JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है?
(क) अफ्रीका
(ख) एशिया
(ग) दक्षिण अमेरिका
(घ) उत्तर अमेरिका।
उत्तर:
(क) अफ्रीका।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(क) अटाकामा
(ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(घ) ध्रुवीय प्रदेश।
उत्तर:
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(क) जलाभाव
(ख) बेरोज़गारी
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ
(घ) महामारियाँ।
उत्तर:
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तथ्य नहीं है?
(क) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी है।
(ख) विश्व जनसंख्या में प्रतिवर्ष 8 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं।
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
(घ) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि उच्च होती है।
उत्तर:
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले तीन भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. जल की उपलब्धता-नदी घाटियां विश्व में सबसे सघन बसे हुए क्षेत्र हैं।
  2. भू-आकृति-पर्वत तथा पठार विरल जनसंख्या वाले प्रदेश हैं परन्तु मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक है।
  3. जलवायु-मरुस्थल तथा शीत ध्रुवीय प्रदेश विरल जनसंख्या के प्रदेश हैं, परन्तु शीतोष्ण प्रदेश घने बसे हुए प्रदेश हैं।

प्रश्न 2.
“विश्व में उच्च जनसंख्या घनत्व वाले अनेक क्षेत्र हैं” ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
अनेक क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व निम्नलिखित कारणों से है

  1. दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया में विकसित कृषि: इन क्षेत्रों में अनुकूल जलवायु, उपजाऊ मृदा, लम्बावर्धन काल, जल सिंचाई सुविधाएं हैं।
  2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य में औद्योगिक विकास: इन प्रदेशों में पर्याप्त खनिज भण्डार, उद्योग, औद्योगीकरण, तथा रहन-सहन स्तर ऊंचा है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक हैं।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 2
(iii) प्रवास-प्रवास के कारण लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

जन्म दर (Birth Rate) मृत्यु दर (Death Rate)
1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे जीवित शिशुओं की दर को जन्म दर कहते हैं। 1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे मृतक शिशुओं की दर को मृत्यु दर कहते हैं।
2. इसकी गणना प्रति हजार प्रति वर्ष की दर से की जाती है। 2. इसकी गणना प्रति हज़ार प्रति वर्ष की दर से की जाती है।
3. जब जन्मदर मृत्यु दर से अधिक हो तो इसे धनात्मक वृद्धि दर कहते हैं। 3. जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो तो इसे ऋणात्मक वृद्धि दर कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रवास के प्रतिकर्ष कारक तथा अपकर्ष कारकों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्रतिकर्ष कारक (Push Factors) अपकर्ष कारक (Pull Factors)
1. प्रतिकर्ष कारकों के कारण लोग अपने उद्गम स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं। 1. अपकर्ष कारक गन्तव्य स्थान को आकर्षक बनाते हैं।
2. बेरोज़गारी, रहन-सहन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएं महामारियां प्रतिकर्ष कारक हैं। 2. कार्य के बेहतर अवसर, रहन-सहन की अच्छी दशाएँ, शान्ति तथा स्थायित्व, जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा, अनुकूल जलवायु अपकर्ष कारक हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

लघुतरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विश्व जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population):
किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 3

जनसंख्या घनत्व से जनसंख्या वितरण का पता चलता है। जनसंख्या का घनत्व प्रायः खाद्य पदार्थों की सुविधा तथा रोजगार की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं।

(क) भौगोलिक कारक (Geographical Factors)
1. धरातल (Land):
किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार जनसंख्या के घनत्व पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी, कठोर जलवायु, यातायात के कम साधनों तथा कृषि के अभाव के कारण जनसंख्या कम होती है। इसीलिए रॉकी, एण्डीज़ तथा हिमालय पर्वत कम जनसंख्या वाले प्रदेश हैं।

मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल-सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80% जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो का मैदान विश्व में घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

2. जलवायु (Climate):
तापमान तथा वर्षा जनसंख्या के घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। अधिक ठण्डे या अधिक गर्म क्षेत्रों में कम जनसंख्या होती है। इसीलिए संसार के ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल व ध्रुवीय प्रदेश लगभग खाली हैं। सहारा मरुस्थल, एण्टार्कटिका महाद्वीप तथा टुण्ड्रा क्षेत्र में कम जनसंख्या मिलती है। यहां सम-शीतोष्ण भूमध्य सागरी तथा मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहां पर्याप्त वर्षा कृषि के लिए उपयुक्त होती है। पश्चिमी यूरोप तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में उत्तम जलवायु के कारण जनसंख्या का भारी केन्द्रीयकरण हुआ है। मध्य अक्षांशों में शीत-ऊष्ण जलवायु के कारण ही संसार की कुल जनसंख्या का 4/5 भाग निवास करता है।

3. मिट्टी (Soil):
गहरी उपजाऊ मिट्टी में कृषि उत्पादन अधिक होता है। इन प्रदेशों में अधिक लोगों को भोजन प्राप्त करने की क्षमता है। मानसूनी एशिया की नदी घाटियों में कछारी मिट्टी में चावल का अधिक उत्पादन होने के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है। गंगा, सिन्धु तथा नील नदियों के उपजाऊ मैदानों में जनसंख्या का अधिक जमाव है। लावा मिट्टी के उपजाऊपन के कारण ही जावा द्वीप में इण्डोनेशिया की कुल जनसंख्या का 70% भाग मिलता है।

4. नदियां और जल प्राप्ति (River and Water Supply):
नदियां जल का मुख्य साधन होती हैं। इनका जल पीने, जल-सिंचाई, उद्योग-धन्धों तथा यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सुविधाओं के कारण नदियों के किनारों पर अधिक जनसंख्या मिलती है। संसार की प्राचीन सभ्यताओं का जन्म नदी-घाटियों में हुआ। इसीलिए कई प्राचीन शहर, जैसे-कोलकाता, दिल्ली, आगरा तथा इलाहाबाद नदियों के किनारे ही स्थित हैं। मरुस्थल जल के अभाव के कारण विरल जनसंख्या प्रदेश है।

(ख) ऐतिहासिक कारण (Historical Factors):
कई बार ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान पर जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। गंगा के मैदान में, सिन्धु के मैदान में तथा चीन में प्राचीन सभ्यता के कई केन्द्रों में जनसंख्या अधिक है। नील नदी में जनसंख्या का अधिक घनत्व ऐतिहासिक कारणों से ही है।

(ग) राजनीतिक कारण (Political Factors):
राजनीतिक कारणों का भी जनसंख्या पर प्रभाव पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में सरकार की “श्वेत नीति” (White Policy) के कारण गोरे लोगों के अतिरिक्त किसी जाति के लोग नहीं रह सके तथा ऑस्ट्रेलिया एक अल्प जनसंख्या वाला महाद्वीप है।

(घ) धार्मिक तथा सामाजिक कारण (Religious and Social Factors):
सामाजिक रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों का जनसंख्या के वितरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस्लाम धर्म में चार विवाहों की आज्ञा, चीन तथा भारत में बाल-विवाह जनसंख्या की वृद्धि के कारण हैं। कई तीर्थ स्थान अधिक जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। परिवार कल्याण अपनाने वाले देशों में जनसंख्या की वृद्धि दर कम होती है। यहूदी लोग भी धार्मिक अत्याचारों से तंग आकर इज़राइल देश में जा बसे हैं।

(ङ) आर्थिक कारण (Economic Factors)
1. खेतीबाड़ी (Agriculture):
अधिक कृषि उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक भोजन प्राप्ति के कारण घनी जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन-तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह हो सकता है। इसीलिए मानसूनी एशिया में अधिक जनसंख्या है। इसकी तुलना में गेहूँ की कृषि वाले क्षेत्रों में साल में एक फसल के कारण कम जनसंख्या होती है। कृषि में उत्तम बीज, कृषि यन्त्र, खाद, जल-सिंचाई की सुविधाओं के कारण
अधिक उत्पादन से कई क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ गई है।

2. उद्योग (Industries):
औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत-सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। यूरोप, जापान में कोब-ओसाका प्रदेश के औद्योगिक विकास के कारण ही अधिक जनसंख्या है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी घनी जनसंख्या होती है।

3. यातायात के साधनों की सुविधा (Easy Means of Transportation):
यातायात के साधनों की सुविधाओं के कारण उद्योग, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। साइबेरिया में ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के विकास के कारण कई नगर बस गए हैं। पर्वतीय भागों में यातायात के साधनों की कमी के कारण कम जनसंख्या होती है।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 4

4. नगरीय विकास (Urban Development):
किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन का विकास होता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण लोग ग्रामों से मैगा नगरों को प्रवास करते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 2.
जनसंख्या के जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
जनसंख्या का जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त
(Demographic Transition) वर्तमान जनसंख्या प्रवृत्तियों को देख कर कहा जाता है कि विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि विकसित देशों की तुलना में 20 गुणा अधिक है। दोनों प्रकार के देशों में मृत्यु दर कम है परन्तु विकासशील देशों में जन्म दर विकसित देशों की तुलना में तीन गुणा अधिक है। E.W. Notestein नामक विद्वान् ने जनांकिकी संक्रमण मॉडल प्रस्तुत किया है कि जनसंख्या वृद्धि सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक विकास द्वारा निर्धारित होती है।

1. प्रथम अवस्था (First Stage):
इस पिछड़ी अर्थ-व्यवस्था में जनसंख्या कम होती है। जन्म-दर तथा मृत्यु दर बहुत ऊंचे होते हैं, परन्तु खुशहाली के समय मृत्यु दर कम होती है तथा आपदा के समय (जंग, अकाल, महामारी के समय) मृत्यु दर अधिक होती है। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। जीवन प्रत्याशा निम्न होती है। प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होता है। साक्षरता कम होती है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage):
औद्योगिक क्रान्ति के कारण लोगों का रहन-सहन स्तर ऊँचा हो गया है। नगरों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो गई हैं। इससे मृत्यु दर धीरे-धीरे कम हो गई है। जन्म-दर ऊंची है। ज्यों-ज्यों जन्मदर तथा मृत्यु-दर में अन्तर बढ़ता है, जनसंख्या वृद्धि होती है।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage):
इस अवस्था में जन्म-दर तथा मृत्यु-दर दोनों कम हो जाते हैं। जन्म-दर घटती-बढ़ती रहती है। नगरीयकरण में वृद्धि होती है तथा तकनीकी ज्ञान उच्च स्तर का होता है।

विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव (Man): मानव को भूतल पर केन्द्रीय स्थान प्राप्त है।

→ विश्व जनसंख्या (World Population): विश्व की इस समय कुल जनसंख्या 700 करोड़ है।

→ चीन (China): चीन 138 करोड़ जनसंख्या के साथ विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।

→ जनसंख्या घनत्व (Density of Population): जनसंख्या घनत्व मानव-भूमि का अनुपात है। विश्व में औसत घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

→ जनसंख्या घनत्व नियन्त्रण करने वाले कारक (Factors controlling Density of Population): धरातल, जलवायु, मिट्टी, खनिज, नदियां, जल प्राप्ति, कृषि परिवहन तथा उद्योग।

→ एशिया (Asia): एशिया में विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या (60%) निवास करती है।

→ भारत (India): भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है, जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है तथा जनसंख्या वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत है।

→ जनसंख्या वृद्धि के निर्धारक (Determinants of Population Growth): जन्म दर, मृत्यु-दर,जनसंख्या की गतिशीलता।

→ जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population): गत 500 वर्षों में जनसंख्या में 10 गुणा वृद्धि हुई है।

→ जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (Annual Growth rate of population): प्रतिवर्ष कुल जनसंख्या में 8 करोड़ की वृद्धि होती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो –
1. किस प्रकार की कृषि को Slash and Burn कृषि कहते हैं ?
(A) आदि निर्वाह
(B) गहन निर्वाह
(C) रोपण
(D) व्यापारिक।
उत्तर:
(A) आदि निर्वाह

2. भारत का किस फ़सल के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चावल

3. भारत में कौन-सा राज्य ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(A) पंजाब
(B) महाराष्ट्र
(C) कर्नाटक
(D) राजस्थान
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र

4. किस फ़सल उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है ?
(A) पटसन
(B) कहवा
(C) चाय
(D) चावल
उत्तर:
(C) चाय

5. बाबा बूदन पहाड़ियों पर किस फ़सल की कृषि आरम्भ की गई ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(B) कहवा

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

6. ‘सोने का रेशा’ किसे कहते हैं ?
(A) कपास
(B) रेशम
(C) पटसन
(D) ऊन।
उत्तर:
(C) पटसन

7. निम्नलिखित में से कौन-सी रबी की फ़सल है ?
(A) चावल
(B) मोटा अनाज
(C) चना
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चना

8. कौन-सी फ़सल दलहन फ़सल है ?
(A) दालें
(B) मोटा अनाज
(C) ज्वार
(D) तोरिया।
उत्तर:
(A) दालें

9. किसी फ़सल की सहायता के लिए कौन-सा मूल्य निर्धारित किया जाता है ?
(A) उच्चतम समर्थन मूल्य
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य
(C) दरमियाना समर्थन मूल्य
(D) प्रभावशाली समर्थन मूल्य।
उत्तर:
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य

10. कपास के लिए कितने दिन का पाला रहित मौसम चाहिए ?
(A) 100
(B) 150
(C) 200
(D) 250
उत्तर:
(C) 200

11. कौन – सा राज्य सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्य है ?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) उत्तर प्रदेश
(D) राजस्थान
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

12. भारत में कुल खाद्य उत्पादन कितना है ?
(A) 7 करोड़ टन
(B) 10 करोड़ टन
(C) 15 करोड़ टन
(D) 23 करोड़ टन।
उत्तर:
(D) 23 करोड़ टन।

13. किस ऋतु में खरीफ़ की फ़सलें बोई जाती हैं ?
(A) शीत
(B) ग्रीष्म
(C) बसन्त
(D) पतझड़।
उत्तर:
(A) शीत

14. भारत के निवल कृषि क्षेत्र हैं
(A) 77%
(B) 67%
(C) 45%
(D) 43%.
उत्तर:
(D) 43%.

15. भारत में खाद्य फ़सलों के अधीन क्षेत्र हैं
(A) 34%
(B) 44%
(C) 54%
(D) 64%
उत्तर:
(C) 54%

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions )

प्रश्न 1.
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में कितने प्रतिशत भाग पर कृषि होती है ?
उत्तर:
– 47%

प्रश्न 2.
भारत में परती भूमि कितने प्रतिशत है ?
उत्तर:
7.6%

प्रश्न 3.
भारत में औसत शस्य गहनता कितनी है ?
उत्तर:
135%

प्रश्न 4.
भारत में खाद्यान्न उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
320 करोड़ टन।

प्रश्न 5.
भारत में चावल का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
850 लाख टन।

प्रश्न 6.
भारत में गेहूँ का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
-687 लाख टन।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 7.
भारत में गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उपज कितनी है ?
उत्तर:
2743 कि० ग्रा० प्रति हेक्टेयर।

प्रश्न 8.
भारत में दालों का कुल उत्पादन बताओ।
उत्तर:
1 करोड़ टन।

प्रश्न 9.
भारत में तिलहन का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
1.89 करोड टन।

प्रश्न 10.
भारत में चाय की कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
8 लाख टन।

प्रश्न 11.
भारत में कितने प्रतिशत लोग जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं ?
उत्तर:
70 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
परती भूमि क्या है ?
उत्तर:
वह भूमि जिसमें एक से पांच वर्ष तक कोई फ़सल न उगाई गई हो।

प्रश्न 13.
शुद्ध बोये गए क्षेत्र की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
दूसरा स्थान।

प्रश्न 14.
भारत में शस्य गहनता किस राज्य में सर्वाधिक है ?
उत्तर:
पंजाब – 189 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
वे तीन उद्देश्य बताओ जिनके लिए भूमि का प्रयोग होता है ?
उत्तर:
उत्पादन, निवास तथा मनोरंजन।

प्रश्न 16.
उस सरकारी संस्था का नाम बताओ जो भौगोलिक क्षेत्रफल के आंकड़े प्रदान करती हैं ?
उत्तर:
सर्वे ऑफ इण्डिया

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 17.
किस भूमि को सांझा सम्पत्ति संसाधन कहते हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण पंचायतों के अधिकार में भूमि।

प्रश्न 18.
भूमि को परती क्यों छोड़ा जाता है ?
उत्तर:
ताकि भूमि अपनी खोई हुई उर्वरता पुनः प्राप्त कर सके।

प्रश्न 19.
फ़सलों की गहनता ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
फ़सल गहनता =
कुल बोया गया क्षेत्र
शुद्ध बोया गया क्षेत्र
x 100

प्रश्न 20.
भारत में फ़सलों की मुख्य ऋतुएं बताओ।
उत्तर:
खरीफ़, रबी तथा जायद।

प्रश्न 21.
आर्द्रता के आधार पर दो प्रकार की कृषि बताओ।
उत्तर:
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि

प्रश्न 22.
पश्चिमी बंगाल में वर्ष में बोई जाने वाली चावल की तीन किस्में बताओ।
उत्तर:
ओस, अमन, बोरो।

प्रश्न 23.
भारत में बोये जाने वाले प्रमुख तिलहन बताओ।
उत्तर:
मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी।

प्रश्न 24.
पंजाब में लम्बे रेशे वाली कपास को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
नरमा।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल में चाय के तीन उत्पादक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार।

प्रश्न 26.
भारत में उत्पन्न किए जाने वाले कहवे के तीन प्रकार बताओ।
उत्तर:
अरेबिका, रोबस्टा, लाईबीरिका।

प्रश्न 27.
भारत तथा विश्व में भूमि – मानव अनुपात क्या है ?
उत्तर:
0.31 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति भारत में 0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति विश्व में

प्रश्न 28.
भारत में कितने क्षेत्र में जल सिंचाई होती है ?
उत्तर:
204.6 लाख हेक्टेयर में

प्रश्न 29.
भारत में कितने क्षेत्र में लवणता तथा क्षारता के कारण भूमि व्यर्थ हुई है ?
उत्तर:
80 लाख हेक्टेयर।

प्रश्न 30.
बहुफ़सलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर:
परती भूमि में कमी हुई रश्न

प्रश्न 31.
भारत की दो प्रमुख अनाजी फ़सलें बताओ। कोई दो राज्यों के नाम लिखो जो कि इन फ़सलों के प्रमुख उत्पादक हैं।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल प्रमुख अनाजी खाद्यान्न हैं।
प्रमुख उत्पादक –
(क) गेहूँ – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।
(ख) चावल – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।

प्रश्न 32.
भारत में कॉफ़ी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य
उत्तर:
कर्नाटक

प्रश्न 33.
भारत में कॉफी की किस किस्म का अधिक उत्पादन होता है ?
उत्तर:
अरेबिका कॉफी।

प्रश्न 34.
औस, अमन और बोरो किस खाद्य फ़सलों के नाम हैं ?
उत्तर:
चावल।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 35.
भारत में शुष्क कृषि वाले प्रदेशों की एक फ़सल का नाम लिखो।
उत्तर:
बाजरा।

प्रश्न 36.
भारत में अधिकतम चावल पैदा करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 37.
भारत में चाय का अधिकतम उत्पादन करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
असम

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौगोलिक क्षेत्र तथा रिपोर्टिंग क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूराजस्व विभाग भू-उपयोग सम्बन्धी अभिलेख रखता है। भू-उपयोग संवर्गों का योग कुल प्रतिवेदन (रिपोर्टिंग ) क्षेत्र के बराबर होता है जो कि भौगोलिक क्षेत्र से भिन्न है । भारत की प्रशासकीय इकाइयों के भौगोलिक क्षेत्र की सही जानकारी देने का दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग पर है । भूराजस्व तथा सर्वेक्षण विभाग दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि भू-राजस्व द्वारा प्रस्तुत क्षेत्रफल पत्रों के अनुसार रिपोर्टिंग क्षेत्र पर आधारित है जो कि कम या अधिक हो सकता है। कुल भौगोलिक क्षेत्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण पर आधारित है तथा यह स्थायी है।

प्रश्न 2.
वास्तविक वन क्षेत्र तथा वर्गीकृत वन क्षेत्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
वास्तविक वन क्षेत्र वर्गीकृत वन क्षेत्र से भिन्न होता है। वर्गीकृत वन क्षेत्र का सरकार द्वारा सीमांकन किया जाता है जहां वन विकसित हो सकें। परन्तु वास्तविक वन क्षेत्र वह क्षेत्र है जो वास्तविक रूप से वनों से ढके हैं।

प्रश्न 3.
कृषि भूमि पर निरन्तर दबाव के कारण बताओ।
उत्तर:
यद्यपि समय के साथ, कृषि क्रियाकलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है, भूमि पर कृषि क्रियाकलापों का दबाव कम नहीं होता। कृषि भूमि पर बढ़ते दबाव के कारण हैं –
(अ) प्रायः विकासशील देशों में कृषि पर निर्भर व्यक्तियों का अनुपात अपेक्षाकृत धीरे-धीरे घटता है जबकि कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान तीव्रता से कम होता है।
(ब) वह जनसंख्या में कृषि सेक्टर पर निर्भर होती है। प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।

प्रश्न 4.
भू-उपयोग के कौन-से वर्गों के क्षेत्र में वृद्धि हुई है तथा क्यों ?
उत्तर:
तीन संवर्गों में वृद्धि व चार संवर्गों के अनुपात में कमी दर्ज की गई है। वन क्षेत्रों, गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि, वर्तमान परती भूमि आदि के अनुपात में वृद्धि हुई है। वृद्धि के निम्न कारण हो सकते हैं –

  1. ग़ैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि दर अधिकतम है। इसका कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती संरचना है, जिसकी निर्भरता औद्योगिक व सेवा सेक्टरों तथा अवसंरचना सम्बन्धी विस्तार पर उत्तरोतर बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त गांवों व शहरों में, बस्तियों के अन्तर्गत क्षेत्रफल में विस्तार से भी इसमें वृद्धि हुई है।
  2. देश में वन क्षेत्र में वृद्धि सीमांकन के कारण हुई न कि देश में वास्तविक वन आच्छादित क्षेत्र के कारण।
  3. वर्तमान परती क्षेत्र में वृद्धि वर्षा की अनियमितता तथा फ़सल – चक्र पर निर्भर है।

प्रश्न 5.
भू-उपयोग के किन वर्गों के क्षेत्र में कमी हुई है ?
उत्तर:
वे चार भू-उपयोग संवर्ग, जिनमें क्षेत्रीय अनुपात में गिरावट आई है – बंजर, व्यर्थ भूमि व कृषि योग्य व्यर्थ भूमि, चरागाहों तथा तरु फ़सलों के अन्तर्गत क्षेत्र तथा निवल बोया गया क्षेत्र।
कारण –

  1. समय के साथ जैसे – जैसे कृषि तथा गैर कृषि कार्यों हेतु भूमि पर दबाव बढ़ा, वैसे-वैसे व्यर्थ एवं कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में समयानुसार कमी इसकी साक्षी है।
  2. निवल बोए गए क्षेत्र में धीमी वृद्धि दर्ज की जाती रही है। निवल बोए गए क्षेत्र में न्यूनता का कारण ग़ैर-कृषि में प्रयुक्त भूमि के अनुपात का बढ़ना हो सकता है।
  3. चरागाह भूमि में कमी का कारण कृषि पर बढ़ता दबाव है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 6.
दक्षिणी भारत में फ़सलों की ऋतुओं में विशेष परिवर्तन नहीं होता। क्यों ?
उत्तर:
फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है यद्यपि इस प्रकार की पृथक् फ़सल ऋतुएं देश के दक्षिण भागों में नहीं पाई जातीं। यहां का अधिकतम तापमान वर्षभर किसी भी उष्ण कटिबन्धीय फ़सल की बुवाई में सहायक है, इसके लिए पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए देश के इस भाग में, जहां भी पर्याप्त मात्रा में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं, एक कृषि वर्ष में एक ही फ़सल तीन बार उगाई जा सकती है।

प्रश्न 7.
भारत में कृषि विकास के समर्थन में तीन कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।

  1. वर्ष 2001 में देश की लगभग 53 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी।
  2. भारत में कृषि की महत्ता इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि देश के 57 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती; जबकि विश्व में कुल भूमि पर केवल 12 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती है।
  3. भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि के अन्तर्गत होने के बावजूद यहां भूमि पर दबाव अधिक है। यहां प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल 0.31 हेक्टेयर है जो विश्व औसत (0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति) से लगभग आधा है। भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात्, अनेक कठिनाइयों के बावजूद कृषि में अत्यधिक प्रगति की है।

प्रश्न 8.
कृषि की परिभाषा दो। कृषि के लिए किन दशाओं की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
भूमि से उपज प्राप्त करने की कला को कृषि कहते हैं। मिट्टी को जोतने, गोड़ने, फ़सलें उगाने तथा पशु पालने की कार्य-प्रणाली को कृषि कहते हैं। अंग्रेज़ी का ‘एग्रीकल्चर’ (Agriculture) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों ‘एगर’ (ager) अर्थात् भूमि तथा ‘कल्चरा’ (cultura) अर्थात् जुताई से मिलकर बना है। इस प्रकार कृषि का अर्थ है जुताई करना ( फसलें उगाना) और पशुओं का पालना।

कृषि के लिए आवश्यक दशाएं – हम सभी जानते हैं कि सारी भूमि कृषि के योग्य नहीं होती हैं। फ़सलें उगाने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है –
भौतिक दशाएं – समतल भूमि, उपजाऊ मृदा, पर्याप्त वर्षा और अनुकूल तापमान।
मानवीय दशाएं – मनुष्य के द्वारा भूमि का उपयोग इन बातों पर भी निर्भर करता है – प्रौद्योगिकी, काश्तकारी की अवधि तथा उनका आकार, सरकारी नीतियां और अन्य अनेक अवसंरचनात्मक कारक।

प्रश्न 9.
भारत में बोया गया शुद्ध क्षेत्र कितना है ? इसका विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
1950-51 में बोया गया शुद्ध क्षेत्र 11.87 करोड़ हेक्टेयर था, जो बढ़कर 1998-99 में 14.26 करोड़ हेक्टेयर हो गया था। इस प्रकार देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्र के 46.59 प्रतिशत भाग में आजकल खेती होती है, जबकि 1950-51 में यह 36.1 प्रतिशत था। लगभग 2.34 करोड़ हेक्टेयर भूमि परती है, जो कुल प्रतिवेदित क्षेत्र का 7.6 के प्रतिशत है। इस प्रकार भारत का आधे से अधिक क्षेत्र कृषि के अन्तर्गत है । यहां यह जानना प्रासंगिक होगा कि कुल भौगोलिक क्षेत्र के सन्दर्भ में भारत का संसार में सातवां स्थान है, लेकिन कृषि के अन्तर्गत भूमि के सन्दर्भ में इसका दूसरा स्थान है। प्रथम स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो भूमि- क्षेत्र में भारत में ढाई गुना बड़ा।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 10.
भारत में बोये गए शुद्ध क्षेत्रफल का उच्च अनुपात क्यों है ?
उत्तर:
कुल भौगोलिक क्षेत्र के अनुपात में बोया गया शुद्ध क्षेत्र सभी राज्यों में एक समान नहीं है। अरुणाचल प्रदेश में शुद्ध बोया गया क्षेत्र 3.2 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा और पंजाब में यह 82.20 प्रतिशत है। सतलुज गंगा के जलोढ़ मैदान, गुजरात के मैदान, काठियावाड़ का पठार, महाराष्ट्र का पठार, पश्चिमी बंगाल का मैदान, अत्यधिक कृषि क्षेत्र हैं। कृषि क्षेत्र के इतने अधिक अनुपात के कारण ये हैं –

  1. सामान्य ढाल वाली भूमि
  2. उपजाऊ और आसानी से जुताई योग्य जलोढ़ और
  3. काली मृदा
  4. अनाज की कृषि के लिए अनुकूल जलवायु
  5. सिंचाई की उत्तम सुविधाएं तथा
  6. जनसंख्या के उच्च घनत्व का अत्यधिक दबाव।

पर्वतीय और सूखे क्षेत्रों का उच्चावच, जलवायु और मृदा और कृषि के लिए उपयुक्त नहीं है, अतः इन क्षेत्रों में कृषि की व्यापकता कम है ।

प्रश्न 11.
पंजाब राज्य में सर्वाधिक शस्य गहनता के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
पंजाब राज्य में भारत में सर्वाधिक शस्य गहनता 189 प्रतिशत है। पंजाब राज्य में 94 प्रतिशत से अधिक फ़सलगत क्षेत्र सिंचित हैं। सिंचाई अधिक शस्य गहनता का प्रमुख निर्धारक है। मृदा की सुघट्यता तथा उर्वरता भाग शस्य गहनता को अधिक करती है। जनसंख्या का अधिक दबाव भी शस्य गहनता को प्रभावित करता है । आधुनिक अधिक उपज देने वाली फसलें भी शस्य गहनता को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 12.
‘भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। व्याख्या करो
उत्तर:
भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। 14.28 करोड़ हेक्टेयर के फ़सलगत शुद्ध क्षेत्र ( 1996-97 ) में से केवल 5.51 करोड़ हेक्टेयर ( 38.5%) क्षेत्र तक ही सिंचित है। मोटे अनाज और ज्वार, बाजरा, दालें, तिलहन और कपास मुख्य वर्षा पोषित फ़सलें हैं। 75 से० मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे वर्षापोषित कृषि कहते हैं

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 13.
वर्तमान समय में भारतीय कृषि की किन्हीं तीन आर्थिक समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:

  1. विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है ।
  2. कृषि में अधिक उपज देने वाले बीजों, उर्वरक के सीमित प्रयोग के कारण उत्पादकता निम्न है।
  3. भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिन प्रति दिन बढ़ रहा है । परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फ़सलगत भूमि में कमी हो रही है। यह भूमि 0.219 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

प्रश्न 14.
भारत में फ़सल प्रतिरूपों का वर्णन करो।
उत्तर:
फ़सल प्रतिरूप (Cropping Pattern) – सभी फ़सलों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है – खाद्य फ़सलें तथा ग़ैर-खाद्य फ़सलें । खाद्य फ़सलों का पुनः तीन उपवर्गों में विभाजन किया जा सकता है –

  1. अनाज और ज्वार बाजरा
  2. दालें और
  3. फल तथा सब्ज़ियां।

अनाज, ज्वार – बाजरा और दालों को सामूहिक रूप से खाद्यान्न भी कहते हैं। ग़ैर-खाद्य फ़सलों में तिलहन, रेशेदार फ़सलें, अनेक रोपण फ़सलें तथा चारे की फ़सलें प्रमुख हैं ।

प्रश्न 15.
भारत में कृषि उत्पादकता अभी भी कम क्यों है ? तीन प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
भारत में प्रति हेक्टेयर फ़सलों की उपज कम है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. अधिक उपज वाले बीजों का कम प्रयोग – केवल 16% कृषिकृत भूमि HYV बीजों के अधीन है।
  2. पुरानी कृषि विधियां – मृदा का उपजाऊपन निरन्तर कम हो रहा है। उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं है। कीटनाशक तथा उत्तम बीजों का प्रयोग कम है।
  3. निम्न निवेश – किसान निर्धन है, पूंजी की कमी के कारण कृषि में अधिक निर्वेश नहीं है। जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण जोतों का आकार घट रहा है। जल सिंचाई का प्रयोग सीमित है। इसलिए उत्पादकता कम है।

प्रश्न 16.
भारत में हरित क्रान्ति की तीन प्रमुख उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हरित क्रान्ति की सबसे अधिक उल्लेखनीय उपलब्धि खाद्यान्नों के उत्पादन में भारी वृद्धि है। खाद्यान्नों का उत्पादन 1965-66 में 7.2 करोड़ टन था जो 2010-11 में 23 करोड़ टन हो गया।
  2. घरेलू उत्पादन में वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्यान्नों का आयात घटते घटते अब बिल्कुल समाप्त हो गया है। 1965 में खाद्यान्नों का आयात 1.03 करोड़ टन था जो घटकर 1983-84 में 24 लाख टन रह गया तथा अब कोई आयात नहीं है।
  3. कृषिकृत क्षेत्र में तथा उपज प्रति हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग, जल सिंचाई तथा उर्वरक के प्रयोग में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 17.
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि की तीन-तीन विशेषताएं बताते हुए अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

  1. शुष्क कृषि उन प्रदेशों तक सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सें० मी० से कम है। जबकि आर्द्र कृषि (75 सें० मी० से अधिक) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है ।
  2. शुष्क कृषि में आर्द्रता संरक्षण विधियां अपनाई जाती हैं जबकि आर्द्र कृषि क्षेत्रों में बाढ़ों तथा मृदा अपरदन की समस्याएं होती हैं ।
  3. शुष्क कृषि में कठोर फ़सलें तथा शुष्क वातावरण सहन करने वाली फ़सलें बोई जाती हैं जैसे रागी, बाजरा, मूंग आदि । परन्तु आर्द्र कृषि में चावल, पटसन, गन्ने की कृषि होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वामित्व के आधार पर भूमिका का वर्गीकरण करो। साझा सम्पत्ति संसाधनों की विशेषताएं बताओ। उन्हें प्राकृतिक संसाधन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि के स्वामित्व के आधार पर इसे मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटा जाता है।
(1) निजी भू-सम्पत्ति तथा
(2) साझा सम्पत्ति संसाधन।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

पहले वर्ग की भूमिका पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व अथवा कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है। दूसरे वर्ग की भूमियां सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती हैं । साझा सम्पत्ति संसाधन – पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे – फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि उपलब्ध कराती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे कृषकों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्त्व है; क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर हैं। महिलाओं के लिए भी इन भूमियों का विशेष महत्त्व है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की ज़िम्मेदारी उन्हीं की होती है । इन भूमियों में कमी से उन्हें चारे तथा ईंधन की तलाश में दूर तक भटकना पड़ता है।

साझा सम्पत्ति संसाधनों को सामुदायिक प्राकृतिक संसाधन भी कहा जा सकता है, जहां सभी सदस्यों को इसके उपयोग का अधिकार होता है तथा किसी विशेष के सम्पत्ति अधिकार न होकर सभी सदस्यों के कुछ विशेष कर्त्तव्य भी हैं। सामुदायिक वन, चरागाहों, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा सम्पत्ति संसाधन के ऐसे उदाहरण हैं जिसका उपयोग एक परिवार से बड़ी इकाई करती है तथा यही उसके प्रबन्धन के दायित्वों का निर्वहन करती हैं ।

प्रश्न 2.
भूमि संसाधनों का क्या महत्त्व है ? तीन तथ्य बताओ।
उत्तर:
भू-संसाधनों का महत्त्व उन लोगों के लिए अधिक है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है

  1. द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। अन्य शब्दों में, कृषि उत्पादन में भूमि का योगदान अन्य सैक्टरों में इसके योगदान से अधिक है। अतः ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता प्रत्यक्ष रूप से वहां की ग़रीबी से सम्बन्धित है।
  2. भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है जो अन्य कार्यों में नहीं है
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में भू-स्वामित्व का आर्थिक मूल्य के अतिरिक्त सामाजिक मूल्य भी है तथा प्राकृतिक आपदाओं या निजी विपत्ति में एक सुरक्षा की भांति है एवं समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाता है।

प्रश्न 3.
भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की सम्भावनाएं सीमित हैं।’ व्याख्या करो कि किस प्रकार कृषि भूमि में वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर:
समस्त कृषि भूमि संसाधनों का अनुमान – निवल बोया गया क्षेत्र तथा सभी प्रकार की परती भूमि और कृषि योग्य व्यर्थ भूमियों के योग से लगाया जा सकता है। तालिका 5.1 से यह निष्कर्ष निकालता है कि पिछले वर्षों में समस्त रिपोर्टिंग क्षेत्र से कृषि भूमि का प्रतिशत कम हुआ है । कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में कमी के बावजूद कृषि योग्य भूमि में कमी आई है। भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं सीमित हैं । अतः भूमि बचत प्रौद्योगिकी विकसित करना आज अत्यन्त आवश्यक है।

यह प्रौद्योगिकी दो भागों में बांटी जा सकती हैं- पहली, वह जो प्रति इकाई भूमि में फ़सल विशेष की उत्पादकता बढ़ाएं तथा दूसरी, वह प्रौद्योगिकी जो एक कृषि में गहन भू-उपयोग से सभी फ़सलों का उत्पादन बढ़ाएं। दूसरी प्रौद्योगिकी का लाभ यह है कि इसमें सीमित भूमि से भी कुल उत्पादन बढ़ने के साथ श्रमिकों की मांग भी पर्याप्त रूप से बढ़ती है। भारत जैसे देश में भूमि की कमी तथा श्रम की अधिकता है, ऐसी स्थिति में फ़सल सघनता की आवश्यकता केवल भू-उपयोग हेतु वांछित है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी जैसी आर्थिक समस्या को भी कम करने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत में विभिन्न फ़सलों की ऋतुओं का वर्णन करो। प्रत्येक ऋतु में बोई जाने वाली फ़सलें बताओ ।
उत्तर:
हमारे देश के उत्तरी व आन्तरिक भागों में तीन प्रमुख फ़सल ऋतुएं- खरीफ, रबी व ज़ायद के नाम से जानी जाती हैं।

  1. खरीफ़ की फ़सलें अधिकतर दक्षिण-पश्चिमी मानसून के साथ बोई जाती हैं जिसमें उष्ण कटिबन्धीय फ़सलें सम्मिलित हैं, जैसे- चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर आदि।
  2. रबी की ऋतु अक्तूबर-नवम्बर में शरद ऋतु से प्रारम्भ होकर मार्च-अप्रैल में समाप्त होती है। इस समय कम तापमान शीतोष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय फ़सलों जैसे- गेहूं, चना तथा सरसों आदि फ़सलों की बुवाई में सहायक है।
  3. ज़ायद एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन, फ़सल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारम्भ होता है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्ज़ियां व चारे की फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में वर्षा की कमी के बावजूद चावल की कृषि होती है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब व हरियाणा पारम्परिक रूप से चावल उत्पादक राज्य नहीं हैं। हरित क्रान्ति के अन्तर्गत हरियाणा, पंजाब के सिंचित क्षेत्रों में चावल की कृषि 1970 से प्रारम्भ की गई। उत्तम किस्म के बीजों, अपेक्षाकृत अधिक खाद सिंचाई तथा कीटनाशकों का प्रयोग एवं शुष्क जलवायु के कारण फ़सलों में रोग प्रतिरोधता आदि कारक इस प्रदेश में चावल की अधिक पैदावार के उत्तरदायी हैं। इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा के वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में बहुत कम है।

प्रश्न 6.
रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि में अन्तर बताओ।
उत्तर:
आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर ( बारानी ) कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अन्तर पाया जाता है, जैसे- रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि । रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फ़सलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। इस प्रकार की सिंचाई का उद्देश्य अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना है। उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फ़सलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर उत्पादकता प्राप्त कराना है । उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है।

प्रश्न 7.
भारत में बोए जाने वाले प्रमुख तिलहन तथा उनके क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
खाद्य तेल निकालने के लिए तिलहन की खेती की जाती है। मालवा पठार, मराठवाड़ा, गुजरात, राजस्थान शुष्क भागों तथा आंध्र प्रदेश के तेलंगाना व रायलसीमा प्रदेश, भारत के प्रमुख तिलहन उत्पादक क्षेत्र हैं। देश के कुल शस्य क्षेत्र के लगभग 14 प्रतिशत भाग पर तिलहन फसलें बोई जाती हैं। भारत की प्रमुख तिलहन फ़सलों में मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन तथा सूरजमुखी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 8.
भारत में कृषि वृद्धि तथा प्रौद्योगिकी के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
पिछले पचास वर्षों में कृषि उत्पादन तथा प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है।
1. उत्पादन – बहुत-सी फ़सलों जैसे- चावल तथा गेहूँ के उत्पादन तथा पैदावार में प्रभावशाली वृद्धि हुई है तथा फ़सलों मुख्यतः गन्ना, तिलहन तथा कपास के उत्पादन में प्रशंसनीय वृद्धि हुई है। भारत को दालों, चाय, जूट तथा पशुधन, दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है। यह चावल, गेहूँ, मूंगफली, गन्ना तथा सब्ज़ियों का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।

2. जल सिंचाई – सिंचाई के प्रसार ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इसने आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी जैसे बीजों की उत्तम किस्में, रासायनिक खादों, कीटनाशकों तथा मशीनरी के प्रयोग के लिए आधार प्रदान किया है। 1950-51 से वर्ष 2000-01 तक, कुल सिंचित क्षेत्र 208.5 लाख से बढ़कर 546.6 लाख हेक्टेयर हो गया।

