिए स्त्रावित करते हैं।

प्रश्न 22.
हॉर्मोन स्त्राव पर नियंत्रण कौन-सी ग्रंथि द्वारा होता है?
उत्तर:
पिट्यूटरी ग्रंथि अंतःस्रावी ग्रंथियों के क्रिया- कलाप का नियंत्रण और नियमन करती है और स्वयं हाइपोथैलेमस के नियंत्रण में होती है।

प्रश्न 23.
फेरोमोन किन बातों में हॉर्मोन से अलग होते हैं?
उत्तर:
हॉर्मोन उसी जीव को प्रभावित करता है जिससे उत्पन्न हुआ होता है जबकि फेरोमोन दूसरे जीवों को प्रभावित करता है।

प्रश्न 24.
‘एक सीधी रेखा में चलना’ मस्तिष्क के किस भाग द्वारा नियंत्रित होगा?
उत्तर:
अनुमस्तिष्क द्वारा।

प्रश्न 25.
प्ररोह के प्रकाश की ओर झुक जाने को हम क्या कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाशानुवर्तन।

प्रश्न 26.
कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि के लिए उत्तरदायी पादप हॉर्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन।

प्रश्न 27.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की संस्थिति एवं संतुलन के लिए उत्तरदायी है?
उत्तर:
पश्चमस्तिष्क स्थित भाग अनुमस्तिष्क द्वारा।

प्रश्न 28.
जब कोई सुई हाथ में चुभती है या गर्म वस्तु का स्पर्श हो जाता है, तो हम तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लेते हैं हैं। इस प्रक्रिया से सम्बन्धित प्रतिक्रिया का क्या नाम है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती प्रतिक्रिया (Reflex action)।

प्रश्न 29.
उस अंतःस्त्रावी ग्रंथि का क्या नाम है, जो हमारे शरीर में इन्सुलिन का स्राव करती है?
उत्तर:
अग्न्याशय।

प्रश्न 30.
निम्नलिखित छूने पर प्रक्रियाओं में से रसायनानुवर्तन का उदाहरण कौन-सा है? स्पर्श सुग्राही पादप (छुई-मुई) में गति, मानव टाँग में गति
उत्तर:
स्पर्श-सुग्राही पादप (छुई-मुई) में गति।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 31.
मेडुला ऑब्लांगेटा कहाँ स्थित होता है?
उत्तर:
यह मस्तिष्क का अंतिम भाग होता है, जो मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है। यह श्वास लेने, खाँसने व निगलने आदि का केन्द्र है। इसके अलावा यह हृदयस्पंदन, आहारनाल के क्रमाकुंचन तथा अनेक अनैच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।

प्रश्न 32.
हाइपोथैलेमस का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:
यह समस्थापन तथा पिट्यूटरी ग्रंथि का नियंत्रण करते हैं तथा संवेदी आवेगों के लिए रिले केंद्र होता है।

प्रश्न 33.
सुनने के लिए कौन-सा संवेदी अंग कार्य करता है?
उत्तर:
कान के द्वारा हम अलग-अलग ध्वनियों को सुन सकते हैं। कान वायु में मौजूद कंपनों को तंत्रिका आवेगों में बदल देते हैं जो आगे मस्तिष्क में संदेश भेजते हैं।

प्रश्न 34.
एक ऐसे रसायन का नाम बताइए, जो एक्सॉन के अंतिम सिरों से निकलकर अगले न्यूरॉन में एक नया आवेग शुरू कर देता है।
उत्तर:
ऐसीटिलकोलिन।

प्रश्न 35.
होमोस्टेटिस किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवों द्वारा बाह्य वातावरण और जीवों की आन्तरिक स्थितियों स्थायित्व की स्थिति और स्थिरता बनाये रखने की क्षमता को होमोस्टेटिस कहते हैं। वास्तव में होमोस्टेटिस का अर्थ है- समान दशा।

प्रश्न 36.
तन्त्रिका तन्त्र क्या है?
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र वह तंत्र होता है जो कि सोचने, समझने याद रखने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों के क्रियाकलापों में सामंजस्य एवं समन्वय स्थापित करके शरीर पर नियंत्रण रखता है।

प्रश्न 37.
इन्सुलिन क्या है? इसका क्या कार्य है?
उत्तर:
अन्त:स्त्रावी ग्रन्थि पेंक्रियास द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन का नाम इंसुलिन है। यह शर्करा उपापचय का नियन्त्रण करता है।

प्रश्न 38.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है? नाम लिखिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन्स को 4 वर्गों में विभाजित किया गया है-

  • ऑक्सिन
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन
  • वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन।

प्रश्न 39.
साइटोकाइनिन के अन्तर्गत आने वाले रसायन के नाम लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन के अन्तर्गत –

  • काइनिन
  • केलाइन
  • जिएटिन
  • फ्लोकोजिन आदि रसायन आते हैं।

प्रश्न 40.
नलिकाविहीन ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सभी अन्त: स्रावी ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन होती हैं, ये हैं-

  • थायरॉइड
  • पेंक्रियास
  • एड्रिनल
  • पीयूष
  • अण्डाशय
  • वृषण।

प्रश्न 41.
तन्त्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन) कितने ‘की होती हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
तन्त्रिका कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • प्रेरक तन्त्रिका कोशिका
  • संवेदी तंत्रिका कोशिका
  • बहुध्रुवीय तन्त्रिका कोशिका।

प्रश्न 42.
मनुष्य में लिंग निर्धारित करने वाली ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
महिला में 1 में लिंग निर्धारण – अण्डाशय द्वारा। पुरुष में लिंग निर्धारण – वृषण द्वारा।

प्रश्न 43.
हॉर्मोन तथा ग्रंथियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
हॉर्मोन – वह रासायनिक पदार्थ जो शरीर के किसी भाग में ग्रंथियों से स्त्रावित होता है और रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में पहुँचा दिया जाता है, उसे हॉर्मोन कहते हैं।
ग्रंथि – वह संरचना, जो एक विशेष प्रकार का रासायनिक पदार्थ स्त्रावित करती है। यह दो प्रकार की होती है- बहिःस्रावी व अंत: स्रावी

प्रश्न 44.
अंत: स्रावी ग्रंथियों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
अंत: स्रावी ग्रंथियाँ अपना स्राव सीधे रक्त में छोड़ती और ये वाहिकाहीन ग्रंथियाँ होती हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 45.
थायरॉइड ग्रंथि कहाँ स्थित होती है?
उत्तर:
गर्दन के सामने Larynx के ठीक नीचे।

प्रश्न 46.
थायरॉइड ग्रंथि किस हॉर्मोन का स्त्राव करती है?
उत्तर:
थायरॉक्सिन और कैल्सीटोनिन।

प्रश्न 47.
उच्च वर्ग के जन्तुओं के समन्वय केन्द्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
उच्च वर्ग के जन्तुओं के समन्वय केन्द्र हैं- मस्तिष्क और मेरुरज्जु।

प्रश्न 48.
मस्तिष्क के विभिन्न भाग क्या हैं?
उत्तर:
मस्तिष्क के विभिन्न भाग हैं-

  • अग्र मस्तिष्क
  • मध्य-मस्तिष्क
  • पश्च मस्तिष्क

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हॉर्मोन क्या हैं?
उत्तर:
जन्तुओं एवं पौधों के शरीर में विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियन्त्रित करने के लिए कुछ विशेष रसायन होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। ये हॉर्मोन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्त्रावित किये जाते हैं।

प्रश्न 2.
तंत्रिका कोशा (न्यूरॉन) का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
तंत्रिका कोशा (न्यूरॉन) का नामांकित चित्र
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

प्रश्न 3.
पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि क्यों कहते
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि से 13 से भी अधिक प्रकार के हॉर्मोन्स स्त्रावित होते हैं जिनका प्रभाव शरीर के विभिन्न भागों के कार्यों पर होता है। इतना ही नहीं ये अन्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को भी प्रभावित करते इसलिए पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं।

प्रश्न 4.
प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
हमारे शरीर में होने वाली कुछ ऐसी अभिक्रियाएँ हैं जो मस्तिष्क के आदेश के बिना ही तुरन्त हो जाती हैं। इस प्रकार की अनुक्रियाएँ प्रतिवर्ती या स्वत: प्रेरित क्रियाएँ कहलाती हैं जो मेरुरज्जु द्वारा ही सम्पन्न हो जाती हैं। पलकों का झपकना, छींकना या खाँसना सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ हैं।

उदाहरण के लिए, जब हाथ पर मुई चुभोई जाती है तो एकदम हाथ हट जाता है, यह प्रतिवर्ती क्रिया है। जब मुई चुभोते हैं तो शरीर का यह भाग उत्तेजित हो जाता है। फलस्वरूप यह उत्तेजना (उद्दीपन) आवेग के रूप में बदल जाता है, यह आवेग डेन्ड्राइट ग्रहण कर लेते हैं। यहाँ से आवेग मेरुरज्जु में पहुँचता है। यह आवेग मेरुरज्जु से होते हुए न्यूरॉन में जाता है जहाँ से यह अपवाही अंग में पहुँच
जाता है। अपवाही अंग में प्रेरणा के पहुँचते ही शरीर के इस भाग को उद्दीपन के स्थान से हटा लिया जाता है।

प्रश्न 5.
हाइड्रा में तंत्रिका समन्वय चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
हाइड़ा के तन्त्रिका तन्त्र को नीचे चित्र में दर्शाया गया है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 2
हाइड़ा एक निम्न वर्ग का जन्तु है। इसमें सन्देश एक ही न्यूरॉन (तन्त्रिका कोशिका) द्वारा ग्रहण किया जाता है जो कि पूरे शरीर में फैली रहती है। हाइड्रा में मस्तिष्क नहीं होता है परन्तु फिर भी मनुष्य तथा हाइड्रा में सन्देश संवहन की क्रिया – विधि मूलतः एक जैसी होती है।

प्रश्न 6.
मानव मस्तिष्क के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मानव मस्तिष्क के विभिन्न कार्य निम्नलिखित हैं-

  • सभी संवेदी अंगों आवेश ग्रहण करना।
  • इन आवेशों पर प्रेरित तंत्रिकाओं द्वारा ग्रन्थियों और पेशियों को निर्देश भेजना जिससे वे उचित अनुक्रिया करें।
  • विभिन्न संवेदी अंगों से विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों में सम्बन्ध स्थापित कर इस प्रकार समन्वय करना जिससे शरीर अधिक क्षमता से क्रियाकलाप कर सके।
  • सूचनाओं को ज्ञान या चेतना के रूप में एकत्रित करना और व्यवहार में पूर्व अनुभव के आधार पर परिवर्तन करना।
  • अनुमस्तिष्क सही-सही गतियों को नियन्त्रित तथा समन्वित करता है। इसका लम्बा भाग मेरुरज्जु से जुड़ा रहता है जो हृदय धड़कन, रुधिर परिवहन, श्वसन तथा अधिकांश अनैच्छिक क्रियाओं एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं पर नियन्त्रण रखता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मेरुरज्जु प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह अनैच्छिक क्रियाओं, प्रतिवर्ती क्रियाओं आदि का प्रमुख केन्द्र है, जिनका संचालन का कार्य करता है।
  • यह मस्तिष्क से आने वाले तथा मस्तिष्क को जाने वाले सन्देश को मार्ग प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8.
अभिग्राहक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अभिग्राहक जंतुओं में एक में एक विशेष प्रकार की संरचना वाले तंत्रिका अंग होते हैं हैं जो प्रकाश, ध्वनि एवं गंध के द्वारा बाहरी सूचनाओं का पता लगाते हैं। इन्हें प्रकाशग्राही, ध्वनिग्राही व गंधग्राही कहते हैं। अभिग्राहक एक विशेष प्रकार की तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा मस्तिष्क को सूचनाएँ प्रेषित करते हैं जिन्हें संवेदी पथिकाएँ भी कहते हैं।

प्रश्न 9.
अमीबा, हाइड्रा, केंचुए व कॉकरोच में तंत्रिका तंत्र किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर:
अमीबा में एक कोशिका होती है जो स्वयं ही उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करती है। हाइड्रा में तंत्रिका कोशिकाओं का एक जाल होता है जो सारे शरीर हुआ होता है। केंचुए में एक अधर तंत्रिकारज्जु होता तथा उसमें खंडशः व्यवस्थित गैंग्लिया एवं तंत्रिकाएँ होती हैं कॉकरोच में एक स्पष्ट मस्तिष्क और अधर तंत्रिकारज्जु में श्रृंखलाबद्ध गैंग्लिया होते हैं।

प्रश्न 10.
पादप हॉर्मोन क्या हैं? किन्हीं दो पादप हॉर्मोनों के नाम बताइए।
उत्तर:
वो हॉर्मोन जो पादपों के एक भाग में उत्पन्न होते हैं तथा पौधे के अन्य भागों में क्रिया को प्रेरित करते हैं। यह वृद्धि नियामक होते हैं।
जैसे-

  • ऑक्सिन
  • जिब्रेलिन
  • साइटोकाइनिन।

प्रश्न 11.
ऑक्सिन क्या है? इसके कोई 4 कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन पौधों में पाया जाने वाला एक हॉर्मोन है, जो तने के शीर्ष पर उत्पन्न होता है। इसे IAA (इन्डोल एसीटिक एसिड) के नाम से जाना जाता है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह तने की लम्बाई में वृद्धि करता है तथा जड़ों की वृद्धि को रोकता है।
  • फलों एवं पत्तियों को झड़ने से रोकता है।
  • बीजरहित फल के उत्पादन में सहायता करता है।
  • यह कोशिका विभाजन करता है।

प्रश्न 12.
पीयूष ग्रन्थि के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • ऊतकों और हड्डियों की वृद्धि का नियमन करना।
  • वृक्कों द्वारा जल के पुनः अवशोषण का नियमन करना।
  • कार्टीसोन बनाने में एड्रिनल कॉर्टेक्स को प्रेरित करना।
  • थाइरॉक्सिन स्रावण के लिए थायराइड को प्रेरित करना।

प्रश्न 13.
साइटोकाइनिन के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • प्रोटीन के उत्पादन (संश्लेषण) में सहायता करना।
  • कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि करना।
  • अंकुरण के समय उत्प्रेरक उत्पन्न करना।
  • पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि करना।
  • पत्तियों की वृद्धि को रोकना व तने की लम्बाई में

प्रश्न 14.
वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन के कोई चार वृद्धि करना। प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • पौधों में वृद्धि की गति को कम करना।
  • पतझड़ क्रिया को बढ़ाना।
  • पत्तियों में खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करना।
  • फूलों को खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को नियन्त्रित करना।

प्रश्न 15.
सूत्र – युग्मन किसे कहते हैं? समझाइए।
अथवा
सूत्र – युग्मन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
दो न्यूरॉन जहाँ मिलते हैं उस स्थान को सूत्र – युग्मन कहते हैं। बहुधा सन्देश एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक सूत्र – युग्मन के द्वारा पहुँचाया जाता है। उदाहरण के लिए, आपके पैर के अँगूठे में दर्द होता है तो सबसे पहले संवेदना डेन्ड्राइट या न्यूरॉन के बहुशाखित संरचना द्वारा ग्रहण कर तन्त्रिका द्वारा विद्युत आवेश के रूप में वहन की जाती है। सूत्र युग्मन के जरिए दूसरे न्यूरॉन में और अन्त में यह तन्त्रिका केन्द्र तक पहुँच जाती है। अनुक्रिया प्रेरक तन्त्रिका द्वारा पैर की मांसपेशियों में पहुँच जाती है और पैर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है।

प्रश्न 16.
तंत्रिका तंत्र के कोई चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • यह शरीर के सभी अंगों के कार्यों पर नियन्त्रण एवं समन्वय बनाये रखता है।
  • यह तंत्र जीवधारी को बाहरी वातावरणीय परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया देने में मदद करता है।
  • यह अनुभवों को याद रखने में सहायता करता है।
  • यह प्रतिवर्ती क्रियाओं के द्वारा हमारी सुरक्षा करता है।

प्रश्न 17.
ऑक्सिन के पौधों पर कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  • कायिका की लंबाई बढ़ाने में।
  • पौधों की जड़ों को बहुत तेजी से बढ़ाना।

प्रश्न 18.
गुरुत्वानुवर्तन गति व स्पर्शानुवर्तन एक अंतर बताइए।
उत्तर:
पौधों में जो गति गुरुत्वाकर्षण के कारण होती है, उन्हें गुरुत्वावर्त गति कहते हैं, जबकि जिन पौधों में के कारण होती है, उन्हें स्पर्शानुवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 19.
ऑक्सिन और साइटोकाइनिन में क्या अंतर है?
उत्तर:
ऑक्सिन का निम्न सांद्रण वृद्धि को जाग्रत करता है। लेकिन सांद्रण की मात्रा अधिक होने पर वृद्धि कम हो जाती है। लेकिन तने में वृद्धि बढ़ जाती है जबकि साइटोकाइनिन हॉर्मोन सक्रिय रूप से बुद्धिमान ऊतकों, जैसे- भ्रूणों, परिवर्धमान फलों और जड़ों में उत्पन्न होते हैं। इनके कारण कोशिका विभाजन हो जाता है और जीर्णता देर से आती है।

प्रश्न 20.
प्रतिवर्ती क्रिया के कोई चार उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया के उदाहरण हैं-

  • छींकना एवं खाँसना।
  • मिठाई देखने पर मुँह में लार आना।
  • तेज रोशनी (बिजली चमकना) में पलकों का झपकना।
  • सुई चुभने पर तुरन्त अंग को हटाना।

प्रश्न 21.
मनुष्य में जनन ग्रन्थि को समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य पायी जाने वाली मुख्यतः दो ग्रन्थि हैं-

  • वृषण
  • अण्डाशय।

(1) वृषण – यह पुरुष में होते हैं जो उदरगुहा के बाहर स्थित होते हैं। यह टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन स्रावित करते हैं जिसका कार्य दाढ़ी-मूंछ का विकास, आवाज भारी होने वाले लक्षण तथा शुक्राणु उत्पन्न करना।

(2) अण्डाशय यह स्त्री में होता है जो उदरगुहा में स्थित होता है। यह एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन स्रावित करता है जिसका कार्य स्तनों का विकास, आवाज पतली होना, रजोधर्म का होना तथा अण्डज उत्पन्न करना होता है।

प्रश्न 22.
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है? समझाइये।
उत्तर:
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कुछ विशिष्ट प्रकार के रसायन द्वारा होता है जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। हॉर्मोन विशिष्ट ग्रन्थियों में निर्मित होते हैं जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन होने के कारण हॉर्मोन के सीधे रक्त प्रवाह में स्रावित करती हैं। ये हॉर्मोन शरीर को विभिन्न भागों में पहुँचकर अपना विशिष्ट प्रकार दिखाते हैं, जैसे- वृद्धि दर, विकास, रुधिर दाब, लैंगिक परिपक्वता आदि। फलस्वरूप शरीर में विभिन्न क्रिया-कलापों में तालमेल बना रहता है।

प्रश्न 23.
मानव शरीर में पायी जाने वाली अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों के नाम एवं उनसे स्त्रावित होने वाले हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
अथवा
कोई भी तीन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम एवं उनसे स्त्रावित हॉर्मोन को लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ एवं उनसे स्त्रावित हॉर्मोन्स निम्नलिखित हैं-

ग्रन्थि का नाम हॉर्मोन
(i) थॉयराइड थॉयरॉक्सिन
(ii) पेंक्रियास इन्सुलिन
(iii) एड्रिनल कार्टीसोन
(iv) पीयूष ग्रन्थि वृद्धि हॉर्मोन ADH, ACTH, FSH, TSH
(v) अण्डाशय एस्ट्रोजन
(vi) वृषण टेस्टोस्टेरॉन

प्रश्न 24.
अण्डाशय से निकलने वाले प्रमुख हॉर्मोन को उनके कार्य सहित लिखिए।
उत्तर:
अण्डाशय द्वारा स्रावित प्रमुख हॉर्मोन एस्ट्रोजन हैं जिनके कार्य निम्न हैं-

  • स्तन ग्रन्थियों का विकास करना।
  • गर्भाशय, फेलोपियन नलिका तथा योनि की वृद्धि एवं परिवर्धन।
  • मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास करना।
  • ऋतुस्राव चक्र का नियमन करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित क्रिया पथ को समझाइए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया – अभ्यासार्थ लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 3 का उत्तर देखिए।
प्रतिवर्ती क्रिया का पथ निम्नलिखित प्रकार होता है-
उद्दीपन → ग्राही अंग → संवेदन तन्त्रिका → मेरुरज्जु → प्रेरित तंत्रिका → मांसपेशियों द्वारा क्रियाएँ।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 3

प्रश्न 2.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन को चार वर्गों में विभाजित किया गया है-

  • ऑक्सिन
  • जिब्रेलिन
  • साइटोकाइनिन
  • वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन।

कार्य-
(i) ऑक्सिन – इसका प्रमुख कार्य कोशिकाओं को दीर्घीकरण करना है। इनके द्वारा कोशिका विभाजन होता है। पौधों की गतियों पर नियन्त्रण रखता है। इससे पत्तियों का गिरना रुकता है तथा यह बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक है।

(ii) जिब्रेलिन – इसके कारण पौधों की लम्बाई बढ़ जाती है। यह कोशिका विभाजन में सहायक होता है।

(iii) साइटोकाइनिन – इसके अन्तर्गत

  • काइनिन
  • केलाइन
  • जिएटिन
  • फ्लोकोजिन आदि रसायन आते हैं जो प्रोटीन के उत्पादन में सहायता करते हैं। ये बीज अंकुरण में सहायता करते हैं पाश्र्व कलिका की वृद्धि करते हैं, मूल वृद्धि को रोकते हैं, पत्तियों की वृद्धि को रोकते हैं तथा तने की लम्बाई में वृद्धि करते हैं। की गति कम करता है, पतझड़ की क्रिया को बढ़ाता है,

(iv) वृद्धिरोधक ABA हॉर्मोन – यह पौधे की वृद्धि पत्तियों एवं फलों के खुलने एवं बन्द करने की क्रिया को यह पदार्थ नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 3.
मानव मस्तिष्क के विभिन्न भागों के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मानव मस्तिष्क तीन भागों में विभाजित हैं जिनके कार्य निम्नलिखित है-

  • अग्र-मस्तिष्क
  • मध्य-मस्तिष्क
  • पश्च मस्तिष्क।

(1) अग्र-मस्तिष्क- इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • अग्र-मस्तिष्क घ्राण पिण्ड सुगन्ध का बोध कराता है।
  • प्रमस्तिष्क मनुष्य की बुद्धि, स्मृति व चेतना तर्क का केन्द्र माना जाता है। यह इच्छाओं, भावनाओं तथा सुनने का केन्द्र होता है।
  • डाइनसिफेलॉन भाग भूख प्यास, नींद, थकावट, क्रोध तथा प्रसन्नता का केन्द्र है।

(2) मध्य-मस्तिष्क – यह भाग वस्तुओं के प्रतिबिम्बों की पहचान के नियन्त्रण का कार्य करता है इसलिए इसे दृष्टि पिण्ड कहते हैं।

(3) पश्च-मस्तिष्क- ये तीन भागों –

  • अनुमस्तिष्क
  • मेडुला ऑब्लांगेटा
  • मेरुरज्जु से मिलकर बने होते हैं।

इनके निम्नलिखित कार्य हैं-
(a) अनुमस्तिष्क का कार्य-

  • यह शरीर में सन्तुलन स्थापित रखता है।
  • यह कंकाल पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन को भी नियन्त्रित करता है।

(b) मेडुला ऑब्लांगेटा शरीर के सभी अनैच्छिक क्रियाओं का केन्द्र है।

(c) मेरुरज्जु के कार्य-

  • यह प्रतिवर्ती क्रियाओं का मुख्य केन्द्र है।
  • यह अनैच्छिक क्रियाओं को सन्तुलित करती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 4.
मानव शरीर की विभिन्न ग्रन्थियों से उत्पन्न पाँच महत्त्वपूर्ण हॉर्मोन्स तथा उनके कार्य की सारणी बनाइये।
उत्तर:
अन्तःस्त्रावी ग्रन्थि और उनके कार्य

ग्रा्थि/स्थिति हॉर्मोन का नाम हॉर्मोन के कार्य
1. पीयूष ग्रन्थि (मस्तिष्क में) वृद्धि हॉर्मोन ऊतकों और हड्डियों की वृद्धि का नियन्त्रण।
2. थायरॉइड ग्रन्थि (गर्दन में) थायरॉक्सिन (i) वृद्धि और उपापचय को नियन्त्रित करना।
(ii) इसकी कमी से घेंघा रोग होता है।
(iii) अत्यधिक स्रावण से दुर्बलता, पतलापन और अधिक क्रियाशीलता आती है।
3. एड्रीनल (वृक्कों के ऊपर) एड्रीनेलीन यह शरीर में रक्त प्रवाह की दर को नियन्त्रित करता है।
4. पेंक्रियास (ग्रहणी के पास) इन्सुलिन (i) शर्करा उपापचय का नियंत्रण। (ii) इसकी कमी से मधुमेह रोग (डायबिटीज) होता है। पुरुष द्वितीय लैंगिक लक्षणों (दाढ़ी, मूँछ का निकलना, आवाज का भारीपन) के विकास के लिए उत्तरदायी है।
5. वृषण (नर जननांग) टेस्टोस्टेरॉन

प्रश्न 5.
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वय प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
नियंत्रण और समन्वय सभी जन्तुओं में बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनमें शारीरिक क्रियाओं के लिए अलग-अलग अंग या क्रियात्मक तंत्र पाए जाते हैं। जन्तुओं में दो प्रकार का समन्वय पाया जाता है-

  • रासायनिक एवं
  • तंत्रिकीय समन्वय।

(1) जन्तुओं में रासायनिक समन्वय एवं नियन्त्रण -जन्तुओं में कुछ विशिष्ट प्रकार के रसायन स्रावित होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं, ये विशिष्ट ग्रन्थियों में निर्मित होते हैं जिन्हें अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। ये हॉर्मोन को सीधे ही रक्त प्रवाह में स्रावित करती हैं। शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर ये हॉर्मोन अपना विशिष्ट प्रभाव दिखाते हैं; जैसे – वृद्धि करना, लैंगिक परिपक्वता आदि। नीचे कुछ
ग्रन्थि एवं उनसे स्रावित हॉर्मोन का नाम दर्शाया गया है-

ग्रन्थि का नाम हॉर्मोन
(i) थॉयराइड थॉयरॉक्सिन
(ii) पेंक्रियास इन्सुलिन
(iii) एड्रिनल कार्टीसोन
(iv) पीयूष ग्रन्थि वृद्धि हॉर्मोन ADH, ACTH, FSH, TSH
(v) अण्डाशय एस्ट्रोजन
(vi) वृषण टेस्टोस्टेरॉन

(2) तंत्रिकीय समन्वय एवं नियन्त्रण- नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य एक और तंत्र द्वारा किया जाता है, यह हैं- तंत्रिका तंत्र।

तंत्रिका कोशिका, इसकी संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है जो पूरे शरीर में फैलकर विद्युत संवाहित कोशिकाओं का एक जाल बनाते हैं। इन्हीं के द्वारा सन्देश शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचाये जाते हैं। तंत्रिका तन्त्र के तीन प्रमुख भाग होते हैं जो विभिन्न कार्यों का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। ये निम्नलिखित हैं –
(A) केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र- इसमें

  • मस्तिष्क
  • मेरुरज्जु शामिल हैं।

(B) परिधीय तंत्रिका तंत्र- इसमें

  • क्रेनियल तथा
  • स्पाइनल तंत्रिकाएँ शामिल हैं।

(C) स्वायत्त तंत्रिका तंत्र- इसमें

  • अनुकम्पीय तंत्रिकाएँ तथा
  • परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र शामिल हैं।

प्रश्न 6.
मनुष्य के मस्तिष्क की काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मनुष्य के मस्तिष्क की काट का नामांकित चित्र-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 4

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण होता है-
(a) अग्र-मस्तिष्क के मेडुला से
(b) मध्य-मस्तिष्क के मेडुला से
(c) पश्च-मस्तिष्क के मेडुला से
(d) मेरुरज्जु के मेडुला से
उत्तर:
(c) पश्च-मस्तिष्क के मेडुला से

2. सूर्य के मार्ग के अनुसार सूरज की गति किसके कारण होती है?
(a) प्रकाशानुवर्तन के
(b) गुरुत्वानुवर्तन के
(c) रसायनानुवर्तन के
(d) जलानुवर्तन के
उत्तर:
(a) प्रकाशानुवर्तन के

3. मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग है-
(a) अग्रमस्तिष्क
(b) मध्यमस्तिष्क
(c) अनुमस्तिष्क
(d) पश्चमस्तिष्क
उत्तर:
(a) अग्रमस्तिष्क

4. सुनने, सूँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत क्षेत्र होते हैं-
(a) अग्रमस्तिष्क
(b) मेडुला
(c) अनुमस्तिष्क
(d) पश्चमस्तिष्क
उत्तर:
(a) अग्रमस्तिष्क

5. कौन-सा हॉर्मोन शरीर को आपातकाल के लिए तैयार करता है?
(a) एड्रीनलिन
(b) इन्सुलिन
(c) मेलाटोनिन
(d) थाइमोसिन
उत्तर:
(a) एड्रीनलिन

6. मेरुरज्जु कहाँ से निकलती है?
(a) मेडुला से
(b) प्रमस्तिष्क से
(c) अनुमस्तिष्क से
(d) अग्रमस्तिष्क से
उत्तर:
(a) मेडुला से

7. प्ररोह का प्रकाश की ओर गति क्या कहलाती है?
(a) गुरुत्वानुवर्तन
(b) रसायनानुवर्तन
(c) जलानुवर्तन
(d) प्रकाशानुवर्तन
उत्तर:
(d) प्रकाशानुवर्तन

8. पराग नलियों की अंडाणु की तरफ वृद्धि किसके कारण होती है?
(a) जलानुवर्तन के
(b) रसोनुवर्तन (रसायनानुवर्तन) के
(c) गुरुत्वानुवर्तन
(d) प्रकाशानुवर्तन
उत्तर:
(b) रसोनुवर्तन (रसायनानुवर्तन) के

9. बौनेपन का क्या कारण है?
(a) एडीनलिन के स्राव की कमी।
(b) वृद्धि – हॉर्मोन के स्राव की अधिकता
(c) वृद्धि हॉर्मोन के स्राव की कमी
(d) इन्सुलिन की अधिकता
उत्तर:
(c) वृद्धि हॉर्मोन के स्राव की कमी

10. एक तंत्रिका कोशिका का ऐक्सॉन अगली तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइटों के समीप होता है। दो तंत्रिका कोशिकाओं की इस संधि को क्या कहते हैं?
(a) सिनेप्स
(b) संवेदी तंत्रिकाएँ
(c) मिश्रित तंत्रिकाएँ
(d) प्रेरक तंत्रिकाएँ
उत्तर:
(a) सिनेप्स

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

11. निम्न में से फाइटोक्रोम (Phytochrome) कौन-सा है?
(a) ऑक्सिन
(b) जिब्रेलिन
(c) साइटोकाइनिन
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

12. निम्न में से मस्तिष्क का कौन-सा भाग है?
(a) प्रमस्तिष्क
(b) अनुमस्तिष्क
(c) मेडुला
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

13. छुई-मुई के पौधे में किस प्रकार की गति होती है?
(a) रासायनिक गति
(b) तंत्रिका गति
(c) पेशीय गति
(d) ये सभी।
उत्तर:
(a) रासायनिक गति

14. कौन जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती है?
(a) छुई-मुई का पौधा
(b) तंत्रिका कोशिका
(c) गुलाब का पौधा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) छुई-मुई का पौधा

15. पादपों में कोशिकाओं के लंबी होने के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन हैं—
(a) जिब्रेलिन
(b) ऑक्सिन
(c) साइटोकायनिन
(d) ऐब्सिजिक अम्ल
उत्तर:
(b) ऑक्सिन

16. पौधे में वृद्धि का संदमन करने वाले हॉर्मोन का एक उदाहरण है1
(a) एब्सिसिक अम्ल
(b) टार्टरिक अम्ल
(c) ऐसीटिक अम्ल
(d) सल्फ्यूरिक अम्ल
उत्तर:
(a) एब्सिसिक अम्ल

17. इंसुलिन के बारे में गलत कथन चुनिए-
(a) यह अग्न्याशय से उत्पन्न होता है।
(b) यह शरीर की वृद्धि और उसके परिवर्धन (विकास) का नियमन करता है।
(c) यह रुधिर में शर्करा के स्तर का नियमन करता है।
(d) इंसुलिन के अपर्याप्त स्त्रावण से डायबिटीज नामक रोग हो जाता है।
उत्तर:
(b) यह शरीर की वृद्धि और उसके परिवर्धन (विकास) का नियमन करता है।

18. मटर के पौधों में प्रतान की वृद्धि किसके कारण होती है?
(a) प्रकाश के प्रभाव के
(b) गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के
(c) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब से दूर होती हैं।
(d) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब के संपर्क में होती हैं।
उत्तर:
(c) प्रतान की उन कोशिकाओं में तीव्र विभाजन के कारण जो अवलंब से दूर होती हैं।

19. मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग कौन-सा होता है?
(a) प्रमस्तिष्क
(b) अनुमस्तिष्क
(c) मेडुला ऑब्लांगेटा
(d) मस्तिष्क
उत्तर:
(a) प्रमस्तिष्क

