JAC Class 9 Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

Students must go through these JAC Class 9 Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ किसी मिश्रण में एक से अधिक तत्त्व अथवा यौगिक किसी भी अनुपात में मिले रहते हैं।

→ उचित विधियों द्वारा मिश्रण को शुद्ध पदार्थों में पृथक्करण किया जा सकता है।

→ दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।

→ विलयन के बड़े अवयव (अधिक मात्रा) को विलायक तथा छोटे अवयव को विलेय कहते हैं।

→ विलयन की सान्द्रता उसके इकाई आयतन या विलायक के इकाई द्रव्यमान में उपस्थित विलेय की मात्रा है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ वह पदार्थ जो आँखों से देखा जा सकता है और विलायक में अघुलनशील होता है, निलंबन कहलाता है। यह एक विषमांगी मिश्रण होता है।

→ कोलाइड एक विभमांगी मिश्रण होता है जिसके कणों का आकार इतना छोटा होता है कि इन्हें सरलता से देखा नहीं जा सकता है परन्तु ये प्रकाश का फैलाव कर देते हैं।

→ कोलाइडों का उद्योगों व दैनिक जीवन में अत्यन्त उपयोग है।

→ कोलाइड में विलेय कणों को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं और विलायक जिसमें ये पूरी तरह से वितरित रहते हैं, उसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।

→ शुद्ध पदार्थ तत्त्व या यौगिक हो सकते हैं।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ तत्त्व पदार्थ का मूल रूप होता है, जिसे भौतिक तथा रासायनिक क्रिया द्वारा विभाजित नहीं किया जा सकता है।

→ यौगिक वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों के स्थिर अनुपात में रासायनिक रूप में संयोजन से निर्मित होता है।

→ मिश्रण में उपस्थित तत्त्व और यौगिक अपने-अपने गुणों को दर्शाति हैं एवं यौगिक के गुण उसमें निहित तत्वों के गुणों से भिन्न होते हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. विभज्योतक ऊतक होता है-
(a) मूलरोम में
(b) पत्ती में
(c) तना के शीर्ष पर
(d) पुष्प में।
उत्तर:
(c) तना के शीर्ष पर।

2. विभज्योतक कोशिकाएँ होती हैं-
(a) पतली भित्ति वाली
(b) लिग्निन युक्त
(c) बहुकेन्द्रकी
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(a) पतली भित्ति वाली।

3. विभज्योतक किसके लिए उत्तरदायी है?
(a) खाद्य संश्लेषण
(b) खाद्य भण्डारण
(c) कोशिका विभाजन
(d) कोशिका परिपक्वन।
उत्तर:
(c) कोशिका विभाजन।

4. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है-
(a) क्लोरेन्काइमा में
(b) स्क्लेरेन्काइमा में
(c) कॉलेन्काइमा में
(d) इन सभी में।
उत्तर:
(a) क्लोरेन्काइमा में।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

5. लिग्निन कोशिकाओं को कैसा बनाता है-
(a) दृढ़
(b) लचीली
(c) कमजोर
(d) पतली।
उत्तर:
(a) दृढ़।

6. दृढ़ ऊतक की भित्ति होती है-
(a) पेक्टिन युक्त
(b) लिग्निन युक्त।
(c) सुबेरियन युक्त
(d) क्यूटिन युक्त।
उत्तर:
(b) लिग्निन युक्त

7. कोशिकाओं का वह समूह जो उत्पत्ति, संरचना व कार्य में समान होता है, कहलाता है-
(a) ऊतक
(b) अंग
(c) अंग तन्त्र
(d) जाइलम
उत्तर:
(a) ऊतक।

8. लम्बी, लिग्निनयुक्त, उपस्थित होती हैं-
(a) जाइलम में
(b) फ्लोएम में
(c) स्क्लेरेन्काइमा में
(d) पैरेन्काइमा में।
उत्तर:
(a) जाइलम में।

9. चालनी नलिकाएँ पायी जाती हैं-
(a) जाइलम में
(b) फ्लोएम में।
(c) कैम्बियम में
(d) विभज्योतक में।
उत्तर:
(b) फ्लोएम में।

10. आँत के भीतरी अस्तर में एपीथीलियम होती है-
(a) शल्की एपीथीलियम
(b) स्तम्भाकार एपीथीलियम
(c) पक्ष्माभी एपीथीलियम
(d) घनाकार एपीथीलियम
उत्तर:
(b) स्तम्भाकार एपीथीलियम।

11. रुधिर के तरल आधात्री भाग को कहते हैं-
(a) R.B.C
(c) प्लेटलेट्स
(b) W.B.C
(d) प्लाज्मा।
उत्तर:
(d) प्लाज्मा।

12. संकुचनशीलता का गुण पाया जाता है-
(a) तन्त्रिका कोशिका में
(b) पेशी ऊतक में
(c) संयोजी ऊतक में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर:
(b) पेशी ऊतक में।

13. किस पेशी ऊतक की कोशिकाएँ शाखित होती हैं?
(a) रेखित पेशियाँ
(c) हृदयक पेशियाँ
(b) अरेखित पेशियाँ
(d) माँसपेशियाँ।
उत्तर:
(c) हृदयक पेशियाँ।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

14. अरेखित पेशियाँ पायी जाती हैं-
(a) हृदय में
(b) आमाशय में।
(c) जाँघ में
(d) बाँह में।
उत्तर:
(b) आमाशय में

15. कौन से पेशी ऊतक जन्तु की इच्छानुसार कार्य करते हैं?
(a) रेखित
(b) अरेखित
(c) हृदयक
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(a) रेखित।

16. तन्त्रिका कोशिका को कहते हैं-
(a) न्यूरॉन
(b) एक्सोन
(c) डेन्ड्राइट
(d) कोशिकाकाय।
उत्तर:
(a) न्यूरॉन।

रिक्त स्थान भरो-

  1. ………………… में क्लोरोफिल पाया जाता है।
  2. जाइलम की कोशिका भित्ति ………………… होती है।
  3. अस्थि के अंत: कोशीय स्थान में ………………… और …………………. को लवण भरे होते हैं।
  4. अस्थि एक ………………… ऊतक का उदाहरण है।

उत्तर:

  1. पैरेन्काइमा
  2. मोटी
  3. कैल्सियम, फॉस्फोरस,
  4. संयोजी।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. पैरेन्काइमा (क) लिग्निन का जमना
2. कोलेन्काइमा (ख) पौधे को दृढ़ता प्रदान करना
3. स्कलेरेन्काइमा (ग) भोजन संचित
4. जाइलम फाइबर (घ) पेक्टिन का कोनों में जमना

उत्तर:
1. (ग) भोजन संचित
2. (घ) पेक्टिन का कोनों में जमना
3. (क) लिग्निन का जमना
4. (ख) पौधे को दृढ़ता प्रदान करना

सत्य / असत्य 

  1. अंतर्विष्ट विभज्योत्तक तने व जड़ के शीर्ष पर स्थित होता है।
  2. एपीडर्मिस पौधे को सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. कोलेन्काइमा की कोशिका भित्ति पतली होती है।
  4. हृदय पेशी बेलनाकार व शाखित होती हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पादप ऊतकों के दो मुख्य वर्गों के नाम लिखो।
उत्तर:
पादप ऊतकों के दो मुख्य वर्ग हैं-

  • विभज्यो-तक
  • स्थायी ऊतक।

प्रश्न 2.
पौधों में विभज्योतक कहाँ-कहाँ होता है?
उत्तर:
पौधों में विभज्योतक (मैरिस्टमेटिक टिशू) निम्नलिखित वृद्धि क्षेत्रों में होता है-

  • जड़ तथा तने के अग्रस्थ भाग में शीर्षस्थ विभज्योतक
  • जड़ की पर्व सन्धियों पर अन्तर्विष्ट विभज्योतक
  • जड़ तथा तने के पार्श्व में पाश्र्वय विभज्योतक

प्रश्न 3.
विभज्योतक की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
विभज्योतक की कोशिकाएँ निरन्तर विभाजित होती रहती हैं जिससे यह ऊतक पौधों की लम्बाई में वृद्धि में सहायता करता है।

प्रश्न 4.
श्रम विभाजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
बहुकोशिकीय जीवों में भिन्न-भिन्न कोशिकाओं के समूह भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं। इसे श्रम विभाजन कहते हैं।

प्रश्न 5.
किस पादप ऊतक के पास रसधानी नहीं होती है?
उत्तर:
विभज्योतक के पास रसधानी नहीं होती है।

प्रश्न 6.
विभेदीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक विशिष्ट कार्य करने के लिए विभज्योतक के स्थायी रूप और आकार लेने की क्रिया को विभेदीकरण कहते हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 7.
स्थायी ऊतक कैसे बनते हैं?
उत्तर:
विभज्योतक की कोशिकाएँ विभाजित होकर स्थायी ऊतक बनाती है।

प्रश्न 8.
क्लोरोफिल युक्त कोशिकाओं को क्या कहते हैं?
उत्तर:
क्लोरोफिल युक्त कोशिकाओं को क्लोरेन्काइमा कहते हैं।

प्रश्न 9.
जलीय पौधों में तैरने का गुण किस कारण से होता है?
उत्तर:
जलीय पौधों के पैरेन्काइमा की कोशिकाओं के मध्य बड़ी-बड़ी गुहिकाएँ होती हैं जो पौधों को तैरने के लिए उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं।

प्रश्न 10.
पौधों में लचीलापन का गुण किस कारण होता है?
उत्तर:
पौधों में लचीलेपन का गुण कॉलेन्काइमा के कारण होता है।

प्रश्न 11.
पौधों में कठोरता और मजबूती किस ऊतक के कारण होती है?
उत्तर:
पौधों में कठोरता और मजबूती स्क्लेरेन्काइमा के कारण होती है।

प्रश्न 12.
स्क्लेरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाएँ किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
स्क्लेरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाएँ मृत, लम्बी और पतली होती हैं।

प्रश्न 13.
स्क्लेरेन्काइमा ऊतक की भित्ति किस पदार्थ के कारण मोटी होती है?
उत्तर:
स्क्लेरेन्काइमा ऊतक की भित्ति लिग्निन नामक रासायनिक पदार्थ के कारण मोटी होती है।

प्रश्न 14.
शुष्क स्थानों में पाये जाने पादपों की एपीडर्मिस मोटी क्यों होती है ?
उत्तर:
शुष्क स्थानों में पाये जाने वाले पादपों की एपीडर्मिस जल की हानि कम करके उनकी रक्षा करने के लिए मोटी होती है।

प्रश्न 15.
पत्तियों की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्रों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पत्तियों की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्रों की स्टोमेटा कहते हैं।

प्रश्न 16.
रक्षी कोशिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
रक्षी कोशिकाएँ स्टोमेटा में पायी जाती हैं।

प्रश्न 17.
मरुस्थली पौधों की बाहरी सतह पर किस पदार्थ का लेप होता है?
उत्तर:
मरुस्थली पौधों की बाहरी सतह की एपीडर्मिस ..मैं क्यूटिन नामक रासायनिक पदार्थ का लेप होता है।

प्रश्न 18.
छाल की भित्ति पर हवा और पानी के प्रवेश को रोकने के लिए कौन सा रासायनिक पदार्थ होता है?
उत्तर:
सुबेरिन नामक रासायनिक पदार्थ होता है।

प्रश्न 19.
जटिल ऊतक किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने ऊतक जो एक साथ मिलकर एक इकाई की तरह कार्य करते हैं, उन्हें जटिल ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 20.
जटिल ऊतकों के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
जाइलम तथा फ्लोएम जटिल ऊतक हैं।

प्रश्न 21.
संवहन ऊतक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जाइलम तथा फ्लोएम संवहन ऊतक हैं।

प्रश्न 22.
स्थायी ऊतक किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे ऊतक जिनमें विभाजन की क्षमता नष्ट हो जाती है, उन्हें स्थायी ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 23.
स्थायी ऊतक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
स्थायी ऊतक दो प्रकार के होते हैं-

  • साधारण ऊतक
  • जटिल ऊतक।

प्रश्न 24.
साधारण (सरल) ऊतकों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा तथा स्क्लेरेन्काइमा।

प्रश्न 25.
विभिन्न प्रकार के जन्तु ऊतकों के नाम लिखो।
उत्तर:
जन्तुओं में चार प्रकार के ऊतक होते हैं-

  • एपीथीलियम ऊतक
  • संयोजी ऊतक
  • पेशीय ऊतक और
  • तन्त्रिका ऊतक।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 26.
एपीथीलियमी ऊतक क्या है?
उत्तर:
जन्तु शरीर को ढकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने तथा शरीर के अन्दर स्थित अंगों को ढकने वाले ऊतक एपीथीलियमी ऊतक हैं।

प्रश्न 27.
आहारनली और मुँह का अस्तर किससे ढका होता है?
उत्तर:
आहारनली और मुँह का अस्तर शल्की एपीथीलियम से ढका होता है।

प्रश्न 28.
त्वचा को कटने-फटने से बचाने के लिए कौन सा एपीथीलियम ऊतक होता है?
उत्तर:
त्वचा को कटने-फटने से बचाने के लिए स्तरित शल्की एपीथीलियम ऊतक कार्य करता है।

प्रश्न 29.
स्तम्भाकार एपीथीलियम ऊतक किस जगह पाया जाता है?
उत्तर:
स्तम्भाकार एपीथीलियम ऊतक आँत के भीतरी अस्तर में पाया जाता है, जहाँ अवशोषण क्रिया होती है।

प्रश्न 30.
घनाकार एपीथीलियम ऊतक का क्या कार्य है?
उत्तर:
घनाकार एपीथीलियम ऊतक वृक्कीय नली तथा लार ग्रन्थि की नली के अस्तर का निर्माण करता है और उन्हें यान्त्रिक सहारा प्रदान करता है।

प्रश्न 31.
ग्रन्थिल एपीथीलियम किसे कहते हैं?
उत्तर:
एपीथीलियम ऊतक का कुछ भाग अन्दर की ओर मुड़कर एक बहुकोशिक ग्रन्थि का निर्माण करता है। यह ग्रन्थिल एपीथीलियम कहलाता है।

प्रश्न 32.
पक्ष्माभी स्तम्भाकार एपीथीलियम कहाँ स्थित होती है?
उत्तर:
पक्ष्माभी स्तम्भाकार एपीथीलियम श्वास नली में स्थित होती है।

प्रश्न 33.
रक्त किस प्रकार का ऊतक है?
उत्तर:
रक्त तरल संयोजी ऊतक है।

प्रश्न 34.
रक्त के तरल भाग को क्या कहते हैं?
उत्तर:
रक्त के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं।

प्रश्न 35.
प्लाज्मा में कितने प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं?
उत्तर:
प्लाज्मा में तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं-

  • लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC)
  • श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) तथा
  • प्लेटलेट्स।

प्रश्न 36.
रक्त का कार्य बताओ।
उत्तर:
रक्त का कार्य गैसों शरीर के पचे हुए भोजन, हॉर्मोन्स और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करना है।

प्रश्न 37.
अस्थि संयोजी ऊतक का कार्य क्या है?
उत्तर:
अस्थि संयोजी ऊतक शरीर के कंकाल (पंजर) का निर्माण कर शरीर को आकार प्रदान करता है, माँसपेशियों को सहारा देता है तथा शरीर के मुख्य अंगों को सहारा प्रदान करता है।

प्रश्न 38.
अस्थि कोशिकाएँ किस पदार्थ के कारण कठोर होती हैं?
उत्तर:
अस्थि कोशिकाएँ कैल्सियम तथा फॉस्फोरस के कारण कठोर होती हैं।

प्रश्न 39.
अस्थियों को माँसपेशियों से कौन जोड़ता है?
उत्तर:
अस्थियों को माँसपेशियों से संयोजी ऊतक कंडरा (Tendon) जोड़ता है।

प्रश्न 40.
कंडरा ऊतक कैसे होते हैं?
उत्तर:
कंडरा मजबूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं।

प्रश्न 41.
उपास्थि क्या है?
उत्तर:
उपास्थि (Cartilage) संयोजी ऊतक है, जो अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है। उपास्थि नाक, कान, कंठ और श्वास नली में उपस्थित होती है।

प्रश्न 42.
एरियोलर संयोजी ऊतक कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
एरियोलर संयोजी ऊतक त्वचा और माँसपेशियों के बीच रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है।

प्रश्न 43.
वसा का संचय कहाँ होता है?
उत्तर:
वसा का संचय (संग्रह) त्वचा के नीचे भीतरी अंगों के बीच वसामय ऊतक (एडीपोज ऊतक) में होता है। वसा का संग्रह होने के कारण यह ऊष्मा का कुचालक होता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 44.
पेशीय ऊतक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
पेशीय ऊतक तीन प्रकार के होते हैं- रेखित, अरेखित तथा हृदयक।

प्रश्न 45.
पेशियों में गति किस कारण होती है?
उत्तर:
पेशियों में संकुचनशील प्रोटीन होती है। इसके संकुचन एवं प्रसार के कारण अंगों में गति होती है।

प्रश्न 46.
अरेखित पेशियों की गति का नियन्त्रण कौन सी पेशियाँ करती हैं?
उत्तर:
अरेखित पेशियों की गति को चिकनी पेशियाँ या अनैच्छिक पेशियाँ नियन्त्रित करती हैं।

प्रश्न 47.
अति शीघ्र उत्तेजित होने वाली कोशिकाओं का नाम लिखो।
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक की कोशिकाएँ अति शीघ्र उत्तेजित हो जाती हैं।

प्रश्न 48.
तन्त्रिका ऊतक कौन से अंगों में पाया जाता है?
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक मस्तिष्क, सुषुम्ना (मेरुरज्जु) तथा तन्त्रिकाओं में उपस्थित होता है।

प्रश्न 49.
न्यूरॉन किसे कहते हैं?
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक की कोशिकाओं को न्यूरॉन कहते है।

प्रश्न 50.
डेन्ड्राइट क्या है?
उत्तर:
न्यूरॉन के कोशिकाकाय से निकले हुए पतले तन्तुओं को डेन्ड्राइट कहते हैं।

प्रश्न 51.
एक तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) कितनी लम्बी हो सकती है?
उत्तर:
एक तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) 1 मीटर तक लम्बी हो सकती है।

प्रश्न 52.
एक्सॉन किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक न्यूरॉन में एक लम्बा प्रवर्ध होता है, जिसे एक्सॉन कहते हैं।

प्रश्न 53.
न्यूरॉन में केन्द्रक कहाँ उपस्थित होता है?
उत्तर:
न्यूरॉन में केन्द्रक कोशिकाकाय (Cyton) में उपस्थित होता है।

लघुत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय

प्रश्न 1.
ऊतक किसे कहते हैं? पादप ऊतकों के नाम बताओ।
उत्तर:
ऊतक (Tissues) – समान उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य करने वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं।
पादप ऊतकों के विभिन्न प्रकार-
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक 1

प्रश्न 2.
विभज्योतक के विशिष्ट लक्षण बताओ।
उत्तर:
विभज्योतक के विशिष्ट लक्षण-

  • इसकी कोशिकाएँ समान होती हैं।
  • इसकी कोशिकाएँ पतली कोशिका भित्ति वाली तथा सेल्यूलोज की बनी होती हैं।
  • कोशिकाओं का आकार गोल, अण्डाकार या बहुभुजी होता है।
  • कोशिकाओं के बीच अंतर्कोशिकीय स्थान नहीं होता है।
  • कोशिकाओं में पर्याप्त कोशिकाद्रव्य और स्पष्ट केन्द्रक होता है।
  • इनमें रिक्तिकाओं का अभाव होता है।
  • ये सदैव विभाजन करती रहती हैं।

प्रश्न 3.
स्थिति के आधार पर पौधों में कितने प्रकार के विभज्योतक होते हैं?
उत्तर:
विभज्योतक के प्रकार स्थिति के आधार पर ये ऊतक निम्नोक्त तीन प्रकार के होते हैं-

  • शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem) – यह तने, जड़ व शाखाओं के अग्रभाग में स्थित होते हैं।
  • अंतर्वेशी विभज्योतक (Inter calary meristem) – यह पत्तियों के आधार, एकबीजपत्री पत्तियों में जैसे- घास, गाँठों (पर्वों) के आधार के नीचे, गाँठों के ऊपरी भाग के ऊपर पाये जाते हैं।
  • पाश्वय विभज्योतक (Lateral meristem) – यह संवहन बंडलों में केम्बियम के रूप में पाया जाता है। यह ऊतक द्विबीजपत्री तनों एवं जड़ के पार्श्व भागों में मिलता है। यह जड़ तथा तने की मोटाई (चौड़ाई) में वृद्धि में सहायक होता है।

प्रश्न 4.
सुरक्षात्मक ऊतक का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर:
सुरक्षात्मक ऊतक यह पादप शरीर का बाहरी आवरण होता है। यह आवरण एक कोशिकीय तथा मोटा होता है, मरुस्थलीय पौधों की बाहरी सतह वाले एपीडर्मिस में क्यूटिन (एक जल अवरोधक रासायनिक पदार्थ) का लेप होता है। यह पादप शरीर के आन्तरिक ऊतक को सुरक्षा प्रदान करता है।

जैसे-जैसे वृक्ष की आयु बढ़ती है, उसके बाह्य सुरक्षात्मक ऊतकों में कुछ परिवर्तन होता है बाहरी सतह की कोशिकाएँ मोटी छाल का निर्माण करती हैं। इन छालों की कोशिकाएँ मृत होती हैं। ये बिना अन्तः कोशिकीय स्थानों में व्यवस्थित होती हैं। इनकी भित्ति पर सुबेरियन नामक रसायन होता है जो इन खलों को हवा एवं पानी के लिए अभेद्य बनाता है।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक 2

प्रश्न 5.
स्थायी ऊतक की विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
स्थायी ऊतक की विशेषताएँ-

  • इस ऊतक की कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता नहीं होती है।
  • ये विभज्योतकी ऊतकों के विभाजन के पश्चात् बनती हैं।
  • कोशिकाओं की आकृति, माप तथा संरचना निश्चित होती है।
  • इनमें रिक्तिकायुक्त कोशिकाद्रव्य होता है।
  • स्थायी ऊतक जीवित हो सकते हैं; जैसे- पैरेन्काइमा या मृत हो सकते हैं जैसे- स्क्लेरेन्काइमा।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 6.
सरल स्थायी ऊतक किन्हें कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
सरल स्थायी ऊतक ऐसे ऊतक जो एक ही प्रकार की कोशिकाओं के समूह होते हैं, उन्हें सरल स्थायी ऊतक कहते हैं ये ऊतक निर्माण, संरचना एवं कार्यों में समान होते हैं। ये ऊतक तीन प्रकार के होते हैं-

  • पैरेन्काइमा
  • कॉलेन्काइमा
  • स्क्लेरेन्काइमा।

प्रश्न 7.
जाइलम तथा फ्लोएम के कार्य बताओ।
उत्तर:
जाइलम का कार्य ये जल तथा उसमें घुलित खनिज लवणों को जड़ से लेकर पौधों के ऊपरी भागों तक स्थानान्तरित करते हैं। ये पौधे को यान्त्रिक शक्ति भी प्रदान करते हैं। फ्लोएम का कार्य ये पत्तियों द्वारा निर्मित भोजन को पौधे के विभिन्न भागों में स्थानान्तरित करते हैं।

प्रश्न 8.
संवहन बंडल किन्हें कहते हैं? इनका क्या कार्य है?
उत्तर:
संवहन बंडल – ये जटिल पादप ऊतक – जाइलम व फ्लोएम से मिलकर बने होते हैं। इनका मुख्य कार्य पानी, खनिज लवण और खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण करना है।

प्रश्न 9.
संयोजी ऊतक के कार्य लिखिए तथा विभिन्न प्रकार के संयोजी ऊतकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संयोजी ऊतक के कार्य-संयोजी ऊतक शरीर के विभिन्न अंगों को जोड़ते हैं, सहारा देते हैं और एक-दूसरे से बाँधे रहते हैं। कंकाल संयोजी ऊतक शरीर को निश्चित आकार प्रदान करता है व शरीर के कोमल अंगों की सुरक्षा करता है। वसा ऊतक वसा का भण्डारण करने में सहायक है। तरल संयोजी ऊतक रक्त तथा लसीका पदार्थों का परिवहन कार्य करते हैं। हमारे शरीर में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के संयोजी ऊतक हैं-अस्थि, उपास्थि कंडरा, स्नायु रक्त अस्थि तथा उपास्थि के आधात्री (मेट्रिक्स) ठोस होता है, जबकि रक्त का मेट्रिक्स द्रव होता है।

प्रश्न 10.
कंडरा तथा स्नायु में अन्तर बताओ।
उत्तर:
कंडरा तथा स्नायु में अन्तर:

कंडरा (Tendon) स्नायु (Ligament)
1. यह माँसपेशियों को अस्थियों से जोड़ता है। 1. यह अस्थियों को आपस में बाँधे रखता है।
2. यह कठोर तथा सीमित लोचदार ऊतक होता है। 2. यह सघन, लचीला तथा रेशेदार ऊतक होता है।

प्रश्न 11.
रेखित तथा अरेखित पेशी में अन्तर बताइये।
उत्तर:
रेखित तथा अरेखित पेशी में अन्तर

रेखित पेशी अरेखित पेशी
1. इसकी कोशिकाएँ बेलनाकार एवं अशाखित होती हैं। 1. इसकी कोशिकाएँ तर्कु रूप लम्बी व दोनों सिरों पर नुकीली होती हैं।
2. इनमें गहरी व हल्की धारियाँ होती हैं। 2 इनमें पेशी तन्तुक होते हैं।
3. रेखित पेशी कोशिका बहुकेन्द्रकी होती हैं। 3. इसकी कोशिका में केवल एक केन्द्रक मध्य में होता है।
4. ये जन्तु की इच्छा से सिकुड़ती व फैलती हैं ; अतः ये ऐच्छिक होती हैं। 4. ये स्वतः ही सिकुड़ती व फैलती हैं; अतः ये अनैच्छिक होती हैं।
5. ये अस्थियों से जुड़ी रहती हैं; अतः इन्हें कंकाल पेशी भी कहते हैं। 5. ये पेशियाँ अन्तरांगों में पायी जाती हैं।

प्रश्न 12.
एपीथीलियम ऊतक कितने प्रकार के होते हैं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
पाठ्य 6.3.1 एपीथीलियमी ऊतक के अन्तर्गत बिन्दु (1), (2), (3) तथा (4) देखिये।

प्रश्न 13.
संयोजी ऊतकों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर:
पाठ्य 6.3.2 संयोजी ऊतक देखिये।

प्रश्न 14.
पेशीय ऊतकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पाठ्य 6. 33 पेशीय ऊतक देखिये।

प्रश्न 15.
तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) का नामांकित चित्र बनाकर उसका संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर:
तन्त्रिका कोशिका का नामांकित चित्र – चित्र 6.12 देखिये।
तन्त्रिका कोशिका – इसे न्यूरॉन भी कहते हैं। एक न्यूरॉन में निम्नलिखित भाग होते हैं-
1. कोशिकाकाय (Cyton ) – यह तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) का मुख्य भाग होता है। इसके अन्दर साइटोप्लाज्म भरा होता है जिसमें सिल्स के कण उतराते रहते हैं। इसके बीच में एक बड़ा केन्द्रक होता है।

2. डेन्ड्राइट (Dendrite ) – कोशिकाकाय से अनेक पतले धागे जैसे प्रवर्ध निकले होते हैं। इन्हें डेन्ड्राइट कहते हैं।

3. एक्सॉन (Axon ) – डेन्ड्रॉन से निकलने वाला एक प्रवर्ध लम्बा, मोटी व बेलनाकार होता है। इसे एक्सोन कहते हैं एक्सोन न्यूरोलीमा नामक झिल्ली से स्तरित होता है। इसके बीच में वसा का स्तर होता है। एक्सोन का अन्तिम सिरा शाखाओं में विभाजित होता है। इनके अन्तिम सिरे पर सिनेप्टिक घुण्डियाँ होती हैं। एक्सोन से तन्त्रिका तन्तुओं का निर्माण होता हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
शुद्ध गलती हुई बर्फ का तापमान है-
(a) 200K
(b) 373 K
(c) 273 K
(d) OK
उत्तर:
(c) 273 K

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन गैस है?
(a) दूध
(c) मोम
(b) लोहा
(d) कार्बन डाई ऑक्साइड।
उत्तर:
(d) कार्बन डाई ऑक्साइड।

प्रश्न 3.
दर्शाए गए चित्र में (i), (ii) व (iii) प्रक्रियाओं के नाम क्रमश: हैं-
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 1
(a) वाष्पीकरण, ऊर्ध्वपातन, जमना
(b) संगलन, वाष्पीकरण, निक्षेपण
(c) ऊर्ध्वपातन, संगलन, वाष्पीकरण
(d) संगलन, ऊर्ध्वपातन, वाष्पीकरण।
उत्तर:
(b) संगलन, वाष्पीकरण, निक्षेपण।

प्रश्न 4.
तापमान का अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक है-
(a) केल्विन (K)
(b) डिग्री सेल्सियस
(c) फारेनहाइट
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) केल्विन (K)।

प्रश्न 5.
गुब्बारे वाले गुब्बारों में कौन-सी गैस भरते हैं?
(a) नाइट्रोजन
(b) ऑक्सीजन
(c) कार्बन डाई ऑक्साइड
(d) हाइड्रोजन।
उत्तर:
(d) हाइड्रोजन।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 6.
पंचतत्व के अन्तर्गत आते हैं-
(a) जल
(b) पृथ्वी
(d) उपरोक्त सभी।
(c) अग्नि
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
विसरित होने का गुण नहीं होता है-
(a) ठोसों में में
(b) द्रवों में
(c) गैसों
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(a) ठोसों में।

प्रश्न 8.
दाब मापने की S. I. इकाई है-
(a) पास्कल (Pa)
(b) न्यूटन
(d) वॉट
(c) जूल
उत्तर:
(a) पास्कल (Pa)।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) ठोसों का आकार तथा आयतन दोनों निश्चित होते हैं।
(b) ठोसों को आसानी से दबाया जा सकता है।
(c) ठोस अपने बर्तन को पूर्णतया भर देते हैं।
(d) ठोस आसानी से बहते हैं।
उत्तर:
(a) ठोसों का आकार तथा आयतन दोनों निश्चित होते हैं।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) गैसें अपने बर्तन को पूर्णतया नहीं भरती हैं।
(b) गैसों को अधिक दबाया नहीं जा सकता है।
(c) गैसों का न तो निश्चित आकार होता है और न निश्चित आयतन।
(d) गैसों का आकार निश्चित होता है परन्तु उनका आयतन निश्चित नहीं होता है।
उत्तर:
(c) गैसों का न तो निश्चित आकार होता है और न निश्चित आयतन।

प्रश्न 11.
संपीड्यता अधिक होती है-
(a) ठोसों की
(b) द्रवों की
(c) गैसों की
(d) निम्न में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) गैसों की।

प्रश्न 12.
रबर बैंड को माना जाता है-
(a) ठोस
(b) द्रव
(c) गैस
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) ठोस।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 13.
127°C के संगत केल्विन में ताप होगा-
(a) 300°C
(b) 400 K
(c) 246 K
(d) 310°C
उत्तर:
(b) 400K

प्रश्न 14.
ताप बढ़ने पर वाष्पन की दर-
(a) घट जाती है
(b) बढ़ जाती है।
(c) कोई प्रभाव नहीं पड़ता है
(d) पहले घटती है फिर बढ़ती है।
उत्तर:
(b) बढ़ जाती है।

प्रश्न 15.
दो विभिन्न पदार्थों का स्वयं मिलना कहलाता है-
(a) ऊर्ध्वपातन
(b) वाष्पीकरण
(c) संघनन
(d) विसरण।
उत्तर:
(d) विसरण।

प्रश्न 16.
जल में घुली निम्न में से कौन-सी गैस विसरित होकर पौधों को जीवन प्रदान करती है?
(a) ऑक्सीजन
(c) हाइड्रोजन
(b) कार्बन डाई ऑक्साइड
(d) नाइट्रोजन
उत्तर:
(b) कार्बन डाई ऑक्साइड।

प्रश्न 17.
ठोस, द्रव व गैस के अणुओं के बीच की दूरी के सम्बन्ध में कौन-सा विकल्प सही है?
(a) ठोस > द्रव > गैस
(b) ठोस < द्रव < गैस
(c) ठोस < द्रव > गैस
(d) गैस < ठोस > द्रव।
उत्तर:
(b) ठोस < द्रव < गैस।

प्रश्न 18.
गुप्त ऊष्मा का SI मात्रक है-
(a) जूल
(b) जूल प्रति
(c) जूल प्रति केल्विन
(d) जूल केल्विन।
उत्तर:
(b) जूल प्रति

प्रश्न 19.
स्पंज है-
(a) ठोस
(b) द्रव
(c) गैस
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) ठोस।

प्रश्न 20.
एक वायुमण्डल दाब का मान होता है-
(a) 1.01 x 10³ पास्कल
(b) 1.01 × 109 पास्कल
(c) 1.01 × 105 पास्कल
(d) 1.01 × 105 पास्कल
उत्तर:
(c) 1.01 × 105 पास्कल

रिक्त स्थान भरो-

  1. पदार्थ ……………. से मिलकर बनता है।
  2. पदार्थ के कणों के बीच ……………. स्थान होता है।
  3. पदार्थ के कण निरंतर ……………. होते हैं।
  4. पदार्थ की मुख्यत: तीन अवस्थाएँ हैं ……………. और ……….!

उत्तर:

  1. कणों
  2. रिक्त
  3. गतिशील
  4. ठोस, द्रव, गैस।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कौलम ‘ख’
1. 0°C (क) तत्त्व
2. 100°C (ख) जल का क्वथनांक
3. कपूर (ग) बर्फ का गलनांक
4. सोना (घ) ऊर्ध्वपातन

उत्तर:
1. (ग)
2. (ख)
3. (घ)
4. (क)।

सत्य / असत्य –

  1. तापमान में वृद्धि से वाष्पीकरण कम होता है।
  2. दाब में परिवर्तन करने पर पदार्थ की अवस्था में कोई बदलाव नहीं होता है।
  3. पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
  4. हमारे विचार तथा भावनाएँ भी पदार्थ का उदाहरण हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य।

अतिलघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
ठोस, द्रव व गैस।

प्रश्न 2.
ठोसों को ज्यादा क्यों नहीं दबाया जा सकता है?
उत्तर:
ठोसों के अणु अत्यन्त पास-पास एक व्यवस्थित क्रम में सजे रहते हैं तथा उनके बीच अन्तराणुक स्थान कम होता। इस कारण से ठोसों को अधिक दबाया नहीं जा सकता है।

प्रश्न 3.
विसरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
दो या दो से अधिक पदार्थों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर समांग मिश्रण बना लेना विसरण कहलाता है।

प्रश्न 4.
गर्मियों में मिट्टी से बने घड़े में पानी ठण्डा कैसे रहता है?
उत्तर:
मिट्टी के घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनसे होकर जल का वाष्पीकरण होता रहता है तथा घड़े में भरा जल ठण्डा हो जाता है।

प्रश्न 5.
दूध को ठण्डा करने के लिए गिलास में से कटोरी या तश्तरी में क्यों उड़ेलते हैं?
उत्तर:
दूध को कटोरी या तश्तरी में उड़ेलने से दूध का सतह क्षेत्रफल बढ़ जाता है जिससे अधिक ऊष्मा विकिरित होती है तथा दूध शीघ्रता से ठण्डा हो जाता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 6.
गलनांक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह निश्चित ताप जिस पर सम्पूर्ण पदार्थ ऊष्मा ग्रहण करके द्रव अवस्था में बदल जाता है, गलनांक कहलाता है।

प्रश्न 7.
तारों में प्लाज्मा क्यों बनता है?
उत्तर:
उच्च तापमान के कारण।

प्रश्न 8.
BEC का पूर्ण नाम बताइए।
उत्तर:
बोस-आइस्टाइन कंडनसेट।

प्रश्न 9.
BEC किस प्रकार तैयार किया जाता है?
उत्तर:
सामान्य वायु के घनत्व के एक लाखवें भाग जितने कम घनत्व वाली गैस को बहुत ही कम तापमान पर ठण्डा करने पर BEC तैयार होता है।

प्रश्न 10.
सूर्य और तारों में चमक किस कारण होती है?
उत्तर:
प्लाज्मा के कारण।

प्रश्न 11.
द्रवों के गुण बताइए।
उत्तर:
द्रवों में बहने का गुण तथा आकार परिवर्तन का गुण होता है।

प्रश्न 12.
पदार्थ के कणों के मध्य उपस्थित आकर्षण बल का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
इस आकर्षण बल के कारण ही पदार्थ के कण आपस में बँधे रहते हैं तथा पदार्थ का आकार एवं सीमाएँ निश्चित रहती हैं।

प्रश्न 13.
सामान्य दाब क्या होता है?
उत्तर:
समुद्र की सतह पर वायुमण्डलीय दाब एक वायुमण्डल होता है, इसे ही सामान्य दाब (1 atm) कहते हैं।

प्रश्न 14.
प्लाज्मा अवस्था में कण किस रूप में रहते हैं?
उत्तर:
प्लाज्मा अवस्था में कण अत्यधिक ऊर्जा वाले तथा अत्यधिक उत्तेजित होते हैं। ये कण आयनीकृत गैस के रूप में रहते हैं।

प्रश्न 15.
फ्लोरसेंट ट्यूब में क्या होता है?
उत्तर:
प्लाज्मा।

प्रश्न 16.
BEC की अवस्था प्राप्त करने के लिए भौतिकी में किसे नोबेल पुरस्कार दिया गया था?
उत्तर:
सन् 2001 में अमेरिका के एरिक ए कॉर्नेल, उल्फगैंग केटरले और कार्ल ई. वेमैन को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

प्रश्न 17.
एसीटोन को हथेली पर गिराने पर हथेली ठण्डी होने की घटना का स्पष्टीकरण किसके द्वारा किया जा सकता है?
उत्तर:
वाष्पीकरण द्वारा।

प्रश्न 18.
पदार्थ की किस अवस्था में अन्तरा अणुक दूरी सबसे कम होती है?
उत्तर:
ठोस में।

प्रश्न 19.
पदार्थ को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विश्व की प्रत्येक वस्तु, जो स्थान घेरती है तथा जिनमें द्रव्यमान होता है, उसे पदार्थ कहा जाता है।

प्रश्न 20.
स्वतन्त्र अवस्था में रह सकने वाले पदार्थ का सबसे छोटा कण क्या है?
उत्तर:
अणु।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 21.
ठोस कार्बनडाई ऑक्साइड को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
शुष्क बर्फ।

प्रश्न 22.
LPG व CNG के पूरे नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. LPG : Liquified Petroleum Gas (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस)
  2. CNG: Compressed Natural Gas ( संपीडित प्राकृतिक गैस)

प्रश्न 23.
कौन-सा पदार्थ तीनों अवस्थाओं में रह सकता है?
उत्तर:
जल।

प्रश्न 24.
जल का क्वथनांक कितना होता है?
उत्तर:
373 K या 100°C

प्रश्न 25.
द्रव आसानी से क्यों बहते हैं?
उत्तर:
द्रवों में अन्तरा अणुक आकर्षण बल कुछ कमजोर होने के कारण उसके अणु एक-दूसरे के ऊपर फिसलने की क्षमता रखते हैं, इसीलिए द्रव आसानी से बहते हैं।

प्रश्न 26.
द्रव्य का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
उत्तर:
द्रव्य का वर्गीकरण उनके भौतिक गुण एवं रासायनिक गुणों के आधार पर किया जाता है।

लघूत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वाष्पन की परिभाषा दीजिए। वाष्पन किन घटकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें कोई द्रव अपने क्वथनांक से कम ताप पर वाष्प में परिवर्तित हो जाए, वाष्पन कहलाती है। वाष्पन निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करता है-

  • ताप वृद्धि से वाष्पन की दर अधिक हो जाती है।
  • सतह के क्षेत्रफल में वृद्धि से वाष्पन की दर अधिक हो जाती है।
  • आर्द्रता में कमी से वाष्पन की दर बढ़ती है तथा आर्द्रता अधिक होने पर वाष्पन की दर कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
कोई ठोस किस प्रकार पिघलता है? समझाइए।
उत्तर:
ठोस के तापमान को बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, इस वृद्धि के कारण कण अधिक तेजी से कम्पन करने लगते हैं। ऊष्मा के द्वारा प्रदान की जाने वाली ऊर्जा कर्णों के बीच के आकर्षण बल को पार कर लेती है। इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोड़कर अधिक स्वतन्त्र होकर गति करने लगते हैं तब एक ऐसी अवस्था आती है जब ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए- (1) संघनन (2) हिमीकरण (3) संगलन
उत्तर:

  1. संघनन (Condensation) – वह प्रक्रम जिसमें वाष्प को ठण्डा करने पर द्रव में परिवर्तित किया जाता है, संघनन कहलाता है।
  2. हिमीकरण (Freezing ) – वह प्रक्रम जिसमें ठण्डा करने पर द्रव ठोस में परिवर्तित होता है, हिमीकरण कहलाता है।
  3. संगलन – वह प्रक्रम जिसमें गर्म करने पर ठोस, द्रव में परिवर्तित होता है, संगलन कहलाता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 4.
उबलने तथा वाष्पन में भेद कीजिए।
उत्तर:

उबलना वाष्पन
1. यह एक निशिचत ताप पर होता है। 1. यह प्रत्येक ताप पर होता है।
2. यह जल्दी-जल्दी होता है 2. यह धीरे-धीरे होता है।
3. यह सम्पूर्ण द्रव में होता है। 3. यह केवल ऊपरी सतह पर ही होता है।
4. इस क्रिया में ध्वनि उत्पन्न होती है। 4. इस क्रिया में कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं होती है, यह एक शान्त क्रिया है।

प्रश्न 5.
पदार्थ की अवस्था पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
दिए गए पदार्थ की भौतिक अवस्था को गर्म या ठण्डा करके परिवर्तित किया जा सकता है जैसे-बर्फ गर्म करने पर पिघल कर द्रव बनाती है तथा द्रव अवस्था में जल को गर्म करने पर यह भाप में परिवर्तित हो जाता है अतः पदार्थ की विभिन्न अवस्थाएँ अन्तः परिवर्तनीय हैं।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ 2

प्रश्न 6.
गैस बर्तन की दीवार पर दाब कैसे डालती है?
उत्तर:
गैस के अणुओं के बीच आकर्षण बल बहुत कम होता है, इस कारण से गैस के अणु किसी भी दिशा में गति करने के लिए स्वतन्त्र रहते हैं। गैस के अणुओं की गति अनियमित तथा अत्यधिक तीव्र होती है। इस अनियमित गति के कारण ये कण आपस में एवं वर्तन की दीवारों से टकराते हैं। वर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।

प्रश्न 7.
पदार्थ को परिभाषित कीजिए पदार्थ की अवस्थाओं से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पदार्थ पदार्थ वह वस्तु है जिसमें द्रव्यमान तथा भार होता है और जो परिवर्तन का विरोध करता है। पदार्थ का अनुभव ज्ञानेन्द्रियों द्वारा किया जा सकता है। जैसे- मेज, किताब, जल आदि पदार्थ ठोस, द्रव और गैस के रूप में विद्यमान हैं।

पदार्थ की अवस्थाएँ – पदार्थ की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव व गैस होती हैं।

ठोस – इस भौतिक अवस्था में आकार तथा आयतन दोनों निश्चित होते हैं; जैसे- लोहा, पत्थर आदि। द्रव पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसमें आयतन निश्चित परन्तु आकार अनिश्चित होता है जैसे- दूध, जल आदि।

गैस – पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसमें आकार एवं आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं, गैस कहलाती है। जैसे – वायु, धुँआ आदि।

प्रश्न 8.
पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पदार्थ की ठोस, द्रव तथा गैस अवस्थाओं के गुणधर्म निम्नलिखित हैं-
पदार्थ की ठोस अवस्था के गुणधर्म-

  • आकार ठोस अवस्था में उसके कणों की स्थितियाँ निश्चित क्रम के अनुसार होती हैं जिसके कारण ठोसों का आकार निश्चित होता है।
  • आकर्षण बल ठोसों में कणों के बीच अन्तराणुक स्थान बहुत कम होता है तथा आकर्षण बल बहुत शक्तिशाली होता है।
  • घनत्व – ठोस में कणों के बहुत अधिक पास-पास होने के कारण टोस का घनत्व अधिक होता है जिसके कारण ठोस कठोर होते हैं।
  • आयतन ठोस पर दाब डालने पर उसके आयतन में परिवर्तन नहीं होता क्योंकि उसके कण पास-पास स्थित होते हैं अतः ठोस का आयतन भी निश्चित होता है।

पदार्थ की द्रव अवस्था के गुणधर्म-
(i) आकार द्रवों के कण गति करते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप इसके स्थान स्थिर नहीं रहते हैं। इस कारण से द्रवों का आकार निश्चित नहीं होता है।

(ii) आयतन – द्रव के कण सीमा के अन्दर ही स्वतन्त्रता- पूर्वक गति करते हैं। जब द्रव की ऊपरी सतह तक अणु पहुँचता है तब द्रव के अन्दर के कण उसे आकर्षित करते हैं। इस कारण द्रवों का आयतन निश्चित रहता है।

(iii) तरलता – द्रव, कणों की गतिशीलता के कारण ही तरल होते हैं। गाढ़े द्रवों में कण कम गतिशील तथा तरल द्रवों में कण अधिक गतिशील होते हैं।

(iv) वाष्पन – कणों के अधिक गतिमान होने के कारण द्रव से वाष्प अवस्था में बदलने की इस क्रिया को वाष्पन कहते हैं।

(v) क्वथन – द्रव को गर्म करने पर इसके कणों की गतिज ऊर्जा में तेजी से वृद्धि होती है। अतः तेज गति वाले कण द्रव की सतह को तेजी से छोड़कर वायुमण्डल में आ जाते हैं। द्रव को लगातार गर्म करते रहने पर वाष्पन की क्रिया पूरे द्रव में होने लगती है तथा द्रव उबलने लगता है। इस स्थिति में द्रव के सभी कणों की ऊर्जा इतनी हो जाती है। कि वे सभी समूहों के रूप में द्रव की सतह को छोड़कर जाने लगते हैं। इस क्रिया को क्वथन कहते हैं तथा जिस ताप पर यह क्रिया होती है, उसे क्वथनांक कहते हैं।

(vi) जमना तथा हिमांक- द्रव को ठण्डा करने पर उसके कणों का वेग कम होता जाता है तथा अन्तराणुक आकर्षण बल गति को नियन्त्रित कर लेता है और कणों की स्थितियाँ निश्चित होने लगती हैं। जिससे ये अत्यन्त समीप आ जाते हैं। तथा अन्तराणुक स्थान कम हो जाता है। यही जमने की प्रक्रिया है।

पदार्थ की गैस अवस्था के गुणधर्म-
(i) आकार – गैसों के कण अत्यन्त तीव्र वेग में गति करते रहते हैं। इसके कणों के स्थान निश्चित नहीं रहते हैं। अतः गैसों का आकार अनिश्चित होता है।

(ii) आयतन – अत्यन्त तीव्र वेग से गैसों के कण अनियमित पथ पर सभी सम्भव दिशाओं में निरन्तर गति करते रहते हैं। इसलिए गैसों का आयतन निश्चित नहीं होता है।

(iii) दाब – गैस के कण बर्तन की दीवारों पर निरन्तर टकराते रहते हैं जिससे वेग और दिशा में परिवर्तन होता रहता है। बर्तन की दीवार पर कणों के निरन्तर टकराने के दौरान कण बर्तन की दीवारों को संवेग स्थानान्तरित करते हैं जिसके फलस्वरूप दाब उत्पन्न होता है।

(iv) गतिज ऊर्जा – गैसीय अवस्था में पूर्णतया गतिज ऊर्जा होती है। इस अवस्था में स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।

(v) द्रवण – गैस पर दाब लगाने पर उसका ताप कम करने पर अणु पास-पास आने पर उनकी गति मन्द होती जाती है। अतः दाब डालकर गैस को ठण्डा करने पर वह द्रव में बदल जाती है। गैस के द्रव बनने की इस क्रिया को द्रवण कहते हैं।

प्रश्न 9.
गैसों की संपीड्यता के अधिक होने के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
गैसों की संपीड्यता अधिक होने के निम्नलिखित उपयोग हैं-

  • वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाली सी. एन. जी. (CNG) सिलिण्डरों में संपीडित की जाती है।
  • अस्पतालों में मरीज को दी जाने वाली ऑक्सीजन गैस सिलिण्डरों में संपीडित की जाती है।
  • घरेलू उपयोग में एल. पी. जी. सिलिण्डरों में संपीडित की जाती है।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Jharkhand Board JAC Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Jharkhand Board Class 11 History आधुनिकीकरण के रास्ते In-text Questions and Answers

पृष्ठ 236

क्रियाकलाप 1 : जापानियों और एजटेकों का यूरोपीय लोगों से जो सम्पर्क / टकराव हुआ, उसके अन्तरों की पहचान करिए।
उत्तर:
जापानियों का यूरोपीय लोगों से सम्पर्क / टकराव – 1854 में अमरीकी कामोडोर मैथ्यू पेरी की माँग पर जापान को अमरीका के साथ राजनयिक और व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने पड़े। जापान ने अमरीका की सैन्य शक्ति से भयभीत होकर अपने तीन बन्दरगाह अमेरिका के लिए खोल दिये। इसी प्रकार जापान को इंग्लैण्ड, रूस, हालैण्ड आदि देशों से भी सन्धियाँ करनी पड़ीं। जापान के बहुत से विद्वान् और नेता यूरोप के नए विचारों से सीखना चाहते थे, बजाय उसकी उपेक्षा करने के। कुछ ने देश को बाहरी दुनिया के लिए धीरे-धीरे और सीमित तरह से खोलने के लिए तर्क दिया।

एजटेकों का यूरोपीय लोगों से सम्पर्क – स्पेन के सेनापति कोर्टेस ने मैक्सिको पर आक्रमण किया। स्पेन के सैनिकों ने ट्लैक्सक्लानों पर आक्रमण कर दिया। अन्त में उन्होंने समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक उन सबका सफाया कर दिया। एजटेक शासक ने कोर्टेस पर उपहारों की वर्षा कर दी; परन्तु कोर्टेस ने धोखे से शासक को गिरफ्तार कर लिया। जब एजटेकों ने विद्रोह किया, तो स्पेन की सेना ने एजटेकों के विद्रोह को कुचल दिया।

पृष्ठ 242

क्रियाकलाप 2 : निशितानी ने ‘आधुनिक’ को जिस तरह परिभाषित किया, क्या आप उससे सहमत हैं?
उत्तर:
जापान के दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने ‘आधुनिक’ को तीन पश्चिमी धाराओं के मिलन और एकता से परिभाषित किया : पुनर्जागरण, प्रोटेस्टेन्ट सुधार और प्राकृतिक विज्ञानों का विकास। उन्होंने कहा कि जापान की ‘नैतिक ऊर्जा’ ने उसे एक उपनिवेश बनने से बचा लिया। जापान का यह कर्त्तव्य बनता है कि एक नई विश्व पद्धति, एक विशाल पूर्वी एशिया का निर्माण किया जाए। इसके लिए एक नई सोच की आवश्यकता है, जो विज्ञान और धर्म को जोड़ सके। हम इस परिभाषा से सहमत हैं।

पृष्ठ 247

क्रियाकलाप 3 : भेदभाव का एहसास लोगों को कैसे एकताबद्ध करता है?
उत्तर:
शंघाई में एक काला अमरीकी तुरेहीवादक, बक क्लेटन अपने जैज ऑरकेस्ट्रा के साथ विशेषाधिकार प्राप्त प्रवासी का जीवन व्यतीत कर रहा था। वह काला था तथा एक बार कुछ गोरे अमरीकी लोगों ने उसे तथा उसके साथियों को मार-पीट करके उन्हें उनके होटल से बाहर निकाल दिया। वह अमरीकी होने के बावजूद स्वयं नस्ली भेदभाव का शिकार होने के कारण चीनियों के कष्टदायक जीवन के साथ उसकी बहुत सहानुभूति थी।

गोरे अमरीकियों के साथ हुई अपनी लड़ाई, जिसमें वे जीत गए, के बारे में वह लिखते हैं, “चीनी तमाशबीनों ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे हमने उनका अभीष्ट काम सम्पन्न किया हो और घर पहुँचने तक रास्ते भर वे किसी विजेता फुटबाल टीम की तरह हमारा अभिनन्दन करते रहे।”

चीनी लोग निर्धनता का जीवन व्यतीत करते थे। उन्हें कठोर शारीरिक श्रम करना पड़ता था। चीनियों की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए वह लिखते हैं कि – ” मैं कभी-कभी देखता हूँ कि बीस या तीस कुली मिलकर किसी बड़े भारी ढेले को खींच रहे हैं, जो कि अमेरिका में किसी ट्रक द्वारा या घोड़े द्वारा खींचा जाता है। ये लोग इन्सानी घोड़ों से अलग कुछ नहीं लगते थे और पूरा काम करने के बाद उन्हें इतना ही मिलता था, कि किसी तरह पेट भर चावल और सोने का एक स्थान प्राप्त कर लें।

मेरी समझ में नहीं आता, वे कैसे अपना काम चलाते थे।” चीनी संजीव पास बुक्स लोगों ने उस अमरीकी व्यक्ति के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार किया। इससे सिद्ध होता है कि भेदभाव का एहसास लोगों को एकताबद्ध करता है। अमरीकी और चीनी लोग भेदभाव के शिकार थे। इसी भावना ने उन्हें एकताबद्ध कर दिया था।

Jharkhand Board Class 11 History आधुनिकीकरण के रास्ते Text Book Questions and Answers

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मेजी पुनर्स्थापना से पहले की वे अहम घटनाएँ क्या थीं, जिन्होंने जापान के तीव्र आधुनिकीकरण को सम्भव किया?
उत्तर:
मेजी पुर्स्थापना से पहले की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – 1867-68 में जापान में मेजी पुनर्स्थापना हुई। इससे पूर्व निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जिन्होंने जापान के तीव्र आधुनिकीकरण को सम्भव बनाया।
(1) किसानों से हथियार ले लिए गए। अब केवल सामुराई लोग ही तलवार रख सकते थे। इससे शान्ति एवं व्यवस्था बनी रही।

(2) दैम्पो को अपने क्षेत्रों की राजधानियों में रहने के आदेश दिए गए और उन्हें काफी स्वायत्तता प्रदान की गई।

(3) मालिकों और करदाताओं का निर्धारण करने के लिए जमीन का सर्वेक्षण किया गया तथा उत्पादकता के आधार पर भूमि का वर्गीकरण किया गया।

(4) 17वीं शताब्दी के मध्य तक जापान में एदो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बन गया। ऐसे 6 शहरों का उदय हुआ जिनकी जनसंख्या 50,000 से अधिक थी। इससे वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ। व्यापारी वर्ग ने नाटक और कलाओं को प्रोत्साहन दिया।

(5) क्योतो के निशिजन में रेशम उद्योग के विकास के लिए प्रयास किए गए, जिससे रेशम का आयात कम किया जा सके। कुछ ही वर्षों में निशिजन का रेशम सम्पूर्ण विश्व में उत्कृष्ट रेशम माना जाने लगा।

प्रश्न 2.
जापान के विकास के साथ-साथ वहाँ की रोजमर्रा की जिन्दगी में किस तरह बदलाव आए? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जापानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी में परिवर्तन – जापान के विकास के साथ-साथ जापानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी में अनेक परिवर्तन आए।
यथा –
(i) पृथक् परिवार प्रणाली – आधुनिकीकरण से पहले जापान में पैतृक परिवार व्यवस्था प्रचलित थी। इसमें कई पीढ़ियाँ परिवार के मुखिया के नियन्त्रण में रहती थीं; परन्तु समृद्ध होने के साथ- साथ, लोगों में परिवार के बारे में नये विचारों का उदय हुआ। अब ‘नया घर’ का प्रचलन हुआ। पृथक् परिवार प्रथा के अन्तर्गत पति – पत्नी साथ रहकर कमाते थे और घर बसाते थे।

(ii) नया घर व्यवस्था – पृथक् परिवार प्रथा के कारण नये प्रकार के घरेलू उत्पादों, नये प्रकार के पारिवारिक मनोरंजनों आदि की माँग बढ़ने लगी । अब लोग नए प्रकार के घरों की माँग करने लगे जिनमें सभी प्रकार की सुख- सुविधाएँ हों। 1920 के दशक में निर्माण कम्पनियों ने प्रारम्भ में 200 येन देने के पश्चात् निरन्तर 10 वर्ष के लिए 12 यान प्रतिमाह की किस्तों पर लोगों को सस्ते मकान उपलब्ध कराए।

प्रश्न 3.
पश्चिमी ताकतों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना छींग राजवंश ने कैसे किया?
उत्तर:
चीन के छींग राजवंश के शासकों को पश्चिमी ताकतों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना निम्न प्रकार से किया

  1. क्विंग शासकों ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में अनेक सुधार किए ताकि वह आधुनिक प्रशासकीय व्यवस्था के मापदण्डों पर ठीक उतर सके।
  2. छींग शासकों ने नवीन सेना तथा नवीन शिक्षा व्यवस्था के लिए नीतियाँ बनाईं।
  3. शिक्षा को सुधारने की ओर विशेष ध्यान दिया गया। लोगों को नए विषयों की जानकारी हो सके इसलिए विद्यार्थियों को जापान, इंग्लैंड, फ्रांस आदि में भेजा गया ताकि वे नए विचार सीखकर वापस आयें। इसके अतिरिक्त पुरानी चीनी परीक्षा प्रणाली समाप्त कर दी गई।
  4. संवैधानिक सरकार की स्थापना के लिए स्थानीय विधायिकाओं का भी गठन किया गया। उन्होंने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने का भरसक प्रयास किया।
  5. कन्फ्यूशियसवाद को प्रोत्साहन दिया गया।

प्रश्न 4.
सन – यात – सेन के तीन सिद्धान्त क्या थे?
उत्तर:
सन – यात – सेन के तीन सिद्धान्त- डॉ. सनयात सेन के कार्यक्रम तीनं सिद्धान्तों पर आधारित थे, जिन्हें ‘सनमिन चुई’ कहा जाता था। उसके सिद्धान्त निम्नलिखित थे –
1. राष्ट्रवाद–इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना, क्योंकि मांचू वंश विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था। इसके अतिरिक्त अन्य साम्राज्यवादी शक्तियों को चीन से हटाना भी राष्ट्रवाद का उद्देश्य था। डॉ. सनयात सेन ने चीनियों को विदेशी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

2. गणतन्त्रवाद – डॉ. सेन चीन में गणतान्त्रिक सरकार की स्थापना करना चाहते थे। डॉ. सनयात सेन जनता को सर्वोपरि स्थान देते थे तथा चाहते थे कि जनता शासन के कार्यों में अधिकाधिक भाग ले।

3. समाजवाद-डॉ. सनयात सेन समाजवाद की स्थापना पर बल देते थे। समाजवाद का उद्देश्य पूँजी का नियमन करना तथा भूस्वामित्व में समानता लाना था।

