JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions )

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. किस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था?
(A) गंडक
(B) कोसी
(C) सोन
(D) दामोदर।
उत्तर:
(D) दामोदर।

2. किस नदी का बेसिन भारत में सबसे बड़ा है?
(A) सिन्ध
(B) गंगा
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) कृष्णा।
उत्तर:
(B) गंगा।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

3. कौन-सी नदी पंचनद में सम्मिलित नहीं है?
(A) रावी
(C) चनाब
उत्तर:
(B) सिन्ध |

4. कौन-सी नदी दरार घाटी में बहती है?
(A) सोन
(B) यमुना
(C) नर्मदा
(D) लूनी।
उत्तर:
(C) नर्मदा|

5. अलकनन्दा तथा भागीरथी नदी के संगम को क्या कहते हैं?
(A) विष्णु प्रयाग
(B) कर्णप्रयाग
(C) रुद्र प्रयाग
(D) देव प्रयाग।
उत्तर:

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
नदी द्रोणी और जल संभर में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
नदी द्रोणी (River Basin ): विशाल नदी एक विशिष्ट क्षेत्र से जल बहा कर अपने साथ लाती है तथा सागर में गिरती है। इसमें कई सहायक नदियां भी अपना जल शामिल करती हैं । इस क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं ।
जल संभर (Water- Shed): छोटी-छोटी नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल संभर कहते हैं । इसका आकार एक नदी द्रोणी से छोटा होता है ।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 2.
वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
वृक्षाकार अपवाद (Dendritic Pattern): जो अपवाह प्रतिरूप (Drainage pattern) पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो उसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहते हैं। उत्तरी मैदान की नदियां वृक्षाकार अपवाह का उदाहरण हैं । यह वृक्ष की आकृति जैसा है।
जालीनुमा अपवाह (Trellis Drainage ): जब मुख्य नदियां एक-दूसरे के समानान्तर बहती हों तथा सहायक नदियां उनसे समकोण पर मिलती हों तो इस प्रतिरूप को जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप कहते हैं ।

प्रश्न 3.
अपकेन्द्रीय और अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रारूप |
उत्तर:
अपकेन्द्रीय अपवाह (Radial Drainage ): जब नदियां किसी पर्वत से निकल कर सभी दिशाओं में बहती हैं तो इसे अपकेन्द्रीय अपवाद कहते हैं । अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियां इस प्रतिरूप का उदाहरण हैं ।
अभिकेन्द्रीय अपवाह (Centripetal Drainage ): जब सभी दिशाओं से नदियां बहकर किसी झील या गर्त में मिल जाती हैं तो इसे अभिकेन्द्रीय अपवाद कहते हैं जैसे थार मरुस्थल में ।

प्रश्न 4.
डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अन्तर स्पष्ट करो ।
उत्तर:
डेल्टा (Delta): नदियां अपने उद्गम से लेकर अपने साथ तलछट सागर में गिरने से पहले निक्षेप करती हैं। यहां तक त्रिभुजाकार भू-भाग (∆) की रचना होती है जिसे डेल्टा कहते हैं। संसार में सबसे बड़ा डेल्टा गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा है।
ज्वारनदमुख (Estuary): जब नदियां अपने अन्तिम भाग में तीव्र ढलान के कारण तलछट निक्षेप नहीं करतीं तो वह तलछट सागर में बह जाता है। इस तंग चैनल को ज्वारनदमुख कहते हैं। जैसे नर्मदा नदी डेल्टा की बजाय एक ज्वारनदमुख बनाती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 5.
भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक आर्थिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
उत्तरी भारत की नदियां प्रायद्वीपीय नदियों से भिन्न हैं। मध्य भारत में सतपुड़ा – विन्ध्याचल श्रेणी तट जलविभाजक का कार्य करती है। उत्तरी भारत की नदियों में जलाधिकय है तथा सारा वर्ष जल प्राप्त होता है । परन्तु प्रायद्वीपीय नदियां मौसमी हैं । उत्तरी भारत की नदियों को प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से जोड़ा जा सकता है। इस योजना को गंगा – कावेरी योजना कहते हैं। उत्तरी भारत की अतिरिक्त जल वाली नदियां प्रायद्वीपीय भारत की कम जल वाली नदियों को जल प्रदान कर सकती हैं। इससे जल सिंचाई में विस्तार किया जा सकता है। खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। देश में सूखे की समस्या समाप्त की जा सकती है। देश में जलविद्युत् उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है परन्तु विभिन्न राज्यों की सीमाओं तथा जल संसाधनों पर उनके अधिकार की समस्याएं हैं।

प्रश्न 6.
प्रायद्वीपीय नदियों के तीन लक्षण बताओ।
उत्तर:

  1. प्रायद्वीपीय नदियां अधिक लम्बी नहीं हैं तथा कम हैं।
  2. ये नदियां मौसमी हैं। केवल वर्षा ऋतु में ही इनसे जल प्राप्त होता है।
  3. प्रायद्वीपीय नदियां जहाजरानी तथा जलसिंचाई के अनुकूल नहीं

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 7.
हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक की यात्रा में आने वाली मुख्य नदियों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. गंगा
  2. शारदा नदी
  3. गोमती नदी
  4. घाघरा नदी
  5. गंडक नदी
  6. कोसी नदी।

अपवाह तंत्र  JAC Class 11 Geography Notes

→ भारत का जल-प्रवाह (Drainage of India): भारत में कई विशाल नदियां हैं इसलिए इसे ‘नदियों की | धरती’ कहते हैं। भारत के स्थल भाग का 90% जल प्रवाह बंगाल की खाड़ी में गिरता है।

→ जल विभाजक (Water Sheds): विभिन्न जल-प्रवाह तन्त्रों को अलग-अलग करने वाले क्षेत्र को जल विभाजक कहते हैं। भारत में मुख्य तीन जल विभाजक हैं- हिमालय श्रेणी, विंध्याचल, सतपुड़ा तथा पश्चिमी
घाट।

→ भारत का जल प्रवाह तन्त्र (Drainage System of India ): भारतीय नदियों को दो तन्त्रों में बाँटा जा सकता है
(i) हिमालय नदियां
(ii) प्रायद्वीपीय नदियां।

→ हिमालयाई नदियां (The Himalayan Rivers ): हिमालय नदियों में विशाल बेसिन हैं। नदियां गहरे गार्ज | बनाती हैं। ये सदा वाहिनी नदियां हैं क्योंकि ये हिम नदियों से जन्म लेती हैं। इनमें तीन मुख्य नदियां सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियां हैं। कई नदियां पूर्ववर्ती हैं। ये हिमालय पर्वत के उत्थान से पहले बहती थीं।

→ प्रायद्वीपीय नदियां (The Peninsular Rivers ): ये नदियां कम गहरी घाटियों में बहती हैं जो आधार त को पहुंच चुकी हैं। कई नदियां मौसमी हैं जो वर्षा पर निर्भर करती हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है- I पूर्व में बहने वाली नदियां जो बंगाल की खाड़ी में गिरती (महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) हैं तथा पश्चिम में बहने वाली नदियां जो अरब सागर में गिरती हैं ( नर्मदा तथा ताप्ती) ।

→ मुख्य नदियां (Major Rivers ): सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 किलोमीटर है। इसका उद्गम तिब्बत में (मानसरोवर) होता है तथा यह ट्रांस हिमालयाई नदी है। इसकी पांच सहायक नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, जेहलम तथा चिनाब हैं। गंगा भारत की मुख्य नदी है जो गंगोत्री से निकलती है। ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में सांपो कहते हैं जो बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी की ओर बहती है। गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे | लम्बी नदी है। इसे वृद्ध गंगा कहते हैं। महानदी, कृष्णा, कावेरी प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य नदियां हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. प्लीस्टो सिन युग कब हुआ था
(A) 10 लाख वर्ष पूर्व
(B) 15 लाख वर्ष पूर्व
(C) 20 लाख वर्ष पूर्व
(D) 25 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(C) 20 लाख वर्ष पूर्व।

2. विश्व में कितने % पौधे विलोपन की कगार पर है
(A) 5%
(B) 6%
(C) 7%
(D) 8%.
उत्तर:
(D) 8%.

3. प्रोजैक्ट टाईगर कब शुरू किया गया
(A) 1970
(B) 1971
(C) 1972
(D) 1973.
उत्तर:
(D) 1973.

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

4. पृथ्वी शिखर कब हुआ-
(A) 1990
(B) 1991
(C) 1992
(D) 1993.
उत्तर:
(C) 1992.

5. महा विवधता केन्द्र किस क्षेत्र में है
(A) उष्ण कटिबन्धीय
(B) शीत-उष्ण कटिबन्धीय
(C) शीत
(D) शुष्क।
उत्तर:
(A) उष्ण कटिबन्धीय।

6. WWF (World Wide Fund) का मुख्यालय कहाँ है?
(A) न्यूयार्क
(B) लंदन
(C) पेरिस
(D) स्विटजरलैंड|
उत्तर:
(D) स्विटजरलैंड

7. WWF (World Wide Fund) की स्थापना कब की गई?
(A) 1950
(B) 1961
(C) 1954
(D) 1962.
उत्तर:
(D) 1962.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव के लिये पौधे किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
पौधे मनुष्य को कई प्रकार की फसलें, प्रोटीन देते हैं यह जनसंख्या के पोषण के लिये एक प्राकृतिक साधन हैं।

प्रश्न 2.
मानव के लिये जन्तुओं के महत्त्व का संक्षिप्त का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव के आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के पदार्थ मिलते हैं। इतिहास के प्रारम्भिक काल में मानव पशु पालन पर निर्भर था। असंख्य पशु प्राकृतिक वनस्पति खा कर मांस तथा डेयरी पदार्थ प्रदान करते हैं, जिससे मानव जनसंख्या का पोषण होता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 3.
जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
उत्तर:
जैविक विविधता का अस्तित्व तीन विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित हैं-

  1. प्रजातीय विविधता ( Species Diversity): जो आकृतिक शरीर क्रियात्मक तथा आनुवंशिक लक्षणों द्वारा प्रतिबिम्बित होती है।
  2. आनुवांशिक विविधता (Genetic Diversity ): जो प्रजाति के भीतर आनुवंशिक या अन्य परिवर्तनों से युक्त होती है।
  3. पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): विविधता, जो विभिन्न जैव भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, ज्वारनदमुख आदि द्वारा प्रतिबिम्बित होती है । इस पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित रखना एक महान् चुनौती है।

प्रश्न 4.
जैविक विविधता का संरक्षण क्या है?
उत्तर:
जैविक विविधता का संरक्षण एक ऐसी योजना है जिसका लक्ष्य विकास की निरंतरता को बनाये रखना है। विभिन्न प्रजातियों को कायम रखने के लिये, विकसित करने तथा उनके जीवन कोष को बनाये रखना जो भविष्य में लाभदायक हो।

प्रश्न 5.
जैव विविधता क्या है?
उत्तर:
जैव विविधता दो शब्दों के मेल से बना है (Bio) बायो का अर्थ है जीव तथा (Diversity) का अर्थ है विविधता। साधारण शब्दों में, किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव विविधता कहते हैं।

प्रश्न 6.
जैव विविधता का इतिहास बताओ। किस कटिबन्ध में जैव विविधता अधिक है?
उत्तर;
आज जो जैव विविधता हम देखते हैं, वह 25 से 35 अरब वर्षों के विकास का परिणाम है। मानव जीवन के प्रारम्भ होने से पहले, पृथ्वी पर जैव विविधता किसी भी अन्य काल से अधिक थी। मानव के आने से जैव विविधता में तेज़ी से कमी आने लगी, क्योंकि किसी एक या अन्य प्रजाति का आवश्यकता से अधिक उपभोग होने के कारण, वह लुप्त होने लगी। अनुमान के अनुसार, संसार में कुल प्रजातियों की संख्या 20 लाख से 10 करोड़ तक, लेकिन एक करोड़ ही इसका सही अनुमान है। नयी प्रजातियों की खोज लगातार जारी है और उनमें से अधिकांश का वर्गीकरण भी नहीं हुआ है। (एक अनुमान के अनुसार दक्षिण अमेरिका की ताज़े पानी की लगभग 40 प्रतिशत मछलियों का वर्गीकरण नहीं हुआ।) उष्ण कटिबन्धीय वनों में जैव-विविधता की अधिकता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 7.
हॉट-स्पॉट ( Hot Spot ) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन्हें हॉट-स्पॉट कहते हैं। यहां प्रजातियों की संख्या अधिक होती है।

प्रश्न 8.
पारितन्त्र में प्रजातियों की भूमिका बताओ।
उत्तर:

  1. जीव व प्रजातियां ऊर्जा ग्रहण करती हैं।
  2. ये कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न करती हैं।
  3. ये जल व पोषण चक्र बनाने में सहायक हैं।
  4. वायुमण्डलीय गैसों को स्थिर करती है।

प्रश्न 9.
विदेशज प्रजातियों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वे प्रजातियां जो स्थानीय आवास की मूल प्रजातियाँ नहीं हैं, लेकिन उस ढंग से स्थापित की गई हैं, उन्हें विदेशज प्रजातियां कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रजाति का विलुप्त होना क्या है?
उत्तर:
प्रजाति का विलुप्त होने का तात्पर्य है कि उस प्रजाति का अन्तिम सदस्य भी मर चुका है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जैव विविधता के क्या कारण हैं?
उत्तर:
जैव विविधता का आधार अपक्षयण है। सौर ऊर्जा और जल ही अपक्षयण में विविधता और जैव विविधता का मुख्य कारण है। वे क्षेत्र जहां ऊर्जा व जल की उपलब्धता अधिक है, वहीं पर जैव विविधता भी व्यापक स्तर पर है

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 2.
जैव विविधता सतत् विकास का तन्त्र है? स्पष्ट करो।
उत्तर:
जैव विविधता सजीव सम्पदा है यह विकास के लाखों वर्षों के ऐतिहासिक घटनाओं का परिणाम है। प्रजातियों के दृष्टिकोण से और अकेले जीवधारी के दृष्टिकोण से जैव-विविधता सतत् विकास का तन्त्र है। पृथ्वी पर किसी प्रजाति की औसत अर्ध आयु 10 से 40 लाख वर्ष होने का अनुमान है। ऐसा भी माना जाता है कि लगभग 99 प्रतिशत प्रजातियाँ, जो कभी पृथ्वी पर रहती थीं, आज लुप्त हो चुकी हैं। पृथ्वी पर जैव विविधता एक जैसी नहीं है। जैव-विविधता उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में अधिक होती है। जैसे-जैसे हम ध्रुवीय प्रदेशों की तरफ बढ़ते हैं, प्रजातियों की विविधता तो कम होती जाती है, लेकिन जीवधारियों की संख्या अधिक होती जाती है।

प्रश्न 3.
पौधों और जीवों को संरक्षण के आधार पर विभिन्न प्रजातियों में बांटो
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
1. संकटापन्न प्रजातियाँ (Endangered species):
इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN ) विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में (Red list) रेड लिस्ट नाम से सूचना प्रकाशित करता है।

2. कमज़ोर प्रजातियाँ (Vulnerable species):
इसमें वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। इनकी संख्या अत्यधिक कम होने के कारण, इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है।

3. दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare species):
संसार में इन प्रजातियों की संख्या बहुत कम है। ये प्रजातियाँ कुछ ही स्थानों पर सीमित हैं या बड़े क्षेत्र में बिखरी हुई हैं।

प्रश्न 4.
जैव विविधता की हानि के चार कारण बताओ।
उत्तर:

  1. प्राकृतिक आपदाएँ
  2. टनाशक
  3. विदेशज प्रजातियां
  4. अवैध शिकार।

प्रश्न 5
प्रजातियों के संरक्षण के दो पहलू बता ।
उत्तर:

  1. मानव को पर्यावरण मैत्री सम्बन्धी पद्धतियों का प्रयोग करना चाहिए।
  2. विकास के लिए सतत् पोषणीय गतिविधियाँ अपनाई जाएं।
  3. स्थानीय समुदायों की इसमें भागीदारी हो।

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प्रश्न 6.
महाविविधता केन्द्र से क्या अभिप्राय है? विश्व के महत्त्वपूर्ण महाविविधता केन्द्र बताओ।
उत्तर:
जिन देशों में उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में अधिक प्रजातीय विविधता पाई जाती है, उन्हें महाविविधता केन्द्र कहते हैं। विश्व में 12 ऐसे देश हैं – मेक्सिको, कोलम्बिया, इक्वेडार, पेरू, ब्राज़ील, ज़ायरे, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इण्डोनेशिया तथा ऑस्ट्रेलिया।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
जैविक विवधता के ह्रास से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
उत्तर:
जैविक विविधता का ह्रास (Loss of Biodiversity) जैविक विविधता का स्तर जैविक विविधता का अस्तित्व तीन विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित है:

  1. प्रजातीय विविधता जो आकृतिक, शरीर क्रियात्मक तथा आनुवंशिक लक्षणों द्वारा प्रतिबिंबित होती है।
  2. आनुवंशिक विविधता, जो प्रजाति के भीतर आनुवंशिक या अन्य परिवर्तनों से युक्त होती है तथा
  3. पारिस्थितिक तंत्र विविधता, जो विभिन्न जैव – भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, ज्वारनदमुख आदि द्वारा प्रतिबिंबित होती है। इन पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित रखना एक महान् चुनौती है।

मानवीय प्रभाव:
मनुष्य ने पृथ्वी के जैविक स्टॉक के प्रकार और वितरण को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। पृथ्वी के जैविक प्रतिरूप पर बढ़ता हुआ मानव प्रभाव, बढ़ती जनसंख्या और उनकी बढ़ती भोजन एवं स्थान की आवश्यकता का परिणाम है। संसाधनों के लिए मानव माँगों के कारण कुछ प्रजातियाँ समाप्त हो गईं तथा कुछ बची रहीं। आरंभिक मानव एक शिकारी तथा संग्रहणकर्त्ता था । हम उन्हें पुरातन कह सकते हैं, पर पारिस्थितिक दृष्टिकोण से वे पिछड़े हुए नहीं थे। उनकी जीवन शैली उस समय के ज्ञान एवं तकनीक के अनुसार प्रकृति के साथ सफल अनुकूलन था।

प्रजातियों का विलोपन:
भूवैज्ञानिक काल में (प्लीस्टोसीन, लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व) स्तनधारियों के लोप होने का प्रधान कारण जलवायविक अवनति के साथ आदि मानवों द्वारा ज़रूरत से अधिक पशुओं को मारना था । महाप्राणिजात विलोपन की यह घटना अभी समाप्त नहीं हुई है । आजकल यह पृथ्वी के समुद्री पर्यावरण तक पहुँच गई है। यह उस तकनीक का परिणाम है, जिसने मानव के प्रभाव को विश्व के महासागरों की गहराइयों तक पहुँचा दिया है । आधुनिक युग का विलोपन किसी एक पशु समूह जैसे महाप्राणिजात पर ही केंद्रित नहीं है, वरन् इसने विभिन्न प्रकार के पशुओं, विशेषकर पक्षियों, मछलियों तथा, सरीसृपों आदि को भी प्रभावित किया है। तकनीकी नवीनीकरण तथा सामाजिक-आर्थिक कारकों ने आधुनिक युग के इस विलोपन को और तेज़ किया है।

कृषि यंत्रीकरण तथा औद्योगीकरण का प्रभाव:
विलोपन की स्थिति में, पालतू पौधों एवं पशुओं पर आधारित एक नया भोजन स्रोत अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया खेती के यांत्रिकरण तथा औद्योगीकरण ने भारी मात्रा में अनाज के अधिशेष को बढ़ावा दिया है। लेकिन इस अधिशेष अनाज को पैदा करने के दौरान भूमि में मानवकृत परिवर्तनों की श्रृंखला ने प्राकृतिक समुदायों तथा मृदा के प्रतिरूपों में बाधाएँ उत्पन्न कर दी हैं। बदले में इन परिवर्तनों से निकटवर्ती तथा दूरस्थ दोनों समुदायों में गिरावट आई है। अलवणीय जल तंत्र विशेष रूप से महान् परिवर्तनों से गुजरे हैं। खेती ने समुद्री पर्यावरण के जीवों को भी प्रभावित किया है।

  • निम्नलिखित प्रभाव स्पष्ट हैं:
    1. औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के इस युग में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अधिकाधिक भूमि पर से जंगलों को साफ करके उन्हें कृषि के अंतर्गत लाया गया है।
    2. अधिक क्षेत्रों में मृदा की जुताई अधिक फसलें पैदा करने के लिए की गई है।
    3. मकान, सड़कें, पार्क तथा अन्य क्रियाओं के लिए अधिकाधिक भूमि का उपयोग किया गया है।
    4. इससे संसाधनों का संचलन शहरों की ओर हुआ है।
    5. मृदा की हानि, पोषकों का संचलन और अविषालु पदार्थों द्वारा पर्यावरण का प्रदूषण वास्तव में ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग तथा अबाधित उत्पादन के लक्षण हैं।
    6. मानव द्वारा प्रकृति का अनुचित उपयोग बिखरे हुए तथा अधूरे तंत्रों को जन्म देता है। इनका वायु, जल, मृदा तथा पृथ्वी के जैविक संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • नवीन समस्याएं:
    1. इस समय विश्व के 2 प्रतिशत ज्ञात पशु तथा 8 प्रतिशत ज्ञात पौधे विलोपन के कगार पर खड़े हैं। वास्तव में प्रत्येक औद्योगिक क्रिया जल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
    2. वर्षा अम्लीय हो गई है।
    3. सिंचाई, अपरदन तथा पीड़नाशी एवं उर्वरकों के प्रवाह से जुताई खेती एक समस्या बन गई है।
    4. परिवर्तित जल प्रवाह और अविषालु पदार्थों के अधिप्लावन से शहरी क्षेत्र एवं महामार्ग एक समस्या बन गए हैं।
    5. खनन क्रिया द्वारा खनन अपशिष्टों के अपवाह तथा जल प्रवाह पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण यह भी एक समस्या हो गई है।
    6. औद्योगिक तथा शहरी मल – व्यवस्था में खतरनाक पदार्थ होते हैं जिससे यूट्रोफिकेशन होता है। ये सभी अलवणीय जल तंत्रों की गुणवत्ता को कम कर देते हैं।

भविष्य:
गत लाखों वर्षों में जीवन एक अत्यधिक संघटित ढाँचे के रूप में उभर कर आया है। जीवन प्रतिस्कंदी है, पर इसे स्थान की आवश्यकता होती है। जब पौधों, पशुओं या मृदा के प्रतिरूप का कोई भाग, विनष्ट हो जाता है, तो जीवन के संपूर्ण ढाँचे का ह्रास होता है। वांछनीय दशा ऐसा विश्व है जहाँ प्रमुख संसाधनों की कमी होने के स्थान पर इनकी पुनः प्राप्ति हो तथा जहाँ प्रजातियों को लोप होने के जगह उनकी निरंतरता बनी रहे। भविष्य में जीवन के प्रतिरूपों की संवृद्धि के उद्देश्यों से किए जाने वाले ऐसे सांस्कृतिक समायोजन मानव के अपने हाथ में हैं। भविष्य में आने वाली पीढ़ी हमारे युग की बुद्धिमानी ( या इसकी कमी) का मूल्यांकन जैविक विविधता को बनाए रखने तथा इससे पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता कायम रखने में हमारे प्रयासों की सफलता या असफलता के आधार पर करेगी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 2.
जैव विविधता का विभिन्न स्तरों पर वर्णन करो।
उत्तर:
जैव-विविधता को तीन स्तरों पर समझा जा सकता है

  1. आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity)
  2. प्रजातीय विविधता ( Species diversity) तथा
  3. पारितन्त्रीय विविधता (Ecosystem diversity)।

1. आनुवंशिक जैव विविधता (Genetic biodiversity ):
जीवन निर्माण के लिए जीन (Gene) एक मूलभूत इकाई है। किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवांशिक जैव-विविधता है। समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों के समूह को प्रजाति कहते हैं। मानव आनुवंशिक रूप से ‘होमोसेपियन’ (Homosapiens) प्रजाति से सम्बन्धित है जिससे कद, रंग और अलग दिखावट जैसे शारीरिक लक्षणों में काफ़ी भिन्नता है। इसका कारण आनुवंशिक विविधता है विभिन्न प्रजातियों के विकास के फलने-फूलने के लिए आनुवंशिक विविधता अत्यधिक अनिवार्य है।

2. प्रजातीय विविधता ( Species diversity ):
यह प्रजातियों की अनेकरूपता को बताती है। यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित है। प्रजातियों की विविधता, उनकी समृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आँकी जा सकती है। कुछ क्षेत्रों में प्रजातियों की संख्या अधिक होती है और कुछ में कम जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें विविधता के हॉट स्पॉट (Hot spots) कहते हैं।

3. पारितन्त्रीय विविधता (Ecosystem diversity ):
आपने पिछले अध्याय में पारितन्त्रों के प्रकारों में व्यापक भिन्नता और प्रत्येक प्रकार के पारितन्त्रों में होने वाली पारितन्त्रीय प्रक्रियाएं तथा आवास स्थानों की भिन्नता ही पारितन्त्रीय विविधता बनाते हैं। पारितन्त्रीय विविधता का परिसीमन करना मुश्किल और जटिल है, क्योंकि समुदायों (प्रजातियों का समूह) और पारितन्त्र की सीमाएं निश्चित नहीं हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न- दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में प्राकृतिक चक्र में ऊर्जा का प्रमुख साधन लौ-सा है?
(A) कार्बन
(B) वनस्पति
(C) सौर विकिरण
(D) वातावरण।
उत्तर;
(C) सौर विकिरण।

2. पौधों द्वारा प्रकाश ऊर्जा को उपयोग करने की क्रिया को क्या कहते हैं?
(A) अपघटन
(B) विघटन
(C) प्रकाश संश्लेषण
(D) विकिरण।
उत्तर:
(A) प्रकाश संश्लेषण।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व पोषक हैं जो जैव मण्डल में मिलता है?
(A) नाइट्रोजन
(B) जल
(C) वनस्पति
(D) वायु।
उत्तर:
(A) नाइट्रोजन।

4. जो जीव अन्य जीवों पर भोजन के लिए निर्भर रहते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) मासाहारी
(D) शाकाहारी।
उत्तर:
(B) उपभोक्ता।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

5. शंकुधारी वनों को कहते हैं-
(A) सेल्वा
(B) टैगा।
(C) सवाना
(D) स्टैप
उत्तर:
(B) टैगा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जैव मण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जैव मण्डल से तात्पर्य पृथ्वी के उस भाग से है जहां सभी प्रकार के जीवन पाये जाते हैं। जैव मण्डल के क्षेत्र में सभी जीवित प्राणियों, मनुष्य, वनस्पति एवं जीवों की क्रियाएं सम्मिलित हैं।

प्रश्न 2.
जैव मण्डल क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
इस क्षेत्र में सभी प्रकार के जीवन सम्भव हैं। पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इसी वातावरण में ही पनप सकते हैं, इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 3.
जीवों (Organisms) के मुख्य दो प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. वनस्पति जगत् (Plant kingdom)
  2. प्राणी जगत् (Animal kingdom)

प्रश्न 4.
‘आदिम मानव’ (होमोसेपियन) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी पर मिलने वाले सर्वप्रथम मानव को आदिम मानव कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिकी (Ecology) की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
पर्यावरण तथा जीवों के बीच पारस्परिक क्रियाओं के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) के घटकों (Components) के दो वर्ग बताओ।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र के दो मुख्य वर्ग हैं

  1. जैव (Organic)
  2. अजैव (Inorganic)।

प्रश्न 7.
प्राकृतिक चक्रों को कौन चलाता है?
उत्तर:
सौर विकिरण ऊर्जा।

प्रश्न 8.
सभी जीवों के निर्माण में कौन-से तीन महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:

  1. कार्बन
  2. हाइड्रोजन
  3. ऑक्सीजन।

प्रश्न 9.
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव जाति के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 10.
प्राकृतिक चक्र में ऊर्जा का प्रमुख साधन क्या है?
उत्तर:
सौर विकिरण (Solar Radiation )।

प्रश्न 11.
जीवों के तीन मुख्य वर्ग।
उत्तर::

