JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो –
1. किस प्रकार की कृषि को Slash and Burn कृषि कहते हैं ?
(A) आदि निर्वाह
(B) गहन निर्वाह
(C) रोपण
(D) व्यापारिक।
उत्तर:
(A) आदि निर्वाह

2. भारत का किस फ़सल के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चावल

3. भारत में कौन-सा राज्य ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(A) पंजाब
(B) महाराष्ट्र
(C) कर्नाटक
(D) राजस्थान
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र

4. किस फ़सल उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है ?
(A) पटसन
(B) कहवा
(C) चाय
(D) चावल
उत्तर:
(C) चाय

5. बाबा बूदन पहाड़ियों पर किस फ़सल की कृषि आरम्भ की गई ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(B) कहवा

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6. ‘सोने का रेशा’ किसे कहते हैं ?
(A) कपास
(B) रेशम
(C) पटसन
(D) ऊन।
उत्तर:
(C) पटसन

7. निम्नलिखित में से कौन-सी रबी की फ़सल है ?
(A) चावल
(B) मोटा अनाज
(C) चना
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चना

8. कौन-सी फ़सल दलहन फ़सल है ?
(A) दालें
(B) मोटा अनाज
(C) ज्वार
(D) तोरिया।
उत्तर:
(A) दालें

9. किसी फ़सल की सहायता के लिए कौन-सा मूल्य निर्धारित किया जाता है ?
(A) उच्चतम समर्थन मूल्य
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य
(C) दरमियाना समर्थन मूल्य
(D) प्रभावशाली समर्थन मूल्य।
उत्तर:
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य

10. कपास के लिए कितने दिन का पाला रहित मौसम चाहिए ?
(A) 100
(B) 150
(C) 200
(D) 250
उत्तर:
(C) 200

11. कौन – सा राज्य सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्य है ?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) उत्तर प्रदेश
(D) राजस्थान
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

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12. भारत में कुल खाद्य उत्पादन कितना है ?
(A) 7 करोड़ टन
(B) 10 करोड़ टन
(C) 15 करोड़ टन
(D) 23 करोड़ टन।
उत्तर:
(D) 23 करोड़ टन।

13. किस ऋतु में खरीफ़ की फ़सलें बोई जाती हैं ?
(A) शीत
(B) ग्रीष्म
(C) बसन्त
(D) पतझड़।
उत्तर:
(A) शीत

14. भारत के निवल कृषि क्षेत्र हैं
(A) 77%
(B) 67%
(C) 45%
(D) 43%.
उत्तर:
(D) 43%.

15. भारत में खाद्य फ़सलों के अधीन क्षेत्र हैं
(A) 34%
(B) 44%
(C) 54%
(D) 64%
उत्तर:
(C) 54%

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions )

प्रश्न 1.
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में कितने प्रतिशत भाग पर कृषि होती है ?
उत्तर:
– 47%

प्रश्न 2.
भारत में परती भूमि कितने प्रतिशत है ?
उत्तर:
7.6%

प्रश्न 3.
भारत में औसत शस्य गहनता कितनी है ?
उत्तर:
135%

प्रश्न 4.
भारत में खाद्यान्न उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
320 करोड़ टन।

प्रश्न 5.
भारत में चावल का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
850 लाख टन।

प्रश्न 6.
भारत में गेहूँ का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
-687 लाख टन।

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प्रश्न 7.
भारत में गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उपज कितनी है ?
उत्तर:
2743 कि० ग्रा० प्रति हेक्टेयर।

प्रश्न 8.
भारत में दालों का कुल उत्पादन बताओ।
उत्तर:
1 करोड़ टन।

प्रश्न 9.
भारत में तिलहन का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
1.89 करोड टन।

प्रश्न 10.
भारत में चाय की कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
8 लाख टन।

प्रश्न 11.
भारत में कितने प्रतिशत लोग जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं ?
उत्तर:
70 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
परती भूमि क्या है ?
उत्तर:
वह भूमि जिसमें एक से पांच वर्ष तक कोई फ़सल न उगाई गई हो।

प्रश्न 13.
शुद्ध बोये गए क्षेत्र की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
दूसरा स्थान।

प्रश्न 14.
भारत में शस्य गहनता किस राज्य में सर्वाधिक है ?
उत्तर:
पंजाब – 189 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
वे तीन उद्देश्य बताओ जिनके लिए भूमि का प्रयोग होता है ?
उत्तर:
उत्पादन, निवास तथा मनोरंजन।

प्रश्न 16.
उस सरकारी संस्था का नाम बताओ जो भौगोलिक क्षेत्रफल के आंकड़े प्रदान करती हैं ?
उत्तर:
सर्वे ऑफ इण्डिया

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प्रश्न 17.
किस भूमि को सांझा सम्पत्ति संसाधन कहते हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण पंचायतों के अधिकार में भूमि।

प्रश्न 18.
भूमि को परती क्यों छोड़ा जाता है ?
उत्तर:
ताकि भूमि अपनी खोई हुई उर्वरता पुनः प्राप्त कर सके।

प्रश्न 19.
फ़सलों की गहनता ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
फ़सल गहनता =
कुल बोया गया क्षेत्र
शुद्ध बोया गया क्षेत्र
x 100

प्रश्न 20.
भारत में फ़सलों की मुख्य ऋतुएं बताओ।
उत्तर:
खरीफ़, रबी तथा जायद।

प्रश्न 21.
आर्द्रता के आधार पर दो प्रकार की कृषि बताओ।
उत्तर:
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि

प्रश्न 22.
पश्चिमी बंगाल में वर्ष में बोई जाने वाली चावल की तीन किस्में बताओ।
उत्तर:
ओस, अमन, बोरो।

प्रश्न 23.
भारत में बोये जाने वाले प्रमुख तिलहन बताओ।
उत्तर:
मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी।

प्रश्न 24.
पंजाब में लम्बे रेशे वाली कपास को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
नरमा।

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प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल में चाय के तीन उत्पादक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार।

प्रश्न 26.
भारत में उत्पन्न किए जाने वाले कहवे के तीन प्रकार बताओ।
उत्तर:
अरेबिका, रोबस्टा, लाईबीरिका।

प्रश्न 27.
भारत तथा विश्व में भूमि – मानव अनुपात क्या है ?
उत्तर:
0.31 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति भारत में 0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति विश्व में

प्रश्न 28.
भारत में कितने क्षेत्र में जल सिंचाई होती है ?
उत्तर:
204.6 लाख हेक्टेयर में

प्रश्न 29.
भारत में कितने क्षेत्र में लवणता तथा क्षारता के कारण भूमि व्यर्थ हुई है ?
उत्तर:
80 लाख हेक्टेयर।

प्रश्न 30.
बहुफ़सलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर:
परती भूमि में कमी हुई रश्न

प्रश्न 31.
भारत की दो प्रमुख अनाजी फ़सलें बताओ। कोई दो राज्यों के नाम लिखो जो कि इन फ़सलों के प्रमुख उत्पादक हैं।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल प्रमुख अनाजी खाद्यान्न हैं।
प्रमुख उत्पादक –
(क) गेहूँ – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।
(ख) चावल – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।

प्रश्न 32.
भारत में कॉफ़ी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य
उत्तर:
कर्नाटक

प्रश्न 33.
भारत में कॉफी की किस किस्म का अधिक उत्पादन होता है ?
उत्तर:
अरेबिका कॉफी।

प्रश्न 34.
औस, अमन और बोरो किस खाद्य फ़सलों के नाम हैं ?
उत्तर:
चावल।

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प्रश्न 35.
भारत में शुष्क कृषि वाले प्रदेशों की एक फ़सल का नाम लिखो।
उत्तर:
बाजरा।

प्रश्न 36.
भारत में अधिकतम चावल पैदा करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 37.
भारत में चाय का अधिकतम उत्पादन करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
असम

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौगोलिक क्षेत्र तथा रिपोर्टिंग क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूराजस्व विभाग भू-उपयोग सम्बन्धी अभिलेख रखता है। भू-उपयोग संवर्गों का योग कुल प्रतिवेदन (रिपोर्टिंग ) क्षेत्र के बराबर होता है जो कि भौगोलिक क्षेत्र से भिन्न है । भारत की प्रशासकीय इकाइयों के भौगोलिक क्षेत्र की सही जानकारी देने का दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग पर है । भूराजस्व तथा सर्वेक्षण विभाग दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि भू-राजस्व द्वारा प्रस्तुत क्षेत्रफल पत्रों के अनुसार रिपोर्टिंग क्षेत्र पर आधारित है जो कि कम या अधिक हो सकता है। कुल भौगोलिक क्षेत्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण पर आधारित है तथा यह स्थायी है।

प्रश्न 2.
वास्तविक वन क्षेत्र तथा वर्गीकृत वन क्षेत्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
वास्तविक वन क्षेत्र वर्गीकृत वन क्षेत्र से भिन्न होता है। वर्गीकृत वन क्षेत्र का सरकार द्वारा सीमांकन किया जाता है जहां वन विकसित हो सकें। परन्तु वास्तविक वन क्षेत्र वह क्षेत्र है जो वास्तविक रूप से वनों से ढके हैं।

प्रश्न 3.
कृषि भूमि पर निरन्तर दबाव के कारण बताओ।
उत्तर:
यद्यपि समय के साथ, कृषि क्रियाकलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है, भूमि पर कृषि क्रियाकलापों का दबाव कम नहीं होता। कृषि भूमि पर बढ़ते दबाव के कारण हैं –
(अ) प्रायः विकासशील देशों में कृषि पर निर्भर व्यक्तियों का अनुपात अपेक्षाकृत धीरे-धीरे घटता है जबकि कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान तीव्रता से कम होता है।
(ब) वह जनसंख्या में कृषि सेक्टर पर निर्भर होती है। प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।

प्रश्न 4.
भू-उपयोग के कौन-से वर्गों के क्षेत्र में वृद्धि हुई है तथा क्यों ?
उत्तर:
तीन संवर्गों में वृद्धि व चार संवर्गों के अनुपात में कमी दर्ज की गई है। वन क्षेत्रों, गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि, वर्तमान परती भूमि आदि के अनुपात में वृद्धि हुई है। वृद्धि के निम्न कारण हो सकते हैं –

  1. ग़ैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि दर अधिकतम है। इसका कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती संरचना है, जिसकी निर्भरता औद्योगिक व सेवा सेक्टरों तथा अवसंरचना सम्बन्धी विस्तार पर उत्तरोतर बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त गांवों व शहरों में, बस्तियों के अन्तर्गत क्षेत्रफल में विस्तार से भी इसमें वृद्धि हुई है।
  2. देश में वन क्षेत्र में वृद्धि सीमांकन के कारण हुई न कि देश में वास्तविक वन आच्छादित क्षेत्र के कारण।
  3. वर्तमान परती क्षेत्र में वृद्धि वर्षा की अनियमितता तथा फ़सल – चक्र पर निर्भर है।

प्रश्न 5.
भू-उपयोग के किन वर्गों के क्षेत्र में कमी हुई है ?
उत्तर:
वे चार भू-उपयोग संवर्ग, जिनमें क्षेत्रीय अनुपात में गिरावट आई है – बंजर, व्यर्थ भूमि व कृषि योग्य व्यर्थ भूमि, चरागाहों तथा तरु फ़सलों के अन्तर्गत क्षेत्र तथा निवल बोया गया क्षेत्र।
कारण –

  1. समय के साथ जैसे – जैसे कृषि तथा गैर कृषि कार्यों हेतु भूमि पर दबाव बढ़ा, वैसे-वैसे व्यर्थ एवं कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में समयानुसार कमी इसकी साक्षी है।
  2. निवल बोए गए क्षेत्र में धीमी वृद्धि दर्ज की जाती रही है। निवल बोए गए क्षेत्र में न्यूनता का कारण ग़ैर-कृषि में प्रयुक्त भूमि के अनुपात का बढ़ना हो सकता है।
  3. चरागाह भूमि में कमी का कारण कृषि पर बढ़ता दबाव है।

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प्रश्न 6.
दक्षिणी भारत में फ़सलों की ऋतुओं में विशेष परिवर्तन नहीं होता। क्यों ?
उत्तर:
फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है यद्यपि इस प्रकार की पृथक् फ़सल ऋतुएं देश के दक्षिण भागों में नहीं पाई जातीं। यहां का अधिकतम तापमान वर्षभर किसी भी उष्ण कटिबन्धीय फ़सल की बुवाई में सहायक है, इसके लिए पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए देश के इस भाग में, जहां भी पर्याप्त मात्रा में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं, एक कृषि वर्ष में एक ही फ़सल तीन बार उगाई जा सकती है।

प्रश्न 7.
भारत में कृषि विकास के समर्थन में तीन कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।

  1. वर्ष 2001 में देश की लगभग 53 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी।
  2. भारत में कृषि की महत्ता इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि देश के 57 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती; जबकि विश्व में कुल भूमि पर केवल 12 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती है।
  3. भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि के अन्तर्गत होने के बावजूद यहां भूमि पर दबाव अधिक है। यहां प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल 0.31 हेक्टेयर है जो विश्व औसत (0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति) से लगभग आधा है। भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात्, अनेक कठिनाइयों के बावजूद कृषि में अत्यधिक प्रगति की है।

प्रश्न 8.
कृषि की परिभाषा दो। कृषि के लिए किन दशाओं की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
भूमि से उपज प्राप्त करने की कला को कृषि कहते हैं। मिट्टी को जोतने, गोड़ने, फ़सलें उगाने तथा पशु पालने की कार्य-प्रणाली को कृषि कहते हैं। अंग्रेज़ी का ‘एग्रीकल्चर’ (Agriculture) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों ‘एगर’ (ager) अर्थात् भूमि तथा ‘कल्चरा’ (cultura) अर्थात् जुताई से मिलकर बना है। इस प्रकार कृषि का अर्थ है जुताई करना ( फसलें उगाना) और पशुओं का पालना।

कृषि के लिए आवश्यक दशाएं – हम सभी जानते हैं कि सारी भूमि कृषि के योग्य नहीं होती हैं। फ़सलें उगाने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है –
भौतिक दशाएं – समतल भूमि, उपजाऊ मृदा, पर्याप्त वर्षा और अनुकूल तापमान।
मानवीय दशाएं – मनुष्य के द्वारा भूमि का उपयोग इन बातों पर भी निर्भर करता है – प्रौद्योगिकी, काश्तकारी की अवधि तथा उनका आकार, सरकारी नीतियां और अन्य अनेक अवसंरचनात्मक कारक।

प्रश्न 9.
भारत में बोया गया शुद्ध क्षेत्र कितना है ? इसका विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
1950-51 में बोया गया शुद्ध क्षेत्र 11.87 करोड़ हेक्टेयर था, जो बढ़कर 1998-99 में 14.26 करोड़ हेक्टेयर हो गया था। इस प्रकार देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्र के 46.59 प्रतिशत भाग में आजकल खेती होती है, जबकि 1950-51 में यह 36.1 प्रतिशत था। लगभग 2.34 करोड़ हेक्टेयर भूमि परती है, जो कुल प्रतिवेदित क्षेत्र का 7.6 के प्रतिशत है। इस प्रकार भारत का आधे से अधिक क्षेत्र कृषि के अन्तर्गत है । यहां यह जानना प्रासंगिक होगा कि कुल भौगोलिक क्षेत्र के सन्दर्भ में भारत का संसार में सातवां स्थान है, लेकिन कृषि के अन्तर्गत भूमि के सन्दर्भ में इसका दूसरा स्थान है। प्रथम स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो भूमि- क्षेत्र में भारत में ढाई गुना बड़ा।

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प्रश्न 10.
भारत में बोये गए शुद्ध क्षेत्रफल का उच्च अनुपात क्यों है ?
उत्तर:
कुल भौगोलिक क्षेत्र के अनुपात में बोया गया शुद्ध क्षेत्र सभी राज्यों में एक समान नहीं है। अरुणाचल प्रदेश में शुद्ध बोया गया क्षेत्र 3.2 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा और पंजाब में यह 82.20 प्रतिशत है। सतलुज गंगा के जलोढ़ मैदान, गुजरात के मैदान, काठियावाड़ का पठार, महाराष्ट्र का पठार, पश्चिमी बंगाल का मैदान, अत्यधिक कृषि क्षेत्र हैं। कृषि क्षेत्र के इतने अधिक अनुपात के कारण ये हैं –

  1. सामान्य ढाल वाली भूमि
  2. उपजाऊ और आसानी से जुताई योग्य जलोढ़ और
  3. काली मृदा
  4. अनाज की कृषि के लिए अनुकूल जलवायु
  5. सिंचाई की उत्तम सुविधाएं तथा
  6. जनसंख्या के उच्च घनत्व का अत्यधिक दबाव।

पर्वतीय और सूखे क्षेत्रों का उच्चावच, जलवायु और मृदा और कृषि के लिए उपयुक्त नहीं है, अतः इन क्षेत्रों में कृषि की व्यापकता कम है ।

प्रश्न 11.
पंजाब राज्य में सर्वाधिक शस्य गहनता के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
पंजाब राज्य में भारत में सर्वाधिक शस्य गहनता 189 प्रतिशत है। पंजाब राज्य में 94 प्रतिशत से अधिक फ़सलगत क्षेत्र सिंचित हैं। सिंचाई अधिक शस्य गहनता का प्रमुख निर्धारक है। मृदा की सुघट्यता तथा उर्वरता भाग शस्य गहनता को अधिक करती है। जनसंख्या का अधिक दबाव भी शस्य गहनता को प्रभावित करता है । आधुनिक अधिक उपज देने वाली फसलें भी शस्य गहनता को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 12.
‘भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। व्याख्या करो
उत्तर:
भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। 14.28 करोड़ हेक्टेयर के फ़सलगत शुद्ध क्षेत्र ( 1996-97 ) में से केवल 5.51 करोड़ हेक्टेयर ( 38.5%) क्षेत्र तक ही सिंचित है। मोटे अनाज और ज्वार, बाजरा, दालें, तिलहन और कपास मुख्य वर्षा पोषित फ़सलें हैं। 75 से० मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे वर्षापोषित कृषि कहते हैं

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प्रश्न 13.
वर्तमान समय में भारतीय कृषि की किन्हीं तीन आर्थिक समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:

  1. विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है ।
  2. कृषि में अधिक उपज देने वाले बीजों, उर्वरक के सीमित प्रयोग के कारण उत्पादकता निम्न है।
  3. भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिन प्रति दिन बढ़ रहा है । परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फ़सलगत भूमि में कमी हो रही है। यह भूमि 0.219 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

प्रश्न 14.
भारत में फ़सल प्रतिरूपों का वर्णन करो।
उत्तर:
फ़सल प्रतिरूप (Cropping Pattern) – सभी फ़सलों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है – खाद्य फ़सलें तथा ग़ैर-खाद्य फ़सलें । खाद्य फ़सलों का पुनः तीन उपवर्गों में विभाजन किया जा सकता है –

  1. अनाज और ज्वार बाजरा
  2. दालें और
  3. फल तथा सब्ज़ियां।

अनाज, ज्वार – बाजरा और दालों को सामूहिक रूप से खाद्यान्न भी कहते हैं। ग़ैर-खाद्य फ़सलों में तिलहन, रेशेदार फ़सलें, अनेक रोपण फ़सलें तथा चारे की फ़सलें प्रमुख हैं ।

प्रश्न 15.
भारत में कृषि उत्पादकता अभी भी कम क्यों है ? तीन प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
भारत में प्रति हेक्टेयर फ़सलों की उपज कम है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. अधिक उपज वाले बीजों का कम प्रयोग – केवल 16% कृषिकृत भूमि HYV बीजों के अधीन है।
  2. पुरानी कृषि विधियां – मृदा का उपजाऊपन निरन्तर कम हो रहा है। उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं है। कीटनाशक तथा उत्तम बीजों का प्रयोग कम है।
  3. निम्न निवेश – किसान निर्धन है, पूंजी की कमी के कारण कृषि में अधिक निर्वेश नहीं है। जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण जोतों का आकार घट रहा है। जल सिंचाई का प्रयोग सीमित है। इसलिए उत्पादकता कम है।

प्रश्न 16.
भारत में हरित क्रान्ति की तीन प्रमुख उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हरित क्रान्ति की सबसे अधिक उल्लेखनीय उपलब्धि खाद्यान्नों के उत्पादन में भारी वृद्धि है। खाद्यान्नों का उत्पादन 1965-66 में 7.2 करोड़ टन था जो 2010-11 में 23 करोड़ टन हो गया।
  2. घरेलू उत्पादन में वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्यान्नों का आयात घटते घटते अब बिल्कुल समाप्त हो गया है। 1965 में खाद्यान्नों का आयात 1.03 करोड़ टन था जो घटकर 1983-84 में 24 लाख टन रह गया तथा अब कोई आयात नहीं है।
  3. कृषिकृत क्षेत्र में तथा उपज प्रति हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग, जल सिंचाई तथा उर्वरक के प्रयोग में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 17.
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि की तीन-तीन विशेषताएं बताते हुए अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

  1. शुष्क कृषि उन प्रदेशों तक सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सें० मी० से कम है। जबकि आर्द्र कृषि (75 सें० मी० से अधिक) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है ।
  2. शुष्क कृषि में आर्द्रता संरक्षण विधियां अपनाई जाती हैं जबकि आर्द्र कृषि क्षेत्रों में बाढ़ों तथा मृदा अपरदन की समस्याएं होती हैं ।
  3. शुष्क कृषि में कठोर फ़सलें तथा शुष्क वातावरण सहन करने वाली फ़सलें बोई जाती हैं जैसे रागी, बाजरा, मूंग आदि । परन्तु आर्द्र कृषि में चावल, पटसन, गन्ने की कृषि होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वामित्व के आधार पर भूमिका का वर्गीकरण करो। साझा सम्पत्ति संसाधनों की विशेषताएं बताओ। उन्हें प्राकृतिक संसाधन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि के स्वामित्व के आधार पर इसे मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटा जाता है।
(1) निजी भू-सम्पत्ति तथा
(2) साझा सम्पत्ति संसाधन।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

पहले वर्ग की भूमिका पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व अथवा कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है। दूसरे वर्ग की भूमियां सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती हैं । साझा सम्पत्ति संसाधन – पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे – फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि उपलब्ध कराती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे कृषकों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्त्व है; क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर हैं। महिलाओं के लिए भी इन भूमियों का विशेष महत्त्व है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की ज़िम्मेदारी उन्हीं की होती है । इन भूमियों में कमी से उन्हें चारे तथा ईंधन की तलाश में दूर तक भटकना पड़ता है।

साझा सम्पत्ति संसाधनों को सामुदायिक प्राकृतिक संसाधन भी कहा जा सकता है, जहां सभी सदस्यों को इसके उपयोग का अधिकार होता है तथा किसी विशेष के सम्पत्ति अधिकार न होकर सभी सदस्यों के कुछ विशेष कर्त्तव्य भी हैं। सामुदायिक वन, चरागाहों, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा सम्पत्ति संसाधन के ऐसे उदाहरण हैं जिसका उपयोग एक परिवार से बड़ी इकाई करती है तथा यही उसके प्रबन्धन के दायित्वों का निर्वहन करती हैं ।

प्रश्न 2.
भूमि संसाधनों का क्या महत्त्व है ? तीन तथ्य बताओ।
उत्तर:
भू-संसाधनों का महत्त्व उन लोगों के लिए अधिक है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है

  1. द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। अन्य शब्दों में, कृषि उत्पादन में भूमि का योगदान अन्य सैक्टरों में इसके योगदान से अधिक है। अतः ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता प्रत्यक्ष रूप से वहां की ग़रीबी से सम्बन्धित है।
  2. भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है जो अन्य कार्यों में नहीं है
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में भू-स्वामित्व का आर्थिक मूल्य के अतिरिक्त सामाजिक मूल्य भी है तथा प्राकृतिक आपदाओं या निजी विपत्ति में एक सुरक्षा की भांति है एवं समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाता है।

प्रश्न 3.
भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की सम्भावनाएं सीमित हैं।’ व्याख्या करो कि किस प्रकार कृषि भूमि में वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर:
समस्त कृषि भूमि संसाधनों का अनुमान – निवल बोया गया क्षेत्र तथा सभी प्रकार की परती भूमि और कृषि योग्य व्यर्थ भूमियों के योग से लगाया जा सकता है। तालिका 5.1 से यह निष्कर्ष निकालता है कि पिछले वर्षों में समस्त रिपोर्टिंग क्षेत्र से कृषि भूमि का प्रतिशत कम हुआ है । कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में कमी के बावजूद कृषि योग्य भूमि में कमी आई है। भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं सीमित हैं । अतः भूमि बचत प्रौद्योगिकी विकसित करना आज अत्यन्त आवश्यक है।

यह प्रौद्योगिकी दो भागों में बांटी जा सकती हैं- पहली, वह जो प्रति इकाई भूमि में फ़सल विशेष की उत्पादकता बढ़ाएं तथा दूसरी, वह प्रौद्योगिकी जो एक कृषि में गहन भू-उपयोग से सभी फ़सलों का उत्पादन बढ़ाएं। दूसरी प्रौद्योगिकी का लाभ यह है कि इसमें सीमित भूमि से भी कुल उत्पादन बढ़ने के साथ श्रमिकों की मांग भी पर्याप्त रूप से बढ़ती है। भारत जैसे देश में भूमि की कमी तथा श्रम की अधिकता है, ऐसी स्थिति में फ़सल सघनता की आवश्यकता केवल भू-उपयोग हेतु वांछित है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी जैसी आर्थिक समस्या को भी कम करने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत में विभिन्न फ़सलों की ऋतुओं का वर्णन करो। प्रत्येक ऋतु में बोई जाने वाली फ़सलें बताओ ।
उत्तर:
हमारे देश के उत्तरी व आन्तरिक भागों में तीन प्रमुख फ़सल ऋतुएं- खरीफ, रबी व ज़ायद के नाम से जानी जाती हैं।

  1. खरीफ़ की फ़सलें अधिकतर दक्षिण-पश्चिमी मानसून के साथ बोई जाती हैं जिसमें उष्ण कटिबन्धीय फ़सलें सम्मिलित हैं, जैसे- चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर आदि।
  2. रबी की ऋतु अक्तूबर-नवम्बर में शरद ऋतु से प्रारम्भ होकर मार्च-अप्रैल में समाप्त होती है। इस समय कम तापमान शीतोष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय फ़सलों जैसे- गेहूं, चना तथा सरसों आदि फ़सलों की बुवाई में सहायक है।
  3. ज़ायद एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन, फ़सल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारम्भ होता है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्ज़ियां व चारे की फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।

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प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में वर्षा की कमी के बावजूद चावल की कृषि होती है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब व हरियाणा पारम्परिक रूप से चावल उत्पादक राज्य नहीं हैं। हरित क्रान्ति के अन्तर्गत हरियाणा, पंजाब के सिंचित क्षेत्रों में चावल की कृषि 1970 से प्रारम्भ की गई। उत्तम किस्म के बीजों, अपेक्षाकृत अधिक खाद सिंचाई तथा कीटनाशकों का प्रयोग एवं शुष्क जलवायु के कारण फ़सलों में रोग प्रतिरोधता आदि कारक इस प्रदेश में चावल की अधिक पैदावार के उत्तरदायी हैं। इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा के वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में बहुत कम है।

प्रश्न 6.
रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि में अन्तर बताओ।
उत्तर:
आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर ( बारानी ) कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अन्तर पाया जाता है, जैसे- रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि । रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फ़सलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। इस प्रकार की सिंचाई का उद्देश्य अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना है। उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फ़सलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर उत्पादकता प्राप्त कराना है । उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है।

प्रश्न 7.
भारत में बोए जाने वाले प्रमुख तिलहन तथा उनके क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
खाद्य तेल निकालने के लिए तिलहन की खेती की जाती है। मालवा पठार, मराठवाड़ा, गुजरात, राजस्थान शुष्क भागों तथा आंध्र प्रदेश के तेलंगाना व रायलसीमा प्रदेश, भारत के प्रमुख तिलहन उत्पादक क्षेत्र हैं। देश के कुल शस्य क्षेत्र के लगभग 14 प्रतिशत भाग पर तिलहन फसलें बोई जाती हैं। भारत की प्रमुख तिलहन फ़सलों में मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन तथा सूरजमुखी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 8.
भारत में कृषि वृद्धि तथा प्रौद्योगिकी के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
पिछले पचास वर्षों में कृषि उत्पादन तथा प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है।
1. उत्पादन – बहुत-सी फ़सलों जैसे- चावल तथा गेहूँ के उत्पादन तथा पैदावार में प्रभावशाली वृद्धि हुई है तथा फ़सलों मुख्यतः गन्ना, तिलहन तथा कपास के उत्पादन में प्रशंसनीय वृद्धि हुई है। भारत को दालों, चाय, जूट तथा पशुधन, दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है। यह चावल, गेहूँ, मूंगफली, गन्ना तथा सब्ज़ियों का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।

2. जल सिंचाई – सिंचाई के प्रसार ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इसने आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी जैसे बीजों की उत्तम किस्में, रासायनिक खादों, कीटनाशकों तथा मशीनरी के प्रयोग के लिए आधार प्रदान किया है। 1950-51 से वर्ष 2000-01 तक, कुल सिंचित क्षेत्र 208.5 लाख से बढ़कर 546.6 लाख हेक्टेयर हो गया।

3. प्रौद्योगिकी – देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का प्रसार तीव्रता से हुआ है। पिछले 40 वर्षों में रासायनिक उर्वरकों की खपत में भी 15 गुना वृद्धि हुई है। भारत में वर्ष 2001-02 में रासायनिक उर्वरकों की प्रति हेक्टेयर खपत 91 किलोग्राम थी, जो विश्व की औसत खपत ( 90 किलोग्राम) के समान थी परन्तु पंजाब तथा हरियाणा के सिंचित भागों में यह देश की औसत खपत से चार गुना अधिक है।

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प्रश्न 9.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान (Agricultural) देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन-यापन की एक विधि है। देश की कुल श्रमिक शक्ति का 70% भाग कृषि कार्य में लगा हुआ है। देश के शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net national product) में 26 प्रतिशत का योगदान है। कृषि देश की लगभग 100 करोड़ जनसंख्या को भोजन प्रदान करती है। लगभग 20 करोड़ पशु कृषि से ही चारा प्राप्त करते हैं। कृषि नई महत्त्वपूर्ण उद्योगों जैसे सूती वस्त्र, पटसन, चीनी आदि को कच्चा माल प्रदान करती है। कई कृषि पदार्थ निर्यात करके लगभग 5000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त की जाती है जोकि देश के कुल निर्यात का लगभग 10% है।

प्रश्न 10.
भारतीय कृषि को कौन-से पर्यावरणीय कारक एक सशक्त आधार प्रदान करते हैं ?
उत्तर:
भारत में शताब्दियों से कृषि का विकास किया जा रहा है। यहां अनेक प्रकार की फ़सलों की कृषि की जाती है। भारत चावल, गेहूँ, पटसन, कपास, चाय, गन्ना आदि उपजों में विश्व में विशेष स्थान रखता है। निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं कृषि को एक सशक्त आधार प्रदान करती हैं –

  1. विशाल भूमि क्षेत्र
  2. कृषिगत भूमि का उच्च प्रतिशत
  3. उपजाऊ मृदा
  4. लम्बा वर्द्धन काल (Long growing period)
  5. दीर्घ जलवायु परास (Wide climatic range)

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प्रश्न 11.
फ़सलों की गहनता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फ़सलों की गहनता (Intensity of Cropping) से अभिप्राय यह है कि एक खेत में एक कृषि वर्ष में कितनी फ़सलें उगाई जाती हैं। यदि वर्ष में केवल एक फ़सल उगाई जाती है तो फ़सल का सूचकांक 100 है, यदि दो फ़सलें उगाई जाती हैं तो यह सूचकांक 200 होगा। अधिक फ़सल अधिक भूमि उपयोग की क्षमता प्रकट करती है।
शस्य गहनता को निम्नलिखित सूत्र की मदद से निकाला जा सकता है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 1
पंजाब राज्य में शस्य गहनता 166 प्रतिशत, हरियाणा में 158 प्रतिशत, पश्चिमी बंगाल में 147 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 145 प्रतिशत है। उच्चतर शस्य गहनता वास्तव में कृषि के उच्चतर तीव्रीकरण को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 12.
शुष्क कृषि का क्या अर्थ है ?
अथवा
शुष्क कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शुष्क कृषि (Dry Farming):
75 से० मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में या जल सिंचाई रहित प्रदेशों में शुष्क कृषि की जाती है। यह कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहां नमी को देर तक रख सकने वाली मिट्टी हो या पानी को एकत्रित करने की सुविधा हो। वर्षा से पहले खेतों को जोत कर मिट्टी मुलायम कर देते हैं ताकि वर्षा का जल गहराई तक पहुंच सके। ऐसे प्रदेशों में वर्ष में एक ही फ़सल उगाई जाती है। प्रायः गेहूँ, कपास, चने तथा दालों की फ़सलें उगाई जाती हैं। भारत में राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कई क्षेत्रों में शुष्क खेती होती है।

प्रश्न 13.
परती भूमि से क्या अभिप्राय है ? परती भूमि की अवधि को किस प्रकार घटाया जा सकता है ?
उत्तर”
एक ही खेत पर लम्बे समय तक लगातार फ़सलें उत्पन्न करने से मृदा के पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। मृदा की उपजाऊ शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए भूमि को एक मौसम या पूरे वर्ष बिना कृषि किये खाली छोड़ दिया जाता है। इस भूमि को परती भूमि (Fallow land) कहते हैं। इस प्राकृतिक क्रिया द्वारा मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है। जब भूमि को एक मौसम के लिए खाली छोड़ा जाता है तो उसे चालू परती भूमि कहते हैं। एक वर्ष से अधिक समय वाली भूमि को प्राचीन परती भूमि कहते हैं। इस भूमि में उर्वरक के अधिक उपयोग से परती भूमि की अवधि को घटाया जा सकता है।

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प्रश्न 14.
शस्यावर्तन किसे कहते हैं ? शस्यावर्तन क्यों अपनाया जाता है ?
अथवा
उत्तर:
एक ही खेत में फ़सलों को बदल-बदल कर बोने की पद्धति को शस्यावर्तन (Crop Rotations) कहते हैं । उदाहरण के लिए एक खेत में अनाज की फ़सल के बाद दालें या तिलहन की फ़सल उपजाई जाती है। फ़सलों का चुनाव मिट्टी के उपजाऊपन तथा किसान की समझदारी पर निर्भर करता है। यदि किसी भूमि पर बार-बार एक ही फ़सल उगाई जाए तो मिट्टी के उपजाऊ तत्त्व कम हो जाते हैं। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए शस्यावर्तन अपनाया जाता है। अनाज की फ़सल के बाद सामान्य फलियों की फ़सल बोई जाती है। यह फसल मृदा में नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर देती है।

प्रश्न 15.
भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलों के नाम बताइए। इन दोनों फ़सलों की जलवायु तथा मृदा सम्बन्धी आवश्यकताओं में तीन असमानताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलें हैं। गेहूँ को शीत- आर्द्र उपज काल तथा पकते समय गर्म – शुष्क मौसम चाहिए। चावल की कृषि के लिए वर्ष भर गर्म-आर्द्र मौसम की आवश्यकता है। गेहूँ की कृषि के लिए दरमियानी वर्षा (50 से० मी०) तथा चावल की कृषि के लिए अधिक वर्षा (200 से० मी०) की आवश्यकता है। गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है जबकि चावल की कृषि नदी घाटियों की जलोढ़ मिट्टी में की जाती है।

प्रश्न 16.
खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
रबी फसलें (Rabi Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं।
  2. गेहूँ, जौ, चना आदि रबी की फसलें हैं।
  3. ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

खरीफ़ फ़सलें (Kharif Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
  2. चावल, मक्का, कपास, तिलहन खरीफ़ की फ़सलें हैं।
  3. ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 17.
गन्ने के लिए जलवायु की दशाएं दक्षिणी भारत में अधिक उत्तम हैं, फिर भी गन्ने का अधिक उत्पादन उत्तरी भारत में होता है। इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर:
गन्ना एक उष्ण कटिबन्धीय फ़सल है। इसकी उपज के लिए जलवायु की आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। इसकी अधिक उत्पादकता के सभी क्षेत्र 15° उत्तर अक्षांश के दक्षिण में मिलते हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। यह उपज 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक है जबकि उत्तरी भारत में केवल 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
परन्तु गन्ने के कुल उत्पादन का 60% भाग उत्तरी भारत से प्राप्त होता है।

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यहां उपजाऊ मिट्टी जल- सिंचाई के अधिक विस्तार, गन्ने के बेचने की सुविधाओं के कारण उत्पादन अधिक है। यहां शुष्क शीत ऋतु सर्दियों में पाले के कारण गन्ने में रस की मात्रा कम होती है तथा प्रति हेक्टेयर उपज भी कम होती है । दक्षिणी भारत में उच्च तापमान, छोटी शुष्क ऋतु, पाला रहित जलवायु तथा लम्बे वर्धनकाल के कारण गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। परन्तु दक्षिणी भारत में उपजाऊ मिट्टी की कमी के कारण गन्ने का कृषीय क्षेत्रफल कम है तथा कुल उत्पादन उत्तरी भारत की तुलना में कम है।

प्रश्न 18.
हरित क्रान्ति की योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी है ?
उत्तर:
हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशाजनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं ।
  2. उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है ।
  3. नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  4. इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  5. यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, जहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे । इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  6. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  7. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

प्रश्न 19.
भारत के किन प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक, सामान्य, कम है ?
उत्तर:
भारत में फ़सलों की गहनता वास्तविक बोये जाने वाले क्षेत्र पर निर्भर करती है। उपजाऊ भूमि, सिंचाई के पर्याप्त साधनों तथा उत्तम कृषि विधियों के कारण कई प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक है। सिंचाई साधनों की कमी, वर्षा की कमी, बाढ़ों की अधिकता के कारण कई क्षेत्रों में भूमि उपयोग बहुत कम है तथा फ़सलों की गहनता कम है।

फसलों की गहनता का प्रादेशिक वितरण इस प्रकार है –
1. अधिक गहनता वाले प्रदेश – फ़सलों की अधिक गहनता के क्षेत्र पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी असम घाटी, त्रिपुरा तथा उत्तरी मैदान के अनेक भागों में मिलते हैं। यहां पर वर्षा 80-100 से० मी० होती है; भूमि उपजाऊ है तथा सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। प्रायः वर्ष में तीन-तीन फ़सलें उगाई जाती हैं।

2. सामान्य गहनता के प्रदेश – तमिलनाडु में ऊंचे तथा कर्नाटक के पठारी भाग, मध्यवर्ती भारत की पहाड़ियां, गंगा, सतलुज के मैदान में फ़सलों की सामान्य गहनता मिलती है। यह प्रायः दो फ़सली क्षेत्र है। इन भागों में सिंचाई के साधनों के विस्तार के कारण साल में दो फसलें प्राप्त की जाती हैं।

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3. कम गहनता वाले प्रदेश – भारत में दक्कन, राजस्थान के शुष्क प्रदेशों में पूर्वी हिमालय के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कश्मीर तथा हिमालय के ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों की गहनता कम मिलती है। ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों का उपज काल कम होता है तथा शुष्क प्रदेशों में वर्षा की कमी के कारण साल में केवल एक फ़सल ही प्राप्त की जाती है ।

प्रश्न 20.
कौन-से ऐसे कारक हैं जिनके चलते खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट किया जा सके ?
उत्तर:

कारक रबी फसलें (Rabi crops): खरीफ़ फ़सलें (Kharif crops ):
बुआई का समय (1) वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं। (1) वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
प्रमुख फ़सलें (2) गेहूं, जौं, चना आदि रबी की फसलें हैं। (2) चावल, मक्का, कपास, खरीफ़ की फ़सलें हैं। तिलहन
पकने का समय तथा संबंधित जलवायु (3) ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं। (3) ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्व पूर्ण होती हैं।

प्रश्न 21.
हरित क्रान्ति की योजना भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में ही मिल सकी। यह योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी ? इसके लिए मुख्य उत्तरदायित्व कौन-से मूल्य आधारित कारण हैं ?
उत्तर:
हरित – क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. सिंचाई साधनों की कमी : बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं।
  2. अपर्याप्त मांग : उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  3. पूंजी का अभाव : नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है। इसलिए इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है। यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, यहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  4. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  5. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत की मुख्य फ़सलों के नाम लिखो। इनके वितरण, उत्पादन तथा उपज की दशाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग 70% लोगों का प्रमुख धन्धा कृषि है। इसलिए भारत को कृषकों का देश कहा जाता है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 42% भाग (लगभग 14 करोड़ हेक्टेयर भूमि ) में कृषि की जाती है। देश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अनेक प्रकार की महत्त्वपूर्ण फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। इनमें से खाद्य पदार्थ (Food Crops) सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। कुल बोई हुई भूमि का 80% भाग खाद्य पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत की फ़सलों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जाता है-

  1. खाद्यान्न (Foodgrains) – चावल, गेहूँ, जौं, ज्वार, बाजरा, मक्की, चने, दालें इत्यादि।
  2. पेय पदार्थ (Beverage Crops ) – चाय तथा कहवा।
  3. रेशेदार पदार्थ (Fibre Crops ) – कपास तथा पटसन।
  4. तिलहन (Oil Seeds) – मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी आदि।
  5. कच्चे माल (Raw Materials) – गन्ना, तम्बाकू, रबड़ आदि।

1. चावल (Rice):
महत्त्व – भारत में चावल की कृषि प्राचीन काल से हो रही है। भारत को चावल की जन्म भूमि माना जाता है। इसे ‘Gift of India’ भी कहते हैं। चावल भारत का मुख्य खाद्यान्न (Master Grain) है। भारत संसार का 22% चावल उत्पन्न करता है तथा यह संसार में दूसरे स्थान पर है। उपज की दशाएं – मुख्यतः चावल गर्म आर्द्र मानसूनी प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – चावल की कृषि के लिए ऊंचे तापमान (20°C) की आवश्यकता है। तेज़ वायु तथा बादल हानिकारक हैं।
2. वर्षा – चावल की कृषि के लिए वार्षिक वर्षा 200 सै०मी० से कम न हो। वर्षा की कमी के साथ-साथ चावल की कृषि भी कम होती जाती है।
3. जल सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्र में जल सिंचाई की सहायता से चावल की कृषि होती है। जैसे- पंजाब, हरियाणा में।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 2
4. मिट्टी – चावल के लिए चिकनी मिट्टी या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसी कारण चावल नदी घाटियों, डेल्टाओं तथा तटीय मैदानों में अधिक होता है।
5. धरातल – चावल के लिए समतल भूमि की आवश्यकता है ताकि वर्षा व जल सिंचाई से प्राप्त जल खेतों में खड़ा रह सके। पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती की जाती है।
6. सस्ते मज़दूर – चावल की कृषि में सभी कार्य – जोतना, बोना, पौधे लगाना, फ़सल काटना, हाथ से करने पड़ते हैं । इसलिए घनी जनसंख्या वाले प्रदेशों में सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता होती है।उत्पादन – देश की 25% बोई हुई भूमि पर चावल की कृषि होती है। 450 लाख हेक्टेयर भूमि में 890 लाख मीट्रिक टन चावल उत्पन्न होता है । प्रति हेक्टयर उपज 1365 कि० ग्राम है।

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उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत में राजस्थान तथा दक्षिणी पठार के शुष्क भागों को छोड़कर सारे भारत में चावल की कृषि होती है। भारत में चावल की कृषि के लिए आदर्श शाएं पाई जाती हैं। भारत में चावल की कृषि वर्षा की मात्रा के अनुसार है।

  1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चावल का उत्पादन करता है । इस राज्य की 80% भूमि पर चावल की कृषि होती है। सारा साल ऊंचे तापमान व अधिक वर्षा के कारण वर्ष में तीन फ़सलें अमन, ओस तथा बोरो होती हैं। शीतकाल में अमन की फ़सल मुख्य फ़सल है।
  2. तमिलनाडु – इस राज्य में वर्ष में दो फ़सलें होती हैं। यह राज्य चावल उत्पन्न करने में दूसरे स्थान पर है।
  3. आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा – पूर्वी तटीय मैदान तथा नदी डेल्टाओं में चावल की कृषि होती है।
  4. बिहार, उत्तर प्रदेश – भारत के उत्तरी मैदान में उपजाऊ क्षेत्रों में जल सिंचाई की सहायता से चावल का अधिक उत्पादन है।
  5. पंजाब, हरियाणा – इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर उपज सबसे अधिक है। ये राज्य भारत में कमी वाले भागों को चावल
    भेजते हैं। इन्हें भारत का चावल का कटोरा कहते हैं।

2. गेहूँ (Wheat):
महत्त्व – भारत में प्राचीन काल में सिन्ध घाटी में गेहूँ की खेती के चिह्न मिले हैं। गेहूँ संसार का सर्वश्रेष्ठ तथा मुख्य खाद्य पदार्थ है। भारत संसार का 8% गेहूँ उत्पन्न करता है तथा इसका दूसरा स्थान उपज की दशाएं – गेहूँ शीतोष्ण कटिबन्ध का पौधा है। भारत में यह रबी की फ़सल है।

  1. तापमान – गेहूँ के बोते समय कम तापक्रम (15°C) तथा पकते समय ऊँचा तापक्रम (20°C) आवश्यक है।
  2. वर्षा – गेहूँ के लिए साधारण वर्षा (50 cm) चाहिए। शीतकाल में बोते समय साधारण वर्षा तथा पकते समय गर्म शुष्क मौसम ज़रूरी है। तेज़ हवाएं तथा बादल हानिकारक हैं। भारत में गेहूँ के लिए बोते समय आदर्श जलवायु मिलती है, परन्तु पकते समय कई असुविधाएं होती हैं।
  3. जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई आवश्यक है, जैसे- पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में।
  4. मिट्टी – गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी उत्तम है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद बहुत लाभदायक है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 3
  5. धरातल – गेहूँ के लिए समतल मैदानी भूमि चाहिए ताकि उस पर कृषि यन्त्र और जल – सिंचाई का प्रयोग किया जा सके।
  6. गेहूँ की कृषि के लिए कृषि यन्त्रों, उत्तम बीज व खाद के प्रयोग के प्रति एकड़ उपज में वृद्धि होती है।
  7. गेहूँ की कृषि के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं।

उत्पादन – पिछले कुछ सालों में हरित क्रान्ति के कारण देश में गेहूँ की पैदावार में वृद्धि हुई है। देश की 14% बोई हुई भूमि पर गेहूं की कृषि होती है। देश में लगभग 270 लाख हेक्टेयर भूमि पर 800 लाख टन गेहूँ उत्पन्न होता है। प्रति हेक्टेयर उपज 2618 कि० ग्राम है। उपज के क्षेत्र भारत में अधिक वर्षा रेतीली भूमि तथा मरुस्थलों को छोड़ कर उत्तरी भारत के सभी राज्यों में गेहूँ की कृषि होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत शीत के कारण गेहूँ नहीं होता।

1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गेहूँ उत्पन्न करता है। इस राज्य में गंगा-यमुना दोआब, तराई प्रदेश, गंगा – घाघरा दोआब प्रमुख क्षेत्र हैं । इस प्रदेश में नहरों द्वारा जल – सिंचाई तथा शीत काल की वर्षा की सुविधा है।
2. पंजाब – इसे भारत का अन्न भण्डार (Granary of India) कहते हैं। यहां उपजाऊ मिट्टी, शीत काल की वर्षा, जल – सिंचाई व खाद की सुविधाएं प्राप्त हैं । इस राज्य में मालवा का मैदान तथा दोआबा प्रमुख क्षेत्र हैं।
3. अन्य क्षेत्र –
(क) हरियाणा – हरियाणा में रोहतक – करनाल क्षेत्र।
(ख) मध्य प्रदेश में भोपाल – जबलपुर क्षेत्र
(ग) राजस्थान में गंगानगर क्षेत्र।
(घ) बिहार में तराई क्षेत्र।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

3. गन्ना ( Sugarcane)
महत्त्व – गन्ना भारत का मूल पौधा है। भारत में यह एक व्यापारिक फ़सल है। भारत में चीनी उद्योग गन्ने पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त गन्ने से कई पदार्थ जैसे कागज़ शीरा, खाद, मोम आदि भी तैयार किए जाते हैं।
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उपज की दशाएं – गन्ना उष्ण आर्द्र प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – गन्ने के लिए सारा साल उंचे तापक्रम ( 25°C) की आवश्यकता है। अति अधिक शीत तथा पाला फसल के लिए हानिकारक है।
2. वर्षा – गन्ने के लिए 100 से 200 सै०मी० वर्षा चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। गन्ने के पकते समय शुष्क जलवायु उत्तम होती है तथा अधिक वर्षा से गन्ने का रस पतला पड़ जाता है।
3. मिट्टी – गन्ने के लिए शहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। मिट्टी में चूना तथा फॉस्फोरस का अंश अधिक होना चाहिए। नदी घाटियों की कांप की मिट्टी गन्ने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।
4. सस्ते श्रमिक – गन्ने कृषि में अधिकतर कार्य से हाथ से किए जाते हैं, इसलिए सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है। भारत की स्थिति – भारत में गन्ने की कृषि के लिए आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। यहां ऊंचे तापक्रम एवं पर्याप्त वर्षा है। उत्तरी भारत में लम्बी शुष्क ऋतु व पाले के कारण अनुकूल दशाएं नहीं हैं।
फिर भी उपजाऊ मिट्टी व जल – सिंचाई के कारण भारत का 60% गन्ना उत्तरी मैदान में होता है। भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
उत्पादन – भारत में संसार में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर गन्ने की कृषि होती है, परन्तु प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है। संसार का 40% गन्ना क्षेत्र भारत में है, परन्तु उत्पादन केवल 10% है। देश में 33 लाख हेक्टेयर भूमि में 2900 लाख टन गन्ना उत्पन्न किया जाता है।

उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत का 60% गन्ना उत्तरी भारत में उत्पन्न किया जाता है।
1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न करता है। यहां पर गन्ना उत्पन्न करने के तीन क्षेत्र हैं –
(क) दोआब क्षेत्र – रुड़की से मेरठ तक।
(ख) तराई क्षेत्र – बरेली, शाहजहांपुर।
(ग) पूर्वी क्षेत्र – गोरखपुर

