JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में से कौन-सा भाग महासागरीय तल का सबसे अधिक क्षेत्र घेरता है?
(A) महाद्वीपीय निमग्न तट
(B) महाद्वीपीय ढाल
(C) महासागरीय मैदान
(D) गर्त।
उत्तर:
(C) महासागरीय मैदान।

2. पृथ्वी पर जलमण्डल का विस्तार लगभग कितना है?
(A)-36 करोड़ वर्ग कि०मी०
(B) 105 करोड़ वर्ग कि०मी०
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०
(D) 500 लाख वर्ग कि०मी०।
उत्तर:
(A) 36 करोड़ वर्ग कि०मी०।

3. महाद्वीपीय निमग्न तट की औसत गहराई कितनी है?
(A) 100 फैदम
(C) 300 मीटर
(B) 500 फुट
(D) 400 मीटर
उत्तर:
(A) 100 फैदम।

4. महाद्वीपीय निमग्न तट का विस्तार किस महासागर में सबसे अधिक है?
(A) अन्ध महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) हिन्द महासागर
(D) हिम महासागर।
उत्तर:
(A) अन्ध महासागर।

5. संसार में सबसे गहरा महासागरीय गर्त है
(A) प्यूरिटो रिको
(B) मेरियाना
(C) सुण्डा
(D) ऊटाकाया।
उत्तर:
(B) मेरियाना।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

6. निम्नलिखित में से कौन-सी खाई प्रशान्त महासागर में स्थित नहीं है?
(A) अल्यूशियन खाई
(B) प्यूरिटो रिको खाई
(C) मिंडानाओ खाई
(D) मेरियाना खाई।
उत्तर:
(B) प्यूरिटो रिको खाई।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा सागर अन्ध महासागर का सीमान्त सागर नहीं है?
(A) तसमान सागर
(B) उत्तरी सागर
(C) कैरेबियन सागर
(D) बाल्टिक सागर।
उत्तर:
(A) तसमान सागर।

8. एल्बेट्रोस पठार कौन-से महासागर या महाद्वीप में स्थित है:
(A) हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) अफ्रीका महाद्वीप
(D) एशिया महाद्वीप
उत्तर:
(B) प्रशान्त महासागर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरों के ताप प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:

  1. सौर विकिरण।
  2. समुद्र के रेडियो एक्टिव पदार्थ।
  3. जलवाष्प की ऊष्मा।
  4. वायुमण्डल द्वारा संवहन क्रिया।
  5. रासायनिक पदार्थों द्वारा उत्पन्न ताप।

प्रश्न 2.
सागरीय जल के तापमान का वार्षिक अन्तर किन घटकों पर निर्भर होता है?
उत्तर:

  1. विभिन्न गहराइयों पर तापमान में विभिन्नता है।
  2. ताप चालन का प्रभाव।
  3. संवहनी धाराओं का प्रभाव।
  4. जलराशियों का पार्श्व विस्थापन।

प्रश्न 3.
महासागरों में लवण का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
सागरों में नमक की विशाल मात्रा पाई जाती है। यदि सागरों के समस्त लवण को समतल धरातल पर फैला दिया जाए तो इसकी 150 मीटर मोटी पर्त बन जाएगी। समुद्र की लवणता का मुख्य स्रोत नदियां हैं जो घुले हुए पदार्थ के रूप में लवण समुद्र तट तक पहुँचाती हैं। पवनें तथा लहरें ज्वालामुखी समुद्री जल की लवणता में वृद्धि करते हैं । परन्तु इस लवणता का मुख्य स्रोत समुद्र स्वयं ही है जहां प्रारम्भ से ही लवण पदार्थ विद्यमान हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 4.
महासागरों के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर तापमान वितरण को कौन-से कारक नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
महासागरों के जल का तापमान निम्नलिखित कारकों द्वारा नियन्त्रित होता है:

  1. सूर्यातप की तीव्रता और अवधि।
  2. जल का खारापन, घनत्व तथा वाष्पीकरण।
  3. ऊष्ण तथा शीत वायु धाराओं का बहना।
  4. जल मग्न कटकों की स्थिति।
  5. समुद्र की स्थिति और आकार।

प्रश्न 5.
समुद्री जल में पाए जाने वाले पांच प्रसिद्ध लवण तथा उनकी मात्रा बताओ।
उत्तर:

  1. सोडियम क्लोराइड – 77.7 प्रतिशत
  2. मैग्नीशियम क्लोराइड – 10.9 प्रतिशत
  3. मैग्नेशियम सल्फेट – 4.7 प्रतिशत
  4. कैल्शियम सल्फेट – 3.6 प्रतिशत
  5. पोटेशियम सल्फेट – 2.5 प्रतिशत

प्रश्न 6.
महासागरीय जल की लवणता किन तत्त्वों पर प्रभाव डालती है?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. घनत्व
  3. सूर्यातप का अवशोषण
  4. वाष्पीकरण
  5. आर्द्रता
  6. मछलियों के जीवन

प्रश्न 7.
महासागरीय जल की लवणता के विभिन्न स्त्रोत बताओ।
उत्तर:

  1. नदियां
  2. महासागरीय लहरें
  3. ज्वालामुखी
  4. रासायनिक क्रियाएं
  5. महासागरों में पहले ही लवण का होना।

