JAC Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Jharkhand Board JAC Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Solutions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Jharkhand Board Class 11 History आधुनिकीकरण के रास्ते In-text Questions and Answers

पृष्ठ 236

क्रियाकलाप 1 : जापानियों और एजटेकों का यूरोपीय लोगों से जो सम्पर्क / टकराव हुआ, उसके अन्तरों की पहचान करिए।
उत्तर:
जापानियों का यूरोपीय लोगों से सम्पर्क / टकराव – 1854 में अमरीकी कामोडोर मैथ्यू पेरी की माँग पर जापान को अमरीका के साथ राजनयिक और व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने पड़े। जापान ने अमरीका की सैन्य शक्ति से भयभीत होकर अपने तीन बन्दरगाह अमेरिका के लिए खोल दिये। इसी प्रकार जापान को इंग्लैण्ड, रूस, हालैण्ड आदि देशों से भी सन्धियाँ करनी पड़ीं। जापान के बहुत से विद्वान् और नेता यूरोप के नए विचारों से सीखना चाहते थे, बजाय उसकी उपेक्षा करने के। कुछ ने देश को बाहरी दुनिया के लिए धीरे-धीरे और सीमित तरह से खोलने के लिए तर्क दिया।

एजटेकों का यूरोपीय लोगों से सम्पर्क – स्पेन के सेनापति कोर्टेस ने मैक्सिको पर आक्रमण किया। स्पेन के सैनिकों ने ट्लैक्सक्लानों पर आक्रमण कर दिया। अन्त में उन्होंने समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक उन सबका सफाया कर दिया। एजटेक शासक ने कोर्टेस पर उपहारों की वर्षा कर दी; परन्तु कोर्टेस ने धोखे से शासक को गिरफ्तार कर लिया। जब एजटेकों ने विद्रोह किया, तो स्पेन की सेना ने एजटेकों के विद्रोह को कुचल दिया।

पृष्ठ 242

क्रियाकलाप 2 : निशितानी ने ‘आधुनिक’ को जिस तरह परिभाषित किया, क्या आप उससे सहमत हैं?
उत्तर:
जापान के दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने ‘आधुनिक’ को तीन पश्चिमी धाराओं के मिलन और एकता से परिभाषित किया : पुनर्जागरण, प्रोटेस्टेन्ट सुधार और प्राकृतिक विज्ञानों का विकास। उन्होंने कहा कि जापान की ‘नैतिक ऊर्जा’ ने उसे एक उपनिवेश बनने से बचा लिया। जापान का यह कर्त्तव्य बनता है कि एक नई विश्व पद्धति, एक विशाल पूर्वी एशिया का निर्माण किया जाए। इसके लिए एक नई सोच की आवश्यकता है, जो विज्ञान और धर्म को जोड़ सके। हम इस परिभाषा से सहमत हैं।

पृष्ठ 247

क्रियाकलाप 3 : भेदभाव का एहसास लोगों को कैसे एकताबद्ध करता है?
उत्तर:
शंघाई में एक काला अमरीकी तुरेहीवादक, बक क्लेटन अपने जैज ऑरकेस्ट्रा के साथ विशेषाधिकार प्राप्त प्रवासी का जीवन व्यतीत कर रहा था। वह काला था तथा एक बार कुछ गोरे अमरीकी लोगों ने उसे तथा उसके साथियों को मार-पीट करके उन्हें उनके होटल से बाहर निकाल दिया। वह अमरीकी होने के बावजूद स्वयं नस्ली भेदभाव का शिकार होने के कारण चीनियों के कष्टदायक जीवन के साथ उसकी बहुत सहानुभूति थी।

गोरे अमरीकियों के साथ हुई अपनी लड़ाई, जिसमें वे जीत गए, के बारे में वह लिखते हैं, “चीनी तमाशबीनों ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे हमने उनका अभीष्ट काम सम्पन्न किया हो और घर पहुँचने तक रास्ते भर वे किसी विजेता फुटबाल टीम की तरह हमारा अभिनन्दन करते रहे।”