प्रश्न 5.
कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?
उत्तर:
व्यापार घाटे में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के खराब प्रबंधन, संगठनों द्वारा बेईमान व्यापारिक संचालन के कारण कोरिया को 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा। कोरिया ने इस संकट का सामना निम्न प्रकार से किया –

  • कोरिया ने इस संकट को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा आपात वित्तीय सहायता के जरिए संभालने की कोशिश की गई।
  • इस आर्थिक संकट में पूरे देश ने एक साथ प्रयास किए, नागरिकों ने गोल्ड कलेक्शन मूवमेंट के माध्यम से विदेशी ऋण भुगतान के लिए सक्रिय रूप से योगदान दिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?
उत्तर:
जापान की तीव्र औद्योगिक नीति के परिणाम जापान के आधुनिकीकरण के अन्तर्गत जापान का तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ। जापान में लोहे-कपड़े, गोला- बारूद, बन्दूक, तोपें आदि बनाने के अनेक कारखाने स्थापित किये गए। इस औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप जापान एक अत्यन्त शक्तिशाली एवं समृद्ध देश बन गया। इससे जापान को साम्राज्यवादी नीति अपनाने की प्रेरणा मिली जिसके फलस्वरूप उसे पड़ोसियों के साथ युद्ध लड़ने पड़े।

1. पड़ोसी देशों के साथ युद्ध –
(1) चीन के साथ युद्ध – 1894-95 में कोरिया के मामले पर जापान और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसमें जापान की विजय हुई। अन्त में 1895 में चीन को जापान से एक सन्धि करनी पड़ी, जिसे ‘शिमोनिस्की की सन्धि’ कहते हैं।

(2) रूस-जापान युद्ध-जापान और रूस दोनों ही कोरिया तथा मन्चूरिया में अपना-अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे। अतः जापान ने 8 फरवरी, 1904 को पोर्ट आथर पर आक्रमण कर दिया। इस प्रकार रूस तथा जापान के बीच युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में रूस की बुरी तरह से पराजय हुई। अन्त में 5 सितम्बर, 1905 को रूस तथा जापान के बीच एक सन्धि हो गई, जिसे ‘पोर्ट्समाउथ की सन्धि’ कहते हैं।

(3) चीन से युद्ध – 1931 में जापान ने मन्चूरिया पर आक्रमण कर दिया और 4 जनवरी, 1932 तक जापान ने सम्पूर्ण मन्चूरिया पर अधिकार कर लिया। जापान ने मन्चूरिया में ‘मन्चुकाओ’ नामक एक पृथक् राज्य की स्थापना कर दी। जापान ने चीन के जेहौल प्रदेश पर भी अधिकार कर लिया। 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर पीकिंग, नानकिंग, शंघाई, कैंटन आदि नगरों पर अधिकार कर लिया।

2. पर्यावरण का विनाश –
(i) जापान की औद्योगीकरण की नीति तथा लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग से पर्यावरण का विनाश हुआ।

(ii) ओशियो खान से वातारासे नदी में प्रदूषण फैल रहा था जिसके कारण 100 वर्ग मील की कृषि भूमि नष्ट हो रही थी और एक हजार परिवार प्रभावित हो रहे थे। इस पर 1897 में जापानी संसद के पहले निम्न सदन के सदस्य तनाको शोजो ने प्रदूषण के विरुद्ध पहला आन्दोलन छेड़ा। इस आन्दोलन ने सरकार को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए विवश किया। 1960 के दशक में नागरिक समाज आन्दोलन ने बढ़ते हुए औद्योगीकरण के कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की पूर्ण रूप से उपेक्षा करने का विरोध किया।

(iii) अरगजी का विष, जिसके चलते बड़ी ही कष्टदायक बीमारी होती थी, एक प्रारम्भिक सूचक था। इसके बाद 1960 के दशक में मिनामाता के पारे के जहर के फैलने और 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में हवा में प्रदूषण से भी समस्याएँ उत्पन्न हुईं।

प्रश्न 7.
क्या आप मानते हैं कि माओत्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और इसकी मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफलता प्राप्त की?
उत्तर:
माओत्से तुंग तथा साम्यवादी दल की उपलब्धियाँ-आधुनिक चीन के निर्माण में माओत्से तुंग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। माओत्से तुंग तथा साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने तथा उसकी वर्तमान सफलता की आधारशिला रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। च्यांग काई शेक द्वारा साम्यवादियों का दमन – 1925 में डॉ. सनयात सेन की मृत्यु हो गई और उसके बाद च्यांग काई शेक कुओमिंगतांग दल का नेता बना।

उसने राष्ट्रीय एकता का प्रयास किया, स्थानीय नेताओं को अपने नियन्त्रण में किया। यद्यपि उसने देश को एकीकृत करने का प्रयास किया, परन्तु अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टिकोण के कारण वह असफल हो गया। उसने डॉ. सनयात सेन के दो सिद्धान्तों-पूँजी के नियमन तथा भूमि अधिकारों में समानता लानाको कार्यान्वित नहीं किया।

उसने साम्यवादियों का कठोरतापूर्वक दमन किया। इन सभी कारणों से वह देश में अलोकप्रिय हो गया। चीनी साम्यवादी दल का उदय और माओत्से तुंग का कुशल नेतृत्व – 1921 में चीन में साम्यवादी दल की स्थापना हुई। माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी दल की शक्ति तथा प्रभाव में निरन्तर वृद्धि होती गई। माओत्से तुंग ने क्रान्ति के कार्यक्रम को किसानों पर आधारित किया। उनके कुशल नेतृत्व में चीन की साम्यवादी पार्टी एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बनी, जिसने अन्त में कुओमिनतांग पर विजय प्राप्त की।

माओत्से तुंग के सुधार कार्य – 1928-34 के बीच माओत्से तुंग ने जियांग्सी के पहाड़ों में कुओमिनतांग के आक्रमणों से सुरक्षित शिविर लगाए। उसने एक शक्तिशाली किसान परिषद् का गठन किया। उसने भूमि सम्बन्धी सुधार किये तथा जमींदारों की जमीनों पर अधिकार करके उनकी भूमि को किसानों में बाँट दिया। उसने स्वतन्त्रं सरकार तथा सेना पर बल दिया। उसने ग्रामीण महिला संघों को प्रोत्साहन दिया और महिलाओं की समस्याओं का हल करने का प्रयास किया। उसने विवाह के नये कानून बनाए तथा तलाक को सरल बनाया।

साम्यवादियों का महा प्रस्थान – 1934 में च्यांग काई शेक ने साम्यवादियों के दमन के लिए एक विशाल सेना भे। च्यांग काई शेक की सेना के आक्रमण के दबाव के कारण 90 हजार साम्यवादियों को जियांग्सी प्रान्त को छोड़कर शेन्सी की ओर प्रस्थान करना पड़ा। साम्यवादियों की यह जियांग्सी से शेन्सी तक 6 हजार मील लम्बी यात्रा इतिहास में ‘महाप्रस्थान’ (Long March) के नाम से प्रसिद्ध है। इस यात्रा के दौरान लगभग 60 हजार साम्यवादी मौत के मुँह में चले गए तथा केवल 30 हजार साम्यवादी ही शेन्सी पहुँच सके।
येनान को नया अड्डा बनाना – साम्यवादियों ने येनान को अपना नया अड्डा बनाया।

यहाँ उन्होंने युद्ध सामन्तवाद को समाप्त करने, भूमि सुधार लागू करने तथा विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इससे उन्हें सुदृढ़ सामाजिक आधार प्राप्त हुआ। जापान के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा-चीन में जापान की आक्रामक गतिविधियाँ बढ़ती जा रही थीं। 1937 में साम्यवादियों तथा च्यांग काई शेक के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार दोनों ने संयुक्त रूप से जापानी आक्रमण का मुकाबला करने का निश्चय किया।

चीन – जापान युद्ध तथा संयुक्त मोर्चों की भूमिका – 1937 में जापान तथा चीन के बीच युद्ध छिड़ गया। यद्यपि संयुक्त मोर्चे की सेनाओं ने जापानी सेनाओं का वीरतापूर्वक मुकाबला किया, परन्तु उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा। साम्यवादियों ने जिस साहस और वीरता से जापानियों का मुकाबला किया, उससे चीनी लोग बड़े प्रभावित हुए। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया।

चीन में गृह-युद्ध और साम्यवादी दल की सफलता – अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने आत्म-समर्पण कर दिया और विश्व युद्ध का अन्त हो गया। शीघ्र ही चीन में साम्यवादियों तथा च्यांग काई शेक के सैनिकों के बीच गृह-युद्ध छिड़ गया, जिसमें च्यांग काई शेक को पराजय का मुँह देखना पड़ा। साम्यवादियों ने पीकिंग, शंघाई, नानकिंग, कैंटन आदि पर अधिकार कर लिया। च्यांग काई शेक फारमोसा भाग गया। 21 नवम्बर, 1949 को साम्यवादी दल के अध्यक्ष माओत्से तुंग ने चीन में चीनी जनवादी गणतन्त्र की स्थापना की घोषणा की।

प्रश्न 8.
क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?
उत्तर:
साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि और लोकतंत्रीकरण – सन् 1980 के अन्त में चुन यूसूइन संविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से राष्ट्रपति बने । चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए, लोकतांत्रिक प्रभाव का मजबूती से दमन किया। लेकिन चुन प्रशासन ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक दृष्टिकोण से, कोरिया के आर्थिक विका को 1980 के 1.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 1983 तक 13.2 प्रतिशत कर दिया और मुद्रा स्फीति को भी कम कर दिया।

(i) आर्थिक विकास ने शहरीकरण, शिक्षा के स्तर में सुधार और मीडिया की प्रगति को जन्म दिया। इसके फलस्वरूप नागरिकों में अपने राजनीतिक अधिकारों की आत्म जागरूकता बढ़ी, जिससे राष्ट्रपति के प्रत्यक्ष चुनावों के लिए संवैधानिक संशोधन की माँग की गई।

(ii) मई 1987 में एक विश्वविद्यालय के छात्र की अत्याचारों से मृत्यु हुई। इसके बाद नागरिकों ने लोकतंत्रीकरण के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। चुन सरकार के खिलाफ लोकतंत्रीय आंदोलन में छात्रों के साथ-साथ मध्यवर्ग के नागरिकों ने भी भाग लिया। इन प्रयासों के चलते चुन प्रशासन को संविधान में संशोधन के लिए मजबूर होना पड़ा और नागरिकों को सीधे चुनाव का अधिकार मिला। इस प्रकार आर्थिक विकास ने कोरियायी लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया।

आधुनिकीकरण के रास्ते JAC Class 11 History Notes

पाठ-सार

1. परिचय –
(i) चीन विशालकाय महाद्वीपीय देश है जिसमें कई तरह के जलवायु वाले क्षेत्र हैं; मुख्य क्षेत्र में हुआंग हे, छांग जियांग और पर्ल – तीन प्रमुख नदियाँ हैं। हान प्रमुख जातीय समूह है और प्रमुख भाषा चीनी है, लेकिन कई राष्ट्रीयताएँ हैं। चीनी खानों में क्षेत्रीय विविधता की झलक मिलती है। यहाँ गेहूँ और चावल मुख्य आधार हैं।

(ii) जापान एक द्वीप शृंखला है जिसमें चार बड़े द्वीप हैं। यह बहुत सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में है। अधिकतर जनसंख्या जापानी है। चावल यहाँ की मूल फसल है, मछली प्रोटीन का मुख्य स्रोत है।

(अ) जापान
1. जापान की राजनीतिक व्यवस्था – जापान पर क्योतो में रहने वाले सम्राट का शासन हुआ करता था, परन्तु 12वीं शताब्दी आते-आते वास्तविक सत्ता, शोगुनों के हाथ में आ गई जो राजा के नाम पर शासन करते थे। देश 250 भागों में विभाजित था जिनका शासन दैम्पो चलाते थे। शोगुन दैम्यो पर नियंत्रण रखते थे तथा राजधानी ‘एदो’ में रहते थे। समुराई शासन करने वाले कुलीन थे जो शोगुन और दैम्पो की सेवा में थे। 16वीं सदी में किसानों से हथियार ले लिए गए, दैम्पो को राजधानी क्षेत्रों में रहने के निर्देश दे दिए तथा राजस्व हेतु भूमि का वर्गीकरण किया गया। 17वीं सदी में यहाँ कई शहरी उभरे, वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ और जापान एक अमीर देश के रूप में उभरा।

2. मेजी पुनर्स्थापना – 1867-68 में मेजी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त किया गया। अब वास्तविक सत्ता सम्राट के हाथ में आ गई। 1870 के दशक में नई विद्यालय व्यवस्था का निर्माण हुआ । लड़के-लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य हो गया। आधुनिक सेना का गठन किया गया। कानून व्यवस्था बनायी गई। राष्ट्र के एकीकरण के लिए मेजी सरकार ने पुराने गाँवों और क्षेत्रीय सीमाओं को बदलकर नयाप्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। सेना और नौकरशाही को सीधा सम्राट के निर्देशन में रखा गया। ये दो गुट सरकारी नियंत्रण से बाहर रहे। इस वजह से चीन और रूस से जंग में जापान विजयी रहा और उसने अपना एक औपनिवेशिक साम्राज्य कायम किया।

3. अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण – रेल लाइनों का निर्माण किया गया तथा अनेक कारखानों की स्थापना की गई। आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं की शुरुआत हुई।

4. औद्योगिक मजदूर-औद्योगिक मजदूरों की संख्या 1870 में 7 लाख से बढ़कर 1913 में 40 लाख पहुँच गईं। कारखानों में भी मजदूरों की संख्या बढ़ गई।

5. आक्रामक राष्ट्रवाद – सम्राटं सैन्य बल का कमाण्डर था और 1890 से यह माना जाने लगा कि थलसेना और नौसेना का नियन्त्रण स्वतन्त्र है। अब उपनिवेश स्थापना पर बल दिया जाने लगा।

6. पश्चिमीकरण और परम्परा – कुछ बुद्धिजीवी जापान का ‘पश्चिमीकरण’ चाहते थे। कुछ विद्वान् पश्चिमी उदारवाद की ओर आकर्षित थे। कुछ लोग उदारवादी शिक्षा के समर्थक थे।

7. रोजमर्रा की जिंदगी – नया घर का मतलब मूल परिवार से था जहाँ पति-पत्नी साथ रहकर कमाते थे और घर बसाते थे।

8. आधुनिकता पर विजय – 1930-40 की अवधि में जापान ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए लड़ाइयाँ लड़ीं। 1943 में एक संगोष्ठी हुई ‘आधुनिकता पर विजय’। इसमें चर्चा हुई कि आधुनिक रहते हुए पश्चिम पर कैसे विजय प्राप्त की जाए।

9. पराजय के बाद – एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में वापसी – द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को पराजय का मुँह देखना पड़ा। अपनी भयंकर पराजय के बावजूद जापानी अर्थव्यवस्था का जिस तेजी से पुनर्निर्माण हुआ, उसे एक युद्धोत्तर ‘चमत्कार’ कहा गया है।

(ब) चीन
1. आधुनिक चीन की शुरुआत – अफीम युद्धों में पराजय के बाद चीन में एक आधुनिक प्रशासकीय व्यवस्था नई सेना और शिक्षा व्यवस्था की स्थापना की गई।

2. गणतन्त्र की स्थापना – 1911 में मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया गया और सनयात सेन के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई। डॉ. सेन के तीन सिद्धान्त थे –
(1) राष्ट्रवाद
(2) गणतन्त्रवाद
(3) समाजवाद।
सन यात सेन के विचार ‘कुओमीनतांग’ के राजनीतिक दर्शन के आधार बने। सनयात सेन के बाद च्यांग काई शेक कुओमीन तांग के नेता बनकर उभरे।

3. च्यांग काई – शेक-व्यांग काई शेक ने सैन्य अभियानों के द्वारा स्थानीय नेताओं को अपने नियन्त्रण में किया और साम्यवादियों का सफाया कर दिया। लेकिन कुओमीनतांग अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टि के चलते असफल हो गया।

4. चीनी साम्यवादी दल का उदय – 1921 में चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना हुई। माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी साम्यवादी पार्टी एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बनी।

5. नए जनवाद की स्थापना ( 1949-65 ) – पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार 1949 में स्थापित हुई। यह ‘नए लोकतान्त्रिक’ के सिद्धान्त पर आधारित थी। 1958 में लम्बी छलांग वाले आन्दोलन की नीति के द्वारा चीन का तेजी से औद्योगीकरण करने का प्रयास किया गया।

6. दर्शनों का टकराव – 1965 में माओ द्वारा महान् सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति शुरू की गई। इससे खलबली का दौर शुरू हो गया।

7. 1978 से शुरू होने वाले सुधार – 1978 में साम्यवादी पार्टी ने अपने चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की। यह था— विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास। 1989 में बीजिंग के तियानमेन चौक पर छात्रों के प्रदर्शन को क्रूरतापूर्वक दबाया गया।

8. ताइवान – गृह-युद्ध में चीनी साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के बाद चियांग काई – शेक 1949 में ताइवान भाग गया। वहाँ उन्होंने चीनी गणतन्त्र की घोषणा की। 1975 में च्यांग काई शेक की मृत्यु हो गई।

(स) कोरिया की कहानी –

(1) आधुनिकीकरण की शुरुआत – 1392 से 1910 तक कोरिया पर जोसोन वंश का शासन था लेकिन 1910 में जापान ने अपनी कोलोनी के रूप में कोरिया पर कब्जा कर लिया । जापानी औपनिवेशिक शासन 35 साल के बाद अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के साथ समाप्त हुआ। लेकिन मुक्ति के बाद कोरियाई महाद्वीप उत्तरी और दक्षिणी दो भागों में विभाजित हो गया जिसने 1948 में स्थायी रूप ले लिया।

(2) युद्धोत्तर राष्ट्र – जून 1950 में कोरियाई युद्ध शुरू हुआ जो जुलाई 1953 में युद्ध विराम समझौते से समाप्त हआ। युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया को अमरीका की आर्थिक सहायता लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1948 में सिन्गमैन री लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से राष्ट्रपति चुने गए लेकिन ‘री’ को 1960 में इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद मई, 1961 में सैन्य तख्तापलट हुआ।

(3) तीव्र औद्योगीकरण और मजबूत नेतृत्व – अक्टूबर, 1963 के चुनाव में सैन्य नेता ‘पार्क चुंग- ही ‘ राष्ट्रपति बने। पार्क – प्रशासन के दौरान 1960 के दशक में कोरिया का अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ। मजबूत नेताओं, प्रशिक्षित अफसरों, आक्रामक उद्योगपतियों और सक्षम श्रम बल के संयोजन से कोरिया आज सारे विश्व को आर्थिक वृद्धि से चौंका रहा है। 1979 में दूसरे तेल संकट और राजनीतिक अस्थिरता के चलते पार्क का प्रशासन अक्टूबर, 1979 में ‘पार्क चुंग ही’ की हत्या के साथ खत्म हो गया।

(4) लोकतंत्रीकरण की माँग और निरंतर आर्थिक विकास – 1980 में सांविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुन युसुइन राष्ट्रपति बने। उसने लोकतंत्री प्रभाव का मजबूती से दमन किया। लेकिन 1987 में उसे संविधान से संशोधन हेतु मजबूर होना पड़ा और नागरिकों को सीधे चुनाव का अधिकार मिला और कोरियाई लोकतंत्र का नया अध्ययन शुरू हुआ।

(5) कोरियाई लोकतंत्र और आई एम एफ संकट – 1971 के बाद पहला प्रत्यक्ष चुनाव दिसम्बर, 1987 में हुआ जिसमें एक सैनिक नेता ‘रोह ताए – वू’ का चुनाव हुआ। लेकिन कोरिया में लोकतंत्र जारी रहा। दिसम्बर, 1992 में एक नागरिक नेता ‘किम’ को राष्ट्रपति चुना गया। 1996 में किम प्रशासन ने ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ‘ में शामिल होने का निर्णय लिया। लेकिन खराब प्रबंधन के कारण 1997 में उसे विदेशी मुद्रा संगठन का सामना करना पड़ा। कोरिया में तब से निरन्तर लोकतंत्र जारी है। मई, 2017 में वहाँ मून जे इन ने राष्ट्रपति पद संभाला है।

आधुनिकता के दो मार्ग – जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ जहाँ पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभुत्व था। चीन का आधुनिकीकरण की यात्रा बहुत अलग थी। चीन के साम्यवादी दल ने परम्परा को समाप्त करने की लड़ाई लड़ी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. जापान में मेजी पुनस्स्थापना हुई-
(अ) 1876-77
(ब) 1867-68
(स) 1767-68
(द) 1858-59
उत्तर:
(ब) 1867-68

2. मेजी पुनर्स्थापना से पहले जापान में वास्तविक सत्ता किसके हाथ में थी?
(अ) सम्राट्
(ब) प्रधानमन्त्री
(स) सेना
(द) शोगुन।
उत्तर:
(द) शोगुन।

3. अमरीका के किस कमोडोर ने जापान की सरकार को समझौता करने पंर बाध्य किया?
(अ) नेल्सन
(ब) वाशिंगटन
(स) मैथ्यू पेरी
(द) जेफर्सन।
उत्तर:
(स) मैथ्यू पेरी

4. तनाको शोजो ने औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध आन्दोलन कब शुरू किया?
(अ) 1870
(ब) 1770
(स) 1970
(द) 1897
उत्तर:
(द) 1897

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

5. चीन में गणतन्त्र की स्थापना हुई-
(अ) 1911
(ब) 1890
(स) 1901
(द) 1949
उत्तर:
(अ) 1911

6. चीन में 1911 में गणतन्त्र की स्थापना किसके नेतृत्व में हुई?
(अ) चाउ एन लाई
(ब) कांग युवेई
(स) च्यांग काई शेक
(द) डॉ. सनयात सेन।
उत्तर:
(द) डॉ. सनयात सेन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. साम्राज्यवादी जापान ने ……………. में अपनी कॉलोनी के रूप में कोरिया पर जबरन कब्जा कर लिया।
2. 1949 में …………….. ने ताइवान में चीन गणतंत्र की स्थापन की।
3. पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार ……………. में कायम हुई।
4. ……………… की साम्यवादी पार्टी की स्थापना 1921 में हुई थी।
5. अमरीकी नेतृत्व वाले कब्जे $(1945-47)$ के दौरान जापान का ………………. कर दिया गया।।
उत्तर:
1. सन् 1910
2. चियांग काई – शेक
3. 1949 ई.
4. चीन
5. विसैन्यीकरण

निम्न में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये –

1. जापान ने चीन को 1894 में हराया और 1905 में रूस को पराजित किया।
2. 1945 में आंग्ल-अमरीकी सैन्य शक्ति के सामने चीन को हार माननी पड़ी।
3. हान चीन का सबसे बड़ा जातीय समूह है।
4. जापान में 1867-68 में तोकुगवा वंश के नेतृत्व में मेजी वंश का शासन समाप्त किया गया।
5. सन यात सेन के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन के आधार बने।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. सत्य

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. सन यात सेन (अ) ताईवान में चीनी गणतंत्र के संस्थापक
2. चियांग काई शेक (ब) दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति
3. माओत्से तुंग (स) मेजी काल के प्रमुख जापानी बुद्धिजीवी
4. मून जे-इन (द) चीनी समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता
5. फुकुजावा यूकिची (य) कुओमीनतांग के नेता

उत्तर:

1. सन यात सेन (य) कुओमीनतांग के नेता
2. चियांग काई शेक (अ) ताईवान में चीनी गणतंत्र के संस्थापक
3. माओत्से तुंग (द) चीनी समाजवादी पार्टी के प्रमुख़ नेता
4. मून जे-इन (ब) दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति
5. फुकुजावा यूकिची (स) मेजी काल के प्रमुख जापानी बुद्धिजीवी

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1603 से 1867 तक जापान में कौन से परिवार के लोग शोगुन के पद पर आसीन थे ?
उत्तर:
तोकुगावा।

प्रश्न 2.
जापान का योद्धा वर्ग क्या कहलाता था ?
उत्तर:
समुराई।

प्रश्न 3.
17वीं शताब्दी के मध्य तक जापान का कौनसा शहर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बन गया था?..
उत्तर:
एदो।

प्रश्न 4.
जापान की किस बस्ती का रेशम दुनिया भर में उत्कृष्ट कोटि का रेशम माना जाता था ?
उत्तर:
निशिजिन का।

प्रश्न 5.
जापान में ‘मेजी पुनर्स्थापना’ कब हुई ?
उत्तर:
1867-68 में।

प्रश्न 6.
अमेरिका के किस जलसेनापति ने जापानी सरकार को अमेरिका के साथ व्यापारिक और राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए बाध्य किया?
उत्तर:
कॉमोडोर मैथ्यू पेरी ने।

प्रश्न 7.
जापान की सरकार ने किस नारे के साथ आधुनिकीकरण की नीति की घोषणा की?
उत्तर:
‘फुकोको क्योहे’ (समृद्ध देश, सुदृढ़ सेना) के नारे के साथ।

प्रश्न 8.
जापान की पहली रेलवे लाइन कब बिछाई गई ?
उत्तर:
1870-72 में।

प्रश्न 9.
जापान में आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर:
र – 1872 में।

प्रश्न 10.
जापान के किस प्रमुख बुद्धिजीवी ने जापान को एशियाई लक्षण छोड़कर अपना पश्चिमीकरण करने की सलाह दी थी?
उत्तर:
फुकुजावा यूकिची ने।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 11.
तोक्यो में ओलम्पिक खेल कब हुए?
उत्तर:
1964 में।

प्रश्न 12.
आधुनिकीकरण के अन्तर्गत किस नगर को जापान की राजधानी बनाया गया?
उत्तर:
तोक्यो को

प्रश्न 13.
चीन और ब्रिटेन के बीच प्रथम अफीम युद्ध कब हुआ ?
उत्तर:
1839-1842 में।

प्रश्न 14.
आधुनिक चीन के संस्थापक कौन माने जातें हैं ?
उत्तर;
डॉ. सनयात सेन।

प्रश्न 15.
चीन में गणतन्त्र की स्थापना कब हुई और किसके नेतृत्व में हुई ?
उत्तर:
(1) 1911 में
(2) डॉ. सन – यात – सेन के नेतृत्व में।

प्रश्न 16.
डॉ. सनयात सेन का कार्यक्रम किसके नाम से प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
तीन सिद्धान्त (सन मिन चुई) के नाम से।

प्रश्न 17.
डॉ. सनयात सेन के तीन सिद्धान्त कौन से थे?
उत्तर:
(1) राष्ट्रवाद
(2) गणतन्त्र की स्थापना
(3) समाजवाद।

प्रश्न 18.
डॉ. सनयात सेन ने किस दल की स्थापना की ?
उत्तर”
‘कुओमिनतांग’ की।

प्रश्न 19.
डॉ. सनयात सेन ने किन चार बड़ी जरूरतों पर बल दिया ?
उत्तर:
(1) कपड़ा
(2) रोटी
(3) मकान
(4) परिवहन।

प्रश्न 20.
जापान ने मन्चूरिया पर कब आक्रमण किया?
उत्तर:
1931 में।

प्रश्न 21.
जापान ने मन्चूरिया पर अधिकार करके वहाँ किसके नेतृत्व में सरकार का गठन किया ?
उत्तर:
मन्चुकाओ के नेतृत्व में।

प्रश्न 22.
चीन में साम्यवादी दल की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1921 में।

प्रश्न 23.
चीन की तीन प्रमुख नदियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) पीली नदी (हुआंग हे )
(2) यांग्त्सी नदी (छांग जिआंग) तथा
(3) पर्ल नदी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 24.
जापान की भौगोलिक स्थिति समझाइए।
उत्तर:
जापान एक द्वीप – शृंखला है, जिसमें चार सबसे बड़े द्वीप हैं –
(1) होंशु
(2) क्युशू
(3) शिकोकू
(4) होकाइदो। ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला सबसे दक्षिण में है।

प्रश्न 25.
शोगुन कौन थे ?
उत्तर:
जापान की वास्तविक सत्ता शोगुनों के हाथ में थी जो सैद्धान्तिक रूप से सम्राट् के नाम पर शासन करते थे।

प्रश्न 26.
जापान अमीर देश क्यों समझा जाता था ?
उत्तर:
जापान चीन से रेशम तथा भारत से कपड़ा जैसी विलासी वस्तुएँ आयात करता था। इस कारण जापान अमीर देश समझा जाता था।

प्रश्न 27.
निशिजिन क्यों प्रसिद्ध था ?
अथवा
‘निशिजिन’ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
निशिजिन क्योतो की एक बस्ती है। यहाँ बड़े पैमाने पर रेशम का उत्पादन किया जाता था। यहाँ केवल विशिष्ट प्रकार के महँगे उत्पाद बनाए जाते थे।

प्रश्न 28.
मुरासाकी शिकिबु कौन थी ? उसने किस ग्रन्थ की रचना की थी ?
उत्तर:
मुरासाकी शिकिबु जापान की एक प्रसिद्ध लेखिका थी। उसने ‘दि टेल ऑफ गेंजी’ (गेंजी की कथा ) नामक ग्रन्थ की रचना की थी।

प्रश्न 29.
‘मेजी पुनर्स्थापना’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
1867-68 में मेजी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त कर दिया गया। अब वास्तविक सत्ता सम्राट के हाथ में आ गई।

प्रश्न 30.
अमरीका जापान में अपना प्रभाव क्यों बढ़ाना चाहता था ?
उत्तर:
अमरीका को प्रशान्त महासागर में अपने बेड़ों के लिए ईंधन प्राप्त करने के लिए स्थान की आवश्यकता थी।

प्रश्न 31.
अमरीका के किस जल-सेनापति के साथ जापान के शोगुन को सन्धि करनी पड़ी और कब ?
उत्तर:
(1) कमोडोर मैथ्यू पेरी के साथ
(2) 1854 ई. में। इस सन्धि के अनुसार जापान ने अमरीका के साथ राजनयिक तथा व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किये।

प्रश्न 32.
पेरी के आगमन का जापानी राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
सम्राट का अचानक महत्त्व बढ़ गया। 1868 में एक आन्दोलन द्वारा शोगुन को सत्ता से हटा दिया गया।

प्रश्न 33.
जापान की सरकार ने ‘फुकोकु क्योहे’ के नारे के साथ नई नीति की घोषणा की? यह नीति क्या थी?
उत्तर:
जापान की सरकार ने ‘फुकोकु क्योहे’ (समृद्ध देश, मजबूत सेना) के नारे के साथ नई नीति की घोषणा की।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 34.
जापान की सरकार ने ‘सम्राट्-व्यवस्था’ के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया ‘सम्राट् व्यवस्था’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सम्राट् व्यवस्था’ में सम्राट्, नौकरशाही तथा सेना इकट्ठे सत्ता चलाते थे और नौकरशाही व सेना सम्राट् के प्रति उत्तरदायी होते थे।

प्रश्न 35.
जापानी सरकार द्वारा सैन्य क्षेत्र में किये गये दो सुधारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) 20 वर्ष से अधिक आयु के नवयुवकों के लिए सेना में काम करना अनिवार्य कर दिया गया।
(2) एक आधुनिक सैन्य-बल तैयार किया गया।

प्रश्न 36.
लोकतान्त्रिक संविधान तथा आधुनिक सेना को महत्त्व देने के दो परिणाम लिखिए।
उत्तर:
(1) सेना ने साम्राज्य – विस्तार के उद्देश्य से मजबूत विदेश नीति के लिए दबाव डाला।
(2) जापान आर्थिक रूप से विकास करता गया।

प्रश्न 37.
जापान में पहली रेल लाइन कब बनाई गई ?
उत्तर:
जापान की पहली रेल लाइन 1870-72 में तोक्यो और योकोहामा के बन्दरगाह के बीच बिछाई गई।

प्रश्न 38.
तनाका शोजो कौन था ?
उत्तर:
तनाका शोजो जापान की संसद के पहले निम्न सदन का सदस्य था। 1897 में उसने औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध पहला आन्दोलन शुरू किया।

प्रश्न 39.
फुकुजावा यूकिची कौन था? उसने जापान के आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में क्या सुझाव दिए?
उत्तर:
फुकुजावा यूकिची जापान का मेजी काल का एक प्रमुख बुद्धिजीवी था। उसका कहना था कि जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़ कर पश्चिम का हिस्सा बन जाना चाहिए।

प्रश्न 40.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापान के किन नगरों पर नाभिकीय बम गिराए गए और क्यों गिराए गए ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध को जल्दी समाप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमरीका ने जापान के दो नगरों- हिरोशिमा और नागासाकी पर नाभिकीय बम गिराए।

प्रश्न 41.
द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद भी जापानी अर्थव्यवस्था का तेजी से पुनर्निर्माण हुआ। इसके दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) 1964 में जापान में ओलम्पिक खेल जापानी अर्थव्यवस्था की मजबूती के प्रमाण हैं।
(2) 1964 में जापान में बुलेट ट्रेन का जाल शुरू हुआ।

प्रश्न 42.
प्रथम अफीम युद्ध किन देशों के बीच हुआ और कब हुआ ?
उत्तर:
चीन और ब्रिटेन के बीच 1839-42 में प्रथम अफीम युद्ध हुआ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 43.
चीन के विचारक लियांग किचाऊ ने भारत के विषय में क्या विचार प्रकट किये थे ?
उत्तर:
1903 में लियांग किचाऊ ने लिखा था कि भारत एक कम्पनी के हाथों बर्बाद हो गया, ईस्ट इण्डिया कम्पनी के।

प्रश्न 44.
चीन में गणतन्त्र की स्थापना किसके नेतृत्व में हुई और कब ?
उत्तर:
1911 में चीन में मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया गया और डॉ. सन यात सेन के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई।

प्रश्न 45.
डॉ. सनयात सेन कौन थे ?
उत्तर:
डॉ. सनयात सेन आधुनिक चीन के संस्थापक थे।

प्रश्न 46.
कुओमिनतांग दल की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर:
डॉ. सनयात सेन ने कुओमिनतांग दल की स्थापना की थी।

प्रश्न 47.
च्यांग काई शेक कौन थे?
उत्तर:
डॉ. सनयात सेन की मृत्यु के बाद च्यांग काई शेक कुओमिनतांग के प्रमुख नेता बने।

प्रश्न 48.
चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख नेता कौन थे ?
उत्तर:
(1) चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना 1921 में हुई थी।
(2) इसके प्रमुख नेता माओत्से तुंग थे।

प्रश्न 49.
माओत्से तुंग के आमूल परिवर्तनवादी दो तरीकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) माओत्से तुंग ने मजबूत किसान परिषद् का गठन किया, जमीन पर कब्जा और पुनर्वितरण के साथ एकीकरण हुआ।
(2) उन्होंने आजाद सरकार और सेना पर बल दिया

प्रश्न 50.
लाँग मार्च से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
च्यांग काई शेक के सैनिकों द्वारा आक्रमण करने पर माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादियों को लाँग मार्च (1934-35) पर जाना पड़ा।

प्रश्न 51.
चीन में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीनी जनवादी गणतन्त्र) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1949 में चीन में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई, जो ‘नए लोकतन्त्र’ के सिद्धान्तों पर आधारित थी।

प्रश्न 52.
लम्बी छलांग वाले आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? यह कब शुरू हुआ ?
उत्तर:
1958 में चीन में लम्बी छलांग वाले आन्दोलन की शुरुआत हुई। इसके द्वारा देश का तेजी से औद्योगीकरण करने का प्रयास किया गया।.

प्रश्न 53.
महान् सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति क्या थी? यह किसने शुरू की और कब ?
उत्तर:
1965 में माओत्से तुंग ने महान् सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति शुरू की थी। पुरानी संस्कृति, पुराने रीति- रिवाजों और पुरानी आदतों के विरुद्ध अभियान छेड़ा गया।

प्रश्न 54.
1978 में साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए किस चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की थी ?
उत्तर:
1978 में साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए एक चार-सूत्री लक्ष्य की घोषणा की थी। ये थे- विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 55.
सन् 1392 से 1910 तक कोरिया में किस राज वंश का शासन था ?
उत्तर:
सन् 1392 से 1910 तक कोरिया में जोसोन राजवंश का शासन था।

प्रश्न 56.
किस साम्राज्यवादी देश ने 1910 में कोरिया पर कब्जा कर लिया था ?
उत्तर:
साम्राज्यवादी देश जापान ने 1910 में अपनी कॉलोनी के रूप में कोरिया पर जबरन कब्जा कर लिया था।

प्रश्न 57.
कोरिया से जापानी औपनिवेशिक शासन कब समाप्त हुआ?
उत्तर:
कोरिया से जापानी औपनिवेशिक शासन अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के साथ समाप्त हुआ।

प्रश्न 58.
कोरिया का विभाजन कब स्थायी रूप से स्थापित हो गया ?
उत्तर:
1948 में उत्तर और दक्षिण कोरिया में अलग-अलग सरकारें स्थापित होने के साथ कोरिया का विभाजन स्थायी रूप से स्थापित हो गया।

प्रश्न 59.
उत्तर व दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध कब लड़ा गया ?
उत्तर:
दोनों कोरिया के बीच जून, 1950 से जुलाई, 1953 तक युद्ध लड़ा गया।

प्रश्न 60.
दक्षिण कोरिया को युद्ध में किस राष्ट्र की सेना ने समर्थन किया ?
उत्तर:
र – अमेरिकी अगुवाई वाली संयुक्त राष्ट्र सेना ने।

प्रश्न 61.
दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति कौन थे ?
उत्तर:
सिन्गमैन री

प्रश्न 62.
‘पार्क चुंग ही’ दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कब से कब तक रहे ?
उत्तर:
‘पार्क चुंग ही ‘ मई, 1961 से अक्टूबर, 1979 तक दक्षिण कोरिया के राष्अपति रहे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शोगुन कौन थे? उनकी शासन व्यवस्था में क्या भूमिका थी?
उत्तर:
शोगुन – जापान में शासन का प्रमुख सम्राट् होता था जो क्योतो में रहता था। परन्तु बारहवीं शताब्दी में वास्तविक सत्ता शोगुनों के हाथ में आ गई। वे सैद्धान्तिक रूप से सम्राट् के नाम पर शासन करते थे। शासन व्यवस्था में शोगुनों की भूमिका-जापान में 1603 से 1867 तक तोकुगावा परिवार के लोग शोगुन पद पर आसीन थे। जापान 250 भागों में विभाजित था, जिनका शासन दैम्पो चलाते थे। शोगुन इन दैम्पो तथा समुराई (योद्धा वर्ग) पर नियन्त्रण रखते थे। शोगुन दैम्पो को लम्बी अवधि के लिए राजधानी एदो ( आधुनिक तोक्यो ) में रहने का आदेश देते थे, ताकि वे कोई खतरा उत्पन्न न कर सकें। शोगुन प्रमुख शहरों और खदानों पर भी नियन्त्रण रखते थे

प्रश्न 2.
शोगुनों के समय में जापान के नगरों के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शोगुनों के समय में जापान के नगरों का विकास-जापान में दैम्पो की राजधानियों का आकार बढ़ता गया जिसके परिणामस्वरूप 17वीं शताब्दी के मध्य तक जापान में एदो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बन गया। एदो के अतिरिक्त ओसाका तथा तोक्यो भी बड़े शहरों के रूप में विकसित हुए। जापान में कम से कम 6 ऐसे गढ़ वाले शहरों का उदय हुआ, जिनकी जनसंख्या 50,000 से अधिक थी। शहरों के विकास का महत्त्व –

  • शहरों के विकास से जापान की वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ और वित्त तथा ऋण की प्रणालियाँ स्थापित हुईं।
  • व्यक्ति के गुण उसके पद से अधिक महत्त्वपूर्ण समझे जाने लगे।
  • शहरों में जीवन्त संस्कृति का विकास हुआ।
  • शहरों के व्यापारियों ने नाटकों तथा कलाओं को प्रोत्साहन दिया।
  • शहरों में रहने वाले प्रतिभाशाली लेखकों के लिए लेखन द्वारा अपनी आजीविका कमाने का अवसर मिला।

प्रश्न 3.
तोकुगावा शोगुनों के समय में जापान की अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तोकुगावा शोगुनों के समय में जापान की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन – तोकुगावा शोगुनों के समय जापान एक धनी देश समझा जाता था। इसका कारण यह था कि जापान चीन से रेशम तथा भारत से कपड़ा जैसी विलासिता की वस्तुएँ मँगाता था। इन चीजों के आयात के लिए सोने तथा चाँदी के मूल्य चुकाने से अर्थव्यवस्था पर भार अवश्य पड़ा और इस कारण से तोकुगावा ने बहुमूल्य धातुओं के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया। शोगुनों ने क्योतो के निशिजिन में रेशम उद्योग के विकास के लिए भी प्रयास किये जिससे रेशम का आयात कम किया जा सके। निशिजिन का रेशम सम्पूर्ण विश्व में उत्कृष्ट कोटि का रेशम माना जाने लगा। इससे जापान की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। मुद्रा के बढ़ते प्रयोग तथा चावल के शेयर बाजार के निर्माण से पता चलता है कि अर्थतन्त्र नई दिशाओं में विकसित हो रहा था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 4.
अमरीका के कामोडोर मैथ्यू पेरी ने जापान के तोकुगावा शोगुन को समझौता करने के लिए क्यों बाध्य किया? पेरी के आगमन के जापानी राजनीति पर क्या प्रभाव हुए?
उत्तर:
अमरीका अपने व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए जापान में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था। जापान चीन के रास्ते में था और अमरीका चीन में एक बड़े बाजार की सम्भावना देखता था। इसके अतिरिक्त अमरीका को प्रशान्त महासागर में अपने बेड़े के लिए ईंधन लेने का स्थान भी चाहिए था। अतः 1853 में अमरीका ने कामोडोर मैथ्यू पेरी को जापान भेजा। उसने जापानी सरकार से एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर करने की माँग की, जिसके अनुसार जापान को अमरीका के साथ राजनयिक और व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने थे। अमरीका की सैनिक शक्ति से भयभीत होकर जापान के शोगुन ने 1854 में ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।

पेरी के आगमन का महत्त्व इससे जापान के सम्राट् का अचानक महत्त्व बढ़ गया। 1868 में शोगुन को जबरदस्ती सत्ता से हटा दिया गया। एदो को जापान की राजधानी बना दिया गया तथा उसका नया नाम तोक्यो रखा गया। प्रश्न 5. मेजी सरकार द्वारा ‘सम्राट व्यवस्था’ के पुनर्निर्माण के लिए किये गये उपायों का वर्णन कीजिए। उत्तर-सम्राट व्यवस्था का पुनर्निर्माण – मेजी सरकार ने जापान में सम्राट् व्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए अनेक कदम उठाये। सम्राट् व्यवस्था से अभिप्राय है कि एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सम्राट् नौकरशाही और सेना इकट्ठे सत्ता चलाते थे और नौकरशाही तथा सेना सम्राट् के प्रति उत्तरदायी होते थे।

  • राजतान्त्रिक व्यवस्था के सिद्धान्तों को समझने के लिए जापान के कुछ अधिकारियों को यूरोप भेजा गया।
  • सम्राट् को सूर्य – देवी का वंशज माना गया। इसके साथ ही उसे पश्चिमीकरण का नेता भी बनाया गया।
  • जापान में सम्राट् का जन्म – दिन राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित किया गया।
  • सम्राट् पश्चिमी ढंग की सैनिक वेशभूषा पहनने लगा। उसके नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम बनाए गए।
  • 1890 की शिक्षा सम्बन्धी राजाज्ञा ने लोगों को पढ़ने, जनता के सार्वजनिक एवं साझे हितों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 6.
मेजी सरकार ने शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिए क्या कदम उठाये ?
उत्तर:

  • 1870 के दशक से नई विद्यालय व्यवस्था का निर्माण शुरू हुआ। लड़के और लड़कियों को स्कूल जाना अनिवार्य हो गया। 1910 तक जापान में स्कूल जाने से कोई वंचित नहीं रहा।
  • शिक्षा की फीस बहुत कम थी।
  • प्रारम्भ में पाठ्यक्रम पश्चिमी देशों के पाठ्यक्रमों पर आधारित था, परन्तु 1870 से आधुनिक विचारों पर बल दिया जाने लगा। इसके साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर भी बल दिया जाने लगा।
  • पाठ्यक्रम, पुस्तक के चयन तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण पर शिक्षा मन्त्रालय नियन्त्रण रखता था। नैतिक संस्कृति के विषयों का अध्ययन करना अनिवार्य था। पुस्तकों में माता-पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति स्वामि-भक्ति तथा अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी जाती थी।

प्रश्न 7.
गेंजी की कथा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गेंजी की कथा – मुरासाकी शिकिबु द्वारा रचित हेआन राजदरबार की इस काल्पनिक डायरी ‘दि टेल ऑफ दि गेंजी’ ने जापानी साहित्य में अपना प्रमुख स्थान बना लिया है। मुरासाकी शिकिबु एक प्रतिभाशाली लेखिका थी जिसने जापानी लिपि का प्रयोग किया। इस उपन्यास में कुमार गेंजी के रोमांचकारी जीवन पर प्रकाश डाला गया है तथा हेआन राज- दरबार के कुलीन वातावरण का सजीव चित्रण किया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि स्त्रियों को अपने पति चुनने तथा अपना जीवन व्यतीत करने की कितनी स्वतन्त्रता थी।

प्रश्न 8.
‘निशिजिन’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
निशिजिन – निशिजिन जापान के शहर क्योतो की एक बस्ती है। 16वीं शताब्दी में वहाँ 31 परिवारों का बुनकर संघ था। 17वीं शताब्दी के अन्त तक इस समुदाय में 70,000 लोग थे। निशिजिन में रेशम का उत्पादन किया जाता था। निशिजिन का रेशम समस्त विश्व में उत्कृष्ट कोटि का रेशम माना जाता था। यहाँ केवल विशिष्ट प्रकार के महँगे उत्पाद बनाए जाते थे। रेशम उत्पादन से ऐसे प्रादेशिक उद्यमी वर्ग का विकास हुआ, जिसने कालान्तर में तोकुगावा व्यवस्था को चुनौती दी। जब 1859 में विदेशी व्यापार प्रारम्भ हुआ, जापान से रेशम का निर्यात अर्थव्यवस्था के लिए मुनाफे का प्रमुख स्रोत बन गया। यह वह समय था, जबकि जापानी अर्थव्यवस्था पश्चिमी वस्तुओं से प्रतिस्पर्द्धा करने का प्रयास कर रही थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 9.
राष्ट्र के एकीकरण के लिए मैजी सरकार द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • राष्ट्र के एकीकरण के लिए मेजी सरकार ने पुराने गाँवों तथा क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया।
  • जापान में 20 वर्ष से अधिक आयु के नव-युवकों के लिए कुछ समय के लिए सेना में काम करना अनिवार्य कर दिया गया। एक आधुनिक सैन्य-बल तैयार किया गया।
  • कानून व्यवस्था’ बनाई गई, जो राजनीतिक दलों के कार्यों पर नजर रख सके, सभाएँ बुलाने पर नियन्त्रण रख सके तथा कठोर सेंसर व्यवस्था स्थापित कर सके।
  • सेना और नौकरशाही को सीधा सम्राट् के अधीन रखा गया। लोकतान्त्रिक संविधान तथा आधुनिक सेना को महत्त्व देने के दूरगामी परिणाम निकले। सेना ने साम्राज्यवादी नीति अपनाने के लिए मजबूत विदेश नीति पर बल दिया। इस कारण से जापान को चीन और रूस के साथ युद्ध लड़ने पड़े। इन दोनों युद्धों में जापान की विजय हुई। आर्थिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों में भी जापान की अत्यधिक उन्नति हुई।

प्रश्न 10.
फुकुजावा यूकिची पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
फुकुजावा यूकिची – फुकुजावा यूकिची का जन्म 1835 में एक निर्धन समुराई परिवार में हुआ था। उसने नागासाकी तथा ओसाका में शिक्षा प्राप्त की। उसने डच, पश्चिमी विज्ञान और बाद में अंग्रेजी का अध्ययन किया। 1860 में वह अमरीका में पहले जापानी दूतावास में अनुवादक के पद पर नियुक्त हुआ। उन्होंने पश्चिमी देशों पर एक पुस्तक लिखी। उसने एक शिक्षा संस्थान की स्थापना की, जो आज केओ विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध है।

फुकुजावा यूकिची ने ‘ज्ञान’ के लिए प्रोत्साहन’ नामक एक पुस्तक लिखी। इसमें उसने जापानी ज्ञान की कटु आलोचना की : ‘जापान के पास प्राकृतिक दृश्यों के अतिरिक्त गर्व करने के लिए कुछ भी नहीं है।” उसने आधुनिक कारखानों व संस्थाओं के अतिरिक्त पश्चिम के सांस्कृतिक सार तत्त्व को भी प्रोत्साहन दिया, जो कि उसके अनुसार सभ्यता की आत्मा है। उसके द्वारा एक नवीन नागरिक बनाया जा सकता था।

प्रश्न 11.
डॉ. सनयात सेन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
डॉ. सन यात सेन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
डॉ. सनयात सेन- डॉ. सनयात सेन का जन्म 12 नवम्बर, 1866 को कैंटन के निकट एक गांव में हुआ था। वे आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। 1911 में चीन में क्रान्ति हो गई। वहाँ मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया – सेन के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई। 1912 में सनयात सेन ने कुओमिनतांग दल की गया तथा सन – यात – स्थापना की।
डॉ. सनयात सेन के सिद्धान्त-

1. राष्ट्रवाद – इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना। मांचू वंश विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था। डॉ. सेन ने चीनियों में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया। उन्होंने चीनियों को विदेशी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

2. गणतन्त्रवाद – डॉ. सेन चीन में गणतन्त्र या गणतान्त्रिक सरकार की स्थापना करना चाहते थे।

3. समाजवाद-इससे अभिप्राय था-जो पूँजी का नियमन करे तथा भू-स्वामित्व में बराबरी लाए।
डॉ. सेन के विचार कुओमिनतांग दल के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंने कपड़ा, भोजन, घर और परिवहन — इन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया।

प्रश्न 12.
चीन में प्रचलित परीक्षा प्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीन में अभिजात सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश अधिकतर परीक्षा के द्वारा ही होता था। इसमें 8 भाग वाला निबन्ध निर्धारित प्रपत्र में शास्त्रीय चीनी भाषा में लिखना होता था। यह परीक्षा विभिन्न स्तरों पर हर तीन वर्ष में दो बार आयोजित की जाती थी। पहले स्तर की परीक्षा में केवल 1-2 प्रतिशत लोग ही 24 वर्ष की आयु तक उत्तीर्ण हो पाते थे। इसलिए कई निम्न श्रेणी के डिग्री धारकों के पास नौकरी नहीं होती थी। यह परीक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में बाधक का काम करती थी; क्योंकि इसमें केवल साहित्यिक कौशल की माँग होती थी। चूँकि यह क्लासिक चीनी सीखने के कौशल पर ही आधारित थी, जिसकी आधुनिक विश्व में कोई प्रासंगिकता दिखाई नहीं देती थी। अन्त में, 1905 में इस प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 13.
माओत्से तुंग के आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माओत्से तुंग के आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीके –
(1) 1928-34 के बीच माओत्से तुंग ने कुओमिनतांग के आक्रमणों से बचाव के लिए सुरक्षित शिविर लगाए।
(2) उन्होंने मजबूत किसान परिषद् (सोवियत) का गठन किया, जमींदारों की भूमि पर अधिकार कर उसे भूमिहीन कृषकों में बाँट दिया।
(3) माओत्से तुंग ने स्वतन्त्र सरकार और सेना पर बल दिया।
(4) उन्होंने महिलाओं की दशा सुधारने पर बल दिया। उन्होंने ग्रामीण महिला संघों की स्थापना को बढ़ावा दिया। उन्होंने विवाह के नये कानून बनाए, जिसमें आयोजित विवाहों तथा विवाह के समझौते खरीदने एवं बेचने पर रोक लगाई और तलाक को सरल बनाया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 14.
1930 में माओत्से तुंग द्वारा जुनवू में किए गए सर्वेक्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
“1930 में माओत्से तुंग द्वारा जुनवू में किया गया सर्वेक्षण – 1930 में जुनवू में किये गए एक सर्वेक्षण में माओत्से तुंग ने नमक और सोयाबीन जैसी दैनिक जीवन की वस्तुओं, स्थानीय संगठनों की तुलनात्मक दृढ़ताओं, छोटे व्यापारियों और शिल्पकारों, लौहारों, वेश्याओं, धार्मिक संगठनों की मजबूतियाँ, इन सबका परीक्षण किया, ताकि शोषण के पृथक्-पृथक् स्तरों को समझा जा सके। उन्होंने ऐसे आँकड़े एकत्रित किये कि कितने किसानों ने अपने बच्चों को बेचा है और इसके लिए उन्हें कितना धन मिला। लड़के 100-200 यूआन पर बिकते थे, परन्तु लड़कियों की बिक्री के कोई उदाहरण नहीं मिले; क्योंकि आवश्यकता मजदूरों की थी, स्त्रियों के शोषण की नहीं। इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने सामाजिक समस्याओं के समाधान के तरीके प्रस्तुत किए।

प्रश्न 15.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार की उपलब्धियाँ – पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार 1949 में स्थापित हुई। यह ‘नए लोकतन्त्र’ के सिद्धान्त पर आधारित थी। इसकी उपलब्धियाँ इस प्रकार रहीं –

  • नया लोकतन्त्र चीन के सभी सामाजिक वर्गों का गठबन्धन था। इसके अन्तर्गत, अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र सरकार के नियन्त्रण में रखे गए और निजी कारखानों तथा भूस्वामित्व को धीरे-धीरे समाप्त किया गया। यह कार्यक्रम 1953 तक चला।
  • उस समय सरकार ने समाजवादी परिवर्तन का कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी।
  • 1958 में सरकार ने लम्बी छलाँग वाले आन्दोलन की नीति अपनाई जिसके अन्तर्गत देश का तीव्र गति से औद्योगीकरण करने का प्रयास किया गया। लोगों को अपने घरों के पिछवाड़े में इस्पात की भट्टियाँ लगाने के लिए बढ़ावा दिया गया।
  •  ग्रामीण क्षेत्रों में पीपुल्स कम्यून शुरू किये गए। यहाँ लोग इकट्ठे जमीन के स्वामी थे तथा मिल-जुलकर फसल उगाते थे।

प्रश्न 16.
माओत्सेतुंग पार्टी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पाने के लिए क्या कार्य किये? वे इन लक्ष्यों की प्राप्ति में कैसे सफल रहे?
उत्तर:
माओत्सेतुंग साम्यवादी दल द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए चीनी जनसमुदाय को प्रेरित करने में सफल रहे। वे ‘समाजवादी व्यक्ति’ बनाने के लिए लालायित थे। इसकी पाँच चीजें प्रिय होती थीं –
(1) पितृ भूमि
(2) जनता
(3) काम
(4) विज्ञान तथा
(5) जन सम्पत्ति। किसानों, स्त्रियों, छात्रों और अन्य गुटों के लिए जन- संस्थाएँ बनाई गईं। उदाहरणार्थ ‘ऑल चाइना स्टूडेन्ट्स फेडरेशन’ के 32 लाख 90 हजार सदस्य थे।

प्रश्न 17.
‘1965 की चीन की महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
‘समाजवादी व्यक्ति’ की रचना के इच्छुक माओवादियों तथा कुशलता की बजाय विचारधारा पर माओ के जोर देने की आलोचना करने वालों के मध्य संघर्ष छिड़ गया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप माओत्सेतुंग ने 1965 में महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति शुरू की। इस क्रान्ति की शुरुआत उन्होंने अपने आलोचकों का मुकाबला करने के लिए की। इस क्रान्ति के अन्तर्गत पुरानी संस्कृति, पुरानी रिवाजों और पुरानी आदतों के विरुद्ध अभियान शुरू करने के लिए रेड गार्ड्स मुख्यतः – छात्रों और सेना-का प्रयोग किया गया। छात्रों और व्यावसायिक लोगों को जनता से ज्ञान प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा गया। विचारधारा (साम्यवादी होना) व्यावसायिक ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

परिणाम –
(1) सांस्कृतिक क्रान्ति के फलस्वरूप देश में अव्यवस्था फैल गई और साम्यवादी पार्टी कमजोर हो गई।
(2) अर्थव्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था में भारी गिरावट आई।
(3) धीरे-धीरे साम्यवादी दल ने अपना प्रभाव बढ़ना शुरू कर दिया।

प्रश्न 18.
यूसिन संविधान क्या था ?
उत्तर:
दक्षिण कोरिया के 1971 के चुनावों में पार्क चुंग ही को पुनः चुन लिया गया। इसके बाद अक्टूबर 1972 में पार्क ने यूसिन संविधान घोषित करके उसे कार्यान्वित किया। इस संविधान ने स्थायी अध्यक्षता को संभव बनाया। यूसिन संविधान के तहत राष्ट्रपति को कानून के क्षेत्राधिकार और प्रशासन पर पूर्ण अधिकार था तथा किसी भी कानून को ‘आपातकालीन नियम’ के रूप में निरस्त करने का भी एक संवैधानिक अधिकार था। इस प्रकार यूसिन संविधान के तहत राष्ट्रपति के पूर्ण अधिकार प्रणाली के साथ लोकतंत्र एक तरह से अस्थायी रूप से निलंबित हो गया।

निबन्धात्मक प्रश्न –
प्रश्न 1.
“चीन और जापान के भौतिक भूगोल में काफी अन्तर है।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
चीन और जापान की भौगोलिक स्थिति तथा उनकी प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चीन का भौतिक भूगोल- चीन और जापान के भौतिक भूगोल में काफी अन्तर है। चीन विशालकाय . महाद्वीपीय देश है जिसमें कई प्रकार की जलवायु वाले क्षेत्र हैं। मुख्य क्षेत्र में तीन प्रमुख नदियाँ हैं –
(1) पीली नदी (हुआँग हो)
(2) यांग्त्सी नदी (छाँगजिआंग – विश्व की तीसरी सबसे लंम्बी नदी) तथा
(3) पर्ल नदी। चीन का बहुत-सा भाग पहाड़ी है।
चीन का जातीय समूह तथा भाषाएँ – हान चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह है। चीनी वहाँ की प्रमुख भाषा है। परन्तु वहाँ उइधुर, हुई, मांचू, तिब्बती आदि कई और राष्ट्रीयताएँ हैं। कैंटनीज (कैंटन की बोली- उए) तथा शंघाइनीज (शंघाई की बोली – वू) आदि बोलियाँ भी बोली जाती हैं।
चीनी भोजन- चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है। इनमें चार प्रमुख प्रकार के भोजन उल्लेखनीय हैं-
(i) चीन में सबसे प्रसिद्ध भोजनं प्रणाली दक्षिणी या केंटोनी है, जो कैंटन व उसके आन्तरिक प्रदेशों की है। यह प्रणाली इसलिए प्रसिद्ध है कि विदेशों में रहने वाले अधिकतर चीनी कैंटन प्रान्त के हैं। डिमसम (शाब्दिक अर्थ दिल को छूना) यहाँ का प्रसिद्ध भोजन है। यह गुँथे हुए आटे को ‘सब्जी आदि भर कर उबाल कर बनाया गया व्यंजन है।
(ii) उत्तर में गेहूँ मुख्य आहार है।
(iii) शेचुआँ में प्राचीन काल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लाए गए मसाले और रेशम मार्ग द्वारा पन्द्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा लाई गई मिर्च के कारण विशेष झालदार और तीखा भोजन मिलता है।
(iv) पूर्वी चीन में चावल और गेहूँ दोनों खाए जाते हैं।
जापान के भौतिक भूगोल की विशेषताएँ – जापान के भौतिक भूगोल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. चीन के विपरीत जापान एक द्वीप – शृंखला है। इनमें चार सबसे बड़े द्वीप हैं –
(1) होंशू
(2) क्यूशू
(3) शिकोकू तथा
(4) होकाइदो। सबसे दक्षिण में ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला है।