  1. शाकाहारी (Herbivores)
  2. मांसाहारी (Carnivores)
  3. सर्वाहारी (Omnivores)।

प्रश्न 12.
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की परिभाषा दो।
उत्तर:
पौधों द्वारा प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल को कार्बोहाइड्रेट में बदलने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 13.
अपघटक (Decomposers) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अपघटक वे सूक्ष्म जीव तथा जीवाणु हैं जो अवशेषों या गले-सड़े जैसे पदार्थों को अपना भोजन बनाते हैं।

प्रश्न 14.
पर्यावरण के जैव और अजैव अंगों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
जैव अंग – पर्यावरण में पेड़, पौधे और प्राणी जैव अंग कहलाते हैं। जैव मण्डल के पोषक तत्त्व ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन तथा खनिज पदार्थ हैं। अजैव अंग – पर्यावरण में मिट्टी, वायु, जल, खनिज, चट्टानें अजैव अंग हैं। जैवीय अंग, विघटन के पश्चात् अजैव अंग बन जाते हैं।

प्रश्न 15.
पृथ्वी पर जीवन कहां-कहां पाया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन लगभग हर जगह पाया जाता है। जीवधारी भूमध्यरेखा से ध्रुवों तक समुद्री तल से हवा में कई किलोमीटर तक, सूखी घाटियों में, बर्फीले जल में, जलमग्न भागों में, व हज़ारों मीटर गहरे धरातल के भूमिगत जल तक में पाए जाते हैं।

प्रश्न 16.
एक प्रमुख परितन्त्र का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वन एक प्रमुख परितन्त्र है।

प्रश्न 17.
जैवण्डल शब्द किसने सर्वप्रथम दिया?
उत्तर:
एडवर्ड सुवेस।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 18.
‘पारिस्थितिक तन्त्र’ को सर्वप्रथम किसने दिया?
उत्तर:
ए० जी० टांसले।

प्रश्न 19.
‘उपभोक्ताओं के तीन मुख्य वर्ग बताइए।
उत्तर:

  1. शाकाहारी
  2.  मांसाहारी
  3. (iii) सर्वाहारी।

प्रश्न 20.
बायोम किसे कहते हैं?
उत्तर:
विशेष परिस्थितियों में जन्तुओं व पादपों के आपसी सम्बन्धों के कुल योग को बायोम कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र (Eco System) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रकृति के विभिन्न संघटक जीवन तथा विकास के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। स्थलाकृतियां, वनस्पति तथा जीव-जन्तु एक-दूसरे से मिल कर एक वातावरण का निर्माण करते हैं जिसे पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। यह वातावरण पृथ्वी पर विभिन्न रूपों में ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है जो जीवों के विकास में सहायता करता है। इस प्रकार स्थलाकृतियों, वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं में एक चक्र पाया जाता है जिससे हमें प्रकृति के जैविक पहलू को समझने में सहायता मिली है।

प्रश्न 2.
पारिस्थितिकी सन्तुलन (Ecological Balance) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी पर विभिन्न भौगोलिक संघटकों में एक जीवन चक्र (Life Cycle) होता है। पहले वे उत्पन्न होते हैं, विकसित होकर प्रौढ़ावस्था (Maturity) में पहुंचते हैं तथा फिर समाप्त हो जाते हैं। यह चक्र एक लम्बे समय में समाप्त हो जाता है। जीव-जन्तु, वनस्पति पौधे आदि विकसित होकर एक अन्तिम चरण (Final Stage) में पहुंच जाते हैं। इस अवस्था में सभी जीवों की जल, भोजन, वायु आदि आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। जैव संख्या तथा वातावरण के बीच एक सन्तुलन स्थापित हो जाता है। इस अवस्था को पारिस्थितिकी सन्तुलन कहते हैं। इस अवस्था के पश्चात् इन संघटकों में कोई परिवर्तन नहीं होता।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 3.
जैव मण्डल (Biosphere) का वातावरण में क्या स्थान है?
उत्तर:
जैव मण्डल प्राकृतिक वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। इसमें सभी जीवित प्राणियों, मनुष्य, वनस्पति एवं जीवों की क्रियाएं सम्मिलित हैं। (Bios-phere is the realm of all living forms.) यह क्षेत्र पृथ्वी को जीवन आधार प्रदान करता है । वातावरण के अन्य क्षेत्र जीव रूपों को उत्पन्न व क्रियाशील होने में सहायक होते हैं। जैव मण्डल का विस्तार महासागरों की अधिकतम गहराई से लेकर वायुमण्डल की ऊपरी परतों तक है। मानव इस जैव मण्डल में वातावरण की समग्रता लाने में क्रियाशील रहता है। मानव पृथ्वी की सम्पदाओं का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग और संरक्षण कर सकता है। इसलिए जैव मण्डल सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।

प्रश्न 4.
ऑक्सीजन चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
ऑक्सीजन चक्र (The oxygen cycle ):
प्रकाश संश्लेषण क्रिया का प्रमुख सह परिणाम (By product) ऑक्सीजन है। यह कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीकरण में सम्मिलित है जिससे ऊर्जा, कार्बन डाइऑक्साइड व जल विमुक्त होते हैं। ऑक्सीजन चक्र बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। बहुत से रासायनिक तत्त्वों और सम्मिश्रणों में ऑक्सीजन पाई जाती है। यह नाइट्रोजन के साथ मिलकर नाइट्रेट बनाती है तथा बहुत से अन्य खनिजों व तत्त्वों से मिलकर कई तरह के ऑक्साइड बनाती है जैसे – आयरन ऑक्साइड, एल्यूमिनियम ऑक्साइड आदि सूर्यप्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, जल अणुओं (H2O) के विघटन में ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमण्डल में पहुंचती हैं।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल के नाइट्रोजन का भौमीकरण कैसे होता है? वर्णन करें।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (The Nitrogen Cycle):
वायुमण्डल की संरचना का प्रमुख घटक नाइट्रोजन वायुमण्डलीय गैसों का 79 प्रतिशत भाग है। विभिन्न कार्बनिक यौगिक जैसे- एमिनो एसिड, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन व वर्णक (Pigment) आदि में यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है। वायु में स्वतन्त्र रूप से पाई जाने वाली नाइट्रोजन को अधिकांश जीव प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करने में असमर्थ हैं) केवल कुछ विशिष्ट प्रकार के जीव जैसे- कुछ मृदा जीवाणु व ब्लू ग्रीन एलगी (Blue green algae) ही इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में ग्रहण करने में सक्षम हैं। सामान्यतः नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है। नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक (Biological) है, अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं। स्वतन्त्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व सम्बन्धित पौधों की जड़ें व रन्ध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमण्डल में पहुँचती है।

वायुमण्डल में भी बिजली चमकने (Lightening) व कोसमिक रेडियेशन (Cosmic radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है, महासागरों में कुछ समुद्री जीव भी इसका यौगिकीकरण करते हैं। वायुमण्डलीय नाइट्रोजन के इस तरह यौगिक रूप में उपलब्ध होने पर हरे पौधे में इसका स्वांगीकरण (Nitrogen assimilation) होता है । शाकाहारी जन्तुओं द्वारा इन पौधों के खाने पर इसका (नाइट्रोजन) कुछ भाग उनमें चला जाता है। फिर मृत पौधों व जानवरों के नाइट्रोजनी अपशिष्ट (Excretion of nitrogenous wastes) मिट्टी, में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं। कुछ जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं व पुनः हरे पौधों द्वारा नाइट्रोजन – यौगिकीकरण हो जाता है। कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु इन नाइट्रेट को पुनः स्वतन्त्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं और इस प्रक्रिया को डी नाइट्रीकरण (De-nitrification) कहा जाता है। ( इस तरह नाइट्रोजन चक्र चलता रहता है)

प्रश्न 6.
कार्बन चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
कार्बन चक्र (The carbon cycle ):
सभी जीवधारियों में कार्बन पाया जाता है। यह सभी कार्बनिक – यौगिक का मूल तत्त्व हैं। जैवमण्डल में असंख्य कार्बन यौगिक के रूप में जीवों में विद्यमान हैं। कार्बन चक्र कार्बन डाइऑक्साइड का परिवर्तित रूप है। यह परिवर्तन पौधों में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण द्वारा आरम्भ होता है। इस प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है, जो कार्बनिक यौगिक जैसे- स्टार्च, सेल्यूलोस, सरकोज़ (surcose) के रूप में पौधों में संचित हो जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयोग हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान विघटन से पौधों के पत्तों व जड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है, शेष कार्बोहाइड्रेट्स, जो पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होते, वे पौधों के उत्तकों में संचित हो जाते हैं। ये पौधे या तो शाकाहारियों के भोजन बनते हैं, अन्यथा सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
खनिज चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
खनिज चक्र (Mineral cycles ):
जैव मण्डल में मुख्य भू- रासायनिक तत्त्वों- कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त पौधों व प्राणी जीवन के लिए अत्यधिक महत्त्व के बहुत से अन्य खनिज मिलते हैं। जीवधारियों के लिए आवश्यक ये खनिज पदार्थ प्राथमिक तौर पर अकार्बनिक रूप में मिलते हैं, जैसे- फॉस्फोरस, सल्फर, कैल्शियम और पोटाशियम प्रायः ये घुलनशील लवणों के रूप में मिट्टी में या झील में अथवा नदियों व समुद्री जल में पाए जाते हैं। जब घुलनशील लवण जल चक्र में सम्मिलित हो जाते हैं, तब ये अपक्षय प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी की पर्पटी पर और फिर बाद में समुद्र तक पहुँच जाते हैं। अन्य लवण तलछट के रूप में धरातल पर पहुँचते हैं और फिर अपक्षय से चक्र में शामिल हो जाते हैं। सभी जीवधारी अपने पर्यावरण में घुलनशील अवस्था में उपस्थित खनिज लवणों से ही अपनी खनिजों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। कुछ अन्य जन्तु पौधों व प्राणियों के भक्षण से इन खनिजों को प्राप्त करते हैं। जीवधारियों की मृत्यु के बाद ये खनिज अपघटित व प्रवाहित होकर मिट्टी व जल में मिल जाते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 8.
पारितन्त्र से क्या अभिप्राय है? पारितन्त्र के प्रमुख प्रकार बताओ।
उत्तर:
पारितन्त्र के प्रकार (Types of Ecosystems) – प्रमुख पारितन्त्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं।

1. स्थलीय (Terrestrial) पारितन्त्र 2. जलीय (Aquatic) पारितन्त्र स्थलीय पारितन्त्र को पुनः बायोम (Biomes) में विभक्त किया जा सकता है। बायोम, पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय सम्बन्धी तत्त्व करते हैं। अतः विशेष परिस्थितियों में पादप व जन्तुओं के अन्तःसम्बन्धों के कुल योग को ‘बायोम’ कहते हैं। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी सम्बन्धी अवयव भी शामिल हैं।

संसार के कुछ प्रमुख पारितन्त्र : वन, घास क्षेत्र, मरुस्थल और टुण्ड्रा (Tundra) पारितन्त्र हैं। जलीय पारितन्त्र को समुद्री पारितन्त्र व ताज़े जल के पारितन्त्र में बाँटा जाता है। समुद्री पारितन्त्र में महासागरीय, तटीय ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति (Coral reef), पारितन्त्र सम्मिलित हैं। ताज़े जल के पारितन्त्र में झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल (Marshes and bogs) शामिल हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Question)

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र पर मानव के प्रभाव की विवेचना करो।
उत्तर:
मनुष्य वातावरण का एक अभिन्न अंग है। जैव मण्डल के असंख्यक जीवों में मानव का भी एक रूप है। मनुष्य अपने वातावरण को अपने ज्ञान व तकनीकी की मदद से प्रभावित करता है । मानव ने अनेक प्राणियों को पालतू बनाया है, अनेक पौधों की कृषि की है ताकि उनका अधिक-से-अधिक उपयोग हो सके। मनुष्य ने पौधों व वस्तुओं में परिवर्तन करके नई जातियों की खोज की है जिनसे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। कुछ जातियां सदा के लिए विलुप्त हो गई हैं। नई जातियों का विकास क्रम निरन्तर चल रहा है।

मानव ने जैवमण्डल के संसाधनों का उपयोग करने का प्रयत्न किया है, परन्तु इस प्रयत्न से पारिस्थितिक तन्त्र में एक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। कई पौधे और जीव-जन्तु दूर-दूर नये प्रदेशों में पहुंचा दिए गए हैं। ये बड़ी तीव्र गति से संख्या में बढ़ते जा रहे हैं। इनके प्रभाव से वातावरण में बदलाव आया है। मानवीय क्रियाओं के हस्तक्षेप से भी कई क्षेत्रों में वातावरण या पारिस्थितिक तन्त्र में परिवर्तन हुआ है। कई क्षेत्रों में वनों की कटाई से वन्य प्राणियों के जीवन में परिवर्तन हुआ है। इससे मिट्टी कटाव की समस्या उत्पन्न हुई है।

अधिक कृषि, अत्यधिक पशु चारण तथा स्थानान्तरी कृषि से मिट्टी कटाव में वृद्धि हुई है। शुष्क प्रदेशों में जल सिंचाई से मिट्टी में रेह की समस्या उत्पन्न हुई है तथा कई रोग उत्पन्न हो गए हैं। इस प्रकार भूमि, वायु तथा जल में इतना प्रदूषण हो गया है कि ये मनुष्य के प्रयोग के अयोग्य बन गए हैं। पिछले कुछ सालों से पर्यावरण के प्रदूषण तथा वायु, जल तथा भोजन में रसायनों की अधिक मात्रा ने मानवीय स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाला है। मानवीय हस्तक्षेप ने प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता पर प्रभाव डाला है। प्राकृतिक साधनों का तीव्र गति से प्रयोग किया जा रहा है।

आने वाले वर्षों में इन संसाधनों की कमी हो जाएगी। हो सकता है कि इतनी लापरवाही से प्रयोग के कारण यह संसाधन इस सीमा तक नष्ट हो जाएं कि निकट भविष्य में वे मानव जाति के लिए उपलब्ध न हों। उदाहरण के लिए शिकार से वन्य प्राणियों की कई जातियां विलुप्त हो गई हैं । खनिज तेल के साधन भी अधिक देर तक नहीं चलेंगे। आधुनिक संसार में पर्यावरण की अधिकतर समस्याओं का जन्मदाता स्वयं मानव है अतः उसका समाधान भी उसके द्वारा भी हो सकता है। मानव को भौतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करके जीना पड़ेगा ताकि जैव मण्डल में पारिस्थितिक सन्तुलन को बिना बिगाड़े संसाधनों का उपयोग किया जा सके।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए।
1. महासागरों में लवणता की मात्रा को प्रभावित करने वाला अधिक महत्त्वपूर्ण कारक कौन-सा है?
(A) धाराएं
(B) प्रचलित पवनें
(C) वाष्पीकरण की मात्रा
(D) जल का मिश्रण।
उत्तर;
(C) वाष्पीकरण की मात्रा।

2. संसार में औसत सागरीय लवणता कितनी है?
(A) 35 प्रति हज़ार ग्राम
(B) 210 प्रति हजार ग्राम
(C) 16 प्रति हजार ग्राम
(D) 112 प्रति हज़ार ग्राम।
उत्तर:
(A) 35 प्रति हजार ग्राम।

3. निम्नलिखित में से किस सागर में सबसे अधिक लवणता पाई जाती है?
(A) लाल सागर
(B) बाल्टिक सागर
(C) मृत सागर
(D) रूम सागर।
उत्तर:
(C) मृत सागर।

4. निम्नलिखित में से प्रशान्त महासागर में चलने वाली धारा कौन-सी है?
(A) मडगास्कर धारा
(B) खाड़ी की धारा
(C) क्यूरोसिवो धारा
(D) लैब्रेडार धारा।
उत्तर:
(C) क्यूरोसिवो धारा।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

5. महासागरीय जल की लवणता मुख्यतः निर्भर करती है:
(A) वाष्पीकरण की मात्रा पर
(B) मीठे जल की आपूर्ति पर
(C) महासागरीय जल के परस्पर मिश्रण पर
(D) वाष्पीकरण की मात्रा और मीठे जल की आपूर्ति के बीच अन्तर पर ।
उत्तर:
(A) वाष्पीकरण की मात्रा पर।

6. कलासागर में लवणता का मध्यमान है:
(A) 170 प्रति हज़ार
(B) 18 प्रति हज़ार
(C) 40 प्रति हज़ार
(D) 330 प्रति हज़ार।
उत्तर:
(B) 18 प्रति हज़ार।

7. विषुवतीय क्षेत्र में सामान्यतः लवणता कम होती है, क्योंकि यहां
(A) वाष्पीकरण अधिक होता है।
(B) वर्षा अधिक होती है
(C) बड़ी-बड़ी नदियां आकर गिरती हैं।
(D) वाष्पीकरण की मात्रा की तुलना में मीठे जल की आपूर्ति अधिक होती है।
उत्तर;
(A) वाष्पीकरण अधिक होता है।

8. महासागरीय धाराओं का प्रमुख कारण है:
(A) पवन की क्रिया
(B) महासागरीय जल के घनत्व में अन्तर
(C) पृथ्वी का घूर्णन
(D) स्थलखण्डों की रुकावट ।
उत्तर:
(A) पवन की क्रिया।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

9. तटीय भागों में टूटती हुई तरंगों को क्या कहते हैं?
(A) स्वेल
(B) सी
(C) सर्फ
(D) बैकवाश।
उत्तर:
(C) सर्फ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरीय जल के तापन की मुख्य क्रियाएं बताओ।
उत्तर:
विकिरण तथा संवहन।

प्रश्न 2.
ज्वार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:  लघु ज्वार, बृहत् ज्वार।

प्रश्न 3.
महासागरों में लवणता के स्रोत बताओ।
उत्तर: नदियां, लहरें , ज्वालामुखी , रासायनिक क्रियाएं।

प्रश्न 4.
सागरीय जल के प्रमुख लवण बताओ।
उत्तर:

  1. सोडियम क्लोराइड
  2. मैग्नेशियम क्लोराइड
  3. मैग्नेशियम सल्फेट
  4. कैल्शियम सल्फेट
  5. पोटाशियम सल्फेट।

प्रश्न 5.
महासागरीय जल की तीन गतियां बताओ।
उत्तर: तरंगें , धाराएं,  ज्वार-भाटा।

प्रश्न 6.
तरंग के दो भाग बताओ
उत्तर:
शीर्ष तथा गर्त।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 7.
तरंगों के तीन मुख्य प्रकार बताओ।
उत्तर:  सर्फ, स्वैश, अधः प्रवाह

प्रश्न 8.
बृहत् ज्वार कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन

प्रश्न 9.
लघु ज्वार कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
कृष्ण तथा शुक्ल अष्टमी के दिन।

प्रश्न 10.
भूमध्य रेखा 40° तथा 60° अक्षांश पर महासागरीय जल का तापमान कितना होता है?
उत्तर:

  1. भूमध्य रेखा – 26°C
  2. 40°C अक्षांश – 14°C
  3. 60°C अक्षांश -1°C

प्रश्न 11.
प्लावी हिमशैल (Icebergs) के दो स्रोत बताओ।
उत्तर:
अलास्का तथा ग्रीनलैंड

प्रश्न 12.
घिरे हुए तीन सागरों के नाम तथा लवणता लिखो।
उत्तर:

  1. ग्रेट साल्ट झील – 220 प्रति हज़ार
  2. मृत सागर – 240 प्रति हज़ार
  3. वान झील – 330 प्रति हज़ार

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 13.
अन्ध महासागर में सबसे महत्त्वपूर्ण गर्म धारा कौन-सी है?
उत्तर:
खाड़ी की धारा

प्रश्न 14.
जापान के पूर्वी तट पर कौन- सी गर्म धारा बहती है?
उत्तर:
क्यूरोशियो।

प्रश्न 15.
ज्वार-भाटा के उत्पन्न होने के मुख्य कारण लिखो।
उत्तर:
चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति।

प्रश्न 16.
महासागरों में मिलने वाले दो प्रमुख लवण तथा उनकी मात्रा लिखो।
उत्तर:

  1. सोडियम क्लोराइड = 77.7%,
  2. मैग्नेशियम क्लोराइड = 10.9%

प्रश्न 17.
भूमध्य रेखा के समीप महासागरीय लवणता कम क्यों होती है?
उत्तर:
अधिक वर्षा के कारण

प्रश्न 18.
काला सागर में लवणता क्यों कम है?
उत्तर:
अनेक नदियों से स्वच्छ जल की प्राप्ति।

प्रश्न 19.
लाल नागर में अधिक लवणता के दो कारण लिखो।
उत्तर:
नदियों का अभाव तथा अधिक वाष्पीकरण।

प्रश्न 20.
‘सर्फ’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
तटीय क्षेत्रों में टूटती हुई तरंग को सर्फ कहते हैं

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 21.
ज्वार की ऊंचाई सर्वाधिक कहां होती है?
उत्तर:
फंडी की खाड़ी (नोवास्कोशिया) 15 से 18 मीटर।

प्रश्न 22.
न्यू फाउंडलैंड के निकट कोहरा क्यों उत्पन्न होता है?
उत्तर:
लैब्रोडोर की ठण्डी धारा तथा खाड़ी की गर्म धारा के मिलने से।

प्रश्न 23.
प्रशान्त महासागर की दो ठण्डी धाराओं के नाम बताओ।
उत्तर:

  1. पेरू की धारा,
  2. कैलीफोर्निया की धारा।

प्रश्न 24.
महासागरों में औसत लवणता कितनी है?
उत्तर:
35 प्रति हज़ार ग्राम।

प्रश्न 25.
कालाहारी मरुस्थल के पश्चिमी तट पर कौन-सी धारा बहती है?
उत्तर:
बेंगुएला धारा।

प्रश्न 26.
दो ज्वारों के बीच कितने समय का अन्तर होता है?
उत्तर:
12 घण्टे 26 मिनट।

प्रश्न 27.
दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर दक्षिण की ओर कौन-सी धारा बहती है?
उत्तर;
हम्बोल्ट ठण्डी धारा।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरीय जल धाराओं की सामान्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. जलधाराएं निरन्तर एक निश्चित दिशा में प्रवाह करती हैं।
  2. निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर बहने वाली धाराओं को गर्म जल- – धाराएं कहते हैं।
  3. उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहने वाली धाराओं को ठण्डी जल- धाराएं कहते हैं।
  4. उत्तरी गोलार्द्ध की जल- धाराएं अपनी दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध की जल- धाराएं अपने बाईं ओर मुड़ जाती हैं।
  5. निम्न अक्षांशों में पूर्वी तटों पर गर्म जल – धाराएं तथा पश्चिमी तटों पर ठण्डी जल- धाराएं बहती हैं।
  6. उच्च अक्षांशों में पश्चिमी तटों पर गर्म जल – धाराएं और पूर्वी तटों पर ठण्डी जल-धाराएं बहती हैं।

प्रश्न 2.
प्लावी हिम- शैल किसे कहते हैं? इनके स्रोत बताओ।
उत्तर:
प्लावी हिम शैल (Icebergs):
तैरते हुए हिमखण्डों के बहुत बड़े पिण्डों को प्लावी हिम शैल कहते हैं। ये हिमखण्डों से टूट कर महासागर में अलग तैरते हैं। इनका 1/10 भाग ही जलस्तर के ऊपर दिखाई देता है। उत्तरी अन्धमहासागर में इनकी अधिक संख्या है। ये अधिकतर ग्रीनलैण्ड की हिमानियों से उत्पन्न होते हैं। अलास्का तथा अंटार्कटिका हिम चादर से भी हिमशैल टूटते हैं। ये नौका संचालन के लिए खतरनाक हैं तथा कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

प्रश्न 3.
साउथैम्पन ( इंग्लैण्ड) के तट पर प्रतिदिन चार बार ज्वार क्यों आते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः ज्वार प्रतिदिन दो बार आते हैं । परन्तु साउथैम्पन (इंग्लैण्ड के दक्षिणी तट) पर ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं। यह प्रदेश इंग्लिश चैनल द्वारा उत्तरी सागर तथा अन्धमहासागर को जोड़ता है। दो बार ज्वार अन्धमहासागर की ओर से आते हैं तथा दो बार ज्वार उत्तरी सागर की ओर से आते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 4.
हुगली नदी में नौका संचालन के लिए ज्वार भाटा का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
ऊंचे ज्वार आने पर नदियों के मुहाने पर जल अधिक गहरा हो जाता है। इस प्रकार बड़े-बड़े जलयान नदी में कई मील भीतर तक प्रवेश कर जाते हैं। कोलकाता हुगली नदी के किनारे समुद्रतट से 120 कि० मी० दूर स्थित है, परन्तु हुगली नदी में आने-जाने वाले ज्वार के कारण ही जलयान कोलकाता तक पहुँच पाते हैं।

प्रश्न 5.
ज्वारीय भित्ति किसे कहते हैं? इसके क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
ज्वारीय भित्ति (Tidal Bare ):
नदियों के मुहाने पर पानी की ऊंची, खड़ी दीवार को ज्वारीय भित्ति कहते हैं। जब ज्वार उठता है तो पानी की एक धारा नदी घाटी में प्रवेश करती है। यह लहर नदी के जल को विपरीत दिशा में बहाने का प्रयत्न करती है। ज्वारीय लहर की ऊंचाई बढ़ जाती है तथा पानी का बहाव उलट जाता है। हुगली नदी में ज्वारीय भित्ति के कारण छोटी नावों को बहुत हानि पहुंचती है।

प्रश्न 6.
दीर्घ ज्वार तथा लघु ज्वार का अन्तर बताओ।
उत्तर:
दीर्घ ज्वार (Spring Tide ):
सबसे अधिक ऊंचे ज्वार को दीर्घ ज्वार कहते हैं। यह स्थिति अमावस (New moon) तथा पूर्णमासी (Full moon) के दिन होती है।
कारण:
इस स्थिति में सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीध में होते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा की संयुक्त आकर्षण शक्ति बढ़ जाने से ज्वार शक्ति बढ़ जाती है। सूर्य तथा चन्द्रमा के कारण ज्वार उत्पन्न हो जाते हैं। (Spring tide is the sum of Solar and Lunar tides.) इन दिनों ज्वार अधिकतम ऊंचा तथा भाटा से कम नीचा होता है । दीर्घ ज्वार प्रायः साधारण ज्वार की अपेक्षा 20% अधिक ऊंचा होता है।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन 1
लघु ज्वार (Neap tide ): अमावस के सात दिन पश्चात् या पूर्णमासी के सात दिन पश्चात् ज्वार की ऊंचाई अन्य दिनों की अपेक्षा नीची रह जाती है। इसे लघु ज्वार कहते हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन 2
इस स्थिति को शुक्ल और कृष्ण पक्ष की अष्टमी कहते हैं। जब आधा चांद (Half moon) होता है।

कारण:
इस स्थिति में सूर्य तथा चन्द्रमा पृथ्वी से समकोण स्थिति ( At Right Angles) पर होते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति विपरीत दिशाओं में कार्य करती हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा के ज्वार तथा भाटा एक-दूसरे को घटाते हैं। (Neap tide is the difference of solar and Lunar tides.) इन दिनों उच्च ज्वार कम ऊंचा तथा भाटा कम नीचा होता है। लघु ज्वार प्रायः साधारण ज्वार की अपेक्षा 20% कम ऊंचा होता है।

प्रश्न 7.
ज्वार प्रतिदिन 50 मिनट विलम्ब से क्यों आते हैं
उत्तर:
ज्वार भाटा का नियम (Law of Tides ):
किसी स्थान पर ज्वार भाटा नित्य एक ही समय पर नहीं आता। कारण (Causes) चन्द्रमा पृथ्वी के इर्द-गिर्द 29 दिन में पूरा चक्कर लगाता है। चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर का 29वां भाग हर रोज़ आगे बढ़ जाता है। इसलिए किसी स्थान को चन्द्रमा के सामने दोबारा आने में 24 घण्टे से कुछ अधिक ही समय लगता है।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन 3
दूसरे शब्दों में प्रत्येक 24 घण्टों के पश्चात् चन्द्रमा अपनी पहली स्थिति से लगभग 13° (360/29 = 12.5°) आगे चला जाता है, इसलिए किसी स्थान को चन्द्रमा के ठीक सामने आने में 12.5 x 4= 50 मिनट अधिक लग जाते हैं। क्योंकि दिन में दो बार ज्वार आता है इसलिए प्रतिदिन ज्वार 25 मिनट देर के अन्तर से अनुभव किया जाता है। पूरे 12 घण्टे के बाद पानी का चढ़ाव देखने में नहीं आता, परन्तु ज्वार 12 घण्टे 25 मिनट बाद आता है। 6 घण्टे 13 मिनट तक जल चढ़ाव पर रहता है और उसके पश्चात् 6 घण्टे 13 मिनट तक जल उतरता रहता है। ज्वार के उतार-चढ़ाव का यह क्रम बराबर चलता रहता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 8.
ज्वार भाटा के लाभ तथा हानियों का वर्णन करो।
उत्तर:

  • ज्वार भाटा के लाभ (Advantages):
    1. ज्वार-भाय समुद्री तटों को स्वच्छ रखते हैं। ये उतार के समय कूड़ा-कर्कट तथा कीचड़ को साथ बहाकर ले जाते हैं।
    2. ज्वार-भाटा की हलचल के कारण समुद्री जल जमने नहीं पाता।
    3. ज्वार के समय नदियों के मुहानों पर जल की गहराई बहुत बढ़ जाती है। जिससे बड़े – बड़े जहाज़ सेंट लारेंस, हुगली, हडसन नदी में प्रवेश कर सकते हैं। ज्वार भाटे के समय को प्रकट करने के लिए टाइम टेबल बनाए जाते हैं।
    4. ज्वार-भाटा के लौटते हुए जल से जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस शक्ति का उपयोग करने के लिए फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रयत्न किए गए हैं।
    5. ज्वार-भाटा के कारण बहुत-सी सीपियां, कौड़ियां आदि वस्तुएं तट पर जमा हो जाती हैं। कई समुद्री जीव तटों पर पकड़े जाते हैं।
    6.  ज्वार-भाटा बन्दरगाहों की अयोग्यता को दूर करते हैं तथा आदर्श बन्दरगाहों को जन्म देते हैं। कम गहरे बन्दरगाहों में बड़े-बड़े जहाज़ ज्वार के साथ प्रवेश कर जाते हैं तथा भाटा के साथ वापस लौट आते हैं, जैसे- कोलकाता, कराची, लन्दन।
    7.  ज्वार-भाटय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सरल, सुगम तथा निरन्तर रखते हैं।
  • हानियां (Disadvantages):
    1. ज्वार-भाटा से कभी – कभी जलयानों को हानि पहुंचती है। छोटे-छोटे जहाज़ व नावें डूब जाती हैं।
    2. इससे बन्दरगाहों के समीप रेत जम जाने से जहाज़ों के आने-जाने में रुकावट होती है।
    3. ज्वार-भाटा द्वारा मिट्टी के बहाव के कारण डेल्टा नहीं बनते।
    4. मछली पकड़ने के काम में रुकावट होती है।
    5. ज्वार का पानी जमा होने से तट पर दलदल बन जाती है।

प्रश्न 9.
पवन निर्मित तरंगों के विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
तरंगें (Waves): पवन के सम्पर्क से सागरीय जल की आगे पीछे, ऊपर-नीचे की गति से तरंगें उत्पन्न होती हैं। पवन द्वारा तरंगें तीन प्रकार की होती हैं-
‘सी’ (Sea), स्वेल (Swell), (iii) सर्फ (Surf)। विभिन्न दिशाओं तथा गतियों से उत्पन्न तरंगों को ‘सी’ कहते हैं। जब यह तरंगें एक नियमित रूप से एक निश्चित गति तथा दिशा से आगे बढ़ती हैं तो इसे स्वेल कहते हैं। समुद्र तट पर शोर करती, टूटती हुई तरंगों को सर्फ कहते हैं जब यह तरंगें समुद्र तट पर वेग से दौड़ती हैं तो इन्हें ‘स्वाश’ (Swash) कहते हैं। समुद्र की ओर वापस लौटती हुई तरंगों को बैक वाश (Back wash) कहते हैं।

प्रश्न 10.
न्यूफाउंडलैंड के निकट कोहरे का निर्माण क्यों होता है?
उत्तर:
न्यूफाउंडलैंड के निकट पूर्वी तट पर लैब्रेडोर की ठण्डी धारा बहती है। दक्षिण की ओर से खाड़ी को गर्म धारा यहां आकर मिलती है। इन दो विभिन्न तापमान वाली धाराओं के संगम से यहां कोहरे का निर्माण होता है। ठण्डी वायु के जलकण सूर्य की किरणों का मार्ग रोक कर कोहरा उत्पन्न कर देते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश की जलवायु तथा व्यापार पर समुद्री धाराओं के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर:
समुद्री धाराओं के प्रभाव (Effects of Ocean Currents): समुद्री धाराएं आसपास के क्षेत्रों में मानव जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं का यह प्रभाव कई प्रकार से होता है।
(क) जलवायु पर प्रभाव (Effects on Climate)
1. जलवायु (Climate) – जिन तटों पर गर्म या ठण्डी धाराएं चलती हैं वहां की जलवायु क्रमशः गर्म या ठण्डी हो जाती है।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन 4

2. तापक्रम (Temperature):
धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनें अपने साथ गर्मी या शीत ले जाती हैं। गर्म धारा के प्रभाव से तटीय प्रदेशों का तापक्रम ऊंचा हो जाता है तथा जलवायु कम हो जाती है। ठण्डी धारा के कारण शीतकाल में तापक्रम बहुत नीचा हो जाता है तथा जलवायु विषम व कठोर हो जाती है।
उदाहरण (Examples):

  1. लैब्रेडोर (Labrador) की ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा का पूर्वी तट तथा क्यूराइल (Kurile) की ठण्डी धारा के प्रभाव से साइबेरिया का पूर्वी तट शीतकाल में बर्फ से जमा रहता है
  2. खाड़ी की गर्म धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीपसमूह तथा नार्वे के तटीय भागों का तापक्रम ऊंचा रहता है और जल शीतकाल में भी नहीं जमता जलवायु सुहावनी तथा सम रहती है।

3. वर्षा (Rainfall):
गर्म धाराओं के समीप के प्रदेशों में अधिक वर्षा होती है, परन्तु ठण्डी धाराओं के समीप के प्रदेशों में कम वर्षा होती है। गर्म धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनों में नमी धारण करने की शक्ति बढ़ जाती है परन्तु ठण्डी धाराओं के सम्पर्क में आकर पवनें ठण्डी हो जाती हैं और अधिक नमी धारण नहीं कर सकतीं। उदाहरण (Examples):

  1. उत्तर: पश्चिम यूरोप में खाड़ी की धारा के कारण तथा जापान के पूर्वी तट पर क्यूरोसियो की गर्म धारा के कारण अधिक वर्षा होती है।
  2. संसार के प्रमुख मरुस्थलों के पश्चिमी तटों के समीप ठण्डी धाराएं बहती हैं, जैसे- सहारा तट पर कनेरी धारा, कालाहारी तट पर बेंगुएला धारा, ऐटेकामा तट पर पीरू की धारा ।

4. धुन्ध की उत्पत्ति (Fog ):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने पर धुन्ध व कोहरा उत्पन्न हो जाता है। गर्म धारा के ऊपर की वायु ठण्डी हो जाती है। उसके जल-कण सूर्य की किरणों का मार्ग रोक कर कोहरा उत्पन्न कर देते हैं। उदाहरण (Example) – खाड़ी की गर्म धारा लैब्रेडोर की ठण्डी धारा के ऊपर की वायु के मिलने से न्यूफाउंडलैंड (New foundland) के निकट धुन्ध उत्पन्न हो जाती है।

5. तूफानी चक्रवात (Cyclones):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने से गर्म वायु बड़े वेग से ऊपर उठती है तथा तीव्र तूफानी चक्रवात को जन्म देती है।

(ख) व्यापार पर प्रभाव (Effect on Trade):
1. बन्दरगाहों का खुला रहना (Open Sea-ports):
ठण्डे प्रदेशों में गर्म धाराओं के प्रभावों से सर्दियों में भी बर्फ़ नहीं जमती तो बन्दरगाह व्यापार के लिए वर्ष भर खुले रहते हैं, परन्तु ठण्डी धारा के समीप का तट महीनों बर्फ से जमा रहता है। ठण्डी धाराएं व्यापार में बाधक हो जाती हैं।
उदाहरण (Example ):

  1. खाड़ी की धारा के कारण नार्वे तथा ब्रिटिश द्वीपसमूह के बन्दरगाह सारा वर्ष खुले रहते हैं परन्तु हालैंड तथा स्वीडन के बन्दरगाह समुद्र का जल जम जाने से शीतकाल में बन्द रहते हैं।
  2. लैब्रेडोर की ठण्डी धारा के कारण पूर्वी कैनेडा व सैंट लारेंस (St. Lawrence Valley) के बन्दरगाह तथा क्यूराइल की ठण्डी धारा के कारण व्लाडीवास्टक (Vladivostok) के बन्दरगाह शीतकाल में जम जाते हैं।

2. समुद्री मार्ग (Ocean Routes ):
धाराएं जल मार्गों का निर्धारण करती हैं। ठण्डे सागरों से ठण्डी धाराओं के साथ बहकर आने वाली हिमशिलाएं (Icebergs) जहाज़ों को बहुत हानि पहुंचाती हैं। इनसे मार्ग बचाकर समुद्री मार्ग निर्धारित किए जाते हैं।

3. जहाज़ों की गति पर प्रभाव (Effect on the Velocity of the Ships):
प्राचीन काल में धाराओं का बादबानी जहाज़ों की गति पर प्रभाव पड़ता था धाराओं के अनुकूल दिशा में चलने से उनकी गति बढ़ जाती थी परन्तु विपरीत दिशा में चलने से उनकी चाल मन्द पड़ जाती थी। आजकल भाप से चलने वाले जहाजों (Steam Ships) की गति पर धाराओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

4. समुद्र जल की स्वच्छता (Purity of Sea Water ):
धाराओं के कारण समुद्र जल गतिशील, शुद्ध तथा स्वच्छ रहता है। धाराएं तट पर जमा पदार्थ दूर बहाकर ले जाती हैं तथा समुद्र तट उथले होने से बचे रहते हैं।

5. दुर्घटनाएं (Accidents):
कोहरे व धुन्ध के कारण दृश्यता (Visibility) कम हो जाती है। प्रायः जहाज़ों के डूबने तथा हिम शिलाओं से टकराने की दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

(ग) समुद्री जीवों पर प्रभाव (Effect on Marine Life)
1. समुद्री जीवों का भोजन (Plankton ):
धाराएं समुद्री जीवन का प्राण हैं। ये अपने साथ बहुत गली – सड़ी वस्तुएं (Plankton) बहाकर लाती हैं। ये पदार्थ मछलियों के भोजन का आधार हैं।

2. मछलियों का वितरण (Distribution of Fish ):
मछलियां धाराओं के साथ बहती हैं। ठण्डे समुद्रों से आने वाली ठण्डी धाराओं के साथ उत्तम मछलियों के झुण्ड के झुण्ड गर्म-गर्म समुद्रों में चले आते हैं

उदाहरण (Example):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने के कारण जापान तट तथा न्यूफाउंडलैंड के किट ग्रांड बैंक (Grand Bank) मछली उद्योग के प्रसिद्ध केन्द्र बन गए हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन

प्रश्न 2.
तरंगों की उत्पत्ति तथा विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
तरंगें (Waves):
तरंगें वास्तव में ऊर्जा हैं, जल नहीं, जो कि महासागरीय सतह के आर-पार गति करते हैं। तरंगों में जलकण छोटे वृत्ताकार रूप में गति करते हैं। वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं। वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं तथा ऊर्जा तटरेखा पर निर्मुक्त होती है। सतह जल की गति महासागरों के गहरे तल के स्थिर जल को कदाचित् ही प्रभावित करती है। जैसे ही एक तरंग महासागरीय तट पर पहुँचती है इसकी गति कम हो जाती है। ऐसा गत्यात्मक जल के मध्य आपस में घर्षण होने के कारण होता है तथा जब जल की गहराई तरंग के तरंगदैर्ध्य के आधे से कम होती है तब तरंग टूट जाते हैं। बड़ी तरंगें खुले महासागरों में पायी जाती हैं।

तरंगें जैसे ही आगे की ओर बढ़ती हैं बड़ी होती जाती हैं तथा वायु से ऊर्जा को अवशोषित करती हैं। अधिकतर तरंगें वायु जल की विपरीत दिशा में गतिमान से होती हैं। जब दो नॉट या उससे कम वाली समीर शांत जल पर बहती है, तब छोटी-छोटी उर्मिकाएँ (Ripples) बनती हैं तथा वायु की गति बढ़ने के साथ ही इनका आकार बढ़ता जाता है, जब तक इनके टूटने से सफेद बुलबुले नहीं बन जाते तट के पास पहुँचने, टूटने तथा (सफेद बुलबुलों में सर्फ की भाँति घुलने से पहले तरंगें हज़ारों कि० मी० की यात्रा करती हैं ।)

तरंग का आकार:
एक तरंग का आकार एवं आकृति उसकी उत्पत्ति को दर्शाता है। युवा तरंगें अपेक्षाकृत ढाल वाली होती हैं तथा सम्भवतः स्थानीय वायु के कारण बनी होती हैं। कम एवं नियमित गति वाली तरंगों की उत्पत्ति दूरस्थ स्थानों पर होती है, सम्भवतः दूसरे गोलार्द्ध में तरंग के उच्चतम बिन्दु का पता वायु की तीव्रता के द्वारा लगाया जाता है, यानि यह कितने समय तक प्रभावी है तथा उस क्षेत्र के ऊपर कितने समय से एक ही दिशा में प्रवाहमान है?

तरंगें गति करती हैं, क्योंकि वायु जल को प्रवाहित करती है जबकि गुरुत्वाकर्षण तरंगों के शिखरों को नीचे की ओर खींचती है। गिरता हुआ जल पहले वाले गर्त को ऊपर की ओर धकेलता है एवं तरंगें नयी स्थिति में गति करती हैं। तरंगों के नीचे जल की गति वृत्ताकार होती है। यह इंगित करता है कि आती हुई तरंग पर वस्तुओं का वहन आगे तथा ऊपर की ओर होता है एवं लौटती हुई तरंग पर नीचे तथा पीछे की ओर।

तरंगों की विशेषताएँ:

  1. तरंग शिखर एवं गर्त (Wave crest and trough ): एक तरंग के उच्चतम एवं निम्नतम बिंदुओं को क्रमशः शिखर एवं गर्त कहा जाता है।
  2. तरंग की ऊँचाई (Wave height): यह एक तरंग के गर्त के अधः स्थल से शिखर के ऊपरी भाग तक की उर्ध्वाधर दूरी है।
  3. तरंग आयाम (Amplitude) : यह तरंग की ऊँचाई का आधा होता है।
  4. तरंग काल (Wave Period): तरंग काल एक निश्चित बिन्दु से गुज़रने वाले दो लगातार तरंग शिखरों या गर्तों के बीच का समयान्तराल है।
  5. तरंगदैर्ध्य (Wavelength ): यह दो लगातार शिखरों या गर्तों के बीच की क्षैतिज दूरी है।
  6. तरंग गति (Wave speed): जल के माध्यम से तरंग के गति करने की दर को तरंग गति कहते हैं तथा इसे नॉट में मापा जाता है।
  7.  तरंग आवृत्ति: यह एक सेकेंड के समयान्तराल में दिए गए बिन्दु से गुज़रने वाली तरंगों की संख्या है।

प्रश्न 3.
ज्वार-भाटा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
ज्वार-भाटा के प्रकार ज्वार-भाटा की आवृत्ति, दिशा गति में स्थानीय व सामयिक भिन्नता पाई जाती है। ज्वारभाटाओं को उनकी बारम्बारता एक दिन में या 24 घंटे में या उनकी ऊँचाई के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

आवृत्ति पर आधारित ज्वार-भाटा (Tides based on frequency)
1. अर्द्ध- दैनिक ज्वार ( Semi- diurnal):
यह सबसे सामान्य ज्वारीय प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक दिन दो उच्च एवं दो निम्न ज्वार आते हैं। दो लगातार उच्च एवं निम्न ज्वार लगभग समान ऊँचाई के होते हैं।

2. दैनिक ज्वार (Diurnal tide ):
इसमें प्रतिदिन केवल एक उच्च एवं एक निम्न ज्वार होता है। उच्च एवं निम्न ज्वारों की ऊँचाई समान होती है।

3. मिश्रित ज्वार (Mixed tide ):
ऐसे ज्वार-भाटा जिनकी ऊँचाई में भिन्नता होती है, उसे मिश्रित ज्वार-भाटा कहा जाता है। ये ज्वार-भाटा सामान्यतः उत्तरी अमरीका के पश्चिमी तट एवं प्रशान्त महासागर के बहुत से द्वीप समूहों पर उत्पन्न होती हैं।

4. सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी की स्थिति पर आधारित ज्वारभाटा (Spring tides ):
उच्च ज्वार की ऊँचाई में भिन्नता पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य एवं चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है। वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार इसी वर्ग के अन्तर्गत आते हैं।

5. वृहत् ज्वार (Spring tides ):
पृथ्वी के सन्दर्भ में सूर्य एवं चन्द्रमा की स्थिति ज्वार की ऊँचाई को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जब तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं, तब ज्वारीय उभार अधिकतम होगा। इनको वृहत् ज्वार- भाटा कहा जाता है तथा ऐसा महीने में दो बार होता है- पूर्णिमा के समय तथा दूसरा अमावस्या के समय।

6. निम्न ज्वार (Neap tides ):
सामान्यतः वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अन्तर होता है। इस समय चन्द्रमा एवं सूर्य एक-दूसरे के समकोण पर होते हैं तथा सूर्य एवं चन्द्रमा के गुरुत्व बल एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं। चन्द्रमा का आकर्षण सूर्य के दोगुने से अधिक होते हुए भी, यह बल सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के समक्ष धूमिल हो जाता है। चन्द्रमा का आकर्षण अधिक इसीलिए है क्योंकि वह पृथ्वी के अधिक निकट है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से कौन-सा भाग महासागरीय तल का सबसे अधिक क्षेत्र घेरता है?
(A) महाद्वीपीय निमग्न तट
(B) महाद्वीपीय ढाल
(C) महासागरीय मैदान
(D) गर्त।
उत्तर:
(C) महासागरीय मैदान।

2. पृथ्वी पर जलमण्डल का विस्तार लगभग कितना है?
(A)-36 करोड़ वर्ग कि०मी०
(B) 105 करोड़ वर्ग कि०मी०
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०
(D) 500 लाख वर्ग कि०मी०।
उत्तर:
(A) 36 करोड़ वर्ग कि०मी०।

3. महाद्वीपीय निमग्न तट की औसत गहराई कितनी है?
(A) 100 फैदम
(C) 300 मीटर
(B) 500 फुट
(D) 400 मीटर
उत्तर:
(A) 100 फैदम।

4. महाद्वीपीय निमग्न तट का विस्तार किस महासागर में सबसे अधिक है?
(A) अन्ध महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) हिन्द महासागर
(D) हिम महासागर।
उत्तर:
(A) अन्ध महासागर।

5. संसार में सबसे गहरा महासागरीय गर्त है
(A) प्यूरिटो रिको
(B) मेरियाना
(C) सुण्डा
(D) ऊटाकाया।
उत्तर:
(B) मेरियाना।

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6. निम्नलिखित में से कौन-सी खाई प्रशान्त महासागर में स्थित नहीं है?
(A) अल्यूशियन खाई
(B) प्यूरिटो रिको खाई
(C) मिंडानाओ खाई
(D) मेरियाना खाई।
उत्तर:
(B) प्यूरिटो रिको खाई।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा सागर अन्ध महासागर का सीमान्त सागर नहीं है?
(A) तसमान सागर
(B) उत्तरी सागर
(C) कैरेबियन सागर
(D) बाल्टिक सागर।
उत्तर:
(A) तसमान सागर।

8. एल्बेट्रोस पठार कौन-से महासागर या महाद्वीप में स्थित है:
(A) हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) अफ्रीका महाद्वीप
(D) एशिया महाद्वीप
उत्तर:
(B) प्रशान्त महासागर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरों के ताप प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:

  1. सौर विकिरण।
  2. समुद्र के रेडियो एक्टिव पदार्थ।
  3. जलवाष्प की ऊष्मा।
  4. वायुमण्डल द्वारा संवहन क्रिया।
  5. रासायनिक पदार्थों द्वारा उत्पन्न ताप।

प्रश्न 2.
सागरीय जल के तापमान का वार्षिक अन्तर किन घटकों पर निर्भर होता है?
उत्तर:

  1. विभिन्न गहराइयों पर तापमान में विभिन्नता है।
  2. ताप चालन का प्रभाव।
  3. संवहनी धाराओं का प्रभाव।
  4. जलराशियों का पार्श्व विस्थापन।

प्रश्न 3.
महासागरों में लवण का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
सागरों में नमक की विशाल मात्रा पाई जाती है। यदि सागरों के समस्त लवण को समतल धरातल पर फैला दिया जाए तो इसकी 150 मीटर मोटी पर्त बन जाएगी। समुद्र की लवणता का मुख्य स्रोत नदियां हैं जो घुले हुए पदार्थ के रूप में लवण समुद्र तट तक पहुँचाती हैं। पवनें तथा लहरें ज्वालामुखी समुद्री जल की लवणता में वृद्धि करते हैं । परन्तु इस लवणता का मुख्य स्रोत समुद्र स्वयं ही है जहां प्रारम्भ से ही लवण पदार्थ विद्यमान हैं।

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प्रश्न 4.
महासागरों के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर तापमान वितरण को कौन-से कारक नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
महासागरों के जल का तापमान निम्नलिखित कारकों द्वारा नियन्त्रित होता है:

  1. सूर्यातप की तीव्रता और अवधि।
  2. जल का खारापन, घनत्व तथा वाष्पीकरण।
  3. ऊष्ण तथा शीत वायु धाराओं का बहना।
  4. जल मग्न कटकों की स्थिति।
  5. समुद्र की स्थिति और आकार।

प्रश्न 5.
समुद्री जल में पाए जाने वाले पांच प्रसिद्ध लवण तथा उनकी मात्रा बताओ।
उत्तर:

  1. सोडियम क्लोराइड – 77.7 प्रतिशत
  2. मैग्नीशियम क्लोराइड – 10.9 प्रतिशत
  3. मैग्नेशियम सल्फेट – 4.7 प्रतिशत
  4. कैल्शियम सल्फेट – 3.6 प्रतिशत
  5. पोटेशियम सल्फेट – 2.5 प्रतिशत

प्रश्न 6.
महासागरीय जल की लवणता किन तत्त्वों पर प्रभाव डालती है?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. घनत्व
  3. सूर्यातप का अवशोषण
  4. वाष्पीकरण
  5. आर्द्रता
  6. मछलियों के जीवन

प्रश्न 7.
महासागरीय जल की लवणता के विभिन्न स्त्रोत बताओ।
उत्तर:

  1. नदियां
  2. महासागरीय लहरें
  3. ज्वालामुखी
  4. रासायनिक क्रियाएं
  5. महासागरों में पहले ही लवण का होना।

प्रश्न 8.
भूमध्यरेखा के निकट महासागरों में लवणता कम क्यों है?
उत्तर:

  1. सारा साल भारी वर्षा (200 सें० मी० से अधिक )
  2. सारा साल उच्च सापेक्षिक आर्द्रता (80%)
  3. मेघाच्छनन आकाश
  4. डोलड्रम क्षेत्र शांत वायु
  5. अमेजन तथा जायरे जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के स्वच्छन्द जल के कारण।

प्रश्न 9.
घिरे हुए तीन सागरों के नाम तथा लवणता बताओ।
उत्तर:

  1. ग्रेट साल्ट झील (संयुक्त राज्य) – 220 लवणता प्रति हज़ार
  2. मृत सागर ( जार्डन) – 240 लवणता प्रति हज़ार
  3. वान झील (तुर्की) – 330 लवणता प्रति हज़ार।

प्रश्न 10.
ज्वारीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वार-भाटा महासागरों में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। ज्वार भाटे के समय जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने से ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। ज्वार भाटे की गति से जैनरेटर चलाने का कार्य किया जा सकता है। सोवियत संघ, जापान तथा फ्रांस में ज्वारीय शक्ति उत्पन्न की जाती है।

प्रश्न 11.
भू-तापीय ऊर्जा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी के भूगर्भ में गर्म जल तथा ज्वालामुखियों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। गर्म पानी के झरने तथा गीजर इसके प्रमुख स्रोत हैं। भू-तापीय ऊर्जा न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य तथा मैक्सिको में उत्पन्न की जाती है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 12.
रचना के आधार पर महाद्वीपीय मग्न तट के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
तीन प्रकार: नदियों से निर्मित, हिमानीकृत, प्रवाल भित्ति निर्मित।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
महासागरीय तली को कितने मुख्य विभागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
महासागरीय तली को चार मुख्य विभागों में बांटा जाता है:

  1. महाद्वीपीय मग्न तट (Continental shelf)
  2. महाद्वीपीय ढाल (Continental slope )
  3. महासागरीय मैदान (Deep sea plain )
  4. महासागरीय गर्त (Ocean deeps)।

प्रश्न 2.
महासागरीय नितलों पर पाए जाने वाली सबसे अधिक सामान्य आकृतियों के नाम लिखो।
उत्तर:
महासागरीय तली पर महाद्वीपीय मग्न तट, महाद्वीपीय ढाल, महासागरीय मैदान तथा गर्त के अतिरिक्त निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं

  1. उद्रेख (Ridges)
  2. पहाड़ियाँ (Hills)
  3. टीले (Sea mounts)
  4. खाइयां (Trenches)
  5. palm fufaui (Coral reefs) |
  6. निमग्न द्वीप (Guyots)
  7. कैनियन ( Canyons)

प्रश्न 3.
महासागरीय खाइयों तथा गर्तों को विवर्तनिक उत्पत्ति वाला क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
महासागरों में लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्ड को महासागरीय गर्त कहा जाता है। इनकी उत्पत्ति भूतल पर दरारें पड़ने तथा मोड़ पड़ने की हलचल के कारण हुई है। ये अधिकतर उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां भूकम्प आते हैं तथा ज्वालामुखी स्थित हों। ये अधिकतर वलित पर्वतों तथा द्वीपीय चापों के समानान्तर स्थित होते हैं। इसलिए इनका सम्बन्ध भूगर्भिक हलचलों से है।

प्रश्न 4.
महाद्वीपीय मग्नतट किसे कहते हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shelf):
यह महाद्वीपों के चारों ओर मंद ढाल वाला जलमग्न धरातल है। वास्तव में यह महाद्वीपीय खंड का ही जलमग्न किनारा है जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है।

प्रश्न 5.
महासागरीय नितल की गहराई कैसे मापी जाती है?
उत्तर:
महासागरीय नितल की गहराई गम्भीरता मापी यन्त्र (Sonic Depth Recorder) से मापी जाती है। इस यन्त्र से ध्वनि तरंगें (Sound waves) महासागरीय नितल से प्रति ध्वनि (Echo) के रूप में वापस आती हैं। इनकी गति व समय से गहराई ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 6.
संसार में सबसे गहरा स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
संसार में सबसे गहरा स्थान प्रशांत महासागर में गुआम द्वीपमाला के समीप मेरिआना गर्त (Mariana Trench) है। इसकी गहराई 11022 मीटर है। यदि एवरेस्ट पर्वत को इस गर्त में डुबो दिया जाए तो इसकी चोटी समुद्री जल सतह से 2 कि०मी० नीचे रहेगी।

प्रश्न 7.
हिन्द महासागर को आधा महासागर क्यों कहते हैं?
उत्तर:
अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर उत्तर-दक्षिण दोनों ओर खुले हैं। ये भूमध्य रेखा के दोनों ओर समान रूप से फैले हुए हैं। परन्तु हिन्द महासागर उत्तर की ओर बन्द है। एशिया महाद्वीप इस के विस्तार को रोकता है। एक प्रकार से इसका विस्तार अधिकतर दक्षिण की ओर ही है। इसलिए इसे आधा महासागर कहते हैं।

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प्रश्न 8.
जलमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल के जल से डूबे हुए भाग को जल मण्डल (Hydrosphere) कहते हैं। यह धरालत पर लगभग 361,059,000 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं जो पृथ्वी के धरातल के कुल क्षेत्र का 71% भाग है। उत्तरी गोलार्द्ध का 61% भाग तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का 81% भाग महासागरों से घिरा हुआ है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में जल का विस्तार अधिक है इसलिए इसे (Water Hemisphere) भी कहते हैं।