चीनी लोग निर्धनता का जीवन व्यतीत करते थे। उन्हें कठोर शारीरिक श्रम करना पड़ता था। चीनियों की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए वह लिखते हैं कि – ” मैं कभी-कभी देखता हूँ कि बीस या तीस कुली मिलकर किसी बड़े भारी ढेले को खींच रहे हैं, जो कि अमेरिका में किसी ट्रक द्वारा या घोड़े द्वारा खींचा जाता है। ये लोग इन्सानी घोड़ों से अलग कुछ नहीं लगते थे और पूरा काम करने के बाद उन्हें इतना ही मिलता था, कि किसी तरह पेट भर चावल और सोने का एक स्थान प्राप्त कर लें।

मेरी समझ में नहीं आता, वे कैसे अपना काम चलाते थे।” चीनी संजीव पास बुक्स लोगों ने उस अमरीकी व्यक्ति के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार किया। इससे सिद्ध होता है कि भेदभाव का एहसास लोगों को एकताबद्ध करता है। अमरीकी और चीनी लोग भेदभाव के शिकार थे। इसी भावना ने उन्हें एकताबद्ध कर दिया था।

Jharkhand Board Class 11 History आधुनिकीकरण के रास्ते Text Book Questions and Answers

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मेजी पुनर्स्थापना से पहले की वे अहम घटनाएँ क्या थीं, जिन्होंने जापान के तीव्र आधुनिकीकरण को सम्भव किया?
उत्तर:
मेजी पुर्स्थापना से पहले की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – 1867-68 में जापान में मेजी पुनर्स्थापना हुई। इससे पूर्व निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जिन्होंने जापान के तीव्र आधुनिकीकरण को सम्भव बनाया।
(1) किसानों से हथियार ले लिए गए। अब केवल सामुराई लोग ही तलवार रख सकते थे। इससे शान्ति एवं व्यवस्था बनी रही।

(2) दैम्पो को अपने क्षेत्रों की राजधानियों में रहने के आदेश दिए गए और उन्हें काफी स्वायत्तता प्रदान की गई।

(3) मालिकों और करदाताओं का निर्धारण करने के लिए जमीन का सर्वेक्षण किया गया तथा उत्पादकता के आधार पर भूमि का वर्गीकरण किया गया।

(4) 17वीं शताब्दी के मध्य तक जापान में एदो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बन गया। ऐसे 6 शहरों का उदय हुआ जिनकी जनसंख्या 50,000 से अधिक थी। इससे वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ। व्यापारी वर्ग ने नाटक और कलाओं को प्रोत्साहन दिया।

(5) क्योतो के निशिजन में रेशम उद्योग के विकास के लिए प्रयास किए गए, जिससे रेशम का आयात कम किया जा सके। कुछ ही वर्षों में निशिजन का रेशम सम्पूर्ण विश्व में उत्कृष्ट रेशम माना जाने लगा।

प्रश्न 2.
जापान के विकास के साथ-साथ वहाँ की रोजमर्रा की जिन्दगी में किस तरह बदलाव आए? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जापानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी में परिवर्तन – जापान के विकास के साथ-साथ जापानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी में अनेक परिवर्तन आए।
यथा –
(i) पृथक् परिवार प्रणाली – आधुनिकीकरण से पहले जापान में पैतृक परिवार व्यवस्था प्रचलित थी। इसमें कई पीढ़ियाँ परिवार के मुखिया के नियन्त्रण में रहती थीं; परन्तु समृद्ध होने के साथ- साथ, लोगों में परिवार के बारे में नये विचारों का उदय हुआ। अब ‘नया घर’ का प्रचलन हुआ। पृथक् परिवार प्रथा के अन्तर्गत पति – पत्नी साथ रहकर कमाते थे और घर बसाते थे।