2. मुख्य द्वीपों की 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पहाड़ी है।
3. जापान बहुत ही सक्रिय भूकम्प क्षेत्र है।
4. जापान की इन भौगोलिक परिस्थितियों ने वहाँ की वास्तुकला को प्रभावित किया है।
5. जापान की अधिकतर जनसंख्या जापानी है, परन्तु कुछ आयनू अल्पसंख्यक तथा कुछ कोरिया के लोग हैं कोरिया के लोगों को श्रमिक मजदूर के रूप में उस समय जापान लाया गया था, जब कोरिया जापान का उपनिवेश था।
6. जापान में पशु-पालन की परम्परा नहीं है।
7. चावल यहाँ की मुख्य फसल है और मछली प्रोटीन का मुख्य स्रोत है। यहाँ की कच्ची मछली साशिमी या सूशी अब सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गई है क्योंकि इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

प्रश्न 2.
मेजी पुनर्स्थापना से क्या अभिप्राय है? जापान की सरकार ने राजनीतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में क्या सुधार किये?
उत्तर:
जापान में मेजी पुनर्स्थापना – 1867-68 में जापान में मेजी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त किया गया। 1868 में एक प्रबल आन्दोलन द्वारा शोगुन को सत्ता से हटा दिया गया। सम्राट् को एदो में लाया गया। एदो को जापान की राजधानी बना दिया गया तथा उसका नया नाम तोक्यो रखा गया। तोक्यो का अर्थ है – ‘पूर्वी राजधानी’। अब शासन की वास्तविक सत्ता, सम्राट के हाथ में आ गई। इसे ‘मेजी पुनर्स्थापना’ अथवा ‘सम्राट की शक्ति का पुनरुद्धार’ कहते हैं।
1. राजनीतिक क्षेत्र में सुधार – जापान की मेजी सरकार ने राजनीतिक क्षेत्र में निम्नलिखित सुधार किये –
(i) नई नीति की घोषणा – सरकार ने ‘फुकोकु क्योहे’ (समृद्ध देश, मजबूत सेना) के नारे के साथ नई नीति की घोषणा की। सरकार की यह धारणा थी कि देश की अर्थव्यवस्था का विकास और मजबूत सेना का निर्माण करना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा उसे भी भारत की भाँति पराधीन बनना पड़ सकता है। अतः उसने जापानी जनता में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार करने तथा प्रजा को नागरिक की श्रेणी में बदलने का निश्चय कर लिया।

(ii) सम्राट्-व्यवस्था का पुनर्निर्माण- मेजी सरकार ने सम्राट व्यवस्था के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया। विद्वानों के अनुसार सम्राट व्यवस्था से अभिप्राय है एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सम्राट, नौकरशाही तथा सेना इकट्ठे शासन चलाते थे और नौकरशाही तथा सेना सम्राट के प्रति उत्तरदायी होते थे। राजतान्त्रिक व्यवस्था के सिद्धान्तों को समझने के लिए कुछ अधिकारियों को यूरोप भेजा गया। सम्राट को सूर्य देवी का वंशज माना गया। इसके साथ ही उसे पश्चिमीकरण का नेता भी स्वीकार किया गया। सम्राट का जन्म-दिन राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित किया गया। अब सम्राट् पश्चिमी ढंग की सैनिक वेशभूषा पहनने लगा। उसके नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम जारी किये जाने लगे।

(iii) नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार करना – राष्ट्र के एकीकरण के लिए मेजी सरकार ने पुराने गाँवों तथा क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नया प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। 20 वर्ष से अधिक आयु के नवयुवकों के लिए कुछ समय के लिए सेना में काम करना अनिवार्य हो गया। एक आधुनिक सैन्य बल तैयार किया गया। कानून व्यवस्था बनाई गई जो राजनीतिक गुटों के गठन को देख सके, बैठकें आयोजित करने पर नियन्त्रण रख सके और कठोर सेंसर व्यवस्था बना सके।

सेना और नौकरशाही को सीधा सम्राट के अधीन रखा गया। इस प्रकार संविधान बनने के बाद भी सेना और नौकरशाही सरकारी नियन्त्रण से बाहर रहे। इस नीति के परिणामस्वरूप सेना ने साम्राज्य-विस्तार के लिए मजबूत विदेश नीति अपनाने पर बल दिया। इस कारण से जापान को चीन और रूस से युद्ध लड़ने पड़े, जिनमें जापान की विजय हुई। जापान की आर्थिक क्षेत्र में आश्चर्यजनक उन्नति हुई तथा उसने अपना एक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया। परन्तु सरकार ने अपने देश में लोकतन्त्र के प्रसार को रोका और उपनिवेशीकृत लोगों के साथ संघर्ष की नीति अपनाई।

2. शैक्षणिक क्षेत्र में विकास – 1870 के दशक से जापान में नई विद्यालय – व्यवस्था का निर्माण शुरू हुआ। लड़के तथा लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य हो गया। 1910 तक स्कूल जाने से कोई वंचित नहीं रहा। शिक्षा की फीस बहुत कम थी। शुरू में पाठ्यक्रम पश्चिमी देशों के नमूने पर आधारित था, परन्तु 1870 से आधुनिक विचारों पर बल देने के साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा तथा जापानी इतिहास के अध्ययन पर भी बल दिया जाने लगा। पाठ्यक्रम, पुस्तकों के चयन तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण पर शिक्षा मन्त्रालय का नियन्त्रण रहता था। नैतिक संस्कृति के विषयों का अध्ययन . आवश्यक था। पुस्तकों में माता-पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति स्वामि-भक्ति और अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी जाती थी।

प्रश्न 3.
मैजी सरकार द्वारा जापान की अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण के लिए किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए उद्योगों के तीव्र विकास का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
जापान की अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण मैजी सरकार की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि था। इसके लिए मैजी सरकार ने निम्नलिखित कार्य किये –
(i) धन इकट्ठा करना – कृषि पर कर लगाकर धन इकट्ठा किया गया।
(ii) रेलवे लाइन का निर्माण – जापान की पहली रेलवे लाइन का निर्माण 1870-72 में हुआ जो तोक्यो से योकोहामा तक बनाई गई। 1894 तक जापान में 2118 मील लम्बी रेलवे लाइनों का निर्माण हो चुका था।
(iii) उद्योग- वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से मँगाई गईं। लोहे, कपड़े आदि के अनेक कारखाने खोले गए। परिणामस्वरूप कारखानों में कपड़ा, लोहे का सामान, रेशम आदि बड़े पैमाने पर होने लगा। 1890 तक जापान में भाप से चलने वाले 250 से भी अधिक कारखाने स्थापित हो चुके थे। मजदूरों के प्रशिक्षण के लिए विदेशी कारीगरों को बुलाया गया।
(iv) बैंकों की स्थापना – 1872 में जापान में आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं का प्रारम्भ हुआ। 1879 ई. तक जापान में लगभग 150 बैंक स्थापित हो चुके थे।
(v) जहाज – निर्माण – जापान में जहाज को सब्सिडी तथा करों में लाभ के द्वारा प्रमुख जहाजों में होने लगा।
उद्योग की बड़ी उन्नति हुई। मित्सुबिशी और सुमितोमी जैसी कम्पनियों जहाज़ – 1 ज़ – निर्माता बनने में सहायता मिली। इससे जापानी व्यापार जापान के
(vi) जायबात्सु (बड़ी व्यापारिक संस्थाएँ) का प्रभुत्व स्थापित होना – जायबात्सु बड़ी व्यापारिक संस्थाएँ जिन पर विशिष्ट परिवारों का नियन्त्रण था, का प्रभुत्व द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद तक जापान की अर्थव्यवस्था पर बना रहा।

(vii) जनसंख्या में वृद्धि – 1872 में जापान की जनसंख्या 3.5 करोड़ थी जो 1920 में बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई। जनसंख्या के दबाव को कम करने के लिए सरकार ने प्रवास को प्रोत्साहन दिया। पहले उत्तरी टापू होकाइदो की ओर, फिर हवाई और ब्राजील और जापान के बढ़ते हुए औपनिवेशिक साम्राज्य की ओर। उद्योगों के विकास के कारण शहरों की आबादी बढ़ गई। 1925 तक जापान की 21 प्रतिशत जनता शहरों में रहती थी। 1935 तक यह बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई। इस प्रकार 1935 तक जापान के शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 2.25 करोड़ थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

(viii) औद्योगिक मजदूर – 1870 में जापान में औद्योगिक मजदूरों की संख्या 7 लाख थी, जो बढ़कर 1913 में 40 लाख हो गई। अधिकतर मजदूर ऐसी इकाइयों में काम करते थे, जिनमें 5 से कम लोग थे और जिनमें मशीनों तथा विद्युत ऊर्जा का प्रयोग नहीं होता था। इन आधुनिक कारखानों में काम करने वालों में आधे से अधिक महिलाएँ थीं। 1886 में पहली आधुनिक हड़ताल महिलाओं द्वारा ही आयोजित की गई थी। 1900 के पश्चात् कारखानों में पुरुषों की संख्या बढ़ने लगी परन्तु 1930 के दशक में आकर ही पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक हुई।

(ix) कारखानों में मजदूरों की संख्या में वृद्धि – जापान में कारखानों में मजदूरों की संख्या भी बढ़ने लगी। 100 से अधिक मजदूर वाले कारखानों की संख्या 1909 में 1000 थी। 1920 तक इनकी संख्या 2000 से अधिक हो गई और 1930 के दशक में इनकी संख्या 4,000 हो गई। फिर भी 1940 में 5,50,000 कारखानों में 5 से कम मजदूर ही काम करते थे। इससे परिवार – केन्द्रित विचारधारा बनी रही।

पर्यावरण पर प्रभाव – उद्योगों के तीव्र विकास और लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग से पर्यावरण का विनाश हुआ। संसद के पहले निम्न सदन के सदस्य तनाकोशोजो ने 1897 में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध पहला आन्दोलन शुरू किया। तनाकोशोजो ने कहा कि औद्योगिक प्रगति के लिए सामान्य लोगों की बलि नहीं दी जानी चाहिए। आशियो खान से वातारासे नदी में प्रदूषण फैलता जा रहा था जिसके कारण 100 वर्ग मील की कृषि भूमि नष्ट हो रही थी तथा 1000 परिवार प्रभावित हो रहे थे। 800 गाँववासी पर्यावरण प्रदूषण के विरुद्ध संगठित हो गए और उन्होंने सरकार को उचित कार्यवाही करने पर बाध्य कर दिया।

प्रश्न 4.
जापान के आक्रामक राष्ट्रवाद, पश्चिमीकरण और परम्परा पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
1. जापान का आक्रामक राष्ट्रवाद – मेजी संविधान सीमित मताधिकार पर आधारित था और उसकी डायट (संसद) के अधिकार भी सीमित थे। सम्राट की शक्ति की पुनर्स्थापना करने वाले नेता सत्ता में बने रहे तथा उन्होंने राजनीतिक दलों का गठन किया। 1918 तथा 1931 के बीच जनमत से चुने गए प्रधानमन्त्रियों ने मन्त्रिपरिषदों का गठन किया। इसके पश्चात् उन्होंने पार्टियों का भेद भुलाकर बनाई गई राष्ट्रीय एकता मन्त्रिपरिषदों के हाथों अपनी सत्ता खो दी। सम्राट सैन्य बलों का कमाण्डर था।

1890 से यह माना जाने लगा कि थल सेना और नौसेना का नियन्त्रण स्वतन्त्र है। 1899 में जापान के प्रधानमन्त्री ने आदेश दिए कि केवल सेवारत जनरल और एडमिरल ही मन्त्री बन सकते हैं। सेना को शक्तिशाली बनाने का अभियान और जापान का औपनिवेशिक विस्तार इस भय से सम्बन्धित थे कि जापान पश्चिमी देशों की दया पर निर्भर है। इस डर का उपयोग उन लोगों के दमन करने में किया गया जो सैन्य विस्तार के विरुद्ध और सेना को अधिक धन देने के लिए वसूले जाने वाले भारी करों के विरुद्ध आवाज उठा रहे थे।

2. ‘पश्चिमीकरण’ और ‘परम्परा’ – कुछ विद्वानों के अनुसार अमरीका तथा पश्चिमी यूरोपीय देश सभ्यता के शिखर पर थे, जहाँ जापान को भी पहुँचना चाहिए। ये विद्वान जापान का ‘पश्चिमीकरण’ किये जाने के पक्ष में थे। फुकुजावा, यूकिची मेजी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से थे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ” जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।” इसका मतलब यह था कि जापान को अपने एशियाई लक्षणों का परित्याग कर देना चाहिए तथा पश्चिमी देशों का अनुकरण करना चाहिए। पश्चिमी विचारों को पूरी तरह से स्वीकार करने पर आपत्ति करना – जापान की अगली पीढ़ी ने पश्चिमी विचारों को पूरी तरह से स्वीकार करने पर आपत्ति की तथा कहा कि राष्ट्रीय गर्व का निर्माण देसी मूल्यों पर किया जाना चाहिए दर्शनशास्त्री मियाके सेत्सुरे का कहना था कि विश्व-सभ्यता के हित में हर राष्ट्र को अपने विशेष कौशल का विकास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ” अपने को अपने देश के लिए समर्पित करना अपने को विश्व को समर्पित करना है। ” पश्चिमी उदारवाद का समर्थन करना – दूसरी ओर कुछ विद्वान पश्चिमी उदारवाद के समर्थक थे। वे चाहते थे कि जापान अपना आधार सेना की बजाय लोकतन्त्र को बनाए।

फ्रांसीसी क्रान्ति में लोगों के प्राकृतिक अधिकारों और जन – प्रभुसत्ता के सिद्धान्तों का समर्थन – संवैधानिक सरकार की माँग करने वाले जनवादी अधिकारों के आन्दोलन के नेता उएकी एमोरी फ्रांसीसी क्रान्ति में लोगों के प्राकृतिक अधिकारों तथा जन-प्रभुसत्ता के सिद्धान्तों के समर्थकं थे। वे उदारवादी शिक्षा के समर्थक थे जो प्रत्येक व्यक्ति का विकास कर सके। उनका कहना था कि, ” व्यवस्था से अधिक मूल्यवान चीज है स्वतन्त्रता। ” कुछ अन्य लोगों ने महिलाओं के मताधिकार का भी समर्थन किया। इस प्रकार के दबाव ने सरकार को संविधान की घोषणा करने पर विवश किया।

प्रश्न 5.
जापान में सत्ता- -केन्द्रित राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के क्या परिणाम हुए?
अथवा
जापान आधुनिकता पर विजय क्यों प्राप्त करना चाहता था ?
उत्तर:
जापान में सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के परिणाम – आधुनिकीकरण के परिणामस्वरूप जापान की शक्ति में अत्यधिक वृद्धि हुई। 1930-40 की अवधि में सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला। इसके फलस्वरूप जापान ने चीन और एशिया में अपने उपनिवेश स्थापित करने के लिए युद्ध लड़े। जापान ने 1937 में चीन पर आक्रमण कर उसके अनेक नगरों पर अधिकार कर लिया। जब 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो उस समय जापान पहले से ही चीन के विरुद्ध युद्ध छेड़े हुए था। उग्र राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर 1941 में जापान ने अमरीका की बन्दरगाह पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया। राष्ट्रवाद की प्रबलता के कारण सामाजिक नियन्त्रण में वृद्धि हुई। विरोधियों पर अत्याचार किए गए तथा उन्हें जेलों में बन्द कर दिया गया। देश-भक्तों की ऐसी संस्थाओं का निर्माण हुआ जो युद्ध का समर्थन करती थीं। इनमें महिलाओं के अनेक संगठन थे।

आधुनिकता पर विजय – 1943 में जापान में एक संगोष्ठी हुई ‘आधुनिकता पर विजय’। इसमें जापान के सामने यह समस्या थी कि आधुनिक रहते हुए पश्चिम पर कैसे विजय प्राप्त की जाए ? संगीतकार मोरोई साबुरो ने इस बात पर बल दिया कि संगीत को आत्मा की कला के रूप में उसका पुनर्वास कैसे कराया जाए? वे पश्चिमी संगीत का विरोध नहीं कर रहे थे। वे चाहते थे कि जापानी संगीत को पश्चिमी वाद्यों पर बजाए जाने से आगे ले जाया जाए। प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने ‘आधुनिक’ को तीन पश्चिमी धाराओं के मिलन और एकता से परिभाषित किया ” पुनर्जागरण, प्रोटेस्टेन्ट सुधार और प्राकृतिक विज्ञानों का विकास।” उनका कहना था कि जापान की ‘नैतिक ऊर्जा’ ने उसे एक उपनिवेश बनने से बचा लिया और जापान का कर्त्तव्य बनता है कि एक नई विश्व पद्धति एक विशाल पूर्वी एशिया के निर्माण का प्रयत्न करे। इसके लिए एक नई सोच की आवश्यकता है जो विज्ञान और धर्म को जोड़ सके।

प्रश्न 6.
“द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद भी जापान का एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में प्रकट हुआ। ” विवेचना कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद भी जापान वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध शीघ्र समाप्त करने के लिए अमरीका ने जापान के दो नगरों-हिरोशिमा तथा नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। अतः जापान को आत्म-समर्पण करना पड़ा। अमरीकी नेतृत्व वाले कब्जे (1945-47) के दौरान, जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया और वहाँ एक नया संविधान लागू हुआ। इसके अनुच्छेद-9 के अनुसार युद्ध का राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में प्रयोग वर्जित है। कृषि – सुधार व्यापारिक संगठनों का पुनर्गठन और जापानी अर्थव्यवस्था में जायेबात्सु अर्थात् बड़ी एकाधिकार कम्पनियों के प्रभुत्व को समाप्त करने का प्रयास किया गया। राजनीतिक दलों को पुनर्जीवित किया गया। युद्ध के बाद जापान में पहले चुनाव 1946 में हुए। इसमें पहली बार महिलाओं ने भी मतदान किया।

जापानी अर्थव्यवस्था का विकास- द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी भीषण पराजय के बावजूद, जापानी अर्थव्यवस्था का ज़िस तीव्र गति से विकास हुआ, उसे एक ‘युद्धोत्तर चमत्कार’ कहा गया है। संविधान को औपचारिक रूप से गणतान्त्रिक रूप इसी समय दिया गया। परन्तु जापान में जनवादी आन्दोलन तथा राजनीतिक भागेदारी का आधार बढ़ाने में बुद्धिजीवियों का ऐतिहासिक योगदान रहा है। अतः युद्ध से पहले के काल की सामाजिक सम्बद्धता को सुदृढ़ किया गया। इसके परिणामस्वरूप सरकार, नौकरशाही और उद्योग के बीच एक निकटता का सम्बन्ध स्थापित हुआ। अमरीकी समर्थन और कोरिया तथा वियतनाम में युद्ध छिड़ने से भी जापान की अर्थव्यवस्था को सहायता मिली।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

1964 में तोक्यो में हुए ओलम्पिक खेल जापानी अर्थव्यवस्था की मजबूती के प्रमाण थे। इसी प्रकार तीव्र गति वाली शिंकांसेन अर्थात् ‘बुलेट ट्रेनों’ का जाल भी 1964 में शुरू हुआ। इस पर रेल‍ गाड़ियाँ 200 मील प्रति घण्टे की रफ्तार से चलती थीं। ( अब वे 300 मील प्रति घण्टे की रफ्तार से चलती हैं।) जापानी : नई प्रौद्योगिकी के द्वारा श्रेष्ठ और सस्ते उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करने में सफल रहे। नागरिक समाज आन्दोलन का उदय – 1960 के दशक में नागरिक समाज आन्दोलन का विकास हुआ। बढ़ते औद्योगीकरण के कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की अवहेलना करने का विरोध किया गया।

1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में वायु में प्रदूषण से भी समस्याएँ उत्पन्न हुईं। अनेक गुटों ने इन समस्याओं को पहचानने और साथ ही हताहतों के लिए मुआवजा देने की माँग की। सरकार द्वारा की गई कार्यवाही तथा नये कानूनों से स्थिति में काफी सुधार हुआ। 1980 के दशक के मध्य से पर्यावरण सम्बन्धी विषयों में लोगों की रुचि में कमी आई है क्योंकि 1990 के जापान में विश्व के कुछ कठोरतम पर्यावरण सम्बन्धी नियन्त्रण लागू किए गए। आज जापान एक विकसित देश है। इस रूप में वह अग्रगामी विश्व शक्ति की अपनी हैसियत को बनाए रखने के लिए अपने राजनीतिक और प्रौद्योगिक क्षमताओं का प्रयोग करने की चुनौतियों का सामना कर रहा है।

प्रश्न 7.
1911 की क्रान्ति से पूर्व आधुनिक चीन की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1911 की क्रान्ति से पूर्व आधुनिक चीन की स्थिति 1911 की क्रान्ति से पूर्व आधुनिक चीन की स्थिति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता –
1. जेसुइट मिशनरियों द्वारा चीन से सम्पर्क स्थापित करना – आधुनिक चीन की शुरुआत सोलहवीं तथा सत्रहवीं सदी में पश्चिम के साथ उसका प्रथम सम्पर्क होने के समय से मानी जा सकती है। इस काल में जेसुइट मिशनरियों ने खगोल विद्या तथा गणित जैसे पश्चिमी विज्ञानों को चीन पहुँचाया।

2. प्रथम अफीम युद्ध (1839-42 ) – ब्रिटेन ने अफीम के लाभप्रद व्यापार को बढ़ाने के लिए अपनी सैन्य – शक्ति का प्रयोग किया जिसके फलस्वरूप ब्रिटेन और चीन में प्रथम अफीम – युद्ध (1839-42 ) हुआ। इसमें चीन की बुरी तरह से पराजय हुई और उसे विवश होकर ब्रिटेन से नानकिंग की सन्धि करनी पड़ी। इस युद्ध ने चीन के सत्ताधारी क्विंग राजवंश की प्रतिष्ठा को प्रबल आघात पहुँचाया और उसे कमजोर किया। इसके फलस्वरूप चीन में सुधार तथा परिवर्तन की माँग प्रबल होती गई।

3. व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर बल देना- चीन के प्रसिद्ध सुधारकों कांग यूवेई तथा लियांग किचाउ ने चन की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर बल दिया। अतः चीनी सरकार ने एक आधुनिक प्रशासकीय व्यवस्था, नई सेना तथा शिक्षा- प्रणाली के निर्माण के लिए नीतियाँ बनाईं। इसके अतिरिक्त संवैधानिक सरकार की स्थापना के हेतु स्थानीय विधायिकाओं का भी गठन किया गया। सुधारकों ने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाये जाने पर भी बल दिया।

4. उपनिवेश बनाये गए देशों के नकारात्मक उदाहरण – साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा उपनिवेश बनाए गए देशों के नकारात्मक उदाहरणों ने भी चीनी विचारकों को प्रभावित किया। 18वीं सदी में पोलैण्ड के बँटवारे के उदाहरण ने चीनियों को अत्यधिक प्रभावित किया। भारत के उदाहरण ने भी चीन को प्रभावित किया। चीनी विचारक लियांग किचाउ का कहना था कि चीनी लोगों में एक राष्ट्र की जागरूकता उत्पन्न करके ही चीन पश्चिम का विरोध कर सकेगा। 1903 में उन्होंने लिखा कि, ” भारत एक ऐसा देश है, जो किसी और देश नहीं, बल्कि एक कम्पनी के हाथों नष्ट हो गया – ईस्ट इण्डिया कम्पनी के। वे ब्रिटेन की सेवा करने तथा अपने लोगों के साथ क्रूर होने के लिए भारतीयों की आलोचना करते थे। उनकी बातों ने चीनियों को अत्यधिक प्रभावित किया, क्योंकि चीनी महसूस करते थे कि ब्रिटेन, चीन के साथ युद्ध में भारतीय सैनिकों का प्रयोग करता है। ”

5. परम्परागत सोच को बदलने की आवश्यकता – चीनियों ने यह अनुभव किया कि परम्परागत सोच को बदलने की आवश्यकता है। कन्फ्यूशियसवाद को विचारधारा चीन के प्रसिद्ध दार्शनिक और धर्म-सुधारक कन्फ्यूशियस और उनके अनुयायियों की शिक्षाओं से विकसित की गई। इसके अन्तर्गत अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी और उचित सामाजिक सम्बन्धों पर बल दिया गया था। इस विचारधारा ने चीनियों के जीवन के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित किया, सामाजिक मानक दिये तथा चीनी राजनीतिक सोच और संगठनों को आधार प्रदान किया।

6. चीनियों को नये विषयों में प्रशिक्षित करना – नए विषयों में प्रशिक्षित करने के लिए विद्यार्थियों को जापान, ब्रिटेन तथा फ्रांस में पढ़ने भेजा गया। 1890 के दशक में बड़ी संख्या में चीनी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए जापान गए। वे नये विचार लेकर चीन पहुँचे। उन्होंने चीन में गणतन्त्र की स्थापना करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चीन ने जापान से न्याय, अधिकार और क्रान्ति के यूरोपीय विचारों के जापानी अनुवाद लिए।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

7. रूस-जापान युद्ध – 1905 में रूस और जापान के बीच युद्ध हुआ। यह एक ऐसा युद्ध था जो चीन की धरती पर और चीनी प्रदेशों पर प्रभुत्व के लिए लड़ा गया था। इस युद्ध के बाद सदियों पुरानी चीनी परीक्षा-प्रणाली समाप्त कर दी गई, जो चीनियों को अभिजात सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश दिलाने का काम करती थी।

प्रश्न 8.
डॉ. सनयात सेन तथा च्यांग काई शेक के नेतृत्व में चीन के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. डॉ. सनयातसेन के नेतृत्व में चीन का विकास – 1911 में मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया गया और डॉ. सनयातसेन के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई। डॉ. सेन आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। उन्होंने डॉक्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण की, परन्तु वे चीन के भविष्य के प्रति चिन्तित थे। डॉ. सेन के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित थे
(1) राष्ट्रवाद – इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना, साथ ही साम्राज्यवादियों को चीन से हटाना। मांचू वंश विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था।

(2) गणतन्त्र – चीन में गणतन्त्र या गणतान्त्रिक सरकार की स्थापना करना।

(3) समाजवाद – पूँजी का नियमन करना तथा भू-स्वामित्व में बराबरी लाना। 1912 में डॉ. सनयात सेन ने कुओमिनतांग दल की स्थापना की जो शीघ्र ही चीन का एक प्रमुख दल बन गया। डॉ. सनयात सेन के विचार कुओमिनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंने कपड़ा, भोजन, मकान और परिवहन – इन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया।

2. च्यांग काई शेक के नेतृत्व में चीन का विकास – 1925 में डॉ. सनयात सेन की मृत्यु के पश्चात् च्यांग काई शेक कुओमिनतांग दल के नेता बने।
(1) च्यांग काई शेक ने सैन्य अभियानों के द्वारा वारलार्ड्सको (स्थानीय नेता जिन्होंने सत्ता छीन ली थी) अपने नियन्त्रण में किया और साम्यवादियों को नष्ट किया।
(2) उन्होंने सैक्यूलर और इहलौकिक कन्फ्यूशियसवाद का समर्थन किया, परन्तु साथ ही राष्ट्र का सैन्यकरण करने का कार्यक्रम जारी रखा।
(3) उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लोगों को ‘एकताबद्ध व्यवहार की प्रवृत्ति और आदत’ का विकास करना चाहिए।
(4) उन्होंने महिलाओं के विकास पर भी बल दिया। उन्होंने महिलाओं को चार सद्गुण उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया।

ये चार सद्गुण थे –
(1) सतीत्व
(2) रूप-रंग
(3) वाणी,
(4) काम। उन्होंने उनकी भूमिका को घरेलू स्तर पर ही देखने पर बल दिया।

(5) कुओमिनतांग का सामाजिक आधार शहरी प्रदेशों में था। औद्योगिक विकास की गति धीमी थी तथा कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित थी। 1919 में शंघाई जैसे शहरों में औद्योगिक मजदूर वर्ग का उदय हो रहा था और उनकी संख्या लगभग पाँच लाख थी। परन्तु इनमें से अधिकतर लोग ‘नगण्य शहरी’ (शियाओ शिमिन), व्यापारी तथा दुकानदार होते थे। आधुनिक उद्योगों में मजदूरों की संख्या कम थी।

(6) व्यक्तिवाद बढ़ने के साथ-साथ, महिलाओं के अधिकार, परिवार बनाने के तरीके और प्रेम-मुहब्बत आदि विषयों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

(7) सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विस्तार से सहायता मिली। 1902 में पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। पत्रकारिता का भी विकास हुआ।

3. च्यांग काई शेक व कुओमिनतांग की असफलता- देश को एकीकृत करने के अपने भरसक प्रयासों के बावजूद कुओमिन तांग अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टिकोण के कारण असफल हो गया।

यथा –
(i) डॉ. सनयात सेन के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त – पूँजी नियमन और भूमि अधिकारों में बराबरी लाना, को कभी भी कार्यान्वित नहीं किया गया। इसका कारण यह था कि पार्टी ने किसानों और बढ़ती हुई सामाजिक असमानता की अवहेलना की।
(ii) पार्टी ने लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय, सैनिक व्यवस्था थोपने का प्रयास किया।
(iii) 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण किया और चीन के अनेक नगरों पर अधिकार कर लिया। कुओमिनताँग की सेना को पीछे हटना पड़ा। दीर्घकालीन युद्धों ने चीन को कमजोर कर दिया।
(iv) 1945-49 की अवधि में चीन में कीमतें 30 प्रतिशत प्रति महीने की गति से बढ़ती गईं। इसके परिणामस्वरूप सामान्य व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो गया।
(v) ग्रामीण चीन को दो संकटों का सामना करना पड़ा।

ये दो संकट थे –
(1) पर्यावरण सम्बन्धी संकट, जिसमें बंजर जमीन, वनों का नाश और बाढ़ शामिल थे तथा
(2) सामाजिक – आर्थिक संकट जो विनाशकारी जमीन – प्रथा आदि प्रौद्योगिकी तथा निम्न स्तरीय संचार के कारण था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 9.
चीन में 1978 से शुरू होने वाले सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीन में 1978 से शुरू होने वाले सुधार चीन में सांस्कृतिक क्रान्ति के बाद राजनीतिक दांव-पेंच की प्रक्रिया आरम्भ हुई। तंग शीयाओफिंग ने पार्टी पर सुदृढ़ नियन्त्रण बनाये रखा और साथ ही देश में समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था आरम्भ की।

1. चार-सूत्री लक्ष्य – 1978 में चीन की साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के अपने चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की। यह था – 1 – विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास। पार्टी से प्रश्न-उत्तर न करने की शर्त पर वाद-विवाद करने की अनुमति दे दी गई।

2. नये विचारों का प्रसार – इस नए और स्वतन्त्र वातावरण में नये विचारों का खूब प्रसार हुआ | 5 दिसम्बर, 1978 को दीवार पर लगे एक पोस्टर ने पाँचवीं आधुनिकता का दावा किया कि लोकतन्त्र के बिना अन्य आधुनिकताएँ निरर्थक हैं अर्थात् लोकतन्त्र के बिना आधुनिकीकरण सम्भव नहीं है। इसे पाँचवीं आधुनिकता का नाम दिया गया। पोस्टर में गरीबी को न हटा पाने तथा लैंगिक शोषण समाप्त न कर पाने के लिए सी. सी.पी. की आलोचना की गईं। परन्तु इस विरोध का दमन कर दिया गया।

3. तियानमेन चौक पर छात्रों का प्रदर्शन- 1989 में 4 मई के आन्दोलन की 70वीं वर्षगांठ पर अनेक बुद्धिजीवियों ने अधिक खुलेपन की माँग की और कठोर सिद्धान्तों (शू – शाओझी) को समाप्त करने की माँग की। बीजिंग के तियानमेन चौक पर हजारों चीनी छात्रों ने विशाल प्रदर्शन किया और लोकतन्त्र की माँग की, सरकार ने छात्रों के प्रदर्शन का क्रूरतापूर्वक दमन कर दिया। सम्पूर्ण विश्व में इसकी कटु आलोचना हुई।

4. चीन के विकास के सम्बन्ध में वाद-विवाद – कुछ समय पश्चात् चीन के विकास के विषय पर पुनः वाद- विवाद होने लगा। साम्यवादी पार्टी सुदृढ़ राजनीतिक नियन्त्रण, आर्थिक खुलेपन तथा विश्व बाजार से जुड़ाव का समर्थन करती है। परन्तु आलोचकों का कहना है कि सामाजिक गुटों, क्षेत्रों तथा पुरुषों और महिलाओं के बीच बढ़ती हुई असमानताओं से सामाजिक तनाव में वृद्धि हो रही है। अब चीन में पहले के पारम्परिक विचार फिर से जीवित हो रहे हैं। कन्फ्यूशियसवाद का प्रसार हो रहा है और इस बात पर बल दिया जा रहा है कि पश्चिम की नकल करने की बजाय चीन अपनी परम्परा पर चलते हुए भी एक आधुनिक समाज का निर्माण कर सकता है।

प्रश्न 10.
च्यांग काई शेक के नेतृत्व में ताइवान में सरकार की स्थापना का विवेचन कीजिए। वहाँ की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
च्यांग काई शेक के नेतृत्व में सरकार की स्थापना –
1. 1949 में च्यांग काई शेक का ताइवान भागना-चीन के साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के पश्चात् च्यांग काई शेक 30 करोड़ से अधिक अमरीकी डॉलर और बहुमूल्य कलाकृतियाँ लेकर 1949 में ताइवान भाग निकला। ताइवान में उसने चीनी गणतन्त्र की स्थापना की। 1894-95 में जापान के साथ हुए युद्ध में चीन को यह स्थान जापान को सौंपना पड़ा था। तब से ताइवान जापान का उपनिवेश बना हुआ था। कायरो घोषणा पत्र ( 1943) एवं पोट्सडैम उद्घोषणा (1949) के द्वारा चीन को सम्प्रभुता वापस मिल गई थी।

2. ताइवान में च्यांग काई शेक के नेतृत्व में दमनकारी सरकार की स्थापना – फरवरी, 1947 में हुए प्रबल प्रदर्शनों के पश्चात् कुओमिनतांग ने नेताओं की एक पूरी पीढ़ी का क्रूरतापूर्वक वध करवा दिया। च्यांग काई शेक के नेतृत्व कुओमिनतांग ने एक दमनकारी सरकार की स्थापना की। सरकार ने लोगों से बोलने की तथा राजनीतिक विरोध करने की स्वतन्त्रता छीन ली। सत्ता – केन्द्रों से स्थानीय लोगों को पूर्ण रूप से हटा दिया गया।

3. आर्थिक क्षेत्र में सुधार – च्यांग काई शेक की सरकार ने भूमि सुधार कार्यक्रम लागू किया जिसके परिणामस्वरूप खेती की उत्पादकता बढ़ी। सरकार ने अर्थव्यवस्था का भी आधुनिकीकरण किया जिसके फलस्वरूप 1973 में कुल राष्ट्रीय उत्पाद के मामले में ताइवान सम्पूर्ण एशिया में जापान के बाद दूसरे स्थान पर रहा। यह अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित थी तथा निरन्तर विकसित भी होती रही। परन्तु महत्त्वपूर्ण बात यह है अमीर और गरीब के बीच का अन्तराल निरन्तर कम होता गया।

4. ताइवान में लोकतन्त्र की स्थापना – ताइवान में लोकतन्त्र की स्थापना की घटना भी नाटकीय रही है। यह प्रक्रिया 1975 में च्यांग काई शेक की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे शुरू हुई। 1987 में वहाँ फौजी कानून हटा लिया गया तथा विरोधी दलों को कानूनी मान्यता मिल गई। इसके बाद वहाँ लोकतन्त्र स्थापित करने की दिशा में काफी प्रगति हुई। पहले स्वतन्त्र मतदान के द्वारा स्थानीय ताइवानी लोग सत्ता में आने लगे। राजनयिक स्तर पर अधिकांश देशों के व्यापार मिशन केवल ताइवान में ही हैं। उनके द्वारा ताइवान में पूर्ण राजनयिक सम्बन्ध और दूतावास रखना सम्भव नहीं, क्योंकि ताइवान को चीन का ही एक भाग माना जाता है।

5. चीन के साथ पुनः एकीकरण की समस्या- चीन के साथ ताइवान का पुन: एकीकरण का प्रश्न अभी भी विवादास्पद बना हुआ है। अब ताइवान और चीन के बीच सम्बन्ध सुधर रहे हैं, ताइवानी व्यापार और निवेश चीन में बड़े पैमाने पर हो रहा है तथा आवागमन भी आसान हो गया है। आशा है कि चीन ताइवान को एक अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र के रूप में स्वीकार करने में सहमत हो जायेगा, बशर्ते ताइवान पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए कोई उग्र कदम नहीं उठाये।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

प्रश्न 11.
जापान तथा चीन द्वारा आधुनिकीकरण के लिए अपनाये गए मार्गों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक समाजों ने आधुनिकता के अपने-अपने मार्ग बनाए। जापान और चीन की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनके स्वतन्त्र तथा आधुनिक देश बनाने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए।
1. जापान के आधुनिकीकरण का मार्ग – जापान अपनी स्वतन्त्रता बनाए रखने में सफल रहा और पारम्परिक कौशल तथा प्रथाओं को नए तरीकों से प्रयुक्त कर पाया।
(i) उग्र-राष्ट्रवाद का उदय तथा शोषणकारी सत्ता को बनाए रखना – जापान में कुलीन तन्त्र के नेतृत्व में हुए आधुनिकीकरण ने एक उग्र राष्ट्रवाद को जन्म दिया और एक शोषणकारी सत्ता को बनाए रखा। इसने लोकतन्त्र की माँग का दमन कर दिया।
(ii) औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना – जापान ने एक औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की जिससे उस क्षेत्र में कटुता की भावना बनी रही और आन्तरिक विकास भी अवरुद्ध हुआ।
(iii) जापान का आधुनिकीकरण और पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभुत्व – जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ जब पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का बोलबाला था। यद्यपि जापान ने पश्चिमी देशों की नकल की, परन्तु साथ ही अपनी समस्याओं के हल ढूँढ़ने का भी प्रयास किया। जापानी राष्ट्रवाद पर इन विवशताओं का प्रभाव देखा जा सकता है। एक ओर जापान के लोग एशिया को पश्चिमी शक्तियों के आधिपत्य से मुक्त रखने की आशा करते थे, दूसरे लोगों के लिए यही विचार साम्राज्य की स्थापना करने के लिए महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध हुए।
(iv) परम्पराओं का नए तथा अलग रचनात्मक तरीके से प्रयोग करना – जापान के सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थानों के सुधार आदि के लिए परम्पराओं का नए तथा अलग रचनात्मक तरीके से प्रयोग करना आवश्यक था। उदाहरण के लिए, मेजी स्कूली पद्धति ने यूरोपीय तथा अमरीकी प्रथाओं के अनुरूप नये विषयों की शुरुआत की। किन्तु पाठ्यचर्या . का मुख्य उद्देश्य निष्ठावान नागरिक बनाना था। नैतिक शास्त्र का विषय पढ़ना अनिवार्य था जिसमें सम्राट के प्रति वफादारी पर बल दिया जाता था। इसी प्रकार परिवार में और दैनिक जीवन में आए परिवर्तन विदेशी और देशी विचारों को मिलाकर कुछ नया बनाने के प्रयास को उजागर करते हैं।

2. चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग-चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग बिल्कुल अलग था। यथा –
(i) परम्पराओं का परित्याग करना – 19वीं और 20वीं शताब्दी में परम्पराओं का परित्याग किया गया तथा राष्ट्रीय एकता एवं मजबूती स्थापित करने के उपाय ढूँढ़े गए। चीन के साम्यवादी दल तथा उसके समर्थकों ने परम्पराओं को समाप्त करने की लड़ाई लड़ी। उन्होंने महसूस किया कि परम्पराओं ने चीनी लोगों को गरीबी के जाल में जकड़ रखा है। इसके अतिरिक्त वे महिलाओं को अधीन बनाती हैं तथा देश को पिछड़ा हुआ रखती हैं।

(ii) लोगों को अधिकार एवं सत्ता देने का आश्वासन – चीन की साम्यवादी पार्टी ने लोगों को अधिकार एवं सत्ता देने का आश्वासन दिया परन्तु वास्तव में उसने बहुत ही केन्द्रीकृत राज्य की स्थापना की। साम्यवादी कार्यक्रम की सफलता ने नवीन आशा बँधाई परन्तु दमनकारी राजनीतिक व्यवस्था के कारण उनकी आशाएँ फलीभूत नहीं हुईं। परन्तु इससे शताब्दियाँ पुरानी असमानताएँ समाप्त हो गईं। शिक्षा का प्रसार हुआ और जनता में एक जागरूकता उत्पन्न हुई।

(iii) बाजार सम्बन्धी सुधार- चीनी साम्यवादी पार्टी ने बाजार सम्बन्धी सुधार किये और चीन को आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली बनाने में सफल हुई। परन्तु वहाँ की राजनीतिक व्यवस्था पर अब भी कड़ा नियन्त्रण है। अब समाज बढ़ती असमानताओं का सामना कर रहा है और सदियों से दबी हुई परम्पराएँ फिर से जीवित होने लगी हैं। इस नयी स्थिति से पुन: यह प्रश्न उठता है कि चीन किस प्रकार अपनी धरोहर को बनाए रखते हुए अपना विकास कर सकता है।

प्रश्न 12.
1987 के बाद दक्षिण कोरिया के लोकतंत्रीय विकासक्रम पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
1987 केबाद दक्षिण कोरिया में लोकतंत्रीय विकासक्रम 1987 के बाद दक्षिण कोरिया के लोकतंत्रीय विकासक्रम को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है –
(1) 1987 का प्रत्यक्ष चुनाव – नये संविधान के अनुसार, 1971 के बाद पहला प्रत्यक्ष चुनाव दिसम्बर, 1987 में आ, लेकिन विपक्षी दलों की एकजुटता में विफलता के कारण, चुन के सैन्य दल के एक साथी सैन्य नेता, ‘रोह ताएं- वू’ का चुनाव हुआ। हालांकि कोरिया में लोकतंत्र जारी रहा। लेकिन इन चुनावों में सैन्य शक्ति ही सत्ता पर कायम रही।

(2) 1992 के चुनाव और एक नागरिक नेतृत्व – 1990 में, लम्बे समय से विपक्षी नेता, रह चुके, किम यंग सैम ने एक बड़ी सत्तारूढ़ पार्टी बनाने के लिए रोह की पार्टी से समझौता किया। दिसम्बर, 1992 के चुनावों में दशकों से चल रहे सैन्य शासन के बाद, एक नागरिक नेता किम को राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया।
नए चुनावों एवं सत्तावादी सेन्य शक्ति के विघटन के फलस्वरूप एक बार फिर लोकतंत्र की मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा।

(3) शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण – दिसम्बर, 1997 में, एक लम्बे समय के बाद द. कोरिया में पहली बार शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ और विपक्षी पार्टी के नेता किम डे- जुंग सत्ता में आए। सत्ता में दूसरा शांतिपूर्ण हस्तांतरण 2008 में हुआ जब रूढ़िवादी पार्टी के नेता ली माइक – बाक, प्रगतिशील पार्टी रोह मु-हयून प्रशासन के बाद अध्यक्ष चुने गए। 2012 में रूढिवादी पार्टी की नेता पार्क खान हे पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुनी गईं। उनके पिता पार्क चुंग-ही की राजनीतिक विरासत के कारण उन्हें अपने कार्यकाल की शुरुआत में बहुत समर्थन प्राप्त हुआ, लेकिन मार्च, 2017 में, उनके मित्र द्वारा गुप्त रूप से सरकारी प्रबंधन किये जाने के कारण, उन पर महाभियोग चला और उन्हें कार्यालय से हटा दिया गया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

2016 में पार्क खन – हे के विरोध में नागरिकों के नेतृत्व में किए गए, केंडल लाइट विरोध, देश के लोकतांत्रिक कानून और प्रणालियों की सीमाओं के भीतर राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग हेतु शांतिपूर्ण प्रदर्शन आदि कोरियाई लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है। मई, 2017 में तीसरी बार शांतिपूर्ण हस्तांतरण के द्वारा मून जे-इन ने राष्ट्रपति का पद संभाला है।
कोरियाई लोकतंत्र देश के गणतंत्रवाद को प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों की जागरूकता का परिणाम है, जिसने आज इस देश को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. संयुक्त राज्य अमेरिका की कौनसी सरहद (फ्रंटियर) खिसकती रहती थी-
(अ) पूर्वी
(ब) उत्तरी
(स) पश्चिमी
(द) दक्षिणी।
उत्तर:
(स) पश्चिमी

2. अमेरिका में गृह-युद्ध हुआ –
(अ) 1761-65
(ब) 1861-65
(स) 1961-65
(द) 1865-90
उत्तर:
(ब) 1861-65

3. अमेरिकां के संविधान में व्यक्ति के किस अधिकार को सम्मिलित किया गया-
(अ) जीवन का अधिकार
(ब) शिक्षा का अधिकार
(स) मताधिकार
(द) सम्पत्ति का अधिकार।
उत्तर:
(द) सम्पत्ति का अधिकार।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

4. ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक स्वतन्त्र देश के रूप में मान्यता दी –
(अ) 1783 में
(ब) 1883 में
(स) 1781 में
(द) 1791 में।
उत्तर:
(स) 1781 में

5. संयुक्त राज्य अमेरिका के तीसरे प्रेसिडेन्ट थे –
(अ) लायड जार्ज
(ब) थॉमस जैफर्सन
(स) जार्ज बुश
(द) केनेडी।
उत्तर:
(ब) थॉमस जैफर्सन

6. ब्रिटिश लोगों ने फ्रांस के साथ हुई लड़ाई में कनाडा को जीता था –
(अ) 1861
(ब) 1761
(स) 1769
(द) 1763
उत्तर:
(द) 1763

7. संयुक्त राज्य अमेरिका में रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए किन श्रमिकों की नियुक्ति हुई –
(अ) चीनी
(ब) भारतीय
(स) अफ्रीकी
(द) ब्रिटिश।
उत्तर:
(अ) चीनी

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. उत्तरी अमेरिका के सबसे पहले वाशिंदे 30000 साल पहले ……………….. से आए थे।
2. उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी जमीन पर अपनी मिल्कियत की कोई ……………. महसूस किए बगैर उससे मिलने वाले भोजन और आश्रय से संतुष्ट थे।
3. 18 वीं सदी में पश्चिमी यूरोप के लोगों को अमरीका के मूल निवासी ……………. प्रतीत हुए। महसूस किए बगैर उससे
4. 17 वीं सदी में यूरोपीय लोगों के कुछ समूह ईसाइयत से भिन्न सम्र्रदाय से ताल्लुक रखने की वजह से ……………. के शिकार थे।
5. संयुक्त राज्य अमेरिका की ………………… सरहद सिसकती रहती थी।
उत्तर:
1. एशिया
2. मिल्कियत
3. असभ्य
4. उत्पीड़न
5. पश्चिमी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये –

1. ‘गोल्ड रश’ उस आपाधापी का नाम है, जिसमें हजारों की संख्या में आतुर यूरोपीय लोग चुटकियों में अपनी तकदीर सँवार लेने की उम्मीद में अमरीका पहुँचे।
2. उच्च अधिकारी अमरीका में मूल वाशिंदों की बेदखली को गलत मानते थे।
3. उत्तरी अमेरिका में मूल निवासी रिजर्वेशन्स में कैद कर दिए गए थे।
4. 1834 के इंडियन री ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के द्वारा रिजर्वेशन्स में मूल निवासियों को जमीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार मिला।
5. 18 वीं सदी के आखिरी दौर में आस्ट्रेलिया में मूल निवासियों के 350 से 750 तक समुदाय थे।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

Table
उत्तर:
Table

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कनाडा की प्रमुख फसलें कौनसी हैं ?
उत्तर:
गेहूँ, मकई और फल।

प्रश्न 2.
कनाडा का मुख्य उद्योग कौनसा है ?
उत्तर:
मत्स्य उद्योग

प्रश्न 3.
होपी लोग कौन थे ?
उत्तर:
होपी लोग कैलिफोर्निया के पास रहने वाले आदिवासी हैं।

प्रश्न 4.
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थामस जैफर्सन उत्तरी अमेरिका के मूल निवासियों को क्या मानते थे ?
उत्तर:
असभ्य लोग।

प्रश्न 5.
यूरोपवासी अमरीका से कौनसी वस्तुएँ प्राप्त करना चाहते थे ?
उत्तर:
मछली और रोएँदार खाल।

प्रश्न 6.
अमेरिका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों में गृह-युद्ध कब हुआ ?
उत्तर:
1861-65 में।

प्रश्न 7.
अमेरिका के कौनसे राज्य दास प्रथा को समाप्त करने के समर्थक थे ?
उत्तर:
उत्तरी राज्य।

प्रश्न 8.
अमरीकी सरकार ने जार्जिया प्रान्त के किस कबीले को नागरिक अधिकार नहीं दिए थे?
उत्तर:
चिरोकी कबीले को।

प्रश्न 9.
अमेरिका के किस राष्ट्रपति ने चिरोकी कबीले के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने के आदेश दिए?
उत्तर:
एंड्रिउ जैक्सन ने।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 10.
उत्तरी अमेरिका के सबसे पहले निवासी कब आए और कहाँ से आए?
उत्तर:
(1) 30,000 वर्ष पूर्व
(2) एशिया से।

प्रश्न 11.
कनाडा को स्वायत्त राज्यों के एक महासंघ के रूप में कब संगठित किया गया ?
उत्तर:
1867 में।

प्रश्न 12.
कैलीफोर्निया में प्राप्त सोने को प्राप्त करने के लिए यूरोपीय लोगों में अमेरिका पहुँचने की होड़ मच गई। इसे क्या कहा गया ?
उत्तर:
‘गोल्ड रश’।

प्रश्न 13.
अमेरिका कब दुनिया की अग्रणी औद्योगिक शक्ति बन गया था ?
उत्तर:
1890 में।

प्रश्न 14.
संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘फ्रंटियर’ की समस्या कब समाप्त हुई ?
उत्तर:
1892 में।

प्रश्न 15.
आस्ट्रेलिया के शहर अधिकतर कहाँ बसे हुए हैं?
उत्तर:
समुद्रतट के साथ।

प्रश्न 16.
आस्ट्रेलिया की राजधानी किसे बनाया गया और कब ?
उत्तर:
1911 में, कैनबरा को।

प्रश्न 17.
‘व्हाई वरन्ट वी टोल्ड’ (‘हमें बताया क्यों नहीं गया’ ) नामक पुस्तक का रचयिता कौन था ?
उत्तर:
हेनरी रेनॉल्ड्स।

प्रश्न 18.
1974 से आस्ट्रेलिया की राजकीय नीति क्या रही है?
उत्तर:
बहुसंस्कृतिवाद।

प्रश्न 19.
आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के अधिकारों के लिए प्रबल आवाज उठाने वाली लेखिका कौन थी ?
उत्तर:
ज्यूडिथ राइट।

प्रश्न 20.
आस्ट्रेलिया के प्रारम्भिक मनुष्य या आदि मानव क्या कहलाते हैं ?
उत्तर:
‘एबारिजिनीज’।

प्रश्न 21.
यूरोपवासियों द्वारा कनाडा का नामकरण किस प्रकार किया गया ?
उत्तर:
‘कनाडा’ शब्द की उत्पत्ति ‘कनाटा’ से हुई है जिसका अर्थ है – गाँव।

प्रश्न 22.
अमेरिका में ‘सेटलर’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त किया जाता था ?
उत्तर:
‘सेटलर’ (आबादकार) शब्द अमेरिका में यूरोपीय लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 23.
दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और अमरीका में यूरोपीय उपनिवेशों की राजभाषा कौनसी थी ?
उत्तर:
कनाडा को छोड़कर इन उपनिवेशों की राजभाषा अंग्रेजी थी। कनाडा में अंग्रेजी के साथ-साथ फ्रांसीसी भी एक राजभाषा थी।

प्रश्न 24.
उत्तरी अमरीका में किन चीजों का विकास किन लोगों के द्वारा हुआ है?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका में खनन, उद्योग तथा बड़े पैमाने पर खेती का विकास पिछले 200 वर्षों में ही यूरोप, अफ्रीका तथा चीन के आप्रवासियों के द्वारा हुआ है

प्रश्न 25.
‘नेटिव’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
‘नेटिव’ शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो अपने वर्तमान निवास-स्थान में ही उत्पन्न हुआ हो।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 26.
यूरोपीय लोग नेटिव शब्द का प्रयोग किन लोगों के लिए करते थे ?
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षों तक इस शब्द का प्रयोग यूरोपीय लोगों द्वारा अपने उपनिवेशों के निवासियों के लिए किया जाता था।

प्रश्न 27.
‘अमरीका की पूर्व सन्ध्या’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘अमरीका की पूर्व सन्ध्या’ से अभिप्राय उस समय से है जब यूरोपीय लोग अमरीका में आए और इस महाद्वीप को उन्होंने अमरीका की संज्ञा दी।

प्रश्न 28.
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) उत्तरी अमरीका के मूल निवासी नदी घाटी के गाँवों में समूह बनाकर रहते थे।
(2) वे मछली और माँस खाते थे तथा सब्जियाँ और मकई उगाते थे।

प्रश्न 29.
उत्तरी अमरीका के लोगों ने दक्षिणी अमरीका की भाँति राजशाही और साम्राज्य का विकास क्यों नहीं किया?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका के लोग अपनी आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने दक्षिणी अमरीका की भाँति राजशाही तथा साम्राज्य का विकास नहीं किया।

प्रश्न 30.
उत्तरी अमरीका के लोग धरती को किस प्रकार पढ़ सकते थे ?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका के लोग जलवायु और विभिन्न भू-दृश्यों को उसी भाँति समझ सकते थे, जैसे शिक्षित लोग लिखी हुई चीजें पढ़ते हैं।

प्रश्न 31.
‘रेड इण्डियन’ कौन थे?
उत्तर:
‘रेड इण्डियन’ गेहुँए वर्ण के लोग थे, जिनके निवास स्थान को कोलम्बस ने गलती से इण्डिया समझ लिया था।

प्रश्न 32.
उत्तरी अमरीका के लोगों की परम्परा की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता बताइए।
उत्तर:
औपचारिक सम्बन्ध और मित्रता स्थापित करना तथा उपहारों का आदान-प्रदान करना।

प्रश्न 33.
स्थानीय उत्पादों के बदले में यूरोपीय लोग उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों को कौनसी वस्तुएँ देते थे ?
उत्तर:
स्थानीय उत्पादों के बदले में यूरोपीय लोग उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों को कम्बल, लोहे के बर्तन, बन्दूकें और शराब देते थे।

प्रश्न 34.
यूरोपवासियों द्वारा मूल निवासियों को शराब से परिचित कराना उनके लिए लाभप्रद सिद्ध क्यों हुआ ?
उत्तर:
क्योंकि इसने उन्हें व्यापार के लिए मूल निवासियों पर अपनी शर्तें थोपने में सक्षम बनाया।

प्रश्न 35.
अठारहवीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप के लोग ‘सभ्य’ मनुष्य की पहचान किन आधारों पर करते थे ?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप के लोग ‘सभ्य’ मनुष्य की पहचान साक्षरता, संगठित धर्म तथा शहरीपन के आधार पर करते थे।

प्रश्न 36.
अंग्रेजी के कवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के बारे में क्या विचार प्रकट किए हैं?
उत्तर:
“उत्तरी अमरीका के मूल निवासी ‘जंगलों’ में रहते हैं, जहाँ कल्पना शक्ति के पास उन्हें भाव सम्पन्न करने, उन्हें ऊँचा उठाने व परिष्कृत करने के अवसर बहुत कम हैं।”

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 37.
आप ‘वेमपुम बेल्ट’ से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘वेमपुम बेल्ट’ रंगीन सीपियों को आपस में मिलाकर बनायी जाती थी। किसी समझौते के पश्चात् स्थानीय कबीलों के बीच इसका आदान-प्रदान होता था।

प्रश्न 38.
अमरीका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफर्सन ने मूल निवासियों के बारे में क्या विचार प्रकट किए हैं?
उत्तर:
“यह अभागी नस्ल, जिसे सभ्य बनाने के लिए हमने इतनी जहमत उठाई ….अपने उन्मूलन का औचित्य सिद्ध करती है। ”

प्रश्न 39.
जमीन के प्रति यूरोपीय लोगों का दृष्टिकोण मूल निवासियों से किस प्रकार अलग था ?
उत्तर:
मूल निवासी जमीन का मालिक बनने के लिए उत्सुक नहीं थे। परन्तु यूरोपीय लोग जमीन का मालिक बनने के लिए लालायित रहते थे।

प्रश्न 40.
यूरोपीय बागान – मालिकों ने अफ्रीका से दास क्यों खरीदे ?
उत्तर:
दक्षिणी अमरीकी उपनिवेशों से दास बनाकर लाए गए मूल निवासी बहुत बड़ी संख्या में मर गए थे। इसलिए यूरोपीय बागान मालिकों ने अफ्रीका से दास खरीदे।

प्रश्न 41.
अमरीका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों के बीच गृह-युद्ध कब हुआ और क्यों हुआ?
उत्तर:
1861-65 में दास प्रथा को लेकर अमरीका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों में गृह-युद्ध हुआ।

प्रश्न 42.
अमरीकी गृह-युद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
(1) इस गृह-युद्ध में दास प्रथा विरोधियों की जीत हुई।
(2) दास प्रथा समाप्त कर दी गई।

प्रश्न 43.
कनाडा की सरकार को किस समस्या का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:
1763 में ब्रिटिश लोगों ने फ्रांस के साथ हुई लड़ाई में कनाडा को जीता था। वहाँ बसे फ्रांसीसी लोग निरन्तर स्वायत्त राजनीतिक दर्जे की माँग कर रहे थे।