3. प्रौद्योगिकी – देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का प्रसार तीव्रता से हुआ है। पिछले 40 वर्षों में रासायनिक उर्वरकों की खपत में भी 15 गुना वृद्धि हुई है। भारत में वर्ष 2001-02 में रासायनिक उर्वरकों की प्रति हेक्टेयर खपत 91 किलोग्राम थी, जो विश्व की औसत खपत ( 90 किलोग्राम) के समान थी परन्तु पंजाब तथा हरियाणा के सिंचित भागों में यह देश की औसत खपत से चार गुना अधिक है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 9.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान (Agricultural) देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन-यापन की एक विधि है। देश की कुल श्रमिक शक्ति का 70% भाग कृषि कार्य में लगा हुआ है। देश के शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net national product) में 26 प्रतिशत का योगदान है। कृषि देश की लगभग 100 करोड़ जनसंख्या को भोजन प्रदान करती है। लगभग 20 करोड़ पशु कृषि से ही चारा प्राप्त करते हैं। कृषि नई महत्त्वपूर्ण उद्योगों जैसे सूती वस्त्र, पटसन, चीनी आदि को कच्चा माल प्रदान करती है। कई कृषि पदार्थ निर्यात करके लगभग 5000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त की जाती है जोकि देश के कुल निर्यात का लगभग 10% है।

प्रश्न 10.
भारतीय कृषि को कौन-से पर्यावरणीय कारक एक सशक्त आधार प्रदान करते हैं ?
उत्तर:
भारत में शताब्दियों से कृषि का विकास किया जा रहा है। यहां अनेक प्रकार की फ़सलों की कृषि की जाती है। भारत चावल, गेहूँ, पटसन, कपास, चाय, गन्ना आदि उपजों में विश्व में विशेष स्थान रखता है। निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं कृषि को एक सशक्त आधार प्रदान करती हैं –

  1. विशाल भूमि क्षेत्र
  2. कृषिगत भूमि का उच्च प्रतिशत
  3. उपजाऊ मृदा
  4. लम्बा वर्द्धन काल (Long growing period)
  5. दीर्घ जलवायु परास (Wide climatic range)

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 11.
फ़सलों की गहनता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फ़सलों की गहनता (Intensity of Cropping) से अभिप्राय यह है कि एक खेत में एक कृषि वर्ष में कितनी फ़सलें उगाई जाती हैं। यदि वर्ष में केवल एक फ़सल उगाई जाती है तो फ़सल का सूचकांक 100 है, यदि दो फ़सलें उगाई जाती हैं तो यह सूचकांक 200 होगा। अधिक फ़सल अधिक भूमि उपयोग की क्षमता प्रकट करती है।
शस्य गहनता को निम्नलिखित सूत्र की मदद से निकाला जा सकता है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 1
पंजाब राज्य में शस्य गहनता 166 प्रतिशत, हरियाणा में 158 प्रतिशत, पश्चिमी बंगाल में 147 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 145 प्रतिशत है। उच्चतर शस्य गहनता वास्तव में कृषि के उच्चतर तीव्रीकरण को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 12.
शुष्क कृषि का क्या अर्थ है ?
अथवा
शुष्क कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शुष्क कृषि (Dry Farming):
75 से० मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में या जल सिंचाई रहित प्रदेशों में शुष्क कृषि की जाती है। यह कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहां नमी को देर तक रख सकने वाली मिट्टी हो या पानी को एकत्रित करने की सुविधा हो। वर्षा से पहले खेतों को जोत कर मिट्टी मुलायम कर देते हैं ताकि वर्षा का जल गहराई तक पहुंच सके। ऐसे प्रदेशों में वर्ष में एक ही फ़सल उगाई जाती है। प्रायः गेहूँ, कपास, चने तथा दालों की फ़सलें उगाई जाती हैं। भारत में राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कई क्षेत्रों में शुष्क खेती होती है।

प्रश्न 13.
परती भूमि से क्या अभिप्राय है ? परती भूमि की अवधि को किस प्रकार घटाया जा सकता है ?
उत्तर”
एक ही खेत पर लम्बे समय तक लगातार फ़सलें उत्पन्न करने से मृदा के पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। मृदा की उपजाऊ शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए भूमि को एक मौसम या पूरे वर्ष बिना कृषि किये खाली छोड़ दिया जाता है। इस भूमि को परती भूमि (Fallow land) कहते हैं। इस प्राकृतिक क्रिया द्वारा मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है। जब भूमि को एक मौसम के लिए खाली छोड़ा जाता है तो उसे चालू परती भूमि कहते हैं। एक वर्ष से अधिक समय वाली भूमि को प्राचीन परती भूमि कहते हैं। इस भूमि में उर्वरक के अधिक उपयोग से परती भूमि की अवधि को घटाया जा सकता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 14.
शस्यावर्तन किसे कहते हैं ? शस्यावर्तन क्यों अपनाया जाता है ?
अथवा
उत्तर:
एक ही खेत में फ़सलों को बदल-बदल कर बोने की पद्धति को शस्यावर्तन (Crop Rotations) कहते हैं । उदाहरण के लिए एक खेत में अनाज की फ़सल के बाद दालें या तिलहन की फ़सल उपजाई जाती है। फ़सलों का चुनाव मिट्टी के उपजाऊपन तथा किसान की समझदारी पर निर्भर करता है। यदि किसी भूमि पर बार-बार एक ही फ़सल उगाई जाए तो मिट्टी के उपजाऊ तत्त्व कम हो जाते हैं। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए शस्यावर्तन अपनाया जाता है। अनाज की फ़सल के बाद सामान्य फलियों की फ़सल बोई जाती है। यह फसल मृदा में नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर देती है।

प्रश्न 15.
भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलों के नाम बताइए। इन दोनों फ़सलों की जलवायु तथा मृदा सम्बन्धी आवश्यकताओं में तीन असमानताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलें हैं। गेहूँ को शीत- आर्द्र उपज काल तथा पकते समय गर्म – शुष्क मौसम चाहिए। चावल की कृषि के लिए वर्ष भर गर्म-आर्द्र मौसम की आवश्यकता है। गेहूँ की कृषि के लिए दरमियानी वर्षा (50 से० मी०) तथा चावल की कृषि के लिए अधिक वर्षा (200 से० मी०) की आवश्यकता है। गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है जबकि चावल की कृषि नदी घाटियों की जलोढ़ मिट्टी में की जाती है।

प्रश्न 16.
खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
रबी फसलें (Rabi Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं।
  2. गेहूँ, जौ, चना आदि रबी की फसलें हैं।
  3. ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

खरीफ़ फ़सलें (Kharif Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
  2. चावल, मक्का, कपास, तिलहन खरीफ़ की फ़सलें हैं।
  3. ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 17.
गन्ने के लिए जलवायु की दशाएं दक्षिणी भारत में अधिक उत्तम हैं, फिर भी गन्ने का अधिक उत्पादन उत्तरी भारत में होता है। इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर:
गन्ना एक उष्ण कटिबन्धीय फ़सल है। इसकी उपज के लिए जलवायु की आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। इसकी अधिक उत्पादकता के सभी क्षेत्र 15° उत्तर अक्षांश के दक्षिण में मिलते हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। यह उपज 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक है जबकि उत्तरी भारत में केवल 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
परन्तु गन्ने के कुल उत्पादन का 60% भाग उत्तरी भारत से प्राप्त होता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

यहां उपजाऊ मिट्टी जल- सिंचाई के अधिक विस्तार, गन्ने के बेचने की सुविधाओं के कारण उत्पादन अधिक है। यहां शुष्क शीत ऋतु सर्दियों में पाले के कारण गन्ने में रस की मात्रा कम होती है तथा प्रति हेक्टेयर उपज भी कम होती है । दक्षिणी भारत में उच्च तापमान, छोटी शुष्क ऋतु, पाला रहित जलवायु तथा लम्बे वर्धनकाल के कारण गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। परन्तु दक्षिणी भारत में उपजाऊ मिट्टी की कमी के कारण गन्ने का कृषीय क्षेत्रफल कम है तथा कुल उत्पादन उत्तरी भारत की तुलना में कम है।

प्रश्न 18.
हरित क्रान्ति की योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी है ?
उत्तर:
हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशाजनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं ।
  2. उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है ।
  3. नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  4. इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  5. यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, जहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे । इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  6. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  7. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

प्रश्न 19.
भारत के किन प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक, सामान्य, कम है ?
उत्तर:
भारत में फ़सलों की गहनता वास्तविक बोये जाने वाले क्षेत्र पर निर्भर करती है। उपजाऊ भूमि, सिंचाई के पर्याप्त साधनों तथा उत्तम कृषि विधियों के कारण कई प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक है। सिंचाई साधनों की कमी, वर्षा की कमी, बाढ़ों की अधिकता के कारण कई क्षेत्रों में भूमि उपयोग बहुत कम है तथा फ़सलों की गहनता कम है।

फसलों की गहनता का प्रादेशिक वितरण इस प्रकार है –
1. अधिक गहनता वाले प्रदेश – फ़सलों की अधिक गहनता के क्षेत्र पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी असम घाटी, त्रिपुरा तथा उत्तरी मैदान के अनेक भागों में मिलते हैं। यहां पर वर्षा 80-100 से० मी० होती है; भूमि उपजाऊ है तथा सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। प्रायः वर्ष में तीन-तीन फ़सलें उगाई जाती हैं।

2. सामान्य गहनता के प्रदेश – तमिलनाडु में ऊंचे तथा कर्नाटक के पठारी भाग, मध्यवर्ती भारत की पहाड़ियां, गंगा, सतलुज के मैदान में फ़सलों की सामान्य गहनता मिलती है। यह प्रायः दो फ़सली क्षेत्र है। इन भागों में सिंचाई के साधनों के विस्तार के कारण साल में दो फसलें प्राप्त की जाती हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

3. कम गहनता वाले प्रदेश – भारत में दक्कन, राजस्थान के शुष्क प्रदेशों में पूर्वी हिमालय के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कश्मीर तथा हिमालय के ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों की गहनता कम मिलती है। ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों का उपज काल कम होता है तथा शुष्क प्रदेशों में वर्षा की कमी के कारण साल में केवल एक फ़सल ही प्राप्त की जाती है ।

प्रश्न 20.
कौन-से ऐसे कारक हैं जिनके चलते खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट किया जा सके ?
उत्तर:

कारक रबी फसलें (Rabi crops): खरीफ़ फ़सलें (Kharif crops ):
बुआई का समय (1) वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं। (1) वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
प्रमुख फ़सलें (2) गेहूं, जौं, चना आदि रबी की फसलें हैं। (2) चावल, मक्का, कपास, खरीफ़ की फ़सलें हैं। तिलहन
पकने का समय तथा संबंधित जलवायु (3) ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं। (3) ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्व पूर्ण होती हैं।

प्रश्न 21.
हरित क्रान्ति की योजना भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में ही मिल सकी। यह योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी ? इसके लिए मुख्य उत्तरदायित्व कौन-से मूल्य आधारित कारण हैं ?
उत्तर:
हरित – क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. सिंचाई साधनों की कमी : बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं।
  2. अपर्याप्त मांग : उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  3. पूंजी का अभाव : नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है। इसलिए इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है। यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, यहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  4. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  5. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत की मुख्य फ़सलों के नाम लिखो। इनके वितरण, उत्पादन तथा उपज की दशाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग 70% लोगों का प्रमुख धन्धा कृषि है। इसलिए भारत को कृषकों का देश कहा जाता है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 42% भाग (लगभग 14 करोड़ हेक्टेयर भूमि ) में कृषि की जाती है। देश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अनेक प्रकार की महत्त्वपूर्ण फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। इनमें से खाद्य पदार्थ (Food Crops) सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। कुल बोई हुई भूमि का 80% भाग खाद्य पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत की फ़सलों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जाता है-

  1. खाद्यान्न (Foodgrains) – चावल, गेहूँ, जौं, ज्वार, बाजरा, मक्की, चने, दालें इत्यादि।
  2. पेय पदार्थ (Beverage Crops ) – चाय तथा कहवा।
  3. रेशेदार पदार्थ (Fibre Crops ) – कपास तथा पटसन।
  4. तिलहन (Oil Seeds) – मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी आदि।
  5. कच्चे माल (Raw Materials) – गन्ना, तम्बाकू, रबड़ आदि।

1. चावल (Rice):
महत्त्व – भारत में चावल की कृषि प्राचीन काल से हो रही है। भारत को चावल की जन्म भूमि माना जाता है। इसे ‘Gift of India’ भी कहते हैं। चावल भारत का मुख्य खाद्यान्न (Master Grain) है। भारत संसार का 22% चावल उत्पन्न करता है तथा यह संसार में दूसरे स्थान पर है। उपज की दशाएं – मुख्यतः चावल गर्म आर्द्र मानसूनी प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – चावल की कृषि के लिए ऊंचे तापमान (20°C) की आवश्यकता है। तेज़ वायु तथा बादल हानिकारक हैं।
2. वर्षा – चावल की कृषि के लिए वार्षिक वर्षा 200 सै०मी० से कम न हो। वर्षा की कमी के साथ-साथ चावल की कृषि भी कम होती जाती है।
3. जल सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्र में जल सिंचाई की सहायता से चावल की कृषि होती है। जैसे- पंजाब, हरियाणा में।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 2
4. मिट्टी – चावल के लिए चिकनी मिट्टी या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसी कारण चावल नदी घाटियों, डेल्टाओं तथा तटीय मैदानों में अधिक होता है।
5. धरातल – चावल के लिए समतल भूमि की आवश्यकता है ताकि वर्षा व जल सिंचाई से प्राप्त जल खेतों में खड़ा रह सके। पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती की जाती है।
6. सस्ते मज़दूर – चावल की कृषि में सभी कार्य – जोतना, बोना, पौधे लगाना, फ़सल काटना, हाथ से करने पड़ते हैं । इसलिए घनी जनसंख्या वाले प्रदेशों में सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता होती है।उत्पादन – देश की 25% बोई हुई भूमि पर चावल की कृषि होती है। 450 लाख हेक्टेयर भूमि में 890 लाख मीट्रिक टन चावल उत्पन्न होता है । प्रति हेक्टयर उपज 1365 कि० ग्राम है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत में राजस्थान तथा दक्षिणी पठार के शुष्क भागों को छोड़कर सारे भारत में चावल की कृषि होती है। भारत में चावल की कृषि के लिए आदर्श शाएं पाई जाती हैं। भारत में चावल की कृषि वर्षा की मात्रा के अनुसार है।

  1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चावल का उत्पादन करता है । इस राज्य की 80% भूमि पर चावल की कृषि होती है। सारा साल ऊंचे तापमान व अधिक वर्षा के कारण वर्ष में तीन फ़सलें अमन, ओस तथा बोरो होती हैं। शीतकाल में अमन की फ़सल मुख्य फ़सल है।
  2. तमिलनाडु – इस राज्य में वर्ष में दो फ़सलें होती हैं। यह राज्य चावल उत्पन्न करने में दूसरे स्थान पर है।
  3. आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा – पूर्वी तटीय मैदान तथा नदी डेल्टाओं में चावल की कृषि होती है।
  4. बिहार, उत्तर प्रदेश – भारत के उत्तरी मैदान में उपजाऊ क्षेत्रों में जल सिंचाई की सहायता से चावल का अधिक उत्पादन है।
  5. पंजाब, हरियाणा – इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर उपज सबसे अधिक है। ये राज्य भारत में कमी वाले भागों को चावल
    भेजते हैं। इन्हें भारत का चावल का कटोरा कहते हैं।

2. गेहूँ (Wheat):
महत्त्व – भारत में प्राचीन काल में सिन्ध घाटी में गेहूँ की खेती के चिह्न मिले हैं। गेहूँ संसार का सर्वश्रेष्ठ तथा मुख्य खाद्य पदार्थ है। भारत संसार का 8% गेहूँ उत्पन्न करता है तथा इसका दूसरा स्थान उपज की दशाएं – गेहूँ शीतोष्ण कटिबन्ध का पौधा है। भारत में यह रबी की फ़सल है।

  1. तापमान – गेहूँ के बोते समय कम तापक्रम (15°C) तथा पकते समय ऊँचा तापक्रम (20°C) आवश्यक है।
  2. वर्षा – गेहूँ के लिए साधारण वर्षा (50 cm) चाहिए। शीतकाल में बोते समय साधारण वर्षा तथा पकते समय गर्म शुष्क मौसम ज़रूरी है। तेज़ हवाएं तथा बादल हानिकारक हैं। भारत में गेहूँ के लिए बोते समय आदर्श जलवायु मिलती है, परन्तु पकते समय कई असुविधाएं होती हैं।
  3. जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई आवश्यक है, जैसे- पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में।
  4. मिट्टी – गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी उत्तम है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद बहुत लाभदायक है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 3
  5. धरातल – गेहूँ के लिए समतल मैदानी भूमि चाहिए ताकि उस पर कृषि यन्त्र और जल – सिंचाई का प्रयोग किया जा सके।
  6. गेहूँ की कृषि के लिए कृषि यन्त्रों, उत्तम बीज व खाद के प्रयोग के प्रति एकड़ उपज में वृद्धि होती है।
  7. गेहूँ की कृषि के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं।

उत्पादन – पिछले कुछ सालों में हरित क्रान्ति के कारण देश में गेहूँ की पैदावार में वृद्धि हुई है। देश की 14% बोई हुई भूमि पर गेहूं की कृषि होती है। देश में लगभग 270 लाख हेक्टेयर भूमि पर 800 लाख टन गेहूँ उत्पन्न होता है। प्रति हेक्टेयर उपज 2618 कि० ग्राम है। उपज के क्षेत्र भारत में अधिक वर्षा रेतीली भूमि तथा मरुस्थलों को छोड़ कर उत्तरी भारत के सभी राज्यों में गेहूँ की कृषि होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत शीत के कारण गेहूँ नहीं होता।

1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गेहूँ उत्पन्न करता है। इस राज्य में गंगा-यमुना दोआब, तराई प्रदेश, गंगा – घाघरा दोआब प्रमुख क्षेत्र हैं । इस प्रदेश में नहरों द्वारा जल – सिंचाई तथा शीत काल की वर्षा की सुविधा है।
2. पंजाब – इसे भारत का अन्न भण्डार (Granary of India) कहते हैं। यहां उपजाऊ मिट्टी, शीत काल की वर्षा, जल – सिंचाई व खाद की सुविधाएं प्राप्त हैं । इस राज्य में मालवा का मैदान तथा दोआबा प्रमुख क्षेत्र हैं।
3. अन्य क्षेत्र –
(क) हरियाणा – हरियाणा में रोहतक – करनाल क्षेत्र।
(ख) मध्य प्रदेश में भोपाल – जबलपुर क्षेत्र
(ग) राजस्थान में गंगानगर क्षेत्र।
(घ) बिहार में तराई क्षेत्र।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

3. गन्ना ( Sugarcane)
महत्त्व – गन्ना भारत का मूल पौधा है। भारत में यह एक व्यापारिक फ़सल है। भारत में चीनी उद्योग गन्ने पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त गन्ने से कई पदार्थ जैसे कागज़ शीरा, खाद, मोम आदि भी तैयार किए जाते हैं।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 4
उपज की दशाएं – गन्ना उष्ण आर्द्र प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – गन्ने के लिए सारा साल उंचे तापक्रम ( 25°C) की आवश्यकता है। अति अधिक शीत तथा पाला फसल के लिए हानिकारक है।
2. वर्षा – गन्ने के लिए 100 से 200 सै०मी० वर्षा चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। गन्ने के पकते समय शुष्क जलवायु उत्तम होती है तथा अधिक वर्षा से गन्ने का रस पतला पड़ जाता है।
3. मिट्टी – गन्ने के लिए शहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। मिट्टी में चूना तथा फॉस्फोरस का अंश अधिक होना चाहिए। नदी घाटियों की कांप की मिट्टी गन्ने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।
4. सस्ते श्रमिक – गन्ने कृषि में अधिकतर कार्य से हाथ से किए जाते हैं, इसलिए सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है। भारत की स्थिति – भारत में गन्ने की कृषि के लिए आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। यहां ऊंचे तापक्रम एवं पर्याप्त वर्षा है। उत्तरी भारत में लम्बी शुष्क ऋतु व पाले के कारण अनुकूल दशाएं नहीं हैं।
फिर भी उपजाऊ मिट्टी व जल – सिंचाई के कारण भारत का 60% गन्ना उत्तरी मैदान में होता है। भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
उत्पादन – भारत में संसार में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर गन्ने की कृषि होती है, परन्तु प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है। संसार का 40% गन्ना क्षेत्र भारत में है, परन्तु उत्पादन केवल 10% है। देश में 33 लाख हेक्टेयर भूमि में 2900 लाख टन गन्ना उत्पन्न किया जाता है।

उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत का 60% गन्ना उत्तरी भारत में उत्पन्न किया जाता है।
1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न करता है। यहां पर गन्ना उत्पन्न करने के तीन क्षेत्र हैं –
(क) दोआब क्षेत्र – रुड़की से मेरठ तक।
(ख) तराई क्षेत्र – बरेली, शाहजहांपुर।
(ग) पूर्वी क्षेत्र – गोरखपुर

गोरखपुर को भारत का जावा (Jave of India) – भी कहते हैं। यहां गन्ने की कृषि के लिए कई सुविधाएं हैं –

  1. 100-200 सै०मी० वर्षा
  2. उपजाऊ मिट्टी
  3. जल- सिंचाई के साधन
  4. चीनी मिलों का अधिक होना।

2. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में अनुकूल जलवायु तथा अधिक प्रति हेक्टेयर उपज के कारण गन्ने की कृषि महत्त्वपूर्ण हो रही है –
(क) आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा व गोदावरी डेल्टे
(ख) तमिलनाडु में कोयम्बटूर क्षेत्र।
(ग) महाराष्ट्र में गोदावरी घाटी का नासिक क्षेत्र।
(घ) कर्नाटक में कावेरी घाटी।

3. अन्य क्षेत्र

  • पंजाब में गुरदासपुर, जालन्धर क्षेत्र।
  • हरियाणा में रोहतक, गुड़गाँव क्षेत्र।
  •  बिहार में तराई का चम्पारण क्षेत्र।

4. चाय (Tea)
महत्त्व – चाय एक पेय पदार्थ है। भारत में चाय एक व्यापारिक फ़सल है जिसकी कृषि बागवानी कृषि के रूप में होती है। भारत संसार की 35% चाय उत्पन्न करता है तथा इसका पहला स्थान है भारत संसार में चाय निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। देश में लगभग 700 चाय कम्पनियां हैं। देश में लगभग 12,000 चाय बागान हैं जिनमें 10 लाख मज़दूर काम करते हैं। उपज की दशाएं (Conditions of Growth) – चाय गर्म आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – चाय के लिए सारा साल समान रूप से ऊंचे तापमान ( 25°C से 30°C) की आवश्यकता है। ऊंचे ताप के कारण वर्षभर पत्तियों की चुनाई हो सकती है, जैसे असम में।
2. वर्षा – चाय के लिए अधिक वर्षा (150 से०मी०) होनी चाहिए। वर्षा सारा साल समान रूप से हो। शुष्क मौसम (विशेषकर ग्रीष्मकाल ) चाय के लिए हानिकारक है। चाय के पौधों के लिए कुछ वृक्षों की छाया अच्छी होती है।
3. मिट्टी – चाय के उत्तम स्वाद के लिए गहरी मिट्टी चाहिए जिसमें पोटाश, लोहा तथा फॉस्फोरस का अधिक अंश हो।
4. धरातल — चाय की कृषि पहाड़ी ढलानों पर की जाती है ताकि पौधों की जड़ों में पानी इकट्ठा न हो। प्राय: 300 मीटर की ऊंचाई वाले प्रदेश उत्तम माने जाते हैं।
5. श्रम – चाय की पत्तियों को चुनने, सुखाने तथा डिब्बों में बन्द करने के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं। प्रायः स्त्रियों को इन कार्यों में लगाया जाता है।
6. प्रबन्ध – बाग़ान के अधिक विस्तार के कारण उचित प्रबन्ध व अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

उत्पादन – देश में 42 लाख हेक्टेयर भूमि पर 99 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है। देश में हरी चाय (Green Tea) तथा काली चाय (Black Tea) दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। विभिन्न राज्यों में चाय का उत्पादन इस प्रकार है –
उपज के क्षेत्र – भारतीय चाय का उत्पादन दक्षिणी भारत की अपेक्षा उत्तरी भारत में कहीं अधिक है। देश में चाय के क्षेत्र एक-दूसरे से दूर-दूर हैं।
1. असम – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चाय उत्पन्न करता है। इस राज्य में ब्रह्मपुत्र घाटी तथा दुआर का प्रदेश चाय के प्रमुख क्षेत्र हैं। इस राज्य को कई सुविधाएं प्राप्त हैं –

  • मानसून जलवायु
  • अधिक वर्षा तथा ऊंचे तापमान
  • पहाड़ी ढलानें
  • उपजाऊ मिट्टी
  • योग्य प्रबन्ध।

2. पश्चिमी बंगाल – इस राज्य में दार्जिलिंग क्षेत्र की चाय अपने विशेष स्वाद (Special Flavour) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां अधिक ऊंचाई, अधिक नमी व कम तापमान के कारण चाय धीरे-धीरे बढ़ती है। जलपाइगुड़ी भी प्रसिद्ध क्षेत्र है।
3. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में नीलगिरि की पहाड़ियां (Nilgiri), इलायची तथा अनामलाई की पहाड़ियों में चाय उत्पन्न की जाती है।
(क) तमिलनाडु में कोयम्बटूर तथा नीलगिरी क्षेत्र।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 5
(ख) केरल में मालाबार तट।
(ग) कर्नाटक में कुर्ग क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में रत्नागिरी क्षेत्र।

4. अन्य क्षेत्र –
(क) झारखण्ड में रांची का पठार
(ख) हिमाचल प्रदेश में पालमपुर का क्षेत्र।
(ग) उत्तराखण्ड में देहरादून का क्षेत्र
(घ) त्रिपुरा क्षेत्र।

व्यापार – भारत संसार में तीसरा बड़ा चाय ( 35%) निर्यातक देश है। देश के उत्पादन का लगभग 1/4 भाग विदेशों को निर्यात किया जाता है। इससे लगभग 1100 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात मुख्यतः इंग्लैण्ड, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि 80 देशों को होता है। विदेशों में चाय के निर्यात को बढ़ाने तथा चाय के स्तर को उन्नत करने के लिए चाय बोर्ड (Tea Board) की स्थापना की गई है।

5. कपास (Cotton ):
महत्त्व – कपास एक रेशेदार पदार्थ है। देश की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक फ़सल है। भारत में प्राचीनकाल से कपास की कृषि हो रही है । भारत में सूती वस्त्र उद्योग कपास पर निर्भर है। भारत संसार की 9% कपास उत्पन्न करता है तथा चौथे स्थान पर है। भारत में अधिकतर छोटे रेशे वाली कपास ( 22 किलोमीटर लम्बी ) उत्पन्न होती है।
उपज की दशाएं – कपास उष्ण प्रदेशों की उपज है तथा खरीफ़ की फ़सल है।

  • तापमान – कपास के लिए तेज़, चमकदार धूप तथा उच्च तापमान ( 25°C) की आवश्यकता है। पाला इसके लिए हानिकारक है। अतः इसे 200 दिन पाला रहित मौसम चाहिए।
  • वर्षा – कपास के लिए 50 से०मी० वर्षा चाहिए । चुनते समय शुष्क पाला रहित मौसम चाहिए । फ़सल पकते समय वर्षा न हो।
  • जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं, जैसे पंजाब में। इससे प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक होती है।
  • मिट्टी – कपास के लिए लावा की काली मिट्टी सबसे उचित है। लाल मिट्टी तथा नदियों की कांप की मिट्टी ( दोमट मिट्टी) में भी कपास की कृषि होती है।
  • सस्ता श्रम – कपास के लिए सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता है। कपास चुनने के लिए स्त्रियों को लगाया जाता है।
  • धरातल – कपास की कृषि के लिए समतल मैदानी भाग अनुकूल होते हैं । साधारण ढाल वाले क्षेत्रों में पानी इकट्ठा नहीं होता।
    उत्पादन – भारत में 242 लाख हेक्टेयर भूमि पर 242 लाख गांठे कपास उत्पन्न की जाती है।

उपज के क्षेत्र – भारत में जलवायु तथा मिट्टी में विभिन्नता के कारण कपास के क्षेत्र बिखरे हुए हैं। उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में अधिक कपास होती है-
1. काली मिट्टी का कपास क्षेत्र – काली मिट्टी का कपास क्षेत्र सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश राज्यों के भाग शामिल हैं। गुजरात राज्य भारत में सबसे अधिक कपास उत्पन्न करता है । इस राज्य के खानदेश व बरार क्षेत्रों में देशी कपास की कृषि होती है।
2. लाल मिट्टी का क्षेत्र – तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में लाल मिट्टी (Red Soil) क्षेत्र में लम्बे रेशे वाली कपास (कम्बोडियन) उत्पन्न होती है।
3. दरियाई मिट्टी का क्षेत्र-उत्तरी भारत में दरियाई मिट्टी के क्षेत्रों में लम्बे रेशे वाली अमरीकन कपास (नरमा) की कृषि होती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान राज्य प्रमुख क्षेत्र हैं। पंजाब में जल – सिंचाई के कारण देश में सबसे अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन है। भविष्य – भारत से छोटे रेशे वाली कपास का निर्यात होता है, परन्तु सूती वस्त्र उद्योग के लिए लम्बे रेशे वाली कपास आयात की जाती है। देश में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। लम्बे रेशे वाली कपास के क्षेत्र में वृद्धि की जा रही है । आशा है, कपास के उत्पादन में देश शीघ्र ही आत्मनिर्भर हो जाएगा।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

6. पटसन (Jute ):
महत्त्व – पटसन भारत का मूल पौधा है। पटसन एक महत्त्वपूर्ण उपयोगी तथा सस्ता रेशा है। इसे सोने का रेशा कहते हैं। इससे टाट, बोरे, पर्दे, गलीचे तथा दरियां आदि बनाई जाती हैं। व्यापार में महत्त्व के कारण इसे थोक व्यापार का खाकी कागज़ भी कहते हैं। भारत का पटसन उद्योग पटसन की कृषि पर निर्भर करता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 6
उपज की दशाएं – पटसन मानसून खण्ड में उष्ण आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – पटसन के लिए सारा साल ऊंचे तापमान (27°C) की आवश्यकता है। पटसन खरीफ़ की फ़सल है।
2. वर्षा – पटसन के लिए अधिक वर्षा (150 से० मी०) की आवश्यकता पड़ती है। वर्षा सारा साल समान रूप से होती है।
3. मिट्टी – पटसन के लिए गहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। नदियों में बाढ़ क्षेत्र, डेल्टा प्रदेश पटसन के लिए आदर्श क्षेत्र होते हैं यहां नदियों द्वारा हर वर्ष मिट्टी की नई परत बिछ जाती है। खाद का भी अधिक प्रयोग किया जाता है।
4. स्वच्छ जल – पटसन को काटकर धोने के लिए नदियों के साफ़ पानी की आवश्यकता होती है।
5. सस्ता श्रम – पटसन को काटने, धोने और छीलने के लिए सस्ते तथा कुशल मज़दूरों की आवश्यकता होती है।

उत्पादन – भारत संसार का 35% पटसन उत्पन्न करता है तथा दूसरे स्थान पर है। विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र का अधिकांश भाग बांग्लादेश को प्राप्त हो गया है। भारत में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर 12 लाख टन पटसन उत्पन्न होती है।
उपज के क्षेत्र – देश के विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र कम हो गया है, परन्तु नए क्षेत्रों में पटसन की कृषि से इस कमी को पूरा किया जा रहा है।
1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक पटसन (36 लाख गांठें ) उत्पन्न करता है। इस राज्य में कई सुविधाएं हैं

  • नदी घाटियां तथा गंगा डेल्टाई प्रदेश
  • अधिक वर्षा
  • ऊँचा तापमान
  • अनेक नदियां
  • सस्ते मज़दूर।

2. आसाम – आसाम में ब्रह्मपुत्र घाटी पटसन के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य में कामरूप तथा गोलपाड़ा जिले प्रसिद्ध हैं।
3. बिहार – इस राज्य के तराई प्रदेश में पटसन उत्पन्न होता है।
4. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टों में पटसन की कृषि होती है।

5. अन्य प्रदेश
(क) उत्तर प्रदेश में गोरखपुर क्षेत्र।
(ख) आन्ध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम क्षेत्र|
(ग) छत्तीसगढ़ में रायपुर क्षेत्र।
(घ) केरल में मालाबार तट।
(ङ) उत्तरी-पूर्वी भाग में मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर राज्य।

7. कहवा (Coffee):
कहवा (Coffee) कहवा भी चाय की तरह एक लोकप्रिय पेय पदार्थ है।
उपज की दशाएं – कहवा उष्ण कटिबन्ध के उष्ण- आर्द्र प्रदेशों का पौधा है। यह एक प्रकार के सदाबहार पौधे के फूलों (Berries) के बीजों (Beans) को सुखा कर पीसकर चूर्ण तैयार कर लिया जाता है।
1. तापमान (Temperature ) – कहवे के उत्पादन के लिए सारा साल ऊंचा तापमान ( औसत 22°C) होना चाहिए। पाला (Frost ) तथा तेज हवाएं (Strong winds) कहवे की कृषि के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे की कृषि सुरक्षित ढलानों (Protected hill-slopes) पर की जाती है।

2. वर्षा – कहवे के लिए 100 से 150 से०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा का वितरण वर्षभर समान रूप से हो। शुष्क ऋतु में जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। फल पकते समय ठण्डे शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

3. छायादार वृक्ष – सूर्य की सीधी व तेज़ किरणें कहवे के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे के बागों में केले तथा दूसरे छायादार फल उगाए जाते हैं। जो छाया के अतिरिक्त सहायक आय का भी साधन हैं।

4. मिट्टी – कहवे की कृषि के लिए गहरी, छिद्रदार उपजाऊ मिट्टी चाहिए जिसमें लोहा चूना तथा वनस्पति के अंश अधिक हों। लावा की मिट्टी तथा दोमट मिट्टी कहवे के लिए अनुकूल होती है।

5. धरातल – कहवे के बाग़ पठारों तथा ढलानों पर लगाए जाते हैं, ताकि पानी का अच्छा निकास हो। कहवे की कृषि 1000 मीटर तक ऊंचे प्रदेशों में की जाती है।

6. सस्ते श्रमिक – कहवे की कृषि के लिए सस्ते तथा अधिक मज़दूरों की आवश्यकता होती है। पेड़ों को छांटने, बीज तोड़ने तथा कहवा तैयार करने के लिए सभी कार्य हाथों से किए जाते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

7. बीमारियों की रोकथाम – कहवे के बाग़ में बीटल नामक कीड़े तथा कई बीमारियों के कारण भारत, श्रीलंका तथा इण्डोनेशिया में नष्ट हो गए हैं। इन बीमारियों की रोकथाम आवश्यक है।

उत्पादन – भारत में कहवे की कृषि एक मुस्लिम फ़कीर बाबा बूदन द्वारा लाए गए बीजों द्वारा आरम्भ की गई। भारत में कहवे का पहला बाग़ सन् 1830 में कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर क्षेत्र में लगाया गया। धीरे-धीरे कहवे की कृषि में विकास होता है। अब भारत में लगभग दो लाख हेक्टेयर भूमि पर दो लाख टन कहवे का उत्पादन होता है। देश में कहवे की खपत कम है। देश के कुल उत्पादन का 60% भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। इस निर्यात से लगभग 1500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात कोजीकोड (केरल) चेन्नईं तथा बंगलौर की बन्दरगाहों से किया जाता है।

उपज के क्षेत्र – भारत के कहवे के बाग़ दक्षिणी पठार की पर्वतीय ढलानों पर ही मिलते हैं। उत्तरी भारत में ठण्डी जलवायु के कारण कहवे की कृषि नहीं होती।
(क) कर्नाटक राज्य – यह राज्य भारत में सबसे अधिक कहवा उत्पन्न करता है। यहां पश्चिमी घाट तथा नीलगिरि की पहाड़ियों पर कहवे के बाग़ मिलते हैं। इस राज्य में शिमोगा, कादूर, हसन तथा कुर्ग क्षेत्र कहवे के लिए प्रसिद्ध हैं।
(ख) तमिलनाडु – इस राज्य में उत्तरी आरकाट से लेकर त्रिनेवली तक के क्षेत्र में कहवे के बाग़ मिलते हैं। यहां नीलगिरि तथा पलनी की पहाड़ियों की मिट्टी या जलवायु कहवे की कृषि के अनुकूल है।
(ग) केरल – केरल राज्य में इलायची की पहाड़ियों का क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में सातारा जिला।
(ङ) इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, असम, पश्चिमी बंगाल तथा अण्डेमान द्वीप में कहवे की कृषि के लिए यत्न किए जा रहे हैं ।

8. मोटे अनाज ( Millets):
(i) ज्वार (Jowar ) – खाद्यान्न में क्षेत्रफल की दृष्टि से ज्वार का तीसरा स्थान है। ज्वार 45 से०मी० से कम वर्षा वाले शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। इसकी वृद्धि के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है । यह सामान्यतः कम उपजाऊ मिट्टियों और अनिश्चित वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है । ज्वार रबी और खरीफ़ दोनों की ही फ़सल है। यह भारत के लगभग एक करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है। संकर बीजों की मदद से इसका उत्पादन सन् 2005-06 में 77 लाख टन हो गया था।

सम्पूर्ण प्रायद्वीपीय भारत में ज्वार पैदा की जाती है। लेकिन इसका सबसे अधिक संकेन्द्रण भारी और मध्यम वर्ग की काली मिट्टियों वाले तथा 100 से० मी० से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में है। ज्वार के सम्पूर्ण फ़सलगत क्षेत्र का आधा भाग महाराष्ट्र में है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और मध्य प्रदेश अन्य प्रमुख ज्वार उत्पादक राज्य हैं।

(ii) बाजरा (Bajra ) – बाजरा हल्की मिट्टियों और शुष्क क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। इसीलिए यह अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट और उथली काली मिट्टियों में खूब पैदा किया जाता है। बाजरे की खेती के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र ये हैं- राजस्थान की मरुस्थली और अरावली की पहाड़ियां, दक्षिणी पश्चिमी हरियाणा, चंबल द्रोणी, दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तरी गुजरात, महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट के पवन विमुख ढाल। बाजरा वर्षापोषित खरीफ़ की फ़सल है। देश के कुल क्षेत्र के 76 लाख हेक्टेयर ( लगभग 5.0%) क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है। कुल उत्पादन सन् 2005-06 में 104 लाख टन हो गया। राजस्थान देश का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक राज्य है। अन्य प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य ये हैं – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा।

(iii) मक्का (Maize ) – देश के कुल फ़सलगत क्षेत्र के 3.6 प्रतिशत भाग में मक्का बोई जाती है। इसका कुल उत्पादन 1.2 करोड़ टन था। मक्का के क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में ही तेज़ी से वृद्धि हुई है। संकर जाति के उपज बढ़ाने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के साधनों ने इसकी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता की है। सन् 1951 और 2001 की अवधि में मक्का का उत्पादन दस गुना बढ़ गया है। मक्का की खेती सारे भारत में की जाती है। मक्का के उत्पादन में कर्नाटक का पहला स्थान है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश का स्थान है। मक्का के अन्य उत्पादक राज्य हैं – मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश

(iv) दालें (Pulses) – भारतीय भोजन में दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। ये फलीदार फ़सलें हैं तथा ये अपनी जड़ों के द्वारा मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर उसकी उर्वरता में वृद्धि करती है। दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है। अतः ये शुष्क दशाओं में भी पनपती है। तुर, उड़द, मूंग और मोठ खरीफ़ की प्रमुख फ़सलें हैं तथा चना, मटर, तुर और मसूर रबी की फ़सलें हैं। दालों के अन्तर्गत क्षेत्रफल सन् 2000-01 में दो करोड़ हेक्टेयर हो गया। इसी अवधि में उनका उत्पादन भी बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया।

(v) चना (Grams) – देश में दाल की प्रमुख फ़सल है। प्रमुख चना उत्पादक क्षेत्र ये हैं- मध्य प्रदेश का मालवा का पठार, राजस्थान का उत्तर पूर्वी भाग और दक्षिणी उत्तर प्रदेश। अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश का चने के उत्पादन में दूसरा स्थान है। तुर दाल की महत्त्वपूर्ण फ़सल है। तुर के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 2.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है ? कृषि उत्पादकता की वृद्धि में प्रयोग की जाने वाली विधियों का वर्णन करो । हरित क्रान्ति के प्रभावों का वर्णन करो ।
उत्तर:

हरित क्रान्ति (Green Revolution):
भारतीय कृषि एक परम्परागत कृषि संगठन है। कृषि क्षेत्र में एक मौलिक और मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता को देखते हुए एक नवीन कृषि प्रणाली को अपनाया गया है जिसे हरित क्रान्ति कहते हैं। हरित क्रान्ति वास्तव में एक खाद्यान्न क्रान्ति है जिससे सम्पूर्ण कृषि उत्पादन प्रक्रिया को एक नवीन मोड़ दे दिया है । हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में आधुनिकीकरण की योजना भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।

