JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 सामाजिक न्याय

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 सामाजिक न्याय Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 सामाजिक न्याय

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में कौनसा कथन असत्य है।
(अ) न्याय मिलने में देरी न्याय मिलने के समान होता है।
(ब) भारत में स्त्रियों और पुरुषों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की व्यवस्था की गई है।
(स) प्राचीन भारत समाज में न्याय धर्म के साथ जुड़ा था।
(द) कनफ्यूशियस का तर्क था कि गलत करने वालों को दंडित कर और भले लोगों को पुरस्कृत कर राजा को न्याय कायम रखना चाहिए।
उत्तर:
(अ) न्याय मिलने में देरी न्याय मिलने के समान होता है।

2. न्याय का अर्थ है।
(अ) अपने मित्रों के साथ भलाई करना
(ब) अपने दुश्मनों का नुकसान करना
(स) अपने हितों को साधना
(द) सभी लोगों की भलाई सुनिश्चित करना।
उत्तर:
(द) सभी लोगों की भलाई सुनिश्चित करना।

3. ‘न्याय का सिद्धान्त’ पुस्तक के लेखक हैं।
(अ) डायसी
(ब) आस्टिन
(स) जॉन रॉल्स
(द) प्लेटो।
उत्तर:
(स) जॉन रॉल्स

4. निम्न में से किसमें न्याय का समकक्षों के साथ समान बरताव का सिद्धान्त लागू हुआ है।
(अ) एक स्कूल में पुरुष शिक्षक को महिला शिक्षक से अधिक वेतन मिलता है।
(ब) पत्थर तोड़ने के किसी काम में सभी जातियों के लोगों को समान पारिश्रमिक दिया गया है।
(स) छात्रों को उनकी पुस्तिकाओं की गुणवत्ता के आधार पर अंक दिये गये।
(द) विकलांग लोगों को नौकरियों में प्रवेश के लिए आरक्षण दिया गया।
उत्तर:
(ब) पत्थर तोड़ने के किसी काम में सभी जातियों के लोगों को समान पारिश्रमिक दिया गया है।

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5. विभिन्न राज्य सरकारों ने भूमि सुधार लागू करने जैसे कदम उठाये हैं।
(अ) लोगों के साथ समाज के कानूनों और नीतियों के संदर्भ में समान बरताव करने के लिए।
(ब) जमीन जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन के अधिक न्यायपूर्ण वितरण के लिए।
(स) सबको समान भूमि वितरण के लिए।
(द) बंजर पड़ी भूमि के वितरण के लिए।
उत्तर:
(ब) जमीन जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन के अधिक न्यायपूर्ण वितरण के लिए।

6. न्याय के ‘अज्ञानता के आवरण’ के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
(अ) सुकरात
(ब) प्लेटो ने
(स) कांट ने
(द) रॉल्स ने।
उत्तर:
(द) रॉल्स ने।

7. ” न्यायपूर्ण समाज वह है, जिसमें परस्पर सम्मान की बढ़ती हुई भावना और अपमान की घटती हुई भावना मिलकर एक करुणा से भरे समाज का निर्माण करे।” यह कथन है।
(अ) डॉ. भीमराव अंबेडकर का
(स) प्लेटो का
(ब) जे. एस. मिल का
(द) रॉल्स का।
उत्तर:
(अ) डॉ. भीमराव अंबेडकर का

8. न्याय के सम्बन्ध में न्यायोचित वितरण का सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया है।
(अ) जे. एस. मिल द्वारा
(ब) बेंथम द्वारा
(स) जॉन रॉल्स द्वारा
(द) प्लेटो द्वारा।
उत्तर:
(स) जॉन रॉल्स द्वारा

9. न्याय पर लिखी गई प्लेटो की पुस्तक का नाम है।
(अ) पॉलिटिक्स
(ब) रिपब्लिक
(स) सामाजिक समझौता
(द) न्याय का सिद्धान्त।
उत्तर:
(ब) रिपब्लिक

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10. सामाजिक न्याय का वर्णन भारतीय संविधान में कहाँ किया गया हैं?
(अ) राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों में
(स) मौलिक अधिकारों में
(ब) प्रस्तावना में
(द) सर्वोच्च न्यायालय में।
उत्तर:
(ब) प्रस्तावना में

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. प्राचीन भारतीय समाज में न्याय …………….. के साथ जुड़ा था।
उत्तर:
धर्म

2. प्लेटो के अनुसार न्याय में हर व्यक्ति को उसका ………………… देना शामिल है।
उत्तर:
वाजिब हिस्सा

3. कांट के अनुसार, अगर सभी व्यक्तियों की गरिमा स्वीकृत है, तो उनमें से हर एक का …………………. यह होगा कि उन्हें अपनी प्रतिभा के विकास और लक्ष्य की पूर्ति के लिए अवसर प्राप्त हो ।
उत्तर:
प्राप्य

4. समाज में न्याय के लिए समान बरताव के सिद्धान्त का …………………. के सिद्धान्त के साथ संतुलन बिठाने की जरूरत है।
उत्तर:
समानुपातिकता

5. जो लोग कुछ महत्त्वपूर्ण संदर्भों में समान नहीं हैं, उनके साथ …………………. से बरताव किया जाये।
उत्तर:
भिन्न ढंग।

निम्नलिखित में से सत्य/ असत्य कथन छाँटिये

1. योग्यता के पुरस्कृत करने को न्याय का प्रमुख सिद्धान्त मानने पर जोर देने का अर्थ यह होगा कि हाशिये पर खड़े तबके कई क्षेत्रों में वंचित रह जायेंगे।
उत्तर:
सत्य

2. सामाजिक न्याय का सरोकार वस्तुओं और सेवाओं के न्यायोचित वितरण से नहीं है।
उत्तर:
असत्य

3. रॉल्स का न्याय सिद्धान्त ‘अज्ञानता के आवरण में सोचना’ है।
उत्तर:
सत्य

4. न्याय के लिए लोगों के रहन-सहन के तौर-तरीकों में पूर्ण समानता और एकरूपता की आवश्यकता है।
उत्तर:
असत्य

5. मुक्त बाजार के सभी समर्थक आज पूर्णतया अप्रतिबंधित बाजार का समर्थन करते हैं।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. रिपब्लिक (अ) प्राचीन भारतीय समाज
2. न्याय धर्म के साथ जुड़ा था (ब) चीन के दार्शनिक
3. इमैनुएल कांट (स) न्यायोचित वितरण का सिद्धान्त
4. कन्फ्यूशस (द) एक जर्मन दार्शनिक
5. जॉन रॉल्स (य) प्लेटो

उत्तर:

1. रिपब्लिक (य) प्लेटो
2. न्याय धर्म के साथ जुड़ा था (अ) प्राचीन भारतीय समाज
3. इमैनुएल कांट (द) एक जर्मन दार्शनिक
4. कन्फ्यूशस (ब) चीन के दार्शनिक
5. जॉन रॉल्स (स) न्यायोचित वितरण का सिद्धान्त

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सही मिलान करें

(क) प्लेटो (i) भारतीय संविधान के निर्माताओं में महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
(ख) डॉ. भीमराव अम्बेडकर (ii) द रिपब्लिक का लेखक
(ग) मुक्त बाजार नीति (iii) सुप्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक
(घ) जॉन रॉल्स (iv) राज्य के हस्तक्षेप की विरोधी

उत्तर:

(क) प्लेटो (ii) द रिपब्लिक का लेखक
(ख) डॉ. भीमराव अम्बेडकर (i) भारतीय संविधान के निर्माताओं में महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
(ग) मुक्त बाजार नीति (iv) राज्य के हस्तक्षेप की विरोधी
(घ) जॉन रॉल्स (iii) सुप्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक

प्रश्न 2.
प्लेटो के अनुसार न्याय क्या है?
उत्तर:
प्लेटो के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसका प्राप्य मिल जाये, यही न्याय है।

प्रश्न 3.
सुकरात ने न्यायसंगत होना क्यों आवश्यक बताया है?
उत्तर:
सुकरात ने न्यायसंगत होना इसलिए आवश्यक बताया क्योंकि न्याय में सभी की भलाई निहित रहती है।

प्रश्न 4.
सामाजिक न्याय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक न्याय से अभिप्राय है कि वस्तुओं और सेवाओं का न्यायोचित वितरण हो।

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प्रश्न 5.
प्लेटो ने न्याय सम्बन्धी विचार किस पुस्तक में व्यक्त किये हैं?
उत्तर:
‘द रिपब्लिक’ में।

प्रश्न 6.
भारत में संविधान में सामाजिक न्याय का उल्लेख कहाँ किया गया है?
उत्तर:
प्रस्तावना में।

प्रश्न 7.
न्याय की देवी की प्रतिमा में उसकी आँखों पर बँधी पट्टी किस बात का संकेत करती है?
उत्तर:
उसके निष्पक्ष रहने का संकेत करती है।

प्रश्न 8.
सामाजिक न्याय में किस पर बल दिया जाता है?
उत्तर:
अन्याय के उन्मूलन पर।

प्रश्न 9.
अन्यायपूर्ण समाज की कोई एक विशेषता बताइये।
उत्तर:
वह समाज जहाँ वंचितों को अपनी स्थिति सुधारने का कोई मौका न मिले, अन्यायपूर्ण समाज कहलाता है।

प्रश्न 10.
‘अज्ञानता के आवरण’ वाली स्थिति की एक विशेषता लिखिये।
उत्तर:
इसमें लोगों से सामान्य रूप से विवेकशील बने रहने की उम्मीद बँधती है।

प्रश्न 11.
एक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए सरकार की क्या जिम्मेदारी बन जाती है?
उत्तर:
एक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए सरकार को न्याय के विभिन्न सिद्धान्तों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की जिम्मेदारी बन जाती है।

प्रश्न 12.
न्याय के सम्बन्ध में चीन के दार्शनिक कन्फ्यूशियस का क्या तर्क था?
उत्तर:
कन्फ्यूशियस के अनुसार गलत करने वालों को दण्डित करना और भले लोगों को पुरस्कृत करना ही न्याय

प्रश्न 13.
एक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए सरकार की क्या जिम्मेदारी बन जाती है?
उत्तर:
एक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए सरकार को न्याय के विभिन्न सिद्धान्तों में सामंजस्य स्थापित करने की जिम्मेदारी बन जाती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्लाउकॉन और एडीमंटस के अनुसार अन्यायी लोग न्यायी लोगों से किस प्रकार बेहतर स्थिति में हैं?
उत्तर:
ग्लाउकॉन के अनुसार, अन्यायी लोग अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए कानून तोड़ते-मरोड़ते हैं, कर चुकाने से कतराते हैं, झूठ और धोखाधड़ी का सहारा लेते हैं। इसलिए वे न्याय के रास्ते पर चलने वाले लोगों से ज्यादा सफल होते हैं।

प्रश्न 2.
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य कैसे दिया जाये? इस सम्बन्ध में कौन-कौन से सिद्धान्त पेश किये गये
उत्तर:
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य कैसे दिया जाये, इस सम्बन्ध में तीन सिद्धान्त पेश किये गये हैं। ये हैं-

  1. समान लोगों के साथ समान बरताव का सिद्धान्त
  2. समानुपातिक न्याय का सिद्धान्त और
  3. विशेष जरूरतों के विशेष ख्याल का सिद्धान्त।

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प्रश्न 3.
यदि समाज में गंभीर सामाजिक या आर्थिक असमानताएँ हैं तो सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए क्या और क्यों जरूरी होगा?
उत्तर:
यदि समाज में गंभीर सामाजिक या आर्थिक असमानताएँ हैं तो यह जरूरी होगा कि समाज के कुछ प्रमुख संसाधनों का पुनर्वितरण हो, जिससे नागरिकों को जीने के लिए समान धरातल मिल सके।

प्रश्न 4.
राज्य को समाज के सबसे वंचित सदस्यों की मदद के तीन तरीके बताइये।
उत्तर:

  1. खुली प्रतियोगिता को बढ़ावा देना तथा समाज के सुविधा प्राप्त सदस्यों को हानि पहुँचाये बिना सुविधाहीनों की मदद करना।
  2. सरकार द्वारा गरीबों को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराना।
  3. वंचितों के लिए आरक्षण की नीति लागू करना।

प्रश्न 5.
मुक्त बाजार व्यवस्था के कोई दोष लिखिये।
उत्तर:

  1. मुक्त बाजार व्यवस्था में बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं की कीमत गरीब लोगों की पहुँच से प्राय: दूर हो जाती है।
  2. मुक्त बाजार पहले से ही सुविधासम्पन्न लोगों के पक्ष में काम करने का रुझान दिखलाते हैं।

प्रश्न 6.
प्लेटो के अनुसार हमारा दीर्घकालीन हित कानून का पालन करने एवं न्यायी बनने में क्यों है? प्लेटो के अनुसार यदि हर कोई अन्यायी हो जाए, यदि हर आदमी अपने स्वार्थ के लिए कानून के साथ खिलवाड़ करे, तो किसी के लिए भी अन्याय से लाभ पाने की गारंटी नहीं रहेगी, कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा और इससे संभव है कि सबको नुकसान पहुँचे। इसलिए हमारा दीर्घकालीन हित इसी में है कि हम कानून का पालन करें और न्यायी बनें।

प्रश्न 7.
प्लेटो के अनुसार न्याय का गुण क्या है?
उत्तर:
प्लेटो के अनुसार न्याय में सभी लोगों की भलाई निहित रहती है। न्याय में कुछ लोगों के लिए हित और कुछ लोगों के लिए अहित की भावना नहीं होती, बल्कि उसमें सबका हित निहित होता है। इसलिए जो स्थिति या कानून या नियम सबके लिए हितकारी है, वही न्याय है।

प्रश्न 8.
सबका हित कैसे सुनिश्चित किया जाये?
अथवा
सबकी भलाई की सुनिश्चितता के लिए क्या किया जाना आवश्यक है?
उत्तर:
जनता या सबकी भलाई की सुनिश्चितता में हर व्यक्ति को उसका वाजिब हिस्सा देना शामिल है। इस अर्थ में न्याय वह है जिसमें हर व्यक्ति को उसका वाजिब हिस्सा प्राप्त हो।

प्रश्न 9.
हर व्यक्ति का प्राप्य क्या है?
उत्तर:
कांट के अनुसार, हर मनुष्य की गरिमा होती है। अगर सभी व्यक्तियों की गरिमा स्वीकृत है तो उनमें से हर व्यक्ति का प्राप्य यह होगा कि उन्हें अपनी प्रतिभा के विकास और लक्ष्य की पूर्ति के लिए अवसर प्राप्त हों।

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प्रश्न 10.
मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थन में तीन तर्क दीजिये।
उत्तर:

  1. मुक्त बाजार व्यवस्था से योग्यता और प्रतिभा के अनुसार प्रतिफल मिलेगा।
  2. मुक्त बाजार व्यवस्था स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आदि बुनियादी सेवाओं का सबसे कारगर तरीका है।
  3. मुक्त बाजार उचित और न्यायपूर्ण समाज का आधार होता है क्योंकि उसका सरोकार प्रतिभा और कौशल से होता है।

प्रश्न 11.
न्याय के सम्बन्ध में चीन के दार्शनिक कनफ्यूशियस का क्या तर्क था?
उत्तर:
न्याय के सम्बन्ध में चीन के दार्शनिक कनफ्यूशियस का तर्क था कि गलत करने वालों को दण्डित कर और भले लोगों को पुरस्कृत कर राजा को न्याय कायम करना चाहिए।

प्रश्न 12.
सरकारें न्याय के तीनों सिद्धान्तों के बीच सामञ्जस्य बिठाने में क्या कठिनाई महसूस करती हैं? उत्तर-सरकारें कभी-कभी न्याय के तीनों सिद्धान्तों के बीच सामञ्जस्य बिठाने में निम्न कठिनाई महसूस करती

  1. समकक्षों के बीच समान बरताव के सिद्धान्त पर अमल कभी-कभी योग्यता को उचित प्रतिफल देने के खिलाफ खड़ा हो जाता है।
  2. योग्यता को पुरस्कृत करने को न्याय का प्रमुख सिद्धान्त मानने पर जोर देने का अर्थ यह होगा कि हाशिये पर खड़े तबके कई क्षेत्रों में वंचित रह जायेंगे। ऐसी स्थिति में सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह एक न्यायपरक समाज को बढ़ावा देने के लिए न्याय के विभिन्न सिद्धान्तों के बीच सामञ्जस्य स्थापित करे।

प्रश्न 13.
सामाजिक न्याय को परिभाषित कीजिये।
अथवा
सामाजिक न्याय का अर्थ बताइये।
उत्तर:
सामाजिक न्याय से यह अभिप्राय है कि कानून और नीतियाँ सभी व्यक्तियों पर निष्पक्ष रूप से लागू हों तथा वस्तुओं और सेवाओं का न्यायोचित वितरण भी हो।

प्रश्न 14.
क्या यह न्यायोचित है? हरियाणा की एक पंचायत ने निर्णय दिया कि अलग-अलग जातियों के जिस लड़के और लड़की ने शादी कर ली थी, वे अब गाँव में नहीं रहेंगे।
उत्तर:
नहीं, यह न्यायोचित नहीं है क्योंकि यह निर्णय शादी करने वाले सभी व्यक्तियों पर निष्पक्ष रूप से लागू नहीं किया गया है तथा यह कानून सम्मत नहीं है।

प्रश्न 15.
सामाजिक न्याय के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक न्याय के प्रमुख लक्षण ये हैं।

  1. समान लोगों के प्रति समान बरताव: सामाजिक न्याय का पहला लक्षण यह है कि समकक्षों के साथ समान व्यवहार किया जाये, उनमें वर्ग, जाति, नस्ल या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाये।
  2. समानुपातिक न्याय: सामाजिक न्याय का दूसरा लक्षण समानुपातिक न्याय का है अर्थात् लोगों को उनके प्रयास के पैमाने पर अर्हता के अनुपात में पुरस्कृत किया जाये।
  3. विशेष जरूरतों का विशेष ख्याल का सिद्धान्त: सामाजिक न्याय का तीसरा लक्षण लोगों की विशेष जरूरतों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

प्रश्न 16.
“सामाजिक न्याय का सरोकार वस्तुओं और सेवाओं के न्यायोचित वितरण से भी है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
न्यायपूर्ण वितरण समाज में सामाजिक न्याय पाने के लिए सरकारों को यह सुनिश्चित करना होता है कि कानून और नीतियाँ सभी व्यक्तियों पर निष्पक्ष रूप से लागू हों। लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। क्योंकि सामाजिक न्याय का सरोकार वस्तुओं और सेवाओं के न्यायोचित वितरण से भी है; चाहे वह राष्ट्रों के बीच वितरण का मामला हो या किसी समाज के अन्दर विभिन्न समूहों और व्यक्तियों के बीच का।

इसका अभिप्राय यह है कि यदि समाज में गंभीर सामाजिक या आर्थिक विषमताएँ हैं, तो यह जरूरी होगा कि समाज के कुछ प्रमुख संसाधनों का पुनर्वितरण हो, जिससे नागरिकों को जीने के लिए समतल धरातल मिल सके ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने उद्देश्यों के लिए प्रयास कर सके और स्वयं को अभिव्यक्त कर सके। भारत में विभिन्न राज्य सरकारों ने जमीन जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन के अधिक न्यायपूर्ण वितरण के लिए ही भूमि सुधार लागू करने जैसे कदम उठाये हैं।

प्रश्न 17.
हम किस तरह के समाज को अन्यायपूर्ण कहेंगे?
उत्तर:
हम उस समाज को अन्यायपूर्ण कहेंगे, जहाँ धनी और गरीब के बीच खाई इतनी गहरी हो कि वे बिल्कुल भिन्न-भिन्न दुनिया में रहने वाले लगें और जहाँ अपेक्षाकृत वंचितों को अपनी स्थिति सुधारने का कोई मौका न मिले, चाहे वे कितना ही कठिन श्रम क्यों न करें। दूसरे शब्दों में यदि किसी समाज में बेहिसाब धन-दौलत और इसके स्वामित्व के साथ जुड़ी सत्ता का उपभोग करने वालों तथा बहिष्कृतों और वंचितों के बीच गहरा और स्थायी विभाजन मौजूद हो, तो हम उस समाज को अन्यायपूर्ण समाज कहेंगे।

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प्रश्न 18.
न्यायपूर्ण समाज के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
न्यायपूर्ण समाज: न्यायपूर्ण समाज को लोगों के लिए न्यूनतम बुनियादी स्थितियाँ जरूर उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि वे स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जीने में सक्षम हो सकें; समाज में अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें तथा इसके साथ ही समान अवसरों के जरिये अपने चुने हुए लक्ष्य की ओर बढ़ सकें।

प्रश्न 19.
समान लोगों के प्रति समान व्यवहार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
समान लोगों के साथ समान व्यवहार का अर्थ है कि मनुष्य होने के नाते सभी व्यक्तियों में कुछ समान चारित्रिक विशेषताएँ होती हैं। इसीलिए वे समान अधिकार और समान व्यवहार के अधिकारी हैं। इसी दृष्टि से आज अधिकांश उदारवादी लोकतंत्रों में जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकारों के साथ समाज के अन्य सदस्यों के साथ समान अवसरों के उपभोग करने का सामाजिक अधिकार और मताधिकार जैसे राजनैतिक अधिकार दिये जाते हैं। समान लोगों के प्रति समान व्यवहार के सिद्धान्त के लिए यह भी आवश्यक है कि लोगों के साथ वर्ग, जाति, नस्ल या लिंग के आधार पर भेदभाव न किया जाये। उन्हें उनके काम और कार्यकलापों के आधार पर जाँचा जाना चाहिए, इस आधार पर नहीं कि वे किस समुदाय के सदस्य हैं।

प्रश्न 20.
रॉल्स के न्याय सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
रॉल्स का तर्क है कि निष्पक्ष और न्यायसंगत नियम तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता यही है कि हम स्वयं को ऐसी परिस्थिति में होने की कल्पना करें जहाँ हमें निर्णय लेना है कि समाज को कैसे संगठित किया जाये। जबकि हमें यह ज्ञात नहीं है कि उस समाज में हमारी जगह क्या होगी? अर्थात् हम नहीं जानते कि किस किस्म के परिवार में हम जन्म लेंगे; हम उच्च जाति के परिवार में पैदा होंगे या निम्न जाति में; धनी होंगे या गरीब, सुविधा सम्पन्न होंगे या सुविधाहीन?

अगर हमें यह नहीं मालुम हो कि हम कौन होंगे और भविष्य के समाज में हमारे लिए कौनसे विकल्प खुले होंगे, तब हम भविष्य के उस समाज के नियमों और संगठन के बारे में जिस निर्णय का समर्थन करेंगे, वह तमाम सदस्यों के लिए अच्छा होगा। रॉल्स ने इसे ‘अज्ञानता के आवरण’ में सोचना कहा है। अज्ञानता के आवरण वाली स्थिति में लोगों से सामान्य रूप से विवेकशील मनुष्य बने रहने की उम्मीद बँधती है। विवेकशील मनुष्य न केवल सबसे बुरे संदर्भ के मद्देनजर चीजों को देखेंगे, बल्कि वे यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि उनके द्वारा निर्मित नीतियाँ समग्र समाज के लिए लाभप्रद हों।

प्रश्न 21.
भारत में सामाजिक न्याय की स्थिति क्या है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारतीय संविधान में देश के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्रदान करने का लक्ष्य घोषित किया गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं।

  1. संविधान के द्वारा सभी नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किये गये हैं अर्थात् मूल अधिकारों के माध्यम से समकक्षों के बीच समान बरताव के सिद्धान्त का पालन किया गया है। इनमें सभी को कानून के समक्ष समता प्रदान की गई है, जाति, धर्म, लिंग, वंश के आधार पर भेदभाव का निषेध किया गया है। छुआछूत को समाप्त किया गया है, भेदभाव पैदा करने वाली उपाधियों का अन्त किया गया। सभी को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
  2. भारत में समानुपातिक न्याय के सिद्धान्त को भी समकक्षों के बीच समान व्यवहार के सिद्धान्त के साथ संतुलन बैठाया गया है।
  3. भारत में मूल अधिकारों के अन्तर्गत ही विशेष जरूरतों के लिए विशेष ख्याल का सिद्धान्त भी अपनाया है इस हेतु वंचितों के लिए आरक्षण की नीति लागू की गई है।

प्रश्न 22.
न्याय का क्या अर्थ है? कोई एक परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
न्याय का सरोकार समाज में हमारे जीवन और सार्वजनिक जीवन को व्यवस्थित करने के नियमों और तरीकों से होता है, जिनके द्वारा समाज के विभिन्न सदस्यों के बीच सामाजिक लाभ और सामाजिक कर्त्तव्यों का बँटवारा किया जाता है। प्लेटो ने न्याय को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, ‘प्रत्येक व्यक्ति को उसका प्राप्य मिल जाय, यही न्याय मनुष्य होने के नाते हर व्यक्ति का प्राप्य यह है कि उन्हें अपनी प्रतिभा के विकास और लक्ष्य की पूर्ति के लिए अवसर प्राप्त हों तथा सभी व्यक्तियों को समुचित और बराबर महत्व दिया जाये।

प्रश्न 23.
समानुपातिक न्याय क्या है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
समानुपातिक न्याय: समानुपातिक न्याय से यह आशय है कि लोगों को मिलने वाले लाभों को तय करते समय उनके विभिन्न प्रयासों और कौशलों को मान्यता दी जाये अर्थात् लोगों को उनके प्रयास के पैमाने और अर्हता के अनुपात में पुरस्कृत किया जाये। काम के लिए वांछित मेहनत, कौशल, संभावित खतरे आदि कारकों को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग काम के लिए अलग-अलग पारिश्रमिक निर्धारण करना ही समानुपातिक न्याय है। लेकिन समाज में न्याय के लिए समान बरताव के सिद्धान्त के साथ ही समानुपातिकता के सिद्धान्त का संतुलन बिठाना आवश्यक है।

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प्रश्न 24.
न्याय के तीन सिद्धान्त कौन-से हैं? प्रत्येक को उदाहरण के साथ समझाइये।
उत्तर:
न्याय के तीन सिद्धान्त हैं।

  1. समकक्षों के बीच समान बरताव
  2. समानुपातिक न्याय और
  3. विशेष जरूरतों का विशेष ख्याल। यथा

1. समकक्षों के बीच समान बरताव:
न्याय का एक सिद्धान्त है कि समकक्षों के बीच समान व्यवहार किया जाये । मनुष्य होने के नाते सभी व्यक्तियों में कुछ समान चारित्रिक विशेषताएँ होती हैं। इसलिए वे समान अधिकार और बरताव के अधिकारी हैं। इसलिए आज अधिकांश उदारवादी जनतंत्रों में जीवन, स्वतंत्रता, सम्पत्ति तथा मताधिकार जैसे कुछ महत्वपूर्ण अधिकार सभी नागरिकों को समान रूप से प्रदान किये गये हैं। समान अधिकारों के अलावा समकक्षों में समान बरताव के सिद्धान्त के लिए जरूरी है कि लोगों के साथ वर्ग, जाति, नस्ल या लिंग के आधार पर भेद नहीं किया जाये, बल्कि उन्हें उनके काम के आधार पर जाँचा जाये। उदाहरण के लिए यदि स्कूल में पुरुष शिक्षक को महिला शिक्षक से ज्यादा वेतन मिलता है, तो यह समकक्षों के बीच समान बरताव के सिद्धान्त के विपरीत है। अतः अन्यायपूर्ण है।

2. समानुपातिक न्याय:
समानुपातिक न्याय के सिद्धान्त का आशय यह है कि लोगों को मिलने वाले लाभों को तय करते समय उनके विभिन्न प्रयास और कौशलों को मान्यता दी जाये । अर्थात् किसी काम के लिए वांछित मेहनत, कौशल, संभावित खतरे आदि को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग पारिश्रमिक निर्धारण किया जाये । इस प्रकार समाज में न्याय के लिए समान बरताव के सिद्धान्त का समानुपातिक सिद्धान्त के साथ संतुलन बैठाने की आवश्यकता है।

3. विशेष जरूरतों का विशेष ख्याल:
न्याय का तीसरा सिद्धान्त यह है कि समाज पारिश्रमिक या कर्त्तव्यों का वितरण करते समय लोगों की विशेष जरूरतों का ख्याल रखे। समकक्षों के साथ समान बरताव के सिद्धान्त में ही यह अन्तर्निहित है कि जो लोग कुछ महत्वपूर्ण संदर्भों में समान नहीं हैं, उनके साथ भिन्न ढंग से बरताव किया जाय । जैसे – वंचित और विकलांग लोग । इसी संदर्भ में भारत में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यूनतम आवश्यक बुनियादी स्थितियाँ क्या हैं? इस लक्ष्य को पाने के तरीकों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
न्यूनतम आवश्यक बुनियादी स्थितियाँ लोगों की जिंदगी के लिए न्यूनतम बुनियादी स्थितियों के सम्बन्ध में सामान्यतः इस बात पर सहमति है कि स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की बुनियादी मात्रा, आवास, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति, शिक्षा और न्यूनतम मजदूरी इन बुनियादी स्थितियों की महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं। लोगों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति लोकतांत्रिक सरकार की जिम्मेदारी समझी जाती है।

न्यूनतम आवश्यक बुनियादी स्थितियों की पूर्ति के तरीके: लोगों की जिंदगी के लिए न्यूनतम बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लिए यह आवश्यक है कि राज्य (सरकार) को समाज के सबसे वंचित सदस्यों की मदद करनी चाहिए, जिससे कि वे अन्य लोगों के साथ एक हद तक समानता का आनंद ले सकें। इस लक्ष्य को पाने के लिए निम्नलिखित दो तरीकों पर बल दिया जाता है; ये हैं।

(अ) मुक्त बाजार के जरिये खुली प्रतियोगिता को बढ़ावा देना तथा समाज के सुविधा प्राप्त सदस्यों को नुकसान पहुँचाये बगैर सुविधाहीनों की मदद करना।
(ब) राज्य के हस्तक्षेप की व्यवस्था। यथा

(अ) मुक्त बाजार की व्यवस्था: मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थकों का मानना है कि

  1. जहाँ तक संभव हो, व्यक्तियों को सम्पत्ति अर्जित करने के लिए तथा मूल्य, मजदूरी और लाभ के मामले में दूसरों के साथ अनुबंध और समझौतों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र रहना चाहिए ।
  2. लाभ की अधिकतम मात्रा हासिल करने हेतु दूसरे के साथ प्रतिद्वन्द्विता करने की छूट होनी चाहिए।
  3. मुक्त बाजार के समर्थक बाजारों को राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त कर देने के पक्षधर हैं।

मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थन में तर्क: मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थकों का कहना है कि बाजारों को राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त कर देने से बाजारी कारोबार का योग कुल मिलाकर समाज में लाभ और कर्तव्यों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित कर देगा। वे इसके पक्ष में निम्न तर्क देते हैं।

  1. मुक्त बाजार व्यवस्था से योग्यता और प्रतिभा से युक्त लोगों को अधिक प्रतिफल मिलेगा जबकि अक्षम लोगों को कम हासिल होगा ।
  2. स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा तथा ऐसी अन्य बुनियादी सेवाओं के विकास के लिए बाजार को अनुमति देना ही लोगों के लिए इन बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति का सबसे कारगर तरीका हो सकता है।
  3. मुक्त बाजार उचित और न्यायपूर्ण समाज का आधार होता है क्योंकि यह किसी व्यक्ति की जाति या धर्म की परवाह नहीं करता। वह यह भी नहीं देखता कि आप स्त्री हैं या पुरुष। वह इन सबसे निरपेक्ष रहता है और उसका सरोकार प्रतिभा और कौशल से है। अगर आपके पास योग्यता है तो बाकी सब बातें बेमानी हैं।
  4. मुक्त बाजार व्यवस्था हमें ज्यादा विकल्प प्रदान करता है।
  5. मुक्त बाजार में निजी उद्यम जो सेवाएँ मुहैया कराते हैं, उनकी गुणवत्ता सरकारी संस्थानों द्वारा प्रदत्त सेवाओं से प्राय: बेहतर होती है।

मुक्त बाजार व्यवस्था के विपक्ष में तर्क: मुक्त बाजार व्यवस्था के विपक्ष में निम्नलिखित प्रमुख तर्क दिये जाते हैं।

  1. सभी लोगों के लिए न्यूनतम बुनियादी जीवन: मानक सुनिश्चित करने हेतु राज्य को हस्तक्षेप करना आवश्यक है ताकि वे समान शर्तों पर प्रतिस्पर्द्धा करने में समर्थ हो सकें। वृद्धों और रोगियों की विशेष सहायता मुक्त बाजार व्यवस्था में संभव नहीं हो पाती है, राज्य ही ऐसी सहायता प्रदान कर सकता है।
  2. यद्यपि बाजारी वितरण हमें उपभोक्ता के तौर पर ज्यादा विकल्प देता है, बशर्ते उनकी कीमत चुकाने के लिए हमारे पास साधन हों। लेकिन बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं के मामले में अच्छी गुणवत्ता की वस्तुएँ और सेवाएँ लोगों के खरीदने लायक कीमत पर उपलब्ध होना आवश्यक है। लेकिन मुक्त बाजार व्यवस्था में इन सेवाओं की कीमतें गरीब लोगों की पहुँच के बाहर हो जाती हैं।
  3. मुक्त बाजार आमतौर पर पहले से ही सुविधासम्पन्न लोगों के हक में काम करने का रुझान दिखलाते हैं।

(ब) राज्य के हस्तक्षेप की व्यवस्था
कुछ विद्वानों का मत है कि गरीबों को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए अर्थात् पूर्णतया मुक्त बाजार के स्थान पर राज्य को सभी लोगों के लिए न्यूनतम बुनियादी जीवन मानक सुनिश्चित करने हेतु राज्य को हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि वे समान शर्तों पर प्रतिस्पर्द्धा करने में समर्थ हो सकें। यदि हम बुनियादी वस्तुओं व सेवाओं को आम लोगों को मुहैया कराने के लिए निजी एजेन्सियों को देंगे, तो वे लाभ की दृष्टि रखते हुए इन वस्तुओं व सेवाओं को मुहैया करायेंगी। यदि निजी एजेन्सियाँ इसे अपने लिए लाभदायक नहीं पाती हैं तो वे उस खास बाजार में प्रवेश नहीं करेंगी अथवा सस्ती और घटिया सेवाएँ मुहैया करायेंगी।

जबकि बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं के मामले में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अच्छी गुणवत्ता की वस्तुएँ और सेवाएँ लोगों के खरीदने लायक कीमत पर उपलब्ध हों। निजी एजेन्सियाँ ऐसी व्यवस्थाएँ नहीं कर सकतीं, इसलिए सरकार को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप कर गरीबों को न्यूनतम बुनियादी व अच्छी गुणवत्ता की वस्तुएँ व सेवाएँ खरीदने लायक कीमत पर उपलब्ध करानी चाहिए। यही कारण है कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में बहुत कम निजी विद्यालय खुले हैं और खुले भी हैं तो वे निम्नस्तरीय हैं। स्वास्थ्य सेवा और आवास के मामले में भी यही सच है। इन परिस्थितियों में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे?

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे? Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे?

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. इनमें से कौनसी विशेषता एक सफल संविधान की विशेषता है।
(क) वह संविधान जो प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है।
(ख) वह संविधान् जिसमें समाज के अल्पसंख्यक समूहों का उत्पीड़न करने की अनुमति दी गई हो।
(ग) वह संविधान जो अन्य लोगों की तुलना में कुछ लोगों को ज्यादा सुविधायें देता है।
(घ) वह संविधान जो सुनियोजित ढंग से समाज के छोटे-छोटे समूहों की शक्ति को और मजबूत करता है।
उत्तर:
(क) वह संविधान जो प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है।

2. संविधान की संतुलित रूपरेखा बनाने की एक कारगर विधि यह है कि-
(क) किसी एक संस्था का सारी शक्तियों पर एकाधिकार हो।
(ख) शक्ति को कई संस्थाओं में विभाजित कर दिया जाये।
(ग) संविधान को अत्यधिक लचीला बनाया जाये।
(घ) संविधान को अत्यधिक कठोर बनाया जाये।
उत्तर:
(ख) शक्ति को कई संस्थाओं में विभाजित कर दिया जाये।

3. भारत के संविधान का केवल एक ही प्रावधान ऐसा है जो लगभग बिना किसी वाद-विवाद के पास हो गया। यह प्रावधान है।
(क) मौलिक अधिकारों सम्बन्धी
(ग) संघात्मक व्यवस्था सम्बन्धी
(ख) संसदात्मक व्यवस्था सम्बन्धी
(घ) सार्वभौमिक मताधिकार सम्बन्धी
उत्तर:
(घ) सार्वभौमिक मताधिकार सम्बन्धी

4. भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व सम्बन्धी प्रावधान निम्नलिखित में से किस देश के संविधान से लिये गये हैं।
(क) अमेरिका के संविधान से
(ख) फ्रांस के संविधान से
(ग) आयरलैंड के संविधान से
(घ) ब्रिटिश के संविधान से
उत्तर:
(ग) आयरलैंड के संविधान से

5. भारतीय संविधान में फ्रांस के संविधान से ग्रहण किया गया है।
(क) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त
(ख) कानून निर्माण की विधि
(ग) न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति
(घ) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त।
उत्तर:
(क) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त

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6. निम्नलिखित में से किसे ब्रिटिश संविधान से ग्रहण किया गया है।
(क) मौलिक अधिकारों की सूची
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त
(घ) अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरूप
उत्तर:
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप

7. कनाडा के संविधान से जो प्रावधान भारत के संविधान में ग्रहण किया गया है, वह है।
(क) कानून के शासन का विचार
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त
(ख) कानून निर्माण की विधि
(घ) न्यायपालिका की स्वतंत्रता
उत्तर:
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त

8. निम्नलिखित में से जो प्रावधान भारतीय संविधान में ब्रिटिश संविधान से ग्रहण नहीं किया गया है, वह ।
(क) सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप
(ग) कानून के शासन का विचार
(घ) मौलिक अधिकारों की सूची
उत्तर:
(घ) मौलिक अधिकारों की सूची

9. लोकतांत्रिक संविधानों में कानून के निर्माण का निर्णय लिया जाता है।
(क) राजा द्वारा
(ख) साम्यवादी पार्टी द्वारा
(ग) जन प्रतिनिधियों द्वारा
(घ) न्यायपालिका द्वारा
उत्तर:
(ग) जन प्रतिनिधियों द्वारा

10. सरकार को आय और सम्पत्ति की असमानता को कम करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। यह प्रावधान संविधान के है। जिस कार्य को इंगित करता है, वह है।
(क) सरकार की शक्ति पर सीमा
(ख) समाज की आकांक्षाएँ व लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता प्रदान करना
(ग) समाज में निर्णय लेने की शक्ति को निर्धारित करना
(घ) बुनियादी नियमों का समूह उपलब्ध कराना।
उत्तर:
(ख) समाज की आकांक्षाएँ व लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता प्रदान करना

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. संविधान का पहला काम यह है कि वह ……………………. नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराए जिससे समाज के सदस्यों में न्यूनतम समन्वय व विश्वास बना रहे। होगी।
उत्तर:
बुनियादी

2. …………………. यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी और सरकार कैसे निर्मित होगी।
उत्तर:
संविधान

3. संविधान सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों पर कुछ ………………… भी लगाता है।
उत्तर:
सीमाएँ

4. संविधान सरकार को ऐसी ………………….प्रदान करता है, जिससे कि वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके। अधिकारों की रक्षा करते हैं।
उत्तर:
क्षमता ( शक्तियाँ)

5. अधिकतर संविधान कुछ ………………… अधिकारों की रक्षा करते हैं।
उत्तर:
मूलभूत।

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निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये

1. भारतीय संविधान जातीयता या नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं देता।
उत्तर:
सत्य

2. विश्व के सर्वाधिक सफल लिखित संविधान भारत, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के हैं।
उत्तर:
सत्य

3. भारत ने अपने संविधान पर पूर्ण जनमत संग्रह कराया जिसमें सभी लोगों ने अपनाये जा रहे संविधान के पक्ष या विपक्ष में राय दी।
उत्तर:
असत्य

4. भारतीय संविधान सभा की रचना 1935 के संविधान की प्रस्तावना के आधार पर हुई।
उत्तर:
असत्य

5. हमारी संविधान सभा के सदस्य सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने गए थे।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. 2015 में नया संविधान बनाया (अ) भारत में
2. 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ (ब) 9 दिसम्बर, 1946
3. भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक (स) जवाहरलाल नेहरू
4. संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (द) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
5. संविधान सभा के अध्यक्ष (य) नेपाल ने
6. प्रारूप समिति के सभापति (र) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

उत्तर:

1. 2015 में नया संविधान बनाया (य) नेपाल ने
2. 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ (अ) भारत में
3. भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक (ब) 9 दिसम्बर, 1946
4. संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (स) जवाहरलाल नेहरू
5. संविधान सभा के अध्यक्ष (र) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का निर्माण कितने समय में हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन के अथक प्रयास से 26 नवम्बर, 1949 को सम्पन्न हुआ।

प्रश्न 2.
संविधान का पहला काम क्या है?
उत्तर:
संविधान बुनियादी नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराये जिससे समाज के सदस्यों में न्यूनतम समन्वय और विश्वास बना रहे।

प्रश्न 3.
संविधान का दूसरा काम क्या है?
उत्तर:
संविधान यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी और सरकार कैसे निर्मित होगी।

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प्रश्न 4.
संविधान सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की सीमाएँ तय करता है। ये सीमाएँ किस रूप में मौलिक होती हैं?
उत्तर:
संविधान द्वारा सरकार पर लगाई गई सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उनका उल्लंघन नहीं कर सकती।

प्रश्न 5.
सरकार की शक्तियों को सीमित करने का सबसे सरल तरीका क्या है?
उत्तर:
सरकार की शक्तियों को सीमित करने का सबसे सरल तरीका यह है कि नागरिक के रूप में व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को स्पष्ट कर दिया जाये।

प्रश्न 6.
सामान्यत: मूल अधिकारों को कब सीमित किया जा सकता है?
उत्तर:
सामान्यतः मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में सीमित किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर थे।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में कौनसा प्रावधान सरकार को ऐसी शक्तियाँ देता है कि वह समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके?
उत्तर:
भारत के संविधान में राज्य के नीति-निर्देशक तत्व सरकार से लोगों की आकांक्षाएँ पूरी करने की अपेक्षा करते हैं।

प्रश्न 9.
कौनसा सम्बन्ध किसी देश की राष्ट्रीय पहचान बनाता है?
उत्तर:
विभिन्न राष्ट्रों में देश की केन्द्रीय सरकार और विभिन्न क्षेत्रों के बीच के सम्बन्धों को लेकर भिन्न-भिन्न अवधारणाएँ होती हैं। यह सम्बन्ध उस देश की राष्ट्रीय पहचान बनाता है

प्रश्न 10.
संविधान किसी समाज की बुनियादी राजनैतिक पहचान कैसे होता है?
उत्तर:
संविधान के माध्यम से ही कोई समाज ‘शासन कैसे होगा’ और ‘शासित कौन होंगे’, जैसे बुनियादी नियमों और सिद्धान्तों पर सहमत होकर अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाता है।

प्रश्न 11.
संविधान हमें एक नैतिक पहचान कैसे देता है?
उत्तर:
संविधान आधिकारिक बंधन लगाकर यह तय कर देता है कि कोई क्या कर सकता है और क्या नहीं। ऐसा करके वह हमें एक नैतिक पहचान देता है।

प्रश्न 12.
ऐसे दो राजनैतिक और नैतिक बुनियादी नियमों का उल्लेख कीजिये जो विश्व के सभी प्रकार के संविधानों में स्वीकार किये गये हैं।
उत्तर:

  1. अधिकतर संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करते हैं।
  2. अधिकतर संविधान ऐसी सरकारें संभव बनाते हैं जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती हैं।

प्रश्न 13.
संविधान का प्रभावी होना अनेक कारणों पर निर्भर है। किसी एक कारण का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
संविधान के प्रभावी होने का पहला कारण यह है कि उसे सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के लोकप्रिय नेताओं द्वारा बनाया गया हो जिनके पास समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की विलक्षण क्षमता हो।

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प्रश्न 14.
क्या भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को एक न एक ऐसा कारण देता है जिससे वह उसकी सामान्य रूपरेखा का समर्थन कर सके? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को उसकी सामान्य रूपरेखा का समर्थन करने का कोई न कोई कारण देता है, क्योंकि यह उन्हें विश्वास दिलाता है कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढाँचा उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 15.
भारतीय संविधान सभा की रचना किस योजना के अनुसार हुई?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा की रचना लगभग उसी योजना के अनुसार हुई जिसे ‘कैबिनेट मिशन’ ने प्रस्तावित किया था।

प्रश्न 16.
उन दो कारकों का उल्लेख कीजिये जो भारतीय संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं।
उत्तर:

  1. संविधान सभा मोटे तौर पर सबका प्रतिनिधित्व कर रही थी।
  2. संविधान सभा के सदस्यों ने सार्वजनिक हित और सार्वजनिक विवेक को ध्यान में रखते हुए कार्य किया।

प्रश्न 17.
स्पष्ट कीजिये कि भारत की संविधान सभा ने व्यापक दृष्टिकोण से कार्य किया।
उत्तर:
भारत की संविधान सभा ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए ही सम्पूर्ण विश्व से सर्वोत्तम चीजों को ग्रहण किया और उन्हें अपना बना लिया।

प्रश्न 18.
भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा में किस दल का वर्चस्व था तथा उसकी सीटें कितने प्रतिशत थीं?
उत्तर:
भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस का वर्चस्व था और उसे 82% सीटें प्राप्त थीं।

प्रश्न 19.
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन की धारणा कहाँ से ली गई है?
उत्तर:
भारत के संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन की धारणा अमेरिका के संविधान से ली गई है।

प्रश्न 20.
नेपाल लोकतांत्रिक गणराज्य कब बना?
उत्तर:
नेपाल सन् 2008 में लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

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प्रश्न 21.
नेपाल ने लोकतांत्रिक गणराज्य के नये संविधान को कब अपनाया?
उत्तर:
नेपाल में सन् 2015 में नये संविधान को अपनाया।

प्रश्न 22.
भारत की संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
भारत की संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव पं. जवाहर लाल नेहरू ने

प्रश्न 23.
भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय नागरिकों के कोई पाँच मौलिक कर्त्तव्य लिखो। होगी।
उत्तर:
भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्रस्तुत किया 1

  1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;
  2. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
  3. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
  4. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे ; तथा
  5. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्द्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखे।

प्रश्न 2.
संविधान के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
संविधान के कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. संविधान समाज में बुनियादी नियमों को उपलब्ध कराता।
  2. संविधान यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी तथा सरकार कैसे निर्मित
  3. वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की सीमाएँ निश्चित करता है।
  4. वह सरकार को ऐसी शक्तियाँ भी देता है जिससे वह सामूहिक भलाई के लिए कार्य कर सके।

प्रश्न 3.
संविधान सरकार की शक्तियों को किस तरह से सीमित करता है?
उत्तर:
संविधान सरकार की शक्तियों को कई तरह से सीमित करता है। यथा

  1. संविधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्पष्ट करता है ताकि कोई भी सरकार कभी भी उनका उल्लंघन न कर सके। है।
  2. संविधान नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के गिरफ्तार करने के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता
  3. संविधान नागरिकों को कुछ मौलिक स्वतंत्रताओं का अधिकार प्रदान करता है।

प्रश्न 4.
सरकार को सकारात्मक कार्य कर सकने और समाज की आकांक्षाओं और उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति दे सकने की सामर्थ्य प्रदान करने वाले भारत के संविधान के उपबन्धों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारतीय संविधान सरकार को वह सामर्थ्य प्रदान करता है जिससे वह कुछ सकारात्मक लोक कल्याणकारी कदम उठा सके और जिन्हें कानून की मदद से लागू किया जा सके। ऐसा सामर्थ्य प्रदान करने वाले प्रावधानों को भारत के संविधान की प्रस्तावना का समर्थन प्राप्त है और ये प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्व वाले भागों में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 5.
दक्षिण अफ्रीका के संविधान के ऐसे प्रावधानों का उल्लेख कीजिये जो सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के लिये कार्य कर सकने की शक्तियाँ देते हैं।
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका का संविधान में सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के कार्य करने से संबंधित प्रमुख प्रावधान ये हैं।

  1. वह सरकार को पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और अन्यायपूर्ण भेदभाव से व्यक्तियों और समूहों को बचाने का प्रयास करने के लिए कदम उठाने का अधिकार देता है।
  2. वह यह प्रावधान भी करता है कि सरकार धीरे-धीरे सभी के लिए पर्याप्त आवास और स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराये।

प्रश्न 6.
इण्डोनेशिया के संविधान में सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के काम करने में समर्थ बनाने वाले उपबन्धों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. इण्डोनेशिया का संविधान सरकार को यह जिम्मेदारी देता है कि वह राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था बनाए और उसका संचालन करे।
  2. यह संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि सरकार गरीब और अनाथ बच्चों की देखभाल करेगी।

प्रश्न 7.
संविधान क्या है?
उत्तर:
संविधान वह दस्तावेज या दस्तावेजों का पुंज है जिसमें राज्य के बारे में कई प्रावधान होते हैं। ये प्रावधान बताते हैं कि राज्य का गठन कैसे होगा और वह किन सिद्धान्तों का पालन करेगा।

प्रश्न 8.
संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा से क्या आशय है?
उत्तर:
संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा से यह आशय है कि संविधान यह सुनिश्चित करे कि किसी एक संस्था का सारी शक्तियों पर एकाधिकार न हो। ऐसा करने के लिए सरकार की शक्ति को संविधान द्वारा कई संस्थाओं में बांट दिया जाता है ताकि कोई एक संस्था संविधान को नष्ट न कर सके। इसके साथ ही संविधान में बाध्यकारी मूल्य, नियम और प्रक्रियाओं के साथ-साथ कार्यप्रणाली में लचीलापन का संतुलन होना चाहिए ताकि वह आवश्यकताओं और परिस्थितियों के साथ अनुकूलन कर सके।

प्रश्न 9.
” भारत में संविधान सभा का विचार एक आस्था का प्रतीक बन चुका था ।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में संविधान सभा के अस्तित्व में आने से बहुत पहले संविधान सभा की माँग उठ चुकी थी। 9 दिसम्बर, 1946 के अध्यक्षीय भाषण में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने महात्मा गांधी के कथन को याद करते हुए कहा कि स्वराजं का अर्थ है जनता के द्वारा स्वतंत्र रूप से चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से व्यक्त उनकी इच्छा। अतः उन्होंने कहा कि ” देश में राजनीतिक रूप से जागरूक सभी वर्गों में संविधान सभा का विचार एक आस्था का प्रतीक बन चुका था। ”

प्रश्न 10.
उन तीन कारकों का उल्लेख कीजिए जो संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं?
उत्तर:
संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने वाले तीन कारक ये हैं।

  1. संविधान ऐसे लोकप्रिय नेताओं द्वारा बनाया गया हो जिनके पास लोगों को अपने साथ लेकर चलने की क्षमता हो।
  2. संविधान लोगों को यह विश्वास दिलाता हो कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढाँचा उपलब्ध कराता है।
  3. संविधान संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा प्रस्तुत करता हो।

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प्रश्न 11.
स्पष्ट कीजिये कि भारत का संविधान एक जीवंत सच्चाई है।
उत्तर:
भारत का संविधान संविधान निर्माताओं की बुद्धिमता और दूरदृष्टि का प्रमाण है कि वे देश को एक ऐसा संविधान दे सके जिसमें जनता द्वारा मान्य आधारभूत मूल्यों और सर्वोच्च आकांक्षाओं को स्थान दिया गया है। यही वह कारण है कि जिसकी वजह से इतनी जटिलता से बताया गया संविधान न केवल अस्तित्व में है, बल्कि एक जीवन्त सच्चाई भी है जबकि दुनिया के अन्य अनेक संविधान कागजी पोथों में ही दबकर रह गये।

प्रश्न 12.
कोई ऐसे चार उदाहरण दीजिये जिन पर संविधान सभा के सदस्यों में वैध सैद्धान्तिक आधार पर मतभेद थे।
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्यों में वैध सैद्धान्तिक आधार पर प्रमुख मतभेद इस प्रकार थे।

  1. भारत में शासन प्रणाली केन्द्रीकृत होनी चाहिए या विकेन्द्रीकृत?
  2. राज्यों के बीच कैसे सम्बन्ध होने चाहिए?
  3. न्यायपालिका की क्या शक्तियाँ होनी चाहिए?
  4. क्या संविधान को संपत्ति के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए?