प्रश्न 8.
भूमध्यरेखा के निकट महासागरों में लवणता कम क्यों है?
उत्तर:

  1. सारा साल भारी वर्षा (200 सें० मी० से अधिक )
  2. सारा साल उच्च सापेक्षिक आर्द्रता (80%)
  3. मेघाच्छनन आकाश
  4. डोलड्रम क्षेत्र शांत वायु
  5. अमेजन तथा जायरे जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के स्वच्छन्द जल के कारण।

प्रश्न 9.
घिरे हुए तीन सागरों के नाम तथा लवणता बताओ।
उत्तर:

  1. ग्रेट साल्ट झील (संयुक्त राज्य) – 220 लवणता प्रति हज़ार
  2. मृत सागर ( जार्डन) – 240 लवणता प्रति हज़ार
  3. वान झील (तुर्की) – 330 लवणता प्रति हज़ार।

प्रश्न 10.
ज्वारीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वार-भाटा महासागरों में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। ज्वार भाटे के समय जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने से ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। ज्वार भाटे की गति से जैनरेटर चलाने का कार्य किया जा सकता है। सोवियत संघ, जापान तथा फ्रांस में ज्वारीय शक्ति उत्पन्न की जाती है।

प्रश्न 11.
भू-तापीय ऊर्जा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी के भूगर्भ में गर्म जल तथा ज्वालामुखियों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। गर्म पानी के झरने तथा गीजर इसके प्रमुख स्रोत हैं। भू-तापीय ऊर्जा न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य तथा मैक्सिको में उत्पन्न की जाती है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 12.
रचना के आधार पर महाद्वीपीय मग्न तट के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
तीन प्रकार: नदियों से निर्मित, हिमानीकृत, प्रवाल भित्ति निर्मित।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
महासागरीय तली को कितने मुख्य विभागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
महासागरीय तली को चार मुख्य विभागों में बांटा जाता है:

  1. महाद्वीपीय मग्न तट (Continental shelf)
  2. महाद्वीपीय ढाल (Continental slope )
  3. महासागरीय मैदान (Deep sea plain )
  4. महासागरीय गर्त (Ocean deeps)।

प्रश्न 2.
महासागरीय नितलों पर पाए जाने वाली सबसे अधिक सामान्य आकृतियों के नाम लिखो।
उत्तर:
महासागरीय तली पर महाद्वीपीय मग्न तट, महाद्वीपीय ढाल, महासागरीय मैदान तथा गर्त के अतिरिक्त निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं

  1. उद्रेख (Ridges)
  2. पहाड़ियाँ (Hills)
  3. टीले (Sea mounts)
  4. खाइयां (Trenches)
  5. palm fufaui (Coral reefs) |
  6. निमग्न द्वीप (Guyots)
  7. कैनियन ( Canyons)

प्रश्न 3.
महासागरीय खाइयों तथा गर्तों को विवर्तनिक उत्पत्ति वाला क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
महासागरों में लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्ड को महासागरीय गर्त कहा जाता है। इनकी उत्पत्ति भूतल पर दरारें पड़ने तथा मोड़ पड़ने की हलचल के कारण हुई है। ये अधिकतर उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां भूकम्प आते हैं तथा ज्वालामुखी स्थित हों। ये अधिकतर वलित पर्वतों तथा द्वीपीय चापों के समानान्तर स्थित होते हैं। इसलिए इनका सम्बन्ध भूगर्भिक हलचलों से है।

प्रश्न 4.
महाद्वीपीय मग्नतट किसे कहते हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shelf):
यह महाद्वीपों के चारों ओर मंद ढाल वाला जलमग्न धरातल है। वास्तव में यह महाद्वीपीय खंड का ही जलमग्न किनारा है जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है।

प्रश्न 5.
महासागरीय नितल की गहराई कैसे मापी जाती है?
उत्तर:
महासागरीय नितल की गहराई गम्भीरता मापी यन्त्र (Sonic Depth Recorder) से मापी जाती है। इस यन्त्र से ध्वनि तरंगें (Sound waves) महासागरीय नितल से प्रति ध्वनि (Echo) के रूप में वापस आती हैं। इनकी गति व समय से गहराई ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 6.
संसार में सबसे गहरा स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
संसार में सबसे गहरा स्थान प्रशांत महासागर में गुआम द्वीपमाला के समीप मेरिआना गर्त (Mariana Trench) है। इसकी गहराई 11022 मीटर है। यदि एवरेस्ट पर्वत को इस गर्त में डुबो दिया जाए तो इसकी चोटी समुद्री जल सतह से 2 कि०मी० नीचे रहेगी।

प्रश्न 7.
हिन्द महासागर को आधा महासागर क्यों कहते हैं?
उत्तर:
अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर उत्तर-दक्षिण दोनों ओर खुले हैं। ये भूमध्य रेखा के दोनों ओर समान रूप से फैले हुए हैं। परन्तु हिन्द महासागर उत्तर की ओर बन्द है। एशिया महाद्वीप इस के विस्तार को रोकता है। एक प्रकार से इसका विस्तार अधिकतर दक्षिण की ओर ही है। इसलिए इसे आधा महासागर कहते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 8.
जलमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल के जल से डूबे हुए भाग को जल मण्डल (Hydrosphere) कहते हैं। यह धरालत पर लगभग 361,059,000 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं जो पृथ्वी के धरातल के कुल क्षेत्र का 71% भाग है। उत्तरी गोलार्द्ध का 61% भाग तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का 81% भाग महासागरों से घिरा हुआ है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में जल का विस्तार अधिक है इसलिए इसे (Water Hemisphere) भी कहते हैं।