गोरखपुर को भारत का जावा (Jave of India) – भी कहते हैं। यहां गन्ने की कृषि के लिए कई सुविधाएं हैं –

  1. 100-200 सै०मी० वर्षा
  2. उपजाऊ मिट्टी
  3. जल- सिंचाई के साधन
  4. चीनी मिलों का अधिक होना।

2. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में अनुकूल जलवायु तथा अधिक प्रति हेक्टेयर उपज के कारण गन्ने की कृषि महत्त्वपूर्ण हो रही है –
(क) आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा व गोदावरी डेल्टे
(ख) तमिलनाडु में कोयम्बटूर क्षेत्र।
(ग) महाराष्ट्र में गोदावरी घाटी का नासिक क्षेत्र।
(घ) कर्नाटक में कावेरी घाटी।

3. अन्य क्षेत्र

  • पंजाब में गुरदासपुर, जालन्धर क्षेत्र।
  • हरियाणा में रोहतक, गुड़गाँव क्षेत्र।
  •  बिहार में तराई का चम्पारण क्षेत्र।

4. चाय (Tea)
महत्त्व – चाय एक पेय पदार्थ है। भारत में चाय एक व्यापारिक फ़सल है जिसकी कृषि बागवानी कृषि के रूप में होती है। भारत संसार की 35% चाय उत्पन्न करता है तथा इसका पहला स्थान है भारत संसार में चाय निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। देश में लगभग 700 चाय कम्पनियां हैं। देश में लगभग 12,000 चाय बागान हैं जिनमें 10 लाख मज़दूर काम करते हैं। उपज की दशाएं (Conditions of Growth) – चाय गर्म आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – चाय के लिए सारा साल समान रूप से ऊंचे तापमान ( 25°C से 30°C) की आवश्यकता है। ऊंचे ताप के कारण वर्षभर पत्तियों की चुनाई हो सकती है, जैसे असम में।
2. वर्षा – चाय के लिए अधिक वर्षा (150 से०मी०) होनी चाहिए। वर्षा सारा साल समान रूप से हो। शुष्क मौसम (विशेषकर ग्रीष्मकाल ) चाय के लिए हानिकारक है। चाय के पौधों के लिए कुछ वृक्षों की छाया अच्छी होती है।
3. मिट्टी – चाय के उत्तम स्वाद के लिए गहरी मिट्टी चाहिए जिसमें पोटाश, लोहा तथा फॉस्फोरस का अधिक अंश हो।
4. धरातल — चाय की कृषि पहाड़ी ढलानों पर की जाती है ताकि पौधों की जड़ों में पानी इकट्ठा न हो। प्राय: 300 मीटर की ऊंचाई वाले प्रदेश उत्तम माने जाते हैं।
5. श्रम – चाय की पत्तियों को चुनने, सुखाने तथा डिब्बों में बन्द करने के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं। प्रायः स्त्रियों को इन कार्यों में लगाया जाता है।
6. प्रबन्ध – बाग़ान के अधिक विस्तार के कारण उचित प्रबन्ध व अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

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उत्पादन – देश में 42 लाख हेक्टेयर भूमि पर 99 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है। देश में हरी चाय (Green Tea) तथा काली चाय (Black Tea) दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। विभिन्न राज्यों में चाय का उत्पादन इस प्रकार है –
उपज के क्षेत्र – भारतीय चाय का उत्पादन दक्षिणी भारत की अपेक्षा उत्तरी भारत में कहीं अधिक है। देश में चाय के क्षेत्र एक-दूसरे से दूर-दूर हैं।
1. असम – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चाय उत्पन्न करता है। इस राज्य में ब्रह्मपुत्र घाटी तथा दुआर का प्रदेश चाय के प्रमुख क्षेत्र हैं। इस राज्य को कई सुविधाएं प्राप्त हैं –

  • मानसून जलवायु
  • अधिक वर्षा तथा ऊंचे तापमान
  • पहाड़ी ढलानें
  • उपजाऊ मिट्टी
  • योग्य प्रबन्ध।

2. पश्चिमी बंगाल – इस राज्य में दार्जिलिंग क्षेत्र की चाय अपने विशेष स्वाद (Special Flavour) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां अधिक ऊंचाई, अधिक नमी व कम तापमान के कारण चाय धीरे-धीरे बढ़ती है। जलपाइगुड़ी भी प्रसिद्ध क्षेत्र है।
3. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में नीलगिरि की पहाड़ियां (Nilgiri), इलायची तथा अनामलाई की पहाड़ियों में चाय उत्पन्न की जाती है।
(क) तमिलनाडु में कोयम्बटूर तथा नीलगिरी क्षेत्र।
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(ख) केरल में मालाबार तट।
(ग) कर्नाटक में कुर्ग क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में रत्नागिरी क्षेत्र।

4. अन्य क्षेत्र –
(क) झारखण्ड में रांची का पठार
(ख) हिमाचल प्रदेश में पालमपुर का क्षेत्र।
(ग) उत्तराखण्ड में देहरादून का क्षेत्र
(घ) त्रिपुरा क्षेत्र।

व्यापार – भारत संसार में तीसरा बड़ा चाय ( 35%) निर्यातक देश है। देश के उत्पादन का लगभग 1/4 भाग विदेशों को निर्यात किया जाता है। इससे लगभग 1100 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात मुख्यतः इंग्लैण्ड, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि 80 देशों को होता है। विदेशों में चाय के निर्यात को बढ़ाने तथा चाय के स्तर को उन्नत करने के लिए चाय बोर्ड (Tea Board) की स्थापना की गई है।

5. कपास (Cotton ):
महत्त्व – कपास एक रेशेदार पदार्थ है। देश की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक फ़सल है। भारत में प्राचीनकाल से कपास की कृषि हो रही है । भारत में सूती वस्त्र उद्योग कपास पर निर्भर है। भारत संसार की 9% कपास उत्पन्न करता है तथा चौथे स्थान पर है। भारत में अधिकतर छोटे रेशे वाली कपास ( 22 किलोमीटर लम्बी ) उत्पन्न होती है।
उपज की दशाएं – कपास उष्ण प्रदेशों की उपज है तथा खरीफ़ की फ़सल है।

  • तापमान – कपास के लिए तेज़, चमकदार धूप तथा उच्च तापमान ( 25°C) की आवश्यकता है। पाला इसके लिए हानिकारक है। अतः इसे 200 दिन पाला रहित मौसम चाहिए।
  • वर्षा – कपास के लिए 50 से०मी० वर्षा चाहिए । चुनते समय शुष्क पाला रहित मौसम चाहिए । फ़सल पकते समय वर्षा न हो।
  • जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं, जैसे पंजाब में। इससे प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक होती है।
  • मिट्टी – कपास के लिए लावा की काली मिट्टी सबसे उचित है। लाल मिट्टी तथा नदियों की कांप की मिट्टी ( दोमट मिट्टी) में भी कपास की कृषि होती है।
  • सस्ता श्रम – कपास के लिए सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता है। कपास चुनने के लिए स्त्रियों को लगाया जाता है।
  • धरातल – कपास की कृषि के लिए समतल मैदानी भाग अनुकूल होते हैं । साधारण ढाल वाले क्षेत्रों में पानी इकट्ठा नहीं होता।
    उत्पादन – भारत में 242 लाख हेक्टेयर भूमि पर 242 लाख गांठे कपास उत्पन्न की जाती है।

उपज के क्षेत्र – भारत में जलवायु तथा मिट्टी में विभिन्नता के कारण कपास के क्षेत्र बिखरे हुए हैं। उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में अधिक कपास होती है-
1. काली मिट्टी का कपास क्षेत्र – काली मिट्टी का कपास क्षेत्र सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश राज्यों के भाग शामिल हैं। गुजरात राज्य भारत में सबसे अधिक कपास उत्पन्न करता है । इस राज्य के खानदेश व बरार क्षेत्रों में देशी कपास की कृषि होती है।
2. लाल मिट्टी का क्षेत्र – तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में लाल मिट्टी (Red Soil) क्षेत्र में लम्बे रेशे वाली कपास (कम्बोडियन) उत्पन्न होती है।
3. दरियाई मिट्टी का क्षेत्र-उत्तरी भारत में दरियाई मिट्टी के क्षेत्रों में लम्बे रेशे वाली अमरीकन कपास (नरमा) की कृषि होती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान राज्य प्रमुख क्षेत्र हैं। पंजाब में जल – सिंचाई के कारण देश में सबसे अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन है। भविष्य – भारत से छोटे रेशे वाली कपास का निर्यात होता है, परन्तु सूती वस्त्र उद्योग के लिए लम्बे रेशे वाली कपास आयात की जाती है। देश में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। लम्बे रेशे वाली कपास के क्षेत्र में वृद्धि की जा रही है । आशा है, कपास के उत्पादन में देश शीघ्र ही आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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6. पटसन (Jute ):
महत्त्व – पटसन भारत का मूल पौधा है। पटसन एक महत्त्वपूर्ण उपयोगी तथा सस्ता रेशा है। इसे सोने का रेशा कहते हैं। इससे टाट, बोरे, पर्दे, गलीचे तथा दरियां आदि बनाई जाती हैं। व्यापार में महत्त्व के कारण इसे थोक व्यापार का खाकी कागज़ भी कहते हैं। भारत का पटसन उद्योग पटसन की कृषि पर निर्भर करता है।
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उपज की दशाएं – पटसन मानसून खण्ड में उष्ण आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – पटसन के लिए सारा साल ऊंचे तापमान (27°C) की आवश्यकता है। पटसन खरीफ़ की फ़सल है।
2. वर्षा – पटसन के लिए अधिक वर्षा (150 से० मी०) की आवश्यकता पड़ती है। वर्षा सारा साल समान रूप से होती है।
3. मिट्टी – पटसन के लिए गहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। नदियों में बाढ़ क्षेत्र, डेल्टा प्रदेश पटसन के लिए आदर्श क्षेत्र होते हैं यहां नदियों द्वारा हर वर्ष मिट्टी की नई परत बिछ जाती है। खाद का भी अधिक प्रयोग किया जाता है।
4. स्वच्छ जल – पटसन को काटकर धोने के लिए नदियों के साफ़ पानी की आवश्यकता होती है।
5. सस्ता श्रम – पटसन को काटने, धोने और छीलने के लिए सस्ते तथा कुशल मज़दूरों की आवश्यकता होती है।

उत्पादन – भारत संसार का 35% पटसन उत्पन्न करता है तथा दूसरे स्थान पर है। विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र का अधिकांश भाग बांग्लादेश को प्राप्त हो गया है। भारत में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर 12 लाख टन पटसन उत्पन्न होती है।
उपज के क्षेत्र – देश के विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र कम हो गया है, परन्तु नए क्षेत्रों में पटसन की कृषि से इस कमी को पूरा किया जा रहा है।
1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक पटसन (36 लाख गांठें ) उत्पन्न करता है। इस राज्य में कई सुविधाएं हैं

  • नदी घाटियां तथा गंगा डेल्टाई प्रदेश
  • अधिक वर्षा
  • ऊँचा तापमान
  • अनेक नदियां
  • सस्ते मज़दूर।

2. आसाम – आसाम में ब्रह्मपुत्र घाटी पटसन के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य में कामरूप तथा गोलपाड़ा जिले प्रसिद्ध हैं।
3. बिहार – इस राज्य के तराई प्रदेश में पटसन उत्पन्न होता है।
4. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टों में पटसन की कृषि होती है।

5. अन्य प्रदेश
(क) उत्तर प्रदेश में गोरखपुर क्षेत्र।
(ख) आन्ध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम क्षेत्र|
(ग) छत्तीसगढ़ में रायपुर क्षेत्र।
(घ) केरल में मालाबार तट।
(ङ) उत्तरी-पूर्वी भाग में मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर राज्य।

7. कहवा (Coffee):
कहवा (Coffee) कहवा भी चाय की तरह एक लोकप्रिय पेय पदार्थ है।
उपज की दशाएं – कहवा उष्ण कटिबन्ध के उष्ण- आर्द्र प्रदेशों का पौधा है। यह एक प्रकार के सदाबहार पौधे के फूलों (Berries) के बीजों (Beans) को सुखा कर पीसकर चूर्ण तैयार कर लिया जाता है।
1. तापमान (Temperature ) – कहवे के उत्पादन के लिए सारा साल ऊंचा तापमान ( औसत 22°C) होना चाहिए। पाला (Frost ) तथा तेज हवाएं (Strong winds) कहवे की कृषि के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे की कृषि सुरक्षित ढलानों (Protected hill-slopes) पर की जाती है।

2. वर्षा – कहवे के लिए 100 से 150 से०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा का वितरण वर्षभर समान रूप से हो। शुष्क ऋतु में जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। फल पकते समय ठण्डे शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

3. छायादार वृक्ष – सूर्य की सीधी व तेज़ किरणें कहवे के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे के बागों में केले तथा दूसरे छायादार फल उगाए जाते हैं। जो छाया के अतिरिक्त सहायक आय का भी साधन हैं।

4. मिट्टी – कहवे की कृषि के लिए गहरी, छिद्रदार उपजाऊ मिट्टी चाहिए जिसमें लोहा चूना तथा वनस्पति के अंश अधिक हों। लावा की मिट्टी तथा दोमट मिट्टी कहवे के लिए अनुकूल होती है।

5. धरातल – कहवे के बाग़ पठारों तथा ढलानों पर लगाए जाते हैं, ताकि पानी का अच्छा निकास हो। कहवे की कृषि 1000 मीटर तक ऊंचे प्रदेशों में की जाती है।

6. सस्ते श्रमिक – कहवे की कृषि के लिए सस्ते तथा अधिक मज़दूरों की आवश्यकता होती है। पेड़ों को छांटने, बीज तोड़ने तथा कहवा तैयार करने के लिए सभी कार्य हाथों से किए जाते हैं।

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7. बीमारियों की रोकथाम – कहवे के बाग़ में बीटल नामक कीड़े तथा कई बीमारियों के कारण भारत, श्रीलंका तथा इण्डोनेशिया में नष्ट हो गए हैं। इन बीमारियों की रोकथाम आवश्यक है।

उत्पादन – भारत में कहवे की कृषि एक मुस्लिम फ़कीर बाबा बूदन द्वारा लाए गए बीजों द्वारा आरम्भ की गई। भारत में कहवे का पहला बाग़ सन् 1830 में कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर क्षेत्र में लगाया गया। धीरे-धीरे कहवे की कृषि में विकास होता है। अब भारत में लगभग दो लाख हेक्टेयर भूमि पर दो लाख टन कहवे का उत्पादन होता है। देश में कहवे की खपत कम है। देश के कुल उत्पादन का 60% भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। इस निर्यात से लगभग 1500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात कोजीकोड (केरल) चेन्नईं तथा बंगलौर की बन्दरगाहों से किया जाता है।

उपज के क्षेत्र – भारत के कहवे के बाग़ दक्षिणी पठार की पर्वतीय ढलानों पर ही मिलते हैं। उत्तरी भारत में ठण्डी जलवायु के कारण कहवे की कृषि नहीं होती।
(क) कर्नाटक राज्य – यह राज्य भारत में सबसे अधिक कहवा उत्पन्न करता है। यहां पश्चिमी घाट तथा नीलगिरि की पहाड़ियों पर कहवे के बाग़ मिलते हैं। इस राज्य में शिमोगा, कादूर, हसन तथा कुर्ग क्षेत्र कहवे के लिए प्रसिद्ध हैं।
(ख) तमिलनाडु – इस राज्य में उत्तरी आरकाट से लेकर त्रिनेवली तक के क्षेत्र में कहवे के बाग़ मिलते हैं। यहां नीलगिरि तथा पलनी की पहाड़ियों की मिट्टी या जलवायु कहवे की कृषि के अनुकूल है।
(ग) केरल – केरल राज्य में इलायची की पहाड़ियों का क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में सातारा जिला।
(ङ) इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, असम, पश्चिमी बंगाल तथा अण्डेमान द्वीप में कहवे की कृषि के लिए यत्न किए जा रहे हैं ।

8. मोटे अनाज ( Millets):
(i) ज्वार (Jowar ) – खाद्यान्न में क्षेत्रफल की दृष्टि से ज्वार का तीसरा स्थान है। ज्वार 45 से०मी० से कम वर्षा वाले शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। इसकी वृद्धि के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है । यह सामान्यतः कम उपजाऊ मिट्टियों और अनिश्चित वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है । ज्वार रबी और खरीफ़ दोनों की ही फ़सल है। यह भारत के लगभग एक करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है। संकर बीजों की मदद से इसका उत्पादन सन् 2005-06 में 77 लाख टन हो गया था।

सम्पूर्ण प्रायद्वीपीय भारत में ज्वार पैदा की जाती है। लेकिन इसका सबसे अधिक संकेन्द्रण भारी और मध्यम वर्ग की काली मिट्टियों वाले तथा 100 से० मी० से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में है। ज्वार के सम्पूर्ण फ़सलगत क्षेत्र का आधा भाग महाराष्ट्र में है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और मध्य प्रदेश अन्य प्रमुख ज्वार उत्पादक राज्य हैं।

(ii) बाजरा (Bajra ) – बाजरा हल्की मिट्टियों और शुष्क क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। इसीलिए यह अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट और उथली काली मिट्टियों में खूब पैदा किया जाता है। बाजरे की खेती के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र ये हैं- राजस्थान की मरुस्थली और अरावली की पहाड़ियां, दक्षिणी पश्चिमी हरियाणा, चंबल द्रोणी, दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तरी गुजरात, महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट के पवन विमुख ढाल। बाजरा वर्षापोषित खरीफ़ की फ़सल है। देश के कुल क्षेत्र के 76 लाख हेक्टेयर ( लगभग 5.0%) क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है। कुल उत्पादन सन् 2005-06 में 104 लाख टन हो गया। राजस्थान देश का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक राज्य है। अन्य प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य ये हैं – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा।

(iii) मक्का (Maize ) – देश के कुल फ़सलगत क्षेत्र के 3.6 प्रतिशत भाग में मक्का बोई जाती है। इसका कुल उत्पादन 1.2 करोड़ टन था। मक्का के क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में ही तेज़ी से वृद्धि हुई है। संकर जाति के उपज बढ़ाने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के साधनों ने इसकी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता की है। सन् 1951 और 2001 की अवधि में मक्का का उत्पादन दस गुना बढ़ गया है। मक्का की खेती सारे भारत में की जाती है। मक्का के उत्पादन में कर्नाटक का पहला स्थान है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश का स्थान है। मक्का के अन्य उत्पादक राज्य हैं – मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश

(iv) दालें (Pulses) – भारतीय भोजन में दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। ये फलीदार फ़सलें हैं तथा ये अपनी जड़ों के द्वारा मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर उसकी उर्वरता में वृद्धि करती है। दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है। अतः ये शुष्क दशाओं में भी पनपती है। तुर, उड़द, मूंग और मोठ खरीफ़ की प्रमुख फ़सलें हैं तथा चना, मटर, तुर और मसूर रबी की फ़सलें हैं। दालों के अन्तर्गत क्षेत्रफल सन् 2000-01 में दो करोड़ हेक्टेयर हो गया। इसी अवधि में उनका उत्पादन भी बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया।

(v) चना (Grams) – देश में दाल की प्रमुख फ़सल है। प्रमुख चना उत्पादक क्षेत्र ये हैं- मध्य प्रदेश का मालवा का पठार, राजस्थान का उत्तर पूर्वी भाग और दक्षिणी उत्तर प्रदेश। अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश का चने के उत्पादन में दूसरा स्थान है। तुर दाल की महत्त्वपूर्ण फ़सल है। तुर के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश हैं।

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प्रश्न 2.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है ? कृषि उत्पादकता की वृद्धि में प्रयोग की जाने वाली विधियों का वर्णन करो । हरित क्रान्ति के प्रभावों का वर्णन करो ।
उत्तर:

हरित क्रान्ति (Green Revolution):
भारतीय कृषि एक परम्परागत कृषि संगठन है। कृषि क्षेत्र में एक मौलिक और मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता को देखते हुए एक नवीन कृषि प्रणाली को अपनाया गया है जिसे हरित क्रान्ति कहते हैं। हरित क्रान्ति वास्तव में एक खाद्यान्न क्रान्ति है जिससे सम्पूर्ण कृषि उत्पादन प्रक्रिया को एक नवीन मोड़ दे दिया है । हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में आधुनिकीकरण की योजना भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।

परन्तु प्राचीन विधियों के कारण कृषि का विकास नहीं हो पाया है। भारत में घनी आबादी तथा निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों की कमी एक गम्भीर समस्या का रूप धारण कर रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए एक सामूहिक तथा वैज्ञानिक योजना लागू की गई। हरित क्रान्ति के पीछे निहित उद्देश्य हैं कि भारतीय भूमि हरीतिमा हरित क्रान्ति की मुख्य विशेषताएं – हरित क्रान्ति में निम्नलिखित तकनीकी विधियों पर बल दिया गया है

1. उन्नत बीजों का प्रयोग [Use of High Yielding Varieites (HYV)] – कृषि अनुसंधान के परिणामस्वरूप अधिक उपज देने वाले बीजों का विकास किया गया है। कम समय में तैयार होने वाली किस्में विकसित की गई हैं जिनमें वर्ष में 2 से अधिक फ़सलें प्राप्त की जा सकती हैं। इससे बहुफसलीय प्रणाली को प्रोत्साहन मिला है। गेहूं की नई किस्में जैसे कल्याण, सोना आदि तथा चावल की नई किस्में जैसे ‘विजय’, ‘रत्ना’, ‘पद्मा’ आदि के प्रयोग से उपज में वृद्धि हुई है। अब चावल 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उत्तम बीजों की कृषि की जाती है ।

2. उर्वरकों का अधिक प्रयोग (Use of Fertilizers ) – हमारे देश में गोबर खाद की वार्षिक प्राप्ति लगभग 100 करोड़ टन है, परन्तु इसका 40% भाग ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्राकृतिक खाद की अपर्याप्तता के कारण उर्वरक के उत्पादन और प्रयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है। भारत में प्रति हेक्टेयर भूमि में खाद का प्रयोग विदेशों की तुलना में बहुत कम है । उर्वरक के अधिक प्रयोग से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है।

3. सिंचाई क्षेत्र में विस्तार (Increase in Irrigated Area ) – सिंचाई वर्षा अधिक की कमी को पूरा करती हैं तथा कृषि उपज बढ़ाने का साधन है। नहरों के अतिरिक्त सिंचाई की छोटी तथा बड़ी योजनाओं पर अधिक बल दिया गया है। नलकूपों का विस्तार किया गया है। इससे फसलों को गहनता तथा प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई है।

4. नवीन कृषि यन्त्रों का प्रयोग (Use of New Agricultural Machinery ) – कृषि क्षेत्र में पुराने औज़ारों के स्थान पर आधुनिक मशीनों, यन्त्रों का प्रयोग बढ़ाया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में मुख्यतः ट्रैक्टर, कम्बाइन हारवेस्टर, पिकर, ड्रिल आदि उपकरण प्रयुक्त होते हैं। कृषि उपकरणों को लोकप्रिय, सुगम बनाने के लिए कई कृषि उद्योग निगम स्थापित किए गए हैं। यान्त्रिक कृषि से देश के कृषि आधारित उद्योगों के लिए पर्याप्त कच्चा माल भी उपलब्ध हो सकता है । इस प्रकार कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं। यान्त्रिक कृषि से बहु- फ़सली कृषि प्रणाली (Multiple Cropping) का विकास हुआ है।

5. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग ( Use of Pesticides ) – कीड़ों तथा बीमारियों से फ़सलों की सुरक्षा आवश्यक है । इसलिए कीटनाशक औषधियों का उत्पादन तथा वितरण कार्य एक सुनिश्चित ढंग से किया जा रहा हरित क्रान्ति के अधीन इनका प्रयोग बढ़ाया गया है।

6. भूमि सुधार (Land Reforms) – हरित क्रान्ति में नवीन विधियों के प्रयोग के साथ-साथ कृषि में भूमि सुधारों की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। मूलभूत सुधारों के बिना नवीन कृषि टैक्नोलॉजी व्यर्थ सिद्ध होगी।

7. भू-संरक्षण कार्यक्रम (Soil Conservation ) – भूमि कटाव रोकने तथा भूमि की उर्वरता को बनाए रखने की दृष्टि से विभिन्न पग उठाए गए हैं। मरुस्थलों के विस्तार को रोकने, शुष्क कृषि प्रणाली के विस्तार के कार्य अपनाए जा रहे हैं। देश में लगभग 500 लाख एकड़ बेकार भूमि को कृषि योग्य बनाने व सुधारने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। ‘कल्लर’ (क्षारीय) भूमि तथा कन्दरायुक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस प्रकार जल प्लावन (Water Logging), क्षारीयता (Salination) तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) के कार्यक्रम अपनाए गए हैं। मिट्टियों के सर्वेक्षण पर भी ध्यान दिया गया है।

8. गहन कृषि (Intensive Farming ) – कई राज्यों में भू-खण्डों के स्तर पर गहन कृषि तथा पैकेज प्रोग्राम आरम्भ किए गए। कालान्तर में इसे गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) में बदल दिया गया। इससे किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाली सभी साधनों की सुविधा प्रदान की गई ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके।

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हरित क्रान्ति के प्रभाव (Effects of Green Revolution)
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि (Increase in Agricultural Production ) – हरित क्रान्ति एक महत्त्वपूर्ण कृषि योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाकर देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करना है। देश के विभाजन के पश्चात् खाद्यान्नों की कमी हो गईं। सन् 1964-65 में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन केवल 9 करोड़ टन था। इस कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान्न आयात किए जाते थे। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र को एक नया मोड़ दिया गया, जिसके कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन लगभग 259 करोड़ टन हो गया।

वर्ष खाद्यान्न उत्पादन (करोड़ टन)
1966 67 7.4
1970-71 10.7
1977-78 11.0
1980-81 13.5
1984-85 15.0
1993-94 18.0
2011-2012 259

2. प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि (Increase in Yield per Hectare ) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति ही है। इसके लिए जल सिंचाई के साधनों में विस्तार किया गया। उर्वरकों का अधिक मात्रा में प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया गया। अधिक उपज देने वाली फ़सलों की कृषि पर ज़ोर दिया गया। चुने हुए क्षेत्रों में गेहूँ तथा चावल की नई विदेशी किस्मों का प्रयोग किया गया। गेहूँ की नई किस्में कल्याण, S-308, चावल की किस्में रत्ना, जया आदि का प्रयोग किया गया। पंजाब के लुधियाना क्षेत्र में गेहूँ का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 13 क्विंटल से बढ़कर 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। गोदावरी डेल्टा में चावल प्रति हेक्टेयर उत्पादन, लगभग दुगुना हो गया है। इस प्रकार कृषि योग्य भूमि के विस्तार से नहीं अपितु प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ा कर ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को पूरा किया गया है।
3. कृषि आधारित उद्योगों का बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है।
4. यन्त्रीकरण तथा जल सिंचाई साधनों के प्रयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली तथा डीजल की खपत बढ़ी है।

त्रुटियां (Drawbacks) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं, जितनी की आशा की जाती थी । खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों को अपनाया गया है। जैसे – कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं । हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है । इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि –

  • बहुत से भागों में जल सिंचाई के साधन कम हैं।
  • उर्वरकों का उत्पादन मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  • नए कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  • इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  • यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  • छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  • अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फ़सलों के प्रयोग में लाई गई हैं।
  •  हरित – क्रान्ति द्वारा क्षेत्रीय असन्तुलन बढ़ गया है क्योंकि इसमें उपजाऊ क्षेत्रों पर ही ध्यान दिया गया है।
  • व्यापारिक फ़सलों के उत्पादन में भी वृद्धि की आवश्यकता है।

फिर भी यह कहा जा सकता है कि हरित क्रान्ति कृषि के ग्रामीण सर्वांगीण और बहुमुखी विकास की योजना है जो कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने में सहायक होगी।

प्रश्न 3.
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय कृषि की समस्याएं:
भारतीय कृषि की समस्याएं विभिन्न प्रकार की हैं। अधिकतर कृषि समस्याएं प्रादेशिक हैं तथापि कुछ समस्याएं सर्वव्यापी हैं जिसमें भौतिक बाधाओं से लेकर संस्थागत अवरोध शामिल हैं। यद्यपि कृषि के विकास के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन संसार के विकसित देशों की तुलना में हमारी कृषि की उत्पादकता अब भी कम है। इस परिस्थिति के लिए अनेक कारक संयुक्त रूप से ज़िम्मेदार हैं।
इनको चार वर्गों में बांटा गया है:

  1. पर्यावरणीय
  2. आर्थिक
  3. संस्थागत
  4. प्रौद्योगिकीय

1. अनियमित मानसून पर निर्भरता – सबसे गंभीर समस्या मानसून का अनिश्चित स्वरूप है। तापमान तो सारे साल ही ऊंचे रहते हैं। अतः यदि नियमित रूप में जल की पर्याप्त आपूर्ति होती रहे तो पूरे वर्ष फसलें पैदा की जा सकती हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्षा केवल 3 या 4 महीनों में ही होती है। यही नहीं वर्षा की मात्रा तथा ॠतुनिष्ठ और प्रादेशिक वितरण अत्यधिक परिवर्तनशील है। इस परिस्थिति का कृषि के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। भारत में कृषि क्षेत्र का केवल एक तिहाई भाग ही सिंचित है। शेष कृषि क्षेत्र में फ़सलों का उत्पादन प्रत्यक्ष रूप से वर्षा पर निर्भर है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

जहां तक वर्षा का संबंध है, देश के अधिकतर भाग, उपार्द्र, अर्ध शुष्क और शुष्क हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता रहता है। राजस्थान तथा अन्य क्षेत्रों में वर्षा बहुत कम तथा अत्यधिक अविश्वसनीय है। ये क्षेत्र सूखा व बाढ़ दोनों से प्रभावित हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा एक सामान्य परिघटना है लेकिन यहां यदा कदा बाढ़ भी आ जाती है। वर्ष 2006 में महाराष्ट्र, गुजरात तथा राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में आई आकस्मिक बाढ़ उदाहरण है। सूखा तथा बाढ़ भारतीय कृषि के जुड़वा संकट बने हुए हैं। सिंचाई की सुविधाओं के विकास और वर्षा जल संग्रहण के द्वारा इन प्रदेशों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

2. निम्न उत्पादकता – अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपेक्षा भारत में फ़सलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फ़सलों जैसे- चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हेक्टेयर पैदावार अमेरिका, रूस तथा जापान से कम है। भू संसाधनों पर अधिक दबाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तुलना में भारत में श्रम उत्पादकता भी बहुत कम है। देश के विस्तृत वर्षा निर्भर विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर मोटे अनाज, दालें तथा तिलहन की खेती की जाती है तथा यहाँ इनकी उत्पादकता बहुत कम है।

3. आर्थिक कारक – कृषि में निवेश जैसे अधिक उपज देने वाले बीज, उर्वरक आदि और परिवहन की सुविधाएं आर्थिक कारक हैं। विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण का न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है। इसका परिणाम होता है-निम्न उत्पादकता। सच्चाई तो यह है कि भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिनों-दिन बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फसलगत भूमि में कमी हो रही है। 1921 में यह 0.444 हेक्टेयर, 1961 में 0.296 हेक्टेयर तथा और भी घटकर 1991 में 0.219 हेक्टेयर रह गई है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

4. संस्थागत कारक – जनसंख्या के दबाव के कारण जोतों का उपविभाजन (पीढ़ियों के अनुसार बंटवारा) और छितराव हो रहा है। 1961-62 में कुल जोतों में से 52% जोतें सीमांत आकार में (दो हेक्टेयर से कम) और छोटी थीं। 1990-91 में कुल जोतों में छोटी जोतों का प्रतिशत बढ़कर 78 हो गया। इन छोटी जोतों में भी छोटे-छोटे खेत दूर दूर बिखरे हैं। जोतों का अनार्थिक होना (आर्थिक दृष्टि से अनुपयुक्त आकार) कृषि के आधुनिकीकरण की प्रमुख बाधा हैं। भूमि के स्वामित्व की व्यवस्था बड़े पैमाने पर निवेश के अनुकूल नहीं है, क्योंकि काश्तकारी की अवधि अनिश्चित बनी रहती है। अगली पीढ़ी में भूमि में बँटवारे से भू जोतों का पुनः विखण्डन हो गया है।

5. प्रौद्योगिकीय कारक – कृषि के तरीके पुराने और रूढ़िवादी / परम्परागत हैं। अधिकतर किसान आज भी लकड़ी का हल और बैलों का ही उपयोग करते हैं। मशीनीकरण बहुत सीमित है। उर्वरकों और अधिक उपज देने वाले बीजों का उपयोग भी सीमित है। फसलगत क्षेत्र के केवल एक तिहाई क्षेत्र के लिए ही सिंचाई की सुविधाएं जुटाई जा सकी हैं। इसका वितरण वर्षा की कमी और परिवर्तनशील के अनुरूप नहीं है। ये दशाएं कृषि की उत्पादकता और इसकी गहनता को निम्न स्तर पर बनाए हुए हैं।

6. भूमि सुधारों की कमी – भूमि के असमान वितरण के कारण भारतीय किसान लंबे समय से शोषित हैं । अंग्रेज़ी शासन के दौरान, तीन भूराजस्व प्रणालियों-महालवाड़ी, रैयतवाड़ी तथा ज़मींदारी में से ज़मींदारी प्रथा किसानों के लिए सबसे अधिक शोषणकारी रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात्, भूमि सुधारों को प्राथमिकता दी गई, लेकिन ये सुधार कमज़ोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पूर्णतः फलीभूत नहीं हुए। अधिकतर राज्य सरकारों ने राजनीतिक रूप से शक्तिशाली ज़मींदारों के खिलाफ़ कठोर राजनीतिक निर्णय लेने में टालमटोल किया। भूमि सधारों के लागू न होने के परिणामस्वरूप कृषि योग्य भूमि का असमान वितरण जारी रहा जिससे कृषि विकास में बाधा रही है ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. पृथ्वी का लगभग कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
(A) 51%
(B) 61%
(C) 71%
(D) 81%
उत्तर:
(C) 71%

2. कुल जल संसाधनों में अलवणीय जल कितने प्रतिशत है ?
(A) 0.5
(B) 1.0
(C) 2.5
(D) 3.0
उत्तर:
(D) 3.0

3. भारत में विश्व के जल-संसाधनों का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 1%
(B) 2%
(C) 3%
(D) 4%
उत्तर:
(D) 4%

4. देश के कुल उपयोगी जल संसाधन हैं
(A) 1122 घन कि० मी०
(B) 1222 घन कि० मी०
(C) 1322 घन कि० मी०
(D) 1422 घन कि० मी०।
उत्तर:
(A) 1122 घन कि० मी०

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5. भारत में धरातलीय जल का कितने % भाग उपयोग किया जा सकता है ? .
(A) 22%
(B) 25%
(C) 32%
(D) 35%.
उत्तर:
(C) 32%

6. बिहार राज्य में जल में किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ गया है ?
(A) नमक
(B) खारापन
(C) फलूओराइड
(D) संखिया।
उत्तर:
(D) संखिया।

7. भौम जल का कितने प्रतिशत कृषि में प्रयोग होता है ?
(A) 72%
(B) 82%
(C) 85%
(D) 92%.
उत्तर:
(D) 92%.

8. निम्नलिखित में से किस राज्य में भौम जल का अधिक उपयोग है ?
(A) पंजाब
(B) छत्तीसगढ़
(C) बिहार
(D) केरल।
उत्तर:
(A) पंजाब

9. पंजाब में निवल बोए गए क्षेत्र का कितने प्रतिशत भाग सिंचित है ?
(A) 65%
(B) 75%
(C) 80%
(D) 85%.
उत्तर:
(D) 85%.

10. नदी के किस भाग में जल की अच्छी गुणवत्ता होती है ?
(A) पहाड़ी
(B) मैदानी
(C) डेल्टा
(D) घाटी।
उत्तर:
(A) पहाड़ी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
जल अभाव तथा घटती आपूर्ति के तीन कारण बताओ।
उत्तर:
(i) बढ़ती मांग
(ii) अति उपयोग
(iii) प्रदूषण।

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प्रश्न 2.
धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत बताओ।
उत्तर:
नदियां, झीलें, तलैया और तालाब।

प्रश्न 3.
भारत में नदियों की संख्या कितनी है ? (1.6 कि० मी० से अधिक लम्बी)
उत्तर:
10360

प्रश्न 4.
भौम जल का अधिक उपयोग करने वाले तीन राज्य बताओ।
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु।।

प्रश्न 5.
जल सिंचाई के दो प्रभाव बताओ।
उत्तर:
बहुफ़सलीकरण से वृद्धि तथा उत्पादकता में वृद्धि।

प्रश्न 6.
महाराष्ट्र में भौम जल के अधिक उपयोग से किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ा है ?
उत्तर:
फ्लू ओराइड।

प्रश्न 7.
शद्ध जल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब जल अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित हो।

प्रश्न 8.
जल संभर प्रबन्धन के अधीन कौन-से तीन कार्यक्रम चलाए गए हैं ?
उत्तर:
हरियाली, नीरू-मीरू, अरवारी पानी संसद्।

प्रश्न 9.
जल अधिनियम कब बनाया गया ?
उत्तर:
1974 में।

प्रश्न 10.
भारत की सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है ?
उत्तर:
दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी।

प्रश्न 11.
जल संग्रहण कुण्ड को राजस्थान में क्या कहते हैं ?
उत्तर:
टांका।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय जल नीति के दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर:’
सिंचाई के लिए जल तथा पेय जल प्रदान करना।

प्रश्न 13.
भारत में जल की गुणवत्ता के निम्नीकरण का मुख्य कारण बताओ।
उत्तर:
जल रसायन तथा प्रदूषण।

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प्रश्न 14.
विश्व के जल संसाधनों का कितने प्रतिशत भारत में उपलब्ध है ?
उत्तर:
4%.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जल का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस दुर्लभ संसाधन के आबंटन और नियन्त्रण पर तनाव और लड़ाई-झगडे, सम्प्रदायों, प्रदेशों और राज्यों के बीच विवाद का विषय बन गए हैं। विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल का मूल्यांकन, कार्यक्षम उपयोग और संरक्षण आवश्यक हो गए हैं।

प्रश्न 2.
भारत में भौम जल संसाधनों का वर्णन करें।
उत्तर:
भौम जल संसाधन-देश में कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग 432 घन कि० मी० है। कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन का लगभग 46 प्रतिशत गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है। उत्तर-पश्चिमी प्रदेश और दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिनों में भौम जल उपयोग अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 3.
जल सिंचाई उपयोग से क्या लाभ है ?
उत्तर:
(1) सिंचाई की व्यवस्था बहुफ़सलीकरण को सम्भव बनाती है।
(2) ऐसा पाया गया है कि सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा ज़्यादा होती है।
(3) फ़सलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता आपूर्ति नियमित रूप से आवश्यक है जो केवल विकसित सिंचाई तन्त्र से ही सम्भव होती है।
(4) वास्तव में ऐसा इसलिए है कि देश में कृषि विकास की हरित क्रान्ति की रणनीति पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक सफल हुई है।

प्रश्न 4.
कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम क्या हैं ?
उत्तर:
(1) इन राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भौम जल स्तर नीचा हो गया है।
(2) वास्तव में, कुछ राज्यों, जैसे-राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लु ओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया है।
(3) इस वजह से पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ भागों में संखिया के संकेंद्रण की वृद्धि हो गई है।

प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में पर्याप्त जल संसाधन है, परन्तु यहां भौम जल स्तर नीचे गिर रहा है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवल बोए गए क्षेत्र का 85 प्रतिशत भाग सिंचाई के अन्तर्गत है। इन राज्यों में गेहूँ और चावल मुख्य रूप से सिंचाई की सहायता से पैदा किए जाते हैं। निवल सिंचित क्षेत्र का 76.1 प्रतिशत पंजाब में और 51.3 प्रतिशत हरियाणा में, कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित है। इससे यह ज्ञात होता है कि ये राज्य अपने सम्भावित भौम जल के एक बड़े भाग का उपयोग करते हैं जिससे कि इन राज्यों में भौम जल में कमी आ जाती है। .

प्रश्न 6.
जल के गुणों का ह्रास क्यों होता है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं। इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं।

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प्रश्न 7.
जल-संरक्षण क्यों आवश्यक है ? इसके उपाय बताओ।
उत्तर:
जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

प्रश्न 8.
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली तकनीक बताओ।
उत्तर:
(i) छत के वर्षा जल का संग्रहण
(ii) खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
(ii) हैंड पम्पों का पुनर्भरण
(iv) रिसाव गड्ढों का निर्माण
(v) खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनना।

प्रश्न 9.
जल संभर विकास से क्या उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं ?
उत्तर:

  1. मृदा संरक्षण
  2. जल संरक्षण
  3. कृषि योग्य भूमि का संरक्षण
  4. उद्यान कृषि का विकास
  5. वानिकी और वन वर्धन का विकास
  6. पर्यावरण का संरक्षण
  7. कृषि उत्पादन में वृद्धि
  8. परितन्त्रीय ह्रास को रोकना।

प्रश्न 10.
वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य बताओ।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-यह भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाने की तकनीक है। इस तकनीक में स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भण्डारों में संगृहीत करना शामिल है, जिससे स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य ये हैं –

  • जल की निरन्तर जल मांग को पूरा करना
  • नालियों को रोकने वाले सतही जल प्रवाह को कम करना
  • सड़कों पर जल फैलाव को रोकना
  • भौम जल में वृद्धि करना तथा जल स्तर को ऊंचा उठाना
  • भौम जल प्रदूषण को रोकना
  • भौम जल की गुणवत्ता को सुधारना
  • मृदा अपरदन को कम करना
  • ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करना।

प्रश्न 11.
जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जल अभाव संभवतः इसकी बढ़ती हुई मांग, अति उपयोग तथा प्रदूषण के कारण घटती आपूर्ति के आधार पर सबसे बड़ी चुनौती है। उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) पृथ्वी का कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
उत्तर:
71 प्रतिशत।

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(ख) कुल जल में अलवणीय जल कितना है ?
उत्तर:
3 प्रतिशत।

(ग) भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई किन कारणों के चलते आवश्यक है ?
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है। भारत में सिंचाई निम्नलिखित तथ्यों के कारण आवश्यक है –
(1) देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
(2) देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सुखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
(3) देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कौन-सी आधारभूत मुख्य तकनीक हैं जिनके चलते भौम जल के भंडारों का पुन: संरक्षण कर सकते हैं ?
अथवा
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली मुख्य तकनीक बताओ।
उत्तर:

  1. छत के वर्षा जल का संग्रहण
  2. खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
  3. हैंड पम्पों का पुनर्भरण
  4. रिसाव गड्ढों का निर्माण
  5. खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनाना।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के जल संसाधनों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत के जल संसाधन –

  1. भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत उपलब्ध है, देश में विश्व जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है।
  2. देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि० मी० है।
  3. धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1,869 घन कि० मी० जल उपलब्ध है।
  4. इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। (
  5. इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि० मी० है।

प्रश्न 2.
भारत के भौम जल संसाधनों के उपयोग का वर्णन करो।
उत्तर:
(1) अधिक उपयोग वाले राज्य-पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक है।
(2) कम उपयोग वाले राज्य-कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि अपने भौम जल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।
(3) मध्यम उपयोग वाले राज्य-गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र अपने भौम जल संसाधनों का मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

प्रश्न 3.
भारत के लैगून और पश्च जल का वर्णन करते हुए इनका उपयोग बताओ।
उत्तर:
लैगून और पश्च जल-भारत की समुद्र तट रेखा विशाल है और कुछ राज्यों में समुद्र तट बहुत दंतुरित है। इसी कारण बहुत-सी लैगून और झीलें बन गई हैं। केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इन लैगूनों और झीलों में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं। यद्यपि सामान्यतः इन जलाशयों में खारा जल है, इसका उपयोग मछली पालन और चावल की कुछ निश्चित किस्मों, नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में जल के उपयोग के विभिन्न क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
जल की मांग और उपयोग –
1. कृषि क्षेत्र-पारम्परिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसीलिए, पंचवर्षीय योजनाओं में, कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

2. बहु-उद्देशीय नदी घाटी योजनाएं-बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं जैसे-भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में, भारत की वर्तमान में जल की मांग, सिंचाई की आवश्यकताओं के लिए अधिक है। धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि में होता है। इसमें धरातलीय जल का 89 प्रतिशत और भौम जल का 92 प्रतिशत जल उपयोग किया जाता है।

3. औद्योगिक सैक्टर-औद्योगिक सेक्टर में, सतह जल का केवल 2 प्रतिशत और भौम जल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

4. घरेलू सैक्टर-घरेलू सैक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भौम जल की तुलना में अधिक (9%) है। कुल जल उपयोग में कृषि सैक्टर का भाग दूसरे सैक्टरों से अधिक है। फिर भी, भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सैक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है।

प्रश्न 5.
भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई क्यों आवश्यक है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है।

  • देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
  • देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।
  • पर्याप्त मात्रा में वर्षा वाले क्षेत्र जैसे पश्चिम बंगाल और बिहार में भी मानसून के मौसम में अवर्षा अथवा इसकी असफलता सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है जो कृषि के लिए हानिकारक होती है।
  • कुछ फसलों के लिए जल की कमी सिंचाई को आवश्यक बनाती है। उदाहरण के लिए चावल, गन्ना, जूट आदि के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है जो केवल सिंचाई द्वारा सम्भव है।

प्रश्न 6.
जल के पुनःचक्र और पुन: उपयोग के उदाहरण दो।
उत्तर:
जल का पुनःचक्र और पुन: उपयोग-पुन:चक्र और पुन:उपयोग, दूसरे रास्ते हैं जिनके द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है। कम गुणवत्ता के जल का उपयोग, जैसे शोधित अपशिष्ट जल, उद्योगों के लिए एक आकर्षक विकल्प हैं और जिसका उपयोग शीतलन एवं अग्निशमन के लिए करके वे जल पर होने वाली लागत को कम कर सकते हैं।

इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में स्नान और बर्तन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। वाहनों को धोने के लिए प्रयुक्त जल का उपयोग भी बागवानी में किया जा सकता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाले जल का पीने के उद्देश्य के लिए संरक्षण होगा। वर्तमान में, पानी का पुनः चक्रण एक सीमित माप में किया गया है। फिर भी, पुनः चक्रण द्वारा पुनः पूर्तियोग्य जल की उपादेयता व्यापक है।

प्रश्न 7.
भारत में जल की दो समस्याएं कौन-सी हैं ? उपयक्त उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं।

इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुंच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं। जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण, नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की मख्य विशेषताएं-राष्ट्रीय जल नीति 2002 जल आबंटन प्राथमिकताएं विस्तृत रूप में निम्नलिखित क्रम में निर्दिष्ट की गई हैं –

  1. पेयजल
  2. सिंचाई
  3. जलशक्ति
  4. नौकायान
  5. औद्योगिक और अन्य उपयोग।

इस नीति में जल व्यवस्था के लिए प्रगतिशील नए दृष्टिकोण निर्धारित किए गए हैं। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं –

  • सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में सम्मिलित करना चाहिए जहां पेय जल के स्रोत का कोई विकल्प नहीं है।
  • पेय जल सभी मानव जाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • भौम जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए।
  • सतह और भौम जल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जांच होनी चाहिए। जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  • जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्यक्षमता सुधारनी चाहिए।
  • दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए।
  • शिक्षा विनिमय. उपक्रमणों. प्रेरकों और अनक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढानी चाहिए।

प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण की विधियों तथा प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूमिगत जलभृतों के पुनर्भरण के लिए भी किया जाता है। यह एक कम मूल्य और पारिस्थिति की अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूंद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है।

  • वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है।
  • फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है।
  • मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है। यदि इसे जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है तो तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।

विधियां – देश में विभिन्न समुदाय लम्बे समय से अनेक विधियों से वर्षा जल संग्रहण करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत वर्षा जल संग्रहण सतह संचयन जलाशयों, जैसे-झीलों, तालाबों, सिंचाई तालाबों आदि में किया जाता है। राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढांचे जिन्हें कुंड अथवा टांका (एक ढका हुआ भूमिगत टंकी) के नाम से जानी जाती है।

लाभ – बहुमूल्य जल संसाधन के संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रविधि का उपयोग करने का क्षेत्र व्यापक है। इसे घर की छतों और खुले स्थानों में वर्षा जल द्वारा संग्रहण किया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए, भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता कम करता है। इसके अतिरिक्त मांग-आपूर्ति अन्तर के लिए सेतु बन्धन के कार्य के अतिरिक्त इससे भौम जल निकालने में ऊर्जा की बचत होती है क्योंकि पुनर्भरण से भौम जल स्तर में वृद्धि हो जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

आजकल वर्षा जल संग्रहण विधि का देश के बहुत-से राज्यों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। वर्षा जल संग्रहण से मुख्य रूप से नगरीय क्षेत्रों को लाभ मिल सकता है क्योंकि जल की मांग, अधिकांश नगरों और शहरों में पहले ही आपूर्ति से आगे बढ़ चुकी है। उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त विशेषकर तटीय क्षेत्रों में पानी के विलवणीकरण और शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या, नदियों को जोड़कर अधिक जल के क्षेत्रों से कम जल के क्षेत्रों में जल स्थानान्तरित करके भारत में जल समस्या को सुलझाने का महत्त्वपूर्ण उपाय है। फिर भी, वैयक्तिक उपभोक्ता, घरेलू और समुदायों के दृष्टिकोण से, सबसे बड़ी समस्या जल का मूल्य है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. बस्तियों में लोगों के समूहन का आधार क्या है ?
(A) पोषण आधार
(B) जल आधार
(C) औद्योगिक आधार
(D) कृषि आधार।
उत्तर:
(A) पोषण आधार

2. ग्रामों में कौन-सी क्रिया प्रमुख होती है ?
(A) प्राथमिक
(C) तृतीयक
(B) द्वितीयक
(D) चतुर्थक
उत्तर:
(A) प्राथमिक

3. जलोढ़ मैदानों में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त
उत्तर:
(A) गुच्छित

4. गुजरात के मैदान तथा राजस्थान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त।
उत्तर:
(B) अर्द्ध-गुच्छित

5. हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो नगर किस घाटी में स्थित थे ?
(A) गंगा
(B) नर्मदा
(C) सिन्धु
(D) ब्रह्मपुत्र
उत्तर:
(C) सिन्धु

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6. भारत में सर्वाधिक प्राचीन नगर है –
(A) हैदराबाद
(B) वाराणसी
(C) आगरा
(D) चेन्नई।
उत्तर:
(B) वाराणसी

7. कौन-सा नगर मध्यकालीन नगर है ?
(A) पाटलिपुत्र
(B) दिल्ली
(C) मुम्बई
(D) चण्डीगढ़
उत्तर:
(B) दिल्ली

8. कौन – सा नगर एक प्रशासनिक नगर है ?
(A) वाराणसी
(B) सूरत
(C) गांधी नगर
(D) रोहतक
उत्तर:
(C) गांधी नगर

9. भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत है
(A) 18
(B) 20
(C) 25
(D) 28.
उत्तर:
(D) 28.