20. अनुमस्तिष्क निम्न में से कौन-सा कार्य करता है?
(a) यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है।
(b) यह अत्यावश्यक प्रतिवर्त केन्द्रों का नियंत्रण करता है।
(c) यह सभी अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
(d) यह हमारी भावनाओं, इच्छाशक्ति एवं वाक्शक्ति को नियंत्रित करता है।
उत्तर:
(a) यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षण …………………… हॉर्मोन द्वारा विकसित होते हैं।
  2. किसी उद्दीपन के प्रति तुरन्त होने वाली अनुक्रिया …………………… क्रिया कहलाती है।
  3. प्रतिवर्ती क्रिया …………………… द्वारा संपन्न होती है।
  4. अग्न्याशय पाचक एंजाइम के साथ …………………… भी स्त्रावित करता है।
  5. वृषण शुक्राणुओं के साथ-साथ …………………… हॉर्मोन भी उत्पन्न करता है।
  6. अनैच्छिक प्रक्रियाएँ …………………… के द्वारा नियंत्रित होती हैं।
  7. विभिन्न अंगों का एक-दूसरे के साथ कार्य करना …………………… कहलाता है।
  8. लड़कियों में वक्ष स्थल का विकास गर्भाशय द्वारा स्रावित हॉर्मोन …………………… द्वारा किया जाता है।
  9. ऑक्सिन मूल की वृद्धि को …………………… करते हैं।
  10. तने की वृद्धि एवं कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदायी है ……………………।

उत्तर:

  1. टेस्टोस्टेरोन
  2. प्रतिवर्ती
  3. मेरुरज्जु
  4. हॉर्मोन
  5. टेस्टोस्टेरोन
  6. मेरुरज्जु
  7. समन्वयन
  8. एस्ट्रोजन
  9. कम
  10. जिब्रेलिन।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Jharkhand Board Class 10 Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है-
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया
उत्तर:
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी
उत्तर:
(c) शुक्रवाहिका।

प्रश्न 3.
परागकोश में होते हैं-
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(c) अंडप
(d) परागकण
उत्तर:
(a) परागकरण।

प्रश्न 4.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कोशिका विभाजन में डी.एन.ए. दो प्रतिकृति उत्पन्न करता है और इन प्रतिकृतियों में मूल कोशिका की डी.एन.ए. प्रतिकृति से कुछ विभिन्नताएँ होती हैं। अलैंगिक जनन में केवल डी.एन.ए. की प्रतिकृति के सृजन में आई विविधताएँ ही होंगी जो परिवर्तन एवं विकास के बहुत कम अवसर प्रदान करेगी। लैंगिक जनन में दो जनन कोशिकाएँ समाहित होती हैं। अत: डी.एन.ए. एन.ए. प्रतिकृतियों के संयोजन से विभिन्नताओं के नए संयोजन उत्पन्न होंगे और क्योंकि विभिन्नताएँ जीवित व्यष्टि के जनन में भाग लेने से आई अतः हानिकारक नहीं सकती।

(ध्यान रहे हानिकारक विभिन्नता उत्पन्न होने पर जीव की उत्तरजीविता असंभव हो जाती हैं)। अतः इस नए संयोजन से विकास व परिवर्तन के अवसर कई गुना अधिक होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में संतति अपनी पितृ पीढ़ी से हूबहू मिलती है। इस प्रकार अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के लाभ जीव या स्पीशीज के लक्षणों में परिवर्तन, विकास एवं उत्तरजीविता में वृद्धि करना है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 5.
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वृषण के कार्य-

  • ये शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
  • ये हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन उत्पन्न करते हैं जो शुक्राणु के उत्पादन को नियंत्रित करता है और युवकों में यौवनारंभ या द्वितीयक लैंगिक लक्षणों नियंत्रण करता है।

प्रश्न 6.
ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर:
यदि अंडाणु का निषेचन नहीं होता है तो वह एक दिन बाद नष्ट हो जाता है। गर्भाशय भी निषेचित अंडाणु को प्राप्त करने की तैयारी करता है। गर्भाशय की दीवार मोटी तथा स्पंजी हो जाती है। लेकिन निषेचन न होने पर ये धीरे-धीरे टूटती है और रुधिर व म्यूकस के रूप में योनि मार्ग बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को रजोधर्म या ऋतुस्राव कहते हैं। अतः ऋतुस्राव निषेचन न होने की अवस्था में होता है।

प्रश्न 7.
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

प्रश्न 8.
गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी है?
उत्तर:
गर्भधारण रोकने की निम्नलिखित विधियाँ-
(i) यांत्रिक अवरोध – गर्भधारण को रोकने के लिए यांत्रिक अवरोध का प्रयोग किया जाता है जिससे शुक्राणु अंडकोशिका तक न पहुँच सकें। शिश्न को ढकने वाले कंडोम अथवा योनि में रखने वाली अनेक युक्तियाँ: जैसे- लूप अथवा कॉपर-टी (Copper-T) को गर्भाशय में स्थापित करना।

(ii) हार्मोन संतुलन का परिवर्तन – इस प्रकार दवाएँ मादा सामान्यतः गोली के रूप में लेती हैं, जिससे हॉर्मोन संतुलन में परिवर्तन हो जाता है तथा अंडे का विमोचन नहीं होता है। अतः निषेचन नहीं हो पाता है।

(iii) शल्य क्रिया तकनीक – यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाए तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। यदि मादा की अंडवाहिनी अथवा फेलोपियन नलिका को अवरुद्ध कर दिया जाए तो अंड (डिंब) गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। दोनों ही अवस्थाओं में निषेचन नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 9.
एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर:
एककोशिक जीवों में केवल एक ही कोशिका होती है। उनमें जनन के लिए अलग से कोई ऊतक या अंग नहीं होता है। अतः इनमें जनन केवल द्विविखंडन या बहुविखंडन द्वारा ही हो सकता है। कुछ जीवों जैसे यीस्ट आदि में मुकुलन द्वारा भी जनन होता है।

बहुकोशिक जीवों का का शरीर बहुत-सी कोशिकाओं से बना होता है। इनमें जनन तंत्र तंत्र होते जनन कं अलग से ऊतक था है। अतः इनमें जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार से होता है।

प्रश्न 10.
जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थ्रायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि पारितंत्र में स्थान में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करते हैं। के दौरान DNA प्रतिकृति का बनना जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का सम्बन्ध जनन से हैं।

प्रश्न 11.
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
जनन एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। एक समष्टि में जन्मदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं। जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के लिए चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण यह है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना आसान कार्य नहीं है। अतः जनसंख्या की बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इसीलिए गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनानी चाहिए।

Jharkhand Board Class 10 Science जीव जनन कैसे करते है InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 142)

प्रश्न 1.
डी एन ए प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
प्रजनन की मूल घटना है DNA की दो प्रतिकृति तैयार करना। इसके लिए कोशिकाएँ रासायनिक अभिक्रियाएँ करती हैं, जिससे DNA की दो प्रतिकृति बन जाती हैं। इन प्रतिकृतियों को अलग होने के लिए एक अलग कोशिकीय संरचना की आवश्यकता होती है। DNA की दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होकर दो कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इस प्रकार प्रजनन में दो कोशिकाओं को बनाने के लिए DNA प्रतिकृति आवश्यक है।

प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर:
जीवों में विभिन्नताओं की किसी जीव के अस्तित्व के लिए आवश्यक नहीं क्योंकि उसके जीवित रहने पर कुछ विभिन्नताओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है वह समानता के आधार पर अधिक अनुकूल होता है। लेकिन DNA की दोनों प्रतिकृति बिल्कुल समान नहीं होती उनमें कुछ-न-कुछ विभिन्नताएँ अवश्य होती हैं जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं। जनन में होने वाली ये विभिन्नताएँ अन्ततः नई स्पीशीज के विकास में योगदान देती हैं तथा जैव विकास का आधार बनती हैं। अतः विभिन्नताएँ स्पीशीज के उद्भव के लिए आवश्यक हैं लेकिन जीव के जीवित रहने के लिए इनकी कोई आवश्यकता नहीं है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 146)

प्रश्न 1.
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
द्विखंडन – इस विधि द्वारा कोई जीव एक कोशिका से दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। जैसे- अमीबा।
बहुखंडन – इस विधि में एक कोशिकीय जीव अनेक भागों विभक्त होता है तथा प्रत्येक भाग नए जीव में विकसित होता है। जैसे-मलेरिया परजीवी (प्लाज्मोडियम)।

प्रश्न 2.
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर:
बहुत-से सरल बहुकोशिकीय जीवों के वृन्त पर एक कैप्सूल जैसी संरचना होती है जिसे बीजाणुधानी कहते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर:
जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते क्योंकि-

  • ऐसे जीवों की संरचना अत्यन्त जटिल होती है।
  • ऐसे जीवों में एक विशिष्ट कार्य के लिए विशिष्ट अंग/ अंगों की आवश्यकता होती है।
  • ऐसे जीवों में श्रम विभाजन होता है।
  • पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा होता है। ऐसी कोशिकाएँ जटिल जीवों में नहीं होतीं हैं।

प्रश्न 4.
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन केवल ऐसे पौधों में ही संभव है जिनके जड़, तना या पत्तियों में नए पौधों को उगाने की क्षमता होती है।

कुछ पौधों में बीज नहीं होते, ऐसे पौधों को केवल कायिक जनन द्वारा ही उगाया जा सकता है। कायिक प्रवर्धन बीजरहित पौधों को उगाना संभव बनाता है। केला, नारंगी, गुलाब, जासमीन व गन्ने में बीज बनने की क्षमता कम है या बिल्कुल नहीं है। ऐसे पौधे कायिक प्रवर्धन द्वारा ही उगाए जा सकते हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 5.
डी एन ए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
डी एन ए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक की दो कोशिकाएँ बनती हैं। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक हैं तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 154)

प्रश्न 1.
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
परागण क्रिया-पराग कणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाती है। यह अधिकतर कीट, हवा, जल, पक्षी आदि के माध्यम से होती है और यह क्रिया निषेचन से पहले होती है।

निषेचन क्रिया-नर और मादा युग्मकों को मिलकर जायगोट बनाने की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं। इस प्रक्रिया में नर युग्मकों को मादा युग्मक तक ले जाने का कार्य परागनलिका करती है। यह क्रिया परागण के बाद होती है।

प्रश्न 2.
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर:
नर जनन तंत्र में कुछ ग्रंथियाँ जैसे शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथियाँ होती हैं। इन ग्रंथियों के स्राव शुक्राणुओं के साथ मिलते हैं।। इस प्रकार शुक्राणु एक द्रव में आ जाते हैं। यह द्रव शुक्राणुओं के स्थानांतरण को आसान बनाता है। यह द्रव शुक्राणुओं को पोषण भी प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:

  • स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती हैं।
  • स्तनाग्र की त्वचा का रंग भी गहरा होने लगता है।
  • रजोधर्म प्रारम्भ होने लगता है।

प्रश्न 4.
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है।
उत्तर:
निषेचन के बाद युग्मनज बनता है जो धीरे-धीरे भ्रूण में विकसित होने लगता है। भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से के चिपक जाता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लेंटेशन कहते हैं। भ्रूण माता के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसके लिए एक विशिष्ट ऊतक जिसे प्लेसेंटा कहते हैं के द्वारा होता है।

यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में घुसा होता है। माता के गर्भाशय की भित्ति विलाई से बनी होती है जो गर्भाशय का क्षेत्रफल बढ़ाता है। इससे भ्रूण को अधिक ग्लूकोज व ऑक्सीजन मिलती है। इस प्रकार भ्रूण माता के शरीर से अपना पोषण प्राप्त करता है।

प्रश्न 5.
यदि कोई महिला कॉपर-T का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन संचारित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर:
नहीं, कॉपर-T उसकी यौन संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगी। यह केवल गर्भधारण होने से रोकती है।

क्रिया-कलाप – 8.1

  • 100 mL जल में लगभग g चीनी को घोलिए
  • एक परखनली में इस विलयन का 20 mL लेकर उसमें एक चुटकी यीस्ट पाउडर डालिए।
  • परखनली के मुख को रुई से ढककर किसी गर्म स्थान पर रखिए।
  • 1 या 2 घण्टे के पश्चात्, परखनली से यीस्ट – संवर्ध की एक बूँद स्लाइड पर लेकर उस पर कवर स्लिप रखिए।
  • सूक्ष्मदर्शी की सहायता से स्लाइड पर प्रेक्षण कीजिए।

अवलोकन – यीस्ट की कोशिकाएँ दिखाई देती हैं। इनमें से यीस्ट की कुछ कोशिकाएँ एक श्रृंखला मुकुलन दर्शाती दिखाई देती है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 2

क्रिया-कलाप – 8.2

  • डबल रोटी के एक टुकड़े को जल में भिगोकर ठंडे, नम तथा अँधेरे स्थान पर रखिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 3
  • आवर्धक लैंस की सहायता से स्लाइस की सतह का निरीक्षण कीजिए।
  • अपने एक सप्ताह के प्रेक्षण कॉपी में रिकॉर्ड कीजिए।

अवलोकन – लैंस द्वारा स्लाइड के ऊपर देखने पर एक सफेद रुई के समान पदार्थ दिखाई देता है जो स्लाइड के ऊपर फैला हुआ है।
एक सप्ताह बाद सफेद रूई जैसा पदार्थ भूरा – काला हो जाता है क्योंकि स्पोरेजियम तथा स्पोर (बीजाणु) बन जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 8.3

  • अमीबा की स्थायी स्लाइड का सूक्ष्मदर्शी की सहायता से प्रेक्षण कीजिए।
  • इसी प्रकार अमीबा के द्विखंडन की स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए।
  • अब दोनों स्लाइडों की तुलना कीजिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 4

दोनों स्लाइडों की तुलना – अमीबा की स्थाई स्लाइड में अमीबा की कोशिका दिखाई देती है जिसमें कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दिखाई देते हैं।

जबकि द्विखंडन की स्थायी स्लाइड में केन्द्रक दो भागों में विभाजित होता हुआ प्रतीत होता है। प्रारंभ में इसका आकार बढ़ता है तथा केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य दो भागों में विभक्त हो जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 8.4

  • किसी झील अथवा तालाब जिसका जल गहरा हरा दिखाई देता हो और जिसमें तंतु के समान संरचनाएँ हों, उससे कुछ जल एकत्र कीजिए।
  • एक स्लाइड पर एक अथवा दो तंतु रखिए।
  • इन तंतुओं पर ग्लिसरीन की एक बूँद डालकर कवर – स्लिप से ढक दीजिए।
  • सूक्ष्मदर्शी के नीचे स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप स्पाइरोगाइरा तंतुओं में विभिन्न ऊतक पहचान सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, स्पाइरोगाइरा तंतुओं में अनेक कोशिकाएँ दिखाई देती हैं। ये कोशिकाएँ आपस में जुड़कर स्पाइरोगाइरा तंतु का निर्माण करती हैं।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 5

क्रिया-कलाप – 8.5

  • एक आलू लेकर उसकी सतह का निरीक्षण कीजिए। क्या इसमें कुछ गर्त दिखाई देते हैं?
  • आलू को छोटे-छोटे टुकड़ों में इस प्रकार काटिए कि कुछ में तो यह गर्त हों और कुछ में नहीं।
  • एक ट्रे में रुई की पतली पर्त बिछाकर उसे गीला कीजिए। कलिका (गर्त) वाले टुकड़ों को एक ओर तथा बिना गर्त वाले टुकड़ों को दूसरी ओर रख दीजिए।
  • अगले कुछ दिनों तक इन टुकड़ों में होने वाले परिवर्तनों का प्रेक्षण कीजिए। ध्यान रखिए कि रुई में नमी बनी रहे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वे कौन-से टुकड़े हैं जिनसे हरे प्ररोह तथा जड़ विकसित हो रहे हैं?
उत्तर:
आलू के वे टुकड़े जिनमें गर्त (कलिकाएँ) थीं केवल उनमें प्ररोह तथा जड़ विभाजित हुईं।

क्रिया-कलाप – 8.6

  • एक मनीप्लांट लीजिए।
  • इसे कुछ टुकड़ों में इस प्रकार काटिए कि प्रत्येक में कम-से-कम एक पत्ती अवश्य हो।
  • दो पत्तियों के मध्य वाले भाग के कुछ टुकड़े काटिए।
  • सभी टुकड़ों के एक सिरे को जल में डुबोकर रखिए तथा अगले कुछ दिनों तक उनका अवलोकन कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कौन-से टुकड़ों में वृद्धि होती है तथा नवी पत्तियाँ निकली हैं?
उत्तर:
मनीप्लांट का वह भाग जिसकी गाँठों में पत्तियाँ होती हैं, नयी पत्तियाँ बनना दर्शाता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न 2.
आप अपने प्रेक्षणों से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
हरी पत्तियाँ भोजन बनाती हैं। इनमें शाखाएँ भी निकलती हैं। ये शाखाएँ एक्जाइल में उपस्थित ऑक्जलरी गाँठों से निकलती हैं।

क्रिया-कलाप – 8.7

  • चने के कुछ बीजों को एक रात तक जल में भिगो दीजिए।
  • अधिक जल को फेंक दीजिए तथा भोगे हुए बीजों को गीले कपड़े से ढककर एक दिन के लिए रख दीजिए। ध्यान रहे कि बीज सूखें नहीं।
  • बीजों को सावधानी से खोलकर उसके विभिन्न भागों का प्रेक्षण कीजिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 6

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
अपने प्रेक्षण की तुलना चित्र से कीजिए, क्या आप सभी भागों को पहचान सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, यह एक द्विबीजपत्री बीज है, जैसे ही इसमें वृद्धि होती है, सबसे पहले प्रांकुर (भावी प्ररोह) की वृद्धि होती है और इसके बाद मूलांकुर (भावी जड़) निकलते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

Students must go through these JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ प्रजनन-वह प्रक्रिया जिसमें वंश वृद्धि की जाती है अर्थात् एक पीड़ी, दूसरी पीढ़ी को जन्म देती है।

→ विखण्डन-कोशिकाओं का दो या दो अधिक भागों में विभाजन विखण्डन कहलाता है।

→ मुकुलन-जीव के शरीर के किसी एक भाग पर एक बल्ब जैसी संरचना बन जाती है और जो पैतृक जीव से अलग होकर पूर्ण विकसित जीव बन जाता है।

→ पुनरुद्भवन-इसमें जीवों के खोये हुए भाग फिर से बन जाते हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ वर्धी प्रजनन-पौधों के किसी भी कायिक अंग का प्रयोग करके नया पौधा तैयार करने की विधि वर्धी प्रजनन कहलाती है।

→ कटान-इसमें पौधों की एक कटान लेकर नम भूमि में लगाने पर उसमें जड़ें निकल आती हैं जो बढ़कर नया पौधा बन जाता है।

→ लेयरिंग-इसमें पौधों की किसी एक शाखा को झुकाकर नम मिट्टी में दबा दिया जाता है जिनसे जड़ें निकल आती हैं और नया पौधा उग आता है।

→ ग्राफ्टिंग-इसमें विभिन्न पौधों के दो भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक नया पौधा प्राप्त होता है।

→ लैंगिक प्रजनन-जनन की वह प्रक्रिया जिसमें नर और मादा दोनों ही जननांग भाग लेते हैं जिसमें युग्मकों के संयोजन से नए जीव की उत्पत्ति होती है।

→ पौधों में लैंगिक प्रजनन-इस प्रजनन में पुंकेसर नर और स्त्रीकेसर मादा जननांग भाग लेते हैं। इसमें युग्मनज कई बार सूत्री विभाजन से विभाजित होकर नए पौधों को जन्म देती हैं।

→ मनुष्यों में लैंगिक जनन-इसमें नर युग्मक शुक्राणु एवं मादा युग्मक अण्डापु के संयोग से युग्मनज बनता है जिसका विकास श्रण के रूप में होता है, इसके पूर्ण विकसित हो जाने पर शिशु के रूप में जन्म होता है।

→ शुक्राणु-नर युग्मक (पुरुष में)।

→ अण्डाणु-मादा युग्मक (स्त्री में)।

→ पुंकेसर-पौधों में नर जनन अंग।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ स्त्रीकेसर-पौधों में मादा जनन अंग।

→ निषेचन-नर युग्मक का मादा युग्मक के साथ संलयन की प्रक्रिया निषेचन कहलाती है।

→ पुरुषों के जननांग-वृषण तथा नलियाँ, शुक्रवाहिकाएँ, यूरेश्रा एवं उपजनन अंग शिश्न है।

→ मादा जननांग-अण्डाशय, अण्डवाहिनियाँ, योनि, गर्भाशाय तथा योनि द्वार।

→ प्लेसेंटा-मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैव सम्बन्ध बनाने वाला ऊतक प्लेसेंटा कहलाता हैं।

→ D.N.A. प्रतिकृति की तकनीक से विभिन्नता उत्पन्न होती है जो स्पीशीज के अस्तित्व के लिए लाभप्रद्र है। लैंगिक जनन द्वारा अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ यौवनारंभ में शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं, उदाहरण के लिए लड़कियों में स्तन का विकास तथा लड़कों के चेहरे पर बालों (दाढ़ी, मूँछ) का आना, लैंगिक परिपक्वता के चिन्ह हैं।

→ मानव में नर जनन तंत्र में वृषण, शुक्राणुवाहिनी, शुक्राशय, प्रोस्टेट ग्रन्थि, मूत्र मार्ग तथा शिश्न होते हैं।

→ मानव के मादा जनन तंत्र में अण्डाशय, डिम्बवाहिनी गर्भाशय तथा योनि पाये जाते हैं।

→ मानव में लैंगिक जनन प्रक्रिया में शुक्राणुओं का स्त्री की योनि में स्थानान्तरण होता है तथा निषे चन डिम्बवाहिनी में होता है।

→ गर्भनिरोधी युक्तियाँ अपनाकर गर्भधारण को रोका जा सकता है। कंडोम, गर्भनिरोधी गोलियाँ, कांपर-टी तथा अन्य युक्तियाँ इसके उदाहरण हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board Class 10 Science जैव प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो सम्बन्धित है-
(a) पोषण
(c) उत्सर्जन
(b) श्वसन
(d) परिवहन
उत्तर:
(a) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है-
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर:
(a) जल का वहन।

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केन्द्रक
उत्तर:
(a) माइटोकॉण्ड्रिया।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर:

  1. वसा का पाचन छोटी आँत में होता है।
  2. क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है, जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है।
  3. लीवर द्वारा स्रावित पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है, जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। यह इमल्सीकृत क्रिया कहलाती है।
  4. पित्त रस अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है, ताकि अग्न्याशय से स्रावित लाइपेज एंजाइम क्रियाशील हो सके।
  5. लाइपेज एंजाइम वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
  6. पाचित वसा अंत में आंत्र की भित्ति अवशोषित कर लेती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर:

  1. लार में लार (सेलाइवरी) एमायलेज़ एंज़ाइम होता है जो स्टार्च को शर्करा जैसे माल्टोज में परिवर्तित कर देता है।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1
  2. लार भोजन को नम करती है जो भोजन के बड़े टुकड़ों को छोटे टुकड़ों में चबाने तथा तोड़ने में मदद करती है, जिससे कि सेलाइवरी एमायलेज़ स्टार्च को प्रभावशाली तरीके से पाचित कर सके।

प्रश्न 7.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर:
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक शर्तें हैं-

  • जैव कोशिकाओं में क्लोरोफिल की उपस्थिति।
  • पादप की कोशिकाओं या हरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति का प्रबन्ध या तो जड़ों के द्वारा या आसपास के वातावरण के द्वारा।
  • पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध हो, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा आवश्यक है।
  • पर्याप्त CO2, जो प्रकाश संश्लेषण के दौरान शर्करा के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण अवयव है।
  • स्वपोषी पोषण के सह उत्पाद हैं- स्टार्च (शर्करा), जल तथा O2

प्रश्न 8.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अन्तर हैं? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर:
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में प्रमुख निम्नलिखित अन्तर हैं-

वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
1. वायवीय श्वसन, ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। 1. यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है।
2. ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। 2. ग्लूकोज़ का अपूर्ण विखण्डन होता है।
3. अन्तिम उत्पाद है – CO2, जल तथा ऊर्जा।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2
3. अन्तिम उत्पाद हैं- इथाइल ऐल्कोहॉल (या लैक्टिक अम्ल), CO2 तथा थोड़ी-सी ऊर्जा।
4. बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, एक ग्लूकोज़ अणु 38 ATP अणु। 4. कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, एक ग्लूकोज़ अणु से 2ATP अणु।
5. वायवीय श्वसन का प्रथम चरण (ग्लाइकोलिसिस) कोशिकाद्रव्य में होता है जबकि अगला चरण माइटोकॉण्ड्रिया में होता है। 5. पूरा अवायवीय श्वसन कोशिकाद्रव्य में होता है।

जन्तु जिनमें अवायवीय श्वसन होता है- यीस्ट तथा परजीवी, जैसे टेपवर्म (फीताकृमि), एसकेरिस (गोलकृमि) आदि।

प्रश्न 9.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर:

  • कूपिका की भित्ति पतली होती है तथा रुधिर वाहिकाओं के जाल से ढकी हुई है, जिससे गैसों का आदान-प्रदान, रुधिर तथा कूपिका के अन्दर भरी हवा के बीच अधिकाधिक हो सके।
  • कूपिका की गुब्बारे के समान संरचना है, जो गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ा देती है।

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
रुधिर की औसत हीमोग्लोबिन मात्रा किसी भी लिंग में 14.5 g प्रति 100 mL रुधिर है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा रुधिर में कम होती है, तो इसकी O2 की वहन क्षमता भी घट जाती है। अतः वह मानव O2 की कमी के लक्षण दर्शाता है, जैसे साँस फूलना जो कि अक्सर लोहे की कमी से हुए एनीमिया का पहला लक्षण है।

प्रश्न 11.
मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरण इसलिए कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकता है। चूँकि हमारे शरीर में उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं, जिसके लिए उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन जरूरी होता है। अतः शरीर का तापक्रम बनाए रखने तथा निरन्तर ऊर्जा की पूर्ति के लिए यह परिसंचरण लाभदायक होता है।

प्रश्न 12.
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नलिखित अन्तर हैं।

जाइलम फ्लोएम
1. जाइलम जड़ से पत्तियों तथा अन्य भागों में जल तथा घुले लवण परिवहित करते हैं। 1. फ्लोएम, भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्सों तक परिवहित करता है।
2. जाइलम में पदार्थों का परिवहन वाहिकाओं तथा वाहिनियों द्वारा होता है, जो मृत ऊतक हैं। 2. फ्लोएम में पदार्थों का परिवहन चालनी ट्यूबों द्वारा सहचर कोशिकाओं की मदद से होता है, जो जैव कोशिकाएँ हैं।
3. वाष्पोत्सर्जन पुल के कारण ऊपर की ओर जल तथा घुले लवणों का चढ़ना सम्भव हो पाता है। यह पत्ती की कोशिकाओं से जल अणुओं के वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है। 3. स्थानान्तरण में, पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ATP ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए होता है। यह् परासरण दाब बढ़ा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को ऊतकों की ओर भेजता है, जिनमें दाब कम होता है।
4. जल का परिवहन सरल भौतिक गति के अन्तर्गत होता है। ऊर्जा खर्च नहीं होती है। अतः ATP की आवश्यकता नहीं है। 4. फ्लोएम में स्थानान्तरण एक सक्रिय क्रिया है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा ATP से प्राप्त हाती है।

प्रश्न 13.
फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
फुफ्फूस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु की रचना तथा क्रियार्विधि की तुलना निम्न प्रश्न से की जा सकती है-

कूपिका वृक्काणु
1. पतली भित्ति, गुब्बारे के समान संरचना। सतह महीन तथा नाजुक। 1. पतली भित्ति, कप की आकृति की संरचना, जो पतली भित्ति वाले ट्युब्यूल से जुड़ी है।
2. गैसों के आदान-प्रदान के लिए रुधिर केशिकाओं का लम्बा-चौड़ा जाल। 2. बोमेन संपुट में रुधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है, जिसे केशिका गुच्छ कहते हैं। इसका काम छानना है। वृक्काणु के ट्युब्यूलर हिस्सों के ऊपर रुधिर वाहिकाओं का एक जाल होता है, जो लाभप्रद पदार्थों तथा जल का पुनः अवशोषण करता है।
3. कूपिकाएँ सतही क्षेत्र बढ़ा देती हैं, जिससे CO2 का रुधिर से वायु में तथा O2 का वायु से रुधिर में विसरण हो सके। 3. वृक्काणु भी सतही क्षेत्र बढ़ाता है, रूधिर को छानने के लिए तथा निस्यंद से लाभप्रद पदार्थ तथा जल के पुनः अवशोषण के लिए। अन्त में मूत्र बचेगा।
4. कूपिकाएँ केवल फेफड़ों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ाती हैं। 4. वृक्काणु के नलिकाकार हिस्से मृत्र को संग्राहक वाहिनी तक ले जाती है।
5. कूपिकाएँ बहुत छोटी होती हैं और प्रत्येक फेफड़े में एक बहुत बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। 5. वृक्काणु, जो छानने की आधार इकाई है, एक बड़ी संख्या में प्रत्येक गुर्द् में होते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science जैव प्रक्रम InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-105)

प्रश्न 1.
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि बहुकोशिकीय जीवों में समस्त कोशिकाएँ वातावरण से सीधे सम्पर्क में नहीं होती हैं अतः सरल विसरण समस्त कोशिकाओं की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है।

प्रश्न 2.
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर:
सजीवों को अपनी संरचनाओं की मरम्मत एवं रखरखाव करना आवश्यक है। ये समस्त संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी हैं। इसलिए हमें हर समय, अणुओं को गतिशील रखने की क्षमता होनी चाहिए। अतः अदृश्य अणुगति, जीव के जीवित होने का प्रमाण है।

प्रश्न 3.
किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:

  • भोजन- ऊर्जा एवं पदार्थों के स्रोत के रूप में।
  • ऑक्सीजन- भोजन पदार्थों का विखण्डन करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
  • जल भोजन के सही पाचन के लिए तथा शरीर के अन्दर अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए।
  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)।

प्रश्न 4.
जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर:
अनेकों जैव प्रक्रम हैं जो जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक हैं, जैसे-

  • पोषण
  • श्वसन
  • उत्सर्जन
  • वहन आदि।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-111)

प्रश्न 1.
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में निम्नलिखित अन्तर हैं –

स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition) विषमपोषी पोषण (Hetrotrophic Nutrition)
1. यह पोषण हरे पौधों में पाया जाता है, जो भोजन के निर्माण के लिए अकार्बनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं। इसलिए हरे पौधों को स्वयंपोषी जीव कहते हैं। 1. इसमें जन्तुओं को अपने कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकता के लिए पौधों तथा अन्य जीवों पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण-शाकाहारी, मांसाहारी, मृतजीवी आदि ।
2. इस पोषण में CO2 जल, क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश द्वारा कार्बनिक पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषपा कहते हैं। 2. विषमपोषी पोषण में यह प्रक्रिया नहीं होती है।
3. यह पोषण हरे पौधों तथा साइनोबैक्टीरिया (नीले-हरे शैवाल) में होता है। 3. यह पोषण प्रायः सभी जन्तुओं, मानव, परजीवी, कवक आदि में होते हैं।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर:

  • कार्बन डाइऑक्साइड – पादप वातावरण से CO2 रंध्रों द्वारा प्राप्त करते हैं।
  • जल- पादप, जड़ों द्वारा जल का अवशोषण मृदा में से करते हैं तथा पत्तियों तक इसका परिवहन करते हैं।
  • क्लोरोफिल – हरे पत्तों में क्लोरोप्लास्ट होता है, जिसमें क्लोरोफिल मौजूद होते हैं।
  • सूर्य का प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
आमाशय में अम्ल माध्यम को अम्लीय बनाता है जो पेप्सिन ( Pepsin) एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 4.
पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर:
पाचक एंजाइम प्रोटीन को अमीनो अम्ल में, कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तथा वसा को वसीय अम्लों व ग्लिसरॉल में बदल देते हैं।

प्रश्न 5.
पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर:
पचे हुए भोजन का अवशोषण क्षुद्रांत्र में होता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3
क्षुद्रांत्र की संरचना इस प्रकार से है कि कुल सतही क्षेत्रफल अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे अवशोषण का क्षेत्र भी बढ़ जाता है। अतः पाचित भोजन अधिक मात्रा में अवशोषित होकर रक्त में पहुँचता है और फिर इसका वहन सारे शरीर में होता है। क्षुद्रांत्र की अंदरूनी भित्ति में बहुत बड़ी संख्या में अंगुलियाँ समान दीर्घरोम होती हैं। ये दीर्घरोम भोजन के अवशोषण के लिए एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 116)

प्रश्न 1.
श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
जो जीव पानी में रहता है, वह अपने चारों ओर पानी में घुली ऑक्सीजन का प्रयोग करता है। चूँकि पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, अतः जलीय जीव में श्वसन दर अधिक होती है। थलीय जीव, पर्याप्त ऑक्सीजन वाले वातावरण से श्वसन अंगों द्वारा ऑक्सीजन लेते हैं। अतः जलीय जीवों की तुलना में थलीय जीवों की श्वसन दर काफी कम होती है।

प्रश्न 2.
ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर:
ग्लूकोज के ऑक्सीजन से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ निम्नलिखित प्रकार हैं-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4

प्रश्न 3.
मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन का परिवहन – मानव शरीर के फुफ्फुस कूपिकाओं की रुधिर वाहिकाओं में RBC होते हैं, जिसमें मौजूद हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है तथा सभी ऊतकों एवं अंगों तक पहुँच जाता है।

कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) का परिवहन – ऑक्सीजन की अपेक्षा CO2 जल में अधिक विलेय है, इसलिए ऊतकों से फुफ्फुस तक परिवहन हमारे रुधिर (प्लाज्मा) में विलेय अवस्था में होता है।

प्रश्न 4.
गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर:
श्वास नली फुफ्फुस में कई छोटी-छोटी श्वसनिकाओं में विभाजित होती ये छोटी श्वसनिकाएँ बहुत छोटे-छोटे थैली जैसी रचना कूपिकाओं में खुलती हैं। कूपिकाओं की भित्ति बहुत पतली होती है जो कि रुधिर केशिकाओं से घिरी होती है। दोनों फुफ्फुस में लगभग 30 करोड़ कूपिकाएँ होती हैं जो कि लगभग 100 वर्ग मीटर सतह बनाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-122)