प्रश्न 9.
प्रति ध्रुवीय स्थिति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरती पर जल और स्थल का वितरण प्रति ध्रुवीय (Antipodal) है। महाद्वीप और महासागर एक-दूसरे के विपरीत स्थित हैं। यह संयोजन इस प्रकार है कि जल और स्थल एक-दूसरे से एक व्यास के विपरीत कोनों पर (Diametrically Opposite) स्थित हैं, जैसे आर्कटिक महासागर अण्टार्कटिक महाद्वीप के विपरीत स्थित है। यूरोप तथा अफ्रीका प्रशान्त महासागर के विपरीत स्थित हैं। उत्तरी अमेरिका हिन्द महासागर के विपरीत स्थित है।

प्रश्न 10.
गम्भीर समुद्री उद्रेख (Submarine Ridge) किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय तल पर ऊंचे उठे हुए भागों को गम्भीर उद्रेख कहते हैं। यह प्रायः 60 हज़ार किलोमीटर लम्बे और 100 किलोमीटर चौड़े हो सकते हैं। इनकी विश्वव्यापी स्थिति किसी भूमण्डलीय हलचल का संकेत देती है । प्रायः यह महासागरों के मध्य में या धरती पर पाई जाती है। इनकी रचना के कई कारण हैं:

  1. दरारों के साथ बॅसाल्ट का फैलना।
  2. संवाहिक धाराओं द्वारा भूपटल का ऊंचा उठना तथा नीचे धंसना।

प्रश्न 11.
अन्त: समुद्री कैनियन की विशेषताओं एवं निर्माण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
महासागरीय निमग्न तट तथा ढाल पर तंग, गहरी तथा ‘V’ आकार की घाटियों को कैनियन कहा जाता है। ये घाटियां विश्व के सभी तटों पर नदियों के मुहानों पर पाई जाती हैं। जैसे- हडसन, सिन्ध, गंगा, कांगो नदी । यह कैनियन नदी द्वारा अपरदन तथा सागरीय अपरदन से बनी है।

कैनियनों के प्रकार (Types of Canyons) ये घाटियां मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:

  1. वे कैनियन जो छोटे, गार्ज के रूप में महाद्वीपीय मग्न तट से शुरू होकर ढाल पर काफ़ी गहराई तक विस्तृत होते हैं। जैसे न्यू इंग्लैण्ड तट पर ओशनोग्राफर ( oceanographer) कैनियन।
  2. वे कैनियन जो नदियों के मुहानों से शुरू होकर केवल मग्न तट तक ही पाए जाते हैं। जैसे – मिसीसिपी तथा सिन्धु नदी के कैनियन। हडसन कैनियन।
  3. वे कैनियन जो तट व ढाल पर काफ़ी कटे-फटे होते हैं, जैसे- दक्षिणी कैलीफोर्निया के तट पर बेरिंग केनियन तथा जेम चुंग कैनियन।

प्रश्न 12.
मनुष्य के लिए महासागरों के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
महासागरों का महत्त्व – महासागर कई प्रकार से, प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से मनुष्य के लिए उपयोगी हैं।

  1. महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालते हैं।
  2. समुद्री धाराएं तापमान और आर्द्रता के वितरण को प्रभावित करती हैं।
  3. महासागर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थों का सुलभ तथा अनन्त भण्डार हैं।
  4. महासागर संसार के भोजन का 10% भाग मछलियों द्वारा प्रदान करते हैं।
  5. महासागरों में अनेक समुद्री जन्तु, तेल, चमड़ा, सरे आदि उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं।
  6. महासागरों में कम गहरे भागों में खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस के भण्डार प्राप्त हुए हैं।
  7. महासागर में अनेक उपयोगी खनिजों के भण्डार हैं। जैसे – मैंगनीज़, मोनोजाइट, लोहा, टिन, सोना आदि।
  8. महासागरों में ज्वार-भाटे की तरंगों से ज्वारीय शक्ति उत्पन्न की जाती है।
  9. महासागर यातायात तथा परिवहन के सब से महत्त्वपूर्ण, सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं।
  10. महासागरों से आवश्यक लाभ प्राप्त करने के लिए इन्हें प्रदूषण से मुक्त रखना आवश्यक है ।

प्रश्न 13.
मानव के लिए महासागरों के विभिन्न प्रत्यक्ष और परोक्ष उपयोग क्या-क्या हैं?
उत्तर:

  • प्रत्यक्ष उपयोग
    1. महासागर मछली जैसे खाद्य पदार्थ का असीमित भण्डार हैं।
    2. महासागर खनिजों का भण्डार हैं।
    3. महासागर यातायात तथा परिवहन मार्ग हैं।
  • अप्रत्यक्ष उपयोग
    1. महासागर जलवायु को नियन्त्रित करते हैं।
    2. महासागर ज्वारीय ऊर्जा तथा भूतापीय ऊर्जा के भण्डार हैं।