10. 20वीं शताब्दी में भारत में नगरीय जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 5
(B) 7
(C) 11
(D) 15.
उत्तर:
(C) 11

11. मेगा नगर की जनसंख्या कितनी जनसंख्या से अधिक होती है ?
(A) 1 लाख
(B) 5 लाख
(C) 10 लाख
(D) 50 लाख
उत्तर:
(D) 50 लाख

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

12. भारत में नगरों की संख्या है
(A) 4161
(B) 5161
(C) 6161
(D) 7161
उत्तर:
(B) 5161

13. भारत में एक लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 223
(B) 323
(C) 423
(D) 523
उत्तर:
(C) 423

14. भारत में दस लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 25
(B) 30
(C) 53
(D) 40
उत्तर:
(C) 53

15. मसूरी किस श्रेणी का नगर है ?
(A) शैक्षिक
(B) खनन
(C) पर्यटन
(D) औद्योगिक
उत्तर:
(C) पर्यटन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बस्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभिन्न आकार के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं।

प्रश्न 2.
बस्ती की मूल प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर:
लोगों का समूहन तथा संसाधनों का आधार

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की मुख्य क्रिया बताओ
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएं

प्रश्न 4.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में प्रकार्यात्मक सम्बन्ध का माध्यम बताओ।
उत्तर:
परिवहन – संचार

प्रश्न 5.
उत्तरी मैदान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
संहत

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 6.
भारत में किन प्रदेशों में संहत बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
उत्तर पूर्वी राज्य, बुन्देलखण्ड, नागालैण्ड, राजस्थान।

प्रश्न 7.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
गुजरात व राजस्थान।

प्रश्न 8.
पल्ली बस्तियों के स्थानिक नाम बताओ
उत्तर:
पान्ना, पाढ़ा, पाली, नगला, ढाँणी।

प्रश्न 9.
पल्ली बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
मध्य व निम्न गंगा मैदान, छत्तीसगढ़, हिमालय की निचली घाटियां।

प्रश्न 10.
परिक्षिप्त बस्तियों के प्रदेश बताओ
उत्तर:
मेघालय, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, केरल

प्रश्न 11.
भारत में नगरों का उदय कब हुआ ?
उत्तर:
प्रागैतिहासिक काल के सिन्धु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो का हड़प्पा नगर ।

प्रश्न 12.
भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर बताओ।
उत्तर:
वाराणसी।

प्रश्न 13.
भारत के तीन प्रमुख नोड नगर बताओ।
उत्तर:
मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता।

प्रश्न 14.
दिल्ली के निकट तीन अनुषंगी नगर बताओ।
उत्तर:
गाज़ियाबाद, रोहतक, गुड़गांव

प्रश्न 15.
भारत में छ: मैगा नगर बताओ
उत्तर:
मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद

प्रश्न 16.
भारत में प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या का आकार क्या है ?
उत्तर:
1,00,000 जनसंख्या तथा इससे अधिक ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 17.
प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या लिखिए
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में कानपुर सबसे बड़ा महानगर है जिसकी जनसंख्या 2.69 मिलियन है।

प्रश्न 18.
भारत के किन्हीं तीन राज्यों के नाम बताइए, जिनमें से प्रत्येक में एक महानगर है। उन महानगरों के नाम भी लिखिए
उत्तर:
कर्नाटक – बंगलौर, राजस्थान – जयपुर, केरल – कोच्चि।

प्रश्न 19.
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
इन्दौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा महानगर है। 2001 की जनसंख्या के अनुसार इसकी जनसंख्या 16.3 मिलियन है

प्रश्न 20.
भारतीय नगरों को तीन विभिन्न युगों में हुए उनके विकास के आधार पर वर्गीकृत कीजिए प्रत्येक युग से सम्बन्धित एक नगर का नाम बताइए।
उत्तर:
नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित वर्गों में बांटते हैं –

  1. प्राचीन नगर : पाटलीपुत्र|
  2. मध्यकालीन नगर : आगरा।
  3. आधुनिक नगर : चण्डीगढ़।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (Node) के रूप में कार्य करते हैं । व्याख्या करो ।
उत्तर:
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (node) के रूप में कार्य करते हैं और न केवल नगर निवासियों को बल्कि अपने पश्च भूमि की ग्रामीण बस्तियों को भी भोजन और कच्चे माल के बदले वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध परिवहन और संचार परिपथ के माध्यम से स्थापित होता है

प्रश्न 2.
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में सामाजिक सम्बन्धों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण और नगयरीय बस्तियां सामाजिक सम्बन्धी अभिवृत्ति और दृष्टिकोण की दृष्टि से भी भिन्न होती हैं। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिए उनमें सामाजिक सम्बन्ध घनिष्ठ होते हैं। दूसरी ओर नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक होते हैं ।

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की स्थिति किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के अनेक कारक और दशाएं उत्तरदायी हैं । इनके अन्तर्गत भौतिक लक्षण – भू-भाग की प्रकृति, ऊंचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता, सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक सामाजिक संरचना, जाति और धर्म, सुरक्षा सम्बन्धी कारक – चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा करते हैं ।

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प्रश्न 4.
ग्रामीण बस्तियों के मुख्य प्रकार बताओ ।
अथवा
भारत की ग्रामीण बस्तियों के चार मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर:
बृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है –

  • गुच्छित / संकुलित/आकेन्द्रित/समूहित/केन्द्रीय
  • अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखण्डित
  • पल्लीकृत और
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी।

प्रश्न 5.
गुच्छित बस्तियों के विभिन्न आकार बताओ।
उत्तर:
संकुलित निर्मित क्षेत्र और इसकी मध्यवर्ती गलियां कुछ जाने-पहचाने प्रारूप अथवा ज्यामितीय आकृतियां प्रस्तुत करते हैं जैसे कि आयताकार, अरीय, रैखिक इत्यादि।

प्रश्न 6.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियों के बाहरी भाग में निम्न वर्ग के लोग क्यों रहते हैं ?
उत्तर:
गांव के केन्द्रीय भाग में शक्तिशाली ज़मींदार निवास करते हैं, निम्न कार्य करने वाले निम्न वर्ग के लोग बस्ती के बाहरी भाग में रहते हैं। इस प्रकार बस्ती का सामाजिक व जातीय विखण्डन होता है।

प्रश्न 7.
परिक्षिप्त बस्तियों का विकास क्यों होता है ?
उत्तर:
भारत में परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती प्रारूप सुदूर जंगलों में एकाकी झोंपड़ियों अथवा कुछ झोंपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों के रूप में दिखाई पड़ता है। बस्ती का चरम विक्षेपण प्रायः भू-भाग और निवास योग्य क्षेत्रों में भूमि संसाधन आधार की अत्यधिक विखण्डित प्रकृति के कारण होता है । मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में बस्ती का यह प्रकार पाया जाता है।

प्रश्न 8.
मानव बस्ती का क्या अर्थ है ? इसका क्या आधार है ?
उत्तर:
मानव बस्ती का अर्थ है किसी भी प्रकार और आकार के घरों का समूह जिनमें मनुष्य रहते हैं। इस उद्देश्य के लिए लोग मकानों और अन्य इमारतों का निर्माण करते हैं और अपने आर्थिक पोषण – आधार के लिए कुछ क्षेत्र पर स्वामित्व रखते हैं। अतः बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से लोगों के समूहन और उनके संसाधन आधार के रूप में क्षेत्र का आवंटन सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 9.
ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

प्रश्न 10.
एक नगरीय संकुल का विकास कैसे होता है ?
उत्तर:
नगरीय संकुल हैं। एक नगरीय संकुल में निम्नलिखित तीन संयोजकों में से किसी एक का समावेश होता है – (क) एक नगर व उसका संलग्न नगरीय बहिर्बद्ध, (ख) बहिर्बुद्ध के सहित अथवा रहित दो अथवा अधिक संस्पर्शी नगर और (ग) एक अथवा अधिक संलग्न नगरों के बहिर्बुद्ध से युक्त एक संस्पर्शी प्रसार नगर का निर्माण । नगरीय बहिबद्ध के उदाहरण गांव अथवा शहर या नगर से संलग्न गांव की राजस्व सीमा में अवस्थित रेलवे कॉलोनियां, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र, सैनिक छावनी इत्यादि हैं।

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प्रश्न 11.
बस्ती के विकास की प्रक्रिया बताओ।
उत्तर:
बस्ती – किसी स्थान या क्षेत्र में रहने के लिए एकत्र होने की प्रक्रिया को बस्ती कहते हैं। इस उद्देश्य के लिए कई कार्य करने होते हैं ।

  1. मकान या ढांचे खड़े किए जाते हैं।
  2. किसी क्षेत्र पर अपने आर्थिक भरण पोषण के लिए अधिकार किया जाता है।
  3. इस क्षेत्र में लोग समूह में रहते हैं। इस प्रकार किसी बस्ती का विकास होता है।

प्रश्न 12.
‘नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पारस्परिक विनिमय प्रक्रिया होती है स्पष्ट करो।
उत्तर:
नगर वस्तुएं तथा सेवाएं पैदा करते हैं। वे इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदान करते हैं। इसके बदले में नगर गांवों से कच्चा माल और खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं। इस प्रकार संचार व परिवहन साधनों द्वारा यह पारस्परिक विनिमय की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न 13.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की जीवन शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण में अंतर होता है स्पष्ट करो।
उत्तर:
ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज होता है । सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 14.
भारत में स्थित किन्हीं तीन वर्ग के नगरों की मुख्य विशेषताएं बताओ जो कि प्रकार्यत्मक आधार पर है।
उत्तर:
भारत में नगर अपने कार्यों के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटे जाते हैं –
प्रशासनिक नगर – इस नगर में राज्यों की राजधानियां शामिल होती हैं। यहां सरकारी दफ्तर, कचहरी तथा कई शहरों के मुख्य कार्यालय स्थित होते हैं। इसके उदाहरण दिल्ली, चण्डीगढ़ हैं।
प्रतिरक्षा नगर – इन नगरों में स्थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। यहां सैनिकों के लिए सड़कें बनाई जाती हैं। यहां सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे जोधपुर, जम्मू।
खनन केन्द्र – ये नगर खनिजों की प्राप्ति के पश्चात् बस जाते हैं। जैसे – कोयला क्षेत्र – रानीगंज आदि।

प्रश्न 15.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आप कौन मूल्यों के आधार पर अंतर स्पष्ट कर सकते हो ? जीवन-शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर:
जीवन – शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किए जा सकते हैं ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम-धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज़ होता है। सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 16.
बस्तियाँ आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुचित अवस्थित हो सकती हैं।
उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) बस्तियों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण तथा नगरीय।

(ख) ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मुख्य व्यवसाय बताओ।
उत्तर:
प्राथमिक क्रिया।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

(ग) ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं –
ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के आर्थिक अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियां छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुलित अवस्थित हो सकती हैं विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियां, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं, गांव कहलाती हैं । दूसरी ओर कम, किन्तु बड़े अधिवास द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होते हैं जो इन्हें नगरीय बस्तियां कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारतीय नगरों की प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय नगर प्रमुख विशेषताएं – भारतीय नगरों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(1) अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गांव के विस्तृत रूप हैं। इनकी गलियों में गांव का स्वरूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
(2) अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है ।
(3) अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियां हैं। ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम हैं। इसमें आर्थिक अवसरों का योगदान कम है।
(4) अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
(5) प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट तथा प्रारम्भिक है। भारतीय नगरों की पश्चिमी देशों के नगरों के साथ इस संदर्भ में कोई तुलना नहीं की जा सकती।
(6) जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण, जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता

प्रश्न 3.
जनसंख्या के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
जनसंख्या के आधार पर कस्बों और नगरों के वर्ग- भारत के जनगणना विभाग ने नगरीय केन्द्रों को 6 वर्गों में विभाजित किया है। एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को कस्बा कहा जाता है। 10 से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को बृहत् नगर कहते हैं। अधिकतर महानगर और बृहत् नगर नगरीय संकुल हैं।

यह स्पष्ट है कि अधिकतर नगरीय जनसंख्या 423 नगरों में रहती है, जो कुल नगरों का मात्र 8.2 प्रतिशत है। इन नगरों में देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 61.48 प्रतिशत भाग रहता है। 423 नगरों में से 35 महानगर या नगरीय संकुल हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, इसीलिए इन्हें महानगर कहते हैं। इनमें से छः (मैगा ) बृहत् नगर हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। इन बृहत् नगरों में कुल नगरीय जनसंख्या के पांचवें भाग से अधिक ( 21.0 प्रतिशत) लोग रहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के प्रकार का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में कई प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं। इनके आकार, आकृति तथा अभिन्यास में स्पष्ट भिन्नता मिलती है। मोटे तौर पर भारत में तीन प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं –
1. केन्द्रीकृत बस्तियां ( गुच्छित बस्तियां ) – इन बस्तियों में संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों को दो कतारों की संकरी, तंग गलियां पृथक् करती हैं । इनका अभिन्यास प्रायः रैखिक, आयताकार तथा ‘L’ आकृति वाला होता है। घर पास-पास बने होते हैं। ये बस्तियां उपजाऊ मैदानों, शिवालिक घाटी तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में मिलती हैं। ये बस्तियां राजस्थान, बुन्देल खण्ड, नागालैंड में पाई जाती हैं।

2. अर्द्ध – गुच्छित बस्तियां – इन बस्तियों में एक केन्द्र के चारों ओर छोटे आवास मुद्रिका के रूप में बिखरे होते हैं । प्रायः किसी बड़े संहत गांव के विखंडन के परिणामस्वरूप ये बस्तियां बनती हैं । प्रायः भू-स्वामी तथा प्रभावशाली लोग गांव के केन्द्रीय भाग में रहते हैं, जबकि समाज के निम्न वर्ग के लोग गांव के बाहरी भाग में रहते हैं। गुजरात के मैदान में ऐसी बस्तियां व्यापक रूप से पाई जाती हैं।

3. पुरवे वाली बस्तियां – कभी – कभी बस्ती एक-दूसरे से अलग इकाइयों के रूप में होती है तथा स्पष्ट दूरी पर होती है । देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें पल्ली, नंगला या ढाणी आदि स्थानीय नामों से जाना जाता है। गंगा के मध्यवर्ती और निचले मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में प्रायः ऐसे गांव पाए जाते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

4. परिक्षिप्त बस्तियां – ये छोटे-छोटे हैमलेट आकार के बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इन बस्तियों में केवल कुछ घर ही होते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को निर्धारित करने वाले कारकों की विवेचना करो।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियों के आकार, आकृति, प्रकार आदि में स्पष्ट विभिन्नता दिखाई देती है। ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करते हैं –
1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार प्रायः भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। उच्चावच, ऊंचाई, अपवाह तन्त्र, भौम जल-स्तर तथा जलवायु एवं मृदा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुष्क प्रदेशों में पानी की कमी के कारण प्रायः मकान तालाबों के चारों ओर बनाए जाते हैं। बस्तियां प्रायः संहित प्रकार की होती हैं।

2. सांस्कृतिक कारक – इनमें जन- जातीयता, सम्प्रदाय, जाति वर्ग बस्तियों के अभिन्यास पर प्रभाव डालते हैं। प्रायः गांव के मध्य में भू-स्वामियों के मकान होते हैं। इसके चारों ओर नौकरी – चाकरी करने वाली जातियों के मकान होते हैं। हरिजनों के मकान गांव की सीमा पार मुख्य बस्ती से दूर स्थित होते हैं। इस प्रकार का गांव कई सामाजिक इकाइयों में खण्डित हो जाता है।

3. ऐतिहासिक कारक – उत्तरी भारत के मैदानों में बाहरी आक्रमण होते रहे हैं। इन आक्रमणों से बचने के लिए प्रायः संहित बस्तियां पाई जाती हैं । लुटेरों से सुरक्षा पाने के लिए भी संहित बस्तियां बसाई जाती थीं।

प्रश्न 3.
नगर से क्या अभिप्राय है ? नगर इतिहास वेत्ताओं के अनुसार नगरों का वर्गीकरण तथा विकास बताओ।
उत्तर:
नगरों की परिभाषा – विभिन्न देशों में नगरों को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया जाता है। भारत में 2001 की जनगणना में दो प्रकार के नगरों की पहचान की है –
संवैधानिक नगर – वे सभी स्थान, जिनमें नगरपालिका या नगर निगम या केंटूनमैंट बोर्ड या नौटीफाइड टाऊन एरिया कमेटी हैं।
जनगणना नगर – वे सभी स्थान जो निम्नलिखित कसौटियों पर खरे उतरते हैं

  1. जिनकी जनसंख्या कम से कम 5000 हो,
  2. जिनकी 75 प्रतिशत कार्यशील पुरुष जनसंख्या ग़ैर कृषि कार्यों में लगी हो, और
  3. जिनकी जनसंख्या का घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हो।

भारत में नगरों का विकास – भारत में प्रागैतिहासिक काल में नगर फलते-फूलते रहे हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों का अस्तित्व था। 600 ईसा पूर्व नगरीकरण का दूसरा दौर प्रारम्भ हुआ। यह सिलसिला 18वीं शताब्दी में यूरोपवासियों के आने तक थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ निरन्तर चलता रहा। नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करते हैं –
(1) प्राचीन नगर
(2) मध्यकालीन नगर और
(3) आधुनिक नगर।

1. प्राचीन नगर – लगभग 45 नगरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। इनका अस्तित्व 2000 वर्षों से भी अधिक समय से है। इनमें से अधिकतर का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ था। वाराणसी इनमें से एक महत्त्वपूर्ण नगर है। अयोध्या, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मथुरा और मदुरै कुछ प्राचीन नगरों के अन्य उदाहरण हैं।

2. मध्यकालीन नगर – लगभग 101 वर्तमान नगरों का विकास मध्य काल में हुआ, इनमें से अधिकतर नगर रियासतों और राज्यों के मुख्यालयों या राजधानियों के रूप में विकसित हुए। इनमें से अधिकतर दुर्गनगर हैं जो पहले से विद्यमान नगरों के खंडहरों से उभरे हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध नगर हैं – दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा और नागपुर।

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3. आधुनिक नगर – अंग्रेज़ों और अन्य यूरोपवासियों ने नगरीय परिदृश्य को बदल दिया। बाहरी शक्ति के रूप में इन्होंने पहले-पहल तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। इन्होंने सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे- सूरत, दमन, गोवा, पांडिचेरी आदि का विकास किया। बाद में अंग्रेज़ों ने तीन प्रमुख केन्द्रों – मुंबई (बम्बई), चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) से अपनी सत्ता को मज़बूत किया। उन्होंने इन नगरों का निर्माण अंग्रेज़ी स्थापत्य कला के अनुसार किया था। अंग्रेज़ों ने प्रत्यक्ष रूप से या बाह्य रूप से नियन्त्रण द्वारा देशी रियासतों पर अपना आधिपत्य बड़ी तेज़ी से स्थापित किया।

इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों, पर्यटन स्थलों के रूप में पर्वतीय नगरों का विकास किया तथा पहले से विद्यमान नगरों में सिविल लाइंस, प्रशासनिक और छावनी क्षेत्र जोड़ दिए। भारत में आधुनिक उद्योगों पर आधारित नगरों का विकास भी 1850 के बाद ही हुआ । इस संदर्भ में जमशेदपुर का उल्लेख उदाहरण के रूप में किया जा सकता है। स्वतन्त्रता के बाद प्रशासनिक मुख्यालयों और औद्योगिक केन्द्रों के रूप में अनेक नगरों का उदय हुआ।

चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर, दिसपुर आदि प्रशासनिक मुख्यालय तथा दुर्गापुर, भिलाई, सिन्दरी, बरौनी, आदि औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं। कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों ओर उपनगरों के रूप में भी विकास हुआ है। दिल्ली के चारों ओर विकसित गाज़ियाबाद, नोएडा, रोहतक, गुड़गांव आदि ऐसे ही उपनगर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश के बढ़ने के साथ ही सारे देश में काफ़ी बड़ी संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ - 1

स्मरणीय तथ्य (Points to Remember)
तालिका : भारत – वर्गानुसार शहरों और नगरों की संख्या एवं उनकी जनसंख्या, 2011

नगरीय संकुल / नगरों का नाम जनसंख्या (दस लाख में)
बृहत् मुंबई 18.41
दिल्ली 16.31
कोलकाता 14.11
चेन्नई 8.69
बंगलौर 8.49
हैदराबाद 7.74
अहमदाबाद 6.85
पुणे 5.04
सूरत 4.58
जयपुर 3.07
कानपुर 2.92
लखनऊ 2.90
पटना 2.49
गाजियाबाद 2.30
इंदौर 2.10
कोयंबटूर 2.15
कोच्चि 2.11
नागपुर 2.04
कोजीकोड 2.03
भोपाल 1.98
थ्रिस्सूर 1.95
वडोदरा 1.81
आगरा 1.74
विशाखापट्नम 1.73
मालापुरुम 1.61
तिरुवनंतपुरम 1.68
कन्नौज 1.64
लुधियाना 1.64
नासिक 1.56
विजयवाड़ा 1.44
मदुरई 1.43
वाराणसी 1.43
मेरठ 1.42
फरीदाबाद 1.40
राजकोट 1.39
जमशेदपुर 1.33
श्रीनगर 1.27
जबलपुर 1.26
आसनसोल 1.24
बसाई 1.22
इलाहाबाद 1.21
धनबाद 1.19
औरंगाबाद 1.15
अमृतसर 1.18
जोधपुर 1.13
रांची 1.12
रायपुर 1.12
कोल्लम 1.11
ग्वालियर 1.10
दुर्ग 1.06
चण्डीगढ़ 1.02
तिरुचिरापल्ली 1.02
कोटा 1.01

 

मानचित्र कौशल (Map Skill)

प्रश्न- भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित दिखाओ।
उत्तर:
(1) सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य – (हिमाचल प्रदेश)
(2) सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य। – (गोवा)
(3) भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर। – (वाराणसी)
(4) दिल्ली के गिर्द एक अनुषंगी नगर। – (गाज़ियाबाद)
(5) राज्य जहां सर्वाधिक मिलियन नगर हैं। – (उत्तर प्रदेश)
(6) भारत का सबसे बड़ा महानगर। – (मुम्बई)
(7) दक्षिणी भारत में तीन बृहत् संकुल। – (बंगलौर, हैदराबाद, चेन्नई)
(8) पूर्वी भारत में एक करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला नगर। – (कोलकाता)
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JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. किस सेवा को व्यावसायिक कुशलता की आवश्यकता नहीं होती ?
(A) वकील
(B) डॉक्टर
(C) अध्यापक
(D) दुकानदार।
उत्तर:
(D) दुकानदार।

2. कौन-सा कारक विनिमय में सम्मिलित नहीं होता ? .
(A) व्यापार
(B) परिवहन
(C) संचार
(D) वेतन।
उत्तर:
(D) वेतन।

3. तृतीयक क्रियाकलाप किस कारक पर निर्भर है ?
(A) कुशलता
(B) मशीनरी
(C) फैक्टरी
(D) उत्पादन।
उत्तर:
(A) कुशलता

4. तैयार वस्तुएँ कौन प्रदान करता है ?
(A) नगरीय केन्द्र
(B) ग्रामीण केन्द्र
(C) मण्डियां
(D) साप्ताहिक बाजार।
उत्तर:
(A) नगरीय केन्द्र

5. कौन-सी संस्था द्वार-से-द्वार सेवा प्रदान करती है ?
(A) फुटकर व्यापार
(B) थोक व्यापार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) फुटकर व्यापार

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

6. किस संस्था से सर्वप्रथम बृहत स्तर पर फुटकर व्यापार किया ?
(A) उपभोक्ता सहकारी
(B) विभागीय भण्डार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) उपभोक्ता सहकारी

7. थोक व्यापारी की पूँजी पर कौन कार्य संचालन करता है ?
(A) बड़े भण्डार
(B) श्रृंखला भण्डार
(C) फुटकर विक्रेता
(D) विभागीय भण्डार।
उत्तर:
(C) फुटकर विक्रेता

8. समकाल रेखाएं किन स्थानों को जोड़ती हैं जो हो
(A) किलोमीटर दूरी
(B) समय दूरी
(C) लाग दूरी
(D) लाभ दूरी।
उत्तर:
(B) समय दूरी

9. दो शीर्षों को जोड़ती हैं
(A) लिंक
(B) शीर्ष
(C) जालतन्त्र
(D) नोड।
उत्तर:
(A) लिंक

10. संचार का सबसे तेज़ साधन है
(A) तार प्रेषण
(B) टैलेक्स
(C) रेडियो
(D) मोबाइल दूरभाष।
उत्तर:
(D) मोबाइल दूरभाष।

11. एक टैक्स परामर्शदाता किस वर्ग के कार्य कलाप से सम्बन्धित है ?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(D) चतुर्थक।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलाप किस क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
सेवा क्षेत्र।

प्रश्न 2.
तृतीयक क्रियाकलाप में दो प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
उत्पादन तथा विनिमय।

प्रश्न 3.
विनिमय में कौन-से तत्त्व शामिल हैं ?
उत्तर:
व्यापार, परिवहन तथा संचार।

प्रश्न 4.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।

प्रश्न 5.
व्यापार के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
फुटकर तथा थोक व्यापार।

प्रश्न 6.
व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
वह नगर तथा केन्द्र जहां व्यापार होता है व्यापारिक केन्द्र कहलाते हैं, ये संग्रहण तथा वितरण बिन्दु होते हैं।

प्रश्न 7.
अर्ध-नगरीय केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र।

प्रश्न 8.
व्यापारिक केन्द्रों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर-:
ग्रामीण तथा नगरीय।

प्रश्न 9.
मण्डियों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार के केन्द्र।

प्रश्न 10.
फुटकर व्यापार सेवा के चार उदाहरण दो।
उत्तर:
फेरी, रेहड़ी, डाक-आदेश, द्वार से द्वार।

प्रश्न 11.
किस भण्डार पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यापार होता है ?
उत्तर;
विभागीय भण्डार।

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प्रश्न 12.
एक फुटकर विक्रेता किस प्रकार थोक विक्रेता की पूँजी पर कार्य करता है ?
उत्तर:
थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता को उधार देता है।

प्रश्न 13.
ICT को विस्तार से लिखें।
उत्तर:
Information Communication Technology.

प्रश्न 14.
समकाल रेखाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानचित्र पर समान समय में पहुंचने वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाओं को समकाल रेखाएं कहते हैं।

प्रश्न 15.
परिवहन की मांग किन कारकों पर निर्भर है ?
उत्तर:
परिवहन की मांग जनसंख्या के आकार से प्रभावित होती है। अधिक जनसंख्या से परिवहन मांग भी अधिक होती है।

प्रश्न 16.
संचार का कौन-सा साधन तीव्र गति वाला है ?
उत्तर:
मोबाइल दूरभाष तथा उपग्रह।

प्रश्न 17.
विशाल डाक का निपटारन कौन-सी संस्था करती है ?
उत्तर:
डाक घर।

प्रश्न 18.
जनसंचार के दो माध्यम बताओ।
उत्तर:
रेडियो तथा दूरदर्शन।

प्रश्न 19.
निम्न स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
पंसारी की दुकान, धोबीघाट।

प्रश्न 20.
उच्च स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
लेखाकार, परामर्शदाता, चिकित्सक।

प्रश्न 21.
मानसिक श्रम उपयोग वाली तीन सेवाएं बताओ।
उत्तर:
अध्यापक, वकील, चिकित्सक।

प्रश्न 22.
CBD का विस्तार करें।
उत्तर:
Central Business District (केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र)।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 23.
संयुक्त राज्य में तृतीयक क्रियाकलापों में लगे श्रमिकों का प्रतिशत क्या है ?
उत्तर:
75%

प्रश्न 24.
पर्यटन में पंजीकृत रोजगारों की संख्या बताओ।
उत्तर:
25 करोड़।

प्रश्न 25.
पर्यटन से प्राप्त कुल राजस्व बताओ।
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद का 40%।

प्रश्न 26.
पर्यटन किन उद्योगों को पोषित करता है ?
उत्तर:
अवसंरचना उद्योग, फुटकर व्यापार, शिल्प उद्योग।

प्रश्न 27.
मौसमी पर्यटन किन दशाओं पर निर्भर है ?
उत्तर;
अवकाश की अवधि।

प्रश्न 28.
संसार के दो पर्यटक प्रदेश बताओ।
उत्तर:
भूमध्य सागरीय तट तथा गोवा तट।

प्रश्न 29.
इतिहास एवं कला से सम्बन्धित कौन-से स्थान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं ?
उत्तर:
प्राचीन नगर, पुरातत्व स्थान, गुफाएं, महल, गिरजाघर।

प्रश्न 30.
सशक्त कर्मी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
यह वे श्रमिक हैं जो आत्म यथार्थीकरण द्वारा प्रेरित होते हैं न कि धन द्वारा । ये जीवन की गुणवत्ता, रचनात्मक व व्यक्तिगत मूल्यों में विश्वास रखते हैं।

प्रश्न 31.
MRI का विस्तार करें।
उत्तर:
Magnetic Resonance Images.

प्रश्न 32.
KPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Knowledge Processing Outsourcing.

प्रश्न 33.
BPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Business Processing Outsourcing.

प्रश्न 34.
सेवाओं का आधार क्या होता है ?
उत्तर:
कुशल कर्मचारी।

प्रश्न 35.
सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा।

प्रश्न 36.
वाणिज्यिक सेवाओं का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
विज्ञापन व परामर्श।

प्रश्न 37.
विकसित देशों में सेवाओं में वृद्धि का क्या कारण है ?
उत्तर:
प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने से।

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प्रश्न 38.
उच्च सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
वित्त तथा बीमा।

प्रश्न 39.
दूरसंचार का एक नवीनतम संसाधन बताओ।
उत्तर:
इन्टरनेट।

प्रश्न 40.
किसी एक वैश्विक नगर का उदाहरण दो।
उत्तर:
लंदन।

प्रश्न 41.
पंचम क्रियाकलापों की परिभाषा दो।
उत्तर:
ये वे सेवाएं हैं जो आंकड़ों की व्याख्या तथा मूल्यांकन से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 42.
तृतीय क्रियाओं में किस प्रकार की क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं ?
उत्तर:
तृतीय क्रियाओं में सेवाएं सम्मिलित की जाती हैं जैसे शिक्षा, प्रबन्ध, अनुसंधान तथा सुरक्षा।

प्रश्न 43.
ज्ञानोमुखी व्यक्ति किस क्रियाकलाप में आते हैं ?
उत्तर:
चतुर्थक तथा पंचम क्रियाकलाप।

प्रश्न 44.
सूचना का संग्रहण किस क्रियाकलाप में आता है ?
उत्तर:
चतुर्थक।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जनशक्ति सेवा सेक्टर का एक महत्त्वपूर्ण कारक है’ तीन विशेषताएं बताकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सेवा सेक्टर के लिए व्यावसायिक कुशल श्रमिक चाहिए। जनशक्ति अधिकांश तृतीय क्रियाकलापों का निष्पादन करती है। जनशक्ति की निम्नलिखित विशेषताएं आवश्यक हैं –

  1. श्रमिक कुशल हों।
  2. इनमें व्यावसायिक कशलता हो।
  3. विशेषज्ञ प्रशिक्षित हो।
  4. परामर्शदाता शिक्षित हो।

प्रश्न 2.
‘सभी प्रकार की सेवाएं विशिष्ट कलाएं होती हैं जो भुगतान के बदले प्राप्त होती हैं ‘ उदाहरण दो।
उत्तर:
अनेक व्यवसायी फ़ीस का भुगतान होने पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

  1. एक चिकित्सक आपका उपचार करके फ़ीस प्राप्त करता है।
  2. एक अध्यापक आपको शिक्षा देता है तथा फ़ीस लेता है।
  3. एक वकील आपको कानूनी सलाह देकर फ़ीस लेता है।

प्रश्न 3.
विकसित तथा विकासशील देशों में विभिन्न प्रकार की सेवाओं में लगे श्रमिकों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में विकासशील अर्थव्यवस्था में बहुसंख्या में लोग प्राथमिक सेक्टर में कार्य करते हैं।
  2. विकसित देशों में-बहुसंख्यक श्रमिक तृतीयक क्रियाकलापों में रोज़गार पाते हैं। कम संख्या में द्वितीयक सेक्टर में लोग कार्यरत हैं।

प्रश्न 4.
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता, विशिष्टीकृत कुशलता, अनुभव और ज्ञान पर निर्भर करती है। उत्पादन, मशीनरी, फैक्ट्री प्रक्रियाएं कम महत्त्वपूर्ण होती हैं।

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प्रश्न 5.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ? इसका उद्देश्य क्या है ? व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार वस्तुतः अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।
इसके दो प्रकार के हैं –
(i) फुटकर और
(ii) थोक व्यापार अथवा वाणिज्य की सभी सेवाओं का विशिष्ट उद्देश्य लाभ कमाना है। यह सारा काम कस्बों और नगरों में होता है। जिन्हें व्यापारिक केन्द्र कहा जाता है। स्थानीय स्तर पर वस्तु विनिमय से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय सोपान पर मुद्रा विनिमय तक व्यापार के उत्थान ने अनेक केन्द्रों और संस्थाओं को जन्म दिया है जैसे कि व्यापारिक केन्द्र अथवा संग्रहण और वितरण बिंदु। व्यापारिक केन्द्रों को ग्रामीण और नगरीय विपणन केन्द्रों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
कालिक मण्डियों (आवधिक बाज़ार) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में आवधिक बाजार-ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ नियमित बाज़ार नहीं होते विभिन्न कालिक अन्तरालों पर स्थानीय आवधिक बाज़ार लगाए जाते हैं। ये साप्ताहिक पाक्षिक बाज़ार होते हैं। जहाँ परिग्रामी क्षेत्रों से लोग आकर समय-समय पर अपनी आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। ये बाज़ार निश्चित तिथि दिन पर लगते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगते रहते हैं। दुकानदार इस प्रकार सभी दिन व्यस्त रहते हैं और एक विस्तृत क्षेत्र को सेवा प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
विभिन्न प्रकार के भण्डारों का वर्णन करो।
उत्तर:
भण्डारों के प्रकार –
(i) उपभोक्ता सहकारी (Consumer Co-operatives):
फुटकर व्यापार में वृहत स्तर पर सबसे पहले नवाचार लाने वाले उपभोक्ता सहकारी समुदाय थे।

(ii) विभागीय भण्डार (Departmental Stores):
वस्तुओं की खरीद और भण्डारों के विभिन्न अनुभागों में बिक्री के सर्वेक्षण के लिए विभागीय प्रमुखों को उत्तरदायित्व और प्राधिकार सौंप देते हैं।

(ii) श्रृंखला भण्डार (Chain Stores):
अत्यधिक मितव्ययता से व्यापारिक माल खरीद पाते हैं, यहां तक कि अपने विनिर्देश पर सीधे वस्तुओं का विनिर्माण करा लेते हैं। वे अनेक कार्यकारी कार्यों में अत्यधिक कुशल विशेषज्ञ नियुक्त कर लेते हैं। उनके पास एक भण्डार के अनुभव के परिणामों को अनेक भण्डारों में लागू करने की योग्यता होती है।

प्रश्न 8.
थोक व्यापार सेवा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार सेवाएं (Whole Sale Trading Services)-थोक व्यापार का गठन अनेक बिचौलिए सौदागरों और पूर्तिघरों द्वारा होता है न कि फुटकर भण्डारों द्वारा। शृंखला भण्डारों सहित कुछ बड़े भण्डार विनिर्माताओं से सीधी खरीद करते हैं। फिर भी बहुसंख्यक फुटकर भण्डार बिचौलिए स्रोत से पूर्ति लेते हैं। थोक विक्रेता प्रायः फुटकर भण्डारों को उधार देते हैं, यहाँ तक कि फुटकर विक्रेता अधिकतर थोक विक्रेत जी पर ही अपने कार्य का संचालन करते हैं।

प्रश्न 9.
परिवहन सेवाएं क्या हैं ? यह आवश्यक क्यों हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services)-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा सम्पत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है।

प्रश्न 10.
परिवहन व्यवस्था के कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है।

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प्रश्न 11.
परिवहन सेवाओं के मार्ग किन कारकों पर निर्भर करते हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services):

  • नगरों, कस्बों, गाँवों, औद्योगिक केन्द्रों और कच्चे माल, उनके मध्य व्यापार के प्रारूप।
  • उनके मध्य भू-दृश्य की प्रकृति
  • जलवायु के प्रकार और मार्ग की लम्बाई पर आने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए उपलब्ध निधियों (मुद्रा) पर मार्ग निर्भर करते हैं।

प्रश्न 12.
संचार साधनों द्वारा किन तत्त्वों का प्रेषण होता है ? परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
संचार सेवाएं (Communication Services):
संचार सेवाओं में शब्दों और सन्देशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने सन्देशों .. को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की। ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तन्त्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है।

प्रश्न 13.
दूरसंचार ने किस प्रकार संचार सेवाओं में क्रान्ति ला दी है ?
उत्तर:
दूरसंचार (Telecommunication):
दूर संचार का प्रयोग विद्युतीय प्रौद्योगिकी के विकास से जुड़ा है। सन्देशों के भेजे जाने की गति के कारण इसने संचार में क्रान्ति ला दी है। समय सप्ताहों से मिनटों में घट गया है और मोबाइल दूरभाष जैसी नूतन उन्नति ने किसी भी समय कहीं से भी संचार को प्रत्यक्ष और तत्काल बना दिया है। तार प्रेषण, मोर्स कूट और टैलेक्स अब लगभग भूतकाल की वस्तुएँ बन गई हैं।

प्रश्न 14.
जनसंचार माध्यम कौन-से हैं ? इनके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंचार माध्यम (Means of Mass Media):
रेडियो और दूरदर्शन भी समाचारों, चित्रों व दूरभाष कालों का पूरे विश्व में विस्तृत श्रोताओं को प्रसारण करते हैं और इसलिए इन्हें जनसंचार माध्यम कहा जाता है। इनके कार्य (Functions) –

  1. ये विज्ञापन एवं मनोरंजन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. समाचार-पत्र विश्व के सभी कोनों से घटनाओं का प्रसारण करने में सक्षम होते हैं।
  3. उपग्रह संचार पृथ्वी और अंतरिक्ष से सूचना का प्रसारण करता है।
  4. इन्टरनेट ने वैश्विक संचार तन्त्र में वास्तव में क्रान्ति ला दी है।

प्रश्न 15.
असंगठित श्रमिकों से क्या अभिप्राय है ? मुम्बई के डब्बावाला की सेवा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अनौपचारिक/गैर-औपचारिक सेक्टर-दैनिक जीवन में काम को सुविधाजनक बनाने के लिए लोगों को व्यक्तिगत सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। कामगार रोज़गार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास करते हैं और अकुशल होते हैं। वे मोची, गृहपाल, खानसामा और माली जैसी घरेलू सेवाओं के लिए नियुक्त किए जाते हैं और इन्हें कम भुगतान किया जाता है। कर्मियों का यह वर्ग असंगठित है। ऐसा एक उदाहरण मुम्बई की डब्बावाला सेवा है जो पूरे नगर में लगभग 1,75,000 उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जाती है।

प्रश्न 16.
चतुर्थक सेवाओं का क्या आकार है ? इसमें कौन-सी क्रियाएं शामिल हैं ?
उत्तर:
ज्ञान आधारित सेवा सेक्टर को चतुर्थक सेवाएं कहते हैं। इसमें तीन क्रियाएं सम्मिलित हैं।

  1. सूचना संग्रहण
  2. उत्पादन व प्रकीर्णन
  3. सूचना का उत्पादन।

प्रश्न 17.
पंचम क्रियाकलाप क्या है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
पंचम क्रियाकलाप वे सेवाएँ हैं जो नवीन एवं वर्तमान विचारों की रचना, उनके पुनर्गठन और व्याख्या; आँकड़ों की व्याख्या और प्रयोग तथा नई प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन पर केन्द्रित होती हैं। प्रायः ‘स्वर्ण कॉलर’ (Gold collar) कहे जाने वाले ये व्यवसाय तृतीयक सेक्टर का एक और उप-विभाग हैं जो वरिष्ठ व्यावसायिक कार्यकारियों, सरकारी अधिकारियों, अनुसन्धान वैज्ञानिकों, वित्त एवं विधि परामर्शदाताओं इत्यादि की विशेष और उच्च वेतन वाली कुशलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की संरचना में उनका महत्त्व उनकी संख्या से कहीं अधिक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन तथा विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं। व्याख्या करो।
उत्तर:
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन और विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं।
(1) उत्पादन में सेवाओं की उपलब्धता शामिल होती है जिनका उपभोग किया जाता है। उत्पादन को परोक्ष रूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है।
(2) विनिमय के अन्तर्गत व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाएँ सम्मिलित होती हैं जिनका उपयोग दूरी को निष्प्रभाव करने के लिए किया जाता है। इसलिए तृतीयक क्रियाकलापों में मूर्त वस्तुओं के उत्पादन के बजाय सेवाओं का व्यावसायिक उत्पादन सम्मिलित होता है। वे भौतिक कच्चे माल के प्रक्रमण में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित नहीं होतीं।

उदाहरण:
एक नलसाज, बिजली मिस्त्री, तकनीशियन, धोबी, नाई, दुकानदार, चालक, कोषपाल, अध्यापक, डॉक्टर, वकील और प्रकाशक इत्यादि का काम इनका सामान्य उदाहरण हैं। द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में मुख्य अंतर यह है कि सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता उत्पादन तकनीकों, मशीनरी और फैक्ट्री प्रक्रियाओं की अपेक्षा कर्मियों की विशिष्टीकृत कुशलताओं, अनुभव और ज्ञान पर अत्यधिक निर्भर करती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 2.
ग्रामीण विपणन केन्द्रों तथा नगरीय बाजार केन्द्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र निकटवर्ती बस्तियों का पोषण करते हैं। ये अर्ध-नगरीय केन्द्र होते हैं। ये अत्यन्त अल्पवर्धित प्रकार के व्यापारिक केन्द्रों के रूप में सेवा करते हैं। यहाँ व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेवाएँ सुविकसित नहीं होती। ये स्थानीय संग्रहण और वितरण केन्द्र होते हैं। इनमें से अधिकांश केन्द्रों में मण्डियां (थोक बाज़ार) और फुटकर व्यापार क्षेत्र भी होते हैं। ये स्वयं में नगरीय केन्द्र नहीं हैं किन्तु ग्रामीण लोगों की अधिक माँग वाली वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराने वाले महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।

नगरीय बाजार केन्द्रों में और अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएं मिलती हैं। इनमें न केवल साधारण वस्तुएँ और सेवाएँ बल्कि लोगों द्वारा वांछित अनेक विशिष्ट वस्तुएँ व सेवाएँ भी उपलब्ध होती हैं। नगरीय केन्द्र, इसलिए विनिर्मित पदार्थों के साथ-साथ विशिष्टीकृत बाजार भी प्रस्तुत करते हैं जैसे श्रम बाजार, आवासन, अर्ध-निर्मित एवं निर्मित उत्पादों . का बाज़ार। इनमें शैक्षिक संस्थाओं और व्यावसायिकों की सेवाएँ जैसे-अध्यापक, वकील, परामर्शदाता, चिकित्सक, दाँतों का डॉक्टर और पशु चिकित्सक आदि उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
किलोमीटर दूरी, समय दूरी, लागत दूरी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लम्बाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाले समय और लागत दूरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है। परिवहन न में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं।

प्रश्न 4.
जालतन्त्र, नोड तथा योजक में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जैसे ही परिवहन व्यवस्थाएँ विकसित होती हैं विभिन्न स्थान आपस में जुड़कर जाल-तन्त्र की रचना करते हैं। जाल-तन्त्र तथा योजक से मिलकर बनते हैं। दो अथवा अधिक मार्गों का सन्धि-स्थल, एक उद्गम बिन्दु, एक गंतव्य बिन्दु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा कस्बा नोड अथवा शीर्ष होता है। प्रत्येक सड़क जो दो नोडों को जोड़ती है योजक अथवा किनारा कहलाती है। एक विकसित जाल-तन्त्र में अनेक योजक होते हैं, जिसका अर्थ है कि स्थान सुसम्बद्ध है।

प्रश्न 5.
समुद्र पार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवा या चिकित्सा पर्यटन पर नोट लिखो।
उत्तर:
भारत में समद्रपार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ-2005 ई० में संयक्त राज्य अमेरिका से उपचार के लिए 55,000 रोगी भारत आए। संयुक्त राज्य स्वास्थ्य सेवा तन्त्र के अन्तर्गत प्रतिवर्ष होने वाले लाखों शल्यकर्मों की तुलना में यह संख्या बहुत कम है। भारत विश्व में चिकित्सा पर्यटन में अग्रणी देश बन कर उभरा है। महानगरों में अवस्थित विश्वस्तरीय अस्पताल सम्पूर्ण विश्व के रोगियों का उपचार करते हैं। भारत, थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया जैसे विकासशील देशों को चिकित्सा पर्यटन से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

चिकित्सा पर्यटन के अतिरिक्त चिकित्सा परीक्षणों और आँकड़े के निर्वचन के बाह्यस्रोतन के प्रति भी झुकाव पाया जाता है। भारत, स्विट्ज़रलैंड और आस्ट्रेलिया के अस्पताल विकिरण बिम्बों के अध्ययन से लेकर चुम्बकीय अनुनाद बिम्बों के निर्वचन और पराश्राव्य परीक्षणों तक की विशिष्ट चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध करा रहे हैं। बाह्यस्रोतन में, यदि यह गुणवत्ता में सुधार करने अथवा विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है, तो बाह्यस्रोतन रोगियों के लिए अत्यधिक लाभ होता है।

प्रश्न 6.
सेवा क्षेत्रों के प्रमुख घटकों का वर्णन करो।
उत्तर:
सेवाओं के प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं –

  1. वाणिज्यिक सेवाएं-विज्ञापन, कानूनी सेवाएँ, जनसम्पर्क और परामर्श।
  2. वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि और भवनों जैसी अचल सम्पत्ति का क्रय-विक्रय।
  3. उत्पादक और उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखाव, सौन्दर्य प्रसाधक तथा मुरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ।
  4. परिवहन और संचार-रेल, सड़क, जहाज़ और वायुयान सेवाएं, डाक-तार सेवाएँ।
  5. मनोरंजन-दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
  6. विभिन्न स्तरीय प्रशासन-स्थानीय, राज्यीय तथा राष्ट्रीय प्रशासन, अधिकारी वर्ग, पुलिस, सेना तथा अन्य जन-सेवाएं।
  7. गैर-सरकारी संगठन-शिशु चिकित्सा, पर्यावरण ग्रामीण विकास आदि लाभरहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन।

प्रश्न 7.
संसार में चतुर्थक सेवाओं की प्रकृति तथा वृद्धि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थक क्रिया-कलाप-विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रिया-कलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। परिणामस्वरूप, चतुर्थक क्रिया-कलापों के रूप में एक नया वर्ग बन गया है। उत्पादों में भी ज्ञान से सम्बन्धित क्रिया-कलापों जैसे शिक्षा, सूचना, शोध और विकास को सेवाओं का एक भिन्न वर्ग मान लिया गया है।

विशेषताएं:

  1. चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उच्च बौद्धिक व्यवसायों से है।
  2. इनका दायित्व चिन्तन, शोध और विकास के लिए नए विचार देना है।
  3. आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे हैं, लेकिन इनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
  4. चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील हैं।

चतुर्थक सेवाओं में वृद्धि-विगत कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति के फलस्वरूप ज्ञान आधारित उद्योगों में वृद्धि हुई है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर आधारित औद्योगिक समूहों (विज्ञान नगर) तथा प्रौद्योगिकी पार्कों ने बहुत प्रगति की है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पर्यटन सेवा से क्या अभिप्राय है ? पर्यटन किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है ? (H.B. 2010, 11, 12, 14)
उत्तर:
पर्यटन (Tourism):
पर्यटन एक यात्रा है जो व्यापार की बजाय प्रमोद के उद्देश्यों के लिए की जाती है। कुल पंजीकृत रोज़गारों तथा कुल राजस्व (सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत) की दृष्टि से यह विश्व का अकेला सबसे बड़ा (25 करोड़) तृतीयक क्रियाकलाप बन गया है। इनके अतिरिक्त पर्यटकों के आवास, भोजन, परिवहन, मनोरंजन तथा विशेष दुकानों जैसी सेवा उपलब्ध कराने के लिए अनेक स्थानीय व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। पर्यटन अवसंरचना उद्योगों, फुटकर व्यापार तथा शिल्प उद्योगों (स्मारिका) को पोषित करता है।

पर्यटन के प्रकार (Types of Tourism):
कुछ प्रदेशों में पर्यटन ऋतुनिष्ठ होता है क्योंकि अवकाश की अवधि अनुकूल मौसमी दशाओं पर निर्भर करती है, किन्तु कई प्रदेश वर्षपर्यंत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

पर्यटक प्रदेश (Tourist Regions)

