JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे?

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे? Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान – क्यों और कैसे?

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. इनमें से कौनसी विशेषता एक सफल संविधान की विशेषता है।
(क) वह संविधान जो प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है।
(ख) वह संविधान् जिसमें समाज के अल्पसंख्यक समूहों का उत्पीड़न करने की अनुमति दी गई हो।
(ग) वह संविधान जो अन्य लोगों की तुलना में कुछ लोगों को ज्यादा सुविधायें देता है।
(घ) वह संविधान जो सुनियोजित ढंग से समाज के छोटे-छोटे समूहों की शक्ति को और मजबूत करता है।
उत्तर:
(क) वह संविधान जो प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है।

2. संविधान की संतुलित रूपरेखा बनाने की एक कारगर विधि यह है कि-
(क) किसी एक संस्था का सारी शक्तियों पर एकाधिकार हो।
(ख) शक्ति को कई संस्थाओं में विभाजित कर दिया जाये।
(ग) संविधान को अत्यधिक लचीला बनाया जाये।
(घ) संविधान को अत्यधिक कठोर बनाया जाये।
उत्तर:
(ख) शक्ति को कई संस्थाओं में विभाजित कर दिया जाये।

3. भारत के संविधान का केवल एक ही प्रावधान ऐसा है जो लगभग बिना किसी वाद-विवाद के पास हो गया। यह प्रावधान है।
(क) मौलिक अधिकारों सम्बन्धी
(ग) संघात्मक व्यवस्था सम्बन्धी
(ख) संसदात्मक व्यवस्था सम्बन्धी
(घ) सार्वभौमिक मताधिकार सम्बन्धी
उत्तर:
(घ) सार्वभौमिक मताधिकार सम्बन्धी

4. भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व सम्बन्धी प्रावधान निम्नलिखित में से किस देश के संविधान से लिये गये हैं।
(क) अमेरिका के संविधान से
(ख) फ्रांस के संविधान से
(ग) आयरलैंड के संविधान से
(घ) ब्रिटिश के संविधान से
उत्तर:
(ग) आयरलैंड के संविधान से

5. भारतीय संविधान में फ्रांस के संविधान से ग्रहण किया गया है।
(क) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त
(ख) कानून निर्माण की विधि
(ग) न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति
(घ) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त।
उत्तर:
(क) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त

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6. निम्नलिखित में से किसे ब्रिटिश संविधान से ग्रहण किया गया है।
(क) मौलिक अधिकारों की सूची
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त
(घ) अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरूप
उत्तर:
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप

7. कनाडा के संविधान से जो प्रावधान भारत के संविधान में ग्रहण किया गया है, वह है।
(क) कानून के शासन का विचार
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त
(ख) कानून निर्माण की विधि
(घ) न्यायपालिका की स्वतंत्रता
उत्तर:
(ग) अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त

8. निम्नलिखित में से जो प्रावधान भारतीय संविधान में ब्रिटिश संविधान से ग्रहण नहीं किया गया है, वह ।
(क) सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला
(ख) सरकार का संसदीय स्वरूप
(ग) कानून के शासन का विचार
(घ) मौलिक अधिकारों की सूची
उत्तर:
(घ) मौलिक अधिकारों की सूची

9. लोकतांत्रिक संविधानों में कानून के निर्माण का निर्णय लिया जाता है।
(क) राजा द्वारा
(ख) साम्यवादी पार्टी द्वारा
(ग) जन प्रतिनिधियों द्वारा
(घ) न्यायपालिका द्वारा
उत्तर:
(ग) जन प्रतिनिधियों द्वारा

10. सरकार को आय और सम्पत्ति की असमानता को कम करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। यह प्रावधान संविधान के है। जिस कार्य को इंगित करता है, वह है।
(क) सरकार की शक्ति पर सीमा
(ख) समाज की आकांक्षाएँ व लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता प्रदान करना
(ग) समाज में निर्णय लेने की शक्ति को निर्धारित करना
(घ) बुनियादी नियमों का समूह उपलब्ध कराना।
उत्तर:
(ख) समाज की आकांक्षाएँ व लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता प्रदान करना

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. संविधान का पहला काम यह है कि वह ……………………. नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराए जिससे समाज के सदस्यों में न्यूनतम समन्वय व विश्वास बना रहे। होगी।
उत्तर:
बुनियादी

2. …………………. यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी और सरकार कैसे निर्मित होगी।
उत्तर:
संविधान

3. संविधान सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों पर कुछ ………………… भी लगाता है।
उत्तर:
सीमाएँ

4. संविधान सरकार को ऐसी ………………….प्रदान करता है, जिससे कि वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके। अधिकारों की रक्षा करते हैं।
उत्तर:
क्षमता ( शक्तियाँ)

5. अधिकतर संविधान कुछ ………………… अधिकारों की रक्षा करते हैं।
उत्तर:
मूलभूत।

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निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये

1. भारतीय संविधान जातीयता या नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं देता।
उत्तर:
सत्य

2. विश्व के सर्वाधिक सफल लिखित संविधान भारत, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के हैं।
उत्तर:
सत्य