प्रश्न 14.
महासागरों को पृथ्वी पर जलवायु के महान् नियन्त्रक क्यों कहते हैं?
अथवा
महासागर जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालने के कारण प्रमुख नियन्त्रक कहे जाते हैं।

  1. महासागर धरातल पर तापमान तथा आर्द्रता पर प्रभाव डालते हैं।
  2. महासागर सौर ऊर्जा को संचय करते हैं
  3. महासागरों में ऊर्जा के अवशोषण और निष्कर्षण की विशाल क्षमता है।
  4. समुद्र तट पर तापांतर बहुत कम होता है।
  5. महासागरीय धाराएं तटीय क्षेत्रों के तापमान को सम करने में मदद करती हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 15.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महासागर कैसे वरदान सिद्ध हुए हैं?
उत्तर:
महासागर यातायात तथा परिवहन के सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक साधन हैं। महासागर सबसे सस्ता यातायात साधन हैं। महासागरों में कोई सड़कों या मार्गों का निर्माण नहीं होता । महासागर सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़कर एक अन्तर्राष्ट्रीय मार्ग की रचना करते हैं।

प्रश्न 16.
महाद्वीपीय मग्न तट तथा महाद्वीपीय ढाल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shelf) महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope)
(1) महाद्वीपों के चारों ओर जल-मग्न चबूतरों को महाद्वीपीय मग्न तट कहते हैं। (1) महाद्वीपीय मग्न तट से महासागरों की ओर के ढाल को महाद्वीपीय ढाल कहते हैं।
(2) इसकी औसत गहराई 200 मीटर (100 फैदम) होती है। (2) इसकी औसत गहराई 200 मीटर से 3000 मीटर तक होती है।
(3) समस्त महासागरों के $7.5$ प्रतिशत भाग पर इसका विस्तार है। (3) समस्त महासागरों के $8.5$ प्रतिशत भाग पर इसका विस्तार है।
(4) इसका औसत ढाल 10 से कम है। (4) इसका औसत ढाल 2° से 5° है।
(5) मछली क्षेत्रों तथा पेट्रोलियम के कारण इसका आर्थिक महत्त्व है। (5) इस पर कई समुद्री कैनियन स्थित हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
महासागरों की तली के उच्चावच के सामान्य लक्षणों का वर्णन करो।
उत्तर:
महासागरों की गहराई तथा उच्चावच में काफ़ी विभिन्नता है जिसे उच्चता दर्शी वक्र (Hypsographic Curve) से दिखाया जाता है। बनावट तथा गहराई के अनुसार सागरीय तल को चार भागों में बांटा जाता है
1. महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shelf): महाद्वीपों के चारों ओर सागरीय तट का वह भाग जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है, महाद्वीपीय चबूतरा कहलाता है। वास्तव में यह महाद्वीप का ही भाग होता है जो जलमग्न होता है। विस्तार समस्त महासागरों के 7.5 प्रतिशत भाग ( 260 लाख वर्ग किलोमीटर) पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार है। इसका सबसे अधिक विस्तार अन्धमहासागर ( 13.3%) है। इसकी औसत चौड़ाई 70 किलोमीटर तथा गहराई 72 फैदम होती है। आर्कटिक सागर के तट पर इसका विस्तार 1000 कि० मी० से भी अधिक है। पर्वत श्रेणियों वाले तटों पर संकरे महाद्वीपीय मग्न तट पाए जाते हैं। इस तट का औसत ढाल 1° कोण होता है। भारत के पूर्वी तट पर चौड़ा मग्न तट मिलता है।

मग्न तटों की उत्पत्ति – मग्न तटों के निर्माण सम्बन्धी विचार इस प्रकार हैं:

  1. कुछ विद्वानों के अनुसार मग्न तट वास्तव में स्थल का बढ़ा हुआ रूप है। समुद्र तल के ऊपर उठने से या स्थल भाग के नीचे धंस जाने से मग्न तट की रचना होती है।
  2. सागरीय अपरदन से इन चबूतरों का निर्माण होता है।
  3. नदियों, लहरों, वायु आदि द्वारा तलछट के निक्षेप से मग्न तट चबूतरों (Submarine Terrace) का निर्माण होता है।

महत्त्व:
महाद्वीपीय मग्न तट मनुष्य के लिए काफ़ी उपयोगी हैं। इन प्रदेशों में मछलियों के भण्डार हैं। यहां तेल व गैस उत्पादन होता है। यहां बजरी व बालू के विशाल भण्डार पाए जाते हैं। यहां समुद्री जीवों तथा वनस्पति की अधिकता होती है।

2. महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope ):
महाद्वीपीय मग्न तट के बाहर का ढाल जो महासागर की ओर तीव्र गति से नीचे उतरता है, महाद्वीपीय ढाल कहलाता है। वास्तव में महाद्वीप ढाल के किनारे पर ही समाप्त होते हैं। इसकी गहराई 3660 मीटर तक है। इसका कुल विस्तार 8.5% क्षेत्र (310 लाख वर्ग कि० मी०) पर है । इसका सब से अधिक विस्तार अन्धमहासागर में 12.4% क्षेत्र पर है। इसकी ढाल का औसत कोण 4° है, परन्तु स्पेन के निकट यह कोण 36° है। यह ढाल वास्तव में गहरे समुद्रों तथा महाद्वीपों के स्तर को पृथक् करती है। जहां महाद्वीपीय ढाल का अन्त होता है, वहां मन्द ढाल को महाद्वीपीय उत्थान कहते हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल 1