प्रश्न 44.
यूरोप के लोगों ने अमरीका में कौनसी फसलें उगाईं, जिनसे उन्हें बहुत मुनाफा हुआ?
उत्तर:
यूरोप के लोगों ने अमरीका में धान, कपास आदि की फसलें उगाईं, जो यूरोप में नहीं उगाई जा सकती थीं तथा जिन्हें ऊँचे मुनाफे पर बेचा जा सकता था।

प्रश्न 45.
अमरीका के उच्च अधिकारी भी मूल निवासियों को उनकी जमीनों से बेदखली को गलत नहीं मानते थे। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जार्जिया के अधिकारियों ने कहा कि यद्यपि जार्जिया के चिरोकी कबीले के लोग राज्य के कानून से शासित तो होते हैं, परन्तु वे नागरिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 46.
चिरोकी लोग कौन थे ?
उत्तर:
चिरोकी कबीले के लोग संयुक्त राज्य अमेरिका के जार्जिया प्रान्त में रहते थे। उन्हें नागरिक अधिकार नहीं दिए गए थे।

प्रश्न 47.
1832 में जार्जिया के चिरोकी कबीले के बारे में अमरीका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने क्या निर्णय सुनाया था?
उत्तर:
” चिरोकी कबीला एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले क्षेत्र में जार्जिया का कानून लागू नहीं होता। ”

प्रश्न 48.
अमरीकी राष्ट्रपति एन्ड्रिउ जैक्सन ने वहाँ के मुख्य न्यायाधीश की बात मानने से इन्कार करते हुए चिरोकी कबीले के विरुद्ध क्या कार्यवाही की ?
उत्तर:
अमरीकी राष्ट्रपति एन्ड्रिउ जैक्सन ने चिरोकी लोगों को अपनी जमीन से हाँककर विस्तृत अमरीकी भूमि की ओर खदेड़ने के लिए अमरीकी सेना भेज दी।

प्रश्न 49.
जिन लोगों ने अमरीका के मूल निवासियों से जमीनें ले ली थीं, वे किस आधार पर अपने को उचित मानते थे ?
उत्तर:
अमरीकी मूल निवासियों से जमीनें लेने वाले लोग इस आधार पर अपने को उचित ठहराते थे कि मूल निवासी जमीन का अधिकांश प्रयोग करना नहीं जानते।

प्रश्न 50.
यूरोपवासी मूल निवासियों की किस आधार पर आलोचना करते थे ?
उत्तर:
यूरोपवासी मूल निवासियों की इस आधार पर आलोचना करते थे कि वे आलसी हैं, इसलिए बाजार के लिए उत्पादन करने में अपने शिल्प कौशल का प्रयोग नहीं करते हैं।

प्रश्न 51.
एक फ्रांसीसी आगन्तुक ने लिखा था कि ” आदिम जानवरों के साथ-साथ आदिम मनुष्य लुप्त हो जायेंगे।” इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरोपवासी अमरीका के मूल निवासियों को असभ्य मानते थे। उनकी मान्यता थी कि अमरीकी मूल निवासी मर-खपने योग्य ही हैं।

प्रश्न 52.
‘रिजर्वेशन्स’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अमरीका के मूल निवासी छोटे इलाकों तक सीमित कर दिए गए थे। इन्हें ‘रिजर्वेशन्स’ (आरक्षण) कहा जाता था।

प्रश्न 53.
अमरीका के मूल निवासियों ने संघर्ष के बाद ही अपनी जमीनों का परित्याग किया था। उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
यह तथ्य इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि अमरीका की सेना ने 1865 से 1890 के बीच मूल निवासियों के निरन्तर होने वाले विद्रोहों का दमन किया था।

प्रश्न 54.
उत्तरी अमरीका में मानवशास्त्र विषय का सूत्रपात कब हुआ और क्यों हुआ ?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका में 1840 के दशक से मानवशास्त्र विषय का सूत्रपात स्थानीय आदिम समुदायों और यूरोप के सभ्य समुदायों के बीच के अन्तर के अध्ययन के लिए हुआ था।

प्रश्न 55.
मानवशास्त्रियों ने अमरीका के मूल निवासियों के विषय में किस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया?
उत्तर:
कुछ मानवशास्त्रियों ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि जिस प्रकार यूरोप में ‘आदिम’ लोग नहीं पाए जाते, उसी प्रकार अमरीकी मूल निवासी भी समाप्त हो जायेंगे।

प्रश्न 56.
‘गोल्ड रश’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘गोल्ड रश’ उस आपाधापी का नाम है जिसमें हजारों की संख्या में यूरोपीय लोग सोना पाने की आशा में अमरीका पहुँचे।

प्रश्न 57.
गोल्ड रश का अमरीका पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
गोल्ड रश के कारण सम्पूर्ण महाद्वीप में रेलवे लाइनों का निर्माण हुआ। 1870 में संयुक्त राज्य अमरीका में तथा 1885 में कनाडा में रेलवे का काम पूरा हुआ।

प्रश्न 58.
उत्तरी अमरीका में उद्योगों के विकास के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) रेलवे के साज-सामान बनाने के लिए।
(2) ऐसे यन्त्रों का उत्पादन करने के लिए जिनसे खेती बड़े पैमाने पर की जा सके।

प्रश्न 59.
” संयुक्त राज्य अमरीका एक साम्राज्यवादी शक्ति बन चुका था।” उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र में उन्नति करने के बाद कुछ ही वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने हवाई तथा फिलिपीन्स में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए।

प्रश्न 60.
संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) अमरीका में लोकतन्त्रात्मक शासन प्रणाली की स्थापना हुई।
(2) उनके संविधान में व्यक्ति के ‘सम्पत्ति के अधिकार’ को सम्मिलित किया गया।

प्रश्न 61.
1928 में समाज वैज्ञानिक लेवाइस मेरिअम के निर्देशन में किए गए सर्वेक्षण में क्या बताया गया था?
उत्तर:
इस सर्वेक्षण में रिजर्वेशन्स में रह रहे अमरीका के मूल निवासियों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा सम्बन्धी सुविधाओं की दरिद्रता का भयंकर चित्र प्रस्तुत किया गया।

प्रश्न 62.
1934 के ‘इण्डियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट’ के द्वारा अमरीका के मूल निवासियों को क्या अधिकार प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
1934 के ‘इण्डियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट’ के द्वारा अमरीका के मूल निवासियों को जमीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार प्राप्त हुआ।

प्रश्न 63.
1954 में अमरीका के अनेक मूल निवासियों ने किन शर्तों के साथ अमरीका की नागरिकता स्वीकार की थी?
उत्तर:
उनके ‘रिजर्वेशन्स’ वापस नहीं लिए जायेंगे तथा उनकी परम्पराओं में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 64.
आदि मानव या एबारिजनीज आस्ट्रेलिया में कब आए ?
उत्तर:
आदिमानव या ‘एबारिजनीज’ आस्ट्रेलिया में 40,000 वर्ष पहले आने शुरू हुए।

प्रश्न 65.
आस्ट्रेलिया के उत्तर में रहने वाला समूह क्या कहलाता है? ये कौन लोग हैं?
उत्तर:
आस्ट्रेलिया के उत्तर में रहने वाला समूह टारसस्ट्रेट यपूवासी कहलाता है। ये लोग ‘एबारिजनीज’ नहीं कहलाते क्योंकि ये कहीं और से आए हैं और एक अलग नस्ल के हैं।

प्रश्न 66.
आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के प्रति ब्रिटिश लोगों की क्या धारणा थी ?
उत्तर
प्रारम्भ में ब्रिटिश लोगों ने आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के व्यवहार को मित्रतापूर्ण बताया था। कैप्टन कुक की हत्या के बाद ब्रिटिशों ने उनके व्यवहार को हिंसापूर्ण बताया।

प्रश्न 67.
‘व्हाई वरन्ट वी टोल्ड’ में किस बात की कटु आलोचना की गई है ?
उत्तर:
इस पुस्तक में आस्ट्रेलियाई इतिहास-लेखन के उस ढर्रे की कटु आलोचना की गई है जिसमें कैप्टन कुक की खोज से ही इतिहास की शुरुआत मानी जाती है।

प्रश्न 68.
आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृतियों के अध्ययन के लिए किये गये उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) विश्वविद्यालयी विभागों की स्थापना की गई है।
(2) कलादीर्घाओं में देशी कलाओं की दीर्घाएँ सम्मिलित की गई हैं।

प्रश्न 69.
मूल निवासियों की जमीन सम्बन्धी शिकायतों को दूर करने के लिए आस्ट्रेलिया की सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इस निर्णय में इस बात को मान्यता दी गई कि मूल निवासियों का जमीन के साथ, मजबूत ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है और इसका आदर किया जाना चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
साम्राज्यवादी देशों द्वारा अमरीका आदि देशों में उपनिवेश स्थापित करने के क्या कारण थे? उनकी . नियन्त्रण स्थापित करने की प्रकृति में क्या विविधताएँ थीं?
उत्तर:
साम्राज्यवादी देशों द्वारा अमरीका आदि देशों में उपनिवेश स्थापित करने का मूल कारण था –
उपनिवेशों से व्यापार करके मुनाफा कमाना। उनकी नियंत्रण स्थापित करने की प्रकृति में निम्नलिखित विविधताएँ थीं-
(1) दक्षिण एशिया में व्यापारिक कम्पनियों ने अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित की। उन्होंने स्थानीय शासकों को पराजित किया और अपने क्षेत्रों का विस्तार किया। उन्होंने पुरानी प्रशासकीय व्यवस्था जारी रखी तथा भू-स्वामियों से कर वसूल करते रहे। उन्होंने रेलवे का भी निर्माण किया, खदानें खुदवाईं और बड़े-बड़े बागान स्थापित किए।

(2) दक्षिणी अफ्रीका को छोड़कर शेष सम्पूर्ण अफ्रीका में यूरोपवासी हर जगह समुद्र तट पर ही व्यापार करते रहे। 19वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में ही वे आन्तरिक प्रदेशों में जाने का साहस कर सके। कालान्तर में यूरोपीय देशों के मध्य अपने उपनिवेशों के रूप में अफ्रीका का विभाजन करने का समझौता हो गया।

(3) अमरीकी महाद्वीपों के क्षेत्रों में यूरोप से आए आप्रवासी बसने लगे। इस प्रक्रिया ने वहाँ के बहुत से मूल निवासियों को दूसरे इलाकों जाने पर मजबूर किया गया।

प्रश्न 2.
उत्तरी अमरीका की भौगोलिक स्थिति और विस्तार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तरी अमरीका का महाद्वीप उत्तर ध्रुवीय वृत्त से लेकर कर्करेखा तक और प्रशान्त महासागर से अटलांटिक महासागर तक फैला है। पहाड़ों की श्रृंखला के पश्चिम में अरिजोना और नेवाडा के मरुस्थल हैं। थोड़ा और पश्चिम में सिएरा नेवाडा पर्वत है। पूरब में विस्तृत मैदानी प्रदेश, विस्तृत झीलें, मिसीसिपी, ओहियों और अप्पालाचियाँ पर्वतों की घाटियाँ हैं। दक्षिणी दिशा में मैक्सिको है। उत्तर में कनाडा है जिसका 40 प्रतिशत क्षेत्र जंगलों से ढका है।

प्रश्न 3.
यूरोपीय व्यापारियों का उत्तरी अमरीका जाने का क्या उद्देश्य था ? यहाँ के मूल निवासियों और यूरोपीय लोगों के बीच किन चीजों का आदान-प्रदान होता था ?
उत्तर:
यूरोपीय व्यापारी उत्तरी अमरीका से व्यापार कर भारी मुनाफा कमाना चाहते थे। यूरोपीय व्यापारी यहाँ मछली और रोएंदार खाल के व्यापार के लिए आए थे जिसमें उन्हें कुशल शिकारी देसी लोगों से काफी सहायता मिली। यहाँ के मूल निवासी यूरोपीय व्यापारियों को स्थानीय उत्पाद देते थे। इनके बदले में यूरोपीय लोग वहाँ के मूल निवासियों को कम्बल, लोहे के बर्तन, बन्दूकें और शराब देते थे। मूल निवासी शराब से परिचित नहीं थे, परन्तु शीघ्र ही वे भी शराब पीने के आदी हो गए। यूरोपीय लोगों ने मूल निवासियों से तम्बाकू की आदत ग्रहण की।

प्रश्न 4.
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के प्रति यूरोपीय लोगों के स्वार्थपूर्ण व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय लोग उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों को ‘असभ्य’ समझते थे। वहाँ के मूल निवासी यूरोपीय लोगों के साथ जिन चीजों का आदान-प्रदान करते थे, वे उनके लिए मित्रता में दिए गए ‘उपहार’ थे। इसके विपरीत धनी बनने को उत्सुक यूरोपीय लोगों के लिए मछली और रोएँदार खाल मुनाफा कमाने की वस्तुएँ थीं। इन बेची जाने वाली वस्तुओं के मूल्य इनकी पूर्ति के आधार पर प्रति वर्ष बदलते रहते थे। मूल निवासी इसे समझने में असमर्थ थे क्योंकि उन्हें सुदूर यूरोप में स्थित ‘बाजार’ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 5.
जंगलों के बारे में अमरीका के मूल निवासियों और यूरोपीय लोगों के दृष्टिकोण में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
जंगलों के बारे में अमरीका के मूल निवासियों और यूरोपीय लोगों का अलग-अलग दृष्टिकोण था। मूल निवासियों ने वनों में ऐसे रास्तों की पहचान की जो यूरोपीय लोगों के लिए अदृश्य थे। यूरोपीय लोग कटे हुए जंगल की कल्पना नहीं करते थे, बल्कि वे कटे हुए जंगल के स्थान पर मक्के के खेत देखना चाहते थे। अमरीकी राष्ट्रपति जैफर्सन एक ऐसे देश की कल्पना करते थे जो छोटे-छोटे खेतों वाले यूरोपीय लोगों से आबाद था। मूल निवासी केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फसलें उगाते थे, न कि बिक्री और मुनाफे के लिए। वे जमीन का ‘मालिक’ बनने को गलत मानते थे।

प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा कब अस्तित्व में आए ? संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी सीमाओं का किस प्रकार विस्तार किया?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अपनी सीमाओं का विस्तार करना संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा अठारहवीं शताब्दी के अन्त में अस्तित्व में आए। उस समय उनके पास वर्तमान क्षेत्रफल का एक छोटा भाग ही था। उन्होंने अगले सौ वर्षों में अपने नियन्त्रण वाले क्षेत्रों में काफी वृद्धि की। संयुक्त राज्य अमरीका ने कई विशाल क्षेत्रों को खरीद लिया। उसने दक्षिण में फ्रांस (लुइसियाना) तथा रूस (अलास्का) से जमीन खरीदी। इसके अतिरिक्त उसने युद्धों द्वारा भी जमीनें प्राप्त कीं। उदाहरण के लिए, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमरीका का अधिकतर हिस्सा मैक्सिको से ही जीता गया है। संयुक्त राज्य अमरीका की पश्चिमी सीमा ( फ्रन्टियर) खिसकती रहती थी और जैसे-जैसे वह खिसकती जाती, मूल निवासियों को भी पीछे खिसकना पड़ता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 7.
“19वीं सदी में अमरीका के भू-दृश्य में जबरदस्त परिवर्तन आया। ” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जमीन के प्रति यूरोपीय लोगों का क्या दृष्टिकोण था ?
उत्तर:
(1) ब्रिटेन और फ्रांस से आए कुछ प्रवासी ऐसे थे, जो छोटे पुत्र होने के कारण पिता की सम्पत्ति के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते थे। वे इस कारण से अमरीका में जमीनों के मालिक बनना चाहते थे।

(2) कालान्तर में जर्मनी, स्वीडन और इटली से ऐसे आप्रवासी बड़ी संख्या में अमरीका आए, जिनकी जमीनें बड़े किसानों के कब्जे में चली गई थीं। वे ऐसी जमीन चाहते थे जिसे अपना कह सकें।

(3) पोलैण्ड से आए लोग प्रेयरी चरागाहों में काम करना पसन्द करते थे जो उन्हें अपने घरों के स्टेपीज (घास के मैदानों) की याद दिलाते थे। उन्हें यहाँ बहुत कम कीमत पर पड़ी सम्पत्तियाँ खरीदना बहुत रुचिकर लग रहा था।

(4) उन्होंने जमीनों की सफाई की और खेती का विकास किया। उन्होंने धान, कपास आदि फसलें उगाईं जो में नहीं उगाई जा सकती थीं।

(5) अपने खेतों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए उन्होंने शिकार के द्वारा उनका सफाया कर दिया। 1873 में कंटीले तारों की खोज के बाद उन्हें जंगली जानवरों से सुरक्षा प्राप्त हो गई।

प्रश्न 8.
अमरीका में 1861-65 में गृह युद्ध क्यों हुए? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
यूरोपीयं बागान मालिकों ने अफ्रीका से दास खरीदे। दास प्रथा के विरोधियों ने इसके विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया जिसके परिणामस्वरूप दासों के व्यापार पर तो प्रतिबन्ध लगा दिया गया, परन्तु जो अफ्रीकी संयुक्त राज्य अमरीका में थे, वे और उनके बच्चे दास ही बने रहे। संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी राज्यों ने दास प्रथा को समाप्त करने पर बल दिया। उन्होंने दास प्रथा को एक अमानवीय प्रथा बताया। 1861-65 में दास प्रथा के समर्थक तथा विरोधी राज्यों में गृह-युद्ध छिड़ गया।

परिणाम –
(1) इस गृह-युद्ध में दास प्रथा के विरोधियों की विजय हुई।
(2) संयुक्त राज्य अमरीका में दास- प्रथा समाप्त कर दी गई। परन्तु अफ्रीकी मूल के अमरीकियों को नागरिक स्वतन्त्रताओं हेतु अपने संघर्ष में विजय 20वीं सदी में आकर ही मिल पाई और तभी स्कूलों तथा ट्रेनों-बसों में उन्हें अलग रखने की व्यवस्था समाप्त हुई।

प्रश्न 9.
कनाडाई सरकार के समक्ष प्रमुख समस्या क्या थी और उसका हल किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
कनाडाई सरकार के समक्ष मुख्य समस्या यह थी कि उसे स्वायत्त राजनीतिक दर्जा प्राप्त हो। सन् 1763 ई. में ब्रिटिश लोगों ने फ्रांस के साथ हुई लड़ाई में कनाडा को जीता था। वहाँ फ्रांसीसी आबादकार लगातार स्वायत्त राजनीतिक दर्जे की मांग कर रहे थे। 1867 में कनाडा को स्वायत्त राज्यों के एक महासंघ के रूप में संगठित करके ही इस समस्या का हल निकल पाया।

प्रश्न 10.
आस्ट्रेलिया में मानव निवास के इतिहास का वर्णन कीजिए और वहाँ के मूल निवासियों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया में मानव निवास का इतिहास – आस्ट्रेलिया में मानव निवास का इतिहास लम्बा है। वहाँ के आदिमानव जिन्हें ‘एबारिजनीज’ कहते हैं, आस्ट्रेलिया में 40,000 वर्ष पहले आने शुरू हुए थे। वे न्यूगिनी से आए थे। मूल निवासियों की परम्पराओं के अनुसार वे आस्ट्रेलिया नहीं आए थे, बल्कि सदा से यहीं थे। मूल निवासियों के समुदाय – 18वीं सदी के अन्तिम चरण में आस्ट्रेलिया में मूल निवासियों के 350 से 750 तक समुदाय थे।

हर समुदाय की अपनी भाषा थी। देसी लोगों का एक और विशाल समूह उत्तर में रहता है। इस समुदाय को टारस स्ट्रेट टापूवासी कहते हैं। 2005 में कुल मिलाकर वे आस्ट्रेलिया की आबादी का 2.4 प्रतिशत भाग थे। आस्ट्रेलिया की आबादी छितराई हुई है। आज भी वहाँ के अधिकतर शहर समुद्र तट के साथ-साथ बसे हैं।

प्रश्न 11.
यूरोपवासियों की आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के बारे में क्या धारणाएँ थीं? मूल निवासियों ने यूरोपियों के आगमन को खतरा क्यों नहीं माना?
उत्तर:
यूरोपवासियों की आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के बारे में धारणाएँ – 1770 ई. में ब्रिटिश नाविक कैप्टन कुक ने आस्ट्रेलिया की खोज की थी। कैप्टन कुक तथा उसके साथी आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के मित्रतापूर्ण व्यवहार से बड़े प्रभावित हुए। परन्तु बाद में जब एक मूल निवासी ने हवाई में कैप्टन कुक की हत्या कर दी, तो ब्रिटिश लोगों का दृष्टिकोण पूरी तरह से बदल गया। अब उन्होंने मूल निवासियों के हिंसक व्यवहार की आलोचना करना शुरू कर दिया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

सभी औपनिवेशिक शक्तियाँ ऐसा ही आचरण करती हैं यूरोपीय लोगों के आगमन को खतरा न मानना-आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों ने यूरोपीय लोगों के आगमन को खतरा नहीं माना। वे यह अनुमान नहीं लगा पाए कि 19वीं और 20वीं शताब्दियों के बीच कीटाणुओं के प्रभाव से, अपनी जमीनें खोने के चलते तथा यूरोपीय लोगों के साथ हुई लड़ाइयों में लगभग 90 प्रतिशत मूल निवासियों को अपने प्राण गँवाने पड़ेंगे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी अमेरिका में मानव के आगमन के बारे में आप क्या जानते हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए
उत्तर:
उत्तरी अमरीका में मानव का आगमन – उत्तरी अमरीका में सबसे पहले निवासी 30,000 वर्ष पहले बेरिंग स्ट्रेट्स के आर-पार फैले भूमि सेतु के मार्ग से एशिया से आए थे। लगभग 10,000 वर्ष पहले वे आगे दक्षिण की ओर बढ़े। अमरीका में मिलने वाली सबसे प्राचीन मानव कृति एक तीर की नोक 11,000 वर्ष पुरानी है। लगभग 5,000 वर्ष पहले जलवायु में अधिक स्थिरता आने पर मूल निवासियों की जनसंख्या बढ़ने लगी।

उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की प्रमुख विशेषताएँ उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
1. भोजन और शिकार – उत्तरी अमरीका के मूल निवासी नदी घाटी के साथ-साथ बने गाँवों में समूह बनाकर रहते थे। वे मछली और मांस खाते थे। वे सब्जियाँ तथा मकई उगाते थे। वे प्रायः मांस की तलाश में लम्बी यात्राएँ करते थे। मुख्य रूप से उन्हें ‘बाइसन’ अर्थात् उन जंगली भैंसों की तलाश रहती थी, जो घास के मैदानों में घूमते थे। परन्तु वे उतने ही जानवर मारते थे, जितने की उन्हें भोजन के लिए आवश्यकता होती थी।

2. बड़े पैमाने पर खेती करने में रुचि न होना- उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की बड़े पैमाने पर खेती करने में रुचि नहीं थी। वे अपनी आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने केन्द्रीय तथा दक्षिणी अमरीका की भाँति राजशाही और साम्राज्य का विकास नहीं किया। वे जमीन पर नियन्त्रण स्थापित करने के इच्छुक नहीं थे। वे अपनी जमीन पर अपना स्वामित्व स्थापित करने की आवश्यकता अनुभव नहीं करते थे और उससे प्राप्त होने वाले भोजन और से सन्तुष्ट थे।

3. परम्परा की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता – उनकी परम्परा की एक प्रमुख विशेषता औपचारिक सम्बन्ध और मित्रता स्थापित करना तथा उपहारों का आदान-प्रदान करना था।

4. अनेक भाषाओं का प्रचलित होना- उत्तरी अमरीका में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं, यद्यपि वे लिखी नहीं जाती थीं। उनका विश्वास था कि समय की गति चक्रीय है। प्रत्येक कबीले के पास अपनी उत्पत्ति और इतिहास के ब्यौरे थे, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलते आ रहे थे।

5. कुशल कारीगर – उत्तरी अमरीका के मूल निवासी कुशल कारीगर थे। वे सुन्दर कपड़े बनाते थे।

6. जलवायु और भू-दृश्यों की जानकारी – वे जलवायु और विभिन्न भू-दृश्यों को उसी प्रकार समझ सकते थे, जैसे शिक्षित लोग लिखी हुई चीजें पढ़ते हैं।

प्रश्न 2.
संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी जमीन से मूल निवासियों की बेदखली की नीति की विवेचना कीजिए। इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों की क्या नीति थी?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी जमीन से मूल निवासियों की बेदखली जब संयुक्त राज्य अमरीका ने अपनी बस्तियों का विस्तार करना शुरू किया, तो जमीन की बिक्री के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मूल निवासियों को वहाँ से हटने के लिए बाध्य या प्रेरित किया गया। उन्हें जो कीमतें दी गईं, वे बहुत कम थीं। ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं कि अमरीका में रहने वाले यूरोपीय लोगों ने धोखे से मूल निवासियों से उनकी जमीनें ले लीं या उन्हें पैसा देने के सम्बन्ध में अपने वचनों का पालन नहीं किया।

1. उच्च अधिकारियों द्वारा बेदखली का समर्थन करना – संयुक्त राज्य अमरीका के उच्च अधिकारी भी मूल निवासियों की बेदखली को उचित मानते थे। संयुक्त राज्य अमरीका के जार्जिया नामक प्रान्त के उच्च अधिकारियों ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि चिरोकी कबीला राज्य के कानून से शासित तो होता है, परन्तु वे नागरिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते। इन चिरोकी लोगों ने अंग्रेजी सीखने तथा अमरीकी जीवन-शैली को समझने का सर्वाधिक प्रयास किया था। इसके बावजूद उन्हें नागरिक अधिकार प्रदान नहीं किए गए।

2. चिरोकी लोगों को बेदखल करने के लिए सेना का प्रयोग करना – 1832 में संयुक्त राज्य अमरीका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय सुनाया। उन्होंने कहा कि, ” चिरोकी कबीला एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले क्षेत्र में जार्जिया का कानून लागू नहीं होता।” वे कुछ मामलों में सर्वप्रभुता – सम्पन्न हैं। परन्तु संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति एंड्रिउ जैक्सन ने मुख्य न्यायाधीश की भावनाओं का सम्मान नहीं किया और चिरोकियों को अपनी जमीन से बेदखल करने के लिए अमरीकी सेना भेज दी। सेना ने लगभग 15 हजार चिरोकियों को जमीन से बेदखल कर दिया। इनमें से एक-चौथाई अपने ‘आँसुओं की राह ‘ (Trail of Tears) की यात्रा में ही मर – खप गए।”

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

3. जमीन से बेदखल करने के कार्य को उचित ठहराना -जिन लोगों ने मूल निवासियों की जमीनें प्राप्त कर लीं, वे इस आधार पर अपने को उचित ठहराते थे कि मूल निवासी जमीन का अधिकतम प्रयोग करना नहीं जानते। इसलिए वह जमीन उनके अधिकार में नहीं रहनी चाहिए।

वे इस कारण भी मूल निवासियों की आलोचना करते थे कि वे आलसी हैं और बाजार के लिए उत्पादन करने में अपने शिल्प कौशल का प्रयोग नहीं करते हैं। वे अंग्रेजी सीखने और ‘ढंग के कपड़े पहनने में भी उनकी रुचि नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मूल निवासी वास्तव में ‘मर-खपने’ योग्य ही हैं। खेती के लिए प्रेयरीज साफ की गई और जंगली भैंसों को मार डाला गया। एक फ्रांसीसी आगन्तुक ने लिखा, “आदिम जानवरों के साथ- साथ आदिम मनुष्य लुप्त हो जाएगा।”

4. मूल निवासियों को स्थायी तौर पर दी गई जमीन से भी खदेड़ना – इस बीच मूल निवासी पश्चिम की ओर खदेड़ दिए गए थे। उन्हें स्थायी तौर पर अपनी जमीन दे दी गई थी। परन्तु उनकी जमीन के अन्दर सीसा, सोना या तेल जैसे खनिज के पता चलने पर प्रायः उन्हें उस स्थान से भी बेदखल कर दिया जाता था। प्रायः कई समूहों को मूलतः किसी एक के अधिकार वाली जमीन में ही साझा करने के लिए बाध्य किया जाता था। इससे उनके बीच झगड़े हो जाते थे।

5. रिजर्वेशन्स – अमरीका के मूल निवासी छोटे-छोटे क्षेत्रों में सीमित कर दिए गए थे, जिन्हें ‘रिजर्वेशन्स’ कहा जाता था। ये प्रायः ऐसी जमीन होती थीं जिनके साथ उनका पहले से कोई सम्बन्ध नहीं होता था। ऐसा नहीं है कि मूल निवासियों ने अपनी जमीनें बिना संघर्ष किये समर्पित की हों। संयुक्त राज्य अमरीका की सेना ने 1865 से 1890 के मध्य अनेक विद्रोहों का दमन किया था। कनाडा में 1869 से 1885 के बीच मेटिसों (यूरोपीय मूल निवासियों के वंशज) के सशस्त्र विद्रोह हुए। परन्तु इन लड़ाइयों के पश्चात् उन्होंने हार मान ली थी।

प्रश्न 3.
‘गोल्ड रश’ से क्या अभिप्राय है? इससे उद्योगों को बढ़ावा क्यों मिला?
अथवा
गोल्ड रश के संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक विकास में योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
‘गोल्ड रश’ से अभिप्राय – लोगों की यह धारणा थी कि उत्तरी अमरीका में पृथ्वी के नीचे सोना हैं। 1840 में संयुक्त राज्य अमरीका के कैलीफोर्निया में सोने के कुछ चिन्ह मिले। सोना प्राप्ति की लालसा ने ‘गोल्ड रश’ को जन्म दिया। ‘गोल्ड रश’ उस आपा-धापी का नाम है, जिसमें हजारों यूरोपीय लोग क्षण-भर में धनी बनने की आशा में अमरीका पहुँचे।

1. रेलवे का निर्माण – ‘गोल्ड रश’ ने अमरीका के बहुमुखी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन दिया। गोल्ड रश के चलते सम्पूर्ण महाद्वीप में रेलवे लाइनों का निर्माण हुआ। रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए हजारों चीनी श्रमिकों की नियुक्ति की गई। संयुक्त राज्य अमरीका में रेलवे का काम 1870 में तथा कनाडा में रेलवे का काम 1885 पूरा हुआ।

2. उद्योगों का विकास – उत्तरी अमरीका में उद्योगों का खूब विकास हुआ। उत्तरी अमरीका में उद्योगों के विकसित होने के दो कारण थे –
(i) रेलवे के साज-सामान बनाने के लिए यहाँ उद्योगों का विकास हुआ ताकि दूर-दूर के स्थानों को तीव्र परिवहन द्वारा जोड़ा जा सके।
(ii) ऐसे यन्त्रों का उत्पादन करने के लिए उद्योगों का विकास हुआ जिनसे बड़े पैमाने की खेती की जा सके।
गोल्ड रश के परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य अमरीका तथा कनाडा, दोनों देशों में औद्योगिक नगरों का विकास हुआ और कारखानों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। 1860 में संयुक्त राज्य अमरीका का अर्थतन्त्र अविकसित अवस्था में था। 1890 में वह विश्व की अग्रणी औद्योगिक शक्ति बन चुका था।

3. बड़े पैमाने की खेती का विस्तार – गोल्ड रश से संयुक्त राज्य अमरीका में बड़े पैमाने की खेती का भी विस्तार हुआ। वहाँ बड़े-बड़े इलाके साफ किए गए और उन्हें खेतों के रूप में बदल दिया गया। 1890 तक जंगलो भैंसों का लगभग पूरी तरह से सफाया किया जा चुका था। इस प्रकार शिकार वाली जीवनचर्या भी समाप्त हो गई जिसे मूल निवासी सदियों से जीते आ रहे थे।

4. महाद्वीपीय विस्तार – 1892 में संयुक्त राज्य अमरीका का महाद्वीपीय विस्तार पूरा हो चुका था। प्रशान्त महासागर तथा अटलांटिक महासागर के बीच का क्षेत्र राज्यों में विभाजित किया जा चुका था। अब कोई ‘फ्रंटियर’ नहीं रहा, जो कई दशकों तक यूरोपीय निवासियों को पश्चिम की ओर खींचता रहा था। प्रशान्त महासागर और अटलान्टिक महासागर के बीच का क्षेत्र राज्यों में विभाजित किया जा चुका था। कुछ ही वर्षों में संयुक्त राज्य अमरीका ने हवाई तथा फिलीपीन्स में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए। अब संयुक्त राज्य अमरीका एक साम्राज्यवादी शक्ति बन चुका था।

प्रश्न 4.
संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार द्वारा मूल निवासियों की भलाई के लिए किये गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
संयुक्त राज्य अमेरिका में बदलाव की लहर पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार द्वारा मूल निवासियों की भलाई के कार्य 1920 के दशक तक संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार ने मूल निवासियों की भलाई के लिए प्रभावशाली कदम नहीं उठाये। 1928 में समाज वैज्ञानिक लेवाइस मेरिअम के निर्देशन में सम्पन्न हुआ एक सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ – ‘दि प्राब्लम ऑफ इण्डियन एडमिनिस्ट्रेशन’। इस सर्वेक्षण में रिजर्वेशन्स में रह रहे मूल निवासियों की स्वास्थ्य और शिक्षा सम्बन्धी सुविधाओं के न होने का बड़ा ही करुणाजनक चित्रण प्रस्तुत किया गया था। इस प्रकार उन्हें स्वास्थ्य तथा शिक्षा सम्बन्धी सुविधाओं से वंचित रखा गया। परन्तु कालान्तर में परिवर्तन की लहर आई और संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार ने मूल निवासियों की भलाई के लिए निम्नलिखित कार्य किये –

1. रि- ऑर्गेनाइजेशन एक्ट – मूल निवासियों की करुणाजनक दशा देखकर गोरे अमरीकियों के मन में उनके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई, जिन्हें अपनी संस्कृति का पालन करने से रोका जाता था तथा जिन्हें नागरिकता के लाभों से भी वंचित रखा जाता था। इसने संयुक्त राज्य अमरीका में एक युगान्तरकारी कानून को जन्म दिया। 1934 में इण्डियन रिआर्गेनाइजेशन एक्ट पारित हुआ जिसके द्वारा रिजर्वेशन्स में मूल निवासियों को जमीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार दिया गया।

2. मूल निवासियों के लिए किए गए विशेष प्रावधानों को समाप्त करने पर विचार करना – 1950 और 1960 के दशकों में संयुक्त राज्य अमरीका तथा कनाडा की सरकारों ने मूल निवासियों के लिए किए गए विशेष प्रावधानों को समाप्त करने का इस आशा से विचार किया कि वे मुख्य धारा में शामिल होंगे, अर्थात् वे यूरोपीय संस्कृति को अपनायेंगे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

परन्तु मूल निवासी ऐसा नहीं चाहते थे। 1954 में अनेक मूल निवासियों ने अपने द्वारा तैयार किए गए ‘डिक्लेरेशन ऑफ संजीव पास बुक्स इण्डियन राइट्स’ में इस शर्त के साथ संयुक्त राज्य अमरीका की नागरिकता स्वीकार की कि उनके रिजर्वेशन्स वापस नहीं लिए जायेंगे और उनकी परम्पराओं में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा। कनाडा में भी कुछ ऐसी ही चीजें हुईं।

3. मूल निवासियों द्वारा सरकार की नीति का विरोध – 1969 में संयुक्त राज्य अमरीका की सरकार ने घोषणा की कि वह ” आदिवासी अधिकारों को मान्यता नहीं देगी।” परन्तु मूल निवासियों ने इसका प्रबल विरोध किया और धरनों-प्रदर्शनों का आयोजन किया। अन्त में, 1982 में एक संवैधानिक धारा के अन्तर्गत मूल निवासियों के वर्तमान आदिवासी अधिकारों तथा समझौता – आधारित अधिकारों को स्वीकृति प्रदान की गई। यद्यपि संयुक्त राज्य अमरीका तथा कनाडा दोनों के मूल निवासियों की संख्या 18वीं सदी के मुकाबले में बहुत कम हो गई है, फिर भी उन्होंने अपनी संस्कृति का पालन करने के अपने अधिकारों की प्रबल दावेदारी की है।

प्रश्न 5.
आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के यूरोपीय लोगों के प्रति दृष्टिकोण की विवेचना कीजिए और आस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों का यूरोपीय लोगों के प्रति दृष्टिकोण – आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों का यूरोपीय लोगों के प्रति आरंभिक रूप में दोस्ताना व्यवहार था। यूरोपीय लोगों के आगमन को वहाँ के सभी मूल वाशिंदों ने खतरे की तरह नहीं देखा। लेकिन 19वीं और 20वीं सदी के दरम्यान कीटाणुओं के असर तथा आबादकारों के साथ जमीनों के लिए हुई लड़ाइयों के चलते 90 प्रतिशत मूल वाशिंदों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

आस्ट्रेलिया का आर्थिक विकास – आस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास में बहुत लम्बा समय लगा। पहले भेड़ों के विशाल फार्म और खानें विकसित हुईं। इसके बाद शराब बनाने के लिए अंगूर के बाग और गेहूँ की खेती एक लम्बे समय में और काफी मेहनत से विकसित हो पाए। इसने आस्ट्रेलिया की सम्पन्नता की आधारशिला रखी। 1911 में आस्ट्रेलिया की नई राजधानी बनाने का निश्चय किया गया। प्रारम्भ में राजधानी के लिए ‘वूलव्हीट गोल्ड’ नाम का सुझाव दिया गया परन्तु अन्त में राजधानी का नाम ‘कैनबरा’ रखा गया। कैनबरा एक स्थानीय शब्द ‘कैमबरा’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘ सभा-स्थल’।

मूल निवासियों का कठोर परिस्थितियों में खेतों में काम करना-आस्ट्रेलिया में कुछ मूल निवासियों को कठोर परिस्थितियों में खेतों में काम करना पड़ता था। उन्हें दासों जैसी कठोर परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। परन्तु बाद में चीनी आप्रवासियों ने सस्ता श्रम उपलब्ध कराया। कुछ समय बाद सरकार ने चीनी आप्रवासियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया ताकि गैर- गोरों पर निर्भरता न बढ़े। 1974 तक आस्ट्रेलिया के लोगों के मन में यह डर उत्पन्न हो गया था कि दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया के ‘गहरी रंगत वाले’ लोग बड़ी संख्या में आस्ट्रेलिया आ सकते हैं। अत: ग़ैर- गोरों को आस्ट्रेलिया आने से रोकने के लिए सरकार ने एक नीति अपनाई।

प्रश्न 6.
आस्ट्रेलिया में आई परिवर्तन की लहर का वर्णन कीजिए। इसके परिणामस्वरूप आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृति के अध्ययन के लिए किये गये उपायों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
आस्ट्रेलिया में आई बदलाव की लहर पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया में परिवर्तन की लहर – 1968 में एक मानवशास्त्री डब्ल्यू. ई. एच. स्टैनर के एक व्याख्यान से आस्ट्रेलिया के लोगों में जागृति उत्पन्न हुई। व्याख्यान का शीर्षक था – दि ग्रेट आस्ट्रेलियन साइलेंस (महान आस्ट्रेलियाई चुप्पी ) – यह इतिहासकारों की मूल निवासियों के बारे में चुप्पी थी। 1970 के दशक से उत्तरी अमरीका की भाँति आस्ट्रेलिया में भी यहाँ के मूल निवासियों को एक नये रूप में समझने की लालसा पैदा हो चुकी थी। उन्हें विशिष्ट संस्कृतियों वाले समुदायों के रूप तथा प्रकृति और जलवायु को समझने की विशिष्ट पद्धतियों के रूप में समझने की आवश्यकता महसूस की गई।

उन्हें ऐसे समुदायों के रूप में समझा जाना था, जिनके पास अपनी कलाओं, कपड़ा-साजी, चित्रकारी, हस्तशिल्प आदि के कौशल का विशाल भण्डार था। उनका यह भण्डार प्रशंसा करने, सम्मान करने तथा अभिलेखन के योग्य था। इसलिए हेनरी रेनाल्ड्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘व्हाइ वरंट वी टोल्ड ?’ में आस्ट्रेलियाई इतिहास, लेखन की उस पद्धति की आलोचना की गई थी, जिसमें ‘कैप्टन कुक की खोज’ से ही इतिहास की शुरुआत मानी जाती थी।

1. मूल निवासियों की संस्कृतियों के अध्ययन पर बल देना- उसके बाद से आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृतियों का अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालयों में विभागों की स्थापना हुई है। कलादीर्घाओं (आर्ट गैलरीज) में तो इस देसी कलाओं की दीर्घाएँ सम्मिलित की गई हैं। इसके अतिरिक्त देसी संस्कृति पर प्रकाश डालने के लिए संग्रहालयों में सज्जित कमरों की व्यवस्था की गई है।

अब मूल निवासियों ने भी अपने जीवन – इतिहासों को लिखना आरम्भ किया है। यह एक प्रशंसनीय प्रयास है। यदि मूल निवासियों की संस्कृतियों के अध्ययन की ओर ध्यान नहीं दिया जाता, समय तक उसका बहुत कुछ हिस्सा भुला दिया गया होता। 1974 से ‘बहुसंस्कृतिवाद’ आस्ट्रेलिया की राजकीय नीति रही है, जिसने मूल निवासियों की संस्कृतियों तथा एशिया के आप्रवासियों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियों को समान आदर दिया है।

2. भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी समस्या – 1970 के दशक से, जब संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों की बैठकों में ‘मानवाधिकार’ शब्द सुनाई पड़ने लगा, आस्ट्रेलिया की जनता को इस बात का बोध हुआ कि आस्ट्रेलिया में यूरोपीय लोगों द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण को औपचारिक बनाने के लिए मूल निवासियों के साथ कोई समझौता – पत्र तैयार नहीं किया गया था। सरकार सदा से आस्ट्रेलिया की जमीन को ‘टेरान्यूलिअस’ बताती आई थी। इसका अर्थ था- ‘जो किसी की नहीं है।’ इसके अतिरिक्त वहाँ अपने आदिवासी सम्बन्धियों से छीने गए मिश्रित रक्त वाले बच्चों का भीषण शोषण किया जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

आस्ट्रेलियाई जनता द्वारा इन प्रश्नों पर किये गए आन्दोलनों के परिणामस्वरूप दो महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए-

  • इस बात को मान्यता देना कि मूल निवासियों का जमीन के साथ, सुदृढ़ ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है और इसका आदर किया जाना चाहिए। जमीन उनके लिए पवित्र है।
  • पिछली गलतियों को मिटाया तो नहीं जा सकता, परन्तु ‘गोरों’ और ‘रंग-बिरंगे लोगों’ को अलग-अलग रखने का प्रयास करके बच्चों के साथ जो अन्याय किया गया है, उसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी माँगी जानी चाहिए।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग रहते थे-
(अ) क्यूबा
(ब) अन्ध महासागर के क्षेत्र
(स) मैक्सिको
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।
उत्तर:
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।

2. एजटेक लोग रहते थे –
(अ) ब्राजील
(ब) काँगो
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी
(द) न्यूयार्क।
उत्तर:
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी

3. मक्का की खेती किन लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार था –
(अ) तुपिनांबा
(ब) अरावाकी
(स) एजटेक
(द) माया।
उत्तर:
(द) माया।

4. दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी संस्कृति थी –
(अ) स्पेनिश लोगों की
(ब) इंका लोगों की
(स) एजटेक लोगों की
(द) अरावाकी लोगों की।
उत्तर:
(ब) इंका लोगों की

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

5. पन्द्रहर्वीं शताब्दी में खोज-यात्रियों में कौनसे यूरोपीय देश सबसे आगे थे?
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) हालैण्ड
(स) स्पेन और पुर्तगाल
(द) बेल्जियम और फ्रांस।
उत्तर:
(स) स्पेन और पुर्तगाल

6. कोलम्बस द्वारा खोजे गए उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया-
(अ) कोलम्बस
(ब) वास्कोडिगामा
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी
(द) हेनरी।
उत्तर:
(ब) वास्कोडिगामा

7. मैक्सिको पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) डियाज –
(ब) हेनरी
(स) मोंटेजुमा
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(द) कोर्टेस।

8. इंका साम्राज्य पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) कैब्राल
(ब) पिजारो
(स) क्वेटेमोक
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(ब) पिजारो

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

1. . …………… लोग लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे।
2. …………….. क्जिए ………….. लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समुद्र तट तथा ब्राजील-पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गांवों में रह थे।
3. 12 वीं सदी में ………….. लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे।
4. ………….. की खेती मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
5. दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी पेरू में …………….. लोगों की संस्कृति थी।
उत्तर:
1. अरावाक
2. तुपिनांबा
3. एजटेक
4. मक्का
5. इंका

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये-

(अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
(ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की
(स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
(द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
(य) ब्राजील की खोज की
1. टॉलेमी
2. कोलम्बस
3. कोर्टेस
4. पिजारो
5. क्रैब्राल

उत्तर-
1. टॉलेमी
(द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
2. कोलम्बस
(अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
3. कोर्टेस
(ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में सबसे बड़ा शहर कौन सा था ?
उत्तर:
लन्दन।

प्रश्न 2.
बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1694 ई. में।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाली दो मुख्य सामग्रियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) कोयला तथा
(2) लोहा।

प्रश्न 4.
म्यूल का आविष्कार किसने किया और कब ?
उत्तर:
1779 में, सैम्युअल क्राम्पटन ने।

प्रश्न 5.
वाटर फ्रेम का आविष्कार किसने किया और कब ?
उत्तर:
1769 में, रिचर्ड आर्कराइट ने।

प्रश्न 6.
प्रथम भाप से चलने वाले रेल का इंजन किसने बनाया और कब ?
उत्तर:
1814 में, स्टीफेन्सन ने।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड में 1788 से 1796 की अवधि किस नाम से पुकारी जाती है?
उत्तर:
‘नहरोन्माद’ के नाम से।

प्रश्न 8.
इंग्लैण्ड में पहली नहर किसने बनाई और कब ?
उत्तर:
1761 में, जेम्स ब्रिंडली ने।

प्रश्न 9.
1801 में किसने इंजन बनाया?
उत्तर:
रिचर्ड ट्रेविथिक ने।

प्रश्न 10.
रिचर्ड ट्रेविथिक द्वारा निर्मित इंजन क्या कहलाता था ?
उत्तर:
पफिंग डेविल (फुफकारने वाला दानव)।

प्रश्न 11.
1814 में जार्ज स्टीफेन्सन ने किस रेल इंजन का निर्माण किया ?
उत्तर:
‘ब्लुचर’ नामक रेल इंजन का।

प्रश्न 12.
1850 में इंग्लैण्ड में 50 हजार से अधिक की आबादी वाले कितने नगर थे ?
उत्तर:
29।

प्रश्न 13.
अंग्रेजी में ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसके द्वारा किया गया ?
उत्तर:
आरनाल्ड टायनबी द्वारा।

प्रश्न 14.
स्पिन्निंग जैनी का आविष्कार किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
1765 में, हारग्रीव्ज ने।

प्रश्न 15.
‘पावरलूम’ का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1787 में, एडमण्ड कार्टराइट ने।

प्रश्न 16.
भाप के इंजन का आविष्कार किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
1769 में, जेम्स वाट ने।

प्रश्न 17.
किस देश के साथ लम्बे समय तक युद्ध करने में इंग्लैण्ड को औद्योगिक क्षेत्र में हानि उठानी पड़ी?
उत्तर:
फ्रांस के साथ।

प्रश्न 18.
फ्लाइंग शटल का आविष्कारक कौन था ?
उत्तर:
जान के।

प्रश्न 19.
चार्ल्स डिकन्स ने अपने किस उपन्यास में एक काल्पनिक औद्योगिक नगर कोकटाउन की दशा का वर्णन किया है ?
उत्तर:
‘हार्ड टाइम्स’ में।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 20.
मजदूरों की दशा में सुधार के लिए ‘लुडिज्म’ नामक आन्दोलन किसने चलाया था?
उत्तर:
जनरल नेडलुड ने।

प्रश्न 21.
‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ब्रिटेन में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं।

प्रश्न 22.
इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति कब हुई ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति लगभग 1850 के बाद आई। इसमें रसायन तथा बिजली जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ।

प्रश्न 23.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किन विद्वानों के द्वारा किया गया ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस के विद्वान जार्जिस मिशले तथा जर्मनी के विद्वान फ्रेडरिक एंजेल्स द्वारा किया गया।

प्रश्न 24.
लन्दन इंग्लैण्ड के बाजारों का केन्द्र क्यों बना हुआ था ?
उत्तर:
लन्दन इंग्लैण्ड का सबसे बड़ा शहर था। लन्दन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण-प्राप्ति के प्रमुख स्रोत के रूप में एम्सटर्डम का स्थान ले लिया था।

प्रश्न 25.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब हाथ के स्थान पर बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा विशाल कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगा, उसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं।

प्रश्न 26.
सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के शुरू होने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित रहा था।
(2) इंग्लैण्ड में कोयला और लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था।

प्रश्न 27.
1750 से 1800 के बीच इंग्लैण्ड में बड़ी आबादी वाले शहरों की संख्या कितनी थी ? उनमें सबसे बड़ा शहर कौनसा था ?
उत्तर:
(1) 11
(2) लन्दन।

प्रश्न 28.
इंग्लैण्ड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र कौनसा बैंक था ? उस बैंक की स्थापना कब हुई थी ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र बैंक ऑफ इंग्लैण्ड था। बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना 1694 में हुई

प्रश्न 29.
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसमें किसका प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता है। इसमें काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 30.
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया में काठ कोयले (चारकोल) के प्रयोग करने से उत्पन्न दो समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) काठ कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(2) घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 31.
लौह धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति लाने का श्रेय किस परिवार को है?
उत्तर:
लौह धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति लाने का श्रेय श्रीप शायर के एक डर्बी परिवार को है। इस परिवार की तीन पीढ़ियों ने धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति ला दी।

प्रश्न 32.
धमन भट्टी का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया जिसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया।

प्रश्न 33.
धमन भट्टी में कोक के प्रयोग के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी।
(2) अब भट्टियों को काठ कोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।

प्रश्न 34.
लौह- उद्योग के क्षेत्र में हेनरी कोर्ट ने क्या आविष्कार किया ?
उत्तर:
हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार किया।

प्रश्न 35.
लौह उद्योग के विकास में जोन विल्किन्सन के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ और लोहे की सभी आकार की पाइपें बनाईं।

प्रश्न 36.
विश्व में प्रथम लोहे का पुल किसने और कब बनाया?
उत्तर:
1779 ई. में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया।

प्रश्न 37.
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाले कौनसे मुख्य खनिज बहुतायत में उपलब्ध थे ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाले मुख्य खनिज कोयला तथा लौह-अयस्क बहुतायत में उपलब्ध

प्रश्न 38.
कपास की कताई और बुनाई के क्षेत्र में हुए दो आविष्कारों और उनके आविष्कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) 1733 ई. में जान के ने ‘उड़न तुरी करघे’ (फ्लाइंग शटल लूम) तथा
(2) 1765 में हारग्रीव्ज ने स्पिन्निंग जैनी का आविष्कार किया।

प्रश्न 39.
‘वाटर फ्रेम’ का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक मशीन का आविष्कार किया।

प्रश्न 40.
औद्योगीकरण में भाप की शक्ति का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव उत्पन्न करती जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती

प्रश्न 41.
भाप की शक्ति के क्षेत्र में थामस सेवरी ने क्या आविष्कार किया ?
उत्तर:
1698 में थामस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए ‘माइनर्स फ्रेंड’ (खनक-मित्र) नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया।

प्रश्न 42.
थॉमस न्यूकामेन ने भाप के इंजन का कब आविष्कार किया?
उत्तर:
1712 में थॉमस न्यूकामेन ने भाप का इंजन बनाया।

प्रश्न 43.
जेम्स वाट ने भाप का इंजन कब बनाया? इसकी क्या विशेषता थी ?
उत्तर:
1769 में जेम्स वाट ने ऐसा भाप का इंजन बनाया जिससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी।

प्रश्न 44.
‘सोहो फाउन्ड्री’ का निर्माण किसने किया?
उत्तर:
1775 में जेम्स वाट ने एक धनी निर्माता मैथ्यू बॉल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्ड्री’ की स्थापना की।

प्रश्न 45.
1800 ई. के पश्चात् किन तत्त्वों ने भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया ?
उत्तर:
अधिक हल्की तथा सुदृढ़ धातुओं के प्रयोग ने, अधिक सटीक मशीनी औजारों के निर्माण ने और वैज्ञानिक उन्नति के अधिक प्रसार ने।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 46.
प्रारम्भ में इंग्लैण्ड में नहरों का निर्माण क्यों किया गया?
उत्तर:
प्रारम्भ में इंग्लैण्ड में नहरों का निर्माण कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए किया गया।

प्रश्न 47.
इंग्लैण्ड में पहली नहर कब और किसके द्वारा बनाई गई ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल ‘ 1761 ई. में जेम्स ब्रिंडली द्वारा बनाई गई।

प्रश्न 48.
नहरों के निर्माण के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए।
(2) बर्मिंघम शहर का विकास तीव्र गति से हुआ।

प्रश्न 49.
पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन किसके द्वारा बनाया गया और कब ?
उत्तर:
पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन ‘रॉकेट’ 1814 में स्टीफेंसन के द्वारा बनाया गया।

प्रश्न 50.
रेलवे परिवहन के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) रेलगाड़ियाँ वर्ष भर उपलब्ध रहती थीं।
(2) ये सस्ती और तेज भी थीं तथा माल और यात्री दोनों को ढो सकती थीं।

प्रश्न 51.
रिचर्ड ट्रेविथिक ने रेल के इंजन का निर्माण कब किया? इसे क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने रेल के इंजन का निर्माण किया। इसे ‘पफिंग डेविल’ (फुफकारने वाला दानव) कहते थे।

प्रश्न 52.
‘ब्लचर’ नामक रेलवे इंजन किसने बनाया और कब ?
उत्तर:
1814 में जार्ज स्टीफेन्सन नामक एक रेलवे इन्जीनियर ने ‘ब्लचर’ नामक रेल इंजन बनाया।

प्रश्न 53.
इंग्लैण्ड में पहली रेलवे लाइन कब बनाई गई ?
उत्तर:
1825 में इंग्लैण्ड में पहली रेलवे लाइन स्टाकटन तथा डार्लिंगटन शहरों के बीच बनाई गई।

प्रश्न 54.
1830 के दशक में नहरी परिवहन में कौनसी समस्याएँ आईं ?
उत्तर:
(1) नहरों के कुछ भागों में जलपोतों की भीड़भाड़ के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई।
(2) पाले, बाढ़ या सूखे के कारण नहरों के प्रयोग का समय सीमित हो गया।

प्रश्न 55.
‘छोटे रेलोन्माद’ तथा ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान कितने मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई ?
उत्तर:
1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान 1400 मील लम्बी रेल लाइन और 1844-47 के ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान 9500 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई।

प्रश्न 56.
ब्रिटेन के उद्योगपति प्रायः स्त्रियों और बच्चों को अपने कारखानों में काम पर क्यों लगाते थे? दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) स्त्रियों और बच्चों को पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी।
(2) स्त्रियाँ और बच्चे अपने काम की घटिया परिस्थितियों की कम आलोचना करते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 57.
कारखानों में काम करते समय बच्चों को किन दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता था ?
उत्तर:
(1) कारखानों में काम करते समय कई बार तो बच्चों के बाल मशीनों में फँस जाते थे अथवा उनके हाथ कुचल जाते थे। (2) कभी – कभी बच्चे मशीनों में गिर कर मर जाते थे।

प्रश्न 58.
कोयले की खानें बच्चों के काम करने के लिए क्यों खतरनाक होती थीं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) खानों की छतें धँस जाती थीं अथवा वहाँ विस्फोट हो जाता था।
(2) छोटे बच्चों को ‘ट्रैपर’ का काम करना पड़ता था।

प्रश्न 59.
कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना आवश्यक क्यों समझते थे ?
उत्तर:
कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना बहुत आवश्यक समझते थे ताकि वे अभी से काम सीख कर बड़े होकर उनके लिए अच्छा काम कर सकें।

प्रश्न 60.
फ्रांस के साथ लम्बे समय तक युद्ध करते रहने से इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड तथा यूरोप के बीच होने वाला व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया।
(2) अनेक फैक्ट्रियों को बन्द करना पड़ा।
(3) बेरोजगारी में वृद्धि हुई।

प्रश्न 61.
1795 के अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेनवासियों पर क्या प्रतिबन्ध लगाए गए ?
उत्तर:
1795 के अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेनवासियों को भाषण या लेखन द्वारा उकसाना अवैध घोषित कर दिया

प्रश्न 62.
ब्रिटेनवासियों ने ‘पुराने भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध अपना आन्दोलन जारी रखा। ‘पुराना भ्रष्टाचार’ क्या था ?
उत्तर:
‘पुराना भ्रष्टाचार’ शब्द का प्रयोग राजतन्त्र और संसद के सम्बन्ध में किया जाता था।

प्रश्न 63.
‘कार्न लाज’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘कार्न लाज’ कानून के अन्तर्गत ब्रिटेन में विदेशों से सस्ते अनाज के आयात पर रोक लगा दी गई थी।

प्रश्न 64.
लुडिज्म आन्दोलन क्या था ?
उत्तर:
ब्रिटेन के जनरल नेडलुड के नेतृत्व में लुडिज्म (1811-17) नामक एक आन्दोलन चलाया गया। यह एक प्रकार के विरोध प्रदर्शन का उदाहरण था।

प्रश्न 65.
लुडिज्म के अनुयायियों की प्रमुख माँगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) न्यूनतम मजदूरी
(2) नारी एवं बाल-श्रम पर नियन्त्रण
(3) मशीनों के आविष्कारों से बेरोजगार हुए लोगों के लिए काम।

प्रश्न 66.
‘पीटरलू के नरसंहार’ की घटना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ब्रिटेन में अगस्त, 1819 में 80,000 लोग अपने लिए लोकतान्त्रिक अधिकारों की माँग करने के लिए सेंट पीटर्स मैदान में इकट्ठे हुए, परन्तु उनका बलपूर्वक दमन कर दिया गया।

प्रश्न 67.
1819 के कानूनों के अनुसार ब्रिटेन में मंजदूरों को क्या सुविधाएँ प्रदान की गई ?
उत्तर:
1819 के कानूनों के अन्तर्गत 9 वर्ष से कम की आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लंगा दिया गया।

प्रश्न 68.
फैक्ट्री पद्धति की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) एक ही कारखाने में असंख्य लोगों का एक-साथ काम करना।
(2) मशीनों का यान्त्रिक शक्ति से चलना।

प्रश्न 69.
औद्योगिक क्रान्ति के दो सामाजिक परिणाम (प्रभाव) बताइए।
उत्तर:
(1) स्त्रियों और बच्चों की स्थिति शोचनीय हो गई।
(2) मजदूरों की स्थिति भी शोचनीय हो गई।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 70.
औद्योगिक क्रान्ति के दो आर्थिक परिणाम बताइए।
उत्तर:
(1) वस्तुओं के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
(2) औद्योगिक पूँजीवाद का विकास हुआ।