प्रश्न 1.
मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वहन तंत्र के घटक हैं-हदय, रुधिर वाहिकाएँ और रुधिर। उनके कार्य निम्न प्रकार हैं-
(i) हददय-यह एक पंप की तरह कार्य करता है।

(ii) रुधिर वाहिकाएँ :

  • धमनियों से शरीर के सभी अभी तक
  • शिराएं विभिन्न तक वापस डीऑक्सीजनेटेड विभाजित हो जाती है, जिसे कोशिकाएँ कहते है सर एवं टीचर के लिए लाते हैं।
  • केशिकाएँ-धमनी छोटी-छोटी वाहिकाओं में विभाजित हो जाती हैं, जिसे केशिकाएँ कहते हैं। रुधिर एवं आसपास की केशिकाओं के मध्य पदार्थों का विनिमय होता है।

(iii) रुधिर या रक्त-यह परिवहन का माध्यम है जो निम्नलिखित से बने हैं-

  • प्लाज्मा-भोजन के अणुओं, CO2 नाइट्रोजनी वर्ज्य, लवण, हार्मोन, प्रोटीन आदि का विलीन रूप में वहन करता है।
  • RBC-इसमें हीमोग्लोबिन होता है, जो ऑक्सीजन को ले जाती है।
  • WBC-संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है। यह शरीर में आए रोगाणुओं को मारकर शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • प्लेटलेट्स-रक्तस्त्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती है।

प्रश्न 2.
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीज तथा विनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हृदय का दावा विक्सीजन चिर को मिलने से रोकता है शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है, क्योंकि पक्षी और स्तनधारी जंतुओं को अपने शरीर का उपक्रम बनाए रखने के लिए निरन्तर उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए यह बहुभदायक होता है।

प्रश्न 3.
उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर:
उच्च संगठित पादप में निम्नलिखित वहन तंत्र होते हैं-
(i) जाइलम ऊतक-जाइलम ऊतक पादप के जड़ से खर्रिज लवण तथा जल इसके सभी अंगों तक पहुँचाता है। जाइलम ऊतक में जड़ों, तनों और पत्तियों की त्राहिनिकाएँ तथा वाहिकाएँ आपस में जुड़कर जल संवहन वाहिकाओं का एक जाल बनाती हैं, जो पादप के सभी भागों से सम्बद्ध होता है।

(ii) फ्लोएम ऊतक भोजन तथा अन्य पदार्थों का संवहन पत्तियों से अन्य सभी अंगों तक फ्लोएम ऊतक द्वारा होता है।

प्रश्न 4.
पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर:
जल तथा लवण, मृदा से पत्तियों तक जाइलम कोशिकाओं द्वारा परिवहित होते हैं। जड़, तने तथा पनियों कोशिकाएँ परस्पर जुड़कर संयोजी मार्ग बनाते हैं। जड़ों की कोशिकाएँ मृदा से लवण लेती हैं। ये मृदा तथा जड़ के लवणों की सान्द्रता में फर्क उत्पन्न कर देता की जाइलम है। इसलिए जल की निरन्तर गति जाइलम में होती रहती है। एक परासरण दबाव उत्पन्न होता और जल व लवण एक कोशिका से दूसरी कोशिका में परासरण के कारण परिवहित होते रहते हैं। वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की निरन्तर हानि होती रहती है तथा चूषण बल उत्पन्न होता है जिससे जल तथा लवणों की निरन्तर गति होती रहती है। और जल तथा लवणों का परिवहन होता रहता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5

प्रश्न 5.
पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर:
पादपों में निर्मित भोजन, फ्लोएम द्वारा भण्डारण अंगों जैसे जड़, फल, बीज तथा विकासशील हिस्सों में परिवहित होता है। इस क्रिया को स्थानान्तरण कहते हैं। यह कार्य चलनी कोशिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा सम्पन्न होता है। भोजन कणों का परिवहन ऊपर तथा नीचे स्थानांतरण की क्रिया एक सक्रिय क्रिया है जिसमें ऊर्जा का प्रयोग होता है।

पदार्थों का स्थानांतरण पत्ती की कोशिकाओं या भण्डारण के स्थान से फ्लोएम ऊतक में होता है। इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो ए. टी. पी. (ATP ) अणु से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा परासरण दाब बढ़ाता है, परिणामस्वरूप जल बाहर से फ्लोएम के अन्दर गति करता है। यह क्रिया भोजन का परिवहन पादपों के समस्त हिस्सों में कायम रखती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-124)

प्रश्न 1.
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृक्काणु के ऊपरी सिरे पर कप के आकार की रचना होती है जिसे बोमन संपुट कहते हैं। बोमन संपुट का निचला सिरा नली के आकार का होता है जो मूत्र संग्राहक नलिका में खुलता है। बोमन संपुट में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है। प्रारम्भिक निस्यंद में कुछ पदार्थ जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। जैसे-जैसे मूत्र इस नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

प्रश्न 2.
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं।
उत्तर:
उत्सर्जक पदार्थों से मुक्ति पाने के लिए पादप निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करते हैं-

  • अनेकों उत्सर्जक उत्पाद कोशिकाओं के धानियों में भण्डारित रहते हैं। पादप कोशिकाओं में तुलनात्मक रूप से बड़ी धानियाँ होती हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद पत्तियों में भण्डारित रहते हैं। पत्तियों के गिरने के साथ ये हट जाते हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद, जैसे रेज़िन या गम, विशेष रूप से निष्क्रिय पुराने जाइलम में भण्डारित रहते हैं।
  • कुछ उत्सर्जक उत्पाद जैसे टेनिन, रेज़िन, गम छल में भण्डारित रहते हैं। छाल के उतरने के साथ हट जाते हैं।
  • पादप कुछ उत्सर्जक पदार्थों का उत्सर्जन जड़ों के द्वारा मृदा में भी करते हैं।

प्रश्न 3.
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मूत्र की मात्रा पानी के पुनः अवशोषण पर प्रमुख रूप से निर्भर करती है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी की मात्रा का पुनः अवशोषण निम्नलिखित पर निर्भर करता है-

  • शरीर में अतिरिक्त पानी की कितनी मात्रा है जिसको निकालना है। जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त जल है, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है। जब शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम है, तब सांद्र मूत्र की थोड़ी-सी मात्रा उत्सर्जित होती है।
  • कितने घुलनशील उत्सर्जक, विशेषकर नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जक जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल तथा लवण आदि का शरीर से उत्सर्जन होता है।

जब शरीर में घुलनशील उत्सर्जक की अधिक मात्रा हो, तब उनके उत्सर्जन के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। अतः मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

क्रिया-कलाप – 6.1

  • गमले में लगा एक शबलित पत्ती वाला पौधा लीजिए (उदाहरण के लिए मनीप्लांट या क्रोटन का पौधा)।
  • पौधे को तीन दिन अँधेरे कमरे में रखिए ताकि उसका सम्पूर्ण मंड प्रयुक्त हो जाए।
  • अब पौधे को लगभग छह घण्टे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखिए।
  • पौधे से एक पत्ती तोड़ लीजिए। इसमें हरे भाग को अंकित करिए तथा उन्हें एक कागज पर ट्रेस कर लीजिए।
  • कुछ मिनट के लिए इस पत्ती को उबलते पानी में डाल दीजिए।
  • इसके बाद इसे ऐल्कोहॉल से भरे बीकर में डुबा दीजिए।
  • इस बीकर को सावधानी से जल ऊष्मक में रखकर तब तक गर्म करिए जब तक ऐल्कोहॉल उबलने न लगे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पत्ती के रंग का क्या होता है? विलयन का रंग कैसा जाता है?
उत्तर:
पत्ती का रंग उड़ जाता है तथा यह रंगरहित हो जाती है, क्योंकि क्लोरोफिल ऐल्कोहॉल में घुल जाता है। घोल का रंग हरा हो जाता है।

  • लगभग समान आकार के गमल मे लग दा पाध लीजिए।
  • तीन दिन तक उन्हें अँधेरे कमरे में रखिए।
  • अब प्रत्येक पौधे को अलग-अलग काँच-पट्टिका पर रखिए। एक पौधे के पास वाच ग्लास में पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड रखिए। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए किया जाता है।
  • चित्र के अनुसार दोनों पौधों को अलग-अलग बेलजार से ढक दीजिए।
  • जार के तले को सील करने के लिए काँच-पट्टिका पर वैसलीन लगा देते हैं इससे प्रयोग वायुरोधी हो जाता है।
  • लगभग दो घंटों के लिए पौधों को सूर्य के प्रकाश में रस्विए।
  • प्रत्येक पौधे से एक पत्ती तोड़िए तथा उपर्युक्त क्रिया-कलाप की तरह उसमें मंड की उपस्थिति की जाँच कीजिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7
  • अब कुछ मिनट लिए इस पत्ती को आयोडीन के तन विलयन डाल दीजिए।
  • पत्ती को बाहर निकालकर उसके आयोडीन को धो डालिए।
  • पत्ती के रंग का अवलोकन कीजिए और प्रारम्भ में पत्ती का जो रंग ट्रेस किया था उससे इसकी तुलना कीजिए।

क्रिया-कलाप – 6.2

प्रश्न 2.
पत्ती के विभिन्न भागों में मंड की उपस्थिति के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
पत्ती के वे क्षेत्र जो गहरे नीले-काले आयोडीन घोल के कारण हो गए हैं, स्टार्च की उपस्थिति दर्शा रहे हैं, जबकि वे क्षेत्र जो रंगरहित रह गए हैं, यह दर्शा रहे हैं कि वहाँ स्टार्च निर्माण नहीं हुआ है। यह क्रिया-कलाप यह संकेत दे रहा है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या दोनों पत्तियाँ समान मात्रा में मंड की उपस्थिति दर्शाती हैं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि एक पौधे के पास (KOH) रखा गया है, जो CO2 अवशोषित करता है। अत: KOH वाले बेलजार से तोड़ी गई पत्ती में मंड की उपस्थिति अपेक्षाकृत बहुत कम है।

प्रश्न 2.
इस क्रिया-कलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
यह क्रिया-कलाप दर्शाता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 की मात्रा एक आवश्यक घटक है।

क्रिया-कलाप – 6.3

  • 1 mL मंड का घोल (1%) दो परखनलियों ‘A’ तथा ‘B’ में लीजिए।
  • परखनली ‘A’ में 1 mL लार डालिए तथा दोनों परखनलियों को 20-30 मिनट तक शांत छोड़ दीजिए।
  • अब प्रत्येक परखनली में कुछ बूँद तनु आयोडीन घोल की डालिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किस परखनली में आपको रंग में परिवर्तन दिखाई दे रहा है?
उत्तर:
परखनली B में रंग बदल गया, क्योंकि इसमें केवल स्टार्च है। परखनली A में स्टार्च शर्करा में परिवर्तित हो गया, अतः रंग में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया।

प्रश्न 2.
दोनों परखनलियों में मंड की उपस्थिति के बारे जबकि में क्या इंगित करता है?
उत्तर:
यह दर्शाता है कि परखनली परखनली A स्टार्च नहीं है। में स्टार्च है,

प्रश्न 3.
यह लार की मंड पर क्रिया के बारे में क्या दर्शाता है?
उत्तर:
यह हमें बताता है कि लार स्टार्च पर क्रिया करते हुए स्टार्च को दूसरे पदार्थ (माल्टोज शर्करा) में परिवर्तित कर देती है।

क्रिया-कलाप – 6.4

प्रश्न 1.
एक परखनली में ताजा तैयार किया हुआ चूने का पानी लीजिए। इस चूने के पानी में नि:श्वास द्वारा निकली वायु प्रवाहित कीजिए [चित्र (a)]। नोट कीजिए कि चूने के पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है?
उत्तर:
छात्र स्वयं समय नोट करें।

प्रश्न 2.
एक सिरिंज या पिचकारी द्वारा दूसरी परखनली में में ताजा चूने का पानी लेकर वायु प्रवाहित पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है। करते हैं [चित्र (b)]। नोट कीजिए कि इस बार चूने के
उत्तर:
छात्र स्वयं समय नोट करें।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
निःश्वास द्वारा निकली वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है?
उत्तर:
पहली स्थिति में चूने का पानी [चित्र (a)] दूधिया होने में ज्यादा समय लेता है जबकि दूसरी स्थिति [चित्र (b)] में यह दर्शाता है कि बाह्यश्वसन वाली वायु में सामान्य वायु की तुलना में CO2 अधिक है। इसलिए बाह्यश्वसन वायु सामान्य वायु की तुलना में चूने के पानी को जल्दी दूधिया कर देती है। अतः बाह्यश्वसनीय वायु में CO2 अधिक है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
(a) चूने के पानी में निःश्वास द्वारा वायु प्रवाहित हो रही है।
(b) चूने के पानी में वायु पिचकारी / सिरिंज द्वारा प्रवाहित की जा रही है।

क्रिया-कलाप – 6.5

  • किसी फल का रस या चीनी का घोल लेकर उसमें कुछ यीस्ट डालिए। एक छिद्र वाली कॉर्क लगी परखनली में इस मिश्रण को ले जाइए।
  • कॉर्क में मुड़ी हुई काँच की नली लगाइए। काँच की नली के स्वतंत्र सिरे को ताजा तैयार चूने के पानी वाली परखनली में ले जाइए।
  • चूने के पानी में होने वाले परिवर्तन को तथा इस परिवर्तन में लगने वाले समय के अवलोकन को नोट कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किण्वन के उत्पाद के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है?
उत्तर:
यह हमें बताता है कि अन्य उत्पादों (ऐल्कोहॉल) के साथ CO2 भी एक उत्पाद है।

क्रिया-कलाप – 6.6

प्रश्न 1.
एक जलशाला में मछली का अवलोकन कीजिए। वे अपना मुँह खोलती और बंद करती रहती हैं साथ ही आँखों के पीछे क्लोमछिद्र (या क्लोमछिद्र को ढकने वाला प्रच्छद) भी खुलता और बंद होता रहता है। क्या मुँह समय और क्लोमछिद्र के खुलने और बंद होने के में किसी प्रकार का समन्वय है?
उत्तर:
हाँ, वे बारी-बारी से खुलते तथा बन्द होते हैं।

प्रश्न 2.
गिनती करो कि मछली एक मिनट में कितनी बार मुँह खोलती और बन्द करती है?
उत्तर:
मुँह का खोलना तथा बन्द होना अलग-अलग मछलियों में तथा विभिन्न प्रकार की मछलियों में भिन्न-भिन्न होता है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि यह वह स्वयं करें।

प्रश्न 3.
इसकी तुलना आप अपनी श्वास को एक मिनट में अंदर और बाहर करने से कीजिए।
उत्तर:
मछली हमारी तुलना में अधिक तेज श्वसन करती है क्योंकि वायु की तुलना में पानी में कम ऑक्सीजन होती है।

क्रिया-कलाप 6.7

प्रश्न 1.
अपने आसपास के एक स्वास्थ्य केन्द्र का भ्रमण कीजिए और ज्ञात कीजिए कि मनुष्यों में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य परिसर क्या है?
उत्तर:
पुरुष : 13.8 – 17.5gm/dl
महिला : 12.1 – 15.1 gm/dl
बच्चों में 5 से 11 वर्ष : 11.5gm/dl
12 से 14 वर्ष : 12 gm/dl (माध्य मान)
2 से 6 वर्ष : 12.5gm/dl

प्रश्न 2.
क्या यह बच्चे और वयस्क के लिए समान है?
उत्तर:
नहीं बच्चों में 11 से 16 g/dl होता है।

प्रश्न 3.
क्या पुरुष और महिलाओं के हीमोग्लोबिन स्तर में कोई अन्तर है?
उत्तर:
हाँ, प्रश्न 1 का उत्तर देखें।

प्रश्न 4.
अपने आसपास के एक पशुचिकित्सा क्लीनिक का भ्रमण कीजिए। ज्ञात कीजिए कि पशुओं, जैसे भैंसा परिसर ‘या गाय में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य क्या है?
उत्तर:
10.4 से 16.4 g/dl

प्रश्न 5.
क्या यह मात्रा बछड़ों में, नर तथा मादा जन्तुओं में समान है?
उत्तर:
नहीं, बछड़ों में अधिक होता है।

प्रश्न 6.
नर तथा मादा मानव में व जन्तुओं में दिखाई देने वाले अन्तर की तुलना कीजिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन की मात्रा निम्नानुसार है-
पुरुष = 13.8 से 17.2 g/dl
महिला = 12.1 से 15.1 g/dl
बच्चे = 11 से 16 g/dl
मवेशी = 10.4 से 16.4g/dl

प्रश्न 7.
यदि कोई अन्तर है तो उसे कैसे समझाओगे?
उत्तर:
क्योंकि शरीर में O2 तथा CO2 के परिवहन के लिए हीमोग्लोबिन आवश्यक है। पुरुष महिलाओं बच्चों से अधिक परिश्रम करता है। कार्यों की प्रकृति व विविधता के कारण ही इनमें महिलाओं, बच्चों व मवेशियों की अपेक्षा हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है।

क्रिया-कलाप 6.8

  • लगभग एक ही आकार के तथा बराबर मुदा वाले दो गमले लीजिए। एक में पौधा लगा दीजिए तथा दूसरे गमले में पौधे की ऊँचाई की एक छड़ी लगा दीजिए।
  • दोनों गमलों की मिट्टी प्लास्टिक की शीट से ढक दीजिए जिसमें नमी का वाष्पन न हो सके।
  • दोनों गमलों को को पौधे के साथ तथा दूसरे को छड़ी के साथ, प्लास्टिक शीट से ढक दीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप दोनों में कोई अन्तर देखते हैं?
उत्तर:
हाँ, जिस गमले में पौधा है, उसकी प्लास्टिक की चादर में पानी की बूँदें नजर आ रही हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में पहले गमले में, जिसमें पौधा है, जल वाष्प बनकर उड़ रही बूँदों के रूप में नज़र आ रहा है जबकि दूसरे गमले में जिसमें लकड़ी है, पानी की बूँदें नजर नहीं आ रही हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव प्रक्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
एककोशिकीय जीवों में उत्सर्जन की क्रिया किस प्रकार से होती है?
उत्तर:
एककोशिकीय जीवों में उत्सर्जन की क्रिया विसरण द्वारा होती है।

प्रश्न 3.
वृक्क के अतिरिक्त दो सहायक उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वृक्क के अतिरिक्त दो सहायक उत्सर्जी अंग हैं- त्वचा, यकृत।

प्रश्न 4.
मूत्र निर्माण की प्रक्रियाओं के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
मूत्र निर्माण की प्रक्रियाएँ हैं-

  • छनन (Piltration)
  • वरणात्मक पुनः अवशोषण (Selective reab-sorption)
  • नलिकीय स्त्रावण (Tubular secretion)।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 5.
पादपों की उस प्रक्रिया का नाम लिखिए, जिसमें जलवाष्प के रूप में जल लुप्त होता है।
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन।

प्रश्न 6.
पादप में प्रकाश संश्लेषण के विलेय उत्पादों का स्थानान्तरण करने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
फ्लोएम।

प्रश्न 7.
पोषण के आधार पर जीवों को कितने समूहों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पोषण के आधार पर जीवों को दो समूहों में बाँटा गया

  • स्वपोषी पोषण
  • विषमपोषी पोषण।

प्रश्न 8.
पादपों में जल और खनिज का स्थानांतरण करने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
जाइलम ऊतक।

प्रश्न 9.
हमारी पेशी कोशिका में अवायवीय श्वसन के उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
लैक्टिक अम्ल तथा ऊर्जा।

प्रश्न 10.
एक परजीवी पुष्पी पादप का नाम बताइए।
उत्तर:
अमरबेल।

प्रश्न 11.
कौन-सी शिरा में शुद्ध रक्त पाया जाता है?
उत्तर:
पल्मोनरी शिरा में।

प्रश्न 12.
हृदय के किस भाग में (i) शुद्ध रक्त, (ii) अशुद्ध रक्त प्रवेश करता है?
उत्तर:

  • बायें अलिन्द में
  • दाहिने अलिन्द में।

प्रश्न 13.
हृदय के किस भाग से (i) शुद्ध रक्त, (ii) अशुद्ध रक्त बाहर जाता है?
उत्तर:

  • बायें निलय से
  • दाहिने निलय से।

प्रश्न 14.
ताप नियमन, ग्लूकोज मात्रा का नियमन, सोडियम, पोटैशियम का नियमन एवं जल की मात्रा का नियमन किस क्रिया द्वारा सम्पन्न होता है?
उत्तर:
यह परासरण नियन्त्रण क्रिया द्वारा सम्पन्न होता है।

प्रश्न 15.
एंजाइम पेप्सिन तथा लाइपेज किस माध्यम में सक्रिय रूप से क्रिया करते हैं?
उत्तर:
अम्लीय माध्यम में।

प्रश्न 16.
यीस्ट में अवायवीय श्वसन के बाद बनने वाले उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर:
इथेनॉल, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा ऊर्जा।

प्रश्न 17.
मानव हृदय का कौन-सा भाग ऑक्सीजनित रुधिर प्राप्त करता है?
उत्तर:
बायाँ भाग।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 18.
कौन-सी रुधिरवाहिका रक्त हृदय से दूर शुद्धीकरण के लिए ले जाती है?
उत्तर:
फुफ्फुसीय धमनी (Pulmonary artery)।

प्रश्न 19.
वृक्क की सूक्ष्मतम उत्सर्जन इकाई क्या है?
उत्तर:
नेफ्रॉन (वृक्काणु)।

प्रश्न 20.
हमारी आँत में वसा का पाचन कहाँ होता है?
उत्तर:
छोटी आँत में।

प्रश्न 21.
ऊतकों में गैसों का विनिमय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
गैसों का विनिमय ऊतक और रुधिर कोशिकाओं के बीच O2 और CO2 के विसरण द्वारा होता है।

प्रश्न 22.
ऊर्जा कहाँ मुक्त और एकत्र होती है?
उत्तर:
ऊर्जा माइटोकॉण्ड्रिया में मुक्त और एकत्र होती है।

प्रश्न 23.
श्वसन वर्णक किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
श्वसन वर्णक बड़े जंतुओं में पाए जाते हैं। वे हवा से ऑक्सीजन ग्रहण कर फेफड़ों से ले जाते हैं और जिन ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी होती है वहाँ पर ले जाकर मुक्त करते हैं।

प्रश्न 24.
मनुष्य में पाए जाने वाले श्वसन वर्णक का नाम लिखिए। यह कहाँ पर पाया जाता है?
उत्तर:
मनुष्य में पाया जाने वाला श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन हैं है। यह लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
हमारे शरीर में CO2 का परिवहन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
CO2 जल में अधिक घुलनशील है और हमारे रक्त में घुली हुई अवस्था में स्थानान्तरित होती है।

प्रश्न 26.
हमारे शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन का परिवहन हीमोग्लोबिन द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 27.
वहन क्या है?
उत्तर:
वह जैव प्रक्रिया जिसमें पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाया जाता है, वहन कहलाता है।

प्रश्न 28.
जंतुओं में पदार्थों के परिवहन के लिए उत्तरदायी तंत्र का नाम लिखो।
उत्तर:
परिसंचरण तंत्र।

प्रश्न 29.
मनुष्य में पदार्थों का वहन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
रुधिर और लसीका।

प्रश्न 30.
प्रत्येक वृक्क में कितने नेफ्रॉन होते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक वृक्क में नेफ्रॉन की संख्या लगभग 10 लाख तक होती है।

प्रश्न 31.
हमारे शरीर में शर्कराओं तथा वसाओं के ऑक्सीकरण से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे शरीर में शर्कराओं एवं वसाओं के ऑक्सीकरण से बनने वाले पदार्थ हैं – H2O, CO2

प्रश्न 32.
रुधिर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड के वाहक का नाम लिखिए।
उत्तर:
लाल रुधिर कोशिकाओं में उपस्थित प्रोटीन हीमोग्लोबिन है।

प्रश्न 33.
शरीर में लसीका कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
शरीर के सभी ऊतकों में कोशिकाओं के बीच के रिक्त स्थान में लसीका पाया जाता है।

प्रश्न 34.
प्लाज्मा जल की कितनी मात्रा पायी जाती है?
उत्तर:
प्लाज्मा में लगभग 90-92 प्रतिशत जल होता है।

प्रश्न 35.
उत्सर्जन क्या है?
उत्तर:
जीवधारियों के शरीर में उपापचय क्रियाओं के फलस्वरूप कई विषाक्त और हानिकारक पदार्थ बनते हैं, इन पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया उत्सर्जन कहलाती है।

प्रश्न 36.
मूत्र क्या है?
उत्तर:
वृक्क में छनन, वरणात्मक पुनः अवशोषण तथा नलिकीय स्रावण प्रक्रियाओं के पश्चात् मूत्राशय में एकत्रित अपशिष्ट द्रव मूत्र कहलाता है।

प्रश्न 37.
मूत्र का संघटन बताइए।
उत्तर:
मूत्र में निम्नलिखित पदार्थ होते हैं-

  • जल
  • यूरिया
  • यूरिक अम्ल
  • विभिन्न

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 38.
मनुष्य के शरीर में कौन-कौन से पदार्थ होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में निम्नलिखित अपशिष्ट पदार्थ होते हैं-

  • गैसीय अपशिष्ट कार्बन डाइ ऑक्साइड, अमोनिया।
  • द्रव अपशिष्ट – अमोनिया लवण, यूरिया तथा यूरिक अम्ल, अतिरिक्त जल आदि।
  • ठोस अपशिष्ट – भोजन के पाचन के बाद बचे पदार्थ, जैसे- रफेज।

प्रश्न 39.
पौधों में कौन-कौन-से अपशिष्ट पदार्थ पाये जाते हैं?
उत्तर:
पौधों में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, क्रिस्टल, गोंद, टेनिन आदि अपशिष्ट पदार्थ के रूप में पाये जाते हैं।

प्रश्न 40.
नेफ्रॉन क्या है?
उत्तर:
मनुष्य का प्रत्येक वृक्क बहुत-सी कुण्डलित नलिकाओं का बना होता है जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं। नेफ्रॉन वृक्क की एक क्रियात्मक इकाई है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुपोषण से क्या तात्पर्य है? इसके कारण भी लिखिए।
उत्तर:
कुपोषण – कुपोषण का तात्पर्य है शरीर का पोषण ठीक से न होना अर्थात् भोजन करने और कोई रोग न होने पर भी शरीर की वृद्धि का न होना इसके कई कारण हैं- अधिक मात्रा में भोजन करना, कम मात्रा में भोजन करना, भोजन का असन्तुलित होना, भोजन का अनियमित होना या शरीर में कोई रोग अथवा दोष होना, जिसके कारण पोषण ठीक से न होता हो।

प्रश्न 2.
पोषण के निम्नलिखित चरणों की क्रिया को लिखिए – (i) अन्तर्ग्रहण, (ii) पाचन, (iii) अवशोषण, (iv) स्वांगीकरण, (v) बहिः क्षेपण या मल परित्याग।
उत्तर:
(i) भोजन का अन्तर्ग्रहण (Ingestion)- शाकाहारी एवं मांसाहारी जन्त में अन्तर्ग्रहण क्रिया द्वारा ठोस या अविसरणशील भोजन को सीधे ही वातावरण से प्राप्त करके शरीर के अन्दर स्थित पाचक अंगों (Digestive organs) तक पहुँचाया जाता है। उच्चस्तरीय बहुकोशिक रीढ़धारी जन्तु सीधे ही मुख द्वारा भोजन को बगैर किसी बाह्य अंग की सहायता से ग्रहण करते हैं।

(ii) पाचन (Digestion) – खाये हुए ठोस या तरल भोजन में जटिल कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा) अविसरणशील होता है जिसे सीधे अवशोषित नहीं एवं तथा किया जा सकता। अतः उसे पाचक रसों (एन्जाइमों) जल की जलीय अपघटन (Hydrolysis) क्रिया द्वारा, क्रमश: मोनोसेकेराइड्स (शर्कराओं) ऐमीनो अम्लों वसा अम्लों के छोटे-छोटे सरल, विसरणशील अणुओं (Mol- ecules) और आयनों (Ions) में बदल दिया जाता है, ताकि उनका सरलता से अवशोषण हो सके।

(iii) अवशोषण (Absorption ) – सरल घुलनशील पचा हुआ भोजन जिसमें ग्लूकोज, शर्करा, ऐमीनो अम्ल, वसा अम्ल आदि होते हैं, आँत से विसरित होकर रुधिर में पहुँचता है, इस क्रिया को अवशोषण (Absorption) कहते हैं। यह कार्य प्रमुख रूप से क्षुद्रान्त्र में होता है।

(iv) स्वांगीकरण (Assimilation ) – अवशोषण के बाद रुधिर में होकर ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज तथा वसा के अणु शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुँचते हैं. जहाँ पर वे प्रोटीन संश्लेषण टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत तथा जीवद्रव्य का निर्माण करते ही

(v) बहिःक्षेपण या मल परित्याग (Egestion) नाल के अन्दर यद्यपि अनेक एन्जाइम्स खाद्य – आहार रह आँत में पदार्थों के ऊपर क्रिया करते हैं फिर भी इनका कुछ अंश अपचित रह है। यह अवशिष्ट पदार्थ चला जाता है जहाँ इसका अधिकांश भाग पानी पुनः अवशोषित हो जाता है तथा शेष टोस अथवा अर्ध ठोस पदार्थ मल के रूप में समय-समय पर गुदा द्वार (anus) द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 3.
आमाशय किसे कहते हैं? उसके तीन प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
आमाशय (Stomach)- आमाशय एक पेशीय थैली होती है जिसकी पेशियाँ संकुचन एवं शिथिलन की सहायता से खाद्य पदार्थ को मथती हैं तथा आमाशयी पाचन की क्रिया पूर्ण होने पर उसे आगे ग्रहणी की ओर धकेलती हैं।

आमाशय के कार्य (Functions of Stomach) –

  • आमाशय भोजन के भण्डारण का कार्य करता है।
  • भोजन को मथने का कार्य करता है।
  • आमाशय की दीवारों से जठर रस स्रावित होता है जो भोजन को पचाने में सहायक होता है।

प्रश्न 4.
आहारनाल से सम्बन्धित पाचक ग्रन्थियों का संक्षेप में वर्णन करते हुए उनके मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर:
1. आमाशय – आमाशय की दीवारों में जठर ग्रन्थियाँ होती हैं जिनसे निम्न जठर रस स्त्रावित होते हैं-

  • ट्रिप्सिन (Trypsin)-यह काइम की शेष प्रोटीन को पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड में बदल देता है।
    ट्रिप्सिन + प्रोटीन → पेप्टोन्स + पॉलीपेप्टाइड्स
    काइमोट्रिप्सिन + प्रोटीन → पेप्टोन्स + पॉलीपेप्टाइड्स
  • एमाइलेज (Amylase ) – यह मण्ड को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। (स्टार्च + ग्लाइकोजन) + एमाइलेज
  • स्टीएप्सिन (Steapsin) – यह पायसीकृत वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देता है। इमल्सीकृत वसा + स्टीएप्सिन वसीय अम्ल ग्लिसरॉल
  • न्यूक्लिएजेज- ये न्यूक्लिक अम्लों को न्यूक्लियोटाइड्स में विखण्डित करते हैं।
    न्यूक्लिक अम्ल + न्यूक्लिएजेज न्यूक्लियोटाइड्स

2. क्षुद्रात्र में पाचन – भोजन के अधिकांश भाग का पाचन ग्रहणी में हो जाता है फिर भी अवशेष भोजन का पाचन क्षुद्रान्त्र में होता है। करते क्षुद्रान्त्र हैं। की दीवारों में पाचन ग्रन्थियाँ होती हैं, जिनसे आन्त्रीय रस (Intestinal juice) निकलता है। एक दिन में मनुष्य की आँत से 6-7 लीटर आन्त्रीय रस का स्त्रावण होता है। इसमें निम्नलिखित पाचक एन्जाइम होते हैं-

  • इरेप्सिन (Erapsin) – यह पॉलीपेप्टाइडों को ऐमीनो अम्ल में बदलता है।
  • माल्टेज (Maltase ) – यह माल्टोज को ग्लूकोज में बदलता है
  • सुक्रेज (Sucrase) – यह सुक्रोज को फ्रक्टोज तथा ग्लूकोज में बदलता है।
  • लैक्टेज (Lactase) – यह दुग्ध शर्करा (Lac-tose) को ग्लूकोज तथा गैलेक्टोज में बदलता है।
  • लाइपेज (Lipase) – यह शेष वसाओं को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदलता है।

प्रश्न 5.
मुख से लेकर आमाशय तक होने वाली पाचन क्रिया को प्रभावित करने वाले विकारों के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • टायलिन – यह एक विकार है जो भोजन के मण्ड को शर्करा में बदल देता है।
  • पेप्सिन – यह भोजन के प्रोटीन को पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड में बदल देता है।
  • रेनिन- यह दूध की विलेय प्रोटीन (केसीन- Casein) को ठोस एवं अविलेय दही बदल देता है।
  • जठर लाइपेज – वसा को ड्राइ ग्लिसरॉयड्स में बदल देता है।

प्रश्न 6.
जाइलम द्वारा जल एवं खनिज लवणों का वहन पादपों किस बल के अंतर्गत होता है?
उत्तर:
जाइलम में जल के वहन के लिए दो बल उत्तरदायी हैं-
(i) पौधे की जड़ों में उपस्थित जाइलम ऊतक मिट्टी के सम्पर्क में आने पर बड़ी शीघ्रता से आयनों को ऊपर की ओर ग्रहण करते हैं जिससे जड़ों और मिट्टी में आयन सान्द्रता में अन्तर उत्पन्न हो जाता है। अतः मिट्टी से पानी इस आयन सान्द्रता को दूर करने के लिए प्रवेश जड़ों करता है।

(ii) वाष्पोत्सर्जन – यह पौधों में जल के परिवहन का दूसरा तरीका है। पौधों की पत्तियों की कोशिकाओं जल के अणुओं का वाष्पन एक चूषण दाब उत्पन्न करता है जिसके कारण जड़ों की जाइलम कोशिकाओं से पानी ऊपर की ओर खिंचता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 7.
पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:

  • वाष्पोत्सर्जन जड़ों से अवशोषित जल व खनिज लवणों के उपरिमुखी गति के लिए सहायक है।
  • वाष्पोत्सर्जन पौधों में तापमान नियन्त्रण के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 8.
फ्लोएम में भोजन का संवहन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
फ्लोएम में भोजन का स्थानान्तरण सक्रिय रूप से ऊर्जा के उपयोग द्वारा होता है। यह ऊतक का परासरण दाब बढ़ा देता है जिससे जल इसमें प्रवेश कर जाता है। यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता जहाँ दाब कम होता है। यह फ्लोएम को पादप की आवश्यकतानुसार पदार्थों का स्थानांतरण कराता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1

प्रश्न 9.
एक नेफ्रॉन (nephron) अथवा मूत्रजन (वृक्क) नलिका का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए। (वर्णन की आवश्यकता नहीं) अथवा मानव की वृक्क नलिका की संरचना का स्वच्छ
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

प्रश्न 10.
मनुष्य के उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

प्रश्न 11.
उत्सर्जन किसे कहते हैं? मनुष्य के शरीर में बनने वाले वर्ज्य पदार्थ कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
उत्सर्जन – वह प्रक्रम जिसमें जीवधारियों के शरीर में हानिकारक उपापचयी वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन होता है, उत्सर्जन कहलाता है।

मनुष्य के शरीर में बनने वाले वर्ज्य पदार्थों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ मानव शरीर में मेटाबोलिक क्रियाओं के समय इन पदार्थों का उत्पादन प्रोटीन के ऑक्सीकरण के परिणामस्वरूप होता है। मानव में इन पदार्थों का उत्सर्जन वृक्कों द्वारा होता है ये पदार्थ हैं – यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया आदि।

(2) कार्बनेशियस वर्ज्य पदार्थ शरीर की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के अन्तर्गत कुछ कार्बनयुक्त उत्सर्जी पदार्थों का उत्पादन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा तीनों भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से होता है। मनुष्य में इन पदार्थों का उत्सर्जन फेफड़ों द्वारा किया जाता है।
उदाहरण- कार्बन डाइ ऑक्साइड।

प्रश्न 12.
वृक्क के कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृक्क के निम्नलिखित कार्य हैं-

  • नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों का शरीर से बाहर निकालना।
  • शरीर में जल की मात्रा का नियमन करना।
  • शरीर में लवर्णों की पर्याप्त मात्रा का नियमन करना।
  • विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।

प्रश्न 13.
उत्सर्जन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
उत्सर्जन का महत्त्व-

  • हानिकारक पदार्थों का नियन्त्रण करना।
  • परासरण नियमन बनाए रखना।
  • शरीर में समस्थापन स्थापित करना।
  • जल सन्तुलन, लवण सन्तुलन तथा अम्ल-क्षार सन्तुलन को बनाए रखना।

प्रश्न 14.
निम्न प्राणियों को उनके अन्तिम उत्सर्जी पदार्थ के आधार पर वर्गीकृत कीजिए- पक्षी, मेढक, मछली, अमीबा, छिपकली, मनुष्य।
उत्तर:

  • मछली, अमीबा, अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं अतः ये अमोनोटेलिक होंगे।
  • मेढक, मनुष्य, यूरिया का उत्सर्जन करते हैं अतः ये यूरियोटेलिक होंगे।
  • पक्षी, छिपकली यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करते हैं अतः ये यूरिकोटेलिक होंगे।

प्रश्न 15.
अधोत्वचा किसे कहते हैं?
उत्तर:
अधोत्वचा (Hypodermis ) – त्वचा के नीचे शिथिल संयोजी ऊतकों की एक परत होती है, जिसे अधोत्वचा कहते हैं। यह त्वचा का भाग तो नहीं होती, परन्तु इसका कार्य त्वचा को शरीर के भीतरी के ऊतकों से जोड़ने का होता है। इस परत में वसा (Fat) भी होती है, जो शरीर की बाह्य आघातों से रक्षा करने तथा शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकने में, ऊष्मा अवरोधक (Heat insulator) का कार्य करती है।

प्रश्न 16.
पोषण क्या है? पोषण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? पोषण के मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए। पाचन एवं पोषण में अन्तर बताइए।
उत्तर:
भोजन ग्रहण से लेकर स्वांगीकृत तथा भविष्य के लिए उसे शरीर में संगृहीत करने तक की सभी क्रियाओं का सम्मिलित नाम पोषण है। शरीर के उचित विकास हेतु पोषण की आवश्यकता पड़ती है।

पोषण दो प्रकार से होता है-

  • स्वपोषण
  • परपोषण।

स्वपोषण – जब जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं तो इसे स्वपोषण कहते हैं।

परपोषण – जब जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बनाता वह दूसरे पर निर्भर रहता है तो इस क्रिया को परपोषण कहते हैं।
पोषण में भोजन को शरीर में ग्रहण करने से उत्सर्जन तक की सभी क्रिया सम्मिलित होती है, जबकि पाचन पोषण की प्राथमिक क्रिया है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 17.
प्रकाश संश्लेषण हेतु आवश्यक पदार्थ तथा इसके उत्पाद क्या हैं? सम्बन्धित समीकरण देकर बताइए।
अथवा
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक पदार्थ पौधे अपना भोजन चार पदार्थों कार्बन डाइऑक्साइड, जल, क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की सहायता बनाते हैं।
(1) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbondixoide) – समस्त जीवधारियों की श्वसन क्रिया वायुमण्डल की ऑक्सीजन का अवशोषण होता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में मुक्त की जाती है। पौधे इस कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने की क्षमता रखते हैं। वे अपना भोजन बनाने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

(2) जल ( Water ) – आप देखते हैं कि किसान अपनी फसलों को पानी देते हैं। वे ऐसा क्यों करते हैं। पौधों की जड़ें इस पानी को अवशोषित करती हैं और जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचा देती हैं। पौधे पानी के साथ-साथ अधिकांश खनिज लवण भी अवशोषित करते हैं। खनिज लवण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में अपना योगदान देते हैं।

(3) क्लोरोफिल (Chlorophyll ) – क्लोरोफिल पत्तों में हरे रंग का वर्णक है। इसके चार घटक हैं। क्लोरोफिल ए, क्लोरोफिल बी, कैरोटिन तथा जैथोफिल। इनमें से क्लोरोफिल ए और बी हरे रंग के होते हैं और सूर्य की प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करके प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु उपलब्ध कराते हैं। क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं। इसलिए जिन कोशिकाओं में क्लोरोफिल होता है उन्हीं कोशिकाओं को प्रकाश संश्लेषी कहते हैं।

(4) प्रकाश (Light) – प्रकाश संश्लेषण में सूर्य प्रकाश का प्राकृतिक स्रोत है, परन्तु कुछ कृत्रिम स्रोत भी इस क्रिया को करने में समर्थ होते हैं। क्लोरोफिल प्रकाश में से बैंगनी, नीला तथा लाल रंग को ग्रहण करता है, परन्तु संश्लेषण की दर लाल प्रकाश में सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 18.
प्रकाश संश्लेषण के प्रकाश-रासायनिक चरण की प्रक्रियाएँ आवश्यक समीकरण देकर समझाइए।
अथवा
प्रकाश-संश्लेषण में प्रकाशित अभिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश- रासायनिक अभिक्रिया (Photo- chemical Reactions) – प्रकाश संश्लेषण के प्रथम चरण में पौधे के हरे भागों की कोशिकाओं में उपस्थित हरित लवक का प्रकाश संश्लेषी रंग का पदार्थ, क्लोरोफिल / (Chlorophyll), प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करता है – जिससे क्लोरोफिल के अणु ऊर्जित (energised) अथवा उत्तेजित (excited) होकर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करते हैं।

इस प्रकार निकले ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन हरित लवक (chloroplast) 1 में उपस्थित इलेक्ट्रॉनग्राहियों (electron acceptors) की सहायता से एक यौगिक एडीनोसीन डाइफॉस्फेट अथवा ए.डी.पी. ADP को ऑक्सीकृत करके एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट : ATP में बदल देते हैं। इस परिवर्तन में प्रकाश ऊर्जा का स्थानान्तरण क्लोरोफिल के अणु से इलेक्ट्रॉनों को तथा इलेक्ट्रॉनों से ADP के अणुओं को होता है – अर्थात् यह ऊर्जा ATP अणु में संचित हो जाती है। इस क्रिया को निम्नवत् लिखा जा सकता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4
इसके अतिरिक्त प्रकाश अभिक्रिया में जल के अणु का प्रकाश ऊर्जा द्वारा विघटन होकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्राप्त होते हैं-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5
प्रकाश अभिक्रिया में उत्पन्न ATP के अणुओं की संचित ऊर्जा का उपयोग क्रिया अगले चरण, अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल से ग्लूकोस के संश्लेषण में होता है।

प्रश्न 19.
प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक क्रिया से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न चरणों को आवश्यक आरेख बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
अप्रकाशिक अभिक्रिया अथवा जैव रासायनिक संश्लेषण (Dark Reaction or Bio-chemical Reaction ) – अप्रकाशिक अभिक्रिया चक्रीय प्रक्रिया है, जिसमें उत्पाद प्राप्त होने के साथ-साथ प्रारम्भिक अभिकर्मक का पुनरुत्पादन होता रहता है। इसे चित्र में प्रदर्शित चक्र द्वारा समझा जा सकता है। इसे केल्विन बेन्सन चक्र (Kelvin- Benson cycle) कहते हैं।

(1) प्रकाशहीन क्रियाओं के प्रथम चरण में वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) रन्ध्रों के माध्यम से पत्ती में प्रवेश करती है। CO2 एक 5- कार्बनधारी अणु राइबोलोस – 1, 5- बाइफॉस्फेट ( RuBP) के द्वारा ग्रहण की जाती पत्ती में पहले से उपस्थित रहता है। CO2 एवं जल (H2O) के संयोग से 3 कार्बनधारी यौगिक, 3- फॉस्फोग्लिसरिक एसिड (PGA) के दो अणुओं का निर्माण होता है। इस क्रिया को कार्बोक्सिलीकरण (Carboxy- lation) कहते हैं। यह क्रिया राइबोलोस बाईफॉस्फेट कार्बोक्सिलेज Rubisco नामक एन्जाइम के द्वारा उत्प्रेरित की जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

(2) कार्बोक्सिलीकरण की अभिक्रिया के पश्चात् PGA का अपचयन होता है। इस क्रिया में उन ATP एवं NADPH अणुओं का उपयोग होता है जो प्रकाश- रासायनिक अभिक्रिया में निर्मित हुए थे। अपचयन हेतु आवश्यक ऊर्जा ATP के ADP में परिवर्तन से तथा हाइड्रोजन, NADPH के NADP में परिवर्तन से प्राप्त होती है। PGA के अपचयन से 3- कार्बनधारी अणु ग्लिसरेल्डिहाइड-3 फॉस्फेट नामक यौगिक का निर्माण होता है। इस 3- कार्बनधारी अणु को ट्रायोस फॉस्फेट कहते हैं। इससे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है।

(3) अपचयन की क्रिया में ट्रायोस फॉस्फेट के निर्माण से बचे पदार्थों राइबोलोस-1, 5- बाइफॉस्फेट का पुनरुद्भवन (regeneration) होता है। इसके लिए ATP की आवश्यकता होती है, जिससे एक फॉस्फेट मूलक तथा ATP की ऊर्जा का उपयोग पुनरुद्भवन में होता है तथा ADP शेष है। यह ADP प्रकाशिक क्रिया में पुन: ATP के लिए प्रयुक्त होता है, तथा पुनरुद्भवन से बने RuBP का प्रयोग, पुनः चक्र को आगे बढ़ाने में होता है।

(4) दिए गए चक्र में बने ट्रायोस-फॉस्फेट (3-कार्बनधारी) के दो अणुओं के संयोग से 6- कार्बनधारी कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोस, C6H12O6) बनता है। ग्लूकोस अणुओं के परस्पर संयोग से शर्करा (Sucrase, C12H22O11), स्टार्च [Starch, (C6H10O5)n], सेलुलोस आदि का निर्माण होता है जो पादप कोशिकाओं के भी भोज्य पदार्थ, पादपों में संचित खाद्य पदार्थ एवं कोशिकाभित्ति बनाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित का अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) श्वसन तथा साँस लेना,
(ii) श्वसन तथा दहन,
(iii) ऑक्सी- श्वसन तथा अनॉक्सी – श्वसन।
उत्तर:
(i) श्वसन तथा साँस लेना (Respira- tion and Breathing) – साँस लेना एक भौतिक क्रिया है। साँस लेने में निःश्वसन के समय जन्तु वातावरण से ऑक्सीजन अपने शरीर (फेफड़ों) में लेता है जहाँ उसका विसरण द्वारा रक्त में अवशोषण हो जाता है।

इसके विपरीत श्वसन एक रासायनिक क्रिया है जो प्रत्येक जीवधारी की प्रत्येक कोशिका में होती है। इस क्रिया के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का कोशिका से फेफड़ों तक परिवहन का कार्य रुधिर के प्रवाह द्वारा किया जाता है।

(ii) श्वसन तथा दहन में अन्तर (Differences between Respiration and Combustion)

श्वसन (Respiration) दहन (Combustion)
1. यह एक जैविक क्रिया है जो केवल सजीव कोशिकाओं में ही होती है। 1. यह एक अजैविक क्रिया है। सजीव कोशिकाओं से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
2. यह क्रमबद्ध अनेक चरणों में होती है। 2. इसका कोई क्रमबद्ध चरण नहीं होता है। यह एक ही चरण में होती है।
3. यह एन्जाइमों (Enzymes) द्वारा नियन्त्रित होती है। 3. एन्जाइमों का इस क्रिया से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
4. इसमें ऊर्जा का अधिकांश भाग ATP (adenosine tri-phosphate) के रूप में संचित होता है। 4. इसमें ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मा (heat) तथा प्रकाश (light) के रूप में मुक्त होता है।
5. श्वसन क्रिया शरीर के सामान्य ताप पर होती है। 5. दहन अति उच्च ताप पर होता है।

(iii) ऑक्सी-श्वसन तथा अनॉक्सी-श्वसन में अन्तर
(Differences between Respiration and Combustion)

ऑक्सी-श्वसन (Aerobic Respiration) अनॉक्सी-श्वसन (Anaerobic Respiration)
1. ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। 1. ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है।
2. इसमें भोज्य पदार्थ (Glucose) का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। 2. इसमें भोज्य पदार्थ का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
3. इसमें क्रिया के अन्त में कार्बन डाइऑक्साइड व एथिल ऐल्कोहॉल बनता है। 3. इसमें क्रिया के अन्त में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनता है।
4. इसमें ग्लूकोस के पूर्ण ऑक्सीकरण से 673 k.cal. ऊर्जा उत्पन्न होती है। 4. इसमें बहुत कम ऊर्जा लगभग 27 k cal.  उत्पन्न होती है।
5. इस प्रकार का श्वसन अधिकांश जीवों में होता है। 5. इस प्रकार का श्वसन कवक, जीवाणु आदि में होता है।

प्रश्न 21.
हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सी- हीमोग्लोबिन में क्या अन्तर है? रक्त का रंग किस तत्त्व के कारण लाल होता है?
उत्तर:
हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सी- हीमोग्लोबिन में मुख्य अन्तर यह होता है कि ऑक्सी- हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन युक्त होता है जबकि हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन विहीन होता हैं। ऑक्सी- हीमोग्लोबिन कोशिकाओं तक पहुँचकर O2 को मुक्त कर देता है और वहाँ से CO2 को ले आकर फेफड़े में मुक्त करता है। रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन के हीम (haem) नामक रंगा (pigment) पदार्थ के कारण होता है।

प्रश्न 22.
‘हीमोग्लोबिन’ क्या होता है? इसका कार्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) – लाल रुधिर कणिकाओं में लौह युक्त प्रोटीन पाया जाता है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। इसका रंग लाल होता है इसी कारण रुधिर कणिकाएँ लाल होती हैं। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के परिवहन में भाग लेता है।

हीमोग्लोबिन के कार्य (Functions of Haemoglobin) –
(i) श्वसनांगों में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को अवशोषित करके एक अस्थायी यौगिक बनाता है जिसे ऑक्सीहीमोग्लोबिन (Oxyhaemo-globin) कहते हैं।
हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन → ऑक्सीहीमोग्लोबिन (श्वसनांगों में)
ऑक्सीहीमोग्लोबिन रुधिर परिसंचरण द्वारा उन कोशिकाओं तक पहुँचता है, जहाँ ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। वहाँ पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन विखण्डित होकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देती है। मुक्त ऑक्सीजन कोशिकाओं में विसरित होकर श्वसन में भाग लेता है।
ऑक्सीहीमोग्लोबिन → हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन (कोशिकाओं में)

(ii) हीमोग्लोबिन श्वसन क्रिया के उपरान्त कोशिकाओं में मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलकर अस्थायी यौगिक बनाता है जिसे कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (Carbo- xyhaemoglobin) कहते हैं।
हीमोग्लोबिन + CO2 → कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (कोशिकाओं में)
यह यौगिक परिसंचरण द्वारा श्वसनांगों में पहुँचकर हीमोग्लोबिन तथा कार्बन डाइऑक्साइड में विभक्त हो जाता है जहाँ से कार्बन डाइ ऑक्साइड वातावरण हो जाती है।
कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन → हीमोग्लोबिन + CO2 (फेफड़ों में)
हीमोग्लोबिन फेफड़ों में पुनः ऑक्सीजन से संयोग करती है तथा यह क्रिया बारम्बार होती रहती है।

प्रश्न 23.
धमनी एवं शिरा में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
धमनी तथा शिरा में अन्तर (Differences between Arteries and Veins)

घमनी (Arteries) शिरा (Veins)
1. रुधिर को हददय से दूर विभिन्न अंगों तथा ऊतकों को ले जाती है। 1. विभिन्न ऊतकों व अंगों से रक्त हृदय में लाती है।
2. इनकी दीवार, मोटी, पेशीय, अधिक लचीली और न पिचकने वाली होती है। 2. इनकी दीवार, पतली, कम पेशीच, न के बराबर लचीली और पिचकने वाली होती है :
3. इसमें कपाट नहीं होते हैं। 3. इसमें कपाट होते हैं :
4. इनमें रक्त अधिक दबाव व झटके के साथ तेज गति से बहता है। 4. इनमें रक्त कम दबाव के साथ धीमी गति से बहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘पोषण’ से क्या तात्पर्य है? मानव में पोषण के विभिन्न चरणों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
पोषण (Nutrition) सभी जीवों की दो प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं- एक ऊर्जा की उपलब्धि और दूसरा नये जीवद्रव्य का निर्माण। इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति पोषण द्वारा ही होती है। सजीवों द्वारा ग्रहण किया जाने वाला भोजन विभिन्न प्रकार का होता है, जो सीधे शरीर के द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता। अतः पहले उसे शरीर के साथ विलीन करने हेतु यह आवश्यक होता है कि उसे इस योग्य बनाया जाय जिससे कि उसका शोषण शरीर द्वारा सरलता से हो सके।

इस हेतु पहले भोजन का पाचन होता है, जिसमें भोजन शोषण होने योग्य बन जाता है और शोषण कर लिया जाता है, जिसे अवशोषण कहते हैं। अवशोषण के बाद भोजन का रुधिर वाहिनियों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचकर वहाँ के ऊतकों में विलीन हो जाता है अथवा उनमें संश्लेषित होकर संगृहीत रहता है।

कोशिकाओं में इस संगृहीत भोजन कोशिकीय श्वसन द्वारा ऑक्सीकरण होता है तो उसमें से रासायनिक बंध टूटने पर ऊर्जा मुक्त होती है जो कोशिकीय कार्यों के उपयोग में आती है। स्थूल रूप से वे सभी क्रियाएँ जिनके अन्तर्गत भोजन शरीर के अन्दर ग्रहण किया जाता है (पौधों द्वारा निर्माण किया जाता है) पाचन, प्रचूषण तथा संश्लेषण के उपरान्त जीवद्रव्य में विलीन होकर शरीर की वृद्धि करता है तथा अपचयित भोजन शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है, उसे पोषण कहते हैं।

मानव में पोषण के चरण (Steps of Nutrition in Man)
अन्य जन्तुओं की भाँति मानव में भी पोषण के 5 चरण होते हैं-

  • भोजन का अन्तर्ग्रहण (Ingestion)
  • पाचन (Digestion)
  • अवशोषण (Absorption)
  • स्वांगीकरण (Assimilation)
  • बहि: क्षेपण (Eges- tion) या मलत्याग।

1. भोजन का अन्तर्ग्रहण ( Ingestion) – मनुष्य विभिन्न प्रकार के ठोस खाद्य पदार्थों को अपने हाथों की सहायता से मुख में पहुँचाता है तथा दाँतों से चबाकर उसे छोटे-छोटे खण्डों / कणों में विभाजित करके निगल जाता है। जल तथा अन्य द्रव खाद्यों को वह मुख के द्वारा चूसकर अन्दर लेता है तथा निगल जाता है।

2. पाचन (Digestion) – खाये हुए ठोस या तरल भोजन में जटिल कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा ) अविसरणशील होता है जिसे सीधे ही शोषित नहीं किया जा सकता। अतः उसे पाचक रसों ( एन्जाइमों) एवं जल की जलीय अपघटन (Hydrolysis) क्रिया द्वारा क्रमश: मोनोसैकेराइड्स (शर्कराओं) ऐमीनो अम्लों तथा वसा अम्लों के छोटे-छोटे सरल, विसरणशील अणुओं (Mol- ecules) और आयनों (Ions) में बदल दिया जाता है ताकि उनका शोषण सरलता से हो सके।

अतः पाचन क्रिया ठोस, अविसरणशील खाद्य पदार्थों के जटिल अणुओं को सरल विसरणशील और शोषण योग्य आयनों तथा अणुओं में विभाजित करने की प्रक्रिया होती है। इस तरह ये पदार्थ विसरण और परासरण द्वारा आमाशय तथा दाँतों की श्लेष्मा कला में फैली रुधिर कोशिकाओं के रुधिर में मिलकर विभिन्न ऊतकों में पहुँच सकते हैं।

3. अवशोषण (Absorption) – सरल घुलनशील पाचित भोजन जिसमें ग्लूकोज, शर्करा, ऐमीनो अम्ल, वसा अम्ल आदि होते हैं, आँत से विसरित होकर रुधिर में पहुँचने की क्रिया को अवशोषण (Absorption) कहते हैं। यह कार्य प्रमुख रूप से आन्त्र द्वारा होता है।

4. स्वांगीकरण (Assimilation) – अवशोषण के बाद रुधिर में होकर ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज तथा के अणु शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुँचते हैं, जहाँ पर वे प्रोटीन संश्लेषण, टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत तथा जीवद्रव्य का निर्माण करते हैं। अतः पचे हुए भोज्य पदार्थों को जटिल या घुलनशील पदार्थों के रूप में विभिन्न ऊतकों के कोशिका द्रव्य में विलीन होने की क्रिया को स्वांगीकरण (Assimilation) कहते हैं।

ऐमीनो अम्ल से एन्जाइम्स के प्रोटीनों का भी निर्माण होता है जो शरीर की रासायनिक क्रिया में भाग लेते हैं। ऐमीनो अम्ल यदि आवश्यकता से अधिक होते हैं तो यकृत द्वारा उसे अमोनिया और अमोनिया से यूरिया में परिवर्तित कर दिया जाता है। यूरिया को वर्ज्य पदार्थों के रूप में मूत्र के साथ बाहर निकाल दिया जाता ऐमीनो अम्ल की भाँति ग्लूकोज के ही रूप में अथवा है। ग्लाइकोजेनेसिस द्वारा ग्लाइकोजन के रूप में संगृहीत रहता है।

5. बहिःक्षेपण या मल परित्याग (Egestion)- आहार नाल के अन्दर यद्यपि अनेक एन्जाइम्स खाद्य पदार्थों के ऊपर क्रिया करते हैं फिर भी इनका कुछ अंश अपचा रह जाता है। यह अपचा अवशिष्ट पदार्थ एककोशिकीय जीवों में खाद्य धानी के अन्दर ही रहता है और इस कार्य के लिए कोई छिद्र अथवा निश्चित स्थान नहीं होता है। यह धीरे-धीरे शरीर की सतह तक पहुँचता है और अन्त में अपचा पदार्थ खाद्यधानी के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion) – भोजन के पाचन के फलस्वरूप आवश्यक अवयव जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, स्वांगीकरण के फलस्वरूप रक्त में पहुँचते हैं। रक्त के साथ ये शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचते हैं जहाँ जैव रासायनिक प्रक्रिया के उपरान्त ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिसका उपयोग मनुष्य विभिन्न कार्यों के सम्पादन में करता है अतः भोजन ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 2.
पाचन से आप क्या समझते हैं? यकृत उदरगुहा में कहाँ स्थित होता है? पित्त रस कहाँ बनता है? इसके कार्य का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पाचन (Digestion) – जटिल अघुलनशील भोज्य पदार्थों को सरल घुलनशील इकाइयों में बदलने की क्रिया पाचन कहलाती है। पाचन के फलस्वरूप शरीर की कोशिकाएँ भोज्य पदार्थों का प्रयोग कर सकती हैं।

भोज्य पदार्थों का पाचन दो प्रकार से होता है- यान्त्रिक या भौतिक पाचन (mechanical or physical diges-tion) तथा (2) रासायनिक पाचन (chemical digestion)।
1. यान्त्रिक या भौतिक पाचन (Mechanical or Physical Digestion)- मुखगुहा में भोजन को चबाना, आमाशय में भोजन की लुगदी बनना, आहारनाल की पेशियों में क्रमाकुंचन गतियाँ आदि यान्त्रिक पाचन या भौतिक पाचन कहलाता है।

2. रासायनिक पाचन (Chemical Digestion) – पाचक एन्जाइम जटिल, अघुलनशील भोज्य पदार्थों पर रासायनिक क्रिया करके उन्हें सरल घुलनशील इकाइयों में बदल देते हैं।
यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है। यह उदरगुहा में डायाफ्राम के नीचे तथा आमाशय के ऊपर स्थित होता है। पित्त रस का निर्माण यकृत में होता है।

पित्त रस के कार्य (Functions of Bile Juice) –

  • यह भोजन के अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है।
  • इसमें कोई पाचक एन्जाइम नहीं होता फिर भी पाचन में इसका बहुत महत्त्व है।
  • यह आँत में क्रमाकुंचन गति को बढ़ाता है ताकि पाचक रस काइम में मिल सके।
  • यह वसा का पायसीकरण करता है ताकि स्टीएप्सिन नामक एन्जाइम्स वसा का अधिकतम पाचन कर सके।

प्रश्न 3.
मुँह से लेकर कोशिका में अवशोषित होने तक भोजन में होने वाले परिवर्तनों को सम्बन्धित अंगों का सन्दर्भ देते हुए बताइए।
उत्तर:
कोशिकाओं में अवशोषित होने के पहले भोजन का पाचन होना आवश्यक है। मनुष्य द्वारा खाये गये ठोस तथा तरल खाद्य पदार्थ मुख्यतः जटिल कार्बोहाइड्रेट (स्टॉर्च, शर्करा), प्रोटीन तथा वसा के रूप में होते हैं, जिनका कोशिकाओं द्वारा सीधा उपयोग नहीं किया जा सकता। पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों में इन पदार्थों को विभिन्न रासायनिक एवं एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं द्वारा सरल शर्कराओं (ग्लूकोज, फ्रक्टोज आदि) सरल ऐमीनो अम्लों तथा सरल वसा अम्लों में बदल दिया जाता है जिससे ये अवशोषित होकर रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाये जाते हैं।

पाचन तन्त्र के निम्नलिखित अंग इस कार्य को करते हैं-

  • मुखगुहा
  • आमाशय
  • ग्रहणी
  • क्षुद्रान्त्र।

(i) मुखगुहा (Buccal Cavity) – इसमें मनुष्य दाँतों से ठोस भोजन को पीसकर लुग्दी में बदल देता है। इसके साथ मुँह में लार ग्रन्थियों द्वारा स्रावित एन्जाइम टायलिन (Ptylin) भोजन में उपस्थित स्टॉर्च को शर्करा में बदल देता है।

(ii) आमाशय (Stomach) – मुखगुहा से भोजन लुग्दी के रूप में, ग्रास नली द्वारा आमाशय में पहुँचता है। आमाशय की दीवार में स्थित जठर ग्रन्थियों से जठर रस Juice) स्रावित होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरिक (Gastric एसिड तथा पेप्सिन (Pepsin) एवं रेनिन (Renin) नामक एन्जाइम होते हैं।

हाइड्रोक्लोरिक एसिड भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है जिससे भोजन के सड़ने (Fermen- tation) की क्रिया रुकती है तथा हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं। पेप्सिन की क्रिया से जटिल प्रोटीनों के आंशिक पाचन से पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड बनते हैं। रेनिन एन्जाइम दूध की प्रोटीन, केसीन को दही में बदल देता है।

(iii) ग्रहणी (Duodenum) – आमाशय में अंशत: पचा हुआ भोजन, जिसे काइम (Chyme) कहते हैं, ग्रहणी मिलता है। में पहुँचता है। यहाँ पर यकृत (liver) से स्रावित पित्त रस (bile) तथा अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा सावित अग्न्याशयी रस (Pancreatic Juice) भोजन में पित्त रस भोजन के माध्यम को क्षारीय बना देता है तथा भोजन में उपस्थित वसा (Fat) का पायसीकरण (Emulsification) – अर्थात् अत्यन्त सूक्ष्म कणों में परिवर्तन करता है। इससे वसा का पाचन सुगम हो जाता है।

(iv) क्षुद्रान्त्र ( Small Intestines ) – क्षुद्रान्त्र में ग्रहणी से आने वाले भोजन का पाचन पूर्ण होता है। क्षुद्रान्त्र में भोजन के सभी तत्त्वों के पूर्ण पाचन से प्राप्त पदार्थ (ऐमीनो अम्ल, ग्लूकोज, फ्रक्टोज, वसा अम्ल आदि) का अवशोषण होता है। इसके लिए क्षुद्रान्त्र की दीवार में असंख्य रसांकुर होते हैं, जिनसे होकर भोजन के पचे हुए पोषक तत्त्व विसरण द्वारा रुधिर प्लाज्मा में पहुँच जाते हैं तथा यकृत (Liver) में चले जाते हैं।

यकृत में इनका संचय होता है तथा शरीर की आवश्यकतानुसार ये पोषक तत्त्व रुधिर द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँचते हैं। रुधिर कोशिकाओं से रुधिर प्लाज्मा छन-छनकर लसीका के रूप में निकलता तथा शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं के सम्पर्क में आता है। ये कोशिकाएँ रुधिर प्लाज्मा से ही आवश्यक पोषक तत्त्वों का अवशोषण करके उनका उपयोग करती हैं।

प्रश्न 4.
मनुष्य की आहारनाल का नामांकित चित्र बनाइए।
अथवा
आहार नली के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
अथवा
मनुष्य के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मुख, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रांत्र, वृहदांत्र, मलाशय, गुदा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7

प्रश्न 5.
रुधिर वाहिनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? इनके कार्य समझाइए।
अथवा
धमनी और शिराओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विभिन्न रुधिर वाहिनियों के नाम तथा उनके कार्य बताइए।
अथवा
रुधिर वाहिनियाँ किसे कहते हैं? इनके प्रकार लिखिए।
उत्तर:
रुधिर वाहिनियाँ (Blood Vessels): शरीर में रुधिर का प्रवाह करने वाली वाहिनियों को रुधिर वाहिनियों रुधिर वाहिनियाँ हैं। हृदय से शुद्ध रुधिर का प्रवाह शरीर के समस्त भागों में होता है तथा शरीर में से अशुद्ध रक्त को एकत्र करके रुधिर वाहिनियाँ पुनः हृदय में पहुँचाती हैं। किसी भी रुधिर वाहिनी में रक्त का प्रवाह केवल एक ही दिशा में होता है। रुधिर वाहिनियाँ विभिन्न आकार की होती हैं सबसे मोटी वाहिनी का व्यास लगभग 1 सेमी तथा सबसे पतली वाहिनी का व्यास लगभग 0.001 मिमी होता है। रुधिर वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती हैं-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8
1. धमनियाँ (Arteries) – जो वाहिनियाँ हृदय से रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में वितरित करती हैं, उन्हें धमनियाँ कहते हैं। इनमें सामान्यतः शुद्ध रुधिर (oxy- genated blood) बहता है परन्तु पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रुधिर (Deoxygenated धमनियों की दीवारें अपेक्षाकृत मोटी, पेशीय तथा लचीली blood) प्रवाहित होता है। होती हैं। अतः इसकी गुहा पतली होती है। यही कारण है
कि धमनियाँ हृदय के पम्प करते समय अन्दर से रुधिर के दाब को सहन कर लेती हैं।

2. शिराएँ (Veins) – जो वाहिनियाँ शरीर के विभिन्न अंगों से रुधिर को एकत्रित करके हृदय में पहुँचाती हैं उन्हें शिराएँ कहते हैं। इनमें सामान्यतः अशुद्ध रुधिर बहता है, परन्तु पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रुधिर बहता है। शिराओं की दीवारें पतली होती हैं। इनकी गुहा अधिक चौड़ी होती है। अधिकांश शिराओं में कपाट (valve) लगे होते हैं, जो रुधिर को हृदय की और जाने देते हैं परन्तु वापस नहीं आने देते।

3. रुथिर केशिकाएँ (Blood Capillaries) – धमनियाँ सिरों पर पतली-पतली शाखाओं में बँट जाती हैं जिन्हें धमनिकाएँ (arterioles) कहते हैं। धर्मानिकाएँ विभिन्न ऊतकों में प्रवेश कर पुनः विभाजित होकर पतली-पतली केशिकाएँ (capillaries) बनाती हैं। ये केशिकाएँ पुनः मिलकर शिरकाओं (venules) का निर्माण करती हैं और शिरकाएँ पुनः आपस में मिलकर शिराओं (veins) का निर्माण करती हैं। रुधिर केशिकाएँ बहुत महीन होती हैं। इनके भित्ति की मोटाई केवल एक कोशिका जितनी होती है। केशिकाओं की भित्ति पानी, छोटे-छोटे अणुओं, घुलित खाद्य पदार्थों, अवशिष्ट पदार्थों, कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन के लिए पारगम्य (permeable) होती हैं।