3. महासागरीय मैदान (Deep Sea plain ):
महाद्वीपीय ढाल के पश्चात् समुद्र में चौड़े तथा समतल क्षेत्र को महासागरीय मैदान कहते हैं। इसकी औसत गहराई 3000 से 6000 मीटर तक है। कुल महासागरों में इसका लगभग 40% विस्तार है। इसका सबसे अधिक विस्तार प्रशान्त महासागर में 80.3% है। इसे नितल मैदान (Abyssal plain) भी कहते हैं। इन मैदानों का ढाल 1/100 से भी कम होता है। इन मैदानों पर कई भू-आकृतियां पाई जाती हैं, जैसे – समुद्री उद्रेख (Ridges ) द्वीप, समुद्री टीले (Sea mounts), निमग्न द्वीप (Guyots) आदि। इन मैदानों पर स्थलज तथा उथले जल से उत्पन्न तलछट पाए जाते हैं। नितल मैदान पर जलमग्न कटक पाए जाते हैं जो महासागरों के मध्य क्षेत्र में हैं। इन कटकों की लम्बाई 75000 कि० मी० है। ये मन्द ढाल वाले चौड़े पठार के समान हैं।

4. महासागरीय गर्त (Ocean Deeps):
ये समुद्र तल पर गहरे गड्ढे होते हैं। इनका विस्तार बहुत कम होता है। कुल महासागरों के 7% भाग में महासागरीय गर्त पाए जाते हैं। लम्बे चौड़े खड्ड को गर्त (Trough) कहते हैं जबकि लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्ड को खाई (Trench) कहा जाता है। इनकी औसत गहराई 5500 मीटर है। संसार में 57 प्रसिद्ध गड्ढे हैं जिनमें अन्धमहासागर में 19, प्रशान्त महासागर में 32 तथा हिन्द महासागर में 6 हैं। संसार में सब से अधिक गहरा गर्त (Mariana Trench) प्रशान्त महासागर में है जिसकी गहराई 11022 मीटर है। इन गर्तों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

(क) ये महासागरों के किनारों पर पाये जाते हैं।
(ख) ये भूकम्पीय तथा ज्वालामुखी क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं।
(ग) ये गर्त द्वीपीय चापों के सहारे मिलते हैं।

5. अन्य विशेष आकृतियां:
महासागरों में उच्चावच में विविधता के कारण कई भू-आकृतियां, जैसे- द्वीप (Islands), उद्रेख (Ridge), अटोल (Attol), समुद्री कैनियन (Canyon ) भी पाई जाती हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 2.
महासागरों में मिलने वाले छुद्र उच्चावच्च के लक्षण बताओ।
उत्तर:
छुद्र उच्चावच्च के लक्षण (Minor Relief Features): ऊपर दिए गए महासागरीय सतह के बड़े उच्चावच्चों के अतिरिक्त कुछ छोटी लेकिन महत्त्वपूर्ण आकृतियां महासागरों के विभिन्न भागों में बहुतायत पायी जाती हैं।

1. मध्य महासागरीय कटक (Mid Oceanic Ridge ):
एक मध्य महासागरीय कटक पर्वतों के दो श्रृंखलाओं का बना होता है, जिसके बीच बहुत बड़ा गड्ढा होता है। इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखर की ऊंचाई 2,500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ समुद्र की सतह तक भी पहुंच सकती हैं, उदाहरण के लिए, आईसलैंड, जो कि मध्य अटलांटिक कटक का एक भाग है।

2. समुद्री पर्वत (Sea Mount ):
यह नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत है, जो कि समुद्री सतह से ऊपर की ओर उठा होता है, किंतु महासागरों के ऊपरी स्तर तक नहीं पहुंच पाता है। समुद्री पर्वत ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये 3,000 से 4,500 मीटर लम्बे हो सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, इम्पेरर समुद्री पर्वत, जो कि प्रशान्त महासागर में हवाई द्वीपसमूहों का विस्तार है।

3. अंत: समुद्री दरे (कैनियन) (Canyons ):
कोलोरैडो नदी के ग्रैंड कैनियन की तरह ये गहरी घाटियां होती हैं। ये कभी-कभी महादेशीय छज्जों एवं महादेशीय ढालों को एक तरफ से दूसरे तरफ काटते हुए पाए जाते हैं जो कि प्रायः बड़ी नदियों के मुहाने से विस्तृत होते हैं। विश्व का सबसे महत्त्वपूर्ण दर्रा हडसन दर्रा है।

4. निमग्न द्वीप (Guyots):
यह चपटे शिखर वाला समुद्री पर्वत है। ये लगातार हो रहे अवतलन के प्रमाणों को दर्शाते हैं, जिसके कारण धीरे-धीरे इन डूबे हुए पर्वतों का शिकर चपटा होता जाता है। प्रशान्त महासागर में अनुमानतः 10,000 से अधिक समुद्री पर्वत एवं निमग्न द्वीप उपस्थित हैं।