प्रश्न 13.
भारत की संविधान सभा की रचना किस योजना के अनुसार हुई उसके प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1935 में स्थापित प्रान्तीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव हुआ। संविधान सभा की रचना लगभग उसी योजना के अनुसार हुई जिसे ब्रिटिश मंत्रिमंडल की एक समिति ‘कैबिनेट मिशन’ ने प्रस्तावित किया था। कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार:

  1. प्रत्येक प्रान्त, देशी रियासत या रियासतों के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी गईं। मोटे तौर पर दस लाख की जनसंख्या पर एक सीट का अनुपात रख गया। परिणामतः ब्रिटिश प्रान्तों को 292 सदस्य चुनने तथा देशी रियासतों को न्यूनतम 93 सीटें आवंटित की गईं।
  2. प्रत्येक प्रान्त की सीटों को तीन प्रमुख समुदायों मुसलमान, सिक्ख और सामान्य में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बाँट दिया गया।
  3. प्रान्तीय विधान सभाओं में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों ने अपने प्रतिनिधियों को चुना और इसके लिए उन्होंने समानुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमण मत पद्धति का प्रयोग किया।
  4. देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का तरीका उनके परामर्श से तय किया गया।

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प्रश्न 14.
भारत की संविधान सभा के स्वरूप पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
संविधान सभा का स्वरूप:

  1. सदस्य संख्या: विभाजन के बाद पाकिस्तान के क्षेत्रों से चुनकर आए सदस्यों को घटाने के बाद संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या 299 रह गई। इनमें से 26 नवम्बर, 1949 को कुल 284 सदस्य उपस्थित थे जिन्होंने अंतिम रूप से पारित संविधान पर अपने हस्ताक्षर किये
  2.  प्रतिनिधित्वपूर्ण: यद्यपि भारत की संविधान सभा के सदस्य सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं चुने गये थे पर उसे ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधि – परक बनाने के प्रयास किये गये। यथा

(क) सभी धर्म के सदस्यों को जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी गईं।

(ख) संविधान सभा में उस समय के अनुसूचित वर्ग के 26 सदस्य थे।

(ग) यद्यपि विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस का वर्चस्व था। उसे 82% सीटें प्राप्त थीं। लेकिन स्वयं कांग्रेस विविधताओं से भरी हुई एक ऐसी पार्टी थी जिसमें लगभग सभी विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व था।

प्रश्न 15.
भारत का संविधान एक ऐसी सरकार बनाने की नैतिक प्रतिबद्धता है जो राष्ट्रीय आन्दोलन में लोगों को दिये गये आश्वासनों को पूरा करेगी।
अथवा
भारत की संविधान सभा केवल उन सिद्धान्तों को मूर्त रूप और आकार दे रही थी जो उसने राष्ट्रीय आन्दोलन से विरासत में प्राप्त किये थे ।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन की विरासत :
भारत की संविधान सभा केवल उन सिद्धान्तों को मूर्त रूप और आकार दे रही थी जो उसने राष्ट्रीय आन्दोलन में विरासत में प्राप्त किये थे। संविधान लागू होने के कई दशक पूर्व से ही राष्ट्रीय आन्दोलन में उन प्रश्नों पर चर्चा हुई थी जो संविधान बनाने के लिए प्रासंगिक थे। जैसे- भारत में सरकार का स्वरूप और संरचना कैसी होनी चाहिए, हमें किन मूल्यों का समर्थन करना चाहिए, किन असमानताओं को दूर करना चाहिए आदि ? इन बहसों से प्राप्त निष्कर्षो अर्थात् इन बहसों से बने सिद्धान्तों पर आम सहमति को ही संविधान में अंतिम रूप प्रदान किया गया।

प्रमुख सिद्धान्त:
राष्ट्रीय आन्दोलन से जिन सिद्धान्तों को संविधान सभा में लाया गया उनका सर्वोत्तम सारांश नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव में मिलता है। इस प्रस्ताव में संविधान सभा के उद्देश्यों तथा संविधान सभा की सभी आकांक्षाओं और मूल्यों को समाहित किया गया था। इसी प्रस्ताव के आधार पर हमारे संविधान में समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभुता और सार्वजनीन पहचान जैसी बुनियादी प्रतिबद्धताओं को संस्थागत स्वरूप दिया गया।

प्रश्न 16.
सरकार की सभी संस्थाओं को संतुलित ढंग से व्यवस्थित करने में संविधान सभा की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
संस्थाओं को संतुलित रूप से व्यवस्थित करने में संविधान सभा की भूमिका- सरकार की सभी संस्थाओं को संतुलित रूप से व्यवस्थित करने की दृष्टि से संविधान सभा ने निम्न प्रयास किये
1. संस्थाओं को संतुलित ढंग से व्यवस्थित करने की दृष्टि से मूल सिद्धान्त यह रखा गया कि सरकार लोकतांत्रिक रहे और जन कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो। संविधान सभा ने शासन के विभिन्न अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच समुचित संतुलन स्थापित करने के लिए बहुत विचार मंथन किया तथा संसदीय शासन व्यवस्था और संघात्मक शासन व्यवस्था को स्वीकार किया।

2. शासकीय संस्थाओं की संतुलित व्यवस्था स्थापित करने में हमारे संविधान निर्माताओं ने दूसरे देशों के प्रयोगों और अनुभवों से सीखने का प्रयास किया; उन्होंने अन्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने से कोई परहेज नहीं किया। उन्होंने विभिन्न देशों से उनके प्रावधानों को भी लिया। लेकिन उन्होंने इन्हें तभी लिया जब वे भारत की समस्याओं और आशाओं के अनुरूप सिद्ध हुए। साथ ही उन्होंने इनमें आवश्यकतानुसार आवश्यक परिवर्तन कर इन्हें ग्रहण कया और उन्हें अपना बना लिया ।

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प्रश्न 17.
भारत की संविधान सभा की कामकाज की शैली तथा कार्यविधि को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
संविधान सभा की कामकाज की शैली: यद्यपि भारत की संविधान सभा समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व कर रही थी, तथापि वे प्रतिनिधि केवल अपनी पहचान या समुदाय का ही प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे बल्कि वे पूरे देश के हित को ध्यान में रखकर विचार-विमर्श कर रहे थे। सदस्यों में प्रायः मतभेद हो जाते थे लेकिन सदस्यों द्वारा अपने हितों के आधार पर शायद ही कोई मतभेद हुआ हो। ये मतभेद वास्तव में वैध सैद्धान्तिक आधार पर थे। सार्वभौमिक मताधिकार के विषय को छोड़कर संविधान के प्रत्येक विषय पर संविधान सभा के सदस्यों में गंभीर विचार- विमर्श और वाद-विवाद हुए।

संविधान सभा की कार्यविधि: संविधान सभा की सामान्य कार्यविधि में भी सार्वजनिक विवेक का महत्व स्पष्ट दिखाई देता था। विभिन्न मुद्दों के लिए संविधान सभा की आठ मुख्य कमेटियाँ थीं। इनके अध्यक्षों के विचार एक-दूसरे के समान नहीं थे। फिर भी सबने एक साथ मिलकर काम किया। प्रत्येक कमेटी ने आम तौर पर संविधान के कुछ-कुछ प्रावधानों का प्रारूप तैयार किया जिन पर बाद में पूरी संविधान सभा में चर्चा की गई।

आमतौर पर यह प्रयास किया गया कि फैसले आम राय से हों और कोई भी प्रावधान किसी खास हित समूह के पक्ष में न हो। कई प्रावधानों पर निर्णय मत विभाजन से भी लिये गये। ऐसे अवसरों पर हर तर्क और शंका का समाधान बहुत ही सावधानी से किया गया। लिखित रूप में उनका जवाब दिया गया। अवधि तथा बैठकें -2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन की अवधि में संविधान सभा की बैठकें 166 दिनों तक चलीं। इसके सत्र अखबारों और आम लोगों के लिए खुले हुए थे।

प्रश्न 18.
भारतीय संविधान में कौनसी दो विशेषताएँ अमेरिकी संविधान से अपनाई गई हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में निम्न दो विशेषताएँ अमेरिकी संविधान से अपनायी गई हैं-

  1. मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार अमेरिकी संविधान के अधिकारों की सूची से मिलते-जुलते हैं।
  2. न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय संविधान अमेरिकी संविधान की भांति देश का सर्वोच्च संविधान है और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को अमेरिकी न्यायालय की भांति न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्राप्त है

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया? इसके मुख्य उपबन्धों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्तावं- संविधान सभा के समक्ष 13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। उद्देश्य प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु – उद्देश्य प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु ( उपबन्ध) निम्नलिखित हैं।

  1. भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य है।
  2. भारत ब्रिटेन के अधिकार में आने वाले भारतीय क्षेत्रों, देशी रियासतों और देशी रियासतों के बाहर के ऐसे क्षेत्र जो हमारे संघ का अंग बनना चाहते हैं, का एक संघ होगा।
  3. संघ की इकाइयाँ स्वायत्त होंगी और उन सभी शक्तियों का प्रयोग और कार्यों का संपादन करेंगी जो संघीय सरकार को नहीं दी गई हैं।
  4. संप्रभु और स्वतंत्र भारत तथा इसके संविधान की समस्त शक्तियों और सत्ता का स्रोत जनता है।
  5. भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, कानून के समक्ष समानता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा कानून और सार्वजनिक नैतिकता की सीमाओं में रहते हुए भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, व्यवसाय, संगठन और कार्य करने की मौलिक स्वतंत्रता की गारण्टी और सुरक्षा दी जायेगी।
  6. अल्पसंख्यकों, पिछड़े व जनजातीय क्षेत्र, दलित व अन्य पिछड़े वर्गों को समुचित सुरक्षा दी जायेगी।
  7. गणराज्य की क्षेत्रीय अखंडता तथा थल, जल और आकाश में इसके संप्रभु अधिकारों की रक्षा सभ्य राष्ट्रों के कानून और न्याय के अनुसार की जायेगी।
  8. विश्वशांति और मानव कल्याण के विकास के लिए देश स्वेच्छापूर्वक और पूर्ण योगदान करेगा।

इस प्रकार उद्देश्य प्रस्ताव में संविधान की सभी आकांक्षाओं और मूल्यों को समाहित किया गया था। इसी प्रस्ताव के आधार पर हमारे संविधान में समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभुता और एक सर्वजनीन पहचान जैसी बुनियादी प्रतिबद्धताओं को संस्थागत स्वरूप दिया गया।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों से लिये गये प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
‘भारतीय संविधान उधार लिए गए सिद्धान्तों का समूह है।’ व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों के संविधानों से लिये गए प्रावधान: शासकीय संस्थाओं की सर्वाधिक संतुलित व्यवस्था स्थापित करने में भारत के संविधान निर्माताओं ने दूसरे देशों के प्रयोगों और अनुभवों से कुछ सीखने में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने अन्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने से भी कोई परहेज नहीं किया। साथ ही उन्होंने किसी भी ऐसे बौद्धिक तर्क या ऐतिहासिक उदाहरण की अनदेखी नहीं की जो उनके कार्य को सम्पन्न करने के लिए जरूरी था। अतः उन्होंने विभिन्न देशों से निम्नलिखित प्रावधानों को ग्रहण किया
(अ) 1935 के एक्ट का प्रभाव: हमारे संविधान निर्माता 1935 के एक्ट से अत्यधिक प्रभावित थे। हमारे संविधान का अनुच्छेद 362, 1935 के एक्ट की धारा 102 से मिलता-जुलता है।

(ब) ब्रिटिश संविधान से लिये गये प्रावधान: भारतीय संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश संविधान से निम्नलिखित प्रावधान लिये।

  1. सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला।
  2. सरकार का संसदीय स्वरूप।
  3. कानून के शासन का विचार।
  4. विधायिका में अध्यक्ष का पद और उसकी भूमिका।
  5. कानून निर्माण की विधि|

(स) अमेरिका के संविधान से लिये गये प्रावधान – भारतीय संविधान निर्माताओं ने अमेरिका के संविधान से निम्नलिखित प्रावधान लिये-

  1. मौलिक अधिकारों की सूची।
  2. न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता।

(द) कनाडा के संविधान से लिये गये प्रावधान – कनाडा के संविधान से ये प्रावधान ग्रहण किये।

  1. एक अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरूप ( सशक्त केन्द्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था)।
  2. अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त।

(य) अन्य संविधानों से ग्रहण किये गये प्रावधान – भारतीय संविधान निर्माताओं ने अन्य संविधानों से भी निम्न प्रावधानों को ग्रहण किया।

  1. आयरलैंड के संविधान से उन्होंने राज्य के नीति निर्देशक तत्व के प्रावधानों को ग्रहण किया।
  2. फ्रांस के संविधान से उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धान्त को ग्रहण किया।

लेकिन इन प्रावधानों को लेना कोई नकलची मानसिकता का परिणाम नहीं था बल्कि उन्होंने प्रत्येक प्रावधान को इस कसौटी पर कसा कि वह भारत की समस्याओं और आशाओं के अनुरूप है। इस प्रकार एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्होंने इन प्रावधानों को ग्रहण किया तथा भारत की समस्याओं, आशाओं व परिस्थितियों के अनुरूप उनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर ग्रहण किया और उन्हें अपना बना लिया । इसलिए यह कहना गलत है कि यह संविधान उधार का था।

प्रश्न 3.
संविधान क्या है? संविधान के उन कारकों पर प्रकाश डालिये जो संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं।
उत्तर:
संविधान से आशय: संविधान वह दस्तावेज या दस्तावेजों का पुंज है जो यह बताता है कि राज्य का गठन कैसे होगा और वह किन सिद्धान्तों का पालन करेगा। भारत का संविधान जहाँ एक लिखित दस्तावेज है, वहीं इंग्लैण्ड का संविधान दस्तावेजों और निर्णयों की एक लंबी श्रृंखला के रूप में है जिसे सामूहिक रूप से संविधान कहा जा सकता है। संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के कारक – किसी भी संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं।

1. संविधान को प्रचलन में लाने का तरीका;
इसका अभिप्राय यह है कि कोई संविधान कैसे अस्तित्व में आया; किसने संविधान बनाया और उनके पास इसे बनाने की शक्ति कितनी थी। यदि कोई संविधान सैनिक शासकों या ऐसे अलोकप्रिय नेताओं के द्वारा बनाये जाते हैं जिनके पास लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं होती, तो ऐसे संविधान निष्प्रभावी होते हैं। 1948 के बाद नेपाल में पाँच संविधान, 1948, 1951, 1959, 1962 और 1990 में बनाये जा चुके हैं, लेकिन ये सभी संविधान नेपाल नरेश द्वारा प्रदान किये गये। इसलिए निष्प्रभावी रहे।

यदि संविधान सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के बाद बनी संविधान निर्मात्री सभा के द्वारा बनाया जाता है जिसके सदस्य राष्ट्रीय आन्दोलन के लोकप्रिय नेता हों और जिनके पास समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की विलक्षण क्षमता हो, तो ऐसी संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान प्रभावी होता है। यही कारण है कि विश्व के सर्वाधिक सफल संविधान भारत, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के हैं जिन्हें एक सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के बाद बनाया गया था। संविधान निर्माताओं की लोकप्रियता समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ ले चलने की उनकी क्षमता, उनका दृष्टिकोण तथा उनका प्रभाव संविधान को प्रभावी बनाता है।

2. संविधान के मौलिक प्रावधान संविधान के प्रभावी और सम्मान योग्य होने के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है। जो संविधान लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढांचा उपलब्ध कराता है, वह संविधान प्रभावी होता है। इस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि जो संविधान अपने सभी नागरिकों की स्वतंत्रता और समानता की जितनी अधिक सुरक्षा करता है, उसकी सफलता की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।

3. संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा: जो संविधान, संविधान में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार करता है कि कोई एक समूह या संस्था संविधान को नष्ट नहीं कर सके। ऐसे संविधान को प्रभावी संविधान कहा जा सकता है। ऐसा करने के लिए सरकार की शक्ति को कई संस्थाओं में बांट दिया जाता है। उदाहरण के लिए भारतीय संविधान सरकार की शक्ति को एक समान धरातल पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं और स्वतंत्र संवैधानिक निकाय जैसे निर्वाचन आयोग आदि में बांट देता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि यदि कोई एक संस्था संविधान को नष्ट करना चाहे तो अन्य दूसरी संस्थाएँ उसके अतिक्रमण को नियंत्रित कर लेंगी। किसी संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के लिए उपर्युक्त तीन कारकों का होना आवश्यक है।

JAC Class 11 Political Science  Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे?

प्रश्न 4.
संविधान से आप क्या समझते हैं? हमें संविधान की क्या आवश्यकता है?
अथवा
संविधान क्या है? संविधान द्वारा किये जाने वाले कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर:
संविधान से आशय: ( इसको पूर्व प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया जा चुका है।) संविधान की आवश्यकता अथवा संविधान द्वारा किये जाने वाले कार्य किसी समाज के लिए बुनियादी नियमों का समूह उपलब्ध कराकर समाज में तालमेल बिठाने, समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट कर सरकार का निर्माण करने; सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ लगाने तथा नागरिकों को मूल अधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान करने, सरकार को वह सामर्थ्य प्रदान करने जिससे वह कुछ सकारात्मक लोक- कल्याणकारी कदम उठा सके एवं राष्ट्र की बुनियादी पहचान के लिए संविधान की अत्यन्त आवश्यकता है। संविधान अपने कामों से समाज की इन आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संविधान के कार्यों की रूपरेखा अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत दी गई है।

1. संविधान तालमेल बिठाता है। संविधान का पहला काम यह है कि वह बुनियादी नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराये जिससे समाज के सदस्यों में एक न्यूनतम समन्वय और विश्वास बना रहे। सी भी समूह को सार्वजनिक रूप से मान्यता प्राप्त कुछ बुनियादी नियमों की आवश्यकता होती है जिसे. समूह के सभी सदस्य जानते हों, ताकि आपस में एक न्यूनतम समन्वय बना रहे। लेकिन ये नियम केवल पता ही नहीं होने चाहिए वरन् उन्हें लागू भी किया जाना चाहिए। इसलिए जब इन नियमों को न्यायालय द्वारा लागू किया जाता है तो इससे सभी को विश्वास हो जाता है कि और लोग भी इन नियमों का पालन करेंगे, क्योंकि ऐसा न करने पर उन्हें दंड दिया जायेगा। संविधान ऐसे नियमों को न केवल उपलब्ध कराता है, बल्कि उन्हें न्यायालय द्वारा लागू भी करवाता है।

2. निर्णय लेने की शक्ति का निर्धारण: संविधान का दूसरा काम यह स्पष्ट करना है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी। संविधान यह भी तय करता है कि सरकार कैसे निर्मित होगी । संविधान कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धान्तों का समूह है जिसके आधार पर राज्य का निर्माण और शासन का निर्माण होता है। वह समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट करता है तथा यह तय करता है कि कानून कौन बनायेगा – राजा या केवल एक दल विशेष या जनता या जन-प्रतिनिधि। यदि यह काम जन प्रतिनिधियों द्वारा करना है तो संविधान यह भी तय करता है कि उन प्रतिनिधियों का चयन कैसे होगा और कुल प्रतिनिधि कितने होंगे । इस प्रकार संविधान सरकार का निर्माण करने वाली सत्ता है।

3. सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ: सविधान का तीसरा काम यह है कि वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की कोई सीमा तय करे। ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उनका उल्लंघन नहीं कर सकती। संविधान सरकार की शक्तियों को कई तरह से सीमित करता है। यथा

  • वह नागरिकों के मूल अधिकारों को स्पष्ट कर देता है ताकि कोई भी सरकार उनका उल्लंघन न कर सके।
  • वह नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के गिरफ्तार करने के विरुद्ध अधिकार प्रदान करता है।
  • वह नागरिकों को कुछ मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान कर देता है, जैसे भाषण की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता आदि।
    व्यवहार में इन अधिकारों व स्वतन्त्रताओं को राष्ट्रीय आपातकाल में सीमित किया जा सकता है और संविधान उन परिस्थितियों का भी उल्लेख करता है जिनमें इन अधिकारों को वापिस लिया जा सकता है।

4. समाज की आकांक्षाएँ और लक्ष्य: संविधान का चौथा काम यह है कि वह सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करे जिससे वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके। आधुनिक संविधान निर्णय लेने की शक्ति के वितरण और सरकार की शक्ति पर प्रतिबंध लगाने के काम के साथ- साथ एक ऐसा सक्षम ढांचा भी प्रदान करते हैं जिससे सरकार कुछ सकारात्मक कार्य कर सके और समाज की आकांक्षाएँ और उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति दे सके। उदाहरण के लिए भारत के संविधान में मौलिक अधिकार और राज्य की नीति के निर्देशक तत्व ऐसे ही प्रावधान हैं।

5. राष्ट्र की बुनियादी पहचान: संविधान किसी समाज की बुनियादी पहचान होती है अर्थात् इसके माध्यम से किसी समाज की एक सामूहिक इकाई के रूप में पहचान होती है। संविधान के द्वारा कोई समाज कुछ. बुनियादी नियमों और सिद्धान्तों पर सहमत होकर अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाता है। संविधान आधिकारिक बंधन लगाकर यह तय कर देता है कि कोई क्या कर सकता है और क्या नहीं। इस तरह संविधान उस समाज को नैतिक पहचान भी देता है।

अधिकतर संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करते हैं और ऐसी सरकारें संभव बनाते हैं जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती हैं। लेकिन राष्ट्रीय पहचान की अवधारणा अलग-अलग संविधानों में अलग-अलग होती है। जहाँ जर्मनी के संविधान ने ‘जर्मन नस्ल’ को नागरिकता की अभिव्यक्ति दी है, वहाँ भारतीय संविधान ने जातीयता या नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं दी है। विभिन्न राष्ट्रों में देश की केन्द्रीय सरकार और विभिन्न क्षेत्रों के बीच सम्बन्धों को लेकर विभिन्न अवधारणाएँ होती हैं। यह सम्बन्ध उस देश की राष्ट्रीय पहचान बनाते हैं।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौनसा समानता के सिद्धान्त का उल्लंघन करता है।
(अ) प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।
(ब) केवल श्वेत लोगों को ही एक डिब्बे में यात्रा करने की अनुमति है।
(स) स्त्रियों को नौकरियों में मातृत्व अवकाश प्रदान किया गया है।
(द) अनुसूचित जाति के लोगों को नौकरियों में आरक्षण दिया गया है।
उत्तर:
(ब) केवल श्वेत लोगों को ही एक डिब्बे में यात्रा करने की अनुमति है।

2. निम्नलिखित में से कौनसा तर्क समानता की सकारात्मक विभेदीकरण, विशेषकर आरक्षण की नीति का समर्थन करता है।
(अ) यह मनमाने तरीके से समाज के अन्य वर्गों को समान व्यवहार के अधिकार से वंचित करती है।
(ब) यह भी एक तरह का भेदभाव है।
(स) यह वंचित समूहों के अवसर की समानता के अधिकार को व्यावहारिक बनाती है।
(द) यह जातिगत पूर्वाग्रहों को और मजबूत कर समाज को विभाजित करती है ।
उत्तर:
(स) यह वंचित समूहों के अवसर की समानता के अधिकार को व्यावहारिक बनाती है।

3. निम्नलिखित में से कौनसी विभेदक बरताव की मांग समानता के सिद्धान्त को यथार्थपरक नहीं बनाती है।
(अ) विकलांगों को सार्वजनिक स्थानों पर विशेष ढलान वाले रास्तों की मांग
(ब) रात में कॉल सेंटर में काम करने वाली महिला को कॉल सेंटर आते-जाते समय विशेष सुरक्षा की मांग
(स) श्वेत लोगों के लिए पृथक् से विश्राम गृह बनाने की मांग
(द) कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बालबाड़ी की मांग
उत्तर:
(स) श्वेत लोगों के लिए पृथक् से विश्राम गृह बनाने की मांग

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

4. निम्नलिखित में कौनसा कथन समानता को दर्शाता है।
(अ) वर्तमान में विश्व में लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों में ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार ‘ लागू किया जा चुका है।
(ब) दुनिया के 50 सबसे अमीर आदमियों की सामूहिक आमदनी दुनिया के 50 करोड़ सबसे गरीब लोगों की सामूहिक आमदनी के बराबर है।
(स) दुनिया की 40 प्रतिशत गरीब जनसंख्या का दुनिया की कुल आमदनी में हिस्सा केवल 5 प्रतिशत है, जबकि 5 प्रतिशत अमीर लोग दुनिया की 40 प्रतिशत आमदनी पर नियंत्रण करते हैं।
(द) अपने देश में हम आलीशान आवासों के साथ-साथ झोंपड़पट्टियां भी देखते हैं।
उत्तर:
(अ) वर्तमान में विश्व में लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों में ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार ‘ लागू किया जा चुका है।

5. निम्नलिखित में किस प्रकार की समानता के अभाव में स्वतंत्रता प्रभावहीन हो जाती है?
(अ) नैतिक समानता
(ब) प्राकृतिक समानता
(स) धार्मिक समानता
(दं) आर्थिक समानता
उत्तर:
(दं) आर्थिक समानता

6. जाति एवं रंगभेद विरोधी आन्दोलन मांग करता है।
(अ) राजनीतिक समानता की
(ब) सामाजिक समानता की
(स) राष्ट्रीय समानता की
(द) धार्मिक समानता की
उत्तर:
(ब) सामाजिक समानता की

7. ” समानता स्वतंत्रता की शत्रु नहीं, उसकी एक आवश्यक शर्त है।” यह कथन है।
(अ) प्लेटो का
(ब) अरस्तू का
(स) आर. एस. टोनी का
(द) लार्ड एक्टन का
उत्तर:
(स) आर. एस. टोनी का

8. “र्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता एक भ्रम है।” यह कथन है।
(अ) प्रो. जोड का
(ब) गांधी का
(स) प्लेटो का
(द) अरस्तू का
उत्तर:
(अ) प्रो. जोड का

9. छुआछूत विरोधी निम्नलिखित में से किस समानता के पक्षधर हैं।
(अ) नैतिक समानता
(ब) सामाजिक समानता
(स) राजनीतिक समानता
(द) आर्थिक समानता
उत्तर:
(ब) सामाजिक समानता

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

10. निम्नलिखित में कौनसा कथन ठीक है?
(अ) पूर्ण समानता केवल प्रजातांत्रिक व्यवस्था में ही संभव है।
(ब) पूर्ण समानता केवल तानाशाही शासन में संभव है।
(स) पूर्ण समानता असंभव है।
(द) पूर्ण समानता केवल संसदीय शासन में ही संभव है।
उत्तर:
(स) पूर्ण समानता असंभव है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. समानता का दावा है कि सभी ………………. समान महत्त्व और सम्मान पाने योग्य हैं।
उत्तर:
मनुष्य

2. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों का नारा था – स्वतंत्रता, ……………….. और भाईचारा।
उत्तर:
समानता

3. लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं, प्रतिभा और उनके अलग-अलग चयन के कारण …………………. पैदा होती हैं।
उत्तर:
प्राकृतिक

4. समाज में अवसरों की असमानता होने से ………………… असमानताएँ पैदा होती हैं।
उत्तर:
समाजजनित

5. ……………… असमानताएँ विशेषाधिकार जैसी असमानताओं को बढ़ावा देती हैं।
उत्तर:
आर्थिक

निम्नलिखित में से सत्य/ असत्य कथन छाँटिये

1. उदारवाद स्त्री – पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धान्त है।
उत्तर:
असत्य

2. नारीवाद के अनुसार स्त्री-पुरुष असमानता ‘पितृसत्ता’ का परिणाम है।
उत्तर:
सत्य

3. उदारवादी मानते हैं कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ एक-दूसरे से अनिवार्यत: जुड़ी होती हैं।
उत्तर:
असत्य

4. मार्क्स का मानना था कि खाईनुमा असमानताओं का बुनियादी कारण महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधनों का निजी स्वामित्व है।
उत्तर:
सत्य

5. समानता की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि सभी निषेध या विशेषाधिकारों का अन्त किया जाये।
उत्तर:
सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. फ्रांसीसी क्रांति
2. साझी मानवता
3. प्राकृतिक असमानताएँ
4. समाजजनित असमानताएँ
5. नारीवादी
उत्तर:
(अ) सभी मनुष्य समान सम्मान एवं परवाह के हकदार
(ब) अवसरों की असमानता का परिणा
(स) स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों के पक्षधर
(द) जन्मजात विशिष्टताओं और योग्यताओं का परिणाम
(य) स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे का नारा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समानता के कोई दो आयाम लिखो।
उत्तर:

  1. राजनीतिक समानता
  2. सामाजिक समानता।

प्रश्न 2.
समानता का नैतिक आदर्श क्या है?
उत्तर:
समानता का नैतिक आदर्श है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान पाने के योग्य हैं।

प्रश्न 3.
सामाजिक समानता का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सामाजिक समानता का तात्पर्य है। समाज से विशेषाधिकारों का अन्त होना तथा समाज में सभी व्यक्तियों का व्यक्ति होने के नाते समान महत्व होना।

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प्रश्न 4.
प्राकृतिक समानता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
प्राकृतिक समानता से आशय है कि प्राकृतिक रूप से सभी मनुष्य बराबर हैं।

प्रश्न 5.
अवसरों की समानता से क्या आशय है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए समान अवसरों का मिलना ही अवसरों की समानता

प्रश्न 6.
भारत के प्रमुख समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कौनसी पाँच तरह की असमानताओं का उल्लेख किया?
उत्तर:
समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने

  1. स्त्री-पुरुष असमानता,
  2. रंग आधारित असमानता,
  3. जातिगत असमानता,
  4. आर्थिक असमानता तथा
  5. कुछ देशों का अन्य पर औपनिवेशिक शासन की असमानता का उल्लेख किया।

प्रश्न 7.
सामाजिक समानता की स्थापना के लिए नागरिकों का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
सामाजिक समानता की स्थापना हेतु नागरिकों का दृष्टिकोण उदार एवं व्यापक होना चाहिए।

प्रश्न 8.
समाजवादी राज्यों में समानता के किस रूप पर विशेष बल दिया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक समानता पर।

प्रश्न 9.
समाज में आर्थिक एवं सामाजिक विषमताएँ बढ़ने पर क्या परिणाम होगा?
उत्तर:
अमीर वर्ग गरीब वर्ग का तथा उच्च वर्ग निम्न वर्ग का शोषण करने लगेगा।

प्रश्न 10.
स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धान्त कौनसा है?
उत्तर:
नारीवाद स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धान्त है।

प्रश्न 11.
नारीवाद के अनुसार स्त्री-पुरुष असमानता किसका परिणाम है?
उत्तर:
नारीवाद के अनुसार स्त्री पुरुष असमानता पितृसत्ता का परिणाम है।

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प्रश्न 12.
समानता का हमारा आत्मबोध क्या कहता है?
उत्तर:
समानता का हमारा आत्मबोध यह कहता है कि साझी मानवता के कारण सभी मनुष्य बराबर सम्मान के हकदार हैं।

प्रश्न 13.
राज्य के समाज के सबसे वंचित सदस्यों की मदद करने के कोई दो तरीके लिखिये।
उत्तर:

  1. आरक्षण
  2. कम उम्र से ही विशेष सुविधायें प्रदान करना।

प्रश्न 14.
कुछ सामाजिक संस्थाएँ और राजसत्ता लोगों में किस प्रकार की असमानता कायम रखती हैं?
उत्तर:
बहुत सी सामाजिक संस्थाएँ और राजसत्ता लोगों में पद, धन, हैसियत या विशेषाधिकार की असमानता कायम रखती हैं।

प्रश्न 15.
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांसीसी क्रांति में क्रांतिकारियों का क्या नारा था?
उत्तर:
18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुई फ्रांसीसी क्रांति में ‘स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा’ फ्रांसीसी क्रांतिकारियों का नारा था।

प्रश्न 16.
स्पष्ट करें कि स्वतंत्रता तथा समानता परस्पर विरोधी नहीं हैं?
उत्तर:
स्वतंत्रता तथा समानता दोनों का उद्देश्य व्यक्ति के विकास, सुविधाएँ व उसके व्यक्तित्व के विकास से जुड़ा है, इसलिए यह विरोधी नहीं है।

प्रश्न 17.
20वीं सदी में समानता की मांग कहाँ और किसके द्वारा उठायी गयी थी?
उत्तर:
20वीं सदी में समानता की मांग एशिया और अफ्रीका के उपनिवेश विरोधी स्वतंत्रता संघर्षों के दौरान महिलाओं और दलित समूहों द्वारा उठायी गयी थी।

प्रश्न 18.
आज भी विश्व में किस प्रकार की असमानताएँ व्याप्त हैं?
उत्तर:
आज भी विश्व में धन-सम्पदा, अवसर, कार्य-स्थिति और शक्ति की भारी असमानताएँ व्याप्त हैं।

प्रश्न 19.
हम असमानता के किन आधारों को अस्वीकार करते हैं?
उत्तर:
हम असमानता के जन्म सम्बन्धी आधारों; जैसे धर्म, नस्ल, जाति या लिंग आदि, को अस्वीकार करते हैं।

प्रश्न 20.
प्राकृतिक असमानताएँ लोगों में किस कारण पैदा होती हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक असमानताएँ लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं, प्रतिभा और उनके अलग-अलग चयन के कारण पैदा होती हैं।

प्रश्न 21.
समार्जजनित असमानताएँ किस कारण पैदा होती हैं?
उत्तर:
समाजजनित असमानताएँ समाज में अवसरों की असमानता होने या किसी समूह का दूसरे के द्वारा शोषण किये जाने से पैदा होती हैं।

प्रश्न 22.
असमानता को समाप्त करने के लिए किन्हीं दो सकारात्मक कार्यवाहियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
वंचित समुदायों के लिए छात्रवृत्ति और होस्टल जैसी सुविधाओं पर वरीयता के आधार पर खर्च करना तथा नौकरियों व शैक्षिक संस्थाओं में उनके प्रवेश की विशेष व्यवस्था करना।

प्रश्न 23.
सकारात्मक कार्यवाही के रूप में विशेष सहायता को किस प्रकार का उपाय माना गया है? उत्तर- इसे एक निश्चित अवधि तक चलने वाला तदर्थ उपाय माना गया है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समान लोगों के साथ समान व्यवहार का अर्थ बताइये
अथवा
समानता के आदर्श से क्या आशय है?
उत्तर:
समानता के आदर्श का आशय है। साझी मानवता के कारण सभी मनुष्य समान व्यवहार के हकदार हैं; लेकिन इसका अभिप्राय व्यवहार के सभी तरह के अन्तरों का उन्मूलन नहीं है, बल्कि यह है कि हमें जो अवसर प्राप्त होते हैं, वे जन्म या सामाजिक परिस्थितियों से निर्धारित नहीं होने चाहिए।

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प्रश्न 2.
समानता का राजनैतिक आदर्श क्या है?
उत्तर:
एक राजनैतिक आदर्श के रूप में समानता की अवधारणा उन विशिष्टताओं पर बल देती है जिसमें सभी मनुष्य रंग, लिंग, वंश या राष्ट्रीयता के अन्तर के बाद भी साझेदार होते हैं। जैसे’ मानवता के प्रति अपराध’ सभी के लिए समान हैं।

प्रश्न 3.
समानता का नैतिक आदर्श क्या है?
उत्तर:
समानता का नैतिक आदर्श यह है कि हर धर्म ईश्वर की श्रेष्ठतम रचना के रूप में प्रत्येक मनुष्य के समान महत्त्व की घोषणा करता है। समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान पाने के योग्य हैं।

प्रश्न 4.
प्राकृतिक असमानता और सामाजिक असमानता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्राकृतिक असमानताएँ लोगों की जन्मगत विशिष्टताओं और योग्यताओं का परिणाम मानी जाती हैं, जबकि सामाजिक असमानताएँ वे हैं जिन्हें समाज ने पैदा किया है, जो समाजजनित हैं।

प्रश्न 5.
राजनैतिक समानता से क्या आशय है?
उत्तर:
राजनैतिक समानता से आशय है। समाज के सभी नागरिकों को कुछ मूल अधिकार, जैसे—मतदान का अधिकार, कहीं भी आने-जाने, संगठन बनाने और अभिव्यक्ति तथा धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता आदि प्राप्त हों।

प्रश्न 6.
सामाजिक समानता क्या है?
उत्तर:
सामाजिक समानता: सामाजिक समानता से आशय यह है कि समाज के विभिन्न समूह और समुदायों के लोगों के पास समाज में उपलब्ध साधनों और अवसरों को पाने का बराबर और उचित मौका हो। समाज में सभी सदस्यों के जीवनयापन के लिए अन्य चीज़ों के अतिरिक्त पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा, अच्छी शिक्षा पाने का अवसर, उचित पोषक आहार व न्यूनतम वेतन जैसी कुछ न्यूनतम चीजों की गारण्टी दी गई हो।

प्रश्न 7.
समानता को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
समानता को परिभाषित करना आसान नहीं है। कुछ विचारकों के अनुसार समानता से आशय प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार करने से है। लेकिन हर स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक समान व्यवहार करना संभव नहीं है। प्रकृति ने भी सभी व्यक्तियों को सभी तरह से एक समान नहीं बनाया है। इस प्रकार समानता का अर्थ है- जन्म, लिंग, रंग, जाति तथा वंश पर आधारित भेदभाव के बिना सभी लोगों के व्यक्तित्व के विकास के लिए समान अवसरों की उपलब्धि।

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प्रश्न 8.
” साझी मानवता के कारण सभी मनुष्य बराबर सम्मान और परवाह के हकदार हैं।” इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
इस कथन का आशय यह है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान पाने के योग्य हैं। लेकिन लोगों से बराबर सम्मान का व्यवहार करने का अर्थ यह आवश्यक नहीं है कि हमेशा एक जैसा व्यवहार किया जाये। कोई भी समाज अपने सभी सदस्यों के साथ सभी स्थितियों में पूर्णतया एक समान बरताव नहीं करता और न ही यह संभव है। समाज के सहज कार्य-व्यापार के लिए कार्य का विभाजन आवश्यक है। अलग-अलग काम, अलग- अलग लोगों को अलग-अलग महत्त्व व लाभ दिलाता है। व्यवहार का यह अन्तर न केवल स्वीकार्य है, बल्कि आवश्यक भी है। समानता के समान व्यवहार में यह बात भी निहित है।

प्रश्न 9.
आर्थिक समानता से क्या आशय है?
उत्तर:
आर्थिक समानता: आर्थिक समानता से आशय है कि समाज के लोगों में धन-दौलत व आय की समानता हो। लेकिन समाज में धन-दौलत या आय की पूरी समानता संभवत: कभी विद्यमान नहीं रही। आज अधिकतर लोकतंत्र लोगों को समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं, ताकि आवश्यक प्रयासों द्वारा कोई भी समाज में अपनी स्थिति को सुधार सके। लेकिन किसी समाज में कुछ खास वर्ग के लोग पीढ़ियों से बेशुमार धन-दौलत तथा इससे हासिल होने वाली सत्ता का उपयोग करते हैं, तो समाज अत्यधिक धनी और अत्यधिक निर्धन दो वर्गों में बंट जायेगा। ऐसी स्थिति में आर्थिक समानता से आशय है समान अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ आवश्यक संसाधनों पर जनता का नियंत्रण कायम करके या अन्य उपाय करके आर्थिक असमानता की खाइयों को कम करके समान अवसर की उपलब्धता को व्यावहारिक भी बनाना।

प्रश्न 10.
समानता के महत्त्व का संक्षिप्त में वर्णन करो।
उत्तर:
समानता व्यक्ति एवं समाज दोनों के लिए अत्यधिक उपयोगी है। इसके बिना अशान्ति एवं अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। समानता के अभाव में स्वतंत्रता भी निरर्थक होती है। उदाहरण के लिए आर्थिक समानता होने पर ही राजनीतिक स्वतन्त्रता का सही अर्थों में उपयोग किया जा सकता है। समानता के बिना कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकता है। समानता का दावा है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान पाने योग्य हैं । समानता की अवधारणा एक राजनीतिक आदर्श के रूप में उन विशिष्टताओं पर जोर देती है जिसमें सभी मनुष्य रंग, लिंग, वंश या राष्ट्रीयता के फर्क के बावजूद साझेदार होते हैं।

प्रश्न 11.
अवसरों की समानता से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
अवसरों की समानता: अवसरों की समानता से यह आशय है कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता और प्रतिभा को विकसित करने के लिए तथा अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार और समान अवसरों के हकदार हैं। इसका आशय यह है कि समाज में लोग अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के मामलों में अलग हो सकते हैं, उनकी प्रतिभा और योग्यताओं में भी अन्तर हो सकता है और इस कारण कुछ लोग अपने चुने हुए क्षेत्रों में बाकी लोगों से ज्यादा सफल हो सकते हैं, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षित आवास जैसी बुनियादी चीजों की उपलब्धता में असमानता नहीं होनी चाहिए। इस असमानता के चलते अवसरों की समानता व्यावहारिक नहीं हो सकती।

प्रश्न 12.
समानता को लोकतंत्र की आधारशिला क्यों कहा गया है?
उत्तर:
समानता लोकतंत्र की आधारशिला है क्योंकि लोकतंत्र की स्थापना के लिए राजनीतिक समानता का होना अति आवश्यक है। राजनीतिक समानता के अन्तर्गत समाज के सभी सदस्यों को समान नागरिकता प्रदान करना है। समान नागरिकता अपने साथ कुछ मूल अधिकार, जैसे मतदान का अधिकार, कहीं भी आने-जाने, संगठन बनाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता लाती है। ये ऐसे अधिकार हैं, जो नागिरकों को अपना विकास करने और राज्य के कामकाज में हिस्सा लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक माने जाते हैं।

अतः स्पष्ट है कि समानता लोकतंत्र की आधारशिला है। दूसरे, समानता के अभाव में स्वतंत्रता का भी कोई मूल्य नहीं। यदि सभी को राजनीतिक स्वतंत्रता मिल जाये, लेकिन आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक असमानता के कारण शोषणकारी स्थितियाँ बनी रहें तो राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थात् लोकतंत्र निरर्थक हो जायेगा। अतः लोकतंत्र के स्थायित्व के लिए राजनैतिक समानता के साथ-साथ आर्थिक समानता भी आवश्यक है।

प्रश्न 13.
समानता के विभिन्न प्रकार कौन-कौनसे हैं ? स्पष्ट करो।
उत्तर:
विभिन्न विचारकों और विचारधाराओं ने समानता के तीन प्रकारों को रेखांकित किया है। ये निम्न हैं।

  1. राजनीतिक समानता: सभी सदस्यों को समान नागरिकता प्रदान करना, वयस्क मताधिकार, कहीं भी आने-जाने, संगठन बनाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार नागरिकों को समान रूप से प्राप्त होते हैं। इस प्रकार राजनीतिक समानता न्यायपूर्ण और समतावादी समाज के गठन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  2. सामाजिक समानता: सामाजिक समानता का आशय अवसरों की समानता देने से है। इसका उद्देश्य विभिन्न समूह और समुदाय के लोगों के पास उपलब्ध साधनों और अवसरों को पाने का बराबर और उचित मौका हो।
  3. आर्थिक समानता: आर्थिक समानता से आशय है। समाज के सदस्यों और वर्गों के बीच धन, सम्पत्ति और आय की अत्यधिक भिन्नता न हो।

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प्रश्न 14.
समानता क्या है? समानता का नैतिक और राजनैतिक आदर्श क्या है? समझाइये।
उत्तर:
समानता का अर्थ: समानता से यह आशय हैं कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता और प्रतिभा को विकसित करने के लिए तथा अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार और अवसरों के हकदार हैं समानता का नैतिक और राजनैतिक आदर्श समानता एक शक्तिशाली नैतिक और राजनैतिक आदर्श के रूप में मानव समाज को प्रेरित और निर्देशित करती रही है। नैतिक आदर्श के रूप में समानता की बात सभी आस्थाओं और धर्मों में समाविष्ट है। हर धर्म ईश्वर की रचना के रूप में प्रत्येक मनुष्य के समान महत्त्व की घोषणा करता है। समानता की अवधारणा एक राजनैतिक आदर्श के रूप में उन विशिष्टताओं पर जोर देती है जिसमें तमाम मनुष्य रंग, लिंग, वंश या राष्ट्रीयता के फर्क के बाद भी साझेदार होते हैं। इस प्रकार नैतिक और राजनैतिक आदर्श के रूप में समानता का दावा है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्त्व और सम्मान पाने योग्य हैं।

प्रश्न 15.
क्या समानता का मतलब व्यक्ति से हर स्थिति में एक समान बरताव करना है?
उत्तर:
समानता का हमारा आत्मबोध कहता है कि साझी मानवता के कारण सभी मनुष्य बराबर सम्मान और समान व्यवहार के हकदार हैं। लेकिन लोगों से समान सम्मान और समान व्यवहार करने का मतलब आवश्यक नहीं कि हमेशा एक जैसा व्यवहार किया जाये। कोई भी समाज अपने सभी सदस्यों के साथ सभी स्थितियों में पूर्णतया एक समान बरताव नहीं करता। समाज के सहज कार्य-व्यापार के लिए कार्य का विभाजन जरूरी है। अलग-अलग काम और अलग-अलग लोगों को महत्त्व और लाभ भी अलग-अलग मिलता है।

कई बार इस व्यवहार में यह अन्तर न केवल स्वीकार्य होता है, बल्कि आवश्यक भी होता है। लेकिन कई बार लोगों से अलग तरह का व्यवहार इसलिए किया जाता है कि उनका जन्म किसी खास धर्म, नस्ल, जाति या लिंग में हुआ है। असमान व्यवहार के ये आधार समानता के सिद्धान्त में अस्वीकृत किये गयेहैं। लेकिन लोगों की आकांक्षाएँ और लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं और हो सकता है कि सभी को समान सफलता न मिले। समानता के आदर्श से जुड़े होने का यह अर्थ नहीं है कि सभी तरह के अन्तरों का उन्मूलन हो जाए। यहाँ हमारा अभिप्राय केवल इतना है कि हमसे जो व्यवहार किया जाता है और हमें जो भी अवसर प्राप्त होते हैं, वे जन्म या सामाजिक परिस्थितियों से निर्धारित नहीं होने चाहिए।

प्रश्न 16.
विभेदक बरताव द्वारा समानता से क्या आशय है?
उत्तर:
विभेदक बरताव द्वारा समानता:
समानता के सिद्धान्त को यथार्थ में बदलने के लिए औपचारिक समानता या कानून के समक्ष समानता आवश्यक तो है, लेकिन पर्याप्त नहीं। कभी-कभी यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग समान अधिकारों का उपभोग कर सकें, उनसे अलग-अलग बरताव करना आवश्यक होता है। इस उद्देश्य से लोगों के बीच कुछ अन्तरों को ध्यान में रखना होता है । जैसे— विकलांगों की सार्वजनिक स्थानों पर विशेष दलान वाले रास्तों की मांग न्यायोचित होगी, क्योंकि इससे ही उन्हें सार्वजनिक भवनों में प्रवेश करने का समान अवसर मिल सकेगा। ऐसे अलग-अलग बरतावों को समानता को बढ़ावा देने वाले उपायों के रूप में देखा जाना चाहिए। इसी को विभेदक बरताव द्वारा समानता की स्थापना कहते हैं।

प्रश्न 17.
अवसरों की समानता बढ़ाने के लिए ‘सकारात्मक कार्यवाही’ के विचार को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
सकारात्मक कार्यवाही: कुछ देशों ने अवसरों की समानता बढ़ाने के लिए ‘सकारात्मक कार्यवाही’ की नीतियाँ अपनाई हैं। सकारात्मक कार्यवाही इस विचार पर आधारित है कि कानून द्वारा औपचारिक समानता स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं है। असमानताओं को मिटाने के लिए जरूरी होगा कि असमानता की गहरी खाइयों को भरने वाले अधिक सकारात्मक कदम उठाए जाएँ। इसीलिए सकारात्मक कार्यवाही की अधिकतर नीतियाँ अतीत की असमानताओं के संचयी दुष्प्रभावों को दुरुस्त करने के लिए बनाई जाती हैं। सकारात्मक कार्यवाही के रूप- सकारात्मक कार्यवाही के कई रूप हो सकते हैं। यथा

  1. इसमें वंचित समुदायों के लिए छात्रवृत्ति और हॉस्टल जैसी सुविधाओं पर वरीयता के आधार पर खर्च करने की नीति हो सकती है।
  2. इसमें नौकरियों और शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए विशेष व्यवस्था करने की नीतियाँ हो सकती हैं। सकारात्मक कार्यवाही के रूप में विशेष सहायता को एक निश्चित समय अवधि तक चलने वाला तदर्थ उपाय माना गया है। इसके पीछे मान्यता यह है कि विशेष बरताव इन समुदायों को वर्तमान वंचनाओं से उबरने में सक्षम बनाएगा और फिर ये अन्य समुदायों से समानता के आधार पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकेंगे।

प्रश्न 18.
कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है। इस सम्बन्ध में आप अपने विचार लिखिये।
उत्तर:
कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है। लेकिन मैं इस मत से सहमत नहीं हूँ। असमानता प्राकृतिक और सामाजिक दोनों हैं। प्राकृतिक असमानताएँ लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं, योग्यताओं, विशिष्टताओं तथा उनके अलग-अलग चयन के कारण पैदा होती हैं। प्राकृतिक असमानताएँ न्यायोचित होती हैं तथा इन्हें बदला नहीं जा सकता। दूसरी तरफ सामाजिक असमानताएँ सामाजिक विशेषाधिकारों, अवसरों की असमानता तथा शोषण के कारण पैदा होती हैं। सामाजिक असमानताएँ समाजजनित होती हैं, ये न्यायोचित नहीं होतीं तथा इन्हें बदला जा सकता है।

प्रश्न 19.
समाज में समानता की स्थापना हेतु सुझाव दीजिये।
उत्तर:
किसी समाज में समानता की स्थापना हेतु निम्न प्रयास किये जाने चाहिए

  1. राजनीतिक समानता की स्थापना: किसी भी लोकतांत्रिक समाज में समानता की स्थापना हेतु सभी व्यक्तियों को समान नागरिकता प्रदान करनी चाहिए। इससे राजनीतिक और कानूनी समानता की स्थापना होगी । राजनीतिक समानता न्यायपूर्ण और समतावादी समाज के गठन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  2. अवसरों की समानता प्रदान करना: समाज में सभी सदस्यों के जीवन-यापन के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा, अच्छी शिक्षा पाने के अवसर, उचित पोषक आहार व न्यूनतम वेतन जैसी चीजों की गारण्टी होनी चाहिए। राज्य को इस दिशा में विशेष प्रयत्न करना चाहिए कि सभी लोगों को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए अवसरों की समानता हो।
  3. विभेदक बरताव द्वारा समानता: लोग समान अधिकारों का उपभोग कर सकें, इसके लिए विशिष्ट लोगों के लिए विभेदक बरताव की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए। जैसे विकलांगों के लिए ढलान वाले रास्तों का होना।
  4. सकारात्मक कार्यवाही या नीतियाँ: अवसरों की समानता को बढ़ाने के लिए सरकार को वंचितों के लिए विशिष्ट नीतियाँ भी बनानी चाहिए। जैसे—भारत में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

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प्रश्न 20.
‘राजनीतिक समानता आर्थिक समानता के बिना अधूरी है।’ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राजनीतिक समानता आर्थिक समानता के बिना अधूरी है क्योंकि।

  1. आर्थिक असमानता के कारण समाज धनी और निर्धन वर्गों में बँट जाता है। गरीब वर्ग के पास चुनाव लड़ने के साधनों की कमी होती है। अतः वे अपनी निर्धनता के कारण अपने इस राजनीतिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। फलतः धनी वर्ग ही राजनीतिक सत्ता का उपभोग करता रहता है।
  2. प्राय: यह भी देखने में आया है कि राजनीतिक दलों एवं मीडिया पर भी गरीब वर्ग की अपेक्षा धनी वर्ग का नियंत्रण रहता है। इस प्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी वे समान उपभोग नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 21.
‘समानता और स्वतंत्रता में क्या सम्बन्ध है?’ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
समानता और स्वतंत्रता में संबंध – समानता और स्वतंत्रता एक-दूसरे की पूरक हैं। ‘समानता के बिना स्वतन्त्रता अधूरी है।’ अतः दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। यथा

  1. स्वतंत्रता और समानता का विकास साथ- साथ हुआ है।
  2. दोनों का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास हेतु उचित वातावरण का निर्माण करना है।
  3. स्वतन्त्रता का उपभोग करने के लिए समानता परमावश्यक है।
  4. समानता और स्वतंत्रता दोनों लोकतंत्र के आधार – स्तंभ हैं।

प्रश्न 22.
उदारवादी समाज में संसाधनों और लाभांशों के वितरण का सबसे कारगर उपाय क्या मानते हैं?
उत्तर:
उदारवादी समाज में संसाधनों और लाभांशों के वितरण का सबसे कारगर तथा उचित तरीका प्रतिद्वन्द्विता के सिद्धान्त को मानते हैं। उनका मानना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष परिस्थितियों में लोगों के बीच प्रतिस्पर्द्धा ही समाज में लाभांशों के वितरण का सबसे न्यायपूर्ण और कारगर उपाय होती है। जब तक प्रतिस्पर्द्धा स्वतन्त्र और खुली होगी, असमानताओं की खाइयाँ नहीं बनेंगी और लोगों को अपनी प्रतिभा और प्रयासों का लाभ मिलता रहेगा।

प्रश्न 23.
राममनोहर लोहिया की सप्त क्रांतियाँ क्या थीं?
उत्तर:
भारत में प्रमुख समाजवादी चिंतक राममनोहर लोहिया ने पाँच तरह की असमानताओं की पहचान की, जिनके खिलाफ एक साथ लड़ना होगा। ये पाँच असमानताएँ थीं

  1. स्त्री-पुरुष असमानता
  2. चमड़ी के रंग पर आधारित असमानता
  3. जातिगत असमानता
  4. कुछ देशों का अन्य पर औपनिवेशिक शासन
  5. आर्थिक असमानता। लोहिया का कहना था कि इस असमानताओं में से प्रत्येक की अलग-अलग जड़ें हैं और उन सबके खिलाफ अलग-अलग लेकिन एक साथ संघर्ष छेड़ने होंगे। उनके लिए उक्त पाँच असमानताओं के खिलाफ संघर्ष का अर्थ था पाँच क्रांतियाँ। उन्होंने इस सूची में दो और क्रांतियों को शामिल किया
  6. व्यक्तिगत जीवन पर अन्यायपूर्ण अतिक्रमण के खिलाफ नागरिक स्वतंत्रता के लिए क्रांति तथा
  7. अहिंसा के लिए, सत्याग्रह के पक्ष में शस्त्र त्याग के लिए क्रांति । ये ही सप्तक्रांतियां थीं, जो लोहिया के अनुसार समाजवाद का आदर्श हैं।

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प्रश्न 24.
भारत द्वारा अपनाई गयी सकारात्मक विभेदीकरण, विशेषकर आरक्षण की नीति के विरोध में आलोचक क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
आरक्षण की नीति के विरोध में तर्क- आरक्षण की नीति के आलोचक इसके विरोध में समानता के सिद्धान्त का सहारा लेते हुए निम्नलिखित तर्क देते हैं।

  1. वंचितों को उच्च शिक्षा या नौकरियों में आरक्षण या कोटा देने का कोई भी प्रावधान अनुचित है, क्योंकि यह मनमाने तरीके से समाज के अन्य वर्गों को समान व्यवहार के अधिकार से वंचित करता है।
  2. आरक्षण भी एक तरह का भेदभाव है जबकि समानता की माँग है कि सब लोगों से बिल्कुल एक तरह से व्यवहार हो।
  3. जब हम जाति के आधार पर अंतर करते हैं, तब हम जातिगत और नस्लगत पूर्वाग्रहों को और भी मजबूत कर रहे होते हैं।

प्रश्न 25.
नारीवाद क्या है?
उत्तर:
नारीवाद: नारीवाद स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धान्त है। वे स्त्री या पुरुष नारीवादी कहलाते हैं, जो मानते हैं कि स्त्री-पुरुष के बीच की अनेक असमानताएँ न तो नैसर्गिक हैं और न ही आवश्यक। नारीवादियों का मानना है कि इन असमानताओं को बदला जा सकता है और स्त्री-पुरुष एक समतापूर्ण जीवन जी सकते हैं।

प्रश्न 26.
‘नारीवादियों के अनुसार स्त्री-पुरुष असमानता का मूल कारण पितृसत्ता है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पितृसत्ता से आशय एक ऐसी सामाजिक, आर्थिक-सांस्कृतिक व्यवस्था से है, जिसमें पुरुष को स्त्री से अधिक महत्त्व और शक्ति दी जाती है। इसके अनुसार पुरुष और स्त्री प्रकृति से भिन्न हैं और यही भिन्नता समाज में उनकी असमान स्थिति को न्यायोचित ठहराती है। लेकिन नारीवादियों का कहना है कि स्त्री-पुरुष के बीच जैविक विभेद तो प्राकृतिक है, लेकिन लैंगिकता ( स्त्री-पुरुष के बीच सामाजिक भूमिकाओं का विभेद) समाजजनित है।