3. भारत ने अपने संविधान पर पूर्ण जनमत संग्रह कराया जिसमें सभी लोगों ने अपनाये जा रहे संविधान के पक्ष या विपक्ष में राय दी।
उत्तर:
असत्य

4. भारतीय संविधान सभा की रचना 1935 के संविधान की प्रस्तावना के आधार पर हुई।
उत्तर:
असत्य

5. हमारी संविधान सभा के सदस्य सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने गए थे।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. 2015 में नया संविधान बनाया (अ) भारत में
2. 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ (ब) 9 दिसम्बर, 1946
3. भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक (स) जवाहरलाल नेहरू
4. संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (द) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
5. संविधान सभा के अध्यक्ष (य) नेपाल ने
6. प्रारूप समिति के सभापति (र) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

उत्तर:

1. 2015 में नया संविधान बनाया (य) नेपाल ने
2. 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ (अ) भारत में
3. भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक (ब) 9 दिसम्बर, 1946
4. संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (स) जवाहरलाल नेहरू
5. संविधान सभा के अध्यक्ष (र) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का निर्माण कितने समय में हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन के अथक प्रयास से 26 नवम्बर, 1949 को सम्पन्न हुआ।

प्रश्न 2.
संविधान का पहला काम क्या है?
उत्तर:
संविधान बुनियादी नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराये जिससे समाज के सदस्यों में न्यूनतम समन्वय और विश्वास बना रहे।

प्रश्न 3.
संविधान का दूसरा काम क्या है?
उत्तर:
संविधान यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी और सरकार कैसे निर्मित होगी।

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प्रश्न 4.
संविधान सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की सीमाएँ तय करता है। ये सीमाएँ किस रूप में मौलिक होती हैं?
उत्तर:
संविधान द्वारा सरकार पर लगाई गई सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उनका उल्लंघन नहीं कर सकती।

प्रश्न 5.
सरकार की शक्तियों को सीमित करने का सबसे सरल तरीका क्या है?
उत्तर:
सरकार की शक्तियों को सीमित करने का सबसे सरल तरीका यह है कि नागरिक के रूप में व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को स्पष्ट कर दिया जाये।

प्रश्न 6.
सामान्यत: मूल अधिकारों को कब सीमित किया जा सकता है?
उत्तर:
सामान्यतः मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में सीमित किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर थे।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में कौनसा प्रावधान सरकार को ऐसी शक्तियाँ देता है कि वह समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके?
उत्तर:
भारत के संविधान में राज्य के नीति-निर्देशक तत्व सरकार से लोगों की आकांक्षाएँ पूरी करने की अपेक्षा करते हैं।

प्रश्न 9.
कौनसा सम्बन्ध किसी देश की राष्ट्रीय पहचान बनाता है?
उत्तर:
विभिन्न राष्ट्रों में देश की केन्द्रीय सरकार और विभिन्न क्षेत्रों के बीच के सम्बन्धों को लेकर भिन्न-भिन्न अवधारणाएँ होती हैं। यह सम्बन्ध उस देश की राष्ट्रीय पहचान बनाता है

प्रश्न 10.
संविधान किसी समाज की बुनियादी राजनैतिक पहचान कैसे होता है?
उत्तर:
संविधान के माध्यम से ही कोई समाज ‘शासन कैसे होगा’ और ‘शासित कौन होंगे’, जैसे बुनियादी नियमों और सिद्धान्तों पर सहमत होकर अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाता है।

प्रश्न 11.
संविधान हमें एक नैतिक पहचान कैसे देता है?
उत्तर:
संविधान आधिकारिक बंधन लगाकर यह तय कर देता है कि कोई क्या कर सकता है और क्या नहीं। ऐसा करके वह हमें एक नैतिक पहचान देता है।

प्रश्न 12.
ऐसे दो राजनैतिक और नैतिक बुनियादी नियमों का उल्लेख कीजिये जो विश्व के सभी प्रकार के संविधानों में स्वीकार किये गये हैं।
उत्तर:

  1. अधिकतर संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करते हैं।
  2. अधिकतर संविधान ऐसी सरकारें संभव बनाते हैं जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती हैं।

प्रश्न 13.
संविधान का प्रभावी होना अनेक कारणों पर निर्भर है। किसी एक कारण का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
संविधान के प्रभावी होने का पहला कारण यह है कि उसे सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के लोकप्रिय नेताओं द्वारा बनाया गया हो जिनके पास समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की विलक्षण क्षमता हो।

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प्रश्न 14.
क्या भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को एक न एक ऐसा कारण देता है जिससे वह उसकी सामान्य रूपरेखा का समर्थन कर सके? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को उसकी सामान्य रूपरेखा का समर्थन करने का कोई न कोई कारण देता है, क्योंकि यह उन्हें विश्वास दिलाता है कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढाँचा उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 15.
भारतीय संविधान सभा की रचना किस योजना के अनुसार हुई?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा की रचना लगभग उसी योजना के अनुसार हुई जिसे ‘कैबिनेट मिशन’ ने प्रस्तावित किया था।

प्रश्न 16.
उन दो कारकों का उल्लेख कीजिये जो भारतीय संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं।
उत्तर:

  1. संविधान सभा मोटे तौर पर सबका प्रतिनिधित्व कर रही थी।
  2. संविधान सभा के सदस्यों ने सार्वजनिक हित और सार्वजनिक विवेक को ध्यान में रखते हुए कार्य किया।

प्रश्न 17.
स्पष्ट कीजिये कि भारत की संविधान सभा ने व्यापक दृष्टिकोण से कार्य किया।
उत्तर:
भारत की संविधान सभा ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए ही सम्पूर्ण विश्व से सर्वोत्तम चीजों को ग्रहण किया और उन्हें अपना बना लिया।

प्रश्न 18.
भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा में किस दल का वर्चस्व था तथा उसकी सीटें कितने प्रतिशत थीं?
उत्तर:
भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस का वर्चस्व था और उसे 82% सीटें प्राप्त थीं।

प्रश्न 19.
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन की धारणा कहाँ से ली गई है?
उत्तर:
भारत के संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन की धारणा अमेरिका के संविधान से ली गई है।

प्रश्न 20.
नेपाल लोकतांत्रिक गणराज्य कब बना?
उत्तर:
नेपाल सन् 2008 में लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

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प्रश्न 21.
नेपाल ने लोकतांत्रिक गणराज्य के नये संविधान को कब अपनाया?
उत्तर:
नेपाल में सन् 2015 में नये संविधान को अपनाया।

प्रश्न 22.
भारत की संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
भारत की संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव पं. जवाहर लाल नेहरू ने

प्रश्न 23.
भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय नागरिकों के कोई पाँच मौलिक कर्त्तव्य लिखो। होगी।
उत्तर:
भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्रस्तुत किया 1

  1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;
  2. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
  3. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
  4. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे ; तथा
  5. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्द्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखे।

प्रश्न 2.
संविधान के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
संविधान के कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. संविधान समाज में बुनियादी नियमों को उपलब्ध कराता।
  2. संविधान यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी तथा सरकार कैसे निर्मित
  3. वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की सीमाएँ निश्चित करता है।
  4. वह सरकार को ऐसी शक्तियाँ भी देता है जिससे वह सामूहिक भलाई के लिए कार्य कर सके।

प्रश्न 3.
संविधान सरकार की शक्तियों को किस तरह से सीमित करता है?
उत्तर:
संविधान सरकार की शक्तियों को कई तरह से सीमित करता है। यथा

  1. संविधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्पष्ट करता है ताकि कोई भी सरकार कभी भी उनका उल्लंघन न कर सके। है।
  2. संविधान नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के गिरफ्तार करने के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता
  3. संविधान नागरिकों को कुछ मौलिक स्वतंत्रताओं का अधिकार प्रदान करता है।

प्रश्न 4.
सरकार को सकारात्मक कार्य कर सकने और समाज की आकांक्षाओं और उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति दे सकने की सामर्थ्य प्रदान करने वाले भारत के संविधान के उपबन्धों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारतीय संविधान सरकार को वह सामर्थ्य प्रदान करता है जिससे वह कुछ सकारात्मक लोक कल्याणकारी कदम उठा सके और जिन्हें कानून की मदद से लागू किया जा सके। ऐसा सामर्थ्य प्रदान करने वाले प्रावधानों को भारत के संविधान की प्रस्तावना का समर्थन प्राप्त है और ये प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्व वाले भागों में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 5.
दक्षिण अफ्रीका के संविधान के ऐसे प्रावधानों का उल्लेख कीजिये जो सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के लिये कार्य कर सकने की शक्तियाँ देते हैं।
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका का संविधान में सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के कार्य करने से संबंधित प्रमुख प्रावधान ये हैं।

  1. वह सरकार को पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और अन्यायपूर्ण भेदभाव से व्यक्तियों और समूहों को बचाने का प्रयास करने के लिए कदम उठाने का अधिकार देता है।
  2. वह यह प्रावधान भी करता है कि सरकार धीरे-धीरे सभी के लिए पर्याप्त आवास और स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराये।

प्रश्न 6.
इण्डोनेशिया के संविधान में सरकार को समाज की सामूहिक भलाई के काम करने में समर्थ बनाने वाले उपबन्धों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. इण्डोनेशिया का संविधान सरकार को यह जिम्मेदारी देता है कि वह राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था बनाए और उसका संचालन करे।
  2. यह संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि सरकार गरीब और अनाथ बच्चों की देखभाल करेगी।

प्रश्न 7.
संविधान क्या है?
उत्तर:
संविधान वह दस्तावेज या दस्तावेजों का पुंज है जिसमें राज्य के बारे में कई प्रावधान होते हैं। ये प्रावधान बताते हैं कि राज्य का गठन कैसे होगा और वह किन सिद्धान्तों का पालन करेगा।

प्रश्न 8.
संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा से क्या आशय है?
उत्तर:
संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा से यह आशय है कि संविधान यह सुनिश्चित करे कि किसी एक संस्था का सारी शक्तियों पर एकाधिकार न हो। ऐसा करने के लिए सरकार की शक्ति को संविधान द्वारा कई संस्थाओं में बांट दिया जाता है ताकि कोई एक संस्था संविधान को नष्ट न कर सके। इसके साथ ही संविधान में बाध्यकारी मूल्य, नियम और प्रक्रियाओं के साथ-साथ कार्यप्रणाली में लचीलापन का संतुलन होना चाहिए ताकि वह आवश्यकताओं और परिस्थितियों के साथ अनुकूलन कर सके।