परन्तु प्राचीन विधियों के कारण कृषि का विकास नहीं हो पाया है। भारत में घनी आबादी तथा निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों की कमी एक गम्भीर समस्या का रूप धारण कर रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए एक सामूहिक तथा वैज्ञानिक योजना लागू की गई। हरित क्रान्ति के पीछे निहित उद्देश्य हैं कि भारतीय भूमि हरीतिमा हरित क्रान्ति की मुख्य विशेषताएं – हरित क्रान्ति में निम्नलिखित तकनीकी विधियों पर बल दिया गया है

1. उन्नत बीजों का प्रयोग [Use of High Yielding Varieites (HYV)] – कृषि अनुसंधान के परिणामस्वरूप अधिक उपज देने वाले बीजों का विकास किया गया है। कम समय में तैयार होने वाली किस्में विकसित की गई हैं जिनमें वर्ष में 2 से अधिक फ़सलें प्राप्त की जा सकती हैं। इससे बहुफसलीय प्रणाली को प्रोत्साहन मिला है। गेहूं की नई किस्में जैसे कल्याण, सोना आदि तथा चावल की नई किस्में जैसे ‘विजय’, ‘रत्ना’, ‘पद्मा’ आदि के प्रयोग से उपज में वृद्धि हुई है। अब चावल 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उत्तम बीजों की कृषि की जाती है ।

2. उर्वरकों का अधिक प्रयोग (Use of Fertilizers ) – हमारे देश में गोबर खाद की वार्षिक प्राप्ति लगभग 100 करोड़ टन है, परन्तु इसका 40% भाग ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्राकृतिक खाद की अपर्याप्तता के कारण उर्वरक के उत्पादन और प्रयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है। भारत में प्रति हेक्टेयर भूमि में खाद का प्रयोग विदेशों की तुलना में बहुत कम है । उर्वरक के अधिक प्रयोग से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है।

3. सिंचाई क्षेत्र में विस्तार (Increase in Irrigated Area ) – सिंचाई वर्षा अधिक की कमी को पूरा करती हैं तथा कृषि उपज बढ़ाने का साधन है। नहरों के अतिरिक्त सिंचाई की छोटी तथा बड़ी योजनाओं पर अधिक बल दिया गया है। नलकूपों का विस्तार किया गया है। इससे फसलों को गहनता तथा प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई है।

4. नवीन कृषि यन्त्रों का प्रयोग (Use of New Agricultural Machinery ) – कृषि क्षेत्र में पुराने औज़ारों के स्थान पर आधुनिक मशीनों, यन्त्रों का प्रयोग बढ़ाया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में मुख्यतः ट्रैक्टर, कम्बाइन हारवेस्टर, पिकर, ड्रिल आदि उपकरण प्रयुक्त होते हैं। कृषि उपकरणों को लोकप्रिय, सुगम बनाने के लिए कई कृषि उद्योग निगम स्थापित किए गए हैं। यान्त्रिक कृषि से देश के कृषि आधारित उद्योगों के लिए पर्याप्त कच्चा माल भी उपलब्ध हो सकता है । इस प्रकार कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं। यान्त्रिक कृषि से बहु- फ़सली कृषि प्रणाली (Multiple Cropping) का विकास हुआ है।

5. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग ( Use of Pesticides ) – कीड़ों तथा बीमारियों से फ़सलों की सुरक्षा आवश्यक है । इसलिए कीटनाशक औषधियों का उत्पादन तथा वितरण कार्य एक सुनिश्चित ढंग से किया जा रहा हरित क्रान्ति के अधीन इनका प्रयोग बढ़ाया गया है।

6. भूमि सुधार (Land Reforms) – हरित क्रान्ति में नवीन विधियों के प्रयोग के साथ-साथ कृषि में भूमि सुधारों की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। मूलभूत सुधारों के बिना नवीन कृषि टैक्नोलॉजी व्यर्थ सिद्ध होगी।

7. भू-संरक्षण कार्यक्रम (Soil Conservation ) – भूमि कटाव रोकने तथा भूमि की उर्वरता को बनाए रखने की दृष्टि से विभिन्न पग उठाए गए हैं। मरुस्थलों के विस्तार को रोकने, शुष्क कृषि प्रणाली के विस्तार के कार्य अपनाए जा रहे हैं। देश में लगभग 500 लाख एकड़ बेकार भूमि को कृषि योग्य बनाने व सुधारने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। ‘कल्लर’ (क्षारीय) भूमि तथा कन्दरायुक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस प्रकार जल प्लावन (Water Logging), क्षारीयता (Salination) तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) के कार्यक्रम अपनाए गए हैं। मिट्टियों के सर्वेक्षण पर भी ध्यान दिया गया है।

8. गहन कृषि (Intensive Farming ) – कई राज्यों में भू-खण्डों के स्तर पर गहन कृषि तथा पैकेज प्रोग्राम आरम्भ किए गए। कालान्तर में इसे गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) में बदल दिया गया। इससे किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाली सभी साधनों की सुविधा प्रदान की गई ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

हरित क्रान्ति के प्रभाव (Effects of Green Revolution)
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि (Increase in Agricultural Production ) – हरित क्रान्ति एक महत्त्वपूर्ण कृषि योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाकर देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करना है। देश के विभाजन के पश्चात् खाद्यान्नों की कमी हो गईं। सन् 1964-65 में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन केवल 9 करोड़ टन था। इस कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान्न आयात किए जाते थे। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र को एक नया मोड़ दिया गया, जिसके कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन लगभग 259 करोड़ टन हो गया।

वर्ष खाद्यान्न उत्पादन (करोड़ टन)
1966 67 7.4
1970-71 10.7
1977-78 11.0
1980-81 13.5
1984-85 15.0
1993-94 18.0
2011-2012 259

2. प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि (Increase in Yield per Hectare ) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति ही है। इसके लिए जल सिंचाई के साधनों में विस्तार किया गया। उर्वरकों का अधिक मात्रा में प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया गया। अधिक उपज देने वाली फ़सलों की कृषि पर ज़ोर दिया गया। चुने हुए क्षेत्रों में गेहूँ तथा चावल की नई विदेशी किस्मों का प्रयोग किया गया। गेहूँ की नई किस्में कल्याण, S-308, चावल की किस्में रत्ना, जया आदि का प्रयोग किया गया। पंजाब के लुधियाना क्षेत्र में गेहूँ का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 13 क्विंटल से बढ़कर 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। गोदावरी डेल्टा में चावल प्रति हेक्टेयर उत्पादन, लगभग दुगुना हो गया है। इस प्रकार कृषि योग्य भूमि के विस्तार से नहीं अपितु प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ा कर ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को पूरा किया गया है।
3. कृषि आधारित उद्योगों का बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है।
4. यन्त्रीकरण तथा जल सिंचाई साधनों के प्रयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली तथा डीजल की खपत बढ़ी है।

त्रुटियां (Drawbacks) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं, जितनी की आशा की जाती थी । खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों को अपनाया गया है। जैसे – कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं । हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है । इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि –

  • बहुत से भागों में जल सिंचाई के साधन कम हैं।
  • उर्वरकों का उत्पादन मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  • नए कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  • इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  • यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  • छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  • अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फ़सलों के प्रयोग में लाई गई हैं।
  •  हरित – क्रान्ति द्वारा क्षेत्रीय असन्तुलन बढ़ गया है क्योंकि इसमें उपजाऊ क्षेत्रों पर ही ध्यान दिया गया है।
  • व्यापारिक फ़सलों के उत्पादन में भी वृद्धि की आवश्यकता है।

फिर भी यह कहा जा सकता है कि हरित क्रान्ति कृषि के ग्रामीण सर्वांगीण और बहुमुखी विकास की योजना है जो कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने में सहायक होगी।

प्रश्न 3.
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय कृषि की समस्याएं:
भारतीय कृषि की समस्याएं विभिन्न प्रकार की हैं। अधिकतर कृषि समस्याएं प्रादेशिक हैं तथापि कुछ समस्याएं सर्वव्यापी हैं जिसमें भौतिक बाधाओं से लेकर संस्थागत अवरोध शामिल हैं। यद्यपि कृषि के विकास के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन संसार के विकसित देशों की तुलना में हमारी कृषि की उत्पादकता अब भी कम है। इस परिस्थिति के लिए अनेक कारक संयुक्त रूप से ज़िम्मेदार हैं।
इनको चार वर्गों में बांटा गया है:

  1. पर्यावरणीय
  2. आर्थिक
  3. संस्थागत
  4. प्रौद्योगिकीय

1. अनियमित मानसून पर निर्भरता – सबसे गंभीर समस्या मानसून का अनिश्चित स्वरूप है। तापमान तो सारे साल ही ऊंचे रहते हैं। अतः यदि नियमित रूप में जल की पर्याप्त आपूर्ति होती रहे तो पूरे वर्ष फसलें पैदा की जा सकती हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्षा केवल 3 या 4 महीनों में ही होती है। यही नहीं वर्षा की मात्रा तथा ॠतुनिष्ठ और प्रादेशिक वितरण अत्यधिक परिवर्तनशील है। इस परिस्थिति का कृषि के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। भारत में कृषि क्षेत्र का केवल एक तिहाई भाग ही सिंचित है। शेष कृषि क्षेत्र में फ़सलों का उत्पादन प्रत्यक्ष रूप से वर्षा पर निर्भर है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

जहां तक वर्षा का संबंध है, देश के अधिकतर भाग, उपार्द्र, अर्ध शुष्क और शुष्क हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता रहता है। राजस्थान तथा अन्य क्षेत्रों में वर्षा बहुत कम तथा अत्यधिक अविश्वसनीय है। ये क्षेत्र सूखा व बाढ़ दोनों से प्रभावित हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा एक सामान्य परिघटना है लेकिन यहां यदा कदा बाढ़ भी आ जाती है। वर्ष 2006 में महाराष्ट्र, गुजरात तथा राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में आई आकस्मिक बाढ़ उदाहरण है। सूखा तथा बाढ़ भारतीय कृषि के जुड़वा संकट बने हुए हैं। सिंचाई की सुविधाओं के विकास और वर्षा जल संग्रहण के द्वारा इन प्रदेशों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

2. निम्न उत्पादकता – अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपेक्षा भारत में फ़सलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फ़सलों जैसे- चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हेक्टेयर पैदावार अमेरिका, रूस तथा जापान से कम है। भू संसाधनों पर अधिक दबाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तुलना में भारत में श्रम उत्पादकता भी बहुत कम है। देश के विस्तृत वर्षा निर्भर विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर मोटे अनाज, दालें तथा तिलहन की खेती की जाती है तथा यहाँ इनकी उत्पादकता बहुत कम है।

3. आर्थिक कारक – कृषि में निवेश जैसे अधिक उपज देने वाले बीज, उर्वरक आदि और परिवहन की सुविधाएं आर्थिक कारक हैं। विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण का न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है। इसका परिणाम होता है-निम्न उत्पादकता। सच्चाई तो यह है कि भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिनों-दिन बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फसलगत भूमि में कमी हो रही है। 1921 में यह 0.444 हेक्टेयर, 1961 में 0.296 हेक्टेयर तथा और भी घटकर 1991 में 0.219 हेक्टेयर रह गई है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

4. संस्थागत कारक – जनसंख्या के दबाव के कारण जोतों का उपविभाजन (पीढ़ियों के अनुसार बंटवारा) और छितराव हो रहा है। 1961-62 में कुल जोतों में से 52% जोतें सीमांत आकार में (दो हेक्टेयर से कम) और छोटी थीं। 1990-91 में कुल जोतों में छोटी जोतों का प्रतिशत बढ़कर 78 हो गया। इन छोटी जोतों में भी छोटे-छोटे खेत दूर दूर बिखरे हैं। जोतों का अनार्थिक होना (आर्थिक दृष्टि से अनुपयुक्त आकार) कृषि के आधुनिकीकरण की प्रमुख बाधा हैं। भूमि के स्वामित्व की व्यवस्था बड़े पैमाने पर निवेश के अनुकूल नहीं है, क्योंकि काश्तकारी की अवधि अनिश्चित बनी रहती है। अगली पीढ़ी में भूमि में बँटवारे से भू जोतों का पुनः विखण्डन हो गया है।

5. प्रौद्योगिकीय कारक – कृषि के तरीके पुराने और रूढ़िवादी / परम्परागत हैं। अधिकतर किसान आज भी लकड़ी का हल और बैलों का ही उपयोग करते हैं। मशीनीकरण बहुत सीमित है। उर्वरकों और अधिक उपज देने वाले बीजों का उपयोग भी सीमित है। फसलगत क्षेत्र के केवल एक तिहाई क्षेत्र के लिए ही सिंचाई की सुविधाएं जुटाई जा सकी हैं। इसका वितरण वर्षा की कमी और परिवर्तनशील के अनुरूप नहीं है। ये दशाएं कृषि की उत्पादकता और इसकी गहनता को निम्न स्तर पर बनाए हुए हैं।

6. भूमि सुधारों की कमी – भूमि के असमान वितरण के कारण भारतीय किसान लंबे समय से शोषित हैं । अंग्रेज़ी शासन के दौरान, तीन भूराजस्व प्रणालियों-महालवाड़ी, रैयतवाड़ी तथा ज़मींदारी में से ज़मींदारी प्रथा किसानों के लिए सबसे अधिक शोषणकारी रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात्, भूमि सुधारों को प्राथमिकता दी गई, लेकिन ये सुधार कमज़ोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पूर्णतः फलीभूत नहीं हुए। अधिकतर राज्य सरकारों ने राजनीतिक रूप से शक्तिशाली ज़मींदारों के खिलाफ़ कठोर राजनीतिक निर्णय लेने में टालमटोल किया। भूमि सधारों के लागू न होने के परिणामस्वरूप कृषि योग्य भूमि का असमान वितरण जारी रहा जिससे कृषि विकास में बाधा रही है ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. पृथ्वी का लगभग कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
(A) 51%
(B) 61%
(C) 71%
(D) 81%
उत्तर:
(C) 71%

2. कुल जल संसाधनों में अलवणीय जल कितने प्रतिशत है ?
(A) 0.5
(B) 1.0
(C) 2.5
(D) 3.0
उत्तर:
(D) 3.0

3. भारत में विश्व के जल-संसाधनों का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 1%
(B) 2%
(C) 3%
(D) 4%
उत्तर:
(D) 4%

4. देश के कुल उपयोगी जल संसाधन हैं
(A) 1122 घन कि० मी०
(B) 1222 घन कि० मी०
(C) 1322 घन कि० मी०
(D) 1422 घन कि० मी०।
उत्तर:
(A) 1122 घन कि० मी०

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

5. भारत में धरातलीय जल का कितने % भाग उपयोग किया जा सकता है ? .
(A) 22%
(B) 25%
(C) 32%
(D) 35%.
उत्तर:
(C) 32%

6. बिहार राज्य में जल में किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ गया है ?
(A) नमक
(B) खारापन
(C) फलूओराइड
(D) संखिया।
उत्तर:
(D) संखिया।

7. भौम जल का कितने प्रतिशत कृषि में प्रयोग होता है ?
(A) 72%
(B) 82%
(C) 85%
(D) 92%.
उत्तर:
(D) 92%.

8. निम्नलिखित में से किस राज्य में भौम जल का अधिक उपयोग है ?
(A) पंजाब
(B) छत्तीसगढ़
(C) बिहार
(D) केरल।
उत्तर:
(A) पंजाब

9. पंजाब में निवल बोए गए क्षेत्र का कितने प्रतिशत भाग सिंचित है ?
(A) 65%
(B) 75%
(C) 80%
(D) 85%.
उत्तर:
(D) 85%.

10. नदी के किस भाग में जल की अच्छी गुणवत्ता होती है ?
(A) पहाड़ी
(B) मैदानी
(C) डेल्टा
(D) घाटी।
उत्तर:
(A) पहाड़ी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
जल अभाव तथा घटती आपूर्ति के तीन कारण बताओ।
उत्तर:
(i) बढ़ती मांग
(ii) अति उपयोग
(iii) प्रदूषण।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 2.
धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत बताओ।
उत्तर:
नदियां, झीलें, तलैया और तालाब।

प्रश्न 3.
भारत में नदियों की संख्या कितनी है ? (1.6 कि० मी० से अधिक लम्बी)
उत्तर:
10360

प्रश्न 4.
भौम जल का अधिक उपयोग करने वाले तीन राज्य बताओ।
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु।।

प्रश्न 5.
जल सिंचाई के दो प्रभाव बताओ।
उत्तर:
बहुफ़सलीकरण से वृद्धि तथा उत्पादकता में वृद्धि।

प्रश्न 6.
महाराष्ट्र में भौम जल के अधिक उपयोग से किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ा है ?
उत्तर:
फ्लू ओराइड।

प्रश्न 7.
शद्ध जल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब जल अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित हो।

प्रश्न 8.
जल संभर प्रबन्धन के अधीन कौन-से तीन कार्यक्रम चलाए गए हैं ?
उत्तर:
हरियाली, नीरू-मीरू, अरवारी पानी संसद्।

प्रश्न 9.
जल अधिनियम कब बनाया गया ?
उत्तर:
1974 में।

प्रश्न 10.
भारत की सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है ?
उत्तर:
दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी।

प्रश्न 11.
जल संग्रहण कुण्ड को राजस्थान में क्या कहते हैं ?
उत्तर:
टांका।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय जल नीति के दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर:’
सिंचाई के लिए जल तथा पेय जल प्रदान करना।

प्रश्न 13.
भारत में जल की गुणवत्ता के निम्नीकरण का मुख्य कारण बताओ।
उत्तर:
जल रसायन तथा प्रदूषण।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 14.
विश्व के जल संसाधनों का कितने प्रतिशत भारत में उपलब्ध है ?
उत्तर:
4%.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जल का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस दुर्लभ संसाधन के आबंटन और नियन्त्रण पर तनाव और लड़ाई-झगडे, सम्प्रदायों, प्रदेशों और राज्यों के बीच विवाद का विषय बन गए हैं। विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल का मूल्यांकन, कार्यक्षम उपयोग और संरक्षण आवश्यक हो गए हैं।

प्रश्न 2.
भारत में भौम जल संसाधनों का वर्णन करें।
उत्तर:
भौम जल संसाधन-देश में कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग 432 घन कि० मी० है। कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन का लगभग 46 प्रतिशत गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है। उत्तर-पश्चिमी प्रदेश और दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिनों में भौम जल उपयोग अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 3.
जल सिंचाई उपयोग से क्या लाभ है ?
उत्तर:
(1) सिंचाई की व्यवस्था बहुफ़सलीकरण को सम्भव बनाती है।
(2) ऐसा पाया गया है कि सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा ज़्यादा होती है।
(3) फ़सलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता आपूर्ति नियमित रूप से आवश्यक है जो केवल विकसित सिंचाई तन्त्र से ही सम्भव होती है।
(4) वास्तव में ऐसा इसलिए है कि देश में कृषि विकास की हरित क्रान्ति की रणनीति पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक सफल हुई है।

प्रश्न 4.
कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम क्या हैं ?
उत्तर:
(1) इन राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भौम जल स्तर नीचा हो गया है।
(2) वास्तव में, कुछ राज्यों, जैसे-राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लु ओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया है।
(3) इस वजह से पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ भागों में संखिया के संकेंद्रण की वृद्धि हो गई है।

प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में पर्याप्त जल संसाधन है, परन्तु यहां भौम जल स्तर नीचे गिर रहा है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवल बोए गए क्षेत्र का 85 प्रतिशत भाग सिंचाई के अन्तर्गत है। इन राज्यों में गेहूँ और चावल मुख्य रूप से सिंचाई की सहायता से पैदा किए जाते हैं। निवल सिंचित क्षेत्र का 76.1 प्रतिशत पंजाब में और 51.3 प्रतिशत हरियाणा में, कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित है। इससे यह ज्ञात होता है कि ये राज्य अपने सम्भावित भौम जल के एक बड़े भाग का उपयोग करते हैं जिससे कि इन राज्यों में भौम जल में कमी आ जाती है। .

प्रश्न 6.
जल के गुणों का ह्रास क्यों होता है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं। इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 7.
जल-संरक्षण क्यों आवश्यक है ? इसके उपाय बताओ।
उत्तर:
जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

प्रश्न 8.
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली तकनीक बताओ।
उत्तर:
(i) छत के वर्षा जल का संग्रहण
(ii) खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
(ii) हैंड पम्पों का पुनर्भरण
(iv) रिसाव गड्ढों का निर्माण
(v) खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनना।

प्रश्न 9.
जल संभर विकास से क्या उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं ?
उत्तर:

  1. मृदा संरक्षण
  2. जल संरक्षण
  3. कृषि योग्य भूमि का संरक्षण
  4. उद्यान कृषि का विकास
  5. वानिकी और वन वर्धन का विकास
  6. पर्यावरण का संरक्षण
  7. कृषि उत्पादन में वृद्धि
  8. परितन्त्रीय ह्रास को रोकना।

प्रश्न 10.
वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य बताओ।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-यह भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाने की तकनीक है। इस तकनीक में स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भण्डारों में संगृहीत करना शामिल है, जिससे स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य ये हैं –

  • जल की निरन्तर जल मांग को पूरा करना
  • नालियों को रोकने वाले सतही जल प्रवाह को कम करना
  • सड़कों पर जल फैलाव को रोकना
  • भौम जल में वृद्धि करना तथा जल स्तर को ऊंचा उठाना
  • भौम जल प्रदूषण को रोकना
  • भौम जल की गुणवत्ता को सुधारना
  • मृदा अपरदन को कम करना
  • ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करना।

प्रश्न 11.
जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जल अभाव संभवतः इसकी बढ़ती हुई मांग, अति उपयोग तथा प्रदूषण के कारण घटती आपूर्ति के आधार पर सबसे बड़ी चुनौती है। उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) पृथ्वी का कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
उत्तर:
71 प्रतिशत।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

(ख) कुल जल में अलवणीय जल कितना है ?
उत्तर:
3 प्रतिशत।

(ग) भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई किन कारणों के चलते आवश्यक है ?
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है। भारत में सिंचाई निम्नलिखित तथ्यों के कारण आवश्यक है –
(1) देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
(2) देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सुखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
(3) देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कौन-सी आधारभूत मुख्य तकनीक हैं जिनके चलते भौम जल के भंडारों का पुन: संरक्षण कर सकते हैं ?
अथवा
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली मुख्य तकनीक बताओ।
उत्तर:

  1. छत के वर्षा जल का संग्रहण
  2. खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
  3. हैंड पम्पों का पुनर्भरण
  4. रिसाव गड्ढों का निर्माण
  5. खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनाना।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के जल संसाधनों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत के जल संसाधन –

  1. भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत उपलब्ध है, देश में विश्व जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है।
  2. देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि० मी० है।
  3. धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1,869 घन कि० मी० जल उपलब्ध है।
  4. इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। (
  5. इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि० मी० है।

प्रश्न 2.
भारत के भौम जल संसाधनों के उपयोग का वर्णन करो।
उत्तर:
(1) अधिक उपयोग वाले राज्य-पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक है।
(2) कम उपयोग वाले राज्य-कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि अपने भौम जल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।
(3) मध्यम उपयोग वाले राज्य-गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र अपने भौम जल संसाधनों का मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

प्रश्न 3.
भारत के लैगून और पश्च जल का वर्णन करते हुए इनका उपयोग बताओ।
उत्तर:
लैगून और पश्च जल-भारत की समुद्र तट रेखा विशाल है और कुछ राज्यों में समुद्र तट बहुत दंतुरित है। इसी कारण बहुत-सी लैगून और झीलें बन गई हैं। केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इन लैगूनों और झीलों में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं। यद्यपि सामान्यतः इन जलाशयों में खारा जल है, इसका उपयोग मछली पालन और चावल की कुछ निश्चित किस्मों, नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में जल के उपयोग के विभिन्न क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
जल की मांग और उपयोग –
1. कृषि क्षेत्र-पारम्परिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसीलिए, पंचवर्षीय योजनाओं में, कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

2. बहु-उद्देशीय नदी घाटी योजनाएं-बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं जैसे-भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में, भारत की वर्तमान में जल की मांग, सिंचाई की आवश्यकताओं के लिए अधिक है। धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि में होता है। इसमें धरातलीय जल का 89 प्रतिशत और भौम जल का 92 प्रतिशत जल उपयोग किया जाता है।

3. औद्योगिक सैक्टर-औद्योगिक सेक्टर में, सतह जल का केवल 2 प्रतिशत और भौम जल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

4. घरेलू सैक्टर-घरेलू सैक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भौम जल की तुलना में अधिक (9%) है। कुल जल उपयोग में कृषि सैक्टर का भाग दूसरे सैक्टरों से अधिक है। फिर भी, भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सैक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है।

प्रश्न 5.
भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई क्यों आवश्यक है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है।

  • देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
  • देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।
  • पर्याप्त मात्रा में वर्षा वाले क्षेत्र जैसे पश्चिम बंगाल और बिहार में भी मानसून के मौसम में अवर्षा अथवा इसकी असफलता सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है जो कृषि के लिए हानिकारक होती है।
  • कुछ फसलों के लिए जल की कमी सिंचाई को आवश्यक बनाती है। उदाहरण के लिए चावल, गन्ना, जूट आदि के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है जो केवल सिंचाई द्वारा सम्भव है।

प्रश्न 6.
जल के पुनःचक्र और पुन: उपयोग के उदाहरण दो।
उत्तर:
जल का पुनःचक्र और पुन: उपयोग-पुन:चक्र और पुन:उपयोग, दूसरे रास्ते हैं जिनके द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है। कम गुणवत्ता के जल का उपयोग, जैसे शोधित अपशिष्ट जल, उद्योगों के लिए एक आकर्षक विकल्प हैं और जिसका उपयोग शीतलन एवं अग्निशमन के लिए करके वे जल पर होने वाली लागत को कम कर सकते हैं।

इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में स्नान और बर्तन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। वाहनों को धोने के लिए प्रयुक्त जल का उपयोग भी बागवानी में किया जा सकता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाले जल का पीने के उद्देश्य के लिए संरक्षण होगा। वर्तमान में, पानी का पुनः चक्रण एक सीमित माप में किया गया है। फिर भी, पुनः चक्रण द्वारा पुनः पूर्तियोग्य जल की उपादेयता व्यापक है।

प्रश्न 7.
भारत में जल की दो समस्याएं कौन-सी हैं ? उपयक्त उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं।

इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुंच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं। जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण, नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की मख्य विशेषताएं-राष्ट्रीय जल नीति 2002 जल आबंटन प्राथमिकताएं विस्तृत रूप में निम्नलिखित क्रम में निर्दिष्ट की गई हैं –

  1. पेयजल
  2. सिंचाई
  3. जलशक्ति
  4. नौकायान
  5. औद्योगिक और अन्य उपयोग।

इस नीति में जल व्यवस्था के लिए प्रगतिशील नए दृष्टिकोण निर्धारित किए गए हैं। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं –

  • सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में सम्मिलित करना चाहिए जहां पेय जल के स्रोत का कोई विकल्प नहीं है।
  • पेय जल सभी मानव जाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • भौम जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए।
  • सतह और भौम जल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जांच होनी चाहिए। जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  • जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्यक्षमता सुधारनी चाहिए।
  • दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए।
  • शिक्षा विनिमय. उपक्रमणों. प्रेरकों और अनक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढानी चाहिए।

प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण की विधियों तथा प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूमिगत जलभृतों के पुनर्भरण के लिए भी किया जाता है। यह एक कम मूल्य और पारिस्थिति की अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूंद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है।

  • वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है।
  • फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है।
  • मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है। यदि इसे जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है तो तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।

विधियां – देश में विभिन्न समुदाय लम्बे समय से अनेक विधियों से वर्षा जल संग्रहण करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत वर्षा जल संग्रहण सतह संचयन जलाशयों, जैसे-झीलों, तालाबों, सिंचाई तालाबों आदि में किया जाता है। राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढांचे जिन्हें कुंड अथवा टांका (एक ढका हुआ भूमिगत टंकी) के नाम से जानी जाती है।

लाभ – बहुमूल्य जल संसाधन के संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रविधि का उपयोग करने का क्षेत्र व्यापक है। इसे घर की छतों और खुले स्थानों में वर्षा जल द्वारा संग्रहण किया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए, भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता कम करता है। इसके अतिरिक्त मांग-आपूर्ति अन्तर के लिए सेतु बन्धन के कार्य के अतिरिक्त इससे भौम जल निकालने में ऊर्जा की बचत होती है क्योंकि पुनर्भरण से भौम जल स्तर में वृद्धि हो जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

आजकल वर्षा जल संग्रहण विधि का देश के बहुत-से राज्यों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। वर्षा जल संग्रहण से मुख्य रूप से नगरीय क्षेत्रों को लाभ मिल सकता है क्योंकि जल की मांग, अधिकांश नगरों और शहरों में पहले ही आपूर्ति से आगे बढ़ चुकी है। उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त विशेषकर तटीय क्षेत्रों में पानी के विलवणीकरण और शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या, नदियों को जोड़कर अधिक जल के क्षेत्रों से कम जल के क्षेत्रों में जल स्थानान्तरित करके भारत में जल समस्या को सुलझाने का महत्त्वपूर्ण उपाय है। फिर भी, वैयक्तिक उपभोक्ता, घरेलू और समुदायों के दृष्टिकोण से, सबसे बड़ी समस्या जल का मूल्य है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. बस्तियों में लोगों के समूहन का आधार क्या है ?
(A) पोषण आधार
(B) जल आधार
(C) औद्योगिक आधार
(D) कृषि आधार।
उत्तर:
(A) पोषण आधार

2. ग्रामों में कौन-सी क्रिया प्रमुख होती है ?
(A) प्राथमिक
(C) तृतीयक
(B) द्वितीयक
(D) चतुर्थक
उत्तर:
(A) प्राथमिक

3. जलोढ़ मैदानों में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त
उत्तर:
(A) गुच्छित

4. गुजरात के मैदान तथा राजस्थान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त।
उत्तर:
(B) अर्द्ध-गुच्छित

5. हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो नगर किस घाटी में स्थित थे ?
(A) गंगा
(B) नर्मदा
(C) सिन्धु
(D) ब्रह्मपुत्र
उत्तर:
(C) सिन्धु

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

6. भारत में सर्वाधिक प्राचीन नगर है –
(A) हैदराबाद
(B) वाराणसी
(C) आगरा
(D) चेन्नई।
उत्तर:
(B) वाराणसी

7. कौन-सा नगर मध्यकालीन नगर है ?
(A) पाटलिपुत्र
(B) दिल्ली
(C) मुम्बई
(D) चण्डीगढ़
उत्तर:
(B) दिल्ली

8. कौन – सा नगर एक प्रशासनिक नगर है ?
(A) वाराणसी
(B) सूरत
(C) गांधी नगर
(D) रोहतक
उत्तर:
(C) गांधी नगर

9. भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत है
(A) 18
(B) 20
(C) 25
(D) 28.
उत्तर:
(D) 28.

10. 20वीं शताब्दी में भारत में नगरीय जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 5
(B) 7
(C) 11
(D) 15.
उत्तर:
(C) 11

11. मेगा नगर की जनसंख्या कितनी जनसंख्या से अधिक होती है ?
(A) 1 लाख
(B) 5 लाख
(C) 10 लाख
(D) 50 लाख
उत्तर:
(D) 50 लाख

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

12. भारत में नगरों की संख्या है
(A) 4161
(B) 5161
(C) 6161
(D) 7161
उत्तर:
(B) 5161

13. भारत में एक लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 223
(B) 323
(C) 423
(D) 523
उत्तर:
(C) 423

14. भारत में दस लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 25
(B) 30
(C) 53
(D) 40
उत्तर:
(C) 53

15. मसूरी किस श्रेणी का नगर है ?
(A) शैक्षिक
(B) खनन
(C) पर्यटन
(D) औद्योगिक
उत्तर:
(C) पर्यटन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बस्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभिन्न आकार के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं।

प्रश्न 2.
बस्ती की मूल प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर:
लोगों का समूहन तथा संसाधनों का आधार

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की मुख्य क्रिया बताओ
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएं

प्रश्न 4.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में प्रकार्यात्मक सम्बन्ध का माध्यम बताओ।
उत्तर:
परिवहन – संचार

प्रश्न 5.
उत्तरी मैदान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
संहत

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 6.
भारत में किन प्रदेशों में संहत बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
उत्तर पूर्वी राज्य, बुन्देलखण्ड, नागालैण्ड, राजस्थान।

प्रश्न 7.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
गुजरात व राजस्थान।

प्रश्न 8.
पल्ली बस्तियों के स्थानिक नाम बताओ
उत्तर:
पान्ना, पाढ़ा, पाली, नगला, ढाँणी।

प्रश्न 9.
पल्ली बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
मध्य व निम्न गंगा मैदान, छत्तीसगढ़, हिमालय की निचली घाटियां।

प्रश्न 10.
परिक्षिप्त बस्तियों के प्रदेश बताओ
उत्तर:
मेघालय, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, केरल

प्रश्न 11.
भारत में नगरों का उदय कब हुआ ?
उत्तर:
प्रागैतिहासिक काल के सिन्धु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो का हड़प्पा नगर ।

प्रश्न 12.
भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर बताओ।
उत्तर:
वाराणसी।

प्रश्न 13.
भारत के तीन प्रमुख नोड नगर बताओ।
उत्तर:
मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता।

प्रश्न 14.
दिल्ली के निकट तीन अनुषंगी नगर बताओ।
उत्तर:
गाज़ियाबाद, रोहतक, गुड़गांव

प्रश्न 15.
भारत में छ: मैगा नगर बताओ
उत्तर:
मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद

प्रश्न 16.
भारत में प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या का आकार क्या है ?
उत्तर:
1,00,000 जनसंख्या तथा इससे अधिक ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 17.
प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या लिखिए
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में कानपुर सबसे बड़ा महानगर है जिसकी जनसंख्या 2.69 मिलियन है।

प्रश्न 18.
भारत के किन्हीं तीन राज्यों के नाम बताइए, जिनमें से प्रत्येक में एक महानगर है। उन महानगरों के नाम भी लिखिए
उत्तर:
कर्नाटक – बंगलौर, राजस्थान – जयपुर, केरल – कोच्चि।

प्रश्न 19.
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
इन्दौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा महानगर है। 2001 की जनसंख्या के अनुसार इसकी जनसंख्या 16.3 मिलियन है

प्रश्न 20.
भारतीय नगरों को तीन विभिन्न युगों में हुए उनके विकास के आधार पर वर्गीकृत कीजिए प्रत्येक युग से सम्बन्धित एक नगर का नाम बताइए।
उत्तर:
नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित वर्गों में बांटते हैं –

  1. प्राचीन नगर : पाटलीपुत्र|
  2. मध्यकालीन नगर : आगरा।
  3. आधुनिक नगर : चण्डीगढ़।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (Node) के रूप में कार्य करते हैं । व्याख्या करो ।
उत्तर:
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (node) के रूप में कार्य करते हैं और न केवल नगर निवासियों को बल्कि अपने पश्च भूमि की ग्रामीण बस्तियों को भी भोजन और कच्चे माल के बदले वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध परिवहन और संचार परिपथ के माध्यम से स्थापित होता है

प्रश्न 2.
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में सामाजिक सम्बन्धों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण और नगयरीय बस्तियां सामाजिक सम्बन्धी अभिवृत्ति और दृष्टिकोण की दृष्टि से भी भिन्न होती हैं। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिए उनमें सामाजिक सम्बन्ध घनिष्ठ होते हैं। दूसरी ओर नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक होते हैं ।

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की स्थिति किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के अनेक कारक और दशाएं उत्तरदायी हैं । इनके अन्तर्गत भौतिक लक्षण – भू-भाग की प्रकृति, ऊंचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता, सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक सामाजिक संरचना, जाति और धर्म, सुरक्षा सम्बन्धी कारक – चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा करते हैं ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 4.
ग्रामीण बस्तियों के मुख्य प्रकार बताओ ।
अथवा
भारत की ग्रामीण बस्तियों के चार मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर:
बृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है –

  • गुच्छित / संकुलित/आकेन्द्रित/समूहित/केन्द्रीय
  • अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखण्डित
  • पल्लीकृत और
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी।

प्रश्न 5.
गुच्छित बस्तियों के विभिन्न आकार बताओ।
उत्तर:
संकुलित निर्मित क्षेत्र और इसकी मध्यवर्ती गलियां कुछ जाने-पहचाने प्रारूप अथवा ज्यामितीय आकृतियां प्रस्तुत करते हैं जैसे कि आयताकार, अरीय, रैखिक इत्यादि।

प्रश्न 6.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियों के बाहरी भाग में निम्न वर्ग के लोग क्यों रहते हैं ?
उत्तर:
गांव के केन्द्रीय भाग में शक्तिशाली ज़मींदार निवास करते हैं, निम्न कार्य करने वाले निम्न वर्ग के लोग बस्ती के बाहरी भाग में रहते हैं। इस प्रकार बस्ती का सामाजिक व जातीय विखण्डन होता है।

प्रश्न 7.
परिक्षिप्त बस्तियों का विकास क्यों होता है ?
उत्तर:
भारत में परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती प्रारूप सुदूर जंगलों में एकाकी झोंपड़ियों अथवा कुछ झोंपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों के रूप में दिखाई पड़ता है। बस्ती का चरम विक्षेपण प्रायः भू-भाग और निवास योग्य क्षेत्रों में भूमि संसाधन आधार की अत्यधिक विखण्डित प्रकृति के कारण होता है । मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में बस्ती का यह प्रकार पाया जाता है।

प्रश्न 8.
मानव बस्ती का क्या अर्थ है ? इसका क्या आधार है ?
उत्तर:
मानव बस्ती का अर्थ है किसी भी प्रकार और आकार के घरों का समूह जिनमें मनुष्य रहते हैं। इस उद्देश्य के लिए लोग मकानों और अन्य इमारतों का निर्माण करते हैं और अपने आर्थिक पोषण – आधार के लिए कुछ क्षेत्र पर स्वामित्व रखते हैं। अतः बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से लोगों के समूहन और उनके संसाधन आधार के रूप में क्षेत्र का आवंटन सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 9.
ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

प्रश्न 10.
एक नगरीय संकुल का विकास कैसे होता है ?
उत्तर:
नगरीय संकुल हैं। एक नगरीय संकुल में निम्नलिखित तीन संयोजकों में से किसी एक का समावेश होता है – (क) एक नगर व उसका संलग्न नगरीय बहिर्बद्ध, (ख) बहिर्बुद्ध के सहित अथवा रहित दो अथवा अधिक संस्पर्शी नगर और (ग) एक अथवा अधिक संलग्न नगरों के बहिर्बुद्ध से युक्त एक संस्पर्शी प्रसार नगर का निर्माण । नगरीय बहिबद्ध के उदाहरण गांव अथवा शहर या नगर से संलग्न गांव की राजस्व सीमा में अवस्थित रेलवे कॉलोनियां, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र, सैनिक छावनी इत्यादि हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 11.
बस्ती के विकास की प्रक्रिया बताओ।
उत्तर:
बस्ती – किसी स्थान या क्षेत्र में रहने के लिए एकत्र होने की प्रक्रिया को बस्ती कहते हैं। इस उद्देश्य के लिए कई कार्य करने होते हैं ।

  1. मकान या ढांचे खड़े किए जाते हैं।
  2. किसी क्षेत्र पर अपने आर्थिक भरण पोषण के लिए अधिकार किया जाता है।
  3. इस क्षेत्र में लोग समूह में रहते हैं। इस प्रकार किसी बस्ती का विकास होता है।

प्रश्न 12.
‘नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पारस्परिक विनिमय प्रक्रिया होती है स्पष्ट करो।
उत्तर:
नगर वस्तुएं तथा सेवाएं पैदा करते हैं। वे इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदान करते हैं। इसके बदले में नगर गांवों से कच्चा माल और खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं। इस प्रकार संचार व परिवहन साधनों द्वारा यह पारस्परिक विनिमय की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न 13.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की जीवन शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण में अंतर होता है स्पष्ट करो।
उत्तर:
ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज होता है । सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 14.
भारत में स्थित किन्हीं तीन वर्ग के नगरों की मुख्य विशेषताएं बताओ जो कि प्रकार्यत्मक आधार पर है।
उत्तर:
भारत में नगर अपने कार्यों के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटे जाते हैं –
प्रशासनिक नगर – इस नगर में राज्यों की राजधानियां शामिल होती हैं। यहां सरकारी दफ्तर, कचहरी तथा कई शहरों के मुख्य कार्यालय स्थित होते हैं। इसके उदाहरण दिल्ली, चण्डीगढ़ हैं।
प्रतिरक्षा नगर – इन नगरों में स्थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। यहां सैनिकों के लिए सड़कें बनाई जाती हैं। यहां सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे जोधपुर, जम्मू।
खनन केन्द्र – ये नगर खनिजों की प्राप्ति के पश्चात् बस जाते हैं। जैसे – कोयला क्षेत्र – रानीगंज आदि।