(ii) नया घर व्यवस्था – पृथक् परिवार प्रथा के कारण नये प्रकार के घरेलू उत्पादों, नये प्रकार के पारिवारिक मनोरंजनों आदि की माँग बढ़ने लगी । अब लोग नए प्रकार के घरों की माँग करने लगे जिनमें सभी प्रकार की सुख- सुविधाएँ हों। 1920 के दशक में निर्माण कम्पनियों ने प्रारम्भ में 200 येन देने के पश्चात् निरन्तर 10 वर्ष के लिए 12 यान प्रतिमाह की किस्तों पर लोगों को सस्ते मकान उपलब्ध कराए।

प्रश्न 3.
पश्चिमी ताकतों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना छींग राजवंश ने कैसे किया?
उत्तर:
चीन के छींग राजवंश के शासकों को पश्चिमी ताकतों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना निम्न प्रकार से किया

  1. क्विंग शासकों ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में अनेक सुधार किए ताकि वह आधुनिक प्रशासकीय व्यवस्था के मापदण्डों पर ठीक उतर सके।
  2. छींग शासकों ने नवीन सेना तथा नवीन शिक्षा व्यवस्था के लिए नीतियाँ बनाईं।
  3. शिक्षा को सुधारने की ओर विशेष ध्यान दिया गया। लोगों को नए विषयों की जानकारी हो सके इसलिए विद्यार्थियों को जापान, इंग्लैंड, फ्रांस आदि में भेजा गया ताकि वे नए विचार सीखकर वापस आयें। इसके अतिरिक्त पुरानी चीनी परीक्षा प्रणाली समाप्त कर दी गई।
  4. संवैधानिक सरकार की स्थापना के लिए स्थानीय विधायिकाओं का भी गठन किया गया। उन्होंने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने का भरसक प्रयास किया।
  5. कन्फ्यूशियसवाद को प्रोत्साहन दिया गया।

प्रश्न 4.
सन – यात – सेन के तीन सिद्धान्त क्या थे?
उत्तर:
सन – यात – सेन के तीन सिद्धान्त- डॉ. सनयात सेन के कार्यक्रम तीनं सिद्धान्तों पर आधारित थे, जिन्हें ‘सनमिन चुई’ कहा जाता था। उसके सिद्धान्त निम्नलिखित थे –
1. राष्ट्रवाद–इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना, क्योंकि मांचू वंश विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था। इसके अतिरिक्त अन्य साम्राज्यवादी शक्तियों को चीन से हटाना भी राष्ट्रवाद का उद्देश्य था। डॉ. सनयात सेन ने चीनियों को विदेशी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

2. गणतन्त्रवाद – डॉ. सेन चीन में गणतान्त्रिक सरकार की स्थापना करना चाहते थे। डॉ. सनयात सेन जनता को सर्वोपरि स्थान देते थे तथा चाहते थे कि जनता शासन के कार्यों में अधिकाधिक भाग ले।

3. समाजवाद-डॉ. सनयात सेन समाजवाद की स्थापना पर बल देते थे। समाजवाद का उद्देश्य पूँजी का नियमन करना तथा भूस्वामित्व में समानता लाना था।

प्रश्न 5.
कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?
उत्तर:
व्यापार घाटे में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के खराब प्रबंधन, संगठनों द्वारा बेईमान व्यापारिक संचालन के कारण कोरिया को 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा। कोरिया ने इस संकट का सामना निम्न प्रकार से किया –

  • कोरिया ने इस संकट को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा आपात वित्तीय सहायता के जरिए संभालने की कोशिश की गई।
  • इस आर्थिक संकट में पूरे देश ने एक साथ प्रयास किए, नागरिकों ने गोल्ड कलेक्शन मूवमेंट के माध्यम से विदेशी ऋण भुगतान के लिए सक्रिय रूप से योगदान दिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?
उत्तर:
जापान की तीव्र औद्योगिक नीति के परिणाम जापान के आधुनिकीकरण के अन्तर्गत जापान का तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ। जापान में लोहे-कपड़े, गोला- बारूद, बन्दूक, तोपें आदि बनाने के अनेक कारखाने स्थापित किये गए। इस औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप जापान एक अत्यन्त शक्तिशाली एवं समृद्ध देश बन गया। इससे जापान को साम्राज्यवादी नीति अपनाने की प्रेरणा मिली जिसके फलस्वरूप उसे पड़ोसियों के साथ युद्ध लड़ने पड़े।