प्रश्न 71.
‘नहरोन्माद’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
1788 से 1796 ई. तक की अवधि को ‘नहरोन्माद’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में 46 नहरों के निर्माण की परियोजनाएँ शुरू की गई थीं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
ब्रिटेन में सम्पन्न हुई ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ एवं ‘द्वितीय औद्योगिक क्रान्ति’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ब्रिटेन में ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ – ब्रिटेन में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं। इस क्रान्ति के ब्रिटेन में दूरगामी प्रभाव हुए। ब्रिटेन में ‘द्वितीय औद्योगिक क्रान्ति’ – इंग्लैण्ड में ‘दूसरी औद्योगिक क्रान्ति’ लगभग 1850 ई. के बाद आई। इस क्रान्ति में रसायन तथा बिजली जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ। उस अवधि में ब्रिटेन, जो पहले विश्व- भर में औद्योगिक शक्ति के रूप में अग्रणी था, पिछड़ गया और जर्मनी तथा संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गए।

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ- जब हाथ के स्थान पर मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग, व्यवसाय, यातायात, संचार आदि क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उन्हें ‘औद्योगिक क्रान्ति’ के नाम से पुकारा जाता है। अब घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ने ले लिया, जहाँ बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन होने लगा। इस प्रकार, औद्योगिक जीवन में परिवर्तन इतने बड़े और तीव्र गति से हुए कि उन्हें व्यक्त करने के लिए ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इंग्लैण्ड में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे प्रथम ‘औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं। इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति लगभग 1850 के बाद आई। इतिहासकार डेविस ने ‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि ” ‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अभिप्राय उन परिवर्तनों से है, जिन्होंने यह सम्भव कर दिया कि मनुष्य उत्पादन के प्राचीन साधनों को त्याग कर विशाल पैमाने पर विशाल कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन कर सके।”

प्रश्न 3.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किन विद्वानों द्वारा किया गया ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग – ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग फ्रांस के विद्वान जार्जिस मिले और जर्मनी के विद्वान फ्रेडरिक एंजेल्स द्वारा किया गया। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री आरनाल्ड टायनबी द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे। इस सम्बन्ध में टायनबी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कई व्याख्यान दिए थे। उनके व्याख्यान उनकी मृत्यु के पश्चात् 1884 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए, जिसका नाम था -‘लेक्चर्स ऑन दि इण्डस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैण्ड’।

प्रश्न 4.
सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के क्या कारण थे?
उत्तर:
1. इंग्लैण्ड में सुदृढ़ राजनीतिक व्यवस्था – इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित रहा था। इंग्लैण्ड में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही सिक्का ( मुद्रा – प्रणाली) और एक ही बाजार व्यवस्था थी। मुद्रा का प्रयोग विनिमय के रूप में होने से लोगों को अपनी आय से अधिक खर्च करने के लिए साधन प्राप्त हो गए और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।

2. कृषि क्रान्ति – अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में ‘कृषि क्रान्ति’ सम्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप बड़े जमींदारों ने छोटे-छोटे खेत खरीद लिए। इससे भूमिहीन किसान और चरवाहे एवं पशुपालक रोजगार की तलाश में शहरों में चले गए।

3. भूमंडलीय व्यापार – 18वीं सदी तक आते-आते भूमंडलीय व्यापार का केन्द्र इटली और फ्रांस के पत्तनों से हटकर हालैंड और ब्रिटेन के पत्तनों पर आ गया और लंदन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में एम्सटर्डम का स्थान ले लिया।

4. कोयला, लोहा आदि की उपलब्धता – इंग्लैण्ड इस मामले में सौभाग्यशाली था कि वहाँ मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियाँ – कोयला और लौह अयस्क तथा उद्योगों में काम आने वाली खनिज जैसे सीसा, ताँबा, रांगा (टिन) आदि बहुतायत में उपलब्ध थीं।

5. अन्य कारण – उक्त कारणों के साथ-साथ अन्य कारण थे-
(i) गाँवों से आए गरीब लोग नगरों में काम करने के लिए उपलब्ध हो गए।
(ii) बड़े-बड़े उद्योग धंधे स्थापित करने के लिए आवश्यक ऋण राशि उपलब्ध कराने के लिए बैंक मौजूद थे।
(iii) परिवहन के लिए एक अच्छी व्यवस्था उपलब्ध थी। रेल मार्गों के निर्माण से वहाँ एक नया परिवहन तंत्र तैयार हो गया था।
(iv) प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों (आविष्कारों) की एक श्रृंखला ने उत्पादन के स्तर में अचानक वृद्धि कर दी थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 5.
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में लोहे के क्षेत्र में क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग योग्य लोहे की कमी थी। लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता था। प्रगलन प्रक्रिया के लिए काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इस कार्य में निम्नलिखित समस्याएँ थीं-
(1) काठ कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(2) इसकी अशुद्धताओं के कारण घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।
(3) यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी नहीं था, क्योंकि लकड़ी के लिए जंगल काट लिए गए
(4) यह उच्च तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता था।

प्रश्न 6.
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में लोहा उद्योग के क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी में ब्रिटेन में लोहा उद्योग के क्षेत्र में हुए विकास –
(i) 1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया। कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी। इस आविष्कार से काठ कोयले की निर्भरता समाप्त हो गई।
(ii) द्वितीय डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था।
(iii) हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी और बेलन मिल का आविष्कार किया। अब लोहे से अनेकानेक उत्पाद बनाना संभव हो गया।
(iv) 1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ तथा लोहे की नलियाँ (पाइपें ) बनाईं।
(v) 1779 में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया। (vi) विलकिन्सन ने पेरिस को पानी की आपूर्ति के लिए 40 मील लम्बी पानी की पाइपें पहली बार ढलवाँ लोहे में बनाई। ब्रिटेन के लौह उद्योग ने 1800 से 1830 की अवधि में अपने उत्पादन को चौगुना बढ़ा लिया।

प्रश्न 7.
कपास की कताई और बुनाई के क्षेत्र में ब्रिटेन में हुए विभिन्न आविष्कारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम ) – 1733 ई. में लंकाशायर निवासी जान के ने उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम) का आविष्कार किया। इसकी सहायता से कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया।

2. स्पिनिंग जैनी – 1765 ई. में ब्लैकबर्न निवासी जेम्स हारग्रीव्ज ने ‘स्पिन्निंग जैनी’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस पर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था।

3. वाटर फ्रेम – 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा।

4. म्यूल – 1779 ई. में सेम्युल क्राम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया।

5. पावरलूम – 1787 में एडमंड कार्टराइट ने पावरलूम अर्थात् शक्ति-चालित करघे का आविष्कार किया।

प्रश्न 8.
18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई व बुनाई के उद्योग में क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
ब्रिटेन में कताई व बुनाई के उद्योग में समस्याएँ – अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई का काम इतनी धीमी गति और परिश्रम से किया जाता था कि एक बुनकर को व्यस्त रखने के लिए आवश्यक धागा कातने के लिए 10 कातने वालों, अधिकतर स्त्रियों की आवश्यकता पड़ती थी। इसलिए कातने वाले दिन भर कताई के काम में व्यस्त रहते थे, जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे की प्रतीक्षा में समय नष्ट करते रहते थे।

प्रश्न 9.
“1780 के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। ” स्पष्ट कीजिए। इस उद्योग की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में अनेक आविष्कार हुए जिसके फलस्वरूप वस्त्र उद्योग में अत्यधिक उन्नति हुई। 1780 के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं –
(1) कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास सम्पूर्ण रूप से आयात करना पड़ता था।
(2) जब उससे कपड़ा तैयार हो जाता था, तो उसका अधिकांश भाग निर्यात किया जाता था। इसके लिए इंग्लैण्ड के पास अपने उपनिवेश होना आवश्यक था ताकि वह इन उपनिवेशों से कच्चा कपास प्रचुर मात्रा में मँगा सके और फिर इंग्लैण्ड में उससे कपड़ा बनाकर तैयार माल को उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेच सके।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 10.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में हुए आविष्कारों व परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. भाप के इंजन के मॉडल का आविष्कार – भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खनन उद्योगों में किया गया। 1698 में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए माइनर्स फ्रेंड ( खनक – मित्र) नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया। ये छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे।

2. थॉमस न्यूकामेन द्वारा भाप का इंजन बनाना – 1712 ई. में थॉमस न्यूकामेन ने भाप का एक और इंजन बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन के निरन्तर ठण्डा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

3. जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार – 1769 ई. में जेम्स वाट ने भाप के इंजन का आविष्कार किया। जेम्स वाट ने एक ऐसी मशीन विकसित की, जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा जिससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी।

4. सोहो फाउन्डरी का निर्माण – 1775 में जेम्स वाट ने मैथ्यू बाल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्डरी’ का निर्माण किया। उस फाउन्डरी से जेम्स वाट के स्टीम इंजन बराबर बढ़ती हुई संख्या में निकलने लगे। 18वीं सदी के अन्त तक जेम्स वाट के भाप इंजन ने द्रवचालित शक्ति का स्थान लेना शुरू कर दिया था। 1800 के बाद भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी और अधिक विकसित हो गई।

प्रश्न 11.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में नहरों के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में प्रारम्भ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। इसका कारण यह था कि कोयले को नहरों के मार्ग से ले जाने में समय और खर्च दोनों ही कम लगते थे।
इंग्लैण्ड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल ‘1761 ई. में जेम्स ब्रिंडली द्वारा बनाई गई। इस नहर के निर्माण का केवल यही उद्देश्य था कि इसके द्वारा वर्सले के कोयला भण्डारों से शहर तक कोयला ले जाया जाए। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए और उनका विकास हुआ। उदाहरणार्थ बर्मिंघम शहर का विकास केवल इसलिए तेजी से हुआ क्योंकि वह लन्दन, ब्रिस्टल चैनल और करसी तथा हंबर नदियों के साथ जुड़ने वाली नहर प्रणाली के बीच में स्थित था। ब्रिटेन में 1760 से 1790 के बीच नहरें बनाने की 25 परियोजनाएँ शुरू की गईं। 1788 से 1796 तक की अवधि में 46 नई परियोजनाएँ शुरू की गईं। उसके पश्चात् अगले 60 वर्षों में अनेक नहरें बनाई गईं जिनकी लम्बाई कुल मिलाकर 4000 मील से अधिक थी।

प्रश्न 12.
औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन में वेतनभोगी मजदूरों के जीवन की औसत अवधि कम क्यों थी?
उत्तर:
1842 में ब्रिटेन में किए गए एक सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि वहाँ वेतनभोगी मजदूरों या कामगारों के जीवन की औसत अवधि शहरों में रहने वाले अन्य सामाजिक समूहों के जीवन-काल से कम थी जैसे बर्मिंघम में यह 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डर्बी में 21 वर्ष थी। नए औद्योगिक नगरों में गाँवों से आकर रहने वाले लोग ग्रामीण लोगों की तुलना में काफी छोटी आयु में मौत के मुँह में चले जाते थे। वहाँ उत्पन्न होने वाले बच्चों में से आधे तो पाँच वर्ष की आयु प्राप्त करने से पूर्व ही मर जाते थे।
मजदूरों की मृत्यु अधिकतर उन महामारियों के कारण होती थी जो जल- प्रदूषण से जैसे हैजा तथा आंत्रशोथ से और वायु-प्रदूषण से जैसे क्षय रोग से होती थी। 1832 में ब्रिटेन में हैजे की महामारी फैल गई जिसमें 31,000 से अधिक लोग मौत के मुँह में चले गए। 19वीं सदी के अंतिम दशकों तक नगर – प्राधिकारी जीवन की इन भयंकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे और इन बीमारियों के निदान व उपचार के बारे में चिकित्सकों को कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 13.
औद्योगिक क्रान्ति से ब्रिटेनवासियों के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
1. पूँजी में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप धनी लोगों ने उद्योग-धन्धों में पूँजी निवेश किया जिससे उन्हें खूब मुनाफा हुआ और उनके धन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
2. अन्य क्षेत्रों में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप धन, माल, आय, सेवाओं, ज्ञान और उत्पादक कुशलता के रूप में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई।
3. नगरीय जनसंख्या में वृद्धि – 1750 में इंग्लैण्ड में 50,000 से अधिक की आबादी वाले नगरों की संख्या केवल दो थी जो बढ़कर 1850 में 29 हो गई।
4. परिवारों का टूटना – पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों और बच्चों को भी कारखानों में काम करना पड़ता था। परिणामस्वरूप अनेक परिवार टूट गए।
5. नवीन समस्याएँ उत्पन्न होना – मजदूरों को अनेक नई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें कारखानों के आस-पास भीड़भाड़ वाली गन्दी बस्तियों में रहना पड़ा। वे अनेक बीमारियों के शिकार बन गए और असमय मौत के मुँह में जाने लगे।

प्रश्न 14.
फैक्ट्री पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फैक्ट्री पद्धति की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
(1) बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें हजारों लोग एक-साथ काम करते थे
(2) उत्पादन के सभी साधनों पर पूँजीपतियों का स्वामित्व था।
(3) श्रमिकों की देखभाल के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति की जाती थी।
(4) पूँजीपति कारखानों के स्वामी होते थे तथा मजदूर कारखानों में अपनी मजदूरी पाने के लिए कार्य करते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारण
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारण निम्नलिखित थे-
1. इंग्लैण्ड में राजनीतिक स्थिरता – इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित था और इसके तीनों भागों—इंग्लैण्ड, वेल्स और स्कॉटलैण्ड पर एक ही राजतन्त्र अर्थात् सम्राट का एकछत्र शासन रहा था। वहाँ अन्य देशों की अपेक्षा राजनीतिक स्थिरता अधिक थी। इंग्लैण्ड में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही सिक्का ( मुद्रा- प्रणाली) और एक ही बाजार व्यवस्था थी। इस बाजार व्यवस्था में स्थानीय प्राधिकरणों का कोई हस्तक्षेप नहीं था। सत्रहवीं शताब्दी तक आते-आते, मुद्रा का प्रयोग विनिमय के रूप में व्यापक रूप से होने लगा था। तब तक बड़ी संख्या में ब्रिटेनवासी अपनी कमाई वस्तुओं की बजाय मजदूरी और वेतन के रूप में प्राप्त करने लगे। इससे उन्हें अपनी आय से अधिक खर्च करने के लिए साधन प्राप्त हो गए और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

2. कृषि क्रान्ति – अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में ‘कृषि – क्रान्ति’ सम्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप बड़े जमींदारों ने अपनी जमीनों के आस-पास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए और गाँव की सार्वजनिक जमीनों को घेर लिया। इससे विवश होकर भूमिहीन किसान, चरवाहे और पशुपालक रोजगार की तलाश में शहरों में चले गए।

3. शहरों का विकास – यूरोप के जिन 19 शहरों की आबादी सन् 1750 से 1800 के बीच दोगुनी हो गई थी; उनमें से 11 ब्रिटेन में थे। इन 11 शहरों में लन्दन सबसे बड़ा था, जो देश के बाजारों का केन्द्र था, शेष बड़े- बड़े शहर भी लन्दन के आसपास ही स्थित थे। लन्दन ने सम्पूर्ण विश्व में भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था। शहरों में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गई। इससे उद्योगपतियों को बड़े पैमाने पर वस्तुओं के उत्पादन की प्रेरणा मिली।

4. व्यापार की उन्नति – 18वीं सदी तक आते-आते भू-मण्डलीय व्यापार का केन्द्र इटली तथा फ्रांस के भूमध्य सागरीय बन्दरगाहों से हट कर हालैण्ड और ब्रिटेन के अटलान्टिक बन्दरगाहों पर आ गया था। इसके बाद लन्दन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु ऋण प्राप्ति के प्रमुख स्रोत के रूप में एम्स्टर्डम का स्थान ले लिया था। लन्दन इंग्लैण्ड, अफ्रीका और वेस्टइण्डीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र बन गया था।

5. यातायात का विकास – 1724 से इंग्लैण्ड के पास नदियों के द्वारा लगभग 1160 मील लम्बा जलमार्ग था जिसमें नौकाएँ चल सकती थीं तथा पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश स्थान नदी से अधिक से अधिक 15 मील की दूरी पर थे। इंग्लैण्ड की नदियों के समस्त नौचालन के भाग समुद्र से जुड़े हुए थे, इसलिए नदी पोतों के द्वारा ढोया जाने वाला माल समुद्र-तटीय जहाजों तक सरलता से ले जाया और सौंपा जा सकता था।

6. बैंकों का विकास – इंग्लैण्ड में बैंकों का विकास हो चुका था। 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हो चुकी थी। यह देश की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र था। 1784 तक इंग्लैण्ड में कुल मिलाकर एक सौ से अधिक प्रान्तीय बैंक थे। 1820 के दशक तक प्रान्तों में 600 से अधिक बैंक थे। अतः बड़े-बड़े उद्योग-धन्धे स्थापित करने के लिए आवश्यक ऋण-राशि उपलब्ध कराने के लिए बैंक मौजूद थे।

7. लोहे तथा कोयले का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना – इंग्लैण्ड में लोहे और कोयले की खानें आसपास थीं। वहां लोहा तथा कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे। इससे पक्के लोहे का निर्माण सरलता से होने लगा।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

8. पूँजी की अधिकता – इंग्लैण्ड में पूँजी की अधिकता थी। वाणिज्यवाद के परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड में प्रचुर पूँजी जमा हो गई थी। बैंकिंग व्यवस्था ने भी इंग्लैण्ड में पूँजी – संचय तथा विनियोग को समान बनाया।

9. वैज्ञानिक आविष्कार – 18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में अनेक वैज्ञानिक हुए जिन्होंने कृषि, व्यवसाय, यातायात आदि क्षेत्रों के अनेक आविष्कार किये। इन आविष्कारों ने औद्योगिक क्रान्ति को सफल बनाने में योगदान दिया।

10. कुशल श्रमिकों की उपलब्धि – इंग्लैण्ड में कुशल श्रमिक बड़ी संख्या में उपलब्ध थे। यूरोप के अधिकांश देशों में आन्तरिक शान्ति तथा व्यवस्था का अभाव था। इसलिए वहाँ के बहुत से कुशल श्रमिक भाग कर इंग्लैण्ड में आ गए थे।

11. औपनिवेशिक साम्राज्य – अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक इंग्लैण्ड ने एक विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। इंगलैण्ड इन उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त कर सकता था तथा वहाँ अपना तैयार माल बेच सकता था।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में कोयले और लोहे के उद्योग क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में कोयले और लोहे के उद्योग क्षेत्र में विकास
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियाँ – कोयला और लौह-अयस्क प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थीं। इसके अतिरिक्त वहाँ उद्योग में काम आने वाले अन्य खनिज, जैसे-सीसा, ताँबा और राँगा (टिन) आदि भी उपलब्ध थे। परन्तु अठारहवीं शताब्दी तक, वहाँ प्रयोग योग्य लोहे की कमी थी।

1. काठ कोयले ( चारकोल ) के प्रयोग की समस्याएँ – लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता है। सैकड़ों वर्षों तक इस प्रगलन प्रक्रिया के लिए काठ – कोयले ( चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया की निम्नलिखित समस्याएँ थीं –
(i) काठ – कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(ii) इसकी अशुद्धताओं के कारण घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।
(iii) यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था क्योंकि लकड़ी के लिए जंगल काट लिये गए थे।
(iv) यह उच्च तापमान भी उत्पन्न नहीं कर सकता था।

2. धमन भट्टी का आविष्कार – लौह उद्योग के क्षेत्र में, 1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया जिसमें सर्वप्रथम कोक का प्रयोग किया गया। इस आविष्कार के परिणामस्वरूप भटिट्यों को काठ कोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्टियों से निकलने वाला पिघला हुआ लोहा पहले की अपेक्षा श्रेष्ठ होता था। 3. पिटवाँ लोहे का विकास- द्वितीय अब्राहम डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था।

4. आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार – हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार किया, जिसमें परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था। अब लोहे से अनेकानेक उत्पाद बनाना सम्भव हो गया।
5. लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ बनाना – 1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियां और लोहे की सभी आकारों की नलियाँ (पाइपें ) बनाई।

6. लोहे के पुल का निर्माण – 1779 ई. में तृतीय अब्राहम डर्बी ने विश्व में प्रथम लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया। विल्किन्सन ने पानी की पाइपें पहली बार ढलवाँ लोहे से बनाईं।

7. इस्पात बनाने की विधि – 1856 में हेनरी बैस्सेमर ने इस्पात बनाने की विधि खोज निकाली।

8. लौह उत्पादन में वृद्धि – ब्रिटेन के लौह उद्योग ने 1800 से 1830 के दौरान अपने उत्पादन को चौगुना बढ़ा लिया और उसका उत्पादन सम्पूर्ण यूरोप में सबसे सस्ता था। 1820 में एक टन ढलवाँ लोहा बनाने के लिए 8 टन कोयले की आवश्यकता होती थी, परन्तु 1850 तक आते-आते यह मात्रा घट गई और केवल 2 टन कोयले से ही एक टन ढलवाँ लोहा बनाया जाने लगा। 1848 तक ब्रिटेन द्वारा पिघलाए जाने वाले लोहे की मात्रा शेष सम्पूर्ण विश्व द्वारा कुल मिलाकर पिघलाए जाने वाले लोहे से अधिक थी।

प्रश्न 3.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई व बुनाई के उद्योग में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
अथवा
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई व बुनाई के उद्योग में हुए आविष्कारों का वर्णन कीजिए। उत्तर- अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई तथा बुनाई के उद्योग में विकास – अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई का काम धीमी गति से किया जाता था। एक ओर कातने वाले लोग दिन-भर कताई के काम में व्यस्त रहते थे, तो दूसरी ओर बुनकर लोग बुनाई के लिए धागे के लिए अपना समय नष्ट करते रहते थे। परन्तु कालान्तर में कताई व बुनाई की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए जिसके फलस्वरूप कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति में जो अन्तर था, वह समाप्त हो गया।

कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में महत्त्वपूर्ण आविष्कार अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में निम्नलिखित आविष्कार हुए-
1. उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम ) – 1733 ई. में लंकाशायर निवासी जान के ने उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूंम) का आविष्कार किया। इसकी सहायता से कम समय में चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया। इसकी सहायता से दुगुनी गति से कपड़ा बुना जा सकता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

2. स्पिन्निंग जैनी – 1765 में ब्लैकबर्न निवासी जेम्स हारग्रीव्ज ने ‘स्पिन्निंग जैनी’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस पर एक अकेला व्यक्ति एक-साथ सूत के आठ धागे कात सकता था। इससे बुनकरों को उनकी आवश्यकता से अधिक तेजी से धागा मिलने लगा।

3. वाटर फ्रेम – 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक सूत कातने की मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा। इससे लिनन और सूती धागा दोनों को मिलाकर कपड़ा बनाने की बजाय अकेले सूती धागे से ही विशुद्ध सूती कपड़ा बनाया जाने लगा। इसने भावी ‘कारखाना पद्धति’ को जन्म दिया।

4. म्यूल – 1779 ई. में सैम्युल क्राम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत और श्रेष्ठ होता था।

5. पावरलूम – 1787 ई. में एडमण्ड कार्टराइट ने शक्ति से चलने वाले ‘पावरलूम’ नामक करघे का आविष्कार किया। ‘पावरलूम’ को चलाना अत्यन्त आसान था। जब भी धागा टूटता, वह अपने आप काम करना बन्द कर देता था। इससे किसी भी प्रकार के धागे से बुनाई की जा सकती थी। 1830 के दशक से, वस्त्र उद्योग में नई-नई मशीनें बनाने की बजाय श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। इन आविष्कारों के बाद कताई – बुनाई का काम अब घरों से हटकर, कारखानों में चला गया ताकि इस कार्य में और कुशलता लायी जा सके।

प्रश्न 4.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में क्या परिवर्तन एवं आविष्कार हुए?
अथवा
‘भाप की शक्ति बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के लिए निर्णायक सिद्ध हुई। “स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में आविष्कार एवं परिवर्तन भाप की शक्ति ने ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव पैदा करती थी जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थीं। इस प्रकार भाप की शक्ति ऊर्जा का एकमात्र ऐसा स्त्रोत था जो मशीनरी बनाने के लिए विश्वसनीय एवं कम खर्चीला था। अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में निम्नलिखित आविष्कार एवं परिवर्तन हुए-

1. भाप के इंजन के मॉडल का आविष्कार – भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खनन उद्योगों में किया गया। खानों में अचानक पानी भर जाना भी एक जटिल समस्या थी। 1698 ई. में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए ‘माइनर्स फ्रेंड’ नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया। ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे तथा अधिक दबाव हो जाने पर उनका बायलर फट जाता था।

2. थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा भाप का इंजन बनाना – 1712 ई. में थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का एक और इंजन बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन के निरन्तर ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

3. जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार – 1769 तक भाप के इंजन का प्रयोग केवल कोयले की खानों में ही होता था। परन्तु 1769 में जेम्स वाट ने इसका एक और प्रयोग खोज निकाला। 1769 में जेम्स वाट ने ऐसी मशीन विकसित की, जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा। इससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी। इस प्रकार जेम्स वाट के भाप के इंजन के आविष्कार के कारण अब कारखानों में भी भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाने लगा।

4. सोहो फाउन्डरी का निर्माण – 1775 में जेम्स वाट ने एक धनी निर्माता मैथ्यू बाल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्डरी’ का निर्माण किया। इस फाउन्डरी से जेम्स वाट के भाप के इंजन बड़ी संख्या में बनकर निकलने लगे। अठारहवीं सदी के अन्त तक जेम्स वाट के भाप के इंजन ने द्रवचालित शक्ति का स्थान लेना शुरू कर दिया था।

5. भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी का विकास – 1800 ई. के बाद भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी का और अधिक विकास हुआ। इसमें निम्नलिखित तत्त्वों ने सहयोग दिया –
(i) अधिक हल्की तथा मजबूत धातुओं का प्रयोग।
(ii) अधिक सटीक मशीनी औजारों का निर्माण।
(iii) वैज्ञानिक जानकारी का अधिक व्यापक प्रसार।
1840 में स्थिति यह थी कि ब्रिटेन में बने भाप के इंजन ही सम्पूर्ण यूरोप में आवश्यक ऊर्जा की 70 प्रतिशत से अधिक अश्व शक्ति का उत्पादन कर रहे थे।

प्रश्न 5.
अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों के विकास का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों का विकास अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों के विकास का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है –
1. भाप से चलने वाले रेल के इंजन का आविष्कार – 1814 में पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन- स्टीफेन्सन का राकेट बना। अब रेलगाड़ियाँ परिवहन का एक ऐसा नया साधन बन गईं, जो साल भर उपलब्ध रहती थीं, सस्ती तथा तेज भी थीं और माल तथा यात्री दोनों को ढो सकती थीं। इस साधन में एक-साथ दो आविष्कार शामिल थे –
(1) लोहे की पटरी जिसने 1760 के दशक में लकड़ी की पटरी का स्थान ले लिया था तथा
(2) भाप के इंजन द्वारा इस लोहे की पटरी पर रेल के डिब्बों को खींचना।

2. रिचर्ड ट्रेविथिक द्वारा ‘पफिंग डेविल’ नामक रेलवे इंजन का निर्माण करना – 1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जिसे ‘पंफिंग डेविल’ (फुफकारने वाला दानव) कहते थे। यह इंजन ट्रकों को कार्नवाल में उस खान के चारों ओर खींच कर ले जाता था, जहाँ रिचर्ड ट्रेविथिक काम करता था।

3. ‘ब्लचर’ नामक रेल इंजन का निर्माण करना – 1814 में जार्ज स्टीफेन्सन नामक एक रेलवे इंजीनियर ने एक रेल इंजन का निर्माण किया, जिसे ‘ब्लचर’ कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रति घण्टे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।

4. ब्रिटेन में रेल मार्ग का विस्तार – सर्वप्रथम 1825 में स्टाकटन और डार्लिंगटन शहरों के बीच 9 मील लम्बा रेलमार्ग 24 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से 2 घण्टे में रेल द्वारा तय किया गया। 1830 में लिवरपूल तथा मैनचेस्टर को आपस में रेल मार्ग से जोड़ दिया गया। 20 वर्षों के अन्दर रेलें 30 से 50 मील प्रति घण्टे की गति से दौड़ने लगीं। 1830 से 1850 के बीच ब्रिटेन में रेल पथ कुल मिलाकर दो चरणों में लगभग 6000 मील लम्बा हो गया। 1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान, 1400 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई। इसके बाद 1844-47 के ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान फिर 9500 मील लम्बी रेल लाइन बनाने की स्वीकृति दी गई। रेलवे लाइन के निर्माण में कोयले और लोहे का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया गया तथा बड़ी संख्या में लोगों को . काम पर लगाया गया। इसके फलस्वरूप निर्माण तथा लोक कार्य उद्योगों की गतिविधियों में तेजी आई। 1850 तक अधिकांश इंग्लैण्ड के नगर और गाँव रेल मार्ग से जुड़ गए।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 6. ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के अग्रलिखित प्रभाव पड़े –
1. स्त्रियों और बच्चों के काम करने के तरीकों में परिवर्तन-औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप स्त्रियों और बच्चों के काम करने के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए। औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व गरीब ग्रामीणों के बच्चे घरों में या खेतों में अपने माता-पिता अथवा सम्बन्धियों की देख-रेख में अनेक प्रकार के काम किया करते थे। ये काम समय, दिन अथवा मौसम के अनुसार परिवर्तित होते रहते थे। इसी प्रकार गाँवों में स्त्रियाँ भी खेती के काम में हिस्सा लेती थीं और अपने घरों में चरखे चलाकर सूत कातती थीं।

2. प्रतिकूल परिस्थितियों में कारखानों में काम करना – औद्योगिक क्रान्ति के सूत्रपात के बाद स्त्रियों तथा बच्चों को प्रतिकूल परिस्थितियों में कारखानों में काम करना पड़ा। क्योंकि पुरुषों को बहुत कम मजदूरी मिलती थी जिससे परिवार का खर्च नहीं चल पाता था। उन्हें निरन्तर कई घण्टों तक नीरस काम कठोर अनुशासन में करना पड़ता था तथा साधारण-सी गलतियों पर उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था। कारखानों के मालिक पुरुषों की बजाय स्त्रियों और बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसन्द करते थे। इसके दो कारण थे –
(1) स्त्रियों और बच्चों की मजदूरी कम होती थी तथा
(2) स्त्री एवं बच्चें कठोर और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रायः शान्तिपूर्ण बने रहते थे।

3. सूती कपड़ा उद्योग में स्त्रियों और बच्चों को काम पर लगाना – स्त्रियों और बच्चों को लंकाशायर तथा यार्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में काम पर लगाया जाता था। रेशम, फीते बनाने और बुनने के उद्योग-धन्धों में और बर्मिंघम के धातु – उद्योगों में बच्चों के साथ-साथ स्त्रियों को ही अधिकतर कारखानों में काम पर लगाया जाता था। कपास कातने की जेनी जैसी अनेक मशीनें तो कुछ इस प्रकार की बनाई गई थीं कि उनमें बच्चे ही अपनी चुस्त उंगिलयों और छोटी कद-काठी के कारण सरलता से काम कर सकते थे। बच्चों को प्रायः कपड़ा मिलों में रखा जाता था क्योंकि वहाँ सटाकर रखी गई मशीनों के बीच से छोटे बच्चे सरलता से आ-जा सकते थे।

4. बच्चों का शोषण – कारखानों में बच्चों से कई घण्टों तक काम लिया जाता था। उन्हें हर रविवार को भी मशीनें साफ करने के लिए काम पर आना पड़ता था। इसके परिणामस्वरूप उन्हें विश्राम करने, ताजा हवा खाने या व्यायाम करने का कभी कोई अवसर नहीं मिलता था। काम करते समय कई बार तो बच्चों के बाल मशीनों में फँस जाते थे अथवा उनके हाथ कुचल जाते थे। निरन्तर कई घण्टों तक काम करते रहने के कारण बच्चे इतने थक जाते थे कि उन्हें नींद की झपकी आ जाती थी और वे मशीनों में गिरकर मर जाते थे।

5. कोयले की खतरनाक खानों में बच्चों द्वारा काम करना – बच्चों के लिए कोयले की खानों में काम करना बहुत खतरनाक था। खानों की छतें धँस जाती थीं या वहाँ विस्फोट हो जाता था। इससे बच्चों को चोट लगना सामान्य बात थी। कोयला खानों के मालिक कोयले के गहरे अन्तिम छोरों को देखने के लिए संकरे रास्ते पर जाने के लिए, वहाँ बच्चों को ही भेजते थे। छोटे बच्चों को कारखानों में ‘ट्रैपर’ का काम भी करना पड़ता था। कोयला कारखानों में जब कोयला भरे डिब्बे इधर-उधर ले जाये जाते थे, तो वे आवश्यकतानुसार उन दरवाजों को खोलते तथा बन्द करते थे। उन्हें अपनी पीठ पर रख कर कोयले का भारी वजन भी ढोना पड़ता था।

6. कारखानों के मालिकों द्वारा बच्चों से काम लेना – कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना अत्यन्त आवश्यक समझते थे, ताकि वे अभी से काम सीख कर बड़े होकर उनके लिए अच्छा काम कर सकें।

7. स्त्रियों पर प्रभाव – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप स्त्रियों को मजदूरी मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तथा उनके आत्म-सम्मान में भी वृद्धि हुई। परन्तु इससे उन्हें लाभ कम हुआ और हानि अधिक हुई। उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। प्रायः उनके बच्चे पैदा होते ही या बचपन में ही मर जाते थे। उन्हें विवश होकर शहर की गन्दी एवं घिनौनी बस्तियों में रहना पड़ता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 7.
ब्रिटेन में अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मजदूरों के विरोध- आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मजदूरों का विरोध- आन्दोलन इंग्लैण्ड में फैक्ट्रियों में काम करने की कठोर एवं अपमानजनक परिस्थितियों के विरुद्ध राजनीतिक विरोध बढ़ता जा रहा था और मजदूर लोग मताधिकार प्राप्त करने के लिए आन्दोलन कर रहे थे। परन्तु ब्रिटिश सरकार ने मजदूरों की माँगों को स्वीकृत करने की बजाय दमनकारी नीति अपनाना शुरू कर दिया।

1. ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति – 1795 ई. में ब्रिटिश संसद ने दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए। इनके अन्तर्गत लोगों को भाषण या लेखन द्वारा सम्राट, संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा या अपमान करने के लिए उकसाना अवैध घोषित कर दिया गया और 50 से अधिक लोगों की अनधिकृत, सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। परन्तु लोगों ने ‘पुराने भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध आन्दोलन करना जारी रखा जो मजदूरों को मताधिकार दिए जाने की माँग से संबंधित था। .

2. ब्रेड के लिए दंगे – 1790 के दशक से सम्पूर्ण इंग्लैण्ड में ब्रेड अथवा खाद्य के लिए दंगे होने लगे। गरीब लोगों का मुख्य आहार ब्रैड ही था और इसके मूल्य पर ही उनके रहन-सहन का स्तर निर्भर करता था। आन्दोलनकारियों ने ब्रैड के भण्डारों पर अधिकार कर लिया और उन्हें मुनाफाखोरों द्वारा निर्धारित ऊँची कीमतों से काफी कम मूल्य में बेचना शुरू किया। यह कीमत सामान्य व्यक्ति के लिए उचित थी और नैतिक दृष्टि से भी सही थी। ऐसे दंगे, विशेषकर 1795 ई. में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच चलने वाले युद्ध के दौरान बार- बार हुए परन्तु वे 1840 के दशक तक जारी रहे।

3. चकबन्दी या बाड़ा पद्धति से मजदूरों में असन्तोष – इंग्लैण्ड के लोगों में चकबन्दी या बाड़ा-पद्धति के विरुद्ध भी तीव्र असन्तोष था। इस पद्धति के अन्तर्गत 1770 के दशक से छोटे-छोटे सैकड़ों खेत शक्तिशाली जमींदारों के बड़े फार्मों में मिला दिए गए। इससे गरीब लोगों में घोर असन्तोष उत्पन्न हुआ और उन्होंने औद्योगिक काम देने की माँग की। परन्तु मशीनों के प्रचलन के कारण हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए थे तथा गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे।

4. बुनकरों द्वारा हड़ताल – 1790 के दशक से बुनकर लोग अपने लिए न्यूनतम वैध मजदूरी की माँग करने लगे। परन्तु जब ब्रिटिश संसद ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया, तो वे हड़ताल पर चले गए। परन्तु सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए आन्दोलनकारियों को तितर-बितर कर दिया। इससे हताश और क्रुद्ध होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया। इसका कारण यह था कि वे अपना रोजगार छिन जाने के लिए इन बिजली के करघों को ही उत्तरदायी मानते थे। नोटिंघम में ऊनी वस्त्र उद्योग में भी मशीनों के प्रयोग का प्रतिरोध किया गया। इसी प्रकार लैसेस्टरशायर और डर्बीशायर में भी मजदूरों ने विरोध-प्रदर्शन किये।

5. यार्कशायर में विरोध आन्दोलन – यार्कशायर में ऊन कतरने वालों ने ऊन कतरने के ढाँचों को नष्ट कर दिया। ये लोग अपने हाथों से भेड़ों के बालों को काटते थे। 1830 के दंगों में फार्मों में काम करने वाले, मजदूरों को भी उनके धन्धे के चौपट हो जाने की आशंका पैदा हुई क्योंकि खेती में भूसी से दाना अलग करने के लिए नई खलिहानी मशीनों का प्रयोग शुरू हो गया था। दंगाइयों ने इन खलिहानी मशीनों को नष्ट कर दिया। परिणामस्वरूप नौ दंगाइयों को फाँसी की सजा हुई और 450 लोगों को बन्दियों के रूप में आस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

6. लुडिज्म आन्दोलन – इंग्लैण्ड में जनरल नेडलुड के नेतृत्व में लुडिज्म नामक आन्दोलन चलाया गया। लुडिज्म के अनुयायी मशीनों की तोड़-फोड़ में ही विश्वास नहीं करते थे, बल्कि न्यूनतम मजदूरी आदि अनेक माँगों पर भी जोर देते थे। लुडिज्म के अनुयायियों की माँगें निम्नलिखित थीं –

(i) न्यूनतम मजदूरी प्रदान की जाए
(ii) नारी एवं बाल-श्रम पर नियन्त्रण स्थापित किया जाए
(iii) मशीनों के आविष्कार एवं प्रचलन से बेरोजगार हुए लोगों को काम दिया जाए
(iv) कानूनी तौर पर अपनी माँगें प्रस्तुत करने के लिए उन्हें मजदूर संघ (ट्रेड यूनियन) बनाने का अधिकार दिया जाए।

7. ‘पीटरलू का नर-संहार’ – अगस्त, 1819 में 80,000 लोग अपने लिए लोकतान्त्रिक अधिकारों अर्थात् राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएँ करने तथा प्रेस की स्वतन्त्रता के अधिकारों की माँग करने हेतु मैनचेस्टर में सेन्टपीटर्स मैदान में इकट्ठे हुए। वे शान्तिपूर्ण थे, परन्तु सरकार ने उनका कठोरतापूर्वक दमन कर दिया। इसे ‘पीटरलू का नरसंहार’ के नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने जिन अधिकारों की माँग की थी, उन्हें उसी वर्ष संसद द्वारा ठुकरा दिया गया। परन्तु इससे कुछ लाभ भी हुए। पीटरलू के नरसंहार के बाद ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ को अधिक प्रतिनिधित्वकारी बनाए जाने की आवश्यकता उदारवादी राजनीतिक दलों द्वारा अनुभव की गई। 1824-25 ई. में 1795 के जुड़वाँ अधिनियमों को भी निरस्त कर दिया गया।

प्रश्न 8.
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए बनाए गए कानूनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए बनाए गए कानून धीरे-धीरे मजदूरों में जागृति उत्पन्न हुई और उन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। अन्त में बाध्य होकर सरकार को मजदूरों की दशा में सुधार करने के लिए अनेक कानून बनाने पड़े। ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का वर्णन निम्नानुसार है –
1. 1819 के कानून-1819 में ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ कानून बनाए गए जिनके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम की आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। नौ से सोलह वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने की सीमा 12 घण्टे तक सीमित कर दी गई। परन्तु इस कानून में प्रमुख दोष यह था कि इस कानून का पालन कराने के लिए आवश्यक अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई।

2. 1833 का अधिनियम – 1833 में एक अन्य अधिनियम पारित किया गया जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम की फैक्ट्रियों में काम पर लगाने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए और कुछ फैक्ट्री निरीक्षकों की व्यवस्था की गई ताकि अधिनियम के प्रावधानों का उचित प्रकार से पालन कराया जा सके।

3. दस घण्टा विधेयक – 1847 में ‘दस घण्टा विधेयक’ पारित किया गया। इस कानून के अन्तर्गत स्त्रियों और युवकों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए तथा पुरुष श्रमिकों के लिए 10 घण्टे का दिन निश्चित कर दिया गया। ये अधिनियम वस्त्र उद्योगों पर ही लागू होते थे, खान उद्योग पर नहीं। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित, 1842 के खान आयोग ने यह घोषित किया कि खानों में काम करने की परिस्थितियाँ वास्तव में 1833 के अधिनियम के लागू होने से पहले कहीं अधिक खराब हो गई हैं। इसका कारण यह था कि पहले से अधिक संख्या में बच्चों को कोयला खानों में काम पर लगाया जा रहा था।

4. 1842 का खान और कोयला खान अधिनियम – 1842 के खान और कोयला खान अधिनियम के अन्तर्गत दस वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में नीचे काम लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

5. फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम – फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम ने 1847 में यह कानून बना दिया कि अठारह वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से 10 घण्टे प्रतिदिन से अधिक काम न लिया जाए।

6. त्रुटियाँ – इन कानूनों का पालन फैक्ट्री निरीक्षकों के द्वारा किया जाना था, परन्तु यह एक कठिन और जटिल काम था। निरीक्षकों का वेतन बहुत कम था। प्रायः प्रबन्धक उन्हें रिश्वत देकर सरलता से चुप कर देते थे। दूसरी ओर, बच्चों के माता-पिता भी उनकी आयु के सम्बन्ध में झूठ बोलकर उन्हें काम पर लगवा देते थे ताकि उनकी मजदूरी से परिवार का खर्च चलाने में सुविधा मिले।

प्रश्न 9.
क्या 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को ‘औद्योगिक क्रान्ति’ के नाम से पुकारना तर्कसंगत है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति – 1970 के दशक तक, इतिहासकार ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग ब्रिटेन में 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिकी विकास व विस्तारों के लिए करते थे। परन्तु उसके पश्चात् इस शब्द के प्रयोग को अनेक आधारों पर चुनौती दी जाने लगी। 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को औद्योगिक क्रान्ति की संज्ञा देना तर्क-संगत नहीं – कुछ विद्वानों का विचार है कि 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा देना तर्क संगत नहीं है। इन विद्वानों का कहना है कि औद्योगीकरण की क्रिया इतनी धीमी गति से होती रही कि इसे क्रान्ति की संज्ञा देना उचित नहीं है। इसके परिणामस्वरूप फैक्ट्रियों में मजदूरों की संख्या अवश्य बहुत अधिक बढ़ गई तथा धन का प्रयोग भी पहले से अधिक व्यापक रूप से होने लगा। इस सम्बन्ध में विद्वानों निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं –

1. इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में फैक्ट्रियाँ या खानों का अभाव – उन्नीसवीं शताब्दी शुरू होने के काफी समय बाद तक भी इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई फैक्ट्रियाँ या खानें नहीं थीं। इसलिए इसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द की संज्ञा देना उपयुक्त नहीं है। इंग्लैण्ड में परिवर्तन प्रमुख रूप से लन्दन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, न्यूकासल आदि नगरों के चारों ओर हुआ, परन्तु यह परिवर्तन सम्पूर्ण देश में नहीं हुआ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

2. कपास या लोहा उद्योगों में हुए विकास को क्रान्तिकारी कहना उचित नहीं है- इन विद्वानों का कहना है कि 1780 के दशक से 1820 के दशक तक कपास या लौह उद्योग अथवा विदेशी व्यापार में हुए विकास को क्रान्तिकारी कहना उचित नहीं है। नई मशीनों के कारण सूती वस्त्र उद्योग में जो उल्लेखनीय विकास हुआ, वह एक ऐसे कच्चे माल (कपास) पर आधारित था जो इंग्लैण्ड में बाहर से मँगाया जाता था। इसी प्रकार तैयार माल भी दूसरे देशों में विशेषतः भारत में बेचा जाता था। धातु से निर्मित मशीनें तथा भाप की शक्ति तो उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक दुर्लभ रहीं। 1780 के दशक में ब्रिटेन के आयात-निर्यात में वृद्धि अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम के खत्म होने के कारण हुई, न कि औद्योगिक क्रांति के कारण।

3. सतत् औद्योगीकरण का 1815-20 के बाद में दिखाई देना- विद्वानों के अनुसार सतत् औद्योगीकरण 1815-20 से पहले की बजाय बाद में दिखाई दिया था। लाभदायक निवेश उत्पादकता के स्तरों के साथ – साथ 1820 के बाद धीरे-धीरे बढ़ने लगा। 1840 के दशक तक कपास, लोहा और इन्जीनियरिंग उद्योगों से आधे से भी कम औद्योगिक उत्पादन होता था। तकनीकी उन्नति केवल इन्हीं शाखाओं में नहीं हुई, बल्कि वह कृषि उपकरणों तथा मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे अन्य उद्योग-धन्धों में भी देखी जा सकती थी। स्पष्ट है कि ब्रिटेन में औद्योगिक विकास 1815 से पहले की अपेक्षा उसके बाद ही अधिक तीव्र गति से हुआ।

4. क्रांति के साथ प्रयुक्त ‘औद्योगिक’ शब्द सीमित अर्थ वाला है – ब्रिटेन में इस काल में जो रूपान्तरण हुआ वह केवल आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसका विस्तार इन क्षेत्रों से परे समाज के भीतर भी हुआ। इसके फलस्वरूप ही दो वर्गों – मध्यम वर्ग और मजदूर ( सर्वहारा ) वर्ग को प्रधानता मिली। अतः इसे औद्योगिक क्रांति कहना इस परिवर्तन के आयामों को सीमित करना है।

प्रश्न 10.
औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक एवं आर्थिक परिणामों की विवेचना कीजिए।
अथवा
औद्योगिक क्रान्ति के परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक परिणाम – औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक परिणामों का विवेचन निम्नानुसार है –
1. मजदूरों की दयनीय दशा – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप मजदूरों की दशा दयनीय बनी हुई थी। उनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता था परन्तु उन्हें मजदूरी बहुत कम दी जाती थी। मजदूरों को गन्दे मकानों में पशुओं की भाँति जीवन व्यतीत करना पड़ता था।

2. संयुक्त परिवारों का विघटन – मजदूर रोजगार की तलाश में गाँव छोड़कर नगरों में आ गए जिससे संयुक्त परिवार प्रथा विघटित होती चली गई। अब संयुक्त परिवार टूट गए।

3. गन्दी बस्तियों की समस्या – कारखानों के आसपास मजदूरों के परिवार बस गए। वे कच्चे-पक्के झोंपड़ों में रहने लगे। इससे गन्दी बस्तियों का जन्म हुआ।

4. स्वास्थ्य की हानि – मजदूरों को गन्दे कारखानों में काम करना पड़ता था। कारखानों में शुद्ध वायु तथा प्रकाश का अभाव था। गन्दी बस्तियों में रहने तथा शुद्ध पेय जल की व्यवस्था न होने से मजदूर कई प्रकार की बीमारियों के शिकार बन जाते थे।

5. नैतिक पतन – थकावट को दूर करने के लिए मजदूरों को मनोरंजन के रूप में मद्यपान, जुए, वेश्यावृत्ति आदि का सहारा लेना पड़ा। इसके फलस्वरूप उनका नैतिक पतन हुआ।

6. मध्यम वर्ग का उदय – कारखानों के संचालन के लिए पूँजी तथा व्यावसायिक बुद्धि की आवश्यकता थी। मध्यम वर्ग के लोगों के पास पूँजी तथा व्यावसायिक बुद्धि दोनों ही थीं। इसके फलस्वरूप मध्यम वर्ग का उदय हुआ।

7. पारिवारिक जीवन पर बुरा प्रभाव – जीवन – निर्वाह करने के लिए पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों और बच्चों को भी कारखानों में काम करना पड़ता था। अतः अब घर सुनसान रहने लगे। स्त्री, पुरुष और बच्चों को आपस में मिलने- जुलने का समय नहीं मिल पाता था।

8. मानव समाज की सुख-सुविधा में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप लोगों के रहन-सहन, खान-पान, वस्त्रादि में परिवर्तन आ गया। अब मानव जीवन को अधिक से अधिक सुखदायक बनाए जाने पर बल दिया जाने लगा।

II. औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक परिणाम – औद्योगिक क्रान्ति के निम्नलिखित आर्थिक परिणाम हुए –
1. औद्योगिक पूँजीवाद का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप औद्योगिक पूँजीवाद का विकास हुआ। नवीन औद्योगिक व्यवस्था में वही लोग ठहर सके जिनके पास अधिक पूँजी थी।

2. नये नगरों का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप हजारों भूमिहीन किसान अपने गाँव छोड़कर आजीविका की तलाश में नगरों में आ गए और औद्योगिक केन्द्रों के आसपास रहने लगे। इस प्रकार औद्योगिक केन्द्रों के आसपास नये नगरों का विकास हुआ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

3. राष्ट्रीय पूँजी में वृद्धि – उद्योग-धन्धों तथा व्यापार की उन्नति के कारण अनेक देशों की राष्ट्रीय पूँजी में वृद्धि हुई।

4. बड़े कारखानों की स्थापना – औद्योगिक क्रान्ति के कारण बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें हजारों लोग एक-साथ काम करते थे। बड़े-बड़े कारखानों में ‘फैक्ट्री पद्धति अपनाई गई।

5. बड़े पैमाने पर उत्पादन – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप उत्पादन बहुत बढ़ गया। इंग्लैण्ड में वस्त्र – उद्योग, लौह एवं इस्पात उद्योग, कोयला उद्योग, जहाज, मशीनों तथा रेलों के उद्योगों में आश्चर्यजनक उन्नति हुई।

6. दैनिक जीवन की वस्तुओं का सस्ता होना – बड़े-बड़े कारखानों में दैनिक आवश्यकता में काम में आने वाली वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगा। परिणामस्वरूप दैनिक जीवन में काम में आने वाली वस्तुएँ सस्ती हो गईं।

7. घरेलू उद्योगों का विनाश – मशीनों से बनी हुई वस्तुएँ घरेलू उद्योगों की वस्तुओं से काफी सस्ती तथा सुन्दर होती थीं। परिणामस्वरूप घरेलू उद्योग-धन्धे नष्ट होते गए।

8. बेरोजगारी की समस्या – घरेलू उद्योग-धन्धों के नष्ट हो जाने से असंख्य लोग बेरोजगार हो गए। एक मशीन कई व्यक्तियों का कार्य कर सकती थी। परिणामस्वरूप घरेलू उद्योगों में लगे हुए कारीगर बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गए।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग रहते थे –
(अ) क्यूबा
(ब) अन्ध महासागर के क्षेत्र
(स) मैक्सिको
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।
उत्तर:
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।

2. एजटेक लोग रहते थे –
(अ) ब्राजील
(ब) काँगो
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी
(द) न्यूयार्क।
उत्तर:
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी

3. मक्का की खेती किन लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार था-
(अ) तुपिनांबा
(ब) अरावाकी
(स) एजटेक
(द) माया।
उत्तर:
(द) माया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

4. दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी संस्कृति. थी –
(अ) स्पेनिश लोगों की
(ब) इंका लोगों की
(स) एजटेक लोगों की
(द) अरावाकी लोगों की।
उत्तर:
(ब) इंका लोगों की

5. पन्द्रहर्वीं शताब्दी में खोज-यात्रियों में कौनसे यूरोपीय देश सबसे आगे थे?
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) हालैण्ड
(स) स्पेन और पुर्तगाल
(द) बेल्जियम और फ्रांस।
उत्तर:
(स) स्पेन और पुर्तगाल

6. कोलम्बस द्वारा खोजे गए उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया-
(अ) कोलम्बस
(ब) वास्कोडिगामा
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी
(द) हेनरी।
उत्तर:
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी

7. मैक्सिको पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) डियाज
(ब) हेनरी
(स) मोटेजुमा
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(द) कोर्टेस।

8. इंका साम्राज्य पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) कैब्राल
(ब) पिजारो
(स) क्वेटेमोक
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(ब) पिजारो

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ……………. लोग लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे।
2. …………….. लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समद्र तट तथा ब्राजील-पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गांवों में रहते थे।
3. 12 वीं सदी में …………… लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे।
4. ……………. की खेती मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
5. दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी पेरू में ……….. लोगों की संस्कृति थी।
उत्तर:
1. अरावाक
2. तुपिनांबा
3. एजटेक
4. मक्का
5. इंका

निम्न में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये –
1. 1380 में कुतुबनुमा का आविष्कार हो चुका था।
2. 15 वीं शताब्दी में इंग्लैंड और फ्रांस के लोग समुद्री खोज यात्राओं में सबसे आगे रहे।
3. 14 वीं शताब्दी के मध्य से 15 वीं शताब्दी के मध्य तक यूरोप की अर्थव्यवस्था उन्नति के दौर से गुजर रही थी।
4. 12 अक्टूबर, 1492 को कोलम्बस ने बहाना द्वीपसमूह के गुआनाहानि द्वीप की खोज की।
5. सन् 1521 में कोर्टेस ने एजटेक लोगों को हराया।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. टॉलेमी (अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
2. कोलम्बस (ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की
3. कोर्टेस (स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
4. पिजारो (द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
5. क्रैब्राल (य) ब्राजील की खोज की

उत्तर:

1. टॉलेमी (द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
2. कोलम्बस (अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
3. कोर्टेस (ब) मैक्सिको पर विजय प्रात की
4. पिजारो (स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
5. क्रैब्नाल (य) ब्राजील की खोज की

 

प्रश्न 1.
समुद्री खोजों का कार्य सर्वप्रथम किन यूरोपीय देशों ने किया ?
उत्तर:स्पेन और पुर्तगाल ने।

प्रश्न 2.
मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार क्या थी?
उत्तर:
मक्के की खेती।

प्रश्न 3.
कुतुबनुमा का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:
1380 ई. में

प्रश्न 4.
कुतुबनुमा की समुद्री यात्राओं में क्या उपयोगिता थी ?
उत्तर:
यात्रियों को खुले समुद्र में दिशाओं की सही जानकारी मिलना।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 5.
एजटेक लोग कहाँ के निवासी थे ?
उत्तर:
मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी के।

प्रश्न 6.
एजटेक लोगों ने भूमि उद्धार क्यों किया?
उत्तर:
भूमि की कमी के कारण।

प्रश्न 7.
माया संस्कृति कहाँ प्रचलित थी ?
उत्तर:
मैक्सिको में।

प्रश्न 8.
टालेमी ने किस पुस्तक की रचना की थी ?
उत्तर:
‘ज्योग्राफी’।

प्रश्न 9.
‘ज्योग्राफी’ पुस्तक कब प्रकाशित हुई ?
उत्तर:
1477 ई. में।

प्रश्न 10.
कोलम्बस अपने अभियान पर कब रवाना हुआ?
उत्तर:
अगस्त, 1942 को।

प्रश्न 11.
कोलम्बस ने किस द्वीप की खोज की?
उत्तर:
बहामा द्वीप समूह के गुआनाहानि द्वीप की।

प्रश्न 12.
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का क्या नाम रखा गया ?
उत्तर:
नई दुनिया

प्रश्न 13.
मैक्सिको पर किसने विजय प्राप्त की और कब ?
उत्तर:
1519 में स्पेन के निवासी कोर्टेस ने।

प्रश्न 14.
इंका राज्य पर किसने विजय प्राप्त की और कब की ?
उत्तर:
1532 में पिजारो ने इंका राज्य पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 15.
ब्राजील की खोज किसने की ?
उत्तर:
स्पेन – निवासी कैब्राल ने।

प्रश्न 16.
यूरोपवासियों को अमेरिका में पैदा होने वाली किन नई फसलों के बारे में जानकारी हुई?
उत्तर:
आलू, तम्बाकू, गन्ने की चीनी, रबड़, लाल मिर्च।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 17.
एजटेक की राजधानी कौन सी थी ?
उत्तर:
टेनोक्टिलान।

प्रश्न 18.
माया संस्कृति में खेतों में बेशुमार पैदावार क्यों होती थी?
उत्तर:
खेती करने के उन्नत और कुशलतापूर्ण तरीकों के कारण।

प्रश्न 19.
दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी संस्कृति किनकी थी ?
उत्तर:
इंका लोगों की।

प्रश्न 20.
आज दक्षिण अमेरिका को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
‘लैटिन अमेरिका’।

प्रश्न 21.
अफ्रीका के किन देशों से दास पकड़ कर यूरोप और अमेरिका ले जाये जाते थे? दो का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) अंगोला
(2) सिमरालोन।

प्रश्न 22.
कोलम्बस ने गुआनाहानि का क्या नाम रखा ?
उत्तर:
सैन सैल्वाडोर।

प्रश्न 23.
पुर्तगाल का राजकुमार हेनरी किस नाम से प्रसिद्ध था ?
उत्तर:
‘नाविक’ के नाम से।

प्रश्न 24.
कोलम्बस ने किस देश की खोज की थी ?
उत्तर:
उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका।

प्रश्न 25.
कोलम्बस ने अमेरिका का नाम किसके नाम पर रखा था ?
उत्तर:
‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ नामक भूगोलवेत्ता के नाम पर।

प्रश्न 26.
पन्द्रहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के बीच यूरोपीय लोगों ने कौनसी वस्तुएँ प्राप्त करने के लिए समुद्री यात्राएँ कीं ?
उत्तर:
पन्द्रहवीं शताब्दी तथा सत्रहवीं शताब्दी के बीच यूरोपीय लोगों ने चाँदी और मसाले प्राप्त करने के लिए समुद्री यात्राएँ कीं।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 27.
दक्षिण अमेरिका की खोज और बाद में बाहरी लोगों का वहाँ बस जाना वहां के मूल निवासियों के लिए उनकी संस्कृतियों के लिए विनाशकारी क्यों सिद्ध हुआ?
उत्तर:
यूरोपवासी अफ्रीका से गुलाम पकड़ कर या खरीद कर उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका की खानों तथा बागानों में काम करने के लिए बेचने लगे।

प्रश्न 28.
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का क्या दुष्परिणाम हुआ ?
उत्तर:
अमरीकी लोगों की पांडुलिपियों तथा स्मारकों को निर्ममतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।