अतः रुधिर केशिका तथा ऊतक कोशिकाओं के बीच उपयुक्त सभी पदार्थों का आदान-प्रदान होता है तथा रुधिर के माध्यम से आवश्यक पदार्थों का परिसंचरण भी होता है। केशिकाएँ फेफड़ों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड का आदान-प्रदान करती हैं। केशिकाओं का व्यास बहुत पतला होता है। यही कारण है कि लाल रुधिर कोशिकाएँ पंक्तिबद्ध होकर एक-एक करके आगे बढ़ती हैं।

प्रश्न 6.
लसीका’ क्या होता है? इसकी संरचना तथा कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
लसीका (Lymph):
लसीका एक रंगहीन तरल पदार्थ है जो ऊतकों एवं रुधिर वाहिनियों के बीच के रिक्त स्थान में पाया जाता है। यह रुधिर प्लाज्मा का ही अंश है जो रक्त केशिकाओं (blood capillaries) की पतली दीवारों से विसरण (dif-fusion) द्वारा बाहर निकलने से बनता है। इसके साथ श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) बाहर आ जाती हैं परन्तु इसमें लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) नहीं होतीं लेकिन इसमें रुधिर सूक्ष्म मात्रा में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस के आयन पाये जाते हैं। विभिन्न अंगों के ऊतकों के सम्पर्क में होने के ही समान लसीका कणिकाएँ (lymphocytes) तथा कारण लसीका में ग्लूकोज, ऐमीनो एसिड, वसीय एसिड, विटामिन्स, लवण तथा उत्सर्जी पदार्थ (CO2 यूरिया) भी इसमें पहुँच जाते हैं।

लसीका के कार्य (Functions of Lymph) –

  • लसीका ऊतकीय द्रव तथा उन पदार्थों को रुधिर तंत्र में वापस लाती हैं जो धमनी कोशिकाओं से विसरित हो जाते हैं।
  • लसीका कोशिकाओं में भोज्य पदार्थ, गैस, हॉर्मोन, एन्जाइम आदि के प्रसारण का कार्य करती हैं।
  • लसीका गाठ (lymph nodes) में लिम्फोसाइट्स का निर्माण होता है।
  • केशिका के चारों ओर जलीय वातावरण बनाकर केशिका के बाहर एवं भीतर रसाकर्षण सन्तुलन बनाये रखता है।
  • केशिका ऊतक से CO2 व अन्य उत्सर्जी पदार्थ को रक्त केशिकाओं तक पहुँचाता है।
  • लसीका कणिकाएँ (lymphocytes) जीवाणुओं व अन्य बाहरी पदार्थ का भक्षण करके शरीर की रक्षा करती हैं।
  • लसीका में श्वेत कणिकाओं की मात्रा अधिक होने के कारण घाव भरने में सहायक होती हैं।
  • छोटी आँत के रसांकुरों (villi) में उपस्थित लसीका वाहिनियाँ (lacteals) वसा का अवशोषण करके इसे काइलोमाइकॉन बूँदों के रूप में रक्त में पहुँचाती हैं।
  • मनुष्य में लसीका गाँठें जैविक छलनी की तरह कार्य करती हैं। हानिकारक जीवाणु, धूल-मिट्टी के कण, कैन्सर कोशिकाएँ आदि इन गाँठों में रुक जाते हैं और अन्य आवश्यक पदार्थ रक्त परिसंचरण में पहुँच जाते हैं।
  • लसीका तन्त्र रुधिर परिसंचरण तन्त्र का ही एक भाग है।
  • लसीका सदैव एक दिशा में बहता है (ऊतकों से हृदय की ओर) अतः रक्त की मात्रा तथा गुणवत्ता को बनाये रखने का कार्य करता है।

प्रश्न 7.
‘लसीका’ तथा ‘रुधिर’ की भिन्नताओं तथा समानताओं का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रुधिर एवं लसीका में अन्तर (Differences between Blood and Lymph)

रुधिर (Blood) लसीका (Lymph)
1. रुधिर सामान्य तरल संयोजी ऊतक है। 1. लसीका छना हुआ रुधिर है।
2. यह गहरे लाल रंग का तरल ऊतक है। 2. यह रंगहीन तरल ऊतक है।
3. RBC उपस्थित होती हैं। 3. RBC अनुपस्थित होती हैं।
4. WBC उपस्थित होती हैं परन्तु कम मात्रा में। 4. WBC अधिक मात्रा में पायी जाती हैं।
5. प्रोटीन्स की मात्रा अधिक होती हैं। 5. प्रोटीन्स कम मात्रा में पायी जाती हैं।
6. न्यूट्रोफिल की संख्या बहुत अधिक होती है। 6. लिम्फोसाइट्स की संख्या बहुत अधिक होती है।
7. रुधिर में O2  व अन्य पोषक पदार्थ अधिक होते हैं। 7. लसीका में O2 व अन्य पोषक पदार्थ कम मात्रा में पाये जाते हैं।
8. रुधिर में CO2 तथा उत्सर्जी पदार्थों की मात्रा सामान्य होती है। 8. लसीका में CO2 व उत्सर्जी पदार्थ अधिक मात्रा में होते हैं।

लसीका एवं रुधिर में समानताएँ (Similarities in Lymph and Blood):

  • लसीका में रुधिर की भाँति ग्लूकोज, यूरिया, ऐमीनो अम्ल लवण एवं प्रतिरक्षी (Antibodies) पाये जाते हैं।
  • रुधिर की भाँति श्वेत रक्त कणिकाएँ पायी जाती हैं।
  • फाइब्रिनोजन प्रोटीन उपस्थित होने के कारण लसीका का भी थक्का बन सकता है।
  • लसीका रुधिर की भाँति पोषक पदार्थों एवं O2, को ऊतकों तक पहुँचाकर उनसे CO2 एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ एकत्रित करता है।
  • रुधिर की भाँति लसीका में भी प्रतिरक्षी प्रोटीनें (Antibodies) तथा प्रतिविषाणु (Antitoxin) होते हैं।

प्रश्न 8.
मानव के उत्सर्जी तन्त्र तथा उसकी क्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
मानव के वृक्क की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मानव का उत्सर्जी तन्त्र (Excretory System of Man)
भोजन के अन्तर्ग्रहण तथा पाचन के बाद शरीर उपयोगी पदार्थों को विभिन्न ऊतकों तथा कोशिकाओं में पहुँचाता है। अपाचित तथा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की आवश्यकता होती है। शरीर में उपापचय की क्रियाओं द्वारा इन अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

गैस, तरल तथा ठोस पदार्थों का उत्सर्जित होना आवश्यक है और इनमें से प्रत्येक के उत्सर्जन की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न होती है। कार्बन डाइ ऑक्साइड सबसे प्रमुख अपशिष्ट पदार्थ हैं जिसे साँस द्वारा बाहर निकाला जाता है। श्वसन के समय कोशिकाओं में कार्बन डाइ-ऑक्साइड रुधिर में स्थित हीमोग्लोबिन से मिलकर या पानी में घुलकर स्थानान्तरित होती है। कार्बन डाइ ऑक्साइड का निष्कासन फेफड़ों की सतह से होता है।

ठोस अपशिष्ट मुख्यत: भोजन का अपाचित भाग जैसे सब्जियों के रेशे होते हैं। मुँह में भोजन का पाचन आरम्भ होता है तथा आमाशय में समाप्त होता है। पाचित भोजन पेट की भित्तियों द्वारा अवशोषित हो जाता है। अपाचित पदार्थ बड़ी आँत में आ जाता है और गुदा के रास्ते शरीर से निष्कासित हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
शरीर से नाइट्रोजन युक्त वर्ज्य पदार्थ को बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। अपशिष्ट तरल पदार्थों के उत्सर्जन के लिए एक जटिल क्रियाविधि की आवश्यकता होती है, क्योंकि रुधिर में पोषक तत्त्व तथा अपशिष्ट पदार्थ दोनों ही होते हैं, इसीलिए इनको छानने तथा अलग करने की विशेष विधि होती है। इस क्रिया से उपयोगी पदार्थ शरीर में ही रह जाते हैं और अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित हो जाते हैं। यह क्रिया शरीर में स्थित वृक्कों (kidneys ) द्वारा सम्पन्न होती है। शरीर में इनकी संख्या दो होती है। यदि इनमें से एक वृक्क काम करना बन्द कर दे तो दूसरा वृक्क अकेले ही पूरा कार्य करता है।

चित्र में शरीर में वृक्क की स्थिति तथा वृक्क के कटे हुए भाग को दिखाया गया है। वृक्क धमनी, महाधमनी से रुधिर लेकर वृक्क में पहुँचाती है। अपशिष्ट पदार्थ अलग करने बाद साफ वृक्क शिरा द्वारा वापस भेज दिया जाता है। वृक्क द्वारा अलग किये गये अपशिष्ट पदार्थ को मूत्र कहते हैं। मूत्र मूत्रवाहिनी से मूत्राशय में जाता है और मूत्र मार्ग से उत्सर्जित हो जाता है।

मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग (Other Excretory Organs of Man)
1. त्वचा (Skin) – त्वचा में स्वेद ग्रन्थियाँ होती हैं जो छिद्रों द्वारा त्वचा की बाहरी सतह पर खुलती हैं। स्वेद ग्रन्थियाँ रुधिर कोशिकाओं से जल, यूरिया तथा कुछ लवण अवशोषित करके पसीने के रूप में त्वचा की ऊपरी सतह पर मुक्त कर देती हैं।

2. आँत (Intestines) – आँत की भीतरी स्तर एपिथीलियम कोशिकाओं से बनी होती है। ये कोशिकायें रुधिर कोशिकाओं से जल तथा अनावश्यक खनिज लवण जैसे – लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि को लेकर आँत की गुहा में छोड़ देती हैं जहाँ से इन्हें मल के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।

3. यकृत (Liver) – यकृत कोशिकायें आवश्यकता से अधिक ऐमीनो अम्ल को पायरुविक अम्ल में बदल देती हैं। इस क्रिया में विषाक्त अमोनिया निकलती है। यकृत अमोनिया को कम हानिकारक पदार्थ यूरिया में बदल देता है।

4. फेफड़े (Lungs) – फेफड़े वसा और कार्बोहाइड्रेट के विघटन के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड और जल बनाता है। कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन फेफड़े से श्वासोच्छ्वास (Breathing) द्वारा बाहर निकल जाता है।

प्रश्न 9.
सजीव जगत में ग्लूकोज के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के मुख्य तरीके कौन-से हैं? सम्बन्धित समीकरण भी दीजिए। इनमें से किसमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है?
उत्तर:
सजीवों में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण दो तरह से होता है-

  • वायवीय या ऑक्सी-श्वसन
  • अवायवीय या अनॉक्सी-श्वसन

(i) वायवीय या ऑक्सी-श्वसन
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 10

(ii) अवायवीय या अनॉक्सी-श्वसन
यीस्ट में
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 11

प्रश्न 10.
वृक्क द्वारा नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों के उत्सर्जन की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
वृक्क नलिकाएँ एक प्रकार से छानने का कार्य करती हैं। क्योंकि रक्त चौड़ी अधिवाही धमनिका द्वारा वोमेन्स कैप्सूल में जाता है और फिर सँकरी अपवाही धमनिका द्वारा उसके बाहर निकलता है अतः रक्त का दबाव ग्लोमेरूलस में बढ़ जाता है इसके फलस्वरूप रक्त में घले सभी पदार्थ छन जाते हैं।

छने हुए पदार्थ में लाभकारी एवं हानिकारक दोनों ही प्रकार के पदार्थ होते हैं जब यह द्रव वृक्क नलिका से होकर गुजरता है तो वृक्कनलिका पर लिपटी रक्त कोशिकाएँ इनसे लाभदायक पदार्थ जैसे ग्लूकोज आदि को चूस लेती हैं। इस प्रकार केवल नाइट्रोजन युक्त हानिकारक पदार्थ, जैसे यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया आदि संग्रह नलिका तथा मूत्रवाहिनी में होते हुए मूत्राशय में पहुँचते हैं और यहाँ से आवश्यकतानुसार समय-समय पर यह बाहर निकलते रहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिए गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. मनुष्य में मुख्य उत्सर्जी अंग है-
(a) त्वचा
(b) फेफडे
(c) आहारनाल
(d) वृक्क
उत्तर:
(a) त्वचा

2. मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है-
(a) त्वचा
(b) यकृत
(c) सिर
(d) पैर
उत्तर:
(a) त्वचा

3. प्लूरा एक द्विस्तरीय झिल्ली है जो आवरण होती है-
(a) वृक्कों का
(b) मस्तिष्क का
(c) हृदय का
(d) फुफ्फुसों का
उत्तर:
(d) फुफ्फुसों का

4. फुफ्फुसों में कूपिकाओं की संख्या होती है लगभग-
(a) 30 हजार
(b) 30 लाख
(c) 3 करोड़
(d) 30 करोड़
उत्तर:
(d) 30 करोड़

5. मनुष्य में श्वास लेने की दर होती है लगभग-
(a) 18 बार प्रति मिनट
(b) 18 बार प्रति सेकण्ड
(c) 25 बार प्रति मिनट
(d) 72 बार प्रति मिनट
उत्तर:
(a) 18 बार प्रति मिनट

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

6. फुफ्फुसों में कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रुधिर आता है-
(a) शरीर के विभिन्न अंगों से
(b) हृदय के बायें निलय से
(c) हृदय के दाहिने निलय से
(d) यकृत से
उत्तर:
(c) हृदय के दाहिने निलय से

7. फुफ्फुस से ऑक्सीजन युक्त रुधिर ले जाती है-
(a) फुफ्फुसी धमनी बायें अलिन्द को
(b) फुफ्फुसी शिरा दाहिने अलिन्द को
(c) फुफ्फुसी शिरा बायें अलिन्द को
(d) फुफ्फुसी धमनी दाहिने अलिन्द को
उत्तर:
(c) फुफ्फुसी शिरा बायें अलिन्द को

8. प्रकाश संश्लेषण की दर अधिकतम होती है-
(a) हरे रंग के प्रकाश में
(b) लाल रंग के प्रकाश में
(c) पीले रंग के प्रकाश में
(d) नीले रंग के प्रकाश में
उत्तर:
(b) लाल रंग के प्रकाश में

9. स्टार्च नीला रंग उत्पन्न करता है-
(a) ब्रोमीन जल में
(b) परमैंगनेट जल में
(c) आयोडीन विलयन में
(d) अम्लीय विलयन में
उत्तर:
(c) आयोडीन विलयन में

10. श्वसन में उत्पन्न ऊर्जा संचित होती है-
(a) ADP के रूप में
(b) ATP के रूप में
(c) NADP के रूप में
(d) PI के रूप में
उत्तर:
(b) ATP के रूप में

11. ऑक्सी- श्वसन में ग्लूकोज का एक अणु उत्पन्न करता है, ATP के-
(a) 32 अणु
(b) 19 अण
(c) 38 अणु
(d) 83 अणु
उत्तर:
(c) 38 अणु

12. श्वसन में बाहर निकली वायु में ऑक्सीजन की मात्रा होती है-
(a) 17%
(b) 21%
(c) 11%
(d) 25%
उत्तर:
(a) 17%

13. श्वसन में बाहर निकली वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा होती है-
(a) 0.03%
(b) 0.04%
(c) 4%
(d) 2.4%
उत्तर:
(c) 4%

14. श्वसन क्रिया से मानव शरीर में होता है-
(a) कोशिकाओं का निर्माण
(b) ग्लूकोस का ऑक्सीकरण
(c) प्रोटीन का निर्माण
(d) ग्लूकोस का निर्माण
उत्तर:
(b) ग्लूकोस का ऑक्सीकरण

15. प्रकाश संश्लेषण से उत्पन्न होने वाली ऑक्सीजन निकलती है-
(a) जल स
(b) कार्बन डाइऑक्साइड से
(c) शर्करा से
(d) पर्णहरित से
उत्तर:
(a) जल स

16. ग्लाइकोलिसिस कहाँ होता है?
(a) कोशिका द्रव्य में
(b) हरित लवक में
(c) राइबोसोम में
(d) माइटोकॉण्ड्रिया में
उत्तर:
(a) कोशिका द्रव्य में

17. अनॉक्सी श्वसन में बनता है-
(a) एथिल ऐल्कोहॉल
(b) एथिलीन
(c) ग्लूकोज
(d) ग्लिसरॉल
उत्तर:
(a) एथिल ऐल्कोहॉल

18. पौधों श्वसन क्रिया में निम्नलिखित में से कौन-सी गैस निकलती है?
(a) ऑक्सीजन
(b) नाइट्रोजन
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) किण्वन
उत्तर:
(c) कार्बन डाइऑक्साइड

19. निम्नलिखित क्रियाओं में से किसमें ऑक्सीजन निकलती है?
(a) प्रकाश संश्लेषण
(b) ऑक्सी-श्वसन
(c) अनॉक्सी-श्वसन
(d) किण्वन
उत्तर:
(a) प्रकाश संश्लेषण

20. शरीर में आये हुए हानिकारक बैक्टीरिया को कौन-कौन सी रुधिर कणिकाएँ नष्ट करती हैं?
(a) श्वेत रुधिर कणिकाएँ
(b) लाल रक्त कणिकाएँ
(c) प्लेटलेट्स
(d) हीमोग्लोबिन
उत्तर:
(a) श्वेत रुधिर कणिकाएँ

21. रक्त में प्लाज्मा की मात्रा होती है-
(a) 20%
(b) 40%
(c) 60%
(d) 80%
उत्तर:
(c) 60%

22. प्रत्येक मनुष्य का रक्त प्रत्येक मनुष्य को नहीं दिया जा सकता, यह कथन है-
(a) लैन्डस्टीनर का
(b) स्टेफेनहेल का
(c) वाटसन का
(d) मेण्डल
उत्तर:
(a) लैन्डस्टीनर का

23. हीमोग्लोबिन का प्रमुख कार्य है-
(a) प्रजनन में सहायता
(b) रुधिर को रंगहीन करना
(c) जीवाणुओं को नष्ट करना
(d) ऑक्सीजन का परिवहन
उत्तर:
(d) ऑक्सीजन का परिवहन

24. यकृत संश्लेषण करता है-
(a) शर्करा
(b) रक्त
(c) यूरिया
(d) पाचन
उत्तर:
(c) यूरिया

25. वृक्कों का कार्य है-
(a) श्वसन
(b) परिवहन
(c) उत्सर्जन
(d) प्रोटीन
उत्तर:
(c) उत्सर्जन

26. शुद्ध रक्त बहता है-
(a) फुफ्फुस धमनी में
(b) पश्च महाशिरा में
(c) अग्र महाशिरा में
(d) फुफ्फुस शिरा में
उत्तर:
(d) फुफ्फुस शिरा में

27. रक्त थक्का जमने के लिए आवश्यक है-
(a) सोडियम क्लोराइड
(b) थ्रोम्बिन
(c) पोटैशियम
(d) कैल्सियम
उत्तर:
(b) थ्रोम्बिन

28. रुधिर- दाब मापक है-
(a) थर्मामीटर
(b) बैरोमीटर
(c) गैलवेनोमीटर
(d) स्फिग्मोमैनोमीटर
उत्तर:
(d) स्फिग्मोमैनोमीटर

29. हीमोग्लोबिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-
(a) उत्सर्जन में
(b) श्वसन में
(c) पाचन में
(d) वृद्धि में
उत्तर:
(b) श्वसन में

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

30. फेफड़ों से शुद्ध रक्त आता है-
(a) बायें अलिन्द में
(b) दायें अलिन्द में
(c) बायें निलय में
(d) दायें निलय में
उत्तर:
(a) बायें अलिन्द में

31. शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती
(a) शिराएँ
(b) महाशिरा
(c) दायाँ निलय
(d) महाधमनी
उत्तर:
(d) महाधमनी

32. फुफ्फुस (पल्मोनरी) शिरा खुलती है-
(a) दाएँ अलिन्द में
(b) बाएँ अलिन्द में
(c) दाएँ निलय में
(d) बाएँ निलय में
उत्तर:
(b) बाएँ अलिन्द में

33. रक्त में ऑक्सीजन की कला से लाल रक्त कणिकाओं में में उत्पन्न रोग है-
(a) रक्त कोशिका अल्परक्तता
(b) हीमोफीलिया
(c) वर्णान्धता
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) हीमोफीलिया

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. ……………………… पोषण में दूसरे जीवों द्वारा तैयार किए जटिल पदार्थों का अंतर्ग्रहण होता है।
  2. मनुष्य में, खाए गए भोजन का विखंडन भोजन नली के अन्दर कई चरणों में होता है तथा पाचित भोजन को ……………………… में अवशोषित करके शरीर की सभी कोशिकाओं में भेज दिया जाता है।
  3. ……………………… प्रक्रम में ग्लूकोज जैसे जटिल कार्बनिक यौगिकों का विखंडन होता है जिससे ए.टी.पी. का उपयोग कोशिका में होने वाली अन्य क्रियाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  4. श्वसन …………………….. या …………………….. हो सकता है। …………………….. श्वसन से जीव को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  5. मनुष्य में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, भोजन तथा उत्सर्जी उत्पाद सरीखे पदार्थों का वहन …………………….. का कार्य होता है। परिसंचरण तंत्र में हृदय, रुधिर तथा रुधिर वाहिकाएँ होती हैं।
  6. उच्च विभेदित पादपों में जल, खनिज लवण, भोजन तथा अन्य पदार्थों का परिवहन संवहन ऊतक का कार्य है जिसमें …………………….. तथा …………………….. होता हैं।
  7. मनुष्य में, उत्सर्जी उत्पाद विलेय …………………….. के रूप में में वृक्काणु (नेफ्रॉन) द्वारा निकाले जाते हैं।

उत्तर:

  1. विषमपोषी
  2. क्षुद्रांत्र
  3. श्वसन
  4. वायवीय, अवायवीय, वायवीय
  5. परिसंचरण तंत्र
  6. जाइलम, फ्लोएम
  7. नाइट्रोजनी यौगिक, वृक्क।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Exercise 15.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों को पूरा कीजिए :

  1. घटना E की प्रायिकता + घटना ‘E नहीं’ की प्रायिकता = ……………. है।
  2. उस घटना की प्रायिकता जो घटित नहीं हो सकती है। ऐसी घटना ………. कहलाती है।
  3. उस घटना की प्रायिकता जिसका घटित होना निश्चित है ………. है। ऐसी घटना ………….. कहलाती है।
  4. किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकताओं का योग ………….. है ।
  5. किसी घटना की प्रायिकता ………. से बड़ी या उसके बराबर होती है तथा ……….. से छोटी या उसके बराबर होती है।

हल :

  1. घटना E की प्रायिकता + घटना ‘E नहीं’ की प्रायिकता = 1 है।
  2. उस घटना की प्रायिकता जो घटित नहीं हो सकती, शून्य है। ऐसी घटना असम्भव घटना कहलाती है।
  3. उस घटना की प्रायिकता जिसका घटित होना निश्चित है, 1 है ऐसी घटना निश्चित घटना कहलाती है।
  4. किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकताओं का योग एक होता है।
  5. किसी घटना की प्रायिकता शून्य से बड़ी या उसके बराबर होती है तथा एक से छोटी या उसके बराबर होती है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रयोगों में से किन-किन प्रयोगों के परिणाम समप्रायिक हैं ? स्पष्ट कीजिए।

  1. एक ड्राइवर कार चलाने का प्रयत्न करता है। कार चलना प्रारम्भ हो जाती है या कार चलना प्रारम्भ नहीं होती है।
  2. एक खिलाड़ी बास्केटबॉल को बास्केट में डालने का प्रयत्न करती है। वह बास्केट में बॉल डाल पाती है या नहीं डाल पाती है।
  3. एक सत्य-असत्य प्रश्न का अनुमान लगाया जाता है। उत्तर सही है या गलत होगा।
  4. एक बच्चे का जन्म होता है। वह एक लड़का है या एक लड़की है।

हल :

  1. एक ड्राइवर कार चलाने का प्रयत्न करता है। अधिकांश सम्भावना कार चलना प्रारम्भ होने की है, कार चलना प्रारम्भ न होने की सम्भावना कम ही है। अतः यह प्रयोग समप्रायिक नहीं है।
  2. एक खिलाड़ी बास्केटबॉल को बास्केट में डालने का प्रत्यत्न करती है। एक ही परिस्थिति में उसकी सफलता या असफलता की सम्भावना समान नहीं होती। अतः यह प्रयोग समप्रायिक नहीं है।
  3. एक सत्य-असत्य प्रश्न का अनुमान लगाया जाता है। अनुमान के सही होने की प्रायिकता भी उतनी ही है जितनी कि उसके गलत होने की। अतः यह प्रयोग समप्रायिक है।
  4. एक बच्चे का जन्म होने पर उसके लड़के या लड़की होने की सम्भावनाएँ समान हैं, अतः प्रयोग समप्रायिक है।

प्रश्न 3.
फुटबॉल के खेल को प्रारम्भ करते समय यह निर्णय लेने के लिए कि कौन-सी टीम पहले बॉल लेगी, इसके लिए सिक्का उछालना एक न्यायसंगत विधि क्यों माना जाता है ?
हल :
क्योंकि जब सिक्के को उछाला जाता है तो केवल दो ही सम्भावनाएँ होती हैं अर्थात् सिक्का सममित होने के कारण यह समप्रायिक है एवं उसकी उछाल (Tossing) निष्पक्ष (Unbiased) होती है ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या किसी घटना की प्रायिकता नहीं हो सकती ?
(A) \(\frac {2}{3}\)
(B) – 1.5
(C) 15%
(D) 0.7
हल :
प्रयोग में किसी घटना के घटित होने या घटित न होने की सम्भावना शून्य भले ही हो परन्तु ऋणात्मक कभी नहीं होती हैं।
अतः स्पष्ट है कि विकल्प (B) में दी गई ऋणात्मक (Negative) संख्या किसी घटना की प्रायिकता नहीं हो सकती है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 5.
यदि P(E) = 0.05 है, तो ‘E नहीं’ की प्रायिकता क्या है ?
हल :
∵ ‘E’ नहीं’ की प्रायिकता = 1 – P(E)
= 1 – 0.05 = 0.95
अतः घटना ‘E’ नहीं’ की प्रायिकता = 0.95

प्रश्न 6.
एक थैले में केवल नींबू की महक वाली मीठी गोलियाँ हैं। मालिनी बिना थैले में झाँके उसमें से एक गोली निकालती है। इसकी क्या प्रायिकता है कि वह निकाली गई गोली
(i) सन्तरे की महक वाली है ?
(ii) नींबू की महक वाली है ?
हल :
∵ थैले में केवल नींबू की महक वाली गोलियाँ ही हैं। यदि थैले में से यादृच्छया (Randomly) एक गोली निकाल ली जाती है तो
(i) निकाली गई गोली ‘सन्तरे की महक वाली’ होने की घटना की सम्भावना शून्य है क्योंकि सभी गोलियाँ नींबू की महक वाली हैं।
अतः निकाली गई गोली सन्तरे की महक वाली है, इसकी प्रायिकता शून्य होगी।

(ii) सभी गोलियों में नींबू की महक है।
∵ नींबू की महक वाली गोली निकलने की घटना निश्चित है।
अतः इसकी प्रायिकता होगी।
अत: (i) सन्तरे की महक वाली गोलियों की प्रायिकता = 0
(ii) नींबू की महक वाली गोलियों की प्रायिकता = 1

प्रश्न 7.
यह दिया हुआ है कि 3 विद्यार्थियों के एक समूह में से 2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन न होने की प्रायिकता 0.992 है। इसकी क्या प्रायिकता है कि इन 2 विद्यार्थियों का जन्मदिन एक ही दिन हो ?
हल :
यदि 3 विद्यार्थियों में से 2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन होने और एक ही दिन न होने की घटनाएँ परस्पर पूरक घटनाएँ हैं।
2 विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन न होने की P(E) = 0.992
अतः दोनों विद्यार्थियों के जन्मदिन एक ही दिन होने की प्रायिकता P(E) = 1 – 0.992 = 0.008

प्रश्न 8.
एक थैले में 3 लाल और 5 काली गेंदें हैं। इस थैले में से एक गेंद यादृच्छया निकाली जाती है। इसकी प्रायिकता क्या है कि गेंद (i) लाल हो ? (ii) लाल नहीं हो ?
हल :
थैले में गेंदों की कुल संख्या
= 3 लाल + 5 काली = 8
थैले में से एक गेद यादृच्छया निकालने पर, कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 8
(i) गेंद लाल (R) होने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
गेंद लाल होने की प्रायिकता
P(R) = घटना (R) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {3}{8}\)
अतः गेंद लाल होने की प्रायिकता = \(\frac {3}{8}\)

(ii) तब गेंद लाल न होने की प्रायिकता
= 1 – गेंद लाल होने की प्रायिकता
= 1 – \(\frac{3}{8}=\frac{5}{8}\)
अत: (i) गेंद लाल होने की प्रायिकता = \(\frac {3}{8}\)
(ii) गेंद लाल न हो इसकी प्रायिकता = \(\frac {5}{8}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 9.
एक डिब्बे में 5 लाल कंचे, 8 सफेद कंचे और 4 हरे कंचे हैं। इस डिब्बे में से एक कंचा यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि निकाला गया कंचा
(i) लाल है ?
(ii) सफेद है?
(iii) हरा नहीं है?
हल :
लाल कंचों की संख्या = 5
सफेद कंचों की संख्या = 8
हरे कंचों की संख्या = 4
डिब्बे में कंचों की कुल संख्या = 5 + 8 + 4 = 17
जब डिब्बे में से एक कंचा निकाला जाता है, तो सम्भावित कुल परिणामों की संख्या = 17

(i) निकाला गया कंचा लाल (R) होने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 5
अतः निकाला गया कंचा लाल हो, इसकी प्रायिकता
P(R) = घटना (R) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {5}{17}\)

(ii) निकाला गया कंचा सफेद (W) हो, इसके अनुकूल परिणामों की संख्या = 8
अतः निकाला गया कंचा सफेद होने की प्रायिकता = घटना (W) के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {8}{17}\)

(iii) निकाला गया कंचा हरा न G’ होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 5 + 8 = 13
अतः निकाला गया कंचा हरा न होने की प्रायिकता
P(G’) = घटना G’ के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {13}{17}\)

प्रश्न 10.
एक पिग्गी बैंक (Piggy Bank) में, 50 पैसे के सौ सिक्के, ₹1 के पचास सिक्के, ₹2 के बीस सिक्के और ₹5 के दस सिक्के हैं। यदि पिग्गी बैंक को हिलाकर उल्टा करने पर कोई एक सिक्का गिरने का परिणाम समप्रायिक है, तो इसकी क्या प्रायिकता है कि वह गिरा हुआ सिक्का (i) 50 पैसे का होगा ? (ii) ₹5 का नहीं होगा
हल :
50 पैसे के सिक्कों की संख्या = 100
₹1 के सिक्कों की संख्या = 50
₹2 के सिक्कों की संख्या = 20
₹5 के सिक्कों की संख्या = 10
सिक्कों की कुल संख्या
= 100 + 50 + 20 + 10 = 180
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 180

(i) ∵ 50 पैसे के 100 सिक्के हैं।
∴ 50 पैसे के सिक्के प्राप्त करने की प्रायिकता
= अनुकूल परिणामों की संख्या. / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {100}{180}\)
P(50 पैसे के सिक्के) = \(\frac {5}{9}\)

(ii) ∵ ₹5 के सिक्कों की संख्या = 10
∴ 5 रु. के सिक्के प्राप्त करने की प्रायिकता
= अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
⇒ P (5 रु. के सिक्के) = \(\frac{10}{180}=\frac{1}{18}\)
₹5 के सिक्के प्राप्त न करने की प्रायिकता = 1 – P (₹5 के सिक्क)
P (₹5 के सिक्के न हो) = 1 – \(\frac{1}{18}=\frac{18-1}{18}=\frac{17}{18}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 11.
गोपी अपने जल-जीव कुण्ड (aquarium) के लिए एक दुकान से मछली खरीदती है। दुकानदार एक टंकी जिसमें 5 नर मछली और 8 मादा मछली हैं, में से एक मछली यादृच्छया उसे देने के लिए निकालती है (देखिए आकृति)। इसकी क्या प्रायिकता है कि निकाली गई मछली नर मछली है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 1
हल :
नर मछलियों की संख्या = 5
मादा मछलियों की संख्या = 8
जल -जीव कुण्ड में मछलियों की कुल संख्या = 5 + 8 = 13
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 13
नर मछली प्राप्त करने की प्रायिकता = अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
P (नर मछली) = \(\frac {5}{13}\)

प्रश्न 12.
संयोग (chance) के एक खेल में, एक तीर को घुमाया जाता है, जो विश्राम में आने के बाद संख्याओं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और 8 में से किसी एक संख्या को इंगित करता है। ( आकृति देखिए) यदि ये सभी परिणाम समप्रायिक हों तो इसकी क्या प्रायिकता है कि यह तीर इंगित –
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 2
(i) 8 को करेगा ?
(ii) एक विषम संख्या को करेगा ?
(iii) 2 से बड़ी संख्या को करेगा ?
(iv) 9 से छोटी संख्या को करेगा ?
हल :
संयोग के खेल में जब तीर को घुमाया जाता है। तो तीर के विश्राम में आने पर इंगित कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 = 8
(i) तीर द्वारा संख्या 8 को इंगित करने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ तीर द्वारा संख्या 8 को इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{8}\)

(ii) तीर द्वारा अंकित विषम संख्याएँ 1, 3, 5, 7
तीर द्वारा एक विषम संख्या अंकित करने के परिणामों की संख्या = 4
∴ विषम संख्या इंगित होने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{4}{8}=\frac{1}{2}\)