  1. भूमध्यसागरीय तट के चारों ओर कोष्ण स्थान तथा
  2. भारत का पश्चिमी तट विश्व से लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य स्थानों में से हैं।
  3. शीतकालीन खेल प्रदेश, जो मुख्यतः पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  4. मनोहारी दृश्यभूमियाँ तथा
  5. यत्र-तत्र फैले राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित हैं। स्मारकों, विरासत स्थलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण ऐतिहासिक नगर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Tourism):
1. माँग (Demand) – विगत शताब्दी से अवकाश के लिए माँग तीव्रता से बढी है। जीवन स्तर में सुधार तथा बढे हुए फुरसत के समय के कारण अधिक लोग विश्राम के लिए अवकाश पर जाते हैं।

2. परिवहन (Transport) – परिवहन सुविधाओं में सुधार के साथ पर्यटन क्षेत्रों का आरंभ हुआ। बेहतर सड़क प्रणालियों में कार द्वारा यात्रा सुगम होती है। हाल के वर्षों में वायु परिवहन का विस्तार अधिक महत्त्वपूर्ण रहा। उदाहरणतः वायु-यात्रा द्वारा कुछ ही घंटों में अपने घरों से विश्व में कहीं भी जाया जा सकता है। पैकेज अवकाश के प्रारम्भ ने लागत घटा दी है।

3. पर्यटन आकर्षण (Tourists Attraction) – जलवायु-ठंडे प्रदेशों के अधिकांश लोग पुलिन विश्राम के लिए ऊष्ण व धूपदार मौसम के अपेक्षा करते हैं। दक्षिणी युरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पर्यटन के महत्त्व का यह एक मुख्य कारण है। अवकाश के शीर्ष मौसम में यूरोप के अन्य भागों की अपेक्षा भूमध्यसागरीय जलवायु में लगभग सतत् ऊँचा तापमान, धूप की लम्बी अवधि और निम्न वर्षा की दशाएँ होती हैं। शीतकालीन अवकाश का आनन्द लेने वाले लोगों की विशिष्ट जलवायवी ज़रूरतें होती हैं, जैसे या तो अपनी गृह-क्षेत्रों की तुलना में ऊँचे तापमान अथवा स्कींग के लिए अनुकूल हिमावरण।

4. भू-दृश्य (Landscape) – कई लोग आकर्षित करने वाले पर्यावरण में अवकाश बिताना पसन्द करते हैं, जिसका प्रायः अर्थ होता है पर्वत, झीलें, दर्शनीय समुद्री तट और मनुष्य द्वारा पूर्ण रूप से अपरिवर्तित भू-दृश्य।।

5. इतिहास एवं कला (History and Arts) – किसी क्षेत्र के इतिहास और कला में सम्भावित आकर्षण होता है। लोग प्राचीन और सुन्दर नगरों, पुरातत्व के स्थानों पर जाते हैं और किलों, महलों और गिरिजाघरों को देखकर आनन्द उठाते हैं।

6. संस्कृति और अर्थव्यवस्था – मानवजातीय और स्थानीय रीतियों को पसन्द करने वालों को पर्यटन लुभाता है। यदि कोई प्रदेश पर्यटकों की जरूरतों को सस्ते दाम में पूरा करता है तो वह अत्यन्त लोकप्रिय हो जाता है। ‘घरों में रुकना’ एक लाभदायक व्यापार बन कर उभरा है जैसे-गोवा के हैरीटेज होम्स तथा कर्नाटक में मेदी केरे और कूर्ग।

प्रश्न 2.
बाह्यस्त्रोतन से क्या अभिप्राय है ? के० पी० ओ० तथा बी० पी० ओ० के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
बाह्यस्रोतन (Out Sourcing):
बाह्यस्त्रोतन अथवा ठेका देना दक्षता को सुधारने और लागतों को घटाने के लिए किसी बाहरी अभिकरण को काम सौंपना है। जब बाह्यस्रोतन में कार्य समुद्रपार के स्थानों पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है तो इसका अपतरन (आफशोरिंग) कहा जाता है, यद्यपि दोनों अपतरन और बाह्यस्रोतन का प्रयोग इकट्ठा किया जाता है।

क्रियाएं:
जिन व्यापारिक क्रियाकलापों को बाह्यस्रोतन किया जाता है उनमें सूचना प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, ग्राहक सहायता और काल सेंटर सेवाएं और कई बार विनिर्माण तथा अभियान्त्रिकी भी सम्मिलित की जाती हैं। . आँकड़ा प्रक्रमण सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित एक सेवा है जिसे आसानी से एशियाई, पूर्वी यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में क्रियान्वित किया जा सकता है। इन देशों में विकसित देशों की अपेक्षा कम पारिश्रमिक पर अंग्रेज़ी भाषा में अच्छी निपुणता वाले सूचना प्रौद्योगिकी में कुशल कर्मचारी उपलब्ध हो जाता है।

अत: हैदराबाद अथवा मनीला में स्थापित एक कम्पनी भौगोलिक सूचना तन्त्र की तकनीक पर आधारित परियोजना पर संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा जापान जैसे देशों के लिए काम करती है। श्रम सम्बन्धी कार्यों को समुद्र पार क्रियान्वित करने से, चाहे वह भारत, चीन और यहाँ तक कि अफ्रीका का कम सघन जनसंख्या वाला देश बोत्सवाना हो, ऊपरी लागत बहुत कम होती है, जिससे यह सेवा लाभदायक हो जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

काल सेंटर (Call Centres):
बाह्यस्रोतन के परिणामस्वरूप भारत, चीन, पूर्वी यूरोप, इस्रायल, फिलीपींस और कोस्टारिका में बड़ी संख्या में काल सेंटर खुले हैं। इससे इन देशों में नए काम उत्पन्न हुए हैं। बाह्यस्रोतन उन देशों में आ रहा है जहाँ सस्ता और कुशल श्रम उपलब्ध है। ये उत्प्रवास वाले देश भी हैं। बाह्यस्रोतन के द्वारा काम उपलब्ध होने पर देशों से प्रवास कम हो सकता है। बाह्यस्रोतन वाले देश अपने यहाँ काम तलाश कर रहे युवकों का प्रतिरोध झेल रहे हैं। बाह्यस्रोतन के बने रहने का मुख्य कारण तुलनात्मक लाभ है।

नवीन प्रवृत्तियां (New Talents):
चतुर्थ सेवाओं की नवीन प्रवृत्तियों में ज्ञान प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (के० पी० ओ०) और ‘होम शोरिंग’ है, जो बाह्यत्रोतन का विकल्प है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन उद्योग व्यवसाय प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (बी० पी० ओ०) से भिन्न है क्योंकि इसमें उच्च कुशलकर्मी सम्मिलित होते हैं। यह सूचना प्रेरित ज्ञान की बाह्यस्रोतन है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन कम्पनियों को अतिरिक्त व्यावसायिक अवसरों को उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन के उदाहरणों में अनुसन्धान और विकास क्रियाएँ, ई० लर्निंग, व्यवसाय अनुसन्धान, बौद्धिक सम्पदा, अनुसन्धान, कानूनी व्यवसाय और बैंकिंग सेक्टर आते हैं।

प्रश्न 3.
वैश्विक नगर विश्व प्रणाली के आदेश और नियन्त्रण केन्द्र के रूप में कार्य करते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
वित्तीय बाजार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क और टोकियो ऐसे ही वैश्विक नगर हैं। कुछ अन्य नगरों जैसे पेरिस, टोरंटो, लॉस एंजिल्स, ओसाका, हांगकांग एवं सिंगापुर का भी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान है। लेकिन बीसवीं शताब्दी के अन्त में सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में इन तीन नगरों न्यूयार्क, लन्दन और टोकियो की भूमिका बहुत उल्लेखनीय रही है।

ये विश्व तन्त्र के नियन्त्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं। इन नगरों में राष्ट्रपारीय कम्पनियों के मुख्यालय हैं। यहीं पर वित्तीय कम्पनियों और व्यापारिक सेवाओं के कार्यालयों के बड़े-बड़े परिसर हैं। यहाँ कम्पनियों के बड़े अधिकारियों को प्रत्यक्ष सम्पर्क, राजनीतिक सम्बन्ध बनाने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर अनायास ही मिल जाते हैं। संक्षेप में दूर संचार के द्वारा आज उच्च वेतन तथा उच्च मूल्य सम्बन्धित सफेदपोश कार्यों को करने वाले कर्मचारी एक ही स्थान पर इकट्ठे होने लगे हैं।

इसके विपरीत निम्न वेतन, निम्न मूल्य वृद्धि और कायिक कार्य करने वाले कर्मचारियों के विकेन्द्रीकरण को भी इससे प्रेरणा मिली है। नगरों और प्रदेशों पर इनके सकारात्मक और नकारात्मक कई प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। दैनिक जीवन में इलेक्ट्रोनिक तन्त्र का बहुत उपयोग होता है। पासपोर्ट, करों के रिकार्ड, चिकित्सा रिपोर्ट, टेलीफोन और अपराध के आंकड़ों में इनका बहुत उपयोग होता है। इनके कारण सत्ता और सम्पत्ति तथा भौगोलिक केन्द्र और निकटवर्ती क्षेत्र के रूप में कुछ वर्ग बन गए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्टरनेट के उपयोग में असमानता इसका एक उदाहरण है।

प्रति एक लाख लोगों पर इन्टरनेट का उपयोग करने के आधार पर देशों के दो वर्ग बन गए हैं-एक विकासशील देशों का तथा दूसरा विकसित देशों का। स्कैंडिनेविया के देश, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इन्टरनेट के द्वारा सबसे अच्छी तरह से जुड़े हैं। इस सन्दर्भ में इनके बाद यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान का स्थान है। इस मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आश्चर्यजनक रूप में काफ़ी नीचा है। क्योंकि इसकी काफ़ी बड़ी जनसंख्या इन्टरनेट का बहुत कम उपयोग करती है। लेकिन इन्टरनेट के अन्तर्राष्ट्रीय यातायात का उद्गम स्थान या लक्ष्य संयुक्त राज्य अमेरिका होता है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अधिकतर लोग इन्टरनेट का बहुत कम या बिल्कुल ही उपयोग नहीं करते।

प्रश्न 4.
परिवहन व संचार क्रियाकलापों का वर्णन करें।
उत्तर:
परिवहन-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा संपत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है। आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है। परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लंबाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाला समय और लागत दरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है।

परिवहन के साध के चयन में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं। संचार-संचार सेवाओं में शब्दों और संदेशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने संदेशों को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की।

ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तंत्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है। मोबाइल दूरभाष और उपग्रहों जैसे कुछ विकासों ने संचार को परिवहन से मुक्त कर दिया है। पुराने तंत्रों के सस्ता होने के कारण संचार के सभी रूपों का साहचर्य पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है। अत: पूरे विश्व में अभी भी विशाल मात्रा में डाक का निपटारन डाकघरों द्वारा हो रहा है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. किस लक्षण से लोगों की पहचान नहीं होती?
(A) आयु
(B) लिंग
(C) व्यवसाय
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

2. औसत विश्व लिंगानुपात है
(A) 970
(B) 980
(C) 990
(D) 995.
उत्तर:
(C) 990

3. निम्नतम लिंगानुपात किस प्रदेश में है ?
(A) मिस्र
(B) U.A.E
(C) कुवैत
(D) ईरान।
उत्तर:
(B) U.A.E

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

4. कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
(A) 109
(B) 119
(C) 129
(D) 139.
उत्तर:
(D) 139.

5. कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
(A) 52
(B) 62
(C) 72
(D) 82.
उत्तर:
(C) 72

6. यूरोपीय देशों में स्त्रियों की कमी का कारण है
(A) निम्न जन्म दर
(B) उच्च मृत्यु दर
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर
(D) पुरुषों का बेहतर स्तर।
उत्तर:
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर

7. किस महाद्वीप में लिंगानुपात कम है ?
(A) यूरोप
(B) एशिया
(C) उत्तरी अमेरिका
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) एशिया

8. वृद्ध लोगों का आयु वर्ग किस आयु से अधिक है ? ।
(A) 40 वर्ष
(B) 45 वर्ष
(C) 50 वर्ष
(D) 60 वर्ष।
उत्तर:
(D) 60 वर्ष।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

9. विस्तृत जनसंख्या पिरामिड किस आकार का है ?
(A) चौड़ा आधार
(B) तंग आधार
(C) विकसित आर्थिकता
(D) समान चौड़ाई।
उत्तर:
(A) चौड़ा आधार

10. ऑस्ट्रेलिया में किस प्रकार का जनसंख्या पिरामिड मिलता है ?
(A) विस्तृत
(B) स्थिर
(C) ह्रासमान
(D) ऋणात्मक।
उत्तर:
(B) स्थिर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी एक जनांकिकीय विशेषता का नाम लिखो।
उत्तर:
लिंगानुपात।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात प्रतिकूल कब होता है?
उत्तर:
जब पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक हो।

प्रश्न 3.
विश्व का औसत लिंग अनुपात बताओ।
उत्तर:
प्रति 1000 पुरुषों के प्रति 990 स्त्रियां।

प्रश्न 4.
किस देश में सर्वाधिक लिंगानुपात है?
उत्तर:
लैटिवया में-1187.

प्रश्न 5.
किस देश में निम्नतम लिंगानुपात है?
उत्तर:
U.A.E. में-468.

प्रश्न 6.
U.N.0 के अनुसार कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
139 देश।

प्रश्न 7.
कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
72 देश।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 8.
एशिया के किन देशों में कम लिंगानुपात है?
उत्तर:
चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान।

प्रश्न 9.
आयु संरचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या।

प्रश्न 10.
युवा वर्ग की जनसंख्या का उच्च प्रतिशत क्यों है?
उत्तर:
उच्च जन्म दर।

प्रश्न 11.
आयु-लिंग संरचना किस रेखाचित्र से प्रकट करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या पिरामिड।

प्रश्न 12.
किस देश की जनसंख्या का पिरामिड स्थिर है?
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया।

प्रश्न 13.
किस देश का ह्रासमान जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
जापान।

प्रश्न 14.
किस देश का विस्तृत जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
नाइजीरिया।

प्रश्न 15.
स्त्रियों का नगरों की ओर प्रवास क्यों कम है?
उत्तर:
सुरक्षा की कमी तथा रहन-सहन की उच्च लागत।

प्रश्न 16.
कार्यशील जनसंख्या का आयुवर्ग कौन-सा होता है ?
उत्तर:
15 से 59 वर्ष का आयु वर्ग।

प्रश्न 17.
स्थिर जनसंख्या में जन्मदर व मृत्यु दर कितनी होती है ?
उत्तर:
लगभग समान।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 18.
किसी जनसंख्या के आयु लिंग पिरामिड का आधार संकीर्ण है तो उस जनसंख्या की वृद्धि दर कितनी होगी ?
उत्तर:
कम जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 19.
किसी जनसंख्या में उच्च जन्म दर होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा ?
उत्तर:
त्रिभुजाकार।

प्रश्न 20.
किसी जनसंख्या में जन्म दर व मृत्यु दर समान होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा।
उत्तर:
घण्टी आकार।

प्रश्न 21.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
74.04 प्रतिशत।

प्रश्न 22.
जनगणना 2011 के अनुसार पुरुष साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
80.9 प्रतिशत।

प्रश्न 23.
जनगणना 2011 के अनुसार स्त्री साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
64.6 प्रतिशत ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश के लोगों की मुख्य जनांकिकीय विशेषताएं बताओ। किन लक्षणों द्वारा लोगों की पहचान की जाती है?
उत्तर:
भारत में विविध प्रकार के लोग हैं जो कई पक्ष से अद्वितीय है। इनकी पहचान के लक्षण हैं-आयु, लिंग तथा निवास स्थान। अन्य पहचान के लक्षण हैं –

  1. व्यवसाय
  2. शिक्षा
  3. जीवन प्रत्याशा।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात से क्या अभिप्राय है ? भारत के सन्दर्भ में इसका माप कैसे करोगे?
उत्तर:
पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंगानुपात कहते हैं लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों के प्रति स्त्रियों की संख्या है। भारत में लिंगानुपात निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 4

प्रश्न 3.
यूरोप महाद्वीप में पुरुषों की कमी है ? दो कारण बताओ।
उत्तर:
यूरोप (रूस सहित) में पुरुष अल्प संख्या में है। यूरोपियन देशों में पुरुषों की कमी है।

  1. यहां स्त्रियों का बेहतर स्तर है।
  2. यहां से अन्य देशों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण।

प्रश्न 4.
नाइजीरिया की जनसंख्या का पिरामिड विस्तृत प्रकार का क्यों है?
उत्तर:
नाइजीरिया का जनसंख्या पिरामिड त्रिभुजाकार वाला है। इसका आकार चौड़ा है तथा शिखर की ओर कम चौड़ा है। यह उच्च जन्म दर के कारण युवा वर्ग में अधिक जनसंख्या के कारण हैं। यह प्राय: सभी विकासशील देशों में ऐसा ही है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 5.
ऑस्ट्रेलिया में स्थिर जनसंख्या पिरामिड क्यों है? .
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया का जनसंख्या पिरामिड घण्टी के आकार का है। यह शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। इसमें जन्म दर तथा मृत्यु दर लगभग समान है। परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।

प्रश्न 6.
जापान का जनसंख्या पिरामिड ह्रासमान क्यों है?
उत्तर:
जापान के जनसंख्या पिरामिड का संकीर्ण आधार है तथा शुंडाकार शीर्ष है। यहां जन्म दर तथा मृत्यु दर निम्न है। जनसंख्या वृद्धि शून्य है या ऋणात्मक है।

प्रश्न 7.
विकसित देशों की जनांकिकीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. यहां वृद्ध लोगों का अनुपात अधिक है।
  2. जीवन प्रत्याशा बढ़ने से उच्च आयु वर्ग में लोगों का अनुपात बढ़ गया है।
  3. जन्म दर घटने से शिशुओं का अनुपात कम हो गया है।

प्रश्न 8.
जनसंख्या पिरामिड जनसंख्या की किन विशेषताओं को दर्शाते हैं ?
उत्तर:

  1. जनसंख्या पिरामिड आयु-लिंग संरचना को दर्शाते हैं।
  2. ये विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या दर्शाते हैं।
  3. जनसंख्या पिरामिड की आवृत्ति जनसंख्या की विशेषताओं को प्रकट करती है।
  4. पिरैमिड में प्रत्येक वर्ग में बायां भाग पुरुषों और दायां भाग स्त्रियों के प्रतिशत को दिखाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किस प्रकार के प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है ? चार कारण बताओ।
उत्तर:
जिन प्रदेशों में लिंग भेदभाव होता है, उन प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है।
इनके निम्नलिखित कारण हैं –

  1. कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा।
  2. कन्या शिशु हत्या की प्रथा।
  3. स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा।
  4. स्त्रियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर का निम्न होना।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 2.
विश्व में लिंगानुपात वितरण के प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:

  1. विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात, प्रति हजार पुरुषों पर 990 स्त्रियां हैं।
  2. विश्व में उच्चतम लिंग अनुपात लैटविया में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 1187 स्त्रियां हैं।
  3. निम्नतम लिंग अनुपात संयुक्त अरब अमीरात में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 468 स्त्रियां हैं।
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध 139 देशों में लिंग अनुपात स्त्रियों के लिए अनुकूल है।
  5. शेष 72 देशों में यह उनके लिए प्रतिकूल है।
  6. सामान्यतः एशिया में लिंग अनुपात निम्न है। चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान व अफ़गानिस्तान जैसे देशों में लिंग अनुपात और भी निम्न है।
  7. दूसरी ओर, रूस सहित यूरोप के एक बड़े भाग में पुरुष अल्प संख्या में हैं। यूरोप के अनेक देशों में पुरुषों की कमी, वहां स्त्रियों की बेहतर स्थिति तथा भूतकाल में विश्व के विभिन्न भागों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण है।

प्रश्न 3.
आयु संरचना से विश्व जनसंख्या की कौन-सी विशेषताओं का पता चलता है?
अथवा
आयु संरचना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
आयु संरचना से पता चलता है कि किसी क्षेत्र/देश विशेष में किस-किस आयुवर्ग में कितनी जनसंख्या है। जैसे-0 से 14 वर्ष, 15 से 59 वर्ष और 60 वर्ष से अधिक जनसंख्या का आयुवर्ग आदि।

प्रश्न 4.
विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में लिंगानुपात में विभिन्नताओं के कारण बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में शिशु मृत्युक्रम महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
  2. विकसित देशों में पुरुषों की मृत्यु-दर अधिक होती है।
  3. महिलाओं तथा पुरुषों का स्थानान्तरण भी लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।
  4. विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों का नगरों की ओर प्रवास लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 5.
जनसंख्या तथा विकास में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
माल्थस के प्रक्षेप के पश्चात् जनसंख्या तथा विकास का अध्ययन महत्त्वपूर्ण हो गया है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि संसाधनों पर अधिक दबाव डालती है जहां से खाद्यान्न का उत्पादन होता है। अधिक जनसंख्या विकास क्षेत्र में एक ऋणात्मक (Negative) घटक है। जनसंख्या की गुणवत्ता विकास पर प्रभाव डालती है। जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या तथा संसाधनों में एक असन्तुलन उत्पन्न कर देती है। प्रौद्योगिकी भी इस सन्तुलन पर प्रभाव डालती है। इस प्रकार किसी क्षेत्र का विकास सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी तथा राजनीतिक दशाओं के समूह पर निर्भर करता है। इस विकास के माप के लिए एक नया विचार मानवीय विकास सूचक का प्रयोग किया जा रहा है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

प्रश्न 6.
साक्षरता से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर है?
उत्तर:
साक्षरता से जनसंख्या के गुणों का बोध होता है। साक्षरता का अर्थ है किसी भी भाषा में पढ़-लिख सकना। साक्षरता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –

  1. आर्थिक विकास का स्तर
  2. नगरीकरण का स्तर
  3. रहन सहन का स्तर
  4. शिक्षा सुविधाएं
  5. सरकार की नीति
  6. समाज में महिलाओं का स्थान।

संसार में साक्षरता में पर्याप्त विभिन्नताएं पाई जाती हैं –

  1. नगरों में साक्षरता अधिक होती है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता कम होती है।
  3. मुस्लिम देशों में महिलाओं में साक्षरता कम होती है।
  4. विकसित देशों में साक्षरता एवं शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है।
  5. कृषि प्रधान देशों में साक्षरता कम होती है।
  6. भारत में 2011 में साक्षरता दर 74.4% थी। पुरुष साक्षरता दर 80.9% और स्त्री साक्षरता दर 64.6% थी।

प्रश्न 7.
आत्मनिर्भर व आश्रित जनसंख्या आयु वर्ग क्या है ?
उत्तर:
15-59 वर्ष के आयु वर्ग को कार्यशील वर्ग कहते हैं। बाल जनसंख्या वर्ग अपने खर्च के लिए आत्मनिर्भर नहीं होता है। 60 से अधिक आयु वाली जनसंख्या वृद्ध जनसंख्या या आश्रित आयु वर्ग कहलाता है। यह वर्ग अपने स्वास्थ्य खर्च के लिए प्रौढ वर्ग या श्रमिक वर्ग पर आश्रित होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आयु-लिंग पिरामिड से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करो।
उत्तर:
आयु लिंग पिरामिड:
जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना का अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या से है। जनसंख्या पिरामिड का प्रयोग जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना को दर्शाने के लिए किया जाता है। जनसंख्या पिरामिड की आकृति जनसंख्या की विशेषताओं को परिलक्षित करती है। प्रत्येक आयु वर्ग में बायां भाग पुरुषों का प्रतिशत तथा दायां भाग स्त्रियों की संख्या का प्रतिशत दर्शाता है।

विश्व में आयु लिंग पिरामिड के प्रकार

1. विस्तारित होती जनसंख्या (Expanding Pyramid):
यह विस्तृत आकार वाला त्रिभुजाकार पिरामिड है जो अल्प विकसित देशों का प्रतिरूपी है। इस पिरामिड में उच्च जन्म दर के कारण निम्न आयु वर्गों में विशाल जनसंख्या पाई जाती है। यदि आप बांग्लादेश, नाइजीरिया और मैक्सिको के लिए पिरामिड की रचना करें तो वे भी ऐसे ही दिखाई देंगे।
उदाहरण – नाइजीरिया का आयु लिंग पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 1

2. स्थिर जनसंख्या (Constant Pyramid):
यह आयु-लिंग पिरामिड घण्टी के आकार का है जो शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। यह दर्शाता है कि जन्म दर और मृत्यु दर लगभग समान है जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।
उदाहरण – ऑस्ट्रेलिया का आयु लिंग पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 2

3. ह्रासमान जनसंख्या (Declining Pyramid):
यह पिरामिड का संकीर्ण आधार और शुंडाकार शीर्ष निम्न जन्म और मृत्यु दरों को दर्शाता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य अथवा ऋणात्मक होती है।
उदाहरण – जापान का पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 3

प्रश्न 2.
मानवीय क्रियाओं को विभिन्न वर्गों में बांटो।
उत्तर:
मानव क्रियाओं के प्रकार (Types of Human Activities)
मनुष्य अपने जीवन निर्वाह के लिए कुछ उद्यम करता है। इस प्रकार के उद्यमों या आर्थिक क्रियाओं को व्यवसाय (Occupations) कहते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में भौतिक वातावरण बहुत प्रभावशाली होते हैं तथा मानवीय व्यवसायों पर प्रभाव डालते हैं। जैसे टुण्ड्रा में लोग सील मछली का शिकार करते हैं। घास के मैदानों में पशु पाले जाते हैं। फिर भी सामाजिक वातावरण मनुष्य को इन व्यवसायों के चुनाव में सहायता करता है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं तथा तकनीकी ज्ञान के अनुकूल अपना व्यवसाय चुनता है। इसलिए विश्व में मानवीय व्यवसायों में बहुत विभिन्नता हैं, कहीं आखेट तथा लकड़ी काटना, कहीं पशुचारण या कृषि, तो कहीं उद्योग लोगों के मुख्य व्यवसाय हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

ये व्यवसाय निम्न प्रकार के हैं –
(i) प्राथमिक क्रियाएं (Primary Activities) – जब प्राकृतिक साधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सीधे रूप में ही प्राप्त हो जाएं, तो उन क्रियाओं को मूल या प्राथमिक क्रियाएं कहते हैं। जैसे वन सामग्री एकत्र करना (gathering), आखेट (hunting), मछली पकड़ना (Fishing), लकड़ी काटना (Lumbering), पशु पालन, कृषि (Agriculture) तथा खनिज निकालना (Mining)।

(ii) द्वितीयक क्रियाएं (Secondary Activities) – जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। ऐसी क्रियाओं को द्वितीयक व्यवसाय कहते हैं, जैसे लकड़ी से फर्नीचर बनाना, लोहे से यन्त्र बनाना। इसमें निर्माण उद्योग (Manufacturing), डेयरी उद्योग (DairyFarming) तथा व्यापारिक मछली उद्योग आदि व्यवसाय आते हैं।

(iii) तृतीयक क्रियाएं (Tertiary Activities) – जिन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं को खपत के स्थान पर भेजा जाता है या व्यापार किया जाता है, उन्हें तृतीयक क्रियाएं कहते हैं। जैसे-परिवहन, व्यापार, संचार-साधन।

(iv) चतुर्थ क्रियाएं (Quarternary Activities) – ये सेवाएं अप्रत्यक्ष रूप से मानवीय क्रियाओं तथा उत्पादन को प्रभावित करती हैं। सामाजिक वातावरण की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली उच्च सेवाओं (High services) को इस वर्ग में रखा जाता है। जैसे , सुरक्षा आदि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. 21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 4 अरब
(B) 6 अरब
(C) 8 अरब
(D) 10 अरब।
उत्तर:
(B) 6 अरब

2. विश्व के वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि दर क्या है ?
(A) 1.0%
(B) 1.2%
(C) 1.4%
(D) 1.6%.
उत्तर:
(C) 1.4%

3. गत 500 वर्षों में विश्व जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 4
(B) 6
(C) 8
(D) 10.
उत्तर:
(D) 10.

4. विश्व जनसंख्या औसत घनत्व प्रति वर्ग कि० मी० कितना है ?
(A) 31
(B) 35
(C) 38
(D) 41.
उत्तर:
(D) 41.

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

5. किस देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) सिंगापुर
(D) इन्डोनेशिया।
उत्तर:
(C) सिंगापुर

6. किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है ?
(A) एशिया
(B) अफ्रीका
(C) यूरोप
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) अफ्रीका

7. औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 30 करोड़
(B) 40 करोड़
(C) 50 करोड़
(D) 60 करोड़।
उत्तर:
(C) 50 करोड़

8. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश कौन-सा है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) रूस
(D) जर्मनी।
उत्तर:
(A) चीन

9. विश्व जनसंख्या में प्रति वर्ष कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
(A) 6 करोड़
(B) 7 करोड़
(C) 8 करोड़
(D) 10 करोड़।
उत्तर:
(C) 8 करोड़

10. विश्व के दस सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों में विश्व जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 50%
(B) 60%
(C) 70%
(D) 80%.
उत्तर:
(B) 60%

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश का वास्तविक धन क्या होता है ?
उत्तर:
वहां के निवासी (जन शक्ति)।

प्रश्न 2.
21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
6 अरब से अधिक।

प्रश्न 3.
किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में कौन-से दो तत्त्व सहायक हैं ?
उत्तर:
(i) जनसंख्या वितरण
(ii) जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 4.
जनसंख्या घनत्व किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?
उत्तर:
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 1

प्रश्न 5.
कौन-सा जलवायु कटिबन्ध घना बसा है ?
उत्तर:
समशीतोष्ण कटिबन्ध।

प्रश्न 6.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताओ जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-ज़ाम्बिया तांबा क्षेत्र।

प्रश्न 7.
जापान का कौन-सा औद्योगिक प्रदेश घना बसा है ?
उत्तर:
कोब-ओसाका प्रदेश।

प्रश्न 8.
विश्व जनसंख्या वृद्धि की वर्तमान दर क्या है ?
उत्तर:
1.3 प्रतिशत।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 9.
गत 500 वर्षों में जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
उत्तर:
10 गुणा।

प्रश्न 10.
विश्व जनसंख्या में भारत की जनसंख्या का क्या अनुपात है ?
उत्तर:
प्रत्येक छ: व्यक्तियों में एक भारतीय है।

प्रश्न 11.
संसार के 10 बड़े अधिक जनसंख्या वाले देशों में संसार की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
उत्तर:
60 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
विश्व जनसंख्या में औसत घनत्व कितना है ?
उत्तर:
41 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 13.
यूरोप महाद्वीप में औसत जनसंख्या घनत्व बताओ।
उत्तर:
104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० ।

प्रश्न 14.
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला देश बताओ।
उत्तर:
मकाऊ-21346 व्यक्ति / वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 15.
सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर किस महाद्वीप में है ?
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप।

प्रश्न 16.
औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
50 करोड़।

प्रश्न 17.
प्रति वर्ष विश्व जनसंख्या में कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
उत्तर:
8 करोड़।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 18.
आदिमकाल में कौन-सी दो नदी घाटियां घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र थे ?
उत्तर:
सिन्धु घाटी तथा गंगा घाटी।

प्रश्न 19.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक बताओ।
उत्तर:
जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवास।

प्रश्न 20.
‘जनसंख्या आर्थिक विकास का सूचक है’ चार क्षेत्र बताओ जहां इसका प्रभाव है ?
उत्तर:
सामाजिक उत्थान, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि।

प्रश्न 21.
आप्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी नए स्थान पर जाते हैं।

प्रश्न 22.
उत्प्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं।

प्रश्न 23.
अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि दर से उत्पन्न एक समस्या बताओ।
उत्तर:
संसाधनों का ह्रास।

प्रश्न 24.
कुछ विकासशील देशों में जीवन प्रत्याशा क्यों कम है ?
उत्तर:
चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण।

प्रश्न 25.
जन्मदर व मृत्यु दर में अन्तर को क्या कहते है ?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 26.
आप्रवास व उत्प्रवास क्या है ?
उत्तर:
प्रवासी जो किसी नए स्थान पर जाते हैं आप्रवासी कहलाते हैं। प्रवासी जो मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं, उत्प्रवासी कहलाते हैं।

प्रश्न 27.
विश्व में मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर (1.1 से 1.9%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका।।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 28.
विश्व में न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि दर (0-1%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
यूरोप।

अतिलघउत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘एक देश की पहचान उसके लोगों से होती है’ उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तर्क दो।
उत्तर:
किसी देश की जनशक्ति केवल संख्या द्वारा ही मापी नहीं जाती। एक स्वस्थ, परिश्रमी तथा शिक्षित जनसंख्या किसी देश का वास्तविक धन होती है। यह जनसंख्या देश के संसाधनों का शोषण कर सकती है तथा इसकी नीतियां निर्धारित करती है। यह जनसंख्या किसी देश की शक्ति का स्तम्भ है।

प्रश्न 2.
‘विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है’ दो उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या वितरण का प्रतिरूप असमान है।
(i) मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90% इसके 10% स्थल भाग में निवास करता है।
(ii) विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60% जनसंख्या निवास करती है। जार्ज जी० बी० क्रेसी की टिप्पणी के समान हम कह सकते हैं कि विश्व में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है? इसकी गणना कैसे करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व भूमि तथा मानव में अनुपात है। लोगों की संख्या और भूमि के क्षेत्रफल के बीच अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे प्रति वर्ग कि० मी० में रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 2

प्रश्न 4.
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप का वर्णन करो।
उत्तर:
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूप हमें किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। ‘जनसंख्या वितरण’ शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं इस बात से लगाया जाता है। मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है। विश्व में दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है इन दस देशों में से छह एशिया में अवस्थित हैं।

प्रश्न 5.
नगरीकरण एक बड़ी संख्या में प्रवासियों को क्यों आकर्षित करती है ? इस सन्दर्भ में कुछ अपकर्ष कारकों के नाम लिखो।
उत्तर:
नगरीकरण के कारण मिलियन तथा मैगा नगरों का विकास होता है। यह नगर रोज़गार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा सुविधाएं, परिवहन-संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। यह आकर्षण लोगों को नगरों की ओर आकर्षित करते हैं। मैगा नगर बड़ी संख्या में प्रवासियों को आकर्षित करते रहते हैं।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्षेत्र घने बसे होते हैं क्यों ? एक उदाहरण दो।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। बड़ी संख्या में लोग उद्योगों तथा कारख़ानों के गिर्द बस जाते हैं। इनमें श्रमिक, परिवहन चालक, दुकानदार, बैंक कर्मी, डॉक्टर, अध्यापक होते हैं। जापान का कोबे ओसाका प्रदेश इन उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 7.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? किसी क्षेत्र में इसके तीन प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से अभिप्राय किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में बसे हुए लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन दो प्रकार से होता है –
(i) धनात्मक
(ii) ऋणात्मक।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
(i) आर्थिक विकास
(ii) सामाजिक उत्थान
(iii) सांस्कृतिक विकास।

प्रश्न 8.
अशोधित जन्म दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित जन्म दर (CBR) को प्रति हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए जीवित बच्चों के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 3

प्रभाव –
(i) इससे जनसंख्या में परिवर्तन होता है।
(ii) यदि जन्म दर अधिक हो तो जनसंख्या वृद्धि दर धनात्मक होती है।

प्रश्न 9.
अशोधित मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित मृत्यु दर को किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष के दौरान प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।

अशोधित मृत्यु दर की गणना इस प्रकार की जाती है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 4

प्रभाव –
मोटे तौर पर मृत्यु दर किसी क्षेत्र की जनांकिकीय संरचना, सामाजिक उन्नति और आर्थिक विकास के स्तर द्वारा प्रभावित होती है। मृत्यु दर अधिक होने पर जनसंख्या वृद्धि ऋणात्मक होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सघन बसे, मध्यम बसे तथा विरल बसे प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व कितना-कितना है ? प्रत्येक वर्ग से दो उदाहरण दो।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है। कुछ प्रदेश अति सघन बसे हैं परन्तु कुछ प्रदेश निर्जन हैं।
(क) सघन बसे प्रदेश (Densely populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से अधिक है। ये प्रदेश उत्तर-पूर्वी संयुक्त राज्य, उत्तर-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पूर्वी तथा पूर्वी एशिया हैं।
(ख) मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Moderately Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 11-50 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। ये प्रदेश पश्चिमी चीन, दक्षिणी भारत, नार्वे, स्वीडन हैं।
(ग) विरल जनसंख्या वाले प्रदेश (Sparsely Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 1-10 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है। ये प्रदेश टुण्ड्रा, ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल तथा घने वन प्रदेश हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 2.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population) – समय के दो अन्तरालों के बीच एक क्षेत्र विशेष में होने वाली जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या की वृद्धि कहा जाता है। यह जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर द्वारा ज्ञात की जाती है।
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भारत का उदाहरण लो। भारत की आधार वर्ष 2001 में जनसंख्या थी = 102.70 करोड़
भारत की वर्तमान वर्ष 2011 में जनसंख्या थी = 121.02 करोड़
अन्तर = वर्तमान वर्ष की जनसंख्या – आधार वर्ष की जनसंख्या
= 121.02 करोड़ – 102.7 करोड़
अन्तर = 18.32 करोड़
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जनसंख्या वृद्धि के तीन प्रकार हैं –

  1. जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि-किसी क्षेत्र विशेष में दो समय अन्तरालों में जन्म और मृत्यु के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं। प्राकृतिक वृद्धि = जन्म दर – मृत्यु दर
  2. जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि-जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है या अन्य देशों से लोग स्थायी रूप से उस देश में प्रवास कर जाएं।
  3. जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि-जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो या लोग अन्य देशों में प्रवास कर जाएं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रकार बताओ।
अथवा
गणितीय घनत्व तथा कायिक घनत्व में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व (Density of Population) – जनसंख्या घनत्व किसी प्रदेश में एक निश्चित समय में जनसंख्या तथा भूमि का अनुपात (Man land Ratio) हैं।

जनसंख्या घनत्व के प्रकार (Types of Population Density):
(i) गणितीय घनत्व (Arithmatic Density) – प्रति वर्ग किलोमीटर व्यक्तियों की संख्या को गणितीय घनत्व कहते हैं।
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यह घनत्व किसी क्षेत्र में जनसंख्या संकेन्द्रण का द्योतक है। यद्यपि किसी क्षेत्र में आन्तरिक विभिन्नताएं होती हैं, फिर भी विभिन्न देशों की जनसंख्या की तुलना करने के लिए यह एक संवेदनशील विधि है। संयुक्त राज्य में जनसंख्या घनत्व केवल 28 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। जबकि यूरोप में यह 104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

(ii) कायिक घनत्व (Physiological Density) – यह विधि प्रायः मानव-भूमि अनुपात ज्ञात करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह कुल जनसंख्या तथा कुल कृषिकृत क्षेत्र में अनुपात है। विकासशील देशों में गहन कृषि के कारण प्रति व्यक्ति भूमि कम है। (लगभग 0.4 हैक्टेयर प्रति मनुष्य) इसलिए अधिक लोग इस भूमि पर निर्भर हैं। भारत में 1 हैक्टेयर भूमि पर 5 व्यक्ति, चीन में 12 व्यक्ति निर्भर हैं। जबकि संयुक्त राज्य में 1.5 व्यक्ति निर्भर हैं।

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प्रश्न 4.
स्पष्ट करो कि पिछली कुछ शताब्दियों से जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र रही है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या वद्धि कहते हैं। पिछली कछ शताब्दियों से विश्व जनसंख्या में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तीव्र रही है। पहली शताब्दी में विश्व जनसंख्या केवल 25 करोड़ थी जो अब 700 करोड़ है। वर्तमान वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत रही है।

  1. मानव इतिहास के आरम्भ में जनसंख्या वृद्धि बहुत कम थी।
  2. ईसा से 8000 वर्ष पूर्व मानव ने कृषि करना आरम्भ किया। इसे कृषि-युग का प्रारम्भ कहते हैं। इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर धीमी-धीमी बढ़ने लगी।
  3. 1779 में औद्योगिक क्रान्ति के कारण जनसंख्या वृद्धि दर 0.5 प्रतिशत थी।
  4. इसके पश्चात प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का विशाल पैमाने पर शोषण आरम्भ हुआ तथा जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने लगी।
  5. चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण जनसंख्या का आकार बढ़ गया।
  6. मृत्यु-दर के कम होने से तथा महामारियों से बचाव के कारण भी जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र हो गई।
  7. सन् 1960 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% हो गई। विकासशील देशों में यह वृद्धि दर 3 प्रतिशत से भी अधिक हो गई। यहां लोगों के रहन-सहन का स्तर नीचा हो गया।

प्रश्न 5.
भविष्य में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
इस समय जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की सम्भावना है। यह दर विकासशील देशों तथा विकसित देशों में भिन्न-भिन्न है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत तक हो गई है। विकासशील देशों में भी वृद्धि दर घट कर 1 प्रतिशत तक रह गई है। एक अनुमान है कि सन् 2010 तक विश्व जनसंख्या 6.8 बिलियन तथा 2025 तक 10 बिलियन हो जाएगी। अगले 25 वर्षों में विश्व जनसंख्या में वृद्धि का 98% भाग विकासशील देशों में होगा। वर्तमान समय में विकसित देशों में कुल जनसंख्या का 20% भाग है परन्तु 2025 तक यह भाग केवल 15% होगा।

प्रश्न 6.
विश्व में जनसंख्या के दुगुना होने के समय पर नोट लिखो।
उत्तर:
विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि की तुलना उनके दुगुना होने के समय (Doubling Time) से भी की जा सकती है। यह समय विश्व जनसंख्या के सम्बन्ध में अग्रलिखित तालिका में दिया गया है –

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Doubling Time of World Population

अवधि जनसंख्या (Million) जनसंख्या के दुगुना होने का समय (वर्ष)
10,000 B.C. 5
1650 A.D. 500 1500
1850 A.D. 1000 200
1930 A.D. 2000 80
1975 A.D. 4000 45
2012 A.D. 8000 37

निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है कि विकसित देशों में जनसंख्या के दुगुना होने से अधिक समय लगेगा। 71 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 2.0 से 2.9% है। इनकी जनसंख्या 24-35 वर्षों में दुगुनी होगी। 14 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 3.0 से 4.4% है। इनकी जनसंख्या 16-23 वर्षों में दुगुनी होगी। भारत में वर्तमान वृद्धि दर 1.9% है तथा इसकी जनसंख्या 36 वर्षों में दुगुनी होगी। विश्व जनसंख्या को एक अरब से दो अरब तक बढ़ने में 80 लाख वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब तक पहुंचने में केवल 12 वर्ष लगे हैं। जनसंख्या के दुगुना होने में समय घट रहा है।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि तथा जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उदाहरण दो।
उत्तर:

जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या वृद्धि दर
(1) यह कुल संख्या में मापी जाती है। (1) यह प्रतिशत में मापी जाती है।
(2) भारत में 2001-2011 में जनसंख्या वृद्धि (16.3%) 18.3 करोड़ थी। (2) 2001-11 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर 16.7% थी।
(3) यह किसी प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रभाव डालती है। (3) यह किसी प्रदेश के जनांकिकी विशेषताओं पर प्रभाव डालती है।

 

प्रश्न 2.
धनात्मक जनसंख्या वृद्धि दर तथा ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तर
उत्तर:

धनात्मक वृद्धि दर ऋणात्मक वृद्धि दर
(1) जब जन्म दर मृत्यु से अधिक हो। (1) जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो।
(2) यह जनसंख्या में वृद्धि करती है। (2) इससे जनसंख्या घटती है।
(3) इससे संसाधनों का उपयोग होता है। (3) इससे संसाधन का उपयोग घटता है।

 

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण का वर्णन करो।
अथवा
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानवीय भूगोल के अध्ययन में मनुष्य का केन्द्रीय स्थान है (Man is the pivotal points)। मनुष्य अपने प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण से प्रभावित होता है और उसमें परिवर्तन करता है। पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण में लगातार परिवर्तन होता चला आया है। इस समय जनसंख्या के वितरण में बहुत असमानता है। इस असमानता के प्रमुख कारण विश्वव्यापी (Universal) तत्त्व हैं।

जनसंख्या वितरण के मुख्य तथ्य (Main facts):
(1) विश्व जनसंख्या 1650 ई० में 50 करोड़ से बढ़कर, 2000 ई० में 700 करोड़ (अर्थात् 14 गुणा) बढ़ गई है।
(2) वर्तमान वृद्धि दर से वर्तमान जनसंख्या 2050 ई० में 1000 करोड़ तक हो जाने का अनुमान है।
(3) वर्तमान समय में भूतल के लगभग 14.5 करोड़ वर्ग कि० मी० क्षेत्रफल पर 700 करोड़ लोग निवास करते हैं।
(4) विश्व का औसत जनसंख्या घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(5) एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक जनसंख्या 360 करोड़ है।
(6) चीन देश में सबसे अधिक जनसंख्या 127 करोड़ है।
(7) बांग्लादेश विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(8) विश्व में 10% भूमि पर लगभग 90% जनसंख्या निवास करती है।
(9) उत्तरी महाद्वीपों में 90% जनसंख्या है जबकि दक्षिणी महाद्वीपों में केवल 10% जनसंख्या है। विश्व की 75% जनसंख्या कर्क रेखा से 70° उत्तर अक्षांश के मध्य निवास करती है।
(10) विश्व की आधे से अधिक जनसंख्या 20°N से 40°N अक्षांशों के मध्य निवास करती है। विश्व की 4/5 जनसंख्या 20 °N से 60°N के मध्य मिलती है।

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विश्व जनसंख्या : 2011

विश्व जनसंख्या: 2011 कुल जनसंख्या (करोड़) कुल जनसंख्या का % भाग घनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
महाद्वीप जनसंख्या 360 60.0 108
एशिया 72 10.0 101
यूरोप 89 12.0 20
अफ्रीका 60 8.0 21
दक्षिणी अमेरिका 40 5.5 14
उत्तरी अमेरिका 30 4.0 17
रूस (C.I.S.) 4 0.5 3
ऑस्ट्रेलिया 665 41

प्रमुख देशों की जनसंख्या : 2011

देश कुल जनसंख्या (मिलियन)। जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
चीन 1277 135
भारत 1210 382
रूस 147 18
सं० रा० अमेरिका 281 35
जापान 126 405
ब्राजील 170 21
इण्डोनेशिया 212 120
पाकिस्तान 156 165
बांग्लादेश 129 805

जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population):
पृथ्वी पर जनसंख्या का वितरण बड़ा असमान है। पृथ्वी पर थोड़े-से भाग घने बसे हुए हैं जबकि अधिक भाग खाली पड़े हैं। विश्व की 90% जनसंख्या केवल 10% स्थल भाग पर निवास करती है जबकि 90% स्थल भाग पर केवल 10% लोग रहते हैं।

जनसंख्या के घनत्व के आधार पर पृथ्वी को तीन भागों में बांटा जा सकता है –
I. अधिक घनत्व वाले प्रदेश (Areas of High Density) – इन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इस अधिक घनत्व के दो आधार हैं –
1. कृषि प्रधान देश-पूर्वी एशिया तथा दक्षिणी एशिया में।
2. औद्योगिक प्रदेश–पश्चिमी यूरोप तथा उत्तर पूर्वी अमेरिका में।

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1. दक्षिणी तथा पूर्वी एशिया-पूर्वी एशिया में चीन, जापान, फिलीपाइन द्वीप तथा ताईवान में घनी जनसंख्या मिलती है। दक्षिणी एशिया में भारत. श्रीलंका, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इसके अतिरिक्त जावा द्वीप, नील नदी-घाटी में भी घनी जनसंख्या मिलती है। चीन में संसार की लगभग एक चौथाई जनसंख्या निवास करती है। ह्वांग-हो, यंगसी तथा सिकियांग घाटी घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। भारत में गंगा के मैदान तथा पूर्वी तटीय मैदान में जनसंख्या का अधिक जमाव है। जापान में क्वांटो मैदान (Kwanto Plain), बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, बर्मा (म्यनमार) में इरावदी डेल्टा, पाकिस्तान में सिन्धु घाटी अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। बांग्ला देश में संसार का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –
(1) ऊष्ण-आर्द्र मानसूनी जलवायु।
(2) खाद्यान्नों की वर्ष में दो फसल।
(3) चावल का अधिक उत्पादन।
(4) नदी-घाटियों की उपजाऊ मिट्टी।
(5) जल-सिंचाई की पर्याप्त सुविधाओं का होना।
(6) जापान में अधिक उद्योगों का विकास।
(7) समतल भूमि की अधिकता।
(8) खनिज पदार्थों का विकास।
(9) जापान में अधिक मछली पकड़ने से भोजन की पूर्ति।
(10) निर्धन लोगों का निम्न जीवन-स्तर।

2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी-पूर्वी अमेरिका – पश्चिमी यूरोप में इंग्लिश चैनल से लेकर रूस के यूक्रेन क्षेत्र तक 50° उत्तरी अक्षांशों के साथ-साथ घनी जनसंख्या मिलती है। यूरोप में 50° अक्षांश को जनसंख्या की धुरी (Axis of Population) कहते हैं। इन क्षेत्रों इंग्लैंड, जर्मनी में रूहर घाटी, इटली में पो डेल्टा, फ्रांस में पेरिस बेसिन, रूस में मास्को-यूक्रेन क्षेत्र अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में अटलांटिक तट, सैंट लारैस घाटी तथा महान् झीलों के क्षेत्र में अधिक जनसंख्या घनत्व है। इन सब प्रदेशों में जनसंख्या का आधार उद्योग हैं।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. निर्माण उद्योगों का अधिक होना।
  2. सम शीतोष्ण जलवायु।
  3. समुद्री मार्गों तथा व्यापार का अधिक उन्नत होना।
  4. मिश्रित कृषि के कारण अधिक उत्पादन।
  5. खनिज क्षेत्रों के विशाल भण्डार।
  6. तटीय स्थिति।
  7. लोगों का उच्च जीवन-स्तर।
  8. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान में अधिक वृद्धि।
  9. नगरीकरण (Urbanisation) के कारण बड़े-बड़े नगरों का विकास।

II. मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Moderate Density) – इन प्रदेशों में 25 से 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व मिलता है। इस भाग में निम्नलिखित प्रदेश शामिल हैं –
(1) उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज का मध्य मैदान
(ख) अफ्रीका का पश्चिमी भाग
(ग) यूरोप में पूर्वी यूरोप तथा पूर्वी रूस
(घ) दक्षिणी अमेरिका में उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील, मध्य चिली, मैक्सिको का पठार
(ङ) एशिया में भारत का दक्षिणी पठार, पश्चिमी चीन तथा हिन्द-चीनी
(च) पूर्वी ऑस्टेलिया।

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मध्यम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. ये प्रदेश अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों के किनारों पर स्थित हैं जहां अधिक घनत्व के केन्द्रों से धीरे-धीरे जनसंख्या घटती रहती है।
  2. इन क्षेत्रों में विस्तृत खेती-बाड़ी में आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है इसलिए जनसंख्या कम है।
  3. जलवायु पशुपालन के अनुकूल है। मांस तथा डेयरी पदार्थों का निर्यात किया जाता है।
  4. कई प्रदेशों में खनिज पदार्थों के कारण मध्यम जनसंख्या है।
  5. कई पर्वतीय क्षेत्रों तथा पठारों के कारण अधिक जनसंख्या नहीं है।
  6. अफ्रीका में कहवा, कोको आदि रोपण कृषि (Plantation Crops) के कारण जनसंख्या बढ़ गई है।

III. कम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Low Density) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 25 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर से कम है। लगभग 50% क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व केवल 2 से 3 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह लगभग निर्जन प्रदेश है। इस भाग में ऊंचे पर्वतीय तथा पठारी प्रदेश, शुष्क मरुस्थल, उष्ण-आर्द्र घने वन तथा टुण्डा जलवायु के ठण्डे प्रदेश शामिल हैं।

जैसे –
(क) उच्च पर्वतीय भाग (High Mountains) – हिमालय, रॉकी, एण्डीज़, मध्य एशिया के पर्वत तथा तिब्बत का पठार।
(ख) मरुस्थल (Deserts) – सहारा, कालाहारी, अटाकामा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा गोबी मरुस्थल।
(ग) घने वन (Dense Forests) – भूमध्य रेखा के खण्ड में अमेज़न तथा कांगो घाटी।
(घ) टुण्ड्रा प्रदेश – अन्टार्कटिका, ग्रीनलैण्ड तथा कनाडा और रूस का उत्तरी भाग।

कम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक – इन प्रदेशों में मानवीय जीवन के लिए बहुत कम सुविधाएं प्राप्त हैं तथा लोग कठिनाइयों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। इन प्रदेशों को सतत् कठिनाइयों के प्रदेश (Regions of everlasting difficulties) भी कहा जाता है।
(1) पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी।
(2) पथरीली तथा रेतीली मिट्टी।
(3) ठण्डे प्रदेशों में कठोर शीत जलवायु।
(4) पानी की कमी तथा छोटे उपज काल के कारण कृषि का अभाव।
(5) टुण्ड्रा प्रदेशों में स्थायी बर्फ (Perma Frost)।
(6) परिवहन के साधनों की कमी।
(7) घातक कीड़ों तथा बीमारियों के कारण कम जनसंख्या।
(8) खनिज पदार्थों तथा उद्योगों का अभाव।

प्रश्न 2.
विश्व जनसंख्या में वृद्धि, इसके निर्धारक तथा क्षेत्रीय प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से आशय (Meaning of Population Growth)-किसी क्षेत्र विशेष में किसी दिये गये समय में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। जनसंख्या की यह वृद्धि धनात्मक (Positive) एवं ऋणात्मक (Negative) दोनों ही हो सकती है। जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि सदैव के लिए नहीं हो सकती क्योंकि भूसतह पर स्थान सीमित हैं, उनको बढ़ाया नहीं जा सकता। विश्व में जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि का प्रमुख कारण मृत्यु-दर की तुलना में जन्म-दर का अधिक होना है। वास्तव में किसी क्षेत्र की जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या में हुई प्राकृतिक वृद्धि का द्योतक है जो उस क्षेत्र की जनसंख्या में दिये गये समय में हुए जन्मों को जोड़कर तथा मृत्युओं को घटाकर प्राप्त की जाती है।

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जनसंख्या वृद्धि का आकलन जन्म व मृत्यु के शुद्ध अन्तर के आधार पर किया जाता है। इस विधि में जन्म व मृत्यु के पंजीकृत आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में जनसंख्या वृद्धि की गणना निम्नलिखित सूत्र की सहायता से की जाती है –
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जनसंख्या वृद्धि दर को प्रभावित करने वाले कारक
(Determinants of Population Growth Rate)
किसी देश की जनसंख्या वृद्धि दर पर निम्नलिखित तीन कारकों का प्रमुख रूप से प्रभाव रहता है –
(1) जन्म-दर (Birth Rate)
(2) मृत्यु-दर (Death Rate)
(3) जनसंख्या की गतिशीलता (Mobility of Population) / प्रवास (Migration)

1. जन्म-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – किसी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि प्रमुख रूप से उस क्षेत्र में दी गई अवधि में हुए कुल जन्मों की संख्या तथा मृत्युओं की संख्या का अन्तर होता है। अत: जिन देशों में जन्म-दर अधिक है तो उन देशों में जनसंख्या वृद्धि दर भी अधिक होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण के लिए विकासशील व आर्थिक रूप से पिछड़े राष्ट्रों में जनसंख्या की जन्म-दर विकसित राष्ट्रों की तुलना में अधिक रहती है। यही कारण है कि उन देशों में विकसित राष्ट्रों की तुलना में वृद्धि दर भी अधिक रहती है। दूसरी ओर विश्व के कई विकसित राष्ट्र ऐसे हैं जहां जन्म दर अधिक गिर जाने के कारण जनसंख्या के आकार में ह्रास होने लगा है।

2. मृत्यु-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – मृत्यु-दर का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या वृद्धि दर से रहता है। अधिक मृत्यु-दर अधिक जन्म-दर होने के बावजूद भी जनसंख्या वृद्धि दर को नहीं बढ़ने देती। वस्तुतः जनसंख्या वृद्धि दर उस समय अधिक रहती है जबकि जन्म-दर अधिक हो तथा मृत्यु-दर कम हो। दूसरी ओर जन्म-दर कम होने के साथ-साथ यदि मृत्यु-दर भी कम रहे तो जनसंख्या वृद्धि दर भी कम रहती है।

3. जनसंख्या गतिशीलता का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – जनसंख्या का जिन क्षेत्रों से बर्हिप्रवास होता है, उन क्षेत्रों में जनसंख्या की वृद्धि दर पर ऋणात्मक प्रभाव होते हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में अन्तर्प्रवास होता है, उन क्षेत्रों की जनसंख्या वृद्धि दर पर धनात्मक प्रभाव होते हैं। सन् 1880 से 1920 की अवधि में यूरोप के विभिन्न देशों से लगभग 4 करोड़ व्यक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा में जाकर बस गए, जिसके कारण एक ओर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा की जनसंख्या वृद्धि दर में तीव्र वृद्धि हुई जबकि यूरोप के सम्बन्धित विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट अनुभव की गई।

World Population Growth (1650 to 2000)
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 9

विश्व के महाद्वीपों में जनसंख्या वृद्धि दर
(सन् 1985 से सन् 2000 के मध्य)

महाद्वीप/प्रदेश जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत)
विश्व 1.7
विकासशील राष्ट 2.1
विकसित राष्ट्र 0.5
एशिया 1.8
अफ्रीका 3.0
दक्षिणी अमेरिका 1.9
उत्तरी अमेरिका 0.7
यूरोप 0.2
ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैण्ड 1.1
पूर्व सोवियत संघ 0.7
भारत 1.9

 

जनसंख्या वृद्धि का क्षेत्रीय प्रतिरूप:
विश्व के विभिन्न महाद्वीपों व प्रदेशों की जनसंख्या वृद्धि दर में अति असमानताएं हैं। विश्व के समस्त राष्ट्रों को जनसंख्या वृद्धि दर की विभिन्नताओं के आधार पर निम्नलिखित चार वर्गों में रखा जा सकता है –
(1) अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(2) उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(3) मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(4) निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र।

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1. अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वह देश सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 3.0 प्रतिशत से अधिक मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-अफ्रीका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, दक्षिणी अमेरिका।

2. उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग के अन्तर्गत विश्व के वे राष्ट्र सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की
वार्षिक वृद्धि दर 2 से 2.9 प्रतिशत के मध्य मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया।

3. मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वे क्षेत्र आते हैं जिनमें वार्षिक वृद्धि दर 1 से 1.9 प्रतिशत तक रहती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं –
(1) दक्षिणी अमेरिका
(2) कैरीबियन देश तथा
(3) एशिया।

4. निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र-इस वर्ग में विश्व के वे राष्ट्र आते हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1 प्रतिशत से कम रहती है। इस वर्ग में निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं–उत्तरी अमेरिका में कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, पूर्व सोवियत संघ तथा जापान तथा ओसीनिया में न्यूज़ीलैण्ड।

प्रश्न 3.
प्रवास से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या कारण हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
प्रवास (Migration) – जनसंख्या की गतिशीलता का एक महत्त्वपूर्ण घटक स्थानान्तरण है। यह जनसंख्या तथा संसाधनों में एक सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न है। सामान्यत: प्रवास मानव को अपने निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जाकर निवास करने से होता है। प्रजननता (Fertility) तथा मृत्यु क्रम (Motality) की अपेक्षा जनसंख्या संरचना में प्रवास का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रवास की धाराएँ (Streams of Migration) – प्रवास की निम्नलिखित धाराएं हैं –

  1. ग्रामों से नगर की ओर
  2. नगर से ग्राम की ओर
  3. ग्राम से ग्राम की ओर
  4. नगर से नगर की ओर।

प्रवास के सामान्यत प्रकार निम्नलिखित हैं –
1. मौसमी प्रवास (Seasonal Migration) – प्रवास स्थायी अथवा अस्थायी हो सकता है। अस्थायी प्रवास मौसमी होती है। गहन कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता के लिए श्रमिक प्रवास कर जाते हैं। कई बार एक मौसम से अधिक समय के प्रवास स्थायी रूप धारण कर लेता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration) – यह प्रवास अन्तर्महाद्वीपीय होता है। यह थोड़े समय में जनसंख्या संरचना में परिवर्तन कर देता है। पिछले दशकों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में बहुत वृद्धि हुई है। यादों के कारण कई क्षेत्रों में शरणार्थी प्रवास कर रहे हैं। इस शताब्दी के शुरू में U.N.O. के अनुसार 12 करोड़ लोग विदेशों में बस गए हैं। जिनमें 1.5 करोड़ शरणार्थी हैं।

3. आन्तरिक प्रवास (Internal Migration) – यह प्रवास व्यापक रूप से होता है। लाखों लोग ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। यह आकर्षक कारक (Pull Factors) तथा प्रत्याकर्षक कारकों (Push Factors) द्वारा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं। जहां उच्च वेतन, सस्ती भूमि, रहन-सहन तथा विकास की उच्च सेवाएं प्राप्त होती हैं। नगरों में कई झुग्गी-झोंपड़ी क्षेत्र बन जाते हैं।

4. ग्रामीण प्रवास (Rural Migration) – कई बार एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास होता है जहां उन्नत कृषि होती है तथा नई तकनीकों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. ऐलन सी० सेम्पुल किस देश से सम्बन्धित है ?
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका
(B) फ्रांस
(C) जर्मनी
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका

2. निम्नलिखित में से कौन-सा भूगोलवेत्ता, फ्रांस से सम्बन्धित है ?
(A) हंटिंगटन
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश
(C) सेम्पुल
(D) ट्रिवार्था।
उत्तर:
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश

3. भूगोल की कौन-सी उपशाखा मानव भूगोल से सम्बन्धित नहीं है ?
(A) जनसंख्या भूगोल
(B) आर्थिक भूगोल
(C) भौतिक भूगोल
(D) सामाजिक भूगोल।
उत्तर:
(C) भौतिक भूगोल

4. विडाल डी लॉ ब्लॉश ने किस उपागम का समर्थन किया ?
(A) निश्चयवाद
(B) सम्भावनावाद
(C) मानववाद
(D) कल्याणवाद।
उत्तर:
(B) सम्भावनावाद

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5. कौन-सा तत्त्व भौतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) जलवायु
(B) धरातल
(C) कृषि
(D) जल।
उत्तर:
(C) कृषि

6. किसने नव-नियतिवाद का प्रतिपादन किया ?
(A) ग्रिफिथ टेलर
(B) ब्लाश
(C) हंटिंगटन
(D) रिटर।
उत्तर:
(A) ग्रिफिथ टेलर

7. कौन-सा तत्त्व सांस्कृतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) ग्राम
(B) नगर
(C) पत्तन
(D) जलवायु।
उत्तर:
(D) जलवायु।

8. किस सिद्धान्त द्वारा अग्नि की खोज हुई ?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घर्षण
(C) डी० एन० ए०
(D) गति का नियम।
उत्तर:
(B) घर्षण

9. किस तत्त्व को ‘माता-प्रकृति’ कहते हैं ?
(A) भौतिक पर्यावरण
(B) सांस्कृतिक पर्यावरण
(C) राजनीतिक पर्यावरण
(D) औद्योगिक पर्यावरण।
उत्तर:
(A) भौतिक पर्यावरण

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10. उपनिवेश युग में किस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया ?
(A) क्षेत्रीय विभिन्नता
(B) क्षेत्रीय संघटन
(C) व्यावहारिक
(D) प्रादेशिक।
उत्तर:
(D) प्रादेशिक।

11. मनोविज्ञान मानव भूगोल की किस उपशाखा से सम्बन्धित है ?
(A) व्यवहारवादी भूगोल
(B) नगरीय भूगोल
(C) जनसंख्या भूगोल
(D) आर्थिक भूगोल।
उत्तर:
(A) व्यवहारवादी भूगोल

12. महामारी विज्ञान भूगोल की किस किस उपशाखा से सम्बन्धित है ? .
(A) ऐतिहासिक
(B) लिंग
(C) चिकित्सा
(D) सैन्य।
उत्तर:
(C) चिकित्सा

13. किस उप-विज्ञान को जनांकिकी कहते हैं ?
(A) सांस्कृतिक भूगोल
(B) जनसंख्या भूगोल
(C) आर्थिक भूगोल
(D) नगरीय भूगोल।
उत्तर:
(B) जनसंख्या भूगोल

14. कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(A) प्रदूषण औद्योगिक विकास के कारण होता है
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है
(C) भूतापन हरित गैसों के कारण है
(D) प्रदूषण के कारण भू-अवनयन होता है।
उत्तर:
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
‘भूगोल’ किन दो शब्दों के सुमेल से बना है ?
उत्तर:
दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo (पृथ्वी) + Graphy (चित्रण करना)।

प्रश्न 2.
पर्यावरण के दो प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण।

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प्रश्न 3.
भूगोल का एक विषय के रूप में केन्द्रीय कार्य क्या है ?
उत्तर:
पृथ्वी को मानव का निवास स्थान के रूप में समझना।

प्रश्न 4.
सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग किसने किया ?
उत्तर:
एक यूनानी दार्शनिक इरेटोस्थनीज ने किया था।

प्रश्न 5.
इडियोग्राफिक शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
विवरणात्मक।

प्रश्न 6.
भौतिक पर्यावरण के तत्त्व बताओ।
उत्तर:
भू-आकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति, प्राणिजात तथा वनस्पति जात।

प्रश्न 7.
सांस्कृतिक पर्यावरण के तत्व बताओ।
उत्तर:
घर, ग्राम, नगर, रेलें-सड़कों का जाल, उद्योग, खेत पत्तन।

प्रश्न 8.
प्रौद्योगिकी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उत्पादन में प्रयोग होने वाले औज़ार तथा तकनीकें।

प्रश्न 9.
भौतिक पर्यावरण को ‘माता-प्रकृति’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
आदि कबीलों में, प्रकृति एक शक्तिशाली बल है, पूज्य है तथा संरक्षित है। लोग प्रकृति पर संसाधनों के लिए निर्भर रहते हैं।

प्रश्न 10.
उपनिवेश युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया ?
उत्तर:
अन्वेषण तथा विवरण के साथ प्रादेशिक विश्लेषण।

प्रश्न 11.
1930-50 के युग में कौन-से उपागम प्रयोग किए गए ?
उत्तर:
क्षेत्रीय विभिन्नता तथा स्थानिक संगठन।

प्रश्न 12.
सामाजिक भूगोल के साथ सम्बन्धित पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:

  1. व्यवहारवादी भूगोल – मनोविज्ञान
  2. सांस्कृतिक भूगोल – मानवविज्ञान
  3. लिंग भूगोल – समाज शास्त्र
  4. ऐतिहासिक भूगोल – इतिहास
  5. चिकित्सा भूगोल – चिकित्सा शास्त्र

प्रश्न 13.
आर्थिक भूगोल से सम्बन्धित सामाजिक विज्ञान की पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:

  1. संसाधन भूगोल-संसाधन अर्थशास्त्र
  2. कृषि-भूगोल-कृषि विज्ञान।
  3. विपणन भूगोल-व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य शास्त्र।
  4. पर्यटन भूगोल-पर्यटन प्रबन्धन।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की परिभाषा दो। भूगोल के अध्ययन की तीन विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्रीय तथा स्थानिक विभिन्नताओं का विज्ञान है। भूगोल शब्द दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo = पृथ्वी तथा Graphy = वर्णन, के सुमेल से बना है। इस प्रकार भूगोल पृथ्वी के धरातल का वर्णन है। इसके अध्ययन क्षेत्र की तीन मुख्य विशेषताएं हैं –

  1. यह एक समाकलनात्मक अध्ययन है।
  2. यह एक आनुभविक अध्ययन है।
  3. यह एक व्यावहारिक अध्ययन है।

प्रश्न 2.
“भूगोल के अध्ययन की पहुंच विस्तृत है।” कारण बताओ।
उत्तर:

  1. भूगोल विश्वव्यापी प्रकृति का विज्ञान है।
  2. इसमें भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक वातावरण दोनों क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है।

इसमें किसी भी घटक का जो दिक् एवं काल के सन्दर्भ में परिवर्तित होता है का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है।

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प्रश्न 3.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 4.
“भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान दोनों ही है।” व्याख्या करो।
उत्तर:
भूगोल एक समाकलन का विज्ञान है। भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करके किसी क्षेत्र का एक भौगोलिक चित्र प्रस्तुत किया जाता है। भौतिक वातावरण का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक विज्ञान जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान आदि बहुत उपयोगी हैं। सामाजिक विज्ञान मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करने में सहायता करते हैं। इनके द्वारा भौतिक तत्त्वों का कृषि, मानव बस्तियों आदि पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार भूगोल प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों को परस्पर जोड़ता है तथा इसे दोनों वर्ग के विज्ञानों में गिना जाता है।

प्रश्न 5.
‘भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है।

प्रश्न 6.
मानव भूगोल के उद्देश्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या और वातावरण के संसाधनों का अध्ययन करना है ताकि इन संसाधनों का प्रयोग मानव प्रगति और विकास के लिए किया जा सके। वातावरण का मानवीय क्रियाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा मानव द्वारा इनमें क्या परिवर्तन किए गए हैं। इस प्रकार मानव भूगोल का उद्देश्य मानव, वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध का अध्ययन करना है।

प्रश्न 7.
‘मानव भूगोल में मानव का केन्द्रीय स्थान है’ इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूतल पर भौतिक दशाओं के समूह (Set of Surroundings) द्वारा घिरा है जिसे पर्यावरण कहते हैं। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक (Geographical factor) है। मानव मिट्टी को अपने भोजन प्राप्ति के लिए प्रयोग करता है तथा पशुपालन, मत्स्यन, भेड़ पालन द्वारा भोजन प्राप्त करता है। प्राकृतिक झरनों से जलविद्युत् उत्पन्न करता है। कोयले के प्रयोग से उद्योगों को शक्ति प्रदान करता है। मनुष्य की स्थिति केन्द्रीय है। उसके चारों ओर प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण की क्रियाएं होती हैं, परन्तु वह प्रकृति का दास नहीं है वरन् उसमें परिवर्तन करके उसे अपने अनुकूल बनाता है।

प्रश्न 8.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है। जैसे रैट्ज़ेल के अनुसार, “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है।

मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in nature) कहना ही उचित है। जैसा कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blach) ने कहा है, ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह उस पर कार्य करे।’

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प्रश्न 9.
नव-नियतिवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
नव-नियतिवाद (Neo-Determinism):
प्रकृति ने मानव को विकास के भरपूर अवसर प्रदान किए हैं परन्तु मानव इनका एक सीमा तक प्रयोग कर सकता है। इसलिए सम्भववाद पर कई विद्वानों ने आलोचना की है। ग्रिफिथ टेलर ने इस आलोचना द्वारा नव नियतिवाद की विचारधारा प्रस्तुत की। उसके अनुसार एक भूगोलवेत्ता का कार्य एक परामर्शदाता का है न कि प्रकृति की आलोचना करने का है। यह निश्चयवाद तथा सम्भावनावाद में एक मध्यमार्ग है। इसे ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ (Stop and Go determinism) कहते हैं।

प्रश्न 10.
एलेन सेम्पुल द्वारा मानव भूगोल की दी गई परिभाषा के तीन मूल बिन्दु कौन-कौन से हैं ?
अथवा
मानव भूगोल की प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
एलेन सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल पृथ्वी और अथक मानव के परस्पर परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है। इसके मूल तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं

  1. मानव समाज तथा पृथ्वी तल के बीच सम्बन्ध
  2. मानव-वातावरण सम्बन्ध प्रगतिशील है
  3. मानव प्रगति प्रकृति पर निर्भर है।

प्रश्न 11.
“मानव भूगोल का अध्ययन प्रगतिशील है तथा इसमें मानवीय समाज के अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।” व्याख्या करो। .
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषा समय-समय पर बदलती रहती है।

  1. सबसे पहले विद्वानों में अरस्तु, बकॅल, हम्बोलट तथा स्ट्टिर ने इतिहास पर धरातल के प्रभाव का अध्ययन किया।
  2. कालान्तर में रैट्ज़ेल तथा सैम्पल ने इसकी आलोचना की।
  3. ब्लॉश ने पारिस्थितिकी तथा पार्थिव एकता को मानव भूगोल के दो मूल सिद्धान्त माना।
  4. हंटिंगटन ने जलवायु के समाज, सभ्यता तथा इतिहास पर प्रभाव पर अधिक बल दिया।
  5. उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि मानव भूगोल में मूल रूप से अधिक बल मानवीय समाज के अध्ययन पर दिया गया है।

प्रश्न 12.
मानव भूगोल में सम्भववाद उपागम की तीन मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. इस उपागम के अनुसार मानव अपने वातावरण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर सकता है
  2. प्रकृति पर विजय प्राप्त करना सम्भव है।
  3. प्रकृति अवसर प्रदान करती है तथा मानव इनका लाभ उठा सकता है।

प्रश्न 13.
मानव भूगोल के छः उपागमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के छ: उपागम निम्नलिखित हैं –

  1. अन्वेषण और विवरण
  2. प्रादेशिक विश्लेषण
  3. क्षेत्रीय विभेदन
  4. स्थानिक संगठन
  5. मानवतावादी, आमूलवादी और व्यावहारवादी विचारधाराओं का उदय
  6. भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के छः भिन्न क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के निम्नलिखित छः क्षेत्र है –

  1. सामाजिक भूगोल
  2. नगरीय भूगोल
  3. राजनीतिक भूगोल
  4. जनसंख्या भूगोल
  5. आवास भूगोल
  6. आर्थिक भूगोल।

प्रश्न 15.
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र कौन-से हैं ?
उत्तर:
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

  1. संसाधन भूगोल
  2. कृषि भूगोल
  3. उद्योग भूगोल
  4. विपणन भूगोल
  5. पर्यटन भूगोल
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।

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प्रश्न 16.
मानव भूगोल में प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है ?
उत्तर:
जब भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बांट कर समुचा अध्ययन करते हैं तो उस विवरणात्य अध्ययन को प्रादेशिक विधि कहते हैं।

प्रश्न 17.
सम्भववाद का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सम्भवाद (Possiblism)-निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छापूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम हो

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल में द्वैतवाद से क्या अभिप्राय है ? नोमोथेटिक तथा इडियोग्राफ़िक शब्दों के क्या अर्थ है ?
उत्तर:
(i) भूगोल के द्वैतवाद के आशय के व्यापक तर्क-वितर्क हैं कि क्या भूगोल का अध्ययन प्रादेशिक या क्रमबद्ध होना चाहिए। इसे द्वैतवाद कहते हैं। नोमोथेटिक शब्द का अर्थ है भूगोल का नियमबद्ध होना तथा इडियोग्राफ़िक शब्द के अर्थ है कि भूगोल का विवरणात्मक होना।
(ii) क्या भौगोलिक परिघटनाओं की व्याख्या सैद्धान्तिक आधार पर होनी चाहिए अथवा ऐतिहासिक संस्थागत उपागम के आधार पर हो।
(iii) इसी प्रकार द्वैतवाद प्रकृति तथा मानव के बीच बौद्धिक अभ्यास का मुद्दा है।

प्रश्न 2.
“भौतिक और मानवीय दोनों परिघटनाओं का वर्णन मानव शरीर रचना विज्ञान से प्रतीकों का प्रयोग करते हुए रूपकों के रूप में किया जाता है” उदाहरण देकर व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव शरीर रचना विज्ञान से कुछ शब्दों का प्रयोग भौतिक और मानवीय परिघटनाओं के लिए किया जाता है।
उदाहरण-

  1. हम पृथ्वी के ‘रूप’ (Face) का वर्णन करते हैं।
  2. हम ‘तुफान की आँख’ (Eye of the storm) शब्द प्रयोग करते हैं।
  3. ‘नदी के मुख’ (Mouth of the river) का प्रयोग किया जाता है।
  4. ‘हिम नदी की नासिका’ (Snouth of the glacier) शब्द का प्रयोग होता है।
  5. जलडमरू मध्य की ग्रीवा (Neck) शब्द प्रयोग होता है।
  6. प्रदेशों, गाँवों, नगरों का वर्णन जीवों (organisms) के रूप में होता है।
  7. सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों के जाल को ‘परिसंचरण की धमनियां’ (Arteries of Circulation) कहते हैं।

प्रश्न 3.
रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में किस तत्त्व पर बल दिया गया है ?
उत्तर:
रैटजेल के अनुसार, “मानव भगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।” इस परिभाषा में संश्लेषण शब्द पर बल दिया गया। भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों का संश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 4.
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में मुख्य शब्द क्या है ?
उत्तर:
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” इस परिभाषा में सम्बन्धों की गत्यात्मकता मुख्य शब्द है। मानवीय क्रियाएं बदलती रहती हैं। पृथ्वी के भौतिक लक्षण बदलते रहते हैं। दोनों के आपसी सम्बन्धों में भी परिवर्तनशीलता होती रहती है।

प्रश्न 5.
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में कौन-सी नई संकल्पना प्रस्तुत की गई है ?
उत्तर:
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, ‘मानव भूगोल हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों और इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना है। इस परिभाषा में नई संकल्पना है। यह पृथ्वी तथा मानव के बीच सम्बन्ध का अध्ययन है। भौतिक पर्यावरण के तत्त्व तथा मानवीय वातावरण के तत्त्व एक-दूसरे से अन्योन्यक्रिया (Interact) करते हैं।

प्रश्न 6.
“प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।” उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तथ्य दो।
‘अथवा
प्रौद्योगिकी स्तर, मनुष्य व प्रकृति के आपसी सम्बन्धों को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर:
मानव कुछ उपकरणों तथा तकनीकों की सहायता से उत्पादन तथा निर्माण करता है। इसे प्रौद्योगिकी कहते हैं। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद प्रौद्योगिकी का विकास करके उत्पादन करता है।

उदाहरण:

  1. घर्षण (friction) तथा ऊष्मा की संकल्पनाओं ने मानव को अग्नि की खोज में सहायता की।
  2. डी० एन० ए० (D.N.A) तथा आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
  3. हम अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 7.
‘मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करती हैं। उदाहरण दो।
उत्तर:
बेहतर और सक्षम प्रौद्योगिकी के प्रयोग से मानव भौतिक पर्यावरण से संसाधन का प्रयोग करता है। मानव पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा सम्भावनाओं को जन्म देता है। प्रकृति सम्भावनाओं को जन्म देती है तथा मानव इनका उपयोग करता है। इस प्रकार प्रकृति का मानवीकरण होता है। इसे सम्भववाद (Possibilism) कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र है जैसे –

  1. उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य विश्रामस्थल
  2. विशाल नगरीय प्रसार
  3. खेत, फलोद्यान तथा चरागाहें
  4. तटों पर पत्तन
  5. महासागरीय तल पर महासागरीय मार्ग
  6. अंतरिक्ष में उपग्रह।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
(i) भौतिक वातावरण प्राकृतिक तत्त्वों से बना है जैसे जलवायु धरातल, जल प्रवाह, प्राकृतिक संसाधन, खनिज, मृदा, जल तथा वन। .
(ii) सांस्कृतिक वातावरण मानव निर्मित लक्षणों से बना है जिसमें जनसंख्या तथा मानव बस्तियाँ प्रमुख हैं। इनका सम्बन्ध कृषि, निर्माण उद्योग तथा परिवहन से है।

प्रश्न 2.
निश्चयवाद तथा सम्भववाद में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ की संक्षिप्त परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद (Determinism):
इस विचारधारा के अनुसार मानवीय क्रियाओं पर वातावरण का नियन्त्रण है। इसके अनुसार किसी सामाजिक वर्ग का इतिहास, सभ्यता, रहन-सहन तथा विकास स्तर भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मानव एक क्रियाशील कारक नहीं है। इस विचारधारा को यूनानी तथा रोमन विद्वानों हिप्पोक्रेटस, अरस्तु, हेरोडोटस तथा स्ट्रेबो ने प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् अल-मसूदी, अल अदरीसी, इब्बन खालदून, काण्ट, हम्बोलट, रिट्टर तथा रैटजेल ने इस पर विशेष कार्य किया। अमेरिका में कुमारी सैम्पुल तथा हंटिंगटन ने इस विचारधारा को लोकप्रिय बनाया।

सम्भववाद (Possiblism):
निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छा पूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासिक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम है।

प्रश्न 3.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
1930 के दशक से 1960 के दशक की अवधि में भूगोल के उपागम बताओ।
उत्तर:
प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography):

  1. इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है।
  2. यह अध्ययन समाकलित होता है।
  3. यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):

  1. इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्त्व का अध्ययन होता है।
  2. यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
  3. यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव भूगोल से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की परिभाषाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
मानव भूतल पर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण प्राणी है। वह भूतल पर वातावरण। एक क्रियाशील अंश है। मानव पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अपने उद्देश्यों के लिए प्रयोग करता है। मानव प्रकृति का दास नहीं है, वरन् उसमें उचित परिवर्तन लाता है और उसे अपने अनुकूल बनाता है। कई बार वह अपने जीवन को वातावरण के अनुसार ढाल कर समझौता भी कर लेता है। वातावरण की विभिन्नता के कारण विभिन्न प्रदेशों के निवासियों की शारीरिक रचना, जातीय गुण, रहन-सहन, वेष-भूषा, कार्य क्षमता तथा योग्यता में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं।

टुण्ड्रा प्रदेश के एस्कीमों का जीवन कठोर तथा संघर्षपूर्ण होता है। मानसून प्रदेश में लोगों का मुख्य कार्य कृषि है। शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में लोग पशुपालन करते हैं तथा घास व जल की तलाश में घूमते रहते हैं। इस प्रकार मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक भू-दृश्य (Physical landscape) का उपयोग करके एक सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। इस प्रकार मानव भूगोल और पृथ्वी के बीच सम्बन्धों का एक क्रमबद्ध विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

मानव भूगोल की परिभाषाएं (Definitions of Human Geography):
मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं लस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं जैसे- गांव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत आता है। विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की निम्नलिखित परिभाषाएं दी गई हैं –

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

1. रैट्ज़ेल के अनुसार (According to Ratzel):
फ्रेडरिक रैट्जेल को वर्तमान मानव भूगोल का जन्मदाता माना जाता है। रैट्ज़ेल के अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वग वातावरण से सम्बन्धित होते हैं जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।

2. कुमारी सेम्पुल के अनुसार (According to E.C. Semple):
रैट्ज़ेल की शिष्या कुमारी सेम्पुल के अनुसार, “मानव । अस्थायी पृथ्वी और चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the changing relationships between the unresting man and the unstable earth.”)

3. विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनसार (According to Vidal de la Blaches):
फ्रांसीसी विद्वान विडाल डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, “मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is study of inter-relationship of earth and man.”)

4. जीन ब्रून्ज के अनुसार (According to Brunhes):
“मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव की क्रिया-कलापों से प्रभावित होते हैं।” (“Human geography is the study of all these facts in which human activity plays a part.”)

5.ऐल्सवर्थ हंटिंगटन के अनुसार (According to Elesworth Huntington):
“मानव भूगोल में भौगोलिक वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के पारस्परिक सम्बन्धों के वितरण और स्वरूप का अध्ययन होता है।” (“Human geography may be defined as the study of nature and distribution of relationships between geographical environment and human activities.”)

6. डी० एच० डेविस के अनुसार (According to D. H. Davis):
“मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण और मानवीय क्रियाओं के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the relationships between natural environment and human activities.”)

7. ह्वाइट और रेनर के अनुसार (According to White and Renner):
“भूगोल प्रमुखतः मानव पारिस्थितिकी है जिसमें पृथ्वी की पृष्ठ भूमि से मानव समाजों का अध्ययन होता है।” (“Geography is primarily human Ecology and the study of human society in relation to the earth background.”)

8. डिकेन तथा पिट्स के अनुसार (According to Dickens and Pits):
“मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों को समाविष्ट किया जाता है।” (“Human geography is looked upon as the study of man and his works.”)

सारांश (Conclusion):
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि भूगोल वेत्ताओं के विचारों में मतभेद हैं। फिर भी यह समानता है कि मानव भूगोल मनुष्य और उसके वातावरण में अन्तर्सम्बन्धों की समस्याओं का अध्ययन करता है। मानव भूगोल विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन करता है तथा मानव अपने वातावरण से किस प्रकार अनुकूलन (Adaptation) और सामंजस्य (Adjustment) स्थापित करके उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन (Modification) करता है।

प्रश्न 2.
मानव भूगोल के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव मानव पर अनुभव किया जाता रहा है। प्राचीन सभ्यताओं में यूनान, मिस्र, भारत, चीन आदि देशों के लोग सूर्य, वायु, अग्नि, जल, वर्षा आदि को देवता मान कर इनकी पूजा करते थे। परन्तु वर्तमान मानव भूगोल का वैज्ञानिक विकास 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ है। ईसा से 6 शताब्दी पूर्व थेल्स (Thals) तथा अनैग्जीमेंडर (Aneximander) ने जलवायु तथा मानव के सम्बन्धों का वर्णन किया था।

इसके पश्चात्। अरस्तु तथा हेरोडोटस ने मानव जीवन पर वातावरण के प्रभाव को प्रधान माना था। आठवीं शताब्दी में अरब विद्वानों ने कुछ प्रादेशिक भूगोल में मानवीय जीवन का वर्णन किया है। मानव भूगोल का वर्तमान युग जर्मन विद्वानों ने आरम्भ किया। इन विद्वानों में कांट (Kant), रिटर (Ritter), हम्बोल्ट (Humbult), फ्रबल (Frobel), रट्ज़ेल (Ratzel) विशेष रूप से प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने निश्चयवाद, सम्भववाद आदि विचारधाराओं का विकास किया।

फ्रांस में भी मानव भूगोल का बहुत विकास हुआ। विडाल-डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blache), जीन बूंज (Jean Brunhes), डिमांजिया (Demangeon) और फैब्रे (Febre) ने कई पुस्तकें लिखीं। उत्तरी अमेरिका तथा ब्रिटेन में भी कई विद्वानों ने मानव भूगोल के क्षेत्र में कार्य किया है। कुमारी सेम्पुल (Semple), हंटिंगटन, बोमेन (Bowman), सावर (Saver), ग्रिफ्फिथ टेलर (G. Taylor), हरबर्टसन (Herbertson) तथा मैकिंडर (Makinder) का योगदान उल्लखेनीय रहा है।

प्रश्न 3.
मानव भूगोल की प्रकृति तथा अध्ययन क्षेत्र का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography):
मानव भूगोल की प्रकृति का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्नताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन को समझना है। पृथ्वी के विभिन्न प्रदेशों में निवासियों के रंग रूप, कार्य क्षमता, आजीविका साधन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि में बहुत अन्तर मिलते हैं। ये अन्तर भौगोलिक वातावरण के कारण मिलते हैं। मानव और भौतिक वातावरण का सम्बन्ध सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। फिंच और ट्रिवार्था के अनुसार मानव और उसकी संस्कृति ही मानव भूगोल का विषय क्षेत्र है। इस सम्बन्ध में मानव भूगोल जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक, भूमध्य तथा कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

मानव भूगोल का उद्देश्य एवं प्रकृति के सम्बन्ध में प्रो० ब्लॉश का यह कथन है, “पृथ्वी पर मनुष्य का प्रभाव और उसके व्यवसायों का अध्ययन ही मानव भूगोल है।” मानव भूगोल संसाधनों के उपयोग द्वारा व्यवसायों की आर्थिक संरचनाओं (Economic Structures), उद्योगों, परिवहन, संचार साधन तथा मानवीय बस्तियों के वितरण का अध्ययन करता है। मानव भूगोल का अध्ययन मानवीय पारिस्थितिकी (Human Ecology) का व्यापक अध्ययन है। इसमें मानव और भौतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण का मानवीय जीवन और उसकी क्रियाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन किया जाता है। मानव किस प्रकार वातावरण-समायोजन तथा प्रादेशिक व्यवस्थापन द्वारा क्षेत्रीय संगठन करता है। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक है, परन्तु यह वातावरण का अंग नहीं। मानव की स्थिति केन्द्रीय है। मानव अपने प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन करके सांस्कृतिक भूदृश्य का निर्माण करता है। इस प्रकार मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों जैसे सौर शक्ति, गुरुत्व तथा सौर प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसी प्रकार मानव भूगोल में सांस्कृतिक वातावरण की शक्तियों का भी अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार आर्थिक, जनसांख्यिकीय, ऐतिहासिक विज्ञानों के लिए मानव भूगोल का ज्ञान आवश्यक है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Human Geography):
मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र बहुत व्यापक है। परन्तु कई विद्वानों के विचारों में मतभेद हैं। मानव भूगोल को भूमि का विज्ञान, अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान तथा प्रादेशिक अध्ययन का विज्ञान कहा जाता है। वास्वत में भौगोलिक परिस्थितियों और मनुष्य के कार्यों के सम्बन्ध का वितरण और प्रकृति ही मानव भूगोल की विषय सामग्री है।

मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के पांच प्रमुख अंग
(Five aspects of the Scope of Human Geography)

  1. किसी प्रदेश की जनसंख्या और उसकी क्षमता।
  2. उस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन।
  3. उस प्रदेश का सांस्कृतिक प्रतिरूप।
  4. मानव-वातावरण का समायोजन का रूप।
  5. समय के साथ-साथ कालिक विकास।

प्रश्न 4.
मानव भूगोल की विभिन्न शाखाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features) के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे-खेती, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण.(Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं –

1. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलाप में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु-दर, वृद्धि दर आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है।

5. राजनीतिक नीतिक भगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासनिक निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं।

6. नगरीय भूगोल (Urban Geography):
यह उपशाखा नगरीय आवास के अध्ययन तथा नियोजन के लिए प्रयोग की जाती है।

7. आवास भूगोल (Settlement Geography):
यह उपशाखा नगरीय तथा ग्रामीण बस्तियों के अध्ययन में सहायक है।

प्रश्न 5.
“द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मानव भूगोल ने सामाजिक समस्याओं के समाधान पर अधिक बल दिया है।” व्याख्या करो।
अथवा
मानववाद तथा कल्याणवाद में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् भूगोल के कई क्षेत्रों में बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं। मानव भूगोल में मानव समाज की कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्न किए गए। मानव भलाई, निर्धनता, असमानताएं (सामाजिक तथा प्रादेशिक) आदि कई नई समस्याएं उभर कर सामने आईं।

इसलिए समय-समय पर कई उपागम प्रयोग किए गए –
1. व्यावहारिक उपागम (Positivism):
यह उपागम 1950-60 के दशक में प्रचलित हुई। इसमें मात्रात्मक विधियों पर अधिक बल दिया गया। कई विद्वानों जैसे B. L. Berry, David Harvey तथा William Bunge इस उपागम के समर्थक थे। इस विधि से व्यावहारिक उद्गम का जन्म हुआ। यह विचार मनोविज्ञान से सम्बन्धित है जिसमें मानवीय शक्तियों को मान्यता दी गई है।

2. कल्याण उपागम (Welfare Approach):
बढ़ती हुई असमानताओं के कारण मानवीय कल्याण विचारधारा का जन्म हुआ। निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानताओं, नगरों के इर्द-गिर्द झोंपड़ियों की समस्याओं पर अधिक ध्यान दिया गया। D.M. Smith तथा David Harvey ने इसका समर्थन किया। इसमें Who (कौन) ? What (क्या)? Where.(कहाँ) ? तथा How (कैसे) ? पर बल दिया गया।
(a) Who (कौन) का सम्बन्ध क्षेत्र से है।
(b) What (क्या) का सम्बन्ध वस्तुओं से है।
(c) Where (कहाँ) का सम्बन्ध निवास क्षेत्र से है।
(d) How (कैसे) का सम्बन्ध असमानताओं के उत्पन्न होने के कारण से है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

3. मानववाद (Humanism):
इस उपागम में मानव के क्रियाशील होने पर जोर दिया गया है। मानव की मानवीय . जागृति, मानव शक्ति, मानवीय उत्पादकता में भूमिका का अध्ययन किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?

(क) ब्रह्मपुत्र
(ख) सतलुज
(ग) यमुना
(घ) गोदावरी।
उत्तर:
(ग) यमुना।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(क) नेत्रश्लेष्मला शोध
(ख) अतिसार
(ग) श्वसन संक्रमण
(घ) श्वासनली शोथ।
उत्तर:
(ख) अतिसार।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(क) जल प्रदूषण
(ख) भूमि प्रदूषण
(ग) शोर प्रदूषण
(घ) वायु प्रदूषण।
उत्तर:
(घ) वायु प्रदूषण।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

4. प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी है
(क) प्रवास के लिए
(ख) भू-निम्नीकरण के लिए
(ग) गंदी बस्तियां
(घ) वायु प्रदूषण।
उत्तर:
(क) प्रवास के लिए।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दोप्रश्न

प्रश्न 1.
प्रदूषण और प्रदूषक में क्या भेद है?
उत्तर:
प्रदूषण से अभिप्राय वायु, भूमि तथा जल साधनों का अवनयन तथा हानिकारक बनना है। प्रदूषक उन पदार्थों को कहते हैं जो वातावरण में प्रदूषण फैलाते हैं।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं:
(क) प्राकृतिक स्त्रोत जैसे-ज्वालामुखी विस्फोट, धूल, तूफ़ान, अग्नि आदि।
(ख) मानवकृत स्रोत-जैसे कारखाने, नगर-केन्द्र, मोटर वाहन, वायुयान, उर्वरक, पीड़क जीवनाशी, ताप बिजली घर।

प्रश्न 3.
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख करो।
उत्तर:
नगरीय अपशिष्ट (ठोस पदार्थ) पर्यावरण प्रदूषण के हानिकारक स्रोत, नगरों में प्लास्टिक, कांच, पोलीथीन, रद्दी कागज़, राख व धातुओं कचरा की मात्रा में वृद्धि हो रही है। यह अपशिष्ट घरेलू, प्रतिष्ठानों तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से प्राप्त हो रहा है। इससे बदबू, मक्खियां, बीमारियां तथा भौम जल पर प्रभाव पड़ता है। इससे टाइफाइड, गलघोंटू, दस्त, हैज़ा, बीमारियां फैलती हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 4.
मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से फेफड़ों, स्नायु तन्त्र, हृदय और परिसंचरण तन्त्रों के रोग उत्पन्न होते हैं। खांसी और श्वास नली से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती है। पर्यावरण में विषाक्त धुएं वाली गैसों की उत्सर्जन से मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलीय प्रदूषण (Water Pollution):
जब भौतिक, रासायनिक तथा जैविक तत्त्वों द्वारा जलाशयों के जल में ऐसे अनैच्छिक परिवर्तन हो जाएं जिनसे जैव समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े उसे जलीय प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण की समस्या ने दिल्ली, कोलकाता तथा मुम्बई जैसे बड़े एवं औद्योगिक नगरों में बहुत विकट रूप धारण कर लिया है। जलीय प्रदूषण केवल नदियों, तालाबों तथा झीलों के धरातलीय जल तक ही सीमित नहीं होता, अपितु यह समुद्री जल तथा भूमिगत जल में भी पाया जाता है। जलीय प्रदूषण के लिए निम्नलिखित मानवीय क्रियाएं उत्तरदायी होती हैं

  1. घरेलू मल (Domestic Sewage)
  2. औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ (Industrial Wastes)
  3. कृषि की प्रक्रियाएं (Agricultural Activities)
  4. तापीय प्रदूषण (Thermal Pollution)

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 2.
भारत में गन्दी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नगरों में जनसंख्या की अधिकता के कारण अनेक समस्याओं का विकास हो गया है जिनमें गन्दी बस्तियों तथा नगरीय कूड़ा-कर्कट की अधिकता और निपटान (disposal) सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।

गन्दी बस्तियां (Slums): नगरों में जनसंख्या अधिक और स्थान कम होने के कारण आवासीय समस्या होती है। नगरीय क्षेत्रों में बहुमंज़िलें भवनों का निर्माण इसी समस्या का प्रतिफल है। प्रायः जब निर्धन लोग रोज़गार की तलाश में अपने गांवों को छोड़कर नगरों में आकर बसने लगते हैं तो नगरों में आवास बहुत महंगा तथा कम होने के कारण वे नगर के बाहर पड़ी भूमि पर झुग्गी-झोंपड़ियां बनाकर रहना आरम्भ कर देते हैं जिससे वहां गन्दी बस्तियों का विकास होने लगता है।

इन गन्दी बस्तियों में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक होता है और वहां जल तथा घरेलू मल के निकास के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती।  इन बस्तियों में रहने वाले लोग अत्यन्त ही निम्न स्तर का जीवन व्यतीत करते हैं। यद्यपि इन गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए प्रशासन अनेक सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करता है, तथापि ये आवासीय बस्तियां बहुत ही निम्न स्तर की होती हैं और प्रायः ये गन्दगी तथा बीमारियों के क्षेत्र ही होती हैं। भारत के लगभग सभी बड़े नगरों में ऐसी गन्दी बस्तियां (Slums) पाई जाती हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 3.
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
अथवा
‘भू-निम्नीकरण’ पर एक नोट लिखिए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण प्राकृतिक और मानवीय दोनों प्रकार के कारकों से होता है। वन विनाश, अतिचराई और भूमि का अनुचित उपयोग भी अपरदन की गति को तेज़ कर देते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश की 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि अपरदन की समस्याओं से पीड़ित है। केवल स्थानांतरी कृषि के कारण ही तीन करोड़ हेक्टेयर भूमि अपरदन से प्रभावित है। अपरदन के अतिरिक्त, मृदा के लवणीकरण और जल भराव के निम्नलिखित कारण हैं- भूविज्ञान की दृष्टि से अनुपयुक्त क्षेत्रों में बांधों, जलाशयों, नहरों और तालाबों का निर्माण, नहरी सिंचाई का अत्यधिक उपयोग और अप्रवेश्य चट्टानों वाले क्षेत्रों में बाढ़ के पानी का रुख मोड़ना। इनके द्वारा भूमि की संभावित क्षमता घटती है।

अति सिंचाई के कारण देश के उत्तरी मैदानों में लवणीय और क्षारीय क्षेत्रों में वृद्धि हुई है। सिंचाई मृदा की संरचना को भी बदल देती है। इनके अलावा रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, कीट-नाशी और शाक-नाशी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों को नष्ट करके, मृदा को बेकार कर देते हैं। भू-निम्नीकरण को रोकने के लिए अपरदन को रोकने के उपाय किए जाएं। पहाड़ी ढलानों पर वनारोपण करके अति चराई को कम किया जाए। सिंचाई का उचित प्रयोग किया जाए। उर्वरक तथा कीटनाशकों का प्रयोग कम किया जाए।

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ  JAC Class 12 Geography Notes

→ प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution):

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. भू-प्रदूषण
  4. ध्वनि प्रदूषण।

→ जल प्रदूषण (Water Pollution): जल प्रदूषण के दो स्रोत हैं प्राकृतिक, मानव जनित।

→ प्रदूषित नदियां (Polluted Rivers): गंगा तथा यमुना एवं अन्य।

→ ध्वनि प्रदूषण के स्रोत (Sources of Noise Pollution): उद्योग, मशीनें, मोटर वाहन, वायुयान।

→ गन्दी बस्तियां (Slums): मुम्बई के निकट धारावी-एशिया की सबसे बड़ी गन्दी बस्ती है।

→ भू-निम्नीकरण (Land degradation): भू-निम्नीकरण के मुख्य कारण अपरदन, लवणता, भू-क्षारता।

JAC Class 12 Maths Solutions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th Maths Solutions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th Maths Solutions in English Medium

JAC Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions

  • Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1
  • Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2
  • Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3
  • Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.4
  • Chapter 1 Relations and Functions Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions

  • Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions Ex 2.1
  • Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions Ex 2.2
  • Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 3 Matrices

  • Chapter 3 Matrices Ex 3.1
  • Chapter 3 Matrices Ex 3.2
  • Chapter 3 Matrices Ex 3.3
  • Chapter 3 Matrices Ex 3.4
  • Chapter 3 Matrices Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 4 Determinants