प्रश्न 9.
प्रति ध्रुवीय स्थिति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरती पर जल और स्थल का वितरण प्रति ध्रुवीय (Antipodal) है। महाद्वीप और महासागर एक-दूसरे के विपरीत स्थित हैं। यह संयोजन इस प्रकार है कि जल और स्थल एक-दूसरे से एक व्यास के विपरीत कोनों पर (Diametrically Opposite) स्थित हैं, जैसे आर्कटिक महासागर अण्टार्कटिक महाद्वीप के विपरीत स्थित है। यूरोप तथा अफ्रीका प्रशान्त महासागर के विपरीत स्थित हैं। उत्तरी अमेरिका हिन्द महासागर के विपरीत स्थित है।

प्रश्न 10.
गम्भीर समुद्री उद्रेख (Submarine Ridge) किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय तल पर ऊंचे उठे हुए भागों को गम्भीर उद्रेख कहते हैं। यह प्रायः 60 हज़ार किलोमीटर लम्बे और 100 किलोमीटर चौड़े हो सकते हैं। इनकी विश्वव्यापी स्थिति किसी भूमण्डलीय हलचल का संकेत देती है । प्रायः यह महासागरों के मध्य में या धरती पर पाई जाती है। इनकी रचना के कई कारण हैं:

  1. दरारों के साथ बॅसाल्ट का फैलना।
  2. संवाहिक धाराओं द्वारा भूपटल का ऊंचा उठना तथा नीचे धंसना।

प्रश्न 11.
अन्त: समुद्री कैनियन की विशेषताओं एवं निर्माण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
महासागरीय निमग्न तट तथा ढाल पर तंग, गहरी तथा ‘V’ आकार की घाटियों को कैनियन कहा जाता है। ये घाटियां विश्व के सभी तटों पर नदियों के मुहानों पर पाई जाती हैं। जैसे- हडसन, सिन्ध, गंगा, कांगो नदी । यह कैनियन नदी द्वारा अपरदन तथा सागरीय अपरदन से बनी है।

कैनियनों के प्रकार (Types of Canyons) ये घाटियां मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:

  1. वे कैनियन जो छोटे, गार्ज के रूप में महाद्वीपीय मग्न तट से शुरू होकर ढाल पर काफ़ी गहराई तक विस्तृत होते हैं। जैसे न्यू इंग्लैण्ड तट पर ओशनोग्राफर ( oceanographer) कैनियन।
  2. वे कैनियन जो नदियों के मुहानों से शुरू होकर केवल मग्न तट तक ही पाए जाते हैं। जैसे – मिसीसिपी तथा सिन्धु नदी के कैनियन। हडसन कैनियन।
  3. वे कैनियन जो तट व ढाल पर काफ़ी कटे-फटे होते हैं, जैसे- दक्षिणी कैलीफोर्निया के तट पर बेरिंग केनियन तथा जेम चुंग कैनियन।

प्रश्न 12.
मनुष्य के लिए महासागरों के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
महासागरों का महत्त्व – महासागर कई प्रकार से, प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से मनुष्य के लिए उपयोगी हैं।

  1. महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालते हैं।
  2. समुद्री धाराएं तापमान और आर्द्रता के वितरण को प्रभावित करती हैं।
  3. महासागर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थों का सुलभ तथा अनन्त भण्डार हैं।
  4. महासागर संसार के भोजन का 10% भाग मछलियों द्वारा प्रदान करते हैं।
  5. महासागरों में अनेक समुद्री जन्तु, तेल, चमड़ा, सरे आदि उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं।
  6. महासागरों में कम गहरे भागों में खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस के भण्डार प्राप्त हुए हैं।
  7. महासागर में अनेक उपयोगी खनिजों के भण्डार हैं। जैसे – मैंगनीज़, मोनोजाइट, लोहा, टिन, सोना आदि।
  8. महासागरों में ज्वार-भाटे की तरंगों से ज्वारीय शक्ति उत्पन्न की जाती है।
  9. महासागर यातायात तथा परिवहन के सब से महत्त्वपूर्ण, सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं।
  10. महासागरों से आवश्यक लाभ प्राप्त करने के लिए इन्हें प्रदूषण से मुक्त रखना आवश्यक है ।

प्रश्न 13.
मानव के लिए महासागरों के विभिन्न प्रत्यक्ष और परोक्ष उपयोग क्या-क्या हैं?
उत्तर:

  • प्रत्यक्ष उपयोग
    1. महासागर मछली जैसे खाद्य पदार्थ का असीमित भण्डार हैं।
    2. महासागर खनिजों का भण्डार हैं।
    3. महासागर यातायात तथा परिवहन मार्ग हैं।
  • अप्रत्यक्ष उपयोग
    1. महासागर जलवायु को नियन्त्रित करते हैं।
    2. महासागर ज्वारीय ऊर्जा तथा भूतापीय ऊर्जा के भण्डार हैं।

प्रश्न 14.
महासागरों को पृथ्वी पर जलवायु के महान् नियन्त्रक क्यों कहते हैं?
अथवा
महासागर जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालने के कारण प्रमुख नियन्त्रक कहे जाते हैं।

  1. महासागर धरातल पर तापमान तथा आर्द्रता पर प्रभाव डालते हैं।
  2. महासागर सौर ऊर्जा को संचय करते हैं
  3. महासागरों में ऊर्जा के अवशोषण और निष्कर्षण की विशाल क्षमता है।
  4. समुद्र तट पर तापांतर बहुत कम होता है।
  5. महासागरीय धाराएं तटीय क्षेत्रों के तापमान को सम करने में मदद करती हैं।

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प्रश्न 15.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महासागर कैसे वरदान सिद्ध हुए हैं?
उत्तर:
महासागर यातायात तथा परिवहन के सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक साधन हैं। महासागर सबसे सस्ता यातायात साधन हैं। महासागरों में कोई सड़कों या मार्गों का निर्माण नहीं होता । महासागर सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़कर एक अन्तर्राष्ट्रीय मार्ग की रचना करते हैं।

प्रश्न 16.
महाद्वीपीय मग्न तट तथा महाद्वीपीय ढाल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shelf) महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope)
(1) महाद्वीपों के चारों ओर जल-मग्न चबूतरों को महाद्वीपीय मग्न तट कहते हैं। (1) महाद्वीपीय मग्न तट से महासागरों की ओर के ढाल को महाद्वीपीय ढाल कहते हैं।
(2) इसकी औसत गहराई 200 मीटर (100 फैदम) होती है। (2) इसकी औसत गहराई 200 मीटर से 3000 मीटर तक होती है।
(3) समस्त महासागरों के $7.5$ प्रतिशत भाग पर इसका विस्तार है। (3) समस्त महासागरों के $8.5$ प्रतिशत भाग पर इसका विस्तार है।
(4) इसका औसत ढाल 10 से कम है। (4) इसका औसत ढाल 2° से 5° है।
(5) मछली क्षेत्रों तथा पेट्रोलियम के कारण इसका आर्थिक महत्त्व है। (5) इस पर कई समुद्री कैनियन स्थित हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरों की तली के उच्चावच के सामान्य लक्षणों का वर्णन करो।
उत्तर:
महासागरों की गहराई तथा उच्चावच में काफ़ी विभिन्नता है जिसे उच्चता दर्शी वक्र (Hypsographic Curve) से दिखाया जाता है। बनावट तथा गहराई के अनुसार सागरीय तल को चार भागों में बांटा जाता है
1. महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shelf): महाद्वीपों के चारों ओर सागरीय तट का वह भाग जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है, महाद्वीपीय चबूतरा कहलाता है। वास्तव में यह महाद्वीप का ही भाग होता है जो जलमग्न होता है। विस्तार समस्त महासागरों के 7.5 प्रतिशत भाग ( 260 लाख वर्ग किलोमीटर) पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार है। इसका सबसे अधिक विस्तार अन्धमहासागर ( 13.3%) है। इसकी औसत चौड़ाई 70 किलोमीटर तथा गहराई 72 फैदम होती है। आर्कटिक सागर के तट पर इसका विस्तार 1000 कि० मी० से भी अधिक है। पर्वत श्रेणियों वाले तटों पर संकरे महाद्वीपीय मग्न तट पाए जाते हैं। इस तट का औसत ढाल 1° कोण होता है। भारत के पूर्वी तट पर चौड़ा मग्न तट मिलता है।

मग्न तटों की उत्पत्ति – मग्न तटों के निर्माण सम्बन्धी विचार इस प्रकार हैं:

  1. कुछ विद्वानों के अनुसार मग्न तट वास्तव में स्थल का बढ़ा हुआ रूप है। समुद्र तल के ऊपर उठने से या स्थल भाग के नीचे धंस जाने से मग्न तट की रचना होती है।
  2. सागरीय अपरदन से इन चबूतरों का निर्माण होता है।
  3. नदियों, लहरों, वायु आदि द्वारा तलछट के निक्षेप से मग्न तट चबूतरों (Submarine Terrace) का निर्माण होता है।

महत्त्व:
महाद्वीपीय मग्न तट मनुष्य के लिए काफ़ी उपयोगी हैं। इन प्रदेशों में मछलियों के भण्डार हैं। यहां तेल व गैस उत्पादन होता है। यहां बजरी व बालू के विशाल भण्डार पाए जाते हैं। यहां समुद्री जीवों तथा वनस्पति की अधिकता होती है।

2. महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope ):
महाद्वीपीय मग्न तट के बाहर का ढाल जो महासागर की ओर तीव्र गति से नीचे उतरता है, महाद्वीपीय ढाल कहलाता है। वास्तव में महाद्वीप ढाल के किनारे पर ही समाप्त होते हैं। इसकी गहराई 3660 मीटर तक है। इसका कुल विस्तार 8.5% क्षेत्र (310 लाख वर्ग कि० मी०) पर है । इसका सब से अधिक विस्तार अन्धमहासागर में 12.4% क्षेत्र पर है। इसकी ढाल का औसत कोण 4° है, परन्तु स्पेन के निकट यह कोण 36° है। यह ढाल वास्तव में गहरे समुद्रों तथा महाद्वीपों के स्तर को पृथक् करती है। जहां महाद्वीपीय ढाल का अन्त होता है, वहां मन्द ढाल को महाद्वीपीय उत्थान कहते हैं।
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3. महासागरीय मैदान (Deep Sea plain ):
महाद्वीपीय ढाल के पश्चात् समुद्र में चौड़े तथा समतल क्षेत्र को महासागरीय मैदान कहते हैं। इसकी औसत गहराई 3000 से 6000 मीटर तक है। कुल महासागरों में इसका लगभग 40% विस्तार है। इसका सबसे अधिक विस्तार प्रशान्त महासागर में 80.3% है। इसे नितल मैदान (Abyssal plain) भी कहते हैं। इन मैदानों का ढाल 1/100 से भी कम होता है। इन मैदानों पर कई भू-आकृतियां पाई जाती हैं, जैसे – समुद्री उद्रेख (Ridges ) द्वीप, समुद्री टीले (Sea mounts), निमग्न द्वीप (Guyots) आदि। इन मैदानों पर स्थलज तथा उथले जल से उत्पन्न तलछट पाए जाते हैं। नितल मैदान पर जलमग्न कटक पाए जाते हैं जो महासागरों के मध्य क्षेत्र में हैं। इन कटकों की लम्बाई 75000 कि० मी० है। ये मन्द ढाल वाले चौड़े पठार के समान हैं।

4. महासागरीय गर्त (Ocean Deeps):
ये समुद्र तल पर गहरे गड्ढे होते हैं। इनका विस्तार बहुत कम होता है। कुल महासागरों के 7% भाग में महासागरीय गर्त पाए जाते हैं। लम्बे चौड़े खड्ड को गर्त (Trough) कहते हैं जबकि लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्ड को खाई (Trench) कहा जाता है। इनकी औसत गहराई 5500 मीटर है। संसार में 57 प्रसिद्ध गड्ढे हैं जिनमें अन्धमहासागर में 19, प्रशान्त महासागर में 32 तथा हिन्द महासागर में 6 हैं। संसार में सब से अधिक गहरा गर्त (Mariana Trench) प्रशान्त महासागर में है जिसकी गहराई 11022 मीटर है। इन गर्तों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

(क) ये महासागरों के किनारों पर पाये जाते हैं।
(ख) ये भूकम्पीय तथा ज्वालामुखी क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं।
(ग) ये गर्त द्वीपीय चापों के सहारे मिलते हैं।

5. अन्य विशेष आकृतियां:
महासागरों में उच्चावच में विविधता के कारण कई भू-आकृतियां, जैसे- द्वीप (Islands), उद्रेख (Ridge), अटोल (Attol), समुद्री कैनियन (Canyon ) भी पाई जाती हैं।

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प्रश्न 2.
महासागरों में मिलने वाले छुद्र उच्चावच्च के लक्षण बताओ।
उत्तर:
छुद्र उच्चावच्च के लक्षण (Minor Relief Features): ऊपर दिए गए महासागरीय सतह के बड़े उच्चावच्चों के अतिरिक्त कुछ छोटी लेकिन महत्त्वपूर्ण आकृतियां महासागरों के विभिन्न भागों में बहुतायत पायी जाती हैं।

1. मध्य महासागरीय कटक (Mid Oceanic Ridge ):
एक मध्य महासागरीय कटक पर्वतों के दो श्रृंखलाओं का बना होता है, जिसके बीच बहुत बड़ा गड्ढा होता है। इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखर की ऊंचाई 2,500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ समुद्र की सतह तक भी पहुंच सकती हैं, उदाहरण के लिए, आईसलैंड, जो कि मध्य अटलांटिक कटक का एक भाग है।

2. समुद्री पर्वत (Sea Mount ):
यह नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत है, जो कि समुद्री सतह से ऊपर की ओर उठा होता है, किंतु महासागरों के ऊपरी स्तर तक नहीं पहुंच पाता है। समुद्री पर्वत ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये 3,000 से 4,500 मीटर लम्बे हो सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, इम्पेरर समुद्री पर्वत, जो कि प्रशान्त महासागर में हवाई द्वीपसमूहों का विस्तार है।

3. अंत: समुद्री दरे (कैनियन) (Canyons ):
कोलोरैडो नदी के ग्रैंड कैनियन की तरह ये गहरी घाटियां होती हैं। ये कभी-कभी महादेशीय छज्जों एवं महादेशीय ढालों को एक तरफ से दूसरे तरफ काटते हुए पाए जाते हैं जो कि प्रायः बड़ी नदियों के मुहाने से विस्तृत होते हैं। विश्व का सबसे महत्त्वपूर्ण दर्रा हडसन दर्रा है।

4. निमग्न द्वीप (Guyots):
यह चपटे शिखर वाला समुद्री पर्वत है। ये लगातार हो रहे अवतलन के प्रमाणों को दर्शाते हैं, जिसके कारण धीरे-धीरे इन डूबे हुए पर्वतों का शिकर चपटा होता जाता है। प्रशान्त महासागर में अनुमानतः 10,000 से अधिक समुद्री पर्वत एवं निमग्न द्वीप उपस्थित हैं।

5. प्रवाल द्वीप (Atoll ):
ये कटिबन्धीय महासागरों में पाए जाने वाले छोटे आकार के द्वीप हैं, न जहां एक गड्ढे को चारों तरफ से मूंगे की चट्टानें रहती हैं। ये समुद्र के एक भाग हो सकते हैं या कभी-कभी ये साफ, खारे या बहुत अधिक जल को चारों तरफ से रहते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न सागरों में लवणता की मात्रा को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करो।
उत्तर:
समुद्र का जल सदा खारा होता है। सागरीय जल में औसत लवणता 35 प्रति हज़ार है। परन्तु भिन्न-भिन्न सागरों में लवणता की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। खारेपन की भिन्नता निम्नलिखित तत्त्वों पर निर्भर करती है

1. स्वच्छ जल की पूर्ति ( Supply of Fresh Water ):
स्वच्छ जल की अधिकता से सागरीय जल में लवणता कम हो जाती है। भूमध्य रेखीय खण्ड में अधिक वर्षा से सागरीय जल में कम लवणता पाई जाती है। बड़ी-बड़ी नदियों के मुहानों के निकट लवणता कम होती है। ध्रुवीय प्रदेशों में हिम के पिघलने से स्वच्छ जल प्राप्त होता रहता है जिससे लवणता कम हो जाती है।

2. वाष्पीकरण की मात्रा तथा गति (Rapidity and Amount of Evaporation ):
अधिक तापक्रम, वायु की तीव्र गति तथा शुष्कता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया अधिक होती है जिससे सागरीय जल में लवणता बढ़ जाती है। इसी कारण कर्क रेखा तथा मकर रेखा के आस-पास लवणता अधिक होती है।

3. सागरीय जल की मिश्रण क्रिया – सागरीय जल, ज्वार भाटा, लहरों तथा धाराओं के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहता रहता है, जल के इस मिश्रण से स्थानिक रूप में लवणता बढ़ जाती है या कम हो जाती है।

4. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
गर्म तथा शुष्क पवनों के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है। उच्च वायु दबाव पेटियों में नीचे उतरती पवनों के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है जो लवणता में वृद्धि कर देता है।

5. धारायें (Currents):
धाराएं खुले सागरों में एक भाग से दूसरे भाग तक जल ले जाती हैं। गर्म धाराएं लवणता को बढ़ा देती हैं तथा ठण्डी धाराएं लवणता को कम करती हैं। इस प्रकार महासागरों में तापमान, घनत्व तथा लवणता में सम्बन्ध है। तापमान तथा घनत्व में परिवर्तन से लवणता में परिवर्तन होता है।

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प्रश्न 4.
महासागरों में तापमान के वितरण को नियन्त्रित करने वाले घटकों का वर्णन करो।
उत्तर:
सागरीय जल ताप का एक उत्तम संचालक है। इसी कारण जल, स्थल की अपेक्षा देर से गर्म होता है तथा देर से ठण्डा होता है। सागरीय जल का तापमान सभी स्थानों पर एक समान नहीं होता। सागरीय जल के तापमान का वितरण निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करता है:

1. भूमध्य रेखा से दूरी:
सागरीय जल की ऊपरी सतह का तापमान अक्षांश के साथ हटता रहता है। भूमध्य रेखा पर यह तापमान 27° C के लगभग रहता है। 40° अक्षांश पर सागरीय जल का तापमान 14° C पाया जाता है तथा 70° अक्षांश पर 5°C। शून्य डिग्री सेल्सियस समताप रेखा ध्रुवीय क्षेत्रों के गिर्द वृत्त बनाती है। प्रति 1° अक्षांश पर 0.5°C तापमान घटता है।

2. प्रचलित पवनें:
स्थायी पवनें समुद्र जल की ऊपरी परत को हटाती रहती हैं तथा नीचे से ठण्डा जल आ जाता है। इस उत्स्रवण (Up welling of Water) की क्रिया से तापमान कम हो जाता है। इसके विपरीत समुद्र से स्थल की ओर आने वाली पवनें गर्म जल इकट्ठा कर के तापमान को बढ़ा देती हैं।

3. महासागरीय धाराएं:
महासागरीय धाराएं तापमान में समानता लाने का प्रयत्न करती हैं। गर्म धाराएं ठण्डे प्रदेशों में तापमान को बढ़ा देती हैं। उष्ण गल्फस्ट्रीम के कारण ही पश्चिमी यूरोप में तापमान 5° C से अधिक रहता है। इसके विपरीत ठण्डी धाराएं तापमान को ओर भी कम कर देती हैं, ठण्डी लेब्रेडोर धारा के कारण न्यूफाउण्डलैण्ड के निकट तापमान 2° C से कम होता है।

4. लवण में भिन्नता:
अधिक लवण वाले जल का तापमान ऊंचा होता है क्योंकि वह अधिक गर्मी ग्रहण कर सकता है।

5. स्थल खण्डों की स्थिति:
उष्ण कटिबन्ध में स्थल के घिरे हुए सागरों का तापमान अधिक होता है परन्तु शीत कटिबन्ध में कम होता है।

6. समुद्र की गहराई:
समुद्र की गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान कम होता है। ऊपरी सतह से लेकर 1800 मीटर की गहराई तक सागरीय जल का तापमान 15° C से घट कर 2° C रह जाता है। 1800 से 4000 मीटर की गहराई तक यह तापमान 2°C से घट कर 1.6° C रह जाता है

7. अंत: समुद्री रोधिकाएं (Submarine Ridges):
कम गहरे भागों में पानी के नीचे रोधिकाएं तापमान में अन्तर डालती हैं।

प्रश्न 5.
सागरीय जल की लवणता से क्या अभिप्राय है? संसार के विभिन्न सागरों में लवणता का वितरण बताइये।
उत्तर:
समुद्र जल में पाये जाने वाले समस्त लवणों का योग समुद्र की लवणता कहलाता है। समस्त घुले हुए लवण एक निश्चित अनुपात में पाये जाते हैं परन्तु विभिन्न स्थानों पर विभिन्न मात्रा में मिलते हैं। महासागरीय लवणता उस अनुपात को कहते हैं जो घुले हुए लवणों की मात्रा और समुद्र जल की मात्रा में होता है। इस लवणता को प्रति हज़ार भागों में प्रकट किया जाता है। समुद्र जल की औसत लवणता प्रति हज़ार ग्राम जल में पैंतीस ग्राम लवण पदार्थ है तथा इसे 35 प्रति हज़ार लिखा जाता है। लवणता का वितरण: कई भौगोलिक तत्त्वों के कारण विभिन्न सागरों में लवणता की मात्रा में अन्तर पाया जाता है।

(क) खुले महासागरों में लवणता (Salinity in Open Seas)
1. भूमध्य रेखा के आस-पास के क्षेत्र (Near the Equator):
इन सागरों में औसत लवणता कम (लगभग 34 प्रति हज़ार ) होती है। ( 33% से 37% ) कारण:

  • अधिक वर्षा
  • अधिक मेघाच्छादन
  • अमेजन तथा कांगो जैसी बड़ी-बड़ी नदियों से विशाल स्वच्छ जल की प्राप्ति।

2. कर्क व मकर रेखा के निकट (Near the Tropics): यहां पर लवणता की मात्रा सबसे अधिक (36 प्रति हज़ार ) पाई जाती है।
कारण:

  1. अधिक वाष्पीकरण
  2. स्वच्छ आकार तथा शुष्क वायु
  3. कम वर्षा
  4. बड़ी नदियों का अभाव। गर्म – शुष्क प्रदेशों में यह 70% है।

3. ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Areas): इन क्षेत्रों में लवणता की मात्रा 20 से 30 प्रति हज़ार होती है।
कारण:

  1. कम ताप के कारण वाष्पीकरण का कम होना।
  2. पश्चिमी पवनों द्वारा अधिक वर्षा का होना।
  3. बर्फ़ के पिघलने से स्वच्छ जल की प्राप्ति। आर्कटिक महासागर में यह 0-30% है। उत्तरी सागर में गर्म धारा के कारण अधिक है।

(ख) घिरे हुए समुद्रों में लवणता (Salinity in Enclosed Seas):

इन सागरों में लवणता की मात्रा में काफ़ी अन्तर पाया जाता है, जैसे:

  1. भूमध्य सागर में जिब्रालटर के समीप खारेपन की मात्रा 37 प्रति हज़ार से 39 प्रति हज़ार है। अधिक लवणता शुष्क – ग्रीष्म ऋतु, अधिक वाष्पीकरण तथा नदियों के अभाव के कारण है।
  2. लाल सागर 40 प्रति हज़ार, खाड़ी स्वेज 41 प्रति हज़ार, खाड़ी फारस में 38 प्रति हज़ार लवणता की मात्रा पाई जाती है।
  3. काला सागर में 18 प्रति हज़ार तथा एजोव सागर में 17 प्रति हज़ार लवणता पाई जाती है। बाल्टिक सागर में केवल 11 प्रति हज़ार लवणता पाई जाती है। यहां वाष्पीकरण कम है। बड़ी-बड़ी नदियों से स्वच्छ जल प्राप्त होता है हिम के पिघलने से भी अधिक जल की प्राप्ति होती है।

( ग ) झीलें तथा आन्तरिक सागर (Lake and Inland Seas ):
झीलों तथा आन्तरिक सागरों में लवणता की मात्रा इनमें गिरने वाली नदियों, वाष्पीकरण तथा स्थिति के कारण भिन्न- भिन्न होती है। झीलों में नदियों के गिरने से स्वच्छ जल अधिक हो जाता है तथा लवणता कम होती है। नदियों की कमी वाष्पीकरण अधिक होता है तथा लवणता अधिक होती है। कैस्पियन सागर के उत्तरी भाग में लवणता 14 प्रति हज़ार है परन्तु दक्षिणी भाग में लवणता 170 प्रति हज़ार है। संयुक्त राज्य अमेरिका की साल्ट झील में लवणता 220 प्रति हज़ार है । जार्डन में मृत सागर (Dead Sea) में लवणता 240 प्रति हज़ार है। तुर्की की वैन झील (Van Lake) में लवणता 330 प्रति हज़ार है। यहां अधिक लवणता अधिक वाष्पीकरण तथा नदियों की कमी के कारण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 6.
महासागरों के महत्त्व का वर्णन करते हुए स्पष्ट करो कि महासागर भविष्य के भण्डार हैं।
उत्तर:
महासागरों का महत्त्व (Importance of Oceans):
महासागरों का प्रभाव तटीय प्रदेश के लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। परन्तु परोक्ष रूप से महासागर मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं, महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालते हैं, सागरीय धाराएं तापमान तथा आर्द्रता के वितरण को प्रभावित करती हैं। महासागरों में ज्वार-भाटे की तरंगों से ज्वरीय शक्ति उत्पन्न की जा सकती है। महासागर यातायात तथा परिवहन के सबसे महत्त्वपूर्ण, सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं। महासागर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थों के स्रोत हैं।

इसलिए इन्हें ‘ भविष्य का भण्डार’ (Future Store-house) भी कहा जाता है।
1. महासागर तथा खाद्य संसाधन (Oceans and Food Resources ):
आदि मानव अपने भोजन की पूर्ति के लिए महासागरों पर निर्भर करता था आज भी महासागर खाद्य पदार्थों के अनन्त भण्डार हैं। संसार के अनेक क्षेत्रों में मानव भोजन के लिए मछली पर निर्भर है। मछली भोजन के कुल प्रोटीन का 10% भाग प्रदान करती है। पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पूर्वी अमेरिका, जापान आदि देशों में मछली क्षेत्रों का आधुनिक स्तर पर विकास हुआ है। कई प्रकार के शैवालों से भी खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं। निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन प्रदान करने का सब से महत्त्वपूर्ण साधन भविष्य में महासागरों के मछली क्षेत्र ही होंगे।

2. महासागर तथा उपयोगी पदार्थ ( Oceans and Useful Materials):
महासागरों से अनेक उपयोगी पदार्थ मिलते हैं जो वनस्पति तथा जीवों से प्राप्त होते हैं। अनेक समुद्री जन्तु, तेल, रोएं, चमड़ा, सरेस, पशुओं के लिए चारे की वस्तुएं प्रदान करते हैं। कुछ समुद्री पौधों तथा जन्तुओं का प्रयोग दवाइयों के बनाने में भी किया जाता है। इस प्रकार महासागरों से अनेक पदार्थ सुलभ हैं। भविष्य में मानव को कई पदार्थों के लिए महासागरों पर आश्रित रहना पड़ेगा।

3. महासागर तथा खनिज संसाधन (Oceans and Mineral Resources):
महासागर अनेक उपयोगी धात्विक तथा अधात्विक खनिजों के भण्डार हैं। ये खनिज घोल तथा निलम्बित कणों के रूप में मिलते हैं। समुद्रों के खारे जल में नमक सब से महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। अन्य पदार्थों में मैंगनीज, गंधक, ब्रोमीन, जिर्कन, मोनोजाइट, सोना, लोहा, बालू, बजरी महत्त्वपूर्ण हैं। महासागरों में कुछ खनिज पदार्थों का पुनः निर्माण होता रहता है जो भविष्य में मानव के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