(iii) 2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की घटना के कुल अनुकूल परिणाम = 3, 4, 5, 6, 7, 8
2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 6
∴ 2 से बड़ी संख्या को इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{6}{8}=\frac{3}{4}\)
अतः 2 से बड़ी संख्या इंगित करने की प्रायिकता = \(\frac {3}{4}\)

(iv) 9 से छोटी संख्या इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणाम 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8
9 से छोटी संख्या इंगित करने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 8
∴ 9 से छोटी संख्या इंगित करने की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्याएँ
= \(\frac {8}{8}\)
= 1

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 13.
एक पासे को एक बार फेंका जाता है। निम्नलिखित को प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) एक अभाज्य संख्या
(ii) 2 और 6 के बीच स्थित कोई संख्या
(iii) एक विषम संख्या
हल :
एक पासे को यादृच्छया फेंके जाने पर प्राप्त होने वाले सभी सम्भव परिणाम = 1, 2, 3, 4, 5, 6
अत: एक पासे को यादृच्छया फेंके जाने पर कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 6
(i) यहाँ अभाज्य संख्याएँ – 2, 3, 5
अभाज्य संख्या प्राप्त होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ अभाज्य संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(ii) 2 और 6 के बीच स्थित संख्याएँ = 3, 4, 5
2 और 6 के बीच स्थित संख्याएँ होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ 2 और 6 के बीच स्थित संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(iii) विषम संख्याएँ = 1, 3, 5
विषम संख्या प्राप्त करने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
∴ एक विषम संख्या प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

प्रश्न 14.
52 पत्तों की अच्छी प्रकार से फैटी गई एक गड्डी में से एक पत्ता निकाला जाता है। निम्नलिखित को प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) लाल रंग का बादशाह
(ii) एक फेस कार्ड अर्थात् तस्वीर वाला पत्ता
(iii) लाल रंग का तस्वीर वाला पत्ता
(iv) पान का गुलाम
(v) हुकुम का पत्ता
(vi) एक ईंट की बेगम ।
हल :
ताश की गड्डी में 52 पत्ते होते हैं। गड्डी को अच्छी तरह फेंटकर गड्डी में से एक पत्ता निकालने पर पत्ता क्या है, इसके कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 52
(i) माना लाल रंग का बादशाह होने की घटना (R) हैं:
∵ गड्डी में कुल 4 बादशाह होते हैं जिनमें पान तथा ईंट के बादशाह 2 होते हैं।
∴ लाल रंग का बादशाह प्राप्त होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
घटना R की प्रायिकता
⇒ P(R) = घटना R के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{2}{52}=\frac{1}{26}\)

(ii) माना एक फेस कार्ड अर्थात् तस्वीर वाला पत्ता होने की घटना (E) है।
∵ प्रत्येक समूह में 3 फेस कार्ड्स (बादशाह, बेगम व गुलाम) होते हैं।
∴ गड्डी में कुल फेस कार्डों की संख्या = 3 × 4 = 12
∴ घटना (E) के अनुकूल परिणामों की संख्या = 12
∴ घटना (E) की प्रायिकता
⇒ P(E) = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{12}{52}=\frac{3}{13}\)

(iii) माना लाल रंग का तस्वीर वाला पत्ता होने की घटना (A) है।
∵ कुल फेस कार्ड्स = 12
∴ लाल रंग के तस्वीर वाले पत्तों की संख्या = 6
तब घटना (A) के अनुकूल परिणामों की संख्या = 6
∴ घटना (A) की प्रायिकता
⇒ P(A) = घटना 4 के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac{6}{52}=\frac{3}{26}\)

(iv) माना पान का गुलाम होने की घटना (B) है।
∵ गड्डी में पान का एक ही गुलाम होता है।
∴ घटना B के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ घटना (B) की प्रायिकता
⇒ P(B) = घटना B के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{52}\)

(v) माना हुकुम का पत्ता होने की घटना (C) है :
∵ गड्डी में हुकुम के पत्तों की संख्या = 13
∴ घटना C के अनुकूल परिणामों की संख्या = 13
∴ घटना (C) की प्रायिकता = \(\frac {13}{52}\)
⇒ P(C) = \(\frac {1}{4}\)

(vi) माना ईंट की बेगम होने की घटना (D) है।
∵ गड्डी में ईंट की केवल एक ही बेगम होती है।
∴ घटना D के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
घटना (D) की प्रायिकता
घटना (D) के घटित होने के अनुकूल
⇒ P(D) = परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {1}{52}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 15.
ताश के पाँच पत्तों – ईंट का दहला, गुलाम, बेगम, बादशाह और इक्का, को पलटकर के अच्छी प्रकार फेंटा जाता है। फिर इनमें से यादृच्छया एक पत्ता निकाला जाता है।
(i) इसकी क्या प्रायिकता है कि यह पत्ता एक बेगम है ?
(ii) यदि बेगम निकल आती है तो उसे अलग रख दिया जाता है और एक अन्य पत्ता निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि दूसरा निकाला गया पत्ता (a) एक इक्का है? (b) एक बेगम है?
हल :
ताश के पाँच पत्तों में ईंट का दहला, गुलाम, बेगम, बादशाह, इक्का को पलटकर के फेंटा गया है, फिर इसमें से एक पत्ता निकाला जाता है।
इसके कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 5
(i) यदि निकाला गया पत्ता बेगम हो तो इस घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
अतः निकाला गया पत्ता बेगम होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{5}\)

(ii) यदि बेगम निकल आती है तो उसे अलग रख दिया जाता है और शेष पत्तों में से फिर एक पत्ता निकाला जाता है।
तब कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 4 (दहला, गुलाम, बादशाह, इक्का)
(a) दूसरा पत्ता इक्का होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
अतः दूसरा पत्ता इक्का होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)

(b) दूसरा पुत्ता बेगम होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = शून्य, क्योंकि इन पत्तों में बेगम हैं ही नहीं ।
अतः दूसरा पत्ता बेगम होने की प्रायिकता = \(\frac {0}{4}\) = 0

प्रश्न 16.
किसी कारण 12 खराब पेन 132 अच्छे पेनों में मिल गए हैं। केवल देखकर यह नहीं बताया जा सकता है कि कोई पेन खराब है या अच्छा है। इस मिश्रण में से, एक पेन यादृच्छया निकाला जाता है। निकाले गए पेन की अच्छा होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए ।
हल :
खराब पेनों की संख्या 12
अच्छे पेनों की संख्या = 132
पेनों की कुल संख्या = 12 + 132 = 144
अच्छा पेन निकलने की प्राथकिता
= अच्छा पेन निकलने के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
अतः अच्छा पेन प्राप्त होने की प्रायिकता = अच्छा पेन प्राप्त होने की प्रायिकता = \(\frac {11}{12}\)

प्रश्न 17.
(i) 20 बल्बों के एक समूह में 4 बल्ब खराब हैं। इस समूह में से एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि यह बल्ब खराब होगा ?
(ii) मान लीजिए (i) में निकाला गया बल्ब खराब नहीं है और न ही इसे दुबारा बल्बों के साथ मिलाया जाता है। अब शेष बल्बों में से एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि यह बल्ब खराब नहीं होगा ?
हल :
समूह में बल्बों की कुल संख्या = 20
खराब बल्बों की संख्या = 4
यदि एक बल्ब यादृच्छया निकाला जाता है तो
(i) बल्ब खराब होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 4
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 20
अतः बल्ब खराब होने की प्रायिकता = \(\frac{4}{20}=\frac{1}{5}\)

(ii) यदि निकाला गया बल्ब खराब नहीं है तो इसे पुनः बल्बों के साथ नहीं मिलाया जाता है।
शेष बल्बों में से एक बल्ब निकाला जाता है।
∴ कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 19
खराब बल्ब होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 4
बल्ब खराब निकलने की प्रायिकता = \(\frac {4}{19}\)
∴ बल्ब खराब न होने की प्राय कता = 1 – \(\frac{4}{19}=\frac{15}{19}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 18.
एक पेटी में 90 डिस्क (discs) हैं, जिन पर 1 से 90 तक संख्याएँ अंकित हैं। यदि इस पेटी में से एक डिस्क यादृच्छया निकाली जाती है तो इसकी प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि इस डिस्क पर अंकित होगी:
(i) दो अंकों की एक संख्या
(ii) एक पूर्ण वर्ग संख्या
(iii) 5 से विभाज्य एक संख्या ।
हल :
डिस्कों की कुल संख्या = 90
∴ कुल सम्भव परिणाम ( 1, 2, 3, 4, 5, ……….90)
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 90
यदि एक डिस्क यादृच्छया निकाली जाती है तो :

(i) दो अंकों की एक संख्या अंकित होने की प्रायिकता :
∵ दो अर्को की संख्याएँ = (10, 11, 12, 13, …,90) = 81
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 81
अत: डिस्क पर दो अंकों की संख्या अंकित होने की प्रायिकता = अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भावित परिणामों की संख्या
= \(\frac{81}{90}=\frac{9}{10}\)

(ii) पूर्ण वर्ग संख्याएँ (1, 4, 9, 16, 25, 36, 49, 64, 81)
कुल अनुकूल परिणामों की संख्या = 9
अत: डिस्क पर पूर्ण वर्ग संख्या अंकित होने की प्रायिकता = \(\frac{9}{90}=\frac{1}{10}\)

(iii) 5 से विभाज्य संख्याएँ (5, 10, 15, 20, 25, 30, ……..90)
कुल अनुकूल परिणामों की संख्या = 18
अतः डिस्क पर 5 से विभाज्य संख्या अंकित होने की प्रायिकता = \(\frac{18}{90}=\frac{1}{5}\)

प्रश्न 19.
एक बच्चे के पास ऐसा पासा है जिसके फलकों पर निम्नलिखित अक्षर अंकित हैं :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 3
इस पासे को एक बार फेंका जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) A प्राप्त हो ? (ii) D प्राप्त हो ?
हल :
पासे के फलकों की संख्या = 6
∴ कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 6
(i) ∵ दो फलकों पर A अक्षर अंकित है।
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
अतः पासे पर A आने की प्रायिकता = \(\frac{2}{6}=\frac{1}{3}\)

(ii) ∵ केवल एक फलक पर D अक्षर अंकित है।
∴ अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
पासे पर D आने की प्रायिकता = \(\frac {1}{6}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 20.
मान लीजिए आप एक पासे को आकृति में दर्शाए आयताकार क्षेत्र में यादृच्छया रूप से गिराते हैं। इसकी क्या प्रायिकता है कि वह पासा 1 मीटर व्यास वाले वृत्त के अन्दर गिरेगा ?
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 4
हल :
आयत की लम्बाई (l) = 3 मीटर
आयत की चौड़ाई (b) = 2 मीटर
∴ आयत का क्षेत्रफल = 3 × 2 = 6 वर्ग मीटर
वृत्त का व्यास = 1 मीटर
वृत्त की त्रिज्या (r) = \(\frac {1}{2}\)मीटर
∴ वृत्त का क्षेत्रफल = πr² = π × (\(\frac {1}{2}\))²
= \(\frac {π}{4}\) वर्ग मीटर
जब एक पासा यादृच्छया फेंका जाता है तो उसके गिरने का व्यापक क्षेत्र आयताकार क्षेत्र होगा ।
तब, पासे की वृत्त के अन्दर गिरने की प्रायिकता
= वृत्त का क्षेत्रफल / आयत का क्षेत्रफल
= \(\frac{\pi}{\frac{\pi}{6}}\)
= \(\frac {π}{24}\)
अतः पासे के वृत्त के अन्दर गिरने की प्रायिकता
= \(\frac {π}{24}\)

प्रश्न 21.
144 बॉल पेनों के एक समूह में 20 बॉल पेन खराब हैं और शेष अच्छे हैं। आप वही पेन खरीदना चाहेंगे जो अच्छा हो, परन्तु खराब पेन आप खरीदना नहीं चाहेंगे। दुकानदार इन पेनों में से, यादृच्छया एक पेन निकालकर आपको देता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) आप वह पेन खरीदेंगे ? (ii) आप वह पेन नहीं खरीदेंगे ?
हल :
समूह में बॉल पेनों की संख्या = 144
खराब पेनों की संख्या = 20
ठीक पेनों की संख्या 144 – 20
= 124
(i) माना पेन खरीदने की प्रायिकता A है।
∵ हम ठीक बॉल पेन खरीदना चाहेंगे।
∴ बॉल पेन ठीक होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 124
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 144
∴ P(A) = \(\frac{124}{144}=\frac{31}{36}\)

(ii) माना पेन नहीं खरीदने की प्रायिकता A’ हो, तो
P (A’) = 1 – P(A)
= 1 – \(\frac{31}{36}=\frac{36-31}{36}\)
P(A’) = \(\frac {5}{36}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 22.
एक सलेटी और एक नीले पासे को एक साथ फेंका जाता है।
(i) निम्न सारणी को पूरा कीजिए:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 5

(ii) एक विद्यार्थी यह तर्क देता है कि ‘यहाँ कुल 11 परिणाम 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 हैं। अतः ‘प्रत्येक की प्रायिकता \(\frac {1}{11}\) है।’ क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
हल :
(i) जब एक सलेटी और एक नीले रंग के दो पासों को एक साथ फेंका जाता है तो दोनों पासों पर प्राप्त होने वाले परिणाम अग्र हो सकते हैं-
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 6
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 7

(ii) विद्यार्थी का तर्क गलत है, क्योंकि सभी 11 घटनाएँ प्रारम्भिक घटनाएँ नहीं हैं। प्रत्येक घटना से सम्बधित परिणामों की प्रायिकता भिन्न-भिन्न है। अतः विद्यार्थी का तर्क असंगत है।

प्रश्न 23.
एक खेल में एक रुपए के सिक्के को तीन बार उछाला जाता है और प्रत्येक बार का परिणाम लिख लिया जाता है। तीनों परिणाम समान होने पर, अर्थात् तीन चित या तीन पट प्राप्त होने पर, हनीफ खेल में जीत जाएगा, अन्यथा वह हार जाएगा। हनीफ के खेल में हार जाने की प्रायिकता परिकलित कीजिए ।
हल :
जब एक रुपये के सिक्के को तीन बार उछाला जाता है। यदि चित H तथा पट को T से व्यक्त करे तो
सम्भावित परिणाम निम्न हैं-
HHH    HHT   HTH    HTT
THH     THT    TTH    TTT
कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 8 हैं।.
तीनों परिणाम समान होने अर्थात् जीतने की प्रायिकता माना A है।
तीनों परिणाम समान होने के अनुकूल परिणाम [HHH, TTT]
तीनों परिणाम समान होने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 2
अतः हनीफ के खेल में जीत जाने की प्रायिकता
∴ P(A) = \(\frac{2}{8}=\frac{1}{4}\)
माना, हार जाने की प्रायिकता A’ हो तो
P(A’) = 1 – P(A)
∴ P(A’) = 1 – \(\frac{1}{4}=\frac{3}{4}\)
अतः हनीफ के हारने की प्रायिकता = \(\frac {3}{4}\)

प्रश्न 24.
एक पासे को दो बार फेंका जाता है। इसकी क्या प्रायिकता है कि (i) 5 किसी भी बार में नहीं आएगा? (ii) 5 कम-से-कम एक बार आएगा?
हल :
जब एक पासे को दो बार फेंका जाता है तो फलकों पर प्राप्त अंक निम्न होंगे–
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1 - 8
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
परिणामों की संख्या जिनमें 5 आता है = 11
वे परिणाम जिनमें 5 कभी न आता है = 36 – 11 = 25

(i) 5 न आने की घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या = 25
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
घटना की प्रायिकता = घटना के अनुकूल परिणामों की संख्या / कुल सम्भव परिणामों की संख्या
= \(\frac {25}{36}\)

(ii) 5 कम-से-कम एक बार आने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 11
कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 36
अतः 5 कम-से-कम एक बार आने की प्रायिकता = \(\frac {25}{36}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 15 प्रायिकता Ex 15.1

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौन-से तर्क सत्य हैं और कौन-से तर्क असत्य हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
(i) यदि दो सिक्कों को एक साथ उछाला जाता है, तो इसके तीन सम्भावित परिणाम दो चित, दो पट या प्रत्येक एक बार है। अतः इनमें से प्रत्येक परिणाम की प्रायिकता \(\frac {1}{3}\) है।
(ii) यदि एक पासे को फेंका जाता है, तो इसके दो सम्भावित परिणाम एक विषम संख्या या एक सम संख्या हूँ। अतः एक विषम संख्या ज्ञात करने की प्रायिकता \(\frac {1}{2}\) है।
हल :
(i) जब दो सिक्कों को एक साथ उछाला जाता है। तथा पट को T से व्यक्त करने पर चार सम्भव परिणाम होंगे।
HH, HT, TH, TT
दो चित होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)
P(HH) = \(\frac {1}{4}\)
दो पट होने की प्रायिकता = \(\frac {1}{4}\)
P(TT) = \(\frac {1}{4}\)
एक चित और एक पट होने की प्रायिकता = \(\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\)
अतः दिया गया तर्क असत्य है।

(ii) जब पासे को फेंका जाता है तो सम्भव परिणाम = (1, 2, 3, 4, 5, 6)
∴ कुल सम्भव परिणामों की संख्या = 6
सम संख्या आने के अनुकूल परिणाम = (2, 4, 6)
सम संख्या आने के अनुकूल परिणामों की संख्या = 3
विषम संख्या आने के अनुकूल परिणाम = (1, 3, 5)
विषम संख्या आने के अनुकूल परिणामों की संख्य = 3
विषम संख्या आने की प्रायिकता = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
अतः छात्र का तर्क सत्य है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board Class 10 Science अनुवांशिकता एवं जैव विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मेण्डल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जक्क पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी-
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TtWW
(d) TtWw
उत्तर:
(c) TtWw

प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है-
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपर्युक्त भ
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है?
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु
उत्तर:
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन ‘पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नहीं, यह बताना संभव नहीं है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अप्रभावी जब तक कि दोनों प्रकार के विकल्पों का पता नहीं हो। ऐसा भी संभव है कि जनक में दोनों ही विकल्प हल्के रंग की आँखों के हों, क्योंकि लक्षण की प्रतिकृति दोनों जनकों से वंशानुगत होती हैं, अप्रभावी तभी होंगे, जब दोनों से प्राप्त जीन अप्रभावी हों। अतः हम केवल अनुमान लगा सकते हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 5.
जैव- विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित है?
उत्तर:
जैव विकास के अध्ययन से पता चलता है कि पहले उत्पन्न जीवों का शरीर बाद में उत्पन्न जीवों के शरीर से सरलतम है, अर्थात् जीवों के शरीर सरलता से जटिलता की तरफ विकास हुआ है। यही आधार वर्गीकरण का भी है। जीवों को शरीर के डिजाइन के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है। अतः जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 6.
समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
समजात अंग-उन अंगों को जो अलग-अलग स्पीशीज के जीवों में अलग-अलग कार्य करते हैं परन्तु आधारभूत संरचना में एकसमान हैं, समजात अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, पक्षी पंख तथा मनुष्य का हाथ दोनों ही रूपांतरित अग्रपाद हैं।

समरूफ अंग- ऐसे अंग जो अलग-अलग जीवों में एक समाने कार्य करते हैं परन्तु उनकी आधारभूत संरचना समान नहीं होती है, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, तितली के पंख और कबूतर के पंख दोनों ही उड़ने का कार्य करते हैं। परन्तु कबूतर के पंख में हड्डियाँ होती हैं. तितली के पंख नहीं होतीं।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उददेश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर:
इसके लिए एक शुद्ध काली खाल वाले कुत्ते (BB) तथा एक शुद्ध सफेद खाल वाली कुतिया (bb) का चयन किया जाता है। उनका समय पर संकरण कराएँ। यदि उनसे उत्पन्न सभी पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) काली खाल वाले हैं, तो काली खाल का लक्षण प्रभावी है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1

प्रश्न 8.
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा चिह्न या साँचे होते हैं। जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता कि अमुक जीव कब पाया जाता था, कब लुप्त हो गया, जीवों के विकास क्रम में पहले जीवों की संरचना कैसी थी और बाद में उसमें क्या-क्या परिवर्तन होते गए।

प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर:
वैज्ञानिक जे. बी. एस. हाल्डेन ने 1929 में सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे।

स्टेनल एल. मिलर हेराल्ड सी. उरे ने 1953 में प्रयोग किए और प्रमाण दिए कि सरल अकार्बनिक अणुओं से कार्बनिक अणु उत्पन्न हो सकते हैं। उन्होंने ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो संभवत: प्राथमिक वातावरण समान था जिसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) गैसें तो थीं परन्तु स्वतंत्र ऑक्सीजन नहीं थी। पात्र जल भी था। इस संमिश्रण को 100°C से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के इस मिश्रण में कृत्रिम रूप से समय-समय पर चिंगारियाँ उत्पन्न की गई जैसे कि आकाश में तड़ित बिजली उत्पन्न होती है।

इस प्रयोग में देखा गया कि 15% मीथेन का कार्बन उपयोग हुआ और सरल कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गए। इन कार्बनिक यौगिकों में विभिन्न अमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो कि प्रोटीन के अणुओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।

उपर्युक्त प्रमाण के आधार पर हम परिकल्पना कर सकते हैं कि शायद जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।

प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों को विकास किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन जनन एक ही होता है और उसी का डी.एन.ए. संतति में जाता है। अतः संतति में विभिन्नता तभी आती जब डी. एन. ए. प्रतिकृति में त्रुटियाँ हों जो कि कि न्यून होती हैं।

लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो कि डी.एन.ए. का एक-एक सेट संतति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन्न लक्षणों का समावेश होता है और अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है। लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताएँ जीन (डी.एन.ए.) में परिवर्तन के कारण होती है। अतः ये स्थिर होती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं। प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं जोकि पर्यावरण के अनुकूल हों।

अतः समय काल में मौजूदा पीटी अपने पूर्वजों से इतनी भिन्न हो सकती हैं कि वे 5 वे उनसे लैंगिक जनन न कर पायें और एक अन्य स्पीशीज के रूप में उभर कर आ जाएँ तथा जीवों के विकास में सहायक हों।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
जैसा कि चित्र में दिखाया गया है कि मटर के गोल बीज वाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो Fg पीढ़ी में लम्बे या बौने लक्षण तथा गोल या झुर्रीदार लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

यदि संतति पौधे को जनक पौधे से संपूर्ण जीनों का एक पूर्ण सेट प्राप्त होता है तो चित्र में दिया प्रयोग सफल नहीं हो सकता। क्योंकि दो लक्षण R तथा Y सेट में एक-दूसरे से संलग्न रहेंगे तथा स्वतंत्र रूप में आहरित नहीं हो सकते। वास्तव में जीन केवल एक डी.एन.ए. श्रृंखला के रूप में न होकर डी.एन.ए. के अलग-अलग स्वतंत्र के रूप में होते हैं। इनमें से प्रत्येक एक गुणसूत्र का निर्माण करता है। इसलिए प्रत्येक कोशिका में प्रत्येक गुणसूत्र की दो प्रतिकृति होती है जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होते हैं। प्रत्येक जनक कोशिका से गुणसूत्र
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2
के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुणसूत्र ही एक जनने, कोशिका (युग्मक) में जाता है। जब दो युग्मकों का संलयन होता है, तो इनसे बने युग्मज में गुणसूत्रों की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है। इस प्रकार लैंगिक जनन द्वारा संतति में जनक कोशिकाओं जैसी ही गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।

प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाये रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
उत्तर:
इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि जो विभिन्नताएँ एकल जीव ( (व्यष्टि) के लिए उपयोगी हैं, वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक चयन प्रक्रम में वे अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं इसका अर्थ है कि समय न हैं साथ-साथ इन भिन्नताओं वाले जीव समष्टि में प्रमुख हो जाएँगे क्योंकि इनकी विभिन्नताएँ (लक्षण) परिवर्तित पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं, प्राकृतिक रूप में सफल रहेंगे तथा अपनी संतति को सतत बनाए रख सकते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science अनुवांशिकता एवं जैव विकास InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 157)

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण – A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण – B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर:
संभवत: लक्षण B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ परिलक्षित होती हैं। ये नई विभिन्नताएँ यदि वातावरण के अनुकूल होती हैं, तो उनकी प्रतिशत संख्या समष्टि में अधिक हो जाती है।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज के अस्तित्व की संभावना इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि स्पीशीज स्वयं को वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सक्षम हो जाता है। उदाहरण के लिए, उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। यदि वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो जीवाणु मर जाते हैं। केवल उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले ही जीवित रह पाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 161)

प्रश्न 1.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने दो विकल्पी मटर के पौधे चुने, जैसे-लम्बे पौधे जो कि लम्बे मटर के पौधे ही पैदा करते थे तथा बौने मटर के पौधे जोकि बौने पौधे ही उत्पन्न करते थे। मेण्डल ने इन दोनों पौधों का संकरण कराया, प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगेंगे। इसका अर्थ है कि लम्बाई का लक्षण ही F1 पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का लक्षण प्रदर्शित नहीं हुआ।

जब मेण्डल ने F1 पीढ़ी के पौधे में स्वपरागण कराया तो F2 पीढ़ी में दोनों लक्षण दिखाई दिये अर्थात् लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी (3 : 1) के अनुपात में इसका अर्थ यह है कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी और बौनेपन का लक्षण अप्रभावी है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 3
यह प्रदर्शित होता है कि F1 पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौनेपन दोनों में विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई। F1 पीढ़ी में लम्बाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया क्योंकि वह प्रभावी विकल्प है और बौनापन अप्रभावी विकल्प है।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के प्रयोग में F1 पीढ़ी के लम्बे थे तथा पुनः तब F1 पीढ़ी के दो पौधों का संकरण किया गया जब F2 पीढ़ी के पौधे या तो लम्बे या बोने थे। लम्बे तथा बौने का अनुपात 3 : 1 था कोई भी पौधा बीच नहीं था। अर्थात् लम्बे या बौनेपन का लक्ष की ऊँचाई स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

प्रश्न 3.
एक A- रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन सा विकल्प लक्षण-रुधिर
वर्ग ‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है। यह बताने के लिए कौन सा विकल्प लक्षण रुधिर A या रुधिर वर्ग O प्रभावी है।

प्रश्न 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मानव के अधिकतर गुणसूत्र माता और पिता के गुणसूत्रों के प्रतिरूप होते हैं। इनकी संख्या 22 जोड़े है। लेकिन एक युग्म जिसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं जो सदा पूर्ण जोड़ी नहीं होते हैं। स्त्री में गुणसूत्र का पूर्ण युग्म होता है तथा दोनों X कहलाते हैं। लेकिन पुरुष में यह जोड़ा परिपूर्ण जोड़ा | नहीं होता जिससे एक गुणसूत्र सामान्य आकार का X होता है [ है तथा दूसरा गुणसूत्र छोटा होता है जिसे Y गुणसूत्र कहते हैं अतः स्त्रियों लिंग गुणसूत्र XX तथा पुरुष में XY गुणसूत्र होते हैं।

इस प्रकार सभी स्त्री युग्मक एकसमान होते हैं, परन्तु नर युग्मक दो प्रकार के होते है अब यदि X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो बच्चा लड़की होगी परन्तु यदि Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु निषेचन करता है तो बच्चा लड़का होगा।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 165)

प्रश्न 1.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर:
निम्नलिखित तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है-
(i) प्राकृतिक चयन – प्रकृति द्वारा लाभप्रद विविधताओं वाली समष्टि को सतत बनाये रखना प्राकृतिक चयन कहलाता है। वे लक्षण जो किसी व्यष्टि जीव के उत्तरजीविता तथा प्रजनन में लाभप्रद होती हैं, अगली पीढ़ी में हस्तान्तरित हो जाती हैं। परन्तु जिनसे कोई लाभ नहीं होता वे लक्षण संतति में नहीं जाते हैं।

(ii) आनुवंशिक विचलन – कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण किसी समष्टि के ज्यादातर जीव मर जाते हैं ऐसी स्थिति में जीन सीमित रह जाते हैं इसके कारण उस समष्टि का रूप बदल जाता है तथा उनकी संतति में केवल जीवित सदस्यों के लक्षण विचलन कहाँ जाता है। एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण दिखाई देते हैं। इसे आनुवंशिक विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
उत्तर:
उपार्जित लक्षण का प्रभाव कायिक ऊतकों पर पड़ता है परन्तु अर्जित लक्षण अनुभव का जनन कोशिकाओं के डी एन ए पर नहीं पड़ता। अतः ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 3.
बायों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है?
उत्तर:
(i) बाघों की संख्या में कमी दर्शाती है कि बाघ प्राकृतिक चयन में पिछड़ गए हैं। इनमें उत्तम परिवर्तन उत्पन्न नहीं हो रहे जोकि पर्यावरण के अनुकूल और अपनी समष्टि का आकार बढ़ा सकें।

(ii) छोटी समष्टि पर दुर्घटनाओं का प्रभाव अधिक पड़ता है। छोटी समष्टि में दुर्घटनाएँ किसी जीन की आवृत्ति को भी प्रभावित कर सकती हैं चाहे उनका उत्तरजीविता हेतु कोई लाभ हो या न हो। प्राकृतिक चयन और दुर्घटनाओं के कारण बाघों की प्रजाति लुप्त भी हो सकती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 166)

प्रश्न 1.
वे कौन से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं?
उत्तर:

  • प्राकृतिक चयन।
  • जीन प्रवाह का न होना अथवा बहुत कम होना।
  • आनुवंशिक विचलन।
  • डी.एन.ए. में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन होना जिससे कि दो समष्टियों के सदस्यों की जनन कोशिकाएँ (युग्मक) संलयन न कर पाए।
  • दो उपसमष्टियों का रूपेण अलग होना जिससे कि उनके सदस्य परस्पर लैंगिक प्रजनन न कर पायें।

प्रश्न 2.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों की जाति-उद्भव का प्रमुख कारण है क्योंकि अलग-अलग पौधों की स्पीशीज में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों के कारण भिन्न-भिन्न विभिन्नताएँ होती हैं। जीन प्रवाह का स्तर दो समष्टियों के मध्य और भी कम हो जाएगा इसलिए वे दूसरे के साथ जनन करने के अयोग्य हो जायेंगी।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं, भौगोलिक पृथक्करण अलेंगिक जनन करने वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है क्योंकि अलैंगिक जनन करने वाले जीवों में बहुत कम विभिन्नताएँ होती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-171)

प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका हम दो स्पीशीज के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं?
उत्तर:
समजात अंगों की उपस्थिति से हमें दो स्पीशीज के सदस्यों में विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता मिलती है।

उदाहरण-पक्षियों, सरीसृप एवं जल-स्थलचर की तरह स्तनधारियों के चार पैर (पाद) होते हैं। सभी में पैरों की आधारभूत संरचना एकसमान होती है, परंतु कार्यों में भिन्न होते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। ये अभिलक्षण इंगित करते हैं कि वे समान जनक से वंशानुगत हुए हैं।

प्रश्न 2.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते। वे समरूप अंग हैं जो उड़ने का कार्य करते हैं।

कारण-तितली के पंखों की संरचना चमगादड़ के पंख से बिल्कुल भिन्न होती है। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डियाँ होती हैं जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं होती हैं।

प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या हैं? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं?
उत्तर:
लाखों अथवा हजारों साल पहले पाए जाने वाले जीवों के परिरक्षित कठोर अवशेष, चट्टानों पर पैरों के निशान, मिट्टी में बने मृत जीवों के सांचे आदि को जीवाश्म कहते हैं।

जीवाशम हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाते हैं-

  • ऐसी कौन-सी स्पीशीज हैं जो कभी जीवित थीं परन्तु अब लुप्त हो गई हैं।
  • ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जोकि एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बीच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते हैं। उदाहरण के लिए, आर्कीऑप्टैरिक्स जीवाश्म में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के। यह इंगित करता है कि पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं।
  • फॉसिल पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकाले जाते हैं। इससे पता चलता है कि पृथ्वी की सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 173)

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर:
आधुनिक मानव स्पीशीज ‘होमो सैपियंस’ का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। कुछ हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अफ्रीका छोड़ दिया, जबकि कुछ वहीं रह गए। वे अलग-अलग देश के वातावरण में फैल गए जिसके कारण उनका आकार, आकृति, रंग-रूप भिन्न हो गए। इन विविधताओं के बावजूद वे परस्पर सफल लैंगिक जनन करने में समर्थ हैं तथा बच्चे पैदा कर सकते हैं, जिसके आधार पर उन्हें एक स्पीशीज के सदस्य कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीवाणु, मछली, मकड़ी तथा चिम्पैंजी में से चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता सबसे अधिक है। चिम्मैंजी का शारीरिक डिजाइन, विकसित शारीरिक अंग संस्थान, मस्तिष्क (Brain) का जीवाणु, मकड़ी और मछली से अधिक विकसित होना तथा हाथों में अंगूठे की अंगुलियों के विपरीत होना जिससे वे चीजें पकड़ सकें आदि लक्षण उनको बाकी सभी से उत्तम बना देते हैं।

हालांकि विकास की दृष्टि से अति उत्तम नहीं माना जा सकता। क्योंकि सरलतम अधिकल्प वाले जीवाणु का समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण जैसे कि उष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्म स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं। दूसरे शब्दों में यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है, वरन् वह जैव विकास श्रृंखला में उत्पन्न एक और स्पीशीज है।

क्रिया-कलाप – 9.1

प्रश्न 1.
अपनी कक्षा के सभी छात्रों के कान का जुड़े कर्णपालि अवलोकन कीजिए। ऐसे छात्रों की सूची बनाइए जिनकी कर्णपालि (ear lobe) स्वतंत्र हो तथा जुड़ी हो। (चित्र) वाले छात्रों एवं स्वतंत्र कर्णपालि वाले छात्रों के प्रतिशत की गणना कीजिए। प्रत्येक छात्र के कर्णपालि के प्रकार को उनके जनक से मिलाकर देखिए। इस प्रेक्षण के आधार पर कर्णपालि के वंशागति के संभावित नियम का सुझाव दीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
(a) स्वतन्त्र तथा (b) जुड़े कर्णपालि कान के निचले भाग को कर्णपालि कहते हैं। यह कुछ लोगों में सिर के पार्श्व में पूर्ण रूप से जुड़ा होता है परन्तु कुछ में नहीं। स्वतन्त्र एवं जुड़े कर्णपालि मानव समष्टि में पाए जाने वाले दो परिवर्त हैं।
उत्तर:
छात्र अपनी कक्षा के सभी छात्रों के कानों का अवलोकन करें तथा एक सूची बनाएँ यह दिखाने के लिए-
(i) स्वतंत्र कान की पालि वाले छात्र

(ii) जुड़े हुए कान की पालि वाले छात्र जब ऐसे छात्रों के जनकों के कानों को मिलाते हैं तो देखा गया कि उनके कान भी उन्हीं के समान हैं। यह गुण वंशानुगति के सिद्धान्त की पुष्टि करता है।
छात्र अपने अवलोकन निम्नलिखित प्रकार लिखें-

कान की पालि का प्रकार
छात्र का नाम पिता का नाम माता का नाम
1.
2.
3.
4.