प्रश्न 9.
” भारत में संविधान सभा का विचार एक आस्था का प्रतीक बन चुका था ।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में संविधान सभा के अस्तित्व में आने से बहुत पहले संविधान सभा की माँग उठ चुकी थी। 9 दिसम्बर, 1946 के अध्यक्षीय भाषण में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने महात्मा गांधी के कथन को याद करते हुए कहा कि स्वराजं का अर्थ है जनता के द्वारा स्वतंत्र रूप से चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से व्यक्त उनकी इच्छा। अतः उन्होंने कहा कि ” देश में राजनीतिक रूप से जागरूक सभी वर्गों में संविधान सभा का विचार एक आस्था का प्रतीक बन चुका था। ”

प्रश्न 10.
उन तीन कारकों का उल्लेख कीजिए जो संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं?
उत्तर:
संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने वाले तीन कारक ये हैं।

  1. संविधान ऐसे लोकप्रिय नेताओं द्वारा बनाया गया हो जिनके पास लोगों को अपने साथ लेकर चलने की क्षमता हो।
  2. संविधान लोगों को यह विश्वास दिलाता हो कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढाँचा उपलब्ध कराता है।
  3. संविधान संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा प्रस्तुत करता हो।

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प्रश्न 11.
स्पष्ट कीजिये कि भारत का संविधान एक जीवंत सच्चाई है।
उत्तर:
भारत का संविधान संविधान निर्माताओं की बुद्धिमता और दूरदृष्टि का प्रमाण है कि वे देश को एक ऐसा संविधान दे सके जिसमें जनता द्वारा मान्य आधारभूत मूल्यों और सर्वोच्च आकांक्षाओं को स्थान दिया गया है। यही वह कारण है कि जिसकी वजह से इतनी जटिलता से बताया गया संविधान न केवल अस्तित्व में है, बल्कि एक जीवन्त सच्चाई भी है जबकि दुनिया के अन्य अनेक संविधान कागजी पोथों में ही दबकर रह गये।

प्रश्न 12.
कोई ऐसे चार उदाहरण दीजिये जिन पर संविधान सभा के सदस्यों में वैध सैद्धान्तिक आधार पर मतभेद थे।
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्यों में वैध सैद्धान्तिक आधार पर प्रमुख मतभेद इस प्रकार थे।

  1. भारत में शासन प्रणाली केन्द्रीकृत होनी चाहिए या विकेन्द्रीकृत?
  2. राज्यों के बीच कैसे सम्बन्ध होने चाहिए?
  3. न्यायपालिका की क्या शक्तियाँ होनी चाहिए?
  4. क्या संविधान को संपत्ति के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए?

प्रश्न 13.
भारत की संविधान सभा की रचना किस योजना के अनुसार हुई उसके प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1935 में स्थापित प्रान्तीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव हुआ। संविधान सभा की रचना लगभग उसी योजना के अनुसार हुई जिसे ब्रिटिश मंत्रिमंडल की एक समिति ‘कैबिनेट मिशन’ ने प्रस्तावित किया था। कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार:

  1. प्रत्येक प्रान्त, देशी रियासत या रियासतों के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी गईं। मोटे तौर पर दस लाख की जनसंख्या पर एक सीट का अनुपात रख गया। परिणामतः ब्रिटिश प्रान्तों को 292 सदस्य चुनने तथा देशी रियासतों को न्यूनतम 93 सीटें आवंटित की गईं।
  2. प्रत्येक प्रान्त की सीटों को तीन प्रमुख समुदायों मुसलमान, सिक्ख और सामान्य में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बाँट दिया गया।
  3. प्रान्तीय विधान सभाओं में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों ने अपने प्रतिनिधियों को चुना और इसके लिए उन्होंने समानुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमण मत पद्धति का प्रयोग किया।
  4. देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का तरीका उनके परामर्श से तय किया गया।

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प्रश्न 14.
भारत की संविधान सभा के स्वरूप पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
संविधान सभा का स्वरूप:

  1. सदस्य संख्या: विभाजन के बाद पाकिस्तान के क्षेत्रों से चुनकर आए सदस्यों को घटाने के बाद संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या 299 रह गई। इनमें से 26 नवम्बर, 1949 को कुल 284 सदस्य उपस्थित थे जिन्होंने अंतिम रूप से पारित संविधान पर अपने हस्ताक्षर किये
  2.  प्रतिनिधित्वपूर्ण: यद्यपि भारत की संविधान सभा के सदस्य सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं चुने गये थे पर उसे ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधि – परक बनाने के प्रयास किये गये। यथा

(क) सभी धर्म के सदस्यों को जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी गईं।

(ख) संविधान सभा में उस समय के अनुसूचित वर्ग के 26 सदस्य थे।

(ग) यद्यपि विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस का वर्चस्व था। उसे 82% सीटें प्राप्त थीं। लेकिन स्वयं कांग्रेस विविधताओं से भरी हुई एक ऐसी पार्टी थी जिसमें लगभग सभी विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व था।