पितृसत्ता ने श्रम का विभाजन कुछ ऐसा किया है जिसमें स्त्री घरेलू किस्म के कार्यों के लिए जिम्मेदार है तो पुरुष की जिम्मेदारी सार्वजनिक और बाहरी दुनिया के कार्यक्षेत्र से है। नारीवादियों का मत है कि निजी और सार्वजनिक के बीच यह विभेद और सामाजिक लैंगिकता की असमानता के सभी रूपों को दूर किया जा सकता है। स्पष्ट है कि स्त्री-पुरुष असमानता का मूल कारण पितृसत्ता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समानता क्या है? समानता के आयामों को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
समानता का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके प्रकारों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर: समानता का अर्थ समानता की अवधारणा में यह निहित है कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता और प्रतिभा को विकसित करने के लिए तथा अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार और अवसरों के हकदार हैं। समान अवसरों की समानता को व्यावहारिक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षित आवास जैसी बुनियादी चीजों की उपलब्धता में अत्यधिक असमानताएँ न हों तथा जन्म, धर्म, नस्ल, जाति एवं लिंग के आधार पर लोगों के साथ कोई भेद-भावपूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता हो और न ही अवसरों की उपलब्धता में इनके आधार पर व्यक्तियों के बीच कोई भेदभाव किया जाता हो। समानता के आयाम विभिन्न विचारकों और विचारधाराओं ने समानता के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तीन आयामों को रेखांकित किया है। यथा

1. राजनीतिक समानता:
लोकतांत्रिक समाजों में सभी सदस्यों को समान नागरिकता प्रदान करना राजनैतिक समानता में शामिल है। समान नागरिकता अपने साथ कुछ मूलभूत अधिकार, जैसे मतदान का अधिकार, कहीं भी आने- जाने, संगठन बनाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता लाती है। ये ऐसे अधिकार हैं, जो नागरिकों को अपना विकास करने और राज्य के काम-काज में हिस्सा लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। अतः ये अधिकार राजनीतिक समानता के अंग हैं। लेकिन ये समान औपचारिक अधिकार हैं, जिन्हें संविधान और कानूनों द्वारा सुनिश्चित किया गया है। राजनीतिक समानता न्यायपूर्ण और समतावादी समाज के गठन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक है, लेकिन यह अपने आप में पर्याप्त नहीं है क्योंकि सभी नागरिकों को समान अधिकार देने वाले देशों में भी काफी असमानता विद्यमान हैं। ऐसी असमानताएँ प्रायः सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में नागरिकों को उपलब्ध संसाधनों और अवसरों की भिन्नता का परिणाम होती हैं। इसलिए प्राय: समान अवसर के लिए एक समान स्थितियों की माँग उठती है।

2. सामाजिक समानता:
राजनीतिक समानता या समान कानूनी अधिकार देना समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम था। राजनीतिक समानता की जरूरत उन बाधाओं को दूर करने में है जिन्हें दूर किए बिना लोगों का सरकार में अपनी बात रखने और उपलब्ध साधनों तक पहुँचना संभव नहीं होगा। लेकिन समानता के उद्देश्य की दूसरी आवश्यकता यह है कि विभिन्न समूह और समुदायों के लोगों के पास इन साधनों और अवसरों को पाने का बराबर और उचित मौका हो। इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज में सभी सदस्यों के जीवनयापन के लिए अन्य चीजों के अतिरिक्त पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा, अच्छी शिक्षा पाने का अवसर, उचित पोषक आहार व न्यूनतम वेतन जैसी कुछ न्यूनतम चीजों की गारण्टी हो। इन सुविधाओं के अभाव में समाज के सभी सदस्यों के लिए समान शर्तों पर प्रतिस्पर्द्धा करना संभव नहीं होगा।

भारत में समान अवसरों के मद्देनजर एक विशेष समस्या कुछ सामाजिक रीति-रिवाजों से सामने आती है। देश के विभिन्न हिस्सों में औरतों को उत्तराधिकार का समान अधिकार नहीं मिलता, उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने से भी हतोत्साहित किया जाता है आदि। ऐसे मामलों में राज्य औरतों को समान कानूनी अधिकार प्रदान करके, शिक्षण या कुछ अन्य देशों में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन जैसे उपाय करके अपनी भूमिका निभाता है। लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इन अधिकारों का प्रयोग करने वालों को समर्थन देकर भी राज्य अपनी भूमिका निभा सकता है।

3. आर्थिक समानता:
आर्थिक समानता से आशय समाज में धन-दौलत या आय की समानता का होना है। यह सही है कि समाज में धन- – दौलत या आय की पूरी समानता संभवत: कभी विद्यमान नहीं रही। आज अधिकतर लोकतंत्र लोगों को समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं। यह माना जाता है कि समान अवसर कम से कम उन्हें अपनी हालत को सुधारने का मौका देते हैं जिनके पास प्रतिभा और संकल्प है। समान अवसरों के साथ भी असमानता बनी रह सकती है, लेकिन इसमें यह संभावना छुपी रहती है कि आवश्यक प्रयासों द्वारा कोई भी समाज में अपनी स्थिति बेहतर कर सकता है।

लेकिन समाज में अत्यधिक आर्थिक असमानताएँ भी नहीं होनी चाहिए। अगर किसी समाज में लोगों के कुछ खास वर्ग के लोग पीढ़ियों से बेशुमार धन-दौलत और इसके साथ हासिल होने वाली सत्ता का उपभोग करते हैं, तो समाज दो वर्गों – अत्यधिक धनी और विशेषाधिकार सम्पन्न वर्ग और अत्यधिक निर्धन और विशेषाधिकारविहीन वर्ग में बंट जाता है। ये आर्थिक असमानताएँ सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा देती हैं। इसलिए ऐसी असमानताओं को दूर करने के लिए सरकार को सकारात्मक कार्यवाही की नीतियाँ बनानी चाहिए ताकि अत्यधिक आर्थिक असमानता को कम किया जा सके और अवसर की समानता को व्यावहारिक बनाया जा सके।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

प्रश्न 2.
समाज में समानता की स्थापना के सम्बन्ध में मार्क्सवादी विचारधारा को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
मार्क्सवाद मार्क्सवाद हमारे समाज की एक प्रमुख राजनीतिक विचारधारा है। मार्क्स 19वीं सदी का एक प्रमुख विचारक था। उसके विचारों को मार्क्सवादी विचारधारा के रूप में जाना जाता है। उसके सामाजिक असमानता व समानता सम्बन्धी प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक संसाधनों का निजी स्वामित्व आर्थिक असमानता का प्रमुख कारक: समाज में अत्यधिक असमानताओं का मूल कारण महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधनों, जैसे। जल, जंगल, जमीन या तेल समेत अन्य प्रकार की सम्पत्ति का निजी स्वामित्व है। निजी स्वामित्व मालिकों के वर्ग को सिर्फ अमीर नहीं बनाता, बल्कि उन्हें राजनैतिक शक्ति भी प्रदान करता है। यह शक्ति उन्हें राज्य की नीतियों और कानूनों को प्रभावित करने में सक्षम बनाती हैं और वे लोकतांत्रिक सरकार के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
  2. आर्थिक असमानताएँ सामाजिक असमानताओं का कारक हैं। मार्क्सवादी यह महसूस करते हैं कि आर्थिक असमानताएँ सामाजिक रुतबे या विशेषाधिकार जैसी अन्य तरह की सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा देती हैं।
  3. समानता की स्थापना के लिए संसाधनों पर सार्वजनिक स्वामित्व आवश्यक: समाज में असमानता से निबटने के लिए हमें समान अवसर उपलब्ध कराने से आगे जाने और आवश्यक संसाधनों तथा अन्य तरह की सम्पत्ति पर जनता का नियंत्रण कायम करने और सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
उदारवादी विचारधारा के समानता सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
उदारवादी: उदारवादी विचारधारा आधुनिक युग की प्रमुख राजनैतिक विचारधारा है। समाज में समानता की स्थापना के सम्बन्ध में उदारवादी दृष्टिकोण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
1. प्रतिद्वन्द्विता के सिद्धान्त का समर्थन:
उदारवादी विचारक समाज में संसाधनों और लाभांश के वितरण के सर्वाधिक कारगर और उचित तरीके के रूप में प्रतिद्वन्द्विता के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं। वे मानते हैं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष परिस्थितियों में लोगों के बीच प्रतिस्पर्द्धा ही समाज में लाभांशों के वितरण का सबसे न्यायपूर्ण और कारगर उपाय है। जब तक प्रतिस्पर्द्धा स्वतंत्र और खुली होगी असमानताओं की खाइयाँ नहीं बनेंगी और लोगों को अपनी प्रतिभा और प्रयासों का लाभ मिलता रहेगा।

उनका कहना है कि नौकरियों में नियुक्ति और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए चयन के उपाय के रूप में प्रतिस्पर्द्धा का सिद्धान्त सर्वाधिक न्यायोचित व कारगर है। उदाहरण के लिए, अपने देश में अनेक छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकन की आशा करते हैं, जबकि प्रवेश के लिए अत्यधिक कड़ी प्रतिस्पर्द्धा है। समय-समय पर सरकार और अदालतों शैक्षणिक संस्थानों और प्रवेश परीक्षाओं का नियमन करने के लिए हस्तक्षेप किया है, ताकि प्रत्याशी को उचित और समान अवसर मिले, फिर भी कुछ को प्रवेश नहीं मिलता, लेकिन इसे सीमित सीटों के बंटवारे का निष्पक्ष तरीका माना जाता है।

2. राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक असमानताएँ अनिवार्यतः
एक-दूसरे से जुड़ी नहीं होतीं – उदारवादी उक्त तीनों असमानताओं को अनिवार्यतः एक-दूसरे से जुड़ी होने के सिद्धान्त पर सहमत नहीं हैं। इसलिए उनका मानना है कि इनमें से हर क्षेत्र की असमानताओं का निराकरण ठोस तरीके से करना चाहिए। इसलिए लोकतंत्र राजनीतिक समानता प्रदान करने में सहायक हो सकता है। लेकिन सामाजिक तथा आर्थिक असमानताओं के समाधान के लिए विविध सकारात्मक रणनीतियों की खोज करना भी आवश्यक है।

3. असमानता अपने आप में समस्या नहीं:
उदारवादियों के लिए असमानता अपने आप में समस्या नहीं है, बल्कि वे केवल ऐसी अन्यायी और गहरी असमानताओं को ही समस्या मानते हैं, जो लोगों को उनकी वैयक्तिक क्षमताएँ विकसित करने से रोकती हैं।

प्रश्न 4.
नारीवाद से आप क्या समझते हैं? स्त्री-पुरुष असमानता के सम्बन्ध में नारीवाद विचारों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
नारीवाद: नारीवाद स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धान्त है। वे स्त्री या पुरुष नारीवादी कहलाते हैं जो मानते हैं कि स्त्री – पुरुष के बीच की अनेक असमानताएँ न तो नैसर्गिक हैं और न ही आवश्यक। नारीवादियों का मानना है कि इन असमानताओं को बदला जा सकता है और स्त्री-पुरुष एक समतापूर्ण जीवन जी सकते हैं। असमानता के सम्बन्ध में प्रमुख नारीवादी विचार स्त्री-पुरुष असमानता व समानता के सम्बन्ध में नारीवादी सिद्धान्त की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं।

1. स्त्री-पुरुष असमानता पितृसत्ता का परिणाम है:
नारीवाद के अनुसार स्त्री-पुरुष असमानता ‘पितृसत्ता’ का परिणाम है। पितृसत्ता से आशय एक ऐसी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था से है, जिसमें पुरुष को स्त्री से अधिक महत्त्व और शक्ति दी जाती है। पितृसत्ता के अनुसार पुरुष और स्त्री प्रकृति से भिन्न हैं और यही भिन्नता समाज में उनकी असमान स्थिति को न्यायोचित ठहराती है। नारीवादी पितृसत्ता की इस धारणा से सहमत नहीं हैं।

2. स्त्री-पुरुष के बीच जैविक ( लिंग ) भेद और सामाजिक भूमिका सम्बन्धी भेद में अन्तर है।
नारीवादी विचारक स्त्री-पुरुष के बीच जैविक विभेद और उनके बीच सामाजिक भूमिकाओं के विभेद के बीच अन्तर करने पर बल देते हैं। उनका कहना है कि जैविक विभेद (लिंग-भेद ) प्राकृतिक और जन्मजात होता है जबकि दोनों के बीच सामाजिक भूमिकाओं का भेद समाजजनित है। यह एक जीव विज्ञान का तथ्य है कि केवल औरत ही गर्भ धारण करके बालक को जन्म दे सकती है, लेकिन जीव विज्ञान के तथ्य में यह निहित नहीं है कि जन्म देने के बाद केवल स्त्री ही बालक का लालन-पालन करे। इस प्रकार नारीवादियों ने यह स्पष्ट किया है कि स्त्री-पुरुष के बीच भूमिकाओं सम्बन्धी भेद प्राकृतिक नहीं बल्कि समाजजनित हैं।

3. घरेलू और बाह्य कार्यों के विभाजन की अस्वीकृति:
नारीवादियों का मत है कि पितृसत्ता ने ही ऐसा श्रम विभाजन किया है कि स्त्री निजी और घरेलू किस्म के कार्यों के प्रति जिम्मेदार है और पुरुष बाहरी कार्यों के प्रति । नारीवादी इस विभेद को अस्वीकार करते हुए कहते हैं कि अधिकतर स्त्रियाँ ‘ सार्वजनिक और बाहरी क्षेत्र’ में भी सक्रिय होती हैं । इसीलिए विश्व में स्त्रियाँ घर से बाहर अनेक क्षेत्रों में कार्यरत हैं और घरेलू कामकाज की पूरी जिम्मेदारी केवल स्त्रियों के कंधों पर है। नारीवादी इसे स्त्रियों के कंधों पर दोहरा बोझ बताते हैं। इस दोहरे बोझ के बावजूद स्त्रियों को ‘सार्वजनिक क्षेत्र के निर्णयों में ‘ना’ के बराबर महत्त्व दिया जाता है।

4. सामाजिक भूमिका सम्बन्धी लैंगिक असमानता के सभी रूपों को मिटाया जा सकता है:
नारीवादियों का मानना है कि निजी / सार्वजनिक के बीच यह विभेद और समाज या व्यक्ति द्वारा गढ़ी हुई भूमिका जनित लैंगिक असमानता के सभी रूपों को मिटाया जा सकता है तथा लिंग-सम्बन्धी समानता की स्थापना के लिए असमानता के इन रूपों को मिटाया जा सकता है और मिटाया जाना चाहिए।
कीजिए।

प्रश्न 5.
” आज समाज में हमारे चारों ओर समानता की बजाय असमानता अधिक नजर आती है। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाज में व्याप्त असमानता: यद्यपि आज विश्व में समानता व्यापक रूप से स्वीकृत आदर्श है, जिसे अनेक देशों के संविधान और कानूनों में सम्मिलित किया गया है; तथापि विश्व समाज में हमारे चारों ओर समानता की बजाय असमानता अधिक नजर आती है। हम एक ऐसी जटिल दुनिया में रहते हैं जिसमें धन-संपदा, अवसर, कार्य स्थिति और शक्ति की भारी असमानता है। नीचे विश्व और हमारे देश के स्तर पर असमानता दर्शाने वाले कुछ आंकड़े दिये गये हैं-

  1. दुनिया के 50 सबसे अमीर आदमियों की सामूहिक आमदनी दुनिया के 40 करोड़ सबसे गरीब लोगों की सामूहिक आमदनी से अधिक है।
  2. दुनिया की 40 प्रतिशत गरीब जनसंख्या का दुनिया की कुल आमदनी में हिस्सा केवल 5 प्रतिशत है, जबकि 10 प्रतिशत अमीर लोग दुनिया की 54 प्रतिशत आमदनी पर नियंत्रण करते हैं।
  3. पहली दुनिया खासकर उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के अगड़े औद्योगिक देशों में दुनिया की जनसंख्या का 25 प्रतिशत हिस्सा रहता है, लेकिन दुनिया के 86 प्रतिशत उद्योग इन्हीं देशों में हैं और दुनिया की 80 प्रतिशत ऊर्जा इन्हीं देशों में इस्तेमाल की जाती है।
  4. इन अगड़े औद्योगिक देशों (उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देशों) के निवासी भारत या चीन जैसी विकासशील देशों के निवासी की तुलना में कम से कम तीन गुना अधिक पानी, दस गुना ऊर्जा, तेरह गुना लोहा और इस्पात तथा 14 गुना कागज का उपभोग करता है।
  5. गर्भावस्था से जुड़े कारणों से मरने का खतरा नाइजीरिया के लिए 18 में से 1 मामले में है, जबकि कनाडा के लिए यह खतरा 8700 में से 1 मामले में है।
  6. जमीन से अंदर से निकालने वाले ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम और गैस) के जलने से दुनियाभर में जो कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है, उसमें से पहली दुनिया के औद्योगिक देशों का हिस्सा दो-तिहाई है। अम्लीय वर्षा के लिए जिम्मेदार सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड का भी तीन-चौथाई हिस्सा इन्हीं देशों द्वारा उत्सर्जित होता है। ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले बहुत सारे उद्योगों को विकसित देशों से हटाकर विकासशील देशों में लगाया जा रहा है।
  7. अपने देश में हम आलीशान आवासों के साथ-साथ झोंपड़पट्टियाँ, विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस स्कूल और वातानुकूलित कक्षाओं के साथ-साथ पेयजल और शौचालय की सुविधा से विहीन स्कूल, भोजन की बर्बादी के साथ-साथ भुखमरी देख सकते हैं।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 समानता

प्रश्न 6.
प्राकृतिक और सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं? इन दोनों के अन्तर को स्पष्ट कीजिये तथा दोनों के फर्क करने में आने वाली कठिनाइयों को भी स्पष्ट कीजिये।
अथवा
प्राकृतिक और सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं? इन दोनों में अन्तर करना क्यों उपयोगी है तथा क्या इनके बीच के अन्तर को किसी समाज के कानून और नीतियों का निर्धारण करने में मापदण्ड के तौर पर उपयोग किया जा सकता है?
उत्तर:
प्राकृतिक और सामाजिक असमानताएँ राजनीतिक सिद्धान्त में प्राकृतिक असमानताओं और समाजजनित असमानताओं में अन्तर किया जाता है। यथा प्राकृतिक असमानताएँ – प्राकृतिक असमानताएँ वे होती हैं जो लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं, प्रतिभा और उनके अलग-अलग चयन के कारण पैदा होती हैं। समाजजनित (सामाजिक) असमानताएँ समाजजनित असमानताएँ वे होती हैं, जो समाज में अवसरों की असमानता होने या किसी समूह का दूसरे के द्वारा शोषण किये जाने से पैदा होती हैं। दोनों में प्रमुख अन्तर अग्रलिखित हैं।

  1. प्राकृतिक असमनताएँ लोगों की जन्मजात विशिष्टताओं और योग्यताओं का परिणाम होती हैं, जबकि सामाजिक असमानताओं को समाज ने पैदा किया है।
  2. प्राकृतिक असमानताओं को सामान्यतः बदला नहीं जा सकता जबकि सामाजिक असमानताओं को बदला जा सकता है।

दोनों असमानताओं में अन्तर करने की उपयोगिता प्राकृतिक और समाजमूलक असमानताओं में अन्तर करना इसलिए उपयोगी होता है क्योंकि इससे स्वीकार की जा सकने लायक और अन्यायपूर्ण असमानताओं को अलग-अलग करने में सहायता मिलती है। प्राकृतिक असमानताएँ जहाँ स्वीकार की जा सकने लायक होती हैं, वहीं समाजजनित असमानताएँ अन्यायपूर्ण होती हैं जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। दोनों असमानताओं में अन्तर करने में आने वाली कठिनाइयाँ प्राकृतिक असमानताओं और सामाजिक असमानताओं में अन्तर करने में निम्नलिखित कठिनाइयाँ आती हैं।

1. दोनों में अन्तर हमेशा साफ और अपने आप स्पष्ट नहीं होता:
प्राकृतिक और सामाजिक असमानताओं में फर्क हमेशा साफ और अपने आप स्पष्ट नहीं होता। उदाहरण के लिए जब लोगों के व्यवहार में कुछ असमानताएँ लम्बे काल तक विद्यमान रहती हैं, तो वे हमें मनुष्य की प्राकृतिक विशेषताओं पर आधारित लगने लगती हैं। ऐसा लगने लगता है कि जैसे कि वे जन्मजात हों और आसानी से बदल नहीं सकतीं। जैसे औरतें अनादि काल से ‘अबला’ कही जाती थीं। उन्हें भीरु एवं पुरुषों से कम बुद्धि का माना जाता था, जिन्हें विशेष संरक्षण की जरूरत थी। इसलिए यह मान लिया गया था कि औरतों को समान अधिकार से वंचित करना न्यायसंगत है। आज ऐसे सभी मानकों और मूल्यांकनों पर सवाल उठाये जा रहे हैं तथा इस असमानता को प्राकृतिक असमानता नहीं माना जा सकता। ऐसी ही अन्य अनेक धारणाओं पर अब सवाल उठाये जा रहे हैं।

2. प्राकृतिक मानी गयी कुछ असमानताएँ अब अपरिवर्तनीय नहीं रही हैं:
प्राकृतिक असमानता की एक प्रमुख विशेषता यह है कि ये असमानताएँ अपरिवर्तनीय होती हैं। लेकिन प्राकृतिक मानी गयी कुछ असमानताएँ अब अपरिवर्तनीय नहीं रही हैं। उदाहरण के लिए, चिकित्सा विज्ञान और तकनीकी प्रगति ने विकलांग व्यक्तियों का समाज में प्रभावी ढंग से काम करना संभव बना दिया है। आज कम्प्यूटर नेत्रहीन व्यक्ति की मदद कर सकते हैं, पहियादार कुर्सी और कृत्रिम पाँव शारीरिक अक्षमता के निराकरण में सहायक हो सकते हैं।

कॉस्मेटिक सर्जरी से किसी व्यक्ति की शक्ल- सूरत बदली जा सकती है। आज अगर विकलांग लोगों को उनकी विकलांगता से उबरने के लिए जरूरी मदद और उनके कामों के लिए उचित पारिश्रमिक देने से इस आधार पर इनकार कर दिया जाए कि प्राकृतिक रूप से वे कम सक्षम हैं, तो यह अधिकतर लोगों को अन्यायपूर्ण लगेगा।

इन सब जटिलताओं के कारण प्राकृतिक और सामाजिक असमानताओं के बीच के अन्तर को किसी समाज के कानून और नीतियों का निर्धारण करने में मानदण्ड के रूप में उपयोग करना कठिन होता है। इसी कारण बहुत से सिद्धान्तकार अपने चयन से पैदा हुई असमानता और व्यक्ति के विशेष परिवार या परिस्थितियों में जन्म लेने से पैदा हुई असमानता में फर्क करते हैं तथा वे चाहते हैं कि परिवेश से जन्मी असमानता को न्यूनतम और समाप्त किया जाये।

प्रश्न 7.
हम समानता को किस प्रकार बढ़ावा दे सकते हैं?
अथवा
हम समानता की ओर कैसे बढ़ सकते हैं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में असमानता को न्यूनतम कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
हम समानता को बढ़ावा कैसे दे सकते हैं?
वर्तमान में इस विचार पर निरन्तर बहस जारी है कि समानता की ओर बढ़ने के लिए कौन-से सिद्धान्त और नीतियाँ आवश्यक हैं? समानता की ओर बढ़ने के लिए प्रमुख कदमों की विवेचना निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की गई हैकीजिए।

1. औपचारिक समानता की स्थापना:
समानता लाने की दिशा में पहला कदम असमानता और विशेषाधिकार की औपचारिक व्यवस्था को समाप्त करना होगा। विश्व में सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक असमानताओं को कुछ रीति-रिवाजों और कानूनी व्यवस्थाओं से संरक्षित रखा गया है। इनके द्वारा समाज के कुछ हिस्सों को सभी प्रकार के अवसरों और लाभों का आनंद उठाने से रोका जाता था। यथा

  1. बहुत सारे देशों में गरीब लोगों को मताधिकार से वंचित रखा जाता था।
  2. महिलाओं को बहुत सारे व्यवसाय और गतिविधियों में भाग लेने की इजाजत नहीं थी।
  3. भारत में जाति-व्यवस्था निचली जातियों को शारीरिक श्रम के अलावा कुछ भी करने से रोकती थी।
  4. कुछ देशों में केवल कुछ खास परिवारों के लोग ही सर्वोच्च पदों तक पहुँच सकते हैं।

समानता की प्राप्ति के लिए ऐसे सभी निषेधों व विशेषाधिकारों का अन्त किया जाना आवश्यक है। चूँकि ऐसी बहुत सी व्यवस्थाओं को कानून का समर्थन भी प्राप्त है, इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार और कानून असमानतामूलक ऐसी व्यवस्थाओं को संरक्षण देना बंद करे। हमारे देश के संविधान में भी यही किया है। संविधान धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव करने का निषेध करता है तथा छुआछूत की प्रथा का भी उन्मूलन करता है। वर्तमान में लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों में संविधान तथा सरकारें औपचारिक (कानूनी ) रूप से समानता के सिद्धान्त को स्वीकार कर चुकी हैं और इस सिद्धान्त को जाति, नस्ल, धर्म या लिंग के भेदभाव के बिना सभी नागरिकों को कानून के एक समान बर्ताव के रूप में समाहित किया है।

2. विभेदक बरताव द्वारा समानता:
समानता के सिद्धान्त को यथार्थ में बदलने के लिए औपचारिक समानता अर्थात् कानून के समक्ष समानता का सिद्धान्त पर्याप्त नहीं है। कभी-कभी लोग समान अधिकारों का उपभोग कर सकें, इसके लिए उनसे अलग बरताव करना भी आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, विकलांगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर विशेष ढलान वाले रास्तों का होना, या रात में कॉल सेंटर में काम करने वाली महिला को कॉल सेंटर आते-जाते समय विशेष सुरक्षा की व्यवस्था करना आदि। इससे उनके काम के समान अधिकार की रक्षा हो सकेगी। ऐसे विभेदक बरतावों को समानता की कटौती के रूप में नहीं बल्कि समानता को बढ़ावा देने वाले उपायों के रूप में देखा जाना चाहिए।

3. सकारात्मक कार्यवाही की नीतियाँ:
कुछ देशों ने अवसरों की समानता बढ़ाने के लिए ‘सकारात्मक कार्यवाही’ की नीतियाँ अपनाई हैं। इसी संदर्भ में हमारे देश में आरक्षण की नीति अपनाई गई है। सकारात्मक कार्यवाही इस विचार पर आधारित है कि कानून द्वारा औपचारिक समानता स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं है। असमानताओं को मिटाने के लिए असमानता की गहरी खाइयों को भरने वाले अधिक सकारात्मक कदम उठाए जाएँ। इसीलिए सकारात्मक कार्यवाही की अधिकतर नीतियाँ अतीत की असमानताओं को संचयी दुष्प्रभावों को दुरुस्त करने के लिए बनाई जाती हैं।

सकारात्मक कार्यवाही के अनेक रूप हो सकते हैं। इसमें वंचित समुदायों के लिए छात्रवृत्ति और हॉस्टल सुविधाओं पर वरीयता के आधार पर खर्च करने से लेकर नौकरियों और शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए विशेष व्यवस्था करने तक की नीतियाँ हो सकती हैं। सकारात्मक कार्यवाही के रूप में विशेष सहायता को एक निश्चित समय अवधि तक चलने वाला तदर्थ उपाय माना गया है। इसके पीछे मान्यता यह है कि विशेष बरताव इन समुदायों को वर्तमान वंचनाओं से उबरने में सक्षम बनायेगा और फिर ये अन्य समुदायों से समानता के आधार पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकेंगे। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि समानता के विषय में सोचते हुए हमें प्रत्येक व्यक्ति को बिल्कुल एक जैसा मानने और प्रत्येक व्यक्ति को मूलतः समान मानने में अन्तर करना चाहिए।

मूलतः समान व्यक्तियों को विशेष स्थितियों में अलग-अलग बरताव की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन ऐसे सभी मामलों में सर्वोपरि उद्देश्य समानता को बढ़ावा देना ही होना चाहिए। एक खास स्थिति में विशेष बरताव जरूरी है या नहीं, इसके लिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक समूह समान अधिकारों का उसी प्रकार आनंद उठा सके जैसा कि शेष समाज। यह विशेष बरताव वर्चस्व या शोषण की नई संरचनाओं को जन्म न दे अथवा यह समाज में विशेषाधिकार और शक्ति को फिर से स्थापित करने वाला एक प्रभावशाली उपकरण न बने। संक्षेप में, विशेष बरताव का उद्देश्य और औचित्य एक न्यायपरक और समतामूलक समाज को बढ़ावा देने के माध्यम के अतिरिक्त कुछ और नहीं है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में जो राष्ट्रवाद का अवगुण है, वह है।
(अ) देशभक्ति
(ब) लोगों को स्वतंत्रता की प्रेरणा देना
(स) उग्र-राष्ट्रवाद
(द) राष्ट्रीय एकता
उत्तर:
(स) उग्र-राष्ट्रवाद

2. निम्नलिखित में कौनसा राष्ट्रवाद का गुण
(अ) उग्र-राष्ट्रवादी भावना
(ब) साम्राज्यवाद की प्रेरणा देना
(स) राष्ट्रीय एकता की भावना
(द) पृथकतावादी आंदोलनों को प्रेरित करना
उत्तर:
(स) राष्ट्रीय एकता की भावना

3. निम्नलिखित में आत्म-निर्णय की अवधारणा का गुण है
(अ) लोगों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करना
(ब) सीमा विवादों का कारण होना
(स) पृथकतावादी आंदोलनों को प्रेरित करना
(द) शरणार्थी की समस्या का कारण
उत्तर:
(अ) लोगों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करना

4. क्यूबेकवासियों द्वारा किस राष्ट्र में पृथकवादी आंदोलन चलाया जा रहा है
(अ) उत्तरी स्पेन में
(ब) कनाडा में
(स) इराक में
(द) श्रीलंका में
उत्तर:
(ब) कनाडा में

5. श्रीलंका में निम्नलिखित में से किस समूह द्वारा पृथकतावादी आंदोलन चलाया जा रहा है-
(अ) कुर्दों द्वारा
(ब) बास्कवासियों द्वारा
(स) क्यूबेकवासियों द्वारा
(द) उक्त सभी
उत्तर:
(द) उक्त सभी

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

6. निम्नांकित में से राष्ट्रीयता का तत्त्व है
(अ) भौगोलिक एकता
(ब) भाषा, संस्कृति तथा परम्पराएँ
(स) नस्ल अथवा प्रजाति की एकता
(द) तमिलों द्वारा
उत्तर:
(द) तमिलों द्वारा

7. ” राष्ट्रवाद हमारी अंतिम आध्यात्मिक मंजिल नहीं हो सकती। मेरी शरण स्थली तो मानवता है। मैं हीरों की कीमत पर शीशा नहीं खरीदूँगा तथा जब तक मैं जीवित हूँ, देशभक्ति को मानवता पर कदापि विजयी नहीं होने
दूँगा ।” उक्त कथन है
(अ) रवीन्द्रनाथ का
(ब) पण्डित नेहरू का
(स) महात्मा गाँधी का
(द) जे. एस. मिल का
उत्तर:
(अ) रवीन्द्रनाथ का

8. निम्न में से भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाला प्रमुख कारक है-
(अ) विदेशी प्रभुत्व
(ब) पाश्चात्य विचार तथा शिक्षा
(स) सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन
(द) उक्त सभी
उत्तर:
(द) उक्त सभी

9. नेशनेलिटी शब्द किस लैटिन भाषी शब्द से उत्पन्न हुआ है?
(अ) नेट्स
(ब) नेलि
(स) नेसट्
(द) नेशन
उत्तर:
(अ) नेट्स

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

10. राष्ट्र निर्माण के लिए साझे राजनैतिक आदर्श हैं।
(अ) लोकतंत्र
(ब) धर्मनिरपेक्षता
(स) उदारवाद
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. 20वीं सदी में नए राष्ट्रों के लोगों ने एक नई राजनीतिक पहचान अर्जित की, जो ……………………. की सदस्यता पर आधारित थी।
उत्तर:
राष्ट्र-राज्य

2. दुनिया में ……………… आज भी एक प्रभावी शक्ति है।
उत्तर:
राष्ट्रवाद

3. भविष्य के बारे में साझा नजरिया, अपना भू क्षेत्र और साझी ऐतिहासिक पहचान तथा स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व बनाने की सामूहिक चाहत ………………. को बाकी समूहों से अलग करती है।
उत्तर:
राष्ट्र

4. बाकी सामाजिक समूहों से अलग राष्ट्र के लोग …………………….. का अधिकार मांगते हैं।
उत्तर:
आत्मनिर्णय

5. आज दुनिया की सारी राज्य सत्ताएँ इस …………………… में फँसी हैं कि आत्मनिर्णय के आंदोलनों से कैसे निपटा जाये।
उत्तर:
दुविधा।

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये

1. भारतीय संविधान में धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों की संरक्षा के लिए विस्तृत प्रावधान हैं।
उत्तर:
सत्य

2. राष्ट्रों की सीमाओं के पुनर्संयोजन की प्रक्रिया वर्तमान में खत्म हो गई है।
उत्तर:
असत्य

3. राष्ट्रवाद ने जहाँ एक ओर वृहत्तर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, वहाँ यह बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में भी हिस्सेदार रहा है।
उत्तर:
सत्य

4. भारत का औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्र होने का संघर्ष राष्ट्रवादी संघर्ष नहीं था।
उत्तर:
असत्य

5. बहुत सारे राष्ट्रों की पहचान एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी है।
उत्तर:
सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. गणतंत्र दिवस की परेड (अ) राष्ट्र और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा एक काल्पनिक समुदाय
2. इराक में कुर्दों का आंदोलन, (ब) जवाहरलाल नेहरू
3. अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं (स) जवाहरलाल नेहरू यहूदियों का दावा काल्पनिक समुदाय और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा एक
4. ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ नामक पुस्तक (द) भारतीय राष्ट्रवाद का बेजोड़ प्रतीक
5. उनका मूल गृह-स्थल फिलिस्तीन उनका स्वर्ग है (य) एक पृथकतावादी आंदोलन.

उत्तर:

1. गणतंत्र दिवस की परेड (द) भारतीय राष्ट्रवाद का बेजोड़ प्रतीक
2. इराक में कुर्दों का आंदोलन, (य) एक पृथकतावादी आंदोलन.
3. अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं (अ) राष्ट्र और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा एक काल्पनिक समुदाय
4. ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ नामक पुस्तक (ब) जवाहरलाल नेहरू
5. उनका मूल गृह-स्थल फिलिस्तीन उनका स्वर्ग है (स) जवाहरलाल नेहरू यहूदियों का दावा काल्पनिक समुदाय और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा एक

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड भारतीय राष्ट्रवाद का बेजोड़ प्रतीक क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि गणतंत्र दिवस की परेड सत्ता और शक्ति के साथ विविधता की भावना को भी प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रवाद के किन्हीं चार प्रतीकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रगान
  2. राष्ट्रीय ध्वज
  3. राष्ट्रीय नागरिकता
  4. स्वतन्त्रता दिवस।

प्रश्न 3.
19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद ने कौनसी प्रमुख भूमिका निभायी?
उत्तर:
19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद ने छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से वृहत्तर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।

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प्रश्न 4.
20वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
यूरोप में 20वीं सदी में राष्ट्रवाद आस्ट्रियाई – हंगरियाई, ब्रिटिश, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली साम्राज्य के पतन का हिस्सेदार रहा।

प्रश्न 5.
20वीं सदी में भारत तथा अन्य पूर्व उपनिवेशों के औपनिवेशिक शासन से मुक्त होने के राष्ट्रवादी संघर्ष किस आकांक्षा से प्रेरित थे?
उत्तर:
ये संघर्ष विदेशी नियंत्रण से स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य स्थापित करने की आकांक्षा से प्रेरित थे।

प्रश्न 6.
वर्तमान विश्व के किन्हीं दो पृथकतावादी आंदोलनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
आज विश्व में

  1. इराक के कुर्दों तथा
  2. श्रीलंका के तमिलों द्वारा पृथकतावादी आंदोलन चलाए जा रहे हैं।

प्रश्न 7.
राष्ट्र निर्माण के किन्हीं दो तत्त्वों के नाम लिखिये।
उत्तर:

  1. साझे विश्वास तथा
  2. साझा इतिहास

प्रश्न 8.
बास्क राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता क्या चाहते हैं?
उत्तर:
बास्क राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता यह चाहते हैं कि बास्क स्पेन से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन जाये।

प्रश्न 9.
आत्मनिर्णय के अपने दावे में कोई राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से क्या मांग करता है?
उत्तर:
आत्मनिर्णय के अपने दावे में कोई राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से यह मांग करता है कि उसके पृथक् राज्य के दर्जे को मान्यता और स्वीकार्यता दी जाये।

प्रश्न 10.
‘एक संस्कृति और एक राज्य’ की अवधारणा से क्या आशय है?
उत्तर:
एक संस्कृति – एक राज्य’ की अवधारणा से यह आशय है कि अलग-अलग सांस्कृतिक समुदायों को अलग-अलग राज्य मिले।

प्रश्न 11.
‘एक संस्कृति एक राज्य’ की अवधारणा को 19वीं सदी में मान्यता देने के कोई दो परिणाम लिखिये।
उत्तर:

  1. इससे राज्यों की सीमाओं में बदलाव किये गये।
  2. इससे सीमाओं के एक ओर से दूसरी ओर बहुत बड़ी जनसंख्या का विस्थापन हुआ।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्वों में से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
अशिक्षा, साम्प्रदायिकता की भावना।

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प्रश्न 13.
ऐसे दो राष्ट्रों के उदाहरण दीजिए जिनमें अपनी कोई सामान्य भाषा नहीं है।
उत्तर:
कनाडा, भारत।

प्रश्न 14.
कनाडा में मुख्यतः कौनसी भाषाएँ बोली जाती हैं?
उत्तर:
अंग्रेजी, फ्रांसीसी।

प्रश्न 15.
विभिन्न राष्ट्र अपनी गृहभूमि को क्या नाम देते हैं?
उत्तर:
मातृभूमि या पितृभूमि या पवित्र भूमि।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले दो कारकों का उल्लेख कीजिये । उत्तर-राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले दो कारक ये हैंरहे हैं।
1. संयुक्त विश्वास: संयुक्त या साझे विश्वास से ही राष्ट्र का निर्माण होता है तथा इसी के चलते उसका अस्तित्व बना रहता है।

2. इतिहास; राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाला दूसरा कारक इतिहास है। एक राष्ट्र की स्थायी पहचान का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने के लिए ही संयुक्त स्मृतियों, ऐतिहासिक अभिलेखों की रचना द्वारा इतिहास बोध निर्मित किया जाता है।

प्रश्न 2.
वर्तमान विश्व के किन्हीं चार पृथकतावादी आन्दोलनों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
आज विश्व में

  1. कनाडा के क्यूबेकवासियों
  2. उत्तरी स्पेन के बास्कवासियों
  3. इराक के कुर्दों तथा
  4. श्रीलंका के तमिलों द्वारा पृथकतावादी आन्दोलन चलाये जा रहे हैं।

प्रश्न 3.
राष्ट्र परिवार से किस रूप में भिन्न है?
उत्तर:
परिवार प्रत्यक्ष सम्बन्धों पर आधारित होता है जिसका प्रत्येक सदस्य दूसरे सदस्यों के व्यक्तित्व और चरित्र के बारे में व्यक्तिगत जानकारी रखता है, जबकि राष्ट्र प्रत्यक्ष सम्बन्धों पर आधारित नहीं होता है।

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प्रश्न 4.
बास्क राष्ट्रवादी आन्दोलन के नेता अपने स्वतंत्र देश की मांग के समर्थन में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
बास्क राष्ट्रवादी आन्दोलन के नेता अपने लिए स्वतंत्र देश की माँग के समर्थन में यह तर्क देते हैं कि

  1. उनकी संस्कृति तथा भाषा स्पेनी संस्कृति और भाषा से भिन्न है।
  2. बास्क क्षेत्र की पहाड़ी भू-संरचना उसे शेष स्पेन से भौगोलिक तौर पर अलग करती है।
  3. उनकी विशिष्ट न्यायिक, प्रशासनिक और वित्तीय प्रणालियाँ हैं।

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के अन्तर्गत कोई समूह क्या अधिकार चाहता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार के अन्तर्गत कोई समूह शेष सामाजिक समूहों से अलग अपना राष्ट्र तथा अपना शासन अपने आप करने और भविष्य को तय करने का अधिकार चाहता है।

प्रश्न 6.
राज्यों के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों की समस्या का समाधान क्या है?
उत्तर:
राज्यों के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों की समस्या का समाधान नए राज्यों के गठन में नहीं है, वर्तमान राज्यों को अधिक से अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है।

प्रश्न 7.
राष्ट्र और राष्ट्रीयता के बीच क्या अन्तर है?
उत्तर:
राष्ट्र और राष्ट्रीयता के बीच अन्तर केवल राजनीतिक संगठन और स्वतंत्र राज्य सम्बन्धी है। राष्ट्रीयता में सांस्कृतिक एकता तो होती है लेकिन संगठन तथा स्वतंत्र राज्य नहीं होता है। जब राष्ट्रीयता अपने आपको स्वतंत्र होने की इच्छा रखने वाली राजनीतिक संस्था के रूप में संगठित कर लेती है तो वह राष्ट्र बन जाती है।

प्रश्न 8.
पिछली दो शताब्दियों में राष्ट्रवाद ने इतिहास रचने में क्या योगदान दिया है?
उत्तर:
पिछली दो शताब्दियों में राष्ट्रवाद ने इतिहास रचने में निम्न योगदान दिया है।

  1. इसने जनता को जोड़ा है तो विभाजित भी किया है।
  2. इसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की है तो इसके साथ यह विरोध, कटुता और युद्धों का कारण भी रहा है।
  3. राष्ट्रवादी संघर्षों ने राष्ट्रों और साम्राज्यों की सीमाओं के निर्धारण – पुनर्निर्धारण में योगदान किया है। आज दुनिया का एक बड़ा भाग विभिन्न राष्ट्र-राज्यों में बंटा हुआ है।

प्रश्न 9.
राष्ट्रवाद के दो प्रमुख चरणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
राष्ट्रवाद के दो प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं।

  1. 19वीं सदी यूरोप में राष्ट्रवाद ने छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से वृहत्तर राष्ट्र राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। आज के जर्मनी और इटली का गठन इसी का परिणाम है।
  2. 20वीं सदी में राष्ट्रवाद बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में भी हिस्सेदार रहा है। यूरोप में 20वीं सदी के आरम्भ में आस्ट्रियाई-हंगेरियाई और रूसी साम्राज्य तथा एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश, फ्रांसीसी और डच साम्राज्य के विघटन के मूल में राष्ट्रवाद ही था।

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प्रश्न 10.
अगर हम धर्म के आधार पर अपनी राष्ट्रवादी पहचान स्थापित कर दें तो इसका क्या दुष्परिणाम हो सकता है?
उत्तर:
अगर हम धार्मिक विभिन्नताओं की अवहेलना कर एक समान धर्म के आधार पर अपनी पहचान स्थापित कर दें तो हम बहुत ही वर्चस्ववादी और दमनकारी समाज का निर्माण कर सकते हैं।

प्रश्न 11.
‘एक संस्कृति और एक राज्य की धारणा के विकास का सकारात्मक पहलू क्या था ?
उत्तर:
‘एक संस्कृति और एक राज्य’ की धारणा के विकास का सकारात्मक पहलू यह था कि उन बहुत सारे राष्ट्रवादी समूहों को राजनीतिक मान्यता प्रदान की गई जो स्वयं को एक अलग राष्ट्र के रूप में देखते थे और अपने भविष्य को तय करने तथा अपना शासन स्वयं चलाना चाहते थे।

प्रश्न 12.
19वीं सदी में राष्ट्र निर्माण हेतु ‘एक संस्कृति – एक राज्य’ की मान्यता के क्या दुष्परिणाम हुए?
उत्तर:
19वीं सदी में राष्ट्र निर्माण हेतु ‘एक संस्कृति: एक राज्य’ की मान्यता के परिणामस्वरूप बहुत से छोटे एवं नव स्वतंत्र राज्यों का गठन हुआ। इसके कारण राज्यों की सीमाओं में बदलाव हुए तथा एक ओर से दूसरी ओर बहुत बड़ी जनसंख्या का विस्थापन हुआ। परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घरों से उजड़ गये। बहुत सारे लोग साम्प्रदायिक हिंसा के भी शिकार हुए।

प्रश्न 13.
आज दुनिया की सारी राज्य सत्ताएँ किस दुविधा में फँसी हैं?
उत्तर:
आज दुनिया की सारी राज्य सत्ताएँ अपने भू-क्षेत्रों में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की माँग करने वाले अल्पसंख्यक समूहों के आन्दोलनों से निपटने की इस दुविधा में फँसी हैं कि इन आन्दोलनों से कैसे निपटा जाये?

प्रश्न 14.
एक राष्ट्र के भू-क्षेत्र में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की माँग करने वाले अल्पसंख्यक समूहों की समस्या का समाधान क्या है?
उत्तर:
एक राष्ट्र के भू-क्षेत्र में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की माँग करने वाले अल्पसंख्यक समूहों की समस्या का समाधान नये राज्यों के गठन में नहीं है बल्कि वर्तमान राज्यों को अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है तथा यह सुनिश्चित करने में है कि अलग-अलग संस्कृतियों और नस्लीय पहचानों के लोग देश में अन्य नागरिकों के साथ सह-अस्तित्वपूर्वक रह सकें।

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की अब क्या पुनर्व्याख्या की जाती है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की अब यह पुनर्व्याख्या की जाती है कि राज्य के भीतर किसी राष्ट्रीयता के लिए कुछ लोकतांत्रिक अधिकारों को स्वीकृति प्रदान की जाये। प्रत्येक देश अल्पसंख्यकों की माँगों के सम्बन्ध में अत्यन्त उदारता एवं दक्षता का परिचय दे।

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प्रश्न 16.
” पिछली दो शताब्दियों के दौरान राष्ट्रवाद एक ऐसे सम्मोहक राजनीतिक सिद्धान्त के रूप में उभरा है जिसने इतिहास रचने में योगदान दिया है।” इस कथन पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
पिछली दो शताब्दियों के दौरान राष्ट्रवाद ने निम्न रूपों में इतिहास रचने में योगदान दिया है

  1. इसने उत्कट निष्ठाओं के साथ-साथ गहरे विद्वेषों को भी प्रेरित किया है।
  2. इसने जनता को जोड़ा है तो विभाजित भी किया है।
  3. इंसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की तो इसके साथ यह विरोध, कटुता और युद्धों का कारण भी रहा है।
  4. साम्राज्यों और राष्ट्रों के ध्वस्त होने का भी यह कारण रहा है।
  5. आज विश्व का एक बड़ा भाग विभिन्न राष्ट्र – राज्यों में विभाजित है और मौजूदा राष्ट्रों के अन्तर्गत अभी भी अलगाववादी राष्ट्रवादी संघर्ष जारी हैं।

प्रश्न 17.
राज्य व राष्ट्र में तीन अन्तर लिखिये।
उत्तर:
राज्य व राष्ट्र में तीन प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं।

  1. आवश्यक तत्व सम्बन्धी अन्तर: एक राज्य में आवश्यक रूप से चार तत्वों – जनसंख्या, निश्चित भू-भाग, सरकार और संप्रभुता का होना आवश्यक है, लेकिन एक राष्ट्र में राज्य के ये आवश्यक तत्व लागू नहीं होते हैं। उसमें चार से कम तत्व हो सकते हैं और अधिक तत्व भी हो सकते हैं।
  2. निश्चित भू-भाग सम्बन्धी अन्तर- प्रत्येक राज्य का एक निश्चित भू-भाग होता है, लेकिन एक राष्ट्र के लिए निश्चित भू-भाग होना आवश्यक नहीं है।
  3. संप्रभुता सम्बन्धी अन्तर- राज्य के लिए संप्रभुता का होना आवश्यक है, लेकिन राष्ट्र के लिए संप्रभुता की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 18.
राष्ट्रवाद की प्रक्रिया के प्रमुख चरणों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राष्ट्रवाद की प्रक्रिया के प्रमुख चरण-राष्ट्रवाद की प्रक्रिया के प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं।

  1. छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण और सुदृढ़ीकरण से वृहत्तर राज्यों की स्थापना का चरण: 19वीं शताब्दी के यूरोप में राष्ट्रवाद ने छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से वृहत्तर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। जर्मनी और इटली का गठन एकीकरण और सुदृढ़ीकरण की इसी प्रक्रिया के तहत हुआ था।
  2. स्थानीय निष्ठाएँ और बोलियों का राष्ट्रीय निष्ठाओं के रूप में विकास; राज्य की सीमाओं के सृदृढ़ीकरण के साथ-साथ स्थानीय निष्ठाएँ और बोलियाँ भी उत्तरोत्तर राष्ट्रीय निष्ठाओं एवं सर्वमान्य जनभाषाओं के रूप में विकसित हुईं।
  3. नई राजनीतिक पहचान: नए राष्ट्र के लोगों ने नई राजनीतिक पहचान अर्जित की, जो राष्ट्र-राज्य की सदस्यता पर आधारित थी। पिछली शताब्दी में हमने अपने देश को सुदृढ़ीकरण की ऐसी ही प्रक्रिया से गुजरते देखा है।
  4. बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में हिस्सेदार; यूरोप में 20वीं सदी में आस्ट्रियाई – हंगेरियाई, रूसी, ब्रिटिश, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली साम्राज्य के विघटन के मूल में राष्ट्रवाद ही था।
  5. सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया: राष्ट्रों की सीमाओं की पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया अभी जारी है। 1960 से ही राष्ट्र-राज्य कुछ समूहों या अंचलों द्वारा उठाई गई राष्ट्रवादी मांगों का सामना करते आ रहे हैं। इन मांगों में पृथक् राज्य की मांग भी शामिल है। आज दुनिया के अनेक भागों में ऐसे राष्ट्रवादी संघर्ष जारी हैं।

प्रश्न 19.
राष्ट्र से क्या आशय है?
उत्तर:
राष्ट्र से अभिप्राय-राष्ट्र बहुत हद तक एक काल्पनिक समुदाय होता है, जो अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बंधा होता है। यह कुछ खास मान्यताओं पर आधारित होता है जिन्हें लोग उस समग्र समुदाय के लिए गढ़ते हैं, जिससे वे अपनी पहचान कायम करते हैं।

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प्रश्न 20.
राष्ट्रवाद के लिए एक समान भाषा या जातीय परम्परा जैसी सांस्कृतिक पहिचान का आधार लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा क्यों हो सकता है?
उत्तर:
यद्यपि एक ही भाषा बोलना आपसी संवाद को काफी आसान बना देता है। इसी प्रकार समान धर्म होने पर बहुत सारे विश्वास और सामाजिक रीतिरिवाज साझे हो जाते हैं। लेकिन यह उन मूल्यों के लिए खतरा भी उत्पन्न कर सकता है जिन्हें हम लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण मानते हैं। इसके निम्नलिखित दो कारण हैं

1. विश्व के सभी बड़े धर्म अंदरूनी तौर से विविधता से भरे हुए हैं। एक ही धर्म के अन्दर बने विभिन्न पंथ हैं और धार्मिक ग्रंथों तथा नियमों की उनकी व्याख्याएँ भी काफी अलग-अलग हैं। अगर हम उन पंथिक विभिन्नताओं की अवहेलना कर एक समान धर्म के आधार पर एक पहचान स्थापित कर देंगे तो इससे एक वर्चस्ववादी और दमनकारी समाज का निर्माण होगा जो लोकतंत्र के मूल आदर्शों के विपरीत होगा।

2. विश्व के अधिकतर समाज सांस्कृतिक रूप से विविधता से भरे हैं। एक ही भू-क्षेत्र में विभिन्न धर्म और भाषाओं के लोग साथ-साथ रहते हैं। किसी राज्य की सदस्यता की शर्त के रूप में किसी खास धार्मिक या भाषायी पहचान को आरोपित कर देने से कुछ समूह निश्चित रूप से शामिल होने से रह जायेंगे। इससे इन समूहों की या तो धार्मिक स्वतंत्रता बाधित होगी या राष्ट्रीय भाषा न बोलने वाले समूहों की हानि होगी। दोनों ही स्थितियों में ‘समान बर्ताव और सबके लिए स्वतंत्रता’ के आदर्श में भारी कटौती होगी, जिसे हम लोकतंत्र के लिए अमूल्य मानते हैं।

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय आत्म निर्णय के अधिकार से क्या आशय है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आत्मनिर्णय: जब कोई सामाजिक समूह शेष सामाजिक समूहों से अलग राष्ट्र चाहता है । वह अपना शासन अपने आप करने और अपने भविष्य को तय करने का अधिकार चाहता है तो उसके इस अधिकार को ही आत्म-निर्णय का अधिकार कहते हैं। इसके दावे में राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से यह मांग करता है कि उसके पृथक् राजनीतिक इकाई या राज्य के दर्जे को मान्यता और स्वीकार्यता दी जाये। प्राय: राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की मांग उन लोगों की ओर से की जाती है जो एक लम्बे समय से किसी निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ रहते आए हों और जिनमें साझी पहचान का बोध हो। कुछ मामलों में आत्म-निर्णय के ऐसे दावे एक स्वतंत्र राज्य बनाने की इच्छा से जुड़े होते हैं। कुछ दावों का सम्बन्ध किसी समूह की संस्कृति की संरक्षा से होता है।

प्रश्न 22.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
अथवा
राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्वों को स्पष्ट करो।
उत्तर:
राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्व या उसे प्रेरित करने वाले कारक: राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्व तथा राष्ट्रवाद को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं।