  • Chapter 4 Determinants Ex 4.1
  • Chapter 4 Determinants Ex 4.2
  • Chapter 4 Determinants Ex 4.3
  • Chapter 4 Determinants Ex 4.4
  • Chapter 4 Determinants Ex 4.5
  • Chapter 4 Determinants Ex 4.6
  • Chapter 4 Determinants Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 5 Continuity and Differentiability

  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.1
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.2
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.3
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.4
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.5
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.6
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.7
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Ex 5.8
  • Chapter 5 Continuity and Differentiability Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 6 Application of Derivatives

  • Chapter 6 Application of Derivatives Ex 6.1
  • Chapter 6 Application of Derivatives Ex 6.2
  • Chapter 6 Application of Derivatives Ex 6.3
  • Chapter 6 Application of Derivatives Ex 6.4
  • Chapter 6 Application of Derivatives Ex 6.5
  • Chapter 6 Application of Derivatives Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 7 Integrals

  • Chapter 7 Integrals Ex 7.1
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.2
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.3
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.4
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.5
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.6
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.7
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.8
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.9
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.10
  • Chapter 7 Integrals Ex 7.11
  • Chapter 7 Integrals Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 8 Application of Integrals

  • Chapter 8 Application of Integrals Ex 8.1
  • Chapter 8 Application of Integrals Ex 8.2
  • Chapter 8 Application of Integrals Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 9 Differential Equations

  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.1
  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.2
  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.3
  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.4
  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.5
  • Chapter 9 Differential Equations Ex 9.6
  • Chapter 9 Differential Equations Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 10 Vector Algebra

  • Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.1
  • Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.2
  • Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.3
  • Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4
  • Chapter 10 Vector Algebra Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 11 Three Dimensional Geometry

  • Chapter 11 Three Dimensional Geometry Ex 11.1
  • Chapter 11 Three Dimensional Geometry Ex 11.2
  • Chapter 11 Three Dimensional Geometry Ex 11.3
  • Chapter 11 Three Dimensional Geometry Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 12 Linear Programming

  • Chapter 12 Linear Programming Ex 12.1
  • Chapter 12 Linear Programming Ex 12.2
  • Chapter 12 Linear Programming Miscellaneous Exercise

JAC Class 12 Maths Chapter 13 Probability

  • Chapter 13 Probability Ex 13.1
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JAC Board Class 12th Maths Solutions in Hindi Medium

JAC Class 12 Maths Chapter 1 संबंध एवं फलन

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JAC Class 12 Maths Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन

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JAC Class 12 Maths Chapter 3 आव्यूह

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JAC Class 12 Maths Chapter 4 सारणिक

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JAC Class 12 Maths Chapter 5 सांतत्य तथा अवकलनीयता

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JAC Class 12 Maths Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

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JAC Class 12 Maths Chapter 7 समाकलन

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JAC Class 12 Maths Chapter 8 समाकलनों के अनुप्रयोग

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JAC Class 12 Maths Chapter 9 अवकल समीकरण

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JAC Class 12 Maths Chapter 10 सदिश बीजगणित

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JAC Class 12 Maths Chapter 11 त्रि-विमीय ज्यामिति

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JAC Class 12 Maths Chapter 12 रैखिक प्रोग्रामन

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JAC Class 12 Maths Chapter 13 प्रायिकता

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JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

Jharkhand Board JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. 1857 के विद्रोह का प्रारम्भ हुआ –
(क) मेरठ से
(ग) कलकत्ता से
(ख) बरेली से
(घ) दिल्ली से
उत्तर:
(क) मेरठ से

2. 1857 के विद्रोह के प्रारम्भ की तारीख थी –
(क) 15 मई
(ख) 13 मई
(ग) 10 मई
(घ) 31 मई
उत्तर:
(ग) 10 मई

3. दिल्ली पहुँचकर सिपाहियों ने अपना नेता घोषित किया –
(क) बहादुरशाह जफर को
(ख) रानी लक्ष्मीबाई को
(ग) नाना धुन्धुपन्त को
(घ) बेगम हजरत महल को
उत्तर:
(क) बहादुरशाह जफर को

4. ‘फिरंगी’ शब्द जिस भाषा का है, वह है –
(क) अरब
(ख) फारसी
(ग) उर्दू
(घ) हिन्दी
उत्तर:
(ख) फारसी

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

5. 1857 के विद्रोह के समय उत्तर प्रदेश के बड़ौत परगने संगठित करने वाला नेता था –
(क) भूरामल
(ख) शाहमल
(ग) पीरामल
(घ) लादूमल
उत्तर:
(ख) शाहमल

6. छोटा नागपुर में कोल आदिवासियों का नेता था –
(क) गोनू
(ख) सिन्धू
(ग) मोनू
(घ) भीकू
उत्तर:
(क) गोनू

7. जिस राइफल के कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगी होने की चर्चा थी, वह थी –
(क) 303 राइफल
(ख) एनफील्ड राइफल
(ग) एस. एल. राइफल
(घ) ए.के. 47 राइफल
उत्तर:
(ख) एनफील्ड राइफल

8. 1857 के विद्रोह के समय भारत में अंग्रेज गवर्नर जनरल था –
(ख) लॉर्ड रिपन
(क) लॉर्ड डलहौजी
(ग) लॉर्ड केनिंग
(घ) लॉर्ड वेलेजली
उत्तर:
(ग) लॉर्ड केनिंग

9. सतीप्रथा को अवैध घोषित करने वाला कानून बना थी
(क) 1828 में
(ख) 1829 में
(ग) 1835 में
(घ) 1827 में
उत्तर:
(ख) 1829 में

10. ” ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा।” यह कहना था –
(क) लॉर्ड विलियम बैंटिक का
(ख) लॉर्ड डलहौजी का
(ग) लॉर्ड केनिंग का
(घ) लॉर्ड मुनरो का
उत्तर:
(ख) लॉर्ड डलहौजी का

11. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण था-
(क) चर्बी वाले कारतूस
(ख) वेलेजली की सहायक सन्धि
(ग) ईसाई धर्म प्रचारक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) चर्बी वाले कारतूस

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12. कानपुर में विद्रोहियों का नेतृत्व किसने किया?
(क) नाना साहिब
(ख) तांत्या टोपे
(ग) रानी लक्ष्मीबाई
(घ) वाजिद अली
उत्तर:
(क) नाना साहिब

13. जमदार कुँवर सिंह का सम्बन्ध था –
(क) बरेली से
(ख) अजमेर से
(ग) आरा से
(घ) कलकत्ता से
उत्तर:
(ग) आरा से

14. एनफील्ड राइफलों का सर्वप्रथम प्रयोग किस गवर्नर जनरल ने प्रारम्भ किया?
(क) लॉर्ड हार्डिंग
(ग) लॉर्ड डलहौजी
(ख) लॉर्ड वेलेजली
(घ) हेनरी हार्डिंग
उत्तर:
(घ) हेनरी हार्डिंग

15. किस अंग्रेज गवर्नर जनरल ने सहायक सन्धि प्रारम्भ कौ ?
(क) लॉर्ड डलहौजी
(ख) लॉर्ड केनिंग
(ग) लॉर्ड क्लाइव
(घ) लॉर्ड वेलेजली
उत्तर:
(घ) लॉर्ड वेलेजली

16. अवध के नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से हटाकर कहाँ निष्कासित किया गया था ?
(क) कलकत्ता
(ख) बम्बई
(ग) रंगून
(घ) जयपुर
उत्तर:
(क) कलकत्ता

17. बंगाल आर्मी की पौधशाला कहा जाता था –
(क) कानपुर को
(ख) अवध को
(ग) अहमदाबाद को
(घ) अजमेर को
उत्तर:
(ख) अवध को

18. ‘रिलीफ ऑफ लखनऊ’ का चित्रकार कौन था?
(क) फेलिस विएतो
(ख) टॉमस जोन्स बार्कर
(ग) जोजेफ
(घ) पंच
उत्तर:
(ख) टॉमस जोन्स बार्कर

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

19. किस भारतीय लेखिका ने यह कविता लिखी- “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।”
(क) रानी लक्ष्मीबाई
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सुभद्रा कुमारी चौहान
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सुभद्रा कुमारी चौहान

20. विद्रोह के दौरान अवध मिलिट्री पुलिस के कैप्टेन कौन थे?
(क) कैप्टेन हियसें
(ख) नाना साहिब
(ग) शाह मल
(घ) हेनरी लॉरेंस
उत्तर:
(क) कैप्टेन हियसे

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. ……………….. “की दोपहर बाद मेरठ छावनी में सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया।
2. फिरंगी, फारसी भाषा का शब्द है जो ……………. शब्द से निकला है।
3. फ्रांस्वा सिस्टन ………………. के देसी ईसाई इंस्पेक्टर थे।
4. 1858 के अन्त में विद्रोह विफल होने के पश्चात् नाना साहिब भागकर …………… चले गए थे।
6. मौलवी …………… 1857 के विद्रोह में अहम भूमिका निभाने वाले बहुत सारे मौलवियों में से एक थे।
7. स्थानीय स्तर पर राजा कहलाने वाले शाहमल ने एक अंग्रेज अफसर के बंगले में डेरा डाला, उसे …………… का नाम दिया गया।
8. गवर्नर जनरल के प्रतिनिधि को …………… कहा जाता था।
9. लॉर्ड वेलेजली द्वारा तैयार की गई सहायक सन्धि को अवध में ……………से लागू कर दी गई थी।
10. ताल्लुकदारों के रवैये को रायबरेली के पास स्थित …………… के राजा हनवन्त सिंह ने सबसे अच्छी तरह व्यक्त किया था।
11. ………….को बंगाल आर्मी की पौधशाला की संज्ञा दी गई थी।
12. …………… के चित्रकार जोजेफ नोएल पेटन हैं।
13. लखनऊ में विद्रोह की शुरुआत …………… मई को हुई थी।
उत्तर:
1. 10 मई, 1857
2. फ्रैंक
3. सीतापुर
4. नेपाल
5. पेशवा बाजीराव द्वितीय
6. अहमदुल्ला शाह
7. न्याय भवन
8. रेजीडेंट
9.1801
10. कालाकंकर
11. अवध
12. इन मेमोरियम
13. 30

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
झाँसी में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने

प्रश्न 2.
1857 के विद्रोह के समय मुगल बादशाह कौन था?
उत्तर:
बहादुरशाह जफर

प्रश्न 3.
अवध पर कब्जे में अंग्रेजों की दिलचस्पी क्यों थी?
उत्तर:
(1) अवध की जमीन कपास तथा नील की खेती हेतु अत्यधिक उपयुक्त थी।
(2) यह उत्तरी भारत का बाजार बन सकता था।

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प्रश्न 4.
1857 के विद्रोह के संदर्भ में इंग्लैण्ड और भारत में छपी तस्वीरों से दोनों देशों के लोगों में उत्पन्न संवेदनाओं की संक्षेप में तुलना कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन के लोग विद्रोहियों को कुचलने की माँग कर रहे थे ये तस्वीरें भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना जगा रही थीं।

प्रश्न 5.
1857 के विद्रोह के समय भारत में मुगल सम्राट कौन थे?
उत्तर:
बहादुरशाह जफर।

प्रश्न 6.
ब्रिटिश अधिकारियों ने 1857 के विद्रोह को किस रूप में देखा ?
उत्तर:
सैनिक विद्रोह के रूप में।

प्रश्न 7.
दिल्ली पर विद्रोहियों के कब्जे का विद्रोह पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
दिल्ली पर विद्रोहियों के कब्जे के समाचार ने गंगा घाटी की छावनियों एवं दिल्ली के पश्चिम की कुछ छावनियों में विद्रोह को तीव्रता प्रदान की।

प्रश्न 8.
1857 के विद्रोह में साहूकार व अमीर लोग विद्रोहियों के क्रोध का शिकार क्यों बने?
उत्तर:
क्योंकि विद्रोही साहूकारों व अमीर लोगों को किसानों का उत्पीड़क व अंग्रेजों का पिट्ठू मानते थे।

प्रश्न 9.
लखनऊ में ब्रिटिश राज के ढहने की खबर पर लोगों ने किसे अपना नेता घोषित किया?
उत्तर:
नवाब वाजिद अली शाह के युवा बेटे बिरजिस कद्र को।

प्रश्न 10.
गवर्नर जनरल के प्रतिनिधि को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
रेजीडेंट।

प्रश्न 11.
सहायक संधि कब तैयार की गई थी?
उत्तर:
सहायक संधि 1798 में तैयार की गई थी।

प्रश्न 12.
अवध की रियासत को किस सन् में औपचारिक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित किया गया ?
उत्तर:
सन् 1856 में।

प्रश्न 13.
अवध के अधिग्रहण के बाद 1856 में कौनसी ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था लागू की गई थी?
उत्तर:
एकमुश्त बन्दोबस्त नामक भू-राजस्व व्यवस्था।

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प्रश्न 14.
अवध जैसे जिन इलाकों में 1852 के दौरान प्रतिरोध बेहद सघन और लम्बा चला था, वहाँ लड़ाई की बागडोर किनके हाथों में थी?
उत्तर:
ताल्लुकदारों और उनके किसानों के हाथों में।

प्रश्न 15.
विद्रोहियों के बारे में अंग्रेजों की क्या राय थी?
उत्तर:
वे विद्रोहियों को एहसान फरामोश और बर्बर मानते थे।

प्रश्न 16.
विद्रोहियों ने दिल्ली पर अधिकार कब किया?
उत्तर:
11 मई, 1857 को

प्रश्न 17.
1857 के विद्रोह का सूत्रपात कब हुआ और कहाँ से हुआ?
उत्तर:
(1) 10 मई, 1857 को
(2) मेरठ से

प्रश्न 18.
1857 के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले चार नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) बहादुर शाह जफर
(2) नाना साहिब
(3) रानी लक्ष्मी बाई
(4) कुंवर सिंह

प्रश्न 19.
उत्तर प्रदेश के बड़ौत परगने में अंग्रेजों के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए किसने संगठित किया? वह किस कुटुम्ब से सम्बन्धित था?
उत्तर:
(1) शाहमल ने
(2) जाट कुटुम्ब से

प्रश्न 20.
1857 के विद्रोह से पूर्व भारतीय सैनिकों को कौनसी राइफलें दी गई थीं?
उत्तर:
एनफील्ड राइफल।

प्रश्न 21.
भारतीय सैनिकों ने किस अफवाह से प्रेरित होकर एनफील्ड राइफलों के कारतूसों का प्रयोग करने से क्यों इनकार कर दिया था ?
उत्तर:
इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी।

प्रश्न 22.
अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह से पूर्व गोद लेने को अवैध घोषित कर अनेक रियासतों पर अधिकार कर लिया था। ऐसी किन्हीं तीन रियासतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) झांसी
(2) सतारा
(3) नागपुर।

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प्रश्न 23.
अंग्रेजों ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से हटा कर कहाँ निष्कासित कर दिया था ?
उत्तर:
कलकत्ता ।

प्रश्न 24.
“देह से जान जा चुकी थी, शहर की काया बेजान थी।” इस प्रकार का शोक और विलाप किस घटना पर किया जा रहा था?
उत्तर:
अवध के नवाब वाजिद अली शाह के कलकत्ता निष्कासन पर।

प्रश्न 25.
सामान्यतः विद्रोह का सन्देश किनके द्वारा फैल रहा था?
उत्तर:
सामान्यतः विद्रोह का सन्देश आम पुरुषों, महिलाओं एवं धार्मिक लोगों के माध्यम से फैल रहा था।

प्रश्न 26.
अवध के अधिग्रहण के बाद विद्रोहियों ने किसके नेतृत्व में अंग्रेजों का प्रतिरोध किया ?
उत्तर:
बेगम हजरत महल।

प्रश्न 27.
‘ बंगाल आर्मी की पौधशाला’ किस राज्य को कहा जाता था?
उत्तर:
अवध को ।

प्रश्न 28.
आजमगढ़ घोषणा किसके द्वारा जारी की गई थी और कब?
उत्तर:
(1) बहादुरशाह जफर के द्वारा
(2). 25 अगस्त, 1857 को

प्रश्न 29.
किस राज्य में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रतिरोध सबसे लम्बा चला?
उत्तर:
अवध में।

प्रश्न 30.
1857 के विद्रोह को किस रूप में याद किया जाता है?
उत्तर:
भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के रूप में।

प्रश्न 31.
‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसीवाली रानी थी’ यह कविता किसने लिखी?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान ने

प्रश्न 32.
1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
सैनिकों द्वारा गाव और सुअर की चर्बी लगे कारतूसों का विरोध

प्रश्न 33.
विद्रोहियों ने अंग्रेजों के अतिरिक्त साहूकारों और अमीरों पर हमला क्यों किया?
उत्तर:
क्योंकि वे इन्हें अपना शोषणकर्ता, उत्पीड़क होने के साथ अंग्रेजों का वफादार तथा पिट्टू मानते थे।

प्रश्न 34.
मौलवी अहमदुल्ला शाह के बारे में लोगों की क्या धारणा थी?
उत्तर:
लोगों की यह राय थी कि उनके पास कई जादुई ताकतें हैं।

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प्रश्न 35.
चिनहट की लड़ाई में किसकी हार हुई ?
उत्तर:
अंग्रेज सेनापति हेनरी लारेंस की।

प्रश्न 36.
सिंहभूम कहाँ है? इसमें किसानों का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर:
सिंहभूम वर्तमान में झारखण्ड में है। वहाँ किसानों का नेतृत्व गोनू ने किया था।

प्रश्न 37.
सैनिकों के साजो-सामान के आधुनिकीकरण का प्रयास किसने किया और इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
(1) गवर्नर जनरल हार्डिंग ने
(2) उसने एनफील्ड राइफलों का प्रयोग शुरू किया।

प्रश्न 38.
अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में कब व किसने मिलाया ?
उत्तर:
अवध को 1856 ई. में लार्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया।

प्रश्न 39.
अवध के अधिग्रहण का वहाँ की जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अवध के अधिग्रहण से वहाँ की जनता अंग्रेजों के विरुद्ध हो गई क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हो गए।

प्रश्न 40.
अवध के अधिग्रहण का वहाँ के ताल्लुकदारों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
अंग्रेजों ने अनेक ताल्लुकदारों की जमीनें छीन लीं, उनकी सेनाएँ भंग कर दी और उनके किले नष्ट कर दिए।

प्रश्न 41.
रंग बाग का निर्माण किसने करवाया ?
उत्तर:
नवाब वाजिद अली शाह ने

प्रश्न 42.
जनता में ब्रिटिश शासन के प्रति किस बात पर क्रोध था?
उत्तर:
अंग्रेजों ने अनेक भू-स्वामियों की जमीनें छीन लीं तथा घरेलू उद्योगों को नष्ट कर दिया।

प्रश्न 43.
विद्रोहियों की उद्घोषणाएँ किस डर को व्यक्त कर रही थीं?
उत्तर:
ब्रिटिश सत्ता हिन्दू और मुसलमानों की जाति और धर्म को नष्ट करके उन्हें ईसाई बनाने पर तुली थी।

प्रश्न 44.
विद्रोह को दबाने के लिए उत्तर भारत में अंग्रेजों ने क्या कार्यवाही की ?
उत्तर:
विद्रोह को दबाने के लिए कई पूरे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया।

प्रश्न 45.
दिल्ली पर कब्जा करने में अंग्रेजों को कब सफलता मिल पाई ?
उत्तर:
दिल्ली पर दो तरफ से हमले किए गए। अंग्रेजों को दिल्ली पर पुनः कब्जा करने में सितम्बर, 1857 में सफलता मिली।

प्रश्न 46.
अवध के विद्रोह दमन के बारे में फॉरसिथ के विचार लिखिए।
उत्तर:
अवध में फॉरसिथ का यह अनुमान था कि अवध की तीन-चौथाई वयस्क पुरुष आबादी युद्ध में लगी हुई थी।

प्रश्न 47.
1857 के विद्रोह को कुचलने के लिए अंग्रेजों द्वारा उठाए गए कोई दो कदम बताइये ।
उत्तर:
(1) सम्पूर्ण उत्तर भारत में मार्शल ला लागू कर दिया गया।
(2) ब्रिटेन से नई सैनिक टुकड़ियाँ मंगाई गई।

प्रश्न 48.
विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने दहशत फैलाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
अंग्रेजों द्वारा विद्रोहियों को तोप के मुँह से बाँध कर उड़ाया गया या सरेआम फाँसी पर लटकाया गया।

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प्रश्न 49.
ब्रिटिश अखबारों तथा पत्रिकाओं ने विद्रोह के बारे में क्या लिखा?
उत्तर:
ब्रिटिश अखबारों तथा पत्रिकाओं में विद्रोही सैनिकों द्वारा की गई हिंसा को बड़े लोमहर्षक शब्दों में छापा गया।

प्रश्न 50.
लखनऊ रेजीडेन्सी की रक्षा अंग्रेजों ने कैसे की?
उत्तर:
जेम्स आट्रम तथा हेनरी हेवलॉक ने वहाँ पहुँचकर विद्रोहियों को तितर-बितर किया और कैम्पबेल ने ब्रिटिश सेना को घेरे से छुड़ाया।

प्रश्न 51.
इन मेमोरियम’ चित्र का चित्रकार कौन था?
उत्तर:
‘इन मेमोरियम’ चित्र का चित्रकार जोजेफ नोएल पेटन था।

प्रश्न 52.
फिरंगी कौन थे?
उत्तर:
पश्चिमी लोगों को फिरंगी कहा जाता था।

प्रश्न 53.
विद्रोही ब्रिटिश राज को किस नाम से पुकारते थे?
उत्तर:
फिरंगी राज।

प्रश्न 54.
विद्रोहियों द्वारा स्थापित शासन संरचना का प्राथमिक उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
बुद्ध की जरूरतों को पूरा करना।

प्रश्न 55.
किस भविष्यवाणी से विद्रोहियों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहन मिला?
उत्तर:
प्लासी युद्ध के बाद 100 वर्ष पूरा होते ही 23 जून, 1857 को ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाने की भविष्यवाणी से।

प्रश्न 56.
लार्ड विलियम बैंटिक के किन सामाजिक सुधारों से भारतीयों में असन्तोष व्याप्त था ?
उत्तर:
लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को समाप्त करने तथा हिन्दू विधवा विवाह को वैधता देने हेतु कानून बनाए थे।

प्रश्न 57.
रेजीडेन्ट को किस राज्य में तैनात किया जाता था?
उत्तर:
रेजीडेन्ट को ऐसे राज्य में तैनात किया जाता था जो अंग्रेजों के प्रत्यक्ष शासन के अन्तर्गत नहीं था।

प्रश्न 58.
“ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा।” यह कथन किसका था और किस रियासत के बारे में था?
उत्तर:
(1) यह कथन लार्ड डलहौजी का था।
(2) यह अवध की रियासत के बारे में था।

प्रश्न 59.
अंग्रेजों ने अवध के किस नवाब को क्या आरोप लगाकर गद्दी से हटाया था?
उत्तर:
अंग्रेजों ने वाजिद अली शाह को यह कहकर गद्दी से हटाया कि वह अच्छी तरह शासन नहीं चला रहे थे।

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प्रश्न 60.
ब्रिटिश प्रेस में गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग की किस घोषणा का मजाक उड़ाया गया ?
उत्तर:
फेनिंग की घोषणा का मजाक उड़ाया गया कि नमीं और दयाभाव से सैनिकों की वफादारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

प्रश्न 61.
सहायक सन्धि किसके द्वारा तैयार की गई थी?
उत्तर:
सहायक सन्धि लार्ड वेलेजली के द्वारा तैया की गई थी।

प्रश्न 62.
अवध को किसने ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित किया था?
उत्तर:
लार्ड डलहौजी ने।

प्रश्न 63.
मौलवी अहमदुल्ला शाह कौन थे ?
उत्तर:
मौलवी अहमदुल्ला शाह ने 1857 के विद्रोह के लिए लोगों को संगठित किया और चिनहट के अंग्रेजों को परास्त किया।

प्रश्न 64.
1857 के विद्रोह के लिए लोगों को संगठित करने वाले दो विद्रोही नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) शाहमल
(2) मौलवी अहमदुल्ला शाह।

प्रश्न 65.
1857 के विद्रोह से पूर्व लोगों में फैली हुई दो अफवाहों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) गाय और सुअर की चर्बी लगे हुए कारतूसों का प्रचलन
(2) सैनिकों के आटे में गाय और सुअर की हड्डियों का चूरा मिलाना।

प्रश्न 66.
रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कब व कैसे हुई ?
उत्तर:
अंग्रेजों से लड़ते हुए जून, 1858 में रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई।

प्रश्न 67.
अवध के ताल्लुकदारों में व्याप्त असन्तोष के दो कारण बताइये।
उत्तर:
(1) तालुकदारों को उनकी जमीनों से बेदखल करना
(2) उनकी सेनाओं को भंग करना।

प्रश्न 68.
1857 की क्रान्ति एक सैनिक विद्रोह था अथवा स्वतन्त्रता संग्राम? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।
उत्तर:
1857 ई. की क्रान्ति स्पष्ट रूप से एक स्वतन्त्रता संग्राम था क्योंकि इस क्रान्ति में प्रत्येक धर्म, जाति और समूह के लोगों ने भाग लिया था।

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प्रश्न 69.
अवध में लार्ड वेलेजली द्वारा सहायक सन्धि कब लागू की गई ?
उत्तर:
1801 ई. में।

प्रश्न 70.
लखनऊ रेजीडेन्सी के घेरे में विद्रोहियों द्वारा लखनऊ का कौनसा कमिश्नर मारा गया?
उत्तर:
सर हेनरी लारेन्स।

प्रश्न 71.
किन अंग्रेज अधिकारियों ने लखनऊ रेजीडेन्सी का घेरा डालने वाले विद्रोहियों को परास्त कर दिया ?
उत्तर:
जेम्स औट्रम, हेनरी हेवलाक तथा कैम्पबेल ने।

प्रश्न 72.
किसकी भारतीय सैनिकों के प्रति दया और सहानुभूति दिखाए जाने की नीति का अंग्रेजी समाचारपत्रों में मजाक उड़ाया गया ?
उत्तर:
भारत के गवर्नर जनरल कैनिंग की।

लघुत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
मेरठ छावनी के विद्रोही सिपाहियों ने मुगल सम्राद् बहादुरशाह को क्या सन्देश पहुँचाया?
उत्तर:
दिल्ली के लाल किले के फाटक पर पहुँचकर मेरठ छावनी के विद्रोही सैनिकों ने मुगल सम्राट् बहादुरशाह को यह सन्देश पहुँचाया कि “हम मेरठ के सभी अंग्रेज पुरुषों को मारकर आए हैं क्योंकि वे हमें गाय और सूअर की चर्बी में लिपटे कारतूसों को दाँतों से खींचने के लिए मजबूर कर रहे थे। इससे हिन्दू और मुसलमानों, दोनों का धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। आप हमें अपना आशीर्वाद दे एवं हमारा नेतृत्व करें।”

प्रश्न 2.
मेरठ से विद्रोही सैनिकों का जत्था दिल्ली के लाल किले के फाटक पर कब पहुँचा? बहादुर शाह से मुलाकात का विद्रोह पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मेरठ से विद्रोही सैनिकों का जत्था दिल्ली के लाल किले के फाटक पर 11 मई, 1857 को पहुंचा। किले में घुसे इन सैनिकों ने माँग की कि सम्राट् बहादुरशाह उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करें। विद्रोही सैनिकों से घिरे बहादुरशाह के पास उनकी बात मानने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प न था। इस तरह इस विद्रोह ने एक वैधता | प्राप्त कर ली क्योंकि अब इसे मुगल बादशाह के नाम पर चलाया जा सकता था।

प्रश्न 3.
‘ब्रिटिश शासन’ ताश के किले की तरह बिखर गया। यह कथन किसने व क्यों कहा?
उत्तर:
मेरठ छावनी से प्रारम्भ भारतीय सैनिकों का विद्रोह मई-जून 1857 में तीव्र गति से देश भर में फैला। अंग्रेजों के पास विद्रोहियों की कार्यवाहियों का कोई जवाब नहीं था। उन्हें केवल अपनी जान व घर-बार बचाने की चिन्ता थी। इसी स्थिति के सन्दर्भ में एक अंग्रेज अधिकारी ने लिखा है कि “ब्रिटिश शासन ताश के किले की तरह बिखर गया।”

प्रश्न 4.
कला और साहित्य ने 1857 की स्मृति को जीवित रखने में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर:
(1) क्रान्तिकारी नेताओं को ऐसे नायकों के रूप में चित्रित किया जाता था जो देश को बुद्ध-स्थल की ओर ले जा रहे हैं। उन्हें लोगों को दमनकारी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उत्तेजित करते हुए चित्रित किया जाता था।
(2) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य का गौरवगान करने वाली कविताएँ लिखी गई सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।” अमर हो गई।

प्रश्न 5.
“ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा।” अवध के विषय में लार्ड डलहौजी के उक्त विचारों की सत्यता का परीक्षण कीजिये।
उत्तर:
अंग्रेज अवध पर अधिकार करने के लिए लालायित थे क्योंकि वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए उपयोगी थी और इस प्रदेश को उत्तरी भारत के एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था अतः 1856 में डलहौजी ने अवध के नवाब पर कुशासन का आरोप लगाकर उसे अपदस्थ कर दिया और अवध पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार अवध के विषय में कहा गया उपर्युक्त कथन सत्य सिद्ध हुआ।

प्रश्न 6.
दिल्ली उर्दू अखबार ने 14 जून, 1857 की अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा?
उत्तर:
शहर में आम लोगों के लिए साग-सब्जी मिलना बन्द हो गया है। चंद बड़े लोगों को ही बाग- बगीचों से सब्जियाँ मिल पाती हैं। गरीब, मध्यम वर्ग उनको देखकर होंठों पर जीभ फिराकर रह जाता है। पानी भरने वालों ने पानी भरना बन्द कर दिया है तथा कुलीन लोग खुद घड़ों में पानी भरकर लाते हैं तब जाकर घर में खाना बनता है। शहर की आबोहवा खराब हो रही है। गन्दगी और बीमारियों के कारण महामारी फैल सकती है।

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प्रश्न 7.
सिस्टन की भेंट किससे हुई तथा दोनों में क्या वार्तालाप हुआ? लिखिए।
उत्तर:
सहारनपुर में सिस्टम की भेंट बिजनौर के मुस्लिम तहसीलदार से हुई। तहसीलदार ने उसे क्रान्तिकारी समझा और उससे अवध के बारे में बातचीत की। तहसीलदार ” क्या खबर है अवध की? काम कैसा चल रहा है?” सिस्टन” अगर हमें अवध में काम मिलता है, तो जनाब ए आली को भी पता लग जाएगा।” तहसीलदार ” भरोसा रखो, इस बार हम कामयाब होंगे। मामला काबिल हाथों में है।” यह तहसीलदार बिजनौर के विद्रोहियों का सबसे बड़ा नेता था।

प्रश्न 8.
कालाकांकर के राजा हनवन्तसिंह ने अंग्रेज अफसर से अपनी पीड़ा किन शब्दों में व्यक्त की? लिखिए।
उत्तर:
“साहिब आपके मुल्क के लोग हमारे देश में आए और उन्होंने हमारे राजाओं को खदेड़ दिया। एक ही झटके में आपने मेरे पुरखों की जमीन मेरे से छीन ली। मैं चुप रहा। फिर अचानक आपका बुरा वक्त शुरू हो गया। यहाँ के लोग आपके खिलाफ खड़े हो गए। तब आप मेरे पास आए, जिसे आपने बर्बाद किया था। मैंने आपकी जान बचाई है। लेकिन अब मैं अपने सिपाहियों को लेकर लखनऊ जा रहा हूँ, ताकि आपको देश से खदेड़ सकूँ।”

प्रश्न 9.
आजमगढ़ घोषणा किसके द्वारा किन वर्गों के लिए जारी की गई? धार्मिक नेताओं के लिए इसमें क्या कहा गया?
उत्तर:
आजमगढ़ घोषणा 25 अगस्त, 1857 को मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वारा जमींदारों, व्यापारियों, सरकारी कर्मचारियों, कारीगरों और धार्मिक नेताओं के लिए जारी की गई। पण्डित और फकीर क्रमश: हिन्दू और मुस्लिम धर्मों के अभिभावक हैं। यूरोपीय दोनों धर्मों के शत्रु हैं और फिलहाल धर्म के कारण ही अंग्रेजों के खिलाफ एक युद्ध छिड़ा हुआ है। इसलिए पण्डितों और फकीरों का फर्ज है कि वे खुद को हमारे सामने पेश करें और इस पवित्र युद्ध में अपनी भूमिका निभाएँ।

प्रश्न 10.
इस स्रोत के आधार पर बताइये कि सिपाहियों ने क्यों विद्रोह में भाग लिया?
उत्तर:
(i) सिपाहियों को चर्बी लगे कारतूस चलाने को दिए गए, जिन्हें मुँह से काटकर खोलना पड़ता था । इससे उनका धर्म भ्रष्ट हो सकता था।
(ii) मना करने पर अनेक सिपाहियों को दण्डित किया गया, उन्हें जेल में बन्द कर दिया गया।
(iii) हम अपनी आस्था की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़े। हम दो साल तक इसलिए लड़े, ताकि हमारी आस्था और मजहब दूषित न हो। अगर एक हिन्दू या मुसलमान का धर्म ही नष्ट हो गया, तो दुनिया में बचेगा ही क्या?

प्रश्न 11.
ग्रामीण अवध क्षेत्र से रिपोर्ट भेजने वाले अफसर ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा?
उत्तर:
ग्रामीण अवध क्षेत्र से रिपोर्ट भेजने वाले अफसर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- ” अवध के लोग उत्तर से जोड़ने वाली संचार लाइन पर जोर बना रहे हैं। ये लोग गाँव वाले हैं तथा यूरोपीय लोगों की पकड़ से बाहर हैं। पल में बिखर जाते हैं और पल में फिर जुट जाते हैं। शासकीय अधिकारियों का कहना है कि इन गाँव वालों की संख्या बहुत बड़ी है और उनके पास बाकायदा बंदूकें हैं।”

प्रश्न 12.
सहायक सन्धि ने अवध के नवाब को किस प्रकार असहाय बना दिया था?
उत्तर:
सहायक सन्धि के कारण अवध का नवाब वाजिद अली शाह अपनी सैनिक शक्ति से वंचित हो गया फलस्वरूप वह अपनी रियासत में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिन-प्रतिदिन अंग्रेजों पर निर्भर होता जा रहा था नवाब का विद्रोही मुखियाओं एवं ताल्लुकदारों पर भी कोई नियन्त्रण न रहा था।

प्रश्न 13.
अंग्रेजों द्वारा अवध के अधिग्रहण का स्थानीय जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अंग्रेजों द्वारा अवध के अधिग्रहण के कारण स्थानीय जनता ब्रिटिश शासन के विरुद्ध हो गई क्योंकि नवाब को हटाने से दरबार और उसकी संस्कृति नष्ट हो गई। संगीतकारों, नर्तकों, कवियों, बावचियों, नौकरों, सरकारी कर्मचारियों एवं अनेक लोगों की रोजी-रोटी समाप्त हो गयी थी।

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प्रश्न 14.
बहादुर शाह जफर कौन थे? संक्षेप में बताइए ।
उत्तर:
बहादुरशाह जफर द्वितीय अन्तिम मुगल सम्राट् था। अंग्रेज अधिकारियों ने कहा था कि बहादुरशाह जफर के उपरान्त उसके उत्तराधिकारियों को दिल्ली के लाल किले में नहीं रहने दिया जायेगा। इसी कारण से बहादुरशाह अंग्रेजों के विरुद्ध हो गये। विद्रोहियों ने जब बहादुरशाह से अपना प्रधान सेनापति बनने को कहा तो कुछ संकोच के साथ वह इस पर राजी हो गये। यद्यपि बहादुरशाह उस समय तक अत्यधिक वृद्ध हो चुके थे तो भी उन्होंने विद्रोहियों का नेतृत्व किया। बहादुरशाह ने सैनिकों द्वारा आरम्भ किये गये इस विद्रोह को युद्ध का रूप प्रदान कर दिया। किन्तु बहादुरशाह की यह योजना सफल नहीं हो सकी तथा उनको गिरफ्तार करके रंगून भेज दिया गया।

प्रश्न 15.
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम की अग्रणी महिला क्रान्तिकारी थी। उनके पति को अंग्रेजों ने पुत्र गोद लेने की आज्ञा प्रदान नहीं की थी। लक्ष्मीबाई अपने पति की मृत्यु के उपरान्त झाँसी की शासिका बर्नी । इन्होंने कई युद्धों में अंग्रेजों को परास्त किया। 1858 ई. में अंग्रेज सेनापति हयूरोज ने झाँसी पर आक्रमण किया। तांत्या टोपे के साथ मिलकर इन्होंने बड़ी वीरता के साथ अपने किले की रक्षा की किन्तु वह पराजित हुई फिर भी अंग्रेजों को वाँछित सफलता प्राप्त नहीं हुई रानी ने वीरतापूर्वक शत्रुओं का सामना किया किन्तु रानी के कुछ अधिकारी अंग्रेजों से मिल गये। अतः रानी लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई।

प्रश्न 16.
1857 की क्रान्ति के परिणामों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(1) भारत से ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन हमेशा के लिए समाप्त हो गया और उसके स्थान पर 1858 से महारानी विक्टोरिया की घोषणा के साथ भारत में ब्रिटिश ताज का शासन प्रारम्भ हो गया।
(2) अंग्रेजों की दमनात्मक नीति से भारतवासियों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।
(3) भारत की जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने में इस क्रान्ति का सबसे बड़ा योगदान रहा। इसके फलस्वरूप भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन शुरू हुआ।

प्रश्न 17.
मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने विद्रोहियों का नेतृत्व करना क्यों स्वीकार कर लिया था?
उत्तर:
10 मई, 1857 को सैनिकों ने मेरठ में विद्रोह कर दिया। विद्रोही सैनिक 11 मई को दिल्ली पहुँच गए। उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को बताया कि अंग्रेज उन्हें गाय और सुअर की चर्बी लगे हुए कारतूस दाँतों से खींचने के लिए बाध्य कर रहे थे जिससे हिन्दू और मुसलमान दोनों का धर्म भ्रष्ट हो सकता था। इस समय बहुत से सैनिक लाल किले में प्रविष्ट हो गए। इन परिस्थितियों में मुगल- सम्राट को विद्रोहियों का नेतृत्व करना स्वीकार करना पड़ा।

प्रश्न 18.
विभिन्न सैनिक छावनियों के सैनिकों के बीच अच्छा संचार बना हुआ था।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
जब सातवीं अवध हरेग्युलर केवेलरी ने मई, 1857 के प्रारम्भ में नये कारतूसों का प्रयोग करने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने 48वीं नेटिव इन्फेन्ट्री को लिखा कि “हमने अपने धर्म की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया है और 48वीं नेटिव इन्फेन्ट्री के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं।” इस प्रकार विभिन्न सैनिक छावनियों में सम्पर्क बना ‘हुआ था तथा सैनिक या उनके सन्देशवाहक एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे थे। सभी लोगं विद्रोह को सफल बनाने के लिए प्रयत्नशील थे।

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प्रश्न 19.
1857 के विद्रोह सुनियोजित थे।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
41वीं नेटिव इन्फेन्ट्री ने अवध मिलिट्री पुलिस से अनुरोध किया कि अवध मिलिट्री पुलिस को या तो कैप्टेन हियरों का वध कर देना चाहिए या उसे गिरफ्तार करके उनके हवाले कर देना चाहिए। जब अवध मिलिट्टी पुलिस ने इन दोनों बातों को अस्वीकार कर दिया, तो इस मामले पर विचार करने के लिए हर रेजीमेन्ट के देशी अधिकारियों की एक पंचायत बुलाई गई। ये पंचायतें रात को कानपुर सिपाही लाइनों में जुटती थीं और सैनिक सामूहिक रूप से निर्णय लेते थे।

प्रश्न 20.
“अनेक स्थानों पर विद्रोह का सन्देश आम पुरुषों और महिलाओं के द्वारा तथा धार्मिक लोगों के द्वारा फैल रहा था।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
मेरठ में हाथी पर सवार एक फकीर विद्रोह का सन्देश फैला रहा था तथा उससे भारतीय सैनिक बार- बार मिलने जाते थे। लखनऊ में अवध पर अधिकार के बाद अनेक धार्मिक नेता ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का अलख जगा रहे थे। कुछ स्थानों पर स्थानीय नेता लोगों को विद्रोह के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। शाहमल ने उत्तरप्रदेश में बड़ौत परगने के गाँव वालों को तथा छोटा नागपुर स्थित सिंहभूम के एक किसान गोनू ने वहाँ के आदिवासियों को संगठित किया।

प्रश्न 21.
नाना साहेब कौन थे? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
नाना साहेब 1857 के विद्रोह के एक प्रमुख सेनापति थे। नाना साहेब एक वीर मराठा तथा पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र थे। उन्होंने स्वयं को जून, 1857 में कानपुर में पेशवा घोषित कर दिया किन्तु अंग्रेजों ने उन्हें पेशवा मानने से मना कर दिया। नाना साहेब ने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों का वीरता के साथ मुकाबला किया। कानपुर में क्रान्तिकारियों का नेतृत्व भी नाना साहेब ने किया तथा कर्नल नील से जबरदस्त संघर्ष किया। कर्नल नील अवध (वर्तमान उत्तर प्रदेश) से क्रान्तिकारियों का पूर्ण रूप से दमन करना चाहता था अतः कर्नल नील तथा नाना साहेब में भीषण युद्ध हुआ। दुर्भाग्य से युद्ध में नाना साहेब पराजित हो गये तथा वह वहाँ से भागकर नेपाल चले गये।

प्रश्न 22.
1857 की क्रान्ति के दौरान राजनीतिक असन्तोष के क्या कारण थे?
उत्तर:
1857 की क्रान्ति के दौरान राजनीतिक असन्तोष के निम्नलिखित कारण थे –
(1) मुगल बादशाह का अपमान-अंग्रेजों के भारत आगमन के पश्चात् मुगल साम्राज्य पतन की ओर अग्रसर था। अन्तिम मुगल बादशाह बहादुर शाह का शासन केवल लाल किले तक ही सीमित था।

(2) नाना साहिब व रानी लक्ष्मीबाई से अनुचित व्यवहार – लार्ड डलहौजी ने दत्तक प्रथा पर रोक लगाकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को शासक मानने से इन्कार कर दिया तथा झाँसी को हड़पने की नीति अपनाई जिससे रानी झाँसी अंग्रेजों के विरुद्ध हो गयी। नाना साहिब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे अंग्रेजों ने उनकी पेंशन बन्द कर दी।

(3) अवध का अनुचित विलय- लार्ड डलहौजी ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर कुशासन का आरोप लगाकर उन्हें हटा दिया तथा 1856 ई. में अवध का अंग्रेजी राज्य में विलय कर लिया।

(4) डलहौजी की हड़प नीति- डलहौजी ने अपनी साम्राज्यवादी हड़प नीति के तहत अनेक रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया फलस्वरूप उन रियासतों के शासक अंग्रेजों के विरुद्ध हो गये।

प्रश्न 23.
1857 ई. के विद्रोह के धार्मिक कारण कौन-कौनसे थे?
उत्तर:
1857 के विद्रोह के अनेक कारण उत्तरदायी थे। इसमें से धार्मिक कारण निम्न थे –
(1) 1813 में ईसाई मिशनरियों को भारत में कार्य करने की इजाजत दे दी।
(2) ये मिशनरियाँ भारतीयों को लालच देकर ईसाई बना रही थीं।
(3) लॉर्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा सहित अनेक समाज सुधार किये जिसे भारतीयों ने अपने धर्म के विरुद्ध समझा।
(4) अनेक हिन्दू सिपाहियों को समुद्र मार्ग से बाहर भेजा गया। उस समय हिन्दू समुद्र की यात्रा करना अपवित्र मानते थे।
इन्हीं सब घटनाओं ने 1857 ई. के विद्रोह की नींव रखी।

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प्रश्न 24.
कानपुर और झांसी में किन नेताओं ने विद्रोहियों का नेतृत्व करना स्वीकार किया था?
उत्तर:
कानपुर में सैनिकों और शहर के लोगों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब को विद्रोह का नेतृत्व सम्भालने के लिए बाध्य किया। झांसी में भी रानी लक्ष्मी बाई को जनता के दबाव में विद्रोह की बागडोर सम्भालनी पड़ी। कुछ ऐसी ही स्थिति बिहार में आरा के स्थानीय जमींदार कुँवर सिंह की भी लखनऊ में ब्रिटिश राज की समाप्ति की सूचना पर लोगों ने नवाब वाजिद अली शाह के युवा पुत्र बिरजिस कद्र को अपना नेता घोषित कर दिया था।

प्रश्न 25.
सहायक सन्धि क्या थी और इसे किसने लागू किया था?
उत्तर:
सन् 1798 में लॉर्ड वेलेजली ने देशी शासकों पर कम्पनी का नियंत्रण स्थापित करने हेतु सहायक संधि की। इसकी शर्तें निम्न प्रकार थीं—
(1) देशी शासक को अपने खर्चे पर एक अंग्रेजी सेना अपने राज्य में रखनी होगी।
(2) बिना अंग्रेजों की अनुमति के वह देशी शासक किसी अन्य राज्य से न तो संधि करेगा और न ही युद्ध करेगा।
(3) बदले में अंग्रेज उस शासक को आन्तरिक एवं बाहरी चुनौतियों से रक्षा करेंगे।

प्रश्न 26.
1857 ई. की क्रान्ति में शाहमल के कार्यों का मूल्यांकन कीजिये।
अथवा
शाहमल कौन था और उसने 1857 के विद्रोह में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
शाहमल उत्तर प्रदेश के बड़ौत परगने के एक बड़े गाँव के रहने वाले एक जाट परिवार में पैदा हुए थे। शाहमल ने चौरासी देस के मुखियाओं और काश्तकारों को संगठित किया तथा लोगों को विद्रोह करने हेतु प्रेरित किया। शाहमल के आदमियों ने सरकारी इमारतों पर हमला करके उन्हें नष्ट किया। लोग शाहमल को राजा के नाम से पुकारते थे। जुलाई, 1857 में शाहमल वीरगति को प्राप्त हो गए।

प्रश्न 27.
मौलवी अहमदुल्ला शाह कौन थे और उनके बारे में लोगों में क्या विश्वास था?
उत्तर:
हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त करने के बाद कम उम्र में ही मौलवी अहमदुल्ला शाह उपदेशक बन गये थे। 1856 में उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध जिहाद (धर्मयुद्ध) का प्रचार करते हुए और लोगों को विद्रोह के लिए तैयार करते हुए देखा गया। जनता का मानना था कि मौलवी में जादुई ताकतें हैं, जिससे अंग्रेज उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। 22वीं नेटिव इन्फैंट्री ने उन्हें अपना नेता चुन लिया। उन्होंने चिनहट की लड़ाई में हेनरी लारेंस की टुकड़ी को पराजित किया।

प्रश्न 28.
किन अफवाहों के द्वारा लोगों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था?
उत्तर:
(1) सिपाहियों में यह अफवाह फैली हुई थी कि उनकी राइफलों में प्रयुक्त किए जाने वाले कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगी थी। इनका प्रयोग करने से उनकी जाति तथा धर्म के भ्रष्ट होने की सम्भावना थी।

(2) यह अफवाह भी जोरों पर थी कि अंग्रेजों ने बाजार में मिलने वाले आटे में गाय और सुअर की हड्डियों का चूरा मिलवा दिया है इसका उद्देश्य हिन्दुओं और मुसलमानों की जाति तथा धर्म को नष्ट करना था।

प्रश्न 29.
भारतीय लोग अफवाहों में विश्वास क्यों कर रहे थे?
अथवा
“अफवाहें तभी फैलती हैं, जब वे प्रभावशाली होती हैं, जब लोगों में बहुत ज्यादा भय और सन्देह फैल जाए।” 1857 के विद्रोह के संदर्भ में यह कथन कहाँ तक सत्य था?
उत्तर:
(1) लार्ड विलियम बैंटिक द्वारा सती प्रथा को समाप्त करने तथा हिन्दू विधवा विवाह को वैधता प्रदान करने वाले कानून बनाये गए थे। इनसे भारतीयों में असन्तोष
था।
(2) लार्ड डलहौजी द्वारा अवध, शांसी तथा सतारा जैसी रियासतों पर अधिकार करने से भारतीय नरेशों और जनता में आक्रोश व्याप्त था वहाँ अंग्रेजों द्वारा अपने ढंग की शासन व्यवस्था, अपने कानून, भू-राजस्व वसूली की अपनी व्यवस्था लागू किये जाने से भी भारतीयों में असन्तोष था ।

प्रश्न 30.
“देह से जान जा चुकी थी।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
जब 1856 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से हटाकर कलकत्ता निष्कासित कर दिया तो अवध के लोगों में दुःख और शोक की लहर दौड़ गई। एक लेखक ने लिखा था कि “देह से जान जा चुकी गया, थी। शहर की कला बेजान थी। कोई सड़क, बाजार और घर ऐसा न था, जहाँ से जान-ए-आलम (नवाब वाजिद अली शाह) से बिछुड़ने पर विलाप का शोर न गूँज रहा हो।”

प्रश्न 31.
अवध के नवाब वाजिद अली शाह के कलकत्ता निष्कासन से लोगों को दुःख और अपमान का एहसास क्यों हुआ?
उत्तर:
(1) अवध का नवाब वाजिद अली शाह अवध की जनता में बड़ा लोकप्रिय था। लोग उसे दिल से चाहते थे। अतः नवाब के निष्कासन पर लोगों को प्रबल आघात पहुँचा।
(2) नवाब को अपदस्थ किये जाने से दरबार और उसकी संस्कृति भी समाप्त हो गई थी।
(3) नवाब के निष्कासन से अनेक संगीतकारों, नर्तकों, कवियों, कारीगरों, बावर्चियों, नौकरों, सरकारी कर्मचारियों और बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी जाती रही।

प्रश्न 32.
“ताल्लुकदारों की सत्ता छिनने के परिणामस्वरूप पूरी सामाजिक व्यवस्था भंग हो गई।” विवेचना कीजिये।
उत्तर:
जनता की दृष्टि में बहुत से ताल्लुकदार दयालु संरक्षक की भाँति आचरण करते थे। वे संकटपूर्ण परिस्थितियों में किसानों की सहायता भी करते थे। अब इस बात की कोई गारन्टी नहीं थी कि कठिन समय में या फसल खराब होने पर सरकार राजस्व माँग में कोई कमी करेगी। न ही किसानों को इस बात की आशा थी कि तीज-त्यौहारों पर उन्हें कोई ऋण और सहायता मिल जायेगी जो पहले ताल्लुकदारों से मिल जाती थी।