4. महासागर तथा खनिज तेल (Oceans and Petroleum ):
आधुनिक समय में महासागरों से खनिज तेल का प्राप्त होना सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। खनिज तेल मुख्यतः कम गहरे निमग्न चबूतरों में पाया जाता है। एक अनुमान के अनुसार संसार के खनिज तेल के भण्डार का 20% भाग महासागरीय नितल पर है। इस समय 75 से अधिक देशों में तट से दूर कम गहरे भागों में (Offshore Areas) में तेल निकाला जा रहा है। इन क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस के भी भण्डार प्राप्त हुए हैं। ‘बम्बई हाई’ (Bombay High) भी ऐसा ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जो सागरीय तट से 150 किलोमीटर दूर स्थित है। अनुमान है कि तेल के भण्डार उत्तरी सागर, मैक्सिको की खाड़ी, वेन्जुएला तट तथा हिन्द महासागर में मौजूद हैं। भविष्य में खनिज तेल के भण्डार अधिक-से-अधिक 50 वर्षों तक पर्याप्त होंगे। अधिक खपत के कारण ये समाप्त हो जाएंगे। भविष्य में मानव को खनिज तेल के लिए महासागरों में खोज करनी पड़ेगी।

5. महासागर तथा ऊर्जा (Oceans and Energy):
आधुनिक खोज द्वारा महासागरीय जल से ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न साधन खोज निकाले गए हैं। ज्वार भाटे के जल से ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Power) प्राप्त की जाती है । सोवियत रूस, जापान तथा फ्रांस में ज्वारीय शक्ति उत्पन्न करने के कुछ केन्द्र हैं। महासागरों के ज्वालामुखियों के क्षेत्रों में भू- तापीय ऊर्जा (Geo-thermal Energy ) प्राप्त की जा रही है। बैल्जियम तथा क्यूबा में महासागरीय जल में तापांतर की सहायता से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। इस प्रकार भविष्य में ऊर्जा संकट उत्पन्न होने से महासागर ऊर्जा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होंगे।

6. महासागर तथा परिवहन साधन (Oceans and Means of Transportation ):
महासागर यातायात के प्राचीनतम, सबसे सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं। संसार का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत हद तक समुद्री मार्गों पर निर्भर करता है। भविष्य में खनिज तेल व कोयले की कमी के समय मानव को महासागरीय परिवहन पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. जाइरे बेसिन में किस प्रकार की जलवायु मिलती है?
(A) मानसूनी
(B) रूम सागरीय
(C) भूमध्य रेखीय
(D) ध्रुवीय।
उत्तर;
(C) भूमध्य रेखीय।

2. शीत ऋतु की वर्षा वाला खण्ड कौन-सा है?
(A) भूमध्य रेखीय
(B) रूमं सागरीय।
(C) मानसून
(D) टुण्ड्रा।
उत्तर:
(B) रूमं सागरीय।

3. यदि वाष्पीकरण वर्षा से कम हो तो जलवायु कैसी होती है ?
(A) शुष्क
(B) आर्द्र
(C) शीत
(D) उष्ण।
उत्तर:
(B) आर्द्र

4. वाष्पोत्सर्जन में कौन-सी क्रिया होती है?
(A) महासागरों से वाष्पीकरण
(B) पेड़-पौधों से वाष्पीकरण
(C) जल वाष्प का सघनन
(D) धूल-कणों पर जल वाष्प का जमना।
उत्तर:
(B) पेड़-पौधों से वाष्पीकरण।

5. H शब्द किस प्रकार के प्रदेशों की जलवायु प्रकट करता है?
(A) भूमध्य रेखीय
(B) भूमध्य सागरीय
(C) उच्च भूमियां
(D) मानसून
उत्तर:
(C) उच्च भूमियां।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

6. निम्नलिखित में से कौन-सा मौसम तथा जलवायु का तत्त्व नहीं है?
(A) तापमान
(B) आर्द्रता
(C) दृश्यता
(D) वृष्टि।
उत्तर:
(C) दृश्यता।

7. ऊष्ण ऋतु से पूर्णतः रहित ध्रुवीय जलवायु को कोपेन ने दर्शाया है:
(A) A अक्षर द्वारा
(C) D अक्षर द्वारा
(B) B अक्षर द्वारा
(D) E अक्षर द्वारा।
उत्तर:
(D) E अक्षर द्वारा।

8. निम्नलिखित में से कौन-से जलवायु प्रकार की प्रमुख विशेषताएं ऊंचा तापमान, ऊंची सापेक्षिक आर्द्रता, सारा वर्ष होने वाली अधिक वर्षा और कम वार्षिक तापान्तर है?
(A) विषुवतीय जलवायु
(B) सवाना जलवायु
(C) मानसून जलवायु
(D) चीन तुल्य जलवायु।
उत्तर:
(A) विषुवतीय जलवायु।

9. भूमध्य सागरीय जलवायु की विशेषता है:
(A) वर्ष भर वर्षा
(B) मुख्यतः शीत ऋतु में वर्षा
(C) मुख्यतः ग्रीष्म ऋतु में वर्षा
(D) 10 सेंटीमीटर से कम वार्षिक वर्षा।
उत्तर:
(B) मुख्यत: शीत ऋतु में वर्षा।

10. कौन-सी जलवायु में वार्षिक तापान्तर सर्वाधिक होता है?
(A) सवाना जलवायु
(B) उष्ण मरुस्थलीय जलवायु
(C) स्टेपी जलवायु
(D) उच्च पर्वतीय जलवायु।
उत्तर:
(B) उष्ण मरुस्थलीय जलवायु।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अमेज़न बेसिन में किस प्रकार की जलवायु मिलती है?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय जलवायु।

प्रश्न 2.
शीत ऋतु की वर्षा वाला खण्ड कौन-सा है?
उत्तर:
भूमध्यसागरीय।

प्रश्न 3.
A शब्द किस प्रकार की जलवायु का प्रतीक है?
उत्तर:
आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु।

प्रश्न 4.
दो उष्ण मरुस्थलों के नाम लिखो।
उत्तर:
सहारा तथा थार।

प्रश्न 5.
आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की सीमा कौन – सी समताप रेखा निर्धारित करती है?
उत्तर:
20°C समताप रेखा।

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प्रश्न 6.
उष्ण कटिबन्ध में कौन-सी तीन प्रकार की जलवायु मिलती है?
उत्तर:

  1. विषुवतीय रेखीय
  2. सवाना
  3. मानसूनी जलवायु।

प्रश्न 7.
शुष्क जलवायु के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
अर्ध-मरुस्थलीय, स्टेपी।

प्रश्न 8.
शुष्क मरुस्थल किन अक्षांशों के निकट मिलते हैं?
उत्तर:
कर्क रेखा तथा मकर रेखा।

प्रश्न 9.
भूमध्य सागरीय जलवायु खण्ड में शीत ऋतु की वर्षा का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
वायुदाब पेटियों का खिसकना।

प्रश्न 10.
टैगा जलवायु में कौन-से वन मिलते हैं?
उत्तर:
कोणधारी वन।

प्रश्न 11.
ध्रुवीय जलवायु में उष्णतम मास का तापमान कितना होता है?
उत्तर:
10°C से कम।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 12.
टैगा जलवायु खण्ड में न्यूनतम ताप कहां मापा गया है?
उत्तर:
वर्खोयांस्क ( 50°C)।

प्रश्न 13.
भारत किस प्रकार की जलवायु वाला देश है?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जलवायु विज्ञान की परिभाषा दो।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान (Climatology ):
पृथ्वी के चारों ओर वायु का एक विस्तृत आवरण फैला हुआ है। इन वायुमण्डलीय अवस्थाओं ( तापमान, वायुदाब, पवनें, आर्द्रता) का अध्ययन करने वाले शास्त्र को जलवायु विज्ञान कहते हैं। इनमें केवल वायुमण्डलीय क्रियाओं का ही नहीं अपितु जलवायु के विभिन्न तत्त्वों एवं नियन्त्रणों का अध्ययन भी किया जाता है।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के जलवायविक वर्गीकरण के मुख्य आधारों के नाम लिखो।
उत्तर:
संसार की मुख्य जलवायु वर्गीकृत प्रकारों की पहचान इन तत्त्वों के आधार पर की जाती है

  1. तापमान (Temperature)
  2. वर्षा (Rainfall)
  3. वाष्पीकरण (Evaporation)
  4. वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration)
  5. जल सन्तुलन (Water Balance)।

प्रश्न 3.
तीन प्रसिद्ध जलवायविक वर्गीकरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
संसार में दो प्रसिद्ध भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए तथा इन्हीं के नाम पर प्रसिद्ध वर्गीकरण निम्नलिखित हैं

  1. थार्नवेट वर्गीकरण (Thornthwaite Classification)
  2. कोपेन वर्गीकरण (Koppen Classification)
  3. ट्रिवार्था का वर्गीकरण

प्रश्न 4.
वृष्टि की एक निश्चित मात्रा आर्द्र और शुष्क जलवायु विभाजक सीमा क्यों नहीं होती?
उत्तर:
केवल वर्षा की मात्रा के आधार पर ही आर्द्र और शुष्क जलवायु की सीमा निर्धारित नहीं होती है। औसत वार्षिक वर्षा के साथ-साथ वर्षा का मौसमी वितरण देखा जाता है। तापमान तथा वाष्पीकरण का प्रभाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये चारों कारक मिलकर किसी प्रदेश की शुष्क या आर्द्र जलवायु निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 5.
कोपेन के जलवायु वर्गीकरण में किस प्रकार के जलवायु आंकड़े प्रयोग किये जाते हैं?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. वर्षा
  3. वर्षा तथा तापमान का वनस्पति से सम्बन्ध।

प्रश्न 6.
किस प्रकार की जलवायु में वार्षिक तापान्तर कम-से-कम होता है?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय खण्ड में वार्षिक तापान्तर सबसे कम होता है। ये प्रायः 5° सैंटीग्रेड से कम होता है। इस खण्ड में वर्ष भर समान रूप से वर्षा होती है तथा मेघ छाये रहते हैं, उच्च तापमान मिलते हैं तथा दिन-रात सदा समान होते हैं परिणामस्वरूप वार्षिक तापान्तर कम होता है।

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प्रश्न 7.
ग्रीष्मकाल में 10° C समताप रेखा का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
टुण्ड्रा खण्ड में सबसे अधिक गर्म मास का तापमान 10° C से कम रहता है। ग्रीष्म ऋतु बहुत छोटी होती है तथा उपज काल भी बहुत छोटा होता है। यह समताप रेखा ध्रुवों की ओर वृक्षों की सीमा निर्धारित करती है। (limit of tree growth) 10° C से कम तापमान के कारण टुण्ड्रा खण्ड में वृक्ष नहीं होते।

प्रश्न 8.
पश्चिमी यूरोपीय जलवायु उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में केवल पतली समुद्र तटीय पट्टियों में ही क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में पश्चिमी यूरोपीय खण्ड एक तंग पट्टी के रूप में चिल्ली तथा कनाडा में मिलता है। निरन्तर ऊंचे रॉकीज तथा एण्डीज पर्वतों की रोक के कारण इस खण्ड का विस्तार सीमित है।

प्रश्न 9.
निम्न अक्षांशीय मरुस्थलीय जलवायु की तुलना स्टेपी जलवायु से करो।
उत्तर:

मरुस्थलीय जलवायु स्टेपी जलवायु
(1) मरुस्थलीय जलवायु 20 30 अक्षांशों के पश्चिमी भागों में मिलती है। (1) स्टेपी जलवायु 30 45 अक्षांशों में महाद्वीपों के अन्दरूनी भागों में पाई जाती है।
(2) इस जलवायु में औसत वार्षिक तापमान 38 रहता है। (2) इस जलवायु में औसत वार्षिक तापमान 20 रहता है।
(3) वार्षिक वर्षा 20 से० मी० से कम होती है। (3) औसत वार्षिक वर्षा 30 से० मी॰ से अधिक रहती है।
(4) प्राकृतिक वनस्पति का अभाव होता है। केवल कांटेदार झाड़ियां पाई जाती हैं। (4) यहां छोटी हरी घास मिलती है जिस पर पशु पालन होता है।


निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
कोपेन द्वारा जलवायु वर्गीकरण की पद्धति का वर्णन करो तथा प्रत्येक जलवायु प्रकार का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कोपेन की जलवायु वर्गीकरण की पद्धति ब्लादिमीर कोपेन द्वारा विकसित की गई जलवायु के वर्गीकरण की आनुभाविक पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया जाता है। कोपेन ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध की पहचान की। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया और इन मानों का उपयोग जलवायु के वर्गीकरण के लिए किया । वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आँकड़ों पर आधारित यह एक आनुभाविक पद्धति है।

उन्होंने जलवायु के समूहों एवं प्रकारों को पहचान करने के लिए बड़े तथा छोटे अक्षरों के प्रयोग का आरंभ किया। सन् 1918 में विकसित तथा समय के साथ संशोधित हुई कोपेन की यह पद्धति आज भी लोकप्रिय और प्रचलित है। कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान पर और एक घर्षण पर आधारित है बड़े अक्षरों का प्रयोग
बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायुओं को तथा B अक्षर शुष्क जलवायुओं को निरूपित करता है।

सारणी : कोपेन के अनुसार जलवायु समूह

समूह लक्षण
A. उष्णकटिबंधीय सभी महीनों का औसत तापमान 18° सेल्सियस से अधिक-आर्द्र जलवायु।
B. शुष्क जलवायु औसत वार्षिक वर्षा (से॰मी०) औसत वार्षिक तापमान (° सेल्सियस) के दुगुने से कम।
C. कोष्ण शीतोष्ण सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 3° सेल्सियस से अधिक किन्तु 18° सेल्सियस से कम मध्य अक्षांशीय जलवायु।
D. शीतल हिम-वन वर्ष के सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान. शून्य डिग्री तापमान से 3° नीचे।
E. शीत सभी महीनों का औसत तापमान 10° सेल्सियस से कम।
H. उच्चभूमि ऊँचाई के कारण सर्द।

छोटे अक्षरों का प्रयोग
जलवायु समूहों को तापक्रम एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है जिसको छोटे अक्षरों द्वारा अभिहित किया गया है। शुष्कता वाले मौसमों को छोटे अक्षरों f, m, w और s द्वारा इंगित किया गया है। इसमेंfशुष्क मौसम के न होने को, m मानसून जलवायु को, w शुष्क शीत ऋतु को और s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को इंगित करता है। छोटे अक्षर a, b, c तथा d तापमान की उग्रता वाले भाग को दर्शाते हैं। B समूह की जलवायुओं को उपविभाजित करते हुए स्टैपी अथवा अर्ध-शुष्क के लिए S तथा मरुस्थल के लिए W जैसे बड़े अक्षरों का प्रयोग किया गया है।

समूह प्रकार कुट अक्षर लक्षण
(A) उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु उष्णकटिबंधीय आर्द्र Af कोई शुष्क ऋतु नहीं।
उष्णकटिबंधीय मानसून Am मानसून, लघु शुष्क ॠतु
उष्पकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क Aw जाड़े की शुष्क ऋतु
(B) शुष्क जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय स्टैपी BSh निम्न अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क
उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल BWh निम्न अक्षांशीय शुष्क
मध्य अक्षांशीय स्टैपी BSk मध्य अक्षांशीय अर्ध शुष्क अथवा शुष्क
मध्य अक्षांशीय मरुस्थल BWk मध्य अक्षांशीय शुष्क
(C) कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय जलवायु) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय Cfa मध्य अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क अथवा शुष्क
भूमध्य सागरीय Csa शुष्क गर्म ग्रीष्म
समुद्री पश्चिमी तटीय Cfb एवं CFc कोई शुष्क ऋतु नहीं, कोष्ण तथा शीतल ग्रीष्म
(D) शीतल हिम-वन जलवायु आर्द्र महाद्वीपीय Df कोई शुष्क ऋतु नहीं, भीषण जाड़ा
उप-उत्तर ध्रुवीय DW जाड़ा शुष्क तथा अत्यंत भीषण
(E) शीत जलवायु टुंड्रा Et सही अर्थों में कोई ग्रीष्म नहीं
ध्रुवीय हिमटोपी Ef सदैव हिमाच्छादित हिम
(F) उच्चभूमि उच्च भूमि H हिमाच्छादित उच्च भूमियाँ

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 2.
जलवायु परिवर्तन से क्या अभिप्राय है? कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन
जिस प्रकार की जलवायु का अनुभव हम अब कर रहे हैं वह थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव के साथ विगत 10 हज़ार वर्षों से अनुभव की जा रही है। अपने प्रादुर्भाव से ही पृथ्वी ने जलवायु में अनेक परिवर्तन देखे हैं। भूगर्भिक अभिलेखों से हिमयुगों और अंतर – हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन की प्रक्रिया परिलक्षित होती है। भू-आकृतिक लक्षण, विशेषतः ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमनदियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न प्रदर्शित करते हैं। हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण उष्ण एवं शीत युगों के होने को उजागर करता है। वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय भी आर्द्र एवं शुष्क युगों की उपस्थिति का संकेत देते हैं । ऐतिहासिक अभिलेख भी जलवायु की अनिश्चितता का वर्णन करते हैं। ये सभी साक्ष्य इंगित करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है।

भारत में जलवायु
भारत में भी आर्द्र एवं शुष्क युग आते-जाते रहे हैं। पुरातत्व खोजें दर्शाती हैं कि ईसा से लगभग 8,000 वर्ष पूर्व राजस्थान मरुस्थल की जलवायु आर्द्र एवं शीतल थी। ईसा से 3,000 से 1,700 वर्ष पूर्व यहाँ वर्षा अधिक होती थी लगभग 2,000 से 1,700 वर्ष ईसा पूर्व यह क्षेत्र हड़प्पा संस्कृति का केन्द्र था। शुष्क दशाएँ तभी से गहन हुई हैं। लगभग 50 करोड़ से 30 करोड़ वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल के कूम्ब्रियन, आर्डोविसियन तथा सिल्युरिसन युगों में पृथ्वी गर्म थी। प्लीस्टोसीन युगांतर के दौरान हिमयुग और अंतर हिमयुग अवधियां रही हैं। अंतिम प्रमुख हिमयुग आज से 18,000 वर्ष पूर्व था। वर्तमान अंतर हिमयुग 10,000 वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था।

अभिनव पूर्व काल में जलवायु:
सभी कालों में जलवायु परिवर्तन होते रहे हैं। पिछली शताब्दी के 90 के दशक में चरम मौसमी घटनाएँ घटित हुई हैं। 1990 के दशक में शताब्दी का सबसे गर्म तापमान और विश्व में सबसे भयंकर बाढ़ों को दर्ज किया है। सहारा मरुस्थल के दक्षिण में स्थित साहेल प्रदेश में 1967 से 1977 के दौरान आया विनाशकारी सूखा ऐसा ही एक परिवर्तन था। 1930 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के वृहत मैदान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, जिसे ‘धूल का कटोरा’ कहा जाता है, भीषण सूखा पड़ा।

फसलों की उपज अथवा फसलों के विनाश, बाढ़ों तथा लोगों के प्रवास संबंधी ऐतिहासिक अभिलेख परिवर्तनशील जलवायु के प्रभावों के बारे में बताते हैं। यूरोप अनेकों बार उष्ण, आर्द्र, शीत एवं शुष्क युगों से गुज़रा है। इनमें से महत्त्वपूर्ण प्रसंग 10वीं और 11वीं शताब्दी की उष्ण एवं शुष्क दशाओं का है, जिनमें बाइकिंग कबीले ग्रीनलैंड में जा बसे थे। यूरोप ने सन् 1550 से सन् 1850 के दौरान लघु हिम युग का अनुभव किया है। 1885 से 1940 तक विश्व के तापमान में वृद्धि की प्रवृत्ति पाई गई है । 1940 के बाद तापमान में वृद्धि की दर है ।

जलवायु परिवर्तन के कारण: जलवायु परिवर्तन के अनेक कारण हैं। इन्हें खगोलीय और पार्थिव कारणों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. खगोलीय कारणों का सम्बन्ध सौर कलंकों की गतिविधियों से उत्पन्न सौर्थिक निर्गत ऊर्जा में परिवर्तन से है। सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं, जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं । कुछ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। सौर कलंकों की संख्या घटने से उष्ण एवं शुष्क दशाएँ उत्पन्न होती हैं यद्यपि ये खोजे आँकड़ों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं हैं।
  2. एक अन्य खगोलीय सिद्धांत ‘मिलैंकोविच दोलन’ है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के कक्षीय लक्षणों में बदलाव के चक्रों, पृथ्वी की डगमगाहट तथा पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाता है । ये सभी कारक सूर्य से प्राप्त होने वाले सूर्यातप में परिवर्तन ला देते हैं जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।
  3. ज्वालामुखी क्रिया जलवायु परिवर्तन का एक अन्य कारण है। ज्वालामुखी उद्भेदन वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऐरोसोल फेंक देता है। ये ऐरोसोल लंबे समय तक वायुमंडल में विद्यमान रहते हैं और पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाले सौर्यिक विकिरण को कम कर देते हैं । हाल ही में हुए पिनाटोबा तथा एल सियोल ज्वालामुखी उद्भेदनों के बाद पृथ्वी का औसत तापमान कुछ हद तक गिर गया था
  4. जलवायु पर पड़ने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मानवोद्भवी कारण वायुमंडल में ग्रीन हाऊस गैसों का बढ़ता सांद्रण है। इससे भूमंडलीय तापन हो सकता है।

भूमंडलीय तापन
ग्रीन हाऊस गैसों की उपस्थिति के कारण वायुमंडल एक हरित गृह की भांति व्यवहार करता है। वायुमंडल प्रवेशी सौर विकिरण का पोषण भी करता है किन्तु पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उत्सर्जित होने वाली अधिकतम दीर्घ तरंगों को अवशोषित कर लेता है। वे गैसें जो विकिरण की दीर्घ तरंगों का अवशोषण करती हैं, हरित गृह गैसें कहलाती हैं। वायुमंडल का तापन करने वाली प्रक्रियाओं को सामूहिक रूप से ‘हरित गृह प्रभाव’ (Green house effect) कहा जाता है।

प्रश्न 3.
भूमण्डलीय ऊष्मन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीय ऊष्मन (Global Warming): भूमण्डलीय ऊष्मन का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में वायुमण्डल को गर्म करने के साधन वायुमण्डलीय गैसों के परमाणु एवं अणु ग्रीन हाउस गैसों विशेषकर जल, कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथैन द्वारा सूर्य प्रकाश का अवशोषण तथा पश्च विकिरण करते हैं। महासागरों से होने वाले वाष्पन से वायुमण्डल में जल का संकेंद्रण नियंत्रित होता है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड ज्वालामुखी क्रिया द्वारा लाया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड की उतनी ही मात्रा वर्षण द्वारा हटा दी जाती है और महासागरों में कैल्शियम कार्बोनेट के रूप में जमा कर दी जाती है। मेथैन, जो कार्बन डाइऑक्साइड से बीस गुना अधिक प्रभावी है, लकड़ी में बैक्टीरिया के उपापचय तथा घास चरने वाले पशुओं द्वारा उत्पन्न की जाती है। मेथैन का बड़ी शीघ्रता से कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में ऑक्सीकरण होता है।

मानवीय क्रियाओं का प्रभाव:
मानवीय क्रियाओं, जैसे जीवाश्मी तेल को जलाने तथा विभिन्न कृषीय क्रियाओं द्वारा मेथैन एवं कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जमा की जा रही है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा संपूर्ण विश्व की जलवायु को बदलने में मुख्य भूमिका अदा करती है। यह गैस सूर्यातप के लिए पारदर्शी है, लेकिन बाहर जाने वाले दीर्घ तरंगी पार्थिव विकिरण को अवशोषित कर लेती है। अवशोषित पार्थिव विकिरण भूपृष्ठ पर वापस विकिरित कर दिया जाता है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कोई भी उल्लेखनीय परिवर्तन वायुमण्डल के निचले स्तर के तापमान में परिवर्तन लाएगा।

तीव्र औद्योगीकरण तथा कृषि और परिवहन क्षेत्रों में हुई तकनीकी क्रांति के फलस्वरूप वायुमण्डल में बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, मेथैन तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैसें पहुंचाई जाती हैं। इनमें से कुछ गैस वनस्पति द्वारा उपभोग कर ली जाती हैं तथा कुछ भाग महासागरों में घुल जाता है। फिर भी लगभग 50 प्रतिशत भाग वायुमण्डल में बच जाता है।

  1. पिछले 100 वर्षों में, मेथैन का संकेंद्रण दुगुने से अधिक बढ़ गया है, (7.0 × 10-7 से 15.5 × 10-7 तक)।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 20 प्रतिशत से अधिक (2.90 × 10-4 से 3.49 × 10-4 तक) हो गई है।
  3. 1880-1890 में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 290 भाग प्रति दस लाख थी, जो बढ़ कर 1980 में 315 भाग प्रति दस लाख, 1990 में 340 भाग प्रति दस लाख और 2000 से 400 भाग प्रति दस लाख हो गई है।
  4. इसका अर्थ यह हुआ कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात बढ़कर 1950 तक 9 प्रतिशत तथा 1990 तक लगभग 17 प्रतिशत अधिक हो गया है। गत दशक में इसकी वृद्धि की दर और भी बढ़ गई है

औद्योगीकरण का प्रभाव:
अनेकों जलवायविक प्राचलों में से तापमान नगरीकरण तथा औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। नगरीय क्षेत्रों की तापीय विशेषताएं समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से काफ़ी भिन्न हैं। गत 50 वर्षों के तापमान आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि भारत में शीत ऋतु में तापमान में 0.7° से. तथा ग्रीष्म ऋतु में 1.4° से० बढ़ जाता है।

कृषि का प्रभाव:
मानव जलवायु परिवर्तन का एक इंजन समझा जाता है। उदाहरणार्थ चावल उत्पादन करने वाले किसान, कोयला खनिक, डेयरी में लगे लोग तथा स्थानांतरी कृषक भी भूमंडलीय ऊष्मन में अपना-अपना योगदान देते हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार विश्व में चावल का उत्पादन 20 प्रतिशत मेथैन तथा कोयला खनन 6 प्रतिशत मेथैन वायुमंडल में जोड़ता है। स्थानांतरी खेती के फलस्वरूप होने वाले वनों के कटाव से 20 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में जमा कर दी जाती है। इसी प्रकार औद्योगीकरण द्वारा 25 प्रतिशत क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस वायुमंडल के ऐरोसॉल में जोड़ दी जाती है। फलस्वरूप भूमंडलीय तापमान वृद्धि लगभग 1.5° से० है।

वायुमंडलीय ऊष्मन के प्रभाव समुद्र तल के जल का ऊपर उठना:
आज इस बात के लिए काफ़ी चिंता जताई जा रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथेन गैस की वायुमंडल में निरंतर वृद्धि से तापमान इस सीमा तक बढ़ जाएगा कि इससे ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिक महाद्वीप में बर्फ पिघलना आरंभ हो जाएगा। फलत: समुद्र तल ऊपर उठेगा जिससे तटीय भाग तथा द्वीप डूब जाएंगे। इससे वाष्पन एवं वर्षा के प्रतिरूपों में परिवर्तन आएगा, पौधों की नई-नई बीमारियां तथा नाशक जीवों की समस्याएं खड़ी होंगी और अंटार्कटिका के ऊपर स्थित ओजोन छिद्र बड़ा हो जाएगा।

अतीत में हुए जलवायविक परिवर्तनों की भरोसेमंद तस्वीर प्राप्त करने के उद्देश्य से अनेक देशों में विशेषकर अंटार्कटिक तथा ग्रीनलैंड की हिम टोपियों में पिछले 1,00,000 वर्षों के दौरान बर्फ़ में फंसी गैसों का विश्लेषण करने के लिए बर्फ कोरिंग कार्यक्रम को लिया गया है। इसके परिणाम बड़े रोचक निकले हैं और भूमंडलीय ऊष्मन की घटना से आगे बढ़कर पृथ्वी के अभिनव इतिहास की झलक दिखाते हैं। पृथ्वी के इतिहास के पिछले 10,000 वर्षों में जलवायु की प्रवृत्ति उसके पहले के वर्षों की तुलना में विशेष रूप से स्थिर रही है। ग्रीनलैंड के बर्फ़-कोर में ऑक्सीजन समस्थानिक अभिलेखों के अध्ययन से यह पता चलता है कि उत्तरी गोलार्द्ध में शीतलन प्रवृत्ति 1725 से 1920 तक चली। इनका संबंध ज्वालामुखी राख के निष्कासन से रहा, जो दो या तीन दशकों के नियमित अंतराल पर होता रहा लेकिन 1945 के बाद किसी प्रमुख ज्वालामुखी विस्फोट तथा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड संकेंद्रण की मात्रा में वृद्धि के बिना ही भूमंडलीय तापमान में वृद्धि से ऊष्मन शुरू हुआ है।

भविष्य: वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी है कि 2020 तक समस्त विश्व में पिछले 1,000 वर्षों की तुलना में तापमान अधिक होगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती हुई मात्रा भूमंडलीय तापमान को बढ़ाने का कार्य करेगी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग कौन-सी गैसों द्वारा बना है?
(A) नाइट्रोजन व ऑक्सीजन
(B) हाइड्रोजन व ऑक्सीजन
(C) ऑक्सीजन व आर्गन
(D) नाइट्रोजन व हाइड्रोजन।
उत्तर:
नाइट्रोजन व ऑक्सीजन

2. वायुमण्डल की सबसे निचली परत को कहते हैं
(A) मध्यमण्डल
(B) आयनमण्डल
(C) क्षोभमण्डल
(D) बाह्यमण्डल।
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

3. प्रकाश की क्या गति है?
(A) 3 लाख कि० मी० प्रति सैं०
(B) 5000 कि० मी० प्रति सैं०
(C) 10 कि० मी० प्रति सैं०
(D) 100 कि० मी० प्रति सैं।
उत्तर:
(A) 3 लाख कि० मी० प्रति सैं।

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4. वायुमण्डल का 99% द्रव्यमान कितनी ऊंचाई तक है?
(A) 12 कि० मी०
(B) 22 कि० मी०
(C) 32 कि० मी०
(D) 42 कि० मी०।
उत्तर:
32 कि० मी०।

5. कितनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन गैस नगण्य हो जाती है?
(A) 100 कि० मी०
(B) 110 कि० मी०
(C) 120 कि० मी०
(D) 130 कि० मी०।
उत्तर:
120 कि० मी०।

6. कार्बन डाइऑक्साइड गैस कितनी ऊंचाई तक सीमित है?
(A) 70 कि० मी०
(B) 80 कि० मी०
(C) 90 कि० मी०
(D) 100 कि० मी०।
उत्तर:
90 कि० मी०।

7. वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी % है?
(A) 15.95%
(B) 17.95%
(C) 20.95%
(D) 25.95%।
उत्तर:
(C) 20.95%।

8. वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस की मात्रा कितनी है?
(A) 72.08%
(B) 74.08%
(C) 76.08%
(D) 78.08%।
उत्तर:
(D) 78.08%।

9. मानव जीवन के लिए आवश्यक है-
(A) नाइट्रोजन
(B) ऑक्सीजन
(C) आर्गन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
(D) ओज़ो।

10. पौधों के लिए आवश्यक गैस है-
(A) कार्बन डाइऑक्साइड
(B) ऑक्सीजन।
(C) नाइट्रोजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
(A) कार्बन डाइऑक्साइड।

11. कौन-सी गैस सौर विकिरण को सोख लेती है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) ओज़ोन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड।

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12. कौन-सी गैस ग्रीन हाऊस गैस है?
(A) कार्बन डाइ ऑक्साइड
(B) ओज़ोन
(C) ऑक्सीजन
(D) नाइट्रोजन।
उत्तर:
(A) कार्बन डाइऑक्साइड।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरती के गिर्द गैसों का आवरण।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की लगभग कितनी ऊंचाई है?
उत्तर:
1000 किलोमीटर से अधिक।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल में मुख्य दो गैसें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
78%.