प्रश्न 15.
भारत का संविधान एक ऐसी सरकार बनाने की नैतिक प्रतिबद्धता है जो राष्ट्रीय आन्दोलन में लोगों को दिये गये आश्वासनों को पूरा करेगी।
अथवा
भारत की संविधान सभा केवल उन सिद्धान्तों को मूर्त रूप और आकार दे रही थी जो उसने राष्ट्रीय आन्दोलन से विरासत में प्राप्त किये थे ।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन की विरासत :
भारत की संविधान सभा केवल उन सिद्धान्तों को मूर्त रूप और आकार दे रही थी जो उसने राष्ट्रीय आन्दोलन में विरासत में प्राप्त किये थे। संविधान लागू होने के कई दशक पूर्व से ही राष्ट्रीय आन्दोलन में उन प्रश्नों पर चर्चा हुई थी जो संविधान बनाने के लिए प्रासंगिक थे। जैसे- भारत में सरकार का स्वरूप और संरचना कैसी होनी चाहिए, हमें किन मूल्यों का समर्थन करना चाहिए, किन असमानताओं को दूर करना चाहिए आदि ? इन बहसों से प्राप्त निष्कर्षो अर्थात् इन बहसों से बने सिद्धान्तों पर आम सहमति को ही संविधान में अंतिम रूप प्रदान किया गया।

प्रमुख सिद्धान्त:
राष्ट्रीय आन्दोलन से जिन सिद्धान्तों को संविधान सभा में लाया गया उनका सर्वोत्तम सारांश नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव में मिलता है। इस प्रस्ताव में संविधान सभा के उद्देश्यों तथा संविधान सभा की सभी आकांक्षाओं और मूल्यों को समाहित किया गया था। इसी प्रस्ताव के आधार पर हमारे संविधान में समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभुता और सार्वजनीन पहचान जैसी बुनियादी प्रतिबद्धताओं को संस्थागत स्वरूप दिया गया।

प्रश्न 16.
सरकार की सभी संस्थाओं को संतुलित ढंग से व्यवस्थित करने में संविधान सभा की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
संस्थाओं को संतुलित रूप से व्यवस्थित करने में संविधान सभा की भूमिका- सरकार की सभी संस्थाओं को संतुलित रूप से व्यवस्थित करने की दृष्टि से संविधान सभा ने निम्न प्रयास किये
1. संस्थाओं को संतुलित ढंग से व्यवस्थित करने की दृष्टि से मूल सिद्धान्त यह रखा गया कि सरकार लोकतांत्रिक रहे और जन कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो। संविधान सभा ने शासन के विभिन्न अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच समुचित संतुलन स्थापित करने के लिए बहुत विचार मंथन किया तथा संसदीय शासन व्यवस्था और संघात्मक शासन व्यवस्था को स्वीकार किया।

2. शासकीय संस्थाओं की संतुलित व्यवस्था स्थापित करने में हमारे संविधान निर्माताओं ने दूसरे देशों के प्रयोगों और अनुभवों से सीखने का प्रयास किया; उन्होंने अन्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने से कोई परहेज नहीं किया। उन्होंने विभिन्न देशों से उनके प्रावधानों को भी लिया। लेकिन उन्होंने इन्हें तभी लिया जब वे भारत की समस्याओं और आशाओं के अनुरूप सिद्ध हुए। साथ ही उन्होंने इनमें आवश्यकतानुसार आवश्यक परिवर्तन कर इन्हें ग्रहण कया और उन्हें अपना बना लिया ।

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प्रश्न 17.
भारत की संविधान सभा की कामकाज की शैली तथा कार्यविधि को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
संविधान सभा की कामकाज की शैली: यद्यपि भारत की संविधान सभा समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व कर रही थी, तथापि वे प्रतिनिधि केवल अपनी पहचान या समुदाय का ही प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे बल्कि वे पूरे देश के हित को ध्यान में रखकर विचार-विमर्श कर रहे थे। सदस्यों में प्रायः मतभेद हो जाते थे लेकिन सदस्यों द्वारा अपने हितों के आधार पर शायद ही कोई मतभेद हुआ हो। ये मतभेद वास्तव में वैध सैद्धान्तिक आधार पर थे। सार्वभौमिक मताधिकार के विषय को छोड़कर संविधान के प्रत्येक विषय पर संविधान सभा के सदस्यों में गंभीर विचार- विमर्श और वाद-विवाद हुए।

संविधान सभा की कार्यविधि: संविधान सभा की सामान्य कार्यविधि में भी सार्वजनिक विवेक का महत्व स्पष्ट दिखाई देता था। विभिन्न मुद्दों के लिए संविधान सभा की आठ मुख्य कमेटियाँ थीं। इनके अध्यक्षों के विचार एक-दूसरे के समान नहीं थे। फिर भी सबने एक साथ मिलकर काम किया। प्रत्येक कमेटी ने आम तौर पर संविधान के कुछ-कुछ प्रावधानों का प्रारूप तैयार किया जिन पर बाद में पूरी संविधान सभा में चर्चा की गई।