1. पड़ोसी देशों के साथ युद्ध –
(1) चीन के साथ युद्ध – 1894-95 में कोरिया के मामले पर जापान और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसमें जापान की विजय हुई। अन्त में 1895 में चीन को जापान से एक सन्धि करनी पड़ी, जिसे ‘शिमोनिस्की की सन्धि’ कहते हैं।

(2) रूस-जापान युद्ध-जापान और रूस दोनों ही कोरिया तथा मन्चूरिया में अपना-अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे। अतः जापान ने 8 फरवरी, 1904 को पोर्ट आथर पर आक्रमण कर दिया। इस प्रकार रूस तथा जापान के बीच युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में रूस की बुरी तरह से पराजय हुई। अन्त में 5 सितम्बर, 1905 को रूस तथा जापान के बीच एक सन्धि हो गई, जिसे ‘पोर्ट्समाउथ की सन्धि’ कहते हैं।

(3) चीन से युद्ध – 1931 में जापान ने मन्चूरिया पर आक्रमण कर दिया और 4 जनवरी, 1932 तक जापान ने सम्पूर्ण मन्चूरिया पर अधिकार कर लिया। जापान ने मन्चूरिया में ‘मन्चुकाओ’ नामक एक पृथक् राज्य की स्थापना कर दी। जापान ने चीन के जेहौल प्रदेश पर भी अधिकार कर लिया। 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर पीकिंग, नानकिंग, शंघाई, कैंटन आदि नगरों पर अधिकार कर लिया।

2. पर्यावरण का विनाश –
(i) जापान की औद्योगीकरण की नीति तथा लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग से पर्यावरण का विनाश हुआ।

(ii) ओशियो खान से वातारासे नदी में प्रदूषण फैल रहा था जिसके कारण 100 वर्ग मील की कृषि भूमि नष्ट हो रही थी और एक हजार परिवार प्रभावित हो रहे थे। इस पर 1897 में जापानी संसद के पहले निम्न सदन के सदस्य तनाको शोजो ने प्रदूषण के विरुद्ध पहला आन्दोलन छेड़ा। इस आन्दोलन ने सरकार को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए विवश किया। 1960 के दशक में नागरिक समाज आन्दोलन ने बढ़ते हुए औद्योगीकरण के कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की पूर्ण रूप से उपेक्षा करने का विरोध किया।

(iii) अरगजी का विष, जिसके चलते बड़ी ही कष्टदायक बीमारी होती थी, एक प्रारम्भिक सूचक था। इसके बाद 1960 के दशक में मिनामाता के पारे के जहर के फैलने और 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में हवा में प्रदूषण से भी समस्याएँ उत्पन्न हुईं।

प्रश्न 7.
क्या आप मानते हैं कि माओत्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और इसकी मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफलता प्राप्त की?
उत्तर:
माओत्से तुंग तथा साम्यवादी दल की उपलब्धियाँ-आधुनिक चीन के निर्माण में माओत्से तुंग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। माओत्से तुंग तथा साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने तथा उसकी वर्तमान सफलता की आधारशिला रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। च्यांग काई शेक द्वारा साम्यवादियों का दमन – 1925 में डॉ. सनयात सेन की मृत्यु हो गई और उसके बाद च्यांग काई शेक कुओमिंगतांग दल का नेता बना।

उसने राष्ट्रीय एकता का प्रयास किया, स्थानीय नेताओं को अपने नियन्त्रण में किया। यद्यपि उसने देश को एकीकृत करने का प्रयास किया, परन्तु अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टिकोण के कारण वह असफल हो गया। उसने डॉ. सनयात सेन के दो सिद्धान्तों-पूँजी के नियमन तथा भूमि अधिकारों में समानता लानाको कार्यान्वित नहीं किया।