क्रिया-कलाप – 9.2

प्रश्न 1.
चित्र में हम कौन-सा प्रयोग करते हैं जिससे यह सुनिश्चित होता है कि F2 पीढ़ी में वास्तव में TT, TY, तथा htt का संयोजन 121 अनुपात में प्राप्त होता है?
उत्तर:
जब शुद्ध लम्बे मटर के पौधों के शुद्ध बौने पौधों से परपरागण कराया गया तो F1 में सभी पौधे लम्बे थे और F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया गया तो 3 लम्बे व 1 बौने के अनुपात में संतति प्राप्त हुई। इनकी वास्तविक आनुवंशिकी निश्चित करने के लिए अलग-अलग पौधों में स्वपरागण कराया गया तो F3 पीढ़ी में बौने पौधों ने केवल बौने पौधे दिए, एक लम्बे पौधे ने केवल लम्बे पौधे दिए और दो लम्बे पौधों ने लम्बे तथा बौने दोनों पौधे दिए। इसका अर्थ हुआ कि F1 जीनी संरचना में 1 : 2 : 1 का अनुपात था जैसा कि आगे स्पष्ट किया गया है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 5

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों के प्रेषण या संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों का अर्थ बताइए-
(i) संकर
(ii) एलील
(iii) प्रतीप संकरण
(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(v) एक संकर संकरण
(vi) द्विसंकर संकरण
(vii) समयुग्मनज
(viii) विषमयुग्मनज
(ix) फीनोटाइप
(x) जीनोटाइप।
उत्तर:
(i) संकर – किसी प्रजाति के दो परस्पर विरोधी लक्षणों के जीवों के निषेचन से उत्पन्न जीव को संकर (hy-brid) कहते हैं।

(ii) एलील – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे को एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं।

(iii) प्रतीप संकरण – संकर संतानों को किसी जनक (माता / पिता) से संकरित कराने की क्रिया को प्रतीप संकरण (Back crossing) कहते हैं।

(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण-जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई – लक्षण कारकों के एक युग्म (pair ) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा पैतृक होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं।

(v) एक संकर संकरण – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस कहते हैं।

(vi) द्विसंकर संकरण – परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस कहते हैं।

(vii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) में किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था को समयुग्मी कहते हैं।

(viii) विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है।

(ix) फीनोटाइप – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।

(x) जीनोटाइप- इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं को आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Geno-type) कहलाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 3.
बैंक क्रॉस क्या होता है तथा किसी द्विसंकर क्रॉस में इसका क्या अनुपात होता है?
उत्तर:
बैक क्रॉस-यदि संकर संतानों को किसी भी जनक (माता-पिता) से संकरित कराया जाय तो ऐसे संकरण को प्रतीप संकरण कहते हैं।
अनुपात – 9 : 3 : 3 : 1

उदाहरण – मिराबिलिस जलापा के ऐसे दो पौधों के, जिनमें से एक में लाल पुष्प तथा दूसरे में सफेद पुष्प हों, क्रॉस कराने पर पहली पीढ़ी (F1) लाल पुष्पों के स्थान पर गुलाबी रंग के पुष्प उत्पन्न होते हैं। जब इन्हीं पौधों में स्वपरागण कराया जाता है तो दूसरी पीढ़ी (F2) में 1 लाल, गुलाबी तथा 1 सफेद रंग के पौधे बनते हैं।

प्रश्न 14.
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज किस प्रकार के प्राप्त होंगे?
उत्तर:
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज (Tt) लम्बे प्राप्त होंगे।

प्रश्न 5.
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को क्यों चुना?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोग में मटर का पौधा इसलिए चुना क्योंकि यह आसानी से विभिन्न गुण वाले होते हैं और पूरे वर्ष मिल जाते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका में ‘जीन’ कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
जीन – विनिमय किस प्रकार के कोशिका-विभाजन में होता है?
उत्तर:
जीन-विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है।

प्रश्न 8.
डी. एन. ए. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
डी ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड।

प्रश्न 9.
मनुष्य के X तथा Y गुणसूत्रों के संयोग से उत्पन्न संतान का लिंग क्या होगा, यदि युग्मनज में उपस्थित संयोग – (a ) XX हो, (b) YY हो, (c) XY हो?
उत्तर:

  • मादा
  • यह संयोग संभव नहीं
  • नर।

प्रश्न 10.
क्या अन्तर है : (a) गुणसूत्र तथा जीन में; (b) जीन तथा DNA में?
उत्तर:
(a) गुणसूत्र तथा जीन में क्रोमेटिन दो पदार्थों प्रोटीन तथा डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड के अणुओं के संयुक्त होने से बनता है। जिस समय कोशिका विभाजित होने लगती है, तब क्रोमेटिन सिकुड़कर अनेक मोटे एवं छोटे धागों के रूप में संगठित हो जाते हैं। इन धागों को गुणसूत्र कहा जाता है।

गुणसूत्रों में सूक्ष्म जैनेक रचनायें होती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन जीवधारी के पैतृक गुणों के वाहक होते हैं।

(b) जीन तथा DNA में जीन डी-ऑक्सी राइबो- न्यूक्लिक एसिड (DNA) अणु के खंड होते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में DNA का अणु होता है तथा विभिन्न जीन इस अणु के खंड होते हैं। जीन में उपस्थित नाइट्रोजनी बेसों (एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थायमीन) युक्त न्यूक्लियोटाइडों का विशेष क्रम जीन द्वारा व्यक्त किसी विशेष आनुवंशिक लक्षण को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 11.
मानव कोशिकाओं में ‘अलिंगी’ तथा ‘लिंगी’ गुणसूत्रों की संख्या कितनी कितनी होती है?
उत्तर:
अलिंगी में 22 जोड़ा (44) गुणसूत्र होते हैं तथा मानव में लिंगी गुणसूत्रों की संख्या 23 जोड़ा (46) होते हैं।

प्रश्न 12.
कौन-सा एंजाइम सभी प्राणियों पर क्रिया करता है?
उत्तर:
ट्रिप्सिन।

प्रश्न 13.
जीन कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन क्रोमोसोम पर स्थित होते हैं।

प्रश्न 14.
रेट्रोवायरस क्या है?
उत्तर:
जिस वायरस में आर. एन. ए. आनुवंशिक पदार्थ होता है उस वायरस को रेट्रोवायरस कहते हैं। जैसे एड्स का विषाणु।

प्रश्न 15.
DNA में कितने प्रकार के नाइट्रोजनधारी क्षार विद्यमान होते हैं? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
DNA में दो प्रकार के नाइट्रोजन क्षार होते हैं- प्यूरीन व पाइरीमिडीन।

प्रश्न 16.
RNA में पाए जाने वाले चार नाइट्रोजनी बेसों का नाम बताइए।
उत्तर:
एडीनीन, गुआनीन, सायटोसीन एवं यूरेसिल।

प्रश्न 17.
समजात अंग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वे अंग जो संरचना में समान परंतु देखने में अलग दिखाई देते हैं और भिन्न कार्य करते हैं। ऐसे अंगों को समजात अंग कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 18.
समयुग्मजी और विषमयुग्मजी किसे कहते हैं?
उत्तर:

  • समयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील समान होते हैं। जैसे- (TT या tt)।
  • विषमयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील असमान होते हैं। जैसे- (Tt)।

प्रश्न 19.
वियोजन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
गैमीटों के बनने के दौरान कारकों की जोड़ी के दो सदस्य सम्मिश्रित नहीं होते, वरन् विभिन्न गैमीटों में विसंयोजित हो जाते हैं। जाइगोट निर्माण के समय गैमीट पुनः परस्पर संयोजित हो जाते हैं। इसे गैमीटों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 20.
DNA के संरचनात्मक मॉडल को किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
वाट्सन और क्रिक ने।

प्रश्न 21.
एक जीन एक एंजाइम मत में क्या कहा गया है?
उत्तर:
एक जीन एक एंजाइम का अर्थ यह है कि प्रत्येक एंजाइम का अथवा विशिष्ट कोशिकीय प्रोटीन का नियंत्रण एक विशिष्ट जीन द्वारा होता है। प्रश्न 22 म्यूटेशन से आप क्या समझते हैं? उत्तर: क्रोमोसोम और जीनों की संख्या और उनकी संरचना में अचानक हुए वंशागतिशील परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं।

प्रश्न 23.
जीवन के उद्भव तथा जीवन के विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जीवन के उदभव से अभिप्राय है- निर्जीव पदार्थ से सरलतम जीव का विकास। सरल जीवों से जटिल जीवों का बनना, जैव विकास है।

प्रश्न 24.
उस पादप का नाम लिखें जिस पर मेण्डल ने प्रयोग किया था?
उत्तर:
मटर।

प्रश्न 25.
ए.आई. ओपेरिन ने कौन-सा मत प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
ए.आई. ओपेरिन के अनुसार जीवन का उद्भव द के भीतर रासायनिक पदार्थों के संयोजन से हुआ।

प्रश्न 26.
जीवाश्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
पौधों अथवा प्राणियों के अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं।

प्रश्न 27.
अर्जित लक्षणों की वंशागति का मत किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
जीवविज्ञानी ज्यां बैप्टिटस्ट लैमार्क ने।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में मटर के पौधे के किन लक्षणों का अध्ययन किया? इनमें से प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल द्वारा अध्ययन किये गये सात लक्षणों के प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूपों की सूची निम्नवत् है-

गुण प्रभावी लक्षण अप्रभाबी लक्षण
1. तने की ऊँचाई लम्बा (tall) बौना (dwarf)
2. बीज की आकृति गोल (round) झुरीदार (wrinkled)
3. पुष्प की स्थिति कक्षीय (auxillary) अंतस्थ (terminal)
4. फली का रंग हरा (green) पीला (yellow)
5. बीज का रंग पीला (yellow) हरा (green)
6. फली की आकृति फूली हुई (inflated) संकुचित (constricted)
7. पुष्प का रंग लाल (red) श्वेत (white)

प्रश्न 2.
मेण्डल के आनुवंशिकता सम्बन्धी नियमों का उल्लेख कीजिए तथा रेखाचित्र बनाकर एकसंकर संकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मेण्डल के आनुवंशिकता के नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
1. प्रभाविता का नियम (Law of Domi- nance)- जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic ) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive character- istic) कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1

2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes ) किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (1 : 3) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde pendent Assortment ) – जब जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
‘एलील’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एलील या एलीलोमॉर्फ (Allele or Allelomorph) – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे का एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं। जैसे कि फूल के रंग के सम्बन्ध में लाल रंग व सफेद रंग एक-दूसरे के एलील हैं। लम्बापन व बौनापन एक-दूसरे के एलील हैं। बीजों की गोलाई गोल व झुर्रीदार बीज एक-दूसरे के एलील हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) युग्मक तथा युग्मनज
(ii) समयुग्मनज तथा विषमयुग्मनज
(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप
(iv) एकसंकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस
(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु।
उत्तर:
(i) युग्मक तथा युग्मनज – जीवों के जननांगों में कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) से उत्पन्न संतति कोशिकाओं को युग्मक (Gamete) कहते हैं। युग्मक कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosomes ) की संख्या मातृ- कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या की आधी होती है। उदाहरणतः मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 तथा इसके अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त युग्मकों में गुणसत्रों की संख्या 23 होती है।

लिंगीय प्रजनन में नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोग से बनी कोशिका को युग्मनज (zygote) कहते हैं। इसमें गुणसूत्रों की संख्या, जीव की सामान्य कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या के बराबर होती है।

(ii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था समयुग्मी कहते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि मटर के किसी जाइगोट में मातृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो और पितृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो तो दोनों कारक एक जैसे होने के कारण यह युग्मनज समयुग्मी है। इसी प्रकार कोई युग्मनज बौनेपन के लिए, पुष्प के लाल या सफेद रंग के लिए अर्थात् किसी भी लक्षण के लिए समयुग्मी हो सकता है।

विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है। यह अवस्था विषमयुग्मी कहलाती है। जैसे कि यदि मटर का लम्बेन के कारक काला युग्मक, मटर के बौनेपन के कारक वाले युग्मक से संलयन करे तो जो जाइगोट बनेगा उसमें एक कारक लम्बेपन का व दूसरा कारक बौनेपन का होगा।

(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप (Phenotype and Genotype) – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।
इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Genotype ) कहलात है।

(iv) एक संकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस (Mono- hybrid and Dihybrid Cross) – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस (monohybrid cross) तथा परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस (Dihybrid cross) कहते हैं। उदाहरणत: सफेद नर एवं भूरे मादा चूहे के बीच निषेचन एक संकर क्रॉस होगा तथा गोल बीज वाले लम्बे पौधे एवं झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे का निषेचन द्विसंकर क्रॉस होगा।

(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण (Character- istics of Dominant and Recessive) – जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई लक्षण कारकों के एक युग्म (pair) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं। इस प्रकार अप्रभावी लक्षण तब प्रदर्शित होगा जब प्रभावी उपस्थित न हो।

(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु ( Sperm and Ovum) – लैंगिक प्रजनन में नर जीव की कोशिका के अर्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न नर युग्मक (male gamete) को शुक्राणु (Sperm) तथा मादा जीव की कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न मादा युग्मक (female ga- mete) को अण्डाणु (Ovum) कहते हैं। शुक्राणु तथा अण्डाणु के संयोजन (निषेचन) से युग्मनज (zygote) उत्पन्न होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 5.
यदि मटर के एक शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों में संकरण कराया जाय तो द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) में किस प्रकार के कितने पौधे प्राप्त होंगे? रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
स्पष्टीकरण – एक शुद्ध लम्बे (TT) तथा दूसरा शुद्ध बौने (tt) पौधे के क्रॉस कराने से प्रथम पीढ़ी F मैं लम्बे संकर (Tt) पौधे प्राप्त हुए जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी थी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2
इन पौधों में स्वपरागण द्वारा निषेचन कराने पर तीन प्रकार के जीन वाले पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
मानव नर तथा मादा के गुणसूत्रों में क्या अन्तर होता है? स्पष्ट कीजिए कि सन्तान का नर या मादा होना पिता पर निर्भर करता है, माता पर नहीं।
उत्तर:
संतान का नर या मादा होना पिता के दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग गुणसूत्र (समान X, X) होते ति हैं।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन पाये जाते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण वाहक होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • युग्मनज द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।

प्रश्न 8.
‘गुणसूत्र’ क्या होते हैं तथा जीवधारी में कहाँ पर पाये जाते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक जीव कोशिका (पौधे तथा जन्तु) में कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक में कुछ मोटे धागे के आकार की रचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्र सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

प्रश्न 9.
‘जीन’ (Genes) क्या होते हैं तथा जीवधारी कहाँ पर पाये जाते हैं? जीवों में जीन की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
कोशिका के केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्रों की लम्बाई में अनेक सूक्ष्म रचनायें क्रमबद्ध रूप से स्थित पायी जाती हैं। इन रचनाओं को जीन कहते हैं। किसी जीवधारी के अनेक लक्षण जीनों द्वारा व्यक्त किये जा सकते हैं। जीवधारी के शरीर प्रत्येक भाग की रचना, आकार, आकृति तथा भौतिक एवं मानसिक व्यवहार उसकी कोशिकाओं में उपस्थित जीनों की विशिष्टता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10.
‘क्रोमेटिन’, ‘क्रोमोसोम’ तथा ‘क्रोमेटिङ’ में अंतर बताइए।
उत्तर:
क्रोमेटिन – कोशिका के केन्द्र में पाया जाने वाला जैव पदार्थ क्रोमेटिन कहलाता है, जो लक्षणों (Characters) के स्थानान्तरण का मुख्य भाग है।

क्रोमोसोम-क्रोमेटिन पदार्थ कोशिका विभाजन के समय लम्बी धागे जैसी संरचनाओं में परिवर्तित हो जाता है, प्रत्येक संरचना क्रोमोसोम कहलाती है। क्रोमोसोम पर जीन उपस्थित होते हैं। प्रत्येक जीन जीव के आनुवंशिक गुण के लिए उत्तरदायी होती है।

क्रोमेटिड – कोशिका विभाजन के समय, प्रत्येक क्रोमोसोम दो समान एवं प्रतिरूप संरचनाओं में विभाजित होता है। प्रत्येक संरचना क्रोमेटिड कहलाती है। प्रत्येक क्रोमेटिड मूल क्रोमोसोम की प्रतिलिपि (कापी) होता है।

प्रश्न 11.
जीनों की ‘असहलग्नता’, ‘पूर्ण सहलग्नता’ तथा ‘अपूर्ण सहलग्नता’ का क्या अर्थ है? ये सम्बन्ध किन दशाओं में होते हैं?
उत्तर:
जब किसी कोशिका में दो भिन्न प्रकार के जीन, दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त संतति कोशिकाओं में भी ये जीन भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर ही स्थित रहते हैं – अर्थात् दो भिन्न गुणसूत्रों के बीच जीनों का कोई आदान-प्रदान नहीं होता। यह जीनों के असहलग्नता (Non-linkage) की दशा है।

ऐसे गुणसूत्र जिनमें जीन विनिमय नहीं होता वे मातृ कोशिका की भाँति ही गुणसूत्रों की रचना करते हैं। इनसे बने युग्मकों में आनुवंशिक लक्षण बिना किसी परिवर्तन के स्थानान्तरित होते हैं। इसे पूर्ण जीन सहलग्नता कहते हैं।

इसके विपरीत जिन गुणसूत्रों में जीन विनिमय होता है, उनसे बने युग्मकों में स्थानान्तरित आनुवंशिक लक्षण, मातृ- कोशिका के लक्षणों से भिन्न हो सकते हैं। यही विशेषता अपूर्ण जीन सहलग्नता कहलाती है।

प्रश्न 12.
‘जीन विनिमय’ क्या होता है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जीन सहलग्नता एवं विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है। अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में एक कोशिका का विभाजन दो संतति कोशिकाओं में होता है तथा इस चरण में मातृ कोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों के किसी समजात युग्माक एक संतति कोशिका में तथा दूसरा गुणसूत्र दूसरी कोशिका में चला जाता है। इस क्रिया में मातृ कोशिका की अपेक्षा संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसके दूसरे चरण में दोनों संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है जिससे चार संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है।

जीन-विनिमय का महत्त्व – (Importance of Gene Cross):
जीन-विनिमय के फलस्वरूप एक ही प्रकार के गुणसूत्रों से विभिन्न प्रकार के पुनर्योजित गुणसूत्र उत्पन्न होते हैं। माना कि किसी मातृ- कोशिका में समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक पर जीन A, B, C तथा दूसरे पर जीन a, b, c हैं। कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र खण्डों के विनिमय के कारण दो नये प्रकार के गुणसूत्र Abe तथा aBC बनेंगे। जब इन गुणसूत्रों से युक्त संतति कोशिकाएं बनेंगी उनमें दो नये प्रकार की जीन श्रृंखला Abe तथा aBC होंगी।

चूंकि जीन ही जीवधारी के लक्षण निर्धारित करते हैं, इन दोनों कोशिकाओं से विकसित होने वाले जीवों के लक्षण मातृ- कोशिका धारण करने वाले जीव से कुछ भिन्न होंगे। उनमें आपस में कुछ विभिन्नता भी होगी। इसी कारण एक इन दोनों संतानों के बहुत से लक्षणों समानता होगी परन्तु ही माता-पिता की सन्तानों में काफी समानता होते हुए भी कुछ अन्तर भी मिलता है। इस अन्तर को विविधता (varia-tions) कहते हैं।

किसी जीव जाति के उभरने एवं अस्तित्व में बने रहने के लिए विविधता का बहुत महत्त्व है। प्राकृतिक वरण (natural selection) की प्रक्रिया द्वारा प्रकृति उन जीवधारियों का चयन करती है जो अपने वातावरण के अनुकूलतम (Most adapted) होते हैं वातावरण निरन्तर बदलता रहता है अतः जितनी अधिक विविधता किसी जाति के जीवधारियों में होगी, उस जाति के बने रहने की सम्भावनाएं उतनी ही अधिक होंगी।

प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि जीन उत्परिवर्तन से जीवों के लक्षणों की वंशानुगति कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तन में अकेले जीन की संरचना या गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों के निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं अतः आने वाली पीढ़ियों की संतानों में विविधता का कारण बनते हैं।

प्रश्न 14.
जीन की संरचना में परिवर्तन के विभिन्न प्रकार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तनों के प्रकार (Types of Gene Mutations):
(क) जीव के जीवनकाल में परिवर्तन होने के समय के अनुसार जीन – उत्परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं-

  • युग्मकी उत्परिवर्तन (Gametic Muta-tions) – ये उत्परिवर्तन युग्मक (Gamete) बनने के समय होते हैं।
  • युगमनजी उत्परिवर्तन (Zygotic Muta-tions) ये परिवर्तन भ्रूण बनने की क्रिया में युग्मनज के प्रथम विभाजन के समय होते हैं।
  • कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Muta-tions) – ये परिवर्तन वयस्क शरीर में मृत्यु से पहले कभी भी हो सकते हैं। ये प्रायः दैहिक कोशिकाओं में होते हैं- अतः ये वंशागत नहीं होते।

(ख) जैविक पदार्थ के प्रभावित अंश के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
(a) जीन – उत्परिवर्तन (Gene Mutations) – ऐसे परिवर्तन में किसी विशेष लक्षण के वाहक जीन की रासायनिक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन निम्नवत् हो सकता है-

  • न्यूक्लियोटाइडों के विलोपन द्वारा इस क्रिया में जीन की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड टूटकर अलग हो जाते हैं।
  • न्यूक्लियोटाइडों का संवर्धन- इस क्रिया में जीन (DNA) की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला में एक अथवा अधिक अतिरिक्त न्यूक्लियोटाइड जुड़ जाते हैं।
  • नाइट्रोजनी बेस का परिवर्तन- इस प्रकार के उत्परिवर्तन में न्यूक्लियोटाइडों के नाइट्रोजन बेस का परिवर्तन जैसे किसी प्यूरीन बेस का पिरीमिडीन बेस से या पिरीमिडीन बेस का प्यूरीन बेस से अथवा एक प्रकार के प्यूरीन/ पिरीमिडीन बेस का दूसरे प्रकार के प्यूरीन / पिरीमिडीन बेस से परिवर्तन हो जाता है।

(b) गुणसूत्र उत्परिवर्तन (Chromosomal Mutations) – इनमें एक या अधिक गुणसूत्रों की रचना में परिवर्तन हो जाते हैं ये परिवर्तन प्रायः युग्मक जनन के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय होते हैं। इन परिवर्तनों में-

  • गुणसूत्र पहले दो या दो से अधिक खण्डों में टूटते हैं तथा पुनः जुड़ते समय इनमें अदला-बदली हो सकती है अथवा कुछ खण्ड वापस नहीं जुड़ पाते तथा कोशिका द्रव्य में घुलकर समाप्त हो जाते हैं।
  • गुणसूत्रों के एक या एक से अधिक खण्ड गलत स्थानों पर जुड़ जाते हैं।
  • एक या एक से अधिक टुकड़ों के जुड़ने में इनके सिरे बदल जाते हैं।
  • किसी गुणसूत्र पर एक या एक से अधिक जीन दोहरे हो जाते हैं।

(c) गुणसूत्र समूह में उत्परिवर्तन- इसमें कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या बदल (बढ़ या घट सकती है।

प्रश्न 15.
गामा – विकिरणों के प्रभाव से विकलांग संतानों की उत्पत्ति क्यों होती है?
उत्तर:
प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (cosmic radiations ), गामा-विकिरण (gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते हैं जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

इस प्रकार के विकिरणों उत्परिवर्तन के फलस्वरूप, शरीर में विभिन्न प्रकार के कैन्सर तथा सन्तानों में विकलांगता उत्पन्न हो सकती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी नामक नगरों पर गिराये गये परमाणु बम के विस्फोट से जो विकिरण उत्पन्न हुए उनके प्रभाव से वहाँ के निवासियों की जीव संरचनाओं में ऐसे उत्परिवर्तन हो गये, जिनके कारण वहाँ अब भी विकलांग सन्तानें उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 16.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
(i) लिंग गुणसूत्र
(ii) सेण्ट्रोमियर
(iii) उत्परिवर्तन
उत्तर:
(i) लिंग गुणसूत्र तथा मानव में लिंग निर्धारण – बहुत से एकलिंगी जीवों में प्रत्येक कोशिका में एक जोड़ी विशेष गुणसूत्र होते हैं, जिन्हें लिंग गुणसूत्र (Sex-chromosomes) कहते हैं अनेक प्रकार के जन्तुओं तथा एक जोड़ा तथा उसके विपरीत लिंग का जीव समान लिंग पादपों में कोई भी एकलिंगी जीव असमान लिंग गुणसूत्रों का गुणसूत्रों का एक जोड़ा धारण करता है जैसे मानव के नर में एवं Y लिंग गुणसूत्र तथा मादा में दो X लिंग-गुणसूत्र पाये जाते हैं। इन लिंग गुणसूत्रों के जोड़े को अन्य गुणसूत्रों से विभेदित करने के लिए शेष बचे गुणसूत्रों को अलिंग गुणसूत्र (Autosomal chromosomes ) कहा जाता है।

मानव में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Human): मानव गुणसूत्र (Human Chromosomes)-मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े (46) गुणसूत्र होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
1. अलिंग गुणसूत्र अथवा ऑटोसोम्स (Autosomes) – ये गुणसूत्र संख्या में 22 जोड़े (44) होते हैं और प्रत्येक जोड़े के गुणसूत्र समजात (Homologous) होते हैं। आटोसोम्स की लिंग निर्धारण में कोई भूमिका नहीं है।

2. लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) अथवा एलोसोम्स (Allosomes) अथवा असमजात (Heterosomes)-ये गुणसूत्र भ्रूण के लिंग निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दो प्रकार के हैं-

  • एक्स गुणसूत्र (X-chromosome)
  • वाई गुणसूत्र (Y-chromosome)।

मानव में लैंगिक जनन होता है। इसके लिए पुरुष के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन शुक्राणु (Sperms) बनते हैं। प्रत्येक शुक्राणु को आटोसोम्स का एक-एक गुणसूत्र (अर्थात् ऑटोसोम्स) तथा एलोसोम के XY जोड़े का कोई एक गुणसूत्र प्राप्त होता है। इस प्रकार पुरुष में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं-

  • जिनमें X + 22 ऑटोसोम्स तथा
  • Y + 22 ऑटोसोम्स होते हैं।

इसके विपरीत, स्त्री में 23वें जोड़े के गुणसूत्र भी एकसमान होते हैं। अत: स्त्री के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न सभी अंड कोशिका (Ovum) एक ही प्रकार की होती हैं जिनमें X + 22 गुणसूत्र होते हैं। अब यदि पुरुष का (X + 22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्ड को निषेचित करता है तो मादा शिशु (लड़की) का जन्म होगा-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 3
इसके विपरीत यदि (Y+22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु (X+22) गुणसूत्र वाले अण्ड कोशिका को निषेचित करता है तो नर शिशु (लड़के) का जन्म होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
जिनमें 50% में (X + 22) गुणसूत्र तथा 50% में (Y + 22 ) गुणसूत्र होते हैं, यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि कौन-सा शुक्राणु अंड को निषेचित करता है। स्पष्ट है कि पुत्र या पुत्री होने की सम्भावना 50% होती है।

उपर्युक्त से यह भी स्पष्ट होता है कि सन्तान का नर या मादा होना, पिता के द्वारा दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग-गुणसूत्र समान (XX) होते हैं।

(ii) सेण्ट्रोमियर (Centromere) – गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स या स या अर्द्धगुणसूत्र सेण्ट्रोमियर (Cen-tromere) द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। यह मेटाफेज अवस्था में विभाजन के समय ट्रैक्टाइल तन्तुओं से जुड़ता है मेटाफेज अवस्था में सेण्ट्रोमियर विभाजित ‘जाता है। सेन्टोमियर के विभाजन के आधार पर यह निम्न प्रकार के होते हैं-

  • टीलोसेन्ट्रिक – इसमें सेन्ट्रोमियर गुणसूत्र के एक और स्थित होता. है।
  • एक्रोसेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र का एक भाग बहुत छोटा तथा दूसरा बहुत बड़ा होता है।
  • सबमेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र के दोनों भाग असमान होते हैं।
  • मेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ लगभग समान होती हैं।

(iii) उत्परिवर्तन – ह्यूगो डी व्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों के उत्पत्ति के बारे में जीन- उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। डी व्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत ) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन जीव कोशिकाओं में उपस्थित जीनों (Gene) की रासायनिक संरचना में उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन उत्परिवर्तन कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया में DNA खण्ड न्यूक्लियोटाइडों की संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में उनके विभिन्न लक्षणों के प्रेषण अथवा संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

इसका अर्थ है कि प्रत्येक जीवधारी अपने ही समान संरचना एवं गुण वाली सन्तानों को जन्म देता है। शेर का बच्चा शेर ही होता है। खरगोश से केवल खरगोश का ही जन्म होता है। गुलाब से केवल गुलाब ही पैदा होता है, आम से केवल आम इस प्रकार देखा जाता है कि पौधों व जन्तुओं की विभिन्न जातियाँ अपने ही जैसी सन्तानों को जन्म देती हैं। यह बात केवल जाति के स्तर पर ही नहीं, बल्कि और नीचे के भी लागू होती है, जैसे कि परिवार के स्तर पर एक ही परिवार के सदस्यों के बीच काफी ज्यादा समानताएं देखने को मिलती हैं।

बच्चों के अनेक लक्षण (जैसे-रंग-रूप, आंख, कान, नाक, हाथ-पैर की बनावट), आवाज आदि उनके माता-पिता, दादा-दादी, चाचा, बुआ, मामा, मौसी आदि से काफी मिलते हैं। जीवधारियों के के अनेक लक्षण माता-पिता के माध्यम से संतानों में पीढ़ी-दर- चलते रहते हैं। सन्तानों में, माता-पिता से प्राप्त इस प्रकार के गुणों को को पैतृक या आनुवंशिक लक्षण कहते हैं।

इन लक्षणों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरन्तरता को ही आनुवंशिकता कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। इनके आधार पर प्रतिपादित मेण्डल के नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रयोग (Mendel’s Experi-ments):
मेण्डल द्वारा मटर के पौधे पर किये गये संकरण प्रयोग अत्यन्त मूल्यवान तथा मौलिक माने जाते हैं। इन प्रयोगों द्वारा उन्होंने यह जानने का प्रयत्न किया कि आनुवंशिक लक्षण माता-पिता से अगली पीढ़ी में कैसे पहुँचते हैं। नीचे मेण्डल के प्रयोगों की मुख्य विधियों तथा सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन किया गया है।

मेण्डल ने उद्यान मटर का उपयोग अपने प्रयोगों में इसलिए किया, क्योंकि यह पौधा कुछ महीनों में अपना जीवन-चक्र पूरा कर लेता है, अतः प्रयोग के परिणाम कम समय में ही मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त मटर का पौधा स्वपरागित है तथा इसमें दिखाई देने वाले अनेक वैकल्पिक लक्षण एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जैसे लम्बा पौधा व बौना पौधा, लाल फूल व सफेद फूल, गोल बीज व झुर्रीदार बीज आदि।

मेण्डल ने आनुवंशिक लक्षणों के निम्नलिखित सात जोड़ों को चुना-

  • बीज का रूप – गोल अथवा झुर्रीदार
  • बीजपत्र का रंग पीला अथवा हरा
  • बीजचोल अथवा फूल का रंग लाल अथवा सफेद
  • फली (पॉड) का रूप फूला अथवा संकीर्णित
  • फली (पॉड) का रंग हरा अथवा पीला
  • फूल का स्थान- कक्षीय अथवा शीर्षस्थ
  • तने की लम्बाई – लम्बा अथवा बौना।

मेण्डल ने प्रत्येक लक्षण के लिए शुद्ध वंशाक्रमी (true breeding) पौधों को चुना।

उन्होंने मटर के एक जोड़ी विरोधी लक्षण वाले दो शुद्ध वंशाक्रमी पौधों के बीजों का परागण कराया। उदाहरणार्थ, फूल के रंग के दो विरोधी लक्षण अथवा वैकल्पिक रूप हैं- लाल रंग के फूल और सफेद रंग के फूल। ऐसे दो पौधों के बीच परागण किया गया। इससे बने बीजों को उगाकर अगली पीढ़ी प्राप्त की गयी। इस पीढ़ी के पौधों को संकर (hybrid) कहते हैं।

मेण्डल अपने द्वारा छाँटे गये लक्षणों की सातों जोड़ी में से प्रत्येक के लिए ऊपर दी गयी विधि से संकर बनाये। शुद्ध वंशाक्रमी जनकों के संकरण से प्राप्त पीढ़ी को प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation) कहते हैं। इस पीढ़ी को F1 से से प्रदर्शित करते हैं। इसी पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया गया और प्राप्त बीजों को उगाकर द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation) प्राप्त की गयी। इसे F2 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