  1. साझे विश्वास: राष्ट्र विश्वास के जरिये बनता है। एक राष्ट्र का अस्तित्व तभी कायम रह सकता है जब उसके सदस्यों को यह विश्वास हो कि वे एक-दूसरे के साथ हैं।
  2. इतिहास: जो लोग अपने को एक राष्ट्र मानते हैं, उनके भीतर अपने बारे में स्थायी पहचान की भावना होती है। वे देश की स्थायी पहचान का खाका प्रस्तुत करने के लिए साझा स्मृतियों, किंवदन्तियों और ऐतिहासिक अभिलेखों के जरिए इतिहास बोध निर्मित करते हैं।
  3. भू-क्षेत्र: किसी खास भू-क्षेत्र पर लम्बे समय तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़ी साझी अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध देती हैं। इसलिए जो लोग स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में देखते हैं, वे एक गृहभूमि की बात करते हैं। जिसे वे मातृभूमि, पितृभूमि या पवित्र भूमि कहते हैं।
  4. साझे राजनीतिक आदर्श-राष्ट्र के सदस्यों की इस बारे में एक साझा दृष्टि होती है कि वे किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं। साझे राजनीतिक आदर्श, जैसे लोकतन्त्र, धर्मनिरपेक्षता, उदारवाद आदि राष्ट्र के रूप में उनकी राजनीतिक पहचान को बताते हैं।
  5. साझी राजनीतिक पहचान: राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाला एक अन्य कारण ‘साझी राजनीतिक पहचान’ अर्थात् ‘एक मूल्य- समूह के प्रति निष्ठा’ का होना आवश्यक है। इस मूल्य समूह को देश के संविधान में भी दर्ज किया जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बास्क में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय की मांग को स्पष्ट कीजिये। क्या बास्क राष्ट्रवादियों की अलग राष्ट्र की मांग जायज है? आपकी दृष्टि में इसका क्या समाधान हो सकता है?
उत्तर:
बास्क में राष्ट्रीय आत्म-निर्णय की मांग: बास्क स्पेन का एक पहाड़ी और समृद्ध क्षेत्र है। इस क्षेत्र को स्पेनी सरकार ने स्पेन राज्य संघ के अन्तर्गत ‘स्वायत्त’ क्षेत्र का दर्जा दे रखा है, लेकिन बास्क राष्ट्रवादी आन्दोलन के नेतागण इस स्वायत्तता से संतुष्ट नहीं हैं। वे चाहते हैं कि बास्क स्पेन से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन जाए। बास्क राष्ट्रवादियों के तर्क। बास्क राष्ट्रवादी अपनी मांग के समर्थन में निम्न तर्क देते हैं।

  1. उनकी संस्कृति स्पेनी संस्कृति से बहुत भिन्न है।
  2. उनकी अपनी भाषा है, जो स्पेनी भाषा से बिल्कुल नहीं मिलती है।
  3. बास्क क्षेत्र की पहाड़ी भू-संरचना उसे शेष स्पेन से भौगोलिक तौर पर अलग करती है।
  4. रोमन काल से अब तक बास्क क्षेत्र ने स्पेनी शासकों के समक्ष अपनी स्वायत्तता का कभी समर्पण नहीं किया। उसकी न्यायिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय प्रणालियाँ उसकी अपनी विशिष्ट व्यवस्था के जरिए संचालित होती थीं।

आधुनिक बास्क आंदोलन के कारण

  1. 19वीं सदी के अंत में स्पेनी शासकों ने बास्क क्षेत्र की विशिष्ट राजनीतिक प्रशासनिक व्यवस्था को समाप्त करने की कोशिश की।
  2. 20वीं सदी में तानाशाह फ्रैंको ने इस स्वायत्तता में और कटौती कर दी। उसके बास्क भाषा को सार्वजनिक स्थानों, यहाँ तक कि घर में भी बोलने पर पाबंदी लगा दी।
  3. यद्यपि वर्तमान स्पेनी शासन ने इन दमनकारी कदमों को वापस ले लिया है, तथापि बास्क आंदोलनकारियों का स्पेनी शासन के प्रति संदेह और क्षेत्र में बाहरी लोगों के प्रवेश का भय बरकरार है।

समस्या का संभव समाधान: दमन किये जाने या दमन किये जाने के भय के बने रहने के कारण पैदा हुई बास्क राष्ट्रवादियों की अलग राष्ट्र की मांग जायज है। लेकिन यदि स्पेन का शासन बास्क लोगों के अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान की कद्र करते हुए उनमें भरोसा पैदा करने में समर्थ हो जाते हैं तो वे बास्क के लोगों की स्पेन के प्रति निष्ठा स्वतः ही प्राप्त कर लेंगे। अंतः निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि बास्क के लोगों की समस्या का समाधान नए राज्य के गठन में नहीं है बल्कि वर्तमान स्पेन राज्य को अधिक लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है तथा यह सुनिश्चित करने में है कि अलग-अलग सांस्कृतिक और नस्लीय पहचानों के लोग देश में समान नागरिक और साथियों की तरह सह-अस्तित्वपूर्वक रह सकें।

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प्रश्न 2.
राज्य और राष्ट्र में क्या अन्तर है?
उत्तर:
राज्य और राष्ट्र में अन्तर यद्यपि सामान्य बोलचाल में राज्य और राष्ट्र शब्दों को एक-दूसरे के लिए प्रयुक्त किया जाता है तथा दोनों को समानार्थी समझा जाता है। लेकिन दोनों शब्द समानार्थी नहीं हैं, दोनों में स्पष्ट अन्तर है। दोनों के अन्तर को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. राज्य के लिए चार तत्त्वों का होना आवश्यक है:
प्रत्येक राज्य के चार आवश्यक तत्त्व होते हैं। ये हैं- जनसंख्या, निश्चित भू-भाग, सरकार और संप्रभुता। लेकिन राष्ट्र के लिए इन चारों तत्त्वों का होना आवश्यक नहीं है। एक राष्ट्र के 10 तत्त्व हो सकते हैं; दूसरे के केवल चार हो सकते हैं और किसी अन्य के केवल तीन भी हो सकते हैं। राष्ट्र के तत्त्व बदल भी सकते हैं। इस प्रकार राज्य के आवश्यक तत्त्व राष्ट्र के लिये लागू नहीं होते।

2. राज्य के लिए एकता की भावना अनिवार्य नहीं हैं:
एक राज्य के लोग एक निश्चित भू-भाग में निवास करते हैं, उनमें एकता और एकत्व ( oneness) की भावना का होना आवश्यक नहीं है। लेकिन एक राष्ट्र के सदस्यों में एकता की भावना का होना आवश्यक है। यदि किसी समूह के लोग साथ-साथ रहते हैं लेकिन उनमें एकत्व की कोई भावना नहीं है जो अन्य लोगों से उसे अलग करती हो, तो वह समूह राष्ट्र नहीं कहला सकता।

3. राज्य का भू-भाग निश्चित होता है:
प्रत्येक राज्य का एक निश्चित भू-भाग होता है, लेकिन राष्ट्र का निश्चित भू-भाग नहीं होता। एक राष्ट्र में एक या एक से अधिक राज्य हो सकते हैं और एक राज्य में दो या अधिक राष्ट्र हो सकते हैं। यद्यपि वर्तमान में एक राष्ट्र एक राज्य का विचार प्रचलित है और एक राष्ट्र अपने प्रयासों से देर-सवेर स्वतंत्रता प्राप्त कर लेता है।

4. राज्य के पास संप्रभुता होती है: राज्य के लिए संप्रभुता का होना आवश्यक है, लेकिन राष्ट्र के लिए संप्रभुता की आवश्यकता नहीं होती। जब कोई समूह राजनैतिक चेतना प्राप्त कर लेता है और अपनी स्वतंत्रता के लिये प्रयत्न करना प्रारंभ कर देता है, वह समूह स्वयं में एक राष्ट्र की रचना करता है; लेकिन जब तक लोगों को संप्रभुता प्राप्त नहीं होगी, वे राज्य का निर्माण नहीं कर सकते हैं।

5. राष्ट्र अधिक स्थायी है- राष्ट्र राज्य की तुलना में अधिक स्थायी है। जब एक समाज अपनी संप्रभुता को खो देता है, तब राज्य समाप्त हो जाता है, लेकिन उसके सदस्यों की एकता की भावना उसकी राष्ट्र के रूप में पहचान बनाए रखती है। शक्ति के द्वारा पारम्परिक एकता की भावना को समाप्त नहीं किया जा सकता।

6. राष्ट्र की अपेक्षा राज्य भौतिक है- राष्ट्र एक एकता की भावना है लेकिन राज्य वह है जब उसके चारों तत्व एक साथ हों। इनमें भूमि, जनसंख्या और सरकार तीनों तत्व भौतिक हैं।

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प्रश्न 3.
राष्ट्रवाद को परिभाषित कीजिये। इसके गुण तथा दोषों की व्याख्या कीजिये।
अथवा
राष्ट्रवाद के पक्ष व विपक्ष में तर्क दीजिये।
उत्तर:
राष्ट्र से आशय: राष्ट्र बहुत हद तक एक ‘काल्पनिक समुदाय’ होता है, जो अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बंधा होता है। यह कुछ खास मान्यताओं पर आधारित होता है जिन्हें लोग समग्र समुदाय के लिए गढ़ते हैं जिससे वे अपनी पहचान कायम रखते हैं।

राष्ट्रवाद का अर्थ: इस प्रकार सामान्य बोलचाल में राष्ट्रवाद का अर्थ है। राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्र के लिए बलिदान की भावना, राष्ट्र के प्रति स्वाभिमान की भावना तथा राष्ट्रीय झंडे, राष्ट्रीय प्रतीकों तथा राष्ट्रीय पर्वों, जैसे- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि के प्रति आदर प्रदर्शित करना है।

राष्ट्रवाद को दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. सकारात्मक राष्ट्रवाद: जब लोग अपने राष्ट्र से प्रेम करते हैं तथा इसके विकास तथा बेहतरी के लिए प्रयास करते हैं तो इसे सकारात्मक राष्ट्रवाद कहा जाता है।
  2. नकारात्मक राष्ट्रवाद: जब हम केवल अपने राष्ट्र से ही प्रेम करते हैं और दूसरे राष्ट्रों से घृणा करते हैं, उनका शोषण करते हुए अपने राष्ट्र का विकास करना चाहते हैं तो उसे नकारात्मक या उग्र राष्ट्रवाद कहते हैं। नकारात्मक राष्ट्रवाद के संघर्ष, युद्ध, लोगों की स्वतंत्रताओं में कटौती आदि बुरे परिणाम होते हैं।

राष्ट्रवाद के गुण
अथवा
राष्ट्रवाद के पक्ष में तर्क

राष्ट्रवाद के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं।
1. राष्ट्रवाद लोगों में विश्वास तथा नया जोश जगाता है: राष्ट्रवाद लोगों में परस्पर विश्वास पैदा करता है। यह राष्ट्र-राज्य की बेहतरी के लिए खड़ा होता है और नागरिकों को अपने राष्ट्र को शक्तिशाली और महान बनाने के लिए उसके प्रति भक्ति रखने तथा सभी प्रकार के त्याग करने की प्रेरणा देता है । वे देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता तथा अनुशासन की नवीन भावना में अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं को भी भूल जाते हैं। इटली और जर्मनी के एकीकरण में यही घटित हुआ है।

2. देशभक्ति:
राष्ट्रवाद देश भक्ति के लिए लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें अपने समाज, देश तथा राष्ट्र के लिए सभी प्रकार के त्याग करने के लिए तैयार करता है। यह राष्ट्रवाद ही है, जब एक राष्ट्र की टीम दूसरे राष्ट्र से मैच जीतती है तो उससे उन्हें गर्व होता है।

3. यह राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए लोगों को प्रेरित करता है:
राष्ट्रवाद विदेशी प्रभुत्व से लोगों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने को प्रेरित करता है। 18वीं सदी में भारत में राष्ट्रीयता की चेतना न होने से वह ब्रिटिश प्रभुत्व के अधीन हो गया। लेकिन भारतीयों में जब राष्ट्रवाद की चेतना का उदय हुआ तथा उसका विस्तार हुआ तो उन्होंने स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन प्रारंभ कर दिया और भारत की स्वतंत्रता तक वह चलता रहा। इसी प्रकार एशिया, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के अन्य देशों में भी राष्ट्रवाद ने विदेशी शासन से स्वतंत्रता प्रदान करने में केन्द्रीय भूमिका निबाही

4. यह राष्ट्र के चहुंमुखी विकास हेतु लोगों को कठिन परिश्रम के लिए प्रेरित करता है:
एक समाज जो राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित है लम्बे समय तक अविकसित तथा पिछड़ा हुआ नहीं रह सकता। लोग अपने राष्ट्र के चहुंमुखी विकास पर गौरवान्वित होते हैं और जब वे यह देखते हैं कि उनका राष्ट्र शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आर्थिक विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, तो उन्हें ग्लानि होती है। वे विश्व में अपने राष्ट्र को उन्नति के उच्च शिखर पर लाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं।

5. नए राज्यों का उदय:
बड़े राज्यों को दो या अधिक नये राष्ट्रों में विभाजित कर नये राष्ट्र-राज्यों के निर्माण के लिए राष्ट्रवाद उत्तरदायी रहा है। राष्ट्रवाद के कारण नये राज्यों के लोग अपनी नई राजनीतिक पहचान प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए आस्ट्रियाई हंगेरियाई साम्राज्य को विभाजित कर दो नए राष्ट्र-राज्य आस्ट्रिया और हंगरी का निर्माण राष्ट्रवाद की भावना के तहत ही हुआ।

6. राष्ट्रीय एकता, शक्ति और सुदृढ़ीकरण: राष्ट्रवाद लोगों को अपने छोटे-छोटे मतभेदों तथा विवादों को भूलकर राष्ट्र की एकता के लिए एक हो जाने के लिए प्रेरित करता है। राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को शक्तिशाली बनाती है और राष्ट्र सुदृढ़ तथा ताकतवर बनता है। इस प्रकार राष्ट्रवाद लोगों को एकता में बांध देता है और विशेष रूप से संकटकाल में तथा विदेशी आक्रमण के विरुद्ध लोगों को एक चट्टान की तरह एकजुट होकर प्रतिरोध करने को प्रेरित करता है।

7. राजनीतिक स्थायित्व: राष्ट्रवाद राजनैतिक स्थायित्व भी लाता है। राष्ट्रवाद के प्रभाव के अन्तर्गत शक्तिशाली राष्ट्रीय एकता बनी रहती है जो कि सरकार को शक्तिशाली बनाती है। लोग राजनीतिक व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास नहीं करते क्योंकि सरकारों को बार-बार अपदस्थ करना तथा शासन व्यवस्था का निरन्तर बदलाव राष्ट्र को बदनाम करेगा।

राष्ट्रवाद के अवगुण
अथवा
राष्ट्रवाद के विपक्ष में तर्क

राष्ट्रवाद के प्रमुख अवगुण निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रवाद जल्दी ही उग्र राष्ट्रवाद में बदल जाता है:
राष्ट्रवाद दूसरे राष्ट्रों के प्रति गहरे घृणा के भाव को प्रेरित करता है और इस कारण यह जल्दी ही उग्र राष्ट्रवाद में बदल जाता है और लोग अन्य राष्ट्रों व वहाँ के लोगों को अपना दुश्मन मानना शुरू कर देते हैं। वे अपने राष्ट्र को विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली तथा विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रयास प्रारंभ कर देते हैं। इस प्रकार राष्ट्रों के बीच जल्दी ही एक प्रजाति का भाव उदित हो जाता है जो कि बहुत हानिकारक है क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र इसे प्राप्त करने के लिए उचित और अनुचित सभी उपलब्ध साधनों को अपनाने लग जाता है। प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को निरुत्साहित करता है तथा उसे निम्नस्तरीय बताने का प्रयास करता है।

2. राष्ट्रवाद बड़े राष्ट्रों को छोटे राष्ट्रों में तोड़ने के लिए प्रेरित करता है:
राष्ट्रवाद राष्ट्रीय आत्मनिर्णय के विचार के आधार पर कुछ बड़े राज्यों के लोगों को छोटे-छोटे राज्यों में परिवर्तित कराने की मांग उठाने की प्रेरणा देता है। -भाषा- भाषियों तथा भिन्न-भिन्न अधिकतर समाज सांस्कृतिक रूप से विविधता से भरे हैं। प्रत्येक समाज में विभिन्न धर्मों, क्षेत्रीय संस्कृतियों व उप-संस्कृतियों के लोग रहते हैं। वे क्षेत्र जो एक राष्ट्र के अन्तर्गत अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं, उनमें जल्दी ही एक पृथक् राष्ट्र के विकास के भाव विकसित हो जाते हैं और एक पृथक् स्वतंत्र राज्य की स्थापना हेतु आन्दोलन प्रारंभ कर देते हैं। आस्ट्रियाई – हंगेरियाई साम्राज्य इसी आधार पर दो राज्य – राष्ट्रों- आस्ट्रिया और हंगरी में विभाजित हो गया।

3. राष्ट्रीय एकता पर दुष्प्रभाव:
यदि किसी राज्य में जनसंख्या दो या अधिक राष्ट्रों की निवास करती है, उसमें राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना तथा सुदृढ़ बनाना बहुत कठिन होता है। लोगों के मध्य राष्ट्रवाद की चेतना उन्हें एक पृथक् राज्य के लिए विभाजित तथा संघर्षरत रखती है। कभी-कभी धर्म या भाषा के छोटे आधारों पर ही वे पृथक् राष्ट्र होने का दावा करते हैं और एक पृथक् राज्य की मांग करते हैं। एक राज्य में दो या अधिक राष्ट्रों के लोगों के बीच एकत्व की भावना नहीं पाई जाती।

4. व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध:
राष्ट्रवाद प्रायः लोगों की स्वतंत्रताओं और उनके अधिकारों को भी प्रतिबंधित कर देता है। प्रजातांत्रिक सरकारों में शासक दल और शासक राष्ट्रवाद की भावनाओं को उभारकर लोगों की स्वतंत्रताओं और अधिकारों में कटौती करने का प्रयास करता है। लोग राष्ट्र के आदर और उसकी महानता के लिए अपनी स्वतंत्रताओं और अधिकारों की परवाह नहीं करते हैं और तानाशाह या महत्त्वाकांक्षी शासक इन भावनाओं का दुरुपयोग करते हैं।

5. राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद को बढ़ावा देता है: राष्ट्रवाद जल्दी ही उग्र राष्ट्रवाद में परिवर्तित होकर साम्राज्यवाद को बढ़ावा देता है।

6. राष्ट्रवाद पृथकतावादी आंदोलनों को प्रेरित करता है:
राष्ट्रवाद भारत तथा विश्व के अन्य राष्ट्रों में पृथकतावादी आंदोलनों को भी प्रेरित करता है। आजकल विश्व में राष्ट्रीय आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग के तहत कनाडा में क्यूबेकवासियों, स्पेन में बास्कवासियों, तुर्की और इराक में कुर्दों तथा श्रीलंका में तमिलों द्वारा पृथक् राष्ट्र हेतु पृथकतावादी आन्दोलन चला रखा है। वे मुख्य राष्ट्र से पृथक् होकर अपना एक स्वतन्त्र राज्य की स्थापना करना चाहते हैं। ऐसे पृथकतावादी आंदोलन राज्यों को छोटे-छोटे राज्यों में परिवर्तित कर देंगे।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

प्रश्न 4.
बहुलवादी समाज़ में राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रवाद की समस्याओं की विवेचना कीजिये तथा उनके समाधान के उपाय बताइये।
उत्तर:
बहुलवाद या बहुलवादी समाज; प्रायः सभी राज्य या समाज इन दिनों बहुलवादी समाज हैं। एक बहुलवादी समाज वह समाज है जिसमें विभिन्न धर्मों, पंथों, भाषा-भाषी, विभिन्न संस्कृतियों या उपसंस्कृतियों, विभिन्न वंशों व जातियों के लोग रहते हों तथा उनकी रीति-रिवाज और परम्पराएँ भी भिन्न-भिन्न हों। यदि किसी राज्य के लोगों की एक जाति है, वे एक ही धर्म का पालन करते हैं; एक भाषा बोलते हैं, उनकी एक ही सांस्कृतिक पहचान है तथा उनकी परम्पराएँ तथा रीतिरिवाज समान हैं, तो वह समाज या राज्य बहुलवादी नहीं है। इस प्रकार बहुलवादी समाज के आधारभूत तत्त्व हैं। जाति, भाषा, धर्म, संस्कृति आदि के आधार पर लोगों में विविधता।

भारतीय समाज एक बहुलवादी समाज है। यहाँ लोग अनेक धर्मों, जैसे हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, सिक्ख, जैन, बुद्ध आदि – में विश्वास करते हैं। लोग विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। 21 भाषाएँ यहाँ संवैधानिक मान्यता प्राप्त हैं। यहाँ भिन्न-भिन्न परम्पराएँ तथा रीति-रिवाज हैं तथा लोगों की भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय संस्कृतियाँ भी हैं। इसी प्रकार स्विट्जरलैंड एक बहुलवादी समाज है। स्विट्जरलैंड में तीन भाषा-भाषी लोग फ्रेंच, जर्मन तथ इटालियन रहते हैं।

बहुलवादी समाज में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रवाद की भावना को बनाए रखने एवं विकसित करने में आने वाली समस्याएँ:
बहुलवादी समाज में राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रवाद की भावना को बनाए रखना तथा उसको सुदृढ़ करते रहना आसान काम नहीं है। बहुलवादी समाज में लोग धर्म, भाषा या क्षेत्र के छोटे-छोटे मुद्दों या मामलों पर विभाजित रहते हैं।

उदाहरण के लिए भारत इसी समस्या के कारण स्वतंत्रता के 63 वर्ष बाद भी एक राष्ट्र-भाषा को नहीं अपना पाया है। अभी भी अंग्रेजी राष्ट्रीय भाषा का महत्त्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है क्योंकि यहाँ भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। यद्यपि देवनागरी लिपि में हिन्दी भाषा को संवैधानिक रूप से सरकारी कामकाज की भाषा स्वीकार किया गया हैं, लेकिन अभी तक इसे कार्यालयी स्थान नहीं मिला है। यहाँ साम्प्रदायिक, जातिगत, क्षेत्रीय आदि विविधताओं के कारण इनके आधारों पर संघर्ष होते रहते हैं, जिससे राष्ट्रीय एकता, सुदृढ़ता बाधित होती है और राष्ट्रवाद की भावना कमजोर होती है।

बहुलवादी समाज में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रवाद के सुदृढ़ीकरण के उपाय: एक बहुलवादी समाज में राष्ट्रवाद की भावना तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने आवश्यक हैं।

  1. बहुलवादी राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने के लिए अल्पसंख्यक समूहों और उनके सदस्यों की भाषा, संस्कृति एवं धर्म के लिए संवैधानिक संरक्षा के अधिकार प्रदान किये जाने चाहिए।
  2. इन समूहों को विधायी संस्थाओं और अन्य राजकीय संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया जाना चाहिए। इन अधिकारों को इस आधार पर न्यायोचित ठहराया जा सकता है कि ये अधिकार इन समूहों के सदस्यों के लिए कानून द्वारा समान व्यवहार और सुरक्षा के साथ ही समूह की सांस्कृतिक पहचान के लिए भी सुरक्षा का प्रावधान करते हैं।
  3. इनं समूहों को राष्ट्रीय समुदाय के एक अंग के रूप में भी मान्यता दी जानी चाहिए। इसका अभिप्राय यह है कि राष्ट्रीय पहचान को समावेशी रीति से परिभाषित करना होगा जो राष्ट्र-राज्य के सभी सदस्यों की महत्ता और अद्वितीय योगदान को मान्यता दे सके।
  4. यदि कुछ अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों, प्रतिनिधिपरक निकायों का शैक्षिक सुविधाओं में उचित भाग नहीं मिल पाता है तो उन्हें इन क्षेत्रों में उचित भाग दिलाने हेतु सरकार को कुछ विशिष्ट उपाय, जैसे  कुछ विशिष्ट सुविधाएँ प्रदान करना, आरक्षण की नीति लागू करना आदि किये जाने चाहिए। भारत में इसी दृष्टि से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा स्त्रियों के लिए आरक्षण के प्रावधान किये गये हैं।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 राष्ट्रवाद

प्रश्न 5.
राष्ट्रवाद पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की समालोचना को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राष्ट्रवाद पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की समालोचना: रवीन्द्रनाथ ठाकुर भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोधी थे और भारत की स्वाधीनता के अधिकार का दावा करते थे। वे महसूस करते थे कि उपनिवेशों के ब्रितानी प्रशासन में ‘मानवीय संबंधों की गरिमा बरकरार रखने’ की गुंजाइश नहीं है। यद्यपि ब्रितानी सभ्यता में इस विचार को स्थान दिया गया है और औपनिवेशिक शासन इस विचार का पालन नहीं कर पा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ब्रिटिश दासता से भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख सेनानी थे; लेकिन वे संकीर्ण राष्ट्रवाद के विरोधी थे। संकीर्ण राष्ट्रवाद के स्थान पर वे ‘मानवता’ पर बल देते थे। अर्थात् वे मानवतावादी राष्ट्रवादी थे।

वे मानव-मानव में कोई भेद नहीं करते थे। इसलिए स्वतंत्र भारत में प्रत्येक मानव को समान महत्त्व मिलना चाहिए। वे राष्ट्रवाद की क्षेत्रीय संकीर्णता, भाषायी संकीर्णता, धार्मिक संकीर्णता से ऊपर उठकर ‘बहुलवादी समाज और मानवता’ को अपनाने पर बल देते थे। उनकी अंतिम आध्यात्मिक मंजिल राष्ट्रवाद न होकर मानवता थी। उनका कहना था कि ” जब तक मैं जीवित हूँ देशभक्ति को मानवता पर कदापि विजयी नहीं होने दूँगा।” इसका आशय यह है कि राष्ट्रवाद जब तक मानवता को साथ लेकर चलता है, तब तक ही उसका स्वागत करना चाहिए।

यदि राष्ट्रवाद की भावना के तहत मानवता का हनन होता है अर्थात् देशभक्ति की भावना के तहत व्यक्तियों का बलिदान देकर राष्ट्रवाद को बढ़ाया जाता है, तो यह राष्ट्रवाद मानवता विरोधी है। व्यक्ति के अधिकारों, स्वतंत्रताओं को राष्ट्रवाद के लिए बलिदान देने वाले राष्ट्रवाद के वे विरोधी थे। वे देश के स्वाधीनता आन्दोलन में मौजूद संकीर्ण राष्ट्रवाद के कटु आलोचक थे। उन्हें भय था कि तथाकथित भारतीय परम्परा के पक्ष में पश्चिमी सभ्यता को खारिज करने का विचार यहीं तक नहीं रुकेगा।

आगे चलकर यह अपने देश में मौजूद ईसाई, यहूदी, पारसी और इस्लाम समेत तमाम विदेशी प्रभावों के खिलाफ आसानी से आक्रामक भी हो सकता है। उनकी यह आशंका सत्य सिद्ध हुई और इसी के चलते भारत, भारत और पाकिस्तान दो भागों में विभाजित हो गया। अतः स्पष्ट है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर बहुलवादी राष्ट्रवाद, मानवता को साथ लेकर चलने वाले राष्ट्रवाद के समर्थक थे, न कि संकीर्ण राष्ट्रवाद के।

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Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 10 Kathmandu Textbook Exercise Questions and Answers.

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JAC Class 9 English Kathmandu Textbook Questions and Answers

Thinking About the Text

Activity: 1.

1. On the following map mark out the route, which the author thought of but did not take, to Delhi.
नीचे दिये नक्शे पर वह रास्ता दिखाइये जिसके बारे में लेखक ने दिल्ली जाने के लिए सोचा, पर उससे गया नहीं ।
Note- (i) नक्शे को Text Book में देखें ।
Note- (ii) छात्र नक्शे में देखकर स्वयं हल करें ।

2. Find out the possible routes (by rail, road or air) from Kathmandu to New Delhi / Mumbai / Kolkata / Chennai.
काठमाण्डू से नई दिल्ली/मुम्बई / कोलकाता / चेन्नई के लिए (रेल, सड़क या हवाई) जो रास्ते हो सकते हैं, उनका पता लगाइये ।
Note- एटलस की सहायता से छात्र स्वयं करें ।

I. Answer these questions in one or two words or in short phrases:

इन प्रश्नों का उत्तर एक या दो शब्दों अथवा छोटे वाक्यांशों में दीजिये :

Question 1.
Name the two temples the author visited in Kathmandu.
उम दो मन्दिरों के नाम बताइये जिन्हें लेखक ने काठमाण्डू में देखा ।
Answer:
The two temples the author visited in Kathamandu were the Pashupatinath Temple and the Baudhnath Stupa.
लेखक ने काठमाण्डू में दो मन्दिर पशुपतिनाथ मन्दिर और बौद्धनाथ स्तूप को देखा था।

Question 2.
The writer says, “All this I wash down with Coca Cola. ” What does ‘all this’ mean ?
लेखक कहता है, “मैं यह सब कोका कोला के साथ चट कर जाता हूँ ।” ‘यह सब’ से क्या तात्पर्य है ?
Answer:
‘All this’ refers to eating a corn-on-the-cob and a bar of marzipan.
‘यह सब’ यहाँ भुट्टा व बादाम की मिठाई से संबंधित है।

Question 3.
What does Vikram Seth compare to the quills of a porcupine ?
विक्रम सेठ सेही के काँटों से किसकी तुलना करते हैं ?
Answer:
Vikram Seth compares the fifty or sixty flutes protruding in all directions from the pole of a flute seller to the quills of a porcupine.
सभी दिशाओं में बाहर को निकली हुई 50-60 बाँसुरियों की तुलना विक्रम सेठ सेही के काँटो से करता है ।

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Question 4.
Name five kinds of flutes.
पाँच प्रकार की बाँसुरियों के नाम बताइये ।
Answer:
Neh, shakuhachi, deep bansuri, breathy flutes and high pitched flutes.
नेह, शाकुहाची, गहरी बाँसुरी, साँस की ध्वनि के साथ बजने वाली बाँसुरियाँ और ऊँचे स्वर में बजने वाली बाँसुरियाँ ।

II. Answer each of the following questions in about 30 words :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
What difference does the author note between the flute seller and the other hawkers?
लेखक बाँसुरी – विक्रेता व अन्य फेरी वालों के बीच किस अन्तर पर ध्यान देता है ?
Answer:
The author notes that the flute seller does not shout out to sell his wares while the other hawkers do. He is indifferent to his sales while the other hawkers are very keen to sell their items.

लेखक ध्यान देता है कि बाँसुरी विक्रेता चिल्ला-चिल्लाकर अपनी चीजें नहीं बेचता है जबकि अन्य फेरी वाले अपनी चीज़ें बेचने के लिए जोर-जोर से आवाज़ लगाते हैं। वह अपने सामान की बिक्री के प्रति उदासीन है जबकि अन्य फेरी वाले अपनी चीजें बेचने के लिए बहुत इच्छुक हैं ।

Question 2.
What is the belief at Pashupatinath about the end of Kaliyug ?
पशुपतिनाथ मन्दिर में कलियुग के अन्त के विषय में क्या मान्यता है ?
Answer:
There is a belief that when half protruded shrine from the stone platform of river Bagmati comes out fully, the goddess inside will escape. Then the evil period of the Kaliyug will end.

ऐसी मान्यता है कि जब बागमती नदी के किनारे बने पत्थर के चबूतरे से आधा बाहर निकला हुआ पूजा-स्थल पूरा बाहर आ जायेगा तो इसके अन्दर स्थित देवी निकल कर चली जाएगी । तब कलियुग की बुरी अवधि समाप्त हो जायेगी ।

Question 3.
The author has drawn powerful images and pictures. Pick out three examples each of :
लेखक ने शक्तिशाली छवियाँ व चित्र खींचे हैं । निम्नलिखित में से प्रत्येक के तीन उदाहरण चुनियेः
(i) the atmosphere of ‘febrile confusion’ outside the temple of Pashupatinath (for example: some people trying to get the priest’s attention are elbowed aside….) पशुपतिनाथ मन्दिर के बाहर ‘अत्यधिक अस्तव्यस्तता’ का वातावरण (उदाहरण के लिए : पुजारी का ध्यान खींचने की कोशिश करते हुए कुछ लोगों को कोहनी से एक ओर को धकेल दिया जाता है ……. )
Answer:
(a) Priests, hawkers, devotees, tourists, cows, monkeys, pigeons and dogs roam through the grounds.
पुजारी, फेरी वाले, भक्तगण, पर्यटक, गायें, बन्दर, कबूतर और कुत्ते इधर-उधर घूम रहे हैं।

(b) Some Westerners struggle for permission to enter the main gate as only Hindus are allowed.
कुछ पश्चिमी देशों के लोग मुख्य गेट पर प्रवेश की अनुमति पाने के लिए झगड़ रहे हैं क्योंकि केवल हिन्दुओं को ही प्रवेश की अनुमति है।

(c) Two monkeys are fighting and running here and there screaming.
दो बन्दर लड़ रहे हैं और चीखते हुए जहाँ-तहाँ भाग रहे हैं ।

(ii) The things he sees. (जो चीज़ें वह देखता है ।)
Answer:
(a) A sign which proclaims Entrance for the Hindus only. He also saw the Baudhnath Stupa which was ringed by a road.
एक सूचना पट्ट जो घोषणा करता है ‘केवल हिन्दुओं के लिए प्रवेश’ । उसने बौद्धनाथ स्तूप भी देखा जो चारों और एक सड़क से घिरा हुआ था।

(b) A corpse being cremated on the banks of river Bagmati.
बागमती नदी के किनारे एक शव का अन्तिम संस्कार ।

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(c) Small shops of Tibetan immigrants near the Buddhist shrine. Besides he saw fruit sellers, flute sellers and hawkers of postcards etc.
बौद्ध मन्दिर के समीप तिब्बती आप्रवासियों की छोटी दुकानें । इसके अतिरिक्त उसने फल विक्रेता और बाँसुरी विक्रेताओं और पोस्टकार्ड की फेरी वालों आदि को भी देखा।

(iii) The sounds he hears.
वे आवाज़ें जो वह सुनता है ।
Answer:
(a) Film songs blare out from the radios.
रेडियो पर बजते फिल्मी गाने बहुत जोर से बजते हैं।

(b) Car horns sound. Bicycle bells ring.
कारों के हॉर्न बजते हैं । साइकिलों की घंटियाँ बजती है।

(c) Vendors shout out their wares. He listens to flute music calling it the most universal and most particular of sounds.
फेरी वाले चिल्ला-चिल्लाकर अपनी चीजें बेचते हैं । वह बाँसुरी की ध्वनि भी सुनता है जिसे वह सबसे अधिक सार्वभौमिक और सबसे अधिक विशिष्ट ध्वनि बताता है।

III. Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
Compare and contrast the atmosphere in and around the Baudhnath shrine with the Pashupatinath temple.
बौद्धनाथ पूजा-स्थल के अन्दर और चारों ओर के वातावरण की पशुपतिनाथ मन्दिर के वातावरण से तुलना कीजिए और अन्तर बताइये |
Answer:
This contrast can be presented as follows:

  • The Boudhanath shrine has a sense of stillness spread all around whereas there is an atmosphere of hurried activity at the Pashupatinath temple.
  • There are no crowds at the Baudhnath shrine whereas many people, birds and animals are roaming at the Pashupatinath temple.
  • The Baudhnath shrine is surrounded by a road whereas river Bagmati flows below the Pashupatinath temple.
  • The Baudhnath shrine is a haven of peace whereas different types of noise are present at the Pashupatinath temple.

इस अन्तर को निम्नलिखित प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है :

  • बौद्धनाथ पूजा – स्थल पर चारों ओर शान्ति है जबकि पशुपतिनाथ मन्दिर में जल्दबाजी – भरा वातावरण है ।
  • बौद्धनाथ पूजा-स्थल पर बिल्कुल भीड़ नहीं है जबकि पशुपतिनाथ मन्दिर पर बहुत-से लोग, पक्षी और पशु इधर-उधर घूम रहे हैं ।
  • बौद्धनाथ पूजा – स्थल के चारों ओर एक सड़क है जबकि पशुपतिनाथ मन्दिर के नीचे बागमती नदी बहती है
  • बौद्धनाथ पूजा – स्थल शान्ति की शरणस्थली है जबकि पशुपतिनाथ मन्दिर में अनेक प्रकार का शोर है ।

Question 2.
How does the author describe, Kathmandu’s busiest streets ?
लेखक, काठमाण्डू के सबसे अधिक व्यस्त मार्गों का वर्णन किस प्रकार करता है ?
Answer:
There are small shrines along these narrowest and busiest streets. There are fruit sellers, flute sellers, hawkers etc., who sell their things in these streets. Copper utensils and Nepalese antiques are also sold at the shops. Vendors shout out their wares. Film songs are played on a very high volume from the radios. Car horns sound and bicycle bells ring and stray cows low questioningly at motorcycles.

इन सर्वाधिक सँकरे मार्गों के किनारे-किनारे छोटे-छोटे पूजा-स्थल हैं। फल विक्रेता, बाँसुरी विक्रेता, फेरी वाले आदि सब है जो इन मार्गों अपनी चीज़ें बेचते हैं। दुकानों पर ताँबे के बर्तन और प्राचीन नेपाली वस्तुएँ भी बिकती हैं । फेरी वाले चिल्ला-चिल्ला कर अपनी वस्तुएँ बेचते हैं। रेडियो पर बहुत तेज आवाज़ में फिल्मी गाने बजते रहते हैं । कारों के हॉर्न बजते हैं और साइकिलों की घण्टियाँ बजती रहती हैं और आवारा गायें मोटरसाइकिलों को देखकर कुछ पूछती हुई सी रंभाती रहती हैं ।

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Question 3.
“To hear any flute is to be drawn into the commonality of all mankind.” Why does the author say this ? ”
किसी भी बाँसुरी का संगीत सुनना सम्पूर्ण मानवता की एकरूपता में खिंचे चले जाना है . ?” लेखक यह क्यों कहता है ?
Answer:
There are different types of flutes in different countries. Every flute has its own distinct structure. But there is one thing common among them all. It is that the flute music is. the closest in its phrases and sentences to the human voice. Human breath plays it. Thus, its motive force is living breath. As breath needs pause before going on, so does it. That is why, he says that whichever flute he may be hearing, seems to him just close to all mankind.

अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रकार की बाँसुरियाँ हैं । प्रत्येक बाँसुरी की अपनी विशिष्ट संरचना होती है । लेकिन उन सब में एक बात समान है । वह बात यह है कि बाँसुरी के संगीत की तान और वाक्य मानव – ध्वनि के सबसे अधिक निकट हैं । यह मानव की साँस से बजती है । इस प्रकार इसकी प्रेरणादायिनी शक्ति जीती-जागती साँस है। जैसे श्वास को चलते रहने से पहले कुछ रुकने की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार इसे भी । इसीलिए वह कहता है कि भले ही वह किसी भी बाँसुरी का संगीत सुने, उसे यह मानवता के निकट लगता है ।

Thinking About Language

I. Read the following sentences carefully to understand the meaning of the italicised phrases. Then match the phrasal verbs in Column A with their meanings in Column B:

नीचे दिये वाक्यों को ध्यान से पढ़कर टेढ़े छपे वाक्यांशों का अर्थ समझिए । फिर कॉलम A में दिये Phrasal Verbs का कॉलम B में दिये उनके अर्थों से मिलान कीजिए :

1. A communal war broke out when the princess was abducted by the neighbouring prince.
2. The cockpit broke off from the plane during the plane crash.
3. The car broke down on the way and we were left stranded in the jungle.
4. The dacoit broke away from the police as they took him to court.
5. The brothers broke up after the death of the father.
6. The thief broke into our house when we were away.

A — B
(i) break out — (a) to come apart due to force
(ii) break off — (b) end a relationship
(iii) break down — (c) break and enter illegally : unlawful trespassing
(iv) break away (from someone) — (d) to start suddenly (usually a fight, a war or a disease)
(v) break up — (e) to escape from someone’s grip
(vi) break into — (f) stop working
Answer:
(i) breakout …………….. (d) to start suddenly ( usually a fight, a war or a disease).
(ii) break off ………………. (a) to come apart due to force
(iii) break down ……………….. (f) stop working
(iv) break away (from someone) ……………… (e) to escape from someone’s grip
(v) breakup ……………….. (b) end a relationship
(vi) break into ………………. (c) break and enter illegally: unlawful trespassing

II. 1. Use the suffixes – ion or -tion to form nouns from the following verbs. Make the necessary changes in the spellings of the words:

Example: proclaim- proclamation
नीचे दिये गये verbs से nouns बनाने के लिए उनमें ion या tion प्रत्यय जोड़िये । शब्दों की वर्तनी में आवश्यक परिवर्तन कीजिए :
उदाहरण : proclaim – proclamation
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Answer:
cremation, action, exhaustion, invention, temptation, immigration, direction, meditation, imagination, dislocation, association, dedication.

2. Now fill in the blanks with suitable words from the ones that you have formed.

अब जो शब्द आपने बनाये हैं, उनमें से उपयुक्त शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(i) Mass literacy was possible only after the …………. of the printing machine.
(ii) Ramesh is unable to tackle the situation as he lacks.
(iii) I could not resist the …………. to open the letter.
(iv) Hard work and …………… are the main keys to success.
(v) The children were almost fainting with …………. after being made to stand in the sun.
Answer:
(i) invention
(ii) imagination
(iii) temptation
(iv) dedication
(v) exhaustion.

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III. Punctuation

Use capital letters, full stops, question marks, commas and inverted commas wherever necessary in the following paragraph:

नीचे दिये गये अनुच्छेद में जहाँ भी आवश्यक हो, बड़े अक्षर, पूर्ण विराम, प्रश्नवाचक चिह्न, अर्द्ध विराम और उद्धरण चिह्नों का प्रयोग कीजिए :

an arrogant lion was wandering through the jungle one day he asked the tiger who is stronger than you you O lion replied the tiger who is more fierce than a leopard asked the lion you sir replied the leopard he marched upto an elephant and asked the same question the elephant picked him up in his trunk swung him in the air and threw him down look said the lion there is no need to get mad just because you don’t know the answer
Answer:
An arrogant lion was wandering through the jungle one day. He asked the tiger, “Who is stronger than you?” “You, O lion !”, replied the tiger. “Who is more fierce than a leopard?” asked the lion. “You, sir,” replied the leopard. He marched upto an elephant and asked the same question. The elephant picked him up in his trunk, swung him in the air and threw him down. “Look,” said the lion, “there is no need to get mad just because you don’t know the answer.”

IV. Simple Present Tense

पाठ में आये इन वाक्यों को ध्यान से पढ़िये :

  • A fight breaks out between two monkeys.
  • Film songs blare out from the radios.
  • I wash it down with Coca-Cola.

टेढे शब्दों में छपी verbs, Simple Present Tense में हैं । यहाँ लेखक यह वर्णन कर रहा है कि उसने क्या देखा और सुना परन्तु वह Past Tense के बजाय Present Tense का प्रयोग करता है । Present Tense का इस प्रकार से प्रयोग करके किसी वर्णन या कहानी को अधिक नाटकीय और त्वरित बनाया जा सकता है।

अब नीचे दिये वाक्यों को देखिये :

  • A small shrine half protrudes from the stone platform on the riverbank.
  • Small shops stand on the outer edge of the Stupa.

Simple Present Tense का प्रयोग उस बात को बताने के लिए किया जाता है जो प्रायः या सामान्यतः सत्य होती है । ऊपर दिये वाक्य तथ्यों का वर्णन करते हैं। सार्वभौमिक सत्य अर्थात सदा सच रहने वाली बात प्रदर्शित करने वाले वाक्यों में भी Simple Present Tense का प्रयोग किया जाता है । उदाहरण के लिए :

  • The sun rises in the east.
  • The earth revolves round the sun.

Simple Present Tense के प्रयोग से ‘आदत’ प्रकट किये जाने वाले कार्यों के विषय में भी बताया जा सकता है:

  • He usually takes a train instead of a bus to work.
  • We often get fine drizzles in winter.

everyday, often, seldom, never, every month, generally, usually suf प्रयोग किये जा सकते हैं ।

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1. Fill in the blanks with the correct form of the verb in brackets:

कोष्ठकों में दिये verb के सही रूप से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(i) The heart is a pump that pumping action …………..(send) the blood circulating through our body. The ……… (take place) when the left ventricle of the heart (contract). This …………. (force) the blood out into the arteries, which…………. (expand) to receive the oncoming blood.

(ii) The African lungfish can live without water for up to four years. During a drought it (dig) a pit and (enclose) itself in a capsule of slime and earth, leaving a
tiny opening for air. The capsule (come) the mud.

(iii) MAHESH : We have to organise a class party for our teacher.
………….. (Do) anyone play an instrument?
VIPUI. : Rohit ………….. (play) the flute.
MAHESH : ………….. (Do) he also act?
VIPUI. : No, he ………….. (compose) music.
MAHESH : That’s wonderful!
Answer:
(i) sends, takes place, contracts, forces, expand.
(ii) digs, encloses, dries, hardens, comes, dissolves, swims
(iii) Does, plays, Does, composes

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Speaking

Question 1.
Discuss in class the shrines you have visited or know about. Speak about one of them.
कक्षा में उन धर्मस्थलों के विषय में चर्चा कीजिये जिन्हें आपने देखा हो या जिनके बारे में आप जानते हैं। उनमें से एक के विषय में बोलिये ।
Answer:
There are many shrines in Rajasthan. Some famous shrines among them are Govind Dev temple, Birla temple (Jaipur), Dargah (Ajmer), Brahma temple (Pushkar), Madan Mohan temple (Karauli), Shrinath temple (Nathdwara), Jagdish temple (Udaipur) etc. Last month I visited Shrinath ji temple at Nathdwara.

When I reached its entrance through a narrow street, I saw a big crowd waiting outside for the prayers. The big silver gate of the temple was closed. The devotees were reciting hymns and singing prayers. There were many shops outside. They were selling prasad items, jewellery, costumes, wooden toys and photos of Shrinath ji.

There was a febrile confusion all around. Everyone was busy with his routine work. After some time the gate was opened. The devotees ran towards the door elbowing aside one-another. Finally I had a view of the great idol of Shrinath ji in that great rush.

Question 2.
Imagine you are giving an eyewitness account or a running commentary of one of the following:
Answer:
कल्पना कीजिये कि आप निम्न में से किसी एक पर प्रत्यक्ष विवरण (आँखों देखा हाल ) सुना रहे हैं
(i) a game of football, cricket or hockey, or some sports event
(ii) a parade (e.g. Republic Day) or some other national event

Speak a few sentences narrating what you see and hear. Use the simple present and the present continuous tenses.

For example:
आप जो कुछ देखते या सुनते हैं उनके बारे में कुछ वाक्य बोलिये ।

Simple Present तथा Present continuous tenses का प्रयोग कीजिए । उदाहरण-

  • He passes the ball but Ben gets in the way…….
  • These brave soldiers guard our frontiers. They display their skills here……….

Answer:
(i) A Running Commentary of Cricket
Friends! Good morning! Today we are going to enjoy a very big match between India and Pakistan. It is a bright sunny day, just a good day for cricket. The Umpire comes on the ground and so the both captains. Oh! good! Indian captain wins the toss and decides to bat. The opening batsmen Sachin and Sehwag enter the field for batting.

The Pak captain arranges the fielding very well. Now, look! the bowler is throwing the first ball of the match. Sachin hits the ball towards the offside boundary. The fielders run after to pick up the ball. But they fail to catch it and the ball crosses the boundary. India gets four runs. The spectators cheer up and applaud Sachin.

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(ii) The Republic Day Parade
Friends! I welcome you today on the great occasion of India’s 71st Republic Day Pa- rade at India Gate in Delhi. The President of India is going to unfurl the tricolour in a few moments. The Chief Guest of the parade is the President of Brazil. We welcome and thank him for accepting this honour.

Now the President of India hoists the flag. The army bands play our National Anthem. It fills our hearts with patriotism. Now we can see the troops of Indian army heading the other military forces. They start parade and salute the National Flag. Afterwards other troops are coming such as the Indian Air Force, the Indian Navy, the B.S.F., the C.R.P.F. the I.T.B.P., the N.C.C. Cadets etc. for the same. The display of discipline by troops amazes us very much.

Writing:

Diary entry for a travelogue.

यात्रावृत के लिए दैनन्दिनी में प्रविष्टि ।

I. The text you read is a travelogue where the author, Vikram Seth, talks about his visit to two sacred places in Kathmandu. Imagine that you were with Vikram Seth on his visit to Pashupathinath temple, and you were noting down all that you saw and did there, so that you could write a travelogue later.

जो पाठ आपने पढ़ा है वह एक यात्रावृत है जिसमें लेखक विक्रम सेठ काठमाण्डू में दो पवित्र स्थलों के भ्रमण के विषय में बताते हैं । कल्पना कीजिये कि आप उनके पशुपतिनाथ मन्दिर के भ्रमण के समय उनके साथ थे तथा आपने जो कुछ भी वहाँ देखा तथा किया उसे आप लिख रहे थे जिससे कि आप बाद में एक यात्रावृत लिख सकें ।

Record in point form : बिन्दु रूप में अभिलेखित कीजिये

What you saw when you reached the Pashupatinath temple
(पशुपतिनाथ मन्दिर पर पहुँचने पर जो आपने देखा )

What you saw happening inside the temple
(मन्दिर के अन्दर जो भी कार्य होता हुआ देखा )

What you did when inside the temple
(मन्दिर के अन्दर जो आपने किया )

What you saw outside the temple
(मन्दिर के बाहर जो आपने देखा )

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What your impressions are about the place
( उस स्थान के बारे में आपके विचार )
Answer:
13 July 2020, 9:00 a.m. Pashupatinath temple, a sign board ‘Entrance for the Hindus ly’, Febrile confusion.

  • Worshippers were offering prayers, elbowing one another and pushing to make their way, to the frent, a princess of the Napalese royal house came to offer prayers, everyone bowed before her.
  • Offered prayers and saw other worshippers.
  • Saffron-clad Westerners were struggling to enter the temple, a fight took place between two monkeys, saw the
  • Bagmati river and the cremation of a corpse. Old offerings were being throwng were in the river.
  • It was crowdy and noisy place with the narrowest and busiest streets.

II. Here is your diary entry when you visited Agra. Read the points and try to write a travelogue describing your visit to Agra and the Taj Mahal. You may add more details.

आपने जब आगरा भ्रमण किया उसकी दैनन्दिनी प्रविष्टि यहाँ दी हुई है। बिन्दुओं को पढ़िये और अपने आगरा व ताजमहल भ्रमण का वर्णन करते हुए एक यात्रावृत लिखिए। आप अतिरिक्त विवरण भी जोड़ सकते हैं।
January 2020-rise before dawn-take the Shatabdi Express at 6:15 a.m. from Delhi-meet a newly-married couple on train-talk about Himachal Pradesh-get off the train-enter the once-grand city, Agra-twisted alleys-traffic dense-rickshaws, cars, people-vendors selling religious artifacts, plastic toys, spices and sweets-go to the Taj Mahal-constructed entirely of white marble-magical quality-colour changes with varying of light and shadow-marble with gemstones inside-reflection of the Taj Mahal in the pond-school-children, tourists-tourist guides following people.
Answer:
Visiting Agra and the Taj Mahal
On January 13, 2020, I rose before dawn at about 5:00 a.m. I was in Delhi. After getting fresh I took the Shatabdi Express at 6:15 a.m. I was sitting alone in the compartment and getting bored. Soon a newly-married couple got into the compartment. They belonged to Himachal Pradesh. I started talking with them about Himachal Pradesh.

I came to know a lot about this state from them. At about 9:00 a.m. the train reached Agra platform. I got off the train and entered the once-grand city, Agra. When I began to walk through the streets, I noticed that all eyes were twisted. There was a lot of traffic. It was too difficult to walk through the streets. Rickshaws, cars, buses, bikes, scooters were speeding fast. Everyone was busy with his work.

The vendors were selling religious artifacts, plastic toys, spices and sweets. After some time I went to the Taj Mahal. I purchased a ticket and entered its campus. It is constructed entirely of white marble. It looks as if it had been made with magicalcharms. It has magical quality and depicts the height of Indian architecture in those days. The marble of the Taj Mahal changes with varying of light and shadows.

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Inside the monument, as I saw, various gemstones were studded in the marble. There is a pond in front of it. The reflection of the Taj Mahal in the pond looks amazing. I noticed that a great many people had come to visit this monument. There were school-children and other tourists. Tourist guides were following the people offering them to assist them in visiting the monument.

JAC Class 9 English Kathmandu Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in about 30 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये :

Question 1.
Who are crowding the Pashupatinath temple ?
पशुपतिनाथ मन्दिर में किनकी भीड़ है ?
Answer:
At the Pashupatinath temple, there is an atmosphere of hurried activity. Priests, hawkers, devotees, tourists, cows, monkeys, pigeons and dogs roam there. And thus, the temple is crowded.

पशुपतिनाथ मन्दिर में व्यस्तता – भरा वातावरण है । वहाँ पुजारी, फेरी वाले, भक्तगण, पर्यटक, गायें, बन्दर, कबूतर और कुत्ते इधर-उधर घूमते रहते हैं। और इस प्रकार मन्दिर भीड़ से भरा हुआ है।

Question 2.
Give an example of chaos at the Pashupatinath temple.
पशुपतिनाथ मन्दिर में अस्त-व्यस्तता का एक उदाहरण दीजिए ।
Answer:
There are so many worshippers that some people who are trying to get the priest’s attention are elbowed aside by others. People are pushing one another to get their way to the front.

वहाँ इतने अधिक भक्तगण हैं कि कुछ लोग जो पुजारी का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें दूसरे लोगों द्वारा कोहनी मार कर एक तरफ कर दिया जाता है। लोग आगे की ओर आने के लिए एक-दूसरे को धक्का दे रहे हैं ।

Question 3.
Why are some Westerners struggling for permission to enter ?
कुछ पाश्चात्य देशों के लोग प्रवेश की अनुमति के लिए संघर्ष क्यों कर रहे हैं ?
Answer:
Some Westerners are struggling for permission to enter the temple because only Hindus are allowed to enter the temple and the policeman is not convinced that they are Hindus.

पशुपतिनाथ मन्दिर में कुछ पाश्चात्य देशों के लोग अंदर प्रवेश के लिये संघर्ष इसलिए कर रहे हैं क्योंकि केवल हिन्दुओं को मन्दिर में प्रवेश की अनुमति है और पुलिस वाला नहीं मानता है कि वे हिन्दू हैं ।

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Question 4.
Why is the Baudhnath Stupa a haven of quietness ?
बौद्धनाथ स्तूप शान्ति की शरणस्थली क्यों है ?
Answer:
The Baudhnath Stupa is a haven of quietness because there are no crowds at the Stupa while the streets around the Stupa are very busy. A sense of stillness pervades near the Stupa.

बौद्धनाथ स्तूप शान्ति की शरणस्थली है क्योंकि वहाँ पर बिल्कुल भीड़ नहीं है जबकि ‘स्तूप के चारों ओर के मार्ग बहुत व्यस्त हैं । स्तूप के पास एक प्रकार की शान्ति छाई है ।

Question 5.
Which things can be bought from the busiest streets of Kathmandu ?
काठमाण्डू के सबसे अधिक व्यस्त मार्गों से कौन-सी चीजें खरीदी जा सकती हैं ?
Answer:
Fruits, flutes, postcards, western cosmetics, film rolls, chocolates, copper utensils and Nepalese antiques can be bought from the busiest streets of Kathmandu.