उसने साम्यवादियों का कठोरतापूर्वक दमन किया। इन सभी कारणों से वह देश में अलोकप्रिय हो गया। चीनी साम्यवादी दल का उदय और माओत्से तुंग का कुशल नेतृत्व – 1921 में चीन में साम्यवादी दल की स्थापना हुई। माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी दल की शक्ति तथा प्रभाव में निरन्तर वृद्धि होती गई। माओत्से तुंग ने क्रान्ति के कार्यक्रम को किसानों पर आधारित किया। उनके कुशल नेतृत्व में चीन की साम्यवादी पार्टी एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बनी, जिसने अन्त में कुओमिनतांग पर विजय प्राप्त की।

माओत्से तुंग के सुधार कार्य – 1928-34 के बीच माओत्से तुंग ने जियांग्सी के पहाड़ों में कुओमिनतांग के आक्रमणों से सुरक्षित शिविर लगाए। उसने एक शक्तिशाली किसान परिषद् का गठन किया। उसने भूमि सम्बन्धी सुधार किये तथा जमींदारों की जमीनों पर अधिकार करके उनकी भूमि को किसानों में बाँट दिया। उसने स्वतन्त्रं सरकार तथा सेना पर बल दिया। उसने ग्रामीण महिला संघों को प्रोत्साहन दिया और महिलाओं की समस्याओं का हल करने का प्रयास किया। उसने विवाह के नये कानून बनाए तथा तलाक को सरल बनाया।

साम्यवादियों का महा प्रस्थान – 1934 में च्यांग काई शेक ने साम्यवादियों के दमन के लिए एक विशाल सेना भे। च्यांग काई शेक की सेना के आक्रमण के दबाव के कारण 90 हजार साम्यवादियों को जियांग्सी प्रान्त को छोड़कर शेन्सी की ओर प्रस्थान करना पड़ा। साम्यवादियों की यह जियांग्सी से शेन्सी तक 6 हजार मील लम्बी यात्रा इतिहास में ‘महाप्रस्थान’ (Long March) के नाम से प्रसिद्ध है। इस यात्रा के दौरान लगभग 60 हजार साम्यवादी मौत के मुँह में चले गए तथा केवल 30 हजार साम्यवादी ही शेन्सी पहुँच सके।
येनान को नया अड्डा बनाना – साम्यवादियों ने येनान को अपना नया अड्डा बनाया।

यहाँ उन्होंने युद्ध सामन्तवाद को समाप्त करने, भूमि सुधार लागू करने तथा विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इससे उन्हें सुदृढ़ सामाजिक आधार प्राप्त हुआ। जापान के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा-चीन में जापान की आक्रामक गतिविधियाँ बढ़ती जा रही थीं। 1937 में साम्यवादियों तथा च्यांग काई शेक के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार दोनों ने संयुक्त रूप से जापानी आक्रमण का मुकाबला करने का निश्चय किया।

चीन – जापान युद्ध तथा संयुक्त मोर्चों की भूमिका – 1937 में जापान तथा चीन के बीच युद्ध छिड़ गया। यद्यपि संयुक्त मोर्चे की सेनाओं ने जापानी सेनाओं का वीरतापूर्वक मुकाबला किया, परन्तु उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा। साम्यवादियों ने जिस साहस और वीरता से जापानियों का मुकाबला किया, उससे चीनी लोग बड़े प्रभावित हुए। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया।

चीन में गृह-युद्ध और साम्यवादी दल की सफलता – अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने आत्म-समर्पण कर दिया और विश्व युद्ध का अन्त हो गया। शीघ्र ही चीन में साम्यवादियों तथा च्यांग काई शेक के सैनिकों के बीच गृह-युद्ध छिड़ गया, जिसमें च्यांग काई शेक को पराजय का मुँह देखना पड़ा। साम्यवादियों ने पीकिंग, शंघाई, नानकिंग, कैंटन आदि पर अधिकार कर लिया। च्यांग काई शेक फारमोसा भाग गया। 21 नवम्बर, 1949 को साम्यवादी दल के अध्यक्ष माओत्से तुंग ने चीन में चीनी जनवादी गणतन्त्र की स्थापना की घोषणा की।