मेण्डल ने अपनी गणित शिक्षा के आधार पर F2 पीढ़ी में प्राप्त लक्षणों के अनुपात की की गणना की। चूँकि इस प्रयोग में केवल एक लक्षण (फूल का रंग) के दो वैकल्पिक रूपों (लाल व सफेद) का अध्ययन किया गया। अत: गया। अतः इनसे प्राप्त प्राप्त अनुपातों को एकसंकर अनुपात (Monohybrid ratio) कहते हैं।

इसके पश्चात् मेण्डल ने दो जोड़ी विरोधी लक्षणों का एक साथ अध्ययन किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने गोल बीज वाले लम्बे पौधों का परागण झुर्रीदार बीज वाले बौने है। इस पौधों के साथ किया। इस प्रकार के संकरण को द्विसंकरण-क्रॉस (Dihybrid cross) कहा अध्ययन के आधार पर मेण्डल ने द्विसंकर- अनुपात (Dihy- brid ratio) प्रस्तुत किया।

मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
मेण्डल के प्रयोगों तथा निष्कर्षों के आधार पर जो तथ्य प्राप्त हुए, उन्हें तीन नियमों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जाता है-
1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance) – जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes) – किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (13) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde-pendent Assortment) – जब दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
मेण्डल के निम्नलिखित नियमों को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) प्रभाविता का नियम
(ii) पृथक्करण का नियम
(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम।
अथवा
मेण्डल के वंशागति नियमों को समझाइए।
अथवा
स्वतंत्र अपव्यूहन से आप क्या समझते हैं? केवल रेखाचित्र द्वारा द्विसंकर क्रॉस समझाइए।
अथवा
मेण्डल का प्रथम नियम लिखिए। इसको विस्तृत रूप से समझाइए।
अथवा
मेण्डल द्वारा प्रतिपादित पृथक्करण नियम को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
(i) प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से बनता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए, मटर के के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे- लाल फूल और सफेद ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर (Factor) कहा, परन्तु अब इन्हें जीन (Gene) के नाम से जाना जाता है।

युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों (Gametes) के संलयन (Fusion ) से होता है। प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ, यदि मटर के हैं और मादा

युग्मक में फूल युग्मक क मैं लाल रंग व्यक्त करने वाली जीन सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है, तब दोनों युग्मकों के न से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद, दोनों संलयन रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी। युग्मनज से बीज बनता है और बीज के अंकुरण से पौधा बनता है। पौधे की सभी कोशिकाओं में प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों के लिए जीन उपस्थित होती हैं। यदि दोनों जीन एक रूप को व्यक्त करती हैं तो वह लक्षण स्पष्ट रूप दिखाई देता है।

जैसे मटर के पौधे में यदि दोनों जीन लाल रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो फूल का रंग परंतु फूल लाल होगा और यदि दोनों जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो का रंग सफेद होता है। जब पौधे एक जीन लाल रंग की तथा दूसरी जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली होगी तब फूल का रंग लाल होगा अथवा सफेद मेण्डल ने यह पाया कि दो विपरीत जीनों में से केवल एक जीन के लक्षण ही संकर में परिलक्षित होते हैं। दूसरी जीन उपस्थित होते भी उसके बाह्य लक्षण व्यक्त नहीं होते। मेण्डल ने प्रथम जीन के लक्षण को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरी के लक्षण को अप्रभावी लक्षण (Recessive char-acteristic) कहा।

उदाहरणार्थ लाल तथा सफेद रंग के फूलों वाले पौधों के संकरण से उत्पन्न फूल लाल रंग के होते हैं। अतः लाल रंग प्रभावी लक्षण तथा सफेद रंग अप्रभावी लक्षण है।

(ii) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation):
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 5
यह नियम विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के संकरण से उत्पन्न संकरों के परस्पर संकरण से प्राप्त परिणामों को व्यक्त करता है।

इस प्रयोग के लिए मेण्डल ने एक लम्बे (200 सेमी) तथा दूसरे बौने (50 सेमी) पौधे को चुना। ये दोनों पौधे शुद्ध वंशानुक्रमी थे – अर्थात् लम्बे पौधे में दोनों जीन लम्बे गुण के (T,T) तथा बौने पौधे में दोनों जीन बौने गुण (t, t) थे। इन पौधों के बीच संकरण कराने से जो पौधे प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation, F1) में प्राप्त हुए वे सभी लम्बे थे। इसका अर्थ यह है कि लम्बाई (dominant) तथा तथा बौनेपन का गुण का गुण प्रभावी अप्रभावी (recessive) था, यद्यपि इन सभी पौधों में दोनों प्रकार के जीन (T, t) उपस्थित थे।

प्रथम संतानीय पीढ़ी के (लम्बे) पौधों के बीच परागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation, F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे नहीं थे। F2 पीढ़ी में केवल 75% (3/4) पौधे लम्बे (प्रभावी लक्षण के) तथा 25% (1/4) पौधे बौने (अप्रभावी लक्षण के) पाये गये। इस प्रकार द्वितीय संतानीय पीढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूप के पौधों का अनुपात 3 : 1 पाया जाता है।

द्वितीय पीढ़ी के सभी बौने पौधे, स्वपरागण करने पर वंशाक्रमी पाये गये अर्थात् इनकी दोनों जीनें बौनेपन द्वितीय पीढ़ी के लम्बे पौधों में से 1/3 अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी थे अर्थात् इनकी सभी जीने लम्बेपन (T, T) की थीं तथा शेष 2/3 अर्थात् 66.67% पौधे संकर थे-अर्थात् इनमें एक जीन लम्बेपन की तथा दूसरी बौनेपन की (T, t) थी।

द्वितीय पीढ़ी में जीनों के इस विवरण को चित्र द्वारा समझा जा सकता है। प्रत्येक जनक में दो जीन होते हैं तथा प्रत्येक जनक संतान को केवल एक जीन प्रदान करता है। चित्र में में प्रदर्शित उदाहरण में लम्बे जनक ने लम्बेपन की जीन (T) तथा बौने जनक ने बौनेपन की जीन (t) प्रदान की। इस प्रकार प्रथम पीढ़ी (F1) की प्रत्येक संतान में दोनों वैकल्पिक जीन (T, ,t) उपस्थित रहीं तथा T जीन के प्रभावी होने के कारण सभी पौधे लम्बे रहे। द्वितीय पीढ़ी की संतानों में प्रत्येक जनक से दो वैकल्पिक जीनों (T तथा t) में से कोई एक प्राप्त होती है।

यदि प्रथम जनक की जीनों को T1, t1 तथा द्वितीय जनक की जीनों को T2, t2 लिखा जाय तो दोनों से
जीन लेकर इनका समूहन निम्नवत् चार प्रकार से एक-एक किया जा सकता है-
(T1, T2), (T1, t2), (T1,T2), (T1,T2)
इससे स्पष्ट है कि इस समूहन से उत्पन्न तीन समूहों में प्रभावी जीन (T) उपस्थित होगी तथा केवल एक समूह में दोनों जीन अप्रभावी होंगे। इस प्रकार प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण वाले पौधों का अनुपात 3 : 1 होगा।

तीनों प्रभावी लक्षण के पौधों में भी केवल एक समूह, शुद्ध लक्षण (T, T) का है तथा शेष दो समूह संकर है। इस प्रकार मेण्डल का द्वितीय नियम (प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों का 3:1 के अनुपात में पृथक्करण) स्पष्ट हो जाता है।

(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of In-dependent Assortment)
यह नियम द्विसंकर क्रॉस (Dihybrid cross) के परिणामों पर आधारित है। इस प्रकार के क्रॉस में पौधे के दो जोड़ी लक्षणों का अध्ययन किया जाता है (एक संकर क्रॉस में केवल एक जोड़ी लक्षण का अध्ययन किया जाता है)।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 6
द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (Tr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे। इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं। इनका (बाह्य रूप) व जीनोटाइप (जीनी संरचना) तालिका में दर्शाये गये हैं।

तालिका में दिये गये फीनोटाइप व जीनोटाइप का अवलोकन करने पर आप देखेंगे कि जो लक्षण जनकों में साथ-साथ थे, उनका F2 पीढ़ी में साथ रहना आवश्यक नहीं है।

फीनोटाइप जीनोटाइप (संक्षेपित) अनुपात
1. पीले व गोल बीज वाले पौधे YR 9
2. पीले व झुर्रीदार बीज वाले पौधे Yr 3
3. हरे व गोल बीज वाले पौधे yR 3
4. हरे व झुर्रीदार बीज वाले पौधे yr 1

उपर्युक्त से स्पष्ट है कि पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र होता है।

प्रश्न 4.
‘जीन’ से क्या तात्पर्य है? इसके आधार पर एक संकरण क्रॉस की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक संकरण क्रॉस की व्याख्या (Expla- nation of Monohybrid Cross):
हम जानते हैं कि प्रत्येक जीव जाति (species) की कोशिका में गुणसूत्र (chromosomes) होते हैं जिनकी संख्या निश्चित होती है। ये गुणसूत्र जोड़े (pairs) में होते हैं तथा एक जोड़े के दोनों गुणसूत्र जीव के समान लक्षणों को व्यक्त करता है। उदाहरणार्थ: यदि किसी जोड़े का एक गुणसूत्र आँख के रंग, लम्बाई, बालों के प्रकार आदि का नियंत्रण करता है तो जोड़े का दूसरा गुणसूत्र भी इन्हीं गुणों को निर्धारित करता है। ऐसे जोड़े को समजात गुणसूत्र कहते हैं।

समजात गुणसूत्रों के प्रत्येक जोड़े पर कारक (factors) जिन्हें अब जीन (gene) कहते हैं, पाये जाते हैं। प्रायः जीव के किसी एक लक्षण का वाहक एक जीन होता है तथा एक जीन के दो रूप एलील (alleles) होते हैं – एक प्रभावी (dominant) तथा दूसरा अप्रभावी (recessive)।

जीवधारी कैसा लक्षण प्रदर्शित करता है-यह इस बात पर निर्भर करता है कि समजात गुणसूत्रों पर उस लक्षण के कौन-से एलील उपस्थित हैं। माना कि मटर में लम्बे होने का एलील T तथा बौनेपन का एलील t है। T प्रभावी तथा t अप्रभावी होता है। यदि समजात जोड़े के एक गुणसूत्र पर T तथा दूसरे पर भी T जीन है तो पौधा लम्बा होगा। इसी प्रकार यदि दोनों गुणसूत्रों पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा शुद्ध बौना होगा। यदि एक गुणसूत्र पर ‘T ‘ व दूसरे पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा संकर लम्बा होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 7
अब जब अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तो युग्मकों (जनन कोशिकाओं) में प्रत्येक जोड़े में से केवल एक गुणसूत्र युग्मक में पहुँचता है। स्पष्ट है कि किसी युग्मक में ” T ” पहुँचेगा व किसी में ‘ t ‘ । अब यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि नर युग्मक मादा युग्मक के संलयन से उत्पन्न जाइगोट तथा उसमें विकसित जीवधारी कैसा होगा? यदि ‘T ” जीन वाला नर/मादा युग्मकरण जीन वाले मादा /नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिका में “TT” जीन (दोनों लम्बाई के) होंगे और पौधा लम्बा होगा।

यदि ‘t ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t ‘ जीन वाले मादा/नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिकाओं में ‘tt’ जीन होंगे (दोनों बौनेपन के), पौधा बौना होगा। यदि ‘T ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t’ जीन वाले मादा/नर युग्मक से संलयन करेगा तो ‘Tt’ यानी संकर संतान होगी परन्तु लम्बी होगी क्योंकि T प्रभावी है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है।

अपने प्रयोग में मेण्डल ने मटर के शुद्ध लम्बे पौधों व शुद्ध बौने पौधों के बीच संकरण कराया । लम्बेपन के जीन को ‘ T ‘ से तथा बौनेपन के जीन को ‘ t ‘ से प्रदर्शित कर सकते हैं। इस प्रकार शुद्ध लम्बे पौधे का जीनोटाइप ‘TT’ तथा शुद्ध बौने पौधे का जीनोटाइप ‘tt’ हुआ। आप जानते हैं कि शुद्ध लम्बे पौधे में “TT’ जीन जोड़े में से एक “T” जीन समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक गुणसूत्र पर व दूसरा ‘T ‘ जीन, दूसरे गुणसूत्र पर होगा।

इसी तरह शुद्ध बौने पौधे में tt (दो जीन t व t समजात गुणसूत्रों पर अलग-अलग होंगे।) जब इनसे नर युग्मक व मादा युग्मक (gamete) बनते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप युग्मकों में प्रत्येक जोड़े से केवल एक जीन पहुँचता है अतः युग्मक में केवल एक जीन पहुँचेगा T या t। परन्तु शुद्ध लम्बे पौधे (TT) के सभी युग्मकों में T जीन होगा। इस प्रकार शुद्ध बौने पौधे (tt) के सभी युग्मक में t जीन होगा।

जब लम्बे पौधे के युग्मकों का संलयन बौने पौधे के युग्मक से होगा तो युग्मनज (zygote) में T व t जीन वाले गुणसूत्र होंगे। इसका जीनोटाइप Tt होगा। चूँकि T प्रभावी है तथा t क्षीण है, इसमें विकसित F1 से पीढ़ी के पौधे होंगे तो लम्बे व शुद्ध नहीं बल्कि संकर लम्बे। अब जब इस F1 पीढ़ी के युग्मक बनेंगे तो अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणसूत्र फिर पृथक होंगे और अलग-अलग युग्मों में पहुँचेंगे, परन्तु अबकी बार 50 \% युग्मकों में T जीन व 50 \% युग्मकों में t जीन होगा। इस प्रकार से बने युग्मकों में जब स्वपरागण के बाद संलयन होता है तो 4 प्रकार के संचय बनते हैं-

  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से भी T → TT समयुग्मी (शुद्ध) लम्बे
  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से t → Tt विषमयुग्मी (संकर) लम्बे
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मकों से T → tT
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मक से भी t → tt → समयुग्मी (शुद्ध) बौने

इस प्रकार F2 पीढ़ी में जीनोटाइप के अनुसार 1 : 2 : 3 के अनुपात में TT ( शुद्ध लम्बे), Tt/ tT (संकर लम्बे) व tt ( शुद्ध बौने) पौध्रे प्राप्त होते हैं। फीनोटाइप (बाह्य आकार) के आधार पर लम्बे व बौने पौधे 3: 1 के अनुपात में होते हैं।

अब चूँक TT जीन वाले पौधे शुद्ध लम्बे हैं, ये आगे सभी पीढ़ियों में लम्बे पौधों को ही जन्म देते हैं। इसी प्रकार tt जीन वाले शुद्ध बौने पौधे अगली पीढ़ियों में केवल बौने पौधों को ही जन्म देते हैं, परन्तु Tt जीन वाले अगली पीढ़ी में फिर 3: 1 के अनुपात में लम्बे व बौने पौधों को जन्म देते हैं। यही क्रम पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 5.
‘द्वि-संकरण’ से क्या तात्पर्य है? उपयुक्त नियम के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब दो विपरीत लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो उसे द्वि-संकर संकरण कहते हैं, जैसे पीले गोल बीजों वाले पौधों तथा हरे झुर्रीदार बीजों वाले पौधों के बीच संकरण | इसकी क्रिया स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम पर आधारित है जिसका अर्थ है कि दो पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है।

द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (rr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे।

इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं। प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
‘प्रभावी’ तथा ‘अप्रभावी’ लक्षणों से’ क्या तात्पर्य है? इनके आधार पर ‘प्रभाविता’ का नियम समझाइए।
अथवा
प्रभाविता नियम को समझाइए।
अथवा
प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों से क्या तात्पर्य है?
F2 पीढ़ी में उपस्थित प्रभावी लक्षणों को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराने से उनकी संतानों में जो लक्षण परिलक्षित होता है, उसे प्रभावी लक्षण (Dominant characteris- tic) तथा जो लक्षण परिलक्षित नहीं होता उसे अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से निर्मित होता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए मटर के युग्मनज में फूल के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे-लाल और सफेद। ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर कहा, परन्तु अब इन्हें जीन के नाम से जाना जाता है। युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों के संलयन से होता है।

प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ-यदि मटर के नर युग्मक में फूल का रंग व्यक्त करने वाली जीन है और मादा युग्मक में सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है तब F2 पीढ़ी में दोनों युग्मकों के संलयन से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद दोनों रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त का आधार क्या है? इसे स्पष्ट करते हुए सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त (Chro-mosome Theory of Heredity)
जिस समय मेण्डल, मटर पर किये गये कार्यों को अन्तिम रूप दे रहे थे, लगभग उसी समय विलियम फ्लेमिंग (1879), ने सैलामेण्डर की कोशिकाओं के केन्द्रक में गुणसूत्रों को देखा था। वर्ष 1902 में वाल्टर सटन तथा थियोडोर बावेरी ने मेण्डल के सिद्धान्तों एवं गुणसूत्रों में पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण के समय एवं कोशिका विभाजन -विभाजन समय मेण्डल के कारकों (factors) एवं गुणसूत्रों की कार्यविधि में समानता होती है।

मेण्डल ने कहा था था कि कारक (factors) जोड़ों (allelomorphs) में में होते हैं और गुणसूत्र भी जोड़ों में होते हैं और प्रत्येक जोड़े का एक-एक गुणसूत्र विभिन्न मातृ पौधे से आते हैं। मेण्डल ने यह भी देखा कि जिस समय युग्मक (gamete) का निर्माण होता है जोड़े में आये कारक अलग-अलग हो जाते हैं और अलग युग्मकों में वितरित हो जाते हैं, [मेण्डल का पृथक्करण का नियम (Mendel’s Law of Segregation)]।

अर्द्धसूत्री विभाजन के समय समयुग्मी (homozygous) गुणसूत्रों के के जोड़े फिर अलग-अलग जाते हैं, और एक युग्मक में जोड़े का केवल एक ही सदस्य जाता है। मेण्डल ने यह भी पाया कि यदि एक जोड़े के एक कारक (factor) का अध्ययन किया जाय उनका वितरण दूसरे जोड़े के कारकों से स्वतन्त्र रूप होता [स्वतन्त्र पृथक्करण का सिद्धन्त (Law of Independent Assortment)]। अगर हम यह मान कि एक लक्षण, आनुवंशिक कारक (gene) जैसे फूलों का रंग एक जोड़े गुणसूत्र के ऊपर होता है और दूसरे लक्षण का कारक (gene) जोड़े के दूसरे गुणसूत्र पर है तब अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र का स्वतन्त्र पृथक्करण के कारण लक्षणों (कारकों) का भी पृथक्करण होगा।

आनुवंशिक कारकों तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्रों के व्यवहार की इस समानता के आधार पर आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त निम्नवत् समझा जा सकता है-

  • युग्मनज (zygote) द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन (genes) होते हैं
  • जीन डिऑक्सीराइबो – न्यूक्लियक – एसिड (DNA) द्वारा निर्मित होते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण का वाहक होता है।
  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।

प्रश्न 8.
‘जीन – उत्परिवर्तन’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देते हुए जीन विनिमय की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
जीन का उत्परिवर्तन (Mutations of Gene):
हयूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों की उत्पत्ति के बारे में जीन – उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। जब वे ईवनिंग प्रिमरोज नामक पौधे की अनेक पीढ़ियों में वंशानुगति का अध्ययन कर रहे थे थे तो उन्होंने पाया कि कभी-कभी अकस्मात् कुछ ऐसे पौधे उत्पन्न हो जाते हैं जो जनक पौधों से इतने भिन्न होते हैं कि उन्हें नयी जाति का माना जा सकता है।

वंशानुगत में इन अकस्मात् तस्मात् परिवर्तनों की, विकास के सामान्य सिद्धान्तों जीवन-संघर्ष (struggle for existence), योग्यतम की उत्तरजीविता (survival of the fittest), प्राकृतिक वरण (natural selection) आदि के द्वारा व्याख्या नहीं की जा सकती। डी ब्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन परिस्थत जीनों (genes) की रासायनिक जीव-कोशिकाओं में उपस्थित संरचना में में परिवर्तन से उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन-उत्परिवर्तन [न (Gene mutation) कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया मैं DNA खण्ड के न्यूक्लियोटाइडों को संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

जीन-उत्परिवर्तन में DNA की संरचना में अकस्मात् एवं स्थायी परिवर्तन हो जाता है। यद्यपि इसके द्वारा DNA के वृहत् अणु के केवल के केवल एक छोटे खण्ड में ही परिवर्तन होता है, फिर भी इसके द्वारा DNA में संचित आनुवंशिक कोड में परिवर्तन हो जाने से कोशिका एवं जीवधारी के विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

उदाहरणत: होमोग्लोबिन प्रोटीन के संश्लेषण से सम्बद्ध जीन की न्यूक्लियोटाइड शृंखला में केवल एक नाइट्रोजनी बेस के बदल जाने से लाल रक्त कणिकाओं की गोल आकृति बदल कर हँसिया की आकृति (sickle shape) हो जाती है जिससे मानव में रक्ताल्पता (anaemia) हो जाता है।

जीन – उत्परिवर्तन में एकाकी जीन की संरचना अथवा गुणसूत्रों की संरचना तथा संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज (zygote) से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों (gametes) ‘निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं – अतः अगली पीढ़ियों की सन्तानों में विभिन्नताओं का कारण बनते हैं।

जीन – विनिमय (Gene Cross-over ) – कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय यह क्रिया तब होती है जब दो भिन्न-भिन्न जीन एक ही गुणसूत्र पर स्थित हो।

जीन – विनिमय की प्रक्रिया को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। चित्र में मातृ-कोशिका के समजात गुणसूत्री का एक युग्म तथा प्रत्येक गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड (Chroma- tid), जो सेन्ट्रीमियर पर परस्पर सम्बद्ध होते हैं, प्रदर्शित हैं। इन गुणसूत्रों पर दो भिन्न जीन a एवं b एक गुणसूत्र पर तथा A एवं B दूसरे गुणसूत्र स्थित हैं।

चित्र में एक गुणसूत्र के क्रोमेटिड (a,b) का दूसरे गुणसूत्र के क्रोमेटिड (A,B) से क्रॉस करना प्रदर्शित है। क्रोमेटिडों के क्रॉस करने वाले बिन्दु को कायस्मा (chiasma) कहते हैं। इस बिन्दु पर दोनों क्रोमेटिड, एक एन्जाइम इण्डोन्यूक्लिएज (endo- nuclease) की क्रिया से भंग हो जाते हैं तथा इनके खण्डों के बीच विनिमय (exchange) होकर, दूसरे एन्जाइम लाइगेज (ligase) की क्रिया से पुनः जुड़ जाते हैं। यह अवस्था चित्र में प्रदर्शित है। अन्त में अर्द्धसूत्री विभाजन से दोनों गुणसूत्रों के चार क्रोमेटिड अलग-अलग होकर चार अगुणित गुणसूत्र बनाते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8
चित्र से स्पष्ट है कि इन चार संतति गुणसूत्रों में से दो (ab तथा AB) तो मातृ- कोशिका के गुणसूत्रों के समान ही रहेंगे परन्तु दो गुणसूत्र (ab तथा AB) में जीनों का वितरण मातृ – कोशिका से भिन्न होगा।

प्रश्न 9.
‘जीन-विनिमय’ से क्या तात्पर्य है? उत्परिवर्तन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीन विनिमय जब दो गुणसूत्रों (समान या असमान) के बीच अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणों (लक्षण) का आदान-प्रदान होकर नयी पीढ़ी का निर्माण होता है तो उसे जीन विनिमय कहते हैं।
उत्परिवर्तन के कारण (Causes of Mutations):

  • युग्मकजनन में त्रुटि – युग्मक निर्माण के समय गुणसूत्रों के अर्धसूत्री विभाजन एवं पारगमन के समय कोई त्रुटि हो जाने से उत्परिवर्तन हो जा सकता है।
  • शारीरिक दशाएँ – कभी-कभी असामान्य शारीरिक दशाओं जैसे हॉरमोनों का असामान्य प्रवाह, शारीरिक ताप का असामान्य परिवर्तन, पोषक पदार्थों की कमी, उपापचय क्रियाओं में गड़बड़ी आदि से भी उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • वातावरणीय दशाएँ – युग्मक निर्माण के समय वातावरण के ताप में अकस्मात् कमी हो जाने से उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • विकिरणों का प्रभाव – प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों, जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (Cosmic ra- diations), गामा – विकिरण (Gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते है- जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 10.
DNA के वाटसन एवं क्रिक मॉडल को चित्र की सहायता से समझाइए।
अथवा
वाटसन एवं क्रिक द्वारा बनाये गये DNA मॉडल का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:
DNA की आण्विक संरचना (Molecular Structure of DNA) – जे. डी. वाटसन (J. D Watson) और एच.एफ.सी. क्रिक (H.F.C. Crick) ने सन् 1953 ई. में DNA की रचना के बारे में एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे उनके नाम पर वाटसन और क्रिक का मॉडल कहते हैं। इसके लिए वाटसन (Watson) एवं क्रिक (Crick) तथा विलकिन्स (Wilkins) को सम्मिलित रूप से सन् 1962 ई. में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उनके अनुसार-
(1) DNA द्विचक्राकार रचना (Double helical structure) है, जिसमें पॉलीन्यूक्लियोटाइड की दोनों श्रृंखलाएँ एक अक्ष रेखा पर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कुण्डलित अथवा रस्सी की तरह ऐंठी हुई रहती हैं।

(2) दोनों श्रृंखलाओं का निर्माण फॉस्फेट (P) एवं शर्करा (S) के अनेक अणुओं के मिलने से होता है। नाइट्रोजनी बेस शर्करा के अणुओं से पार्श्व में लगे होते हैं।

(3) पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बेस लम्बी अक्ष रेखा के सीधे कोणीय तल में लगे रहते हैं तथा सीढ़ी के डण्डे के आकार की रचना बनाते हैं

(4) नाइट्रोजनी क्षारक एक विशिष्ट क्रम में जुड़े रहते हैं। एडीनीन (A) तथा थायमीन (T) के मध्य हाइड्रोजन बन्ध (A = T) होते हैं जबकि साइटोसीन (C) तथा ग्वानीन (G) के मध्य तीन हाइड्रोजन बन्ध (C ≡ G) होते हैं।

(5) DNA के दोहरे हेलिक्स का व्यास 20 Å होता है। हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल (turn) में 10 नाइट्रोजन क्षारक जोड़े होते हैं। प्रत्येक नाइट्रोजन क्षारक के मध्य की दूरी 3.4Å होती है और हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल की लम्बाई 34Å होती है।

(6) DNA अणु में एडीनीन की कुल मात्रा थायमीन के बराबर और ग्वानीन की मात्रा साइटोसीन के बराबर होती है। इसे चारगाफ का तुल्यता का नियम कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 9

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश – प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. मटर में शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने पौधे में संकरण कराया जाता है, तो लम्बे मटर के पौधे प्राप्त होते हैं, द्वितीय पीढ़ी में प्राप्त पौधे होंगे-
(a) शुद्ध लम्बे
(b) शुद्ध बौने
(c) संकर लम्बे
(d) शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने
उत्तर:
(c) संकर लम्बे

2. मटर में बीजों का गोल आकार तथा पीला रंग होता है-
(a) अपूर्ण प्रभावी
(b) अप्रभावी
(c) संकर
(d) प्रभावी
उत्तर:
(d) प्रभावी

3. एक संकर संकरण की F2 पीढ़ी में शुद्ध तथा संकर गुणों वाले पौधों का प्रतिशत अनुपात होता है-
(a) 1/3
(b) 3/1
(c) 1/1
(d) 2/3
उत्तर:
(c) 1/1

4. मेण्डल ने आनुवंशिकता के प्रयोग जिस पौधे पर किये उसका नाम है-
(a) गुड़हल
(b) गेंदा
(c) गुलाब
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

5. TT और tt प्रकार के क्रॉस से संतानों में होगा-
(a) TT
(b) Tt
(c) tt
(d) मटर
उत्तर:
(d) मटर

6. आनुवंशिक लक्षणों के रासायनिक कारक हैं-
(a) DDT
(b) DNA
(c) प्रोटीन
(d) कार्बोहाइड्रेट
उत्तर:
(b) DNA

7. किसी प्राणी की जीनी संरचना को कहते हैं-
(a) जीनोटाइप
(b) फीनोटाइप
(c) एलीलोमॉर्फ
(d) संकर
उत्तर:
(b) फीनोटाइप

8. जीन पाये जाते हैं-
(a) कोशिका में
(b) केन्द्रक में
(c) माइटोकॉण्ड्रिया में
(d) गुणसूत्रों पर
उत्तर:
(d) गुणसूत्रों पर

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

9. एक संकर संकरण की F2 पी ढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी गुणों वाले पौधों का अनुपात होगा-
(a) 25 : 75
(b) 75 : 25
(c) 50 : 50
(d) 40 : 60
उत्तर:
(b) 75 : 25

10. उद्यान मटर में अप्रभावी लक्षण है-
(a) लम्बे तने
(b) झुर्रीदार बीज
(c) रंगीन बीजकवक
(d) गोल बीज
उत्तर:
(b) झुर्रीदार बीज

11. आनुवंशिकता के जनक हैं-
(a) चार्ल्स डार्विन
(b) ग्रेगर जान मेण्डल
(c) हयूगो डी ब्रीज
(d) हरगोविन्द
उत्तर:
(b) ग्रेगर जान मेण्डल

12. विपरीत लक्षणों के जोड़ों को कहते हैं-
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ
(b) निर्धारक
(c) समयुग्मजी
(d) समरूप
उत्तर:
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ

13. पृथक्करण का नियम प्रस्तुत किया-
(a) लैमार्क ने
(b) डार्विन ने
(c) ह्युगो डी व्रीज ने
(d) मेण्डल ने
उत्तर:
(d) मेण्डल ने

14. पुष्प में लाल रंग लक्षण प्रभावी है। इसका विपरीत या तुलनात्मक लक्षण क्या होगा?
(a) बौना पौधा
(b) गोल बीज
(c) सफेद पुष्प
(d) हरे बीज
उत्तर:
(c) सफेद पुष्प

15. मनुष्य में गुणसूत्रों की संख्या क्या होती है?
(a) 44
(b) 45
(c) 46
(d) 47
उत्तर:
(c) 46

16. मानव में ऑटोसोम (Autosome) के जोड़े होते हैं-
अथवा
मनुष्य के शुक्राणु में ऑटोसोम की संख्या कितनी होती है?
(a) 22
(b) 23
(c) 1
(d) 46
उत्तर:
(a) 22

17. निम्नलिखित में मादा का जीनोटाइप होगा-
(a) XY
(b) YY
(c) XX
(d) सभी तीनों
उत्तर:
(c) XX

18. निम्नलिखित में प्यूरीन क्षारक है-
(a) ग्वानीन
(b) थाइमीन
(c) साइटोसीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ग्वानीन

19. जीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया-
(a) मेण्डल ने
(b) जोहन्सन ने
(c) बीजमान ने
(d) ऐवरी ने
उत्तर:
(b) जोहन्सन ने

20. प्यूरीन क्षारक होता है-
(a) एडीनीन
(b) साइटोनिन
(c) यूरेसिल
(d) थायमीन
उत्तर:
(a) एडीनीन

21. सेण्ट्रोमियर एक भाग है-
(a) गुणसूत्र का
(b) जीन का
(c) कोशिकाद्रव्य का
(d) राइबोसोम का
उत्तर:
(a) गुणसूत्र का

22. जीन – विनिमय होता है-
(a) समसूत्री विभाजन में
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में
(c) अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वितीय चरण में
(d) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में

23. दो भिन्न जीनों में सहलग्नता नहीं होती, यदि-
(a) वे एक ही गुणसूत्र पर एक-दूसरे से दूर स्थित हों
(b) वे एक ही गुणसूत्र पर परस्पर निकट स्थित हों
(c) वे दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित हों
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों
उत्तर:
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों

24. उत्परिवर्तन का कारण है-
(a) जीन परिवर्तन
(b) जीवन संघ
(c) उद्विकास
(d) प्राकृतिक चयन
उत्तर:
(a) जीन परिवर्तन

25. गुणसूत्र किस पदार्थ के बन होते हैं?
(a) प्रोटीन
(b) आर.एन.ए.
(c) डी.एन.ए.
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन
उत्तर:
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन

26. डॉ. हरगोविन्द खुराना को नोबेल पुरस्कार मिला है-
(a) 1970 में
(b) 1972 में
(c) 1980 में
(d) 1968 में
उत्तर:
(d) 1968 में

27. टी. च मार्गन ने अपना आनुवंशिक प्रयोग किस पर किया?
(a) घरेलू मक्खी
(b) बालू मक्खी
(c) फल मक्खी
(d) सी.सी. मक्खी
उत्तर:
(c) फल मक्खी

28. निम्नलिखित में आनुवंशिक पदार्थ है-
(a) गॉल्जी बॉडी
(b) DNA
(c) राइबोसोम्स
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया
उत्तर:
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया

29. केन्द्रक का निर्माण होता है-
(a) DNA से
(b) प्रोटीन से
(c) RNA से
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से
उत्तर:
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एक लाल पुष्पी मटर के पौधे का संकरण सफेद पुष्पी मटर के पौधे से किया गया। F1 पीढ़ी में लाल पुष्प थे। अतः सफेद पुष्प ………………… गुण है।
  2. Test Cross ……………….. है।
  3. सफेद फूले हुए तथा चिपके हुए लाल पुष्पों वाले पौधों के बीच संकरण ………………… कहलाता है।
  4. जैव विकास के सिद्धान्त का मुख्य सम्बन्ध ………………… है।
  5. जैव विकास में उत्परिवर्तन का महत्त्व ………………… होता है।

उत्तर:

  1. अप्रभावी
  2. Ttxxtt
  3. द्विसंकरण
  4. धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तनों से
  5. जननिक भिन्नताएँ।