काठमाण्डू के व्यस्ततम मार्गों से फल, बाँसुरियाँ, पोस्टकार्ड, पाश्चात्य प्रसाधन सामग्री, फिल्मों के रॉल, चॉकलेट, ताँबे के बर्तन और प्राचीन नेपाली वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं ।

Question 6.
Describe the fight between two monkeys at the Pashupatinath temple.
पशुपतिनाथ मन्दिर में दो बन्दरों के बीच लड़ाई का वर्णन कीजिए ।
Ans.
A fight breaks out between two monkeys. One chases the other who jumps onto a Shivalinga. Then he runs shouting around the temples and down to the river Bagmati that flows below.

दो बन्दरों के बीच लड़ाई छिड़ जाती है । एक बन्दर दूसरे बन्दर के पीछे भागता है जो एक शिवलिंग पर कूद जाता है । फिर वह चीखता हुआ मन्दिरों के चारों ओर दौड़ता है और नीचे बागमती नदी की ओर दौड़ता है जो नीचे बहती है।

Question 7.
What are the devotees doing in Pashupatinath temple ?
पशुपतिनाथ के मंदिर में भक्तगण क्या कर रहे हैं ?
Answer:
These devotees are pushing one another to reach the front. They are roaming here and there without any reason. They show some discipline only when a princess of the Nepalese royal house appears there.
ये भक्तगण आगे पहुँचने के लिए एक-दूसरे को धक्का दे रहे हैं। वे बिना किसी कारण के इधर-उधर घूम रहे हैं । वे केवल तभी कुछ अनुशासन दिखाते हैं जब नेपाल के राजसी घराने की एक राजकुमारी वहाँ आती है ।

Question 8.
Describe the scene at the river Bagmati
बागमती नदी के दृश्य का वर्णन कीजिए।
Answer:
On the banks of the river Bagmati, a corpse is being cremated. Washerwomen are washing clothes and children are taking a bath. From a balcony a basket of withered flowers and leaves is dropped into the river.

बागमती नदी के किनारे पर एक शव का दाह संस्कार किया जा रहा है । धोबिनें कपड़े धो रही हैं और बच्चे स्नान कर रहे हैं । एक बालकनी से मुरझाये हुए फूलों और पत्तियों की एक टोकरी नदी में गिराई जाती है।

Question 9.
What does the author say about flute music ?
लेखक बाँसुरी के संगीत के विषय में क्या कहता है. ?
Answer:
The author says that flute music is the most universal as well as most particular. It reminds the author of the commonality of all mankind. He thinks that its motive force too is living breath.

लेखक कहता है कि बाँसुरी का संगीत सबसे अधिक सार्वभौमिक और साथ ही सबसे अधिक विशिष्ट होता है । यह लेखक को सम्पूर्ण मानवता की एकरूपता की याद दिलाता है । वह सोचता है कि इसकी प्रेरणादायिनी शक्ति जीती जागती साँस है।

Question 10.
How is flute music closest to the human voice ?
बाँसुरी का संगीत मानव – ध्वनि के सबसे अधिक निकट कैसे है ?
Answer:
Human breath blows air into the holes of the flute and thus produces music. Flute too needs pause and breathe before it can go on. Thus, flute music is closest to the human voice.

मनुष्य की श्वांस बाँसुरी के छिद्रों में हवा फूँकती है और इस प्रकार संगीत उत्पन्न होता है । बाँसुरी को भी बजते रहने से पहले रुकने और श्वांस लेने की आवश्यकता होती है । इस प्रकार बाँसुरी का संगीत मानव- १ के सबसे अधिक निकट है।

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Question 11.
What does the author do in Kathmandu’s busy market ?
काठमाण्डू के व्यस्त बाजार में लेखक क्या करता है ?
Answer:
The author buys a bar of marzipan and a corn-on-the cob rubbed with salt, chilli powder and lemon. He buys a few comics and a ‘Reader’s Digest’. He enjoys them with Coca-Cola and an orange drink.

लेखक बादाम की मिठाई का एक टुकड़ा और नमक, मिर्च और नींबू रगड़ा हुआ एक भुट्टा खरीदता है । वह कुछ कॉमिक्स और एक ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ नामक पत्रिका भी खरीदता है । वह कोका कोला और एक सन्तरे से बने पेय के साथ इन सबका आनन्द लेता है ।

Question 12.
How was the flute seller playing a flute ?
बाँसुरी – विक्रेता बाँसुरी कैसे बजा रहा था ?
Answer:
The flute seller was playing a flute slowly, meditatively and without much display. The sound of his flute music rose above the noise of the traffic and the hawkers’ cries.

बाँसुरी – विक्रेता धीमे-धीमे, ध्यानमग्न होकर और बिना बहुत अधिक दिखावा किये बाँसुरी बजा रहा था । उसकी बाँसुरी के संगीत की आवाज़ यातायात के शोर और फेरीवालों की चीख-पुकार से ऊपर उठ रही थी ( सुनाई दें रही थी ) ।

Long Answer Type Questions

Answer the following questions in about 60 words each:

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिये

Question 1.
Describe the scene at Pashupatinath temple.
पशुपतिनाथ मन्दिर के दृश्य का वर्णन कीजिए ।
Or
What kind of atmosphere is there at Pashupatinath temple?
पशुपतिनाथ मन्दिर में कैसा वातावरण है ?
Answer:
At Pashupatinath temple, people, birds and animals are roaming here and there. Worshippers are trying to get the priest’s attention by pushing one another. Hawkers are selling their wares and trying to attract the tourists. There are monkeys and they are fighting and running here and there. At one occasion people look disciplined when they bow at the arrival of a princess of Nepalese royal house. Thus, the atmosphere is full of complete chaos.

पशुपतिनाथ मन्दिर में लोग, पशु व पक्षी इधर-उधर घूम रहे हैं । भक्तगण एक-दूसरे को धक्का देकर पुजारी का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं । फेरीवाले अपने-अपने सामान बेच रहे है और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वहाँ पर बंदर है और वे लड़ रहे हैं और इधर-उधर भाग रहे हैं। एक अवसर पर व्यक्ति अनुशासित भी दिखाई देते हैं जब नेपाल के राजघराने की राजकुमारी के आने पर वे उसके सामने झुकते हैं। इस प्रकार वहाँ का सम्पूर्ण वातावरण अस्त-व्यस्तता का है ।

Question 2.
Describe the scene in and around the Baudhnath Stupa.
बौद्धनाथ स्तूप के अन्दर और बाहर के दृश्य का वर्णन कीजिए ।
Answer:
At the Baudhnath Stupa, there is a sense of stillness spread all around. There is a road surrounding this shrine. Small shops are located on the outer edge of this road. Felt bags, Tibetan prints and silver jewellery can be bought here. There are no crowds. The place is very peaceful. It seems to be a safe place of peace in the busy streets around.

बौद्धनाथ स्तूप में सब ओर शान्ति का भाव फैला हुआ है । इस पूजा स्थल के चारों ओर एक सड़क है इस सड़क के बाहरी किनारे पर छोटी-छोटी दुकानें हैं । यहाँ से नमदा ( फेल्ट) के बैग, तिब्बत की छपाई के कपड़े और चाँदी के आभूषण खरीदे जा सकते हैं । यहाँ बिल्कुल भीड़ नहीं है । यह स्थान बहुत शान्त है । चारों ओर के व्यस्त मार्गों के बीच यह शान्ति की एक शरणस्थली लगता है ।

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Question 3.
Describe the market place of Kathmandu.
काठमाण्डू के बाजार का वर्णन कीजिए ।
Or
How is Kathmandu vivid, mercenary and religious?
काठमाण्डू सजीव, धनलोलुप और धार्मिक कैसे है ?
Answer:
The market place of Kathmandu is very busy. The streets are very narrow here. Fruit sellers, flute sellers, hawkers of postcards, shops selling Western cosmetics, film rolls and chocolates, copper utensils and Nepalese antiques – they all make it vivid and mercenary. There are small shrines and idols of the gods and goddesses decorated with flowers along the streets. They make this city religious.

काठमाण्डू का बाजार बहुत व्यस्त है । यहाँ के मार्ग सँकरे हैं। फल विक्रेता, बाँसुरी- विक्रेता, फेरी लगाकर पोस्टकार्ड बेचने वाले, पाश्चात्य प्रसाधन-सामग्री, फिल्मों के रॉल और चॉकलेट की दुकानें, ताँबे के बर्तनों और प्राचीन नेपाली वस्तुओं की दुकानें ये सब इसे सजीव और धनलोलुप बनाते हैं । मार्गों के किनारे छोटे-छोटे पूजा-स्थल और फूलों से सजी देवी – देवताओं की मूर्तियाँ हैं । ये इस शहर को धार्मिक बनाती हैं।

Seen Passages

Read the following passages carefully and answer the questions given below them :

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये:

Passage – 1.

I get a cheap room in the centre of town and sleep for hours. The next morning, with Mr Shah’s son and nephew, I visit the two temples in Kathmandu that are most sacred to Hindus and Buddhists. At Pashupatinath (outside which a sign proclaims ‘Entrance for the Hindus only’) there is an atmosphere of ‘febrile confusion’. Priests, hawkers, devotees, tourists, cows, monkeys, pigeons and dogs roam through the grounds.

We offer a few flowers. There are so many worshippers that some people trying to get the priest’s attention are elbowed aside by others pushing their way to the front. A princess of the Nepalese royal house appears; everyone bows and makes way. By the main gate, a party of saffron-clad Westerners struggle for permission to enter. The policeman is not convinced that they are ‘the Hindus’. (only Hindus are allowed to enter the temple).

A fight breaks out between two monkeys. One chases the other, who jumps onto a Shivalinga, then runs screaming around the temples and down to the river, the holy Bagmati, that flows below. A corpse is being cremated on its banks; washerwomen are at their work and children bathe. From a balcony a basket of flowers and leaves, old offerings now wilted, is dropped into the river. A small shrine half protrudes from the stone platform on the river bank. When it emerges fully, the goddess inside will escape, and the evil period of the Kaliyug will end on earth.

1. In which town does the author stay ?
लेखक किस शहर में ठहरता है ?

2. Which two religions have been mentioned here?
यहाँ किन दो धर्मों का उल्लेख हुआ है ?

3. What is the restriction about entry at Pashupatinath temple?
पशुपतिनाथ मन्दिर में प्रवेश के सम्बन्ध में क्या प्रतिबन्ध है ?

4. Whom does everyone bow to give respect and make way for ?
प्रत्येक व्यक्ति किसको सम्मान देने के लिए झुकता है और रास्ता देता है ?

5. Where does a monkey jump ?
एक बन्दर कहाँ कूद जाता है ?

6. Which river has been mentioned in the passage?
इस गद्यांश में किस नदी का उल्लेख हुआ है ?

7. What type of period is Kaliyug ?
कलियुग किस प्रकार का युग हैं ?

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8. What is dropped into the river from a balcony.?
बालकनी से नदी में क्या गिराया जाता है ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘expensive.

10. Find the word from the passage which means: ‘withered’
Answer:
1. He stays in Kathmandu.
वह काठमाण्डू में ठहरता है ।

2. Hinduism and Buddhism have been mentioned here.
यहाँ हिन्दू और बौद्ध धर्मों का उल्लेख हुआ है ।

3. Only Hindus are allowed to enter here.
यहाँ केवल हिन्दुओं को प्रवेश की अनुमति है।

4. Everyone bows and makes way for a princess of the Nepalese royal house.
नेपाल के शाही परिवार की एक राजकुमारी के लिए प्रत्येक व्यक्ति झुकता है और रास्ता देता है ।

5. A monkey jumps onto a Shivalinga.
एक बन्दर शिवलिंग पर कूद जाता है ।

6. River Bagmati has been mentioned here.
यहाँ बागमती नदी का उल्लेख हुआ है ।

7. Kaliyug is the period of evil.
कलियुग बुराई का युग है

8. A basket of flowers and leaves, old offerings now wilted are dropped into the river from a balcony.
बालकनी से फूलों और पत्तियों की एक टोकरी जो कि अब मुरझा चुकी पुरानी भेंट है, नदी में गिराई जाती है ।

9. cheap

10. wilted

Passage – 2.

At the Baudhnath Stupa, the Buddhist shrine of Kathmandu, there is, in contrast, a sense of stillness. Its immense white dome is ringed by a road. Small shops stand on its outer edge: many of these are owned by Tibetan immigrants; felt bags, Tibetan prints and silver jewellery can be bought here. There are no crowds : this is a haven of quietness in the busy streets around.

Kathmandu is vivid, mercenary, religious, with small shrines to flower-adorned deities along the narrowest and busiest streets with fruit sellers, flute sellers, hawkers of postcards; shops selling Western cosmetics, film rolls and chocolate; or copper utensils and Nepalese antiques. Film songs blare out from the radios, car horns sound, bicycle bells ring, stray cows low questioningly at motorcycles, vendors shout out their wares.

I indulge myself mindlessly: buy a bar of marzipan, a corn-on-the cob roasted in a charcoal brazier on the pavement (rubbed with salt, chilli powder and lemon): a couple of love story comics and even a Reader’s Digest. All this I wash down with Coca Cola and a nauseating orange drink and feel much the better for it.

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1. Which religion does the Baudhnath Stupa belong to ?
बौद्धनाथ स्तूप का सम्बन्ध किस धर्म से है ?

2. Who owns many of the small shops here?
यहाँ स्थित बहुत-सी छोटी-छोटी दुकानें किसकी हैं ?

3. Which place is a haven of quietness?
कौन-सा स्थान शान्ति की शरणस्थली है ?

4. How does Kathmandu seem to the author?
लेखक को काठमाण्डू कैसा लगता है ?

5. What types of streets are there at Kathmandu ?
काठमाण्डू में सड़कें कैसी हैं ?

6. What type of noises does the author hear in Kathmandu ?
लेखक काठमाण्डू में किस प्रकार का शोर सुनता है ?

7. Which books did the author buy from the market of Kathmandu ?
काठमाण्डू के बाजार से लेखक ने कौन-सी पुस्तकें खरीदीं ?

8. What things are sold hear the shrines ?
पूजा स्थलों के पास क्या बिकता है ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of ‘widest’.

10. Find the word from the passage which means: ‘surrounded’
Answer:
1. The Baudhnath Stupa belongs to Buddhism
बौद्धनाथ स्तूप का सम्बन्ध बौद्ध धर्म से है ।

2. The small shops belong to Tibetan immigrants.
छोटी दुकानें तिब्बत से आये आप्रवासियों की हैं।

3. The Baudhnath Stupa is a haven of quietness.
बौद्धनाथ स्तूप शान्ति की शरणस्थली है ।

4. The author finds Kathmandu vivid, mercenary and religious place.
लेखक को काठमाण्डू सजीव, धनलोलुप और धार्मिक स्थल लगता है ।

5. There are the narrowest and busiest streets. near the shrines of Kathmandu.
काठमाण्डू में पूजा स्थलों के पास सबसे संकरी और सबसे व्यस्त सड़कें हैं ।

6. He hears the noises of film songs, car horns, bicycle bells, lowing of cows and shouting of vendors etc.
लेखक वहाँ फिल्मी गानों, कारों के हॉर्न, साइकिल की घंटियों, गायों के रँभाने और फेरी वालों के चिल्लाने आदि की आवाज सुनता है ।

7. He purchased a couple of love story comics and a ‘Reader’s Digest’ from there.
उसने वहाँ से प्रेमकथाओं पर आधारित कॉमिक्स तथा ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ खरीदे ।

8. Fruits, flutes, postcards, Western cosmetics, copper utensils and Nepalese antiques are sold there.
वहाँ फल, बाँसुरियाँ, पोस्टकार्ड, पाश्चात्य प्रसाधन के सामान, तांबे के बर्तन और नेपाली प्राचीन वस्तुयें बिकती हैं ।

9. narrowest

10. ringed

Passage – 3.

I look at the flute seller standing in a corner of the square near the hotel. In his hand is a pole with an attachment at the top from which fifty or sixty bansuris protrude in all directions, like the quills of a porcupine. They are of bamboo : there are cross-flutes and recorders. From time to time he stands the pole on the ground, selects a flute and plays for a few minutes. The sound rises clearly above the noise of the traffic and the hawkers’ cries. He plays slowly, meditatively without excessive display. He does not shout out his wares.

Occasionally he makes a sale, but in a curiously offhanded way as if this were incidental to his enterprise. Sometimes he breaks off playing to talk to the fruit seller. I imagine that this has been the pattern of his life for years. I find it difficult to tear myself away from the square. Flute music always does this to me: it is at once the most universal and most particular of sounds.

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There is no culture that does not have its flute-the reed neh, the recorder, the Japanese shakuhachi, the deep bansuri of Hindustani classical music, the clear or breathy flutes of South America, the high-pitched Chinese flutes. Each has its specific fingering and compass. It weaves its own associations. Yet to hear any flute is, it seems to me, to be drawn into the commonality of all mankind, to be moved by music closest in its phrases and sentences to the human voice. Its motive force too is living breath: it too needs to pause and breathe before it can go on.

1. Where is the flute seller standing ?
बाँसुरी- विक्रेता कहाँ खड़ा हुआ है ?

2. What are the flutes made of ?
बाँसुरियाँ किसकी बनी हुई हैं ?

3. Why does the flute seller stop playing sometimes?
बाँसुरी – विक्रेता कभी-कभी बाँसुरी बजाना क्यों रोक देता है ?

4. What forces the author to stay at that very place ?
क्या बात लेखक को वहीं रुकने के लिए बाध्य कर देती है ?

5. Which is the most universal and particular sound ?
सबसे अधिक सार्वभौमिक और विशिष्ट ध्वनि कौन-सी है ?

6. Where does the flute music draw the author to ?
बाँसुरी का संगीत लेखक को कहाँ खींच ले जाता है ?

7. What is the motive force of flute music ?
बाँसुरी के संगीत की प्रेरणादायिनी शक्ति क्या है ?

8. What are the qualities of flutes of different nations ?
विभिन्न राष्ट्रों की बाँसुरियों की विशेषताएँ क्या हैं ?

9. Find the word from the passage which is the opposite of – ‘purchase’

10. Find the word from the passage which means : ‘stop for a while’
Answer:
1. He is standing in a corner of the square near the hotel.
वह होटल के निकट चौराहे के एक कोने में खड़ा हुआ है ।

2. They are made of bamboo
बाँसुरियाँ बाँस की बनी हुई हैं ।

3. Sometimes the flute seller stops playing flute to talk to the fruit seller.
विक्रेता से बात करने के लिए बाँसुरी बजाना रोक देता है । कभी-कभी बाँसुरी बेचने वाला फल –

4. Flute music forces him to stay at that very place.
बाँसुरी का संगीत उसे वहीं रुकने के लिए बाध्य कर देता है ।

5. It is the sound of flute music.
यह बाँसुरी के संगीत की ध्वनि है ।

6. The flute music draws him into the commonality of all mankind.
बाँसुरी की संगीत उसे सम्पूर्ण मानवता की एकरूपता में खींच ले जाता है ।

7. Its motive force is living breath.
इसकी प्रेरणादायिनी शक्ति जीती-जागती साँस है ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 10 Kathmandu

8. The qualities of flutes of different nations are different. Each has its specific fingering and compass.
विभिन्न राष्ट्रों की बाँसुरियों की विभिन्न विशेषताएँ हैं । प्रत्येक बाँसुरी का अपना विशिष्ट उँगली रखने का तरीका और फैलाव होता है ।

9. sale

10. pause

Kathmandu Summary and Translation in Hindi

About The Lesson

‘काठमाण्डू’ पाठ ‘दिव्य सरोवर’ नामक एक यात्रावृत्त से उद्धृत है जिससें विक्रम सेठ ने चीन से तिब्बत तथा दिव्य सरोवर से हिमालय तक की यात्रा के दौरान जो देखा उसका चिन्तन किया व अनुभव किया एवं उसके बारे में वर्णन किया है।

Before You Read ( पढ़ने से पूर्व )

क्या आपको यात्रा करना पसन्द है ? लेखक विक्रम सेठ को यात्रा करने में बड़ा आनन्द आता है । अपनी पुस्तक ‘Heaven Lake’ में वे चीन से तिब्बत और नेपाल के रास्ते, भारत की एक लम्बी यात्रा का वर्णन करते हैं । क्या आपने अजमेर शरीफ, मदुरई, साँची, वाराणसी, सारनाथ या हेलिबिड जैसे स्थानों के बारे में सुना है ? क्या आप इनके जैसे कुछ अन्य स्थानों के नाम बता सकते हैं ? आपके शहर के किसी पवित्र स्थान के चारों ओर का वातावरण कैसा लगता है ? विक्रम सेठ के काठमाण्डू के वर्णन को पढ़ते समय इस विषय में सोचिए

Word-Meanings And Hindi Translation

1. I get a cheap …………… and Buddhists. (Page 127)

Word-Meanings: get (गेट) = to acquire, लेना, प्राप्त करना । cheap (चीप) = of low cost, सस्ता । centre (सेन्टर) = the middle point, बीच, केन्द्र | nephew (नेफ्यू) = son of a brother or sister, भतीजा । sacred (सैक्रिड) = holy, पवित्र ।

हिन्दी अनुवाद – मैं शहर के बीचों-बीच एक संस्ता कमरा लेता हूँ और घण्टों सोता हूँ। अगली सुबह श्रीमान् शाह के बेटे और भतीजे के साथ मैं काठमाण्डू के दो मन्दिर घूमने जाता हूँ जो हिन्दुओं और बौद्धों के लिए सबसे अधिक पवित्र हैं।

2. At Pashupatinath ………….. enter the temples

Word Meanings: sigh (साइन) = (here) notice board, सूचना पट्ट | proclaims ( प्रॅक्लेम्ज़) makes known publicly or officially, जानकारी देता है, घोषणा करता है । entrance ( एन्ट्रन्स) the gate where you go into a place, प्रवेश | atmosphere ( एट्ॉस्फिअर ) = वातावरण। of febrile confusion (ऑव फीब्राइल कन्फ्यूश्ज़न ) = hurried activity, complete chaos, अस्त व्यस्तता, हड़बड़ी । priests ( प्रीस्ट्स) person who performs religious ceremonies, पुजारी | hawkers (हॉकर्ज़) = persons who sell goods by going from place to place, फेरी वाले । devotees (डेवॅटीज़ ) = worshippers, उपासक, भक्तगण । tourists (टूरिस्ट्स) = persons who visit a place for pleasure, पर्यटकों।

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roam (रोम) = wander, इधर-उधर घूमना । offer (ऑफर) = present in the name of God, अर्पित करना । worshippers (वॅर्शिप : ज) = devotees, भक्तगण, उपासक। attention ( अटेन्शन) = notice, ध्यान । elbowed ( एल्बोड) = pushed aside with the elbow, कोहनी से धक्का दिया जाना । aside (असाइड) = to one side, एक ओर को । pushing (पुशिंग) = using force to move somebody, धक्का देकर । way (वे) = रास्ता । front (फ्रन्ट) = forward, आगे, सामने।

royal (रॉयल) = belonging to the king of a country, राजसी, शाही | appears (अपिअर्ज़) = is seen, दिखाई देती है । bows (बाउज़) = bends, झुकता है । party (पार्टि) = group, समूह । saffron (सैफ़रन) = केसरिया रंग । clad ( क्लैड) = wearing, पहने हुए | Westerners (वेस्टर्नर्ज) = people belonging to Western countries, पाश्चात्य देशों के लोग । struggle (स्ट्रगल) = make forceful or violent efforts, संघर्ष करना | permission (पॅ:मिशन) = the action of officially allowing someone, अनुमति, आज्ञा । convinced (कन्विन्स्ट) = completely sure about something, आश्वस्त, विश्वास हुआ।

हिन्दी अनुवाद – पशुपतिनाथ मन्दिर ( जिसके बाहर लगा एक सूचना पट्ट घोषणा करता है ‘प्रवेश केवल हिन्दुओं के लिए’) पर अत्यधिक अस्त-व्यस्तता का वातावरण है । पुजारी, फेरी वाले, भक्तगण, पर्यटक, गायें, बन्दर, कबूतर और कुत्ते पूरे मैदान में इधर-उधर घूमते रहते हैं । हम कुछ पुष्प अर्पित करते हैं । वहाँ इतने अधिक उपासक हैं कि कुछ लोग जो पुजारी का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें दूसरे लोगों द्वारा कोहनी मारकर एक ओर कर दिया जाता है जो धक्का देकर आगे आने के लिए रास्ता बनाने में लगे हुए हैं।

नेपाल के राजसी (शाही) घराने की एक राजकुमारी दिखाई देती है; प्रत्येक व्यक्ति ( उसके सम्मान में ) झुकता है और रास्ता देता है । मुख्य द्वार के पास केसरिया रंग के वस्त्र पहने हुए पाश्चात्य देशों के लोगों का एक समूह प्रवेश की अनुमति के लिए संघर्ष कर रहा है। पुलिस का सिपाही विश्वास नहीं करता है कि वे हिन्दू हैं (केवल हिन्दुओं को ही मन्दिर में प्रवेश की अनुमति है )।

2. A fight breaks out …………. end on earth. (Pages 127-128)

Word Meanings: breaks out (ब्रेक्स आउट) = starts, प्रारम्भ हो जाती है। chases (चेसिज़) = runs after, पीछा करता है । jumps ( जम्प्स) = hops, कूद जाता है । screaming (स्क्रीमिंग) = crying, चीखता हुआ। holy (होलि ) = pious, पवित्र । flows (फ़्लोज़) = a steady and contionuous movement of something, बहती है । below (बिलो) = to a lower position, नीचे | corpse (कॉ: प्स् ) = dead body, शव, लाश । cremated (क्रिमेटिड ) = last rites performed, अन्तिम संस्कार किया जाना ।

banks (बैंक्स) = the sides of a river, किनारे | washerwomen (वॉश: विमिन) = women whose occupation is washing clothes, धोबिनें । bathe (बेद) = to take a bath, स्नान करना । basket (बास्केट) = a container for earrying things, टोकरी | leaves (लीव्ज़) = green parts of a plant / tree, पत्तियाँ । offerings (ऑफरिंग्ज़) = things offered in the name of God, भेंटें। wilted (विल्टिड) = withered, मुरझाई हुई । dropped (ड्रॉप्ट) = thrown, गिरा दिया जाना ।

shrine (थाईन),, = a place of worship, पूजा-स्थल । protrudes (प्रॅट्रड्ज़) = emerges, उभरा हुआ है। platform (प्लेटफॉम) = चबूतरा । emerges (इमर्जिज़) = comes out, बोहर आ जाती है । escape (इस्केप ) = manage to get away from a place; to get free, निकल भागना, निकल जाना। evil ( ईवल) = bad, बुरा । period (पीरिअड ) = time from, अवधि ।

हिन्दी अनुवाद – दो बन्दरों के बीच लड़ाई प्रारम्भ हो जाती है । एक बन्दर दूसरे का पीछा करता है, जो एक शिवलिंग पर कूद जाता है, फिर चीखता हुआ मन्दिरों के चारों ओर नीचे पवित्र बागमती नदी की ओर भागता है जो नीचे बहती है । इसके किनारे पर एक शव का अन्तिम संस्कार किया जा रहा है; धोबिनें अपना कार्य (कपड़े धोना ) कर रही हैं और बच्चे स्नान कर रहे हैं ।

एक बालकनी (छज्जे) से फूलों और पत्तियों की एक टोकरी जिसमें मुरझाई हुई पुरानी भेंटें हैं, नदी में गिराई जाती है । नदी के किनारे बने पत्थर के चबूतरे से एक छोटा-सा पूजा स्थल आधा बाहर की ओर उभरा हुआ है । (ऐसी मान्यता है कि ) जब यह पूरा बाहर आ जायेगा तो अन्दर रहने वाली देवी निकलकर चली जाएगी और पृथ्वी पर कलियुग की बुरी अवधि समाप्त हो जायेगी ।

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3. At the Baudhnath …………… busy streets around. (Page 129)

Word-Meanings: Buddhist (gfat) belonging to the followers of Buddha, बौद्धों का। contrast (कॅन्ट्रास्ट) = to be clearly different when compared तुलना करने पर भिन्न होना। sense (सेन्स) feeling, भान्न | stillness ( स्टिलनस) = peace, शान्ति। immense (इमेन्स) = very big, बहुत बड़ा, विशालकाय । dome (डोम) = a round roof on a building, गुम्बद | ringed (रिंग्ड) = surrounded, चारों ओर से घिरा हुआ। stand (स्टैंड) = (here) are located, स्थित हैं ।

outer ( आउटर) = external, बाहरी । edge ( एज) = end, किनारा। owned (ओन्ड) = belonged to, से सम्बन्धित हैं, की हैं । immigrants ( इम्मिग्रेन्ट्स) = people who come from another place, आप्रवासी । felt ( फेल्ट) = a kind of cloth made from wool pressed tightly, नमदा, ऊन आदि को दबाकर बनाया गया एक प्रकार का कपड़ा । crowds ( क्राउड्ज़) = large number of people in one place, भीड़-भाड़ | haven (हेवन) a safe place, सुरक्षित स्थान, विश्रामस्थल | quiteness (क्वाइटनंस) = peace, शान्ति | busy (बिज़ी) = full of crowd and noise, भीड़-भाड़ और शोरगुल से भरी । streets ( स्ट्रीट्स) = a road in a town, village on city, मार्ग | around (अराउण्ड ) = in all directions, चारों ओर।

हिन्दी अनुवाद- काठमाण्डू में बौद्धों के पूजा-स्थल बौद्धनाथ स्तूप पर पशुपतिनाथ मन्दिर की तुलना में अलग ही शान्ति का भाव है । इसका विशालकाय सफेद गुम्बद चारों ओर से एक सड़क से घिरा हुआ है । इसके बाहरी किनारे पर छोटी दुकानें स्थित हैं, इनमें से बहुत-सी दुकानें तिब्बती आप्रवासियों की हैं : यहाँ आप्रवासियों से नमदा (एक प्रकार के कपड़े के बैग, तिब्बती प्रिंट और चाँदी के आभूषण खरीदे जा सकते हैं। यहाँ कोई भीड़-भाड़ नहीं है: चारों ओर की भीड़-भाड़ व शोरगुल भरे मार्गों के बीच यह शान्ति का एक सुरक्षित स्थान है अर्थात् यहाँ पूर्ण शान्ति है|

4. Kathmandu is vivid, ………………. the better for it. (Pages 129-130)

Word Meanings: vivid ( विविड ) = lifelike, सजीव | mercenary ( मर्सीनरि) = working simply for money, जिस काम में केवल पैसा कमाने की बात हो, धनलोलुप । religious (रिलीजस ) = having belief in religion, धार्मिक | shrines (थाइन्ज़ ) places of worship, पूजा-स्थलों । adorned (एडॉर्न्ंड) decorated, सुसज्जित | deities (डेअटीज़ ) gods, देवताओं | along ( अलांग) = on the sides, किनारों पर । narrowest (नैरोएस्ट ) = very short distance, सबसे अधिक सँकरे | busiest ( बिजिएस्ट ) = having a lot of work, सबसे अधिक व्यस्त । streets ( स्ट्रीट्स) =a road in a town, village on city, मार्ग | flute ( फ्लूट) a musical instrument like a pipe, बाँसुरी |

Western (वेस्टर्न) belonging to the west, पाश्चात्य । cosmetics (कॉस्मेटिक्स) = substances that you use to look more attractive, प्रसाधन सामग्री । copper (कॉपर) ताँबा । utensils (यूटेन्सल्ज़) = pots, बर्तन | antiques (एन्टिक्स) = old items of great value, प्राचीन वस्तुएँ | blare out (ब्लेअर आउट) = are played on high volume, बहुत तेज आवाज करते हैं। sound ( साउण्ड ) = make noise, जोर से बजते हैं । stray (स्ट्रे) = not pet, आवारा । low (लो) = sound of a cow, गायें भाती हैं।

questioningly (क्वेश्चनिंग्लि) = as though asking something, मानो कुछ पूछती हुई । vendors (वेण्डर्ज़) = people selling things on the roadside, फेरी वाले विक्रेता । shout out (शाउट आउट) things, चीजें । indulge (इन्डल्ज) : shouting and selling, चिल्लाकर बेचते हैं । wares ( वेअर्ज़) involve, शामिल हो जाना | mindlessly (माइण्डलस्लि) = without thinking, बिना सोचे-समझे|

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bar (बार) piece, टुकडा, I marzipan (माज़िपैन) = a sweet made with grated almonds, बादाम को कसकर बनाई हुई एक मिठाई । corn-on-the-cob (कॉर्न-ऑन-द- कॉब) = maize when cooked and eaten straight from the cob, भुट्टा 1 roasted (रोस्टिड) = baked, भुना हुआ । charcoal brazier (चारकोल ब्रेज़ियर) = open stove of coals, लकड़ी के कोयले की अँगीठी । pavement (पेवमण्ट ) = a path with a hard surface, सड़क के किनारे की पटरी | rubbed (रब्ड) रगड़ा हुआ।

chilli powder (चिली पाउडर) = पिसी मिर्च । lemon (लेमन) yellow sour juice fruit, नींबू । a couple of (अ कॅपल ऑव ) a few, कुछेक । wash down (वॉश डाउन) = to drink something after, or at the same time as eating something, किसी चीज़ को खाते हुए पीना । nauseating (नॉज़िएटिंग) = sickening, जी खराब करने वाला, जी मिचलाने वाला।

हिन्दी अनुवाद – सबसे अधिक सँकरे और सबसे अधिक व्यस्त मार्गों के किनारे छोटे-छोटे पूजा-स्थलों से लेकर फूलों से सुसज्जित देवताओं तक; फल विक्रेताओं, बाँसुरी विक्रेताओं, पोस्टकार्ड्स के फेरी वालों, पाश्चात्य प्रसाधन सामग्री बेचने वाली दुकानों, फिल्मों के रॉल और चॉकलेट तक; या ताँबे के बर्तनों और प्राचीन नेपाली वस्तुओं से भरपूर काठमाण्डू सजीव, धनलोलुप और धार्मिक स्थल है । रेडियो पर बजते हुए फिल्मी गाने बहुत तेज आवाज में (कर्कस आवाज में.) बजते हैं, कारों के हार्न बजते हैं, साइकिलों की घण्टियाँ बजती हैं, आवारा गायें मोटरसाइकिलों को देखकर मानो कुछ पूछती हुई सी रँभाती हैं और फेरी वाले चिल्ला-चिल्लाकर अपना सामान बेचते हैं।

मैं बिना सोचे-समझे (इस सब में ) शामिल हो जाता हूँ : बादाम की मिठाई का एक टुकड़ा खरीदता हूँ, सड़क के किनारे लकड़ी के कोयले की अँगीठी पर भुना हुआ (नमक, पिसी मिर्च व नींबू रगड़ा हुआ) एक भुट्टा खरीदता हूँ, कुछेक प्रेमकथाओं पर आधारित कॉमिक्स और यहाँ तक कि एक ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ भी खरीदता हूँ । यह सब मैं कोका कोला और जी खराब करने वाले संतरे से बने पेय के साथ चट कर जाता हूँ और इस सबके लिए बहुत अधिक अच्छा महसूस करता हूँ।

5. I consider what …………. tomorrow’s flight. (Page 130)

Word-Meanings: consider (कंसिडर) = think, विचार करता हूँ । route (रूट) = way, मार्ग, रास्ता। propelled (प्रॅपेल्ड) = moved, pushed, प्रेरित । enthusiasm (इन्थ्यूजिएज़्म) = zeal, उत्साह, जोश। per se ( पर से) = by itself, स्वयं, अपने आप ही । sail up ( सेल अप) = travel on water, जलमार्ग से यात्रा करना । जिसे exhausted (इग्जॉस्टिड) = tired, थका हुआ । homesick. (होमसिक) = missing one’s home, गृहासक्त, घर की याद सता रही हो । move (मूव) = 80, जाओ । directly ( डिरेक्ट्ल) = straight, सीधे । towards ( ट्वार्ट्ज़) = in the direction of somebody, की ओर । flight (फ्लाइट) = the action of flying through air, उड़ान

हिन्दी अनुवाद – मैं विचार करता हूँ कि घर वापिस जाने के लिए मुझे कौन-सा रास्ता चुनना चाहिए। यदि मैं यात्रा करने के लिए ही उत्साहित रहा होता तो मैं बस तथा रेलगाड़ी से पटना जाता, फिर गंगा में जलमार्ग से यात्रा करता हुआ बनारस से इलाहाबाद और फिर यमुना में जलमार्ग से यात्रा करता हुआ आगरा से दिल्ली पहुँचता । लेकिन मैं बहुत अधिक थका हुआ हूँ, गृहासक्त हूँ अर्थात् मुझे घर की बहुत याद सता रही है; आज अगस्त का आखिरी दिन है । मैं अपने आप से कहता हूँ कि घर चलो और सीधे घर की ओर चलो। मैं नेपाल की एक एयरलाइन्स के कार्यालय में प्रवेश करता हूँ और अगले दिन की उड़ान का एक टिकट खरीद लेता हूँ।

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6. I look at the………….. his life for years. (Page 130)

Word-Meanings: standing (स्टैंडिंग) = खड़े हुआ | square (स्क्वेअर) = an open space, चौराहा । pole (पोल) = a long bamboo stick, लट्ठा | attachment ( अटैचमण्ट ) = something joined, उपकरण । protrude (प्रॅटूड) = stick out from a surface, बाहर निकली हुई। recorder (रिकॉर्ड) = a type of musical instrument, (बाँसुरी के समान बजाया जाने वाला) बच्चों का संगीत यंत्र | directions ( डिरेक्शन्ज़) = दिशाएँ । quills (क्विल्ज़) = long, thin, sharp points on the body of a pocupine, सेही के काँटे।

porcupine (पॉर्क्युपाइन) = an animal covered with long thin sharp parts, एक जंतु जिसके शरीर पर पतले नुकीले कांटे से लगे होते हैं जो किसी प्राणी के आक्रमण के समय ऊपर खड़े हो जाते हैं, सेही । bamboo (बैम्बू) = a tall tropical plant, बाँस । from time to time (फ्राम टाइम टु टाइम) = sometimes, थोड़ी-थोड़ी देर में । stands (स्टैण्ड्ज़) = gets positioned, खड़ा कर देता है, टिका देता है ।

selects (सिलेक्ट्स) = chooses, picks up, चुनता है, लेता है | plays ( प्लेज़) = makes music with a musical instrument, बजाता है । rises ( राइज़िज़ ) : उठती हैं । meditatively (मेडिटेटिव्लि ) = thoughtfully, ध्यानमग्न होकर । excessive (इक्सेसिव) much, अत्यधिक | display (डिस्प्ले ) = show, दिखावा wares (वेअर्ज़) = things, चीजें । occasionally (ॲकेश्ज़नलि) = now and then, कभी-कभी । curiously (क्युरिअस्ल ) = strangely, अजीब ।

offhanded ( ऑफ़ हैण्डिड ) = not showing much interest, उदासीन | way (वे) = manner, तरीका । as if (ऐज़ इफ) = as though, जैसे कि । incidental (इन्सिडेण्टल ) = something that happens very rarely, कभी-कभी होने वाली घटना। enterprise (एण्टॅ: प्राइज़) = business, व्यापार, कार्य । breaks off (ब्रेक्स ऑफ़ ) = stops, रोक देता है । imagine (इमेजिन ) = to form a picture or idea in mind, कल्पना करता हूँ | pattern (पैटर्न) way, तरीका।

हिन्दी अनुवाद – मैं होटल के निकट चौराहे के एक कोने में खड़े हुए बाँसुरी – विक्रेता को देखता हूँ। उसके हाथ में एक लट्ठा है जिसके ऊपर लगे उपकरण से पचास-साठ बाँसुरियाँ सेही के काँटों की भाँति सब दिशाओं में बाहर निकली हुई हैं । वे बाँस की बनी हुई हैं : उनमें क्रॉस वाली बाँसुरियाँ और बच्चों के संगीत यंत्र भी हैं । थोड़ी-थोड़ी देर में वह बाँस को जमीन पर टिका देता है, एक बाँसुरी छाँटता है और कुछ मिनट के लिए बजाता है । वह आवाज़ स्पष्ट रूप से यातायात के शोर और फेरीवालों की तेज़ आवाज़ों से ऊपर उठती है (सुनाई देती है ) ।

वह इसे धीमे- धीमे ध्यानमग्न होकर और बिना अत्यधिक दिखावा किये बजाता है । वह अपनी चीजें चिल्ला-चिल्लाकर नहीं बेचता है । वह कभी-कभी ही अपनी चीजें बेचता है अर्थात् हर वक्त नहीं लेकिन एक अजीब उदासीन तरीके से बेचता है, जैसे कि उसके व्यापार के लिए यह कभी-कभी होने वाली घटना है । कभी-कभी वह फल विक्रेता से बात करने के लिए (बाँसुरी) बजाना रोक देता है । मैं कल्पना करता हूँ कि वर्षों से यही उसके जीवन का तरीका रहा है।

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7. I find it difficult ………… it can go on. (Pages 130-131 )

Word Meanings: find (फाइण्ड ) = discover, पाता हूँ tear away (टिअर अवे) = move away, अलग होना । at once ( एट वन्स) = at the same time, एक साथ, एक ही समय पर । universal (यूनिवर्सल) found everywhere, सार्वभौमिक | particular (पॅ: टिक्यलर) = belonging to one person, ‘व्यक्तिगत, विशिष्ट | culture (कल्चर) the customs, ideas, beliefs, etc. of a particular society, संस्कृति । reed (रीड) = a tall plant like grass, सरकंडा, नरकुल । classical ( क्लैसिकल) = widely accepted and used for long time, शास्त्रीय । breathy (ब्रीदि) = speaking or singing with a noticeable sound of breathing, साँस की ध्वनि के साथ गाते हुए |

high pitched ( हाई पिच्ट ) = in high tone, ऊँचे स्वर वाली | specific (स्पेसिफिक) = distinct, विशिष्ट । fingering (फिंगरिंग) = touching something with fingers, उँगली से छूना । compass (कॅम्पास) = range, फैलाव । weaves ( वीव्ज़) = form by interlacing long threads, बुनती है । associa- tions (एसोसिएशन्ज़) = (here) musical combination, स्वर – संगति | yet (पेट) = still, फिर भी । seems (सीम्ज़) = looks, लगता है, प्रतीत होता है । to be drawn (टु बी ड्रॉन) = to be pulled out, खिंचे चले जाना।

commonality(कॉमनलिटि) = = quality of being one and the same, एकरूपता । mankind (मैनकाइण्ड ) humanity, मानवता । to be moved (टु बी मूव्ड) = stirred, द्रवित हो जाना । closest (क्लोज़ेस्ट) = very near, सबसे निकट । phrases (फ्रेज़िज़ ) groups of words that are used together, वाक्यांशों, तानों । human (ह्यूमन) = connected with people, मानवीय | motive (मोटिव) = inspiring, प्रेरणादायिनी । force ( फोर्स) power, शक्ति । living breath (लिविंग ब्रेथ ) = breath full of life, जीती-जागती साँस । (पॉज़) pause रुकना । breathe (ब्रीद) = inwhale and exhale, साँस लेना । go on ( गो ऑन) = carry on, जारी रहना. ( यहाँ) बजाते रहना।

हिन्दी अनुवाद – मुझे उस चौराहे से दूर होना (जाना) कठिन लगता है । बाँसुरी के संगीत से हमेशा मेरे साथ ऐसा होता है : यह एक समय पर होने वाली सबसे अधिक सार्वभौमिक और सबसे अधिक विशिष्ट ध्वनि होती है । ऐसी कोई संस्कृति नहीं है जिसकी अपनी बाँसुरी नहीं है सरकंडे की नेह, रिकॉर्डर, जापान की शाकुहाची, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गहरी बाँसुरी, दक्षिणी अमरीका की स्पष्ट या साँस के साथ धीमी बजने वाली बाँसुरियाँ, चीन की ऊँचे स्वर वाली बाँसुरियाँ । प्रत्येक व्यक्ति का (बाँसुरी पर) उँगली रखने का अपना विशिष्ट तरीका और फैलाव होता है ।

प्रत्येक बाँसुरी अपनी स्वयं की स्वर संगति बुनती है। फिर भी, मुझे ऐसा लगता हैं कि किसी भी बाँसुरी को सुनना, सम्पूर्ण मानवता की एकरूपता में खिंचे चले जाना है, मानव – ध्वनि के सबसे अधिक निकट तानों और वाक्यों वाले संगीत से द्रवित होना है । इसकी प्रेरणादायिनी शक्ति जीती-जागती साँस है : इसे भी जारी रखने ( बजाते रहने) से पहले रुकने और साँस लेने की आवश्यकता होती है।

8. That I can be ………… significance I now do. (Page 131)

Word Meanings: affected (अफ़ेक्टिड ) = influenced, प्रभावित । a few (अ फ़्यू) = some, कुछ। familiar (फमिलिअर) = Well-known, जानी-पहचानी, सुपरिचित । phrases (फ्रेज़िज़) = a groups of words that are used together, पदों । surprises (स: प्राइज़िज़ ) = astonishes, आश्चर्यचकित करता है । previous (प्रीविअस) = former, पहले के । occasions (ॲकेश्ज़न्ज़) = chances, अवसर | returned (रिटर्न्स) = came back, वापिस लौटा | absence ( एबसन्स) अनुपस्थिति |

abroad (अब्रॉड) = out of one’s native country, विदेश में | hardly (हाड्लि) = not commonly, मुश्किल से ही । noticed (नोटिस्ट) = paid attention to, ध्यान दिया । details ( डीटेल्ज़) = minute descriptions, छोटी-छोटी बातें 1 certainly (स: टन्लि ) = for sure, निश्चित रूप से । invested (इन्वेस्टिड) = spent time, energy, effort that you thought useful, ध्यान दिया। significance (सिग्निफिकन्स) = importance, महत्व।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Chapter 10 Kathmandu

हिन्दी अनुवाद – पहले तो मुझे इस बात पर आश्चर्य होता है कि मैं बाँसुरी पर कुछ सुपरिचित पदों (वाक्यांशों) से इतना प्रभावित हो सकता हूँ, क्योंकि पहले के अवसरों पर जब मैं लम्बे समय तक विदेश में रहने के बाद घर लौटा हूँ, मैंने इतनी छोटी-छोटी बातों पर मुश्किल से ही ध्यान दिया है और निश्चित रूप से मैंने उनको इतना महत्व नहीं दिया है जितना कि मैं अब देता हूँ ।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Exercise 2.3

प्रश्न 1.
x3 + 3x2 + 3x + 1 को निम्नलिखित से भाग देने पर शेषफल ज्ञात कीजिए:
(i) x + 1
(ii) x – \(\frac{1}{2}\)
(iii) x
(iv) x + π
(v) 5 + 2x.
हल:
(i) p(x) = x2 + 3x2 + 3x + 1
माना x + 1 = 0 तब x = -1
p(-1) = (-1)3 + 3(-1)2 + 3(-1) + 1
⇒ p(-1) = -1 + 3 – 3 + 1 ⇒ p(-1) = 0
∴ शेषफल = 0.

(ii) p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1
माना x – \(\frac{1}{2}\) = 0 तब x = \(\frac{1}{2}\)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 1

(iii) p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1
माना x + 0 = 0 तब x = 0
p(0) = (0)3 + 3(0)2 + 3(0) + 1
= 0 + 0 + 0 + 1 = 1
∴ शेषफल p(0) = 1.

(iv) p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1
माना x + π = 0 तब x = -π
p(-π) = (-π)3 + 3(-π)2 + 3(-π) + 1
∴ शेषफल p(-π) = -π3 + 3π2 + (-3π) + 1.

(v) p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1
माना 5 + 2x = 0 तब x = –\(\frac{5}{2}\)
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 2
= \(\frac{-125+150-60+8}{8}\)
\(p\left(-\frac{5}{2}\right)=-\frac{27}{8}\)
अतः शेषफल = –\(\frac{27}{8}\).

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

प्रश्न 2.
x3 – ax2 + 6x – a को x – a से भाग देने पर शेषफल ज्ञात कीजिए।
हल:
माना p(x) = x3 – ax2 + 6x – a
माना (x – a) p(x) का गुणज हैं
∴ x – a = 0 या x = a
∴ p(a) = (a )3 – a(a)2 + 6(a) – a
p(a) = a3 – a3 + 6a – a ⇒ p(a) = 5a
∴ शेषफल = 5a.

प्रश्न 3.
जाँच कीजिए कि 7 + 3x, 3x3 + 7x का एक गुणनखण्ड है या नहीं।
हल:
7 + 3x का शून्यक –\(\frac{7}{3}\) है।
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 3
⇒ नहीं, क्योंकि शेषफल शून्य नहीं आता।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.2

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Exercise 2.2

प्रश्न 1.
बहुपद 5x – 4x2 + 3 के मान ज्ञात कीजिए जब:
(i) x = 0
(ii) x = -1
(iii) x = 2.
हल:
(i) बहुपद p(x) = 5x – 4x2 + 3, x = 0
बहुपद (x) में x के स्थान पर 0 प्रतिस्थापित करने पर,
p(0) = 5 × 0 – 4(0)2 + 3
= 0 – 0 + 3
∴ p(0) = 3.

(ii) p(x) = 5x – 4x2 + 3, x = -1
x के स्थान पर (-1) रखने पर,
p(-1) = 5(-1) – 4(-1)2 + 3
= – 5 – 4 + 3
∴ p(-1) = -6.

(iii) p(x) = 5x – 4x2 + 3, x = 2
x के स्थान पर (2) रखने पर,
∴ p(2) = 5 × 2 – 4(2)2 + 3
= 10 – 16 + 3 = -3

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद के लिए p(0), p(1) और p(2) ज्ञात कीजिए:
(i) p(y) = y2 – y + 1
(ii) p(t) = 2 + t + 2t2 – t3
(iii) p(x) = x3
(iv) p(x) = (x – 1)(x + 1).
हल:
(i) p(y) = y2 – y + 1
p(0) = (0)2 – 0 + 1 = 1
p(1) = 12 – 1 + 1
= 1 – 1 + 1 = 1
p(2) = (2)2 – 2 + 1
= 4 – 2 + 1 = 3

(ii) p(t) = 2 + t + 2t2 – t3
P(0) = 2 + 0 + 2 × 02 – 03
= 2 + 0 + 0 – 0 – 2
p(1) = 2 + 1 + 2(1)2 – (1)3
= 2 + 1 + 2 – 1 = 4
p(2) = 2 + 2 + 2(2)2 – (2)3
= 2 + 2 + 8 – 8 = 4.

(iii) P(x) = x3
P(0) = (0)3 = 0
p(1) = (1)3 = 1
p(2) = (2)3 = 8.

(iv) p(x) = (x – 1)(x + 1)
p(x) = x2 – 1
p(0) = (0)2 – 1 = -1
p(1) = (1)2 – 1 = 0
p(2) = (2)2 – 1 = 4 – 1 = 3.