5. प्रवाल द्वीप (Atoll ):
ये कटिबन्धीय महासागरों में पाए जाने वाले छोटे आकार के द्वीप हैं, न जहां एक गड्ढे को चारों तरफ से मूंगे की चट्टानें रहती हैं। ये समुद्र के एक भाग हो सकते हैं या कभी-कभी ये साफ, खारे या बहुत अधिक जल को चारों तरफ से रहते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न सागरों में लवणता की मात्रा को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करो।
उत्तर:
समुद्र का जल सदा खारा होता है। सागरीय जल में औसत लवणता 35 प्रति हज़ार है। परन्तु भिन्न-भिन्न सागरों में लवणता की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। खारेपन की भिन्नता निम्नलिखित तत्त्वों पर निर्भर करती है

1. स्वच्छ जल की पूर्ति ( Supply of Fresh Water ):
स्वच्छ जल की अधिकता से सागरीय जल में लवणता कम हो जाती है। भूमध्य रेखीय खण्ड में अधिक वर्षा से सागरीय जल में कम लवणता पाई जाती है। बड़ी-बड़ी नदियों के मुहानों के निकट लवणता कम होती है। ध्रुवीय प्रदेशों में हिम के पिघलने से स्वच्छ जल प्राप्त होता रहता है जिससे लवणता कम हो जाती है।

2. वाष्पीकरण की मात्रा तथा गति (Rapidity and Amount of Evaporation ):
अधिक तापक्रम, वायु की तीव्र गति तथा शुष्कता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया अधिक होती है जिससे सागरीय जल में लवणता बढ़ जाती है। इसी कारण कर्क रेखा तथा मकर रेखा के आस-पास लवणता अधिक होती है।

3. सागरीय जल की मिश्रण क्रिया – सागरीय जल, ज्वार भाटा, लहरों तथा धाराओं के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहता रहता है, जल के इस मिश्रण से स्थानिक रूप में लवणता बढ़ जाती है या कम हो जाती है।

4. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
गर्म तथा शुष्क पवनों के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है। उच्च वायु दबाव पेटियों में नीचे उतरती पवनों के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है जो लवणता में वृद्धि कर देता है।

5. धारायें (Currents):
धाराएं खुले सागरों में एक भाग से दूसरे भाग तक जल ले जाती हैं। गर्म धाराएं लवणता को बढ़ा देती हैं तथा ठण्डी धाराएं लवणता को कम करती हैं। इस प्रकार महासागरों में तापमान, घनत्व तथा लवणता में सम्बन्ध है। तापमान तथा घनत्व में परिवर्तन से लवणता में परिवर्तन होता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 4.
महासागरों में तापमान के वितरण को नियन्त्रित करने वाले घटकों का वर्णन करो।
उत्तर:
सागरीय जल ताप का एक उत्तम संचालक है। इसी कारण जल, स्थल की अपेक्षा देर से गर्म होता है तथा देर से ठण्डा होता है। सागरीय जल का तापमान सभी स्थानों पर एक समान नहीं होता। सागरीय जल के तापमान का वितरण निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करता है:

1. भूमध्य रेखा से दूरी:
सागरीय जल की ऊपरी सतह का तापमान अक्षांश के साथ हटता रहता है। भूमध्य रेखा पर यह तापमान 27° C के लगभग रहता है। 40° अक्षांश पर सागरीय जल का तापमान 14° C पाया जाता है तथा 70° अक्षांश पर 5°C। शून्य डिग्री सेल्सियस समताप रेखा ध्रुवीय क्षेत्रों के गिर्द वृत्त बनाती है। प्रति 1° अक्षांश पर 0.5°C तापमान घटता है।

2. प्रचलित पवनें:
स्थायी पवनें समुद्र जल की ऊपरी परत को हटाती रहती हैं तथा नीचे से ठण्डा जल आ जाता है। इस उत्स्रवण (Up welling of Water) की क्रिया से तापमान कम हो जाता है। इसके विपरीत समुद्र से स्थल की ओर आने वाली पवनें गर्म जल इकट्ठा कर के तापमान को बढ़ा देती हैं।

3. महासागरीय धाराएं:
महासागरीय धाराएं तापमान में समानता लाने का प्रयत्न करती हैं। गर्म धाराएं ठण्डे प्रदेशों में तापमान को बढ़ा देती हैं। उष्ण गल्फस्ट्रीम के कारण ही पश्चिमी यूरोप में तापमान 5° C से अधिक रहता है। इसके विपरीत ठण्डी धाराएं तापमान को ओर भी कम कर देती हैं, ठण्डी लेब्रेडोर धारा के कारण न्यूफाउण्डलैण्ड के निकट तापमान 2° C से कम होता है।

4. लवण में भिन्नता:
अधिक लवण वाले जल का तापमान ऊंचा होता है क्योंकि वह अधिक गर्मी ग्रहण कर सकता है।

5. स्थल खण्डों की स्थिति:
उष्ण कटिबन्ध में स्थल के घिरे हुए सागरों का तापमान अधिक होता है परन्तु शीत कटिबन्ध में कम होता है।

6. समुद्र की गहराई:
समुद्र की गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान कम होता है। ऊपरी सतह से लेकर 1800 मीटर की गहराई तक सागरीय जल का तापमान 15° C से घट कर 2° C रह जाता है। 1800 से 4000 मीटर की गहराई तक यह तापमान 2°C से घट कर 1.6° C रह जाता है