प्रश्न 15.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आप कौन मूल्यों के आधार पर अंतर स्पष्ट कर सकते हो ? जीवन-शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर:
जीवन – शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किए जा सकते हैं ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम-धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज़ होता है। सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 16.
बस्तियाँ आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुचित अवस्थित हो सकती हैं।
उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) बस्तियों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण तथा नगरीय।

(ख) ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मुख्य व्यवसाय बताओ।
उत्तर:
प्राथमिक क्रिया।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

(ग) ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं –
ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के आर्थिक अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियां छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुलित अवस्थित हो सकती हैं विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियां, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं, गांव कहलाती हैं । दूसरी ओर कम, किन्तु बड़े अधिवास द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होते हैं जो इन्हें नगरीय बस्तियां कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारतीय नगरों की प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय नगर प्रमुख विशेषताएं – भारतीय नगरों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(1) अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गांव के विस्तृत रूप हैं। इनकी गलियों में गांव का स्वरूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
(2) अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है ।
(3) अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियां हैं। ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम हैं। इसमें आर्थिक अवसरों का योगदान कम है।
(4) अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
(5) प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट तथा प्रारम्भिक है। भारतीय नगरों की पश्चिमी देशों के नगरों के साथ इस संदर्भ में कोई तुलना नहीं की जा सकती।
(6) जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण, जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता

प्रश्न 3.
जनसंख्या के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
जनसंख्या के आधार पर कस्बों और नगरों के वर्ग- भारत के जनगणना विभाग ने नगरीय केन्द्रों को 6 वर्गों में विभाजित किया है। एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को कस्बा कहा जाता है। 10 से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को बृहत् नगर कहते हैं। अधिकतर महानगर और बृहत् नगर नगरीय संकुल हैं।

यह स्पष्ट है कि अधिकतर नगरीय जनसंख्या 423 नगरों में रहती है, जो कुल नगरों का मात्र 8.2 प्रतिशत है। इन नगरों में देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 61.48 प्रतिशत भाग रहता है। 423 नगरों में से 35 महानगर या नगरीय संकुल हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, इसीलिए इन्हें महानगर कहते हैं। इनमें से छः (मैगा ) बृहत् नगर हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। इन बृहत् नगरों में कुल नगरीय जनसंख्या के पांचवें भाग से अधिक ( 21.0 प्रतिशत) लोग रहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के प्रकार का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में कई प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं। इनके आकार, आकृति तथा अभिन्यास में स्पष्ट भिन्नता मिलती है। मोटे तौर पर भारत में तीन प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं –
1. केन्द्रीकृत बस्तियां ( गुच्छित बस्तियां ) – इन बस्तियों में संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों को दो कतारों की संकरी, तंग गलियां पृथक् करती हैं । इनका अभिन्यास प्रायः रैखिक, आयताकार तथा ‘L’ आकृति वाला होता है। घर पास-पास बने होते हैं। ये बस्तियां उपजाऊ मैदानों, शिवालिक घाटी तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में मिलती हैं। ये बस्तियां राजस्थान, बुन्देल खण्ड, नागालैंड में पाई जाती हैं।

2. अर्द्ध – गुच्छित बस्तियां – इन बस्तियों में एक केन्द्र के चारों ओर छोटे आवास मुद्रिका के रूप में बिखरे होते हैं । प्रायः किसी बड़े संहत गांव के विखंडन के परिणामस्वरूप ये बस्तियां बनती हैं । प्रायः भू-स्वामी तथा प्रभावशाली लोग गांव के केन्द्रीय भाग में रहते हैं, जबकि समाज के निम्न वर्ग के लोग गांव के बाहरी भाग में रहते हैं। गुजरात के मैदान में ऐसी बस्तियां व्यापक रूप से पाई जाती हैं।

3. पुरवे वाली बस्तियां – कभी – कभी बस्ती एक-दूसरे से अलग इकाइयों के रूप में होती है तथा स्पष्ट दूरी पर होती है । देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें पल्ली, नंगला या ढाणी आदि स्थानीय नामों से जाना जाता है। गंगा के मध्यवर्ती और निचले मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में प्रायः ऐसे गांव पाए जाते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

4. परिक्षिप्त बस्तियां – ये छोटे-छोटे हैमलेट आकार के बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इन बस्तियों में केवल कुछ घर ही होते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को निर्धारित करने वाले कारकों की विवेचना करो।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियों के आकार, आकृति, प्रकार आदि में स्पष्ट विभिन्नता दिखाई देती है। ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करते हैं –
1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार प्रायः भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। उच्चावच, ऊंचाई, अपवाह तन्त्र, भौम जल-स्तर तथा जलवायु एवं मृदा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुष्क प्रदेशों में पानी की कमी के कारण प्रायः मकान तालाबों के चारों ओर बनाए जाते हैं। बस्तियां प्रायः संहित प्रकार की होती हैं।

2. सांस्कृतिक कारक – इनमें जन- जातीयता, सम्प्रदाय, जाति वर्ग बस्तियों के अभिन्यास पर प्रभाव डालते हैं। प्रायः गांव के मध्य में भू-स्वामियों के मकान होते हैं। इसके चारों ओर नौकरी – चाकरी करने वाली जातियों के मकान होते हैं। हरिजनों के मकान गांव की सीमा पार मुख्य बस्ती से दूर स्थित होते हैं। इस प्रकार का गांव कई सामाजिक इकाइयों में खण्डित हो जाता है।

3. ऐतिहासिक कारक – उत्तरी भारत के मैदानों में बाहरी आक्रमण होते रहे हैं। इन आक्रमणों से बचने के लिए प्रायः संहित बस्तियां पाई जाती हैं । लुटेरों से सुरक्षा पाने के लिए भी संहित बस्तियां बसाई जाती थीं।

प्रश्न 3.
नगर से क्या अभिप्राय है ? नगर इतिहास वेत्ताओं के अनुसार नगरों का वर्गीकरण तथा विकास बताओ।
उत्तर:
नगरों की परिभाषा – विभिन्न देशों में नगरों को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया जाता है। भारत में 2001 की जनगणना में दो प्रकार के नगरों की पहचान की है –
संवैधानिक नगर – वे सभी स्थान, जिनमें नगरपालिका या नगर निगम या केंटूनमैंट बोर्ड या नौटीफाइड टाऊन एरिया कमेटी हैं।
जनगणना नगर – वे सभी स्थान जो निम्नलिखित कसौटियों पर खरे उतरते हैं

  1. जिनकी जनसंख्या कम से कम 5000 हो,
  2. जिनकी 75 प्रतिशत कार्यशील पुरुष जनसंख्या ग़ैर कृषि कार्यों में लगी हो, और
  3. जिनकी जनसंख्या का घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हो।

भारत में नगरों का विकास – भारत में प्रागैतिहासिक काल में नगर फलते-फूलते रहे हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों का अस्तित्व था। 600 ईसा पूर्व नगरीकरण का दूसरा दौर प्रारम्भ हुआ। यह सिलसिला 18वीं शताब्दी में यूरोपवासियों के आने तक थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ निरन्तर चलता रहा। नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करते हैं –
(1) प्राचीन नगर
(2) मध्यकालीन नगर और
(3) आधुनिक नगर।

1. प्राचीन नगर – लगभग 45 नगरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। इनका अस्तित्व 2000 वर्षों से भी अधिक समय से है। इनमें से अधिकतर का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ था। वाराणसी इनमें से एक महत्त्वपूर्ण नगर है। अयोध्या, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मथुरा और मदुरै कुछ प्राचीन नगरों के अन्य उदाहरण हैं।

2. मध्यकालीन नगर – लगभग 101 वर्तमान नगरों का विकास मध्य काल में हुआ, इनमें से अधिकतर नगर रियासतों और राज्यों के मुख्यालयों या राजधानियों के रूप में विकसित हुए। इनमें से अधिकतर दुर्गनगर हैं जो पहले से विद्यमान नगरों के खंडहरों से उभरे हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध नगर हैं – दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा और नागपुर।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

3. आधुनिक नगर – अंग्रेज़ों और अन्य यूरोपवासियों ने नगरीय परिदृश्य को बदल दिया। बाहरी शक्ति के रूप में इन्होंने पहले-पहल तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। इन्होंने सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे- सूरत, दमन, गोवा, पांडिचेरी आदि का विकास किया। बाद में अंग्रेज़ों ने तीन प्रमुख केन्द्रों – मुंबई (बम्बई), चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) से अपनी सत्ता को मज़बूत किया। उन्होंने इन नगरों का निर्माण अंग्रेज़ी स्थापत्य कला के अनुसार किया था। अंग्रेज़ों ने प्रत्यक्ष रूप से या बाह्य रूप से नियन्त्रण द्वारा देशी रियासतों पर अपना आधिपत्य बड़ी तेज़ी से स्थापित किया।

इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों, पर्यटन स्थलों के रूप में पर्वतीय नगरों का विकास किया तथा पहले से विद्यमान नगरों में सिविल लाइंस, प्रशासनिक और छावनी क्षेत्र जोड़ दिए। भारत में आधुनिक उद्योगों पर आधारित नगरों का विकास भी 1850 के बाद ही हुआ । इस संदर्भ में जमशेदपुर का उल्लेख उदाहरण के रूप में किया जा सकता है। स्वतन्त्रता के बाद प्रशासनिक मुख्यालयों और औद्योगिक केन्द्रों के रूप में अनेक नगरों का उदय हुआ।

चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर, दिसपुर आदि प्रशासनिक मुख्यालय तथा दुर्गापुर, भिलाई, सिन्दरी, बरौनी, आदि औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं। कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों ओर उपनगरों के रूप में भी विकास हुआ है। दिल्ली के चारों ओर विकसित गाज़ियाबाद, नोएडा, रोहतक, गुड़गांव आदि ऐसे ही उपनगर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश के बढ़ने के साथ ही सारे देश में काफ़ी बड़ी संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ - 1

स्मरणीय तथ्य (Points to Remember)
तालिका : भारत – वर्गानुसार शहरों और नगरों की संख्या एवं उनकी जनसंख्या, 2011

नगरीय संकुल / नगरों का नाम जनसंख्या (दस लाख में)
बृहत् मुंबई 18.41
दिल्ली 16.31
कोलकाता 14.11
चेन्नई 8.69
बंगलौर 8.49
हैदराबाद 7.74
अहमदाबाद 6.85
पुणे 5.04
सूरत 4.58
जयपुर 3.07
कानपुर 2.92
लखनऊ 2.90
पटना 2.49
गाजियाबाद 2.30
इंदौर 2.10
कोयंबटूर 2.15
कोच्चि 2.11
नागपुर 2.04
कोजीकोड 2.03
भोपाल 1.98
थ्रिस्सूर 1.95
वडोदरा 1.81
आगरा 1.74
विशाखापट्नम 1.73
मालापुरुम 1.61
तिरुवनंतपुरम 1.68
कन्नौज 1.64
लुधियाना 1.64
नासिक 1.56
विजयवाड़ा 1.44
मदुरई 1.43
वाराणसी 1.43
मेरठ 1.42
फरीदाबाद 1.40
राजकोट 1.39
जमशेदपुर 1.33
श्रीनगर 1.27
जबलपुर 1.26
आसनसोल 1.24
बसाई 1.22
इलाहाबाद 1.21
धनबाद 1.19
औरंगाबाद 1.15
अमृतसर 1.18
जोधपुर 1.13
रांची 1.12
रायपुर 1.12
कोल्लम 1.11
ग्वालियर 1.10
दुर्ग 1.06
चण्डीगढ़ 1.02
तिरुचिरापल्ली 1.02
कोटा 1.01

 

मानचित्र कौशल (Map Skill)

प्रश्न- भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित दिखाओ।
उत्तर:
(1) सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य – (हिमाचल प्रदेश)
(2) सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य। – (गोवा)
(3) भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर। – (वाराणसी)
(4) दिल्ली के गिर्द एक अनुषंगी नगर। – (गाज़ियाबाद)
(5) राज्य जहां सर्वाधिक मिलियन नगर हैं। – (उत्तर प्रदेश)
(6) भारत का सबसे बड़ा महानगर। – (मुम्बई)
(7) दक्षिणी भारत में तीन बृहत् संकुल। – (बंगलौर, हैदराबाद, चेन्नई)
(8) पूर्वी भारत में एक करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला नगर। – (कोलकाता)
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ - 2

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. किस सेवा को व्यावसायिक कुशलता की आवश्यकता नहीं होती ?
(A) वकील
(B) डॉक्टर
(C) अध्यापक
(D) दुकानदार।
उत्तर:
(D) दुकानदार।

2. कौन-सा कारक विनिमय में सम्मिलित नहीं होता ? .
(A) व्यापार
(B) परिवहन
(C) संचार
(D) वेतन।
उत्तर:
(D) वेतन।

3. तृतीयक क्रियाकलाप किस कारक पर निर्भर है ?
(A) कुशलता
(B) मशीनरी
(C) फैक्टरी
(D) उत्पादन।
उत्तर:
(A) कुशलता

4. तैयार वस्तुएँ कौन प्रदान करता है ?
(A) नगरीय केन्द्र
(B) ग्रामीण केन्द्र
(C) मण्डियां
(D) साप्ताहिक बाजार।
उत्तर:
(A) नगरीय केन्द्र

5. कौन-सी संस्था द्वार-से-द्वार सेवा प्रदान करती है ?
(A) फुटकर व्यापार
(B) थोक व्यापार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) फुटकर व्यापार

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

6. किस संस्था से सर्वप्रथम बृहत स्तर पर फुटकर व्यापार किया ?
(A) उपभोक्ता सहकारी
(B) विभागीय भण्डार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) उपभोक्ता सहकारी

7. थोक व्यापारी की पूँजी पर कौन कार्य संचालन करता है ?
(A) बड़े भण्डार
(B) श्रृंखला भण्डार
(C) फुटकर विक्रेता
(D) विभागीय भण्डार।
उत्तर:
(C) फुटकर विक्रेता

8. समकाल रेखाएं किन स्थानों को जोड़ती हैं जो हो
(A) किलोमीटर दूरी
(B) समय दूरी
(C) लाग दूरी
(D) लाभ दूरी।
उत्तर:
(B) समय दूरी

9. दो शीर्षों को जोड़ती हैं
(A) लिंक
(B) शीर्ष
(C) जालतन्त्र
(D) नोड।
उत्तर:
(A) लिंक

10. संचार का सबसे तेज़ साधन है
(A) तार प्रेषण
(B) टैलेक्स
(C) रेडियो
(D) मोबाइल दूरभाष।
उत्तर:
(D) मोबाइल दूरभाष।

11. एक टैक्स परामर्शदाता किस वर्ग के कार्य कलाप से सम्बन्धित है ?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(D) चतुर्थक।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलाप किस क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
सेवा क्षेत्र।

प्रश्न 2.
तृतीयक क्रियाकलाप में दो प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
उत्पादन तथा विनिमय।

प्रश्न 3.
विनिमय में कौन-से तत्त्व शामिल हैं ?
उत्तर:
व्यापार, परिवहन तथा संचार।

प्रश्न 4.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।

प्रश्न 5.
व्यापार के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
फुटकर तथा थोक व्यापार।

प्रश्न 6.
व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
वह नगर तथा केन्द्र जहां व्यापार होता है व्यापारिक केन्द्र कहलाते हैं, ये संग्रहण तथा वितरण बिन्दु होते हैं।

प्रश्न 7.
अर्ध-नगरीय केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र।

प्रश्न 8.
व्यापारिक केन्द्रों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर-:
ग्रामीण तथा नगरीय।

प्रश्न 9.
मण्डियों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार के केन्द्र।

प्रश्न 10.
फुटकर व्यापार सेवा के चार उदाहरण दो।
उत्तर:
फेरी, रेहड़ी, डाक-आदेश, द्वार से द्वार।

प्रश्न 11.
किस भण्डार पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यापार होता है ?
उत्तर;
विभागीय भण्डार।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 12.
एक फुटकर विक्रेता किस प्रकार थोक विक्रेता की पूँजी पर कार्य करता है ?
उत्तर:
थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता को उधार देता है।

प्रश्न 13.
ICT को विस्तार से लिखें।
उत्तर:
Information Communication Technology.

प्रश्न 14.
समकाल रेखाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानचित्र पर समान समय में पहुंचने वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाओं को समकाल रेखाएं कहते हैं।

प्रश्न 15.
परिवहन की मांग किन कारकों पर निर्भर है ?
उत्तर:
परिवहन की मांग जनसंख्या के आकार से प्रभावित होती है। अधिक जनसंख्या से परिवहन मांग भी अधिक होती है।

प्रश्न 16.
संचार का कौन-सा साधन तीव्र गति वाला है ?
उत्तर:
मोबाइल दूरभाष तथा उपग्रह।

प्रश्न 17.
विशाल डाक का निपटारन कौन-सी संस्था करती है ?
उत्तर:
डाक घर।

प्रश्न 18.
जनसंचार के दो माध्यम बताओ।
उत्तर:
रेडियो तथा दूरदर्शन।

प्रश्न 19.
निम्न स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
पंसारी की दुकान, धोबीघाट।

प्रश्न 20.
उच्च स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
लेखाकार, परामर्शदाता, चिकित्सक।

प्रश्न 21.
मानसिक श्रम उपयोग वाली तीन सेवाएं बताओ।
उत्तर:
अध्यापक, वकील, चिकित्सक।

प्रश्न 22.
CBD का विस्तार करें।
उत्तर:
Central Business District (केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र)।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 23.
संयुक्त राज्य में तृतीयक क्रियाकलापों में लगे श्रमिकों का प्रतिशत क्या है ?
उत्तर:
75%

प्रश्न 24.
पर्यटन में पंजीकृत रोजगारों की संख्या बताओ।
उत्तर:
25 करोड़।

प्रश्न 25.
पर्यटन से प्राप्त कुल राजस्व बताओ।
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद का 40%।

प्रश्न 26.
पर्यटन किन उद्योगों को पोषित करता है ?
उत्तर:
अवसंरचना उद्योग, फुटकर व्यापार, शिल्प उद्योग।

प्रश्न 27.
मौसमी पर्यटन किन दशाओं पर निर्भर है ?
उत्तर;
अवकाश की अवधि।

प्रश्न 28.
संसार के दो पर्यटक प्रदेश बताओ।
उत्तर:
भूमध्य सागरीय तट तथा गोवा तट।

प्रश्न 29.
इतिहास एवं कला से सम्बन्धित कौन-से स्थान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं ?
उत्तर:
प्राचीन नगर, पुरातत्व स्थान, गुफाएं, महल, गिरजाघर।

प्रश्न 30.
सशक्त कर्मी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
यह वे श्रमिक हैं जो आत्म यथार्थीकरण द्वारा प्रेरित होते हैं न कि धन द्वारा । ये जीवन की गुणवत्ता, रचनात्मक व व्यक्तिगत मूल्यों में विश्वास रखते हैं।

प्रश्न 31.
MRI का विस्तार करें।
उत्तर:
Magnetic Resonance Images.

प्रश्न 32.
KPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Knowledge Processing Outsourcing.

प्रश्न 33.
BPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Business Processing Outsourcing.

प्रश्न 34.
सेवाओं का आधार क्या होता है ?
उत्तर:
कुशल कर्मचारी।

प्रश्न 35.
सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा।

प्रश्न 36.
वाणिज्यिक सेवाओं का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
विज्ञापन व परामर्श।

प्रश्न 37.
विकसित देशों में सेवाओं में वृद्धि का क्या कारण है ?
उत्तर:
प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने से।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 38.
उच्च सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
वित्त तथा बीमा।

प्रश्न 39.
दूरसंचार का एक नवीनतम संसाधन बताओ।
उत्तर:
इन्टरनेट।

प्रश्न 40.
किसी एक वैश्विक नगर का उदाहरण दो।
उत्तर:
लंदन।

प्रश्न 41.
पंचम क्रियाकलापों की परिभाषा दो।
उत्तर:
ये वे सेवाएं हैं जो आंकड़ों की व्याख्या तथा मूल्यांकन से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 42.
तृतीय क्रियाओं में किस प्रकार की क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं ?
उत्तर:
तृतीय क्रियाओं में सेवाएं सम्मिलित की जाती हैं जैसे शिक्षा, प्रबन्ध, अनुसंधान तथा सुरक्षा।

प्रश्न 43.
ज्ञानोमुखी व्यक्ति किस क्रियाकलाप में आते हैं ?
उत्तर:
चतुर्थक तथा पंचम क्रियाकलाप।

प्रश्न 44.
सूचना का संग्रहण किस क्रियाकलाप में आता है ?
उत्तर:
चतुर्थक।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जनशक्ति सेवा सेक्टर का एक महत्त्वपूर्ण कारक है’ तीन विशेषताएं बताकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सेवा सेक्टर के लिए व्यावसायिक कुशल श्रमिक चाहिए। जनशक्ति अधिकांश तृतीय क्रियाकलापों का निष्पादन करती है। जनशक्ति की निम्नलिखित विशेषताएं आवश्यक हैं –

  1. श्रमिक कुशल हों।
  2. इनमें व्यावसायिक कशलता हो।
  3. विशेषज्ञ प्रशिक्षित हो।
  4. परामर्शदाता शिक्षित हो।

प्रश्न 2.
‘सभी प्रकार की सेवाएं विशिष्ट कलाएं होती हैं जो भुगतान के बदले प्राप्त होती हैं ‘ उदाहरण दो।
उत्तर:
अनेक व्यवसायी फ़ीस का भुगतान होने पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

  1. एक चिकित्सक आपका उपचार करके फ़ीस प्राप्त करता है।
  2. एक अध्यापक आपको शिक्षा देता है तथा फ़ीस लेता है।
  3. एक वकील आपको कानूनी सलाह देकर फ़ीस लेता है।

प्रश्न 3.
विकसित तथा विकासशील देशों में विभिन्न प्रकार की सेवाओं में लगे श्रमिकों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में विकासशील अर्थव्यवस्था में बहुसंख्या में लोग प्राथमिक सेक्टर में कार्य करते हैं।
  2. विकसित देशों में-बहुसंख्यक श्रमिक तृतीयक क्रियाकलापों में रोज़गार पाते हैं। कम संख्या में द्वितीयक सेक्टर में लोग कार्यरत हैं।

प्रश्न 4.
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता, विशिष्टीकृत कुशलता, अनुभव और ज्ञान पर निर्भर करती है। उत्पादन, मशीनरी, फैक्ट्री प्रक्रियाएं कम महत्त्वपूर्ण होती हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 5.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ? इसका उद्देश्य क्या है ? व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार वस्तुतः अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।
इसके दो प्रकार के हैं –
(i) फुटकर और
(ii) थोक व्यापार अथवा वाणिज्य की सभी सेवाओं का विशिष्ट उद्देश्य लाभ कमाना है। यह सारा काम कस्बों और नगरों में होता है। जिन्हें व्यापारिक केन्द्र कहा जाता है। स्थानीय स्तर पर वस्तु विनिमय से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय सोपान पर मुद्रा विनिमय तक व्यापार के उत्थान ने अनेक केन्द्रों और संस्थाओं को जन्म दिया है जैसे कि व्यापारिक केन्द्र अथवा संग्रहण और वितरण बिंदु। व्यापारिक केन्द्रों को ग्रामीण और नगरीय विपणन केन्द्रों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
कालिक मण्डियों (आवधिक बाज़ार) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में आवधिक बाजार-ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ नियमित बाज़ार नहीं होते विभिन्न कालिक अन्तरालों पर स्थानीय आवधिक बाज़ार लगाए जाते हैं। ये साप्ताहिक पाक्षिक बाज़ार होते हैं। जहाँ परिग्रामी क्षेत्रों से लोग आकर समय-समय पर अपनी आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। ये बाज़ार निश्चित तिथि दिन पर लगते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगते रहते हैं। दुकानदार इस प्रकार सभी दिन व्यस्त रहते हैं और एक विस्तृत क्षेत्र को सेवा प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
विभिन्न प्रकार के भण्डारों का वर्णन करो।
उत्तर:
भण्डारों के प्रकार –
(i) उपभोक्ता सहकारी (Consumer Co-operatives):
फुटकर व्यापार में वृहत स्तर पर सबसे पहले नवाचार लाने वाले उपभोक्ता सहकारी समुदाय थे।

(ii) विभागीय भण्डार (Departmental Stores):
वस्तुओं की खरीद और भण्डारों के विभिन्न अनुभागों में बिक्री के सर्वेक्षण के लिए विभागीय प्रमुखों को उत्तरदायित्व और प्राधिकार सौंप देते हैं।

(ii) श्रृंखला भण्डार (Chain Stores):
अत्यधिक मितव्ययता से व्यापारिक माल खरीद पाते हैं, यहां तक कि अपने विनिर्देश पर सीधे वस्तुओं का विनिर्माण करा लेते हैं। वे अनेक कार्यकारी कार्यों में अत्यधिक कुशल विशेषज्ञ नियुक्त कर लेते हैं। उनके पास एक भण्डार के अनुभव के परिणामों को अनेक भण्डारों में लागू करने की योग्यता होती है।

प्रश्न 8.
थोक व्यापार सेवा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार सेवाएं (Whole Sale Trading Services)-थोक व्यापार का गठन अनेक बिचौलिए सौदागरों और पूर्तिघरों द्वारा होता है न कि फुटकर भण्डारों द्वारा। शृंखला भण्डारों सहित कुछ बड़े भण्डार विनिर्माताओं से सीधी खरीद करते हैं। फिर भी बहुसंख्यक फुटकर भण्डार बिचौलिए स्रोत से पूर्ति लेते हैं। थोक विक्रेता प्रायः फुटकर भण्डारों को उधार देते हैं, यहाँ तक कि फुटकर विक्रेता अधिकतर थोक विक्रेत जी पर ही अपने कार्य का संचालन करते हैं।

प्रश्न 9.
परिवहन सेवाएं क्या हैं ? यह आवश्यक क्यों हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services)-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा सम्पत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है।

प्रश्न 10.
परिवहन व्यवस्था के कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 11.
परिवहन सेवाओं के मार्ग किन कारकों पर निर्भर करते हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services):

  • नगरों, कस्बों, गाँवों, औद्योगिक केन्द्रों और कच्चे माल, उनके मध्य व्यापार के प्रारूप।
  • उनके मध्य भू-दृश्य की प्रकृति
  • जलवायु के प्रकार और मार्ग की लम्बाई पर आने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए उपलब्ध निधियों (मुद्रा) पर मार्ग निर्भर करते हैं।

प्रश्न 12.
संचार साधनों द्वारा किन तत्त्वों का प्रेषण होता है ? परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
संचार सेवाएं (Communication Services):
संचार सेवाओं में शब्दों और सन्देशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने सन्देशों .. को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की। ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तन्त्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है।

प्रश्न 13.
दूरसंचार ने किस प्रकार संचार सेवाओं में क्रान्ति ला दी है ?
उत्तर:
दूरसंचार (Telecommunication):
दूर संचार का प्रयोग विद्युतीय प्रौद्योगिकी के विकास से जुड़ा है। सन्देशों के भेजे जाने की गति के कारण इसने संचार में क्रान्ति ला दी है। समय सप्ताहों से मिनटों में घट गया है और मोबाइल दूरभाष जैसी नूतन उन्नति ने किसी भी समय कहीं से भी संचार को प्रत्यक्ष और तत्काल बना दिया है। तार प्रेषण, मोर्स कूट और टैलेक्स अब लगभग भूतकाल की वस्तुएँ बन गई हैं।

प्रश्न 14.
जनसंचार माध्यम कौन-से हैं ? इनके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंचार माध्यम (Means of Mass Media):
रेडियो और दूरदर्शन भी समाचारों, चित्रों व दूरभाष कालों का पूरे विश्व में विस्तृत श्रोताओं को प्रसारण करते हैं और इसलिए इन्हें जनसंचार माध्यम कहा जाता है। इनके कार्य (Functions) –

  1. ये विज्ञापन एवं मनोरंजन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. समाचार-पत्र विश्व के सभी कोनों से घटनाओं का प्रसारण करने में सक्षम होते हैं।
  3. उपग्रह संचार पृथ्वी और अंतरिक्ष से सूचना का प्रसारण करता है।
  4. इन्टरनेट ने वैश्विक संचार तन्त्र में वास्तव में क्रान्ति ला दी है।

प्रश्न 15.
असंगठित श्रमिकों से क्या अभिप्राय है ? मुम्बई के डब्बावाला की सेवा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अनौपचारिक/गैर-औपचारिक सेक्टर-दैनिक जीवन में काम को सुविधाजनक बनाने के लिए लोगों को व्यक्तिगत सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। कामगार रोज़गार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास करते हैं और अकुशल होते हैं। वे मोची, गृहपाल, खानसामा और माली जैसी घरेलू सेवाओं के लिए नियुक्त किए जाते हैं और इन्हें कम भुगतान किया जाता है। कर्मियों का यह वर्ग असंगठित है। ऐसा एक उदाहरण मुम्बई की डब्बावाला सेवा है जो पूरे नगर में लगभग 1,75,000 उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जाती है।

प्रश्न 16.
चतुर्थक सेवाओं का क्या आकार है ? इसमें कौन-सी क्रियाएं शामिल हैं ?
उत्तर:
ज्ञान आधारित सेवा सेक्टर को चतुर्थक सेवाएं कहते हैं। इसमें तीन क्रियाएं सम्मिलित हैं।

  1. सूचना संग्रहण
  2. उत्पादन व प्रकीर्णन
  3. सूचना का उत्पादन।

प्रश्न 17.
पंचम क्रियाकलाप क्या है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
पंचम क्रियाकलाप वे सेवाएँ हैं जो नवीन एवं वर्तमान विचारों की रचना, उनके पुनर्गठन और व्याख्या; आँकड़ों की व्याख्या और प्रयोग तथा नई प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन पर केन्द्रित होती हैं। प्रायः ‘स्वर्ण कॉलर’ (Gold collar) कहे जाने वाले ये व्यवसाय तृतीयक सेक्टर का एक और उप-विभाग हैं जो वरिष्ठ व्यावसायिक कार्यकारियों, सरकारी अधिकारियों, अनुसन्धान वैज्ञानिकों, वित्त एवं विधि परामर्शदाताओं इत्यादि की विशेष और उच्च वेतन वाली कुशलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की संरचना में उनका महत्त्व उनकी संख्या से कहीं अधिक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन तथा विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं। व्याख्या करो।
उत्तर:
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन और विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं।
(1) उत्पादन में सेवाओं की उपलब्धता शामिल होती है जिनका उपभोग किया जाता है। उत्पादन को परोक्ष रूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है।
(2) विनिमय के अन्तर्गत व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाएँ सम्मिलित होती हैं जिनका उपयोग दूरी को निष्प्रभाव करने के लिए किया जाता है। इसलिए तृतीयक क्रियाकलापों में मूर्त वस्तुओं के उत्पादन के बजाय सेवाओं का व्यावसायिक उत्पादन सम्मिलित होता है। वे भौतिक कच्चे माल के प्रक्रमण में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित नहीं होतीं।

उदाहरण:
एक नलसाज, बिजली मिस्त्री, तकनीशियन, धोबी, नाई, दुकानदार, चालक, कोषपाल, अध्यापक, डॉक्टर, वकील और प्रकाशक इत्यादि का काम इनका सामान्य उदाहरण हैं। द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में मुख्य अंतर यह है कि सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता उत्पादन तकनीकों, मशीनरी और फैक्ट्री प्रक्रियाओं की अपेक्षा कर्मियों की विशिष्टीकृत कुशलताओं, अनुभव और ज्ञान पर अत्यधिक निर्भर करती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 2.
ग्रामीण विपणन केन्द्रों तथा नगरीय बाजार केन्द्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र निकटवर्ती बस्तियों का पोषण करते हैं। ये अर्ध-नगरीय केन्द्र होते हैं। ये अत्यन्त अल्पवर्धित प्रकार के व्यापारिक केन्द्रों के रूप में सेवा करते हैं। यहाँ व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेवाएँ सुविकसित नहीं होती। ये स्थानीय संग्रहण और वितरण केन्द्र होते हैं। इनमें से अधिकांश केन्द्रों में मण्डियां (थोक बाज़ार) और फुटकर व्यापार क्षेत्र भी होते हैं। ये स्वयं में नगरीय केन्द्र नहीं हैं किन्तु ग्रामीण लोगों की अधिक माँग वाली वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराने वाले महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।

नगरीय बाजार केन्द्रों में और अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएं मिलती हैं। इनमें न केवल साधारण वस्तुएँ और सेवाएँ बल्कि लोगों द्वारा वांछित अनेक विशिष्ट वस्तुएँ व सेवाएँ भी उपलब्ध होती हैं। नगरीय केन्द्र, इसलिए विनिर्मित पदार्थों के साथ-साथ विशिष्टीकृत बाजार भी प्रस्तुत करते हैं जैसे श्रम बाजार, आवासन, अर्ध-निर्मित एवं निर्मित उत्पादों . का बाज़ार। इनमें शैक्षिक संस्थाओं और व्यावसायिकों की सेवाएँ जैसे-अध्यापक, वकील, परामर्शदाता, चिकित्सक, दाँतों का डॉक्टर और पशु चिकित्सक आदि उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
किलोमीटर दूरी, समय दूरी, लागत दूरी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लम्बाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाले समय और लागत दूरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है। परिवहन न में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं।

प्रश्न 4.
जालतन्त्र, नोड तथा योजक में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जैसे ही परिवहन व्यवस्थाएँ विकसित होती हैं विभिन्न स्थान आपस में जुड़कर जाल-तन्त्र की रचना करते हैं। जाल-तन्त्र तथा योजक से मिलकर बनते हैं। दो अथवा अधिक मार्गों का सन्धि-स्थल, एक उद्गम बिन्दु, एक गंतव्य बिन्दु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा कस्बा नोड अथवा शीर्ष होता है। प्रत्येक सड़क जो दो नोडों को जोड़ती है योजक अथवा किनारा कहलाती है। एक विकसित जाल-तन्त्र में अनेक योजक होते हैं, जिसका अर्थ है कि स्थान सुसम्बद्ध है।

प्रश्न 5.
समुद्र पार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवा या चिकित्सा पर्यटन पर नोट लिखो।
उत्तर:
भारत में समद्रपार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ-2005 ई० में संयक्त राज्य अमेरिका से उपचार के लिए 55,000 रोगी भारत आए। संयुक्त राज्य स्वास्थ्य सेवा तन्त्र के अन्तर्गत प्रतिवर्ष होने वाले लाखों शल्यकर्मों की तुलना में यह संख्या बहुत कम है। भारत विश्व में चिकित्सा पर्यटन में अग्रणी देश बन कर उभरा है। महानगरों में अवस्थित विश्वस्तरीय अस्पताल सम्पूर्ण विश्व के रोगियों का उपचार करते हैं। भारत, थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया जैसे विकासशील देशों को चिकित्सा पर्यटन से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

चिकित्सा पर्यटन के अतिरिक्त चिकित्सा परीक्षणों और आँकड़े के निर्वचन के बाह्यस्रोतन के प्रति भी झुकाव पाया जाता है। भारत, स्विट्ज़रलैंड और आस्ट्रेलिया के अस्पताल विकिरण बिम्बों के अध्ययन से लेकर चुम्बकीय अनुनाद बिम्बों के निर्वचन और पराश्राव्य परीक्षणों तक की विशिष्ट चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध करा रहे हैं। बाह्यस्रोतन में, यदि यह गुणवत्ता में सुधार करने अथवा विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है, तो बाह्यस्रोतन रोगियों के लिए अत्यधिक लाभ होता है।

प्रश्न 6.
सेवा क्षेत्रों के प्रमुख घटकों का वर्णन करो।
उत्तर:
सेवाओं के प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं –

  1. वाणिज्यिक सेवाएं-विज्ञापन, कानूनी सेवाएँ, जनसम्पर्क और परामर्श।
  2. वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि और भवनों जैसी अचल सम्पत्ति का क्रय-विक्रय।
  3. उत्पादक और उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखाव, सौन्दर्य प्रसाधक तथा मुरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ।
  4. परिवहन और संचार-रेल, सड़क, जहाज़ और वायुयान सेवाएं, डाक-तार सेवाएँ।
  5. मनोरंजन-दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
  6. विभिन्न स्तरीय प्रशासन-स्थानीय, राज्यीय तथा राष्ट्रीय प्रशासन, अधिकारी वर्ग, पुलिस, सेना तथा अन्य जन-सेवाएं।
  7. गैर-सरकारी संगठन-शिशु चिकित्सा, पर्यावरण ग्रामीण विकास आदि लाभरहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन।

प्रश्न 7.
संसार में चतुर्थक सेवाओं की प्रकृति तथा वृद्धि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थक क्रिया-कलाप-विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रिया-कलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। परिणामस्वरूप, चतुर्थक क्रिया-कलापों के रूप में एक नया वर्ग बन गया है। उत्पादों में भी ज्ञान से सम्बन्धित क्रिया-कलापों जैसे शिक्षा, सूचना, शोध और विकास को सेवाओं का एक भिन्न वर्ग मान लिया गया है।

विशेषताएं:

  1. चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उच्च बौद्धिक व्यवसायों से है।
  2. इनका दायित्व चिन्तन, शोध और विकास के लिए नए विचार देना है।
  3. आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे हैं, लेकिन इनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
  4. चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील हैं।

चतुर्थक सेवाओं में वृद्धि-विगत कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति के फलस्वरूप ज्ञान आधारित उद्योगों में वृद्धि हुई है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर आधारित औद्योगिक समूहों (विज्ञान नगर) तथा प्रौद्योगिकी पार्कों ने बहुत प्रगति की है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पर्यटन सेवा से क्या अभिप्राय है ? पर्यटन किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है ? (H.B. 2010, 11, 12, 14)
उत्तर:
पर्यटन (Tourism):
पर्यटन एक यात्रा है जो व्यापार की बजाय प्रमोद के उद्देश्यों के लिए की जाती है। कुल पंजीकृत रोज़गारों तथा कुल राजस्व (सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत) की दृष्टि से यह विश्व का अकेला सबसे बड़ा (25 करोड़) तृतीयक क्रियाकलाप बन गया है। इनके अतिरिक्त पर्यटकों के आवास, भोजन, परिवहन, मनोरंजन तथा विशेष दुकानों जैसी सेवा उपलब्ध कराने के लिए अनेक स्थानीय व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। पर्यटन अवसंरचना उद्योगों, फुटकर व्यापार तथा शिल्प उद्योगों (स्मारिका) को पोषित करता है।

पर्यटन के प्रकार (Types of Tourism):
कुछ प्रदेशों में पर्यटन ऋतुनिष्ठ होता है क्योंकि अवकाश की अवधि अनुकूल मौसमी दशाओं पर निर्भर करती है, किन्तु कई प्रदेश वर्षपर्यंत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

पर्यटक प्रदेश (Tourist Regions)

  1. भूमध्यसागरीय तट के चारों ओर कोष्ण स्थान तथा
  2. भारत का पश्चिमी तट विश्व से लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य स्थानों में से हैं।
  3. शीतकालीन खेल प्रदेश, जो मुख्यतः पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  4. मनोहारी दृश्यभूमियाँ तथा
  5. यत्र-तत्र फैले राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित हैं। स्मारकों, विरासत स्थलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण ऐतिहासिक नगर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Tourism):
1. माँग (Demand) – विगत शताब्दी से अवकाश के लिए माँग तीव्रता से बढी है। जीवन स्तर में सुधार तथा बढे हुए फुरसत के समय के कारण अधिक लोग विश्राम के लिए अवकाश पर जाते हैं।

2. परिवहन (Transport) – परिवहन सुविधाओं में सुधार के साथ पर्यटन क्षेत्रों का आरंभ हुआ। बेहतर सड़क प्रणालियों में कार द्वारा यात्रा सुगम होती है। हाल के वर्षों में वायु परिवहन का विस्तार अधिक महत्त्वपूर्ण रहा। उदाहरणतः वायु-यात्रा द्वारा कुछ ही घंटों में अपने घरों से विश्व में कहीं भी जाया जा सकता है। पैकेज अवकाश के प्रारम्भ ने लागत घटा दी है।