प्रश्न 8.
क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?
उत्तर:
साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि और लोकतंत्रीकरण – सन् 1980 के अन्त में चुन यूसूइन संविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से राष्ट्रपति बने । चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए, लोकतांत्रिक प्रभाव का मजबूती से दमन किया। लेकिन चुन प्रशासन ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक दृष्टिकोण से, कोरिया के आर्थिक विका को 1980 के 1.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 1983 तक 13.2 प्रतिशत कर दिया और मुद्रा स्फीति को भी कम कर दिया।

(i) आर्थिक विकास ने शहरीकरण, शिक्षा के स्तर में सुधार और मीडिया की प्रगति को जन्म दिया। इसके फलस्वरूप नागरिकों में अपने राजनीतिक अधिकारों की आत्म जागरूकता बढ़ी, जिससे राष्ट्रपति के प्रत्यक्ष चुनावों के लिए संवैधानिक संशोधन की माँग की गई।

(ii) मई 1987 में एक विश्वविद्यालय के छात्र की अत्याचारों से मृत्यु हुई। इसके बाद नागरिकों ने लोकतंत्रीकरण के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। चुन सरकार के खिलाफ लोकतंत्रीय आंदोलन में छात्रों के साथ-साथ मध्यवर्ग के नागरिकों ने भी भाग लिया। इन प्रयासों के चलते चुन प्रशासन को संविधान में संशोधन के लिए मजबूर होना पड़ा और नागरिकों को सीधे चुनाव का अधिकार मिला। इस प्रकार आर्थिक विकास ने कोरियायी लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया।

आधुनिकीकरण के रास्ते JAC Class 11 History Notes

पाठ-सार

1. परिचय –
(i) चीन विशालकाय महाद्वीपीय देश है जिसमें कई तरह के जलवायु वाले क्षेत्र हैं; मुख्य क्षेत्र में हुआंग हे, छांग जियांग और पर्ल – तीन प्रमुख नदियाँ हैं। हान प्रमुख जातीय समूह है और प्रमुख भाषा चीनी है, लेकिन कई राष्ट्रीयताएँ हैं। चीनी खानों में क्षेत्रीय विविधता की झलक मिलती है। यहाँ गेहूँ और चावल मुख्य आधार हैं।

(ii) जापान एक द्वीप शृंखला है जिसमें चार बड़े द्वीप हैं। यह बहुत सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में है। अधिकतर जनसंख्या जापानी है। चावल यहाँ की मूल फसल है, मछली प्रोटीन का मुख्य स्रोत है।

(अ) जापान
1. जापान की राजनीतिक व्यवस्था – जापान पर क्योतो में रहने वाले सम्राट का शासन हुआ करता था, परन्तु 12वीं शताब्दी आते-आते वास्तविक सत्ता, शोगुनों के हाथ में आ गई जो राजा के नाम पर शासन करते थे। देश 250 भागों में विभाजित था जिनका शासन दैम्पो चलाते थे। शोगुन दैम्यो पर नियंत्रण रखते थे तथा राजधानी ‘एदो’ में रहते थे। समुराई शासन करने वाले कुलीन थे जो शोगुन और दैम्पो की सेवा में थे। 16वीं सदी में किसानों से हथियार ले लिए गए, दैम्पो को राजधानी क्षेत्रों में रहने के निर्देश दे दिए तथा राजस्व हेतु भूमि का वर्गीकरण किया गया। 17वीं सदी में यहाँ कई शहरी उभरे, वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ और जापान एक अमीर देश के रूप में उभरा।