आमतौर पर यह प्रयास किया गया कि फैसले आम राय से हों और कोई भी प्रावधान किसी खास हित समूह के पक्ष में न हो। कई प्रावधानों पर निर्णय मत विभाजन से भी लिये गये। ऐसे अवसरों पर हर तर्क और शंका का समाधान बहुत ही सावधानी से किया गया। लिखित रूप में उनका जवाब दिया गया। अवधि तथा बैठकें -2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन की अवधि में संविधान सभा की बैठकें 166 दिनों तक चलीं। इसके सत्र अखबारों और आम लोगों के लिए खुले हुए थे।

प्रश्न 18.
भारतीय संविधान में कौनसी दो विशेषताएँ अमेरिकी संविधान से अपनाई गई हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में निम्न दो विशेषताएँ अमेरिकी संविधान से अपनायी गई हैं-

  1. मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार अमेरिकी संविधान के अधिकारों की सूची से मिलते-जुलते हैं।
  2. न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय संविधान अमेरिकी संविधान की भांति देश का सर्वोच्च संविधान है और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को अमेरिकी न्यायालय की भांति न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्राप्त है

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया? इसके मुख्य उपबन्धों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्तावं- संविधान सभा के समक्ष 13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। उद्देश्य प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु – उद्देश्य प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु ( उपबन्ध) निम्नलिखित हैं।

  1. भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य है।
  2. भारत ब्रिटेन के अधिकार में आने वाले भारतीय क्षेत्रों, देशी रियासतों और देशी रियासतों के बाहर के ऐसे क्षेत्र जो हमारे संघ का अंग बनना चाहते हैं, का एक संघ होगा।
  3. संघ की इकाइयाँ स्वायत्त होंगी और उन सभी शक्तियों का प्रयोग और कार्यों का संपादन करेंगी जो संघीय सरकार को नहीं दी गई हैं।
  4. संप्रभु और स्वतंत्र भारत तथा इसके संविधान की समस्त शक्तियों और सत्ता का स्रोत जनता है।
  5. भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, कानून के समक्ष समानता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा कानून और सार्वजनिक नैतिकता की सीमाओं में रहते हुए भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, व्यवसाय, संगठन और कार्य करने की मौलिक स्वतंत्रता की गारण्टी और सुरक्षा दी जायेगी।
  6. अल्पसंख्यकों, पिछड़े व जनजातीय क्षेत्र, दलित व अन्य पिछड़े वर्गों को समुचित सुरक्षा दी जायेगी।
  7. गणराज्य की क्षेत्रीय अखंडता तथा थल, जल और आकाश में इसके संप्रभु अधिकारों की रक्षा सभ्य राष्ट्रों के कानून और न्याय के अनुसार की जायेगी।
  8. विश्वशांति और मानव कल्याण के विकास के लिए देश स्वेच्छापूर्वक और पूर्ण योगदान करेगा।

इस प्रकार उद्देश्य प्रस्ताव में संविधान की सभी आकांक्षाओं और मूल्यों को समाहित किया गया था। इसी प्रस्ताव के आधार पर हमारे संविधान में समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभुता और एक सर्वजनीन पहचान जैसी बुनियादी प्रतिबद्धताओं को संस्थागत स्वरूप दिया गया।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों से लिये गये प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
‘भारतीय संविधान उधार लिए गए सिद्धान्तों का समूह है।’ व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों के संविधानों से लिये गए प्रावधान: शासकीय संस्थाओं की सर्वाधिक संतुलित व्यवस्था स्थापित करने में भारत के संविधान निर्माताओं ने दूसरे देशों के प्रयोगों और अनुभवों से कुछ सीखने में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने अन्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने से भी कोई परहेज नहीं किया। साथ ही उन्होंने किसी भी ऐसे बौद्धिक तर्क या ऐतिहासिक उदाहरण की अनदेखी नहीं की जो उनके कार्य को सम्पन्न करने के लिए जरूरी था। अतः उन्होंने विभिन्न देशों से निम्नलिखित प्रावधानों को ग्रहण किया
(अ) 1935 के एक्ट का प्रभाव: हमारे संविधान निर्माता 1935 के एक्ट से अत्यधिक प्रभावित थे। हमारे संविधान का अनुच्छेद 362, 1935 के एक्ट की धारा 102 से मिलता-जुलता है।

(ब) ब्रिटिश संविधान से लिये गये प्रावधान: भारतीय संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश संविधान से निम्नलिखित प्रावधान लिये।

  1. सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला।
  2. सरकार का संसदीय स्वरूप।
  3. कानून के शासन का विचार।
  4. विधायिका में अध्यक्ष का पद और उसकी भूमिका।
  5. कानून निर्माण की विधि|

(स) अमेरिका के संविधान से लिये गये प्रावधान – भारतीय संविधान निर्माताओं ने अमेरिका के संविधान से निम्नलिखित प्रावधान लिये-

  1. मौलिक अधिकारों की सूची।
  2. न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता।

(द) कनाडा के संविधान से लिये गये प्रावधान – कनाडा के संविधान से ये प्रावधान ग्रहण किये।

  1. एक अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरूप ( सशक्त केन्द्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था)।
  2. अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त।