प्रश्न 29.
दक्षिणी अमेरिका तथा मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति बताइए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका घने जंगलों तथा पहाड़ों से ढका हुआ था। विश्व की सबसे बड़ी नदी अमेजन वहाँ के घने वन्य प्रदेशों से होकर बहती थी।

प्रश्न 30.
मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति बताइये।
उत्तर:
मध्य अमेरिका में मेक्सिको में समुद्रतट के आस-पास के क्षेत्र तथा मैदानी प्रदेश घने बसे हुए थे, अन्यत्र सघन वनों वाले प्रदेशों में गाँव दूर-दूर स्थित थे जबकि

प्रश्न 31.
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कहाँ रहते थे?
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप-समूहों तथा बृहत्तर ऐंटिली में रहते थे।

प्रश्न 32.
अरावाकी लोगों की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) अरावाकी लोग शान्तिप्रिय थे। वे लड़ने की बजाय वार्तालाप से झगड़ा निपटाना अधिक पसन्द करते थे।
(2) वे कुशल नौका-निर्माता थे।

प्रश्न 33.
‘जीववादी’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जीववादियों का विश्वास है कि आज के वैज्ञानिक जिन वस्तुओं को निर्जीव मानते हैं, उनमें भी जीव या आत्मा हो सकती है।

प्रश्न 34.
अरावाकी संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) अरावाकी संस्कृति के लोग अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित थे। (2) उनमें बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी।

प्रश्न 35.
‘तुपिनांबा’ लोग कहाँ रहते थे?
उत्तर:
तुपिनांबा लोग दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी समुद्र तट पर और ब्राजील नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहते थे।

प्रश्न 36.
तुपिनांबा लोग खेती क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर:
तुपिनांबा लोग खेती के लिए घने जंगलों का सफाया नहीं कर सके क्योंकि पेड़ काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए उनके पास लोहा नहीं था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 37.
तुपिनांबा लोगों को कृषि पर निर्भर क्यों नहीं होना पड़ा ?
उत्तर:
तुपिनांबा लोगों को बहुतायत से फल, सब्जियाँ, मछलियाँ आदि मिल जाती थीं जिससे उन्हें खेती पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।

प्रश्न 38.
मध्य अमेरिका की संस्कृति की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) मध्य अमेरिका के राज्यों में मक्के की उपज अत्यधिक होती थी
(2) इन शहरों की वास्तुकला उच्चकोटि की थी।

प्रश्न 39.
एजटेक लोग कौन थे ?
उत्तर:
बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

प्रश्न 40.
एजटेक समाज किन वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर:
(1) अभिजात वर्ग (उच्चकुलोत्पन्न, पुरोहित)
(2) व्यापारी वर्ग थे।
(3) शिल्पी, चिकित्सक तथा विशिष्ट अध्यापक।

प्रश्न 41.
भूमि उद्धार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भूमि उद्धार का अभिप्राय बंजर भूमि को आवासीय अथवा कृषि योग्य भूमि में परिवर्तन से है।

प्रश्न 42.
एजटेक लोगों द्वारा बनाए गए चिनाम्पा क्या थे?
उत्तर:
एजटेक लोगों ने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाए जिन्हें ‘चिनाम्पा’ कहते थे। ये द्वीप अत्यन्त उपजाऊ थे।

प्रश्न 43.
एजटेक लोगों की वास्तुकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
एजटेक लोगों ने 1325 में राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया जिसके राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए दर्शनीय लगते थे।

प्रश्न 44.
एजटेक लोगों के धर्म की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) एजटेक लोग सूर्य देवता तथा अन्न देवी की पूजा करते थे।
(2) उनके मन्दिर भी युद्ध के देवताओं और सूर्य भगवान को समर्पित थे।

प्रश्न 45.
माया संस्कृति की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) मक्के की खेती माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
(2) खेती करने के तरीके उन्नत और कुशलतापूर्ण थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 46.
माया लोगों की लिपि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
माया लोगों की लिपि चित्रात्मक लिपि कहलाती थी। परन्तु इस लिपि को अभी तक पूरी तरह नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 47.
माया संस्कृति की दो उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:
(1) माया संस्कृति में वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित जैसे विषयों की पर्याप्त उन्नति हुई।
(2) माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी।

प्रश्न 48.
इंका लोगों की संस्कृति कहाँ विकसित हुई थी ? उनका साम्राज्य कहाँ तक फैला हुआ था ?
उत्तर:
(1) पेरू में इंका लोगों की संस्कृति विकसित हुई।
(2) उनका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैला हुआ था।

प्रश्न 49.
इंका संस्कृति की दो राजनीतिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। राजा में ही सम्पूर्ण शक्ति निहित थी।
(2) प्रत्येक व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी।

प्रश्न 50.
“इंका लोगों की वास्तुकला उच्चकोटि की थी।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाईं। उनके किले शिलापट्टियों को बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे।

प्रश्न 51.
इंका सभ्यता की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) इंका सभ्यता का आधार कृषि था।
(2) उनकी बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

प्रश्न 52.
इंका लोगों की हिसाब लगाने की प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
इंका लोगों के पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली थी, जो ‘क्विपु’ कहलाती थी। इसके अनुसार डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखा जाता था।

प्रश्न 53.
एजटेक तथा इंका संस्कृतियाँ यूरोपीय संस्कृति से किस प्रकार भिन्न थीं?
उत्तर:
एजटेक तथा इंका लोगों का समाज श्रेणीबद्ध था, परन्तु वहाँ यूरोप की भाँति कुछ लोगों के हाथों में संसाधनों का निजी स्वामित्व नहीं था।

प्रश्न 54.
15वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक की अवधि में खोज – यात्राएँ करना सरल हो गया था। इसके दो कारण बताइए |
उत्तर:
(1) 1380 में कुतुबनुमा (दिशासूचक यन्त्र) का आविष्कार हो चुका था।
(2) इस समय तक समुद्री यात्रा पर जाने वाले जहाजों में काफी सुधार हो चुका था।

प्रश्न 55.
सृष्टि – शास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सृष्टि – शास्त्र विश्व का मानचित्र तैयार करने का विज्ञान है।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 56.
टालेमी की पुस्तक ‘ज्योग्राफी’ से समुद्री खोज करने वाले यात्री किस प्रकार लाभान्वित हुए?
उत्तर:
टालेमी ने विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति को अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के रूप में व्यवस्थित किया था। जिनसे यूरोपवासियों को संसार के बारे में जानकारी मिली।

प्रश्न 57.
स्पेन और पुर्तगाल के शासक समुद्री खोज के लिए लालायित क्यों थे? दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) यूरोप की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ गई थी।
(2) स्पेन और पुर्तगाल के ईसाई बाहरी विश्व के लोगों को ईसाई बनाना चाहते थे।

प्रश्न 58.
अफ्रीकी देशों की खोज में पुर्तगाल के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी ने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित की और सिउटा पर आक्रमण किया। अफ्रीका के बोजाडोर अन्तरीप में पुर्तगालियों ने अपना व्यापार- केन्द्र स्थापित कर लिया।

प्रश्न 59.
‘रीकांक्विस्टा’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कांक्विस्टा ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन और पुर्तगाल) पर प्राप्त की गई सैनिक विजय

प्रश्न 60.
‘कैपिटुलैसियोन’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘कैपिटुलैसियोन’ एक प्रकार के इकरारनामे थे जिनके अन्तर्गत स्पेन का शासक नव – विजित प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था।

प्रश्न 61.
कोलम्बस कौन था ?
उत्तर:
कोलम्बस इटली का निवासी था। 12 अक्टूबर 1492 ई. को उसने बहामा के गुआनाहानि द्वीप की खोज

प्रश्न 62.
कोलम्बस किन तीन जहाजों को लेकर अटलांटिक यात्रा के लिए रवाना हुआ था ?
उत्तर:
‘सान्ता मारिया’ नामक एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) तथा दो कैरेवल (छोटे हल्के जहाज) ‘पिंटा’ तथा ‘नीना’ को लेकर।

प्रश्न 63.
कोलम्बस ने गुआनाहानि द्वीप का नया नाम क्या रखा ? उसने वहाँ अपने आपको क्या घोषित किया ?
उत्तर:
(1) कोलम्बस ने गुआनाहानि का नया नाम सैन सैल्वाडोर रखा।
(2) उसने अपने आपको वायसराय (स्पेन के राजा का प्रतिनिधि) घोषित किया।

प्रश्न 64.
कोलम्बस की विशेष उपलब्धि क्या थी?
उत्तर:
कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएं खोज निकालीं।

प्रश्न 65.
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया ?
उत्तर:
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया।

प्रश्न 66.
अमेरिका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार किसकी बदौलत हुआ?
उत्तर:
अमेरिका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार बारूद और घोड़ों के प्रयोग पर आधारित स्पेन की सैन्य शक्ति की बदौलत हुआ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 67.
बार्टोलोम डिलास कैसास कौन था? उसने स्पेनी उपनिवेशक के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
बार्टोलोम डिलास कैसास एक कैथोलिक भिक्षु था। उसने कहा है कि स्पेनी उपनिवेशक प्रायः अपनी तलवार की धार अरावाकों के नंगे शरीर पर आजमाते थे।

प्रश्न 68.
स्पेन के आक्रमणकारी टेनोक्टिलैन नगर को देखकर क्यों आश्चर्यचकित हुए?
उत्तर:
क्योंकि यह नगर मैड्रिड से पाँच गुना बड़ा था और इसकी जनसंख्या स्पेन के सबसे बड़े शहर सेविली से दो गुनी ( अर्थात् एक लाख ) थी.

प्रश्न 69.
डोना मैरीना कौन थी?
उत्तर:
डोना मैरीना कोर्टेस की सहायिका थी। उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये के रूप में कार्य किया।

प्रश्न 70.
कौनसी घटना ‘आँसू भरी रात’ के नाम से जाना जाती है?
उत्तर:
एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच हुई लड़ाई में लगभग 600 अत्याचारी स्पेनिश सैनिक और उतने ही ट्लैक्सक्लान के लोग मारे गए। इसे ‘आँसू भरी रात’ कहा जाता है।

प्रश्न 71.
मैक्सिको पर स्पेन की विजय के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
(1) कोर्टेस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टन – जनरल बन गया।
( 2 ) स्पेनियों ने अपना नियन्त्रण . ग्वातेमाला, निकारगुआ पर भी कर लिया।

प्रश्न 72.
पिजारो कौन था ?
उत्तर:
पिजारो एक निर्धन और अनपढ़ व्यक्ति था। उसने इंका राज्य पर विजय प्राप्त की थी।

प्रश्न 73.
पिजारो द्वारा इंका राज्य की विजय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1532 में स्पेन निवासी पिजारो ने इंका राज्य पर आक्रमण किया और लूट-पाट के बाद इंका राज्य पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 74.
कैब्राल कौन था?
उत्तर:
कैब्राल पुर्तगाल-निवासी था। उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक चक्कर लगाया और ब्राजील पहुँच गया।

प्रश्न 75.
ब्राजील में कौनसा प्राकृतिक संसाधन था?
उत्तर:
ब्राजील में एक प्राकृतिक संसाधन था और वह था ‘इमारती लकड़ी’।

प्रश्न 76.
पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों में किस कारण भयंकर लड़ाइयाँ हुईं और इनमें कौन विजयी हुए?
उत्तर:
इमारती लकड़ी के व्यापार के कारण पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों के बीच भयंकर लड़ाइयाँ हुईं जिनमें पुर्तगालियों की जीत हुई।

प्रश्न 77.
यूरोपीय निवासी जेसुइट पादरियों को पसन्द क्यों नहीं करते थे ?
उत्तर:
जेसुइट पादरी मूल निवासियों के साथ दया का बर्ताव करने की सलाह देते थे और दास प्रथा की कटु आलोचना करते थे।

प्रश्न 78.
अमरीका की खोज के यूरोपवासियों के लिए निकले दो परिणाम बताइए।
उत्तर:
(1) सोने-चाँदी की बाढ़ ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार किया।
(2) यूरोपवासियों को अमेरिका में पैदा होने वाली नई-नई फसलों के बारे में जानकारी मिली।

प्रश्न 79.
उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली वह होती है जिसमें उत्पादन तथा वितरण के साधनों का स्वामित्व व्यक्तियों अथवा निगमों के पास होता है।

प्रश्न 80.
दक्षिण अमरीका को आज ‘लैटिन अमरीका’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
दक्षिण अमेरिका को आज ‘लैटिन अमरीका’ भी कहा जाता है क्योंकि स्पेनी और पुर्तगाली दोनों भाषाएँ लैटिन भाषा परिवार की हैं।

प्रश्न 80.
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के लिए यूरोपवासियों के अभियानों के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर:
(1) उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई।
(2) उनकी जीवन- शैली नष्ट हो गई।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का क्या दुष्परिणाम हुआ ?
उत्तर:
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का दुष्परिणाम – अमरीका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का एक दुष्परिणाम यह हुआ कि अमरीकी लोगों की पांडुलिपियों और स्मारकों को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दौर में जाकर ही मानव विज्ञानियों द्वारा इन संस्कृतियों का अध्ययन प्रारम्भ किया गया और उसके पश्चात् पुरातत्त्ववेत्ताओं ने इन सभ्यताओं के भग्नावशेषों को ढूँढ़ निकाला। सन् 1911 में इंकाई नगर माचू-पिच्चू की पुनः खोज की गई। वर्तमान में, वायुयान से लिए गए चित्रों से ज्ञात होता है कि वहाँ और भी कई नगर थे जो अब जंगलों से ढके हुए हैं।

प्रश्न 2.
“हम अमरीका के मूल निवासियों तथा यूरोपवासियों के बीच हुई मुठभेड़ों के बारे में मूल निवासियों के पक्ष को तो अधिक नहीं जानते, परन्तु यूरोपीय पक्ष को विस्तारपूर्वक जानते हैं। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
र-हम अमरीका के मूल निवासियों तथा यूरोपवासियों के बीच हुई मुठभेड़ों के सम्बन्ध में मूल निवासियों के पक्ष को तो अधिक नहीं जानते, परन्तु यूरोपीय पक्ष को विस्तारपूर्वक जानते हैं। इसका कारण यह है कि जो यूरोपवासी अमरीका की यात्राओं पर गए, वे अपने साथ रोजनामचा और डायरियाँ रखते थे। इनमें वे अपनी यात्राओं का दैनिक विवरण लिखते थे। हमें यूरोप के सरकारी अधिकारियों एवं जेसुइट धर्म प्रचारकों के विवरणों से भी इन संघर्षों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। परन्तु यूरोपवासियों ने अपनी अमरीकी खोज के बारे में जो कुछ विवरण दिया है और वहाँ के देशों के जिन इतिहासों की रचना की है, उनमें यूरोपीय बस्तियों के बारे में ही अधिक लिखा गया है। उनमें स्थानीय लोगों के बारे में बहुत कम या न के बराबर ही लिखा गया है।

प्रश्न 3.
‘समुद्री खोजी यात्राओं’ के पीछे वास्तविक प्रेरक तत्त्व क्या थे?
उत्तर:
समुद्री खोजी यात्राओं के पीछे मुख्य प्रेरक तत्त्व निम्नलिखित थे –
(i) 14वीं तथा 15वीं सदी में यूरोप में आयी अर्थव्यवस्था की गिरावट से उबरने हेतु पूर्वी देशों से व्यापार कर व्यापार में वृद्धि करना तथा धन कमाने की इच्छा का प्रबल होना।
(ii) मसाले और सोना प्राप्त करके यश कमाना।
(iii) रोमांचकारी साहसिक यात्राएँ करके विदेशों में ईसाई धर्म का प्रचार करना।
(iv) नये स्थानों की खोज करके वहाँ अपना राजनैतिक नियंत्रण स्थापित कर, उन्हें अपने उपनिवेश बना कर अधिक लाभ कमाना।

प्रश्न 4.
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कौन थे? उनकी संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप-समूहों और बृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे।
अरावाक संस्कृति की विशेषताएँ –
1. अरावाक लोग शान्तिप्रिय, उदार तथा सहयोगी प्रवृत्ति के थे। वे लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप द्वारा झगड़े निपटाना चाहते थे।
2. वे कुशल नौका-निर्माता थे और डोंगियों में बैठकर खुले समुद्र में यात्रा करते थे।
3. वे खेती, शिकार और मछली पकड़ कर अपना जीवन-निर्वाह करते थे। वे मक्का, मीठे आलू, कन्द-मूल और कसावा की फसलें उगाते थे।
4. वे सब एक साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे। उनका यह प्रयत्न रहता था कि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो।
5. वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे।
6. उनमें बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी थे।
7. अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे, परन्तु यूरोपवासियों की भाँति सोने को उतना महत्त्व नहीं देते थे उनमें बुनाई की कला बहुत विकसित थी। वे झूले का प्रयोग करते थे।
8. उनमें बनाई की कला बहत विकसित थी। वे झले का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 5.
अरावाक लोगों के प्रति यूरोपीय ( स्पेनी) लोगों के व्यवहार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अरावाक लोगों को यदि कोई यूरोपवासी सोने के बदले काँच के मनके दे देता था, तो वे प्रसन्न हो जाते थे, क्योंकि उन्हें काँच का मनका अधिक सुन्दर दिखाई देता था। हैमक अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी जिसे यूरोपीय लोग बहुत पसन्द करते थे। अरावाकी लोगों का व्यवहार उदारतापूर्ण होता था और वे सोने की तलाश में स्पेनी लोगों की सहायता करने के लिए सदैव तैयार रहते थे। परन्तु सोने के लालच में स्पेनी लोग अरावाकों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगे तो उनमें असन्तोष उत्पन्न हुआ। अतः अरावाकों ने स्पेनियों की अत्याचारपूर्ण नीति का विरोध किया, परन्तु उन्हें उसके विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। स्पेनी लोगों के सम्पर्क में आने के बाद लगभग 25 वर्ष के अन्दर ही अरावाकों और उनकी जीवन-शैली का विनाश हो गया।

प्रश्न 6.
‘तुपिनांबा’ लोग कहाँ रहते थे? उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तुपिनांबा – तुपिनांबा लोग दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी समुद्रतट पर तथा ब्राजील नामक वृक्षों के जंगलों में बसे गाँवों में रहते थे। वे खेती के लिए जंगलों का सफाया नहीं कर सके, क्योंकि वृक्ष काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए उनके पास लोहा नहीं था। फिर भी उन्हें बड़ी मात्रा में फल, सब्जियाँ और मछलियाँ मिल जाती थीं जिससे उन्हें . खेती पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। वे प्रसन्नचित्त रहते थे और स्वतन्त्रतापूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। उनसे मिलने वाले यूरोपीय लोग उनकी स्वतन्त्रता को देखकर उनसे ईर्ष्या करने लगते थे। इसका कारण यह था कि वहाँ न कोई राजा था, न सेना थी, न कोई चर्च था जो उनके जीवन को नियन्त्रित कर सके।

प्रश्न 7.
एजटेक लोग कौन थे? उनके सामाजिक संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एजटेक लोग-बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया और उन पराजित लोगों से कर वसूल करने लगे। एजटेक लोगों का सामाजिक संगठन- एजटेक समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजात वर्ग में उच्चकुलोत्पन्न, पुरोहित तथा वे लोग सम्मिलित थे जिन्हें बाद में यह प्रतिष्ठा दी गई थी। वे सरकार, सेना और पौरोहित्य कर्म में उच्च पदों पर नियुक्त थे। अभिजात वर्ग के लोग अपनों में से एक सर्वोच्च नेता का चुनाव करते थे जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था। समाज में योद्धा, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को सर्वाधिक सम्मान दिया जाता था। व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्हें प्रायः सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के पदों पर नियुक्त किया जाता था। कुशल शिल्पियों, चिकित्सकों तथा विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 8.
एजटेक लोगों ने भूमि की कमी को पूरा करने के लिए किस प्रकार भूमि उद्धार किया?
उत्तर:
(1) एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी, इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार (जल में से जमीन लेकर इस कमी को पूरा करना) किया। सरकंडे की बहुत बड़ी चटाइयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढककर उन्होंने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये, जो ‘चिनाम्पा’ कहलाते थे। इन अत्यन्त उपजाऊ द्वीपों के मध्य नहरों का निर्माण किया गया। इन पर 1325 में एजटेक राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया गया। इसमें बने हुए राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए बड़ा सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते थे।

प्रश्न 9.
एजटेक लोगों की आर्थिक स्थिति का विवेचन कीजिए।
(2) एजटेक लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू और अन्य फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष के पास नहीं होता था, बल्कि यह स्वामित्व कुल के पास होता था। खेतिहर लोग अभिजातों के खेत जोतते थे और इसके बदले उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा मिलता था। गरीब लोग कभी-कभी अपने बच्चों को भी गुलामों के रूप में बेच देते थे।

प्रश्न 10.
शिक्षा के प्रति एजटेक लोगों का क्या दृष्टिकोण था ?
अथवा
एजटेक लोगों की शैक्षणिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
शिक्षा के प्रति एजटेक लोगों का दृष्टिकोण – एजटेक लोगों की शिक्षा में बड़ी रुचि थी। वे इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे ‘कालमेकाक’ में भर्ती किये जाते थे। यहाँ उन्हें सेना अधिकारी और धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। शेष समस्त बच्चे पड़ोस के तेपोकल्ली स्कूल में पढ़ते थे। यहाँ उन्हें इतिहास, पुराण – मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण, खेती और व्यापार करना सिखाया जाता था और लड़कियों को घरेलू काम- -धन्धों में निपुण बनाया जाता था।

प्रश्न 11.
माया संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैक्सिको की माया संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

  • मक्के की खेती माया लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार थी। उनके अनेक धार्मिक क्रिया-कलाप एवं उत्सव मक्का बोने, उगाने और काटने से जुड़े होते थे।
  • उनके खेती करने के तरीके उन्नत तथा कुशलतापूर्ण थे, जिनके कारण खेतों में बहुत अधिक पैदावार होती थी। इससे शासक वर्ग, पुरोहितों तथा प्रधानों को एक उन्नत संस्कृति का विकास करने में सहायता मिली।
  • माया संस्कृति के अन्तर्गत वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित की पर्याप्त उन्नति हुई।
  • माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी। परन्तु इस लिपि को अभी तक पूरी तरह से नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 12.
माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ – माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं –

  • वास्तुकला – माया लोग वास्तुकला में निपुण थे। उन्होंने अनेक मन्दिरों, वेधशालाओं, पिरामिडों आदि का है। निर्माण करवाया। टिकल, ग्वातेमाला में स्थित माया मन्दिर तत्कालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना
  • गणित एवं खगोल विज्ञान – माया लोग गणित एवं खगोल विज्ञान में भी निपुण थे। वे शून्य के लिए एक प्रतीक चिह्न का प्रयोग करते थे।
  • पंचांग- माया लोगों के पंचांग में वर्ष में 365 दिन होते थे। उन्होंने वर्ष को 18 महीने में विभाजित किया था और प्रत्येक महीना 20 दिन का होता था।
  • चित्रात्मक लिपि – माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि भी थी।

प्रश्न 13.
इंका लोगों के राजनीतिक जीवन का विवेचन कीजिए।
अथवा
इंका संस्कृति की राजनीतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ अथवा इंका लोगों की संस्कृति थी। इंका राज्य का विस्तार इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैला हुआ था।
  • इंका साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। साम्राज्य की सम्पूर्ण शक्ति राजा में ही निहित थी। वही साम्राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था।
  • प्रत्येक इंका व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी।
  • प्रत्येक कबीला स्वतन्त्र रूप से वरिष्ठ लोगों की एक सभा द्वारा शासित होता था, परन्तु पूरा कबीला अपने आप में शासक के प्रति निष्ठावान था।

प्रश्न 14.
इंका लोगों की वास्तुकला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संजीव पास बुक्स – इंका लोगों की वास्तुकला – इंका लोग उच्च कोटि के भवन निर्माता थे। उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कों का निर्माण किया था। उनके दुर्ग शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे की आवश्यकता नहीं होती थी। वे टूटकर गिरी हुईं चट्टानों से पत्थरों को तराशने और ले जाने के लिए श्रम-प्रधान प्रौद्योगिकी का उपयोग करते थे।

इसके लिए अपेक्षाकृत अधिक संख्या में मजदूरों की आवश्यकता पड़ती थी। राजमिस्त्री खण्डों को सुन्दर रूप देने के लिए शल्क पद्धति ( फ्लेकिंग) का प्रयोग करते थे। यह पद्धति प्रभावकारी और सरल होती थी। कई शिलाखण्ड वजन में 100 मेट्रिक टन से भी अधिक भारी होते थे, उनके पास इतने बड़े शिलाखण्डों को ढोने के लिए पहियेदार गाड़ियाँ नहीं थीं। यह समस्त कार्य मजदूरों द्वारा ही बड़ी सावधानी से सम्पन्न कराया जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 15.
इंका संस्कृति की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इंका संस्कृति की आर्थिक स्थिति – इंका संस्कृति का आधार कृषि था। इंका लोगों के यहाँ जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी। इसलिए उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं। पन्द्रहवीं शताब्दी में ऊँची भूमियों में खेती आज की तुलना में काफी अधिक परिमाण में की ती थी। इंका लोग मक्का तथा आलू की फसलें उगाते थे और भोजन तथा श्रम के लिए लामा पालते थे। इंका लोगों की बुनाई तथा मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

प्रश्न 16.
एजटेक तथा इंका संस्कृतियाँ यूरोपीय संस्कृति से किस प्रकार भिन्न थीं?
उत्तर:
(1) एजटेक तथा इंका संस्कृतियों में समाज श्रेणीबद्ध था, परन्तु वहाँ यूरोप की भाँति कुछ लोगों के हाथों में संसाधनों का निजी स्वामित्व नहीं था।
(2) एजटेक तथा इंका संस्कृतियों में पुरोहितों तथा शमनों को समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त था, परन्तु यूरोप में ऐसा नहीं था।
(3) यद्यपि एजटेक तथा इंका लोग भव्य मन्दिर बनाते थे तथा उनमें परम्परागत रूप से सोने का प्रयोग करते थे; परन्तु वे सोने-चाँदी को अधिक महत्त्व नहीं देते थे। इसके विपरीत यूरोपीय लोग सोने-चाँदी को अत्यधिक महत्त्व देते थे। सोना-चाँदी प्राप्त करने के लिए वे क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे और स्थानीय लोगों को गुलाम बनाकर उनका शोषण करते थे।

प्रश्न 17.
पुर्तगालियों द्वारा पश्चिमी अफ्रीका में व्यापारिक केन्द्र स्थापित करने के प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब यूरोपवासी स्पेन और मसालों की खोज में नए-नए प्रदेशों में जाने की योजनाएँ बना रहे थे, तो यूरोप के एक छोटे से देश पुर्तगाल ने पश्चिमी अफ्रीका के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने का निश्चय किया। पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी ने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित की और 1415 में सिउटा पर आक्रमण कर दिया। उसके पश्चात् कई अभियान आयोजित किये गए और अफ्रीका के बोजडोर अन्तरीप में पुर्तगालियों ने अपना व्यापार केन्द्र स्थापित कर लिया। उन्होंने अफ्रीकियों को बड़ी संख्या में गुलाम बना लिया और स्वर्णधूलि को साफ करके सोना तैयार करने लगे।

प्रश्न 18.
“स्पेन में आर्थिक कारणों ने लोगों को महासागरी शूरवीर बनने के लिए प्रोत्साहित किया।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्पेन के आर्थिक कारणों ने लोगों को महासागरी शूरवीर बनने के लिए प्रोत्साहन दिया। धर्म-युद्धों की याद और रीकांक्विस्टा की सफलता ने उनकी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ा दिया था। रीकांक्विस्टा (पुनर्विजय) ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन और पुर्तगाल के राज्य) पर प्राप्त की गई सैनिक विजय थी।

इस विजय के द्वारा इन राजाओं ने 1492 में इस प्रायद्वीप को अरबों के आधिपत्य से मुक्त करा लिया था। अब स्पेन के लोगों ने इकरारनामों की शुरुआत की जिसके अन्तर्गत स्पेन का शासक नव – विजित प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था और उन्हें विजयी अभियानों के नेताओं को पुरस्कार के रूप में पदवियाँ तथा विजित प्रदेशों पर शासनाधिकार देता था।

प्रश्न 19.
अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
अमेरिका में स्पेन के साम्राज्य का विस्तार उसकी सैन्य शक्ति के आधार पर हुआ। उसकी सैन्य शक्ति बारूद तथा घोड़ों के प्रयोग पर आधारित थी। स्पेन के लोग वहाँ शुरू में खोज के बाद छोटी बस्ती बसा लेते थे जिसमें रहने वाले स्पेनी लोग स्थानीय मजदूरों पर निगरानी रखते थे। स्थानीय प्रधानों को नये-नये प्रदेश और सोने के नए-नए स्रोतों की खोज के लिए भर्ती किया जाता था।

अधिक से अधिक सोना प्राप्त करने के लालच में स्पेन के लोगों ने दमनकारी नीति अपनाई जिसका स्थानीय लोगों ने प्रतिरोध किया। इसके अतिरिक्त स्पेन की सेना के साथ आई चेचक की महामारी ने अरावांक लोगों का सफाया कर दिया क्योंकि उनमें प्रतिरोध क्षमता नहीं थी।” कोलम्बस के अभियानों के पश्चात् स्पेनवासियों द्वारा मध्यवर्ती तथा दक्षिणी अमरीका में खोज बराबर चलती रही और उसमें सफलता मिलती गई। 50 वर्षों के भीतर ही स्पेनवासियों ने लगभग 40 डिग्री उत्तरी से 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक के समस्त क्षेत्र को खोज खोज कर उस पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 20.
कोलम्बस की अटलान्टिक यात्रा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोलम्बस की अटलान्टिक यात्रा – 3 अगस्त, 1492 को कोलम्बस पालोस के पत्तन से अटलान्टिक यात्रा के लिए रवाना हुआ। कोलम्बस के बेड़े में सांता मारिया नाम की एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) और दो कैरेवल – छोटे हल्के जहाज ‘पिंटा’ और ‘नीना’ थे। ‘सांता मारिया’ की कमान स्वयं कोलम्बस के हाथों में थी।

उसमें 40 कुशल नाविक थे। 33 दिनों तक कोलम्बस का बेड़ा आगे बढ़ता गया। अन्त में 12 अक्टूबर, 1492 को कोलम्बस को जमीन दिखाई दी जिसे उसने भारत समझा परन्तु वह स्थान बहामा द्वीप समूह का गुआनाहानि द्वीप था। कोलम्बस ने गुआनाहानि में स्पेन का झण्डा गाड़ दिया और उसने उस द्वीप का नया नाम ‘सैन सैल्वाडोर’ रखा। उसने अपने-आपको वाइसराय घोषित कर दिया। उसने बड़े द्वीप समूह क्यूबानास्कैन, क्यूबा तथा किस्केया तक आगे बढ़ने के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 21.
समुद्री खोज के सम्बन्ध में कोलम्बस की विशेष उपलब्धि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समुद्री खोज के सम्बन्ध में कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएँ खोज निकालीं और यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताहों तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है। कोलम्बस के द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण फ्लोरेन्स के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया। उसने उन्हें ‘नई दुनिया’ के नाम से पुकारा। उनके लिए ‘अमरीका’ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशक द्वारा 1507 में किया गया।

प्रश्न 22.
स्पेनिश सेनापति कोर्टेस की मैक्सिको विजय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1519 में स्पेनिश सेनापति कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया था जहाँ उसने टाटानैक समुदाय से मैत्री कर ली। स्पेनी सैनिकों ने ट्लेक्सकलानों पर आक्रमण कर दिया और वहाँ के लोगों को पराजित कर दिया। इसके बाद 8 नवम्बर, 1519 को स्पेनी सैनिकों ने टेनोक्टिलान पर अधिकार कर लिया।

मैक्सिको के शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया, परन्तु कोर्टेस ने सम्राट मोंटेजुमा को नजरबन्द कर लिया और उसके नाम पर शासन चलाने का प्रयास करने लगा। जब कोर्टेस क्यूबा लौट गया तो मैक्सिको की जनता ने विद्रोह कर दिया, परन्तु स्पेनी सेना ने उनके विद्रोह का दमन कर दिया। कुछ समय बाद कोर्टेस ने 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टैनोक्टिलान पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया। मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने में दो वर्ष का समय लग गया।

प्रश्न 23.
डोना मैरीना के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
डोना मैरीना – बर्नार्ड डियाज डेलकैस्टिलो ने अपने ग्रन्थ ‘टू हिस्ट्री ऑफ मैक्सिको’ में लिखा है कि टैबेस्को के लोगों ने स्पेन के सेनापति कोर्टेस को डोना मैरीना नामक एक सहायिका दी थी।

डोना मैरीना तीन भाषाओं में प्रवीण थी और उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये के रूप में अत्यन्त निर्णायक भूमिका निभाई थी। बर्नार्ड डियाज ने लिखा है कि, “यह हमारी विजयों की जोरदार शुरुआत थी और डोना मैरीना की सहायता के बिना हम न्यू स्पेन और मैक्सिको की भाषा नहीं समझ सकते थे। ” बर्नार्ड डियाज का विचार था कि डोना मैरीना एक राजकुमारी थी। परन्तु मेक्सिकन लोग उसे ‘मांलिच’ अर्थात् विश्वासघाती कहते थे। ‘मांलिचिस्टा’ का अर्थ है – वह व्यक्ति जो दूसरों की भाषाओं तथा कपड़ों की हू-ब-हू नकल करता है।

प्रश्न 24.
पिजारो द्वारा इंका साम्राज्य की विजय का विवरण दीजिए।
उत्तर:
पिजारो सेना में भर्ती होकर 1502 में कैरीबियन द्वीप समूह में आया था। स्पेन के राजा ने पिजारो को यह वचन दिया था कि यदि वह इंका राज्य को जीत लेगा, तो उसे वहाँ का राज्यपाल बना दिया जायेगा। 1532 में पिजारो इंका राज्य पहुँचा और धोखे से वहाँ के राजा को बन्दी बना लिया। राजा ने अपनी मुक्ति के लिए पिजारो को एक कमरा भर सोना फिरौती में देने का प्रस्ताव किया।

परन्तु पिजारो ने इस प्रस्ताव पर कोई ध्यान नहीं दिया और राजा का वध करवा दिया। पिजारो के सैनिकों ने इंका राज्य को लूटने के बाद इंका राज्य पर अधिकार कर लिया। 1534 में स्पेनी सैनिकों के अत्याचारों के विरुद्ध इंका राज्य के लोगों ने विद्रोह कर दिया, जो दो वर्ष तक चलता रहा। अगले पाँच वर्षों में स्पेनियों ने पोटोसी, ऊपरी पेरू की खानों में चाँदी के विशाल भण्डारों का पता लगा लिया और उन खानों में काम करने के लिए उन्होंने इंका लोगों को गुलाम बना लिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अरावाकी लुकायो समुदाय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय – अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे- छोटे सैकड़ों द्वीप समूहों और बृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे। कैरिब नामक एक खूंखार कबीले ने उन्हें लघु ऐंटिलीज प्रदेश से मार भगाया था। अरावाक लोग शान्तिप्रिय थे तथा लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप से अपने झगड़े निपटाना चाहते थे। अरावाक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ अरावाक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. कुशल नौका-निर्माता-अरावाक लोग कुशल नौका-निर्माता थे। वे वृक्ष के खोखले तनों से अपनी डोंगियाँ बनाते थे और डोंगियों में बैठकर खुले समुद्र में यात्रा करते थे।

2. शान्तिप्रिय लोग – अरावाकी लोग शान्तिप्रिय थे तथा लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप से अपने झगड़े निपटाना चाहते थे।

3. जीवन – निर्वाह के साधन – अरावाक लोग खेती, शिकार तथा मछली पकड़कर अपना जीवन-निर्वाह करते थे खेती में वे मक्का, मीठे आलू और अन्य प्रकार के कन्द-मूल और कसावा उगाते थे।

4. मिल-जुलकर खाद्य उत्पादन करना – अरावाक संस्कृति की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि वे सब एक-साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे ताकि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो सके। वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे।

5. रीति-रिवाज – अरावाक लोगों में बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी थे। अरावाक समाज में भी शमन लोगों का बड़ा प्रभाव था। शमन लोग कष्ट दूर करने वालों तथा इहलोक और परलोक के बीच मध्यस्थों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

6. सोने को अधिक महत्त्व नहीं देना – अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे परन्तु यूरोपवासियों की भाँति सोने को उतना महत्त्व नहीं देते थे। यदि कोई यूरोपीय व्यक्ति सोने के बदले काँच के मनके दे देता था, तो वे बहुत प्रसन्न होते थे क्योंकि उन्हें काँच का मनका अधिक सुन्दर दिखाई देता था।

7. बुनाई की उन्नत कला – अरावाक लोगों की बुनाई की कला बहुत उन्नत थी। हैमक अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी। इसे यूरोपीय लोगों ने भी बहुत पसन्द किया था।

8. उदारतापूर्ण व्यवहार – अरावाक लोगों का व्यवहार बड़ा उदारतापूर्ण होता था। वे सोने की खोज में स्पेनी लोगों को सहयोग देने के लिए सदैव तैयार रहते थे। परन्तु कालान्तर में जब स्पेनी लोगों ने दमनकारी नीति अपनाई, तो अरावाकों ने उसका विरोध किया। परन्तु इस विरोध के उन्हें विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। अरावाक संस्कृति का विनाश – स्पेनी लोगों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अरावाक लोगों का क्रूरतापूर्वक दमन किया। स्पेनी लोगों के सम्पर्क में आने के बाद लगभग 25 वर्ष के अन्दर ही अरावाकों और उनकी संस्कृति का अन्त हो गया।

प्रश्न 2.
एजटेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एजटेक जन – बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को पराजित करके अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया। उन्होंने पराजित लोगों से नजराना वसूल किया। एज़टेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ एंजटेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

1. समाज- एजटेक समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजातवर्ग में उच्च कुलोत्पन्न, पुरोहित तथा वे लोग सम्मिलित थे जिन्हें बाद में यह प्रतिष्ठा दी गई थी। पुश्तैनी अभिजातों की संख्या बहुत कम थी और वे सरकार, सेना तथा पौरोहित्य-कर्म में उच्च पदों पर आसीन थे। अभिजात लोग अपने में से एक सर्वोच्च नेता का चुनाव करते थे, जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा का पद अत्यन्त प्रतिष्ठित था। वह पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था।

योद्धा, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को समाज में सर्वाधिक सम्मान दिया जाता था। व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। वे प्रायः सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के रूप में कार्य करते थे। कुशल शिल्पियों, चिकित्सकों तथा विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

2. भूमि उद्धार – एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी। इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार किया अर्थात् जल में से जमीन लेकर इस कमी को पूरा किया।

3. निर्माण कार्य – सरकंडे की बहुत बड़ी चटाइयाँ बन कर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढक कर उन्होंने मेक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये, जिन्हें ‘चिनाम्पा’ कहते थे। इन अत्यन्त उपजाऊ द्वीपों के बीच नहरें बनाई गईं। 1325 में इन पर एजटेक राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया गया। यहाँ के राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए बड़ा सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते थे। एजटेक शासक प्रायः युद्धों में व्यस्त रहते थें, इसलिए उनके सर्वाधिक भव्य मन्दिर भी युद्ध के देवताओं और सूर्य भगवान को समर्पित थे। .

4. आर्थिक जीवन – एजटेक साम्राज्य ग्रामीण आधार पर टिका हुआ था। एजटेक लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू और अन्य फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामी कोई व्यक्ति विशेष नहीं होता था, बल्कि यह स्वामित्व कुल के पास होता था जो सार्वजनिक निर्माण कार्यों को सामूहिक रूप से पूरा करवाता था। खेतिहर लोग अभिजात वर्ग के लोगों के खेत जोतते थे तथा बदले में उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा दे दिया जाता था। निर्धन लोग, कभी – कभी अपने बच्चों को भी गुलामों के रूप में बेच देते थे, परन्तु यह बिक्री प्राय: कुछ वर्षों के लिए ही की जाती थी। गुलाम अपनी स्वतन्त्रता फिर से खरीद सकते थे।

5. शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण – एजटेक लोगों की शिक्षा में काफी रुचि थी। वे इस बात का अत्यधिक ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे ‘कालमेकाक’ में भर्ती किये जाते थे। वहाँ उन्हें सेना अधिकारी तथा धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। शेष समस्त बच्चे पड़ोस के तपोकल्ली स्कूल में पढ़ते थे। वहाँ उन्हें इतिहास, पुराण – मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण, खेती और व्यापार करना सिखाया जाता था और लड़कियों को घरेलू काम-धन्धों में निपुण बनाया जाता था।

6. एजटेक साम्राज्य में अस्थिरता – सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में, एजटेक साम्राज्य में अस्थिरता के चिह्न दिखाई देने लगे। यह अस्थिरता हाल ही जीते गए लोगों में उत्पन्न असन्तोष के कारण आई थी, जो एजटेक शासकों के नियन्त्रण मुक्त होने के लिए प्रयत्नशील थे।

प्रश्न 3.
“दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ या इंका लोगों की संस्कृति थी। ” व्याख्या कीजिए।
अथवा
पेरू की इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
पेरू की इंका संस्कृति – दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ या इंका लोगों की संस्कृति थी। बारहवीं शताब्दी में प्रथम इंका शासक मैंकोकपाक ने कुजको में अपनी राजधानी स्थापित की थी। ‘नौवें इंका शासक के काल में इंका राज्य का विस्तार शुरू हुआ और अन्त में इंका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैल गया। इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. केन्द्रीकृत साम्राज्य – इंका साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। राजा साम्राज्य का सर्वोच्च अधि कारी होता था। राजा में ही सम्पूर्ण शक्ति निहित थी। नवविजित कबीलों तथा जनजातियों को साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया था। प्रत्येक व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी। प्रत्येक कबीला स्वतन्त्र रूप से व ष्ठों की एक सभा द्वारा शासित होता था। परन्तु पूरा कबीला शासक के प्रति वफादार होता था। स्थानीय शासकों को उन के सैनिक सहयोग के लिए पुरस्कृत किया जाता था। इस प्रकार इंका साम्राज्य एक संघ के समान था। विद्वानों का अनुमान है कि इंका साम्राज्य की आबादी 10 लाख से अधिक थी।

2. वास्तुकला – इंका साम्राज्य में वास्तुकला की पर्याप्त उन्नति हुई। एजटेक लोगों की भाँति इंका लोग भी उच्च कोटि के भवन-निर्माता थे। इंका लोगों ने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाई थीं। उनके दुर्ग शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे की आवश्यकता नहीं होती थी। वे निकटवर्ती प्रदेशों में टूटकर गिरी हुई चट्टानों से पत्थरों को तराशने और ले जाने के लिए श्रम – प्रधान प्रौद्योगिकी का उपयोग करते थे।

इसमें अपेक्षाकृत अधिक मजदूरों की आवश्यकता पड़ती थी। राजमिस्त्रीखण्डों को सुन्दर रूप देने के लिए शल्क पद्धति का प्रयोग करते थे। यह पद्धति प्रभावकारी तथा सरल थी। कई शिलाखण्ड 100 मैट्रिक टन से भी अधिक भारी होते थे; परन्तु उनके पास इतने बड़े शिलाखण्डों को ढोने के लिए पहिएदार गाड़ियाँ नहीं थीं। वे इस काम को मजदूरों के सहयोग से बड़ी सावधानी से करवाते थे।

3. कृषि – इंका सभ्यता का आधार कृषि था। इंका साम्राज्य में जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी। इसलिए इंका लोगों ने पहाड़ी प्रदेशों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं। इंका लोग मक्का और आलू उगाते थे तथा भोजन और श्रम के लिए लामा पालते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

4. उद्योग – इंका लोगों की बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

5. हिसाब लगाने की प्रणाली- इंका लोगों के पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली थी— यह थी ‘क्विपु’ अर्थात् डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखना। कुछ विद्वानों का विचार है कि इंका लोग इन धागों में एक प्रकार का संकेत (कोड) बुनते थे।

6. साम्राज्य का पिरामिडनुमा ढाँचा – इंका साम्राज्य का ढाँचा पिरामिडनुमा था। इसका अभिप्राय यह था कि इंका शासक के बन्दी बना लिए जाने पर उसके शासन की समस्त श्रृंखला टूट जाती थी। जब स्पेनी सैनिकों ने इंका – राज्य पर आक्रमण किया, तो उस समय भी यही स्थिति उत्पन्न हुई।

प्रश्न 4.
कोलम्बस की अमरीका की खोज-यात्रा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोलम्बस का परिचय – क्रिस्टोफर कोलम्बस (1451-1506) इटली का निवासी था। वह एक स्वयं- शिक्षित व्यक्ति था। उसमें साहसिक कार्य करने तथा यश प्राप्त करने की इच्छा कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह भविष्यवाणियों में विश्वास करता था। उसका विश्वास था कि उसके भाग्य में पश्चिम की ओर से यात्रा करते हुए पूर्व की ओर जाने का मार्ग खोजना लिखा है। कोलम्बस कार्डिनल पिएर डिएली द्वारा 1410 में रचित पुस्तक ‘इमगो मुंडी’ से बहुत प्रेरित हुआ। सर्वप्रथम उसने पुर्तगाल के शासक के समक्ष अपने योजनाएँ प्रस्तुत कीं, परन्तु वे स्वीकृत नहीं हुईं। परन्तु स्पेन के शासक ने उसकी एक साधारण-सी योजना स्वीकार कर ली।

(1) कोलम्बस द्वारा अमरीका की खोज – यात्रा – 3 अगस्त, 1492 को कोलम्बस ने तीन जहाजों तथा 87 नाविकों के साथ पालोस के पत्तन से पश्चिम की ओर प्रस्थान किया। कोलम्बस का बेड़ा छोटा-सा था जिसमें ‘सांता मारिया’ नामक एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) और दो कैरेवल (छोटे, हल्के जहाज) ‘पिंटा’ तथा ‘नीना’ थे। ‘सांता मारिया’ की कमान स्वयं कोलम्बस के हाथों में थी। उसमें 40 कुशल नाविक थे। कोलम्बस का बेड़ा अनुकूल व्यापारिक हवाओं के सहारे आगे बढ़ता जा रहा था। 33 दिनों तक बेड़ा तैरता हुआ आगे से आगे बढ़ता गया, परन्तु तट दिखाई नहीं दिया। उसके नाविक अधीर हो उठे और उनमें से कुछ तुरन्त वापस लौटने की माँग करने लगे।

(2) बहामा द्वीप समूह पहुँचना – अन्तत: 12 अक्टूबर, 1492 को नाविकों को जमीन दिखाई दी। कोलम्बस ने इसे भारत समझा परन्तु वह स्थान बहामा द्वीप – समूह का गुआनाहानि द्वीप था। गुआनाहानि पहुँचने पर अरावाक लोगों ने इस बेड़े के नाविकों का स्वागत किया। उन्होंने नाविकों के प्रति मैत्री प्रदर्शित की और उन्हें खाने-पीने का सामान भी दिया। कोलम्बस उनकी उदारता से बड़ा प्रभावित हुआ।

(3) कोलम्बस द्वारा अपने आपको वायसराय घोषित करना – कोलम्बस ने गुआनाहानि में स्पेन का झण्डा गाड़ दिया। वहाँ उसने सार्वजनिक उपासना करवाई और स्थानीय लोगों से बिना पूछे ही अपने आप को वायसराय घोषित कर दिया। उसने बड़े द्वीप समूह क्यूबानास्कैन और किस्केया तक आगे बढ़ने के लिए इन स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया।

(4) कोलम्बस की कठिनाइयाँ और वापसी यात्रा – शीघ्र ही कोलम्बस का यह अभियान दुर्घटनाओं में फँस गया और खूँखार कैरिब कबीलों की शत्रुता का भी उन्हें सामना करना पड़ा। नाविक शीघ्रातिशीघ्र घर लौटने के लिए बेचैन हो गए। वापसी यात्रा अधिक कठिन सिद्ध हुई क्योंकि जहाजों को दीमक लग गई थी और नाविकों को थकान व घर की याद सताने लग गई थी।

इस सम्पूर्ण यात्रा में कुल 32 सप्ताह लगे। कुछ समय बाद कोलम्बस द्वारा ऐसी तीन यात्राएँ और आयोजित की गईं, जिनके दौरान कोलम्बस ने बहामा और बृहत्तर ऐंटिलीज द्वीपों, दक्षिणी अमरीका की मुख्य भूमि तथा उसके तटवर्ती प्रदेशों में अपना खोज कार्य पूरा किया। बाद की यात्राओं से यह ज्ञात हुआ कि इन स्पेनी नाविकों ने ‘इंडीज’ नहीं, बल्कि एक नया महाद्वीप ही खोज निकाला था।

(5) कोलम्बस की उपलब्धि – कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएँ खोज निकालीं तथा यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताहों तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है। उसके द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण फ्लोरेन्स के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया जिसने उन्हें ‘नई दुनिया’ के नाम से पुकारा। ‘अमरीका’ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशक द्वारा 1507 ई. में किया गया।

प्रश्न 5.
कोर्टेस की मैक्सिको की विजय का वर्णन कीजिए।
अथवा
मैक्सिको पर स्पेनियों की विजय का वर्णन कीजिये।
अथवा
कोर्टस के मैक्सिको अभियान का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोर्टेस की मैक्सिको की विजय कोर्टेस स्पेन का एक वीर योद्धा तथा कुशल सेनापति था। उसने बड़ी आसानी से मैक्सिको पर अधिकार कर लिया। 1519 ई. में कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया था जहाँ उसने टाटानैक लोगों से मैत्री कर ली। टाटानैक लोग एजटेक शासन से अलग होना चाहते थे। एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस से भेंट करने के लिए अपना एक अधिकारी भेजा। वह स्पेनवासियों की सैन्य शक्ति, आक्रमण-क्षमता, उनके बारूद और घोड़ों के प्रयोग को देखकर भयभीत हो गया। स्वयं मोंटेजुमा को यह विश्वास हो गया कि कोर्टेस वास्तव में किसी निर्वासित देवता का अवतार है जो अपना बदला लेने के लिए पुनः प्रकट हुआ है।

(1) टेनोविट्टलैन पर कोर्टेस का अधिकार – स्पेनी सैनिकों ने ट्लैक्सकलानों पर आक्रमण कर दिया। ट्लैक्सकलान वीर-योद्धा थे। यद्यपि उन्होंने स्पेनी सैनिकों का प्रबल प्रतिरोध किया, परन्तु अन्त में उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा और उन्होंने समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक उन सबको मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद 8 नवम्बर, 1519 को उन्होंने टेनोक्टिलैन पर अधिकार कर लिया। स्पेनी सैनिक टेनोक्ट्रिटलैन के दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित हो गए। यह नगर मैड्रिड से पाँच, गुना बड़ा था और इसकी जनसंख्या स्पेन के सबसे बड़े नगर सेविली से दो गुनी अर्थात् 1,00,000 थी।

(2) एजटेक शासक मोंटेजुमा द्वारा कोर्टेस का स्वागत करना- एजटेक शासक मोटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया। स्पेनियों को बड़े सम्मान के साथ नगर के बीचोंबीच लाया गया, जहाँ मोटेजुमा ने उन्हें उपहार भेंट किये। परन्तु ट्लैक्सकलान के हत्या – काण्ड के बारे में जानकारी होने के कारण एजटेक लोगों के मन में आशंका थी।

(3) कोर्टेस द्वारा मोंटेजुमा को नजरबन्द करना – एजटेक लोगों की धारणा सही सिद्ध हुई। कोर्टेस ने बिना कोई कारण बताए सम्राट मोंटेजुमा को नजरबन्द कर लिया और फिर उसके नाम पर शासन संचालन करने का प्रयास करने लगा। कोर्टेस ने एजटेक मन्दिरों में ईसाई मूर्तियाँ स्थापित करवाईं। एक समझौते के अनुसार मन्दिरों में एजटेक और ईसाई दोनों प्रकार की मूर्तियाँ स्थापित की गईं।

(4) एजटेक लोगों के विद्रोह का दमन करना- इसी समय कोर्टेस को अपने सहायक एल्वारैडो को सत्ता सौंप कर शीघ्रता से क्यूबा लौटना पड़ा। स्पेनी शासन के अत्याचारों से परेशान होकर तथा सोने के लिए स्पेनियों की निरन्तर माँगों के दबाव के कारण, एजटेक लोगों ने विद्रोह कर दिया। एल्वारैडो ने हुईजिलपोक्टली के वसन्तोत्सव में विद्रोहियों के कत्ले-आम का आदेश दे दिया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

(5) कोर्टेस की कठिनाइयाँ- जब 25 जून, 1520 को कोर्टेस वापस लौटा, तो उसे भीषण संकटों का सामना करना पड़ा। विद्रोहियों द्वारा पुल नष्ट कर दिए गए थे, जल-मार्ग काट दिए गए थे तथा सड़कें बन्द कर दी गई थीं। स्पेनी सैनिकों को पानी और भोजन की भीषण कमी का सामना करना पड़ा। अन्त में कोर्टेस को विवश होकर वापस लौटना पड़ा।

(6) एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच संघर्ष – इसी समय मोंटेजुमा की मृत्यु हो गई। एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच संघर्ष जारी रहा जिसके परिणामस्वरूप लगभग 600 स्पेनी सैनिक और उतने ही ट्लैक्सकलान के लोग मारे गए। हत्याकाण्ड की इस भयंकर रात को ‘आँसूभरी रात’ के नाम से पुकारा जाता है।

(7) टेनोक्ट्ठिलैन पर कोर्टेस का पुनः अधिकार- मोटेजुमा के बाद क्वेटेमोक एजटेक का नया राजा निर्वाचित हुआ। कोर्टेस को उसके विरुद्ध अपनी रणनीति की योजना बनाने हेतु ट्लैक्सकलान में शरण लेनी पड़ी। उस समय एजटेक लोग यूरोपीय लोगों के साथ आई चेचक की महामारी के प्रकोप से मर रहे थे। कोर्टेस केवल 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टेनोक्ट्रिटलान में प्रविष्ट हो गया। एजटेक लोगों ने स्पेनियों का मुकाबला करने का निश्चय किया। परन्तु अपशकुनों ने एजटेकों को बता दिया कि उनका अन्त निकट है। परिणामस्वरूप एजटेक सम्राट ने अपनी जीवनलीला समाप्त करना ही उचित समझा।

(8) मैक्सिको – अभियान की समाप्ति – मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने में दो वर्ष का समय लग गया। कोर्टेस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टन – जनरल बन गया। उसे चार्ल्स पंचम द्वारा सम्मानों से विभूषित किया गया। मैक्सिको से, स्पेनियों ने अपना नियन्त्रण ग्वातेमाला, निकारगुआ तथा होंडुरास पर भी स्थापित कर लिया।

प्रश्न 6.
पुर्तगालियों द्वारा ब्राजील पर आधिपत्य किस प्रकार स्थापित किया गया?
अथवा
ब्राजील में पुर्तगालियों द्वारा अपना उपनिवेश स्थापित करने का वर्णन कीजिए। कैब्राल द्वारा ब्राजील पर अधिकार करना
उत्तर:
ब्राजील पर पुर्तगालियों का आधिपत्य संयोगवश ही हुआ। सन् 1500 में पुर्तगाल निवासी पेड्रो अल्वारिस कैब्राल जहाजों का एक बेड़ा लेकर भारत के लिए रवाना हुआ। तूफानी समुद्रों से बचने के लिए उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाया और ब्राजील के समुद्रतट पर पहुँच गया। दक्षिणी अमरीका का यह पूर्वी भाग उस क्षेत्र के अन्तर्गत था जिसे पोप ने पुर्तगाल को सौंप रखा था। इसलिए पुर्तगाली इस क्षेत्र को अपना क्षेत्र ही मानते थे।

(1) ब्राजील में इमारती लकड़ी की प्रचुरता – पुर्तगाली ब्राजील की बजाय पश्चिमी भारत के साथ अपना व्यापार बढ़ाना चाहते थे, क्योंकि ब्राजील में सोना मिलने की कोई सम्भावना नहीं थी। परन्तु ब्राजील में इमारती लकड़ी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी, जिसका पुर्तगालियों ने भरपूर लाभ उठाया। ब्राजीलवुड वृक्ष से एक सुन्दर लाल रंजक मिलता था।

ब्राजील के मूल निवासी लोहे के चाकू-छुरियों और आरियों के बदले में इमारती लकड़ी के वृक्षों को काटने और इनके लठ्ठे बनाकर जहाजों तक ले जाने के लिए तुरन्त तैयार हो गए। वे बहुत सरल प्रकृति के व्यक्ति थे तथा एक हंसिए, चाकू या कंघे के बदले ढेरों मुर्गियाँ, बन्दर, तोते, शहद, मोम, सूती धागा आदि चीजें देने को तैयार रहते थे।

(2) ब्राजील को पुर्तगाली आनुवंशिक कप्तानियों में बाँटना – इमारती लकड़ी का व्यापार बड़ा लाभप्रद था। अतः इमारती लकड़ी के व्यापार के कारण पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों के बीच भयंकर लड़ाइयाँ हुईं। अन्त में इन लड़ाइयों में पुर्तगालियों की विजय हुई क्योंकि वे स्वयं तटीय क्षेत्र में बसना और अपना उपनिवेश स्थापित करना चाहते थे। 1534 में पुर्तगाल के शासक ने ब्राजील के तट को चौदह आनुवंशिक कप्तानियों में बाँट दिया।

उसने इनके स्वामित्व सम्बन्धी अधिकार उन पुर्तगालियों को दे दिए जो वहाँ स्थायी रूप से रहना चाहते थे। उसने उन्हें स्थानीय लोगों को गुलाम बनाने का अधिकार भी प्रदान कर दिया। ब्राजील में बसने वाले बहुत से पुर्तगाली लोग भूतपूर्व सैनिक थे, जिन्होंने भारत के गोवा – क्षेत्र में लड़ाइयों में भाग लिया था। ये पुर्तगाली लोग स्थानीय लोगों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे।

(3) पुर्तगालियों द्वारा स्थानीय लोगों का शोषण – 1540 के दशक में पुर्तगालियों ने ब्राजील के बड़े-बड़े बागानों में गन्ना उगाना और चीनी बनाने के लिए मिलें चलाना शुरू कर दिया। इस चीनी को यूरोप के बाजारों में बेचा जाता था। बहुत ही गर्म तथा नम जलवायु में चीनी की मिलों में काम करने के लिए पुर्तगाली लोग स्थानीय लोगों पर निर्भर थे।