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

प्रश्न 33.
1857 के जन-विद्रोह से पहले अवध के सैनिकों में असन्तोष के क्या कारण थे?
उत्तर:
(1) सैनिक कम वेतन और समय पर अवकाश न मिलने के कारण असन्तुष्ट थे।
(2) सैनिक अधिकारी सैनिकों के साथ अपमानजनक व्यवहार करते थे।
(3) गाय और सुअर की चर्बी लगे हुए कारतूसों के कारण भी सैनिकों में असन्तोष था ।
(4) बंगाल आर्मी के सैनिकों में बहुत सारे सैनिक अवध के गाँवों से भर्ती होकर आए थे उनके ग्रामीणों से अच्छे सम्बन्ध थे। अतः जब सैनिक अपने अधिकारियों के विरुद्ध हथियार उठाते थे, तो ग्रामीण लोग उनका साथ देते थे।

प्रश्न 34.
बीसवीं सदी के राष्ट्रवादी आन्दोलन को 1857 के घटनाक्रम से क्या प्रेरणा मिल रही थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1857 का विद्रोह प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम था जिसमें देश के सभी वर्गों के लोगों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध मिलकर संघर्ष किया था। कलाकारों और साहित्यकारों ने 1857 के विद्रोह के नेताओं को ऐसे नायकों के रूप में प्रस्तुत किया जो देश को रणस्थल की ओर ले जा रहे थे। बहादुरशाह, नाना साहिब, रानी लक्ष्मी बाई, कुंवर सिंह आदि ने अपने पराक्रमपूर्ण कार्यों, त्याग और बलिदान से भारतीयों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया और राष्ट्रीय आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार की।

प्रश्न 35.
ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था का ताल्लुकदारों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
एकमुश्त बन्दोबस्त के द्वारा ताल्लुकदारों को बेदखल किया जाने लगा। आँकड़ों से पता चलता है कि अंग्रेजों के आने से पहले ताल्लुकदारों के पास अवध के 67% गाँव थे एकमुश्त बन्दोबस्त लागू होने के बाद यह संख्या घटकर 38 प्रतिशत रह गई दक्षिण अवध के ताल्लुकदारों पर सबसे बुरी मार पड़ी। कुछ के आधे से अधिक गाँव उनके हाथ से निकल गए। इस प्रकार ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था ने ताल्लुकदारों की प्रतिष्ठा तथा सत्ता को प्रबल आघात पहुँचाया।

प्रश्न 36.
एकमुश्त बन्दोबस्त से न तो ताल्लुकदार खुश थे और न ही कृषक वर्ग खुश था, क्यों? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एकमुश्त बन्दोबस्त लागू करने की योजना के पीछे अंग्रेजों की यह सोच थी कि वे ताल्लुकदारों को हटाकर जमीन का मालिकाना हक असली मालिकों यानी किसानों को सौंप देंगे। इससे किसानों के शोषण में कमी आयेगी तथा राजस्व वसूली में भी वृद्धि होगी और ताल्लुकदारों की शक्ति में कमी आयेगी लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो पाया। ताल्लुकदार बेदखल किए गए और राजस्व वसूली में भी इजाफा हुआ लेकिन किसानों के बोझ में कमी नहीं आई।

प्रश्न 37.
विद्रोही किस वैकल्पिक सत्ता की तलाश कर रहे थे?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन ध्वस्त हो जाने के बाद विद्रोही नेता अठारहवीं सदी की पूर्व व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना चाहते थे। इन नेताओं ने पुरानी दरबारी संस्कृति का सहारा लिया। विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ की गई भू-राजस्व वसूली और सैनिकों के वेतन भुगतान का प्रबन्ध किया गया। लूटपाट बन्द करने के हुक्मनामे जारी किए गए तथा इसके साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध जारी रखने की योजनाएँ भी बनाई गई। सेना की कमान श्रृंखला तय की गई।

प्रश्न 38.
1857 के विद्रोह के पूर्व अंग्रेज अफसरों और सैनिकों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
(1) 1820 के दशक में गोरे अफसरों के अपने सैनिकों और मातहतों के साथ दोस्ताना सम्बन्ध थे। वे उनके साथ मौज-मस्ती करते थे, मल्लयुद्ध करते थे तथा तलवारबाजी करते थे।
(2) 1840 के दशक में अफसरों और सैनिकों के सम्बन्धों में काफी बदलाव आ गया था। अफसर सिपाहियों को कमतर नस्ल का मानने लगे थे। वे उनकी भावनाओं की जरा भी कद्र नहीं करते थे सैनिकों के साथ गाली- गलौज और शारीरिक हिंसा साधारण बात हो गई।

प्रश्न 39.
विद्रोहियों द्वारा परस्पर सम्पर्क करने के लिए संचार के कौन-से माध्यम थे?
उत्तर:
(1) विभिन्न छावनियों के सैनिक या उनके संदेशवाहक विद्रोह का संदेश देने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे थे (2) 41वीं नेटिव इन्फेन्ट्री ने अंग्रेजों पर आक्रमण करने के लिए अवध मिलिट्री पुलिस से सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया। (3) सामूहिक रूप से निर्णय लेने के लिए देशी अफसरों की पंचायतें आयोजित की जा रही थीं। सैनिक एक साथ बैठकर अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेते थे।

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प्रश्न 40.
अंग्रेज अवध पर अधिकार करने के लिए क्यों लालायित थे?
उत्तर:
(1) अंग्रेजों की मान्यता थी कि अवध की भूमि नील और कपास की खेती के लिए बहुत लाभदायक थी और इस प्रदेश को उत्तरी भारत के एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था
(2) अंग्रेज मराठा- भूमि, दोआब, कर्नाटक, पंजाब, बंगाल आदि पर अपना आधिपत्य स्थापित कर चुके थे। अवध पर अधिकार करके अंग्रेज क्षेत्रीय विस्तार की आकांक्षा पूरी करना चाहते थे।

प्रश्न 41.
20वीं शताब्दी में भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन ने किससे प्रेरणा ली?
उत्तर:
20वीं शताब्दी में भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन ने 1857 के घटनाक्रम से प्रेरणा ली। इस विद्रोह के आस- पास राष्ट्रवादी कल्पना का एक विस्तृत दृश्य जगत बुन दिया गया था तथा इसको प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के रूप में याद किया जाता था, जिसमें प्रत्येक वर्ग ने साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध मिल-जुलकर संघर्ष किया था।

प्रश्न 42.
इतिहास लेखन की तरह कला और साहित्य ने भी 1857 की स्मृति को जीवित रखने में योगदान दिया? रानी लक्ष्मीबाई का उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इतिहास लेखन की तरह कला और साहित्य ने भी 1857 की स्मृति को जीवित रखने में योगदान दिया। साहित्य एवं चित्रों में 1857 के विद्रोह के नेताओं को एक ऐसे नायकों के रूप में प्रस्तुत किया जाता था जो देश को युद्ध स्थल की ओर ले जा रहे थे। उन्हें जनता को अत्याचारी साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध उत्तेजित करते हुए चित्रित किया जाता था। एक हाथ में घोड़े की रास एवं दूसरे हाथ में तलवार लिए हुए अपनी मातृभूमि की मुक्ति के लिए संघर्ष करने वाली रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का गौरव गान करते हुए कविताएँ लिखी गयीं। देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चे सुभद्रा कुमारी चौहान की इन पंक्तियों को पढ़ते हुए बड़े हो रहे थे ” खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।”

प्रश्न 43.
1857 के विद्रोही उत्पीड़न के किन प्रतीकों के विरुद्ध थे?
उत्तर:

  • विद्रोही अंग्रेजों द्वारा देशी रियासतों पर अधिकार करने के लिए उनकी निन्दा करते थे
  • ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था ने बड़े-छोटे भू-स्वामियों को जमीन से बेदखल कर दिया था और विदेशी व्यापार ने दस्तकारों तथा बुनकरों को बर्बाद कर दिया था।
  • अंग्रेजों ने स्थापित सुन्दर जीवन शैली को नष्ट कर दिया था।
  • अंग्रेज हिन्दुओं और मुसलमानों की जाति तथा धर्म को नष्ट करने के लिए प्रयत्नशील थे।
  • सूदखोर भी सामान्य जनता का शोषण करते थे।

प्रश्न 44.
अंग्रेजों ने विद्रोहियों के दमन के लिए क्या उपाय किये?
उत्तर:

  • सम्पूर्ण उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। यह घोषित किया गया कि विद्रोह की केवल एक ही सजा हो सकती है सजा-ए-मौत’
  • ब्रिटेन से नई सैनिक टुकड़ियाँ मंगाई गई
  • अंग्रेजों ने जमींदारों तथा किसानों की एकता को भंग करने हेतु जमींदारों को आश्वस्त किया कि उन्हें उनकी जागीरें लौटा दी जायेंगी।
  • स्वामिभक्त जमींदारों को पुरस्कृत किया गया तथा विद्रोही जमींदारों को उनकी जमीनों से बेदखल कर दिया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के विद्रोह को नेतृत्व प्रदान करने वाले नेताओं तथा अनुयायियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
1857 के विद्रोह को नेतृत्व प्रदान करने वाले नेता और अनुयायी 1857 के विद्रोह को नेतृत्व प्रदान करने वाले नेताओं और अनुयायियों का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-

(1) मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर 10 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने मेरठ में विद्रोह कर दिया। विद्रोही सैनिक 11 मई को दिल्ली पहुँच गए। उन्होंने मुगल- सम्राट बहादुरशाह जफर को बताया कि अंग्रेज उन्हें गाय और सुअर की चर्बी लगे हुए कारतूसों को दाँतों से खींचने के लिए बाध्य कर रहे थे, जिससे हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों का धर्म भ्रष्ट हो सकता था। इस समय बहुत से सैनिक लालकिले में प्रविष्ट हो गये और उन्होंने मुगल- सम्राट से उन्हें नेतृत्व प्रदान करने की प्रार्थना की। इन परिस्थितियों में मुगल सम्राट बहादुरशाह को विद्रोहियों का नेतृत्व करने के लिए बाध्य होना पड़ा। बहादुरशाह के पास अन्य कोई विकल्प नहीं था।

(2) नाना साहिब कानपुर में सैनिकों और शहर के लोगों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब से विद्रोह का नेतृत्व करने का अनुरोध किया जिसे उन्हें स्वीकार करना पड़ा। नाना साहिब के पास भी विद्रोह का नेतृत्व संभालने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था।

(3) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857 के विद्रोह की गुंज झाँसी में भी सुनाई दी। सैनिकों और आम जनता ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई से विद्रोह का नेतृत्व सँभालने की प्रार्थना की रानी लक्ष्मीबाई को सैनिकों और आम जनता के दबाव में विद्रोह का नेतृत्व सँभालना पड़ा।

(4) कुँवर सिंह बिहार के लोगों ने भी 1857 के विद्रोह में भाग लिया। आरा (बिहार) के लोगों ने वहाँ के जमींदार कुँवर सिंह से विद्रोह का नेतृत्व सँभालने की गुजारिश की। उन्हें भी विवश होकर विद्रोह का नेतृत्व संभालना पड़ा।

(5) बिरजिस कद्र लखनऊ में ब्रिटिश राज की समाप्ति की सूचना पर लखनऊ के लोगों ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह के युवा पुत्र विरजिस कद्र को अपना नेता घोषित कर दिया।

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(6) अन्य नेता-मेरठ में हाथी पर सवार एक फकीर ने विद्रोह के सन्देश का प्रसार किया। शाहमल ने उत्तर प्रदेश में बढ़ौत परगने के गाँव वालों को संगठित किया और अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया छोटा नागपुर स्थित सिंहभूम के एक आदिवासी किसान गोनू ने वहाँ के कोल आदिवासियों को नेतृत्व प्रदान किया हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त मौलवी अहमदुल्ला शाह ने गाँव-गाँव में जाकर लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया। 1857 में उन्होंने चिनहट की लड़ाई में हेनरी लारेन्स की सैनिक टुकड़ियों को परास्त किया।

प्रश्न 2.
1857 के जनविद्रोह का आरम्भ किस प्रकार हुआ? इसके विस्तार को भी बतलाइए।
उत्तर:
1857 के जनविद्रोह का आरम्भ- 1857 के जनविद्रोह का आरम्भ 10 मई, 1857 को दोपहर पश्चात् मेरठ छावनी से हुआ था। यहाँ इस विद्रोह की शुरुआत भारतीय सैनिकों की पैदल सेना ने की। शीघ्र ही यह विद्रोह घुड़सवार सेना एवं शहर तक फैल गया। शहर और आस-पास क गाँवों के लोग सैनिकों के साथ जुड़ गए सैनिकों ने हथियार एवं गोला बारूद से भरे हुए शस्त्रागार पर अधिकार कर लिया।

विद्रोह का विस्तार- 1857 के विद्रोह का विस्तार देशव्यापी होता चला गया। विद्रोही सैनिक 11 मई, 1857 को प्रातः लाल किले के फाटक पर पहुँचे। रमजान का महीना था मुगल बादशाह बहादुरशाह नमाज पढ़कर एवं सहरी खाकर उठे ही थे कि उन्हें फाटक पर शोरगुल सुनाई दिया। बाहर खड़े सैनिकों ने उन्हें बताया कि वे मेरठ के सभी अंग्रेज पुरुषों को मारकर आए हैं क्योंकि वे हमें गाय और सूअर की चर्बी लगे कारतूस दाँतों से खोलने के लिए मजबूर कर रहे थे।

इससे हिन्दू और मुसलमान दोनों का धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। तब तक विद्रोही सैनिकों का एक और दल दिल्ली में प्रवेश कर चुका था। दिल्ली शहर की आम जनता भी उनके साथ जुड़ने लगी। अनेकों अंग्रेज मारे गये। दिल्ली के अमीर लोगों पर भी हमले हुए और लूटपाट हुई। विद्रोही सैनिकों से घिरे बहादुरशाह के पास उनकी बात मानने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं था। इस तरह विद्रोह ने एक नेतृत्व प्राप्त कर लिया क्योंकि अब उसे मुगल बादशाह बहादुर शाह के नाम पर चलाया जा सकता था। 12 व 13 मई 1857 को उत्तर भारत में शान्ति रही परन्तु जैसे ही यह खबर फैली कि दिल्ली पर विद्रोहियों का अधिकार हो चुका है तथा इस विद्रोह को मुगल बादशाह बहादुरशाह ने समर्थन दे दिया, परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आया।

गंगा घाटी एवं दिल्ली के पश्चिम की कुछ छावनियों में विद्रोह के स्वर तीव्र होने लगे। विद्रोह में आम जनता के सम्मिलित होने से हमलों में विस्तार आता गया। लखनऊ, कानपुर एवं बरेली जैसे बड़े शहरों में साहूकार एवं धनिक वर्ग के लोगों पर भी विद्रोहियों ने हमले प्रारम्भ कर दिये। अधिकांश स्थानों पर धनिक वर्ग के घर-बार लूटकर ध्वस्त कर दिए गए। इन छिटपुट विद्रोहों ने शीघ्र ही चौतरफा विद्रोह का रूप धारण कर लिया।

ब्रिटिश शासन की सत्ता की खुलेआम अवहेलना होने लगी। 1857 के विद्रोह का विस्तार अवध (लखनऊ) में भी हुआ। यहाँ विद्रोह का सबसे भयंकर रूप देखने को मिला। अंग्रेजों ने यहाँ के नवाब वाजिद अली शाह को शासन से हटा दिया था। यहाँ विद्रोह का नेतृत्व नवाब के. युवा पुत्र बिरजिस कद्र ने किया था कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने तथा बिहार के आरा में स्थानीय जमींदार कुंवर सिंह ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया। इस प्रकार 1857 का जन विद्रोह का विस्तार होता चला गया।

प्रश्न 3.
1857 के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने क्या-क्या कार्यवाहियों की?
उत्तर:
1857 के विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजों ने निम्नलिखित उपाय किये –
(1) नये कानूनों को लागू करना मई-जून, 1857 में पारित किए गए कानूनों के जरिए पूरे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। फौजी अफसरों के अलावा आम अंग्रेजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको दण्डित करने का अधिकार दे दिया गया, जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था।

(2) दिल्ली पर नियंत्रण के लिए दोतरफा आक्रमण – नए विशेष कानूनों और ब्रिटेन से मंगाई गई सैनिक टुकड़ियों से लैस अंग्रेज सरकार ने विद्रोह को ‘कुचलने का काम शुरू कर दिया विद्रोहियों की तरह अंग्रेज भी दिल्ली के महत्व को जानते थे इसलिए उन्होंने दिल्ली पर दो तरफ से हमला किया। एक कलकत्ते की ओर से और दूसरा पंजाब की ओर से। दिल्ली पर नियंत्रण की मुहिम सितम्बर के आखिर में जाकर पूरी हुई। इसका एक कारण था कि पूरे उत्तर भारत के विद्रोही राजधानी को बचाने के लिए दिल्ली में एकत्र हो गए थे।

(3) गंगा के मैदान में विद्रोहियों का दमनगंगा के मैदान में भी अंग्रेजों को धीरे-धीरे बढ़त हासिल हुई, क्योंकि उन्हें गाँव-दर-गाँव को जीतना था। आम देहाती जनता और आसपास के लोग उनके खिलाफ थे जैसे ही अंग्रेजों ने अपनी उपद्रव विरोधी कार्यवाही शुरू की, वैसे ही उन्हें एहसास हो गया कि वे जिनसे जूझ रहे हैं, उनके पीछे बेहिसाब जनसमर्थन मौजूद है।

(4) विद्रोहियों की एकता को तोड़ने के प्रयास-विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने अपनी सैनिक ताकत का भयानक पैमाने पर इस्तेमाल किया। साथ ही उत्तर प्रदेश के भू-स्वामियों और काश्तकारों के विरोध की धार कम करने के लिए अंग्रेजों ने उनकी एकता को तोड़ने के प्रयास भी किए। इसके लिए उन्होंने बड़े जमींदारों को यह आश्वासन दिया कि उनकी जागीरें लौटा दी जायेंगी। विद्रोह का रास्ता अपनाने वाले जागीरदारों की जागीरें जब्त युवा पुत्र बिरजिस कद्र ने किया था कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने तथा बिहार के आरा में स्थानीय जमींदार कुंवर सिंह ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया। इस प्रकार 1857 का जन विद्रोह का विस्तार होता चला गया।

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प्रश्न 3.
1857 के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने क्या-क्या कार्यवाहियों की?
उत्तर:
1857 के विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजों ने निम्नलिखित उपाय किये
(1) नये कानूनों को लागू करना मई-जून, 1857 में पारित किए गए कानूनों के जरिए पूरे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। फौजी अफसरों के अलावा आम अंग्रेजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको दण्डित करने का अधिकार दे दिया गया, जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था।

(2) दिल्ली पर नियंत्रण के लिए दोतरफा आक्रमण – नए विशेष कानूनों और ब्रिटेन से मंगाई गई सैनिक टुकड़ियों से लैस अंग्रेज सरकार ने विद्रोह को ‘कुचलने का काम शुरू कर दिया विद्रोहियों की तरह अंग्रेज भी दिल्ली के महत्व को जानते थे इसलिए उन्होंने दिल्ली पर दो तरफ से हमला किया। एक कलकत्ते की ओर से और दूसरा पंजाब की ओर से। दिल्ली पर नियंत्रण की मुहिम सितम्बर के आखिर में जाकर पूरी हुई। इसका एक कारण था कि पूरे उत्तर भारत के विद्रोही राजधानी को बचाने के लिए दिल्ली में एकत्र हो गए थे।

(3) गंगा के मैदान में विद्रोहियों का दमनगंगा के मैदान में भी अंग्रेजों को धीरे-धीरे बढ़त हासिल हुई, क्योंकि उन्हें गाँव-दर-गाँव को जीतना था। आम देहाती जनता और आसपास के लोग उनके खिलाफ थे जैसे ही अंग्रेजों ने अपनी उपद्रव विरोधी कार्यवाही शुरू की, वैसे ही उन्हें एहसास हो गया कि वे जिनसे जूझ रहे हैं, उनके पीछे बेहिसाब जनसमर्थन मौजूद है।

(4) विद्रोहियों की एकता को तोड़ने के प्रयास-विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने अपनी सैनिक ताकत का भयानक पैमाने पर इस्तेमाल किया। साथ ही उत्तर प्रदेश के भू-स्वामियों और काश्तकारों के विरोध की धार कम करने के लिए अंग्रेजों ने उनकी एकता को तोड़ने के प्रयास भी किए। इसके लिए उन्होंने बड़े जमींदारों को यह आश्वासन दिया कि उनकी जागीरें लौटा दी जायेंगी। विद्रोह का रास्ता अपनाने वाले जागीरदारों की जागीरें जब्त कर ली गई। जो अंग्रेजों के वफादार थे, उन्हें पुरस्कृत किया गया। बहुत सारे जमींदार या तो अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते मारे गए या भागकर नेपाल चले गए, जहाँ और भूख स्पे दम तोड़ दिया।

(5) दहशत का प्रदर्शन आम जनता में दहशत फैलाने के लिए अंग्रेजों ने विद्रोहियों को खुलेआम फाँसी पर लटकाया या तोपों के मुँह से बाँधकर उड़ाया, जिससे लोग विद्रोह करने से डरें।

प्रश्न 4.
1857 ई. में फैली अफवाहों पर लोग क्यों विश्वास कर रहे थे? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
1857 ई. में फैली अफवाहों पर लोग निम्न कारणों से विश्वास कर रहे थे –
(1) ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार का सुधारात्मक कार्य यदि 1857 की अफवाहों को 1820 के दशक से अंग्रेजों द्वारा अपनायी जा रही नीतियों के सन्दर्भ में देखा जाए तो इनका अर्थ आसानी से समझा जा सकता है। उस समय गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक के नेतृत्व में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचार एवं पश्चिमी संस्थानों के माध्यम से भारतीय समाज में आवश्यक सुधार करने हेतु विशेष प्रकार की नीतियाँ लागू कर रही थी।

(2) सती प्रथा का निषेध-गवर्नर जनरल लार्ड विलियम वैटिक ने 1829 ई. में सती प्रथा को समाप्त करने के लिए एक कानून का निर्माण किया जिसमें सती प्रथा को अवैध ठहराया गया। इसके अतिरिक्त हिन्दू विधवा विवाह को वैधता प्रदान करने के लिए कानून बनाए गए थे।

(3) डलहौजी की हड़प नीति- लार्ड डलहौजी ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को विस्तार प्रदान करने के लिए शासकीय कमजोरी एवं दत्तकता को अवैध घोषित कर देने के बहाने अवध, झाँसी व सतारा जैसी अनेक रियासतों को अपने नियन्त्रण में ले लिया था। जैसे ही कोई भारतीय रियासत अंग्रेजों के अधिकार में आती, वहाँ पर अंग्रेज अधिकारी अपने ढंग की शासन पद्धति, अपने कानून, भूमि विवाद निपटाने की पद्धति एवं भू-राजस्व वसूली की अपनी व्यवस्था लागू कर देते थे। उत्तर भारत के लोगों पर इन कार्यवाहियों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा।

(4) ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के अंग्रेज अधिकारियों ने ईसाई धर्म का प्रसार करने हेतु ईसाई धर्म प्रचारकों को प्रोत्साहित किया। भारत के निर्धन वर्ग के लोग ईसाई धर्म को स्वीकार कर रहे थे क्योंकि उन्हें अंग्रेजों द्वारा अनेक सुविधाएँ प्राप्त हो रही थीं, इस प्रकार नवीन सुधारक नीतियों एवं ईसाई धर्म प्रचारको की गतिविधियों से इस सोच को बल मिल रहा था कि अंग्रेजों द्वारा भारतीयों की सभ्यता व संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है, ऐसे अनिश्चित वातावरण में अफवाहें रातों रात फैलने लगती थीं।

प्रश्न 5.
“ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा।” डलहौजी की इस टिप्पणी को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
अपनी हड़प नीति के लिए कुख्यात लॉर्ड डलहौजी ने 1851 में अवध की रियासत के विषय में कहा था कि ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा।” 1856 में अर्थात् इस टिप्पणी के पाँच वर्ष बाद अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर ब्रिटिश राज्य में मिला लिया गया तथा अवध के नवाब को वहाँ से निर्वासित कर कलकत्ता भेज दिया गया। रियासतों पर अनैतिक रूप से कब्जे की शुरुआत 1798 ई. में आरम्भ हुई थी, जब निजाम को जबरदस्ती लॉर्ड वेलेजली ने सहायक सन्धि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया। इसके कुछ समय उपरान्त अर्थात् 1801 ई. में अवध पर सहायक सन्धि थोप दी गयी थी।

इस सहायक सन्धि में शर्त यह थी कि नवाब अपनी सेना समाप्त कर देगा, रियासत में अंग्रेज रेजीडेण्टों की नियुक्ति की जायेगी तथा दरबार में एक ब्रिटिश रेजीडेण्ट रखा जायेगा। इसके अतिरिक्त नवाव ब्रिटिश रेजीडेण्ट की सलाह पर अपने कार्य करेगा। विशेषकर अन्य राज्यों के साथ सम्बन्धों में रेजीडेण्ट की स्वीकृति लेनी अनिवार्य होगी। अपनी सैनिक शक्ति से वंचित हो जाने के उपरान्त नवाब अपनी रियासत में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए अंग्रेजों पर निर्भर होता जा रहा था। नवाब का अब विद्रोही मुखियाओं तथा ताल्लुकदारों पर कोई विशेष नियन्त्रण नहीं रहा।

धीरे-धीरे अवध पर कब्जा करने में अंग्रेजों की रुचि बढ़ती जा रही थी। उन्हें लगता था कि वहाँ की जमीन नील तथा कपास की कृषि के लिये सर्वोत्तम है तथा इस क्षेत्र को एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता है। 1850 के दशक के आरम्भ तक अंग्रेज भारत के अधिकांश भागों पर कब्जा कर चुके थे मराठा प्रदेश, दोआब, कर्नाटक, पंजाब, सिंध तथा बंगाल इत्यादि सभी अंग्रेजों के हाथ में आ चुके थे। इस समय मात्र अवध ही एक बड़ा प्रान्त था जहाँ ब्रिटिश शासन स्थापित नहीं हो सकता था। अतः अंग्रेजों ने असंगत आरोप लगाकर अवध को अपने कब्जे में ले लिया।

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प्रश्न 6.
“अफवाहों और भविष्यवाणियों ने 1857 के विद्रोह को प्रोत्साहित किया।” विवेचना कीजिये।
उत्तर:
1857 के विद्रोह को फैलाने में अफवाहों और भविष्यवाणियों का भी भरपूर योगदान रहा और इन अफवाहों ने लोगों को विद्रोह करने के लिए उत्प्रेरित किया। यथा-
(1) चर्बी वाले कारतूस मेरठ से दिल्ली आने | वाले विद्रोही सैनिकों ने मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को बताया कि उन्हें जो कारतूस चलाने को दिए गए, उनमें गाय और सुअर की चर्बी का लेप लगा था। अगर वे इन कारतूसों को से लगाएंगे तो उनका धर्म नष्ट हो जाएगा। सिपाहियों का इशारा एनफील्ड राइफल की ओर f था। अंग्रेजों के लाख समझाने पर भी सिपाहियों की यह भ्रान्ति खत्म नहीं हुई और यह अफवाह जंगल की आग की तरह उत्तर भारत की समस्त छावनियों में फैल गई।

(2) अफवाह का स्त्रोत- राइफल इंस्ट्रक्शन डिपो के कमांडेण्ट कैप्टन राइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि, “दमदम स्थित शस्वागार में काम करने वाले ‘नीची जाति’ के एक खलासी ने जनवरी, 1857 के तीसरे हफ्ते में एक ब्राह्मण सिपाही से पानी पिलाने को कहा था। ब्राह्मण सिपाही ने यह कहकर पानी पिलाने से इनकार कर दिया कि ‘नीची जाति’ के छूने से लोटा अपवित्र हो जाएगा।” इस पर खलासी ने जवाब दिया कि, ” (वैसे भी) जल्दी ही तुम्हारी जाति भ्रष्ट होने वाली है, क्योंकि अब तुम्हें गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूस मिलेंगे, जिन्हें तुम्हें मुँह से खींचना पड़ेगा।” इस अफवाह ने सैनिकों को क्रोधित कर दिया।

(3) आटे में हड्डियों का चूरा-1857 की शुरुआत में यह अफवाह भी जोरों पर फैली कि अंग्रेज सरकार ने हिन्दुओं और मुसलमानों की जाति और धर्म को नष्ट करने के लिए एक भयानक साजिश रची है। इस मकसद को प्राप्त करने के लिए उन्होंने बाजार में मिलने वाले आटे में गाय और सुअर की हड्डियों को पिसवाकर मिलवा दिया है। चारों ओर शक व भय फैल गया कि अंग्रेज हिन्दुस्तानियों को ईसाई बनाना चाहते हैं। शहरों और छावनियों में सिपाहियों ने आटे को छूने से भी मना कर दिया। इस अफवाह ने भी लोगों को विद्रोह के लिए उत्प्रेरित किया।

(4) 100 वर्ष पूरे होने पर अंग्रेजी राज के समाप्त होने की भविष्यवाणी- किसी बड़ी कार्यवाही के आह्वान को इस भविष्यवाणी से और बल मिला कि प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) के सौ साल पूरे होते ही 23 जून, 1857 को अंग्रेजी राज खत्म हो जायेगा। इस भविष्यवाणी से विद्रोह को प्रेरणा मिली।

(5) चपातियाँ बाँटना-उत्तर भारत के विभिन्न भागों से गाँव-गाँव में चपातियाँ बैटने की खबरें आ रही थीं। बताते हैं कि रात में एक आदमी आकर गाँव के चौकीदार को एक चपाती देता था तथा पाँच और चपाती बनाकर अगले गाँवों में पहुंचाने का निर्देश दे जाता था। यह सिलसिला यूँ ही चलता जाता था। जनता इसे किसी आने वाली उथल-पुथल का संकेत मान रही थी।

प्रश्न 7.
1857 के विद्रोह के पूर्व फैलने वाली अफवाहें और भविष्यवाणियाँ जनता के भय, उनकी आशंकाओं और विश्वासों को व्यक्त कर रही थीं।” विवेचना कीजिये।
अथवा
“अफवाहें तभी फैलती हैं, जब वे प्रभावशाली साबित होती हैं, जब लोगों में बहुत ज्यादा भय और | सन्देह फैल जाए।” 1857 के विद्रोह के संदर्भ में यह कथन कहाँ तक सत्य था?
अथवा
1857 के विद्रोह के राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक कारणों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
1857 के विद्रोह के पूर्व फैलने वाली अफवाहें और भविष्यवाणियाँ लोगों के भय, आशंकाओं, उनके विश्वासों और प्रतिबद्धताओं को उजागर कर रही थीं। अफवाहें तभी फैलती हैं जब लोगों के मस्तिष्क में गहरे दबे डर और सन्देह की अनुगूँज सुनाई देती है। 1857 में फैली अफवाहों पर लोग निम्न कारणों से विश्वास कर रहे थे –

(1) पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार यदि 1857 की अफवाहों को 1820 के दशक से अंग्रेजों द्वारा अपनाई जा रही नीतियों के सन्दर्भ में देखा जाए तो इनका अर्थ आसानी म से समझा जा सकता है। गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचार और पश्चिमी संस्थानों के द्वारा भारतीय समाज को सुधारने के लिए खास नीतियाँ लागू कर रही थी। भारतीय समाज के कुछ लोगों की सहायता से उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए थे जिनमें पश्चिमी विज्ञान और उदार कलाओं (Liberal Arts) के बारे में पढ़ाया जाता था।

(2) सामाजिक सुधार विलियम बैंटिक ने 1829 न में सतीप्रथा को बन्द करने के लिए एक कानून बनाया, क जिसमें सतीप्रथा को अवैध घोषित करते हुए दण्डनीय , अपराध कहा गया। इसके अतिरिक्त हिन्दू विधवा विवाह को वैध ठहराते हुए उसे कानूनी मान्यता दे दी गई। अंग्रेजों द्वारा सामाजिक कार्यों में हस्तक्षेप करने से भारतीयों में
न असन्तोष उत्पन्न हुआ।

(3) डलहौजी की हड़प नीति-डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को बढ़ावा देने के लिए शासकीय कमजोरी तथा दत्तकता को अवैध घोषित कर देने के बहानों के द्वार अवध, झाँसी, सतारा, नागपुर जैसी बहुत सी रियासतों क अपने कब्जे में ले लिया था। जैसे ही कोई रियासत अंग्रेजों के अधिकार में आती थी, वहाँ पर अंग्रेज अपने ढंग की शासन पद्धति, अपने कानून, भूमि विवाद निपटाने के अपने तरीके और भू-राजस्व वसूली की अपनी व्यवस्था लागू क देते थे।

JAC Class 12 History Important Questions Chapter 11 विद्रोही और राज : 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

उत्तर भारत के लोगों पर इन कार्यवाहियों का गहरा असर पड़ा। जनता पर नई नीतियों व कार्यवाहियों का प्रभाव- इन कार्यवाहियों से लोगों को लगने लगा कि अब तक जिन चीजों की वे कद्र करते थे, जिनको पवित्र मानते थे चाहे वे राजे-रजवाड़े हों या सामाजिक, धार्मिक रीति- रिवाज हों या भूमि स्वामित्व, लगान अदायगी की प्रणाली हो, इन सबको नष्ट करके उन पर एक ऐसी व्यवस्था लादी जा रही थी जो ज्यादा हृदयहीन, परायी और दमनकारी थी।

(4) ईसाई धर्म का प्रचार- अंग्रेज अफसरों ने ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए पादरियों को प्रोत्साहित किया। इससे भी भारतीयों में असन्तोष व्याप्त था।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित क्रान्तिकारियों के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
1. रानी लक्ष्मीबाई
2. नाना साहेब
3. बहादुरशाह द्वितीय।
उत्तर:
1. रानी लक्ष्मीबाई लक्ष्मीबाई 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम की अग्रणी महिला क्रान्तिकारी थीं। वह झाँसी की रानी थी। उनके पति को अंग्रेजों ने पुत्र गोद लेने की आज्ञा प्रदान नहीं की थी। लक्ष्मीबाई अपने पति की मृत्यु के उपरान्त झाँसी की शासिका बनीं। इन्होंने कई युद्धों में अंग्रेजों को परास्त किया। 1858 ई. में अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज ने झाँसी पर आक्रमण किया। ताँत्या टोपे के साथ मिलकर इन्होंने बड़ी वीरता के साथ अपने किले की रक्षा की किन्तु वह पराजित हुई।

2. नाना साहेब नाना साहेब 1857 के विद्रोह के एक प्रमुख सेनापति थे। नाना साहेब एक वीर मराठा तथा पेशवा बाजीराव के दसक पुत्र थे। उन्होंने स्वयं को जून, 1857 मँ कानपुर में पेशवा घोषित कर दिया। किन्तु अंग्रेजों ने उन्हें पेशवा मानने से इन्कार कर दिया। इसके अतिरिक्त अंग्रेजों ने नाना साहेब की 80,000 पाउण्ड की पेंशन भी बन्द कर दी। इससे नाना साहेब अंग्रेजों से अत्यधिक क्रुद्ध हो गये। नाना साहेब ने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों का वीरता के साथ मुकाबला किया। कानपुर में क्रान्तिकारियों का नेतृत्व भी नाना साहेब ने किया तथा कर्नल नील से जबरदस्त संघर्ष किया।

3. बहादुरशाह द्वितीय बहादुरशाह जफर द्वितीय 7 अन्तिम मुगल सम्राट् था अंग्रेज अधिकारियों ने कहा था कि बहादुरशाह जफर के उपरान्त उसके उत्तराधिकारियों को दिल्ली लाल किले में रहने नहीं दिया जाएगा। इसी कारण बहादुरशाह अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए। विद्रोहियों ने जब बहादुरशाह से अपना प्रधान सेनापति बनने को कहा तो कुछ संकोच के साथ वह इस पर राजी हो गये। बहादुरशाह ने सैनिकों द्वारा आरम्भ किये गये इस विद्रोह को युद्ध का रूप प्रदान कर दिया। बहादुरशाह ने भारत की सभी रियासतों, जमींदारों तथा सरदारों को पत्र लिखकर एकजुट होने तथा संगठित होने का अनुरोध किया। किन्तु बहादुरशाह की यह योजना सफल नहीं हो सकी तथा उनको गिरफ्तार करके रंगून भेज दिया गया।

प्रश्न 9.
1857 के विद्रोह ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रोत्साहित किया।” विवेचना कीजिये।
उत्तर:
1857 के विद्रोह द्वारा भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रोत्साहित करना 1857 के विद्रोह ने बीसवीं शताब्दी के भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रोत्साहित किया। इस विद्रोह के इर्द- गिर्द राष्ट्रवादी कल्पना का एक विस्तृत ताना-बाना बुन दिया
गया था।

(1) प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 के विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की संज्ञा दी जाती है। इस व्यापक विद्रोह में देश के हर वर्ग के लोगों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़ी थी। इसमें हिन्दुओं और मुसलमानों ने कन्धा से कन्धा मिलाकर अंग्रेजों का प्रतिरोध किया था। उनका प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजी शासन को समाप्त कर उनके चंगुल से भारत को स्वतन्त्र कराना था।

(2) कला और साहित्य के माध्यम से राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार – अनेक कलाकारों एवं साहित्यकारों ने भी अपनी कलाकृतियों एवं रचनाओं द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया। उन्होंने 1857 के विद्रोह के नेताओं को ऐसे नायकों के रूप में प्रस्तुत किया जो देश को रणस्थल की ओर ले जा रहे थे। उन्हें लोगों को दमनकारी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उत्तेजित करते हुए चित्रित किया जाता था। इन विद्रोही नायक-नायिकाओं की प्रशंसा में अनेक कविताएँ लिखी गई।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर, नाना साहिब, कुंवर सिंह, बेगम हजरत महल आदि के पराक्रमपूर्ण कार्यों, साहस, त्याग और बलिदान ने भारतीयों को अत्यधिक प्रभावित किया और वे उनके लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए। एक हाथ में घोड़े की रास और दूसरे हाथ में तलवार थामे अपनी मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाली रानी लक्ष्मीबाई की शूरवीरता का गौरवगान करते हुए कविताएँ लिखी गई।

रानी झांसी को एक ऐसे मर्दाना योद्धा के रूप में चित्रित किया जाता था जो शत्रु दल का पीछा करते हुए और ब्रिटिश सैनिकों का वध करते हुए आगे बढ़ रही थी। सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित ‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी’ नामक कविता सम्पूर्ण देश में लोकप्रिय थी। इस प्रकार भारतीय राष्ट्रवादी चित्र हमारी राष्ट्रवादी कल्पना को निर्धारित करने में सहायता दे रहे थे। इस प्रकार 1857 ई. के विद्रोह ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोगों में राष्ट्रीय भावना का प्रसार किया। इसने बीसवीं शताब्दी के राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए एक पृष्ठभूमि तैयार कर दी।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 जन आंदोलनों का उदय

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 जन आंदोलनों का उदय Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 जन आंदोलनों का उदय

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. खेती-बाड़ी के औजार के लिए गाँव वालों को किस पेड़ की लकड़ी की आवश्यकता थी?
(क) शीशम
(ख) अंगू
(ग) सागौन
(घ) बबूल
उत्तर:
(ख) अंगू

2. सूचना के अधिकार का आंदोलन किस सन् में प्रारंभ हुआ
(क) 1989
(ख) 1987
(ग) 1990
(घ) 1988
उत्तर:
(ग) 1990

3. चिपको आंदोलन की शुरुआत किस राज्य से हुई?
(क) उत्तराखण्ड
(ख) छत्तीसगढ़
(ग) झारखण्ड
(घ) मध्यप्रदेश
उत्तर:
(क) उत्तराखण्ड

4. गोलपीठ कविता किसके द्वारा लिखी गई है?
(क) फणीश्वर नाथ रेणु
(ख) नामदेव ढसाल
(ग) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(घ) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(ख) नामदेव ढसाल

5. बीकेयू किन प्रदेशों के किसानों का संगठन था?
(क) पंजाब और हरियाणा
(ख) पश्चिम उत्तरप्रदेश और पंजाब
(ग) हरियाणा और महाराष्ट्र
(घ) पश्चिम उत्तरप्रदेश और हरियाणा
उत्तर:
(घ) पश्चिम उत्तरप्रदेश और हरियाणा

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6. मार्क्सवादी-लेनिनवादी समूहों को किस नाम से जाना जाता है?
(क) माओवादी
(ख) नक्सलवादी
(ग) गाँधीवादी
(घं) आतंकवादी
उत्तर:
(ख) नक्सलवादी

7. दलित पैंथर्स का गठन किया गया
(क) 1970
(ख) 1972
(ग) 1973
(घ) 1977
उत्तर:
(ख) 1972

8. चिपको आंदोलन किससे संबंधित है?
(क) पर्यावरण.
(ख) मानवीय
(ग) राष्ट्रीय
(घ) प्रांतीय
उत्तर:
(क) पर्यावरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. देश ने आजादी के बाद …………… का मॉडल अपनाया था।
उत्तर:
नियोजित विकास

2. नामदेव ढसाल ………………… के प्रसिद्ध कवि थे।
उत्तर:
मराठी

3. ……………. से संकेत दलित समुदाय की ओर किया गया है।
उत्तर:
अँधेरे की पदयात्रा

4. दलित पैंथर्स नामक संगठन का निर्माण ………………..में सन् ……………….. में हुआ।
उत्तर:
महाराष्ट्र, 1972

5. दलितों पर हो रहे अत्याचार से संबंधित कानून …………………. में बनाया गया।
उत्तर:
1989

6. ……………. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों का संगठन था।
उत्तर:
भारतीय किसान यूनियन

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चिपको आंदोलन का सम्बन्ध किस प्रदेश से है?
उत्तर:
उत्तराखण्ड।

प्रश्न 2.
भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् विकास का कौनसा प्रतिमान अपनाया?
उत्तर:
नियोजित विकास का प्रतिमान

प्रश्न 3.
नामदेव ढसाल कौन थे?
उत्तर:
नामदेव ढसाल मराठी के प्रसिद्ध कवि थे।

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प्रश्न 4.
प्रमुख कवि नामदेव ढसाल का सम्बन्ध किस राज्य से था?
उत्तर:
महाराष्ट्र राज्य से।

प्रश्न 5.
महेन्द्र सिंह टिकैत क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
महेन्द्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 6.
दलित पैंथर्स नामक संगठन किसके द्वारा स्थापित किया गया?
उत्तर:
दलित पैंथर्स नामक संगठन का उदय 1972 में दलित युवाओं द्वारा स्थापित किया गया।

प्रश्न 7.
भारतीय किसान यूनियन का गठन किस प्रदेश में हुआ था?
उत्तर:
उत्तरप्रदेश में।

प्रश्न 8.
मछुआरों के राष्ट्रीय संगठन का क्या नाम है?
उत्तर:
नेशनल फिश वर्कर्स फोरम।

प्रश्न 9.
नामदेव ढसाल कौन थे? उनके दलित पैंथर्स समर्थक विचारों का उनकी एक मराठी कविता के आधार पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
नामदेव ढसाल मराठी के प्रसिद्ध कवि थे। उन्होंने अनेक रचनाएँ लिखीं जिनमें से कुछ बहुत प्रसिद्ध अंधेरे में पदयात्रा और सूरजमुखी आशीषों वाला फकीर है।

प्रश्न 10.
पंचायती राज की स्थापना कौनसे संवैधानिक संशोधन द्वारा लागू हुई?
उत्तर:
73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा।

प्रश्न 11.
‘सूरजमुखी आशीषों वाला फकीर’ किनको इंगित करता है?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर।

प्रश्न 12.
बामसेफ का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी एम्पलाईज फेडरेशन।

प्रश्न 13.
हरित क्रांति से किस राज्य के किसानों को फायदा मिला?
उत्तर:
हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तरप्रदेश|

प्रश्न 14.
सूचना के अधिकार के आन्दोलन की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
1990 में।

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प्रश्न 15.
संसद ने सूचना के अधिकार विधेयक को कब पास किया?
उत्तर:
2002 में।

प्रश्न 16.
पिछड़े वर्ग का पिता किसे कहा जाता है?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर को।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना 1992 में की गई।

प्रश्न 18.
सुन्दरलाल बहुगुणा, मेधा पाटकर तथा बाबा आमटे किस आन्दोलन से सम्बन्ध रखते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन।

प्रश्न 19.
चिपको आन्दोलन की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
1973 में।

प्रश्न 20.
मछुआरों की संख्या के लिहाज से भारत का विश्व में कौनसा स्थान है?
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 21.
जन आन्दोलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऐसे आन्दोलन जो लोगों की किसी समस्या या जनहित को लेकर चलाये जाते हैं उन्हें जन आन्दोलन कहते हैं।

प्रश्न 22.
चिपको आन्दोलन का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
चिपको आन्दोलन का उद्देश्य वनों की रक्षा करना था।

प्रश्न 23.
चिपको आंदोलन का नूतन पहलू क्या था?
उत्तर:
चिपको आंदोलन का नूतन पहलू जंगल के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई को रोकना था।

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प्रश्न 24.
महाराष्ट्र में दलितों के हितों की रक्षा के लिए कौनसा संगठन बनाया गया और कब बनाया गया?
उत्तर:
महाराष्ट्र में 1972 में दलित युवाओं का संगठन दलित पैन्थर्स बनाया गया।

प्रश्न 25.
आन्ध्रप्रदेश के किस जिले में सबसे पहले ताड़ी (शराब) विरोधी आन्दोलन आरम्भ हुआ?
उत्तर:
ताड़ी (शराब) विरोधी आन्दोलन का आरम्भ नेल्लौर जिले में हुआ

प्रश्न 26.
आंध्रप्रदेश के नैल्लोर जिले के ताड़ी आंदोलन में महिलाओं ने क्या किया था?
उत्तर:
नैल्लोर में लगभग 5000 महिलाओं ने ताड़ी की बिक्री बंद करने संबंधी एक प्रस्ताव पास कर जिला कलेक्टर को भेजा।

प्रश्न 27.
नेशनल फिश वर्कर्स फोरम ने सरकार से कब लड़ाई लड़ी?
उत्तर:
नेशनल फिश वर्कर्स फोरम ने 1977 में केन्द्र सरकार के साथ अपनी पहली कानूनी लड़ाई लड़ी। प्रश्न 28. किन्हीं दो किसान आन्दोलनों के नाम लिखें।
उत्तर:
किसान आन्दोलनों के नाम हैं।  तिभागा आन्दोलन, तेलंगाना आन्दोलन।

प्रश्न 29.
नेशनल फिश वर्कर्स फोरम ने केन्द्र सरकार से पहली कानूनी लड़ाई कब लड़ी?
उत्तर:
1997 में।

प्रश्न 30.
भारत में हुए किन्हीं दो पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित आन्दोलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित आन्दोलन हैं।  चिपको आन्दोलन, नर्मदा बचाओ आन्दोलन।

प्रश्न 31.
ए. एन. एफ. (ANF) का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
ए. एन. एफ. (ANF) का पूरा नाम है। नेशनल फिश वर्कर्स फोरम (National Fish Workers Forum)।

प्रश्न 32.
बी. के. यू. (BKU) का पूरा नाम बताइये।
उत्तर:
बी. के. यू. (BKU) का पूरा नाम है। भारतीय किसान यूनियन।

प्रश्न 33.
औपनिवेशिक दौर के प्रमुख आंदोलन कौन से थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक दौर के प्रमुख आंदोलन किसान आंदोलन, मजदूर संगठनों के आंदोलन, आदिवासी मजदूर संगठनों के आंदोलन तथा स्वाधीनता आंदोलन थे।

प्रश्न 34.
ताड़ी – विरोधी आंदोलन का नारा क्या था?
उत्तर:
ताड़ी की बिक्री बंद करो।

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प्रश्न 35.
संविधान के किन संशोधन के अंतर्गत महिलाओं को स्थानीय राजनीतिक निकायों में आरक्षण दिया गया?
उत्तर:
73वें और 74वें।

प्रश्न 36.
सूचना का अधिकार के आंदोलन की शुरुआत कब हुई और इसका नेतृत्व किसने किया?
उत्तर:
सूचना का अधिकार के आंदोलन की शुरुआत 1990 में हुई और इसका नेतृत्व मजदूर किसान शक्ति संगठन ने किया।

प्रश्न 37.
सूचना का अधिकार को राष्ट्रपति की मंजूरी कब हासिल हुई?
उत्तर:
जून, 2005

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चिपको आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
चिपको आन्दोलन की शुरुआत 1973 में उत्तराखण्ड राज्य में हुई । इस आन्दोलन के द्वारा स्त्री-पुरुषों ने पेड़ों की व्यावसायिक कटाई के विरोध हेतु पेड़ों को अपनी बाँहों में घेर लिया ताकि उन्हें काटने से बचाया जा सके। यह विरोध आगामी दिनों में भारत के पर्यावरण आंदोलन के रूप में बदल गया तथा ‘चिपको आंदोलन’ के रूप में विश्वप्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 2.
भारत में नारी आन्दोलन की मुख्य विशेषता बताइये।
उत्तर:
भारत में नारी आन्दोलन की मुख्य विशेषता यह है कि यह एक गैर- राजनीतिक आन्दोलन है। इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं का उत्थान करना है।

प्रश्न 3.
महिला सशक्तिकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य महिलाओं की समाज में दोयम दर्जे की भूमिका को समाप्त करना तथा समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ते हुए सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने से है।

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प्रश्न 4.
सूचना के अधिकार का आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सूचना के अधिकार के आंदोलन का प्रारंभ 1990 में हुआ। राजस्थान में कार्य कर रहे ‘मजदूर किसान शक्ति संगठन’ ने भीम तहसील में सरकार के सामने यह माँग रखी कि अकाल राहत कार्य तथा मजदूरों को दिए जाने वाले वेतन के रिकार्ड का सार्वजनिक खुलासा किया जाये । यही माँग आगे चलकर सूचना के अधिकार आन्दोलन में बदल गई।