(य) अन्य संविधानों से ग्रहण किये गये प्रावधान – भारतीय संविधान निर्माताओं ने अन्य संविधानों से भी निम्न प्रावधानों को ग्रहण किया।

  1. आयरलैंड के संविधान से उन्होंने राज्य के नीति निर्देशक तत्व के प्रावधानों को ग्रहण किया।
  2. फ्रांस के संविधान से उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धान्त को ग्रहण किया।

लेकिन इन प्रावधानों को लेना कोई नकलची मानसिकता का परिणाम नहीं था बल्कि उन्होंने प्रत्येक प्रावधान को इस कसौटी पर कसा कि वह भारत की समस्याओं और आशाओं के अनुरूप है। इस प्रकार एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्होंने इन प्रावधानों को ग्रहण किया तथा भारत की समस्याओं, आशाओं व परिस्थितियों के अनुरूप उनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर ग्रहण किया और उन्हें अपना बना लिया । इसलिए यह कहना गलत है कि यह संविधान उधार का था।

प्रश्न 3.
संविधान क्या है? संविधान के उन कारकों पर प्रकाश डालिये जो संविधान को प्रभावी और सम्मान के योग्य बनाते हैं।
उत्तर:
संविधान से आशय: संविधान वह दस्तावेज या दस्तावेजों का पुंज है जो यह बताता है कि राज्य का गठन कैसे होगा और वह किन सिद्धान्तों का पालन करेगा। भारत का संविधान जहाँ एक लिखित दस्तावेज है, वहीं इंग्लैण्ड का संविधान दस्तावेजों और निर्णयों की एक लंबी श्रृंखला के रूप में है जिसे सामूहिक रूप से संविधान कहा जा सकता है। संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के कारक – किसी भी संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं।

1. संविधान को प्रचलन में लाने का तरीका;
इसका अभिप्राय यह है कि कोई संविधान कैसे अस्तित्व में आया; किसने संविधान बनाया और उनके पास इसे बनाने की शक्ति कितनी थी। यदि कोई संविधान सैनिक शासकों या ऐसे अलोकप्रिय नेताओं के द्वारा बनाये जाते हैं जिनके पास लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं होती, तो ऐसे संविधान निष्प्रभावी होते हैं। 1948 के बाद नेपाल में पाँच संविधान, 1948, 1951, 1959, 1962 और 1990 में बनाये जा चुके हैं, लेकिन ये सभी संविधान नेपाल नरेश द्वारा प्रदान किये गये। इसलिए निष्प्रभावी रहे।

यदि संविधान सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के बाद बनी संविधान निर्मात्री सभा के द्वारा बनाया जाता है जिसके सदस्य राष्ट्रीय आन्दोलन के लोकप्रिय नेता हों और जिनके पास समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की विलक्षण क्षमता हो, तो ऐसी संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान प्रभावी होता है। यही कारण है कि विश्व के सर्वाधिक सफल संविधान भारत, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के हैं जिन्हें एक सफल राष्ट्रीय आन्दोलन के बाद बनाया गया था। संविधान निर्माताओं की लोकप्रियता समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ ले चलने की उनकी क्षमता, उनका दृष्टिकोण तथा उनका प्रभाव संविधान को प्रभावी बनाता है।

2. संविधान के मौलिक प्रावधान संविधान के प्रभावी और सम्मान योग्य होने के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कोई कारण अवश्य देता है। जो संविधान लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि वह बुनियादी न्याय को प्राप्त करने के लिए ढांचा उपलब्ध कराता है, वह संविधान प्रभावी होता है। इस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि जो संविधान अपने सभी नागरिकों की स्वतंत्रता और समानता की जितनी अधिक सुरक्षा करता है, उसकी सफलता की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।

3. संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा: जो संविधान, संविधान में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार करता है कि कोई एक समूह या संस्था संविधान को नष्ट नहीं कर सके। ऐसे संविधान को प्रभावी संविधान कहा जा सकता है। ऐसा करने के लिए सरकार की शक्ति को कई संस्थाओं में बांट दिया जाता है। उदाहरण के लिए भारतीय संविधान सरकार की शक्ति को एक समान धरातल पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं और स्वतंत्र संवैधानिक निकाय जैसे निर्वाचन आयोग आदि में बांट देता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि यदि कोई एक संस्था संविधान को नष्ट करना चाहे तो अन्य दूसरी संस्थाएँ उसके अतिक्रमण को नियंत्रित कर लेंगी। किसी संविधान को प्रभावी और सम्मान योग्य बनाने के लिए उपर्युक्त तीन कारकों का होना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
संविधान से आप क्या समझते हैं? हमें संविधान की क्या आवश्यकता है?
अथवा
संविधान क्या है? संविधान द्वारा किये जाने वाले कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर:
संविधान से आशय: ( इसको पूर्व प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया जा चुका है।) संविधान की आवश्यकता अथवा संविधान द्वारा किये जाने वाले कार्य किसी समाज के लिए बुनियादी नियमों का समूह उपलब्ध कराकर समाज में तालमेल बिठाने, समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट कर सरकार का निर्माण करने; सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ लगाने तथा नागरिकों को मूल अधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान करने, सरकार को वह सामर्थ्य प्रदान करने जिससे वह कुछ सकारात्मक लोक- कल्याणकारी कदम उठा सके एवं राष्ट्र की बुनियादी पहचान के लिए संविधान की अत्यन्त आवश्यकता है। संविधान अपने कामों से समाज की इन आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संविधान के कार्यों की रूपरेखा अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत दी गई है।