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प्रश्न 3.
सत्यापित कीजिए कि दिखाए गए मान निम्नलिखित स्थितियों में संगत बहुपद के शून्यक हैं:
(i) p(x) = 3x + 1; x = –\(\frac{1}{3}\)
(ii) p(x) = 5x – π; x = \(\frac{4}{5}\)
(iii) p(x) = x2 – 1: x = 1, – 1
(iv) p(x) = (x + 1) (x – 2 ); x = -1, 2
(v) p(x) = x2; x = 0
(vi) p(x) = lx + m; x = \(-\frac{m}{l}\)
(vii) p(x) = 3x2 – 1; x = \(-\frac{1}{\sqrt{3}}, \frac{2}{\sqrt{3}}\)
(viii) p(x) = 2x + 1; x = \(\frac{1}{2}\)
हल:
(i) दिया है,
p(x) = 3x + 1; x = –\(\frac{1}{3}\)
P(-\(\frac{1}{3}\)) = 3 × (-\(\frac{1}{3}\)) + 1 = 0
अतः –\(\frac{1}{3}\). p(x) का शून्यक है।

(ii) दिया है, p(x) = 5x – π; x = \(\frac{4}{5}\)
p(\(\frac{4}{5}\)) = 5 × \(\frac{4}{5}\) – π = 4 – π
अतः \(\frac{4}{5}\), p(x) का शून्यक नहीं है।

(iii) दिया है p(x) = x2 – 1; x = 1, -1
x = 1 रखने पर,
p(1) = 12 – 1 = 0
x = -1 रखने पर,
P(-1) = (-1)2 – 1 = 1 – 1 = 0
अतः 1, -1; p(x) के शून्यक हैं।

(iv) दिया है,
p(x) = (x + 1) (x – 2 ) x = -1, 2
x = -1 रखने पर,
p(-1) = (-1 + 1) (-1 – 2 ) = 0 × (- 3 ) = 0
x = 2 रखने पर,
p(2) = (2 + 1) (2 – 2) = 3 × 0 = 0
अत: -1 और 2 पद p(x) के शून्यक हैं।

(v) fear it,
p(x) = x2; x = 0
x = 0 रखने पर, p(0) = (0)2 = 0
अतः 0 पद p(x) का शून्यक है।

(vi) दिया है, p(x) = lx + m; x = \(-\frac{m}{l}\)
x = \(-\frac{m}{l}\) रखने पर
P(\(-\frac{m}{l}\)) = 1 × (\(-\frac{m}{l}\)) + m
⇒ \(-\frac{m}{l}\) पद p(x) का शून्यक है।

(vii) दिया है, p(x) = 3x2 – 1; x = \(-\frac{1}{\sqrt{3}}, \frac{2}{\sqrt{3}}\)
x = \(-\frac{1}{\sqrt{3}}\) रखने पर,
p(\(-\frac{1}{\sqrt{3}}\)) = 3 × (\(-\frac{1}{\sqrt{3}}\)) – 1 = 3 × \(\frac{1}{3}\) – 1 = 0
x = \(\frac{2}{\sqrt{3}}\)
P(\(\frac{2}{\sqrt{3}}\)) = 3 × (\(\frac{2}{\sqrt{3}}\)) – 1 = 3 × \(\frac{4}{3}\) – 1 = 3
अतः \(-\frac{1}{\sqrt{3}}\) पद p(x) का शून्यक है किन्तु \(\frac{2}{\sqrt{3}}\) पद p(x) का शून्यक नहीं है।

(viii) दिया है, p(x) = 2x + 1; x = \(\frac{1}{2}\)
x = \(\frac{1}{2}\) रखने पर
P(\(\frac{1}{2}\)) = 2 × \(\frac{1}{2}\) + 1 = 1 + 1 = 2
अतः \(\frac{1}{2}\) पद p(x) का शून्यक नहीं है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में बहुपद का शून्यक ज्ञात कीजिए :
(i) p(x) = x + 5
(ii) p(x) = x – 5
(iii) p(x) = 2x + 5
(iv) p(x) = 3x – 2
(v) p(x) = 3x
(vi) p(x) = ax; a ≠ 0
(vii) p(x) = cx + d; c ≠ 0, c, d वास्तविक संख्याएँ है।
हल:
(i) p(x) = x + 5
p(x) = 0 ∴ 0 = x + 5 ⇒ x = -5
अतः बहुपद x + 5 का शून्यक = -5 है।

(ii) p(x) = x – 5
हमें ज्ञात है: p(x) = 0 ∴ x – 5 = 0 ⇒ x = 5
अतः बहुपद x – 5 का शून्यक = 5

(iii) p(x) = 2x + 5
p(x) = 0
∴ 2x + 5 = 0 ⇒ 2x = -5 ⇒ x = –\(\frac{5}{2}\)
अत: p(x) का शून्यक = –\(\frac{5}{2}\) है।

(iv) p(x) = 3x – 2
p(x) = 0
∴ 3x – 2 = 0 ⇒ 3x = 2 ⇒ x = \(\frac{2}{3}\)
अत: p(x) का शून्यक = \(\frac{2}{3}\) है।

(v) p(x) = 3x
p(x) = 0
∴ 3x = 0 ⇒ x = 0
अतः बहुपद 3x का शून्यक = 0 है।

(vi) p(x) = ax; a ≠ o
p(x) = 0
∴ ax = 0 ⇒ x = 0
बहुपद ax का शून्यक = 0 है।

(vii) p(x) = cx + d; c ≠ 0, c, d
p(x) = 0
∴ cx + d = 0 ⇒ cx = -d ⇒ x = \(-\frac{d}{c}\)
∴ p(x) का शून्यक = \(-\frac{d}{c}\) है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

JAC Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Jharkhand Board Class 11 Political Science विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आप विकास से क्या समझते हैं? क्या विकास की प्रचलित परिभाषा से समाज के सभी वर्गों को लाभ होता है?
उत्तर:
विकास से आशय: ‘विकास’ शब्द अपने व्यापकतम अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है। लेकिन ‘विकास’ शब्द का प्रयोग व्यवहार में व्यापक अर्थ में नहीं किया है, बल्कि इसका प्रयोग प्रायः ‘आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीकरण’ जैसे संकीर्ण अर्थों में किया गया है। इसे प्राय: पहले से निर्धारित लक्ष्यों या बांध, उद्योग, अस्पताल जैसी परियोजनाओं को पूरा करने से जोड़कर देखा जाता है।

विकास का प्रभाव:
प्रचलित अर्थ में विकास का अर्थ आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण से लिया गया है। विकास की इस प्रचलित परिभाषा में विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुँचा। इस प्रक्रिया में समाज के कुछ हिस्से लाभान्वित हुए जबकि बाकी लोगों को अपने घर, जमीन, जीवन शैली को बिना किसी भरपाई के खोना पड़ा। उदाहरण के लिए बड़े बांधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ।

विस्थापन का परिणाम आजीविका खोने और दरिद्रता में वृद्धि के रूप में सामने आया। अगर ग्रामीण खेतिहर समुदाय अपने परम्परागत पेशे और क्षेत्र से विस्थापित होते हैं, तो वे समाज के हाशिये पर चले जाते हैं। बाद में वे शहरी और ग्रामीण गरीबों की विशाल आबादी में शामिल हो जाते हैं। लम्बी अवधि में अर्जित परम्परागत कौशल नष्ट हो जाते हैं। संस्कृति का भी विनाश होता है, क्योंकि जब लोग नई जगह पर जाते हैं, तो वे अपनी पूरी सामुदायिक जीवन-पद्धति खो बैठते हैं। ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को जन्म दिया है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

प्रश्न 2.
जिस तरह का विकास अधिकतर देशों में अपनाया जा रहा है उससे पड़ने वाले सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों की चर्चा कीजिये।
उत्तर:
अधिकतर देशों में आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण के रूप में पश्चिमी देशों के स्तर पर पहुँचने का प्रयास विकास के अन्तर्गत किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में विकासशील देशों ने औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनिकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया। यह विश्वास किया गया कि विकास की यह प्रक्रिया समाज को अधिक आधुनिक और प्रगतिशील बनाएगी तथा उसे उन्नति के पथ पर ले जाएगी। विकास के प्रभाव विकास की इस प्रक्रिया से निम्नलिखित सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव पड़े।

(अ) सामाजिक प्रभाव: विकास के इस मॉडल को अपनाने के कारण बहुत बड़ी सामाजिक कीमत चुकानी पड़ी है। यथा

  1. विस्थापन, दरिद्वत्ता में वृद्धि और आजीविका का खोना-बांधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ जिसका परिणाम आजीविका खोने और दरिद्रता में वृद्धि के रूप में सामने आया।
  2. परम्परागत कौशल और संस्कृति का नष्ट होना: ग्रामीण खेतिहर समुदाय अपने परम्परागत पेशे और क्षेत्र से विस्थापित होकर समाज के हाशिये पर चले जाते हैं तथा वे गरीबों की विशाल आबादी में शामिल हो जाते हैं । इससे उनके परम्परागत कौशल नष्ट हो जाते हैं और संस्कृति का भी विनाश होता है तथा वे नई जगह पर जाकर अपनी पूरी सामुदायिक जीवन पद्धति खो बैठते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि विकास की इस प्रक्रिया से समाज के कुछ हिस्से ही लाभान्वित हुए हैं जबकि शेष लोगों को अपने घर, जमीन, जीवन-शैली को बिना किसी भरपाई के खोना पड़ा है। लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। ग्रामीण लोग अपने पारम्परिक व्यवसाय को भूलते जा रहे हैं तथा विद्यमान संस्कृतियों का विनाश होता जा रहा है।
  3. संघर्षों का जन्म: ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को जन्म दिया है।
  4. विकास के लाभ और कीमत का असमान वितरण: विकास के अधिकांश फायदों को ताकतवर लोगों ने हथिया लिया और इसकी अधिकांश कीमत अति दरिद्रों तथा आबादी के असुरक्षित हिस्सों ने चुकाई। यथा

(ब) पर्यावरण पर प्रभाव: विकास की वजह से अनेक देशों में पर्यावरण को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा है।

  1. विशाल जंगली भू-भाग विकास के कारण बांधों में डूब रहा है और इससे पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ रहा है।
  2. तटीय वनों के नष्ट होने और समुद्रतट के निकट वाणिज्यिक उद्यमों के स्थापित होने के कारण दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी – एशिया के तटों पर समुद्री तूफानों ने अत्यधिक नुकसान किया है।
  3. वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है। इससे तटीय इलाकों के समुद्र में डूब जाने का खतरा पैदा हो रहा है।
  4. विकास के प्रभावस्वरूप वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसके कारण अनेक बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
  5. ऊर्जा के उत्तरोत्तर बढ़ते उपयोग से ऊर्जा के स्रोत खत्म होते जा रहे हैं।

प्रश्न 3.
विकास की प्रक्रिया ने किन नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है?
उत्तर:
विकास के अधिकांश लाभों को ताकतवर लोगों ने हथिया लिया है और इसकी कीमत अति दरिद्रों और आबादी के असुरक्षित हिस्से को चुकानी पड़ी है। इसलिए विकास की प्रक्रिया ने अनेक नये अधिकारों के दावों को जन्म दिया है। यथा

  1. लोकतंत्र में लोगों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि उनके जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में उनसे सलाह ली जाये।
  2. लोगों को आजीविका का अधिकार दिया जाना चाहिए ताकि वे लोग, जिनकी आजीविका के स्रोत को विकास के कारण खतरा पैदा होने पर, आजीविका के अधिकार का दावा सरकार से कर सकें।
  3. समुदाय को नैसर्गिक संसाधनों के उपयोग के परम्परागत अधिकार मिलने चाहिए। यह दावा विशेषकर आदिवासी और आदिम समूहों द्वारा किया जा रहा है, जिनका सामुदायिक जीवन और पर्यावरण के साथ सम्बन्ध विशेष प्रकार का होता है।
  4. पूरी मानवता के साझे नैसर्गिक संसाधनों की व्यवस्थाओं का काम जनसमूह के विभिन्न तबकों की प्रतिस्पर्द्धात्मक मांगों को पूरा करने के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की दावेदारियों के बीच संतुलन भी कायम करना आवश्यक है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

प्रश्न 4.
विकास के बारे में निर्णय सामान्य हित को बढ़ावा देने के लिए किए जाएँ, यह सुनिश्चित करने में अन्य प्रकार की सरकार की अपेक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
विकास के बारे में निर्णय सामान्य हित को बढ़ावा देने के लिए करने के लिए अन्य प्रकार की सरकार की अपेक्षा लोकतांत्रिक सरकार के निम्नलिखित अधिक लाभ हैं।
1. लोकतंत्र में संसाधनों को लेकर विरोध या बेहतर जीवन के बारे में विभिन्न विचारों के द्वन्द्व का हल विचार- विमर्श और सभी के अधिकारों के प्रति सम्मान के जरिए होता है, जबकि अन्य प्रकार की सरकारों में ये विचार ऊपर से थोपे जाते हैं।

2. लोकतांत्रिक देशों में निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने के अधिकार पर जोर दिया जाता है। अगर बेहतर जीवन हासिल करने में समाज का हर व्यक्ति साझीदार है, तो विकास की योजनाएँ बनाने और उसके क्रियान्वयन के तरीके ढूँढ़ने में भी हर व्यक्ति को शामिल करने की आवश्यकता है और लोकतंत्र में ही यह व्यवस्था संभव है।

3. लोकतांत्रिक व्यवस्था में निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय लोगों के शामिल रहने से समुदायों को नुकसान पहुँचा सकने वाली परियोजनाओं को रद्द करना संभव होता है। इसके साथ ही योजना बनाने और नीतियों के निर्धारण में स्थानीय लोगों की संलग्नता से लोगों के लिए अपनी जरूरतों के मुताबिक संसाधनों के उपयोग की भी गुंजाइश रहती है।

4. लोकतांत्रिक व्यवस्था में विकास की विकेन्द्रित पद्धति आसानी से क्रियान्वित की जा सकती है। इससे परम्परागत और आधुनिक स्रोतों से मिलने वाली तमाम तरह की तकनीकों के रचनात्मक तरीकों के इस्तेमताल को संभव बनाती है।

प्रश्न 5.
विकास से होने वाली सामाजिक और पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को जवाबदेह बनाने में लोकप्रिय संघर्ष और आन्दोलन कितने सफल रहे हैं?
उत्तर:
विकास से होने वाली सामाजिक और पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को उत्तरदायी बनवाने में लोकप्रिय संघर्षों और आन्दोलनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यथा-
1. पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार को जिम्मेदार, जवाबदेह और जागरूक बनाना:
इस प्रकार के संघर्ष और आन्दोलन सरकार को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदार, जवाबदेह तथा जागरूक बनाते हैं। वे उन तथ्यों और आंकड़ों को लोगों के समक्ष लाते हैं, जिन्हें सरकार छुपाने का प्रयास करती है। उदाहरण के लिए नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने बांधों से लोगों की जमीन डूबने और उसके कारण उनकी आजीविका छिनने से लगभग दस लाख लोगों के विस्थापन की समस्या को सरकार के समक्ष उजागर किया तथा इस तथ्य को भी स्पष्ट किया कि विशाल जंगली भू-भाग भी इस बांध में डूब जायेगा, इससे पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ेगा। इस प्रकार ये आन्दोलन विकास से होने वाली सामाजिक और पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को जागरूक करता है तथा उनके लिए सरकार को उत्तरदायी ठहराता है।

2. जन चेतना को जाग्रत करना: ऐसे संघर्ष व आन्दोलन जन चेतना को भी जागृत करते हैं और लोग संबंधित परियोजना के औचित्य पर सरकार से प्रश्न करते हैं। एक बहुत बड़े जनसमुदाय के आन्दोलन में शामिल होने के कारण सरकार प्रभावित लोगों की समस्याओं को सुनने व उनका समाधान करने को बाध्य होती है।

 विकास JAC Class 11 Political Science Notes

→ विकास पद का अर्थ
व्यापक अर्थ – विकास शब्द अपने व्यापकतम अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है।

→ संकीर्ण अर्थ:
विकास शब्द का प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीकरण जैसे संकीर्ण अर्थों में भी होता है। साधारण बोलचाल में विकास को प्राय: पहले से निर्धारित लक्ष्यों या बांध, उद्योग, अस्पताल जैसी परियोजनाओं को पूरा करने से जोड़कर देखा जाता है । इस अर्थ में विकास की प्रक्रिया में समाज के कुछ हिस्से लाभान्वित होते हैं जबकि शेष लोगों को अपने घर, जमीन, जीवन शैली को बिना किसी भरपाई के खोना पड़ता है।

→ विकास की चुनौतियाँ:
विकास की अवधारण ने 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की। उस समय एशिया और अफ्रीका के बहुत से देशों ने राजनीतिक आजादी हासिल की थी। इनके निवासियों का जीवन स्तर निम्न था। चिकित्सा, शिक्षा और अन्य सुविधाएँ कम थीं। इन्हें अक्सर ‘अविकसित’ या ‘विकासशील’ देश कहां जाता था। इन्हें अपने देश की गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, निरक्षरता और शिक्षा व चिकित्सा आदि बुनियादी सुविधाओं के अभाव की समस्याओं का समाधान करना था जिसे उनकी बहुसंख्यक आबादी भुगत रही थी। स्वतंत्रता के बाद इन देशों ने अपने संसाधनों का उपयोग अपने राष्ट्रीय हित में सर्वश्रेष्ठ तरीके से कर इन चुनौतियों से निपटने हेतु विकास परियोजनाएँ शुरू कीं।

आरंभिक वर्षों में अविकसित या विकासशील देशों द्वारा प्रयुक्त विकास की अवधारणा – आरंभिक वर्षों में विकास की अवधारणा में जोर आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण के रूप में पश्चिमी देशों के स्तर तक पहुँचने पर था। विकासशील देशों ने औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनिकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया गया था । अनेक देशों ने विकास की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं का सूत्रपात किया। ऐसा प्राय: विकसित देशों की मदद और कर्ज के जरिए किया गया।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

→ भारत और अन्य देशों में अपनाया गया विकास का मॉडल:
स्वतंत्रता के बाद भारत में विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला बनी। इनमें भाखड़ा नागल बांध, देश के विभिन्न हिस्सों में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, खनन, उर्वरक उत्पादन और कृषित तकनीकों में सुधार जैसी अनेक वृहद् परियोजनाएँ शामिल थीं। विकास का जो मॉडल भारत और अन्य देशों द्वारा अपनाया गया, उसकी विगत वर्षों में बहुत अधिक आलोचना हुई है।

→ भारत में अपनाए गए विकास के मॉडल के उद्देश्य – इसके प्रमुख उद्देश्य थे

  • देश की सम्पदा में वृद्धि करना
  • बढ़ती सम्पन्नता असमानता को कम करने में सहायक
  • समाज को अधिक आधुनिक और प्रगतिशील बनाना तथा
  • सम्पूर्ण समाज की उन्नति करना।

→ विकास के मॉडल की आलोचनाएँ- विकास का उक्त मॉडल अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं रहा। इसकी निम्न प्रमुख आलोचनाएँ हुईं:  आर्थिक हानि

  • मंहगा विकास अधिक वित्तीय लागत – दीर्घकालिक कर्ज में वृद्धि।
  • गरीबी और रोगों में कमी नहीं आई।

→ सामाजिक हानि:

  • बड़ी संख्या में विस्थापन आजीविका का छिनना, दरिद्रता में वृद्धि, परम्परागत कौशल का नष्ट होना तथा सांस्कृतिक विनाश।
  • ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को जन्म दिया।
  • विशाल बांधों में विशाल जंगली भू-भाग बांध में डूब जायेंगे जिससे पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ेगा। नर्मदा नदी पर बनी सरदार सरोवर योजना के तहत बनने वाले बाँधों के निर्माण के खिलाफ चलने वाला आंदोलन; इन्हीं तथ्यों को रेखांकित करता है।

→ पर्यावरण की हानि: विकास के कारण वनों का कटाव, वायु प्रदूषण का बढ़ना, वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन से ताप का बढ़ना तथा ध्रुवों की बर्फ अधिक पिघलने से तटीय इलाकों के डूबने का खतरा। इसका वंचितों पर तात्कालिक और तीखा प्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा के स्रोतों की कमी आयेगी।

→ नकारात्मक मॉडल: विकास का यह मॉडल ऊर्जा के उत्तरोतर बढ़ते उपयोग पर निर्भर है और विश्व में प्रयुक्त ऊर्जा का अधिकांश भाग कोयला या पैट्रोलियम से आता है, जिनको पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है। इन संसाधनों की परिमित प्रकृति को देखते हुए यह मॉडल नकारात्मक है।

→ विकास का मूल्यांकन:

  • सकारात्मक प्रभाव: विकास के कारण कुछ देशों ने अपनी आर्थिक उन्नति की दर बढ़ाने, यहाँ तक कि गरीबी घटाने में भी कुछ सफलता हासिल की है।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • असमानताओं में विशेष कमी नहीं आयी है।
    • गरीबी लगातार एक समस्या बनी हुई है।
    • अमीर और गरीब के बीच की दूरी बढ़ती गयी है।
    • विकास का लाभ सबको समान रूप से नहीं मिला है।

विकास की संकीर्ण अवधारणा के मॉडल की असफलता को देखते हुए विकास की व्यापक अवधारणा को अपनाने की आवश्यकता महसूस की गई। व्यापक अर्थ में अब विकास ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे। विकास को मापने के वैकल्पिक तरीके: मानव विकास प्रतिवेदन तथा मानव विकास सूचकांक – इस अवधारणा के अनुसार विकास को ऐसी प्रक्रिया होना चाहिए, जो अधिकाधिक लोगों को उनके जीवन में अर्थपूर्ण तरीके से विकल्पों को चुनने की अनुमति दे। इसकी पूर्व शर्त है। बुनियादी जरूरतों की पूर्ति। इनकी पूर्ति के बिना किसी व्यक्ति के लिए गरिमामय जीवन गुजारना और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना असंभव है।

→ विकास की वैकल्पिक अवधारणा: आवश्यकता क्यों?

  • परम्परागत विकास से मानव और पर्यावरण दोनों के लिहाज से भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
  • विकास के फायदे का वितरण भी लोगों में असमान रूप से हुआ।
  • विकास की कीमत अतिदरिद्रों व आबादी के असुरक्षित हिस्सों को अधिक चुकानी पड़ी है।
  • अधिकतर देशों में विकास की ‘ऊपर से नीचे’ की रणनीतियाँ अपनायी गईं अर्थात् इससे सम्बन्धित नीतियों का निर्णय राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही के उच्चतर स्तरों पर लिया गया तथा आम नागरिकों से सलाह नहीं ली गयी या विकास से प्रभावित होने वाले लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया। न तो सदियों से हासिल उनके अनुभवों और ज्ञान का उपयोग किया गया और न उनके हितों का ध्यान रखा गया। इस तरह परम्परागत विकास परियोजनाओं से लाभ उठाने वाले सत्ताधारी तबकों द्वारा तैयार व लागू किया गया। फलतः न्यायपूर्ण और टिकाऊ विकास हेतु विकास की वैकल्पिक अवधारणा की आवश्यकता महसूस की गयी।

→ विशेषताएँ: विकास की वैकल्पिक अवधारणा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं। अधिकारों के दावे – विकास की वैकल्पिक अवधारणा ने अनेक नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है। ये हैं।

  • लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में सरकार उनसे सलाह ले।
  • लोगों को जीविका का अधिकार है और विकास के द्वारा यदि सरकार उनकी आजीविका के स्रोत को खतरा पैदा करती है, तो वे लोग सरकार से आजीविका का दावा कर सकते हैं।
  • समुदाय को नैसर्गिक संसाधनों के उपयोग का परम्परागत अधिकार मिलना चाहिए। यह विशेष रूप से आदिवासी और आदिम समुदायों पर लागू होता है।
  • जनसमूह के विभिन्न तबकों की प्रतिस्पर्द्धात्मक माँगों को पूरा करने के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की दावेदारियों के बीच भी संतुलन कायम करना आवश्यक है।

JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 विकास

→ लोकतांत्रिक सहभागिता:

  • अगर बेहतर जीवन हासिल करने में समाज का हर व्यक्ति साझीदार है तो विकास की योजनाएँ बनाने और उसके क्रियान्वयन तरीके ढूँढ़ने में भी हरेक व्यक्ति को शामिल करने की जरूरत है।
  • भागीदारी सुनिश्चित करने का एक प्रस्तावित रास्ता स्थानीय विकास योजनाओं के बारे में निर्णय स्थानीय निर्णयकारी संस्थाओं को लेने देना है।
  • विकास की विकेन्द्रीकृत पद्धति परम्परागत और आधुनिक स्रोतों से मिलने वाली समस्त तकनीकों के रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल को संभव बनाती है।

→ विकास और जीवन शैली- विकास का वैकल्पिक मॉडल विकास की मंहगी, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली और प्रौद्योगिकी से संचालित सोच से दूर होने की कोशिश करता है। विकास को लोगों के जीवन की उस गुणवत्ता से नापा जाना चाहिए, जो उनकी प्रसन्नता, सुख-शांति और बुनियादी जरूरतों के पूरा होने में झलकती है। इस हेतु निम्न प्रयास किये जाने चाहिए

  • प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और ऊर्जा के फिर से प्राप्त हो सकने वाले स्रोतों का यथासंभव उपयोग करने के प्रयास किये जाने चाहिए। जैसे – वर्षा जल संचयन, सौर व जैव गैस संयंत्र, लघु पन बिजली परियोजना आदि।
  • इन गतिविधियों को स्थानीय स्तर पर लागू करना तथा लोगों की अधिक संलग्नता आवश्यकता होगी।
  • छोटे-छोटे बाँध बनाए जाएँ: इससे विस्थापन कम होगा तथा लागत कम आयेगी तथा स्थानीय आबादी के लिए हितकर होंगे।
  • स्वतंत्रता और सृजनशीलता भरा जीवन स्तर: लोग विकास लक्ष्यों को तय करने में सक्रिय भागीदार हों। इससे अधिकार, स्वतंत्रता तथा न्याय का भी विस्तार होगा।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

JAC Class 9 English Weathering the Storm in Ersama Textbook Questions and Answers

Think About it

Question 1.
What havoc has the super cyclone wreaked in the life of the people of Orissa?
महाचक्रवात ने उड़ीसा के लोगों के जीवन में क्या विनाशलीला दिखाई ?
Answer:
A super cyclone struck the coastal towns and villages of Orissa in October 1999. Huts and mud houses collapsed and trees were uprooted. There were human corpses and animal carcasses floating all around. Nothing but water could be seen everywhere. Thousands of people died and hundreds of villages were destroyed.

उड़ीसा के समुद्र-तटीय कस्बों एवं गाँवों में सन् 1999 के ‘अक्टूबर मास में एक महाचक्रवात आया । झोंपड़ियाँ व कच्चे मकान ध्वस्त हो गये एवं पेड़ क्षतिग्रस्त हो गये । चारों ओर मानवों व पशुओं की लाशें बहती दिखाई दे रही थीं । सर्वत्र केवल पानी ही पानी दिखाई दे रहा था । इस महाचक्रवात में हजारों लोग मारे गये एवं सैकड़ों माँव बर्बाद हो गये ।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

Question 2.
How has Prashant, a teenager, been able to help the people of his village ?
युवा प्रशांत अपने गाँव के लोगों की सहायता करने में कैसे सक्षम रहा ?
Answer:
With the help of volunteers, Prashant cleaned the shelter of filth, urine, vomit and carcasses. They also treated the wounded and the injured in the shelter. Prashant persuaded the grief-stricken women to join the ‘Food for Work’ programme started by an NGO. For the orphaned children he organised a shelter and organised cricket matches and other sports. Thus, Prashant, showed great courage to help the people of his village by mobilising a group of youth.

स्वयंसेवकों की मदद से प्रशान्त ने शरणस्थल से गन्दगी, मल-मूत्र, उल्टियों और मृत जानवरों को हटाया । उन्होंने शरणस्थल में मौजूद घायलों और चोट खाये लोगों का उपचार किया । प्रशान्त ने दुःख से पीड़ित महिलाओं को एक एन.जी.ओ. के द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम ‘कार्य के बदले भोजन’ में काम करने के लिए राजी किया । अनाथ बालकों के लिए उसने क्रिकेट मैच और दूसरे खेल आयोजित किये । इस प्रकार प्रशान्त युवाओं के एक समूह को सक्रिय कर अपने गाँव के लोगों की सहायता करने में सक्ष

Question 3.
How have the people of the community helped one another? What role do the women of Kalikuda play during these days ?
समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे की सहायता किस प्रकार की ? इन दिनों के दौरान कालीकुड़ा की स्त्रियाँ क्या भूमिका निभाती हैं ?
Answer:
The people of the community join hands together to overcome the havoc. The young volunteers get ready at Prashant’s call to help him clean and manage the Red Cross Shelter. They serve the wounded and the injured in the shelter Then they procure food for its inhabitants. The women come forward to earn their own bread and butter to support their families. Childless widows adopt parentless children. Thus, we see that the people of the community of Kalikuda help one another to normalise in life again.

विनाश से उबरने के लिए समुदाय के लोग एकजुट हो जाते हैं। वे प्रशांत के कहने पर युवा स्वयंसेवक रेडक्रास शरणस्थली की सफाई तथा प्रबन्धन में सहायता करने के लिए तैयार हो जाते हैं । वे शरणस्थली में घायल और चोटिल लोगों की सेवा करते हैं । फिर वे वहाँ रहने वालों के लिए भोजन जुटाते हैं ।.स्त्रियाँ अपने परिवारजनों की सहायतार्थ अपनी स्वयं की रोजी-रोटी कमाने हेतु आगे आती हैं । बिना बच्चों ‘ वाली विधवा स्त्रियाँ अनाथ बच्चों को गोद लेती हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि कालीकुडा में समुदाय के लोग जीवन को पुनः सामान्य बनाने के लिए एक-दूसरे की सहायता करते हैं ।

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Question 4.
Why do Prashant and other volunteers resist the plan to set up institutions for orphans and widows? What alternatives do they consider?
प्रशांत और अन्य स्वयंसेवक अनाथों और विधवाओं के लिए अलग से संस्थाएँ स्थापित करने की योजना का विरोध क्यों करते हैं ? वे कौन-से विकल्पों पर विचार करते हैं ?
Answer:
Prashant and other volunteers resist this plan because they feel that in such institutions children will grow up without love and widows will suffer from stigma and loneliness. As an alternative to these institutions for widows and orphans, they want to start fostering such families that are made up of childless widows and children without adult care.

प्रशांत और अन्य स्वयंसेवक विधवाओं एवं अनाथों के लिए सरकारी संस्थाएँ स्थापित करने का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि वहाँ बच्चों को प्यार नहीं मिलेगा और विधवाएँ कलंक व अकेलेपन का अनुभव करेंगी ।विधवाओं एवं अनाथों के लिए ऐसी संस्थाओं के विकल्प के रूप में वे ऐसे परिवारों को चलाना चाहते हैं जो बिना बच्चों वाली (संतानहीन) विधवाओं एवं उन बच्चों से बने हों जिनकी देखरेख करने वाला कोई वयस्क न हो।

Question 5.
Do you think Prashant is a good leader? Do you think young people can get together to help people during natural calamities?
क्या आप सोचते हैं कि प्रशान्त एक अच्छा नेता है ? क्या आपके विचार में युवा लोग प्राकृतिक आपदाकाल में लोगों की सहायता करने के लिए इकट्ठा हो सकते हैं ?
Answer:
Yes, I think, Prashant is a good leader. Prashant has all the qualities of a good leader. He gathers a team of young volunteers who clean the shelter of filth, urine, vomit and carcasses. He persuades women to join the ‘Food-for Work’ programme, started by an NGO. He faces adverse circumstances courageously. In my view, young people can get together to help people during natural calamities.

हाँ मैं सोचता हूँ कि प्रशांत एक अच्छा नेता है। प्रशांत में एक अच्छे नेता के सभी गुण हैं। वह युवा स्वयंसेवकों की एक टोली संगठित करता है जो शरणस्थल से गंदगी, मल-मूत्र, उल्टी और पशुओं के मृत शरीरों को हटाते हैं । वह स्त्रियों को एक एन.जी.ओ. के ‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम से जुड़ने हेतु तैयार करता है । वह साहस से विषम परिस्थितियों का सामना करता है। मेरे विचार से तो युवा लोग प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों की सहायता करने के लिए अवश्य इकट्ठा हो सकते हैं ।

Talk About it

Question 1.
Talk about the preparedness of the community for a natural disaster.
प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए समुदाय द्वारा की गई पूर्व तैयारी के बारे में चर्चा कीजिये ।
(You can talk about evacuation plans and rehabilitation; permanent safe shelters; warning systems; relief efforts; building materials to withstand cyclone/flood/earthquakes, i.e. safe housing; peoples’ organisation for their own rescue; the survival instinct, etc.)
Answer:
In India, natural disasters occur frequently. The coastal areas are struck with cyclonic storms and huge waves. The Thar desert faces drought almost every year. The eastern part of the country experiences floods in the rainy season. So every community should make preparations to face natural disasters in advance, especially the village society should make evacuation and rehabilitation plans.

Permanent safe shelters should be built. There should be an early warning system for such disasters. The houses should be built of such materials that can withstand cyclone, flood, earthquake, etc. People should organise themselves to rescue the victims. There should be survival instinct among them.

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

JAC Class 9 English Weathering the Storm in Ersama Important Questions and Answers

Answer the following questions in about 30 words each :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
What natural calamity struck Ersama and what was its effect ?
एरसामा पर कौन – सी प्राकृतिक आपदा आयी तथा इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
Answer:
A super cyclone struck Ersama. It devastated hundreds of villages and killed thousands of people and animals. It uprooted trees and washed away many houses.

एरसामा में महाचक्रवात आया । इसने सैकड़ों गाँवों को बर्बाद कर दिया और हजारों लोगों व जानवरों को मार डाला। इसने पेड़ों को उखाड़ डाला और इससे कई घर पानी में बह गये।

Question 2.
When Prashant returned to his village, it was a journey he would never forget. Why?
जब प्रशान्त अपने गाँव लौटा तो यह एक ऐसी यात्रा थी जिसे वह कभी नहीं भूलेगा । क्यों ?
Answer:
When Prashant was returning to his village, he had to push swollen corpses of animals and human beings floating here and there on the way, So, it was an unforgettable journey for him.

जब प्रशान्त अपने गाँव को लौट रहा था तो उसे रास्ते में जानवरों और मनुष्यों के इधर-उधर तैरते हुए फूले हुए शव धकेलने पड़े थे । अतः उसके लिए यह एक अविस्मरणीय यात्रा थी।

Question 3.
How did Prashant arrange food for the refugees in the shelter?
शरणस्थल के शरणार्थियों के लिये प्रशान्त ने भोजन का प्रबन्ध कैसे किया ?
Answer:
With a group of the youths and the elders of the village, Prashant went to the merchant. They pressurised him to deliver the rice for the refugees. Thus, he arranged food for the entire shelter.

गाँव के युवा और बुजुर्गों के एक दल के साथ प्रशान्त व्यापारी के पास गया । उन्होंने उस पर शरणार्थियों को चावल देने के लिए दबाव डाला । इस प्रकार उसने पूरे शरणस्थल के लिए भोजन का प्रबन्ध किया ।

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Question 4.
How did the fallen coconut trees help the cyclone-hit people?
नारियल के गिरे हुए वृक्षों ने चक्रवात पीड़ित लोगों की मदद कैसे की ?
Or
How did the people feed themselves until the government help reached them?
जब तक सरकारी मदद नहीं पहुँची तब तक लोगों ने खुद का पेट कैसे भरा ?
Answer:
After the cyclone hit the people had nothing to eat. But the tender coconuts of the fallen coconut trees were there to feed them before the government help reached them.

चक्रवात के समय लोगों के पास खाने के लिये कुछ भी नहीं था । लेकिन सरकारी सहायता पहुँचने से पहले वहाँ गिरे हुए नारियल के वृक्षों के कोमल नारियल उन्हें पेट भरने के लिए मिले थे।

Question 5.
What was the only thought flashing in Prashant’s mind during the cyclone ?
चक्रवात के दौरान प्रशान्त के मन में एकमात्र कौन – सा विचार कौंध रहा था ?
Answer:
During the cyclone, when Prashant was huddled with his friend’s family on the roof of their house, the only thought flashing in his mind was about the safety of his family.

चक्रवात के दौरान जब प्रशान्त अपने मित्र के परिवार के साथ उनके मकान की छत पर डर या ठंड के कारण सिमटकर बैठा हुआ था तब उसके मन में कौंधने वाला एकमात्र विचार अपने परिवार की सुरक्षा के बारे में था ।

Question 6.
Why did Prashant weep out loud and long ?
प्रशान्त बहुत देर तक फूट-फूटकर क्यों सेया ?
Answer:
Prashant saw a number of dead bodies of human beings and animals floating in the flood. Barely a house was left safe. Seeing this all, he wept out loud and long.

प्रशान्त ने बाढ़ के पानी में मनुष्यों एवं पशुओं के बहुत से शव बहते हुए देखे । मुश्किल से ही कोई मकान सुरक्षित बचा था । यह सब देखकर वह बहुत देर तक फूट-फूटकर रोया ।

Question 7.
Where did Prashant sit huddled with his friend’s family during the two days of the super cyclone? Where did they get their food from?
महाचक्रवात के दो दिनों के दौरान प्रशान्त अपने मित्र के परिवार सहित कहाँ सिमटकर बैठा रहा ? उन्होंने अपने लिए भोजन कहाँ से प्राप्त किया?
Answer:
During the two days of super cyclone Prashant was in Ersama with his friend’s family. He sat huddled with them in the open on the roof of their house. They got their food from two coconut trees which had fallen on the roof of their house.

महाचक्रवात के दो दिनों के दौरान प्रशान्त अपने मित्र के परिवार के साथ एरसामा में था । वह उनके साथ खुले में उनके मकान की छत पर डर या ठंड के कारण सिमटकर बैठा रहा । उन्हें उन दो नारियल के पेड़ों से भोजन प्राप्त हुआ जो उनके घर की छत पर गिर पड़े थे ।

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Question 8.
Why was it difficult for Prashant to travel back to his village ?
प्रशान्त के लिये अपने गाँव वापिस जाना मुश्किल क्यों था ?
Answer:
Prashant’s village was eighteen kilometres away from Ersama town. Everything was submerged in flood waters. Dead bodies of human beings and animals were seen floating in water. So, it was difficult for him to travel back to his village.

प्रशान्त का गाँव एरसामा कस्बे से अट्ठारह किलोमीटर दूर था । हर चीज बाढ़ के पानी में डूबी थी । मनुष्यों और पशुओं के शव पानी में तैर रहे थे ।अतः उसका गाँव वापिस जाना मुश्किल था ।

Question 9.
Why did Prashant’s heart go cold on reaching his village ?
अपने गाँव पहुँचने पर प्रशान्त का दिल क्यों बैठ गया ?
Answer:
When Prashant reached his village, all the houses had been ruined. His own house was also destroyed and only a broken roof remained. Some of their belongings were found twisted and mangled, caught in the branches of trees. Watching all this, his heart went cold.

जब प्रशान्त अपने गाँव पहुँचा तो वहाँ सभी मकान तबाह हो चुके थे । उसका खुद का मकान भी टूट गया था और केवल टूटी छत ही रह गयी थी। उनका कुछ सामान पेड़ों की शाखाओं में मुड़ा- तुड़ा उलझा पड़ा था । यह सब देखकर उसका दिल बैठ गया ।

Question 10.
What were the two important tasks Prashant did after deciding to be the leader of the village?
गाँव का नेता बनने का निश्चय करने के बाद प्रशान्त ने कौन-से दो महत्त्वपूर्ण कार्य किये?
Answer:
First, he organised a group of youths and elders. They pressurised the merchant to give them rice for the refugees. His second task was to organise a team of youth volunteers who cleaned dirt, urine, vomit in the shelter and nursed the injured people.

सबसे पहले प्रशान्त ने नवयुवकों व बुजुर्गों का एक दल संगठित किया । उन्होंने व्यापारी पर शरणार्थियों के लिये चावल देने के लिए दबाव बनाया। उसका दूसरा काम था स्वयंसेवक नवयुवकों की एक टीम का गठन करना जिसने शरणस्थल में गन्दगी, मल-मूत्र, उल्टी आदि को साफ किया तथा घायलों की सेवा की ।

Question 11.
How did the youth task force make the helicopter drop regular quantities of food?
युवा स्वयंसेवक दल ने हेलिकॉप्टरों से नियमित भोजन कैसे गिरवाया ?
Answer:
The youth task force gathered utensils from the shelter and then asked the children to lie in the sand around the shelter, putting empty utensils on their stomachs to communicate to the passing helicopters that they were hungry. The message was conveyed, and thus, the helicopters began to drop quantities of food and other of basic needs to the place regularly.

युवा स्वयंसेवक दल ने शरणस्थली से बर्तन इकट्ठे किये और बच्चों से उन खाली बर्तनों को पेट पर रखकर शरणस्थली के पास रेत पर लेटने को कहा ताकि वहाँ से गुजरने वाले हेलिकॉप्टरों को यह पता चल जाये कि वे भूखे हैं । उनका यह संदेश पहुँच गया, और इस प्रकार हेलिकॉप्टर उस स्थान पर भोजन सामग्री एवं दूसरी आवश्यक वस्तुएँ नियमित रूप से गिराने लगे ।

Question 12.
How did Prashant help the women and children get over their grief ?
प्रशान्त ने स्त्रियों और बच्चों को दुःख से उबरने में किस प्रकार सहायता की ?
Answer:
Prashant persuaded the women to join the Food for Work programme run by an N.G.O. For the children; he organised cricket matches and other sports events. Thus, he kept them busy so that they could forget their sorrows.

प्रशान्त ने स्त्रियों को एक एन.जी.ओ. द्वारा चलाये जा रहे ‘काम के लिये भोजन’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिये सहमत कर लिया । उसने बच्चों के लिये क्रिकेट मैच व अन्य खेल गतिविधियों का आयोजन किया। इस प्रकार उसने उन्हें व्यस्त रखा जिससे वह अपने दुःखों को भूल सकें।

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Question 13.
Why, according to Prashant’s group, should orphans and widows not be sent to institutions?
प्रशान्त के दल के अनुसार, अनाथों व विधवाओं को सरकारी संस्थाओं में क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए था?
Answer:
Prashant’s group did not want the orphans and widows to be sent to government institutions, because they thought that children would grow up there without love and · affection, and widows would suffer from stigma and loneliness.

प्रशान्त का दल नहीं चाहता था कि अनाथों व विधवाओं को सरकारी संस्थानों में भेजा जाए, क्योंकि वे सोचते थे कि वहाँ पर बच्चों का विकास बिना प्यार-दुलार के होगा तथा विधवाएँ कलंक व एकाकीपन की भावना से ग्रस्त रहेंगी ।

Question 14.
Suppose you are a victim of a natural calamity. How will Prashant’s example inspire you in rescuing and helping others ?
मान लीजिए कि आप एक प्राकृतिक आपदा के शिकार हैं । प्रशान्त का उदाहरण आपको लोगों को बचाने और उनकी सहायता करने के लिये कैसे प्रेरित करेगा ?
Answer:
I am greatly inspired by Prashant’s deeds. He taught us the lesson the of facing difficulties adverse cirumstances of natural calamity with courage and strength. I too will certainly rescue and help the victims of natural calamity with the cooperation of like-minded youths.

मैं प्रशान्त के कार्यों से बहुत प्रभावित हूँ । उसने विषम परिस्थितियों में हमें मुश्किलों का सामना साहस व ताकत से करना सिखाया । निश्चित रूप से, मैं भी अपने जैसे युवाओं की मदद से प्राकृतिक आपदा से पीड़ितों को बचाऊँगा और उनकी सहायता भी करूँगा ।

Answer the following questions in about 60 words each :

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए :

Question 1.
How did the super cyclone cause destruction in Ersama according to the story?
कहानी के अनुसार, एरसामा में महाचक्रवात ने किस प्रकार विनाश किया ?
Answer:
A super cyclone struck the coastal towns and villages of Orissa in October 1999. Huts and mud houses collapsed and trees were uprooted. There were human corpses and animal carcasses floating all around. Nothing but water could be seen everywhere. Thousands of people died and hundreds of villages were destroyed.

उड़ीसा के समुद्र-तटीय कस्बों एवं गाँवों में सन् 1999 के ‘अक्टूबर मास में एक महाचक्रवात आया । झोंपड़ियाँ व कच्चे मकान ध्वस्त हो गये एवं पेड़ क्षतिग्रस्त हो गये । चारों ओर मानवों व पशुओं की लाशें बहती दिखाई दे रही थीं । सर्वत्र केवल पानी ही पानी दिखाई दे रहा था । इस महाचक्रवात में हजारों लोग मारे गये एवं सैकड़ों माँव बर्बाद हो गये ।

Question 2.
How did Prashant reach his village after the super cyclone was over ? Describe.
महाचक्रवात समाप्त होने के बाद प्रशान्त किस प्रकार अपने गाँव पहुँचा ? वर्णन कीजिए ।
Answer:
When the super cyclone was over, Prashant decided to go to his village. He took a long and strong stick to check the depth of water on the way and started on his eighteen-kilometre journey to his village. At several points, he lost the road and had to swim.Prashant walked through the waters with great difficulty as he had to push the dead bodies aside to make his way. Thus, with great difficulty, Prashant reached his village.

जब महाचक्रवात समाप्त हुआ तो प्रशान्त ने अपने गाँव जाने का निश्चय किया । उसने रास्ते में पानी की गहराई जाँचने के लिये एक लम्बी और मजबूत लाठी ली और अट्ठारह किलोमीटर की अपने गाँव की यात्रा पर निकल पड़ा । कई जगहों पर वह सड़क से भटक जाता था और उसे तैरना पड़ता था, प्रशान्त ( बाढ़ के ) पानी में बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था क्योंकि उसे अपना रास्ता बनाने के लिये मृत शवों को एक तरफ धकेलना पड़ता था । इस प्रकार प्रशान्त बहुत मुश्किल से अपने गाँव पहुँचा ।

Question 3.
What did Prashant see on reaching his village ?
अपने गाँव पहुँचने पर प्रशान्त ने क्या देखा ?
Answer:
On reaching his village, Prashant’s heart went cold. In place of his house, only its broken roof was visible. Some of their belongings were caught, mangled and twisted in the branches of trees. Everything was submerged by the floods. Eighty-six lives had been lost. All the ninety-six houses had been washed away. The people had survived on tender coconuts at the shelter for the last four days. In the Red Cross shelter, he could see some of his family members.

अपने गाँव पहुँचकर प्रशान्त का दिल बैठ गया । जहाँ कभी उसका घर हुआ करता था, वहाँ अब केवल उसकी टूटी-फूटी छत दिखाई दे रही थी । उनके घर का कुछ सामान मुड़ा- तुड़ा पेड़ों की टहनियों में उलझा हुआ था । सब-कुछ बाढ़ में डूबा हुआ था । छियासी जानें चली गई थीं। गाँव के सभी छियानवे घर बह गये थे। पिछले चार दिनों से लोग मुलायम नारियलों को खाकर जी रहे थे । प्रशान्त रेडक्रॉस के शरणस्थल में अपने परिवार के कुछ सदस्यों से मिल सका ।

Question 4.
How did Prashant help himself and other victims overcome this natural calamity?
इस प्राकृतिक आपदा से उबरने के लिये प्रशान्त ने स्वयं की तथा अन्य पीड़ितों की क्या मदद की ?
Or
How did Prashant help the people of his village affected by the super cyclone?
महाचक्रवात से प्रभावित अपने गाँव के लोगों की प्रशांत ने किस प्रकार सहायता की ?
Answer:
Prashant reached the shelter and collected a team of young volunteers who cleaned filth, urine, vomit and dead bodies around the shelter and nursed the victims. Prashant arranged rice from the merchant for the people in the shelter. Prashant and his team managed to get food parcels from the military helicopters that flew over the shelter. He worked with the widows and orphans to help them come out of their grief.

प्रशान्त शरणस्थल पहुँचा तथा उसने युवा स्वयंसेवकों की टीम बनाई जिसने शरणस्थल के चारों ओर की गंदगी, मूत्र, उल्टी, शवों को साफ किया तथा प्रभावित लोगों की मरहम पट्टी की । प्रशान्त ने शरणस्थल के लोगों के लिये व्यापारी से चावल का प्रबन्ध भी किया । प्रशान्त और उसकी टीम ने शरणस्थल के ऊपर से उड़ने वाले सैनिक हेलिकॉप्टरों से खाने के पैकेटों की भी व्यवस्था की। उसने विधवाओं और अनाथ बच्चों को उनके दुःख से उबारने में मदद की ।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

Question 5.
Draw the character sketch of Prashant.
प्रशान्त का चरित्र चित्रण कीजिये ।
Answer:
The character sketch of Prashant can be drawn as follows:
(i) An able organizer – At the time of a great calamity, he organizes a group of youths and elders to work effectively.
(ii) A man of patience – Even at the time of great distress, he remains patient.
(iii) His sense of service – Prashant has the will to serve the victims of the cyclone. That is why, he comes forward as their saviour.
(iv) A handsome youth – Prashant is a young boy of nineteen years. A look at his face gives comfort to the people in trouble.
In short, Prashant has all the qualities of a good human being as well as of a good leader.

प्रशान्त का चरित्र चित्रण निम्न प्रकार किया जा सकता है :
(i) एक सुयोग्य संगठनकर्त्ता महान त्रासदी के समय वह युवकों और बड़े लोगों को प्रभावशाली ढंग से कार्य करने के लिए एक समूह में संगठित करता है ।
(ii) धैर्यशाली व्यक्ति घोर संकट के समय में भी वह धैर्य रखता है ।
(iii) उसका सेवा – भाव प्रशान्त में चक्रवात से पीड़ित लोगों की सेवा करने की दृढ़ इच्छा है, इसीलिए वह उनके बचाव के लिए आगे आता है ।
(iv) सुन्दर नवयुवक प्रशान्त एक उन्नीस वर्ष का युवक है । उसके चेहरे पर एक नजर डाल लेने भर से परेशान लोगों को आराम मिल जाता है । संक्षेप में, प्रशान्त में एक श्रेष्ठ मानव के साथ-साथ एक श्रेष्ठ नेता के सभी गुण हैं ।

Weathering the Storm in Ersama Summary and Translation in Hindi

About the Story

अक्टूबर, 1999 में उड़ीसा में आये चक्रवात में हजारों लोग मर गये और सैकड़ों गाँव बर्बाद हो गये । प्रशान्त नामक नवयुवक दो भयानक रातों तके एक मकान की छत पर अवरुद्ध होकर अलग-थलग (एकान्त में) बैठा रहा । तीसरे दिन उसने अपने गाँव जाने का निश्चय किया । क्या उसे अपना परिवार मिला ? यह जानने के लिए पूरी कहानी पढ़िये ।

Word-Meanings And Hindi Translation

On 27 October 1999 ………………….. roof and walls. (Pages 37-38)

Meanings:weathering (वेदरिंग) = coming safely through a difficult time, कठिन समय में, बचकर निकलनां । headquarters (हेडक्वाटॅ ज्) = main office, मुख्यालय । coastal (कोस्टल) तटीय | spend (स्पेण्ड) seen, देखा था। pass, बिताना । menacing (मेनॅसिंग) = खतरनाक, संकटपूर्ण । storm (स्टॉ:म) = तूफान । quickly (क्विक्लि ) : very fast, शीघ्रता से, एकदम | gathered (गैर्दै: ड्) = came up, आ गया । winds ( विण्ड्ज़) हवाएँ। beat (बीट) = hit, प्रहार करना । fury ( फ़्यूरि) = anger क्रोध । witnessed (विट्नस्ट्) heavy (हैवि) भारी । incessant ( इन्सेसण्ट ) = continuous, लगातार । filled the darkness (फिल्ड द डा:कनिस) = अन्धकार को और गहरा कर दिया । ancient (एनशॅण्ट्) = very old, बहुत पुराने । were uprooted (वर अपरूटिड) = उखड़ गये |

crashed ( क्रैश्ट) = धड़ाम से गिर पड़े । screams (स्क्रीम्ज़) = shouts in pain, दुःखभरी चीखें | rent (रेण्ट ) = disturb (the air) sharply with loud noise, (यहाँ) filled, भर दिया । swiftly (स्विफ्ट्ल) = at great speed, तेजी से । washed away (वॉस्ट अवे) = (यहाँ) were flowing, बहे जा रहे थे। swirled (स्वॅ:ल्ड्) = came in the form of a whirlpool, भँवर के रूप में आया, चक्कर लगाये । neck deep (नेक डीप) = गर्दन की ऊँचाई तक | brick (ब्रिक) = ईंट | mortar (मॉ: टॅ (रं)) = a mixture of lime, sand, water and cement, गारा, मसाला | strong (स्ट्रॉंग) = मजबूत । survive (सॅवाइव् ) = bear the blow, प्रहार को सहन कर लेना । devastation (डेवस्टेशन) = destruction, विनाश । velocity (वलोसटी) = speed, वेग, गति की रफ्तार। cold’terror (कोल्ड टेरॅ (र)) = great fear, अत्यधिक भय | grew ( ग्रू) = बढ़ गया | fallen (फॉलन ) गिर गये। damaging (डैमिजिंग) = नुकसान पहुँचाते हुए, क्षतिग्रस्त करते हुए ।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

हिन्दी अनुवाद – अपनी माँ की मृत्यु के सात साल बाद, 27 अक्टूबर, 1999 को प्रशान्त एक मित्र के साथ दिन बिताने के लिए अपने गाँव से लगभग अट्ठारह किलोमीटर दूर तटीय उड़ीसा के ब्लॉक मुख्यालय, एरसामा नामक छोटे-से कस्बे में गया था । शाम को एक अन्धकारपूर्ण और विनाशकारी तूफान एकदम से आ गया । हवाओं ने मकानों को इतनी तेजी व क्रोध से थपेड़े मारे थे जो प्रशांत ने पहले कभी प्रत्यक्ष नहीं देखे थे । भारी और लगातार वर्षा ने अँधेरे को और गहरा दिया, पुराने पेड़ उखड़ गये और धड़ाम से जमीन पर गिर पड़े | हवा लोगों की चीखों से भर गई, क्योंकि लोग और उनके घर तेजी से बह गये थे ।

क्रोधित समुद्र का जल उसके मित्र के घर में गर्दन की ऊँचाई तक आ गया था। वह भवन ईंट और गारे (मसाले) से बना था, और इतना मजबूत था कि उसने 350 किमी प्रति घंटा के वेग से चलने वाली तूफानी व विनाशकारी हवा के प्रहार को सह लिया था । लेकिन मकान पर आधी रात में किसी समय उखड़कर गिरे वृक्षों की आवाज ने परिवार के भय को और भी बढ़ा दिया था । इन वृक्षों ने छत व दीवारों को क्षतिग्रस्त कर दिया था ।

The crazed destruction …………… days that followed. (Page 38)

Meanings:crazed (क्रेज़्ड) = with great excitement, अत्यधिक उत्तेजित, (यहाँ) भारी । destruction (डिस्ट्रक्शन) = great loss, विनाश। wrought (रॉट) = done, किया गया । cyclone (साइक्लोन) = fast and circular movement of winds, चक्रवात । surge (सॅ:ज्) = उफान । ocean (ओशून्) = समुद्र । continued (कॅन्टिन्यूड) = went on चला, जारी रहा । although (ऑलदो ) = यद्यपि, हालाँकि । had reduced (हैड रिड्यूस्ट्) = had come down, कम हो गई थी । somewhat (समवाद् ) = to some extent, कुछ हद तक । escape (इस्केप) = avoid, बचना । rising (राइज़िंग) = coming up, बढ़ते हुए । refuge (रिफ़्यूज् ) = shelter, शरण । forget (फॅगेट) भूलना | shock (शॉक) = sudden feeling of loss, आघात । experienced (इक्स्पिअरिअन्स्ट् ) = felt, महसूस किया । glimpse (ग्लिम्प्स) = short sight, झलक । devastation (डेबस्टेशन) = destruction, विनाश | super (सूप (र)) = great, बहुत बड़ा ।

grey (ग्रे) = धूसर | raging (रेजिंग) = violent, विनाशकारी । deadly ( डेड्लि) – causing death, घातक । covered (कवें: ड) = ढक लिया । as far as (ऐज़ फा (र) ऐज़) = जितनी दूर तक, जहाँ तक । fractured (फ्रैक्वड) = broken, टूटे हुए । still (स्टिल) = even now, अब भी । bloated (ब्लोटिड) : swollen, फूले हुए। carcasses (कॅ: कासिज़) = dead bodies of animals, मृत शरीर, शव, लाशें । corpses (कॉ:पसिज़) = dead bodies of human beings, मृत शरीर, शव ।

floated (फ्लोटिड) = (यहाँ) तैर रहे थे । in every direction (इन एवरि डिरेक्शन) = everywhere, प्रत्येक दिशा में | all round (ऑल राउण्ड) = चारों ओर | huge (ह्यूज) = very big, विशाल । coconut (कोकॅनट ) = नारियल । blessing in disguise (ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़) = छिपे रूप में वरदान, प्रच्छन्न वरदान । tender (टेण्ड (र)) = soft, कोमल, मुलायम । trapped (ट्रैप्ट) = caught in a bad situation, फँसे हुए । starving (स्टा: विंग) = dying of hunger, भूख से मरते हुए | followed (फॉलोअड) : = came after, आने वाले ।

हिन्दी अनुवाद – चक्रवात तथा समुद्र के उफान द्वारा चला भारी विनाश अगले छत्तीस घंटों तक जारी रहा, हालाँकि अगली सुबह तक हवा की गति कुछ हद तक धीमी पड़ गई थी । घर में बढ़ते हुए पानी से बचने के लिए प्रशांत और उसके मित्र का परिवार छत पर शरण लिये हुए था । इस महा चक्रवात द्वारा किये गये विनाश की पहली झलक का आघात जो प्रशांत ने प्रातः काल के मंद ( धूसर ) प्रकाश में महसूस किया उसे वह कभी नहीं भूलेगा ।

जहाँ तक नजर जाती थी वहाँ तक विनाशकारी और घातक पानी की भूरी चादर ने सब कुछ ढक रखा था; मात्र कुछ टूटे हुए सीमेंट के मकान अब भी कहीं-कहीं खड़े दिखाई दे रहे थे । जानवरों व मनुष्यों के फूले हुए शव हर दिशा में तैर रहे थे । और यहाँ तक कि विशाल वृक्ष भी चारों ओर गिरे हुए थे । दो नारियल के पेड़ उनके घर की छत पर गिर गये थे । यह (दूसरे रूप में) एक छिपा हुआ वरदान था क्योंकि इन पेड़ों के मुलायम नारियलों ने ( पानी में ) फँसे उस परिवार को आने वाले कई दिनों तक भूखों मरने से बचाया ।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

For the next …………. had to go. (Page 38)