7. अंत: समुद्री रोधिकाएं (Submarine Ridges):
कम गहरे भागों में पानी के नीचे रोधिकाएं तापमान में अन्तर डालती हैं।

प्रश्न 5.
सागरीय जल की लवणता से क्या अभिप्राय है? संसार के विभिन्न सागरों में लवणता का वितरण बताइये।
उत्तर:
समुद्र जल में पाये जाने वाले समस्त लवणों का योग समुद्र की लवणता कहलाता है। समस्त घुले हुए लवण एक निश्चित अनुपात में पाये जाते हैं परन्तु विभिन्न स्थानों पर विभिन्न मात्रा में मिलते हैं। महासागरीय लवणता उस अनुपात को कहते हैं जो घुले हुए लवणों की मात्रा और समुद्र जल की मात्रा में होता है। इस लवणता को प्रति हज़ार भागों में प्रकट किया जाता है। समुद्र जल की औसत लवणता प्रति हज़ार ग्राम जल में पैंतीस ग्राम लवण पदार्थ है तथा इसे 35 प्रति हज़ार लिखा जाता है। लवणता का वितरण: कई भौगोलिक तत्त्वों के कारण विभिन्न सागरों में लवणता की मात्रा में अन्तर पाया जाता है।

(क) खुले महासागरों में लवणता (Salinity in Open Seas)
1. भूमध्य रेखा के आस-पास के क्षेत्र (Near the Equator):
इन सागरों में औसत लवणता कम (लगभग 34 प्रति हज़ार ) होती है। ( 33% से 37% ) कारण:

  • अधिक वर्षा
  • अधिक मेघाच्छादन
  • अमेजन तथा कांगो जैसी बड़ी-बड़ी नदियों से विशाल स्वच्छ जल की प्राप्ति।

2. कर्क व मकर रेखा के निकट (Near the Tropics): यहां पर लवणता की मात्रा सबसे अधिक (36 प्रति हज़ार ) पाई जाती है।
कारण:

  1. अधिक वाष्पीकरण
  2. स्वच्छ आकार तथा शुष्क वायु
  3. कम वर्षा
  4. बड़ी नदियों का अभाव। गर्म – शुष्क प्रदेशों में यह 70% है।

3. ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Areas): इन क्षेत्रों में लवणता की मात्रा 20 से 30 प्रति हज़ार होती है।
कारण:

  1. कम ताप के कारण वाष्पीकरण का कम होना।
  2. पश्चिमी पवनों द्वारा अधिक वर्षा का होना।
  3. बर्फ़ के पिघलने से स्वच्छ जल की प्राप्ति। आर्कटिक महासागर में यह 0-30% है। उत्तरी सागर में गर्म धारा के कारण अधिक है।

(ख) घिरे हुए समुद्रों में लवणता (Salinity in Enclosed Seas):

इन सागरों में लवणता की मात्रा में काफ़ी अन्तर पाया जाता है, जैसे:

  1. भूमध्य सागर में जिब्रालटर के समीप खारेपन की मात्रा 37 प्रति हज़ार से 39 प्रति हज़ार है। अधिक लवणता शुष्क – ग्रीष्म ऋतु, अधिक वाष्पीकरण तथा नदियों के अभाव के कारण है।
  2. लाल सागर 40 प्रति हज़ार, खाड़ी स्वेज 41 प्रति हज़ार, खाड़ी फारस में 38 प्रति हज़ार लवणता की मात्रा पाई जाती है।
  3. काला सागर में 18 प्रति हज़ार तथा एजोव सागर में 17 प्रति हज़ार लवणता पाई जाती है। बाल्टिक सागर में केवल 11 प्रति हज़ार लवणता पाई जाती है। यहां वाष्पीकरण कम है। बड़ी-बड़ी नदियों से स्वच्छ जल प्राप्त होता है हिम के पिघलने से भी अधिक जल की प्राप्ति होती है।

( ग ) झीलें तथा आन्तरिक सागर (Lake and Inland Seas ):
झीलों तथा आन्तरिक सागरों में लवणता की मात्रा इनमें गिरने वाली नदियों, वाष्पीकरण तथा स्थिति के कारण भिन्न- भिन्न होती है। झीलों में नदियों के गिरने से स्वच्छ जल अधिक हो जाता है तथा लवणता कम होती है। नदियों की कमी वाष्पीकरण अधिक होता है तथा लवणता अधिक होती है। कैस्पियन सागर के उत्तरी भाग में लवणता 14 प्रति हज़ार है परन्तु दक्षिणी भाग में लवणता 170 प्रति हज़ार है। संयुक्त राज्य अमेरिका की साल्ट झील में लवणता 220 प्रति हज़ार है । जार्डन में मृत सागर (Dead Sea) में लवणता 240 प्रति हज़ार है। तुर्की की वैन झील (Van Lake) में लवणता 330 प्रति हज़ार है। यहां अधिक लवणता अधिक वाष्पीकरण तथा नदियों की कमी के कारण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 6.
महासागरों के महत्त्व का वर्णन करते हुए स्पष्ट करो कि महासागर भविष्य के भण्डार हैं।
उत्तर:
महासागरों का महत्त्व (Importance of Oceans):
महासागरों का प्रभाव तटीय प्रदेश के लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। परन्तु परोक्ष रूप से महासागर मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं, महासागर जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालते हैं, सागरीय धाराएं तापमान तथा आर्द्रता के वितरण को प्रभावित करती हैं। महासागरों में ज्वार-भाटे की तरंगों से ज्वरीय शक्ति उत्पन्न की जा सकती है। महासागर यातायात तथा परिवहन के सबसे महत्त्वपूर्ण, सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं। महासागर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थों के स्रोत हैं।