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में ऑक्सीजन गैस कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
21%

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प्रश्न 6.
वायुमण्डल पृथ्वी के साथ क्यों सटा रहता है?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के कारण।

प्रश्न 7.
वायुमण्डल क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
इसके कारण पृथ्वी पर जीवन मौजूद है।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल की सबसे निचली परत को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 9.
वायुमण्डल की ऊपरी परत में पाई जाने वाली दो गैसों के नाम लिखो।

उत्तर:
आर्गन, हीलियम।

प्रश्न 10.
ओज़ोन गैस किन किरणों को सोख लेती है?
उत्तर:
सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें।

प्रश्न 11.
वायुमण्डल की कौन-सी परत मौसम की रचना करती है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 12.
तापमान की सामान्य घटन दर क्या है?
उत्तर:
165 मीटर के लिये 1°C.

प्रश्न 13.
किस परत पर वायुमण्डलीय विघ्न पाए जाते हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल में।

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प्रश्न 14.
किस परत पर स्थिर तापमान रहता है?
उत्तर:
समताप मण्डल।

प्रश्न 15.
वायुमण्डल की किस परत को समताप मण्डल कहा जाता है?
उत्तर;
सट्रेटोस्फीयर ( तापमान की स्थिरता होने के कारण)।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल मानवीय जीवन पर कई प्रकार से प्रभाव डालता है।

  1. ऑक्सीजन गैस पृथ्वी पर मानवीय जीवन का आधार है।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड वनस्पति जीवन का आधार है।
  3. वायुमण्डल सूर्यातप को जज़ब करके एक Glass House का काम करता है।
  4. वायुमण्डल का जलवाष्प वर्षा का मुख्य साधन है।
  5. वायुमण्डल फसलों, मौसम, जलवायु तथा वायुमार्गों पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 2.
आयनमण्डल पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
यह धरातल के ऊपर वायुमण्डल का चौथा संस्तर है। इसकी ऊंचाई 80 से 400 कि० मी० के मध्य है। इस मण्डल में तापमान फिर से ऊंचाई के साथ बढ़ता है। यहां की हवा विद्युत् आवेशित होती है। रेडियो तरंगें इसी मण्डल से परिवर्तित
हो कर पुनः पृथ्वी पर लौट जाती हैं। यह परत रेडियो प्रसारण में उपयोगी है।

प्रश्न 3.
क्षोभमण्डल सीमा (Tropopause) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है।

  1. 15 कि० मी० तक तापमान धीमी गति से कम होता है।
  2. 80 कि० मी० तक तापमान स्थिर रहता है।
  3. 80 कि० मी० से ऊपर तापमान में वृद्धि होने लगती है।

इस ऊंचाई के पश्चात् अर्थात् क्षोभमण्डल से ऊपर समताप मण्डल का भाग आरम्भ होता है। समताप मण्डल तथा क्षोभमण्डल को अलग करने वाले संक्रमण क्षेत्र को क्षोभमण्डल सीमा कहते हैं।

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प्रश्न 4.
कार्बन डाइऑक्साइड गैस का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड अन्तरिक्ष विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिम्बित कर देती है। यह ग्रीन हाऊस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में धूल कणों का वितरण बताओ।
उत्तर:
धूलकण वायुमण्डल में छोटे-छोटे कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे – समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएं की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा तारे के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकण प्रायः वायुमण्डल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफ़ी ऊंचाई तक ले जा सकता है। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् रेखीय और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहां अधिक मात्रा में होती है। धूल और नमक के कण द्रवग्राही केन्द्र की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल में धूल-कणों (Dust Particles) का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल में धूल-कण निचले भागों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल-कणों का कई प्रकार से विशेष महत्त्व है।

  1. धूल-कण सौर ताप का कुछ भाग सोख लेते हैं तथा कुछ भाग का परावर्तन हो जाता है। ताप सोख लेने के कारण वायुमण्डल का तापक्रम अधिक हो जाता है।
  2. धूल-कण आर्द्रताग्राही नाभि के रूप में काम करते हैं। इनके चारों ओर जलवाष्प का संघनन होता है जिससे वर्षा, कोहरा, बादल बनते हैं। धूल-कणों के अभाव के कारण वर्षा नहीं हो सकती
  3. धूल-कणों के कारण वायुमण्डल की दर्शन क्षमता (Visibility) कम होती है तथा धुंधलापन छा जाता है। धूल-कणों के संयोग से कई रंग-बिरंगे दृश्य सूर्य उदय, सूर्य अस्त तथा इन्द्र धनुष दृश्य बनते हैं।

प्रश्न 7.
ओज़ोन परत पर एक नोट लिखो ओजोन परत के घटने के क्या कारण हैं? इससे क्या हानि है?
उत्तर:
ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की एक मोटी परत मिलती है। यह परत पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। परन्तु कार्बन तथा रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण यह परत कम हो रही है। अणु शक्ति के परीक्षणों से भी यह परत घट गई है। 1980 में अण्टार्कटिका महाद्वीप के ऊपर इस परत में एक सुराख देखा गया है। इस सुराख के कारण पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुंच सकती हैं। इन किरणों से मनुष्य अन्धे हो जाते हैं तथा शरीर झुलस जाता है

प्रश्न 8.
जलवाष्प का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
जलवाष्प (Water Vapours ): वायुमण्डल में लगभग 4% मात्रा में जलवाष्प पाया जाता है। ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। कुछ जलवाष्प का लगभग आधा हिस्सा दो हज़ार मीटर ऊंचाई के नीचे ही पाया जाता है। जलवाष्प तापमान पर भी निर्भर करता है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। पृथ्वी पर वृष्टि तथा संघनन का मुख्य स्रोत जलवाष्प ही है। सूर्यतप को सोख कर जलवाष्प तापमान का नियन्त्रण करता है

प्रश्न 9.
क्षोभ सीमा की ऊँचाई भूमध्य रेखा पर अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
क्षोभ सीमा की ऊंचाई में विभिन्नता पाई जाती है। ध्रुवों पर यह 8 कि० मी० है। भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक सूर्याताप प्राप्त होता है। इसके परिणामस्वरूप संवहन धाराएं चलती हैं। ये धाराएं अधिक ऊंचाई तक ताप पहुंचा देती हैं। इससे क्षोभमण्डल का विस्तार बढ़ जाता है तथा ऊंचाई अधिक हो जाती है।

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प्रश्न 10.
वायुमण्डल कैसे पृथ्वी से जुड़ा रहता है?
उत्तर:
वायुमण्डल का अधिकतर भाग भू-पृष्ठ से केवल 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीमित है। इसे सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती है। यह पृथ्वी का एक अंग नहीं है। परन्तु पृथ्वी से जुड़ा हुआ है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति द्वारा वायुमण्डल पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 11.
वायुमण्डल के मुख्य संघटकों के नाम बताओ
उत्तर:
वायुमण्डल के प्रमुख संघटक तीन हैं:

  1. गैसें
  2. धूलकण
  3. जलवाष्प।

प्रश्न 12.
वायुमण्डल की मुख्य परतों के नाम बताओ ।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना परतदार है। इसमें पांच मुख्य परतें पाई जाती हैं-

  1. क्षोभमण्डल (Troposphere)
  2. समताप मण्डल (Stratosphere)
  3. आयन मण्डल (Ionosphere)
  4. बाह्यमण्डल (Exosphere)
  5. चुम्बक मण्डल (Magnetosphere)। (मध्यमण्डल)

प्रश्न 13.
वायुमण्डल की परतों में क्षोभमण्डल को अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है?
उत्तर:

  1. इस मण्डल में जीवन उपयोगी गैस ऑक्सीजन मिलती है।
  2. इस मण्डल में प्रति 165 मी० की ऊँचाई पर 1°C तापमान गिर जाता है।
  3. ऋतु, मौसम सम्बन्धी सभी घटनायें, जैसे बादल, वर्षा, भूकम्प आदि जो मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, इसी परत में घटित होती हैं।
  4. इस मण्डल में अस्थिर वायु के कारण विक्षोभ तथा आँधी तूफान आते रहते हैं।
  5. क्षोभमण्डल के मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में चक्रवात उत्पन्न होते हैं।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्षोभमण्डल तथा समताप मण्डल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

क्षोभमण्डल (Troposphere) समताप मण्डल (Stratosphere)
(1) यह वायुमण्डल की सब से निचली परत है। (2) क्षोभमण्डल की ऊंचाई ध्रुवों पर 8 कि० मी० तथा भूमध्य रेखा पर 20 कि० मी० होती है। (1) यह धरातल से ऊपर वायुमण्डल की दूसरी परत है। (2) समताप मण्डल की ऊंचाई 16 कि० मी० से लेकर 72 कि० मी० तक होती है ।
(3) इस परत में तापमान 1°C प्रति 165 मीटर की दर से कम होता है। (3) इस परत में तापमान लगभग समान रहते हैं ।
(4) इस परत में संवाहिक धाराएं, मेघ तथा धूल कण पाए जाते हैं। (4) इस परत में संवाहिक धाराओं, मेघ तथा धूल का अभाव होता है ।
(5) इस मण्डल में ऋतु परिवर्तन सम्बन्धी घटनाएं होती रहती हैं। (5) यह मण्डल एक शान्त मण्डल है ।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रों में वायुमण्डल का महत्त्व बताओ ।
उत्तर:
वायुमण्डल निम्नलिखित क्षेत्रों में कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है

  1. जीवन का आधार: पृथ्वी पर मानव जीवन का आधार वायुमण्डल ही है। सौर मण्डल में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर वायुमण्डल विद्यमान है। ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन गैसें मानव तथा वनस्पति जीवन का आधार हैं।
  2. ऊष्मा सन्तुलन: वायुमण्डल एक ग्रीन हाऊस (Green House) की भान्ति कार्य करता है। इस प्रभाव से पृथ्वी का तापमान औसत रूप से 17°C रहता है। वायुमण्डल के बिना बहुत अधिक तापमान पर जीवन असम्भव होता
  3. हानिकारक विकिरण: ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख कर पृथ्वी पर मानव की सुरक्षा करती है।
  4. रेडियो तरंगें: आयनमण्डल रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर लौटा कर रेडियो प्रसारण में सहायता करता है।
  5. मौसम: वायुमण्डल की विभिन्न घटनाएं जैसे वाष्पीकरण, वर्षा, पवनें आदि मानव जीवन पर प्रभाव डालती हैं।
  6. उल्काओं से सुरक्षा: सौर मण्डल से पृथ्वी की ओर गिरने वाली उल्काएं वायुमण्डल में जल कर नष्ट हो जाती हैं।
  7. वायु: परिवहन वायुमण्डल वायुयानों की उड़ानों पर प्रभाव डालता है। जैट वायुयान समताप मण्डल में उड़ान भर सकते हैं।

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प्रश्न 2.
उदाहरण के साथ किसी स्थान की जलवायु तथा मौसम में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
तापक्रम, दबाव हवाएं, नमी, मेघ और वर्षा ये मौसम के प्रधान तत्त्व (Elements of Weather) हैं। वायु मण्डल की इन दशाओं का अध्ययन ही जलवायु या मौसम है।

मौसम (Weather):
मौसम शब्द का अर्थ है ” किसी स्थान पर किसी विशेष या निश्चित समय में वायुमण्डल की दशाओं, तापक्रम, दबाव, हवाओं, नमी, मेघ और वर्षा के कुल जोड़ का अध्ययन करना” (“Weather is the condition of atmosphere at any given moment.” ) इसीलिए मौसम मानचित्रों (Weather Maps ) पर दिन व समय अवश्य लिखे जाते हैं। मौसम प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, प्रति मास बदलता रहता है।

एक ही स्थान पर कभी मौसम गर्म (Hot), कभी उमस वाला (Sultry), कभी आर्द्र (Wet) हो सकता है। इंग्लैण्ड में दिन-प्रतिदिन के मौसम में इतनी विभिन्नता है कि कहा जाता है, “Britain has no climate, only weather.” इस प्रकार वायुमण्डल की बदलती हुई अवस्थाओं को मौसम कहा जाता है। आकाशवाणी से मौसम की स्थितियों का प्रसारण भी होता है। भारतीय मौसम विज्ञान मौसम मानचित्र प्रकाशित करता है।

जलवायु (Climate):
किसी स्थान की जलवायु उस स्थान पर एक लम्बे समय की वायुमण्डल की दशाओं के कुल जोड़ का अध्ययन होती है। यह एक लम्बे समय का औसत मौसम होती है। (“Climate is the average weather of a place over a long period.”) जलवायु तथा मौसम में भिन्नता समय पर निर्भर होती है। मौसम का सम्बन्ध थोड़े समय से है जबकि जलवायु का सम्बन्ध एक लम्बे समय से है। मिस्र में हर रोज़ एक जैसा मौसम होने के कारण जलवायु तथा मौसम में कोई अन्तर नहीं है।

इसलिए कहा जाता है, “Egypt has no weather, only climate ” इस प्रकार किसी स्थान पर कम-से-कम पिछले 35 वर्षों के मौसम की औसत दशाओं को उस स्थान की जलवायु कहते हैं। भारतीय जलवायु के अध्ययन के आधार आंकड़ों का सम्बन्ध पिछले 100 वर्षों से है। उदाहरण: देहली में किसी विशेष दिन अधिक वर्षा हो तो हम कहते हैं कि आज मौसम आर्द्र है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि देहली की जलवायु आर्द्र है। देहली में ग्रीष्मकाल में अधिक वर्षा होती है तथा जलवायु मानसूनी है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

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JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8

2. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह है?
(A) पृथ्वी
(B) बृहस्पति
(C) शनि
(D) कुबेर।
उत्तर:
पृथ्वी।

3. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह नहीं है?
(A) बुध
(B) शुक्र
(C) पृथ्वी
(D) शनि।
उत्तर:
शनि।

4. एमैनुल कांट किस देश का निवासी था?
(A) भारत
(B) फ्रांस
(C) इंग्लैण्ड
(D) जर्मनी।
उत्तर:
जर्मनी।

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5. लाप्लास ने नीहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1795
(B) 1796
(C) 1797
(D) 1798
उत्तर:
1796.

6. सूर्य से गैसीय पदार्थ किस बल द्वारा अलग हुए हैं?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घूर्णन
(C) कोणीय संवेग
(D) अपकेन्द्रीय बल।
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण।

7. किस गैस का संगलन हीलियम में हुआ?
(A) हाइड्रोजन
(B) नाइट्रोजन
(C) ऑक्सीजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

8. चन्द्रमा की उत्पत्ति कितने वर्ष पूर्व हुई?
(A) 2.44 अरब वर्ष
(B) 4.44 अरब वर्ष
(C) 3.44 अरब वर्ष
(D) 5.44 अरब वर्ष।
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष।

9. नीहारिका सिद्धान्त किस विद्वान् ने प्रस्तुत किया?
(A) चेम्बरलेन
(B) लाप्लेस
(C) न्यूटन
(D) मोल्टन।
उत्तर:
लाप्लेस।

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10. लाप्लेस किस विषय का विद्वान् था?
(A) सामाजिक विज्ञान
(B) भौतिकी
(C) अर्थशास्त्र
(D) गणित।
उत्तर:
गणित।

11. जेम्स तथा जेफ़री ने कौन-सा सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
(A) नीहारिका
(B) दैतारक सिद्धान्त
(C) एक तारक सिद्धान्त
(D) विस्थापन सिद्धान्त।
उत्तर:
दैतारक सिद्धान्त।

12. ऑटो शिमिड किस देश का वैज्ञानिक था?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
रूस।

13. सौर नीहारिका की प्रमुख गैस थी
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हाइड्रोजन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

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14. पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी सर्वमान्य सिद्धान्त है
(A) नीहारिका
(B) द्वैतारिक
(C) बिग बैंग
(D) ज्वारीय।
उत्तर:
बिग बैंग।

15. बिग बैंग सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) लाप्लेस
(B) एडविन हब्बल
(C) मोल्टन
(D) न्यूटन।
उत्तर:
एडविन हब्बल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
उत्तर:
8.

प्रश्न 2.
आन्तरिक ग्रहों (तुच्छ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ग्रह ।

प्रश्न 3.
बाह्य ग्रहों ( श्रेष्ठ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, कुबेर।

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प्रश्न 4.
उस अद्वितीय ग्रह का नाम लिखो जहां जीवन मौजूद है।
उत्तर:
पृथ्वी।

प्रश्न 5.
किस दार्शनिक ने नीहारिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कान्त।

प्रश्न 6.
किस वैज्ञानिक ने संघट्ट परिकल्पना प्रस्तुत की?
उत्तर:
जेम्स जीन्स तथा जेफ्रीज़ ने।

प्रश्न 7.
सूर्य से बाहर निकले जीह्वाकार पदार्थ का क्या आकार है?
उत्तर:
सिगार आकार।

प्रश्न 8.
1950 ई० में रूस के किस वैज्ञानिक ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन किया?
उत्तर:
ऑटो शिमिड ने।

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प्रश्न 9.
जींस और जैफरी का कौन-सा सिद्धान्त है?
उत्तर:
द्वैतारक सिद्धान्त।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त (विस्तृत ब्रह्माण्ड परि-कल्पना)

प्रश्न 11.
प्रकाश वर्ष में प्रकाश कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर:
9.461 x 1012 कि० मी०।

प्रश्न 12.
तारों का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले।

प्रश्न 13.
The Big Splat से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक बड़े पिण्ड का पृथ्वी से टकराना जिससे चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई।

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प्रश्न 14.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष पूर्व।

प्रश्न 15.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
संश्लेषण क्रिया से महासागरों में ऑक्सीजन का बढ़ना।

प्रश्न 16.
लाप्लेस के अनुसार ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से सूर्य की युवा अवस्था में हुआ।

प्रश्न 17.
द्वैतारक मत के दो समर्थक विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर:
सर जेम्स जीन्स, सर हैरोल्ड जैफ़री।

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प्रश्न 18.
सौर नीहारिका परिकल्पना के समर्थक दो विद्वानों के नाम लिखो।
उत्तर;
ऑटो शिमिड, कार्ल वाइज़ास्कर।

प्रश्न 19.
सौर नीहारिका में मौजूद तीन गैसें बताओ।
उत्तर:

  1. हाइड्रोजन
  2. हीलियम
  3. धूलिकण।

प्रश्न 20.
ब्रह्माण्ड का विस्तार कैसे हो रहा है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड की आकाश गंगाओं के बीच की दूरी बढ़ने से विस्तार हो रहा है।

प्रश्न 21.
पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में प्रारम्भिक मत किस दार्शनिक ने दिया?
उत्तर:
एमैनुल कान्ट।

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प्रश्न 22.
सूर्य के सबसे नज़दीक कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बुध।

प्रश्न 23.
सौरमण्डल का सबसे बड़ा व सबसे छोटा कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा। प्रश्न 24. प्रकाश वर्ष किस इकाई का मापक है?
उत्तर:
खगोलीय दूरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्रहाणु क्या है?
उत्तर:
सूर्य तथा गुज़रते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फ़िलेमैण्ट के रूप में पूर्व-स्थित सूर्य से निकल कर बाहर आ गया। यह जिह्वा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठंडे पिंडों के रूप में उड़ते हुए सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में घूमने लगे। इन्हें ग्रहाणु (Planetesimals) कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऑटो शिमिड द्वारा संशोधित सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
1950 ई० में रूस के ऑटो शिमिड (Otto Schmidt) व जर्मनी के कार्ल वाइज़ास्कर (Carl Weizascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया, जिसमें विवरण भिन्न था। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलिकणों की बनी थी। इन कणों के घर्षण व टकराने (Collusion) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।

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प्रश्न 3.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर:
तारों का निर्माण-प्रारम्भिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरम्भिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बलों में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यही एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हज़ारों प्रकाश वर्षों में (Light years) मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हज़ार से 1 लाख 50 हजार वर्ष के बीच हो सकता है।

एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका (Nebula) कहा गया। क्रमश: इस बढ़ती हुई नीहारिक में गैस के झुण्ड विकसित हुए। ये झुण्ड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बने, जिनसे तारों का निर्माण आरम्भ हुआ। ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।

प्रश्न 4.
आन्तरिक तथा बाहरी ग्रहों की तुलना करो।
उत्तर:
इन 8 ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह (Inner planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व छुद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह (Outer planets) कहलाते हैं जिनमें वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण शामिल हैं। पहले चार ग्रह पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं । इसका अर्थ है कि ये ग्रह पृथ्वी की भान्ति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं।

अन्य चार ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन (Jovian) ग्रह कहलाते हैं। जोवियन का अर्थ है बृहस्पति (Jupiter) की तरह। इनमें से अधिकतर पार्थिक ग्रहों से विशाल हैं और हाइड्रोजन व हीलियम से बना सम, वायुमण्डल है। सभी ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब सालों पहले एक ही समय में हुआ।

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प्रश्न 5.
ग्रहों का सूर्य से दूरी, घनत्व तथा अर्द्धव्यास की दृष्टि से तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अद्ध व्यास

ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अर्ध्ध व्यास उपग्रह
बुध 0.387 5.44 0.383 0
शुक्र 0.723 5.245 0.949 0
पृथ्वी 1.000 5.517 1.000 1
मंगल 1.524 3.945 0.533 2
बृहस्पति 5.203 1.33 11.19 69
शान 9.539 0.70 9.460 61
अरुण 19.182 1.17 4.11 27
वरुण 30.058 1.66 3.88 14

प्रश्न 6.
चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत करें।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत किए गए हैं।

1. सन् 1838 ई० में, सर जार्ज डार्विन (Sir George Darwin):
ने सुझाया कि प्रारम्भ में पृथ्वी व चन्द्रमा तेज़ी से घूमते एक ही पिण्ड थे। यह पूरा पिण्ड डंबल (बीच से पतला व किनारों से मोटा) की आकृति में परिवर्तित हुआ और अंततोगत्वा टूट गया। उनके अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ जहाँ आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद है।

2. यद्यपि वर्तमान समय के वैज्ञानिक इनमें से किसी भी व्याख्या को स्वीकार नहीं करते। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव (Giant impact) का नतीजा है जिसे ‘द बिग स्पलैट’ (The big splat) कहा गया है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के 1 से 3 गुणा बड़े आकार का पिण्ड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया। टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और क्रमशः आज का चन्द्रमा बना। यह घटना या चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्षों पहले हुई।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनः बनने में सक्षम था) और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं।

300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधारण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पहले आरम्भ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश वर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष (Light Year) समय का नहीं वरन् दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि०मी० प्रति सैकेंड है। विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। यह 9.461×1012 कि०मी० के बराबर है। पृथ्वी व सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्ष के सन्दर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 मिनट है।

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प्रश्न 9.
सौर मण्डल क्या है? इसकी रचना कब हुई?
उत्तर:
हमारे सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। जिस नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है उसके ध्वस्त होने व क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षों पहले हुई व ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्षों पहले बने। हमारे सौर मण्डल में सूर्य (तारा), आठ ग्रह, 63 उपग्रह, लाखों छोटे पिण्ड जैसे-क्षुद्र ग्रह (ग्रहों के टुकड़े) (Asterodis), धूमकेतु (Comets) एवं वृहत् मात्रा में धूलिकण व गैस हैं।

प्रश्न 10.
पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
पार्थिव ग्रह

पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
(1) पार्थिव ग्रह अपने जनक तारे के बहुत समीप बने हैं। (1) जोवियन ग्रहों की रचना अपने जनक तारे से अधिक दूरी पर हुई।
(2) सौर वायु पार्थिव ग्रहों से अधिक मात्रा में गैस व धूल कण उड़ा ले गई। (2) सौर वायु जोवियन ग्रहों से अधिक गैसों को हटा नहीं पाई।
(3) बृहस्पति, शनि, अरुण वरुण पार्थिव ग्रह हैं। (3) बृहस्पति एक जोवियन ग्रह हैं।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की भू-पर्पटी का विकास क्रम बताइए।
उत्तर:
अनेक ग्रहाणुओं के एकत्र होने से ग्रह बने, पदार्थों के एकत्र होने से अत्यधिक उष्मा उत्पन्न हुई, उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने लगे। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गए, हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ठण्डे व ठोस होने लगे। इस प्रकार भू-पर्पटी का निर्माण हुआ।

प्रश्न 12.
अन्तरिक्ष क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खुले ब्रह्मांड में करोड़ों आकाश गंगाएं (Galaxies) हैं। प्रत्येक आकाश गंगा तमें अरबों तारे हैं। इनसे मिलकर बने ब्रह्मांड को अंतरिक्ष कहते हैं। वास्तव में अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अंतरिक्ष का न कोई आदि है और न ही कोई अन्त।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा प्रस्तुत संघट्ट परिकल्पना का वर्णन करो।
उत्तर:
संघट्ट परिकल्पना (Collision Hypothesis):
यह परिकल्पना द्वि-तारक (Dualistic) सिद्धान्त पर आधारित है। यह परिकल्पना इंग्लैंड के प्रसिद्ध विद्वान् सर जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा 1926 में प्रस्तुत की गई। इस सिद्धान्त के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति द्वै-तारक (Bi-parental) है। इसे ज्वारीय परिकल्पना भी कहते हैं।