Meanings : huddled (हडल्ड) = crowded together, ठंड या डर के कारण सिमटकर बैठा । froze (फ्रोज़) = felt chilled, ठिठुर गये । incessant ( इन्सेसण्ट ) = continuous, लगातार । washed away (वॉस्ट अवे) धो दिया । tears (टिअॅज़) = आँसू । thought (थॉट ) = विचार । flashed through his mind (फ्लैश्ट थ्रू हिज़ माइण्ड ) = उसके मस्तिष्क में कौधा । whether (वेदर) = if, कि क्या । had survived (हैड सॅ: वाइव्ड) = जीवित बची होगी । fury ( फ्यूरि) = great anger, प्रकोप | bereaved (बिरीव्ड) = deprived of loved ones, प्रियजनों से बिछुड़ना । seemed (सीम्ड) = looked प्रतीत हुआ, लगा ।

ceased ( सीज़्ड) = stopped, रुक गयी । slowly (स्लोलि ) = by and by, धीरे-धीरे । began to recede (बिगेन टु रिसीड) = started coming down, घटने लगा । determined (डिटॅ: मिण्ड ) = दृढ़ निश्चय किये हुए। seek out (सीक आउट) = ढूँढ़ निकालना | without further delay (विदाउट फॅटॅ(र) डिले) = बिना और देरी किये । situation ( सिचुएशन) = स्थिति | dangerous ( डेन्जरस ) = खतरनाक । pleaded ( प्लीडिड ) = requested, अनुरोध किया । stay back (स्टे बैक) = वहीँ रुकना । a little while longer (अ लिट्ल वाइल लांग (र)) = कुछ समय और ।

हिन्दी अनुवाद- अगले दो दिनों तक प्रशांत अपने मित्र के परिवार के साथ छत पर खुले में (ठंड के कारण ) सिमटकर बैठा रहा। वे लगातार बारिश और ठंड से ठिठुर गये; वर्षा के पानी ने प्रशांत के आँसू धो दिये । उसके मन में केवल एक विचार कौंधा अर्थात् आया कि क्या उसका परिवार इस महाचक्रवात के प्रकोप से बचा होगा। क्या उसे एक बार फिर परिवार से बिछुड़ना पड़ेगा ? दो दिन बाद, जो प्रशांत के लिये दो वर्ष जैसे थे, बारिश रुकी और बारिश का पानी धीरे-धीरे घटने लगा । प्रशान्त बिना और देरी किये अपने परिवार की खोज-खबर लेने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ था । लेकिन स्थिति अब भी खतरनाक थी और उसके मित्र के परिवार ने प्रशांत से कुछ समय और रुकने का अनुरोध किया । लेकिन प्रशांत जानता था कि उसे जाना है ।

He equipped ……………this catastrophe. (Pages 38-39)

Meanings: equipped himself (इक्विप्ट हिमसेल्फ़) = took with him, अपने साथ ली, अपने को लैस किया । sturdy (स्टॅ: डि) = strong, मजबूत | expedition ( एक्स्पडिशन) = a long journey for a special purpose साहसिक यात्रा । swollen (स्वोलन) = up very high, बढ़े हुए । food (फ्लड) = बाढ़ | journey (ज: नि) = यात्रा। forget (फॅ: गेट) = भूलना । constantly (कॉन्स्टेन्ट्ल) = continuously, लगातार । locate ( लोकेट) = स्थिति का पता लगाना । determine (डिटॅमिन) = पहले से निर्धारित करना | shallow (शैलो) = not deep, उथला, कम गहरा । at places (ऐट प्लेसिज़) = कई स्थानों पर । waist deep (वेस्ट डीप) = कमर तक गहरा । progress (प्रोग्रेस) = प्रगति । slow (स्लो) = धीमी । at several points (ऐट सेवरल पॉइण्ट्स) = कई स्थानों पर । lost the road (लॉस्ट द रोड) = सड़क से भटक जाता था । distance (डिस्टन्स) = दूरी । was relieved (वॉज़ रिलीव्ड) = found relief, राहत मिली । returning ( रिटॅनिंग) = going back, लौट रहे ।

decided (डिसाइडिड ) – निश्चय किया | move ahead ( मूव अहेड) = आगे बढ़ना । together (टगेदर) = साथ-साथ waded (वेडिड) = walked in water, पानी में चले । scenes ( सीन्ज़) = sights, दृश्य | witnessed (विट्नस्ट) | = saw, देखा। macabre (मकाबॅ (र)) = horrible, विकराल, डरावना । push away ( पुश अवे) = ध केलना । carcasses (कॅ: कासिज़) = dead bodies, शवों । current (करेन्ट) = stream of water, धारा, प्रवाह । swept (स्वेप्ट) = flowed, बहा देता था । barely (बेॲलि) = hardly, मुश्किल से ही । wept out (वेप्ट आउट) = रोता रहा । loud (लाउड) = (यहाँ) फूट-फूटकर । long (लाँग ) = काफी देर तक । could not have survived (कुड् नॉट हैव सॅवाइव्ड ) = नहीं बचा होगा । catastrophe (कटेस्ट्रफि) = disastrous ruin, महाविपत्ति, विनाशलीला।

हिन्दी अनुवाद- उसने एक लम्बी, मजबूत लाठी ली और बाढ़ के बढ़े हुए पानी से होकर अट्ठारह किलोमीटर की अपनी साहसिक यात्रा पर वापिस अपने गाँव चल दिया । यह एक ऐसी यात्रा थी जिसे वह कभी नहीं भूल पायेगा । सड़क की स्थिति तथा सबसे कम गहरे पानी के स्थान को जानने के लिए उसे लगातार लाठी का प्रयोग करना पड़ता था । कई स्थानों पर यह (पानी) कमर तक गहरा था और उसकी गति धीमी थी। कई स्थानों पर वह सड़क से भटक जाता था तथा उसे तैरना पड़ता था ।

कुछ दूरी चलने के बाद उसे अपने चाचा के दो मित्रों को पाकर राहत मिली जो अपने गाँव लौट रहे थे । उन्होंने साथ – साथ आगे बढ़ने का निर्णय किया । पानी में चलते हुए उन्होंने जो दृश्य देखें वे और अधिक वीभत्स ( भयंकर) होते गये। जैसे ही वे आगे बढ़ते थे तो उन्हें बहुत-से स्त्री, पुरुषों, बच्चों के मृत शरीरों को और कुत्तों, बकरियों और मवेशियों के शवों को धकेलना पड़ता था जिन्हें पानी का बहाव उनके सामने बहा कर ले आता था । हर गाँव में जहाँ से वे गुजरे, उन्हें मुश्किल से ही कोई मकान खड़ा दिखाई देता । अब प्रशांत काफी देर तक फूट-फूटकर रोता रहा । उसे पक्का विश्वास हो गया था कि इस विनाशलीला में उसका परिवार नहीं बचा होगा ।

Eventually, Prashant ………….. seemed to be there. (Page 39)

Meanings:eventually (इवेन्च्युअलि) = at last, आखिरकार, अन्ततः । remnants (रेमनण्ट्स) = leftovers, अवशेष । belongings (बिलाँगिग्ज़) = household goods, घर का सामान | caught (कॉट) = (यहाँ) अटका हुआ। mangled (मैंगल्ड) = broken, टूटा-फूटा । twisted (ट्विस्ट्डि) = मुड़ा – तुड़ा । visible (विज़िब्ल ) = seen, नज़र पड़े । shelter (शेल्टॅ (र)) = शरणस्थल । look for ( लुक फॉ(र)) = find out, तलाश करना । जो among (अमंग) = के बीच | maternal grandmother (मेटॅ:नल ग्रैन्ड्मदॅ (र)) = mother’s mother, नानी। rushed (रश्ट) = moved fast, तेज़ी से बढ़ी । outstretched (आउट्स्ट्रेच्ट) = spread wide, फैले हुये। brimming (ब्रिमिंग) = filled (with tears), छलछलाती हुई, (आँसुओं से) लबालब | miracle (मिरकल) = चमत्कार ।

quickly (क्विक्लि ) = soon, जल्दी ही । word spread (वर्ड स्प्रेड) = बात फैल गई । extended ( इक्स्टेण्डिड ) = large, विस्तृत, संयुक्त । gathered (गैदड़) = इकट्ठे हो गये । hugged him tight ( हग्ड हिम टाइट) = embraced him, उसे कसकर गले लगा लिया । relief ( रिलीफ़ ) = comfort, राहत | anxiously ( एंक्शसूस्लि ) = चिन्ता से, बेचैनी से । scanned (स्कैन्ड): ) = saw every part of something quickly, देखा | motley (मॉट्लि) = varied in appearance or character, विविध प्रकार के लोगों का समूह, भानुमती का कुनबा । battered (बैट: ड) = at loss, क्षतिग्रस्त ।

हिन्दी अनुवाद – अंततः प्रशांत अपने गाँव कालीकुडा पहुँच गया । उसका दिल ठंडा हो गया अर्थात् उसका दिल – बैठा जा रहा था । जहाँ कभी उनका घर था वहाँ केवल घर की छत के अवशेष थे । उनके घर का कुछ सामान काले पानी के ऊपर नज़र आ रहे पेड़ों की शाखाओं में टूटा-फूटा तथा मुड़ा- तुड़ा, अटका हुआ था । युवा प्रशांत ने अपने परिवार की तलाश करने के लिए रेडक्रॉस के शरण स्थल में जाने का निश्चय किया । भीड़ में नजर आने वाले लोगों में सबसे पहली उसकी नानी थी ।

भूख से कमजोर, वह छलछलाई ( लबालब ) आँखों से अपने हाथ फैलाकर तेजी से उसकी ओर बढ़ी । यह एक चमत्कार था । वे उसे काफ़ी पहले मरा हुआ मान चुके थे । जल्दी ही बात फैल गई और उसके विस्तृत (संयुक्त) परिवार के अन्य सदस्य उसके चारों ओर इकट्ठे हो गये और राहत महसूस करते हुए उसे कसकर गले लगा लिया । प्रशांत ने बड़ी बेचैनी से उस विविध प्रकार के लोगों के क्षतिग्रस्त समूह को जलदी-जल्दी देखा । उसके भाई-बहन, चाचा और चाचियाँ, वे सभी वहाँ दिखाई पड़े ।

By the next morning ………………… tumult of people. (Page 40)

Meanings : took in (टुकं इन ) (ph.v.) = understood, समझा । desperate ( डेस्पॅरट् ) = निराशाजनक, भीषण । situation (सिचुएशन) = स्थिति । shelter (शेल्टॅ (र)) = शरणस्थल | get a grip over himself (गेट अ ग्रिप ओवॅ (र) हिमसेल्फ़) = control himself, अपने पर काबू रखना । sensed (सेन्स्ड) = felt, महसूस किया । deathly (डेलि) = death like, घातक । grief ( ग्रीफ़ ) = sorrow, दु:ख । settling (सेटलिंग) = छाया हुआ । washed away (वॉश्ट अवे) = flowed, बह गये । so far ( सो फार) = till now, अब तक । survived (सॅ: वाइव्ड) = जीवित रहे । to go around (टु गो अराउण्ड) = to be sufficient, पर्याप्त होना । such a tumult (सच अ टयूमल्ट) such a crowd, इतनी अधिक उत्तेजित भीड़ ।

हिन्दी अनुवाद – अगली सुबह जब उसने शरणस्थल की निराशाजनक स्थिति को समझा तो उसने अपने ऊपर काबू रखने का निश्चय किया । उसने महसूस किया कि शरणस्थल में 2500 से अधिक लोगों की भीड़ पर कितना घातक दुःख छाया हुआ है । गाँव में 86 लोग मर चुके थे । सभी 96 मकान बह गये थे । शरणस्थल में यह उनका चौथा दिन था । अब तक वे हरे नारियलों पर जीवित थे पर इतनी अधिक उत्तेजित भीड़ के लिए उनकी मात्रा कम पड़ गई।

Prashant, all of nineteen ……………. had been injured.

Meanings: step in as (स्टेप इन ऐज़) = take responsibility, जिम्मेदारी लेना । leader (लीड (र)) = नेता । organised (ऑगनाइज़्ड) = made, संगठित किया । youths (यूथ्ज्) = youngmen, नवयुवक | elders (एल्डॅज़) बड़े लोग । jointly (जॉइट्लि) = collectively, साथ मिलकर, संयुक्त रूप से । pressurise (प्रेशराइज़) = to use to make somebody do something, force, दबाव डालना । to part with (टु पाट विद ) = अलग होना । delegation (डेलिगेशन) प्रतिनिधि मंडल | succeeded ( सक्सीडिड ) = सफल हुआ | triumphantly (ट्राइअम्फट्लि) after getting victory, विजयी होकर | wading through (वेडिंग थ्रू) = ( काफी गहरे कीचड़, पानी, आदि में) से होकर रास्ता बनाते हुए । receding ( रिसीडिंग) = coming down, कम होते हुए, उतरते हुए ।

entire (इनटाइॲ(र)) = whole, सभी । already (ऑलरेडि) = पहले से ही । rotting (रॉटिंग) = सड़ रहा । fallen (फॉलन ) = गिरे हुए । were gathered (व (र) गै: ड्) = were collected, इकट्ठी की गईं । light (लाइट) जलाना। reluctant ( रिलक्टण्ट ) = unwilling, अनिच्छुक, (यहाँ) बहुत मुश्किल से जलने वाली । survivors (सॅ:वाइव:ज) = people left alive, जीवित बचे लोग | cyclone (साइक्लोन ) = चक्रवात | bellies (बेलीज़) stomach, पेट । task (टास्क) = work, काम | volunteers (वॉलन्टिअॅज़) = स्वयंसेवकों | filth (फिल्द) = dirt, गंदगी | urine (यूरिन) = मूत्र | vomit (वॉमिट) = उल्टी | floating carcasses (फ्लोटिंग कॅ: कासिज़) = बहते हुए शवों । to tend (टु टेण्ड ) = सेवा-शुश्रूषा करना, परिचर्या करना । wounds ( वूण्ड्ज़) = घाव | fractures (फ्रैक्च: ज्) = टूट-फूट, अस्थि भंग | injured ( इन्ज :ड) = घायल ।

हिन्दी अनुवाद जब कोई और व्यक्ति नेता बनने को तैयार नहीं हुआ तब उन्नीस वर्षीय प्रशांत ने अपने गाँव का नेता बनने की जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया । उसने युवाओं व बुजुर्ग लोगों के साथ मिलकर व्यापारी पर एक बार पुनः चावल बाँटने हेतु दबाव डालने के लिए संगठन बनाया । इस बार यह प्रतिनिधि-मंडल सफल हुआ और वे उतरते हुए पानी के बीच सभी शरणार्थियों के लिये भोजन के साथ विजयी होकर वापिस लौटे। किसी ने यह ध्यान नहीं दिया कि चावल पहले से ही सड़ रहा था ।

गिरे हुए पेड़ों की शाखाओं को इकट्ठा करके चावल पकाने के लिए बड़ी मुश्किल से धीमी आग जलाई गई । चार दिनों में पहली बार उस चक्रवात – शरणस्थल पर जीवित बचे लोगों ने भरपेट खाना खाया था। उसका अगला काम नौजवान स्वयंसेवकों का एक दल संगठित करना था जो शरणस्थल से गन्दगी, मूत्र, उल्टी तथा बहते हुए शवों को साफ करें तथा घायलों के घावों व ( हड्डियों की ) टूट-फूट की सेवा-शुश्रूषा करें।

JAC Class 9 English Solutions Moments Chapter 6 Weathering the Storm in Ersama

On the fifth day …………….. basic needs (Pages 40-41)

Meanings:dropped (ड्रॉप्ट ) = गिराये | parcels ( पा: सल्ज़) = पारसल, पैकिटों । youth task force (यूथ टास्क फोस) = युवा कार्यदल | empty (एम्प्ट) खाली । utensils ( यूटेन्सिल्ज़) = बर्तन | deputed (डेप्यूटिड ) = काम_पर_लगाया । lie (लाइ) = लेटना । sand ( सैण्ड) = रेत । communicate ( कम्यूनिकेट) = संदेश देना । passing (पासिंग) = गुजरने वाले । got through (गॉट थ्रू) = पहुँच गया । regular ( रेग्यूल (र ) ) = नियमित ।rounds (राउण्ड्ज़) = चक्कर | airdropping (एअॅ: ड्रॉपिंग) = हवा में से गिराते हुए । basic needs (बेसिक नीड्ज़) आधारभूत आवश्यक वस्तुएँ ।

हिन्दी अनुवाद- पाँचवे दिन सेना का हेलिकॉप्टर शरणस्थल के ऊपर से उड़ा और कुछ खाने के पैकिट नीचे गिराये । फिर यह लौटकर वापिस नहीं आया । युवा कार्यदल ने शरणस्थल से खाली बर्तन इकट्ठे किये। फिर उन्होंने शरणस्थल के चारों ओर जहाँ से पानी हट गया था वहाँ के रेत पर बच्चों को अपने पेट के ऊपर खाली बर्तन रखकर लेटने के काम में लगाया ताकि ऊपर से गुजरने वाले हेलिकॉप्टरों को यह पता चल जाये कि वे भूखे हैं । यह संदेश पहुँच गया और उसके बाद हेलिकॉप्टर ने भोजन व अन्य अति आवश्यक वस्तुएँ ऊपर से गिराकर शरणस्थल के नियमित चक्कर लगाए ।

Prashant found …………… without adult care. (Pages 41-42)

Meanings : found ( फाउण्ड) = पाया । a large number of (अ लाज नम्ब (र) ऑव ) = बड़ी संख्या में । had been orphaned (हैड बीन ऑ: फॅन्ड्) = had lost their parents, अनाथ हो गये थे । put up (पुट अप) = made, बनाया । were mobilised (व (र) मोबिलाइज़्ड) = सेवा करने के लिए सक्रिय किये गये । look after (लुक आफ्ट(र)) = take care of, देखभाल करना । secured (सिक्युअड) = got, जुटाते थे, सुनिश्चित करते थे । materials (मटिअरिअल्ज़) = सामग्री | was quick to recognise (वॉज़ क्विक टु रेकग्नाइज़) = soon felt, शीघ्र ही महसूस किया । sinking deeper and deeper (सिंकिंग डीप (र) एण्ड डीप (र)) = गहरे डूबते जा रहे grief (ग्रीफ़) : = sorrow, दुःख । persuaded (पॅ: स्वेडिड) = राजी किया।

food for work programme = काम के लिए भोजन कार्यक्रम | NGO = Non-Government Organization, गैर-सरकारी संगठन | sports events (स्पॉट्स इवेण्ट्स) = = खेल प्रतियोगिताएँ | organised (ऑगेनाइज्ड् ) = आयोजित किये । engaged ( इंगेज्ड ) = काम में लगाया। initial (इनिश्यता) = first, शुरुआती । plan (प्लैन) = योजना | set up (सेट अप ) = establish, स्थापित करना । institutions (इन्स्टिट्यूशन्ज़) = संस्थाएँ | orphans (ऑ: फन्ज़् ) = अनाथ | widows (विडोज़ ) = विधवाएँ । step (स्टेप) = कदम । successfully (सक्सेज़फलि) = सफलतापूर्वक । resisted (रेज़िस्टिड) = stopped, रोक दिया गया । suffer from (सफ़ (र) फ्रॉम ) = ग्रस्त रहना, से पीड़ित होना । stigma (स्टिग्मा) = अपमान, कलंक । loneliness ( लोनलिनेस) = एकाकीपन | believed ( बिलीव्ड) = विश्वास करता था, मानता था । should be resettled (शुड बी रीसेटल्ड) = पुनः स्थापित किया जाये, पुनर्वासित किया जाये । community (कॅम्यूनटि) = group, समुदाय, समाज। possibly (पॉसब्लि) = यदि सम्भव हो तो । foster ( फ़ॉस्ट (र)) = पोषक । adult (अडल्ट) = वयस्क |

हिन्दी अनुवाद- प्रशांत ने पाया कि बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हो गये थे । उसने उन्हें इकट्ठा किया और पॉलीथिन की चादर लाकर उनकी शरणस्थली बनाई । स्त्रियों को उनकी देखभाल के लिये सक्रिय किया गया जबकि पुरुष इस शरणस्थली के लिये भोजन व अन्य सामग्री जुटाते थे । हफ्तों बीतने पर प्रशांत ने जल्दी ही महसूस किया कि स्त्रियाँ और बच्चे अपने दुःखों में डूबते जा रहे थे । उसने स्त्रियों को एक गैर सरकारी संगठन द्वारा शुरू किये गये ‘काम के लिये भोजन’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राजी किया और बच्चों के लिए उसने खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित कीं। उसे खुद क्रिकेट खेलने का शौक था इसलिए उसने बच्चों के लिए क्रिकेट मैचों का आयोजन किया । अन्य स्वयंसेवकों के साथ प्रशांत ने विधवाओं व बच्चों की सहायता की ताकि वे अपनी जिंदगी के टूटे हिस्से सँभाल सकें अर्थात् अपनी बिखरी जिंदगी सँभाल सके।

सरकार की शुरूआती योजना अनाथों व विधवाओं के लिये संस्थाएँ स्थापित करने की थी । तथापि इस कदम को सफलतापूर्वक रोक दिया गया क्योंकि यह अनुभव किया गया कि इस प्रकार की संस्थाओं में बच्चे बिना प्यार व दुलार के बढ़ेंगे और विधवाएँ : कलंक और एकाकीपन से ग्रस्त रहेंगी। प्रशांत के दल का मानना था कि अनाथों को उनके अपने समुदाय में पुनर्वासित किया जाये और यदि सम्भव हो तो उन नये पोषक परिवारों में पुनर्वासित किया जाये जो बिना बच्चों वाली विधवाओं अर्थात् संतानहीन विधवाओं और उन बच्चों के लिए बने हों जिनकी देखभाल करने वाला कोई वयस्क न हो।

It is six ………………. hour of grief. (Page 42)

Meanings: devastation (डेवस्टेशन) = destruction, विनाश । super cyclone (सुप (र) साइक्लोन ): महाचक्रवात । wounded spirit (वूण्डिड् स्पिरिट ) = injured soul, घायल आत्मा, आहत मन । has healed (हैज़ हील्ड) = has got well, स्वस्थ हो चुकी है । simply because (सिम्प्प्ल बिकॉज़) = मात्र इसलिए कि । bother about (बॉद (र) अबाउट) = to care for, परवाह करना, देखना | pain (पेन) = दुःख | handsome (हैन्सम) खूबसूरत। youthful (यूथफल) = युवा । seek out = खोजना । in the darkest hour of grief = दुःख के सबसे ज्यादा निराशाजनक क्षणों में ।

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हिन्दी अनुवाद उस महाचक्रवात के विनाश को छः माह हो चुके हैं। इस समय प्रशांत की घायल आत्मा (आहत मन) स्वस्थ हो चुकी है वह मात्र इसलिए कि उसे अपने दुःख देखने का समय नहीं है । यह उसका सुन्दर और युवा चेहरा ही है जिसे उसके गांव की विधवाएँ और अनाथ बच्चे अपने दुख के सबसे ज्यादा निराशाजनक क्षणों में खोजते रहते हैं ।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 10 विकास 

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 10 विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 10 विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. विकास का व्यापकतम अर्थ है।
(अ) समाज का आधुनिकीरण
(ब) समाज का पश्चिमीकरण
(स) आर्थिक विकास की दर में वृद्धि
(द) सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना।
उत्तर:
(द) सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना।

2. विकास की कीमत जो पर्यावरण को चुकानी पड़ी है।
(अ) वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन
(ब) बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों से विस्थापन
(स) संस्कृति का विनाश
(द) गरीबी में वृद्धि
उत्तर:
(अ) वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन

3. सरदार सरोवर परियोजना के तहत बनने वाले बांधों के निर्माण के खिलाफ आंदोलन चल रहा है।
(अ) चिपको आंदोलन
(ब) नर्मदा बचाओ आन्दोलन
(स) गंगा बचाओ आंदोलन
(द) यमुना बचाओ आंदोलन
उत्तर:
(ब) नर्मदा बचाओ आन्दोलन

4. किसी देश के अविकसित होने का सूचक नहीं है।
(अ) लोग भोजन के अभाव में भूख से मरते हैं।
(ब) लोग आश्रय के अभाव में ठंड से मरते हैं।
(स) अभाव और वंचनाओं की मुक्ति।
(द) बच्चे विद्यालय जाने के बजाय काम कर रहे हैं।
उत्तर:
(स) अभाव और वंचनाओं की मुक्ति।

5. विकास का मॉडल सर्वाधिक निर्भर है।
(अ) वायु पर
(ब) नदियों पर
(स) ऊर्जा पर
(द) वर्षा पर
उत्तर:
(स) ऊर्जा पर

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 10 विकास

6. ‘नर्मदा बचाओ आन्दोलन’ सम्बन्धित है।
(अ) टिहरी बाँध परियोजना से
(ब) सरदार सरोवर से
(स) मनेरी झाली परियोजना से
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) सरदार सरोवर से

7. निम्न में से विस्थापन का परिणाम नहीं होता है।
(अ) संस्कृति का विनाश
(ब) दरिद्रता में वृद्धि
(स) आजीविका का खोना
(द) जीवन – स्तर का उन्नत होना
उत्तर:
(द) जीवन – स्तर का उन्नत होना

8. औद्योगीकरण व्याख्या करता है।
(अ) विकास के व्यापक अर्थ की
(ब) विकास के संकीर्ण अर्थ की
(स) विकास के वास्तविक अर्थ की
(द) विकास के गलत अर्थ की
उत्तर:
(ब) विकास के संकीर्ण अर्थ की

9. अधिकांश निवासियों के निम्न जीवन स्तर वाला देश कहा जायेगा।
(अ) विकसित
(ब) अतिविकसित
(स) विकासशील
(द) अविकसित
उत्तर:
(द) अविकसित

10. विकास के कारण निम्न में से किसे नुकसान नहीं पहुँचा है।
(अ) पर्यावरण को
(ब) विस्थापितों को
(स) धनी वर्ग को
(द) वन्य जीवों को
उत्तर:
(द) वन्य जीवों को

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. विकास शब्द अपने व्यापकतम अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का ………………… है।
उत्तर:
वाहक

2. 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्रता प्राप्त देशों को अक्सर अविकसित या ………………….. देश कहा जाता था।
उत्तर:
विकासशील

3. आरंभिक वर्षों में विकास की अवधारणा में जोर आर्थिक उन्नति और समाज को आधुनिकीकरण के रूप में …………………. देशों के स्तर पर पहुँचने का था।
उत्तर:
पश्चिमी

4. विकास की वजह से अनेक देशों में ………………… को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा है।
उत्तर:
पर्यावरण

5. विगत वर्षों में दुनिया में अमीर और गरीब के बीच की दूरी …………………. ही गई है।
उत्तर:
बढ़ती।

निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये

1. विकास को अब व्यापक अर्थ में ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे।
उत्तर:
सत्य

2. पर्यावरणवाद की जड़ें औद्योगीकरण के खिलाफ 19वीं सदी में विकसित हुए विद्रोह में देखी जा सकती हैं।
उत्तर:
सत्य

3. जिन लोगों के जीवन पर विकास योजनाओं का तत्काल असर पड़ता है, प्रायः उनसे पूर्ण सलाह ली जाती है तथा उनके हितों का ध्यान रखा जाता है।
उत्तर:
असत्य

4. संसाधनों के अविवेकशील उपयोग का अमीरों पर तात्कालिक और तीखा प्रभाव पड़ता है।
उत्तर:
असत्य

5. विकास का काम समाज के व्यापक नजरिये के अनुसार ही होता है।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. अविकसित या विकासशील देश (अ) विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला
2. भारत (ब) बड़ी संख्या में लोगों का अपने घरों व क्षेत्रों से विस्थापन
3. बड़े बाँधों का निर्माण तथा औद्योगिक गतिविधियाँ (स) ओगोनी लोगों के अस्तित्व के लिए आंदोलन
4. केन सारो वीवा (द) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
5. मानव विकास प्रतिवेदन (य) एशियाई व अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देश

उत्तर:

1. अविकसित या विकासशील देश (य) एशियाई व अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देश
2. भारत (अ) विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला
3. बड़े बाँधों का निर्माण तथा औद्योगिक गतिविधियाँ (ब) बड़ी संख्या में लोगों का अपने घरों व क्षेत्रों से विस्थापन
4. केन सारो वीवा (स) ओगोनी लोगों के अस्तित्व के लिए आंदोलन
5. मानव विकास प्रतिवेदन (द) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विकास किसे कहते हैं?
उत्तर:
विकास को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे।

प्रश्न 2.
अविकसित या विकासशील देशों से क्या आशय है?
उत्तर:
20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में एशिया- अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों को अक्सर अविकसित या विकासशील देश कहा जाता है। क्योंकि यहाँ के लोगों का जीवनस्तर निम्न तथा शिक्षा, चिकित्सा व अन्य सुविधाओं का अभाव है।

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प्रश्न 3.
विकासशील देशों के किस बोध ने उन्हें विकास परियोजनाएँ शुरू करने की प्रेरणा दी?
उत्तर:
अपने संसाधनों का उपयोग राष्ट्रीय हित में करने के बोध ने विकासशील देशों को विकास परियोजनाएँ शुरू करने की प्रेरणा दी।

प्रश्न 4.
आरंभिक वर्षों में विकास की अवधारणा में किस बात पर जोर दिया गया?
उत्तर:
आरंभिक वर्षों में विकास की अवधारणा में जोर आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण के रूप में पश्चिमी देशों के स्तर तक पहुँचने पर था।

प्रश्न 5.
विकास के कोई दो नकारात्मक प्रभाव बताइये।
उत्तर:

  1. विकासशील जगत में गरीबी एक समस्या बनकर उभरी
  2. दुनिया में अमीर और गरीब के बीच की दूरी बढ़ी है।

प्रश्न 6.
पर्यावरण संगठन क्या प्रयास करते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण संगठन पर्यावरण को बिगड़ने से बचाने के उद्देश्यों की रोशनी में सरकार की औद्योगिक एवं विकास नीतियों को बदलने के लिए दबाव डालने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 7.
विकास की कीमत किन लोगों को चुकानी पड़ती है?
उत्तर:
विकास की कीमत अति दरिद्रों और आबादी के असुरक्षित हिस्से को चुकानी पड़ती है।

प्रश्न 8.
विकास के प्रारंभिक मॉडल का कोई एक दोष बताइए।
उत्तर:
विकास का प्रारंभिक मॉडल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाला है।

प्रश्न 9.
विकासशील देशों ने अपना विकास कार्य आरम्भ कैसे किया?
उत्तर:
विकासशील देशों ने अपना विकास कार्य विकसित देशों की मदद और कर्ज के जरिये प्रारम्भ किया।

प्रश्न 10.
भारत में विकास का क्या मॉडल चुना गया?
उत्तर:
भारत में विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में विविध क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं का मॉडल चुना गया।

प्रश्न 11.
आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ क्यों पिघल रही है?
उत्तर:
वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से।

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प्रश्न 12.
आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ के पिघलने का क्या परिणाम हो सकता है?
उत्तर:
इन ध्रुवों पर बर्फ के पिघलने से समुद्र तटीय क्षेत्र डूब सकते हैं।

प्रश्न 13.
विकास की रणनीतियों का चयन किनके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
राजनीतिक नेता तथा उच्च पदासीन नौकरशाहों के द्वारा।

प्रश्न 14.
विकास के कोई दो पक्ष लिखिए।
उत्तर:

  1. आर्थिक विकास
  2. सामाजिक विकास।

प्रश्न 15
बड़ी परियोजनाओं के फलस्वरूप किस वर्ग के लोग विस्थापित होते हैं?
उत्तर:
बड़ी परियोजनाओं के फलस्वरूप प्रायः गरीब, आदिवासी व दलित लोग विस्थापित होते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विकासशील देश किसे कहा जाता है?
अथवा
अविकसित या विकासशील देश किन देशों को कहा गया और क्यों ?
उत्तर:
1950 और 1960 के दशक में एशिया और अफ्रीका के बहुत से देशों ने राजनीतिक आजादी हासिल की थी। औपनिवेशिक शासन में इनके संसाधनों का उपयोग उपनिवेशवादियों के फायदे के लिए किये जाने के कारण अधिकतर देश निर्धन बना दिये गए थे। उनके निवासियों का जीवन स्तर निम्न था। शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सुविधाएँ कम थीं। इसीलिए इन देशों को प्रायः ‘अविकसित’ या ‘विकासशील’ कहा जाता था।

प्रश्न 2.
औपनिवेशिक शासन के अधीन राष्ट्र पिछड़े हुए क्यों रह गये?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन के दौरान शासक राष्ट्रों ने शासित राष्ट्रों के संसाधनों का उपयोग अपने लाभ के लिए किया तथा उन्होंने शासित राष्ट्रों के हितों की कोई परवाह नहीं की। इस कारण औनिवेशिक शासन के अधीन शासित राष्ट्र पिछड़े हुए रह गये।

प्रश्न 3.
नव स्वतंत्र हुए अविकसित या विकासशील देशों की सबसे महत्त्व चुनौती क्या थी?
उत्तर:
नव स्वतंत्र हुए एशिया व अफ्रीका के अविकसित या विकासशील देशों के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, निरक्षरता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की निहायत जरूरी समस्याओं का समाधान करना था जिसे उनकी बहुसंख्यक आबादी भुगत रही थी।

प्रश्न 4.
अविकसित या विकासशील देशों को विकास परियोजनाएँ बनाने की प्रेरणा किससे मिली?
उत्तर:
अविकसित या विकासशील देशों के नेताओं का मानना था कि वे पिछड़े इसलिए हैं कि औपनिवेशिक शासन में उनके संसाधनों का उपयोग उनके फायदे के लिए नहीं उपनिवेशवादियों के फायदे के लिए होता था । स्वतंत्रता के द्वारा वे अपने संसाधनों का उपयोग अपने राष्ट्रीय हित में सर्वश्रेष्ठ तरीके से करके पिछड़ेपन को दूर कर सकते हैं। इस बोध ने इन देशों को विकास परियोजनाएँ शुरू करने की प्रेरणा दी।

प्रश्न 5.
विकासशील देशों ने विकास का कौनसा मॉडल अपनाया?
उत्तर:
विकासशील देशों ने औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनिकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया था। उनका मानना था कि इस तरह के सामाजिक और आर्थिक बदलाव को शुरू करने में केवल राज्य सत्ता ही सक्षम माध्यम है। विकसित देशों की मदद और कर्ज के जरिये अनेक देशों ने विकास की महत्वाकांक्षी योजनाओं का सूत्रपात किया।

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प्रश्न 6.
लोगों के विस्थापित होने से संस्कृति का विनाश कैसे होता है?
उत्तर:
जब लोग विस्थापित किये जाते हैं तो वे अपनी पूरी सामुदायिक जीवन-पद्धति खो बैठते हैं। लम्बी अवधि में उनकी जीवन-पद्धति बदल जाती है। इस प्रकार लोगों के विस्थापित होने से संस्कृति का विनाश होता है।

प्रश्न 7.
पारिस्थितिकीय संकट क्या है?
उत्तर:
हमारे चारों ओर पारिस्थितिकी का निर्माण करने वाले घटक, जैसे- जल, वायु, वन, वन्यजीव आदि का विनाश जब मानवजनित या अन्य किसी कारण से होता है, तो यह विनाश होना ही पारिस्थितिकीय संकट कहलाता है।

प्रश्न 8.
भारत में विकास परियोजनाओं के क्या लक्ष्य रखे गये थे?
उत्तर:
भारत में विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत जो अनेक वृहद् परियोजनाएँ लागू की गईं, उनके निम्नलिखित लक्ष्य रखे गये थे

  1. यह बहुआयामी रणनीति आर्थिक रूप से प्रभावकारी होगी तथा देश की सम्पदा में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी।
  2. सम्पन्नता की वृद्धि धीरे-धीरे रिसकर समाज के सबसे गरीब तबके तक रिसकर पहुँचेगी और असमानता को कम करने में सहायक होगी।
  3. विकास की प्रक्रिया समाज को अधिक आधुनिक और प्रगतिशील बनायेगी और उसे उन्नति के पथ पर ले जाएगी।

प्रश्न 9.
विकास के परिप्रेक्ष्य में क्या महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
विकास के परिप्रेक्ष्य में निम्न बातों को देखना महत्त्वपूर्ण है।

  1. विकास के क्रम में लोगों के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए।
  2. विकास के लाभ का उचित वितरण होना चाहिए।
  3. विकास की प्राथमिकताओं के बारे में निर्णय सहमति से लिये जाएं।

प्रश्न 10.
नर्मदा पर सरदार सरोवर परियोजना के तहत बनने वाले बड़े बांधों के समर्थकों के क्या तर्क हैं? उत्तर- बड़े बांधों के समर्थकों के तर्क ये हैं।

  1. बड़े बाँधों से बिजली पैदा होगी।
  2. इससे काफी बड़े क्षेत्र में जमीन की सिंचाई में मदद मिलेगी।
  3. इससे सौराष्ट्र व कच्छ के रेगिस्तानी क्षेत्र को पेयजल भी उपलब्ध होगा।

प्रश्न 11.
नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना के तहत बनने वाले बड़े बाँधों के विरोध में नर्मदा बचाओ आन्दोलन के नेताओं के क्या तर्क हैं?
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आन्दोलन के नेता बड़े बांधों के विरोध में निम्न तर्क देते हैं।

  1. इन बांधों के बनने से अपनी जमीन के डूबने और उसके कारण अपनी आजीविका के छिनने से दस लाख से अधिक लोगों के विस्थापन की समस्या पैदा हो गई है।
  2. इन बांधों से विशाल जंगली भू-भाग बांध में डूब जायेगा जिससे पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ेगा।

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प्रश्न 12.
विकास के मॉडल की प्रमुख आलोचनाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
विकास की ‘ऊपर से नीचे’ की रणनीति के महत्त्वपूर्ण प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विकास के मॉडल की आलोचनाएँ या विकास की ‘ऊपर से नीचे की रणनीति के महत्त्वपूर्ण

  1. महँगा विकास: विकास का यह मॉडल विकासशील देशों के लिए काफी मँहगा साबित हुआ है। इसमें वित्तीय लागत बहुत अधिक रही और अनेक देश दीर्घकालीन कर्ज से दब गए। विकास की उपलब्धि लिए गए कर्ज के अनुरूप नहीं रही।
  2. विस्थापन जनित सामाजिक समस्याओं का उदय-बड़े बांधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ। विस्थापन का परिणाम आजीविका खोने और दरिद्रता में वृद्धि के रूप में सामने आया। इससे परम्परागत कौशल नष्ट हुआ तथा संस्कृति का भी विनाश हुआ। ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को जन्म दिया है।
  3. धीमी गति: विकास की गति धीमी रही। दरिद्रता, बेकारी, अज्ञानता या शिक्षा की कमी, रोगों का फैलना जैसी समस्यायें आज भी एशिया और अफ्रीका के देशों में विद्यमान हैं।
  4. पर्यावरण पर दुष्प्रभाव: विकास की वजह से अनेक देशों में पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचा है। वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन, वायु प्रदूषण में वृद्धि, ऊर्जा का उत्तरोत्तर बढ़ता उपयोग आदि ने अनेक समस्यायें पैदा की हैं।

प्रश्न 13.
वर्तमान में विकास की व्यापक अवधारणा को अपनाने की क्यों आवश्यकता महसूस की गई है?
उत्तर:
वर्तमान में निम्नलिखित कारणों से विकास की व्यापक अवधारणा को अपनाने की आवश्यकता महसूस की गई है।

  1. विकास के संकीर्ण अवधारणा वाले मॉडल का आर्थिक उन्नति पर अत्यधिक ध्यान होने से अनेक प्रकार की समस्यायें बढ़ीं, जैसे गरीब और अमीर की खाई में वृद्धि हुई, पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ा, अनेक लोगों को विस्थापनजनित अनेक सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
  2. विकास के संकीर्ण अवधारणा वाले मॉडल को अपनाने से आर्थिक उन्नति भी हमेशा सन्तोषजनक नहीं रही है।
  3. असमानताओं में गंभीर कमी नहीं आई है।
  4. गरीबी लगातार एक समस्या बनी हुई है।

उक्त कारणों से विकास को अब व्यापक अर्थ में एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे।

प्रश्न 14.
विकास को मापने के किसी एक वैकल्पिक तरीके को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
‘मानव विकास प्रतिवेदन’ और ‘मानव विकास सूचकांक’ को समझाइये।
उत्तर:
मानव विकास प्रतिवेदन: विकास को मापने के लिए अब ‘आर्थिक उन्नति के सूचकांक की दर’ के स्थान पर वैकल्पिक तरीके खोजे जा रहे हैं। इसी तरह का एक प्रयास ‘मानव विकास प्रतिवेदन’ है, जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है। इस प्रतिवेदन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु संभाविता और मातृ- मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है। इस उपाय को मानव विकास सूचकांक कहा गया है। इस अवधारणा के अनुसार विकास को ऐसी प्रक्रिया होना चाहिए, जो अधिकाधिक लोगों को उनके जीवन में अर्थपूर्ण तरीके से विकल्पों को चुनने की अनुमति दे तथा सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करे।

प्रश्न 15.
विस्थापन क्या है? इसका क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
विस्थापन से आशय: बड़े बांधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों, खनन कार्य आदि के कारण जब लोगों को अपना घर व क्षेत्र छोड़ना पड़ता है, तो यह उनका विस्थापन कहलाता है। आता है। विस्थापन के परिणाम – विस्थापन के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं।

  1. विस्थापन का परिणाम विस्थापित लोगों की आजीविका खोने और उनकी दरिद्रता में वृद्धि के रूप में सामने
  2. विस्थापन के कारण लोगों का परम्परागत कौशल नष्ट हो जाता है क्योंकि विस्थापन के कारण ग्रामीण खेतिहर समुदाय अपने परम्परागत पेशे और क्षेत्र से विस्थापित होकर शहरी और ग्रामीण गरीबों की विशाल आबादी का हिस्सा बन जाते हैं और लंबी अवधि में अर्जित उनका परम्परागत कौशल नष्ट हो जाता है।
  3. विस्थापन के कारण उनकी संस्कृति का भी विनाश होता है क्योंकि जब लोग नई जगह पर जाते हैं तो वे अपनी पूरी सामुदायिक जीवन-पद्धति खो बैठते हैं।
  4. ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को जन्म दिया है।

प्रश्न 16.
विकास के संकुचित अर्थ पर आधारित विकास के मॉडल की सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
विकास के संकुचित अर्थ पर आधारित विकास के मॉडल की सीमाएँ – विकास के संकुचित अर्थ पर आधारित विकास के मॉडल की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं।

  1. इस मॉडल से मानव और पर्यावरण दोनों के लिहाज से भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
  2. विकास नीतियों के कारण जो कीमत चुकानी पड़ी है उसका और विकास के फायदों का वितरण लोगों के. बीच असमान रूप से हुआ है।
  3. अधिकतर देशों में विकास की ‘ऊपर से नीचे’ की रणनीतियाँ अपनायी गयी हैं अर्थात् नीतियों के निर्धारण और उनके क्रियान्वयन के सभी फैसले राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही के उच्चतर स्तरों पर होते हैं।
  4. जिन लोगों के जीवन पर विकास योजनाओं का तत्काल प्रभाव पड़ता है, उनसे सलाह नहीं ली जाती है।
  5. न तो सदियों से हासिल लोगों के अनुभवों और ज्ञान व कौशल का उपयोग किया जाता है और न ही उनके हितों का ध्यान रखा जाता है।

प्रश्न 17.
स्वतंत्रता के बाद भारत ने विकास का क्या मॉडल चुना?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भारत ने विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला बनायी। इनमें निम्न प्रयास किये गये

  1. इन योजनाओं में भाखड़ा नांगल बांध, देश के विभिन्न हिस्सों में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, खनन, उर्वरक उत्पादन, कृषि तकनीकों में सुधार जैसी अनेक परियोजनाएँ चलायी गईं।
  2. इन पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश की सम्पदा में वृद्धि और लोगों की दशा सुधारने के प्रयत्न किये गये।
  3. विज्ञान तथा तकनीकी को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे नये शैक्षणिक संस्थान स्थापित किये गये। इन सबके माध्यम से समाज की प्रगति की उम्मीद की गई।

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प्रश्न 18.
विकास की विकेन्द्रित पद्धति के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
विकास की विकेन्द्रित पद्धति के लाभ;

  1. विकास की विकेन्द्रित पद्धति के अन्तर्गत लोगों को अत्यधिक प्रभावित करने वाले मसलों पर लोगों से परामर्श किया जाता है। इससे समुदाय को हानि पहुँचा सकने वाली परियोजनाओं को रद्द करना संभव होता है।
  2. योजना बनाने और नीतियों के निर्धारण में लोगों के लिए अपनी जरूरतों के मुताबिक संसाधनों के उपयोग की भी गुंजाइश बनती है। जैसे सड़क कहाँ बने, बसों या मेट्रों का मार्ग कौनसा हो, मैदान व विद्यालय कहाँ पर हो आदि।
  3. विकास की विकेन्द्रित पद्धति में लोगों के पीढ़ियों से संग्रहित ज्ञान व अनुभवों की अनदेखी नहीं होती है, बल्कि यह परम्परागत और आधुनिक स्रोतों से मिलने वाली तमाम तरह की तकनीकों के रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल को संभव बनाती है।

प्रश्न 19.
विकास से होने वाली हानि को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर:
विकास से होने वाली हानि को कम करने के लिए निम्न प्रयास किये जा सकते हैं।

  1. प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और ऊर्जा के फिर से प्राप्त हो सकने वाले स्रोतों का यथासंभव उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। वर्षा जल संचयन, सौर एवं जैव गैस संयंत्र, लघु पनबिजली परियोजना, जैव कचरे से खाद बनाने हेतु कंपोस्ट – गड्ढे बनाना आदि इस दिशा में संभव प्रयासों के कुछ उदाहरण हैं। इन गतिविधियों को स्थानीय स्तर पर लागू करें क्योंकि इनके लिए जन सहभागिता की अधिक आवश्यकता होगी।
  2. बड़े बांधों के स्थान पर छोटे बांध बनाए जाएं, जिनमें कम निवेश की आवश्यकता होती है और विस्थापन भी मामूली होता है। ऐसे छोटे बांध स्थानीय जनसंख्या के लिए अधिक लाभकारी हो सकते हैं।
  3. विकास लक्ष्यों को तय करने में लोकतांत्रिक तरीका अपनाया जाये तथा जनता की इन्हें तय करने में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाये।

प्रश्न 20.
पर्यावरणवाद से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
उत्तर:
पर्यावरणवाद: पर्यावरणविदों द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए वे जो तर्क दिये जा रहे हैं, उन्हें सम्मिलित रूप से पर्यावरणवाद कहा जाता है।
पर्यावरणविदों के तर्क: पर्यावरणविदों का कहना है कि मानव को पारिस्थितिकी के सुर में सुर मिलाते हुए जीना सीखना चाहिए और पर्यावरण में अपने तात्कालिक हितों के लिए छेड़छाड़ बंद करनी चाहिए। उनका मानना है कि पृथ्वी का जिस सीमा तक उपभोग हो रहा है और प्राकृतिक साधनों को जिस तरह नष्ट किया जा रहा है, उससे हम आने वाली पीढ़ियों के लिए केवल उजाड़ धरती, जहरीली नदियाँ और प्रदूषित हवा ही छोड़कर जायेंगे।

  1. पर्यावरण आन्दोलन: पर्यावरणवाद या पर्यावरण आन्दोलन की जड़ें औद्योगीकरण के खिलाफ 19वीं सदी में विकसित हुए विद्रोह में देखी जा सकती हैं।
  2. पर्यावरण आन्दोलन के संगठन: वर्तमान में पर्यावरण आन्दोलन एक विश्वव्यापी मामला बन गया है। विश्व भर में इसके हजारों गैर सरकारी संगठन तथा ‘ग्रीन पार्टियाँ’ इसके गवाह हैं। कुछ पर्यावरण संगठनों में ग्रीन पीस और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड शामिल हैं।
  3. पर्यावरण संगठनों के कार्य: ये पर्यावरण समूह पर्यावरण उद्देश्यों की रोशनी में सरकार की औद्योगिक एवं विकास नीतियों को बदलने के लिए दबाव डालने का प्रयास करते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विकास की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
उत्तर:
विकास की अवधारणा से आशय: औद्योगिक क्रांति तथा औद्योगीकरण के बाद से विकास के विचार ने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। अधिकांश यूरोपीय राष्ट्रों ने विकास प्रक्रिया प्रारंभ की तथा 20वीं शताब्दी में ‘विकसित इटली राष्ट्रों’ का दर्जा प्राप्त किया। इस प्रकार 20वीं सदी में अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इजरायल, जापान, तथा कनाडा आदि को विकसित राष्ट्र माना गया। भारत सहित एशिया और अफ्रीका के अनेक राष्ट्र जो द्वितीय महायुद्ध के बाद औपनिवेशिक दासता से स्वतंत्र हुए थे, उन्हें अविकसित या विकासशील राष्ट्र कहा गया।

इनमें अधिकतर देश कंगाल बना दिये गए थे और उनके निवासियों का जीवन स्तर निम्न था । शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सुविधाएँ कम थीं। इस प्रकार ये देश गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, निरक्षरता, अशिक्षा, कमजोर स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं के अभाव की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे। इन राष्ट्रों ने अपने संसाधनों का उपयोग अपने राष्ट्रीय हित में सर्वश्रेष्ठ तरीके से करने की दृष्टि से विकास परियोजनाएँ बनाना प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार विकास की कोई एक सार्वजनिक परिभाषा नहीं दी जा सकती है।

व्यापक अर्थ में विकास की अवधारणा: व्यापकतम अर्थ में विकास उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है।
संकीर्ण अर्थ में विकास की अवधारणा: विकास शब्द का प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीकरण जैसे संकीर्ण अर्थों में भी होता रहता है। विकास की अवधारणा विगत वर्षों में काफी बदली है।

(अ) प्रारंभिक वर्षों में अपनायी गयी विकास की अवधारणा: प्रारंभिक वर्षों में विकास की जो अवधारणा अपनायी गई उससे आशय रहा है। आर्थिक उन्नति और समाज का आधुनिकीकरणं। इस अर्थ में विकास सामान्यतः एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य है। परम्परागत समाज का आधुनिक समाज में रूपान्तरण। साथ ही इसका सम्बन्ध आर्थिक उन्नति से है क्योंकि आर्थिक विकास ही विकास की वह प्रथम शर्त है जिससे समाज में बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत शैक्षिक विकास, नागरिक स्वतंत्रताएँ तथा राजनीतिक भागीदारी भी सन्निहित हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए एशिया और अफ्रीका के देशों ने विकास की इस अवधारणा को अपनाते हुए विकास का जो मॉडल अपनाया, वह विकास सम्बन्धी उद्देश्यों को पूरा करने में पूर्णतः सफल नहीं रहा। इसकी सीमाओं को देखते हुए अब विकास की व्यापक अवधारणा को अपनाने की आवश्यकता महसूस की गई है।

(ब) विकास की व्यापक अवधारणा- विकास को अब व्यापक अर्थ में एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे। विकास की व्यापक अवधारणा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. इसमें मानव विकास प्रतिवेदन तथा मानव विकास सूचकांक के द्वारा विकास का मापन किया जाता है। इसके अन्तर्गत साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु संभाविता और मातृ- मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है।
  2. इस अवधारणा के अन्तर्गत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जो अधिकाधिक लोगों को उनके जीवन में अर्थपूर्ण तरीके से विकल्पों को चुनने की अनुमति देती है।
  3. इसकी पूर्ण शर्त है। बुनियादी जरूरतों की पूर्ति । इनकी पूर्ति के वगैर किसी व्यक्ति के लिए गरिमामय जीवन गुजारना और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना असंभव है।
  4. इस प्रक्रिया में विकास से प्रभावित लोगों के अनेक अधिकारों की मांग की गई हैं।
  5. इसमें विकास सम्बन्धी निर्णय लेने और उसके क्रियान्वयन में जनता की सहभागिता पर विशेष बल दिया गया है।
  6. यह एक स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षित रखने और ऊर्जा के फिर से प्राप्त हो सकने वाले स्रोतों के यथासंभव उपयोग करने के प्रयासों पर बल देती है।

प्रश्न 2.
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र राष्ट्रों ने विकास के जिस मॉडल को अपनाया उसे स्पष्ट कीजिए। उसकी सीमाओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
एशिया व अफ्रीका के नव-स्वतंत्र राष्ट्रों के विकास का मॉडल
1950 और 1960 के दशक में, जब अधिकतर एशियाई व अफ्रीकी देशों ने औपनिवेशिक शासन से आजादी हासिल की तब उनके सामने प्रमुख चुनौती गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, निरक्षरता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की समस्याओं का समाधान करना था जिसे उनकी बहुसंख्यक आबादी भुगत रही थी। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए इन देशों ने अपने संसाधनों का उपयोग अपने राष्ट्रीय हित में सर्वश्रेष्ठ तरीके से करने के लिए विकास परियोजनाएँ क्रियान्वित कीं।

एशिया: अफ्रीकी देशों का विकास का मॉडल एशिया तथा अफ्रीका के नव-स्वतंत्र राष्ट्रों ने विकास के मॉडल में आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण पर बल दिया। विकासशील देशों ने औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनिकीकरण और विस्तार के माध्यम से तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया था। दूसरे, इस मॉडल में राज्य सत्ता या सरकार के माध्यम से सामाजिक तथा आर्थिक बदलाव के लिए विकास की महत्वाकांक्षीय योजनाओं का सूत्रपात किया गया। तीसरे, विकास की महत्वाकांक्षी योजनाएँ विकसित देशों की मदद और कर्ज के माध्यम से चालू की गईं। लक्ष्य – विकास की इन योजनाओं के प्रमुख लक्ष्य थे

  1. बहुआयामी विकास की रणनीति आर्थिक रूप से प्रभावकारी होगी और देश की सम्पदा में वृद्धि होगी।
  2. सम्पदा में वृद्धि से आने वाली सम्पन्नता धीरे-धीरे समाज के गरीब तबके तक पहुँच जायेगी और असमानता को कम करने में सहायक होगी।
  3. यह विश्वास किया गया कि विकास की प्रक्रिया समाज को अधिक आधुनिक और प्रगतिशील बनाएगी और उसे उन्नति के पथ पर ले जाएगी। विकास के मॉडल की आलोचनाएँ (सीमाएँ ) विकास का जो मॉडल भारत तथा अन्य एशिया- अफ्रीका के राष्ट्रों द्वारा अपनाया गया उसकी निम्नलिखित प्रमुख आलोचनाएँ की गई हैं।

1. अत्यधिक महंगा विकास:
विकासशील देशों में जिस तरीके से विकास मॉडल को अपनाया गया है, वह इनके लिए काफी मंहगा साबित हुआ है। इसमें वित्तीय लागत बहुत अधिक रही और अनेक देश दीर्घकालीन कर्ज से दब गए। अफ्रीका अभी तक अमीर देशों से लिए गए भारी कर्ज तले कराह रहा है। विकास के रूप में उपलब्धि, लिए गए कर्ज के अनुरूप नहीं रही।