2. मेजी पुनर्स्थापना – 1867-68 में मेजी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त किया गया। अब वास्तविक सत्ता सम्राट के हाथ में आ गई। 1870 के दशक में नई विद्यालय व्यवस्था का निर्माण हुआ । लड़के-लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य हो गया। आधुनिक सेना का गठन किया गया। कानून व्यवस्था बनायी गई। राष्ट्र के एकीकरण के लिए मेजी सरकार ने पुराने गाँवों और क्षेत्रीय सीमाओं को बदलकर नयाप्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। सेना और नौकरशाही को सीधा सम्राट के निर्देशन में रखा गया। ये दो गुट सरकारी नियंत्रण से बाहर रहे। इस वजह से चीन और रूस से जंग में जापान विजयी रहा और उसने अपना एक औपनिवेशिक साम्राज्य कायम किया।

3. अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण – रेल लाइनों का निर्माण किया गया तथा अनेक कारखानों की स्थापना की गई। आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं की शुरुआत हुई।

4. औद्योगिक मजदूर-औद्योगिक मजदूरों की संख्या 1870 में 7 लाख से बढ़कर 1913 में 40 लाख पहुँच गईं। कारखानों में भी मजदूरों की संख्या बढ़ गई।

5. आक्रामक राष्ट्रवाद – सम्राटं सैन्य बल का कमाण्डर था और 1890 से यह माना जाने लगा कि थलसेना और नौसेना का नियन्त्रण स्वतन्त्र है। अब उपनिवेश स्थापना पर बल दिया जाने लगा।

6. पश्चिमीकरण और परम्परा – कुछ बुद्धिजीवी जापान का ‘पश्चिमीकरण’ चाहते थे। कुछ विद्वान् पश्चिमी उदारवाद की ओर आकर्षित थे। कुछ लोग उदारवादी शिक्षा के समर्थक थे।

7. रोजमर्रा की जिंदगी – नया घर का मतलब मूल परिवार से था जहाँ पति-पत्नी साथ रहकर कमाते थे और घर बसाते थे।

8. आधुनिकता पर विजय – 1930-40 की अवधि में जापान ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए लड़ाइयाँ लड़ीं। 1943 में एक संगोष्ठी हुई ‘आधुनिकता पर विजय’। इसमें चर्चा हुई कि आधुनिक रहते हुए पश्चिम पर कैसे विजय प्राप्त की जाए।

9. पराजय के बाद – एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में वापसी – द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को पराजय का मुँह देखना पड़ा। अपनी भयंकर पराजय के बावजूद जापानी अर्थव्यवस्था का जिस तेजी से पुनर्निर्माण हुआ, उसे एक युद्धोत्तर ‘चमत्कार’ कहा गया है।

(ब) चीन
1. आधुनिक चीन की शुरुआत – अफीम युद्धों में पराजय के बाद चीन में एक आधुनिक प्रशासकीय व्यवस्था नई सेना और शिक्षा व्यवस्था की स्थापना की गई।

2. गणतन्त्र की स्थापना – 1911 में मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया गया और सनयात सेन के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई। डॉ. सेन के तीन सिद्धान्त थे –
(1) राष्ट्रवाद
(2) गणतन्त्रवाद
(3) समाजवाद।
सन यात सेन के विचार ‘कुओमीनतांग’ के राजनीतिक दर्शन के आधार बने। सनयात सेन के बाद च्यांग काई शेक कुओमीन तांग के नेता बनकर उभरे।

3. च्यांग काई – शेक-व्यांग काई शेक ने सैन्य अभियानों के द्वारा स्थानीय नेताओं को अपने नियन्त्रण में किया और साम्यवादियों का सफाया कर दिया। लेकिन कुओमीनतांग अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टि के चलते असफल हो गया।

4. चीनी साम्यवादी दल का उदय – 1921 में चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना हुई। माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी साम्यवादी पार्टी एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बनी।

5. नए जनवाद की स्थापना ( 1949-65 ) – पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार 1949 में स्थापित हुई। यह ‘नए लोकतान्त्रिक’ के सिद्धान्त पर आधारित थी। 1958 में लम्बी छलांग वाले आन्दोलन की नीति के द्वारा चीन का तेजी से औद्योगीकरण करने का प्रयास किया गया।

6. दर्शनों का टकराव – 1965 में माओ द्वारा महान् सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति शुरू की गई। इससे खलबली का दौर शुरू हो गया।