परिकल्पना की रूप-रेखा (Outlines of the Hypothesis):

  1. इस परिकल्पना के अनुसार आरम्भ में सूर्य एक गर्म गैसीय पदार्थ के रूप में अन्तरिक्ष में मौजूद था।
  2. इस सूर्य से कई गुणा बड़ा, एक और तारा सूर्य के निकट से गुज़रा। इस तारे के कारण सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुए।
  3. गुजरते हुए तारे के गुरुत्वाकर्षण के कारण पूर्व स्थित सूर्य से गैसीय पदार्थ आकर्षित होकर खिंच गए। इस निकले हुए पदार्थ को फ़िलेमैण्ट कहा गया जो सिगार के आकार का था।
  4. यह फिलेमैण्ट कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया जिन्हें ग्रहाणु (Planetisimals) कहते हैं।
  5. आपसी टक्कर तथा गुरुत्वाकर्षण द्वारा ग्रहाणु के बड़े टुकड़ों ने छोटे टुकड़ों को अपने में मिला लिया और इस प्रकार ग्रहों की रचना हुई।

गुण-दोष (Merits and Demerits):
यह परिकल्पना सबसे अधिक मान्य है। ग्रहों का वर्तमान क्रम इस परिकल्पना का प्रमाण है। उपग्रहों का आकार तथा संख्या भी इस परिकल्पना के अनुसार हैं। छोटे ग्रहों के उपग्रह कम हैं। परन्तु यह सिद्धान्त मंगल ग्रह की स्थिति को समझाने में असमर्थ है। सूर्य का तापमान भी इतना अधिक है कि इससे ग्रहों की रचना सम्भव नहीं है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 2.
पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास को महाकल्पों में बांटिए और उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
पृथ्वी का इतिहास (Life History of the Earth):
पृथ्वी सौर मण्डल का एक अंग है। इसकी उत्पत्ति सौर मण्डल के साथ-साथ ही हुई है। पृथ्वी की चट्टानें भी पृथ्वी इतिहास के पृष्ठ हैं। चट्टानों की पर्तों और उनमें जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन से पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास का पता चलता है। पृथ्वी की आयु 3 अरब से 5 अरब वर्ष तक आंकी गई है; परन्तु पृथ्वी पर मानव का उदय 50,000 वर्ष पूर्व की घटना है। पृथ्वी की आयु के प्रथम 1/2 अरब वर्ष का अनुमान निराधार है। परन्तु अन्तिम 50 करोड़ वर्षों का अनुमान विभिन्न तथ्यों पर आधारित है। पृथ्वी के इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए विभिन्न ईयोन (Eons), महाकल्पों (Era), कल्पों (Periods) और युगों (Epoch) में बांटा गया है।

1. आद्य महाकल्प (Pre-Cambrian Era):
यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे प्राचीन महाकल्प है। इस महाकल्प की चट्टानें सबसे पुरानी हैं तथा पृथ्वी के भीतर बहुत गहराई में पाई जाती हैं। इस काल की मुख्य शैलें नीस (Geneiss) तथा ग्रेनाइट (Granite) हैं। इस काल में ज्वालामुखी क्रिया तथा भूकम्प बहुत आया करते थे। इस समय हरसिनीयन हलचलों के कारण गोंडवाना लैण्ड, अंगारा लैण्ड, लॉरेशिया तथा बाल्टिक भू-खण्डों का निर्माण हुआ।

2. पुराजीव महाकल्प (Palaeozoic or Primary Era):
यह मकाकल्प 150 करोड़ वर्ष पूर्व से 22 करोड़ वर्ष पूर्व तक रहा। इस महाकल्प में पृथ्वी पर वनस्पति और जीवों का विकास हुआ। इस महाकल्प में कैलिडोनियन हलचल हुई। इस महाकल्प को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है
(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प।
(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प।

(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प (Lower Palaeozoic Era): इस महाकल्प को तीनों कल्पों में बांटा जाता है

  1. कैम्ब्रियन कल्प (Cambrian Period):
    इस युग में भू-मण्डल पर समुद्रों की उत्पत्ति हुई। इस कल्प की शैलों में चूने का पत्थर, बलुआ पत्थर तथा शैल महत्त्वपूर्ण हैं। इस युग में बिना रीढ़ वाले जन्तुओं का जन्म हुआ।
  2. ओौंविसियन कल्प (Ordovician Period):
    इस कल्प में समुद्र का अधिक विस्तार हुआ। जीवों का और अधिक विकास हुआ। ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माणकारी हलचलें प्रारम्भ हुईं।
  3. सिल्यूरियन कल्प (Silurian Period):
    इस युग में समुद्रों में मछलियों का जन्म हुआ तथा लाल बालू का पत्थर बना। इस कल्प में कैलिडोनियन हलचल के कारण स्कॉटलैण्ड के पर्वत बने।

(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प (Upper Paleozoic Era)

  1. डिवोनियन कल्प (Devonian Period): इस कल्प के मछलियों की वृद्धि हुई तथा वलन क्रिया का विस्तार हुआ।
  2. कार्बोनीफेरस कल्प (Carboniferous Period): इस युग में अधिक ऊष्णता के कारण दबी हुई वनस्पति कोयले में बदल गई। इसलिए इसे कोयला या कार्बन कल्प भी कहा जाता है।
  3. परमियन कल्प (Permian Period): इस युग में शुष्क जलवायु के कारण महासागरों का विस्तार कम होने लगा है। हरसीनियन भू-हलचलों के कारण अप्लेशियन पर्वतों का निर्माण हुआ।

3. मध्य महाजीव महाकल्प (Mesozoic Era):
यह प्राचीन तथा नवीन महाकल्पों का मध्य भाग है जिसे द्वितीय महाकल्प (Secondary Era) भी कहते हैं। यह वर्तमान से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इसे तीन कल्पों में बांटा जाता है

  1. ट्रियासिक’कल्प (Triassic Period): इस काल में महाद्वीपीय विस्थापन टेथीज़ महासागर बना तथा विभिन्न भू-खण्डों की रचना हुई।
  2. जुरैसिक कल्प (Triassic Period): इस कल्प में भारी तथा भयानक जीव-जन्तुओं का विस्तार हुआ।
  3. क्रिटेशस कल्प (Cretaceous Period): इस युग में स्तनपोषी जीवों की वृद्धि हुई। लावा प्रवाह से दक्कन के पठारों की रचना हुई।

4. नवजीव महाकल्प (Canozoic Era):
इस युग में आदि मानव का जन्म हुआ। कई पर्वत निर्माणकारी हलचलें हुईं जिससे नवीन मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ।

  1. इयोसीन युग (Eocene Period): इस युग में भू-तल पर लावा प्रवाह हुआ तथा कई पठारों की रचना हुई। स्तनधारी पशुओं का विकास हुआ।
  2. औलिगोसीन युग (Oligocene Period): इस युग को एल्पाइन भू-हलचल का युग कहा जाता है जिसके कारण हिमालय तथा आल्पस पर्वतों का निर्माण हुआ।
  3. मायोसीन युग (Miocene Period): इस युग में ह्वेल मछली तथा बन्दर आदि का जन्म हुआ। यूरेशिया के मोड़दार पर्वत उत्पन्न हुए। (iv) प्लायोसीन युग (Pliocene Period)—इस युग में तलछट के जमाव से मैदानों का निर्माण हुआ।

5. क्वाटरनरी महाकल्प (Quarternary Era):
यह नवीनतम महाकल्प है। यह युग 10 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ था। इसे दो भागों में बांटा जाता है
1. प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Period):
इस युग में उत्तरी अमेरिका, यूरोप आदि भागों पर हिम का आवरण छा गया। इसे ‘महान् हिम युग’ (Great Ice Age) कहते हैं। हिम आवरण के हटने से महान् झीलों, भू-आकार घाटियों तथा हिमोढ़ों की रचना हुई।

2. होलीसीन युग (Holocene Period):
यह अभिनव कल्प या सर्व नूतन युग में मनुष्य का विकास हुआ है। इस युग में पुनः ताप बढ़ने लगा। इस युग में हिम के हटने से कई स्थानों पर हिमोढ़ निक्षेप बने। इस युग में मानव सभ्यता के कई चरण पार करता हुआ अन्तरिक्ष में जा पहुंचा है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. “भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी का मानव के घर के रूप में अध्ययन किया जाता है।” यह परिभाषा कौन-से भूगोलवेत्ता द्वारा प्रस्तुत की गई है?
(A) हार्टशोर्न
(B) डडले स्टैम्प
(C) काण्ट तथा रिटर
(D) वूल्डरिज तथा ईर।
उत्तर:
डडले स्टैम्प।

2. “भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी का मानव के संसार के रूप में वैज्ञानिक वर्णन है।’ भूगोल की यह परिभाषा किस ने प्रस्तुत की?
(A) एफ० जे० मोंकहाउस
(B) हार्टशोर्न
(C) फेयरग्रीव
(D) विडाल डी ला ब्लाश।
उत्तर:
विडाल डी ला ब्लाश।

3. “प्रकृति मंच प्रदान करती है और मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।” ये शब्द किस भूगोलशास्त्री ने कहे थे?
(A) रिचथोफेन
(B) एडवर्ड एकरमैन
(C) विडाल डी ला ब्लाश
(D) हार्टशोर्न। उत्तर-विडाल डी ला ब्लाश।

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4. निम्नलिखित में से कौन-से अमेरिकन भूगोलशास्त्री थे?
(A) काण्ट तथा रिटर
(B) डडले स्टैम्प तथा एफ० जे० मोंकहाउस
(C) वूल्डरिज तथा ईस्ट
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन ।
उत्तर:
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन।

5. वातावरण में कौन-से दो तत्त्वों का समावेश होता है?
(A) प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक
(B) प्राकृतिक तथा भौतिक
(C) जैविक तथा प्राकृतिक
(D) भौतिक तथा जैविक।
उत्तर:
प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक।

6. स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल के पारस्परिक कार्यों का कौन-सा प्रतिफल है
(A) सामाजिक वातावरण
(B) प्राकृतिक वातावरण
(C) सांस्कृतिक वातावरण
(D) जैविक वातावरण।
उत्तर:
(B) प्राकृतिक वातावरण।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक लक्षण नहीं है?
(A) पर्वत
(B) नदियां
(C) सड़कें
(D) मैदान।
उत्तर:
(C) सड़कें।

8. निम्नलिखित में से कौन-सा सांस्कृतिक लक्षण नहीं है?
(A) भवन
(B) सड़कें
(C) फ़सलें
(D) महाद्वीप।
उत्तर:
महाद्वीप।

9. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व संस्कृति में नहीं है?
(A) मूल्य
(B) विश्वास
(C) विचारधारा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

10. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सभ्यता में नहीं है?
(A) गांव
(B) नगर
(C) पर्वत
(D) यातायात।
उत्तर:
(C) पर्वत।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

11. भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(A) विडाल डी ला ब्लाश
(B) एरेटा स्थिनीज़
(C) काण्ट
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
(B) एरेटा स्थिनीज़

12. कौन-सा तत्त्व भौतिक भूगोल से सम्बन्धित नहीं है?
(A) जलवायु
(B) भौमिकी
(C) वनस्पति
(D) मानवीय क्रियाएं।
उत्तर:
(D) मानवीय क्रियाएं।

13. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया?
(A) हम्बोलट
(B) रिटर
(C) स्टैम्प
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
हम्बोलट।

14. मानचित्र बनाने की कला का ज्ञान किसने दिया?
(A) टॉलेमी
(B) रिटर
(C) काण्ट
(D) थेल्स।
उत्तर:
टॉलेमी।

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15. ब्रह्माण्ड को समझने का प्रयत्न किस विद्वान् ने सर्वप्रथम किया?
(A) काण्ट
(B) आर्यभट्ट
(C) थेल्स
(D) स्ट्रेबो।
उत्तर:
आर्यभट्ट।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में जर्मनी के दो प्रसिद्ध भूगोल-वेत्ताओं के नाम लिखो।
उत्तर:
हम्बोलट तथा रिटर।

प्रश्न 2.
भूगोल के दो स्पष्ट क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:
भू-आकृतिक विज्ञान, जलवायु विज्ञान।

प्रश्न 4.
मानवीय भूगोल के दो उप-क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल दशाओं का अध्ययन करने वाले दो विज्ञान बताओ।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान।

प्रश्न 6.
“मनुष्य के कार्य प्रकृति द्वारा निर्धारित होते हैं।” यह किस भूगोलवेत्ता का कथन है?
उत्तर:
रैत्सेल (Ratzel) का।

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प्रश्न 7.
किन विषयों के अध्ययन ने भूगोल को गणितीय चरित्र दिया?
उत्तर:
सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश तथा देशान्तर।

प्रश्न 8.
अठारहवीं शताब्दी में विद्यालयों में भूगोल को लोकप्रियता क्यों मिली?
उत्तर:
भूगोल का विद्यालयों में एक लोकप्रिय विषय बनने का मुख्य कारण यह है कि इसके अध्ययन से पृथ्वी के निवासियों तथा स्थानों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इससे प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तथ्यों का ज्ञान होता है। इस अध्ययन से मनुष्य तथा पर्यावरण के सम्बन्धों का अनुमान होता है।

प्रश्न 9.
उस भूगोलवेत्ता का नाम बताइए जिन्होंने ‘भौतिक तथा मानव भूगोल के संश्लेषण का समर्थन किया था’।
उत्तर:
एच० जे० मैकिंडर (H.J. Mackinder)।

प्रश्न 10.
भूगोल में कौन-सा आधुनिकतम विकास हुआ है?
उत्तर:
भूगोल में सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक भूदृश्य के मुख्य लक्ष्य बताओ।
उत्तर:
पर्वत, नदियां, वनस्पति आदि।

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प्रश्न 12.
वातावरण को कौन-से दो मुख्य भागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक, मानवीय।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भू-आकृति विज्ञान
  2. जलवायु विज्ञान
  3. जल विज्ञान
  4. मृदा विज्ञान।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. सांस्कृतिक भूगोल
  2. आर्थिक भूगोल
  3. जनसंख्या भूगोल
  4. ऐतिहासिक भूगोल।

प्रश्न 15.
भूगोल किन तीन प्रमुख विषयों का अध्ययन है?
उत्तर:

  1. भौतिक वातावरण
  2. मानवीय क्रियाएं
  3. दोनों का अंतर्प्रक्रियात्मक सम्बन्ध।

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प्रश्न 16.
भूगोल के दो दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर:
प्राचीन दृष्टिकोण, आधुनिक दृष्टिकोण।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो भारतीय वैज्ञानिकों के नाम बताइए जिन्होंने सबसे पहले पृथ्वी के आकार का वर्णन किया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट, भास्कराचार्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमें भूगोल क्यों पढ़ना चाहिए?
उत्तर:
पृथ्वी मनुष्य का घर है। यहां हमारा जीवन अनेक रूपों से प्रभावित होता है। हम आसपास के संसाधनों पर निर्भर करते हैं। हम तकनीकों द्वारा प्राकृतिक संसाधन भूमि, मृदा, जल का उपयोग करते हुए अपना आहार प्राप्त करते हैं। हम मौसमी दशाओं के अनुसार अपना जीवन समायोजित करते हैं। इसलिए भूगोल का अध्ययन आवश्यक है।

प्रश्न 2.
भूगोल विषय में पृथ्वी के किन चार परिमण्डलों का अध्ययन होता है?
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. वायु मण्डल
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 3.
“भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रदान करता है जिस पर मानव कार्य करे।” स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी पर भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक लक्षणों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन है। अनेक तत्त्वों में समानता तथा कई तत्वों में असमानता पाई जाती है। भूगोल भौतिक वातावरण तथा मानव के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन है। एक लेखक के अनुसार “भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रस्तुत करता है जिस पर मानव समाज अपने सृजनात्मक क्रिया कलापों का ड्रामा अपने तकनीकी विकास से मंचित करता है।” भू-आकृतियां आधार प्रदान करती हैं जिस पर मानवीय क्रियाएं होती हैं। मैदानों पर कृषि, पठारों पर खनन, पशु पालन, पर्वतों से नदियां निकलती हैं। जलवायु मानव के घरों के प्रकार, वस्त्र, भोजन, वनस्पति को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 4.
भूगोल बहु-आयामी पृथ्वी का अध्ययन किस प्रकार करता है?
उत्तर:
भूगोल यथार्थता का अध्ययन करता है। पृथ्वी भी यथार्थता की भान्ति बहु-आयामी है। इसलिए इस अध्ययन में अनेक प्राकृतिक विज्ञान जैसे-भौमिकी मृदा विज्ञान, समुद्र विज्ञान वनस्पति शास्त्र, जीवन विज्ञान, मौसम विज्ञान सहायक हैं। अन्य सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाज शास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, नृ-विज्ञान भी धरातल की यथार्थता का अध्ययन करते हैं। भूगोल सभी प्राकृतिक तथा सामाजिक विषयों से सूचनाधार प्राप्त करके संश्लेषण करता है।

प्रश्न 5.
भौतिक भूगोल किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन में सहायक है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को समझना आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास (Sustainable development) के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान नितान्त आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्त्व को रेखांकित करता है।

प्रश्न 6.
विश्व एक परस्पर निर्भर तन्त्र है। व्याख्या करो।
उत्तर:
विश्व के एक प्रदेश दूसरे प्रदेश से जुड़े हुए हैं तथा एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्तमान विश्व को एक वैश्विक ग्राम (Global Village) की संज्ञा दी जा सकती है। परिवहन के तीव्र साधनों ने बढ़ती दूरियां कम की हैं। श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio-visual media) एवं सूचना तकनीकी ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है। प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रश्न 7.
भूगोल की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
भूगोल की परिभाषा (Definition of Geography)

भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है (Geography is the science of the Earth)। भूगोल को अंग्रेज़ी भाषा में ‘ज्योग्राफी’ कहा जाता है। ज्योग्राफी शब्द यूनानी भाषा के जी (Ge) तथा ‘ग्राफो’ (Grapho) शब्दों से मिलकर बना है। (Geography = Ge + Grapho)। ‘जी’ (Ge) का अर्थ है पृथ्वी और ग्राफो (Grapho) शब्द का अर्थ है ‘वर्णन करना’। इस प्रकार ज्योग्राफी का अर्थ है-‘पृथ्वी का वर्णन करना’।

जिस प्रकार अर्थशास्त्र का मूल मंत्र मूल्य है, भूगर्भ विज्ञान चट्टानों का अध्ययन है, वनस्पति विज्ञान पेड़-पौधों से तथा इतिहास समय से सम्बन्धित है, भूगोल ‘स्थान’ से सम्बन्धित है। पृथ्वी मानव का निवास स्थान है। भूगोल एक प्रकार से ‘पृथ्वी-तल’ या ‘भूतल’ का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान मान कर इसका अध्ययन करता है। (Geography studies the Earth as home of man.)

प्रश्न 8.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 9.
भूगोल के अध्ययन में द्वैतवाद का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
‘भूगोल का अध्ययन दो उपागमों के आधार पर किया जाता है

1. विषय वस्तुगत उपागम (Systematic Approach):
इस उपागम में एक तथ्य का पूरे विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसके पश्चात् क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई प्राकृतिक वनस्पति के अध्ययन में रुचि रखता है, तो सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसका अध्ययन किया जायेगा, फिर प्रकारात्मक वर्गीकरण, जैसे विषुवत् रेखीय सदाबहार वन, नरम लकड़ी वाले कोणधारी वन अथवा मानसूनी वन इत्यादि की पहचान, उनका विवेचन तथा सीमांकन करना होगा।

2. प्रादेशिक उपागम (Regional Approach):
प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या निर्दिष्ट (नामित) प्रदेश हो सकते हैं। एक प्रदेश में तथ्यों का अध्ययन समग्रता से विविधता में एकता की खोज करते हुए किया जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 10.
“भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयुक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। इन विभिन्न घटकों को संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है।

भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है। विभिन्न शाखाओं के अंश भौगोलिक अध्ययन में सहायक होते हैं। यह घटक अलग-अलग पहचाने जाते हैं। इन घटकों को आपस में संयुक्त करने को ही समाकलन कहा जाता है। किसी भी प्रदेश के धरातल, कृषि, यातायात, जलवायु आदि के अलग-अलग मानचित्रों में सम्बन्ध स्थापित करने से कई उपयोगी परिणाम निकल पाते हैं।

प्रश्न 11.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। ‘प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है।

जैसे रैत्सेल के अनुसार “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है। मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रतिक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है।

इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in Nature) कहना ही उचित है। जैसे कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल-डि-ला-ब्लाश (Vidal-de-la-Blach) ने कहा है’ ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।’ (Nature provides the stage and it is for man to act on it.)

प्रश्न 12.
क्रमबद्ध भूगोल से क्या अभिप्राय है? इसकी उप-शाखाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भूगोल में भू-पृष्ठ का अध्ययन दो विधियों द्वारा किया जाता है:
(क) क्रमबद्ध भूगोल
(ख) क्षेत्रीय भूगोल।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):
विशिष्ट प्राकृतिक अथवा सामाजिक घटनाओं से भू-पृष्ठ पर उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय प्रतिरूपों तथा संरचनाओं का अध्ययन क्रमबद्ध भूगोल कहलाता है। इस संदर्भ में किसी एक भौगोलिक कारक को चुन कर जैसे जलवायु, अध्ययन किया जाता है। भूगोल के उस कारक के क्षेत्रीय वितरण के कारण तथा प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। मुख्य उद्देश्य जलवायु तथा जलवायु के प्रकार होते हैं। कृषि का अध्ययन कृषि प्रदेशों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार यह किसी एक घटक का विस्तृत अध्ययन होता है।

साधारणत: क्रमबद्ध भूगोल को चार प्रमुख शाखाओं में बांटा गया है:

  1. भू-आकृतिक भूगोल-परम्परा अनुसार इसे भौतिक भूगोल भी कहते हैं।
  2. मानव-भूगोल-इसे सांस्कृतिक भूगोल भी कहते हैं।
  3. जैव-भूगोल-इसमें पर्यावरण भूगोल शामिल है।
  4. भौगोलिक विधियां और तकनीकें-ये विधियां मानचित्र बनाने में प्रयोग की जाती हैं।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल की विषय वस्तु का वर्णन करें।
उत्तर:
यहां भूगोल की इस शाखा के महत्त्व को बताना युक्ति संगत होगा। भौतिक भूगोल में भूमण्डल (भूआकृतियां, प्रवाह, उच्चावच), वायुमण्डल (इसकी बनावट, संरचना, तत्त्व एवं मौसम तथा जलवायु, तापक्रम, वायुदाब, वायु, वर्षा, जलवायु के प्रकार इत्यादि), जलमण्डल (समुद्र, सागर, झीलें तथा जल परिमण्डल से संबद्ध तत्त्व), जैव मण्डल (जीव के स्वरूप-मानव तथा वृहद् जीव एवं उनके पोषक प्रक्रम, जैसे-खाद्य श्रृंखला, पारिस्थैतिक प्राचल (Ecological parametres) एवं पारिस्थैतिक सन्तुलन का अध्ययन सम्मिलित होता है। मिट्टियां मृदा-निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती हैं तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती हैं। कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पाश्विका (Profile) के विकास में सहायक होती है। मानव के लिए प्रत्येक तत्त्व महत्त्वपूर्ण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 14.
भौतिक भूगोल के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
भौतिक भूगोल का महत्त्व भौतिक भूगोल में उन सभी तत्त्वों को सम्मिलित किया गया है जो प्राकृतिक हैं-स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल। स्थलमण्डल में भू-आकृति शामिल है। वायुमण्डल का सम्बन्ध जलवायु से है। जलमण्डल जल लक्षणों का अध्ययन है और जैवमण्डल का सम्बन्ध सभी जीवन्त वस्तुओं जैसे पेड़-पौधे, पशुओं, सूक्ष्म जीवों और मनुष्यों के अध्ययन से है। मृदा, भौतिक भूगोल में अध्ययन किए जाने वाले इन चारों तत्त्वों या मण्डलों का उत्पाद है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तरप्रादेशिक भूगोल

प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)
(1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है। (1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्व का अध्ययन होता है।
(2) यह अध्ययन समाकलित होता है। (2) यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
(3) यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है। (3) यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
(4) यह किसी प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा मानव के बीच सम्बन्ध प्रकट करता है। (4) यह अध्ययन खोज व तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
(5) इस अध्ययन में प्रदेशों का सीमांकन सम्मिलित है, जिसे प्रादेशीकरण कहते हैं। (5) इस अध्ययन में एक घटक, जैसे जलवायु के आधार पर विभिन्न प्रकार तथा उप-प्रकार निश्चित किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वातावरण तथा समग्र वातावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्राकृतिक वातावरण (Natural Environment) समग्र वातावरण (Total Environment)
(1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तत्त्वों द्वारा होती है। (1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तथा मानवीय तत्तों से मिलकर होती है।
(2) इसमें भूमि, वायु वनस्पति, जल, मिट्टी आदि तत्त्व शामिल हैं। (2) इसमें भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण सम्मिलित होते हैं।
(3) इसमें स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल शामिल होते हैं। (3) इसमें जैव-मण्डल की भूमिका महत्तपूर्ण होती है।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल तथा जैव भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

भौतिक भूगोल (Physical Geography) जैव-भूगोल (Bio-Geography)
1. भौतिक भूगोल महाद्वीपों, पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदी घाटियों और अन्य भू-लक्षणों का अध्ययन है। 1. जैव भूगोल में विभिन्न प्रकार के वनों तथा जीव जन्तुओं के वितरण का अध्ययन किया जाता है।
2. इसकी चार उप-शाखाएँ है-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान तथा मृदा भूगोल। 2. इसकी चार उप-शाखाएं हैं- वनस्पति भूगोल, प्राणी भूगोल, मानव पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण भूगोल।

प्रश्न 4.
भूगोल में आगमन तथा निगमन पद्धतियों में अन्तर स्पष्ट करें।

आगमन पद्धति निगमन पद्धति
1. इसमें पाई जाने वाली समानताओं के आधार पर कोई सिद्धान्त अथवा नियम बनाये जाते हैं। 1. इसमें बनाये गये नियमों से निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. आगमन पद्धति तथ्यों से सिद्धान्त (From facts to theory) की विधि है। 2. यह पद्धति सामान्य से विशेष (General to Specific) के सिद्धांत की विधि है।
3. इसमें नियमों एवं परिणामों का अनुभव के आधार पर परीक्षण किया जाता है। 3. इस पद्धति में कुछ अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की विभिन्न शाखाओं के नाम बताओ।
उत्तर:
भूगोल की शाखाएँ-भूगोल अध्ययन का एक अंतशिक्षण (Interdisciplinary) विषय है। प्रत्येक विषय का अध्ययन कुछ उपागमों के अनुसार किया जाता है। इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में  1

1. विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) एवं

2. प्रादेशिक। विषय वस्तुगत भूगोल का उपागम वही है जो सामान्य भूगोल का होता है।
यह उपागम एक जर्मन भूगोलवेत्ता, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (1769-1859) द्वारा प्रवर्तित किया गया, जबकि प्रादेशिक भूगोल का विकास हम्बोल्ट के समकालीन एक-दूसरे जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (1779-1859) द्वारा किया गया है।

(अ) भौतिक भूगोल-किसी क्षेत्र के प्राकृतिक या भौतिक लक्षणों के अध्ययन को भौतिक भूगोल कहते हैं। यह लक्षण प्रकृति द्वारा निर्मित होते हैं, जैसे-पर्वत, नदियां, वनस्पति, मिट्टी आदि। यह लक्षण मनुष्य के क्रिया-कलापों को प्रभावित करते हैं। भौतिक भूगोल को चार शाखाओं में बांटा जाता है

1. भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology):
इस शाखा में पृथ्वी की विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों (landforms) का अध्ययन किया जाता है। भू-आकृति विज्ञान भूगोल के आधार का निर्माण करती है। स्थलाकृतियां भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल तथा विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में  2

2. जलवायु विज्ञान (Climatology):
यह एक स्वतन्त्र शाखा है। इसमें पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए वायुमण्डल की विभिन्न क्रियाओं को समझने का प्रयास किया जाता है। यह वायुमण्डल के तत्त्वों, जैसे-तापमान, वर्षा, पवनें, वायुदाब तथा नमी आदि का अध्ययन करता है।

3. जल विज्ञान (Hydrology):
इस विज्ञान द्वारा महासागरों, नदियों तथा हिम नदियों द्वारा होने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इस विज्ञान से जल चक्र तथा जल के विभिन्न रूपों, गतियों, तापमान तथा महासागरों के धरातल का ज्ञान होता है।

4. मृदा विज्ञान (Soil Geography):
यह भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके द्वारा मिट्टी के प्रकार, विकास, वितरण तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त होती है।

(ब) मानव भूगोल-किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features):
के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे कृषि, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण (Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं

1. सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल (Socia/Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं। इसमें समाज के योगदान से निर्मित सांस्कृतिक तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें कृषि, उद्योग, पर्यटन, व्यापार, परिवहन, आधार ढांचे तथा सेवाओं का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल एवं अधिवास भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, व्यावसायिक संरचना आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। अधिवास भूगोल में ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के वितरण का अध्ययन होता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है। प्रत्येक प्रदेश में कुछ ऐतिहासिक परिवर्तन होते हैं। उन कालिक परिवर्तनों का अध्ययन भी ऐतिहासिक भूगोल से होता है।

5. राजनीतिक भूगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासकीय निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं। इसमें राजनीतिक घटनाओं, चुनावी हलकों का सीमांकन, चुनाव आदि का भी अध्ययन होता है। लोगों के राजनीतिक व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता है।

(स) जीव भूगोल (Bio-Geography):
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अंतरापृष्ठ के फलस्वरूप जीव भूगोल का अभ्युदय हुआ। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित शाखाएँ आती हैं

  1. जीव-भूगोल (Bio Geography): इसमें पशुओं एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन होता है।
  2. वनस्पति भूगोल (Geography of Vegatation): यह प्राकृतिक वनस्पति का उसके निवास क्षेत्र (Habitat) में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थतिक विज्ञान (Ecological Science): इसमें प्रजातियों (Species) के निवास/स्थिति क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
  4. पर्यावरण भूगोल (Environment Geography): सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरणीय प्रतिबोधन के फलस्वरूप पर्यावरणीय समस्याओं, जैसे-भूमि-ह्रास, प्रदूषण, संरक्षण की चिन्ता आदि का अनुभव किया गया, जिसके अध्ययन हेतु इस शाखा का विकास हुआ।

(द) प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ

  1. वृहद्, मध्यम, लघुस्तरीय प्रादेशिक/क्षेत्रीय अध्ययन
  2. ग्रामीण/इलाका नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन
  3. प्रादेशिक विकास
  4. प्रादेशिक विवेचना/विश्लेषण दो ऐसे पक्ष हैं जो सभी विषयों के लिए उभयनिष्ठ/सर्वनिष्ठ हैं। ये हैं
  • (क) दर्शन
    1. भौगोलिक चिन्तन
    2. भूमि एवं मानव अन्तर्प्रक्रिया/मानव पारिस्थितिकी
  • (ख) विधितन्त्र एवं तकनीक
    1. सामान्य एवं संगणक आधारित मानचित्रण
    2. परिमाणात्मक तकनीक/सांख्यिकी तकनीक
    3. क्षेत्र सर्वेक्षण विधियां
    4. भू-सूचना विज्ञान तकनीक (Geoinformatics) जैसे-दूर संवेदन तकनीक, भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.), वैश्विक स्थितीय तन्त्र (G.P.S.)