3. पर्यटन आकर्षण (Tourists Attraction) – जलवायु-ठंडे प्रदेशों के अधिकांश लोग पुलिन विश्राम के लिए ऊष्ण व धूपदार मौसम के अपेक्षा करते हैं। दक्षिणी युरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पर्यटन के महत्त्व का यह एक मुख्य कारण है। अवकाश के शीर्ष मौसम में यूरोप के अन्य भागों की अपेक्षा भूमध्यसागरीय जलवायु में लगभग सतत् ऊँचा तापमान, धूप की लम्बी अवधि और निम्न वर्षा की दशाएँ होती हैं। शीतकालीन अवकाश का आनन्द लेने वाले लोगों की विशिष्ट जलवायवी ज़रूरतें होती हैं, जैसे या तो अपनी गृह-क्षेत्रों की तुलना में ऊँचे तापमान अथवा स्कींग के लिए अनुकूल हिमावरण।

4. भू-दृश्य (Landscape) – कई लोग आकर्षित करने वाले पर्यावरण में अवकाश बिताना पसन्द करते हैं, जिसका प्रायः अर्थ होता है पर्वत, झीलें, दर्शनीय समुद्री तट और मनुष्य द्वारा पूर्ण रूप से अपरिवर्तित भू-दृश्य।।

5. इतिहास एवं कला (History and Arts) – किसी क्षेत्र के इतिहास और कला में सम्भावित आकर्षण होता है। लोग प्राचीन और सुन्दर नगरों, पुरातत्व के स्थानों पर जाते हैं और किलों, महलों और गिरिजाघरों को देखकर आनन्द उठाते हैं।

6. संस्कृति और अर्थव्यवस्था – मानवजातीय और स्थानीय रीतियों को पसन्द करने वालों को पर्यटन लुभाता है। यदि कोई प्रदेश पर्यटकों की जरूरतों को सस्ते दाम में पूरा करता है तो वह अत्यन्त लोकप्रिय हो जाता है। ‘घरों में रुकना’ एक लाभदायक व्यापार बन कर उभरा है जैसे-गोवा के हैरीटेज होम्स तथा कर्नाटक में मेदी केरे और कूर्ग।

प्रश्न 2.
बाह्यस्त्रोतन से क्या अभिप्राय है ? के० पी० ओ० तथा बी० पी० ओ० के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
बाह्यस्रोतन (Out Sourcing):
बाह्यस्त्रोतन अथवा ठेका देना दक्षता को सुधारने और लागतों को घटाने के लिए किसी बाहरी अभिकरण को काम सौंपना है। जब बाह्यस्रोतन में कार्य समुद्रपार के स्थानों पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है तो इसका अपतरन (आफशोरिंग) कहा जाता है, यद्यपि दोनों अपतरन और बाह्यस्रोतन का प्रयोग इकट्ठा किया जाता है।

क्रियाएं:
जिन व्यापारिक क्रियाकलापों को बाह्यस्रोतन किया जाता है उनमें सूचना प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, ग्राहक सहायता और काल सेंटर सेवाएं और कई बार विनिर्माण तथा अभियान्त्रिकी भी सम्मिलित की जाती हैं। . आँकड़ा प्रक्रमण सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित एक सेवा है जिसे आसानी से एशियाई, पूर्वी यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में क्रियान्वित किया जा सकता है। इन देशों में विकसित देशों की अपेक्षा कम पारिश्रमिक पर अंग्रेज़ी भाषा में अच्छी निपुणता वाले सूचना प्रौद्योगिकी में कुशल कर्मचारी उपलब्ध हो जाता है।

अत: हैदराबाद अथवा मनीला में स्थापित एक कम्पनी भौगोलिक सूचना तन्त्र की तकनीक पर आधारित परियोजना पर संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा जापान जैसे देशों के लिए काम करती है। श्रम सम्बन्धी कार्यों को समुद्र पार क्रियान्वित करने से, चाहे वह भारत, चीन और यहाँ तक कि अफ्रीका का कम सघन जनसंख्या वाला देश बोत्सवाना हो, ऊपरी लागत बहुत कम होती है, जिससे यह सेवा लाभदायक हो जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

काल सेंटर (Call Centres):
बाह्यस्रोतन के परिणामस्वरूप भारत, चीन, पूर्वी यूरोप, इस्रायल, फिलीपींस और कोस्टारिका में बड़ी संख्या में काल सेंटर खुले हैं। इससे इन देशों में नए काम उत्पन्न हुए हैं। बाह्यस्रोतन उन देशों में आ रहा है जहाँ सस्ता और कुशल श्रम उपलब्ध है। ये उत्प्रवास वाले देश भी हैं। बाह्यस्रोतन के द्वारा काम उपलब्ध होने पर देशों से प्रवास कम हो सकता है। बाह्यस्रोतन वाले देश अपने यहाँ काम तलाश कर रहे युवकों का प्रतिरोध झेल रहे हैं। बाह्यस्रोतन के बने रहने का मुख्य कारण तुलनात्मक लाभ है।

नवीन प्रवृत्तियां (New Talents):
चतुर्थ सेवाओं की नवीन प्रवृत्तियों में ज्ञान प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (के० पी० ओ०) और ‘होम शोरिंग’ है, जो बाह्यत्रोतन का विकल्प है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन उद्योग व्यवसाय प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (बी० पी० ओ०) से भिन्न है क्योंकि इसमें उच्च कुशलकर्मी सम्मिलित होते हैं। यह सूचना प्रेरित ज्ञान की बाह्यस्रोतन है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन कम्पनियों को अतिरिक्त व्यावसायिक अवसरों को उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन के उदाहरणों में अनुसन्धान और विकास क्रियाएँ, ई० लर्निंग, व्यवसाय अनुसन्धान, बौद्धिक सम्पदा, अनुसन्धान, कानूनी व्यवसाय और बैंकिंग सेक्टर आते हैं।

प्रश्न 3.
वैश्विक नगर विश्व प्रणाली के आदेश और नियन्त्रण केन्द्र के रूप में कार्य करते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
वित्तीय बाजार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क और टोकियो ऐसे ही वैश्विक नगर हैं। कुछ अन्य नगरों जैसे पेरिस, टोरंटो, लॉस एंजिल्स, ओसाका, हांगकांग एवं सिंगापुर का भी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान है। लेकिन बीसवीं शताब्दी के अन्त में सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में इन तीन नगरों न्यूयार्क, लन्दन और टोकियो की भूमिका बहुत उल्लेखनीय रही है।

ये विश्व तन्त्र के नियन्त्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं। इन नगरों में राष्ट्रपारीय कम्पनियों के मुख्यालय हैं। यहीं पर वित्तीय कम्पनियों और व्यापारिक सेवाओं के कार्यालयों के बड़े-बड़े परिसर हैं। यहाँ कम्पनियों के बड़े अधिकारियों को प्रत्यक्ष सम्पर्क, राजनीतिक सम्बन्ध बनाने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर अनायास ही मिल जाते हैं। संक्षेप में दूर संचार के द्वारा आज उच्च वेतन तथा उच्च मूल्य सम्बन्धित सफेदपोश कार्यों को करने वाले कर्मचारी एक ही स्थान पर इकट्ठे होने लगे हैं।

इसके विपरीत निम्न वेतन, निम्न मूल्य वृद्धि और कायिक कार्य करने वाले कर्मचारियों के विकेन्द्रीकरण को भी इससे प्रेरणा मिली है। नगरों और प्रदेशों पर इनके सकारात्मक और नकारात्मक कई प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। दैनिक जीवन में इलेक्ट्रोनिक तन्त्र का बहुत उपयोग होता है। पासपोर्ट, करों के रिकार्ड, चिकित्सा रिपोर्ट, टेलीफोन और अपराध के आंकड़ों में इनका बहुत उपयोग होता है। इनके कारण सत्ता और सम्पत्ति तथा भौगोलिक केन्द्र और निकटवर्ती क्षेत्र के रूप में कुछ वर्ग बन गए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्टरनेट के उपयोग में असमानता इसका एक उदाहरण है।

प्रति एक लाख लोगों पर इन्टरनेट का उपयोग करने के आधार पर देशों के दो वर्ग बन गए हैं-एक विकासशील देशों का तथा दूसरा विकसित देशों का। स्कैंडिनेविया के देश, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इन्टरनेट के द्वारा सबसे अच्छी तरह से जुड़े हैं। इस सन्दर्भ में इनके बाद यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान का स्थान है। इस मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आश्चर्यजनक रूप में काफ़ी नीचा है। क्योंकि इसकी काफ़ी बड़ी जनसंख्या इन्टरनेट का बहुत कम उपयोग करती है। लेकिन इन्टरनेट के अन्तर्राष्ट्रीय यातायात का उद्गम स्थान या लक्ष्य संयुक्त राज्य अमेरिका होता है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अधिकतर लोग इन्टरनेट का बहुत कम या बिल्कुल ही उपयोग नहीं करते।

प्रश्न 4.
परिवहन व संचार क्रियाकलापों का वर्णन करें।
उत्तर:
परिवहन-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा संपत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है। आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है। परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लंबाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाला समय और लागत दरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है।

परिवहन के साध के चयन में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं। संचार-संचार सेवाओं में शब्दों और संदेशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने संदेशों को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की।

ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तंत्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है। मोबाइल दूरभाष और उपग्रहों जैसे कुछ विकासों ने संचार को परिवहन से मुक्त कर दिया है। पुराने तंत्रों के सस्ता होने के कारण संचार के सभी रूपों का साहचर्य पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है। अत: पूरे विश्व में अभी भी विशाल मात्रा में डाक का निपटारन डाकघरों द्वारा हो रहा है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. किस लक्षण से लोगों की पहचान नहीं होती?
(A) आयु
(B) लिंग
(C) व्यवसाय
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

2. औसत विश्व लिंगानुपात है
(A) 970
(B) 980
(C) 990
(D) 995.
उत्तर:
(C) 990

3. निम्नतम लिंगानुपात किस प्रदेश में है ?
(A) मिस्र
(B) U.A.E
(C) कुवैत
(D) ईरान।
उत्तर:
(B) U.A.E

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

4. कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
(A) 109
(B) 119
(C) 129
(D) 139.
उत्तर:
(D) 139.

5. कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
(A) 52
(B) 62
(C) 72
(D) 82.
उत्तर:
(C) 72

6. यूरोपीय देशों में स्त्रियों की कमी का कारण है
(A) निम्न जन्म दर
(B) उच्च मृत्यु दर
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर
(D) पुरुषों का बेहतर स्तर।
उत्तर:
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर

7. किस महाद्वीप में लिंगानुपात कम है ?
(A) यूरोप
(B) एशिया
(C) उत्तरी अमेरिका
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) एशिया

8. वृद्ध लोगों का आयु वर्ग किस आयु से अधिक है ? ।
(A) 40 वर्ष
(B) 45 वर्ष
(C) 50 वर्ष
(D) 60 वर्ष।
उत्तर:
(D) 60 वर्ष।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

9. विस्तृत जनसंख्या पिरामिड किस आकार का है ?
(A) चौड़ा आधार
(B) तंग आधार
(C) विकसित आर्थिकता
(D) समान चौड़ाई।
उत्तर:
(A) चौड़ा आधार

10. ऑस्ट्रेलिया में किस प्रकार का जनसंख्या पिरामिड मिलता है ?
(A) विस्तृत
(B) स्थिर
(C) ह्रासमान
(D) ऋणात्मक।
उत्तर:
(B) स्थिर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी एक जनांकिकीय विशेषता का नाम लिखो।
उत्तर:
लिंगानुपात।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात प्रतिकूल कब होता है?
उत्तर:
जब पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक हो।

प्रश्न 3.
विश्व का औसत लिंग अनुपात बताओ।
उत्तर:
प्रति 1000 पुरुषों के प्रति 990 स्त्रियां।

प्रश्न 4.
किस देश में सर्वाधिक लिंगानुपात है?
उत्तर:
लैटिवया में-1187.

प्रश्न 5.
किस देश में निम्नतम लिंगानुपात है?
उत्तर:
U.A.E. में-468.

प्रश्न 6.
U.N.0 के अनुसार कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
139 देश।

प्रश्न 7.
कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
72 देश।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 8.
एशिया के किन देशों में कम लिंगानुपात है?
उत्तर:
चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान।

प्रश्न 9.
आयु संरचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या।

प्रश्न 10.
युवा वर्ग की जनसंख्या का उच्च प्रतिशत क्यों है?
उत्तर:
उच्च जन्म दर।

प्रश्न 11.
आयु-लिंग संरचना किस रेखाचित्र से प्रकट करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या पिरामिड।

प्रश्न 12.
किस देश की जनसंख्या का पिरामिड स्थिर है?
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया।

प्रश्न 13.
किस देश का ह्रासमान जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
जापान।

प्रश्न 14.
किस देश का विस्तृत जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
नाइजीरिया।

प्रश्न 15.
स्त्रियों का नगरों की ओर प्रवास क्यों कम है?
उत्तर:
सुरक्षा की कमी तथा रहन-सहन की उच्च लागत।

प्रश्न 16.
कार्यशील जनसंख्या का आयुवर्ग कौन-सा होता है ?
उत्तर:
15 से 59 वर्ष का आयु वर्ग।

प्रश्न 17.
स्थिर जनसंख्या में जन्मदर व मृत्यु दर कितनी होती है ?
उत्तर:
लगभग समान।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 18.
किसी जनसंख्या के आयु लिंग पिरामिड का आधार संकीर्ण है तो उस जनसंख्या की वृद्धि दर कितनी होगी ?
उत्तर:
कम जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 19.
किसी जनसंख्या में उच्च जन्म दर होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा ?
उत्तर:
त्रिभुजाकार।

प्रश्न 20.
किसी जनसंख्या में जन्म दर व मृत्यु दर समान होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा।
उत्तर:
घण्टी आकार।

प्रश्न 21.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
74.04 प्रतिशत।

प्रश्न 22.
जनगणना 2011 के अनुसार पुरुष साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
80.9 प्रतिशत।

प्रश्न 23.
जनगणना 2011 के अनुसार स्त्री साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
64.6 प्रतिशत ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश के लोगों की मुख्य जनांकिकीय विशेषताएं बताओ। किन लक्षणों द्वारा लोगों की पहचान की जाती है?
उत्तर:
भारत में विविध प्रकार के लोग हैं जो कई पक्ष से अद्वितीय है। इनकी पहचान के लक्षण हैं-आयु, लिंग तथा निवास स्थान। अन्य पहचान के लक्षण हैं –

  1. व्यवसाय
  2. शिक्षा
  3. जीवन प्रत्याशा।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात से क्या अभिप्राय है ? भारत के सन्दर्भ में इसका माप कैसे करोगे?
उत्तर:
पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंगानुपात कहते हैं लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों के प्रति स्त्रियों की संख्या है। भारत में लिंगानुपात निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 4

प्रश्न 3.
यूरोप महाद्वीप में पुरुषों की कमी है ? दो कारण बताओ।
उत्तर:
यूरोप (रूस सहित) में पुरुष अल्प संख्या में है। यूरोपियन देशों में पुरुषों की कमी है।

  1. यहां स्त्रियों का बेहतर स्तर है।
  2. यहां से अन्य देशों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण।

प्रश्न 4.
नाइजीरिया की जनसंख्या का पिरामिड विस्तृत प्रकार का क्यों है?
उत्तर:
नाइजीरिया का जनसंख्या पिरामिड त्रिभुजाकार वाला है। इसका आकार चौड़ा है तथा शिखर की ओर कम चौड़ा है। यह उच्च जन्म दर के कारण युवा वर्ग में अधिक जनसंख्या के कारण हैं। यह प्राय: सभी विकासशील देशों में ऐसा ही है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 5.
ऑस्ट्रेलिया में स्थिर जनसंख्या पिरामिड क्यों है? .
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया का जनसंख्या पिरामिड घण्टी के आकार का है। यह शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। इसमें जन्म दर तथा मृत्यु दर लगभग समान है। परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।

प्रश्न 6.
जापान का जनसंख्या पिरामिड ह्रासमान क्यों है?
उत्तर:
जापान के जनसंख्या पिरामिड का संकीर्ण आधार है तथा शुंडाकार शीर्ष है। यहां जन्म दर तथा मृत्यु दर निम्न है। जनसंख्या वृद्धि शून्य है या ऋणात्मक है।

प्रश्न 7.
विकसित देशों की जनांकिकीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. यहां वृद्ध लोगों का अनुपात अधिक है।
  2. जीवन प्रत्याशा बढ़ने से उच्च आयु वर्ग में लोगों का अनुपात बढ़ गया है।
  3. जन्म दर घटने से शिशुओं का अनुपात कम हो गया है।

प्रश्न 8.
जनसंख्या पिरामिड जनसंख्या की किन विशेषताओं को दर्शाते हैं ?
उत्तर:

  1. जनसंख्या पिरामिड आयु-लिंग संरचना को दर्शाते हैं।
  2. ये विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या दर्शाते हैं।
  3. जनसंख्या पिरामिड की आवृत्ति जनसंख्या की विशेषताओं को प्रकट करती है।
  4. पिरैमिड में प्रत्येक वर्ग में बायां भाग पुरुषों और दायां भाग स्त्रियों के प्रतिशत को दिखाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किस प्रकार के प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है ? चार कारण बताओ।
उत्तर:
जिन प्रदेशों में लिंग भेदभाव होता है, उन प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है।
इनके निम्नलिखित कारण हैं –

  1. कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा।
  2. कन्या शिशु हत्या की प्रथा।
  3. स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा।
  4. स्त्रियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर का निम्न होना।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 2.
विश्व में लिंगानुपात वितरण के प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:

  1. विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात, प्रति हजार पुरुषों पर 990 स्त्रियां हैं।
  2. विश्व में उच्चतम लिंग अनुपात लैटविया में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 1187 स्त्रियां हैं।
  3. निम्नतम लिंग अनुपात संयुक्त अरब अमीरात में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 468 स्त्रियां हैं।
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध 139 देशों में लिंग अनुपात स्त्रियों के लिए अनुकूल है।
  5. शेष 72 देशों में यह उनके लिए प्रतिकूल है।
  6. सामान्यतः एशिया में लिंग अनुपात निम्न है। चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान व अफ़गानिस्तान जैसे देशों में लिंग अनुपात और भी निम्न है।
  7. दूसरी ओर, रूस सहित यूरोप के एक बड़े भाग में पुरुष अल्प संख्या में हैं। यूरोप के अनेक देशों में पुरुषों की कमी, वहां स्त्रियों की बेहतर स्थिति तथा भूतकाल में विश्व के विभिन्न भागों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण है।

प्रश्न 3.
आयु संरचना से विश्व जनसंख्या की कौन-सी विशेषताओं का पता चलता है?
अथवा
आयु संरचना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
आयु संरचना से पता चलता है कि किसी क्षेत्र/देश विशेष में किस-किस आयुवर्ग में कितनी जनसंख्या है। जैसे-0 से 14 वर्ष, 15 से 59 वर्ष और 60 वर्ष से अधिक जनसंख्या का आयुवर्ग आदि।

प्रश्न 4.
विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में लिंगानुपात में विभिन्नताओं के कारण बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में शिशु मृत्युक्रम महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
  2. विकसित देशों में पुरुषों की मृत्यु-दर अधिक होती है।
  3. महिलाओं तथा पुरुषों का स्थानान्तरण भी लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।
  4. विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों का नगरों की ओर प्रवास लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 5.
जनसंख्या तथा विकास में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
माल्थस के प्रक्षेप के पश्चात् जनसंख्या तथा विकास का अध्ययन महत्त्वपूर्ण हो गया है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि संसाधनों पर अधिक दबाव डालती है जहां से खाद्यान्न का उत्पादन होता है। अधिक जनसंख्या विकास क्षेत्र में एक ऋणात्मक (Negative) घटक है। जनसंख्या की गुणवत्ता विकास पर प्रभाव डालती है। जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या तथा संसाधनों में एक असन्तुलन उत्पन्न कर देती है। प्रौद्योगिकी भी इस सन्तुलन पर प्रभाव डालती है। इस प्रकार किसी क्षेत्र का विकास सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी तथा राजनीतिक दशाओं के समूह पर निर्भर करता है। इस विकास के माप के लिए एक नया विचार मानवीय विकास सूचक का प्रयोग किया जा रहा है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 6.
साक्षरता से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर है?
उत्तर:
साक्षरता से जनसंख्या के गुणों का बोध होता है। साक्षरता का अर्थ है किसी भी भाषा में पढ़-लिख सकना। साक्षरता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –

  1. आर्थिक विकास का स्तर
  2. नगरीकरण का स्तर
  3. रहन सहन का स्तर
  4. शिक्षा सुविधाएं
  5. सरकार की नीति
  6. समाज में महिलाओं का स्थान।

संसार में साक्षरता में पर्याप्त विभिन्नताएं पाई जाती हैं –

  1. नगरों में साक्षरता अधिक होती है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता कम होती है।
  3. मुस्लिम देशों में महिलाओं में साक्षरता कम होती है।
  4. विकसित देशों में साक्षरता एवं शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है।
  5. कृषि प्रधान देशों में साक्षरता कम होती है।
  6. भारत में 2011 में साक्षरता दर 74.4% थी। पुरुष साक्षरता दर 80.9% और स्त्री साक्षरता दर 64.6% थी।

प्रश्न 7.
आत्मनिर्भर व आश्रित जनसंख्या आयु वर्ग क्या है ?
उत्तर:
15-59 वर्ष के आयु वर्ग को कार्यशील वर्ग कहते हैं। बाल जनसंख्या वर्ग अपने खर्च के लिए आत्मनिर्भर नहीं होता है। 60 से अधिक आयु वाली जनसंख्या वृद्ध जनसंख्या या आश्रित आयु वर्ग कहलाता है। यह वर्ग अपने स्वास्थ्य खर्च के लिए प्रौढ वर्ग या श्रमिक वर्ग पर आश्रित होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आयु-लिंग पिरामिड से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करो।
उत्तर:
आयु लिंग पिरामिड:
जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना का अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या से है। जनसंख्या पिरामिड का प्रयोग जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना को दर्शाने के लिए किया जाता है। जनसंख्या पिरामिड की आकृति जनसंख्या की विशेषताओं को परिलक्षित करती है। प्रत्येक आयु वर्ग में बायां भाग पुरुषों का प्रतिशत तथा दायां भाग स्त्रियों की संख्या का प्रतिशत दर्शाता है।

विश्व में आयु लिंग पिरामिड के प्रकार

1. विस्तारित होती जनसंख्या (Expanding Pyramid):
यह विस्तृत आकार वाला त्रिभुजाकार पिरामिड है जो अल्प विकसित देशों का प्रतिरूपी है। इस पिरामिड में उच्च जन्म दर के कारण निम्न आयु वर्गों में विशाल जनसंख्या पाई जाती है। यदि आप बांग्लादेश, नाइजीरिया और मैक्सिको के लिए पिरामिड की रचना करें तो वे भी ऐसे ही दिखाई देंगे।
उदाहरण – नाइजीरिया का आयु लिंग पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 1

2. स्थिर जनसंख्या (Constant Pyramid):
यह आयु-लिंग पिरामिड घण्टी के आकार का है जो शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। यह दर्शाता है कि जन्म दर और मृत्यु दर लगभग समान है जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।
उदाहरण – ऑस्ट्रेलिया का आयु लिंग पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 2

3. ह्रासमान जनसंख्या (Declining Pyramid):
यह पिरामिड का संकीर्ण आधार और शुंडाकार शीर्ष निम्न जन्म और मृत्यु दरों को दर्शाता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य अथवा ऋणात्मक होती है।
उदाहरण – जापान का पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 3

प्रश्न 2.
मानवीय क्रियाओं को विभिन्न वर्गों में बांटो।
उत्तर:
मानव क्रियाओं के प्रकार (Types of Human Activities)
मनुष्य अपने जीवन निर्वाह के लिए कुछ उद्यम करता है। इस प्रकार के उद्यमों या आर्थिक क्रियाओं को व्यवसाय (Occupations) कहते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में भौतिक वातावरण बहुत प्रभावशाली होते हैं तथा मानवीय व्यवसायों पर प्रभाव डालते हैं। जैसे टुण्ड्रा में लोग सील मछली का शिकार करते हैं। घास के मैदानों में पशु पाले जाते हैं। फिर भी सामाजिक वातावरण मनुष्य को इन व्यवसायों के चुनाव में सहायता करता है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं तथा तकनीकी ज्ञान के अनुकूल अपना व्यवसाय चुनता है। इसलिए विश्व में मानवीय व्यवसायों में बहुत विभिन्नता हैं, कहीं आखेट तथा लकड़ी काटना, कहीं पशुचारण या कृषि, तो कहीं उद्योग लोगों के मुख्य व्यवसाय हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

ये व्यवसाय निम्न प्रकार के हैं –
(i) प्राथमिक क्रियाएं (Primary Activities) – जब प्राकृतिक साधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सीधे रूप में ही प्राप्त हो जाएं, तो उन क्रियाओं को मूल या प्राथमिक क्रियाएं कहते हैं। जैसे वन सामग्री एकत्र करना (gathering), आखेट (hunting), मछली पकड़ना (Fishing), लकड़ी काटना (Lumbering), पशु पालन, कृषि (Agriculture) तथा खनिज निकालना (Mining)।

(ii) द्वितीयक क्रियाएं (Secondary Activities) – जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। ऐसी क्रियाओं को द्वितीयक व्यवसाय कहते हैं, जैसे लकड़ी से फर्नीचर बनाना, लोहे से यन्त्र बनाना। इसमें निर्माण उद्योग (Manufacturing), डेयरी उद्योग (DairyFarming) तथा व्यापारिक मछली उद्योग आदि व्यवसाय आते हैं।

(iii) तृतीयक क्रियाएं (Tertiary Activities) – जिन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं को खपत के स्थान पर भेजा जाता है या व्यापार किया जाता है, उन्हें तृतीयक क्रियाएं कहते हैं। जैसे-परिवहन, व्यापार, संचार-साधन।

(iv) चतुर्थ क्रियाएं (Quarternary Activities) – ये सेवाएं अप्रत्यक्ष रूप से मानवीय क्रियाओं तथा उत्पादन को प्रभावित करती हैं। सामाजिक वातावरण की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली उच्च सेवाओं (High services) को इस वर्ग में रखा जाता है। जैसे , सुरक्षा आदि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. 21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 4 अरब
(B) 6 अरब
(C) 8 अरब
(D) 10 अरब।
उत्तर:
(B) 6 अरब

2. विश्व के वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि दर क्या है ?
(A) 1.0%
(B) 1.2%
(C) 1.4%
(D) 1.6%.
उत्तर:
(C) 1.4%

3. गत 500 वर्षों में विश्व जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 4
(B) 6
(C) 8
(D) 10.
उत्तर:
(D) 10.

4. विश्व जनसंख्या औसत घनत्व प्रति वर्ग कि० मी० कितना है ?
(A) 31
(B) 35
(C) 38
(D) 41.
उत्तर:
(D) 41.

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

5. किस देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) सिंगापुर
(D) इन्डोनेशिया।
उत्तर:
(C) सिंगापुर

6. किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है ?
(A) एशिया
(B) अफ्रीका
(C) यूरोप
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) अफ्रीका

7. औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 30 करोड़
(B) 40 करोड़
(C) 50 करोड़
(D) 60 करोड़।
उत्तर:
(C) 50 करोड़

8. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश कौन-सा है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) रूस
(D) जर्मनी।
उत्तर:
(A) चीन

9. विश्व जनसंख्या में प्रति वर्ष कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
(A) 6 करोड़
(B) 7 करोड़
(C) 8 करोड़
(D) 10 करोड़।
उत्तर:
(C) 8 करोड़

10. विश्व के दस सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों में विश्व जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 50%
(B) 60%
(C) 70%
(D) 80%.
उत्तर:
(B) 60%

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश का वास्तविक धन क्या होता है ?
उत्तर:
वहां के निवासी (जन शक्ति)।

प्रश्न 2.
21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
6 अरब से अधिक।

प्रश्न 3.
किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में कौन-से दो तत्त्व सहायक हैं ?
उत्तर:
(i) जनसंख्या वितरण
(ii) जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 4.
जनसंख्या घनत्व किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?
उत्तर:
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 1

प्रश्न 5.
कौन-सा जलवायु कटिबन्ध घना बसा है ?
उत्तर:
समशीतोष्ण कटिबन्ध।

प्रश्न 6.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताओ जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-ज़ाम्बिया तांबा क्षेत्र।

प्रश्न 7.
जापान का कौन-सा औद्योगिक प्रदेश घना बसा है ?
उत्तर:
कोब-ओसाका प्रदेश।

प्रश्न 8.
विश्व जनसंख्या वृद्धि की वर्तमान दर क्या है ?
उत्तर:
1.3 प्रतिशत।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 9.
गत 500 वर्षों में जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
उत्तर:
10 गुणा।

प्रश्न 10.
विश्व जनसंख्या में भारत की जनसंख्या का क्या अनुपात है ?
उत्तर:
प्रत्येक छ: व्यक्तियों में एक भारतीय है।

प्रश्न 11.
संसार के 10 बड़े अधिक जनसंख्या वाले देशों में संसार की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
उत्तर:
60 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
विश्व जनसंख्या में औसत घनत्व कितना है ?
उत्तर:
41 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 13.
यूरोप महाद्वीप में औसत जनसंख्या घनत्व बताओ।
उत्तर:
104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० ।

प्रश्न 14.
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला देश बताओ।
उत्तर:
मकाऊ-21346 व्यक्ति / वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 15.
सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर किस महाद्वीप में है ?
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप।

प्रश्न 16.
औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
50 करोड़।

प्रश्न 17.
प्रति वर्ष विश्व जनसंख्या में कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
उत्तर:
8 करोड़।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 18.
आदिमकाल में कौन-सी दो नदी घाटियां घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र थे ?
उत्तर:
सिन्धु घाटी तथा गंगा घाटी।

प्रश्न 19.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक बताओ।
उत्तर:
जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवास।

प्रश्न 20.
‘जनसंख्या आर्थिक विकास का सूचक है’ चार क्षेत्र बताओ जहां इसका प्रभाव है ?
उत्तर:
सामाजिक उत्थान, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि।

प्रश्न 21.
आप्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी नए स्थान पर जाते हैं।

प्रश्न 22.
उत्प्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं।

प्रश्न 23.
अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि दर से उत्पन्न एक समस्या बताओ।
उत्तर:
संसाधनों का ह्रास।

प्रश्न 24.
कुछ विकासशील देशों में जीवन प्रत्याशा क्यों कम है ?
उत्तर:
चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण।

प्रश्न 25.
जन्मदर व मृत्यु दर में अन्तर को क्या कहते है ?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 26.
आप्रवास व उत्प्रवास क्या है ?
उत्तर:
प्रवासी जो किसी नए स्थान पर जाते हैं आप्रवासी कहलाते हैं। प्रवासी जो मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं, उत्प्रवासी कहलाते हैं।

प्रश्न 27.
विश्व में मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर (1.1 से 1.9%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका।।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 28.
विश्व में न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि दर (0-1%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
यूरोप।

अतिलघउत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘एक देश की पहचान उसके लोगों से होती है’ उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तर्क दो।
उत्तर:
किसी देश की जनशक्ति केवल संख्या द्वारा ही मापी नहीं जाती। एक स्वस्थ, परिश्रमी तथा शिक्षित जनसंख्या किसी देश का वास्तविक धन होती है। यह जनसंख्या देश के संसाधनों का शोषण कर सकती है तथा इसकी नीतियां निर्धारित करती है। यह जनसंख्या किसी देश की शक्ति का स्तम्भ है।

प्रश्न 2.
‘विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है’ दो उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या वितरण का प्रतिरूप असमान है।
(i) मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90% इसके 10% स्थल भाग में निवास करता है।
(ii) विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60% जनसंख्या निवास करती है। जार्ज जी० बी० क्रेसी की टिप्पणी के समान हम कह सकते हैं कि विश्व में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है? इसकी गणना कैसे करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व भूमि तथा मानव में अनुपात है। लोगों की संख्या और भूमि के क्षेत्रफल के बीच अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे प्रति वर्ग कि० मी० में रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 2

प्रश्न 4.
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप का वर्णन करो।
उत्तर:
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूप हमें किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। ‘जनसंख्या वितरण’ शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं इस बात से लगाया जाता है। मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है। विश्व में दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है इन दस देशों में से छह एशिया में अवस्थित हैं।

प्रश्न 5.
नगरीकरण एक बड़ी संख्या में प्रवासियों को क्यों आकर्षित करती है ? इस सन्दर्भ में कुछ अपकर्ष कारकों के नाम लिखो।
उत्तर:
नगरीकरण के कारण मिलियन तथा मैगा नगरों का विकास होता है। यह नगर रोज़गार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा सुविधाएं, परिवहन-संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। यह आकर्षण लोगों को नगरों की ओर आकर्षित करते हैं। मैगा नगर बड़ी संख्या में प्रवासियों को आकर्षित करते रहते हैं।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्षेत्र घने बसे होते हैं क्यों ? एक उदाहरण दो।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। बड़ी संख्या में लोग उद्योगों तथा कारख़ानों के गिर्द बस जाते हैं। इनमें श्रमिक, परिवहन चालक, दुकानदार, बैंक कर्मी, डॉक्टर, अध्यापक होते हैं। जापान का कोबे ओसाका प्रदेश इन उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 7.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? किसी क्षेत्र में इसके तीन प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से अभिप्राय किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में बसे हुए लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन दो प्रकार से होता है –
(i) धनात्मक
(ii) ऋणात्मक।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
(i) आर्थिक विकास
(ii) सामाजिक उत्थान
(iii) सांस्कृतिक विकास।

प्रश्न 8.
अशोधित जन्म दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित जन्म दर (CBR) को प्रति हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए जीवित बच्चों के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 3

प्रभाव –
(i) इससे जनसंख्या में परिवर्तन होता है।
(ii) यदि जन्म दर अधिक हो तो जनसंख्या वृद्धि दर धनात्मक होती है।

प्रश्न 9.
अशोधित मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित मृत्यु दर को किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष के दौरान प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।

अशोधित मृत्यु दर की गणना इस प्रकार की जाती है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 4

प्रभाव –
मोटे तौर पर मृत्यु दर किसी क्षेत्र की जनांकिकीय संरचना, सामाजिक उन्नति और आर्थिक विकास के स्तर द्वारा प्रभावित होती है। मृत्यु दर अधिक होने पर जनसंख्या वृद्धि ऋणात्मक होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सघन बसे, मध्यम बसे तथा विरल बसे प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व कितना-कितना है ? प्रत्येक वर्ग से दो उदाहरण दो।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है। कुछ प्रदेश अति सघन बसे हैं परन्तु कुछ प्रदेश निर्जन हैं।
(क) सघन बसे प्रदेश (Densely populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से अधिक है। ये प्रदेश उत्तर-पूर्वी संयुक्त राज्य, उत्तर-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पूर्वी तथा पूर्वी एशिया हैं।
(ख) मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Moderately Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 11-50 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। ये प्रदेश पश्चिमी चीन, दक्षिणी भारत, नार्वे, स्वीडन हैं।
(ग) विरल जनसंख्या वाले प्रदेश (Sparsely Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 1-10 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है। ये प्रदेश टुण्ड्रा, ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल तथा घने वन प्रदेश हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 2.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population) – समय के दो अन्तरालों के बीच एक क्षेत्र विशेष में होने वाली जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या की वृद्धि कहा जाता है। यह जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर द्वारा ज्ञात की जाती है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 5
भारत का उदाहरण लो। भारत की आधार वर्ष 2001 में जनसंख्या थी = 102.70 करोड़
भारत की वर्तमान वर्ष 2011 में जनसंख्या थी = 121.02 करोड़
अन्तर = वर्तमान वर्ष की जनसंख्या – आधार वर्ष की जनसंख्या
= 121.02 करोड़ – 102.7 करोड़
अन्तर = 18.32 करोड़
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 6
जनसंख्या वृद्धि के तीन प्रकार हैं –

  1. जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि-किसी क्षेत्र विशेष में दो समय अन्तरालों में जन्म और मृत्यु के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं। प्राकृतिक वृद्धि = जन्म दर – मृत्यु दर
  2. जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि-जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है या अन्य देशों से लोग स्थायी रूप से उस देश में प्रवास कर जाएं।
  3. जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि-जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो या लोग अन्य देशों में प्रवास कर जाएं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रकार बताओ।
अथवा
गणितीय घनत्व तथा कायिक घनत्व में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व (Density of Population) – जनसंख्या घनत्व किसी प्रदेश में एक निश्चित समय में जनसंख्या तथा भूमि का अनुपात (Man land Ratio) हैं।

जनसंख्या घनत्व के प्रकार (Types of Population Density):
(i) गणितीय घनत्व (Arithmatic Density) – प्रति वर्ग किलोमीटर व्यक्तियों की संख्या को गणितीय घनत्व कहते हैं।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 7
यह घनत्व किसी क्षेत्र में जनसंख्या संकेन्द्रण का द्योतक है। यद्यपि किसी क्षेत्र में आन्तरिक विभिन्नताएं होती हैं, फिर भी विभिन्न देशों की जनसंख्या की तुलना करने के लिए यह एक संवेदनशील विधि है। संयुक्त राज्य में जनसंख्या घनत्व केवल 28 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। जबकि यूरोप में यह 104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

(ii) कायिक घनत्व (Physiological Density) – यह विधि प्रायः मानव-भूमि अनुपात ज्ञात करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह कुल जनसंख्या तथा कुल कृषिकृत क्षेत्र में अनुपात है। विकासशील देशों में गहन कृषि के कारण प्रति व्यक्ति भूमि कम है। (लगभग 0.4 हैक्टेयर प्रति मनुष्य) इसलिए अधिक लोग इस भूमि पर निर्भर हैं। भारत में 1 हैक्टेयर भूमि पर 5 व्यक्ति, चीन में 12 व्यक्ति निर्भर हैं। जबकि संयुक्त राज्य में 1.5 व्यक्ति निर्भर हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 4.
स्पष्ट करो कि पिछली कुछ शताब्दियों से जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र रही है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या वद्धि कहते हैं। पिछली कछ शताब्दियों से विश्व जनसंख्या में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तीव्र रही है। पहली शताब्दी में विश्व जनसंख्या केवल 25 करोड़ थी जो अब 700 करोड़ है। वर्तमान वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत रही है।

  1. मानव इतिहास के आरम्भ में जनसंख्या वृद्धि बहुत कम थी।
  2. ईसा से 8000 वर्ष पूर्व मानव ने कृषि करना आरम्भ किया। इसे कृषि-युग का प्रारम्भ कहते हैं। इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर धीमी-धीमी बढ़ने लगी।
  3. 1779 में औद्योगिक क्रान्ति के कारण जनसंख्या वृद्धि दर 0.5 प्रतिशत थी।
  4. इसके पश्चात प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का विशाल पैमाने पर शोषण आरम्भ हुआ तथा जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने लगी।
  5. चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण जनसंख्या का आकार बढ़ गया।
  6. मृत्यु-दर के कम होने से तथा महामारियों से बचाव के कारण भी जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र हो गई।
  7. सन् 1960 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% हो गई। विकासशील देशों में यह वृद्धि दर 3 प्रतिशत से भी अधिक हो गई। यहां लोगों के रहन-सहन का स्तर नीचा हो गया।

प्रश्न 5.
भविष्य में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
इस समय जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की सम्भावना है। यह दर विकासशील देशों तथा विकसित देशों में भिन्न-भिन्न है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत तक हो गई है। विकासशील देशों में भी वृद्धि दर घट कर 1 प्रतिशत तक रह गई है। एक अनुमान है कि सन् 2010 तक विश्व जनसंख्या 6.8 बिलियन तथा 2025 तक 10 बिलियन हो जाएगी। अगले 25 वर्षों में विश्व जनसंख्या में वृद्धि का 98% भाग विकासशील देशों में होगा। वर्तमान समय में विकसित देशों में कुल जनसंख्या का 20% भाग है परन्तु 2025 तक यह भाग केवल 15% होगा।

प्रश्न 6.
विश्व में जनसंख्या के दुगुना होने के समय पर नोट लिखो।
उत्तर:
विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि की तुलना उनके दुगुना होने के समय (Doubling Time) से भी की जा सकती है। यह समय विश्व जनसंख्या के सम्बन्ध में अग्रलिखित तालिका में दिया गया है –

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Doubling Time of World Population

अवधि जनसंख्या (Million) जनसंख्या के दुगुना होने का समय (वर्ष)
10,000 B.C. 5
1650 A.D. 500 1500
1850 A.D. 1000 200
1930 A.D. 2000 80
1975 A.D. 4000 45
2012 A.D. 8000 37

निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है कि विकसित देशों में जनसंख्या के दुगुना होने से अधिक समय लगेगा। 71 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 2.0 से 2.9% है। इनकी जनसंख्या 24-35 वर्षों में दुगुनी होगी। 14 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 3.0 से 4.4% है। इनकी जनसंख्या 16-23 वर्षों में दुगुनी होगी। भारत में वर्तमान वृद्धि दर 1.9% है तथा इसकी जनसंख्या 36 वर्षों में दुगुनी होगी। विश्व जनसंख्या को एक अरब से दो अरब तक बढ़ने में 80 लाख वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब तक पहुंचने में केवल 12 वर्ष लगे हैं। जनसंख्या के दुगुना होने में समय घट रहा है।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि तथा जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उदाहरण दो।
उत्तर:

जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या वृद्धि दर
(1) यह कुल संख्या में मापी जाती है। (1) यह प्रतिशत में मापी जाती है।
(2) भारत में 2001-2011 में जनसंख्या वृद्धि (16.3%) 18.3 करोड़ थी। (2) 2001-11 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर 16.7% थी।
(3) यह किसी प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रभाव डालती है। (3) यह किसी प्रदेश के जनांकिकी विशेषताओं पर प्रभाव डालती है।

 

प्रश्न 2.
धनात्मक जनसंख्या वृद्धि दर तथा ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तर
उत्तर:

धनात्मक वृद्धि दर ऋणात्मक वृद्धि दर
(1) जब जन्म दर मृत्यु से अधिक हो। (1) जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो।
(2) यह जनसंख्या में वृद्धि करती है। (2) इससे जनसंख्या घटती है।
(3) इससे संसाधनों का उपयोग होता है। (3) इससे संसाधन का उपयोग घटता है।

 

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण का वर्णन करो।
अथवा
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानवीय भूगोल के अध्ययन में मनुष्य का केन्द्रीय स्थान है (Man is the pivotal points)। मनुष्य अपने प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण से प्रभावित होता है और उसमें परिवर्तन करता है। पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण में लगातार परिवर्तन होता चला आया है। इस समय जनसंख्या के वितरण में बहुत असमानता है। इस असमानता के प्रमुख कारण विश्वव्यापी (Universal) तत्त्व हैं।

जनसंख्या वितरण के मुख्य तथ्य (Main facts):
(1) विश्व जनसंख्या 1650 ई० में 50 करोड़ से बढ़कर, 2000 ई० में 700 करोड़ (अर्थात् 14 गुणा) बढ़ गई है।
(2) वर्तमान वृद्धि दर से वर्तमान जनसंख्या 2050 ई० में 1000 करोड़ तक हो जाने का अनुमान है।
(3) वर्तमान समय में भूतल के लगभग 14.5 करोड़ वर्ग कि० मी० क्षेत्रफल पर 700 करोड़ लोग निवास करते हैं।
(4) विश्व का औसत जनसंख्या घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(5) एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक जनसंख्या 360 करोड़ है।
(6) चीन देश में सबसे अधिक जनसंख्या 127 करोड़ है।
(7) बांग्लादेश विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(8) विश्व में 10% भूमि पर लगभग 90% जनसंख्या निवास करती है।
(9) उत्तरी महाद्वीपों में 90% जनसंख्या है जबकि दक्षिणी महाद्वीपों में केवल 10% जनसंख्या है। विश्व की 75% जनसंख्या कर्क रेखा से 70° उत्तर अक्षांश के मध्य निवास करती है।
(10) विश्व की आधे से अधिक जनसंख्या 20°N से 40°N अक्षांशों के मध्य निवास करती है। विश्व की 4/5 जनसंख्या 20 °N से 60°N के मध्य मिलती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

विश्व जनसंख्या : 2011

विश्व जनसंख्या: 2011 कुल जनसंख्या (करोड़) कुल जनसंख्या का % भाग घनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
महाद्वीप जनसंख्या 360 60.0 108
एशिया 72 10.0 101
यूरोप 89 12.0 20
अफ्रीका 60 8.0 21
दक्षिणी अमेरिका 40 5.5 14
उत्तरी अमेरिका 30 4.0 17
रूस (C.I.S.) 4 0.5 3
ऑस्ट्रेलिया 665 41

प्रमुख देशों की जनसंख्या : 2011

देश कुल जनसंख्या (मिलियन)। जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
चीन 1277 135
भारत 1210 382
रूस 147 18
सं० रा० अमेरिका 281 35
जापान 126 405
ब्राजील 170 21
इण्डोनेशिया 212 120
पाकिस्तान 156 165
बांग्लादेश 129 805

जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population):
पृथ्वी पर जनसंख्या का वितरण बड़ा असमान है। पृथ्वी पर थोड़े-से भाग घने बसे हुए हैं जबकि अधिक भाग खाली पड़े हैं। विश्व की 90% जनसंख्या केवल 10% स्थल भाग पर निवास करती है जबकि 90% स्थल भाग पर केवल 10% लोग रहते हैं।

जनसंख्या के घनत्व के आधार पर पृथ्वी को तीन भागों में बांटा जा सकता है –
I. अधिक घनत्व वाले प्रदेश (Areas of High Density) – इन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इस अधिक घनत्व के दो आधार हैं –
1. कृषि प्रधान देश-पूर्वी एशिया तथा दक्षिणी एशिया में।
2. औद्योगिक प्रदेश–पश्चिमी यूरोप तथा उत्तर पूर्वी अमेरिका में।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

1. दक्षिणी तथा पूर्वी एशिया-पूर्वी एशिया में चीन, जापान, फिलीपाइन द्वीप तथा ताईवान में घनी जनसंख्या मिलती है। दक्षिणी एशिया में भारत. श्रीलंका, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इसके अतिरिक्त जावा द्वीप, नील नदी-घाटी में भी घनी जनसंख्या मिलती है। चीन में संसार की लगभग एक चौथाई जनसंख्या निवास करती है। ह्वांग-हो, यंगसी तथा सिकियांग घाटी घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। भारत में गंगा के मैदान तथा पूर्वी तटीय मैदान में जनसंख्या का अधिक जमाव है। जापान में क्वांटो मैदान (Kwanto Plain), बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, बर्मा (म्यनमार) में इरावदी डेल्टा, पाकिस्तान में सिन्धु घाटी अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। बांग्ला देश में संसार का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –
(1) ऊष्ण-आर्द्र मानसूनी जलवायु।
(2) खाद्यान्नों की वर्ष में दो फसल।
(3) चावल का अधिक उत्पादन।
(4) नदी-घाटियों की उपजाऊ मिट्टी।
(5) जल-सिंचाई की पर्याप्त सुविधाओं का होना।
(6) जापान में अधिक उद्योगों का विकास।
(7) समतल भूमि की अधिकता।
(8) खनिज पदार्थों का विकास।
(9) जापान में अधिक मछली पकड़ने से भोजन की पूर्ति।
(10) निर्धन लोगों का निम्न जीवन-स्तर।

2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी-पूर्वी अमेरिका – पश्चिमी यूरोप में इंग्लिश चैनल से लेकर रूस के यूक्रेन क्षेत्र तक 50° उत्तरी अक्षांशों के साथ-साथ घनी जनसंख्या मिलती है। यूरोप में 50° अक्षांश को जनसंख्या की धुरी (Axis of Population) कहते हैं। इन क्षेत्रों इंग्लैंड, जर्मनी में रूहर घाटी, इटली में पो डेल्टा, फ्रांस में पेरिस बेसिन, रूस में मास्को-यूक्रेन क्षेत्र अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में अटलांटिक तट, सैंट लारैस घाटी तथा महान् झीलों के क्षेत्र में अधिक जनसंख्या घनत्व है। इन सब प्रदेशों में जनसंख्या का आधार उद्योग हैं।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. निर्माण उद्योगों का अधिक होना।
  2. सम शीतोष्ण जलवायु।
  3. समुद्री मार्गों तथा व्यापार का अधिक उन्नत होना।
  4. मिश्रित कृषि के कारण अधिक उत्पादन।
  5. खनिज क्षेत्रों के विशाल भण्डार।
  6. तटीय स्थिति।
  7. लोगों का उच्च जीवन-स्तर।
  8. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान में अधिक वृद्धि।
  9. नगरीकरण (Urbanisation) के कारण बड़े-बड़े नगरों का विकास।

II. मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Moderate Density) – इन प्रदेशों में 25 से 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व मिलता है। इस भाग में निम्नलिखित प्रदेश शामिल हैं –
(1) उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज का मध्य मैदान
(ख) अफ्रीका का पश्चिमी भाग
(ग) यूरोप में पूर्वी यूरोप तथा पूर्वी रूस
(घ) दक्षिणी अमेरिका में उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील, मध्य चिली, मैक्सिको का पठार
(ङ) एशिया में भारत का दक्षिणी पठार, पश्चिमी चीन तथा हिन्द-चीनी
(च) पूर्वी ऑस्टेलिया।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

मध्यम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. ये प्रदेश अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों के किनारों पर स्थित हैं जहां अधिक घनत्व के केन्द्रों से धीरे-धीरे जनसंख्या घटती रहती है।
  2. इन क्षेत्रों में विस्तृत खेती-बाड़ी में आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है इसलिए जनसंख्या कम है।
  3. जलवायु पशुपालन के अनुकूल है। मांस तथा डेयरी पदार्थों का निर्यात किया जाता है।
  4. कई प्रदेशों में खनिज पदार्थों के कारण मध्यम जनसंख्या है।
  5. कई पर्वतीय क्षेत्रों तथा पठारों के कारण अधिक जनसंख्या नहीं है।
  6. अफ्रीका में कहवा, कोको आदि रोपण कृषि (Plantation Crops) के कारण जनसंख्या बढ़ गई है।

III. कम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Low Density) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 25 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर से कम है। लगभग 50% क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व केवल 2 से 3 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह लगभग निर्जन प्रदेश है। इस भाग में ऊंचे पर्वतीय तथा पठारी प्रदेश, शुष्क मरुस्थल, उष्ण-आर्द्र घने वन तथा टुण्डा जलवायु के ठण्डे प्रदेश शामिल हैं।

जैसे –
(क) उच्च पर्वतीय भाग (High Mountains) – हिमालय, रॉकी, एण्डीज़, मध्य एशिया के पर्वत तथा तिब्बत का पठार।
(ख) मरुस्थल (Deserts) – सहारा, कालाहारी, अटाकामा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा गोबी मरुस्थल।
(ग) घने वन (Dense Forests) – भूमध्य रेखा के खण्ड में अमेज़न तथा कांगो घाटी।
(घ) टुण्ड्रा प्रदेश – अन्टार्कटिका, ग्रीनलैण्ड तथा कनाडा और रूस का उत्तरी भाग।

कम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक – इन प्रदेशों में मानवीय जीवन के लिए बहुत कम सुविधाएं प्राप्त हैं तथा लोग कठिनाइयों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। इन प्रदेशों को सतत् कठिनाइयों के प्रदेश (Regions of everlasting difficulties) भी कहा जाता है।
(1) पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी।
(2) पथरीली तथा रेतीली मिट्टी।
(3) ठण्डे प्रदेशों में कठोर शीत जलवायु।
(4) पानी की कमी तथा छोटे उपज काल के कारण कृषि का अभाव।
(5) टुण्ड्रा प्रदेशों में स्थायी बर्फ (Perma Frost)।
(6) परिवहन के साधनों की कमी।
(7) घातक कीड़ों तथा बीमारियों के कारण कम जनसंख्या।
(8) खनिज पदार्थों तथा उद्योगों का अभाव।

प्रश्न 2.
विश्व जनसंख्या में वृद्धि, इसके निर्धारक तथा क्षेत्रीय प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से आशय (Meaning of Population Growth)-किसी क्षेत्र विशेष में किसी दिये गये समय में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। जनसंख्या की यह वृद्धि धनात्मक (Positive) एवं ऋणात्मक (Negative) दोनों ही हो सकती है। जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि सदैव के लिए नहीं हो सकती क्योंकि भूसतह पर स्थान सीमित हैं, उनको बढ़ाया नहीं जा सकता। विश्व में जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि का प्रमुख कारण मृत्यु-दर की तुलना में जन्म-दर का अधिक होना है। वास्तव में किसी क्षेत्र की जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या में हुई प्राकृतिक वृद्धि का द्योतक है जो उस क्षेत्र की जनसंख्या में दिये गये समय में हुए जन्मों को जोड़कर तथा मृत्युओं को घटाकर प्राप्त की जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि का आकलन जन्म व मृत्यु के शुद्ध अन्तर के आधार पर किया जाता है। इस विधि में जन्म व मृत्यु के पंजीकृत आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में जनसंख्या वृद्धि की गणना निम्नलिखित सूत्र की सहायता से की जाती है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 8

जनसंख्या वृद्धि दर को प्रभावित करने वाले कारक
(Determinants of Population Growth Rate)
किसी देश की जनसंख्या वृद्धि दर पर निम्नलिखित तीन कारकों का प्रमुख रूप से प्रभाव रहता है –
(1) जन्म-दर (Birth Rate)
(2) मृत्यु-दर (Death Rate)
(3) जनसंख्या की गतिशीलता (Mobility of Population) / प्रवास (Migration)

1. जन्म-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – किसी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि प्रमुख रूप से उस क्षेत्र में दी गई अवधि में हुए कुल जन्मों की संख्या तथा मृत्युओं की संख्या का अन्तर होता है। अत: जिन देशों में जन्म-दर अधिक है तो उन देशों में जनसंख्या वृद्धि दर भी अधिक होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण के लिए विकासशील व आर्थिक रूप से पिछड़े राष्ट्रों में जनसंख्या की जन्म-दर विकसित राष्ट्रों की तुलना में अधिक रहती है। यही कारण है कि उन देशों में विकसित राष्ट्रों की तुलना में वृद्धि दर भी अधिक रहती है। दूसरी ओर विश्व के कई विकसित राष्ट्र ऐसे हैं जहां जन्म दर अधिक गिर जाने के कारण जनसंख्या के आकार में ह्रास होने लगा है।

2. मृत्यु-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – मृत्यु-दर का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या वृद्धि दर से रहता है। अधिक मृत्यु-दर अधिक जन्म-दर होने के बावजूद भी जनसंख्या वृद्धि दर को नहीं बढ़ने देती। वस्तुतः जनसंख्या वृद्धि दर उस समय अधिक रहती है जबकि जन्म-दर अधिक हो तथा मृत्यु-दर कम हो। दूसरी ओर जन्म-दर कम होने के साथ-साथ यदि मृत्यु-दर भी कम रहे तो जनसंख्या वृद्धि दर भी कम रहती है।

3. जनसंख्या गतिशीलता का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – जनसंख्या का जिन क्षेत्रों से बर्हिप्रवास होता है, उन क्षेत्रों में जनसंख्या की वृद्धि दर पर ऋणात्मक प्रभाव होते हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में अन्तर्प्रवास होता है, उन क्षेत्रों की जनसंख्या वृद्धि दर पर धनात्मक प्रभाव होते हैं। सन् 1880 से 1920 की अवधि में यूरोप के विभिन्न देशों से लगभग 4 करोड़ व्यक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा में जाकर बस गए, जिसके कारण एक ओर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा की जनसंख्या वृद्धि दर में तीव्र वृद्धि हुई जबकि यूरोप के सम्बन्धित विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट अनुभव की गई।

World Population Growth (1650 to 2000)
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 9

विश्व के महाद्वीपों में जनसंख्या वृद्धि दर
(सन् 1985 से सन् 2000 के मध्य)

महाद्वीप/प्रदेश जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत)
विश्व 1.7
विकासशील राष्ट 2.1
विकसित राष्ट्र 0.5
एशिया 1.8
अफ्रीका 3.0
दक्षिणी अमेरिका 1.9
उत्तरी अमेरिका 0.7
यूरोप 0.2
ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैण्ड 1.1
पूर्व सोवियत संघ 0.7
भारत 1.9

 

जनसंख्या वृद्धि का क्षेत्रीय प्रतिरूप:
विश्व के विभिन्न महाद्वीपों व प्रदेशों की जनसंख्या वृद्धि दर में अति असमानताएं हैं। विश्व के समस्त राष्ट्रों को जनसंख्या वृद्धि दर की विभिन्नताओं के आधार पर निम्नलिखित चार वर्गों में रखा जा सकता है –
(1) अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(2) उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(3) मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(4) निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

1. अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वह देश सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 3.0 प्रतिशत से अधिक मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-अफ्रीका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, दक्षिणी अमेरिका।

2. उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग के अन्तर्गत विश्व के वे राष्ट्र सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की
वार्षिक वृद्धि दर 2 से 2.9 प्रतिशत के मध्य मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया।

3. मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वे क्षेत्र आते हैं जिनमें वार्षिक वृद्धि दर 1 से 1.9 प्रतिशत तक रहती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं –
(1) दक्षिणी अमेरिका
(2) कैरीबियन देश तथा
(3) एशिया।

4. निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र-इस वर्ग में विश्व के वे राष्ट्र आते हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1 प्रतिशत से कम रहती है। इस वर्ग में निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं–उत्तरी अमेरिका में कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, पूर्व सोवियत संघ तथा जापान तथा ओसीनिया में न्यूज़ीलैण्ड।

प्रश्न 3.
प्रवास से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या कारण हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
प्रवास (Migration) – जनसंख्या की गतिशीलता का एक महत्त्वपूर्ण घटक स्थानान्तरण है। यह जनसंख्या तथा संसाधनों में एक सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न है। सामान्यत: प्रवास मानव को अपने निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जाकर निवास करने से होता है। प्रजननता (Fertility) तथा मृत्यु क्रम (Motality) की अपेक्षा जनसंख्या संरचना में प्रवास का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रवास की धाराएँ (Streams of Migration) – प्रवास की निम्नलिखित धाराएं हैं –

  1. ग्रामों से नगर की ओर
  2. नगर से ग्राम की ओर
  3. ग्राम से ग्राम की ओर
  4. नगर से नगर की ओर।

प्रवास के सामान्यत प्रकार निम्नलिखित हैं –
1. मौसमी प्रवास (Seasonal Migration) – प्रवास स्थायी अथवा अस्थायी हो सकता है। अस्थायी प्रवास मौसमी होती है। गहन कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता के लिए श्रमिक प्रवास कर जाते हैं। कई बार एक मौसम से अधिक समय के प्रवास स्थायी रूप धारण कर लेता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration) – यह प्रवास अन्तर्महाद्वीपीय होता है। यह थोड़े समय में जनसंख्या संरचना में परिवर्तन कर देता है। पिछले दशकों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में बहुत वृद्धि हुई है। यादों के कारण कई क्षेत्रों में शरणार्थी प्रवास कर रहे हैं। इस शताब्दी के शुरू में U.N.O. के अनुसार 12 करोड़ लोग विदेशों में बस गए हैं। जिनमें 1.5 करोड़ शरणार्थी हैं।

3. आन्तरिक प्रवास (Internal Migration) – यह प्रवास व्यापक रूप से होता है। लाखों लोग ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। यह आकर्षक कारक (Pull Factors) तथा प्रत्याकर्षक कारकों (Push Factors) द्वारा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं। जहां उच्च वेतन, सस्ती भूमि, रहन-सहन तथा विकास की उच्च सेवाएं प्राप्त होती हैं। नगरों में कई झुग्गी-झोंपड़ी क्षेत्र बन जाते हैं।

4. ग्रामीण प्रवास (Rural Migration) – कई बार एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास होता है जहां उन्नत कृषि होती है तथा नई तकनीकों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Page-179

Question 1.
Two circles of radii 5 cm and 3 cm intersect at two points and the distance between their centres is 4 cm. Find the length of the common chord.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 1
Answer:
OP = 5 cm, PS = 3 cm and OS = 4 cm.
We know that if two circles intersect at two points then their centres lie on the perpendicular bisector of the common chord.
So, OS is perpendicular bisector of PQ.
⇒ PQ = 2PR and ∠PRO = ∠PRS = 90°
Let RS be x ⇒ OR = 4 – x
In ∆POR,
OP2 = OR2 + PR2
⇒ 52 = (4 – x)2 + PR2
⇒ 25 = 16 + x2 – 8x + PR2
⇒ PR2 = 9 – x2 + 8x …(i)

In ∆PRS,
PS2 – PR2 + RS2
⇒ 32 = PR2 + x2
⇒ PR2 = 9 – x2 …(ii)
Equating (i) and (ii),
9 – x2 + 8x = 9 – x2
⇒ 8x = 0
⇒ x = 0
Putting the value of x in (i), we get
PR2 – 9 – 02
⇒ PR = 3 cm
Length of the Chord PQ = 2PR = 2 × 3 = 6 cm

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 2.
If two equal chords of a circle intersect within the circle, prove that the segments of one chord are equal to corresponding segments of the other chord.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 2
Answer:
Given: AB and CD are chords intersecting at E.
AB = CD
To prove: AE = DE and CE = BE
Construction: OM ⊥ AB and ON ⊥ CD. OE is joined.
Proof: OM bisects AB (OM ⊥ AB)
⇒ AM = MB = \(\frac{1}{2}\) AB
ON bisects Cp (ON ⊥ CD)
⇒ DN = CN = \(\frac{1}{2}\) CD
As AB = CD
thus, AM = ND …….(i)
and MB = CN ……..(ii)

In ∆OME and ∆ONE,
∠OME = ∠ONE = 90° (Perpendiculars)
OE = OE (Common)
OM = ON (AB = CD and thus equidistant from the centre)
∆OME ≅ ∆ONE by RHS congruence criterion.
ME = EN by CPCT …(iii)
Adding (i) and (ii), we get
AM + ME = ND + EN
⇒ AE = ED
Subtracting (iii) from (ii), we get
MB – ME = CN – EN
⇒ EB = CE

Question 3.
If two equal chords of a circle intersect within the circle, prove that the line joining the point of intersection to the centre makes equal angles with the chords.
Answer:
Given: AB and CD are chords intersecting at E.
AB = CD, PQ is the diameter.
To prove: ∠BEQ = ∠CEQ
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 3
Construction: OM ⊥ AB and ON ⊥ CD. OE is joined.
In ∆OEM and ∆OEN,
OM = ON (AB = CD and Equal chords are equidistant from the centre)
OE = OE (Common)
∠OME = ∠ONE = 90° (Perpendiculars)
∆OEM = ∆OEN (by RHS congruence criterion)
Thus, ∠OME = ∠ONE (by CPCT)
⇒ ∠BEQ = ∠CEQ

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 4.
If a line intersects two concentric circles (circles with the same centre) with centre O at A, B, C and D, prove that AB = CD (see Fig).
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 4
Answer:
OM ⊥ AD is drawn from O.
So, OM bisects AD (perpendicular from centre to the chord bisects the chord)
⇒ AM = MD …(i)
Also, OM bisects BC as OM ⊥ BC.
⇒ BM = MC …(ii)
Subtracting (ii) from (i), we get
AM – BM = MD – MC
⇒ AB = CD

Question 5.
Three girls Reshma, Salma and Mandip are playing a game by standing on a circle of radius 5 m drawn in a park. Reshma throws a ball to Salma, Salma to Mandip, Mandip to Reshma. If the distance between Reshma and Salma and between Salma and Mandip is 6 m e ach, what is the distance between Reshma and Mandip?
Answer:
Let A, B and C represent the positions of Reshma, Salma and Mandip respectively.
AB = 6 m and BC = 6 m Radius OA = 5 m
BM ⊥ AC is drawn.
ABC is an isosceles triangle as AB = BC, M is mid-point of AC. BM is perpendicular bisector of AC and thus it passes through the centre of the circle.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 5
Let, AM = y and OM = x then BM = (5 – x).
Applying Pythagoras theorem in ∆OAM,
OA2 = OM2 + AM2
⇒ 52 = x2 + y2 …(i)
Applying Pythagoras theorem in ∆AMB,
AB2= BM2 +AM2
⇒ 62 = (5-x)2 + y2 …(ii)
Subtracting (i) from (ii), we get
36 – 25 = (5 – x)2 – x2
⇒ 11 = 25 – 10x
⇒ 10x = 14
⇒ x = \(\frac{7}{5}\)

Substituting the value of x in (i), we get
y2 + \(\frac{49}{25}\) =25
⇒ y2 = 25 – \(\frac{49}{25}\)
⇒ y2 = \(\frac{625-49}{25}\)
⇒ y2 = \(\frac{576}{25}\)
⇒ y = \(\frac{24}{5}\)

Thus,
AC = 2 × AM = 2 × y
= 2 × \(\frac{24}{5}\) m = \(\frac{48}{5}\) m = 9.6 m
Distance between Reshma and Mandip is 9.6 m.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 6.
A circular park of radius 20 m is situated in a colony. Three boys Ankur, Syed and David are sitting at equal distance on its boundary each having a toy telephone in his hands to talk each other. Find the length of the string of each phone.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 6
Answer:
Let A, B and C represent the positions of Ankur, Syed and David respectively. All three boys at equal distances thus, ABC is an equilateral triangle.
AD ⊥ BC is drawn.
Now, AD is median of ∆ABC and it passes through the centre O.
Also, O is the centroid of the ∆ABC.
OA is the radius of the triangle.
OA = \(\frac{2}{3}\) AD
Let the side of the triangle be a metres
then BD = \(\frac{a}{2}\) m.
Applying Pythagoras theorem in ∆ABD,
AB2 = BD2 + AD2
⇒ AD2 = AB2 – BD2
⇒ AD2 = a2 – (\(\frac{a}{2}\))2
⇒ AD2 = \(\frac{3 a^2}{4}\)
⇒ AD = \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
OA = \(\frac{2}{3}\) AD
⇒ 20m = \(\frac{2}{3}\) × \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
⇒ a = \(20 \sqrt{3} \)m
∴ Length of the string is \(20 \sqrt{3} \)m

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। इसी रीड से शहनाई को फूंका जाता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी डुमराँव के निवासी थे।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
जहाँ कहीं भी कोई उत्सव अथवा समारोह होता है, सबसे पहले बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की ध्वनि सुनाई देती है। इन समारोहों में बिस्मिल्ला खाँ से तात्पर्य उनकी शहनाई की गूंज से होता है। इनकी शहनाई की आवाज़ लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। गंगा तट, बालाजी का मंदिर, बाबा विश्वनाथ अथवा संकटमोचन मंदिर में प्रभाती का मंगलस्वर बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई का ही होता है। समस्त मांगलिक विधि-विधानों के अवसरों पर भी यह वाद्य मंगलध्वनि का परिवेश प्रतिष्ठित कर देता है। इसलिए बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 3.
‘सुषिर-वाद्यों’ से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर :
बाँस अथवा मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में से निकलने वाली ध्वनि को ‘सुषिर’ कहते हैं। इस आधार पर ‘सुषिर-वायों’ से तात्पर्य उन वाद्य-यंत्रों से है, जो फूंककर बजाए जाने पर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य; जिनमें नाड़ी अथवा सरकट या रीड होती है; को ‘नय’ कहते हैं। वे शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात् ‘सुषिर-वाद्यों में शाह’ कहते हैं। इस कारण शहनाई को सुषिर-वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई होगी।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) ‘फटा सुर न बखों। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल-सी जाएगी।’
(ख) मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ को उनकी शिष्या फटी तहमद न पहनने के लिए कहती है, तो खाँ साहब कहते हैं कि सुर नहीं फटना चाहिए फटी हुई लुंगी तो सिल सकती है, परंतु सुर यदि फट जाए तो वह कभी ठीक नहीं हो सकता। इसलिए वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें फटा सुर न दे।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी वर्षों से शहनाई बजा रहे है। वे शहनाई के बादशाह माने जाते हैं, फिर भी नमाज़ पढ़ने के बाद वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें मधुर सुर प्रदान करे। उनके सुरों में ऐसा प्रभाव भर दे, जिससे लोग भावविभोर हो जाएँ और भाव-वेश में सच्चे मोतियों के समान आँखों से अनायास आँसुओं की झड़ी लग जाए।

प्रश्न 5.
काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर :
काशी के पक्का महल क्षेत्र से मलाई बरफ़ बेचने वालों का चले जाना बिस्मिल्ला खाँ को बहुत खलता था। उन्हें यह भी अच्छा नहीं लगता था कि अब काशी में पहले जैसी देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ नहीं बनती हैं। वे गायकों के मन में अपने संगतियों के प्रति अनादर के भाव से भी व्यथित रहते थे। गायकों द्वारा रियाज़ न करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता। काशी में संगीत, साहित्य और अदब के क्षेत्र में निरंतर हो रही गिरावट ने बिस्मिल्ला खाँ को बहुत व्यथित कर दिया था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 6.
पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे?
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ गंगा किनारे, बालाजी के मंदिर, काशी विश्वनाथ के मंदिर तथा संकटमोचन मंदिर में शहनाई बजाते थे। वे मुहर्रम के दिनों में आठवीं तारीख पर खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल जाते थे। इस प्रकार उनके द्वारा हिंदू-मुस्लिम धर्मों में भेदभाव न करते हुए समान रूप से सबका आदर करना यही सिद्ध करता है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ को भारत रत्न, पद्मविभूषण, डॉक्टरेट आदि अनेक उपाधियाँ मिली थीं; परंतु वे सदा सीधे-साधे सच्चे इनसान की तरह जीवन व्यतीत करते रहे। उनकी एक शिष्या उन्हें फटा तहमद पहनने पर टोकती थी तो वे स्पष्ट कह देते थे कि सम्मान उनकी शहनाई को मिला है फटे तहमद को नहीं। वे परमात्मा से भी ‘सच्चा सुर’ माँगते रहे; उनसे कभी भौतिक सुविधाएँ नहीं माँगी।

प्रश्न 7.
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया? बिस्मिल्ला खाँ छ: वर्ष की अवस्था में ही अपने ननिहाल काशी आ गए थे, जहाँ उनके दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श खाँ शहनाई के विभिन्न सुरों को अलापते थे। यहीं से उनका शहनाई के प्रति लगाव उत्पन्न हो गया था। इन्हें सम का ज्ञान भी यही हुआ था। जब इनके मामा अलीबख्श खाँ सम पर आते थे, तो ये धड़ से एक पत्थर ज़मीन पर मारते थे।

चौदह वर्ष की आयु में रसूलन और बतूलन बहनों के गायन ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन्हें कुलसुम हलवाइन द्वारा कलकलाते घी में कचौड़ी डालते समय उत्पन्न छन्न की आवाज़ में भी संगीत के आरोह-अवरोह सुनाई देते थे। इससे स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ को उनके आसपास के परिवेश तथा व्यक्तियों ने शहनाई-वादन के लिए प्रेरित किया था। इनके नाना, दादा तथा पिता भी सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ भारत के सच्चे सपूत थे। वे मुसलमान होते हुए भी हिंदू थे। उनके लिए धर्म, जाति आदि विशेष महत्व नहीं रखते थे। उनके लिए धर्म वह था, जो मन को शांति प्रदान करता था। जीवन को सरल, सहज और सादगी से व्यतीत करना खाँ साहब को आता था। उनके अनुसार जीवन की आवश्यकताओं को उतना ही बढ़ाना चाहिए, जितनी इन्सान पूरी कर सकता हो। दूसरों की संस्कृति की नकल न करके व्यक्ति को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और उसे अपनाना चाहिए। अकेले रहकर शान और ठाठ से जीने से अच्छा है कि अपनों के साथ खुशी-खुशी सीमित आवश्यकताओं के साथ जीएँ। बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 9.
मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मुहर्रम के दिनों में बिस्मिल्ला खाँ तथा उनके परिवार का कोई भी सदस्य न तो शहनाई बजाता था और न ही किसी संगीत सम्मेलन में भाग लेता था। मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान तक करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए तथा नौहा बजाते हुए जाते थे। इस दिन वे कोई भी राग-रागिनी नहीं बजाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवारजन के बलिदान को स्मरण कर भीगी रहती थी।

प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क साहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ साहब को भारत सरकार ने भारतरत्न तथा पद्मविभूषण के सम्मानों से सम्मानित किया था। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अतिरिक्त अनेक विश्वविद्यालयों ने इनकी संगीत साधना के लिए इन्हें डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की थीं। इन्हें इतना सम्मान मिला, फिर भी खाँ साहब सामान्य जीवन व्यतीत करते रहे और परमात्मा से सच्चा सुर प्रदान करने की प्रार्थना करते रहे।

इन्हें कड़ाही में ‘छन्न’ करती हुई कचौड़ी में संगीत का आरोह-अवरोह सुनाई देता था। रसूलनबाई और बतूलनबाई के गानों ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन विवरणों से स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ साहब कला के अनन्य उपासक थे। उनके सामने कोई छोटा-बड़ा नहीं था। वे धर्म-भेद भुलाकर मुहर्रम और बालाजी के मंदिर में समान रूप से शहनाई बजाते थे। कला ही उनका धर्म था और सुर की साधना करना उनके जीवन का उद्देश्य था।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णतया व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर :
(क) उपवाक्य-शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। – संज्ञा उपवाक्य
(ख) उपवाक्य-जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। – विशेषण, उपवाक्य
(ग) उपवाक्य-जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। – विशेषण उपवाक्य
(घ) उपवाक्य-कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। – संज्ञा उपवाक्य
(ङ) उपवाक्य-जिसकी गमक उसी में समाई है। – विशेषण उपवाक्य
(च) उपवाक्य-पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। – संज्ञा उपवाक्य

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर :
(क) यह वैसी ही बालसुलभ हँसी है, जिसमें कई यादै बेद हैं।
(ख) काशी में जो संगीत आयोजन होते हैं, उनकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत् ! पगली ई भारतरत्न शहनाई पे मिला है न कि लुंगिया पे।
(घ) काशी का जो नायाब हीरा है, वह हमेशा दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

पाठेतर सक्रियता –

1. कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाईवादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर :

सूचना

राजकीय उच्च विद्यालय,
नासिक
दिनांक : ……….

समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि सोमवार दिनांक …….. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय के सभागार में सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब की स्मृति में शहनाई-वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य है।

हस्ताक्षर ……..
प्रधानाचार्य
राजकीय उच्च विद्यालय, नासिक।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

2. आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
मेरे मनपसंद संगीतकार उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हैं। उनका जीवन अभावों, तंगहाली व उपेक्षाओं में व्यतीत हुआ। परंतु उन्होंने कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। उनका सिद्धांत था कि भगवान जिस स्थिति में रखे, उसी स्थिति में मनुष्य को प्रसन्न रहना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी जिस पश्चिमी चकाचौंध को अपना आदर्श मानकर अपने देश और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, उन्हें बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए कि अपना देश और संस्कृति दूसरों से कम नहीं है। मनुष्य अपने देश और उसकी संस्कृति से ही अपना विकास कर सकता है।

बिस्मिल्ला खाँ के लिए कहा गया है कि न वे हिंदू थे और न ही मुसलमान। उनके लिए सभी धर्म समान थे। वे गंगा-जमनी तहज़ीब के प्रतीक थे। आज के समय में बिस्मिल्ला खाँ का आदर्श बहुत महत्व रखता है। उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए मनुष्य को किसी धर्म विशेष के प्रति स्नेह होने पर भी सभी धर्मों को समान आदर देना चाहिए। इससे देश में सद्भावना और एकता के वातावरण का निर्माण होगा, जिससे देश प्रगति की ओर अग्रसर होगा।

3. हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
काशी ने संगीत के क्षेत्र में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब जैसे महान शहनाई-वादक दिए। सादिक हुसैन, अलीबख्श खाँ, उस्ताद सलार हुसैन खाँ, उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ आदि शहनाई-वादक भी काशी की ही देन हैं। नृत्य और गायन के क्षेत्र में काशी ने रसूलनबाई तथा बतूलनबाई जैसी प्रतिभाओं को जन्म दिया है। इनके गायन से प्रभावित होकर बिस्मिल्ला खाँ संगीत की ओर आकर्षित हुए थे। काशी की देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं संपूर्णानंद विश्वविद्यालयों ने शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त योगदान दिया है। संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन का केंद्र काशी ही है। काशी के अन्य प्रसिद्ध कलाकार नृत्यांगना सितारा देवी, ठुमरी गायिका गिरिजा देवी, तबला वादक कंठे महाराज, गुदई महाराज, नर्तक बिरजू महाराज और गोपी कृष्ण हैं।

4. काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर :
काशी का नाम आते ही हमें काशी विश्वनाथ की याद आ जाती है। गंगा के विशाल घाट, गंगा में स्नान करते श्रद्धालुओं की भीड़, आरती के समय जगमगाती गंगा, गंगा में नौकाविहार आदि का स्मरण हो आता है। बालाजी और संकटमोचन मंदिर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय, गंगा घाट की छतरियाँ, पंडे, उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की गूंज-यह सबकुछ आँखों के सामने तैर जाता है।

यह भी जाने –

  • सम – ताल का एक अंग, संगीत में वह स्थान जहाँ लय की समाप्ति और ताल का आरंभ होता है।
  • श्रुति – एक स्वर से दूसरे स्वर पर जाते समय का अत्यंत सूक्ष्म स्वरांश।
  • वाद्ययंत्र – हमारे देश में वाद्य यंत्रों की मुख्य चार श्रेणियाँ मानी जाती हैं।
  • तत-वितत – तार वाले वाद्य-वीणा, सितार, सारंगी।
  • सुषिर – फूंक कर बजाए जाने वाले वाद्य-बांसुरी, शहनाई, नागस्वरम, बीन।
  • घनवाद्य – आघात से बजाए जाने वाले धातु वाद्य-झाँझ, मंजीरा, धुंघरू।
  • अवनद्ध – चमड़े से मढ़े वाद्य-तबला, ढोलक, मृदंग आदि।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

चैती – एक तरह का चलता गाना। चैती-चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

ठुमरी – एक प्रकार का गीत जो केवल एक स्थायी और एक ही अंतरे में समाप्त होता है।

ठुमरी बाजुबंद खुल-खुल जाए
जादू की पुड़िया भर-भर मारी
हे ! बाजुबंद खुल-खुल जाए

टप्पा – यह भी एक प्रकार का चलता गाना ही कहा जाता है। ध्रुपद एवं ख्याल की अपेक्षा जो गायन संक्षिप्त है, वही टप्पा है।

टप्पा
बागां विच आया करो
बागां विच आया करो
मक्खियाँ तो डर लगदा
गुड़ ज़रा कम खाया करो।

दादरा – एक प्रकार का चलता गाना। दो अर्धमात्राओं के ताल को भी दादरा कहा जाता है।

दादरा
तड़प तड़प जिया जाए
सांवरियां बिना
गोकुल छाड़े मथुरा में छाए
किन संग प्रीत लगाए
तड़प तड़प जिया जाए

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-पद्धति कैसी थी?
उत्तर :
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के लिए जीने का अर्थ शानदार कोठियाँ, गाड़ियाँ या बैंक-बैलेंस नहीं था। उनके लिए ठाठ और शान से जीने का अर्थ था-अपनों के साथ बनारस में रहते हुए जीना। उनके लिए उनका परिवार ही सर्वोपरि था। उसमें उनके परिवार के सदस्य ही नहीं अपितु उनके संगतकार साजिंदों के परिवार भी सम्मिलित थे। उनके भरण-पोषण का उत्तरदायित्व बिस्मिल्ला खाँ ने अपने ऊपर ले रखा था। यह उनके लिए अनचाहा बोझ नहीं था। यह उनके जीवन जीने का एक तरीका था। उन्हें अपनों के साथ सादगी से रहने में सुख मिलता था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में गंगा का क्या महत्व था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में अपना कहने के लिए उनके परिवार के सदस्यों तथा संगतकार साजिंदों के अतिरिक्त बनारस शहर तथा गंगा नदी थी। उन्हें बनारस और गंगा नदी के बदले में जीवन का कोई भी अन्य सुख आनंद नहीं देता था। उन्हें जितना आनंद और सुख बनारस व गंगा नदी के किनारे रहते हुए मिलता था, वैसा सुख और कहीं नहीं मिलता था। एक बार अमेरिका का राक फेलर फाउंडेशन उन्हें उनके संगतकार साजिंदों के साथ कुछ दिन अमेरिका में रखना चाहता था।

वे लोग उनके लिए वहाँ पर बनारस जैसा वातावरण बनाने के लिए भी तैयार थे, परंतु खाँ साहब ने इन्कार कर दिया। उनका उत्तर था कि वे लोग उन्हें अमेरिका में सबकुछ दे देंगे, परंतु वहाँ गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? उनके कहने का अर्थ था कि उनके लिए संसार के सभी ऐशो-आराम गंगा नदी के सामने व्यर्थ हैं। उनका जीवन वहीं है, जहाँ गंगा नदी है।

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ? उनका खानदानी पेशा क्या था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म बिहार के डुमराँव गाँव में हुआ था। शहनाई बजाना उनका खानदानी पेशा और कौशल था। उनके परिवार के सदस्य राजघराने के नौबतखाने में शहनाई बजाते थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ की ऐतिहासिक उपलब्धि क्या है?
उत्तर :
आज तक किसी भी महान से महान संगीतकार को भी वह गौरव नहीं मिला, जो कि बिस्मिल्ला खाँ को मिला था। बिस्मिल्ला खाँ को आज़ाद भारत की पहली सुबह 15 अगस्त, 1947 को लाल किले पर शहनाई बजाने का अवसर मिला था। दूसरा ऐतिहासिक क्षण वह था, जब 26 जनवरी, 1950 को बिस्मिल्ला खाँ ने लाल किले पर शहनाई बजाकर लोकतांत्रिक गणराज्य के मंगल प्रभात के रथ की अगुवाई की थी।