2. मानव और समाज को हानि:
विकास के इस मॉडल के कारण बहुत बड़ी मानवीय व सामाजिक कीमत भी चुकानी पड़ी है। इस विकास के अन्तर्गत हुए बड़े बांधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ। विस्थापन का परिणाम आजीविका खोने और गरीबी में वृद्धि के रूप में सामने आया। विस्थापित ग्रामीण लोग गरीबों की विशाल आबादी में शामिल हो गए और लम्बी अवधि में अर्जित ‘परम्परागत कौशल नष्ट होते गए। विस्थापन से संस्कृति का भी विनाश हुआ क्योंकि विस्थापित लोग नई जगह पर जाकर रहने लग गए और वहाँ जाकर अपनी सामुदायिक जीवन-पद्धति को खो बैठे। ऐसे विस्थापनों ने अनेक देशों में संघर्षों को भी जन्म दिया है।

3. पर्यावरण को हानि:
विकास की वजह से अनेक देशों में पर्यावरण को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुँचा है। विकास के कारण तटीय वनों के नष्ट होने से और समुद्रतट के निकट वाणिज्यिक उद्यमों के स्थापित होने के कारण दक्षिणी और दक्षिणी – पूर्वी एशिया के तटों पर सुनामी ने कहर ढाया। विकास के कारण ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है जिससे समुद्र जल की सतह उठ रही है। इससे तटीय क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा पैदा हो रहा है।

विकास के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है जिसके कारण अनेक रोगों का विस्तार हो रहा है:
विकास के कारण संसाधनों का अविवेकपूर्ण उपयोग किया गया जिसका वंचितों पर तात्कालिक और अधिक तीखा प्रभाव पड़ा। जलावन, जड़ी-बूटी और आहार आदि के रूप में जंगल के संसाधनों का अपने गुजारे के लिए विविध प्रकार से उपयोग करने वाले गरीबों पर जंगलों के नष्ट होने का बुरा असर पड़ा।
विकास के इस मॉडल में ऊर्जा के लिए कोयला और पैट्रोलियम के उपयोग पर बल दिया गया। इनके स्रोतों का पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है। इनके समाप्त हो जाने पर आगामी पीढ़ियाँ प्रभावित होंगी।

4. विकास के लाभ का असमान वितरण:
विकास की नीतियों के कारण जो कीमत चुकानी पड़ी है उसका; और विकास के लाभों का वितरण भी लोगों के बीच असमान रूप से हुआ है। इसके कारण असमानता में कमी नहीं आई है तथा गरीब और अमीर की खाई और बढ़ गई है।

5. ऊपर से नीचे की रणनीतियाँ:
अधिकतर देशों में विकास की ‘ऊपर से नीचे’ की रणनीतियाँ अपनाई गई हैं अर्थात् विकास की प्राथमिकताओं व रणनीतियों का चयन और परियोजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन के सभी फैसले आम तौर पर राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही के उच्चतर स्तरों पर होते हैं। जिन लोगों के जीवन पर विकास योजनाओं का तत्काल असर होता है, उनसे तनिक भी सलाह नहीं ली जाती है। इससे न तो सदियों से हासिल उनके अनुभवों और ज्ञान का उपयोग हो पाता है और न उनके हितों का ध्यान रखा जाता है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 10 विकास

प्रश्न 3.
विकास की व्यापक अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास की व्यापक अवधारणा: विकास की आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण के अर्थ से सम्बद्ध संकुचित अवधारणा की आलोचनाओं व सीमाओं को देखते हुए अब इस बात को उत्तरोत्तर स्वीकृति मिल रही है कि विकास की व्यापक अवधारणा को अपनाया जाये।

विकास की व्यापक अवधारणा से आशय: इस अवधारणा के अन्तर्गत विकास को व्यापक अर्थ में एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे और अधिकाधिक लोगों को उनके जीवन में अर्थपूर्ण तरीके से विकल्पों को चुनने की अनुमति दे।

विकास की व्यापक अवधारणा को मापने के वैकल्पिक तरीके: मानव विकास सूचकांक अब विकास को केवल आर्थिक उन्नति के सूचकांक की दर के जरिये मापना अपर्याप्त माना जा रहा है और इसके मापने के वैकल्पिक तरीके खोजे जा रहे हैं। इसी तरह का एक प्रयास ‘मानव विकास प्रतिवेदन’ है, जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है। इस प्रतिवेदन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु संभाविता और मातृ-मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देश का दर्जा निर्धारित किया जाता है। इस उपाय को मानव विकास सूचकांक कहा गया।

बुनियादी आवश्यकता पर आधारित दृष्टिकोण: विकास की पूर्व शर्त है कि आहार, शिक्षा, स्वास्थ्य; आश्रय कपड़ा ‘जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति हो। बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के बगैर किसी व्यक्ति के लिए गरिमामय जीवन गुजारना और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना असंभव है। अभाव अथवा वंचनाओं से मुक्ति ही किसी व्यक्ति की पसंदगी और इच्छाओं की पूर्ति की कुंजी है।

न्यायपूर्ण और टिकाऊ विकास हेतु वैकल्पिक तरीकों पर बल: विकास के पुरातन मॉडल तथा संकीर्ण अवधारणा की सीमाओं तथा ‘ऊपर से नीचे’ की अपनायी गयी रणनीतियों के कारण विकास, परियोजनाओं से लाभ उठाने वाले सत्ताधारी तबकों द्वारा तैयार और लागू की जाने वाली प्रक्रिया बन गया है। इस स्थिति ने न्यायपूर्ण और टिकाऊ विकास के बारे में वैकल्पिक तरीके से सोचने और उसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यथा

1. अधिकारों के दावे: विकास की संकीर्ण अवधारणा के अन्तर्गत विकास के अधिकांश लाभों को तो ताकतवर लोगों ने हथिया लिया है और विकास की कीमत अति दरिद्र और आबादी के असुरक्षित हिस्से को चुकानी पड़ी है। चाहे यह कीमत पारिस्थितिकी तंत्र में हानि के कारण से हो या विस्थापन और आजीविका खोने के कारण। इस स्थिति से निजात पाने के लिए विकास की वैकल्पिक व्यापक अवधारणा के अन्तर्गत नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है। ये दावे निम्नलिखित हैं।

  1. लोकतंत्र में लोगों को यह अधिकार है कि उनके जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में उनसे सलाह ली जाए।
  2. लोगों को आजीविका का अधिकार है जिसका दावा वे सरकार से अपनी आजीविका के स्रोत पर खतरा पैदा होने पर कर सकते हैं।
  3. आदिवासी और आदिम समुदाय, जिनका सामुदायिक जीवन और पर्यावरण के साथ सम्बन्ध विशेष प्रकार का होता है, को नैसर्गिक संसाधनों पर अधिकार होना चाहिए। यह समुदाय संसाधनों के उपयोग के परम्परागत अधिकारों का दावा कर सकते हैं।
  4. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे जनसमूह के विभिन्न तबकों की प्रतिस्पर्द्धात्मक मांगों को पूरा करने के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की दावेदारियों के बीच संतुलन कायम करें।

2. लोकतांत्रिक सहभागिता:
लोकतंत्र में संसाधनों को लेकर विरोध या बेहतर जीवन के बारे में विभिन्न विचारों के द्वन्द्व का हल विचार-विमर्श और सभी के अधिकारों के प्रति सम्मान के जरिए होता है। इन्हें ऊपर से थोपा नहीं जा सकता। इस दृष्टि से यदि बेहतर जीवन हासिल करने में समाज का हर व्यक्ति साझीदार है, तो विकास की योजनाएँ बनाने और उसके कार्यान्वयन के तरीके ढूँढ़ने में भी हरेक व्यक्ति को शामिल करने की आवश्यकता है। इसके दो लाभ हैं प्रथमतः, आपको योजना बनाते समय विशेष जरूरतों का ज्ञान होगा और दूसरे, निर्णय प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से सभी तबके अधिकार सम्पन्न बनेंगे। निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करने का एक प्रस्तावित रास्ता विकास योजनाओं के बारे में निर्णय स्थानीय निर्णयकारी संस्थाओं को लेने देना है।

इससे निम्नलिखित दो बांतें सुनिश्चित होंगी:

  1. अत्यधिक प्रभावित करने वाले मसलों पर लोगों से परामर्श होगा और समुदाय को हानि पहुँचा सकने वाली परियोजनाओं को रद्द करना संभव होगा।
  2. योजना बनाने और नीतियों के निर्धारण में संलग्नता से लोगों के लिए अपनी जरूरतों के मुताबिक संसाधनों के उपयोग की भी संभावना बनती है। सड़क कहाँ बने, स्थानीय बसों या मेट्रो का मार्ग कौनसा हो, मैदान या विद्यालय कहाँ पर हो। किसी गाँव को चेक डैम की जरूरत है या इंटरनेट कैफे की, इस तरह के निर्णय उन्हीं लोगों द्वारा लिए जाने चाहिए। इस प्रकार विकास की विकेन्द्रित पद्धति परम्परागत और आधुनिक स्रोतों से मिलने वाली तमाम तरह की तकनीकों के रचनात्मक तरीके के प्रयोग को संभव बनाती है।

3. विकास और जीवन शैली:
विकास का वैकल्पिक मॉडल विकास की मंहगी, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली प्रौद्योगिकी से संचालित सोच से दूर होने की कोशिश करता है। इसका मानना है कि विकास को लोगों के जीवन की गुणवत्ता से नापा जाना चाहिए, जो उनकी प्रसन्नता, सुख-शांति और बुनियादी जरूरतों के पूरा होने में झलकती है। इस हेतु निम्नलिखित प्रयास किये जाने चाहिए

  1. एक स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और ऊर्जा के फिर से प्राप्त हो सकने वाले स्रोतों का यथासंभव उपयोग करने के प्रयास किए जाने चाहिए। वर्षा जल संचयन, सौर एवं जैव गैस संयंत्र, लघु पन बिजली परियोजना, जैव कचरे से खाद बनाने हेतु कंपोस्ट – गड्ढे बनाना आदि इस दिशा में संभव प्रयासों के कुछ उदाहरण हैं। इन गतिविधियों को स्थानीय स्तर पर लागू करना और इसलिए लोगों की अधिक संलग्नता आवश्यक होगी।
  2. बड़े सुधार को प्रभावी बनाने के लिए बड़ी परियोजनाएँ ही एकमात्र तरीका नहीं हैं। उदाहरण के लिए-बड़े बांधों के स्थान पर छोटे बांध बनाए जा सकते हैं, जिनमें बहुत कम निवेश की जरूरत होती है तथा विस्थापन बहुत कम होता है। ऐसे छोटे बांध आबादी के लिए भी अधिक फायदेमंद हो सकते हैं।
  3. हमें अपने जीवन स्तर को बदलकर उन साधनों की आवश्यकताओं को भी कम करने की जरूरत है, जिनका नवीकरण नहीं हो सकता।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 9 शांति 

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter  9 शांति Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 9 शांति

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. आधुनिक युग की सबसे बड़ी माँग है।
(अ) परमाणु शस्त्रीकरण को बढ़ावा देकर शक्ति संतुलन स्थापित करना।
(ब) आतंकवाद को बढ़ावा देना।
(स) विश्व शांति की स्थापना करना।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) विश्व शांति की स्थापना करना।

2. विश्व शांति के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधा है।
(अ) निःशस्त्रीकरण
(ब) आतंकवाद
(स) अन्तर्राष्ट्रीय कानून
(द) अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
उत्तर:
(ब) आतंकवाद

3. विश्व शांति के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने का उपाय है।
(अ) अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
(ब) युद्ध
(स) साम्प्रदायिकता
(द) शस्त्रीकरण
उत्तर:
(अ) अन्तर्राष्ट्रीय संगठन

4. निम्न में से कौनसा शांति का तत्व नहीं है।
(अ) अहिंसा
(ब) करुणा
(स) सहयोग
(द) बंधुत्व की भावना का अभाव
उत्तर:
(द) बंधुत्व की भावना का अभाव

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5. निम्न में से कौनसा विचारक युद्ध को महिमा मंडित करने वाला था?
(अ) महात्मा गांधी
(ब) मार्टिन लूथर किंग
(स) फ्रेडरिक नीत्शे
(द) गौतम बुद्ध
उत्तर:
(स) फ्रेडरिक नीत्शे

6. भारत में प्रमुख शांतिवादी विचारक रहे हैं।
(अ) सुभाष चंद्र बोस
(ब) महात्मा गाँधी
(स) भगतसिंह
(द) चन्द्रशेखर आजाद
उत्तर:
(ब) महात्मा गाँधी

7. हिरोशिमा और नागासाकी पर अणु बम गिराये।
(अ) अमेरिका ने
(ब) जर्मनी ने
(स) फ्रांस ने
(द) इंग्लैण्ड ने
उत्तर:
(अ) अमेरिका ने

8. जातिभेद हिंसा का उदाहरण है।
(अ) युद्धजनित हिंसा
(ब) विचारजनित हिंसा
(स) संरचनात्मक हिंसा
(द) आतंकवाद
उत्तर:
(स) संरचनात्मक हिंसा

9. युद्ध जनित विनाश को और अधिक भीषण बनाने में योगदान है-
(अ) उन्नत तकनीक का
(ब) हिंसक विचारों का
(स) हथियारों का
(द) उपर्युक्त सभी का
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी का

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10. निम्न में से वर्तमान में जिस प्रकार की अशांति सर्वाधिक आम हो गई है, वह
(अ) साम्प्रदायिक हिंसा
(ब) पड़ोसी देशों में युद्ध
(स) विश्व युद्ध
(द) आतंकवाद
उत्तर:
(द) आतंकवाद

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. ………………… की अनुपस्थिति की भारी कीमत चुकाने के बाद मानवता ने इसका महत्त्व पहचाना है।
उत्तर:
शांति

2. शांति की परिभाषा अवसर ………………….. की अनुपस्थिति के रूप में की जाती है।
उत्तर:
युद्ध

3. न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतों और ………………….. के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करके ही प्राप्त की जा सकती है।
उत्तर:
संघर्ष

4. चूंकि युद्ध का आरंभ लोगों के दिमाग में होता है, इसलिए शांति के बचाव भी लोगों के ……………….. में ही रचे जाने चाहिए।
उत्तर:
दिमाग

5. शांतिवादी का मकसद लड़ाकुओं की क्षमता को कम करके आंकना नहीं, …………………. के अहिंसक स्वरूप पर बल देना है।
उत्तर:
प्रतिरोध

निम्नलिखित में सत्य / असत्य कथन छाँटिये

1. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गाँधीजी द्वारा सत्याग्रह का प्रयोग प्रतिरोध के अहिंसक स्वरूप का एक प्रमुख उदाहरण है।
उत्तर:
सत्य

2. जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे शांति को महिमामंडित करने वाला विचारक था।
उत्तर:
असत्य

3. हिंसा प्राय: समाज की मूल संरचना में ही रची-बसी है।
उत्तर:
सत्य

4. शांति एक बार में हमेशा के लिए हासिल की जा सकती है।
उत्तर:
असत्य

5. गाँधीजी के अनुसार अहिंसा अतिशय सक्रिय शक्ति है, जिसमें कायरता और कमजोरी का कोई स्थान नहीं है।
उत्तर:
सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. फ्रेडरिक नीत्शे (अ) इटली के समाज – सिद्धान्तकार
2. विल्फ्रेडो पैरेटो (ब) शीतयुद्ध
3. क्यूबाई मिसाइल संकट (स) नस्लवाद और साम्प्रदायिकता
4. संरचनात्मक हिंसा का उदाहरण (द) शांति कायम करने का एक तरीका
5. विभिन्न देशों के बीच विकासमान सामाजिक (य) एक जर्मन दार्शनिक

उत्तर:

1. फ्रेडरिक नीत्शे (य) एक जर्मन दार्शनिक
2. विल्फ्रेडो पैरेटो (अ) इटली के समाज – सिद्धान्तकार
3. क्यूबाई मिसाइल संकट (ब) शीतयुद्ध
4. संरचनात्मक हिंसा का उदाहरण (स) नस्लवाद और साम्प्रदायिकता
5. विभिन्न देशों के बीच विकासमान सामाजिक (द) शांति कायम करने का एक तरीका

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शांतिवाद क्या है?
उत्तर:
शांतिवाद विवादों से सुलझाने के औजार के बतौर युद्ध या हिंसा के बजाय शांति का उपदेश देता है।

प्रश्न 2.
जर्मन दार्शनिक नीत्शे का क्या मानना था?
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक नीत्शे का मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, इसलिए युद्धं श्रेष्ठ है।

प्रश्न 3.
शांति लगातार बहुमूल्य क्यों बनी हुई है?
उत्तर:
शांति लगातार बहुमूल्य बनी हुई है क्योंकि शांति की अनुपस्थिति में मानवता ने भारी कीमत चुकाई है।

प्रश्न 4.
शांति को परिभाषित कीजिये अथवा शांति क्या है?
उत्तर:
शांति एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापकतम अर्थों में मानव-कल्याण की स्थापना हेतु आवश्यक नैतिक व भौतिक संसाधनों के सक्रिय क्रियाकलाप शामिल होते हैं। हिंसा ।

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प्रश्न 5.
संरचनात्मक हिंसा के किन्हीं दो रूपों के नाम लिखिये।
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा के दो रूप ये हैं।

  1. जाति-भेद आधारित हिंसा व शोषण
  2. वर्ग-भेद आधारित

प्रश्न 6.
रंगभेदी हिंसा का कोई एक उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
दक्षिणी अफ्रीका की गोरी सरकार की 1992 तक अपनी बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार।

प्रश्न 7.
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतों और संघर्षों के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के जरिये ही प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 8.
शांतिवादियों का मकसद ( उद्देश्य ) क्या है?
उत्तर:
शांतिवादियों का उद्देश्य है। प्रतिरोध के अहिंसक स्वरूप पर बल देना। वैसे संघर्षों का एक प्रमुख तरीका सविनय नागरिक अवज्ञा है।

प्रश्न 9.
शांतिवादी उत्पीड़न से लड़ने के लिए किसकी वकालत करते हैं?
उत्तर:
शांतिवादी उत्पीड़न से लड़ने के लिए सत्य और प्रेम को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं।

प्रश्न 10.
गांधीजी के अहिंसा सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
गांधीजी के लिए अहिंसा का अर्थ कल्याण और अच्छाई का सकारात्मक और सक्रिय क्रियाकलाप है। इसमें किसी को चोट न पहुँचाने का विचार भी शामिल है।

प्रश्न 11.
शांति के मार्ग में आने वाली दो बाधायें लिखिये।
उत्तर:
आतंकवाद, शस्त्रीकरण।

प्रश्न 12.
शांति स्थापना के कोई दो उपाय लिखिये।
उत्तर:
युद्धों को रोकना, संरचनात्मक हिंसा के रूपों को खत्म करना।

प्रश्न 13.
द्वितीय विश्व युद्ध का अन्त किस घटना के साथ हुआ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध का अन्त अमरीका द्वारा जापान के दो नगरों हिरोशिमा और नागासाकी पर अणुबम गिराने के साथ हुआ।

प्रश्न 14.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् किन दो देशों ने सैन्य बल नहीं रखने का निर्णय लिया?
उत्तर:
जापान, कोस्टारिका।

प्रश्न 15.
विश्व में परमाणविक हथियार से मुक्त क्षेत्र कितने हैं?
उत्तर:
छ: क्षेत्र

प्रश्न 16.
क्यूबाई मिसाइल संकट कब हुआ था और इसका प्रमुख कारण क्या था?
उत्तर:
क्यूबाई मिसाइल संकट 1962 में हुआ था। इसका कारण अमरीकी जासूसी विमानों द्वारा क्यूबा में सोवियत संघ की आणविक मिसाइलों को खोजना था।

प्रश्न 17.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कौनसी दो महाशक्तियाँ उभरीं?
अथवा
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् कि दो महाशक्तियों में प्रतिस्पर्द्धा का दौर चला?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. सोवियत संघ नामक दो महाशक्तियाँ उभरी और उनके बीच प्रतिस्पर्द्धा का दौर चला।

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प्रश्न 18.
आज जीवन किस कारण अत्यधिक असुरक्षित है?
उत्तर:
आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने के कारण।

प्रश्न 19.
संरचनात्मक हिंसा को समाप्त करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज की रचना।

प्रश्न 20.
शांति की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
मानव कल्याण की स्थापना के लिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हिंसा की समाप्ति और शांति की स्थापना के कोई दो उपाय सुझाइए।
उत्तर:
हिंसा की समाप्ति और शांति की स्थापना के लिये ये दो उपाय किये जाने चाहिए

  1. सर्वप्रथम लोगों के सोचने-समझने के तरीकों में बदलाव लाना चाहिए। इसके लिए करुणा, हैं।
  2. समाज में संरचनात्मक हिंसा के रूपों को समाप्त कर सह अस्तित्व वाले समाज का निर्माण किया जाये।

प्रश्न 2.
शांति के बारे में नकारात्मक सोच वाले दो विचारकों के विचारों को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:

  1. नीत्शे का मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  2. विल्फ्रेडो पैरेटो का दावा था कि अधिकतर समाजों में शासक वर्ग का निर्माण सक्षम और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए शक्ति का प्रयोग करने के लिए तैयार लोगों से होता है।

प्रश्न 3.
आज लोग शांति का गुणगान क्यों करते हैं?
उत्तर:
आज लोग शांति का गुणगान निम्न कारणों से करते हैं।

  1. वे इसे अच्छा विचार मानते हैं।
  2. शांति की अनुपस्थिति की भारी कीमत चुकाने के बाद मानवता ने इसका महत्व पहचाना है।
  3. आज जीवन अतीत के किसी भी समय से कहीं अधिक असुरक्षित है क्योंकि हर जगह के लोग आतंकवाद के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं।

प्रश्न 4.
संरचनात्मक हिंसा के कोई पाँच उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा से उत्पन्न कुछ प्रमुख उदाहरण ये हैं।

  1. जातिभेद
  2. वर्गभेद
  3. पितृसत्ता
  4. उपनिवेशवाद
  5. नस्लवाद
  6. साम्प्रदायिकता।

प्रश्न 5.
परम्परागत जाति-व्यवस्था के दुष्परिणाम को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
परम्परागत जाति-व्यवस्था कुछ खास समूह के लोगों को अस्पृश्य मानकर बरताव करती थी। छुआछूत के प्रचलन ने उन्हें सामाजिक बहिष्कार और अत्यधिक वंचना का शिकार बना रखा था।

प्रश्न 6.
वर्ग-व्यवस्था से उत्पन्न हिंसा को समझाइये
उत्तर:
वर्ग आधारित सामाजिक व्यवस्था ने भी असमानता और उत्पीड़न को जन्म दिया है। विकासशील देशों की अधिकांश कामकाजी जनसंख्या असंगठित क्षेत्र से सम्बद्ध है, जिसमें मजदूरी और काम की दशा बहुत खराब है।

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प्रश्न 7.
पितृ सत्ता की अभिव्यक्ति किस प्रकार की हिंसाओं में होती है?
उत्तर:
पितृ सत्ता से स्त्रियों को अधीन बनाने तथा उनके साथ भेदभाव के रूप सामने आते हैं। इसकी अभिव्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को अपर्याप्त पोषण, बाल-विवाह, अशिक्षा, पत्नी को पीटना, दहेज- अपराध, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार में होती है।

प्रश्न 8.
रंगभेद से जनित हिंसा को एक उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
रंगभेद में एक समूचे नस्लगत समूह या समुदाय का दमन करना शामिल रहता है। उदाहरण के लिए दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार ने 1992 तक अपनी बहुसंख्यक अश्वेत जनसंख्या के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया।

प्रश्न 9.
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतों और संघर्ष के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के जरिये प्राप्त की जा सकती है। इसमें हर तबके के लोगों के बीच अत्यधिक सम्पर्क को प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए।

प्रश्न 10.
लोगों के दिमाग में शांति के विचार कैसे लाये जा सकते हैं?
उत्तर:
लोगों के दिमाग में शांति के विचार लाने के लिए करुणा जैसे अनेक पुरातन आध्यात्मिक सिद्धान्त और ध्यान जैसे अभ्यास बिल्कुल उपयुक्त हैं। आधुनिक नीरोगकारी तकनीक और मनोविश्लेषण जैसी चिकित्सा पद्धतियाँ भी यह काम कर सकती हैं।

प्रश्न 11.
शांति कैसे समाज की उपज हो सकती है?
उत्तर:
न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज की रचना संरचनात्मक हिंसा को निर्मूल करने के लिए अनिवार्य है और शांति, ऐसे ही समाज की उपज हो सकती है।

प्रश्न 12.
क्या विश्व शांति बनाए रखने के लिए हिंसा जरूरी है?
उत्तर:
नहीं, विश्व शांति बनाए रखने के लिए हिंसा जरूरी नहीं है, बिना हिंसा के भी शांति स्थापित की जा सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून ने सभी राज्यों को अन्य राज्यों के आक्रमण के विरुद्ध आत्मरक्षा का अधिकार दिया है। यह आत्मरक्षा प्रत्येक देश अन्य देश के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाकर, परस्पर सामाजिक-आर्थिक सहयोग द्वारा कर सकता है।

प्रश्न 13.
शांति को बेकार या महत्वहीन बताने वाले विचारों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:

  1. जर्मन दार्शनिक विचारक फ्रेडरिक नीत्शे ने शांति को महत्त्व नहीं दिया क्योंकि उसका मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  2. अनेक विचारकों ने शांति को बेकार बताया है और संघर्ष की प्रशंसा व्यक्तिगत बहादुरी और सामाजिक जीवन्तता के वाहक के तौर पर की है।
  3. विल्फ्रेडो पेरेटो का दावा था कि अधिकतर समाजों में शासक वर्ग का निर्माण सक्षम और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने के लिए तैयार लोगों से होता है।

प्रश्न 14.
क्या हिंसा कभी शांति को प्रोत्साहित कर सकती है?
उत्तर:
हिंसा कभी भी शांति को प्रोत्साहित नहीं कर सकती। कई बार यह तर्क दिया जाता है कि तानाशाहों या लोगों को उत्पीड़न करने वाले शासकों को हटाने के लिए हिंसा का प्रयोग उचित है। लेकिन व्यवहार में अच्छे उद्देश्य की पूर्ति के लिए भी हिंसा का प्रयोग हानिकारक होता है क्योंकि हिंसा से जन और धन की हानि होती है। इसके अतिरिक्त एक बार शुरू होने के पश्चात् हिंसा में वृद्धि हो सकती है और उस पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है। अतः हिंसा के परिणाम सदा बुरे होते हैं।

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प्रश्न 15.
” हिंसा प्राय: समाज की मूल संरचना में रची-बसी है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक संस्थाएँ और प्रथाएँ जैसे जाति प्रथा, वर्ग-भेद, पितृसत्ता, लिंगभेद आदि असमानता को बढ़ाते हैं। इन आधारों पर उच्च वर्ग अन्य वर्गों से भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हैं। शोषित वर्ग द्वारा चुनौती या विरोध करने पर हिंसा पैदा होती है। इस प्रकार हिंसा प्राय: समाज की मूल संरचना में रची-बसी होती है क्योंकि लगभग प्रत्येक समाज में इस प्रकार के भेदभाव व असमानताएँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 16.
आज की दुनिया में शांति इतनी कमजोर क्यों है?
उत्तर:
आज की दुनिया में शांति पर खतरे का सायां निरन्तर छाया हुआ है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  1. आतंकवाद: आज विश्व में जीवन अतीत के किसी भी समय से कहीं अधिक असुरक्षित है क्योंकि हर जगह के लोग आतंकवाद के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं और इस खतरे का साया हमेशा मौजूद है।
  2. आक्रामक राष्ट्रों या महाशक्ति का स्वार्थपूर्ण आचरण: आधुनिक काल में दबंग राष्ट्रों ने अपनी संप्रभुता का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन किया है और क्षेत्रीय सत्ता संरचना तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था को भी अपनी प्राथमिकताओं और धारणाओं के आधार पर बदलना चाहा है। इसके लिए उन्होंने सीधी सैनिक कार्यवाही का भी सहारा लिया है और विदेशी क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे आचरण का ज्वलंत उदाहरण अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका का ताजा हस्तक्षेप है। इससे उभरे युद्ध में बहुत-सी जानें गई हैं।
  3. नस्ल – संहार; वैश्विक समुदाय नस्ल संहार अर्थात् किसी समूचे जन- समूह के व्यवस्थित संहार का मूक दर्शक बना रहता है। यह खासकर रवांडा में साफ तौर पर दिखा।

प्रश्न 17.
क्या वर्तमान में शांति एक चुका हुआ सिद्धान्त है?
उत्तर:
यद्यपि आतंकवाद, ताकतवर आक्रामक शब्दों के स्वार्थपूर्ण आचरण, आधुनिक हथियारों एवं उन्नत तकनीक का दक्ष और निर्मम प्रयोग, नस्ल संहार आदि की घटनाओं के कारण ऐसा लगता है कि वर्तमान में शांति एक चुका हुआ सिद्धान्त हो चुका है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि शांति एक चुका हुआ सिद्धान्त है। शांति आज भी विश्व में महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त बना हुआ है। इसे निम्न उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

  • दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान और कोस्टारिका जैसे देशों ने सैन्यबल नहीं रखने का फैसला किया हुआ है।
  • विश्व के अनेक हिस्सों में परमाणविक हथियार से मुक्त क्षेत्र बने हैं, जहाँ आणविक हथियारों को विकसित और तैनात करने पर एक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त समझौते के तहत पाबंदी लगी है। आज इस तरह के छः क्षेत्र हैं जिनमें ऐसा हुआ है। ये हैं
    1. दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र,
    2. लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र,
    3. दक्षिण – पूर्व एशिया,
    4. अफ्रीका,
    5. दक्षिण प्रशांत क्षेत्र और
    6. मंगोलिया।
  • सोवियत संघ के विघटन से अति शक्तिशाली देशों के बीच सैनिक व परमाणविक प्रतिद्वन्द्विता पर पूर्ण विराम लग गया है और अन्तर्राष्ट्रीय शांति के लिए प्रमुख खतरा समाप्त हो गया है।
  • समकालीन युग में एक शांति आंदोलन जारी है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से राजनैतिक और भौगोलिक अवरोधों के बावजूद दुनिया में बड़े पैमाने पर इसने अनुयायी पैदा किए हैं। इस आंदोलन को विभिन्न तबके के लोगों ने बढ़ावा दिया है तथा इसका लगातार विस्तार हो रहा है। इसने शांति अध्ययन नामक ज्ञान की एक नई शाखा का सृजन किया है।

प्रश्न 18.
शांति आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
शांति आंदोलन: वर्तमान काल में शांति को बढ़ावा देने के लक्ष्य को लेकर होने वाली अनेक लोकप्रिय पहलकदमियों को प्राय: शांति आंदोलन कहा जाता है। दोनों विश्वयुद्ध के कारण हुए विध्वंस ने इस आंदोलन को प्रेरित किया और तभी से यह जोर पकड़ता गया है। राजनैतिक और भौगोलिक अवरोधों के बावजूद दुनिया में बड़े पैमाने पर इसने अनुयायी पैदा किए हैं।

इसके अनुयायी: शांति आंदोलन को विभिन्न तबके के लोगों ने बढ़ावा दिया है। इन लोगों में लेखक, वैज्ञानिक, शिक्षक, पत्रकार, पुजारी, राजनेता और मजदूर सभी शामिल हैं। विस्तार: इसका लगातार विस्तार हुआ है। महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण सुरक्षा जैसे अन्य आंदोलनों के समर्थकों से पारस्परिक फायदेमंद जुड़ाव होने से यह और सघन हुआ है। इस आंदोलन ने शांति अध्ययन नामक ज्ञान की एक नई शाखा का भी सृजन किया है तथा इण्टरनेट जैसे माध्यम का इसने कारगर इस्तेमाल भी किया है।

प्रश्न 19.
शांतिवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शांतिवाद: शांतिवाद विवादों को सुलझाने के औजार के बतौर युद्ध यां हिंसा के बजाय शांति का उपदेश देता है। इसमें विचारों की अनेक छवियाँ शामिल हैं। इसके दायरे में कूटनीति को अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान करने में प्राथमिकता देने से लेकर किसी भी हालत में हिंसा और ताकत के इस्तेमाल के पूर्ण निषेध तक आते हैं शांतिवाद सिद्धान्तों पर भी आधारित हो सकता है और व्यावहारिकता पर भी। यथा

  1. सैद्धान्तिक शांतिवाद: सैद्धान्तिक शान्तिवाद का जन्म इस विश्वास से होता है कि युद्ध, सुविचारित घातक हथियार, हिंसा या किसी भी प्रकार की जोर-जबरदस्ती नैतिक रूप से गलत है।
  2. व्यावहारिक शांतिवाद: व्यावहारिक शांतिवाद ऐसे किसी चरम सिद्धान्त का अनुसरण नहीं करता है। यह मानता है कि विवादों के समाधान में युद्ध से बेहतर तरीके भी हैं या फिर यह समझता है कि युद्ध पर लागत ज्यादा आती है और फायदे कम होते हैं।

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प्रश्न 20.
अहिंसा के बारे में गांधीजी के विचारों पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
अहिंसा के बारे में गांधीजी के विचार:
1. नकारात्मक अर्थ:
नकारात्मक अर्थ में गांधीजी के लिए अहिंसा का अर्थ शारीरिक चोट, मानसिक चोट या आजीविका की क्षति से बाज आना भर नहीं है। इसका अर्थ किसी को नुकसान पहुँचाने के विचार तक को छोड़ देना है। गांधीजी का मानना था कि “यदि मैंने किसी की हानि पहुँचाने में किसी किसी अन्य की सहायता की अथवा किसी हानिकर कार्य से लाभान्वित हुआ तो मैं हिंसा का दोषी होऊंगा।” इ अर्थ में हिंसा के बारे में उनके विचार संरचनात्मक हिंसा को समाप्त करने के पक्ष में थे।

2. सकारात्मक अर्थ:
सकारात्मक अर्थ में अहिंसा के सम्बन्ध में गांधीजी का कहना है कि अहिंसा को सजग संवेदना के माहौल की अपेक्षा होती है। उनके लिए अहिंसा का अर्थ कल्याण और अच्छाई का सकारात्मक और सक्रिय क्रियाकलाप है। अहिंसा में कायरता और कमजोरी को कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 21.
शांतिवादी किसी न्यायपूर्ण संघर्ष में भी हिंसा के इस्तेमाल के खिलाफ नैतिक रूप से क्यों खड़े होते हैं?
उत्तर:
शांतिवादियों का मत है कि अच्छे मकसद से भी हिंसा का सहारा लेना आत्मघाती हो जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया में अतिवादी हिंसक आंदोलन प्रायः संस्थागत रूप धारण करता है और राजनीतिक व्यवस्था का पूर्ण अंग बन जाता है। उदाहरण के लिए नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने हिंसात्मक साधनों का प्रयोग कर अल्जीरिया के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया।

उसने अपने देश को फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों के बोझ से 1962 में मुक्त तो कराया, लेकिन उसका शासन जल्दी ही निरंकुशवाद में परिणत हो गया। इसकी प्रतिक्रिया वहाँ इस्लामी रूढ़िवाद के उभार के रूप में हुई। इसीलिए शांतिवादी किसी न्यायपूर्ण संघर्ष में भी हिंसा के प्रयोग का विरोध करते हैं । वे उत्पीड़न से लड़ने के लिए उत्पीड़नकारियों का दिल-दिमाग जीतने के लिए प्रेम और सत्य को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शांति को परिभाषित कीजिए। इसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
शांति का अर्थ: शांति आज विश्व का लोकप्रिय विचार है। इसकी कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार दी गई
1. शांति की परिभाषा अक्सर युद्ध की अनुपस्थिति के रूप में की जाती है।
यह परिभाषा सरल है, लेकिन भ्रामक भी है। सामान्य रूप से हम युद्ध को देशों के बीच हथियारबंद संघर्ष समझते हैं। बोस्निया में इस तरह का संघर्ष नहीं था; लेकिन इससे शांति का उल्लंघन तो हुआ ही था। इससे यह स्पष्ट होता है कि यद्यपि प्रत्येक युद्ध शांति को भंग करता है, लेकिन शांति का हर अभाव केवल युद्ध के कारण ही हो यह आवश्यक नहीं। युद्ध न होने पर भी शांति हो, यह आवश्यक नहीं है।

2. शांति को युद्ध, दंगा, नरसंहार, कत्ल या सामान्य शारीरिक प्रहार समेत सभी प्रकार के हिंसक संघर्ष के अभाव के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
यह परिभाषा पहली परिभाषा की तुलना में अधिक विस्तृत है लेकिन संरचनात्मक हिंसा के रूपों की इसमें उपेक्षा की गई है। जबकि संरचनात्मक हिंसा के चलते भी समाज में शांति स्थापित नहीं हो पाती है। संरचनात्मक भेदभावों के रूप हैं जातिभेद, वर्गभेद, पितृसत्ता, उपनिवेशवाद, नस्लवाद और साम्प्रदायिकता। इन संरचनात्मक हिंसाओं का शिकार व्यक्ति जिन मनोवैज्ञानिक और भौतिक नुकसानों से गुजरता है, वे उसके भीतर शिकायतों को पैदा करते हैं। ये शिकायतें पीढ़ियों तक कायम रहती हैं। ऐसे समूह कभी – कभी किसी घटना या टिप्पणी से भी उत्तेजित होकर संघर्षों के ताज़ा दौर की शुरुआत कर सकते हैं। अतः न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतों और संघर्ष के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के जरिये ही प्राप्त की जा सकती है।

3. शांति को संतुष्ट लोगों के समरस सहअस्तित्व के रूप में समझा जा सकता है। संतुष्ट लोगों के समरस सहअस्तित्वपूर्ण न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज की रचना संरचनात्मक हिंसा को समाप्त करके ही की जा सकती है शांति ऐसे ही समाज की उपज हो सकती है।

4. शांति एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यापकतम अर्थों में मानव कल्याण की स्थापना के लिए जरूरी नैतिक और भौतिक संसाधनों के सक्रिय क्रियाकलाप शामिल होते हैं- चूंकि शांति एक बार में हमेशा के लिए हासिल नहीं की जा सकती। यह कोई अन्तिम स्थिति नहीं बल्कि एक प्रक्रिया है।

शांति का महत्त्व: शांति के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. जीवन की सुरक्षा संभव:
राज्य का पहला और प्रमुख कार्य है लोगों के जीवन की रक्षा करना। लोगों के जीवन की रक्षा केवल शांतिपूर्ण वातावरण में ही संभव है। यदि किसी समाज में शांति का वातावरण नहीं होगा तो उसके सदस्य निरन्तर रूप से जीवन की असुरक्षा से भयभीत रहेंगे। जहाँ शक्ति का शासन है, शक्ति ही कानून है, वहाँ न तो शांति हो सकती है और न जीवन की सुरक्षा।

2. व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास संभव:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका हेतु कोई न कोई कार्य करता है। व्यक्ति अपने जीविका उत्पादन के विभिन्न कार्यों को तभी कुशलता के साथ सम्पन्न कर सकते हैं जब समाज में शान्ति
हो। जब हिंसा, उपद्रवों का वातावरण होता है तो लोग घर के अन्दर ही रहना पसंद करते हैं और वे स्वतंत्रतापूर्वक, निर्भय होकर, ठीक प्रकार से अपनी जीविका पूर्ति के कर्तव्यों को नहीं कर पाते हैं। इसलिए समाज के विकास के लिए, व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए, समाज के उपयोगी कार्यों को करने के लिए समाज में शांति का होना आवश्यक है।

3. विविध प्रकार की सांसारिक गतिविधियों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक:
समस्त व्यापारिक गतिविधियों, औद्योगीकरण, कृषिगत गतिविधियाँ आदि सभी केवल शांतिमय वातावरण में ही संचालित हो सकती हैं। जहाँ कानून-व्यवस्था का अभाव हो, अशान्ति का वातावरण हो या हिंसा का वातावरण हो, ये सभी गतिविधियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं।

4. समृद्धि का पूरक:
शांति और समृद्धि परस्पर पूरक हैं। जहाँ शांति नहीं है, वहाँ समृद्धि नहीं आ सकती। अशान्ति के वातावरण में विकास के सभी कार्य पिछड़ जाते हैं। सरकारी मशीनरी को अपना सारा ध्यान शांति एवं व्यवस्था की स्थापना में लगा देना पड़ता है। एक देश जिसे निरन्तर साम्प्रदायिक दंगों, हिंसक संघर्षों, जातीय संघर्षों तथा सामाजिक वैमनस्य का सामना करना पड़ता है, वह विकास की आशा नहीं कर सकता क्योंकि सरकार की आय का अधिकांश भाग शांति व्यवस्था की स्थापना में ही खर्च हो जाता है। अतः स्पष्ट है कि शांति समृद्धि और विकास लाती है।

5. विदेशी व्यापार में वृद्धि: विदेशी व्यापार शांति के समय में ही फलता-फूलता है। यदि दो राष्ट्र हथियारों की प्रतियोगिता या शीत युद्ध में रत हैं, उनके बीच पारस्परिक व्यापार रुक जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच अधिकांश व्यापार इसीलिए अवरुद्ध है क्योंकि दोनों के बीच शांति के सम्बन्ध नहीं हैं। विदेशी व्यापार मित्रवत सम्बन्धों में ही विकसित होता है और मित्रवत सम्बन्ध परस्पर शांति के सम्बन्धों में ही संभव है।

6. मानवता का विकास: जब युद्ध होता है, तब मानवता पीड़ित होती है और शांतिकाल में विकसित होती है। मानवता का विकास शांति को बढ़ावा देता है। समस्त वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कार, खोजें, जीवन की सुविधाएँ शांतिमय वातावरण और परस्पर सहयोग के कारण ही संभव हुई हैं। इसीलिए यह कहा जा सकता है कि शांति हमारी इसी पीढ़ी के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी आवश्यक है।

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प्रश्न 2.
संरचनात्मक हिंसा क्या है? संरचनात्मक हिंसा के विभिन्न रूपों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा का अर्थ-हिंसा प्रायः समाज की मूल संरचना में ही रची-बसी है। जब हिंसा सामाजिक संस्थाओं से समाज में निहित रीति-रिवाजों से, समाज द्वारा मान्य संस्थाओं से प्रकट होती है, तो उसे संरचनात्मक हिंसा कहते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में जाति प्रथा के तहत जाति आधारित असमानताएँ समाज में मान्य तथा स्वीकृत होती हैं और उच्च जातियाँ तथाकथित निम्न जातियों को दबाती हैं, तो यह स्थिति हिंसा को जन्म देती है। जब एक उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों पर आक्रमण करते हैं, उनके घरों को जलाते हैं, उन्हें उत्पीड़ित करते हैं, तो यह संरचनात्मक हिंसा का स्पष्ट उदाहरण है।

जब एक स्त्री द्वितीय स्तर की नागरिक समझी जाती है और उसे समाज में पुरुष के साथ समानता का दर्जा नहीं दिया जाता है तथा उसका शोषण तथा उत्पीड़न किया जाता है, तो यह भी एक संरचनात्मक हिंसा है। इस प्रकार वह हिंसा जो समाज की संरचना के कारण प्रकट होती है, संरचनात्मक हिंसा कहलाती है। संरचनात्मक हिंसा के रूप: संरचनात्मक हिंसा के अनेक रूप हैं। इनका विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।

1. भारत में परम्परागत जाति व्यवस्था:
भारत में परम्परागत जाति व्यवस्था कुछ खास समूह के लोगों को अस्पृश्य मानकर बरताव करती थी। आजाद भारत के संविधान द्वारा गैर-कानूनी करार दिये जाने तक छुआछूत के प्रचलन ने उन्हें सामाजिक बहिष्कार और अत्यधिक वंचना का शिकार बना रखा था । भयावह रीति-रिवाजों के इन जख्मों से उबरने के लिए देश अभी तक संघर्ष कर रहा है।

2. वर्ग व्यवस्था:
विश्व में हर समाज में वर्ग-व्यवस्था विद्यमान है और वर्गों के आधार पर समाज में स्तरीकरण पाया जाता है। वर्ग-व्यवस्था ने भी काफी असमानता और उत्पीड़न को जन्म दिया है। विकासशील देशों की कामकाजी आबादी असंगठित क्षेत्र से सम्बद्ध है, जिसमें मेहनताना और काम की दशा बहुत खराब है। विकसित देशों में भी निम्न वर्गीय लोगों की अच्छी-खासी आबादी मौजूद है। कुछ वर्ग गरीबी के कारण झुग्गी-झोंपड़ियों या गंदी बस्तियों
में रहते हैं और बेरोजगारी, अशिक्षा, भूख और बीमारी का सामना करते रहते हैं। वर्गों के बीच ऐसी असमानता समाज की समरसता और शांति को भंग कर देती है।

3. पितृसत्ता आधारित भेदभाव:
प्रायः सभी पितृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था में सबसे बड़ा पुरुष सदस्य परिवार का मुखिया होता है। पितृसत्ता पर आधारित ऐसे सामाजिक संगठन की परिणति स्त्रियों को व्यवस्थित रूप से अधीन बनाने और उनके साथ भेदभाव करने में होती है। इसकी अभिव्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को अपर्याप्त पोषण और शिक्षा न देना, बाल-विवाह, पत्नी को पीटना, दहेज से सम्बंधित अपराध, कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न, बलात्कार और घर की इज्जत के नाम पर हत्या में होती है। भारत में निम्न लिंगानुपात पितृसत्तात्मक विध्वंस का मर्मस्पर्शी सूचक है। हम उस स्थिति में समाज में शांति की आशा कैसे कर सकते हैं जब संसार की लगभग आधी आबादी भेदभाव, उत्पीड़न तथा समान अधिकारों से वंचित हो।

4. उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद:
साम्राज्यवाद और उपानिवेशवाद भी संरचनात्मक हिंसा का एक रूप है। द्वितीय महायुद्ध तक उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद ने विदेशी शासन के रूप में लोगों पर प्रत्यक्ष और लम्बे समय तक गुलामी थोप दी थी । यद्यपि वर्तमान में यह लगभग असंभव है लेकिन इजरायली प्रभुत्व के खिलाफ चालू फिलिस्तीनी संघर्ष दिखाता है कि इसका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। इसके अलावा, यूरोपीय उपनिवेशवादी देशों के पूर्ववर्ती उपनिवेशों को अभी भी बहुआयामी शोषण के उन प्रभावों से पूरी तरह उबरना शेष है, जिसे उन्होंने औपनिवेशिक काल में झेला।

5. रंगभेद और साम्प्रदायिकता:
रंगभेद और साम्प्रदायिकता में एक समूचे नस्लगत समूह या समुदाय पर लांछन लगाना और उनका दमन करना शामिल रहता है। कई बार इसका उपयोग मानव विरोधी कुकृत्यों को जायज ठहराने में किया जाता रहा है। 1865 तक अमेरिका में अश्वेत लोगों को गुलाम बनाने की प्रथा, हिटलर के समय जर्मनी में यहूदियों को कत्लेआम तथा दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार की 1992 तक अपनी बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार करने वाली रंगभेद की नीति इसके उदाहरण हैं।

पश्चिमी देशों में नस्ली भेदभाव गोपनीय तौर पर अभी भी जारी है। अब इसका प्रयोग प्रायः एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विभिन्न देशों के आप्रवासियों के खिलाफ होता है। साम्प्रदायिकता को नस्लवाद का दक्षिण एशियाई प्रतिरूप माना जा सकता है जहाँ शिकार अल्पसंख्यक धार्मिक समूह होते हैं। हिंसा का शिकार व्यक्ति जिन मनोवैज्ञानिक और भौतिक नुकसानों से गुजरता है वे उसके भीतर शिकायतें पैदा करती हैं। ये शिकायतें पीढ़ियों तक कायम रहती हैं।

ऐसे समूह कभी: कभी किसी घटना या टिप्पणी से भी उत्तेजित होकर संघर्षों के ताजा दौर की शुरुआत कर सकते हैं। दक्षिण एशिया में विभिन्न समुदायों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ लम्बे समय से मन में रखी पुरानी शिकायतों के उदाहरण हमारे पास हैं, जैसे 1947 में भारत के विभाजन के दौरान भड़की हिंसा से उपजी शिकायतें।

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प्रश्न 3.
हिंसा को कैसे समाप्त किया जा सकता है? क्या हिंसा कभी शांति को प्रोत्साहित कर सकती है?
उत्तर;
हिंसा की समाप्ति: शांति को प्रोत्साहित करने के लिए यह आवश्यक है कि समाजों से हिंसा को समाप्त किया जाये । हिंसा की समाप्ति के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए-
1. लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव:
एक शांतिपूर्ण दुनिया की ओर बदलाव के लिए लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनिसेफ) के संविधान ने उचित ही टिप्पणी की है कि “चूंकि युद्ध का आरंभ लोगों के दिमाग में होता है, इसलिए शांति के बचाव भी लोगों के दिमाग में ही रचे जाने चाहिए।”

गौतम बुद्ध ने भी कहा है कि “सभी दुष्कर्म मन के कारण उपजते हैं। यदि मन रूपान्तरित हो जाए तो क्या दुष्कर्म बने रह सकते हैं?” इस तरह के प्रयास के लिए करुणा जैसे अनेक पुरातन आध्यात्मिक सिद्धान्त और ध्यान जैसे अभ्यास बिल्कुल उपयुक्त हैं। आधुनिक नीरोगकारी तकनीक और मनोविश्लेषण जैसी चिकित्सा पद्धतियाँ भी यह काम कर सकती हैं।

2. संरचनात्मक हिंसा की समाप्ति:
हिंसा का आरंभ महज किसी व्यक्ति के दिमाग में नहीं होता; इसकी जड़ें कतिपय सामाजिक संरचनाओं में भी निहित होती हैं। इसलिए हिंसा की समाप्ति के लिए यह आवश्यक है कि सामाजिक संरचनाओं में निहित हिंसा के कारणों को समाप्त किया जाये। इसके लिए सामाजिक भेदभावों, सामाजिक असमानताओं, जाति आधारित उत्पीड़न तथा दबाव, प्रजातिगत भेदभाव को समाप्त करने के प्रयास किये जाने चाहिए ताकि समाज में सामाजिक समानता, आर्थिक और राजनीतिक समानता, लैंगिक समानता, विभिन्न धर्मों व समुदायों के बीच सौहार्द्र कायम किया जा सके। न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज की रचना संरचनात्मक हिंसा को निर्मूल करने के लिए आवश्यक है। शांति, जिसे संतुष्ट लोगों के समरस सह-अस्तित्व के रूप में समझा जाता है, ऐसे ही समाज की उपज हो सकती है।

3. हिंसा की समाप्ति तथा शांति की स्थापना स्थायी नहीं ह:
शांति एक बार में हमेशा के लिए हासिल नहीं की जा सकती। शांति कोई अंतिम स्थिति नहीं बल्कि ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यापकतम अर्थों में मानव कल्याण की स्थापना के लिए जरूरी नैतिक और भौतिक संसाधनों के सक्रिय क्रियाकलाप शामिल होते हैं हिंसा से शांति की स्थापना नहीं की जा सकती कुछ लोगों का विचार है कि शक्ति का प्रयोग करके, हिंसा के द्वारा हिंसा को समाप्त किया जा सकता है।

उनका कहना है कि यदि आप शांति चाहते हैं तो हमें युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। वे इस आधार पर अपने विचारों के समर्थन में तर्क देते हैं कि राज्य कानून तोड़ने वालों तथा अपराधियों को दंडित करने के लिए तथा हिंसा को समाप्त करने के लिए समाज में राज्य सर्वाधिक भौतिक शक्ति का प्रयोग करता है।

यह तर्क दिया जाता है कि तानाशाहों और उत्पीड़क शासकों को हिंसा और शक्ति के द्वारा जबरन हटाकर भी जनता को निरन्तर नुकसान होने से रोका जा सकता है। या फिर उत्पीड़ित लोगों के मुक्ति संघर्षों को हिंसा के कुछ इस्तेमाल के बावजूद न्यायपूर्ण ठहराया जा सकता है। लेकिन उक्त विचार कुछ विचारकों के ही हैं, सभी के नहीं। अधिकांश विद्वान और विचारकों का मत है कि हिंसा के द्वारा शांति की स्थापना नहीं की जा सकती। हिंसा के द्वारा हिंसा की समाप्ति हमेशा अल्प अवधि के लिए ही होती है। हिंसा के द्वारा शांति की स्थापना नहीं की जा सकती, इस कथन के समर्थन में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं।

1. राज्य का आधार शक्ति नहीं, इच्छा है:
टी. एच. ग्रीन ने लिखा है कि राज्य का आधार लोगों की इच्छा है। अतः राज्य हिंसा और शक्ति पर आधारित नहीं है। राज्य शक्ति का उपयोग केवल कुछ अपराधियों तथा कानून तोड़ने वालों के विरुद्ध करता है, न कि जनता के विरुद्ध। जब आम जनता सरकार के विरुद्ध हो जाती है, तो उसकी सेना भी हथियार डाल देती है। क्रांतियाँ इसकी उदाहरण हैं।

2. हिंसा के द्वारा हिंसा की समाप्ति अल्प होती है:
जब हिंसा के द्वारा हिंसा को समाप्त किया जाता है, तो यह थोड़े समय के लिए हो सकती है, स्थायी नहीं। जब शत्रु या विपक्षी यह देखता है कि वह इस समय कमजोर है, वह झुक जाता है और हमेशा इस अवसर की तलाश में रहता है कि इसका बदला ले सके। जिस व्यक्ति के विरुद्ध हिंसा का प्रयोग किया जाता है, वह हिंसा उसके मस्तिष्क में उससे बदला लेने की भावना पैदा कर देती है। इस प्रकार हिंसा द्वारा हिंसा की समाप्ति या शांति की स्थापना अल्पकालिक होती है।

3. हिंसा की प्रवृत्ति नियंत्रण से बाहर हो जाने की है:
चाहे हिंसा का मकसद कितना ही अच्छा क्यों न रहा हो, लेकिन अपनी नियंत्रण से बाहर हो जाने की प्रवृत्ति के कारण यह आत्मघाती होती है। एक बार शुरू हो जाने पर इसकी प्रवृत्ति नियंत्रण से बाहर हो जाने की होती है और इसके कारण यह अपने पीछे मौत और बर्बादी की एक श्रृंखला छोड़ जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि हिंसा हिंसा को बढ़ाती है, न कि कम करती है।

4. हिंसा हृदय परिवर्तन के द्वारा समाप्त की जानी चाहिए:
शांतिवादियों का मकसद लड़ाकुओं की हिंसा को कम करके आंकना नहीं, प्रतिरोध के अहिंसक स्वरूप पर बल देना है। वैसे संघर्षों का एक प्रमुख तरीका सविनय अवज्ञा है और उत्पीड़न की संरचना की नींव हिलाने में इसका सफलतापूर्वक इस्तेमाल होता रहा है। भारतीय स्वतंत्रता आदोलन के दौरान गांधीजी द्वारा सत्याग्रह का प्रयोग इसका प्रमुख उदाहरण है। नागरिक अवज्ञा के दबाव में अन्यायपूर्ण संरचनाएँ भी रास्ता दे सकती हैं। कभी-कभार वे अपनी विसंगतियों के बोझ से ध्वस्त भी हो सकती हैं।