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 2.
“भूगोल के अनेक उप-विषय विज्ञान पर आधारित हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूगोल का अन्य विषयों से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मानवीय विकास भौतिक तत्त्वों के सदुपयोग पर आधारित है। इसलिए भूगोल भौतिक वातावरण तथा सामाजिक वातावरण के विभिन्न तत्त्वों का अध्ययन करता है। भूगोल काफ़ी हद तक प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान दोनों पर निर्भर है। कई उप-विषयों (Allied Sciences) में भूगोल अन्य विज्ञान शाखाओं के निकट है।
प्राकृतिक विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल तथा अन्य विषयों का निम्नलिखित सम्बन्ध है

1. जीव-भू विस्तार विज्ञान (Chrological Science):
इस विज्ञान का मुख्य सम्बन्ध क्षेत्रीय अध्ययन (Study of an area) या प्रादेशिक अध्ययन से होता है। नक्षत्र विज्ञान (Astronomy) तथा भूगोल मिलकर जीव भू-विस्तार विज्ञान की रचना करते हैं। नक्षत्र विज्ञान में कई विषय, जैसे-सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश-देशान्तर भूगोल को एक विज्ञान का रूप देते हैं।

2. कालानुक्रमिक विज्ञान (Chronological Science):
इतिहास में समय का तत्त्व महत्त्वपूर्ण होता है। इतिहास, भूगोल के समय के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है। इससे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक मानवीय विकास को समझने में सहायता मिलती है। इस विज्ञान से भू-संघटनाओं का क्रमानुसार अध्ययन किया जाता है। जैसे-प्राचीन काल, मध्यकाल तथा वर्तमान में भारत के स्वरूप का विकास कैसे हुआ।

3. क्रमबद्ध विज्ञान (Systematic Science):
इसके द्वारा पृथ्वी की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा प्राणी विज्ञान किसी प्रदेश के मानव एवं वातावरण के सम्बन्धों को स्पष्ट रूप में समझने में सहायता करते हैं। यह अध्ययन वर्गीकरण (Classification System) के आधार पर किया जाता है।

4. अर्थशास्त्र से सम्बन्ध (Relation with Economics):
मनुष्य के आर्थिक कल्याण तथा प्रादेशिक विकास सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन के लिए भूगोल का सम्बन्ध अर्थशास्त्र से निकटतम तथा उपयोगी होता जा रहा है।

5. अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध (Relationship with other Sciences):
भूगोल के कई उप-विषय अन्य विज्ञानों के निकट हैं, जैसे-भू-आकृति विज्ञान का भूगर्भ विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है। ऐतिहासिक भूगोल का इतिहास से सम्बन्ध है, आर्थिक भूगोल का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध है, जैव भूगोल का प्राणी विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है तथा राजनीतिक भूगोल का राजनीति विज्ञान से सम्बन्ध है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

(क) बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. धरातल पर वायुदाब 1000 मिलीबार है। धरातल से 1 कि० मी० की ऊंचाई पर वायुदाब क्या होगा?
(A) 700 मिलीबार
(B) 900 मिलीबार
(C) 1,100 मिलीबार
(D) 1,300 मिलीबार।
उत्तर:
(B) 900 मिलीबार।

2. अन्तःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः कहां होता है?
(A) भूमध्य रेखा के निकट
(B) कर्क रेखा के निकट
(C) मकर रेखा के निकट
(D) आर्कटिक वृत्त के निकट।
उत्तर:
(A) भूमध्य रेखा के निकट।

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3. उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न वायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्या होगी?
(A) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के अनुरूप
(B) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत
(C) समदाब रेखाओं के समकोण पर
(D) समदाब रेखाओं के समानान्तर।
उत्तर:
(B) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत।

4. किस वातान के आने पर मेघों का क्रम पक्षाभ मेघ से स्तरी मेघ होता है?
(A) अधिविष्ट वाताग्र
(B) शीत वाताग्र
(C) उष्ण वाताग्र
(D) अचर वाताग्र।
उत्तर:
(C) उष्ण वाताग्र।

5. वायुराशियों के निर्माण के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-से हैं?
(A) भूमध्यरेखीय वन
(B) साइबेरिया का मैदानी भाग
(C) हिमालय पर्वत
(D) दक्खन पठार।
उत्तर:
(B) साइबेरिया का मैदानी भाग।

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6. समुद्र तल पर वायु दाब कितना पाया जाता है?
(A) 1010 मिलीबार
(B) 1011 मिलीबार
(C) 1013 मिलीबार
(D) 1012 मिलीबार।
उत्तर:
(C) 1013 मिलीबार।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिएप्रश्न
1. पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताओ।
उत्तर:
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले बल-वायुमण्डलीय दाब में भिन्नता के कारण वायु गतिमान होती है। इस क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम हैं।

  1. दाब प्रवणता प्रभाव,
  2. घर्षण बल,
  3. तथा कोरिऑलिस बल।

इसके अतिरिक्त, गुरुत्वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।
1. दाब-प्रवणता बल:
वायुमण्डलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के सन्दर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहाँ समदाब रेखाएँ पास-पास हों, वहाँ दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।

2. घर्षण बल:
यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव प्रायः धरातल से 1 से 3 कि०मी० ऊँचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्यूनतम होता है।
3. कोरिऑलिस बल
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। सन् 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और भूमध्यरेखा पर अनुपस्थित है।

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प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) से क्या अभिप्राय है? हेडले कोष्ठ तथा फैरल कोष्ठ में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
ऊष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र-उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अन्तः- उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है। उष्णकटिबन्धों से आने वाली पवनें इस निम्न दाब क्षेत्र में अभिसरण करती हैं। अभिसरित वायु संवहन कोष्ठों के साथ ऊपर उठती हैं। यह क्षोभमण्डल के ऊपर 14 किमी० की ऊँचाई तक ऊपर चढ़ती हैं और फिर ध्रुवों की तरफ प्रवाहित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप लगभग 30° उत्तर व 30° दक्षिण अक्षांश पर वायु एकत्रित हो जाती है। इस एकत्रित वायु का अवतलन होता है और यह उपोष्ण उच्चदाब बनाता है।

अवतलन का एक कारण यह है कि जब वायु 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर पहुंचती है तो यह ठंडी हो जाती है। धरातल के निकट वायु का अपसरण होता है और यह भूमध्यरेखा की ओर पूर्वी पवनों के रूप में बहती है। भूमध्यरेखा के दोनों तरफ से प्रवाहित होने वाली पूर्वी पवनें अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण (ITCZ) पर मिलती हैं। पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं। उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र में ऐसे कोष्ठ को हेडले कोष्ठ (Hadley cell) कहा जाता है।

मध्य अक्षांशीय वायु परिसंचरण में ध्रुवों से प्रवाहित होती ठण्डी पवनों का अवतलन होता है और उपोष्ण उच्चदाब कटिबन्धीय क्षेत्रों से आती गर्म हवा ऊपर उठती है। धरातल पर ये पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं और यह कोष्ठ फैरल कोष्ठ के नाम से जाने जाते हैं। ध्रुवीय अक्षांशों पर ठण्डी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इस कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है। ये तीन कोष्ठ वायमण्डल के सामान्य परिसंचरण का प्रारूप निर्धारित करते हैं। तापीय ऊर्जा का निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों में स्थानान्तर सामान्य परिसंचरण को बनाये रखता है।

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प्रश्न 3.
भूविक्षेपी पवनें क्या हैं?
उत्तर-पृथ्वी की सतह से 2-3 कि०मी० की ऊँचाई पर ऊपरी वायुमण्डल में पवनें धरातलीय घर्षण के प्रभाव से मुक्त होती हैं और दाब प्रवणता तथा कोरिऑलिस बल | से नियन्त्रित होतो हैं । जब समदाब रेखाएँ सीधी हों और घर्षण का प्रभाव न हो, तो दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से सन्तुलित हो जाता है और फलस्वरूप पवनें समदाब रेखाओं के समानान्तर बहती हैं। ये पवनें भूविक्षेपी (Geostrophic) पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
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निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न 1.
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताएं।
उत्तर:
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले बल-वायुमण्डलीय दाब में भिन्नता के कारण वायु गतिमान होती है। इस क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम हैं

  1. दाब प्रवणता प्रभाव,
  2. घर्षण बल,
  3. तथा कोरिऑलिस बल।

इसके अतिरिक्त, गुरुत्वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।
1. दाब-प्रवणता बल:
वायुमण्डलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के सन्दर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहां समदाब रेखाएं पास-पास हों, वहां दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।

2. घर्षण बल:
यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव प्रायः धरातल से 1 से 3 कि०मी० ऊंचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्यूनतम होता है।

3. कोरिऑलिस बल:
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। सन् 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और भूमध्य रेखा पर अनुपस्थित है।

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प्रश्न 2.
पृथ्वी पर वायु मण्डलीय सामान्य परिसंचरण का वर्णन करो। 30° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दाब के कारण बताओ।।
उत्तर:
वायु दबाव की नक्षत्रीय बांट-पृथ्वी पर वायु दबाव की बांट सरल तथा लगातार नहीं है। कई कारणों से बाधाएं तथा विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं। “धरातल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में अक्षांशों के समानान्तर लगभग एक ही चौड़ाई के बराबर क्षेत्रों को वायु दबाव की पेटियां (Pressure Belts) कहा जाता है।” धरातल पर वायु दाब की कुल 7 पेटियां हैं। धरातल पर उच्च वायु दबाव (High Pressure) की चार पेटियां तीन निम्न वायु दबाव (Low Pressure) पेटियों को अलग-अलग करती हैं

1. भूमध्य रेखीय निम्न वायु दबाव पेटी (Equatorial Low Pressure Belt):
यह कम वायु दबाव पेटी भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° उत्तर तथा 5° दक्षिण अक्षांश तक फैली हुई है। इस खण्ड में सारा वर्ष अधिक गर्मी के कारण हवा गर्म होकर संवाहिक धाराओं (Convectional Currents) के रूप में ऊपर उठती रहती है। इस प्रकार वायु दबाव कम हो जाता है। एक शान्त मण्डल (Belt of Calms) स्थापित हो जाता है जिसे डोल ड्रमस् (Dol Drums) भी कहते हैं।

2. उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दबाव पेटियां (Sub-tropical High Pressure Belts):
कर्क रेखा तथा मकर रेखा के निकट 30°_35° अक्षांशों के बीच दो उच्च वायु दबाव पेटियां पाई जाती हैं। इस प्रकार यहां भूमध्य रेखा से आने वाली पवनें नीचे उतरती हैं, इन नीचे उतरती हुई पवनों (Descending Winds) के कारण उच्च दबाव (High Pressure) स्थापित हो जाता है तथा एक शान्त मण्डल बन जाता है। इन्हें अश्व अक्षांश (Horse Latitudes) भी कहते हैं।
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3. उप-ध्रुवीय कम वायु दबाव पेटियां (Sub-polar Low Pressure Belts):
यह कम दबाव की पेटियां 60° से 65° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इन्हें Arctic Low तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें Antarctic Low कहते हैं। स्थिति के कारण इन्हें शीतोष्ण निम्न वायु दबाव (Temperate Low) भी कहते हैं। इस कम वायु दबाव के कई कारण हैं

(i) दैनिक गति (Rotation): पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ध्रुवों को वायु भूमध्य रेखा की ओर खिसक जाती है। ध्रुवों पर अधिक सर्दी के कारण कम दबाव उच्च दबाव में बदल जाता है तथा ध्रुवों से कुछ दूरी पर 60° के निकट कम वायु दबाव हो जाता है।

(ii) चक्रवात (Cyclones): ध्रुवों से आने वाली वायु पृथ्वी के तल के साथ रगड़ खा कर बहुत बड़े चक्रवातों का रूप धारण कर लेती है। यह चक्रवात भी कम वायु भार के केन्द्र (Low pressure cells) बन जाते हैं।

(iii) समुद्री धाराएं (Ocean Currents): गर्म समुद्री धाराओं के कारण कम वायु दाब होता है।

(iv) वायुमण्डल की मोटाई भी बहुत कम होती है।

4. ध्रुवीय उच्च दबाव पेटियां (Polar High Pressure Belts): उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव पर लगातार अधिक सर्दी तथा स्थायी बर्फ के कारण उच्च वायु भार होता है। दक्षिणी ध्रुव पर Antarctic महाद्वीप के कारण अधिक दबाव होता है, परन्तु उत्तरी ध्रुव पर Arctic महासागर होने के कारण इतना अधिक दबाव नहीं होता।

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प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति केवल समुद्रों पर ही क्यों होती है? उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के किस भाग में मूसलाधार वर्षा तथा उच्च वेग की पवनें चलती हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
1. स्थिति (Location):
ये चक्रवात भूमध्य रेखा के दोनों ओर उष्ण कटिबन्ध में चलते हैं इसलिए इन्हें उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात कहा जाता है। इनका क्षेत्र व्यापारिक पवनों की पेटी में 5°—20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के मध्य होता है।

2. उत्पत्ति (Origin):
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का विकास तापीय (Thermal) है।

  • इनकी निम्नलिखित मुख्य विशेषताओं से इनकी उत्पत्ति का पता चलता है
    1. ये ग्रीष्म काल में पाए जाते हैं।
    2. ये पूर्व से पश्चिम दिशा में चलते हैं।
    3. इनका क्षेत्र 5°- 20° अक्षांश तक है।
    4. इनका विस्तार सामान्य महासागरों पर होता है।
  • उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर इनकी उत्पत्ति अग्रलिखित अवस्थाओं में होती है
    1. शान्त वायु (Calm Air)
    2. संतृप्त वायु मण्डल (Saturated Atmosphere)
    3. उच्च ताप (Abundant Heat)
    4. संवहनीय धाराएं (Convection Currents)

कुछ विद्वानों के अनुसार दो विभिन्न प्रकार की वायु राशियों के मिलने से एक गर्त (Depression) का निर्माण होता है। ये वायु राशियां एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। ये चक्रवात भूमध्य रेखीय अभिसरण क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। वायु मण्डलीय आर्द्रता की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) इनके विकास में सहायक होती हैं। स्थानीय संवहनीय धाराओं के कारण इनका विकास होता है। अभिसरण क्षेत्र के उत्तर-दक्षिण खिसकने से पूर्वी पवनों की व्यवस्था एक चक्रीय रूप धारण करके उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात बन जाती है। पृथ्वी की परिभ्रमण (Rotation) के कारण वायु समूह बिखर जाते हैं तथा चक्रीय अवस्था में गोलाकार हो जाते हैं।
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3. आकार तथा विस्तार (Shape and Size): ये चक्रवात आकार एवं विस्तार में छोटे होते हैं। इनका व्यास लगभग 100 कि०मी० होता है। ये अण्डाकार (ellipitcal) होते हैं। पूर्णतया विकसित चक्रवात का व्यास 1000 कि०मी० तक होता है।

4. गति (Speed): इन चक्रवातों की गति सागरों पर अधिक होती है। स्थल भागों पर प्राकृतिक बाधाओं तथा घर्षण के कारण इनकी गति कम होती है। कहीं-कहीं इनकी गति 150 कि०मी० प्रति घण्टा होती है। यह चक्रवात महासागरों तथा तटों का बहुत प्रलयकारी होते हैं।

5. मार्ग तथा प्रवाह (Track and Movement): ये चक्रवात व्यापारिक पवनों के साथ-साथ पूर्व पश्चिम दिशा में चलते हैं। ये चक्रवात नमी के समाप्त हो जाने पर स्थल के भीतर नहीं पहुंच पाते वरन् तट के निकट ही समाप्त हो जाते हैं। इन चक्रवातों का मार्ग एक वक्राकार होता है। यह मार्ग इस प्रकार है

  1. यह चक्रवात 5° से 15° अक्षांश के मध्य व्यापारिक पवनों के साथ पश्चिम की ओर चलते हैं।
  2. 15° से 30° के मध्य इनका पथ अनिश्चित होता है।
  3. 30 अक्षांश पार करने का इनका पथ पूर्व की ओर होता है।

6. रचना तथा मौसम (Structure and Weather):
इन चक्रवातों के केन्द्र में निम्न वायु दबाव होता है। इस केन्द्र को आंधी की आंख (Eye of Cyclone) कहते हैं। इसकी समभार रेखाएं अण्डाकार होती हैं। दाब प्रवणता तीव्र होने के कारण तेज़ गति से पवनें चलती हैं। इन चक्रवातों के साथ कोई प्रति चक्रवात नहीं होता। केन्द्रीय भाग में संतृप्त मूसलाधार वर्षा करती है। चक्रवात के विभिन्न भागों में मौसम इस प्रकार होता है।

  1. चक्रवात के आगम से पूर्व वायु अशांत हो जाती है तथा पक्षाभ (Cirrus Clouds) छाए रहते हैं।
  2. सूर्य व चन्द्रमा के चारों ओर प्रवाह मण्डल (Halo) उत्पन्न हो जाता है।
  3. चक्रवात के निकट आने पर तीव्र आंधी व गर्ज के साथ भारी वर्षा होती है।

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ JAC Class 11 Geography Notes

→ वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric Pressure): वायुमण्डल पृथ्वी के धरातल पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण टिका है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण प्रत्येक वस्तु में भार होता है। वायु में भी एक घनफुट में 1.2 औंस भार होता है। इस भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर दबाव पड़ता है। वायुमण्डलीय दाब का अर्थ है किसी भी स्थान पर वहां की हवा की उच्चतम सीमा के स्तम्भ का भार।

→ वायुमण्डलीय दाब को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Pressure): वायुमण्डलीय दाब निम्नलिखित तत्त्वों के कारण स्थान-स्थान पर तथा समय-समय पर बदलता रहता है। वे तत्त्व हैं

  • तापमान
  • ऊंचाई
  • जल वाष्प
  • दैनिक गति।

→ वायु दाब का मापक (Measurement of Pressure): वायुदाब को मापने वाले यन्त्र को बैरोमीटर कहते हैं।

→ मापने की इकाइयां (Units of Measurement): वायुमण्डलीय दाब को मापने के लिये तीन इकाइयों का प्रयोग होता है

  • इंच
  • सेंटीमीटर
  • मिलीबार।

→ समदाब रेखाएं (Isobars): Iso शब्द का अर्थ है-सभान और Bar का अर्थ है-दाब। इसलिये Isobars का अर्थ है-समदाब रेखाएं। धरातल पर समान वायु दबाव वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाओं को समदाब | रेखाएं कहते हैं।

→ दाब प्रवणता (Pressure Gradient): समदाब रेखाओं के अन्तर को दाब प्रवणता कहते हैं। यह दो समदाब रेखाओं पर समकोण बनाती हुई होती है। यह दाब प्रवणता वायु दिशा तथा वायु वेग को प्रदर्शित । करती है। वायुदाब

→ पेटियों का वितरण (Distribution of Pressure Belts): “धरातल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में । अक्षांशों के समानान्तर लगभग एक ही चौड़ाई के बराबर क्षेत्रों को वायु दबाव की पेटियां कहा जाता है।” पृथ्वी के धरातल पर कुल सात वायु दबाव पेटियां हैं। चार उच्च दबाव की तथा तीन निम्न दबाव पेटियां हैं

  • भूमध्य रेखीय निम्न वायु दाब पेटी-5° उत्तर तथा 5° दक्षिण अक्षांश के मध्य।
  • उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दाब पेटी-30°- 35° अक्षांशों के मध्य।
  • उप-ध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां- 60° – 65° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के मध्य।
  • ध्रुवीय उच्च दाब पेटियां-उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव के आस-पास।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Textbook Exercise Questions and Answers.

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बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने भूगोल शब्द का प्रयोग किया?
(A) हेरोडोटस
(B) गैलिलियो
(C) इरेटा स्थिनीज़
(D) अरस्तु।
उत्तर:
इरेटा स्थिनीज़।

2. निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
(A) बन्दरगाह
(B) मैदान
(C) सड़क
(D) जल, उघात।
उत्तर:
मैदान।

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3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण सम्बन्ध से जुड़ा हुआ है?
(A) क्यों
(B) क्या
(C) कहां
(D) कब।
उत्तर:
क्यों।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
(A) समाज शास्त्र
(B) नृ-विज्ञान
(C) इतिहास
(D) भूगोल।
उत्तर:
इतिहास।

Matching Statements

प्रश्न 1.
स्तम्भ I एवं II के अन्तर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए।

स्तम्भ I

(Column I)

प्राकृतिक/सामाजिक विज्ञान

स्तम्भ II

(Column II)

भूगोल की शाखाएँ

1. मौसम विज्ञान (A) जनसंख्या भूगोल
2. जनांकिकी (B) मृदा भूगोल
3. समाज शास्त्र (C) जलवायु विज्ञान
4. मृदा विज्ञान (D) सामाजिक भूगोल।

सही मेल को चिह्नांकित कीजिए:
(क) 1. (B), 2. (C), 3. (A), 4. (D)
(ख) 1. (D), 2. (B), 3. (C), 4. (A)
(ग) 1. (A), 2. (D), 3. (B), 4. (C)
(घ) 1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B)
उत्तर:
1. (C), 2. (A), 3. (D), 4. (B).

(स्व) लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन है। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान या घर मानकर अध्ययन करता है। भूगोल सभी सामाजिक तथा प्राकृतिक विज्ञानों से सूचना प्राप्त करके यह अध्ययन करता है। पृथ्वी पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण में भिन्नता दिखाई देती है। अतएव भूगोल को क्षेत्रीय-भिन्नताओं का अध्ययन मानना तार्किक है। भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो क्षेत्रीय सन्दर्भ में भिन्न होते हैं।

भूगोल कार्य-कारण नियम (Cause and effect) द्वारा इन विभिन्नताओं के उत्पत्ति के कारणों का भी अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।” अल्फ्रेड हैटनर के अनुसार, “भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से सम्बन्धित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 2.
आप विश्वविद्यालय जाते समय किन महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान हैं। इन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? क्यों?
उत्तर:
विश्व विद्यालय जाते समय हम सड़क, रेल, बाज़ार, सिनेमाघर आदि सांस्कृतिक लक्षण देखते हैं। ये सभी लक्षण असमान हैं। उन सभी लक्षणों को भूगोल के अध्ययन में शामिल करना चाहिए क्योंकि इनका सम्बन्ध भौतिक भूगोल से है।

प्रश्न 3.
एक टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, सन्तरा व लौकी में से कौन सी वस्तु की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती जुलती है।
उत्तर:
सन्तरे की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती-जुलती है क्योंकि यह फल पृथ्वी के समान दोनों सिरों पर चपटा होता है।

प्रश्न 4.
वनमहोत्सव में वृक्षारोपण किस प्रकार पारिस्थैतिक सन्तुलन बनाए रखते हैं?
उत्तर:
वनों की कमी को वृक्षारोपण से पूरा किया जाता है। वृक्ष हमें ऑक्सीजन, नम जलवायु तथा शीतलता प्रदान करते हैं। वृक्ष वन्य प्राणियों के आवास स्थल होते हैं तथा पारिस्थितिक सन्तुलन बनाए रखते हैं।

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प्रश्न 5.
हाथी, हिरण, वन्य प्राणी किस मण्डल में निवास करते हैं?
उत्तर:
ये सभी जैव मण्डल में रहते हैं। परीक्षा शैली पर आधारित अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

भूगोल एक विषय के रूप में JAC Class 11 Geography Notes

→ भूगोल एक विज्ञान के रूप में: भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है। भूगोल दो शब्दों का सुमेल है-भू-पृथ्वी। + गोल-गोलाकार (Ge = earth, Grapho = description)

→ भूगोल में समग्रता (Synthesis of Geography): मैकिंडर ने भौतिक तथा मानवीय भूगोल के संश्लेषण का विचार प्रकट किया।

→ भूगोल एक स्वतन्त्र विषय: आधुनिक युग में भूगोल को एक विज्ञान का रूप दिया जाता है। यह क्षेत्रीय विज्ञान है जो प्राकृतिक तथा सामाजिक लक्षणों का अध्ययन है।

→ भूगोल के लक्ष्य तथा उद्देश्य: भूगोल किसी क्षेत्र को उसकी समग्रता के रूप में अध्ययन करता है। इस सम्बन्ध में दो विधियां-प्रादेशिक अध्ययन तथा क्रमबद्ध अध्ययन प्रयोग की जाती हैं।

→ अन्य विषयों से सम्बन्ध: भूगोल का सम्बन्ध भू-आकृति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि से है। भौतिक तथा मानवीय भूगोल दो मुख्य विषय हैं। इनके अन्तर्गत भू-विज्ञान, जलवायु विज्ञान, मृदा विज्ञान, सामाजिक भूगोल, आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल तथा राजनीतिक भूगोल के विषय हैं।