प्रश्न 5.
नर्मदा बचाओ आन्दोलन के प्रमुख नेता का नाम बताइए। उन्होंने इस आन्दोलन को कैसे आगे बढ़ाया?
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आन्दोलन की प्रमुख नेता मेधा पाटकर हैं। 1980 के दशक में इस आन्दोलन की तरफ लोगों का ध्यान उस समय आकर्षित हुआ जब विस्थापित लोग सुसंगठित हुए और इस आन्दोलन के जाने-माने कार्यकर्ता बाबा आमटे, सुन्दरलाल बहुगुणा आदि इसमें शामिल हुए।

प्रश्न 6.
नर्मदा बचाओ आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
नर्मदा बचाओ आन्दोलन पर संक्षिप्त नोट लिखिए ।
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आन्दोलन बाँध परियोजनाओं के विरुद्ध चलाया गया आन्दोलन था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बांध द्वारा विस्थापित लोगों के उचित पुनर्वास की व्यवस्था करना था। राज्य अधिकारियों द्वारा पुनर्वास की योजना को उचित ढंग से लागू नहीं किया जा रहा था। इसलिए मानवाधिकारों से जुड़े हुए कार्यकर्ता इस आंदोलन के समर्थक बन गये।

प्रश्न 7.
तेलंगाना आन्दोलन क्या था?
उत्तर:
तेलंगाना आन्दोलन हैदराबाद राज्य में 1946 में जागीरदारों द्वारा की जा रही जबरन एवं अत्यधिक वसूली के विरोध में चलाया गया क्रान्तिकारी आन्दोलन था । क्रान्तिकारी किसानों ने पाँच हजार गुरिल्ला सैनिक तैयार किए और जमींदारों के विरुद्ध संघर्ष आरम्भ किया। भारत सरकार द्वारा हस्तक्षेप करने पर यह आन्दोलन समाप्त हुआ।

प्रश्न 8.
चिपको आंदोलन की मुख्य माँगें क्या थीं?
उत्तर:
चिपको आंदोलन की मुख्य माँगें निम्न थीं।

  1. जंगल की कटाई का कोई भी ठेका बाहरी व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए।
  2. स्थानीय लोगों का जल, जंगल, जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर कारगर नियंत्रण होना चाहिए।
  3. सरकार लघु उद्योगों के लिए कम कीमत की सामग्री उपलब्ध कराए और इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी संतुलन को नुकसान पहुँचाए बिना यहाँ का विकास सुनिश्चित करे।
  4. आंदोलन ने भूमिहीन वन कर्मचारियों का आर्थिक मुद्दा भी उठाया और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की माँग की।

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प्रश्न 9.
ताड़ी विरोधी आन्दोलन क्या था?
उत्तर:
वर्ष 1992 के सितम्बर और अक्टूबर में आंध्रप्रदेश के गांवों में महिलाओं ने शराब के विरुद्ध लड़ाई छेड़ रखी थी। यह लड़ाई शराब माफिया और सरकार दोनों के खिलाफ थी। इस आंदोलन ने वृहद् रूप धारण कर लिया तो इसे राज्य में ताड़ी – विरोधी आंदोलन के रूप में जाना गया।

प्रश्न 10.
चिपको आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी की। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चिपको आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी की। इस आंदोलन में महिलाओं ने शराबखोरी की लत के खिलाफ भी लगातार आवाज उठायी।

प्रश्न 11.
सरदार सरोवर परियोजना को कब और कहाँ प्रारंभ किया गया था?
उत्तर:
1980 के दशक के प्रारंभ में सरदार सरोवर परियोजना को मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में प्रारंभ किया गया।

प्रश्न 12.
सरदार सरोवर परियोजना के क्या लाभ बताये गये?
उत्तर:
सरदार सरोवर परियोजना के अन्तर्गत एक बहुउद्देश्यीय बांध बनाने का प्रस्ताव है। इसके निर्माण से तीन राज्यों में पीने का पानी, सिंचाई तथा बिजली के उत्पादनं की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकेगी। कृषि की उपज में गुणात्मक बढ़ोतरी होगी तथा इससे बाढ़ और सूखे की आपदाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

प्रश्न 13.
महिला सशक्तिकरण के लिए कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. महिलाओं के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था की जाए ताकि उनका मानसिक विकास हो सके। इससे उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा और वे अपने अधिकारों के प्रति सजग होंग ।
  2. महिलाएँ भी पुरुषों के समान क्षमता और सूझबूझ रखती हैं। महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान किये जाने चाहिए।

प्रश्न 14.
सत्तर और अस्सी के दशक में समाज के कई तबकों का राजनीतिक दलों से मोहभंग होने का क्या कारण था?
उत्तर:
सत्तर और अस्सी के दशक में समाज के कई तबकों का राजनीतिक दलों से मोहभंग हुआ क्योंकि जनता पार्टी के रूप में गैर-कांग्रेसवाद का प्रयोग कुछ खास नहीं चल पाया और इसकी असफलता से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल भी कायम हुआ था और इसका एक कारण सरकार की आर्थिक नीतियाँ भी रहीं।

प्रश्न 15.
नियोजित विकास के मॉडल को अपनाने के पीछे दो लक्ष्य क्या थे?
उत्तर:
नियोजित विकास का मॉडल अपनाने के पीछे दो लक्ष्य निम्न थे।

  1. आर्थिक संवृद्धि
  2. आय का समतापूर्ण बँटवारा।

प्रश्न 16.
जन आन्दोलनों से क्या अभिप्राय है?
अथवा
जन आन्दोलनों की प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जन आन्दोलन- जन आन्दोलन वे आन्दोलन होते हैं, जो प्राय: समाज के संदर्भ या श्रेणी के क्षेत्रीय अथवा स्थानीय हितों, माँगों और समस्याओं से प्रेरित होकर प्रायः लोकतान्त्रिक तरीके से चलाए जाते हैं। चिपको आन्दोलन, दलित पैंथर्स आन्दोलन तथा ताड़ी विरोधी आन्दोलन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

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प्रश्न 17.
दलित पैंथर्स क्या था? इसकी किन्हीं दो माँगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दलित पैंथर्स – दलित हितों की दावेदारी के क्रम में महाराष्ट्र में सन् 1972 में दलित युवाओं का एक ‘संगठन ‘दलित पैंथर्स’ बना। दलित पैंथर्स की माँगें:

  1. जाति आधारित असमानता व भौतिक साधनों के मामले में दलितों के साथ हो रहे अन्याय समाप्त हों।
  2. आरक्षण के कानून और सामाजिक न्याय की नीतियों का कारगर ढंग से क्रियान्वयन हो।

प्रश्न 18.
दलित पैंथर्स की किन्हीं दो गतिविधियों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:

  1. दलित पैंथर्स ने दलित अधिकारों की दावेदारी करते हुए जन कार्यवाही का रास्ता अपनाया।
  2. महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में दलितों पर बढ़ रहे अत्याचारों से लड़ना दलित पैंथर्स की एक अन्य प्रमुख गतिविधि थी। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने 1989 में दलित अत्याचार करने वाले के लिए कठोर दंड के प्रावधान वाला एक व्यापक कानून बनाया।

प्रश्न 19.
‘दल आधारित आंदोलनों’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
दल आधारित आन्दोलन:
मुम्बई, कोलकाता तथा कानपुर जैसे औद्योगिक शहरों में सभी बड़े दलों ने मजदूरों को लामबंद करने के लिए अपने-अपने मजदूर संगठन बनाए। आंध्रप्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र के किसान कंम्युनिस्ट पार्टियों के नेतृत्व में लामबन्द हुए। दलों के नेतृत्व में गठित इन आंदोलनों को ‘दल आधारित आंदोलन’ कहा गया।

प्रश्न 20.
नामदेव ढसाल कौन थे? उनके दलित पैंथर्स समर्थक ( पक्षधर ) विचारों की उनकी मराठी कविता के आधार पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
नामदेव ढसाल: नामदेव ढसाल मराठी भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। उनकी मराठी कविता के आधार पर कहा जा सकता है कि।

  1. वे दलितों के प्रति सच्ची हमदर्दी रखते थे।
  2. वे दलितों को एक गरिमापूर्ण स्थान दिलाने के लिए जुझारू संघर्ष की बात करते थे।
  3. वे डॉ. अम्बेडकर को प्रेरणा पुरुष मानते थे।

प्रश्न 21.
जन आंदोलनों ने किस प्रकार लोकतंत्र को अभिव्यक्ति दी?
उत्तर:
जन आंदोलनों का इतिहास हमें लोकतांत्रिक राजनीति को अच्छी तरह से समझने में सहायता करता है। प्रथमतः, इन आंदोलनों का उद्देश्य दलीय राजनीति की बुराइयों को दूर करना था। दूसरे, इन आंदोलनों ने समाज के उन नये वर्गों की सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को अभिव्यक्ति दी, जो अपनी समस्याओं को चुनावी राजनीति के माध्यम से हल नहीं कर पा रहे थे।

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प्रश्न 22.
स्वतन्त्रता के बाद महिलाओं की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के बाद महिलाओं की स्थिति: स्वतन्त्रता के बाद महिलाओं को पुरुषों के समान समानता का दर्जा प्राप्त हुआ है। महिलाएँ किसी भी प्रकार की शिक्षा या प्रशिक्षण को चुनने के लिए स्वतन्त्र हैं। वे सार्वजनिक सेवाओं के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रही हैं। परन्तु ग्रामीण समाज में अभी भी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है जिसे दूर किये जाने की आवश्यकता है। यद्यपि कानूनी तौर पर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्रदान किये गये हैं परन्तु आदि काल से चली आ रही पुरुष प्रधान व्यवस्था में व्यावहारिक रूप में महिलाओं के साथ अभी भी भेदभाव किया जाता है।

प्रश्न 23.
” ताड़ी विरोधी आन्दोलन महिला आन्दोलन का हिस्सा था ।” कारण बताइये।
उत्तर:
वर्ष 1992 के सितम्बर और अक्टूबर में आंध्रप्रदेश के गांवों में महिलाओं ने ताड़ी अर्थात् शराब के विरुद्ध लड़ाई छेड़ रखी थी। इस आंदोलन ने जब वृहद रूप धारण कर लिया तो यह महिला आंदोलन का हिस्सा बन गया क्योंकि।

  1. यह ताड़ी विरोध के साथ-साथ घरेलू हिंसा, दहेज-प्रथा कार्यस्थल एवं सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन बन गया जो कि महिला आंदोलन के मुख्य मुद्दे थे।
  2. इस आंदोलन ने महिलाओं के मुद्दों के प्रति समाज में व्यापक जागरूकता उत्पन्न की।
  3. इसमें महिलाओं को विधायिका में दिये जाने वाले आरक्षण के मामले उठे।
    इस प्रकार ताड़ी विरोधी आंदोलन महिला आंदोलन का हिस्सा था।

प्रश्न 24.
आजादी के शुरुआती 20 सालों में अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय संवृद्धि होने के बावजूद गरीबी और असमानता बरकरार रही क्यों?
उत्तर:
आजादी के शुरुआती 20 सालों में अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि होने के बावजूद गरीबी और असमानता बरकरार रही क्योंकि आर्थिक संवृद्धि के लाभ समाज के हर तबके को समान मात्रा में नहीं मिले। जाति और लिंग पर आधारित सामाजिक असमानताओं ने गरीबी के मसले को और ज्यादा जटिल तथा धारदार बना दिया। शहरी- औद्योगिक क्षेत्र तथा ग्रामीण कृषि क्षेत्र के बीच न पाटी जा सकने वाली दूरी पैदा हुई। समाज के विभिन्न समूहों के बीच अपने साथ हो रहे अन्याय और वंचना का भाव प्रबल हुआ।

प्रश्न 25.
जन आंदोलन का क्या अर्थ है? दल समर्थित (दलीय) और स्वतंत्र (निर्दलीय) आंदोलन का स्वरूप स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
जन-आन्दोलन: प्रजातांत्रिक मर्यादाओं तथा संवैधानिकियमों के आधार पर तथा सामाजिक शिष्टाचार से संबंधित नियमों के पालन सहित सरकारी नीतियों, कानून व प्रशासन सहित किसी मुद्दे पर व्यक्तियों के समूह या समूहों के द्वारा असहमति प्रकट किया जाना जन-आंदोलन कहलाता है।

  1. दल आधारित आंदोलन: जब कभी राजनैतिक दल या राजनीतिक दलों के समर्थन प्राप्त समूहों द्वारा आंदोलन किये जाते हैं तो इन्हें दलीय आंदोलन कहा जाता है। जैसे किसान सभा आंदोलन एक दलीय आंदोलन था।
  2. स्वतंत्र जन आंदोलन: जब आंदोलन असंगठित लोगों के समूह द्वारा संचालित किये जाते हैं, तो वे निर्दलीय जन आंदोलन कहलाते हैं। जैसे—चिपको आंदोलन, दलित पैंथर्स आंदोलन|

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प्रश्न 26.
महिला सशक्तिकरण के साधन के रूप में संसद और राज्य विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण की व्यवस्था का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
महिला सशक्तिकरण के लिए यह आवश्यक है कि महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाया जाए। जब तक स्थानीय संस्थाओं, विधानमण्डलों और संसद में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित नहीं किये जाते तब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। 73वें – 74वें संवैधानिक संशोधन द्वारा ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय संस्थाओं में तो महिलाओं के लिए कुल निर्वाचित पदों का एक-तिहाई भाग आरक्षित कर दिया गया है। इससे महिला सशक्तिकरण आन्दोलन को बल मिला। लेकिन संसद तथा राज्य विधान मण्डलों में अभी तक महिलाओं को आरक्षण प्रदान नहीं किया जा सका है।

प्रश्न 27.
क्या आप पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों पर आरक्षण के पक्ष में हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था सही है; क्योंकि

  1. यह संस्था तभी सफलतापूर्वक कार्य कर सकती है जब इसके संगठन में पुरुष और स्त्रियों दोनों को स्थान मिले।
  2. यदि स्त्रियों को पंचायतों में आरक्षण दिया जाता है तो पंचायत और अधिक लोकतान्त्रिक संस्था बनेगी तथा लोगों का उस पर विश्वास बना रहेगा। क्योंकि स्त्रियाँ शारीरिक रूप से निर्बल होती हैं, इस कारण भी उनको अपनी सुरक्षा के लिए पंचायतों में आरक्षण दिया जाना चाहिए।
  3. ग्रामीण स्तर पर महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बहुत कम है, यदि पंचायतों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की जाती हैं, तो इससे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी तथा उन्हें राजनीतिक शिक्षा भी मिलेगी।

प्रश्न 28.
आरक्षण व्यवस्था के पक्ष में कोई चार तर्क दीजिए।
उत्तर:
आरक्षण व्यवस्था के पक्ष में तर्क आरक्षण व्यवस्था के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं।

  1. सामाजिक सम्मान में वृद्धि: आरक्षण की नीति के फलस्वरूप कमजोर वर्ग के लोग सार्वजनिक सेवा के किसी भी उच्च पद को प्राप्त करने में सफल हो सकेंगे, जिससे उनके सामाजिक सम्मान में वृद्धि होगी।
  2. राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि: आरक्षण की नीति के कारण समाज के उच्च वर्गों के साथ-साथ निम्न वर्गों को भी शासन प्रणाली और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी भागीदारी निभाने का अवसर मिलता है।
  3. राजनीतिक चेतना में वृद्धि: कमजोर वर्गों के शिक्षित लोग अब अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति पहले से अधिक जागरूक हैं।
  4. आर्थिक उन्नति में सहायक: आरक्षण की नीति से समाज के गरीब वर्गों के लिए वर्षों से रुके हुए व्यवसाय के अवसर खुलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक उन्नति होगी।

प्रश्न 29.
आरक्षण नीति के विरोध में कोई चार तर्क दीजिए।
उत्तर:
आरक्षण नीति के विरोध में तर्क- आरक्षण की नीति के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं।

  1. समानता के सिद्धान्त के विरुद्ध: आरक्षण की व्यवस्था समानता के मूल अधिकार के विरुद्ध है।
  2. जातिगत भेदभाव को बढ़ावा: इस व्यवस्था से जातिवाद को बहुत अधिक बढ़ावा मिला है।
  3. आरक्षण का लाभ सभी को समान रूप से नहीं: आरक्षण का लाभ अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के सभी लोगों को नहीं मिल पाया है। इससे लाभ इन जातियों के एक छोटे से वर्ग ने उठाया है।
  4. निर्भरता को बढ़ावा: आरक्षण के कारण अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों की आत्म- निर्भरता में कमी हुई है।

प्रश्न 30.
किन्हीं तीन किसान आन्दोलनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसान आन्दोलन: तीन प्रमुख किसान आन्दोलन निम्नलिखित हैं।

  1. तिभागा आन्दोलन: तिभागा आन्दोलन 1946-47 में बंगाल में प्रारम्भ हुआ। यह आन्दोलन मुख्यतः जोतदारों के विरुद्ध मझोले किसान एवं बंटाईदारों का संयुक्त प्रयास था। इस आन्दोलन का मुख्य कारण भीषण अकाल था।
  2. तेलंगाना किसान आन्दोलन: तेलंगाना आन्दोलन हैदराबाद राज्य में 1946 में जागीरदारों द्वारा की जा रही जबरन एवं अत्यधिक वसूली के विरोध में चलाया गया क्रान्तिकारी किसान आन्दोलन था।
  3. आधुनिक आन्दोलन: 1980 के दशक में महाराष्ट्र, गुजरात तथा पंजाब के किसानों ने कपास के दामों को कम किए जाने के विरोध में आन्दोलन किया। 1987 में किसानों के द्वारा गुजरात विधानसभा का घेराव किये जाने के कारण पुलिस ने किसानों पर तरह-तरह के अत्याचार किए।

प्रश्न 31.
स्वयंसेवी संगठन अथवा स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
राजनीतिक धरातल पर सक्रिय कई समूहों का विश्वास लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी राजनीति से उठ गया। ये समूह दलगत राजनीति से अलग हुए और अपने विरोध के स्वर देने के लिए इन्होंने जनता को लामबंद करना शुरू किया। इस काम में विभिन्न तबकों के राजनीतिक कार्यकर्ता आगे आए और दलित तथा आदिवासी जैसे वंचितों को लामबंद करना शुरू किया। मध्यवर्ग तथा युवा कार्यकर्ताओं ने गाँव के गरीब लोगों के बीच रचनात्मक कार्यक्रम तथा सेवा संगठन चलाए। इन संगठनों के सामाजिक कार्यों की प्रकृति स्वयंसेवी थी इसलिए इन संगठनों को स्वयंसेवी संगठन या स्वयंसेवी क्षेत्र का संगठन कहा गया।

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प्रश्न 32.
नर्मदा बचाओ आंदोलन के पक्ष और विपक्ष में दो-दो तर्क दीजिये।
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आंदोलन के पक्ष में तर्क।

  1. बाँध के निर्माण से संबंधित राज्यों के 245 गाँव डूबने की आशंका थी। इससे ढाई लाख लोग निर्वासित हो सकते थे।
  2. इस प्रकार की परियोजनाओं का लोगों के स्वास्थ्य, आजीविका, संस्कृति और पर्यावरण पर कुप्रभाव पड़ता नर्मदा बचाओ आंदोलन के विपक्ष में तर्क है।
  3. नर्मदा पर बांध के निर्माण से गुजरात के एक बहुत बड़े हिस्से सहित तीन पड़ोसी राज्यों में पीने का पानी, सिंचाई, विद्युत उत्पादन की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी और कृषि उपज में वृद्धि होगी।
  4. बाँध निर्माण से बाढ़ व सूखे की आपदाओं पर रोक लगाई जा सकेगी।

प्रश्न 33.
स्वयंसेवी संगठनों को स्वतंत्र राजनीतिक संगठन क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
स्वयंसेवी संगठनों ने स्वयं को दलगत राजनीति से दूर रखा। स्थानीय अथवा क्षेत्रीय स्तर पर ये संगठन न तो चुनाव लड़े और न ही इन्होंने किसी एक राजनीतिक दल को अपना समर्थन दिया। हालांकि ये संगठन राजनीति में विश्वास करते थे और उसमें भागीदारी भी करना चाहते थे लेकिन इन्होंने राजनीतिक भागीदारी के लिए राजनीतिक दलों को नहीं चुना। इसी कारण इन संगठनों को स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कहा जाता है।

प्रश्न 34.
अन्य पिछड़ा वर्ग का ‘ सम्पन्न तबका’ (Creamy Layer) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पिछड़ा वर्ग का सम्पन्न तबका (Creamy Layer) सम्पन्न तबका पिछड़े वर्गों में वह वर्ग है जो सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से सम्पन्न है और जो राजनीतिक कारणों से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का लाभ उठा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा है कि यह वर्ग यदि सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न है तो उसे पिछड़ा वर्ग से अलग किया जाए; क्योंकि इसे पिछड़ा वर्ग नहीं माना जा सकता।

प्रश्न 35.
डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर: दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म सन् 1891 में एक महर परिवार में हुआ। इन्होंने इंग्लैण्ड एवं अमेरिका से वकालत की शिक्षा ग्रहण की। 1923 में इन्होंने वकालत का पेशा अपनाया। सन् 1926 से 1934 तक ये बम्बई विधान परिषद् के सदस्य रहे। इन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। 1942 में यह वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य नियुक्त किए गए। इन्हें भारत के संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इन्हें स्वतन्त्र भारत का विधि मंत्री भी बनाया गया। इन्होंने हिंदू कोड बिल पास करवाया एवं संविधान में अनुसूचित जातियों को आरक्षण प्रदान करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1956 में इनका निधन हो गया।

प्रश्न 36.
भारत में लोकप्रिय जन आंदोलन से सीखे सबकों (पाठों ) का मूल्यांकन कीजिये।
उत्तर:
जन आंदोलन के सबक – जन आंदोलनों के द्वारा पढ़ाये जाने वाले प्रमुख सबक निम्नलिखित हैं।

  1. जन आंदोलन के द्वारा लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिली है।
  2. इन आंदोलनों का उद्देश्य लोकतान्त्रिक दलीय राजनीति की खामियों को दूर करना था।
  3. इन आंदोलनों ने समाज के उन नये वर्गों की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को अभिव्यक्ति दी है जो अपनी समस्याओं को चुनावी राजनीति के माध्यम से हल नहीं कर पा रहे थे।
  4. समाज के गहरे तनावों और जनता के क्षोभ को इन आंदोलनों ने एक सार्थक दिशा दी है।
  5. इन आंदोलनों ने भारतीय लोकतंत्र के बनाया है। तथा लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया है।

प्रश्न 37.
स्वयंसेवी संगठनों के अनुसार लोकतांत्रिक सरकार की प्रकृति में सुधार कैसे आएगा?
उत्तर:
स्वयंसेवी संगठनों का मानना था कि स्थानीय मसलों के समाधान में स्थानीय नागरिकों की सीधी और सक्रिय भागीदारी राजनीतिक दलों की अपेक्षा कहीं ज्यादा कारगर होगी। इन संगठनों का विश्वास था कि लोगों की सीधी भागीदारी से लोकतांत्रिक सरकार की प्रकृति में सुधार आएगा।

प्रश्न. 38.
वर्तमान में स्वयंसेवी संगठनों की प्रकृति में आए बदलावों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्वयंसेवी संगठन शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगातार सक्रिय हैं। परंतु अब इनकी प्रकृति बदल गई है। बाद के समय में ऐसे अनेक संगठनों का वित्त पोषण विदेशी एजेंसियों से होने लगा है। ऐसी एजेंसियों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सर्विस एजेंसियाँ भी शामिल हैं। इन संगठनों को बड़े पैमाने पर जब विदेशी धनराशि प्राप्त होती है जिससे स्थानीय पहल का आदर्श कुछ कमजोर हुआ है।

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प्रश्न 39.
भारत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु योजनाएँ भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु निम्नलिखित योजनाएँ चलायी जा रही हैं-

  1. शिक्षा के क्षेत्र में सभी राज्यों में इनके लिए उच्च स्तर तक शिक्षा निःशुल्क कर दी गई है। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में इनके लिए स्थान आरक्षित किए गए हैं।
  2. इन वर्गों की छात्राओं के लिए छात्रावास योजना प्रारम्भ की गई है।
  3. 1987 में भारत के जनजाति सहकारी बाजार विकास संघ की स्थापना की गई। 1992-93 में जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों की व्यवस्था की गई।
  4. मार्च, 1992 में बाबा साहब आम्बेडकर संस्था की स्थापना की गई। इन सबके अतिरिक्त इस समय 194 जनजातीय विकास योजनाएँ चल रही हैं।

प्रश्न 40.
महिला सशक्तिकरण की राष्ट्रीय नीति, 2001 के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण (2001) के उद्देश्य – राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  1. सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक नीतियों द्वारा ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें महिलाओं को अपनी पूर्व क्षमता को पहचानने का मौका मिले और उनका पूर्ण विकास हो।
  2. महिलाओं द्वारा पुरुषों की भाँति राजनीतिक, आर्थिक-सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक सभी क्षेत्रों में समान स्तर पर भी मानवीय अधिकारों और मौलिक स्वतन्त्रताओं का कानूनी और वास्तविक उपभोग।
  3. स्वास्थ्य देखभाल, प्रत्येक स्तर पर उन्नत शिक्षा, जीविका एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन, रोजगार, समान पारिश्रमिक, सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक पदों आदि में महिलाओं को समान सुविधाएँ।
  4. न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाकर महिलाओं के विरुद्ध होने वाले किसी प्रकार के अत्याचारों का उन्मूलन करना।

प्रश्न 41.
सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है? भारत में इसे कब पारित किया गया था?
उत्तर:
सूचना का अधिकार भारतीय संसद द्वारा पारित वह अधिनियम है जो नागरिकों के सूचना के अधिकार के बारे में नियमों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी. सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है और यह सूचना संबंधित विभाग को ज्यादा से ज्यादा 30 दिनों में उपलब्ध करानी होती है। भारत में यह विधेयक 2005 में पारित हुआ था।

प्रश्न 42.
भारत में पर्यावरण सुरक्षा हेतु क्या – क्या कदम उठाये जा रहे हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरणीय आन्दोलन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरणीय सुरक्षा आन्दोलन: भारत में पर्यावरण की सुरक्षा हेतु अनेक कदम उठाये जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख हैं।

  1. स्वतन्त्र भारत में वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए अनेक स्थानों पर अभयारण्यों की स्थापना की गई और इन अभयारण्यों में सभी प्रकार के जीवों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई, जिससे जंगलों की संख्या बढ़े और वातावरण स्वच्छ
    हो।
  2. पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई तथा सर्वत्र वृक्षारोपण कार्य प्रारम्भ किया गया। वृक्षों की कटाई रोकने के लिए उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाकों में चिपको आन्दोलन चलाया गया।
  3. सिंचाई के लिए विभिन्न बाँधों की व्यवस्था की गई, इन बाँधों में सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन दोनों कार्य चलने लगे।
  4. भारत में विकास की क्रान्ति के संदर्भ में कृषि क्षेत्र में हरित क्रान्ति का नारा दिया गया और अन्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की गई।

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प्रश्न 43.
भारतीय किसान यूनियन (BKU) की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा
भारतीय किसान यूनियन की किन्हीं दो विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
भारतीय किसान यूनियन ( बी. के.यू.) की विशेषताएँ – भारतीय किसान यूनियन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. सरकार पर अपनी माँगों को मनवाने के लिए बीकेयू (BKU) ने रैली, धरना, प्रदर्शन और जेल भरो आन्दोलन का सहारा लिया।
  2. इस संगठन ने जातिगत समुदायों को आर्थिक मसले पर एकजुट करने के लिए जाति पंचायत की परम्परागत संस्था का उपयोग किया।
  3. बीकेयू (BKU) के लिए धनराशि और संसाधन इन्हीं जातिगत संगठनों के माध्यम से प्राप्त किया जाता था।
  4. 1990 के दशक में भारतीय किसान यूनियन ने अपने को सभी राजनीतिक दलों से दूर रखा। यह संगठन अपने संख्या बल के आधार पर राजनीति में एक दबाव समूह की तरह सक्रिय था।

प्रश्न 44.
किसान आंदोलन 80 के दशक में सबसे ज्यादा सफल सामाजिक आंदोलन था। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1990 के दशक के शुरुआती सालों तक बीकेयू ने अपने को सभी राजनीतिक दलों से दूर रखा था। यह अपने सदस्यों के संख्या बल के दम पर राजनीति में एक दबाव समूह की तरह सक्रिय था। इस संगठन ने राज्यों में मौजूद अन्य किसान संगठनों को साथ लेकर अपनी कुछ माँगें भी मनवा ली थीं। इस आंदोलन की सफलता के पीछे इसके सदस्यों की राजनीतिक मोल-भाव की क्षमता का हाथ था।

प्रश्न 45.
जन आंदोलन के आलोचक इन आंदोलनों का विरोध क्यों करते हैं?
उत्तर:
जन आंदोलन के आलोचक अकसर यह दलील देते हैं कि हड़ताल, धरना और रैली जैसी सामूहिक कार्रवाईयों से सरकार के कामकाज पर बुरा असर पड़ता है। उनके अनुसार इस तरह की गतिविधियों से सरकार की निर्णय-प्रक्रिया बाधित होती है तथा रोजमर्रा की लोकतांत्रिक व्यवस्था भंग होती है।

प्रश्न 46.
जन आंदोलन में भाग लेने वाले समूह चुनावी शासन- भूमि से अलग जन-कार्रवाई और लामबंदी की रणनीति क्यों अपनाते हैं?
उत्तर:
जन आंदोलन में भाग लेने वाली जनता सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित तथा अधिकारहीन वर्गों से संबंध रखती है। इन समूहों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी बातों को कहने का पर्याप्त मौका नहीं मिलता है। इसी कारण ये समूह चुनावी शासन – भूमि से अलग जन- कार्रवाई और लामबंदी की रणनीति अपनाते हैं।

प्रश्न 47.
दलित पैंथर्स संगठन ने दलित अधिकारों की दावेदारी के लिए जन-कार्रवाई का रास्ता क्यों अपनाया?
उत्तर:
दलितों के सामाजिक और आर्थिक उत्पीड़न को रोक पाने में कानून की व्यवस्था नाकाम साबित हो रही थी। दलित जिन राजनीतिक दलों का समर्थन कर रहे थे जैसे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, वे चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पा रही थीं। ये पार्टियाँ हमेशा निशाने पर रहती थीं, चुनाव जीतने के लिए इन्हें किसी दूसरी पार्टी से गठबंधन करना पड़ता था । ये पार्टियाँ टूट का भी शिकार हुईं। इन वजहों से ‘दलित पैंथर्स’ ने दलित अधिकारों की दावेदारी करते हुए जन- कार्रवाई का रास्ता अपनाया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् होने वाले प्रमुख किसान आन्दोलनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् किसान आन्दोलन: स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में हुए कुछ प्रमुख किसान आन्दोलन निम्नलिखित हैं।
1. तिभागा आन्दोलन:
तिभागा आन्दोलन 1946-47 में बंगाल में प्रारम्भ हुआ। यह आन्दोलन मुख्यतः जोतदारों के विरुद्ध मझोले किसानों एवं बटाईदारों का संयुक्त आन्दोलन था। इस आन्दोलन के कारण कई गाँवों में किसान सभा का शासन स्थापित हो गया। परन्तु औद्योगिक मजदूर वर्ग और बड़े किसानों के समर्थन के बिना यह शीघ्र ही समाप्त हो गया।

2. तेलंगाना आन्दोलन:
तेलंगाना आन्दोलन हैदराबाद राज्य में 1946 में जागीरदारों द्वारा की जा रही जबरन एवं अत्यधिक वसूली के विरोध में चलाया गया क्रान्तिकारी किसान आन्दोलन था। इस आन्दोलन में क्रान्तिकारी किसानों ने पाँच हजार गुरिल्ला किसान तैयार कर जमींदारों के विरुद्ध संघर्ष आरम्भ कर दिया। भारत सरकार द्वारा हस्तक्षेप करने पर यह आन्दोलन समाप्त हो गया।

3. आधुनिक किसान आन्दोलन:
मार्च, 1987 में गुजरात के किसानों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए विधान सभा का घेराव करने की योजना बनाई। सरकार ने गुजरात विधानसभा (गांधीनगर) की किलेबंदी कर दी। पुलिस ने किसानों पर तरह-तरह के अत्याचार किए और किसानों ने पुलिस के अत्याचारों के विरुद्ध ग्राम बंद करने की अपील की, जिसके कारण गुजरात के अनेक शहरों में दूध और सब्जी की समस्या कई दिनों तक रही।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 7 जन आंदोलनों का उदय

प्रश्न 2.
सरकार की सार्वजनिक नीतियों पर जन आंदोलनों का प्रभाव काफी सीमित रहा है। विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सरकार की सार्वजनिक नीतियों पर जन आंदोलनों का प्रभाव सीमित रहा है। इसके निम्न कारण हैं:

  1. समकालीन सामाजिक आंदोलन किसी एक मुद्दे के इर्द-गिर्द ही जनता को लामबंद करते हैं। इस तरह वे समाज के किसी एक वर्ग का ही प्रतिनिधित्व कर पाते हैं। इसी सीमा के कारण सरकार इन आंदोलनों की जायज माँगों को ठुकराने का साहस कर पाती है।
  2. लोकतांत्रिक राजनीति वंचित वर्गों के व्यापक गठबंधन को लेकर ही चलती है जबकि जनआंदोलनों के नेतृत्व में यह बात संभव नहीं हो पाती।
  3. राजनीतिक दलों को जनता के विभिन्न वर्गों के बीच सामंजस्य बैठाना पड़ता है, जबकि जन आंदोलनों का नेतृत्व इस वर्गीय हित के प्रश्नों को कायदे से सँभाल नहीं पाता। एक सच्चाई यह भी है कि राजनीतिक दलों ने समाज के वंचित और अधिकार हीन लोगों के मुद्दे पर ध्यान देना छोड़ दिया है।
  4. हालाँकि जन आंदोलन का नेतृत्व भी ऐसे मुद्दों को सीमित ढंग से ही उठा पाता है।
  5. विगत वर्षों में राजनीतिक दलों और जन आंदोलनों का आपसी संबंध भी कमजोर होता गया है। इससे राजनीति में सूनेपन का माहौल पनपा है।

प्रश्न 3.
दलित पैंथर्स संगठन के उदय और गतिविधियों पर लेख लिखिए।
उत्तर:
1. दलित पैंथर्स संगठन का उदय:
सातवें दशक के शुरुआती सालों से शिक्षित दलितों की पहली पीढ़ी ने अनेक मंचों से अपने हक की आवाज उठायी। इनमें अधिकतर शहर की झुग्गी बस्तियों में पलकर बड़े हुए दलित थे दलित हितों की दावेदारी के इसी क्रम में महाराष्ट्र में 1972 में दलित युवाओं का एक संगठन ‘दलित पैंथर्स’ बना। आजादी के बाद के सालों में दलित समूह प्रमुखतः “जाति-आधारित असमानता और भौतिक साधनों के मामले में अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ रहे थे। वे इस बात को लेकर सचेत थे कि संविधान में जाति-आधारित किसी भी तरह के भेदभावों के विरुद्ध गारंटी दी गई है।

2. दलित पैंथर्स संगठन की गतिविधि:
आरक्षण के कानून तथा सामाजिक न्याय की नीतियों का कारगर क्रियान्वयन के लिए इस संगठन ने संघर्ष किया। महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में दलितों पर बढ़ रहे अत्याचार से लड़ना इस संगठन की मुख्य गतिविधियों में से एक था । दलित पैंथर्स संगठन ने दलितों पर हो रहे अत्याचार के मामलों पर लगातार विरोध आंदोलन चलाया। इस संगठन का वृहत्तर विचारात्मक एजेंडा जाति प्रथा को समाप्त करना तथा भूमिहीन गरीब किसान, शहरी औद्योगिक मजदूर और दलित सहित सारे वंचित वर्गों का एक संगठन खड़ा करना था।

प्रश्न 4.
भारत के किन्हीं दो सामाजिक आंदोलनों का उल्लेख कीजिये। उनके मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
भारत के दो प्रमुख सामाजिक आंदोलन इस प्रकार हैं।

  • महिला आंदोलन:
    1. महिला आंदोलन प्रारंभ में घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्य करने वाले मध्यवर्गीय शहरी महिलाओं के बीच क्रियाशील थे।
    2. आठवें दशक के दौरान यह आंदोलन परिवार के अन्दर व उसके बाहर होने वाली यौन हिंसा के मुद्दों पर केन्द्रित रहा इन आंदोलनों ने दहेज प्रथा का विरोध, व्यक्तिगत तथा सम्पत्ति कानूनों में लैंगिक समानता की मांग की।
    3. नब्बे के दशक में महिला आंदोलन समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व हेतु महिला आरक्षण की भी माँग करने लगा।
  • चिपको आंदोलन:
    चिपको आंदोलन का प्रारंभ उत्तराखंड के 2-3 गाँवों से व्यावसायिक प्रयोग हेतु पेड़ों को काटने से रोकने के सम्बन्ध में हुआ। इस आंदोलन से ये मुद्दे उठे

    1. जंगल की कटाई का ठेका बाहरी व्यक्ति को न दिया जाये तथा स्थानीय लोगों का जल, जंगल, जमीन पर कारगर नियंत्रण होना चाहिए।
    2. सरकार लघु उद्योगों हेतु कम कीमत की सामग्री उपलब्ध कराए तथा इस क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को हानि पहुँचाये बिना यहाँ का विकास सुनिश्चित करे।
    3. चिपको आंदोलन में महिलाओं ने शराबखोरी की बात के विरोध में भी निरन्तर आवाज उठायी।

प्रश्न 5.
बीसवीं शताब्दी के 70 और 80 के दशकों में उदित-विकसित हुए गैर-राजनीतिक दलों वाले ( अथवा राजनैतिक दलों से स्वतन्त्र) आंदोलन पर लेख लिखिए।
उत्तर:
गैर-राजनैतिक या राजनैतिक स्वतन्त्र आन्दोलन के कारण 70 और 80 के दशकों में उदित हुए गैर-राजनैतिक या राजनीतिक दलों से स्वतन्त्र आन्दोलन के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं।

  1. गैर-कांग्रेसवाद का असफल होना: 70 और 80 के दशक में समाज के कई तबकों का राजनीतिक दलों के आचार-व्यवहार से मोहभंग हुआ। असफलता से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल कायम हुआ जिनसे राजनीतिक दलों से स्वतन्त्र आन्दोलनों का उदय हुआ।
  2. केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों से निराश: सरकार बेरोजगारी, गरीबी, महँगाई नहीं रोक सकी इसलिए सरकार की आर्थिक नीतियों से लोगों का मोहभंग हुआ।
  3. आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ: बीसवीं शताब्दी के सत्तर और अस्सी के दशकों में जाति और लिंग पर आधारित मौजूदा असमानताओं ने गरीबी के मसले को और ज्यादा जटिल और धारदार बना दिया।
  4. अनेक समूहों का लोकतन्त्र से विश्वास उठ गया: राजनीतिक धरातल पर सक्रिय कई समूहों का लोकतान्त्रिक संस्थाओं और चुनावी राजनीति से विश्वास उठ गया। ये समूह दलगत राजनीति से अलग हुए और अपने विरोध को स्वर देने के लिए इन्होंने आवाम को लामबंद करना शुरू किया। इस प्रकार 1970-80 के दशक में गैर-राजनैतिक या राजनीतिक दलों से स्वतन्त्र आन्दोलनों की विशेष भूमिका रही।

प्रश्न 6.
‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की विवेचना कीजिए।
अथवा
नर्मदा बचाओ आंदोलन का परिचय देते हुए इसकी प्रमुख गतिविधियों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आंदोलन आठवें दशक के प्रारंभ में नर्मदा घाटी में विकास परियोजना के तहत मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरने वाली नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर 30 बड़े और 135 मझौले तथा 300 छोटे बाँध बनाने का प्रस्ताव रखा गया। गुजरात के सरदार सरोवर तथा मध्यप्रदेश के नर्मदा सागर बाँध के रूप में दो सबसे बड़ी और बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं का निर्धारण किया गया। नर्मदा नदी के बचाव में नर्मदा बचाओ आंदोलन चला। इस आंदोलन ने इन बाँधों के निर्माण का विरोध किया तथा इन परियोजनाओं के औचित्य पर भी सवाल उठाए हैं। प्रमुख गतिविधियाँ

  • आंदोलन के नेतृत्व ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि इन परियोजनाओं का लोगों के पर्यावास, आजीविका, संस्कृति तथा पर्यावरण पर बुरा असर पड़ा है।
  • प्रारंभ में आंदोलन ने परियोजना से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित सभी लोगों के समुचित पुनर्वास किये जाने की माँग रखी।
  • बाद में इस आंदोलन ने इस बात पर बल दिया कि ऐसी परियोजनाओं की निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय समुदाय की भागीदारी होनी चाहिए।
  • अब आंदोलन बड़े बांधों की खुली मुखालफत करता
  • आंदोलन ने अपनी माँगें मुखर करने के लिए हरसंभव लोकतांत्रिक रणनीति का इस्तेमाल किया। यथा
    1. इसने अपनी बात न्यायपालिका से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों तक उठायी।
    2. इसके नेतृत्व ने सार्वजनिक रैलियां तथा सत्याग्रह जैसे तरीकों का भी प्रयोग किया।

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प्रश्न 7.
जन आंदोलन के मुख्य कारण व भारतीय राजनीति पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जन आंदोलन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।

  • राजनीतिक दलों के आचार: व्यवहार से मोह भंग होना सत्तर और अस्सी के दशक में समाज के कई तबकों का राजनीतिक दलों के आचार-व्यवहार से मोह भंग हो गया। इससे दल-रहित जन-आंदोलनों का उदय हुआ।
  • सरकार की आर्थिक नीतियों से मोह भंग होना: सरकार की आर्थिक नीतियों से भी लोगों का मोह भंग हुआ क्योंकि जाति और लिंग आधारित सामाजिक असमानताओं ने गरीबी के मुद्दे को और ज्यादा जटिल बना दिया।
  • लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी राजनीति से विश्वास उठना: राजनीतिक धरातल पर सक्रिय कई समूहों का विश्वास लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी राजनीति से उठ गया। इन समूहों ने दलगत राजनीति से अलग होकर आवाम को लामबंद कर अपने विरोध को स्वर दिया। भारतीय राजनीति पर जन आंदोलनों का प्रभाव भारतीय राजनीति पर जन आंदोलनों के निम्नलिखित प्रभाव पड़े:
    1. इन्होंने उन नये वर्गों की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को अभिव्यक्ति दी जो अपनी समस्याओं को चुनावी राजनीति के जरिये हल नहीं कर पा रहें थे।
    2. विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए ये आंदोलन अपनी बात रखने का बेहतर माध्यम बनकर उभरे।
    3. समाज के गहरे तनावों और जनता के क्षोभ को एक सार्थक दिशा देकर इन आंदोलनों ने भारतीय लोकतंत्र के जनाधार को बढ़ाया है।
    4. ये आंदोलन जनता की जायज मांगों के नुमाइंदा बनकर उभरे हैं।

प्रश्न 8.
ताड़ी विरोधी आंदोलन से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना करें।
उत्तर:
ताड़ी विरोधी आंदोलन: ताड़ी विरोधी आंदोलन की शुरुआत 1992 में आंध्रप्रदेश के नेल्लौर जिले से मानी जाती है। इस आंदोलन के अन्तर्गत ग्रामीण महिलाओं ने शराब के खिलाफ लड़ाई छेड़ी और शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की माँग की। यह लड़ाई शराब माफिया और सरकार दोनों के खिलाफ थी। ताड़ी-विरोधी आंदोलन में दो परस्पर विरोधी गुट थे। एक शराब माफिया और दूसरा ताड़ी के कारण पीड़ित परिवार। शराबखोरी से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को हो रही थी।

इससे परिवार की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी थी तथा परिवार में तनाव और मारपीट का माहौल बनने लगा था। दूसरी तरफ शराब के ठेकेदार ताड़ी व्यापार पर एकाधिकार बनाए रखने के लिए अपराधों में व्यस्त थे।
इस आंदोलन ने जब वृहद रूप धारण कर लिया तो यह महिला आंदोलन का हिस्सा बन गया क्योंकि:

  1. यह ताड़ी विरोध के साथ-साथ घरेलू हिंसा, दहेज-प्रथा, कार्यस्थल एवं सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन बन गया।
  2. इसने महिलाओं के मुद्दों के प्रति समाज में व्यापक जागरूकता उत्पन्न की
  3. इसमें महिलाओं को विधायिका में दिये जाने वाले आरक्षण के मामले उठे।

प्रश्न 9.
नेशनल फिशवर्कर्स फोरम पर विस्तारपूर्वक लेख लिखिए।
उत्तर:
मछुआरों की संख्या के लिहाज से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। अपने देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही तटीय क्षेत्रों में देसी मछुआरा समुदायों के हजारों परिवार का पेशा मत्सोद्योग है। सरकार ने जब मशीनीकृत मत्स्य- आखेट और भारतीय समुद्र में बड़े पैमाने पर मत्स्य – दोहन के लिए ‘बॉटम ट्रऊलिंग’ जैसे प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति दी तो मछुआरों के जीवन और आजीविका के आगे संकट आ खड़ा हुआ। पूरे 70 और 80 के दशक के दौरान मछुआरों के स्थानीय स्तर के संगठन अपनी आजीविका के मसले पर राज्य सरकारों से लड़ते रहे।

1980 के दशक के मध्यवर्ती वर्षों में आर्थिक उदारीकरण की नीति की शुरुआत हुई तो बाध्य होकर मछुआरों के स्थानीय संगठनों ने अपना राष्ट्रीय मंच बनाया। इसका नाम ‘नेशनल फिशवर्कर्स फोरम’ रखा गया। इस संगठन ने 1997 में केन्द्र सरकार से पहली कानूनी लड़ाई लड़ी और उसमें सफलता भी पाई। इस क्रम में इसके कामकाज ने एक ठोस रूप भी ग्रहण किया। इसकी लड़ाई सरकार की खास नीति के खिलाफ थी । केन्द्र सरकार की इस नीति के अंतर्गत व्यावसायिक जहाजों को गहरे समुद्र में मछली मारने की इजाजत दी गई थी।

इस नीति के कारण बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए भी इस क्षेत्र के दरवाजे खुल गए थे। 1990 के पूरे दशक में एनएफएम ने केन्द्र सरकार से अनेक कानूनी लड़ाई लड़ी और सार्वजनिक संघर्ष भी किया। इस फोरम ने उन लोगों के हितों की रक्षा के प्रयास किए जो जीवनयापन के लिए मछली मारने के पेशे से जुड़े थे न कि इस क्षेत्र में मात्र लाभ के लिए निवेश करते हैं। सन् 2002 में इस संगठन ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। इस हड़ताल का कारण विदेशी कंपनियों को सरकार द्वारा मछली मारने का लाइसेंस जारी करने के विरोध में किया गया था।

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प्रश्न 10.
ताड़ी विरोधी आंदोलन का उदय किस प्रकार हुआ ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आंध्र प्रदेश के नेल्लौर जिले के दुबरगंटा गाँव में 1990 के शुरुआती समय में महिलाओं के बीच प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रम चलाया गया। इसमें महिलाओं ने बड़ी संख्या में पंजीकरण कराया। कक्षाओं में महिलाएँ घर के पुरुषों द्वारा देशी शराब, ताड़ी आदि पीने की शिकायतें करती थीं। ग्रामीणों को शराब पीने की लत लग चुकी थी। इस वजह से वे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो गए थे। इस लत की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी। लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया। पुरुष अपने काम में गैर-हाजिर रहने लगे। शराबखोरी से सबसे ज्यादा

संजीव पास बुक्स दिक्कत महिलाओं को हो रही थी। क्योंकि इस आदत से परिवार की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी। परिवार में तनाव और मारपीट का माहौल बनने लगा। इन कारणों की वजह से नेल्लोर में महिलाएँ ताड़ी की बिक्री के खिलाफ आगे आईं और उन्होंने शराब की दुकानों को बंद कराने के लिए दबाव बनाना शुरू किया। यह खबर दूसरे गाँवों में फैलते ही दूसरे गांवों महिलाओं ने भी इस आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया। प्रतिबंध संबंधी एक प्रस्ताव को पास कर जिला कलेक्टर को भेजा गया। यह आंदोलन धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैल गया।

प्रश्न 11.
सूचना के अधिकार का आंदोलन के बारे में विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
सूचना के अधिकार का आंदोलन जन आंदोलनों की सफलता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। यह आंदोलन सरकार से एक बड़ी माँग को पूरा कराने में सफल रहा है। इस आंदोलन की शुरुआत 1990 में हुई और इसका नेतृत्व मजदूर किसान शक्ति संगठन ने किया। राजस्थान में काम कर रहे इस संगठन ने सरकार के सामने यह माँग रखी कि अकाल राहत कार्य और मजदूरों को दी जाने वाली पगार के रिकॉर्ड का सार्वजनिक खुलासा किया जाए। यह माँग राजस्थान के एक अत्यंत ही पिछड़े क्षेत्र से उठायी गयी।

इस मुहिम के तहत ग्रामीणों प्रशासन से अपने वेतन और भुगतान के बिल उपलब्ध कराने को कहा क्योंकि इन लोगों का अनुमान था कि विकास कार्यों में लगाए जाने वाले धन की हेराफेरी हुई है। पहले 1994 और उसके बाद 1996 में एम के एस एस ने जन सुनवाई का आयोजन किया और प्रशासन को इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा। आंदोलन के दबाव में सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करना पड़ा।

नए कानून के तहत जनता को पंचायत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने की अनुमति मिल गई। 1996 में एम के एस एस ने दिल्ली में सूचना के अधिकार को लेकर राष्ट्रीय समिति का गठन किया। इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप 2002 में ‘सूचना की स्वतंत्रता’ नाम का विधेयक पारित हुआ था। परंतु यह एक कमजोर अधिनियम था। सन् 2004 में सूचना के अधिकार के विधेयक को सदन में रखा। जून में 2005 में इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल हुई।