1. संविधान तालमेल बिठाता है। संविधान का पहला काम यह है कि वह बुनियादी नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराये जिससे समाज के सदस्यों में एक न्यूनतम समन्वय और विश्वास बना रहे। सी भी समूह को सार्वजनिक रूप से मान्यता प्राप्त कुछ बुनियादी नियमों की आवश्यकता होती है जिसे. समूह के सभी सदस्य जानते हों, ताकि आपस में एक न्यूनतम समन्वय बना रहे। लेकिन ये नियम केवल पता ही नहीं होने चाहिए वरन् उन्हें लागू भी किया जाना चाहिए। इसलिए जब इन नियमों को न्यायालय द्वारा लागू किया जाता है तो इससे सभी को विश्वास हो जाता है कि और लोग भी इन नियमों का पालन करेंगे, क्योंकि ऐसा न करने पर उन्हें दंड दिया जायेगा। संविधान ऐसे नियमों को न केवल उपलब्ध कराता है, बल्कि उन्हें न्यायालय द्वारा लागू भी करवाता है।

2. निर्णय लेने की शक्ति का निर्धारण: संविधान का दूसरा काम यह स्पष्ट करना है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी। संविधान यह भी तय करता है कि सरकार कैसे निर्मित होगी । संविधान कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धान्तों का समूह है जिसके आधार पर राज्य का निर्माण और शासन का निर्माण होता है। वह समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट करता है तथा यह तय करता है कि कानून कौन बनायेगा – राजा या केवल एक दल विशेष या जनता या जन-प्रतिनिधि। यदि यह काम जन प्रतिनिधियों द्वारा करना है तो संविधान यह भी तय करता है कि उन प्रतिनिधियों का चयन कैसे होगा और कुल प्रतिनिधि कितने होंगे । इस प्रकार संविधान सरकार का निर्माण करने वाली सत्ता है।

3. सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ: सविधान का तीसरा काम यह है कि वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों की कोई सीमा तय करे। ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उनका उल्लंघन नहीं कर सकती। संविधान सरकार की शक्तियों को कई तरह से सीमित करता है। यथा

  • वह नागरिकों के मूल अधिकारों को स्पष्ट कर देता है ताकि कोई भी सरकार उनका उल्लंघन न कर सके।
  • वह नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के गिरफ्तार करने के विरुद्ध अधिकार प्रदान करता है।
  • वह नागरिकों को कुछ मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान कर देता है, जैसे भाषण की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता आदि।
    व्यवहार में इन अधिकारों व स्वतन्त्रताओं को राष्ट्रीय आपातकाल में सीमित किया जा सकता है और संविधान उन परिस्थितियों का भी उल्लेख करता है जिनमें इन अधिकारों को वापिस लिया जा सकता है।

4. समाज की आकांक्षाएँ और लक्ष्य: संविधान का चौथा काम यह है कि वह सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करे जिससे वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके। आधुनिक संविधान निर्णय लेने की शक्ति के वितरण और सरकार की शक्ति पर प्रतिबंध लगाने के काम के साथ- साथ एक ऐसा सक्षम ढांचा भी प्रदान करते हैं जिससे सरकार कुछ सकारात्मक कार्य कर सके और समाज की आकांक्षाएँ और उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति दे सके। उदाहरण के लिए भारत के संविधान में मौलिक अधिकार और राज्य की नीति के निर्देशक तत्व ऐसे ही प्रावधान हैं।

5. राष्ट्र की बुनियादी पहचान: संविधान किसी समाज की बुनियादी पहचान होती है अर्थात् इसके माध्यम से किसी समाज की एक सामूहिक इकाई के रूप में पहचान होती है। संविधान के द्वारा कोई समाज कुछ. बुनियादी नियमों और सिद्धान्तों पर सहमत होकर अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाता है। संविधान आधिकारिक बंधन लगाकर यह तय कर देता है कि कोई क्या कर सकता है और क्या नहीं। इस तरह संविधान उस समाज को नैतिक पहचान भी देता है।

अधिकतर संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करते हैं और ऐसी सरकारें संभव बनाते हैं जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती हैं। लेकिन राष्ट्रीय पहचान की अवधारणा अलग-अलग संविधानों में अलग-अलग होती है। जहाँ जर्मनी के संविधान ने ‘जर्मन नस्ल’ को नागरिकता की अभिव्यक्ति दी है, वहाँ भारतीय संविधान ने जातीयता या नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं दी है। विभिन्न राष्ट्रों में देश की केन्द्रीय सरकार और विभिन्न क्षेत्रों के बीच सम्बन्धों को लेकर विभिन्न अवधारणाएँ होती हैं। यह सम्बन्ध उस देश की राष्ट्रीय पहचान बनाते हैं।

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