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ को कौन-कौन से राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। उनका सबसे बड़ा पुरस्कार था – भारत के इतिहास की दो महत्वपूर्ण तिथियों 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 को लाल किले पर शहनाई की मंगल धुनें बजाना। ऐसा पुरस्कार आज तक किसी भी संगीतकार को नहीं मिला।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ की संगीत की प्रतिभा और उपलब्धि कैसी थी?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-शैली साधारण थी। उसमें कोई तड़क-भड़क नहीं थी। उन्होंने सदा उतना ही सहेजा, जितना उनकी तथा उनके परिवार की आवश्यकताओं के लिए जरूरी था। इससे हम उन्हें किसी से कम नहीं कह सकते। उनकी उपलब्धि का इससे पता चलता है कि एक बार अमेरिका का राकफेलर फाउंडेशन उन्हें और उनके संगतकार साजिंदों को परिवार सहित उनकी जीवन-शैली के अनुसार अमेरिका में रखना चाहता था। परंतु बिस्मिल्ला खाँ ने अमेरिका के ऐश्वर्य की चाह न रखते हुए उनसे पूछा कि वहाँ वे गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? वे चाहते तो अपने लिए सभी प्रकार के भौतिक सुख इकट्ठे कर सकते थे, परंतु उन्होंने अपना जीवन अपनी इच्छा से सादगी और सरलता से व्यतीत किया था।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ काशी क्यों नहीं छोड़ना चाहते थे? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अनेक कारणों से काशी नहीं छोड़ना चाहते थे। इसमें से एक कारण ‘गंगा नदी’ थी, जिसके बिना बिस्मिल्ला खाँ नहीं रह सकते थे। दूसरा कारण यह था कि उनके पूर्वज वर्षों से वहाँ शहनाई बजाते रहे थे। वे यह परंपरा तोड़ना नहीं चाहते थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ साहब का निधन कब हुआ?
उत्तर :
21 अगस्त, 2006 को बिस्मिल्ला खाँ ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। टी०वी० पर उनके देहांत का समाचार बार-बार प्रसारित होता रहा। उस समाचार को सुनकर मन में एक टीस उठ रही थी कि इनके जैसा मानव हमारी धरती पर फिर पैदा नहीं हो सकता। उस दिन . सबकी आँखें नम थीं। उनके घर पर आज भी शहनाई की धुनें लगातार बज रही थीं। परंतु यह शहनाई उनकी यादों को ताज़ा कर रही थी।

प्रश्न 9.
शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।

प्रश्न 10.
रीड कहाँ पाई जाती है? यह किससे बनाई जाती है?
उत्तर :
रीड डुमराँव में सोन नदी के किनारे पर पाई जाती है। यह नरकट से बनाई जाती है, जो एक प्रकार की घास होती है।

प्रश्न 11.
शहनाई और डुमराँव का रिश्ता गहरा कैसे है?
उत्तर :
शहनाई डुमराँव में सोन नदी के किनारे मिलने वाली रीड से बनती है, वहीं दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ शहनाई-वादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इसलिए दोनों में गहरा रिश्ता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 12.
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से क्या माँगते रहे, और क्यों? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से यही प्रार्थना करते रहे कि वे उन्हें मधुर सुर प्रदान करें; वे अपने सुरों से लोगों में ऐसा प्रभाव भर दें, जिससे लोग भावविभोर हो जाए। शहनाई-वादन में अति कुशल बिस्मिल्ला खाँ के इस व्यवहार से पता चलता है कि वे स्वयं पर व अपनी कला पर कभी अभिमान नहीं किया। वे इसे ईश्वर की कृपा मानते थे और जीवनपर्यंत अपनी कला को निखारने के लिए प्रयासरत रहे।

प्रश्न 13.
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख खास क्यों है?
उत्तर :
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख का अपना विशेष महत्व है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। इस दिन राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।

प्रश्न 14.
काशी में ऐसा कौन-सा आयोजन होता है, जिसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे?
उत्तर :
काशी में संगीत आयोजन की एक अद्भुत एवं प्राचीन परम्परा है। यह आयोजन संकटमोचन मंदिर में पिछले कई वर्षों से हो रहा है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 15.
शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इतनी ही महत्ता है इस समय डुमराँव की जिसके कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। उनका जन्म-स्थान भी डुमराँव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे?
(ख) यहाँ रीड के बारे में क्या-क्या जानकारियाँ मिलती हैं?
(ग) अमीरुद्दीन के माता-पिता कौन थे?
उत्तर :
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा और पिता भी डुमराँव के निवासी थे।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है। इसके द्वारा शहनाई को बजाया जाता है। रीड नरकट नामक घास से बनाई जाती है।
(ग) अमीरुद्दीन के पिता का नाम पैगंबरबख्श खाँ तथा माता का नाम मिट्ठन था।

पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. शहनाई के इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सज़दे, इसी एक सच्चेसुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज़ के बाद सज़दे में गिड़गिड़ाते हैं-‘मेरे मालिक एक सुर’ बख दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए।’

(क) लेखक ने मंगल ध्वनि किसे कहा है?
(i) सितार की ध्वनि को
(ii) शंखनाद को
(iii) शहनाई की ध्वनि को
(iv) बाँसुरी की ध्वनि को
उत्तर :
(iii) शहनाई की ध्वनि को

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

(ख) बिस्मिल्ला खाँ कितने वर्षों से शहनाई बजा रहे थे?
(i) बीस वर्षों से
(ii) तीस वर्षों से
(iii) पचास वर्षों से
(iv) अस्सी वर्षों से
उत्तर :
(iv) अस्सी वर्षों से

(ग) बिस्मिल्ला खाँ दिन में कितनी बार शहनाई बजाते थे?
(i) दो बार
(ii) तीन बार
(iii) चार बार
(iv) पाँच बार
उत्तर :
(iv) पाँच बार

(घ) बिस्मिल्ला खाँ खुदा से क्या माँगते थे?
(i) मान-सम्मान
(ii) धन-दौलत
(iii) एक सुर
(iv) सुख-संपत्ति
उत्तर :
(iii) एक सुर

(ङ) बिस्मिल्ला खाँ की इच्छा क्या थी?
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना
(ii) अच्छे घर में रहना
(iii) अच्छे कपड़े पहनना
(iv) अच्छा खाना खाना
उत्तर :
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना

उच्च चिंतन क्षमताओं एवं अभिव्यक्ति पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

पाठ पर आधारित प्रश्नों को पढ़कर सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

(क) बिस्मिल्ला खाँ किस शहर को नहीं छोड़ना चाहते थे?
(i) काशी को
(ii) लखनऊ को
(iii) मुंबई को
(iv) कोलकाता को
उत्तर :
(i) काशी को

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

(ख) बिस्मिल्ला खाँ के अनुसार शहनाई और काशी क्या है?
(i) मन बहलाने का साधन
(ii) जन्नत
(iii) जीने का ज़रिया
(iv) कमाने का ज़रिया
उत्तर :
(ii) जन्नत

(ग) काशी में क्या मंगलमय माना गया है?
(i) काशी में रहना
(ii) काशी में गंगा स्नान करना
(iii) काशी में पूजा करना
(iv) काशी में मरना
उत्तर :
(iv) काशी में मरना

(घ) बिस्मिल्ला खाँ काशीवासियों को क्या प्रेरणा देते हैं?
(i) शहनाई बजाने की
(ii) संगीत सीखने की
(iii) मिल-जुलकर रहने की
(iv) पूजा-पाठ करने की
उत्तर :
(ii) मिल-जुलकर रहने की

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अमीरुद्दीन अभी सिर्फ छः साल का है और बड़ा भाई शम्सुददीन नौ साल का। अमीरुद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं और ये लोग हैं मामूजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या वाज़िब मतलब हो सकता है इन शब्दों का, इस लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरुद्दीन की, जान सके इन भारी शब्दों का वजन कितना होगा। गोया, इतना ज़रूर है कि अमीरुद्दीन व शम्सुद्दीन के मामाद्वय सादिक हुसैन तथा अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाईवादक हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
2. अमीरुद्दीन कौन था?
3. भीमपलासी और मुलतानी क्या हैं ? अमीरुद्दीन को इनका पता क्यों नहीं था?
4. लेखक ने किन्हें देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है?
5. ‘वाजिब’ शब्द का क्या अर्थ है? यहाँ इस शब्द का प्रयोग किसलिए किया गया है?
उत्तर :
1. पाठ-नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्र।
2. अमीरुद्दीन उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम था।
3. भीमपलासी और मुलतानी शास्त्रीय संगीत के दो प्रसिद्ध राग हैं। अमीरुद्दीन केवल छह वर्ष का बालक था, इसलिए उसे इन रागों का ज्ञान नहीं था।
4. लेखक ने अमीरुद्दीन के दोनों मामाओं-सादिक हुसैन और अलीबख्श को देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है।
5. ‘वाजिब’ शब्द का अर्थ ‘उचित’ है। यहाँ इस शब्द का प्रयोग यह स्पष्ट करने के लिए किया गया है कि अमीरुद्दीन को अपने दोनों मामा द्वारा बार-बार भीम पलासी और मुलतानी जैसे शब्दों का प्रयोग सुनकर यह समझ नहीं आता था कि इन शब्दों का सही अर्थ क्या हो सकता है?

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

2. खाँ साहब को बड़ी शिद्दत से कमी खलती है। अब संगतियों के लिए गायकों के मन में कोई आदर नहीं रहा। खाँ साहब अफ़सोस जताते हैं। अब घंटों रियाज़ को कौन पूछता है? हैरान हैं बिस्मिल्ला खाँ। कहाँ वह मजली, चैती और अदब का ज़माना? सचमुच हैरान करती है काशी-पक्का महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त हो गई। एक सच्चे सुर-साधक और सामाजिक की भाँति बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं, उसी तरह मुहर्रम-ताज़िया और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक-दूसरे के पूरक रहे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. संगीत की कौन-सी परंपराएँ बदलते समय के अनुसार विलुप्त हो गई?
2. बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ को एक-दूसरे का पूरक क्यों कहा गया है?
3. ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. संगीत की कुछ परंपराएं बदलते समय के साथ लुप्त होती जा रही है जैसे संगतियों के लिए गायकों के मन में अब कोई आदर, नहीं रहा, अब कोई गायक या वादक घंटों तक रियाज नहीं करता, चैती और अदब का ज़माना भी अब नहीं रहा।

2. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में बैठकर घंटों रियाज़ किया बरते अथवा गंगा के किनारे पर शहनाई बजाया करते थे। जब भी वह किसी कार्यक्रम में शहनाई वादन के लिए काशी से बाहर जाते तो भी बाबा विश्वनाथ के मंदिर की ओर मुंह करके शहनाई वादन आरंभ करते थे। इससे पता चलता है कि वे दोनों एक-दूसरे से अंतर्मन से जुड़े हुए थे और एक-दूसरे के पूरक थे।

3. भारत अनेक प्रकार के धर्मों तथा जातियों की मिली-जुली संस्कृति वाला देश है। काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की अद्भुत परंपरा रही है। यहां के लोगों की अलग ही तहजीब है, बोली, अपने विशिष्ट विचार है। इनके अपने उत्सव है और अपने गम है। यहाँ सभी धर्मों के लोग शांत वातावरण में मिलजुल कर रहते हैं। इसका सबसे उत्तम उदाहरण है कि बिस्मिल्ला खाँ तथा बाबा विश्वनाथ अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते हुए भी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

3. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. काशी में संगीत आयोजन की क्या परंपरा है ?
2. हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
3. बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति कैसी भावनाएँ थीं?
4. काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्व है?
उत्तर :
1. काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
2. हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन किया जाता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई-वादन अवश्य होता है।
3. बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज़ पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
4. काशी में संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन होता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

4. अक्सर कहते हैं-‘क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठित शहनाईवाज़ रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस ज़मीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, वो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
2. बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे?
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं?
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक क्या और क्यों नहीं छोड़ना चाहते ?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है; बाबा विश्वनाथ हैं; बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे बहुत लगाव है।
2. बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी प्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए इस धरती पर शहनाई और काशी से बढ़कर अन्य कोई जन्नत ही नहीं है।
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

5. काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर की तमीज़ सिखाने वाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. आज की काशी कैसी है?
2. काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है?
3. काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है?
4. काशी आनंदकानन कैसे है?
उत्तर :
1. आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती काशी को जगाती है।
2. काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों में इसे शिव की नगरी कहा गया है। उनके अनुसार यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
3. काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है, जो अपने सुरों से काशी में प्रेमरस बरसाता रहा है। उसने सदा काशीवासियों को मिल-जुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
4. काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ अर्थात् भगवान शिव विराजमान हैं। उनकी कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत-सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। यहाँ सदैव आनंद ही आनंद छाया रहता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

6. वही पुराना बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते में अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुँचते रहते हैं। रसूलन और बतूलन जब गाती हैं तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहनों को सुनकर मिली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ कौन थे ? बालाजी मंदिर से उनका क्या संबंध है?
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मंदिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को क्यों अच्छा लगता था?
3. ‘रियाज़’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादक थे जिनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। बचपन से ही वे बालाजी के मंदिर के रास्ते से नौबतखाने में रियाज़ के लिए जाते थे।
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मन्दिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को इसलिए अच्छा लगता था क्योंकि वहाँ वे दोनों बहनों के गाए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।
3. ‘रियाज’ से तात्पर्य है-किसी सुर या वाद्ययंत्र का बार-बार अभ्यास करना। गीतकार एवं संगीतकार रियाज़ कर स्वयं को उत्तम बनाने का – प्रयास करते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

7. किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत्! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज़ हो पाता?”

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों?
2. खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया?
3. इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर :
1. एक दिन खाँ साहब की शिष्या ने डरते-डरते उनसे कहा कि वे फटी हुई लुंगी/तहमद को न पहना करें। उनकी प्रतिष्ठा पर फटी तहमद अच्छी नहीं लगती। उन्हें भारतरत्न पुरस्कार भी मिल चुका है।
2. खाँ साहब ने शिष्या को समझाया कि भारत रत्न पुरस्कार उन्हें शहनाई पर मिला है न कि लुंगी पर। अतः हमें शारीरिक सौंदर्य पर ध्यान न देकर अपनी कला पर ध्यान देना चाहिए।
3. उक्त वाक्यों से खाँ साहब के सरल, सहज स्वभाव के बारे में पता चलता है। उनके मन में शहनाई ही सर्वोपरि है। वे कला के सच्चे उपासक

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-यतींद्र मिश्र का जन्म सन 1977 ई० में उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) की परीक्षा उत्तीर्ण की। कविता, संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में इन्हें विशेष रुचि है। इन्होंने सन 1999 ई० में ‘विमला देवी फाउंडेशन’ नामक सांस्कृतिक न्यास की स्थापना की। ‘थाती’ और अर्धवार्षिक पत्रिका ‘सरित’ का इन्होंने संपादन किया है। इन्हें इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए भारतभूषण अग्रवाल कविता सम्मान, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार ऋतुराज सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इन दिनों ये स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। रचनाएँ-यतींद्र मिश्र की प्रमुख रचनाएँ ‘ यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप और गिरिजा’ हैं। इन्होंने ‘कवि द्विजदेव ग्रंथावली’ का सह-संपादन भी किया है।

भाषा-शैली – यतींद्र मिश्र की भाषा-शैली सहज, प्रवाहमयी, व्यावहारिक तथा प्रसंगानुकूल है। ‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला शब्दचित्र है, जिसमें लेखक ने शास्त्रीय परंपरा के विभिन्न प्रसंगों को कुशलता से उजागर किया है। इसके लिए लेखक ने संगीत जगत में प्रचलित शब्दावली का भी प्रयोग किया है; जैसे-सम, सुर, ताल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, रीड, कल्याण, मुलतानी, भीम पलासी आदि भाषा में लोक प्रचलित विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया गया है; जैसे-रोज़नामचे, दरबार, पेशा, खानदानी, साहबजादे, शाहेनय, मुराद, ग़मज़दा, बदस्तूर आदि।

कहीं-कहीं तत्सम प्रधान शब्दावली के भी दर्शन हो जाते हैं; जैसे-‘अपने अहापोहों से बचने के लिए हम स्वयं किसी शरण, किसी गुफ़ा को खोजते हैं जहाँ अपनी दुश्चिताओं, दुर्बलताओं को छोड़ सकें और वहाँ फिर अपने लिए एक नया तिलस्म गढ़ सकें।’ संवादों में स्थानीय भाषा का चमत्कार देखा जा सकता है; जैसे ‘धत् ! पगली ई भारत रत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।’ शैली में सर्वत्र रोचकता बनी रही है जो कभी भावात्मक, कभी वर्णनात्मक और कभी चित्रात्मक हो जाती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

पाठ का सार :

‘नौबतखाने में इबादत’ यतींद्र मिश्र द्वारा रचित सुप्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला व्यक्ति-चित्र है। सन 1916 से 1922 के आसपास की काशी में छह वर्ष का अमीरुद्दीन अपने नौ साल के बड़े भाई शम्सुद्दीन के साथ अपने दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श के पास रहने आ जाते हैं। इनके दोनों मामा देश के प्रसिद्ध शहनाईवादक हैं। वे दिन की शुरुआत पंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर की ड्योढ़ी पर शहनाई बजाकर करते हैं। अमीरुद्दीन ही उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम है।

इनका जन्म बिहार के डुमराँव नामक गाँव में हुआ था। डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है, जिससे शहनाई बजती है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ थे। इनकी माता का नाम मिट्ठन था। अमीरुद्दीन अर्थात बिस्मिल्ला खाँ चौदह वर्ष की उम्र में बालाजी के मंदिर में जाते समय रसूलनबाई और बतूलनबाई के घर के रास्ते से होकर जाते थे। इन दोनों बहनों के गाए हुए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।

इन्होंने स्वयं माना है कि इन दोनों बहनों के कारण ही उन्हें अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में संगीत के प्रति लगाव हुआ था। वैदिक साहित्य में शहनाई का कोई वर्णन प्राप्त नहीं होता। शहनाई को ‘मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में गिना जाता है, जिसे ‘सुषिरवाद्य’ कहते हैं। शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।

सोलहवीं शताब्दी के अंत में तानसेन द्वारा रचित राग कल्पद्रुम की बंदिश में शहनाई, मुरली, वंशी, शृंगी और मुरछंग का वर्णन मिलता है। अवधी के लोकगीतों में भी शहनाई का उल्लेख प्राप्त होता है। मांगलिक अवसरों पर शहनाई का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत के मंगलवाद्य ‘नागस्वरम’ के समान शहनाई भी प्रभाती की मंगल ध्वनि का प्रतीक है।

अस्सी वर्ष के होकर भी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ परमात्मा से सदा ‘सुर में तासीर’ पैदा करने की दुआ माँगते हैं। उन्हें लगता है कि वे अभी तक सातों सुरों का ढंग से प्रयोग करना नहीं सीख पाए हैं। बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम के दिनों की आठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल ही रोते हुए नौहा बजाते हुए जाते हैं। उनकी आँखें हज़रत इमाम हुसैन और उनके परिवारवालों के बलिदान की स्मृति में भीगी रहती हैं।

अपने खाली समय में वे जवानी के उन दिनों को याद करते हैं जब रियाज़ से अधिक उन पर कुलसुम हलवाइन की दुकान की कचौड़ियाँ खाने तथा गीताबाली और सुलोचना की फ़िल्में देखने का जुनून सवार रहता था। वे बचपन में मामू, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर छह पैसे के टिकट से थर्ड क्लास में फ़िल्म देखने जाते थे। जब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाने के बदले अट्ठनी मिलती थी, तो उसे भी वे कचौड़ी खाने और सुलोचना की फ़िल्म देखने में खर्च कर देते थे।

उन्हें कुलसुम की कड़ाई में कचौड़ी डालकर तलते समय उत्पन्न होने वाली छन्न की ध्वनि में संगीत सुनाई देता था। विगत कई वर्षों से काशी में संगीत का आयोजन संकटमोचन मंदिर में होता है। हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय संगीत सम्मेलन होता है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। उन्हें काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार श्रद्धा है। वे जब भी काशी से बाहर होते हैं, तो विश्वनाथ एवं बालाजी मंदिर की ओर मुँह करके थोड़ी देर के लिए शहनाई अवश्य बजाते हैं। उन्हें काशी से बहुत मोह है। वे गंगा, विश्वनाथ, बालाजी की काशी को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते।

उन्हें इस धरती पर काशी और शहनाई से बढ़कर कहीं भी स्वर्ग नहीं दिखाई देता। काशी की अपनी ही संस्कृति है। बिस्मिल्ला खाँ का पर्याय उनकी शहनाई है और शहनाई का पर्याय बिस्मिल्ला खाँ हो गए हैं। इनकी फूंक से शहनाई में जादुई ध्वनि उत्पन्न हो जाती है। एक दिन इनकी एक शिष्या ने इन्हें कहा कि ‘आपको भारत-रत्न मिल चुका है। आप फटी हुई तहमद न पहना करें।’ इस पर इनका उत्तर था कि ‘भारत-रत्न हमें शहनाई पर मिला है न कि तहमद पर।

हम तो मालिक से यही दुआ करते हैं कि फटा सुर नं दे, तहमद चाहे फटा रहे।’ सन 2000 की बात स्मरण करते हुए लेखक कहता है कि उन्हें इस बात की कमी खलती थी कि पक्का महाल क्षेत्र में मलाई बरफ़ बेचने वाले चले गए हैं। देशी घी की कचौड़ी-जलेबी भी पहले जैसी नहीं बनती। संगीत, साहित्य और अदब की प्राचीन परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं। काशी में आज भी संगत के स्वर गूंजते हैं। यहाँ का मरण मंगलमय माना जाता है। काशी आनंदकानन है।

यहाँ बिस्मिल्ला खाँ और विश्वनाथ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। यहाँ की गंगा-जमुनी संस्कृति का अपना ही महत्व है। भारत-रत्न व अनेक उपाधियों, पुरस्कारों, सम्मानों आदि से सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ सदा संगीत के अजेय नायक बने रहेंगे। नब्बे वर्ष की आयु में दिनांक 21 अगस्त, 2006 को संगीत की दुनिया का अनमोल साधक संगीत-प्रेमियों के संसार से विदा हो गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

किठिन शब्दों के अर्थ :

तिलिस्म – जादू। गमक – खुशबू, सुगंध। अज़ादारी – मातम करना, दुख मनाना। बदस्तूर – कायदे से, तरीके से। नैसर्गिक – स्वाभाविक, प्राकृतिक। दाद – शाबासी। तालीम – शिक्षा। अदब – कायदा, साहित्य। अलहमदुलिल्लाह- तमाम तारीफ़ ईश्वर के लिए। जिजीविषा – जीने की इच्छा। शिरकत – शामिल होना। ड्योढ़ी – दहलीज़। नौबतखाना – प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान। रियाज़ – अभ्यास। मार्फत – द्वारा। श्रृंगी – सींग का बना वायंत्र। मुरदंग – एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र। नेमत – ईश्वर की देन, सुख, धन-दौलत। सज़दा – माथा टेकना। इबादत – उपासना। तासीर – गुण, प्रभाव, असर। श्रुति – शब्द-ध्वनि। ऊहापोह – उलझन, अनिश्चितता।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions )

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए-
1. प्रकाश की क्या गति है?
(A) 3 लाख कि०मी० प्रति सै०
(B) 5000 कि०मी० प्रति सै०
(C) 10 कि०मी० प्रति सै०
(D) 100 कि०मी० प्रति सै०।
उत्तर:
(A) 3 लाख कि०मी० प्रति सै०।

2. सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को क्या कहते हैं?
(A) तापमान
(B) ऊर्जा
(C) सूर्यातप
(D) सौर विकिरण।
उत्तर:
(C) सूर्यातप।

3. सूर्य से आने वाले ताप का कितने प्रतिशत भाग पृथ्वी पर पहुंचता है?
(A) 51%
(B) 47%
(C) 65%
(D) 44%
उत्तर:
(A) 51%

4. सूर्यातप को नापने की कौन-सी इकाई प्रयोग की जाती है?
(A) डिग्री फार्नहाइट
(B) प्रतिशत
(C) कैलोरी
(D) डिग्री सैंटीग्रेड।
उत्तर:
(C) कैलोरी।

5. कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् किस दिन चमकती हैं?
(A) 21 मार्च
(B) 23 सितम्बर
(C) 22 दिसम्बर
(D) 21 जून।
उत्तर:
(D) 21 जून।

6. वायुमण्डल के बाह्य संस्तर तक पहुंचने वाले सूर्यातप का कितना भाग पृथ्वी के धरातल तक पहुंच पाता है?
(A) 49 प्रतिशत
(B) 51 प्रतिशत
(C) 27 प्रतिशत
(D) 14 प्रतिशत।
उत्तर:
(B) 51 प्रतिशत

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

7. पृथ्वी के धरातल द्वारा विकिरित ऊर्जा को कहते हैं
(A) सूर्यातप
(B) सौर विकिरण
(C) तापमान
(D) पार्थिव या भौमिक विकिरण
उत्तर:
(D) पार्थिव या भौमिक विकिरण।

8. वायुमण्डल मुख्यतः गर्म होता है:
(A) सीधे ही सूर्य की किरणों द्वारा
(B) पार्थिव विकिरण द्वारा
(C) पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा द्वारा
(D) ज्वालामुखी क्रिया द्वारा।
उत्तर:
(B) पार्थिव विकिरण द्वारा।

9. सामान्यतः तापमान कम होता जाता है
(A) विषुवत रेखा से उत्तर की ओर
(B) विषुवत रेखा से दक्षिण की ओर
(C) विषुवत रेखा के दोनों ओर
(D) ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर ।
उत्तर:
(C) विषुवत रेखा के दोनों ओर।

10. स्थल तथा महासागरों के बीच तापमान का अन्तर अधिक होता है :
(A) उत्तरी गोलार्द्ध में
(B) दक्षिणी गोलार्द्ध में
(C) ध्रुवों के निकट
(D) ग्रीष्म ऋतु में
उत्तर:
(A) उत्तरी गोलार्द्ध में।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘पृथ्वी न तो अधिक समय के लिए गर्म होती है और न ही अधिक ठंडी’ व्याख्या करो।
उत्तर:
पृथ्वी अपनी ऊर्जा का लगभग सम्पूर्ण भाग सूर्य से प्राप्त करती है। इसके बदले पृथ्वी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को अन्तरिक्ष में वापस विकरित कर देती है। परिणामस्वरूप पृथ्वी पर ताप सन्तुलन बना रहता है।

प्रश्न 2.
‘पृथ्वी के अलग-अलग भागों से प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती’ क्यों?
उत्तर:
स्थल तथा जल में गर्म होने तथा ठण्डा होने की दर में विभिन्नता है। कोई भी भाग अधिक देर तक गर्म नहीं रहता तथा कोई भी भाग अधिक देर तक ठण्डा नहीं रहता। इसलिए विभिन्न भागों में तापमान की मात्रा समान नहीं होती।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 3.
तापमान की अलग-अलग भागों में भिन्नता के प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  1. इस विभिन्नता के कारण वायुमण्डल के दाब में भिन्नता होती है।
  2. इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है।

प्रश्न 4.
पार्थिव विकिरण तथा सूर्यातप में अन्तर बताओ।
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं या आगामी सौर विकिरण (Insolation) कहते हैं। यह अधिकतर लघु तरंगों द्वारा प्राप्त होती है। पृथ्वी के धरातल से विकिरण हुई ऊर्जा को पार्थिव विकिरण कहते हैं। यह दीर्घ तरंगों द्वारा अन्तरिक्ष में वापस चली जाती है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी के गोलाभ आकार का क्या प्रभाव है?
उत्तर:
पृथ्वी का आकार गोलाभ (Geoid) है। सूर्य की किरणें इस कारण वायुमण्डल के ऊपरी भाग पर तिरछी पड़ती हैं। इससे पृथ्वी सौर ऊर्जा का बहुत कम अंश प्राप्त करती है।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल की ऊपरी सतह को कितनी सौर ऊर्जा प्राप्त होती है?.
उत्तर:
गोलाभ पृथ्वी के कारण वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर औसत रूप से 0.5 कैलोरी प्रति वर्ग सैं०मी० प्रति मिनट ऊर्जा प्राप्त होती है। इसमें थोड़ा सा परिवर्तन होता रहता है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी द्वारा 3 जनवरी की अपेक्षा 4 जुलाई को अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से सबसे दूर अर्थात् 15 करोड़ 20 लाख कि०मी० दूर होती है। इसे अपसौर (Aphelion) कहते हैं। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट 14 करोड़ 70 लाख कि०मी० दूर होती है। इसे उप सौर (Perihelion) कहते हैं। इसलिए पृथ्वी द्वारा प्राप्त वार्षिक सूर्यातप (insolation ) 3 जनवरी की अपेक्षा 4 जुलाई को अधिक होता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 8.
सूर्यातप में विभिन्नता लाने वाले कारक लिखो।
उत्तर:

  1. पृथ्वी का धुरी पर घूमना
  2. सूर्य की किरणों का नति कोण
  3. दिन की अवधि
  4. वायुमण्डल की पारदर्शिता
  5. स्थल विन्यास

प्रश्न 9.
आकाश में रंगों की विभिन्नता क्यों है?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह की ओर विकीर्ण के कारण सूर्य उदय एवं अस्त होने के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। वायुमण्डल के प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) के कारण नीला रंग दिखाई देता है।

प्रश्न 10.
पृथ्वी का एलिबडो किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्य से ताप विकिरण का 30% सीधे रूप में परावर्तित हो कर अन्तरिक्ष में वापस चला जाता है। इसे पृथ्वी का एलिबडो कहते हैं।

प्रश्न 11.
सौर कलंक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्य की सतह पर काले रंग के गहरे व उथले बनते-बिगड़ते धब्बों को सौर कलंक कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सूर्यातप क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। यह ऊर्जा लघु तरंगों के रूप में 3 लाख कि० मी० प्रति सेकण्ड की दर से पृथ्वी पर पहुंचती है। पृथ्वी पर सौर विकिरण का केवल 2 अरबवां भाग ही पहुंचता है।

प्रश्न 2.
ऊष्मा तथा तापमान में क्या अन्तर है?
उत्तर:
दोनों शब्द एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। ऊष्मा वास्तव में ऊर्जा का रूप है जो वस्तुओं को गर्म करती है। तापमान ऊष्मा की मात्रा का माप है। ऊष्मा के बढ़ने या घटने से तापमान बढ़ता या घटता है।

प्रश्न 3.
सूर्यातप तथा किसी स्थान के तापमान में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सूर्यातप एक प्रकार की ऊर्जा है। सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा या ऊष्मा को सूर्यातप कहते हैं। यह लघु तरंगों के रूप में पृथ्वी के तल को गर्म करती है। किसी स्थान के तापमान से अभिप्राय उस स्थान पर धरातल से एक मीटर ऊपर वायु में ऊष्मा की मात्रा है। यह वायुमण्डल का तापमान है। वायु धरातल द्वारा छोड़ी गई ऊर्जा के विकिरण से गर्म होती है।

प्रश्न 4.
तापमान के क्षैतिज वितरण से क्या अर्थ है?
उत्तर:
तापमान का क्षैतिज वितरण अक्षांशों के अनुसार तापमान घटता-बढ़ता रहता है। अक्षांशों के अनुसार तापमान के वितरण को क्षैतिज वितरण कहते हैं। यह वितरण समताप रेखाओं द्वारा प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 5.
तापमान के ऊर्ध्वाधर वितरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वायुमण्डल मुख्यतः नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। इसलिए ऊंचाई के साथ तापमान कम होता जाता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर (Normal Lapse Rate) कहते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 6.
विभिन्न अक्षांश सूर्यातप भिन्न मात्रा में क्यों प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
सूर्यातप की मात्रा सूर्य किरणों के आपात् कोण तथा दिन की अवधि पर निर्भर करती है। पृथ्वी की वार्षिक गति तथा पृथ्वी के अक्ष के झुकाव कारण भिन्न अक्षांशों पर सूर्य किरणों का कोण भिन्न-भिन्न होता है तथा दिन की अवधि भी समान नहीं होती । भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्य की किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है तथा दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है। इसलिए भिन्न-भिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है। एक ही अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा सब स्थानों पर बराबर होती है।

प्रश्न 7.
दैनिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर उस दिन के उच्चतम तथा न्यूनतम तापमान के अन्तर को उस स्थान का दैनिक तापान्तर कहते हैं। यह तटीय प्रदेशों में कम होता है। दैनिक तापान्तर अन्दरूनी भागों तथा मरुस्थलीय प्रदेशों में अधिक होता है।

प्रश्न 8.
वार्षिक तापान्तर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी वर्ष के सबसे गर्म तथा ठण्डे महीनों के औसत मासिक तापमान के अन्तर को वार्षिक तापान्तर कहते हैं। प्रायः जुलाई मास को सबसे गर्म तथा जनवरी मास को सबसे ठण्डा मास लिया जाता है। सबसे अधिक वार्षिक तापान्तर साइबेरिया में वर्खोयांस्क में 38°C होता है।

प्रश्न 9.
किसी स्थान के तापमान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तापमान किसी पदार्थ में ताप की मात्रा का सूचक है। किसी स्थान पर छाया में भू-तल में फुट की ऊंची वायु की मापी हुई गर्मी को उस स्थान का तापमान कहा जाता है। प्रत्येक स्थान पर तापमान समान नहीं पाया जाता है। धरातल पर तापमान का वितरण विभिन्न संघटकों द्वारा नियन्त्रित होता है।

प्रश्न 10.
तापमान प्रतिलोम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊंचाई के बढ़ने के साथ-साथ 1°C प्रति 165 मीटर की दर से तापमान कम होता जाता है, परन्तु कई बार स्थानीय या अस्थाई रूप से ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में जब ठण्डी वायु धरातल के निकट और गर्म वायु इसके ऊपर हो तो इसे तापमान प्रतिलोम कहते हैं।

प्रश्न 11.
सूर्यातप का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
सूर्यातप का महत्त्व (Importance of Insolation ) :
यद्यपि पृथ्वी के धरातल पर प्राप्त होने वाला सूर्यातप बहुत थोड़ा है फिर भी यह कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है-

  1. कई भौतिक क्रियाएं सूर्यातप पर निर्भर करती हैं।
  2. सूर्यातप के कारण पवनें तथा समुद्री धाराएं चलती हैं ।
  3. सूर्यातप ऋतु परिवर्तन का आधार है ।
  4. इसी सूर्यातप के कारण पृथ्वी मानव निवास के योग्य ग्रह है
  5. वायुमण्डलीय गतियां तथा वायुराशियाँ सूर्यातप पर ही निर्भर करती हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 12.
वायुमण्डल पर ग्रीन हाऊस के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर:
वायुमण्डल भू-तल से विकिरण द्वारा गर्म होता है। वायुमण्डल की तुलना एक शीशे के घर या ग्रीन हाऊस से की जाती है जहां ध्रुवीय क्षेत्र में फूल तथा सब्जियां उगाई जाती हैं। शीशे के घर के अन्दर सौर ताप प्रवेश कर सकता है परन्तु बाहर नहीं जा सकता इसलिए शीशे का घर अन्दर से गर्म होता है, वायुमण्डल भी एक छाते की भान्ति कार्य करके पृथ्वी को गर्म रखता है।

दिन के समय यह सूर्य को पूरी शक्ति से बचा कर तापमान बढ़ने नहीं देता तथा रात को भू-तल से विकिरण को बाहर नहीं जाने देता। पृथ्वी पर औसत तापमान 15°C रहता है। यह वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण है जो कि विकिरण को सोख कर एक छत का कार्य करती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस बढ़ने से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। पिछली शताब्दी में भारत में 1955 का वर्ष सब से अधिक गर्म रहा है।

प्रश्न 13.
ग्लोबल वार्मिंग से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होना। जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक जलने (कोयला, गैस, तेल) के कारण, अधिक कृषि, अधिक औद्योगीकरण के कारण, तीव्रगामी परिवहन साधनों के प्रयोग तथा वनों की अत्यधिक कटाई से वायुमण्डल के संघटन में एक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। इन क्रियाओं से कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है। इसके ग्रीन हाऊस प्रभाव से पृथ्वी का औसत तापमान 0.5°C बढ़ गया है।

एक अनुमान है कि सन् 2040 तक विश्व तापमान में 2°C की वृद्धि हो जाएगी विभिन्न क्रियाओं के कारण वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की कमी हो रही है। इस से पराबैंगनी किरण पृथ्वी पर पहुंच कर तापमान में वृद्धि कर रही है। इसके प्रभाव से ध्रुवीय प्रदेशों की हिम पिघलने से समुद्र तल ऊंचा हो रहा है। कई तटीय प्रदेशों के जलमग्न होने का भय है।

प्रश्न 14.
ऊंचाई के साथ तापमान में होने वाले ह्रास की व्याख्या करो
उत्तर:
विभिन्न निरीक्षणों से पता चलता है कि वायुमण्डल में ऊंचाई के साथ तापमान कम होता जाता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर (Normal Lapse Rate) कहते हैं। इस तथ्य के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. वायुमण्डल प्रत्यक्ष रूप से धरातल द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा से गर्म होता है। सूर्य का प्रभाव अप्रत्यक्ष होता है। धरातल के समीप वाली परत सबसे अधिक गर्म होती है, ऊंचाई पर परतें बाद में गर्म होती हैं।
  2. धरातल के समीप वायु में धूल-कण तथा जल वाष्प अधिक मात्रा में रहते हैं जो अधिक गर्मी ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु वायुमण्डल की ऊपरी परतों में हल्की तथा स्वच्छ वायु कम मात्रा में गर्मी ग्रहण करती है। तापमान के कम होने की दर स्थानीय अवस्थाओं के कारण बदलती रहती है। रात के समय, महाद्वीपीय क्षेत्रों में ताप घटने की दर तीव्र होती है।

प्रश्न 15.
समताप रेखाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समताप रेखाएं ( Isotherms):
‘Iso’ शब्द का अर्थ है समान और ‘Therm’ शब्द का अर्थ है तापमान। इसलिए Isotherm का अर्थ है Lines of equal temperature या सम – तापमान रेखाएं। [Isotherms are lines joining the places of same (equal) temperature reduced to sea-level.]