7. 1978 से शुरू होने वाले सुधार – 1978 में साम्यवादी पार्टी ने अपने चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की। यह था— विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास। 1989 में बीजिंग के तियानमेन चौक पर छात्रों के प्रदर्शन को क्रूरतापूर्वक दबाया गया।

8. ताइवान – गृह-युद्ध में चीनी साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के बाद चियांग काई – शेक 1949 में ताइवान भाग गया। वहाँ उन्होंने चीनी गणतन्त्र की घोषणा की। 1975 में च्यांग काई शेक की मृत्यु हो गई।

(स) कोरिया की कहानी –

(1) आधुनिकीकरण की शुरुआत – 1392 से 1910 तक कोरिया पर जोसोन वंश का शासन था लेकिन 1910 में जापान ने अपनी कोलोनी के रूप में कोरिया पर कब्जा कर लिया । जापानी औपनिवेशिक शासन 35 साल के बाद अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के साथ समाप्त हुआ। लेकिन मुक्ति के बाद कोरियाई महाद्वीप उत्तरी और दक्षिणी दो भागों में विभाजित हो गया जिसने 1948 में स्थायी रूप ले लिया।

(2) युद्धोत्तर राष्ट्र – जून 1950 में कोरियाई युद्ध शुरू हुआ जो जुलाई 1953 में युद्ध विराम समझौते से समाप्त हआ। युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया को अमरीका की आर्थिक सहायता लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1948 में सिन्गमैन री लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से राष्ट्रपति चुने गए लेकिन ‘री’ को 1960 में इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद मई, 1961 में सैन्य तख्तापलट हुआ।

(3) तीव्र औद्योगीकरण और मजबूत नेतृत्व – अक्टूबर, 1963 के चुनाव में सैन्य नेता ‘पार्क चुंग- ही ‘ राष्ट्रपति बने। पार्क – प्रशासन के दौरान 1960 के दशक में कोरिया का अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ। मजबूत नेताओं, प्रशिक्षित अफसरों, आक्रामक उद्योगपतियों और सक्षम श्रम बल के संयोजन से कोरिया आज सारे विश्व को आर्थिक वृद्धि से चौंका रहा है। 1979 में दूसरे तेल संकट और राजनीतिक अस्थिरता के चलते पार्क का प्रशासन अक्टूबर, 1979 में ‘पार्क चुंग ही’ की हत्या के साथ खत्म हो गया।

(4) लोकतंत्रीकरण की माँग और निरंतर आर्थिक विकास – 1980 में सांविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुन युसुइन राष्ट्रपति बने। उसने लोकतंत्री प्रभाव का मजबूती से दमन किया। लेकिन 1987 में उसे संविधान से संशोधन हेतु मजबूर होना पड़ा और नागरिकों को सीधे चुनाव का अधिकार मिला और कोरियाई लोकतंत्र का नया अध्ययन शुरू हुआ।

(5) कोरियाई लोकतंत्र और आई एम एफ संकट – 1971 के बाद पहला प्रत्यक्ष चुनाव दिसम्बर, 1987 में हुआ जिसमें एक सैनिक नेता ‘रोह ताए – वू’ का चुनाव हुआ। लेकिन कोरिया में लोकतंत्र जारी रहा। दिसम्बर, 1992 में एक नागरिक नेता ‘किम’ को राष्ट्रपति चुना गया। 1996 में किम प्रशासन ने ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ‘ में शामिल होने का निर्णय लिया। लेकिन खराब प्रबंधन के कारण 1997 में उसे विदेशी मुद्रा संगठन का सामना करना पड़ा। कोरिया में तब से निरन्तर लोकतंत्र जारी है। मई, 2017 में वहाँ मून जे इन ने राष्ट्रपति पद संभाला है।

आधुनिकता के दो मार्ग – जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ जहाँ पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभुत्व था। चीन का आधुनिकीकरण की यात्रा बहुत अलग थी। चीन के साम्यवादी दल ने परम्परा को समाप्त करने की लड़ाई लड़ी।

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