इसलिए इन्हें ‘ भविष्य का भण्डार’ (Future Store-house) भी कहा जाता है।
1. महासागर तथा खाद्य संसाधन (Oceans and Food Resources ):
आदि मानव अपने भोजन की पूर्ति के लिए महासागरों पर निर्भर करता था आज भी महासागर खाद्य पदार्थों के अनन्त भण्डार हैं। संसार के अनेक क्षेत्रों में मानव भोजन के लिए मछली पर निर्भर है। मछली भोजन के कुल प्रोटीन का 10% भाग प्रदान करती है। पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पूर्वी अमेरिका, जापान आदि देशों में मछली क्षेत्रों का आधुनिक स्तर पर विकास हुआ है। कई प्रकार के शैवालों से भी खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं। निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन प्रदान करने का सब से महत्त्वपूर्ण साधन भविष्य में महासागरों के मछली क्षेत्र ही होंगे।

2. महासागर तथा उपयोगी पदार्थ ( Oceans and Useful Materials):
महासागरों से अनेक उपयोगी पदार्थ मिलते हैं जो वनस्पति तथा जीवों से प्राप्त होते हैं। अनेक समुद्री जन्तु, तेल, रोएं, चमड़ा, सरेस, पशुओं के लिए चारे की वस्तुएं प्रदान करते हैं। कुछ समुद्री पौधों तथा जन्तुओं का प्रयोग दवाइयों के बनाने में भी किया जाता है। इस प्रकार महासागरों से अनेक पदार्थ सुलभ हैं। भविष्य में मानव को कई पदार्थों के लिए महासागरों पर आश्रित रहना पड़ेगा।

3. महासागर तथा खनिज संसाधन (Oceans and Mineral Resources):
महासागर अनेक उपयोगी धात्विक तथा अधात्विक खनिजों के भण्डार हैं। ये खनिज घोल तथा निलम्बित कणों के रूप में मिलते हैं। समुद्रों के खारे जल में नमक सब से महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। अन्य पदार्थों में मैंगनीज, गंधक, ब्रोमीन, जिर्कन, मोनोजाइट, सोना, लोहा, बालू, बजरी महत्त्वपूर्ण हैं। महासागरों में कुछ खनिज पदार्थों का पुनः निर्माण होता रहता है जो भविष्य में मानव के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

4. महासागर तथा खनिज तेल (Oceans and Petroleum ):
आधुनिक समय में महासागरों से खनिज तेल का प्राप्त होना सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। खनिज तेल मुख्यतः कम गहरे निमग्न चबूतरों में पाया जाता है। एक अनुमान के अनुसार संसार के खनिज तेल के भण्डार का 20% भाग महासागरीय नितल पर है। इस समय 75 से अधिक देशों में तट से दूर कम गहरे भागों में (Offshore Areas) में तेल निकाला जा रहा है। इन क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस के भी भण्डार प्राप्त हुए हैं। ‘बम्बई हाई’ (Bombay High) भी ऐसा ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जो सागरीय तट से 150 किलोमीटर दूर स्थित है। अनुमान है कि तेल के भण्डार उत्तरी सागर, मैक्सिको की खाड़ी, वेन्जुएला तट तथा हिन्द महासागर में मौजूद हैं। भविष्य में खनिज तेल के भण्डार अधिक-से-अधिक 50 वर्षों तक पर्याप्त होंगे। अधिक खपत के कारण ये समाप्त हो जाएंगे। भविष्य में मानव को खनिज तेल के लिए महासागरों में खोज करनी पड़ेगी।

5. महासागर तथा ऊर्जा (Oceans and Energy):
आधुनिक खोज द्वारा महासागरीय जल से ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न साधन खोज निकाले गए हैं। ज्वार भाटे के जल से ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Power) प्राप्त की जाती है । सोवियत रूस, जापान तथा फ्रांस में ज्वारीय शक्ति उत्पन्न करने के कुछ केन्द्र हैं। महासागरों के ज्वालामुखियों के क्षेत्रों में भू- तापीय ऊर्जा (Geo-thermal Energy ) प्राप्त की जा रही है। बैल्जियम तथा क्यूबा में महासागरीय जल में तापांतर की सहायता से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। इस प्रकार भविष्य में ऊर्जा संकट उत्पन्न होने से महासागर ऊर्जा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होंगे।

6. महासागर तथा परिवहन साधन (Oceans and Means of Transportation ):
महासागर यातायात के प्राचीनतम, सबसे सस्ते तथा प्राकृतिक साधन हैं। संसार का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत हद तक समुद्री मार्गों पर निर्भर करता है। भविष्य में खनिज तेल व कोयले की कमी के समय मानव को महासागरीय परिवहन पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा।

Leave a Comment