धरातल पर समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं। इस तापक्रम को समुद्र-तल पर घटा कर दिखाया जाता है। इस प्रकार ऊंचाई के प्रभाव को दूर करने का प्रयत्न किया जाता है। यह कल्पना जाती है कि सभी स्थान समुद्र तल पर स्थित हैं। यदि कोई स्थान 1650 मीटर ऊंचा है और उसका वास्तविक तापमान 20°C है तो उस स्थान का समुद्र तल पर तापमान 20°C + 10°C = 30°C क्योंकि प्रति 165 मीटर पर 1°C तापमान कम हो जाता है।

प्रश्न 16.
किसी स्थान का तापमान किस प्रकार अक्षांश पर निर्भर है?
उत्तर:
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा थोड़े स्थान को घेरती हैं। अतः प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त ऊष्मा अधिक होती है। तिरछी किरणें वायुमण्डल में अधिक दूरी तय करती हैं तथा इनकी बहुत-सी गर्मी जलवाष्प अथवा धूलकणों द्वारा सोख ली जाती है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणों के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 17.
तापमान तथा ऊंचाई में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
समुद्र तल से ऊंचाई (Altitude ):
समुद्र तल से ऊंचाई के साथ तापमान घटता है। ताप के कम होने की दर 1°F प्रति 300 फुट या 0.6°C प्रति 100 मीटर है। वायुमण्डल धरातल द्वारा छोड़ी गई गर्मी (Radiation) से गर्म होता है। इसलिए निचली परतें पहले गर्म होती हैं तथा ऊपरी परतें बाद में पर्वत मैदानों की अपेक्षा ठण्डे होते हैं (Mountains are cooler than plains.) ऊंचाई के अनुसार वायु का दबाव सघनता, जलवाष्प तथा धूल कणों की कमी होती है।

इसलिए ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र की शुद्ध तथा विरल वायु गर्मी को लीन नहीं कर सकती पर्वतीय प्रदेशों की कठोर चट्टानें शीघ्र ही गर्मी छोड़ देती हैं जो कि बिना रोक-टोक वायुमण्डल से बाहर निकल जाती हैं। इस प्रकार जो स्थान जितना ही ऊंचा होगा, उतना ही ठण्डा होगा।

प्रश्न 18.
भौमिक विकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल द्वारा सौर ऊर्जा दीर्घ तरंगों के रूप में वापस लौट जाती है, इसे भौमिक विकिरण कहते हैं। इसीलिए वायुमण्डल नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। भौमिक विकिरण ही वायुमण्डल को गर्म करने का प्रमुख स्रोत है।

प्रश्न 19.
ऊष्मा बजट किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर औसत तापमान एक समान रहता है। पृथ्वी का औसत तापमान 15°C है। सूर्यातप तथा भौमिक विकिरण के कारण पृथ्वी के ताप में सन्तुलन रहता है, पृथ्वी जितनी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त करती है, उतनी ही मात्रा में ऊर्जा भौमिक विकिरण द्वारा अन्तरिक्ष में लौट जाती है। इसे ऊष्मा बजट कहते हैं

प्रश्न 20.
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर मानव बस्तियाँ हैं परन्तु उत्तरी ढलानों पर वन पाए जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानें सूर्य की ओर झुकी रहती हैं, तथा अधिक गर्म होती हैं। परन्तु उत्तरी ढलानें सूर्य से परे झुकी होती हैं तथा ठण्डी होती हैं। इसलिए दक्षिणी ढलानों पर कृषि होती है तथा मानव बस्तियां हैं। परन्तु तिब्बत की ओर उत्तरी ढलान ठंडी है तथा यहां वन पाए जाते हैं।

प्रश्न 21.
दैनिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान के एक दिन (24 घण्टे) के अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम तापमान के अन्तर को दैनिक तापान्तर कहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
सूर्यातप किसे कहते हैं? सूर्यातप का वितरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
सूर्य वायुमण्डल को गर्मी तथा प्रकाश प्रदान करने वाला मुख्य तथा मूल स्रोत है। सूर्य का व्यास पृथ्वी से सौ गुना बड़ा है। सूर्य के धरातल पर 10,000°F से भी अधिक तापक्रम है। इस विशाल तेज पिण्ड से सभी दिशाओं में ताप तरंगें फैलती हैं। सूर्य ताप प्रकाश की गति से (186,000 मील या 3000,000 कि० मी० प्रति सेकण्ड की दर से) वायुमण्डल में से गुज़रता है।

पृथ्वी पर सूर्यातप का केवल दो अरबवां भाग ही (1/2000,000,000) प्राप्त होता है। अनुमानतः पृथ्वी प्रति मिनट 1.94 Calories गर्मी प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्राप्त करती है। इसे सौर स्थिरांक (Solar Constant) कहते हैं। इस प्रकार धरातल पर प्राप्त होने वाले सौर्य विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। (Insolation means incoming Solar Radiation on the Surface of the Earth.) सूर्यातप तीन शब्दों के जोड़ से बना है:

सूर्यातप (Insolation)= In + sol + ation
In = In coming
Sol = solar
ation = Radiation

सूर्यातप का महत्त्व (Importance of Insolation): यद्यपि पृथ्वी के धरातल पर प्राप्त होने वाला सूर्यातप बहुत थोड़ा है फिर भी यह कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है

  1. कई भौतिक क्रियाएं सूर्यातप पर निर्भर करती हैं।
  2. सूर्यातप के कारण पवनें तथा समुद्री धाराएं चलती हैं।
  3. सूर्यातप ऋतु परिवर्तन का आधार है।
  4. इसी सूर्यातप के कारण पृथ्वी मानव निवास के योग्य ग्रह हैं।
  5. वायुमण्डलीय गतियां तथा वायु राशियाँ सूर्यातप पर ही निर्भर करती हैं।

सूर्यातप वितरण के प्रमुख घटक (Major Factors affecting the distribution of Insolation)
प्रमुख घटक (Major Factors): पृथ्वी के हर स्थान पर सूर्यातप की मात्रा समान नहीं है। सूर्यातप की मात्रा निम्नलिखित प्रमुख घटकों पर निर्भर करती है

1. सौर विकिरण की तीव्रता (Intensity of Insolation ):
सौर विकिरण की तीव्रता सूर्य किरणों के आपात् कोण पर निर्भर करती है। पृथ्वी की गोल सतह पर सूर्य की किरणों का कोण हर स्थान पर भिन्न-भिन्न होता है। यह कोण भूमध्य रेखा पर लम्ब और ध्रुवों की ओर कम होता जाता है। इस प्रकार सूर्य की तिरछी व लम्ब किरणों के कारण सूर्यातप की मात्रा में अन्तर पाया जाता है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा एक छोटे क्षेत्र में प्रभाव डालती हैं तथा प्रति इकाई क्षेत्र अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।

लम्बवत् किरणों को वायुमण्डल का थोड़ा भाग पार करना पड़ता है। इसलिए वायुमण्डल में मिली गैसें जल वाष्प द्वारा अवशोषण, प्रकीर्णन तथा परावर्तन से सूर्यातप की मात्रा कम नष्ट होती है। इसके विपरीत तिरछी किरणें अधिक स्थान घेरती हैं तथा वायुमण्डल का अधिक भाग पार करती हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त सूर्यातप की मात्रा कम होती है तथा तिरछी किरणों के ताप का अधिक भाग वायुमण्डल में नष्ट हो जाता है।

निम्नलिखित तालिका से भी यह स्पष्ट हो जाता है:

सूर्य की किरणों का आपतन कोण (Angle of Sun’s Rays) वायुमण्डल में सूर्य की किरणों की लम्बाई (Length of Sun’s Rays in Atmosphere) तीव्रता (Intensity)
90° 1.00 78
60° 1.15 55
30° 2.00 31
45.00 0

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  1

2. दिन की अवधि (Length of Day ):
पृथ्वी के अक्ष के झुके होने के कारण हर स्थान पर दिन-रात की लम्बाई समान नहीं होती है। भूमध्य रेखा से दूर जाने पर ग्रीष्म काल में दिन बड़े हो जाते हैं और शीत काल में रातें बड़ी हो जाती हैं। दिन की अवधि बढ़ने का अर्थ है कि लम्बे समय तक सूर्यातप का प्राप्त होना। दिन की अवधि कम होने से सूर्यातप की मात्रा कम हो जाती है। परन्तु पृथ्वी पर सूर्यातप की मात्रा के वितरण पर इन दोनों घटकों का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है उच्च अक्षांशों में दिन की अवधि अधिक होते हुए भी सूर्यातप की मात्रा कम होती है क्योंकि सूर्य की किरणें अधिक तिरछी पड़ती हैं जैसा कि निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है:

विभिन्न अक्षांशों पर दिन की अधिकतम अवधि (Length of Longest day at different Latitudes)
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  2

3. वायुमण्डल की मोटाई (Thickness of Atmosphere ):
वायुमण्डल के मोटे आवरण में से गुज़रते समय सूर्यातप का 49% भाग मार्ग में नष्ट हो जाता है। वायुमण्डल की मोटाई निम्नलिखित रूप से सूर्यातप की मात्रा पर प्रभाव डालती है।
(क) प्रकीर्णन (Scattering): सूर्यातप का कुछ भाग अणुओं तथा धूल कणों द्वारा बिखेर दिया जाता है जिसके कारण आकाश नीला प्रतीत होता है।
(ख) परावर्तन (Reflection ): धूल कण, जलवाष्प तथा कुछ सूर्यातप अन्तरिक्ष में लौट जाता है।
(ग) अवशोषण (Absorption ): जलवाष्प तथा गैसों द्वारा काफ़ी मात्रा में सूर्यातप जज़ब कर लिया जाता है।
जो सूर्यातप पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष में लौट जाता है उसका कुछ अंश आकाश के नीले तथा मन्द प्रकाश के रूप में उपयोगी है। उच्च अक्षांशों में यह मन्द प्रकाश (Diffused day light) पूर्ण अन्धकार नहीं होने देता।

वायुमण्डल में नष्ट होने वाले सूर्यातप की मात्रा मान लो कि वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाला ताप 100 इकाई है। इसमें से केवल 51 इकाई ताप ही पृथ्वी पर पहुंचता है। इसमें 49 इकाई ताप वायुमण्डल तथा अन्तरिक्ष में लौट जाता है। शून्य में परावर्तन हुई उस ऊष्मा को एल्बेडो (Albedo of the earth) कहते हैं।
वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त ऊष्मा
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  3

पृथ्वी की सतह पर प्राप्त ऊष्मा 100 – 49 = 51%
इस प्रकार सूर्यातप का केवल 51% भाग ही पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होता है। यह ताप पृथ्वी से दीर्घ किरणों द्वारा विकिरण के माध्यम से वायुमण्डल को गर्म करता है।

अन्य घटक (Minor Factors):
4.  जल एवम् स्थल का वितरण (Distribution of land and water ):
पानी की अपेक्षा स्थल भाग अधिक तथा शीघ्र गर्म हो जाते हैं तथा शीघ्र ही ठण्डे हो जाते हैं। जल का आक्षिक ताप (Specific Heat) स्थल के आक्षिक ताप से 2 गुना अधिक है। महासागरों में सूर्य की किरणों को अधिक गहराई तक जल को गर्म करना पड़ता है। जल गतिशील भी है। इसलिए जल-भागों को गर्म करने के लिए अधिक ताप की आवश्यकता होती है। इसी कारण ग्रीष्म ऋतु में महाद्वीप अधिक गर्म हो जाते हैं जबकि शीतकाल में महासागर अधिक गर्म होते हैं।

5. धरातल का स्वभाव (Nature of the Surface ): धरातल में विभिन्नता के कारण ताप के अवशोषण तथा परावर्तन की महत्ता भिन्न-भिन्न होती है। जैसे विभिन्न भूतलों पर सौर किरणों का परावर्तन अग्रलिखित प्रकार से होता है
वनस्पति – 7%
रेत – 13%
जल – 30%
बर्फ़ – 80%
इसी कारण हिम से ढका भूतल कम ताप ग्रहण करता है जबकि मरुस्थल में रेतीली भूमि अधिक ताप प्राप्त करती है।

6. पृथ्वी से सूर्य की दूरी (Distance between Earth and Sun):
पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य दूरी सदा समान नहीं रहती। उत्तरायण (Aphelion) के समय यह दूरी 940 लाख मील होती है तथा दक्षिणायन (Perihelion) के समय यह दूरी 915 लाख मील होती है। इस प्रकार उत्तरायण के समय तथा दक्षिणायन के समय सूर्यातप में 7% का अन्तर पड़ जाता है।

7. सौर कलंकों की संख्या (Number of Sun Spots ):
सौर कलंकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है । अधिक संख्या के कारण सूर्यातप की मात्रा अधिक प्राप्त होती है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 2.
तापमान के क्षैतिज वितरण को कौन-से संघटक नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
तापमान किसी पदार्थ में ताप की मात्रा का सूचक है। किसी स्थान पर छाया में भूतल 4 फुट की ऊंची वायु की मापी हुई गर्मी को उस स्थान का तापमान कहा जाता है। प्रत्येक स्थान पर तापमान समान नहीं पाया जाता है। धरातल पर तापमान का वितरण निम्नलिखित संघटकों द्वारा नियन्त्रित होता है:

1. भूमध्य रेखा से दूरी (Distance from the Equator):
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा थोड़े स्थान को घेरती हैं। अतः प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त ऊष्मा अधिक होती है। तिरछी किरणें वायुमण्डल में से अधिक दूरी तय करती हैं तथा इनकी बहुत-सी गर्मी जलवाष्प अथवा धूलकणों द्वारा सोख ली जाती है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणों के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।

2. समुद्र तल से ऊंचाई (Altitude):
समुद्र तल से ऊंचाई के साथ तापमान घटता है। ताप के कम होने की दर 1°F प्रति 300 फुट या 0.6°C प्रति 100 मीटर है। वायुमण्डल धरातल द्वारा छोड़ी गई गर्मी (Radiation) से गर्म होता है। इसलिए निचली परतें पहले गर्म होती हैं तथा ऊपरी परतें बाद में पर्वत मैदानों की अपेक्षा ठण्डे होते हैं (Mountains are cooler than plains)। ऊंचाई के अनुसार वायु का दबाव सघनता, जलवाष्प तथा धूल के कणों की कमी होती है। इसलिए ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र की शुद्ध तथा विरल वायु गर्मी को लीन नहीं कर सकती पर्वतीय प्रदेशों की कठोर चट्टानें शीघ्र ही गर्मी छोड़ देती हैं जो कि बिना रोक-टोक वायुमण्डल से बाहर निकल जाती हैं। इस प्रकार जो स्थान जितना ही ऊंचा होगा, उतना ही ठण्डा होगा।

3. समुद्र से दूरी (Distance from the Sea) समुद्र का प्रभाव जलवायु के लिए समकारी होता है। समुद्र के समीप के प्रदेशों में सम (Equable) जलवायु होती है। परन्तु भीतरी (Inland) या समुद्र से दूर प्रदेशों में कठोर (Extreme) जलवायु मिलती है। जल स्थल की अपेक्षा धीरे-धीरे गर्म तथा ठण्डा होता है इसलिए तटीय प्रदेशों में जल समीर (Sea Breeze) के कारण दिन का ताप अधिक नहीं होता है। स्थल समीर (Land Breeze) के कारण रात का ताप अधिक कम नहीं होता। इसलिए इनके प्रभाव से गर्मी तथा सर्दी दोनों ही अधिक नहीं होतीं। परन्तु समुद्र तट से अधिक दूर जाने पर, स्थल के प्रभाव के कारण ग्रीष्म ऋतु अधिक गर्म तथा शीत ऋतु अधिक ठण्डी होती है।

4. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
प्रचलित पवनें किसी प्रदेश के तापमान तथा वर्षा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। समुद्र की ओर से आने वाली पवनें जलवायु को सम तथा आर्द्र रखती हैं। (A wind from the sea lowers the summer temperature and raises the winter temperature.) परन्तु स्थल की ओर से आने वाली पवनें स्थल के प्रभाव के कारण किसी प्रदेश की जलवायु को कठोर तथा शुष्क बनाती हैं। (A Wind from the land lowers the winter temperature and raises the summer temperature.) समुद्र से आने वाली पश्चिमी पवनों (Westerlies) के कारण शीत ऋतु में इंग्लैण्ड का औसत तापमान 20°F – 30°F ऊंचा रहता है।

5. समुद्री धाराएं (Ocean Currents ):
समुद्री धाराओं का प्रभाव उन पवनों द्वारा होता है जो इन धाराओं के ऊपर से गुज़रती हैं। गर्म धाराओं के ऊपर से गुज़रने वाली पवनें तटीय प्रदेशों के तापक्रम को ऊँचा कर देती हैं तथा वर्षा में सहायक होती हैं। शीत ऋतु का तापमान बढ़ जाने से जलवायु सम हो जाती है । परन्तु ठण्डी धाराओं के ऊपर से गुज़रने वाली पवनों के प्रभाव से तटीय प्रदेश ठण्डे तथा शुष्क होते हैं। (Warm currents raise and cold currents lower the temperature of coastal areas.)
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  4

6. पर्वतों की दिशा (Direction of Mountains):
किसी देश में पर्वतों की स्थिति तथा दिशा तापमान तथा वर्षा पर प्रभाव डालती है। अरावली पर्वत मानसून पवनों के समानान्तर स्थित होने के कारण इन्हें रोक नहीं पाता जिससे राजस्थान शुष्क रहता है। यदि हिमालय पर्वत मानसून पवनों के आड़े स्थित न होता तो उत्तरी भारत भी मरुस्थल होता । पर्वतों के सम्मुख ढाल पर वर्षा होती है परन्तु त्रिमुख ढाल वर्षा छाया (Rain Shadow) में होने के कारण शुष्क रहते हैं ।

7. भूमि की उलान (Slope of the Land):
सूर्यमुखी ढाल सूर्य त्रिमुखी ढालों की अपेक्षा गर्म होती है। उत्तरी ढाल की अपेक्षा दक्षिणी ढाल पर सूर्य की किरणें अधिक सीधी पड़ती हैं। दक्षिणी ढाल उत्तर से आने वाली ठण्डी हवाओं से सुरक्षित रहती है। उत्तरी अधिक देर तक छाया में रहती है परन्तु दक्षिणी ढाल पर सूर्य अधिक देर तक चमकता है। हिमालय पर्वत के तिब्बत की ओर ढाल वाले प्रदेश ठण्डे हैं परन्तु भारत की ओर ढाल वाले प्रदेश गर्म हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  5

8. भू-तल का स्वभाव (Nature of the Soil):
मैदानों की चिकनी मिट्टी प्रायः बारीक होती है तथा शनै: शनै: गर्म तथा ठण्डी होती है परन्तु रेत जल्दी ही गर्म तथा ठण्डी हो जाती है । इसी कारण मरुस्थलों में दिन को अधिक गर्मी तथा रात को अधिक सर्दी होती है ।

9. मेघ और वर्षा (Clouds and Rainfall):
जिन प्रदेशों में बादल छाए रहते हैं, वहां जलवायु सम रहती है। और अधिक वर्षा होती है। मेघ सूर्य की किरणों को दिन के समय रोकते हैं। सूर्य के ताप को लीन कर लेते हैं। मेघरहित (Cloudless) आकाश के कारण दिन को तापक्रम ऊँचा हो जाता है। ये रात को पृथ्वी द्वारा छोड़ी हुई गर्मी को बाहर नहीं जाने देते । वर्षा के कारण भी तापमान कम हो जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 3.
तापमान कटिबन्ध से क्या अभिप्राय है? अक्षांशों के आधार पर ताप-कटिबन्धों का वर्णन करो अक्षांशों के आधार पर तापमान का क्षैतिज वितरण
उत्तर:
अक्षांशों के आधार पर तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature Based on Latitudes):
विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्यातप की प्राप्ति कम होती जाती है क्योंकि सौर – ताप की किरणों में अधिकाधिक तिरछापन आता रहता है। इस प्रकार भूतल पर तापमान का क्षैतिज वितरण अक्षांशों के अनुसार घटता-बढ़ता है। यद्यपि विषुवत् रेखा पर वर्ष पर्यन्त सूर्य लगभग लम्बवत् रहता है, किन्तु यहां आकाश अधिकांश अवधि के लिए मेघाच्छादित रहता है तथा वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है। अतः सूर्यातप का अधिकांश भाग परावर्तित हो जाता है तथा पर्याप्त मात्रा में ऊष्मा वाष्पीकरण में व्यय हो जाती है।

इन कारणों से उच्चतम तापमान कभी भी विषुवत् रेखीय प्रदेशों में नहीं पाया जाता संसार के उच्चतम तापमान कर्क एवं मकर रेखाओं के निकट पाए जाते हैं क्योंकि यहां आकाश सदैव मेघ – विहीन तथा स्वच्छ रहता है, जिससे सूर्य शक्ति बिना किसी अवरोध के यहां पहुंचती है तथा यहां की भूमि को प्रचण्ड रूप से उष्ण कर देती है। मकर रेखा की अपेक्षा कर्क रेखा पर स्थल का विस्तार अधिक होने के कारण वहां तापमान उच्च रहते हैं। इस प्रकार के संसार के उच्चतम तापमान कर्क रेखा पर ही पाए जाते हैं।

अतः संसार की तापीय मध्य रेखा (Thermal or Heat Equator) कर्क रेखा के साथ-साथ पाई जाती है। विषुवत्रेखा से ध्रुवों की ओर तापमान के घटने की दर को ताप प्रवणता (Temperature Gradient) कहते हैं। यह ताप प्रवणता कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच के भू-भाग में अति न्यून होती है। इस प्रकार आयतन का क्षैतिज वितरण विषुवत् रेखा से दूरी अर्थात् अक्षांशों का अनुसरण करता पाया जाता है। प्राचीन यूनानी (Greek) विचारकों ने अक्षांशों के आधार पर पृथ्वी के तल को निम्नलिखित तीन भागों में विभक्त किया है:

ताप कटिबन्ध (Temperature Zone):
1. उष्ण कटिबन्ध (Torrid or Hot Zone):
उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा \(\left(23 \frac{1}{2}^{\circ} \text { North }\right)\) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा \(\left(23 \frac{1}{2}^{\circ} \text { South }\right)\) के बीच विस्तृत भू-भाग में सौर किरणें वर्ष भर में एक बार अवश्य ही ऊर्ध्वाधर (Vertical) पड़ती हैं। परन्तु इस भू-भाग से दूर सूर्य कभी भी ऊर्ध्वाधर नहीं होता। दूसरे शब्दों में, सूर्य इस भू-भाग में वर्ष पर्यन्त लगभग लम्बवत् रहता है। इस भू-भाग में दिन एवं रात्रि की अवधि में भी बहुत कम अन्तर होता है। अतः इस भू-खण्ड में सदैव प्रचण्ड रूप से उष्णता रहती है, जिससे इसे उष्ण कटिबन्ध (Hot or Torrid Zone) कहते हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  6

2. शीतोष्ण कटिबन्ध (Temperature Zones):
कर्क रेखा एवं उत्तरी ध्रुववृत्त \(\left(66 \frac{1}{2}\right)^{\circ}\) उत्तरी अक्षांश Article Circle,\( \left(66 \frac{1}{2}^{\circ} \text { North }\right)\) तथा मकर रेखा, \(23 \frac{1}{2} \circ\)दक्षिण (Tropic of copricorn) से अंटार्कटिक वृत्त \(66\frac{1}{2} \circ\) दक्षिणी मध्य के भू-भाग में सूर्य की किरणें सदा तिरछी पड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप शीतकाल में बहुत निम्न तापमान तथा ग्रीष्म काल में दरमियाने तापमान रहते हैं। इन क्षेत्रों को उत्तरी शीत ऊष्ण कटिबन्ध (North Temperature Zone) तथा दक्षिणी शीत-उष्ण कटिबन्ध (South Temperature Zone) कहते हैं।

3. शीत कटिबन्ध ( Frigid Zone ):
उत्तरी ध्रुव तथा उत्तरी ध्रुवीय वृत्त, दक्षिणी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुवीय वृत्त के मध्य स्थित भागों को क्रमवार उत्तरी शीत खण्ड तथा दक्षिणी शीत खण्ड कहते हैं। इन भागों में सारा वर्ष सूर्य की किरणें बहुत तिरछी पड़ती हैं। इसलिए तापमान बहुत कम रहते हैं तथा कठोर शीत पड़ती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। वे कहती हैं कि जब-जब भी भक्तों पर मुसीबतें आई हैं, तब-तब श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर अपने भक्तों की पीड़ा को हरा है। जब कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित करने का प्रयास किया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उसके मान-सम्मान की रक्षा की। इसी प्रकार भक्त का प्रहलाद के लिए नृसिंह अवतार धारण किया; हाथी की मगरमच्छ से रक्षा की। हरि से इन सभी दृष्टांतों के माध्यम से अपनी पीड़ा को भी हरने की मीराबाई ने विनती की है।

प्रश्न 2.
दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर उनके आस-पास रहना चाहती हैं और उनके बार-बार दर्शन करना चाहती हैं। सेवक सदा अपने स्वामी के आस-पास रहता है; मीराबाई भी श्रीकृष्ण के आस-पास रहकर उनकी लीला का गुणगान करना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण की सेवा में उनके दर्शन और नाम-स्मरण को पाना चाहती हैं। मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर भक्तिरूपी धन-दौलत को प्राप्त करना चाहती हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 3.
उत्तर
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के माथे पर मोर के पंखों का मुकुट सुशोभित है। उनके शरीर पर पीतांबर उनकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है। श्रीकृष्ण के गले में वैजंती माला अत्यंत शोभा पा रही है। ऐसी वेशभूषा से सुशोभित श्रीकृष्ण वृंदावन में गाय चराते हुए और बाँसुरी बजाते हुए अत्यंत आकर्षक लगते हैं।

प्रश्न 4.
मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
मीराबाई के काव्य की भाषा उनके प्रेमी हृदय का सौंदर्य है। उन्होंने अपने काव्य में मुख्य रूप से ब्रजभाषा, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि शब्दों का प्रयोग में किया है। मीरा का अधिकांश समय राजस्थान में बीता था, इसलिए उनके काव्य में राजस्थानी शब्दों का प्रयोग अधिक मिलता है। मीरा की भाषा में प्रवाहात्मकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। उनकी भावानुकूल शब्द-योजना द्रष्टव्य है।

अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भाषा पर राजस्थानी प्रभाव के कारण उन्होंने ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ का प्रयोग किया है। इसके साथ-साथ मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों का सफल एवं स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। उनके द्वारा प्रयुक्त अलंकारों में अनुप्रास, वीप्सा, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा तथा उदाहरण अलंकार प्रमुख हैं। मीराबाई के काव्य की शैली गीति शैली है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 5.
वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को अपने प्रियतम के रूप में देखती हैं। वे बार-बार श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। उन्हें पाने के लिए मीराबाई उनकी सेविका बनने के लिए तैयार हैं। वे सेविका बनकर श्रीकृष्ण का निरंतर सामीप्य चाहती हैं। वे बड़े-बड़े महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ बनवाना चाहती हैं। इन खिड़कियों से वे श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य को निहारना चाहती हैं। श्रीकृष्ण को पाने के लिए मीरा भली प्रकार से श्रृंगार करके आधी रात को यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शन की प्यासी हैं और किसी भी प्रकार से उन्हें पा लेना चाहती हैं।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1.
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रौपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है। अनुप्रास एवं उदाहरण अलंकार हैं। भाषा में प्रवाहमयता तथा सरसता का गुण विद्यमान है। दैन्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने अभिधात्मक शैली का प्रयोग करते हुए अपने भावों की सुंदर अभिव्यक्ति की है।

प्रश्न 2.
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर :
इन पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण है। अनुप्रास तथा दृष्टांत अलंकार का प्रयोग है। दास्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री की भाषा में प्रवाहात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण विद्यमान है। अत्यंत सरल शब्दों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 3.
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बातां सरसी॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों की भाषा राजस्थानी है। भाषा में लयात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। सरलता, सरसता और माधुर्य से युक्त भाषा द्रष्टव्य है। दास्य भाव की भक्ति है, जिसमें शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कोमल भावनाओं की सुंदर ढंग से अभिव्यक्ति की है।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न :
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए
उदाहरण – भीर – पीड़ा/कष्ट/दुख; री – की
चीर, बूढ़ता, धरयो, लगास्यूँ, कुण्जर, घणा, बिन्दरावन, सरसी, रहस्यूँ, हिवड़ा, राखो, कुसुम्बी
उत्तर :

  • चीर – वस्त्र, कपड़ा
  • धरयो – धारण किया
  • कुण्जर – हाथी
  • बिन्दरावन – वृंदावन
  • रहस्यूँ – रहकर
  • राखो – रखना
  • बूढ़ता – डूबते हुए
  • लगास्यूँ – लगाऊँगी
  • घणा – बहुत अधिक
  • सरसी – अच्छी, रस से युक्त
  • हिवड़ा – हृदय
  • कुसुम्बी – लाल रंग की

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
मीरा के अन्य पदों को याद करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 2.
यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सकें तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
मीरा के पदों का संकलन करके उन पदों को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विदयार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पहले हमारे यहाँ दस अवतार माने जाते थे। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण प्रमुख हैं।
अन्य अवतारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक चार्ट बनाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Important Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण कैसे हैं ?
उत्तर :
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण दयालु और भक्त-वत्सल हैं। वे अपने भक्तों पर अपनी विशेष अनुकम्पा रखते हैं; उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर चाहे इसके लिए उन्हें नृसिंह अवतार ही क्यों न लेना पड़े। वे अपने भक्तों को बीच मझधार में नहीं छोड़ते। वे अपने भक्तों की परीक्षा अवश्य लेते हैं, लेकिन यह परीक्षा धैर्य और भक्ति की पराकाष्ठा को देखने के लिए होती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 2.
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के कौन-से तीन रूप मिलने वाले थे?
उत्तर :
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के तीन रूप-भावमग्न भक्ति, प्रभु-दर्शन तथा नाम-स्मरण प्राप्त होने वाले थे। मीरा कहती हैं कि जब वे दासी बनकर श्रीकृष्ण की सेवा करेंगी, तो प्रतिदिन उन्हें प्रभु के दर्शन होंगे। उनके लिए प्रभु की सेवा करने की कमाई मेरे लिए प्रभु का नाम-स्मरण होगा। प्रभु के रूप-सौंदर्य की लालसा में जब वे उनका इंतज़ार करेंगी तो वह भाव-मग्न भक्ति होगी।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज किस प्रकार बचाई थी?
उत्तर :
जब दुःशासन भरी सभा में द्रौपदी को सबके समक्ष निर्वस्त्र करने का प्रयास कर रहा था, तब श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने द्रौपदी के वस्त्र को बढ़ाकर उसे अपमानित होने से बचा लिया था। श्रीकृष्ण के इस कार्य से ही द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा हुई थी।

प्रश्न 4.
श्रीविष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा किस रूप में और क्यों की थी?
उत्तर :
श्रीविष्णु ने प्रहलाद की रक्षा नृसिंह रूप में अवतरित होकर की थी। प्रहलाद उनका भक्त था। अपने भक्त की रक्षा के लिए उन्होंने अत्याचारी एवं अनाचारी दैत्य हिरण्यकशिपु का वध किया था। उनका यह कार्य उनकी भक्त-वत्सलता का प्रमाण है कि वे कभी भी अपने भक्तों को अकेला व असहाय नहीं छोड़ते।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 5.
मीरा श्रीकृष्ण की सेवा करके वेतन रूप में क्या पाना चाहती हैं?
उत्तर :
मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण की सेवा करके उनके नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाना चाहती हैं, ताकि वे प्रभु को प्रतिपल याद करती रहे। एक क्षण के लिए भी वे प्रभु से दूर न हों। उनका भाव एवं विचार सदैव प्रभु-भक्ति में लीन रहे।

प्रश्न 6.
मीरा का हृदय क्यों व्याकुल है?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं। उनके सिवाय मीरा को संसार में कोई अपना नहीं लगता। संसार का कण-कण मीरा को श्रीकृष्ण की याद दिलाता है। श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति एवं तल्लीनता के कारण वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी हैं। इसलिए श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।

प्रश्न 7.
मीरा श्रीकृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। मीरा का मन सारा दिन श्रीकृष्ण के नाम का भजन करता है। वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे मानती हैं कि उनके प्रभु भक्त-वत्सल हैं। वे भक्तों की विनती को कभी नहीं ठुकराते। भक्तों पर उनकी दया-दृष्टि सदैव बनी रहती है, इसलिए वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने के लिए प्रार्थना करती हैं।

मीरा के पद Summary in Hindi

कवयित्री-परिचय :

जीवन – राजस्थान के भक्तों में सर्वोपरि, कृष्ण भक्तों में सम्माननीय और मध्ययुगीन हिंदी काव्य में विशिष्ट स्थान की अधिकारिणी मीराबाई का सारा साहित्य कृष्ण भक्ति से संबंधित है। वह आँसुओं के जल से सिंचा और आहों से सुवासित हुआ है। मीरा का संबंध राठौड़ों की एक उपशाखा मेड़तिया वंश से था। मीराबाई राव दूदा जी के चौथे पुत्र रत्नसिंह की पुत्री थीं। इनका जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) नामक ग्राम में सन 1503 के आसपास हुआ था। मीरा के दादा अत्यंत धर्मात्मा व्यक्ति थे, जिनके कारण इनके परिवार में धार्मिक भावनाओं की प्रधानता स्वाभाविक थी। बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्त थीं। इन्होंने अधिक दिनों तक लौकिक सुहाग का सुख नहीं भोगा।

विवाह के कुछ वर्षों बाद राणा सांगा के जीवनकाल में ही इनके पति भोजराज की मृत्यु हो गई। इससे इनके जीवन में एक नया मोड़ आ गया। लेकिन सिंदूर लुट जाने पर भी गिरधर के अखंड सौभाग्य का रंग सदा के लिए इन पर छा गया। सभी राग-विरागों से मुक्त हो वे अपने आराध्य कृष्ण में ही एकनिष्ठ हो गईं। इनका विरह कृष्ण-प्रेम का रूप लेकर गीतों में फूट पड़ा।

मीरा के श्वसुर उदार और स्नेही व्यक्ति थे, इसलिए उनके रहते हुए मीरा को कोई कष्ट नहीं हुआ। लेकिन उनके देहांत के बाद मीरा को अनेक परेशानियाँ हुईं। इन्हें विष देकर एवं पिटारी में साँप भेजकर मारने का प्रयास किया गया। कालांतर में मीरा पूर्ण वैरागिन होकर साधुओं की मंडली में मिल गई और वृंदावन चली गईं। लगभग सन 1546 में श्री रणछोड़ के मंदिर में कीर्तन-भजन करते-करते इनकी मृत्यु हो गई।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

रचनाएँ – मीरा की रचनाएँ निम्नलिखित मानी जाती हैं – नरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग सोरठ के पद, राग गोविंद व मीरा के पद। मीरा के पद गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, खड़ी बोली आदि में मिलते हैं। इनके गीत ‘मीराबाई पदावली’ में संकलित हैं।

साहित्यिक प्रवृत्तियाँ – मीरा का काव्य कृष्ण-प्रेम से ओत-प्रोत है। वे सच्ची प्रेमिका हैं। इनकी भक्ति दैन्य और माधुर्य भाव की है। इनके काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. प्रेम-भावना – मीरा के काव्य का मूल स्वर प्रेम है। उनके प्रिय श्रीकृष्ण हैं। मीरा का प्रेम, उनकी भक्ति सगुण लीलाधारी कृष्ण के प्रति निवेदित है। ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ इसी की सहज अभिव्यक्ति है। मीरा के आराध्य वही कृष्ण हैं, जिनके नयन विशाल हैं; जो मुरली और वैजयंती माला धारण करते हैं। कृष्ण उनके जीवन के आधार हैं। ‘हरि मेरे जीवन प्राणाधार,’ ‘मैं गिरधर रंग राती’ तथा ‘मीरा लागो रंग हरी और न रंग अरथ परी’ आदि उनकी प्रेम-भावना के परिचायक हैं।

2. कृष्ण का अवतारी रूप – मीरा ने कृष्ण के अवतारी और लोकोपकारक स्वरूप का चित्रण किया है। वह भगवान को लोक हितकारी एवं शरणागत वत्सल रूप का भी स्मरण दिलाती है –

हरि तुम हरो जन की भीर,
द्रौपदी की लाज राखी आप बढ़ायो चीर।

3. विरह-वेदना का आधिक्य – प्रेम और भक्ति चिरसंगी है और प्रेम के संयोग-वियोग पक्षों में विरह-वेदना की अनुभूति अधिक बलवती है। विरह प्रेम की एकमात्र कसौटी है। मीरा का सारा काव्य विरह की तीव्र वेदनानुभूति से परिपूर्ण है। मीरा एक सच्ची प्रेमिका की भाँति प्रियतम की ‘बाट’ जोहती है; प्रिय के आगमन के दिन गिनती रहती है।

रात दिवस कल नाहिं परत है,
तुम मिलियाँ बिन मोई।

4. भक्ति का स्वरूप – मीरा की भक्ति अनेक पद्धतियों और सिद्धांतों से युक्त है। इन्होंने किसी भी संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली थी। इन्हें अपने भक्ति-क्षेत्र में जो भी अच्छा लगा, उसे अपना लिया। मीरा पर सगुण और निर्गुण दोनों का प्रभाव है। मीरा की भक्ति में समर्पण भाव है। उनके काव्य में अनुभूति की गहनता है।

5. गीति काव्य – मीरा के पदों में गेयता के सभी तत्व-आत्माभिव्यक्ति, संक्षिप्तता, तीव्रता, संगीतात्मकता, भावात्मक एकता और भावना की पूर्णता है। उनकी पीड़ा की अभिव्यक्ति व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत है। सभी पद संगीत के शास्त्रीय पक्ष पर खरे उतरते हैं। इनके पदों का आकार संक्षिप्त है और इनमें भावों की पूर्णता भी है।

भाषा-शैली-मीरा के काव्य में किसी एक भाषा का प्रयोग नहीं है; इसमें ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, हरियाणवी आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग है। परंतु राजस्थानी इनकी मुख्य भाषा रही है। इनके काव्य में भाव पक्ष को प्रमुखता दी गई है, इसलिए कला पक्ष अधिक मुखरित नहीं हो पाया। इन्होंने भावानुकूल शब्दों का प्रयोग किया है। इनमें राजस्थानी के तद्भव और देशज शब्दों की संख्या बहुत अधिक है। भाषा में अलंकारों और छंदों का प्रयोग सहज रूप में हुआ है। शांत, भक्ति और करुण रसों के प्रयोग से काव्य में सरसता आ गई है। अनुभूति की गहनता और अभिव्यक्ति की प्रखरता के कारण मीरा का गीतिकाव्य आज भी सर्वोच्च स्थान रखता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

पदों का सार :

इन पदों में मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति-भावना व्यक्त की है। वे श्रीकृष्ण को सबकी पीड़ा को दूर करने वाला बताती हैं। – मीरा श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती है कि हैं श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। आपने ही भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित होने से बचाया था। भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए ही आपने नृसिंह अवतार लिया। इसके साथ-साथ आपने मगरमच्छ को दूसरे पद में मीरा स्वयं को श्रीकृष्ण की सेविका के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

वे कहती है कि हे कृष्ण ! मुझे अपनी सेविका बना लो। आपकी सेवा में रहते हुए मैं प्रतिदिन उठते ही आपके दर्शन पा सकूँगी और निरंतर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँग सेवा करते हुए आपके दर्शन करना और नाम-स्मरण करना ही मेरी कमाई होगी। हे श्रीकृष्ण ! आपके माथे पर मोर के पंखों का मुकुट, शरीर पर पीतांबर तथा गले में वैजयंती माला अत्यंत सुशोभित होती है। मैं लाल रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को यमुना के तट पर आपके दर्शनों की प्यासी खड़ी हूँ। आप मुझे दर्शन दीजिए। मीराबाई कहती हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उसका हृदय अत्यंत व्याकुल हो उठता है। वे बार-बार प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं।

सप्रसंग व्याख्या –

1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

शब्दार्थ : हरो – दूर करो। जन – भक्त। बढ़ायो – बढ़ाया। चीर – वस्त्र। नरहरि – भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार। धरयो – धारण किया। गजराज – हाथी। कुंजर – हाथी। पीर – पीड़ा। म्हारी – हमारी। भीर – विपत्ति, दुख, संकट।

प्रसंग : प्रस्तुत पद प्रसिद्ध कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना की है।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि आप सदा अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। कौरवों ने जब भरी सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र कर अपमानित करना चाहा, तो आपने उसके वस्त्र-बढ़ाकर उसके मान-सम्मान की रक्षा की। भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकशिपु ने मारने का प्रयास किया, तो आपने नृसिंह अवतार धारण करके प्रहलाद की रक्षा की। जब एक हाथी को जल के भीतर मगरमच्छ ने मारने का प्रयास किया, तो आपने मगरमच्छ को मारकर शरणागत हाथी के प्राणों की रक्षा की। मीराबाई कहती हैं कि वह तो ऐसे श्रीकृष्ण की दासी है, जो सदा भक्तों की रक्षा करते हैं। वे उनसे अपनी पीड़ा को भी दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शन पाकर ही उनकी पीड़ा दूर हो सकती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

2. स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसणा, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ॥

शब्दार्थ : स्याम – श्रीकृष्ण। म्हाने – हमें। चाकर – सेवक। नित – प्रतिदिन। लीला – विविध रूप। सरसी – अच्छी। पीतांबर – पीले वस्त्र। सोहै – सुशोभित होना। धेनु – गाय। बारी – खिड़की। साँवरिया – प्रियतम, श्रीकृष्ण। कुसुंबी – लाल रंग की। तीरां – तट, किनारा। हिवड़ो – हृदय। घणो – बहुत अधिक। अधीरां – व्याकुल, बेचैन।

प्रसंग : प्रस्तुत पद श्रीकृष्ण की प्रेम दीवानी मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने श्रीकृष्ण की सेविका बनने की इच्छा प्रकट की है। वे श्रीकृष्ण की सेविका बनकर निरंतर उनके समीप रहना चाहती हैं।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण ! मुझे अपनी सेविका के रूप में रख लो। मैं आपकी सेवा करते हुए बाग बगीचे लगाऊँगी और प्रातः उठकर प्रतिदिन आपके दर्शन किया करूँगी। मैं तो आपकी सेविका बनकर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँगी। आपकी सेवा में रहते हुए मैं आपके दर्शन और नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाऊँगी और भक्तिरूपी संपत्ति को प्राप्त करूँगी। मेरे लिए ये तीनों बातें अच्छी हो जाएँगी।

मैं आपकी सेवा से दर्शन, नाम-स्मरण और भक्ति-तीनों प्राप्त करूँगी। मीरा श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के मस्तक पर मोर के पंखों का मुकुट तथा शरीर पर पीतांबर सुशोभित है। उनके। बजाते हुए गाय चराते हैं। मीरा कहती है कि वह ऊँचे-ऊँचे महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ रखना चाहती है, ताकि वह श्रीकृष्ण के दर्शन कर सके।

वह लाल रंग की साड़ी पहनकर अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए आधी रात के समय यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती है। अंत में मीरा कहती हैं कि वह अपने प्रिय श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।