जब स्थानीय लोगों ने इस कष्टदायक और थकाने वाले नीरस काम को करने से इनकार कर दिया, तो मिल मालिकों ने उनका अपहरण करवाकर उन्हें गुलाम बनाना शुरू कर दिया पुर्तगालियों की इस शोषणकारी नीति से स्थानीय लोगों में घोर असन्तोष उत्पन्न हुआ और वे मिल मालिकों के अत्याचारों से बचने के लिए गाँव छोड़ कर जंगलों में भाग गए। परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों के अधिकांश गाँव खाली हो गए, परन्तु उनके बदले यूरोपीय लोगों के कस्बे बस गए। विवश होकर पुर्तगालियों ने पश्चिमी अफ्रीका से गुलामों को लाना शुरू कर दिया।

(4) पुर्तगाली राजा के अधीन एक औपचारिक सरकार स्थापित करना – 1549 में ब्राजील में पुर्तगाल के शासक के अधीन एक औपचारिक सरकार स्थापित की गई और बहिया / सैल्वाडोर को उसकी राजधानी बनाया गया। इस समय तक ईसाई धर्म के प्रचार के लिए जेसुइट पादरियों ने ब्राजील जाना शुरू कर दिया था। परन्तु यूरोपीय नागरिक इन जेसुइट पादरियों को पसन्द नहीं करते थे। इसका कारण यह था कि जेसुइट पादरी मूल निवासियों के साथ दया का बर्ताव करने की सलाह देते थे। वे जंगलों में जाकर मूल निवासियों के गाँवों में रहते हुए यह शिक्षा देते थे कि ईसाई धर्म एक आनन्ददायक धर्म है और उसका आनन्द लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त ये धर्म प्रचारक दास प्रथा की कटु आलोचना करते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

प्रश्न 7.
समुद्री यात्राओं तथा अमरीका की खोज के यूरोप तथा उत्तरी- दक्षिणी अमरीका पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
I. समुद्री यात्राओं के यूरोप पर प्रभाव – समुद्री यात्राओं तथा अमरीका की खोज के यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
1. ‘अटूट समुद्री मार्गों’ का खुलना – समुद्री यात्राओं ने एक महासागर से दूसरे महासागर तक के ‘अटूट समुद्री मार्ग’ खोल दिए। इन समुद्री यात्राओं से पूर्व तक, इनमें से अधिकांश मार्ग यूरोप के लोगों के लिए अज्ञात थे और कुछ मार्गों को तो कोई भी नहीं जानता था। तब तक कोई भी जहाज कैरीबियन या अमरीका महाद्वीपों के जल-क्षेत्रों में प्रविष्ट नहीं हुआ था। दक्षिणी अटलांटिक तो पूरी तरह से अछूता था। कोई भी जहाज दक्षिणी अटलांटिक से प्रशान्त महासागर या हिन्द महासागर तक नहीं पहुँचा था। 15वीं शताब्दी के अन्तिम तथा 16वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में ये सभी साहसिक कार्य सम्पन्न किए गए।

2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा औद्योगीकरण का विस्तार – अमरीका की खोज के यूरोपवासियों के लिए दीर्घकालीन परिणाम निकले। सोने-चाँदी की बाढ़ ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार किया। 1560 से 1600 तक सैकड़ों जहाज प्रतिवर्ष दक्षिणी अमरीकी की खानों से चाँदी स्पेन को लाते रहे। परन्तु स्पेन और पुर्तगाल इसका अधिक लाभ नहीं उठा सके। उन्होंने अपने मुनाफों को आगे व्यापार में या अपने व्यापारी जहाजों के बेड़े का विस्तार करने में नहीं लगाया।

3. इंग्लैण्ड, फ्रांस, बैल्जियम, हालैण्ड को लाभ- इंग्लैण्ड, फ्रांस, बैल्जियम, हालैण्ड आदि देशों ने इन खोजों का भरपूर लाभ उठाया। उनके व्यापारियों ने बड़ी-बड़ी संयुक्त पूँजी कम्पनियों की स्थापना की और अपने बड़े-बड़े व्यापारिक अभियान चलाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने उपनिवेश स्थापित किये तथा यूरोपवासियों को नई दुनिया में पैदा होने वाली नई-नई चीजों जैसे तम्बाकू, आलू, गन्ने की चीनी, ककाओ तथा रबड़ आदि से परिचित कराया।

4. नई फसलों से परिचित होना – यूरोपीय देश अमरीका से आने वाली नई फसलों विशेष रूप मिर्च से परिचित हो गए। आगे चलकर यूरोपवासी इन फसलों को भारत जैसे अन्य देशों में ले गए।

II. समुद्री यात्राओं के उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका पर प्रभाव – समुद्री यात्राओं के उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका पर निम्नलिखित प्रभाव हुए –
1. मूल निवासियों की जनसंख्या का कम होना – यूरोपवासियों की नर-संहार की नीति के कारण उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई। इस जन हानि के लिए लड़ाइयाँ और बीमारियाँ प्रमुख रूप से जिम्मेदारी थीं।

2. मूल निवासियों की जीवन-शैली का नष्ट होना-यूरोपवासियों की नर-संहार की नीति के कारण मूल निवासियों की जीवन-शैली का विनाश हो गया।

3. मूल निवासियों का शोषण – यूरोपवासियों ने मूल निवासियों को गुलाम बनाकर खानों, बागानों तथा कारखानों में उनसे काम लेना शुरू किया। वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ। स्पेनी मालिकों ने आर्थिक लाभ के लिए स्थानीय लोगों का शोषण किया।

प्रश्न 8.
समुद्री यात्राओं के परिणामस्वरूप दास प्रथा के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समुद्री यात्राओं के परिणामस्वरूप दास प्रथा का विकास – यूरोपवासियों ने अपनी उत्कृष्ट सैन्य शक्ति के बल पर स्थानीय निवासियों को पराजित कर दिया और हारे हुए लोगों को गुलाम बना लिया। दक्षिणी अमेरिका में दास-प्रथा के साथ-साथ वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का उदय हुआ।

स्पेन के शासक को दास प्रथा को चालू रखने पर विवश करना – 1601 ई. में स्पेन के शासक फिलिप द्वितीय सार्वजनिक रूप से बेगार की प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया, परन्तु उसने एक गुप्त आदेश के द्वारा इसे चालू रखने की भी व्यवस्था कर दी। 1609 ई. में स्पेन की सरकार ने एक कानून बनाया जिसके अन्तर्गत ईसाई तथा गैर-ईसाई सभी प्रकार के स्थानीय लोगों को पूरी स्वतन्त्रता प्रदान कर दी गई। परन्तु इस कानून से यूरोप से आकर अमेरिका में बसे हुए लोग नाराज हो गए। उन्होंने दो वर्ष के भीतर ही स्पेन के शासक को यह कानून हटाने तथा गुलाम बनाने की प्रथा को चालू रखने के लिए विवश कर दिया।

दास प्रथा को प्रोत्साहन – 1700 ई. में सोने की खोज के बाद खानों के काम में बड़ी प्रगति हुई और खानों के कामों के लिए सस्ते श्रम की माँग बनी रही। यह निश्चित था कि स्थानीय लोग गुलाम बनने का विरोध करेंगे। अतः अफ्रीका से गुलाम मँगाए जाने का निश्चय किया गया। 1550 ई. के दशक से 1880 ई. के दशक तक ब्राजील में 36 लाख से भी अधिक अफ्रीकी गुलामों का आयात किया गया। 1750 ई. में कुछ ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति भी थे, जिनके पास हजार-हजार गुलाम होते थे। दास प्रथा को जारी रखने के प्रयास- कुछ लोगों ने दास प्रथा के उन्मूलन के बारे में यह तर्क दिया कि यूरोपवासियों के अफ्रीका में आने से पहले भी वहाँ दास प्रथा विद्यमान थी।

उनका कहना था कि पन्द्रहवीं शताब्दी में अफ्रीका में स्थापित किए जाने वाले राज्यों में भी अधिकांश मजदूर वर्ग गुलामों से ही बना था। यूरोपीय व्यापारियों को युवा स्त्री-पुरुषों को गुलाम बनाने में अफ्रीकी लोगों से भी सहायता प्राप्त होती थी। ये व्यापारी बदले में उन अफ्रीकावासियों को दक्षिणी अमरीका से आयात की गई फसलें जैसे मक्का, कसावा, कुमाला आदि देते थे। इस सम्बन्ध में 1789 ई. की अपनी आत्मकथा में ओलाउदाह एक्वियानो नामक एक मुक्त किये गये गुलाम ने इन तर्कों का उत्तर देते हुए लिखा है कि अफ्रीका में गुलामों के साथ परिवार के सदस्यों जैसा व्यवहार किया जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. लार्ड का घर कहलाता था –
(अ) राजमहल
(ब) वैसल
(स) वर्साई का महल
(द) मेनर।
उत्तर:
(द) मेनर।

2. कुशल घुड़सवारों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए किस नए वर्ग का प्रादुर्भाव हुआ?
(अ) सामन्त वर्ग
(ब) योद्धा वर्ग
(स) नाइट वर्ग
(द) पादरी वर्ग।
उत्तर:
(स) नाइट वर्ग

3. लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग कहलाता था –
(अ) सर्फ
(ब) मेनर
(स) जागीर
(द) फीफ।
उत्तर:
(द) फीफ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

4. कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर कहलाता था –
(अ) टीथ
(ब) धार्मिक कर
(स) कृषक कर
(द) स्वैच्छिक कर।
उत्तर:
(अ) टीथ

5. इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास हुआ –
(अ) तेरहवीं सदी में
(ब) नौवी सदी में
(स) ग्यारहर्वी सदी में
(द) दसवीं सदी में।
उत्तर:
(स) ग्यारहर्वी सदी में

6. फ्रांस के प्रान्त नारमैंडी के किस ड्यूक ने इंग्लैण्ड पर विजय प्राप्त की थी?
(अ) जेम्स
(ब) चार्ल्स
(स) लुई तेरहवाँ
(द) विलियम।
उत्तर:
(द) विलियम।

7. फ्रांस में समाज में किसने एक चौथा वर्ग बना लिया था?
(अ) शिल्पकारों ने
(ब) व्यवारियों ने
(स) सैनिकों ने
(द) नगरवासियों ने।
उत्तर:
(द) नगरवासियों ने।

8. फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च क्या कहलाते थे?
(अ) आबे
(ब) विशाल चर्च
(स) कथीड्रल
(द) वृहद गिरजाघर।
उत्तर:
(स) कथीड्रल

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. सामन्तवाद की पहचान थी-दुर्गों व मेनर-भवन के इर्द-गिर्द ……………….
2. जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक भागों में ………………. के उत्तराई्द्ध में हुई।
3. जर्मनी की एक जनजाति ………………. ने गॉल को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया।
4. यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन विशपों और पादरियों द्वारा किया जाता था, जो ………………. के अंग थे।
5. काश्तकार दो तरह के होते थे ………………. (i) स्वतंत्र किसान और (ii) ……………….
उत्तर:
1. कृषि-उत्पादन
2: 11वीं सदी
3. फ्रैंक
4. प्रथम वर्ग
5. सर्फ ( कृषिदास)।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये –

1. तीर्थयात्रा ईसाइयों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थी।
2. भिक्षु जिस धार्मिक समुदाय में रहते थे, उसे चर्च कहा जाता था।
3. यूरोप में स्थानीय युद्धों के कारण कुशल अश्व सेना की आवश्यकता ने एक नए वर्ग को बढ़ावा दिया जो लार्ड कहलाते थे।
4. फ्रांस के शासकों का लोगों से जुड़ाव ‘वैसलेज’ प्रथा के कारण था।
5. 9वीं से 16वीं सदी के मध्य चर्च यूरोप में एक मुख्य भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति बन गया था।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. मेनर (क) फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च
2. फीफ (ख) लार्ड का घर
3. टीथ (ग) मठों में रहने वाले अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति
4. कथीड्रल (घ) लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग
5. भिक्षु (च) कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर

उत्तर:

1. मेनर (ख) लार्ड का घर
2. फीफ (घ) लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग
3. टीथ (च) कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर
4. कथीड्रल (क) फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च
5. भिक्षु (ग) मठों में रहने वाले अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मार्क ब्लाक कौन थे ?
उत्तर:
मार्क ब्लाक (1886 – 1994) फ्रांस के प्रसिद्ध विद्वान थे।

प्रश्न 2.
सामन्ती समाज’ का रचयिता कौन था ?
उत्तर:
मार्क ब्लाक।

प्रश्न 3.
मार्क ब्लाक क्यों प्रसिद्ध थे ?
उत्तर:
सामन्तवाद पर महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए।

प्रश्न 4.
अभिजात वर्ग का घर क्या कहलाता था ?
उत्तर:
मेनर

प्रश्न 5.
योरोप में काश्तकार कितने प्रकार के होते थे?
उत्तर:
दो प्रकार के –
(1) स्वतन्त्र किसान तथा
(2) कृषि – दास।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 6.
एंजिललैण्ड किस देश का रूपान्तरण है ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड का।

प्रश्न 7.
1614 के बाद फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन कब बुलाया गया ?
उत्तर:
1789 ई. में।

प्रश्न 8.
यूरोप में चौथा वर्ग किन लोगों का था ?
उत्तर:
नगरवासियों का।

प्रश्न 9.
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास कब हुआ ?
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी से।

प्रश्न 10.
शार्लमैन कौन था ?
उत्तर:
शार्लमैन (742-814 ई.) फ्रांस का राजा था।

प्रश्न 11.
इंग्लैण्ड पर ग्यारहवीं सदी में किस व्यक्ति ने विजय प्राप्त की थी ?
उत्तर:
नारमैंडी के ड्यूक विलियम ने।

प्रश्न 12.
आबे से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
आबे से तात्पर्य है-मठ।

प्रश्न 13.
1347 और 1350 के मध्य यूरोप पर महामारी का क्या प्रभाव हुआ ?
उत्तर:
यूरोप की आबादी का लगभग 20% भाग नष्ट हो गया।

प्रश्न 14.
15वीं और 16वीं शताब्दी में किन नए शासकों का प्रादुर्भाव हुआ? दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड में हैनरी सप्तम
(2) फ्रांस में लुई ग्यारहवाँ।

प्रश्न 15.
इंग्लैण्ड में स्थापित संसद के दो सदनों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) हाउस ऑफ लाईर्ड्स
(2) हाउस ऑफ कामन्स।

प्रश्न 16.
इंग्लैण्ड के किस शासक को मृत्यु – दण्ड देकर वहाँ गणतन्त्र की स्थापना की गई ?
उत्तर:
चार्ल्स प्रथम को।

प्रश्न 17.
फ्रांस के एस्टेट्स जनरल के तीन सदनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) पादरी वर्ग
(2) अभिजात वर्ग
(3) सामान्य लोगों का वर्ग।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 18.
विश्व इतिहास में विभिन्न तरीकों से परम्पराएँ बदलने के क्या कारक थे? दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) वैज्ञानिक ज्ञान का विकास
(2) लोक-सेवाओं का निर्माण।

प्रश्न 19.
‘वाइकिंग’ कौन थे?
उत्तर:
वाइकिंग स्कैंडीनेविया के वे लोग थे जो आठवीं से ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य उत्तर-पश्चिमी यूरोप पर आक्रमण करने के बाद वहाँ बस गए थे ।

प्रश्न 20.
तीन वर्ग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तीन वर्ग यूरोप की तीन सामाजिक श्रेणियाँ थीं। ये वर्ग थे –
(1) ईसाई पादरी
(2) भूमि- धारक अभिजात वर्ग तथा
(3) कृषक।

प्रश्न 21.
‘मध्यकालीन युग’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
‘मध्यकालीन युग’ शब्द पाँचवीं और पन्द्रहवीं सदी के मध्य के यूरोपीय इतिहास को इंगित करता है।

प्रश्न 22.
‘सामन्तवाद’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामन्तवाद शब्द जर्मन शब्द ‘फ्यूड’ से बना है जिसका अर्थ है- ‘भूमि का टुकड़ा’। यह ऐसे समाज की ओर इंगित करता है जो फ्रांस और इंग्लैण्ड में विकसित हुआ।

प्रश्न 23.
‘सामन्तवाद’ की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर:
जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक देशों में ग्यारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई।

प्रश्न 24.
फ्रांस की स्थापना किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
जर्मनी की एक जनजाति फ्रैंक ने रोमन साम्राज्य के गॉल नामक एक प्रान्त को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया।

प्रश्न 25.
फ्रांस में समाज कितने वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर:
फ्रांस में समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित था –
(1) पादरी
(2) अभिजात
(3) कृषक।

प्रश्न 26.
सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका क्यों थी ?
उत्तर:
भूमि पर अभिजात वर्ग के नियन्त्रण के कारण सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका

प्रश्न 27.
अभिजात वर्ग के दो विशेषाधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) अभिजात वर्ग का अपनी सम्पदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियन्त्रण था।
(2) वे अपना स्वयं का न्यायालय लगा सकते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 28.
मेनर की जागीर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फ्रांस में लार्ड का घर मेनर कहलाता था। वह गाँवों पर नियन्त्रण रखता था। प्रतिदिन के उपभोग की प्रत्येक वस्तु जागीर पर मिलती थी। जागीरों में अरण्य भूमि और वन होते थे

प्रश्न 29.
तेरहवीं शताब्दी से दुर्गों का विकास क्यों किया गया ?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी से कुछ दुर्गों का विस्तार किया गया ताकि नाइट के परिवार के लोग उन दुर्गों में निवास कर सकें।

प्रश्न 30.
मेनर के आत्मनिर्भर न होने के क्या कारण थे?
उत्तर:
(1) मेनर को नमक, चक्की का पाट तथा धातु के बर्तन बाहर के स्रोतों से प्राप्त करने पड़ते थे।
(2) लार्ड को महँगे साजो-सामान को, दूसरे स्थानों से प्राप्त करना पड़ता था।

प्रश्न 31.
‘फीफ’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लार्ड ‘नाइट’ को भूमि का एक भाग देता था, जो ‘फीफ’ कहलाता था। फीफ की भूमि को कृषक जोतते थे।

प्रश्न 32.
फ्रांस में घुमक्कड़ चारण कौन थे ?
उत्तर:
घुमक्कड़ चारण गायक लोग थे।

प्रश्न 33.
फ्रांस में घुमक्कड़ चारणों का क्या कार्य था ?
उत्तर:
ये लोग फ्रांस के मेनरों में वीर राजाओं और नाइट्स की वीरता की कहानियाँ गीतों के रूप में सुनाते हुए घूमते रहते थे।

प्रश्न 34.
कौन लोग पादरी बनने के लिए अयोग्य थे ?
उत्तर:
(1) कृषि – दास तथा शारीरिक रूप से बाधित लोग पादरी नहीं हो सकते थे।
(2) स्त्रियाँ भी पादरी नहीं बन सकती थीं।

प्रश्न 35.
बिशप कौन थे ?
उत्तर:
धर्म के क्षेत्र में बिशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास भी लार्ड की भाँति बड़ी-बड़ी जागीरें थीं तथा वे शानदार महलों में रहते थे।

प्रश्न 36.
टीथ’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
चर्च को एक वर्ष में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था। इसे ‘टीथ’ कहा जाता था।

प्रश्न 37.
कैथोलिक चर्च की आय के दो स्रोत बताइए।
उत्तर:
(1) किसानों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला ‘टीथ’,
(2) धनी लोगों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला दान।

प्रश्न 38.
भिक्षु कौन लोग थे ?
उत्तर:
कुछ अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। ये लोग मठों में रहते थे जो प्रायः मनुष्य की आम आबादी से बहुत दूर होते थे है।

प्रश्न 39.
‘मोनेस्ट्री’ शब्द से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
‘मोनेस्ट्री’ शब्द ग्रीक भीषा के शब्द ‘मोनोस’ से बना है जिसका अर्थ है – ऐसा व्यक्ति जो अकेला रहता

प्रश्न 40.
पादरियों और भिक्षुओं में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
पादरी लोगों के बीच में नगरों और गाँवों में गिरजाघरों में रहते थे परन्तु भिक्षु मठों में रहते हुए एकान्त जीवन पसन्द करते थे।

प्रश्न 41.
मठ किसे कहते थे ?
उत्तर:
कुछ अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति एकान्त जीवन व्यतीत करना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे, जिन्हें मठ कहते थे।

प्रश्न 42.
यूरोप के दो सबसे अधिक प्रसिद्ध मठों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) 529 ई. में इटली में स्थापित सेंट बेनेडिक्ट का मठ।
(2) 910 ई. में बरगंडी में स्थापित क्लूनी का मठ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 43.
अबेसे हिल्डेगार्ड कौन था ?
उत्तर:
अबेसे हिल्डेगार्ड एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ था। उसने चर्च की प्रार्थनाओं में सामुदायिक गायन की प्रथा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

प्रश्न 44.
‘फ्रायर’ कौन थे ?
उत्तर:
यूरोप में तेरहवीं शताब्दी से भिक्षुओं के कुछ समूह मठों में नहीं रहते थे तथा विभिन्न स्थानों पर घूम-घूम कर लोगों को उपदेश देते थे। ये ‘फ्रायर’ कहलाते थे।

प्रश्न 45.
चौदहवीं शताब्दी में मठवाद के महत्त्व में कमी आने के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) भिक्षुओं के द्वारा आरामदायक एवं विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करना
(2) चौसर द्वारा अपनी रचना ‘कैंटरबरी टेल्स’ में भिक्षु–भिक्षुणी तथा फ्रायर का हास्यास्पद चित्रण करना।

प्रश्न 46.
‘टैली कर’ क्या था ?
उत्तर:
टैली एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर था, जिसे राजा कृषकों पर कभी-कभी लगाते थे।

प्रश्न 47.
लार्ड को कृषि – दासों पर क्या एकाधिकार प्राप्त थे
उत्तर:
(1) कृषि दास अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे।
(2) वे उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा सम्पीडक में ही शराब बना सकते थे।

प्रश्न 48.
मध्यकाल में प्रारम्भ में इंग्लैण्ड की कृषि प्रौद्योगिकी के दो दोष बताइए।
उत्तर:
(1) कृषक का लकड़ी का हल केवल पृथ्वी की सतह को खुरच सकता था।
(2) फसल चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था।

प्रश्न 49.
इंग्लैण्ड में मेनरों के लार्ड के विरुद्ध कृषकों ने निष्क्रिय प्रतिरोध की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य होना पड़ता था।

प्रश्न 50.
इंग्लैण्ड में नई कृषि प्रौद्योगिकी नीति के अन्तर्गत कृषि में हुए कोई दो परिवर्तन बताइए।
उत्तर:
(1) लोहे के भारी नोक वाले हल और साँचेदार पटरे का उपयोग होने लगा।
(2) पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार हुआ।

प्रश्न 51.
मध्यकाल में यूरोप में नगरों के विकास के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) कृषि का विस्तार और जनसंख्या का बढ़ना।
(2) नगरों का वातावरण स्वतन्त्रतापूर्ण था।

प्रश्न 52.
‘श्रेणी’ (गिल्ड) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
आर्थिक संस्था का आधार ‘ श्रेणी’ (गिल्ड ) था। प्रत्येक शिल्प या उद्योग एक ‘ श्रेणी’ के रूप में संगठित था। यह उत्पाद की गुणवत्ता, उसके मूल्य और बिक्री पर नियन्त्रण रखती थी।

प्रश्न 53.
आप ‘कथीड्रल नगर’ के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर:
बारहवीं सदी में फ्रांस में बड़े- बड़े चर्चों का निर्माण होने लगा, जो कथीड्रल कहलाते थे। इन चर्चों के चारों तरफ विकसित होने वाले नगर ‘कथीड्रल नगर’ कहलाये।

प्रश्न 54.
कथीड्रल बनाते समय किन दो बातों का ध्यान रखा जाता था ?
उत्तर:
(1) कथीड्रल इस प्रकार बनाए जाते थे कि पादरी की आवाज सभागार में लोगों को स्पष्ट रूप से सुनाई पड़े
(2) लोगों को प्रार्थना के लिए बुलाने वाली घण्टियाँ दूर तक सुनाई पड़ सकें।

प्रश्न 55.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के दो संकटों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) 1315 और 1317 में यूरोप में भयंकर अकाल पड़े।
(2) 1347-1350 के मध्य यूरोप में भीषण महामारी फैल गई।

प्रश्न 56.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के संकट के सामाजिक क्षेत्र में पड़े दो प्रभाव बताइए।
उत्तर:
(1) जनसंख्या में अत्यधिक कमी हो गई तथा मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आई।
(2) कृषि और उत्पादन के बीच असन्तुलन हुआ।

प्रश्न 57.
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोह के दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) आय कम होने से अभिजात वर्ग ने धन सम्बन्धी अनुबन्धों को तोड़ दिया।
(2) उन्होंने पुरानी मजदूरी सेवाओं को फिर से प्रचलित कर दिया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 58.
पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय शासकों को ‘नए शासक’ क्यों कहा गया ? उत्तर-पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय शासकों ने अपनी सैनिक एवं वित्तीय शक्ति में वृद्धि की और नए शक्तिशाली राज्यों का निर्माण किया।

प्रश्न 59.
फ्रांस की ‘एस्टेट्स जनरल’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फ्रांस की ‘एस्टेट्स जनरल’ फ्रांस की परामर्शदात्री सभा थी। इसके तीन सदन थे जो पादरी, अभिजात वर्ग तथा साधारण लोगों का प्रतिनिधित्व करती थी।

प्रश्न 60.
1789 ई. तक फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन क्यों नहीं बुलाया गया ?
उत्तर:
फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन 1789 ई. तक नहीं बुलाया गया, क्योंकि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

प्रश्न 61.
मध्यकालीन यूरोप के पादरी वर्ग (प्रथम वर्ग) को समझाइये
उत्तर:
पादरी लोग चर्च में धर्मोपदेश दिया करते थे। ये लोग ईसाई समाज का मार्गदर्शन करते थे। ये अविवाहित होते थे।

प्रश्न 62.
पाँचवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक यूरोप में पर्यावरण का कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
तीव्र सर्दी के कारण फसलों का उपज काल छोटा हो गया और कृषि की उपज कम हो गई। परन्तु 11वीं सदी में तापमान बढ़ने से कृषि पर अच्छा प्रभाव पड़ा।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोप में वैसलेज नामक प्रथा क्या थी?
उत्तर:
वैसलेज प्रथा के अन्तर्गत बड़े भू-स्वामी ( अभिजात वर्ग) राजा के अधीन और कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे। अभिजात वर्ग राजा को अपना स्वामी मान लेता था और वे आपस में वचनबद्ध होते थे। अभिजात वर्ग दास व कृषक की रक्षा करता था और बदले में वह उसके प्रति निष्ठावान रहता था। इस प्रकार वैसलेज की प्रथा के कारण फ्रांस के शासकों का लोगों से जुड़ाव रहता था।

प्रश्न 2.
मध्यकालीन यूरोप के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास की जानकारी के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास की जानकारी इतिहासकारों को भू- स्वामित्व के विवरणों, मूल्यों, कानूनी मुकदमों जैसी बहुत-सी सामग्री दस्तावेजों के रूप में उपलब्ध थी। इसलिए वे विविध क्षेत्रों के इतिहासों पर उपयोगी कार्य कर सके। उदाहरण के लिए चर्चों में मिलने वाले जन्म, मृत्यु तथा विवाह के अभिलेखों की सहायता से परिवारों और जनसंख्या की संरचना को समझने में सहायता मिली। चर्चों से प्राप्त अभिलेखों से व्यापारिक संस्थाओं के बारे में जानकारी मिली और गीतों तथा कहानियों से त्यौहारों तथा सामुदायिक गतिविधियों के बारे में बोध हुआ।

प्रश्न 3.
मार्क ब्लाक की रचनाओं से सामन्तवाद पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर:
सामन्तवाद पर सर्वप्रथम कार्य करने वाले विद्वानों में से एक फ्रांस के मार्क ब्लाक थे। मार्क ब्लाक का ‘सामन्ती समाज’ यूरोपियों, विशेषकर 900 से 1300 के बीच, फ्रांसीसी समाज के सामाजिक सम्बन्धों और श्रेणियों, भूमि प्रबन्धन तथा उस समय की जन-संस्कृति के बारे में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 4.
‘सामन्तवाद’ के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सामन्तवाद-‘सामन्तवाद’ (Feudalism) जर्मन शब्द ‘फ्यूड’ से बना है जिसका अर्थ है – एक भूमि का टुकड़ा। यह एक ऐसे समाज की ओर संकेत करता है जो मध्य फ्रांस और बाद में इंग्लैण्ड तथा दक्षिणी इटली में भी विकसित हुआ। आर्थिक दृष्टि से सामन्त एक प्रकार के कृषि उत्पाद की ओर संकेत करता है जो सामन्त तथा कृषकों के सम्बन्धों पर आधारित है। कृषक अपने खेतों के साथ-साथ लार्ड (सामन्त ) के खेतों पर कार्य करते थे।

इस प्रकार कृषक लार्ड को – सेवा प्रदान करते थे तथा बदले में लार्ड उन्हें सैनिक सुरक्षा प्रदान करते थे। इसके अतिरिक्त लार्ड को कृषकों पर न्यायिक अधिकार भी प्राप्त थे। इस प्रकार सामन्तवाद ने कृषकों के आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन पर अधिकार कर लिया था। श्रम-ऐसा माना जाता है कि जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक भागों में गयारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई।

प्रश्न 5.
फ्रांस और इंग्लैण्ड किस प्रकार अस्तित्व में आए ?
उत्तर:
गॉल रोमन साम्राज्य का एक प्रान्त था। इसमें दो विस्तृत तट रेखाएँ, पर्वत – श्रेणियाँ, लम्बी नदियाँ, वन और कृषि करने के लिए विस्तृत मैदान थे। जर्मनी की फ्रैंक नामक एक जनजाति ने गॉल को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया। छठी शताब्दी से इस प्रदेश पर फ्रैंकिश अथवा फ्रांस के ईसाई राजा शासन करते थे। फ्रांसीसियों के चर्च के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध थे। ये सम्बन्ध पोप द्वारा फ्रांस के सम्राट शार्लमैन को ‘पवित्र रोमन सम्राट’ की उपाधि दिए जाने पर और अधिक सुदृढ़ हो गए। ग्यारहवीं शताब्दी में फ्रांस के नारमंडी नामक प्रान्त के राजकुमार विलियम ने एक संकरे जलमार्ग के पार स्थित इंग्लैण्ड- स्काटलैण्ड के द्वीपों पर अधिकार कर लिया। छठी शताब्दी में मध्य यूरोप से ऐंजिल और सेक्सन इंग्लैण्ड में आकर बस गए थे। इंग्लैण्ड देश का नाम ‘एंजिल लैण्ड’ का रूपान्तरण है।

प्रश्न 6.
मध्यकालीन यूरोप में मठों में रहने वाले भिक्षुओं के जीवन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भिक्षु – भिक्षु कुछ विशेष श्रद्धालु ईसाइयों की एक श्रेणी थी। ये अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे तथा एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे जिन्हें एबी या मठ कहते थे। ये मठ अधिकतर मनुष्य की सामान्य आबादी से बहुत दूर होते थे। मध्यकालीन यूरोप के दो सबसे प्रसिद्ध मठों में एक मठ 529 में इटली में स्थापित सेन्ट बेनेडिक्ट था तथा दूसरा 910 में बरगंडी में स्थापित क्लूनी का मठ था।

भिक्षुओं का जीवन – मध्यकालीन यूरोप के भिक्षु अपना सारा जीवन ऐबी में रहने और अपना समय प्रार्थना करने तथा अध्ययन एवं कृषि जैसे शारीरिक श्रम में लगाने का व्रत लेते थे। भिक्षु का जीवन पुरुष और स्त्री दोनों ही अपना सकते थे। ऐसे पुरुषों को ‘मोंक’ तथा स्त्रियों को ‘नन’ कहा जाता था। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग मठ थे। पादरियों की भाँति भिक्षु और भिक्षुणियाँ भी विवाह नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन यूरोप के भिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिए बनाए गए नियमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बेनेडिक्टीन मठों में भिक्षुओं के लिए एक हस्तलिखित पुस्तक होती थी जिसमें नियमों के 73 अध्याय थे। भिक्षुओं द्वारा इन नियमों का पालन कई सदियों तक किया जाता रहा। इनमें से कुछ नियम इस प्रकार हैं –
(1) भिक्षुओं को बोलने की आज्ञा कभी-कभी ही दी जानी चाहिए।
(2) विनम्रता का अर्थ है-आज्ञा-पालन।
(3) किसी भी भिक्षु को निजी सम्पत्ति नहीं रखनी चाहिए।
(4) आलस्य आत्मा का शत्रु है। इसलिए भिक्षु भिक्षुणियों को निश्चित समय में शारीरिक श्रम और निश्चित घण्टों में पवित्र पाठ करना चाहिए।
(5) मठों का निर्माण इस प्रकार करना चाहिए कि आवश्यकता की सभी वस्तुएँ- जल, चक्की, उद्यान, कार्यशाला आदि सभी उसकी सीमा के अन्दर हों।

प्रश्न 8.
मध्यकालीन यूरोप के समाज पर चर्च का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
यद्यपि यूरोपवासी ईसाई बन गए थे, परन्तु उन्होंने अभी भी कुछ सीमा तक चमत्कार और रीति-रिवाज से जुड़े अपने पुराने विश्वासों को नहीं त्यागा था। चौथी शताब्दी से ही क्रिसमस तथा ईस्टर कैलेंडर की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ बन गए थे। 25 दिसम्बर को मनाए जाने वाले ईसा मसीह के जन्म दिन ने एक पुराने पूर्व- रोमन त्यौहार का स्थान ले लिया था। इस तिथि की गणना सौर- पंचांग के आधार पर की गई थी। ईस्टर ईसा के शूलारोपण तथा उनके पुनर्जीवित होने का प्रतीक था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

इसने एक प्राचीन त्यौहार का स्थान ले लिया था जो लम्बी सर्दी के बाद बसन्त के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता था। यद्यपि यह दिन प्रार्थना करने के लिए था, परन्तु लोग सामान्यतः इसका अधिकतर समय मौज-मस्ती करने और दावतों में बिताते थे। तीर्थयात्रा ईसाइयों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग थी। अतः बहुत से लोग शहीदों की समाधियों अथवा बड़े गिरजाघरों की लम्बी यात्राओं पर जाते थे।

प्रश्न 9.
मध्यकालीन यूरोप में कृषि – दासों द्वारा लार्ड को दी गई सेवाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में कृषि – दासों की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषि – दास अपने जीवन – निर्वाह के लिए जिन भू-खण्डों पर कृषि करते थे, वे लार्ड के स्वामित्व में थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लार्ड को ही मिलती थी। कृषि-दास उन भूखण्डों पर भी कृषि करते थे, जो केवल लार्ड के स्वामित्व में थे। इसके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी।

कृषि – दासों पर अनेक प्रतिबन्ध लगे हुए थे। वे लार्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। कृषि – दास केवल अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे, उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा – सम्पीडक में ही मदिरा और बीयर तैयार कर सकते थे। लार्ड को कृषि – दास का विवाह तय करने का भी अधिकार था। वह कृषि – दास की पसन्द को भी अपना आशीर्वाद दे सकता था, परन्तु इसके लिए कृषि – दास से शुल्क लेता था।

प्रश्न 10.
मध्यकालीन यूरोप में स्वतन्त्र कृषकों की दशा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र कृषक अपनी भूमि को लार्ड के काश्तकार के रूप में रखते थे। पुरुषों को सैनिक सेवा भी देनी पड़ती थी। कृषकों के परिवारों को लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करने के लिए सप्ताह के तीन या उससे अधिक कुछ दिन निश्चित करने पड़ते थे। इस श्रम से होने वाला उत्पादन ‘ श्रम – अधिशेष’ कहलाता था। यह ‘श्रम – अधिशेष’ सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त उनसे गड्ढे खोदना, जलाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठी करना, बाड़ बनाना, सड़कों व इमारतों की मरम्मत करने आदि कार्य करने की भी आशा की जाती थी ।

इन कार्यों के लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। स्त्रियों और बच्चों को खेतों में सहायता करने के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करने पड़ते थे। वे सूत कातते, कपड़ा बुनते, मोमबत्ती बनाते तथा लार्ड के उपयोग के लिए अंगूरों से रस निकाल कर शराब तैयार करते थे । कृषकों को एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ भी राजा को देना पड़ता था, जबकि पादरी वर्ग तथा अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे।

प्रश्न 11.
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास – सामन्तवाद का विकास इंग्लैंड में 11वीं सदी से हुआ। ग्यारहवीं शताब्दी में फ्रांस के एक प्रान्त नारमैंडी के ड्यूक विलियम ने इंग्लैण्ड पर आक्रमण किया और वहाँ के सैक्शन राजा को पराजित कर दिया और इंग्लैण्ड पर अधिकार कर लिया। विलियम प्रथम ने देश की भूमि नपवाई, उसके नक्शे तैयार करवाये और उसे अपने साथ आए 180 नारमन अभिजातों में बाँट दिया।

ये लार्ड राजा के प्रमुख काश्तकार बन गए। इनसे राजा सैन्य सहायता की आशा करता था। वे राजा को कुछ नाइट देने के लिए बाध्य थे। शीघ्र ही लार्ड नाइटों को कुछ भूमि उपहार में देने लगे और बदले में वे उनसे उसी प्रकार सेवा की आशा रखते थे जैसी वे राजा से करते थे। परन्तु वे अपने निजी युद्धों के लिए नाइटों का उपयोग नहीं कर सकते थे। क्योंकि इस पर इंग्लैण्ड में प्रतिबन्ध था। ऐंग्लो-सेक्सन कृषक विभिन्न स्तरों के भूस्वामियों के काश्तकार बन गए।

प्रश्न 12.
पाँचवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक यूरोप में पर्यावरण का कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पाँचवीं से दसवीं शताब्दी तक यूरोप का अधिकांश भाग विस्तृत वनों से घिरा हुआ था। अतः कृषि के लिएं उपलब्ध भूमि सीमित थी। इसके अतिरिक्त अत्याचारों से बचने के लिए कृषक वहाँ से भाग कर वनों में आश्रय प्राप्त कर सकते थे। इस समय यूरोप में भीषण शीत का दौर चल रहा थ। इससे सर्दियाँ प्रचण्ड और लम्बी अवधि की हो गई थीं।

इससे फसलों का उपज – काल भी छोटा हो गया था। इसके कारण कृषि की उपज कम हो गई। ग्यारहवीं शताब्दी से यूरोप में गर्मी का दौर शुरू हो गया और औसत तापमान बढ़ गया जिसका कृषि पर अच्छा प्रभावं पड़ा। अब कृषकों को कृषि के लिए लम्बी अवधि मिलने लगी। मिट्टी पर पाले का प्रभाव कम होने से खेती आसानी से की जा सकती थी। इसके परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक भागों में वन- -क्षेत्रों में कमी हुई जिसके फलस्वरूप कृषि भूमि का विस्तार · हुआ।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 13.
“प्रारम्भ में यूरोप में कृषि प्रौद्योगिकी बहुत आदिम किस्म की थी। ” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
11वीं शताब्दी से पूर्व यूरोप में कृषि की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) प्रारम्भ में किसानों के पास केवल बैलों की जोड़ी से चलने वाला लकड़ी का हल था। यह हल केवल पृथ्वी की सतह को खुरच ही सकता था । यह भूमि की प्राकृतिक उत्पादकता को पूरी तरह से बाहर निकाल पाने में असमर्थ था। इसलिए कृषि में अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता था । भूमि को प्रायः चार वर्ष में एक बार हाथ से खोदा जाता था जिसके लिए अत्यधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती थी।

(2) उस समय फसल-चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था। भूमि को दो भागों में बाँट दिया जाता था। एक भाग में शरद् ऋतु में सर्दी का गेहूँ बोया जाता था, जबकि दूसरी भूमि को परती या खाली रखा जाता था। अगले वर्ष परती भूमि पर राई बोई जाती थी, जबकि दूसरा आधा भाग खाली रखा जाता था। इस व्यवस्था के कारण मिट्टी की उर्वरता का धीरे-धीरे ह्रास होने लगा और प्रायः अकाल पड़ने लगे। दीर्घकालीन कुपोषण और विनाशकारी अकालों से गरीबों के लिए जीवन अत्यन्त मुश्किल हो गया।

प्रश्न 14.
मध्यकालीन यूरोप में कृषि सम्बन्धी समस्याओं के कारण लार्डों तथा कृषकों के बीच विवाद क्यों उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में लार्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। चूँकि भूमि का उत्पादन बढ़ाना सम्भव नहीं था, इसलिए कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य होना पड़ता था। यह कार्य करने के लिए उन्हें नियमानुसार निर्धारित समय से अधिक समय देना पड़ता था। कृषक इस अत्याचार को सहन नहीं कर सकते थे। चूँकि उनमें खुलकर विरोध करने की सामर्थ्य नहीं थी, इसलिए उन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध का सहारा लिया।

वे अपने खेतों पर कृषि करने में अधिक समय लगाने लगे और उस परिश्रम का अधिकतर उत्पाद अपने पास रखने . लगे। वे बेगार करने से भी संकोच करने लगे। चरागाहों तथा वन- -भूमि के कारण उनका उन लार्डों के साथ विवाद होने लगा। लार्ड इस भूमि को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति समझते थे जबकि कृषक इसको सम्पूर्ण समुदाय की साझी सम्पदा मानते थे।

प्रश्न 15.
ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में होने वाले नये प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में होने वाले नये प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के निम्नलिखित परिणाम हुए –
(1) विभिन्न सुधारों से भूमि की प्रत्येक इकाई में होने वाले उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। फलस्वरूप भोजन की उपलब्धता दुगुनी हो गई।
(2) आहार में मटर और सेम का अधिक उपयोग अधिक प्रोटीन का स्रोत बन गया।
(3) पशुओं को भी अच्छा चारा मिलने लगा।
(4) कृषक अब कम भूमि पर अधिक भोजन का उत्पादन कर सकते थे।
(5) तेरहवीं सदी तक एक कृषक के खेत का औसत आकार सौ एकड़ से घट कर बीस से तीस एकड़ तक रह गया। छोटी जोतों पर अधिकतर कुशलता से कृषि की जा सकती थी और उसमें कम श्रम की आवश्यकता थी। इससे कृषकों को अन्य गतिविधियों के लिए समय मिल गया।

प्रश्न 16.
मध्यकालीन यूरोप में प्रौद्योगिकी परिवर्तनों में लगने वाली धन-सम्बन्धी समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में कुछ प्रौद्योगिकी परिवर्तनों में अत्यधिक धन लगता था। कृषकों के पास पनचक्की तथा पवन चक्की स्थापित करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था । इस सम्बन्ध में पहल लार्डों द्वारा की गई। परन्तु कृषक भी कुछ मामलों में पहल करने में सक्षम रहे। उदाहरण के लिए, उन्होंने खेती – योग्य भूमि का विस्तार किया । उन्होंने फसलों की तीन चक्रीय व्यवस्था को अपनाया और गाँवों में लोहार की दुकानें तथा भट्टियाँ स्थापित कीं। यहाँ पर लोहे की नोक वाले हल तथा घोड़ों की नाल बनाने और मरम्मत करने का काम सस्ती दरों पर किया जाने लगा।

प्रश्न 17.
ग्यारहवीं शताब्दी में लार्डों तथा कृषकों के बीच व्यक्तिगत सम्बन्ध क्यों कमजोर पड़ गए ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में कथीड्रलों का निर्माण- मध्यकालीन यूरोप में कथीड्रलों का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि पादरी की आवाज कथीड्रल में लोगों के एकत्रित होने वाले सभागार में स्पष्ट रूप से सुनाई दे सके और भिक्षुओं का गायन भी अधिक मधुर सुनाई पड़े। इस प्रकार का भी प्रावधान रखा जाता था कि लोगों को प्रार्थना के लिए बुलाने वाली घण्टियाँ दूर तक सुनाई पड़ सकें।

खिड़कियों के लिए अभिरंजित काँच का प्रयोग होता था। दिन के समय सूर्य की रोशनी उन्हें कथीड्रल के अन्दर मौजूद व्यक्तियों के लिए चमकदार बना देती थी। सूर्य अस्त होने के बाद मोमबत्तियों की रोशनी उन्हें बाहर के व्यक्तियों के लिए स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला भवन बनाती थी। अभिरंजित काँच की खिड़कियों पर बने चित्र बाइबल की कथाओं से सम्बन्धित थे जिन्हें अनपढ़ व्यक्ति भी पढ़ सकते थे

प्रश्न 23.
एबट सुगेर ने पेरिस के निकट सेन्ट डेनिस में स्थित आबे के बारे में क्या विवरण दिया है?
उत्तर:
एबट सुगेर ने पेरिस के निकट सेन्ट डेनिस में स्थित आबे के बारे में लिखा है कि विभिन्न क्षेत्रों से आए अनेक विशेषज्ञों के अत्यन्त कुशल हाथों से अनेक प्रकार की शानदार नई खिड़कियों की पुताई करवाई, क्योंकि ये खिड़कियाँ अपने अद्भुत निर्माण तथा अत्यधिक महँगे रंजित एवं सफायर काँच के कारण बहुत मूल्यवान थीं। इसलिए उनकी रक्षा के लिए हमने एक सरकारी प्रधान शिल्पकार और स्वर्णकार को नियुक्त किया। वे अपना वेतन वेदिका से सिक्कों के रूप में और आटा अपने भाई-बन्धुओं के सार्वजनिक भण्डार से प्राप्त कर सकते थे। वे उन कला- देखभाल के कर्त्तव्यों की अवहेलना कभी नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 24.
चौदहवीं सदी के शुरू में यूरोप में पड़े भीषण अकालों के लिए कौनसी परिस्थितियाँ उत्तरदायी
उत्तर:
उत्तरी यूरोप में तेरहवीं सदी के अन्त तक पिछले तीन सौ वर्षों की तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तेज ठण्डी ग्रीष्म ऋतु ने ले लिया था। परिणामस्वरूप उपज वाले मौसम छोटे हो गए तथा ऊँची भूमि पर फसल उगाना काफी कठिन हो गया। तूफानों और सागरीय बाढ़ों के कारण अनेक फार्म-प्रतिष्ठान नष्ट हो गए जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को करें द्वारा कम आय हुई तेरहवीं सदी के पूर्व की अनुकूल जलवायु के कारण अनेक जंगल तथा चरागाह कृषि भूमि में बदल गए।

परन्तु गहन जुताई ने फसलों के तीन क्षेत्रीय फसल चक्र के प्रचलन के बावजूद भूमि को कमजोर बना दिया। भूमि के कमजोर होने का कारण उचित भू-संरक्षण का अभाव था। चरागाहों की कमी के कारण पशुओं की संख्या में भारी कमी आ गई। दूसरी ओर जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ी कि उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए। इसके परिणामस्वरूप यूरोपवासियों को अकालों का सामना करना पड़ा। 1315 और 1317 के बीच यूरोप में भीषण अकाल पड़े। इसके पश्चात् 1320 के दशक में अनगिनत पशुओं की मौतें हुईं।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 25.
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में फैली महामारियों का वर्णन कीजिए। इनके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
बारहवीं तथा तेरहवीं सदी में वाणिज्य – व्यापार में विस्तार के कारण दूर देशों से व्यापार करने वाले पोत यूरोप के तटों पर आने लगे। पोतों के साथ-साथ बड़ी संख्या में चूहे भी आ गए जो अपने साथ ब्यूबोनिक प्लेग जैसी महामारी का संक्रमण ( Black Death) लाए। अतः पश्चिमी यूरोप 1347 और 1350 के बीच महामारी से अत्यधिक प्रभावित हुआ। आधुनिक विद्वानों के अनुसार यूरोप की आबादी का लगभग 20% भाग मौत के मुँह में चला गया।

कुछ स्थानों पर तो मौत के मुँह में जाने वाली संख्या वहाँ की जनसंख्या का 40% तक थी। व्यापार केन्द्र के होने के कारण, नगर महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हुए। मठों तथा आश्रमों में जब एक व्यक्ति प्लेग की चपेट में आ जाता था, तो वहाँ रहने वाले सभी व्यक्ति महामारी के शिकार बन जाते थे । परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति महामारी से नहीं बच पाता था। इस प्लेग के पश्चात् 1360 और 1370 में प्लेग की कुछ छोटी-छोटी घटनाएँ हुईं। इस महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या 1300 ई. में 730 लाख से घटकर 1400 ई. में 450 लाख रह गई।

प्रश्न 26.
यूरोप में फैली महामारी के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
यूरोप में फैली महामारी के निम्नलिखित परिणाम हुए –
(1) इस विनाश – लीला के साथ आर्थिक मंदी के जुड़ने से व्यापक सामाजिक विस्थापन हुआ।
(2) जनसंख्या में कमी के कारण मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई।
(3) कृषि और उत्पादन के बीच भारी असन्तुलन पैदा हो गया। क्योंकि इन दोनों ही कार्यों में पर्याप्त संख्या में लग सकने वाले लोगों में भारी कमी आ गई थी।
(4) खरीददारों की कमी के कारण कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी आई।
(5) प्लेग के बाद इंग्लैण्ड में मजदूरों, विशेषकर कृषि मजदूरों की भारी माँग के कारण मजदूरी की दरों में 250 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई।

प्रश्न 27.
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में कृषकों के विद्रोहों का वर्णन कीजिए। इन विद्रोहों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में कृषकों के विद्रोह – चौदहवीं शताब्दी में पड़े अकालों, महामारी, आर्थिक मन्दी आदि के कारण यूरोप के लार्डों की आय काफी कम हो गई। मजदूरों की दरें बढ़ने तथा कृषि सम्बन्धी मूल्यों में कमी ने अभिजात वर्ग की आय को कम कर दिया। इससे उनमें निराशा आ गई और उन्होंने उन धन सम्बन्धी अनुबन्धों को तोड़ दिया जिसे उन्होंने हाल ही में सम्पन्न किया था। उन्होंने पुरानी मजदूरी सेवाओं को फिर से प्रचलित कर दिया। इससे कृषकों में असन्तोष उत्पन्न हुआ और उन्होंने विशेषकर पढ़े-लिखे तथा समृद्ध कृषकों ने विद्रोह कर दिया। 1323 में कृषकों ने फ्लैंडर्स में, 1358 में फ्रांस में तथा 1381 में इंग्लैण्ड में विद्रोह किए।

प्रश्न 28.
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोहों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोहों के निम्नलिखित परिणाम हुए-
(1) यद्यपि इन विद्रोहों का क्रूरतापूर्वक दमन कर दिया गया, परन्तु इससे स्पष्ट हो गया कि कृषक पिछली संदियों हुए लाभों को बचाने के लिए प्रयत्नशील थे।
(2) इन विद्रोहों की तीव्रता ने यह सुनिश्चित कर दिया कि पुराने सामन्ती सम्बन्धों को पुनः थोपा नहीं जा सकता। धन अर्थव्यवस्था काफी अधिक विकसित थी, जिसे पलटा नहीं जा सकता था।
(3) यद्यपि लार्डों ने कृषक – विद्रोहों का दमन कर दिया, परन्तु कृषकों ने यह सुनिश्चित कर लिया कि दासता का युग पुनः नहीं लौट सकेगा।

प्रश्न 29.
पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं सदियों में यूरोप में शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव – पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं सदियों में यूरोपीय शासकों ने अपनी सैनिक तथा आर्थिक शक्ति में काफी वृद्धि कर ली। उनके द्वारा निर्मित शक्तिशाली राज्य उस समय होने वाले आर्थिक परिवर्तनों के समान ही महत्त्वपूर्ण थे। इसी कारण इतिहासकारों ने इन राजाओं को ‘नए शासक’ की संज्ञा दी। फ्रांस में लुई ग्यारहवें आस्ट्रिया में मैक्समिलन, इंग्लैण्ड में हेनरी सप्तम तथा स्पेन में इजाबेला और फर्डीनेण्ड निरंकुश शासक थे। उन्होंने संगठित स्थायी सेनाओं, स्थायी नौकरशाही तथा राष्ट्रीय कर – र- प्रणाली की स्थापना की। स्पेन और पुर्तगाल ने यूरोप के समुद्र पार विस्तार की योजनाएँ बनाईं।

प्रश्न 30.
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. सामाजिक परिवर्तन – जागीरदारी तथा सामन्तशाही वाली सामन्त प्रथा के विलय और आर्थिक विकास की धीमी गति ने यूरोप के शासकों को प्रभावशाली बनाया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी। राजाओं की शक्तिशाली सेना के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि -करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ। इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। सेना की सहायता से उन्होंने अपने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 31.
इंग्लैण्ड में हुए राजनीतिक परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में राजनीतिक परिवर्तन- इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई जिसमें ‘हाउस ऑफ लाईस’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया।

धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार उसे पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई। परन्तु यह व्यवस्था अधिक समय तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलायी जायेगी।

निबन्धात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोपीय समाज कितने सामाजिक वर्गों में बंटा हुआ था? मध्यकाल के अन्त में कौन- सा नया वर्ग इन समाजों में उदय हुआ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोपीय समाज तीन सामाजिक वर्गों में बंटा हुआ था। ये सामाजिक वर्ग निम्नलिखित थे –
(1) प्रथम वर्ग – पादरी वर्ग-पादरियों ने स्वयं को प्रथम वर्ग में रखा था। यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन बिशपों तथा पादरियों द्वारा किया जाता था। जो पुरुष पादरी बनते थे, वे शादी नहीं कर सकते थे। धर्म के क्षेत्र में विशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास लॉर्ड की तरह विस्तृत जागीरें थीं तथा वे शानदार महलों में रहते थे चर्च एक शक्तिशाली संस्था थी। अधिकतर गांवों में चर्च हुआ करते थे, जहाँ पर प्रत्येक रविवार को लोग पादरी के धर्मोपदेश सुनने तथा सामूहिक प्रार्थना हेतु इकट्ठा होते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

(2) दूसरा वर्ग – अभिजात वर्ग- दूसरा सामाजिक वर्ग अभिजात वर्ग था। यह बड़ा भू-स्वामी वर्ग था। बड़े भू- स्वामी और अभिजात राजा के अधीन होते थे और कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे। भूस्वामियों का अपनी संपदा पर स्थायी रूप से नियंत्रण था। वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकते थे तथा स्वयं अपना न्यायालय लगा सकते थे एवं अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे। वे अपनी भूमि पर बसे सभी व्यक्तियों के मालिक थे। वे विस्तृत क्षेत्रों के मालिक थे। उनका घर ‘मेनर’ कहलाता था। उनकी भूमि कृषकों द्वारा जोती जाती थी जिनको वे आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के समय पैदल सैनिकों के रूप में काम में लेते थे।

(3) तीसरा वर्ग – किसान-यूरोपीय समाज का तीसरा वर्ग काश्तकारों का था जो पहले दो वर्गों का भरण-पोषण करते थे। काश्तकार दो तरह के होते थे –
(i) स्वतंत्र किसान और
(ii) सर्फ ( कृषि दास ) –
स्वतंत्र किसान- ये अपनी भूमिका को लॉर्ड के काश्तकार के रूप में देखते थे। इसकी एवज में पुरुषों का सैनिक सेवा में योगदान आवश्यक होता था। कृषक के परिवार कुछ लार्ड की जागीरों पर काम करते थे। इस श्रम से होने वाला उत्पादन सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त भी उनसे अन्य अनेक काम कराये जाते थे। इनके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। इसके अतिरिक्त एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ था जिसे राजा कृषकों पर कभी – कभी लगाते थे।

(4) चौथा वर्ग-नए नगरवासी – कृषि के विस्तार के साथ-साथ जनसंख्या, व्यापार और नगरों का विस्तार हुआ। नगरों में लोग, सेवा के स्थान पर, उन लार्डों को जिनकी भूमि पर वे बसे थे, कर देने लगे। इसके कृषक परिवारों को लार्ड के नियंत्रण से मुक्ति मिली। इसके अतिरिक्त नगर में आकर कृषि दास भी स्वाधीन नागरिक बने। ये लोग कार्य की दृष्टि से अकुशल श्रमिक होते थे। इसके बाद वकीलों और साहूकारों की आवश्यकता हुई। इस प्रकार नगरों में नया वर्ग स्वतंत्र श्रमिकों, व्यापारियों तथा मध्यम वर्ग अस्तित्व में आया।

प्रश्न 2. मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग की दशा की विवेचना कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग को कौन-कौनसे अधिकार प्राप्त थे ? इस वर्ग की समाज में क्या भूमिका
उत्तर:
मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग की दशा- यद्यपि पादरी को प्रथम वर्ग में तथा अभिजात वर्ग को द्वितीय वर्ग में रखा गया था, परन्तु वास्तव में सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इसका कारण यह था किं भूमि पर अभिजात वर्ग का नियन्त्रण था। यह नियन्त्रण वैसलेज नामक एक प्रथा के विकास के कारण हुआ।
वैसलेज की प्रथा – फ्रांस के शासक ‘वैसलेज’ नामक एक प्रथा के कारण लोगों से जुड़े हुए थे। बड़े भू-स्वामी और अभिजात वर्ग राजा के अधीन होते थे, जबकि कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे।

अभिजात वर्ग राजा को अपना स्वामी (Seigneur अथवा Senior) – मान लेता था और वे आपस में वचनबद्ध होते थे। सेन्योर अथवा लार्ड दास (वैसल) की रक्षा करता था और बदले में वह लार्ड के प्रति निष्ठावान रहता था। इन सम्बन्धों के साथ व्यापक रीति-रिवाज तथा शपथें जुड़ी हुई थीं। ये शपथें चर्च में बाइबल की शपथ लेकर ली जाती थीं। इस समारोह में दास को लार्ड द्वारा दी गई भूमि के प्रतीक के रूप में एक लिखित अधिकार-पत्र अथवा एक छड़ी या केवल एक मिट्टी का डला दिया जाता था।

अभिजात वर्ग के अधिकार ( समाज में भूमिका) – अभिजात वर्ग के निम्नलिखित अधिकार थे –
1. सम्पदा पर स्थायी अधिकार – अभिजात वर्ग की एक विशेष हैसियत थी। उनका अपनी सम्पदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियन्त्रण था।
2. सैन्य क्षमता में वृद्धि करना – वे अपनी सैन्य क्षमता में वृद्धि कर सकते थे। उनके द्वारा गठित सेना सामन्ती सेना कहलाती थी।
3. अपना न्यायालय स्थापित करना – वे अपना स्वयं का न्यायालय स्थापित कर लेते थे
4. मुद्रा प्रचलित करना – यहाँ तक कि वे अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे।
5. विस्तृत क्षेत्र के स्वामी – वे अपनी भूमि पर बसे सभी लोगों के स्वामी थे। वे विस्तृत क्षेत्रों के स्वामी थे जिसमें उनके घर, उनके निजी खेत, जोत व चरागाह और उनके असामी कृषकों के घर और खेत होते थे। उनका घर ‘मेनर’ कहलाता था।
6. कृषकों द्वारा सेवा प्रदान करना – उनकी व्यक्तिगत भूमि कृषकों द्वारा जोती जाती थी। आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के समय कृषकों को पैदल सैनिकों के रूप में कार्य करना पड़ता था । इसके अतिरिक्त उन्हें अपने लार्ड के खेतों पर भी काम करना पड़ता था।

प्रश्न 3.
‘मेनर की जागीर’ के बारे में आप क्या जानते हैं? इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेनर की जागीर – मध्यकालीन यूरोप में समाज में अभिजात वर्ग का बोलबाला था। लार्ड का अपना मेनर- भवन होता था। वह गाँवों पर नियन्त्रण रखता था। कुछ लार्ड अनेक गाँवों के स्वामी थे। किसी छोटे मेनर की जागीर में दर्जन भर तथा बड़ी जागीर में 50-60 परिवार हो सकते थे।

मेनर की जागीर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. दैनिक उपभोग की वस्तुओं का उपलब्ध होना – दैनिक उपभोग की प्रत्येक वस्तु जागीर पर ही मिलती थी। अनाज खेतों में उगाये जाते थे। लोहार तथा बढ़ई लार्ड के औजारों की देखभाल तथा हथियारों की मरम्मत करते थे। राजमिस्त्री लार्ड की इमारतों की देखभाल करते थे। स्त्रियाँ सूत कातती एवं बुनती थीं। बच्चे लार्ड की मदिरा – सम्पीडक में कार्य करते थे। जागीरों में विस्तृत अरण्य भूमि और वन होते थे जहाँ लार्ड शिकार करते थे। जागीर में चरागाह होते थे जहाँ लार्ड के पशु और घोड़े चरते थे। जागीर में एक चर्च और सुरक्षा के लिए एक दुर्ग होता था ।

2. दुर्गों का विकास – तेरहवीं शताब्दी से कुछ दुर्गों को बड़ा बनाया जाने लगा ताकि वे नाइट के परिवार का निवास-स्थान बन सकें। वास्तव में इंग्लैण्ड में नारमन – विजय के पहले दुर्गों की कोई जानकारी नहीं थी और दुर्गों का विकास सामन्त प्रथा के अन्तर्गत राजनीतिक प्रशासन तथा सैनिक शक्ति के केन्द्रों के रूप में हुआ था ।

3. मेनरों का आत्म-निर्भर न होना – मेनर कभी भी आत्म-निर्भर नहीं हो सकते थे क्योंकि उन्हें नमक, चक्की का पाट और धातु के बर्तन बाहर के स्रोतों से प्राप्त करने पड़ते थे । कुछ लार्ड विलासी जीवन व्यतीत करना चाहते थे। उन्हें महंगी वस्तुएँ, वाद्य-यन्त्र और आभूषण आदि दूसरे स्थानों से प्राप्त करनी पड़ती थीं क्योंकि ये वस्तुएँ स्थानीय जगह पर उपलब्ध नहीं होती थीं।.

प्रश्न 4.
नाइट कौन थे? उनके लार्ड के साथ क्या सम्बन्ध थे?
उत्तर:
नाइट- नौवीं शताब्दी में यूरोप में स्थानीय युद्ध प्रायः होते रहते थे। शौकिया कृषक – सैनिक इन युद्धों के लिए अधिक उपयोगी नहीं थे। इनके लिए कुशल घुड़सवारों की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक नये वर्ग का उदय हुआ, जो ‘नाइट्स’ कहलाते थे। लार्ड से सम्बन्ध-नाइट लार्ड से उसी प्रकार सम्बद्ध थे, जिस प्रकार लार्ड राजा से सम्बद्ध था।

लार्ड नाइट को भूमि का एक भाग देता था और उसकी रक्षा करने का वचन देता था। इस भू-भाग को ‘फीफ’ कहा जाता था। फीफ को उत्तराधिकार में प्राप्त किया जा सकता था। यह 1000-2000 एकड़ या इससे अधिक क्षेत्र में फैली हुई हो सकती थी। इसमें नाइट और उसके परिवार के लिए एक पनचक्की और मदिरा – सम्पीडक के अतिरिक्त उसके व उसके परिवार के लिए घर, चर्च और उस पर निर्भर व्यक्तियों के रहने का स्थान होता था।

सामन्ती मेनर की भाँति फीफ की भूमि को भी कृषक जोतते थे। इसके बदले में नाइट, अपने लार्ड को एक निश्चित रकम देता था तथा युद्ध में उसकी ओर से लड़ने का वचन देता था। अपनी सैन्य- योग्यताओं को बनाए रखने के उपाय – अपनी सैन्य- योग्यताओं को बनाए रखने के लिए नाइट प्रतिदिन अपना समय बाड़ बनाने, घेराबन्दी करने और पुतलों से लड़ने तथा अपने बचाव का अभ्यास करने में व्यतीत अन्य लार्डों को सेवाएँ प्रदान करना – नाइट अपनी सेवाएँ अन्य लार्डों को भी प्रदान कर सकता था, परन्तु उसकी सर्वप्रथम निष्ठा अपने लार्ड के प्रति ही होती थी। घुमक्कड़ चारणों द्वारा नाइट्स की वीरता की कहानियाँ सुनाना – बारहवीं शताब्दी से गायक फ्रांस के मेनरों में वीर और पराक्रमी राजाओं तथा नाइट्स की वीरता की कहानियाँ, गीतों के रूप में सुनाते हुए घूमते रहते थे। उस युग में जब शिक्षित लोगों की कमी थी तथा पाण्डुलिपियाँ भी अधिक नहीं थीं, ये घुमक्कड़ चारण बहुत प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 5.
मध्यकालीन यूरोप में पादरी-वर्ग की स्थिति की विवेचना कीजिए।
अथवा
कैथोलिक चर्च तथा पादरी-वर्ग की समाज में क्या भूमिका थी?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में पादरी-वर्ग की स्थिति – मध्यकालीन यूरोप में समाज में पादरी वर्ग को प्रथम वर्ग में रखा गया था। समाज में कैथोलिक चर्च तथा पादरी वर्ग का बोलबाला था। कैथोलिक चर्च के अपने नियम थे। उसके पास बड़ी-बड़ी भूमियाँ थीं जिनसे वे कर वसूल करते थे। इसलिए कैथोलिक चर्च एक शक्तिशाली संस्था थी, जो राजा पर निर्भर नहीं थी। पोप पश्चिमी चर्च के अध्यक्ष थे। वे रोम में रहते थे। यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन बिशपों तथा पादरियों द्वारा किया जाता था। अधिकतर गाँवों के अपने चर्च होते थे जहाँ प्रत्येक रविवार को लोग पादरी के धर्मोपदेश सुनने तथा सामूहिक प्रार्थना करने के लिए एकत्रित होते थे। कृषि – दास, शारीरिक रूप से बाधित व्यक्ति और स्त्रियाँ पादरी नहीं बन सकते थे। वे विवाह नहीं कर सकते थे।

पादरी वर्ग के अधिकार – धर्म के क्षेत्र में बिशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास भी लार्ड की भाँति बड़ी-बड़ी जागीरें थीं और वे शानदार महलों में रहते थे । चर्च को एक वर्ष में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था। इसे ‘टीथ’ कहा जाता था। इसके अतिरिक्त धनी लोग अपने कल्याण तथा मृत्यु के बाद अपने सम्बन्धियों के कल्याण के लिए चर्च को दान देते थे। यह भी चर्च की आय का एक स्रोत था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

चर्च के औपचारिक सामन्ती रीति-रिवाज – चर्च के औपचारिक रीति-रिवाज की कुछ महत्त्वपूर्ण रस्में सामन्ती कुलीनों की नकल थीं। चर्च में प्रार्थना करते समय हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर घुटनों के बल झुकना, नाइट द्वारा अपने वरिष्ठ लार्ड के प्रति स्वामि भक्ति की शपथ लेते समय अपनाये गए तरीके की नकल थी। इसी प्रकार ईश्वर के लिए लार्ड शब्द का प्रचलन इस बात का प्रतीक था कि सामन्ती संस्कृति ने चर्च के उपासना – कक्षों में प्रवेश कर लिया था। इस प्रकार चर्च ने अनेक सांस्कृतिक सामन्ती रीति-रिवाजों और तौर-तरीकों को अपना लिया था।

प्रश्न 6.
मध्यकालीन यूरोप के मठों तथा उनमें रहने वाले भिक्षुओं के जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप के मठ तथा भिक्षु भिक्षु कुछ विशेष श्रद्धालु ईसाइयों की एक श्रेणी थी। भिक्षु अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे तथा एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे, जो ऐबी या मोनेस्ट्री या मठ कहलाते थे। ये मठ अधिकतर मनुष्य की सामान्य आबादी से बहुत दूर होते थे। मध्यकालीन यूरोप के दो सबसे प्रसिद्ध मठों में एक मठ 529 ई. में इटली में स्थापित सेन्ट बेनेडिक्ट मठ था तथा दूसरा 910 में बरगंडी में स्थापित क्लून मठ था।

भिक्षुओं का जीवन – मध्यकालीन यूरोप के भिक्षु अपना सारा जीवन ऐबी में रहने और अपना समय प्रार्थना करने तथा अध्ययन एवं कृषि जैसे शारीरिक श्रम में लगाने का व्रत लेते थे। भिक्षु का जीवन पुरुष और स्त्रियाँ दोनों ही अपना सकते थे। ऐसे पुरुषों को ‘मोंक’ तथा स्त्रियों को ‘नन’ कहा जाता था। पुरुष और स्त्रियों के लिए अलग-अलग मठ थे। पादरियों की भाँति भिक्षु और भिक्षुणियाँ भी विवाह नहीं कर सकते थे।

बेनेडिक्टीन – मठों में भिक्षुओं के लिए एक हस्तलिखित पुस्तक होती थी जिसमें नियमों के 73 अध्याय थे इसका पालन भिक्षुओं द्वारा कई सदियों तक किया जाता रहा। इसके कुछ प्रमुख नियम थे – विनम्रता तथा आज्ञापालन, निजी सम्पत्ति नहीं रखना, निश्चित समय में शारीरिक श्रम और निश्चित घंटों में पवित्र पाठ करना तथा आवश्यकता की समस्त वस्तुएँ मठ की सीमा के अंदर हो आदि। मठों के आकार का विस्तार- कालान्तर में मठों का आकार बढ़ गया और उनमें भिक्षुओं की संख्या सैकड़ों तक पहुँच गई।

इन बड़े मठों से बड़ी इमारतें और भू- जागीरों के साथ-साथ स्कूल या कॉलेज और अस्पताल सम्बद्ध थे। कला के विकास में मठों का योगदान- इन मठों ने कला के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। आबेस हिल्डेगार्ड एक प्रसिद्ध एवं प्रतिभाशाली संगीतज्ञ था जिसने चर्च की प्रार्थनाओं में सामुदायिक गायन की प्रथा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रायर-तेरहवीं सदी में भिक्षुओं के ऐसे समूहों का प्रादुर्भाव हुआ जो फ्रायर कहलाते थे। फ्रायर मठों में नहीं रहते थे। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम-घूम कर लोगों को उपदेश देते थे और दान से अपनी जीविका चलाते थे।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा मध्यकालीन यूरोप में कृषक तीसरे वर्ग में रखे गये थे।
कृषक दो प्रकार के होते थे –
(1) स्वतन्त्र किसान
(2) कृषिदास अथवा सर्फ।

1. स्वतन्त्र कृषकों की दशा – स्वतन्त्र कृषक अपनी भूमि को लार्ड के काश्तकार के रूप में देखते थे। पुरुषों को सैनिक सेवा भी देनी पड़ती थी । उन्हें अपने लार्ड को वर्ष में कम-से-कम 40 दिन सैनिक सेवा देनी पड़ती थी। कृषकों के परिवारों को लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करना पड़ता था। उन्हें सप्ताह में तीन या उससे अधिक दिनों तक लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करना पड़ता था। इस श्रम से होने वाला उत्पादन ‘ श्रम – अधिशेष’ कहलाता था।

यह श्रम- अधिशेष सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त उनसे खड्डे खोदना, जलाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठे करना, बाड़ बनाना, सड़कों व इमारतों की मरम्मत करने आदि कार्य करने की भी आशा की जाती थी। इन कार्यों के लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। स्त्रियों और बच्चों को खेतों में सहायता करने के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करने पड़ते थे। वे. सूत कातते, कपड़ा बुनते, मोमबत्ती बनाते तथा लार्ड के उपयोग के लिए अंगूरों से रस निकाल कर शराब तैयार करते थे। कृषकों को एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ भी राजा को देना पड़ता था, जबकि पादरी और अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे।

2. कृषि – दासों की दशा – कृषि – दास अथवा सर्फ अपने जीवन – निर्वाह के लिए जिन भूखण्डों पर कृषि करते थे, वे लार्ड के स्वामित्व में थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लार्ड को मिलती थी। कृषि – दास उन भूखण्डों पर भी कृषि करते थे जो केवल लार्ड के स्वामित्व में थे। इसके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। वे लार्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। कृषि – दासों पर अनेक प्रतिबन्ध लगे हुए थे।

वे केवल अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे, उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा – सम्पीडक में ही शराब और बीयर तैयार कर सकते थे। लार्ड को कृषि – दास का विवाह तय करने का भी अधिकार था। वह कृषि – दास की पसन्द को भी अपना आशीर्वाद दे सकता था, परन्तु इसके लिए वह कृषि – दास से शुल्क लेता था। इस प्रकार मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा बड़ी शोचनीय थी। लार्ड द्वारा उनका शोषण किया जाता था जिससे उनकी दशा दयनीय बनी हुई थी । कठोर परिश्रम करने के बाद भी उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिल पाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 8.
मध्यकालीन यूरोप में ग्यारहवीं शताब्दी में कृषि प्रौद्योगिकी में आए परिवर्तनों का वर्णन कीजिए । इनके क्या परिणाम हुए ?
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में लार्ड और सामन्तों के सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले कारकों का विवेचन कीजिए ।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले कारक मध्यकालीन यूरोप में सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित थे –
1. पर्यावरण-पाँचवीं से दसवीं शताब्दी तक यूरोप का अधिकांश भाग विस्तृत वनों से घिरा हुआ था। अतः कृषि के लिए उपलब्ध भूमि सीमित थी। इस समय यूरोप में भीषण शीत पड़ने के कारण सर्दियाँ प्रचण्ड और लम्बी अवधि की हो गई थीं। इससे फसलों का उपज – काल भी छोटा हो गया था। इसके कारण कृषि की उपज कम हो गई।

ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में गर्मी का दौर शुरू हो गया और औसत तापमान बढ़ गया, जिसका कृषि पर अच्छा प्रभाव पड़ा। अब कृषकों को कृषि के लिए लम्बी अवधि मिलने लगी। मिट्टी पर पाले का प्रभाव कम होने से खेती आसानी से की जा सकती थी । इसके परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक भागों में वन क्षेत्रों में कमी हुई, जिसके परिणामस्वरूप कृषि भूमि का विस्तार हुआ ।

2. भूमि का उपयोग – प्रारम्भ में कृषि प्रौद्योगिकी बहुत आदिम किस्म की थी। कृषक बैलों की जोड़ी से चलने वाले लकड़ी के हल से जमीन जोतते थे। भूमि को प्रायः चार वर्ष में एक बार हाथ से खोदा जाता था और उसमें अत्यधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती थी। इसके अतिरिक्त फसल चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था। इस व्यवस्था के कारण, मिट्टी की उर्वरता का धीरे-धीरे ह्रास होने लगा और प्राय: अकाल पड़ने लगे। दीर्घकालीन कुपोषण और विनाशकारी अकाल बारी- बारी से पड़ने लगे जिससे गरीबों के लिए जीवन अत्यन्त कठिन हो गया।

इन कठिनाइयों के बावजूद लार्ड अपनी आय को अधिकाधिक बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। भूमि के उत्पादन को बढ़ाना सम्भव नहीं था, इसलिए कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य किया जाता था। इस कार्य के लिए उन्हें नियमानुसार निर्धारित समय से अधिक समय देना पड़ता था। कृषक इस अत्याचार को मौन रहकर नहीं सहते थे। उन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध का मार्ग अपनाया। वे अपने खेतों पर कृषि करने में अधिक समय लगाने लगे और उस श्रम का अधिकतर उत्पाद अपने लिए रखने लगे। वे बेगार करने से भी बचने लगे। चरागाहों व वन – भूमि के कारण उनका उन लार्डों के साथ विवाद होने लगा। लार्ड इस भूमि को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति समझते थे, जबकि कृषक इसको सम्पूर्ण समुदाय द्वारा उपयोग की जाने वाली साझा सम्पदा मानते थे।

3. नई कृषि प्रौद्योगिकी – यूरोप में कृषि प्रौद्योगिकी में निम्नलिखित परिवर्तन हुए –
(1) लोहे की भारी नोक वाले हल और साँचेदार पटरे का उपयोग – अब लकड़ी के हल के स्थान पर लोहे की भारी नोक वाले हल तथा साँचेदार पटरे का उपयोग होने लगा। ऐसे हल अधिक गहरा खोद सकते थे तथा साँचेदार पटरे सही तरीके से ऊपरी मिट्टी को पलट सकते थे। इसके फलस्वरूप भूमि में मौजूद पौष्टिक तत्त्वों का बेहतर उपयोग होने लगा।

(2) पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार – पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार हुआ। अब जुआ पशु के गले के स्थान पर कन्धे पर बाँधा जाने लगा। इससे पशुओं को अधिक शक्ति मिलने लगी।

(3) घोड़े के खुरों पर लोहे की नाल लगाना – घोड़े के खुरों पर अब लोहे की नाल लगाई जाने लगी जिससे उनके खुर सुरक्षित हो गए।

(4) कृषि के लिए वायु-शक्ति और जल- शक्ति का उपयोग – कृषि के लिए वायु-शक्ति तथा जल-शक्ति का उपयोग बड़ी मात्रा में होने लगा।

(5) कारखानों की स्थापना – अन्न को पीसने तथा अंगूरों को निचोड़ने के लिए अधिक जल-शक्ति तथा वायु- शक्ति से चलने वाले कारखाने स्थापित हुए।

(6) भूमि के उपयोग के तरीके में परिवर्तन – भूमि के उपयोग के तरीके में भी परिवर्तन आया। सबसे क्रान्तिकारी परिवर्तन था—दो खेतों वाली व्यवस्था से तीन खेतों वाली व्यवस्था में परिवर्तन। इस व्यवस्था में कृषक तीन वर्षों में से दो वर्ष अपने खेत का उपयोग कर सकता था।

परिणाम – कृषि प्रौद्योगिकी में परिवर्तनों के निम्नलिखित परिणाम हुए –
1. उत्पादन में वृद्धि – इन सुधारों के कारण भूमि की प्रत्येक इकाई में होने वाले उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि
2. अधिक प्रोटीन का स्त्रोत- मटर और सेम जैसे पौधों का अधिक उपयोग यूरोपीय लोगों के आहार में अधिक प्रोटीन का स्रोत बन गया। इसी प्रकार उनके पशुओं के लिए अच्छे चारे का स्रोत बन गया।
3. कृषकों को उत्तम अवसर प्राप्त होना – अब कृषकों को उत्तम अवसर मिलने लगे। अब वे कम भूमि पर अधिक खाद्यान्न का उत्पादन कर सकते थे
4. छोटी जोतों पर अधिक कुशलता से कृषि करना – तेरहवीं शताब्दी तक एक कृषक के खेत का औसत आकार घटकर बीस से तीस एकड़ तक रह गया। छोटी जोतों पर अधिक कुशलता से खेती की जा सकती थी और उसमें कम श्रम की आवश्यकता होती थी। इससे कृषकों को अन्य गतिविधियों के लिए समय मिल गया।
5. खेती योग्य भूमि का विस्तार- कृषकों ने खेती योग्य भूमि का विस्तार करने में पहल की।

प्रश्न 9.
मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में नगरों का विकास मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं –
1. कृषि के विकास व विस्तार से नगरों का विकास – रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् उसके नगर उजाड़ और बर्बाद हो गए थे। परन्तु ग्यारहवीं शताब्दी से जब कृषि का विस्तार हुआ और वह अधिक जनसंख्या का भार ‘सहन करने में सक्षम हुई, तो नगरों का पुनः विकास होने लगा। जिन कृषकों के पास अपनी आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न होता था, उन्हें एक ऐसे स्थान की आवश्यकता अनुभव हुई जहाँ वे अपना बिक्री केन्द्र स्थापित कर सकें और जहाँ से वे अपने उपकरण और कपड़े आदि खरीद सकें।

इस आवश्यकता ने मियादी हाट – मेलों को प्रोत्साहन दिया और छोटे विपणन – केन्द्रों का विकास किया, जिनमें धीरे-धीरे नगरों के लक्षण पनपने लगे। ये लक्षण थे – एक नगर चौक, चर्च, सड़कें, व्यापारियों के घर और दुकानें। इन लक्षणों में एक कार्यालय भी था जहाँ नगर के प्रशासन का संचालन करने वाले व्यक्ति आपस में मिलते थे। अन्य स्थानों पर नगरों का विकास, बड़े दुर्गों, बिशपों की जागीरों और बड़े चर्चों के चारों ओर होने लगा।

2. नगरों में लोगों द्वारा सेवा के स्थान पर कर देना- नगरों में लोग सेवा के स्थान पर उन लार्डों को कर देने लगे जिनकी भूमि पर नगर बसे हुए थे।

3. नगरों में कृषक परिवारों के लोगों को वैतनिक कार्य मिलना-नगरों में कृषक परिवारों के नवयुवक लोगों को वैतनिक कार्य मिलने लगा। इसके अतिरिक्त नगरों में रहने से उन्हें लार्ड के कठोर नियन्त्रण से मुक्ति मिलने की अधिक सम्भावनाएँ थीं।

4. नगरों का स्वतन्त्र जीवन तथा मध्यम वर्ग का उदय – स्वतन्त्र होने के इच्छुक अनेक कृषि – दास भाग कर नगरों में छिप जाते थे। अपने लार्ड की नजरों से एक वर्ष व एक दिन तक छिपे रहने में सफल रहने वाला कृषि – दास एक स्वतन्त्र नागरिक माना जाता था। नगरों में रहने वाले अधिकतर व्यक्ति या तो स्वतन्त्र कृषक या भगोड़े कृषक होते थे। ये कार्य की दृष्टि से अकुशल श्रमिक होते थे। इनके अतिरिक्त दुकानदार एवं व्यापारी भी काफी बड़ी संख्या में थे। बाद में विशिष्ट कौशल वाले व्यक्तियों जैसे साहूकारों एवं वकीलों की आवश्यकता हुई। बड़े नगरों की जनसंख्या लगभग तीस हजार होती थी। इस प्रकार नगरों का विकास होता गया।

5. श्रेणी (गिल्ड ) – मध्यकालीन यूरोप में आर्थिक संस्था का आधार श्रेणी (गिल्ड) था। प्रत्येक शिल्प या उद्योग एक श्रेणी के रूप में संगठित था। श्रेणी उत्पाद की गुणवत्ता, उसके मूल्य तथा बिक्री पर नियन्त्रण रखती थी। ‘ श्रेणी सभागार’ प्रत्येक नगर का एक आवश्यक अंग था। इस सभागार में आनुष्ठानिक समारोह आयोजित किये जाते थे, जहाँ श्रेणियों के प्रधान आपस में मिलते थे और विचार-विमर्श करते थे । पहरेदार नगर के चारों ओर गश्त लगाते थे तथा नगर में शान्ति स्थापित करते थे। संगीतकारों को प्रीतिभोजों तथा नागरिक जुलूसों में अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया जाता था । सराय वाले यात्रियों की देखभाल की जाती थी।

6. वाणिज्य – व्यापार का विकास – ग्यारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप तथा पश्चिमी एशिया के बीच नवीन व्यापार-मार्ग विकसित हो रहे थे । बारहवीं सदी तक फ्रांस में भी वाणिज्य और शिल्प का विकास होने लग गया था । पहले दस्तकारों को एक मेनर से दूसरे मेनर में जाना पड़ता था । परन्तु अब उन्हें एक स्थान पर बसना अधिक सुविधाजनक लगा जहाँ वे वस्तुओं का उत्पादन कर सकते थे तथा अपने जीवन-निर्वाह के लिए उनका व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार वाणिज्य-व्यापार तथा शिल्प के विकास के कारण नगर भी विकसित होते चले गए।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

प्रश्न 10.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी का संकट क्या था? इसके लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के संकट के लिए कौनसी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं? इसके क्या परिणाम हुए? चौदहवीं शताब्दी का संकट
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में यूरोपवासियों को भीषण अकालों, धातु मुद्रा की कमी तथा प्लेग जैसी महामारी का सामना करना पड़ा।
चौदहवीं शताब्दी के यूरोप के संकट के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं –

1. मौसम में परिवर्तन – उत्तरी यूरोप में, तेरहवीं शताब्दी के अन्त तक पिछले तीन सौ वर्षों की तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तेज ठण्डी ग्रीष्म ऋतु ने ले लिया था। परिणामस्वरूप उपज वाले मौसम छोटे हो गए और ऊँची भूमि पर फसल उगाना काफी कठिन हो गया। तूफानों और सागरीय बाढ़ों के कारण अनेक फार्म-प्रतिष्ठान नष्ट हो गए जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को करों द्वारा कम आय हुई । तेरहवीं सदी के पूर्व की अनुकूल जलवायु के कारण अनेक जंगल तथा चरागाह कृषि भूमि में बदल गए।

2. भूमि का कमजोर होना – गहन जुताई ने फसलों के तीन क्षेत्रीय फसल चक्र के प्रचलन के बावजूद भूमि को कमजोर बना दिया। भूमि के कमजोर होने का कारण उचित भू-संरक्षण का अभाव था। चरागाहों की कमी के कारण पशुओं की संख्या में भारी कमी आ गई।

3. जनसंख्या में वृद्धि – मध्यकालीन यूरोप में जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ी कि उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए। इसके परिणामस्वरूप यूरोपवासियों को अकालों का सामना करना पड़ा। 1315 और 1317 के बीच यूरोप में कई भयंकर अकाल पड़े। इसके पश्चात् 1320 के दशक में अनगिनत पशु मृत्यु के मुँह में चले गए।

4. चाँदी के उत्पादन में कमी – आस्ट्रिया और सर्बिया की चाँदी की खानों के उत्पादन में कमी आ गई। इसके कारण धातु मुद्रा में भारी कमी आई जिसका व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके फलस्वरूप सरकार को मुद्रा में चाँदी की शुद्धता में कमी करनी पड़ी और उसमें सस्ती धातुओं का मिश्रण करना पड़ा।

5. महामारी-बारहवीं तथा तेरहवीं शताब्दी में वाणिज्य – व्यापार में विस्तार के कारण दूर देशों से व्यापार करने वाले पोत यूरोप के तटों पर आने लगे। पोतों के साथ-साथ बड़ी संख्या में चूहे भी आ गए, जो अपने साथ ब्यूबोनिक . प्लेग जैसी महामारी का संक्रमण (Black Death) लाए। अतः पश्चिमी यूरोप 1347 और 1350 के बीज महामारी से अत्यधिक प्रभावित हुआ।

आधुनिक विद्वानों के अनुसार महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या का लगभग 20% भाग मौत के मुँह में चला गया। नगर इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हुए। इस महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या 1300 ई. में 730 लाख से घट कर 1400 ई. में 450 लाख रह गई।
परिणाम- इसके निम्नलिखित परिणाम हुए –

1. सामाजिक विस्थापन – इस विनाशलीला के साथ आर्थिक मंदी के जुड़ जाने से व्यापक सामाजिक विस्थापन
2. मजदूरों की संख्या में कमी- जनसंख्या में कमी के कारण मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई।
3. कृषि और उत्पादन के बीच असन्तुलन – कृषि और उत्पादन के बीच भारी असन्तुलन पैदा हो गया।
4. कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी-खरीददारों की कमी के कारण कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी आई।
5. मजदूरी की दरों में वृद्धि – प्लेग के पश्चात् इंग्लैण्ड में मजदूरों, विशेषकर कृषि मजदूरों की भारी माँग के कारण मजदूरों की दरों में 250 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई।

प्रश्न 11.
मध्यकालीन यूरोप में हुए राजनीतिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राज्यों के प्रादुर्भाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन ( शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव ) – पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दियों में यूरोप के शासकों ने अपनी सैनिक एवं वित्तीय शक्ति में काफी वृद्धि कर ली थी। फ्रांस में लुई ग्यारहवें आस्ट्रिया में मैक्समिलन, इंग्लैण्ड में हेनरी सप्तम तथा स्पेन में इजाबेला और फर्डीनेण्ड निरंकुश शासक थे।

उन्होंने संगठित स्थायी सेनाओं, स्थायी नौकरशाही और राष्ट्रीय कर प्रणाली की स्थापना की । स्पेन और पुर्तगाल ने यूरोप के समुद्र – पार विस्तार की योजनाएँ बनाईं। इस प्रकार यूरोप में अनेक शक्तिशाली राज्यों की स्थापना हुई। यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए उत्तरदायी तत्त्व – यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए निम्नलिखित तत्त्व उत्तरदायी थे –

1. सामाजिक परिवर्तन – मध्यकालीन यूरोप में बारहवीं तथा तेरहवीं सदी में जागीरदारी तथा सामन्तशाही वाली सामन्त प्रथा के विलय तथा आर्थिक विकास की धीमी गति ने यूरोप के शासकों को प्रभावशाली बनाया और उन्हें जन – साधारण पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का अवसर दिया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित तथा प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी । राजाओं की शक्तिशाली सेनाओं के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि-करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ । इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। अपनी शक्तिशाली सेनाओं की सहायता से उन्होंने अपने राज्यों की सीमाओं की रक्षा की तथा उनका विस्तार किया। सेना की सहायता से उन्होंने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 12.
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। फ्रांस और इंग्लैण्ड राजनीतिक परिवर्तनों से किस प्रकार प्रभावित हुए?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्ध – मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के विरुद्ध अभिजात वर्ग ने अनेक विद्रोह किये, परन्तु उनका दमन कर दिया गया।

1. अभिजात वर्ग द्वारा अपने को राजभक्त के रूप में बदलना – अभिजात वर्ग ने अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए कूटनीति से काम लिया। उन्होंने नई शासन व्यवस्था का विरोधी होने की बजाय अपने को राज-भक्त के रूप में बदल लिया। इसी कारण शाही निरंकुशता को सामन्तवाद का सुधरा हुआ रूप माना जाता है।

वास्तव में लार्ड, जो सामन्ती प्रथा में शासक थे, राजनीतिक क्षेत्र में अभी भी प्रभावशाली बने हुए थे। उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में स्थायी स्थान दिए गए थे। परन्तु नवीन शासन व्यवस्था कई तरीकों में सामन्ती प्रथा से अलग थी। अब शासक उस पिरामिड के शिखर पर नहीं था जहाँ राज – भक्ति विश्वास और आपसी निर्भरता पर टिकी थी। अब शासक एक व्यापक दरबारी समाज का केन्द्र – बिन्दु था। वह अपने अनुयायियों को आश्रय देने वाला केन्द्र-बिन्दु भी था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 6 तीन वर्ग

2. राजतन्त्रों द्वारा सत्ताधारियों से सहयोग प्राप्त करना – सभी राजतन्त्र, चाहे वे कमजोर हों अथवा शक्तिशाली हों, सत्ताधारियों का सहयोग प्राप्त करना चाहते थे। धन इस प्रकार के सहयोग को प्राप्त करने का साधन था। सत्ताधारियों का सहयोग अथवा समर्थन धन के माध्यम से दिया या प्राप्त किया जा सकता था । अतः धन गैर – अभिजात वर्गों जैसे व्यापारियों और साहूकारों के लिए राजदरबार में प्रवेश करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया। वे राजाओं को धन उधार देते थे तथा राज़ा इस धन का उपयोग सैनिकों को वेतन देने के लिए करते थे । इस प्रकार शासकों ने राज्य-व्यवस्था में गैर-सामन्ती तत्त्वों के लिए स्थान बना दिया।

राजनीतिक परिवर्तनों का फ्रांस पर प्रभाव – 1614 में शासक लुई XIII के शासन काल में फ्रांस की परामर्शदात्री सभा-एस्टेट्स जनरल का एक अधिवेशन हुआ। इसके तीन सदनं थे, जो तीन वर्गों―पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग तथा सामान्य लोगों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके पश्चात् 175 वर्ष तक अर्थात् 1789 तक इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया। इसका कारण यह था कि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

राजनीतिक परिवर्तनों का इंग्लैण्ड पर प्रभाव – इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई, जिसमें ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। हाउस ऑफ लाईस के सदस्य लार्ड तथा पादरी थे तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते थे।

इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया। धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई।

परन्तु यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलाई जायेगी। साधारण पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का अवसर दिया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित तथा प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी। राजाओं की शक्तिशाली सेनाओं के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि-करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ । इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। अपनी शक्तिशाली सेनाओं की सहायता से उन्होंने अपने राज्यों की सीमाओं की रक्षा की तथा उनका विस्तार किया। सेना की सहायता से उन्होंने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 12.
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। फ्रांस और इंग्लैण्ड राजनीतिक परिवर्तनों से किस प्रकार प्रभावित हुए?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्ध – मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के विरुद्ध अभिजात वर्ग ने अनेक विद्रोह किये, परन्तु उनका दमन कर दिया गया।

1. अभिजात वर्ग द्वारा अपने को राजभक्त के रूप में बदलना – अभिजात वर्ग ने अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए कूटनीति से काम लिया। उन्होंने नई शासन व्यवस्था का विरोधी होने की बजाय अपने को राज-भक्त के रूप में बदल लिया। इसी कारण शाही निरंकुशता को सामन्तवाद का सुधरा हुआ रूप माना जाता है।

वास्तव में लार्ड, जो सामन्ती प्रथा में शासक थे, राजनीतिक क्षेत्र में अभी भी प्रभावशाली बने हुए थे। उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में स्थायी स्थान दिए गए थे। परन्तु नवीन शासन व्यवस्था कई तरीकों में सामन्ती प्रथा से अलग थी। अब शासक उस पिरामिड के शिखर पर नहीं था जहाँ राज – भक्ति विश्वास और आपसी निर्भरता पर टिकी थी। अब शासक एक व्यापक दरबारी समाज का केन्द्र – बिन्दु था। वह अपने अनुयायियों को आश्रय देने वाला केन्द्र-बिन्दु भी था।

2. राजतन्त्रों द्वारा सत्ताधारियों से सहयोग प्राप्त करना – सभी राजतन्त्र, चाहे वे कमजोर हों अथवा शक्तिशाली हों, सत्ताधारियों का सहयोग प्राप्त करना चाहते थे। धन इस प्रकार के सहयोग को प्राप्त करने का साधन था। सत्ताधारियों का सहयोग अथवा समर्थन धन के माध्यम से दिया या प्राप्त किया जा सकता था। अतः धन गैर – अभिजात वर्गों जैसे व्यापारियों और साहूकारों के लिए राजदरबार में प्रवेश करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया। वे राजाओं को धन उधार देते थे तथा राज़ा इस धन का उपयोग सैनिकों को वेतन देने के लिए करते थे। इस प्रकार शासकों ने राज्य-व्यवस्था में गैर-सामन्ती तत्त्वों के लिए स्थान बना दिया।

राजनीतिक परिवर्तनों का फ्रांस पर प्रभाव – 1614 में शासक लुई XIII के शासन काल में फ्रांस की परामर्शदात्री सभा-एस्टेट्स जनरल का एक अधिवेशन हुआ। इसके तीन सदनं थे, जो तीन वर्गों-पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग तथा सामान्य लोगों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके पश्चात् 175 वर्ष तक अर्थात् 1789 तक इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया। इसका कारण यह था कि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

राजनीतिक परिवर्तनों का इंग्लैण्ड पर प्रभाव – इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई, जिसमें ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। हाउस ऑफ लाईस के सदस्य लार्ड तथा पादरी थे तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते थे।

इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया। धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई। परन्तु यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलाई जायेगी।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

Students must go through these JAC Class 9 Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु to get a clear insight into all the important concepts.

JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ किसी तत्व का वह छोटे से छोटा कण जो रासायनिक क्रिया में भाग लेता है, परमाणु कहलाता है।

→ परमाणु का आकार अत्यन्त सूक्ष्म होता है। इसकी त्रिज्या नैनोमीटर की कोटि की होती है।

→ किसी यौगिक का वह छोटे से छोटा कण जो प्रकृति में स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता है, अणु कहलाता है।

→ द्रव्यमान संरक्षण के नियमानुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो सृजन किया जा सकता है न ही विनाश।

→ स्थिर अनुपात के नियमानुसार एक शुद्ध रासायनिक यौगिक में तत्व हमेशा द्रव्यमानों के निश्चित अनुपात में विद्यमान होते हैं।

→ किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके सभी संघटक तत्वों तथा संयोग करने वाले सभी तत्वों के परमाणुओं की संख्या को दर्शाता है।

JAC Class 9 Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ आण्विक यौगिकों के रासायनिक सूत्र प्रत्येक तत्व की संयोजकता द्वारा निर्धारित होते हैं।

→ किसी तत्व का द्रव्यमान जिसका संख्यात्मक मान ग्राम में उसके परमाणु द्रव्यमान के बराबर हो, ग्राम अणु द्रव्यमान कहलाता है।

→ मोल-किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतने ही कण (परमाणु, अणु या आयन आदि) उपस्थित हों जितनी कार्बन (C-12) के 12 ग्राम (0.012 किग्रा) द्रव्यमान में कार्बन परमाणुओं की संख्या होती है।

→ ग्राम कार्बन (C-12) में कार्बन परमाणुओं की संख्या 6.022 x 1023 होती है। इस संख्या को आवोगाद्रो संख्या कहते हैं। इसे NA से प्रदर्शित करते हैं।

→ पदार्थ के एक मोल अणुओं का द्रव्यमान उसका मोलर द्रव्यमान कहलाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

Jharkhand Board Class 9 Science ऊतक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊतक को परिभाषित करें।
उत्तर:
कोशिकाओं के ऐसे समूह को जिसकी उत्पत्ति, संरचना एवं कार्य समान हों, ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 2.
कितने प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं? उनके नाम बताएँ।
उत्तर:
चार प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं। ये चार तत्व हैं-

  • वाहिनिका (ट्रैकीड्स)
  • वाहिका (Trachea)
  • जाइलम पैरेन्काइमा और
  • जाइलम फाइबर (रेशे)।

प्रश्न 3.
पौधों में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
सरल ऊतक एवं जटिल ऊतक में भिन्नता

सरल ऊतक जटिल ऊतक
1. ये एक ही प्रकार की कोशिकाओं के बने हो ते हैं। उदाहरण पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा, स्क्लेरेनकाइमा। 1. ये एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं के बने होते हैं। उदाहरण-जाइलम तथा फ्लोएम।
2. इनकी कोशिकाएँ जीवित होती हैं। 2. अधिकतर कोशिकाएँ मृत होती हैं।
3. ये पतली कोशिका भित्ति वाली सरल कोशिकाओं के बने होते हैं। 3. इनकी कोशिका भित्ति मोटी होती है।
4. सरल ऊतक आधारीय पैकिंग पदार्थ के रूप में जल एवं भोजन संचय करने तथा यान्त्रिक सहायता प्रदान करने का कार्य करते हैं। 4. जटिल ऊतक संवहन ऊतक का कार्य करते हैं एवं पौधों को यान्त्रिक दृढ़ता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 4.
कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा और स्क्लेरेन्काइमा के बीच भेद स्पष्ट करें।
उत्तर:
पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा एवं स्क्लेरेन्काइमा में भेद (अन्तर)

पैरेन्काइमा कॉलेन्काइमा स्क्लेरेन्काइमा
1. यह गोल, महीन कोशिका भित्ति वाली कोशिकाओं का बना होता है, जिनमें केन्द्रक विद्यमान होता है। इनके बीच अंतराकोशिकीय स्थान पाये जाते हैं। 1. यह बहुभुजी कोशिकाओं का बना होता है। इनके बीच अंतराकोशिकीय स्थान नहीं होते हैं। 1. यह मोटी भित्ति वाली कोशिकाओं का बना होता है जो आकार में लम्बी अथवा अनियमित होती हैं।
2. ये सजीव होती हैं। 2. ये भी सजीव होती हैं। 2. ये कोशिकाएँ मृत होती हैं।
3. कोशिका भित्ति पैक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी व पतली होती है। 3. कोशिका भित्ति पैक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। 3. कोशिका भित्ति लिगिन की बनी तथा मोटी होती है।

प्रश्न 5.
रन्ध्र के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
रन्ष्र के प्रमुख कार्य-

  • वायुमण्डल से गैसों का आदान-प्रदान करना,
  • वाष्पोत्सर्जन की क्रिया करना।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 6.
तीनों प्रकार के पेशीय रेशों के चित्र बनाकर अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
चित्र 6.11 देखिये।

ऐच्छिक पेशी अनैच्छिक पेशी हृदयक पेशी
1. ये प्रायः अस्थियों से जुड़ी रहती हैं। 1. ये आँख की पलकों, मूत्रवाहिनी और फेफड़ों की श्वसनी में होती हैं। 1. ये हुदय की भित्ति में होती हैं।
2. ये ऐच्छिक होती हैं। 2. ये अनैच्छिक होती हैं। 2. ये भी अनैच्छिक होती हैं।
3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पट्टियाँ होती हैं। इसलिए इन्हें रेखित पेशियाँ भी कहते हैं। 3 इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पट्टियाँ नहीं होती हैं। इसलिए इन्हें अरेखित पेशियाँ भी कहते हैं। 3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पद्टियों का अभाव होता है।
4. ये लम्बी, बेलनाकार, शाखारहित और बहुकेन्द्रकीय होती हैं। 4. ये लम्बी, एक केन्द्रकीय और सिरों की ओर नुकीली तर्कुआकार होती हैं। 4. ये बेलनाकार, शाखाओं वाली और केन्द्रकीय होती हैं।

प्रश्न 7.
कार्डिक (हृदयक) पेशी का विशेष कार्य क्या है?
उत्तर:
कार्डिक पेशियाँ जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार तथा संकुचन करती रहती हैं। इससे प्राणियों में रक्त परिसंचरण होता है।

प्रश्न 8.
रेखित, अरेखित तथा कार्डिक (हददयक) पेशियों में शरीर में स्थित कार्य और स्थान के आधार पर अन्तर स्पष्ट करें।।
उत्तर:
रेखित, अरेखित व कार्डिक पेशियों में अन्तर

रेखित पेशियाँ अरेखित पेशियाँ कार्डिक पेशियाँ
शरीर में स्थिति के स्थान-हाथ, पैर में अस्थियों से जुड़ी हुई। आहार नली में, आँख की पलक, मूत्रवाहिनी, फेफड़ों की श्वसनी, रक्त वाहिनियाँ। हृदय की भित्ति।
कार्य-
शरीर के अंगों (हाथ, पैर आदि) में इच्छानुसार गति प्रदान करना। इनकी गति ऐच्छिक पेशियों द्वारा नियन्त्रित होती है।
जन्तु की इच्छानुसार गति नहीं करती हैं। इनकी गति को अनैच्छिक पेशियाँ नियन्त्रित करती हैं। ये जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार और संकुचन करती हैं। इससे प्राणियों में रक्त परिसंचरण होता है।

प्रश्न 9.
न्यूरॉन का एक चिह्लित चित्र बनाएँ।
उत्तर:
चित्र 6.12 देखिये।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के नाम लिखें-
(a) ऊतक जो मुँह के भीतरी अस्तर का निर्माण करता है।
(b) ऊतक जो मनुष्य में पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(c) ऊतक जो पौधों में भोजन का संवहन करता है।
(d) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय करता है।
(e) तरल आधात्री सहित संयोजी ऊतक।
(f) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर:
(a) शल्की एपीथीलियम ऊतक
(b) कंडरा
(c) फ्लोएम ऊतक
(d) वसामय (एडीपोज) ऊतक
(e) रक्त (Blood)
(f) तन्त्रिका ऊतक।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करें-त्वचा, पौधों का वल्क, अस्थि, वृक्कीय नलिका अस्तर, संवहन बंडल।
उत्तर:

  • त्वच – एपीथीलियम ऊतक
  • पौधों का वल्क- सरल स्थायी ऊतक-पैरेन्काइमा
  • अस्थि – संयोजी कंकाल ऊतक (अस्थि)
  • वृक्कीय नलिका अस्तर – घनाकार एपीथीलियम
  • संवहन बण्डल – जटिल ऊतक- जाइलम तथा फ्लोएम।

प्रश्न 12.
पैरेन्काइमा ऊतक किस क्षेत्र में स्थित होते हैं?
उत्तर:
पैरेन्काइमा ऊतक तने तथा पत्तियों में स्थित होते हैं।

प्रश्न 13.
पौधों में एपीडर्मिस की क्या भूमिका है?
उत्तर:
एपीड़्रिस ऊतक पौँधों की पूरी सतह को ढके रहता है और पौधों के सभी भागों की रक्षा करता है। यह पौधों को यान्त्रिक सहायता प्रदान करती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 14.
छाल (कॉक) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है?
उत्तर:
छाल या कॉर्क मोटी भित्ति वाली मृत कोशिकाओं का बना होता है। इनकी भित्ति पर सुबेरिन नामक रसायन होता है, जो कॉर्क को हवा एवं पानी के लिए अभेद्य बनाता है। इस प्रकार छाल या कॉर्क सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 15.
निम्न दी गई तालिका को पूर्ण करें-
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 1a
उत्तर:
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 1b

Jharkhand Board Class 9 Science ऊतक InText Questions and Answers

खण्ड 6.1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 77)

प्रश्न 1.
ऊतक क्या है?
उत्तर:
ऊतक (Tissue) – ऊतक समान उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य करने वाली कोशिकाओं का एक समूह होता है।

प्रश्न 2.
बहुकोशिक जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है?
उत्तर:
बहुकोशिक जीवों में प्रत्येक कार्य कोशिकाओं के विभिन्न समूहों द्वारा किया जाता है। कोशिकाओं के ये समूह एक विशिष्ट कार्य को ही अति दक्षतापूर्वक सम्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। अतः बहुकोशिक जीवों में ऊतकों के कारण श्रम-विभाजन होता है। प्रत्येक ऊतक एक विशिष्ट कार्य बड़ी दक्षता से करता है।

जैसे-मनुष्यों तथा पशु-पक्षियों में अस्थिओं और पेशिओं की सहायता से गति होती है, पक्षी वायु में उड़ते हैं। तन्त्रिका से संदेश का संवहन होता है। रक्त तथा लसीका द्वारा ऑक्सीजन, CO2 पोषक पदार्थ, हार्मोन्स तथा उत्सर्जी पदार्थों का संवहन होता है। पौधों में भोजन तथा जल एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है। ऊतक पेड़ पौधों को स्थिरता प्रदान करते हैं। उन्हें सहारा और मजबूती देते हैं।

क्रियाकलाप 6.1.
दो काँच के जार लेकर उनमें पानी भर देते हैं। अब दो प्याज लेकर दोनों जारों पर एक-एक
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 1

प्याज रख देते हैं (चित्र 6.2 के अनुसार)। कुछ दिनों तक दोनों प्याजों की मूलों की लम्बाई को मापते हैं। पहले, दूसरे और तीसरे दिनों में मूल की लम्बाई को माप लेते हैं। दूसरे जार में रखी प्याज की मूल को चौथे दिन 1 cm. काट लेते हैं। इसके बाद दोनों जार में रखी प्याज की मूलों की लम्बाइयों का पाँच दिनों तक निरीक्षण करते हैं और उनमें हुई प्रत्येक दिन की वृद्धि को मापते हैं।

प्रश्न 1.
किस जार में रखी हुई प्याज की मूल लम्बी होती है?
उत्तर:
पहले जार में रखी हुई प्याज की मूल लम्बी होती है।

प्रश्न 2.
हमारे द्वारा मूल के ऊपरी हिस्से को काट लेने के बाद भी क्या वह वृद्धि करती रहती है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 3.
जार-2 में रखी प्याज की मूल के ऊपरी हिस्से को काटने से वह वृद्धि करना बन्द कर देगी, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि प्याज के ऊपरी हिस्से पर विभज्योतक ऊतक उपस्थित होते हैं। अतः उस हिस्से के काटने से वे ऊतक नष्ट हो जाते हैं और मूल में वृद्धि नहीं होती।

क्रियाकलाप 6.2.
एक पौधे का तना लेकर अपने शिक्षक की सहायता से उसके पतले सैक्शन (अनुप्रस्थ काट) काट लेते हैं। अब सभी सैकशनों को सेफ्रेनिन से रंजित कर लेते
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 2
हैं। उनमें से एक अच्छे से कटे हुए सैक्शन को स्लाइड पर रखकर उस पर ग्लिसरीन की एक बूँद डालते हैं। उसको कवर स्लिप से ढक कर स्लाइड का सूक्ष्मदर्शी से निरीक्षण करते हैं और कोशिकाओं के विन्यास का अध्ययन करते हैं।

प्रश्न 1.
(i) क्या सभी कोशिकाओं की संरचनाएँ समान हैं?
उत्तर:
नहीं। सभी कोशिकाओं की संरचनाएँ समान नहीं हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

(ii) कोशिकाओं के विभिन्न प्रकार क्यों हैं?
उत्तर:
क्योंकि विभज्योतक की कोशिकाएँ विभाजित होकर विशेष प्रकार का कार्य करती हैं। इस प्रकार विशिष्ट कार्य करने के लिए इन कोशिकाओं का विभेदीकरण हो जाता है। इसलिए ये विभिन्न प्रकार की होती हैं।

क्रियाकलाप 6.3.
रियो की एक ताजा तोड़ी हुई पत्ती लेते हैं। इसे दबाव लगाकर इस तरह तोड़ते हैं कि पत्ती का छिलका निकल आये। इस छिलके को अलग करके जल सै
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 3
भरी हुई पैट्रीडिश में रखते हैं। इसमें कुछ बूंदे सैफ्रेनिन विलयन की डालकर लगभग 2 मिनट बाद छिलके को स्लाइड पर रखते हैं और इसे धीरे से कवर स्लिप से ढक देते हैं। अब इसका सूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करते हैं। हम देखते हैं कि कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत एपीडर्मिस हैं। यह जल की हानि कम करके पादपों की रक्षा करती ह तथा पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है।

इसकी कोशिकाएँ बिना किसी अन्तर्कोशिकीय स्थान के अविछिन्न परत बनाती हैं। अधिकांश एपीडर्मल कोशिकाएँ अपेक्षाकृत चपटी होती हैं। पत्ती की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। स्टोमेटा दो वृक्काकार कोशिकाओं से घिरे रहते हैं जिन्हें रक्षी कोशिकाएँ कहते हैं। ये कोशिकाएँ वायुमण्डल से गैसों का आदान-प्रदान करने का कार्य करती हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी स्टोमेटा द्वारा होती है।

प्रश्न 1.
पैरेन्काइमा ऊतक का कार्य क्या है?
उत्तर:
पैरेन्काइमा ऊतक पौधे को सहायता प्रदान करता है और भोजन का भण्डारण करता है।

प्रश्न 2.
क्लोरोफिल किन कोशिकाओं में पाया जाता है?
उत्तर:
क्लोरोफिल पैरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाओं में पाया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया किन ऊतकों में होती है?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया क्लोरेन्काइमा (हरित ऊतक) की कोशिकाओं में होती है।

प्रश्न 4.
जलीय पौधों में कौन से ऊतक की कोशिकाएँ उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं?
उत्तर:
जलीय पौधों में पैरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाएँ उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं।

प्रश्न 5.
लिग्निन क्या है तथा यह क्या कार्य करता है?
उत्तर:
लिग्निन कोशिकाओं को दृढ़ बनाने के लिए सीमेन्ट का कार्य करने वाला एक रासायनिक पदार्थ होता है।

प्रश्न 6.
कोशिकाओं की बाहरी परत कौन सी होती है?
उत्तर:
कोशिकाओं की बाहरी परत एपीडर्मिस होती है।

प्रश्न 7.
एपीडर्मिस का कार्य बताओ।
उत्तर:
एपीडर्मिस पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है। यह जल हानि के विरुद्ध यान्त्रिक आघात व परजीवी कवक के प्रवेश को रोकती है।

प्रश्न 8.
पौधों में स्टोमेटा का क्या कार्य है?
उत्तर:
पौधों में स्टोमेटा गैसों का आदान-प्रदान करने तथा वाष्पोत्सर्जन का कार्य करते हैं।

खण्ड 6.2 सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. 81)

प्रश्न 1.
याद करें प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) गैस की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख
उत्तर:
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्य-

  • वाष्पोत्सर्जन के कारण जल के अवशोषण, रसारोहण तथा समान वितरण में सहायता मिलती है।
  • भूमि से खनिज लवणों के अवशोषण में सहायता मिलती है।
  • पौधों में ताप का नियमन होता रहता है।
  • वाष्पोत्सर्जन के कारण पौधे सड़ने-गलने नहीं पाते हैं।
  • फलों में शर्करा आदि पोषक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है।

जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ जल को अवशोषित करने का कार्य करती हैं। इनमें बाल जैसे प्रवर्ध होते हैं जो अवशोषक सतह को बढ़ा देते हैं और उनकी जड़ की कुल पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है।

मरुस्थलीय पौधों की बाह्य सतह पर एपीडर्मिस में क्यूटिन का लेप होता है क्यूटिन एक जल अवरोधक रासायनिक पदार्थ होता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 4
पेड़ों की आयु बढ़ने के साथ उनके बाहरी सुरक्षात्मक ऊतकों में भी परिवर्तन आता है। द्वितीयक विभज्योतक की एक पट्टी (जो कॉर्टेक्स में होती है), कॉर्क नामक कोशिकाओं की परत का निर्माण करती है। इन छालों की कोशिकाएँ मृत होती हैं। ये अंत: कोशिकीय स्थानों के बिना व्यवस्थित होती हैं (चित्र 6.6 देखें)। इनकी भित्ति पर सुबरिन होता है। सुबरिन छालों को पानी और हवा के लिए अभेद्य बनाता।

खण्ड 6.2.2 (ii) से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 83)

प्रश्न 1.
सरल ऊतक के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
सरल ऊतक तीन प्रकार के होते हैं-

  • पैरेन्काइमा (मृदूतक-Parenchyma)
  • कॉलेन्काइमा (स्थूलकोण ऊतक-Collenchyma) तथा
  • स्क्लेरेन्काइमा (दृढ़ ऊतक Sclerenchyma)।

प्रश्न 2.
प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक जड़ों और तनों की वृद्धि वाले भागों में पाया जाता है, और यह इनकी लम्बाई में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3.
नारियल का रेशा किस ऊतक का बना होता है?
उत्तर:
नारियल का रेशा स्क्लेरेन्काइमा (दृढ़ ऊतक ) का बना होता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

प्रश्न 4.
फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
चालनी नलिका, साथी कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेन्काइमा तथा फ्लोएम रेशे फ्लोएम के संघटक हैं।

क्रियाकलाप 6.4.
रक्त की एक बूँद स्लाइड पर डालें। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उसमें उपस्थित विभिन्न कोशिकाओं को देखें।

रक्त (Blood) एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है। रक्त के तरल आधात्री भाग को प्लाज्मा (Plasma) कहते हैं। प्लाज्मा में लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) तथा प्लेटलेट्स निलम्बित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॉर्मोन भी होते हैं।

रक्त गैसों, शरीर के पचे हुए भोजन, हॉर्मोन और उत्सर्जी पदार्थों का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करता है। अस्थि (Bone) कंकाल संयोजी ऊतक है। यह पंजर का निर्माण कर शरीर को निश्चित आकार प्रदान करता है, माँसपेशियों को सहारा देता है और शरीर के मुख्य अंगों को सहारा देता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 5
संयोजी ऊतकों के प्रकार: (a) एरिओलर ऊतक, (b) वसामय (एडीपोज़) ऊतक, (c) संहत अस्थि ऊतक, (d) काचाभ स्नायु ऊतक (e) विभिन्न रक्त कोशिकाएँ।

यह ऊतक कठोर और मजबूत होता है। अस्थि कोशिकाएँ कठोर आधात्री में धँसी होती हैं जो कैल्सियम तथा फॉस्फोरस से बनी होती हैं।

दो अस्थियाँ परस्पर एक अन्य संयोजी ऊतक-स्नायु (Ligament) से जुड़ी होती हैं। यह ऊतक बहुत लचीला एवं मजबूत होता है। स्नायु में बहुत कम आधात्री होती है। एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक कन्डरा (Tendon) है, जो माँसपेशियों को अस्थियों से जोड़ता है। यह मजबूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं।

उपास्थि (Cartilage) भी एक प्रकार का कंकाल संयोजी ऊतक है। इसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधानी प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है। यह नाक, कान, कंठ और श्वास नली में भी उपस्थित होती है।

ऐरियोलर (Aerolar) संयोजी ऊतक त्वचा और माँसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है। यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है, आन्तरिक अंगों को सहारा देता है और ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।

वसामय (Adipose) ऊतक त्वचा के नीचे आन्तरिक अंगों के बीच पाया जाता है और वसा के संग्रह का कार्य करता है । इस ऊतक की कोशिकाएँ वसा की गोलिकाओं से भरी होती हैं। यह वसा संग्रहित होने के कारण ऊष्मीय कुचालक का कार्य भी करता है।

क्रियाकलाप 6.5.
विभिन्न प्रकार की पेशीय ऊतकों की संरचना की तुलना कीजिए। उनके आकार, केन्द्रक की संख्या और कोशिका में केन्द्रक की स्थिति को नोट कीजिए।

लक्षण रेखित चिकनी हृद्
आकार बेलनाकार, अशखित लंबी और शंक्वाकार बेलनाकार व शखित
केंद्रकों की संख्या बहुनाभिकीय एक एक
केंद्रकों की स्थिति हाथ, पैर में अस्थितयों से जुड़ी हुई आहार नली, आँख्र की नलक, मूत्रवाहिनी, फेफड़ों की श्वसनी रक्त-वाहिनियाँ हदय की भित्ति

खण्ड 6.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 87)

प्रश्न 1.
उस ऊतक का नाम बताएँ जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर:
पेशीय ऊतक हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 2.
न्यूरॉन देखने में कैसा लगता है?
उत्तर:
न्यूरॉन देखने में लम्बा धागे जैसा लगता है। इसकी लम्बाई 1 मीटर तक हो सकती है। न्यूरॉन का मुख्य भाग कोशिकाकाय (Cyton) कहलाता है। इससे एक लम्बा एक्सॉन (Axon) तथा अनेक छोटे-छोटे डेन्ड्राइट्स (Dendrites) निकले होते हैं।

प्रश्न 3.
हृदय पेशी ‘के तीन लक्षणों को बताएँ।
उत्तर:
हृदय पेशी के तीन लक्षण-

  • यह केवल हृदय भित्ति में पायी जाती है।
  • इसकी कोशिकाएँ बेलनाकार, शाखाओं युक्त व एक केन्द्रकीय होती हैं।
  • ये पेशियाँ जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती रहती हैं।

प्रश्न 4.
एरियोलर ऊतक के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
एरियोलर ऊतक के कार्य-

  • यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है।
  • यह ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।
  • यह ऑतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है।